PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 1 निजी देखभाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 निजी देखभाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 1 निजी देखभाल

PSEB 8th Class Home Science Guide निजी देखभाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भोजन के तत्त्वों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कार्बोज, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा लवण।

प्रश्न 2.
ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्त्व कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा।

प्रश्न 3.
प्रोटीन के दो प्रमुख प्राप्ति स्त्रोत बताएं।
उत्तर-
अण्डा व दालें।

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प्रश्न 4.
कैल्शियम हमारे शरीर के लिए क्यों आवश्यक है ?
अथवा
कैल्शियम का शरीर के लिए प्रमुख कार्य क्या है ?
अथवा
कैल्शियम के कोई दो लाभ बताओ।
उत्तर-

  1. शरीर में अस्थियों और दाँतों का निर्माण करना।
  2. स्नायुओं को स्वस्थ रखता है।

प्रश्न 5.
भारतीय आहार में प्रमुख कमी कौन-सी है ?
उत्तर-
भोजन में कैलोरियों की मात्रा कम होना।

प्रश्न 6.
गर्मियों में सूती कपड़े क्यों पहने जाते हैं ?
उत्तर-
सूती कपड़े गर्मी के संचालक हैं तथा पानी कम चूसते हैं।

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प्रश्न 7.
सिल्क के कपड़े मुख्यतः सर्दियों में पहने जाने का कारण लिखें।
उत्तर-
सिल्क गर्मी का अच्छा संचालक नहीं है इसलिए इसे सर्दियों में प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 8.
खाने के साथ ज्यादा पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?
उत्तर-
खाने के साथ अधिक पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि भोजन को पचाने वाले रस पतले हो जाते हैं और भोजन जल्दी से पचता नहीं है।

प्रश्न 9.
पैरों के लिए जूते और जुराब का चुनाव करते समय सबसे अधिक ध्यान रखने योग्य बात कौन-सी है ?
उत्तर-
जुराबें और जूते तंग नहीं हों। जूते खुले भी न हों तथा जुराबों का इलास्टिक तंग न हो।

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लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
आवश्यकता से अधिक या कम खाने के क्या नुकसान हैं ?
उत्तर-
अगर आवश्यकता से अधिक खाना खाते हैं तो आमाशय और आंतों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे गुर्दो पर भी अधिक दबाव पड़ता है। खाए हुए भोजन में उबाल-सा आ जाता है जिससे गैस बनती है। इससे पेट खराब हो जाता है। मुंह से बदबू आने लग जाती है और सिर दखने लग जाता है।

अगर अधिक समय तक आवश्यकता से अधिक भोजन खाया जाए तो पेट की बीमारियां हो जाती हैं, जैसे-आमाशय की बीमारियां, गुर्दो में खराबी और खून का दबाव बढ़ सकता है। तन्तुओं में अधिक चर्बी जम जाती है और आदमी मोटा हो जाता है। पेशाब में शक्कर आने का रोग हो जाता है।

अगर आवश्यकता से कम खाना खाते हैं तो भार में कमी आ जाती है, कमज़ोरी और खून की कमी हो जाती है। कम खाने से बीमारियों का सामना करने की शक्ति कम हो जाती है और विशेषकर तपेदिक होने का डर रहता है। बच्चे यदि कम खाना खाएं तो मन्द बुद्धि के हो जाते हैं और जल्दी थक जाते हैं। उनके शरीर का विकास भी पूरा नहीं होता और उनका कद और भार भी अपनी आयु के अनुसार कम रहता है।

प्रश्न 2.
क्रीम और तेल क्यों प्रयोग किए जाते हैं ? इनकी जगह और क्या इस्तेमाल किया जा सकता है ?
उत्तर-
प्रतिदिन साबुन के साथ स्नान करने और सिर धोने से त्वचा खुश्क हो जाती है। हमारी त्वचा की ऊपरी तह के तन्तु भी झड़कर त्वचा पर जम जाते हैं और त्वचा को खुश्क करते हैं। ये सैल सिकरी के रूप में सिर में देखे जा सकते हैं। पतझड़ और सर्दियों में त्वचा अधिक खुश्क हो जाती है जिसके लिए ज़रूरी हो जाता है कि त्वचा को चमकदार और लचकदार बनाने के लिए सिर और शरीर की किसी तेल के साथ मालिश करनी चाहिए। सिर और त्वचा पर तेल सिर्फ मला ही नहीं जाता बल्कि मालिश की जाती है। इस तरह करने से हमारी त्वचा के नीचे की तेल की ग्रन्थियाँ हरकत में आ जाती हैं और इनसे कुदरती तेल निकलते हैं जो हमारी त्वचा को मुलायम रखते हैं।

चेहरे पर लगाने के लिए आजकल कई तरह की क्रीमें बाजार में मिलती हैं। विशेषकर सर्दियों में बच्चों के मुँह फट जाते हैं। इसको ठीक करने के लिए भी चिकनाई वाली क्रीम लगाई जाती है। आजकल और भी कई तरह की क्रीमें मिलती हैं, जिनको लगाने से चेहरे की कील, छाइयां दूर होती हैं और चेहरे पर निखार आता है। तेल और क्रीम की जगह मक्खन, ग्लिसरीन या ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इनसे भी चेहरा मुलायम होता है।

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प्रश्न 3.
टेलकम पाउडर के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
टेलकम पाउडर से निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. टेलकम पाउडर पसीने को सोख लेता है।
  2. इसे लगाने से पसीने की बदबू नहीं आती है।
  3. टेलकम पाउडर के इस्तेमाल से कपड़ों पर पसीने का धब्बा नहीं होता।
  4. इसका इस्तेमाल दवाइयों के रूप में भी किया जाता है।

प्रश्न 4.
कपड़े क्यों पहने जाते हैं ? (पंजाब बोर्ड, 2002, 03, 04, 06)
अथवा
कपड़ों की आवश्यकता के क्या कारण हैं ?
उत्तर-

  1. गर्मी, सर्दी और मौसम की कठिनाइयों से बचने के लिए कपड़े पहने जाते हैं।
  2. कपड़े पहने हों तो मच्छर, कीट आदि के काटने से बचा जा सकता है।
  3. गिरने पर शरीर पर चोट का प्रभाव कम होता है।
  4. अग्निशमन करने वालों के कपड़े विशेष रेशे से बनते हैं, जिनमें आग कम लगती है।

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प्रश्न 5.
कपड़ों के रेशे कितनी प्रकार के होते हैं ? वर्णन करो।
अथवा
पहनने वाले वस्त्र किन-किन रेशों से बने होते हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कपड़ों के रेशे मुख्य रूप से पाँच प्रकार के होते हैं-
(1) सूती कपड़े,
(2) लिनन,
(3) रेशम
(4) ऊन,
(5) टैरीलीन, नाइलॉन आदि।

1. सूती कपड़े-ये कपास से बनाये जाते हैं। सूती कपड़े गर्मी के अच्छे संचालक होते हैं और पानी को बहुत अधिक नहीं सोखते। सूती कपड़ा अधिक मज़बूत और सस्ता होता है।
निजी देखभाल इसलिए प्रत्येक घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। गर्मियों के दिनों में नीचे पहनने और ऊपर पहनने के लिए तथा सर्दियों में नीचे पहनने के लिए इन कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।

2. लिनन-यह पौधों से बनाई जाती है। यह सूती कपड़े की अपेक्षा अधिक महंगी होती है। देखने में यह सूती कपड़े की अपेक्षा अधिक चमकदार, स्पर्श करने में मुलायम और सूती कपड़े की अपेक्षा अधिक अच्छी लगती है, परन्तु पहनने और धोने में सूती कपड़े के समान ही होती है।

3. रेशम- यह रेशम के कीड़ों से बनायी जाती है। यह गर्मी की अच्छी संचालक नहीं होती और पानी भी अधिक नहीं सोखता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सर्दियों में किया जाता है। रेशम नर्म और चमकदार होने के कारण पहनी हुई लगती है। लेकिन महंगी होने के कारण इसका अधिक इस्तेमाल नहीं किया जाता।

4. ऊन-यह गर्मी की अच्छी संचालक नहीं होती। पानी भी अधिक सोखती है। इसलिए ऊनी कपड़े सर्दियों में पहने जाते हैं। ऊनी कपड़े खुले बुने हुए होते हैं। इनके छेदों में हवा भर जाती है, जो शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती। पोले होने के बावजूद भी यह शरीर में नहीं चिपकती क्योंकि यह अधिक पानी सोखती है। ऊनी कपड़े थोड़े खुरदरे होते हैं। इसलिए ऊनी रेशों के नीचे पहनने वाले कपड़े नहीं बनाए जाते।

5. टैरीलीन, नाइलॉन आदि-ये कपड़े पहनने में हल्के, धोने में आसान और अधिक दिनों तक चलते हैं। ये कपड़े पानी को नहीं सोखते और गर्मी के अच्छे संचालक नहीं होते। इसलिए गर्मियों में नहीं पहने जा सकते। ये धोने में आसान और बिना प्रैस किए ही पहने जा सकते हैं। इसकी जुराबें और जाँघिए भी बनाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
जूते और जुराबें किस प्रकार की होनी चाहिए ?
उत्तर-
जूते और जुराबें नाप के अनुसार होनी चाहिएं। जूते तंग भी न हों तथा न ही खुले हों। दोनों स्थितियों में पैरों में दर्द होगा या जख्म हो सकते हैं। जुराबों का ईलास्टिक भी तंग न हो।

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प्रश्न 7.
तंग कपड़े पहनने से क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर-
तंग कपड़े पहनने से निम्नलिखित हानियां होती हैं

  1. तंग कपड़े पहनने से खून का दौरा, साँस लेने की क्रिया, पाचन क्रिया और मांसपेशियों की हिलजुल ठीक तरह नहीं हो सकती।
  2. तंग कपड़े पहनने से ठीक ढंग से उटना, बैठना और काम करना मुश्किल हो जाता
  3. पेटियाँ ज्यादा कसकर नहीं बाँधनी चाहिएं और लचकदार हिस्से भी ज्यादा तंग नहीं होने चाहिएं।
  4. तंग पोशाक में खुली पोशाक की अपेक्षा अधिक सर्दी लगती है।

प्रश्न 8.
निशास्ते वाले भोजन पदार्थों से कौन-सा पौष्टिक तत्त्व मिलता है ?
उत्तर-
निशास्ते वाले भोजन पदार्थों से कार्बोहाइड्रेट पौष्टिक तत्त्व मिलता है। इससे हमें ऊर्जा मिलती है तथा हमारा शरीर कार्य करने में सक्षम होता है।

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प्रश्न 9.
वनस्पति और प्राणीजन प्रोटीन में क्या अन्तर है ?
अथवा
प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत बताओ।
उत्तर-
वनस्पति तथा प्राणीजन प्रोटीन में अन्तर-

वनस्पति प्रोटीन प्राणी जन प्रोटीन
1. अनाज-गेहूँ, ज्वार, बाजरा, चावल, मकई, रागी, जई से प्राप्त होता है। 1. जन्तु प्रोटीन-अण्डा, मांस, मछली, कलेजी आदि से प्राप्त होता है।
2. दालें-अरहर, उरद, मूंग, मसूर, सोयाबीन व चने की दाल, चपटी सेम, सूखी मटर आदि से प्राप्त होता है। 2. दूध व दूध से बने पदार्थ- गाय, भैंस, बकरी व माता का दूध, सूखा दूध, दही, पनीर आदि से प्राप्त होता है।

 

प्रश्न 10.
तन्तुओं की मरम्मत और नये तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन के कौनसे पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं ?
अथवा
शरीर के विकास के लिए भोजन का कौन-सा पोषक तत्त्व ज़रूरी है ?
उत्तर-
तन्तुओं की मरम्मत तथा नये तन्तु बनाने के लिए भोजन में प्रोटीन नामक पौष्टिक तत्व होता है। इस तत्व को दालों, पनीर, दूध, दही, मीट, अण्डा आदि से प्राप्त किया जा सकता है। सोयाबीन इसका सबसे सस्ता स्रोत है।

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प्रश्न 11.
कोई ऐसा भोजन बताओ, जिसे पूर्ण आहार कहा जा सके।
उत्तर-
ऐसा भोजन पदार्थ जिसमें से हमें सभी पौष्टिक तत्व प्राप्त हो जाएं को पूर्ण आहार कहा जाता है। ऐसे दो पदार्थ हैं :-

  1. दूध
  2. अण्डा।

प्रश्न 12.
तेल से शरीर की मालिश करने का क्या लाभ है ?
उत्तर-
तेल से शरीर पर मालिश करने का लाभ यह है कि हमारी त्वचा के नीचे की तेल की ग्रन्थियां हरकत में आ जाती हैं और इनसे कुदरती तेल निकलते हैं जो हमारी त्वचा को मुलायम रखते हैं।

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प्रश्न 13.
त्वचा के नीचे स्थित तेल ग्रन्थियों को उत्तेजित करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
त्वचा के नीचे की तेल ग्रन्थियों को उत्तेजित करने के लिए तेल से मालिश करना चाहिए।

प्रश्न 14.
कोल्ड क्रीम और वेनिशिंग क्रीम में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
कोल्ड क्रीम और वेनिशिंग क्रीम में अन्तर

कोल्ड क्रीम केनिशिंग क्रीम
(1) कोल्ड क्रीम सर्दियों में इस्तेमाल की जाती है। (1) वेनिशिंग क्रीम किसी भी ऋतु में  इस्तेमाल की जा सकती है।
(2) कोल्ड क्रीम में चिकनाई होती है। (2) वेनिशिंग क्रीम में चिकनाई नहीं होती है।

 

प्रश्न 15.
ठीक ढंग से कपड़े पहनने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
ठीक ढंग के कपड़े पहनने का निम्नलिखित महत्त्व है-

  1. यह शरीर को गर्मी, सर्दी और बाहर की चोटों से बचाता है।
  2. यह शरीर की गर्मी को ठीक रखता है।
  3. ठीक ढंग के कपड़े अपने आपको सजाने और मर्यादा रखने के लिए भी पहनते हैं।

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प्रश्न 16.
जूते पैरों के नाप के क्यों होने चाहिएं ?
उत्तर–
पाँव के बूट न तंगा और न ही अधिक खुले बल्कि माप के होने चाहिए। तंग जूतों में पाँव घुटे रहते हैं और पाँव पर छाले पड़ जाते हैं। अधिक खुले जूते में भी पाँव हिलता रहता है जिससे ज़ख्म हो सकते हैं। इसलिए जूते माप के ही खरीदने चाहिएं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन के कौन-कौन से तत्त्व हैं और ये कौन-कौन से स्रोतों से मिलते हैं ?
उत्तर-
भोजन के तत्त्व छ: प्रकार के होते हैं-
(1) कार्बोहाइड्रेट,
(2) वसा (चिकनाई),
(3) प्रोटीन,
(4) पानी,
(5) खनिज लवण,
(6) विटामिन।
प्राप्ति के स्रोत-

  1. कार्बोहाइड्रेट के स्रोत-चावल, आटा, आलू, शक्करकंदी, केला, गुड़, चीनी, शहद, फल।
  2. वसा (चिकनाई) स्रोत-दूध, घी, मक्खन, तेल, तेलों के बीज, सूखे मेवे, जानवरों की चर्बी और वनस्पति घी।
  3. प्रोटीन के स्रोत-वनस्पति प्रोटीन–सोयाबीन, राजमाह, चने, दालें, मटर, फलियों से। पशु-प्रोटीन-अण्डा, दूध, मांस, मछली और मुर्गे आदि।
  4. पानी के स्रोत-भोजन जो हम खाते हैं तथा पानी जो हम पीते हैं।
  5. खनिज लवण के स्रोत–दूध, कलेजी, अण्डे, हरी सब्जियां, फल आदि।
  6. विटामिन के स्त्रोत-दूध, दही, अण्डे का पीला भाग, मछली के यकृत के तेल, मछली, घी, मक्खन, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गाजर, पका पपीता, आम, कद्, सन्तरा, नींबू आदि।

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प्रश्न 2.
भोजन खाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
भोजन खाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

  1. भोजन हमेशा ताज़ा और खुशबूदार होना चाहिए ताकि खाने का दिल करे।
  2. भोजन बासी, ज़रूरत से कम या अधिक पका हुआ नहीं होना चाहिए।
  3. सुबह और शाम के खाने में भिन्नता होनी चाहिए।
  4. खाना हमेशा समय पर खाना चाहिए।
  5. आवश्यकता से अधिक खाना खाने से पेट खराब हो सकता है, क्योंकि आमाशय को अधिक कार्य करना पड़ता है।
  6. खाने के साथ अधिक पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि भोजन को पचाने वाले रस पतले हो जाते हैं और भोजन जल्दी पचता नहीं है।
  7. भोजन को धीरे-धीरे अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए।

प्रश्न 3.
साबुन का निजी सफ़ाई में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
हमारे शरीर की त्वचा के नीचे तेल की ग्रन्थियां होती हैं, जिनमें से तेल निकलकर त्वचा पर आता रहता है। ऊपर की त्वचा के तन्तु भी टूटते रहते हैं जो कि तेल के कारण त्वचा के साथ चिपके रहते हैं। वातावरण से उड़कर मिट्टी और कपड़ों की चूर्ण भी त्वचा के साथ लग जाती है। गर्मियों में शरीर पर पसीना भी बहुत आता है। यदि इन सारी चीज़ों को शरीर से न साफ़ किया जाए तो त्वचा के साथ ही चिपकी रह जाएगी जिनमें बैक्टीरिया पलने लगेंगे। इससे न केवल शरीर से बदबू आने लगती है, बल्कि कई तरह के त्वचा के रोग भी हो जाते हैं। इनको सिर्फ पानी के साथ ही धोने से साफ़ नहीं किया जा सकता है। साबुन मलने से चिकनाई पानी में घुल जाती है और फिर मैल भी पानी से साफ़ हो जाती है। पूरे शरीर पर साबुन मलने से थोड़ी मालिश भी होती है जिससे त्वचा में हरकत होती है। स्नान के लिए हमेशा नरम साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
कपड़े पहनते समय कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखना आवश्यक हैं ?
उत्तर-
कपड़े पहनते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखना आवश्यक हैं-

  1. मौसम के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए जिससे शरीर का तापमान ठीक रहे।
  2. गर्मियों में हल्के, खुले और फीके रंगों के कपड़े पहनने चाहिए।
  3. सर्दियों में काले या गाढ़े रंग के कपड़े पहनना लाभदायक है, क्योंकि ये रंग सबसे अधिक सूरज की किरणों को सोख लेते हैं।
  4. नीचे के कपड़े जो शरीर के साथ चिपके होते हैं रोज़ बदलने चाहिएं।
  5. रात और दिन में पहनने वाले कपड़े अलग-अलग होना चाहिएं। (6) गीले कपड़े नहीं पहनने चाहिएं।

Home Science Guide for Class 8 PSEB निजी देखभाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
विटामिन B की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
(क) बेरी-बेरी
(ख) स्कर्वी
(ग) अंधराता
(घ) अनीमिया।
उत्तर-
(क) बेरी-बेरी

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प्रश्न 2.
विटामिन C का स्रोत नहीं है
(क) आँवला
(ख) संगतरा
(ग) नींबू
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(घ) कोई नहीं

प्रश्न 3.
ऊन के रेशों की सतह कैसी होती है ?
(क) खुरदरी
(ख) मुलायम
(ग) चीकनी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) खुरदरी

प्रश्न 4.
पानी में घुलनशील विटामिन है
(क) A
(ख) D
(ग) C
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) C

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प्रश्न 5.
कोल्ड क्रीम का प्रयोग ……… मौसम में किया जाता है।
(क) सर्द
(ख) गर्म
(ग) वरसात
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) सर्द

प्रश्न 6.
दूध कैसा आहार है ?
(क) पूर्ण
(ख) आधा
(ग) अपूर्ण
(घ) साधारण।
उत्तर-
(क) पूर्ण

प्रश्न 7.
शरीर की सफ़ाई के लिए आवश्यक है। (From Board M.Q.P.)
(क) साबुन
(ख) तेल
(ग) क्रीम तथा पाऊडर
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) साबुन

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. सोयाबीन में प्रोटीन तत्त्व मिलता है।
  2. आँवले में विटामिन C होता है।
  3. कोल्ड क्रीम में चिकनाई होती है।
  4. निशास्ते वाले भोजन में प्रोटीन अधिक होता है। 5. तंग वस्त्र पहनना अच्छी बात है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1.  ………………. क्रीम किसी भी ऋतु में प्रयोग की जा सकती है।
  2. शरीर का निर्माण करने वाले तत्त्व प्रोटीन तथा …….
  3. वनस्पति वाली खुराक में अधिक ……………… होता है।
  4. सिर और शरीर पर ………………. लगाने से त्वचा चमकदार रहती है।

उत्तर-

  1. वेनिशिंग,
  2. खनिज लवण,
  3. फोक,
  4. तेल।

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IV. एक शब्द में उत्तर देंप्रश्न

प्रश्न 1.
नींबू और संतरे में कौन-सा विटामिन पाया जाता है ?
उत्तर-
विटामिन सी।

प्रश्न 2.
विटामिन सी की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
स्कर्वी।

प्रश्न 3.
दूध को कैसा आहार कहा जाता है ?
उत्तर-
सम्पूर्ण आहार।

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प्रश्न 4.
बेरी-बेरी रोग किस विटामिन की कमी से होता है ?
उत्तर-
विटामिन B की कमी से।

प्रश्न 5.
भोजन के कौन-से. पौष्टिक तत्त्व में नाइट्रोजन पाई जाती है ?
उत्तर-
प्रोटीन में।

प्रश्न 6.
विटामिन B की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
बेरी बेरी।

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प्रश्न 7.
भोजन का कौन-सा पौष्टिक तत्त्व सोयाबीन में सब से अधिक पाया जाता
उत्तर-
प्रोटीन तत्त्व।

प्रश्न 8.
नींबू तथा आंवले में कौन-सा विटामिन पाया जाता है ?
उत्तर-
विटामिन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन के तत्त्वों के नाम लिखें।
उत्तर-
कार्बोज, प्रोटीन, चिकनाई, विटामिन तथा लवण।

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प्रश्न 2.
भोजन के तत्त्व शरीर के लिए क्यों आवश्यक होते हैं ?
उत्तर-
शरीर को जीवित रखने तथा शारीरिक विकास हेतु।

प्रश्न 3.
भोजन के हमारे शरीर के लिए प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर-
शरीर निर्माण, ऊर्जा प्रदान करना, शरीर में होने वाली क्रियाओं पर नियन्त्रण करना तथा शरीर को रोग निवारक क्षमता प्रदान करना।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर का पोषण करने वाले तत्त्व क्या कहलाते हैं ?
उत्तर-
पोषक तत्त्व।

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प्रश्न 5.
शरीर का निर्माण करने वाले तत्त्व क्या होते हैं ?
उत्तर-
प्रोटीन्स तथा खनिज लवण।

प्रश्न 6.
शरीर की सुरक्षा करने वाले पदार्थ कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
विटामिन्स तथा खनिज लवण।

प्रश्न 7.
जल का शरीर के लिए प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर-
यह पोषक तत्त्वों तथा शरीर क्रियाओं के नियमन का कार्य करता है।

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प्रश्न 8.
कार्बोज किस-किस तत्त्व से मिलकर बनते हैं ?
उत्तर-
कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन।

प्रश्न 9.
प्रोटीन किस-किस तत्त्व से मिलकर बने होते हैं ?
उत्तर-
कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं गन्धक।

प्रश्न 10.
कार्बोज के दो प्रमुख प्राप्ति स्रोत बताएं।
उत्तर-
अनाज तथा गन्ना।

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प्रश्न 11.
प्रोटीन के दो प्रमुख स्रोत बताएं।
उत्तर-
अण्डा तथा दालें।

प्रश्न 12.
किन-किन वनस्पतियों में प्रोटीन अधिक पाया जाता है ?
उत्तर-
दालें, अनाज, सोयाबीन, अखरोट, मूंगफली, बादाम, सेम के बीज, मटर आदि।

प्रश्न 13.
जन्तुओं से प्राप्त किन-किन पदार्थों में प्रोटीन अधिक मात्रा में होती है ?
उत्तर-
दूध, दही, मक्खन, पनीर, अण्डे, मांस, मछली।

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प्रश्न 14.
कौन-कौन से स्टार्चयुक्त पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट अधिक पाया जाता है ?
उत्तर-
चावल, गेहूँ, शकरकन्द, मक्का, साबूदाना, जौ, अखरोट, आलू आदि।

प्रश्न 15.
वसा के दो प्रमुख स्त्रोत बताइए।
उत्तर-
तेलीय बीज तथा दूध।।

प्रश्न 16.
शरीर के लिए आवश्यक पाँच खनिज तत्त्व बताइए।
उत्तर-
कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, आयोडीन तथा सोडियम।

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प्रश्न 17.
हमारे शरीर को जल-प्राप्ति के प्रमुख स्त्रोत क्या हैं ?
उत्तर-

  1. भोजन जो हम खाते हैं, तथा
  2. पानी जो हम पीते हैं।

प्रश्न 18.
कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर-
शरीर की क्रियाशीलता हेतु ऊर्जा प्रदान करना।

प्रश्न 19.
शरीर में वसा का प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर-
शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान करना।

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प्रश्न 20.
लोहा प्राप्ति के प्रमुख साधन क्या हैं ?
उत्तर-
लिवर, मांस, मछली, अण्ड, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अनाज, पूर्ण गेहूँ, दालें, सेला चावल आदि।

प्रश्न 21.
(1) लोहा शरीर के लिए क्यों आईयक है ?
(2) लोहे की कमी से कौन-सा रोग हो जाता
उत्तर-

  1. प्रोटीन के साथ संयोग करके हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है।
  2. अनीमिया।

प्रश्न 22.
शरीर में सोडियम का एक कार्य बताइए।
उत्तर-
शरीर में क्षार तथा अम्ल का सन्तुलन बनाए रखना।

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प्रश्न 23.
(i) विटामिन ‘ए’ की कमी के चार मुख्य प्राव लि
अथवा
विटामिन ‘ए’ की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
(ii) आँखों की रोशनी के लिए कौन-सा विटामिन ज़रूरी है ?
(iii) अंधराता रोग ( रतौंधी) किस विटामिन की कमी से होता है ?
उत्तर-

  1. अंधराता रोग,
  2. मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं,
  3. शरीर दुर्बल हो जाता है,
  4. रोग क्षमता कम हो जाती है।

प्रश्न 24.
रिकेटरोधी विटामिन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विटामिन D को।

प्रश्न 25.
विटामिन C की प्राप्ति के प्रमुख साधन क्या हैं ?
उत्तर-
खट्टे रसदार फल, जैसे-आँवला, सन्तरा, टमाटर आदि।

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प्रश्न 26.
कौन-कौन से शर्करायुक्त पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट अधिक पाया जाता है ?
उत्तर-
शहद, चीनी, गुड़, शीरा, चुकन्दर, अंगूर तथा अन्य मीठे फल।

प्रश्न 27.
जन्तुओं से प्राप्त होने वाले वसा पदार्थ कौन-से हैं ?
उत्तर-
घी, दूध, मक्खन, क्रीम, दही, पनीर, जानवरों की चर्बी, मछली, अण्डे की सफेदी।

प्रश्न 28.
वनस्पति से प्राप्त होने वाले वसा पदार्थ कौन-से हैं ?
उत्तर-
मूंगफली, सरसों, तिल, नारियल, बादाम, अखरोट, चिलगोजा आदि।

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प्रश्न 29.
प्रोटीन की कमी से होने वाले दो रोग कौन-से हैं ?
उत्तर-
मेरेस्मस तथा क्वाशियोरकर।

प्रश्न 30.
आवश्यकता से अधिक मात्रा में कार्बोज लेने से कौन-से रोग हो जाते हैं ?
उत्तर-

  1. मोटापा या मेदुरता, तथा
  2. मधुमेह (डायबिटीज़)।

प्रश्न 31.
शरीर में आवश्यकता से कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर-

  1. दुर्बलता,
  2. शरीर की क्रियाशीलता कम होना,
  3. त्वचा में झुर्रियाँ पड़ना,
  4. त्वचा का लटक जाना,
  5. आन्तरिक अवयवों के विकास में अवरुद्धि।

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प्रश्न 32.
शरीर में आयोडीन की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
गोइटर (Goitre)

प्रश्न 33.
रेयॉन के वस्त्रों पर अम्ल तथा क्षार का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
शक्तिशाली अम्ल तथा क्षार दोनों से ही रेयॉन के वस्त्रों को हानि होती है।

प्रश्न 34.
रेयॉन किस प्रकार का रेशा है ?
उत्तर-
सेल्यूलोज से उत्पादित कृत्रिम रेशा।

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प्रश्न 35.
रेयॉन के वस्त्रों को धोते समय क्या बातें वर्जित हैं ?
उत्तर-
वस्त्र को पानी में फुलाना, ताप, शक्तिशाली रसायनों तथा ऐल्कोहल का प्रयोग।

प्रश्न 36.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई के लिए कौन-सी विधि उपयुक्त होती है ?
उत्तर-
गूंधने और निपीडन की विधि।

प्रश्न 37.
रेयॉन के वस्त्रों को कहाँ सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
छायादार स्थान पर तथा बिना लटकाये हुए चौरस स्थान पर।

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प्रश्न 38.
रेयॉन के वस्त्रों पर इस्तरी किस प्रकार करनी चाहिए ?
उत्तर-
कम गर्म इस्तरी वस्त्र के उल्टी तरफ़ से करनी चाहिए। इस्तरी करते समय वस्त्र में हल्की सी नमी होनी चाहिए।

प्रश्न 39.
ऊन का तन्तु कैसा होता है ?
उत्तर-
काफी कोमल, मुलायम और प्राणिजन्य।

प्रश्न 40.
ऊन का तन्तु आपस में किन कारणों से जुड़ जाता है ?
उत्तर-
नमी, क्षार, दबाव तथा गर्मी के कारण।

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प्रश्न 41.
ऊन के तन्तुओं की सतह कैसी होती है ?
उत्तर-
खुरदरी।

प्रश्न 42.
ऊन के रेशों की सतह खुरदरी क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि ऊन की सतह पर परस्पर व्यापी शल्क होते हैं।

प्रश्न 43.
ऊन के रेशों की सतह के शल्कों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
लसलसी, जिससे शल्क जब पानी के सम्पर्क में आते हैं तो फूलकर नरम हो जाते हैं।

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प्रश्न 44.
ऊन के रेशों के शत्रु क्या हैं ?
उत्तर-
नमी, ताप और क्षार

प्रश्न 45.
ताप के अनिश्चित परिवर्तन से रेशों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
रेशों में जमाव व सिकुड़न हो जाती है।

प्रश्न 46.
ऊन के वस्त्रों को किस प्रकार के साबुन से धोना चाहिए ?
उत्तर-
कोमल प्रकृति के शुद्ध क्षार रहित साबुन से।

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प्रश्न 47.
धुलाई से कभी-कभी ऊन क्यों जुड़ जाती है ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को धोते समय जब उसे पानी या साबुन के घोल में हिलाया डुलाया जाता है तो ऊन के तन्तुओं के रेशे आपस में एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं जिसके फलस्वरूप ऊन जुड़ जाती है।

प्रश्न 48.
शरीर की वृद्धि के लिए भोजन का कौन-सा तत्त्व आवश्यक है ?
उत्तर-
प्रोटीन।

प्रश्न 49.
साबुन का निजी सफ़ाई में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
साबुन चिकनाई को अपने में घोल लेता है तथा इस प्रकार जो मैल चिकनाई के साथ चिपकी होती है, भी पानी डालने से निकल जाती है।

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प्रश्न 50.
विटामिन-सी की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
स्कर्वी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पोषण तत्त्व या पोषक तत्त्व (Nutrients) क्या होते हैं ?
उत्तर-
वे तत्त्व जो हमारे शरीर का पोषण करते हैं, पोषण तत्त्व या पोषक तत्त्व कहलाते हैं। ये भोजन के घटक (Components) होते हैं। ये शरीर की वृद्धि, जनन तथा स्वस्थ जीवनयापन के लिए आवश्यक होते हैं। साधारण रूप में छ: प्रकार के तत्त्व या भोज्य घटक हैं जो हमारे शरीर का पोषण करते हैं। ये हैं-

  1. प्रोटीन्स (Proteins),
  2. वसा 15 (Fats),
  3. कार्बोज (Carbohydrates),
  4. खनिज लवण (Minerals),
  5. विटामिन्स (Vitamins),
  6. जल (Water)

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प्रश्न 2.
प्रोटीन क्या है ? आहार में इसकी कमी से क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर-
प्रोटीन भोजन के आवश्यक तत्त्वों में से एक तत्त्व है।
जीवद्रव्य का निर्माण करने वाला मुख्य पदार्थ प्रोटीन है। पानी के अतिरिक्त शरीर में सर्वाधिक अंश प्रोटीन का है। प्रोटीन शरीर के तन्तु, रक्त, एन्जाइम, अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से निकलने वाले हारमोन्स, कोमल तन्तु एवं अस्थियों में होता है। प्रोटीन, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन के संयोग से बना ऐसा यौगिक है जो विभिन्न प्रकार के ऐमीनो अम्लों के संयोजन से बनता है।
कमी और हानियाँ-

  1. बच्चों के आहार में प्रोटीन की कमी हो जाने से उसका विकास रुक जाता है।
  2. सूखा और क्वाशियारकर रोग हो जाता है।
  3. वयस्कों में इसकी कमी से भार होने के साथ एनीमिया रोग भी हो जाता है।

प्रश्न 3.
विभिन्न पोषक तत्त्वों (Nutrients) के विशिष्ट कार्य बताइए।
उत्तर-
विभिन्न पोषक तत्त्वों के विशिष्ट कार्य निम्नलिखित हैं-
1. कार्बोज-इनका प्रमुख कार्य ऊर्जा प्रदान करना है। जिन कार्बोजों का शरीर में उसी समय उपभोग नहीं हो पाता, वे संग्रह कर लिए जाते हैं। ये वसा के रूप में परिवर्तित होकर संग्रहीत होते हैं। ये संग्रहीत पदार्थ जब आवश्यकता होती है तब ऊर्जा प्रदान करते हैं।

2. प्रोटीन-प्रोटीन का मुख्य कार्य नए ऊतकों का निर्माण तथा पूर्व-निर्मित कोशिकाओं की मरम्मत करना होता है। प्रोटीन सुरक्षा प्रदान करने वाले तथा नियामक (Regulator) भी होते हैं। आवश्यकता से अधिक मात्रा में ग्रहण किए गए प्रोटीन, कार्बोज तथा बसा में परिवर्तित होकर शरीर में संग्रहीत हो जाते हैं।

3. वसा-वसा का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। ये वसा घुलित विटामिनों तथा आवश्यक वसीय अम्लों के वाहक भी होते हैं। आवश्यकता से अधिक ग्रहण किए गए वसा शरीर में चर्बी के रूप में जमा हो जाते हैं।

4. खनिज-इनका कार्य शरीर-निर्माण (हड्डी, दाँत और कोमल ऊतकों के रचनात्मक भाग) तथा नियमन (पेशी संकुचन) होता है।

5. विटामिन-इनका कार्य शरीर की वृद्धि तथा विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के नियमन का होता है। . 6. जल-शरीर का आवश्यक भाग जल होता है। जल पोषक तत्त्वों के संवहन तथा शारीरिक क्रियाओं के नियमन का कार्य करता है।

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प्रश्न 4.
भोजन का हमारे शरीर के लिए मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर-
भोजन हमारे शरीर को गर्मी और शक्ति देता है। नए कोष बनाता है और पुरानों की मुरम्मत करता है और हमारे शरीर में ऐसे हारमोन्स और एन्जाइम बनाता है जिससे हमारा शरीर ठीक अवस्था में रहता है।

प्रश्न 5.
क्रीम और तेल का निजी सफाई में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सिर तथा शरीर पर तेल लगाने से त्वचा की खुश्की दूर हो जाती है तथा एक चमक सी आ जाती है। क्रीम से चेहरा चमकदार तथा निखर जाता है कई क्रीमों से चेहरे पर कील तथा छाइयां दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
वस्त्रों के रेशे मुख्यतः कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
वस्त्रों के रेशे मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं-सूती, लिनन, रेशम, ऊन, टैरीलीन।

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प्रश्न 7.
कोल्ड क्रीम के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
कोल्ड क्रीम का प्रयोग सर्दियों में होता है तथा इसमें चिकनाई होती है ताकि खुश्की दूर की जा सके।

प्रश्न 8.
भारतीय खुराक में कमियां क्या हैं ?
उत्तर-
भारतीय खुराक की साधारण कमियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. भोजन में कैलोरी की मात्रा कम होना।
  2. भोजन मे प्रोटीन की कमी।
  3. प्राणीजन प्रोटीन का बहुत कम या बिल्कुल न होना।
  4. चिकनाई का बहुत कम होना और प्राणीजन चिकनाई का न होना।
  5. एक या अधिक विटामिनों की कमी होना।
  6. एक या अधिक खनिज लवण की कमी, खासकर चूना और लोहे की कमी।

प्रश्न 9.
यदि आवश्यकता से कम भोजन खाया जाए तो क्या होता है ?
उत्तर-
कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, जब भोजन की उपलब्धता पूर्ण रूप से नहीं होती है तथा हम कम भोजन खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं; जैसे-लड़ाई के दिनों में, बाढ़ की स्थिति में, भुखमरी जैसे हालात होने पर। पूर्ण आहार न मिलने पर शरीर का भार कम होने लगता है, कमज़ोरी हो जाती है, रक्त की कमी हो जाती है, रोगों से लड़ने की शक्ति भी कम हो जाती है। बच्चे यदि पूरा भोजन नहीं लेते तो वे बुद्ध बन जाते हैं।

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प्रश्न 10.
आवश्यकता से अधिक भोजन खाने से क्या होता है ?
उत्तर-
ऐसी स्थिति में अमाशय तथा आंतों को अधिक कार्य करना पड़ता है। गुर्दो पर बोझ पड़ता है। पेट में गैस पैदा होती है। मुँह में से बदबू आने लगती है तथा सिर दर्द करने लगता है। पेट सम्बन्धी रोग हो जाते हैं, रक्त दबाव बढ़ जाता है तथा कई अन्य रोग हो सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोज के विभिन्न स्रोत तथा कार्य बताइए।
उत्तर-
शरीर को शक्ति प्रदान करने का मुख्य साधन कार्बोहाइड्रेट है।
स्रोत या साधन–सबसे अधिक कार्बोज अनाजों में मिलता है, इसके बाद जड़ व तने वाली सब्जियों में। कुछ मात्रा में दालों एवं फलों में भी मिलता है।

  1. शुद्ध कार्बोहाइड्रेट भोज्य पदार्थ-चीनी, गुड़, शहद, साबूदाना एवं अरारोट ।
  2. अनाज-गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, रांगी, जौ, मक्की।
  3. दालें-उड़द, मूंग, अरहर, चने की दाल, मसूर, कुलथ आदि।
  4. जड़ एवं भूमि कन्द-आलू, शकरकन्दी, चुकन्दर आदि।
  5. ताजे व सूखे फल-अंजीर, खजूर, अंगूर, किशमिश, मुनक्का, खुमानी आदि।
    PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 1 निजी देखभाल 1
    चित्र 1.1 कार्बोज प्राप्त करने के साधन

उपयोग-

  1. कार्बोज शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं। एक ग्राम कार्बोज के जलने पर हमें चार कैलोरी शक्ति मिलती है।
  2. यह प्रोटीन द्वारा उत्पन्न हुई अतिरिक्त ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है।
  3. यह विटामिन ‘K’ तथा नियासिन के निर्माण में शरीर में पाए जाने वाले जीवाणुओं की सहायता करता है। …
  4. कार्बोज शरीर के ताप को एक-सा रखते हैं।
  5. कार्बोज नलिकाविहीन ग्रन्थियों के रस निष्कासन में सहायक हैं।

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प्रश्न 2.
वसा के स्त्रोत तथा कार्य लिखिए।
उत्तर-
1. स्रोत-
(1) तेल और घी-मूंगफली, सरसों का तेल, नारियल का तेल, देसी घी, वनस्पति घी एवं मक्खन।।
2. मेवा व बीज-बादाम, काजू, नारियल, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट, सोयाबीन आदि।
3. दूध व दूध से बने पदार्थ-गाय-भैंस का दूध, खोआ, सूखा दूध आदि। मांसाहारी भोजन-अण्डा, मांस, मछली, लिवर आदि।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 1 निजी देखभाल 2
चित्र 1.2 वसा प्राप्त करने के साधन
4. कार्य-

  1. वसा का प्रमुख कार्य हमारे शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान करना है। वसाएँ ऊर्जा के सबसे अधिक सान्द्रित स्रोत हैं। 1 ग्राम वसा से हमें 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  2. वसा में शरीर के लिए आवश्यकतानुसार ऊर्जा संग्रह का गुण होता है।
  3. वसाएं वसा घुलित विटामिनों (A, D, E, K) को शरीर में पहुंचाती हैं तथा इन विटामिनों के अवशोषण में सहायता करती हैं।
  4. वसाएं वसीय अम्लों का स्रोत होती हैं। ये बाल्यावस्था में वृद्धि के लिए अत्यन्त आवश्यक होती हैं और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखती हैं।
  5. वसाएं शरीर के अंगों के चारों ओर गद्दी का कार्य करती हैं। उन्हें ठीक स्थान पर सीधे रखती हैं। उन्हें चोटों से बचाती हैं तथा स्नायुओं की रक्षा भी करती हैं।
  6. वसाएँ ताप की अल्पचालक होने के कारण शरीर की ऊर्जा की हानि को रोकती हैं।
  7. वसाओं की उपस्थिति से भोजन के स्वाद तथा परितृप्ति में वृद्धि होती है।

प्रश्न 3.
भारतीय आहार की कमियों के बारे में लिखें।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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निजी देखभाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • भोजन हमारे शरीर को गर्मी और शक्ति देता है।
  • भोजन हमारे शरीर में ऐसे हारमोन्स और एन्ज़ाइम बनाता है जिससे हमारा शरीर ठीक अवस्था में रहता है।
  • भोजन के तत्त्व 6 प्रकार के होते हैं-कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, पानी, खनिज लवण और विटामिन।
  • कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन हमारे शरीर को गर्मी और काम करने की शक्ति देते है।
  • कार्बोहाइड्रेट हमें निशास्ते वाली चीज़ों-चावल, आटा, आलू, शक्करकंदी, केला, गुड़, चीनी, शहद और फलों से मिलता है।
  • वसा-दूध, घी, मक्खन, तेल, तेलों के बीज, सूखे मेवे, जानवरों की चर्बी और वनस्पति घी से मिलती है।
  • प्रोटीन-वनस्पति और प्राणीजन दोनों साधनों से मिलती है।
  • खनिज लवण हमें दूध, कलेजी, अण्डे, हरी सब्जियों और फलों से भी मिलते हैं।
  • आवश्यकता से अधिक खाना खाने से आमाशय और आँतों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
  • कम खाने से बीमारियों का सामना करने की शक्ति कम हो जाती है और विशेषकर तपेदिक रोग होने का डर रहता है। बच्चे यदि कम खाना खाएं तो मन्द बुद्धि के हो
    जाते हैं और जल्दी थक जाते हैं।
  • स्नान करने के लिए हमेशा नरम साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • हमेशा स्नान करते समय अच्छे साबुनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- हमाम, रैक्सोना, लिरिल, सन्दल मोती आदि।
  • कई साबुनों में कीटाणुनाशक दवाई कारबोलिक और नीम आदि भी पाए जाते हैं, जैसे-लाइफबॉय, डीटोल, नीको और नीम साबुन में।
  • छोटे बच्चों के लिए जैतून का तेल या खास बनाए हुए तेलों की मालिश करनी चाहिए।
  • सूती कपड़े गर्मी के अच्छे संचालक होते हैं और पानी को भी ज्यादा नहीं सोखते।
  • रेशम-यह रेशम के कीड़ों से बनायी जाती है।
  • टैरीलीन, नाइलॉन-ये कपड़े पहनने में हल्के, धोने में आसान और अधिक दिनों तक चलने वाले होते हैं।
  • मौसम के अनुसार इस तरह के कपड़े पहनने चाहिएं जिससे शरीर का तापमान ठीक रहता है। गर्मियों में हल्के, खुले और फीके रंगों के कपड़े पहनने चाहिएं।
  • रंगदार कपड़े नीचे पहनने वाले कपड़ों के लिए इस्तेमाल नहीं करने चाहिएं।
  • पोशाक में तंग (कसे) पोशाक से कम सर्दी लगती है। खुले कपड़े पहनने से कपड़ों और शरीर के बीच में एक हवा की तह बन जाती है जिस कारण शरीर की गर्मी
    बाहर नहीं निकलती।
  •  गर्मियों में बाहर जाते समय सिर पर टोपी डालनी चाहिए ताकि सिर पर सूर्य की किरणों का असर न हो।
  •  गर्मियों में चप्पल पहननी चाहिए, खेलते समय बच्चों को कपड़े के बूट पहनने चाहिएं।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 3 आपसी संबंध

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 3 आपसी संबंध Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 3 आपसी संबंध

PSEB 10th Class Welcome Life Guide आपसी संबंध Textbook Questions and Answers

अभ्यास-I

प्रश्न 1.
इस नाटक को पढ़ने के बाद आपको क्या महसूस हुआ?
उत्तर-
इस नाटक को पढ़ने के बाद, हमने महसूस किया कि हमें बड़ों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए बल्कि उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। जब हम बच्चे थे, तो उन्होंने हमें बड़े प्यार से पाला और जब वे काफी बूढ़े हो गए और वे कुछ नहीं कर सकते, तो हमें उनसे दूर नहीं होना चाहिए, बल्कि उसी प्यार से उनकी सेवा करनी चाहिए जैसे उन्होंने की थी। ऐसे करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे बच्चों को यह भी प्रेरित करता है कि हम बड़ों के साथ कैसा व्यवहार करें।

प्रश्न 2.
आप अपने बड़ों की देखभाल कैसे करते हैं?
उत्तर-

  1. हम अपने बड़ों के साथ कभी दुर्व्यवहार नहीं करते हैं। इसके बजाय हम उनके साथ बड़े प्यार से बात करते हैं। इससे उन्हें खुशी होती है, चाहे वे कितनी भी कठिनाई का सामना कर रहे हों।
  2. हम उन्हें प्यार से खिलाते हैं ताकि वे अलग-अलग महसूस न करें।
  3. हम अपने बड़ों के साथ प्यार से बैठते हैं और उनके जीवन के अनुभवों को सुनते हैं ताकि हम जीवन में वे गलतियां न करें जो शायद उन्होंने की हों।
  4. कभी-कभी हमें उनके साथ बैठना और बातचीत करनी चाहिए ताकि वे अकेलापन महसूस न करें।

प्रश्न 3.
नाटक का कौन-सा चरित्र है, आप सबसे अधिक सहनशील व्यक्ति पाते हैं?
उत्तर-
मुझे रितंबर (पोता) नाटक में सबसे अधिक सहनशील चरित्र के रूप में मिलता है। इसका कारण यह है कि वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता है लेकिन वह उसके लिए कर कुछ नहीं सकता। वह देखता है कि कैसे उसके पिता (करणबीर) और मां (सिमरन) उसकी दादी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। कई बार वह इसका विरोध करता है लेकिन असहाय है। उसकी दादी को वृद्धाश्रम भेज दिया जाता है लेकिन वह कुछ नहीं कर पाता। उसके पास धैर्य दिखाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा।

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प्रश्न 4.
नाटक के पात्रों के बारे में अपनी राय दें। 1. दादी 2. रितंबर 3. माँ 4. करणबीर।
उत्तर-

  1. दादी-वह इस लघु नाटक की बेहतरीन पात्र है क्योंकि वह जानती थी कि करणबीर उनका गोद लिया
    पुत्र है और कुछ और कहने की बजाय वह कहती है कि उसे एक वृद्धाश्रम भेज दे। यह घर में चल रहे रोज़ाना के झगड़े को रोक देगा। वह वृद्धाश्रम में गर्मी में रहती है लेकिन अपने बेटे को दो पंखे और फ्रिज दान करने के लिए कहती है ताकि दूसरों को भीषण गर्मी से राहत मिल सके। इस तरह, वह भाग्य के रूप में हर दुःख को समाप्त करती है।
  2. रितंबर-रितंबर लघु नाटक का सबसे सहनशील चरित्र है क्योंकि वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता है, , लेकिन वह अपनी दादी के लिए कुछ नहीं कर सकता। वह अपनी दादी के लिए अपने माता-पिता से भी लड़ता है लेकिन वे कभी भी उसकी भावनाओं की परवाह नहीं करते। इसलिए वह काफी सहनशील लगता है।
  3. माँ (सिमरन)-सिमरन ने इस नाटक में बहू का किरदार निभाया है और वह दोहरे चरित्र की है। एक तरफ वह अपनी सास को सताती है और अपने पति को उसे वृद्धाश्रम भेजने के लिए मजबूर करती है और दूसरी तरफ वह अपने भाई को धमकी देती है कि वह माँ की देखभाल करे। इस तरह उसे एक क्रूर बहू और एक प्यारी बेटी के रूप में चित्रित किया गया है।
  4. पापा (करणबीर)-करणबीर नाटक का एक पात्र है जो अपनी माँ को वृद्धाश्रम भेजता है। उसने कभी अपने बेटे की परवाह नहीं की और न ही कभी अपनी माँ के लिए कोई प्यार दिखाया। अंत में, जब उसे पता चलता है कि वह गोद लिया पुत्र है, तो वह अपनी माँ को वापस अपने घर ले जाने का फैसला करता है।

अभ्यास-II

स्थिति 1:
आप एक सड़क पर जा रहे हैं। आपके सामने, एक लड़का एक केला खा रहा है और वह केले के छिलके को सड़क पर फेंक देता है, तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?
(i) आप लड़के को उसकी ग़लती के बारे में समझाएंगे।
(ii) आप केले के छिलके को उठाने के लिए किसी और को बुलाएंगे।
(iii) आप स्वयं केले के छिलके को उठाकर कूड़ेदान में फेंक देंगे।
(iv) आप पुलिस को कॉल करेंगे और लड़के की शिकायत करेंगे।
उत्तर-
(i) आप लड़के को उसकी ग़लती के बारे में समझाएंगे।

स्थिति 2:
आपके जन्मदिन पर आपके दोस्तों ने आपको खाली चॉक बाक्स गिफ्ट किया है। बाक्स पूरी तरह से खाली है। आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?
(i) आप उनसे बात करनी बंद कर देंगे।
(ii) आप उन्हें देखेंगे और मुस्कुराएंगे।
(iii) आप उनकी उपेक्षा करेंगे।
(iv) आप उनके प्रति गुस्से में देखेंगे।
उत्तर-
(i) आप उन्हें देखेंगे और मुस्कुराएंगे।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 3 आपसी संबंध

Welcome Life Guide for Class 10 PSEB आपसी संबंध Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रितंबर की आयु क्या है?
(a) 7-8 वर्ष
(b) 8-9 वर्ष
(c) 9-10 वर्ष
(d) 11-12 वर्ष।
उत्तर-
(a) 7-8 वर्ष।

प्रश्न 2.
करणबीर को किसने कहा कि वह गोद लिया हुआ बेटा है?
(a) माँ ने
(b) सिमरन ने
(c) प्रबंधक ने
(d) रितंबर ने।
उत्तर-
(c) प्रबंधक ने।

प्रश्न 3.
दादी को उनके बेटे करणबीर ने कहां भेजा था?
(a) सिमरन के घर पर
(b) वृद्धाश्रम
(c) तीर्थ यात्रा
(d) घूमने के लिए।
उत्तर-
(b) वृद्धाश्रम।

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प्रश्न 4.
………… की सामाजिक सीमाएं होती हैं?
(a) देशों
(b) संबंधों
(c) राज्यों
(d) ये सभी।
उत्तर-
(b) संबंधों।

प्रश्न 5.
संबंधों को क्यों बना कर रखना चाहिए?
(a) संबंधों को तोड़ने के लिए
(b) संबंध बनाने के लिए
(c) संबंधों को बचाने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) संबंधों को बचाने के लिए।

प्रश्न 6.
जब भी हम किसी से विदाई लेते हैं
(a) धन्यवाद कहना चाहिए
(b) मीठी यादें साझा करके
(c) फोन नंबर साझा करके
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 7.
जिस कहानी को अंत तक नहीं ला सकते
(a) उसको अच्छा मोड़ देकर छोड़ देना चाहिए
(b) उसको घसीटना चाहिए
(c) उसको बढ़ाना चाहिए
(d) उसको जबरदस्ती आगे बढ़ाना चाहिए।
उत्तर-
(a) उसको अच्छा मोड़ देकर छोड़ देना चाहिए।

प्रश्न 8.
इनमें से कौन-सी अच्छे व्यवहार की विशेषता है?
(a) खुश रहो
(b) आशावादी रहो
(c) मीठा बोला
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
सभी पात्रों में से कौन चतुर है?
(a) दादी
(b) रितंबर
(c) सिमरन
(d) प्रबंधक।
उत्तर-
(c) सिमरन।

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(ख) खाली स्थान भरें

  1. ………….. के साथ समय बिताना उनकी असली पूजा है।
  2. सिमरन ने अपने …………. को माँ की देखभाल करने के लिए कहा।
  3. करणबीर अपनी माँ को ………… में छोड़ देता है।
  4. ………….. महीनों के बाद, करणबीर अपनी माँ को मिलने के लिए जाता है।
  5. ………….. करणबीर से कहता है कि उसके पिता ने उसे वृद्धाश्रम से गोद लिया था।
  6. हर ………… की एक सीमा होती है।
  7. …………. हमारे व्यक्तित्व को चमका देता है।

उत्तर-

  1. बुजुर्ग.
  2. भाई.
  3. वृद्धाश्रम,
  4. छह,
  5. प्रबंधक,
  6. रिश्ते,
  7. अच्छा व्यवहार।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. करणबीर रितंबर का पिता था।
  2. हमें बुरी यादों को भूल जाना चाहिए।
  3. हमें एक अच्छे मोड़ पर संबंधों को छोड़ना चाहिए।
  4. व्यक्ति पूरे जीवन के लिए संबंध बनाए रखते हैं।
  5. अच्छा व्यवहार हमारे व्यक्तित्व को चमका देता है।
  6. हमें सामाजिक मर्यादाओं का परीक्षण नहीं करना चाहिए।

उत्तर-

  1. सही,
  2. सही,
  3. सही,
  4. ग़लत,
  5. सही,
  6. ग़लत।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) ओमिनियस — (i) निषिद्ध
(b) टी०बी० — (ii) विधि
(c) मापदंड — (iii) जो किसी के बारे में ग़लत सोचता है
(d) प्रतिबंध — (iv) रोग
(e) शिष्टाचार — (v) नियम।
उत्तर-
(a) ओमिनियस — (iii) जो किसी के बारे में ग़लत सोचता है
(b) टी०बी० — (iv) रोग
(c) मापदंड — (v) नियम
(d) प्रतिबंध — (i) निषिद्ध
(e) शिष्टाचार — (ii) विधि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हम अपने बुजुर्गों की पूजा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
समय बिताना और उनकी सेवा करना ही बुजुर्गों की सच्ची पूजा है।

प्रश्न 2.
‘मनहूस’ कौन है?
उत्तर-दादी के अनुसार, “जो बुरा है, दूसरों के बारे में बुरा सोचता है और जो घर पर पूरे दिन लड़ता है वह एक मनहूस है।
(iv) रोग

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 3 आपसी संबंध

प्रश्न 3.
सिमरन ने रितंबर को उसकी दादी के पास जाने से क्यों रोका?
उत्तर-
क्योंकि सिमरन ने सोचा कि दादी को खांसी है, टी०बी० है और रितंबर को बीमार कर सकती है।

प्रश्न 4.
करणबीर को अपनी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ने के लिए किसने कहा?
उत्तर-
सिमरन ने करणबीर को अपनी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ने के लिए कहा।

प्रश्न 5.
सिमरन ने किसको और क्या खुशखबरी दी?
उत्तर-
सिमरन ने अपने भाई को खुशखबरी दी कि करणबीर ने अपनी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ दिया है।

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प्रश्न 6.
सिमरन ने अपने भाई को क्या धमकी दी?
उत्तर-
सिमरन ने अपने भाई को धमकी दी कि वह माँ की देखभाल करे नहीं तो वह उसे अपने घर ले जाएगी।

प्रश्न 7.
रितंबर ने अपने पिता को क्या बताया?
उत्तर-
रितंबर ने अपने पिता से कहा कि एक दिन वह अपने पिता को भी किसी वृद्धाश्रम भेज देगा।

प्रश्न 8.
दादी ने अपने बेटे को वृद्धाश्रम क्यों बुलाया?
उत्तर-
क्योंकि वह चाहती थी कि करणबीर दो पंखे और फ्रिज वृद्धाश्रम में दान करे।

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प्रश्न 9.
प्रबंधक ने करणबीर को क्या रहस्य बताया?
उत्तर-
प्रबंधक ने करणबीर को बताया कि पैंतीस साल पहले, उसके पिता ने उसे इसी वृद्धाश्रम से गोद लिया था।

प्रश्न 10.
करणबीर को अपनी ग़लती का एहसास कब हुआ?
उत्तर-
जब उसने महसूस किया कि वह गोद लिया हुआ बेटा है, तो उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ।

प्रश्न 11.
करणबीर ने ग़लती का एहसास होने पर क्या किया?
उत्तर-
वह अपनी माँ को अपने घर वापस ले आया।

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प्रश्न 12.
हमें किस सीमा को पार नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
हमें रिश्तों की सीमा को पार नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 13.
हमें समाज में क्या जांच करनी चाहिए?
उत्तर-
हमें समाज द्वारा तय की गई सीमाओं की जांच करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
हमें किस शिष्टाचार को समझना चाहिए?
उत्तर-
हमें रिश्तों के शिष्टाचार को समझना चाहिए।

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प्रश्न 15.
रिश्तों को बनाए रखते हुए क्या देखना है?
उत्तर-
हमें रिश्तों की सीमा नहीं लांघनी चाहिए।

प्रश्न 16.
रिश्ते निभाते समय किस चीज़ का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
रिश्ते निभाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि किसी ओर हम इतना भी न जाएं कि और रिश्तों को भूल ही जाएं।

प्रश्न 17.
क्या सभी रिश्ते जीवन भर चलते हैं?
उत्तर-
नहीं, सभी रिश्ते जीवन भर नहीं चलते।

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प्रश्न 18.
हम किसी से विदाई कैसे ले सकते हैं?
उत्तर-
हमें किसी से उचित शिष्टाचार से विदाई लेनी चाहिए।

प्रश्न 19.
एक अच्छे व्यवहार की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर-
खुश रहना, सकारात्मक रहना, कड़ी मेहनत करना, धीरे बोलना इत्यादि ऐसी विशेषताएं हैं जिनमें हमें संबंधों की सीमाएं पार नहीं करनी चाहिएं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाटक की शुरुआत कैसे होती है?
उत्तर-
नाटक की शुरुआत घर के ड्राइंग रूम में होती है जहां दादी और उसका पोता रितंबर बैठे हैं और खेल रहे हैं। पोते ने दादी को उसके साथ खेलने के लिए कहा लेकिन वह थकने पर उसे मना कर देती है। फिर पोता अपनी दादी से पूछता है कि ‘ओमिनस’ का अर्थ क्या है। सबसे पहले दादी उसे समझने के लिए छोटा कहकर उसे टाल देती है लेकिन अंत में वह उसे बताती है कि वह व्यक्ति ओमिनस (Ominous) है जो खुद बुरा है और दूसरों के लिए बुरा सोचता है और जिसके कारण घर हमेशा मुसीबत में रहता है।

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प्रश्न 2.
सिमरन (माँ) क्यों नहीं चाहती कि उसका बेटा अपनी दादी के साथ खेले?
उत्तर-
सिमरन को उसकी सास पसंद नहीं थी। जब सास को खांसी होती है, तो वह सोचती है कि वह टी०बी० की मरीज है और अपनी दादी के साथ खेलने से रितंबर भी उसी से पीड़ित हो जाएगा। इसके साथ ही वह यह भी कहती है कि उसकी सास कभी भी घर का काम नहीं करती और पूरे दिन खांसती रहती है। इसलिए सिमरन नहीं चाहती कि उसका बेटा अपनी दादी के साथ खेले।

प्रश्न 3.
अपने बेटे और बहू का झगड़ा होते देख दादी क्या कहती है?
उत्तर-
जब करणबीर घर वापस आता है तो सिमरन उसकी माँ के बारे में बहुत बुरा बोलती है। सिमरन यह भी कहती है कि बुढिया को पता नहीं है कि उसने किस बीमारी से संपर्क किया है और पूरे दिन खांसी होती है। जब दादी उन दोनों के बीच लड़ाई सुनती है तो वह अपने बेटे से कहती है कि लड़ने की ज़रूरत नहीं है। इससे बेहतर है कि उसे किसी वृद्धाश्रम में छोड़ आए। वहां पर वह अपने बचे हुए दिन काट लेगी। करणबीर अपनी मां को वृद्धाश्रम छोड़ आता है।

प्रश्न 4.
दादी छह महीने के बाद अपने बेटे को वृद्धाश्रम क्यों बुलाती है?
उत्तर-
वह बड़ी समस्या के साथ वृद्धाश्रम में पहले छह महीने बिताती है लेकिन उसके बाद वह अपने बेटे को बुलाती है। सिमरन और करणबीर को लगता है कि वह अपनी मौत के किनारे पर है और इसलिए उसने उन्हें बुलाया है। जब वे वहां जाते हैं तो मां अपने पुत्र करणबीर को वहां दो पंखे दान करने के लिए कहती है क्योंकि वहां काफी गर्मी है। वह उसे फ्रिज दान करने के लिए भी कहती है क्योंकि गर्मियों के दौरान पानी बहुत गर्म होता है। वह करणबीर को कहती है कि जब उसका बेटा रितंबर उसे वृद्धाश्रम में छोड़ देगा, तो उसके आखिरी दिन आराम से व्यतीत होंगे।

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प्रश्न 5.
करणबीर को अपनी ग़लती का एहसास कब होता है?
उत्तर-
जब करणबीर वृद्धाश्रम में अपनी माँ से मिलने गया, तो उसने उससे दो पंखे और एक फ्रिज वहां पर दान करने के लिए कहा। जब करणबीर अपनी माँ से बात कर रहा था तो उस समय वृद्धाश्रम का प्रबंधक वहां आता है, उसे पहचानता है और उसे बताता है कि वृद्ध महिला के पति हरदेव सिंह बराड़ ने उसे उसी वृद्धाश्रम से गोद लिया था। यह सुनने के बाद करणबीर को अपनी ग़लती का एहसास होता है और वह अपनी माँ को अपने साथ वापस ले जाता है।

प्रश्न 6.
संबंध छोड़ने का शिष्टाचार क्या है?
उत्तर-
एक व्यक्ति अपने जीवन काल के दौरान कई रिश्ते बनाता है। कुछ रिश्ते जीवन भर चलते हैं लेकिन कुछ रिश्ते रास्ते में टूट जाते हैं और दिल के एक कोने में रह जाते हैं। कई बार, हमें एहसास होता है कि यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं रहेगा और इसे यहां रोकना बेहतर है। इसलिए हमें ऐसे रिश्ते को उचित तरीके से खत्म करना चाहिए। हमें दूसरे व्यक्ति से बात करनी चाहिए और विनम्रता से उसे यह बताना चाहिए कि अब रिश्ते को निभाना संभव नहीं है। इसके आगे बढ़ना बेहतर है। रिश्ते से आगे बढ़ने का यह सबसे अच्छा तरीका है।

प्रश्न 7.
“अच्छा व्यवहार और रवैया हमारे व्यक्तित्व को चमका देता है”। स्पष्ट करो।
उत्तर-
इस तथ्य से कोई इनकार नहीं है कि अच्छा व्यवहार और रवैया हमारे व्यक्तित्व को चमका देता है। किसी विशेष समय में, हम कैसे प्रतिक्रिया या व्यवहार करते हैं, यह सब हमारे व्यक्तित्व के बारे में बताता है। इसलिए हमें इस तरह से व्यवहार करना सीखना चाहिए कि यह दूसरों के लिए एक सबक बन जाए। इसलिए, हमें खुश रहना चाहिए, कड़ी मेहनत करनी चाहिए, सकारात्मक बनना चाहिए और दूसरों के साथ विनम्रता से बात करनी चाहिए। ये एक अच्छे व्यवहार के गुण हैं और यह हमारे व्यक्तित्व के बारे में भी बताते हैं।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सभी रिश्तों की सामाजिक सीमाएं होती हैं।” कथन की व्याख्या करो।
उत्तर-
हमारे समाज ने कुछ नियम बनाए हैं कि हमारे रिश्ते कुछ सीमाओं के भीतर रहने के लिए बाध्य हैं, इसके अतिरिक्त यह भी बताया गया है कि हर रिश्ते में कितनी सीमा की आवश्यकता होती है। इसलिए हम कभी भी अपनी सीमाओं को पार नहीं करते हैं। हमारे माता-पिता, शिक्षक, दोस्त इत्यादि हमें लगातार ऐसी सीमाओं के बारे में बताते हैं। इसलिए हमें ऐसी सीमाओं की पहचान करनी चाहिए। सीमाओं का उल्लंघन न करें, यह हमारे साथ-साथ समाज के लिए भी अच्छा होगा।

घर के अंदर संबंध घनिष्ठता रखते हैं लेकिन घर के बाहर के रिश्ते बनावटी होते हैं और निकटता कम होती है। यह हमारे प्यार और तीव्रता पर निर्भर करता है। कई बार हम किसी अजनबी के साथ बहुत अच्छे संबंध बना लेते हैं और कभी-कभी हमारे खून के रिश्तेदारों के साथ भी खटास भरे रिश्ते बन जाते हैं। रिश्ते निभाना आसान नहीं होता। यह पेंसिल के साथ कागज़ पर एक रेखा खींचने जैसा नहीं है। यह ऐसा रिश्ता है जो जल्दी खत्म नहीं हो सकता। इसलिए रिश्तों की मर्यादा बनाए रखना ज़रूरी है।

प्रश्न 2.
रिश्ता तोड़ने या छोड़ते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
हम सभी एक सामाजिक जीवन जीते हैं और एक सामाजिक जीवन जीते हए, हम कई रिश्ते बनाते हैं। कछ रिश्ते जीवन भर चलते हैं लेकिन कुछ रिश्ते खत्म हो जाते हैं। किसी रिश्ते को खत्म करते समय, हमें कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए ताकि यदि भविष्य में उस रिश्ते को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता होती है, तो हम आसानी से ऐसा कर सकेंगे। हमें रिश्ते को खत्म करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. व्यक्ति के साथ बिताया गया समय याद रखें और उसे अच्छे से धन्यवाद दें।
  2. खट्टी यादें छोड़ दें और केवल अच्छी यादों को याद रखें और साझा करें।
  3. यदि आप उस व्यक्ति के साथ संपर्क रखना चाहते हैं।
  4. यदि आप उस व्यक्ति पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आप भावुक न हों और उस व्यक्ति के साथ निजी जानकारी साझा न करें।
  5. उस व्यक्ति पर क्रोधित न हों या बदला लेने की कोशिश न करें ताकि बाद में पछताना न पड़े। इसलिए यह कहा जाता है कि एक कहानी को एक अच्छे मोड़ पर समाप्त करना अच्छा होगा जिसे अंत तक नहीं लिया जा सकता।

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आपसी संबंध PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • यह अध्याय एक छोटे नाटक से शुरू होता है, जो हमें बताता है कि हमें हमारे बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।
  • नाटक की शुरुआत दादी और उसके पोते (रितंबर) के बीच हुई बातचीत से शुरू होता है। जो दोनों के बीच आंतरिक प्रेम और सहानुभूति को दिखाता है।
  • फिर कहानी में बहू (सिमरन) प्रवेश करती है जो अपने बेटे (रितंबर) को उसकी दादी से दूर रखना चाहती है।
  • तब दादी का बेटा (करणबीर सिंह बराड़) सामने आता है और उसकी पत्नी (सिमरन) उसे बताती है कि उसकी माँ (दादी) अपने पोते (रितंबर) को मेरे (सिमरन) खिलाफ उकसा रही है। वह करणबीर से पूछती है कि या तो वह अपनी माँ को वृद्धाश्रम भेज दे या वह अपनी मां के घर चली जाएगी।
  • अंत में दादी आती है और अपने बेटे करणबीर से कहती है कि उसे वृद्धाश्रम भेज दे क्योंकि वह यहां नहीं रह सकती।
  • एक तरफ करणबीर अपनी माँ को वृद्धाश्रम भेजता है और दूसरी तरफ सिमरन अपने भाई को माँ की देखभाल करने की धमकी देती है कि नहीं तो वह माँ को अपने घर ले जाएगी।
  • फिर छह महीने बाद दृश्य बदल जाता है जब वृद्धाश्रम से करणबीर की माँ का फोन आता है कि वह उसे मिलना चाहती है।
    करणबीर और सिमरन को लगता है कि यह उसका आखिरी समय है और इसलिए वह दोनों उससे मिलने के लिए तैयार हो गए।
  • दादी अपने बेटे करणबीर को दो पंखे और एक फ्रिज वृद्धाश्रम में दान करने के लिए कहती है क्योंकि लोगों को वहां बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। करणबीर चीज़ों को दान करने के लिए सहमत हो जाता है।
  • इसी समय वृद्धाश्रम का प्रबंधक आता है, करणबीर को पहचानता है और उसे बताता है कि पैंतीस साल पहले उसके पिता हरदेव सिंह ने उसे यहां से गोद लिया था। यदि वह उसे न अपनाता तो वह कहीं भिखारी होता।
  • प्रबंधक की बात सुनने के बाद, करणबीर और सिमरन को एहसास हुआ कि उन्होंने अपनी माँ के साथ गलत किया है। उन्होंने माँ को सॉरी कहा और अपने घर ले गये।
  • यह लघु नाटक हमें बताता है कि हमें अपने बड़ों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। इसके बजाय हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • हर रिश्ते की एक सामाजिक सीमा होती है और हमें ऐसी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए।
  • सभी रिश्ते महत्त्वपूर्ण हैं और उनके महत्त्व को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी सीमाएं बनाए रखनी चाहिए।
  • करीबी और दूर के रिश्तों में प्यार और तीव्रता होनी चाहिए। इसलिए रिश्तों की मर्यादा में रहना चाहिए।
  • व्यक्ति जीवन में कई तरह के रिश्ते बनाता है। कुछ रिश्ते जीवन भर चलते हैं और कुछ रास्ते में ही टूट जाते हैं। कुछ रिश्ते सिर्फ दिल में रहते हैं।
  • कल्पना कीजिए कि यदि हमें कोई रिश्ता छोड़ने की ज़रूरत है, तो हमें कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। हमें एक-दूसरे को धन्यवाद कहना चाहिए। फोन नंबर साझा करना चाहिए इत्यादि।
  • हमें बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और यह अच्छा व्यवहार हमारे व्यक्तित्व की पहचान बन जाता है।

PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Physical Education Objective Questions and Answers.

PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

पाठ-1 : मनुष्य का शरीर

प्रश्न 1.
मानव शरीर को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर-
(क) दो

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कुल कितनी हड्डियां हैं ?
(क) 300
(ख) 250
(ग) 275
(घ) 206
उत्तर-
(घ) 206

प्रश्न 3.
शारीरिक ढाँचे के कार्य हैं
(क) सुरक्षा
(ख) आकार
(ग) गतिशीलता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
रक्त प्रवाह प्रणाली के अंग
(क) हृदय
(ख) धमनियां
(ग) शिराएं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में मुख्य प्रणालियां हैं
(क) मांसपेशी प्रणाली
(ख) रक्त प्रवाह प्रणाली
(ग) श्वास क्रिया प्रणाली
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-2 : शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

प्रश्न 1.
शारीरिक क्षमता के गुण
(क) गति
(ख) शक्ति
(ग) साहस (क्षमता), लचकता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
व्यायाम के लाभ हैं
(क) रोग दूर हो जाते हैं
(ख) शरीर में से व्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जाते हैं
(ग) मनुष्य की आयु बढ़ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
व्यायाम के और अधिक लाभ
(क) रक्त साफ रहता है
(ख) मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं
(ग) रक्त में सफेद रक्त के कण बढ़ जाते हैं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-3 : शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 1.
अच्छे शारीरिक ढांचे के लाभ हैं
(क) ढांचा सुन्दर लगता है
(ख) दौड़ना, चुस्ती, फुर्ती बनी रहती है
(ग) स्वास्थ्य ठीक रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
शारीरिक ढांचे की कुरूपताएं
(क) कूबड़ का निकलना
(ख) कुल्हों का आगे की ओर निकलना
(ग) रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
कूबड़ के निकलने के कारण
(क) नज़र का कमज़ोर होना
(ख) ऊंचा सुनाई देना
(ग) कम रोशनी में आगे की ओर झुक कर पढ़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
कूबड़पन दूर करने की विधियां
(क) उठते-बैठते और चलते समय ठोडी को ऊपर की ओर करना
(ख) पीठ के नीचे तकिया रखकर लेटना
(ग) दीवार से लगी सीढ़ी से लटकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कमर के अधिक आगे निकल जाने के कारण
(क) बच्चों में पेट आगे निकल कर चलने की आदत
(ख) ज़रूरत से ज्यादा भोजन करना ।
(ग) स्त्रियों का ज्यादा बच्चे पैदा करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
कमर की कुरूपता को दूर करने के उपाय
(क) सीधे खड़े होकर शरीर के ऊपरी भाग को आगे झुकाना और सीधा करना
(ख) पीठ के बल लेटकर उठना और फिर लेटना
(ग) सावधान अवस्था में खड़े होकर बार-बार पैरों को स्पर्श करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
चपटे पैर ठीक करने की कसरत
(क) पंजों के भार चलना
(ख) पंजों के बल साइकिल चलाना
(ग) डंडेदार सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-4 : रवेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 1.
प्रत्यक्ष चोटों की किस्में
(क) रगड़
(ख) त्वचा का फटना
(ग) गहरा घाव
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
जोड़ के उतरने का क्या भाव है ?
(क) हड्डी जोड़ से बाहर आ जाती है
(ख) जोड़ गति करना बंद कर देता है
(ग) खिलाड़ी खेलने में असमर्थ हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मोच के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द होता है
(ख) चोट वाले जोड़ पर सूजन आ जाती है
(ग) चोट वाले स्थान का रंग लाल हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेल में चोटें लगने के कारण
(क) खेल के प्रति कम जानकारी
(ख) असावधानी
(ग) शरीर को कम गर्माना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हड्डी के उतरने के लक्षण
(क) जोड़ का आकार बदल जाता है
(ख) अंग गति नहीं कर सकता
(ग) तीव्र दर्द होता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
खिंचाव के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर दर्द होता है
(ख) खिलाड़ी दौड़ नहीं सकता
(ग) चोटिल स्थान पर सूजन आ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-5 : योग

प्रश्न 1.
आसन की कितनी किस्में हैं ?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) एक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) तीन

प्रश्न 2.
योग का भाव बताएं
(क) जुड़ना
(ख) जोड़
(ग) आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
आसनों के सिद्धांत
(क) आसन करने के लिए आयु और लिंग का ध्यान रखना
(ख) आसन करते समय ज़ोर न लगाना
(ग) आसन धीरे-धीरे करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
योग की गलत धारणाएं
(क) योग को किसी विशेष धर्म से जोड़ना
(ख) योग केवल पुरुषों के लिए है
(ग) योग केवल रोगियों के लिए है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
आसन करने के सिद्धान्त
(क) आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव आवश्यक है
(ख) गर्भवती महिलाओं को और हृदय के मरीजों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
(ग) आसन कुदरत के सिद्धान्तों के अनुसार करने चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-6 : रवेलों का महत्त्व

प्रश्न 1.
बड़ी खेलों के नाम
(क) फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट, टेबल टेनिस
(ख) खो-खो, बॉस्कटबाल
(ग) बैडमिन्टन, कुश्ती और कबड्डी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
छोटी खेलों के नाम
(क) रूमाल उठाना, कोटला छपाकी, गुल्ली डण्डा
(ख) लीडर ढूंढ़ना, बिल्ली चूहा, तीन-तीन या चार-चार
(ग) राजा-रानी, मथौला घोड़ी, दायरे वाली खो-खो .
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मनुष्य की मूल कुशलताएं
(क) चलना
(ख) दौड़ना
(ग) कूदना और फैंकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेलने के लाभ
(क) वृद्धि और विकास
(ख) समय का उचित प्रयोग
(ग) भावनाओं पर काबू पाना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
खेलों से व्यक्ति में कौन-कौन से गुण पैदा होते हैं ?
(क) अच्छा स्वास्थ्य
(ख) सुडोल शरीर
(ग) तेज़ बुद्धि का विकास
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
राष्ट्र को खेलों के लाभ
(क) राष्ट्रीय एकता
(ख) सीमाओं की रक्षा
(ग) अच्छे और अनुभवी नेता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-7 : स्काऊटिंग और गाइडिंग

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग और गाइडिंग के लाभ
(क) बच्चों को ताकतवर और वफादार बनाते हैं
(ख) जात-पात और नफरत से दूरी
(ग) दूसरे प्रांतों के लोगों से मुलाकात
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
स्काऊटिंग के नियम
(क) स्काऊटिंग की आन विश्वसनीय
(ख) स्काऊटिंग वफादार होता है
(ग) स्काऊटिंग सभी का दोस्त
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
स्काऊटिंग शिक्षा के साथ बहुमुखी विकास
(क) यह बच्चों को ताकतवर, वफादार, देशभक्त बनाते हैं
(ख) स्काऊट रैलियों से अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध बनते हैं
(ग) स्काऊट अपने प्राध्यापक और सीनियर का आदेश मानते हैं और लोगों के प्रति प्यार बढ़ता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
स्काऊटिंग लहर का जन्मदाता कौन था ?
(क) लार्ड बैटन पावल
(ख) मार्क मिलन
(ग) माडलैस
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) लार्ड बैटन पावल

प्रश्न 5.
स्काऊटिंग लहर सबसे पहले कहां आरम्भ हुई ?
(क) बर्तानिया
(ख) होलैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बर्तानिया

पाठ-8 : नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 1.
नशीले पदार्थों के नाम बताएं
(क) शराब
(ख) तम्बाकू
(ग) भांग और अफीम
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
कोई दो प्रणालियों के नाम बताएं जिनका प्रभाव नशीले पदार्थों से होता है
(क) पाचन प्रणाली
(ख) रक्त संचार प्रणाली
(ग) मानसिक प्रणाली
(घ) हड्डी प्रणाली।
उत्तर-
(क) पाचन प्रणाली और (ख) रक्त संचार प्रणाली

प्रश्न 3.
खिलाड़ी पर पड़ने वाले नशीले पदार्थों के बुरे प्रभाव लिखें
(क) बेफिक्री
(ख) गैर-ज़िम्मेदार
(ग) चक्कर आना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बेफिक्री और (ख) गैर-ज़िम्मेदार

प्रश्न 4.
नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के ढंग लिखें
(क) प्रेरणा
(ख) कान्फ्रेंस
(ग) मनोचिकित्सक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
तम्बाकू पीने के बुरे प्रभाव
(क) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
(ख) तम्बाकू से टी०बी० हो सकती है
(ग) पेट खराब रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
शराब के हमारे स्वास्थ्य पर कुप्रभाव
(क) दिमाग पर बुरा प्रभाव
(ख) गुर्दे कमज़ोर हो जाते हैं
(ग) पाचन प्रणाली खराब हो सकती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

PSEB 7th Class Home Science Guide व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ त्वचा की क्या पहचान है?
उत्तर-
चिकनी, ठोस और जगह पर होती है।

प्रश्न 2.
स्वस्थ बाल कैसे होते हैं?
उत्तर-
चमकीले और साफ़।

प्रश्न 3.
आँखों को नीरोग रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों को धुआँ, धूल, धूप तथा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए।

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लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को अपनी चमड़ी ठीक रखने के लिए कौन-से ढंग प्रयोग में लाने चाहिएँ?
उत्तर-
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोने से पहले मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन
की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

प्रश्न 2.
अगर किसी की आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो उसका रूमाल क्यों प्रयोग नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों का दर्द या जुकाम एक छूत की बीमारी है। अगर आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो रोगी को अपना रूमाल अलग रखना चाहिए, नहीं तो यह रोग दूसरों में भी फैल जाएगा।

प्रश्न 3.
कान में कोई तीखी वस्तु क्यों नहीं घुमानी चाहिए?
उत्तर-
कान में कोई नुकीली वस्तु चलाने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट जाने का डर रहता है इसलिए कानों में कोई नुकीली वस्तु नहीं चलाना चाहिए।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई से क्या अभिप्राय है ? नाक, गले और चेहरे को कैसे साफ़ रखा जा सकता है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यक्तिगत सफ़ाई का अभिप्राय है अपने शरीर की सफ़ाई तथा अन्य बातों जैसे खुराक, व्यायाम, सोना या आराम करना आदि पर भी ध्यान देना, जिससे शरीर स्वस्थ और ठीक हालत में रह सके।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोज़ाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। गले की सफ़ाई-गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए। रात को सोने से पहले बच्चे का मुँह और गला साफ़ करना चाहिए। अगर बच्चे का गला खराब हो तो पानी उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिएँ। अगर गले में टोन्सिल होने का शक हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। लापरवाही करने से बच्चा बीमार रहता है और उसका शारीरिक विकास ठीक नहीं हो पाता है।

चेहरे की सफ़ाई-प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी के साथ दो-तीन बार धोना चाहिए। साबुन हमेशा हाथों पर मलकर मुँह पर लगाना चाहिए। इसके बाद मुँह को कई बार गुनगुने पानी से धोना चाहिए ताकि साबुन साफ़ हो जाए। इसके बाद साफ़ तौलिये से मुंह को अच्छी तरह पोंछना चाहिए ताकि रोम छिद्र खुल जाएँ।

प्रश्न 2.
सुन्दर दिखने के लिए चेहरे की सफ़ाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
सुन्दर दिखने के लिए प्रतिदिन दो-तीन बार एक बढ़िया साबुन से चेहरे को धोकर साफ़ तौलिये से पोंछना चाहिए। चेहरे को साफ़ करते समय आँखें, नाक, कान, गला, मुँह और दाँतों का ध्यान रखना चाहिए। इन अंगों को साफ़ करते समय जो रूमाल, तौलिया या और कोई अन्य वस्तु इस्तेमाल की जाए वह अच्छी तरह साफ़ और स्वच्छ होना
चाहिए।

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प्रश्न 3.
त्वचा गन्दी क्यों हो जाती है ? उसको कैसे साफ़ रखा जा सकता है ?
उत्तर-
भारतवर्ष जैसे गर्म देश में रहने वाले लोगों की त्वचा अधिक गन्दी होती है, क्योंकि यहाँ अधिक पसीना आता है। पसीना एक दूषित पदार्थ है और इसमें अनेक पदार्थ जैसे उपचर्म की टूटी-फूटी कोशिकाएँ, धूल के कण आदि के अलावा अनेक जीवाणु भी फँस जाते हैं तथा इन पदार्थों को सड़ाते हैं। इससे दुर्गन्ध आने लगती है। अनेक प्रकार के चर्म रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

त्वचा की सफाई के लिए प्रतिदिन ताजे या हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना आवश्यक है। इससे (वचा के छिद्र खुल जाते हैं और पसीना निकलता रहता है। त्वचा से गन्दगी हट जाने से बीमारियों की आशंका नहीं रहती है। स्नान करते समय शरीर को साबुन आदि से साफ़ करना अच्छा रहता है। शरीर को रगड़ना भी आवश्यक है ताकि इसकी मॉलिश हो सके।

प्रश्न 4.
आप अपने बालों की रक्षा कैसे करोगे?
उत्तर-
बालों की रक्षा
(i) सप्त एक बार बाल में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए।
(ii) बालों को धोने के बाद अच्छी तरह तौलिये से पोंछकर, फिर खुला छोड़कर सुखाना चाहिए।)
(iii) जब तक बाल अच्छी तरह सूख न जाएँ जूड़ा या चोटी नहीं बनानी चाहिए।
(iv) प्रतिदिन दो बार बालों में कंघी करना चाहिए।
(v) कंघी या ब्रुश को प्रत्येक सप्ताह धोकर अच्छी तरह धूप में सुखाना चाहिए।

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Home Science Guide for Class 7 PSEB व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
WHO के विचार से स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर-
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के विचार से स्वास्थ्य में मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक कल्याण निहित है।

प्रश्न 2.
जीवन में सुखी रहने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर-
शरीर का स्वस्थ और शक्तिशाली होना।

प्रश्न 3.
त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
त्वचा से पसीना और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। यदि त्वचा को साफ़ नहीं किया जाए तो मैल जम जाता है जिसके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, इसलिए त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
दाँतों को साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर–
दाँतों को खोखले होने से, गिरने से, दर्द होने से बचने के लिए दाँतों को साफ़ करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
कानों में सलाई या तिनका क्यों नहीं फेरना चाहिए?
उत्तर-
कानों में सलाई या तिनका फेरने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट सकता है इसलिए कानों में सलाई नहीं फेरनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कान का संक्रमण होने पर इसका इलाज तुरन्त क्यों करवाना चाहिए?
उत्तर-
कान का संक्रमण होने पर यदि इसका इलाज न करवाया जाए तो यह दिमाग़ तक नुकसान पहुँचा सकता है इसलिए इसका इलाज तुरन्त करवा लेना चाहिए।

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प्रश्न 7.
नियमित व्यायाम व उत्तम आसन शरीर के लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर-
शरीर को सुन्दर, सुगठित व स्वस्थ रखने के लिए।

प्रश्न 8.
दाँतों को केरीज रोग से बचाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
उत्तर-

  1. भोजन के बाद कुल्ला करना चाहिए,
  2. दाँतों को अंगुली से साफ़ करना चाहिए।

प्रश्न 9.
दाँतों का केरीज रोग क्या होता है?
उत्तर-
दाँतों में कार्बोहाइड्रेट युक्त तथा मीठे पदार्थों के सड़ने से जीवाणुओं की क्रिया से एसिड बनता है जो दाँतों के एनेमल को क्षीण कर देता है।

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प्रश्न 10.
पायरिया रोग के लक्षण क्या हैं?
उत्तर-

  1. मसूड़े सूजने लगते हैं,
  2. मसूड़ों में पीड़ा होती है,
  3. मसूड़ों से दाँत अलग होने लगते हैं,
  4. मुँह से दुर्गन्ध आती है।

प्रश्न 11.
स्वस्थ आँखें कैसी होती हैं?
उत्तर-
चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन।

प्रश्न 12.
स्वस्थ नाक की क्या पहचान है?
उत्तर-
साफ़ और साँस लेती हुई होती है।

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प्रश्न 13.
स्वस्थ मुख और होंठ कैसे होते हैं?
उत्तर-
स्वस्थ मुख प्रसन्न और आनन्दित तथा स्वस्थ होंठ लाल और गीले होते हैं।

प्रश्न 14.
स्वस्थ गला किसे कहते हैं?
उत्तर-
साफ़, गीला तथा बाधा विहीन होता है।

प्रश्न 15.
स्वस्थ दाँत कैसे होते हैं?
उत्तर-
साफ़, सही और कष्टविहीन होते हैं।

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प्रश्न 16.
स्वस्थ मसूड़े कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर-
ठोस तथा लाल।

प्रश्न 17.
स्वस्थ तथा अस्वस्थ हाथ में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-
हाथ की हथेलियाँ लाल होने पर स्वस्थ तथा पीली होने पर अस्वस्थ मानी जाती।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यायाम शरीर के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
व्यायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए तथा शरीर को निरोग रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसके विभिन्न कारण हैं

  1. व्यायाम करने से भोजन शीघ्र पच जाता है तथा भूख खुलकर लगती है।
  2. व्यायाम करने से शरीर की गन्दगी शीघ्र बाहर निकल जाती है।
  3. व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियाँ मज़बूत हो जाती हैं जिससे शरीर मजबूत होता है।

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प्रश्न 2.
नियमित स्नान के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
नियमित स्नान से शरीर को निम्न लाभ होते हैं-

  1. त्वचा की स्वच्छता होती है।
  2. रोमकूपों के मुँह खुल जाते हैं।
  3. स्नान के बाद तौलिए से शरीर रगडने से रक्त संचरण उत्तम होता है।
  4. स्नान से हानिकारक पदार्थों तथा रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है।
  5. धुलकर बह जाने से पसीने की दुर्गन्ध जाती रहती है।

प्रश्न 3.
नाखूनों की सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? नाखूनों को किस प्रकार साफ़ करना चाहिए?
उत्तर-
नाखूनों के अन्दर किसी प्रकार की गन्दगी नहीं रहनी चाहिए क्योंकि भोजन के साथ इनमें उपस्थित रोगों के कीटाणु, जीवाणु आदि आहार-नाल में पहुँचकर विकार उत्पन्न करेंगे। नाखूनों को काटते रहना चाहिए अथवा ब्रुश इत्यादि से भली-भाँति साफ़ करना चाहिए।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई का स्वास्थ्य में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यह सर्वविदित मान्यता है कि स्वस्थ शरीर जीवन धारण के योग्य होता है। जिसका शरीर स्वस्थ नहीं वह जीवन धारण करने के बाद भी सांसारिक सुखों का उपभोग नहीं कर सकता। अस्वस्थ मनुष्य का जीवन दूसरों के लिए भार हो जाता है। अतः मनुष्य का स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करना, उसके अनुकूल चलना और बच्चों को भी उसी के अनुसार चलाना चाहिए। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अन्तर्गत स्वास्थ्य के नियमों के अतिरिक्त शारीरिक या शरीर के प्रत्येक अंग की सफ़ाई का बहुत अधिक महत्त्व है।
व्यक्तिगत सफ़ाई के अन्तर्गत निम्नलिखित की सफ़ाई आती है

  1. मुँह व दाँतों की सफ़ाई-इससे दाँत खोखले होने, गिरने तथा किसी प्रकार का रोग होने से बचे रहते हैं।
  2. आँखों की सफ़ाई-इससे आँखें चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन रहती हैं। आँखों की सफ़ाई रहने से आँखों के रोग नहीं होते।
  3. नाक की सफ़ाई-इससे श्वास-नली में संक्रमण नहीं होता।
  4. कानों की सफ़ाई-इससे कानों में दर्द व खुजली नहीं होती और जीवाणुओं का आक्रमण भी नहीं होता।
  5. त्वचा की सफ़ाई-त्वचा की सफ़ाई से त्वचा के रोग नहीं होते तथा शरीर में फुर्ती बनी रहती है।
  6. हाथों तथा नाखूनों की सफ़ाई-नाखूनों में गन्दगी जमा होने से कई रोगों के कीटाणु पनपने लगते हैं और हाथों से मुँह में चले जाते हैं।
  7. वस्त्रों में सफ़ाई-स्वच्छ व साफ़-सुथरे कपड़े पहनने से शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रहता है। गन्दे वस्त्रों में रोग के कीटाणु पनपते हैं जो शरीर को रोगी बनाने में सहायक होते है।

प्रश्न 2.
आँख और नाक को कैसे साफ़ रखा जा सकता है?
उत्तर-
आँखों की सफाई व सुरक्षा-आँखें हमारे शरीर में अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण अंग है। इनसे ही हम विभिन्न वस्तुओं को देख सकते हैं। इसलिए यह कहावत है कि ‘आँखें हैं तो जहान है’ कही जाती है। इनकी स्वच्छता तथा सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएं

  1. आँखों को बाहर की गन्दगी जैसे धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट, कीट-पतंगे आदि से बचाना चाहिए। कुछ धूल तथा जीवाणु तो आँख के द्वारा बाहर निकल जाते हैं यदि किसी कारण से आँखों में कुछ गिर जाए तो उसको नार्मल सेलाइन या साफ़ जल से धो डालना चाहिए।
  2. मुँह तथा आँखों को कई बार धोने तथा पोंछने से सफ़ाई होती है।
  3. गन्दे हाथों से अथवा गन्दे रूमाल से आँखों को नहीं पोंछना चाहिए, न ही इन्हें रगड़ना या मलना चाहिए।
  4. तौलिया, साबन, बाल्टी, मग तथा मँह पोंछने का कपडा जिनका उपयोग दसरे व्यक्ति करते हों, प्रयोग नहीं करना चाहिए, विशेषकर दुखती आँखों वाले व्यक्ति का।
  5. आँखों को तेज़ धूप, चकाचौंध अथवा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए। इसके लिए धूप के चश्मे आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  6. कम प्रकाश में लिखना-पढ़ना अथवा कोई महीन काम करना आँखों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
  7. आँखों की विभिन्न बीमारियों जैसे-रोहे इत्यादि से आँखों को बचाना चाहिए और यदि इनमें से कोई रोग हो तो तुरन्त ही नेत्र-विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोजाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान को ……….. वस्तु से साफ़ नहीं करना चाहिए।
उत्तर-
नुकीली।

प्रश्न 2.
त्वचा से पसीना तथा ………….. पदार्थ बाहर निकलते हैं।
उत्तर-
अपशिष्ट।

प्रश्न 3.
आँखों की एक बीमारी का नाम बताएं।
उत्तर-
रोहे।

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प्रश्न 4.
नियमित स्नान से किसके मुँह खुल जाते हैं?
उत्तर-
रोमकूपों के।

प्रश्न 5.
…………. से आंखें नहीं पोछनी चाहिए।
उत्तर-
गंदे रूमाल से।

प्रश्न 6.
…………… बाल चमकीले तथा साफ़ होते हैं।
उत्तर-
स्वस्थ।

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प्रश्न 7.
नियमित स्नान का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
त्वचा की सफाई हो जाती है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान PSEB 7th Class Home Science Notes

  • प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी से दो-तीन बार धोना चाहिए।
  • चेहरे की त्वचा को ठीक रखने के लिए रात को सोने से पहले मुँह को अच्छी तरह साबुन से धोने के बाद बेसन का उबटन मलना चाहिए और उसके बाद गुनगुने पानी से मुँह को धो लेना चाहिए।
  • नाक को प्रतिदिन साफ़ करना चाहिए ताकि नाक का रास्ता साफ़ हो जाए और अच्छी तरह साँस लिया जा सके।
  • गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए।
  • बच्चे का गला खराब हो तो पानी को उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिए।
  • बालों तथा सिर की सफ़ाई करने की उतनी ही आवश्यकता है जितनी चमड़ी की। सिर और बालों को सप्ताह में एक-दो बार अवश्य धोना चाहिए।
  • सप्ताह में एक बार सिर में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए, जिससे नाड़ियों को उत्तेजित किया जा सके।
  • प्रतिदिन पानी और साबन के साथ स्नान करना चाहिए और बाद में साफ़ तौलिए से पूरे शरीर को अच्छी तरह पोंछना चाहिए।
  • तेल के साथ मॉलिश करना और भाप के साथ स्नान करना स्वास्थ्य और ताज़गी के लिए अच्छे समझे जाते हैं।
  • खुश्क चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोते समय मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

SST Guide for Class 6 PSEB हड़प्पा सभ्यता Textbook Questions and Answers

I. निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता के कुछ महत्त्वपूर्ण नगरों के नाम बतायें।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के महत्त्वपूर्ण नगर हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगन, बनवाली आदि थे।

प्रश्न 2.
सिन्धु घाटी के लोगों के सामाजिक जीवन के बारे में आप क्या जानते
उत्तर–
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन बहुत विकसित था। समाज में तीन वर्गों के लोग रहते थे। पहला वर्ग अमीर लोगों, दूसरा वर्ग किसानों तथा छोटे-छोटे पेशेवर लोगों का और तीसरा वर्ग मज़दूरों का था। लोगों का रहन-सहन आज की तरह ही था। लोगों के भोजन के मुख्य पदार्थ गेहूं, ज्वार, चावल, दालें, फल, सब्जियां तथा दूध थे। कुछ लोग मांसाहारी भी थे। लोग सूती तथा ऊनी, दोनों प्रकार के कपड़े पहनते थे। स्त्रियां तथा पुरुष, दोनों शृंगार करते थे तथा आभूषण पहनते थे। अमीर लोग सोने-चांदी एवं कीमती पत्थरों के आभूषण जबकि ग़रीब लोग हड्डियों, पकी मिट्टी तथा मनकों के बने हुए आभूषण पहनते थे।

लोग खेलों के शौकीन थे। नाचना-गाना, जुआ अथवा चौपड़ खेलना, शिकार करना आदि मनोरंजन के मुख्य साधन थे। बच्चों के खेलने के लिए पकी मिट्टी के तरह-तरह के खिलौने बनाये जाते थे, जिनमें जानवरों की मूर्तियां तथा बैलगाड़ियां आदि प्रमुख थीं।

प्रश्न 3.
सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
सिन्धु घाटी सभ्यता में नगर-निर्माण उच्चकोटि का था। नगर दो भागों में बंटे हुए थे-ऊंचा भाग तथा निचला भाग। ऊंचे भाग में बड़े-बड़े धार्मिक तथा सार्वजनिक भवन थे। यहां शासक वर्ग के लोग रहते थे। निचले भाग में साधारण लोगों के निवास स्थान थे। नगरों की सड़कें सीधी जाती थीं तथा एक-दूसरी को समकोण पर काटती थीं। नगरों में नालियों की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई थी, जिसके कारण नगर में सफ़ाई रहती थी।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर-
लगभग 1500 ई० पूर्व हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया। इस सभ्यता के पतन के कारणों के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने अपने-अपने अनुमान के अनुसार इसके पतन के कारण बताये हैं –

1. कुछ विद्वानों का विचार है कि आर्य लोगों ने सिन्धु घाटी के लोगों के साथ युद्ध करके उन्हें हरा दिया था। फलस्वरूप हड़प्पा सभ्यता नष्ट हो गई। परन्तु इस विचार को आज कोई महत्त्व नहीं दिया जाता।

2. कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों में लगातार बाढ़ आने के कारण इस सभ्यता का नाश हो गया।

3. कुछ विद्वानों का कथन है कि लगभग 1900 ई० पू० सरस्वती नदी के सूख जाने के कारण हड़प्पा सभ्यता के लोग पूर्व की ओर गंगा के मैदान में चले गए थे। .

4. कुछ विद्वानों के अनुसार भूकम्प अथवा किसी अन्य प्राकृतिक विपदा के कारण इस सभ्यता का अन्त हो गया था।

5. कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु घाटी की भूमि में रेगिस्तान फैल गया तथा इसमें ण की मात्रा बढ़ गई। परिणामस्वरूप भूमि की उपजाऊ-शक्ति समाप्त हो गई। अतः धु घाटी के लोग अन्य स्थानों पर जाकर रहने लगे।

प्रश्न 5.
सिन्धु घाटी के लोगों का आर्थिक जीवन कैसा था?
उत्तर–
सिन्धु घाटी के लोगों का आर्थिक जीवन समृद्ध था। लोगों के मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन तथा व्यापार थे। इसके अतिरिक्त लोग कुछ अन्य उद्योग-धन्धे भी करते थे।

1. कृषि-सिन्धु घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। सिंचाई नदियों द्वारा की जाती थी। गेहूं, चावल, जौ तथा कपास की कृषि मुख्य रूप में होती थी। खेतों को हल तथा बैलों के साथ जोता जाता था। लोग तिल तथा सरसों भी पैदा करते थे।

2. पशुपालन-लोग बैल, भैंस, भेड़, बकरियां, ऊंट, हाथी, घोड़े तथा कुत्ते पालते थे।

3. व्यापार-नगर व्यापार के केन्द्र थे। गाड़ियों तथा नौकाओं में माल लाया जाता था। मुद्रा की कमी के कारण व्यापार वस्तुओं की अदला-बदली द्वारा ही होता था। व्यापार देशी तथा विदेशी, दोनों प्रकार का था। विदेशी व्यापार मुख्य तौर पर अफ़गानिस्तान, ईरान तथा मैसोपोटामिया के साथ होता था।

4. अन्य उद्योग-धन्धे-पत्थर तथा तांबे की अनेक वस्तुएं बनाई जाती थीं। शिल्पकार मूर्तियां, बर्तन, औज़ार तथा हथियार आदि बनाते थे। कपड़े की छपाई तथा सूत कातने का कार्य भी होता था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 6.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के किन्हीं दो केन्द्रों के बारे में लिखें।
उत्तर-
पुरातत्त्व विशेषज्ञों ने पंजाब में खुदाई करके हड़प्पा सभ्यता के अनेक केन्द्रों की खोज की है। ये केन्द्र संघोल, रोहीड़ा, सुनेत तथा कोटला निहंग खान हैं। इन केन्द्रों में से संघोल तथा रोहीड़ा केन्द्रों का वर्णन इस प्रकार है –

1. संघोल-संघोल एक छोटा-सा गांव है जो ज़िला लुधियाना में लुधियाना-चण्डीगढ़ सड़क पर स्थित है। इसे ‘ऊंचा गांव’ भी कहा जाता है। यहां की खुदाई से 2000 ई० पूर्व के समय के लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। यहां कुछ मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, माला के मनके तथा तांबे के औज़ार मिले हैं। इन वस्तुओं का सम्बन्ध हड़प्पा सभ्यता से है।

2. रोहीड़ा-रोहीड़ा जिला संगरूर में स्थित है। यहां की खुदाई से बर्तन, पकी ईंटें, मिट्टी के खिलौने आदि मिले हैं। यहां खुदाई का काम 1976-77 ई० में किया गया था।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. हड़प्पा सभ्यता मिस्र की सभ्यता से लगभग ………… गुणा विशाल थी।
  2. पंजाब में ………, …, ………. तथा …….. में इस (हड़प्पा) सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  3. मकान …………. तथा ……………. के बने हुए थे।
  4. एक विशाल …………. भवन मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है।
  5. मर्द तथा स्त्रियां दोनों …………. तथा …………. के शौकीन थे।
  6. लोग …………. की पूजा करते थे।
  7. पीपल के वृक्ष को ………….. समझा जाता था।

उत्तर-

  1. बीस
  2. कोटला निहंग खां, संघोल, रोहिड़ा, सुनेत
  3. पक्की ईंटों, लकड़ी
  4. स्तम्भों वाला
  5. आभूषणों (गहनों), फैशन
  6. मातृ देवी
  7. पवित्र।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

III. सही जोड़े बनायें

(1) पशुपति – (क) बन्दरगाह
(2) मोहनजोदड़ो – (ख) लेखन कला
(3) लोथल – (ग) देवता
(4) चित्रलिपि – (घ) विशाल स्नानगृह।
उत्तर-सही जोड़े
(1) पशुपति – देवता
(2) मोहनजोदड़ो – विशाल स्नानगृह
(3) लोथल – बन्दरगाह
(4) चित्रलिपि – लेखन कला

IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) का निशान लगायें

  1. रोपड़ पाकिस्तान में स्थित है।
  2. हड़प्पा के लोग मातृदेवी की पूजा नहीं करते थे।
  3. पंजाब में सिन्धु सभ्यता के कोई अवशेष नहीं मिले हैं।
  4. सिन्धु घाटी के लोगों को लेखन कला नहीं आती थी।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)

PSEB 6th Class Social Science Guide हड़प्पा सभ्यता Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब का एक हड़प्पा-स्थल लुधियाना जिले में स्थित है जिसे उच्चपिंड कहा जाता है। क्या आप उसका नाम बता सकते हैं?
उत्तर-
संघोल।

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प्रश्न 2.
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हैं। बताइए इनके अवशेष वर्तमान में किस देश में हैं?
उत्तर-
पाकिस्तान में।

प्रश्न 3.
सिंधु घाटी की सभ्यता की कांस्य की नृत्यांगना की मूर्ति किस प्राचीन स्थल से मिली है?
उत्तर-
मोहनजोदड़ो।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा हड़प्पा स्थल हरियाणा से संबंध नहीं रखता?
(क) सुनेत
(ख) बनवाली
(ग) मिताथल
उत्तर-
(क) सुनेत

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 2.
नीचे दिखाई गई योगी की मूर्ति का संबंध निम्न में से किस सभ्यता से है?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 हड़प्पा सभ्यता 1
(क) गुप्तकालीन सभ्यता
(ख) वैदिक सभ्यता
(ग) हड़प्पा सभ्यता।
उत्तर-
(ग) हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 3.
हड़प्पा की कुछ मुद्राओं पर एक चित्रलिपि में लेख मिलते हैं। इससे क्या पता चलता है?
(क) लोग मुद्राएं बनाने में निपुण थे।
(ख) उन्हें लेखन कला का ज्ञान था।
(ग) वे मूर्तियों पर उनके बनाने की तिथि लिखते थे।
उत्तर-
(ख) उन्हें लेखन कला का ज्ञान था।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता क्यों कहते हैं?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के कई स्थान सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों के किनारे हुए थे। इसीलिए इसे सिन्धु घाटी सभ्यता भी कहते हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 2.
हड़प्पा की सभ्यता के आरम्भ होने का लगभग समय बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का आरम्भ आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ।

प्रश्न 3.
हड़प्पा सभ्यता की सड़कों की क्या विशेषता थी?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता की सड़कें सीधी थीं तथा एक-दूसरी को समकोण पर काटती थीं। वायु चलने पर ये अपने आप साफ़ हो जाती थीं।

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता का विशाल स्नानगृह कहां मिला है?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का विशाल स्नानगृह मोहनजोदड़ो में मिला है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 5.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के किन्हीं चार स्थानों के नाम बताएं।
उत्तर-
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के चार स्थान संघोल, रोहिड़ा, सुनेत तथा कोटला निहंग खां हैं।

प्रश्न 6.
हड़प्पा सभ्यता की नालियों की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  1. हड़प्पा सभ्यता की नालियां भूमिगत थीं।
  2. शहर की नालियों का पानी एक बड़ी नाली द्वारा शहर से बाहर जाता था।

प्रश्न 7.
वर्तमान हरियाणा में हड़प्पा सभ्यता के स्थानों के नाम बताएं।
उत्तर-
(1) बनावली,
(2) राखीगढ़ी,
(3) मिताथल,
(4) कुनाल।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 8.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के स्थानों की खुदाई करने वाले दो पुरातत्ववेताओं के नाम लिखो।
उत्तर-
आर० डी० बैनर्जी तथा दया राम साहनी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर क्यों हुआ?
उत्तर-
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर निम्नलिखित कारणों से हुआ –

  1. नदी घाटियों का निर्माण नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से हुआ था। इसलिए ये बहुत । उपजाऊ थे।
  2. लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी प्राप्त होता था।
  3. यातायात तथा सामान लाने-ले जाने के लिए नदियों का प्रयोग किया जा सकता था।

प्रश्न 2.
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं के चार केन्द्र बताओ।
उत्तर-
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं के चार केन्द्र ये थे –

  1. नील नदी की घाटी (मिस्र),
  2. दज़ला तथा फ़रात नदियों की घाटी (मैसोपोटामिया),
  3. सिन्धु नदी की घाटी (सिन्धु),
  4. ह्वांग-हो तथा यंगसी-क्यांग नदियों की घाटी (चीन)।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 3.
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में लगभग सिन्धु नदी से लेकर प्राचीन सरस्वती (आधुनिक घग्गर नदी) नदी तक था। इसमें वर्तमान पाकिस्तान, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ भाग तथा दक्षिणी अफगानिस्तान शामिल थे।

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता के मकानों के निर्माण का वर्णन करें।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता में मकान पकी ईंटों तथा लकड़ी से बनाये जाते थे। मकान के निर्माण में पत्थरों का प्रयोग बहुत कम किया जाता था। बड़े मकानों में अनेक कमरे होते थे जबकि छोटे मकान एक या दो कमरों वाले होते थे। प्रत्येक घर में एक रसोईघर तथा स्नान-गृह होता था। कई बड़े मकान दो-मंजिला भी होते थे तथा इनमें एक आंगन तथा कुआं होता था। मकान की नालियों का निकास बाहर गली की भूमिगत नालियों में होता था।

प्रश्न 5.
हड़प्पा सभ्यता के मुख्य भवनों के बारे में बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के मुख्य भवन निम्नलिखित थे –

1. विशाल स्नानगृह-यह वर्माकार भवन मोहनजोदड़ो में मिला है। ऐसा माना जाता है कि विशेष अवसरों पर लोग स्नान करने के लिए यहां इकट्ठे होते थे।
2. अनाज के गोदाम-ये भवन हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में मिले हैं।
3. सभा भवन-मोहनजोदड़ो में स्तम्भों वाला एक भवन मिला है। इसका प्रयोग शायद सभा करने के लिए किया जाता था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता के लोगों के भोजन, वस्त्रों तथा आभूषणों के बारे में बताएं।
उत्तर-
भोजन-हड़प्पा सभ्यता के लोगों का भोजन सभ्य लोगों जैसा था। वे गेहूं, चावल, सब्जियां, फल तथा दूध का प्रयोग करते थे। कुछ लोग माँस तथा मछली भी ख़ाते थे

वस्त्र-हड़प्पा सभ्यता के लोग सूती तथा ऊनी वस्त्र पहनते थे। खुदाई में पुरुष की एक मूर्ति मिली है जिससे पता चलता है कि लोग धोती की तरह की एक पोशाक र कन्धों पर शाल जैसे वस्त्र का प्रयोग करते थे। स्त्रियों के वस्त्र भी कुछ इसी प्रकार के

आभूषण-हड़प्पा सभ्यता की स्त्रियां तथा पुरुष, दोनों आभूषण पहनने के शौका थे। आभूषण सोने, चाँदी, हाथी दांत तथा तांबे आदि के बनाये जाते थे। मुख्य आभूषणों में हार, बालों के गहने, हाथ के कंगन, अंगूठियां आदि सम्मिलित थीं। स्त्रियों के कुछ विशेष गहने तरागड़ी, नाक के कांटे, बुंदे, पायजेब आदि थे। धनी लोग सोने, चाँदी, हाथी दांत तथा कीमती मोतियों के बने गहने पहनते थे, जबकि निर्धन लोग सिप्पियों, हड्डियों, तांबे तथा पत्थर के आभूषणों का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 2.
पंजाब के कौन-से स्थानों से हड़प्पा सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं? किन्हीं चार स्थानों के बारे में विस्तार से लिखें।
उत्तर-
विभिन्न खुदाइयों से पता चलता है कि पंजाब भी हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। यहाँ निम्नलिखित स्थानों से हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं –

1. संघोल-संघोल एक छोटा-सा गांव है जो लुधियाना-चण्डीगढ़ सड़क पर स्थित है। इसे ‘ऊँचा गांव’ भी कहते हैं। यहां की खुदाइयों से 2000 ई० पूर्व के समय के लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। यहां कुछ मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, माला के मनके तथा तांबे के औज़ार मिले हैं। इन वस्तुओं का सम्बन्ध हड़प्पा सभ्यता से है।

2. रोहिड़ा-रोहिड़ा मण्डी अहमदगढ़ से 6 किलोमीटर दूर है। यहां की खुदाइयों से बर्तन, पकी ईंटें, मिट्टी के खिलौने आदि मिले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यहां हड़प्पा संस्कृति तथा रोहिड़ा की अपनी संस्कृति साथ-साथ फलती-फूलती रहीं।

3. सुनेत-सुनेत ज़िला लुधियाना में स्थित है। यहां की खुदाइयों से 1800 ई० पूर्व से 1400 ई० पूर्व तक की सभ्यता की जानकारी मिलती है।

4. रोपड़-यहां की खुदाइयों से मिट्टी के बर्तन तथा माला के मनके मिले हैं। ऐसा लगता है कि यह स्थान हड़प्पा सभ्यता के समय काफ़ी समृद्ध था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता PSEB 6th Class Social Science Notes

  • हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न नाम – हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता एवं सिन्धुसरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है।
  • हड़प्पा सभ्यता का उदय – हड़प्पा सभ्यता का उदय आज से लगभग सात हज़ार वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में हुआ था।
  • हड़प्पा सभ्यता की जानकारी – हड़प्पा सभ्यता की जानकारी 1921-1922 ई० में पाकिस्तान के हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो नामक स्थानों पर खुदाई से प्राप्त हुई थी।
  • हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना – हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना आधुनिक महानगरों के समान सुनियोजित थी।
  • हड़प्पा सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण भवन – हड़प्पा सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण भवन मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानगृह थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के प्रमुख खाद्य पदार्थ – हड़प्पा सभ्यता के लोगों के प्रमुख खाद्य पदार्थ गेहूँ, ज्वार, चावल, दालें, फल, सब्जियां तथा दूध थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के वस्त्र – हड़प्पा सभ्यता के लोग ऊनी व सूती, दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के मनोरंजन के प्रमुख साधन – हड़प्पा सभ्यता के लोगों के मनोरंजन के प्रमुख साधन नृत्य, जुआ खेलना, चौपड़, शिकार तथा दौड़ इत्यादि थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के प्रमुख व्यवसाय – कृषि तथा पशुपालन हड़प्पा सभ्यता के लोगों के प्रमुख व्यवसाय थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के विदेशी व्यापार के मार्ग – हड़प्पा सभ्यता के लोग दूसरे देशों के साथ जल व स्थल, दोनों मार्गों द्वारा व्यापार करते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों के देवीदेवता – हड़प्पा सभ्यता के लोग मातृदेवी, पशुपति (भगवान् शिव), बैल तथा पीपल की उपासना करते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता का पतन – हड़प्पा सभ्यता का पतन लगभग 1500 ई० पू० में हुआ।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

Punjab State Board PSEB 12th Class Political Science Book Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by Comparative Politics ?)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति आधुनिक राजनीति विज्ञान की महत्त्वपूर्ण देन है। तुलनात्मक राजनीति वर्तमान में विश्वव्यापी स्तर पर राजनीति-शास्त्रियों व विचारकों के अध्ययन की प्रमुख विषय-वस्तु बन चुकी है। तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन यद्यपि ऐतिहासिक काल से चला आ रहा है तथापि इसका महत्त्व आधुनिक युग में ही बढ़ा है। इसका कारण यह है कि प्रत्येक विषय के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए तुलनात्मक अध्ययन अनिवार्य है और बिना तुलनात्मक अध्ययन के किसी भी विषय की वैज्ञानिक व्याख्या सम्भव नहीं है। यही बात राजनीति विज्ञान पर लागू होती है।

तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन आधुनिक राजनीति शास्त्र की इस बदलती हुई प्रवृत्ति का परिचायक है। यद्यपि तुलनात्मक राजनीति का सामान्य अर्थ विदेशी सरकारों का संवैधानिक अध्ययन (Constitutional study of foreign government) है किन्तु आधुनिक राजनीति शास्त्र सम्पूर्ण विश्व की राजनीतिक पद्धति की कल्पना करता है।

तुलनात्मक राजनीति का अर्थ तथा परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Comparative Politics)तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं, शासकीय प्रशासन, वित्तीय प्रशासन, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। यह सभी अंग तथा अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाती हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political Systems) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है। तुलनात्मक राजनीति के विद्वानों ने भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी हैं, जिनमें मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-

1. एडवर्ड ए० फ्रीमैन (Edward A. Freeman) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”

2. जीन ब्लोण्डेल (Jean Blondel) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”

3. राल्फ बराइबन्ती (Ralf Braibanti) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों
की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।”

4. आर० सी० मैक्रीडीस (R. C. Macridis) के शब्दों में, “हैरोडोटस तथा अरस्तु के समय से ही राजनीतिक मूल्यों, विश्वासों, संस्थाओं, सरकारों और राजनीतिक व्यवस्थाओं में विविधताएं जीवन्त रही हैं और इन विविधताओं में समान तत्त्वों की छानबीन करने का जो पद्धतीय प्रयास है उसे तुलनात्मक राजनीति का विश्लेषण कहा जाना चाहिए।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत केवल सरकारों का ही तुलनात्मक अध्ययन नहीं होता बल्कि इससे राजनीतिक व गैर-राजनीतिक, कानूनी व गैर-कानूनी, संवैधानिक व संविधानातिरिक्त, कबीलों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि तथ्यों का भी अध्ययन किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण समाज के उन तथ्यों का अध्ययन जो किसी भी रूप में राजनीतिक प्रणाली को प्रभावित करते हैं तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन संस्थागत अथवा सैद्धान्तिक न होकर व्यावहारिक है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो। (Describe the main characteristics of Comparative Politics.)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. मूल्य मुक्त धारणा (Value-free theory) तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।

2. अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण (Inter-Disciplinary Approach)-तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।

3. विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन (Analytical and Explanatory Study)—आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

4. विकासशील देशों का अध्ययन (Study of Developing Countries) आधुनिक तुलनात्मक राजनीति में केवल पश्चिमी देशों का ही अध्ययन नहीं किया जाता है वरन एशिया, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका के विकासशील देशों के अध्ययन की ओर भी ध्यान दिया जाता है।

5. वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन (Scientific and Systematic Study) तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन को अपनाया जाता है क्योंकि इसमें कार्य-करण और क्रिया-प्रतिक्रिया का सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश की जाती है।

6. व्यवस्थामूलक दृष्टिकोण (Systematic Approach)-तुलनात्मक राजनीति में संविधान के अध्ययन की अपेक्षा राजनीतिक व्यवस्था के अध्ययन को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है और उसी के आधार पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं तथा संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।

7. व्यवहारवादी अध्ययन सम्बन्धी दृष्टिकोण (Behavioural Approach of Study)—तुलनात्मक राजनीति के आधुनिक उपागम ‘व्यवहारवादी दृष्टिकोण’ पर आधारित हैं, जिसके अन्तर्गत राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन के साथ-साथ मानव स्वभाव, सामाजिक व राजनीतिक पर्यावरण का भी अध्ययन किया जाता है।।

8. संरचनात्मक व कार्यात्मक दृष्टिकोण (Structural and functional Approach)-आधुनिक दृष्टिकोण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह संरचना तथा कार्य मूलक दृष्टिकोण है। आधुनिक युग में सभी विद्वान् इस बात पर सहमत हैं कि राजनीतिक व्यवस्थाओं तथा संस्थाओं की संरचना और कार्यों में बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित ही नहीं करते, अपितु एक-दूसरे के नियामक भी होते हैं।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से क्या भाव है ?
अथवा
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना करना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं। शासकीय प्रशासन, वित्तीय व्यवस्था, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। ये सभी अंग तथा अनेक अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाते हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन परिभाषाएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की तीन परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

  • एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
  • जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”
  • एम० कर्टिस के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली और राजनीतिक व्यवहार में पाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और अन्तरों से सम्बन्धित है।”
  • राल्फ बराइबत्ती के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करती है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
  • अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।
  • विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन–आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
  • वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन-तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन अपनाया जाता है।

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन की क्या महत्ता है ?
उत्तर-

  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है।
  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से भिन्न-भिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं की समानताओं तथा असमानताओं को समझा जा सकता है।
  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से विकासशील देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समझने में सहायता मिलती है।
  • तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन राजनीति को एक वैज्ञानिक अध्ययन बनाता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अंतर लिखिए ?
उत्तर-

  • विषय क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय क्षेत्र तुलनात्क राजनीति के क्षेत्र से सीमित
  • जन्म सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय लगभग उतना ही पुराना है जितना कि स्वयं राजनीति शास्त्र पुराना है। राजनीति शास्त्र के पितामह अरस्तु ने अपने समय की 158 सरकारों की तुलनात्मक अधययन करके तुलनात्मक विश्लेषण सम्बन्धी अपने विचार दिये थे। परन्तु तुलनात्मक सरकार की अपेक्षा राजनीति एक नया विषय है।
  • उद्देश्य सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार व तुलनात्मक राजनीति में मुख्य अन्तर उद्देश्य सम्बन्धी है। प्रत्येक विषय के अध्ययन का कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। तुलनात्मक सरकार के अध्ययन के बावजूद इसका उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता जबकि तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से इसका उद्देश्य सिद्धान्त निर्माण (Theory Building) स्पष्ट हो जाता है।
  • तुलनात्मक शासन सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।

प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में आने वाली किन्हीं चार रुकावटों के बारे में लिखिए।
उत्तर-

  • क्षेत्र सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में पहली रुकावट यह आती है कि इसके क्षेत्र में क्या-क्या शामिल किया जाए ?
  • दृष्टिकोण सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में दूसरी रुकावट यह है कि इसके अध्ययन के लिए किन-किन दृष्टिकोणों का प्रयोग किया जाए ?
  • विकासशील देशों की परिस्थितियां-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में विकासशील देशों की खराब आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां रुकावट पैदा करती हैं।
  • कठिन शब्दावली-तुलनात्मक राजनीति की शब्दावली कठिन है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-

  • एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
  • जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति के अधीन कौन-से दो विषयों की तुलना की जा सकती है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति के अधीन शासन एवं राजनीति की तुलना की जाती है अर्थात् इनके अधीन किन्हीं दो देशों के शासन एवं उनकी राजनीति की तुलना की जाती है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
  • अन्त: अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा चारणा है

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र के कोई दो मुख्य विषय लिखिए।
उत्तर-

  • तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न राज्यों की सरकारी संरचनाओं का व्यापक विवरण मिलता है।
  • तुलनात्मक राजनीति में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम तथा कार्यों का अध्ययन करता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक किसे माना जाता है ?
उत्तर-
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक अरस्तू को माना जाता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 2.
अरस्तू ने कितने संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था ?
उत्तर-
रस्तू ने लगभग 158 संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था।

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीति संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर बताएं।
उत्तर-
तुलनात्मक सरकार सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।

प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र का कोई एक मुख्य विषय लिखें।
उत्तर-
विभिन्न देशों की सरकारी संरचनाओं का अध्ययन।

प्रश्न 7.
तुलनात्मक राजनीति की कोई दो विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
(1) मूल्य मुक्त धारणा।
(2) अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 8.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में किस पर अधिक बल दिया गया है ?
उत्तर-
अंत: अनुशासन अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।

प्रश्न 9.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक समस्या लिखिए।
उत्तर-
संयुक्त शब्दावली का अभाव।

प्रश्न 10.
किन विद्वानों ने परम्परावादी दृष्टिकोण का निर्जीव राजनीति विज्ञान कहकर खण्डन किया है?
उत्तर-
आधुनिक विद्वानों ने।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के ………….. अध्ययन से है।
2. शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं :- कार्यपालिका, ……………. एवं न्यायपालिका।
3. …………… के अनुसार तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।
4. ……………. के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।
उत्तर-

  1. तुलनात्मक
  2. विधानपालिका
  3. एडवर्ड ए० फ्रीमैन
  4. जीन ब्लोण्डेल।

प्रश्न III. निम्नलिखित वाक्यों में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. तुलनात्मक राजनीति परम्परागत राजनीति विज्ञान की देन है।
2. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।
3. तुलनात्मक राजनीति की एक विशेषता मूल्य मुक्त अध्ययन है।
4. तुलनात्मक राजनीति में अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण पर बल नहीं दिया जाता।
5. मैक्रीडीस एवं वार्ड के अनुसार तुलनात्मक राजनीति एक ऐसा गाइड है, जो घर बैठे-बिठाए हमें देश-विदेश की सैर करा देता है।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. ग़लत
  5. सही।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
“राजनीति में मानव स्वभाव” नामक पुस्तक किसने लिखी?
(क) राबर्ट डहल
(ख) लुसियन पाई
(ग) डेविड एप्टर
(घ) ग्राम वालेस।
उत्तर-
(घ) ग्राम वालेस।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति का आरम्भ कब से माना जाता है?
(क) 19वीं शताब्दी से
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से
(ग) 18वीं शताब्दी से
(घ) 17वीं शताब्दी से।
उत्तर-
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से

प्रश्न 3.
तुलनात्मक सरकार एवं तुलनात्मक राजनीति में –
(क) कोई अन्तर नहीं
(ख) अन्तर है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) अन्तर है

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 4.
“तुलनात्मक राजनीति का अर्थ समकालीन विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के ढांचे का अध्ययन है।” यह कथन किसका है ?
(क) एडवर्ड फ्रीमैन
(ख) अरस्तू
(ग) जीन ब्लोण्डेल
(घ) ज्यूफ्री के० राबर्टस।
उत्तर-
(ग) जीन ब्लोण्डेल

प्रश्न 5.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में ज़ोर दिया जाता है-
(क) ऐतिहासिक अध्ययन पर
(ख) केवल संवैधानिक ढांचे पर
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

SST Guide for Class 7 PSEB लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
लोकतंत्रीय सरकार से क्या भाव है ?
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) लोगों की अपनी सरकार होती है, अर्थात् वहां का शासन लोगों की इच्छानुसार चलाया जाता है। कानून के अनुसार भी शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है। प्रजातन्त्र में कानून का शासन (Rule of Law) होता है। प्रजातान्त्रिक सरकार लोगों द्वारा ही बनाई जाती है और वह लोगों के कल्याण के लिए ही कार्य करती है। अब्राहिम लिंकन के शब्दों में प्रजातान्त्रिक सरकार ‘लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए’ होती है।

प्रश्न 2.
‘कानून के शासन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
कानून के शासन से अभिप्राय यह है कि देश का शासन निश्चित कानूनों अथवा नियमों के अनुसार चलाया जाता है। सरकार इन नियमों की अवहेलना नहीं कर सकती। उसकी शक्ति का स्रोत कानून होते हैं।

प्रश्न 3.
मताधिकार का लोकतंत्र में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधि लोकतंत्र है। इसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो सरकार चलाते हैं और कानून बनाते हैं। इन प्रतिनिधियों का चुनाव वोट अथवा मताधिकार द्वारा किया जाता है। यदि सरकार अयोग्य हो, तो उसे भी मताधिकार द्वारा बदला जाता है। इसलिए लोकतंत्र में मताधिकार बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
प्रधानात्मक सरकार कौन-सी होती है ?
उत्तर-
कृपया इसके लिए 50-60 शब्दों वाला प्रश्न नं. 4 पढ़ें।

प्रश्न 5.
लोकतंत्र में लोकमत का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लोकमत से अभिप्राय लोगों की इच्छा से है। लोकतंत्र में नीतियों का निर्माण लोकमत के आधार पर ही होता है। लोकमत की उपेक्षा करने वाली सरकार को अगले चुनावों में बदल दिया जाता है। इस प्रकार लोकतन्त्र में लोकमत बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6.
कौन से देश में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है ?
उत्तर-
स्विट्ज़रलैण्ड में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के अस्तित्व में आने संबंधी संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) का आरम्भ यूनान के शहर ऐथन्ज़ में हुआ। वहां का प्रजातन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यह प्रत्यक्ष (सीधा) लोकतंत्र था जिसमें सभी लोग मिलकर शासन चलाते थे। वे लोग वर्ष में कई बार एकत्रित होकर सभा किया करते थे। वहां पर लोगों द्वारा राज्य प्रबन्ध चलाने के निर्णय लिए जाते थे। उस समय सीधा लोकतंत्र इसलिए सम्भव था क्योंकि लोगों की संख्या कम थी और सभी एक स्थान पर बैठकर निर्णय ले सकते थे। सीधा प्रजातन्त्र इसलिए भी सम्भव था क्योंकि उस समय लोकतान्त्रिक देशों में स्त्रियों, विदेशियों और दासों को शासन में भाग लेने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता की धारणा के विकास के संबंध में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्वतन्त्रता लोकतन्त्र का मूल आधार है। इस धारणा का विकास 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड की शानदार क्रान्ति तथा 18वीं शताब्दी में फ्रांस की क्रान्ति के साथ हुआ। आरम्भ में मतदान का अधिकार केवल धनी लोगों को ही प्राप्त था। समय की आवश्यकता के अनुसार सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को मतदान का अधिकार दिया गया।

19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रजातन्त्र के समानता के अधिकार ने और ज़ोर पकड़ा। यह अधिकार पहले केवल राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित था। समय की आवश्यकता के अनुसार आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में भी समानता के अधिकार पर बल दिया जाने लगा। लोगों को कई प्रकार की स्वतन्त्रताएं भी दी गईं। इनमें विचारों की स्वतन्त्रता प्रमुख थी।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र सबसे पहले किस देश में स्थापित हुआ ?
उत्तर-
लोकतन्त्र सबसे पहले यूनान में स्थापित हुआ। वहां लोकतन्त्र का विकास ऐथन्स नगर में हुआ। वहां का लोकतन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। ऐथन्स के लोग साल में कई बार इकट्ठे होते थे और सभा करते थे। इन सभाओं में वे मिलकर निर्णय लेते थे कि राज्य प्रबन्ध किस प्रकार चलाया जाए।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
लोकतंत्रीय सरकार के चार भिन्न-भिन्न स्वरूपों का नाम लिखें।
उत्तर-
(1) प्रधानात्मक सरकार
(2) संसदीय सरकार
(3) एकात्मक सरकार
(4) संघात्मक सरकार।
1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार-प्रधानात्मक सरकार में राष्ट्रपति सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है। वह राज्य का वास्तविक शासक होता है। इसलिए राष्ट्रपति और मन्त्री एक ही राजनीतिक दल से नहीं होते। इस प्रकार की प्रधानात्मक लोकतान्त्रिक सरकार अमेरिका में है। वहां का राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है।

2. संसदीय सरकार-संसदीय अथवा संसदात्मक सरकार में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिए जाते हैं। इसलिए संसदात्मक सरकार में विधानपालिका एवं कार्यपालिका में तालमेल बना रहता है।

3. एकात्मक सरकार-एकात्मक प्रजातन्त्र में राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। परन्तु केन्द्र राज्यों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। हमारे भारत का संविधान भी संघात्मक है, परन्तु किसी आन्तरिक संकट के समय केन्द्रीय सरकार की शक्तियां बढ़ जाती हैं।

4. संघात्मक सरकार-संघात्मक सरकार में संविधान लिखित एवं कठोर होता है। राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का बंटवारा होता है। प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है। भारत में भी संघात्मक सरकार है।

प्रश्न 5.
संसदीय लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संसदात्मकं अथवा संसदीय लोकतन्त्र में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार में विधानपालिका तथा कार्यपालिका के बीच तालमेल बना रहता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 6.
लोकतंत्रीय सरकार की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र को प्रजातंत्र भी कहा जाता है। आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार को सर्वश्रेष्ठ सरकार माना जाता है। सफल लोकतंत्र के लिए कुछ शर्तों का होना अनिवार्य है। लोकतन्त्र सरकार की विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है :–

1. सत्तेत नागरिक-प्रजातन्त्र सरकार का मूल आधार लोकमत है, जिसके आधार पर सरकार चलाई जाती है। इसलिए लोगों का सचेत होना बहुत आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि जनता राजनीतिक रूप से परिपक्व हो। ऐसे लोग ही अपने प्रतिनिधियों पर नियन्त्रण रख सकते हैं।

2. योग्य एवं सचेत नेतागण-यदि सरकार पढ़े-लिखे तथा सचेत नेताओं द्वारा चलाई जायेगी, तो सरकार योग्य होगी। केवल समझदार मतदाता (वोटर) ही ऐसे नेताओं को चुन सकते हैं।

3. अनुशासित नागरिक एवं राजनीतिक दल-प्रजातन्त्र में लोगों का अनुशासित होना बहुत आवश्यक है। तभी वे सरकार की गलत नीतियों और अनुचित कार्यों का विरोध करके सरकार को ठीक ढंग से कार्य करने पर विवश कर सकते हैं। लोगों में दूसरों के विचारों के प्रति आदर भी होना चाहिए। लोगों के राजनीतिक विचारों में भिन्नता के आधार पर राजनीतिक दल बनते हैं। लोगों के प्रतिनिधि चुनाव द्वारा चुने जाते हैं। चुनावों के लिए राजनीतिक दल बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक दल लोगों को सरकार के कार्यों के बारे सूचित करके लोक मत बनाने में सहायता करते हैं। इसलिए राजनीतिक दलों का सचेत और अनुशासित होना अति आवश्यक है।

4. सामाजिक एवं आर्थिक समानता-प्रजातन्त्र में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। यदि सभी नागरिक सामाजिक और आर्थिक रूप से समान नहीं होंगे तो प्रजातन्त्र सफल नहीं हो सकता। इसलिए समाज में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

5. सहनशीलता-लोकतन्त्र में बहुमत प्राप्त दल का शासन होता है। परन्तु दल का उदार होना आवश्यक है। विरोधी दल को भी शासक दल के प्रति सहनशील होना चाहिए। सहनशीलता प्रजातन्त्र की सफलता के लिए एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
नोट-विद्यार्थी कोई दो लिखें।

प्रश्न 7.
सामाजिक तथा आर्थिक समानता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक समानता-सामाजिक समानता का अर्थ है कि सामाजिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान हैं। किसी के साथ जन्म स्थान, रंग, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। सभी व्यक्ति समाज के उपयोगी अंग हैं। किसी व्यक्ति विशेष को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता।

आर्थिक समानता-आर्थिक समानता का अर्थ है कि देश में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। समाज के किसी वर्ग का शोषण न हो। इसका अर्थ यह भी है कि उत्पादन के साधन कुछ एक व्यक्तियों के हाथों में सीमित न हों। सभी को रोज़ी कमाने के समान अवसर प्राप्त हों।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 8.
आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार अत्यधिक प्रिय क्यों है ?
उत्तर-
आज संसार के अधिकतर देशों में लोकतन्त्रीय सरकार है। ऐसी सरकार कल्याणकारी होती है और मानव अधिकारों एवं स्वतन्त्रता को विशेष महत्त्व देती है। लोकतन्त्र में कानून की दृष्टि में सभी बराबर माने जाते हैं। ये कानून भी लोगों के अपने प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं। लोकतन्त्र को लोकप्रिय बनाने वाले कई अन्य आधार भी हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :–

1. समानता-प्रजातन्त्र में अमीरी-गरीबी, धर्म या जाति के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि से सब समान होते हैं। इसलिए तानाशाही सरकार की अपेक्षा प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय

2. स्वतन्त्रता-प्रजातन्त्र में लोग हर पक्ष में स्वतन्त्र होते हैं। वे कोई भी व्यवसाय अपनाने, अपने विचारों को प्रकट करने और किसी भी क्षेत्र में रहने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। परन्तु तानाशाही राज्य में लोगों को तानाशाह राजा की आज्ञा अनुसार चलना पड़ता है।

3. निर्णय लेने की कार्य विधि-प्रजातन्त्र में राज्य प्रबन्ध चलाने के लिए निर्णय लेने का एक विशेष ढंग होता है, जोकि लोगों के हाथ में होता है। लोग अपने प्रतिनिधि चुनकर विधानपालिका में भेजते हैं। ये प्रतिनिधि शासन चलाने के लिए कानून बनाते हैं। विधानपालिका में बहमत दल सरकार बनाती है। सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य करती है। यदि सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य न करे, तो जनता, उसे अगले चुनावों में बदल सकती है।

4. नागरिकों की सक्रिय भागीदारी-प्रजातन्त्र में सभी मतदाता चुनाव लड़ सकते हैं या चुनाव में अपना मत इच्छानुसार दे सकते हैं। देश के शासन में सभी बराबर के भागीदार हैं। तानाशाही राज्यों में ऐसा नहीं होता। इसलिए आधुनिक समय में प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय है।

5. मतभेद दूर करना-प्रजातन्त्र में किसी पर भी अपना विचार थोपा नहीं जाता, बल्कि सभी के विचारों का आदर किया जाता है। शासक दल विरोधी दल के सुझावों पर उदारता से विचार करता है। दूसरी ओर विरोधी दल सरकार के कार्यों में उदारता से सहयोग देता है। इस प्रकार प्रजातन्त्र में वैचारिक मतभेदों को उदारतापूर्वक दूर किया जाता है। इसी कारण प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक पसन्द की जाती है।

6. मानव गौरव (शान) में वृद्धि-स्वतन्त्रता, समानता तथा भाईचारा प्रजातन्त्र के मुख्य सिद्धान्त हैं। इनके आधार पर ही फ्रांस में प्रजातन्त्र का आरम्भ हुआ। प्रजातन्त्र में केवल राजनीतिक स्वतन्त्रता और समानता ही नहीं होती, अपितु सामाजिक तथा आर्थिक समानता भी होती है। इसके लिए सरकार सभी देशवासियों को रोज़ी कमाने के लिए समान अवसर प्रदान करती है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नौकरियों में स्थान आरक्षित किये जाते हैं। इस प्रकार प्रजातन्त्र में मानव गौरव और शान को बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयत्न किया जाता है।

(ग) खाली स्थान भरें

  1. भारत एक ………….. गणराज्य है।
  2. हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का प्रधान …………… है और राज्य सरकारों के मुख्य ……………. होते हैं।
  3. लोकतंत्र का आरम्भ ………………. के शहर ……………… में हुआ।
  4. ………………. ही ऐसा देश है जहां आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  5. लोकतंत्र का आरम्भिक सिद्धांत …………. तथा ……………. है।

उत्तर-

  1. लोकतंत्रीय,
  2. राष्ट्रपति, राज्यपाल,
  3. यूनान, एथेंस
  4. स्विट्ज़रलैण्ड
  5. स्वतन्त्रता तथा समानता।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

(घ) निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ

  1. भारत एक लोकतंत्रीय गणराज्य है।
  2. स्विट्ज़रलैण्ड ही ऐसा देश है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र चल रहा है।
  3. वोट डालने का अधिकार केवल कुछ बालिगों (वयस्कों) को ही प्राप्त है।
  4. लोकतंत्रीय देश में कानून का राज्य होता है।
  5. आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना पहले फ्रांस देश में हुई थी।

संकेत-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✗)

(ङ) बहु-वैकल्पिक प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर पर निशान लगाएं :–
प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक सरकार लोगों की, लोगों के लिए तथा लोगों के द्वारा-यह कथन है
(क) इब्राहिम लिंकन
(ख) लास्की
(ग) डेविड ईस्टन।
उत्तर-
(क) इब्राहिम लिंकन

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 2.
आधुनिक युग में किस सरकार को सर्वोत्तम माना जाता है ?
(क) तानाशाही सरकार
(ख) लोकतांत्रिक सरकार
(ग) सैनिक शासन।
उत्तर-
(ख) लोकतांत्रिक सरकार

प्रश्न 3.
लोकतांत्रिक सरकार वाले देशों में देश के मुखिया कितनी तरह के होते हैं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) दो।
उत्तर-
(ग) दो।

PSEB 7th Class Social Science Guide लोकतन्त्र तथा समानता Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) की दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. लोकतन्त्र में शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है।
  2. लोकतन्त्र में सरकार की नीतियों का निर्णय लोगों की इच्छा के अनुसार लिया जाता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 2.
लोकतन्त्र कौन-कौन से दो प्रकार का होता है ?
उत्तर-

  1. प्रत्यक्ष अथवा सीधा लोकतन्त्र
  2. अप्रत्यक्ष अथवा प्रतिनिधि लोकतन्त्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र तथा अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन की नीतियों के निर्माण में सभी नागरिक सीधे रूप में भाग लेते हैं। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में नागरिक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो शासन की नीतियों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 4.
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के मुखिया कौन-कौन से दो प्रकार के होते हैं ? भारत से उदाहरण दें।
उत्तर-
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के दो प्रकार के मुखिया होते हैं-नाममात्र मुखिया और वास्तविक मुखिया। हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का मुखिया राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल है जबकि केन्द्र में वास्तविक मुखिया प्रधानमन्त्री और राज्य में मुख्यमन्त्री होता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 5.
गणराज्य क्या होता है ?
उत्तर-
जिस देश का प्रमुख लोगों के द्वारा चुना जाता है उसे गणराज्य कहा जाता है।

प्रश्न 6.
हम भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
भारत एक लोकतन्त्र है। देश का मुखिया अर्थात् राष्ट्रपति लोगों द्वारा चुना जाता है। इसलिए भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य कहते हैं।

प्रश्न 7.
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र क्या होता है ? एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र में देश का मुखिया राजा या रानी होते हैं। वे लोगों द्वारा नहीं चुने जाते बल्कि उनका पद परम्परागत होता है। वे नाममात्र के मुखिया होते हैं। इंग्लैंड में राजतन्त्रीय लोकतन्त्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 8.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) का मुख्य सिद्धान्त क्या है ? यह किस बात पर आधारित है ?
उत्तर-
लोकतन्त्र का मुख्य सिद्धान्त कानून का शासन है। यह मानव की स्वतन्त्रता तथा समानता पर आधारित है।

प्रश्न 9.
व्यापक (सार्वभौम) वयस्क मताधिकार क्या होता है ?
उत्तर-
जब देश के सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को बिना किसी भेदभाव के मतं देने का अधिकार दिया जाता है, तो उसे सार्वभौम वयस्क मताधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 10.
कार्यपालिका तथा विधानपालिका के प्रभाव की दृष्टि से लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार
  2. संसदीय सरकार।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 11.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन के आधार पर लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. एकात्मक सरकार
  2. संघात्मक सरकार।

प्रश्न 12.
“लोकतन्त्र अथवा प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं, अपितु एक जीवन-परीक्षण है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रजातन्त्र में समाज में किसी भी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि में अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष सब समान हैं। प्रत्येक को अपने व्यक्तित्व का विकास करने का अधिकार होता है। जाति या जन्म के आधार पर किसी को भी कोई विशेष सुविधा प्राप्त नहीं होती, क्योंकि प्रजातान्त्रिक समाज में इस प्रकार के भेद-भाव के लिए कोई स्थान नहीं होता। यदि आर्थिक एवं सामाजिक पक्ष से सभी स्त्री-पुरुष समान होंगे तभी सभी लोग राजनीतिक पक्ष से भी समान होंगे। इसीलिए प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं अपितु एक जीवन परीक्षण है।

सही जोड़े बनाइए:

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – यूरोप
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – भारत
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – एथेंस (यूनान)
  4. संसदीय सरकार – अमेरिका

उत्तर-

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – एथेंस (यूनान)
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – यूरोप
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – अमेरिका
  4. संसदीय सरकार – भारत।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

लोकतन्त्र तथा समानता PSEB 7th Class Social Science Notes

  • लोकतन्त्र – लोकतन्त्र जनता का शासन होता है। इसमें शासन की सारी शक्ति जनता के पास होती है। शासन को कानून के अनुसार चलाया जाता है।
  • स्वतन्त्रता और समानता – स्वतन्त्रता और समानता लोकतन्त्र के मूल आधार हैं।
  • कानून का शासन – कानून के शासन से अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शासक अपनी इच्छानुसार नहीं बल्कि एक निश्चित संविधान के अनुसार शासन करता है। ऐसे शासन में राज्य का मुखिया जनता पर मनमानी नहीं कर सकता और जनता उससे पूछ सकती है कि उसने अमुक कार्य क्यों किया है। इस शासन प्रणाली को हम संवैधानिक शासन-प्रणाली भी कह सकते हैं।
  • प्रत्यक्ष लोकतन्त्र – प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता स्वयं अपने शासन का संचालन करती है। आज के युग में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सम्भावना नहीं है।
  • अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र – अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन चलाने का कार्य जनता के प्रतिनिधि करते हैं। अतः अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में प्रतिनिधियों के चयन का कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह कार्य निर्वाचनों के द्वारा किया जाता है।
  • प्रजातन्त्र तथा राजनैतिक दल – प्रजातन्त्र में राजनैतिक दलों का सरकार पर नियन्त्रण होता है। विपक्षी दल सरकार की आलोचना करते हैं और उसके कार्यों पर नियन्त्रण रखते हैं।
  • जनमत अथवा लोकमत – प्रजातन्त्र की सफलता के लिए जनमत की भूमिका अति अनिवार्य है। स्वस्थ जनमत राजनीतिक दलों पर नियन्त्रण रखता है।
  • लोकतन्त्र तथा चुनाव – लोकतन्त्र में चुनावों का विशेष महत्त्व है। लोग चुनावों द्वारा ही अपने प्रतिनिधि चुनते हैं और अयोग्य सरकार को बदलते हैं।
  • व्यापक वयस्क मताधिकार – जब सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार दिया जाता है तो उसे व्यापक वयस्क मताधिकार कहा जाता है। यह समानता के नियम पर आधारित है।
  • तानाशाही – तानाशाही राज्य में शासन की शक्ति एक या कुछ एक तानाशाह लोगों के हाथ में होती है। ऐसे देशों में चुनाव नहीं कराये जाते और न ही सरकार लोगों की इच्छा के आधार पर चलाई जाती है। केवल तानाशाह के पास ही शासन की सारी शक्ति होती है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

SST Guide for Class 6 PSEB आदि-मानव – पाषाण युग Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित के संक्षिप्त उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
पुरा-पाषाण युग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग उस युग को कहा जाता है जब मनुष्य एक शिकारी तथा संग्राहक था। इस युग में मनुष्य का जीवन प्राकृतिक वस्तुओं पर निर्भर था। उसे आग का कोई ज्ञान नहीं था, इसलिए वह जंगली कन्द-मूल तथा जानवरों का कच्चा मांस खाता था। जंगली जानवरों से अपनी रक्षा के लिए वह समूह बनाकर रहता था। वह रात को वृक्षों पर अथवा गुफ़ाओं में रहता था। वह आम तौर पर वस्त्रहीन रहता था, परन्तु कभी-कभी अपने शरीर को बहुत अधिक सर्दी तथा गर्मी से बचाने के लिए जानवरों की खालों, वृक्षों के पत्तों तथा छिलकों से ढक लेता था। जानवरों के शिकार के लिए वह पत्थर से बने हथियारों अथवा वृक्षों की शाखाओं का प्रयोग करता था।

प्रश्न 2.
नव-पाषाण युग के पाँच महत्त्वपूर्ण लक्षण बतायें।
उत्तर-
पाषाण युग के तीसरे तथा अन्तिम युग को ‘नव-पाषाण युग’ कहा जाता है। इस युग के पाँच महत्त्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित थे –

  1. मानव एक स्थान पर टिक कर रहने लगा था। उसने अनाज उगाना तथा भोजन पकाना आरम्भ कर दिया था।
  2. मानव के औज़ार पहले से अधिक तेज़ तथा हल्के थे जिसके कारण उसकी काम करने की क्षमता बढ़ गई थी।
  3. मानव ने भोजन पकाने तथा रखने के लिए पकी मिट्टी के बर्तन बनाने सीख लिए थे।
  4. मानव ने गुफ़ाओं की दीवारों पर चित्र बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।
  5. मानव कीमती पत्थरों, पकी मिट्टी तथा हाथी दांत आदि के मनके बनाकर उन्हें आभूषणों के रूप में प्रयोग करने लगा था।

प्रश्न 3.
मध्य-पाषाण युग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
मध्य-पाषाण युग का आरम्भ पुरा-पाषाण युग के पश्चात् हुआ। इस युग में मानव के जीवन स्तर में कुछ सुधार हुआ। उसने कई नई चीजें सीखीं। उसने टूटे हुए पत्थर के टुकड़ों के स्थान पर नुकीले तथा तराशे हुए पत्थर के हथियार जैसे कि कुल्हाड़ी, भाले, गंडासे आदि बनाने आरम्भ कर दिए। वह इन औज़ारों तथा हथियारों को लकड़ी की एक लम्बी छड़ से बांध कर प्रयोग में लाने लगा। उसे इस बात का भी पता चल गया कि अनाज को काफ़ी समय तक इकट्ठा करके रखा जा सकता है। इसलिए उसने अनाज को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वह गुफ़ाओं के अतिरिक्त लकड़ी, बांस तथा पत्तों की झोंपड़ियां भी बनाने लगा था। फलस्वरूप मनुष्य गांव बनाकर स्थायी रूप से रहने लगा।

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प्रश्न 4.
पहिये के आविष्कार ने मानव की क्या सहायता की?
उत्तर-
मानव के विकास में पहिये के आविष्कार का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस आविष्कार के कारण मानव ने बड़ी तेजी से उन्नति की। इस आविष्कार ने मानव जीवन को कई प्रकार से आसान बना दिया।

  1. पहिये का प्रयोग जानवरों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों में होने लगा। परिणामस्वरूप मानव के लिए यात्रा करना तथा सामान ढोना आसान हो गया।
  2. पहिये ने पानी खींचने में मानव की सहायता की।
  3. मानव ने पहिये की सहायता से मिट्टी के बर्तन बनाने आरम्भ कर दिए।

प्रश्न 5.
गुहा-चित्रों के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
गुहा-चित्रों से अभिप्राय गुफा-चित्रों से है। आदि-मानव गुफ़ाओं तथा पत्थर के विश्राम-गृहों में रहते समय इनकी दीवारों पर नुकीले पत्थरों तथा रंगों की सहायता से मानवों, जानवरों तथा शिकार के चित्र बनाता था। ये चित्र आमतौर पर रेखा-चित्र होते थे परन्तु कई बार वह इनमें रंग भी भरता था। ऐसे चित्र भारत के अनेक भागों तथा संसार में कई स्थानों पर प्राप्त हुए हैं। भारत में मध्य प्रदेश में भोपाल के निकट भीमबैठका के गुहा-चित्र देखने योग्य हैं, जिनमें मानवों को नाचते हुए दिखाया गया है। इससे पता चलता है कि पाषाण युग में नृत्य मनोरंजन का एक साधन था तथा लोग समूहों में नाचते-गाते थे।

II. सही जोड़े बनायें

  1. पेलियोलिथिक एज – (क) गुहा मानव
  2. मेसोलिथिक एज – (ख) गुहा-चित्र
  3. भीमबैठका – (ग) प्राचीन पाषाण युग
  4. शिकारी-खाद्य संग्रहक – (घ) मध्य पाषाण युग।

उत्तर-सही जोड़े

  1. पेलियोलिथिक एज – गुहा मानव
  2. मेसोलिथिक एज – मध्य पाषाण युग
  3. भीमबैठका – गुहा-चित्र
  4. शिकारी-खाद्य संग्रहक – प्राचीन पाषाण युग।

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III. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) का निशान लगायें

  1. पुरा-पाषाण युग में मानव कृषि के लिए हल चलाता था।
  2. अग्नि का आविष्कार एक वैज्ञानिक ने किया।
  3. पाषाण युग के गुहा-चित्र अनेक स्थानों से मिले हैं।
  4. नव पाषाण युग का अर्थ आधुनिक समय है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

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कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक ऐसा युग था जब मानव जानवरों का शिकार करता था और कच्चा मांस खाता था। क्या आप उस युग का नाम बता सकते हैं?
उत्तर-
पुरा पाषाण युग।

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प्रश्न 2.
मानव ने मनके बनाने के लिए सर्वप्रथम किस चीज़ का प्रयोग किया?
उत्तर-
कीमती पत्थर।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दर्शाए गए चित्र में आदि मनुष्य मिट्टी के बर्तन बना रहा है। इस के लिए वह किस चीज़ का प्रयोग करता था?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 आदि-मानव – पाषाण युग 1
(क) चाक अथवा पहिया
(ख) नुकीले पत्थर
(ग) तांबे का सांचा
उत्तर-
(क) चाक अथवा पहिया

प्रश्न 2.
आदि-मानव ने अग्नि का प्रयोग किस काम में नहीं किया?
(क) धातु पिघलाना
(ख) भोजन पकाना
(ग) मिट्टी के बर्तन पकाना।
उत्तर-(क) धातु पिघलाना

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पुरा-पाषाण युग को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं? यूनानी भाषा में इसका क्या अर्थ है?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग को अंग्रेज़ी में ‘पेलियोलिथिक पीरियड’ कहते हैं। यूनानी भाषा में इसका अर्थ ‘पुराना पत्थर’ है।

प्रश्न 2.
पुरा-पाषाण युग में आदि-मानव के कौन-कौन से औज़ार तथा हथियार थे? मानव इनका प्रयोग किस लिए करता था?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग में पत्थर की बनी कुल्हाड़ियां, भाले तथा गंडासे आदि-मानव के औज़ार तथा हथियार थे। मानव इनका प्रयोग शिकार करने के लिए करता है।

प्रश्न 3.
पाषाण युग का यह नाम क्यों पड़ा?
उत्तर-
इस युग में पत्थर के औज़ारों और हथियारों का प्रयोग होता था। पत्थर के कारण ही इस युग का नाम पाषाण (पत्थर) युग पड़ा।

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प्रश्न 4.
पुरा-पाषाण युग का आरम्भ कब हुआ?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग का आरम्भ लगभग 5 लाख वर्ष से अढ़ाई लाख वर्ष के मध्य में हुआ।

प्रश्न 5.
आग का आविष्कार कब हुआ?
उत्तर-
आग का आविष्कार पुरा-पाषाण युग के अन्तिम चरण में हुआ।

प्रश्न 6.
बुद्धिधारी मानव का जन्म कब हुआ?
उत्तर-
बुद्धिधारी मानव का जन्म पुरा-पाषाण युग के अन्तिम चरण में हुआ।

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प्रश्न 7.
भोजन इकट्ठा करने की अवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
भोजन इकट्ठा करने की अवस्था वह समय था जब मानव को कृषि का कोई ज्ञान नहीं था। वह कन्द-मूल, फल आदि इकट्ठे करके उन्हें भोजन के रूप में प्रयोग करता था। वह भोजन की तलाश में स्थान-स्थान पर घूमता रहता था।

प्रश्न 8.
नव-पाषाण युग का आरम्भ कब हुआ?
उत्तर-
नव-पाषाण युग का आरम्भ लगभग 10,000 वर्ष से 12,000 वर्ष पूर्व हुआ।

प्रश्न 9.
नव-पाषाण काल का मुख्य आविष्कार क्या था?
उत्तर-
नव-पाषाण काल का मुख्य आविष्कार पहिया था। इस आविष्कार से मानव के जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया।

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प्रश्न 10.
पहिए के आविष्कार के दो लाभ बताएं।
उत्तर-
पहिए के आविष्कार से मिट्टी के बर्तन बनाने तथा यातायात के साधनों में तेजी से परिवर्तन आया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आग के आविष्कार ने मनुष्य की किस प्रकार सहायता की?
उत्तर-
आग के आविष्कार ने मनुष्य की बहुत सहायता की। अब मनुष्य ने आग जलाकर भोजन पकाना आरम्भ कर दिया। मनुष्य अपने आपको सर्दियों में गर्म रखने, अपनी गुफाओं तथा विश्राम-गृहों में रात को रोशनी करने तथा जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए आग का प्रयोग करने लगा था।

प्रश्न 2.
पूर्व ऐतिहासिक काल की जानकारी हमें किससे मिलती है?
उत्तर-
पूर्व ऐतिहासिक काल की जानकारी हमें उन स्थानों की खुदाइयों से प्राप्त । पुरातत्व वस्तुओं से मिलती है जहां उस समय के मानव रहते थे। इन वस्तुओं में मानवों तथा जानवरों की हड्डियां, पुराने औजार तथा हथियार और दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल हैं।

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प्रश्न 3.
कृषि का आरम्भ किस प्रकार हुआ?
उत्तर-
आदि-मानव अनाज के जो दाने भूमि पर फेंक देता था, उनमें से नए पौधे उत्पन्न होते थे तथा बहुत-सा अनाज प्राप्त होता था। इस प्रकार आदि-मानव ने यह सीखने का प्रयत्न किया कि शीघ्र तथा बढ़िया पैदावार के लिए मिट्टी में बीजों को कब बोना चाहिए तथा कृषि के लिए भूमि को किस प्रकार तैयार करना चाहिए। इससे कृषि का आरंभ हुआ।

प्रश्न 4.
कृषि के आविष्कार का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
कृषि के आविष्कार ने मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। अब मनुष्य को भोजन की खोज के लिए इधर-उधर घूमने की ज़रूरत नहीं थी। उसका खानाबदोश जीवन समाप्त हो गया तथा वह एक स्थान पर टिक कर रहने लगा।

प्रश्न 5.
आदि-मानव के वस्त्रों तथा आभूषणों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
आदि-मानव अपने आपको सर्दी तथा वर्षा आदि से बचाने के लिए जानवरों की खालों तथा वृक्षों की छाल तथा पत्तों से अपने शरीर को ढकता था। पुरुष तथा स्त्रियां दोनों ही आभूषणों का प्रयोग करते थे। ये आभूषण कीमती पत्थरों, पकी मिट्टी तथा हाथी दांत आदि के बने मनके होते थे। लोग ऐसे आभूषण स्वयं बनाते थे।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आदि-मानव के जीवन के बारे में लिखो।
उत्तर-
आदि-मानव का जीवन बहुत कठोर था। उसके जीवन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –
1. खानाबदोश जीवन-वह खानाबदोश था और नग्न रहता था। अपने भोजन की तलाश में वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता रहता था।

2. भोजन-अपनी भूख मिटाने के लिए मानव जंगलों से प्राप्त कन्द-मूल, फल अथवा जानवरों का मांस खाता था। जब एक स्थान पर फल तथा जानवर समाप्त हो जाते थे तो वह उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चला जाता था। उसे कृषि का कोई ज्ञान नहीं था। वह आग जलाना भी नहीं जानता था। इसलिए वह जानवरों के मांस को कच्चा ही खाता था। अपनी प्यास बुझाने के लिए वह नदियों के किनारे रहना पसन्द करता था।

प्रश्न 2.
नव-पाषाण युग के मानव की भोजन पैदा करने की अवस्था की जानकारी दें।
उत्तर-
नव-पाषाण युग के आरम्भ में मानव भोजन इकट्ठा करने की अवस्था से भोजन पैदा करने की अवस्था में आ गया। अन्य शब्दों में, मानव कृषि करना सीख गया। कृषि के आरम्भ से मानव का जीवन सरल और सभ्य हो गया। उसने अनाज, सब्जियां तथा फल पैदा करने आरम्भ कर दिए। कृषि करने के लिए उसने अपने औज़ारों तथा हथियारों में भी परिवर्तन किए। सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उसने नदियों के किनारे कृषि करना आरम्भ किया। वह मुख्य रूप से गेहूं, चावल तथा जौ उगाता था।
कृषि के कार्य में मानव का परिवार भी उसकी सहायता करता था। इस कार्य में स्त्रियों का बहुत योगदान था।

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प्रश्न 3.
नव-पाषाण युग के मानव के रहन-सहन की जानकारी दें।
उत्तर-
नव-पाषाण युग के आरम्भ होने तक मानव के जीवन तथा रहन-सहन के ढंग में बहुत-से परिवर्तन आ गए। आग की खोज, नए औज़ारों के प्रयोग, पशुपालन तथा कृषि के आरम्भ ने मानव के जीवन को सभ्य बना दिया।

1. स्थिर जीवन-कृषि ने मानव के जीवन में स्थिरता पैदा कर दी। भोजन पैदा करने
अवस्था में पहुंचकर मानव सांस्कृतिक विकास के मार्ग पर अग्रसर हुआ। कृषि ने उसकी भोजन की आवश्यकता को पूरा किया। इसलिए अब उसे भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमना नहीं पड़ता था। पशुपालन के व्यवसाय के विकास से मानव प्रगति के मार्ग पर चल पड़ा।

2. समाज का निर्माण तथा सहयोग-नव-पाषाण युग में जो लोग कृषि नहीं करते थे, वे कृषकों पर निर्भर थे। इसी प्रकार कृषक अपनी अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बढ़ई तथा कुम्हारों पर निर्भर रहते थे। इस प्रकार समाज का निर्माण हुआ तथा सहयोग की भावना का जन्म हुआ।

3. श्रम-विभाजन-विभिन्न व्यवसाय अपनाने से श्रम का विभाजन हुआ तथा धीरेधीरे कार्यों में निपुणता भी आ गई। परिणामस्वरूप व्यवस्थित जीवन का आरम्भ हुआ।

आदि-मानव – पाषाण युग PSEB 6th Class Social Science Notes

  • पृथ्वी पर मानव जीवन का आरंभ – पृथ्वी पर मानव जीवन लगभग 40 लाख वर्ष पूर्व आरंभ हुआ।
  • प्रारम्भिक मानव का रहन-सहन – आरम्भ में मानव का रहन-सहन पशुओं जैसा था।
  • शिकारी-संग्राहक – पुरा-पाषाण युग के आदि-मानव को शिकारी संग्राहक के नाम से जाना जाता है।
  • पाषाण युग – पाषाण युग उस काल को कहा जाता है जब मानव पत्थर के औज़ारों तथा हथियारों का प्रयोग करता था।
  • पाषाण युग का विभाजन – पाषाण युग को पुरा-पाषाण युग, मध्य-पाषाण युग तथा नव-पाषाण युग, तीन भागों में बांटा जाता है।
  • आग की खोज – आग की खोज शायद दो पत्थरों को आपस में रगड़ने से हुई थी।
  • प्रारम्भिक पहिया – प्रारम्भ में मानव लकड़ी के गोल गट्ठों का पहिए के रूप में उपयोग करता था।
  • स्थायी मानव जीवन का आरम्भ – कृषि की खोज के पश्चात् स्थायी मानव जीवन का आरम्भ हुआ।
  • पाषाण-चित्र – आदि मानव गुफ़ाओं तथा विश्राम-स्थलों की दीवारों पर चित्र बनाया करता था। इन्हें पाषाण– चित्र कहते हैं। ऐसे चित्र भोपाल के निकट भीमबैठका में मिले हैं।
  • आदि-मानव के आभूषण – आदि-मानव पत्थरों, पकी मिट्टी तथा हाथी दांत इत्यादि से बने मनकों का आभूषणों के रूप में प्रयोग करता था।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 2 तर्कशील सोच

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 2 तर्कशील सोच Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 2 तर्कशील सोच

PSEB 10th Class Welcome Life Guide तर्कशील सोच Textbook Questions and Answers

अभ्यास – I

प्रश्न 1.
पंजाब का दूसरा भाग कहाँ स्थित है?
(a) दिल्ली
(b) कनाडा
(c) पाकिस्तान
(d) राजस्थान।
उत्तर-
(b) पाकिस्तान ।

प्रश्न 2.
पंजाब में कितने विधानसभा क्षेत्र हैं?
(a) 116
(b) 21
(c) 31
(d) 117
उत्तर-
(d) 117.

प्रश्न 3.
पंजाब में कितने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र (लोकसभा) हैं?
(a) 117
(b) 13
(c) 21
(d) 22.
उत्तर-
(b) 13.

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प्रश्न 4.
यूनानियों ने पंजाब को किस नाम से बुलाया?
(a) सप्त-सिंधु
(b) पेंटापोटामिया
(c) पंचनद
(d) सिंध।
उत्तर-
(b) पेंटापोटामिया।

प्रश्न 5.
पंजाब का विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन-सा है?
(a) पंजाबी विश्वविद्यालय
(b) पंजाब विश्वविद्यालय
(c) तक्षशिला विश्वद्यिालय
(d) नालंदा विश्वविद्यालय।
उत्तर-
(b) तक्षशिला विश्वद्यिालय।

अभ्यास-II

वर्कशीट के लिए प्रश्न

प्रश्न 1.
संदीप के मन में कौन-सी गलत धारणा थी?
उत्तर-
संदीप के दिमाग में यह गलत धारणा थी कि उत्पाद और टॉनिक शारीरिक शक्ति बढ़ाते हैं और एथलीट खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। वह मेहनत के बजाय दवा और उत्पाद लेना पसंद कर रहे थे जो कि ग़लत धारणा है।

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प्रश्न 2.
मैडम ने अपनी जवान छात्राओं को क्या समझाया?
उत्तर-
मैडम ने जवान छात्राओं को समझाया कि वे अपने मन में गलत धारणा न रखें। कई लोग अपने मज़बूत शरीर को दिखाने के लिए दवाओं का उपयोग करते हैं जो कि ग़लत है। बच्चे स्टेशल मीडिया विज्ञापनों के जाल में फंस जाते हैं। इन विज्ञापनों के जाल में फंसने से पहले हमें सावधानी से सोचने की ज़रूरत है। इन दवाओं को लेने के बजाय, हमें मेहनत और देसी आहार पर अधिक ध्यान देना चाहिए। मैडम ने लड़कियों से कहा कि हमारे पास बहुत से उदाहरण हैं जहाँ सामान्य परिवारों के कई खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की है और बहुत सफलता प्राप्त की है।

प्रश्न 3.
प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को देखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
कंपनियों प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर अपने उत्पादों का विज्ञापन करती हैं। इस प्रकार के विज्ञापन किसी भी टीवी चैनल का हिस्सा नहीं हैं और इन पर लिखा होता है कि यह एक कंपनी का विज्ञापन है। इसलिए, इससे पहले कि हम उन्हें खरीदें और उनके जाल में पड़ें। हमें उनके बारे में सच्चाई का पता लगाना चाहिए। हमें तर्कसंगत रूप से सोचना चाहिए कि क्या यह संभव है। यदि नहीं, तो हमें वह उत्पाद नहीं खरीदना चाहिए।

प्रश्न 4.
हम गलतफहमियों से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?
उत्तर-
हमें किसी भी चीज़ के बारे में तर्कसंगत रूप से सोचना चाहिए कि यह सही है या ग़लत। हमें दूसरों से बात करनी चाहिए और यदि हमारे विचार मेल खाते हैं, तो हमें गलतफहमी को दूर करना चाहिए और इसके पीछे के कारण पर विचार करना चाहिए।

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Welcome Life Guide for Class 10 PSEB तर्कशील सोच Important Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-से छात्र अद्वितीय और सफल होते हैं?
(a) वह जो समय को महत्त्व देता है
(b) वह जो खेल खेलता है
(c) जो सोशल मीडिया पर मस्त हो
(d) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) वह जो समय को महत्त्व देता है।

प्रश्न 2.
समाज में लैंगिक भेदभाव को किसने दूर किया है?
(a) धर्म
(b) विज्ञान और प्रौद्योगिकी
(c) सोसायटी
(d) सरकार।
उत्तर-
(b) विज्ञान और प्रौद्योगिकी।

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प्रश्न 3.
कौन-सा उदाहरण हमें महिलाओं की हिम्मत और दया के बारे में बताता है?
(a) माई भागो
(b) माता गुजरी
(c) रानी लक्ष्मीबाई
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या हम आधुनिक समय में लैंगिक भेदभाव देख सकते हैं?
(a) हाँ
(b) नहीं
(c) पता नहीं
(d) कुछ नहीं कह सकते।
उत्तर-
(a) हाँ!

प्रश्न 5.
हमें किस की कद्र करनी चाहिए?
(a) पैसे की
(b) समय की
(c) अंधविश्वास की
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) समय की।

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प्रश्न 6.
वर्तमान युग में हम ……….. का सही उपयोग करके बचत कर सकते हैं।
(a) धर्म
(b) सोशल मीडिया
(c) समाचार पत्र
(d) पत्रिका।
उत्तर-
(b) सोशल मीडिया।

प्रश्न 7.
………….. के साथ हम अपना समय अच्छे से बिता सकते हैं?
(a) नियोजन
(b) मोबाइल
(c) टी०वी०
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) नियोजन।

प्रश्न 8.
आधुनिक क्रांतिकारी परिवर्तनों के वर्तमान युग में ……… की भूमिका काफी बढ़ गई है।
(a) धर्म
(b) सरकार
(c) संचार के साधन
(d) व्यक्तिगत साधन।
उत्तर-
(c) संचार के साधन।

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प्रश्न 9.
संचार के साधनों से हमें क्या मिलता है?
(a) सूचना
(b) ज्ञान
(c) मनोरंजन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 10.
संचार के साधनों का अवगण क्या है?
(a) एक व्यक्ति स्वाभाविक हो जाता है।
(b) बच्चे बुरी आदतों को अपनाते हैं।
(c) बच्चे अपने वास्तविक उद्देश्य से विचलित होते हैं।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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(ख) खाली स्थान भरें

  1. …………. के उपयोग से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
  2. ………….. के उपयोग से हमें बहुत-सी जानकारी मिलती है।
  3. ………….. का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
  4. आदि काल से ही समाज में ………… और ……….. के बीच भेदभाव चल रहा है।
  5. हमें मन में …………… धारणाएं नहीं रखनी चाहिए।

उत्तर-

  1. समय,
  2. संचार के साधनों,
  3. सोशल मीडिया,
  4. लड़के, लड़कियां,
  5. ग़लत।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. हमें ग़लत धारणाओं से बचना चाहिए।
  2. लिंग आधारित भेदभाव आधुनिक समाज की एक धारणा है।
  3. लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव प्राचीन काल से चला आ रहा है।
  4. कई लोग मीडिया के जाल में फंस जाते हैं।
  5. खाने के उत्पाद खेलकूद के लिए आवश्यक हैं।

उत्तर-

  1. सही,
  2. ग़लत,
  3. सही,
  4. सही,
  5. ग़लत।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) भेदभाव — (i) संचार का साधन
(b) विचित्र — (ii) सप्त सिंधु
(c) अनुसूची — (iii) अंतर
(d) इंटरनेट — (iv) विशेष
(e) पंजाब — (v) टाइम टेबल।
उत्तर-
(a) भेदभाव — (iii) अंतर
(b) विचित्र — (iv) विशेष
(c) अनुसूची — (v) टाइम टेबल
(d) इंटरनेट — (i) संचार का साधन
(e) पंजाब — (ii) सप्त सिंधु।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या समाज में लिंग आधारित भेदभाव होता है?
उत्तर-
हां, समाज में लिंग आधारित भेदभाव होता है।

प्रश्न 2.
किस ने समाज में लिंग आधारित भेदभाव को कम किया है?
उत्तर-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने समाज में लिंग आधारित भेदभाव को काफी कम कर दिया है।

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प्रश्न 3.
किन पहलुओं से, हम एक लड़के और लड़की के बीच अंतर नहीं देख सकते?
उत्तर-
साहस, मानसिक स्तर, कड़ी मेहनत इत्यादि के दृष्टिकोण से।

प्रश्न 4.
महिलाओं की बहादुरी, वीरता और दयालुता का उदाहरण दें।
उत्तर-
माई भागो, माता गुजरी, रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि महिलाएं बहादुरी, वीरता और दयालुता की उदाहरणे है।

प्रश्न 5.
क्या आधुनिक समय में कोई लिंग आधारित भेदभाव है?
उत्तर–
हाँ, आधुनिक समय में लिंग आधारित भेदभाव है।

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प्रश्न 6.
कौन-से छात्र विशिष्ट तथा सफल हैं?
उत्तर-
समय को महत्त्व देने वाले छात्र विशिष्ट तथा सफल हैं।

प्रश्न 7.
हमें समय की कद्र क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
क्योंकि एक बार समय निकल जाने के बाद कभी वापस नहीं आता।

प्रश्न 8.
समय बर्बाद होने पर क्या होता है?
उत्तर-
समय हमारी कद्र नहीं करेगा और हम जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे।

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प्रश्न 9.
कौन-सा छात्र जीवन में सफल हो जाता है?
उत्तर-
जो छात्र समय की योजना बनाते हैं, वह जीवन में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 10.
समय नियोजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इसका मतलब है कि समय हमें इस तरह से लगाना चाहिए कि हर मिनट का उपयोग हो सके।

प्रश्न 11.
हम अपना समय कैसे बचा सकते हैं?
उत्तर-
सोशल मीडिया का प्रयोग करके हम अपना समय बचा सकते हैं।

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प्रश्न 12.
सोशल मीडिया का उपयोग करने से क्या फायदा है?
उत्तर-
हमें सोशल मीडिया से बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 13.
आधुनिक समय में किसकी भूमिका काफ़ी बढ़ गई है?
उत्तर-
आधुनिक समय में संचार के साधनों की भूमिका काफी बढ़ गई है।

प्रश्न 14.
मीडिया चलाने वाली कंपनियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
उनका मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना है।

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प्रश्न 15.
संचार के साधन हमें क्या प्रदन करते हैं?
उत्तर-
वह हमें विभिन्न प्रकार की जानकरी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 16.
संचार के दुरुपयोग के सधनों का नुकसान क्या है?
उत्तर-
लोग गलत आदतें अपनाते हैं और अपने वास्तविक उद्देश्यों से भटक जाते हैं।

प्रश्न 17.
इंटरनेट और मोबाइल का उपयोग करने से पहले छात्रों को क्या प्रतिज्ञा करनी चाहिए?
उत्तर-
उन्हें यह संकल्प लेना चाहिए कि वह उनका उपयोग केवल अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए करेंगे।

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प्रश्न 18.
इंटरनेट और संचार के साधनों का सही उपयोग करने से क्या लाभ है?
उत्तर-
वह अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं और एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को चमकते हैं।

प्रश्न 19.
गेम खेलने के लिए उत्पादों और टॉनिक का उपयोग करना आवश्यक है?
उत्तर-
नहीं, ऐसी चीज़ों का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 20.
हम एक खेल में कैसे महारत हासिल कर सकते हैं?
उत्तर-
निरंतर अभ्यास से, हम एक खेल में महारत हासिल कर सकते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लिंग भेदभाव से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समाज में दो लिंग होते हैं-पुरुष और स्त्री। यदि उनके बीच कोई भेदभाव होता है, तो इसे लैंगिक भेदभाव कहा जाता है। हमारे समाज में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बहत भेदभाव किया जाता है। उदाहरण के लिए कुछ कार्य हैं, जिनके बारे में यह कहा जाता है कि वे केवल पुरुषों के लिए हैं। पुरुष शारीरिक रूप से शक्तिशाली होते हैं और वे महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं। महिलाओं को कोई अधिकार नहीं दिया गया। इसे लैंगिक भेदभाव कहा जाता है।

प्रश्न 2.
क्या वर्तमान समाज में लैंगिक भेदभाव मौजूद है?
उत्तर-
हां, वर्तमान समाज में लिंग भेदभाव अभी भी मौजूद है। इसका सामान्य उदाहरण किसी भी कार्य स्थल पर देखा जा सकता है जहां महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। राजनीतिक जीवन में बहुत कम महिलाएं हैं। ज्यादातर अपराध महिलाओं से जुड़े हैं। हालांकि उन्हें संविधान द्वारा समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन समाज में समानता प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

प्रश्न 3.
क्या हमें लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव को खत्म करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, समाज में इस भेदभाव को खत्म करना चाहिए। एक आदर्श समाज समानता पर आधारित है और ऐसे समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यदि हम पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों को देखते हैं, तो हम आसानी से देख सकते हैं कि महिलाओं को अधिक कठिन काम दिए जाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। पुरुष इस तरह के कार्यों को उचित तरीके से पूरा करने में असमर्थ हैं। इसीलिए भेदभाव को खत्म करना होगा और सामाजिक समानता लाने के प्रयास करने होंगे।

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प्रश्न 4.
हमें समय की कद्र क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
ऐसा कहा जाता है कि अतीत वापस नहीं आता है। एक बार समय समाप्त हो जाता है, चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लें, यह वापस नहीं आएगा। यदि हम समय को महत्त्व देते हैं, तो हम अपने सभी काम समय पर और सही तरीके से कर पाएंगे, समय का सही मूल्य पड़ेगा। समय सार का होगा और हमारा जीवन सफल होगा। इसलिए, सबसे पहले यह महत्त्वपूर्ण है कि हमें अपना समय बचाना चाहिए। यदि हम अपने समय का ध्यान रखते हैं तो निश्चित रूप से हम जीवन में प्रगति कर पाएंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। इसीलिए कहा जाता है कि समय अमूल्य है और हमें इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 5.
“समय का सही उपयोग समय का सबसे अच्छा सदुपयोग है।” कथन स्पष्ट करो।
उत्तर-
यह सही कहा जाता है कि समय का सही उपयोग समय का सबसे ,सदुपयोग है। वास्तव में यह हमारे हाथ में है कि हम अपने समय का उपयोग कैसे करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने समय का बुद्धिमानी से उपयोग करता है, शिक्षा प्राप्त करता है और प्रगति करने के लिए प्रयास करता है, तो उसका ज्ञान और धन निश्चित रूप से बढ़ता है। लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करता, न तो ज्ञान और न ही पैसा उसके पास जाता है। एक छात्र को हमेशा अपना खुद का टाइम टेबल बनाने और सभी विषयों पर बराबर ध्यान देने के लिए कहा जाता है। यदि वह अपनी समय सारिणी निर्धारित नहीं करता है और व्यर्थ में समय बिताता है, तो आने वाले समय में उसके लिए सही नहीं होगा। इसलिए सभी को अपने समय का सदुपयोग जीवन में प्रगति करने के लिए करना चाहिए।

प्रश्न 6.
हम बेहतर तरीके से सोशल मीडिया का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
हमारे जीवन में सोशल मीडिया का महत्त्व इन दिनों बहुत बढ़ गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल इत्यादि सोशल मीडिया में शामिल हैं। इनमें से गूगल हमारे लिए बहुत मददगार हो सकता है। हर प्रकार की जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि विषय क्या है, गूगल हमें एक सेकंड के भीतर जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा जब हम काम करते हुए थक जाते हैं, तो हम फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि पर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इस तरह, हम अपने जीवन को कई तरीकों से दिलचस्प बना सकते हैं, उनका सही इस्तेमाल कर सकते हैं।

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प्रश्न 7.
स्कूल के शिक्षा द्वारा छात्रों के व्हाट्सएप समूह बनाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  1. व्याटसएप ग्रुप बनाकर, शिक्षक छात्रों को होमवर्क दे सकते हैं।
  2. यदि छात्रों को पढ़ाई करते समय कोई समस्या आती है, तो वह शिक्षकों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
  3. छात्र एक-दूसरे के प्रश्नों का उत्तर देते हैं जिससे सभी छात्र पाठ की दोहराई कर सकते हैं।
  4. छात्र परीक्षा के समय में एक-दूसरे के करीब आते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।
  5. समूह का उचित उपयोग बच्चों के लिए फायदेमंद है क्योंकि वे जानते हैं कि किसी विशेष क्षण में क्या करना है या क्या नहीं करना है।

प्रश्न 8.
क्या हम उत्पादों और टॉनिक का उपयोग करके अपने खेल में सुधार कर सकते हैं?
उत्तर-
नहीं, खेल उत्पादों और टॉनिक का सेवन करके नहीं सुधारा जा सकता। यह केवल एक विशेष क्षण के लिए शारीरिक शक्ति बढ़ा सकता है। यदि शरीर को इसकी आदत हो जाए तो शरीर क्षतिग्रस्त हो सकता है। खेल को केवल हार्डवर्क से ही बेहतर बनाया जा सकता है और बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह एक गलत धारणा है कि उत्पादों और टॉनिक का सेवन करके खेल को बेहतर बनाया जा सकता है। हमें इस तरह की गलतफहमियों से दूर रहना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-हम मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का सही उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-वर्तमान समय में हमारे जीवन में संचार की भूमिका बहुत बढ़ गई है और हम इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं। हमें इसकी आदत नहीं बनानी चाहिए । इसके बजाय हमें इसका उचित उपयोग करना चाहिए। निम्नलिखित विधियों के साथ हम मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का सही उपयोग कर सकते हैं

  1. हमें मोबाइल फोन पर गेम नहीं खेलनी चाहिए, हमें इसका उपयोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए करना चाहिए।
  2. हर प्रकार की जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। संचार के साधनों का उपयोग कर हमें जानकारी एकत्र करनी चाहिए और अपने विषय में कुशल बनना चाहिए।
  3. वर्तमान में, छात्र मोबाइल और इंटरनेट के साथ शिक्षा ले रहे हैं। इसका इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए।
  4. मोबाइल या कंप्यूटर के अधिक उपयोग से हमारी आँखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसका उपयोग सीमित सीमा तक किया जाना चाहिए।
  5. ऐसे साधनों का उपयोग करके हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
  6. इनकी सहायता से छात्र अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं अर्थात् जीवन में प्रगति कर सकते हैं।

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तर्कशील सोच PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • सदियों से हमारे समाज में लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव किया जाता है। लड़कों को लड़कियों से बेहतर माना जाता है और इसका मुख्या कारण पुरुष प्रधान समाज है।
  • आधुनिक समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने इस लिंग भेदभाव को बहुत हद तक खत्म कर दिया है। यद्यपि यह भेदभाव कम हुआ है लेकिन फिर भी यह भेदभाव अभी भी कई क्षेत्रों में व्याप्त है।
  • हमारे पास इतिहास में कई उदाहरणें हैं जिनसे हमें पता चलता है कि आवश्यकता पड़ने पर महिलाओं ने बहुत साहस दिखाया है; जैसे कि रानी लक्ष्मीबाई। यह हमें महिलाओं में कुछ गुणों को भी दिखाता है जैसे कि साहस, दूसरों की मदद करना इत्यादि।
  • समाज में रहते हुए, हमें हर प्रकार के भेदभाव का विरोध करना चाहिए और समाज में समानता लाने का प्रयास करना चाहिए।
  • हमें समय का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। यदि आज हम समय को महत्त्व नहीं देते हैं, तो कल यह हमें महत्त्व नहीं देगा।
  • यह आवश्यक है कि हमें एक समय सारणी बनानी चाहिए और उसके अनुसार अपना जीवन ढालना चाहिए। यह हमारे जीवन में अनुशासन लाएगी और हम सही समय पर सब कुछ करने में सक्षम होंगे।
  • हमें सोशल मीडिया का बेहतर तरीके से उपयोग करना चाहिए। हमें अच्छा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और केवल उस समय को सोशल मीडिया के लिए समर्पित करना चाहिए जिसकी आवश्यकता है। मनोरंजन के लिए, हम सोशल मीडिया को छोड़कर अन्य साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
  • हमें रचनात्मक तरीके से मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का उपयोग करना चाहिए। वे हमें अध्ययन के लिए बहुत अच्छी सामग्री प्रदान करते हैं। इनका सही तरीके से उपयोग करके हम एक बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं। प्रत्येक छात्र को रचनात्मक तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।
  • हमारे आसपास बहुत सारी नकारात्मकता फैली हुई है। हमें किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचना चाहिए और जितना हो सके सकारात्मकता को अपनाने और फैलाने की कोशिश करनी चाहिए।
  • साथ ही, हमें समाज में मौजूद भ्रांतियों से भी बचना चाहिए। हमें अपने विवेक और दिमाग का उपयोग ग़लत धारणाओं से बचने के लिए करना चाहिए और उन्हें समाज से हटाने का प्रयास करना चाहिए।

PSEB 11th Class History Solutions Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष

Punjab State Board PSEB 11th Class History Book Solutions Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 History Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष

अध्याय का विस्तृत अध्ययन

(विषय-सामग्री की पूर्ण जानकारी के लिए)

प्रश्न-
यूरोपीय पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में भारत में पुर्तगाली, डच, अंग्रेज़ व फ्रासीसी कम्पनियों की स्थापना व मुख्य गतिविधियों की चर्चा करें।
उत्तर-
भारत में सर्वप्रथम पुर्तगाली आए। पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 ई० में भारत का नवीन मार्ग खोजा। इसके बाद पुर्तगालियों ने भारत से व्यापार आरम्भ कर दिया। पुर्तगालियों को उन्नति करते देखकर यूरोप की अन्य जातियों जैसेअंग्रेज़, डच, डैनिश तथा फ्रांसीसियों ने भी भारत के साथ व्यापार करने के लिए अपनी व्यापारिक कम्पनियां स्थापित कर ली। इन कम्पनियों का वर्णन इस प्रकार है-

I. पुर्तगाली कम्पनी-

भारत तथा युरोप के देशों में प्राचीनकाल से ही व्यापार होता था। भारत के सूती कपडे, रेशमी कपड़े, गर्म मसाले आदि की यूरोप की मण्डियों में बड़ी मांग थी। अतः यूरोप के देश भारत के साथ अपने व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के बड़े इच्छुक थे। सबसे पहले 1498 ई० में पुर्तगाल के एक नाविक वास्कोडिगामा ने भारत का एक नया समुद्री मार्ग खोज निकाला। इसके कुछ समय बाद ही पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित कर लिए। 1509 ई० में अल्बुकर्क पुर्तगेजों का गवर्नर बनकर भारत आया। वह भारत में पुर्तगेजी राज्य स्थापित करना चाहता था। थोड़े ही समय में उसने बीजापुर तथा मलाया पर अपना अधिकार कर लिया। उसने गोवा को अपनी राजधानी बनाया। पुर्तगेज़ों ने बड़ी तेज़ी से अपनी शक्ति को आगे बढ़ाया। सोलहवीं शताब्दी में उन्होंने हिन्द-महासागर की अनेक बन्दरगाहों पर अपना अधिकार कर लिया। 1515 ई० में फारस की खाड़ी की उर्मज़ बन्दरगाह पर उनका अधिकार हो गया। इसके पश्चात् उन्होंने बसीन, मुम्बई और दियों पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया। 1580 में पुर्तगाल स्पेन के साथ मिल गया। स्पेन ने पुर्तगाल के उपनिवेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि गोवा, दियू और दमन को छोड़कर शेष सभी उपनिवेश उनसे छीन गए। धीरे-धीरे उनकी शक्ति का पूरी तरह पतन हो गया।

II. डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी –

डच व्यापारी हॉलैण्ड के निवासी थे। वे पुर्तगाल से पूर्वी देशों का माल खरीदते थे और उसे उत्तरी यूरोप में बेचकर काफ़ी धन कमाते थे। उनके व्यापार की मुख्य वस्तु गर्म मसाले थे। कुछ समय पश्चात् पुर्तगाल को स्पेन ने अपने देश में मिला लिया। फलस्वरूप डच व्यापारियों को पुर्तगाल से माल मिलना बन्द हो गया और उन्हें गर्म मसाले प्राप्त करने के लिए अन्य साधन ढूंढने पड़े। 1595 ई० में चार डच जहाज़ आशा अन्तरीप के मार्ग से भारत पहुंचने में सफल हो गए और उनको व्यापार की आशा फिर से बन्ध गई। _

1602 ई० में डचों ने डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। डच संसद् ने इस कम्पनी को व्यापार करने के साथसाथ दुर्ग बनाने, युद्ध तथा सन्धि करने और प्रदेश जीतने का अधिकार भी दे दिया। इस प्रकार भारत में डच शक्ति के विस्तार का आरम्भ हुआ। वे इण्डोनेशिया के गर्म मसाले के द्वीपों-जावा और सुमात्रा में अधिक रुचि लेने लगे। उन्होंने पुर्तगालियों को इण्डोनेशिया से मार भगाया और वहां के व्यापार पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1623 ई० में जब अंग्रेजों ने पूर्वी द्वीपों में बसने पर प्रयत्न किया तो डचों ने उसे विफल बना दिया। इस प्रकार डच शक्ति बढ़ती गई और उन्होंने सूरत, भड़ौच, कोचीन, अहमदाबाद, नागापट्टम तथा मसौलीपट्टम में भी अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिए। बंगाल और बिहार में भी उन्होंने अपने केन्द्र स्थापित किए। वे भारत से कपड़ा, रेशम, शोरा, अफ़ीम तथा नील खरीद कर यूरोप के देशों में बेचने लगे। इस प्रकार भारत में उनकी शक्ति काफ़ी बढ़ गई। परन्तु कुछ एक कारणों से थोड़े ही वर्षों के पश्चात् भारत में उनका पतन हो गया।

III. अंग्रेजी व्यापारिक कम्पनी

पुर्तगाली लोग भारत के व्यापार से खूब धन कमा रहे थे। उन्हें व्यापार करते देखकर अंग्रेज़ों के मन में भी भारत से व्यापार करने की इच्छा उत्पन्न हुई। 1600 ई० में लन्दन के कुछ व्यापारियों ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम से भारत के साथ व्यापार करने का आज्ञा-पत्र प्राप्त किया। आज्ञा -पत्र मिलने पर उन्होंने एक व्यापारिक कम्पनी बनाई और उसका नाम ईस्ट इण्डिया कम्पनी रखा। इस कम्पनी ने जहांगीर के शासन काल में भारत में अपना व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस व्यापार से कम्पनी को खूब धन मिलने लगा और इसकी शक्ति बढ़ने लगी। कुछ ही समय में इसने सूरत, कालीकट, मछलीपट्टम, मुम्बई, कासिम बाज़ार, हुगली, कलकत्ता (कोलकाता) आदि स्थानों पर अपनी व्यापारिक कोठिया स्थापित कर लीं। इस प्रकार भारत में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा।

IV. फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी

पुर्तगालियों, डचों तथा अंग्रेजों को भारत के साथ व्यापार करता देखकर फ्रांसीसियों के मन में भी इस व्यापार से लाभ उठाने की लालसा जागी। अतः उन्होंने भी 1664 ई० में अपनी व्यापारिक कम्पनी स्थापित कर ली। इस कम्पनी ने सूरत और मसौलीपट्टम में अपनी व्यापारिक बस्तियां बसा लीं। उन्होंने भारत के पूर्वी तट पर पांडीचेरी नगर बसाया और उसे अपनी राजधानी बना लिया। उन्होंने बंगाल में चन्द्रनगर की नींव रखी। 1721 ई० में मारीशस तथा माही पर उनका अधिकार हो गया। इस प्रकार फ्रांसीसियों ने पश्चिमी तट, पूर्वी तट तथा बंगाल में अपने पांव अच्छी तरह जमा लिए और वे अंग्रेजों के प्रतिद्वन्दी बन गए।

1741 ई० में डुप्ले भारत में फ्रांसीसी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल बनकर आया। वह बड़ा कुशल व्यक्ति था और भारत में फ्रांसीसी राज्य स्थापित करना चाहता था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच संघर्ष होना आवश्यक था। अत: 1744 ई० से 1764 ई० तक के बीस वर्षों में भारत में फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच छिड़ गया। यह संघर्ष कर्नाटक के युद्धों के नाम से प्रसिद्ध है। इन युद्धों में अन्तिम विजय अंग्रेजों की हुई। फ्रांसीसियों के पास केवल पांच बस्तियां- पांडिचेरी, चन्द्रनगर, माही, थनाओ तथा मारीशस ही रह गईं। इन बस्तियों में वे अब केवल व्यापार ही कर सकते थे।

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महत्त्वपूर्ण परीक्षा-शैली प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. उत्तर एक शब्द से एक वाक्य तक

प्रश्न 1.
यूरोप में भारत की मुख्यतः कौन-सी दो वस्तुओं की मांग अधिक थी ?
उत्तर-
कपड़ा तथा गर्म मसाले।

प्रश्न 2.
डच लोग किस देश के रहने वाले थे ?
उत्तर-
हालैंड के।

प्रश्न 3.
कर्नाटक की लड़ाइयां किन दो यूरोपीय कम्पनियों के बीच हुई ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी तथा फ्रांसीसी कम्पनियों के बीच।

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प्रश्न 4.
बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल के दो कठपुतली नवाबों के नाम बताओ।
उत्तर-
मीर जाफर तथा नज़ामुद्दौला।

प्रश्न 5.
सिराजुद्दौला कहां का नवाब था ?
उत्तर-
बंगाल का।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति

(i) पुर्तगाल के लोग ईसाई धर्म के ……….. सम्प्रदाय के अनुयायी थे।
(ii) फ्रांसीसी सेनाओं ने ………….. को कर्नाटक में तथा ………….. को हैदराबाद में गद्दी दिलवाई।
(iii) बुसे एक …………. कमाण्डर था।
(iv) अंग्रेजों को ………….. ई० में बंगाल की दीवानी मिली।
(v) प्लासी की लड़ाई में ……………… की विजय हुई।
उत्तर-
(i) कैथोलिक
(ii) चन्दा साहिब, मुज़फ़्फ़र जंग
(iii) फ्रांसीसी
(iv) 1765
(v) अंग्रेज़ों।

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3. सही गलत कथन

(i) यूरोप के व्यापारी भारत में अपना माल बेचने और बदले में यहां से सोना-चांदी लेने आए थे। — (x)
(ii) अंग्रेज़ और फ्रांसीसी कम्पनियां भारत में तभी लड़ती थीं जब यूरोप में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच लड़ाई होती थी। — (√)
(iii) यूरोप की कम्पनियों ने अपनी स्वार्थ-साधना के लिये भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया। — (√)
(iv) मीर कासिम प्लासी की लड़ाई के बाद बंगाल का नवाब बना। — (x)
(v) मुग़ल बादशाह और अवध तथा बंगाल के नवाबों ने इलाहाबाद में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ संधि पर हस्ताक्षर किए। — (√)

4. बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (i)
किस लड़ाई के पश्चात् बंगाल पर पूरी तरह अंग्रेजों का अधिकार हो गया ?
(A) प्लासी की लड़ाई
(B) कर्नाटक की तीसरी लड़ाई
(C) पानीपत की तीसरी लड़ाई
(D) बक्सर की लड़ाई।
उत्तर-
(D) बक्सर की लड़ाई।

प्रश्न (ii)
भारत में अंग्रेजी राज्य का संस्थापक किसे माना जाता है ?
(A) क्लाइव
(B) लॉर्ड वेलेजली
(C) लॉर्ड डल्हौज़ी
(D) लॉर्ड कार्नवालिस।
उत्तर-
(A) क्लाइव

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प्रश्न (iii)
डुप्ले कौन था ?
(A) अंग्रेज गवर्नर-जनरल
(B) फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल
(C) डच गवर्नर-जनरल
(D) पुर्तगाली गवर्नर-जनरल।
उत्तर-
(B) फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल

प्रश्न (iv)
प्लासी की लड़ाई के बाद बंगाल का नवाब बना-
(A) सिराजुद्दौला
(B) अली वर्दी खां
(C) मीर जाफर
(D) क्लाइव।
उत्तर-
(C) मीर जाफर

प्रश्न (v)
फैक्ट्री से अभिप्राय है-
(A) व्यापारिक केन्द्र
(B) विशाल बाज़ार
(C) बड़ा रेलवे प्लेटफार्म
(D) लगान वसूली केन्द्र।
उत्तर-
(A) व्यापारिक केन्द्र

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॥. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में यूरोपीयों की व्यापारिक तथा राजनीतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी के चार मुख्य स्रोतों के नाम बताएं।
उत्तर-
भारत में यूरोपीयों के व्यापारिक तथा राजनीतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी हमें यूरोपीय कम्पनियों के रिकार्डों, यूरोपीय यात्रियों के वृत्तान्तों, व्यापारिक बस्तियों की इमारतों तथा तस्वीरों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारिक रिकार्ड किस नाम से जाने जाते हैं तथा ये कहां उपलब्ध
उत्तर-
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारिक रिकार्ड फैक्टरी रिकार्ड के नाम से जाने जाते हैं। ये भारत तथा इंग्लैण्ड में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3.
यूरोप में भारत की मुख्यतः किन दो वस्तुओं की मांग थी ?
उत्तर-
यूरोप में भारत के सूती कपड़े तथा गर्म मसाले की बहुत मांग थी।

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प्रश्न 4.
यूरोप तथा भारत में स्थलमार्ग कितना लम्बा था तथा भूमध्य सागर किस देश के व्यापारियों के नियन्त्रण में था ?
उत्तर-
यूरोप तथा भारत में स्थल मार्ग दस हजार किलोमीटर से भी अधिक लम्बा था। भूमध्य सागर पर इटली के नगर वेनिस के व्यापारियों का नियन्त्रण था।

प्रश्न 5.
जहाजरानी के लिए विशेष विद्यालय यूरोप के किस देश में स्थापित किया गया ? अफ्रीका के दक्षिणी इलाके से होता हुआ कौन-सा यूरोपीय कप्तान हिन्द महासागर में पहुंचा ?
उत्तर-
जहाजरानी के लिए विशेष विद्यालय पुर्तगाल में स्थापित किया गया। बार्थोलोम्यू डायज अफ्रीका के दक्षिणी किनारे से होता हुआ हिन्द महासागर में पहुंचा।

प्रश्न 6.
भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचने वाला पहला यूरोपीय कौन था तथा वह कब और कहाँ पहुँचा ?
उत्तर-
भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचने वाला पहला यूरोपीय वास्कोडिगामा था। वह 1498 में कालीकट पहुंचा।

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प्रश्न 7.
पुर्तगाल के लोग ईसाई धर्म के किस सम्प्रदाय के अनुयायी थे तथा वे किसको अपना धार्मिक नेता मानते थे?
उत्तर-
पुर्तगाल के लोग रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय के अनुयायी थे। वे पोप को अपना धार्मिक नेता मानते थे।

प्रश्न 8.
पोप ने 1454 की घोषणा द्वारा विश्व को किन दो यूरोपीय देशों में बाँट दिया ?
उत्तर-
पोप ने 1454 की घोषणा द्वारा विश्व को पुर्तगाल और स्पेन में बाँट दिया।

प्रश्न 9.
भारत में पुर्तगालियों के चार महत्त्वपूर्ण केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत में पुर्तगालियों के चार महत्त्वपूर्ण केन्द्र गोआ, दीव, दमन तथा दादर थे।

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प्रश्न 10.
पुर्तगालियों ने भारत से बाहर कौन-से चार व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए थे ?
उत्तर-
पुर्तगालियों ने भारत से बाहर लाल सागर में सकोत्रा, ईरान की खाड़ी में उरमज, दक्षिणी-पूर्वी एशिया में मलक्का तथा चीन में मकाओ नामक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए हुए थे।

प्रश्न 11.
किस महाद्वीप में कौन-से देश की खोज से पुर्तगालियों की भारत में रुचि कम हुई ?
उत्तर-
दक्षिणी अमेरिका में ब्राजील की खोज से पुर्तगालियों की रुचि भारत में कम हो गई।

प्रश्न 12.
डच लोग किस देश के रहने वाले थे और उनका बेड़ा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में कब पहुंचा ?
उत्तर-
डच लोग हॉलैण्ड के रहने वाले थे। 1595 में उनका बेड़ा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में पहुंचा।

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प्रश्न 13.
डच लोगों के व्यापारिक संगठन का क्या नाम था तथा यह कब बना ?
उत्तर-
डच लोगों के व्यापारिक संगठन का नाम यूनाइटिड ईस्ट इण्डिया कम्पनी था। यह संगठन 1602 में बना था।

प्रश्न 14.
डच लोगों ने भारत में कौन-से चार व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए ?
उत्तर-
डच लोगों ने भारत में कोचीन, सूरत, नागपट्टम, पुलीकट नामक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए।

प्रश्न 15.
अंग्रेजों के व्यापारिक संगठन का नाम क्या था तथा यह कब बना ?
उत्तर-
अंग्रेजों के व्यापारिक संगठन का नाम ईस्ट इण्डिया कम्पनी था। यह संगठन 1600 में बना।

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प्रश्न 16.
भारत आने से पहले अंग्रेजों ने अपना व्यापार कहां आरम्भ किया तथा किस विशेष घटना के बाद उन्होंने भारत की ओर अधिक ध्यान दिया ?
उत्तर-
भारत में आने से पहले अंग्रेजों ने अपना व्यापार दक्षिणी-पूर्वी एशिया में आरम्भ किया। अंबोओना की अंग्रेज़ी फैक्टरी पर डचों का अधिकार होने तथा अंग्रेजों की हत्या होने के पश्चात् अंग्रेजों ने भारत की ओर अधिक ध्यान दिया।

प्रश्न 17.
मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में किस अंग्रेज़ प्रतिनिधि ने तथा कब व्यापारिक छूट को प्राप्त करने का असफल प्रयत्न किया ?
उत्तर-
मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में कप्तान विलियम हाकिन्ज ने 1607-11 में व्यापारिक छूट प्राप्त करने का असफल प्रयत्न किया।

प्रश्न 18.
अंग्रेजी कम्पनी का कौन-सा प्रतिनिधि किस मुगल बादशाह से किस वर्ष में व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल रहा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ प्रतिनिधि सर टामस रो 1618 में मुगल बादशाह जहांगीर से व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल रहा।

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प्रश्न 19.
फैक्टरी से क्या अभिप्राय है तथा अंग्रेजों ने अपनी आरम्भिक फैक्टरियां किन चार स्थानों में स्थापित की ?
उत्तर-
फैक्टरी से अभिप्राय व्यापारिक केन्द्र से है। अंग्रेजों ने आरम्भिक फैक्टरियां सूरत, अहमदाबाद, अड़ौच तथा आगरा में स्थापित की।

प्रश्न 20.
अंग्रेज़ कम्पनी का प्रमुख कार्यालय पहले कहां स्थापित हुआ तथा बाद में इसे किस स्थान पर बना दिया गया ?
उत्तर-
अंग्रेज़ कम्पनी का प्रमुख कार्यालय सूरत में स्थापित हुआ था। परन्तु बाद में इसे बम्बई (मुम्बई) में बना दिया गया।

प्रश्न 21.
अंग्रेज कम्पनी की मद्रास (चेन्नई) व कलकत्ता (कोलकाता) की फैक्टरियां कब स्थापित हुई ?
उत्तर-
1640 में मद्रास (चेन्नई) की फैक्टरी तथा 1690 में कलकत्ता (कोलकाता ) की फैक्टरी स्थापित हुई।

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प्रश्न 22.
अंग्रेज़ भारत से किन चार वस्तुओं को बाहर भेजते थे ?
उत्तर-
अंग्रेज़ नील, चीनी, गर्म मसाला तथा अफ़ीम भारत से बाहर भेजते थे।

प्रश्न 23.
अंग्रेज़ यूरोप से भारत में कौन सी-चार वस्तुएं बेचने के लिए लाते थे ?
उत्तर-
अंग्रेज़ कलई, सिक्का, पारा तथा कपड़ा यूरोप से भारत में बेचने के लिए लाते थे।

प्रश्न 24.
अंग्रेजों को बंगाल में बिना महसूल व्यापार करने का अधिकार किस मुगल बादशाह से तथा कब मिला ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी के दूसरे दशक में मुगल बादशाह फर्रुखसियर ने अंग्रेजों को बंगाल में बिना कर दिए व्यापार करने का अधिकार दे दिया था।

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प्रश्न 25.
किस यूरोपीय देश ने सबसे अन्त में तथा कब अपनी व्यापारिक कम्पनी स्थापित की ?
उत्तर-
यूरोपीय देशों में सबसे अन्त में फ्रांस ने व्यापारिक कम्पनी स्थापित की। यह कम्पनी 1664 में स्थापित हुई।

प्रश्न 26.
फ्रांसीसियों की मुख्य दो फैक्टरियां कौन-सी थीं तथा ये कब स्थापित की गईं ?
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने अपनी दो मुख्य फैक्टरियां 1674 में पांडिचेरी में तथा 1690 में चन्द्रनगर में स्थापित की।

प्रश्न 27.
1725 के बाद फ्रांसीसियों ने भारत में अन्य कौन-सी दो बस्तियां स्थापित की ?
उत्तर-
1725 के बाद फ्रांसीसियों ने माही तथा कारीकल के स्थान पर बस्तियां स्थापित की।

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प्रश्न 28.
फ्रांसीसी कम्पनी ने किन दो महत्त्वपूर्ण अफ़सरों के अधीन उन्नति की तथा इनमें कौन तथा कब कम्पनी का गवर्नर जनरल बना ?
उत्तर-
फ्रांसीसी कम्पनी ने डूमा तथा डुप्ले के अधीन बहुत उन्नति की। 1741 में डुप्ले कम्पनी का गवर्नर-जनरल बना।

प्रश्न 29.
यूरोप में किस देश के राज्य सिंहासन के युद्ध के साथ कर्नाटक की पहली लड़ाई आरम्भ हुई तथा यह यूरोप में किस सन्धि द्वारा समाप्त हुई ?
उत्तर-
यूरोप में आस्ट्रिया के राजसिंहासन के युद्ध के साथ कर्नाटक की पहली लड़ाई आरम्भ हुई। यह लड़ाई 1748 मे एक्स-ला-शैपल की सन्धि के द्वारा समाप्त हुई।।

प्रश्न 30.
कर्नाटक की पहली लड़ाई किन दो यूरोपीय कम्पनियों के बीच लड़ी गई तथा उसमें किस कम्पनी का पलड़ा भारी रहा ?
उत्तर-
कर्नाटक की पहली लड़ाई अंग्रेज़ी तथा फ्रांसीसी कम्पनियों के बीच लड़ी गई। इसमें ईस्ट इण्डिया कम्पनी का पलड़ा भारी रहा।

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प्रश्न 31.
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई के दौरान फ्रांसीसियों ने किन दो भारतीय राज्यों के झगड़ों में भाग लेने का निश्चय किया ?
उत्तर-
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई के दौरान फ्रांसीसियों ने हैदराबाद तथा कर्नाटक के राज्यों के झगड़ों में भाग लेने का निश्चय किया।

प्रश्न 32.
फ्रांसीसी सेनाओं ने कर्नाटक तथा हैदराबाद में किन दो व्यक्तियों को गद्दी दिलाई ?
उत्तर-
फ्रांसीसी सेनाओं ने चन्दा साहिब को कर्नाटक में तथा मुजफ्फर जंग को हैदराबाद में गद्दी दिलवाई।

प्रश्न 33.
कौन-सा फ्रांसीसी अफ़सर हैदराबाद में रहने लग गया तथा निजाम ने कौन-सा इलाका फ्रांसीसियों को दे दिया।
उत्तर-
फ्रांसीसी कमाण्डर बुसे हैदराबाद में रहने लगा। निजाम ने ‘उत्तरी सरकारों’ का इलाका फ्रांसीसियों को दे दिया।

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प्रश्न 34.
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों ने मुहम्मद अली की सहायता किस भारतीय शासक के विरुद्ध की तथा इसके लिए किस अंग्रेज़ को भेजा गया ?
उत्तर-
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों ने मुहम्मद अली की सहायता चन्दा साहिब के विरुद्ध की। मुहम्मद अली की सहायता के लिए राबर्ट क्लाइव को भेजा गया।

प्रश्न 35.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई यूरोप के किस युद्ध के साथ जुड़ी हुई थी तथा यह कब आरम्भ हुआ एवं कब समाप्त हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई यूरोप के सप्त-वर्षीय युद्ध के साथ जुड़ी हुई थी। यह युद्ध 1756 में आरम्भ हुआ तथा 1763 में समाप्त हुआ।

प्रश्न 36.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई में किस अंग्रेज़ कमाण्डर ने कौन-से फ्रांसीसी गर्वनर-जनरल को हराया तथा कौन-से फ्रांसीसी जनरल को कैद किया ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई में अंग्रेज़ी कमाण्डर आयर कूट ने फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल काऊंट लाली को परास्त किया। उसने फ्रांसीसी जनरल बुसे को कैद कर लिया।

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प्रश्न 37.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों के किन दो मुख्य केन्द्रों पर अधिकार कर लिया ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों के दो मुख्य केन्द्रों पांडिचेरी तथा चन्द्र नगर पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 38.
सिराजुद्दौला कहां का शासक था तथा इसने किस अंग्रेज़ी फैक्टरी पर तथा कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
सिराजुद्दौला बंगाल का शासक था। उसने कलकत्ता (कोलकाता) की अंग्रेज़ी फैक्टरी पर 1756 में आक्रमण किया।

प्रश्न 39.
किन दो अंग्रेज अफसरों ने कलकत्ता (कोलकाता) पर दोबारा आक्रमण किया तथा कब ?
उत्तर-
एडमिरल वाटसन तथा राबर्ट क्लाइव ने 1757 में दोबारा कलकत्ता (कोलकाता) पर आक्रमण कर दिया।

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प्रश्न 40.
प्लासी की लड़ाई कब तथा किनके बीच हुई ?
उत्तर–
प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 को सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच हुई।

प्रश्न 41.
प्लासी की लड़ाई के बाद बनाए गए बंगाल के दो नवाबों के नाम बताएं।
उत्तर-
प्लासी की लड़ाई के बाद मीर जाफर तथा मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया गया।

प्रश्न 42.
बक्सर की लड़ाई कब और किनके बीच लड़ी गई ?
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई 22 अक्तूबर, 1764 को हुई। यह लड़ाई अंग्रेजों तथा मीर कासिम के बीच हुई।

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प्रश्न 43.
बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल के दो कठपुतली नवाबों के नाम बताएं।
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई के बाद मीर जाफर तथा नजामुद्दौला को बंगाल का कठपुतली नवाब बनाया गया।

प्रश्न 44.
किस अंग्रेज अफसर ने किस मुग़ल बादशाह से तथा कब बंगाल की दीवानी के अधिकार प्राप्त किए ?
उत्तर-
क्लाइव ने मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय से 1765 में बंगाल की दीवानी के अधिकार प्राप्त किए।

प्रश्न 45.
दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुगल बादशाह को क्या देना स्वीकार कर लिया ?
उत्तर-
दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुग़ल बादशाह को 26 लाख रुपया वार्षिक खिराज देना स्वीकार कर लिया।

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प्रश्न 46.
दीवानी के अन्तर्गत अंग्रेजों को कौन-से दो कार्यों का दायित्व मिला तथा उन्होंने यह किसको सौंप दिया ?
उत्तर-
दीवानी के अन्तर्गत अंग्रेजों को लगान वसूल करने तथा न्याय करने का दायित्व मिल गया। उन्होंने इस दायित्व को मुहम्मद रज़ा खां को सौंप दिया।

II. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में पुर्तगालियों ने अपनी शक्ति किन परिस्थितियों में स्थापित की ?
उत्तर-
यूरोप के देश भारत के साथ अपने व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के बड़े इच्छुक थे। सबसे पहले 1498 ई० में पुर्तगाल के एक नाविक वास्कोडिगामा ने भारत का नया समुद्री मार्ग खोज निकाला। इसके कुछ समय बाद ही पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित कर लिये। 1509 ई० में अल्बुकर्क पुर्तगालियों का गवर्नर बनकर भारत आया। वह भारत में पुर्तगाली राज्य स्थापित करना चाहता था। थोड़े ही समय में उसने बीजापुर तथा मलाया पर अपना अधिकार कर लिया। उसने गोवा को अपनी राजधानी बनाया। पुर्तगालियों ने बड़ी तेज़ी से अपनी शक्ति को बढ़ाया। सोलहवीं शताब्दी में उन्होंने हिन्द महासागर की अनेक बन्दरगाहों पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 2.
भारत में पुर्तगालियों की शक्ति कम होने के क्या कारण थे ?
उत्तर-
1580 ई० में पुर्तगाल स्पेन के साथ मिल गया। स्पेन ने पुर्तगाल के उपनिवेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि गोवा, दियू और दमन को छोड़कर शेष सभी उपनिवेश उनसे छिन गए। धीरे-धीरे उनकी शक्ति का पूरी तरह पतन हो गया। उनके पतन के अनेक कारण थे। (1) पुर्तगाली अधिकारियों का अपनी मुस्लिम प्रजा से व्यवहार अच्छा न था। (2) वे लोगों को बलपूर्वक ईसाई बनाना चाहते थे। इस कारण लोग उनसे घृणा करने लगे। (3) अल्बुकर्क के पश्चात् कोई योग्य पुर्तगाली गवर्नर भारत न आया। (4) 1580 ई० में स्पेन ने पुर्तगाल को जीत कर अपने राज्य में मिला लिया। इस कारण पुर्तगाल भारत में अपने उपनिवेशों की रक्षा न कर सका।

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेजी कम्पनी के व्यापारिक केन्द्रों तथा व्यापार के बारे में बताएं।
उत्तर-
पुर्तगाली लोग भारत के व्यापार से खूब धन कमा रहे थे। उन्हें व्यापार करते देखकर अंग्रेजों के मन में भी भारत से व्यापार करने की इच्छा उत्पन्न हुई। 1600 में अंग्रेजों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी ने जहांगीर के शासन काल में भारत में अपना व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस व्यापार से कम्पनी को खूब धन मिलने लगा और इसकी शक्ति बढ़ने लगी। कुछ ही समय में इसने सूरत, कालीकट, मछलीपट्टम, बम्बई (मुम्बई), कासिम बाज़ार, हुगली, कलकत्ता (कोलकाता) आदि स्थानों पर अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित कर लीं। इस प्रकार भारत में अंग्रेजी व्यापारिक कम्पनी का व्यापार दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला गया।

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प्रश्न 4.
फ्रांसीसी कम्पनी के विरुद्ध अंग्रेजी कम्पनी की सफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
फ्रांसीसी कम्पनी के विरूद्ध अंग्रेजी कम्पनी की सफलता के मुख्य कारण ये थे
(1) अंग्रेजों के पास फ्रांसीसियों से अधिक शक्तिशाली जहाज़ी बेड़ा था।
(2) इंग्लैण्ड की सरकार अंग्रेज़ी कम्पनी की धन से सहायता करती थी। परन्तु फ्रांसीसी सरकार फ्रांसीसियों की सहायता नहीं करती थी।

(3) अंग्रेजी कम्पनी की आर्थिक दशा फ्रांसीसी कम्पनी से काफ़ी अच्छी थी। अंग्रेज़ कर्मचारी बड़े मेहनती थे और आपस में मिल-जुल कर काम करते थे। राजनीतिक में भाग लेते हुए भी अंग्रेजों ने व्यापार का पतन न होने दिया। इसके विपरीत फ्रांसीसी एक-दूसरे के साथ द्वेष रखते थे तथा राजनीति में ही अपना समय नष्ट कर देते थे।

(4) प्लासी की लड़ाई (1756 ई०) के बाद बंगाल का धनी प्रदेश अंग्रेज़ों के प्रभाव में आ गया था। यहां के अपार धन से अंग्रेज़ अपनी सेना को खूब शक्तिशाली बना सकते थे।।

प्रश्न 5.
प्लासी की लड़ाई के क्या कारण थे तथा इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर–
प्लासी की लड़ाई 1757 ई० में अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य हुई। उनमें कई बातों के कारण अनबन रहती थी जो प्लासी की लड़ाई का कारण बनी। सिराजुद्दौला 1756 ई० में बंगाल का नवाब बना। अंग्रेजों ने इस शुभ अवसर पर उसे कोई उपहार नहीं दिया। इसके कारण नवाब अंग्रेजों से रुष्ट हो गया। अंग्रेजी कम्पनी को 1715 ई० में करमुक्त व्यापार करने के लिए आज्ञा-पत्र मिला था, परन्तु कम्पनी के कर्मचारी अपने निजी व्यापार के लिए इसका प्रयोग करने लगे थे। नवाब यह बात सहन नहीं कर सकता था। अंग्रेज़ों ने कलकत्ता (कोलकाता) की किलेबन्दी आरम्भ कर दी थी। यह बात भी प्लासी के युद्ध का कारण बनी।

परिणाम-प्लासी के युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले-

  • सिराजुद्दौला के स्थान पर मीर जाफर बंगाल का नवाब बना। नया नवाब अंग्रेजों का आभारी था और उनकी इच्छा का दास था।
  • नये नवाब ने कम्पनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में खुला व्यापार करने की आज्ञा दे दी।
  • अंग्रेज़ों को बहुत धन मिला। नवाब ने कम्पनी के कर्मचारियों को उपहार दिए।
  • कम्पनी को कलकत्ता(कोलकाता) के समीप 24 परगना के क्षेत्र की ज़मींदारी मिल गई।

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प्रश्न 6.
बक्सर की लड़ाई के क्या कारण थे तथा इसका क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर-
बक्सर का युद्ध 1764 ई० में बंगाल के नवाब मीर कासिम तथा अंग्रेजों के बीच आपसी झगड़ों का परिणाम था। उनमें अनेक बातों के कारण अनबन रहती थी। मीर कासिम एक योग्य शासक था। वह अंग्रेज़ों की दृष्टि से बचकर अपनी स्थिति दृढ़ करना चाहता था। इसके लिए वह अपना कोष कलकत्ता (कोलकाता) से मुंगेर ले गया। उसने अपनी सेना को फिर से संगठित किया। इन बातों से अंग्रेजों के मन में मीर कासिम के प्रति सन्देह बढ़ने लगे।

बंगाल में केवल कम्पनी को बिना कर दिये व्यापार करने की आज्ञा थी परन्तु कम्पनी के कर्मचारी आज्ञा-पत्र की आड़ में अपना तथा भारतीय व्यापारियों का माल भी कर दिए बिना ले जाने का यत्न करने लगे। नवाब ने इस बात का प्रयत्न किया कि अंग्रेज़ व्यापारिक अधिकारों का दुरुपयोग न करें। अंग्रेजों को यह बात अच्छी न लगी। इसलिए वे नवाब से युद्ध छेड़ने का बहाना ढूँढने लगे।

परिणाम- वास्तव में बक्सर के युद्ध का बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है। इस युद्ध के कारण बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में अंग्रेज़ों की स्थिति काफ़ी दृढ़ हो गई। बक्सर की विजय ने प्लासी के अधूरे काम को पूरा कर दिया।

प्रश्न 7.
अंग्रेजों ने बंगाल की दीवानी किस तरह प्राप्त की तथा इसका क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
अंग्रेज़ बंगाल के नवाब मीर कासिम को गद्दी से हटाना चाहते थे। उनके बीच 22 अक्तूबर, 1764 ई० को बक्सर का युद्ध हुआ। इसमें जीत अंग्रेजों की हुई। अब नये सिरे से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया। 1765 ई० में मीर जाफर की मृत्यु हो गई और उसका पुत्र नज़ामुद्दौला नवाब बना दिया गया। परन्तु उसकी स्थिति तो कठपुतली सी भी न रही।

क्लाइव ने शाहआलम द्वितीय को इलाहाबाद और उसके आस-पास का इलाका देकर तथा 26 लाख रुपया वार्षिक खिराज देना स्वीकार करके मुग़ल बादशाह से बंगाल की ‘दीवानी’ के अधिकार ले लिए। इससे लगान वसूल करना और न्याय आदि का काम भी अंग्रेजों को मिल गया। इस प्रकार अंग्रेजों ने यह कार्य मुहम्मद रजा खां को सौंप दिया। बंगाल का नवाब अब नाममात्र का नवाब रह गया। सारा प्रशासन मुहम्मद रज़ा खां के हाथों में था और मुहम्मद रज़ा खां अंग्रेज़ों के हाथों की कठपुतली बन गया। इस प्रकार बंगाल का राज्य अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया।

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प्रश्न 8.
भारत में डच शक्ति के उत्थान की व्याख्या करो।।
उत्तर-
डच व्यापारी हालैण्ड के निवासी थे। वे पुर्तगाल से पूर्वी देशों का माल खरीदते थे और उसे उत्तरी यूरोप में बेच कर काफ़ी धन कमाते थे। उनके व्यापार की मुख्य वस्तु गर्म मसाले थे। कुछ समय पश्चात् पुर्तगाल को स्पेन ने अपने देश में मिला लिया। फलस्वरूप डच व्यापारियों को पुर्तगाल से माल मिलना बन्द हो गया। 1602 ई० में डचों ने डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। डच पार्लियामैण्ट ने इस कम्पनी को व्यापार करने के साथ-साथ दुर्ग बनाने, युद्ध तथा सन्धि करने और प्रदेश जीतने का अधिकार भी दे दिया। वे इण्डोनेशिया के गर्म मसाले के द्वीपों-जावा और सुमात्रा में अधिक रुचि लेने लगे। उन्होंने पुर्तगालियों को इण्डोनेशिया से मार भगाया और वहां के व्यापार पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1623 ई० में जब अंग्रेज़ों ने पूर्वी द्वीपों में बसने का प्रयत्न किया, तो डचों ने उसे विफल बना दिया। इस प्रकार डच शक्ति बढ़ती गई और उन्होंने सूरत, भड़ौच, कोचीन, अहमदाबाद, नागोपट्टम तथा मसौलीपट्टम में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिये।

प्रश्न 9.
दक्षिणी भारत में फ्रांसीसी शक्ति स्थापित करने की डुप्ले की योजना क्यों असफल हो गई ?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में फ्रांसीसी शक्ति स्थापित करने की डुप्ले की योजना अनेक कारणों से असफल रही। स्वयं योग्य . होते हुए भी परिस्थितियों तथा भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया। फ्रांस की सरकार ने उसकी पूर्ण आर्थिक सहायता नहीं की। यद्यपि उसने भारत में अंग्रेजों को पराजित कर दिया, तो भी फ्रांसीसी सरकार ने इंग्लैण्ड से सन्धि करते समय डुप्ले की सफलता पर पानी फेर दिया। सन्धि के अनुसार डुप्ले को विजित प्रदेश तथा कैदी लौटाने पड़े। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी अधिकारी एकदूसरे से लड़ते-झगड़ते रहते थे। अंग्रेजों की समुद्री शक्ति ने भी उसकी योजना को विफल बना दिया।

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प्रश्न 10.
भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के इतिहास में क्लाइव को एक महत्त्वपूर्ण स्थान क्यों दिया जाता है ?
अथवा
भारत में क्लाइव को अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
क्लाइव अंग्रेजी साम्राज्य के लिए वरदान सिद्ध हुआ। इस अकेले व्यक्ति ने जो कुछ किया वे भारत में विद्यमान सारे अंग्रेज़ अधिकारी न कर सके। यदि कर्नाटक के दूसरे युद्ध में क्लाइव ने अर्काट के घेरे की सलाह न दी होती, तो भारत के अंग्रेजी साम्राज्य का अस्तित्व ही नष्ट हो जाता। इस युद्ध के बाद अंग्रेज़ एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरे जिसका पूर्ण श्रेय क्लाइव को जाता है। इसलिए इसे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक भी कहा जाता है। उसने अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए बंगाल को विजय किया, द्वैध शासन द्वारा प्रशासनिक ढांचे की नींव रखी और बंगाल में डचों की शक्ति को समाप्त किया। उसने इलाहाबाद की सन्धि द्वारा कम्पनी के लिए बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की और मुग़ल सम्राट को कम्पनी का पेन्शनर बना दिया। इसी कारण इसे अंग्रेजी साम्राज्य के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

IV. निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत में अंग्रेज़ फ्रांसीसी संघर्ष अथवा कर्नाटक की लड़ाइयों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
कर्नाटक के तीनों युद्धों का अलग-अलग वर्णन करते हुए उनके कारणों, घटनाओं तथा परिणामों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
1744 से 1763 ई० तक दक्षिणी भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच एक लम्बा संघर्ष हुआ। उनके बीच तीन युद्ध हुए जो कर्नाटक के युद्धों के नाम से प्रसिद्ध हैं।

1. कनाटक का पहला युद्ध –

कर्नाटक का पहला युद्ध 1746 से 1748 ई० तक हुआ। इस युद्ध का वर्णन इस प्रकार है :-
कारण-

  • यूरोप में इंग्लैण्ड तथा फ्रांस के बीच घोर शत्रुता थी। इसलिए भारत में भी ये दोनों जातियां एक-दूसरे को अपना शत्रु समझती थीं।।
  • अंग्रेज़ और फ्रांसीसी दोनों ही भारत के सारे व्यापार पर अपना-अपना अधिकार करना चाहते थे। इसलिए दोनों एकदूसरे को भारत से बाहर निकालने का प्रयत्न करने लगे।
  • इसी बीच इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ गया। परिणामस्वरूप भारत में भी अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई शुरू हो गई।

घटनाएं-1745 ई० में अंग्रेज़ी जल सेना ने एक फ्रांसीसी बेड़े पर अधिकार कर लिया और पांडिचेरी पर आक्रमण करने का प्रयास किया। बदला लेने के लिए फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल डुप्ले ने 1746 ई० में मद्रास (चेन्नई) पर अधिकार कर लिया। क्योंकि मद्रास, (चेन्नई) कर्नाटक, राज्य में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों ने कर्नाटक के नवाब से रक्षा की प्रार्थना की। नवाब ने युद्ध रोकने के लिए 10 हजार सैनिक भेज दिए। इस सेना का सामना फ्रांसीसियों की एक छोटी-सी सैनिक टुकड़ी से हुआ। फ्रांसीसी सेना ने नवाब की सेनाओं को बुरी तरह पराजित किया। 1748 ई० में यूरोप में युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में भी दोनों जातियों के बीच युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • इस युद्ध में फ्रांसीसी विजयी रहे। फलस्वरूप भारत में उनकी शक्ति की धाक जम गई।
  • युद्ध की समाप्ति पर दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के विजित प्रदेश लौटा दिए।

2. कर्नाटक का दूसरा युद्ध-
कारण-(1) अंग्रेज़ तथा फ्रांसीसी दोनों ही भारत में साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे। वे एक-दूसरे को भारत से बाहर निकालना चाहते थे।
(2) हैदराबाद तथा कर्नाटक के राज्यों की स्थिति के कारण भी कर्नाटक का दूसरा युद्ध हुआ। इन दोनों राज्यों में राजगद्दी के लिए दो-दो प्रतिद्वन्दी खड़े हो गये। हैदराबाद में नासिर जंग तथा मुज़फ्फर जंग और कर्नाटक में अनवरुद्दीन तथा चन्दा साहिब। फ्रांसीसी सेना नायक इप्ले ने मुजफ्फर जंग और चन्दा साहिब का साथ दिया और उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया। बाद में मुज़फ्फर जंग की मृत्यु पर निजाम के तीसरे पुत्र सलाबत जंग को हैदराबाद की राजगद्दी पर बिठाया गया। चन्दा साहिब का विरोधी अनवरुद्दीन लड़ता हुआ मारा गया और उसके पुत्र मुहम्मद अली को। त्रिचनापल्ली में घेर लिया गया। फलस्वरूप चन्दा साहिब ने फ्रासीसियों को बहुतसा धन तथा प्रदेश दिए। मुजफ्फर जंग से भी फ्रांसीसियों को काफ़ी सारा धन प्राप्त हुआ था। इस प्रकार भारत में उनका प्रभाव बढ़ने लगा।

PSEB 11th Class History Solutions Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष 1

(3) फ्रांसीसी प्रभाव को बढ़ते देखकर अंग्रेज़ों को ईर्ष्या हुई। उन्होंने शीघ्र ही अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली का साथ दिया और युद्ध-क्षेत्र में उत्तर आये।

घटनाएं-अंग्रेजों ने सर्वप्रथम मुहम्मद अली को छुड़ाने का प्रयत्न किया। इस काम के लिए कम्पनी के एक क्लर्क क्लाइव ने चन्दा साहिब की राजधानी अर्काट को घेरे में लेने का सुझाव दिया। ज्यों ही अंग्रेजी सेनाओं ने अर्काट को घेरे में ले लिया, चन्दा साहिब को चिन्ता हुई। उसने शीघ्र ही त्रिचनापल्ली का घेरा उठा लिया। इसी बीच क्लाइव ने अर्काट को भी जीत लिया। फ्रांसीसी सेनाओं को कई अन्य स्थानों पर भी पराजित किया गया। चन्दा साहिब को बन्दी बना लिया गया और उसका वध पर दिया गया। शीघ्र ही फ्रांसीसियों ने युद्ध को बन्द करने की घोषणा कर
दी।

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परिणाम-

  • दोनों जातियों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश लौटा दिए।
  • उन्होंने एक-दूसरे को भविष्य में देशी नरेशों के झगड़ों में भाग न लेने का वचन दिया।
  • इस युद्ध के कारण भारत में फ्रांसीसियों की प्रतिष्ठा कम हो गई।

3. कर्नाटक का तीसरा युद्ध-

कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० से 1763 ई० तक लड़ा गया। दूसरे युद्ध की भान्ति इस युद्ध में भी फ्रांसीसी पराजित हुए और अंग्रेज़ विजयी रहे।

कारण-1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच यूरोप में एक बार फिर युद्ध (सप्तवर्षीय) युद्ध छिड़ गया। परिणाम यह हुआ कि भारत में भी फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया।

घटनाएं-फ्रांसीसी सेनापति काऊंट लाली ने अंग्रेज़ों के किले सेंट डेविड पर अपना अधिकार कर लिया। फिर उसने मद्रास (चेन्नई) पर आक्रमण किया; परन्तु वहां उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा। 1760 ई० में एक अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने भी वन्देवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। इसके तीन वर्ष बाद पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में भी दोनों जातियों का युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • फ्रांसीसियों की शक्ति लगभग नष्ट हो गई। उनके पास अब केवल पांडिचेरी, माही तथा चन्द्रनगर के प्रदेश ही रहने दिए गए। वे इन प्रदेशों में केवल व्यापार कर सकते थे।
  • अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए। अब भारत में उनके साथ टक्कर लेने वाली कोई यूरोपियन जाति न रही।

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प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेज़ों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
भारत में अंग्रेज़ों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
1. अंग्रेज़ों का शक्तिशाली बेड़ा-अंग्रेजों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। इसकी सहायता से वे आवश्यकता के समय इंग्लैण्ड से सैनिक और युद्ध का सामान मंगवा सकते थे। इसके विपरीत फ्रांसीसियों का समुद्री बेड़ा कमजोर था।

2. अच्छी आर्थिक दशा-अंग्रेज़ों की आर्थिक दशा काफ़ी अच्छी थी। वे युद्ध के समय भी अपना व्यापार जारी रखते थे। परन्तु फ्रांसीसी राजनीति में अधिक उलझे रहते थे जिसके कारण उनके पास धन का अभाव था।

3. इंग्लैण्ड द्वारा धन से सहायता-इंग्लैण्ड की सरकार भारत में अंग्रेजी कम्पनी की धन से सहायता करती थी। इसके विपरीत फ्रांसीसियों को उनकी सरकार कोई सहायता नहीं देती थी।

4. अंग्रेजों की बंगाल विजय-बंगाल विजय के कारण भारत का एक धनी प्रान्त अंग्रेजों के हाथ में आ गया। युद्ध जीतने के लिए धन की बड़ी आवश्यकता होती है। युद्ध के दिनों में अंग्रेज़ों का बंगाल में व्यापार चलता रहा। यहां के कमाये गये धन के कारण उन्हें दक्षिण के युद्धों में विजय मिली।

5. डुप्ले की वापसी-फ्रांसीसी सरकार द्वारा डुप्ले को वापस बुलाना एक भूल थी। डुप्ले भारत की राजनीति से परिचित था। उसे यह पता था कि साम्राज्य स्थापित करने की योजना को किस प्रकार लागू करना है, परन्तु डुप्ले के वापस चले जाने के कारण फ्रांसीसियों की स्थिति एक ऐसे जहाज़ की तरह हो गई जिसका कोई चालक न हो।

6. परिश्रमी कर्मचारी-अंग्रेज़ कर्मचारी बड़े परिश्रमी थे। वे एक होकर कार्य करते थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी कर्मचारी एक-दूसरे से द्वेष रखते थे। परिणामस्वरूप फ्रांसीसी अंग्रेज़ों का सामना न कर सके।

7. योग्य अंग्रेज सेनानायक-अंग्रेज़ों में क्लाइव, सर आयरकूट और मेजर लारेंस आदि अधिकारी बड़े ही योग्य थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी सेनानायक डुप्ले, लाली और बुसे इतने योग्य नहीं थे। यह बात भी अंग्रेज़ों की विजय का कारण थी।

8. काऊंट लाली की भूल-कर्नाटक के तीसरे युद्ध में फ्रांसीसी काऊंट लाली ने एक बहुत बड़ी भूल की। उसने अपने साथ बुसे को हैदराबाद से बुला दिया। बुसे के हैदराबाद छोड़ते ही हैदराबाद का निज़ाम अंग्रेजों से मिल गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों की शक्ति बढ़ गई और वे फ्रांसीसियों को पराजित करने में सफल रहे।

प्रश्न 3.
प्लासी तथा बक्सर की लड़ाइयों के सन्दर्भ में यह बताओ कि अंग्रेजों ने बंगाल में अपना राज्य कैसे स्थापित किया ?
अथवा
इलाहाबाद की संधि (1765 ई०) क्या थी ? भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना में इसका क्या योगदान था ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल में अपना राज्य स्थापित करने के लिए दो महत्त्वपूर्ण लड़ाइयां लड़नी पड़ी। ये लड़ाइयां थींप्लासी की लड़ाई तथा बक्सर की लड़ाई। प्लासी की लड़ाई अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच 1757 ई० में हुई। नवाब सिराजुद्दौला पराजित हुआ और उसके स्थान पर मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया। नये नवाब ने कम्पनी को अनेक व्यापारिक सुविधाएं दीं और बहुत-सा धन भी उपहार के रूप में दिया। 1764 ई० में अंग्रेजों ने बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला ने भी उसकी सहायता की थी। अंग्रेजों ने इस विजय का लाभ 1765 ई० में इलाहाबाद की सन्धि द्वारा उठाया और बंगाल में अपने पांव पक्की तरह से जमा लिए। अंग्रेजों द्वारा बंगाल विजय के लिए लड़े गए दोनों युद्धों तथा इलाहाबाद की सन्धि का वर्णन इस प्रकार है-

प्लासी की लड़ाई-23 जून, 1757 ई० को प्लासी के मैदान में दोनों पक्षों में युद्ध आरम्भ हो गया। युद्ध के आरम्भ होते ही मीर जाफर तथा नवाब के कुछ अन्य सेनापति दूर खड़े होकर युद्ध का तमाशा देखने लगे। अकेला नवाब अधिक देर तक न लड़ सका। युद्ध में उसका एक विश्वसनीय सेनापति मीर मदन भी मारा गया। परिणामस्वरूप उसकी सेना में भगदड़ मच गई और अंग्रेज़ विजयी रहे। नवाब स्वयं प्राण बचाकर मुर्शिदाबाद भाग गया। परन्तु वहां मीर जाफर के पुत्र मीरन ने उसका वध कर दिया। युद्ध के बाद मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाया गया। कम्पनी को नये नवाब से 24 परगनों का प्रदेश मिल गया। अंग्रेजों को बहुत-सा धन भी मिला। मीर जाफर ने कम्पनी को लगभग 70 लाख रुपया दिया। इस प्रकार अंग्रेजों के लिए भारत में राज्य स्थापित करने का मार्ग खुल गया। बंगाल जैसे प्रान्त पर प्रभुत्व स्थापित हो जाने से उनके साधन काफ़ी बढ़ गए। किसी इतिहासकार ने ठीक ही कहा है-“इसने (प्लासी की लड़ाई ने) अंग्रेजों के लिए बंगाल और अन्ततः सम्पूर्ण भारत का स्वामी बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।”

बक्सर की लड़ाई-23 अक्तूबर, 1764 ई० को मीर कासिम अपनी सेना सहित जिसमें 600 सैनिक थे बंगाल की ओर बढ़ा। उसका सामना करने के लिए अंग्रेजों ने मेजर मुनरो के नेतृत्व में एक सेना भेजी। बक्सर के स्थान पर दोनों में टक्कर हो गई। एक भयंकर युद्ध के पश्चात् मीर कासिम पराजित हुआ और प्राण बचाकर भाग निकला। शाह आलम तथा शुजाउद्दौला ने आत्म-समर्पण कर दिया। इस प्रकार अंग्रेज़ विजयी रहे। अंग्रेजों के लिए इस युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले-

  • कम्पनी का बंगाल पर अधिकार हो गया।
  • अंग्रेजों को मुग़ल सम्राट् से बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मिल गई।
  • दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुग़ल सम्राट को 26 लाख रुपये वार्षिक पेंन्शन तथा कड़ा और इलाहाबाद के प्रदेश दिए। इस तरह सम्राट अंग्रेज़ों का कृपा पात्र बन गया।
  • अवध का नवाब शुजाउद्दौला भी इस युद्ध में पराजित हुआ था। उसने अंग्रेजों को 50 लाख रुपये हरज़ाने के रूप में दिए।

इलाहाबाद की सन्धि-अंग्रेज़ों ने अपनी बक्सर की विजय का लाभ 1765 ई० में इलाहाबाद की सन्धि द्वारा उठाया। इसके फलस्वरूप अवध के नवाब ने बक्सर के युद्ध की क्षति पूर्ति के लिए 15 लाख रुपया देना स्वीकार कर लिया। उससे कड़ा और इलाहाबाद के प्रदेश भी ले लिए गए। अवध की रक्षा के लिए अवध में एक अंग्रेज सेना रखने की व्यवस्था की गई जिसका खर्च अवध के नवाब को देना था। अंग्रेज़ अवध में बिना कोई कर दिए व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार इलाहाबाद की सन्धि से अवध एक मध्यस्थ राज्य (Buffer State) बन गया। मुग़ल सम्राट शाहआलम से क्लाइव ने अलग समझौता किया। 9 अगस्त, 1765 को उसने शाह आलम से भेंट की। उसने कड़ा तथा इलाहाबाद के प्रदेश शाहआलम को सौंप दिए और इसके बदले में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी के अधिकार प्राप्त कर लिए। यह भी निश्चित हुआ कि कम्पनी सम्राट को 26 लाख रुपया वार्षिक देगी। दीवानी का मिलना कम्पनी के लिए वरदान सिद्ध हुआ। क्लाइव ने एक तीर से दो निशाने किए। उसने मुग़ल सम्राट को भी अपनी मुट्ठी में कर लिया और अंग्रेज़ी कम्पनी को बंगाल की सर्वोच्च शक्ति भी बना दिया।

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प्रश्न 4.
लॉर्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक क्यों कहा जाता है ? किन्हीं पांच बिंदुओं के आधार पर इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत में अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक लॉर्ड क्लाइव था। उससे पूर्व और उसके बाद अंग्रेज़ अधिकारी भारत में आए परन्तु किसी ने ‘क्लाइव’ जैसी निपुणता नहीं दिखाई। उससे पूर्व भारत में कभी अंग्रेजी राज्य स्थापित नहीं हुआ था। बाद में भी जो कुछ हुआ वह क्लाइव द्वारा स्थापित राज्य का विकास मात्र ही था। निम्नलिखित कार्यों के कारण क्लाइव को भारत में ब्रिटिश राज्य का संस्थापक कहा जाता है :-

1. अर्काट की विजय-अर्काट की विजय का सम्बन्ध कर्नाटक के दूसरे युद्ध से है। इस लड़ाई में अंग्रेज़-फ्रांसीसी एकदूसरे के विरुद्ध लड़ रहे थे। फ्रांसीसियों ने अंग्रेज़ों पर पूरा दबाव डाला हुआ था और उनकी विजय निश्चित जान पड़ती थी। यदि इस युद्ध में फ्रांसीसी जीत जाते तो भारत से अंग्रेजी कम्पनी को अपना बोरिया-बिस्तर गोल करना पड़ता। युद्ध में अंग्रेजों की स्थिति बड़ी डावांडोल थी, परन्तु क्लाइव ने युद्ध का पासा ही पलट दिया। उसने अर्काट के घेरे का सुझाव दिया। अर्काट पर अंग्रेजों का अधिकार होते ही फ्रांसीसी पराजित हुए और दक्षिण में अंग्रेज़ी प्रभाव नष्ट होने से बच गया।

2. प्लासी की विजय-प्लासी की विजय भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का द्वार माना जाता है। इस विजय के कारण अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ गया। बंगाल का नवाब उनके हाथों की कठपुतली बन गया। वे जिसे चाहते, बंगाल का नवाब बना सकते थे। इस विजय का एकमात्र श्रेय क्लाइव को ही जाता है। इस विजय से दो लाभ पहुंचे। एक तो बंगाल अंग्रेजी साम्राज्य की आधारशिला बन गया। दूसरे, बंगाल के धन के कारण अंग्रेज़ भारत में फ्रांसीसी शक्ति को नष्ट करने में पूर्णतया सफल रहे।

3. दीवानी की प्राप्ति-दक्षिण और बंगाल में अंग्रेजी प्रभाव बढ़ना ही साम्राज्य की स्थापना के लिए काफ़ी नहीं था। कर इकट्ठा करने के लिए अधिकार प्राप्त होना शासन का महत्त्वपूर्ण तत्त्व माना जाता है। कहते हैं, “शासक वही जो कर उगाहे।” यह महत्त्वपूर्ण कार्य भी क्लाइव ने ही अंग्रेजों के लिए लिया। उसने 1765 ई० में मुग़ल सम्राट शाह आलम के साथ इलाहाबाद की सन्धि की। इसके अनुसार अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हो गई। दीवानी से अभिप्राय यह था कि उन्हें इन प्रान्तों से भूमि कर उगाहने का अधिकार मिल गया।

4. शाह आलम का संरक्षण-क्लाइव मुग़ल सम्राट शाह आलम को पूर्ण रूप से अंग्रेज़ी सत्ता के प्रभाव के अधीन ले गया। उसने अपनी इच्छानुसार अंग्रेज़ी कम्पनी के लिए अधिकार प्राप्त किए। मुग़ल सम्राट पर अधिकार मात्र ही उस समय बड़ी प्रतिष्ठा की बात मानी गई। इसका अन्य भारतीय शक्तियों पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

5. सुयोग्य शासक-एक अच्छा साम्राज्य-निर्माता होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक भी होता है। क्लाइव में भी ये दोनों गुण विद्यमान थे। उसने कम्पनी के कर्मचारियों को भेंट लेने की मनाही कर दी, उनके निजी व्यापार पर रोक लगा दी और उनका दोहरा भत्ता बन्द कर दिया। इस तरह ज्यों ही कम्पनी शासक के रूप में उभरी, क्लाइव ने उसके स्वरूप को स्थिरता प्रदान की।

सच तो यह है कि क्लाइव ने बड़े क्रम से भारत में अंग्रेज़ी सत्ता स्थापित की। सर्वप्रथम उसने दक्षिण में अंग्रेज़ी प्रभाव की सुरक्षा की, फिर उसने बंगाल पर महत्त्वपूर्ण विजय प्राप्त की और अन्त में कम्पनी की राजनीतिक शक्ति में वृद्धि की। इस तरह उसने राजनीतिज्ञ तथा संगठनकर्ता के रूप में कम्पनी को ठोस रूप प्रदान किया। किसी ने ठीक ही कहा है, “लॉर्ड क्लाइव भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का कर्णधार था जिसने न केवल साम्राज्य की नींव ही रखी, बल्कि उसको दृढ़ भी बनाया।”