PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 11 प्लांट क्लीनिक

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 11 प्लांट क्लीनिक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 11 प्लांट क्लीनिक

PSEB 10th Class Agriculture Guide प्लांट क्लीनिक Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक-दो शब्दों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
पी० ए० यू० में प्लांट क्लीनिक की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
1993 में।

प्रश्न 2.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कुल कितने प्लांट क्लीनिक स्थापित हैं ?
उत्तर-
18 कृषि विज्ञान केन्द्र तथा क्षेत्रीय खोज केन्द्र अबोहर, बठिंडा, गुरदासपुर।

प्रश्न 3.
प्लांट क्लीनिक में प्रयोग किए जाने वाले किन्हीं उपकरणों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कम्प्यूटर, माइक्रोस्कोप।

प्रश्न 4.
फसलों पर छिड़काव की जाने वाली दवाइयों की उचित मात्रा पता करने के लिए किस सिद्धान्त को आधार बनाया जाता है ?
उत्तर-
आर्थिक हानि की सीमा।

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प्रश्न 5.
स्लाइडों से किस उपकरण की सहायता से चित्र देखे जा सकते हैं ?
उत्तर-
प्रोजैक्टर द्वारा।

प्रश्न 6.
छोटे आकार की निशानियों की पहचान किस उपकरण से की जाती है ?
उत्तर-
माईक्रोस्कोप द्वारा।

प्रश्न 7.
बीमार पत्तों के नमूनों को संभालकर रखे जाने वाले दो रसायनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फार्मालीन, एसीटिक अम्ल।

प्रश्न 8.
पी० ए० यू० प्लांट क्लीनिक का ई-मेल पता क्या है ?
उत्तर-
Plantclinic @ pau.edu

प्रश्न 9.
पी० ए० यू० प्लांट क्लीनिक से किस टैलीफोन नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है ?
उत्तर-
फोन नं० 0161-240-1960 जिसकी एक्सटेंशन 417 है। मोबाइल नं० 9463048181.

प्रश्न 10.
पी० ए० यू० के प्लांट क्लीनिक के पास गांव-गांव जाकर तकनीकी जानकारी देने के लिए कौन-सी वैन है ?
उत्तर-
निरीक्षण तथा प्रदर्शनी के लिए मोबाइल बैन (Mobile diagnosis cum exhibition van)।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का एक -दो वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
प्लांट क्लीनिक क्या है ?
उत्तर-
यह वह कमरा अथवा ट्रेनिंग सैंटर है जहां बीमार पौधों की विभिन्न बीमारियों के बारे में अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
प्लांट क्लीनिक शिक्षा का लाभ बताएं।
उत्तर-
इस सिद्धान्त के प्रयोग से ज़मींदारों को उनकी फसलों की कमियों तथा बीमारियों का सही इलाज मिलना आरम्भ हो गया है। इस तरह शिक्षार्थी तो पौधों को देखकर सभी कुछ समझते ही हैं, किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है।

प्रश्न 3.
मनुष्यों के अस्पतालों से प्लांट क्लीनिक कैसे भिन्न हैं ?
उत्तर-
मानवीय अस्पतालों में मनुष्य को होने वाले बीमारियों का पता लगाकर उनका इलाज किया जाता है जबकि पौधों के अस्पताल में बीमार पौधों के इलाज के अतिरिक्त बीमार पौधों के बारे में जांच शिक्षा तथा ट्रेनिंग भी करवाई जाती है।

प्रश्न 4.
प्लांट क्लीनिक में कौन-कौन से विषयों का अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर-
इनमें पौधों पर बीमारी का हमला, तत्त्वों की कमी, कीड़े का हमला तथा अन्य कारणों का भी अध्ययन किया जाता है।

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प्रश्न 5.
प्लांट क्लीनिक में आवश्यक उपकरणों की सूची बनाएं।
उत्तर-
प्लांट क्लीनिक में आवश्यक साजो-सामान इस तरह है-
माइक्रोस्कोप, मैग्नीफाइंग लैंस, रसायन, इंकुबेटर, कैंची, चाकू, सूखे-गीले सैम्पल सम्भालने का साजो-सामान, कम्प्यूटर, फोटो कैमरा तथा प्रोजैक्टर, किताबें आदि।

प्रश्न 6.
सूक्ष्मदर्शी यन्त्र का प्लांट क्लीनिक में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
पौधे की चीरफाड़ करके बीमारी के लक्षण देखने के लिए माइक्रोस्कोप का प्रयोग किया जाता है। सही रंगों, छोटी निशानियों आदि की पहचान भी इसी से की जाती है।

प्रश्न 7.
इक्नोमिक फैशहोल्ड से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पौधों को लगी बीमारियां अथवा कीड़ों आदि से हुए बचाव के लिए दवाई की उचित मात्रा ढूंढकर छिड़काव करना चाहिए। जब फसल को हानि पहुंचा रहे कीड़ों की संख्या एक खास स्तर पर आ जाए तब ही दवाई स्प्रे करनी चाहिए ताकि फसलों को लाभ भी हो। इस विधि को धैशहोल्ड का नाम दिया गया है।

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प्रश्न 8.
प्लांट क्लीनिक में कम्प्यूटर का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कई तरह से सैम्पल न तो गीले तथा न ही सूखे सम्भाले जा सकते हैं। ऐसे नमूनों को स्कैन करके कम्प्यूटर में सम्भाल लिया जाता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनका प्रयोग किया जा सके।

प्रश्न 9.
उष्मामित्र किस तरह पौधों की बीमारी ढूंढ़ने में मदद करता है ?
उत्तर-
उल्ली आदि को मीडिया के ऊपर रख कर इनकुबेटर (उष्मामित्र) में उचित तापमान तथा नमी पर रख कर उल्ली को उगने का पूरा वातावरण दिया जाता है तथा इसकी पहचान करके जीवाणु की पहचान की जाती है।

प्रश्न 10.
पौधों के नमूनों को शीशे के बर्तनों में अधिक समय रखने के लिए कौन-से रसायनों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
इस काम के लिए फार्मालीन, एल्कोहल आदि का प्रयोग किया जाता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
प्लांट क्लीनिक के महत्त्व के बारे में एक नोट लिखिए।
अथवा
प्लांट क्लीनिक के क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  • प्लांट क्लीनिक में पौधों में भूमिगत खाद्य तत्त्वों की कमी से पैदा हुए लक्षणों की जांच करके पौधों की बीमारियां तथा हानि पहुंचाने वाले कीड़ों की पहचान की जाती है।
  • खेतों से लाए बीमार पौधों आदि की बीमारी के लक्षणों की पहचान करके मौके पर ही इन बीमारियों की रोकथाम के लिए इलाज बताये जाते हैं।
  • प्लांट क्लीनिकों में व्यक्तियों को शनाख्ती चिन्हों की पहचान करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • आवश्यक खनिज तथा रसायनों आदि की आवश्यक सही मात्रा निकालने के बारे में बताया जाता है ताकि इनका सही प्रयोग करके अतिरिक्त खर्चे से बचा जा सके।
  • प्लांट क्लीनिकों में फसलों के मुख्य कीड़ों के लिए इक्नामिक के धैशहोल्ड बारे में भी जानकारी दी जाती है। इस तरह प्रयोग की जाने वाली कीड़ेमार दवाइयां तथा पौधों में तत्त्वों की कमी का सही तरह पता लग जाता है तथा इन दवाइयों का प्रयोग सही मात्रा में किया जा सकता है।
  • विभिन्न स्प्रे पम्पों तथा अन्य उपकरणों के प्रयोग बारे भी जानकारी दी जाती है।
  • विद्यार्थियों को बीमार पौधे लाकर दिखाये जाते हैं तथा इलाज की विधि बारे बताया जाता है।
  • प्लांट क्लीनिकों में पौधों का अध्ययन करने के लिए आवश्यक उपकरणों, साजो-सामान, दवाइयां, पौधों के नमूने, पम्पों, खादों, बीज तथा अन्य सम्बन्धित, चीज़ों अथवा उनके नमूने अथवा उनकी तस्वीरें रखी जाती हैं।

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प्रश्न 2.
प्लांट क्लीनिक में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं ?
उत्तर-

  • प्लांट क्लीनिक पर किसान भाइयों को तकनीकी जानकारी दी जाती है।
  • फ़सलों के रोगों की पहचान, पहचान चिन, कीड़ों द्वारा फ़सलों को पहुंची हानि आदि के बारे में पता लगाया जाता है।
  • मिट्टी तथा पानी जांच की सुविधा भी उपलब्ध है।
  • टैलीफ़ोन, व्हट्स एप तथा ई-मेल द्वारा किसान अपनी समस्या को हल करवा सकते हैं।
  • इस अस्पताल के पास पौधों के निरीक्षण तथा प्रदर्शनी के लिए चलती फिरती वैन है जिस द्वारा गांव-गांव जाकर कृषि की तकनीकी जानकारी फिल्में दिखा कर दी जाती है।
  • क्लीनिक में कृषि के ज्ञान को प्रत्येक घर तक पहुंचाने के लिए पी० ए० यू० दूत तथा केमास (KMAS) सेवा शुरू की गई है। किसान अपना ई-मेल तथा मोबाइल नम्बर रजिस्ट्र करवा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
प्लांट क्लीनिक की पृष्ठभूमि बताते हुए उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कृषि सम्बन्धी उच्च स्तरीय कोरों में पिछले कई वर्षों में शहरी विद्यार्थियों का दखल काफ़ी बढ़ा है। इन्हें कृषि के बारे में प्रैक्टिकल जानकारी बडी कम होती है तथा जब यह शहरी विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करके खेतों में कार्य करने के लिए जाते हैं तो इन्हें काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

पहला प्लांट क्लीनिक, पौधा रोग विभाग, पी० ए० यू० में 1978 में स्थापित किया गया था तथा बाद में पी० ए० यू० की तरफ से सैंट्रल प्लांट क्लीनिक लुधियाना में 1993 में शुरू किया गया। भिन्न-भिन्न जिलों में 18 कृषि विज्ञान केन्द्रों में यह प्लांट क्लीनिक चल रहे हैं। इन क्लीनिकों द्वारा पढ़ाई का विद्यार्थी को काफ़ी लाभ मिल रहा है। इस सिद्धान्त के परिणामस्वरूप ज़मींदारों को उनकी फसलों की कमियों तथा बीमारियों का सही इलाज मिलना आरम्भ हो गया है। रोगों तथा कीटों के हमलों की मौके पर ही पहचान करके इलाज तथा रोकथाम के बारे में बताया जाता है। कृषि विकास से जुड़े व्यक्तियों को पहचान चिन्हों की पहचान का प्रशिक्षण दिया जाता है। भिन्न-भिन्न फ़सलों के मुख्य कीड़ों के लिए आर्थिक हानि की सीमा के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।

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प्रश्न 4.
मोबाइल डाईग्नोस्टिक कम एगज़ीबिशन वैन का विस्तारपूर्वक वर्णन करें ?
उत्तर-
प्लांट क्लीनिकों को गांव-गांव पहुंचाने के लिए प्लांट क्लीनिकों के पास पौधों का निरीक्षण करने हेतु मोबाइल वैन उपलब्ध है। इसको मोबाइल डाईगनोस्टिक कम एगजीबिशन वैन कहा जाता है। इस वैन में प्लांट क्लीनिक से संबंधित साजो-सामान होता है तथा गांव में किसानों को खेती तकनीकों की जानकारी देने के लिए फिल्में भी दिखाई जाती हैं। मौके पर पौधे को आई समस्याओं का निरीक्षण करके कृषि विशेषज्ञों द्वारा इलाज भी बताया जाता है। इस प्रकार किसान को काफ़ी लाभ मिल रहा है।

प्रश्न 5.
फ़ोटो कैमरे तथा स्लाइड प्रोजैक्टर प्लांट क्लीनिक में किस तरह मददगार होते हैं ?
उत्तर-
कैमरे की सहायता से रोगी पौधे की फोटो खींच ली जाती है। इस प्रकार तैयार फ़ोटो तथा स्लाइडों को प्लांट क्लीनिक में संभाल कर रखा जाता है। फ़ोटो तथा स्लाइडों से कोई भी विद्यार्थी तथा वैज्ञानिक रोगी पौधों की पहचान सरलता से कर सकता है। इस तरह स्लाइडों को देखने के लिए प्रोजैक्टर की आवश्यकता पड़ती है। यह फ़ोटो तथा स्लाइडों को बड़े आकार में दिखा सकता है। फ़ोटो को बड़े-बड़े आकार में बनाकर क्लीनिक में लगा लिया जाता है।

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Agriculture Guide for Class 10 PSEB प्लांट क्लीनिक Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रोगी पौधों के नमूने संभाल कर रखने के लिए रसायन का नाम –
(क) फार्मालीन
(ख) ग्लूकोस
(ग) सोडियम ब्रोमाइड
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) फार्मालीन

प्रश्न 2.
पी० ए० यू० में प्लांट क्लीनिक की स्थापना कब की गई?
(क) 2010
(ख) 1993
(ग) 1980
(घ) 1955.
उत्तर-
(ख) 1993

प्रश्न 3.
उल्लियों के जीवाणु ढूंढ़ने के लिए कौन-सा उपकरण प्रयोग किया जाता है ?
(क) सूक्ष्मदर्शी
(ख) इनकुबेटर (उष्मा मित्र)
(ग) प्रोजैक्टर
(घ) सभी।
उत्तर-
(ख) इनकुबेटर (उष्मा मित्र)

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प्रश्न 4.
पंजाब के कितने कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्लांट क्लीनिक चल रहे हैं ?
(क) 7
(ख) 27
(ग) 18
(घ) 22.
उत्तर-
(ग) 18

प्रश्न 5.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट क्लीनिक का ई-मेल पता क्या है ?
(क) www.gadvasu.in
(ख) www.pddb.in
(ग) [email protected]
(घ) www.pau.edu
उत्तर-
(ग) [email protected]

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट क्लीनिक का लैंडलाइन टेलीफोन नम्बर क्या है ?
(क) 0161-2401960 एक्सटेंशन 417
(ख) 94630-48181
(ग) [email protected]
(घ) www.pau.edu.
उत्तर-
(क) 0161-2401960 एक्सटेंशन 417

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II. ठीक/गलत बताएँ

1. पी० ए० यू० के द्वारा वर्ष 1993 में सैंटरल प्लांट क्लीनिक लुधियाना में स्थापित किया गया।
2. प्लांट क्लीनिक में कई तरह के उपकरण तथा साजो-समान की आवश्यकता होती
3. प्लांट क्लीनिक में रसायनों की आवश्यकता नहीं होती।
4. पंजाब एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी प्लांट क्लीनिक का ई-मेल पता plantclinic@ par.edu है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. गलत
  4. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. स्लाइडों पर चित्र ………………… द्वारा देखे जाते हैं।
2. बीमार पौधों के नमूनों को संभाल कर रखने वाला रसायन ……………… है।
3. कम्प्यूटर, ……………… आदि भी प्लांट क्लीनिक का महत्त्वपूर्ण भाग है।
4. पौधे की चीर फाड़ के लिए चाकू, ………….. आदि का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-

  1. प्रोजैक्टर
  2. फार्मलीन
  3. स्कैनर
  4. कैंची।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई एक कारण बताओ जिस कारण पौधे आवश्यक पैदावार देने से अमसर्थ हो जाते हैं ?
उत्तर-
खाद्य तत्त्वों की कमी, बीमारी का हमला, कीड़ों का हमला।

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प्रश्न 2.
पौधों की चीर फाड़ करने के बाद बीमारी के चिन्ह देखने के लिए कौनसा उपकरण प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
माइक्रोस्कोप।

प्रश्न 3.
पौधे की चीर फाड़ के लिए क्या प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
चाकू, कैंची आदि।

प्रश्न 4.
उल्लियों के जीवाणु ढूंढ़ने में कौन-सा उपकरण प्रयोग होता है ?
उत्तर-
इनकुबेटर।

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प्रश्न 5.
प्लांट क्लीनिक में प्रयोग किये जाने वाले किसी एक रसायन का नाम लिखो।
उत्तर-
फार्मालीन।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्लांट क्लीनिक में चाकू आदि की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
चाकू आदि का प्रयोग पौधे को माइक्रोस्कोप के नीचे देखने के लिए, काट कर प्रयोग करने के लिए होता है।

प्रश्न 2.
प्लांट क्लीनिक में मैग्नीफाईंग लेन्ज का प्रयोग क्यों होता है ?
उत्तर-
इसका प्रयोग पौधों के छोटे भाग तथा कीड़े तथा अन्य जन्तुओं की पहचान के लिए होता है।

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प्रश्न 3.
प्लांट क्लीनिक में कृषि के ज्ञान को प्रत्येक घर तक पहुँचाने के लिए कौन-सी सेवा शुरू की गई है ?
उत्तर-
पी० ए० यू० दूत सेवा तथा केमास (KMAS) सेवा शुरू की गई है। किसान भाई अपना ई-मेल तथा फोन रजिस्ट्रर करवा कर इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इक्नामिक बैशहोल्ड का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
पौधों की बीमारियां तथा फसलीय कीटों को समाप्त करने वाली दवाइयों की सही मात्रा ढूंढ़ कर पौधों पर इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। इस तरह पौधों को अधिक-से-अधिक लाभ मिल सकेगा तथा साथ ही खर्च भी कम-से-कम आएगा। कीडेमार दवाइयों के अन्धाधुन्ध तथा अनावश्यक प्रयोग से कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जैसे कीड़ों का दवाई के लिए आदि हो जाना, मरने के स्थान पर इनका आदी हो जाना, मित्र कीड़ों का समाप्त होना, जो कीड़े पहले फसलों की हानि नहीं करते थे उनके द्वारा अब नुकसान करना आरम्भ कर देना तथा समूचे वातावरण का गंदा होना खासतौर पर वर्णनीय है।

किसी भी कीडे का फसल पर प्रत्येक वर्ष एक जैसा हमला नहीं होता। यह हमला किसी वर्ष अधिक तथा किसी वर्ष कम होता है। इसके लिए दवाइयों का प्रयोग सोचसमझकर करना चाहिए।

दवाई का प्रयोग तब ही करें जब फसल को नुकसान पहुंचा रहे कीड़ों की संख्या एक खास स्तर पर आ जाए। इस तरह दवाई स्प्रे करने से फसलों को फायदा होगा तथा इस तरह अनावश्यक स्प्रे से भी बचा जा सकेगा।

इस विधि को आर्थिक आधार (इक्नामिक धैशहोल्ड) का नाम दिया जाता है। कीड़ों के लिए आर्थिक आधार कीड़ों की वहीं संख्या है जिस पर हमें फसल पर दवाई का छिड़काव कर देना चाहिए। कीड़ों की संख्या इस नियत हुई संख्या से बढ़ने नहीं देनी चाहिए तथा साथ ही फसल का नुकसान भी न हो तथा किसानों को भी दवाई के अनावश्यक प्रयोग से वित्तीय घाटा न हो।

कई कीड़ों के लिए उनकी संख्या नहीं अपितु आक्रमण की निशानियों को आर्थिक आधार मान लिया जाता है। जैसे धान के गडुएं की संख्या की बजाए धान के गडुएं के हमले से सभी छिद्रों की गिनती कर ली जाती है।

प्रश्न 2.
प्लांट क्लीनिक के भविष्य के बारे में एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
आने वाला समय मुकाबले वाला है इसलिए किसानों को अपनी उपज को बीमारी तथा खाद्य कमियां नहीं होने देनी चाहिएं ताकि अधिक मुनाफा कमाया जा सके। अब कृषि से सम्बन्धित व्यापार प्रान्त अथवा देश में ही नहीं अपितु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगा है। किसानों ने उपज को विदेशों में निर्यात करना होता है।

उपज बढ़िया किस्म की हो तथा मुनाफा अधिक मिल सके इसके लिए प्लांट क्लीनिक की सहायता ली जा सकती है। इनकी मदद से फसल में खाद्य तत्त्वों की कमियों का पता लगाकर इनको दूर किया जा सकता है। बीमारी तथा कीड़ों के लिए उचित दवाई की मात्रा का पता लगाया जा सकता है जिससे अनावश्यक तथा अन्धाधुन्ध दवाई के प्रयोग से बचा जा सकता है तथा दवाई के खर्च को घटाया जा सकता है। इस तरह इक्नामिक क्लीनिकों का भविष्य में बढ़िया उपज प्रदान करने के लिए बहुत योगदान होगा।

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प्रश्न 3.
प्लांट क्लीनिक क्या है ? प्लांट क्लीनिक में कम्प्यूटर किस काम आता है ?
उत्तर-
स्वयं करें।

प्लांट क्लीनिक PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • पौधों के अस्पतालों में पौधों में आहारीय तत्त्वों की कमी, बीमारी का हमला, कीड़े का हमला आदि कारणों का अध्ययन किया जाता है।
  • प्लांट क्लीनिक ऐसा स्थान है यहां पौधों की भिन्न-भिन्न समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा इन समस्याओं को दूर करने के लिए इलाज भी बताया जाता है।
  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 1993 में सैंट्रल प्लांट क्लीनिक लुधियाना में स्थापित किया गया।
  • भिन्न-भिन्न जिलों के 18 कृषि विज्ञान केन्द्रों में यह प्लांट क्लीनिक चलाए जा रहे हैं तथा क्षेत्रीय खोज केन्द्र अबोहर, बठिण्डा तथा गुरदासपुर में स्थापित किएगए हैं।
  • आर्थिक नुकसान की हद फसली बीमारी तथा कीड़ों की वह अवस्था है, जब इनका हमला या संख्या पौधों में एक विशेष स्तर पर पहुंच जाती है तथा उचित दवाई का प्रयोग उचित मात्रा में करना अत्यावश्यक हो जाता है। इस तरह पौधों को अधिक-से-अधिक लाभ हो तथा खर्चा भी कम-से-कम हो।
  • किसान टैलीफोन नं० 0161-240-1960 की एक्सटेंशन 417 द्वारा अपनी समस्या का हल कृषि विशेषज्ञों द्वारा घर बैठे ही ले सकते हैं। मोबाइल नं० 9463048181.
  • प्लांट क्लीनिक को ई० मेल द्वारा प्रभावित पौधों के चित्र भेजकर भी समस्या का हल प्राप्त कर सकते हैं। ई० मेल हैं plantclinic @ pau.edu. व्हट्स एप (Whats app) पर भी चित्र भेज कर समस्या का हल पूछ सकते हैं। ।
  • प्लांट क्लीनिक में कई तरह का साजो-सामान तथा उपकरणों की आवश्यकता पडती है जैसे-सूक्ष्मदर्शी, मैगनीफाईंग लेंस, इनकुबेटर, रसायन, अलमारियां, कम्प्यूटर, प्रोजैक्टर आदि।
  • प्लांट क्लीनिक में प्रयोग किए जाते रसायन हैं-फार्मालीन, कॉपर एसीटेट, एसीटिक एसिड, अल्कोहल आदि।
  • कम्प्यूटर, स्कैनर आदि भी प्लांट क्लीनिक का महत्त्वपूर्ण भाग है।

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