PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 9 प्रमाणित बीज उत्पादन

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 9 प्रमाणित बीज उत्पादन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 9 प्रमाणित बीज उत्पादन

PSEB 10th Class Agriculture Guide प्रमाणित बीज उत्पादन Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक-दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
गेहूँ की दो मक्सीकन किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
लरमा रोहो, सोनारा 64.

प्रश्न 2.
बीज साफ करने वाली मशीन का नाम लिखिए।
उत्तर-
सीड ग्रेडर।

प्रश्न 3.
गेहूं की दो नई विकसित किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डब्ल्यू० एच० 1105, पी० बी० डल्ल्यू० 621.

प्रश्न 4.
प्रमाणित बीज के थैले के ऊपर कितने टैग लगते हैं?
उत्तर-
दो, हरा तथा नीला।

प्रश्न 5.
बुनियादी बीज पर कौन-से रंग का टैग लगता है ?
उत्तर-
सफेद टैग।

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प्रश्न 6.
टी० एल० बीज का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
टरुथफुली लेबलड (Truthfully Labelled)।

प्रश्न 7.
बीज कानून कौन-से वर्ष में बना था?
उत्तर-
वर्ष 1966 में।

प्रश्न 8.
गेहूँ के प्रमाणीकृत बीज की कम-से-कम कितनी उर्वरक शक्ति होनी चाहिए?
उत्तर-
85% से कम नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
धान के प्रमाणीकृत बीज के लिए कम-से-कम कितनी शुद्धता होती है?
उत्तर-
98%.

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प्रश्न 10.
नरमे के किसी एक आनुवंशिकी (पुश्तैनी) गुण का नाम लिखिए।
उत्तर-
टींडों की संख्या, टींडों का औसत भार ।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
बीज अधिनियम के क्या उद्देश्य हैं तथा इसे कब लागू किया गया था?
उत्तर-
इस एक्ट का उद्देश्य था किसानों को उचित नस्ल का बीज उचित दाम पर प्रदान करवाना। इस कानून को 1966 में लागू किया गया।

प्रश्न 2.
नरमे की फसल के दो आनुवंशिकी गुण लिखिए।
उत्तर-
नरमे की फ़सल के आनुवंशिकी गुण हैं-टीडों की संख्या, टीडों का औसत भार, फलदार शाखाओं की संख्या आदि।

प्रश्न 3.
बुनियादी बीज से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बुनियादी बीज वह बीज है जिससे प्रमाणित बीज तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 4.
बीज को प्रमाणित करने वाली संस्था का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
बीज को प्रमाणित करने वाली संस्था का पूरा नाम पंजाब राज्य बीज प्रमाणित संस्था (Punjab State Seed Certification Authority) है।

प्रश्न 5.
गेहूँ की फ़सल के तीन महत्त्वपूर्ण आनुवंशिकी गुण लिखिए।
उत्तर-
गेहूँ की फ़सल के आनुवंशिकी गुण हैं-प्रति पौधा शाख की संख्या, प्रति बल्ली दानों की संख्या, दानों का वजन, बल्ली की लम्बाई आदि।

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प्रश्न 6.
ब्रीडर बीज किस संस्था की ओर से तैयार किया जाता है?
उत्तर-
जिस संस्था द्वारा उस किस्म की खोज की जाती है वह प्राथमिक बीज तैयार करती है।

प्रश्न 7.
बीज के कोई तीन बाहरी आभा वाले गुणों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
बीज के बाहरी दिखाई देने वाले गुण हैं-बीज का रंग-रूप, आकार, भार आदि।

प्रश्न 8.
प्रमाणीकृत बीज की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
प्रमाणीकृत बीज वह बीज है जो निश्चित किए गए मानकों के अनुसार पंजाब राज्य बीज प्रमाणित संस्था की निगरानी अधीन पैदा किए जाते हैं।

प्रश्न 9.
बीज उत्पादन में विलक्षण दूरी का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
इस तरह दूसरी फ़सलों का प्रभाव बीज की गुणवत्ता पर नहीं पड़ता।

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प्रश्न 10.
अनजान पौधों को बीज फसल में से निकालना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
इस तरह बीज गुणवत्ता वाले मिलते हैं तथा मिलावटी नहीं होते।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
बीजों के आनुवंशिकी तथा बाहरी आभा वाले गुणों में क्या तर है ?
उत्तर-
बीज की बाहरी दिखावट वाले गुण-बीज का रंग-रूप, आकार, भार, टूट फूट रहित, कूड़ा-कर्कट रहित, नदीन रहित तथा अन्य फ़सलों के बीजों की मिलावट से रहित बीजों को अच्छी गुणवत्ता के शुद्ध बीज माना जाता है।
फसलों के आनुवंशिक गुण-यह वह गुण है जो बाहर से देख कर पता नहीं लगते, यह बीज के अंदर होते हैं, यह एक फ़सल से अगली फसल में प्रवेश करते हैं। इन्हें नसली गुण भी कहा जाता है। भिन्न-भिन्न पौधों के नस्ली गुण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। किसी फ़सल की भिन्न-भिन्न किस्मों में जो अन्तर दिखाई देते है वह इन्हीं गुणों के कारण है।

प्रश्न 2.
बीज फसल के कोई तीन स्तर लिखिए।
उत्तर-

  • बीज वाली फसल की दूसरी फसलों से दूरी।
  • बीज वाली फसल में अन्य पौधों की संख्या।
  • बीज वाली फसल में रोग वाले पौधों की संख्या।

प्रश्न 3.
प्रमाणित बीज गुणवत्ता के बारे में प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रमाणित बीजों का उत्पादन करने के लिए दो तरह के मानकों की पालना की जाती है-

  1. खेत में बीज वाली फसल के मानक
  2. बीजों के मानक।

1. खेत में बीज वाली फसल के मानक-बीज फसल को फेल या पास करने के लिए निम्नलिखित मानक हैं –

  • बीज वाली फसल की दूसरी फसलों से दूरी।
  • बीज वाली फसल में अन्य पौधों की संख्या।
  • बीज वाली फसल में बीमारी वाले पौधों की संख्या।

2. बीजों के मानक-प्रयोगशाला में बीज के नमूनों की जांच करके ऐसे मानकों के बारे पड़ताल की जाती है। यह मानक इस तरह हैं-

  • बीज की उगने योग्य शक्ति
  • बीज की शुद्धता
  • बीमारी वाले बीजों की मात्रा
  • बीजों में नदीन के बीजों की मात्रा।

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प्रश्न 4.
व्यापारिक स्तर पर प्रमाणित बीज उत्पादन करने के लिए विधि लिखिए।
उत्तर-
व्यापारिक स्तर पर यह धंधा शुरू करने के लिए ढंग इस तरह हैं-

  • यह धंधा शुरू करने से पहले बीज उत्पादन सम्बन्धी पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। यह जानकारी पी० ए० यू० लुधियाना, कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विभाग, पंजाब राज्य बीज प्रमाणित संस्था, पनसीड जैसी संस्था, विभागों से ली जा सकती है।
  • कौन-सी फसल का उत्पादन करना है उसकी चयन, बीज उत्पादन के लिए आवश्यक ढांचा, मण्डीकरण आदि के बारे में उचित योजनाबंदी करना आवश्यक है।
  • कंपनी बना कर कृषि विभाग से लाइसेंस लेना।
  • बीज साफ करने वाली मशीन, पक्का फर्श, स्टोर, थैले सिलने वाली मशीन, बीज पैक करने वाली थैलियां आदि प्राथमिक आवश्यकताएं हैं जिनके बारे में फैसला करने के लिए पूर्ण जानकारी तथा अनुभव की आवश्यकता है।
  • बुनियादी बीज को निर्देशक बीज, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से लिया जा सकता है। बीज का बिल फर्म/कंपनी के नाम पर होना ज़रूरी है।
  • फाऊंडेशन बीज से सिफ़ारिश अनुसार फसल पैदा करके फसल को पंजाब राज्य सीड सर्टीफिकेशन विभाग में रजिस्ट्रेशन करवानी चाहिए।
  • फसल में अन्य पौधे, रोग वाले पौधे तथा नदीनों को निकालते रहना चाहिए। ऊपर बताए विभाग द्वारा फसल का दो तीन बार निरीक्षण किया जाता है।
  • फसल काट कर साफ करके उचित ढंग से पैक करना चाहिए तथा आवश्यक टैग बीज वाले थैले पर लगा देने चाहिए। इससे पहले बीज को विभाग द्वारा बीज जांच प्रयोगशाला में जांचा जाता है।

प्रश्न 5.
प्रमाणीकृत बीज उत्पादन का व्यापार करने के लिए महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रमाणीकृत बीज उत्पादन का व्यापार करने के लिए महत्त्वपूर्ण बिन्दु इस तरह है-

  • इस बात की अच्छी तरह जांच कर लें कि कौन-सी फसल का बीज उत्पादन अच्छा लाभ,देगा तथा इसको पैदा करना सरल है या नहीं।
  • फसल का चयन क्षेत्र के अनुसार करें या जिसकी कृषि करते हो उसे चुनो।
  • बड़े स्तर पर उपयोग होने वाला बीज चुनना चाहिए, जैसे-गेहूँ का।
  • पनसीड के रजिस्टर्ड किसान बन कर बीज पनसीड को बेचा जा सकता है।
  • जिस भी क्षेत्र से सम्बन्धित बीज उत्पादन करना है। उस की अच्छी जांच-पड़ताल करके, पूर्ण जानकारी तथा ट्रेनिंग ले कर ही धंधा शुरू करें।
  • हाइब्रीड बीज का उत्पादन करके अच्छा लाभ लिया जा सकता है परन्तु इसके लिए बहुत मेहनत, प्रशिक्षण तथा सब्र की आवश्यकता है।
  • इस कार्य के लिए प्राथमिक ढांचा तैयार करना पड़ता है जिस पर पैसा खर्च होता है। प्राथमिक ढांचे में स्टोर, पक्का फ़र्श, सीड ग्रेडर तथा अन्य मशीनों आदि की आवश्यकता होती है।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB प्रमाणित बीज उत्पादन Important Questions and Answers

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
बीज की श्रेणियां हैं.
(क) प्राथमिक
(ख) ‘ब्रीडर
(ग) बुनियादी तथा प्रमाणिक
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

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प्रश्न 2.
बुनियादी बीज के थैले पर कौन-से रंग का टैग होता है ?
(क) सफेद
(ख) नीला
(ग) लाल
(घ) पीला।
उत्तर-
(क) सफेद

प्रश्न 3.
जनक (ब्रीडर) बीज के थैले के ऊपर किस रंग का टैग लगाया जाता है ?
(क) गोल्डन
(ख) सफेद
(ग) गुलाबी
(घ) नीला।
उत्तर-
(क) गोल्डन

प्रश्न 4.
गेहूँ को नई विकसित किस्में जिनको रोग कम लगता है
(क) डब्ल्यू० एच० 1105
(ख) पी० बी० डब्ल्यू० 621
(ग) एच० डी० 3086
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 5.
प्रमाणिक बीज के थैले पर सरकारी टैग का रंग क्या होता है?
(क) नीला
(ख) हरा
(ग) सफेद
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) नीला

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प्रश्न 6.
बुनियादी (फाऊंडेशन) बीज के थैले के ऊपर किस रंग का टैग लगाया जाता है ?
(क) गोल्डन
(ख) सफेद
(ग) गुलाबी
(घ) नीला।
उत्तर-
(ख) सफेद

प्रश्न 7.
प्रमाणित (सर्टिफाइड) बीज के थैले के ऊपर कितने टैग लगे होते हैं ?
(क) 2
(ख) 3
(ग) 5
(घ) 4.
उत्तर-
(क) 2

प्रश्न 8.
धान के प्रमाणित बीजों की कम-से-कम शुद्धता कितनी होनी चाहिए ?
(क) 98%
(ख) 80%
(ग) 85%
(घ) 13%.
उत्तर-
(क) 98%

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II. ठीक/गलत बताएँ-

1. आनुवंशिक गुणों को नस्ली गुण भी कहा जाता है।
2. पी० बी० डब्ल्यू० 621 गेहूँ की किस्म है।
3. प्रमाणित बीजों के थैले पर दो टैग लगे होते हैं।
4. लरमा रोहो गेहूँ की मैक्सीकन किस्म है।
5. धान के प्रमाणीकृत बीज की कम से कम शुद्धता 98% है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. टींडों की संख्या ……………… का एक आनुवंशिक गुण है।
2. प्रमाणीकृत बीज के बैग पर सरकारी विभाग की तरफ से ………… रंग का टैग लगा होता है।
3. हरित क्रांति का मूल ……………… गेहूँ की किस्में हैं।
4. गोल्डन (सुनहरा) रंग का टैग ……………. बीज के थैले पर लगा होता है।
5. बुनियादी बीज के बैग पर …………… टैग लगा होता है।
उत्तर-

  1. नरमा
  2. नीले
  3. मैक्सीकन
  4. ब्रीडर
  5. सफेद।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मैक्सीकन गेहूँ की किस्मों की कृषि पहली बार कब की गई ?
उत्तर-
1955-56 में।

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प्रश्न 2.
हरित क्रान्ति का मूल कहां से बना ?
उत्तर-
मैक्सीकन गेहूँ की किस्मों की कृषि से।

प्रश्न 3.
मक्की की फसल के आनुवंशिक गुण बताओ।
उत्तर-
मक्की की लम्बाई तथा मोटाई, प्रति छल्ली दानों की औसत संख्या, 1000 दानों का औसत भार, पकने के लिए समय आदि।

प्रश्न 4.
चावल के प्रमाणित बीज में उगने योग्य शक्ति के बारे में बताओ।
उत्तर-
उगने योग्य शक्ति 70% से कम नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 5.
प्रमाणित बीज के बैग तथा सरकारी विभाग द्वारा कौन-से रंग का बैग लगाया जाता है ?
उत्तर-
नीले रंग का।

प्रश्न 6.
पनसीड द्वारा गेहूँ के बीज तैयार करने के कितने रुपए सरकार द्वारा निश्चित मूल्य से अधिक दिए जाते हैं ?
उत्तर-
250/- रुपये प्रति क्विंटल।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अच्छे बीजों का अहसास किसानों को कब हुआ ?
उत्तर-
लगभग 50 वर्ष पहले जब मैक्सीकन गेहूँ की बौनी किस्मों की कृषि की गई तथा पैदावार एकदम दोगुणा हो गई।

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प्रश्न 2.
बीज क्या है ?
उत्तर-
ऐसे दाने या पौधे के भाग, जैसे कि जड़ें, तना, ट्यूबर, गांठे आदि जिनको बो कर नई फसल पैदा की जाती है। इन सब को बीज कहा जाता है।

प्रश्न 3.
प्रमाणित बीजों के गुण बताओ।
उत्तर-
प्रमाणित बीज के निम्नलिखित गुण हैं –

  • यह बीज़ निश्चित शुद्धता वाला होता है।
  • रोग तथा नदीनों के बीजों से रहित होता है।
  • निश्चित उगने योग्य शक्ति वाला होता है।

प्रश्न 4.
गेहूँ के प्रमाणित बीज़ के संभव गुण बताओ।
उत्तर-

  • उगने योग्य शक्ति -85% से कम न हो।
  • शुद्धता-98% से कम न हो।
  • नमी-12% से अधिक न हो।

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प्रश्न 5.
प्रमाणित बीज पर लगे हरे टैग से क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर-
टैग के ऊपर बीज के उगने योग्य शक्ति, शुद्धता, रोग तथा अन्य मानकों का पूरा विवरण दिया होता है।

प्रश्न 6.
पंजाब राज्य बीज प्रमाणित संस्था का मुख्य कार्यालय कहां है ?
उत्तर-
क्षेत्रीय कार्यालय लुधियाना, जालन्धर, कोटकपुरा में है।

प्रश्न 7.
प्रमाणित बीज तक कैसे पहुंचा जाता है ?
उत्तर-
प्राथमिक बीज से ब्रीडर बीज मिलता है, ब्रीडर बीज से बुनियादी बीज तथा बुनियादी बीज से प्रमाणित बीज मिलता है।

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प्रश्न 8.
भिन्न-भिन्न बीजों की थैलियों से कैसे टैग लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
ब्रीडर बीज पर गोल्डन टैग, बुनियादी बीज पर सफेद टैग, प्रमाणित बीज पर नीले टैग लगाए जाते हैं।

प्रश्न 9.
बीज कानून अनुसार बीज कितनी किस्म के हैं ?
उत्तर-
प्राथमिक बीज, ब्रीडर बीज, बुनियादी बीज़, प्रमाणित बीज, चार प्रकार के हैं।

प्रश्न 10.
टी० एल० बीज के बारे में बताओ।
उत्तर-
यदि किसी बीज की प्रमाणिकता नहीं करवाई गई तो इसको (Truthfully Labelled) टी० एल० कहा जाता है परन्तु ऐसे बीज की गुणवत्ता, जैसे आनुवंशिक शुद्धता, उगने योग्य शक्ति आदि ठीक होनी चाहिए।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बीज के संबंध में लाभ-हानि की संभावना तथा मण्डीकरण के बारे में बताओ।
उत्तर-
प्रमाणित बीज का धंधा लाभ वाला होता है। ऐसे बीजों की कीमत साधारण बीजों से अधिक होती है। परन्तु उन्हें पैदा करने के लिए कुछ प्राथमिक खर्चे भी होते हैं, जैसे-फाऊंडेशन बीज का खर्चा, सर्टीफिकेशन फीस, सील करना तथा बीज को स्टोर करना आदि। एक अनुमान के अनुसार गेहूँ तथा चावल के बीज पैदा करने पर ₹ 200 प्रति क्विंलट बीज का खर्चा हो जाता है। अप्रैल 2017 में गेहूँ का प्रमाणित बीज मार्किट में प्रमाणित बीज उत्पादन 2500 रु० प्रति क्विंटल से भी अधिक बेचा गया जबकि कुल लागत सारे खर्चे डाल कर 1825 रुः प्रति क्विंटल बनती थी। इस तरह बीज उत्पादन का धंधा प्रमाणित तथा हाइब्रीड बीज बहुत लाभदायक है।

इस धंधे में भी हानि होने का डर अन्य धंधों जैसे ही होता है। कई बार बीज बिना बिके ही रह जाता है तथा यह फेल भी हो सकता है। परन्तु बिना बिके रहने की संभावना बहुत ही कम होती है क्योंकि बीज की पहले ही इतनी मांग है कि जो पूरी नहीं हो रही। इसलिए यह धंधा बहुत ही लाभदायक है।

प्रश्न 2.
प्रमाणित (सर्टिफाइड) बीज का क्या अर्थ है ? इसके तीन गुण लिखो।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 3.
बीज परख प्रयोगशाला में बीजों की परख करके कौन-कौन से चार मानकों की पड़ताल की जाती है ?
उत्तर-
प्रयोगशाला में बीज के नमूनों की परख करके ऐसे मानकों के बारे पड़ताल की जाती है। यह मानक इस तरह हैं-

  • बीज की उगने योग्य शक्ति
  • बीज की शुद्धता
  • बीमारी वाले बीजों की मात्रा
  • बीजों में नदीन के बीजों की मात्रा।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 9 प्रमाणित बीज उत्पादन

प्रमाणित बीज उत्पादन PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • गेहूँ की मैक्सीकन बौने कद वाली किस्में हैं –’लरमा रोहो’ ‘सोनारा-64’ ।
  • किसानों का बीज़ों की गुणवत्ता के बारे में ज्ञान अधूरा है।
  • बाहरी दिखावट (आभा) के हिसाब से अच्छी गुणवत्ता के बीजों से भाव है;
  • बीज़ों का रंग-रूप, आकार, वजन, टूट-फूट रहित होना, कूड़ा-कर्कट रहित होना, नदीन के बिना तथा अन्य फसलों के बीजों का मिलावट रहित होना।
  • आनुवंशिक (पुश्तैनी) गुण बीज द्वारा एक फसल से अगली फसल में प्रवेश करते हैं। इन्हें नसली गुण भी कहा जाता है।
  • गेहूँ की नई किस्में जिन्हें रोग कम लगते हैं तथा पैदावार भी अधिक होती है डब्ल्यू० एच० 1105, पी० बी० डब्ल्यू० 621, एच० डी० 3086, पी० बी० डब्ल्यू 677.
  • आनुवंशिक गुण कैसे हों, यह पी० ए० यू० द्वारा छपी पुस्तक ‘पंजाब की फसलों के लिए सिफ़ारिशें’ में से पता लग सकता है।
  • प्रमाणीकृत बीज किसी विश्वसनीय संस्था से खरीदने चाहिए।
  • वे बीज जो निश्चित किए गए मानकों के अनुसार पंजाब राज्य बीज प्रमाणीकरण प्राधिकरण की निगरानी अधीन पैदा किए जाते हैं, सर्टीफाइड या प्रमाणिक बीज कहलाते हैं।
  • प्रमाणित बीजों के थैले के ऊपर दो टैग लगे होते हैं, एक नीला तथा एक हरा। नीला सरकारी तथा हरा कंपनी की तरफ से लगा होता है।
  • 1966 में एक कानून “बीज एक्ट 1966” लागू किया गया।
  • इस कानून के अनुसार बीजों को चार श्रेणियों में बांटा गया है- प्राथमिक, ब्रीडर, बुनियादी, प्रमाणिक बीज।
  • ब्रीडर बीज के ऊपर गोल्डन टैग, बुनियादी बीज के थैले के ऊपर सफेद टैग प्रमाणिक बीज के ऊपर नीले रंग का टैग पैकिंग के समय लगाया जाता है।
  • जो बीज प्रमाणित नहीं हैं तो उसे टी० एल० (Truthfully Labelled) बीज कहा जाता है।
  • पंजाब में गेहूँ लगभग 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बोई जाती है तो इस प्रकार 35 लाख क्विटल से अधिक बीज की आवश्यकता पड़ती है।
  • गेहूँ का बीज तैयार करने पर पनसीड की तरफ से 250/- रु० प्रति क्विंटल, किसानों को सरकारी निश्चित भाव से अधिक दिए जा रहे हैं। इसी तरह चावल के बीज के पीछे 200 रुपए प्रति क्विंटल अधिक मिल रहे हैं।
  • मल्टी नैशनल कम्पनियां हाइब्रीड बीजों का करोड़ों अरबों का कारोबार कर रही है।
  • बीज उत्पादन का धंधा किसानों के लिए एक वरदान है, खुशहाली का मार्ग है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न.

PSEB 10th Class Social Science Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

Class 10th Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(1)

प्रत्येक देश की सरकार समाज में कानून की व्यवस्था और शांति स्थापित करती है। इस कार्य को सरकार कानूनों के निर्माण और व्यवस्था की स्थापना करके करती है। परन्तु सरकार अपनी इच्छा के अनुसार कानून बनाकर मनमानी नहीं कर सकती। देश की सरकार को संविधान मौलिक कानून के अनुसार ही कार्य करने होते हैं। इस प्रकार संविधान देश के प्रशासन और राज्य प्रबन्ध को निर्धारित करने वाले नियमों का मूल स्रोत होता है और यह शक्ति के दुरुपयोग पर प्रतिबन्ध लगाता है। जहाँ यह सरकार के अंगों के परस्पर और नागरिक के साथ सम्बन्धों को निर्धारित करता है, वहाँ यह सरकार द्वारा शक्ति के दुरुपयोग पर रोक भी लगाता है।

(a) संविधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संविधान एक मौलिक कानूनी दस्तावेज़ या लेख होता है जिसके अनुसार देश की सरकार अपना कार्य करती

(b) प्रस्तावना में वर्णित कोई तीन उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
संविधान की प्रस्तावना में भारतीय शासन प्रणाली के स्वरूप तथा इसके बुनियादी उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है। ये उद्देश्य निम्नलिखित हैं —
(1) भारत एक प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य होगा।
(2) सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिले।
(3) नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्राप्त होगी।
(4) कानून के सामने सभी नागरिक समान समझे जाएंगे।
(5) लोगों में बन्धुत्व की भावना को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति की गरिमा बढ़े और राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता को बल मिले।

(2)

अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। ये दोनों साथ-साथ चलते हैं। अन्य शब्दों में कर्तव्यों के बिना अधिकारों का कोई अस्तित्व नहीं। अतः सारे देशों ने संविधान में अपने नागरिकों के अधिकारों के साथ-साथ उनके मौलिक कर्त्तव्य भी अंकित किये हैं। भारतीय संस्कृति में सदा ही अधिकारों के स्थान पर कर्तव्यों पर अधिक बल दिया गया है। मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी। 1976 में संविधान के बयालीसवें संशोधन द्वारा नया अध्याय IV A में नागरिकों के दस कर्तव्य निर्धारित किये गए हैं। सन् 2002 में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा एक नया कर्तव्य जोड़ा गया है।

(a) भारतीय संविधान में नागरिकों के कर्त्तव्यों को कब और क्यों जोड़ा गया?
उत्तर-
मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी। इन्हें 1976 में (संविधान के 42वें संशोधन द्वारा) संविधान में सम्मिलित किया गया।

(b) भारतीय नागरिकों के तीन कर्त्तव्य बताएं।
उत्तर-
भारतीय नागरिकों के कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं —

  1. संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत का सम्मान करना।
  2. भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष को प्रोत्साहित करने वाले आदर्शों का सम्मान तथा पालन करना।
  3. भारत की प्रभुसत्ता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा करना।
  4. भारत की रक्षा के आह्वान पर राष्ट्र की सेवा करना।
  5. धार्मिक, भाषायी, क्षेत्रीय अथवा वर्गीय विभिन्नताओं से ऊपर उठ कर भारत के सभी लोगों में परस्पर मेलजोल और बन्धुत्व की भावना का विकास करना।
  6. सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और इसे बनाए रखना।
  7. वनों, झीलों, नदियों, वन्य जीवन तथा प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना।
  8. वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद, अन्वेषण और सुधार की भावना का विकास करना।
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और हिंसा का त्याग करना।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(3)

लोकतांत्रिक शासन प्रणाली सबसे उत्तम समझी जाती है। वर्तमान समय में संसार के बहुत से देशों ने लोकतांत्रिक शासन को अपनाया हुआ है और यह बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। इसके बावजूद लोकतांत्रिक शासन प्रणाली प्रत्येक देश में पूर्ण रूप से सफल नहीं हुई।
लोकतन्त्र की सफलता के लिए प्रत्येक नागरिक अच्छे आचरण वाला, चेतन तथा बुद्धिमान सुशिक्षित, विवेकशील तथा समझदार, उत्तरदायी तथा सार्वजनिक मामलों में रुचि लेने वाला होना चाहिए। समाज में अच्छे तथा योग्य नेता, सामाजिक और आर्थिक समानता तथा निष्पक्ष प्रैस तथा न्यायपालिका, अच्छे राजनैतिक संगठित दल और नागरिकों में सहनशक्ति तथा सहयोग का होना लोकतन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्ते हैं। जे.एस. मिल के अनुसार लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए लोगों में लोकतांत्रिक शासन को नियमित करने की इच्छा और उसे चलाने की योग्यता, लोकतन्त्र की रक्षा के लिए सदा प्रयत्नशील रहना और नागरिकों में अधिकारों की रक्षा और कर्तव्यों के पालन की इच्छा बेहद आवश्यक है।

(a) लोकतन्त्र से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार, लोकतन्त्र लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन होता है।

(b) लोकतन्त्र को सफल बनाने की तीन शर्ते लिखिए।
उत्तर-
हमारे देश में लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं

  1. शिक्षा का प्रसार-सरकार को शिक्षा के प्रसार के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। गांव-गांव में स्कूल खोलने चाहिए, स्त्री शिक्षा का उचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए तथा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  2. पाठ्यक्रमों में परिवर्तन-देश के स्कूलों तथा कॉलजों के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन लाना चाहिए। बच्चों को राजनीति शास्त्र से अवगत कराना चाहिए। शिक्षा केन्द्रों में प्रजातान्त्रिक सभाओं का निर्माण करना चाहिए। जिनमें बच्चों को चुनाव तथा शासन चलाने का प्रशिक्षण मिल सके।
  3. चुनाव-प्रणाली में सुधार-देश में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि चुनाव एक ही दिन में सम्पन्न हो जाएं और उनके परिणाम भी उसी दिन घोषित हो जाएं।
  4. न्याय-प्रणाली में सुधार-देश में न्यायधीशों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि मुकद्दमों का निपटारा जल्दी हो सके। निर्धन व्यक्तियों के लिए सरकार की ओर से वकीलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता-देश में समाचार-पत्रों को निष्पक्ष विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए।
  6. आर्थिक विकास-सरकार को नये-नये उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए। उसे लोगों के लिए अधिक-सेअधिक रोज़गार जुटाने चाहिएं। ग्रामों में कृषि के उत्थान के लिए उचित पग उठाने चाहिएं।

(4)

लोकतन्त्र और लोकमत के गहरे सम्बन्ध को समझने के लिये यह जान लेना आवश्यक है कि लोकमत, लोकतन्त्र का आधार होता है। आज का युग लोकतन्त्र का युग है और लोकतन्त्र सदैव लोगों के कल्याण हेतु चलाया जाता है। इसके अतिरिक्त सही अर्थों में लोकमत, लोकतांत्रिक सरकार की आत्मा होता है क्योंकि लोकतांत्रिक सरकार अपनी सारी शक्ति जनमत से ही प्राप्त करती है और इसी के आधार पर कायम रहती है। ऐसी सरकार का हमेशा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे भाव उसके विरुद्ध न जाये। इस प्रकार हम लोकमत को कल्याणकारी सरकार की आत्मा भी कह सकते हैं। इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक सरकार में सरकार को राह पर चलाने के लिए जाग्रत जनमत की बहुत आवश्यकता है।

(a) लोकमत से आपका क्या भाव है?
उत्तर-
लोकमत से हमारा अभिप्राय जनता की राय अथवा मन से है।

(b) (लोकतंत्र में) लोकमत की भूमिका बताओ।
उत्तर-
लोकमत अथवा जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की आत्मा होता है, क्योंकि लोकतान्त्रिक सरकार अपनी शक्ति लोकमत से ही प्राप्त करती है। ऐसी सरकार का सदा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र लोगों का राज्य होता है। ऐसी सरकार जनता की इच्छाओं और आदेशों के अनुसार कार्य करती है। प्रायः यह देखा गया है कि आम चुनाव काफ़ी लम्बे समय के पश्चात् होते हैं जिसके फलस्वरूप जनता का सरकार से सम्पर्क टूट जाता है और सरकार के निरंकुश बन जाने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है। इससे लोकतन्त्र का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की सफलता का मूल आधार बन जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(5)

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और मंत्रिमण्डल में एक कड़ी की भूमिका निभाता है। मंत्रिमण्डल के निर्णयों को राष्ट्रपति को अवगत कराना उसका संवैधानिक कर्तव्य है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से किसी भी विभाग सम्बन्धी सूचना प्राप्त कर सकता है। यदि कोई मंत्री राष्ट्रपति से मिलना चाहता है या परामर्श लेना चाहता है तो वह ऐसा प्रधानमंत्री के द्वारा ही कर सकता है। संक्षेप में वह राष्ट्रपति और मंत्रिमण्डल के सदस्यों में मध्यस्थ का कार्य करता है।
प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता माना जाता है। प्रत्येक विपरीत परिस्थिति में लोकसभा इसके नेतृत्व की इच्छा करती है। प्रधानमंत्री की इच्छा के विपरीत लोकसभा कुछ भी नहीं कर सकती क्योंकि उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। वह लोकसभा में सरकार की नीतियों और निर्णयों की घोषण करता है। अक्ष्यक्ष प्रधानमंत्री के परामर्श से सदन का कार्यक्रम निश्चित करता है।

(a) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राष्ट्रपति संसद् में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है।

(b) प्रधानमंत्री के किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण कार्यों (शक्तियों) का वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का धुरा होता है।

  1. वह मन्त्रियों की नियुक्ति करता है और वही उनमें विभागों का बंटवारा करता है।
  2. वह जब चाहे प्रशासन की कार्यकुशलता के लिए मन्त्रिमण्डल का पुनर्गठन कर सकता है। इसका अभिप्राय यह है कि वह पुराने मन्त्रियों को हटा कर नए मन्त्री नियुक्त कर सकता है। वह मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है। यदि प्रधानमन्त्री त्याग-पत्र दे दे तो पूरा मन्त्रिमण्डल भंग हो जाता है।
  3. यदि कोई मन्त्री त्याग-पत्र देने से इन्कार करे तो वह त्याग-पत्र देकर पूरे मन्त्रिमण्डल को भंग कर सकता है। पुनर्गठन करते समय वह उस मन्त्री को मन्त्रिमण्डल से बाहर रख सकता है। इसके अतिरिक्त वह मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उनकी तिथि, समय तथा स्थान निश्चित करता है।

(6)

संविधान के अनुसार यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को यह रिपोर्ट दे या राष्ट्रपति को किसी भरोसेमन्द सूत्रों से यह सूचना मिले कि राज्य सरकार संवैधानिक ढंग से नहीं चल रही तो वह राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है। ऐसी घोषणा के उपरान्त राष्ट्रपति राज्य की मंत्रि परिषद् को बर्खास्त कर देता है और विधान सभा को भंग कर सकता है या स्थगित कर सकता है राष्ट्रपति शासन के अधीन राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है भाव वह केन्द्रीय सरकार के एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। संवैधानिक ढाँचा फेल होने पर राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं और वैधानिक शक्तियाँ संसद को प्राप्त हो जाती हैं।

(a) राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

(b) संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(7)

भारत ने गुट निरपेक्षता को अपनी विदेश नीति का मूल सिद्धान्त बनाया है। जब भारत आजाद हुआ तब सारा विश्व दो गुटों में बँटा हुआ था-रूस और एंग्लो-अमरीकन गुट। भारत की विदेश नीति के निर्माता पंडित नेहरू ने अनुभव किया कि राष्ट्र के निर्माण हेतु भारत को शक्ति-गुटों के संघर्ष से दूर रहना चाहिए। इसलिए पंडित नेहरू ने गुट निरपेक्ष नीति को अपनाया-गुट निरपेक्षता का अर्थ है कि प्रतियोगी शक्ति-गुटों से जानबूझ कर अलग रहना, किसी देश के प्रति वैर-विरोध का भाव न रखना और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का गुण के आधार पर निर्णय करना तथा स्वतन्त्र नीति अपनाना। भारत के प्रयत्नों के फलस्वरूप गुट-निरपेक्ष आन्दोलन समूचे विश्व में एक शक्तिशाली तथा प्रभावशाली आन्दोलन बन गया है।

(a) भारत की परमाणु नीति क्या है?
उत्तर-
भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। परंतु हमारी विदेश नीति शांतिप्रियता पर आधारित है। इसलिए भारत की परमाणु नीति का आधार शांतिप्रिय लक्ष्यों की प्राप्ति करना और देश का विकास करना है। वह किसी पड़ोसी देश को अपनी परमाणु शक्ति के बल पर दबाने के पक्ष में नहीं है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध की स्थिति में भी हम परमाणु शक्ति का प्रयोग करने की पहल नहीं करेंगे।

(b) गुट-निरपेक्ष नीति का अर्थ और भारत का इसे अपनाने का क्या कारण है?
उत्तर-
गुट-निरपेक्ष नीति भारतीय विदेश नीति के मूल सिद्धान्तों में से एक है।
गुट-निरपेक्षता का अर्थ-गुट-निरपेक्षता का अर्थ है सैनिक गुटों से अलग रहना। इसका यह भाव नहीं है कि हम अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति दर्शक बने रहेंगे बल्कि गुण के आधार पर निर्णय लेने का प्रयास करेंगे। हम अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहेंगे। भारत द्वारा गुट-निरपेक्ष नीति अपनाने का कारण-भारत की स्वतन्त्रता के समय विश्व दो मुख्य शक्ति गुटोंऐंग्लो-अमरीकन शक्ति गुट और रूसी शक्ति गुट में बंटा हुआ था। विश्व की सारी राजनीति इन्हीं गुटों के गिर्द घूम रही थी और दोनों में शीत युद्ध चल रहा था। नव स्वतन्त्र भारत इन शक्ति गुटों के संघर्ष से दूर रह कर ही उन्नति कर सकता था। इसीलिए पं० नेहरू ने गुट-निरपेक्षता को विदेश नीति का आधार स्तम्भ बनाया।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 धरातल Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 2 धरातल

SST Guide for Class 10 PSEB धरातल Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
भारत की प्रमुख भौतिक इकाइयों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत की प्रमुख भौतिक इकाइयां हैं-(i) हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, (ii) उत्तरी विशाल मैदान, (iii) प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र, (iv) तटीय मैदान, (v) भारतीय द्वीप।

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत श्रेणी का आकार कैसा है?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी का आकार एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा है।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय की प्रमुख चोटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की मुख्य चोटियां हैं-माऊंट के (K2), गाडविन ऑस्टिन, हिडन पीक, ब्राड पीक, गैशरबूम, राकापोशी तथा हरमोश।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

प्रश्न 4.
बृहत् हिमालय में 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-
बृहत् हिमालय की 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं-माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचन जंगा (8598 मीटर), मकालू (8481 मीटर), धौलागिरी (8172 मीटर), मनायशू, चोंउज, नागापर्वत तथा अन्नपूर्णा।

प्रश्न 5.
भारत की युवा एवं प्राचीन पर्वत मालाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत भारत के युवा पर्वत हैं और यहां के प्राचीन पर्वत अरावली, विन्ध्याचल, सतपुड़ा आदि हैं।

प्रश्न 6.
देश में रिफ्ट या दरार घाटियां कहां मिलती हैं?
उत्तर-
भारत में दरार घाटियां प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

प्रश्न 7.
डेल्टा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
नदी द्वारा अपने मुहाने पर बने स्थल-रूप को डेल्टा कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के मुख्य डेल्टाई क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के प्रमुख डेल्टाई क्षेत्र हैं-गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कृष्णा नदी डेल्टा क्षेत्र तथा महानदी का डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत के दरों के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत में पाये जाने वाले मुख्य दरै हैं-बुरजिल, जोझीला, लानक ला, चांग ला, खुरनक ला, बाटा खैपचा ला, शिपकी ला, नाथु ला, तत्कला कोट इत्यादि।

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प्रश्न 10.
लघु हिमालय की मुख्य पर्वत श्रेणियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियां हैं-(i) कश्मीर में पीर पंजाल तथा नागा टिब्बा, (ii) हिमाचल में धौलाधार तथा कुमाऊं, (iii) नेपाल में महाभारत, (iv) उत्तराखण्ड में मसूरी, (v) भूटान में थिम्पू।

प्रश्न 11.
लघु हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्धक घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय के मुख्य स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग तथा चकराता हैं।

प्रश्न 12.
देश की प्रमुख ‘दून’ घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश की मुख्य दून घाटियां हैं-देहरादून, पतली दून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि।

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प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयन्तिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 14.
उत्तर के विशाल मैदानों में नदियों द्वारा निर्मित प्रमुख भू-आकृतियों के नाम बताइए।
उत्तर-
उत्तरी मैदानों में नदियों द्वारा निर्मित भू-आकार हैं-जलोढ़ पंख, जलोढ़ शंकु, सर्पदार मोड़, दरियाई सीढ़ियां, प्राकृतिक बांध तथा बाढ़ के मैदान।।

प्रश्न 15.
ब्रह्मपुत्र के मैदानों का आकार (Size) क्या है?
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र का मैदान 640 किलोमीटर लम्बा तथा 90 से 100 किलोमीटर तक चौड़ा है।

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प्रश्न 16.
अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार कहां से कहां तक है तथा इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम क्या है?
उत्तर-
अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर (1722 मीटर) है।

प्रश्न 17.
पश्चिमी घाट की ऊंची चोटियों के नाम बताओ।
उत्तर-
पश्चिमी घाट की ऊंची चोटियां हैं-वाणुला माला (2339 मी०), कुदरमुख (1894 मी०), पुष्पगिरी (1714 मी०), कालसुबाई (1646 मी०) इत्यादि।

प्रश्न 18.
पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं।

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प्रश्न 19.
अन्नाई मुदी की पर्वत गांठ पर कौन-कौन सी पर्वत श्रेणियां आकर मिलती हैं?
उत्तर-
कार्डमम या ईलामी (Elami), अन्नामलाई तथा पलनी।

प्रश्न 20.
दक्षिणी पठार के पहाड़ी भागों पर कौन-कौन से रमणीय स्थान ( हिल स्टेशन) हैं?
उत्तर-
दोदाबेटा, ऊटाकमुंड, पलनी तथा कोडाईकनाल।

प्रश्न 21.
उत्तर-पूर्वी तटवर्ती मैदान के उप-भागों के नाम बताओ।
उत्तर-
उत्तर-पूर्वी तटीय मैदान के उप-भाग हैं- (i) उड़ीसा के मैदान, (ii) उत्तरी सरकार।

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प्रश्न 22.
अरब सागर में मिलने वाले द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर में स्थित उत्तरी द्वीपों को अमीनदिवी (Aminodivi), मध्यवर्ती द्वीपों को लक्काद्वीप तथा दक्षिणी भाग को मिनीकोय कहा जाता है।

प्रश्न 23.
देश के तट के समीप द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
देश के तट के समीप सागर, शोरट, न्युमूर, भासरा, मंढापस, ऐलिफैंटा, दीव (Diu) आदि द्वीप मिलते हैं।

प्रश्न 24.
देश का दक्षिणी बिन्द कहां स्थित है?
उत्तर-
देश का दक्षिणी बिन्दु ग्रेट निकोबार के इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) पर स्थित है।

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II. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दो —

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत माला एवं दक्षिण के पठार के बीच क्या कुछ समानताएं पायी जाती हैं?
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा दक्षिण के पठार में निम्नलिखित समानताएं पायी जाती हैं

  1. हिमालय पर्वत का निर्माण दक्षिणी पठार की उपस्थिति के कारण हुआ है।
  2. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, भ्रंश घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय पर्वत श्रृंखला से आने वाले दबाव के कारण बनी है।
  3. हिमालय पर्वतों की भान्ति दक्षिणी पठार में भी अनेक खनिज पदार्थ पाये जाते हैं।
  4. इन दोनों भौतिक भागों में वन पाये जाते हैं जो देश में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

प्रश्न 2.
क्या हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है?
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है। इनकी उत्पत्ति नदियों द्वारा टैथीज सागर में बिछाई गई तलछट से हुई है। बाद में इसके दोनों ओर स्थित भूखण्डों के एक-दूसरे की ओर खिसकने से तलछट में मोड़ पड़ गया जिससे हिमालय पर्वतों के रूप में ऊपर उठ आए। आज भी ये पर्वत ऊंचे उठ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन पर्वतों का निर्माण देश के अन्य पर्वतों की तुलना में काफ़ी बाद में हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि हिमालय पर्वत अभी भी अपनी युवा अवस्था में हैं।

प्रश्न 3.
बृहत् हिमालय की धरातलीय विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
महान् हिमालय पश्चिम में सिन्धु नदी की घाटी से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र की दिहांग घाटी तक फैला हुआ है। इसकी मुख्य धरातलीय विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है-

  1. यह देश की सबसे लम्बी तथा रची पर्वत श्रेणी है। इसमें ग्रेनाइट तथा नीस जैसी परिवर्तित रवेदार चट्टानें मिलती
  2. इसकी चोटियां बहुत ऊंची हैं। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां की चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं।
  3. इसमें अनेक रे हैं जो पर्वतीय मार्ग जुटाते हैं।
  4. इसमें काठमाण्डू तथा कश्मीर जैसी महत्त्वपूर्ण घाटियां स्थित हैं।

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प्रश्न 4.
उत्तरी विशाल मैदानी भाग में किस-किस जलोढ़ी मैदान का निर्माण हुआ है?
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदान में निम्नलिखित जलोढ़क मैदानों का निर्माण हुआ है —

  1. खादर के मैदान,
  2. बांगर के मैदान,
  3. भाबर के मैदान,
  4. तराई के मैदान,
  5. बंजर मैदान।

प्रश्न 5.
थार मरुस्थल पर एक संक्षिप्त भौगोलिक लेख लिखो।
उत्तर-
थार मरुस्थल पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ तक फैला हुआ है। यह मरुस्थल समतल तथा शुष्क है। अरावली पर्वत श्रेणी इसकी पूर्वी सीमा बनाती है। इसके पश्चिम में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। यह लगभग 640 कि० मी० लम्बा तथा 300 कि० मी० चौड़ा है। अति प्राचीन काल में यह क्षेत्र समुद्र के नीचे दबा हुआ था। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि यह मरुस्थल किसी समय उपजाऊ रहा होगा। परन्तु वर्षा की मात्रा बहुत कम होने के कारण आज यह क्षेत्र रेत के बड़े-बड़े टीलों में बदल गया है।

प्रश्न 6.
स्थिति के आधार पर भारतीय द्वीपों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
स्थिति के अनुसार भारत के द्वीपों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-तट से दूर स्थित द्वीप तथा तट के निकट स्थित द्वीप।

  1. तट से दूर स्थित द्वीप-इन द्वीपों की कुल संख्या 230 के लगभग है। ये समूहों में पाये जाते हैं। दक्षिणी-पूर्वी अरब सागर में स्थित ऐसे द्वीपों का निर्माण प्रवाल भित्तियों के जमाव से हुआ है। इन्हें लक्षद्वीप कहते हैं। अन्य द्वीप क्रमशः अमीनदिवी, लक्काद्वीप तथा मिनीकोय के नाम से प्रसिद्ध हैं। बंगाल की खाड़ी में तट से दूर स्थित द्वीपों के नाम हैं-अण्डमान द्वीप समूह, निकोबार, नारकोडम तथा बैरन आदि।
  2. तट के निकट स्थित द्वीप-इन द्वीपों में गंगा के डेल्टे के निकट स्थित सागर, शोरट, ह्वीलर, न्युमूर आदि द्वीप शामिल हैं। इस प्रकार के अन्य द्वीप हैं-भासरा, दीव, बन, ऐलिफंटा इत्यादि।

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प्रश्न 7.
तटवर्ती मैदानों की देश को क्या महत्त्वपूर्ण देन है ?
उत्तर-
तटीय मैदानों की देश को निम्नलिखित देन है —

  1. तटीय मैदान बढ़िया किस्म के चावल, खजूर, नारियल, मसालों, अदरक, लौंग, इलायची आदि की कृषि के लिए विख्यात हैं।
  2. ये मैदान अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अग्रणी हैं।
  3. इन मैदानों से समस्त देश में बढ़िया प्रकार की समुद्री मछलियां भेजी जाती हैं।
  4. तटीय मैदानों में स्थित गोआ, तमिलनाडु तथा मुम्बई के समुद्री बीच पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।
  5. देश में प्रयोग होने वाला नमक पश्चिमी तटीय मैदानों में तैयार किया जाता है।

प्रश्न 8.
हिमालय क्षेत्रों का देश के विकास में योगदान बताइए।
उत्तर-
हिमालय क्षेत्रों का देश के विकास में निम्नलिखित योगदान है —

  1. वर्षा-हिन्द महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि सभी मुख्य नदियां हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती हैं। शुष्क ऋत में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलानें चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकडी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।

प्रश्न 9.
प्रायद्वीपीय पठार देश के अन्य भागों को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर-

  1. प्रायद्वीपीय पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है। इसी से निकलने वाली नदियों ने पहले हिमालय का निर्माण किया और फिर हिमालय तथा अपने यहां से बहने वाली नदियों के तलछट से विशाल उत्तरी मैदानों का निर्माण किया।
  2. प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर घाटों पर बने जल-प्रपात तटीय मैदानों को सिंचाई के लिए जल तथा औद्योगिक विकास के लिए बिजली देते हैं।
  3. यहां के वन देश के अन्य भागों में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करें(i) तराई और भाबर, (ii) बांगर और खादर।
उत्तर-

  1. तराई और भाबर–भाबर वे मैदानी प्रदेश होते हैं जहां नदियां पहाड़ों से निकलते ही तुरन्त मैदानी प्रदेश .में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का यहां निक्षेप करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियां भूमि तल पर बहने की बजाए भूमि के नीचे बहती हैं। जब भाबर मैदानों की भूमिगत नदियां पुनः भूमि पर उभरती हैं, तो ये दलदली क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। शिवालिक पहाड़ियों के समानान्तर फैली इस आर्द्र तथा दलदली भूमि की पट्टी को तराई प्रदेश कहते हैं। यहां घने वन भी पाये जाते हैं तथा जंगली जीव जन्तु भी अधिक संख्या में मिलते हैं।
  2. बांगर और खादर-उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में बहने वाली नदियों में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आ जाती है और वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में मिट्टी की नई परतें बिछा देती हैं। बाढ़ से प्रभावित इस तरह के मैदानों को खादर के मैदान कहा जाता है। – बांगर वह ऊंची भूमि होती है जो बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होती और जिसमें चूने के कंकड़-पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसे रेह तथा कल्लर भूमि भी कहते हैं।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दें —

प्रश्न 1.
भारत को धरातलीय आधार पर विभिन्न भागों में बांटो तथा किसी एक भाग का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
धरातल के आधार पर भारत को हम पाँच भौतिक विभागों में बांट सकते हैं —

  1. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र
  2. विशाल उत्तरी मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र
  4. तट के मैदान
  5. भारतीय द्वीप।

इनमें से हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है —
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र-हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के रूप में फैले हैं। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2400 कि० मी तथा चौड़ाई 240 से 320 कि० मी० तक है।
ऊंचाई के आधार पर हिमालय पर्वतों को निम्नलिखित पाँच उपभागों में बांटा जा सकता है —

  1. ट्रांस हिमालय-इस विशाल पर्वत-श्रेणी का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे तिब्बती हिमालय भी कहा जाता है। इसकी कुल लम्बाई 970 कि० मी० तथा चौड़ाई (किनारों पर) 40 किमी० है। इन पर्वतों की औसत ऊंचाई 6100 मी० है। माऊंट K2 तथा गॉडविन ऑस्टिन (8611 मी०) इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  2. महान् हिमालय-यह भारत की सबसे लम्बी तथा ऊंची पर्वत-श्रेणी है। इसकी लम्बाई 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 100 से 200 कि० मी० तक है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। संसार की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  3. लघु-हिमालय-इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 3500 मी० से लेकर 5000 मी० तक है। इस पर्वत श्रेणी की ऊंची चोटियां शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाती हैं। यहां शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि स्वास्थ्यवर्धक स्थान पाये जाते हैं।
  4. बाह्य हिमालय-इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय तथा दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। इन पर्वतों के दक्षिण में कई झीलें पायी जाती थीं। बाद में इनमें मिट्टी भर गई और इन्हें दून (Doon) (पूर्व में इन्हें द्वार (Duar) कहा जाता है) कहा जाने लगा। इनमें देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि शामिल हैं।
  5. पहाड़ी शाखाएं-हिमालय पर्वतों की दो शाखाएं हैं-पूर्वी शाखाएं तथा पश्चिमी शाखाएं।
    पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल भी कहा जाता है।
    इन शाखाओं में ढ़फा बुम, पटकाई बुम, गारो, खासी, जैंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां सम्मिलित हैं।
    पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय की दो उपशाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान की साल्ट रेंज, सुलेमान तथा किरथर होते हुए दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान में स्थित हिम्दुकुश तथा कॉकेशस पर्वत श्रेणी से जा मिलती है।

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प्रश्न 2.
हिमालय की उत्पत्ति एवं बनावट पर लेख लिखो और बताइए कि क्या हिमालय अभी भी बढ़ रहे हैं?
उत्तर-
हिमालय की उत्पत्ति तथा बनावट का वर्णन इस प्रकार है —
उत्पत्ति-जहां आज हिमालय है, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खण्डों से घिरा एक लम्बा और उथला सागरं था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खण्ड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खण्डों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खण्ड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।
बनावट-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा दिखाई देता है जिसका मध्यवर्ती भाग नेपाल की सीमा तक शुकी हुआ है। इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे सफ़ेद कोह, सुलेमान तथा किरथर की पहाड़ियों द्वारा अरब सागर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के उत्तर-पूर्वी किनारे टैनेसरीम पर्वत श्रेणियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच जाते हैं।
हिमालय पर्वतों की दक्षिणी ढाल भारत की ओर है। यह ढाल बहुत ही तीखी है। परन्तु इसकी उत्तरी ढाल साधारण है। यह चीन की ओर है। दक्षिणी ढाल के अधिक तीखा होने के कारण इस पर जल-प्रपात तथा तंग नदी-घाटियां पाई जाती हैं।
ऊंचाई की दृष्टि से हिमालय की पर्वत श्रेणियों को पांच उपभागों में बांटा जा सकता है-

  1. ट्रांस हिमालय,
  2. महान् हिमालय,
  3. लघु हिमालय,
  4. बाह्य हिमालय तथा
  5. पहाड़ी शाखाएं।

हिमालय पर्वत की मुख्य विशेषता यह है कि ये आज भी ऊंचे उठ रहे हैं।

प्रश्न 3.
पश्चिमी एवं पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-
पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की आपसी तुलना इस प्रकार की जा सकती है —

पश्चिमी मैदान पूर्वी मैदान
(1) इनके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं। (1) पूर्वी तट के मैदानों के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा | पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियां हैं।
(2) इन मैदानों की लम्बाई 1500 कि० मी० और चौड़ाई 30 से 80 कि० मी० है। इन मैदानों में डेल्टाई निक्षेप का अभाव है। (2) इन मैदानों की लम्बाई 2000 कि० मी० है और इनकी औसत चौड़ाई 150 कि० मी० है। ये अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं तथा इनमें जलोढ़ मिट्टी का निक्षेप है।
(3) पश्चिमी मैदानों को धरातलीय विस्तार के आधार पर चार भागों में बांटते हैं-गुजरात का तटीय मैदान, कोंकण का तटीय मैदान, मालाबार तट का मैदान, केरल का मैदान। (3) पूर्वी तटीय मैदान के दो भाग हैं-उत्तरी तटीय मैदान तथा दक्षिण तटीय मैदान। उत्तरी मैदान को उत्तरी सरकार या गोलकुण्डा या काकीनाडा भी कहते हैं। दक्षिण तटीय मैदान को कोरोमण्डल तट भी कहते है।
(4) इन मैदानों में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती हैं। ये डेल्टा बनाने की बजाए ज्वारनदमुख बनाती है। (4) इस मैदान की प्रमुख नदियां महानदी, कावेरी, गोदावरी | तथा कृष्णा हैं।
(5) पश्चिमी मैदान में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है। यह वर्षा दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण होती है। (5) इस मैदान में शरद् ऋतु में वर्षा होती है। यह वर्षा | उत्तर-पूर्वी पवनों के कारण होती है।

 

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प्रश्न 4.
देश के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है —
आकार-रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लम्बाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 100 से 500 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है।
जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अतः टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ।
क्षेत्रीय विभाजन-उत्तरी विशाल मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है —

  1. पंजाब हरियाणा का मैदान- इस मैदान का निर्माण सतलुज, रावी, ब्यास तथा घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से हुआ है। इसमें बारी दोआब, बिस्त दोआब, मालवा का मैदान तथा हरियाणा का मैदान शामिल है।
  2. थार मरुस्थल का मैदान-पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात में स्थित कच्छ की रण तक के इस मैदान को थार मरुस्थल का मैदान कहते हैं।
  3. गंगा का मैदान-गंगा का मैदान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इसे असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के अति उत्तरी भाग सादिया (Sadiya) तक लगभग 640 किलोमीटर तक फैला हुआ है।

प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार एवं धरातलीय रचना क्या है ? ढलान को आधार मानकर इसके उपभागों का विवरण दें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत से लेकर उत्तर-पूर्व में शिलांग के पठार तक फैला हुआ है। दक्षिण में यह त्रिकोणीय आकार में कन्याकुमारी तक विस्तृत है। इस कठोर भू-भाग ने भारत के धरातलीय भाग का 50% भाग अपनी लपेट में लिया हुआ है। इसका क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग कि० मी० है और इसकी औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर तक है।
रचना-प्रायद्वीपीय पठार का जन्म कई करोड़ वर्ष पूर्व प्रीकैम्बरीअन काल में हुआ। यह लावा के ठण्डा होने से बना है। इसकी पर्वत श्रेणियों तथा पठारी भागों में नाईस, क्वार्टज़ तथा संगमरमर जैसी कठोर शैलें पाई जाती हैं।
विभाजन-इसके उत्तरी भाग को मालवा का पठार तथा दक्षिण भाग को दक्कन का पठार कहते हैं। दक्कन के पठार की ढाल दक्षिण पूर्व से उत्तर-पूर्व की ओर है। ___ मालवा का पठार-मालवा के पठार में बनास, चम्बल, केन तथा बेतवा नदियां बहती हैं। इसमें खनिज पदार्थ अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मीटर है। पारसनाथ (1365 मीटर) यहां की सबसे ऊंची चोटी है। मालवा के पठार में पाई जाने वाली तीन श्रेणियां हैं-अरावली श्रेणी, विन्ध्याचल श्रेणी, सतपुड़ा श्रेणी।
दक्कन का पठार-इसकी औसत ऊंचाई 300 से 900 मीटर तक है। इसके धरातल को मौसमी नदियों ने कांटछांट कर सात स्पष्ट भागों में बांटा हुआ है-महाराष्ट्र का टेबल लैंड, दंडकारणय-छत्तीसगढ़ क्षेत्र, तेलंगाना का पठार, कर्नाटक का पठार, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, दक्षिणी पहाड़ी समूह । पश्चिमी घाट की ऊंचाई 1200 मीटर और पूर्वी घाट की 500 मीटर है। दक्षिण भारत की सभी महत्त्वपूर्ण नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं। पश्चिमी और पूर्वी घाट जहां जाकर मिलते हैं, उन्हें नीलगिरि पर्वत कहते हैं। इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी दोदावेटा है, जो 2637 मीटर ऊंची है।
सच तो यह है कि प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों का भण्डार है और इसका भारत की आर्थिकता में बड़ा महत्त्व है।

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प्रश्न 6.
हिमालय व प्रायद्वीपीय पठार के धरातली लक्षणों की तुलना करें व अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5100 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है। इस पठार की औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर तक है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयन्तिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिन्दुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
    इस के विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार। ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  3. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  4. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर नोट लिखो(क) विन्ध्याचल, (ख) सतपुड़ा, (ग) अरावली पर्वत, (घ) सप्तक पठार (ङ) नीलगिरि।
उत्तर-
(क) विन्ध्याचल-विन्ध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है।
(ख) सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ (1350 मी०) तथा अमरकंटक (1127 मी०) ! इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊँचाई 1120 मी० है।
(ग) अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 725 कि० मी० की लम्बाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है।
(घ) सप्तक पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुन्देलखण्ड तथा बघेलखण्ड, पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चाप की तरह है। इस पठार में बनास, चम्बल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसकी तीन पर्वत श्रेणियां हैं- अरावली पर्वत श्रेणी, विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।।
(ङ) नीलगिरि-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं। इनकी औसत ऊंचाई 1220 मी० है।

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प्रश्न 8.
“क्या भारत के अलग-अलग भौतिक अंश आज़ाद इकाइयां हैं तथा एक-दूसरे के पूरक हैं ?” व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं कि भारत की भिन्न-भिन्न भौतिक इकाइयां एक-दूसरे की पूरक हैं। वे देखने में अलग अवश्य लगते हैं, परन्तु उनका अस्तित्व अलग नहीं है। यदि हम उनके जन्म और उनके मिलने वाले प्राकृतिक भण्डारों का अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(क) जन्म-

  1. हिमालय पर्वत का जन्म ही प्रायद्वीपीय पठार के अस्तित्व में आने के पश्चात् हुआ है।
  2. उत्तरी मैदानों का जन्म उन निक्षेपों से हुआ है, जिनके लिए प्रायद्वीपीय पठार तथा हिमालय पर्वत की नदियां उत्तरदायी हैं।
  3. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, दरार घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय के दबाव के कारण ही अस्तित्व में आए हैं।
  4. तटीय मैदानों का जन्म प्रायद्वीपीय घाटों की मिट्टी से हुआ है।

(ख) प्राकृतिक भण्डार-

  1. हिमालय पर्वत बर्फ का घर है। इसकी नदियां जल प्रपात बनाती हैं और इनसे जो बिजली बनाई जाती है, उसका उपयोग पूरा देश करता है।
  2. भारत के विशाल मैदान उपजाऊ मिट्टी के कारण पूरे देश के लिए अन्न का भण्डार है। इसमें बहने वाली गंगा नदी सारे भारत को प्रिय है।
  3. प्रायद्वीपीय पठार में खनिजों का खज़ाना दबा पड़ा है। इसमें लोहा, कोयला, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज़ आदि कई प्रकार के खनिज दबे पड़े हैं, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  4. तटीय मैदान देश को चावल, मसाले, अदरक, लौंग, इलायची जैसे व्यापारिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
    सच तो यह है कि देश की भिन्न-भिन्न इकाइयां एक दूसरे की पूरक हैं और ये देश के आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान देती हैं।

IV. भारत के नक्शे पर दिखाएं:

1. कराकोरम, जस्कर, कैलाश, पीरपंजाल और शिवालिक पर्वतीय श्रेणियां।
2. कोरोमंडल, कोंकण और मालाबार तटवर्ती हिस्से।
3. थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट के रास्ते।
4. जाजीला, नाथुला, जलेपला तथा शिपकी ला दरे।
5. माऊंट आबू, दार्जिलिंग, शिमला, पर्यटन केंद्र।
6. माऊंट एवरेस्ट, नन्दा देवी, कंचनजंगा, माऊँट गाडविन, असटिन।
उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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PSEB 10th Class Social Science Guide धरातल Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारत के प्रायद्वीपीय भाग को देश की प्राकृतिक बनावट का केन्द्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि भारत के प्रायद्वीपीय भाग ने देश के सम्पूर्ण धरातल के निर्माण में योगदान दिया है।

प्रश्न 2.
हिमालय का क्या अर्थ है?
उत्तर-
हिमालय का अर्थ है-हिम (बर्फ) का घर।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय को ‘तिब्बत हिमालय’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ट्रांस हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में है।

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प्रश्न 4.
ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई कितनी है?
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई 6100 मीटर है।

प्रश्न 5.
दून किसे कहते हैं?
उत्तरं-
‘दून’ बाह्य हिमालय में स्थित वे झीलें हैं जो मिट्टी से भर गई हैं।

प्रश्न 6.
हिमालय की पूर्वी शाखाओं की किन्हीं दो प्रमुख ऊंची चोटियों के नाम बताओ।
उत्तर-
दफा बम्म (4578 मी०) तथा सारामती (3926 मी०) हिमालय की पूर्वी शाखाओं की दो प्रमुख चोटियां हैं।

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प्रश्न 7.
विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
माऊंट एवरेस्ट।

प्रश्न 8.
माऊंट एवरेस्ट समुद्रतल से कितनी ऊंची है?
उत्तर-
8848 मी०।

प्रश्न 9.
ब्रह्मपुत्र के मैदान की लम्बाई तथा चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
इस मैदान की लम्बाई 640 किलोमीटर और चौड़ाई 90 से 100 किलोमीटर तक है।

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प्रश्न 10.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर-
कन्याकुमारी।

प्रश्न 11.
नागपुर के पठार की कोई एक विशेषता लिखो।
उत्तर-
लावे से बना यह पठार कटा-फटा है।

प्रश्न 12.
पश्चिमी घाट के दरों के नाम लिखो।
उत्तर-
थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट पश्चिमी घाट के दरें हैं।

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प्रश्न 13.
जोग झरना कहां है और यह कितना ऊंचा है?
उत्तर-
जोग झरना शरावती नदी पर है जिसकी ऊंचाई 250 मीटर है।

प्रश्न 14.
चिलका झील कितनी लम्बी है?
उत्तर-
चिलका झील 70 कि० मी० लम्बी है।

प्रश्न 15.
अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह में कितने-कितने द्वीप हैं?
उत्तर-
अण्डमान द्वीप समूह में 120 तथा निकोबार द्वीप समूह में 18 द्वीप सम्मिलित हैं।

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प्रश्न 16.
कौन-सी नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है?
उत्तर-
नर्मदा।

प्रश्न 17.
भारत के प्रमुख द्वीप समूह कौन-कौन से हैं और ये कहां स्थित हैं?
उत्तर-
(i) भारत के प्रमुख द्वीप समूह अण्डमान तथा निकोबार और लक्षद्वीप हैं।
(ii) ये क्रमशः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित हैं।

प्रश्न 18.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति किस सागर से हुई है?
उत्तर-
टैथीज़।

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प्रश्न 19.
हिमालय पर्वत किस प्रकार के पर्वत हैं?
उत्तर-
युवा मोड़दार।

प्रश्न 20.
हिमालय का अधिकतर भाग कहां फैला है?
उत्तर-
हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में फैला है।

प्रश्न 21.
ट्रांस हिमालय की मुख्य अथवा पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
गॉडविन आस्टिन तथा माऊंट K2 ट्रांस हिमालय अथवा पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊंची चोटियां हैं।

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प्रश्न 22.
भारत की सबसे लंबी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है?
उत्तर-
बृहत् हिमालय।

प्रश्न 23.
हिमालय की कौन-सी श्रेणी शिवालिक कहलाती है?
उत्तर-
बाह्य हिमालय।

प्रश्न 24.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में किस-किस जल प्रवाह प्रणाली का योगदान रहा है?
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों का योगदान है।

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प्रश्न 25.
रावी और ब्यास के मध्य भाग को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
बिस्त दोआब।

प्रश्न 26.
भारत का कौन-सा भू-भाग त्रिभुजाकार है?
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 27.
अरावली पर्वत श्रेणी की माऊंट आबू की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
गुरु शिखर।

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प्रश्न 28.
गोआ से मंगलौर तक का समुद्री तट क्या कहलाता है?
उत्तर-
मालाबार तट।

प्रश्न 29.
कोंकण तट कहां से कहां तक फैला है?
उत्तर-
कोंकण तट दमन से गोआ तक फैला है।

प्रश्न 30.
भारत का कौन-सा भू-भाग सभी प्रकार के खनिजों का विशाल भंडार है?
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ट्रांस हिमालय की लम्बाई ……………. मीटर है।
  2. दफा बम्म तथा …………. हिमालय की पूर्वी शाखाओं की प्रमुख चोटियां हैं।
  3. ……………… विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
  4. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु ……………… है।
  5. थाल घाट, भोर घाट तथा …………. पश्चिमी घाट के रॆ हैं।
  6. चिल्का झील ………… कि०मी० लम्बी है। ।
  7. …………. नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है।
  8. …………… हिमालय भारत की सबसे लम्बी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है।
  9. मालाबार तट का विस्तार गोआ से ………… तक है।
  10. छत्तीसगढ़ का मैदान ………….. द्वारा बना है।

उत्तर-

  1. 6100
  2. सारामती,
  3. माऊंट ऐवरेस्ट,
  4. कन्याकुमारी,
  5. पाल घाट,
  6. 70,
  7. नर्मदा,
  8. बृहत्,
  9. मंगलौर,
  10. महानदी।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई है —
(A) 9848 मी०
(B) 7048 मी०
(C) 8848 मी०
(D) 6848 मी।
उत्तर-
(C) 8848 मी०

प्रश्न 2.
जोग झरना कहां है?
(A) गंगा नदी पर
(B) शरावती नदी पर
(C) यमुना नदी पर
(D) चिनाब नदी पर।
उत्तर-
(B) शरावती नदी पर

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प्रश्न 3.
हिमालय का अधिकतर भाग फैला है —
(A) भारत में
(B) नेपाल में
(C) तिब्बत में
(D) भटान में।
उत्तर-
(C) तिब्बत में

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति हुई है —
(A) टैथीज़ सागर से
(B) अंध महासागर से
(C) हिंद महासागर से
(D) खाड़ी बंगाल से।
उत्तर-
(A) टैथीज़ सागर से

प्रश्न 5.
रावी और व्यास के मध्य भाग को कहा जाता है —
(A) बिस्त दोआब
(B) प्रायद्वीपीय पठार
(C) चज दोआब
(D) मालाबार दोआब।
उत्तर-
(A) बिस्त दोआब

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प्रश्न 6.
भारत का त्रिभुजाकार भू-भाग कहलाता है —
(A) बृहत् हिमालय
(B) भोर घाट
(C) बिस्त दोआब
(D) प्रायद्वीपीय पठार।
उत्तर-
(D) प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 7.
अरावली पर्वत श्रेणी में माऊंट आबू की सबसे ऊंची चोटी है —
(A) K2
(B) गाडविन आस्टिन
(C) गुरु शिखर
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) गुरु शिखर

प्रश्न 8.
कोंकण तट का विस्तार है —
(A) दमन से गोआ तक
(B) मुम्बई से गोआ तक
(C) दमन से बंगलौर तक
(D) मुम्बई से दमन तक।
उत्तर-
(A) दमन से गोआ तक

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प्रश्न 9.
पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है —
(A) गुरु शिखर
(B) वाणुलामाला
(C) कोंकण शिखर
(D) माऊंट K2
उत्तर-
(B) वाणुलामाला

प्रश्न 10.
सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता है —
(A) दक्षिणी विशाल मैदान
(B) पूर्वी विशाल मैदान
(C) उत्तरी विशाल मैदान
(D) तिब्बत का मैदान।
उत्तर-
(C) उत्तरी विशाल मैदान

प्रश्न 11.
अण्डेमान द्वीप समूह में कुल कितने द्वीप हैं?
(A) 120
(B) 150
(C) 18
(D) 130
उत्तर-
(A) 120

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प्रश्न 12.
निकोबार द्वीप समूह में कुल कितने द्वीप हैं —
(A) 30
(B) 18
(C) 28
(D) 20
उत्तर-
(B) 18

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं —

  1. ट्रांस हिमालय को तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है।
  2. हिमालय के अधिकतर स्वास्थ्यवर्धक स्थान बृहत् हिमालय में स्थित हैं।
  3. उत्तरी विशाल मैदान की रचना में कावेरी तथा कृष्णा नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  4. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट नामक स्थित हैं।
  5. विश्व की सबसे अधिक वर्षा मसीनरम (Mansynram) में होती है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✓)

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V. उचित मिलान

  1. जोग झरना — कन्याकुमारी
  2. भारत में हिमालय की सबसे लम्बी और ऊंची शृंखला — बिस्त दोआब
  3. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु — शरावती नदी
  4. रावी और व्यास का मध्य भाग — बृहत् हिमालय।

उत्तर-

  1. जोग झरना — शरावती नदी,
  2. भारत में हिमालय की लम्बी और ऊंची श्रृंखला — बृहत् हिमालय
  3. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु — कन्याकुमारी,
  4. रावी और व्यास का मध्य भाग — बिस्त दोआब।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. ये पर्वत भारत के उत्तर में स्थित हैं। ये एक चाप की तरह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। संसार का कोई भी पर्वत इनसे अधिक ऊंचा नहीं है। इनकी लम्बाई 2400 किलोमीटर और चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  2. हिमालय पर्वत की तीन समानान्तर शृंखलाएं हैं। उत्तरी श्रृंखला सबसे ऊंची है तथा दक्षिणी श्रृंखला सबसे कम ऊंची है। इन शृंखलाओं के बीच बड़ी उपजाऊ घाटियां हैं।
  3. इन पर्वतों की मुख्य चोटियां ऐवरेस्ट, नागा पर्वत, गाडविन ऑस्टिन, नीलगिरि, कंचनजंगा आदि हैं। ऐवरेस्ट संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।
  4. हिमालय की पूर्वी शाखाएं भारत तथा म्यनमार की सीमा बनाती हैं। हिमालय की पश्चिमी शाखाएं पाकिस्तान में हैं। इनके नाम सुलेमान तथा किरथर पर्वत हैं। इन शाखाओं में खैबर तथा बोलान के दर्रे स्थित हैं।

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प्रश्न 2.
भारत के मध्यवर्ती विशाल मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर-भारत का मध्यवर्ती विशाल मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इस मैदान की लम्बाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 100 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक है। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है-

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान,
  2. थार मरुस्थलीय मैदान,
  3. गंगा का मैदान,
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान। भारत की आर्थिक समृद्धि का आधार यही विशाल मैदान है। यहां नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके पूर्वी भागों में खनिज पदार्थों के विशाल भण्डार विद्यमान हैं।

प्रश्न 3.
भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
(1) ये मैदान पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित हैं। (1) ये मैदान पूर्वी घाट तथा खाड़ी बंगाल के बीच स्थित हैं।
(2) ये मैदान बहुत ही असमतल एवं संकुचित हैं। (2) ये मैदान अपेक्षाकृत समतल एवं चौड़ा है।
(3) इस मैदान में कई ज्वारनदमुख और लैगून हैं। (3) इस मैदान में कई नदी डेल्टा हैं।

 

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प्रश्न 4.
किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
(1) उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है।
(2) उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है।
(3) विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं।
(4) विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर नोट लिखो —
1. पश्चिमी घाट
2. पूर्वी घाट।
उत्तर-
1. पश्चिमी घाट- यह दक्षिणी पठार की प्रमुख पर्वत श्रेणी है। यह पर्वत श्रेणी पश्चिमी तट के साथ-साथ ताप्ती नदी से कन्याकुमारी तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊंची चोटी (2,339 मी०) वाणु ला माला है। इस घाट में थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट नामक तीन दर्रे भी हैं।
2. पूर्वी घाट-ये घाट उत्तर में महानदी घाटी से लेकर दक्षिण में नीलगिरि पहाड़ियों तक दक्षिणी पठार के पूर्वी किनारों पर लगभग 800 किलोमीटर लम्बे और 500 मीटर ऊँचे हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी महेन्द्रगिरि (1,500 मीटर) है।

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प्रश्न 6.
ट्रांस हिमालय से क्या भाव है?
उत्तर-
ट्रांस हिमालय (Trans Himalayas)-हिमालय पर्वत की विशाल श्रेणियाँ भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित पामीर की गाँठ (Pamir’s Knot) से उत्तर-पूर्वी दिशा के समानान्तर फैली हुई हैं। इसका अधिकतर भाग तिब्बत में है। इसलिए इन्हें ‘तिब्बत हिमालय’ भी कहा जाता है। इनकी कुल लम्बाई 970 किलोमीटर और चौड़ाई (दोनों किनारों पर) 40 किलोमीटर है परन्तु इसका केन्द्रीय भाग 222 किलोमीटर के लगभग चौड़ा हो जाता है। इनकी औसत ऊँचाई 6100 मीटर है। इसकी मुख्य पर्वतीय श्रेणियाँ जस्कर, कराकोरम, लद्दाख और कैलाश हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र बहुत ऊँची एवं मोड़दार चोटियों तथा विशाल हिमानियों (Glaciers) के लिए प्रसिद्ध है। माऊंट K2 इस क्षेत्र की सबसे ऊँची एवम् पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।

प्रश्न 7.
बृहत् हिमालय के नाम, स्थिति तथा आकार का वर्णन करो।
उत्तर-
बृहत् हिमालय का वर्णन इस प्रकार है

  1. नाम-हिमालय क्षेत्र के इस भाग को हिमाद्रि, आन्तरिक हिमालय या केन्द्रीय हिमालय भी कहा जाता है।
  2. स्थिति-यह उप-भाग पश्चिम में सिन्धु नदी के गहरे गॉर्ज (Gorge) से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी की दिहांग घाटी तक फैली हुई देश की सबसे लम्बी और ऊँची पर्वत श्रृंखला है। इसमें ग्रेनाइट, शिस्ट एवं नाईस जैसी प्राचीन महाकल्प की चट्टानें मिलती हैं।
  3. आकार-इस पर्वत श्रेणी की लम्बाई 2400 किलोमीटर और औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। इसकी चौड़ाई 100 से 200 किलोमीटर तक है।

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प्रश्न 8.
लघु हिमालय पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
लघु हिमालय-लघु हिमालय को हिमाचल या मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इस की औसत ऊँचाई… 3500 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक है। इन श्रेणियों की पहाड़ियाँ 60 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में मिलती है।

  1. श्रेणियाँ-जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल व नागा टिब्बा, हिमाचल में धौलाधार, नेपाल में महाभारत, उत्तराखण्ड में मसूरी और भूटान में थिम्पू इस पर्वतीय भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं।
  2. घाटियाँ-इस भाग में कश्मीर घाटी के कुछ भाग, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, भागीरथी घाटी व मन्दाकिनी घाटी जैसी लाभकारी व स्वास्थ्यवर्द्धक घाटियाँ मिलती हैं।
  3. स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान-इस क्षेत्र में शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि प्रमुख स्वास्थ्य वद्धक व रमणीय केन्द्र है।

प्रश्न 9.
बाह्य हिमालय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बाह्य हिमालय को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय और दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। ये पर्वत श्रेणियाँ लघु हिमालय के समानान्तर दक्षिण में पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हुई हैं। इनकी औसत ऊँचाई 900 से 1200 मीटर तथा चौड़ाई 15 से 50 किलोमीटर तक है। इस क्षेत्र का निर्माण टरशरी युग में हुआ था। इस क्षेत्र में लम्बी व गहरी तलछटी चट्टानें मिलती हैं जिनकी रचना चिकनी मिट्टी, रेत, पत्थर, स्लेट आदि के निक्षेपों द्वारा हुई है जो हिमालय से अपरदन द्वारा इन क्षेत्रों में जमा किया जाता रहा है। इस भाग की प्रसिद्ध घाटियां देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, छोखम्भा, उधमपुर तथा कोटली हैं।

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प्रश्न 10.
हिमालय की पूर्वी तथा पश्चिमी शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. पूर्वी शाखाएँ-इन शाखाओं को पूर्वांचल (Purvanchal) भी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्म’ नदी की दिहांग गॉर्ज से लेकर ये श्रृंखलाएँ भारत और म्यनमार (बर्मा) की सीमा बनाती हुई दो भागों में बंट जाती है

  1. गंगा-ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित शाखाएं बंगलादेश के मैदानों तक पहुंचती हैं जिसमें दफा बम्म, पटकोई बाम, गारी, खांसी, जयन्तिया व त्रिपुरा की पहाड़ियाँ आती हैं।
  2. ये शाखाएं पटकोई बम्म से शुरू होकर नागा पर्वत, बरेल, लुशाई से होती हुई इरावदी के डेल्टे तक पहुंचती है। हिमालय की इन पूर्वी शाखाओं में दफा बम्म (4578 मीटर) और सारामती (3926 मीटर) प्रमुख ऊँची चोटियों हैं।

2. पश्चिमी शाखाएँ-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गाँठ से हिमालय श्रेणियों की आगे दो उप-शाखाएँ बन जाती है। एक शाखा पाकिस्तान के मध्य में से सॉल्ट रेन्ज, सुलेमान व किरथर होती हुई दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में अरब सागर तक पहुँचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान से होकर हिन्दुकुश तथा कॉकेशस पर्वत की श्रृंखला से जा मिलती है।

प्रश्न 11.
उत्तरी विशाल मैदानों की चार धरातलीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदानों की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. समतल मैदान-सम्पूर्ण उत्तरी भारतीय मैदान समतल और सपाट है। इसमें मीलों तक कंकड़-पत्थर दिखाई नहीं पड़ता।
  2. नदियों का जाल-इस सम्पूर्ण मैदानी क्षेत्र में दरियाओं व नदनालों (Choes) का जाल सा बिछा हुआ है। इसके साथ दोआब के क्षेत्रों का निर्माण होता है। पंजाब राज्य का नाम भी पाँच नदियों के बहने के कारण तथा एकसार मिट्टी जमा होने के कारणं पंज-आब से पडा है।
  3. भं-आकार नदियों द्वारा जमा मिट्टियों से निर्मित मैदान जिसमें जलोढ़ पंखे, जलोढ़ीय शंकुओं, सर्प समान घुमाव, दरियाई सीढ़ियाँ, प्राकृतिक बन्ध, बाढ़ के मैदान जैसे भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  4. मैदानी तलछट इन मैदानों के तलछट में चिकनी मिट्टी (clay), बालू, दोमट और सिल्ट ज्यादा मोटाई में मिलती है। चिकनी मिट्टी अर्थात् पाण्डु मिट्टी नदियों के मुहानों के समीप अधिक मिलती है और ऊपरी भागों में बालू की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

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प्रश्न 12.
उत्तरी विशाल मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन करो।
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदोनों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. खादर के मैदान-उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल की नदियों में हर साल बाढ़ों के आने के कारण मृदा की नई तहें बिछ जाती हैं। इन नदियों के आस-पास बाढ़ वाले क्षेत्रों को खादर के मैदान कहा जाता है।
  2. बांगर के मैदान-ये वे ऊँचे मैदानी क्षेत्र हैं जहाँ पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। यहाँ की पुरानी तलछटों में चूने के कंकड़ अधिक मात्रा में मिलते हैं।
  3. भाबर के मैदान-उत्तर भारत में जब दरिया शिवालिक के पहाड़ी प्रदेशों को छोड़कर समतल प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो ये अपने साथ लाई बाल, कंकड़, बजरी, पत्थर व बट्टे आदि के जमाव द्वारा जिन मैदानों का निर्माण करते हैं, उसे भाबर के मैदान कहा जाता है। ऐसे मैदानी क्षेत्रों में छोटी-छोटी नदियों का पानी अक्सर धरती के नीचे बहता है।
  4. तराई के मैदान जब भाबर क्षेत्रों में अलोप हुई नदियों का पानी पुनः धरातल पर निकल आता है तब पानी के इकट्ठे हो जाने के कारण दलदली क्षेत्र (Marshy Lands) बन जाते हैं। इसमें गर्मी व नमी के कारण सघन वन उत्पन्न हो जाते हैं और जंगली जीव-जन्तुओं की भरमार हो जाती है।

प्रश्न 13.
पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो।
उत्तर-

  1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव के कारण बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है।
  2. पाकिस्तान सीमा से लेकर यमुना नदी तक इसकी लम्बाई पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम दिशा में 500 किलोमीटर तथा उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम में 640 किलोमीटर है।
  3. इस मैदान के उत्तरी भाग 300 मीटर तक ऊँचे हैं और दक्षिण पूर्वी भागों की ओर यह ऊँचाई 200 मीटर रह जाती है।
  4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 14.
ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। यह लगभग 640 किलोमीटर लम्बा और 90 से 100 किलोमीटर तक चौड़ा है। इसमें ब्रह्मपुत्र, सेसिरी, दिबांग और लोहित नदियों द्वारा हिमालय पर्वत और इसके आस-पास की पहाड़ी शाखाओं से मृदा लाकर जमा की गई है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
गंगा के मैदान के विभिन्न भौगोलिक पक्षों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गंगा के मैदान के मुख्य भौगोलिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. स्थिति-यह मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल राज्यों में स्थित है। यह पश्चिम में यमुना, पूर्व में बंगलादेश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा, उत्तर में शिवालिक तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी विस्तार के मध्य फैला हुआ है।
  2. नदियाँ-इस मैदान में गंगा, यमुना, घागरा, गण्डक, कोसी, सोन, बेतवा तथा चम्बल नदियां बहती हैं।
  3. भू-आकारीय नाम-गंगा के तराई वाले उत्तरी क्षेत्रों में बनी दलदली पेटियों को ‘कौर’ (caur) कहा जाता है। इसकी दक्षिणी सीमा में बड़े-बड़े खड्ड (Ravines) मिलते हैं जिन्हें ‘जाला’ व ‘ताल’ (Jala & Tal) अथवा बंजर भूमि कहते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त मैदान में पुरानी जमीं बांगर और नई बिछी खादर की जलोढ़ पट्टियों को ‘खोल’ (Khols) कहा जाता है। गंगा और यमुना दोआब में पवनों के निक्षेप द्वारा निर्मित बालू के टीलों को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तथा बिजनौर जिलों में ‘भूर’ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।
  4. ढलान तथा क्षेत्रफल-गंगा के मैदान की ढलान पूर्व की ओर है। 5. विभाजन-ऊँचाई के आधार पर गंगा के मैदानों को अग्रलिखित तीन उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है —
    1. ऊपरी मैदान-इन मैदानों को गंगा-यमुना दोआब भी कहते हैं। इनके पश्चिम में यमुना नदी है तथा 100 मीटर की ऊँचाई तक मध्यम ढाल वाले क्षेत्र इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। रुहेलखण्ड तथा अवध का मैदान भी इन्हीं मैदानों में सम्मिलित है।
    2. मध्यवर्ती मैदान-इस मैदान को बिहार के मैदान या मिथिला (Mithila) मैदान भी कहते हैं, जिसकी ऊँचाई लगभग 50 से 100 मीटर के बीच है। यह घागरा नदी से लेकर कोसी नदी तक 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
    3. निचले मैदान-गंगा के ये मैदानी भाग समुद्र तल से लगभग 50 मीटर ऊंचे हैं। ये राजमहल तथा गारो पर्वत श्रेणियों के मध्य एक समतल डेल्टाई क्षेत्र बनाते हैं। इसके उत्तर में तराई पट्टी के द्वार (Duar) मिलते हैं तथा दक्षिण में विश्व का सबसे बड़ा सुन्दरवन डेल्टा स्थित है।

प्रश्न 2.
पश्चिमी तटीय मैदानों का उसके उपभागों सहित विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तटीय मैदान अरब सागर और पश्चिमी घाट के मध्य, उत्तर से दक्षिण की ओर फैले हुए हैं। ये लगभग 1500 किलोमीटर की लम्बाई तथा 30 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत संकरे मैदान हैं। इनका ढलान दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर है। मैदानों को धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है —
(1) गुजरात तट, (2) कोंकण तट, (3) मालाबार तट, (4) केरल का मैदान।

  1. गुजरात तट-इस तटवर्ती मैदानी भाग में साबरमती, माही, लुनी, बनास, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियों के तलछट के जमाव से कच्छ तथा काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय मैदान और सौराष्ट्र के लम्बवत् मैदानों का निर्माण हुआ है। कच्छ का क्षेत्र अभी भी दलदली तथा समुद्र तल से नीचा है। काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय भाग में लावा युक्त गिर पर्वतीय श्रेणियाँ भी मिलती हैं। यहाँ की गिरनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ चोटी (1117 मीटर) की ऊंचाई सबसे अधिक है। गुजरात का यह तटवर्ती मैदान 400 किलोमीटर लम्बा तथा 200 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी औसत ऊँचाई 300 मीटर है।
  2. कोंकण तट-दमन से लेकर गोआ तक का मैदान कोंकण तट कहलाता है। इसके अधिकतर तटवर्ती भागों में धसने की क्रिया होती रहती है। इसीलिए इस 500 किलोमीटर लम्बे मैदान की पट्टी की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक रह जाती है। इस मैदानी भाग में तीव्र समुद्री लहरों द्वारा बनी संकरी खाड़ियां, आन्तरिक कटाव (Coves) और समुद्री बालू में बीच (Beach) आदि भू-आकृतियां मिलती हैं। थाना की संकरी खाड़ी में प्रसिद्ध मुम्बई द्वीप स्थित है।
  3. मालाबार तट-यह गोआ से लेकर मंगलौर तक लगभग 225 किलोमीटर लम्बा तथा 24 किलोमीटर चौड़ा मैदान है। इसे कर्नाटक का तटवर्ती मैदान भी कहते हैं। यह उत्तर की ओर संकरा परन्तु दक्षिण की ओर चौड़ा है। कई स्थानों पर इसका विस्तार कन्याकुमारी तक भी माना जाता है। इस मैदान में मार्मागोआ, मान्ढवी तथा शेरावती नदियों के समुद्री जल में डूबे हुए मुहाने (Estuaries) मिलते हैं। ..
  4. केरल के मैदान-मंगलौर से लेकर कन्याकुमारी तक 500 किलोमीटर लम्बे, 10 किलोमीटर चौड़े तथा 300 मीटर ऊँचे भाग केरल के मैदान कहलाते हैं। इन में बहुत-सी झीलें (Lagoons) तथा काईल (Kayals) पाये जाते हैं। यहाँ पर वैम्भानद (Vembanad) और अष्टमुदई (Astamudi) झीलों वाले क्षेत्रों में नौकाओं का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग होता है।

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धरातल PSEB 10th Class Geography Notes

  1. भारत का धरातल-भारत का धरातल एक समान नहीं है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा उसकी नदियों द्वारा बने विस्तृत मैदान हैं। देश का दक्षिणी भाग एक पठारीय प्लेट है जो प्राचीन चट्टानों से बना है।
  2. भारत के भौतिक भाग-धरातल के अनुसार भारत को पाँच भागों में बांटा जा सकता है-(1) हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, (2) उत्तरी विशाल मैदान, (3) प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र (4) तटीय मैदान (5) भारतीय द्वीप।
  3. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र- बर्फ से ढका रहने वाला यह पर्वतीय क्षेत्र एक विशाल दीवार की तरह पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में कश्मीर तक फैला हुआ है। ये संसार के सबसे ऊंचे पर्वत हैं। इनकी लम्बाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  4. उत्तरी विशाल मैदान-ये मैदान हिमालय पर्वत और दक्षिणी पठार के बीच फैले हुए हैं। ये मैदान नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने हैं और ये अत्यंत ही उपजाऊ हैं।
  5. प्रायद्वीपीय पठार- यह पठारी भाग भारत का सबसे प्राचीन भाग है जो पहाड़ियों से घिरा है। यह आग्नेय चट्टानों से बना है।
  6. तटीय मैदान-ये मैदान पूर्वी और पश्चिमी घाट के साथ-साथ फैले हुए हैं। पूर्वी तट के मैदान पश्चिमी तट के मैदानों से चौड़े हैं।
  7. भारतीय द्वीप-बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में अनेक भारतीय द्वीप हैं। ये समूहों के रूप में मिलते हैं। इनमें से लक्षद्वीप समूह तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह प्रमुख हैं।
  8. जल प्रवाह अथवा नदियां-जल प्रवाह का अर्थ है-नदियां। भारत की नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है-उत्तरी भारत की नदियां और दक्षिण भारत की नदियां। उत्तरी भारत की नदियां सारा साल बहती हैं, परन्तु दक्षिणी भारत की नदियां केवल वर्षा ऋतु में ही बहती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 5 भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 5 भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 5 भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र

SST Guide for Class 10 PSEB भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखो

प्रश्न 1.
भारत की विदेश नीति का एक मूल सिद्धान्त लिखो।
उत्तर-

  1. गुट-निरपेक्षता की नीति में विश्वास।
  2. पंचशील के सिद्धान्तों में विश्वास।
  3. संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण विश्वास।
  4. साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 2.
पंचशील से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
अप्रैल, 1954 को भारत के प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू और चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने जो पांच सिद्धान्त स्वीकार किए। उन्हें सामूहिक रूप से पंचशील कहते हैं।

प्रश्न 3.
गुट-निरपेक्षता की नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
गुट-निरपेक्षता की नीति से अभिप्राय सैनिक गुटों से अलग रहने की नीति से है।

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प्रश्न 4.
भारत और संयुक्त राज्य में सम्बन्ध बिगड़ने का एक मुख्य कारण लिखो।
उत्तर-
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में सम्बन्ध बिगड़ने का एक मुख्य कारण यह है कि अमेरिका पाकिस्तान को सैनिक सहायता देता रहता है।

प्रश्न 5.
भारत की परमाणु नीति क्या है?
उत्तर-
भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। परंतु हमारी विदेश नीति शांतिप्रियता पर आधारित है। इसलिए भारत की परमाणु नीति का आधार शांतिप्रिय लक्ष्यों की प्राप्ति करना और देश का विकास करना है। वह किसी पड़ोसी देश को अपनी परमाणु शक्ति के बल पर दबाने के पक्ष में नहीं है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध की स्थिति में भी हम परमाणु शक्ति का प्रयोग करने की पहल नहीं करेंगे।

प्रश्न 6.
सुरक्षा परिषद् में स्थायी और अस्थायी सदस्य कितने हैं?
उत्तर-
सुरक्षा परिषद् 5 सदस्य स्थायी तथा 10 सदस्य अस्थायी हैं।

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प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र का जन्म कब हुआ और कितने देश इसके मूल सदस्य थे?
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र का जन्म 24 अक्तूबर, 1945 ई० को हुआ। इसके मूल सदस्य 51 देश थे।

(ख) निम्नलिखित की व्याख्या करो

  1. विश्व शान्ति में भारत की भूमिका
  2. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)
  3. निःशस्त्रीकरण (Disarmament)
  4. महासभा (General Assembly)
  5. भारत-चीन सम्बन्धों में तनाव का मूल कारण।

उत्तर-

  1. भारत ने विश्व-शान्ति को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कार्य किए
    (क) गुट-निरपेक्षता की नीति पर चलते हुए भारत ने सदा आक्रामक शक्तियों की निन्दा की।
    (ख) भारत ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से शान्ति सेनाओं के लिए सैनिक भेजे तथा निःशस्त्रीकरण का समर्थन किया।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं। इसका मुख्य कार्यालय हेग [Hague, हालैण्ड में है। इसका मुख्य कार्य राष्ट्रों के आपसी झगड़ों का निर्णय करना है।
  3. निःशस्त्रीकरण से अभिप्राय शस्त्रों की होड़ को कम करना है। हमने आरम्भ से ही घातक शस्त्रों का विरोध किया है क्योंकि ये विश्व-शान्ति के लिए सदा खतरा रहे हैं।
  4. महासभा-यह एक तरह से संयुक्त राष्ट्र की संसद् है। इसमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्र के पांच प्रतिनिधि होते हैं।
  5. भारत-चीन सम्बन्धों में तनाव का मूल कारण-भारत-चीन सम्बन्धों में तनाव का मूल कारण दोनों देशों में सीमा विवाद है। 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके इस विवाद को और गहन बना दिया।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
पंचशील के सिद्धान्तों का वर्णन करें।
उत्तर-
29 अप्रैल, 1954 को भारत के प्रधानमन्त्री पण्डित नेहरू और चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई की दिल्ली में संयुक्त वार्ता हुई। इस वार्ता में उन्होंने आपसी सम्बन्धों को पांच सिद्धान्तों के अनुसार ढालने का निर्णय लिया। इन्हीं पांच सिद्धान्तों को ‘पंचशील’ कहा जाता है। ये पांच सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. परस्पर प्रभुसत्ता और एकता का आदर।
  2. एक-दूसरे पर आक्रमण न करना।
  3. एक-दूसरे के आन्तरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना।
  4. समानता और परस्पर सहयोग।
  5. शान्तिमय सह-अस्तित्व। पंचशील का मुख्य उद्देश्य विश्व शान्ति को बनाये रखना और मानव जाति को युद्धों के विनाश से बचाना है। चीन के पश्चात् संसार के अन्य देशों ने पंचशील को मान्यता प्रदान की। आज पंचशील भारतीय विदेश नीति का आधार स्तम्भ है।

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प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष नीति का अर्थ और भारत का इसे अपनाने का क्या कारण है?
उत्तर-
गुट-निरपेक्ष नीति भारतीय विदेश नीति के मूल सिद्धान्तों में से एक है।
गुट-निरपेक्षता का अर्थ-गुट-निरपेक्षता का अर्थ है सैनिक गुटों से अलग रहना। इसका यह भाव नहीं है कि हम अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति दर्शक बने रहेंगे बल्कि गुण के आधार पर निर्णय लेने का प्रयास करेंगे। हम अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहेंगे।

भारत द्वारा गुट-निरपेक्ष नीति अपनाने का कारण-भारत की स्वतन्त्रता के समय विश्व दो मुख्य शक्ति गुटोंऐंग्लो-अमरीकन शक्ति गुट और रूसी शक्ति गुट में बंटा हुआ था। विश्व की सारी राजनीति इन्हीं गुटों के गिर्द घूम रही थी और दोनों में शीत युद्ध चल रहा था। नव स्वतन्त्र भारत इन शक्ति गुटों के संघर्ष से दूर रह कर ही उन्नति कर सकता था। इसीलिए पं० नेहरू ने गुट-निरपेक्षता को विदेश नीति का आधार स्तम्भ बनाया।

प्रश्न 3.
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र के छ: अंगों में से एक है। यह संयुक्त राष्ट्र की कार्यपालिका के समान है। इसके कुल 15 सदस्य हैं। इनमें से पांच स्थायी सदस्य और दस अस्थायी सदस्य हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस, चीन और फ्रांस इसके स्थायी सदस्य हैं। इन्हें वीटो का अधिकार है। वीटो से अभिप्राय यह है कि यदि इनमें से कोई भी एक सदस्य किसी प्रस्ताव का विरोध करता है तो वह प्रस्ताव रद्द हो जाता है। सुरक्षा परिषद् के मुख्य कार्य हैं

  1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बनाए रखना।
  2. राष्ट्रों के परस्पर झगड़ों को शान्तिपूर्वक सुलझाना।
  3. महासचिव के पद के लिए सिफ़ारिश करना।
  4. संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए नए राष्ट्रों की सिफ़ारिश करना।

प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
भारत संयुक्त राष्ट्र के 51 मूल सदस्यों में से एक है। आरम्भ से ही भारतीय नेताओं ने इस महान् संस्था में अपनी आस्था रखी है और इस देश ने निम्नलिखित ढंग से संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में क्रियाशील भूमिका निभाई है

  1. भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर 1950 में उप-निवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध महासभा में प्रस्ताव पास करवाया।
  2. भारत ने मिस्र, कांगो, कोरिया तथा हिन्द-चीन के देशों में हुए युद्धों में संयुक्त राष्ट्र के शान्ति प्रयासों में सहयोग दिया।
  3. नस्ली भेदभाव और रंगभेद के सन्दर्भ में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध आवाज़ उठाई और उसके विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध में भाग लिया।
  4. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से प्रत्येक उस देश के विरुद्ध आवाज़ उठाई जिसने मानव अधिकारों का उल्लंघन करने का प्रयास किया।
  5. विश्व में आतंकवाद की समाप्ति की प्रक्रिया में भारत संयुक्त राष्ट्र के साथ है।

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प्रश्न 5.
भारत और संयुक्त राष्ट्र अमरीका के परस्पर सम्बन्धों का संक्षेप में नोट लिखो।
उत्तर-
भारत का संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धान्तों में पूर्ण विश्वास है। हमने संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक अंग और विशेष एजेंसियों के कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत संयुक्त राष्ट्र को विश्व-शान्ति का रक्षक मानता है। इसलिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सैनिक सहायता प्रत्येक सम्भव ढंग से की है। भारत ने सदा संयुक्त राष्ट्र में इस बात पर जोर दिया है कि वह राजनीतिक मामलों तक ही अपने को सीमित न करे, बल्कि मानव की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं को सुलझाने का भी प्रयास करे। ऐसी समस्याओं को सुलझाने में भारत ने संयुक्त राष्ट्र को आर्थिक सहायता और पूरा सहयोग दिया है। 22 दिसम्बर, 1994 को भारतीय संसद् के दोनों सदनों ने एक प्रस्ताव पास कर संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की वचनबद्धता को दोहराया है।

प्रश्न 7.
भारत पाकिस्तान सम्बन्ध तथा इनके बीच तनाव के मुख्य तीन कारणों पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भारत-पाक सम्बन्ध आरम्भ से ही तनावपूर्ण तथा शत्रुतापूर्ण रहे हैं। इनके बीच तनाव का मुख्य कारण
कश्मीर समस्या है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। परन्तु पाकिस्तान इस प्रदेश पर अपना दावा जताता रहता है। 1999 में पाकिस्तान तथा भारत के बीच कारगिल युद्ध के कारण तनाव और अधिक बढ़ गया। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान, सीमा पार से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। ये एक अच्छे पड़ोसी के लक्षण नहीं हैं। भारत आज भी पाकिस्तान से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना चाहता है और इसके लिए प्रयास कर रहा है। परन्तु यह तभी सम्भव हो सकता है, जब पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समाप्त करे और युद्ध-विराम की शर्तों का पालन करें।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक कारण बताइए।
उत्तर-
पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा जताता रहता है, जबकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
अथवा
पाकिस्तान द्वारा विदेशी सहायता से शस्त्रों का भण्डार भी दोनों देशों के मध्य तनाव का एक कारण है।

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प्रश्न 2.
भारत की वर्तमान विदेश नीति के संस्थापक कौन थे?
उत्तर-
पं० जवाहर लाल नेहरू।

प्रश्न 3.
भारत की विदेश नीति का एक मूल सिद्धान्त बताओ।
उत्तर-
गुट निरपेक्षता।

प्रश्न 4.
पंचशील के सिद्धान्तों को कब अपनाया गया?
उत्तर-
29 अप्रैल, 1954 को।

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प्रश्न 5.
पंचशील का समझौता किन दो नेताओं के बीच हुआ?
उत्तर-
पंचशील का समझौता भारत के प्रधानमन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू तथा चीन के प्रधानमन्त्री चाउ-एन-लाई के बीच हुआ।

प्रश्न 6.
पंचशील के सिद्धान्तों को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में मान्यता कब दी गई?
उत्तर-
14 दिसम्बर, 1959 को।

प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पंचशील के सिद्धान्तों को मान्यता देने वाले देशों की संख्या कितनी थी?
उत्तर-
82.

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प्रश्न 8.
सार्क (दक्षेस) की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
7 दिसम्बर, 1985 को।

प्रश्न 9.
‘दक्षेस’ का पूरा नाम क्या है?
उत्तर-
दक्षेस का पूरा नाम है दक्षिण-एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन।

प्रश्न 10.
भारत ने पोखरन (राजस्थान) में परमाणु धमाका (प्रयोग) कब किया?
उत्तर-
1974 में।

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प्रश्न 11.
भारत ने राष्ट्रमण्डल की सदस्यता कब ग्रहण की थी?
उत्तर-
17 मई, 1945 को।

प्रश्न 12.
आजकल राष्ट्रमण्डल के सदस्यों की संख्या कितनी है?
उत्तर-
49.

प्रश्न 13.
भारत के दो पड़ोसी देशों के नाम बताओ जो परमाणु शक्ति सम्पन्न हैं।
उत्तर-
चीन तथा पाकिस्तान।

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प्रश्न 14.
भारत की स्वतन्त्रता के समय विश्व कौन-कौन से दो शक्ति गुटों में बंटा हुआ था?
उत्तर-
भारत की स्वतन्त्रता के समय विश्व ऐंग्लो-अमेरिकन शक्ति गुट तथा रूसी शक्ति गुट में बंटा हुआ था।

प्रश्न 15.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब-से-कब तक चला?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध 1939 से 1945 तक चला।

प्रश्न 16.
संयुक्त राष्ट्र का चार्टर कब और कहां स्वीकार किया गया?
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र का चार्टर सानफ्रांसिसको में 26 जून, 1945 को स्वीकार किया गया।

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प्रश्न 17.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
24 अक्तूबर, 1945 को।

प्रश्न 18.
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को कितने देशों के प्रतिनिधियों ने स्वीकार किया?
अथवा
स्थापना के समय संयुक्त राष्ट्र के कितने सदस्य थे?
उत्तर-
51.

प्रश्न 19.
आज (2017) संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की लगभग संख्या कितनी है?
उत्तर-
195.

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प्रश्न 20.
संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों ( 5) को क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं?
उत्तर-
वीटो।

प्रश्न 21.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल कितने न्यायाधीश होते हैं?
उत्तर-
15.

प्रश्न 22.
संयुक्त राष्ट्र के सचिवालय के अध्यक्ष को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
महासचिव।

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प्रश्न 23.
भारत ने महासभा में दक्षिणी अफ्रीका द्वारा नस्ली भेदभाव का त्याग करने संबंधी प्रस्ताव कब पेश किया?
उत्तर-
1962 में।

प्रश्न 24.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने मानव अधिकारों की सर्वव्यापी घोषणा कब की?
उत्तर-
10 दिसम्बर, 1948 को।

प्रश्न 25.
भारत की श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र की सभा में प्रथम महिला प्रधान कब चुनी गई?
उत्तर-
1954 में।

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प्रश्न 26.
बांग्लादेश कब और किस युद्ध के परिणामस्वरूप बना?
उत्तर-
बांग्लादेश 1971 में भारत-पाक युद्ध के परिणामस्वरूप बना।

प्रश्न 27.
भारत ने किस परमाणु सन्धि पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है?
उत्तर-
परमाणु अप्रसार संधि ।

प्रश्न 28.
चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1949 में।

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प्रश्न 29.
भारत-चीन युद्ध कब हुआ?
उत्तर-
1962 में।

प्रश्न 30.
नेहरू-लियाकत अली समझौता कब हुआ?
उत्तर-
1960 में।

प्रश्न 31.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक देशों के नाम बताइए।
उत्तर-
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक राष्ट्र हैं-भारत, युगोस्लाविया तथा मिस्री

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प्रश्न 32.
सुरक्षा परिषद् का एक महत्त्वपूर्ण कार्य बताओ।
उत्तर-
विश्व शान्ति और सुरक्षा में योगदान देना।

प्रश्न 33.
मानव अधिकारों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
मनुष्य की सामाजिक प्रकृति में निहित अधिकारों को मानव अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 34.
निःशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
मानव जाति को सर्वनाश से बचाने के लिए।

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II. रिक्त स्थानों की पर्ति

  1. सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या ………..
  2. सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों की संख्या ………… है।
  3. संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म …………… को हुआ।
  4. संयुक्त राष्ट्र के मूला सदस्यों की संस्था :……….. थी।
  5. भारत की वर्तमान विदेश नीति के संस्थापक …………… थे।
  6. आज संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों की संख्या ……….. है।
  7. संयुक्त राष्ट्र में निषेधाधिकार अथवा वीटो का अधिकार संस्था के ………….. सदस्यों को प्राप्त है।
  8. भारत-चीन युद्ध………… में हुआ।

उत्तर-

  1. 5,
  2. 10;
  3. 24 अक्टूबर, 1945,
  4. 51,
  5. पं० जवाहरलाल नेहरू,
  6. 195,
  7. स्थायी,
  8. 1962।

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में कौन-सा सिद्धान्त भारत की विदेश नीति का नहीं है?
(A) परमाणु शस्त्रों में वृद्धि
(B) संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण विश्वास
(C) पंचशील के सिद्धांतों में विश्वास
(D) साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद का विरोध ।
उत्तर-
(A) परमाणु शस्त्रों में वृद्धि

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य नहीं है?
(A) रूस
(B) चीन
(C) भारत
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका।
उत्तर-
(C) भारत

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प्रश्न 3.
बंगलादेश की स्थापना कब हुई?
(A) 1969
(B) 1971
(C) 1973
(D) 1975
उत्तर-
(B) 1971

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा देश परमाणु शक्ति है?
(A) भारत
(B) चीन
(C) पाकिस्तान
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल न्यायाधीश हैं
(A) 15
(C) 11
(B) 10
(D) 25
उत्तर-
(A) 15

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IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में छः स्थायी सदस्य देश हैं।
  2. भारत सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है।
  3. 26 जनवरी, 1950 को पंचशील के सिद्धान्तों को अपनाया गया।
  4. भारत ने राष्ट्रमण्डल की सदस्यता 17 मई, 1945 को ग्रहण की।
  5. भारत पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने में विश्वास रखता है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✗),
  4. (✓),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

  1. गुट-निरपेक्षता — भारत, यूगोस्लाविया तथा मित्र
  2. महासचिव — चीन, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान
  3. गुट-निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक राष्ट्र — भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धान्त
  4. भारत के पड़ोसी राष्ट्र — संयुक्त राष्ट्र के सचिवालय का अध्यक्ष

उत्तर-

  1. गुट-निरपेक्षता — भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धान्त,
  2. महासचिव — संयुक्त राष्ट्र के सचिवालय का अध्यक्ष,
  3. गुट-निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक राष्ट्र — भारत, यूगोस्लाविया तथा मिस्र,
  4. भारत के पड़ोसी राष्ट्र — चीन, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अब भारत को सुरक्षा की अधिक आवश्यकता क्यों है? दो तर्क दें।
उत्तर-
प्राचीन काल में भारत की सीमाओं की रक्षा करना अपेक्षाकृत सरल था। उत्तर में स्थित हिमालय एक दीवार का कार्य करता था। दक्षिण में समुद्र भारत की रक्षा करता था। परन्तु अब न तो ऊंचे पर्वत और न ही विशाल समुद्र देश की रक्षा में कोई योगदान दे सकते हैं। आज विज्ञान की उन्नति के कारण पहाड़ और समुद्र बाधा नहीं रहे। इसलिए भारत की सीमाओं की रक्षा करना आवश्यक हो गया है। दूसरे, कुछ पड़ोसी देशों से हमारे अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं। हमें उनसे अपनी रक्षा करनी है। इसलिए भारत को सुरक्षा की अधिक आवश्यकता है।

प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण अंगों के नाम लिखें। प्रत्येक अंग का एक महत्त्वपूर्ण कार्य बताइए।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र के चार महत्त्वपूर्ण अंग हैं-साधारण सभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् तथा अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय।
कार्य —

  1. साधारण सभा सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों का चुनाव करती है।
  2. सुरक्षा परिषद् अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा की व्यवस्था करती है।
  3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् मानव जाति की आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास करती है।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय सदस्य राष्ट्रों के बीच झगड़ों पर विचार करता है।

प्रश्न 3.
भारत-पाक सम्बन्धों में सुधार के कुछ उपाय बताओ।
उत्तर-
भारत-पाक सम्बन्धों में दोनों देशों के सामान्य हितों को बढ़ावा देकर निश्चित रूप से सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित पग उठाने होंगे —

  1. दोनों देशों में व्यापार सम्बन्धों को मजबूत बनाया जाए।
  2. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक आदान-प्रदान किया जाए।
  3. दोनों देशों में खेल–सम्बन्धों को सुदृढ़ किया जाए। यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि ये उपाय तभी सफल हो सकते हैं, जब पाकिस्तान आतंकवाद का दामन छोड़ें।

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प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई थी? इसके उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्तूबर, 1945 को हुई। इसके आरम्भिक सदस्यों की संख्या 51 थी। परन्तु आज इनकी संख्या 195 हो गई है। भारत इसके आरम्भिक सदस्यों में से एक है।
उद्देश्य-संयुक्त राष्ट्र का अपना संविधान है, जिसे चार्टर कहते हैं। चार्टर में संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि इन उद्देश्यों की पूर्ति किस प्रकार की जाएगी। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं —

  1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना करना।
  2. राष्ट्रों के बीच अच्छे सम्बन्धों को बढ़ावा देना। ये सम्बन्ध समानता तथा आपसी सहयोग पर आधारित होंगे।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाना।

प्रश्न 5.
I.L.O., UNESCO, F.A.O. तथा W.H.0. के पूरे नाम लिखो। इनमें से किन्हीं दो संगठनों के कार्य लिखो।
उत्तर-
I.L.O., UNESCO, F.A.O. तथा W.H.O. संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट समितियां हैं।

  1. I.L.O. — इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) है। इसका कार्य श्रमिकों के काम की दशाओं में सुधार लाना है। यह संगठन इस बात का भी प्रयास करता है कि श्रमिकों को कुछ न्यूनतम अधिकार प्राप्त हों।
  2. UNESCO — इसका पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (The U.N. Educational, Scientific and Cultural Organisation) है। यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  3. F.A.O. — इसका पूरा नाम खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agricultural Organisation) है। विश्वभर में यह कृषि के विकास तथा खाद्यान्न पूर्ति के कार्य करता है।
  4. W.H.O. — इसका पूरा नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) है। विश्व भर में स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य इसका विशेष उत्तरदायित्व है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखो
(क) सार्क
(ख) निषेधाधिकार।
उत्तर-
(क) सार्क-सार्क का पूरा नाम है-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन। हिन्दी में इसका संक्षिप्त नाम है-दक्षेस। यह दक्षिण एशिया के विकासशील देशों का संगठन है। इसके प्रमुख सदस्य भारत, पाकिस्तान, बांग्ला देश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका तथा मालदीव हैं। इन देशों की संस्कृति तथा आर्थिक समस्याओं में कई समानताएं पाई जाती हैं। इन्हीं समानताओं के कारण ही ये राष्ट्र आपस में संगठित हुए हैं। ये आपसी सहयोग से अपना विकास करना चाहते हैं।
(ख) निषेधाधिकार-निषेधाधिकार (वीटो) सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्यों (संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस तथा चीन) को प्राप्त है। सुरक्षा परिषद् के सभी महत्त्वपूर्ण निर्णयों पर इन पांचों सदस्यों की सहमति होना अनिवार्य है। यदि इनमें से एक भी सदस्य किसी निर्णय का विरोध करता है, तो उस निर्णय को रद्द माना जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 5 भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र

प्रश्न 7.
भारत की विदेश नीति की छः विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
भारत की विदेश नीति की निम्नलिखित छ: विशेषताएं हैं —

  1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा के लिए प्रयास करना।
  2. उपनिवेशों की जनता के लिए आत्म-निर्णय के अधिकार का समर्थन करना।
  3. जातिवाद का विरोध करना।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शान्तिपूर्ण ढंग से निपटारा करना।
  5. संयुक्त राष्ट्र तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग करना।
  6. गुट-निरपेक्षता की नीति का अनुसरण करना तथा विश्व के सैनिक गुटों से दूर रहना।

प्रश्न 8.
भारत-चीन सम्बन्धों के सकारात्मक पहलू बताओ।
उत्तर-

  1. सीमा विवाद को आपसी बातचीत द्वारा हल करने का प्रयास किया जा रहा है।
  2. एक समझौते के अनुसार दोनों देश आपस में आर्थिक सहयोग तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर वचन बद्ध हैं।
  3. विश्व शांति सम्मेलनों में दोनों देशों के प्रतिनिधि एक-दूसरे का भरोसा जीतने का प्रयास करते रहते हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 5 भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र

भारत की विदेश नीति तथा संयुक्त राष्ट्र PSEB 10th Class Civics Notes

  • विदेश नीति का अर्थ तथा उद्देश्य-विदेश नीति से अभिप्राय उस नीति से है जो कोई देश दूसरे देशों के प्रति तथा प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति अपनाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश की प्रतिरक्षा तथा विश्व शान्ति को बनाए रखना है।
  • भारत की विदेश नीति के आधार-भारत की विदेशी नीति का मुख्य आधार गुटनिरपेक्षता है। इसका अर्थ है कि भारत विश्व के सैनिक गुटों से दूर रहता है। हमारी विदेश नीति के आधार हैं-संयुक्त राष्ट्र से सहयोग तथा पड़ोसी राष्ट्रों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना।
  • गुट-निरपेक्ष आन्दोलन-गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के आरम्भिक सदस्य भारत, यूगोस्लाविया तथा मिस्र थे। भारत के प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर ने गुट-निरपेक्षता की नीति का समर्थन किया। परन्तु आज इस नीति को अपनाने वाले देशों की संख्या बहुत अधिक हो गई है और इस नीति ने एक शक्तिशाली आन्दोलन का रूप धारण कर लिया है। इसी कारण गुट-निरपेक्ष देशों के समूह को ‘तृतीय विश्व’ या ‘तीसरी दुनिया’ कह कर पुकारा जाता है।
  • भारत तथा उसके पड़ोसी देश-हमारे मुख्य पड़ोसी देश पाकिस्तान, चीन, बांग्ला देश तथा श्रीलंका हैं। हमारे अन्य पड़ोसी भृटान, नेपाल तथा बर्मा (म्यनमार) हैं। भारत इनके साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित करना चाहता है। परन्तु इनके साथ हमारे सम्बन्धों के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं।
  • भारत तथा पाकिस्तान-पाकिस्तान के साथ हमारे सम्बन्ध कभी भी सद्भावनापूर्ण नहीं रहे। इसके मुख्य कारण हैं-प्रथम, भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है, जबकि पाकिस्तान एक इस्लामी राज्य है। द्वितीय, कश्मीर के मामले पर दोनों देशों में मतभेद हैं।
  • भारत तथा चीन-1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण के पश्चात् भारत-चीन सम्बन्धों में कटुता आ गई। आज सीमा पर चीन की घुसपैठ के प्रयासों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
  • भारत-बांग्ला देश सम्बन्ध-दोनों देशों में सीमावाद, बांग्ला शरणार्थियों की भारत में घुसपैठ की समस्या तथा फरक्का बांध की समस्या तनाव के कारण थे। परन्तु 1996 में गंगा जल के बंटवारे पर हुए समझौते के पश्चात् दोनों देशों में सहयोग की आशा बढ़ गई।
  • पंचशील-पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने विश्व शान्ति के लिए पांच सिद्धान्त बनाए। इसे पंचशील का नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के बीच सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ाना है ताकि उनकी प्रभुसत्ता और अखण्डता बनी रहे।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत के साथ अमेरिका के सम्बन्धों में उतार-चढ़ाव आता रहा है। तनाव का एक मुख्य कारण है–भारत द्वारा “परमाणु अप्रसार” सन्धि पर हस्ताक्षर न करना, क्योंकि यह सन्धि भेदभावपूर्ण है। फिर भी संयुक्त राज्य अमेरिका भारत को आर्थिक सहायता देने वाला प्रमुख देश है।
  • भारत और रूस-रूस के साथ भारत के सम्बन्ध सदा ही अच्छे रहे हैं। यह देश भारत को हर पक्ष में सहयोग देता रहा है। हमारी स्वतन्त्रता तथा हमारे आर्थिक विकास में रूस का अत्यधिक योगदान रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र-संयुक्त राष्ट्र की स्थापना (24 अक्तूबर, 1945) युद्धों को रोकने तथा विश्व शान्ति बनाए रखने के लिए हुई। इसके छ: अंग तथा इसकी विशिष्ट समितियां विश्व-शान्ति, जनकल्याण तथा पिछड़े राष्ट्रों के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
  • भारत तथा संयुक्त राष्ट्र भारत की संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों में पूरी आस्था है। इसलिए भारत की विदेश नीति का एक लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र को विश्व शान्ति की स्थापना तथा विवादों को आपसी बातचीत द्वारा सुलझाने में समर्थन देना भी है। इस प्रकार भारत संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से विश्व शान्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 गर्भावस्था

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 9 गर्भावस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 9 गर्भावस्था

PSEB 10th Class Home Science Guide गर्भावस्था Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्भावस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
गर्भावस्था गर्भ धारण करने से लेकर जन्म तक के समय को कहा जाता है जोकि साधारणतया 280 दिन का होता है। परन्तु कई बार कई कारणों से यह समय कमसे-कम 190 तथा अधिक-से-अधिक 330 दिन भी हो सकता है। बच्चे के वि स की दृष्टि से यह समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस समय एक अण्डकोश से ही वह पूर्ण मानवीय जीव के रूप में विकसित होता है।

प्रश्न 2.
गर्भ के समय को हम कितने तथा कौन-से भागों में बांट सकते हैं?
उत्तर-
गर्भ धारण से लेकर जन्म तक की अवस्था को गर्भावस्था कहा जाता है। हम इस समय को तीन भागों में बांट सकते हैं। गर्भ समय में बच्चा एक अण्डकोश से पूर्ण मानवीय जीव के रूप में विकसित होता है।

  1. अण्डे की अवस्था (Ovum Stage) समय-गर्भधारण से दो सप्ताह तक
  2. एम्ब्रियो की अवस्था (Embryo Stage) समय-दूसरे सप्ताह से शुरू होकर दूसरे महीने के अन्त तक।
  3. भ्रूण की अवस्था (Foetus Stage) समय-तीसरे माह से आरम्भ होकर बच्चे के जन्म तक।

प्रश्न 3.
अण्डे की अवस्था से आप क्या समझते हैं तथा यह कितनी देर की होती है?
उत्तर-
अण्डे की अवस्था (ओवम अवस्था) का समय गर्भ आरम्भ होने से दो सप्ताह तक गिना जाता है। इस काल के दौरान इसमें कोई ज्यादा परिवर्तन नहीं आता। इस समय के दौरान यह अपनी जर्दी पर जीवित रहता है। इस समय यह फैलोपियन ट्यूब से बच्चेदानी में पहुंचता है तथा अपने आपको बच्चेदानी की दीवार के साथ जोड़कर मां के आहार पर निर्भर हो जाता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 गर्भावस्था

प्रश्न 4.
भ्रूण की पूर्व अवस्था से आप क्या समझते हैं तथा यह कितनी देर की होती है?
उत्तर-
यह अवस्था गर्भ के दूसरे सप्ताह से आरम्भ होकर दूसरे माह के अंत तक चलती है। पहले माह में एम्ब्रियो में रक्त पहुंचाने के लिए छोटी-छोटी रगें बनती हैं। इस काल में बच्चे के शारीरिक विकास में बहुत तीव्र गति से वृद्धि होती है। इस अवस्था के अन्त में एम्ब्रियो मानवीय जीव का रूप धारण कर लेता है।

प्रश्न 5.
प्लेसैंटा क्या होता है?
उत्तर-
जहां अण्डा अपने आपको बच्चेदानी से जोड़ देता है वहां पर ही प्लेसेंटा बनने लग जाता है तथा होने वाले बच्चे को मां के शरीर से खुराक पहुंचाता है। यह एक ओर बच्चेदानी तथा दूसरी ओर बच्चे की नाभिनाल से जुड़ा होता है।

प्रश्न 6.
नाभिनाल से आप क्या समझते हैं? गर्भ के दौरान इसका क्या कार्य है?
अथवा
नाभिनाल क्या है?
उत्तर-
नाभिनाल एक ओर एम्ब्रियो के पेट की दीवार से तथा दूसरी ओर प्लेसैंटा से जुड़ा होता है। यह रस्सी की बनावट का होता है। गर्भ के अन्त तक यह 10 से 20 इंच तक हो जाता है। नाभिनाल द्वारा एम्ब्रियो का मल-मूत्र छनकर प्लेसैंटा द्वारा मां के रक्त की नलियों में चला जाता है तथा मां के शरीर द्वारा बाहर आ जाता है।

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प्रश्न 7.
ऐमनियोटिक सैक का गर्भ समय क्या कार्य होता है?
उत्तर-
ऐमनियोटिक सैक एम्ब्रियो के समय बढ़ता है। यह एक थैली जैसा होता है। इसमें एक लेसदार तरल पदार्थ होता है जिसमें बच्चा रहता है। यह तरल पदार्थ बच्चे को चोट लगने से बचाता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 8.
भ्रूण के बढ़ने से किन-किन सहायक अंगों का ढांचा तैयार होता है?
अथवा
एम्ब्रियो के बढ़ने में कौन-कौन से सहायक अंग काम करते हैं? बताएं।
अथवा
एम्ब्रियो के बढ़ने से कौन-कौन से सहायक अंग बन जाते हैं?
उत्तर-
गर्भ अवस्था दौरान एम्ब्रियो के बढ़ने का समय दूसरे सप्ताह से लेकर दूसरे माह के अन्त तक होता है। पहले माह में एम्ब्रियो में रक्त पहुंचाने वाली छोटी-छोटी नसों का विकास होता है, इस दौरान बच्चे की वृद्धि तेज़ी से होती है। इस समय दौरान एम्ब्रियो मानवीय जीव का रूप धारण कर लेता है। एम्ब्रियो के अपने बढ़ने के साथसाथ इस समय दौरान विशेष सहायक अंगों का ढांचा भी तैयार हो जाता है जिसको प्लेसैंटा, नाभिनाल तथा ऐमनियोटिक सैक कहा जाता है। यह विशेष ढांचा पैदा होने तक बच्चे को खुराक पहुंचाने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 9.
भ्रूण की अवस्था कितनी लम्बी होती है तथा इस दौरान भ्रूण में क्याक्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-
गर्भ की तीसरी तथा सबसे लम्बी अवस्था भ्रूण की होती है। यह तीसरे माह से आरम्भ होकर बच्चे के जन्म तक चलती है। इस अवस्था में नए अंग नहीं बनते परन्तु एम्ब्रियो अवस्था के समय के बने हुए अंगों का विकास होता है। तीसरे माह तक भ्रूण की लम्बाई तीन इंच हो जाती है। पांचवें माह तक बच्चे के सभी अंग मनुष्य की तरह विकास करने लगते हैं। मां को पेट में बच्चे की हरकत अनुभव होने लगती है। सातवें माह में बच्चा पूरा मानवीय जीव के रूप में होता है। इसकी चमड़ी लाल होती है। जन्म के समय तक बच्चे की लम्बाई 19-20 इंच हो जाती है तथा साधारण बच्चे का भार 7 पौंड के लगभग होता है।

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प्रश्न 10.
कौन-कौन से कारक भ्रूण की वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं ?
उत्तर-
इस प्रश्न के उत्तर के लिए देखें प्रश्न नम्बर 12 में से भ्रूण की वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारक वाला भाग लिखें।

प्रश्न 11.
गर्भ के समय की आम तकलीफें कौन-कौन सी होती हैं?
अथवा
गर्भ के समय की तीन तकलीफों के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 12.
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की अवस्था से आप क्या समझते हो ? भ्रूण की वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भ्रूण की अवस्था-गर्भ की तीसरी तथा सबसे लम्बी अवस्था भ्रूण की होती है। यह तीसरे माह से आरम्भ होकर बच्चे के जन्म तक चलती है। इस अवस्था में नए अंग नहीं बनते, परन्तु एम्ब्रियो की अवस्था के समय बने हुए अंगों का विकास होता है। तीसरे माह तक भ्रूण की लम्बाई तीन इंच हो जाती है। गर्भ की इस अवस्था में पांचवें माह तक भीतर के सभी अंग बड़े मनुष्य के समान ही बनने लगते हैं तथा मां अपने शरीर में बच्चे की हरकतें अनुभव करने लगती है। सातवें माह तक बच्चा पूरा मानवीय जीव के रूप में आ जाता है। जन्म के समय बच्चे की लम्बाई 19-20 इंच तथा भार 7 पौंड के लगभग हो जाता है।
भ्रूण की वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारक जन्म के समय प्रत्येक बच्चे की लम्बाई तथा भार अलग-अलग होता है। इसके बहुतसे कारण हैं जो गर्भावस्था के समय बच्चे के विकास पर प्रभाव डालते हैं-

  1. मां का पोषण – गर्भावस्था दौरान बच्चे को भोजन मां से मिलता है। मां की खुराक का प्रभाव भ्रूण के विकास पर पड़ता है। इसलिए आवश्यक है कि मां आवश्यकता अनुसार सन्तुलित भोजन ले ताकि बच्चे को खुराक के सभी आवश्यक तत्त्व मिल जाएं।
  2. मां-बाप की आयु – खोज द्वारा यह बात सिद्ध हो चुकी है कि बच्चे को जन्म देने के लिए मां की सबसे अच्छी आयु 21 से 35 वर्ष तक है। इससे बड़ी या छोटी आयु की मां ऐसे बच्चों को जन्म देती है जिनमें कई कमियां रह सकती हैं।
  3. मां का स्वास्थ्य – मां के स्वास्थ्य का भ्रूण की वृद्धि से सीधा सम्बन्ध है। यदि मां किसी छूत की बीमारी से पीड़ित हो या किसी भयानक बीमारी की पकड़ में हो तो बच्चा अन्धा, गूंगा या बहरा हो सकता है तथा रोगी भी। मां के एड्स या एच० आई० वी० पोज़ीटिव का शिकार होने पर यह रोग बच्चे में भी जा सकता है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं।
  4. नशीले पदार्थों का सेवन-यदि गर्भावस्था के समय मां सिगरेट, शराब आदि का सेवन करे तो बच्चा मानसिक तौर पर रोगी हो सकता है तथा उसके दिल की धड़कन भी सामान्य बच्चों से तीव्र होती है।
  5. माता-पिता का दृष्टिकोण-यदि मां गर्भावस्था में बच्चे के लिंग प्रति ज्यादा चिन्ताग्रस्त रहे तो बच्चे की शारीरिक तथा मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, उसका विकास रुक जाता है तथा बच्चे में जन्म के साथ ही शारीरिक तथा मानसिक विकार पैदा हो जाते हैं।
  6. आर० एच० तत्त्व – जिस मनुष्य में आर० एच० तत्त्व होता है उसको आर० एच० पोज़ीटिव (RH+) कहते हैं। जिसमें यह तत्त्व नहीं होता उसको आर० एच० नैगिटिव (RH) कहते हैं। यदि मां तथा पिता के आर० एच० मेल न खाते हों तो सम्भव है कि बच्चे तथा मां का आर० एच० तत्त्व अलग हो सकता है। आर० एच० तत्त्व अलग होने पर रक्त में लाल कण नष्ट होने के कारण बच्चा अनीमिया का शिकार हो सकता है या जन्म के तुरन्त पश्चात् मर भी सकता है। इसलिए गर्भ धारण करने से पूर्व आदमी तथा औरत को अपने आर० एच० तत्त्व की जांच करवा लेनी चाहिए।
  7. एक्स-रे (X-Rays) – गर्भावस्था दौरान कई बार एक्सरे करवाना पड़ सकता है। यदि बार-बार एक्स-रे करवाना पड़े तो गर्भपात हो सकता है या बच्चे में शारीरिक तथा मानसिक विकार भी पैदा हो सकते हैं। एक्स-रे के प्रभाव से बच्चे मन्द बुद्धि या अंगहीन भी पैदा हो सकते हैं। इसलिए केवल आवश्यकता पड़ने पर ही एक्स-रे करवाना चाहिए।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 गर्भावस्था

प्रश्न 13.
गर्भावस्था को कितने भागों में बांटा जा सकता है? इस दौरान क्याक्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-
गर्भ धारण से लेकर बच्चे के जन्म तक के समय को गर्भावस्था कहा जाता है। यह समय साधारणतया 280 दिनों का होता है। यह समय बच्चे के विकास की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस समय दौरान ही बच्चा एक कोश से पूर्ण मानवीय जीव के रूप में विकसित होता है।
गर्भावस्था के इस समय को हम तीन भागों में बांट सकते हैं

  1. अण्डे की अवस्था (Ovum Stage)
  2. एम्ब्रियो की अवस्था (Embryo Stage)
  3. भ्रूण की अवस्था (Foetus Stage)।

1. अण्डे की अवस्था (Ovum Stage)—यह समय गर्भ आरम्भ होने से दो सप्ताह तक गिना जाता है। इस समय में उपजाऊ अण्डा ज्यादा नहीं बदलता क्योंकि उसको खुराक सातवें माह में बच्चा पूरा मानवीय जीव के रूप में होता है। इसकी चमड़ी लाल होती है। भ्रूण एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि यदि बच्चा किसी कारण वक्त से पहले पैदा हो जाए तो उसके बचने की सम्भावना होती है। परन्तु ऐसा बच्चा कमजोर होता है।

जन्म के समय बच्चे की लम्बाई 19 से 20 इंच तथा एक साधारण बच्चे का भार लगभग 7 पौंड या इससे अधिक होता है।
पहुंचाने का बाहरी साधन अभी तक नहीं बना होता तथा यह अपनी जर्दी पर ही जीवित रहता है। इसी समय ही फैलोपियन ट्यूब से गर्भ स्थान या बच्चेदानी में जाता है। इसका नया जीवन आरम्भ होने के दस दिन से चौदह दिनों के अन्दर अपने आपको गर्भ स्थान की दीवार से जोड़ लेता है तथा मां के आहार पर निर्भर हो जाता है।

2. एम्ब्रियो (भ्रूण की प्रथम अवस्था) की अवस्था (Embryo Stage)—यह अवस्था गर्भ के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर दूसरे माह के अन्त तक चलती है। पहले माह में एम्ब्रियो में रक्त पहुंचाने के लिए छोटी-छोटी रगें बन जाती हैं। इस समय पैदा होने वाले बच्चे के शारीरिक विकास में बहुत तेजी से वृद्धि होती है। इस अवस्था में एम्ब्रियो की लम्बाई डेढ़ से दो इंच तथा भार 2-3 औंस हो जाता है। इस अवस्था के अन्त में एम्ब्रियो मानवीय जीव का रूप धारण कर लेता है तथा चेहरे के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण अंग बन जाते हैं। आंखें, नाक, कान, होंठ उभरे हुए दिखाई देने लग पड़ते हैं। टांगें तथा बाहों का विकास आरम्भ हो जाता है। हाथों तथा पैरों की उंगलियां बनने लग पड़ती हैं तथा बाहरी लिंग अंग भी मामूली से दिखाई देने लग पड़ते हैं।
एम्ब्रियो के बढ़ने के साथ-साथ इस दौरान एक विशेष ढांचा भी तैयार हो जाता है जिसको सहायक अंग (प्लेसैंटा, नाभिनाल तथा ऐमनियोटिक सैक) कहा जाता है। यह विशेष ढांचा पैदा होने तक बच्चे को खुराक पहुंचाने के लिए आवश्यक है।
सहायक अंग

  1. प्लेसैंटा-जहां अण्डा बच्चेदानी की दीवार से अपने आपको जोड़ लेता है वहीं प्लेसैंटा बनने लग जाता है। प्लेसैंटा ही होने वाले बच्चे को मां के शरीर से खुराक पहुंचाता है। क्योंकि यह एक ओर बच्चेदानी तथा दूसरी ओर से जुड़ा होता है।
  2. नाभिनाल-नाभिनाल एक ओर एम्ब्रियो के पेट की बाहरी दीवार से तथा दूसरी ओर प्लेसेंटा से जुड़ी होती है। यह रस्सी जैसा होता है। गर्भ के अन्त तक नाभि नाल एक पुरुष के अंगूठे की मोटाई जितनी हो जाती है तथा इसकी लम्बाई 10 इंच से 20 इंच तक हो जाती है। नाभिनाल द्वारा एम्ब्रियो का मलमूत्र छनकर प्लेसैंटा द्वारा मां के रक्त की नलियों में चला जाता है तथा मां के शरीर द्वारा बाहर आ जाता है।
  3. ऐमनियोटिक सैक-तीसरा अंग जो एम्ब्रियो के समय बढ़ता है, ऐमनियोटिक सैक या थैली है। यह थैली प्लेसैंटा से जुड़ी होती है तथा बीच में एक लेसदार तरल पदार्थ होता है जिसमें बच्चा रहता है। यह तरल पदार्थ बच्चे को चोट लगने से बचाता है।

3. भ्रूण की अवस्था (Foetus Stage)-गर्भ की तीसरी तथा सबसे लम्बी अवस्था भ्रूण होती है। यह तीसरे माह से आरम्भ होकर बच्चे के जन्म तक चलती है। इस अवस्था में नये अंग नहीं बनते परन्तु एम्ब्रियो की अवस्था समय बने हुए अंगों का विकास होता है। तीसरे माह तक भ्रूण की लम्बाई लगभग तीन इंच हो जाती है। गर्भ की इस अवस्था में पांचवें माह तक भीतर के सभी अंग बड़े मनुष्य के समान ही बनने लग पड़ते हैं तथा मां अपने शरीर में बच्चे की हरकतें अनुभव करने लग पड़ती है। पांचवें माह में ही बच्चे के दिल की धड़कन की आवाज़ ऊंची हो जाती है।

Home Science Guide for Class 10 PSEB गर्भावस्था Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्भ अवस्था कितने दिनों की होती है?
उत्तर-
280 दिनों की।

प्रश्न 2.
गर्भ अवस्था कितने भागों में बांट सकते हैं?
उत्तर-
तीन भागों में।

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प्रश्न 3.
गर्भ अवस्था के तीन भागों के नाम बताएं।
उत्तर-
अण्डे की अवस्था, एम्ब्रियो की अवस्था, भ्रूण की अवस्था।

प्रश्न 4.
अण्डे की अवस्था का समय गर्भ शुरू होने से कितने सप्ताह तक होता है?
उत्तर-
दो सप्ताह तक।

प्रश्न 5.
एम्ब्रिया अवस्था कितनी देर की होती है?
उत्तर-
गर्भ समय के दूसरे सप्ताह से दूसरे महीने के अन्त तक।

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प्रश्न 6.
नाभिनाल की लम्बाई बताएं।
उत्तर-
10 से 20 इंच।

प्रश्न 7.
जन्म समय तक बच्चे की लम्बाई कितनी हो जाती है?
उत्तर-
19-20 इंच।

प्रश्न 8.
प्रायः जन्म के समय बच्चे का भार कितना होता है?
उत्तर-
7 पौंड।

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प्रश्न 9.
बच्चे को जन्म देने के लिए मां की उचित आयु क्या है?
उत्तर-
21 से 35 तक।

प्रश्न 10.
गर्भ समय बार-बार एक्सरे करवाने की क्या हानि है?
उत्तर-
इससे गर्भपात हो सकता है।

प्रश्न 11.
एम्ब्रियो के सहायक अंग बताओ।
उत्तर-
प्लेसैंटा, नाभिनाल, एमनियोटिक सैक।

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प्रश्न 12.
भ्रूण अवस्था का समय बताओ।
अथवा
गर्भ अवस्था की कौन-सी अवस्था सब से लम्बी होती है?
उत्तर-
गर्भ समय के तीसरे माह से जन्म समय तक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्भ के समय की कोई दो तीन तकलीफों के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 2.
गर्भवती स्त्री की पीठ और मांस-पेशियों में दर्द क्यों होता है?
उत्तर–
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 3.
ऐमनियोटिक सैक क्या है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 4.
गर्भ के समय नशीले पदार्थों का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 5.
गर्भ के समय दिल क्यों मितलाता है तथा पीठ में दर्द क्यों रहता है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 6.
भ्रूण की वृद्धि पर मां-बाप की आयु का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 7.
गर्भ के समय औरत के शरीर पर खुजली क्यों होती है तथा छाले क्यों पड़ जाते हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 8.
अण्डे, एम्ब्रियो तथा भ्रूण की अवस्था के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 9.
भ्रूण की अवस्था के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 10.
R.H. कारक में क्या जानते हैं?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 11.
एम्ब्रियो के विकास में कौन-कौन से सहायक अंग काम करते हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्भावस्था से क्या अभिप्राय है? इस दौरान गर्भवती औरत को कौन-सी साधारण तकलीफें हो सकती हैं?
अथवा
गर्भावस्था में कौन-कौन से दुःख होते हैं, विस्तार में बताओ।
अथवा
गर्भवती स्त्री को कौन-से कष्टों से निकलना पड़ता है?
उत्तर-
गर्भ धारण से लेकर बच्चे के जन्म तक मां के पेट के अन्दर बच्चे की अवस्था को गर्भावस्था कहते हैं। साधारणतया यह समय 280 दिन का होता है पर कई बार मां को किसी बीमारी या अन्य कारण से यह समय कम होकर 190 दिन भी हो सकता है तथा अधिक-से-अधिक 330 दिन। इस दौरान बच्चे का विकास एक अण्डकोश से लेकर एक पूर्ण मानवीय जीव के रूप में होता है। इस काल का प्रभाव जीवन भर रहता है। गर्भावस्था को तीन भागों में बांटा जा सकता है

  1. अण्डे की अवस्था (Ovum Stage)
  2. एम्ब्रियो की अवस्था (Embryo Stage)
  3. भ्रूण की अवस्था (Foetus Stage)।

गर्भवती औरत की तकलीफें-गर्भावस्था की तकलीफें सभी औरतों को नहीं होतीं। कई औरतें गर्भ के पूरे 9 माह पूरे आराम से गुज़ार लेती हैं। पर कई औरतों को पूरे 9 माह कोई-न-कोई तकलीफ रहती है। गर्भ समय होने वाली साधारण तकलीफें निम्नलिखित हैं

  1. जी मितलाना-यह अधिकतर सुबह के समय होता है परन्तु कई बार किसी समय भी हो सकता है जिससे खाने को मन नहीं करता। आम तौर पर यह तकलीफ गर्भ के पहले तीन महीने ही होती है। इस तकलीफ का होना गर्भ की प्राकृतिक अवस्था समझा जाता है। इसको मार्निंग सिकनैस भी कहा जाता है। इसको खुराक तथा आराम से ठीक किया जा सकता है। बिस्तर से उठने से पूर्व हल्की नींबू वाली चाय तथा मीठा बिस्कुट खाने से आराम मिलता है।
  2. कब्ज़-गर्भ के दौरान औरतों को कब्ज़ की शिकायत साधारण हो जाती है। उसकी रोज़ाना खुराक, कसरत तथा शौच जाने की आदत इस तरह हो कि उसको कब्ज़ न हो। साधारणतया पानी अधिक पीने तथा सन्तुलित भोजन लेने से यह शिकायत दूर हो जाती है। नाश्ते में फल तथा रूक्षांश वाले पदार्थ तथा फल विशेषकर सेब खाने से कब्ज़ की शिकायत दूर होती है।
  3. दिल की जलन तथा बदहजमी – गर्भ के महीनों में कई बार मां को दिल की जलन अनुभव होती है जिससे बदहजमी हो जाती है। इसका दिल से कोई सम्बन्ध नहीं पर यह जलन पाचन प्रणाली में होती है। ज्यादा मसालेदार, तली हुई, ज्यादा घी वाली तथा गैस वाली चीज़ों से परहेज़ करने से इस तकलीफ से छुटकारा पाया जा सकता है।
  4. सिर चकराना तथा बेहोश होना-गर्भवती औरत का ज्यादा काम करना, बहुत सुबह उठना, बहुत देर तक खड़े होने से या ज्यादा चलने से सिर चकराने लग पड़ता है तथा खून का दबाव कम हो जाने से कई बार बेहोश भी हो जाती है। यदि सिर चकराने लगे या बेहोशी-सी अनुभव हो तो पैरों तथा शरीर के स्तर से सिर नीचा करके लेट जाएं। घबराहट या सिर चकराने की स्थिति में एक गिलास ठण्डा नींबू पानी पी लेना चाहिए।
  5. पैरों की सूजन – गर्भ के अन्तिम महीनों में कई बार गर्भवती मां के पैर सूज जाते हैं। यह तकलीफ विशेषकर गर्मी के महीनों में होती है। यह एक प्राकृतिक अवस्था समझी जाती है तथा बच्चा पैदा होने के बाद अपने आप पहली अवस्था में आ जाते हैं। आराम करते समय पैर तथा टांगें शरीर से ऊंचे रखने से इस स्थिति में सुधार आता है।
  6. योनि में से खून बहना-यदि कभी गर्भवती स्त्री की योनि में से खून निकलने लग जाए तो उसको अपने पैर ऊँचे करके लेटना चाहिए तथा डॉक्टर की सलाह जल्दी लेनी चाहिए। ज्यादा खून निकलने से कई बार गर्भपात हो जाता है या बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है। जब तक डॉक्टर की सहायता न पहुंचे, कोई दवाई नहीं लेनी चाहिए।
  7. शरीर पर खारिश होना – कभी-कभी गर्भवती स्त्री को शरीर पर खारिश होने लग जाती है। इसके बारे में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। सुबह नहाने के पानी में थोड़ा-सा मीठा सोडा पाने से भी लाभ होता है जो योनि के आसपास किसी किस्म की खारिश हो तो डॉक्टर को बताकर इलाज करवाना चाहिए।
  8. चमड़ी पर धब्बे पड़ने – कई औरतों के मुंह पर भूरे धब्बे पड़ जाते हैं। गर्भ की अन्तिम स्थिति में कई बार औरतों के बाल ज्यादा खुष्क रहते हैं तथा झड़ने लग पड़ते हैं। इस के बारे में ज्यादा चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं। बच्चा पैदा होने के पश्चात् यह अपने आप प्राकृतिक अवस्था में आ जाते हैं। बालों को रोज़ कंघी करनी चाहिए तथा तेल की मालिश सिर तथा बालों के लिये लाभदायक है।
  9. पीठ तथा पट्ठों में दर्द – गर्भ के अन्तिम दिनों में पीठ, पट्ठों तथा टांगों में दर्द होना साधारण बात है। बच्चेदानी के बढ़ने से फेफड़ों तथा टांगों पर ज्यादा भार पड़ता है। बच्चा शरीर में हरकत करके अपनी स्थिति तथा जगह बदलता है तो दर्द होती है। यह दर्द कम एड़ी वाली चप्पल पहनने तथा आराम करने से कम हो जाती है। यदि अन्तिम दिनों में पीठ में इस प्रकार की दर्द हो जैसे मासिक धर्म के दिनों में होती है तो डॉक्टर को जल्दी बुलाना चाहिए। यह बच्चा होने समय की दर्द हो सकती है।
  10. कुछ अन्य तकलीफें- उपरोक्त गर्भ की तकलीफों के अतिरिक्त कुछ अन्य तकलीफें जैसे सिर दर्द, नज़र में कमज़ोरी, मुंह तथा हाथों पर सूजन, बुखार, अचानक शरीर के किसी अंग विशेषकर पीठ, टांगों तथा पेट में दर्द, ज्यादा उल्टियां आना, योनि में से ज़ोर से पानी निकलना तथा रुक-रुक कर सांस आना आदि हो सकती हैं।

इनमें से यदि कोई भी तकलीफ हो तो डॉक्टर की सलाह तुरन्त लेनी चाहिए क्योंकि इनके प्रति लापरवाही करने से कई बार खतरा भी हो सकता है। थोड़े-थोड़े समय के पश्चात् डॉक्टर को दिखाने से इन तकलीफों को रोका जा सकता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. गर्भ अवस्था …………………. दिनों की होती है।
  2. ………………. होने वाले बच्चे को मां के शरीर से आहार पहुंचाता है।
  3. नाडु की लम्बाई ………… होती है।
  4. गर्भ अवस्था को ………………. भागों में बांटा गया है।
  5. अण्डे की अवस्था को ………… भी कहा जाता है।

उत्तर-

  1. 280,
  2. प्लेसैंटा,
  3. 10-20 इंच,
  4. तीन,
  5. ओवम अवस्था ।

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II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. गई अवस्था सामान्यत: 280 दिन की होती है।
  2. एम्ब्रियों की अवस्था गर्भ-धारण से दूसरे सप्ताह से शुरु होती है।
  3. जन्म के समय बच्चे की लम्बाई 19-20 ईंच होती है।
  4. नाडु की लम्बाई 10-20 इंच होती है।
  5. जन्म समय बच्चे का भार 4 पौंड होता है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ग़लत।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एम्ब्रियो के सहायक अंग हैं
(क) प्लेसैंटा
(ख) नाडु
(ग) एमनियोटीकसैक
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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प्रश्न 2.
नाडु की लम्बाई होती है
(क) 10-20 ईंच
(ख) 30 ईंच
(ग) 30-40 ईंच
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 10-20 ईंच

प्रश्न 3.
भ्रूण अवस्था का समय है
(क) गर्भ समय से तीसरे महीने से
(ख) पहला सप्ताह
(ग) दूसरे सप्ताह से
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) गर्भ समय से तीसरे महीने से

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गर्भावस्था PSEB 10th Class Home Science Notes

  • गर्भ धारण से लेकर बच्चे के जन्म तक की अवस्था को गर्भावस्था कहा जाता है।
  • गर्भावस्था के तीन भाग होते हैं।
  • भ्रूण अवस्था सबसे लम्बी होती है।
  • प्लेसैंटा द्वारा बच्चा मां के शरीर से खुराक प्राप्त करता है।
  • एम्ब्रियो अवस्था में ही सहायक अंगों का ढांचा तैयार हो जाता है।
  • मां के स्वास्थ्य तथा खुराक का बच्चे के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • बच्चे की गर्भावस्था के स्वास्थ्य का जीवन भर स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
  • गर्भावस्था में मां द्वारा किए गये नशीले पदार्थों के सेवन का बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • गर्भ धारण से पहले पुरुष तथा औरत को आर०एच० तत्त्व की जांच करवा लेनी चाहिए।

गर्भ धारण से लेकर जन्म तक के समय को गर्भावस्था कहा जाता है। यह समय साधारणतया 280 दिनों का होता है। यह काल बच्चे के विकास की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस काल का प्रभाव जीवन भर रहता है। इसी समय दौरान बच्चा एक अण्डकोश से पूर्ण मानवीय जीव के रूप में विकसित होता है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 7 आर्थिक विकास में कृषि का योगदान

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 7 आर्थिक विकास में कृषि का योगदान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 7 आर्थिक विकास में कृषि का योगदान

PSEB 10th Class Agriculture Guide आर्थिक विकास में कृषि का योगदान Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
गाँवों में देश की कितनी जनसंख्या रहती है?
उत्तर-
दो-तिहाई से अधिक।

प्रश्न 2.
भारत में कृषि पर सीधे तौर पर निर्भर करने वाली खेतिहर जनसंख्या कितनी है ?
उत्तर-
54%.

प्रश्न 3.
भारत के कुल घरेलू आमदन का कितने प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र से आता है ?
उत्तर-
वर्ष 2012-13 अनुसार 13.7%.

प्रश्न 4.
भारत में वर्ष 1950-51 में अनाज का उत्पादन पैदावार कितना था और वर्ष 2013-14 में अनाज का उत्पादन कितना हो गया?
उत्तर-
वर्ष 1950-51 में अनाज की पैदावार 51 मिलियन टन थी तथा वर्ष 2013-14 में 264 मिलियन टन हो गई।

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प्रश्न 5.
भारत की अर्थ-व्यवस्था के कौन-से तीन क्षेत्र हैं ?
उत्तर-
कृषि, औद्योगिक तथा सेवाएं क्षेत्र।

प्रश्न 6.
विश्व व्यापार में कृषि के क्षेत्र में भारत का कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-
दसवां।

प्रश्न 7.
चावल के निर्यात में भारत ने कौन-से देश को पीछे छोड़ दिया है ?
उत्तर-
थाइलैंड को।

प्रश्न 8.
कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर मुख्य उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग।

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प्रश्न 9.
वर्ष 2013 में कृषि से संबंधित कौन-सा अधिनियम सरकार ने पास किया है ?
उत्तर-
भोजन सुरक्षा अधिनियम।

प्रश्न 10.
भारत का कृषि व्यापार संतुलन किस तरह का है ?
उत्तर-
वर्ष 2013-14 अनुसार व्यापार संतुलन वृद्धि वाला है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास का कृषि पर लोगों की निर्भरता से कैसा संबंध है ?
उत्तर-
कृषि पर लोगों की निर्भरता के कारण आर्थिक विकास भी अच्छा होता है। जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास होता है, उसकी कृषि पर निर्भरता कम होती जाती है।

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प्रश्न 2.
भारत के मुख्य कृषि निर्यात कौन-से हैं ?
उत्तर-
चाय, कॉफी, कपास, तेल, फल, सब्जियां, दालें, काजू, मसाले, चावल, गेहूँ आदि का निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत के मुख्य कृषि आयात कौन-से हैं ?
उत्तर-
दालें, तेल बीज, सूखे मेवे, खाने योग्य तेल आदि।

प्रश्न 4.
कृषि से संबंधित धंधे कौन से हैं ?
अथवा
कषि से संबंधित कोई चार सहायक धन्धों के नाम लिखें।
उत्तर-
डेयरी फार्म, मुर्गी पालन, मछली पालन, सुअर पालन, पशु पालन, शहद की मक्खियाँ पालना, वन कृषि आदि कृषि संबंधी धंधे हैं।

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प्रश्न 5.
देश में अनाज का भंडार क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
कीमतों की वृद्धि के डर को काबू करने के लिए, ज़रूरतमंदों को हर माह अनाज जारी करने के लिए।

प्रश्न 6.
भोजन सुरक्षा अधिनियम में मुख्य प्रावधान क्या है ?
अथवा
भारत सरकार की ओर से वर्ष 2013 में पास किए भोजन सुरक्षा अधिनियम में मुख्य प्रावधान क्या है?
उत्तर-
देश की 75% ग्रामीण तथा 50% शहरी आबादी को 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह के अनुसार अनाज उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव है।

प्रश्न 7.
रेलवे का विकास देश में कृषि विकास के साथ कैसे जुड़ा हुआ है ?
उत्तर-
कृषि उत्पाद तथा कृषि के लिए आवश्यक वस्तुओं को देश के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाने के लिए रेलवे को आय होती है तथा रेलवे का विकास तथा विस्तार होता है।

प्रश्न 8.
उन उद्योगों के नाम लिखिए जो अपने उत्पाद बेचने के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं ?
अथवा
कृषि पर आधारित किन्हीं चार उद्योगों के नाम लिखो।
उत्तर-
ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, रासायनिक, खादें, नदीन नाशक, कीटनाशक आदि का प्रयोग कृषि में होता है। इन उद्योगों के उत्पाद कृषि क्षेत्र में बेचे जाते हैं।

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प्रश्न 9.
कृषि के क्षेत्र में कैसी बेरोज़गारी पायी जाती है ?
उत्तर-
कृषि के क्षेत्र में मौसमी तथा छुपी हुई बेरोज़गारी होती है।

प्रश्न 10.
खेतीबाड़ी से संबंधित धंधों से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
कृषि सहयोगी धंधों से पौष्टिक आहार, जैसे-दुध, अण्डे, मीट, मछली, शहद आदि मिलते हैं। किसान इनसे अच्छी आय भी प्राप्त कर लेते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
भारत के आर्थिक विकास में कषि का क्या योगदान है ?
उत्तर-
देश की कुल आबादी का दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है तथा लगभग 54% श्रमिक रोजगार के लिए सीधे रूप से कृषि के साथ जुड़े हुए हैं। वर्ष 2012-13 के दौरान कृषि क्षेत्र ने देश की कुल घरेलू आमदन में 13.7% योगदान डाला है। बहुत सारे उद्योग कृषि पर निर्भर हैं; जैसे चीनी, पटसन तथा कपड़ा उद्योग। कई उद्योगों के उत्पाद कृषि में प्रयोग किए जाते हैं। यातायात, गोदाम, दुलाई से भी देश की आर्थिकता को लाभ मिलता है। कई कृषि उत्पाद निर्यात किए जाते हैं, जिस कारण देश को डालरों में आमदन होती है। कृषि वस्तुओं के निर्यात ड्यूटी से केन्द्र सरकार को आय होती है, राज्य सरकार, भूमि लगान, सिंचाई कर से आमदन प्राप्त करती है। इनके बाजारीकरण से प्राप्त फीस भी सरकारी खज़ाने में वृद्धि करती है। इस प्रकार भारत की आर्थिकता के विकास में कृषि का बहुत योगदान है।

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प्रश्न 2.
भारत के विदेशी व्यापार में देश की कृषि का क्या योगदान है ?
उत्तर-
भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार गहरे स्तर पर कृषि से जुड़ा हुआ है। कई कृषि उत्पादों का निर्यात होता है; जैसे-चाय, कॉफी, मसाले, तेल, कपास, फल, सब्जियाँ, दालें, काजू तथा अब चावल तथा गेहूँ भी। वर्ष 2012 में भारत ने चावल के निर्यात से थाइलैंड को पीछे छोड़ कर पहला स्थान प्राप्त किया। भारत का कृषि तथा अनाज-निर्यात में दुनिया में दसवां स्थान हो गया है। कई कच्चे माल से बनी वस्तुओं सूती कपड़ों, धागों, बने वस्त्र, पटसन से बनी वस्तुओं का निर्यात होता है। वर्ष 2013-14 में भारत का कुल कृषि निर्यात 42 बिलियन डालर का था जबकि इसी वर्ष कृषि आयात केवल 17 बिलियन डालर था। इस प्रकार 2013-14 में भारत का व्यापार संतुलन 25 बिलियन डालर की वृद्धि वाला रहा।

प्रश्न 3.
देश में हरित क्रान्ति आने के क्या कारण हैं?
उत्तर-
जब देश आज़ाद हुआ तो कई दशकों तक देश को अनाज के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ा। देश के किसानों की न थकने वाली मेहनत, वैज्ञानिकों की लगातार खोजें, सुधरे बीज, कृषि मशीनरी, रासायनिक खादें, कीटनाशक दवाइयां आदि के प्रयोग से देश में हरित क्रान्ति आई है। देश में अनाज की पैदावार इतनी बढ़ गई है कि अब देश में चावल, गेहूँ तथा अन्य कृषि उत्पाद देश से निर्यात किए जा रहे हैं।

प्रश्न 4.
देश में कृषि पर निर्भरता कैसे कम की जानी चाहिए ?
उत्तर-
देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है कि कृषि पर निर्भरता कम की जाए। कृषि में मौसमी बेरोज़गार तथा छुपी बेरोज़गारी से संबंधित लोगों को उद्योग तथा सेवाओं में लगाया जाए। जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास होता है, कृषि पर निर्भरता घटती है तथा उद्योग तथा सेवाओं पर निर्भरता बढ़ती है।

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प्रश्न 5.
देश में कृषि क्षेत्र के विकास से औद्योगिक विकास तथा औद्योगिक विकास से कृषि विकास कैसे संभव है ?
उत्तर-
देश में जब कृषि का विकास होगा या कृषि उत्पाद अधिक उपलब्ध होंगे। जिन के प्रयोग के लिए उद्योग स्थापित करने पड़ेंगे। देश का एक भाग जहां पर उत्पाद कम हो वहां भोजन के लिए यातायात तथा ढुलाई को आवश्यकता पड़ेगी। अधिक अनाज को संभालने के लिए गोदामों की आवश्यकता पड़ेगी। कृषि के साथ जुड़े कुछ उद्योग हैं-चीनी उद्योग, पटसन उद्योग, कपड़ा उद्योग, शैलर, तेल निकालने वाले कारखाने आदि। इस तरह कृषि विकास उद्योगों के विकास में योगदान डालेगा। परन्तु कृषि का विकास होता रहे इसलिए कृषि में कुछ उत्पादों की आवश्यकता पड़ेगी, जैसे-ट्रैक्टर उद्योग, मशीनरी, खादें कीटनाशक आदि रसायनों से संबंधित उद्योग जिनके उत्पाद कृषि में प्रयोग होते हैं। इस प्रकार औद्योगिक विकास से कृषि विकास संभव है।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB आर्थिक विकास में कृषि का योगदान Important Questions and Answers

वस्तनिष्ठ प्रश्न

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
वर्ष 2012-13 के दौरान कृषि क्षेत्र ने देश की कुल घरेलू आमदन में …….. योगदान डाला है।
(क) 13.7 %
(ख) 15.9%
(ग) 11.5%
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 13.7 %

प्रश्न 2.
भारत में 2013-14 में अनाज की पैदावार कितनी थी ?
(क) 264 मिलियन टन
(ख) 51 मिलियन टन
(ग) 100 मिलियन टन
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 264 मिलियन टन

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 7 आर्थिक विकास में कृषि का योगदान

प्रश्न 3.
भारत के मुख्य कृषि निर्यात हैं-
(क) चाय
(ख) कपास
(ग) दालें
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 4.
चावल के निर्यात में भारत ने कौन-से देश को पीछे छोड़ा-
(क) थाइलैंड
(ख) भूटान
(ग) अमेरिका
(घ) श्रीलंका।
उत्तर-
(क) थाइलैंड

प्रश्न 5.
वर्ष 2012 में देश में अनाज का भंडार कितना था?
(क) 82 मिलियन टन
(ख) 25 मिलियन टन
(ग) 52 मिलियन टन
(घ) 108 मिलियन टन।
उत्तर-
(क) 82 मिलियन टन

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प्रश्न 6.
भोजन सुरक्षा अधिनियम-2013 के अधीन एक महीने में प्रति व्यक्ति कितना अनाज़ देने का प्रावधान है ?
(क) 5 किलो
(ख) 10 किलो
(ग) 15 किलो
(घ) 20 किलो।
उत्तर-
(क) 5 किलो

II. ठीक/गलत बताएँ

1. कई प्रमुख उद्योगों को कच्चा माल कृषि से मिलता है।
2. वर्ष 2012 में भारत ने चावल का निर्यात करके थाइलैंड को पीछे छोड़ दिया है।
3. कृषि में मौसमी तथा छिपी बेरोज़गारी होती है।
4. 2013-14 में भारत का कुल कृषि निर्यात 42 बिलियन डॉलर था।
5. अनाज की उत्पादकता 2125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. ……………… हमारे देश की आर्थिकता की रीढ़ की हड्डी है।
2. विश्व व्यापार में कृषि के क्षेत्र में भारत का ………………… स्थान है।
3. 2012 में देश में अनाज का भंडार ……………….. टन था।
4. देश में डेयरी फार्म के धंधे में ……………….. परिवार लगे हैं।
उत्तर-

  1. कृषि
  2. दसवां
  3. 82 मिलियन
  4. 70 मिलियन।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि हमारे देश की आर्थिकता की क्या है ?
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी।

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प्रश्न 2.
देश में डेयरी फार्म के धंधे में कितनी आबादी लगी हुई है ?
उत्तर-
70 मिलियन परिवार।

प्रश्न 3.
सेवाएं क्षेत्र में क्या-क्या आता है ?
उत्तर-
बैंक की सेवा, यातायात सुविधाएं, भंडार तथा गोदाम, बीमा, सैर-सपाटा आदि।

प्रश्न 4.
जनसंख्या के अनुसार हमारा देश दुनिया में कौन-से स्थान पर है?
उत्तर-
दूसरे स्थान पर।

प्रश्न 5.
घरों में उपभोग से सम्बन्धित कितने प्रतिशत भाग कृषि से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
60%.

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प्रश्न 6.
अनाज की उत्पादकता कितनी है?
उत्तर-
2125 कि० ग्रा० प्रति हेक्टेयर।

प्रश्न 7.
2012 में देश में अनाज का भंडार कितना है?
उत्तर-
82 मिलियन टन।

प्रश्न 8.
एक अनुमान के अनुसार 82 करोड़ आबादी को कितना अनाज सस्ते मूल्य पर उपलब्ध करवाया जाएगा?
उत्तर-
61 मिलियन टन।

प्रश्न 9.
भारत 2012 में कौन-से कृषि उत्पाद के निर्यात में पहले स्थान पर रहा?
उत्तर-
चावल के।

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प्रश्न 10.
2013-14 में भारत का कुल कृषि का निर्यात कितना था?
उत्तर-
42 बिलियन डालर।

प्रश्न 11.
भारत में कितने प्रतिशत मज़दूर प्रत्यक्ष तौर पर कृषि में लगे हुए हैं ?
उत्तर-
54% मज़दूर प्रत्यक्ष तौर पर कृषि में लगे हुए हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि आधारित छोटे पैमाने पर कौन-से उद्योग हैं ?
उत्तर-
कृषि आधारित छोटे पैमाने पर घरेलू उद्योग-जैसे-चावल शैलर, तेल निकालना आदि।

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प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था में तीसरा क्षेत्र कौन-सा है? उदाहरण भी दें।
उत्तर-
अर्थव्यवस्था में तीसरा क्षेत्र-सेवाएँ क्षेत्र हैं। इसमें बैंक की सेवाएँ, यातायात सुविधाएं, भंडार के लिए गोदाम, बीमा, सैर-सपाटा आदि है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश अनाज की पैदावार में स्वः रोज़गार हो गया है। तुलना करके समझाएँ।
उत्तर-
वर्ष 1950-51 में अनाज की कुल पैदावार 51 मिलियन टन थी जो 2013-14 में 264 मिलियन टन हो गई है। वर्ष 2012 में देश के पास 82 मिलियन टन अनाज का भंडार था जो कि एक रिकार्ड है। इससे पता चलता है कि देश स्व:-निर्भर हो गया है।

प्रश्न 2.
देश में हरित क्रान्ति आने के कोई पांच कारण लिखें।
उत्तर-

  • देश में सिंचाई के साधनों को अधिकता में उपलब्ध होना।
  • रसायनिक खादों का प्रयोग करने से उत्पादन में वृद्धि होना।
  • अधिक उपज देने वाली किस्मों की खोज होना।
  • फसल की रोगों, कीटों, खरपतवार से सुरक्षा आसानी से होने लगी।
  • कृषि मशीनरी का अधिक प्रयोग।

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प्रश्न 3.
भारत में हरित क्रांति आने के कोई चार कारण लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

आर्थिक विकास में कृषि का योगदान PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • भारत में लगभग दो-तिहाई आबादी गांव में रहती है तथा कृषि पर निर्भर है।
  • कृषि हमारे देश की आर्थिकता की रीढ़ की हड्डी है।
  • भारत में 54% श्रमिक रोज़गार के लिए सीधे कृषि में हैं।
  • वर्ष 2012-13 के दौरान कृषि क्षेत्र ने देश की कुल घरेलू आमदन (GDP) में 13.7% योगदान डाला है।
  • देश में लगभग 70 मिलियन परिवार केवल डेयरी फार्म के व्यवसाय में लगे ।
  • कई प्रमुख उद्योगों का कच्चा माल कृषि से ही मिलता है; जैसे-कपड़ा उद्योग को कपास, चीनी उद्योग को गन्ना आदि।
  • कृषि तथा उद्योग क्षेत्र के बाद अर्थव्यवस्था का एक अन्य क्षेत्र है-सेवाएं क्षेत्र।
  • आबादी के अनुसार हमारा देश दुनिया में दूसरे नंबर पर है।
  • घरों में उपभोग का लगभग 60% भाग कृषि से संबंधित है।
  • भारत में 1950-51 में अनाज की पैदावार 51 मिलियन टन थी जो 2013-14 में | 264 मिलियन टन हो गई।
  • वर्ष 2012 में अनाज का भंडार लगभग 82 मिलियन टन था।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2013 में भोजन सुरक्षा अधिनियम पास किया है जिस के तहत देश की 75% ग्रामीण आबादी तथा 50% शहरी आबादी को 5 कि०
  • ग्रा० प्रति व्यक्ति प्रति महीना के अनुसार अनाज देने की योजना बनाई है।
  • वर्ष 2012 में भारत ने चावल का निर्यात करके थाइलैंड को पीछे छोड़ दिया है तथा पहले स्थान पर रहा।
  • भारत का कृषि तथा अनाज के निर्यात में दुनिया में दसवां स्थान है।
  • वर्ष 2013-14 में भारत का व्यापार संतुलन 25 विलियन डालर से वृद्धि वाला था।

तैराकी (Swimming) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions तैराकी (Swimming) Game Rules.

तैराकी (Swimming) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. तैराकी कुण्ड की लम्बाई = 50 मीटर
  2. कुण्ड की कम-से-कम चौड़ाई = 21 मीटर से 25 मीटर
  3. कुण्ड में पानी की गहराई = 1.8 मीटर से अधिक
  4. ब्रैस्ट स्ट्रोक में तैराक कौन-सी किक नहीं मार सकता = डालफिन किक
  5. तैराकी के अधिकारी = एक रैफ़री, एक सटारटर, टाइम कीपर प्रत्येक लेन में, समाप्ति जज प्रत्येक लेन पर
  6. टरन और स्ट्रोक के इन्सपैक्टर = प्रत्येक लेन पर
  7. रिकार्डर = एक
  8. लेन की संख्या = 8 लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 लेन
  9. लेन की चौड़ाई = 2.5 मी०
    स्टार्टिंग प्लेटफार्म
  10. पानी से प्लेटफार्म की ऊँचाई = 0.5 मी० से 0.75 मी०
  11.  प्लेटफार्म का दरिया (slope) = 0.50 मी० × 0.50 मी०
  12. अधिकतम ढलान = 10° से अधिक नहीं
  13. पूल के पानी का तापमान = + 20° सैल्सियस कम से कम
  14. तैराकी प्रतियोगिता = 1. फरी स्टाइल
    2. बैक स्ट्रोक
    3. ब्रैस्ट स्ट्रोक
    4. बटर फ्लाई स्ट्रोक
    5. रिले = 4 × 100 मीटर फ्री स्टाइल
    = 4 × 400 मीटर मैडले।

तैराकी (Swimming) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

तैराकी खेल की संक्षेप रूप-रेखा
(Brief outline of the Swimming Game)

  1. सभी तैराकी रेस इवेंट्स में प्रत्येक तैराक के लिए घूमते हुए पूल के सिरे के साथ शारीरिक स्पर्श करना आवश्यक होता है।
  2. तैराकी कुण्ड (Swimming Pool) की लम्बाई 50 मीटर तथा इसकी कम-से कम चौड़ाई 21 मीटर होती है।
  3. तैराकी कुण्ड में जल की गहराई 1.8 मीटर से अधिक होती है।
  4. इसमें लम्बाई में पानी के तल से 0.3 मीटर ऊपर तथा 0.8 मीटर नीचे छूट होगी।
  5. कोई भी तैराक ऐसी वस्तु का प्रयोग नहीं कर सकता या पहन नहीं सकता जिससे उसे अपनी तैराकी में गति को बढ़ाने में सहायता मिले।
  6. ब्रैस्ट स्ट्रोक तैराकी में तैराक डोल्फिन किक नहीं लगा सकता।
  7. बटर फ्लाई स्ट्रोक में दोनों भुजाओं को एक समय पानी के ऊपर आगे तथा पीछे जाना चाहिए।
  8. बैक स्ट्रोक तैराकी में पीठ की साधारण स्थिति बदलने वाला प्रतियोगी अयोग्य घोषित किया जाता है।
  9. फ्री-स्टाइल तैराकी में तैराक किसी भी ढंग से तैर सकता है।
  10. तैराकी तथा गोता लगाते समय किसी प्रकार की कोचिंग देना मना है।
  11. कोई भी तैराक रेस के इवेंट्स समय अपने शरीर पर तेल या चिकनी वस्तु नहीं मल सकता।
  12. तैराक को नियम अनुसार बनाई गई पोशाक ही पहननी चाहिए।
  13. तैराक को सदैव अपनी पंक्ति में ही तैरना चाहिए।
  14. लेन जिनकी चौड़ाई 2.5 मीटर होगी जोकि रस्सियों के साथ बनी होगी। प्रतियोगिता के समय पानी की सतह एक जैसी होगी।

प्रश्न
ओलम्पिक और अन्तर्राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता के लिए नियुक्त अधिकारियों का वर्णन करें।
उत्तर-
तैराकी कुण्ड (Swimming Pool)—तैराकी कुण्ड की लम्बाई 50 मीटर तथा इसकी कम-से-कम चौड़ाई 21 मीटर होती है। इसमें जल की गहराई 1.8 मीटर से अधिक होती है।
तैराकी (Swimming) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
इसकी लम्बाई में पानी के तल से 0.3 मीटर ऊपर तथा 0.8 मीटर नीचे छूट होगी। लेन (Lane) 8 जिनकी चौड़ाई 2.5 मीटर है रस्सियों से बंधी होगी। मुकाबले के समय पानी की सतह लगातार एक-सी बिना हलचल वाली होनी चाहिए।

अधिकारी (Officials)-ओलम्पिक खेलों, विश्व चैम्पियनशिप तथा अन्य अन्तर्राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे
रैफरी (1), स्टार्टर (1), मुख्य टाइम कीपर (3), मुख्य जज (1), समाप्ति के जज (प्रति लेन 3), टर्न के इन्सपैक्टर (प्रत्येक लेन में दोनों सिरों पर एक-एक), एनाऊंसर (2), रिकार्डर (1), क्लर्क ऑफ दी हाऊस परन्तु अन्य प्रतियोगिताओं के लिए कम-सेकम निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं—
रैफरी (1), स्टार्टर (1), टाइम कीपर (प्रति-लेन 1), समाप्ति के जज (प्रति लेन 1), टर्न तथा स्ट्रोक इन्सपैक्टर (प्रत्येक दो लेनों के लिए 1), रिकार्डर (1)।

तैराकी (Swimming) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
तैराकी प्रतियोगिता के नियम लिखें।
उत्तर-
तैराकी प्रतियोगिता के नियम
(Rules of Swimming Race)

  1. तैरते समय प्रतियोगी को बाधा डालने वाला व्यक्ति अयोग्य घोषित किया जाएगा।
  2. किसी त्रुटि (फाऊल) के कारण प्रतियोगी की सफलता की सम्भावना संकट में पड़ने की दिशा में जजों को यह अधिकार होगा कि वे उसे अगले दौरे में भाग लेने की आज्ञा दे दें। यदि त्रुटि फाइनल में हुई होगी तो उसे पुनः तैरने की आज्ञा दी जा सकती है।
  3. लौटते समय तैराकी कुण्ड अथवा मार्ग के अन्त में एक अथवा दोनों हाथों से स्पर्श करेंगे। गृह के तल से डग मारने की अनुमति नहीं।
  4. दौड़ के समय यदि प्रतियोगी तल पर खड़ा हो जाए तो उसे अयोग्य नहीं घोषित किया जाएगा, परन्तु वह चलेगा नहीं।
  5. जल-मार्ग की सारी दूरी पार करने वाला प्रतियोगी ही विजेता घोषित किया जाएगा।
  6. रिले दौड़ में जिस प्रतियोगी टीम के पांव निर्वाचित साथी के दीवार से स्पर्श से पूर्व भूमि से हट जाएंगे, वह अयोग्य घोषित किया जाएगा तब तक कि अपराधी प्रतियोगी मूल प्रारम्भ बिन्दु पर न लौट आए। प्रारम्भ प्लेटफार्म तक लौटना आवश्यक नहीं।
  7. प्रतियोगिता के समय किसी प्रतियोगी को कोई ऐसी वस्तु प्रयोग में लाने अथवा पहनने की आज्ञा नहीं होगी जोकि उसकी तैरने की गति तथा सहिष्णुता बढ़ाने में सहायता प्रदान करे।

प्रश्न
ब्रैस्ट स्ट्रोक, बटर फ्लाई स्ट्रोक, बैक स्ट्रोक और फ्री स्टाइल तैराकी क्या
उत्तर-
बटर फ्लाई स्ट्रोक-इसमें दोनों बाजू पानी की सतह के ऊपर इकट्ठे आगे से पीछे ले जाने पड़ते हैं।
मुकाबला शुरू होने पर और समाप्त होने पर छाती ऊपर दोनों कन्धे पानी की सतह पर सन्तुलित हों, पांवों की क्रियाएं इकट्ठी हों।
फ्री स्टाइल-फ्री स्टाइल तैराकी का अर्थ किस प्रकार या ढंग से तैराकी है। इससे भाव तैरने का ढंग जोकि बटर फ्लाई स्ट्रोक, ब्रैस्ट या बैक स्ट्रोक से अलग हो। फ्री स्टाइल में तैराकी कुण्ड पर और दौड़ की समाप्ति के समय तैराकी कुण्ड की दीवार हाथ से छूना ज़रूरी नहीं। वह अपने शरीर के किसी अंग से छू सकता है।
बैक स्ट्रोक-इसमें भाग लेने वाले शुरू होने वाले स्थान पर उस ओर मुंह करके हाथ कुण्ड पर रखें, पैर पानी में होने ज़रूरी हैं। कुण्ड में खड़े नहीं हो सकते।
शुरू का संकेत मिलने पर दौड़ते समय बैक से (पीठ से) तैरेंगे।

ब्रैस्ट स्ट्रोक-इससे शरीर तथा छाती सन्तुलित और दोनों कन्धे पानी की सतह के बराबर होंगे, हाथों और पांवों की क्रियाएं इकट्ठी होंगी जोकि एक लाइन में हों। छाती से दोनों हाथ इकट्ठे आगे पानी के अन्दर या ऊपर और पीछे होने चाहिएं।
टांगों की क्रिया में पांव पीछे से आगे की तरफ मुड़ें, मछली की तरह क्रिया नहीं की जा सकती। मुड़ते समय या समाप्ति पर छू दोनों हाथों से पानी के अन्दर या ऊपर ज़रूरी है। सिर का हिस्सा पानी की सतह से ऊपर रहना ज़रूरी है।

तैराकी (Swimming) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
स्कूल स्तर पर लड़के और लड़कियों के लिए तैराकी प्रतियोगिता का वर्णन करें।
उत्तर-
स्कूल स्तर पर लड़के और लड़कियों के लिए तैराकी प्रतियोगिताएं—
तैराकी प्रतियोगिताएं
तैराकी (Swimming) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2

PSEB 10th Class Physical Education Practical तैराकी (Swimming)

प्रश्न 1.
तैराकी प्रतियोगताएं कितने की होती हैं ?
उत्तर-
तैराकी (Swimming) तैराकी प्रतियोगिताओं में निम्नलिखित मुकाबले होंगे—
1. लड़के (Boys)—

  1. फ्री स्टाइल (Free Style)-100, 200, 400, 800, 1500 मीटर।
  2. बैक स्ट्रोक (Back Stroke)-100, 200 मीटर।
  3. ब्रैस्ट स्ट्रोक (Breast Stroke)-100, 200 मीटर।
  4. बटरफ्लाई स्ट्रोक (Butterfly Stroke)-100 मीटर।
  5. रीले (Relay) 4 × 100 मीटर की फ्री स्टाइल। 4 × 100 मीटर मेडले (ब्रैस्ट, बैक, बटरफ्लाई और फ्री स्टाइल)।

लड़कियां (Girls)—

  1. फ्री स्टाइल (Free Style)-100, 200, 400 मीटर।
  2. बैक स्ट्रोक (Back Stroke)-100 मीटर।
  3. ब्रैस्ट स्ट्रोक (Breast Stroke)-100 मीटर।
  4. बटरफ्लाई स्ट्रोक (Butterfly Stroke)-100 मीटर।
  5. रीले (Relay)-4 × 100 मीटर फ्री स्टाइल। 4 × 100 मीटर मेडले (ब्रैस्ट, बैक, बटरफ्लाई और फ्री स्टाइल)।

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प्रश्न 2.
तैराकी प्रतियोगिता में हीटें किस प्रकार बनाई जाती हैं और फाइनल कैसे होता है ?
उत्तर-
हीटों का बनाना और फाइनल (Seeding Heats and Finals)-सारे तैराकी मुकाबलों में सैमी फाइनल और फाइनल में हीटों का निर्माण इस प्रकार होगा—

  1. ट्रायल हीट (Trial Heat) सभी तैराक जिन्हें भाग लेना है, एक परफा में उनका समय उनके नामों के सामने भरकर योग्यता कमेटी को भेज दिया जाता है। जो प्रतियोगी अपना समय नहीं भरते, उनका नाम सूची के अन्त में दर्ज किया जाता है।
  2. सबसे तेज़ तैराक को सबसे अन्तिम हीट में, उससे कम तेज़ तैराक को अन्तिम से पहले वाली हीट में। इसी तरह बाकी के तैराकों या टीमों की हीट का फैसला किया जाता है।
  3. सबसे तेज़ तैराक को सैंटर वाली लाइन दी जाती है, उससे कम तेज़ उसके दाईं तथा बाईं ओर रखे जाते हैं।

फाइनल (Finals)—जहां आरम्भिक हीटों की आवश्यकता न हो तो लाइनों का निर्माण ऊपर दिए (3) के अनुसार होगा।

प्रश्न 3.
तैराकी प्रतियोगताओं के लिए नियुक्त अधिकारियों का वर्णन करो।
उत्तर-

रैफरी 1
जज 1
स्टार्टर 1
टाइम कीपर 1
रिकार्ड कीपर 2
इंस्पैक्टर 2
स्ट्रोक जज 1

 

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प्रश्न 4.
तैराकी सम्बन्धी हमें कौन-कौन सी सावधानियां प्रयोग में लानी चाहिएं ?
उत्तर-
तैराकी सम्बन्धी सावधानियां निम्नलिखित हैं—

  1. नाक और मुंह में पानी भरने की हालत में एकदम बाहर आ जाओ।
  2. हवा अपनी ताकत अनुसार करो।
  3. तैराकी सीखते समय बहुत गहरे पानी में न जाओ।
  4. गोते खाने की स्थिति में आवाज़ दो।
  5. तैराकी के समय शोर मत करो।

प्रश्न 5.
तैराकी प्रतियोगिता में अंक कैसे दिए जाते हैं ?
उत्तर-
तैराकी प्रतियोगिता में निम्नलिखित ढंग द्वारा अंक दिए जाते हैं—
पहली तीन पोजीशनों को क्रमश: (5-3-1) और रिले दौड़ों में 16-6-2 के अनुसार प्वाईंट दिए जाते हैं।

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प्रश्न 6.
तैराकी दौड़ के मुख्य नियमों का वर्णन करो।
उत्तर-
दौड़ (The Race)—

  1. किसी तैराक को बाधा नहीं पैदा करनी चाहिए।
  2. यदि फाऊल के कारण किसी प्रतियोगी की सफलता कम (मध्यम) हो जाती है तो रैफरी उसको अगले राऊंड में हिस्सा लेने का अवसर देगा। यदि फाइनल में हो तो रैफरी दूसरी बार करवाने की आज्ञा दे सकता है।
  3. सारे इवेंट्स (Events) में तैराक घूमते हुए पूल के सिरे से शरीर स्पर्श अवश्य करेगा।
  4. किसी भी प्रतियोगी को किसी ऐसी वस्तु का प्रयोग नहीं करने दिया जाएगा जिससे तैराक को गति बढ़ाने में सहायता मिले।
  5. एक तैराक को उस लेन (Lane) में दौड (Race) समाप्त करनी पड़ेगी, जिससे उसने आरम्भ की है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न.

PSEB 10th Class Social Science Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

नीचे दिए गए उद्धरणों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(1)

राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय वस्तुओं तथा सेवाओं को उनकी कीमतों से गुणा किया जाता है। यदि राष्ट्रीय उत्पाद की मात्रा को चालू कीमतों से गुणा किया जाता है तो उसे चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय या मौद्रिक आय कहा जाता है। इसके विपरीत यदि राष्ट्रीय उत्पादन की मात्रा को किसी अन्य वर्ष (जिसे आधार वर्ष भी कहते हैं) की कीमतों से गुणा किया जाए तो जो परिणाम प्राप्त होगा उसे स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय या वास्तविक राष्ट्रीय आय कहा जाता है। कीमतों में प्राय: परिवर्तन होता रहता है। इसके फलस्वरूप वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा में बिना कोई परिवर्तन हुए राष्ट्रीय आय कम या अधिक हो सकती है। एक देश की वास्तविक आर्थिक प्रगति का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न वर्षों की राष्ट्रीय आय एक विशेष वर्ष के कीमत स्तर पर मापी जानी चाहिए। कीमतें स्थिर रहने पर वास्तविक आय में होने वाले परिवर्तन केवल वस्तुओं तथा सेवाओं में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप उत्पन्न होंगे।
(a) राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है?
(b) सकल राष्ट्रीय आय तथा शुद्ध राष्ट्रीय आय में क्या अंतर है?
उत्तर –
(a) राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों की एक वर्ष में मजदूरी, ब्याज, लगान तथा लाभ के रूप में साधन आय है। यह घरेलू साधन आय और विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय का योग है।
(b) एक देश की राष्ट्रीय आय में यदि घिसावट व्यय शामिल रहता है तो उसे सकल राष्ट्रीय आय कहा जाता है। जबकि इसके विपरीत यदि राष्ट्रीय आय में घिसावट व्यय को घटा दिया जाता है तो उसे शुद्ध राष्ट्रीय आय कहा जाता हैं। अर्थात,
राष्ट्रीय आय + घिसावट व्यय = सकल राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आय – घिसावट व्यय = शुद्ध राष्ट्रीय आय
‘सकल’ शब्द का प्रयोग शुद्ध शब्द की तुलना में विस्तृत अर्थों में किया जाता है।

(2)

उपभोग शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है; एक तो क्रिया के रूप में तथा दूसरे व्यय के रूप में। क्रिया के रूप में उपभोग वह क्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि होती है जैसे प्यास बुझाने के लिए पानी का प्रयोग करना या भूख की संतुष्टि के लिए रोटी का प्रयोग करना। अतएव उपभोग वह क्रिया है जिसके द्वारा कोई मनुष्य अपनी आवश्यकता की संतुष्टि के लिए किसी वस्तु की उपयोगिता का प्रयोग करता है। व्यय के रूप में उपभोग से अभिप्राय उस कुल खर्चे से है जो उपभोग वस्तुओं पर किया जाता है।
राष्ट्रीय आय में से लोग अपनी आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए मुद्रा की जो राशि खर्च करते हैं उसे उपभोग या कुल उपभोग व्यय कहते हैं।
(a) उपभोग किसे कहते हैं? इसे प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं?
(b) उपभोग प्रवृत्ति क्या है? यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर-
(a) उपभोग से अभिप्राय किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष की अवधि में उपभोग पर किए जाने वाले कुल व्यय से लिया जाता है।
उपभोग पर कई तत्त्वों जैसे वस्तु की कीमत, आय, फैशन आदि का प्रभाव पड़ता है। परन्तु उपभोग पर सबसे अधिक प्रभाव आय का पड़ता है। साधारणतया आय के बढ़ने से उपभोग बढ़ता है। परन्तु उपभोग में होने वाली वृद्धि आय में होने वाली वृद्धि की तुलना में कम होती है।
(b) आय के विभिन्न स्तरों पर उपभोग की विभिन्न मात्राओं को प्रकट करने वाली अनुसूची को उपयोग प्रवृत्ति कहा जाता है।
PSEB 10th Class Economics Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न 1

  1. औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average Propensity to Consume) — कुल व्यय तथा कुल आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है। इससे मालूम होता है कि लोग अपनी कुल आय का कितना भाग उपभोग पर खर्च करेंगे तथा कितना भाग बचाएंगे। इसे ज्ञात करने के लिए उपभोग को आय से भाग कर दिया जाता है अर्थात
    PSEB 10th Class Economics Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न 2
  2. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (Marginal Propensity to Consume) — आय में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उपभोग में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
    PSEB 10th Class Economics Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न 3

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(3)

सार्वजनिक वित्त दो शब्दों से मिलकर बना है: सार्वजनिक + वित्त। सार्वजनिक शब्द का अर्थ है जनता का समूह जिसका प्रतिनिधित्व सरकार करती है और वित्त का अर्थ है मौद्रिक साधन। अतएव सार्वजनिक वित्त से अभिप्राय किसी देश की सरकार के वित्तीय साधनों अर्थात् आय और व्यय से है। अर्थशास्त्र के जिस भाग में सरकार की आय तथा व्यय संबंधी समस्याओं का अध्ययन किया जाता है उसे सार्वजनिक वित्त कहा जाता है। अतएव सार्वजनिक वित्त राजकीय संस्थानों जैसे केन्द्रीय, राज्य या स्थानीय सरकारों के मामलों का अध्ययन है। सार्वजनिक वित्त में सरकार की आय अर्थात् कर, ब्याज, लाभ आदि शामिल होते हैं। सार्वजनिक व्यय जैसे सुरक्षा, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योगों, कृषि आदि पर किया गया व्यय तथा सार्वजनिक ऋण का अध्ययन किया जाता है। समय के साथ-साथ प्रत्येक देश की सरकार के द्वारा की जाने वाली आर्थिक क्रियाओं में बहुत अधिक वृद्धि हो गई है। इसके साथ-साथ सार्वजनिक वित्त का क्षेत्र भी बहुत अधिक विस्तृत हो गया है। इसके अन्तर्गत केवल राज्य की आय और व्यय का अध्ययन ही नहीं किया जाता बल्कि विशेष आर्थिक उद्देश्यों जैसे पूर्ण रोजगार, आर्थिक विकास, आय तथा धन का समान वितरण, कीमत स्थिरता आदि से संबंधित सरकार की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन भी किया जाता है।
(a) सरकार की आय के मुख्य साधन क्या हैं?
(b) सार्वजनिक वित्त के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
(a) सरकार की आय का मुख्य साधन कर (Tax) है। कर दो प्रकार का होता है।

  1. प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes) — प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो उसी व्यक्ति द्वारा पूर्ण रूप से दिया जाता है जिस पर कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए आय कर, उपहार कर, निगम कर, सम्पत्ति कर आदि प्रत्यक्ष कर हैं।
  2. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) — अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है जिन्हें सरकार को एक व्यक्ति देता है तथा इनका भार दूसरे व्यक्ति को उठाना पड़ता है। अप्रत्यक्ष कर की परिभाषा उन करों के रूप में की जाती है जो वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगाए जाते हैं, अतः लोगों पर यह अप्रत्यक्ष रूप से लगाए जाते हैं। बिक्री कर, उत्पादन कर, मनोरंजन कर, आयात-निर्यात कर अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं।

(b) सार्वजनिक वित्त के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं:

  1. आय तथा सम्पत्ति का पुनः वितरण (Redistribution of Income and Wealth) — सार्वजनिक वित्त से सरकार कराधान तथा आर्थिक सहायता से आय और सम्पत्ति के बंटवारे में सुधार लाने हेतु प्रयासरत रहती है। संपत्ति और आय का समान वितरण सामाजिक न्याय का प्रतीक है जो कि भारत जैसे किसी भी कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य होता है।
  2. साधनों का पुनः आबंटन (Reallocation of Resources) — निजी उद्यमी सदैव यही आशा करते हैं कि साधनों का आबंटन उत्पाद के उन क्षेत्रों में किया जाए जहां ऊंचे लाभ प्राप्त होने की आशा हो। किन्तु यह भी संभव है कि उत्पादन के कुछ क्षेत्रों (जैसे शराब का उत्पादन) द्वारा सामाजिक कल्याण में कोई वृद्धि न हो। अपनी बजट संबंधी नीति द्वारा देश की सरकार साधनों का आबंटन इस प्रकार करती है जिससे अधिकतम लाभ तथा सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकें। उन वस्तुओं (जैसे शराब, सिगरेट) के उत्पादन पर भारी कर लगाकर उनके उत्पादन को निरुत्साहित किया जा सकता है। इसके विपरीत ‘सामाजिक उपयोगिता वाली वस्तुओं’ (जैसे ‘खादी’) के उत्पादन को आर्थिक सहायता देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
  3. आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) — बाज़ार शक्तियों (मांग तथा पूर्ति की शक्तियों) की स्वतन्त्र क्रियाशीलता के फलस्वरूप व्यापार चक्रों का समय-समय पर आना अनिवार्य होता है। अर्थव्यवस्था में तेजी और मंदी के चक्र चलते हैं। सरकार अर्थव्यवस्था को इन व्यापार चक्रों से मुक्त रखने के लिए सदैव वचनबद्ध होती है। बजट सरकार के हाथ में एक महत्त्वपूर्ण नीति अस्त्र है जिसके प्रयोग द्वारा वह अवस्फीति तथा मुद्रा स्फीति की स्थितियों का मुकाबला करती है।

(4)

प्रत्येक अल्पविकसित देश में उद्योगों, कृषि आदि अन्य क्षेत्रों का विकास तभी संभव हो सकता है, जब आधारिक संरचना पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों। आधारिक संरचना के अभाव में उद्योगों, कृषि आदि क्षेत्रों के विकास में रुकावटें उत्पन्न हो जाती हैं तथा उनकी वृद्धि दर कम हो जाती है। उदाहरण के लिए हम प्रतिदिन अनुभव करते हैं कि भारत में बिजली की कमी के कारण उद्योगों तथा कृषि को कितनी हानि उठानी पड़ती है। इसी प्रकार यदि यातायाद के साधन अपर्याप्त हों तो उद्योगों को समय पर कच्चा माल नहीं मिल सकेगा तथा उनका तैयार माल बाजार में नहीं पहुंच सकेगा। अतएव आधारिक संरचना की कमी उद्योगों तथा कृषि आदि उत्पादक क्षेत्रों के विकास की दर को कम कर देती है। इसके विपरीत आधारिक संरचना की उचित उपलब्धता इनके विकास की दर को तेजी से बढ़ाने में सहायक हो सकती है।
(a) आधारिक संरचना से क्या अभिप्राय है?
(b) आर्थिक आधारिक संरचना का अर्थ बताएं। महत्त्वपूर्ण आर्थिक संरचनाएं कौन-सी हैं?
उत्तर-
(a) किसी अर्थव्यवस्था के पूंजी स्टॉक के उस भाग को जो विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने की दृष्टि से आवश्यक होता है, आधारिक संरचना कहा जाता है।
(b) आर्थिक आधारिक संरचना से अभिप्राय उस पूंजी स्टॉक से है जो उत्पादन प्रणाली को प्रत्यक्ष सेवाएं प्रदान करता है। उदाहरणादि-देश की यातायात प्रणाली रेलवे, वायु सेवाएं, उत्पादन तथा वितरण प्रणाली के एक हिस्से के रूप में ही सेवाएं प्रदान करतें हैं। इसी प्रकार बैंकिंग प्रणाली, मुद्रा तथा पूंजी बाज़ार दूसरे हिस्से के रूप में उद्योगों तथा कृषि को वित्त प्रदान करती है। महत्त्वपूर्ण आर्थिक संरचनाएं निम्नलिखित हैं

  1. परिवहन तथा संचार
  2. विद्युत् शक्ति
  3. सिंचाई
  4. बैंकिंग तथा अन्य वित्तीय संस्थाएं।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(5)

आधुनिक युग उपभोक्तावाद का युग है। उपभोक्ताओं के उपयोग एवं सुविधा के लिए प्रतिदिन नए उपभोक्ता पदार्थों की पूर्ति की जा रही है। नए प्रकार के खाद्य पदार्थों, नए फैशन के कपड़ों, सजावट के समान, गृहस्थी के उपयोग के लिए नए उपकरणों, परिवहन के नए साधनों, मनोरंजन के नए यन्त्रों जैसे-रंगीन टी०वी० विडियो आदि का निरन्तर आविष्कार तथा उत्पादन किया जा रहा है। इन वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए विज्ञापन तथा प्रचार का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है। आज का उपभोक्ता आकर्षक विज्ञापनों तथा अनेक उत्पादकों के प्रचार के आधार पर अपने उपभोग की सामग्री का चुनाव करता है। इस संबंध में उसका कई प्रकार से शोषण किया जाता है। उपभोक्ता को इस शोषण से संरक्षण देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण की विधि प्रारम्भ की गई है।
(a) उपभोक्ता संरक्षण से क्या अभिप्राय है?
(b) उपभोक्ता के शिक्षण का अर्थ बताएं।
उत्तर-
(a) उपभोक्ता संरक्षण से अभिप्राय है कि उपभोक्ता वस्तुओं के उपभोक्ताओं की उत्पादकों के अनुचित व्यापार व्यवहारों के फलस्वरूप होने वाले शोषण से रक्षा करना।
(b) उपभोक्ता के हितों का संरक्षण करने के लिए उन्हें शिक्षित किया जाना भी आवश्यक है। इस उद्देश्य के लिए प्रतिवर्ष देश भर में 15 से 21 मार्च तक उपभोक्ता सप्ताह (Consumer’s Week) मनाया जाता है। इसमें उपभोक्ताओं में उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता जगाने पर विशेष जोर दिया जाता है। इस अवसर पर प्रदर्शनियों, गोष्ठियों तथा नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया जाता है। उनमें उपभोक्ताओं को बताया जाता है कि उन्हें मिलावट, कम तोलने जैसे अनुचित व्यापारिक गतिविधियों के बारे में क्या करना चाहिए तथा इस संबंध में उन्हें कौन-सी कानूनी सुविधाएं प्राप्त हैं।

(6)

भारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता है क्योंकि भारत में आज भी 68 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर रही है। स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतवासियों ने अंग्रेजों से पिछड़ी हुई कृषि अर्थव्यवस्था ही विरासत में पाई थी। महात्मा गाँधी भी कृषि को “भारत की आत्मा” मानते थे। नेहरू जी ने भी इसलिए कहा था, “कृषि को सर्वाधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।” डॉ० वी०के०वी० राव ने कृषि के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा था, “यदि पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत विकास के विशाल पहाड़ को लांघना है तो कृषि के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना आवश्यक है।” प्रसिद्ध अर्थशास्त्री विद्वान् दांते वाला के अनुसार, “भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र की सफलता देश को आर्थिक प्रगति के मार्ग की तरफ अग्रसर करती है।”
(a) कृषि से क्या अभिप्राय है?
(b) भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
(a) अंग्रेजी भाषा का एग्रीकल्चर शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों एग्री (Agri), खेत (Field) तथा कल्चर (Culture) (खेती) (Cultivation) से लिया गया है। दूसरे शब्दों में, एक खेत में पशुओं तथा फसलों के उत्पादन सम्बन्धी कला व विज्ञान को कृषि कहते हैं। अर्थशास्त्र में इस शब्द का प्रयोग खेती की क्रिया में सम्बन्धित प्रत्येक विषय में किया जाता है। कृषि का मुख्य उद्देश्य मज़दूरी पदार्थों जैसे अनाज, दूध, सब्जियाँ, दालों तथा उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करना है।
(b) भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्व निम्नलिखित है.

  1. राष्ट्रीय आय (National Income) — भारत की राष्ट्रीय आय का लगभग एक चौथाई भाग कृषि, वन आदि प्राथमिक क्रियाओं से प्राप्त होता है। योजनाकाल में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान विभिन्न वर्षों में 14.2 प्रतिशत से 51 प्रतिशत तक रहा है। .
  2. कृषि तथा रोज़गार (Agriculture and Employments) — भारत में कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत है। भारत में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा कार्यशील जनसंख्या कृषि क्षेत्र में लगी हुई है। भारत में लगभग दो तिहाई जनसंख्या कृषि क्षेत्र पर निर्भर रहती है।
  3. कृषि तथा उद्योग (Agriculture and Industry) — कृषि क्षेत्र के द्वारा कई उद्योगों को कच्चा माल जैसेकपास, जूट, गन्ना तिलहन आदि प्राप्त होते हैं। कृषि के विकास के कारण लोगों की आय में वृद्धि होती है इसलिए वे उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं की अधिक मांग करते हैं। इसके फलस्वरूप उद्योगों के बाजार का विस्तार होता है।
  4. यातायात (Transport) — यातायात के साधनों जैसे रेलों, मोटरों, बैलगाड़ियों की आय का एक मुख्य साधन अनाज तथा अन्य कृषि पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाना ले जाना है।
  5. सरकार की आय (Government Income) — राज्य सरकारें अपनी आय का काफी भाग मालगुजारी से प्राप्त करती है। मालगुजारी राज्य सरकारों की आय का परम्परागत साधन है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(7)

हरित क्रान्ति दो शब्दों से मिलकर बना है-हरित + क्रान्ति। हरित शब्द का अर्थ है हरियाली तथा क्रान्ति शब्द का अर्थ है इतनी तेजी से होने वाला परिवर्तन कि सभी उसकी ओर आश्चर्य से देखते रह जाएं। इस शब्द का प्रयोग कृषि के उत्पादन के लिए किया गया है। भारत में पहली तीन योजनाओं की अवधि में अपनाए गए कृषि सुधारों के कारण 1967-68 में अनाज के उत्पादन में पिछले वर्ष (1966-67) की तुलना में लगभग 25% की वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी अधिक वृद्धि होना एक क्रान्ति के समान था। इस कारण अर्थशास्त्रियों ने अमाज के उत्पादन में होने वाली इस वृद्धि को हरित क्रान्ति का नाम दिया है।
(a) हरित क्रान्ति के प्रभाव बताएं।
(b) हरित क्रान्ति क्या है? इसकी विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
(a) हरित क्रान्ति के प्रभाव निम्नलिखित रहे हैं-

  1. उत्पादन में वृद्धि (Increase in Production) — हरित क्रान्ति के फलस्वरूप 1967-68 और उसके बाद के वर्षों में फसलों के उत्पादन में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई है। 1967-68 के वर्ष जिसे हरित क्रान्ति का वर्ष कहा जाता है, में अनाज का उत्पादन बढ़कर 950 लाख टन हो गया।
  2. पूंजीवादी खेती (Capitalistic Farming) — हरित क्रान्ति का लाभ उठाने के लिए धन की बहुत अधिक आवश्यकता है। इतना धन केवल वे ही किसान खर्च कर सकते हैं जिनके पास कम-से-कम 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि हो। अतएव हरित क्रान्ति के फलस्वरूप देश में पूंजीवादी खेती को प्रोत्साहन मिला है।
  3. किसानों की समृद्धि (Prosperity of the Farmers) — हरित क्रान्ति के फलस्वरूप किसानों की अवस्था में काफी सुधार हुआ है। उनका जीवन स्तर पहले से बहुत ऊँचा हो गया है। कृषि का व्यवसाय एक लाभदायक व्यवसाय माना जाने लगा है। कई व्यवसायी इस ओर आकर्षित होने लगे हैं। देश में उपभोक्ता, वस्तुओं की मांग में वृद्धि हुई है। आवश्यकता की उच्चकोटि की वस्तुओं तथा विलासिता के पदार्थों की मांग बढ़ गई है। इसका औद्योगिक विकास पर भी उचित प्रभाव पड़ा है।
  4. खाद्यान्न के आयातों में कमी (Reduction in Imports of Food Grains) — हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप भारत में खाद्यान्न के आयात पहले की अपेक्षा कम होने लगे हैं।

(b) हरित क्रान्ति से अभिप्राय कृषि उत्पादन विशेष रूप से गेहूँ तथा चावल के उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि में अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग की नई तकनीक अपनाने के कारण सम्भव हुई।
विशेषताएं-

  1. भारत में 1968 का वर्ष हरित क्रान्ति का वर्ष था।
  2. इसमें “पंत” कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर ने कई किस्मों के बीजों के माध्यम से एक सराहनीय सहयोग दिया।
  3. हरित क्रान्ति लाने में भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान नई दिल्ली का भी सहयोग सराहनीय है।
  4. भारत में इस क्रान्ति को लाने का श्रेय डॉ० नोरमान वरलोग तथा एम०एन० स्वामीनाथन को जाता है।

(8)

भारत जैसे अल्पविकसित देशों की आर्थिक प्रगति के लिए औद्योगीकरण एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। उद्योगों के विकास द्वारा ही आय, उत्पादन तथा रोजगार की मात्रा को बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में वृद्धि की जा सकती है। स्वतन्त्रता से पहले भारत में उद्योगों का बहुत ही कम विकास हुआ था, परन्तु आजादी के बाद सरकार ने देश के औद्योगिक विकास को बहुत अधिक महत्त्व दिया। इसके फलस्वरूप देश में कई उद्योग स्थापित किए गए तथा पुराने उद्योगों की उत्पादन क्षमता तथा कुशलता में भी वृद्धि की गई। भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं में भी उद्योगों के विकास को काफी महत्त्व दिया गया है।
(a) औद्योगिक विकास का महत्त्व स्पष्ट करें।
(b) उद्योग किस प्रकार सन्तुलित अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहायक है?
उत्तर-
(a)

  1. रोज़गार (Employment) — औद्योगीकरण के फलस्वरूप नए-नए उद्योगों का निर्माण होता है। देश के लाखों बेरोजगारों को इन उद्योगों में काम मिलने लगता है। इससे बेरोज़गारी कम होती है।
  2. आत्म निर्भरता (Self Sufficiency) — उद्योगों के विकास से देश की आवश्यक वस्तुएं देश में ही उत्पन्न होने लगेंगी। उनके लिए विदेशों पर निर्भरता कम हो जाएगी। इस प्रकार भारत कई वस्तुओं व सामान में आत्म निर्भर हो जाएगा। .
  3. राष्ट्रीय आय में वृद्धि (Increase in National Income) — भारत में औद्योगीकरण से प्राकृतिक साधनों का उचित प्रयोग हो सकेगा। इससे उत्पादन तथा व्यापार बढ़ेगा, राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी तथा लोगों की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगी।
  4. राष्ट्रीय प्रतिरक्षा के लिए जरूरी (Essential for National Defence) — औद्योगीकरण से देश में लोहा, इस्पात, रसायन, हवाई जहाज़, सुरक्षा आदि कई उद्योगों की स्थापना हो जाएगी। इन उद्योगों का देश की प्रतिरक्षा के लिए बहुत महत्त्व है, क्योंकि इन उद्योगों से युद्ध के लिए बहुत सामान तैयार किया जाता है।
  5. भूमि पर जनसंख्या के दबाव में कमी (Less pressure of population on Land) — भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर करती है। इसके फलस्वरूप खेती काफी पिछड़ी हुई है। उद्योगों के विकास के कारण कृषि पर जनसंख्या का दबाव कम हो जाएगा। इससे कृषि जोतों का आकार बढ़ेगा व खेती की अधिक उन्नति हो सकेगी।

(b) भारत की अर्थव्यवस्था असन्तुलित है, क्योंकि देश की अधिकतर जनसंख्या व पूंजी कृषि में लगी हुई है। कृषि में अनिश्चितता है। औद्योगीकरण से अर्थव्यवस्था सन्तुलित होगी तथा कृषि की अनिश्चितता कम हो जाएगी।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(9)

“कुटीर उद्योग वह उद्योग हैं जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से परिवार के सदस्यों की सहायता से एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जा सकता है।” इस प्रकार के उद्योग, अधिकतर कारीगर अपने घरों में ही चलाते हैं। मशीनों का प्रयोग बहुत कम किया जाता है। ये उद्योग प्रायः स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इन उद्योगों को परिवारों के सदस्य ही चलाते हैं। मज़दूरी पर लगाए गए श्रमिकों का प्रयोग बहुत कम होता है। इनमें पूंजी बहुत कम लगती है। इन उद्योगों के अधिकतर गाँवों में स्थित होने से उन्हें ग्रामीण उद्योग भी कहा जाता है।
(a) कुटीर व लघु उद्योगों में क्या अन्तर है?
(b) कुटीर उद्योगों की समस्याएं क्या होती हैं?
उत्तर-
(a)

  1. कुटीर उद्योग प्रायः गाँवों में होते हैं जबकि लघु उद्योग अधिकतर शहरों में होते हैं।
  2. कुटीर उद्योग सामान्यत: स्थानीय माँग की पूर्ति करते हैं जबकि लघु उद्योग शहरी एवं अर्द्ध शहरी क्षेत्रों के लिए माल पैदा करते हैं। अत: उत्पादन का बाजार विस्तृत होता है।
  3. कुटीर उद्योग में परिवार के व्यक्ति ही काम करते हैं जबकि लघु उद्योग में भाड़े के श्रमिकों से काम लिया जाता है।
  4. कुटीर उद्योगों में सामान्य औज़ारों से उत्पादन होता है तथा पूंजी बहुत कम खर्च होती है जबकि लघु उद्योग शक्ति से चलते हैं तथा नियोजित पूंजी भी अधिक खर्च होती है।
  5. कुटीर उद्योग में परम्परागत वस्तुओं का उत्पादन जैसे चटाई, जूते आदि बनाए जाते हैं जबकि लघु उद्योग में आधुनिक वस्तुओं जैसे-रेडियो, टेलीविज़न और इलैक्ट्रॉनिक सामान आदि का उत्पादन किया जाता है।

(b)

  1. कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या (Problem of Raw Material and Power) — इन उद्योग धन्धों को कच्चा माल उचित मात्रा में नहीं मिल पाता तथा जो माल मिलता है उसकी किस्म बहुत घटिया होती है और उसका मूल्य भी बहुत अधिक देना पड़ता है। इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इन उद्योगों को बिजली तथा कोयले की कमी रहती है।
  2. वित्त की समस्या (Problem of Finance) — भारत में इन उद्योगों को ऋण उचित मात्रा में नहीं मिल पाता है। उन्हें वित्त के लिए साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है जो ब्याज की ऊँची दर लेते हैं।
  3. बिक्री सम्बन्धी कठिनाई (Problems of Marketing) — इन उद्योगों को अपनामाल उचित मूल्य एवं मात्रा में बेचने के लिए काफी कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं। जैसे इन उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बाहरी दिखावट अच्छी नहीं होती है।
  4. उत्पादन के पुराने तरीके (Old Methods of Production) — इन उद्योगों में अधिकतर उत्पादन के पुराने ढंग भी अपनाए जाते हैं। पुराने औज़ार जैसे-तेल निकालने की हानियाँ अथवा कपड़ा बुनने के लिए हथकरघा ही प्रयोग में लाया जाता है। इसके फलस्वरूप उत्पादन की मात्रा में कमी होती है तथा वस्तु घटिया किस्म की तैयार होती है। इन वस्तुओं की बाजार में मांग कम हो जाती है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(10)

भारत के आर्थिक विकास में बड़े पैमाने के उद्योगों का बहुत महत्त्व है। उद्योगों में निवेश की गई स्थायी पूँजी का अधिकतर भाग बड़े उद्योगों में ही निवेश किया गया है। देश के औद्योगिक उत्पादन का बड़ा भाग इन्हीं उद्योगों से प्राप्त होता है।
(a) बड़े उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
(b) बड़े उद्योगों का देश के औद्योगिकीकरण में महत्त्व बताएं।
उत्तर-
(a)

  1. आधारभूत उद्योग (Basic Industries) — आधारभूत उद्योग वे उद्योग हैं, जो कृषि तथा उद्योगों को आवश्यक इन्पुट्स प्रदान करते हैं। इनके उदाहरण हैं-स्टील, लोहा, कोयला, उर्वरक तथा बिजली।।
  2. पूंजीगत वस्तु उद्योग (Capital Goods Industries) — पूंजीगत उद्योग वे उद्योग हैं जो कृषि तथा उद्योग के लिए मशीनरी और यन्त्रों का उत्पादन करते हैं। इनमें मशीनें, मशीनी औजार, ट्रैक्टर, ट्रक आदि शामिल किए जाते हैं।
  3. मध्यवर्ती वस्तु उद्योग (Intermediate Goods Industries) — मध्यवर्ती वस्तु उद्योग वे उद्योग हैं जो उन वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनका दूसरी वस्तु के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। इनके उदाहरण हैं टायर्स, मोबिल ऑयल आदि।
  4. उपभोक्ता वस्तु उद्योग (Consumer Goods Industries) — उपभोक्ता वस्तु उद्योग वे उद्योग हैं जो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन, करते हैं। इनमें शामिल हैं चीनी, कपड़ा, कागज़ उद्योग आदि।

(b)

  1. पूंजीगत तथा आधारभूत वस्तुओं का उत्पादन (Production of Capitalistic and Basic Goods) — देश के औद्योगिकीकरण के लिए पूंजीगत वस्तुओं जैसे मशीनों, यन्त्रों तथा आधारभूत वस्तुओं जैसे इस्पात, लोहे, रासायनिक पदार्थों आदि का बहुत अधिक महत्त्व है। इन पूंजीगत तथा आधारभूत वस्तुओं का उत्पादन बड़े उद्योगों द्वारा ही सम्भव है।
  2. आर्थिक आधारित संरचना (Economic Infrastructure) — औद्योगिकीकरण के लिए आर्थिक संरचना अर्थात् यातायात के साधन, बिजली, संचार व्यवस्था आदि की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। यातायात के साधनों जैसे रेलवे के इन्जनों तथा डिब्बों, ट्रकों, मोटरों, जहाजों आदि का उत्पादन बड़े पैमाने के उद्योगों द्वारा ही किया जा सकता है।
  3. अनुसन्धान तथा उच्च तकनीक (Research and High Techniques) — किसी देश के औद्योगिकीकरण के लिए अनुसन्धान तथा उच्च तकनीक का बहुत महत्त्व है। इनके लिए बहुत अधिक मात्रा में धन तथा योग्य अनुसन्धानकर्ताओं की आवश्यकता होती है। बड़े पैमाने के उद्योग ही अनुसन्धान तथा योग्य अनुसन्धानकर्ताओं के लिए आवश्यक धन का प्रबन्ध कर सकते हैं।
  4. उत्पादकता में वृद्धि (Increase in Productivity) — बड़े पैमाने के उद्योगों में निवेश बहुत मात्रा में होने के कारण प्रति इकाई पूंजी बहुत अधिक होती है। इससे प्रति इकाई उत्पादकता में भारी वृद्धि होती है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

PSEB 10th Class Agriculture Guide कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
घरेलू स्तर पर कौन-सी फसलों को सुखाकर पाऊडर बनाया जा सकता है ?
उत्तर-
हल्दी, मिर्च आदि।

प्रश्न 2.
कृषि पर आधारित कामों के लिए कहां से प्रशिक्षण लिया जा सकता है?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना।

प्रस्न 3.
एग्रो प्रोसेसिंग कंपलैक्स में लगने वाली कोई दो (चार) मशीनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मिनी चावल मिल, छोटी आटा चक्की, ग्राईंडर, पेंजा, कोहलू।

प्रश्न 4.
मैंथा का तेल कौन-सी चीज़ों में प्रयुक्त होता है?
अथवा
मैंथे का तेल क्या-क्या काम आता है?
उत्तर-
दवाइयां, सेंट, शृंगार का सामान आदि में।

प्रश्न 5.
एक क्विटल गन्ना पेर कर कितना गुड़ तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
10-12 किलो ग्राम।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

प्रश्न 6.
दानों में कटाई के बाद कितना नुकसान होता है ?
उत्तर-
10%.

प्रश्न 7.
विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ और क्या करना चाहिए ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-
किसी औद्योगिक धंधे सम्बन्धी सामर्थ्य विकसित करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
कोई भी व्यापार करने से पहले किस चीज़ की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
प्राथमिक प्रशिक्षण की।

प्रश्न 9.
प्रोसेसिंग के दौरान 100 किलो ग्राम कच्ची हल्दी से कितना पाऊडर तैयार किया जा सकता है?
अथवा
100 किलो कच्ची हल्दी में से प्रोसेसिंग के दौरान कितना हल्दी पाऊडर तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
15-20 कि० ग्रा० ।

प्रश्न 10.
मैंथा प्रोसेसिंग के दौरान तेल तथा पानी को कैसे अलग किया जाता है?
उत्तर-
सैपरेटर की सहायता से।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
सहकारी स्तर पर किस तरह की खेती आधारित कारखाने लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों की प्रोसेसिंग के लिए डीहाईड्रेशन प्लांट तथा फ्रीजिंग प्लांट आदि लगाने के लिए बहुत खर्चा (लगभग 30 लाख रुपए) होता है। इसलिए ऐसे कारखाने सहकारी स्तर पर लगाए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
कौन-से प्रमुख साधनों की कमी के कारण हमारे देश में अनाज का नुकसान हो रहा है?
उत्तर-
हमारे देश में भंडारण तथा प्रोसेसिंग के बढ़िया साधनों की कमी के कारण कटाई के बाद अनाज की हानि हो रही है।

प्रश्न 3.
अनाज के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
अनाज के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
कृषि पर आधारित व्यापार किस तरह किसानों की आमदन बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं?
उत्तर-
कृषि उत्पादों की छोटे स्तर पर प्रोसेसिंग कर के बेचने से किसान अधिक आमदन कमा सकता है तथा कृषि आधारित व्यापार; जैसे मुर्गी पालन, डेयरी का धंधा आदि की छोटे स्तर पर एग्रो प्रोसेसिंग करके भी आय प्राप्त की जा सकती है।

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प्रश्न 5.
मैंथे की प्रोसेसिंग कैसे की जाती है?
उत्तर-
मैंथे की फसल में से तेल निकालने के लिए मैंथे प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा सकता है।
मैंथे की फसल को खुले में सुखाया जाता है ताकि नमी की मात्रा कम की जा सके। फिर इन को हवा बंद टैंकों में डाल कर अंदर दबाव द्वारा भाप भेजी जाती है। गर्म होने पर तेल भाप में मिल जाता है। तेल तथा भाप के कणों को एक दम ठंडा किया जाता है। पानी तथा तेल के मिश्रण को टैंक में इकट्ठा किया जाता है। इस टैंक को सैपरेटर कहा जाता है। तेल, पानी से हल्का होने के कारण ऊपर तैरता है। इसको ऊपर से नितार लिया जाता है तथा प्लास्टिक के बर्तनों में बंद कर लिया जाता है।

प्रश्न 6.
हल्दी की प्रोसेसिंग के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई मशीन के बारे में लिखिए।
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हल्दी को धोने तथा पालिश करने के लिए मशीन तैयार की गई है। इस मशीन में एक घण्टे में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी को धो सकते हैं तथा बाद में पालिश भी कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
गुड़ की प्रोसेसिंग में बुनियादी तकनीकी काम कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
बेलना नामक मशीन द्वारा गन्ने का रस निकाला जाता है तथा जो रस प्राप्त होता है उसको गर्म करके सघन किया जाता है तथा गुड़ बनाया जाता है।

प्रश्न 8.
एग्रो प्रोसेसिंग कम्पलैक्स में लगाई जाने वाली किन्हीं तीन मशीनों के नाम तथा उनके काम के बारे में बताइए।
उत्तर-
फल सब्जियां धोने वाली मशीन, डीहाइड्रेटर, स्लाइसर मशीनों का प्रयोग क्रमश: फलों सब्जियों को धोने के लिए, नमी सुखाने के लिए तथा स्लाइस बनाने में प्रयोग होता है।

प्रश्न 9.
फल सब्जियों के लिए फ्रीजिंग प्लांट किसानी स्तर पर क्यों नहीं लगाए जा सकते ?
उत्तर-
इनकी लागत बहुत अधिक है। लगभग 30 लाख रुपए का खर्चा आ जाता है। इसलिए इन्हें किसानी स्तर पर नहीं लगाया जा सकता।

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प्रश्न 10.
कौन-से खेती पदार्थों को घरेलू स्तर पर सुखाकर प्रतिदिन घर में प्रयोग किया जा सकता है?
अथवा
कोई चार कृषि उत्पादों के नाम लिखो, जिनका प्रयोग घरेलू स्तर पर सुखा कर किया जा सकता है ?
उत्तर-
मेथी, धनिया, मैंथा, मिर्च आदि को घर में सुखाकर प्रयोग किया जा सकता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
गांवों में कृषि पर आधारित व्यापार शुरू करने से क्या लाभ होगा ?
उत्तर-
साधारणतया कटाई के बाद अनाज की 10% तथा फलों सब्जियों की 3040% हानि हो जाती है। परन्तु यदि ग्रामीण स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट लगा लिए जाए तो इस हानि को काफ़ी कम किया जा सकता है। किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। बेरोज़गार नौजवानों को काम मिल सकता है तथा खाने पीने के लिए ताज़ी तथा उच्च स्तरीय वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं। रोज़गार के अधिक अवसरों तथा अधिक आमदन के कारण शहरों की तरफ जाने का रुझान भी कम होता है।

प्रश्न 2.
एक छोटे कृषि आधारित कारखाने में किस तरह की मशीनें लगाई जा सकती हैं तथा यह मशीनें कौन-सी फ़सलों की प्रोसेसिंग करेंगी?
उत्तर-
एक छोटे कृषि आधारित कारखाने में कई प्रकार की मशीनें लगाई जा सकती हैं, जैसे–

  • मिनी चावल मिल
  • तेल निकालने वाला कोल्हू
  • आटा चक्की
  • ग्राइंडर
  • दालों का कलीनर ग्रेडर तथा मिनी दाल मिल
  • पेंजा
  • छोटी फीड मिल आदि।

इन मशीनों में दालें, अनाज, तेल बीज, मसाले, कपास आदि की प्रोसेसिंग की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
गांवों से शहरों की ओर लोगों का रूझान रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिएं ?
उत्तर-
गांव से शहरों की ओर लोगों का रूझान इसलिए है कि गांव में अधिक रोज़गार के अवसर नहीं है तथा आमदन भी कम होती है। यदि गांव में रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएं तथा आमदन भी बढ़ाई जा सके तो यह रूझान रुक सकता है। इसलिए कृषि आधारित उद्योग धंधों को शुरू करने को बढ़ावा देना चाहिए।

नौजवान अपनी कृषि वस्तुओं के छोटे प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं। कई कृषि सम्बन्धी उद्योग-धंधे शुरू कर सकते हैं, जैसे-डेयरी फार्म, मछली पालन, मुर्गी पालन, खुम्भे उगाना, शहद की मक्खियां पालना आदि तथा इनके उत्पादों का स्वयं मण्डीकरण करके अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 4.
अधिक धन से लगने वाले कृषि पर आधारित काम शुरू करने के लिए कौन-सी नीति होनी चाहिए?
उत्तर-
कई ऐसे कार्य हैं जो कृषि आधारित हैं परन्तु उनको शुरू करने के लिए आरम्भिक खर्चा बहुत अधिक हो जाता है, जैसे-फल सब्जियों के लिए डीहाइड्रेशन तथा फ्रीजिंग प्लांट लगाने पर लगभग 30 लाख रुपए का खर्चा आ जाता है। ऐसी स्थिति में यह प्लांट किसानी स्तर पर न लगा कर, सहकारी स्तर पर या किसानों के समूहों द्वारा लगाए जाने चाहिए। इस तरह एक प्लांट का प्रयोग कई किसान कर सकते हैं तथा अपनी उपज की प्रोसेसिंग करवा कर मण्डीकरण के लिए ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 5.
हल्दी की प्रोसेसिंग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
अथवा
कच्ची हल्दी से हल्दी पाऊडर कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर-
हल्दी की प्रोसेसिंग करने के लिए ताज़ी हल्दी की गांठों को अच्छी तरह धो कर मिट्टी रहित किया जाता है। इस कार्य के लिए पी० ए० यू० द्वारा तैयार हल्दी धोने तथा पालिश करने वाली मशीन का प्रयोग किया जा सकता है। इस मशीन में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी को एक ही समय पर धोया जा सकता है। धोने के बाद हल्दी को उबाला जाता है तथा इस प्रकार गांठें नर्म हो जाती हैं। इनका रंग भी एक जैसा हो जाता है। हल्दी को खुले बर्तन में उबालने पर लगभग एक घण्टा लगता है परन्तु प्रेशर कुक्कर में 20 मिनट लगते हैं। उबालने के बाद हल्दी को धूप में सुखाया जाता है ताकि नमी की मात्रा 10% से कम हो जाए। इस कार्य के लिए अच्छी धूप में 15 दिन लग जाते हैं। इसके बाद हल्दी की ऊपरी सतह को उतारने के लिए पालिश किया जाता है तथा फिर हल्दी को ग्राइंडर में पीस लिया जाता है। इस प्रकार 100 कि० ग्र० ताजा हल्दी से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर प्राप्त हो जाता है।

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Agriculture Guide for Class 10 PSEB कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Important Questions and Answers

वस्तनिष्ठ प्रश्न

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
100 किलो ताजी हल्दी से ………….. किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता
(क) 25-30
(ख) 15-20
(ग) 5-10
(घ) 45-50.
उत्तर-
(ख) 15-20

प्रश्न 2.
एक क्विटल गन्ने में से ………. किलो गुड़ तैयार हो जाता है।
(क) 21-22
(ख) 30-35
(ग) 10-12
(घ) 18-20
उत्तर-
(ग) 10-12

प्रश्न 3.
दानों का कटाई के बाद लगभग ………. नुकसान होता है।
(क) 5%
(ख) 10%
(ग) 20%
(घ) 50%.
उत्तर-
(ख) 10%

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प्रश्न 4.
मैंथा का तेल …………. में प्रयोग होता है-
(क) दवाइयों
(ख) सेंट
(ग) श्रृंगार का सामान
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 5.
कटाई के बाद सब्जियों तथा फलों का …… नुकसान होता है।
(क) 15-20%
(ख) 20-30%
(ग) 30-40%
(घ) 10-15%.
उत्तर-
(ग) 30-40%

प्रश्न 6.
100 किलो गन्ना पेर (पीड़) कर कितना गुड़ तैयार किया जा सकता है ?
(क) 10-12 किलो
(ख) 40-45 किलो
(ग) 60-70 किलो
(घ) 30-35 किलो।
उत्तर-
(क) 10-12 किलो

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प्रश्न 7.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से हर महीने प्रकाशित किये जाने वाले पंजाबी पत्र (मैगज़ीन) का नाम क्या है ?
(क) चंगी खेती
(ख) मॉडर्न खेती
(ग) खेती दुनिया
(घ) कृषि जागरण।
उत्तर-
(क) चंगी खेती

प्रश्न 8.
कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल कौन-सी फसल से प्राप्त होता है ?
(क) गेहूँ
(ख) नरमा
(ग) गन्ना
(घ) सरसों।
उत्तर-
(ख) नरमा

प्रश्न 9.
तेल बीजों में से तेल निकालने वाली मशीन को क्या कहा जाता है ?
(क) कोल्हू
(ख) आटा चक्की
(ग) सीड ग्रेडर
(घ) ग्राइंडर।
उत्तर-
(ख) आटा चक्की

प्रश्न 10.
बीज साफ करने वाली मशीन को क्या कहा जाता है ?
(क) कोल्हू
(ख) आटा चक्की
(ग) सीड ग्रेडर
(घ) ग्राइंडर।
उत्तर-
(ग) सीड ग्रेडर

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॥. ठीक/गलत बताएं-

1. दानों में कटाई के बाद लगभग 10% हानि होती है।
2. मेंथा एक खरपतवार है।
3. 100 किलो ताज़ी हल्दी में से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता है।
4. एक क्विंटल गन्ने में से 30-40 किलो गुड़ तैयार हो सकता है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. गलत
  3. ठीक
  4. गलत।

II. रिक्त स्थान भरें-

1. कटाई के बाद फलों सब्जियों का …………… नुकसान हो जाता है।
2. सब्जियों को सुखाने के लिए …………….. का प्रयोग किया जाता है।
3. मैंथा प्रोसेसिंग के दौरान तेल तथा पानी को ……………… की सहायता से अलग किया जाता है।
4. ………………… फ़सल में से तेल निकालने के लिए मैंथा प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाता है।
उत्तर-

  1. 30-40%
  2. सोलर ड्रायर
  3. सेपरेटर
  4. मैंथा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
बेरोज़गारी का एक कारण बताओ।
उत्तर-
नौकरियां सीमित गिनती में होना।

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प्रश्न 2.
कटाई के बाद सब्जियों तथा फलों को कितनी हानि होती है?
उत्तर-
30-40%.

प्रश्न 3.
एग्रो प्रोसेसिंग कम्पलैक्स वाली मशीनों का खर्चा कितना है?
उत्तर-
5 से 20 लाख रुपए।

प्रश्न 4.
उबालने के बाद हल्दी सुखाने को कितने दिन लगते हैं ?
उत्तर-
अच्छी धूप में 15 दिन।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

प्रश्न 5.
हल्दी के प्रयोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
दवाइयाँ, शारीरिक सुंदरता के सामान तथा सूती वस्त्रों को बनाने में।

प्रश्न 6.
सब्जियों को सुखाने के लिए किस का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
सोलर ड्रायर।

प्रश्न 7.
कृषि से सम्बन्धित मासिक पत्रिका का नाम लिखें।
उत्तर-
‘चंगी खेती’।

प्रश्न 8.
पी० ए० यू० के कितने कृषि विज्ञान केन्द्र हैं ?
उत्तर-
17.

प्रश्न 9.
सौर (सोलर) ऊर्जा से सब्जियों को सुखाने के लिए कौन-सा उपकरण काम में लाया जाता है ?
उत्तर-
सोलर ड्रायर।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

प्रश्न 10.
आटा चक्की क्या काम आती है ?
उत्तर-
इसमें गेहूँ तथा अन्य दानों को पीस कर आटा तैयार किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
क्या कृषि आधरित उद्योग-धंधों के बारे सरकार की तरफ से या किसी अन्य संस्था की तरफ से आर्थिक सहायता उपलब्ध है ?
उत्तर–
सरकार तथा अन्य कई संस्थाओं द्वारा इन धंधों का प्रशिक्षण तथा आर्थिक सहायता दी जाती है।

प्रश्न 2.
एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट पर कितना खर्चा आता है तथा कितनी आय हो जाती है ?
उत्तर-
इन मशीनों पर 5 से 20 लाख का खर्चा आता है तथा 10 हज़ार से लेकर 50 हज़ार प्रति महीना कमाई हो जाती है।

प्रश्न 3.
हल्दी के प्रयोग के बारे में बताओ ( भोजन में)।
उत्तर-
हल्दी का प्रयोग कढ़ी, तरी, कई प्रकार की सब्जियों, बड़े स्तर पर भोजन से चटनी बनाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4.
कृषि से सम्बन्धित कोई दस सहायक धन्धों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. पशु पालना,
  2. पोल्टरी फार्म,
  3. मधुमक्खी पालन,
  4. मच्छी पालन,
  5. डेयरी फार्म,
  6. गुड़-शक्कर बनाना,
  7. सब्जियों को सुखा कर पैक करना,
  8. एग्रो प्रोसेलिंग कॉम्लेक्स,
  9. हल्दी प्रोसेसिंग प्लांट,
  10. खुम्भे लगाना।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

प्रश्न 5.
सौर (सोलर) ड्रायर से कौन-कौन-सी वस्तुएँ सुखाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
मेथी, धनिया, मिर्च, लहसुन और अनेक दवाइयों की तरह प्रयुक्त होने वाले पौधों आदि को सौर ड्रायर से सुखाया जाता है।

प्रश्न 6.
ग्रामीण स्तर पर आरम्भ किए जा सकने वाले कोई चार कृषि आधारित औद्योगिक धन्धों के नाम लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
हल्दी की प्रोसेसिंग के बारे में विस्तारपूर्वक बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 2.
मैंथा की प्रोसेसिंग के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

कृषि आधारित औद्योगिक धंधे PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ औद्योगिक धंधे सम्बन्धी सामर्थ्य भी विकसित करना चाहिए।
  • दानों में कटाई के बाद लगभग 10% हानि हो जाती है।
  • फलों में यह हानि 30-40% है।
  • किसान नई फसलें, जैसे हल्दी, मिर्च आदि की बुआई कर रहे हैं।
  • फसल की छोटे या किसानी स्तर पर प्रोसेसिंग आज के समय की मांग है।
  • कृषि आधारित व्यवसाय हैं-मुर्गी पालन, डेयरी का धंधा, खुम्भों का उत्पादन, शहद की मक्खियों का पालन आदि।
  • एग्रो प्रोसैसिंग काम्पलैक्स लगा कर चावल, गेहूँ, तेल बीज, मसालों, दालों, कपास आदि की प्रोसेसिंग की जा सकती है तथा 10 से 50 हज़ार रुपए प्रति माह , कमाए जा सकते हैं।
  • पी० ए० यू० द्वारा हल्दी धोने के लिए मशीन विकसित की गई है जो एक घण्टे में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी धो सकती है।
  • 100 किलो ताज़ी हल्दी में से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता है।
  • मैंथा का तेल दवाइयों, सेंट, शृंगार के सामान में प्रयोग किया जाता है।
  • एक क्विटल गन्ने से 10-12 किलो गुड तैयार हो जाता है।
  • सब्जियों को सुखाने के लिए सोलर ड्रायर का प्रयोग किया जाता है।
  • फल, सब्जियों के लिए डीहाइड्रेशन तथा फ्रीजिंग प्लांट में कई प्रकार की मशीनें होती हैं-जैसे-ब्लांचर, प्री कूलर, सलाईसर, डीहाइड्रेटर फ्रीजिंग यूनिट आदि।
  • पी० ए० यू० के भिन्न-भिन्न जिलों में 17 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं।
  • कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग करके अधिक कमाई की जा सकती है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules.

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. जिमनास्टिक टीम के खिलाड़ी = 8
  2. मुकाबला शुरू होने पर खिलाड़ी = नहीं
  3. बदला जा सकता है। ज्यूरी का फैसला = अंतिम
  4. चोट लगने पर या बीमार होने पर इंतज़ार किया जा सकता है। = 30 मिनट
  5. विजेता टीम के कितने खिलाड़ियों के अंक गिने जाते हैं। = 6 खिलाड़ी
  6. अंक दिये जाते हैं। = 0 से 10 तक
  7. बिना ज्यूरी के खिलाड़ी खेल छोड़ सकता है। = नहीं
  8. प्रतियोगिता के लिए अधिकारी = कम से कम 3 या पाँच
  9. लड़कों के लिए मुकाबले =
    • पैरेलल बार
    • वाल्टिंग होर्स
    • ग्राऊंड जिम्नास्टिक
    • हॉरिजोंटल बार
    • रोमन डिंग
    • पोमल होर्स।
  10. लड़कियों के लिए मुकाबले =
    • बीम बैलेंस (ज़रूरी)
    • ग्राऊंड जिम्नास्टिक (ज़रूरी)
    • अनइवर बार (ज़रूरी)
    • वाल्टिंग होर्स

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक्स का इतिहास लिखें।
उत्तर-
इतिहास (History)-जिमनास्टिक्स एक प्राचीन खेल है। 2600 ईसा पूर्व चीन में जिमनास्टिक्स के व्यायाम किए जाते थे। परंतु इसका वास्तविक विकास यूनान व रोम में शुरू हुआ। ‘जिमनास्टिक्स’ शब्द यूनानी भाषा के ‘जिम्नोस’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ ‘नग्न शरीर’ है। नग्न शरीर के द्वारा जो व्यायाम किए जाते हैं उन्हें जिमनास्टिक कहा जाता है। ये व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किए जाते थे। यूनान में जिमनास्टिक पर अधिक बल दिया। स्पार्टवासी अपने युवा वर्ग को जिमनास्टिक का प्रशिक्षण प्रदान कराने में अधिक कठोर थे। उन दिनों लड़कियों और लड़कों से यह आशा की जाती थी कि वह जिमनास्टिक द्वारा अपने स्वास्थ्य को ठीक रखें। यूनान और रोम की सभ्यताओं के पतन के साथ-साथ जिमनास्टिक भी यूनान और रोम से समाप्त हो गई।

जिमनास्टिक के महान् गाड फादर जॉन गुट्स मुथूस ने जिमनास्टिक को पर्शियन स्कूलों में शुरू किया। इस प्रकार जर्मनी ने जिमनास्टिक की पुनः खोज की जिस कारण सन् 1881 में अन्तर्राष्ट्रीय जिमनास्टिक फेडरेशन (International Gymnastic Federation) अस्तित्व में आई। सन् 1894 में पहली जिमनास्टिक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक्स खेलों में पुरुषों के लिए जिमनास्टिक को शामिल किया गया जबकि महिलाओं के लिए जिमनास्टिक को सन् 1928 के ओलम्पिक्स में शामिल किया गया। सन् 1974 एशियाई खेलों में पहली बार इसको शामिल किया गया जिसका आयोजन तेहरान में हुआ था। सन् 1975 में प्रथम विश्व कप का आयोजन हुआ था। जिमनास्टिक एक मनमुग्ध, आकर्षक और अत्यन्त लोकप्रिय खेल है।
जिमनास्टिक के नये सामान्य नियम (Latest General Rules Related to Gymnastics)—

  1. पुरुष छ: इवेंट्स में भाग लेते हैं जिनमें फ्लोर एक्सरसाइजिज़, वाल्टिंग हार्स, पोमेल्ड हार्स, रोमन रिग्स, हारीजोंटल बार और पैरलल बार्स होते हैं। महिलाएं चार इवेंट्स में भाग लेती हैं जिसमें वाल्टिंग हार्स, अन-ईवन बार्स, बैलेंसिंग बीम व फ्लोर एक्सरसाइज़िज होती हैं।
  2. सभी जिमनास्ट इवेंट के शुरू होने के पहले तथा बाद में जज के सामने उपस्थित होते हैं। वह सिग्नल मिलने पर ही व्यायाम शुरू करते हैं। अगर एक्सरसाइज के समय वे गिर जाएं तो उन्हें फिर शुरू करने के लिए 30 सैकेंड का समय दिया जाता है।
  3. टीम प्रतियोगिता के लिए प्रत्येक टीम के छह जिमनास्ट प्रत्येक एपरेंट्स पर एक अनिवार्य और एक ऐच्छिक एक्सरसाइज़ करते हैं। सबसे ऊँचे पांच स्कोर को जोड़ लिया जाता है जिससे टीम के अंक जोड़े जा सकें।
  4. जिमनास्ट के लिए उचित पोशाक पहनना आवश्यक है। वह पट्टियां बांध सकता है और स्लीपर्स पहन सकता है। जुराबें भी पहन सकता है। सिग्नल मिलने पर 30 सैकेंड में ही अपनी एक्सरसाइज़ शुरू करनी होती है। होरीजोंटल बार और रोमन रिंग्ज में कोच या एक जिमनास्ट होना ज़रूरी है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक के उपकरणों के बारे लिखें।
उत्तर-
खेल के मैदान एवं खेल से सम्बन्धित उपकरणों का वर्णन (Specification of Play field & Sports Equipment)—
(A) पुरुषों के लिए उपकरण (Equipment for men)
1. फर्श 12 × 12 मी०
2. पैरलल बार (Parallel Bar)
बार्स की लम्बाई = 3500 मि०मी०
बार्स की चौड़ाई = 420-520 मि०मी०
बार्स की ऊंचाई = 1750 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
3. हॉरीजोंटल बार (Horizontal Bar)
बार का व्यास = 28 मि०मी०
बार की ऊंचाई = 2.550-2.700 मि०मी०
बार की लम्बाई = 2.400 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
4. पोमेल हॉर्स (Pommel Horse)
पोमेल हार्स की लम्बाई = 1600 मि०मी०
पोमेल हार्स की चौड़ाई = 350 मि०मी०
फर्श की ऊँचाई = 1100 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
5. रोमन रिंग्स (Roman Rings)
व्यास (ग्रिप) = 28 मि०मी०
फर्श से स्टैंड की ऊँचाई = 5.500 मि०मी०
चमड़े की पट्टियों की लम्बाई = 700 मि०मी०
मोटाई = 4 मि०मी०
रिंग के अंदर का व्यास = 180 मि०मी०
फर्श से रिंग की ऊँचाई = 2.500 मि०मी०
चौड़ाई पटरियों की = 3.5 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
6. वॉल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)
वॉल्टिंग हॉर्स की ऊँचाई = 1350 मि०मी०
मध्य में समायोजन करने वाले स्टैप्स = 50 मि०मी०
हॉर्स की ऊँचाई = 1600 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5

महिलाओं के लिए उपकरण (Equipment for Women)
1. फर्श = 12 मी० × 12 मी०
2. वाल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)
वाल्टिंग हॉर्स की ऊँचाई = 1,250 मि०मी०
मध्य में समायोजन करने वाले स्टैप्स = 100-150 मि०मी०
हॉर्स की लम्बाई = 1,600 मि०मी०
3. बैलेसिंग बीम (Balancing Beam)
बीम की ऊँचाई = 1200 मि०मी०
बीम की लम्बाई = 1500 मि०मी०
बीम की चौड़ाई = 100 मि०मी०
ऊँचाई का समायोजन = 700-1200 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6
4. अन-ईवन बार (Uneven Bar)
अन-ईवन बार की लम्बाई = 2400 मि०मी०
फर्श से बार की ऊँचाई = 2300 मि०मी०
बार्स के बीच की दूरी = 580-900 मि०मी०
अपराइट्स का व्यास = 50-60 मि०मी०
अपराइट्स की मोटाई = 30 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 7
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 8

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

महत्त्वपूर्ण टूर्नामैंट्स
(Important Tournaments)

  1. ओलम्पिक गेम्स
  2. एशियन गेम्ज
  3. वर्ल्ड कप
  4. आल इंडिया इन्टर यूनिवर्सिटी जिमनास्टिक्स चैम्पियनशिप
  5. नेशनल चैम्पियनशिप
  6. फेडरेशन कप
  7. स्कूल नेशनल गेम्स
  8. चाइना कप।

प्रसिद्ध खिलाड़ी
(Famous Sports Personalities)
(क) भारतीय खिलाड़ी

  1. शामलाल
  2. कु० कृपाली पटेल
  3. डॉ० कल्पना देवनाथ
  4. मोण्टू देवनाथ
  5. अन्जू दुआ
  6.  सुनीता शर्मा ।

(ख) विदेशी खिलाड़ी

  1. ओलगा कोहबुत
  2. नादिया कोमानेली
  3. नेलोकिम
  4. लुदिमिला जिस्कोवा
  5. डोवलूपी
  6. कीरनजन्ज।
  7. एलीवश सादी।

प्रश्न
जिमनास्टिक के मुख्य कौशल लिखें।
उत्तर-
जिम्नास्टिक के मुख्य कौशल (Fundamental Skill of Gymnastics) पुरुषों के इवेंट्स (Men’s Events)
(A) पैरलल बार (Parrallel Bar)

  1. अप स्टार्ट
  2. फ्रंट अपराइज
  3. शोल्डर स्टैंट
  4. हैंड स्टैंड
  5. हैंड स्टैंड विद 180° टर्न
  6. हैंड स्टैंड टु फ्रंट टर्न ऑन दि शोल्डर
  7. वैकवर्ड रोल 8. हैंड स्टैंड टू कार्ट व्हील

(B) हॉरीजोंटल बार (Horizontal Bar)

  1. अप स्टार्ट विद ओवर ग्रिप
  2. अप स्टार्ट विद अंडर ग्रिप
  3. शॉर्ट सर्कल
  4. वन लैग सर्कल विद हील फुट
  5. हील फुट
  6. स्विंग विद श्रू वाल्ट।

(C) पोमेल्ड हार्स (Pommaled Horse)

  1. फ्रंट स्पोर्ट पोजीशन
  2. सिंगल लैग हॉफ सर्कल
  3. डबल लैग सर्कल्स
  4. फ्रंट सीजर्स।

(D) रोमन रिंग्स (Roman Rings)

  1. अप स्टार्ट
  2. बैक सर्कल टू बैक हैंग
  3. मसल-अप
  4. बैक लीवर
  5. बैक अपराइज
  6. डिस्लोकेशन
  7. बैक अपराइज विद एल पोजीशन।

(E) aitcent Era (Vaulting Horse)

  1. स्ट्रैडल वॉल्ट
  2. स्कैटवाल्ट
  3. कार्ट व्हील
  4. हैंड स्टैंड टू कार्ट व्हील
  5. हैंड स्प्रिंग।

(F) फर्श पर किए जाने वाले व्यायाम (Floor Exercises)

  1. फॉरवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  2. बैकवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  3. फॉरवर्ड रोल टु हैंड स्प्रिंग
  4. हैंड स्प्रिंग टु डाइव रोल
  5. राउंड ऑफ टु फ्लिक-फ्लैक
  6. वन लैग हैंड स्प्रिंग
  7. हैंड स्टैंड टु फारवर्ड रोल विद स्ट्रेट लैग्स।

महिलाओं के इवेंट्स (Women Events)
(A) बैलेसिंग बीम (Balancing Beam)

  1. गैलोप स्टैप विद बैलेंस
  2. सीर्जस जम्प
  3. फारवर्ड रोल
  4. बैकवर्ड रोल
  5. कार्ट व्हील
  6. ब्रिज
  7. बैलेंस
  8. डिस्काउंट

(B) वाल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)

  1. स्पलिट वॉल्ट
  2. हैंड स्प्रिंग
  3. स्कवैट वॉल्ट।

(C) अन-ईवन बार्स (Un-even Bars)

  1. स्प्रिंग ऑन अपर बार
  2. बैक अप-राइज
  3. वन लैग फारवर्ड सर्कल
  4. वन लैग बैकवर्ड सर्कल
  5. क्रास बैलेंस
  6. हैंड स्प्रिंग।

(D) फर्श के व्यायाम (Floor Exercises)

  1. फारवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  2. बैकवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  3. राउंड आफ
  4. स्लोबैक हैंड स्प्रिंग
  5. स्पलिट सिटिंग
  6. स्लो हैंड स्प्रिंग
  7. हैंड स्प्रिंग
  8. हैड स्प्रिंग।

खिलाड़ी
(Players)
टीम में आठ खिलाड़ी होते हैं और सभी खिलाड़ी सभी अभ्यासों में ही भाग लेते हैं। टीम चैम्पियनशिप के लिए छः सर्वोत्तम खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिना जाता है।

अंक या प्वाइंट
(Points)

  1. प्रत्येक अभ्यास के लिए 0 से 10 तक अंक लगाए जाते हैं। एक प्वाइंट के आगे 10 भागों में बांटा जाता है।
  2. यदि निर्णायकों का पैनल पांच का हो तो उच्चतम और न्यूनतम अंकों को जोड़ दिया जाता है और मध्य के तीन अंकों की औसत ले ली जाती है।
  3. यदि पैनल तीन निर्णायकों का हो तो तीनों के अंकों को ही औसत के लिए लिया जाता है।

निर्णय
(Decision)

  1. पांच या कम-से-कम तीन निर्णायक प्रत्येक इवेंट के लिए प्रतियोगिता की समाप्ति तक रखे जाते हैं। इसमें से एक मुख्य निर्णायक माना जाता है।
  2. निर्णायक प्रत्येक उपकरण (आप्रेटस) पर पहले खिलाड़ी के कौतुक के आधार पर अंकों बारे शेष खिलाड़ियों के कौतुकों का मूल्यांकन करते हैं। अभ्यास के लिए परामर्श भी कर सकते हैं ताकि सामान्य आधार का निर्णय कर सकें।
  3. इसके पश्चात् वे स्वतन्त्र रूप में निर्णय करते हैं और किसी विशेष बात (जैसे कि दुर्घटना) के अतिरिक्त वे परामर्श नहीं करते।
  4. तीनों निर्णायकों के अंकों की औसत से परिणाम निकाला जाएगा।
  5. यदि दो निर्णायकों के अंकों में मतभेद हो तो मुख्य निर्णायक की अंकों की संख्या भी देखी जाती है।
  6. मुख्य निर्णायक का यह कर्त्तव्य है कि वह अन्य दोनों निर्णायकों की सन्धि करवाए। यदि ऐसा न हो सके तो मुख्य निर्णायक अपना निर्णय सुना सकता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक्स के साधारण नियम लिखें।
उत्तर-
प्रतियोगिता के सामान्य नियम
(General Rules of Competition)

  1. प्रतियोगिता के समय खिलाड़ियों को बदलने की आज्ञा नहीं होती।
  2. इवेंट्स के जज तथा टीमें ठीक समय पर मैदान में पहुंच जानी चाहिएं।
  3. यदि किसी खिलाड़ी की दुर्घटना हो जाए या वह बीमार पड़ जाए तो कप्तान उसी . समय डॉक्टर को सूचित करें और उसकी पुष्टि प्राप्त करें।
  4. उस खिलाड़ी को स्वस्थ होने के लिए और फिर खेल में सम्मिलित होने के लिए आधे घंटे के लिए खेल स्थगित की जा सकती है। यदि इस समय तक भी खिलाड़ी की दशा में सुधार नहीं होता तो उसे खेल से निकाल दिया जाता है और खेल आरम्भ करनी पड़ती है।
  5. टीम प्रतियोगिताएं दो भागों में होंगी। पहले अनिवार्य अभ्यासों के लिए तथा फिर ऐच्छिक अभ्यासों के लिए।
  6. केवल वही प्रतियोगी फाइनल में भाग ले सकेंगे जिन्होंने टीम प्रतियोगिता के सभी इवेंट्स में भाग लिया होगा।
  7. अनिवार्य व्यायामों में खिलाड़ी को दूसरा अवसर व्यायाम करने के लिए मिल सकता है जबकि वह खिलाड़ी यह महसूस करें कि मेरा पहले प्रदर्शन (परफारमेंस) ठीक नहीं है, या वह अपने व्यायामों के कुछ व्यायाम करना भूल गया है लेकिन मैदान व्यायामों में दूसरा अवसर नहीं दिया जाता। दूसरा अवसर प्राप्त करने के लिए पहले व्यायाम समाप्त करने के उपरान्त खिलाड़ी को हाथ खड़े करके निर्णायक को दूसरा अवसर प्राप्त करने के लिए बताना होगा। परन्तु दूसरा अवसर अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों के भाग लेने के बाद ही लेना होता है।
  8. लम्बी दौड़ों के वाल्ट पर प्रत्येक खिलाड़ी को दो बार प्रयत्न करने का अधिकार है। सर्वोत्तम प्रदर्शन उचित स्वीकार किया जाता है।
  9. फ्री स्टैडिंग अभ्यास को दोहराया नहीं जा सकता। (10) लम्बी दौड़ों के अतिरिक्त ऐच्छिक अभ्यास को दोहराया नहीं जाता।
  10. प्रबन्धक उपकरणों की व्यवस्था करेंगे। कोई भी टीम अपने निजी उपकरण प्रयोग नहीं कर सकती।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical जिम्नास्टिक्स (Gymnastics)

प्रश्न 1.
जिमनास्टिक में हमें कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर-
जिमनास्टिक में निम्नलिखित सामान की आवश्यकता पड़ती है—

  1. लड़के-
    • पैरेलल बार (Parallel Bar) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • वाल्टिंग हार्स (Walting Horse) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • ग्राऊड जिमनास्टिक (Ground Gymnastic) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • हारीजंटल बार (Horizontal Bar) अनिवार्य और एच्छिक।
  2. लड़कियाँ-
    •  बीम बैलेंस (Beam Balance) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • ग्राउंड जिमनास्टिक (Ground Gymnastic) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • वाल्टिंग हार्स (Walting Horse) अनिवार्य और ऐच्छिक।

प्रश्न 2.
जिमनास्टिक की टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
जिमनास्टिक की टीम में आठ खिलाड़ी होते हैं जिनमें से 6 खिलाड़ी भाग लेते हैं और दो खिलाड़ी अतिरिक्त (Substitutes) होते हैं। जो 6 खिलाड़ी भाग लेते हैं और 6 खिलाड़ियों को Best निकाल लिया जाता है और उनके अंकों को जोड़ा जाता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 3.
जिमनास्टिक में अंक कैसे लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
प्वाईंटों का देना (Awarding of Points)-हर एक जिमनास्टिक अभ्यास के लिए 0 से लेकर 10 तक प्वाईंट होते हैं और हर एक प्वाईंट को आगे 10 हिस्सों में बांटा जाता है। यदि ज्यूरी में पांच जज हों तो सब से ज्यादा और सबसे कम अंकों में बांट कर मध्य के तीन निर्णय वाले (Awards) को जमा करके तीन से भाग कर के औसत अंक निकाल लिया जाता है। यदि ज्यूरी में तीन जज हों तो जजों द्वारा दिए गए अंकों की औसत निकाल ली जाती है।

प्रश्न 4.
ज्यूरी का फैसला कैसे होता है ?
उत्तर-
ज्यूरी का फैसला अन्तिम होता है और किसी भी प्रतियोगी (Competitor) को इसके विरुद्ध अपील करने का अधिकार नहीं होता है।

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प्रश्न 5.
यदि कोई प्रतियोगी बीमार हो जाए तो कितनी देर तक इन्तज़ार करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि कोई खिलाड़ी बीमार हो जाए तो कम-से-कम 30 मिनट तक इन्तज़ार किया जाता है।

प्रश्न 6.
टीम चैम्पियनशिप के लिए कितने खिलाड़ियों को लिया जा सकता है ?
उत्तर-
टीम चैम्पियनशिप के लिए 6 सबसे अच्छे खिलाड़ियों को लिया जाता है।

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प्रश्न 7.
जिमनास्टिक के साधारण नियमों का वर्णन करो।
उत्तर–
प्रतियोगिता के लिए साधारण नियम (General Rules for the Competition)-

  1. टीम में 8 खिलाड़ी होते हैं। हर एक खिलाड़ी सारे अभ्यासों में भाग लेते हैं। टीम चैम्पियनशिप के लिए 6 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिना जाता है।
  2. प्रतियोगिता शुरू होने के पश्चात् खिलाड़ी बदलने की आज्ञा नहीं होती।
  3. इवेंट्स के जज और टीमें ठीक समय पर मैदान में पहुंच जानी चाहिएं।
  4. टीम मुकाबले दो भागों में होंगे। पहला अनिवार्य अभ्यासों के लिए, फिर ऐच्छिक अभ्यासों के लिए। इनके समय बारे में फैसला कर लिया जाएगा और मुकाबले निर्धारित समय के अनुसार होंगे।
  5. केवल उन प्रतियोगियों को फाइनल में प्रवेश मिलेगा जिन्होंने टीम मुकाबले के सारे इवेंट्स में भाग लिया हो।
  6. कोई भी जिमनास्टिक खिलाड़ी यदि ज्यूरी की आज्ञा के बिना टीम में से जाता है तो उसको दोबारा आने की आज्ञा नहीं दी जाएगी।
  7. प्रतियोगिता के मध्य प्रतियोगियों को बदलने की आज्ञा नहीं।
  8. फ्री-स्टैंडिंग अभ्यास को दोहराया नहीं जा सकता।
  9. यदि किसी प्रतियोगी की तबीयत ख़राब हो जाए या कोई प्रतियोगी दुर्घटना का शिकार हो जाए तो उसकी रिपोर्ट लीडर द्वारा तुरन्त दी जानी चाहिए।