PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

PSEB 10th Class Science Guide ऊर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर ऊर्जा जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर-
(b) बादलों वाले दिन ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला।
उत्तर-
(c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है। (a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा।
उत्तर-
(a) भूतापीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर-

जीवाश्मी ईंधन सूर्
(1) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। (1) यह ऊर्जा का विकरणीय स्रोत है।
(2) यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। (2) यह प्रदूषण नहीं फैलाता है।
(3) रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न प्रकाश उत्पन्न करता है। (3) परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और करता है।
(4) निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है।
(5) मानव मन चाहे ढंग से उस पर नियंत्रण कर भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। (5) मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी सकता है।

प्रश्न 5.
जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत् की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए ।
उत्तर-
जैवमात्रा तथा जल विद्युत् की तुलना –

जैवमात्रा जल वैद्युत्
(1) जैव-मात्रा केवल सीमित मात्रा में ही ऊर्जा प्रदान कर सकती है। (1) जल वैद्युत् ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है।
(2) जैव-मात्रा से ऊर्जा प्राप्त करने के प्रक्रम में प्रदूषण फैलता है। (2) जल वैद्युत् ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है।
(3) जैव-मात्रा से प्राप्त ऊर्जा को सीमित स्थान में ही प्रयोग किया जा सकता है। (3) जल वैद्युत् ऊर्जा को पारेषण लाइन की सहायता से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ

  • पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। एक MW के जनित्र के लिए 2 हेक्टेयर स्थान की आवश्यकता होती है।
  • पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब पवन का न्यूनतम वेग 15 km/h हो।
  • हवा की तेज़ गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएं अधिक होती हैं।
  • सारा वर्ष आवश्यक पवनें नहीं चलतीं।

(b) तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-समुद्रीय जल तरंगों के वेग के कारण उनमें ऊर्जा समाहित होती है जिसके कारण निष्कर्षण के लिए निम्न सीमाएँ हैं

  • तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
  • इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं हैं।

(c) ज्वार भाटा ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय आर्कषण के कारण होता है। तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर-
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्रोत

  • नवीकरणीय स्त्रोत-ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
  • अनवीकरणीय स्रोत-ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता। जीवाश्मी ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।

(b) समाप्य तथा अक्षय (असमाप्य)-ऊर्जा के समाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं जबकि अक्षय (असमाप्य) स्रोत अनवीकरणीय हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-

  • पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होनी चाहिए।
  • समान दर से ऊर्जा की उत्पत्ति होनी चाहिए।
  • सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
  • परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
  • यह सस्ता और सुलभ होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुक्कर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुक्करों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर-
सौर कुक्कर के लाभ-

  • ईंधन का कोई खर्च नहीं होता। ईंधन और विद्युत् की बचत है।
  • पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है। धीमी गति से खाना पकने के कारण भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
  • किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती।
  • खाना पकाते समय निरंतर देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सौर कुक्कर की हानियां (सीमाएँ)

  • बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता।
  • रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
  • बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
  • यह 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।

पृथ्वी पर कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुक्कर का उपयोग अत्यंत सीमित है। उदाहरण के लिए, चारों ओर पर्वतों से घिरी हुई घाटी जहां सूर्य की धूप दिन में बहुत कम समय के लिए मिलती है। पहाड़ी ढलानों पर प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आपतित सौर ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है। इसके अतिरिक्त भूमध्य रेखा से सुदूर क्षेत्रों में सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर लंबवत् आपतित नहीं होती। अतः ऐसे क्षेत्रों पर सौर कुक्कर का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा नहीं मिल पाती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा की मांग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर निश्चित रूप से कुप्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएं आदि सब के लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।

ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत् ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो, सरलता से प्राप्त हो, दाम भी बहुत अधिक न हो तथा स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय- इसके लिए निम्नलिखित उपाय उपयोग में लाए जा सकते हैं-

  1. घरों में विद्युत् उपकरणों का अनावश्यक प्रयोग में न किया जाए।
  2. पंखे, कूलर, ए० सी० आदि का प्रयोग करते समय परिवार के सभी सदस्य एक ही कमरे में रहने का प्रयास करें।
  3. बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को विकसित किया जाए तथा निजी गाड़ियों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाए।
  4. स्ट्रीट लाइट को दिन में बंद किए जाने की समुचित व्यवस्था की जाएं।
  5. पारंपरिक उत्सवों (दीपावली, शादी समारोह आदि) पर ऊर्जा की बर्बादी पर रोक लगाई जाए।

Science Guide for Class 10 PSEB ऊर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • जिसका प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
  • जिसका भंडारण और परिवहन सुगम हो।
  • सुगमता से प्राप्त हो जाता हो।
  • सस्ता हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तम ईंधन-वह ईंधन जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हो, वह उत्तम ईंधन कहलाता है। उत्तम ईंधन की विशेषताएँ-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों का उत्पादन कम-से-कम होना चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर-
हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे, क्योंकि इस का ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरीमान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।

प्रश्न 4.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर-
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ-जीवाश्मी ईंधन से होने वाली प्रमुख हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  • पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधन का सीमित भंडार मौजूद है जो कुछ ही समय में समाप्त हो जाएगा।
  • जीवाश्मी ईंधन, जलाने पर विषैली गैसें मुक्त कर वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
  • जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्सर्जित गैसें कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करती हैं जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है।
  • जीवाश्मी ईंधन के दहन से उत्सर्जित गैसें अम्लीय वर्षा का भी कारण बनती हैं।

प्रश्न 5.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर-
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देने के कारण-हम अपनी दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों जैसे खाना पकाना, विद्युत् उत्पादन, औद्योगिक संयंत्रों तथा वाहन चलाने आदि के लिए जीवाश्मी ईंधनों (कोयला, पेट्रोलियम)पर निर्भर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दर से हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहे हैं अतिशीघ्र ही जीवाश्म ईंधन का भंडार समाप्त हो जाएगा। वैकल्पिक स्रोत जल से उत्पादित विद्युत् की भी अपनी सीमाएँ हैं। अत: जल से सभी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव है। इसलिए शीघ्र ही भयंकर ऊर्जा संकट होने की आशंका है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रश्न 6.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?
उत्तर-
पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप में किया जाता है। वर्तमान समय में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो।
1. पवन ऊर्जा-प्राचीन काल में पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चला कर कुओं से जल खींचने का काम होता था लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत् उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को समुद्रीय तट के समीप विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है। ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

2. जल ऊर्जा-प्राचीन काल में जल ऊर्जा का उपयोग जल परिवहन में किया जाता है। जल को विद्युत् ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए पहाड़ों की ढलानों पर बांध बनाकर जल की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आज जल विद्युत् संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है।

जल विद्युत् उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोक कर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया गया है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत् ऊर्जा को उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
सौर कुक्कर के लिए कौन-सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल-सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों ?
उत्तर-
सौर कुक्कर में अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर केंद्रित करता है जिससे सौर कुक्कर का तापमान बढ़ जाता है।

प्रश्न 8.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर-
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है परंतु सदैव ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों-ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनीअपनी सीमाएं हैं।
1. ज्वारीय ऊर्जा-ज्वारीय ऊर्जा का दोहन, सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है। बांध पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करके ऊर्जा की उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।

2. तरंग ऊर्जा-तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहां तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहां सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हों कि उनकी ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।

3. सागरीय तापीय ऊर्जा-सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि० मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। इस प्रकार विद्युत् ऊर्जा प्राप्त हो सकती है परंतु यह प्रणाली बहुत महंगी है।

प्रश्न 9.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर-
भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में पिघलती हुई चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी को पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती हैं और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत् जनित्रों के द्वारा विद्युत् उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 10.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा- भारी नाभिकीय परमाणु (यूरोनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरोनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अतः परम्परागत ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अतः विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।

इससे निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  • अधिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए कम ईंधन की आवश्यकता पड़ती है।
  • यह ऊर्जा का विश्वसनीय स्रोत है और लंबे समय तक विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में सामर्थ्य है।
  • अन्य स्रोतों की अपेक्षा कम खर्च पर ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 11.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। कुछ स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करते हैं और कुछ ऊर्जा स्रोतों के निर्माण में प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए सौर-सैल को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत कहा जाता है, परंतु इस युक्ति के निर्माण समय प्रदूषण होता है जिससे पर्यावरण की क्षति होती है।

प्रश्न 12.
राकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाइड्रोजन निश्चित रूप से CNG की अपेक्षा स्वच्छ ईंधन है क्योंकि न तो इसका अपूर्ण दहन होता है और न ही हाइड्रोजन जल कर कोई हानिकारक गैस उत्पन्न करती है, जबकि CNG के द्वारा NO2 तथा SO2 जैसी ग्रीन हाऊस गैसें मुक्त होती हैं।

प्रश्न 13.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
जैव-मात्रा तथा बहते हुए जल की ऊर्जा, ऊर्जा के दो नवीकरणीय स्रोत हैं चूँकि जैव-मात्रा (वनों से प्राप्त लकड़ी) को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अतः इसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। बहते हुए जल की ऊर्जा भी वास्तव में सौर ऊर्जा का ही एक रूप है; अतः यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

प्रश्न 14.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों ऊर्जा के दो समाप्य स्रोत हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों के पृथ्वी पर उपलब्ध भंडार जल्दी ही समाप्त हो जाने वाले हैं तथा इन्हें कभी भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता; अतः ये दोनों ही ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।

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