PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

PSEB 10th Class Science Guide ऊर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर ऊर्जा जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर-
(b) बादलों वाले दिन ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला।
उत्तर-
(c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है। (a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा।
उत्तर-
(a) भूतापीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर-

जीवाश्मी ईंधन सूर्
(1) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। (1) यह ऊर्जा का विकरणीय स्रोत है।
(2) यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। (2) यह प्रदूषण नहीं फैलाता है।
(3) रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न प्रकाश उत्पन्न करता है। (3) परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और करता है।
(4) निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है।
(5) मानव मन चाहे ढंग से उस पर नियंत्रण कर भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। (5) मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी सकता है।

प्रश्न 5.
जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत् की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए ।
उत्तर-
जैवमात्रा तथा जल विद्युत् की तुलना –

जैवमात्रा जल वैद्युत्
(1) जैव-मात्रा केवल सीमित मात्रा में ही ऊर्जा प्रदान कर सकती है। (1) जल वैद्युत् ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है।
(2) जैव-मात्रा से ऊर्जा प्राप्त करने के प्रक्रम में प्रदूषण फैलता है। (2) जल वैद्युत् ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है।
(3) जैव-मात्रा से प्राप्त ऊर्जा को सीमित स्थान में ही प्रयोग किया जा सकता है। (3) जल वैद्युत् ऊर्जा को पारेषण लाइन की सहायता से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ

  • पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। एक MW के जनित्र के लिए 2 हेक्टेयर स्थान की आवश्यकता होती है।
  • पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब पवन का न्यूनतम वेग 15 km/h हो।
  • हवा की तेज़ गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएं अधिक होती हैं।
  • सारा वर्ष आवश्यक पवनें नहीं चलतीं।

(b) तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-समुद्रीय जल तरंगों के वेग के कारण उनमें ऊर्जा समाहित होती है जिसके कारण निष्कर्षण के लिए निम्न सीमाएँ हैं

  • तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
  • इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं हैं।

(c) ज्वार भाटा ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय आर्कषण के कारण होता है। तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर-
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्रोत

  • नवीकरणीय स्त्रोत-ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
  • अनवीकरणीय स्रोत-ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता। जीवाश्मी ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।

(b) समाप्य तथा अक्षय (असमाप्य)-ऊर्जा के समाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं जबकि अक्षय (असमाप्य) स्रोत अनवीकरणीय हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-

  • पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होनी चाहिए।
  • समान दर से ऊर्जा की उत्पत्ति होनी चाहिए।
  • सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
  • परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
  • यह सस्ता और सुलभ होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुक्कर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुक्करों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर-
सौर कुक्कर के लाभ-

  • ईंधन का कोई खर्च नहीं होता। ईंधन और विद्युत् की बचत है।
  • पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है। धीमी गति से खाना पकने के कारण भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
  • किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती।
  • खाना पकाते समय निरंतर देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सौर कुक्कर की हानियां (सीमाएँ)

  • बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता।
  • रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
  • बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
  • यह 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।

पृथ्वी पर कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुक्कर का उपयोग अत्यंत सीमित है। उदाहरण के लिए, चारों ओर पर्वतों से घिरी हुई घाटी जहां सूर्य की धूप दिन में बहुत कम समय के लिए मिलती है। पहाड़ी ढलानों पर प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आपतित सौर ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है। इसके अतिरिक्त भूमध्य रेखा से सुदूर क्षेत्रों में सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर लंबवत् आपतित नहीं होती। अतः ऐसे क्षेत्रों पर सौर कुक्कर का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा नहीं मिल पाती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा की मांग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर निश्चित रूप से कुप्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएं आदि सब के लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।

ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत् ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो, सरलता से प्राप्त हो, दाम भी बहुत अधिक न हो तथा स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय- इसके लिए निम्नलिखित उपाय उपयोग में लाए जा सकते हैं-

  1. घरों में विद्युत् उपकरणों का अनावश्यक प्रयोग में न किया जाए।
  2. पंखे, कूलर, ए० सी० आदि का प्रयोग करते समय परिवार के सभी सदस्य एक ही कमरे में रहने का प्रयास करें।
  3. बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को विकसित किया जाए तथा निजी गाड़ियों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाए।
  4. स्ट्रीट लाइट को दिन में बंद किए जाने की समुचित व्यवस्था की जाएं।
  5. पारंपरिक उत्सवों (दीपावली, शादी समारोह आदि) पर ऊर्जा की बर्बादी पर रोक लगाई जाए।

Science Guide for Class 10 PSEB ऊर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • जिसका प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
  • जिसका भंडारण और परिवहन सुगम हो।
  • सुगमता से प्राप्त हो जाता हो।
  • सस्ता हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तम ईंधन-वह ईंधन जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हो, वह उत्तम ईंधन कहलाता है। उत्तम ईंधन की विशेषताएँ-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों का उत्पादन कम-से-कम होना चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर-
हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे, क्योंकि इस का ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरीमान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।

प्रश्न 4.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर-
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ-जीवाश्मी ईंधन से होने वाली प्रमुख हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  • पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधन का सीमित भंडार मौजूद है जो कुछ ही समय में समाप्त हो जाएगा।
  • जीवाश्मी ईंधन, जलाने पर विषैली गैसें मुक्त कर वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
  • जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्सर्जित गैसें कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करती हैं जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है।
  • जीवाश्मी ईंधन के दहन से उत्सर्जित गैसें अम्लीय वर्षा का भी कारण बनती हैं।

प्रश्न 5.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर-
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देने के कारण-हम अपनी दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों जैसे खाना पकाना, विद्युत् उत्पादन, औद्योगिक संयंत्रों तथा वाहन चलाने आदि के लिए जीवाश्मी ईंधनों (कोयला, पेट्रोलियम)पर निर्भर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दर से हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहे हैं अतिशीघ्र ही जीवाश्म ईंधन का भंडार समाप्त हो जाएगा। वैकल्पिक स्रोत जल से उत्पादित विद्युत् की भी अपनी सीमाएँ हैं। अत: जल से सभी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव है। इसलिए शीघ्र ही भयंकर ऊर्जा संकट होने की आशंका है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रश्न 6.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?
उत्तर-
पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप में किया जाता है। वर्तमान समय में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो।
1. पवन ऊर्जा-प्राचीन काल में पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चला कर कुओं से जल खींचने का काम होता था लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत् उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को समुद्रीय तट के समीप विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है। ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

2. जल ऊर्जा-प्राचीन काल में जल ऊर्जा का उपयोग जल परिवहन में किया जाता है। जल को विद्युत् ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए पहाड़ों की ढलानों पर बांध बनाकर जल की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आज जल विद्युत् संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है।

जल विद्युत् उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोक कर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया गया है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत् ऊर्जा को उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
सौर कुक्कर के लिए कौन-सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल-सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों ?
उत्तर-
सौर कुक्कर में अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर केंद्रित करता है जिससे सौर कुक्कर का तापमान बढ़ जाता है।

प्रश्न 8.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर-
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है परंतु सदैव ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों-ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनीअपनी सीमाएं हैं।
1. ज्वारीय ऊर्जा-ज्वारीय ऊर्जा का दोहन, सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है। बांध पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करके ऊर्जा की उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।

2. तरंग ऊर्जा-तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहां तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहां सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हों कि उनकी ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।

3. सागरीय तापीय ऊर्जा-सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि० मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। इस प्रकार विद्युत् ऊर्जा प्राप्त हो सकती है परंतु यह प्रणाली बहुत महंगी है।

प्रश्न 9.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर-
भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में पिघलती हुई चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी को पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती हैं और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत् जनित्रों के द्वारा विद्युत् उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 10.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा- भारी नाभिकीय परमाणु (यूरोनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरोनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अतः परम्परागत ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अतः विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।

इससे निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  • अधिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए कम ईंधन की आवश्यकता पड़ती है।
  • यह ऊर्जा का विश्वसनीय स्रोत है और लंबे समय तक विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में सामर्थ्य है।
  • अन्य स्रोतों की अपेक्षा कम खर्च पर ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 11.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। कुछ स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करते हैं और कुछ ऊर्जा स्रोतों के निर्माण में प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए सौर-सैल को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत कहा जाता है, परंतु इस युक्ति के निर्माण समय प्रदूषण होता है जिससे पर्यावरण की क्षति होती है।

प्रश्न 12.
राकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाइड्रोजन निश्चित रूप से CNG की अपेक्षा स्वच्छ ईंधन है क्योंकि न तो इसका अपूर्ण दहन होता है और न ही हाइड्रोजन जल कर कोई हानिकारक गैस उत्पन्न करती है, जबकि CNG के द्वारा NO2 तथा SO2 जैसी ग्रीन हाऊस गैसें मुक्त होती हैं।

प्रश्न 13.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
जैव-मात्रा तथा बहते हुए जल की ऊर्जा, ऊर्जा के दो नवीकरणीय स्रोत हैं चूँकि जैव-मात्रा (वनों से प्राप्त लकड़ी) को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अतः इसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। बहते हुए जल की ऊर्जा भी वास्तव में सौर ऊर्जा का ही एक रूप है; अतः यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

प्रश्न 14.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों ऊर्जा के दो समाप्य स्रोत हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों के पृथ्वी पर उपलब्ध भंडार जल्दी ही समाप्त हो जाने वाले हैं तथा इन्हें कभी भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता; अतः ये दोनों ही ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

PSEB 10th Class Science Guide विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत् धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर-
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत् मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर-
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत् धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत् चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर-
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत्धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर-
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है ? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए
(a) विद्युत् मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत् जनित्र वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत् धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युत्रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर-
(a) गलत।
(b) सही।
(c) सही।
(d) गलत।

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र के स्रोत-चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित स्रोत हैं
(i) स्थायी चुंबक
(ii) विद्युत् चुंबक
(iii) पृथ्वी चुंबक
(iv) गतिमान आवेश।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भांति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर-
धारावाही परिनालिका तथा छड़ चुंबक में समानताएँ-

  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका. दोनों को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर दोनों के अक्ष उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों समान ध्रुवों को प्रतिकर्षित और असमान ध्रुवों को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों चुंबकीय पदार्थों (जैसे लोहा, कोबाल्ट, तथा निक्कल) को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों के निकट दिक्सूचक सूई लाने पर सूई विक्षेपित हो जाती है।
  • स्वतंत्रतापूर्वक लटक रहे चुंबक या धारावाही परिनालिका को धारावाही तार के समीप लाने पर दोनों विक्षेपित हो जाते हैं।

छड़ चुंबक द्वारा धारावाही परिनालिका के ध्रुव निर्धारण करना

  1. एक स्वतंत्रतापूर्वक क्षितिज अवस्था में लटक रही धारावाही परिनालिका के एक सिरे के निकट छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव लाएँ। यदि धारावाही परिनालिका आकर्षित होती है तो यह सिरा परिनालिका का दक्षिणी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
  2. यदि छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव परिनालिका के समीप लाने पर परिनालिका विक्षेपित हो जाती है तो छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव और विपरीत सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर-
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब विद्युत् धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार के सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत् धारा दोनों की दिशाओं के लंबवत् होती है। विद्युत् धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है, इसलिए चुंबकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत् मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है ?
अथवा अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् मोटर का सिद्धांत, रचना और कार्यविधि समझाओ।
अथवा
विद्युत् मोटर का सिद्धांत क्या है ? नामांकित चित्र बनाकर इसकी बनावट स्पष्ट करें। कार्यविधि का संक्षेप वर्णन करो। दैनिक जीवन में इसके दो उपयोग लिखो।
उत्तर-
विद्युत् मोटर– विद्युत् मोटर एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत् ऊर्जा (विद्युत् धारा) को यांत्रिक ऊर्जा (गति) में परिवर्तित कर देता है। विद्युत् मोटर का दैनिक जीवन में प्रयोग बाल सुखाने वाला यंत्र (ड्रॉयर), पंखे, पानी का पंप आदि से लेकर कई प्रकार के वाहनों और उद्योगों में किया जाता है।
सिद्धांत- जब किसी धारा वाहक कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इसकी कुंडली की भुजाओं पर वाहक बल क्रिया करता है जो कुंडली को घुमाने का प्रयत्न करता है।

बनावट-विद्युत् मोटर के निम्नलिखित भाग हैं –
1. आर्मेचर कुंडली-ABCD आर्मेचर कुंडली है। यह एक नर्म लोहे की छड़ के गिर्द लपेटी गई कुंडली है जो अपने अक्ष के गिर्द घूमने के लिए स्वतंत्र होती है।

2. दिक् परिवर्तक-दिक् परिवर्तक कुंडली, विभक्त वलयों S1 और S2 भागों में विभक्त होती है। कुंडली के सिरे इन विभक्त वलयों S1 और S2 से जुड़े होते हैं।

3. हॉर्स-शू चुंबक- कुंडली को हॉर्स-शू चुंबक के शक्तिशाली ध्रुवों के बीच रखा जाता है।

4. कार्बन ब्रुश-कार्बन ब्रुशों B1 तथा B2 का जोड़ा विभक्त वलयों को दबाकर रखता है । d.c. का एक स्रोत इन कार्बन ब्रुशों से जुड़ा होता है।
कार्य विधि-मान लो कुंडली ABCD का तल क्षैतिजीय है तथा विभक्त वलय S1 और S2 ब्रुश B1 और B,sub>2 को छू रहे हैं, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। धारा अघड़ीवत् दिशा या (घड़ी की दिशा से उल्ट) में प्रवाहित की जाती है।

फ्लेमिंग के बाएं हाथ नियम के अनुसार भुजा AB बाहर की तरफ कागज़ के तल पर लंबात्मक दिशा में एक बल F महसूस करती है। भुजा DC अंदर की तरफ कागज के तल के समानांतर बल F महसूस करती है।CB और AD भुजाएं क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर हैं, इसलिए कोई बल महसूस नहीं करतीं। भुजा AB और CD पर क्रिया कर रहे बल बराबर परंतु विलोम दिशायी हैं जो विभिन्न बिंदुओं पर क्रिया करके एक बल युग्म बनाते हैं जिससे कुंडली |

दिक् परिवर्तक घड़ीवत दिशा में घूमने लगती है। जब कुंडली कागज़ के तल के लंबात्मक ऊर्ध्वाधर दिशा में आ जाती है तथा भुजा AB ऊपर और CD नीचे हो जाती है तो बल युग्म शून्य हो जाता है परंतु जड़त्व के कारण कुंडली घूमती रहती है। विभक्त वलय S1 ब्रुश B2 के | तथा विभक्त वलय S2 ब्रुश B1 के संपर्क में आ जाता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 1

विभक्त वलय अपनी स्थिति बदलते हैं न कि ब्रुश B1 और B2 फिर जब विद्युत् धारा कुंडली में दिशा ABCD में गुज़रती है तो कुंडली की भुजाओं पर क्रिया करके बल उस दिशा में बल युग्म बनाता है। इसके परिणामस्वरूप कुंडली उसी दिशा में निरंतर घूमती रहती है।
इस तरह मोटर की कुंडली के अक्ष पर यदि कोई पहिया लगा दिया जाये तो यह पहिया अनेक मशीनों को चला सकता है। विद्युत् धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएं भी उत्क्रमित हो जाती हैं। कुंडली की जो भुजा पहले नीचे धकेली गई थी वह अब ऊपर की ओर धकेली जाती है और दूसरी ऊपर जाने वाली भुजा नीचे धकेल दी जाती है। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद यह क्रम दोहराया जाता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर का उपयोग विद्युत् पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत् मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP 3 प्लेयरों, जल पंप, गेहूँ पीसने वाली मशीन आदि में किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत्रोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(i) कुंडली में धकेला जाता है ?
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है ?
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है ?
उत्तर-
(i) जैसे ही छड़ चुंबक, कुंडली के भीतर धकेला जाता है वैसे ही गैल्वनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है। यह कुंडली में विद्युत् धारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(ii) जब चुंबक को कुंडली के भीतर से बाहर की ओर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेप होता है परंतु विपरीत दिशा में होता है।
(iii) यदि चुंबक को कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुंडली में कोई विद्युत् धारा उत्पन्न नहीं होती। अर्थात् विक्षेप शून्य हो जाता है।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत् धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर-
हाँ। जब कुंडली A में से प्रवाहित विद्युत् धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली B में विद्युत् धारा प्रेरित होगी। कुंडली A में विद्युत् धारा में परिवर्तन के कारण इसकी चुंबकीय बल रेखाएं जो कुंडली B के साथ संबंधित हैं बदल जाती हैं और यह कुंडली B में प्रेरित विद्युत् धारा को उत्पन्न कर देती हैं।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत् धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित विद्युत् धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा।
उत्तर-
(i) धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम निर्धारित करता है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम-यदि आप अपने दाहिने चुंबकीय हाथ में विद्युत् धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी। इसे दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 2
(ii) चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा निर्धारित होती है।
फ्लेमिंग का वामहस्त (बायां हाथ ) नियम-अपने वामहस्त के अंगूठे, तर्जनी के मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि वे परस्पर लंबवत् हो। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करें तथा मध्यमा अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को इंगित करे तो अंगूठा चालक की दिशा को प्रवाहित करेगी।
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(iii) चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली की गति के चालक की गति कारण उसमें प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त (दाहिने हाथ) नियम द्वारा ज्ञात होती है।

चुंबकीय क्षेत्र फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम-अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् | चालक में प्रेरित हों। यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर | विद्युत् धारा संकेत करे तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो, प्रेरित विद्युत् धारा तो मध्यम अंगुली चालक में प्रेरित विद्युत् धारा की ।
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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् जनित्र का सिद्धांत, रचना एवं कार्यविधि समझाओ।
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत् जनित्र-विद्युत् जनित्र एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है। इसका कार्य फैराडे के विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर निर्भर है।

सिद्धांत-जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में एक विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम-अपने दायें हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि प्रत्येक एक-दूसरे के साथ समकोण बनाए तो तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की ओर संकेत करती है, अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करता है और मध्यमा अंगुली कुंडली में उत्पन्न विद्युत् धारा की दिशा को दिखाती है।
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रचनाकिसी साधारण प्रत्यावर्ती जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं
1. आर्मेचर (Armature)-इसमें नरम लोहे की क्रोड पर तांबे की अवरोधी तार की अधिक वलयों वाली आयातकार कुंडली ABCD होती है, जिसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो घूम सकती है।

2. क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)-कुंडली को शक्तिशाली चुंबकों के बीच स्थापित किया जाता है। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबक लगाए जाते हैं, परंतु बड़े जनित्रों में विद्युत् चुंबकों का प्रयोग किया जाता है। ये क्षेत्र चुंबक चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करते हैं।

3. स्लिप रिंगज़ (Slip Rings)-धातु के दो खोखले रिंग R1 और R2 को कुंडली की धुरी पर लगाया जाता है। कुंडली की भुजाओं AB और CD को क्रमशः इनसे जोड़ दिया जाता है। आर्मेचर के घूमने के साथ R1 और R2 भी साथ-साथ घूमते हैं।

4. दो कार्बन ब्रुशों B1 और B2 से विद्युत् धारा को Load तक ले जाया जाता है। चित्र में इसे गैल्वनोमीटर से जोड़ा गया है जो विद्युत् धारा को मापता है।

कार्य विधि-जब कुंडली को चुंबक के ध्रुवों N और S के बीच घड़ी की सूई की विपरीत दिशा (anticlock wise) में घुमाया जाता है तब AB नीचे और CD ऊपर की दिशा में गति करती है। उत्तरी ध्रुव के निकट AB चुंबकीय रेखाओं को काटती है और CD ऊपर दक्षिणी ध्रुव के निकट रेखाओं को काटती है। इससे AB और DC में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियमानुसार विद्युत् धारा B से A और D से C की ओर बहती है। प्रभावी विद्युत् धारा DCBA की दिशा में प्रवाहित होती है। आधे चक्कर के बाद कुंडली के AB और DC अपनी स्थिति को बदल लेते हैं। AB दायीं तरफ और DC बायीं तरफ हो जाएंगे इससे AB ऊपर तथा DC नीचे की ओर जाएंगे। इस परिवर्तन के कारण कुंडली में धारा की दिशा आधे चक्र के बाद उलट जाएगी।
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इस व्यवस्था में एक ब्रुश सदा उस भुजा के साथ संपर्क में रहता है जो चुंबकीय क्षेत्र में ऊपर की ओर गति करती है जबकि दूसरा ब्रुश सदा नीचे की ओर गति करने वाली भुजा के संपर्क में रहता है।
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प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में लघुपथन (शॉर्ट सर्किट) कब होता है ?
उत्तर-
जब किसी घरेलू अथवा औद्योगिक परिपथ में जीवित तार (फेज तार) तथा उदासीन तार (न्यूट्रल तार) परस्पर सम्पर्कित हो जाते हैं तो परिपथ का लघुपथन हो जाता है। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध अचानक शून्य हो जाता है और धारा का मान एकाएक बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू-संपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
भूसंपर्क तार-घरेलू विद्युत् परिपथ में विद्युत्मय तथा उदासीन तारों के साथ एक तीसरा तार भी लगा होता है। इस तार का संपर्क घर के निकट जमीन के नीचे गहराई में दबी धातु की प्लेट के साथ होता है। इस तार का रोधन हरे रंग का होता है। इस तार को भूसंपर्क तार कहते हैं। यह तार विद्युत् धारा को अल्प-प्रतिरोध चालन पथ प्रस्तुत करता है।

धातु के साधित्रों (उपकरणों) जैसे–बिजली की प्रेस, फ्रिज, टोस्टर आदि को भूसंपर्क तार से जोड़ दिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र की बॉडी में विद्युत् धारा का क्षरण होने पर बॉडी का विभव भूमि के विभव के बराबर बना रहे। इससे साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर विद्युत् झटका लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर-
चुंबक के निकट लाने पर चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र, दिक्सूचक की सूई जोकि एक प्रकार का छोटा चुंबक है, पर बलयुग्म लगाता है। इससे चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न 2.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं खींचिए।
उत्तर-
छड़ चुंबक की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं-
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प्रश्न 3.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण-

  1. चुंबक के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं।
  2. चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent) उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
  3. कोई दो चुंबकीय क्षेत्र बल रेखाएं परस्पर एक-दूसरे को नहीं काटती, क्योंकि एक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं संभव नहीं हैं।
  4. किसी स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संघनता उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
  5. एक समान (uniform) चुंबकीय क्षेत्र की चुंबकीय रेखाएं परस्पर समानांतर तथा बराबर दूरी पर होती हैं।

प्रश्न 4.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती ?
उत्तर-
यदि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद (काटेंगी) करेंगी, तो उस बिंदु पर क्षेत्र की दो दिशाएं होंगी जो कि असंभव है। दिक्सूचक सूई को इस बिंदु पर रखने से चुंबकीय सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जोकि संभव नहीं हो सकता।

प्रश्न 5.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत्धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
चित्र के अनुसार मेज़ के तल पर तार का वृत्ताकार पाश जिसमें दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है, में दक्षिणहस्त अंगुष्ठ (दाहिना हाथ अंगूठा) नियमानुसार अंगुलियों के मुड़ने की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी। चित्र से साफ़ है कि पाश के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की पाश के तल के लंबवत् ऊपर से नीचे की ओर होंगी।
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प्रश्न 6.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर-
एक समान चुंबकीय क्षेत्र को परस्पर समानांतर बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसलिए इसका निरूपण निम्न चित्र अनुसार होगा-
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प्रश्न 7.
सही विकल्प चनिए : किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर-
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।

प्रश्न 8.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग।
उत्तर-
(c) वेग तथा (d) संवेग।

प्रश्न 9.
क्रियाकलाप 13.7 में, हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए ?
उत्तर-
(i) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 11
(ii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल चुंबकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लंबाई के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 10.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी।
उत्तर-
(d) उपरिमुखी (ऐसा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार होगा)।

प्रश्न 11.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
अथवा
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम चित्र की सहायता से वर्णन करो।
उत्तर-
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम (बायाँ हाथ नियम)-इस नियम के अनुसार, “अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे को परस्पर लंबवत् हों (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है) यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा अंगुली चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा या चालक पर लग रहे बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
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प्रश्न 12.
विद्युत् मोटर का क्या सिद्धांत है ?
उत्तर-
विद्युत मोटर का सिद्धांत- जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है जो कुंडली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुंडली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र हो तो वह घूमने लगती है।

प्रश्न 13.
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय (Split rings) की भूमिका-विद्युत मोटर में विभक्त वलय का कार्य कुंडली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है अर्थात् यह दिक् परिवर्तक का कार्य करता है। जब कुंडली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का एक ओर के ब्रुशों से संपर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से संपर्क जुड़ जाता है जिसके फलस्वरूप कुंडली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुंडली एक ही दिशा में घूमती रहती है। यदि विद्युत मोटर में विभक्त वलय न हों तो मोटर आधा चक्कर लगाकर रुक जाएगी।

प्रश्न 14.
किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग –

  • कुंडली को स्थिर रख कर, छड़ चुंबक को कुंडली की ओर लाने पर या फिर कुंडली से दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • चुंबक को स्थिर रखे हुए कुंडली को चुंबक के निकट लाकर या फिर दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली को किसी चुंबकीय क्षेत्र में घुमाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली के समीप रखी हुई किसी दूसरी कुंडली में विद्युत् धारा की मात्रा में परिवर्तन करने से पहली कुंडली में विद्युत्धारा प्रेरित की जा सकती है।

प्रश्न 15.
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत लिखिए। .
उत्तर-
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत- जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

प्रश्न 16.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दिष्ट धारा के स्रोत-

  1. विद्युत् सेल या बैटरी
  2. दिष्ट धारा जनित्र
  3. डायनमो
  4. बटन सेल।

प्रश्न 17.
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • जनित्र प्रत्यावर्ती विद्युत्धारा उत्पन्न करते हैं।
  • पन विद्युत् संयंत्र।

प्रश्न 18.
सही विकल्प का चयन कीजिए
तांबे की तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है ?
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई।
उत्तर-
(c) आधे।

प्रश्न 19.
विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • फ्यूज तार तथा
  • भू-संपर्क तार।

प्रश्न 20.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत् तंदूर किसी घरेलू विद्युत् परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत् धारा अनुमतांक 5A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
हल-घरेलू परिपथ की धारा अनुमतांक 5A है, इसका यह अर्थ हुआ कि घर की मुख्य लाइन में 5A का फ्यूज तार लगा है।
विद्युत् तंदूर की शक्ति P = 2kW = 2000 W जबकि V = 220 V माना विद्युत् तंदूर द्वारा ली जाने वाली धारा I है, तो
P = V x I से,
I= \(\frac{P}{V}\)
= \(\frac{2000 \mathrm{~W}}{220 \mathrm{~V}}\)
= 9.09 A
अर्थात् विद्युत् तंदूर मुख्य लाइन से 9.09A की धारा लेगी जो कि फ्यूज़ की क्षमता से अधिक है। अतः अतिभारण होगा जिसके फलस्वरूप फ्यूज़ की तार पिघल जाएगी और विद्युत् पथ अवरोधित हो जाएगा।

प्रश्न 21.
घरेलू विद्युत् परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर-
अतिभारण से बचाव के लिए सावधानियां

  1. विद्युत् प्रवाह के लिए प्रयुक्त की जाने वाली तारें अच्छे प्रतिरोधन पदार्थ से ढकी होनी चाहिए।
  2. विद्युत् परिपथ विभिन्न वर्गों में बंटे होने चाहिए और प्रत्येक साधित्र का अपना फ्यूज़ होना चाहिए।
  3. उच्च शक्ति प्राप्त करने वाले एयर कंडीशनर, फ्रिज, वाटर हीटर, हीटर, प्रैस आदि को एक साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. एक ही सॉकेट से बहुत-से विद्युत् साधित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 12 विद्युत

PSEB 10th Class Science Guide विद्युतTextbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा गया है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25.
हल-प्रत्येक कटे हुए भाग का प्रतिरोध R/5 होगा।
∴ R1 = R2 = R3 = R4 = R5 = \(\frac{\mathrm{R}}{5}\)
∴ पाँच कटे हुए टुकड़ों को पार्यक्रम में संयोजित करने पर
img
∴ R’ = \(\frac{\mathrm{R}}{25}\)
या \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{R}^{\prime}}\) = 25
उत्तर : (d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद, विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता है –
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R.
हल –
विद्युत् शक्ति P =V × I
= VxI
= (IR)xI
= I2R
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) x R
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}^{2}} \times h\)
= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
अतः केवल IR2 विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता है।
उत्तर-
(b) IR2

प्रश्न 3.
किसी विद्युत् बल्ब का अनुमतांक 220V; 110W है। जब इसे 110V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है ?
(a) 100W
(b) 75W
(c) 50W
(d) 25W.
हल-सूत्र
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{v}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{100}\)
= \(\frac{220 \times 220}{100}\) = 484 Ω

∴ दूसरी दशा में 110V पर प्रचालित करने पर बल्ब द्वारा उपयुक्त शक्ति
P1 = \(\frac{\mathrm{V}_{1}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{110 \times 110}{484}\)
= 25W
उत्तर-
(d) 25W.

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत् परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्यक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1: 2
(b) 2 : 1
(c) 1:4
(d) 4 : 1.
हल–
क्योंकि सभी तार एक ही प्रकार के पदार्थ, लंबाई व व्यास के हैं, इसलिए सभी का प्रतिरोध समान होगा। मान लो यह R है। दोनों को पार्यक्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध
Rs = R + R = 2R
दोनों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध \(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{\mathrm{R}}+\frac{1}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{2}{\mathrm{R}}\)
श्रेणी क्रम में उत्पन्न ऊष्मा H1 = Ps = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{s}}\)
पार्श्वक्रम में उत्पन्न ऊष्मा H2 = Pp = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{p}} \)
यदि विभवांतर V है तो ऊष्माओं का अनुपात
\(\frac{\mathrm{H}_{1}}{\mathrm{H}_{2}}=\frac{\mathrm{V}^{2} / \mathrm{R}_{s}}{\mathrm{~V}^{2} / \mathrm{R}_{p}}\)
= \(\frac{\mathrm{R}_{p}}{\mathrm{R}_{s}}=\frac{\mathrm{R} / 2}{2 \mathrm{R}}\)
= \(\frac{1}{4}\)
उत्तर-(C) 1:4

प्रश्न 5.
किसी विद्युत् परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच का विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को दोनों बिंदुओं के बीच पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे की तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.8 x 10-8 2m है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
उत्तर-
दिया है, प्रतिरोधकता (p) = 1.6 x 10-8 Ωm,
प्रतिरोध (R) = 10Ω
व्यास (2r) = 0.5 mm = 5 x 10-4 m
∴ त्रिज्या (r) = 2.5 x 10-4 m
अब तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = πr²
= 3.14 x (2.5 x 10-4)2 m2
= 19.625 x 10-8 m2
∴ सूत्र R = P\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) से,
तार को लंबाई (l) = \(\frac{\mathrm{R} \times \mathrm{A}}{\rho}\)
= \(\frac{10 \Omega \times 19.625 \times 10^{-8} \mathrm{~m}^{2}}{1.6 \times 10^{-8} \Omega \mathrm{m}}\)
= 12.26 × 103m
= 122.6 m उत्तर
व्यास दोगुना करने पर त्रिज्या दोगुनी तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (A = πr²) चार गुना हो जाएगा।
∵ R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
∴ क्षेत्रफल चार गुना होने पर प्रतिरोध एक-चौथाई रह जाएगा।
अर्थात् तथा प्रतिरोध R’ = \(\frac{1}{4}\) R
= \(\frac{1}{4}\) × R
= \(\frac{1}{4}\) × 10
= 2.5Ω उत्तर

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत् धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं
I(ऐंपियर) : 0.5 1.0 2.0 3.0 4.0
v (वोल्ट) : 1.6 3.4 6.7 10.2 13.2
V और I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल- अभीष्ट ग्राफ के लिए देखिए संलग्न चित्र-
प्रतिरोधक का प्रतिरोध = ग्राफ की ढाल
अर्थात् R= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}\)
दिए गए आँकड़ों से,
V1 = 3.4 V, V2 = 10.2V
तथा संगत विद्युत् धाराएँ I1 = 1.0A, I2 = 3.0A .
ΔV = V2 – V1
= 10.2 – 3.4 = 6.8V
ΔI = I2 – I1
= 3.0 – 1.0
= 2.0A
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 2

∴ प्रतिरोध R= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}\)
= \(\frac{6.8 \mathrm{~V}}{2.0 \mathrm{~A}}\)
R = 3.4Ω उत्तर

प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत् धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल-
दिया है, विभवांतर V= 12V प्रवाहित धारा I = 2.5 mA = 2.5 x 10-3 A
∴ प्रतिरोधक का प्रतिरोध R= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{12 \mathrm{~V}}{2.5 \times 10^{-3} \mathrm{~A}}\)
= 4.8 × 103 Ω
= 4.8 kΩ उत्तर

प्रश्न 9.
9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होगी?
हल-
दिया है R1 = 0. 2Ω, R2 = 0.3Ω, R3 = 0.4Ω, R4 = 0.5Ω, तथा R5 = 12Ω
श्रेणी संयोजन का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12
= 13.4Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{9 \mathrm{~V}}{13.4 \Omega}\)
= 0.67A
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से 0.67A की धारा प्रवाहित होगी।
श्रेणी क्रम में संयोजित सभी चालकों (प्रतिरोधकों) में से समान विद्युत धारा प्रवाहित होगी, इसलिए 120 के प्रतिरोधक में से प्रवाहित धारा = 0.67A उत्तर

प्रश्न 10.
176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220V के विद्युत् स्रोत से संयोजन से 5A विद्युत् धारा प्रवाहित हो?
हल-
दिया है,
V= 220V,
I = 5A
∴ संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~A}}\)
या R = 44Ω
R1 = R2 =……..= Rn = 176Ω
मान लो ऐसे n प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं, तब
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\ldots \ldots+\frac{1}{\mathrm{R}_{n}}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 3
अतः 4 प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में जोड़ने होंगे। उत्तर

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध
(i) 9Ω,
(ii) 4Ω हो।
हल-
(i) 9Ω का प्रतिरोध पाने के लिए, पहले दो प्रतिरोधकों को समांतर क्रम में तथा तीसरे प्रतिरोध को श्रेणी क्रम में जोड़ना होगा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 4
मान लो पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध R है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}\) = \(\frac{2}{6}\)
∴ R = \(\frac{6}{2}\) = 3Ω होगा।

यह 3Ω का तुल्य प्रतिरोध, 6Ω के तीसरे प्रतिरोध के साथ श्रेणी क्रम में जुड़कर प्रतिरोध 3Ω + 6Ω = 90 का होगा। उत्तर

(ii) 4Ω का प्रतिरोध पाने के लिए पहले 6Ω के दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा तत्पश्चात् तीसरा प्रतिरोधक इनके पार्श्वक्रम में जोड़ना होगा। 6Ω तथा 6Ω के दो प्रतिरोधों के श्रेणी संयोजन का तुल्य प्रतिरोध 6Ω + 6Ω = 12Ω होगा। यह 12Ω का प्रतिरोध 6Ω के साथ पार्श्वक्रम में जोड़ने से 4Ω का प्रतिरोध देगा।
∵ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{6}+\frac{1}{12}\)
= \(\frac{2+1}{12}\)
= \(\frac{3}{12}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 5
∴ R = \(\frac{12}{3}\)
= 4 Ω उत्तर

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत् लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10w है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत् धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल-
माना n बल्बों को पार्यक्रम में जोड़ा है। तब परिपथ में कुल शक्ति P= n x एक बल्ब की शक्ति
= n x 10 W
= 10n W
दिया है, V= 220V,
I = 5A
P = V × I से,
10Ω = 220V × 5A
n = 220V× 5A
∴ n = \(\frac{220 \mathrm{~V} \times 5 \mathrm{~A}}{10 \Omega}\)
= 110
अर्थात् 110 बल्बों को पार्श्वक्रम में जोड़ा जा सकता है।

वैकल्पिक विधि
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध (r) = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{10}\)
= \(\frac{220 \times 220}{10}\)
= 4840Ω

परिपथ की कुल प्रतिरोधकता (R) = \(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~V}}\) = 44 Ω
मान लो बल्बों की कुल संख्या n है।
तो प्रतिरोधकता (R) = \(\frac{r}{n}\)
⇒ n= \(\frac{r}{n}=\frac{4840}{44}\) =110 उत्तर

प्रश्न 13.
किसी विद्युत् भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 242 है तथा इन्हें पृथक्-पृथक् श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत् स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत् धाराएँ क्या हैं?
हल-
दिया है, V = 220V, कुंडलियों का प्रतिरोध R1 = R2 = 24Ω
प्रथम दशा में, जब किसी एक कुंडली को में प्रयोग किया जाता है तो कुल प्रतिरोध R = R1 = 24Ω
∴ प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220 \mathrm{~V}}{24 \Omega}\) 9.17 A

दूसरी दशा में, जब दोनों कुंडलियों को श्रेणीक्रम में प्रयोग किया जाता है, तब
कुल प्रतिरोध R= R1 + R2
= 24Ω + 24Ω
श्रेणीकृत कुंडलियों में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220 \mathrm{~V}}{48 \Omega}\)
= 4.58 A

तीसरी दशा में, जब कुंडलियों को पार्श्वक्रम में प्रयोग किया जाता है, तब
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\)
= \(\frac{1}{24}+\frac{1}{24}\)
= \(\frac{2}{24}\)
∴ R = \(\frac{24}{2}\)
= 12 Ω

प्रवाहित विद्युत् धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
∴ I = \(\frac{220 \mathrm{~V}}{12 \Omega}\)
I = 18.3A उत्तर

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 20 प्रतिरोधक द्वारा उपयुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए :
(i) 6V की बैटरी से संयोजित 12 तथा 22 श्रेणीक्रम संयोजन,
(ii) 4V बैटरी से संयोजित 120 तथा 22 का पार्श्वक्रम संयोजन।
हल-
(i) दिया है, V = 6V
1Ω व 2Ω के श्रेणी-संयोजन का प्रतिरोध
R = 1Ω + 2Ω = 3Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित विद्युत् धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{6 \mathrm{~V}}{3 \Omega}\)
= 2A
श्रेणीक्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में से 2A की धारा प्रवाहित होगी।
∴ 2Ω के प्रतिरोधक द्वारा उपयुक्त शक्ति
P1 = I2R
= (2A)2 x 20
= 8w

(ii) ∵ दोनों प्रतिरोध पार्श्वक्रम में जुड़े हैं; इसलिए प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के बीच एक ही विभवांतर, 4V होगा।
∴ 2Ω के प्रतिरोध द्वारा उपयुक्त शक्ति
P2 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{(4 \mathrm{~V})^{2}}{2 \Omega}\)
∴ = \(\frac{16}{2}\)
∴ P2 = 8W
अतः दोनों दशाओं में 2Ω प्रतिरोधक में समान शक्ति व्यय होगी। उत्तर

प्रश्न 15.
दो विद्युत् लैंप, जिनमें से एक का अनुमतांक 100W; 220V तथा दूसरे का 60 W; 220V है, विद्युत् मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता 220V है तो मेंस से कितनी धारा ली जाती है?
हल-
प्रथम लैंप के लिए, विभवांतर V1 = 220V
लैंप की शक्ति P1 = 100W माना इसका प्रतिरोध R1 है तो
P= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) से,
प्रथम लैंप का प्रतिरोध, R1 = \(\frac{v_{1}^{2}}{P_{1}}\) = \(\frac{(220 \mathrm{~V})^{2}}{100 \mathrm{~W}}\)
= 484Ω

दूसरे लैंप के लिए, विभवांतर V2 = 220 V,
लैंप की शक्ति P2 = 60W
∴ दूसरे लैंप का प्रतिरोध R2 = \(\frac{\mathrm{V}_{2}^{2}}{\mathrm{P}_{2}}\)
= \(\frac{(220 \mathrm{~V})^{2}}{60 \mathrm{~W}}\)
= \(\frac{2420}{3}\) Ω
दोनों लैंप को पार्यक्रम में जोड़ने पर संयोजन का प्रतिरोध R हो तो
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 6
∵ लाइन वोल्टेज V = 220V
∴ लाइन से ली जाने वाली धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220 \mathrm{~V}}{302.5 \Omega}\)
= 0.73 A उत्तर

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत् ऊर्जा उपभुक्त होती है : 250w का टी० वी० सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120W का विद्युत् हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है ?
हल-
T.V. सेट के लिए, P1 = 250w
= 250 Js-1
t1 = 1h = 60 x 60s
∴ T.V. सेट द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P1 × t1,
= 250 Js-1 x (60 x 60s)
= 900000J
= 9x 105 J …………………….(i)

विद्युत् हीटर के लिए,
P2 = 120W
= 120 Js-1 तथा
t2 = 10 min.
= 10 x 60s
∴ विद्युत् हीटर द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P2 x t2
= 120 Js-1 x (10 x 60s)
= 72000J = 7.2 x 104J ………………………(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से स्पष्ट है कि T.V. सेट द्वारा उपभुक्त ऊर्जा अधिक है।

प्रश्न 17.
82 प्रतिरोध का कोई विद्युत् हीटर विद्युत् मेंस से 2 घंटे तक 15A विद्युत् धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल-
दिया है, R = 8Ω,
I = 15A विद्युत् हीटर में ऊष्मा उत्पन्न होने की दर अर्थात् विद्युत् हीटर की शक्ति P = I2R
= (15A)2 x 8Ω
= 225×8
= 1800 W

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-
(a) विद्युत् लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत् तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत् इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं ?
(c) घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है।
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
(a) क्योंकि टंगस्टन की उच्च प्रतिरोधकता (5.2 x 10-8 ओम-मीटर) है तथा टंगस्टन का गलनांक भी अन्य धातुओं की तुलना में बहुत ऊंचा (3400°C) होता है, इसलिए विद्युत् लैंपों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन ही उपयोग किया जाता है।

(b) मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता, शुद्ध धातुओं की तुलना से अधिक होती है तथा ताप वृद्धि के साथ इनकी प्रतिरोधकता से नगण्य परिवर्तन होता है। इसके अतिरिक्त मिश्रधातुओं का ऑक्सीकरण भी कम होता है जिसके फलस्वरूप मिश्रधातुओं में बने चालकों की आयु शुद्ध धात्विक चालकों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए ब्रेड-टोस्टर, विद्युत् इस्तरी आदि के चालक मिश्रधातुओं के बनाए जाते हैं।

(c) श्रेणीक्रम संयोजन में जैसे-जैसे नये प्रतिरोधक जुड़ते जाते हैं, परिपथ का कुल प्रतिरोध बढ़ता जाता है और अलग-अलग प्रतिरोधकों के सिरों के बीच उपलब्ध विभवांतर घटता जाता है। अतः परिपथ में धारा भी कम हो जाती है। यदि घरों में प्रकाश करने के लिए श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग की जाए तो परिपथ में जितने अधिक लैंप जुड़े होंगे, उनका प्रकाश उतना ही कम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग करने पर स्विच ऑन करने पर सभी लैम्प एक साथ प्रदीप्त होंगे तथा स्विच ऑफ करने पर सभी लैंप एक साथ बुझ जाएँगे, जबकि पार्श्वक्रम व्यवस्था करने पर इच्छानुसार स्वतंत्र रूप से किसी भी लैंप को प्रकाशित या अप्रकाशित किया जा सकता है।

(d) तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल अधिक होगा और उसका प्रतिरोध कम होगा। \(\left(R \propto \frac{1}{A}\right)\)

(e) विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालकों में प्रथम स्थान पर चाँदी, दूसरे पर ताँबा तथा तीसरे स्थान पर एल्यूमिनियम है। चाँदी एक कीमती धातु है तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए विद्युत् संचारण व्यवस्था में चाँदी के स्थान पर सस्ती तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध धातुएं ताँबा तथा एल्यूमिनियम प्रयोग की जाती है।

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- विद्युत् स्रोत से विभिन्न घटकों में से होकर विद्युत् धारा बहने के सतत् तथा बंद पथ को विद्युत् परिपथ कहा जाता है। विद्युत्धारा के घटक-विद्युत्धारा के निम्नलिखित प्रमुख घटक हैं-

  • विद्युत् स्रोत (बैटरी अथवा सेल)
  • चालक
  • स्विच (कुंजी)
  • कोई अन्य उपकरण जो परिपथ में जोडा गया हो।

प्रश्न 2.
विद्युत्धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
अथवा
विद्युत्धारा की इकाई का नाम लिखें। इसकी परिभाषा भी लिखें।
उत्तर-
विद्युत्धारा का S.I. मात्रक ‘ऐंपियर’ है जिसे ‘A’ से व्यक्त किया जाता है।
ऐंपियर-जब किसी चालक में 1 सेकंड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत्धारा की मात्रा को 1 ऐंपियर कहा जाता है।
∴ 1A = \(\frac{1 \mathrm{C}}{1 \mathrm{~s}}\)

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि 1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19C
माना 1 कूलॉम की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n
∴ n x 1.6 x 10-19C = 1C

या n = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{1 \times 10^{19}}{1.6}\)
= \(\frac{10}{16} \times 10^{9}\)
= 0.625 x 1019
. = 6.25 x 1018
अतः 1 कूलॉम (c) = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन उत्तर

प्रश्न 4.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर-
सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।

प्रश्न 5.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 17 है?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1V से तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश ले जाने में 1 जूल कार्य होता है।

प्रश्न 6.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
हल : यहाँ
विभवांतर (V) = 6V
आवेश की मात्रा (Q) = 1 कूलॉम
दी गई ऊर्जा (किया गया कार्य) (W) = ?
हम जानते हैं, विभवांतर = PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7

V= \(\frac{W}{Q}\)
∴ दी गई ऊर्जा W = V × Q
= 6V × 1C
= 6 जूल (J) उत्तर

प्रश्न 7.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक के प्रतिरोध की निर्भरता-किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –
(i) चालक की लंबाई (l)-किसी चालक का प्रतिरोध चालक की लंबाई (l) के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् R ∝ l
(ii) चालक की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)-किसी चालक का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट (A) के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात्
R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)

(iii) चालक के पदार्थ की प्रकृति-किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
R ∝ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अथवा R = ρ × \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
जहाँ ρ अनुपातिकता स्थिराँक है।

प्रश्न 8.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत् धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत् स्रोत से संयोजित किया जाता है ? क्यों?
उत्तर-
हम जानते हैं कि चालक तार का प्रतिरोध तार के अनुप्रस्थ काट (Area of Cross-Section) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का प्रतिरोध कम और पतली तार का प्रतिरोध अधिक होगा।
अब R ∝ \(\frac{1}{A}\)
इसलिए मोटी तार का प्रतिरोध पतली तार की अपेक्षा कम होने के कारण उसमें से विद्युत्धारा का प्रवाह अधिक तथा सुगमता से होता है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर-
मान लो पूर्व अवस्था में विद्युत् अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर V, प्रतिरोध R तथा प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा I है, तो ओम नियम के अनुसार, I = \( \frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) …………………………….(1)
यदि वैद्युत् अवयव के दोनों सिरों के बीच विभवांतर पूर्व अवस्था का आधा करें (अर्थात \(\frac{\mathrm{V}}{2}\) करें) जबकि प्रतिरोध नियत रहे तो विद्युत्धारा की मात्रा बदलकर I’ हो जायेगी।
∴ I’ = \(\frac{\frac{\mathrm{V}}{2}}{\mathrm{R}}\)
⇒ I’ = \(\frac{V}{2 R}\) …………………………….(2)
(2) को (1) से भाग देने पर
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 8
∴ I’ =\(\frac{1}{2}\) x I अर्थात् विद्युत्धारा पूर्व अवस्था की तुलना में आधी रह जायेगी।

प्रश्न 10.
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के बनाए जाते हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:

  • मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है।
  • मिश्र धातुओं का उच्चताप पर शीघ्र ही दहन (उपचयन) नहीं होता है।
  • मिश्रधातुओं का गलनाँक अधिक होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्य-पुस्तक की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए:
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत् चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है।
उत्तर-
(a) आयरन (Fe) मर्करी (Hg) की अपेक्षा अच्छा चालक है क्योंकि आयरन की प्रतिरोधकता मर्करी की अपेक्षा अधिक होती है।
(b) चाँदी सर्वश्रेष्ठ चालक है क्योंकि इसका प्रतिरोध (1.60 x 10-8Ωm) न्यूनतम है।

प्रश्न 12.
किसी विद्युत् परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 27 के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर-
विद्युत् परिपथ व्यवस्था आरेख
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 9

प्रश्न 13.
प्रश्न 1 का परिपथ चित्र दोबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत्धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्याँक होंगे?
हल-
यहाँ r1 = 5Ω
r2 = 8Ω
r3 = 12 Ω
परिपथ का कुल प्रतिरोध (R) = ?
हम जानते हैं प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में संयोजित करने पर परिपथ का कुल प्रतिरोध R = r1 + r2+ r3
R = 5Ω + 8Ω + 120 Ω
R = 25Ω.
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 10

बैटरी के टर्मीनलों के बीच कुल विभवांतर A = 2 V
अब, ओम के नियम अनुसार I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
I = \( \frac{2 \mathrm{~V}}{25 \Omega}\)
I = 0.08A

12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर = I x r3
= 0.08 x 12
= 0.96 वोल्ट (V)

∴ ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्याँक क्रमश: 0.08A तथा 0.96V होंगे।

प्रश्न 14.
जब (a) 12 तथा 106
(b) 1Ω तथा 103Ω तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे?
हल-
(a) दिया है r1 = 1Ω
तथा r2 = 106
माना R तुल्य प्रतिरोध है, तो पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}=\frac{1}{r_{2}}\)
= \(\frac{1}{1}+\frac{1}{10^{6}}\)
= \(\frac{10^{6}+1}{10^{6}}\)
= \(\frac{1000000+1}{1000000}\)
= \(\frac{1000001}{1000000}\)
R = \( \frac{1000000}{1000001}\) = 0.9Ω (लगभग) उत्तर

(b) यहाँ
r1 = 1Ω
r2 = 103
r = 106
माना R तुल्य प्रतिरोध है तो पार्यक्रम में संयोजित किए जाने पर
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 11
∴ R = \(\frac{10^{6}}{10^{6}+10^{3}+1}\)
= \(\frac{1000000}{1001001} \)
= 0.9Ω (लगभग) उत्तर

प्रश्न 15.
100Ω का एक विद्युत् लैंप, 50Ω का एक विद्युत् टोस्टर तथा 5002 का एक जल फिल्टर 200V के विद्युत् स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित है। उस विद्युत् इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्त्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत् धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत् इस्तरी से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होती है ?
हल-
100Ω का विद्युत् लैंप, 502 का विद्युत् टोस्टर तथा 500Ω का फिल्टर पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है और R इनका तुल्य प्रतिरोध है तो ओम नियमानुसार
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
= \(\frac{5+10+1}{500}\)
= \(\frac{16}{500}\)
∴ R = \(\frac{500}{16}\) = 31.25 Ω
अतः विद्युत् इस्तरी का तुल्य प्रतिरोध = R = 31.250Ω
विभवांतर V = 220V विद्युत्धारा की मात्रा
(I) = ?
हम जानते हैं I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 12
∴ I = 7.04A उत्तर

प्रश्न 16.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
वैद्युत् युक्तियों को श्रेणीक्रम की अपेक्षा पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ-
1. किसी श्रेणी बद्ध विद्युत् परिपथ में शुरू से अंत तक विद्युत् धारा नियत रहती है जोकि व्यावहारिक नहीं है। यदि हम किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत् बल्ब तथा विद्युत् हीटर को श्रेणीक्रम में संयोजित करें तो यह उचित प्रकार से कार्य नहीं कर पायेंगे क्योंकि इन्हें भिन्न मानों की विद्युत् धाराओं की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत पार्श्वक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न वैद्युत् युक्तियों में विभाजित हो जाती है।

2. श्रेणीबद्ध परिपथ की यदि एक विद्युत् युक्ति कार्य करना बंद कर देती है तो परिपथ टूट जाता है तथा अन्य युक्तियाँ कार्य करना बंद कर देती हैं। इसके विपरीत पार्यक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न विद्युत् युक्तियों में विभाजित होने पर अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहती हैं।

3. प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत्धारा स्वतंत्रतापूर्वक प्रवाहित या रोकी जा सकती है जिससे विद्युत् यक्तियों को स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 17.
2Ω, 3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध
(a) 4Ω
(b) 1Ω हो?
हल-
(a) कुल प्रतिरोध 4Ω प्राप्त करने के लिए-ऐसा करने के लिए 3Ω तथा 6Ω के प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम करके 2Ω के प्रतिरोधक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 13
मान लो r2 = 3Ω और r3 = 6Ω को समानांतर क्रम में संयोजित करने पर कुल प्रतिरोध । है, तो
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
या \(\frac{1}{r}=\frac{2+1}{6}\)
\( \frac{1}{r}=\frac{3}{6}\)
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{2}\)
∴ r = 2Ω
अब r1 = 2Ω, तथा r = 2Ω को श्रेणी क्रम में संयोजित करने पर मान लो कुल प्रतिरोध है, तो R = r1 +r
= 2Ω + 2Ω = 4Ω.

(b) कुल प्रतिरोध 1Ω प्राप्त करने के लिए संयोजन-1Ω का कुल प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए r1 = 2Ω, r2 = 3Ω तथा r3 = 6Ωको समानांतर क्रम में जोड़ना होगा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 14
मान लो कुल प्रतिरोध R है तो समानांतर क्रम के सूत्र से,
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{2}+\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
= \(\frac{3+2+1}{6}\)
= \(\frac{6}{6}\)
R = 1Ω

प्रश्न 18.
4Ω, 8Ω, 12Ω तथा 24Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से
(a) अधिकतम
(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके ?
हल-
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = r1+r2+r3+r4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 480 उत्तर

(b) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु–यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को पार्यक्रम में जोड़ा जाए तो न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}+\frac{1}{r_{4}}\)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{12}+\frac{1}{24}\)
= \(\frac{6+3+2+1}{24}\)
= \(\frac{12}{24}\)
\(\frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{2}\)
∴RP = 2Ω. उत्तर

प्रश्न 19.
किसी विद्युत् हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर-
हम जानते हैं
H = I2Rt
⇒ H ∝ R
तापन अवयव का उच्च प्रतिरोध होता है जिस कारण अधिक विद्युत् ऊर्जा, ताप ऊर्जा में परिवर्तित होती है जिससे तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है। दूसरी तरफ विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे वह उत्तप्त नहीं होती है।

प्रश्न 20.
एक घंटे में 50V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए?
हल-
दिया है, स्थानांतरित आवेश Q = 96000 कूलॉम, 1 = 1 घंटा समय = 60 x 60 सेकंड,
विभवांतर V = 50 वोल्ट
⇒ उत्पन्न उष्मा ऊर्जा, H = Q x V
= 96000 x 50
= 48250000
= 4.825 x 10 जूल
∴ H = 4.825 x 103 किलो जूल उत्तर

प्रश्न 21.
20Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत् इस्तरी 5A विद्युत् धारा लेती है। 30s में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
हल –
दिया है
प्रतिरोध (R) = 20Ω
विद्युत्धारा (I) = 5A
समय (1) = 30s
उत्पन्न उष्मा (H) = ?
हम जानते हैं, उत्पन्न हुई उष्मा ऊर्जा (H) = I2Rt
= (5)2 x 20 x 30 J
= 25 x 20 x 30 J
= 15000 J (जूल)
= 1.5 x 104J उत्तर

प्रश्न 22.
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत् शक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 23.
कोई विद्युत् मोटर 220V के विद्युत् स्रोत से 5.0A विद्युत् धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल–
दिया है, विद्युत् धारा (I) = 5.0A
विद्युत् विभवांतर (V) = 220V
समय (t) = 2 घंटे ज्ञात करना है,
मोटर की शक्ति (P) = ?
1 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = ?
हम जानते हैं, शक्ति (P) = Vx I
= 220×5
= 1100 W (वाट) उत्तर

मोटर द्वारा 2 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = Pxt
= 1100 वाट x 2 घंटे
= 2200 वाट-घंटे (Wh)
= 2.2 किलोवाट-घंटा (KWh) उत्तर

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

PSEB 10th Class Science Guide मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers

1. मानव नेत्र अभिनेत्र लैंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है –
(a) ज़रा-दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि।
उत्तर-
(b) समंजन।

2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं, वह है
(a) कार्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल।
उत्तर-
(d) दृष्टिपटल।

3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है लगभग
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m.
उत्तर-
(c) 25 cm.

4. अभिनेत्र लैंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा।
उत्तर-
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए -5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लैंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लैंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की फोकस दूरी क्या होगी
(i) दूर की दृष्टि के लिए
(ii) निकट की दृष्टि के लिए ?
हल :
(i) दिया है : दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए दूर दृष्टि को संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता (P) = – 5.5 D .
लैंस की क्षमता सूत्र से P = \(\frac{1}{f(\text { in } m)}\)
या f = \(\frac{1}{\mathrm{P}}\)
∴ फोकस दूरी (f) = \(\frac{1}{-5.5}\)
= \(-\frac{100}{5.5}\) cm
= \(\frac{-200}{11}\) cm

(ii) दिया है : निकट पड़ी वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए निकट दृष्टि संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता (P) = + 1.5 D
लैंस के क्षमता सूत्र से (P) = \(\frac{1}{F(\text { in } m)}\)
या फोकस दूरी (f) = \(\frac{1}{P}\) : (in m)
= \(\frac{1}{+1.5} \) cm
= \(\frac{10}{15}\) cm
= \(\frac{1000}{15}\) cm
= \(\frac{200}{3}\) cm

प्रश्न 6.
किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी ?
हल : क्योंकि निकट दृष्टि दोष से ग्रसित व्यक्ति का दूर बिंदु 80 cm की दूरी पर है, इसलिए उस व्यक्ति को एक ऐसे लैंस की आवश्यकता है जो अनंत पर पड़ी वस्तु का प्रतिबिंब आँख के सामने 80 cm की दूरी पर बना सके।
∴ वस्तु की दूरी (u) = – α
प्रतिबिंब की नेत्र लैंस से दूरी (v) = –80 cm .
लैंस की फोकस दूरी (f) = ?
लैंस सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{-80}-\frac{1}{-\infty}=\frac{1}{f}\)
\(-\frac{1}{80}+\frac{1}{\propto}=\frac{1}{f}\)
∵ \(\frac{1}{\alpha}\) = 0

या \(-\frac{1}{80}=\frac{1}{f}\)
∴ फोकस दूरी (1)
= –80 cm
= – 0.8 m
लैंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{-0.8} \mathrm{D}\)
= \(-\frac{1}{0.8} \mathrm{D}\)
= -1.25 D चूँकि लैंस की क्षमता ऋणात्मक है, इसलिए अभीष्ट लैंस की प्रकृति अवतल (अपसारी) है जिसकी क्षमता -1.25 D है।

प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता क्या होगी ? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर-
दीर्घ दृष्टि (दूरदृष्टि) दोष से ग्रसित व्यक्ति का निकट बिंदु सामान्य दृष्टि वाली आँख की तुलना में थोडा दूर खिसक जाता है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति समीप पड़ी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (अभिसारी लैंस) प्रयोग किया जाता है जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है :
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 1
(c) दीर्घ-दृष्टि दोष का संशोधन प्रश्नानुसार, सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है जो नेत्र दोष के कारण खिसक कर 1 m (= 100 cm) दूर पहुँच गया है। इसलिए दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को एक ऐसे लैंस की आवश्यकता है जो 25 cm पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब 1 m अर्थात् 100 cm पर बनाए।
अतः u = – 25 cm
v = – 100 cm
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 2
∴ f = \(\frac{100}{3}\) cm
या f = \(\frac{1}{3}\) m
∴ अभीष्ट लैंस की क्षमता P = \(\frac{1}{f}(\text { in m) }\)
= \(\frac{1}{1 / 3}\)
= + 3D
अतः दृष्टि दोष के निवारण हेतु +3D क्षमता के उत्तल लैंस की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर-
जब वस्तु सामान्य नेत्र से 25 cm की दूरी पर रखी होती है तो नेत्र अपनी संपूर्ण समंजन क्षमता का प्रयोग करके वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बना देती है जिससे वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है। यदि उसी वस्तु को 25 cm से कम दूरी पर रखा जाता है तो नेत्र लैंस द्वारा उस वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बन पाता है जिससे वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं दे पाती है।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब दूरी का क्या होता है ?
उत्तर-
सामान्य दृष्टि वाले मनुष्य के लिए वस्तु की नेत्र से दूरी बढ़ाने पर भी नेत्र दवारा बने प्रतिबिंब की दूरी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि नेत्र लैंस वस्तु की प्रत्येक स्थिति तारे की के लिए समंजन क्षमता का उपयोग करके वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर आभासी स्थिति ही बनाता है।

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?
उत्तर-
तारों का टिमटिमाना-तारों का टिमटिमाना प्रतीत होना तारों के प्रकाश का वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होता है। वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के तल तक पहुँचने तक तारे का प्रकाश वायुमंडलीय माध्यम के क्रमिक बढ़ते हुए अपवर्तनांक द्वारा अपवर्तन होता है जिससे प्रकाश को अभिलंब की तरफ झुका देता है। क्षितिज के निकट देखने पर तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक ऊचाई पर प्रतात हाता हा वायुमडल का भातिक चित्र-वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण अवस्थाएँ स्थायी न होने के कारण यह आभासी स्थिति निरंतर थोड़ी तारे की आभासी स्थिति बदलती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा बदलती रहती है जिस कारण कोई तारा कभी चमकीला और कभी धुंधला प्रतीत होता है जोकि टिमटिमाने का प्रभाव है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 3

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते।
उत्तर-
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत निकट होते हैं तथा इन्हें विस्तृत स्रोत माना जा सकता है। यदि ग्रहों को बिंदु आकार के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो प्रत्येक बिंदु स्रोत का प्रकाश हमारी आँखों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत शून्य मान होगा जिससे ग्रहों की आभासी स्थिति स्थिर रहेगी और टिमटिमाने का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा।

प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर-
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ दिखाई देना-सूर्योदय (या सूर्यास्त) के समय सूर्य से आने वाले प्रकाश को हमारे नेत्रों में पहुंचने से पहले वायु मंडल की वायु
नीले प्रकाश का कम की मोटी परतों में से गुज़रता है। यहाँ धूलकणों प्रकीर्ण होने से सूर्य प्रकीर्णन तथा जलकणों की वायुमंडल में उपस्थिति के रक्ताभ प्रतीत होना कारण कम तरंगदैर्ध्य वाले रंग (जैसे नीला, बैंगनी आदि) का प्रकीर्णन हो जाता है तथा केवल लंबी तरंगदैर्ध्य वाली प्रकाश तरंगें जैसे | क्षितिज के कि लाल सीधी हमारे नेत्रों तक पहुँचती हैं। निकट सूर्य – इस प्रकार सूर्योदय (या सूर्यास्त) के समय चित्र-सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का रक्ताभ प्रतीत सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 4

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर-
अत्याधिक ऊँचाई पर उड़ते समय अंतरिक्ष यात्री के लिए कोई भी वायुमंडल नहीं होता है। इसलिए वायु के अणुओं या अन्य सूक्ष्म कणों की अनुपस्थिति के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है।

Science Guide for Class 10 PSEB मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नेत्र की समंजन क्षमता-अभिनेत्र लेंस रेशेदार जेलीवत पदार्थ का बना होता है। इसकी वक्रता में कुछ सीमाओं तक पक्ष्माभी पेशियों (ciliary muscles) द्वारा रूपांतरण किया जा सकता है। अभिनेत्र लेंस की वक्रता में परिवर्तन होने पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती है। जब पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है तथा इसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है। इस स्थिति में हम दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाने में समर्थ होते हैं। जब आप निकट पड़ी वस्तुओं को देखते हैं तब पक्ष्माभी पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। इससे अभिनेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाती है और अभिनेत्र लेंस मोटा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है जिससे आप निकट पड़ी वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं। अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण लेंस अपनी फोकस दूरी को समयोजित कर लेता है समंजन कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए ?
उत्तर-निकट दृष्टि दोषयुक्त नेत्र 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को नहीं देख सकता क्योंकि वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल (रेटिना) पर न बनकर रेटिना के सामने बनता है। इस दोष को उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस (अपसारी लेंस) के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं ?
उत्तर-
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए निकट बिंदु की नेत्र से दूरी 25 cm और दूर बिंदु की नेत्र से दूरी अनंत होती है अर्थात् नीरोग मानव आँख 25 cm और अनंत के बीच कहीं भी स्थित वस्तु को साफ़-साफ़ देख सकती है।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है ? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है ?
उत्तर-
विद्यार्थी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है जिसे उपयुक्त क्षमता के अवतल लैंस द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

PSEB 10th Class Science Guide प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी।
उत्तर-
(d) मिट्टी।

प्रश्न 2.
किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए ?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच
(b) वक्रता केंद्र पर
(c) वक्रता केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर-
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।

प्रश्न 3.
किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें ?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर-
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर।

प्रश्न 4.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ 15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः है
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल।
उत्तर-
(b) दोनों उत्तल।

प्रश्न 5.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।
उत्तर-
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।।

प्रश्न 6.
किसी शब्द कोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे ?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस।
उत्तर-
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।
.
प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (Range) क्या होना चाहिए ? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है ? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा। इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर-
अवतल दर्पण से वस्तु का सीधा प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु को अवतल दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच रखना चाहिए। इसलिए वस्तु को ध्रुव से दूरी 0 cm से अधिक तथा 15 cm से कम होनी चाहिए। ऐसा करने से वस्तु का प्रतिबिंब काल्पनिक सीधा तथा आकार में वस्तु से बड़ा होगा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए
(a) किसी कार का अग्र-दीप ( हैडलाइट)
(b) किस वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्टी अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
(a) कार के हैडलाइट (अग्रदीप) में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। बल्ब को अवतल दर्पण के मुख्य फोकस पर रखा जाता है। बल्ब से निकलने वाली प्रकाश किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात् समानांतर हो जाती हैं। इससे एक शक्तिशाली समानांतर प्रकाश किरण पंज प्राप्त होता है।

(b) वाहनों में पार्श्व दर्पण (या पश्च दृश्य दर्पण) के रूप में उत्तल दर्पण को वरीयता दी जाती है क्योंकि उत्तल दर्पण सदैव वस्तु का सीधा तथा वस्तु की अपेक्षा छोटे आकार क प्रतिबिंब बनाता है जिससे इसका दृष्टि-क्षेत्र बढ़ जाता है। ऐसा करने से वाहन चालक छोटे से दर्पण में ही संपूर्ण क्षेत्र को देख पाता है।

(c) सौर भट्टी में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। गर्म किये जाने वाले बर्तन को दर्पण के मुख्य फोकस पर रखा जाता है। सूर्य से आ रही समांतर किरणें दर्पण से परावर्तन होने के पश्चात् फोकस पर रखे बर्तन पर संपूर्ण उष्मीय ऊर्जा को केंद्रित कर देती हैं।

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज़ से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बन पाएगा ? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हाँ, यह लेंस वस्तु (बिंब) का पूरा प्रतिबिंब बनाएगा। प्रायोगिक जाँचविधि-

  • एक प्रकाशिक बैंच पर एक स्टैंड में उत्तल लेंस लगाओ।
  • एक स्टैंड में जलती हुई मोमबत्ती लगाकर लेंस की फोकस दूरी से थोड़ा अधिक दूरी पर प्रकाशिक बैंच पर रखो।
  • अब लेंस के दूसरी तरफ प्रकाशिक बैंच पर स्टैंड में पर्दा लगाकर उस को आगे-पीछे सरका कर ऐसी स्थिति में रखें कि उस पर मोमबत्ती का तीखा तथा उल्टा प्रतिबिंब प्राप्त हो जाए।
  • अब लेंस के निचले आधे भाग को काला कागज़ चिपका कर ढक दें ताकि लेंस के ऊपरी आधे भाग से प्रकाश का अपवर्तन होने से प्रतिबिंब बनें। इस स्थिति में आप देखेंगे कि मोमबत्ती का पूर्ववत् पूरा प्रतिबिंब प्राप्त होगा परंतु इसकी तीव्रता पहले प्रतिबिंब की तुलना में कम हो जाती है।

व्याख्या-मोमबत्ती के किसे बिंदु से चलने वाली प्रकाश किरणें लेंस के विभिन्न भागों से अपवर्तित होकर एक बिंदु पर मिलेंगी। लेंस के निचले आधे भाग को काला कर देने पर भी उस बिंदु पर प्रकाश की किरणें आएँगी जिससे मोमबत्ती का प्रतिबिंब पूरा प्रतिबिंब प्राप्त होगा, परंतु किरणों की काला कागज़ संख्या कम होने के कारण प्रतिबिंब की तीव्रता कम हो जाएगी।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 2

प्रश्न 10.
5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल : यहाँ वस्तु की अभिसारी लेंस से दूरी (u) = -25 cm
अभिसारी लेंस की फोकस दूरी (f) = + 10 cm
अभिसारी लेंस से प्रतिबिंब की दूरी (v) = ?
वस्तु (बिंब) की लंबाई (O) = + 5 cm
प्रतिबिंब की लंबाई (साइज़) (I) = ?
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 3
लेंस सूत्र से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{10}+\frac{1}{-25}\)
= \(\frac{1}{10}-\frac{1}{25}\)
= \(\frac{5-2}{50}\)
= \(\frac{3}{50}\)
∴ u = \(+\frac{50}{3}\) cm

अर्थात् प्रतिबिंब लेंस के दूसरी तरफ लेंस से \(\frac{50}{3}\) cm की दूरी पर बनेगा।
हम जानते हैं लेंस का आवर्धन (m) = \(\frac{v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\) से
\(\frac{I}{5}=\frac{\frac{50}{3}}{-25}\)
\(\frac{I}{5}=\frac{50}{3 \times(-25)}\)
∴ I = \(\frac{5 \times 50}{3 \times 25}\)
= \(-\frac{10}{3}\) cm
अर्थात् प्रतिबिंब की लंबाई (साइज़) = \(\frac{10}{3}\) cm होगी। ऋण चिह्न दर्शाता है कि प्रतिबिंब मुख्य अक्ष के नीचे होगा जोकि वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है ? किरण आरेख खींचिए।
हल : दिया है, अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -15 cm
क्योंकि अवतल लेंस द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी होता है, और लेंस के सामने उसी ओर बनता है जिस तरफ वस्तु होती है।
∴ υ = -10 cm
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 4
अब लेंस सूत्र से .
\(\frac{1}{v}-\frac{\mathrm{I}}{u}=\frac{1}{f}\)
.या \(\frac{\mathrm{I}}{u}=\frac{1}{v}-\frac{\mathrm{I}}{f}\)
= \(\frac{1}{-10}-\frac{1}{-15}\)
= \(-\frac{1}{10}+\frac{1}{15}\)
= \(\frac{-3+2}{30}=-\frac{1}{30}\)
u = – 30 cm
अर्थात् वस्तु (बिंब) लेंस के सम्मुख 30 cm की दूरी पर है।

प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है, उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (1) = + 15 cm
वस्तु की दर्पण से दूरी (u) = – 10 cm
दर्पण सूत्र \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{15}-\frac{1}{-10}\)
= \(\frac{1}{15}+\frac{1}{10}\)
= \(\frac{2+3}{30}\)
= \(\frac{5}{30}\)
= \(\frac{1}{6}\)
∴ υ = + 6 cm उत्तर धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6 cm की दूरी पर बनेगा। धनात्मक चिह्न यह भी दर्शाता है कि यह प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी है।

प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन + 1 है। इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर-
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन m = +1 यह दर्शाता है कि दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर है तथा धनात्मक चिह्न (+) यह प्रदर्शित करता है कि समतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बन रहा है तथा यह आभासी और सीधा है।

प्रश्न 14.
5.0 cm लंबाई का कोई बिंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज़ ज्ञात कजिए।
हल- दिया है, वस्तु की उत्तल दर्पण से दूरी (u) = -20 cm
उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या (R) = + 30 cm
उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) = \(\frac{+30}{2}\) cm
= 15 cm
वस्तु की लंबाई (O) = +5.0 cm
दर्पण सूत्र
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{15}-\frac{1}{-20}\)
= \(\frac{4+3}{60}=\frac{7}{60}\)
∴ υ = \(+\frac{60}{7}\) cm
∴ प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी (v) = \(+\frac{60}{7}\) cm उत्तर

अर्थात् धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के दूसरी ओर \(\frac{60}{7}\) cm की दूरी पर बनेगा। यदि प्रतिबिंब की ऊँचाई (साइज़) I’ है तो आवर्धन सूत्र द्वारा
m = – \(\frac{v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}} \) से
\(-\frac{60}{7}-20=\frac{1}{5}\)
\(\frac{60}{7 \times 20}=\frac{I}{5}\)
∴ I = \(+\frac{15}{7}\) cm उत्तर
धनात्मक चिह्न (+) यह स्पष्ट करता है कि प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी होगा तथा दर्पण के पीछे \(\frac{15}{7}\) cm की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 15.
7.0 cm साइज़ का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिंब का साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है, वस्तु (बिंब) का आकार (साइज़) (O) = + 7.0 cm
अवतल दर्पण की फोकस दूरी (f) = -18 cm
वस्तु की दर्पण से दूरी (u) = -27 cm
प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी (v) = ?
प्रतिबिंब का साइज़ (I) = ?

दर्पण सूत्र \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{-18}-\frac{1}{-27}\)
= \(-\frac{1}{18}+\frac{1}{27}\)
= \(\frac{-3+2}{54}\)
= \(-\frac{1}{54} \)
v = -54 cm
ऋणात्मक चिह्न (-) यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के सामने 54 cm की दूरी पर बनेगा। इसलिए पर्दे को दर्पण के सामने 54 cm की दूरी पर रखना चाहिए। उत्तर

अब दर्पण के आवर्धन सूत्र से,
m = \(-\frac{v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\)
\(-\frac{(-54)}{(-27)}=\frac{I}{7}\)
\(-\frac{54}{27}=\frac{I}{7}\)
या I = \(-\frac{54 \times 7}{27}\)
I = -14 cm उत्तर
अर्थात् प्रतिबिंब का साइज़ (ऊँचाई) 14 cm होगा। ऋणात्मक चिह्न (-) यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता -2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस
हल : दिया है,
लेंस की क्षमता (P) = -2.0 D
लेंस की फोकस दूरी (f) = ?
हम जानते हैं,
लस का क्षमता (P) = img
प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी (v) = ?
प्रतिबिंब का साइज़ (I) = ?
दर्पण सूत्र \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
V = -54 cm ऋणात्मक चिह्न (-) यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के सामने 54 cm की दूरी पर बनेगा। इसलिए पर्दे को दर्पण के सामने 54 cm की दूरी पर रखना चाहिए। उत्तर

अब दर्पण के आवर्धन सूत्र से,
m = \(-\frac{v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\)
\(-\frac{(-54)}{(-27)}=\frac{I}{7}\)
\(-\frac{54}{27}=\frac{I}{7} \)
या I = \(\frac{54 \times 7}{27}\)
∴ I = -14 cm उत्तर
अर्थात् प्रतिबिंब का साइज़ (ऊँचाई) 14 cm होगा। ऋणात्मक चिह्न (-) यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता -2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है ?
हल : दिया है, लेंस की क्षमता (P) = -2.0 D
लेंस की फोकस दूरी (f) = ?
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 6
-2 = \(\frac{100}{f}\)
∴ f = \(\frac{-100}{2}\)
= -50 cm उत्तर
ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि लेंस अवतल लेंस है।

प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर + 1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी ?
हल : दिया है, लेंस की क्षमता (P) = + 1.5 D
लेंस की फोकस दूरी (f) = ?
लेंस की क्षमता सूत्र से P = \(\frac{1}{f}\)
1.5 = \(\frac{1}{1.5}\)
∴ f = \(\frac{10}{15}\)
= \(\frac{2}{3}\)
f = + 67 cm
धनात्मक चिह्न (+) यह दर्शाता है कि लेंस अभिसारी लेंस उत्तल लेंस है। उत्तर

Science Guide for Class 10 PSEB प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अवतल दर्पण का मुख्य फोकस- यह मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समानांतर आपतित किरणें दर्पण से परावर्तन होने के पश्चात् मिलती हैं।

प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी ?
हल-दिया है-
गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या (R) = 20 cm
∴ गोलीय दर्पण की फोकस दूरी (f) = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{20}{2}\) cm
= 10 cm

प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।
उत्तर-
अवतल दर्पण बिंब (वस्तु) का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है जब बिंब को दर्पण के फोकस तथा ध्रुव के मध्य रखा जाता है।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
उत्तर-
वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता-उत्तल दर्पण को पश्य-दृश्य के रूप में वरीयता देने के निम्नलिखित कारण हैं

  • उत्तल दर्पण सदैव वस्तु का सीधा प्रतिबिंब बनाता है।
  • उत्तल दर्पण वस्तु की अपेक्षा छोटा प्रतिबिंब बनाता है जिससे दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है और वाहन चालक ट्रैफिक वाले लगभग संपूर्ण क्षेत्र को देख पाता है।

प्रश्न 5.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
हल :
दिया है, उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या (R) = + 32 cm
उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (1) = ?
हम जानते हैं f = \(\frac{\mathrm{R}}{2} \)
∴ उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) = \(\frac{+32}{2}\)
= + 16 cm उत्तर

प्रश्न 6.
कोई अवतल दर्पण आपके सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुणा आवर्धित (बड़ा) प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है ?
हल-
दिया है, बिंब (वस्तु) की अवतल दर्पण से दूरी (u) = –10 cm
प्रतिबिंब का आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}\) = -3
या \(\frac{v}{u}\) =3
या υ =3×4 =
= 3x -10
∴ υ = -30 cm उत्तर अर्थात् प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी 30 cm है। ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के सामने बिंब की ओर ही बनेगा।

प्रश्न 7.
वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी ? बताइए क्यों ?
उत्तर-
वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जब जल में तिरछी प्रवेश करेगी तो यह किरण अभिलंब की ओर झुकेगी क्योंकि जल, वायु की अपेक्षा सघन माध्यम है और जल में प्रकाश की चाल में कमी आ जाएगी।

प्रश्न 8.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनाँक की काँच की पलेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है ? निर्वात में प्रकाश की चाल 3 x 10 m/s है।
हल : दिया है, काँच का अपवर्तनाँक (aug) = 1.50
निर्वात (वायु) में प्रकाश की चाल (c) = 3 x 108 m/s
काँच में प्रकाश की चाल (Vg) = ?
वायु में प्रकाश की चाल
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 7

प्रश्न 9.
पाठ्य-पुस्तक की सारणी 10:3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सारणी 10-3 से स्पष्ट है कि हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है जोकि सबसे अधिक है तथा वायु का अपवर्तनांक 1.0003 है जोकि सबसे कम है। अतः हीरे का प्रकाशिक घनत्व अधिकतम तथा वायु का घनत्व न्यूनतम है।

प्रश्न 10.
आपको किरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है ? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि अधिक अपवर्तनांक वाला माध्यम प्रकाशिक सघन माध्यम होता है जिसमें प्रकाश की चाल कम होती है तथा कम अपवर्तनांक वाले माध्यम प्रकाशिक विरल माध्यम होता है जिसमें प्रकाश की चाल कम होती है। सारणी 10-3 से स्पष्ट है कि किरोसिन का अपवर्तनांक 1.44, तारपीन के तेल का अपवर्तनाँक 1-47 तथा जल का अपवर्तनांक 1.33 है। इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि जल का अपवर्तनांक न्यूनतम है, इसलिए जल में प्रकाश सबसे तीव्र गति से चलता है।

प्रश्न 11.
हीरे का अपवर्तनांक 2-42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का अभिप्राय यह है कि हीरे में प्रकाश की चाल, निर्वात में प्रकाश की चाल की अपेक्षा \(\frac{1}{2.42}\) गुना है।

प्रश्न 12.
किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
1 डाइऑप्टर उस लेंस की क्षमता है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर (= 100 सेंटीमीटर) हो। उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक मानी जाती है।

प्रश्न 13.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उलटा प्रतिबिंब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिंब उसी साइज़ का बन रहा है जिस साइज़ का बिंब है ? लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल-दिया है, उत्तल लेंस से प्रतिबिंब की दूरी (ν) = + 50 cm
[ν का चिह्न + है क्योंकि प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा है।]
प्रतिबिंब का साइज़ अथवा ऊँचाई (I) = बिंब (वस्तु) का साइज़ (O)
∴ आवर्धन (m) = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\) =-1
[वास्तविक प्रतिबिंब के लिए आवर्धन ऋणात्मक होता है।]

परंतु लेंस के लिए m = \(\frac{v}{u}\)
∴ \(\frac{v}{u}\) = -1
या v = υ
या u = – υ
u = – υ
∴ u = (-50) cm
= 50 cm
अत: सूई (बिंब) उत्तल लेंस के सामने 50 cm की दूरी पर रखी है।
लेंस सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{50}-\frac{1}{-50}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{50}+\frac{1}{50}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1+1}{50}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{2}{50}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{25}=\frac{1}{f}\)
∴ f = 25 cm = 0.25 cm
∴ लेंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f(\text { in metres })}\)
= \(\frac{1}{0.25}\) D
लेंस की क्षमता (P) = + 4 D उत्तर

प्रश्न 14.
2 m फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -2 m
[अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक मानी जाती है।] अवतल लेंस की क्षमता (P) = ?
हम जानते हैं,
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 9
= \(\frac{1}{-2}\) D
= \(\frac{1}{-2}\) D
अवतल लेंस की क्षमता (P) = -0.5 D उत्तर

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

PSEB 10th Class Science Guide आनुवंशिकता एवं जैव विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफ़ेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है, लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी –
(a) TTWW
(b) TTww
(c) Tt ww
(c) Tt Ww.
उत्तर-
(c) TtWW.

प्रश्न 2.
समजात अंगों के उदाहरण हैं –
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंज़ी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु।
उत्तर-
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चे के जनक ( माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
सभी बच्चों में अपने माता-पिता के लक्षण प्रकट होते हैं। माता-पिता से हल्के रंग की आँखों का बच्चों में आ जाना सहज स्वाभाविक है। इस अवस्था में तो आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है पर इसे हर बच्चे की अवस्था में प्रभावी नहीं कह सकते। यह अप्रभावी भी हो सकता है।

प्रश्न 5.
जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र परस्पर किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर-
जीवों में वर्गीकरण का अध्ययन उन में विद्यमान समानताओं और भेदों के आधार पर किया जाता है। उनमें समानता इसलिए प्रकट होती है कि वे किसी समान पूर्वज से उत्पन्न हुए हैं और उनमें भिन्नता विभिन्न प्रकार के पर्यावरणों में की जाने वाली अनुकूलता के कारण से है। उनमें बढ़ती जटिलता को जैव विकास के उत्तरोत्तर क्रमिक आधार पर स्थापित कर अंतर्संबंधों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
समजात अंग-पौधों और प्राणियों के वे अंग जिनकी आधारभूत रचना एक समान होती है पर उनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, उन्हें समजात अंग कहते हैं। जैसे-पक्षियों के पंख, मनुष्य की भुजाएं, कुत्ते की अगली टांगें, मेंढक के अग्रपाद, गाय, घोड़े आदि के अग्रपाद। ये सभी अंग रचना के आधार पर एक समान हैं पर इनका जीवों में कार्य अलग-अलग है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 1
चित्र-समजात अंग समरूप अंग-जीवों के वे अंग जो देखने में एक समान हों, पर उनकी रचना और कार्य भिन्न-भिन्न हों, उन्हें समरूप अंग कहते हैं; जैसे कीटों के पंख, पक्षियों के पंख, चमगादड़ के पंख। इन सभी जीवों में पंख देखने में एक-समान दिखाई देते हैं, परंतु उनकी रचना
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 2
कीट के पंख और कार्य भिन्न हैं। मटर, अंगूर आदि पौधों में प्रतान चित्र-समरूप अंग भी इसी के उदाहरण हैं।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग पीढ़ी ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर-
काले रंग के नर और सफ़ेद रंग की मादा के संयोग से उत्पन्न यदि सारे पिल्ले युग्मक काले रंग के हों तो कुत्ते की खाल का प्रभावी
रंग काला ही होगा। तीन कुत्ते काले और एक  सभी काली त्वचा वाले लक्षण कुत्ता सफेद होगा। यह दर्शाता है कि काला रंग प्रभावी रंग है।
कुत्तों के अलग-अलग रंगों का कारण अविकल्पी जीनों की आपसी क्रिया के कारण होता है जिसमें F2 अनुपात 12 : 3 : 1 होता है। इसलिए शुद्ध नस्लों के बीच संकरण कराए बिना किसी सही-सटीक निर्णय तक नहीं पहुंचा जा सकता।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 3

प्रश्न 8.
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। युगों पहले जो जीव ऐसे वातावरण में चले गए थे जहां उनका पूरा अपघटन नहीं हुआ था तो उनके शरीर की छाप चट्टानों पर सुरक्षित रह गई। वे परिरक्षित जीवाश्म ही जीवाश्म कहलाते हैं। जब जीवाश्मों की खुदाई से प्राप्ति की जाती है तो उनकी प्राप्ति की गहराई से पता लग जाता है कि वह लगभग कितना पुराना है। ‘फॉसिल डेटिंग’ इस काम में सहायक सिद्ध होती चित्र-जीवाश्मों से विकासीय संबंध है।

जो जीवाश्म जितनी अधिक गहराई से प्राप्त होगा वह उतना ही पुराना होगा। लगभग 10 करोड़ वर्ष पहले समुद्र तल में अकशेरुकी जीवों के जो जीवाश्म प्राप्त होते हैं वे सबसे पुराने हैं। इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब डायनोसॉर मरे तो उनके जीवाश्म अकशेरुकी जीवों के जीवाश्मों से ऊपरी सतह में बने। इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब घोड़े के समान जीव जीवाश्मों में बदले तो उन्हें डायनोसॉरों के जीवाश्मों से ऊपर स्थान मिला। इसी से उनका विकासीय संबंध स्थापित होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 4

प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?
उत्तर-
विभिन्न जातियों के विकासीय संबंधों का अध्ययन यही दर्शाता है कि जीवन की उत्पत्ति एक ही जाति से हुई है। एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे० बी० एस० हाल्डेन ने सबसे पहली बार सुझाव दिया था कि जीवों की उत्पत्ति उन अजैविक पदार्थों से हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। सन् 1953 में स्टेनल एल० मिलर और हेराल्ड सी० डरे ने ऐसे कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया था जो प्राचीन वातावरण के समान था। इस वातावरण में ऑक्सीजन नहीं थी। इसमें अमोनिया, मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड थे। उसमें एक पात्र में जल भी था जिसका तापमान 100°C से कम रखा गया था। जब गैसों के मिश्रण से चिंगारियाँ उत्पन्न की गईं जो आकाशीय बिजलियों के समान थीं। मीथेन से 15% कार्बन सरल कार्बनिक यौगिक यौगिकों में बदल गए। इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।

प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर-
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थाई होती हैं। अलैंगिक जनन एक ही जीव से होने के कारण केवल उसी के गण उसकी संतान में जाते हैं और वे बिना परिवर्तन हए पीढी दर पीढी समान ही रहते हैं। लैंगिक जनन नर और मादा के युग्मकों के संयोग से होता है जिनमें भिन्न-भिन्न जीन होने के कारण संकरण के समय विभिन्नता वाली संतान उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए सभी मानव युगों पहले अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे पर जब उनमें से अनेक ने अफ्रीका छोड़ दिया और धीरे-धीरे सारे संसार में फैल गए तो लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं के कारण उनकी त्वचा का रंग, कद, आकार आदि में परिवर्तन आ गया।

प्रभावित करने के कारण/आधार-
I. लैंगिक जनन में DNA की प्रतिकृति में हुई त्रुटियों के कारण विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं।
II. नर और मादा के क्रॉसिंग ओवर के समय समजात गुणसूत्रों के समान भाग आपस में बदल जाते हैं।
III. संतान को अपने माता-पिता से बराबर आनुवंशिक पदार्थ प्राप्त होता है जिसमें जीन परस्पर क्रिया कर अनेक नए विकल्पों को जन्म दे सकती है।
IV. संतान के लिंग और विभिन्नताएं सदा इस संयोग पर निर्भर करती हैं कि माता-पिता का कौन-सा मादा युग्मक नर शुक्राणु के साथ संयोजित होगा।

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर-
प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्रों का एक जोड़ा होता है-एक नर से और दूसरा मादा से। जब युग्मक बनते हैं तो गुणसूत्रों के जोड़े से आधे-आधे गुणसूत्र उसे प्राप्त होते हैं। युग्मकों के संलयन से गुणसूत्र फिर से मिल जाते हैं। इसलिए संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवांशिक योगदान में बराबर की भागीदारी होती है। उदाहरणमनुष्य में 23 जोड़े अर्थात् 46 गुण सूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 22 जोड़े अलिंगी गुण सूत्र और 23वां जोड़ा लिंगी गुण सूत्र कहलाता है। नर में XY गुण सूत्र और मादा में XX गुण सूत्र होते हैं। प्रजनन कोशिका के निरंतर विभाजन से ही जनन संभव हो पाता है। जब लैंगिक जनन की प्रक्रिया में संतति की रचना होती है तब नर और मादा उसे समान रूप से आनुवंशिक पदार्थ प्रदान करते हैं। इसी कारण संतति में नर और मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।

प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में । अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाँ, लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जीव में अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं लेकिन वे सारी विभिन्नताएँ अपना अस्तित्व बनाकर नहीं रख पातीं। जीव के सामाजिक व्यवहार के कारण उन विभिन्नताओं में अंतर आ जाता है। यह संभव है कि सामाजिक जीव चींटी के अस्तित्व को उसकी विभिन्नता प्रभावित करे और वह जीवित न रह पाए लेकिन बाघ जैसे प्राणी के अस्तित्व को संभवतः वह प्रभावित न करे और उसका अस्तित्व बना रहे।

Science Guide for Class 10 PSEB जीव जनन कैसे करते हैं InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण-B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न होगा?
उत्तर-
लक्षण-B’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है जो ‘लक्षण-A’ प्रजनन वाली समष्टि से 50% अधिक है इसलिए ‘लक्षण-B’ पहले उत्पन्न हुआ होगा।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?
उत्तर-
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता की संभावना बढ़ जाती है। प्राकृतिक चयन ही किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता का आधार बनता है जो वातावरण में घटित होता है। समय के साथ उनमें जो प्रगति की प्रवृत्ति दिखाई देती है उसके साथ उन के शारीरिक अधिकल्प में जटिलता की वृद्धि भी हो जाती है। ऊष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं की अधिक गर्मी में बचने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण द्वारा उत्तम परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनता है। विभिन्ताएँ प्राकृतिक वरण में सहायता देती हैं और विपरीत परिस्थितियों से जूझने में सहायक होती हैं। ये अनुकूलन को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 3.
मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर-
जब मेंडल ने मटर के लंबे पौधे और बौने पौधे का संकरण कराया तो उसे प्रथम संतति पीढ़ी F, में सभी पौधे लंबे प्राप्त हुए थे। इसका अर्थ था कि दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया। उन दोनों का मिश्रित प्रमाण दिखाई नहीं दिया। उसने पैतृक पौधों और F2 पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण से उगाया। इस दूसरी पीढ़ी F1 में सभी पौधे लंबे नहीं थे। इसमें एक चौथाई पौधे बौने थे। मेंडल ने लंबे पौधों के लक्षण को प्रभावी और बौने पौधों के लक्षण को अप्रभावी कहा।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 5

प्रश्न 4.
मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर-
मेंडल ने दो विभिन्न विकल्पों, लक्षणों वाले मटर के पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर प्राप्त संतति में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की। प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में कोई पौधा बीच की ऊंचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया था लेकिन दूसरी पीढ़ी (F2) में सभी पौधे लंबे नहीं थे बल्कि उनमें से एक चौथाई बौने पौधे थे। इससे स्पष्ट हुआ कि किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण के दो विकल्प की स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होती है।

प्रश्न 5.
एक ‘A’- रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘0’ से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘0’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आप से कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षणरुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर-
रुधिर समूह ‘O’ प्रभावी लक्षण है क्योंकि वह F-I पीढ़ी में रुधिर समूह ‘O’ प्रकट हुआ है। यह सूचना प्रभावी और प्रभावी लक्षण को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है। रुधिर वर्ग-A (प्रतिजन-A) के लिए जीन प्रभावी हैं और जीन प्रारूप IA IA या IAi है। स्त्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है इसलिए उसका जीन प्रारूप ‘ii’ समयुग्मी है। पुत्री के रुधिर वर्ग ‘O’ को क्रास से इस प्रकार दिखाया जा सकता है-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 6
रुधिर वर्ग ‘O’ उसी स्थिति में होता है जब रक्त में प्रतिजन A और प्रतिजन B नहीं होता।

प्रश्न 6.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण-मानवों में लिंग का निर्धारण विशेष लिंग गुण सूत्रों के आधार पर होता है। नर में XY गुण सूत्र होते हैं और मादा में XX गुण सूत्र विद्यमान होते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा के पास Y गुण सूत्र होता ही नहीं है। जब नर-मादा के संयोग से संतान उत्पन्न होती है तो मादा किसी भी अवस्था में नर शिशु को उत्पन्न करने में समर्थ हो ही नहीं सकती क्योंकि नर शिशु में XY गुण सूत्र होने चाहिएँ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 7
निषेचन क्रिया में यदि पुरुष का X लिंग गुण सूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलता है तो इससे XX जोड़ा बनेगा अतः संतान लड़की के रूप में होगी लेकिन जब पुरुष का Y लिंग गुण सूत्र स्त्री के X लिंग गुण सूत्र से मिलकर निषेचन करेगा तो XY बनेगा। इससे लड़के का जन्म होगा। किसी भी परिवार में लड़के या लड़की का जन्म पुरुष के गुण सूत्रों पर निर्भर करता है क्योंकि Y गुण सूत्र तो केवल उसी के पास होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 8

प्रश्न 7.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ?
उत्तर-
यदि जनसंख्या में परिवर्तन उत्पन्न होते हैं और वे परिवर्तन व्यष्टि की सुरक्षा एवं पोषण के प्रति अनुकूल प्राकृतिक अवस्थाएँ उपस्थित करते हैं तो विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है। प्राकृतिक प्रभेद चयन और आनुवंशिक अनुकूलता इस कार्य में विशेष सहयोग प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर-
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण उसकी जनन कोशिकाओं की जीन पर प्रभाव नहीं डालते इसलिए वे सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 9.
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है ?
उत्तर-
बाघों में आनुवंशिक विभिन्नता लगभग नहीं के बराबर है। यदि अत्यंत तेजी से बदलती पर्यावरणीय स्थितियों में परिवर्तन नहीं आया तो वे सब नाटकीय रूप से समाप्त हो जाएंगे। उदाहरण के लिए-यदि किसी बाघ में किसी भयानक रोग का संक्रमण हो जाए तो सभी बाघ उसी से मर जाएँगे क्योंकि संक्रमण उनकी जीन की आवृत्ति को प्रभावित करेगा। बाघों की निरंतर घटती संख्या भी यही संकेत कर रही है कि पर्यावरण में आया परिवर्तन उनके लिए अनुकूल नहीं रहा है और वे शायद शीघ्र ही समाप्त हो जाएं।

प्रश्न 10.
वे कौन-से कारक हैं जो नई स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक हैं ?
उत्तर-
नई स्पीशीज़ के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं –

  • आनुवंशिक अपवहन।
  • लिंगी प्रजनन के परिणामस्वरूप उत्पन्न उत्परिवर्तन।
  • दो उपसमष्टियों का एक-दूसरे से भौगोलिक पृथक्करण जिसके फलस्वरूप समिष्टियों के सदस्य परस्पर एकलिंगी प्रजनन नहीं कर पाते।
  • प्राकृतिक चयन।

प्रश्न 11.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाँ। विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के कारण विभिन्न पौधों में भी भिन्नताएँ होंगी। लक्षण दो प्रकार के होते हैं-जननकीय लक्षण और पर्यावरणीय लक्षण। स्वपरागित प्रजाति की जीन संरचना में कोई परिवर्तन न होने के कारण विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं होतीं पर पर्यावरणीय लक्षणों के कारण ये स्वयं को एक जाति के रूप में स्थापित कर लेती हैं।

प्रश्न 12.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
नहीं। अलैंगिक जनन वाले जीवों में पीढ़ियों तक विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती। भौगोलिक पृथक्करण से अनेक पीढ़ियों तक उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अति न्यून विभिन्नताएँ स्पीशीज़ के लिए पर्याप्त नहीं होंगी।

प्रश्न 13.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज़ के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तर-
पक्षी, मेंढक, छिपकली, घोड़ा और मानव में चार पाद हैं और उन सभी की आधारभूत संरचना एक समान है चाहे वे सब प्राणी इनसे अलग-अलग काम लेते हैं। ऐसे समजात अभिलक्षणों से भिन्न दिखाई देने वाली अलग-अलग स्पीशीज़ के बीच विकासीय संबंध का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 14.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
तितली और चमगादड़ दोनों जीवों के पंख उड़ने का काम करते हैं पर इन्हें समजात अंग नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनके पंखों की मूल रचना और उत्पत्ति एक समान नहीं होती चाहे इनके कार्य एक समान होते हैं। ये इनके समवृत्ति अंग हैं।

प्रश्न 15.
जीवाश्म क्या हैं ? वह जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म- जीवों के चट्टानों में दबे अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं। युगों पहले जिन जीवों का अपघटन नहीं हो सका था वे मिट्टी में मिल गए थे। उनके शरीर की छाप गीली मिट्टी पर रह गई थी और वह मिट्टी बाद में चट्टान में बदल गई थी। जीवाश्म पौधों या जंतुओं के अवशेष हैं।
इनसे निम्नलिखित जानकारियां प्राप्त होती हैं –
I. आज पाए जाने वाले जीवजंतुओं से पुरातन काल में पाए जाने वाले जीव-जंतु बहुत भिन्न थे।
II. पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।
III. टैरिडोफाइट और जिम्नोस्पर्म से ऐन्जियोस्पर्म विकसित हुए।
IV. सरल जीवों से ही जटिल जीवों का विकास हुआ।
V. विभिन्न पौधों और जंतुओं के वर्गों के विकास क्रम का पता चलता है।
VI. मानव विकास की प्रक्रिया का पता चलता है।

प्रश्न 16.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं ?
उत्तर-
विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले मानवों की आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्नता वास्तव में आभासी है। इनकी भिन्नता का जैविक आधार तो है पर सभी मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं। उनमें किसी प्रकार का आनुवंशिक विचलन नहीं है। आनुवंशिक विचलन ही किसी स्पीशीज़ को दूसरे से भिन्न करता है।

प्रश्न 17.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
जब पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ था तब जीवाणु सबसे पहले बनने वाले जीव थे। युगों बाद वे अभी भी अपना अस्तित्व कायम रखे हुए हैं। उन्होंने पर्यावरण में आने वाले सभी परिवर्तनों को सफलतापूर्वक झेला है और उनके अनुसार अनुकूलन किया है इसलिए वे विस्तार के आधार पर पूर्ण रूप से सफ़ल और समर्थ हैं। इसी प्रकार मकड़ी, मछली तथा चिंपैंजी ने भी अपने-अपने जीवन को विपरीत परिस्थितियों में ढालने के लिए अनुकूलन किया है। इसलिए सभी का शारीरिक अधिकल्प उत्तम है। किसी को भी शारीरिक अधिकल्प निकृष्ट नहीं कहा जा सकता।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਗੁਰਦੇ ਇੱਕ ਤੰਤਰ ਦਾ ਭਾਗ ਹਨ ਜੋ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ :
(a) ਪੋਸ਼ਣ
(b) ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ
(d) ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦਾ ਕੰਮ ਹੈ :
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(b) ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(c) ਅਮੀਨੋ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(d) ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ
(b) ਕਲੋਰੋਫਿਲ
(c) ਸੂਰਜ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਾਇਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਦੇਣ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ :
(a) ਸਾਈਟੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿੱਚ
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ
(c) ਕਲੋਰੋਪਲਾਸਟ ਵਿੱਚ ।
(d) ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਫੈਟਸ (ਚਰਬੀ) ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਕਿੱਥੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਅੱਧਪਚੇ ਫੈਟਸ ਦਾ ਪਾਚਨ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਗ ਜਿਗਰ ਤੋਂ ਪਿੱਤ ਰਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸਨੂੰ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਤੋਂ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਪਿੱਤ ਰਸ ਇਸ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਵਸਾ ਵਿਚ ਵਸਾ ਵੱਡੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚ ਐਂਜਾਈਮ ਦਾ ਕੰਮ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰੀਆਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਵਿੱਚ ਇਮਲਸੀਕ੍ਰਿਤ ਵਸਾ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਰਨ ਲਈ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰੰਥੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਆਂਦਰ ਰਸ ਦਾ ਰਿਸਾਓ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ-ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਇਕ ਰਸ ਹੈ ਜੋ ਤਿੰਨ ਜੋੜੀ ਲਾਰ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਵਿਚ ਅਮਾਈਲੋਜ਼ (Amylase) ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਣੂ ਨੂੰ ਲਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਵਿਚ ਚਿਕਨਾਈ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਚਬਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ਰਗੜ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਚੀਕਣਾ ਅਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਾਉਣ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਰਸਥਿਤੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਸਹਿ-ਉਪਜ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਨਾਮਕ ਵਰਣਕ ਤੋਂ O2 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੁਆਰਾ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਗੈਸ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 1
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਲਤਾਂ ਹਨ-ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਸ਼, ਕਲੋਰੋਫਿਲ, ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ॥ ਇਸਦੇ ਉਤਪਾਦ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚਕਾਰ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Aerobic Respiration) ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Anaerobic Respiration) ਵਿਚ ਅੰਤਰ

ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਅਤੇ ਮਾਈਟੋ-ਕਾਂਡਰੀਆ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸਿਰਫ਼ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਵਿਚ ਹੀ ਪੂਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਅਪੂਰਣ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ CO2 ਅਤੇ H2O ਬਣਦਾ ਹੈ । (4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ CO2 ਬਣਦੀ ਹੈ ।
(5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਲਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣ ਵਿਚ ਵਿਚ 38 ATP ਅਣੁ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ 2 ATP ਅਣੂ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(6) ਗਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਦੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ 673 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਅਣੁ ਅਧੂਰੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਾਲ 21 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 Kcal (7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 → 2C2H5OH +2CO2 + 21 Kcal

ਕੁਝ ਜੀਵ ਹਵਾ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਯੀਸਟ (Yeast) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਬਣਤਰ ਕਿਵੇਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਤੰਤਰ ਵਿਚ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕਈ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਨਲੀਆਂ ਦਾ ਵਿਭਾਜਿਤ ਰੂਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅੰਤ ਵਿਚ ਗੁਬਾਰਿਆਂ ਵਰਗੀ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਕ ਸਤਹਿ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੋ ਸਕੇ । ਜੇ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਫੈਲਾਅ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਇਹ ਲਗਭਗ 80 ਵਰਗ ਮੀਟਰ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਢੱਕ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫੈਲਿਆ ਜਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡਾ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਗੁਹਾ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸੋਖ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ CO2 ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ | ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੁ ਵਾਹਿਕਾ ਵਿਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬਿਨ ਦੀ ਘਾਟ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਨਾਲ ਲਹੂ ਦੀ ਕਮੀ (anaemia) ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸਾਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਅਸੀਂ ਜਲਦੀ ਥੱਕ ਜਾਵਾਂਗੇ | ਸਾਡਾ ਭਾਰ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗਾ । ਰੰਗ ਪੀਲਾ ਪੈ ਜਾਵੇਗਾ । ਸਾਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਗੇੜ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਦੂਹਰੇ ਚੱਕਰ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । ਇਹ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਲ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਦਾ ਸੱਜਾ ਅਤੇ ਖੱਬਾ ਭਾਗ ਜੋ ਆਕਸੀਜਨਿਤ ਅਤੇ ਅਣਆਕਸੀਜਨਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਵਿਚ ਉਪਯੋਗੀ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇੱਕ ਹੀ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਲ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੂਹਰਾ ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਮਝਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਲਹੂ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਹੂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਖੱਬਾ ਆਰੀਕਲ ਸਥਿਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਹ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਹੂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਪਣੀ ਵਾਰੀ ਤੇ ਜਦੋਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਲਹੂ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਪੰਪ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਨਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਵਾਲਾ ਲਹੂ ਇਸ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਾਂ ਵਾਲਾ ਸੱਜਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੁ ਨੂੰ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਹੁ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਪੰਪ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਆਰੀਕਲ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਦੀ ਪੇਸ਼ੀ ਛਿੱਤੀ ਮੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਨੇ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਲਹੂ ਭੇਜਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਆਰੀਕਲ ਜਾਂ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਵਾਲਣ ਉਲਟੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਲਹੂ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਰੋਕਣਾ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਦੋਹਰੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਲਹੁ ਪਰਿਵਹਿਣ ਨਾਲ ਹੈ । ਪਰਿਵਹਿਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਹੁ ਦੋ ਵਾਰ ਦਿਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਦਾ ‘ ਹੈ । ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਤੋਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 2
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 3
ਇਸ ਨੂੰ ਪਲਮੋਨਰੀ ਪਰਿਸੰਚਰਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਸ਼ੁੱਧ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਆਰੀਕਲ ਤੋਂ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਅਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਦੋਹਰਾ ਲਹੂ ਚੱਕਰ
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ਦੋਹਰੀ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਫ਼ ਰੂਪ ਵਿਚ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
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ਦੂਹਰੇ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉੱਚ ਊਰਜਾ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਜ਼ਰੂਰਤ ਦਾ ਕਾਰਨ – ਸਾਡੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਚਾਰ ਖਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਲਹੁ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੰਭਵ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸਹੀ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜ਼ਾਇਲਮ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਵਿੱਚ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਿਰਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਘੁਲੇ ਹੋਏ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਸਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਤਿਆਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡੇਟਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜ਼ਾਈਲਮ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਅਤੇ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼ ਦੇ ਕੰਮ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਬਣਤਰ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼
(1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਦੋਵੇਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦੋ ਗੁਰਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਲਗਭਗ 10 ਲੱਖ ਨੇ ਫਰਾਨ (Nephrons) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਹਰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਹਰ ਨੇਫਰਾਨ ਬਾਰੀਕ ਧਾਗੇ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ ਵਰਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੂਹਰੀ ਦੀਵਾਰ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਨੇਫਰਾਨ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਰਚਨਾ (ਬੋਮੈਨਕੈਪਸਿਊਲ) ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ ਦਾ ਸਘਨ ਜਾਲ ਵਿਛਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । (4) ਬੋਮੈਨ ਕੈਪਸਿਉਲ ਵਿਚ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੈਲੀ ਗੁੱਛਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(5) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹਵਾ ਭਰਨ ਤੇ ਫੈਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । (5) ਨੇਫਰਾਨ ਵਿਚ ਅਜਿਹੀ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(6) ਇੱਥੇ ਲਹੂ ਦੀਆਂ ਲਾਲ ਲਹੂ ਕਣਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿਮੋਗਲੋਬਿਨ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪਲਾਜ਼ਮਾ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (6) ਸੈਲੀ ਗੁੱਛੇ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਫਾਲਤੂ ਪਦਾਰਥ ਛਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(7) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਦੇ ਬਾਅਦ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੇ ਸੁੰਗੜਨ ਨਾਲ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਭਰੀ ਹਵਾ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (7) ਮੂਤਰ ਵਹਿਣੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਨਾਲ ਮੂਤਰ ਵਹਿਕੇ ਮੂਤਰ ਮਸਾਨੇ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਥੇ ਮੂਤਰ-ਮਾਰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ

ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਜਿਹੇ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵਿਸਰਣ ਕਿਉਂ ਕਾਫ਼ੀ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਿਰਫ਼ ਬਾਹਰੀ ਚਮੜੀ ਦੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਛੇਦ ਹੀ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਅੰਦਰਲੇ ਅੰਗ ਸਿੱਧੇ ਆਪਣੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦੇ । ਇਹ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਆਪਣੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਸਰਣ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ । ਸਾਹ, ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲੀ-ਬਦਲੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਾਰਜਾਂ ਲਈ ਪਸਰਨ ਬਹੁਕੈਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੈ । ਜੇ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਰਣ ਦੁਆਰਾ ਆਕਸੀਜਨ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਤੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਨੂੰ ਪੈਰ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ ਤੱਕ ਪੁੱਜਣ ਲਈ ਲਗਭਗ 3 ਸਾਲ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਜੀਵਤ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸੀਂ ਕਿਹੜੇ ਮਾਪਦੰਡ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਜਿਉਂਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਸਜੀਵ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰੂਪ-ਆਕਾਰ, ਰੰਗ ਆਦਿ ਦੇ ਨਜ਼ਰੀਏ ਵਿਚ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵੀ । ਪਸ਼ੁ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਬੋਲਦੇ ਹਨ, ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਵੰਸ਼ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੇੜ-ਪੌਦੇ ਬੋਲਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਭੁੱਜਦੇ-ਦੌੜਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਜੀਵ ਹਨ | ਵਧੇਰੇ ਸੂਖ਼ਮ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਗਤੀਆਂ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੀਆਂ । ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਨਿਰਜੀਵ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਵਸਤੂ ਵਿਚ ਅਣੂ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਪਦੰਡ ਗਤੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਕਿਹੜੀ ਬਾਹਰਲੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਜਿਹੜੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਹ ਹੈ-

  1. ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਪੋਸ਼ਣ
  2. ਸਾਹ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ।
  3. ਭੋਜਨ ਦੇ ਸਹੀ ਪਾਚਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੈਵ-ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਪਾਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੀਵਨ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਨ-ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਜੋ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਮੰਨੀਆਂ ਜਾਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਹ ਹਨ-ਪੋਸ਼ਣ, ਸਾਹ, ਪਰਿਵਹਿਣ ਅਤੇ ਉਤਸਰਜਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ (ਪਰਪੋਸ਼ੀ) ਪੋਸ਼ਣ ਵਿਚ ਅੰਤਰ-

ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਤੋਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (autotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਹਰੇ ਪੌਦੇ, ਯੁਗਲੀਨਾ ।

ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਰ ਜੀਵਤ ਜਾਂ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (Heterotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਯੁਗਲੀਨਾ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ, ਅਮਰਬੇਲ, ਜੀਵਾਣੁ, ਫੰਗਸ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਿੱਥੋਂ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਊਰਜਾ, ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਾਡੇ ਮਿਹਦੇ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਮਿਊਕਸ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਮਿਹਦਾ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਮਾਧਿਅਮ ਤਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਪੈਪਸਿਨ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਸੜਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਏ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਕੋਮਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਾਇਲੋਰਿਕ ਛੇਦ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹਣ ਅਤੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਾਚਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਉਹ ਜੈਵ ਉਤਪੇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਲਾਈਪੇਜ਼ ਨਾਮਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਵਸਾ ਨੂੰ ਫੈਟੀ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦਾ ਹੈ । ਰੇਨਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੁੱਧ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆਂ ਸੀਮਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਭੋਜਨ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਮਲਸੀਕਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਲੁੱਬਾ ਰਸ ਇਮਲਸ਼ਨ ਬਣੇ ਵਸੀ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਐਮਾਈਲੇਜ਼ ਭੋਜਨ ਦੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟਜੇ ਨੂੰ ਮਾਲਟੋਜ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀਆਂ ਕੰਧਾਂ ਵਿਚ ਪੈਪਟੀਡੇਸ, ਆਂਦਰ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਸੁਕਰੇਜ਼, ਮਾਲਟੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੈਕਟੋਜ਼ ਨਿਕਲ ਕੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਨੂੰ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਨੂੰ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਵਿਚ ਅਤੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਨ ਲਈ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਅੰਦਰਲੀ ਪਰਤ ਤੇ ਉਂਗਲੀ ਵਰਗੇ ਕਈ ਉਭਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੀਰਘ ਰੋਮ ਜਾਂ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸੋਖਣ ਦੇ ਸਤਹਿ ਖੇਤਰਫਲ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਦੀ ਬਹੁਲਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਜਾਂ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਹਰ ਸੈੱਲ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਇਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ, ਨਵੇਂ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇੱਕ ਜਲੀ ਜੀਵ ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ ਸਥਲੀ ਜੀਵ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਲਾਭ ਵਿੱਚ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਲੀ ਜੀਵ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਵਰਤਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਜਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਾਹ ਦੀ ਦਰ ਸਥਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਮੱਛੀਆਂ ਆਪਣੇ ਮੁੰਹ ਦੁਆਰਾ ਪਾਣੀ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਬਲ ਪੂਰਵਕ ਇਸ ਨੂੰ ਗਲਫੜੇ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪੱਥ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਇਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਕਰਨ ਲਈ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ਊਰਜਾ
ਸਾਹ ਇਕ ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-

(ੳ) ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਹ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਵਿਖੰਡਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਾਈਟੋਕਾਂਡਰੀਆ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹਵਾ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(ਅ) ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਹ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੀਵਾਣੂ ਅਤੇ ਯੀਸਟ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ, CO2 ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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(ੲ) ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ-ਕਈ ਵਾਰ ਸਾਡੇ ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਲਈ ਦੂਸਰਾ ਰਸਤਾ ਅਪਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਇੱਕ ਹੋਰ ਤਿੰਨ ਕਾਰਬਨ ਵਾਲੇ ਅਣੁ ਲੈਕਟਿਕ ਅਮਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅਕੜਾਅ (Cramps) ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਛਾਤੀ ਦੀ ਖੋੜ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਭਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ CO2 ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿਚ ਛੱਡਣ ਲਈ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀ ਵਿੱਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ । ਸਾਹ ਚੱਕਰ ਦੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਫੇਫੜਾ ਹਵਾ ਦਾ ਅਵਸ਼ਿਸ਼ਟ ਆਇਤਨ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੋਖਣ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਖੇਤਰਫਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮਨੁੱਖੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੀ ਬਣਤਰ ਵਿੱਚ ਕੀ ਖ਼ਾਸ ਗੁਣ ਹੈ ? ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਝੁਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸੁੰਗੜਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪੇਟ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸਥਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਦੀ ਗੁਹਾ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਾਹ ਪੱਥ ਤੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਆ ਕੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਭਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹਨ-ਦਿਲ, ਧਮਨੀਆਂ, ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ, ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ, ਲਹੂ, ਲਸੀਕਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ-

  1. ਦਿਲ ਇਕ ਪੰਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਗਾਤਾਰ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਹੂ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਧਮਨੀਆਂ (Arteries) ਮੋਟੀ ਕਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੁ ਨਾਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਦਿਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ (Veins) ਪਤਲੀ ਛਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੂ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਲਹੂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਦਿਲ ਤਕ ਵਾਪਸ ਲਿਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  4. ਕੇਸ਼ਕਾਵਾਂ (Cappilaries) ਬਹੁਤ ਹੀ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਤੰਗ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਧਮਨੀਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਲਹੂ (Blood) ਇਕ ਤਰਲ ਸੰਯੋਜੀ ਉੱਤਕ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਆਕਸੀਜਨ, ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਯੂਰੀਆ, ਲੂਣ, ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਅਤੇ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਇਕ ਭਾਗ ਤੋਂ ਦੂਜੇ ਭਾਗ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  6. ਲਸੀਕਾ (lymph) ਇਕ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ
    • ਲਸੀਕਾ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੱਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਸਰੀਰ ਦੇ ਜ਼ਖ਼ਮ ਭਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਪਚੇ ਵਸਾ ਦਾ ਸੋਖਣ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਰੱਖਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿਚ ਉੱਚ ਤਾਪਮਾਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਹੋਰਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਉਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੇ ਸੱਜੇ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਵਿਚ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਕਿਹੜੇ ਘਟਕ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ

  1. ਜਾਈਮ (Xylem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤੱਕ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਫਲੋਇਮ (Phloem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਬਣੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਪੌਦੇ ਹਾਰਮੋਨਸ (Plant harmones) ਦਾ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜੀ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨੇੜਲੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

(1) ਪਾਣੀ – ਹਰ ਪਾਣੀ ਲਈ ਪਾਣੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ | ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਜਾਈਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੜਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਗੇ ਵਰਗੀਆਂ ਬਾਰੀਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦੀ ਬਹੁ-ਗਿਣਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਲਰੋਮ (Root hair) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਮਰੋਮ ਵਿਚ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦੇ ਘੋਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰਾਸਰਣ ਦੇ
ਗੁਰੂਤਵ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਮੂਲਰੋਮਾਂ ਵਿੱਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਇਸ ਪਾਣੀ ਤੇ ਖਿਚਾਓ : ਨਾਲ ਮਲਰੋਮ ਦੇ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਵਿਚ ਕਮੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕੂਮ ਲਗਾਤਾਰ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ 10 ਤੋਂ 100 ਮੀ. ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾਲ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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(2) ਖਣਿਜ – ਪੇੜ-ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਖਣਿਜਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਅਜੈਵਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਨਾਈਟਰੇਟ, ਫਾਸਫੇਟ ਆਦਿ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਤੋਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਰਾਹੀਂ ਸਿੱਧੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਮਿਲ ਕੇ ਜਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉੱਥੋਂ ਬਾਕੀ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪਾਣੀ ਤੇ ਹੋਰ ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਅਤੇ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਜੜਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਮ੍ਰਿਤ ਅਤੇ ਸਥੂਲ ਸੈੱਲ ਕੰਧ ਨਾਲ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਵਹਿਣੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ, ਪਤਲੀਆਂ, ਵੇਲਨਾਕਾਰ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਗਰਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਪਾਣੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਵਾਹਿਣੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਵਾਹਿਣੀ · ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ, ਨਾਈਟਰੇਟ ਅਤੇ ਫਾਸਫੇਟ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਲੂਣਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮੂਲਰੋਮ ਦੁਆਰਾ ਘੁਲਿਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਕੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਜ਼ਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਖ਼ੁਰਾਕ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਤਿਆਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਘੁਲੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦਾ ਵਹਿਣ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕਾਰਜ ਸੰਵਹਿਣ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਫਲੋਇਮ ਨਾਮਕ ਭਾਗ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਇਸ ਕਾਰਜ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਣ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਾਸ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਜੜ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਅੰਗਾਂ, ਫਲਾਂ, ਬੀਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਵਾਧੇ ਵਾਲੇ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਲਿਜਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਨਾਲ ਦੇ ਸਾਥੀ ਸੈੱਲ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਚਾਲਨੀ ਨਾਲੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਅਤੇ ਪਾਸਿਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਫਲੋਇਮ ਵਿਚ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਦਾ ਕਾਰਜ ਜਾਈਲਮ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਰਜਾ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸ਼ੁਕਰੋਜ਼ ਵਰਗੇ ਪਦਾਰਥੇ ਫਲੋਇਮ ਟਿਸ਼ੂ ਵਿਚ ਏ. ਟੀ. ਪੀ. ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਉਰਜਾ ਤੋਂ ਹੀ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦਬਾਅ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਫਲੋਇਮ ਤੋਂ ਉਸ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਦਬਾਅ ਘੱਟ ਹੋਵੇ । ਇਹ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਹੈ । ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਆਉਣ ਤੇ ਇਹੀ ਜੜ੍ਹ ਅਤੇ ਤਣੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਵਿਚ ਭੰਡਾਰਿਤ ਸ਼ਕਲਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਕਲੀਆਂ ਵਿਚ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਾਧੇ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਨੈਫ਼ਰਾਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਆਧਾਰੀ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈ ਬਹੁਤ ਬਾਰੀਕ ਕਿੱਤੀ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਹਰ ਕੇਸ਼ਿਕਾ ਗੁੱਛਾ ਇੱਕ ਨਾਲੀ ਦੇ
ਕਪ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸ਼ਾਖਾ ਨਾਲੀਆਂ ਛੁਣੇ ਹੋਏ ਮੂਤਰ ਨੂੰ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਅਜਿਹੇ ਕਈ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨੈਫਰਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਨੇੜੇ-ਨੇੜੇ ਪੈਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁਲੂਕੋਜ਼, ਲੂਣ, ਪਾਣੀ ਆਦਿ ਕੁਝ ਪਦਾਰਥ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਵਿਚ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਮੂਤਰ ਇਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਚੁਣਿਆ ਹੋਇਆ ਛਾਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਗੁਰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਡਾਇਆਸਿਸ ਦਾ ਥੈਲਾ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਲਹੂ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵੱਡੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਾਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੂਣ ਦੇ ਅਣੂ ਛੋਟੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਮਲ ਉਤਪਾਦਾਂ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਪੌਦੇ ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ ਵਰਤਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ, ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹਨ-ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਆਕਸੀਜਨ, ਜਲਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੀ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ, ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲੂਣ, ਰੇਜ਼ੀਨ, ਟੇਨੀਨ, ਲੈਟੇਕਸ ਆਦਿ ।

ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉਤਸਰਜਨ ਦੇ ਲਈ ਕੋਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਰਵਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਹਾਨੀ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ । ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਛਾਲ ਵੱਖ ਹੋਣ ਤੇ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਦੇ ਡਿੱਗਣ ਤੇ ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਾਧੂ ਜਲ-ਵਾਸ਼ਪ ਵਾਸ਼ਪ ਉਸਰਜਨ ਦੁਆਰਾ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਟੋਮੇਟਾ ਦੁਆਰਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਧੇਰੇ ਲੂਣ ਜਲ ਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕੁਝ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥ ਫਲਾਂ, ਫੁੱਲਾਂ ਅਤੇ ਬੀਜਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜਲੀ ਪੌਦੇ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਕਿਵੇਂ ਨਿਯਮਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਜਲ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਿਆ ਰਹੇ । ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਵਾਲੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿੰਨਾ ਘੁਲਿਆ ਫਾਲਤੂ ਪਦਰਾਥ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰਨਾ ਹੈ । ਫਾਲਤੂ ਪਾਣੀ ਦਾ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਮੁੜ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

PSEB 10th Class Science Guide ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਜਾਣ ਨਾਲ ਤਰਤੀਬ ਬਾਰੇ ਕਿਹੜਾ ਕਥਨ ਸੱਚ ਨਹੀਂ :
(a) ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਧਾਤਵੀ ਸੁਭਾਅ ਘੱਟਦਾ ਹੈ ।
(b) ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
(c) ਪਰਮਾਣੂ ਸੋਖ ਨਾਲ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨੂੰ ਗੁਆ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
(d) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਥਨ (c) ਸੱਚ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖੱਬਿਉਂ ਸੱਜੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗੁਆਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘੱਟਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਤੱਤ X, XCl2 ਸੂਤਰ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਉੱਚ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਦਾ ਠੋਸ ਹੈ । ਇਹ ਤੱਤ X ਸੰਭਵ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਉਸ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹੈ :
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si.
ਉੱਤਰ-
ਜੇਕਰ ਤੱਤ X, XCl2 ਸੂਤਰ ਦਾ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਤੱਤ X ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੋਵੇਗੀ ਅਰਥਾਤ ਉਸਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਕੜਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੋਵੇਗੀ । ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਨੁਸਾਰ ਸਿਰਫ ਗਰੁੱਪ 2 ਦੇ ਤੱਤ Be, Mg, Ca, Sr, Ba ਅਤੇ Pa ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ X ਤੱਤ ਉਸ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਇੱਕ ਧਾਤ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਵੀ ਇੱਕ ਆਇਨੀ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਉੱਚਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸ ਤੱਤ ਵਿੱਚ :
(a) ਦੋ ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨਾਲ ਪੂਰੇ ਭਰੇ ਹਨ ।
(b) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,2 ਹੈ,
(c) ਕੁੱਲ ਤਿੰਨ ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਸੰਯੋਜਕ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਇਲੈਂਕਨ ਹਨ ।
(d) ਦੂਜੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਸੈੱਲ ਨਾਲੋਂ ਦੁੱਗਣੇ ਇਲੈਂਕਟਾਨ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਤੱਤ ਇੱਕ ਨੋਬਲ ਤੱਤ ਗੈਸ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦੇ ਦੋ ਸੈੱਲ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੱਤ ਨਿਆਨ (Ne) (2,8) ਇੱਕ ਤੱਤ ਹੈ ।

(b) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,2 ਦਾ ਜੋੜ 12 ਇਸ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ-ਅੰਕ ਹੈ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 12 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਤੱਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ ।

(c) ਕੁੱਲ ਤਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਸੰਖਿਆ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਤੱਤ ਦਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਤਰਤੀਬ ਹੈ (2,8,4) ਜਿਸਦਾ ਜੋੜ 14 ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 14 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਸਿਲੀਕਾਨ (Si) ਹੈ । ਕੁੱਲ ਦੋ ਸੈੱਲ ਹਨ | ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 3 ਇਲੈੱਕਵਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੱਤ ਦਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ (2,3) ਹੈ ਅਤੇ ਤਰਤੀਬ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦਾ ਜੋੜ 5 ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਤਰਤੀਬ ਜੋੜ 5 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਬੋਨ (B) ਹੈ ।

d) ਦੂਸਰੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਸੈੱਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਦੁੱਗਣੇ ਇਲੈਂਕਟਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ (2,4) ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦਾ ਜੋੜ 6 ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਕਾਰਬਨ (C) ਹੈ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
(a) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਬੋਰਾਂਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸਾਂਝਾ ਗੁਣ ਕੀ ਹੈ ?
(b) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਫਲੋਰੀਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸਾਂਝਾ ਗੁਣ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਬੋਰਾਂਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 13 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਹੋਵੇਗੀ । ਬੋਰਾਨ (B) ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਜੋ ਇੱਕ ਆਧਾਤ ਹੈ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਤੱਤ (Al, Ga, In ਅਤੇ Th) ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(b) ਫਲੋਰੀਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਨੋਬਲ ਤੱਤ ਹਨ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 17 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਫਲੋਰੀ ਵਾਂਗ 7 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੋਣਗੇ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਤੱਤ (F, Cl, Br, I) ਅਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇੱਕ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,7 ਹੈ :
(a) ਇਸ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ ਕੀ ਹੈ ?
(b) ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮਾਨਤਾ ਹੋਵੇਗੀ ?
(ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਬੈਕਟ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ)
N(7), F(9), P(15), Ar(18) ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਤੱਤ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 2 + 8 +7 = 17 ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਤੱਤ ਕਲੋਰੀਨ ਹੈ ।

(b) ਕਿਉਂਕਿ ਤੱਤ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 7 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਗਰੁੱਪ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 17 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਹੋਰ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :-

ਤੱਤ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ
ਫਲੋਰੀਨ (F) 9 2, 7
ਕਲੋਰੀਨ (Cl) 35 2, 8, 18, 7
ਆਇਓਡੀਨ (I) 53 2, 8, 18, 18, 7

ਇਸ ਲਈ ਤੱਤ F(a) ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 9 ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਨੋਬਲ ਗੈਸ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਤੱਤ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮਾਨਤਾ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਤੱਤਾਂ A, B ਅਤੇ C ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :

ਗਰੁੱਪ 16 ਗਰੁੱਪ 17
A
B C

(a) ਸੋ A ਧਾਤ ਹੈ ਜਾਂ ਅਧਾਤ ਹੈ ?
(b) ਦੱਸੋ A ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ C ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ਜਾਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ?
(c) ਕੀ B ਨਾਲੋਂ c ਸਾਈਜ਼ ਵਿੱਚ ਵੱਡਾ ਹੈ ਜਾਂ ਛੋਟਾ ?
(d) ਤੱਤ A ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਆਇਨ-ਕੇਟਆਇਨ ਜਾਂ ਐਨਆਇਨ ਬਣਾਏਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਗਰੁੱਪ 17 ਦੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 7 ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ 1 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਲੈਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਅਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(b) ਇੱਕ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਆਉਣ ਨਾਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦਾ ਸਾਈਜ਼ ਵੱਧਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਨਾਭਿਕ) ਦੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਕਿਸੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਆਉਣ ਨਾਲ ਘੱਟਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ c ਤੱਕ, ਤੱਤ A ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।

(c) ਤੱਤ B ਨਾਲੋਂ ਤੱਤ ਛੋਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ।

(d) ਤੱਤ A ਰਿਆਇਨ ਬਣਾਏਗਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਨਾਈਟਰੋਜਨ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 7) ਅਤੇ ਫਾਸਫੋਰਸ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 15) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਗਰੁੱਪ 15 ਦੇ ਤੱਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਲਿਖੋ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਤੱਤ ਵਧੇਰੇ ਰਿਣ ਬਿਜਲਈ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ : ਨਾਈਟਰੋਜਨ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ) ਜਾਂ (7) : (2,5)
ਫਾਸਫੋਰਸ ਦੀ ਇਲੈਕਟ੍ਰਾਂਨੀ ਤਰਤੀਬ : ਫਾਸਫੋਰਸ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 15) ਜਾਂ p(15) : (2,8,5)
ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੀ ਬਿਜਲਈ ਰਿਣਾਤਮਕਤਾ (ਇਲੈੱਕਟ੍ਰੋਨੈਗਟਿਵਤਾ) ਅਧਿਕ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦਾ ਬਾਹਰਲਾ ਸੈੱਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪਰਮਾਣੂ ਕੇਂਦਰ ਇਲੈੱਕਨ ਨੂੰ ਅਧਿਕ ਬਲ ਨਾਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਕੀ ਸੰਬੰਧ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ-ਕਿਸੇ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਸਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਬੰਧਤ ਹੈ ਕਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਉਸ ਤੱਤ ਦੀ ਸਮੂਹ ਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਪੀਰੀਅਡ ਨੂੰ ਸੂਚਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬਿਓਂ ਸੱਜੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਇਕਾਈ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ (ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ 20) ਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ 12, 19, 21 ਅਤੇ 38 ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਵਰਗੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 12 ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 20 ਅਤੇ 38 ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੋਣਗੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਇਲੈਂਕਨ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਤੇ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਤਰਤੀਬ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ !
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਨਾਲ ਤੁਲਨਾ-ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਤੇ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਸਾਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਥਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਦੋਨਾਂ ਸਾਰਨੀਆਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੀ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਹਨ; ਜਿਵੇਂ :-

ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ
(1) ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਗਿਆਤ 63 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੂੰਜਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । (1) ਕੁੱਲ 118 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(2) ਇਸ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ 8 ਲੰਬੇ ਦਾਅ ਦੇ ਸਤੰਭ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । (2) ਇਸ ਵਿੱਚ 18 ਖੜ੍ਹਵੇਂ ਕਾਲਮ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ 7 ਪੀਰੀਅਡ ਹਨ ।
(3) ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਈਸੋਟੋਪ ਨੂੰ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਨਾ ਮਿਲ ਸਕਿਆ । (3) ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਈਸੋਟੋਪਾਂ ਨੂੰ ਆਵਰਤੀ ਵਿੱਚ ਉੱਚਿਤ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਨਾਲ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਇਕੱਠਾ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ | (4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਰੁੱਪਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(5) ਸਾਰੇ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਗਰੁੱਪ VII ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । (5) ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ 3 ਅਤੇ ਗਰੁੱਪ 12 ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
(6) ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਬਣਨ ਤੱਕ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਸੀ । (6) ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ 18 ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(7) ਕੁੱਝ ਉੱਚ ਪੁੰਜ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਥਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਘੱਟ ਸੀ । (7) ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਉਲਟੇ ਕੂਮ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

Science Guide for Class 10 PSEB ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੀ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀਆਂ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ? ਤੁਲਨਾ ਕਰਕੇ ਪਤਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀਆਂ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਦਹਾਰਨ ਵਜੋਂ (i) ਲਿਥੀਅਮ (Li), ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਇੱਕ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਲਿਥੀਅਮ (Li) ਨੂੰ ਪਹਿਲਾ ਤੱਤ ਮੰਨ ਲਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਉਸ ਤੋਂ ਅੱਠਵੇਂ ਸਥਾਨ ਤੇ ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜੇਕਰ ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਨੂੰ ਪਹਿਲਾ ਤੱਤ ਮੰਨ ਲਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਅੱਠਵੇਂ ਸਥਾਨ ਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਇਹ ਤਿੱਕੜੀ ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਰੇ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 2
(ii) ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ Ca, Sr ਅਤੇ B ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹੈ ।

(iii) ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ Cl, Br ਅਤੇ 1 ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀਆਂ ਕੀ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ-ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਸੀਮਾ ਇਹ ਸੀ ਕਿ ਇਸ ਨਿਯਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਗਿਆਤ 30 ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੇਵਲ 9 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਤਿੰਨ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਵਰਗੀਕਰਨ ਸਭ ਨੂੰ ਮਨਜ਼ੂਰ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 3
ਉਦਾਹਰਨ – ਤਿੰਨ ਤੱਤ, ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ (N), ਫਾਸਫ਼ੋਰਸ (P) ਅਤੇ ਆਰਸੈਨਿਕ (As) ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਹੀ ਤਿੱਕੜੀ ਬਣਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜਦਕਿ N, ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ-ਪੁੰਜ (14.0u), As ਦਾ (74.9u) ਅਤੇ P ਦਾ (31.Ou) ਹੈ ।
ਇਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਇਹ ਇੱਕ ਤਿੱਕੜੀ ਦੇ ਤੱਤ ਨਹੀਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਕੀ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ-ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ-

(i) ਇਹ ਸਿਧਾਂਤ ਸਿਰਫ਼ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਤੱਕ ਹੀ ਲਾਗੂ ਹੋ ਸਕਿਆ ਕਿਉਂਕਿ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਹਰੇਕ ਅੱਠਵੇਂ ਤੱਤ ਦੇ ਗੁਣ ਪਹਿਲੇ ਤੱਤ ਦੇ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਸੀ ।

(ii) ਨਿਉਲੈਂਡ ਨੇ ਕਲਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ 56 ਤੱਤ ਹਨ ਅਤੇ ਭਵਿੱਖ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਨਵਾਂ ਤੱਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗਾ | ਪਰੰਤੂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਈ ਹੋਰ ਨਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਗਈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਅਸ਼ਟਕ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਨਿਯਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕੇ ।

(iii) ਨਿਊਲੈਂਡ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਦੋ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਿਆਂ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖ ਲਿਆ ਅਤੇ ਕੁਝ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਸੀ ।
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ਉਦਾਹਰਨ – ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਫਲੋਰੀਨ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਬੋਮੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਦਕਿ ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿਕਲ ਦੇ ਗੁਣ ਫਲੋਰੀਨ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਬੋਮੀਨ ਤੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਭਿੰਨ ਹਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਆਇਰਨ ਜੋ ਗੁਣ ਵਿੱਚ ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿਕਲ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹਨ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਤਿੱਕੜੀ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

(iv) ਨਿਊਲੈਂਡ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਸਿਰਫ਼ ਹਲਕੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਗੂ ਹੋ ਸਕਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੇ ਸੂਤਰਾਂ ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਓ :
K, C, Al, Si, Ba.
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਗਰੁੱਪ IA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 1 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ K20 ਹੈ ।
  2. ਕਾਰਬਨ (C) ਗਰੁੱਪ IV A ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ CO2 ਹੈ ।
  3. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ (Al) ਗਰੁੱਪ IIIA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 3 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ Al2O3 ਹੈ ।
  4. ਸਿਲੀਕਾਨ (Si), ਗਰੁੱਪ IVA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ SiO2 ਹੈ ।
  5. ਬੇਰੀਅਮ (Ba) ਗਰੁੱਪ IIA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 2 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ BaO ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੈਲੀਅਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਿਹੜੇ ਕਿਹੜੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਜਾ ਚੁੱਕੀ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਛੱਡ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ (ਕੋਈ ਦੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੈਲੀਅਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੋ ਹੋਰ ਤੱਤ ਸਕੈਂਡੀਅਮ ਅਤੇ ਜਰਮੇਨੀਅਮ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਜਾ ਚੁੱਕੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਖਾਲੀ ਸਥਾਨ ਛੱਡਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾ ਲਿਆ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਹੋਈ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਹੀ ਗੁਣ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੈਂਡਲੀਵ ਕੇ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹੜਾ ਮਾਪਦੰਡ ਅਪਣਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਲਈ ਮਾਪਦੰਡ-

  1. ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ।
  2. ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮੂਹ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ।
  3. ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡਾਂ ਦੇ ਅਣੂ ਸੂਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਮੂਲ ਗੁਣ ਮੰਨ ਕੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਤੁਹਾਡੇ ਵਿਚਾਰ ਅਨੁਸਾਰ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਕਿਉਂ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ-ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ-ਹੀਲੀਅਮ (He), ਨੀਆਨ (Ne), ਆਰਗਾਨ (Ar), ਕ੍ਰਿਪਾਨ (Kr) ਅਤੇ ਜ਼ੀਨਾਨ (Xe) ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਹੋਰ ਗਰੁੱਪ ਤੱਤਾਂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜ਼ੀਰੋ (0) ਗਰੁੱਪ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ ਭਿੰਨ ਖਾਮੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ (Atomic Mass) ਹੈ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਮੋਸਲੇ ਨੇ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਲਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ (Atomic Number) ਨੂੰ ਆਧਾਰ ਮੰਨਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਮੈਂਡਲੀਫ਼ ਵੱਲੋਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸਾਰਨੀ ਦੀਆਂ ਤਰੁੱਟੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

  • ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਸਮਸਥਾਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕੋ ਹੀ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੋਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਹਮੇਸ਼ਾ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਆਰਗਾਨ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਲੜੀਵਾਰ 18 ਤੇ 19 ਹੈ । ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰਨ ਤੇ ਆਰਗਾਨ ਪਹਿਲਾਂ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦਾ ਸਥਾਨ ਪਿੱਛੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਵਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪੁੰਜ ਇਸਦੇ ਉਲਟ ਹਨ । ਨਵੀਂ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੋਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ, ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ (ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਗੈਸਾਂ) ਅਤੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਤੱਤਾਂ (Alloys) ਨੂੰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਇਹ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿੱਚ ਆਵਰਤਤਾ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦਿਖਾਉਣ ਵਾਲੇ ਦੋ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ । ਤੁਹਾਡੀ ਚੋਣ ਦਾ ਕੀ ਅਧਾਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਨੁਸਾਰ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਬਣਤਰ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਵੀ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੋਣਗੇ Mg ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੀ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨਗੇ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ (Ca), ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 20
ਵਿਭਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਵਿਵਸਥਾ = (2, 8, 9, 2)
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg), ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 12
ਵਿਭਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਵਿਵਸਥਾ = (2, 8, 2)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਨਾਂ ਦੱਸੋ :
(a) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਾਜ਼ਰ ਹਨ ।
(b) ਦੋ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਮੌਜੂਦ ਹਨ ।
(c) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਸ਼ੈਲ ਪੁਰਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਮੌਜੂਦ ਹਨ-ਲਿਥੀਅਮ (Li), ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਤਿੰਨ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 5

(b) ਦੋ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਉਪਸਥਿਤ ਹਨ – ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਦੋ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ ।
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(c) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਸੈੱਲ ਪੂਰਾ ਹੋਵੇ-
ਹੀਲੀਅਮ, ਨੀਆਨ ਅਤੇ ਆਰਗਾਨ ਤਿੰਨ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਛਿੱਲ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
(a) ਲਿਥੀਅਮ, ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਸਾਰੀਆਂ ਹੀ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ਜੋ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
(b) ਹੀਲੀਅਮ ਇੱਕ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਗੈਸ ਹੈ ਜਦਕਿ ਨੀਆਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਲਿਥੀਅਮ, ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 8
ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨਾਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(b) ਹੀਲੀਅਮ (He) ਅਤੇ ਨੀਆਨ (Ne) ਦੋਨੋਂ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹੀਲੀਅਮ (He) ਕੋਲ ਸਿਰਫ K ਸੈੱਲ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਸੈਂਲ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨੀਆਨ (Ne) ਕੋਲ K ਅਤੇ L ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਦੋਨੋਂ ਸੈਂਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਨ । K ਸ਼ੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਅਤੇ L ਬੈੱਲ ਵਿੱਚ 8 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਨੀਆਨ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 10 ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦੱਸ ਤੱਤ ਹਨ-H, He, Li, Be, B, C, N, 0, F ਅਤੇ Ne ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤਾਂ ਹਨ-ਲਿਥੀਅਮ (Li) ਅਤੇ ਬੈਰੀਲੀਅਮ (Be) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਦੇ ਆਧਾਰ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਤੱਤ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਵੀ ਗੁਣ ਹੈ ?
Ga, Ge, As, Se, Be.
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 9

ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਧਾਤਿਕ ਆਚਰਨ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹੋਏ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗੱਲ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿੱਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਦੇ ਤੱਤ Be ਅਤੇ Ga ਦਾ ਅਧਾਤਿਕ ਆਚਰਨ ਅਧਿਕਤਮ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਦੇ ਤੱਤ ਅਧਾਤ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

PSEB 10th Class Science Guide ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਈਥੇਨ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ C2H6ਹੈ, ਇਸ ਵਿੱਚ :
(a) 6 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ
(b) 7 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ’ ਹਨ
(c) 8 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ
(d) 9 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(b) 7 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਿਊਟੇਨੋਨ ਚਾਰ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ
(b) ਐਲਡੀਹਾਈਡ
(c) ਕੀਟੋਨ
(d) ਅਲਕੋਹਲ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਕੀਟੋਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭੋਜਨ ਬਣਾਉਣ ਸਮੇਂ ਜੇਕਰ ਭਾਂਡਿਆਂ ਦਾ ਥੱਲਾ ਬਾਹਰੋਂ ਕਾਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ :
(a) ਭੋਜਨ ਪੂਰੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਪੱਕਿਆ ਹੈ
(b) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਹੀਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ
(c) ਬਾਲਣ ਸਿੱਲ੍ਹਾ ਹੈ ।
(d) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਹੀਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
CH3Cl ਵਿੱਚ ਬੰਧਨਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਦੇ ਆਧਾਰ ਸਹਿਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
C, H ਅਤੇ Cl ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6, 1 ਅਤੇ 17 ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਵੰਡ ਹੋਵੇਗੀ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 1

ਕਾਰਬਨ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਬਣਾਉਣ ਲਈ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ 1 ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਨੂੰ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪਰਮਾਣੂ 1-1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 2

ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ ਨੋਬਲ ਗੈਸ ਨੀਆਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਹੀਲੀਅਮ ਦੀ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ, ਆਰਗਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਕਲੋਰੋਮੀਥੇਨ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ C-H ਅਤੇ ਇੱਕ C-Cl ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੇਠ ਦਿੱਤਿਆਂ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਬਣਾਓ :
(a) ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ
(b) H2S
(c) ਪਰੋਪੇਨੋਨ
(d) F2.
ਉੱਤਰ-
(a) ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (CH3COOH)-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 3

(b) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫਾਈਡ (H2S)-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 4

(c) ਪਰੋਪੇਨੋਨ (CH3COCH3)-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 5

(d) F2 (ਫਲੋਰੀਨ)-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ (Homologous Series) – ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਸਮਾਨ ਰਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਰਹੇ ਯੌਗਿਕ CH3 ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਤਰ ਕਰਕੇ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕ ਸਮਜਾਤ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸਮਜਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨ ਕਿਰਿਆਤਮਕ (ਫੰਕਸ਼ਨਲ ਸਮੂਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਸਮਜਾਤ ਲੜੀ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ CH2n+2 ਹੈ । ਇਸ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਮੀਥੇਨ (CH4), ਈਥੇਨ (C2H6) ਪਰੋਪੇਨ (C3H8), ਬਿਊਟੇਨ (C4H12), ਪੈਂਟੇਨ (C5H12) ਹੈਕਸੇਨ (C6H14) ਆਦਿ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਮਜਾਤੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦਾ ਫੰਕਸ਼ਨਲ ਸਮੂਹ ਸਮਾਨ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਅੰਤਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਅਰਥਾਤ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਈਥੇਨੋਲ ਅਤੇ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿਚਕਾਰ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਅੰਤਰ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਈਥੇਨੋਲ ਅਤੇ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਕੀ ਈਥੇਨੋਲ ਜਿਹੇ ਦੂਜੇ ਘੋਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਵੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੇ ਦੋ ਸਿਰੇ ਦੋ ਭਿੰਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਾਈਡਰੋਫਿਲਿਕ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਜੋ ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਘੁਲਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਸਾਬਣ ਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਅੰਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਿਕ ਪੂੰਛ (ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ) ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹੇ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਵੱਡਾ ਸਮੂਹ ਬਣਨ ਕਾਰਨ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਪੂੰਛ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਉਸਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੀ ਸਤਹਿ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਸਾਬਣ, ਈਥੇਨੋਲ ਜਿਹੇ ਦੂਜੇ ਘੋਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਘੁਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਬਾਲਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਅਧਿਕਤਰ ਉਪਯੋਗ ਬਾਲਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਰਨ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਧੂੰਆਂ ਨਹੀਂ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੇ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਤੇ ਕੋਈ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਬਚਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਦਾ ਜਲਣ ਤਾਪ ਮੱਧਮ ਨਾ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੈਲੋਰੀਮਾਨ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜਲਾਉਣ ਨਾਲ ਕੋਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜ਼ਹਿਰੀਲੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਨਹੀਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜਦੋਂ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਅਵਖੇਪ (Scum) ਦੇ ਬਣਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਆਇਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਾਬਣ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ (ਅਵਖੇਪ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ (ਲਾਲ ਅਤੇ ਨੀਲੇ ਨਾਲ ‘ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਦੀ ਪਰਖ ਕਰੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਤਬਦੀਲੀ ਵੇਖੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਖਾਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਲਾਲ ਟਮਸ ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਨੀਲੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ । ਇਸ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਦਾ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਤੇ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਪਏਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਇਸ ਦਾ ਉਦਯੋਗ ਵਿੱਚ ਕੀ ਉਪਯੋਗ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ – ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਦਾ ਨਿੱਕਲ ਜਾਂ ਪਲੇਟੀਅਮ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕਾਂ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਹੋਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
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ਉਦਯੋਗਿਕ ਉਪਯੋਗ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਨੂੰ ਬਨਸਪਤੀ ਘਿਉ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਦੋਹਰੇ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਨਿਕਲ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ 473K ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਤੇਲ ਠੋਸ ਘਿਉ (ਫੈਟ) ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? C2H6, C3H8, C6H6, C2H2, ਅਤੇ CH4.
ਉੱਤਰ-
ਕੇਵਲ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਹੀ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ C3H6 ਅਤੇ C2H2 ਵਿੱਚ ਹੀ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮੱਖਣ ਅਤੇ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤੌਰ ‘ ਤੇ ਅੰਤਰ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਟੈਸਟ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਖਾਣਾ ਬਨਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਉਪਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ (ਯੌਗਿਕ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉਸਦੇ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨੂੰ ਉਡਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਖਾਣਾ ਬਨਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਉਸਦਾ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਉੱਡ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਮੱਖਣ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਉਸਦਾ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਉੱਡਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸਾਬਣ ਦੁਆਰਾ ਸਫਾਈਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਸਫਾਈਕਰਨ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੇ ਅਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਦੇ ਦੋਨਾਂ ਸਿਰਿਆਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਇੱਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਫਿਲਿਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ! ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ, ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਦੂਜੇ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੇ ਅਣੂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਪੂੰਛ (ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ) ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪਾਣੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਅਵਸਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸਦਾ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਵੱਡਾ ਸਮੂਹ ਬਣਨ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਪੂੰਛ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ੈੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਮਿਸੈੱਲ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਾਬਣ ਸਫਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਤੇਲ ਦਾ ਮੈਲ ਮਿਸੈੱਲ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਿਸੈੱਲ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਕੋਲਾਈਡ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਇਨ-ਆਇਨ ਦੇ ਤਿਕਸ਼ਨ ਕਾਰਨ ਅਵਖੇਪ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦੇ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਤੈਰ ਰਹੀ ਮੈਲ ਸੌਖਿਆਂ ਹੀ ਹਟਾਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
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Science Guide for Class 10 PSEB ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਦਾ ਫਾਰਮੂਲਾ CO2 ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6 ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਬਾਹਰੀ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ 4 ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੋਵੇਗੀ-
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ਹਰੇਕ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ, ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਦੋਹਰੇ ਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਲਫਰ ਦਾ ਅਣੂ ਜੋ ਕਿ ਸਲਫਰ ਦੇ ਅੱਠ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੈ, ਉਸ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ?
(ਸੰਕੇਤ-ਸਲਫਰ ਦੇ ਅੱਠ ਪਰਮਾਣੂ ਇੱਕ ਛੱਲੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।)
ਉੱਤਰ-
ਸਲਫਰ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 16 ਹੈ ।
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ਸਲਫਰ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 6 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ 2 ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਲਫਰ ਪਰਮਾਣੂ 2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸਾਂਝ ਕਰੇਗਾ । ਇਸ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ S8 ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਤੁਸੀਂ ਕਿੰਨੇ ਬਣਤਰੀ ਸਮਅੰਗਕ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਸਮਅੰਕਾਂ (ਆਇਸੋਮਰਜ਼) ਦੀ ਬਣਤਰ-
ਪੈਂਨਟੇਨ (C5H12) ਦੇ ਤਿੰਨ ਸਮਅੰਗਕ (ਆਇਸੋਮਰ) ਹਨ-
(i) ਨਾਰਮਲ ਪੈਂਨਟੇਨ
(ii) ਆਇਸੋਪੈਂਨਟੇਨ
(ii) ਨਿਊਪੈਂਨਟੇਨ ।
ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਣਤਰ ਚਿੱਤਰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਉਹ ਦੋ ਗੁਣ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਚਾਰ-ਚੁਫੇਰੇ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।
ਜਾਂ
ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਉਹ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਰਕੇ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਮੌਜੂਦ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਗੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਗੁਣ-ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਦੋ ਗੁਣ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
(i) ਲੜੀ ਬੰਧਨ (Catenation) – ਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਨਾਉਣ ਦੀ ਵਚਿੱਤਰ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ ਲੜੀਆਂ, ਸ਼ਾਪਿਤ ਲੜੀਆਂ ਅਤੇ ਬੰਦ ਲੜੀਆਂ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਇਹ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਗੁਣ “ਲੜੀ ਬੰਧਨ” ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲੜੀ ਬੰਧਨ ਕਾਰਨ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਚਾਰ ਸੰਯੋਜਕਤਾ (Tetravalency) – ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਹੋਰ ਚਾਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਜਾਂ ਹੋਰ ਸੰਯੋਜਕ ਤੱਤਾਂ (ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਨਾਈਟਰੋਜਨ, ਸਲਫਰ, ਕਲੋਰੀਨ) ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਨਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਈਕਲੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦਾ ਸੂਤਰ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਈਕਲੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ C5 H2 × 5 = C5 H10 ਹੈ। ਇਸਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦੇ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ-
(i) ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ
(ii) ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ*
(iii) ਬਿਊਟੇਨੋਨ
(iv) ਹੈਕਸੇਨਲ ।
*ਕੀ ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਬਣਤਰੀ ਸਮਅੰਗਕ ਸੰਭਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ (CH3COOH)-
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(ii) ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ (C5H11Br)-
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ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਨਾਲ ਬਰੋਮੀਨ ਦਾ ਸਥਾਨ ਬਦਲਣ ਕਾਰਨ ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ ਵਿਭਿੰਨ ਬਣਤਰੀ, ਸਮੁਅੰਗਕ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
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(iii) ਬਿਊਟੇਨੋਨ (C2H5COCH3)-
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(iv) ਹੈਕਸੇਨਲ (C5H11CHO)-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਨਾਮਕਰਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ :
(i) CH3 – CH2 – Br
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ਉੱਤਰ-
(i) ਬਰੋਮੋਈਥੇਨ,
(ii) ਮੇਥੇਨੋਲ,
(iii) ਹੈਕਸਾਈਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਈਥੇਨੋਲ ਤੋਂ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕਰਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਆਕਸੀਕਰਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਆਕਸੀਕਰਨ, ਖਾਰੀ KMnO4 ਜਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ K2 Cr2 O7 ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਈਥਾਇਨ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਵੈਲਡਿੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਈਥਾਇਨ ਇੱਕ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਹੈ ਜੋ ਹਵਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਜਲਾਉਂਦੇ (ਦਹਿਨ ਕਰਦੇ) ਸਮੇਂ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਸਲੇਟੀ ਲਾਟ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਧੂੰਏਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਪੂਰਨ ਹਿਨ ਕਾਰਨ ਊਸ਼ਮਾ ਊਰਜਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਘੱਟ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਲਈ ਕਾਫੀ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪੱਖੋਂ ਜਦੋਂ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪੂਰਨ ਦਿਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਊਸ਼ਮਾ ਉਰਜਾ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਤੁਸੀਂ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿਵੇਂ ਅੰਤਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-
(1) ਸੋਡੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ । ਦੋਨਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ NaHCO3 ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਘੋਲ ਪਾਓ । ਜਿਹੜੀ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ CO2 ਗੈਸ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਬੁਲਬੁਲੇ ਬਣਦੇ ਨੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਕਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੋਵੇਗਾ ।
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(2) ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ। ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਪਾਓ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਨੂੰ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਗਰਮ ਕਰੋ ਜਿਹੜਾ ਘੋਲ ਖਾਰੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਘੋਲ ਦੇ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨੂੰ ਉਡਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਨਿਸਚਿਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਐਲਕੋਹਲ ਹੋਵੇਗਾ ।

(3) ਲਿਟਮਸ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ । ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਦੋ-ਦੋ ਬੂੰਦ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਦੀਆਂ ਪਾਓ । ਤੁਸੀਂ ਵੇਖੋਗੇ ਕਿ ਐਲਕੋਹਲ ਵਿੱਚ ਲਿਟਮਸ ਦੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਜਦਕਿ ਕਾਰਬੋਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਾਲੀ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਨੀਲਾ ਲਿਟਮਸ ਲਾਲ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

(4) ਸੋਡੀਅਮ ਧਾਤ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪਾਓ । ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸੋਡੀਅਮ ਧਾਤੂ ਦਾ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਟੁਕੜਾ ਪਾਓ । ਜਿਸ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਐਲਕੋਹਲ ਹੈ ਉਸ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਦੀ ਬੁਦਬੁਦਾਹਟ ਹੋਵੇਗੀ ਜਦਕਿ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਤਾਂ ਬਣੇਗੀ, ਪਰੰਤੂ ਬੁਦਬੁਦਾਹਟ ਨਹੀਂ ਵਿਖਾਈ ਦੇਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀਕਾਰਕ- ਅਜਿਹੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਖੁਦ ਲਘੂਕਿਤ ਹੋ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕ੍ਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਜਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਡਾਈਕੋਮੇਟ ਐਲਕੋਹਲ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕ੍ਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਪਾਣੀ ਕਠੋਰ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਇਹ ਨਹੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਕਿ ਪਾਣੀ ਦਾ ਕੋਈ ਨਮੂਨਾ ਕਠੋਰ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ (ਡਿਟਰਜੈਂਟ) ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਝੱਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਤਲਛੱਟ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਲੋ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਕੱਪੜੇ ਧੋਦੇ ਹਨ । ਆਮ ਕਰਕੇ ਸਾਬਣ ਲਗਾਉਣ ਪਿੱਛੋਂ ਲੋਕੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਪੱਥਰ ਉੱਤੇ ਪਟਕਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਮੋਗਰੀ (ਬਾਪੀ) ਨਾਲ ਕੁੱਟਦੇ ਹਨ । ਬਰੱਸ਼ ਨਾਲ ਰਗੜਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਕੱਪੜੇ ਧੋਣ ਦੀ ਮਸ਼ੀਨ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ · ਹਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧੋਣ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹਿਲਾਉਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਜਾਂ ਡਿਟਰਜੇਂਟ ਦੀ ਲੰਬੀ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਪੁੰਛ ਨਾਲ ਸ੍ਰੀਜ਼ ਜਾਂ ਗੰਦਗੀ ਜੁੜ ਕੇ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਸਤਹਿ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਜਲ-ਵਿਰੋਧੀ ਪੂੰਛ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਪੱਥਰ ਤੇ ਪਟਕਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਜਾਂ ਥਾਪੀ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਬਰੁੱਸ਼ ਨਾਲ ਰਗੜਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਫਿਰ ਕੱਪੜੇ ਧੋਣ ਵਾਲੀ ਮਸ਼ੀਨ ਵਿੱਚ ਹਿਲਾਉਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਜੋੜਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰੇਗਾ ?
(a) NaCl ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਧਾਤ
(b) MgCl2 ਘੋਲ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਧਾਤ
(c) FeSO4 ਘੋਲ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਧਾਤ
(d) AgNO3 ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਵਰ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ਸਿਲਵਰ ਨੂੰ AgNO3 ਵਿੱਚੋਂ ‘ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।
AgNO3 (aq) + Cu (s) CuNO3 (q) + Ag (s)
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (d) AgNO3 ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਂਪਰ ਧਾਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੀ ਵਿਧੀ ਆਇਰਨ ਦੀ ਕੜਾਹੀ (frying pan) ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਉਪਯੁਕਤ ਹੈ ?
(a) ਗਰੀਸ ਲਗਾਉਣਾ
(b) ਪੇਂਟ ਕਰਨਾ
(c) ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜਾਉਣਾ
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਅਤੇ (b) ਵਿਧੀਆਂ ਉਪਯੁਕਤ ਨਹੀਂ, ਕਿਉਂਕਿ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਗਰੀਜ਼ ਅਤੇ ਪੇਂਟ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ (c) ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਉਣਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਇੱਕ ਤੱਤ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉੱਚ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਵਾਲਾ ਯੌਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਯੌਗਿਕ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਸੰਭਵ ਤੌਰ ਤੇ ਇਹ ਤੱਤ ਹੈ :
(a) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ
(b) ਕਾਰਬਨ
(c) ਸਿਲੀਕਾਂਨ
(d) ਆਇਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਇੱਕ ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਉੱਚਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 1
CaO + H2O → Ca (OH)2 ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ)
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ (a) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭੋਜਨ ਰੱਖਣ ਵਾਲੇ ਕੈਨਾਂ ਨੂੰ ਟਿੱਨ ਦੀ ਝਾਲ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਨਹੀਂ, ਕਿਉਂਕਿ ?
(a) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਮਹਿੰਗੀ ਹੈ ।
(b) ਜ਼ਿੰਕ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚਾ ਹੈ ।
(c) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
(d) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਟਿੱਨ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਜ਼ਿੰਕ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (c) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ ਹਥੌੜਾ, ਇੱਕ ਬੈਟਰੀ, ਇੱਕ ਬੱਲਬ, ਤਾਰਾਂ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ :
(a ਤੁਸੀਂ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਪਹਿਚਾਨਣ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਵਰਤੋਗੇ ?
(b) ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਪਛਾਨਣ ਲਈ ਕੀਤੀਆਂ ਪਰਖਾਂ ਦੀ ਉਪਯੋਗਤਾ ਦਾ ਮੁਲਾਂਕਣ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
(a)

  • ਅਸੀਂ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਹਥੋੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਾਂਗੇ ।
  • ਬੈਟਰੀ, ਬੱਲਬ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਨੂੰ ਤਾਰਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸਰਕਟ ਰੀਪੱਥ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਾਂਗੇ ਵੇਖੋ ਚਿੱਤਰ) । ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਲਗਾ ਕੇ ਪਰੀਖਣ ਕਰਾਂਗੇ ਅਤੇ ਨੋਟ ਕਰਾਂਗੇ ਕਿ ਕੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(b)

  • ਇਹ ਵੇਖਣ ਵਿੱਚ ਆਇਆ ਹੈ ਕਿ ਹਥੋੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਗਈਆਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ ਭੁਰ-ਭੁਰੀਆਂ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ਤੇ ਨਿੱਕੇ-ਨਿੱਕੇ ਟੁੱਕੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਹ ਨਤੀਜਾ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਧਾਤਾਂ ਕੁਟੀਯੋਗ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਨਹੀਂ ਹਨ ।
  • ਪਰੀਖਣ ਦੌਰਾਨ ਇਹ ਅਨੁਭਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਿ ਜਾਂਚ ਦੇ ਲਈ ਧਾਤ ਜਦੋਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ
    ਦਾ ਟੁੱਕੜਾ ਹੈ ਤਾਂ ਬੱਲਬ ਜਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਬੱਲਬ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
    ਇਸ ਲਈ ਧਾਤਾਂ, ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੂਚਾਲਕ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ, ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ !

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਐਮਫੋਟੈਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਐਮਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਓ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਮਫੋਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ – ਉਹ ਧਾਤਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਜਿਹੜੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਖਾਰੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੋਨਾਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਿਵਹਾਰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਐਮਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
(1) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ (Al2O3).
(2) ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ (ZnO)
(i) Al2O3 + 6 HCl → 2 AlCl3 + 3 H2O (ਖਾਰੀ ਵਿਵਹਾਰ)
Al2O3 + 2 NaOH → 2 NaAlO2 + H2O (ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਵਿਵਹਾਰ)
(ii) ZnO + 2 HCl → ZnCl2 + H2O (ਖਾਰੀ ਵਿਵਹਾਰ)
ZnO + 2 NaOH → Na2ZnO2 + H2O (ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਵਿਵਹਾਰ)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਓ ਜੋ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦੇਣਗੀਆਂ ਅਤੇ ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਓ ਜੋ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਨਗੀਆਂ ।
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਿੰਕ (Zn) ਅਤੇ ਲੋਹਾ (Fe) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨਗੀਆਂ ਹਨ ।
ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਤਾਂਬਾ (ਕਾਪਰ) ਅਤੇ ਪਾਰਾ (ਮਰਕਰੀ), ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇੱਕ ਧਾਤ M ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਅਪਘਟਨ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਤਾਪ ਕਿਰਿਆ ਐਨੋਡ, ਕੈਥੋਡ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਵਿਘਟਕ ਵਜੋਂ ਕੀ ਲਓਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਨੋਡ ਵਜੋਂ-ਧਾਤ M ਦੀ ਅਸ਼ੁੱਧ ਮੋਟੀ ਪਲੇਟ
ਕੈਥੋਡ ਵਜੋਂ-ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ M ਦੀ ਪਤਲੀ ਪਲੇਟ
ਬਿਜਲੀ ਵਿਘਟਕ ਵਜੋਂ-ਧਾਤ M ਦੇ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਯੋਗਿਕ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਰਤਯੂਸ਼ ਨੇ ਸਲਫਰ ਪਾਊਡਰ ਨੂੰ ਸਪੈਚੁਲੇ ਉੱਤੇ ਲੈ ਕੇ ਗਰਮ ਕੀਤਾ । ਉਸ ਨੇ ਉਤਪੰਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਉਸ ਉੱਪਰ ਪੁੱਠੀ ਪਰਖਨਲੀ ਰੱਖ ਕੇ ਇਕੱਠਾ ਕੀਤਾ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਵਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
(a) ਗੈਸ ਦੀ ਕੀ ਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ :

  1. ਸੁੱਕੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ।
  2. ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ।

(b) ਵਾਪਰਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੀ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
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ਉੱਤਰ-
(a) ਸਲਫਰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਜਲਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
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  • ਸੁੱਕੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਦੀ ਕੋਈ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸਲਫਿਊਰਸ ਐਸਿਡ ਉਤਪੰਨ ਕਰੇਗੀ ਜੋ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਦਾ ਰੰਗ ਲਾਲ ਕਰ ਦੇਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਦੋ ਢੰਗ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਢੰਗ-

  • ਤੇਲ ਜਾਂ ਗਰੀਸ਼ ਦਾ ਲੋਪ ਕਰਕੇ – ਜੇਕਰ ਆਇਰਨ ਦੀ ਸਤਹਿ ਉੱਪਰ ਤੇਲ ਜਾਂ ਗਰੀਸ ਦੀ ਪਰਤ ਬਣਾ ਦੇਈਏ ਤਾਂ ਆਇਰਨ ਸਿੱਲ੍ਹ ਵਾਲੀ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਆਇਰਨ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਢੰਗ ਨਾਲ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਅਨੈਮਲ ਕਰਨ ਨਾਲ – ਆਇਰਨ (ਲੋਹੇ) ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਪੇਂਟ ਰੰਗ-ਰੋਗਨ ਦੀ ਪਰਤ ਜਮਾ ਕੇ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਬੱਸ, ਕਾਰ, ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ ਸਾਈਕਲ, ਖਿੜਕੀਆਂ ਅਤੇ ਰੇਲ ਗੱਡੀ ਆਦਿ ਤੇ ਅਨੈਮਲ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੁਕਤ ਹੋ ਕੇ ਕਿਹੋ ਜਿਹੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ-
(i) ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ
(ii) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ।

(i) ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ – ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਅਜਿਹੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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(ii) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ – ਕੁੱਝ ਅਧਾਤਾਂ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਲਿਟਮਸ ਦਾ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ ਕਾਰਬਨ ਮੋਨੋਆਕਸਾਈਡ, (CO), ਪਾਣੀ (H2O) ਅਤੇ ਨਾਈਟਸ ਆਕਸਾਈਡ (N2O) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ-
(a) ਪਲਾਟੀਨਮ, ਗੋਲਡ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਗਹਿਣੇ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(b) ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਇੱਥੀਅਮ ਨੂੰ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਸਟੋਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਪਾਤ ਹੈ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਇਹ ਖਾਣਾ ਪਕਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
(d) ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੌਰਾਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਕੇ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਉੱਤਰ-
(a) ਪਲਾਟੀਨਮ, ਗੋਲਡ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਗਹਿਣੇ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ (ਨੀਵੇਂ ਸਥਾਨ) ਤੇ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਪਾਣੀ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਖੋਰਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲ ਅਤੇ ਕੁਟੀਣਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਗਹਿਣੀਆਂ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਨਮੂਨੇ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

(b) ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਇੱਥੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਅੰਦਰ ਸਟੋਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਜੇਕਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਇਹ ਛੇਤੀ ਅੱਗ ਫੱੜ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ | ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜਲਣਤਾਪ (Ignition temperature) ਬਹੁਤ ਨੀਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਤਾਪ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ ਪਰੰਤੂ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਹੈ । ਸਿੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਨਾਲ ਇਸਦੀ ਸਤਹਿ ‘ਤੇ ਐਲਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ (Al2O3) ਦੀ ਪ੍ਰਤ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਪਰਤ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਣ ਦਿੰਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਨੂੰ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(d) ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਸਲਫਾਈਡ ਤੋਂ ਸਿੱਧੀ ਧਾਤ ਨਹੀਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ । ਇਸ ਲਈ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਪ੍ਰਕਰਮ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਸ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਕਰਕੇ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿਚ ਉਪਸਥਿਤ ਤਬਦੀਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਧਾਤ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਧਾਤ ਸਲਫਾਈਡ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਉਸ ਧਾਤ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ | ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਆਰਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਗੰਧਕ (ਸਲਫਰ ਜਿਹੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਵੀ ਦੂਰ, ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2
S + O2 → SO2
4As + 5O2 → 2AS2O5

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਤੁਸੀਂ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਦਰੰਗੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਇਮਲੀ ਦੇ ਰਸ ਨਾਲ ਸਾਫ ਕਰਦੇ ਜ਼ਰੂਰ ਵੇਖਿਆ ਹੋਵੇਗਾ । ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ਕਿ ਇਹ ਖੱਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਬ ਜਾਂ ਇਮਲੀ ਦੇ ਰਸ ਜਿਹੇ ਖੱਟੇ ਪਦਾਰਥ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਦਰੰਗੇ ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹਨ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਰਤਨ ਉੱਪਰ ਜੰਮ ਹੋਈ ਕਾਪਰ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਦੀ ਪਰਤ ਖੱਟੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਸਿਟਰਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਧਾਤ (Metals) ਆਧਾਰ (Non-Metals)
(1) ਧਾਤਾਂ ਖਾਰੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਅਧਾਤਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
(2) ਧਾਤਾਂ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । (2) ਅਧਾਤਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(3) ਧਾੜਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੰਯੋਜੀ ਕਲੋਰਾਈਡ (ਆਇਨੀ ਕਲੋਰਾਈਡ) ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜੀ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਿਜਲੀ ਅਪਘਟਕ ਅਤੇ ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (3) ਅਧਾਤਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜੀ ਯੋਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਯ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਪਰੰਤੂ ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(4) ਧਾਤਾਂ ਲਘੂਕਾਰਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (4) ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(5) ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਅਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਥਾਈ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਸੁਨਿਆਰ ਬਣ ਕੇ ਘਰ-ਘਰ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਨੇ ਪੁਰਾਣੇ ਅਤੇ ਚਮਕ ਰਹਿਤ ਸੋਨੇ ਦੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨੂੰ ਚਮਕਾਉਣ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੱਤਾ । ਇੱਕ ਸਾਦਾ ਇਸਤਰੀ ਨੇ ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਚੂੜੀਆਂ ਦਾ ਜੋੜਾ ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਜੋ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਉਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੋਬੀਆਂ ਚੂੜੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਵਾਂਗ ਚਮਕਣ ਲੱਗੀਆਂ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਭਾਰ ਘੱਟ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸਤਰੀ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਹੋਈ । ਵਿਅਕਤੀ ਨਾਲ ਬੇ
ਨਤੀਜਾ ਬਹਿਸ ਹੋਈ ਪਰ ਵਿਅਕਤੀ ਛੇਤੀ ਹੀ ਖਿਸਕ ਗਿਆ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇੱਕ ਜਲੂਸ ਬਣ ਕੇ ਘੋਲ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਨਿਆਰ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਘੋਲ, ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਹੈ । ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਨਾਈਟਿਕ ਐਸਿਡ 3 : 1 ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸੋਨਾ, ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸਤਰੀ ਦੀਆਂ ਡੋਬੀਆਂ ਗਈਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦਾ ਭਾਰ ਕਾਫ਼ੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਨਵੀਆਂ ਵਾਂਗ ਚਮਕਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ਕਿ ਕਿਉਂ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਟੈਂਕ ਕਾਰ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਸਟੀਲ ਦੇ ਨਹੀਂ ਜੋ ਆਇਰਨ ਦੀ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਹੈ) ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ ਦੀ ਤਾਪ ਚਾਲਕੜਾ ਸਟੀਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਰਜਾ ਦੀ ਬਚਤ ਕਰਨ ਲਈ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਟੈਂਕ ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਦਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕਾਪਰ, ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਭਾਵੇਂ ਇਸ ਨੂੰ ਕਿੰਨਾ ਹੀ ਗਰਮ ਕਿਉਂ ਨਾ ਕੀਤਾ ਜਾਏ ਜਦਕਿ ਆਇਰਨ ਲੋਹਾ ਗਰਮ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਭਾਫ਼ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
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Science Guide for Class 10 PSEB ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਜਿਹੀ ਧਾਤ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ਜੋ-
(i) ਕਮਰੇ ਦੇ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਤਰਲ ਹੈ ।
(ii) ਸੌਖਿਆਂ ਚਾਕੂ ਨਾਲ ਕੱਟੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
(iii) ਤਾਪ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਤਮ ਚਾਲਕ ਹੈ ।
(iv) ਤਾਪ ਦੀ ਘੱਟ ਚਾਲਕ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਪਾਰਾ (Mercury)
(ii) ਸੋਡੀਅਮ (Sodium)
(iii) ਚਾਂਦੀ (Silver)
(iv) ਸੀਸਾ ਜਾਂ ਲੈਂਡ (Lead) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਖਿੱਚੀਯੋਗਤਾ ਦਾ ਭਾਵ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ (Malleability) – ਇਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਜਿਸ ਦੇ ਕਾਰਨ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਬਗੈਰ ਟੁੱਟੇ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣਾ ਹੈ ।

ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ (Ductility) – ਇਹ ਧਾਤੂਆਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਪਤਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸੋਡੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਕਿਉਂ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਤੇਲ ਵਿਚ ਕਿਉਂ ਡੋਬ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਣਾ-ਸੋਡੀਅਮ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬਹੁਤ ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਗੈਸ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਅੱਗ ਫੜ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੋਡੀਅਮ ਦਾ ਹਵਾ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਇਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ-
(i) ਆਇਰਨ ਦੀ ਭਾਫ਼ ਨਾਲ
(ii) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) 3Fe (s) + 4H2O(g) → Fe34 (s) + 4H2O (g)
(ii) Ca(s) + 2H2O (l) → Ca (OH)2(aq) + H2 (g)
2K(s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) H2 (g).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
A, B, C ਅਤੇ D ਚਾਰ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨੇ ਲਏ ਗਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਇੱਕ ਕਰਕੇ ਹੇਠਲੇ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਿੱਟਿਆਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਰਨੀਬੱਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
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ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਧਾਤਾਂ A, B, C ਅਤੇ D ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦਾ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।
(i) ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
(ii) ਧਾਤ B ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ?
(iii) ਧਾਤ A, B, C ਅਤੇ D ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੇ ਘਟਦੇ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਰੱਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਧਾਤੁ B ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਕੋਈ ਹੋਰ ਧਾਤ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ (FeSO4) ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤੂ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਧਾਤੂ B ਸਭ ਤੋਂ ਅਧਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਜੇਕਰ ਧਾਤੂ ਨੂੰ ਕਾਪਰ (II) ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਇਹ ਕਾਰ ਨੂੰ ਇਸਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ ਅਤੇ ਘੋਲ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

(iii) B > A > C> D. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਜਦੋਂ ਪਤਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਆਇਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ । ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਉੱਤੇ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿਹੜੀ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਪਤਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੇਵਲ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਕੇ ਗੈਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਇਰਨ ਨਾਲ ਹਲਕਾ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (H2SO4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਜ਼ਿੰਕ ਨੂੰ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਉਂਦੇ ਹੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਵੇਖਦੇ ਹੋ ? ਵਾਪਰਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਜ਼ਿੰਕ ਨੂੰ ਆਇਰਨ (II) ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜ਼ਿੰਕ, ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦਾ ਹਰਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜ਼ਿੰਕ, ਆਇਰਨ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਅਧਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
Zn + FeSO4 → ZnSO4 + Fe
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਵੀ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ :
Zn (S) → Zn+ + 2e
Fe2+ (aq) + 2e → Fe (S)
Fe2+ (aq) + Zn (s) → Zn2+ (aq) + Fe (S)
FeSO4 (aq) + Zn (s) → ZnSO4 (aq) + Fe (S)

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
(i) ਸੋਡੀਅਮ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਲਿਖੋ ।
(ii) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ ਬਦਲੀ ਕਰਕੇ Na2O ਅਤੇ MgO ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਦਰਸਾਓ ।
(ii) ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਆਇਨ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
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(iii) Na2O ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਇਨ-
ਧਨ-ਆਇਨ : Na+ (ਸੋਡੀਅਮ ਧਨ-ਆਇਨ).
ਰਿਣ-ਆਇਨ : O2 (ਆਕਸੀਜਨ ਰਿਣ-ਆਇਨ)

MgO ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਇਨ-
ਧਨ-ਆਇਨ : Mg2+ (ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਧਨ-ਆਇਨ)
ਰਿਣ-ਆਇਨ : O2- (ਆਕਸੀਜਨ ਰਿਣ-ਆਇਨ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਕਿਉਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਉੱਚੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੋਗਿਕਾਂ ਦੇ ਆਇਨਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਪ੍ਰਬਲ ਅੰਤਰ-ਆਇਨੀ ਬਲਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਅਧਿਕ ਉਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪਦਾਂ (terms) ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ :
(i) ਖਣਿਜ,
(ii) ਕੱਚੀ ਧਾਤ,
(iii) ਗੈਂਗ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਖਣਿਜ (Mineral) – ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਜਾਂ ਯੋਗਿਕਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਨੂੰ ਖਣਿਜ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(ii) ਕੱਚੀ ਧਾਤ (Ore) – ਅਜਿਹੇ ਖਣਿਜ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਉੱਚੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤ ਦਾ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ, ਲਾਹੇਵੰਦ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਨੂੰ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(iii) ਗੈਂਗ (Gangue) – ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਕੱਢੀ ਗਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮਿੱਟੀ, ਰੇਤ ਆਦਿ ਨੂੰ ਗੈਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਕਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਸੋਨਾ (Gold),
  2. ਪਲਾਟੀਨਮ (Platinum) ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਕਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਧਾਤ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹੜੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਧਾਤੂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਪਰੰਤੂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਕਾਰਬਨ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲਘੂਕਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਜ਼ਿੰਕ, ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਦੇ ਧਾੜਵੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਗਿਆ :

ਧਾਤਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਜਿਸਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਾਪਰ
ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ
ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ

ਦੱਸੋ ਕਿਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਵਿਸਥਾਪਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਵਿੱਚ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ।
ZnO + Mg → MgO + Zn

(ii) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

(iii) ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ, ਜ਼ਿੰਕ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਕਰੇਗਾ ।
CuO + Zn → ZnO + Cu
CuO + Mg → MgO + Cu

ਧਾਤ ਜਿਸਤ (ਜ਼ਿੰਕ) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਾਪਰ
ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ
ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਖੁਰਦੀਆਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਧਾਤਾਂ ਜੋ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਖੁਰਦੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਸੋਨਾ, ਪਲਾਟੀਨਮ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ ਕੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ (Alloys) – ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਾਂ ਜਾਂ ਇੱਕ ਧਾਤ ਅਤੇ ਇੱਕ ਅਧਾਤ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਮਅੰਗੀ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੇ ਗੁਣ ਮੂਲ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਤਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।