PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 फैसले लेने की योग्यता

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 7 फैसले लेने की योग्यता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 7 फैसले लेने की योग्यता

PSEB 10th Class Welcome Life Guide फैसले लेने की योग्यता Textbook Questions and Answers

भाग-I

सही/ग़लत चुनें

  1. मैं वह पाठ्यक्रम चुनूंगा जो मेरे माता-पिता कहते हैं, भले ही मुझे उस में कोई दिलचस्पी न हो।
  2. यदि मैं अपने परिवार या अन्य परिस्थितियों के कारण डॉक्टर नहीं बन पाता, तो चिकित्सा पेशे जैसे अन्य कोर्स फार्मासिस्ट, नर्सिंग भी तो किए जा सकते हैं।
  3. हमारे भाग्य में जो होगा मिल जाएगा इसलिए काम को लेकर ज्यादा चिंता की ज़रूरत नहीं है।
  4. मुझे वही कोर्स चुनना है, जो मेरे सहपाठी चुनेंगे।
  5. मुझे जीवन में जो बनना है, मुझे वहीं अपना रास्ता चुनना है, यह बात मुझ पर लागू होती है।

उत्तर-

  1. ग़लत,
  2. सही,
  3. ग़लत,
  4. ग़लत,
  5. सही।

भाग-II

प्रश्न 1.
दसवीं के बाद मुझे क्या करना है?
उत्तर-
मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर बनना चाहता हूँ। इसलिए मैं कॉमर्स लूंगा, ताकि मैं बी. कॉम करके एम. बी. ए. करूं और अपने सपने पूरे कर सकूँ। इससे मैं अधिक धन अर्जित कर सकूँगा और अपनी इच्छा के अनुसार काम कर सकूँगा।

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प्रश्न 2.
अपने आस पास के लोगों के कुछ व्यवसायों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. डॉक्टर
  2. इंजीनियर
  3. मैनेजर
  4. सुनार
  5. डेयरीफार्मिंग
  6. शिक्षक/प्रोफेसर
  7. सरकारी नौकरी
  8. किराना दुकानदार
  9. दुकानदार
  10. कारपेंटर

प्रश्न 3.
मुझे क्या काम करके अधिक खुशी मिलती है?
उत्तर-
मैं एक बड़ी कंपनी में मैनेजर बनना चाहता हूँ। उसका काम सबके काम पर नज़र रखना है। इसलिए मुझे ऐसा काम करने में खुशी मिलती है जिसमें दूसरों के काम पर नज़र रखनी हो और उसमें सुधार के बारे बताना हो।

अभ्यास (पेज 58)

प्रश्न-कई कठिन परिस्थितियों में फैसला लेने के लिए सामान्य ज्ञान कार्य करता है। उदाहरण के लिए “छात्र एक प्रश्न का उत्तर दें कि एक आदमी घर से बाहर था और लगातार बारिश में भीग रहा था। उसका
फैसले लेने की योग्यता पूरा शरीर बारिश में भीगा हुआ था। उसका सिर पूरी तरह से नंगा था और उसके सिर पर कोई पगड़ी, टोपी या ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे वह अपने सिर को गीला होने से बचा सके। लेकिन उसके सिर का एक भी बाल गीला नहीं हुआ। यह कैसे संभव हो सकता है?”
उत्तर-
उसके सिर पर बाल नहीं हैं क्योंकि वह पूरी तरह गंजा था। जीवन में ऐसे कई प्रश्न हमारे सामने आ सकते हैं जिनके उत्तर देते समय हमें सामान्य ज्ञान का उपयोग करना आवश्यक है।

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पाठ पर अधारित प्रश्न

गतिविधि

इस चित्र की कहानी की तरफ ध्यान दें। एक गिलहरी सड़क पार करने लगी, बीच से ही पीछे मुड़ गई, फिर उसे लगा कि सामने से आ रही कार से बच कर पहले ही निकल जाएगी। फिर आगे बढ़ी, पीछे मुड़ने के ख्याल से जब पीछे गई तो पीछे की तरफ से बस आ रही थी। वह फिर आगे बढ़ी और कार के टायर के नीचे आकर मर गई। दुविधा के कारण वह समय पर फैसला नहीं ले सकी।
PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 फैसले लेने की योग्यता 1

प्रश्न 1. सही उत्तर चुनो

प्रश्न 1.
गिलहरी की मौत का कारण …………….. था।
(a) बस
(b) कार
(c) दुविधा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) दुविधा।

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प्रश्न 2.
खाली स्थान भरो गिलहरी बच सकती थी अगर वह ……… समय पर ……….. निर्णय लेती।
उत्तर-
ठीक, ठीक।

कक्षा में चर्चा करके आगे दी स्थितियों पर जो बेहतर निर्णय सामने आये उसे लिखें।

स्थिति-1:
क और ख दोनों ही आपके अच्छे मित्र हैं, लेकिन वह एक-दूसरे से झगड़ पड़े, क ने आपसे ख से न बोलने के लिए कहा है, जबकि ख ने आपसे क से बात न करने के लिए कहा है तो आपका निर्णय क्या होगा?
उत्तर-
मैं दोनों को बैठा कर उनकी बात सुनूंगा, उनकी गलतफहमी दूर करूंगा और उन्हें फिर से दोस्त बनाऊंगा।

स्थिति-2:
कल आपकी क्लास में गणित की परीक्षा होगी। आप गणित में बहुत अच्छे हैं लेकिन आपके दोस्तों ने परीक्षा न देने का फैसला किया। आपका निर्णय क्या होगा?
उत्तर-
मैं उन्हें समझाऊंगा कि हमें टेस्ट देना चाहिए। हो सकता है कि हमें कम अंक मिलें लेकिन हम नई चीजें सीखेंगे। मैं उन्हें बताऊंगा कि स्थिति से भागना अच्छा नहीं है लेकिन हमें बड़ी हिम्मत के साथं इसका सामना करना चाहिए।
प्यारे छात्रो ! अब हम अनुमान लगाते हैं कि कौन से पेशे में अभी अधिक सफल हो सकता है। आपको अभी के लिए जो काम अधिक ठीक लगता है उस अनुसार अभी को उस काम के अन्यों से अधिक अंक दें। प्रत्येक काम के लिए हम अभी को पांच में से अंक देंगे।

काम तथा व्यवसाय कुल अंक 5
1. व्यापार
2. डॉक्टर
3. ड्राइविंग
4. कृषि
5. साहित्यिक (कलाकारी)
6. वाहन/परिवहन कार्य
7. वैज्ञानिक
8. विदेश
9. मैकेनिक

उत्तर-यह सारणी छात्र अपने मित्र की इच्छा अनुसार खुद भरेंगे।

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Welcome Life Guide for Class 10 PSEB फैसले लेने की योग्यता Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति को क्या करना पड़ता है?
(a) काम करना पड़ता है
(b) ऐश करनी पड़ती है
(c) सोना पड़ता है
(d) जागना पड़ता है।
उत्तर-
(a) काम करना पड़ता है।

प्रश्न 2.
हमें किस प्रकार का काम करना चाहिए?
(a) जिसे हम पसंद करते हैं
(b) जिसमें अधिक पैसे हों
(c) जिसे करके खुशी मिले
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
राजा ने अपने बेटों को क्यों बुलाया?
(a) उत्तराधिकारी का फैसला करने के लिए
(b) अन्य राज्य पर हमला करने के लिए
(c) राज्य को विभाजित करने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) उत्तराधिकारी का फैसला करने के लिए।

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प्रश्न 4.
राजा ने अपने किस बेटे को उत्तराधिकारी चुना?
(a) पहले
(b) दूसरे
(c) तीसरे
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) तीसरे।

प्रश्न 5.
तीसरे बेटे ने ऐसा क्या किया कि राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया?
(a) उसने राजा को 100 रुपए लौटा दिए
(b) उसने महल को कचरे से भर दिया
(c) उसने महल को सुगंध से भर दिया
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) उसने महल को सुगंध से भर दिया।

प्रश्न 6.
किसने कहा, “कल्पना ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण है?”
(a) आइंस्टीन
(b) गैलीलियो
(c) मैरी क्यूरी
(d) सुकरात
उत्तर-
(a) आइंस्टीन।

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(ख) खाली स्थान भरें

  1. मानव जीवन बहुत …………… है।
  2. छात्रों में ………….. का कौशल होना चाहिए।
  3. आइंस्टीन ने कहा था कि ……….. ज्ञान से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
  4. आइंस्टीन ने ……………. पुरस्कार जीता था।
  5. प्रत्येक व्यक्ति में ……….. का कौशल होना चाहिए।

उत्तर-

  1. जटिल,
  2. सामान्य ज्ञान,
  3. कल्पना,
  4. नोबेल,
  5. सामान्य ज्ञान।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. प्रत्येक छात्र को सामान्य ज्ञान के कौशल का उपयोग करना चाहिए।
  2. कठिन समय में बुद्धि काम आती है।
  3. राजा के चार पुत्र थे।
  4. निरंतर चलने पर ही लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
  5. हमें अपनी इच्छा अनुसार व्यवसाय अपनाना चाहिए।

उत्तर-

  1. सही,
  2. सही,
  3. ग़लत,
  4. सही,
  5. सही।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) व्यापार — (i) समझ
(b) क्षमता — (ii) व्यवसाय
(c) दुविधा — (iii) अनुमान
(d) कल्पना — (iv) कौशल
(e) सामान्य ज्ञान — (v) असमंजस
उत्तर-
कॉलम ए — कॉलम बी
(a) व्यापार — (ii) व्यवसाय
(b) क्षमता — (iv) कौशल
(c) दुविधा — (v) असमंजस
(d) कल्पना — (iii) अनुमान
(e) सामान्य ज्ञान — (i) समझ

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन यापन के लिए क्या करना पड़ता है?
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन यापन करने के लिए कोई न कोई काम करना पड़ता है।

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प्रश्न 2.
हमें किस प्रकार का काम करना चाहिए?
उत्तर-
हमें वह काम करना चाहिए जिससे हमें अधिक धन और खुशी मिले।

प्रश्न 3.
क्या कोई काम छोटा या बड़ा होता है?
उत्तर-
नहीं, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता ।

प्रश्न 4.
व्यवसाय अपनाने के दौरान हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
व्यवसाय का चयन करते समय हमें अपनी पसंद और बड़ों के अनुभव को ध्यान में रखना चाहिए।

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प्रश्न 5.
राजा ने अपने बेटों को परखने का फैसला क्यों किया?
उत्तर-
क्योंकि वह सिंहासन के लिए अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहता था।

प्रश्न 6.
राजा ने अपने तीसरे बेटे को उत्तराधिकारी क्यों चुना?
उत्तर-
क्योंकि राजा के तीसरे पुत्र ने सही समय पर सही फैसला लिया था।

प्रश्न 7.
राजा के तीसरे बेटे ने 100 रुपये का क्या किया?
उत्तर-
तीसरे बेटे ने 100 रुपये के कई सुगंध खरीदे और उन्हें महल में रखा। इससे सारा महल खुशबू से भर गया।

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प्रश्न 8.
हम अपने व्यक्तित्व को किस तरह महका सकते हैं?
उत्तर-
हम अपने व्यक्तित्व को अच्छे गुणों से महका सकते हैं।

प्रश्न 9.
अगर हम अच्छे गुणों को अपनाएंगे तो क्या होगा?
उत्तर-
अच्छे गुणों से हमारे मन में बुरे विचार नहीं आएंगे और हमारा व्यक्तित्व अपने आप बढ़िया होगा।

प्रश्न 10.
मानव जीवन किस प्रकार का है?
उत्तर-
मानव जीवन काफी जटिल और चुनौतियों से भरा है।

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प्रश्न 11.
अल्बर्ट आइंस्टीन कौन थे?
उत्तर-
वह एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने नोबेल पुरस्कार जीता था।

प्रश्न 12.
आइंस्टीन ने कल्पना के बारे में क्या बताया?
उत्तर-
उन्होंने बताया के कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 13.
इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य छात्रों में सामान्य ज्ञान का कौशल पैदा करना है।

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प्रश्न 14.
सामान्य ज्ञान का महत्त्व क्या है?
उत्तर-
सामान्य ज्ञान के साथ हम अपनी छोटी-बड़ी समस्याओं को भी आसानी से हल कर सकते हैं।

लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें कौन सा व्यवसाय चुनना चाहिए?
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए कोई न कोई काम करना पड़ता है। इसलिए उसे कोई न कोई व्यवसाय अपनाना पड़ता है। लेकिन व्यवसाय को अपनाने के दौरान, कुछ चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। यह बेहतर होगा यटि व्यवसाय हमारी पसंद का होगा। साथ ही अगर उसमें अच्छा पैसा और खुशी मिलती है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं है। इस तरह, अगर हम इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो हम बेहतरीन पेशा चुनकर अच्छी जिंदगी जी पाएंगे।

प्रश्न 2.
पेशा चुनने में कौन हमारी मदद कर सकता है?
उत्तर-
ऐसा कहा जाता है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता लेकिन व्यक्ति की सोच बड़ी-छोटी हो सकती है। किसी भी काम को देखने का हमारा नज़रिया सकारात्मक होना चाहिए। तब हम बहुत आसानी से व्यवसाय चुन सकते हैं। इसीलिए हम अपने माता-पिता से सलाह ले सकते हैं। हम अपने शिक्षकों या स्कूल परामर्शदाताओं से बात कर सकते हैं। हम सही निर्णय लेने के लिए इंटरनेट, समाचार पत्रों या टी.वी. का उपयोग कर सकते हैं। इससे हमारा समय बचेगा और हम एक बेहतर पेशा चुन पाएंगे।

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प्रश्न 3.
किसी व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता क्यों होनी चाहिए?
उत्तर-
इस तथ्य में कोई शक नहीं है कि किसी व्यक्ति के पास निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति सही समय पर सही निर्णय लेता है, तो वह हमेशा जीवन में प्रगति करेगा लेकिन अगर सही समय पर.गलत निर्णय लिया गया तो जीवन बर्बाद हो सकता है। इसलिए कोई भी बुजुर्गों की मदद ले सकता है और अपने निर्णय लेने के कौशल को निखारने के लिए परामर्शदाताओं से बात कर सकता है। इस तरह, वह जीवन में बहुत प्रगति करेगा।

प्रश्न 4.
जीवन में सामान्य ज्ञान या ज्ञान का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करता है। यदि कोई समस्या है तो यह हमारा सामान्य ज्ञान या समझदारी है जो हमारी मदद करती है। इसका कारण यह है कि कभी कभी व्यावहारिक जीवन में, हमें दिल की न सुन कर और बुद्धिमानी से निर्णय लेना पड़ता है जो सभी के लिए काफी फलदायी होता है। कभी कभी हम अपनी कल्पना और सामान्य ज्ञान की मदद से बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी हल कर सकते हैं। इसीलिए प्रत्येक मनुष्य में सामान्य ज्ञान होना चाहिए और उसका उपयोग करने का कौशल भी होना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-अध्याय में दिए गए निर्णय लेने के कौशल के बारे में राजा की कहानी पर चर्चा करें।
उत्तर-एक बार एक राजा था जिसके तीन बेटे थे। राजा उनमें से अपने उत्तराधिकारी का चयन करना चाहता था कि कौन उसका उत्तराधिकारी बनेगा। इस लिए उसने निर्णय लेने की क्षमता के साथ-साथ उनकी परख करने का निर्णय लिया। उसने तीनों बेटों में प्रत्येक बेटे को 100 रुपये दिये और उनसे कुछ भी खरीदने को कहा जिसके साथ पूरा महल भरा जा सके। बड़े बेटे ने सोचा कि वह पूरे महल को केवल 100 रुपये से कैसे भर सकता है। इसीलिए उसने अपने पिता को पैसे लौटा दिए। दूसरे बेटे ने 100 के साथ कचरा खरीदा और पूरे महल को भर दिया। राजा को गुस्सा आ गया और उसने उसे महल की सफाई का काम दे दिया। राजा के तीसरे बेटे ने 100 रुपये के साथ कई सुगंध खरीदे और महल को सुगंध से भर दिया। राजा ने उसे अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुनने का पुरस्कार दिया क्योंकि उसने सही समय पर सही निर्णय लिया। इसलिए एक व्यक्ति के पास सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 फैसले लेने की योग्यता

फैसले लेने की योग्यता PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • यह अध्याय भविष्य में एक व्यवसाय का चयन करने के मुद्दे के साथ शुरू होता है, कि व्यक्ति को क्या व्यवसाय चुनना चाहिए।
    वास्तव में, लोग हमेशा इस बात को लेकर दुविधा होते हैं कि वे कौन सा व्यवसाय अपनाएं जिसमें उन्हें अधिक पैसा मिले और साथ ही उनका दिल भी लगा रहे।
  • कई बच्चे माता-पिता के दबाव में होते हैं कि उन्हें वही व्यवसाय अपनाना है जो उनके माता-पिता चाहते हैं। चाहे बच्चे की इच्छा हो या न हो। यह गलत है।
  • हमें वही व्यवसाय अपनाना चाहिए जिसे करने का मन हो। हमें दबाव में नहीं आना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों की इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए। उन्हें प्रत्येक पेशे के लाभ और हानियों के बारे में बताया जाना चाहिए ताकि वे सही निर्णय ले सकें।
  • सभी में निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। भले ही हम अलग-अलग समय पर अलग-अलग निर्णय लेते हैं। कभी-कभी उस निर्णय को लेने में इतना समय लगता है जिससे उसकी अहमियत कम हो जाती है। इसलिए सही समय पर सही फैसले लेने चाहिए।
  • हम अपने व्यक्तित्व को अच्छे गुणों की खुशबू से महका सकते हैं। इससे हमारे मन में बुरे विचार नहीं आएंगे और अच्छे गुण आ जाएंगे। व्यक्ति में कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण आत्मविश्वास भी होना चाहिए। ताकि कठिन परिस्थितियों का डट के सामना किया जा सके।
  • व्यक्ति को अपने जीवन में सामान्य ज्ञान का प्रयोग करने की आवश्यकता है। इस तरह हम कठिन परिस्थितियों में नहीं फंसते और सभी समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं।
  • जीवन में कई ऐसे अवसर आते हैं जब किसी समस्या के बारे में निर्णय लेना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में, सामान्य ज्ञान उपयोगी है। सभी में सामान्य ज्ञान और सही समय पर इसका उपयोग करने का कौशल होना चाहिए। इससे जीवन आसान बनता है।

जूडो (Judo) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions जूडो (Judo) Game Rules.

जूडो (Judo) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. जूडो मैदान का आकार = वर्गाकार
  2. जूडो मैदान की एक भुजा की लम्बाई = 10 मीटर
  3. अधिकारियों की संख्या = तीन (1 रैफ़री, 2 जज, 1 स्कोरर)
  4. पोशाक का नाम = जुडोगी
  5. जूडो के भारों की गिनती = 8 पुरुषों के लिए
  6. जूडो के भारों की गिनती = 7 स्त्रियों के लिए
  7. जूडो के भारो की गिनती = 8 जूनियर के लिए
  8. जूडो खेल का समय = 10 ओर 20 मिनट
  9. जूडो के मैदान का नाम = सिआइजो
  10. प्लेटफार्म को कवर करने के लिए टुकड़ों की गिनती = 50, कम-से-कम 16 × 16 मी०
  11. मैदान का कुल क्षेत्र = अधिक-से-अधिक 14 × 14 मी० 128 मैट, कम से कम 98 मैट
  12. प्रत्येक मैट के टुकड़े का आकार = 1 × 2 मीटर
  13. जूडो खिलाड़ियों को एक-दूसरे से खड़े होने की दूरी = 4 मीटर
  14. खतरनाक ज़ोन = 1 मीटर

ऐम बी डी स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा जूडो खेल की संक्षेप रूप-रेखा
(Brief outline of the Judo Game)

  1. जूडो प्रतियोगिता रैफरी के Hajime शब्द कहने से आरम्भ होती है।
  2. खिलाड़ी अंगूठी, कड़ा आदि नहीं पहन सकते और न ही उनके पैरों तथा हाथों के नाखून बढ़े होने चाहिएं।
  3. रैफरी के ‘ओसाई कोमी तोकेता’ कहने से पकड़ हट जाती है।
  4. यदि कभी जज रैफरी के निर्णय से सहमत न हो तो वह रैफरी को अपना सुझाव दे सकता है। रैफरी ठीक समझे तो वह जज के फैसले को मान सकता है।
  5. जूडो प्रतियोगिता की अवधि 3 मिनट से 20 मिनट हो सकती है।
  6. जूडो प्रतियोगिता में पेट का दबाना या सिर या गर्दन को सीधा टांगों से दबाना फाऊल है।
  7. जूडो प्रतियोगिता में यदि कोई खिलाड़ी भाग लेने से इन्कार कर देता है उसके विरोधी खिलाड़ी की त्रुटि के कारण (By Fusangachi) विजयी घोषित किया जाता है।
  8. यदि कोई खिलाड़ी मुकाबले में अपने विरोधी खिलाड़ी की ग़लती से घायल हो जाए तो घायल को विजयी घोषित किया जाता है।

जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जूडो खेल का क्रीडा क्षेत्र, पोशाक, अधिकारी और खेल के मुख्य नियम लिखें।
उत्तर-
क्रीड़ा क्षेत्र (Play Ground) जूडो के क्रीड़ा क्षेत्र को शिआाजो कहते हैं। यह एक वर्गाकार प्लेटफार्म होता है। इसकी प्रत्येक भुजा 30 फुट होती है। यह प्लेटफार्म भूमि से कुछ ऊंचाई पर होता है। इसको टाट के 50 टुकड़ों या कैनवस से ढका जाता है। प्रत्येक टुकड़े का आकार 3 इंच × 6 इंच होता है।
जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
अधिकारी (Officials)-जूडो में प्राय: तीन अधिकारी होते हैं। इनमें से एक रैफ़री और दो जज होते हैं। बाऊट (Bout) को रैफरी आयोजित करता है। उसका निर्णय अन्तिम होता है। इसके विरुद्ध अपील नहीं हो सकती, वह प्रतियोगिता क्षेत्र में रह कर खेल प्रगति का ध्यान रखता है।
जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
पोशाक (Costume)खिलाड़ी की पोशाक को जूडोगी कहते हैं जूडोगी में एक जैकेट, पायजामा तथा एक पेटी होती है। जूडोगी न होने की अवस्था में खिलाड़ी ऐसी पोशाक धारण कर सकता है जिसकी पेटी इतनी लम्बी हो कि शरीर के गिर्द दो बार आ सके तथा वर्गाकार गांठ (Knot) लगाने के पश्चात् 3″ के सिरे बच जाएं। जैकेट भी इतनी लम्बी हो जिसके साथ पेटी बांधने के पश्चात् भी कूल्हे (Hip) ढके जा सकें। इसके बाजू खुले होने चाहिएं। कफ तथा बाजुओं के मध्य 11/4 का फासला होना चाहिए तथा ये आधी भुजा तक लटकनी चाहिए। पायजामा भी काफी खुला होना चाहिए। खिलाड़ी अंगूठी, हार, मालाएं आदि नहीं पहन सकते क्योंकि इससे चोट लगने का भय रहता है। खिलाड़ियों के हाथों की अंगुलियों के नाखून कटे होने चाहिएं।
प्रतियोगिता की अवधि (Duration of the Competition) मैच के लिए समय की अवधि 3 मिनट से 20 मिनट तक हो सकती है। विशेष दशाओं में इस अवधि में कमी या वृद्धि की जा सकती है।

प्रश्न
जडो प्रतियोगिता का आरम्भ कैसे किया जाता है ? जडो प्रतियोगिता के भिन्न-भिन्न नियमों का वर्णन करें।
उत्तर-
जूडो प्रतियोगिता का आरम्भ (Starting of Judo Competition)प्रतियोगी खिलाड़ी एक-दूसरे से 12 फुट की दूरी पर खड़े होने चाहिएं। उनके मुंह एकदूसरे के सामने होने चाहिएं। वे एक-दूसरे को खड़े ही खड़े झुक कर सलाम (Salute) कहते हैं। इसके पश्चात् रैफरी “हाजीमै” (Hajime) शब्द कह कर बाऊट आरम्भ करवा देता है। हाजीमै का अर्थ है, शुरू करो।
जूडो की विधियां (Judo Techniqes)—जूडो में अग्रलिखित दो विधियां अपनाई जाती हैं—

  1. नागेबाज़ा (गिराने की तकनीक)
  2. काटनेबाज़ा (ग्राऊंड वर्क की तकनीक)

निर्णय देते समय इन दोनों प्रकार की तकनीकों को ध्यान में रखा जाता है। प्रायः निर्णय एक ‘ज्ञप्पन’ अंक से अधिक नहीं दिया जाता।

  1. फेंकने की तकनीक में कुछ प्रगति करने के पश्चात् खिलाड़ी बेझिझक लेटने की स्थिति ग्रहण कर सकता है तथा इस प्रकार वह Offensive में आ जाता है।
  2. फेंकने की तकनीक अपनाते हुए जब कोई प्रतियोगी पड़ता है या प्रतियोगी Offensive ले लेता है तथा जब विरोधी खिलाड़ी गिर पड़ता है तो भी खिलाड़ी लेटने की स्थिति ले सकता है।
  3. खड़े होने की दशा में ग्राऊंड-वर्क तकनीकी अपनाने के पश्चात् जब खिलाड़ी कुछ प्रगति कर लेता है तो वह भी बिना झिझक लेटवीं स्थिति ग्रहण करके Offensive पर आ सकता है।
  4. जब एक या दोनों खिलाड़ी प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर हों तो कोई भी प्रयोग की गई तकनीक निष्फल एवं अवैध घोषित की जाती है।
  5. फेंकने की तकनीक उसी समय पर वैध होती है जब तक फेंकने वाले तथा उसके विरोधी का अधिक-से-अधिक शरीर प्रतियोगिता क्षेत्र में रहता है।
  6. खिलाड़ियों के प्रतियोगिता के क्षेत्र से बाहर चले जाने पर और पकड़ लिए जाने पर रैफ़री ‘सोनोमाना’ शब्द कहता है। सोनोमाना का अर्थ है ‘ठहर जाओ’। रैफरी उन्हें खींच कर प्रतियोगिता क्षेत्र में ले आता है, उनकी स्थिति लगभग वही रहती है, खेल पुनः आरम्भ करने के लिए रैफ़री योशी कहता है, सोनोमाना और योशी के बीच का समय काट लिया जाता है।
  7. किसी खिलाड़ी के फेंकने या ग्राऊंड-वर्क की तकनीक में सफल होने पर इसे ‘इप्पन’ (एक प्वांइट) दिया जाता है और मुकाबला बन्द कर दिया जाता है। रैफ़री विजेता का हाथ ऊंचा उठा कर निर्णय देता है।
  8. जब प्वाइंट बनता दिखाई देता है तो रैफ़री “वाजाअरी” शब्द का उच्चारण करता है, यदि फिर वही खिलाड़ी ‘वाजाअरी’ प्राप्त कर ले तो रैफ़री ‘वाजाअरी’ आवासेत इप्पन (अर्थात् एक प्वाइंट दो तकनीकों से) कहता है और उस खिलाड़ी को विजयी घोषित कर दिया जाता है।
  9. जब रैफ़री ‘ओसाइकोमी’ अर्थात् पकड़ की घोषणा करता है और पकड़ छूट जाती है तो वह ओसाइकोमी तोकेता’ शब्द का उच्चारण करता है। इसका अर्थ है कि पकड़ टूट गई है।
  10. यदि जज रैफरी से निर्णय के असहमत हो तो वह रैफरी को अपना सुझाव भेज सकता है। रैफ़री यदि उचित समझे तो जज के सुझाव को स्वीकार कर सकता है परन्तु रैफ़री का निर्णय अन्तिम होता है।
  11. जब कोई मुकाबला अनिर्णीत रह जाए और समय समाप्त हो जाए तो रैफ़री कहता है SOREMADE इसका अर्थ है ‘बस’।
  12. मुकाबला समाप्त होने पर दोनों जजों का निर्णय लिया जाता है। रैफ़री दोनों जजों के बहु-समर्थन से अपना निर्णय घोषित करता है, वह Yuseigachi (विजय श्रेष्ठता के कारण) या Hikiwake (बराबर) कहता है।
  13. मैच के अन्त में दोनों खिलाड़ी अपनी पहली स्थिति ग्रहण कर लेते हैं तथा रैफ़री द्वारा विहसल बजाने पर एक-दूसरे की ओर मुंह करके खड़े हो जाते हैं।

कुछ अनुचित कार्य (Some Donts)—

  1. पेट को भींचना या सिर या गर्दन को टांगों के बीच लेकर मरोड़ना ‘Do jime’ ।
  2. Kasetsue Waza तकनीक से जोड़ों के ऊपर कुहनी के अतिरिक्त उतारना।
  3. कोई निश्चित तकनीक अपनाए बिना विरोधी खिलाड़ी को लेटवीं स्थिति में धकेलना।
  4. जिस टांग पर आक्रामक खिलाड़ी खड़ा है उसे कैंची मारना।
  5. जो खिलाड़ी पीठ के बल लेटा हो उसे उठा कर मैट पर फेंकना।
  6. विरोधी खिलाड़ी की टांग को खड़े होने की स्थिति में खींचना ताकि लेटवीं स्थिति में हो सके।
  7. विरोधी खिलाड़ी की कमीज़ के बाजुओं या पायजामे में अंगुलियां डाल कर उन्हें पकड़ना।
  8. पीछे से चिपके हुए विरोधी खिलाड़ी पर जानबूझ कर पीछे की ओर गिरना।
  9. लेटे हुए खिलाड़ी द्वारा खड़े खिलाड़ी की गर्दन पर कैंची मारना, पीठ तथा बगलों को मरोड़ना या फिर जोड़ों को लॉक लगाने वाली तकनीकी Kansetsuewaza अपनाना।
  10. कोई ऐसा कार्य करना जिससे विरोधी खिलाड़ी को हानि पुहंचे या भय का कारण बने।
  11. जानबूझ कर स्पर्श या पकड़ से बचने की चेष्टा करना, यदि कोई काम सिरे न चढ़ सके।
  12. पराजित होते समय सुरक्षा का आसन (Posture) धारण करना।
  13. विरोधी के मुंह की ओर हाथ या पैर सीधे रूप से बढ़ाना।
  14. ऐसी पकड़ या लॉक लगाना जिससे विरोधी खिलाड़ी की रीढ़ की हड्डी के लिए संकट पैदा हो जाए।
  15. जानबूझ कर प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर निकलना या अकारण ही विरोधी को बाहर की ओर धकेलना।
  16. रैफ़री की अनुमति के बिना बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
  17. विरोधी खिलाड़ी की बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
  18. अनावश्यक इशारे करने, आवाजें करना या चीखना।
  19. ऐसे ढंग से खेलना जिससे जूडो खेल की समूची आत्मा को ठेस पहुंचे।
  20. निरन्तर काफ़ी समय तक अंगुलियां फंसा कर खड़े रहना।

विशेष निर्णय (Special Decisions)—

  1. जब कोई खिलाड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने से इन्कार कर देता है तो विरोधी खिलाड़ी को Fusen Sho (Win by Default) अर्थात् त्रुटि के कारण विजयी माना जाता है।
  2. जब कोई खिलाड़ी रैफरी चेतावनी का बार-बार उल्लंघन करता है अथवा चेतावनी के पश्चात् भी वर्जित कार्य को बार-बार करता है उसे Honsakumake अर्थात् नियम उल्लंघन के कारण पराजित माना जाता है।
  3. घायल होने की अवस्था में यदि कोई खिलाड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने में समर्थ नहीं रहता तो निर्णय इस प्रकार दिया जाता है
    • यदि कोई खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी की ग़लती के कारण घायल हुआ है तो घायल खिलाड़ी को विजयी घोषित किया जाता है।
    • यदि कोई अपनी ही ग़लती से घायल हुआ हो तो विरोधी खिलाड़ी को विजयी घोषित किया जाता है।
      JUDO WEIGHT CATEGORIES
      जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
      Men = Total of Eight Categories
      Women = Total of Seven Categories
      Junior = Total of Eight Categories

जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical जूडो (Judo)

प्रश्न 1.
जूडो के क्रीडा क्षेत्र को क्या कहा जाता है?
उत्तर–
शियागो।

प्रश्न 2.
जूडो का खेल कैसे आरम्भ होता है?
उत्तर-
रैफ़री के Hafione शब्द कहने से खेल आरम्भ होती है।

प्रश्न 3.
जूडो प्रतियोगिता की अवधि कितनी होती है ?
उत्तर-
3 से 20 मिनट तक हो सकती है।

जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 4.
जूडो प्लेटफार्म का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
वर्गाकार।

प्रश्न 5.
जूडो प्लेटफार्म की प्रत्येक भुजा की लम्बाई कितनी होती है ?
उत्तर-
30 फुट।

प्रश्न 6.
प्लेटफार्म को ढकने वाले मैट के टुकड़ों की संख्या तथा आकार क्या होता है ?
उत्तर-
मैट के टुकड़ों की संख्या 50 तथा आकार 3′ × 6′ होता है।

जूडो (Judo) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 7.
जूडो प्रतियोगिता में कितने अधिकारी होते हैं ?
उत्तर-
रैफ़री-1, जज-2.

प्रश्न 8.
जूडो प्रतियोगिता में भारों का वर्णन करो।
उत्तर-
जूडो प्रतियोगिता में निम्नलिखित भार होते हैं—

Men Women
upto 50 Kg upto 44 Kg
upto 55 Kg upto 48 Kg
upto 60 Kg upto 52 Kg
upto 65 Kg upto 56 Kg
upto 71 Kg upto 61 Kg
upto 78 Kg upto 66 Kg
upto 86 Kg upto + 66 Kg
upto + 86 Kg

Men = Total of Eight Categories
Women = Total of Seven Categories

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त

PSEB 10th Class Home Science Guide डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
डिज़ाइन के मूल अंश कौन-कौन से हैं? नाम बताएं।
उत्तर-
जब कोई भी वस्तु बनाई जाती है तो उसका नमूना भाव डिज़ाइन बनता है। यद्यपि यह वस्तु कुर्सी, मेज़ हो या मकान। एक अच्छा डिज़ाइन बनाने के लिए इसके मूल तत्त्वों का ज्ञान और कला के मूल सिद्धान्तों की जानकारी होना आवश्यक है। इन मूल सिद्धान्तों में रेखाएं, रूप और आकार, रंग और ढांचा (Texture) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 2.
डिज़ाइन में एकसारता (सुस्वरता) का क्या अर्थ है?
उत्तर-
डिज़ाइन बनाने के लिए लकीरों, आकार, रंग और रचना की आवश्यकता पड़ती है। एक तरह की दो वस्तुओं जैसे एक रंग, एक तरह की लाइनें या आकार से डिज़ाइन में एकसारता लाई जा सकती है। परन्तु यदि प्रत्येक वस्तु अलग प्रकार की हो तो वह परेशानी का अहसास दिलाती है। जब डिज़ाइन के सभी अंशों में एकसारता हो और वह एक डिज़ाइन लगे न कि भिन्न-भिन्न अंशों का बेतुका जोड़, उसको अच्छा डिज़ाइन समझा जाता है।

प्रश्न 3.
डिज़ाइन में सन्तुलन कितनी प्रकार का हो सकता है और कौन-कौन सा?
उत्तर-
डिज़ाइन में सन्तुलन दो तरह का होता है

  1. औपचारिक सन्तुलन (Formal Balance) औपचारिक सन्तुलन को सिमट्रीकल सन्तुलन के नाम से भी जाना जाता है। जब एक केन्द्र बिन्दु के सभी ओर की वस्तुएं हर पक्ष से एक जैसी हों तो इसको औपचारिक सन्तुलन कहा जाता है।
  2. अनौपचारिक सन्तुलन (Informal Balance)-जब वस्तुएं इस प्रकार रखी जाएं कि बड़ी वस्तु केन्द्र बिन्दु के पास हो और छोटी वस्तु को केन्द्र बिन्दु से थोड़ा दूर रखा जाए तो इसको अनौपचारिक सन्तुलन कहा जाता है। यह सन्तुलन बनाना थोड़ा मुश्किल है यदि ठीक अनौपचारिक सन्तुलन बन जाए तो औपचारिक सन्तुलन से बहुत सुन्दर लगता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त

प्रश्न 4.
डिज़ाइन में बल से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
बल से अभिप्राय किसी एक रुचिकर बिन्दु पर अधिक बल देना भाव उसको अधिक आकर्षित बनाना और अरुचिकर वस्तुओं पर कम बल देना है। जब कोई डिज़ाइन पूरा सन्तुलित हो, उसमें पूर्ण अनुरूपता हो, परन्तु फिर भी फीका और अरुचिकर लगे तो मतलब कि उस डिज़ाइन में कोई विशेष बिन्दु नहीं है जहां ध्यान केन्द्रित हो सके। ऐसे डिज़ाइन में बल की कमी है। बल कला का एक सिद्धान्त है। विरोधी रंग का प्रयोग करके भी बल पैदा किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
डिज़ाइन में अनुपात होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
डिज़ाइन में अनुपात से अभिप्राय कमरा और उसके सामान का आपस में सम्बन्ध है। यदि कमरा बड़ा है तो उसका सामान, फर्नीचर भी बड़ा ही अच्छा लगता है, परन्तु बड़ा फर्नीचर छोटे कमरे में रखा जाए तो बुरा लगता है। एक बड़े कमरे में गहरे रंग के बड़े डिज़ाइन वाले पर्दे और भारा और बड़ा फर्नीचर प्रयोग करना चाहिए। इसके विपरीत छोटे कमरे में फीके रंग के पर्दे और हल्का फर्नीचर जैसे बैंत, एल्यूमीनियम या लकड़ी का सादा डिज़ाइन वाला रखना चाहिए जिससे कमरा खुला-खुला लगता है। इसलिए घर का ढांचा या नमूना और उसमें रखा हुआ सामान घर के कमरों के अनुपात में ही होना चाहिए तभी घर सुन्दर नज़र आएगा नहीं तो घर और वस्तुओं पर लगाया गया धन भी बेकार ही लगता है यदि सामान घर के अनुपात में न हो तो।

प्रश्न 6.
डिज़ाइन में लय कैसे उत्पन्न की जा सकती है?
उत्तर-
किसी भी डिज़ाइन में लय निम्नलिखित ढंगों से पैदा की जा सकती है

  1. दोहराने से (Repetition) — डिज़ाइन में लय पैदा करने के लिए रंग, रेखाओं या आकार को दोहराया जाता है, इससे उस वस्तु या जगह के भिन्न-भिन्न भागों में तालमेल पैदा होता है।
  2. दर्जाबन्दी (Gradation) — जब भिन्न-भिन्न वस्तुओं को आकार के हिसाब से एक क्रम में रखा जाए तो भी लय पैदा होती है।
  3. प्रतिकूलता (Opposition) — डिजाइन में लय प्रतिकूलता से भी लाई जाती है ताकि रेखाएं एक दूसरे से सही कोणों पर आएं। वर्गाकार और आयताकार फर्नीचर इसकी एक उदाहरण है।
  4. रेडिएशन (Radiation) — जब रेखाएं एक केन्द्रीय बिन्दु से बाहर आएं तो इसको रेडिएशन कहा जाता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त

प्रश्न 7.
प्राथमिक या पहले दर्जे के रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
प्राथमिक या पहले दर्जे के रंग-पीला, नीला और लाल हैं। ये तीनों रंग अन्य रंगों को मिला कर नहीं बनते। इसलिए इनको प्राथमिक या पहले दर्जे के रंग कहा जाता है।

प्रश्न 8.
उदासीन रंग कौन से हैं?
उत्तर-
काला, स्लेटी, सफेद उदासीन रंग हैं। इनको किसी भी रंग में मिलाया जा सकते हैं।

प्रश्न 9.
विरोधी रंग योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विरोधी रंग योजना में एक दूसरे के विपरीत रंग प्रयोग किए जाते हैं। जैसे रंग चक्र में दिखाया गया है। जैसे लाल और हरा, पीला और जामनी या संतरी और नीला आदि।
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त 1

प्रश्न 10.
सम्बन्धित योजना से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
जब रंगों के चक्र के साथ लगते रंगों का चुनाव किया जाए तो इसको सम्बन्धित योजना कहा जाता है। इस योजना से अधिक-से-अधिक तीन रंग प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि नीला, हरा नीला और नीला बैंगनी। इसकी एकसारता को तोड़ने के लिए भी रंग चक्र के दूसरी ओर के रंग जैसे-संतरी या संतरी पीला छोटी वस्तुओं के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 11.
डिज़ाइन के मूल अंश कौन-से हैं? रूप और आकार डिज़ाइन को कैसे प्रभावित करते हैं? वर्णन करो।
उत्तर-
कोई भी मकान या वस्तु बनाने के लिए पहले उसका डिज़ाइन तैयार किया जाता है और प्रत्येक डिज़ाइन तैयार करने के लिए उसके मूल तत्त्वों का पता होना चाहिए जैसे

  1. रेखाओं-सीधी रेखाएं, लेटी रेखाएं, टेढ़ी रेखाएं और गोल रेखाएं।
  2. रूप और आकार
  3. रंग
  4. ढांचा।

रूप और आकार (Shape and Size) — रूप और आकार का आपस में गहरा सम्बन्ध है, रेखाओं को मिलाकर ही किसी वस्तु को रूप और आकार दिया जाता है। रेखाएं अपने आप में इकाई हैं जिनके मिलाप से कोई वस्तु बनाई जाती है। घर की इमारत या उसकी अन्दरूनी सजावट में रूप और आकार नज़र आता है। आजकल कमरों को बड़ा दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी खिड़कियां रखी जाती हैं ताकि अन्दर और बाहर मिलते नज़र आएं। कमरे का आकार, उसकी छत की ऊँचाई और उसके दरवाजे और खिड़कियां कमरे में रखने वाले फर्नीचर को प्रभावित करते हैं। कमरे के फर्नीचर, पर्दे, कालीन और अन्य सामान सारे कमरे को छोटा करते हैं। यदि किसी कमरे को उसके काम के अनुसार विभाजित किया जाए जैसे कि एक भाग बैठने का, एक खाना खाने का और एक पढ़ने का तो कमरा छोटा लगने लग जाता है। यदि कमरे को बड़ा दिखाना चाहते हो तो इसके कम-से-कम भाग करो। इसके अतिरिक्त कमरे को बड़ा दिखाने के लिए छोटा और हल्का फर्नीचर, कम सजावट का सामान और हल्के रंग प्रयोग करो। पतली टांगों वाले फर्नीचर से कमरा बड़ा लगता है क्योंकि इससे फर्नीचर के नीचे फर्श का अधिक भाग दिखाई देता रहता है।

प्रश्न 12.
रेखाएं कैसी हो सकती हैं और ये डिजाइन को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर-
प्रत्येक डिज़ाइन में लाइनें कई तरह की बनी होती हैं, परन्तु इनमें कुछ अधिक उभरी होती हैं जिससे डिजाइन में भिन्नता आती है। रेखाएं कई तरह की होती हैं जैसे सीधी, लेटवी, टेढ़ी, गोल और कोण।

किसी भी फर्नीचर के डिज़ाइन या सजावट के सामान के डिज़ाइन या तस्वीरों को दीवारों पर लगाने का ढंग या कमरे में फर्नीचर रखने के डिज़ाइन को रेखाएं प्रभावित करती हैं। परन्तु इन लाइनों का प्रभाव वहीं पड़ना चाहिए जो आप चाहते हैं। यदि आप कमरे को आरामदायक बनाना चाहते हैं तो लेटवीं लाइनों का प्रयोग करना चाहिए और कमरे की छत को ऊँचा दिखाना है तो सीधी लम्बी लाइनों वाले पर्यों का प्रयोग करना चाहिए। गोल लाइनों का प्रयोग प्रसन्नता और जश्न प्रगटाती हैं जबकि कोण वाली रेखाएं उत्तेजित करने वाली होती हैं।

प्रश्न 13.
प्रांग की रंग प्रणाली क्या है?
उत्तर-
प्रांग के अनुसार सभी रंग प्रारम्भिक तीन रंगों-पीला, नीला और लाल से बनते हैं। यह तीन रंग अन्य रंगों को मिलाकर नहीं बनाए जा सकते। इसलिए इनको प्राथमिक (पहले) दर्जे के रंग कहा जाता है। जब दो प्राथमिक रंगों को एक जितनी मात्रा में मिलाया जाए तो तीन दूसरे दर्जे के रंग बनते हैं। जैसे कि
पीला + नीला = हरा,
नीला + लाल = जामनी,
लाल + पीला = संतरी।
इन छ: रंगों को आधार रंग कहा जाता है। एक प्राथमिक और उसके साथ लगते एक दूसरे दर्जे के रंग को मिलाकर जो रंग बनते हैं उनको तीसरे दर्जे के रंग कहा जाता है जैसे कि
पीला + हरा = पीला हरा,
नीला + हरा = नीला हरा,
नीला + जामनी = नीला जामनी,
लाल + जामनी = लाल जामनी,
लाल + संतरी = लाल संतरी,
पीला + संतरी = पीला संतरी।
इस प्रकार तीन (3) प्राथमिक, तीन (3) दूसरे दर्जे के और छः (6) तीसरे दर्जे के रंग होते हैं। इन रंगों का आपसी अनुपात बढ़ा घटा कर अनेकों रंग बनाए जा सकते हैं। इन रंगों में सफ़ेद रंग मिलाने से हल्के रंग बनते हैं जैसे कि
लाल + सफ़ेद = गुलाबी
नीला + सफ़ेद = आसमानी गुलाबी और आसमानी लाल और नीले रंग का भाग है। किसी भी रंग में काला रंग मिलाने से उस रंग में गहराई आ जाती है जैसे कि
लाल + काला = लाखा। काला, सलेटी (ग्रे) और सफ़ेद को उदासीन (Neutral) रंग कहा जाता है। क्योंकि इनको किसी भी रंग से मिलाया जा सकता है।

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प्रश्न 14.
घरों में रंगों के सम्बन्ध में कैसी योजना बनाई जा सकती है?
उत्तर-
घर में प्रायः रंगों से तीन तरह की योजना बनाई जा सकती है

  1. एक रंग की योजना -इस योजना में एक ही रंग प्रयोग किया जाता है। भाव यह कि एक रंग के भिन्न-भिन्न गहरे/फीके रंग प्रयोग किए जाते हैं। जैसे नीला या लाल के गहरे और हल्के रंग प्रयोग किए जा सकते हैं। इस रंग में प्रिंट भी प्रयोग किया जा सकता है। रंग की समरूपता को तोड़ने के लिए कुशन कवर या लैम्प शेड आदि पीले, हरे या भूरे रंग के प्रयोग किए जा सकते हैं।
  2. विरोधी रंग योजना-यह रंग योजना काफ़ी प्रचलित है। इसमें रंग चक्र के आमने-सामने वाले रंग प्रयोग किए जाते हैं जैसे पीला और जामनी या लाल और हरा या संतरी और नीला आदि।
  3. सम्बन्धित रंग योजना-जब रंग चक्र के साथ-साथ रंग प्रयोग किए जाएं तो इसको सम्बन्धित योजना कहते हैं। इसमें अधिक-से-अधिक तीन रंग प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि नीला, हरा नीला, जामनी नीला। परन्तु रंग की समरूपता को तोड़ने के लिए रंग चक्र के दूसरी ओर के रंग जैसे कि संतरी और संतरी पीला कुछ छोटी वस्तुएँ जैसे कुशन या लैम्प शेड के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
(i) औपचारिक और अनौपचारिक सन्तुलन में क्या अन्तर है और कैसे उत्पन्न किया जा सकता है?
(ii) डिज़ाइन में सन्तुलन क्या होता है तथा कितने प्रकार का होता है?
उत्तर-
(i) औपचारिक सन्तुलन को समिट्रीकल अर्थात् बराबर का सन्तुलन भी कहा जाता है। जब किसी डिज़ाइन या किसी कमरे में रेखा, रंग और स्थान एक जैसे लगें तो दोनों भागों में से कोई भी भाग काल्पनिक बिन्दु प्रतीत हो तो औपचारिक सन्तुलन होता है। यह सन्तुलन शान्ति की भावना पैदा करता है, परन्तु कभी-कभी इस तरह सजाया हुआ कमरा अखरता भी है।

इस सन्तुलन को सी-साअ (See Saw) झूले के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है। इसमें एक जैसे भार के दो बच्चे केन्द्र से बराबर दूरी पर बैठे हों तो यह औपचारिक सन्तुलन की एक उदाहरण है। जैसे खाने वाले मेज़ के आस-पास एक ही डिज़ाइन की कुर्सियां एक जैसे फासले पर रखने से। अनौपचारिक सन्तुलन असमिट्रीकल सन्तुलन के नाम से भी जाना जाता है। यह सन्तुलन वस्तुओं की बनावट के अतिरिक्त उनके रंग, नमूने और केन्द्र बिन्दु से दूर या निकट रखकर भी पैदा किया जाता है। यह सन्तुलन पैदा करना मुश्किल है, परन्तु यदि ठीक हो तो औपचारिक सन्तुलन से बढ़िया लगता है साथ ही कुदरती दिखाई देता है।
(ii) देखें भाग (i)

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
डिज़ाइन के मूल सिद्धान्त कौन-से हैं? इनके बारे में ज्ञान होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
जब भी कोई वस्तु बनाई जाती है, चाहे मकान हो, फर्नीचर या घर का अन्य सामान हो उस का एक नमूना तैयार किया जाता है, जिसको डिजाइन कहा जाता है। डिज़ाइन में यह ध्यान रखा जाता है कि नमूने के तत्त्वों का एक दूसरे से तालमेल हो। जैसे कि घर में एक कमरे का दूसरे कमरे से दीवारों, छतों, खिड़कियों और दरवाज़ों का आपस में। इस तरह फनी वर में आकार, रेखाएं, रंग आदि एक जैसे होने चाहिएं जैसे कि लकड़ी का रंग, कपड़े का रंग, बैंत का रंग और उसकी बनावट आदि आपस में मिलते होने चाहिएं। यदि एक करे का साज-सामान आपस में मेल खाता हो तो तभी बढ़िया डिज़ाइन होगा जोकि देखने में सुन्दर लगता है। इसलिए एक अच्छा डिज़ाइन बनाने के लिए उसके मूल सिद्धान्तों की जानकारी होनी बहुत आवश्यक है। यह मूल सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. अनुरूपता (Harmony)
  2. अनुपात (Proportion)
  3. सन्तुलन (Balance)
  4. लय (Rhythm)
  5. बल (Emphasis)।

1. अनुरूपता (Harmony) — किसी भी डिजाइन में एक जैसी वस्तुओं जैसे एक रंग, एक तरह की लाइनें, आकार या रचना का प्रयोग करके अनुरूपता लाई जा सकती है। परन्तु यदि एक कमरे में सभी वस्तुएं एक ही रंग, आकार या रचना की हों तो भी वह बहुत अच्छा नहीं लगता। इसलिए भिन्न-भिन्न तरह की वस्तुओं का प्रयोग आवश्यक है। परन्तु यदि प्रत्येक वस्तु भिन्न हो तो भी वह परेशानी का अहसास दिलाती है। जब डिज़ाइन के सर्भः अंशों में अनुरूपता हो ताकि वह एक अच्छा डिज़ाइन लगे न कि भिन्नभिन्न अंशों का बेढंगा जोड़ तो उसको अच्छा डिज़ाइन समझा जाता है। कई बार भिन्नभिन्न रेखाओं या रंगों के प्रयोग से भी अच्छा डिज़ाइन बनाया जा सकता है।

2. अनुपात (Proportion) — किसी भी कमरे में पड़ी वस्तुएं कमरे के क्षेत्रफल के अनुसार होनी चाहिएं। सभी वस्तुओं का आपस में और कमरे के अनुसार अनुपात ठीक होना चाहिए। एक बड़े कमरे में भारी फर्नीचर या गहरे रंग या बड़े डिजाइन के पर्दे या कालीन का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु यदि कमरा छोटा हो तो उसमें हल्के रंग, छोटा डिज़ाइन और हल्का फर्नीचर प्रयोग करना चाहिए। बड़े कमरे में छोटा या हल्का फर्नीचर जैसे कि लकड़ी की बैंत की कुर्सियां या बांस का फर्नीचर या एल्यूमीनियम की कुर्सियां रखने से कमरा और भी बड़ा और खाली लगेगा।
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3. सन्तुलन (Balance) — यह सिद्धान्त डिजाइन में उसके भागों की सन्तोषजनक व्यवस्था द्वारा पूर्ण स्थिरता लाता है। इसमें आकारों, रंगों और बनावट को एक केन्द्र बिन्दु के चारों ओर एक प्रकार का समूह बनाकर प्राप्त किया जाता है ताकि केन्द्र के हर तरफ एक-सा आकर्षण रहे। सन्तुलन दो तरह का होता है-
(क) औपचारिक सन्तुलन (ख) अनौपचारिक सन्तुलन।
(क) औपचारिक सन्तुलन — जब एक केन्द्र बिन्दु के सभी ओर की वस्तुएं प्रत्येक पक्ष से एक सी हों जैसे कि खाने वाले मेज़ के आस-पास एक सी कुर्सियां, मेज़ के गिर्द समान दूरी से या एक बड़े सोफे के आस-पास या छोटे सोफे या तिपाइयों का होना। परन्तु इस तरह सजाया बैठने वाला कमरा कुछ अलग प्रतीत होता है परन्तु बड़ा कमरा अच्छा लगता है।
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त 3
(ख) अनौपचारिक सन्तुलन — निश्चित सन्तुलन को सुधारने के लिए सन्तुलन वस्तुओं की बनावट के अतिरिक्त उनके रंग या नमूने से या वस्तुओं को केन्द्र बिन्दु के नज़दीक या दूर रखकर भी पैदा किया जा सकता है। अनिश्चित सन्तुलन करना अधिक मुश्किल है। परन्तु यदि अच्छी तरह किया जाए तो यह निश्चित सन्तुलन से अधिक अच्छा लगता है। इस तरह का सन्तुलन प्राकृतिक लगता है और इस में रचनात्मक कला का प्रदर्शन भी होता है।
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त 4
4. लय (Rhythm) — जब आप किसी कमरे के अन्दर जाते हैं तो आप की नज़र एक जगह से दूसरी जगह तक जाती है। जब कोई डिज़ाइन के भिन्न-भिन्न अंशों में अधिक भिन्नता न हो और हमारी नज़र एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से घूमे तो उस डिज़ाइन में लय होती है। लय कई प्रकार से प्राप्त की जा सकती है।

(क) एक तरह की रेखाएं-एक ही कमरे में कई तरह की रेखाएं होती हैं, परन्तु उनमें एक तरह की रेखाओं को अधिक महत्त्व देना चाहिए, यह देखने में अधिक आरामदायक प्रतीत होती हैं।

(ख) प्रतिलिपि (Repetition) या दोहराना-रंग, रेखा, रचना या आकार को बार-बार दोहराने से भी लय पैदा की जा सकती है। एक आकार की वस्तुओं से भी लय उत्पन्न होती है जैसे कि भिन्न-भिन्न तरह की तस्वीरों को एक से फ्रेम में जुड़वा कर एक केन्द्र बिन्दु के आस-पास लगाना।

5. बल (Emphasis) — बल से अभिप्राय किसी एक रुचिकर बिन्दु पर अधिक बल देना भाव उसको अधिक आकर्षित बनाना और अरुचिकर वस्तुओं पर कम बल देना। जब कोई डिज़ाइन पूरा सन्तुलित हो, उसमें पूर्ण अनुरूपता हो परन्तु फिर भी फीका और अरुचिकर लगे। उस डिज़ाइन में कोई विशेष बिन्दु नहीं है जहां ध्यान केन्द्रित हो सके ऐसे डिजाइन में बल की कमी है। बल कला का एक सिद्धान्त है कि कमरे में जाते ही, जहां आप का सब से पहले ध्यान जाए और फिर महत्त्व के क्रमानुसार और कहीं टिकता है।

प्रश्न 17.
(i) डिज़ाइन के मूल अंश कौन-से हैं ? यह डिज़ाइन को कैसे प्रभावित करते हैं?
(ii) सीधी रेखाएं क्या होती हैं?
(iii) डिज़ाइन में गोल रेखाओं का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
(i) जब भी कोई वस्तु बनाई जाती है तो उसका नमूना या डिज़ाइन बनता है। यह वस्तु यद्यपि कुर्सी, मेज़ हो तथा मकान या कोई शहर। कोई भी वस्तु बनाई जाए उसके भिन्न-भिन्न भागों का आपस में तालमेल आवश्यक है जैसे कि कुर्सी की लकड़ी, उसकी पॉलिश का रंग, उसकी रचना, उसकी बैंत की बनावट या उस पर पड़े कपड़े का रंग, नमूना या बनावट सभी मिल कर एक डिज़ाइन बनाते हैं। घर में भिन्न-भिन्न कमरे’ मिलकर एक डिज़ाइन बनाते हैं। इस तरह एक कमरे में भिन्न-भिन्न तरह का सामान रखकर एक डिज़ाइन बनाया जाता है। यदि एक कमरे की सभी वस्तुओं का आपसी तालमेल ठीक हो तभी एक अच्छा डिज़ाइन बनेगा। रेखा, आकार, रंग, रूप और बनावट की व्यवस्था के साथ ही कोई डिज़ाइन बनता है। इसलिए अच्छा डिज़ाइन बनाने के लिए इसके मूल तत्त्वों का ज्ञान और इनको सहजवादी और कलात्मक ढंग से शामिल करना है।
डिज़ाइन के मूल अंश (Elements of Design)
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1. रेखाएं (Lines) — प्रत्येक डिज़ाइन में कई तरह की रेखाएं शामिल होती हैं, परन्तु इनमें कुछ रेखाएं अधिक उभरी हुई होती हैं जिससे उस डिज़ाइन में विभिन्नता आती है। रेखाएं हमारी भावनाओं को प्रभावित करती हैं इसलिए इनको चुनते समय सावधानी रखनी चाहिए। रेखाएं कई प्रकार की हो सकती हैं

  1. सीधी रेखाएं — सीधी रेखाएं दृढ़ता और सादगी की प्रतीक होती हैं। सीधी रेखाओं का अधिक प्रयोग गिरजा घरों में किया जाता है। घर की सजावट में यदि कमरे की छत नीची हो तो दरवाजे और खिड़कियों पर सीधी रेखाओं वाले पर्दे लगा कर अधिक ऊँचाई का एहसास दिलाया जा सकता है।
  2. लेटवीं रेखाएं — ये रेखाएं शान्ति और आराम की प्रतीक होती हैं। इनको थकावट दूर करने वाली समझा जाता है। यह किसी वस्तु के आकार को नीचा दिखाने का भ्रम पैदा करती हैं। इसलिए जिन कमरों की छत अधिक ऊँची हो उनमें दरवाजों और खिड़कियों के पर्दो में लेटवीं रेखाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
    चित्र-सीधी तथा लेटवीं रेखाओं का प्रभाव
  3. टेढ़ी रेखाएं — टेढी रेखाओं का प्रभाव उनके कोण से प्रभावित होता है। यदि यह सीधी रेखा के निकट हो तो दृढ़ और यदि लेटवीं रेखा के निकट हो तो शान्ति की प्रतीक होती हैं। इन रेखाओं के अधिक प्रयोग से अनुशासन की कमी लगती हैं, बनावटीपन लगता है और देखने में अधिक सुन्दर नहीं लगता।
  4. गोल रेखाएं — गोल रेखाएं हमारी भावनाओं को दर्शाने के लिए मदद करती हैं। इनमें कई भिन्न-भिन्न रूप हो सकते हैं। पूरी गोलाई वाली लाइनें प्रसन्नता और जशन का एहसास दिलाती हैं जैसे कि किसी खुशी के अवसर पर गुब्बारे पर किसी तरह के ग्लोब का प्रयोग करना, बच्चों की टोपियों पर गोल फूंदे या जौकरों की टोपियां और पोल का डिज़ाइन आदि का इस्तेमाल करना। कम गोलाई वाली रेखाएं जैसे कि “S” सुन्दरता और निखार की प्रतीक होती हैं।
    PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त 6
  5. कोण — कोण वाली रेखाएं भी कई प्रकार की होती हैं जिनका प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होता है। यह दृढ़, अशान्त या हलचल पैदा करने वाली हो सकती हैं। ये उत्तेजित करने वाली भी हो सकती हैं।
    दीवार पर लगाई गई एक सी तस्वीरें सीधी, लेटवीं और टेढी रेखा में लगाने पर भिन्नभिन्न प्रभाव देती हैं।
    किसी भी फर्नीचर के डिज़ाइन या सजावट के अन्य सामान के डिजाइन में या जिस ढंग से ये वस्तुएं किसी भी कमरे में रखी जाती हैं, उनमें रेखाओं का इस ढंग से प्रयोग करना चाहिए ताकि वह ही प्रभाव पड़ता हो जो आप चाहते हैं। जिस कमरे को आप आरामदायक बनाना चाहते हों उसमें लेटवीं रेखाओं का अधिक प्रयोग होना चाहिए।

2. रूप और आकार (Shape and Size) — रूप और आकार का आपस में गहरा सम्बन्ध है, रेखाओं को मिलाकर ही किसी वस्तु को रूप और आकार दिया जाता है। रेखाएं अपने आप में इकाई हैं जिनके मिलाप से कोई वस्तु बनाई जाती है। घर की इमारत या उसकी अन्दरूनी सजावट में रूप और आकार नज़र आता है। आजकल कमरों को बड़ा दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी खिड़कियां रखी जाती हैं ताकि अन्दर और बाहर मिलते नज़र आएं। कमरे का आकार, उसकी छत की ऊँचाई और उसके दरवाजे और खिड़कियां कमरे में रखने वाले फर्नीचर को प्रभावित करते हैं। कमरे के फर्नीचर, पर्दे, कालीन और अन्य सामान सारे कमरे को छोटा करते हैं। यदि किसी कमरे को उसके काम के अनुसार । विभाजित किया जाए जैसे कि एक भाग बैठने का, एक खाना खाने का और एक पढ़ने का तो कमरा छोटा लगने लग जाता है। यदि कमरे को बड़ा दिखाना चाहते हो तो इसके कम-से-कम भाग करो। इसके अतिरिक्त कमरे को बड़ा दिखाने के लिए छोटा और हल्का फर्नीचर, कम सजावट का सामान और हल्के रंग प्रयोग करो। पतली टांगों वाले फर्नीचर से कमरा बड़ा लगता है क्योंकि इससे फर्नीचर के बीच फर्श का अधिक भाग दिखाई देता रहता है।

3. रंग (Colour) — आजकल आदमियों ने रंगों के महत्त्व को पहचाना है। रंगों का प्रभाव हमारी भावनाओं और हमारे काम करने के ढंग पर पड़ता है। आज से कुछ वर्ष पहले कारों के रंग सिर्फ सफ़ेद, काला, ग्रे आदि होते थे। इस तरह टाइपराइटर, टेलीफोन और सिलाई मशीन काले रंग की और फ्रिज और कुकिंग रेंज केवल सफ़ेद ही होते थे। परन्तु आजकल यह सभी वस्तुएं भिन्न-भिन्न रंगों में मिलने लगी हैं। खाना खाने वाली प्लेटों आदि के रंग का प्रभाव हमारी भूख पर पड़ता है। खाने वाली वस्तुओं का रंग यदि प्रिय हो तो भूख लगती है और खाना हज़म भी जल्दी हो जाता है।
परेंग के अनुसार सभी रंग प्रारम्भिक तीन रंगों-पीला, नीला और लाल से बनते हैं। यह तीन रंग अन्य रंगों को मिलाकर नहीं बनाए जा सकते। इसलिए इनको प्राथमिक (पहले) दर्जे के रंग कहा जाता है। जब दो प्राथमिक रंगों को एक जितनी मात्रा में मिलाया जाए तो तीन दूसरे दर्जे के रंग बनते हैं। जैसे कि
पीला + नीला = हरा
नीला + लाल = जामनी
लाल + पीला = संतरी
इन छ: रंगों को आधार रंग कहा जाता है। एक प्राथमिक और उसके साथ लगते एक दूसरे दर्जे के रंग को मिला कर जो रंग बनते हैं उनको तीसरे दर्जे के रंग कहा जाता है जैसे कि
पीला + हरा = पीला हरा
नीला + हरा = नीला हरा
नीला + जामनी = नीला जामनी
लाल + जामनी = लाल जामनी
लाल + संतरी = लाल संतरी
पीला + संतरी = पीला संतरी।
इस प्रकार तीन (3) प्राथमिक, तीन (3) दूसरे दर्जे के और छः (6). तीसरे दर्जे के रंग होते हैं। इन रंगों का आपसी अनुपात बढ़ा घटा कर अनेकों रंग बनाए जा सकते हैं। इन रंगों में सफ़ेद रंग मिलाने से हल्के रंग बनते हैं जैसे कि
लाल + सफेद = गुलाबी
नीला + सफ़ेद = आसमानी
गुलाबी और आसमानी लाल और नीले रंग का भाग है। किसी रंग में काला रंग मिलाने से उस रंग में गहराई आ जाती है जैसे कि
लाल + काला = लाखा।
काला, सलेटी (ग्रे) और सफ़ेद को उदासीन (Neutral) रंग कहा जाता है क्योंकि इनको किसी भी रंग से मिलाया जा सकता है।
यदि रंगों में चक्र को देखा जाए तो इसके आधे भाग पर रंग ठण्डे हैं जैसे कि हरा और नीला, यह अधिक आरामदायक होते हैं। इनको पीछे हटाने वाले (receding) रंग भी कहा जाता है क्योंकि यह पीछे की ओर को जाते प्रतीत होते हैं जिस कारण कमरा बड़ा लगता है।
रंगों के चक्र की दूसरी ओर के रंग लाल, संतरी और पीला गर्म रंग कहलाते हैं। यह रंग भड़कीले और उत्तेजित करने वाले होते हैं। यदि इनका प्रयोग अधिक किया जाए तो झंझलाहट पैदा करते हैं। इनको (advancing) रंग भी कहा जाता है क्योंकि इनके प्रयोग से वस्तुएं आगे-आगे नज़र आती हैं और कमरे का आकार छोटा लगता है। जामनी रंग से यदि लाल अधिक हो तो गर्म और यदि नीला अधिक हो
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त 7
घर में प्रायः तीन तरह से रंगों की योजना बनाई जा सकती है
(क) एक रंग — इस तरह की योजना में एक ही रंग प्रयोग किया जाता है। परन्तु इस का अर्थ यह नहीं कि एक ही थान से पर्दे, कुशन, कवर और सोफों के कपड़े आदि बनाए जाएं। भिन्न-भिन्न वस्तुओं के लिए एक ही रंग जैसे कि नीला या हरे के गहरे या हल्के रंग प्रयोग किए जा सकते हैं। किसी वस्तु में प्रिंट भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त छोटी वस्तुओं में जैसे कि कुशन कवर या लैंप शेड आदि में लाल, संतरी या पीला प्रयोग किए जा सकते हैं, ताकि अनुरूपता को तोड़ा जा सके।
(ख) आपस में टकराने वाले रंग (विरोधी रंग योजना) (Contrasting Colours) — इस प्रकार की रंग योजना काफ़ी प्रचलित है। रंग के चक्र के सामने वाले रंग प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि संतरी और नीला या पीला जामनी या लाल और हरा।
(ग) सम्बन्धित योजना — जब रंगों के चक्र के साथ-साथ लगते रंगों का चुनाव किया जाए तो उसको सम्बन्धित योजना कहा जाता है। इसमें अधिक-से-अधिक तीन रंग प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि नीला, हरा, पीला और नीला जामनी। इसकी अनुरूपता को तोड़ने के लिए भी रंग चक्र के दूसरी ओर के रंग जैसे कि संतरी या संतरी पीला भी कुछ छोटी वस्तुओं के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

4. रचना/बनावट (Texture)-कुछ वस्तुएं मुलायम होती हैं और कुछ खुरदरी, कुछ सख्त और कुछ नरम, कुछ मद्धम (तेज़हीन)। जिस तरह रेखाएं, आकार और रंग किसी भावना या प्रवृत्ति के प्रतीक होते हैं उसी प्रकार खुरदरी वस्तु भी देखने को सख्त और मज़बूत लगती है। जिन वस्तुओं की रचना कोमल या नाजुक हो वह अधिक शानदार और व्यवस्थित लगती हैं। जिस कमरे में ज़री या शनील का प्रयोग किया गया हो वहां यदि साथ ही पीतल के लैंप शेड या लोहे या चीनी मिट्टी के फूलदान या एश-ट्रे रखी जाए तो अच्छी नहीं लगेगी। अखरोट की लकड़ी के साथ टाहली की लकड़ी का फर्नीचर भी भद्दा लगेगा। लाल, सुनहरी, जामनी, नीला और हरा रंग अधिक भड़कीले लगते हैं पर भूरा, बादामी, मोतिया, हल्का नीला और हरा तेजहीन रंग हैं, रंगों के अतिरिक्त कपड़े की बनावट का भी कमरे पर प्रभाव पड़ता है जैसे कि हल्के नीले रंग की सिल्क या साटन अधिक चमकदार लगेगी जबकि उसी रंग की केसमैंट या खद्दर कम चमकीली होगी।
(ii) देखें भाग (i)
(iii) देखें भाग (i)

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त

प्रश्न 3.
रंग डिज़ाइन का महत्त्वपूर्ण तत्त्व (अंश) है, कैसे?
उत्तर-
प्रत्येक डिज़ाइन के मूल अंश रेखाएं, आकार, बनावट के अतिरिक्त रंग भी एक महत्त्वपूर्ण अंश है। रंग मनुष्य की मानसिकता को प्रभावित करते हैं। रंग उत्तेजित और हल्के भी हो सकते हैं। सभी रंग प्रकाश से उत्पन्न होते हैं। रंगों की अपनी विशेषताएं हैं जिनके आधार पर इनका प्रयोग किया जाता है। यह निम्नलिखित दी गई हैं
पीला-गर्म, धूप वाला,, चमकदार, खुशी देने वाला (Cheerful) लाल-गरम, उत्तेजनशील (Stimulating), साहसी, तेजस्वी। सन्तरी-सजीव, रुचिकर, खुशी देने वाला, गरम। हरा-ठण्डा, शान्त, चमक और आरामदायक। नीला-सब रंगों से अधिक ठण्डा, कठोर, शान्तिपूर्ण निश्चेष्ठ या स्थिर। बैंगनी-भड़कीला, शाही, ओजस्वी, प्रभावशाली, क्रियाशील। . सफ़ेद-शुद्ध, श्वेत, ठण्डा। काला-निशतबद्धता, मृतक, गम्भीर, गर्म।
किसी भी फर्नीचर के डिज़ाइन या सजावट के अन्य सामान के डिजाइन में रंग की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। फर्नीचर का रंग कमरे के रंग और अन्य सामान के रंग के अनुसार हल्का या गहरा होना चाहिए। रंग का प्रयोग कमरे के आकार, फैशन, मौसम और कमरे के प्रयोग पर आधारित हो। जिन कमरों में अधिक समय व्यतीत करना हो वहां की रंग योजना शान्तिपूर्ण होनी चाहिए। इस योजना के लिए हल्के रंगों का प्रयोग किया जाता है। मौसम का भी रंगों पर बहुत प्रभाव होता है। गर्मी के मौसम में हल्के और ठण्डे रंग अच्छे लगते हैं जबकि सर्दियों में गहरे और गर्म रंग ठीक रहते हैं।
किसी घर, फर्नीचर या अन्य सामान का डिज़ाइन तैयार करते समय बाकी सामान के अनुसार रंग का चुनाव किया जाता है।

Home Science Guide for Class 10 PSEB डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डिज़ाइन के मूल अंश बताओ।
उत्तर-
रेखाएं, रूप तथा आकार, रंग, बनावट।

प्रश्न 2.
डिज़ाइन के मूल सिद्धान्त ……….. हैं।
उत्तर-
पांच।

प्रश्न 3.
डिज़ाइन के पांच मूल सिद्धान्त कौन-से हैं?
उत्तर-
एकसारता, अनुपात, सन्तुलन, लय तथा बल।

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प्रश्न 4.
प्राथमिक या प्रथम दर्जे के रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
लाल, पीला, नीला।

प्रश्न 5.
प्रार्थी कि रंग कितने हैं?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 6.
दो प्रारम्भिक रंग मिलाकर जो रंग बनते हैं उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर-
दूसरे दर्जे के रंग।

प्रश्न 7.
दूसरे दर्जे के कितने रंग हैं?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 8.
तीसरे दर्जे के कितने रंग हैं?
उत्तर-
छः।

प्रश्न 9.
रंग योजनाओं के नाम बताओ।
उत्तर-
सम्बन्धित रंग योजना, विरोधी रंग योजना, एक रंग योजना आदि।

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प्रश्न 10.
ठण्डे रंग की उदाहरण दें।
अथवा
ठण्डे रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
हरा, नीला, सफ़ेद।

प्रश्न 11.
गर्म रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
लाल, काला, पीला।

प्रश्न 12.
सन्तुलन कितने प्रकार का है, नाम बताओ।
अथवा
संतुलन की किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
औपचारिक, सन्तुलन, अनौपचारिक सन्तुलन।

प्रश्न 13.
यदि रेखाएं एक केन्द्रीय बिन्दु से बाहर आएं तो इसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
रेडिएशन।

प्रश्न 14.
लाल + पीला = ?
उत्तर-
संतरी।

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प्रश्न 15.
नीला + लाल = ?
उत्तर-
जामुनी।

प्रश्न 16.
कौन-से छः रंगों को आधार रंग कहते हैं?
उत्तर-
लाल, पीला, नीला, संतरी, जामुनी तथा हरा।

प्रश्न 17.
लाखा रंग कैसे पैदा करोगे?
उत्तर-
लाल + काला = लाखा।

प्रश्न 18.
उदासीन रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
काला, स्लेटी।

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प्रश्न 19.
विरोधी रंग योजना की कोई उदाहरण दें।
उत्तर-
पीला तथा जामुनी, लाल तथा हरा।

प्रश्न 20.
सीधी रेखाएं किस की प्रतीक हैं?
उत्तर-
दृढ़ता तथा सादगी।

प्रश्न 21.
प्रसन्नता तथा जश्न का अहसास करवाने वाली कौन-सी रेखाएं होती हैं?
उत्तर-
पूरी गोलार्द्ध वाली रेखाएं।

प्रश्न 22.
सफ़ेद रंग की विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
शुद्ध, ठण्डा।

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प्रश्न 23.
लाल रंग की विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
गर्म, साहसी, तेजस्वी।

प्रश्न 24.
बैंगनी रंग के गुण बताओ।
उत्तर-
भड़कीला, शाही, ओजस्वी, क्रियाशील।

प्रश्न 25.
काला और स्लेटी कैसे रंग हैं?
उत्तर-
उदासीन रंग।

प्रश्न 26.
लाल, पीला तथा नीला कैसे रंग हैं?
उत्तर-
प्राथमिक रंग।

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प्रश्न 27.
डिज़ाइन में एकसुरता से क्या भाव है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 28.
किसी दो डिजाइन के तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर-
रेखाएं, रंग।

प्रश्न 29.
माध्यमिक (दूसरे) दर्जे के रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
हरा, जामुनी, संतरी।

प्रश्न 30.
तीसरे (तृतीयक) दर्जे के रंग कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
पीला-हरा, नीला-हरा, नीला-जामुनी, लाल-जामुनी, पीला-संतरी, लाल-संतरी।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डिज़ाइन में सन्तुलन तथा लय का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
देखें प्रश्न 16 का उत्तर।

प्रश्न 2.
सीधी और लेटी हुई रेखाओं के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें प्रश्न 17 का उत्तर।

प्रश्न 3.
सन्तुलन से क्या भाव है? यह कितनी प्रकार का होता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 4.
रेखाएं कितनी प्रकार की होती हैं? विस्तार से लिखें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 5.
उपचारिक तथा अनौपचारिक संतुलन में क्या अन्तर है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न में।

प्रश्न 6.
डिजाइन में लय से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
डिज़ाइन में लय से भाव है कि जब आप किसी कमरे में जाएं तो आपकी नज़र पहले एक जगह पर जाती है और फिर धीरे-धीरे अन्य वस्तुओं पर जाती है। यह नज़र की गति यदि लय में हो तो डिज़ाइन लय में है। डिजाइन में लय रंग, आकार. या रेखा के किसी भी क्रम में आपस में जुड़े हुए उस मार्ग से है जिसको आँखें एक गति में देखती जाती हैं।

प्रश्न 7.
आधार रंग कौन-कौन से हैं?
अथवा
दूसरे दर्जे के रंग कौन-से हैं?
उत्तर-
जब दो प्राथमिक रंगों को एक जितनी मात्रा में मिलाया जाए तो तीन दूसरे दर्जे के रंग बनते हैं जैसे
लाल + पीला = संतरी
पीला + नीला = हरा
नीला + लाल = जामनी
इसलिए इन छ: रंगों (लाल, पीला, नीला, संतरी, जामनी और हरा) को आधार रंग कहा जाता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डिज़ाइन में भिन्न-भिन्न रंग योजनाएं क्या हैं तथा रंगों के मिलावट के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 2.
डिज़ाइन के मूल अंश कौन-कौन से हैं? वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

I. रिक्त स्थान भरें

  1. डिज़ाइन के मूल सिद्धान्त ………………. हैं।
  2. लाल, पीला तथा नीला रंग ………. रंग हैं।
  3. सीधी रेखाएं ………………. की प्रतीक हैं।
  4. दो प्राथमिक रंगों को मिला कर ……………….. के रंग बनते हैं।
  5. पीला + नीला = ……………….. रंग।

उत्तर-

  1. पांच,
  2. प्राथमिक,
  3. दृढ़ता तथा सादगी,
  4. दूसरे दर्जे,
  5. हरा।

II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. पीला, नीला तथा लाल पहले दर्जे के रंग हैं।
  2. नीला रंग + सफ़ेद रंग = गुलाबी।
  3. दूसरे दर्जे के छः रंग हैं।
  4. एकसुरता, अनुपात, सन्तुलन, लय तथा बल डिज़ाइन के मूल सिद्धान्त हैं।
  5. काला, स्लेटी उदासीन रंग हैं।
  6. सफ़ेद रंग शुद्ध तथा ठण्डा होता है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ग़लत,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लाल + काला =
(क) लाखा
(ख) स्लेटी
(ग) जामुनी
(घ) संतरी।
उत्तर-
(क) लाखा

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प्रश्न 2.
पीला + नीला = ………..
(क) जामुनी
(ख) हरा
(ग) संतरी
(घ) गुलाबी।
उत्तर-
(ख) हरा

प्रश्न 3.
दूसरे दर्जे के कितने रंग हैं?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) पांच
(घ) छः।
उत्तर-
(ख) तीन

प्रश्न 4.
निम्न में गर्म रंग है
(क) लाल
(ख) काला
(ग) पीला
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

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डिज़ाइन के मूल तत्त्व और सिद्धान्त PSEB 10th Class Home Science Notes

  1. डिज़ाइन के मूल अंश किसी वस्तु को सुन्दर बनाते हैं।
  2. डिज़ाइन के मूल अंश रेखाएं, रूप और आकार, रंग और बनावट हैं।
  3. डिज़ाइन के पाँच मूल सिद्धान्त हैं-समरूपता, अनुपात, संतुलन, लय और बल।
  4. जब कोई फर्नीचर, घर का नक्शा या अन्य सजावट का सामान बनाया जाता है तो इन मूल अंशों को ध्यान में रखा जाता है।
  5. रंग प्रकाश की किरणों से उत्पन्न होते हैं।
  6. लाल, नीला और पीला प्रारम्भिक रंग हैं।
  7. दो प्रारम्भिक रंग मिलाकर जो रंग बनते हैं उनको दूसरे दर्जे के रंग कहा जाता है।
  8. डिज़ाइन में लय लाने के लिए रंग या रेखाओं या आकार को दोहराया, दर्जा बन्दी प्रतिकूलता, समानान्तर या रेडिएशन किया जाता है।
  9. रंगों से विभिन्न रंग योजनाएं जैसे सम्बन्धित रंग योजना, विरोधी रंग योजना और एक रंग योजना तैयार की जाती है।
  10. हरा, नीला और सफ़ेद ठण्डे रंग होते हैं और लाल, काला, पीला गरम रंग होते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसका घर सुन्दर हो। एक साधारण घर को भी सजा कर आकर्षक बनाया जा सकता है। इसलिए धन के अतिरिक्त कला का होना भी बहुत आवश्यक है। घर का सामान खरीदने से पहले सजावटी ढंगों के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है। इस जानकारी से कम पैसे खर्च कर घर , को अधिक सुन्दर बनाया जा सकता है। जब कोई वस्तु बनाई या खरीदी जाती है तो उसका एक नमूना या डिजाइन बनाया जाता है जो कमरे, घर और अन्य वस्तुओं के अनुसार होना चाहिए। घर में जो भी वस्तु बनाई जाती है यद्यपि घर ही हो या फिर कोई फर्नीचर पहले उसका नमूना तैयार किया जाता है। यदि कमरे की सभी वस्तुओं का आपसी समन्वय ठीक हो तभी एक बढ़िया डिज़ाइन बनेगा। डिज़ाइन के मूल तत्त्व रेखा रंग, रूप और ढांचा आदि हैं।

हैंडबाल (Handball) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions हैंडबाल (Handball) Game Rules.

हैंडबाल (Handball) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. टीम के लिए खिलाड़ियों की गिनती = 12 (4 = 16) (7 + 5)
  2. टीम में खिलाड़ियों की संख्या (कोर्ट में) = 7
  3. गोल रक्षकों की संख्या = 2
  4. एक समय खेल में खिलाड़ी खेलते हैं = 7
  5. गेंद की परिधि, = 58 सैं०मी०-60 सैं०मी० पुरुषों के लिए
    = 54 सैं०मी०-56 सैं०मी० महिलाओं के लिए
  6. गेंद का भार पुरुषों के लिए = 425 से 475 ग्राम
  7. गेंद का भार महिलाओं के लिए = 325 से 375 ग्राम
  8. हैंडबाल खेल का समय पुरुषों के लिए = 30-10-30
  9. हैंडबाल खेल का समय महिलाओं के लिए = 25-10-25
  10. हैंडबाल खेल में अधिकारी = फस्ट रैफ़री, सैकिण्ड रैफ़री, टाइम कीपर स्कोरर होते हैं
  11. हैंडबाल कोर्ट का माप = 40 मी० ! 20 मी०
  12. गोल की ऊँचाई = 2 मी०
  13. गोल की चौड़ाई = 3 मी०
  14. गोल पोस्ट के बीच गोल लाइन की चौड़ाई = 8 सैं०मी०
  15. 8 से 14 वर्ष के लड़के और लड़कियों के लिए बाल का वज़न = 290 से 330 ग्राम
  16. 8 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए बल की परिधि = 50 से 52 सैं०मी०

हैंडबाल की संक्षेप रूपरेखा
(Brief outline of the Handball)

  1. हैंडबाल का खेल दो टीमों के मध्य खेला जाता है।
  2. हैंडबाल का खेल सैंटर लाइन से दूसरे को पास देकर शुरू होता है।
  3. हैंडबाल का समय पुरुषों के लिए 30-10-30 मिनट का होता है तथा स्त्रियों के लिए 25-10-25 मिनट का होता है।
  4. एक टीम के कुल खिलाड़ी 12 होते हैं जिनमें से 7 खिलाड़ी खेलते हैं तथा शेष 5 खिलाड़ी बदलवे (Substitutes) होते हैं।
  5. खिलाड़ी को खेल के मध्य किसी समय भी बदला जा सकता है।
  6. हैंडबाल के खेल में दो-दो टाइम आऊट हो सकते हैं। टाइम आऊट का समय एक मिनट का होता है।
  7. यदि किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए तो रैफरी की आज्ञानुसार खेल को रोका जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार बदलवां (Substitutes) खिलाड़ी मैदान में आ जाता है।
  8. हैंडबाल के बाल को लेकर दौड़ना फाऊल होता है।
  9. बाल का भार पुरुषों के लिए 475 ग्राम तथा स्त्रियों के लिए 425 ग्राम होता है।
  10. बाल का घेरा 58 से 60 सैंटी मीटर तक होता है।
  11. खेल के समय बाल बाहर चला जाये तो विरोधी टीम को उसी स्थान से थ्रो मिल जाती है।
  12. खेल में धक्का देना फाऊल होता है।
  13. हैंडबाल के खेल में फस्ट रैफ़री तथा सैकिण्ड रैफ़री होता है।
  14. खेल के मैदान की लम्बाई 40 मीटर तथा चौड़ाई 20 मीटर होती है।
  15. गोल कीपर बाहर वाली D से बाहर नहीं जा सकता।
  16. हैंडबाल के खेल में दो D होते हैं।
  17. यदि कोई खिलाड़ी बाल लेकर D की ओर जा रहा हो तो विरोधी खिलाड़ी उसकी बाजू पकड़ ले तो रैफरी पैनल्टी दे देता है।
  18. प्रत्येक खिलाड़ी गोल कीपर बन सकता है।
  19. जो टीम अधिक गोल कर लेती है उसे विजेता घोषित किया जाता है।
  20. रैफ़री खिलाड़ी को दो वार्निंग देकर खेल में से दो मिनट के लिए बाहर निकाल सकता है।
  21. गोल क्षेत्र में गोलकीपर के अतिरिक्त कोई प्रवेश नहीं कर सकता।
  22. D में से किया गोल बे-नियम होता है।

हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

HAND BALL GROUND
हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
3 Goal (Dimension is in cms)

हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
हैंडबाल खेल क्या है ? खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर—
हैंडबाल टीम खेल खेल परिचय (Introduction of the Game)-हैंडबाल एक टीम खेल है। इसमें एक-दूसरे के विरुद्ध दो टीमें खेलती हैं। एक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं जिनमें 10 कोर्ट खिलाड़ी (Court Players) और दो गोल रक्षक (Goal keepers) होते हैं, परन्तु एक समय में सात से अधिक खिलाड़ी मैदान में नहीं उतरते। इसमें से 6 कोर्ट खिलाड़ी होते हैं और एक गोल रक्षक होता है। शेष 5 खिलाड़ी स्थानापन्न Substitutes होते हैं। एक खिलाड़ी चाहे तो खेल में सम्मिलित हो जाए या किसी समय उसका स्थान स्थानापन्न खिलाड़ियों में से दिया जा सकता है। गोल क्षेत्र में गोल रक्षक के सिवाए कोई भी प्रविष्ट नहीं हो सकता।

रैफ़री के थ्रो ओन (Throw on) के लिए सीटी बजाने के साथ ही खेल कोर्ट के मध्य में से आरम्भ की जाएगी।
प्रत्येक टीम विरोधी टीम के गोल में पैर डालने का प्रयास करती है और अपने गोल को विरोधियों के आक्रमणों से सुरक्षित रखने की कोशिश करती है।

गेंद को हाथों से खेला जाता है, परन्तु इसे घुटनों या इनसे ऊपर शरीर के किसी भाग से स्पर्श किया जा सकता है तथा खेला जा सकता है। केवल गोल रक्षक की सुरक्षा के लिए अपने गोल क्षेत्र में गेंद को शरीर के सभी भागों से स्पर्श कर सकता है।

खिलाडी भागते, चलते या खड़े होते हुए एक हाथ से बार-बार गेंद को ठप्पा मार कर उछाल सकते हैं। गेंद को उछालने के बाद पुनः पकड़ कर खिलाड़ी इसे अपने हाथों में लिए आगे तो बढ़ सकता है, परन्तु तीन कदम से अधिक नहीं। गेंद को अधिकतम 3 सैंकिंड तक पकड़ कर रखा जा सकता है।

गोल होने के पश्चात् गेम कोर्ट के मध्य में से थ्रो-इन के साथ पुनः आरम्भ होगी। थ्रोआन उस टीम का खिलाड़ी करेगा जिसके विरुद्ध गोल अंकित हुआ है। मध्य रेखा के ऊपर पांव रख कर पास देने पर खेल प्रारम्भ होगा। इस अवसर पर विरोधी खिलाड़ी इच्छानुसार कहीं पर भी खड़े रह सकते हैं।

अर्द्ध-अवकाश (Half time) के पश्चात् गोल और थ्रो-आन में परिवर्तन किया जाएगा। उस टीम को जो अधिक संख्या में गोल कर लेती है विजयी घोषित किया जाता है। यदि बाल मैदान के साइड से बाहर जाती है तो रेखा को काट कर थ्रो की जाती है। यदि दोनों टीमों द्वारा किए गए गोलों की संख्या समान हो अथवा कोई भी गोल न हो सके तो खेल अनिणीत (Drawn) होगी। बराबर रहने की स्थिति में मैच का फैसला पैनल्टी थ्रो द्वारा किया जाता है।

प्रत्येक खेल का आयोजन दो रैफरियों के द्वारा किया जाता है जिसको एक स्कोरर और एक टाइम कीपर सहायता प्रदान करते हैं। रैफ़री खेल के नियमों को लागू करते हैं। रैफ़री खेल के क्षेत्र में प्रविष्ट होने के क्षण से लेकर खेल के अन्त तक खेल के संचालक होते हैं।

प्रश्न
हैंडबाल खेल का क्षेत्र, गोल, गेंद, खिलाड़ी, गोल क्षेत्र, गोल थ्रो, पैनल्टी . थो के बारे में लिखें।
उत्तर-
खेल का क्षेत्र (The Playing Area) खेल का क्षेत्र दो गोल-क्षेत्रों में विभाजित होता है तथा खेल का कोर्ट आयताकार होता है जिसकी लम्बाई 40 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर होती है। विशेष परिस्थितियों में खेल का क्षेत्र 38-44 मीटर लम्बा तथा 18-22 मीटर चौड़ा हो सकता है।

गोल (Goal)—प्रत्येक गोल रेखा के मध्य में गोल होंगे। एक गोल में 2 ऊंचे खड़े स्तम्भ होंगे जो क्षेत्र के कोनों से समान दूरी पर होंगे। स्तम्भ एक-दूसरे से 3 मीटर की दूरी पर होंगे तथा इनकी ऊंचाई 2 मीटर होगी। ये मज़बूती से भूमि में जकड़े होंगे तथा उन्हें एक क्षैतिज क्रॉस बार (Horizontal Cross Bar) द्वारा परस्पर अच्छी तरह मिलाया जाएगा। गोल रेखा का बाहरी सिरा तथा गोल पोस्ट का पिछला सिरा एक पंक्ति में होगा। स्तम्भ तथा क्रास बार वर्गाकार होंगे जिनका आकार 8 सैंटीमीटर × 8 सैंटीमीटर होगा। ये हैंडबाल लकड़ी, हल्की धातु या संशलिष्ट पदार्थ के बने होंगे जिनकी सभी साइडों पर 2 रंग किए होंगे जो पृष्ठभूमि में प्रभावशाली ढंग से रखे हों।

प्रत्येक गोल क्षेत्र से 6 मीटर दूर तथा गोल रेखा के समानान्तर 3 मीटर लम्बी रेखा अंकित करके बनाया जाता है। इस रेखा के सिरे चौथाई-वृत्तों द्वारा गोल रेखा से मिले होंगे। इन वृत्तों का अर्द्ध-व्यास गोल स्तम्भों के आन्तरिक कोने के पीछे से मापने पर 6 मीटर होगा। यह रेखा गोल क्षेत्र रेखा (Goal area line) कहलाती है।

गेंद (The Ball)-गेंद गोलाकार (Spherical) होनी चाहिए जिसमें एक रबड़ का ब्लैडर हो और इसका बाहरी खोल एक रंग के चमड़े या किसी एक रंग के संश्लिष्ट पदार्थ (Synthetic meterial) का बना हो। बाहरी खोल चमकदार या फिसलने वाला न हो, गेंद में बहुत ज़्यादा हवा नहीं भरी होनी चाहिए। पुरुषों तथा नवयुवकों के लिए गेंद का भार 475 ग्राम से अधिक और 425 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। उसकी परिधि 58 सैंटीमीटर से 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए। सभी नवयुवक तथा जूनियर लड़कों के लिए इसका भार 400 ग्राम से अधिक तथा 325 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। इसकी परिधि 54 से 56 सैं० मी० तक होनी चाहिए।

खिलाड़ी (The Players)—प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं जिनमें से 10 कोर्ट खिलाड़ी और 2 गोलकीपर होते हैं। इनमें से एक समय पर अधिकतम 7 खिलाड़ी मैदान में उतर सकते हैं जिनमें से 6 कोर्ट खिलाड़ी और एक गोलकीपर होंगे।

खेल की अवधि (The Duration of the Game)—पुरुषों के लिए 30-30 मिनट की दो समान अवधि में खेला जाएगा जिनके बीच 10 मिनट का मध्यान्तर होता है।
नोट-टूर्नामैंटों में खेल बिना मध्यान्तर के 15-15 मिनट की दो समान अवधि में खेला जाएगा।

स्त्रियों और जूनियर लड़कों के लिए खेल 25-25 मिनट की दो समान अवधि में खेला जाएगा जिनके बीच 10 मिनट का मध्यान्तर होता है।
गोल (Goal)-प्रत्यक्ष रूप से थ्रो ऑन करके विपक्षियों के विरुद्ध गोल नहीं किया जा सकता।
गेंद का खेलना (Playing the Ball) निम्नलिखित की अनुमति होगी—
गेंद को रोकना, पकड़ना, फेंकना, उछालना या किसी भी ढंग से या किसी भी दिशा । में हाथ (हथेलियां या खुले हाथ), भुजाओं, सिर, शरीर या घुटनों आदि का प्रयोग करते हुए गेंद पर प्रहार करना।

जब गेंद ज़मीन पर पड़ी हो तो इसे अधिकतम 3 सैकिण्ड तक पकड़े रखना, गेंद को पकड़ कर अधिकतम 3 कदम लेना।
गोल क्षेत्र (The Goal Area)—केवल गोल रक्षक को ही गोल क्षेत्र में प्रविष्ट होने या रहने की अनुमति होती है। गोलकीपर को इनमें प्रविष्ट हुआ माना जाएगा, यदि कोई खिलाड़ी इसे किसी भी प्रकार से स्पर्श कर लेता है। गोल क्षेत्र में गोल रेखा (Goal area line) सम्मिलित होती है।
गोल क्षेत्र में प्रविष्ट होने के निम्नलिखित दण्ड (Penalties) हैं—

  1. फ्री-थ्रो जब कोर्ट खिलाड़ी के अधिकार में गेंद हो।
  2. फ्री-थ्रो जब कोर्ट खिलाड़ी के अधिकार में गेंद न हो। परन्तु उसने गोल-क्षेत्र में प्रविष्ट हो कर साफ लाभ प्राप्त किया होता है।
  3. पैनल्टी-थ्रो यदि रक्षात्मक टीम का कोई खिलाड़ी जान-बूझ कर और स्पष्ट रूप से सुरक्षा के लिए गोल क्षेत्र में प्रविष्ट हो जाता है।

गोल रक्षक (The Goal Keeper)—गोल रक्षक को अनुमति होगी—

  1. रक्षात्मक कार्य में अपने गोल क्षेत्र में गेंद को अपने शरीर के सभी भागों में स्पर्श करने की।
  2. गोल क्षेत्र के बिना किन्हीं प्रतिबन्धों के गेंद के साथ इधर-उधर चलने की।
    हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
  3. बिना गेंद के गोल क्षेत्र में दौड़ने को, कोर्ट में वह कोर्ट खिलाड़ियों के नियमों का अनुसरण करेगा।
    स्कोर (Scoring)-गोल उस समय स्कोर हुआ माना जाता है जब गेंद विरोधियों की गोल रेखा से गोल पोस्टों तथा क्रॉस बार के नीचे गुज़र जाता है। बशर्ते कि गोल करने के लिए स्कोर करने वाले खिलाड़ी या उसकी टीम के खिलाड़ियों द्वारा नियमों का उल्लंघन न किया गया हो।
    हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
    CATCHING THE BALL

थ्रो-इन (Throw-in)—यदि सारी गेंद भूमि पर या वायु में साइड लाइन से बाहर चली जाती है तो खेल थ्रो-इन द्वारा पुनः आरम्भ की जाएगी।
थ्रो-इन उस टीम के विरोधी खिलाड़ियों द्वारा ली जाएगी जिसने अन्तिम बार गेंद को स्पर्श किया हो।
थ्रो-इन उसी बिन्दु से ली जाएगी जहां से गेंद ने साइड रेखा को पार किया हो।

कार्नर थ्रो (Corner Throw)—यदि भूमि पर या वायु में सारी गेंद रक्षात्मक टीम के खिलाड़ी द्वारा अन्तिम बार स्पर्श किए जाने से गोल के बाहर गोल रेखा के ऊपर से गुज़र जाती है तो आक्रामक टीम को एक कार्नर थ्रो दी जाएगी। यह नियम गोल रक्षक पर अपने ही गोल क्षेत्र में लाग नहीं होता। __ कोर्ट रैफ़री द्वारा सीटी बजाने के तीन सैकेंड के अन्दर-अन्दर कार्नर थ्रो गोल को उस साइड के इस बिन्दु से ली जाएगी जहां गोल रेखा तथा स्पर्श रेखा (Touch line) मिलती है, और जहां से गेंद बाहर निकली थी।
रक्षक टीम के खिलाड़ी गोल क्षेत्र रेखा के साथ ग्रहण कर सकते हैं।
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गोल-थो (Goal throw)-गोल-थ्रो निम्नलिखित अवस्थाओं में दी जाएगी—

  1. यदि सारी गेंद गोल से बाहर भूमि पर वायु में गोल रेखा के ऊपर से गुज़र जाती है जिसे अन्तिम बार आक्रामक टीम के खिलाड़ियों या गोल क्षेत्र के रक्षक टीम के गोलकीपर ने स्पर्श किया हो।
    हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6
  2. यदि थ्रो-ऑन द्वारा गेंद सीधी विरोधी टीम में चली जाती है।

फ्री-थो (Free Throw) निम्नलिखित अवस्थाओं में फ्री-थ्रो दी जाती है—

  1. खेल के क्षेत्र में ग़लत ढंग से प्रविष्ट होने पर या छोड़ने पर।
  2. ग़लत थ्रो ऑन करने पर।
  3. नियमों का उल्लंघन करने पर।
  4. जानबूझ कर गेंद को साइड-लाइन से बाहर रोकने पर।

पैनल्टी थ्रो (Penalty Throw)—पैनल्टी थ्रो दी जाएगी—

  1. अपने ही अर्द्धक में नियमों के गम्भीर संधन करने पर।
  2. यदि कोई खिलाड़ी रक्षा के उद्देश्य से जान-बूझ कर अपने गोल क्षेत्र में प्रविष्ट होता है।
  3. यदि कोई खिलाड़ी जान-बूझ कर गेंद को अपने गोल क्षेत्र में धकेल देता है और गेंद गोल का स्पर्श कर लेती है।
  4. यदि गोल रक्षक गेंद को उठा कर अपने गोल क्षेत्र में जाता है।
  5. यदि कोर्ट के विरोधी अर्द्धक में गोल करने की स्पष्ट सम्भावना गोल रक्षक द्वारा नष्ट कर दी जाती है।
  6. गोल रक्षक के ग़लत प्रतिस्थापन्न (Substitution) पर।

पैनल्टी थ्रो के अवसर पर रैफ़री टाइम आऊट लेकर पैनल्टी थ्रो लगवाने के लिए सीटी बजाएगा जिसके साथ खेल के समय की शुरुआत हो जाएगी।
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Goal Keeper’s Position for Preventing Scoring
अधिकारी (Officials) हैंडबाल की खेल में निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं—

  1. रैफ़री = 1
  2. सैकिंड रैफरी = 1
  3. टाइम कीपर। = 1

निर्णय (Decisions)—जो टीम अधिक गोल कर देती है उसे विजयी घोषित किया जाता है।

हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical हैंडबाल (Handball)

प्रश्न 1.
हैंडबाल के खेल में कुल कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
कुल 12 खिलाड़ी होते हैं जिनमें से 7 खिलाड़ी खेलते हैं और 5 खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं।

प्रश्न 2.
हैंडबाल कोर्ट की लम्बाई और चौड़ाई कितनी होती है ?
उत्तर-
लम्बाई 40 मीटर तथा चौड़ाई 20 मीटर।

प्रश्न 3.
हैंडबाल का घेरा कितना होता है ?
उत्तर-
पुरुषों के लिए 58-60 सेमी० तथा महिलाओं के लिए 54-56 सेमी०।

हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 4.
हैंडबाल खेल की अवधि कित होती है ?
उत्तर-
पुरुषों के लिए 30-10-30 मिनट तथा महिलाओं के लिए 25-10-25 मिनट।

प्रश्न 5.
हैंडबाल का भार कितना होता है ?
उत्तर-
पुरुषों के लिए 475 ग्राम तथा महिलाओं के लिए 400 ग्राम।

प्रश्न 6.
हैंडबाल के खेल में कितने अधिकारी होते हैं ?
उत्तर-
रैफ़री-1, अम्पायर-1 तथा टाइम कीपर-1.

हैंडबाल (Handball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 7.
हैंडबाल में टाइम आऊट कितने होते हैं ?
उत्तर-
हैंडबाल में दो टाइम आऊट होते हैं।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions वालीबाल (Volley Ball) Game Rules.

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. वालीबाल मैदान की लम्बाई चौड़ाई = 18 × 9 मीटर
  2. नैट के ऊपरली पट्टी की चौड़ाई = 7 सैं० मी०
  3. एनटीनों की संख्या = 2
  4. एनटीना की लम्बाई = 1.80 मीटर
  5. एनटीने का घेरा = 10 मि०मी
  6. पोल की साइज रेखा से दूरी = 1 मीटर
  7. नैट की लम्बाई और चौड़ाई = 9.50 मीटर × 1 मीटर
  8. जाल के छेदों का आकार = 10 सैं० मी०
  9. पुरुषों के लिए नैट की ऊंचाई = 2.43 मीटर
  10. स्त्रियों के लिए नैट की ऊंचाई = 2.24 मीटर
  11. गेंद की परिधि = 65 से 67 सैं० मी०
  12. गेंद का रंग = कई रंगों वाला
  13. गेंद का भार = 260 ग्राम से 280 ग्राम
  14. टीम के खिलाड़ियों की गिनती = 12 (6 खेलने वाले, 6 बदलवें)
  15. मैच के अधिकारी = दो रैफरी, स्कोरर, लाइन मैन 2 अथवा 4
  16. पीठ पर लेग नम्बरों का आकार = लम्बाई = 15 सैं० मी०, चौड़ाई = 2 सैं० मी०, पीठ पर 20 ज०मी०
  17. रेखाओं की चौड़ाई = 5 सैंमी
  18. मैदान को बाँटने वाली रेखा = केन्द्रीय रेखा
  19. सर्विस रेखा की लम्बाई = 9 मीटर

वालीबाल खेल की संक्षेप रूपरेखा
(Brief outline of the Volley Ball)

  1. वालीबाल की खेल में 12 खिलाड़ी भाग लेते हैं जिनमें से 6 खेलते हैं तथा 6 , बदलवे (Substitutes) होते हैं।
  2. भाग लेने वाली दो टीमों में से, प्रत्येक टीम में छः खिलाड़ी होते हैं।
  3. ये खिलाड़ी अपने कोर्ट में खड़े होकर बाल को नैट से पार करते हैं।
  4. जिस टीम के कोर्ट में गेंद गिर जाए उसके विरुद्ध प्वाइंट दे दिया जाता है। यह प्वाइंट टेबल टेनिस खेल की तरह होते हैं।
  5. वालीबाल के खेल में कोई समय नहीं होता बल्कि बैस्ट ऑफ़ थ्री या बैस्ट ऑफ़ फ़ाइव की गेम लगती है।
  6. नैट के नीचे अब रस्सी नहीं डाली जाती।
  7. जो टीम टॉस जीतती है वह सर्विस या साइड ले सकती है।
  8. वालीबाल के खेल में दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।
  9. यदि सर्विस नैट से 5 से 6 इंच ऊंची आती है तो विरोधी टीम का खिलाड़ी बाल ब्लॉक कर सकता है।
  10. यदि कोई टीम समय पर नहीं आती तो 15 मिनट तक इन्तज़ार किया जा सकता है। बाद में टीम को स्करैच किया जा सकता है।
  11. एक गेम 25 प्वाइंट की होती है।
  12. लिबरो खिलाड़ी कभी भी बदला जा सकता है परन्तु वह खेल में आक्रमण नहीं कर सकता।
  13. एनटीने की लम्बाई 1.80 मीटर होती है।
  14. खिलाड़ी बाल को किक लगा कर अथवा शरीर के किसी दूसरे भाग से हिट करके विरोधी पाले में भेज सकता है।
  15. यदि सर्विस करते समय बाल नैट को छू जाए और विरोधी पाले में चला जाए तो सर्विस ठीक मानी जाएगी।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बालीबाल खेल का मैदान, जाल, गेंद, आक्रमण का क्षेत्र के विषय में लिखें।
उत्तर-
खेल का मैदान

  1. वालीबाल के खेल के मैदान की लम्बाई 18 मीटर तथा चौड़ाई 9 मीटर होगी। प्रांगण से कम-से-कम 7 मीटर ऊपर तक के स्थान पर किसी भी प्रकार कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। मैदान में 5 सैंटीमीटर चौड़ा रेखाओं द्वारा अंकित होगा। ये रेखाएं सभी बाधाओं से कम-से-कम दो मीटर दूर होंगी। जाल के नीचे की केन्द्रीय रेखा मैदान को दो बराबर भागों में बांटेगी।
    VOLLEY BALL GROUND
    वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
  2. आक्रमण क्षेत्र-मैदान के प्रत्येक अर्द्ध भाग में केन्द्रीय रेखा के समानान्तर 3 मीटर दूर 5 सेंटीमीटर की रेखा (आक्रमण क्षेत्र) खींची जाएगी। इसकी चौड़ाई तीन मीटर में शामिल होगी।

1. आकार व रचना-जाल 9.50 मीटर लम्बा और 3 मीटर चौड़ा होगा। इसके छिद्र 10 सैंटीमीटर चौकोर होने चाहिएं। इसके ऊपरी भाग में 5 सैंटीमीटर चौड़ा सफ़ेद कैनवस का फीता इस प्रकार खींचा जाना चाहिए कि इसके भीतर एक लचीला तार जा सके।
2. पुरुषों के लिए जाल की ऊंचाई केन्द्र में भूमि से 2 मीटर 43 सैंटीमीटर तथा स्त्रियों के लिए 2 मीटर 24 सैंटीमीटर होनी चाहिए।

पक्षों के चिन्ह-एक अस्थिर गतिशील 5 सैंटीमीटर चौड़ी सफ़ेद पट्टी जाल – अन्तिम सिरों पर लगाई जाती है। दोनों खम्भों के निशान कम-से-कम 50 सेंटीमीटर होंगे।

गेंद
गेंद गोलाकार तथा नर्म चमड़े की बनी होनी चाहिए। इसके अन्दर रबड या किसी ऐसी ही वस्तु का बना हुआ ब्लैडर हो। इसकी परिधि 65 सैंटीमीटर से लेकर 67 सैंटीमीटर होनी चाहिए। इसका भार 260 ग्राम से लेकर 280 ग्राम तक होना चाहिए। गेंद में हवा का दबाव 0.48 और 0.52 कि० ग्राम cm2 के बीच होना चाहिए।

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प्रश्न
वालीबाल खेल में खिलाड़ियों और कोचों के आचरण के विषय में बताएं
उत्तर-
खिलाड़ियों तथा कोचों का आचरण

  1. प्रत्येक खिलाड़ी को खेल के नियमों की जानकारी होनी चाहिए तथा उसे दृढ़ता से इनका पालन करना चाहिए।
  2. खेल के दौरान कोई खिलाड़ी अपने कप्तान के माध्यम से ही रैफरी से बात कर सकता है। इस प्रकार कप्तान ही रैफरी से बात कर सकता है।
  3. निम्नलिखित सभी अपराधों के लिए दण्ड दिया जाएगा
    • अधिकारियों से उनके निर्णयों के विषय में बार-बार प्रश्न पूछना।
    • अधिकारियों के लिए अपशब्द कहना।
    • अधिकारियों के निर्णयों को प्रभावित करने के उद्देश्य से अनुचित हरकतें करना।
    • विरोधी खिलाड़ी को अपशब्द कहना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करना।
    • मैदान के बाहर से खिलाड़ियों को कोचिंग देना।
    • रैफरी की अनुमति के बिना मैदान को छोड़ कर जाना।
    • गेंद का स्पर्श होते ही, विशेष कर सर्विस प्राप्त करते समय खिलाड़ियों का ताली बजाना या चिल्लाना।

दण्ड-

  1. मामूली अपराध के लिए साधारण चेतावनी। अपराध के दोहराए जाने पर खिलाड़ी को व्यक्तिगत चेतावनी (लाल कार्ड) मिलेगी। इससे उसका दल सर्विस का अधिकार या एक अंक खोएगा।
  2. गम्भीर अपराध की दशा में स्कोर शीट पर चेतावनी दर्ज की जाती है। इससे एक अंक या सर्विस का अधिकार खोना पड़ता है। यदि अपराध फिर भी दोहराया जाता है तो रैफरी खिलाड़ी को एक सैट या पूरे खेल के लिए अयोग्य घोषित कर सकता है।

खिलाड़ी की पोशाक

  1. खिलाड़ी जर्सी, पैंट, हल्के जूते (रबड़ या चमड़े के) पहनेगा। वह सिर पर पगड़ी, टोपी, किसी प्रकार का आभूषण (रत्न, पिन, कंगन आदि) तथा कोई ऐसी वस्तु नहीं पहनेगा जिससे अन्य खिलाड़ियों को चोट लगने की सम्भावना हो।
  2. खिलाड़ी को अपनी जर्सी की छाती तथा पीठ पर 8 से 15 सैंटीमीटर ऊंचे नम्बर धारण करना होगा। संख्या सांकेतिक करने वाली पट्टी की चौड़ाई 2 सेंटीमीटर होगी।

खिलाड़ियों की संख्या तथा स्थानापन्न

  1. खिलाड़ियों की संख्या सभी परिस्थितियों में 6 होगी। स्थानापन्नों (Substitutes) सहित पूरी टीम में 12 से अधिक खिलाड़ी नहीं होंगे।
  2. स्थानापन्न तथा प्रशिक्षक रैफरी के सामने मैदान में बैठेंगे।
  3. खिलाड़ी बदलने के लिए टीम का कप्तान या प्रशिक्षक रैफरी से प्रार्थना करेगा। एक खेल में अधिक-से-अधिक 6 खिलाड़ी बदलने की अनुमति होती है। खेल में प्रविष्ट होने से पहले स्थानापन्न खिलाड़ी स्कोरर के सामने उसी पोशाक में जाएगा और अनुमति मिलने के तुरन्त पश्चात् अपना स्थान ग्रहण करेगा।
  4. जब प्रत्येक खिलाड़ी प्रतिस्थापन्न के रूप में बदला जाता है तो वह फिर उसी सैट में प्रवेश कर सकता है। परन्तु ऐसा केवल एक बार ही किया जा सकता है। उसके पश्चात् केवल जो खिलाड़ी बाहर गया हो, वही प्रतिस्थापन्न के रूप में आ सकता है।

खिलाड़ियों की स्थिति
सर्विस होने के पश्चात् दोनों टीमों के खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र में खड़े होते हैं। यह कोई आवश्यक नहीं कि लाइनें सीधी ही हों। खिलाड़ी जाल के समानान्तर दायें से बायें इस प्रकार स्थान ग्रहण करते हैं—
वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
सर्विस के पश्चात खिलाड़ी अपने क्षेत्र के किसी भाग को रोक सकता है। स्कोर शीट में अंकित रोटेशन के अनुसार उसे सैट के अन्त तक प्रयोग में लाना होगा। रोटेशन में किसी त्रुटि के पता चलने पर खेल रोक दिया जाता है और त्रुटि को ठीक किया जाता है। त्रुटि करने वाली टीम द्वारा लिये गये प्वाईंट (त्रुटि के समय) रद्द कर दिए जाते हैं। विरोधी टीम द्वारा प्राप्त (प्वाइंट) स्थिर रहते हैं। यदि त्रुटि का ठीक पता न चले तो अपराधी दल उपयुक्त स्थान पर लौट आएगा और स्थिति के अनुसार सर्विस या एक अंक (प्वाइंट) खोएगा।
अधिकारी-खेल की व्यवस्था के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं—

  1. रैफरी (1)
  2. अम्पायर (1)
  3. स्कोरर (1)
  4. लाइनमैन (2 से 4)

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प्रश्न
वालीबाल खेल के नियमों के विषय में लिखें।
उत्तर-
खेल के नियम

  1. प्रत्येक टीम से खिलाड़ियों की संख्या 6 होती है।
  2. सभी अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में पांच जीतने वाले सैट खेले जाते हैं।
  3. सर्विस या क्षेत्र के चुनाव के लिए दोनों टीमों के कप्तान टॉस करेंगे। सर्विस का निर्णय भी टॉस द्वारा किया जाएगा।
  4. प्रत्येक खेल के पश्चात् टीम अपना क्षेत्र बदलेगी। जब दो टीमों के अन्तिम सैट में प्वाइंट हों तो टीमें अवश्य दिशाएं बदलेंगी परन्तु सर्विस वही टीम करेगी जो दिशा परिवर्तन के समय कर रही थी।
  5. कोई टीम छः खिलाड़ियों से कम खिलाड़ी होने से मैच खेल सकती।

टाइम आऊट—

  1. रैफरी या अम्पायर केवल गेंद मृत होने पर ही टाइम-आऊट देगा।
  2. टीम के कप्तान या कोच को विश्राम तथा प्रतिस्थापन्न के लिए टाइम-आऊट मांगने का अधिकार है।
  3. टाइम-आऊट के दौरान खिलाड़ी क्षेत्र छोड़ कर किसी से बात नहीं कर सकते। वे केवल अपने प्रशिक्षक से परामर्श ले सकते हैं।
  4. प्रत्येक टीम विश्राम के लिए दो टाइम-आऊट ले सकती है। विश्राम की यह अवधि 30 सैकिंड से अधिक नहीं होती। लगातार दो टाइम आऊट भी लिए जा सकते हैं।
  5. यदि दो टाइम-आऊट लेने के पश्चात् कोई टीम तीसरी बार विश्राम के लिए टाइम-आऊट का अनुरोध करती है तो रैफरी सम्बन्धित कप्तान या प्रशिक्षक को चेतावनी देगा। यदि इसके पश्चात् भी टाइम-आऊट का अनुरोध किया जाता है तो सम्बन्धित टीम को अंक (प्वाइंट) खोने या सर्विस खोने का दण्ड दिया जाएगा।
  6. खिलाड़ी के स्थानापन्न आते ही खेल शीघ्र आरम्भ किया जाएगा।
  7. किसी खिलाड़ी के घायल हो जाने की अवस्था में तीन मिनट का काल स्थगन किया जाएगा। यह तभी दिया जाएगा यदि घायल खिलाड़ी बदला न जा सकता हो।
  8. प्रत्येक सैट के बीच में अधिक-से-अधिक दो मिनट का अवकाश होगा परन्तु चौथे और पांचवें सैट के बीच में 5 मिनट का अवकाश होगा।

खेल में विघ्न
यदि किसी कारणवश खेल में विघ्न पड़ जाए और मैच समाप्त न हो सके तो इस समस्या का हल इस प्रकार किया जाएगा—

  1. खेल उसी क्षेत्र में जारी किया जाएगा और खेल के रुकने के समय के परिणाम रखे जाएंगे।
  2. यदि खेल में बाधा 4 घण्टे से अधिक न हो तो मैच निश्चित स्थान पर पुनः खेला जाएगा।
  3. मैच के किसी अन्य क्षेत्र या स्टेडियम में आरम्भ किए जाने की दशा में रुके हुए खेल के सैट को रद्द समझा जाएगा, किन्तु खेले हुए सैट के परिणाम ज्यों-के-त्यों लागू होंगे।

(क) सर्विस-सर्विस से अभिप्राय है कि पीछे से दायें पक्ष के खिलाड़ी द्वारा गेंद खेल में डालने। वह अपनी खुली या बन्द मुट्ठी बांधे हुए हाथ से या भुजा के किसी भाग से गेंद को इस प्रकार मारता है कि वह जाल के ऊपर से होती हुई विपक्षी टीम के अर्द्धक में पहुंच जाए। सर्विस निर्धारित स्थान से ही की जाने पर मान्य समझी जाएगी। गेंद को हाथ से पकड़ कर मारना मना है। सर्विस करने के पश्चात् खिलाड़ी अपने अर्द्ध-क्षेत्र या इसकी सीमा रेखा पर भी रह सकता है।
यदि हवा में उछाली हुई गेंद बिना किसी खिलाड़ी द्वारा छुए ज़मीन पर गिर जाए तो सर्विस दोबारा की जाएगी। यदि सर्विस की गेंद बिना जाल को छुए ऊपर क्षेत्र की चौड़ाई प्रकट करने वाले जाल पर दोनों सिरों के फीतों में से निकल जाती है तो सर्विस ठीक मानी जाती है। रैफरी के सीटी बजाते ही फौरन सर्विस कर देनी चाहिए। यदि सीटी बजने से पहले सर्विस की जाती है तो यह सर्विस पुनः की जाएगी।
खिलाड़ी तब तक सर्विस करता रहेगा जब तक उसकी टीम का कोई खिलाड़ी त्रुटि नहीं कर देता।
(ख) सर्विस की त्रुटियां-यदि निम्नलिखित में से कोई त्रुटि होती है तो रैफरी सर्विस बदलने के लिए सीटी बजाएगा

  1. जब गेंद जाल से छू जाए।
  2. जब गेंद जाल के नीचे से निकल जाए।
  3. जब गेंद फीतों का स्पर्श कर ले या पूरी तरह जाल को पार न कर सके।
  4. जब गेंद विपक्षी के क्षेत्र में पहुंचने से पहले किसी खिलाड़ी या वस्तु को छू ले।
  5. जब गेंद विपक्षी के अर्द्धक के बाहर जा गिरे।

(ग) दूसरी तथा उत्तरवर्ती सर्विस-प्रत्येक नए सैट में वह टीम सर्विस करेगी जिसने इससे पहले सैट में सर्विस न की हो। अन्तिम निर्णायक सैट में सर्विस टॉस द्वारा निश्चित की जाएगी।
(घ) खेल में बाधा-यदि रैफरी के मतानुसार कोई खिलाड़ी जान-बूझ कर खेल में बाधा पहुंचाता है तो उसे दण्ड दिया जाता है।
सर्विस में परिवर्तन-जब सर्विस करने वाली टीम कोई त्रुटि करती है तो सर्विस में परिवर्तन होता है। जब गेंद साइड आऊट होती है तो सर्विस में परिवर्तन होता है।

  1. सर्विस परिवर्तन पर सर्विस करने वाली टीम के खिलाड़ी सर्विस से पहले घड़ी की सूईयों की दिशा में अपना स्थान बदलेंगे।
  2. नए सेट के आरम्भ में टीमें नए खिलाड़ी लाकर अपने पहले स्थानों में परिवर्तन कर सकती हैं, परन्तु खेल आरम्भ होने से पहले इस विषय में स्कोरर को अवश्य सूचित करना चाहिए।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बालीबाल गेंद को हिट मारना, ब्लॉकिंग, जाल पर खेल क्या है ?
उत्तर-
गेंद को हिट मारना

  1. प्रत्येक टीम विपक्षी टीम के अर्द्धक में गेंद पहुंचाने के लिए तीन सम्पर्क कर सकती है।
  2. गेंद पर कमर के ऊपर शरीर के किसी भाग से प्रहार किया जा सकता है।
  3. गेंद कमर के ऊपर के कई अंगों को छू कर आ सकती है, परन्तु छूने का काम एक ही समय हो और गेंद पकड़ी न जाए बल्कि ज़ोर से उछले।
  4. यदि गेंद खिलाड़ी की बाहों या हाथों में कुछ क्षण के लिए रुक जाती है तो उसे गेंद पकड़ना माना जाएगा। गेंद को लुढ़काना, ठेलना या घसीटना ‘पकड़’ माना जाएगा। गेंद को नीचे से दोनों हाथों से एक साथ स्पष्ट रूप से प्रहार करना नियमानुसार है।
  5. दोहरा प्रहार या स्पर्श-यदि कोई खिलाड़ी एक से अधिक बार अपने शरीर के किसी अंग द्वारा गेंद को छूता है जबकि किसी अन्य खिलाड़ी ने उसे स्पर्श नहीं किया तो वह दोहरा प्रहार या स्पर्श माना जाएगा।

ब्लॉकिंग
ब्लॉकिंग वह प्रक्रिया है जिससे गेंद के जाल पर गुजरते ही पेट के ऊपर के शरीर के किसी भाग द्वारा तुरन्त विरोधी के आक्रमण को रोकने की कोशिश की जाती है।
ब्लॉकिंग केवल आगे वाली पंक्ति में खड़े खिलाड़ी ही करते हैं। पिछली पंक्ति में खड़े खिलाड़ियों को ब्लॉकिंग की आज्ञा नहीं होती।
ब्लॉकिंग के पश्चात् ब्लॉकिंग में भाग लेने वाला कोई भी खिलाड़ी गेंद प्राप्त कर सकता है, परन्तु ब्लॉक के बाद स्मैश या प्लेसिंग नहीं की जा सकती।
DESIGN OF THE NET
जाल का स्वरूप
वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3

  1. जब खेल के दौरान गेंद (सर्विस के अतिरिक्त) जाल को छूती हुई जाती है तो ठीक मानी जाती है।
  2. बाहर के चिन्हों के बीच से जब गेंद को जाल पार करती है तो भी गेंद ठीक मानी जाती है।
  3. जाल में लगी गेंद खेली जा सकती है। यदि टीम द्वारा गेंद तीन बार खेली गई है और गेंद चौथी बार जाल को लगती है या भूमि पर गिरती है तो रैफरी नियम भंग के लिए सीटी बजाएगा।
  4. यदि गेंद जाल में इतनी ज़ोर से लगती है कि जाल किसी विरोधी खिलाड़ी को छु ले तो इस स्पर्श के लिए विरोधी खिलाड़ी दोषी नहीं माना जाएगा।
    वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
    VOLLEY BALL
  5. यदि दो विरोधी खिलाड़ी एक साथ जाल को छूते हैं तो दोहरी त्रुटि माना जाएगा।

जाल के ऊपर से हाथ पार करना

  1. ब्लॉकिंग के दौरान जाल के ऊपर से हाथ पार करके विरोधी के क्षेत्र में गेंद का स्पर्श करना त्रुटि नहीं माना जाता किन्तु उस समय गेंद का स्पर्श स्मैश के बाद हुआ हो।
  2. आक्रमण के पश्चात् हाथ जाल पर से पार ले जाना त्रुटि नहीं।

केन्द्रीय रेखा पार करना

  1. यदि खेल के दौरान खिलाड़ी के शरीर का कोई भाग विरोधी क्षेत्र में चला जाता है तो वह त्रुटि होगी।
  2. जाल के नीचे से पार होना, विरोधी खिलाड़ी का ध्यान खींचने के लिए जाल के नीचे भूमि को शरीर के किसी भाग द्वारा पारित करना त्रुटि माना जाएगा।
  3. रैफरी की सीटी से पहले विरोधी क्षेत्र में घुसना त्रुटि मानी जाएगी।

खेल के बाहर गेंद

  1. यदि चिन्हों या फीतों के बाहर गेंद से स्पर्श करती है तो यह त्रुटि होगी।
  2. यदि गेंद भूमि की किसी वस्तु या मैदान की परिधि से बाहर ज़मीन छू लेती है तो आऊट माना जाएगा। रेखा स्पर्श करने वाली गेंद ठीक मानी जाएगी।
  3. रैफरी की सीटी के साथ खेल समाप्त हो जाएगी और गेंद मृत हो जाएगी।

स्कोर तथा खेल का परिणाम
अन्तर्राष्ट्रीय वालीबाल फैडरेशन (FIVB) के क्रीड़ा नियम आयोग (R.G.C.) ने 27 तथा 28 फरवरी, 1988 को बैहवैन में हुई सभा में वालीबाल की नवीन पद्धति को स्वीकृति दी। यह सियोल ओलम्पिक खेल 1988 के पश्चात् लागू हो गई।
नये नियमों के अनुसार, पहले चार सैटों में गर्म करने वाली टीम एक अंक प्राप्त करेगी। सैट की विजेता टीम वह होगी जो विरोध काम पर कम-से-कम दो अंकों का लाभ ले और सर्वप्रथम 25 अंक प्राप्त करे।
R.G.C. ने यह भी निर्णय किया कि सैटों के बीच अधिक-से-अधिक 3 मिनट की अवधि मिलेगी। इस समय सीमा में कोर्टों को बदलना और आरम्भिक Line ups का पंजीकरण स्कोर शीट पर किया जाएगा।
वालीबाल खेल में कार्य करने वाले कर्मचारी (Officials)—

  1. कोच तथा मैनेजर-कोच खिलाड़ियों को खेल सिखलाता है जबकि मैनेजर का कार्य खेल प्रबन्ध करना होता है।
  2. कप्तान-प्रत्येक टीम का कप्तान होता है जो अपनी टीम का नियन्त्रण करता है। वह खिलाड़ियों के खेलने का स्थान निश्चित करता है और टाइम आऊट लेता है।
  3. रैफरी-यह इस बात का ध्यान रखता है कि खिलाड़ी नियम के अन्तर्गत खेल रहा है या नहीं। यह खेल पर नियन्त्रण रखता है और उसका निर्णय अन्तिम होता है। यदि कोई नियमों का उल्लंघन करे तो उसको रोक देता है अथवा उचित दण्ड भी दे सकता है।
  4. अम्पायर-यह खिलाड़ियों को बदलता है। इसके अतिरिक्त रेखाएं पार करना, टाइम आऊट करना और रेखा को छू जाने पर सिगनल देना होता है। वह कप्तान के अनुरोध पर खिलाड़ी बदलने की अनुमति देता है। रैफरी की भी सहायता करता है तथा खिलाड़ियों को बारी-बारी स्थानों पर लगाता है।

पास (Passes)

  1. अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass)—यह तकनीक आजकल बहुत उपयोगी मानी गई है। इस प्रकार कठिन-से-कठिन सर्विस सुगमता से दी जाती है। इसमें बाएं हाथ की मुट्ठी बंद कर दी जाती है। दाएं हाथ की मुट्ठी पर बाल इस तरह रखा जाए कि अंगूठे समानान्तर हों। अण्डर हैंड बाल तब लिया जाता है जब बाल बहुत नीचा हो।
  2. बैक पास (Back Pass)-जब किसी विरोधी खिलाड़ी को धोखा देना हो तो बैक पास प्रयोग में लाते हैं। पास बनाने वाला सिर की पिछली ओर बाल लेता है। वाली मारने वाला वाली मारता है।
  3. बैक रोलिंग के साथ अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass with Back Rolling)-जिस समय गेंद नैट के पास होता है तब अंगुलियां खोल कर और छलांग लगा कर गेंद को अंगुलियां सख्त करके चोट लगानी चाहिए।
  4. साइड रोलिंग के साथ अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass with Side Rolling)-जब गेंद खिलाड़ी के एक ओर होता है, जिस ओर गेंद होता है उस तरफ हाथ खोल लिया जाता है। साइड रोलिंग करके गेंद को लिया जाता है।
  5. एक हाथ से अण्डर हैंड पास बनाना (Under Hand Pass with the Hand) इस ढंग से गेंद को वापस मोड़ने के लिए तब करते हैं जब वह खिलाड़ी के एक ओर होता है, जिस तरफ गेंद लेना होता है। टांग को थोड़ा-सा झुका कर और बाजू खोल कर मुट्ठी बंद करके गेंद लिया जाता है।
  6. नैट के साथ टकराया हुआ बाल देना (Taking the Ball Struck with the Net)’यह बाल प्रायः अण्डर हैंड से लेते हैं नहीं तो अपने साथियों की ओर निकलना चाहिए ताकि बहुत सावधानी से गेंद पार किया जा सके।

सर्विस (Service)-खेल का आरम्भ सर्विस से किया जाता है। कई अच्छी टीमें अनजान टीमों को अपनी अच्छी सर्विस से Upset कर देती हैं। सर्विस भी पांच प्रकार की होती है

  1. अपर हैंड साइड सर्विस।
  2. टेनिस सर्विस।
  3. ग्राऊंड सर्विस।
  4. भोंदू सर्विस।
  5. हाई स्पिन सर्विस।

वाली मारना—

  1. प्लेसिंग स्मैश-खेल में Point लेने के लिए यह स्मैश प्रयोग में लाते हैं।
  2. ग्राऊंड आर्म स्मैश-जिस समय गेंद वाली से पीछे होता है। इसमें गेंद घुमा कर मारते हैं। यह भी बहुत बलशाली होता है।

1. ब्लॉक (Block)-ब्लॉक वाली को रोकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह बचाव का अच्छा ढंग है। यह तीन प्रकार का होता है, जो निम्नलिखित हैं

  1. इकहरा ब्लॉक (Single Block)-जब ब्लॉक करने का कार्य एक खिलाड़ी करे तो उसे इकहरा ब्लॉक कहते हैं।
  2. दोहरा ब्लॉक (Double Block)-जब ब्लॉक रोकने का कार्य दो खिलाड़ी करें तो दोहरा ब्लॉक कहते हैं।
  3. तेहरा ब्लॉक (Triple Block)-जब वाली मारने वाला बहुत शक्तिशाली होता हो तो तेहरे ब्लॉक की आवश्यकता पड़ती है। यह कार्य तीन खिलाड़ी मिल कर करते हैं। इस ढंग का प्रयोग प्रायः किया जाता है।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बालीबाल खेल के फाऊल बताओ।
उत्तर-
वालीबाल के फ़ाऊल
(Fouls in Volleyball)
नीचे वालीबाल के फाऊल दिए जाते हैं—

  1. जब गेम चल रही हो तो खिलाड़ी नैट को हाथ न लगायें। ऐसा करना फाऊल होता है।
  2. केन्द्रीय रेखा को छूना फाऊल होता है।
  3. सर्विस करने से पूर्व रेखा काटना फ़ाऊल होता है।
  4. घुटनों के ऊपर एक टच वीक समझा जाता है।
  5. गेंद लेते समय आवाज़ उत्पन्न हो।
  6. होल्डिंग फ़ाऊल होता है।
  7. यदि बाल तीन बार से अधिक छू लिया जाए तो फ़ाऊल होता है।
  8. एक ही खिलाड़ी जब लगातार दो बार हाथ लगाता है तो फ़ाऊल होता है।
  9. सर्विस के समय यदि उस तरफ का पीछा ग़लत स्थिति में किया जाए।
  10. यदि रोटेशन ग़लत हो।
  11. यदि गेंद साइड पार कर दिया जाए।
  12. यदि बाल नैट के नीचे से होकर जाए।
  13. जब सर्विस एरिया से सर्विस न की जाए।
  14. यदि सर्विस ठीक न हो तो भी फ़ाऊल होता है।
  15. यदि सर्विस का बाल अपनी तरफ के खिलाड़ी ने पार कर लिया हो।
  16. सर्विस करते समय ग्रुप का बनाना फ़ाऊल होता है।
  17. विसल से पहले सर्विस करने से फ़ाऊल होता है।

यदि इन फाऊलों में से कोई भी फाऊल हो जाए तो रैफरी सर्विस बदल देता है। वह किसी भी खिलाड़ी को चेतावनी दे सकता है या उसको बाहर भी निकाल सकता है।

खेल के स्कोर (Score)—

  1. जब कोई टीम दो सैटों से आगे होती है उसको विजेता घोषित किया जाता है। एक सैट 25 प्वाइंटों का होता है। यदि स्कोर 24-24 से बराबर हो जाए तो खेल 26-24, पर समाप्त होगा।
  2. यदि रैफरी के कथन पर कोई टीम मैदान में नहीं आती तो वह खेल को गंवा देती है। 15 मिनट तक किसी टीम का इन्तज़ार किया जा सकता है। खेल में जख्मी हो जाने पर यह छूट दी जाती है। पांचवें सैट का स्कोर रैली के अन्त में गिना जाता है। प्रत्येक टीम जो ग़लती करती है उसके विरोधी को अंक मिल जाता है। Deciding Set में अंकों का अन्तर दो या तीन हो सकता है
  3. यदि कोई टीम बाल को ठीक ढंग से विरोधी कोर्ट में नहीं पहुंचा सकती तो प्वाईंट विरोधी टीम को दे दिया जाता है।

निर्णय (Decision)—

  1. अधिकारियों के फैसले अन्तिम होते हैं।
  2. टीम का कप्तान केवल प्रौटैस्ट ही कर सकता है।
  3. यदि रैफरी का निर्णय उचित न हो तो खेल प्रोटेस्ट में खेली जाती है और प्रोटैस्ट अधिकारियों को भेज दिया जाता है।

PSEB 10th Class Physical Education Practical वालीबाल (Volley Ball)

प्रश्न 1.
वालीबाल की खेल में कुल कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
वालीबाल की खेल में कुल 12 खिलाड़ी होते हैं जिन में से 6 खिलाड़ी खेलते हैं और 6 अतिरिक्त (Substitutes) होते हैं।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 2.
वालीबाल की खेल में कितने खिलाड़ी बदले जा सकते हैं ?
उत्तर-
वालीबाल के खेल में 6 खिलाड़ी बदले जा सकते हैं। जिस समय मन चाहे बदल लें कोई रोक नहीं होती है। 6 के 6 खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
वालीबाल कोर्ट की लम्बाई और चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
वालीबाल कोर्ट 18 मीटर लम्बा और 9 मीटर चौड़ा होता है।

प्रश्न 4.
वालीबाल के खेल में जाल की लम्बाई और चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
वालीबाल के खेल में जाल की लम्बाई १ मीटर और चौड़ाई एक मीटर होनी चाहिए।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 5.
वालीबाल के जाल की ऊंचाई बताओ।
उत्तर-
वालीबाल के जाल की ऊंचाई लड़कों के लिए 2.43 मीटर और लड़कियों के लिए 2.24 मीटर होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
वालीवाल में हवा का भार कितना होता है ?
उत्तर-
वालीबाल में हवा का भार 0.48 और 0.52 किलोग्राम के मध्य होना चाहिए।

प्रश्न 7.
वालीबाल के खेल में रोटेशन (Rotation) कैसे होती है ?
उत्तर-
वालीबाल के खेल में 6-6 खिलाड़ी दोनों तरफ खेलते हैं। उनमें से तीन हमला करने वाली रेखा से आगे और पीछे होते हैं। उनमें से पहला सर्विस करता है। सर्विस करते समय, 4,3,2 अटैक लाइन से आगे और 5, 6, 1 उनसे पीछे होते हैं।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 8.
वालीबाल के खेल में खिलाड़ियों की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
वालीबाल के खेल में खिलाड़ियों की स्थिति इस प्रकार होती है—
वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5

प्रश्न 9.
वालीबाल की खेल को खेलाने वाले अधिकारियों की संख्या बताइए।
उत्तर-

  1. रैफ़री = 1,
  2. अम्पायर = 1,
  3. लाइनमैन = 2.

प्रश्न 10.
वालीबाल के खेल में हार जीत कैसे होती है ?
उत्तर-
वालीबाल के खेल में जो टीम तीन में से दो मैच जीत जाती है उसे विजयी कहा जाता है। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में 5 गेम्ज़ लगती हैं। जो टीम 5 में से तीन ले जाए उसे विजयी करार दिया जाता है।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 11.
वालीबाल के खेल में कितने टाइम आऊट लिए जा सकते हैं और कितने समय का टाइम आऊट होता है ?
उत्तर-
वालीबाल के खेल में एक सैट में दो टाइम आउट लिए जा सकते हैं और प्रत्येक का समय 30 सैकिण्ड का होता है।

प्रश्न 12.
वालीबाल के खेल के पांच मुख्य फाऊल लिखो।
उत्तर-

  1. चलती खेल में गेंद को पकड़ना।
  2. केन्द्र रेखाओं को स्पर्श करना।
  3. सर्विस करते समय रेखा को स्पर्श करना।
  4. गेंद को तीन बार से अधिक स्पर्श करना।
  5. जब खिलाड़ी दो बार गेंद को लगातार स्पर्श कर दे।

प्रश्न 13.
वालीबाल की खेल कितने अंकों की होती है ?
उत्तर-
वालीबाल की खेल 25 अंकों की होती है।

वालीबाल (Volley Ball) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 14.
क्या नैट के नीचे की ओर रस्सी डाली जाती है ?
उत्तर-
नैट के नीचे की ओर रस्सी नहीं डाली जाती।

प्रश्न 15.
क्या आती हुई सर्विस को विरोधी टीम ब्लॉक कर सकती है ?
उत्तर-
सर्विस यदि नैट के साथ आ रही हो तो विरोधी टीम ब्लॉक कर सकती है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

PSEB 10th Class Agriculture Guide कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 1962 में।

प्रश्न 2.
देश में पहला कृषि विश्वविद्यालय कब स्थापित किया गया ?
उत्तर-
वर्ष 1960 में।

प्रश्न 3.
कल्याण, सोना तथा डब्ल्यू० एल० 711 किस फसल की किस्में हैं ?
उत्तर-
गेहूँ की।

प्रश्न 4.
गेहूँ के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक का नाम बताइए।
उत्तर-
डॉ० नोरमान ई० बोरलाग।

प्रश्न 5.
पी० ए० यू० में किसान मेलों का आरम्भ कब हुआ ?
उत्तर-
1967 में।

प्रश्न 6.
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कितनी किस्मों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली ?
उत्तर-
वर्ष 2017 तक 161 किस्मों को।

प्रश्न 7.
देश में सर्वप्रथम कौन-सी फसल के लिए हाइब्रीड विकसित हुआ ?
उत्तर-
बाजरे का एच० बी० 1.

प्रश्न 8.
विश्वविद्यालय द्वारा कौन-सी फसलों के लिए उपयुक्त कृषि तकनीकें विकसित की गयीं ?
उत्तर-
शिमला मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि।

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प्रश्न 9.
किन्नू को पंजाब में कहां से लाया गया था ?
उत्तर-
कैलिफोर्निया से।

प्रश्न 10.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के किस विभाग के द्वारा किसानों को मौसम के बारे में जानकारी दी जाती है ?
उत्तर-
विश्वविद्यालय का कृषि मौसम विभाग।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पी० ए० यू० में से कौन-कौन से अन्य विश्वविद्यालय बने ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में से हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार तथा हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय बना।

प्रश्न 2.
कौन-कौन सी फ़सलों की अलग-अलग किस्मों ने हरित क्रान्ति लाने में योगदान दिया ?
उत्तर-
गेहूँ की-कल्याण, सोना, डब्ल्यू० एल० 711 चावल की-पी० आर 106 मक्की की-वी० जे०। गेहूँ, चावल तथा मक्की की इन किस्मों ने हरित क्रान्ति लाने में योगदान डाला।

प्रश्न 3.
पी० ए० यू० के कौन-कौन से मुख्य काम हैं ?
उत्तर-
पी० ए० यू० का मुख्य कार्य अनाज सुरक्षा को पक्का करना तथा अधिक पैदावार देने वाली, रोग रहित फसलों की खोज करना है। कृषकों को नई किस्मों तथा नई तकनीकों से अवगत करवाना है।

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प्रश्न 4.
पी० ए० यू० द्वारा विकसित किफायती कृषि तकनीकों के नाम बताइए।
उत्तर-
पी० ए० यू० द्वारा विकसित कृषि तकनीक हैं-ज़ीरो टिलेज, पत्ता रंगचार्ट, टैंशीयोमीटर, हैपी सीडर तथा लेज़र कराहा आदि।

प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की दो संस्थाओं के नाम बताइए, जिनसे विश्वविद्यालय ने सांझ डाली।
उत्तर-
मैक्सिको स्थित अन्तर्राष्ट्रीय गेहूँ तथा मक्की सुधार केन्द्र, सीमट, चावल की खोज के लिए मनीला (फिलीपीन्स) की अन्तर्राष्ट्रीय खोज संस्था, इंटरनैशनल राईस रिसर्च इंस्टीच्यूट (IRRI)।

प्रश्न 6.
पी० ए० यू० संदेशवाहक क्या काम करते हैं ?
उत्तर-
पी० ए० यू० संदेशवाहक विशेषज्ञों तथा कृषकों में मोबाइल फोन तथा इंटरनेट द्वारा पुल का कार्य करते हैं।

प्रश्न 7.
पी० ए० यू० का खेलों में क्या योगदान है ?
उत्तर-
पी० ए० यू० का खेलों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। विश्वविद्यालय के तीन विद्यार्थियों को ओलम्पिक खेलों में भारतीय हाकी टीम का कप्तान बनने का मान प्राप्त हैं।

प्रश्न 8.
पी० ए० यू० बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
विश्वविद्यालय बनाने का मुख्य उद्देश्य देश की अनाज सुरक्षा को विश्वसनीय बनाना था। कृषि के क्षेत्र में पैदा चुनौतियों का हल खोजना तथा स्थाई कृषि विकास के लिए कृषि खोज का पक्का ढांचा बनाना था।

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प्रश्न 9.
पी० ए० यू० को कौन-सी फसलों के प्रथम हाइब्रिड बनाने का गौरव प्राप्त किया है ?
उत्तर-
बाजरे का हाइब्रिड एच० बी-1, मक्की का सिंगल क्रास हाइब्रिड पारस, गोभी सरसों का पहला हाइब्रिड (पी० जी० एम० एच० 51)।

प्रश्न 10.
पी० ए० यू० का मशरूम उत्पादन में क्या योगदान है ?
उत्तर-
विश्वविद्यालय द्वारा मशरूम की अधिक पैदावार देने वाली तथा सारा वर्ष उत्पादन देने वाली विधियों को विकसित किया गया है। देश में पैदा हुई मशरूम में से 40% केवल पंजाब में ही पैदा होती है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पी० ए० यू० में हो रहे प्रसार के कामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
पी० ए० यू० द्वारा उच्च-कोटि की शिक्षा प्रदान की जाती है जिस के कारण विश्वविद्यालय का नाम विदेशों में भी गूंज रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा खोज, प्रसार तथा अध्यापन के क्षेत्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान दिया गया है। विश्वविद्यालय अपने खोज तथा प्रसार के कार्यों के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। विश्वविद्यालय ने कृषकों के साथसाथ राज्य के विकास से सम्बन्धित अन्य विभागों के साथ भी अच्छा सम्पर्क बना कर रखा हुआ है। किसान सेवा केन्द्रों का संकल्प भी विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया जिसको भारतीय कृषि खोज परिषद की तरफ से देश भर में लागू किया गया। प्रसार शिक्षा डायरैक्टोरेट का भिन्न-भिन्न जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा किसान सलाहकार सेवा स्कीमों द्वारा किसान भाइयों के साथ सीधा सम्पर्क बना कर रखा जाता है। किसान भाइयों को समय-समय पर प्रशिक्षण, प्रदर्शनियों द्वारा जागरूक किया जाता है। विश्वविद्यालय द्वारा किए गए खोज, प्रयोगों की जानकारी भी किसानों को मेलों, खेत दिवस में किसानों को उपलब्ध करवाई जाती है। विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित की गई प्रकाशनाएं तथा पौधा रोग अस्पताल भी सम्पर्क के मुख्य साधन हैं। विश्वविद्यालय द्वारा कृषि दूत भी तैनात किए गए है जो इंटरनेट तथा मोबाइल फोन द्वारा कृषकों तथा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के बीच पुल का कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
पी० ए० यू० द्वारा लगाए जाने वाले किसान मेलों के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
किसान मेलों का शुभारंभ 1967 में विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। यह मेले इतने प्रसिद्ध हुए कि किसान समूहों में किसान मेलों का हिस्सा बनने लगे। इन मेलों का ज़िक्र गीतों में होने लग पड़ा था, जैसे

जिंद माही जे चलिओं लुधियाणे,
उथों वधिया बीज लिआणे।

विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक वर्ष आषाढी तथा सावनी की काशत से पहले मार्च तथा सितम्बर के महीनों में किसान मेले लुधियाना में तथा अन्य भिन्न-भिन्न स्थानों पर लगाए जाते हैं। इन मेलों में भिन्न-भिन्न विषयों के विशेषज्ञों द्वारा किसानों के साथ विचार चर्चा की जाती है। विश्वविद्यालय की प्रकाशनियों के स्टाल लगाए जाते हैं। नई किस्मों के बीज,फूलदार पौधे तथा घरेलू बगीची के लिए सब्जियों के बीज छोटी-छोटी किस्तों में किसानों को दिए जाते हैं। इन मेलों में भिन्न-भिन्न प्रकार की मशीनों को प्रदर्शित किया जाता है। इन मेलों में प्रत्येक वर्ष लगभग तीन लाख किसान भाई तथा बहन भाग लेते हैं।

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प्रश्न 3.
पी० ए० यू० के लिए आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का उद्देश्य देश की अनाज सुरक्षा को पक्का करना तथा कृषि से संबंधित समस्याओं तथा चुनौतियों का हल निकालना तथा स्थाई विकास के लिए कृषि खोज का पक्का ढांचा तैयार करना है। विश्वविद्यालय ने लगभग 50 वर्षों से अधिक का लम्बा सफर बहुत ही सफलतापूर्वक तय किया है। देश में हरित क्रान्ति लाने में भी विश्वविद्यालय का भरपूर योगदान रहा है। हरित क्रान्ति से देश अनाज में स्वै-निर्भर बन गया है। आने वाले समय की मांग है कि कृषि में उभर रही चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया जाए। उभर रही चुनौतियों में उत्पादन को बनाए रखना, फसलीय विभिन्नता द्वारा प्राकृतिक स्रोतों की संभाल करना, मौसमी बदलाव के खतरे का सामना करने के लिए खोज कार्य शुरू करने तथा इन सभी कार्यों के लिए मानवीय स्राोतों को विकसित करना मुख्य है। विश्वविद्यालय द्वारा अगले बीस वर्षों की आवश्यकताओं को सम्मुख रखते हुए कृषि खोज, अध्यापन तथा प्रसार के लिए कार्य नीतियां बनाई गई हैं। आने वाले समय का उत्तरदायित्व संभालने के लिए इस विश्वविद्यालय को अधिक शक्ति से अग्रणी बनकर भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

प्रश्न 4.
पी० ए० यू० का शहद उत्पादन में क्या योगदान है ?
उत्तर-
पंजाब शहद उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। इस समय देश में कुल शहद उत्पादन में से 37% शहद की पैदावार पंजाब में हो रही है। ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इतालवी मधु मक्खी का पालन शुरू किया गया, जिसके कारण पंजाब में शहद की नदियां बहने लगी हैं। मधुमक्खी पालन एक कृषि सहायक धंधा है। शहद के अलावा अन्य पदार्थों को प्राप्त करने के लिए भी खोज कार्य किए गए तथा चल रहे हैं। शहद उत्पादन का धंधा अपना कर किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है।

प्रश्न 5.
कृषि अनुसंधान के लिए पी० ए० यू० का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या योगदान है ?
उत्तर-
पी० ए० यू० ने कृषि अनुसंधान के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि खोज से सम्बन्धित वैज्ञानिकों तथा भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों अथवा संस्थानों से अच्छी सांझेदारी डाली हुई है। विश्वविद्यालय ने गेहूँ की खोज के लिए मैक्सिको स्थित अन्तर्राष्ट्रीय गेहूँ तथा मक्की सुधार केन्द्र सीमट (CIMMYT) तथा चावल की खोज के लिए मनीला (फिलीपीन्स) की अन्तर्राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था, इंटरनैशनल राईस रिसर्च इंस्टीच्यूट (IRRI) से पक्की साँझेदारी की हुई है। अब विश्वविद्यालयों का कई प्रसिद्ध संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों से सहयोग चल रहा है।

गेहूँ की बौनी किस्मों के पितामाह तथा नोबल पुरस्कार विजेता डॉ नौरमन ई० बोरलाग ने इस विश्वविद्यालय से ऐसी घनिष्ठता थी जो उन्होंने आखिरी सांस तक निभाई। डॉ० गुरदेव सिंह खुश ने अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र में कार्य करते हुए भी इस विश्वविद्यालय से प्यार तथा समर्पण की भावना रखी। यह विश्वविद्यालय अपनी उच्च गुणवत्ता शिक्षा के लिए विदेशों में प्रसिद्ध है। अन्य देशों के विद्यार्थी भी इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

Agriculture Guide for Class 10 PSEB कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
कल्याण सोना किसकी किस्म है?
(क) गेहूँ
(ख) चावल
(ग) मक्की
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) गेहूँ

प्रश्न 2.
पहली फसल जिसके लिए देश में हाइब्रिड विकसित हुआ ?
(क) बाजरा
(ख) गेहूँ
(ग) चावल
(घ) मक्की ।
उत्तर-
(क) बाजरा

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कहां स्थापित है?
(क) अमृतसर
(ख) लुधियाना
(ग) जालन्धर
(घ) कपूरथला।
उत्तर-
(ख) लुधियाना

प्रश्न 4.
पी० ए० यू० द्वारा विकसित कृषि तकनीकें हैं-
(क) जीरो टिलेज़
(ख) टैंशियोमीटर
(ग) हैपीसीडर
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

प्रश्न 5.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से रबी की फसलों के लिए किसान मेले किस महीने लगाए जाते हैं ?
(क) मार्च
(ख) दिसम्बर
(ग) सितम्बर
(घ) जून।
उत्तर-
(ग) सितम्बर

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से ख़रीफ की फसलों के लिए किसान मेले किस महीने लगाए जाते हैं ?
(क) मार्च
(ख) दिसम्बर
(ग) सितम्बर
(घ) जून।
उत्तर-
(क) मार्च

प्रश्न 7.
किस नोबल पुरस्कार विजेता विज्ञानी को “बौनी गेहूँ का पितामह’ कहा जाता है ?
(क) डॉ० गुरदेव सिंह खुश
(ख) डॉ० नौरमन ई० बोरलाग
(ग) डॉ० एन० एस० रंधावा
(घ) डॉ० जी० एस० कालकट।
उत्तर-
(ख) डॉ० नौरमन ई० बोरलाग

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

II. ठीक/गलत बताएँ-

1. कृषि मशीनरी के लिए पंजाब देश का अग्रणी राज्य है।
2. देश के कुल शहद का 80% पंजाब में पैदा होता है ।
3. गेहूँ की बौनी किस्मों के पितामह डॉ० नौरमान ई० बोरलाग थे।
4. कल्याण सोना चावलों का किस्म है।
5. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. गलत
  3. ठीक
  4. गलत
  5. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें –

1. पी० आर० 106 …………….. की किस्म है।
2. एच० बी० 1 ……………….. की हाइब्रिड किस्म है।
3. पी० ए० यू० के पहले कुलपति …………….. हैं।
4. किन्नू की कृषि का आरम्भ ………………. में हुआ।
उत्तर-

  1. धान
  2. बाजरा
  3. डॉ० प्रेम नाथ थापर
  4. 1955-56.इण

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
पंजाब में कृषि और शिक्षा का कार्य देश के विभाजन से पहले कौन-से वर्ष में शुरू हुआ ?
उत्तर-
वर्ष 1906 में कृषि महाविद्यालय और खोज संस्था लायलपुर में।

प्रश्न 2.
पंजाब में कृषि महाविद्यालय लुधियाना कब खोला गया ?
उत्तर-
वर्ष 1957 में।

प्रश्न 3.
पी० ए० यू० के कैम्पस कौन-से थे ?
उत्तर-
लुधियाना और हिसार में।

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प्रश्न 4.
पालमपुर कैम्पस कब बना ?
उत्तर-
वर्ष 1966 में।

प्रश्न 5.
पालमपुर कैम्पस हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी का हिस्सा कब बना ?
उत्तर-
जुलाई 1970 में।

प्रश्न 6.
पी० ए० यू० की स्थापना के समय इसमें कितने महाविद्यालय थे ?
उत्तर-
पांच महाविद्यालय।

प्रश्न 7.
पी० ए० यू० के कौन-से कॉलेज को गडवासु में बदला गया ?
उत्तर-
वैटरनरी कॉलेज को।।

प्रश्न 8.
गडवासु की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 2005 में।

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प्रश्न 9.
देश में पहला कृषि विश्वविद्यालय कब और कहाँ बना ?
उत्तर-
वर्ष 1960 में उत्तर प्रदेश में पंत प्रदेश में।

प्रश्न 10.
देश में दूसरी कृषि विश्वविद्यालय उड़ीसा में कब और कहां स्थापित की गई?
उत्तर-
1961 में भुवनेश्वर में।

प्रश्न 11.
देश में तीसरा कृषि विश्वविद्यालय कब और कहां स्थापित किया गया ?
उत्तर-
1962 में लुधियाना में।

प्रश्न 12.
पी० ए० यू० के पहले कुलपति कौन थे ?
उत्तर-
डॉ० प्रेमनाथ थापर।

प्रश्न 13.
गेहूँ की कौन-कौन सी किस्मों ने हरित क्रांति में योगदान डाला ?
उत्तर-
कल्याण सोना, डब्ल्यू० एल० 711.

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प्रश्न 14.
चावल की कौन-सी किस्म ने हरित क्रान्ति में योगदान डाला ?
उत्तर-
पी० आर० 106.

प्रश्न 15.
मक्की की कौन-सी किस्म ने हरित क्रान्ति में योगदान डाला ?
उत्तर-
वी० जे०।

प्रश्न 16.
गेहूँ की बौनी किस्मों के पितामाह कौन थे ?
उत्तर-
डॉ० नौरमान ई० बोरलाग।

प्रश्न 17.
चावल की अधिक पैदावार वाली बौनी किस्में पैदा करने वाले वैज्ञानिक के नाम बताओ।
उत्तर-
डॉ० गुरदेव सिंह ‘खुश’।

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प्रश्न 18.
वर्ष 2013 तक पी०ए०यू० की तरफ से भिन्न-भिन्न फसलें, फल, सब्जियों की कितनी किस्में विकसित कर ली हैं ?
उत्तर-
730 किस्में।

प्रश्न 19.
खरबूजे की कौन-सी किस्म विश्वविद्यालय की देन है ?
उत्तर-
हरामधु।

प्रश्न 20.
विश्वविद्यालय की तरफ से कौन-सी मधुमक्खी को पालना शुरू किया ?
उत्तर-
इतालवी मधुमक्खी।

प्रश्न 21.
किन्नू की कृषि की शुरुआत कब की गई ?
उत्तर-
1955-56 में।

प्रश्न 22.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय किस शहर में स्थापित है ?
उत्तर-
लुधियाना।

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प्रश्न 23.
विश्वविद्यालय द्वारा किए गए तकनीकी प्रयासों द्वारा कितनी कलराठी भूमि का सुधार हुआ ?
उत्तर-
6 लाख हेक्टेयर कलराठी भूमि।

प्रश्न 24.
ड्रिप सिंचाई और फुव्वारा सिंचाई विधि के अलावा कौन-सी विधि से पानी की बचत होती है ?
उत्तर-
बैड प्लाटिंग तकनीक से।

प्रश्न 25.
खादों की संकोच से प्रयोग के लिए तकनीक का नाम बताओ ।
उत्तर-
पत्ता रंग चार्ट तकनीक।।

प्रश्न 26.
नरमा तथा बासमती फ़सलों में रसायनों के छिड़काव से 30 से 40% की कमी कौन-सी तकनीक के कारण आई है ?
उत्तर-
सर्व पक्षी-कीट प्रबन्ध तकनीक से।

प्रश्न 27.
सूक्ष्म कृषि की एक तकनीक बताओ।
उत्तर-
नैट हाऊस तकनीक।

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प्रश्न 28.
कटाई किए हुए चावल के खेत में गेहूँ की बिजाई के लिए कौन-सी मशीन का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
हैपी सीडर।

प्रश्न 29.
विश्वविद्यालय की तरफ से बायोटैक्नालॉजी विधि के द्वारा चावल की कौन-सी किस्म तैयार की जाती है ?
उत्तर-
बासमती-31

प्रश्न 30.
विश्वविद्यालय के पुराने विद्यार्थी के नाम बताओ, जो देश की कृषि की सबसे बड़ी संस्था भारतीय कृषि खोज संस्था (ICAR) के डायरैक्टर बने ?
उत्तर-
डॉ० एन० एस० रंधावा।

प्रश्न 31.
भारतीय कृषि खोज परिषद् की तरफ से पी०ए०यू० को सर्वोत्तम विश्वविद्यालय होने का सम्मान कब दिया गया ?
उत्तर-
वर्ष 1995 में।

प्रश्न 32.
हैप्पी सीडर से गेहूँ की बिजाई के दो लाभ लिखो।
उत्तर-

  • इसमें 20% खर्चा कम हो जाता है।
  • धान की पुआल को जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषण पर नियन्त्रण में सहायता मिलती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कैसे अस्तित्व में आया ?
उत्तर-
देश की आज़ादी के बाद वर्ष 1957 में लुधियाना में कृषि कॉलेज खोला गया। इसको वर्ष 1962 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय बनाया गया।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

प्रश्न 2.
पी०ए०यू० की स्थापना के समय इसमें कितने तथा कौन-से कॉलेज थे ?
उत्तर-
पी०ए०यू० की स्थापना के समय इसमें पांच कॉलेज थे-कृषि कॉलेज, बेसिक साईस कॉलेज और ह्यूमेनेटीस कॉलेज, कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज, होम साईंस कॉलेज और वैटरनटी कॉलेज।

प्रश्न 3.
चावल की कृषि का क्षेत्रफल बढ़ने का क्या कारण है ?
उत्तर-
चावल की कृषि का क्षेत्रफल बढ़ने का कारण चावल की अधिक पैदावार देने वाली किस्मों का विकसित होना था।

प्रश्न 4.
1970 के दशक में अनाज संभालना क्यों मुश्किल हो गया था ?
उत्तर-
गेहूँ और चावल की अधिक पैदावार वाली किस्मों के कारण ढेरियों का आकार शिखरों को छू गया, जिसके कारण हरित क्रान्ति के समय 1970 के दशक में दानों की पैदावार बढ़ गई और इनको सम्भालना मुश्किल हो गया।

प्रश्न 5.
पी०ए०यू० की तरफ से वर्ष 2013 तक भिन्न-भिन्न प्रकार की कितनी किस्में विकसित की गई और इनमें से कितनी किस्मों की राष्ट्रीय स्तर पर सिफ़ारिश की गई ?
उत्तर-
वर्ष 2013 तक पी०ए०यू० की तरफ से भिन्न-भिन्न फसलों, फलों, फूलों और सब्जियों की 730 प्रकार की किस्में विकसित की गईं और इनमें से 130 किस्मों की राष्ट्रीय स्तर पर सिफ़ारिश की गई।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 2 कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

प्रश्न 6.
किफ़ायती कृषि तकनीकों के बारे में बताओ।
उत्तर-
जीरो टिलेज़, पत्ता रंग चार्ट, टैंशियोमीटर, हैपी सीडर और लेज़र कराहा।

प्रश्न 7.
पंजाब में किन्नू की कृषि की शुरुआत कब की गई ?
उत्तर-
किन्नू की कृषि 1955-56 में कैलिफोर्निया से लाकर आरंभ की गई और ये पंजाब की प्रमुख बागबानी फ़सल बन चुकी है।

प्रश्न 8.
नरमा तथा बासमती फसलों में सर्वपक्षीय कीट प्रबन्ध व तकनीक के प्रयोग से क्या लाभ हुआ है ?
उत्तर-
इस तकनीक से रसायनों के छिड़काव में 30 से 40% कमी आई है तथा इस तरह वातावरण में प्रदूषण भी कम हुआ है।

प्रश्न 9.
कटाई किए चावल के खेत में गेहूँ की बिजाई के लिए कौन-सी मशीन का प्रयोग किया जाता है तथा क्या लाभ है ?
उत्तर-
इस कार्य के लिए हैपी सीडर मशीन का प्रयोग किया जाता है और इसके साथ 20% खर्चा कम हुआ है। चावल की पुआल को जलाने के बाद प्रदूषण पर भी काबू पाने में मदद मिलती है।

कृषि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • पंजाब में कृषि खोज तथा शिक्षा का कार्य 1906 में कृषि कॉलेज तथा खोज संस्था लायलपुर की स्थापना से हुआ था, जो अब फैसलाबाद पाकिस्तान में है।
  • पंजाब में 1957 में खोज का कार्य कृषि कॉलेज लुधियाना में शुरू हुआ जो 1962 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय बना।
  • उस समय विश्वविद्यालय के दो कैम्पस लुधियाना तथा हिसार में थे।
  • 1966 में तीसरा कैम्पस पालमपुर में बनाया गया।
  • यह तीनों कैम्पस बाद में तीनों राज्य पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश में विश्वविद्यालय बना दिए गए।
  • पी० ए० यू० की स्थापना के समय इसमें पांच कॉलेज-कृषि कॉलेज, बेसिक साईंस तथा ह्यूमैनटीज़ कॉलेज, कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज, होम साइंस कॉलेज तथा वैटरनरी कॉलेज थे।
  • वर्ष 2005 में वैटरनरी कॉलेज को गुरु अंगद देव वेटरनरी तथा एनीमल साईंसज़ , विश्वविद्यालय बना दिया गया।
  • देश में पहला कृषि विश्वविद्यालय 1960 में उत्तर प्रदेश के पंत नगर में, दूसरा 1961 में उड़ीसा कृषि विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर में तथा तीसरा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में 1962 में स्थापित किया गया।
  • पी० ए० यू० ने गेहूँ की खोज के लिए मैक्सिको के अंतर-राष्ट्रीय गेहूँ तथा मक्की सुधार केन्द्र सिमट (CIMMYT) से साँझेदारी की।
  • चावल की खोज के लिए मनीला (फिलीपीन्स) की अन्तर्राष्ट्रीय खोज संस्था, इंटरनैशनल राईस रिसर्च इंस्टीच्यूट (IRRI) से पक्का समझौता किया।
  • हरित क्रांति लाने के लिए गेहूँ की कल्याण सोना, डब्ल्यू० एल० 711 तथा चावल की ,पी० आर० 106 किस्म तथा मक्की की वी० जे० किस्म का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
  • बौनी किस्म के गेहूँ के पितामा तथा नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ० नौरमान ई० बोरलाग की विश्वविद्यालय के साथ ऐसी घनिष्ठता थी जिसे उन्होंने अपनी । अन्तिम सांस तक निभाया।
  • चावल की अधिक पैदावार वाली बौनी किस्मों को वैज्ञानिक डॉ० गुरदेव सिंह खुश ने विकसित किया।
  • कृषक मेलों का आरम्भ विश्वविद्यालय द्वारा 1967 में किया गया।
  • विश्वविद्यालय द्वारा 2013 तक भिन्न-भिन्न फसलों, फलों, फूलों तथा सब्जियों की 730 किस्में विकसित की गई हैं।
  • 1960-61 में गेहूँ तथा चावल की पैदावार 12 तथा 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर थी जो अब बढ़कर 51 से 60 क्विटल हो गई है।
  • पी० ए० यू० द्वारा विश्व का पहला बाजरे का हाइब्रिड (संकर) एच० बी० तथा देश का पहला मक्की का सिंगल क्रासहाइब्रिड पारस तथा गोभी सरसों का , पहला हाइब्रिड पी० जी० एस० एच० 51 विकसित किया गया।
  • देश के कुल शहद उत्पादन में से 37% शहद पंजाब में पैदा होता है।
  • पंजाब में किन्नू की कृषि का आरम्भ कैलीफोर्निया से लाकर 1955-56 में किया गया।
  • देश में पैदा हुई मशरूम में से 40% मशरूम केवल पंजाब में ही पैदा होती ।
  • विश्वविद्यालय द्वारा पंजाब की छ: लाख हेक्टेयर कलराठी भूमि का सुधार किया गया है।
  • कृषि मशीनरी के लिए पंजाब देश का अग्रणी राज्य है।
  • विश्वविद्यालय द्वारा रोगों का मुकाबला करने वाली बासमती की बढ़िया किस्म पंजाब बासमती-3 तैयार की गई है।
  • विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी तथा नैनो विज्ञान प्रयोगशाला एक उच्च गुणवत्ता वाली प्रयोगशाला है।
  • विश्वविद्यालय के पुराने विद्यार्थियों ने बहुत ऊँचे पद प्राप्त किए हैं। इनमें से डॉ० एन० एस० रंधावा देश की कृषि की सब से ऊँची संस्था भारतीय कृषि खोज  परिषद् के निदेशक जनरल बने।
  • विश्वविद्यालय द्वारा तैनात किए संदेशवाहक मोबाइल फोन तथा इंटरनैट द्वारा किसानों तथा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मध्य पुल का कार्य करते हैं।
  • विश्वविद्यालय द्वारा आषाढ़ तथा सावनी की काश्त से पहले किसान मेले लगाए जाते हैं।
  • पी० ए० यू० को 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा देश का सबसे पहला सर्वोत्तम विश्वविद्यालय होने का मान दिया गया।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

PSEB 10th Class Home Science Guide भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन हमारे शरीर में कौन-कौन से काम करता है?
उत्तर-
भोजन प्राणियों को जीवित रखने के अतिरिक्त शरीर में अग्रलिखित कार्य करता है

  1. शरीर को शक्ति देता है-मशीनों की तरह मानवीय शरीर को भी शक्ति की आवश्यकता होती है जोकि भोजन से प्राप्त होती है।
  2. शरीर की वृद्धि-जन्म से लेकर जवानी तक मानवीय शरीर में लगातार वृद्धि होती है। इस वृद्धि के पीछे भोजन की शक्ति ही कार्य करती है।
  3. टूटे तन्तुओं की मुरम्मत- भोजन शरीर के नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु बनाता है।

प्रश्न 2.
भोजन के कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से हमें ऊर्जा मिलती है?
उत्तर-
भोजन के कार्बोज, चिकनाई और प्रोटीन से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 3.
भोजन जीवन का मूल आधार माना जाता है। क्यों?
उत्तर-
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर की अन्दरूनी तोड़-फोड़ की मुरम्मत करता है। ऊर्जा से शरीर अपनी आवश्यक क्रियाएं करने योग्य होता है और साथ-साथ शरीर की मुरम्मत भी होती रहती है। ये दोनों क्रियाएं शरीर को जीवित रखती हैं। इसलिए भोजन को जीवन का मूल आधार कहा जाता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

प्रश्न 4.
शक्ति या ऊर्जा देने वाले भोजन पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर-
शक्ति निम्नलिखित भोजन पदार्थों से मिलती है, जैसे

  1. कार्बोज युक्त पदार्थ-गुड़, शक्कर, चीनी और जड़ों वाली सब्जियां।
  2. चिकनाई युक्त पदार्थ-जैसे मक्खन, घी, तेल और तले हुए भोजन पदार्थ ।
  3. प्रोटीन युक्त पदार्थ- भोजन पदार्थ जैसे दूध, दही, मक्खन, अण्डे, मीट आदि।

प्रज्ञ 5.
शरीर का निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मुरम्मत करने के लिए वन-से पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है तथा कौन-से भोजन पदार्थों से प्राई किए जा सकते हैं?
उत्तर-
भिन्न-भिन्न शारीरिक क्रियाएं करते समय शरीर के सैल टूटते, घिसते और नष्ट होते रहते हैं। इसलिए नए सैलों के निर्माण के लिए हमें प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ खाने चाहिएं जैसे अण्डा, दूध, मीट, मछली अनाज। सोयाबीन प्रोटीन का एक मुख्य और सस्ता स्रोत है।

प्रश्न 6.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-से हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
पौष्टिक तत्त्व भोजन का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। ये भिन्न-भिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। एक सन्तुलित भोजन में निम्नलिखित पौष्टिक तत्त्व होते हैं-प्रोटीन, कार्बोज, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी है।

प्रश्न 7.
प्रोटीन कौन-से तत्त्वों का मिश्रण है?
उत्तर-
प्रोटीन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है। प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों के मिश्रण से बनता है। यह अमीनो अम्ल, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं।

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प्रश्न 8.
कौन-सा तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है?
उत्तर-
नाइट्रोजन तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है।

प्रश्न 9.
कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-
यह हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन का मिश्रण है। यह शरीर को गर्मी और शक्ति देने का सबसे सस्ता स्रोत है। कार्बोहाइड्रेट, गेहूँ, चावल, मक्की, जौ, फल, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
विटामिन हमारे जीवन तत्त्व क्यों हैं?
उत्तर-
विटामिन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। ये बढ़िया स्वास्थ्य, शारीरिक वृद्धि और बीमारियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं। ये हमारे शरीर को थोड़ी मात्रा में चाहिए। परन्तु शरीर इनकी रचना नहीं कर सकता है इसलिए इनको भोजन में शामिल करना आवश्यक है।

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प्रश्न 11.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
घुलनशीलता के आधार पर विटामिनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है-चर्बी में घुलनशील और पानी में घुलनशील विटामिन। पानी में घुलनशील विटामिनों का एक ग्रुप बी समूह होता है जो पानी में घुल जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘सी’ तथा विटामिन ‘बी’ भी पानी में घुलनशील हैं।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 12.
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? मुख्य स्त्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर पर हानिकारक प्रभाव होता है जो इस प्रकार है

  1. अन्धराता (Night Blindness)-विटामिन ‘ए’ की कमी से मनुष्य की अन्धेरे में देखने की शक्ति कम हो जाती है। रोशनी वाले स्थान या बाहर तेज़ धूप से अन्धेरे या अन्दर कमरे में आने पर कुछ समय के लिए देखने में रुकावट आती है। इसकी कमी से रंगों को ठीक तरह पहचानने में भी रुकावट होती है।
  2. जीरोसिस (Xerosis)—विटामिन ‘ए’ की कमी से आंसू ग्रन्थियां सूख जाती हैं। आंखों के सफेद भाग पर धुंधलापन और कार्निया (Cornea) पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इनमें सफ़ेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है और पलकें बन्द हो जाती हैं। अधिक समय तक विटामिन ‘ए’ की कमी से मनुष्य अन्धा हो जाता है।
  3. चमड़ी का खुरदरापन (Toad’s skin)
  4. प्रजनन क्रिया पर प्रभाव (Effect on reproduction system)
  5. गर्दे में पत्थरी की सम्भावना (Chances of Stone formation in kidney)
  6. वृद्धि में रुकावट (Effect on growth)
  7. दांतों और हड्डियों के विकार (Effects on teeth and bones)।

इसके अतिरिक्त गर्भ के समय और बच्चे को दूध देते समय विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता अधिक होती है और ताज़ी सब्जियों में बासी सब्जियों से अधिक विटामिन ‘ए’ मिलता है। शरीर में इसका अधिक होना भी नुकसानदायक होता है।
मुख्य स्रोत-मछली, दूध, मक्खन, देसी घी, आम, पपीता, गाजर, टमाटर, अनानास आदि।

प्रश्न 13.
क्या विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील है ? इसका सबसे सस्ता स्त्रोत कौन-सा है?
उत्तर-
नहीं, विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील नहीं बल्कि यह चर्बी में घुलनशील है। यह अधिकतर वनस्पति वर्ग में पाया जाता है। इस की कमी से बहते खून का बन्द होना कठिन हो जाता है क्योंकि यह खून के जमने में सहायक है। यह हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। इसका सब से सस्ता स्रोत फूलगोभी, बन्द गोभी और गण्ड गोभी है।

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प्रश्न 14.
कौन-से विटामिन प्रकाश तथा गर्मी से जल्दी नष्ट हो जाते हैं?
उत्तर-
राइबोफ्लेविन (विटामिन B.) गर्मी और रोशनी से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 15.
कौन-कौन से खनिज पदार्थ हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
हमारे शरीर को दो प्रकार के खनिज पदार्थों की आवश्यकता होती है। एक मैक्रोमिनरल्ज़ जैसे-कैल्शियम, फॉस्फोरस, सल्फर, सोडियम और क्लोरीन आदि। दूसरे माइक्रोमिनरल्ज़ हैं जैसे-लोहा, आयोडीन, तांबा, जिंक, कोबाल्ट आदि।

प्रश्न 16.
आयोडीन नमक लेने का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
जिन स्थानों पर ज़मीन में आयोडीन की कमी हो वहां सभी व्यक्तियों को आयोडाइज़्ड नमक (Iodised salt) ही प्रयोग करना चाहिए। भारत में पोटाशियम आयोडेट से नमक को आयोडाइज्ड किया जाता है। जिन स्थानों पर ज़मीन में आयोडीन की कमी है वहां केवल यही नमक बेचा जा सकता है। व्यस्कों में 100-150 माइक्रो ग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। विशेष हालतों जैसे कि गर्भ अवस्था में इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है। गिल्लड़ होने की स्थिति में आयोडीन की गोलियां दी जाती हैं।

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प्रश्न 17.
पानी की कमी से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर–
पानी की कमी का प्रभाव (Effects of deficiency of Water)—जिस मात्रा में पानी शरीर में से निकलता है उतनी मात्रा में द्रव्य पदार्थों या भोजन पदार्थों द्वारा यदि पूरा न किया जाए तो हानिकारक प्रभाव होता है। इससे शरीर के पानी की मात्रा कम हो जाती है और शरीर के द्रव्य पदार्थों में परिवर्तन आ जाते हैं। शरीर की क्रियाओं की गति कम हो जाती है और फोक पदार्थों का विकास नहीं हो सकता। यदि पानी की बहुत कमी हो जाए तो मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 18.
बढ़ने वाले बच्चों के भोजन में प्रोटीन का होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
बढ़ रहे बच्चों को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनके शरीर में नए सैलों का निर्माण होना होता है और बच्चों के शरीर में सैलों की तोड़-फोड़ भी अधिक होती है। इसलिए नए सैलों को बनाने और टूटे सैलों की मुरम्मत के लिए बच्चों को प्रोटीन की आवश्यकता अधिक होती है।

प्रश्न 19.
प्रोटीन के मुख्य कार्य क्या हैं तथा इसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein)-प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यह हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
  2. शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
  3. रोगों से मुकाबला करने के लिए शक्ति को बढ़ाना
  4. खून बनाने में सहायक
  5. अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
  6. हार्मोन्ज़ और एन्जाइमज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
  7. मानसिक शक्ति प्रदान करना।

प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effect of deficiency of Protein) —
प्रोटीन की कमी का प्रभाव बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं —

  1. शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट-प्रोटीन की कमी से शरीर की वृद्धि और बढ़ोत्तरी की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  2. खून की कमी-भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी (Anaemia) हो जाती है।
  3. रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी-प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करता है। प्रोटीन की कमी से शरीर में बीमारियों से मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
  4. हड्डियां कमज़ोर होना-इसकी कमी हड्रियों को भी कमजोर करती है। इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
  5. चमड़ी का खुशक होना-शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुशक हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
  6. बच्चे का कमज़ोर पैदा होना-गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमजोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
  7. प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों का शिकार हो जाते हैं।

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प्रश्न 20.
प्रोटीन के स्त्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Protein)

    1. पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources)-जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन आदि, मीट और मीट से बने पदार्थ अण्डे और मछली।
    2. वनस्पति जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetable Sources)-जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, बादाम, पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
      चित्र-प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत

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प्रश्न 21.
कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर में क्या काम करते हैं?
उत्तर-

  1. शक्ति प्रदान करना-कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शारीरिक कार्यों के लिए गर्मी और शक्ति देना है। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए यह सबसे अच्छा स्रोत है। भोजन से प्राप्त होने वाली शक्ति का 50% से 60% भाग कार्बोहाइड्रेट द्वारा ही प्राप्त होता है।
  2. प्रोटीन एक महंगा स्रोत है और कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन की बचत करते हैं ताकि प्रोटीन शरीर के निर्माण का कार्य कर सके।
  3. यह चिकनाई की कमी को भी पूरा करते हैं और चिकनाई के पाचन में भी सहायक हैं।
  4. ग्लूकोज़ आवश्यक अमीनो एसिड के निर्माण में भी सहायक होता है।
  5. कार्बोहाइड्रेट्स भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं।
  6. सैलुलोज फोक का कार्य करता है जिससे शरीर में से मल निकालने के लिए सहायता मिलती है और कब्ज दूर होती है।
  7. कार्बोहाइड्रेट चिकनाई से मिल कर भूख की तृप्ति (Satiety) महसूस कराते हैं। इससे काफ़ी देर भूख महसूस नहीं होती।

प्रश्न 22.
भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा होना क्यों जरूरी है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। इसकी कमी के कारण शरीर में प्रोटीन और चर्बी इस कार्य के लिए प्रयोग की जाती है और शरीर कमज़ोर होना शुरू हो जाता है। लगातार भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की कमी होने से शारीरिक वृद्धि रुक जाती है और मरास्मस नाम का रोग हो जाता है। इसलिए कार्बोज़ का भोजन में उचित मात्रा में होना बहुत आवश्यक है।

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प्रश्न 23.
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of deficiency of Carbohydrates) — कार्बोहाइड्रेट्स की कमी प्रायः कम ही देखने को मिलती है, परन्तु यदि इसकी कमी हो जाए तो शरीर पर कई तरह से प्रभाव होता है।

  1. बच्चों पर कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of deficiency of Carbohydrates on children)-प्रायः पांच साल से कम आयु के बच्चों में इसकी कमी के लक्षण दिखाई देते हैं। जब बच्चों से दूध छुड़वाया जाता है तो उनके भोजन में पूर्ण पौष्टिक तत्त्व शामिल नहीं किए जाते या अधिक समय के लिए बच्चों को मां के दूध पर ही रखे जाने से भी शरीर में इसकी कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर कार्बोहाइड्रेट के स्थान पर ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग करता है और इससे प्रोटीन की कमी भी आ जाती है। इस अवस्था को मरास्मस या सूखा (Marasmus) कहा जाता है।
  2. भार की कमी (Loss of Weight) भोजन में जब कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो जाए तो शरीर कमजोर हो जाता है। इससे काम करने के लिए दिल नहीं करता। भार कम होने लग पड़ता है और थकावट महसूस होती है।
  3. किटोसिस (Ketosis)-कार्बोहाइड्रेट्स की कमी से शरीर में कीटोन-बॉडीज़ (Ketone Bodies) बढ़ जाती हैं। खून में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मनुष्य को बेहोशी होने लगती है और मृत्यु भी हो सकती है।
  4. मांसपेशियों का ढीला पड़ना (Loosening of Muscles)-कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव मांसपेशियों पर भी दिखाई देता है। चमड़ी ढीली पड़ने के कारण झुर्रियां पड़ जाती हैं और चेहरे की चमक भी कम हो जाती है।
    कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा ही लेनी चाहिए। आवश्यकता से अधिक कार्बोज़ खाने से यह शरीर में जाकर चर्बी का रूप धारण करके कोशिका में इकट्ठा हो जाता है और मोटापे का रोग हो जाता है। इससे आदमी आलसी हो जाता है और खून का दौरा तेज़ होने का डर रहता है।

प्रश्न 24.
निशास्ते में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व होता है और यह तत्त्व और कौनसे भोजन पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर-
निशास्ते में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह अनाजों, जड़ों वाली सब्जियां और कंदमूल जैसे शकरकंदी और आलू में होता है।

प्रश्न 25.
चर्बी हमारे शरीर में क्या काम करती है?
अथवा
चिकनाई के शरीर के लिए कार्य बताएं।
उत्तर-
चर्बी के कार्य (Functions of Fat)-चर्बी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. ऊर्जा का साधन (Source of energy)
  2. आवश्यक वसा अम्लों का साधन (Sources of essential fatty acids)
  3. चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of fat soluble vitamins)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Protection of sensitive body organs)
  5. भोजन को स्वादिष्ट बनाती है (Help in making food tasty)
  6. सन्तुष्टि देती है (Give satisfaction)
  7. शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps in regulating body temperature)
  8. चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For healthy skin)।

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प्रश्न 26.
चर्बी की कमी तथा अधिक मात्रा का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चर्बी की कमी से हानियां (Effects of deficiency of fats)-चर्बी की कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं

  1. चर्बी की कमी से चिकनाई में घुलनशील विटामिन शरीर को नहीं मिलते और उनकी कमी से होने वाले रोग हो जाते हैं।
  2. आवश्यक वसा अम्लों (Fatty acids) की कमी हो जाती है, जिसका असर आंखों और चमड़ी पर पड़ता है। इसलिए चमड़ी खुशक हो जाती है। दाद और खुजली रोग होने का डर रहता है।
  3. चर्बी की कमी से शारीरिक ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग शुरू हो जाता है जिससे शारीरिक निर्माण का कार्य रुक जाता है।
  4. इसकी कमी से पाचन प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है और कब्ज रहने लग पड़ती है।
  5. चर्बी की कमी से मनुष्य का शरीर हड्डियों का ढांचा बन जाता है।

एक बात ध्यान रखने योग्य यह है कि यदि चर्बी का अधिक प्रयोग किया जाए तो मोटापा हो जाता है और हाजमा भी खराब हो जाता है। आज-कल की खोजों से यह सिद्ध हुआ है कि चिकनाई से प्राप्त की कोलेस्ट्रॉल स्वास्थ्य के लिए गम्भीर समस्या पैदा कर सकती है। जिससे खून का दबाव बढ़ जाता है और दिल का रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है इसलिए हमें वनस्पति तेलों का प्रयोग अधिक करना चाहिए।

प्रश्न 27.
(i) विटामिन ‘ए’ का मुख्य काम क्या है तथा भोजन स्रोत बताएं।
(ii) विटामिन ‘ए’ का हमारे शरीर में क्या काम है ?
उत्तर-
(i) विटामिन ‘ए’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘A’) शरीर में विटामिन ‘ए’ निम्नलिखित कार्यों के लिए आवश्यक है

  1. शारीरिक विकास के लिए (For Physical growth)
  2. स्वस्थ आंखों के लिए (For healthy eyes)
  3. स्वस्थ चमड़ी के लिए (For healthy skin)
  4. प्रजनन क्रिया के लिए (For reproduction)
  5. छूत के रोगों की रक्षा के लिए (For protection against contagious diseases)
  6. स्वस्थ हड्डियों और दांतें के लिए (For healthy bones and teeth)।

विटामिन ‘ए’ के स्रोत (Sources of Vitamin ‘A’)

  1. मछली के जिगर का तेल, कुछ समुद्री मछलियां जैसे शार्क, काड, हैलीबुल के जिगर के तेल में इस विटामिन की बहुत मात्रा पाई जाती है।
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  2. दूध, मक्खन और देसी घी
  3. अण्डे और कलेजी
  4. हरे पत्ते वाली सब्जियां
  5. पीले, संतरी और लाल फल और सब्जियां जैसे आम, पपीता, अनानास, बेर, गाजर और टमाटर में यह विटामिन कैरोटीन के रूप में पाया जाता है।

(ii) देखें भाग (i)

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प्रश्न 28.
विटामिन ‘डी’ के कार्य तथा कमी के बारे में बताएं।
उत्तर-
विटामिन ‘डी’ शरीर के लिए निम्नलिखित कार्य करता है

  1. कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। (Helps in absorption of Calcium and phosphorus)
  2. हड्डियों के विकास के लिए (For development of bones)
  3. शरीर के पूर्ण विकास के लिए (For development of body)।

विटामिन ‘डी’ की कमी के प्रभाव (Effects of the Deficiency of Vitamin’D’) – विटामिन ‘डी’ की कमी से निम्नलिखित रोग हो जाते हैं

  1. रिकेट्स रोग (Rickets)
  2. ओस्टोमलेशिया (Osteomalacia)
  3. ओस्टियोपरोसिस (Osteoporosis)।

प्रश्न 29.
विटामिन ‘ई’ का मुख्य कार्य क्या है तथा इसकी कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
विटामिन ‘ई’ के कार्य-शरीर में विटामिन ‘ई’ निम्नलिखित कार्य करता है

  1. प्रजनन क्रिया में सहायता करता है।
  2. मांसपेशियों के विकास के लिए आवश्यक है।
  3. विटामिन ‘ए’ के बनने में सहायता करता है।

विटामिन ‘ई’ की कमी के शरीर पर प्रभाव

  1. प्रजनन सम्बन्धी बिकार (Effect on reproduction system)
  2. गर्भपात (Miscarriage)
  3. भ्रूण की मृत्यु (Death of the foetus)
  4. दिल का रोग (Disease of heart)।

प्रश्न 30.
विटामिन ‘के’ का मुख्य काम क्या है तथा इसकी कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
विटामिन ‘के’ भी मनुष्य के पोषण के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि यह खून को जमाने में सहायता करता है।
विटामिन ‘के’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘K’)-इसका मुख्य कार्य खून को जमाने में सहायता करना है।
विटामिन ‘के’ की कमी के प्रभाव-प्रायः विटामिन ‘के’ की कमी कम ही होती है क्योंकि यह विटामिन छोटी आन्त में बनता है। सल्फा दवाइयों का अधिक प्रयोग करने से शरीर में इसका निर्माण रुक जाता है और यदि खून बहने लगे तो रुकता नहीं।

प्रश्न 31.
विटामिन ‘बी’ समूह में कौन-कौन से विटामिन आते हैं? नाम बताएं।
उत्तर-
ग्यारह विटामिन ‘बी’ समूह को बनाते हैं परन्तु इनमें 7 बहुत महत्त्वपूर्ण हैंथायामिन, राइबोफ्लेविन, निकोटिनिक एसिड, पैंटोथिनिक एसिड, पिरिडाक्सिन, फौलिक एसिड, विटामिन ‘बी’ 12, कोलीन, इनोसीटोल और बायोटिन आते हैं। ये सभी विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं।

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प्रश्न 32.
निम्नलिखित के काम और स्रोत लिखें
(1) थायामिन
(2) राइबोफ्लेविन
उत्तर-
1. थायामिन (B) – यह विटामिन पनीर, साबुत दालें, अनाज, अंकुरित दालों और चावलों की ऊपरी सतह पर काफ़ी मात्रा में होता है। यह विटामिन तन्त्रिका प्रणाली (Nervous system) के लिए शरीर की वृद्धि और विकास के लिए और रोगों से मुकाबला करने की शक्ति के लिए चाहिए। इसकी कमी से मनुष्य को बेरी-बेरी रोग हो जाता है। यह रोग दो प्रकार होता है सूखी बेरी-बेरी और गीली बेरी-बेरी। सूखी बेरी-बेरी में भूख कम लगती है, कब्ज हो जाती है, टांगें, बाहें ठण्डी पड़ जाती हैं और जोड़ों में दर्द होने लग जाता है।
गीली बेरी-बेरी में टांगों और पेट में पानी भर जाता है। सांस लेने के लिए मुश्किल आती है और दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और कई बार दिल की गति रुक जाने की सम्भावना होती है। अधिक संख्त कार्य करने वालों में, गर्भवती और बच्चे को दूध देने वाली माताओं को इस विटामिन की आवश्यकता अधिक होती है। चावल पालिश करने से थायामिन कम हो जाती है। साबुत दालों और अन-छने आटे का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि इसमें थायामिन होती है। खाना अधिक देर तक पकाने और उसमें सोडे का प्रयोग करने से भी थायामिन नष्ट हो जाता है।

2. राइबोफ्लेविन (B), यह विटामिन पानी में घुलनशील है और प्रकाश से जल्दी नष्ट हो जाता है। भोजन को उबालने और भूनने के दौरान यह विटामिन काफ़ी मात्रा में . नष्ट हो जाता है। यह विशेषकर पट्ठों और नसों में काम करता है। इसकी कमी से आंखों और चमड़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। होठों के कोने फट जाते हैं चमड़ी सूखी और खुशक हो जाती है। यह विटामिन दूध या दूध से बने पदार्थ मूंगफली, खमीर, दालों, मास, अण्डा और हरे पत्ते वाली सब्जियों में होता है।

प्रश्न 33.
विटामिन ‘सी’ के कार्य, स्रोत तथा कमी का प्रभाव बतायो।
उत्तर-
यह पानी में घुलनशील है और इसको एसकार्बिक एसिड भी कहा जाता है।
1. विटामिन ‘सी’ के कार्य शरीर में विटामिन ‘सी’ अग्रलिखित कार्य करता है —

  1. यह कोलेजन के निर्माण के लिए कार्य करता है। (It helps in the formation and maintenance of collagen.)
    कोलेजन एक प्रकार का सीमेंट जैसा पदार्थ है जो शरीर की कोशिकाओं को स्थिर रखता है। हड्डियों और दांतों के सख्त पदार्थ मैट्रिक और डैनटाइन का निर्माण भी करता है।
    जख्मों के जल्दी भरने और टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए भी विटामिन ‘सी’ ही कार्य करता है।
  2. फौलिक अम्ल के पाचन के लिए (For the metabolism of folic acid)
  3. कैल्शियम और लोहे के अवशोषण करने के लिए (For the absorption of calcium and iron)
  4. टाइरोसिन के ऑक्सीकरण के लिए (For the Oxidation of tyrosine)
  5. रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। (Give resistance against disease)।

2. विटामिन ‘सी’ के स्रोत —

  1. सबसे अधिक विटामिन आंवले में मिलता है। इसके अतिरिक्त खट्टे फल जैसे नींबू, संतरा, गलगल, चिकोतरा आदि।
    PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व 3
  2. हरे पत्ते वाली सब्जियां और टमाटर आदि।
  3. अंकुरित दालें और अनाज।
  4. मां का दूध।

विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाले रोग —

  1. इसकी कमी से सकर्वी नामक रोग हो जाता है जिससे मसूड़े सूज जाते हैं और कोशिकाओं में से खून बहने लग जाता है।
  2. दांतों में पाइयोरिया नामक रोग हो जाता है और दांत हिलने लग पड़ते हैं।
  3. जख्म जल्दी ठीक नहीं होते।
  4. खून कम और अशुद्ध हो जाता है।
  5. हड्डियां और शरीर कमज़ोर हो जाता है।
  6. थकावट महसूस होती है।

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प्रश्न 34.
कैल्शियम तथा फॉस्फोरस महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ हैं। कैसे?
उत्तर-
1. कैल्शियम-यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज लवण है। शरीर में पाए जाने वाले कुल लवणों का 75% भाग कैल्शियम और फॉस्फोरस में होता है। शरीर के कुल कैल्शियम का 99% भाग हड्डियों और दांतों में पाया जाता है।
कैल्शियम के कार्य-कैल्शियम के दो महत्त्वपूर्ण कार्य हैं —

  1. हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building Bones and Teeth) — कैल्शियम और फॉस्फोरस दोनों मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करते हैं। इससे हड्डियों और दांतों का ढांचा मज़बूत होता है। दांतों के डैनटिन (Dentin) में 27 प्रतिशत कैल्शियम और एनमल (Enamel) में 36 प्रतिशत कैल्शियम होता है।
  2. शारीरिक क्रियाओं को चलाना (Regulating Body Processes) — शरीर में होने वाली क्रियाओं के लिए कैल्शियम फॉस्फोरस के साथ मिलकर सहायता करता _है। ये क्रियाएं इस प्रकार हैं

(क) कैल्शियम खून को जमाने में सहायता करता है।
(ख) पेशियों के सिकुड़ने पर दिल की गति को बनाए रखने के लिए भी कैल्शियम आवश्यक है। कैल्शियम की प्राप्ति के साधन.
भोजन में कैल्शियम निम्नलिखित साधनों से प्राप्त होता है —

  1. दूध और दूध से बने पदार्थ।
  2. हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पालक, सरसों, पुदीना, मूली और गाजर आदि।
  3. छोटी मछलियां जो हड्डियों समेत खाई जाती हैं।

कैल्शियम की कमी के प्रभाव (Effects of deficiency of Calcium) —

  1. बच्चों के दांत देरी से निकलते हैं या ठीक नहीं निकलते।।
  2. हड्डियों कमज़ोर होकर टेढ़ी हो जाती हैं।
  3. बच्चों में रिकेट्स (Rickets) और बड़ों में औस्टोमलेशिया (Osteomalacia) रोग हो जाता है। इनका विवरण विटामिन ‘डी’ की कमी से हानियों (प्र० 28) में दिया गया है।

3. फॉस्फोरस (Phosphorus)-कैल्शियम के साथ-साथ फॉस्फोरस का भी बहुत महत्त्व है। फॉस्फोरस लगभग शरीर के भार का 1 प्रतिशत भाग होता है। यह कैल्शियम में मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करता है।
फॉस्फोरस के कार्य (Functions of Phosphorus)-शरीर की रचना के लिए फॉस्फोरस बहुत कार्य करता है, जैसे

  1. हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building bones and teeth)
  2. कोशिकाओं की बनावट (Formation of Cells)
  3. एन्ज़ाइम बनाना (Formation of Enzymes) फॉस्फोरस के स्रोत-अनाज, अण्डा, मांस, मछली, दूध।

फॉस्फोरस की कमी के प्रभाव (Effects of deficiency of Phosphorus) —
फॉस्फोरस की कमी बहुत कम होती है क्योंकि यह अनाज में काफ़ी मात्रा में पाया जाता है। परन्तु यदि कहीं इसकी कमी हो जाए तो हड्डियां और दांत कमजोर हो जाते हैं। इसकी कमी से कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया में खराबी आ जाती है।

प्रश्न 35.
लोहे की दैनिक आवश्यकता बहुत कम होने के बावजूद यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है । कैसे?
अथवा
लोहा हमारे शरीर के लिये कैसे आवश्यक है ? इसकी प्राप्ति के साधनों के बारे में बताएं।
उत्तर-
लोहा (Iron) — शरीर में लोहा बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। परन्तु शरीर की वृद्धि और शारीरिक क्रियाओं को ठीक ढंग से चलाने में इसका बहुत योगदान है।
लोहे के कार्य (Functions of Iron) — लोहा हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है

  1. होमोग्लोबिन का निर्माण।
  2. मांसपेशियों का आवश्यक तत्त्व।
  3. ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए यह फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन कोशिकाओं तक और कोशिकाओं से फेफड़ों तक पहुंचाता है।

लोहे की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Iron) —
लोहे की प्राप्ति के स्रोत निम्नलिखित हैं
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  1. अण्डे का पीला भाग, कलेजी या मांस।
  2. गुड़, शक्कर और सूखे मेवे।
  3. हरे पत्ते वाली सब्जियां।।

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प्रश्न 36.
आयोडीन की कमी से क्या होता है तथा प्राप्ति के साधनों के बारे में बताओ।
उत्तर-
आयोडीन की कमी से

  1. घेघा रोग हो जाता है।
  2. थाइराइड ग्रन्थियों में थायराक्सिन कम निकलता है, जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पूरा नहीं होता। बालिग व्यक्तियों में भी मानसिक विकास कम हो जाता है। शरीर सूज जाता है और ढीला पड़ जाता है।
  3. अधिक कमी होने से मिक्सोडीमा हो जाता है। आंखें बाहर को आ जाती हैं।
  4. बच्चों में क्रेटिनिज्म (Cretinism) अर्थात् बच्चे बौने और भद्दे लगते हैं। चमड़ी मोटी और खुरदरी हो जाती है। जीभ बढ़ जाने से मुंह बन्द नहीं होता।

आयोडीन की प्राप्ति के स्रोत – आयोडीन की आवश्यक मात्रा का 75% भाग ज़मीन पर पैदा हुई सब्जियों, दालों और अनाज से पूरी हो जाती और शेष पानी से। परन्तु कई पहाड़ी स्थानों पर ज़मीन और पानी में आयोडीन नहीं होती, वहां आवश्यक आयोडाइज्ड नमक खाना चाहिए। अधिक नमी की स्थिति में इसकी गोलियां भी दी जाती हैं।

प्रश्न 37.
पानी मनुष्य के शरीर के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
पानी (Water) — पानी हमारे भोजन का एक बड़ा भाग है। यद्यपि पानी को हम भोजन नहीं कह सकते क्योंकि न तो यह शक्ति देता है और न ही शरीर में होने वाली क्रियाओं का निर्माण करता है। परन्तु फिर भी हर कोश (Cell) में पौष्टिक तत्त्व पहुंचाने का कार्य पानी ही करता है। शरीर के भार का लगभग 61% भाग पानी ही है।
पानी के कार्य (Functions of Water)—पानी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है

  1. घोलक के रूप में (Water act as a solvent)
  2. पाचन क्रियाओं में सहायता (Helps in the process of digestions)
  3. फोक को बाहर निकालने में सहायता (Helps in the removal of waste products)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Helps in the protection of sensitive organs)
  5. तापमान को स्थिर रखने में सहायता करना (Helps in the temperature regulation)
  6. स्नेहक के रूप में कार्य करता है (Act as a lubricant)।

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प्रश्न 38.
फोक का अपना महत्त्व कैसे है तथा प्राप्ति के क्या स्त्रोत हैं?
अथवा
फोक का सन्तुलित भोजन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
फोक (Roughage)-फल और सब्जियों के रेशे और अनाजों के छिलके फोक बनाते हैं, यह स्टार्च के कणों को बांध कर रखते हैं। ये पदार्थ आप नहीं पचते इनको चाहे जितना भी पचाया जाए फिर भी ये घुलते नहीं।
फोक के कार्य (Functions of Roughage) — ये शरीर को कोई पौष्टिक तत्त्व नहीं देते फिर भी इनका शरीर के लिए बहुत महत्त्व है।

  1. इनसे भोजन की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. फोक से भोजन को पाचन प्रणाली को चलाने में सहायता मिलती है।
  3. आंतों और पट्ठों को क्रियाशील रखने में मदद करते हैं।
  4. पाचन के पश्चात् मल बाहर निकालने में सहायता करते हैं।
  5. कब्ज़ को दूर करते हैं।
  6. ये कुछ ऐसे जीवाणु के बनने में सहायता करते हैं जो कि पित एसिड को तोडते हैं।

फोक की प्राप्ति के स्त्रोत (Sources of Roughage) —

  1. हरी सब्ज़ियाँ जैसे बन्द गोभी, गाजर के पत्ते, हरा धनिया, कड़ी पत्ता, पुदीना आदि।
  2. फल जैसे-अंजीर, संतरा, अनार, टमाटर, अंगूर और अमरूद।
  3. सम्पूर्ण अनाज।

प्रश्न 39.
लोहे की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है? लोहे के हमारे शरीर में क्या कार्य हैं?
अथवा
लोहे की कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
लोहे की कमी से अनीमिया हो जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इससे भूख कम लगना, सांस फूलना, दिल की धड़कन बढ़ना, नाखून सफेद होना और शारीरिक कमजोरी हो जाती है।
यह रोग विटामिन बी कम्पलैक्स की कमी से भी हो जाता है। लोहे के कार्य

  1. हीमोग्लोबिन का निर्माण
  2. मांसपेशियों की आवश्यकता
  3. ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए ये फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन और कोशिकाओं से ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुँचाता है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 40.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन से हैं? प्रोटीन के कार्य, कमी के परिणाम और स्रोत लिखो।
उत्तर-
पौष्टिक तत्त्व, वे रासायनिक तत्त्व हैं जो हमें भोजन से प्राप्त होते हैं और ये शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा और शरीर के प्रत्येक कोश की बनावट और देखभाल के लिए आवश्यक योगदान देते हैं।
पौष्टिक तत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fat)
  4. विटामिन (Vitamin)
  5. खनिज पदार्थ (Mineral)
  6. पानी (Water)
  7. फोक (Roughage)।

लाभ-पौष्टिक तत्त्वों में से प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है। जैसे मकान बनाने के लिए ईंटें, सीमेंट और मिट्टी की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह की शरीर की रचना के लिए कोशों (Cells) की आवश्यकता होती है। इन कोशों के अन्दर प्रोटोप्लाज़म (Protoplasm) होता है जिस को जीवन का आधार माना जाता है। प्रोटोप्लाज़म प्रोटीन से ही बनता है।

प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों (Amino acids) के मिश्रण से बनता है। ये अमीनो अम्ल कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं अमीनो अम्ल दो प्रकार के होते हैं
(क) आवश्यक (Essential)
(ख) अनावश्यक (Non-essential)
(क) आवश्यक (Essential)-ये शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल हैं जिनको भोजन में से लेना आवश्यक हो जाता है। बच्चों के लिए 10 और बड़ों के लिए 8 अमीनो अम्ल आवश्यक हैं। बच्चों में इन 8 अमीनो अम्लों के अतिरिक्त हिस्टीडी (Histidi) और आरजनीन (Argnine) भी आवश्यक हैं। यह अमीनो अम्ल शारीरिक और मानसिक विकास करते हैं।।
(ख) अनावश्यक (Non-essential) ये अम्ल शरीर में ही पैदा हो जाते हैं यह भी बहुत आवश्यक हैं।
प्रोटीन के वर्गीकरण का आधार-प्रोटीन का वर्गीकरण तीन बातों के आधार पर किया जाता है

  1. साधन के आधार पर
  2. गुणों के आधार पर
  3. भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर।

1. साधन के आधार पर (On the basis of Source)
(क) वनस्पति से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetables Protein)-जैसे दालें, अनाज, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और मटर आदि।
(ख) पशु-जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Protein)-जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, मीट और मीट से बने पदार्थ, मछली, अण्डे आदि।

2. गुणों के आधार पर (On the basis of Qualities)
(क) पूर्ण प्रोटीन (Complete Protein) — यह दूध, अण्डे, मछली और मांस में पाई जाती है। इसको ‘ए’ श्रेणी की प्रोटीन कहा जाता है।
(ख) अपूर्ण प्रोटीन (Incomplete Protein) — यह अनाज, दालों और सूखे मेवों में होती है। इसको ‘बी’ श्रेणी का प्रोटीन कहा जाता है।
(ग) अर्द्ध-पूर्ण प्रोटीन (Partial Protein) — यह घटिया किस्म की प्रोटीन होती है। यह मक्की की जीन और जैलेटिन में पाई जाती है।

3. भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर (On the basis of Physical and Chemical properties) —
(क) साधारण प्रोटीन (Simple Protein) — यह अण्डे के सफेद भाग (Albumin) में पाई जाती हैं।
(ख) मिश्रित प्रोटीन (Conjugated Protein) — इस तरह की प्रोटीन में प्रोटीन के साथ और प्रोटीन पदार्थ मिले होते हैं जैसे दूध में एजील (फॉस्फोरस + प्रोटीन) खून की हीमोग्लोबिन (लोहा + प्रोटीन)।
(ग) प्राप्त की गई प्रोटीन (Derivated Protein) — ये पैप्टोन, पैप्टाइड और अमीनो अम्लों जैसे पदार्थ हैं। प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein)-प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यह हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
  2. शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
  3. रोगों से लड़ने के लिए शक्ति बढ़ाना
  4. खून बनाने में सहायक
  5. अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
  6. हार्मोन्ज़ और एन्जाइम्ज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
  7. मानसिक शक्ति प्रदान करना।

प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Protein) —

  1. पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources) — जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन आदि मीट और मीट से बने पदार्थ, अण्डे और मछली।
  2. वनस्पति जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetable Sources) — जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल. बादाम. पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
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प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effects of deficiency of Protein) —
प्रोटीन की कमी का असर बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं —

  1. शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट-प्रोटीन की कमी से शरीर के विकास और वृद्धि की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  2. खून की कमी होना-भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी (Anaemia) हो जाती है।
  3. रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी-प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करती है। प्रोटीन की कमी से शरीर में बिमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
  4. हड्डियां कमज़ोर होना- इसकी कमी हड्डियों को भी कमज़ोर करती है इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
  5. चमड़ी का खुशक होना-शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुशक हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
  6. बच्चे का कमज़ोर पैदा होना-गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमज़ोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
  7. प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों के शिकार हो जाते हैं।

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प्रश्न 41.
वसा में घुलनशील विटामिन कौन-से हैं और हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं और कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं?
अथवा
चर्बी क्या है? इसके कार्यों तथा प्राप्तियों के साधनों के बारे में लिखें।
उत्तर-
चर्बी (Fat)-चर्बी भी मनुष्य की खुराक का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह हाइड्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन का मिश्रण है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करती है
और पानी में अघुलनशील है। इसमें कार्बोज़ प्रोटीन से दुगुनी शक्ति होती है। एक ग्राम चर्बी से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे शरीर को 15 से 20 प्रतिशत ऊर्जा चर्बी से मिलनी चाहिए। मनुष्य को रोज़ना 20 से 30 ग्राम चर्बी की आवश्यकता होती है। चर्बी में घुलनशील विटामिन ए, डी और के हैं।
चर्बी का वर्गीकरण-चर्बी को उसके स्रोत के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जाता है
1. पशु चिकनाई या चर्बी (Animal fats)-जैसे घी, मक्खन, मछली का तेल, अण्डे की जर्दी, जानवरों की चर्बी आदि।
2. वनस्पति या चर्बी (Vegetable fats)-जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों, तिल, नारियल, बिनोले आदि के तेल।
3. चर्बी के कार्य (Functions of fat)-चर्बी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. ऊर्जा का स्रोत (Source of energy)
  2. आवश्यक वसा अम्लों का स्रोत (Source of essential fatty acids)
  3. चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of fat soluble Vitamins)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Protection of sensitive body organs)
  5. भोजन को स्वादिष्ट बनाती है (Help in making food tasty)
  6. सन्तुष्टि देती है (Give satisfaction)
  7. शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps is regulating body temperature)
  8. चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For healthy skin)
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चर्बी की प्राप्ति के स्रोत (Sources of fat) —
चर्बी निम्नलिखित भोजन पदार्थ में अधिक पाई जाती है

  1. घी, मक्खन, क्रीम और तेल।
  2. वनस्पति तेल पदार्थ जैसे-सरसों, तिल, मूंगफली, नारियल, बिनौलों का तेल और वनस्पति घी।
  3. सूखे फल और मेवे जैसे-बादाम, अखरोट, सूखी गिरी और काजू।
  4. मीट वाले पदार्थ जैसे-अण्डा, जिगर, गुर्दे और मांस।
  5. दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे-दूध का पाऊडर और खोया आदि।

Home Science Guide for Class 10 PSEB भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्तुलित भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
प्रोटीन, कार्बोज़, विटामिन, चिकनाई, लवण, पानी आदि।

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प्रश्न 2.
प्रोटीन का क्या काम है?
उत्तर-
शरीर के तन्तुओं का निर्माण तथा मुरम्मत।

प्रश्न 3.
ऊर्जा प्रदान करने वाले पौष्टिक तत्त्व कौन-से हैं?
उत्तर-
कार्बोज़, चिकनाई।

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन तत्त्व किस तत्त्व में होता है?
उत्तर-
प्रोटीन में।

प्रश्न 5.
कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताओ।
उत्तर-
चावल, मक्की, गुड़, शक्कर, चीनी आदि।

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प्रश्न 6.
पानी में घुलनशील विटामिन का नाम बताओ।
उत्तर-
विटामिन बी, सी आदि।

प्रश्न 7.
चर्बी में घुलनशील विटामिन का नाम बताओ।
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 8.
विटामिन B, का दूसरा नाम बताओ।
उत्तर-
राईबोफेलबीन।

प्रश्न 9.
अन्धराता कौन-से विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ए।

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प्रश्न 10.
जिरोसिस किस विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 11.
बहते खून का बन्द न होना किस विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ‘के’ की कमी से।

प्रश्न 12.
जीवन तत्त्व किन पौष्टिक तत्त्वों को कहते हैं?
उत्तर-
विटामिनों को।

प्रश्न 13.
कौन-से खनिज की कमी के कारण रक्त की कमी हो जाती है?
उत्तर-
लोहे की कमी के कारण।

प्रश्न 14.
प्रोटीन की प्राप्ति के स्त्रोत बताओ।
उत्तर-
पशु जगत् तथा वनस्पति जगत्।

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प्रश्न 14.
A. भोजन में लगातार प्रोटीन की कमी से कौन सी बिमारी हो जाती है?
उत्तर-
क्वाशियोरकर।

प्रश्न 15.
पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन बताओ।
उत्तर-
दही, दूध, अण्डे, मछली आदि।

प्रश्न 16.
एक ग्राम कार्बोज से हमें कितनी ऊर्जा मिलती है?
उत्तर-
4 कैलोरी।

प्रश्न 17.
एक ग्राम चर्बी से हमें कितनी ऊर्जा (कैलोरी) मिलती है?
उत्तर-
9 कैलोरी।

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प्रश्न 18.
भोजन से प्राप्त होने वाली शक्ति का कितने प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से मिलना चाहिए?
उत्तर-
50% से 60% तक।

प्रश्न 19.
नशासते वाले पदार्थों का नाम बताओ।
उत्तर-
अनाज, कंदमूल, शकरकन्दी, आलू।

प्रश्न 20.
विटामिन ‘ई’ का एक काम बताओ।
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ के बनने में सहायता करता है।

प्रश्न 21.
थायमीन क्या है?
उत्तर-
यह विटामिन B, का नाम है।

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प्रश्न 21.
A. विटामिन B, का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर-
थायमीन

प्रश्न 22.
खट्टे फलों में कौन-सा विटामिन होता है?
उत्तर-
विटामिन सी।

प्रश्न 23.
शरीर में कैल्शियम की कितनी मात्रा हड्डियों तथा दांतों में होती है?
उत्तर-
99%.

प्रश्न 24.
बच्चों में क्रेटीनिज्म किसकी कमी से होता है?
उत्तर-
आयोडीन की कमी से।

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प्रश्न 25.
अमीनो अम्ल कितनी प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
दो प्रकार के आवश्यक तथा 20-22 प्रकार के अनावश्यक अम्ल होते हैं।

प्रश्न 26.
पूर्ण प्रोटीन के स्रोत बताओ।
उत्तर-
मास, मछली, अण्डे।

प्रश्न 27.
चर्बी के प्राप्ति के साधन बताओ।
उत्तर-
घी, मक्खन, क्रीम आदि।

प्रश्न 28.
शरीर का कितना भाग खनिजों से बना है?
उत्तर-
पच्चीसवां भाग।

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प्रश्न 29.
मैकरोमिनरलज़ की उदाहरण दें।
उत्तर-
कैल्शियम, सल्फर, फॉस्फोरस, क्लोरीन आदि।

प्रश्न 30.
माइक्रोमिनरलज की उदाहरण दें।
उत्तर-
लोहा, ताँबा, कोबाल्ट, आयोडीन आदि।

प्रश्न 31.
एक आम आदमी की ज़िन्दगी में पानी की क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
आम आदमी को प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 32.
त्वचा में विटामिन D का निष्क्रिय रूप क्या है?
उत्तर-
विटामिन D3 (कोलकैलसीफिरोल)।

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प्रश्न 33.
खनिज क्या होते हैं?
उत्तर-
खनिज ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर के लिए आवश्यक हैं तथा यह खाद्य पदार्थों में ही मौजूद होते हैं यह हैं सोडियम, कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस, आयोडीन आदि।

प्रश्न 34.
हिमोग्लोबिन की संरचना लिखें।
उत्तर-
हिमोग्लोबिन में प्रोटीन तथा लोहा होता है।

प्रश्न 35.
आयोडीन की कमी से हमारे शरीर में कौन-सा रोग (बीमारी) हो जाता
उत्तर-
घेघा रोग।

प्रश्न 36.
लोहे की कमी से होने वाले रोग का नाम बताओ।
उत्तर-
अनीमिया।

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प्रश्न 37.
विटामिन के (K) की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
उत्तर-
चोट लग जाने पर रक्त बहता रहता है, रुकता नहीं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-से हैं? यह हमारे शरीर में क्या काम करते हैं तथा प्राप्ति के स्त्रोत बताएं।
उत्तर-
देखें विटामिन C, B तथा K वाले प्रश्न।

प्रश्न 2.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन-से हैं ? किन्हीं दो के काम, कमी से नतीजों के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 3.
अमीनो एसिड किसको कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
अमीनो एसिड वह छोटी-छोटी इकाइयां हैं जिनसे प्रोटीन बनते हैं। अमीनो अम्ल 20-22 प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 4.
प्रॉक्सिमेट प्रिंसीपल्ज़ किसे कहते हैं?
उत्तर-
भोजन से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स, वसा तथा प्रोटीन वाले तत्त्वों को प्रॉक्सिमेट प्रिंसीपल्ज़ कहा जाता है क्योंकि ये हमारे शरीर का निर्माण करने वाले तत्त्वों से मिलते हैं तथा पचने के बाद ये तत्त्व शारीरिक तत्त्वों के अनुरूप ही बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
भोजन शरीर में टूटे तन्तुओं की मुरम्मत किस प्रकार करता है?
उत्तर-
हमारे शरीर में हर समय तन्तुओं की टूट-फूट होती रहती है। तन्तु, कोशिकाओं के समूह, घिसते तथा नष्ट होते रहते हैं। भोजन में मौजूद प्रोटीन इन टूटे हुए तन्तुओं तथा कोशिकाओं की मुरम्मत करने में सहायता करते हैं तथा नए तन्तु उत्पन्न भी करते हैं।

प्रश्न 6.
कार्बोहाइड्रेट और चर्बी की शरीर को कितनी आवश्यकता है?
उत्तर-
भोजन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का 50-60% भाग कार्बोहाइड्रेट्स से प्राप्त होनी चाहिए। एक साधारण व्यक्ति के भोजन में 400-450 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा प्रतिदिन उचित मानी जाती है। परन्तु शर्करा के रोगी के लिए इसकी मात्रा 90-110 ग्राम कार्बोज़ प्रतिदिन ठीक है।
प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता का लगभग 15% भाग चर्बी से मिलना चाहिए। यह मात्रा 40-45 ग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
काम के अनुसार खनिज पदार्थों का वर्गीकरण करें।
उत्तर-

काम खनिज पदार्थ
1. अम्ल-क्षार का सन्तुलन सोडियम, पोटाशियम
2. खून का निर्माण लोहा, कोबाल्ट, कॉपर
3. हड्डियों, दाँतों का निर्माण तथा शारीरिक वृद्धि कैल्शियम, फॉस्फोरस
4. आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा दाँतों के इनेमल के लिए। क्लोरीन, आयोडीन, फ्लोरीन
5. हार्मोन पैदा करने के लिए उत्प्रेरक मैग्नीशियम, मैंगनीज़, जिंक, सल्फर।

प्रश्न 8.
निकोटिनिक एसिड के स्रोत और कमी से होने वाली हानियों के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्रोत-अंकुरित दालें, सम्पूर्ण अनाज, मूंगफली, खमीर उठा भोजन, यकृत आदि।
कमी से हानियाँ-

  1. प्लैगरा नामक रोग हो जाता है। त्वचा का रंग काला हो जाता है, खुजली तथा सूजन हो जाती है।
  2. मुँह का स्वाद खराब हो जाता है।
  3. अनीमिया के साथ-साथ मानसिक परेशानी भी हो सकती है।
  4. दस्त लग जाते हैं।

प्रश्न 9.
आवश्यक अमीनो एसिड की मात्रा और गिनती के हिसाब से प्रोटीन को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
आवश्यक अमीनो एसिड की मात्रा और गिनती के हिसाब से प्रोटीन को तीन भागों में बांटा जा सकता है
(i) सम्पूर्ण प्रोटीन, (ii) असम्पूर्ण प्रोटीन, (iii) अपूर्ण प्रोटीन।

  1. सम्पूर्ण प्रोटीन-इनमें सभी आवश्यक अमीनो अम्ल उचित मात्रा तथा गिनती में होते हैं, जैसे मछली, अण्डा, दूध आदि।
  2. असम्पूर्ण प्रोटीन-इनमें कुछ आवश्यक अमीनो अम्ल नहीं होते, जैसे-गेहूँ, दाल, फलियाँ आदि में।
  3. अपूर्ण प्रोटीन-इनमें आवश्यक अमीनो अम्ल नहीं होते जैसे मक्की।

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प्रश्न 10.
मैक्रोमिनरल्ज तथा माइक्रोमिनरल्ज़ क्या होता है?
उत्तर-
शरीर का पच्चीसवां भाग (1/25 भाग) खनिज पदार्थों से बना होता है। ये खनिज पदार्थ शरीर के निर्माण, स्वास्थ्य तथा शारीरिक क्रियाओं को ठीक ढंग से चलाने के लिए आवश्यक हैं। ये दो प्रकार के होते हैं

  1. बृहत खनिज पदार्थ (Macrominerals) — ये अधिक मात्रा में शरीर को चाहिए होते हैं, जैसे कि कैल्शियम, सल्फर, फॉस्फोरस, क्लोरीन, सोडियम आदि।
  2. लघु खनिज पदार्थ (Microminerals) — ये शरीर में बहुत कम मात्रा में चाहिए होते हैं। इन्हें नाममात्र (Trace) खनिज पदार्थ भी कहा जाता है। परन्तु इनकी शरीर में उपस्थिति अति आवश्यक है, जैसे-लोहा, तांबा, जिंक, आयोडीन, कोबाल्ट आदि।

प्रश्न 11.
फास्फोरस तथा लोहे के शरीर के लिए काम बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्यों का वर्णन करो।
अथवा
भोजन के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 13.
लोहे तथा आयोडीन की कमी से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 14.
भोजन हमारे शरीर के लिए क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 15.
अनाज और दालों में से हमें कौन-से पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं?
अथवा
भोजन में अनाज और दालों को क्यों शामिल करना चाहिए?
उत्तर-
अनाज से हमें कार्बोज़ तथा प्रोटीन प्राप्त होते हैं तथा दालों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है तथा दालों में कुछ मात्रा में विटामिन भी होते हैं। अनाज जैसे गेहूँ, मक्की, बाजरा आदि में कार्बोज़ अधिक तथा प्रोटीन 6-12% होते हैं। दालों में 20-25% प्रोटीन होती है। दालों में विटामिन बी तथा खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम की मात्रा भी अधिक होती है। अंकुरित दालों में विटामिन सी भी होता है। इसलिए भोजन में अनाज तथा दालों की उचित मात्रा होनी चाहिए।

प्रश्न 16.
पानी के शरीर के लिए क्या काम हैं तथा उसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 17.
रेशे और फोकट का शरीर के लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर-
हम अपने भोजन में पौष्टिक तत्त्वों के अलावा कुछ ऐसे पदार्थ भी लेते हैं जिन्हें हम रेशे और फोकट कहते हैं। इसमें पौधों के रेशे, अनाज का चौकर, फलों का छिलका, हरे पत्तेदार साग-सब्जी आदि शामिल हैं। इनका हमारे शरीर में विशेष महत्त्व है। रेशे शरीर में पचते नहीं तथा आंतड़ियों को ठीक प्रकार से अपना कार्य करने में सहायक हैं तथा व्यक्ति को कब्ज नहीं होती।

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प्रश्न 18.
पानी के स्रोत और इसकी शरीर के लिए ज़रूरत के बारे में बताएं।
उत्तर-
पानी के स्त्रोत-शरीर के लिए पानी के स्रोत इस प्रकार हैं-हम प्यास लगने पर सीधे ही पानी पी लेते हैं। सब्जियों में 60-90%, फलों, लस्सी, चाय, शकंजवी, शरबत, कोका कोला, लिम्का आदि में से भी काफ़ी पानी मिलता है। दूध में भी 87% पानी होता है।

पानी की ज़रूरत-पानी की सभी को अपनी आयु, लिंग, कार्य, मौसम के तापमान आदि के अनुसार आवश्यकता होती है। एक साधारण व्यक्ति को प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी लेना चाहिए। पानी शरीर के तापमान को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है तथा पाचन क्रिया के लिए भी ज़रूरी है। गर्भ के समय, दूध पिलाने वाली मां को तथा रोगी को पानी की अधिक आवश्यकता होती है।

प्रश्न 18 A.
एक व्यक्ति को रोजाना कितने पानी की जरूरत है। विस्तारपूर्वक र्णन करो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 19.
प्रोटीन के स्रोत तथा इसकी आवश्यकता के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 20.
लोहे के स्रोत तथा इसके शरीर के लिए कार्य बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 21.
भोजन हमें शक्ति कैसे देता है?
उत्तर-
हम भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी का प्रयोग करते हैं। इन दोनों की शरीर में रासायनिक क्रियाएं होती हैं तथा ऊर्जा पैदा होती है। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स से 4 कैलोरी तथा एक ग्राम चर्बी से 9 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 22.
चिकनाई की अधिकता से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चिकनाई का अधिक प्रयोग मोटापा पैदा करता है। इससे पाचन क्रिया खराब हो जाती है। इसके अधिक प्रयोग से मनुष्य का लीवर खराब हो जाता है। कलैस्ट्रोल बढ़ जाना है, रक्त दबाव बढ़ जाता है तथा दिल के रोग की सम्भावना हो जाती है। इसलिए चिकनाई का प्रयोग आवश्यकता अनुसार ही करें।

प्रश्न 23.
प्राणी के अस्तित्व के लिए जल की क्या उपयोगिता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 24.
वसा में उच्च संतृप्ता मूल्य होता है, वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वसा के एक ग्राम में से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रकार कम वसा के प्रयोग से अधिक संतृप्ता प्राप्त हो जाती है तथा लम्बे समय तक पेट भरा रहता है।

प्रश्न 25.
विटामिन D व B के दो-दो अच्छे स्रोत बताइए।
उत्तर-
विटामिन D के स्रोत हैंजिगर का तेल, अण्डे की जर्दी, धूप विटामिन B के स्त्रोत हैं- अंकुरित दालें, दूध, अण्डे, जिगर, सूखे मेवे आदि।

प्रश्न 26.
स्तम्भ A के तथ्यों का स्तम्भ B के तथ्यों से मिलान कीजिए।

स्तम्भ A स्तम्भ B
1. कैल्शियम रक्तक्षीणता
2. लोहा स्कर्वी
3. आयोडीन रिकेट्स
4. विटामिन D बेरी बेरी
5. थायमीन गलगंड
6. विटामिन मज़बूत दांत

उत्तर-
1. कैल्शियम – मज़बूत दांत
2. लोहा – रक्तक्षीणता
3. आयोडीन – गलगंड
4. विटामिन D – रिकेट्स
5. थायमीन – बेरी बेरी
6. विटामिन C – स्कर्वी

प्रश्न 27.
कार्बोज़ के प्रोटीन बचाव क्रिया के बारे में बताइये। कार्बोज़ से कितने प्रतिशत कैलोरी प्राप्त होनी चाहिये?
उत्तर-
जब शरीर में कार्बोज़ की कमी हो जाती है तो ऊर्जा की प्राप्ति प्रोटीन से शुरू हो जाती है तथा प्रोटीन अपने वास्तविक कार्य, शरीर के निर्माण तथा तंतुओं की मुरम्मत नहीं कर पाते। इसलिए कार्बोज़ की उचित मात्रा का शरीर में होना, प्रोटीन को शरीर की मुरम्मत के लिए बचाता है।
कार्बोज़ के 1 ग्राम से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

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प्रश्न 28.
आयोडीन के कार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
आयोडीन गल ग्रंथियों की क्रियाशीलता के लिए महत्त्वपूर्ण है। गल ग्रंथियों का रस थायरोक्सान शरीर की क्रियाओं को नियमित करता है।
आयोडीन बच्चों की वृद्धि तथा विकास के लिए बहुत आवश्यक है तथा प्रजनन के लिए भी आवश्यक है।

प्रश्न 29.
कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा हमारे लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 30.
क्वाशियोरकर पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह एक रोग है जो बच्चों में कुपोषण के कारण तथा भोजन में प्रोटीन की लगातार कमी के कारण होता है। यह रोग अधिकतर विकासशील देशों में गरीबी तथा अज्ञानता के कारण होता है। कई बार भोजन में प्रोटीन की मात्रा बिल्कुल नहीं ली जाती है। इस रोग के कारण बच्चे के शरीर में कई कमियां तथा अयोग्यताएं पैदा हो सकती हैं तथा ध्यान न दिया जाए तो मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग से बचाव के लिए दूध पिलाने वाली माताओं को अच्छा सन्तुलित भोजन लेना चाहिए तथा जब बच्चा मां का दूध छोड़. दे तो उसे प्रोटीन की कमी नहीं होने दें तथा उसे सन्तुलित भोजन दें।

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प्रश्न 31.
पानी के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 32.
पानी हमारे शरीर के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 33.
फोक का हमारे शरीर के लिए क्या महत्त्व है? इसकी प्राप्ति के क्या साधन हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 34.
मोहन को पेलाग्रा रोग हो गया है? यह कौन से पौष्टिक तत्त्व की कमी से होता है और कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को खुराक में शामिल करके इस रोग से बचा जा सकता है?
उत्तर-
यह रोग निकोटिनीक एसिड की कमी के कारण होता है। इसकी कमी दूर करने के लिए अंकुरित दालें, संपूर्ण अनाज, मूंगफली, खमीर, जिगर आदि लेने चाहिएं।

प्रश्न 35.
शीना का बेटा 6 महीने का है। शीना को ऑस्टियोमलेशिया का रोग हो गया है। इसके होने का क्या कारण है और किन-किन खाद्य पदार्थों को खुराक में शामिल करके इस रोग की रोकथाम की जा सकती है?
उत्तर-
यह रोग विटामिन डी तथा कैल्शियम की कमी के कारण होता है। भोज्य पदार्थों की आवश्यकता-स्वयं करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
थाईयामीन (बी,) तथा राईब्रोफलेनिन (बी,) की कमी से शरीर में क्या हानियां होती हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 2.
कार्बोहाइड्रेट्स को कौन-से मुख्य भागों में बांटा जा सकता है? वर्णन करो।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेटस को तीन भागों में बांटा जा सकता है
(i) इकहरी शक्कर
(ii) दोहरी शक्कर
(iii) बहुभांती शक्कर।

  1. इकहरी शक्कर-यह साधारण शक्कर है इसमें अणु सरल तथा छोटे होते हैं। यह पानी में घुल सकती है, रवेदार होती है तथा स्वाद में मीठी होती है। ग्लूकोज़, फ्रेक्टोज़, गलैक्टोज़ तीन ऐसी मुख्य शक्करें हैं।
  2. दोहरी शक्कर-दो इकहरी शक्करें आपस में मिल कर दोहरी शक्कर बनाती हैं। यह भी पानी में घुलनशील हैं, रवेदार तथा मीठी होती हैं। सुक्रोज, मालटोज़ आदि इस प्रकार की शक्कर हैं।
  3. बहुभांती शक्कर-यह स्वाद में मीठी नहीं होती तथा पानी में नहीं घुलती। यह कई इकहरी तथा दोहरी शक्करों के मिलकर बनी होती हैं। ग्लाईकोजन, सैलुलोज़ आदि इस के उदाहरण हैं निशस्ता पानी में घुलनशील नहीं है पर उबालने पर गाढ़ा घोल बनाता है। ग्लाईकोजन प्राणियों के ज़िगर में तथा सैलूलोज़ पौधों के रेशों में होते हैं।

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प्रश्न 3.
(A) प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट के शरीर में काम बताएं।
(B) प्रोटीन के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स के कार्य

  1. यह शरीर को ऊर्जा तथा गर्मी देता है।
  2. यह शरीर के लिए प्रोटीन की बचत करता है।
  3. ग्लूकोज़ आवश्यक अमीनो एसीड के निर्माण में सहायक है।
  4. यह भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं।
  5. सैलूलोज़ फोम का कार्य करता है।
  6. चिकनाई से मिल कर शरीर को सन्तुष्टि प्रदान करते हैं। नोट : प्रोटीन के कार्यों के लिए देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 4.
विटामिन ‘ई’ तथा ‘के’ के मुख्य कार्य क्या हैं? तथा इनकी कमी से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 5.
पानी हमारे शरीर के लिये कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
मनुष्य के शरीर के भार का लगभग 70 प्रतिशत भार पानी का ही है। पानी हमारे खून के अतिरिक्त हर कोश की बनावट के लिये आवश्यक है। शरीर के बीच की क्रियाओं तथा रासायनिक परिवर्तनों के लिये भी पानी एक मुख्य अंश है। पानी में घुलनशील पोषक तत्त्व केवल पानी को मौजूदगी में ही शरीर को पोषण दे सकते हैं। पानी शरीर में से फालतू रसायन, अम्ल तथा फोक बाहर निकालने का भी कार्य करता है।

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प्रश्न 6.
चिकनाई की अधिकता से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चिकनाई का अधिक प्रयोग करने से मोटापा हो जाता है तथा हाजमा भी बिगड़ जाता है। इसके ज्यादा प्रयोग से मनुष्य का लिवर खराब हो जाता है, कलैस्ट्रोल बढ़ने से खून का दबाव बढ़ जाता हैं तथा दिल के रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिये भोजन में चिकनाई का प्रयोग आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिये।

प्रश्न 7.
चर्बी तथा विटामिन D हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 8.
स्तम्भ A के तथ्यों का स्तम्भ B से मिलान करें:

क्रम सं० स्तम्भ-A स्तम्भ-B
1. विटामिन डी किटोसिस
2. कार्बोहाइड्रेट भूख लगना
3. विटामिन ए अंधराता
4. थायमिन रिकेट्स
5. विटामिन बी बेरी-बेरी

उत्तर-

क्रम सं० स्तम्भ-A स्तम्भ-B
1. विटामिन डी रिकेट्स
2. कार्बोहाइड्रेट किटोसिस
3. विटामिन ए अंधराता
4. थायमिन बेरी-बेरी
5. विटामिन बी भूख लगना

प्रश्न 9.
निम्न लिखे रोगों का वर्णन करें।
(क) अन्धराता
(ख) जीरोसीस।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 10.
विटामिन D हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं?
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 11.
भोजन मे कौन-से तत्व हैं? कार्बोज़ के कार्य बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
विटामिन डी के कार्यों, स्रोत और कमी के प्रभाव के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 13.
शरीर में विटामिन ए (A) के कार्य, स्रोत और कमी के असर के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं करें।

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प्रश्न 14.
विटामिन सी के कार्य, स्रोत और कमी के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

1. कार्बोज़ कार्य करने के लिए ………. प्रदान करते हैं।
2. विटामिन ‘के’ …………….. में घुलनशील है।
3. प्रजनन सम्बन्धी विकार …………….. विटामिन की कमी से आते हैं।
4. राइबोफ्लेविन ……………… विटामिन का नाम है।
5. खट्टे फलों में ………………. विटामिन अधिक होता है।
6. शरीर का ……………….. भाग खनिजों से बना होता है।
7. विटामिन B, का नाम ………………… है।
8. आयोडीन …………….. ग्रंथी की सामान्य क्रिया में सहायक है।
9. थायमीन की कमी से …………. बीमारी होती है।
10. पशुजन्य खाद्य व सोयाबीन में अनिवार्य …………… की मात्रा अधिक होती है।
11. ………………. शरीर की वृद्धि तथा तंतुओं की मुरम्मत में सहायक है।
12. ………………. और ………………. समूह के विटामिन पानी में घुलनशील हैं।
13. वसा ………………. अम्ल से बनाई जाती है।
14. ……………… की कमी से क्वाशियोरकर रोग होता है।
15. अपने दांतों व मसूढ़ों को स्वस्थ रखने के लिए हमें ………. लेना चाहिए।
16. कैल्शियम मज़बूत ………. और …….. के लिए ज़रूरी है।
17. अंधराता …….. विटामिन की कमी से होता है।
18. विटामिन ए का एक कार्य ………. को स्वस्थ्य रखना है।
19. यदि आप पाचन में सुधार लाना चाहते हों तो …………. विटामिन लें।
20. विटामिन ए ………………. में होता है।
21. कैल्शियम मज़बूत ………… तथा दांतों के लिए आवश्यक है।
22. स्कर्वी रोग ……… विटामिन की कमी से होता है।

उत्तर-

1. ऊर्जा,
2. चर्बी,
3. ई,
4. B
5. सी,
6. पच्चीसवां,
7. थाईयामीन,
8. थाइराइड,
9. बेरी-बेरी,
10. प्रोटीन,
11. प्रोटीन,
12. विटामिन C तथा विटामिन B,
13. फैटी,
14. प्रोटीन,
15. विटामिन सी,
16. हड्डियों, दांतों,
17. विटामिन ए,
18. आंखों,
19. विटामिन बी (थायमिन),
20. मक्खन,
21. हड्डियों,
22. विटामिन C

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II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. भोजन शरीर को ऊर्जा देता है।
  2. विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील है।
  3. नाइट्रोजन तत्व प्रोटीन में होता है।
  4. दालों में 20-25% प्रोटीन होता है।
  5. प्रोटीन की कमी से क्वाशियोरकर रोग हो जाता है।
  6. अनाज, कंदमूल, शक्करकंदी, आलू आदि निशास्ते वाले पदार्थ हैं।
  7. हिमोग्लोबिन में प्रोटीन तथा लोहा होता है।
  8. लोहा, तांबा, कोबाल्ट माइक्रोमिनरलज़ हैं।
  9. अमीनो अमल 30-40 प्रकार के हैं।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक,
  7. ठीक,
  8. ठीक,
  9. ग़लत।

III. बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोलकैलसी फिरोल किसे कहते हैं?
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(ख) विटामिन D

प्रश्न 2.
मरास्मस रोग ……….. की कमी के कारण होता है।
(क) प्रोटीन
(ख) आयोडीन
(ग) कार्बोज
(घ) नमक।
उत्तर-
(ग) कार्बोज

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प्रश्न 3.
ज़ीरोसिस ………. की कमी से होता है।
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(क) विटामिन A

प्रश्न 4.
खट्टे फलों में कौन-सा विटामिन होता है?
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(ग) विटामिन C

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भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व PSEB 10th Class Home Science Notes

  • भोजन मानवीय जीवन का मूल आधार है।
  • भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
  • भोजन शरीर की आन्तरिक मुरम्मत करता है।
  • सन्तुलित भोजन में शरीर के सभी आवश्यक पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  • प्रोटीन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
  • विटामिन शरीर को बीमारियों से बचाते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से अन्धराता हो सकता है।
  • प्रोटीन, कार्बोज़, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्व हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट्स गेहूं, चावल, मक्की, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होते हैं।
  •  विटामिन B, गर्मी और प्रकाश से नष्ट हो जाते हैं।
  • प्रोटीन की कमी से शारीरिक विकास रुक जाता है।
  • विटामिन ‘ए’ आँखों और चमड़ी के लिए लाभदायक होता है।
  • विटामिन ‘सी’ शरीर को बीमारियों से बचाता है और यह खट्टे फलों जैसे नींबू, संतरा, मालटा आदि में मिलता है।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 7 रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 7 रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 7 रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध

SST Guide for Class 10 PSEB रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखो

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह का जन्म कब हुआ ? उसके पिता का क्या नाम था?
उत्तर-
रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्बर, 1780 को हुआ। उसके पिता का नाम सरदार महा सिंह था।

प्रश्न 2.
महताब कौर कौन थी?
उत्तर-
महताब कौर रणजीत सिंह की पत्नी थी।

प्रश्न 3.
‘तिकड़ी की सरपरस्ती’ का काल किसे कहा जाता है?
उत्तर-
यह वह काल था (1792 ई० से 1797 ई० तक) जब शुकरचकिया मिसल की बागडोर रणजीत सिंह की सास सदा कौर, माता राज कौर तथा दीवान लखपतराय के हाथों में रही।

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प्रश्न 4.
लाहौर के नागरिकों ने रणजीत सिंह को लाहौर पर आक्रमण करने का निमन्त्रण क्यों दिया?
उत्तर-
क्योंकि लाहौर के निवासी वहां के शासन से तंग आ चुके थे।

प्रश्न 5.
भसीन के युद्ध में रणजीत सिंह के खिलाफ कौन-कौन से सरदार थे?
उत्तर-
भसीन की लड़ाई में रणजीत सिंह के विरुद्ध जस्सा सिंह रामगढ़िया, गुलाब सिंह भंगी, साहब सिंह भंगी तथा जोध सिंह नामक सरदार थे।

प्रश्न 6.
अमृतसर तथा लोहगढ़ पर रणजीत सिंह ने क्यों आक्रमण किया?
उत्तर-
क्योंकि अमृतसर सिक्खों की धार्मिक राजधानी बन चुका था तथा लोहगढ़ का अपना विशेष सैनिक महत्त्व था।

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प्रश्न 7.
तारा सिंह घेबा कहां का नेता था?
उत्तर-
तारा सिंह घेबा डल्लेवालिया मिसल का नेता था।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-50 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह के बचपन तथा शिक्षा के बारे में लिखो।
उत्तर-
रणजीत सिंह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। उसे बचपन में बड़े लाड-प्यार से पाला गया। पाँच वर्ष की आयु में उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुजरांवाला में भाई भागू सिंह की धर्मशाला में भेजा गया। परन्तु उसने पढ़ाई-लिखाई में कोई विशेष रुचि न ली। इसलिए वह अनपढ़ ही रहा। वह अपना अधिकतर समय शिकार खेलने, घुड़सवारी करने तथा तलवारबाजी सीखने में ही व्यतीत करता था। अतः वह बचपन में ही एक अच्छा घुड़सवार, तलवारबाज़ तथा कुशल तीरअंदाज़ बन गया था।
बचपन में ही रणजीत सिंह को चेचक के भयंकर रोग ने आ घेरा। इस रोग के कारण उसके चेहरे पर गहरे दाग पड़ गए और उसकी बाईं आँख भी जाती रही।

प्रश्न 2.
रणजीत सिंह के बचपन की बहादुरी की घटनाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
बचपन से ही रणजीत सिंह बड़ा वीर था। वह अभी दस वर्ष का ही था जब वह सोहदरा पर आक्रमण करने के लिए अपने पिता जी के साथ गया। उसने न केवल शत्रु को बुरी तरह पराजित किया अपितु उसका गोला-बारूद आदि भी अपने अधिकार में ले लिया। एक बार रणजीत सिंह अकेला घोड़े पर सवार होकर शिकार से लौट रहा था।
उसके पिता के शत्रु हशमत खां ने उसे देख लिया। वह रणजीत सिंह को मारने के लिए झाड़ी में छुप गया। ज्योंही रणजीत सिंह उस झाड़ी के पास से गुज़रा, हशमत खां ने उस पर तलवार से प्रहार किया। वार रणजीत सिंह पर न लगकर रकाब पर पड़ा जिसके उसी समय दो टुकड़े हो गए। बस फिर क्या था, बालक रणजीत सिंह ने ऐसी सतर्कता से हशमत खां पर वार किया कि उसका सिर धड़ से अलग हो गया।

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प्रश्न 3.
रणजीत सिंह के लाहौर पर कब्जे का वर्णन करो।
उत्तर-
लाहौर विजय रणजीत सिंह की सबसे पहली विजय थी। उस समय लाहौर पर भंगी मिसल के सरदार चेत सिंह, मोहर सिंह और साहिब सिंह का अधिकार था। लाहौर के निवासी इन सरदारों के शासन से तंग आ चुके थे। इसलिए उन्होंने रणजीत सिंह को लाहौर पर आक्रमण करने का आमन्त्रण भेजा। रणजीत सिंह ने शीघ्र ही विशाल सेना लेकर लाहौर पर धावा बोल दिया। आक्रमण का समाचार पाकर मोहर सिंह और साहिब सिंह लाहौर छोड़ कर भाग निकले। अकेला चेत सिंह ही रणजीत सिंह का सामना करता रहा, परन्तु वह भी पराजित हुआ। इस प्रकार 7 जुलाई, 1799 ई० को लाहौर रणजीत सिंह के अधिकार में आ गया।

प्रश्न 4.
अमृतसर की जीत (महाराजा रणजीत सिंह द्वारा) का महत्त्व बतलाओ।
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के लिए अमृतसर की जीत का निम्नलिखित महत्त्व था —

  1. वह सिक्खों की धार्मिक राजधानी अर्थात् सबसे बड़े तीर्थ स्थल का संरक्षक बन गया।
  2. अमृतसर की विजय से महाराजा रणजीत सिंह की सैनिक शक्ति बढ़ गई। उसके लिए लोहगढ़ का किला बहुमूल्य सिद्ध हुआ। उसे तांबे तथा पीतल से बनी ज़मज़मा तोप भी प्राप्त हुई।
  3. महाराजा को प्रसिद्ध सैनिक अकाली फूला सिंह तथा उसके 2000 निहंग साथियों की सेवाएं प्राप्त हुईं। निहंगों के असाधारण साहस तथा वीरता के बल पर रणजीत सिंह ने शानदार विजय प्राप्त की।
  4. अमृतसर विजय के परिणामस्वरूप रणजीत सिंह की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कम्पनी की नौकरी करने वाले अनेक भारतीय वहां नौकरी छोड़ महाराजा के पास कार्य करने लगे। कई यूरोपियन सैनिक भी महाराजा की सेवा में भर्ती हो गए।

प्रश्न 5.
महाराजा रणजीत सिंह ने मित्र मिसलों पर कब तथा कैसे अधिकार किया?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह एक चतुर कूटनीतिज्ञ था। आरम्भ में उसने शक्तिशाली मिसलदारों से मित्रता करके कमज़ोर मिसलों पर अधिकार कर लिया। परन्तु उचित अवसर पाकर उसने मित्र मिसलों को भी जीत लिया। इन मिसलों पर महाराजा की विजय का वर्णन इस प्रकार है —

  1. कन्हैया मिसल-कन्हैया मिसल की बागडोर महाराजा रणजीत सिंह की सास सदा कौर के हाथ में थी। 1821 ई० में रणजीत सिंह ने वदनी को छोड़ कर इस मिसल के सभी प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया।
  2. रामगढ़िया मिसल-1815 ई० में रामगढ़िया मिसल के नेता जोध सिंह रामगढ़िया की मृत्यु हो गई। अतः रणजीत सिंह ने इस मिसल को अपने राज्य में विलीन कर लिया।
  3. आहलूवालिया मिसल-1825-26 ई० में महाराजा रणजीत सिंह तथा फतह सिंह आहलूवालिया के सम्बन्ध बिगड़ गए। परिणामस्वरूप महाराजा ने आहलूवालिया मिसल के सतलुज के उत्तर-पश्चिम में स्थित प्रदेशों पर अधिकार जमा लिया। परन्तु 1827 ई० में रणजीत सिंह की फतह सिंह से पुनः मित्रता हो गई।

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प्रश्न 6.
मुलतान की विजय (महाराजा रणजीत सिंह की) के परिणाम लिखो।
उत्तर-
मुलतान की विजय महाराजा रणजीत सिंह के जीवन की एक महत्त्वपूर्ण विजय थी। इसके निम्नलिखित परिणाम निकले —

  1. अफ़गान शक्ति की समाप्ति-मुलतान विजय के साथ ही पंजाब में अफ़गान शक्ति का प्रभाव सदा के लिए समाप्त हो गया, क्योंकि रणजीत सिंह ने अफ़गानों की शक्ति को बुरी तरह से नष्ट कर दिया था।
  2. व्यापारिक और सामरिक लाभ-मुलतान विजय से भारत का अफ़गानिस्तान और सिन्ध से व्यापार इसी मार्ग से होने लगा। इसके अतिरिक्त मुलतान का प्रदेश हाथ में आ जाने से रणजीत सिंह की सैन्य क्षमता में काफ़ी वृद्धि हो गई।
  3. आय में वृद्धि-मुलतान विजय से रणजीत सिंह की धन-सम्पत्ति में भी वृद्धि हुई। एक अनुमान के अनुसार मुलतान नगर से रणजीत सिंह को सात लाख रुपये वार्षिक आय होने लगी।
  4. रणजीत सिंह के यश में वृद्धि-मुलतान विजय से रणजीत सिंह का यश सारे पंजाब में फैल गया और सभी उसकी शक्ति का लोहा मानने लगे।

प्रश्न 7.
अटक की लड़ाई का वर्णन करो।
उत्तर-
1813 ई० में रणजीत सिंह तथा काबुल के वज़ीर फतह खां के बीच एक समझौता हुआ। इसके अनुसार रणजीत सिंह ने कश्मीर विजय के लिए 12 हज़ार सैनिक फतह खां की सहायता के लिए भेजने और इसके बदले फतह खां ने उसे जीते हुए प्रदेश तथा वहां से प्राप्त किए धन का तीसरा भाग देने का वचन दिया। इसके अतिरिक्त रणजीत सिंह ने फतह खां को अटक विजय में और फतह खां ने रणजीत सिंह को मुलतान विजय में सहायता देने का वचन भी दिया।
दोनों की सम्मिलित सेनाओं ने मिलकर कश्मीर पर आसानी से विजय प्राप्त कर ली। परन्तु फतह खां ने अपने वचन का पालन न किया। इसलिए रणजीत सिंह ने अटक के शासक को एक लाख रुपये वार्षिक आय की जागीर देकर अटक का प्रदेश ले लिया। फतह खां इसे सहन न कर सका। उसने शीघ्र ही अटक पर चढ़ाई कर दी। अटक के पास हज़रो के स्थान पर सिक्खों और अफ़गानों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में सिक्ख विजयी रहे।

प्रश्न 8.
सिंध के प्रश्न के बारे में बताओ।
उत्तर-
सिंध पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में स्थित अति महत्त्वपूर्ण प्रदेश है। यहां के निकटवर्ती प्रदेशों को विजित करने के पश्चात् 1830-31 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने सिंध पर अधिकार करने का निर्णय किया। परन्तु भारत के गवर्नर-जनरल ने महाराजा की इस विजय पर रोक लगाने का प्रयास किया। इस सम्बन्ध में उसने अक्तूबर, 1831 ई० को महाराजा से रोपड़ में भेंट की। परन्तु दूसरी ओर उसने कर्नल पेटिंगर (Col-Pottinger) को सिंध के अमीरों के साथ व्यापारिक संधि करने के लिए भेज दिया। जब रणजीत सिंह को इस बात का पता चला तो उसे बड़ा दुःख हुआ। परिणामस्वरूप अंग्रेज़-सिक्ख सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न होने लगा।

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प्रश्न 9.
शिकारपुर का प्रश्न क्या था?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह 1832 ई० से सिंध के प्रदेश शिकारपुर को अपने आधिपत्य में लेने के लिए उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा में था। यह अवसर उसे मजारी कबीले के लोगों द्वारा लाहौर राज्य के सीमान्त प्रदेशों पर किये जाने वाले आक्रमणों से मिला। रणजीत सिंह ने इन आक्रमणों के लिए सिन्ध के अमीरों को दोषी ठहरा कर शिकारपुर को हड़पने का प्रयत्न किया। शीघ्र ही राजकुमार खड़क सिंह के नेतृत्व में मजारियों के प्रदेश पर अधिकार कर लिया गया। परन्तु जब महाराजा ने सिन्ध के अमीरों से संधि की शर्तों को पूरा करवाने का प्रयास किया, तो अंग्रेज़ गवर्नर जनरल आकलैंड ने उसे रोक दिया। फलस्वरूप महाराजा तथा अंग्रेजों के सम्बन्ध बिगड़ गए।

प्रश्न 10.
फिरोजपुर का मामला क्या था?
उत्तर-
फिरोजपुर नगर सतलुज तथा ब्यास के संगम पर स्थित बहुत ही महत्त्वपूर्ण नगर है। ब्रिटिश सरकार फिरोजपुर के महत्त्व से भली-भान्ति परिचित थी। यह नगर लाहौर के समीप स्थित होने के कारण अंग्रेज़ यहां से न केवल महाराजा रणजीत सिंह की गतिविधियों पर नज़र रख सकते थे अपितु विदेशी आक्रमणों की रोकथाम भी कर सकते थे। अत: अंग्रेज़ सरकार ने 1835 ई० में फिरोज़पुर पर अपना अधिकार कर लिया और तीन वर्ष बाद इसे अपनी स्थायी सैनिक छावनी बना दिया। अंग्रेजों की इस कार्यवाही से महाराजा गुस्से से भर उठा।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह ने कमज़ोर रियासतों को कैसे जीता?
उत्तर-
रणजीत सिंह चतुर राजनीतिज्ञ था। उसने शक्तिशाली मिसलों से मित्रता कर ली। उनकी सहायता से उन्होंने कमज़ोर रियासतों को अपने अधीन कर लिया। 1800 से 1811 ई० तक उसने अग्रलिखित रियासतों पर विजय प्राप्त की-

  1. अकालगढ़ की विजय, 1801 ई०-अकालगढ़ के दल सिंह (रणजीत सिंह के पिता का मामा) तथा गुजरात के साहिब सिंह ने लाहौर पर आक्रमण करने की योजना बनाई। जब इस बात का पता रणजीत सिंह को चला तो उसने अकालगढ़ पर आक्रमण कर दिया और दल सिंह को बंदी बना लिया। बाद में उसे तो छोड़ दिया गया, परन्तु शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गयी। अत: रणजीत सिंह ने अकालगढ़ को अपने राज्य में मिला लिया।
  2. डल्लेवालिया मिसल पर अधिकार, 1807 ई०-डल्लेवालिया मिसल का नेता तारा सिंह घेबा था। जब तक वह जीवित रहा, महाराजा रणजीत सिंह ने इस मिसल पर अधिकार जमाने का कोई प्रयास न किया। परन्तु 1807 ई० में तारा सिंह घेबा की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु का समाचार मिलते ही महाराजा ने राहों पर आक्रमण कर दिया। तारा सिंह घेबा की विधवा ने रणजीत सिंह का सामना किया परन्तु वह पराजित हुई और महाराजा ने डल्लेवालिया मिसल के प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया।
  3. करोड़सिंधिया मिसल पर अधिकार, 1809 ई०-1809 ई० में करोड़ सिंघिया मिसल के सरदार बघेल सिंह का देहान्त हो गया। उसकी मृत्यु का समाचार मिलते ही महाराजा ने अपनी सेना करोड़सिंघिया मिसल की ओर भेज दी। बघेल सिंह की विधवाएं (राम कौर तथा राज कौर) महाराजा की सेना का अधिक देर तक सामना न कर सकीं। परिणामस्वरूप महाराजा ने इस मिसल के प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया।
  4. नकई मिसल के प्रदेशों पर विजय, 1810 ई०-1807 ई० में महाराजा की रानी राज कौर का भतीजा काहन सिंह नकई मिसल का सरदार बना। महाराजा ने उसे कई बार अपने दरबार में उपस्थित होने के लिए संदेश भेजा। परन्तु . वह सदैव महाराजा के आदेश की अवहेलना करता रहा। अत: 1810 ई० में महाराजा ने मोहकम चंद के नेतृत्व में उसके विरुद्ध सेना भेज दी। मोहकम चन्द ने जाते ही नकई मिसल के चूनीयां, शक्करपुर, कोट कमालिया आदि प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। काहन सिंह को निर्वाह के लिए 20,000 रु० वार्षिक आय वाली जागीर दे दी गई।
  5. फैजलपुरिया मिसल के इलाकों पर अधिकार, 1811 ई०-1811 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने फैजलपुरिया मिसल के सरदार बुध सिंह को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा। उसके इन्कार करने पर महाराजा ने उसके विरुद्ध अपनी सेना भेज दी। इस सेना का नेतृत्व भी मोहकम चंद ने किया। इस अभियान में फतह सिंह आहलूवालिया तथा जोध सिंह रामगढ़िया ने महाराजा का साथ दिया। बुध सिंह शत्रु का सामना न कर सका और उसने भाग कर अपनी जान बचाई। परिणामस्वरूप फैज़लपुरिया मिसल के जालन्धर, बहरामपुर, पट्टी आदि प्रदेशों पर महाराजा का अधिकार हो गया।

प्रश्न 2.
रणजीत सिंह की कश्मीर की विजय का वर्णन करो।
उत्तर-
कश्मीर की घाटी अपनी सुन्दरता के कारण पूर्व का स्वर्ग’ कहलाती थी। महाराजा रणजीत सिंह इसे विजय करके अपने राज्य को स्वर्ग बनाना चाहता था। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने निम्नलिखित प्रयास किए

  1. काबुल के वजीर फतह खां से समझौता-1811-12 ई० में सिक्खों ने कश्मीर के निकट स्थित भिंबर तथा राजौरी की रियासतों पर अधिकार कर लिया। अब वे कश्मीर घाटी पर अधिकार करना चाहते थे। परन्तु इसी समय काबुल के वज़ीर फतह खां बरकज़ाई ने भी कश्मीर विजय की योजना बनाई। अंतत: 1813 ई० में रोहतास नामक स्थान पर फतह खां तथा रणजीत सिंह के मध्य यह समझौता हुआ कि दोनों पक्षों की सेनाएं मिलकर कश्मीर पर आक्रमण करेंगी। यह भी निश्चित हुआ कि कश्मीर विजय के बाद फतह खां मुलतान की विजय में महाराजा की तथा महाराजा अटक विजय में फतह खां की सहायता करेगा। समझौते के पश्चात् महाराजा ने मोहकम चंद के नेतृत्व में 12,000 सैनिक कश्मीर विजय के लिए फतह खां की सहायता के लिए भेज दिए। परन्तु फतह खां चालाकी से सिक्ख सेनाओं को पीछे ही छोड़ गया और स्वयं कश्मीर घाटी में प्रवेश कर गया। उसने कश्मीर के शासक अत्ता मुहम्मद को सिक्खों की सहायता के बिना ही पराजित कर दिया। इस प्रकार उसने महाराजा के साथ हुए समझौते को तोड़ दिया।
  2. कश्मीर पर आक्रमण-जून, 1814 ई० में सिक्ख सेना ने राम दयाल के नेतृत्व में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। उस समय कश्मीर का सूबेदार फतह खां का भाई आज़िम खां था। वह एक योग्य सेनापति था। जैसे ही रामदयाल की सेना ने पीर पंजाल दर्रे को पार करके कश्मीर घाटी में प्रवेश किया, आज़िम खां ने थकी हुई सिक्ख सेना पर धावा बोल दिया। फिर भी रामदयाल ने बड़ी वीरता से शत्रु का सामना किया। अन्त में आज़िम खां तथा रामदयाल में समझौता हो गया।
  3. कश्मीर पर अधिकार-1819 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने मौका पाकर मिसर दीवान चन्द के अधीन 12,000 सैनिकों को कश्मीर भेजा। उसकी सहायता के लिए खड़क सिंह के नेतृत्व में एक अन्य सैनिक टुकड़ी भी भेजी गयी। महाराजा स्वयं भी तीसरा दस्ता लेकर वजीराबाद चला गया। मिसर दीवान चन्द ने भिंबर पहुंच कर राजौरी, पुंछ तथा पीर पंजाल पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् सिक्ख सेना ने कश्मीर में प्रवेश किया। वहां के कार्यकारी सूबेदार जबर खां ने सपीन (स्पाधन) नामक स्थान पर सिक्खों का डट कर सामना किया। फिर भी सिक्ख सेना ने 5 जुलाई, 1819 ई० को कश्मीर को सिक्ख राज्य में मिला लिया। दीवान मोती राम को कश्मीर का सूबेदार नियुक्त किया गया। . महत्त्व-महाराजा के लिए कश्मीर विजय बहुत ही महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई-
    1. इस विजय से महाराजा की प्रसिद्धि में वृद्धि हुई।
    2. इस विजय से महाराजा को 36 लाख रुपए की वार्षिक आय होने लगी
    3. इस विजय ने अफ़गानों की शक्ति पर भयंकर प्रहार किया।

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प्रश्न 3.
रणजीत सिंह की मुलतान की विजय का वर्णन करो।
उत्तर-
मुलतान का प्रदेश आर्थिक तथा सैनिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण था। इसे प्राप्त करने के लिए महाराजा ने कई आक्रमण किये जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. पहला आक्रमण-1802 ई० में महाराजा ने मुलतान पर पहला आक्रमण किया। परन्तु वहां के शासक नवाब मुजफ्फर खां ने महाराजा को नज़राने के रूप में बड़ी राशि देकर वापस भेज दिया।
  2. दूसरा आक्रमण-मुलतान के नवाब ने अपने वचन के अनुसार महाराजा को वार्षिक कर न भेजा। इसलिए महाराजा रणजीत सिंह ने 1805 ई० में पुनः मुलतान पर आक्रमण कर दिया। परन्तु मराठा सरदार जसवन्त राय होल्कर के अपनी सेना के साथ पंजाब में आने से महाराजा को वापस जाना पड़ा।
  3. तीसरा आक्रमण-1807 में महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान पर तीसरी बार आक्रमण किया। सिक्ख सेना ने मुलतान के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। परन्तु बहावलपुर के नवाब ने महाराजा तथा नवाब मुजफ्फर खान में समझौता करवा दिया।
  4. चौथा आक्रमण-24 फरवरी, 1810 ई० को महाराजा की सेना ने मुलतान के कुछ प्रदेशों पर पुनः अपना अधिकार कर लिया। 25 फरवरी को सिक्खों ने मुलतान के किले को भी घेर लिया। परन्तु सिक्ख सैनिकों को कुछ क्षति उठानी पड़ी। इसके अतिरिक्त मोहकम चन्द भी बीमार हो गया। अत: महाराजा को किले का घेरा उठाना पड़ा।
  5. पांचवां प्रयास-1816 ई० में महाराजा ने अकाली फूला सिंह को सेना सहित मुलतान तथा बहावलपुर के शासकों से कर वसूल करने के लिए भेजा। उसने मुलतान के कुछ बाहरी क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। अतः मुलतान के नवाब ने तुरन्त फूला सिंह से समझौता कर लिया।
  6. अन्य प्रयास-(i) 1817 ई० में भवानी दास के नेतृत्व में सिक्ख सेना ने मुलतान पर आक्रमण किया परन्तु उसे सफलता न मिली।
    (ii) जनवरी, 1818 ई० में 20,000 सैनिकों के साथ मिसर दीवान चन्द ने मुलतान पर आक्रमण कर दिया। नवाब मुजफ्फर खां किले के अन्दर जा छिपा। सिक्ख सैनिकों ने नगर को जीतने के पश्चात् किले को घेर लिया। आखिर मुलतान पर सिक्खों का अधिकार हो गया।
    महत्त्व-

    1. मुलतान की विजय से रणजीत सिंह के सम्मान में वृद्धि हुई
    2. दक्षिण पंजाब में अफ़गानों की शक्ति को आघात पहुंचा।
    3. डेराजात तथा बहावलपुर के दाऊद पुत्र महाराजा के अधीन हो गए।
    4. महाराजा के लिए आर्थिक रूप से भी यह विजय लाभदायक सिद्ध हुई। इससे राज्य के व्यापार में वृद्धि हुई।

सच तो यह है कि मुलतान विजय ने महाराजा को अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर विजय पाने के लिए उत्साहित किया।

प्रश्न 4.
रणजीत सिंह की पेशावर की जीत का वर्णन करो।
उत्तर-
पेशावर पंजाब के उत्तर-पश्चिम में सिंध नदी के पार स्थित था। यह नगर अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण सैनिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण था। महाराजा रणजीत सिंह पेशावर के महत्त्व को समझता था। इसलिए वह इस प्रदेश को अपने राज्य में मिलाना चाहता था।

  1. पेशावर पर पहला आक्रमण-15 अक्तूबर 1818 को महाराजा रणजीत सिंह ने अकाली फूला सिंह तथा हरी सिंह नलवा को साथ लेकर लाहौर से पेशावर की ओर कूच किया। खटक कबीले के लोगों ने उनका विरोध किया। परन्तु सिक्खों ने उन्हें पराजित करके खैराबाद तथा जहांगीर नामक किलों पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् सिक्ख सेना पेशावर की ओर बढ़ी। उस समय पेशावर का शासक यार मुहम्मद खान था। वह पेशावर छोड़ कर भाग गया। इस प्रकार 20 नवम्बर, 1818 ई० को महाराजा ने बिना किसी विरोध के पेशावर पर अधिकार कर लिया।
  2. पेशावर का दूसरा आक्रमण-सिक्ख सेना के पेशावर से लाहौर जाते ही यार मुहम्मद फिर से पेशावर पर अपना अधिकार जमाने में सफल हो गया। इसकी सूचना मिलने पर महाराजा ने राजकुमार खड़क सिंह तथा मिसर दीवान चन्द के नेतृत्व में 12,000 सैनिकों की विशाल सेना पेशावर भेज दी। परन्तु यार मुहम्मद ने महाराजा की अधीनता स्वीकार कर ली।
  3. पेशावर पर तीसरा आक्रमण-इसी बीच काबुल के नये वज़ीर आज़िम खां ने पेशावर पर आक्रमण कर दिया। जनवरी 1823 ई० में उसने यार मुहम्मद खां को पराजित करके पेशावर पर अपना अधिकार कर लिया। इस बात की सूचना मिलते ही महाराजा ने शेर सिंह, दीवान किरपा राम, हरी सिंह नलवा तथा अतर दीवान सिंह के अधीन एक विशाल सेना पेशावर भेजी। आज़िम खान ने सिक्खों के विरुद्ध ‘जेहाद’ का नारा लगा दिया। 14 मार्च, 1823 ई० को नौशहरा नामक स्थान पर सिक्खों तथा अफ़गानों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इसे ‘टिब्बा टेहरी’ का युद्ध भी कहा जाता है। इस युद्ध में अकाली फूला सिंह मारा गया। अतः सिक्खों का उत्साह बढ़ाने के लिए महाराजा स्वयं आगे बढ़ा। शीघ्र ही सिक्खों ने आज़िम खां को पराजित कर दिया।
  4. सैय्यद अहमद खां को कुचलना-1827 ई० से 1831 ई० तक पेशावर तथा उसके आस-पास के प्रदेशों में सैय्यद अहमद खां नामक व्यक्ति ने विद्रोह किया। 1829 में उसने पेशावर पर आक्रमण कर दिया। यार मुहम्मद, जो महाराजा के अधीन था, उसका सामना न कर सका। उसे जून, 1830 ई० में हरी सिंह नलवा ने सिंध नदी के तट पर हराया। इसी बीच सैय्यद अहमद खां ने फिर से शक्ति प्राप्त कर ली। इस बार उसे मई, 1831 ई० में राजकुमार शेर सिंह ने बालाकोट की लड़ाई में परास्त किया।
  5. पेशावर का लाहौर राज्य में विलय-1831 ई० के पश्चात् महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर को लाहौर राज्य में सम्मिलित करने की योजना बनाई। इस उद्देश्य से उसने हरी सिंह नलवा तथा राजकुमार नौनिहाल सिंह के नेतृत्व में 9,000 सैनिकों को पेशावर की ओर भेजा। 6 मई, 1834 को सिक्खों ने पेशावर पर अधिकार कर लिया और महाराजा ने पेशावर की लाहौर राज्य में विलय की घोषणा कर दी। हरी सिंह नलवा को पेशावर का सूबेदार नियुक्त किया गया।
  6. दोस्त मुहम्मद खां का पेशावर को वापस लेने का असफल प्रयास-1834 ई० में काबुल के दोस्त मुहम्मद खां ने शाह शुजा को पराजित करके सिक्खों से पेशावर वापस लेने का निर्णय किया। उसने अपने पुत्र मुहम्मद अकबर खान के नेतृत्व में 18,000 सैनिकों को सिक्खों के विरुद्ध भेजा। दोनों पक्षों में जम कर लड़ाई हुई। अन्त में सिक्ख विजयी रहे।

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प्रश्न 5.
किन-किन मसलों पर रणजीत सिंह तथा अंग्रेजों की आपस में न बनी?
उत्तर-
रणजीत सिंह तथा अंग्रेजों के सम्बन्धों में विशेष रूप से तीन मसलों ने तनाव उत्पन्न किया। ये मसले थेसिंध का प्रश्न, शिकारपुर का प्रश्न तथा फिरोजपुर का प्रश्न। इनका अलग-अलग वर्णन इस प्रकार है —

  1. सिन्ध का प्रश्न-सिन्ध पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में स्थित अति महत्त्वपूर्ण प्रदेश है। यहां के निकटवर्ती प्रदेशों को विजित करने के पश्चात् 1830-31 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने सिन्ध पर अधिकार करने का निर्णय किया। परन्तु भारत के गवर्नर-जनरल विलियम बंटिक ने महाराजा की इस विजय पर रोक लगाने का प्रयास किया। इस सम्बन्ध में उसने अक्तूबर, 1831 ई० को महाराजा से रोपड़ में भेंट की। परन्तु दूसरी ओर उसने कर्नल पोटिंगर (Col. Pottinger) को सिन्ध के अमीरों के साथ व्यापारिक सन्धि करने के लिए भेज दिया। जब रणजीत सिंह को इस बात का पता चला तो उसे बड़ा दुःख हुआ। परिणामस्वरूप अंग्रेज़-सिक्ख सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न होने लगा।
  2. शिकारपुर का प्रश्न-महाराजा रणजीत सिंह 1832 ई० से सिंध के प्रदेश शिकारपुर को अपने आधिपत्य में लेने के लिए एक उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा में था। यह अवसर उसे मजारी कबीले के लोगों द्वारा लाहौर राज्य के सीमान्त प्रदेशों पर किए जाने वाले आक्रमणों से मिला। रणजीत सिंह ने इन आक्रमणों के लिए सिन्ध के अमीरों को दोषी ठहरा कर शिकारपुर को हड़पने का प्रयत्न किया। शीघ्र ही सिक्खों ने राजकुमार खड़क सिंह के नेतृत्व में मजारियों . के प्रदेश पर अधिकार कर लिया। परन्तु जब महाराजा ने सिन्ध के अमीरों से संधि की शर्तों को पूरा करवाने का प्रयास , किया तो अंग्रेज़ गवर्नर जनरल ऑकलैंड ने उसे रोक दिया। फलस्वरूप महाराजा तथा अंग्रेजों के संबंध बिगड़ गए।
  3. फिरोजपुर का प्रश्न-फिरोजपुर नगर सतलुज तथा ब्यास के संगम पर स्थित था। वह बहुत ही महत्त्वपूर्ण नगर था। ब्रिटिश सरकार फिरोजपुर के महत्त्व से भली-भान्ति परिचित थी। यह नगर लाहौर के समीप स्थित होने से अंग्रेज़ : यहां से न केवल महाराजा रणजीत सिंह की गतिविधियों की देख-रेख कर सकते थे अपितु विदेशी आक्रमणों की . रोकथाम भी कर सकते थे। अत: अंग्रेज़ सरकार ने 1835 ई० में फिरोजपुर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया और ; तीन वर्ष बाद इसे अपनी स्थायी सैनिक छावनी बना दिया। अंग्रेजों की इस कार्यवाही से महाराजा गुस्से से भर उठा।

PSEB 10th Class Social Science Guide रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
(i) रणजीत सिंह ने लाहौर पर विजय कब पाई?
(ii) उस समय लाहौर पर किसका अधिकार था?
उत्तर-
(i) रणजीत सिंह ने जुलाई, 1799 ई० में लाहौर पर विजय पाई।
(ii) उस समय लाहौर पर भंगी मिसल के सरदार चेत सिंह, मोहर सिंह और साहिब सिंह का अधिकार था।

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प्रश्न 2.
1812 ई० से पूर्व रणजीत सिंह द्वारा जीते गए किन्हीं चार प्रदेशों के नाम बताओ।
उत्तर-
लाहौर, अमृतसर, स्यालकोट, जालन्धर।

प्रश्न 3.
रणजीत सिंह ने
(i) मुलतान
(i) कश्मीर तथा
(ii) पेशावर पर कब-कब अधिकार किया?
उत्तर-
रणजीत सिंह ने मुलतान, कश्मीर तथा पेशावर पर क्रमशः
(i) 1818 ई०,
(ii) 1819 ई० तथा
(iii) 1834 ई० में अधिकार किया।

प्रश्न 4.
रणजीत सिंह की लाहौर विजय का क्या महत्त्व था?
उत्तर-
लाहौर की विजय ने रणजीत सिंह को पूरे पंजाब का शासक बनाने में सहायता दी।

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प्रश्न 5.
रणजीत सिंह की माता का क्या नाम था?
उत्तर-
राजकौर।

प्रश्न 6.
चेचक का रणजीत सिंह के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
उसके चेहरे पर चेचक के दाग पड़ गए और उसकी बाईं आंख जाती रही।

प्रश्न 7.
बाल रणजीत सिंह ने किस चट्ठा सरदार को मार गिराया था?
उत्तर-
हशमत खां को।

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प्रश्न 8.
सदा कौर कौन थी?
उत्तर-
सदा कौर रणजीत सिंह की सास थी।

प्रश्न 9.
रणजीत सिंह के बड़े बेटे का क्या नाम था?
उत्तर-
खड़क सिंह।

प्रश्न 10.
रणजीत सिंह के पिता महासिंह का देहान्त कब हुआ?
उत्तर-
1792 ई० में।

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प्रश्न 11.
रणजीत सिंह ने सुकरचकिया मिसल की बागडोर कब संभाली?
उत्तर-
1797 ई० में।

प्रश्न 12.
रणजीत सिंह महाराजा कब बने?
उत्तर-
1801 ई० में।

प्रश्न 13.
महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सरकार को क्या नाम दिया?
उत्तर-
सरकार-ए-खालसा ।

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प्रश्न 14.
महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब की राजधानी कौन-सी थी?
उत्तर-
लाहौर।

प्रश्न 15.
महाराजा रणजीत सिंह ने अपने सिक्के किसके नाम पर जारी किए?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह ने अपने सिक्के श्री गुरु नानक देव जी तथा गुरु गोबिन्द सिंह जी के नाम पर जारी किए।

प्रश्न 16.
अमृतसर की विजय के परिणामस्वरूप महाराजा रणजीत सिंह को कौन-सी बहुमूल्य तोप प्राप्त हुई?
उत्तर-
जम-जमा तोप।

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प्रश्न 17.
महाराजा रणजीत सिंह को किस विजय के परिणामस्वरूप अकाली फूला सिंह की सेवाएं – प्राप्त हुई?
उत्तर-
अमृतसर की विजय।

प्रश्न 18.
महाराजा रणजीत सिंह ने गुजरात विजय किसके नेतृत्व में प्राप्त की?
उत्तर-
फ़कीर अजीजुद्दीन के।

प्रश्न 19.
जम्मू विजय के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने वहां का गवर्नर किसे बनाया?
उत्तर-
जमादार खुशहाल सिंह को।

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प्रश्न 20.
संसार चन्द कटोच कहां का राजा था?
उत्तर-
कांगड़ा का।

प्रश्न 21.
महाराजा रणजीत सिंह ने कांगड़ा का गवर्नर किसे बनाया?
उत्तर-
देसा सिंह मजीठिया को।

प्रश्न 22.
महाराजा रणजीत सिंह की अन्तिम विजय कौन-सी थी?
उत्तर-
पेशावर की विजय।

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प्रश्न 23.
किस स्थान के युद्ध को ‘टिब्बा-टेहरी’ का युद्ध कहा जाता है?
उत्तर-
नौशहरा के युद्ध को।

प्रश्न 24.
महाराजा रणजीत सिंह का सेनानायक अंकाली फूला सिंह किस युद्ध में मारा गया?
उत्तर-
नौशहरा के युद्ध में।

प्रश्न 25.
हरी सिंह नलवा कौन था?
उत्तर-
हरी सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह का प्रसिद्ध सेनानायक था।

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प्रश्न 26.
महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर का सूबेदार किसे बनाया?
उत्तर-
हरी सिंह नलवा को।

प्रश्न 27.
अमृतसर की संधि कब हुई?
उत्तर-
1809 ई० में।

प्रश्न 28.
अंग्रेजों, रणजीत सिंह तथा शाहशुजा के बीच त्रिपक्षीय सन्धि कब हुई?
उत्तर-
1838 ई० में।

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प्रश्न 29.
महाराजा रणजीत सिंह का देहान्त कब हुआ?
उत्तर-
जून, 1839 ई० में।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. रणजीत सिंह के पिता का नाम ………….. था।
  2. महाराजा रणजीत सिंह ने गुजरात विजय ………… के नेतृत्व में प्राप्त की।
  3. जम्मू विजय के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने …………… को वहां का गवर्नर बनाया।
  4. महाराजा रणजीत सिंह ने अंतिम विजय ………… पर की थी।
  5. ………. के युद्ध को टिब्बा-टेहरी का युद्ध भी कहा जाता है।
  6. ……….. महाराजा रणजीत सिंह का प्रसिद्ध सेनानायक था।
  7. ……….. ई० में अमृतसर की संधि हुई।

उत्तर-

  1. सरदार महा सिंह,
  2. फ़कीर अजीजुद्दीन,
  3. जमादार खुशहाल सिंह,
  4. पेशावर,
  5. नौशहरा,
  6. हरी सिंह नलवा,
  7. 1809.

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह का जन्म हुआ
उत्तर-
(A) 13 नवंबर, 1780 ई० को
(B) 23 नवंबर, 1780 ई० को
(C) 13 नवंबर, 1870 ई० कों
(D) 23 नवंबर, 1870 ई० को।
उत्तर-
(A) 13 नवंबर, 1780 ई० को

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प्रश्न 2.
रणजीत सिंह की पत्नी थी
(A) प्रकाश कौर
(B) सदा कौर
(C) दया कौर
(D) महताब कौर।
उत्तर-
(D) महताब कौर।

प्रश्न 3.
डल्लेवालिया मिसल का नेता था
(A) विनोद सिंह
(B) तारा सिंह घेबा
(C) अब्दुससमद
(D) नवाब कपूर सिंह।
उत्तर-
(B) तारा सिंह घेबा

प्रश्न 4.
रणजीत सिंह ने लाहौर पर विजय प्राप्त की
(A) 1801 ई० में
(B) 1812 ई० में
(C) 1799 ई० में
(D) 1780 ई० में।
उत्तर-
(C) 1799 ई० में

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प्रश्न 5.
बाल रणजीत सिंह ने किस चट्ठा सरकार को मार गिराया?
(A) चेत सिंह को
(B) हशमत खां को
(C) मोहर सिंह को
(D) मुहम्मद खां को।
उत्तर-
(B) हशमत खां को

प्रश्न 6.
महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब की राजधानी थी
(A) इस्लामाबाद
(B) अमृतसर
(C) सियालकोट
(D) लाहौर।
उत्तर-
(D) लाहौर।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. महा सिंह कन्हैया मिसल का सरदार था।
  2. रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल की बागडोर 1792 ई० में सम्भाली।
  3. तारा सिंह घेबा डल्लेवालिया मिसल का नेता था।
  4. हरि सिंह नलवा पेशावर का सूबेदार था।
  5. महाराजा रणजीत सिंह तथा विलियम बैंटिक के बीच भेंट कपूरथला में हुई।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗).

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 7 रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध

V. उचित मिलान

  1. सरकार-ए-खालसा कांगड़ा का राजा
  2. गुजरात (पंजाब) विजय – कांगड़ा का गवर्नर
  3. संसार चन्द कटोच – महाराजा रणजीत सिंह
  4. ढेसा सिंह मजीठिया – फ़कीर अजीजुद्दीन।

उत्तर-

  1. सरकार-ए-खालसा-महाराजा रणजीत सिंह,
  2. गुजरात (पंजाब) विजय-फकीर अजीजुद्दीन,
  3. संसार चन्द कटोच-कांगड़ा का राजा,
  4. ढेसा सिंह मजीठिया-कांगड़ा का गवर्नर।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह का महाराजा बनना’ इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
12 अप्रैल, 1801 ई० को वैशाखी के शुभ अवसर पर लाहौर में रणजीत सिंह के महाराजा बनने की रस्म बड़ी धूमधाम से मनाई गई। उसने अपनी सरकार को ‘सरकार-ए-खालसा’ का नाम दिया। महाराजा बनने पर भी रणजीत सिंह ने ताज ग्रहण न किया। उसने अपने सिक्के गुरु नानक साहिब तथा गुरु गोबिन्द सिंह जी के नाम पर जारी किये। इस प्रकार से रणजीत सिंह ने खालसा को ही सर्वोच्च शक्ति माना। इमाम बख्श को लाहौर का कोतवाल नियुक्त किया गया।

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प्रश्न 2.
महाराजा रणजीत सिंह द्वारा डेराजात की विजय का वर्णन करो।
उत्तर-
मुलतान तथा कश्मीर की विजयों के पश्चात् महाराजा रणजीत सिंह ने डेरा गाजी खान को विजय करने का निर्णय किया। उस समय वहां का शासक ज़मान खान था। महाराजा ने जमादार खुशहाल सिंह के नेतृत्व में ज़मान खान के विरुद्ध सेना भेजी। इस सेना ने ज़मान खान को परास्त करके डेरा गाज़ी खान पर अपना अधिकार कर लिया।
डेरा गाजी खां की विजय के पश्चात् महाराजा रणजीत सिंह डेरा इस्मायल खान तथा मानकेरा की ओर बढ़ा। उसने इन क्षेत्रों पर अधिकार करने के लिए 1821 ई० में मिसर दीवान चंद को भेजा। वहां के शासक अहमद खां ने महाराजा को नज़राना देकर टालना चाहा। परन्तु मिसर दीवान चंद ने नज़राना लेने से इन्कार कर दिया और आगे बढ़ कर मानकेरा पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 3.
रणजीत सिंह की किन्हीं चार आरम्भिक विजयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रणजीत सिंह की चार आरम्भिक विजयों का वर्णन इस प्रकार है

  1. लाहौर की विजय-रणजीत सिंह ने सबसे पहले लाहौर पर विजय प्राप्त की। मोहर सिंह और साहिब सिंह लाहौर छोड़ कर भाग निकले। रणजीत सिंह ने चेत सिंह को पराजित कर जुलाई, 1799 ई० में लाहौर पर अधिकार कर लिया।
  2. सिक्ख-मुस्लिम संघ की पराजय-रणजीत सिंह की लाहौर विजय को देख कर आस-पास के सिक्ख तथा मुस्लिम शासकों ने संगठित होकर उससे लड़ने का निश्चय किया। 1800 ई० में भसीन नामक स्थान पर युद्ध हुआ। इस युद्ध में बिना किसी खून-खराबे के रणजीत सिंह विजयी रहा।
  3. अमृतसर की विजय-अमृतसर पर रणजीत सिंह के आक्रमण के समय वहां के शासन की बागडोर माई सुक्खां के हाथों में थी। माई सुक्खां ने कुछ समय तक विरोध करने के बाद हथियार डाल दिए और अमृतसर पर रणजीत सिंह का अधिकार हो गया।
  4. सिक्ख मिसलों पर विजय-रणजीत सिंह ने अब स्वतन्त्र सिक्ख मिसलों के नेताओं के साथ मित्रता स्थापित की। उनके सहयोग से उसने छोटी-छोटी मिसलों पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 4.
किन्हीं चार सिक्ख मिसलों पर रणजीत सिंह की विजय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  1. 1802 ई० रणजीत सिंह ने अकालगढ़ के दल सिंह को पराजित करके उसके प्रदेश को अपने राज्य में मिला लिया।
  2. 1807 ई० में डल्लेवालिया मिसल के नेता सरदार तारा सिंह घेबा की मृत्यु पर रणजीत सिंह ने इस मिसल के कई प्रदेशों को जीत लिया।
  3. अगले ही वर्ष उसने स्यालकोट के जीवन सिंह को हरा कर उसके अधीनस्थ प्रदेशों को अपने राज्यों में मिला लिया।
  4. 1810 ई० में उसने नक्कई मिसल के सरदार काहन सिंह तथा गुजरात के सरदार साहिब सिंह के प्रदेशों को अपने अधिकार में ले लिया।

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प्रश्न 5.
अमृतसर की सन्धि की क्या शतें थीं?
उत्तर-
अमृतसर की सन्धि पर 25 अप्रैल, 1809 ई० को हस्ताक्षर हुए। इस सन्धि की प्रमुख शर्ते इस प्रकार थीं

  1. दोनों सरकारें एक-दूसरे के प्रति मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखेंगी।
  2. अंग्रेज़ सतलुज नदी के उत्तरी क्षेत्र के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे जब कि रणजीत सिंह इसके दक्षिणी क्षेत्रों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
  3. ब्रिटिश सरकार ने रणजीत सिंह को सबसे प्यारा राजा मान लिया। उसे विश्वास दिलाया गया कि वे उसके राज्य अथवा प्रजा से कोई सम्बन्ध नहीं रखेंगे। दोनों में से कोई आवश्यकता से अधिक सेना नहीं रखेगा।
  4. सतलुज के दक्षिण में रणजीत सिंह उतनी ही सेना रख सकेगा जितनी उस प्रदेश में शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक होगी।
  5. यदि कोई भी पक्ष इस सन्धि के विरुद्ध कोई कार्य करेगा तो सन्धि को भंग समझा जाएगा।

प्रश्न 6.
अमृतसर की सन्धि ( 1809) का क्या महत्त्व था?
उत्तर-
अमृतसर की सन्धि ने महाराजा रणजीत सिंह के समस्त पंजाब पर अधिकार करने के स्वप्न को भंग कर दिया। सतलुज नदी उसके राज्य की सीमा बन कर रह गई। यही नहीं इससे रणजीत सिंह की प्रतिष्ठा को भी भारी धक्का लगा। अपने राज्य में उसका दबदबा कम होने लगा, फिर भी इस संधि से उसे कुछ लाभ भी हए। इस सन्धि के द्वारा उसने पंजाब को अंग्रेजों के आक्रमण से बचा लिया। जब तक वह जीवित रहा, अंग्रेजों ने पंजाब की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखा। इस प्रकार रणजीत सिंह को उत्तर-पश्चिम की ओर अपने राज्य को विस्तृत करने का समय मिला। उसने मुलतान, अटक, कश्मीर, पेशावर तथा डेराजात के प्रदेशों को जीत कर अपनी शक्ति में खूब वृद्धि की।

प्रश्न 7.
किन्हीं चार बिन्दुओं के आधार पर नौशहरा की लड़ाई के महत्त्व को समझाए।
उत्तर-

  1. नौशहरा की लड़ाई में आज़िम खां पराजित हुआ था और मरने से पहले वह अपने पुत्रों को इस अपमान का बदल लेने की शपथ दिला गया। इस प्रकार अफ़गानों तथा सिक्खों के बीच चिरस्थायी शत्रुता आरम्भ हो गई।
  2. इस विजय से सिक्खों की वीरता की धाक जम गई। सिक्खों में आत्म-विश्वास का संचार हुआ और उन्होंने अफ़गानों के प्रति और भी उग्र नीति को अपना लिया।
  3. इस लड़ाई के परिणामस्वरूप सारे पंजाब में रणजीत सिंह की शक्ति का लोहा माना जाने लगा। इसके अतिरिक्त नौशहरा की लड़ाई के कारण सिन्ध तथा पेशावर के बीच स्थित अफ़गान प्रदेशों पर महाराजा रणजीत सिंह की सत्ता दृढ़ हो गई।
  4. इस युद्ध के पश्चात् उत्तर-पश्चिमी भारत में अफ़गानों की शक्ति पूरी तरह समाप्त हो गई।

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प्रश्न 8.
अंग्रेजों, शाहशुजा तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच होने वाली त्रिदलीय संधि पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
1837 ई० में रूस, एशिया की ओर बढ़ने लगा था। अंग्रेजों को यह भय हो गया कि कहीं रूस अफ़गानिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण न कर दे। अतः उन्होंने अफ़गानिस्तान के साथ मित्रता स्थापित करनी चाही। इस उद्देश्य से कैप्टन बन्ज (Burnes) को काबुल भेजा गया। परन्तु वहां के शासक दोस्त मुहम्मद ने इस शर्त पर समझौता करना स्वीकार किया कि अंग्रेज़ उसे रणजीत सिंह से पेशावर का प्रदेश लेकर दें। अंग्रेजों के लिए रणजीत सिंह की मित्रता भी महत्त्वपूर्ण थी। इसलिए उन्होंने इस शर्त को न माना और अफ़गानिस्तान के भूतपूर्व शासक शाह शुजा के साथ एक समझौता कर लिया। इस समझौते में रणजीत सिंह को भी शामिल किया गया। यही समझौता त्रिदलीय संधि के नाम से प्रसिद्ध है।

बड़े उत्तर वाले प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
रणजीत सिंह की लाहौर, अमृतसर, अटक, मुलतान तथा कश्मीर की विजयों का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की प्रमुख विजयों का वर्णन करें।
उत्तर-
रणजीत सिंह की लाहौर, अमृतसर, अटक, मुलतान तथा कश्मीर की प्रमुख विजयों का वर्णन इस प्रकार है

  1. लाहौर की विजय-लाहौर पर भंगी मिसल के सरदार चेत सिंह, मोहर सिंह और साहिब सिंह का अधिकार था। लाहौर के निवासी इन सरदारों के शासन से तंग आ चुके थे। इसीलिए उन्होंने रणजीत सिंह को लाहौर पर आक्रमण करने का निमन्त्रण भेजा। रणजीत सिंह ने एक विशाल सेना लेकर लाहौर पर धावा बोल दिया। मोहर सिंह और साहिब सिंह लाहौर छोड़ कर भाग निकले। अकेला चेत सिंह ही रणजीत सिंह का सामना करता रहा, परन्तु वह भी पराजित हुआ। इस प्रकार 7 जुलाई, 1799 ई० को लाहौर रणजीत सिंह के अधिकार में आ गया।
  2. अमृतसर की विजय-अमृतसर के शासन की बागडोर गुलाब सिंह की विधवा माई सुक्खां के हाथ में थी। रणजीत सिंह ने माई सुक्खां को सन्देश भेजा कि वह अमृतसर स्थित लोहगढ़ का दुर्ग तथा प्रसिद्ध ज़मज़मा तोप उसके हवाले कर दे। परन्तु माई सुक्खां ने उसकी यह मांग ठुकरा दी। इसलिए रणजीत सिंह ने अमृतसर पर आक्रमण कर दिया और माई सुक्खां को पराजित करके अमृतसर को अपने राज्य में मिला लिया।
  3. मुलतान विजय-मुलतान उस समय व्यापारिक और सैनिक दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। 1818 ई० तक रणजीत सिंह ने मुलतान पर छ: आक्रमण किए, परन्तु हर बार वहां का पठान शासक मुजफ्फर खां रणजीत सिंह को भारी नज़राना देकर पीछा छुड़ा लेता था। 1818 ई० में रणजीत सिंह ने मुलतान को सिक्ख राज्य में मिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उसने मिसर दीवान चन्द तथा अपने पुत्र खड़क सिंह के अधीन 25 हज़ार सैनिक भेजे। सिक्ख सेना ने मुलतान के किले पर घेरा डाल दिया। मुजफ्फर खां ने किले से सिक्ख सेना का सामना किया, परन्तु अन्त में वह मारा गया और मुलतान सिक्खों के अधिकार में आ गया।
  4. कश्मीर विजय-अफ़गानिस्तान के वज़ीर फतह खां ने कश्मीर विजय के बाद रणजीत सिंह को उसका हिस्सा नहीं दिया था। अत: अब रणजीत सिंह ने कश्मीर विजय के लिए रामदयाल के अधीन एक सेना भेजी। इस युद्ध में रणजीत सिंह स्वयं भी रामदयाल के साथ गया, परन्तु सिक्खों को सफलता न मिल सकी। 1819 ई० में उसने मिसर दीवान चन्द तथा राजकुमार खड़क सिंह के नेतृत्व में एक बार फिर सेना भेजी। कश्मीर का नया गवर्नर जाबर खां सिक्खों का सामना करने के लिए आगे बढ़ा परन्तु सुपान के स्थान पर उसकी करारी हार हुई।

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प्रश्न 2.
रणजीत सिंह की अमृतसर विजय का वर्णन करते हुए इसका महत्त्व बताएं।
उत्तर-
गुलाब सिंह भंगी की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र गुरदित्त सिंह अमृतसर का शासक बना। उस समय वह नाबालिग. था। इसीलिए राज्य की सारी शक्ति उसकी मां माई सुक्खां के हाथ में थी। महाराजा रणजीत सिंह अमृतसर पर अपना अधिकार करने का अवसर ढूंढ रहा था।
1805 ई० को उसे यह अवसर मिल गया। उसने माई सुक्खां को संदेश भेजा कि वह जमजमा तोप उसके हवाले कर दे। उसने उससे लोहगढ़ के किले की मांग भी की। परन्तु माई सुक्खां ने महाराजा की मांगों को अस्वीकार कर दिया। महाराजा पहले ही युद्ध के लिए तैयार बैठा था। उसने तुरन्त अमृतसर पर आक्रमण करके लोहगढ़ के किले को घेर लिया। इस अभियान में सदा कौर तथा फतह सिंह आहलूवालिया ने रणजीत सिंह का साथ दिया। महाराजा विजयी रहा और उसने अमृतसर तथा लोहगढ़ के किले पर अधिकार कर लिया। माई सुक्खां तथा गुरदित्त सिंह को जीवन-निर्वाह के लिए जागीर दे दी गई। अमृतसर का अकाली फूला सिंह अपने 2000 निहंग साथियों के साथ रणजीत सिंह की सेना में शामिल हो गया। – अमृतसर की विजय का महत्त्व-

  1. अमृतसर की विजय लाहौर की विजय के बाद महाराजा रणजीत सिंह की सबसे महत्त्वपूर्ण विजय थी। इसका कारण यह था कि जहां लाहौर पंजाब की राजधानी था, वहीं अमृतसर अब सिक्खों की धार्मिक राजधानी बन गया था।
  2. अमृतसर की विजय से महाराजा रणजीत सिंह की सैनिक शक्ति बढ़ गई। उसके लिए लोहगढ़ का किला बहुमूल्य सिद्ध हुआ। उसे तांबे तथा पीतल से बनी ज़मज़मा तोप भी प्राप्त हुई।
  3. महाराजा को प्रसिद्ध सैनिक अकाली फूला सिंह तथा उसके 2000 निहंग साथियों की सेवाएं प्राप्त हुईं। निहंगों के असाधारण साहस तथा वीरता के बल पर रणजीत सिंह को कई शानदार विजय प्राप्त हुईं।
  4. अमृतसर विजयं के परिणामस्वरूप रणजीत सिंह की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। फलस्वरूप बहुत-से भारतीय उसके राज्य में नौकरी करने के लिए आने लगे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नौकरी करने वाले अनेक भारतीय वहां की नौकरी छोड़ कर महाराजा के पास कार्य करने लगे। कई यूरोपियन सैनिक भी महाराजा की सेना में भर्ती हो गए।

रणजीत सिंह : प्रारम्भिक जीवन, प्राप्तियां तथा अंग्रेजों से सम्बन्ध PSEB 10th Class History Notes

  1. जन्म तथा माता-पिता-रणजीत सिंह का जन्म 1780 ई० में गुजरांवाला में हुआ था। उसके पिता का नाम महा सिंह था जो शुकरचकिया मिसल का सरदार था। उसकी माता का नाम राजकौर था।
  2. बचपन-बचपन में चेचक के कारण रणजीत सिंह की एक आँख खराब हो गई थी। वह 10 वर्ष की आयु में ही अपने पिता के साथ युद्ध में जाया करता था। इसलिए बहुत छोटी आयु में वह युद्ध-विद्या में कुशल हो गया था।
  3. विवाह-अपनी मृत्यु से पूर्व महा सिंह ने पंजाब में अपनी शक्ति काफ़ी बढ़ा ली थी। उसने रणजीत सिंह का विवाह जय सिंह कन्हैया की पोती और रानी सदा कौर की पुत्री महताब कौर के साथ किया। जब उसने शुकरचकिया मिसल की बागडोर सम्भाली तो यह विवाह सम्बन्ध उसकी शक्ति के उत्थान में काफ़ी सहायक सिद्ध हुआ।
  4. लाहौर का गवर्नर बनना-रणजीत सिंह ने 1792 ई० में शुकरचकिया मिसल की बागडोर सम्भाली। 19 वर्ष की आयु में उसको अफ़गानिस्तान के शासक शाहजमां ने लाहौर का गवर्नर बना दिया और उसे राजा की उपाधि दी। इस तरह रणजीत सिंह की शक्ति काफ़ी बढ़ गई।
  5. आरम्भिक विजय-1802 ई० में उसने अमृतसर पर अधिकार कर लिया। अगले चार-पाँच वर्षों में उसने छ: मिसलों को अपने अधिकार में ले लिया। फिर उसने सतलुज और यमुना नदी के मध्य सरहिन्द की ओर बढ़ना आरम्भ कर दिया, परन्तु अंग्रेज़ों ने उसे उस ओर न बढ़ने दिया।
  6. अमृतसर की सन्धि-1809 ई० में उसने अंग्रेज़ों से सन्धि (अमृतसर की सन्धि) कर ली। सन्धि के पश्चात् रणजीत सिंह ने सतलुज के पश्चिम में स्थित प्रदेशों में अपने राज्य का विस्तार करना आरम्भ कर दिया।
  7. महत्त्वपूर्ण विजयें-महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान (1818), कश्मीर (1819) और पेशावर (1834) पर अधिकार कर लिया। इस तरह रणजीत सिंह एक विशाल राज्य स्थापित करने में सफल हुआ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

PSEB 10th Class Science Guide प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तन लाकर हम अपने घर में पर्यावरण-मित्र वातावरण बना सकते हैं –

  • हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् का अपव्यय रोक सकते हैं।
  • टपकने वाले जल के पाइप या नल की मुरम्मत करवा कर हम जल की बचत कर सकते हैं।
  • हमें तीन Rs द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने की कोशिश करनी चाहिए।
  • हमें पुन: चक्रण योग्य वस्तुओं को कूड़े के साथ नहीं फेंकना चाहिए।
  • हमें चीज़ों (जैसे लिफ़ाफ़े) को फेंकने की अपेक्षा फिर से प्रयोग में लाना चाहिए।
  • हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  • हमें अपने आवास के आस-पास कचरे और गंदे जल को इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।
  • जल के व्यर्थ रिसाव को रोकना चाहिए।
  • जल को मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए।
  • आवासीय कूड़े-कचरे को कूड़ादान में इकट्ठा कर उसका निपटान करना चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तनों द्वारा हम अपने विद्यालय में पर्यानुकूलित वातावरण बना सकते हैं-

  • हमें विद्यालय में ज़्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिएं।
  • बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए कि फूल तथा पत्तियों को न तोड़ें।
  • हमें जल का अपव्यय रोकना चाहिए।
  • कमरों में ज़्यादा-से-ज्यादा खिड़कियाँ बनानी चाहिएं ताकि सूर्य की रोशनी अंदर आए और कम-से-कम बिजली खर्च हो।
  • हमें कूड़ा-कचरा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि चीज़ों का पुन: उपयोग करना चाहिए।
  • शौचालय और मूत्रालयों की नियमित सफाई-धुलाई की जानी चाहिए।
  • विद्युत् अपव्यय को नियंत्रित करना चाहिए।
  • विद्यालय के आस-पास कचरे के ढेर और रुका हुआ गंदा जल नहीं होना चाहिए।
  • विद्यालय का भवन साफ-सुथरा रखना चाहिए।
  • जैव निम्नीकृत और जैव अनिम्नीकृत कूड़े-कचरे के एकत्रीकरण के लिए कूड़ादान अलग-अलग होने चाहिए। इससे कूड़े का निपटान सरलता से हो सकेगा।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ? आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते समय सामने आने वाले चार मुख्य दावेदार हैं-

  1. वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी तरह-तरह की आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।
  2. सरकार का वन विभाग वनों से प्राप्त साधनों का नियंत्रण करता है।
  3. उद्योगपति तेंदुआ पत्ती का प्रयोग कर बीड़ी उत्पादकों से लेकर कागज़ मिल तक वन उत्पादों का उपयोग करते हैं।
  4. वन्य जीवन और प्रकृति प्रेमी प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में चाहते हैं।

वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार वन के अंदर तथा निकट रहने वाले उन लोगों को देने चाहिए जो सदियों से वनों पर निर्भर रहते हैं। परंतु कुछ अधिकार सरकार के पास भी होने चाहिएं ताकि लोग वनों का उपयोग ठीक से करें तथा इनका अपव्यय न करें। वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमियों को भी कुछ अधिकार देने चाहिएं क्योंकि वे प्रकृति का संरक्षण इसका आद्य अवस्था में करना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
(a) वन एवं वन्य जंतु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम ?
उत्तर-
(a) वन एवं वन्य जंतु-दूसरे लोगों में वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता जगा सकते हैं, अपने क्षेत्र के उन क्रियाकलापों में भाग ले सकते हैं जो वन तथा वन्य जंतुओं के संरक्षण को महत्त्व देते हैं। संरक्षण के नियमों को अपनाकर तथा इन मसले पर काम कर रही कमेटियों की सहायता करके भी हम वन एवं वन्य जंतुओं के प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं।

(b) जल संसाधन-अपने घर तथा कार्य स्थान पर जल का अपव्यय रोक कर तथा वर्षा के जल को अपने घरों में संग्रहण करके।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम-विद्युत् के अपव्यय को रोक कर तथा कम-से-कम बिजली उपयोग करके हम इनके प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं। निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहन का उपयोग कर पेट्रोल-डीजल की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-

  • विद्युत् को कम-से-कम इस्तेमाल कर सकते हैं तथा इसके अपव्यय को रोक सकते हैं।
  • तीन (R’s) के नियमों का पालन करके हम प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम कर सकते हैं।
  • हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  • जल को व्यर्थ होने से रोकना चाहिए।
  • खाना पकाने के लिए भी लकड़ी की जगह गैस का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर-
(a)

  • विद्युत् उपकरणों का व्यर्थ उपयोग नहीं किया।
  • रोशनी के लिए CFL का प्रयोग करके।
  • स्कूल आने-जाने के लिए अपने वाहन की जगह सरकारी वाहनों का प्रयोग करके।
  • नहाने में कम-से-कम पानी का उपयोग किया।
  • पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित जागरूकता अभियान में भाग लिया।

(b)

  • कंप्यूटर पर प्रिंटिंग के लिए अधिक कागज़ों का प्रयोग किया।
  • पंखा चलते छोड़कर कमरे से बाहर गया।
  • दीवाली पर पटाखे जलाकर।
  • मोटर साइकिल का अत्यधिक प्रयोग करके।
  • आहार को व्यर्थ किया।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?
उत्तर

  1. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम एक समाज में रहते हैं, अकेले नहीं।
  2. हमें अपने संसाधनों का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए तथा किसी भी तरह उन्हें व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  3. हमें तीन (R’s) के नियमों का पालन करना चाहिए। (Reduce, Recycle, Reuse)
  4. हमें निजी वाहनों की अपेक्षा सरकारी वाहनों का उपयोग करना चाहिए।
  5. हमें अपने पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। इन सब बातों को अपने जीवन में महत्त्व देकर हम अपने संसाधनों के संपोषण को बढ़ावा दे सकते हैं।

Science Guide for Class 10 PSEB प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ?
उत्तर-

  1. धुआँ रहित वाहनों का प्रयोग करके।
  2. पॉलीथीन का उपयोग न करना।
  3. जल संरक्षण को बढ़ावा देकर।
  4. वनों की कटाई पर रोक लगाकर ।
  5. वृक्षारोपण।
  6. तेल से चालित वाहनों का कम-से-कम उपयोग करके।
  7. व्यर्थ बहते जल की बर्बादी रोक कर।
  8. ठोस कचरे का कम-से-कम उत्पादन कर।
  9. सोच-समझ कर विद्युत् उपकरणों का उपयोग करके।
  10. पुनः चक्रण हो सकने वाली वस्तुओं का उपयोग करके।
  11. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मना कर।
  12. नालियों में रसायन तथा उपयोग किया हुआ तेल न डाल कर।
  13. जैव निम्नीकरणीय और जैव अनिम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग फैंक कर।
  14. सीसा रहित पैट्रोल का प्रयोग करके। उपरोक्त विभिन्न विधियों को अपनाकर हम पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर-
इसका केवल एक ही लाभ है, मनुष्य की आत्म-केंद्रित (स्वार्थ) संतुष्टि। पेड़-पौधों को काट कर हम अपने स्वार्थ की पूर्ति कर लेते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि इससे पर्यावरण असंतुलित हो जाता है। संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं को कुछ सोच-समझ कर ही बनाना चाहिए।

प्रश्न 3.
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाए गए परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय लंबी अवधि को ध्यान में रखना होता है। जिससे कि वे अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सकें। अल्प अवधि के लाभ के लिए पेड़ काटे जाते हैं लेकिन लंबी अवधि को ध्यान में रख कर पुनः वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वनों की कटाई से कृषि, आवासीय और औद्योगिक कार्यों के लिए भूमि प्राप्त हो सकती है लेकिन इससे भूमि कटाव की समस्या और पर्यावरण की सुरक्षा नहीं रह सकती।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं ?
उत्तर-
आर्थिक विकास का पर्यावरण संरक्षण के साथ सीधा संबंध है। संसार में संसाधनों का असमान वितरण ग़रीबी का एक मुख्य कारण है। संसाधनों का समान वितरण एक शांतिपूर्ण संसार की स्थापना कर सकता है। सरकारी अभिकर्ता और कुछ स्वार्थी तत्त्व प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करते हैं। चोरी छिपे वनों की कटाई इसी का एक उदाहरण है।

प्रश्न 5.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जीवन को निम्नलिखित कारणों से सुरक्षित रखना चाहिए

  1. प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए।
  2. जीन पूल की सुरक्षा के लिए।
  3. फल, मेवे, सब्ज़ियाँ तथा औषधियाँ प्राप्त करने के लिए।
  4. इमारती तथा जलाने वाली लकड़ी प्राप्त करने के लिए।
  5. पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने के लिए।
  6. वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो वर्षा के स्रोत का कार्य करते हैं।
  7. मृदा अपरदन एवं बाढ़ पर नियंत्रण करने के लिए।
  8. वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करने के लिए।
  9. धन प्राप्ति के अच्छे स्रोत के रूप में।
  10. स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरंतरता के लिए।
  11. प्राणियों की प्रजाति को बनाये रखने के लिए।
  12. वन्य प्राणियों से ऊन, अस्थियाँ, सींग, दाँत, तेल, वसा तथा त्वचा आदि प्राप्त करने के लिए।

वन्य जीवन का संरक्षण राष्ट्रीय पार्क तथा पशुओं और पक्षियों के लिए शरण स्थल बनाने से किया जा सकता है। यह पशुओं का शिकार करने की निषेध आज्ञा का कानून प्राप्त करके किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
संरक्षण के उपाय-पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीवन का संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

  1. सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिएं जिससे शिकारियों को प्रतिबंधित वन्य पशु का शिकार करने पर दंड मिले।
  2. राष्ट्रीय पार्क और पशु-पक्षी विहार स्थापित किए जाने चाहिएं जहां पर वन्य पशु सुरक्षित रह सकें।
  3. वनों को काटने पर रोक लगानी चाहिए।
  4. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए और रोपित पेड़-पौधों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  5. वनों की आग से रक्षा करनी चाहिए। प्रति वर्ष विश्व में अनेक वन जल कर नष्ट हो जाते हैं।
  6. वनों को अधिक चराई से बचाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर-
हमारे निवास क्षेत्र के आस-पास वर्षा के जल को जोहड़ों और तालाबों में इकट्ठा करने का प्रचलन था। भूमिगत टैंकों में भी जल संग्रहण का प्रचलन था।

प्रश्न 8.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • लद्दाख के क्षेत्रों में जिंग द्वारा जल संरक्षण किया जाता है, जिसमें बर्फ के ग्लेशियर को रखा जाता है जो दिन के समय पिघल कर जल की कमी को पूरा करता है।
  • बाँस की नालियाँ-जल संरक्षण की यह प्रणाली मेघालय में सदियों पुरानी पद्धति है। इसमें जल को बाँस की नालियों द्वारा संरक्षित करके उन्हें पहाड़ों के निचले भागों में उन्हीं बाँस की नालियों द्वारा लाया जाता है।

मैदानी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • तमिलनाडु क्षेत्र में वर्षा जल को बड़े-बड़े टैंकों में संरक्षित किया जाता है तथा ज़रूरत के समय उपयोग करते हैं।
  • बावरियाँ-ये मुख्यतः राजस्थान में पाए जाते हैं। ये छोटे-छोटे तालाब हैं जो प्राचीन काल में बंजारों द्वारा पीने के पानी की पूर्ति के लिए बनाए गए थे।

पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • भंडार-ये मुख्यत: महाराष्ट्र में पाए जाते हैं, जिसमें नदियों के किनारों पर ऊँची दीवारें बनाकर बड़ी मात्रा में जल को संरक्षित किया जाता है।
  • जोहड़-ये पठारी क्षेत्रों की जमीन पर पाए जाने वाले प्राकृतिक छोटे खड्डे होते हैं। जो वर्षा जल को संरक्षित करने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 9.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ?
उत्तर-
हमारे क्षेत्र में मुख्य जल स्रोत भूमिगत जल तथा नगर निगम द्वारा जल आपूर्ति हैं। कभी-कभी विशेषकर गर्मी के दिनों में इन स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल में कुछ कमी आ जाती है तथा इसकी पूर्ण या समान उपलब्धता भी संभव नहीं होती।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 15 हमारा पर्यावरण

PSEB 10th Class Science Guide हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं ?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-
(a), (c) तथा (d)।

प्रश्न 2.
निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम ।
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं ?
(a) बाज़ार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) मां द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें ( मार डालें) ?
उत्तर-
यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि घास → हिरण → शेर आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी जिससे वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर-
किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों पर अलग-अलग होगा। –

  1. उत्पादकों को हटाने का प्रभाव-यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जाएगा। तब किसी प्रकार का जीवन नहीं रहेगा।
  2. शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव-शाकाहारियों को नष्ट करने से उत्पादकों (पेड़-पौधों-वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक-टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भूख से मर जाएंगे।
  3. मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव-मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढ़ जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएंगी।
  4. अपघटकों को हटाने का प्रभाव-अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव-जंतुओं के ढेर लग जाएंगे।

उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेंगी। मिट्टी में उत्पादकों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी। किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीवित नहीं रह सकते हैं और शाकाहारियों के न रहने से मांसाहारी नहीं रह सकते। अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाएंगे।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर-
जैविक आवर्धन-विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनका हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है।

हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

उदाहरण-
उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों को मारने के लिए बहुत अधिक डी० डी० टी० का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई। पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी में प्रति दस लाख कण में 0.2 कण डी० डी० टी० (1 ppm = \(\frac{1}{1000000} \)) है। डी० डी० टी० के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
हमारे द्वारा उत्पादित प्लास्टिक, डी० डी० टी० आदि से युक्त अजैव निम्नीकरणीय कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

  1. नाले-नालियों में अवरोध।
  2. मृदा प्रदूषण।
  3. प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जंतुओं की मृत्यु।
  4. मानव शरीर में जैव आवर्धन।
  5. पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध।
  6. जल, वायु और मृदा प्रदूषण।
  7. सौंदर्य बोध की दृष्टि से हानिकारक और बुरा।

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर-
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो और उसका निपटान ठीक प्रकार से कर दिया जाए तो हमारे पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 9.
ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर-
विभिन्न रासायनिक कारणों से ओज़ोन परत को क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों की वृद्धि के कारण ओज़ोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर, मोतिया बिंद और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है।

इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बीत कही गई। सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCs पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरो कार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है।

सजगता को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। विश्वभर की सरकारों को निम्नलिखित कार्य तत्परता से करने चाहिएं-

  1. सुपर सॉनिक विमानों का कम-से-कम प्रयोग।
  2. नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  3. क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग को सीमित करना चाहिए।
  4. CFCs के विकल्प की तलाश करनी चाहिए।

Science Guide for Class 10 PSEB हमारा पर्यावरण InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो कर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीकरण पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते। अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढ़तापूर्वक आपस में जुड़े रहते हैं और एंजाइम उन पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते।

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु बढ़ते हैं।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार हो कर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिल कर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
  2. वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 4.
पोषी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बनाइए।
उत्तर-
पोषी स्तर- आहार श्रृंखला में उत्पादक और उपभोक्ता का स्थान ग्रहण करने वाले जीव जीवमंडल को कोई निश्चित संरचना प्रदान करते हैं, जिसे पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला में उत्पादक का पहला स्थान होता है। यदि हम पौधों का सेवन करें तो श्रृंखला में केवल उत्पादक तथा उपभोक्ता स्तर होते हैं। मांसाहारियों की आहार श्रृंखला में अधिक उपभोक्ता होते हैं।
आहार श्रृंखला का उदाहरण-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

प्रश्न 5.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ? ।
उत्तर-
पारितंत्र में अपमार्जक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवाणु मृतोपजीवी, कवक जैसे अति सूक्ष्म जीव मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। फलों सब्जियों के छिलके, गले-सड़े फल, जैविक कचरा, गायभैसों का गोबर, पेड़-पौधों के गले सड़े भाग आदि अपमार्जकों के द्वारा विघटित कर दिए जाते हैं और वे आसानी से प्रकृति में पुनः मिल जाते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में मिलकर पौधों द्वारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर-
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी ओज़ोन का वायुमंडल के ऊपरी स्तर (स्ट्रैटोस्फीयर) में लगभग 16 किलोमीटर ऊपर एक आवरण है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी की सुरक्षा करता है। पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। यह त्वचा कैंसर करती है। पृथ्वी के चारों ओर ओजोन परत समाप्त हो जाने से सूर्य के प्रकाश से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर बिना रोक-टोक पहुँचने लगेंगी और पारितंत्र को दुष्प्रभावित करने लगेंगी। सन् 1980 से वायुमंडल में ओज़ोन की मात्रा में तेज़ी से गिरावट आने लगी है।

ओज़ोन पारितंत्र को निम्नलिखित आधारों पर भी प्रभावित करती है –

  • तापमान में परिवर्तन के कारण धरती पर वर्षा में कमी।
  • चावल जैसी फ़सलों पर प्रभाव।
  • जलीय जीवों और पदार्थों पर प्रभाव।
  • मानवों में प्रतिरोध क्षमता की कमी तथा त्वचा कैंसर में वृद्धि ।
  • पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न होने की संभावना
  • सूक्ष्मजीवों में उत्परिवर्तन और उनकी मृत्यु का कारण।

प्रश्न 7.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कचरा व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अति हानिकारक है क्योंकि इससे केवल गंदगी ही नहीं फैलती बल्कि यह अनेक प्रकार की बीमारियों का कारण भी बनता है। इसे निपटाने के लिए निम्नलिखित दो तरीकों को अपनाया जा सकता है-

  • पुन: चक्रण-कचरे में से कागज़, प्लास्टिक, धातुएँ, चीथड़े आदि चुन कर अलग करके उनका पुन: चक्रण किया जाना चाहिए। पुराने कागज़ और कपड़े के पुनः चक्रण से पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। प्लास्टिक का बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
  • मिट्टी में दबाना-जैव निम्नीकरण पदार्थों को मिट्टी में दबा कर कचरे का निपटान किया जा सकता है। उससे खाद प्राप्त कर खेतों में प्रयुक्त किया जा सकता है।