PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life उद्धरण संबंधी प्रश्न

स्रोत आधास्त प्रश्न

(1)

दिए गए स्रोत को पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें —
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जैसा कि कहा जाता है कि ‘बहता पानी कभी वापिस नहीं होता। मानव का स्वभाव भी उसी की तरह है। यदि किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण विशाल नहीं है, तो वह समय के साथ खुद को कभी भी अनुकूलित नहीं कर सकता। संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति कभी खुश नहीं रहता। ऐसा व्यक्ति चारों ओर विषाक्त हो जाता है और नकारात्मकता फैलाता है। इसके बिना वह व्यक्ति दूसरों के साथ संबंध बनाए रखने में विफल रहता है क्योंकि वह दूसरों की विचारधारा, दृष्टिकोण और, आलोचना का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, एक लचीला दृष्टिकोण व्यक्तिगत रूप से विकसित करना बहुत ही आवश्यक लक्षण है।
प्रश्न-

  1. मानव स्वभाव क्या है?
  2. संकीर्ण मानसिकता का नुकसान क्या है?
  3. एक संकीर्ण दिमाग वाला व्यक्ति कैसे रिश्ता बनाए रखता है?
  4. हमें किस प्रकार की सोच रखनी चाहिए?
  5. लचीले दृष्टिकोण की क्या आवश्यकता है?

उत्तर-

  1. मानव स्वभाव परिवर्तनशील है जो समय के साथ बदलता रहता है।
  2. संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति हर जगह नकारात्मकता फैलाता है और कभी भी खुश नहीं रहता।
  3. एक संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति रिश्ते को अच्छी तरह से नहीं निभा सकता और दूसरों के विचारों को मानने के लिए तैयार नहीं होता।
  4. उसे संकीर्ण विचारधारा के साथ नहीं रहना चाहिए बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीना
    चाहिए।
  5. लचीले दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति दूसरों के साथ स्वस्थ समायोजन करते हैं और उनके साथ कभी-कभी भी खट्टे-मीठे रिश्ते नहीं रखते।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(2)

आधुनिक सूचना क्रांति के युग में संचार के साधनों और उनकी भूमिका में अत्यधिक वृद्धि हुई है। सूचना, ज्ञान और मनोरंजन इन माध्यमों से प्राप्त होते हैं। लेकिन इन संसाधनों को चलाने वाली अधिकांश कंपनियों, संस्थानों या संगठनों का मुख्य उद्देश्य भी पैसा कमाना है। ऐसी स्थिति में वह सभी प्रकार की सामग्री प्रदान करवा रहे हैं भले ही यह मानवता की भलाई के लिए है या नहीं। वर्तमान युग में प्रत्येक मनुष्य के पास इंटरनेट और संचार के साधनों का प्रयोग करने की क्षमता है। इसलिए हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने ज्ञान को विकसित करने के लिए इन संसाधनों का उचित प्रयोग करें। बच्चों में सही/ग़लत खोजने की क्षमता कम होती है और इसलिए यह डर इंटरनेट या संचार के अन्य साधनों के दुरुप्रयोग के कारण बना रहता है। इस गतिविधि आधारित पाठ का मुख्य उद्देश्य है छात्रों में अभिरूचि का विकास करना ताकि समझ सके कि इन उपकरणों का सही प्रयोग कैसे किया जाए।
प्रश्न-

  1. किस प्रकार का युग वर्तमान युग है और क्यों?
  2. आधुनिक युग में किसका महत्त्व बढ़ गया है?
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  4. हमारा कर्त्तव्य क्या है?
  5. गतिविधि आधारित पाठ्यों का क्या लाभ है?

उत्तर-

  1. वर्तमान युग को सूचना क्रांति के युग के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने दुनिया में दूरी को काफी कम कर दिया है।
  2. आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व बढ़ गया है।
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना और लाभ कमाना है।
  4. संचार के साधनों का समुचित उपयोग करना और अपने ज्ञान का विकास करना हमारा कर्तव्य है।
  5. यह छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि औज़ारों का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाए और समझने के लिए उनमें एक आदत विकसित की जाए।

(3)

मैडम कमला ने लड़कियों की बताया कि उनके मन में बहुत सी गलत धारणाएं हैं जिनसे बचने की ज़रूरत है। जैसा कि कुछ लोग रात तक जागने के लिए दवा लेते हैं। कुछ अपने शरीर को और अधिक शक्तिशाली और सुडौल बनाने के लिए खतरनाक उत्पाद ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट युवा पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं। दरअसल यह विज्ञापन जो कंपनियों द्वारा प्रचारित किए जाते हैं और वह टी०वी० चैनल का हिस्सा नहीं होते हैं। उन पर डिस्कलेमर विज्ञापन लिखा हुआ होता है। इसीलिए हमें आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। इस तरह के विज्ञापन के बारे में हमें गंभीर रूप से सोचना चाहिए। इसलिए संक्षेप में हमें कड़ी मेहनत और घर के बने स्वस्थ आहार पर विश्वास करना चाहिए जो सरल और संतुलित आहार होना चाहिए। मैडम ने मिल्खा सिंह, पी.टी उषा, दीपिका करमाकर, लिएंडर पेस, मैरीकॉम और कई अन्य खिलाड़ियों की उदाहरणे दी जिन्होंने साधारण या ग़रीब परिवार से उठकर और दुनिया में अच्छी तरह से नाम कमाया।
प्रश्न-

  1. लोग किस प्रकार की गलत धारणाएं बनाते हैं?
  2. क्या हमें कंपनियों के विज्ञापनों पर भरोसा करना होगा?
  3. खेल व्यक्तियों के कुछ उदाहरण दें जिन्होंने केवल कड़ी मेहनत के साथ महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया है।
  4. महान ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
  5. विज्ञापनों पर डिस्कलेमर क्यों लिखा जाता है?

उत्तर-

  1. लोग गलत धारणा बनाते हैं कि दवा और टॉनिक के सेवन से हम स्वस्थ और मज़बूत बन सकते हैं।
  2. हमें कंपनी के विज्ञापनों पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें इसके बारे में गंभीर रूप से सोचना चाहिए।
  3. मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा, दीपिका करमाकर, लिंएडर पेस, मैरीकॉम और अन्य खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत के साथ महान ऊँचाईयों को हासिल किया।
  4. ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और दवा और टॉनिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. क्योंकि टी०वी० चैनल केवल निर्माता की ओर से विज्ञापन दिखा रहे हैं। विनिर्माण या दोषपूर्ण उत्पादों से उनका कोई लेना देना नहीं है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(4)

हमारे संबंधों के बारे में कुछ सामाजिक सीमाएं है। वह हमें बताते हैं कि हमें अपने संबंधों को किस सीमा तक रखना चाहिए। हमें इन सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। हमारे परिवार या पड़ोसी, स्कूल, कॉलेज के शिक्षक, छात्र, दोस्त, दुनिया में लगभग हर व्यक्ति हमें जीवन के हर चरण में सामाजिक रूप से अच्छी प्रकार से परिभाषित सीमाओं और रिश्तों की सीमाओं का एहसास कराता है। इसलिए हमें तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन करना चाहिए। हमें ऐसी सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए अन्यथा हमें किसी अन्य रिश्ते की हत्या करनी पड़ सकती है। तो एक सीमा है जो एक सामाजिक अनुग्रह का प्रतीक है। जैसा कि कुछ संबंधों को घर पर रखा जाता है। दूसरी ओर कुछ हमारे कार्यालय या किसी अन्य कार्यस्थल तक सीमित हैं। इसलिए हमारे बाहरी रिश्तों (कार्यस्थल संबंधों या पेशेवर संबंधों) को हमारे घर पर लाना और इसके विपरीत करना बुद्धिमानी नहीं है। कुछ रिश्ते रक्त से संबंधित हैं जो हमारे बहुत करीब से जाने जाते हैं लेकिन यह हमेशा एक जैसा नहीं होता है। कभीकभी, एक रिश्ता जो रक्त से संबंधित नहीं है, हमारी अधिक मदद करता है और रक्त संबंधों की तुलना में हमारे करीब है।
प्रश्न-

  1. हमारे रिश्तों की सीमा कौन-तय करता है?
  2. हमें सामाजिक सीमाओं के साथ क्या करना चाहिए?
  3. हम करीबी और दूर के रिश्तों की पहचान कैसे कर सकते हैं?
  4. रिश्तों की सीमा क्या है?
  5. बाहरी रिश्तों को हमारे घर में लाना बुद्धिमानी क्यों नहीं है?

उत्तर-

  1. समाज हमारे रिश्तों की सीमा को तय करता है कि हमें किसी भी रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत है।
  2. हमें एक तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन और निरीक्षण करना चाहिए। हमें सामाजिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
  3. करीबी और दूर के रिश्तों को हमारी सरलता, स्वाभाविकता और संवेदनशीलता से पहचाना जा सकता है।
  4. हमेशा हर रिश्ते की सीमा होती है कि हमें हर रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत हैं। इसलिए हमें आपकी सीमा को समझना चाहिए और बेहतर जीवन जीना चाहिए।
  5. हमें अपने घर में बाहरी या अधिकारी संबंधों को नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह हमारे अन्य रिश्तों में समस्याएं पैदा कर सकता है। परिवार के सदस्य इसका विरोध कर सकते हैं और हमारे घरेलू रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

(5)

जीवन में हर व्यक्ति कई रिश्तों के साथ रहता है। कुछ रिश्ते लंबे होते हैं। लेकिन कुछ को काट दिया जाता है या कुछ रिश्ते समय और परिस्थितियों के प्रभाव से टूट जाते हैं। तो यह जीवन भर हमारे मन के किसी भी कोने में एक स्मृति के रूप में अच्छा या बुरा रहता है। दूर जाने के कारण, गुस्से-शिकवे बढ़ने के कारण, नए सिरे से जीवन लड़ी शुरू करने के चक्कर में या परिवार, समाज किसी की तरफ से रोक लगाने पर कई बार हमें कोई रिश्ता छोड़ना पड़ता है। कभी-कभी हमें लगता है कि हम किसी और के साथ लंबे समय तक नहीं रह सकते, इसलिए हमें अपना रिश्ता तोड़ रचनात्मक रूप से समाप्त करना चाहिए। कई रिश्ते छोड़ने के बाद हम दोबारा फिर से उनको नहीं मिलते परंतु बिछड़ने का सलीका होना चाहिए।
प्रश्न-

  1. क्या सभी रिश्ते जीवन भर चलते हैं?
  2. हमें रिश्तों को क्यों छोड़ना पड़ता है?
  3. हमें रिश्ते कैसे छोड़ने चाहिएं?
  4. रिश्ते याददाशत में क्यों रहते हैं?
  5. हम क्यों महसूस करते हैं कि कुछ रिश्ते लंबे समय तक नहीं रह सकते?

उत्तर-

  1. नहीं, सभी रिश्ते जीवन भर नहीं रहते।
  2. कुछ रिश्तों को बीच में ही छोड़ दिया जाना चाहिए। क्रोध, सामाजिक प्रतिबंधों के डर से या किसी अन्य स्थान पर एक नया जीवन शुरू करने के लिए कुछ रिश्तों को छोड़ना पड़ता है।
  3. अगर हमें कोई रिश्ता छोड़ने की आवश्यकता है, तो हमें रचनात्मक और सुंदर तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। ताकि यदि उसे दोबारा जोड़ना पड़े तो जोड़ सकें।
  4. हम एक विशेष संबंध को खत्म कर देते हैं लेकिन वह किसी अच्छे या बुरे क्षण के कारण स्मृति में बने रहते हैं।
  5. क्योंकि जीवन के एक पड़ाव पर, हमें यह एहसास होने लगता है कि ऐसे रिश्ते वफादार नहीं होते हैं और लंबे समय तक निभाने के बजाय उस रिश्ते को खत्म करना बेहतर होता है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(6)

यदि हम सभी के साथ उचित तरीके से व्यवहार करना चाहते हैं तो समझो कि हमारे अंदर संवेदनशीलता का गुण है। हमें सभी को इसे प्रेम और सम्मान के साथ समानता की नज़र से देखना होगा। इसलिए लड़कों और लड़कियों, पुरुषों और महिलाओं को एक-दूसरे के साथ उचित और समानता का व्यवहार करना होगा। जिस प्रकार, ‘दर्द’ शब्द का अर्थ सीमित है,-किसी का अपना दर्द। उसी प्रकार ‘संवेदना का अर्थ है-सभी के सामूहिक दर्द को समझना। अगर हम अपने घर को देखें तो भाई-बहनों को अक्सर यह शिकायत होती है कि उनके माता-पिता अपनी बहनों और भाइयों से बेहतर व्यवहार करते हैं। स्कूल में भी लड़के अक्सर इस बात की शिकायत करते हैं कि लड़कियों को क्लास का मॉनिटर क्यों बनाया जाता है? इस लिए इस तरह के मुद्दे वास्तव में हमारी लैंगिक संवेदनशीलता की कमी का संकेत हैं।
प्रश्न-

  1. संवेदनशील का गुण कौन-सा है?
  2. दर्द और संवेदना का क्या अर्थ है?
  3. घर में हमें अपने भाई-बहनों से क्या शिकायत है?
  4. हम कैसे ठीक से व्यवहार करना चाहिए?
  5. हमें दूसरों का आदर क्यों करना चाहिए?

उत्तर-

  1. समाज में रहते हुए हम सभी के साथ उचित और सम्मानजनक तरीके से पेश आते हैं। यह संवेदनशीलता का गुण है।
  2. दर्द का सीमित अर्थ है किसी का अपना दर्द और सहानुभूति का अर्थ है सभी के सामूहिक दर्द को समझना।
  3. हमें अक्सर भाई बहनों के बारे में शिकायत होती है कि माता-पिता उनसे ज्यादा प्यार करते हैं और हमसे कम प्यार करते हैं।
  4. हमें सभी को सम्मान देना चाहिए और उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए।

(7)

प्रिय छात्रो ज़रूरतों और इच्छाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है, लेकिन उन्हें अपनी सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। वह इतने अधिक नहीं होने चाहिए कि हमारी सभ्य सामाजिक सीमा को पार कर जाएं। जीवन जीने के लिए भोजन, कपड़ा और मकान बुनियादी जरूरतें है, उसी प्रकार एक अच्छी जीवन शैली का भी उतना ही महत्त्व है। आइए हम देखें कि हमारी ज़रूरतें और इच्छाएं किस प्रकार की हैं ? क्या वे सीमित हैं या बहुत अधिक हैं और सभी साधनों और स्रोतों से अधिक हैं ? क्या ये हमारे माता-पिता को तंग कर रहें हैं या नहीं?
प्रश्न-

  1. जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है?
  2. किस हद तक इच्छाओं को रखा जाना चाहिए?
  3. जीवन जीने के लिए कौन-सी चीजें आवश्यक हैं?
  4. इच्छाओं को रखते हुए हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?
  5. जीवन में ज़रूरतें और इच्छाएं क्यों ज़रूरी हैं?

उत्तर-

  1. ज़रूरतें और इच्छाएं जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। हम इनके बिना नहीं रह सकते।
  2. इच्छाओं को सामाजिक सीमा में रखा जाना चाहिए ताकि वह आसानी से पूरी हो सकें।
  3. जीवन जीने के लिए भोजन, वस्त्र और आश्रय की आवश्यकता होती है क्योंकि हम उनके बिना नहीं रह सकते।
  4. इच्छा रखने के दौरान हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि वह हमारे माता-पिता को तंग न करें। इस मामले में, वह हमारे माता-पिता पर बोझ बन जाएंगे।
  5. क्योंकि हर किसी को जीवन जीने के लिए कुछ चीज़ों की आवश्यकता होती है जो एक खुशहाल जीवन जीने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(8)

दुनिया का हर इंसान अलग है। हम उसी प्रकार कई मायनों में एक-दूसरे से अलग है। जैसे कि हर किसी का एक अलग व्यक्तित्व होता है। आपसी सम्मान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे के साथ एक ही प्रकार से व्यवहार करें। स्वीकार करें कि उनका व्यक्तित्व रिश्ते के लिए अलग है जो एक आशीर्वाद है। हम अक्सर देखते हैं कि दो अच्छे दोस्तों के व्यक्तित्व अक्सर अलग होते हैं। एक वक्ता और दूसरा श्रोता, इस प्रकार से, हमारी विविधता एक-दूसरे की पूरक है। जब हम एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं तो हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। अगर हम खुद को सही मानते हैं और दूसरों को गलत मानते हैं, तो हम अकेले रह जाएंगे। विद्यार्थी जीवन में मित्रता विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होती है। मित्र को उसके पूर्ण रूप में स्वीकार करो। इस स्थिति में हर किसी की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। जब कक्षा में एक छात्र को अध्यापक द्वारा टोका जाता है, तो उसे अपने तरीकों में बदलाव करना चाहिए। कोई और गुस्से में आ जाता है और जानबूझकर गलत व्यवहार करता है जबकि कोई पूरी तरह से चुप रहता हैं। हमारी समस्या यह है कि हम चाहते हैं कि हर कोई बदल जाए। यह ठीक नहीं है। सभी अलग तरीके से व्यवहार करते हैं।
प्रश्न-

  1. विद्यार्थी जीवन में क्या बहुत महत्त्व रखता है?
  2. दुनिया में हर कोई एक-दूसरे से अलग कैसे है?
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए क्या आवश्यक है?
  4. हमारे जीवन में विभिन्नताओं का क्या महत्त्व है?
  5. दो अच्छे दोस्तों का व्यक्तित्व एक-दूसरे से अलग क्यों है?

उत्तर-

  1. विद्यार्थी जीवन में दोस्ती का बहुत महत्त्व हैं क्योंकि वह बिना किसी स्वार्थ के हमारे साथ बने रहते हैं और हम उन्हें जीवन भर याद रखते हैं।
  2. हर कोई शारीरिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे से अलग है। उनकी आदतें, व्यक्तित्व और क्षमताएं भी अलग-अलग होती हैं। इसलिए हर कोई एक-दूसरे से अलग है।
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए, यह होना चाहिए कि हम दूसरों को वैसा ही स्वीकार करें जैसे वे हैं और उनका व्यक्तित्व है। यह समानता के संबंधों को बनाए रखने में मदद करता हैं।
  4. विभिन्नताओं का बहुत महत्त्व है। हर कोई एक-दूसरे से अलग है और हम स्वीकार करते हैं। वह जैसे भी हैं, कई मतभेद होने के बाद भी, हम उनके साथ भेदभाव नहीं करते हैं।
  5. हालांकि वह अच्छे दोस्त हैं, लेकिन उनके दृष्टिकोण, विचार, आदतें, जीने के तरीके एक-दूसरे से अलग हैं। इसलिए उनके व्यक्तित्व भी अलग हैं।

(9)

रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है। रचनात्मक मानसिकता वाले इंसान में हमेशा नए विचार आते हैं और उन विचारों को व्यक्त करने का तरीका भी अनोखा होता है। विभिन्न मनुष्यों में अलग-अलग लक्षण और गुण होते हैं। एक रचनात्मक मानसिकता वाला व्यक्ति इस गुण का उपयोग खुद को विकसित करने के लिए करता है और सामाजिक सम्मान भी प्राप्त करता है। रचनात्मक ध्यान न केवल कला या साहित्य के क्षेत्र में बल्कि किसी भी क्षेत्र से जुड़े लोगों में भी पाया जा सकता है। छात्रों में इस दृष्टिकोण को विकसित करके, उनके व्यक्तित्व को परिष्कृत किया जाना चाहिए और उनकी प्रकृति को उनकी ऊर्जा का उचित उपयोग करके रचनात्मक बनाया जाना चाहिए।
प्रश्न-

  1. रचनात्मक सोच का क्या अर्थ है?
  2. रचनात्मक सोच का क्या फायदा है?
  3. क्या यह रचनात्मक सोच किसी भी क्षेत्र में हो सकती है?
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करने से क्या फायदा है?
  5. सभी को रचनात्मक सोच क्यों रखनी चाहिए?

उत्तर-

  1. रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है।
  2. रचनात्मक सोच के साथ एक व्यक्ति खुद का विकास करता है और सामाजिक सम्मान हासिल करता हैं। वह कुछ नया करने की कोशिश करता है।
  3. हाँ, रचनात्मक सोच कला, साहित्य, विज्ञान, इत्यादि किसी भी क्षेत्र में हो सकती है।
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करके उनके व्यक्तित्व का विकास किया जा सकता है। उनकी ऊर्जा का उचित प्रयोग करके उनके स्वभाव को रचनात्मक बनाया जा सकता हैं।
  5. हर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अधिक रचनात्मक है। वह हमेशा कुछ अनोखा बनाना चाहता है। कुछ अनोखा बनाने के लिए रचनात्मक सोच बहुत आवश्यक है।

(10)

यदि हम कभी-कभी दुखी, डरे हुए, घबराए हुए, बेचैन, क्रोधित, ईष्यालु या परेशान महसूस करते हैं तो यह सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा अक्सर होता है, तो इन भावनाओं पर नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। यदि हमारी भावनाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो यह हानिकारक साबित हो सकती हैं और हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए सीखना चाहिए कि अत्यधितः भावनात्मक होने और फिर बाद में पछतावा होने पर गलतियों से बचने के लिए हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करते हैं। इनको अच्छी प्रकार से समझदार और इन पर सही तरीके से अमल करके, उज्ज्वल और सफल छात्र हो सकते हैं क्योंकि भावनाओं का संतुलन हमारे जीवन में हमारे शारीरिक कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक संबंधों के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। सभी भावनात्मक संतुलन से जुड़े हैं। भावनाओं को संतुलित करने का अर्थ है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए। हमें एक सीमा निर्धारित करनी चाहिए कि हम अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त कर सकते हैं।
प्रश्न-

  1. हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण क्यों रखना चाहिए?
  2. हम कैसे सफल छात्र बन सकते हैं?
  3. भावनाओं के संतुलन से क्या अभिप्राय है?
  4. भावनाओं को काबू में रखने के बारे में हमें क्यों सीखना चाहिए?
  5. जब हम उदास, घबराए हुए, गुस्सा इत्यादि महसूस करते हैं, तो यह सामान्य क्यों है?

उत्तर-

  1. हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है जैसे कि क्रोध, ईर्ष्या, डर नहीं तो यह हमारे लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
  2. हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करके, इनको ठीक से समझकर और इन्हें सही तरीके से समझकर सफल छात्र बन सकते हैं।
  3. भावनाओं को संतुलित करने का मतलब यह है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए।
  4. हमें भावनाओं को नियंत्रण में रखने के बारे में सीखना चाहिए ताकि भावनाओं के प्रभाव में हम कोई गलती कर बैठें जो बाद में एक समस्या बन सकती है।
  5. यह मानव स्वभाव के कारण है जो अलग-अलग समय पर महसूस होता है। दुखी, घबराया हुआ, क्रोधित, ईर्ष्या या हमेशा के लिए परेशान। यह हमारे मन पर भी निर्भर करता है जिसके अनुसार हमारे भीतर विभिन्न भावनाएं होती हैं।

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