PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 6 ऊतक

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 6 ऊतक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 6 ऊतक

PSEB 9th Class Science Guide ऊतक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊतक को परिभाषित करें।
उत्तर-
एक समान उत्पत्ति, संरचना और कार्य करने वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 2.
कितने प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं ? उनके नाम बतायें।
उत्तर-
ज़ाइलम ऊतक का निर्माण चार प्रकार की अवयवों के मिलने से होता है, वे हैं-ट्रैकीड्स, वाहिका, ज़ाइलम पैरेंकाइमा और जाइलम फ़ाइबर्स।

प्रश्न 3.
पौधों में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं ?
उत्तर-

सरल ऊतक (Simple Tissue) जटिल ऊतक (Complex Tissue)
1. ये एक ही प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं। उदाहरण-पैरेंकाइमा, कालेंकाइमा और स्क्लेरेंकाइमा। 1. ये अनेक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर निर्मित होते हैं। उदाहरण-ज़ाइलम, फ्लोएम।
2. ये परत ऊतक के आधारीय पैकिंग का निर्माण करते हैं। 2. ये संवहन बंडल का निर्माण करते हैं।
3. ये पतली कोशिका भित्ति वाली सरल कोशिकाओं के बने होते हैं। 3. इनकी कोशिका भित्ति मोटी होती है।
4. ये जीवित कोशिकाएं हैं जो शिथिलता से जुड़ी होती हैं इसलिए इनकी कोशिकाओं के बीच काफ़ी जगह पाई जाती है। 4. जाइलम की अधिकांश कोशिकाएं मृत होती हैं तथा फ्लोएम में फ्लोयम रेशे मृत होते हैं। इनकी आकृति नालिकाएं या छिद्रित भित्ति वाली होती है।

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प्रश्न 4.
कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेंकाइमा, कॉलेंकाइमा और स्कैलेरेंकाइमा के बीच अंतर बताएं।
उत्तर-

पैरेंकाइमा कॉलेंकाइमा स्कैलेरेंकाइमा
1. इनमें कोशिका भित्ति पेक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। 1. इनमें कोशिका भित्ति पेक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। 1. इनमें कोशिका भित्ति लिजिनन की बनी होती है।
2. यह गोल, बारीक कोशिका भित्ति वाली कोशिकाओं से बना होता है। 2. यह बहुभुजी कोशिकाओं का बना होता है। 2. यह मोटी भित्ति वाली कोशि-काओं का बना होता है।

प्रश्न 5.
रंध्र के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
रंध्र वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान करते हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी इन्हीं के द्वारा होती है।

प्रश्न 6.
तीनों प्रकार के पेशीय रेशों के चित्र बनाकर अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
पेशीय ऊतक लंबी कोशिकाओं का बना होता है जिसे पेशीय रेशा भी कहते हैं। ये हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी होता है। ये तीन प्रकार के हैं-ऐच्छिक पेशी, अनैच्छिक पेशी और हृदय पेशी।

अंतर

ऐच्छिक पेशी अनैच्छिक पेशी हृदय पेशी
1. ये प्रायः अस्थियों से जुड़ी होती हैं। 1. ये आंख की पलकों, मूत्रवाहिनी और फेफड़ों की श्वसनी में होती हैं। 1. ये हृदय में पाई जाती है।
2. ये ऐच्छिक होती हैं। 2. ये अनैच्छिक होती हैं। 2. ये अनैच्छिक होती हैं।
3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पटियां होती हैं। इसलिए इन्हें रेखित पेशियां भी कहते हैं। 3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पटियां नहीं होती। इसीलिए इन्हें अरेखित पेशियां भी कहते हैं। 3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पटियां नहीं होती।
4. ये लंबी, बेलनाकार, शाखारहित और और बहुनाभीय होती हैं।
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4. ये लंबी, एक केंद्रकीय और बहु सिरे से नुकीली होती हैं।
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4. ये बेलनाकार शाखाओं वाली बहु केंद्रकीय होती है।
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प्रश्न 7.
कॉर्डिक ( हृदयक) पेशी का विशेष कार्य क्या है ?
उत्तर-
हृदयक पेशी का विशेष कार्य पूरे जीवन भर लयबद्ध होकर बिना थके हुए प्रसार और संकुचन करना है। इसी के परिणामस्वरूप रक्त सारे शरीर में गति करता है।

प्रश्न 8.
रेखित, अरेखित तथा कार्डियक ( हृदयक ) पेशियों में शरीर में स्थित कार्य और स्थान के आधार पर अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-

रेखित पेशियां अरेखित पेशियां कार्डियक (हृदयक) पेशियां
शरीर में स्थिति स्थान हाथ, पैर, अस्थियों से जुडी हुई। आहारनली में भोजन का प्रवाह आँख की पलक, मूत्रवाहिनी, फेफड़ों की श्वसनी, रक्त नली का प्रसार एवं सकुंचन। हृदय की दीवारों में पाई जाती हैं।
कार्य शरीर को इच्छानुसार गति प्रदान करती है। ये जंतु की इच्छा पर संचालित नहीं होती। पेशियां स्वयं इन की गति नियंत्रित करती हैं। पेशियां स्वयं नियंत्रित करके के हृदय की धड़कन बनाए रखता हैं।

प्रश्न 9.
न्यूरॉन का एक चिह्नित चित्र बनायें।
उत्तर-
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर के अंतर्गत प्रश्न संख्या 2 पृष्ठ संख्या 139 देखिए।

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित के नाम लिखें-
(अ)ऊतक जो मुँह के भीतर अस्तर का निर्माण करता है।
(ब) ऊतक जो मनुष्य की पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(स) ऊतक जो पौधों में भोजन का संवहन करता है।
(द) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय करता है।
(य) तरल आधात्री सहित संयोजी ऊतक,
(र) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर-
(अ) शल्की एपिथीलियम (Squanous Epithelium)
(ब) कंडरा (Tendon)
(स) फ्लोएम (Phloem)
(द) वसामय ऊतक (Adipose Tissue)
(य) रक्त (Blood)
(र) न्यूरॉन (Neuron)।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करें-
त्वचा, पौधे का वल्क, अस्थि, वृक्कीय नलिका अस्तर, संवहन बंडल।
उत्तर-
त्वचा – शल्की एपिथीलियम ऊतक
पौधे का वल्क – विभाज्योतक
अस्थि – अस्थि संयोजी ऊतक
वृक्कीय नलिका अस्तर – घनाकार एपिथीलियम
संवहन बंडल – जटिल ऊतक।

प्रश्न 12.
पैरेंकाइमा ऊतक किस क्षेत्र में स्थित होते हैं ? नाम बतायें।
उत्तर-
जब पैरेंकाइमा में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण प्रकाश-संश्लेषक की क्रिया संपन्न होती है तब इसे क्लोरेंकाइमा कहते हैं। जलीय पौधों में जब पैरेंकाइमा की कोशिकाओं में हवा भरी होती है और यह पौधों को तैरने के लिए उत्पलावन बल प्रदान करते हैं तब इसे एरेंकाइमा कहते हैं।

प्रश्न 13.
पौधों में एपीडर्मिस की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
पौधों की कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत एपीडर्मिस है। शुष्क स्थानों पर मिलने वाले पौधों में यह मोटी हो जाती है और पानी की हानि को कम कर उनकी रक्षा करती है। पौधों की पूरी सतह एपीडर्मिस से ढकी रहती हैं। इसलिए यह पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है। इसके बाहर मोम जैसी जल प्रतिरोधी परत बनती है जो जल हानि के विरुद्ध यांत्रिक आघात तथा परजीवी कवक के प्रवेश से पौधों की रक्षा करती है। पत्तियों की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे रंध्रों से वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान होता है, इन्हीं से वाष्पोत्सर्जन क्रिया होती है। जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएं पानी सोखने का कार्य करती हैं । मरुस्थलीय पौधों के बाहरी सतह वाले एपीडर्मिस में रासायनिक पदार्थ क्यूटिन होता है जिस कारण पानी का वाष्प नहीं होता।

प्रश्न 14.
छाल (कॉर्क) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है ?
उत्तर-
छाल (कॉर्क) पौधों के भीतर की कोशिकाओं की रक्षा करता है। इसका सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य रोधन तथा घातरोधत का है। जब वृक्ष की आयु बढ़ती है तो उस पर विभाज्योतक की पट्टी आ जाती है। बाहरी सतह की कोशिकाएं इससे अलग हो जाती हैं तथा पौधों पर बहुपरतों वाली मोटी कार्क का निर्माण करती है। यह मृत कोशिकाओं की होती है और बिना अंत:कोशिकीय स्थानों के होती है। इस पर सुबरिन नामक रसायन होता है जो हवा और पानी को प्रवेश नहीं करने देता।

प्रश्न 15.
निम्न दी गई तालिका को पूर्ण करें।
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उत्तर-
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
ऊतक क्या हैं ?
उत्तर-
ऊतक समान उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य करने वाली कोशिकाओं का एक समूह होता है।

प्रश्न 2.
बहुकोशिक जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है ?
उत्तर-
बहुकोशिकीय जीवों में लाखों कोशिकाएं होती हैं जो परस्पर मिलकर ऊतकों के रूप में विशेष कार्यों को संपन्न कराती हैं। मनुष्यों तथा पशु-पक्षियों में पेशिया इन्हीं से फैलती-सिकुड़ती हैं जिससे गति होती है, तंत्रिका से संदेशों का वहन होता है, रक्त ऑक्सीजन, भोजन, हारमोन तथा अपशिष्ट पदार्थों का वहन होता है। पौधों में भोजनपानी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है। ऊतक पेड़-पौधों को स्थिरता प्रदान करते हैं, उन्हें सहारा और मज़बूती देते हैं।

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प्रश्न 3.
प्रकाश-संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
पौधों के पत्तों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। इन पर रक्षी कोशिकाएं होती हैं जो गैसों का आदान-प्रदान करती हैं। ये पृथ्वी से प्राप्त जल का वाष्पन करती हैं।
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के उपयोग-

  1. इससे पौधों में यांत्रिक रूतक सुदृढ़ होते हैं।
  2. इसके खिंचाव के कारण पौधों में जल और खाद्य लवणों का संवहन होता है।
  3. इससे जल पौधे के माध्यम से वायुमंडल में प्रवेश करता है जिससे पौधों का तापमान नहीं बढ़ पाता।
  4. पौधे से अतिरिक्त जल का निष्कासन हो जाता है।

प्रश्न 5.
सरल ऊतकों के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर-
सरल स्थायी ऊतक तीन प्रकार के हैं। वे हैं-पैरेंकाइमा (मृदुतक Parenchyma), कालेंकाइमा (स्थूल कोण ऊतक Collenchyma), स्क्ले रेंकाइमा (दृढ़ ऊतक Sclerenchyma)।

प्रश्न 6.
प्ररोह का शीर्षस्थ विभाज्योतक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-
जड़ों और तनों की वृद्धि वाले भाग में पाया जाता है और यह इनकी लंबाई में वृद्धि करता है।

प्रश्न 7.
नारियल का रेशा किस ऊतक से बना होता है ? उत्तर-नारियल का रेशा स्क्लेरेंकाइमा ऊतक से बना होता है। प्रश्न 4. फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
चालनी नलिका, साथी कोशिका, फ्लोएम पैरेंकाइमा तथा फ्लोएम रेशे।

प्रश्न 8.
उस ऊतक का नाम बतायें जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर-
तंत्रिका और पेशीय ऊतकों का कार्यात्मक संयोजन हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 9.
न्यूरॉन देखने में कैसा लगता है ?
उत्तर-
तंत्रिका ऊतक की कोशिकाओं को न्यूरॉन कहते हैं । इन में कोशिकाओं केंद्रक तथा साइटोप्लाज़म होते हैं। इससे लंबे और पतले बालों जैसी शाखाएं निकली होती हैं। इसमें एक लंबा प्रवर्ध होता है जिसे एक्सॉन कहते हैं और बहुत सारी छोटी शाखा वाले प्रवों को डेंडराइट्स कहते हैं। एक न्यूरॉन एक मीटर लंबी हो सकती है।
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प्रश्न 10.
हृदय पेशी के तीन लक्षणों को बतायें।
उत्तर-

  1. हृदय पेशी अनैच्छिक पेशियों से बनती हैं। इन्हें कार्डिक (हृदयक) पेशी कहते हैं।
  2. यह बेलनाकार, शाखाओं वाली और एक केंद्रकीय होती है।
  3. यह जीवन भर लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती है।

प्रश्न 4.
एरीओलर ऊतक के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
एरीओलर ऊतक संयोजनी ऊतक, त्वचा और मांसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है। यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है तथा भीतरी अंगों को सहारा देता है। यह ऊतकों की मरम्मत करता है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

PSEB 9th Class Science Guide जीवन की मौलिक इकाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
पादप कोशिका तथा प्राणी (जंतु) कोशिका में अंतर
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प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?
उत्तर-
प्रोकैरियोटी व यूकैरियोटी कोशिकाओं में भेद-

प्रोकैरियोटी कोशिका (Prokaryotic Cell) यूकैरियोटी कोशिका (Eukaryotic Cell)
(1) ये प्राय छोटे आकार के होते हैं (1-10 μm)। (1) ये प्रायः बड़े आकार के होते हैं (5-100 um)।
(2) इसमें झिल्लियों द्वारा घिरे कोशिकांग जैसे अंतः प्रदव्यी जालिका, गाल्जीकाय, लाइसोसोम, माइटोकांड्रिया आदि अनुपस्थित होते हैं। (2) इन कोशिकाओं में झिल्लियों द्वारा घिरे सभी कोशिकांग पाए जाते हैं।
(3) इनमें राइबोसोम 70 S प्रकार के होते हैं। (3) इनमें राइबोसोम 80 S प्रकार के होते हैं।
(4) इनमें गुण-सूत्र डी० एन० ए० के बने होते हैं तथा कोशिका द्रव्य में पाए जाते हैं। (4) इनमें गुण-सूत्र डी० एन० ए० के बने होते हैं तथा केंद्रक कवक में पाए जाते हैं।
(5) इनमें गुण-सूत्र केंद्रक कला द्वारा घिरे हुए नहीं होते। (5) इनमें गुण-सूत्र केंद्रक कला द्वारा घिरे हुए होते हैं।
(6) इसमें केंद्रिकाएं अनुपस्थित होती हैं। (6) इसमें केंद्रिकाएं पाई जाती हैं।
(7) इसमें केवल एक गुण-सूत्र होता है। (7) इसमें एक से अधिक गुण-सूत्र होते हैं।
(8) इसमें कोशिका विभाजन कलिका उत्पादन (budding) अथवा खंडन (fission) विधि द्वारा होता है। (8) इसमें कोशिका विभाजन सूत्री (mitosis) अथवा अर्ध सूत्री (meiosis) विधि द्वारा होता है।

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प्रश्न 3.
यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो कोशिका अंगक लाइसोसोम फट जाएंगे और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर लेंगे। ऐसी स्थिति में कोशिका का जीवित रहना कठिन हो जाएगा।

प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा ?
उत्तर-
यदि गॉल्जी उपकरण न हो अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) में संश्लेषित पदार्थ कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में नहीं आ पाएंगे। यह लाइसोसोम को बनाने में सहायक है जिससे कोशिका का अपशिष्ट निपटाया जाता है। गॉल्जी उपकरण के बिना पदार्थों का संचयन और रूपांतरण नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है ? और क्यों ?
उत्तर-
माइटोकांड्रिया कोशिका का बिजलीघर है। इसे कोशिका में भोजन पदार्थों के ऑक्सीकरण का स्थान माना जाता है। इसके श्वसन से पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इसी कारण इसे कोशिका का ऊर्जा घर कह जाता है।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (RER) पर राइबोसोम लगे होते हैं जो प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (SER) लिपिड का संश्लेषण करती है।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है ?
उत्तर-
कोशिका झिल्ली में लचीलापन होता है जो अमीबा को बाह्य पर्यावरण से अपना भोज्य तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है। जिस प्रक्रिया से अमीबा अपना भोजन प्राप्त करता है, उसे एंडोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा जल में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों को अपना आहार बनाता है। वह अपने भोजन को किसी भी सतह से कूटपाद के द्वारा ग्रहण कर लेता है। जब भोज्य पदार्थ उसके संपर्क में आता है तो वह अपने कूटपादों से उसे चारों ओर से घेर लेता है और वह प्यालेनुमा रचना के द्वारा करता है जिसे खाद्यधानी या रिक्तिका कहते हैं। इस तरह खाद्य पदार्थ
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कोशिका द्रव्य में खाद्य के साथ खाद्यधानी कोशिका के भीतर एक थैली में बंद हो जाता है। अंतर्कोशिकीय पाचन प्रणाली से भोजन का पाचन एंजाइमों की सहायता से खाद्यधानी में होता है। पचा हुआ भोजन विसरण-प्रक्रिया से कोशिका द्रव्य में जाकर अवशोषित हो जाता है जिसे स्वांगीकरण कहते हैं । जो भोजन पच नहीं पाता वह शारीरिक सतह से खाद्य रिक्तिका के माध्यम से बाहर निकल जाता है। इसे बाहय क्षेपण कहते हैं।

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प्रश्न 8.
परासरण क्या है ?
उत्तर-
परासरण – जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली के द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं। प्लैज्मा झिल्ली से जल की गति जल में घुले पदार्थों की मात्रा के कारण प्रभावित होती है। जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली से उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाते हैं। वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली अपने छोटे-छोटे छिद्रों से जल अणुओं को पार गुजरने देती है पर घुलनशील पदार्थ के बड़े अणु इससे नहीं गुज़र पाते।
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परागम्य झिल्ली परासरण प्रक्रिया की घटनाएं प्रायः तीन प्रकार की होती हैं-
(क) अल्पपरासरण – यदि कोशिका को तनु घोल माध्यम में रखा जाए तो जल परासरण विधि से जल कोशिका में चला जाता है। तनु घोल में नमक या चीनी या किसी अन्य लवण की मात्रा कम और जल की मात्रा ज्यादा होती है। जल के अणु कोशिका झिल्ली के दोनों ओर आने-जाने के लिए स्वतंत्र होते हैं पर कोशिका के भीतर जाने वाले जल की मात्रा कोशिका से बाहर आने वाले जल की मात्रा से अधिक होगी। इसका परिणाम यह होता है कि कोशिका फूलने लगती है। जल में डूबी किशमिश या खुबानी इसी कारण फूल जाती हैं।
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(ख) सम परासरण – यदि कोशिका ऐसे माध्यम घोल में रखी जाए जिसमें बाहरी जल की सांद्रता कोशिका में विद्यमान जल की सांद्रता के बिल्कुल बराबर हो तो कोशिका झिल्ली से जल में से कोई शुद्ध गति नहीं होगी। जल कोशिका में आता-जाता है पर जल की जो मात्रा भीतर जाती है उतनी ही बाहर आ जाती है।

(ग) अति परासरण – यदि कोशिका के बाहर वाला घोल भीतर के घोल से सांद्र हो तो जल परासरण से कोशिका से बाहर आ जाएगा। इस स्थिति में कोशिका से ज्यादा जल बाहर आएगा और कम जल भीतर जाएगा।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें
छिले हए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो :
(i) ‘B’ तथा ‘C’ खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया ? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
छिले हुए कच्चे आलू से बने तीन तथा उबले हुए आलू से बने एक कप को चित्रानुसार जल से भरे बर्तन में रखो।
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(i) B और C कप में जल एकत्रित हो गया। कच्चे आलू से बने दोनों कप वर्णात्मक पारगम्यता का कार्य करते हैं और जल परासरण विधि से जल खोखले आलुओं के भीतर चला गया। क्योंकि उनके भीतर चीनी और नमक विद्यमान थे। यह अल्पपरासरण का परिणाम है क्योंकि आलू के कपों के अंदर जाने वाले जल की मात्रा उससे बाहर आने वाले जल की मात्रा से अधिक थी।

(ii) ‘A’ आलू का कप कच्चे आलू से बना था जो वर्णानात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य करता है। भीतर से खाली होने के कारण जल में कोई शुद्ध गति नहीं हुई। यह नियंत्रण का कार्य करता है।

(iii) A और D कपों में जल एकत्रित नहीं हुआ क्योंकि दोनों में बाहरी जल की सांद्रता कपों में स्थित जल की सांद्रता के बराबर थी। जिस कारण परासरण नहीं होता। कप A कच्चे आलू का बना था और भीतर से खाली था पर कप D उबले आलू का था जिसमें एक चम्मच चीनी थी। उबला होने के कारण वह वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य नहीं करेगा। जिस कारण आलू के कपों से जल में कोई शुद्ध गति नहीं हो सकी।

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की ?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने सन् 1665 में की थी। उन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से कार्य की पतली काट को देखा था जिस में मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना दिखाई दी थी। लेटिन भाषा में Cellulae (कोशिका) का अर्थ ‘छोटा कमरा’ है और यही नाम कोशिका के लिए प्रचलित हो गया था।

प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिका की रचना अनेक कोशिकाओं से होती है। कोशिकाओं की आकृति और आकार उनके विशेष कार्यों के अनुरूप होते हैं। कोशिकांगों के कारण ही कोई कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य करती है इसीलिए कोशिका को जीवन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई कहते हैं।

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प्रश्न 3.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अंदर तथा बाहर जाते हैं ? इस पर चर्चा करें।
उत्तर-
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका झिल्ली से आर-पार विसरण प्रक्रिया द्वारा आ-जा सकते हैं।

(i) CO2 का बाहर जाना – CO2 एक कोशीय अपशिष्ट है जिसे कोशिका से बाहर निकालना आवश्यक है। जब कोशिका में इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो इसकी सांद्रता वातावरण में उपस्थित CO2 की सांद्रता से बढ़ जाती है। जैसे ही कोशिका के भीतर और बाहर CO, की सांद्रता में अंतर आता है वैसे ही उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर विसरण द्वारा कोशिका से CO2 बाहर निकल जाती है।

(ii) O2 का भीतर जाना – जब कोशिका में ऑक्सीजन की सांद्रता कम हो जाती है तो वह बाहर से कोशिका में विसरण द्वारा भीतर चली जाती है।

(iii) पानी का भीतर तथा बाहर जाना – पानी भी विसरण के नियमों के अनुसार व्यवहार करता है। पानी के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली से होती है तो उसे परासरण कहते हैं । प्लैज्मा झिल्ली से पानी की गति पानी में घुले हुए पदार्थों की मात्रा के कारण प्रभावित होती है। वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली से पानी के अणु उच्च पानी की सांद्रता से निम्न पानी की सांद्रता की तरफ गति करते हैं। यदि कोशिका को तनु विलयन वाले माध्यम में रखा जाए तो पानी अधिक मात्रा में होने के कारण परासरण विधि से कोशिका में चला जाएगा। पानी के अणु कोशिका झिल्ली के दोनों और आने-जाने के लिए स्वतंत्र होते हैं पर कोशिका के भीतर जाने वाले पानी की मात्रा कोशिका से बाहर आने वाले पानी की मात्रा से ज्यादा होगी, यदि कोशिका में पानी अधिक गया तो वह फूलने लगती है। यदि कोशिका को ऐसे माध्यम में रखा जाए जिसमें बाहरी पानी की सांद्रता कोशिका में विद्यमान पानी की सांद्रता के बराबर हो तो कोशिका झिल्ली से न पानी जाता है और न ही पानी आता है। यदि कोशिकाओं के बाहर वाला विलयन भीतर के घोल से सांद्र हो तो पानी परासरण से कोशिका से बाहर आ जाएगा जिस कारण कोशिका सिकुड़ जाएगी।

प्रश्न 4.
प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
लिपिड और प्रोटीन से बनी प्लैज़्मा झिल्ली लचीली होती है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है। यह कुछ पदार्थों को अंदर या बाहर आने-जाने देती है। यह अन्य पदार्थों की गति को भी रोकती है। विसरण प्रक्रिया से CO2 तथा O2 इसके आर-पार जा सकती है। जल के अणुओं की गति भी परासरण प्रक्रिया से होती है। चूंकि प्लैज्मा झिल्ली आवश्यक पदार्थों को उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर आने-जाने देती है इसलिए इसे वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।

प्रश्न 5.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके :

प्रोकैरियोटी कोशिका यूकैरियोटी कोशिका
1. आकार प्रायः छोटा (1-10 μm)
1 μm = 10-6m.
1. आकार प्रायः बड़ा (5-100 μm)
2. केंद्रकीय क्षेत्र : ………………….. और उसे ……….. कहते हैं। 2. केंद्रकीय क्षेत्र : सुस्पष्ट जो चारों ओर से केंद्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है।
3. क्रोमोसोम : एक 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित 4. …………………………

उत्तर-

प्रोकैरियोटी कोशिका यूकैरियोटी कोशिका
1. आकार प्रायः छोटा (1-10 μm)
1μm = 10-6m.
1. आकार प्रायः बड़ा (5-100 μm)
2. केंद्रकीय क्षेत्र : अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र में केवल क्रोमैटिन पदार्थ होता है और उसे केंद्रकाय कहते हैं। 2. केंद्रकीय क्षेत्र : सुस्पष्ट जो चारों ओर से केंद्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है।
3. क्रोमोसोम : एक 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित। 4. केंद्रकीय झिल्ली तथा झिल्ली युक्त उपस्थित।

प्रश्न 6.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है ?
उत्तर-
माइटोकाँड्रिया तथा प्लैस्टिड में अपना DNA अणु के रूप में होता है जिनमें कोशिका के निर्माण और संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएं होती हैं।

प्रश्न 7.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है तो कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला तंत्र लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई

प्रश्न 8.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पचा लेते हैं इसलिए लाइसोसोम को ‘आत्मघाती थैली’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
कोशिका द्रव्य में राइबोसोम छोटे-छोटे कणों के रूप में अंतः प्रद्रव्यी जालिका के तल पर तथा केंद्रक झिल्ली के ऊपर मिलते हैं जो प्रोटीन का संश्लेषण करने में सहायक होते हैं।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

PSEB 9th Class Science Guide खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 1
फसल उत्पादन की जिस विधि से अधिक पैदावार प्राप्त हो सकती है, वह अंतरा फसलीकरण है। इस विधि में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ किसी खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाया जाता है। कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उनके एकांतर में स्थित दूसरी पंक्तियों में दूसरी प्रकार की फसल उगाते हैं। उदाहरण-

  1. सोयाबीन + मक्का
  2. बाजरा + लोबिया।

फसलों का चुनाव उनकी पोषक तत्वों की आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। वे आवश्यकताएं भिन्न-भिन्न होनी चाहिए ताकि पोषकों का उपयोग अधिक से अधिक हो सके। इस विधि से सभी फसल के पौधों में पीड़कों और रोगों को फैलने से रोका जा सकता है।

प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं ?
उत्तर-
खेतों में खाद का उपयोग मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ा कर पोषक हेतु किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है और उसकी रचना में सुधार होता है। इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है तथा चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा पानी को निकालने में सहायता करती है जिससे पानी इकट्ठा नहीं होता। उर्वरकों के प्रयोग से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की मात्रा मिट्टी में बढ़ जाती है जिससे पौधों में कायिक वृद्धि अच्छी होती है तथा उन्हें स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

प्रश्न 3.
अंतराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
अंतराफसलीकरण से एक साथ किसी खेत से दो या दो से अधिक फसलों को प्राप्त किया जा सकता है। इससे पोषक तत्वों का अधिकतम उपयोग हो पाता है। इससे पीड़कों और रोगों को फसल के सभी पौधों में फैलने से रोका जा सकता है और अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
किसी खेत में क्रमवार पूर्व नियोजित तरीके से तरह-तरह की फसलों को फसल चक्र के अंतर्गत उगाया जाता है। परिपक्वन काल के आधार उचित फसल चक्र को अपनाने से वर्ष में दो-तीन फसलों का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. मिट्टी की उर्वरकता होती है।
  2. उत्पादन में वृद्धि होती है।
  3. खेत को खाली नहीं छोड़ना पड़ता।
  4. एक ही खेत में फ़सलों की अदला-बदली हो जाती है।
  5. मृदा में पोषक तत्व नियंत्रित रहते हैं और मृदा की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  6. नाइट्रोजन वर्ग के उर्वरकों की बचत होती है।
  7. पीड़कों के नियंत्रण में सहायता प्राप्त होती है।
  8. फ़सलें रोगों से बच जाती हैं।
  9. कीटों में वृद्धि पर रोक लगती है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या है ? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी है? ना कर
उत्तर-
आनुवंशिक फेरबदल पौधों में ऐच्छिक गुणों को डालने की प्रक्रिया है। इसके द्वारा रोग की प्रतिरोग प्रतिरोधकता, उर्वरक के प्रति अनुरूपता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन क्षमता के गुणों की प्राप्ति की जा सकती है तथा फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इस विधि से विभिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पौधों में संकरण करवाते हैं। यह संकरण अंतराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों में), अंतरास्पीशीज़ (एक ही जीनस की दो विभिन्न स्पीशीज में) तथा अंतरावंशीय (विभिन्न जेनरा में) हो सकता है। इसके परिणाम से आनुवंशिकीय रूपांतरित फसलें प्राप्त हो सकती हैं। कृषि प्रणालियों में इस विधि ने बीजों की नई-नई किस्में तथा जातियां प्रदान की हैं जिससे अनाज उत्पाद बढ़ा है तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

प्रश्न 5.
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है ?
उत्तर-
भंडार गृहों में अनाज की हानि दो प्रकार से होती है-

  1. जैविक कारण
  2. अजैविक कारण।

जैविक आधार पर कीट, कुंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु फसलों की गुणवत्ता को खराब करते हैं तथा उनके वज़न को कम कर देते हैं। इससे उत्पाद बदरंग हो जाता है। उसमें अंकुरण की क्षमता कम हो जाती है।

अजैविक आधार पर नमी और ताप का अभाव फसलों को खराब कर देते हैं। फसल में फफूंदी उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशु पालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं ?
उत्तर-
किसानों के लिए पशु पालन प्रणालियाँ बहुत उपयोगी हैं। इससे उन्हें खेती के साथ-साथ पशुओं से भी आर्थिक लाभ होता है।

  1. खाद्य पदार्थ देने वाले – गाय, भैंस आदि पशुओं से दूध मिलता है। दूध मनुष्य का पूर्ण भोजन है और शरीर की समुचित वृद्धि के लिए इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व विद्यमान होते हैं।
  2. खाद की प्राप्ति – सभी पालतू पशु जैसे-बैल, भैंस, बकरी, ऊंट, घोड़ा, गाय आदि के अपशिष्ट से हमें खाद प्राप्त होती है।
  3. खेतों में कार्य एवं बोझा ढोना – बैल, घोड़े, खच्चर, ऊंट आदि पशु किसान के लिए खेती का काम करते हैं तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ढोते हैं। फल मिति की

प्रश्न 7.
पशु पालन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
पशु पालन के लाभ-

हाजी पालकीनीया-

  1. दुधारू पशुओं से दूध की प्राप्ति होती है।
  2. अंडों की प्राप्ति पोल्ट्री से होती है।
  3. मत्स्य पालन तथा कुक्कट पालन से मांस की प्राप्ति होती है।
  4. जंतु अवशिष्ट खाद बनाने में काम आते हैं।
  5. मधुमक्खी से मधु तथा मोम मिलती है।
  6. बैल, ऊँट, खच्चर आदि पशुओं को कृषि पद्धतियों में प्रयोग में लाया जाता है। कि
  7. बोझा ढोने वाले पशु बोझा ढोते हैं।
  8. भेड़-बकरियों से हमें ऊन प्राप्त होता है जो सर्दियों में हमें ठंड से बचाता है।

प्रश्न 8.
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कट पालन, मत्स्य पालन तथा मधु मक्खी पालन में क्या समानताएँ
उत्तर-
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कट पालन, मत्स्य पालन तथा मधु मक्खी पालन में उचित देख-रेख तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति अनुकूलता आवश्यकता है। उनके संवर्धन के लिए उचित परिस्थितियां बनाई जानी चाहिएं।

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प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है ?
उत्तर-

  • प्रग्रहण मत्स्यन (Fishing) – साफ लवण रहित तथा समुद्री-लवण सहित जल स्रोतों से मछली पकड़ना प्रग्रहण मत्स्यन कहलाता है। ऐसे जल स्रोत मुख्य रूप से तालाब, पोखर, नदी, नदी मुख, लैगून आदि होते हैं। इसमें उत्पादन कम होता है।
  • मेरी कल्चर (Marine Culture) – आर्थिक महत्त्व की अनेक मछलियों का संवर्धन समुद्री जल में किया जाता है। इसे मेरी कल्चर कहते हैं; जैसे-मुलेट, भेटकी, पर्लस्पाट, झींगा, मरुसल, ऑएस्टर आदि।
  • जल संवर्धन (Aquaculture) – तालाबों में तरह-तरह की मछलियों का संवर्धन किया जाता है। इस प्रकार से संवर्धित मछलियों में आपसी स्पर्धा नहीं होती। इससे तालाब में मछली उत्पादन अधिक होता है। इस प्रकार की मछली पालन विधि को जल संवर्धन कहते हैं। ये मछलियां जल स्रोत के भिन्न-भिन्न हिस्सों से अपना भोजन प्राप्त करती हैं ;

जैसे-
कटला-जल की सतह से
मार रोहू-तालाब के मध्य से
मृगल, कॉमन कार्प-तालाब की तली से।

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
अनाज हमें कार्बोहाइड्रेट प्रदान करते हैं ये हमें गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा तथा ज्वार से प्राप्त होते हैं। इनसे हमें ऊर्जा मिलती है। दालों से हमें प्रोटीन प्राप्त होती है। यह चना, मटर, उड़द, मूंग, अरहर और मसूर में होती है। फलों और सब्जियों से विटामिन, खनिज लवणों के अतिरिक्त कुछ मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा भी प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
फसलें हमारे जीवन की आधार हैं। वे जैविक और अजैविक कारकों से प्रभावित होती हैं। इनसे उनका उत्पादन और गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

(i) जैविक कारकों का प्रभाव – तरह-तरह के रोग, कीट तथा निमेटोड फसलों को प्रभावित करते हैं। सूक्ष्प जीव खाद्यान्नों को बहुत अधिक खराब करते हैं। इनके कारण अनाज के भार में कमी, अंकुरण न होना, बदरंग हो जाना, तापन तथा विषाक्त पदार्थों का उत्पन्न होना हो सकता है। फफूंद, खमीर तथा जीवाणु का इन्हें पर्याप्त हानि पहुंचाते हैं। चूहे तथा पक्षी भी खाद्य पदार्थों को बहुत हानि पहुंचाने का कार्य करते हैं।

(ii) अजैविक कारकों का प्रभाव – सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गर्मी, ठंड और पाला के कारण फसल उत्पादन कम हो जाता है। इनसे अनाज में संक्रमण बढ़ जाता है। एंजाइम, कीट और अन्य सूक्ष्म जीव भी इन कारकों से प्रभावित होकर अनाज को अधिक क्षति पहुंचाते हैं। सूखा पड़ने से फसलें मष्ट हो जाती हैं तो जला क्रांति से भी उनकी जड़ें गल जाती हैं। अत्यधिक गर्मी, ठंड और पाला भी उपज को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 3.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं ?
उत्तर-
पशुओं के लिए चारा तभी अधिक होगा जब चारे वाली फसलों की शाखाएं सघन होंगी। अनाज के लिए पौधे बौने होने चाहिए ताकि उनके लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। फसलों में ऐसे सुधारों के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान सहायक सिद्ध होती है।

प्रश्न 4.
वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
वृहत् पोषक उन्हें कहते हैं जो पौधों को अपने पोषण के लिए अधिक मात्रा में चाहिए होते हैं। इनकी संख्या छह है और इन्हें ये मिट्टी से प्राप्त करते हैं। वृहत् पोषक हैं- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, जिंक, कॉपर, मालिबेडेनम।

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प्रश्न 5.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
पौधे अपना पोषक हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त करते हैं। हवा से इन्हें ऑक्सीजन तथा कार्बन प्राप्त होती है, पानी से हाइड्रोजन मिलती है तथा मिट्टी से 13 पोषक प्राप्त होते हैं जिनमें से 6 वृहत् पोषक तथा 7 सूक्ष्म पोषक होते हैं। पौधे जड़ों के माध्यम से मिट्टी से पोषक प्राप्त करते हैं, जो पानी में मिलकर जड़ों से अवशोषित होते हैं।

प्रश्न 6.
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर-
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक की अपनी-अपनी भूमिका है।
खाद मिट्टी को पोषकों तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में होने के कारण मिट्टी की संरचना में सुधार करती है इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है। चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता के कारण पानी को निकालने में सहायता करती है जिससे पानी इकट्ठा नहीं होता।

उर्वरक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाशियम प्रदान करते हैं इनके उपयोग से अच्छी कायिक वृद्धि (पत्तियां, शाखाएं तथा फूल) होती है और स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है। परंतु ये उर्वरक आर्थिक दृष्टि से महंगे पड़ते हैं। अत्यधिक उर्वरक के उपयोग से मिट्टी को संरचना में बदलाव भी कई बार आ जाता है। यह कई बार जल प्रदूषण का कारण भी बनता है। इसलिए इनका उपयोग हमें सावधानी से करना होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा ? क्यों ?
(a) किसान उच्च कोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई न करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसी अच्छी किस्म के बीज प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियां अपनाए।
उत्तर-
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियां अपनाएं । इनसे अच्छी फसल की प्राप्ति होगी। अच्छे बीजों का चयन इस आधार पर करना चाहिए कि वे अनुकूल परिस्थितियों में उग सकें। संकरण विधि से प्राप्त ऐसे बीजों का चयन किया जाना चाहिए जो रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधिता गुणों से युक्त हों। उनमें उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन क्षमता होनी चाहिए। अच्छे गुणों वाली जीन से युक्त बीज ही उपयुक्त होते हैं। सिंचाई आवश्यकतानुसार नियमित रूप से की जानी चाहिए। सिंचाई की कमी से फसल उत्पाद कम प्राप्त होते हैं। उर्वरकों के प्रयोग से फसल की प्रकृति के अनुसार नाइट्रोजन, पोटैशियम तथा फॉस्फोरस तत्व मिट्टी में मिलाए जा सकते हैं जिससे उर्वरकता बढ़ती है और अच्छी फसल प्राप्त करते हैं। फसल सुरक्षा की विधियां भी अपनाई जानी चाहिए। खरपतवार तथा पीड़कों का नियंत्रण करना चाहिए। खेतों में फसल खरपतवार, कीट, पीड़क तथा रोगों से प्रभावित होती है। यदि समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया जाता तो वे फसलों को बहुत हानि पहुंचाते हैं।

प्रश्न 8.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियां तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता है ?
उत्तर-
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियां तथा जैव नियंत्रण अति आवश्यक है। तरह-तरह के जैविक और अजैविक कारक फसल को खराब कर देते हैं जिस कारण उत्पादक और व्यापारी को आर्थिक हानि होने के साथसाथ मानसिक आघात भी पहुंचता है। इन निरोधक विधियों और जैव नियंत्रण को न अपनाने से निम्नलिखित क्षति होती हैं-

  1. फसल की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  2. फसल का वज़न कम हो जाता है।
  3. अंकुरण की क्षमता कम हो जाती है। इन सब कारणों से उत्पाद की कीमत कम हो जाती है।

प्रश्न 9.
भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं ?
उत्तर-
भंडारण के दौरान जैविक और अजैविक कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं। जैविक कारक हैं- कीट, कुंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु। अजैविक कारक हैं-भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी और ताप का असंतुलन।

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प्रश्न 10.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों ?
उत्तर-
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए लंबे समय तक दुग्ध स्रावण काल वाली जर्सी, ब्राउन स्विस जैसी नस्लों तथा रोगों के प्रति प्रतिरोधिता में अच्छी देशी नस्लों रेडसिंधी तथा साहीवाल में संकरण कराया जाता है ताकि संकर पशु में दोनों अधिक दुग्ध स्रावण काल तथा रोगों की प्रतिरोधिता के गुण हों।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित कथन के उपयोग की विवेचना कीजिए–
“यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते।”
उत्तर-
यह कथन पूर्ण रूप से सत्य है। कुक्कटों का गेहूं, चावल, ज्वार, जौ, बाजरा आदि के दले हुए दानों के साथ हड्डी चूरा, व्यर्थ मांस खाद्य आदि खाने के लिए दिए जाते हैं। जो प्रायः मानवों के द्वारा प्रयुक्त नहीं किए जाते। कुक्कट इन्हें खाकर इनका अंडों और मांस में संश्लेषण करते हैं तथा उच्च कोटि के पोषक पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित कर देते हैं। उनके अंडों में 36% पीतक तथा 64% प्रोटीन होती है उनके मांस में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन होते हैं।

प्रश्न 12.
पशु पालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में क्या समानता है ?
उत्तर-
पशु पालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में समानता है। दोनों में ही संकरण से श्रेष्ट जातियां प्राप्त की जाती हैं ताकि उनसे मानव के लिए उपयोगी खाद्य प्राप्त किए जा सकें जो मात्रा और गुणवत्ता में श्रेष्ठ हों। दोनों को ही अनेक कारणों से अनेक रोग हो जाते हैं जिनसे बचाव के लिए उचित प्रबंध किए जाने आवश्यक हैं। दोनों के पालन में आहार की ओर ध्यान देना परम आवश्यक है। इससे उनकी मृत्यु दर कम हो जाती है तथा उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है। उनके आवास में उचित ताप, स्वच्छता और प्रबंधन की समान रूप से आवश्यकता होती है। संक्रामक रोगों से बचाने के लिए दोनों को टीका लगवाना आवश्यक है।

प्रश्न 13.
ब्रौलर और अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है ? इनके प्रबंधन के अंतर को भी स्पष्ट करें।
उत्तर-
ब्रौलर मांस प्रदान करते हैं जबकि लेयर अंडे देते हैं। लेअर को रहने के लिए पर्याप्त स्थान, प्रकाश और पौष्टिक दोनों देना चाहिए जबकि ब्रौलर को प्रोटीन, वसा तथा विटामिन A और K से युक्त कुक्कुट आहार देना चाहिए। ब्रौलर की मृत्यु दर कम है लेकिन लेयर की मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक होती है। ब्रौलर 6-7 सप्ताह में ही मांस के लिए उपयोग में लाया जा सकता है, जबकि लेयर 20 सप्ताह के बाद अंडे दे सकता है।

प्रश्न 14.
मछलियाँ कैसे प्राप्त की जाती हैं ?
उत्तर-
मछली समुद्री जल और ताजे जल दोनों से प्राप्त की जाती है। ताज़ा जल नदियों और तालाबों में होता है। मछली पकड़ना और मछली संवर्धन समुद्र तथा ताजे पानी के पारिस्थितिक तंत्र में किया जाता है। मछली पकड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के जालों का उपयोग मछली पकड़ने वाली नाव से किया जाता है। सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि गंभीरता मापी से खुले समुद्र में मछलियों के बड़े समूहों का पता लगाकर उन्हें जालों से पकड़ लिया जाता है।

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प्रश्न 15.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
मिश्रित मछली संवर्धन से देशी-विदेशी मछलियां पाई जा सकती हैं। ऐसे तंत्रों से अधिक मात्रा में मछली प्राप्त होती है। एक ही तालाब में 5 या 6 मछली की जातियों को बढ़ाया जा सकता है। मछलियां एक स्थान पर रहकर पानी की अलग-अलग सतहों से भोजन प्राप्त करती हैं। ग्रास कार्य जाति की मछलियां तो खरपतवार तक खा लेती हैं। मछलियों में आहार के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं होती। तालाब के हर भाग में स्थित आहार का उपयोग हो जाता है।

प्रश्न 16.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधु मक्खी में कौन-से ऐच्छिक गुण होने चाहिएं ?
उत्तर-

  1. मधु मक्खी में मधु एकत्र करने की क्षमता अधिक होनी चाहिए।
  2. उसे डंक कम मारना चाहिए।
  3. प्रजनन तीव्रता से करना चाहिए।
  4. अपने छत्ते में अधिक समय तक रहें।
  5. स्वयं को दुश्मनों से बचा सके।

प्रश्न 17.
चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे संबंधित हैं ?
उत्तर-
चरागाह वह विस्तृत घाम और अन्य वनस्पतियों से भरा स्थान है जहां पर मधु मक्खियां फूलों से मकरंद और पराग इकट्ठा करती हैं। जिस चरागाह में जितने अधिक और भिन्न प्रकार के फूल होंगे उतनी ही किस्में मधु के स्वाद की भी होंगी इसलिए मधु उत्पादन का चरागाह से संबंध है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

PSEB 9th Class Science Guide प्राकृतिक संपदा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
जीवों के लिए वायुमंडल बहुत आवश्यक है। यही हमारे जीवन का आधार है। वायु में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प नामक घटक हैं। ऑक्सीजन प्रत्येक जंतु के लिए जरूरी है। जो स्थल पर रहते हैं वे श्वसन के लिए इसे वायु से प्राप्त करते हैं। जलीय जीव इसे पानी में घुली हुई अवस्था में प्राप्त करते हैं। यूकेरियोटिक कोशिकाओं तथा प्रोकेरियोटिक कोशिका को ग्लूकोज अणुओं को तोड़ने तथा उससे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसी के कारण कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बोहाइड्रेट्स में बदलते हैं तथा अपने लिए भोजन के रूप में प्राप्त करते हैं। वायुमंडल ने पूरी पृथ्वी को एक कंबल की तरह ढांप रखा है। वायु ताप की कुलाचक है इसलिए पृथ्वी का औसत तापमान पूरा वर्ष लगभग नियत रहता है। यह दिन के समय तापमान को बढ़ाने से रोकता है और रात के समय तापमान को पृथ्वी के बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। वायुमंडल में जलवाष्प बनने और हवा बहने की क्रिया होती है।

प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-
जीवन के लिए जल की अनिवार्यता-

  1. जीवन की उत्पत्ति सर्वप्रथम सागर के जल में हुई थी। सागर के जल में जीवन की उत्पत्ति “नीले हरे शैवाल” तथा “साइनो बैक्टीरिया” नामक जीवों के रूप में हुई।
  2. हमारे शरीर में पाया जाने वाला जल भोजन से प्राप्त पोषक तत्त्वों को घोलकर इन्हें शरीर के सभी अंगों तक पहुँचा देता है।
  3. जल स्वेदन तथा वाष्पन की प्रक्रियाओं द्वारा मानव शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।
  4. जल हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों (मल-मूत्र इत्यादि) के उत्सर्जन के लिए एक अच्छा माध्यम है।
  5. नदियों और समुद्र में नावों और जलयानों के द्वारा यात्रियों और सामानों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन होता है।
  6. हम पानी का अत्यधिक उपयोग पीने में, नहाने में, कपड़े धोने में और खाना पकाने इत्यादि में करते हैं। खाना पकाने और पीने का पानी कीटाणु-रहित तथा स्वच्छ होना चाहिए।
  7. जल का उपयोग सामान्यतया औषधि के रूप में भी करते हैं।
  8. ऊंचाई से तेज़ गति से गिरते हुए जल में ऊर्जा होती है जिसका प्रयोग हम बिजली बनाने में करते हैं।
  9. बहुत-से जलीय जंतु, जैसे-मेंढक, मछली, मगरमच्छ आदि जल में निवास करते हैं तथा वे जल में घुली हुई ऑक्सीजन का प्रयोग श्वसन क्रिया में करते हैं।
  10. बहुत-से जलीय पौधे भी जल में पाए जाते हैं तथा जल में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के लिए करते हैं।
  11. कृषि के लिए भी जल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। पौधे पानी के बिना वृद्धि नहीं कर सकते हैं।
  12. जल, पेड़-पौधों में खनिजों तथा अन्य पोषक तत्वों का परिवहन करने के लिए एक माध्यम का काम करता है।
  13. जल, पौधों के अंकुरण तथा पौधों की वृद्धि में सहायता करता है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर है ? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं ?
उत्तर-
जीवित प्राणी मृदा पर ही निर्भर करता है। मृदा में उत्पन्न पेड़-पौधों से अपना खाद्य प्राप्त करता है। जीवन-यापन के लिए सभी आवश्यक तत्व इसी से प्राप्त होते हैं। पौधे तरह-तरह के खनिज लवण मृदा से ही प्राप्त करते हैं और भोजन के तत्वों के रूप में प्राणियों के जीवन के आधार बनते हैं।

पानी में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं। वे जल में उगे पादपों को खाते हैं या उन पर आधारित अन्य प्राणियों को खाकर जीवित रहते हैं।

प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचारपत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं ?
उत्तर-
मौसम संबंधी जानकारियां लंबी और गहन वैज्ञानिक जानकारियों पर आधारित होती हैं। दूर आकाश में स्थित सैटेलाइट पृथ्वी पर सदा अपनी दृष्टि जमाए रहते हैं तथा वातावरण की जांच करने में वैज्ञानिकों की सहायता करते हैं। वायु के दबाव, फटने तथा समुद्रों में उत्पन्न चक्रवातों की सूचना प्रदान करते हैं। मानसून आने से पहले ही इनसे अनुमान हो जाता है कि किसी वर्ष वर्षा की स्थिति कैसी होगी। इससे कृषि संबंधी नई योजनाएं बनाई जाती हैं। समुद्री तटों पर रहने वालों को तरह-तरह के खतरों की पूर्व सूचना दी जाती है।

प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियां वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण स्तर को बढ़ा रही हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी ?
उत्तर-
बहुत से मानवीय क्रियाकलाप वायु, जल और मृदा के प्रदूषण स्तर को निरंतर बढ़ा रहे हैं। यदि इन क्रियाकलापों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर दिया जाए तो प्रदूषण के स्तर पर कुछ मदद मिलेगी। प्रायः अस्पतालों के आसपास भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर वातावरण से हानिकारक गैसों पर नियंत्रण पाया जाता है। पेट्रोल और डीज़ल के स्थान पर वाहनों में CNG का प्रयोग कुछ नगरों में आरंभ किया गया है जिसके अनुकूल प्रभाव दिखाई दिए हैं। खादानों की खुदाई रोककर वायुमंडल तथा पेड़-पौधों की रक्षा की गई है। नदियों के पानी की शुद्धिकरण के प्रयत्न किए गए हैं। यह ठीक है कि हमारे देश में जनसंख्या बहुत अधिक है, अशिक्षा है, गरीबी है पर फिर भी प्रयत्न करने पर सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेंगे। इनसे प्रदूषण समाप्त तो नहीं होगा पर प्रदूषण के स्तर को घटाने में मदद अवश्य मिलेगी।

प्रश्न 6.
जंगल, वायु, मृदा और जलीय स्त्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
जंगलों की भूमि तथा वर्षा में गहरा संबंध है। यदि वृक्षों को काटने की दर उनकी वदधि से अधिक हो जाए तो वृक्षों की संख्या कम होती जाती है और वह क्षेत्र धीरे-धीरे रेगिस्तान भी बन सकता है। जंगल सदा वायु, मृदा और जलीय स्रोत को सीधा प्रभावित करते हैं।

वृक्ष वाष्पण क्रिया से बड़ी मात्रा में जल मुक्त करते हैं। इस मुक्त जल से वाष्प-बादल बनते हैं तथा वर्षा होती है। जंगलों के कम होने से वर्षा भी कम होगी तथा उस क्षेत्र में वृक्ष उगने की दर कम हो जाएगी जिससे पर्यावरण प्रभावित होगा।

वृक्षों के बहुत अधिक काटने से जैव पदार्थों में समृद्ध मृदा की सबसे ऊपर की सतह वर्षा के पानी के साथ बहकर लुप्त हो जाएगी। मृदा के इस प्रकार अपरदन के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती है। वन जंगली-जंतुओं को आश्रय देते हैं। हमें उनसे कई प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं तथा इमारती लकड़ी प्राप्त होती है। कई उद्योगों के लिए हमें कच्चा माल प्रदान करते हैं। जंगलों से जलीय स्रोतों की गुणवत्ता बढ़ती है। इनसे भूमि कटाव पर नियंत्रण होता है।

जंगलों की उपयोगिता को देखते हुए वनों का पुनः पूरण अति आवश्यक हो जाता है। इन सबके अतिरिक्त पौधे जितने अधिक उगाए जाएंगे हमारा पर्यावरण उतना ही स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक होगा। पौधे ही हमारे प्रदूषित पर्यावरण को स्वच्छ कर सकते हैं। हवा, मृदा और जलीय स्रोत जंगलों से सीधे तौर पर संबंधित है।

Science Guide for Class 9 PSEB प्राकृतिक संपदा InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है ?
उत्तर-
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 95 से 97% है जबकि पृथ्वी के वायुमंडल में यह 0.04% है। इसमें नाइट्रोजन और ऑक्सीजन गैसों की अधिक मात्रा उपस्थित है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

प्रश्न 2.
वायुमंडल एक कंबल की तरह कैसे कार्य करता है ?
उत्तर-
जिस प्रकार कोई व्यक्ति कंबल को अपने ऊपर पूरी तरह से लपेट कर अंदर और बाहर के दो भिन्न वातावरण बना लेता है उसी प्रकार पृथ्वी के चारों ओर फैला वायुमंडल भी इसे दो स्तरों में बांट देता है। सूर्य की ओर से आने वाले हानिकारक विकिरणों को स्थल पर आने से रोकता है और नीचे की गैसों को ऊपर अंतरिक्ष में जाने से।

प्रश्न 3.
वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं ? उत्तर-सूर्य की किरणें दिन भर स्थल और समुद्र तल को गर्म करती हैं। स्थल जल्दी गर्म होता है और जल
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा 1
से। इसलिए जल की अपेक्षा स्थल के ऊपर की हवा भी तेजी से गर्म होकर ऊपर उठती है जिसकी आपूर्ति के लिए समुद्र की ओर से वायु स्थल की ओर चलने लगती है। रात के समय स्थल और समुद्र दोनों ठंडे होने लगते हैं पर स्थल ठंडा जल्दी हो जाता है और पानी धीरे-धीरे ठंडा होता है इसलिए पानी के ऊपर की वायु स्थल की ऊपर की वायु से गर्म होती है। तब स्थल की ओर से समुद्र की ओर वायु चलने लगती है।

प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर-
सूर्य की गर्मी से सभी जलीय भागों से वाष्पन क्रिया होती है और पानी वाष्प बनकर हवा में चला जाता है। जल वाष्प की कुछ मात्रा विभिन्न जैविक क्रियाओं से वायुमंडल में चली जाती है और हवा को गर्म करती है। यह अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर उठ जाती है। जल वाष्प ऊपर जाकर ठंडे हो जाते हैं तथा हवा में उपस्थित जल वाष्प छोटी-छोटी पानी की बूंदों में संघनित हो जाते हैं। यदि कुछ कण नाभिक की तरह कार्य करें तो ये बूंदें उनके चारों ओर जम जाती हैं। प्रायः हवा में उपस्थित धूलकण तथा अन्य निलंबित कण इस क्रिया को पूरा करते हैं। इसी से बादल बनते हैं। उनसे पानी की बूंदें संघनित होने के कारण बड़ी और भारी होकर वर्षा के रूप में नीचे गिर जाती हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वाय के प्रदूषण में सहायक हैं।
उत्तर-

  1. जीवाश्म ईंधन पदार्थों का ऊर्जा प्राप्ति के लिए हवा में दहन।
  2. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई।
  3. उद्योग-धंधों की अधिकता से स्थापना।

प्रश्न 6.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
सभी जीवों में कोशिकाएं होती हैं। कोशिकाएं जीव द्रव्य से बनी होती हैं जिसमें लगभग 90% जल होता है। कोशिकाओं की सारी सक्रियता जल के माध्यम से ही हो पाती है। जल की अनुपस्थिति में वे जीवित नहीं रह सकतीं इसलिए जीवों को जल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 7.
जिस गांव/शहर/नगर में आप रहते हैं वहां पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है ?
उत्तर-
हमारे नगर में मीठे पानी का स्रोत भूमिगत जल है जिसे भूमि से निकाल कर टैंकों में स्टोर कर लिया जाता है तथा नगरवासियों को वितरित कर दिया जाता है।

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प्रश्न 8.
क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा
उत्तर-
हमारे नगर में अनेक उद्योग-धंधे हैं जिनमें रंगों तथा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। रंग और रासायनिक पदार्थ पानी में घुलते हैं और धीरे-धीरे मिट्टी में अवशोषित होते जाते हैं। अब तक अनेक क्षेत्रों में इनके द्वारा भूमिगत पानी प्रदूषित किया जा चुका है और आने वाले समय में ये उद्योग-धंधे एक बड़ा संकट खड़ा करने ही वाले हैं। पानी में घुले हुए पारा, आर्सेनिक, सीसा जैसे हानिकारक तत्व अनेक भयंकर बीमारियों के कारण बन जाएंगे।

प्रश्न 9.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
मृदा चट्टानों के टूटने-फूटने से बनती है। हज़ारों और लाखों वर्षों के लंबे समयांतराल में पृथ्वी की सतह या उसके समीप पाए जाने वाले पत्थर विभिन्न प्रकार के भौतिक, रासायनिक तथा कुछ जैव प्रक्रमों द्वारा टूट जाते हैं। टूटने के बाद सबसे अंत में बचा महीन कण मृदा है। सूर्य, जल, वायु तथा जीव ऐसे कारक हैं जो मृदा बनाने में सहायक हैं।

प्रश्न 10.
मृदा-अपरदन क्या है ?
उत्तर-
मृदा-अपरदन (Soil Erosion) – जल और वायु के प्रकोप से कई बार भूमि को ऊपरी सतह जल के साथ बह जाती है या वायु द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर चली जाती है। भूमि का इस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर बह जाना मृदा अपरदन (Soil Erosion) कहलाता है।

प्रश्न 11.
अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं ?
उत्तर-
रोकने तथा कम करने के तरीके – मृदा अपरदन रोकने तथा कम करने के लिए निम्नलिखित ढंग अपनाये जा सकते हैं-

(1) भूमि को समतल करना – ढालू भूमि से वर्षा का पानी ढाल की दिशा में तेजी से बहता है और तेज़ बहाव के कारण मिट्टी कटकर बहते पानी के साथ बह जाती है जिससे मृदा अपरदन हो जाता है। अत: भूमि को समतल रखना चाहिए।

(2) मज़बूत मेड़बंदी – खेत की मेड़बंदी करनी चाहिए ताकि खेत से पानी बाहर न बह सके और मिट्टी का कटाव न हो सके।

(3) रेतीली भूमि में जीवांश खाद का मिलाना – रेतीली भूमि हल्की होती है और हल्की मिट्टी पानी के साथ जल्दी बह जाती है। अत: रेतीली भूमियों में जीवांश पदार्थ मिलाना चाहिए ताकि मिट्टी के कण आपस में बंधे रहें तथा मिट्टी पानी के साथ न बह सके ।

(4) वनस्पति का उगना – वह भूमि जिस पर फसल या पौधे नहीं उगाए जाते, वर्षा के पानी के साथ बह जाते हैं। पौधे उगने से मिट्टी के कण जड़ों द्वारा मज़बूती से बंधे रहते हैं तथा आसानी से बहते पानी के साथ अलग नहीं होते। अत: वनस्पति उगाकर इसे रोका जा सकता है।

(5) भूमि के ढाल के विपरीत फसल उगाना – पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि प्रायः ढालू होती है। ऐसी भूमियों पर खेत की जुताई ढाल के विपरीत दिशा से करनी चाहिए तथा फसल की कतारें भी ढाल के विपरीत ही बीजनी चाहिए। ढालू भूमि पर पट्टियों से इस प्रकार खेती करनी चाहिए कि प्रत्येक पट्टी एक-दूसरे के ऊपर सीढ़ीनुमा हो ताकि पानी तेज़ न बह सके।

(6) वायुरोधक पौधे लगाना – ऐसी जगह जहाँ भूमि रेतीली हो तथा वायु तेज़ चलती हो, वहाँ खेतों के चारों ओर लंबे व घने पौधे उगाने चाहिएं ताकि वायु का तेज़ प्रभाव भूमि पर न पड़े तथा मिट्टी के कण वायु के साथ न उड़ सकें।

प्रश्न 12.
जल चक्र के क्रम में जल की कौन-कौन सी अवस्थाएं पायी जाती हैं ?
उत्तर-
वाष्प अवस्था, द्रव अवस्था और ठोस अवस्था (बर्फ)।

प्रश्न 13.
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दें जिसमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं।
उत्तर-

  1. प्रोटीन,
  2. न्यूक्लिक अम्ल।

प्रश्न 14.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिन से वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर-

  1. उद्योग धंधों में कोयले का ईंधन रूप में प्रयोग।
  2. पेट्रोल और डीज़ल का वाहनों में प्रयोग।
  3. विद्युत् उत्पादन के लिए जीवाश्मी ईंधन का प्रयोग।

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प्रश्न 15.
ग्रीन हाऊस प्रभाव क्या है ?
उत्तर-
ग्रीन हाऊस प्रभाव (Green House Effect) – हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की प्रतिशत मात्रा 0.04% है जो अति आवश्यक है। कार्बन डाइऑक्साइड की इस मात्रा को विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा बनाए रखा जाता है क्योंकि इसका उपयोग हरे पौधे तथा महासागर करते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओं में पृथ्वी की सतह से परावर्तित अवरक्त विकिरणों को अवशोषित करने की क्षमता है जिससे वायुमंडल गर्म हो जाता है। इस प्रकार प्रग्रहित विकिरणों के कारण वायुमंडल के गर्म होने को ग्रीन हाऊस प्रभाव या पौधा घर प्रभाव कहते हैं। अतः वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता वातावरण को प्रभावित करती है। जलवाष्प तथा ओज़ोन में भी अवरक्त विकिरणों को प्रग्रहित करने की क्षमता होती है, इसीलिए उनको भी प्राय: ग्रीन हाऊस गैसों के रूप में माना जाता है। क्योंकि CO2 वायुमंडल में एक समान रूप से वितरित है, अत: यह ग्रीन हाऊस को जल वाष्पों या ओज़ोन से अधिक प्रभावित करती है।

प्रश्न 16.
वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. ऑक्सीजन (O2)
  2. ओज़ोन (O3)।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

PSEB 9th Class Science Guide हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए ? बीमारी क्या थी ?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे ?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने आस-पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे ?
उत्तर-
पिछले एक वर्ष में मैं दो बार बीमार हुई। पहली बार मुझे वाइरल बुखार हुआ और दूसरी बार मलेरिया हुआ था।

(क) बीमारी से बचने के लिए प्रतिरक्षा-तंत्र का सबल होना आवश्यक है। इसलिए पौष्टिक और संतुलित भोजन खाना पसंद करूंगी। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करूंगी। मच्छर घर में प्रवेश न कर सकें-ऐसा प्रबंध करूंगी।

(ख) मैं अपने आस-पड़ोस में रुके हुए पानी के स्रोतों को दूर करना चाहूंगी। बंद पड़े कूलरों में भरे पानी, जगहजगह पानी से भरे बर्तनों को खाली करवाना चाहूंगी। घर के बाहर रुकी हुई गंदी नालियों को साफ कराना चाहूंगी ताकि उनमें मच्छर न पनप सकें। घर से कुछ दूर जोहड़ पर मिट्टी के तेल का छिड़काव कराना चाहूंगी ताकि मच्छरों के लारवा नष्ट हो जाएं।

प्रश्न 2.
डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के संपर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने-आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर-
निश्चित रूप से डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी रोगियों के संपर्क में अधिक आने के कारण जल्दी बीमार पड़ सकते हैं। बीमारी से बचने के लिए रोग प्रतिरक्षी विधियां अपनाते हैं। अच्छा पौष्टिक भोजन खाते हैं। व्यक्तिगत और अपने परिवेश को साफ-सुथरा रखते हैं। रोगी का परीक्षण करने के बाद हाथ धोते हैं। संक्रामक रोगियों के निकट जाने से पहले नाक-मुंह को ढांप लेते हैं।

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प्रश्न 3.
अपने आस-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियां होती हैं ? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर-
हमारे आस-पड़ोस में लोगों को सामान्यतः दस्त, मलेरिया और वायरल बुखार होता है। इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि-

  1. सड़क के किनारों पर बनी नालियों की नियमित सफाई करायें। उनमें गंदा पानी खड़ा न होने दें।
  2. नागरिकों को दी जाने वाली जल आपूर्ति क्लोरीन युक्त होनी चाहिए।
  3. जगह-जगह खड़े पानी पर मिट्टी के तेल का छिड़काव कराना चाहिए ताकि मच्छरों की वृद्धि रुक सके।

प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है। हम कैसे पता करेंगे कि
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन-सी बीमारी है ?
उत्तर-
(a) बच्चे का रंग पीला पड़ जाता है, बच्चे को भूख कम लगती है, बच्चे को आर्थिक थकान होती है तथा उसका वजन भी कम होने लगता है।
(b) बच्चे को पीलिया रोग हो गया है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है ? क्यों ?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है ?
(b) वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है ? क्यों ?
उत्तर-
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।

कारण – बीमारी के बाद उसके शरीर में स्वाभाविक कमज़ोरी आएगी। उस कमज़ोरी से उसके शरीर की प्रतिरक्षी क्षमता कम हो जाएगी जिसकी पूर्ति पौष्टिक और सुपाच्य भोजन से होनी थी पर चार दिन उपवास करने से प्रतिरक्षी क्षमता और भी कम हो जाएगी। चेचक एक संक्रामक रोग है जिसका संक्रमण शीघ्र हो सकता है। वह उस कमज़ोर व्यक्ति को अपना शिकार बना लेगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं ? क्यों ?
(a) जब आपकी परीक्षा का समय है ?
(b) जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा कर चुके हैं।
(c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
उत्तर-
(c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
खसरा एक संक्रामक रोग है। मित्र के साथ खेलने, बैठने-उठने, बातें करने, एक साथ खाने, उसकी वस्तुओं को छूने आदि से खसरा के वाइरस हमें संक्रमित कर देंगे और हम भी उसी रोग से ग्रसित हो जाएंगे।

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियां बताओ।
उत्तर-
अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थितियों का अच्छा होना आवश्यक

प्रश्न 2.
रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियां बताइए।
उत्तर-

  1. सामुदायिक स्वच्छता
  2. अच्छा भोजन।

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प्रश्न 3.
क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न, क्यों ? .
उत्तर-
वास्तव में अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक स्थितियों और परिस्थितियों में कोई बड़ा अंतर नहीं है। ये दोनों एक-दूसरे से इस प्रकार जुड़ी हुई हैं कि इन्हें अलग नहीं किया जा सकता। यदि सामुदायिक स्वच्छता हो तथा व्यक्ति को खाने के लिए पौष्टिक भोजन प्राप्त हो तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी बना रहेगा। जब वातावरण दूषित हो; सब तरफ गंदगी फैली हो तो शारीरिक रोग तो परेशान करेंगे ही पर साथ ही मानसिक पीड़ा भी होगी। निर्धनता के कारण यदि भोजन की प्राप्ति न हो; पेट खाली रहे तो मानसिक क्लेश के साथ अल्पपोषण और कुपोषण से संबंधित रोग भी सतायेंगे। उपरोक्त दोनों प्रश्नों के उत्तर एक ही हैं। इनमें कोई मौलिक अंतर नहीं है।

प्रश्न 4.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं और चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहोगे ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
तीन कारण हैं-

  1. तात्कालिक कारण
  2. एर्याप्त पोषण का न होना
  3. ग़रीबी तथा लोक सेवाओं की अनुप्लब्धता।

यदि इन तीनों में से एक भी कारण हो तो हम फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे। मान लो एक बच्चा पतले दस्त से ग्रस्त है इसका कारण वायरस है यह तात्कालिक कारण है। इसका कारण यह भी हो सकता है कि बच्चा या उसका परिवार गरीब हो वह पर्याप्त भोजन न ले सका और बीमार पड़ गया। जहाँ बच्चे का परिवार रहता है वहाँ खराब लोक सेवाओं के कारण साफ पानी उपलब्ध हो सका। इसलिए यह सभी कारण किसी न किसी रूप में संबंधित हैं। वायरस कीटाणु जीव समुदाय में फैल सकते हैं तथा इनके कारण होने वाले रोग फैल भी सकते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किसके लंबे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों ?
• यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं ?
• यदि आपके शरीर पर जूं (luce) है।
• यदि आप मुंहासों से ग्रस्त हैं ?
उत्तर-
यदि आप पीलिया से लंबे समय से ग्रस्त हैं तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खराब है क्योंकि इसका संबंध यकृत से है। उसके लिए हीपेटाइटिस की प्रकार की जांच और उपचार होना चाहिए। जूं तथा मुंहासे तीव्र प्रभाव दिखाते हैं। यह चमड़ी के रोग लगाते हैं और सरलता से दूर हो सकते हैं तथा उनका शरीर पर प्रभाव देर तक नहीं रहता।

प्रश्न 6.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषण युक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है ?
उत्तर-
पौष्टिक और सुपाच्य भोजन किसी भी बीमार व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक होता है। शरीर में प्रकृति के द्वारा प्रदान किया हुआ प्रतिरक्षा तंत्र होता है जो रोगाणुओं से लड़ता है और उन्हें मार देता है। यदि शरीर में बीमारी या भोजन की कमी से प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर पड़ जाता है तो वह शरीर की सुरक्षा के अपने कार्य में सफल नहीं हो पाएगा। कोशिकाएं प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि से बनती हैं जो उन्हें संतुलित भोजन से ही प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 7.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
संक्रामक रोग मुख्य रूप से वायु, जल और लैंगिक संपर्क के माध्यम से फैलते हैं। सूक्ष्मजीवीय कारक अनेक तरीकों से किसी रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैलते हैं जिन्हें निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं-
(i) हवा से – जब कोई रोगी व्यक्ति खांसता है या छींकता है तो उसके मुंह और नाक से छोटे-छोटे बूंदक बहुत वेग से बाहर निकलते हैं। जो व्यक्ति उसके निकट होता है उसके सांस के रास्ते वे उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी संक्रमित कर देते हैं। खांसी, जुकाम, निमोनिया, क्षय रोग आदि रोग इसी प्रकार फैलते हैं। जहां अधिक भीड़ होती है वहां हवा से फैलने वाले रोगों के संक्रमण की संभावना उतनी अधिक हो जाती अधिक भीड़-भाड़ वाले एवं कम रोशनदान वाले घरों में वायु वाहित रोग होने की संभावना अधिक होती है।
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(ii) पानी से – अनेक संक्रामक रोग पानी से फैलते हैं। जब बीमार व्यक्ति के अपशिष्ट पेयजल में मिल जाते हैं और कोई स्वस्थ व्यक्ति जाने-अनजाने उसे पी लेता है तो सूक्ष्मजीव उसके शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं और वह भी रोगग्रस्त हो जाता है। हैजा, पेचिश आदि रोग ऐसे ही फैलते हैं।

(iii) लैंगिक संपर्क से – जब दो व्यक्ति शारीरिक रूप से लैंगिक क्रियाओं में एकदूसरे के संपर्क में आते हैं तो सूक्ष्म जीवीय रोग संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक पहुंच जाते हैं। सिफलिस, गनोरिया, AIDS आदि रोग इस प्रकार एक से दूसरे तक स्थानांतरित हो संक्रमित जाते हैं।
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(iv) जंतुओं द्वारा – मच्छर, मक्खी, पिस्सू आदि संक्रमण करने वाले कारक हैं जो रोगाणुओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं। संक्रमित कुत्ता, बंदर, नेवला आदि जंतु भी रेबीज़ फैलाते हैं। उनकी लार से ये रोग फैलता है।

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प्रश्न 8.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके अपने विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियां आवश्यक हैं ?
उत्तर-
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने की सावधानियाँ-

  1. विद्यार्थियों को साफ-स्वच्छ रहने, प्रतिदिन नहाने, शारीरिक स्वच्छता और व्यक्तिगत सफाई के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  2. संतुलित और पौष्टिक आहार लेने की शिक्षा देनी चाहिए ताकि उनके शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा ठीक बनी रह सके।
  3. मल-मूत्र तथा अपशिष्ट का निपटान ठीक प्रकार से होना चाहिए।
  4. खुले स्थानों पर मल त्याग पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए।
  5. सीवर व्यवस्था बहुत अच्छी होनी चाहिए।
  6. विद्यालय में कैंटीन में कटे हुए फल, बिना ढकी खाद्य सामग्री आदि प्रतिबंधित होनी चाहिए।
  7. संक्रामक रोगों से ग्रसित विद्यार्थियों को तब तक विद्यालय में आने से रोक दिया जाना चाहिए जब तक वे पूरी तरह स्वस्थ न हो जाएं।
  8. मच्छर, मक्खी आदि को नष्ट कर देना चाहिए।
  9. समय-समय पर विद्यार्थियों को संक्रमण पर रोक पाने के लिए टीकों का प्रबंध करना चाहिए।

प्रश्न 9.
प्रतिरक्षीकरण क्या है ?
उत्तर-
प्रतिरक्षीकरण – विभिन्न प्रकार के संक्रमणकारी रोगों से बचने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न सदा से किए जाते रहे हैं। शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया है जो बाहर से शरीर में प्रविष्ट होने वाले रोगाणुओं को मार देता है। प्रतिरक्षा कोशिकाएं संक्रमण से पहले उन्हें नष्ट कर देती हैं। टीके के दवारा शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट कराए जाते हैं जो वास्तव में रोग नहीं करते बल्कि रोग करने वाले रोगाणुओं को रोग करने से रोकते हैं। जब रोगाणु प्रतिरक्षा तंत्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तंत्र उनके प्रति विरोध कर उनके विशिष्ट रूप का स्मरण कर लेता है। जब दुबारा वही रोगाणु या उसमें मिलता-जुलता रोगाणु संपर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उस पर हमला कर उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र समाप्त हो जाता है। यही प्रतिरक्षीकरण है।

प्रश्न 10.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण के कौन-से कार्यक्रम उपलब्ध हैं ? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य संबंधी मुख्य समस्या है ?
उत्तर-
हमारे पास में स्थित स्वास्थ्य केंद्र में अनेक ऐसे कार्यक्रम उपलब्ध हैं जहां टीकाकरण किया जाता है। छोटे बच्चों के लिए ट्रिपिल वैक्सीन (DPT) – काली खांसी, डिप्थीरिया, टैटनस, चिकन पॉक्स, तपेदिक के टीकों का प्रबंध है। प्रतिरेबीज़, हिपेटाइटिस, टायफाइड आदि का टीकाकरण किया जाता है।

हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी मुख्य समस्या मलेरिया, खसरा और रेबीज़ की है। जगह-जगह रुका हुआ पानी मच्छरों को बढ़ाने के कारण हैं तो सड़कों-गलियों में आवारा कुत्तों की भीड़ रेबीज़ का कारण बनती है। स्थानीय प्रशासन इस विषय में कुछ नहीं कर रहा।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि

PSEB 9th Class Science Guide ध्वनि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
ध्वनि- ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में सुनने का अनुभव पैदा करती है।
ध्वनि उत्पन्न करना-हम भिन्न-भिन्न वस्तुओं में तुनका लगाकर, रगड़ कर, फूंक मार कर अथवा उनको हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं। अर्थात् वस्तुओं में कंपन पैदा करके ध्वनि उत्पन्न की जा सकती है। कंपन का अर्थ है किसी वस्तु को तीव्रता से बार-बार इधर-ऊधर गति कराना।

प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि के संचरण के लिए वायु सबसे अच्छा और सामान्य माध्यम है। वायु में उत्पन्न कोई ध्वनि जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर करती है तो अपने सामने की वायु को पीछे धक्का देकर संपीडित करती है। इससे एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसे संपीडन (C) कहते हैं। यह संपीडन कंपमान वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है। जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन (R) कहते हैं जब वस्तु आगे और पीछे तेज़ी से गति करती है तो वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग उत्पन्न करते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है। संपीडन उच्च दाब का और विरलन निम्न दाब का क्षेत्र है।
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प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
ध्वनि संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता – ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है तथा इसके संचरण के लिए किसी पदार्थ जैसे वायु, जल, स्टील आदि का होना आवश्यक है। ध्वनि निर्वात में नहीं चल सकती है। इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है :

प्रयोग – एक विदयुत् घंटी और एक काँच का वायुरुद्ध बेलजार लो। विद्युत् घंटी को बेलजार में कार्क की सहायता से लटकाइए। एजार को एक निर्वात पंप से जोडिए। घंटी के स्विच को दबाने पर आपको उसकी ध्वनि सुनाई देती है। अब निर्वात पंप को चलाइए। जैसे-जैसे बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी होती जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसे ही विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। कुछ समय बाद जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाएगी तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देगी। यदि बेलजार की समस्त वायु निकाल दी जाए तो घंटी की ध्वनि नहीं सुनाई देगी। इससे सिद्ध होता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
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प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर-
ध्वनि तरंगों अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते बल्कि अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। क्योंकि ध्वनि तरंगें इसी प्रकार संचरित होती हैं, इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।

प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज़ पहचानने में आप की सहायता करता है ?
उत्तर-
ध्वनि की गुणवत्ता लक्षण के आधार पर हम अंधेरे कमरे में बैठे मित्र की आवाज़ को पहचान सकते हैं।

प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर-
आकाशीय तड़ित की चमक तथा बादल की गर्जन एक साथ उत्पन्न होते हैं परंतु प्रकाश की चाल (3 × 108 m/s) ध्वनि की चाल (340m/s) से बहुत अधिक है। इसलिए ध्वनि गर्जन की तुलना में प्रकाश की चमक पहले पहुँच जाती है।

प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20Hz से 20KHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
उत्तर
(i) पहली स्थिति जब श्रव्य परास की निम्नतम सीमा है-
ध्वनि की आवृत्ति (v1) = 20 Hz
वायु में ध्वनि का वेग (V1 ) = 344 ms-1
तरंग दैर्ध्य (λ1) = ?
हम जानते हैं, V1 = v1 × λ1
या λ1 = \(\frac{v_{1}}{v_{1}}\)
= \(\frac{344}{20}\)
∴ तरंग दैर्ध्य (λ1) = 17.2m ……………… (1)

(ii) दूसरी स्थिति जब श्रव्य परास की उच्चतम सीमा है।
अब, ध्वनि की आवृत्ति (v2) = 20KHz
= 20 × 1000Hz
= 2 × 104 Hz
वायु में ध्वनि का वेग (V2 = V1) = 344 ms-1
तरंग दैर्ध्य (λ2) = ?
∴ λ2 = \(\frac{344}{2 \times 10^{4}}\)
= \(\frac{172}{10000}\)
= 0.0172 m

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प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लो पाइप की लंबाई = l
वायु में ध्वनि का वेग = 346 ms-1
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 ms-1
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प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में वह कितनी बार कंपन करेगा ?
हल :
ध्वनि स्रोत की आवृति = 100Hz
अर्थात् स्रोत द्वारा 1 सेकंड में किए गए कंपनों की संख्या = 100
∴ 1 मिनट = 60 सेकंड में किए गए कंपनों की संख्या = 100 × 60
= 6000

प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।
उत्तर-
ध्वनि परावर्तन के नियम पूर्ण रूप से वही हैं जो प्रकाश तरंगें प्रदर्शित करती हैं। प्रकाश की भांति ध्वनि भी ठोस या द्रव की सतह से परावर्तित होती है। ये नियम हैं-

नियम 1. परावर्तक सतह के किसी बिंदु पर आपतित ध्वनि तरंग तथा अभिलंब के बीच का कोण तथा परावर्तित ध्वनि तरंग तथा अभिलंब के बीच का कोण सदैव बराबर होते हैं।

नियम 2. आपतित ध्वनि तरंग, अभिलंब तथा परावर्तित ध्वनि तरंग तीनों एक ही धरातल में होते हैं।
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प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी-
(i) जिस दिन तापमान अधिक हो ?
(ii) जिस दिन तापमान कम हो ?
उत्तर-
(i) जिस दिन तापमान अधिक है उस दिन ध्वनि की चाल अधिक होगी। इसलिए उस दिन प्रति ध्वनि शीघ्र सुनाई देगी।

प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर-
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग-

1. स्टेथोस्कोप एक डॉक्टरी उपकरण है जो शरीर के भीतर मुख्य रूप से हृदय तथा फेफड़ों में उत्पन्न होने वाली ध्वनि को सुनने के काम आता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कान तक पहुँचती है।
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2. मैगाफोन अथवा लाउडस्पीकर, हॉर्न, तूती, शहनाई जैसे संगीतक यंत्र का अग्रिम खुला भाग शंक्वाकार बनाया जाता है ताकि जो स्रोत से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर आगे की दिशा में भेजा जा सके।
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प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ?
(g = 10 ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)
हल :
यहां आरंभिक वेग (u) = 0
मीनार की ऊँचाई (अर्थात् तय की गई दूरी) (S) = 500 मीटर
गुरुत्वीय त्वरण (g) =10 ms-2
समीकरण S = ut + \(\frac {1}{2}\) gt2 से
500 = 0 × t +\(\frac {1}{2}\) × 10 × t2
500 = 0 + 5 × t2
t2 = \(\frac{500}{5}\)
= 100
∴ t = \(\sqrt{100}\) = 10 सेकंड
अब ध्वनि ने ऊपर की दिशा में चोटी की ओर जाना है तथा ध्वनि का वेग ‘g’ से मुक्त है
∴ t’ = PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 7
= \(\frac{500}{340}\)
= 1.47 सेकंड
ध्वनि को ऊपर आने में लगा कुल समय = t + t’
= (10 + 1.47) सेकंड
= 11.47 सेकंड उत्तर

प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्ध्य 1.5cm हो तो तरंग की आवृति कितनी होगी ? क्या ये श्रव्य होगी ?
हल :
ध्वनि की तरंग चाल (v) = 339ms-1
तरंगदैर्ध्य (λ) = 1.5 cm
= \(\frac{1.5}{100}[latex] m = 0.015m
तरंग आवृति (v) = ?
हम जानते हैं, आवृत्ति (v) = [latex]\frac{v}{\lambda}\)
= \(\frac{339}{0.015}\)
= 22600 Hz
हाँ, यह ध्वनि तंरगें परा श्रव्य हैं क्योंकि इनकी आवृत्ति श्रव्य परास (20 Hz से 20000 Hz) के अंदर नहीं है।

प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
अनुरणन (Reverberation) – ध्वनि का परावर्तन अनुरणन कहलाता है। यदि किसी बड़े हाल या भवन में ध्वनि के उत्पन्न होने के पश्चात् ध्वनि का दीवारों तथा छत से बार-बार परावर्तन हो। जिस कारण ध्वनि लगातार बनी रहे, को अनुरणन (गूंज) कहते हैं। अनुरणन अनावश्यक ध्वनि होती है क्योंकि इस कारण स्पष्ट सुनाई नहीं देता है। इसे कम करने के लिए हाल या भवन की दीवारों तथा छत के ऊपर ध्वनि शोषक पदार्थ जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड खुरदरा पलस्तर अथवा भारी पर्दे लगा कर ढक दिया जाता है।

प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
ध्वनि की ‘प्रबलता’ कानों की संवेदनशीलता का माप है। यह ‘तीव्रता’ के समान किसी एकांक क्षेत्रफल

से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा नहीं है। दो ध्वनियां समान तीव्रता की हो सकती हैं पर फिर भी इनमें से एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।

प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
चमगादड़ गहरे अंधेरे में अपने भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनि तंरगें उत्पन्न करता है तथा परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं। इन परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को ज्ञात हो जाता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है तथा वह किस प्रकार का है। वह सरलता से उनका शिकार कर लेता है?
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प्रश्न 18.
वस्तुओं को साफ़ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर-
पराध्वनि प्रायः वस्तुओं के उन भागों को साफ़ करने में उपयोग की जाती है जहाँ तक पहुँचना कठिन होता है। सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि को साफ़ करना कठिन होता है। जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तंरगें भेजी जाती है। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इससे वस्तु पूर्णतया साफ़ हो जाती है।

प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
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सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
कार्यविधि – सोनार में एक प्रेषित तथा एक संसूचक होता है। इसे किसी नाव या जहाज़ में लगाया जाता है।

प्रेषित पराध्वनि तंरगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है। ये तंरगें समुद्र तल में पिंड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत् संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है। जल में ध्वनि की चाल तथा पराध्वनि के प्रेषण तथा अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है।

पिंड की दूरी का परिकलन – मान लीजिए पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अंतराल ‘t’ है। जल में ध्वनि की चाल ‘v’ तब सतह से पिंड की दूरी 2d होगी।
2d = v × t

इस विधि को प्रतिध्वनिक-परास कहते हैं। सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के अंदर स्थित चट्टानों, पनडुब्बियों तथा डूबे हुए जहाज़ आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 20.
एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल :
ध्वनि तरंग के प्रेषण तथा सुंसाचन के बीच में लगा समय (t) = 5 s
समुद्र की गहराई (d) = 3625 m
प्रतिध्वनि द्वारा तय की गईं दूरी (2d) = 2 × 3625 m
= 7250 m
हम जानते हैं, 2d = ध्वनि की चाल × समय
7250 = ध्वनि की चाल × 5
∴ ध्वनि की चाल (υ) = \(\frac{7250}{5}\)
= 1450 m/s

प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों में पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों तथा अन्य प्रकार के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धात्विक घटकों को प्रायः बड़े-बड़े भवनों, पुलों, मशीनों, उद्योग-धंधों तथा वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते, मशीनों, उपकरणों, भवनों, पुलों आदि की संरचनी की मजबूती को कम कर देते हैं। पराध्वनि तंरगे धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि कहीं थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगों में परावर्तन हो जाता है जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती है।
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प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
मानव कान की कार्य विधि – मनुष्य के कान के बाहरी भाग को “पिन्ना” या “कर्ण पल्लव” कहलाता
है जो आस-पास के वातावरण से ध्वनि को एकत्रित करता है। यह एकत्रित की गई ध्वनि कर्ण नाली में से गुजरती हुई कर्ण नाली के ऊपरी सिरे पर लगी पतली झिल्ली (membrane) पर गिरती है। यहाँ माध्यम के संपीड़न के कारण झिल्ली के बाहरी ओर दबाव बढ़ जाता है जो कान को भीतर की ओर धकेलता है। विरलनों के पहुंचने पर कान का पर्दा बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार पर्दा कंपन करना आरंभ कर देता है। कान के मध्य भाग में लगी तीन हड्डियां (हथौड़ा, एनविल तथा स्टिरिप) इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती है तथा इन दबाव परिवर्तनों को कान के भीतरी भाग तक पहुँचा देती हैं। यहाँ पर इस दबाव परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में बदल दिया जाता है तथा श्रवण तंतुओं द्वारा दिमाग तक भेज दिया जाता है। दिमाग ( मस्तिष्क) इन्हें ध्वनि के रूप में वर्णित करता है।
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Science Guide for Class 9 PSEB ध्वनि InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि दद्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहँचता है ?
उत्तर-
माध्यम में ध्वनि का कानों तक संचार – जब वस्तु कंपन करते हुए आगे की ओर बढ़ती है तो यह अपने सामने पड़े वायु के कणों को संपीडित करती है जिससे उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन हो जाता है। इस क्षेत्र को संपीडन कहते हैं। यह दाब कंपन कर रही वस्तु से आगे की दिशा में गति करता है। जब ये कंपन कर रही वस्तु पीछे की दिशा की ओर कंपन करती है तो एक कम दाब वाला क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसे विरलन कहते हैं।
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जब कंपन कर रही वस्तु आगे-पीछे की दिशा में तीव्रता पति कनी में लाद में पोडन तथा विरलन की एक श्रृंखला बन जाती है अर्थात् ध्वनि तरंग बन जाती है ! इस प्रकार एक माध्यम में ध्वनि संचार घनत्व के परिवर्तन के संचरण के रूप में होता है जो हमारे कानों तक पहँचकर ₹पनेक झिल्ली को दबाती है तथा उसमें कंपन उत्पन्न करती है जिससे हमें ध्वनि का अनुभव (‘संवेदना) होती है।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर-
जब विद्यालय की घंटी को हथौड़े से चोट लगाई जाती है तो यह कंपन करना आरंभ कर देती है जिससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। यदि घंटी को तनिक छू दिया जाए तो हमें इन कंपनों का अनुभव होगा। तरंग एक विक्षोभ है जो माध्यम के निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं ! ये कण इसी प्रकार की गति अन्य सटे हुए कणों में उत्पन्न करते हैं। माध्यम के कण स्वयं एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते परंतु विक्षोभ (हलचल) आगे बढ़ता है। अंत में ध्वनि तरंगें हम तक पहुंच जाती हैं।

प्रश्न 3.
ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो स्वयं उत्पन्न नहीं हो सकती है। इसे उत्पन्न करने के लिए यांत्रिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। चाहे वह ताली बजा कर है या फिर हथौड़े से घंटी को चोट लगाकर है। यह ध्वनि ऊर्जा तरंगों के रूप में माध्यम के कणों में हल-चल (विक्षोभ) उत्पन्न करके संचरित होती हैं। इसलिए ध्वनि तरंगों को यांत्रिक ऊर्जा का नाम दिया गया है।

प्रश्न 4.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएंगे ?
उत्तर-
ध्वनि संचरण के लिए वायु या किसी अन्य पदार्थक माध्यम की आवश्यकता होती है। चंद्रमा पर ऐसा कोई माध्यम नहीं है जिस कारण ध्वनि निर्वात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती है। इसलिए आप अपने मित्र से बातचीत नहीं कर सकते और अपने मित्र द्वारा उत्पन्न की गई ध्वनि को नहीं सुन सकते हैं।

प्रश्न 5.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर-
(a) प्रबलता (Loudness) – किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता का अनुमान उसके आयाम से लगाया जाता है। ध्वनि तरंगों का आयाम वस्तु को कंपन कराने के लिए बल के परिणाम पर निर्भर करता है। अधिक बल की मात्रा लगाने से प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है। प्रबल ध्वनि अधिक दूरी तक पहुँचती है क्योंकि इसमें अधिक ऊर्जा होती है। जैसे-जैसे ध्वनि स्रोत से दूर पहुँचती है, इसकी प्रबलता कम हो जाती है।

(b) तारत्व (Pitch)- किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृति को तारत्व कहते हैं। ध्वनि का तारत्व उसकी आवृति निर्धारित करती है। किसी स्रोत की कंपन जितनी अधिक होगी उतना ही तारत्व उसका अधिक होगा। इसी प्रकार ध्वनि का तारत्व कम होगा यदि उसकी आवृति कम है।
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अधिक तारत्व वाली ध्वनि में किसी निश्चित बिंदु से एकाँक समय में गुज़रने वाले संपीड़नों की सख्या अधिक होगी।

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प्रश्न 6.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
(a) गिटार
(b) कार का हार्न।
उत्तर-
(a) गिटार।

प्रश्न 7.
किसी ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य, आवृति, आवर्तकाल तथा आयाम का क्या अभिप्राय है ? ।
उत्तर-
(i) ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य – माध्यम के किसी कण को एक कंपन करने में लगे समय के दौरान तरंग द्वारा तय की गई दूरी को तरंग-दैर्ध्य कहते हैं।

अथवा

यह लांगीच्यूडीनल अथवा (अनुदैर्ध्य) तरंग के दो निकटतम संपीडन या निरलन के बीच की दूरी होती है। तरंगदैर्ध्य को λ (ग्रीक अक्षर लैम्डा) से प्रदर्शित किया जाता है। इस का S.I. मात्रक मीयू (m) है।
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(ii) आवृत्ति – किसी माध्यम में तरंग संचरण के दौरान माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकंड में पूरी की गई कंपनों की संख्या होती है। इसे से प्रदर्शित किया जाता है। आवृति का S.I. मात्रक हर्टज़ (Hz) है। आवृत्ति को किसी बिंदु से गुजरने वाली संपीडनों या विरलनों की संख्या द्वारा मापा जाता है।

(iii) आवर्तकाल – तरंग संचरण के दौरान माध्यम के किसी कण द्वारा एक कंपन को पूरा करने में लगा समय अंतराल होता है। इसे ‘T’ से प्रदर्शित किया जाता है। इसका S.I. मात्रक सेकंड है।

अथवा

ध्वनि तरंग की दो निकटतम संपीडनों या विरलनों को एक बिंदु से गुज़रने में लगा समय होता है।

(iv) आयाम – माध्यम के किसी कण का माध्य स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं। इसे प्रायः ‘A’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ध्वनि तरंग के लिए इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होता है। ध्वनि की प्रबलता इसके आयाम पर निर्भर करता है।

प्रश्न 8.
किसी ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य तथा आकृति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर-
ध्वनि तरंग को वेग (v) = तरंग-दैy (λ) × आवृत्ति (v).

प्रश्न 9.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंग-दैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल :
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440ms-1
ध्वनि की आवृत्ति (v) = 220Hz
ध्वनि तरंग का तरंग-दैर्ध्य (λ) = ?
हम जानते हैं, v = v × λ
440 = 220 × λ
∴ λ = \(\frac{440}{220}\)
अर्थात् तरंग-दैर्ध्य (λ) = 2m

प्रश्न 10.
किसी ध्वनि स्त्रोत से 450m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा ?
हल :
दिया है, ध्वनि की आवृत्ति (v) = 500 हर्टज़ (Hz)
क्रमागत दो संपीडनों के मध्य की दूरी में लगा समय अंतराल = आवर्त काल (T) = ?
हम जानते हैं, आवर्तकाल (T) = PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 15
= \(\frac{1}{\text { आवृति }(y)}\)
= 0.002 सेकंड उत्तर

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प्रश्न 11.
ध्वनि की प्रबलता और तीव्रता में अंतर बताइए।
उत्तर-
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर-

प्रबलता तीव्रता
1. ध्वनि के लिए प्रबलता कानों की संवेदनशीलता का माप है। 1. यह किसी एकाँक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा है।
2. ध्वनि की प्रबलता को नापा नहीं जा सकता। 2. ध्वनि की तीव्रता को नापा जा सकता है।
3. भिन्न-भिन्न प्रेक्षकों के लिए ध्वनि की प्रबलता अलग-अलग हो सकती है। 3. सभी के लिए ध्वनि की तीव्रता एक समान है।
4. पराश्रव्य तथा अवश्रव्य ध्वनि तरंगों की प्रबलता सुनाई न देने के कारण शून्य होती है। 4. पराश्रव्य तथा अवश्रव्य ध्वनि तरंगों में तीव्रता का होना संभव है।

प्रश्न 12.
वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज़ चलती है ?
उत्तर-
लोहे में ध्वनि वायु और जल की अपेक्षा तेज़ चलती है। लोहे में ध्वनि का वेग 5950 ms-1 होता है।

प्रश्न 13.
कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी ?
हल :
ध्वनि की चाल (υ) = 342ms-1
प्रति ध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3s
∴ ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी (S) = υ × t
= 342 × 3
= 1026 m
अर्थात 35 में ध्वनि को स्रोत से परावर्तक सतह और फिर परावर्तक सतह से स्रोत तक वापिस आना है।
∴ स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी = \(\frac{S}{2}\)
= \(\frac{1026}{2}\)
= 513 m

प्रश्न 14.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर-
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। ताकि ध्वनि परावर्तन के बाद परावर्तित ध्वनि हॉल के सभी भागों में एक समान पहुँचकर स्पष्ट सुनाई दे।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 16

प्रश्न 15.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है ?
उत्तर-
सामान्य मनुष्य के लिए ध्वनि की श्रव्यता परास लगभग 20Hz से 20,000 Hz तक होती है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 16.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों के परास क्या हैं ?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर-
(a) अवश्रव्य ध्वनि के लिए ध्वनि की आवृत्ति सीमा 20Hz से कम है।
(b) पराध्वनि के लिए आवृत्ति सीमा 20 KHz (अर्थात् 20,000 Hz) से अधिक है।

प्रश्न 17.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी-चट्टान से टकराकर 1.025 के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात करो।
हल :
ध्वनि को पनडुब्बी से चट्टान तक और वापस आने में लगा समय = 1.02s
(अर्थात् प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय)
खारे पानी में पराध्वनि की चाल = 1531 m/s
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी 2d = ध्वनि की चाल × लगा समय (∵ पनडुब्बी तथा चट्टान के बीच की दूरी = d)
= 1531 × 1.02
= 1561.62 m
d = \(\frac{1561.62}{2}\) m
= 780.81 m
अर्थात् पनडुब्बी से चट्टान के बीच की दूरी (d) = 780.81 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

PSEB 9th Class Science Guide कार्य तथा ऊर्जा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(i) सूमा एक तालाब में तैर रही है।
(ii) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(ii) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
(iv) एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(v) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(vi) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(vii) एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर-
(i) सूमा एक विशेष दिशा में अपना पेशीय बल लगाकर बल की दिशा में विस्थापित हो रही है। इसलिए सूमा द्वारा कार्य किया जा रहा है।

(ii) इस अवस्था में गधे की पीठ पर उठाया गया बोझ (भार) नीचे की ओर विस्थापन के लंबवत लग रहा है जिस कारण कार्य नहीं हो रहा है।

(iii) हाँ, कार्य हो रहा है क्योंकि पानी को पवन चक्की गुरुत्वाकर्षण के विपरीत दिशा में बल लगाकर उठा रही है।

(iv) हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के समय पौधे में कोई विस्थापन नहीं होता है जिस कारण कोई कार्य नहीं हो रहा है।

(v) इंजन बल लगाकर ट्रेन (गाड़ी) को बल की दिशा में खींच रहा है और ट्रेन विस्थापित होती है। इसलिए कार्य होता है।

(vi) धूप में सुखाए जा रहे अनाज के दानों में कोई विस्थापन नहीं होता है, इसलिए कोई कार्य हुआ नहीं कहा जा सकता।

(vii) पवन ऊर्जा के कारण चलती हुई पाल-नाव में बल की दिशा में विस्थापन होता है, इसलिए कार्य हो रहा
है।

प्रश्न 2.
एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ क प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 1
जब किसी पिंड को क्षैतिज रेखा के साथ किसी कोण पर फेंका जाता है तो यह वक्रीय पथ पर जाते हुए वापिस धरती पर आ जाता है। इस व्यवस्था में कोई कार्य नहीं होता क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल लंबवत् नीचे की दिशा में लगता है जबकि विस्थापन क्षैतिज दिशा में होता है। इस अवस्था में θ = 90°
तथा cos θ = cos 90° = 0
∴ W = F cos θ × S
= F × o × S
W = 0

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.
एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बैटरी में रासायनिक क्रिया होती है जिससे रासायनिक ऊर्जा विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित होती है। यह विद्युत् ऊर्जा बल्ब को पहले गर्म करके ताप ऊर्जा और फिर प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करती है।

प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल :
द्रव्यमान (m) = 20 kg
प्रारंभिक वेग (u) = 5 ms-1
अंतिम वेग (υ) = 2 ms-1
वस्तु की प्रारंभिक गतिज ऊर्जा (EK1) = \(\frac {1}{2}\)mu2
= \(\frac {1}{2}\) × 20 × (5)2
= \(\frac {1}{2}\) × 20 × 5 × 5
= 250J

वस्तु की अंतिम गतिज ऊर्जा (EK2) = \(\frac {1}{2}\)mv2
= \(\frac {1}{2}\) × 20 × (2)2
= \(\frac {1}{2}\) × 20 × 2 × 2
= 40J
∴ बल द्वारा किया गया कार्य = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
= अंतिम गतिज ऊर्जा – प्रारंभिक गतिज ऊर्जा
= 40J – 250J
= – 210J
ऋण चिहन से यह स्पष्ट होता है कि विरोधी बल कार्य कर रहा है।

प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज़ पर A बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु पर लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
हल :
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 2
10 kg द्रव्यमान के पिंड को A से B बिंदु तक क्षैतिज दिशा में विस्थापित किया गया है परंतु गुरुत्वाकर्षण बल लंबवत नीचे की दिशा में क्रिया कर रहा है जो विस्थापन दिशा के साथ 90° का कोण बना रहा है।

∴ गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य (W) = F cos θ × S
= F × cos 90° × S
= F × 0 × S
= 0 (शून्य) उत्तर

प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर-
नहीं, ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता है। जब मुक्त रूप से गिर रहे पिंड की ऊँचाई कम होती है तो स्थितिज ऊर्जा निरंतर कम होती है परंतु गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है। किसी भी समय गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग स्थिर रहता है।

प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण करते हैं ?
उत्तर-
जब हम साइकिल चलाते हैं तो उस समय हमारी माँसपेशियों की ऊर्जा, ताप ऊर्जा और गतिज ऊर्जा में रूपांतरित होती है। यह गतिज ऊर्जा सड़क की घर्षण ऊर्जा के विरुद्ध कार्य करने में खर्च होती है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 8.
जब आप अपनी सारी शक्ति लगा कर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है ?
उत्तर-
जब हम अपनी सारी शक्ति लगाकर चट्टान को धकेलकर हिलाने में असफल हो जाते हैं तो उस समय कोई कार्य नहीं किया जाता है, परंतु हम अपनी पेशीय ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। इस पेशीय ऊर्जा ने चट्टान तथा सड़क की सतह के मध्य उत्पन्न होने वाले घर्षण बल के विरोध में कार्य करने का यत्न किया तथा ताप ऊर्जा में परिवर्तित हो गई जो पसीने तथा थकान के रूप में प्रकट हुई।

प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी ?
हल :
हम जानते हैं, 1 यूनिट ऊर्जा = 1 किलोवाट घंटा (1 kWh)
= 1 kW × 1 h
1 × 1000 वाट × 3600 सेकेण्ड
= 36 × 105 J
= 3.6 × 106 J
∴ 250 यूनिट ऊर्जा = 250 × 3.6 × 106 J
= 900 × 106 J
= 9 × 108

प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 5m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है ? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। [g = 10 ms-2]
हल :
यहां द्रव्यमान (m) = 40 kg
ऊँचाई (h) = 5m
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 10 ms-2
5m की ऊँचाई पर पिंड की स्थितिज ऊर्जा (Ep) = mgh
= 40 × 10 × 5J
= 32000 J
जब पिंड आधे रास्ते नीचे आ गया तो मान लो इसका वेग υ है।
अब पिंड द्वारा तय की गई दूरी (S) = \(\frac{5}{2}\) = 2.5m
υ2– u2 = 2gS का प्रयोग करके
υ2 – (0)2 = 2 × 10 × 2.5
υ2 = 2 × 25
या υ = 50
आधे रास्ते पहुँचकर पिंड की गतिज ऊर्जा (EK) = \(\frac{1}{2}\)mυ2
= \(\frac{1}{2}\) × 40 × 50
= 1000 J

प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा ? अपने उत्तर को तर्क संगत बनाइए।
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 3
जब कोई उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है तो गुरुत्व बल गति की दिशा इस वृत्तीय पथ के अर्धव्यास के साथ अंदर की ओर लगता है जबकि गति की दिशा इस पथ की स्पर्श रेखा (Tangent) जो अर्धव्यास के लंबवत् होती है। इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण बल तथा विस्थापन परस्पर एक-दूसरे के साथ 90° का कोण बनाते हैं जिस कारण उपग्रह पर किया गया कार्य शून्य (0) होता है।

प्रश्न 12.
क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए ! इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर-
किसी पिंड पर लगने वाले बल की अनुपस्थिति में इस पिंड का विस्थापन संभव है। यदि पिंड समान वेग से गति कर रहा है यदि पिंड विराम अवस्था में है तो बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन संभव नहीं होगा।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया है या नहीं ? अपने उत्तर को तर्क संगत बनाइए।
उत्तर-
मनुष्य ने भूसे का गट्ठर अपने सिर पर 30 मिनट तक रखा और थक गया परंतु गुरुत्वाकर्षण बल के लगने पर भी गट्ठर में कोई विस्थापन नहीं हुआ है। इसलिए उस मनुष्य द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया कहा जाएगा।

प्रश्न 14.
एक विद्युत् हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 w है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा ?
हल-
यहाँ, विद्युत् हीटर की शक्ति (P) = 1500 W
जितने समय के लिए हीटर उपयोग किया गया (t) = 10 घंटे
हीटर द्वारा खर्च की गई कुल ऊर्जा (E) = P × t
= 1500 W × 10 h
= 15000 watt-hours (Wh)
यूनिट = \(\frac{15000}{1000}\)
= 15 kWh

प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
उत्तर-
दोलित सरल लोलक में ऊर्जा का रूपांतरण – प्रारंभ में लोलक अपनी माध्य स्थिति में विराम अवस्था में होता है, इसलिए इस समय इसकी गतिज ऊर्जा शून्य होती है। इस स्थिति में हम इसकी स्थितिज ऊर्जा को भी शून्य मान लेते हैं।

जब गोलक को माध्य स्थिति से एक ओर को ले जाते हैं तो इसकी ऊँचाई बढ़ने लगती है और इस क्रिया में हमें गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य गोलक की स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता जाता है। इस प्रकार माध्य स्थिति से एक तरफ का अधिकतम विस्थापन की स्थिति (आयाम) में जब गोलक को छोड़ा जाता है तो उस स्थिति में गोलक की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम और गतिज ऊर्जा शून्य होती है। अब गोलक छोड़ने पर गोलक वापिस धीरे-धीरे माध्य स्थिति की ओर बढ़ता है जिससे गोलक की ऊँचाई कम होने लगती है अर्थात् स्थितिज ऊर्जा कम होने लगती है जबकि वेग में धीरे-धीरे वृद्धि होने के कारण गतिज ऊर्जा बढ़ना प्रारंभ करती है। क्योंकि गोलक वायु में से होकर गति करता है, इसलिए वायु के घर्षण के विरुद्ध कार्य करने से कुछ ऊर्जा व्यय हो जाती है। इससे वायु के अणुओं का वेग बढ़ने के कारण उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। वापिस माध्य स्थिति में पहुँचकर लोलक की गतिज ऊर्जा अधिकतम और स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। गति जड़त्व के कारण गोलक यहाँ विराम अवस्था में नहीं आता अपितु माध्य स्थिति के दूसरी ओर गतिशील रहता है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 4

इससे गोलक की ऊँचाई बढ़ने लगती है, अत: उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है, परंतु गतिज ऊर्जा घटने लगती है। अधिकतम विस्थापन की स्थिति में गोलक की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम तथा गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। गोलक यहां रुका नहीं रहता, पुनः माध्य अवस्था की ओर लौटने लगता है। प्रत्येक स्थिति में गोलक की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा वायु के अणुओं को ऊर्जा का योग नियत बना रहता है। इस प्रकार सरल लोलक के दोलनों में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।

गोलक का आयाम गोलक की कुल ऊर्जा पर निर्भर करता है । गोलक द्वारा वायु के अणुओं को दी गई ऊर्जा पुनः गोलक को वापिस नहीं मिल पाती। इससे गोलक की कुल ऊर्जा लगातार घटती जाती है। जब गोलक अपनी संपूर्ण ऊर्जा वायु के अणुओं को दे देता है तो उसकी कुल ऊर्जा शून्य हो जाती है और वह माध्य स्थिति में विराम अवस्था में आ जाता है।
इस प्रकार यह ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं है।

प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग υ से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाए?
हल :
मान लो, पिंड का द्रव्यमान = m
पिंड का आरंभिक वेग = υ
∴ पिंड की गतिज ऊर्जा (EK) = \(\frac {1}{2}\)mυ2
m द्रव्यमान वाले पिंड का अंतिम वेग = 0 (विराम अवस्था में)
∴ पिंड पर कार्य करने की आवश्यकता = पिंड की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
= \(\frac {1}{2}\)mυ2 – \(\frac {1}{2}\)m (0)2
= \(\frac {1}{2}\)mυ2 – 0
= \(\frac {1}{2}\)mυ2

प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल :
यहाँ कार का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
कार का प्रारंभिक वेग (u) = 60 km/h
= \(\frac{60 \times 1000}{60 \times 60}\) m/s
= \(\frac{50}{3}\) ms-1
कार का अंतिम वेग (υ) = 0 (विराम अवस्था)
कार को विराम अवस्था में लाने के लिए किया गया कार्य = कार की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 5
= 208333.3 J
= 208.33 kJ

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लंबे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 6
उत्तर-
(i) इस स्थिति में बल तथा विस्थापन एक-दूसरे के लंबवत हैं,
∴ θ = 90°
cos θ = cos 90° = 0
अब पिंड पर किया गया कार्य, W = F S cos θ
= F S cos 90°
= F × s × 0
= 0 (शून्य) उत्तर

(ii) इस स्थिति में बल F तथा विस्थापन एक ही दिशा में हैं।
∴ θ = 0°
cos θ = cos 0° = 1
अब पिंड पर किया गया कार्य, W = F S cos θ
= F × S × cos 0°
= F × S × 1
= FS, जोकि घनात्मक है।

(iii) इस स्थिति में पिंड पर लगाया गया बल F तथा विस्थापन विपरीत दिशा में हैं, इसलिए
θ = 180°
cos θ = cos 180° = -1
अब पिंड पर किया गया कार्य, W = FS cos θ
= FS cos 180°
= F × S × (-1)
= – FS जोकि ऋणात्मक है।

प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं ? बताइए क्यों ?
उत्तर-
हाँ, मैं सोनी के कथन से सहमत हूँ क्योंकि यदि वस्तु पर अनेक बल एक ही समय पर लग रहे हैं तथा उनका परिणामी योग शून्य है तो वस्तु का त्वरण भी शून्य ही होगा।
a = \(\frac{\mathrm{F}}{m}\)
a = \(\frac{\mathrm{F}}{m}\) = 0

प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 W है। 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
उत्तर-
एक युक्ति की शक्ति (p) = 500 W
∴ 4 युक्तियों की कुल शक्ति (P) = 500 W × 4
= 2000 W
जितने समय के लिए 4 युक्तियाँ उपयोग की गईं (t) = 10 घंटे
व्यय की गई ऊर्जा (E) = P × t
2000 W × 10 h
= 20000 Wh
= \(\frac{20000}{1000}\) = 20 kWh

प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?
उत्तर-
जब कोई पिंड मुक्त रूप से नीचे धरती की ओर गिरता है तो धरती पर पहुँच कर रुक जाता है तथा इसकी गतिज ऊर्जा का अन्य रूपों में रूपांतरण हो जाता है। ये ऊर्जा के रूप, ऊष्मा, ध्वनि तथा प्रकाश हैं। अंततः यह स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

Science Guide for Class 9 PSEB कार्य तथा ऊर्जा InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8m है (देखें चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा ?
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 7
हल:
यहां बल (F) = 7 न्यूटन (N)
विस्थापन (S) = 8 m
किया गया कार्य (W) = ?
हम जानते हैं, W = F × s
= 7N × 8 m
= 56 N – m
= 56 J (जूल) उत्तर

प्रश्न 2.
हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?
उत्तर-
कार्य (Work) – जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तथा वह वस्तु बल की दिशा में विस्थापित होती है, तो बल द्वारा कार्य किया गया कहा जाता है।
∴ कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (S)

प्रश्न 3.
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
जब वस्तु में विस्थापन उस पर लगने वाले बल (F) की दिशा में हो तो,
कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (S)

प्रश्न 4.
1J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
एक जूल कार्य किया गया कहा जाता है यदि वस्तु पर लगने वाला 1 न्यूटन बल वस्तु को अपनी ही दिशा में 1 m की दूरी से विस्थापित करे।
W = F × S
अथवा 1J = 1N × 1m

प्रश्न 5.
बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लंबा है। खेत की लंबाई को जोतने में कितना कार्य किया गया ?
हल :
यहा लगाया गया बल (F) = 140 N
खेत की लंबाई (S) = 15m
किया गया कार्य (W) = ?
अब W = F × S
∴ किया गया कार्य (W) = 140 N × 15 m
= 2100 N – m
= 2100 J

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 6.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) – किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसमें उपस्थित गति के कारण होती है।
उदाहरण-

  1. गतिशील पत्थर।
  2. बहती वायु।
  3. घूमता हुआ पहिया।

प्रश्न 7.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
एक m द्रव्यमान वाली वस्तु जो समान वेग υ से गतिशील हो, की गतिज ऊर्जा (Ek) = \(\frac {1}{2}\) × द्रव्यमान × (वेग)2
= \(\frac {1}{2}\) × m × (υ)2
∴ गतिज ऊर्जा का व्यंजक (Ek) = \(\frac {1}{2}\)mυ2

प्रश्न 8.
5ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
हल :
दिया है, वस्तु का द्रव्यमान = m
वस्तु का वेग (υ) = 5 ms-1
वस्तु की गतिज ऊर्जा (EK) = 25 J
हम जानते हैं, EK = \(\frac {1}{2}\)mυ2
25 = \(\frac {1}{2}\)m × (5)2
25 = \(\frac {1}{2}\)m × 25
या m = \(\frac{25 \times 2}{25}\)
∴ m = 2 kg

(i) जब वस्तु का वेग दोगुना कर दिया जाता है, तो
m = 2 kg
υ1 = 2 × 5 ms-1
EK1 = \(\frac {1}{2}\) × m × υ12
= \(\frac {1}{2}\) × 2 × (10)2
= \(\frac {1}{2}\) × 2 × 10 × 10
= 100 J
= 4 × 25J
∴ EK1 = 4 × EK
∴ वेग दोगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा (EK1), पहली ऊर्जा (EK = 5 J) का चार गुणा हो जायेगा।

(ii) जब वस्तु का वेग तिगुना कर दिया जाए, तो
υ2 = 3 × υ
= 3 × 5 ms-1
= 15 ms-1
.. वस्तु की गतिज ऊर्जा (EK2) = \(\frac {1}{2}\) × m × (υ2)2
= \(\frac {1}{2}\) × 2 × (15)2
= \(\frac {1}{2}\) × 2 × 15 × 15
=225J
= 9 × 25J
∴ EK2 = 9 × (EK)
अर्थात् वस्तु का वेग तिगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा, पहली गतिज ऊर्जा (EK = 25 J) का नौ गुना हो जायेगी।

प्रश्न 9.
शक्ति क्या है ?
उत्तर-
शक्ति (Power) – कार्य करने की दर अथवा ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं। यदि कोई कारक (एजेंट) t समय में W कार्य करता है, तो शक्ति का मान होगा
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 8
∴ P= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)

प्रश्न 10.
1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
वाट (Watt) – 1 वाट उस कारक या मशीन की शक्ति है जो 1 सेकेण्ड में 1 जूल कार्य करता है।
हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 (जूल प्रति सेकेंड) हो तो शक्ति 1 वाट (W) होगी।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा 9
या 1 W = \(\frac{1 \mathrm{~J}}{1 \mathrm{~s}}\)
= 1 Js-1

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.
एक लैंप 1000 J विद्युत् ऊर्जा 10 s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है ?
हल :
यहाँ, W = 1000 J
t = 10s
हम जानते हैं, शक्ति (p) = \(\frac{\mathrm{E}}{t}\)
= \(\frac{1000 \mathrm{~J}}{10 s}\)
= 100 Js-1
P = 100 W

प्रश्न 11.
औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
औसत (मध्यमान) शक्ति (Average Power) – कुल उपयोग की गई ऊर्जा तथा कुल लगे समय के अनुपात को औसत (मध्यमान) शक्ति कहते हैं।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

PSEB 9th Class Science Guide गुरुत्वाकर्षण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा ?
उत्तर-
मान लो दो वस्तुओं A तथा B का क्रमशः द्रव्यमान m1 तथा m2 है तथा उनके केंद्रों के मध्य की दूरी r है। इसलिए गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार उनके बीच आकर्षण बल F = G \(\frac{m_{1} \times m_{2}}{r^{2}}\) होगा। ………………….(i)
अब यदि उनके बीच की दूरी आधी कर दी जाए तो
r’ = \(\frac{r}{2}\) है तथा उनके मध्य गुरुत्वाकर्षण बल
F’ = G . \(\frac{m_{1} \times m_{2}}{r^{f 2}}\)
= G . \(\frac{m_{1} \times m_{2}}{\left(\frac{r}{2}\right)^{2}}\)
= 4G . \(\frac{m_{1} \times m_{2}}{r^{2}}\) ………………..(ii)
समीकरण (i) का प्रयोग करके
F’ = 4 × F
इसलिए दो वस्तुओं के मध्य की दूरी आधी करने से आकर्षण बल प्रारंभिक स्थिति की अपेक्षा आकर्षण बल चार गुणा हो जायेगा।

प्रश्न 2.
सभी वस्तुओं पर लगने वाले गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेज़ी से क्यों नहीं गिरती ?
उत्तर-
मान लो F गुरुत्वीय आकर्षण बल m द्रव्यमान वाली वस्तु पर लग रहा है।
∴ F = G . \(\frac{\mathrm{Mm}}{r^{2}}\) ………….(i)
तथा F = mg ……………….(ii)
तथा समीकरण (i) तथा (ii) से
F = \(\frac{\mathrm{GM} m}{r^{2}}\) = mg
स्पष्ट है कि F ∝ m परंतु आकर्षण त्वरण g द्रव्यमान m पर निर्भर नहीं करता है। इसलिए सभी वस्तुएं (हल्की तथा भारी वस्तुएं) एक समान गति से नीचे की ओर गिरती हैं।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 3.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी 1 kg की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा ? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 × 1024 kg है तथा पृथ्वी को त्रिज्या 6.4 × 106 m है।)
हल-
यहां वस्तु का द्रव्यमान (m) = 1 kg
पृथ्वी का द्रव्यमान (M) = 6 × 1024 kg
पृथ्वी की त्रिज्या (R) = 6.4 × 106 m
पृथ्वी तथा 1 kg द्रव्यमान वाली वस्तु के मध्य गुरुत्वाकर्षण
बल का परिमाण (F) = G\(\frac{\mathrm{Mm}}{\mathrm{R}^{2}}\)
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 1
=9.77 N
= 9.8 N (लगभग) उत्तर

प्रश्न 4.
पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चंद्रमा, पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है ? बताइए क्यों ?
उत्तर-
चंद्रमा भी पृथ्वी को उतने ही बल से आकर्षित करता है जितने बल से पृथ्वी चंद्रमा को आकर्षित करती है। ऐसा न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार है क्योंकि इस नियम के अनुसार दोनों बल समान परंतु एक दूसरे के विपरीत होते हैं।

प्रश्न 5.
यदि चंद्रमा, पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती ?
उत्तर-
चंद्रमा, पृथ्वी को उतने ही बल से आकर्षित करता है जितने बल से पृथ्वी चंद्रमा को आकर्षित करती है परंतु पृथ्वी चंद्रमा से बड़ी है। इसलिए पृथ्वी में उत्पन्न हुआ त्वरण (a ∝ \(\frac{1}{m}\)) = अत्यधिक कम होने के कारण दिखाई नहीं
देता।

प्रश्न 6.
दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए ?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए ?
(ii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ ?
हल :
(i) हम जानते हैं कि दो वस्तुओं के मध्य लग रहा गुरुत्वाकर्षण बल,
F = G\(\frac{m_{1} m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) ……………(1)
अब यदि हम एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दें, तो
F’ = G\(\frac{m_{1} \times 2 m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\)
F’ = 2 × G \(\frac{m_{1} m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) ……………. (2)
समीकरण (1) का प्रयोग करके
F’ = 2 × F
अर्थात् आकर्षण बल पहले आकर्षण बल से दोगुना हो जायेगा।

(ii) यदि वस्तुओं के मध्य की दूरी दोगुना कर दिया जाए, तो
F’ = G\(\frac{m_{1} m_{2}}{(2 \mathrm{R})^{2}}\)
= G\(\frac{m_{1} m_{2}}{4 \mathrm{R}^{2}}\)
= \(\frac{1}{4}\)G\(\frac{m_{1} m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) ……………. (3)
समीकरण (1) का प्रयोग करके
F’ = \(\frac{1}{4}\) × F
अर्थात् आकर्षण बल पहली स्थिति का \(\frac{1}{4}\) हो जायेगा।
यदि दोनों वस्तुओं के मध्य की दूरी तीन गुना कर दी जाए, तो
F” = G\(\frac{m_{1} m_{2}}{(3 \mathrm{R})^{2}}\)
= G\(\frac{m_{1} m_{2}}{9 R^{2}}\)
= \(\frac{1}{9}\) × G\(\frac{m_{1} m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\) …………. (4)
समीकरण (1) का प्रयोग करके,
F’ “= \(\frac{1}{9}\) × F
अर्थात् दूरी तीन गुणा करने से बल का परिमाण पहली स्थिति के बल का \(\frac{1}{9}\) हो जायेगा।

(iii) जब दोनों वस्तुओं का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाता है, तो
F’ ” = G.\(\frac{\left(2 m_{1}\right) \times\left(2 m_{2}\right)}{\mathrm{R}^{2}}\)
= 4.\(\frac{\mathrm{G} m_{1} m_{2}}{\mathrm{R}^{2}}\)
समीकरण (1) का प्रयोग करके
F’ = 4 × F
अर्थात् इस अवस्था में आकर्षण बल पहली स्थिति में बल की अपेक्षा 4 गुणा हो जायेगा।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्त्व हैं ?
उत्तर-
सार्वत्रिक नियम के महत्त्व – गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम ने प्रकृति में हो रही विभिन्न घटनाओं का सफलतापूर्वक वर्णन किया है जो अंसबद्ध मानी जाती थी।

  1. हमें पृथ्वी से बाँधे रखने वाला बल
  2. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति
  3. सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति
  4. चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा का आना।

प्रश्न 8.
मुक्त पतन का त्वरण क्या है ?
उत्तर-
वस्तु में उत्पन्न हुआ त्वरण जब वस्तु केवल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन नीचे गिरती है, तो उसे मुक्त पतन का त्वरण कहते हैं। पृथ्वी की सतह के निकट इसका मान 9.8 ms-2 है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे ?
उत्तर-
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को उस वस्तु का भार कहा जाता है।

प्रश्न 10.
एक व्यक्ति A अपने एक मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा ? यदि नहीं, तो क्यों ?
उत्तर-
अमित का मित्र सोने के इस भार से संतुष्ट नहीं होगा क्योंकि ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा ‘g’ का मान अधिक होता है। इसलिए कुछ ग्राम सोने का भार (W = m × g) विषुवत वृत्त की तुलना में कम होगा।

प्रश्न 11.
एक कागज़ की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती
उत्तर-
कागज़ की शीट का क्षेत्रफल गेंद के क्षेत्रफल की अपेक्षा अधिक होगा जिस कारण गेंद की अपेक्षा कागज़ की शीट पर वायु का अधिक प्रतिरोध होगा। इस अधिक प्रतिरोध के कारण कागज़ की शीट धीमी गति से गिरती है।

प्रश्न 12.
चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा \(\frac{1}{6}\) गुणा है। एक 10 kg की वस्तु का चंद्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा ?
हल-
चंद्रमा पर वस्तु का द्रव्यमान = 10 kg
पृथ्वी पर वस्तु का द्रव्यमान = 10 kg
पृथ्वी पर वस्तु का भार (W) = m × g
= 10 × 9.8
N = 98 N

अब चंद्रमा पर वस्तु का भार (W’) = \(\frac{1}{6}\) × पृथ्वी पर वस्तु का भार
= \(\frac{1}{6}\) × 9.8N
= 16.3 N

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प्रश्न 13.
एक गेंद ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 m/s के वेग से फेंकी जाती है। परिकलन कीजिए।
(i) अधिकतम ऊंचाई जहाँ तक गेंद पहुंचती है।
(i) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया कुल समय।
हल-
(i) यहां प्रारंभिक वेग (u) = 49 m/s
अंतिम वेग (υ) = 0 (अधिकतम ऊँचाई पर पहुँचकर)
पृथ्वी की सतह (तल) के विपरीत दिशा में जाने के कारण
गुरुत्वीय त्वरण (g) = – 9.8 ms-2
ऊँचाई (h) = ?
अधिकतम ऊँचाई पर पहुँचने के लिए लगा समय (t) = ?
गति समीकरण υ2 – u2 = 2gh का प्रयोग करने पर
(0)2 – (49)2 = 2 × (-9.8) × h
– (49 × 49) = -2 × 9.8 × h
∴ h = \(\frac{49 \times 49}{2 \times 9.8}=\frac{245}{2}\) = 122.5 m

(ii) अब υ = u + gt
0 = 49 + (-9.8) × t
– 49 = (-9.8) × t
t = \(\frac{49}{9.8}\)
= \(\frac{49 \times 10}{98}\)
∴ t = 5s
पृथ्वी पर वापिस आने में लगा कुल समय = t + t
= 2t
= 2 × 5s
= 10 s

प्रश्न 14.
19.6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अंतिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल :
यहां मीनार की ऊँचाई (h) = 19.6 m
प्रारंभिक वेग (u) = 0
गुरुत्वीय त्वरण (g) = + 9.8 ms-2
अंतिम वेग (υ) = ?
गति समीकरण υ2 – u2 = 2gh का प्रयोग करके
υ2 – (0)2 = 2 × 9.8 × 19.6
υ2 = 19.6 × 19.6 1
υ = \(\sqrt{19.6 \times 19.6}\)
∴ υ = 19.6 ms-1

प्रश्न 15.
कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 m/s के प्रारंभिक वेग से फेंका गया है। g = 10 m/s2 लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए। नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी ?
हल :
पत्थर का प्रारंभिक वेग (u) = 40 ms-1
पत्थर का अधिकतम ऊँचाई पर पहुँच कर अंतिम वेग (υ) = 0
[विरामावस्था] गुरुत्वीय त्वरण (g) = – 10 ms-2
समय (t) = ?
हम जानते हैं,
V = u + gt
0 = 40 + (- 10) × t
0 = 40 – 10 × t
– 40 = – 10 × t
t = \(\)
∴ t = 4s
अधिकतम दूरी (h) = ?
अब υ2 – u2 = 2gh का प्रयोग करके
(0)2 – (40)2 = 2 × (- 10) × h
– (40 × 40) = – 20 × h
या h = \(\)
∴ h = 80 m
पत्थर द्वारा तय की गई कूल दूरी = h + h
= 2h
= 2 × 80 m
= 160 m

प्रश्न 16.
पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए। दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg। दोनों के बीच औसत दूरी 1.5 × 1011 m है।
हल :
दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान (m1) = 6 × 1024 kg
सूर्य का द्रव्यमान (m2) = 2 × 1030 kg
पृथ्वी तथा सूर्य के बीच औसत दूरी (d) = 1.5 × 10-11 m
G = 6.7 × 10-11 N – m2/kg2
गुरुत्वाकर्षण बल (F) = ?
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियमानुसार,
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 2
= 35.57 × 1021 N

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 17.
कोई पत्थर 100 m ऊंची मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 m/s के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे ? (g = 10 ms-2)
हल :
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 3
मीनार की ऊँचाई = 100 m
मान लीजिए एक पत्थर मीनार की छत A से नीचे की ओर फेंका गया तथा दूसरा पत्थर उसी समय C से सीधा ऊपर की ओर फेंका गया है। ये दोनों पत्थर 1 समय के बाद B बिंदु पर मिलते हैं।
पहले पत्थर द्वारा तय की गई दूरी (AB) = x
दूसरे पत्थर द्वारा तय की गई दूरी (CB) = (100 – x)
पहले पत्थर की ऊपर से नीचे की ओर यात्रा
u = 0
g = + 10 ms-2
h = x मीटर
s = ut + \(\frac{1}{2}\) gt2 का प्रयोग करने पर
x = 0 + t + \(\frac{1}{2}\) × 10 × t2
x = 5t2
t2 = \(\frac{x}{5}\) ………(1)

दूसरे पत्थर की नीचे से सीधा ऊपर की दिशा में यात्रा
u = 25 ms-1
h = (100 – x) मीटर
g = – 10 ms-2
s = ut + \(\frac{1}{2}\) gt2 से
(100 – x) = 25 × t + \(\frac{1}{2}\) × (- 10) × t2
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण 4
समीकरण (1) तथा (2) से
\(\frac{x}{5}\) = \(\frac{25 t-100+x}{5}\)
या x = 25t – 100 + x
σ = 25t – 100 + x
25t = 100
∴ t = \(\frac{100}{25}\)
= 4s
अब t = 4s समीकरण (1) में रखने पर
(4)2 = \(\frac{x}{5}\)
16 = \(\frac{x}{5}\)
∴ x = 16 × 5 = 80
अर्थात् पहला पत्थर छत से नीचे 80 m की दूरी तय करेगा।
दूसरा पत्थर C से ऊपर की ओर जाते समय दूरी तय करेगा
(100 – x) = 100 – 80
= 20 मीटर उत्तर

प्रश्न 18.
ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6s पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए :
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई,
(b) गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई तथा
(c) 4 5 पश्चात् गेंद की स्थिति।
हल :
कुल लगा समय (1) = 6 s
गेंद की ऊपर की दिशा में की गई यात्रा में लगा समय = गेंद को नीचे की ओर की गई यात्रा में लगा समय
= \(\frac{6 s}{2}\)

(i) मान लो गेंद प्रारंभिक वेग u से ऊपर की दिशा में फेंकी गई है।
g = – 9.8 ms-2
t = 3s
υ = 0
(अधिकतम ऊँचाई पर पहुँच कर गेंद विरामावस्था में आ जाती है)
अधिकतम की गई ऊँचाई (S) = h
υ = u + gt का प्रयोग करके
0 = u + (- 9.8) × 3
0 = u – 29.4
∴ u = 29.4 ms-1

(ii) अब υ2 – u2 = 2gS
(0)2 – (29.4) = 2 × (- 9.8) × h
0 – 29.4 × 29.4 = – 19.6 × h
या h = \(\frac{-29.4 \times 29.4}{-19.6}\)
= \(\frac{29.4 \times 29.4}{19.6}\)
∴ h = 44.1 m

(iii) 3 सैकिंड के बाद गेंद नीचे की ओर आना प्रारंभ करेगी
∴ u = 0
g = + 9.8 ms-2
t = (4 – 3) = 1 सैकंड
गति समीकरण S = ut + = \(\frac {1}{2}\)gt2 का प्रयोग करने पर
S = 0 × 1 + \(\frac {1}{2}\) × 9.8 × (1)2
S = 0 + 4.9 × 1 × 1
S = 4.9 m
∴ फेंकने वाले व्यक्ति से गेंद की ऊँचाई = (44.1 – 4.9) m
39.2 m

प्रश्न 19.
किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है ?
उत्तर-
किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल ऊपर की ओर क्रिया करता है।

प्रश्न 20.
पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी के पृष्ठ पर क्यों आ जाता
उत्तर-
जब एक प्लास्टिक के टुकड़े को पानी में छोड़ देते हैं तो यह पानी के पृष्ठ (सतह) पर आ जाता है क्योंकि प्लास्टिक का घनत्व पानी के घनत्व की अपेक्षा कम होता है। प्लास्टिक के टुकड़े पर विस्थापित पानी द्वारा लगाया गया उत्प्लावन बल प्लास्टिक के टुकड़े के भार से अधिक होता है जिसके फलस्वरूप टुकड़ा पानी के पृष्ठ पर आ जाता है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 21.
50g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm3 है। यदि पानी का घनत्व 1g cm-3 हो, तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा ?
हल :
पदार्थ का द्रव्यमान (m) = 50 gm
पदार्थ का आयतन (V) = 20 cm3
पदार्थ का घनत्व (D) = ?
पानी का घनत्व (d) = 1 gm cm-3
हम जानते हैं D = \(\frac{m}{\mathrm{~V}}\)
= \(\frac{50}{20}\)
∴ D = 2.5 gm cm-3
D > d
अर्थात् पदार्थ का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है जिस कारण पानी का उत्प्लावन बल पदार्थ के भार से कम होगा और फलस्वरूप पदार्थ पानी में डूब जायेगा।

प्रश्न 22.
500g के एक.मोहरबंद पैकेट का आयतन 350 cm3 है। पैकेट 1 g cm-3 घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा ? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा ?
हल :
दिया है, पानी का घनत्व = 1 g cm-3
मोहरबंद पैकेट का द्रव्यमान (m) = 500g
मोहरबंद पैकेट का आयतन (V) = 350 cm3
अब मोहरबंद पैकेट का घनत्व (d) = \(\frac{m}{\mathrm{~V}}\)
\(\frac{500}{350}\) cm-3
= \(\frac{10}{7}\) gcm-3
= 1.43 g cm-3 क्योंकि मोहरबंद पैकेट का घनत्व (1.43 g cm-3) पानी के घनत्व (1 g cm-3) से अधिक है, इसलिए यह पैकेट पानी में डूब जायेगा।
पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का आयतन = पैकट का आयतन
= 350 cm3
∴ विस्थापित पानी का द्रव्यमान = विस्थापित पानी का आयतन × पानी का घनत्व
= 350 cm3 × 1 g cm-3
= 350 g

Science Guide for Class 9 PSEB गुरुत्वाकर्षण InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
गुरुत्वाकर्षण का सर्वात्रिक नियम लिखिए।
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण का सर्वात्रिक नियम (Universal Law of Gravitation) – इस ब्रह्मांड में प्रत्येक वस्तु प्रत्येक दूसरी वस्तु को एक बल से अपनी ओर आकर्षित करती है। यह बल उन वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उन वस्तुओं के केंद्रों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल सदैव उन दोनों वस्तुओं के केंद्रों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश लगता है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
मान लो ‘m’ द्रव्यमान वाली एक वस्तु पृथ्वी के पृष्ठ पर रखी है जिसका द्रव्यमान M तथा अर्धव्यास r है। गुरुत्वाकर्षण के सर्वात्रिक नियमानुसार पृथ्वी तथा वस्तु के मध्य लगने वाले बल का परिमाण का सूत्र है,
F = G \(\frac{\mathrm{M} \times m}{r^{2}}\)

प्रश्न 3.
मुक्त पतन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
मुक्त पतन – जब वस्तु के ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल के अतिरिक्त कोई अन्य बल क्रिया नहीं करता है, तो इस प्रकार गिर रही वस्तु स्वतंत्र रूप से गिर रही होती है जिसे मुक्त पतन कहते हैं। गिर रही वस्तु की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है परंतु पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के मान में परिवर्तन होता है।

प्रश्न 4.
गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
गुरुत्वीय त्वरण – जब कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से पृथ्वी की ओर गिरती है अर्थात् जब वस्तु का मुक्त पतन होता है तो उस वस्तु की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता परंतु वेग में परिवर्तन होता है जिसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। यह त्वरण वस्तु पर क्रिया कर रहे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन्न होता है। गुरुत्व त्वरण को ‘g’ से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मात्रक (इकाई) m/s2 (अथवा ms-2) है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 5.
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है ?
उत्तर-
वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में अंतर – किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते हैं। वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व का माप होता है। यदि वस्तु का द्रव्यमान अधिक होगा तो उसका जड़त्व भी बढ़ जायेगा। वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा स्थान परिवर्तन के साथ इसमें परिवर्तन नहीं होता है। दूसरी ओर वस्तु का भार वह बल है जिससे वह वस्तु पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है। भार का S.I. मात्रक न्यूटन (N) है। किसी निश्चित स्थान पर वस्तु का भार उसके द्रव्यमान (m) के अनुक्रमानुपाती (सीधा अनुपाती) होता है तथा पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। इसे W से निर्दिष्ट किया जाता है। भार एक वह बल है जो उर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर लगता है। इसे कमानीदार तुला (स्प्रिंग बैलेंस) द्वारा मापा जाता है। वस्तु का भार स्थान परिवर्तन होने से परिवर्तित हो जाता है। इसमें दिशा तथा परिमाण दोनों होते हैं।

प्रश्न 6.
किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का \(\frac{1}{6}\) गुणा क्यों होता है ?
उत्तर-
वस्तु का चंद्रमा पर भार पृथ्वी के भार का \(\frac{1}{6}\) गुणा-चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का \(\frac{1}{100}\) वां भाग है तथा इसका अर्धव्यास, पृथ्वी के अर्ध व्यास का \(\frac{1}{4}\) भाग है। इसलिए वस्तु तथा चंद्रमा का परस्पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का \(\frac{1}{6}\) भाग होता है अर्थात् वस्तु का चंद्रमा पर भार, पृथ्वी पर भार का \(\frac{1}{6}\) गुणा होता है।

प्रश्न 7.
एक पतली तथा मज़बूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों ?
उत्तर-
एकांक क्षेत्रफल पर लग रहे बल (भार) को दाब कहते हैं। पतली डोरी का क्षेत्रफल कम होता है जिससे हाथ पर लगने वाला दाब बढ़ जाता है। इस अधिक दाब के कारण स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है।

प्रश्न 8.
उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
उत्प्लावकता (Buoyant Force) – जब किसी ठोस वस्तु को द्रव में डुबोया जाता है तो द्रव उस ठोस वस्तु पर ऊपर की दिशा में एक बल लगाता है। द्रव द्वारा ऊपर की दिशा में लगाया गया बल उत्प्लावन बल कहलाता है। इस बल का परिमाण द्रव (तरल) के घनत्व पर निर्भर करता है। द्रवों के इस गुण को उत्प्लावकता कहते हैं।

प्रश्न 9.
पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डबती है ?
उत्तर-
पानी के पृष्ठ (सतह) पर रखी गई वस्तु उस समय तैरती है जब वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है अर्थात् पानी द्वारा ऊपर की ओर लगाया गया उत्प्लावन बल वस्तु के भार से अधिक होता है। परंतु जब वस्तु का घनत्व, पानी के घनत्व से अधिक होता है तो यह वस्तु पानी में डूब जाती है अर्थात् जब वस्तु का भार पानी के उत्प्लावन बल से अधिक होता है तो वस्तु पानी में डूब जाती है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 10.
एक तुला (Weighing Machine) पर आप अपना द्रव्यमान 42 kg नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान 42 kg से अधिक है या कम ?
उत्तर-
वास्तविक द्रव्यमान 42 kg से अधिक होगा क्योंकि भार तोलने वाली मशीन (तुला) 42 kg पाठ्यांक दर्शाती है जबकि वायु द्वारा लगाया गया उत्प्लावन बल ऊपर की दिशा में हमारे शरीर पर क्रिया करता है।

प्रश्न 11.
आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक-दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों ?
उत्तर-
वास्तविकता में रुई का बोरा लोहे की छड़ की तुलना में अधिक भारी है। रुई के बोरे की सतह का क्षेत्रफल लोहे की छड़ से अधिक होने के कारण रुई का बोरा वायु का उत्प्लावन ऊपर की ओर अधिक बल अनुभव करता है। इसलिए तुला रूई के बोरे का कम भार दर्शाती है। जबकि वास्तविकता में अधिक है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 9 बल तथा गति के नियम

PSEB 9th Class Science Guide बल तथा गति के नियम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशुन्य वेग से गति करना संभव है ? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख करें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
उत्तर-
हाँ, किसी वस्तु के लिए कुछ वेग से गति करना संभव है, जबकि वह वस्तु बाह्य असंतुलित बल शून्य अनुभव कर रही हो। ऐसी अवस्था में वेग का परिमाण तथा दिशा समान रहेगी। उदाहरणार्थ, वर्षा के समय पानी की बूंद जब अचर वेग के साथ नीचे पृथ्वी की ओर गिरती है तो उस बूंद का भार तथा वायु का धकेल बल परस्पर एकदूसरे को संतुलित कर लेते हैं, अर्थात् पानी की बूंद पर परिणामी बल (नेट बल) शून्य होता है।

प्रश्न 2.
जब किसी छडी से एक दरी ( कार्पेट ) को पीटा जाता है, तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब हम दरी (कार्पेट) को छड़ी के साथ पीटते हैं तो दरी गति में आ जाती है जबकि धूल कण जड़त्व के कारण विराम अवस्था में बने रहते हैं। इस प्रकार धूल कण दरी (कार्पेट) से पृथक् होकर गिर जाते हैं।

प्रश्न 3.
बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है ?
उत्तर-
जब तीव्र गति से चल रही बस तीखे मोड़ पर गुड़ती है तो इसके छत पर रखा हुआ सामान एक ओर गिर (विस्थापित हो) जाता है। इसका कारण है कि सामान सरल रेखीय गति के साथ चलता रहना चाहता है जबकि बस की दिशा परिवर्तन के लिए ईंजन द्वारा असंतुलित बल लगाया जाता है तथा छत पर रखा सामान एक ओर खिसक जाता है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

प्रश्न 4.
किसी बल्लेबाज दवारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद ज़मीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात् गेंद रुक जाती है। गेंद रुकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि
(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
(d) गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है, अत: गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है।
(सही विकल्प का चयन करें)
उत्तर-
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

प्रश्न 5.
एक टक विरामावस्था से किसी पहाड़ी से नीचे की ओर नियत त्वरण से लुढ़कना शुरू करता है। यह 20 s में 400 m की दूरी तय करता है। इसका त्वरण ज्ञात करें। अगर इसका द्रव्यमान 7 टन है तो इस पर लगने वाले बल की गणना करें। (1 टन = 1000 kg)।
हल-
यहां प्रारंभिक वेग (u) = 0
समय (t) = 20 s
दूरी (S) = 400 m
हम जानते हैं, S = ut + \(\frac {1}{2}\) at2
400 = 0 × 20 + \(\frac {1}{2}\) × a × (20)2
400 = 0 + \(\frac {1}{2}\) × a × 20 × 20
400 = 200a
या a = \(\frac{400}{200}\)
∴ a = 2 ms-1
अब ट्रक का द्रव्यमान (m) = 7 टन
= 7 × 1000 kg
त्वरण (a) = 2 ms-2
∴ बल, F = m × a
= 7000 kg × 2ms-2
= 14000 kg m/s2
= 14000 N

प्रश्न 6.
1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 20 ms-1 के वेग से झील की जमी हुई सतह पर फेंका जाता है। पत्थर 50 m की दूरी तय करने के बाद रुक जाता है। पत्थर और बर्फ के बीच लगने वाले घर्षण बल की गणना करें।
हल-
यहाँ पत्थर का द्रव्यमान (m) = 1 kg
पत्थर का प्रारंभिक वेग (u) = 20 ms-1
पत्थर द्वारा तय की गई दुरी (S) = 50 m
पत्थर का अंतिम वेग (v) = 0 (विराम अवस्था)
पत्थर तथा बर्फ में लगने वाला घर्षण बल (F) = ?
v2 – u2 = 2aS का प्रयोग करने पर
(0)2 – (20)2 = 2 × a × 50
-20 × 20 = 100 × a
या a = \(\frac{-20 \times 20}{100}\)
∴ a = -4 ms-2
घर्षण बल, F = m × a
= 1 × (-4)
= -4 N

प्रश्न 7.
एक 8000 kg द्रव्यमान का रेल इंजन प्रति 2000 kg द्रव्यमान वाले पाँच डिब्बों को सीधी पटरी पर खींचता है। यदि इंजन 40000 N का बल आरोपित करता है तथा यदि पटरी 5000 N का घर्षण बल लगाती है, तो ज्ञात करें :
(a) नेट त्वरण बल,
(b) रेल का त्वरण तथा
(c) डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल।
हल-
इंजन का द्रव्यमान = 8000 kg 5
डिब्बों का द्रव्यमान = 5 × 2000 kg
= 10,000 kg
∴ इंजन तथा 5 डिब्बों का कुल द्रव्यमान = 8000 kg + 10,000 kg
= 18000 kg
इंजन द्वारा लगाया गया बल = 40000 N
पटरी द्वारा लगाया गया घर्षण बल = 5000 N

(a) नेट त्वरित बल = ईंजन का बल – पटरी का घर्षण बल
= 40000 N – 5000 N
= 35000 N

(b) PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 1
= \(\frac{35000}{18000}\)
= \(\frac{35}{18}\)
= 1.94 ms-2

(c) पहले (1) डिब्बे द्वारा (2) दूसरे डिब्बे पर लगाया गया बल = नेट त्वरित बल – डिब्बे का द्रव्यमान × त्वरण
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 2
= 35000 – 2000 × \(\frac{35}{18}\)
= 35000 – 3888.8
= 31111.2N

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प्रश्न 8.
एक गाड़ी का द्रव्यमान 1500 kg है। यदि गाड़ी को 1.7 ms-2 के ऋणात्मक त्वरण (अवमंदन) के साथ विरामावस्था में लाना है, तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल कितना होगा ?
हल :
यहाँ गाड़ी का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
त्वरण (a) = -1.7 ms-2
घर्षण बल (F) = ?
हम जानते हैं, F = m × a
= 1500 × (-1.7)
= -2550 N
अर्थात् गाड़ी तथा सड़क के मध्य लगने वाला घर्षण बल 2550N है जिसकी दिशा गाड़ी की गति की दिशा के विपरीत है।

प्रश्न 9.
किसी m द्रव्यमान की वस्तु जिसका वेग । है का संवेग क्या होगा ?
(a) (mv)2
(b) mv2
(c) (1/2)mv2
(d) mv
(उपरोक्त में से सही विकल्प चुनें।)
उत्तर-
(d) mv.

प्रश्न 10.
हम एक लकड़ी के बक्से को 200 N बल लगाकर उसे नियत वेग से फ़र्श पर धकेलते हैं। बक्से पर लगने वाला घर्षण बल क्या होगा ?
उत्तर-
लकड़ी का बॉक्स उस अवस्था में स्थिर वेग से गति करेगा यदि नेट (परिणामी) बल शून्य होगा।
बॉक्स पर लगने वाला घर्षण बल = धकेल बल
= 200 N
परंतु इस घर्षण बल की दिशा बॉक्स की गति के विपरीत दिशा में होगा।

प्रश्न 11.
दो वस्तुएँ, प्रत्येक का द्रव्यमान 1.5 kg है, एक ही सीधी रेखा में एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गति कर रही हैं। टकराने के पहले प्रत्येक का वेग 2.5 ms-1 है। टकराने के बाद यदि दोनों एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं, तब उनका सम्मिलित वेग क्या होगा ? ..
हल :
यहाँ, m1 = m2 = 1.5 kg
u1 = 2.5 ms-1, u2 = -2.5 ms-1
क्योंकि दोनों वस्तुएँ एक-दूसरे की विपरीत दिशा में जा रही हैं, इसलिए पहली वस्तु के वेग की दिशा धन तथा दूसरी वस्तु के वेग की दिशा को ऋण माना जाएगा।
मान लो टकराने के पश्चात् दोनों वस्तुओं के युग्म का वेग v है।
संवेग सरंक्षण नियमानुसार, टकराने से पहले दोनों वस्तुओं का कुल संवेग = टकराने के बाद कुल संवेग
m1u1 + m2u2 = m1v + m2v
m1u1 + m2u2 = (m1 + m2) × v
1.5 × 2.5 + 1.5 × (-2.5) = (1.5 + 1.5) × v
1.5 (2.5 – 2.5) = 3 × v
1.5 × 0 = 3 × v
0 = 3 × v
∴ v = 0 ms-1

प्रश्न 12.
गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं, तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें भी विपरीत दिशा में धक्का देती है। यदि वह वस्तु एक ट्रक है जो सड़क के किनारे खड़ा है; संभवतः हमारे द्वारा बल आरोपित करने पर भी गतिशील नहीं हो पाएगा। एक विद्यार्थी इसे सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दें और बताएँ कि ट्रक गतिशील क्यों नहीं हो पाता ?
उत्तर–
क्रिया तथा प्रतिक्रिया एक-दूसरे के समान तथा विपरीत होते हैं। ये एक-दूसरे को समाप्त (प्रभावहीन) नहीं करते हैं। जब हम एक भारी ट्रक को धक्का लगाते हैं,तो टायर तथा सड़क के मध्य घर्षण बल क्रिया करता है जो अत्यधिक मात्रा में होता है। इस कारण ट्रक गति नहीं करता है।

प्रश्न 13.
200 g द्रव्यमान की एक हॉकी की गेंद 10 ms-1 की वेग से सीधी रेखा में चलती हुई 5 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से संघट्ट करती है तथा उससे जुड़ जाती है। उसके बाद दोनों एक साथ उसी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट के पहले और संघट्ट के बाद के कुल संवेगों की गणना करें। दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग की गणना करें।
हल :
गेंद का द्रव्यमान (m) = 200g = 0.2 kg
गेंद का प्रारंभिक वेग (u) = 10 ms-1
गेंद का अंतिम वेग (v) = -5 ms-1 (∵ गेंद की दिशा पहली दिशा के विपरीत है।)
गेंद के संवेग में परिवर्तन = अंतिम संवेग – प्रारंभिक संवेग
= mv – mu
= m(v – u)
= 0.2 (-5 – 10)
= 0.2 × (-15)
= – 30 kg -ms-1

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प्रश्न 14.
10g. द्रव्यमान की एक गोली सीधी रेखा में 150 ms-1 के वेग से चलकर एक लकड़ी के गुटके से टकराती है और 0.03 s के बाद रुक जाती है। गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी ? लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाए गए बल के परिमाण की गणना करें। हल :
यहाँ, गोली का द्रव्यमान (m) = 1g = 0.01 kg
गोली का प्रारंभिक वेग (u) = 150 ms-1
गोली का अंतिम वेग (v) = 0
समय (t) = 0.03s
हम जानते हैं, गोली का प्रवेग (a) = \(\frac{v-u}{t}\)
= \(\frac{0-150}{0.03}\)
= -5000 ms-1
लकड़ी के गुटके के भीतर घुसी गोली द्वारा तय की गई दूरी (S) = ?
सूत्र S = ut + \(\) at2 का प्रयोग करके
S = 150 x 0.03 + \(\frac {1}{2}\) × (-5000) × (0.03)2
= 4.5 + (-2.25)
= 4.5 – 2.25
S = 2.25 m
प्रश्न 15.
एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 1 kg है, 10 ms-1 के वेग से एक सीधी रेखा में चलते हुए विरामावस्था में रखे 5 kg द्रव्यमान के एक लकड़ी के गुटके से टकराती है। उसके बाद दोनों साथ-साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट के पहले तथा बाद के कुल संवेगों की गणना करें। आपस में जुड़े हुए संयोजन के वेग की भी गणना करें।
हल :
वस्तु का द्रव्यमान (m1) = 1 kg
वस्तु का प्रारंभिक वेग (u1) = 10 ms-1
लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान (m2) = 5 kg
लकड़ी के गुटके का प्रारंभिक वेग (u2) = 0 (विराम अवस्था)
मान लो टकराने के पश्चात् वस्तु तथा गुटके के युग्म का अंतिम वेग है।
∴ टक्कर से पहले वस्तु तथा गुटके का कुल संवेग = m1u1 + m2u2
= 1 × 10 + 5 × 0
= 10 + 0
= 10 kg-ms-1
टक्कर के पश्चात् युग्म (वस्तु तथा गुटके) का कुल संवेग = m1v + m2v
= (m1 + m2) × v
= (1 + 5) × v
= 6v kg-ms-1
संवेग संरक्षण नियम अनुसार, टक्कर से पहले युग्म का कुल संवेग = टक्कर के पश्चात् युग्म का कुल संवेग
10 = 6v
∴ v = \(\frac{10}{6}[latex]
= [latex]\frac{5}{3}\) ms-1 = 1.67 ms-1
∴ टक्कर के पश्चात् युग्म का कुल संवेग = 6v
= 6 × \(\frac{5}{3}\)
= 10 kg – ms-1

प्रश्न 16.
100 kg द्रव्यमान की एक वस्तु का वेग समान त्वरण से चलते हुए 6s में 5 ms-1 से 8 ms-1 हो जाता है। वस्तु के पहले और बाद के संवेगों की गणना करें। उस बल के परिमाण की गणना करें जो उस वस्तु पर आरोपित है।
हल :
यहाँ, वस्तु का द्रव्यमान (m) = 100 kg
वस्तु का प्रारंभिक वेग (u) = 5 ms-1
वस्तु का अंतिम वेग (v) = 8 ms-1
समय अंतराल (t) = 6s
वस्तु का प्रारंभिक संवेग (p) = m × u
= 100 × 5
= 500 kg-ms-1
वस्तु का अंतिम संवेग (p2) = m × v
= 100 × 8
= 800 kg-ms-1
वस्तु पर लग रहा बल. F = \(\frac{p_{2}-p_{1}}{t}\)
= \(\frac{(800-500) \mathrm{kg}-\mathrm{ms}^{-1}}{6 \mathrm{~s}}\)
= 50 kg-ms-2
= 50 N

प्रश्न 17.
अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत तीव्र गति से चलती हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा, गाड़ी के सामने के शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अख़्तर और किरण इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है। (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है।) अख़्तर ने कहा कि चूंकि कार का वेग बहुत अधिक था अतः कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिवर्तन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर-
राहुल का तर्क सही है। गति के तीसरे नियमानुसार क्रिया तथा प्रतिक्रिया समान तथा विपरीत होते हैं। इसलिए दोनों-कार तथा कीड़े पर समान मात्रा में बल लगेगा तथा दोनों में समान वेग परिवर्तन भी होगा। अब क्योंकि कीड़े का द्रव्यमान कार के द्रव्यमान की तुलना में अत्यधिक कम हैं, इसलिए कीड़े में हुआ संवेग परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है। जड़त्व कम होने के कारण कीड़ा मर जाता है।

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प्रश्न 18.
एक 10 kg द्रव्यमान की घंटी 80 cm की ऊँचाई से फ़र्श पर गिरी। इस अवस्था में घंटी द्वारा फ़र्श पर स्थानांतरित संवेग के मान की गणना करें। परिकलन में सरलता हेतु नीचे की ओर दिष्ट त्वरण का मान, 10 ms-2 लें।
हल :
यहाँ, घंटी का द्रव्यमान (m) = 10 kg’
आरंभिक वेग (u) = 0 (विराम अवस्था)
तय की गई दूरी (S) = 80 cm
= 0.80 m
घंटी का त्वरण (a) = 10 ms-2
मान लो पृथ्वी पर पहुँच कर घंटी का अंतिम वेग v है
∴ v2 – u2 = 2aS के प्रयोग से
v2 – (0)2 = 2 × 10 × 0.80
v2 = 16
∴ घंटी का अंतिम वेग, v = \(\sqrt{16}\) = 4 ms-1
घंटी द्वारा पृथ्वी को स्थानांतरित संवेग (p) = mv
= 10 × 4
= 40 kg – ms-1

(a) ऊपर दी गई सारणी दर्शाती है कि गति त्वरित है तथा त्वरण समय के साथ-साथ एक समान रूप से बढ़ता है।
(b) क्योंकि त्वरण एक समान रूप से बढ़ रहा है, इसलिए वस्तु पर लग रहा बल भी समय के साथ समान रूप से बढ़ रहा है।

अतिरिक्त अभ्यास (Additional Exercises)

प्रश्न A1.
एक वस्तु की गति की अवस्था में दूरी समय सारणी निम्नवत् है:

समय (सेकंड) दूरी (मीटर)
0 0
1 1
2 8
3 27
4 64
5 125
6 216
7 343

(a) त्वरण के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ? क्या यह नियत है ? बढ़ रहा है ? घट रहा है ? या शून्य है ?
(b) आप वस्तु पर लगने वाले बल के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ?
हल:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम 3

प्रश्न A2.
1200 kg द्रव्यमान की कार को एक समतल सड़क पर दो व्यक्ति समान वेग से धक्का देते हैं। उसी कार को तीन व्यक्तियों द्वारा धक्का देकर 0.2 ms--2का त्वरण उत्पन्न किया जाता है। कितने बल के साथ प्रत्येक व्यक्ति कार को धकेल पाते हैं। (मान लें कि सभी व्यक्ति समान पेशीय बल के साथ कार को धक्का देते हैं।)
हल :
यहाँ कार का द्रव्यमान (m) = 1200 kg
कार का त्वरण (a) = 0.2 ms-2
पहले दो व्यक्तियों को धक्का देने से त्वरण = 0
स्पष्ट है कि जब तीसरा व्यक्ति कार को धक्का मारता है तो एक असंतुलित बल क्रिया करता है।
∴ तीसरे व्यक्ति द्वारा लगाया गया बल, F = m × a
= 1200 × 0.2
= 240 N
अब क्योंकि तीनों व्यक्ति पेशीय बल लगा कर कार को धकेलते हैं, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति बल लगाता है = 240 N

प्रश्न A3.
500g द्रव्यमान के एक हथौड़े द्वारा 50 ms-1 वेग से एक कील पर प्रहार किया जाता है। कील द्वारा हथौड़े को बहुत कम समय 0.01 s में ही रोक दिया जाता है। कील के द्वारा हथौड़े पर लगाए गए बल का परिकलन करें।
हल :
हथौड़े का द्रव्यमान (m) = 500g
= \(\frac{500}{1000}\) kg
= \(\frac{1}{2}\) kg
प्रारंभिक वेग (u) = 50 ms-1
अंतिम वेग (v) = 0 ms-1
समय (t) = 0.01s
बल (F) = ?
हम जानते हैं, v = u + at
0 = 50 + a × 0.01
-50 = a × \(\frac{1}{100}\)
∴ a = -50 × 100
= -5000 ms-2
ऋणात्मक चिन्ह मंदन को दर्शाता है।
अब कील द्वारा हथौड़े पर लगाया गया बल (F) = m × a
= \(\frac{1}{2}\) × (-5000)
= -2500 N
∴ बल = 2500 N

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प्रश्न A4.
एक 1200 kg द्रव्यमान की मोटरकार 90 km/h की वेग से एक सरल रेखा के अनुदिश चल रही है। उसका वेग बाहरी असंतुलित बल लगने के कारण 4s में घटकर 18 km/h हो जाता है। त्वरण और संवेग में परिवर्तन का परिकलन करें। लगने वाले बल के परिमाण का भी परिकलन करें।
हल :
यहाँ, कार का द्रव्यमान (m) = 1200 kg
समय (1) = 4s
कार का प्रारंभिक वेग (u) = 90 km/h
= \(\frac{90 \times 1000}{60 \times 60}\) m/s
= 25 ms-1
कार का अंतिम वेग (v) = 18 km/h
= \(\frac{18 \times 1000 \mathrm{~m}}{60 \times 60 \mathrm{~s}}\)
= 5 ms-1
कार का त्वरण (a) = ?
कार के संवेग में परिवर्तन = ?
कार पर लगने वाले बल का परिमाण (F) = ?
हम जानते हैं, v = u + at
5 = 25 + a x 4
-20 = 4a
∴ a = \(\frac{-20}{4}\)
= -5 ms-2
कार के संवेग में परिवर्तन = अंतिम संवेग – प्रारंभिक संवेग
= mv – mu
= m (v – u)
= 1200 (5 – 25)
= 1200 × (-20)
= -24000 kg – ms-1
= 24000 kg – ms-1 की कमी उत्तर
परंतु F = m × a
= 1200 × 5
= 6000 N

Science Guide for Class 9 PSEB बल तथा गति के नियम InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किस का जड़त्व अधिक है :
(a) एक रबर की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर,
(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी,
(c) पाँच रुपये का सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर-
हम जानते हैं कि किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व का माप है, इसलिए जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होगा उस वस्तु का जड़त्व भी अधिक होगा।
(a) गेंद के आकार वाले पत्थर का जड़त्व अधिक क्योंकि इसका द्रव्यमान गेंद के द्रव्यमान की अपेक्षा अधिक है।

(b) एक रेलगाड़ी का द्रव्यमान साइकिल के द्रव्यमान की तुलना से अधिक है इसलिए रेलगाड़ी का जड़त्व अधिक

(c) पाँच रुपये के सिक्के का जड़त्व एक रुपये के सिक्के से अधिक है क्योंकि पाँच रुपये के सिक्के का द्रव्यमान 1 रुपये के सिक्के की अपेक्षा अधिक है।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उदाहरण में गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का प्रयास करें :
“फुटबॉल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।”
इसके साथ ही उस कारक की भी पहचान करें जो प्रत्येक अवस्था में बल प्रदान करता है।
उत्तर-
धक्का मारना, ठोकर लगानी, खींचना ये सभी क्रियाएँ वस्तु के वेग की मात्रा बदलने या गति की दिशा परिवर्तन के लिए बल के रूप में कार्य करती हैं। इसलिए ऊपर दी गई उदाहरण में गेंद का वेग तीन बार बदला है।

  1. पहली बार प्रथम टीम के फुटबाल खिलाड़ी ने फुटबाल को किक (ठोकर) लगाकर गेंद के वेग में परिवर्तन किया।
  2. द्वितीय बार उसी टीम के अन्य खिलाड़ी ने फुटबाल को किक (ठोकर) लगाकर गेंद में वेग परिवर्तन किया है।
  3. तृतीय बार विरोधी टीम के गोलची ने फुटबाल को किक (ठोकर) लगाकर गेंद के वेग में परिवर्तन किया है।
    बल लगाने वाले कारक को मोटे अक्षरों में दिया गया है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

प्रश्न 3.
किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं। क्यों ?
उत्तर-
टहनियों को हिलाने से पहले टहनियाँ तथा पत्ते दोनों विराम अवस्था में थे। हिलाने के फलस्वरूप टहिनयाँ गतिशील हो गईं जबकि पत्तियाँ विराम जड़त्व के कारण टहिनयों से अलग होकर नीचे गिर जाती हैं।

प्रश्न 4.
जब कोई गतिशील बस अचानक रुकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते हैं, क्यों ?
उत्तर-
जब गतिशील बस यकायक रुक जाती है तो हमारे शरीर का निचला भाग बस के संपर्क में होने से बस के साथ ही विराम अवस्था में आ जाता है, जबकि हमारे शरीर का ऊपर वाला भाग गतिशील रहने की प्रवृत्ति रखता है। इसलिए हम आगे की दिशा में गिर जाते हैं। जब बस अचानक त्वरित होती है तो हमारे शरीर का निचला भाग बस के संपर्क में होने से बस के साथ गतिशील हो जाता है, जबकि शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण विराम अवस्था में रहने की प्रवृत्ति रखता है। इसलिए हम पीछे की ओर गिरते हैं।

प्रश्न 5.
यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता
है ?
उत्तर-
न्यूटन के गति के तीसरे नियम अनुसार, “क्रिया तथा प्रतिक्रिया सदैव समान तथा विपरीत दिशा में होते हैं।” घोड़ा-गाड़ी का बल (क्रिया) लगाकर आगे की ओर खींचता है। गाड़ी भी घोड़े को बल (प्रतिक्रिया) लगाकर (पीछे की) विपरीत दिशा में खींचती है। यह दोनों बल एक-दूसरे को संतुलित कर देते हैं। जब घोड़ा, गाड़ी को खींचता है तो वह अपने पैरों से पृथ्वी को पीछे की ओर धकेलता है। पृथ्वी की प्रतिक्रिया ऊपर की दिशा में कार्य करती है। इस प्रतिक्रिया बल को दो भागों में बाँटा जा सकता है। ऊपर की ओर लंबवत् दिशा में लगने वाला बल प्रतिक्रियात्मक बल घोड़े के भार को संतुलित करता है जबकि प्रतिक्रियात्मक बल का क्षितिज घटक गाड़ी को आगे की दिशा में गतिमान करता है। पृथ्वी तथा पहिए के मध्य घर्षण बल पीछे की दिशा में क्रिया करता है परंतु आगे की दिशा में लगने वाला बल घर्षण बल से अधिक होता है जिससे यह गाड़ी को गतिमान करने में सफल हो जाता है।

प्रश्न 6.
एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
रबड़ की नली में से पानी अत्यधिक बल (क्रिया) से बाहर निकलता है तथा उसी के समान बल (प्रतिक्रिया) को अग्निशमन कर्मचारी का हाथ अनुभव करता है। इसलिए उसे रबड़ की नली पकड़ने में असुविधा अनुभव होती है।

प्रश्न 7.
एक 50g द्रव्यमान की गोली 4kg द्रव्यमान, की रायफ़ल से 35 ms-1 के प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है। रायफल के प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।
उत्तर-
गोली का द्रव्यमान (m1) = 50 g = 0.05 kg
रायफल का द्रव्यमान (m2) = 4 kg
गोली का प्रारंभिक वेग (u1) = 0
रायफल का प्रारंभिक वेग (u2) = 0
गोली का अंतिम वेग (v1) = 35 ms-1
रायफल का अंतिम वेग (v2) = ?
संवेग संरक्षण के नियमानुसार, गोली तथा रायफ़ल का कुल प्रारंभिक संवेग = गोली तथा रायफल का कुल अंतिम संवेग
m1u1 + m2u2 = m1v1 + m2v2
0.5 × 0 + 4 × 0 = 0.05 × 35 + 4 × v2
0 + 0 = 1.75 + 4 × v2
या -4 × v2 = 1.75
v2 = \(\frac{-1.75}{4}\)
= -0.437 ms-1
= – 0.44 ms-1
ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि रायफल के वेग की दिशा गोली के वेग की दिशा के विपरीत है।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 बल तथा गति के नियम

प्रश्न 8.
100g और 200g द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में क्रमशः 2ms-1 और 1ms-1 के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात् प्रथम वस्तु का वेग 1.67 -1 हो जाता है, तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात करें।
हल :
यहाँ, पहली वस्तु का द्रव्यमान (m1) = 100g
= \(\frac{1}{10}\) kg
पहली वस्तु का प्रारंभिक वेग (u1) = 2ms-1
दूसरी वस्तु का द्रव्यमान (m2) = 200g
= \(\frac{1}{5}\) kg
दूसरी वस्तु का प्रारंभिक वेग (u2) = 1ms-1
टकराने से पहले पहली वस्तु का प्रारंभिक संवेग = m1 × u1
= \(\frac{1}{10}\) × 2
= \(\frac{1}{5}\) kg – ms-1
दूसरी वस्तु का प्रारंभिक संवेग = m2 × u2
= \(\frac{1}{5}\) × 1
= \(\frac{1}{5}\) kg -ms-1
दोनों वस्तुओं का कुल प्रारंभिक संवेग = \(\frac{1}{5}+\frac{1}{5}\)
= \(\frac{2}{5}\)kg – ms-1
टकराने के पश्चात् पहली वस्तु का अंतिम वेग (v1) = 1.67 ms-1
दूसरी वस्तु का अंतिम वेग (v2) = ?
पहली वस्तु का अंतिम संवेग = m1 × v1
= \(\frac{1}{10}\) × 1.67
= 0.167 kg – ms-1
दूसरी वस्तु का अंतिम वेग (v2) = ?
दोनों वस्तुओं का कुल अंतिम संवेग = m1 × v1 + m2 × v2
= 0.167 + \(\frac{1}{5}\) × v2
संवेग संरक्षण नियमानुसार
m1u1 + m2u2 = m1v1 + m2v2
\(\frac{2}{5}\) = 0.167+ \(\frac{1}{5}\) × v2
0.2 × v2 = 0.4 – 0.167
0.2 × v2 = 0.233
या v2 = \(\frac{0.233}{0.2}\)
∴ v2 = 0.116 ms-1

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 8 गति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 8 गति

PSEB 9th Class Science Guide गति Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
एक एथलीट वृत्तीय पथ, जिसका व्यास 200 m है, का एक चक्कर 40s में लगाता है। 2 min 20s के बाद वह कितनी दूरी तय करेगा और उसका विस्थापन क्या होगा ?
हल :
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 1
दिया है, वृत्तीय पथ का व्यास (d) = 200 m
∴ वृत्तीय पथ का अर्धव्यास = \(\frac{200}{2}\) = 100m
वृत्तीय पथ की लंबाई (ce) = 2πr
= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 100
= \(\frac{4400}{7}\) m
1 चक्कर पूरा करने में लगा समय (t) = 40 s
कुल समय = 2 मिनट 20 सेकंड
= ( 2 × 60 + 20) सेकंड
= (120 + 20) सेकंड
= 140 सेकंड
40 s में तय की गई दूरी = \(\frac{4400 \mathrm{~m}}{7}\) (= 1 चक्कर की परिधि)
1 s में तय की गई दूरी = \(\frac{4400}{7 \times 40}\)
40 s में तय हुई दूरी = \(\frac{4400}{7 \times 40}\) × 140
= 2200 m
= \(\frac{1}{2}\) चक्कर की लंबाई
इसलिए गति के अंत में एथलीट \(\frac{1}{2}\) चक्कर लगाकर वृत्त के व्यास के दूसरे सामने वाले सिरे B पर पहुँचेगा।
∴ विस्थापन AB (मूल बिंदु तथा अंतिम बिंदु के मध्य की दूरी)
= 2200 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 2.
300 m सरल रेखीय पथ पर जोसेफ़ जॉगिंग करता हुआ 2 min 30s में एक सिरे A से दूसरे सिरे B पर पहुंचता है और धूपकर 1 min में 100 m पीछे बिंदु C पर पहुँचता है। जोसेफ़ की औसत चाल और औसत वेग क्या होंगे ?
(a) सिरे A से सिरे B तक तथा
(b) सिरे A से सिरे C तक।
हल :
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 2
(a) सिरे A से सिरे B के बीच की लंबाई (AB) = 300 m
लगा समय (t) = 2 min 30 s
= (2 × 60 + 30) S
= (120 + 30)s
= 150 s
∴ औसत चाल = औसत वेग
=PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 3
= \(\frac{300 \mathrm{~m}}{150 \mathrm{~s}}\)
= 2 ms-1

(b) A सिरे से सिरे B तक लंबाई + वापिस B से C तक की लंबाई
= AB + BC
= 300 m + 100 m
= 400 m
कुल समय = 2 min 30 s + 1 min
= 3 min 30 s
= (180 + 30)s
=210 s
औसत चाल = \(\frac{400 \mathrm{~m}}{210 \mathrm{~s}}\)
= \(\frac{40}{21}\) ms
= 1.9 ms-1
औसत वेग = \(\frac{(300-100) \mathrm{m}}{210 \mathrm{~s}}\)
= \(\frac{200}{210}\)ms-1
= \(\frac{20}{21}\) ms-1
= 0. 95 ms-1

प्रश्न 3.
अब्दुल गाड़ी से स्कूल जाने के क्रम में औसत चाल को 20 kmh-1 पाता है। उसी रास्ते से लौटने के समय वहाँ भीड़ कम है और औसत चाल 30 kmh-1 है। अब्दुल की इस पूरी यात्रा में उसकी औसत चाल क्या है ?
हल :
मान लो घर से स्कूल की दरी = L
∴ घर से स्कूल तथा वापिस स्कूल से घर तक को दूरी = L + L = 2 L
स्कूल जाते समय औसत चाल (υ2) = 200 kmh-1
स्कल जाते समय औसत चाल (t1) = PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 4
स्कूल से वापिस घर आते समय औसत चाल (v2) = 30 kmh-1
∴ स्कूल से वापिस घर आने में लगा समय (t2) = \(\frac{\mathrm{L}}{v_{2}}\)
पूरे सफ़र के लिए लगा कुल समय = t1 + t2
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 5
= 24 Kmh-1

प्रश्न 4.
कोई मोटरबोट झील में विरामावस्था से सरल रेखीय पथ पर 3.0 ms-2 के नियत त्वरण से 8.0s तक चलती है। इस समय अंतराल में मोटरबोट कितनी दूरी तय करती है ?
हल :
यहाँ, प्रारंभिक वेग (u) = 0 (विरामावस्था)
त्वरण (a) = 3.0 ms-2
समय (t) = 8.0 s
मोटरबोट द्वारा तय की गई दूरी (S) = ?
हम जानते हैं, S = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
= 0 × 8 + \(\frac{1}{2}\) × 3 × (8)2
= 0 + \(\frac{1}{2}\) × 3 × 8 × 8
S = 96 m
अर्थात् मोटरबोट जितनी दूरी तय करती है = S = 96 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 5.
किसी गाड़ी का चालक 52 km h-1 की गति से चल रही कार में ब्रेक लगाता है तथा कार विपरीत दिशा में एकसमान दर से त्वरित होती है। कार 5 s में रुक जाती है। दूसरा चालक 30 kmh-1 की गति से चलती हुई दूसरी कार पर धीमे-धीमे ब्रेक लगाता है तथा 10s में रुक जाता है। एक ही ग्राफ पेपर पर दोनों कारों के लिये चाल-समय ग्राफ़ आलेखित करें। ब्रेक लगाने के पश्चात् दोनों में से कौन-सी कार अधिक दरी तक जाएगी ?
हल-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 6
चित्र में दो कारों के चाल-समय ग्राफ़ AB तथा CD प्रदर्शित किए गए हैं जिनकी क्रमवार चाल 52 km h-1 तथा 30 kmh-1 है।
विरामावस्था में आने से पूर्व पहली कार द्वारा तय की गई दूरी = ΔAOB का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) × AO × OB
= \(\frac{1}{2}\) × (52 × \(\frac{5}{18}\)) × 5
= 36.1 m
विरामावस्था में आने से पूर्व दूसरी कार द्वारा तय की गई दूरी
= ΔCOD का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) × CO × OD
= \(\frac{1}{2}\) × (30 × \(\frac{5}{18}\)) × 10
= 47.2 m
इस तरह ब्रेक लगाने के पश्चात् दूसरी कार, पहली की तुलना में अधिक दूरी तय करेगी।

प्रश्न 6.
चित्र में तीन वस्तुओं A, B और C के दूरी-समय ग्राफ़ प्रदर्शित हैं। ग्राफ़ का अध्ययन करके निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(a) तीनों में से कौन सबसे तीव्र गति से गतिमान है ?
(b) क्या ये तीनों किसी भी समय सड़क के एक ही बिंदु पर होंगे ?
(c) जिस समय B, A से गुज़रती है उस समय तक C कितनी दूरी तय कर लेती है ?
(d) जिस समय B, C से गुजरती है तो उस समय तक यह कितनी दूरी तय कर लेती है ?
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 7
हल-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 8
(a) A की चाल = P N की ढाल (Slope)
= \(\frac{10-6}{1.1-0}\)
= \(\frac{40}{11}\) = 3.63km h-1
B की चाल = OM की ढाल (slope)
= \(\frac{6-0}{0.7-0}\)
= \(\frac{60}{7}\) = 8.57 km h-1
C की चाल = QM की ढाल (slope)
= \(\frac{6-2}{0.7-0}\)
= \(\frac{40}{7}\) = 5.71 kmh-1
क्योंकि वस्तु B की ढाल (Slope) सबसे अधिक है इसलिए यह सबसे तीव्र गति से चल रही है।

(b) क्योंकि तीनों के ग्राफ़ एक बिंदु पर नहीं काटते हैं इसलिए ये तीनों किसी समय भी सड़क पर एक बिंदु पर नहीं होंगे।

(c) जब B, N बिंदु पर A को मिलता है। (1.1 घंटा पर) तब उस समय C मूल बिंदु O से लगभग 9 km की दूरी पर होगी।

(d) B बिंदु M पर C को मिलती है, उस समय B 9 km की दूरी कर लेती है।

प्रश्न 7.
20 m की ऊँचाई से एक गेंद को गिराया जाता है। यदि उसका वेग 10 ms-2 के एकसमान त्वरण की दर से बढ़ता है तो यह किस वेग से धरातल से टकराएगी ? कितने समय पश्चात् वह धरातल से टकराएगी ?
हल :
यहाँ u = 0
S = 20 m
a = g = 10 ms-2
v = ?
v2 – u2 = 2 as का प्रयोग करने पर
v2 – (0)2 = 2 × 10 × 20
∴ v = \(\sqrt{400}\)
= \(\sqrt{20 \times 20}\)
= 20 ms-1
अब v = 4 + at
20 = 0 + 10 + t
∴ t = \(\frac{20}{10}\)
t = 2s

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 8.
किसी कार का चाल-समय ग्राफ़ चित्र में दर्शाया गया है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 9
(a) पहले 4 s में कार कितनी दूरी तय करती है ? इस अवधि में कार द्वारा तय की गई दूरी को ग्राफ़ में छायांकित क्षेत्र द्वारा दर्शाइए।
(b) ग्राफ़ का कौन-सा भाग कार की एकसमान गति को दर्शाता है ?
हल :
(a) X – अक्ष के 5 छोटे चिह्न = 2s
Y – अक्ष के 3 छोटे चिह्न – 2 ms-1
∴ 15 छोटे वर्गों का क्षेत्रफल = 2 s × 2ms-1
= 4 m
1 छोटे वर्ग का क्षेत्रफल = \(\frac{4}{15}\) m
0 से 5s के अंतर्गत चाल-समय ग्राफ़ का क्षेत्रफल
= 57 छोटे वर्ग + \(\frac{1}{2}\) × 6 छोटे वर्ग
= (57 + 3) वर्ग
= 60 छोटे वर्ग
कार द्वारा 4 सेकंड में तय हुई दूरी = 60 × \(\frac{4}{15}\) m
= 16 m

(b) 6 s पश्चात् कार की एकसमान गति है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-सी अवस्थाएँ संभव हैं तथा प्रत्येक के लिए एक उदाहरण दें:
(a) कोई वस्तु जिसका त्वरण नियत हो परंतु वेग शून्य हो।
(b) कोई वस्तु किसी निश्चित दिशा में गति कर रही हो तथा त्वरण उसके लंबवत् हो।
उत्तर-
(4) हाँ, यह स्थिति संभव है। जब किसी वस्तु को पृथ्वी तल से ऊपर की ओर फेंका जाता है तो अधिकतम ऊँचाई पर वस्तु का वेग शून्य होता है परंतु त्वरण स्थिर रहता है।

(b) हाँ, प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई पर वेग क्षैतिज दिशा में होता है तथा त्वरण लंबवत् दिशा में जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 10

प्रश्न 10.
एक कृत्रिम उपग्रह 42250 km त्रिज्या की वृत्ताकार कक्षा में घूम रहा है। यदि वह 24 घंटे में पृथ्वी की परिक्रमा करता है तो उसकी चाल का परिकलन कीजिए।
हल :
कृत्रिम उपग्रह के वृत्ताकार पथ की त्रिज्या (r) = 42250 कि० मी०
पृथ्वी के केंद्र पर बना कोण (θ) = 2π रेडियन
पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में उपग्रह द्वारा लिया गया समय (t) = 24 घंटे = 24 × 3600 सेकंड
= 86400 सेकंड
अत: कोणीय वेग (ω) = \(\frac{\theta}{\mathrm{t}}\)
= \(\frac{2 \pi}{86400}\) rad/s
उपग्रह का रैखिक वेग (v) = r × ω).
= 42250 × \(\frac{2 \pi}{86400}\) km/s
= \(\frac{42250 \times 2 \times 3.14}{86400}\) km/s
= 3.07 km/s

Science Guide for Class 9 PSEB गति InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
एक वस्तु के द्वारा कुछ दूरी तय की गई। क्या इसका विस्थापन शून्य हो सकता है ? अगर हाँ, तो अपने उत्तर को उदाहरण के द्वारा समझाएँ।
उत्तर-
गति के दौरान विस्थापन की मात्रा शून्य (0) हो सकती है. यदि वह वस्तु गति करते हुए अपनी आरंभिक स्थिति में आ जाये। इस अवस्था में अंतिम स्थिति, आरंभिक स्थिति से मिल जाती है।

उदाहरणार्थ – मान लो एक वस्तु मूल बिंदु O से गति आरंभ करते हुये A बिंदु तक 60 km की दूरी तय करती है। यदि वह वस्तु गति करते हुए वापस A से O बिंदु पर आ जाए तो उस अवस्था में उसका विस्थापन शून्य (0) होगा।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 11

परंतु वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी = OA + AO
= 60 km + 60 km
= 120 km होगी।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 2.
एक किसान 10 m की भुजा वाले एक वर्गाकार खेत की सीमा पर 40s में चक्कर लगाता है। 2 मिनट (minute) 20 सेकंड (s) बाद किसान के विस्थापन का परिमाण क्या होगा?
हल :
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 12
खेत की सीमा (1 चक्कर) = AB + BC + CD + DA
– 10 m + 10m + 10m + 10m
= 40m
खेत की सीमा (40m) का 1 चक्कर लगाने में लगा समय = 40s
कुल समय = 2 मिनट 20 सेकंड = (2 × 60 + 20) सेकंड
= (120 + 20) सेकंड
= 140 सेकंड
किसान 3 चक्कर लगाने के लिए जो समय लगा = 3 × 40 सेकंड
= 120 सेकंड
3 पूरे चक्कर लगाने के बाद शेष समय = (140 – 120) सेकंड
= 20 सेकंड
∴ किसान 40 s में जो दूरी तय करता है = 40 m
∴ 1 s में जो दूरी तय करेगा = 1m
20s में जो दूरी तय करेगा = 20 m
अर्थात् A से गति आरंभ करता हुआ सीमा के साथ-साथ 3 चक्कर लगाकर 2 मिनट 20 सेकंड के पश्चात् C बिंदु पर पहुँच जाएगा।
विस्थापन की मात्रा = AC (मूल बिंदु और अंतिम बिंदु के मध्य न्यूनतम दूरी)
= \(\sqrt{A B^{2}+B C^{2}}\)
= \(\sqrt{(10)^{2}+(10)^{2}}\)
= \(\sqrt{100+100}\)
= \(\sqrt{200 \mathrm{~m}}\)
= \(\sqrt{100 \times 2 \mathrm{~m}}\)
= 10\(\sqrt{2 m}\)
= 10 × 1.414 m
= 14.14 m

प्रश्न 3.
विस्थापन के लिए निम्न में कौन सही है ?
(a) यह शून्य नहीं हो सकता है।
(b) इसका परिमाण वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक है।
उत्तर-
(a) तथा
(b) दोनों कथनों में से कोई भी सही नहीं है।

प्रश्न 4.
चाल एवं वेग में अंतर बताइए।
उत्तर-
चाल का पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण (मात्रा) की आवश्यकता होती है, जबकि वेग को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए परिमाण (मात्रा) तथा दिशा दोनों का होना आवश्यक है। इसलिए चाल एक अदिश राशि है परंतु वेग एक सदिश राशि है। चाल सदैव धनात्मक होती है परंतु वेग धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार की हो सकती है। चाल किसी वस्तु की इकाई समय में तय की गई दूरी होती है दूसरी ओर यदि इसके साथ दिशा का ज्ञान भी हो तो यह वेग कहलाता है। अर्थात् एक निश्चित दिशा में चाल को वेग कहते हैं।

प्रश्न 5.
किस अवस्था में किसी वस्तु के औसत वेग का परिमाण उसकी औसत चाल के बराबर होगा ?
उत्तर-
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 13
कुल लगा समय जब वस्तु एक सीधी रेखा में परिवर्तनशील गति के साथ एक दिशा में चलती है तो कुल तय की गई दूरी तथा विस्थापन दोनों के परिमाण बराबर होते हैं। इसलिए औसत चाल तथा औसत वेग बराबर होते हैं।

प्रश्न 6.
एक गाड़ी का ओडोमीटर क्या मापता है ?
उत्तर-
गाड़ी (स्वै चालित वाहन) का ओडोमीटर उस द्वारा तय की गई दूरी को मापता है।

प्रश्न 7.
जब वस्तु एकसमान गति में होती है तब इसका मार्ग कैसा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
जब वस्तु एकसमान गति में होती है तब इसका मार्ग एक सीधी सरल रेखा होता है।

प्रश्न 8.
एक प्रयोग के दौरान, अंतरिक्षयान से एक सिग्नल को पृथ्वी पर पहुँचने में 5 मिनट का समय लगता है। पृथ्वी पर स्थित स्टेशन से उस अंतरिक्षयान की दूरी क्या है ?
(सिग्नल की चाल = प्रकाश की चाल = 3 × 108 ms-1)
हल :
सिग्नल को अंतरिक्षयान से पृथ्वी तक पहुँचने में लगा समय (t) = 5 मिनट
= 5 × 60 सेकंड
= 300 सेकंड
सिग्नल की चाल (v) = 3 × 108 ms-1
अंतरिक्षयान की पृथ्वी से दूरी (S) = ?
अंतरिक्षयान की पृथ्वी से दूरी (S) = सिग्नल की चाल (v) × लगा समय (t)
= 3 × 108 × 300 = 3 × 108 × 3 × 102
= 9 × 108 × 102 = 9 × 1010 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 9.
आप किसी वस्तु के बारे में कब कहेंगे कि,
(i) वह एक समान त्वरण से गति में है ?
(ii) वह असमान त्वरण से गति में है ?
उत्तर-
(i) जब कोई वस्तु सरल रेखा में चलती है तब इसका वेग समान समय अंतरालों में समान मात्रा से घटता और बढ़ता है, तब उस समय वह वस्तु एक समान त्वरण से गति करती हुई कहलाती है।

(i) जब किसी वस्तु का वेग असमान दर से परिवर्तित होता है, अर्थात् उस वस्तु का वेग समान समय अंतरालों में असमान मात्रा से घटता और बढ़ता है, तो उस अवस्था में वस्तु असमान त्वरण से गति करती हुई कहलाती है।

प्रश्न 10.
एक बस की गति 5 s में 80 kmh-1 से घटकर 60 kmh-1 हो जाती है। बस का त्वरण ज्ञात कीजिए।
हल :
बस का प्रारंभिक वेग (u) = 80 km h-1
= 80 × \(\frac{5}{18}\) ms-1
बस का अंतिम वेग (v) = 60 kmh-1
60 × \(\frac{5}{18}\) ms-1
लगा हुआ समय (t) = 5s [∵ 1kmh-1 = \(\frac{5}{18}\) ms-1]
बस का त्वरण (a) = ?
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 14

प्रश्न 11.
एक रेलगाड़ी स्टेशन से चलना प्रारंभ करती है और एकसमान त्वरण के साथ चलते हुए 10 मिनट में 40 kmh-1 की चाल प्राप्त करती है। इसका त्वरण ज्ञात कीजिए।
हल :
रेलगाड़ी की आरंभिक चाल (u) = 0
रेलगाड़ी की अंतिम चाल (υ) = 40 kmh-1
= 40 × \(\frac{5}{18}\) ms-1
= \(\frac{100}{9}\)ms-1
समय (t) = 10 मिनट
= 10 × 60 सेकंड
= 600 सेकंड
त्वरण (a) = 7
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 15
= 0.018 ms-2

प्रश्न 12.
किसी वस्तु के एक समान व असमान गति के लिए समय-दूरी (x-t) ग्राफ़ की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर-
जब कोई वस्तु बराबर समय में बराबर दूरी तय करती है तब वह एक समान गति से चलती है अर्थात् इस अवस्था में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी लगे हुए समय के सीधा अनुपात में होती है। इसलिये एक समान गति की वस्तु के लिए दूरी-समय (x-t) ग्राफ़ एक सरल रेखीय ग्राफ़ होता है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 16

किसी वस्तु की असमान गति के लिए दूरी-समय (x-t) ग्राफ किसी आकृति का वक्र-रेखीय ग्राफ़ हो सकता है क्योंकि यह वस्तु समान समय अंतरालों में असमान दूरी तय करती है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 17

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 13.
किसी वस्तु की गति के विषय में आप क्या कह सकते हैं, जिसका दूरी-समय ग्राफ़ (x-t) समय अंक्ष के समानांतर एक सरल रेखा है ?
उत्तर-
वह वस्तु जिसका दूरी-समय (x-t) ग्राफ़ समय अक्ष के समानांतर एक सरल रेखा है, विराम अवस्था में होगी।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 18

प्रश्न 14.
किसी वस्तु की गति के विषय में आप क्या कह सकते हैं, जिसका चाल-समय ग्राफ़ समय अक्ष के समानांतर एक सरल रेखा है।
उत्तर-
वह वस्तु जिसका चाल-समय (v-t) ग्राफ़ समय अक्ष के समानांतर सरल रेखा हो, एकसमान चाल से गतिमान होगी।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 19

प्रश्न 15.
वेग-समय ग्राफ़ के नीचे के क्षेत्र से मापी गई राशि क्या होती है ?
उत्तर-
वेग-समय ग्राफ़ के नीचे घिरा हुए क्षेत्र द्वारा एक निश्चित समय में तय की गई दूरी मापता है।
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति 20

प्रश्न 16.
कोई बस विरामावस्था से चलना प्रारंभ करती है तथा 2 मिनट तक 0.1 ms-2 के एकसमान चरण से चलती है। परिकलन कीजिए,
(a) प्राप्त की गई चाल तथा
(b) तय की गई दूरी।
हल :
(i) बस का प्रारंभिक वेग (u) = 0 (विरामावस्था)
समय (t) = 2 मिनट
= 2 × 60 सेकंड
= 120 सेकंड
बस का अंतिम वेग (v) = ?
बस द्वारा तय की गई दूरी (S) = ?
हम जानते हैं, v = u + at
v = 0+ 0.1 × 120
v = 1 × 12
v = 12 ms-1

(ii) अब v2 – u2 = 2 aS
(122) – (02) = 2 × 0.1 × 5
12 × 12 = 2 × 5
∴ S = \(\frac{12 \times 12}{2}\)
= \(\frac{144 \times 10}{2}\)
S = 720 m

प्रश्न 17.
कोई रेलगाड़ी 90 kmh-1 के चाल से चल रही है। ब्रेक लगाए जाने पर वह – 0.5 ms-2 का एकसमान त्वरण उत्पन्न करती है। रेलगाड़ी विरामावस्था में आने के पहले कितनी दूरी तय करेगी ?
हल :
रेलगाड़ी का प्रारंभिक वेग (u) = 90 kmh-1
= 90 × \(\frac{5}{18}\) ms-1
= 5 × 5ms-1
= 25 ms-1
त्वरण (a) = – 0.5 ms-2
अंतिम वेग (v) = 0 (विरामावस्था)
रेलगाड़ी द्वारा तय की गई दूरी (S) = ?
हम जानते हैं, v2 – u2 = 2 aS
(02) – (252) = 2 × (-0.5) × 5
– 25 × 25 = – 1 × 5
या S = 25 × 25
∴ S = 625 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 18.
एक ट्रॉली एक आनत तल पर 2 ms-2 के त्वरण से नीचे जा रही है। गति प्रारंभ करने के 3 s के पश्चात् उसका वेग क्या होगा ? हल :
यहाँ ट्राली का आरंभिक वेग (u) = 0
त्वरण (a) = 2 ms-2
समय (T) = 3s
ट्राली का अंतिम वेग (v) = ?
V = u + at समीकरण का प्रयोग करने पर
= 0 + 2 × 3
V = 6 ms-1

प्रश्न 19.
एक रेसिंग कार का एकसमान त्वरण 4 ms-2 है। गति प्रारंभ करने के 10 s के पश्चात् वह कितनी दूरी तय करेगी ?
हल :
रेसिंग कार का त्वरण (a) = 4 ms-2
कार का आरंभिक वेग (u) = 0
समय (t) = 10s
कार द्वारा तय की गई दूरी (S) = ?
रेसिंग कार का अंतिम वेग (v) = ?
हम जानते हैं, v = u + at
v = 0 + 4 × 10
∴ v = 40 ms-1
अब v2 – u2 = 2aS
(402) – (02) = 2 × 4 × S
40 × 40 = 8 × S
S = \(\frac{1600}{8}\)
∴ S = 200 m

प्रश्न 20.
किसी पत्थर को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर 5 ms-1 के वेग से फेंका जाता है। यदि गति के दौरान पत्थर का नीचे की ओर दिष्ट त्वरण 10 ms-2 है, तो पत्थर के द्वारा कितनी ऊँचाई प्राप्त की गई तथा उसे वहाँ पहुँचने में कितना समय लगा ?
हल :
यहाँ, आरंभिक वेग (u) = 5 ms-1
गुरुत्वात्वरण (a = g) = – 10 ms-2
अंतिम वेग (v) = 0 (अधिकतम ऊँचाई पर पहुंचकर पत्थर विरामावस्था में आ जाता है)
समय (t) = ?
ऊँचाई (h = S) = ?
हम जानते हैं, v = u + gt
0 = 5 + (-10) × t
0 = 5 – 10t
या 10t = 5
∴ t = \(\frac{5}{10}\) = . 5 s
अब v2 – u2 = 2 gS
(0)2 – (5)2 = 2 × 10 × h
-5 × 5 = 20 × h
∴ h = \(\frac{-5 \times 5}{-20}\)
= \(\frac{25}{-20}\)
= \(\frac{5}{4}\)
∴ h = 1.25 m