PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी

Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 1 पृथ्वी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 1 पृथ्वी

PSEB 11th Class Geography Guide पृथ्वी Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-चार शब्दों में लिखो

प्रश्न (क)
नैबुयला का सिद्धान्त सर्वप्रथम किस विचारवान ने पेश किया ?
उत्तर-
फ्रांसीसी गणित शास्त्री लैपलेस (Laplace) ने।

प्रश्न (ख)
पृथ्वी के भूमध्य रेखीय और ध्रुवीय व्यासों में कितना अंतर है ?
उत्तर-
42 किलोमीटर।

प्रश्न (ग)
प्राचीन खगोल विद्या के अनुसार युद्ध, प्रेम और स्वर्ग के देवता कौन-से ग्रह हैं ?
उत्तर-

  1. युद्ध का देवता – मंगल (Mars)
  2. प्रेम का देवता – शुक्र (Venus)
  3. स्वर्ग का देवता – अरुण (Uranus)

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प्रश्न (घ)
सूर्य मंडल के कौन-से ग्रह ‘गैस जॉयंट्स’ (Gas-Giants) माने जाते हैं ?
उत्तर-
गैसों से बने ग्रहों को ‘गैस जॉयंट्स’ कहते हैं। जैसे-बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण।

प्रश्न (ङ)
ISRO का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
ISRO = Indian Space Research Organisation.

प्रश्न (च)
पृथ्वी का सबसे ऊँचा व सबसे गहरा स्थान कौन-सा है ?
उत्तर-

  • सबसे ऊँचा स्थान : हिमालय पर्वत और माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर)
  • सबसे गहरा स्थान : प्रशांत महासागर में मैरीन ट्रैच (11033 मीटर)

प्रश्न (छ)
अक्षांशों और देशांतरों की आरंभिक रेखाओं के नाम बताएं।
उत्तर-
अक्षांशों की आरंभिक रेखा : भूमध्य रेखा।
देशांतरों की आरंभिक रेखा : मुख्य मध्यमान रेखा।

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प्रश्न (ज)
मुख्य मध्यमान रेखा पृथ्वी को किन दो गोलार्डों में बाँटती है ?
उत्तर-
पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध।

प्रश्न (झ)
IST और GMT का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
IST : Indian Standard Time.
GMT : Greenwich Mean Time.

प्रश्न (ञ)
समोया और फिज़ी के समय का आपसी अंतर कितना है ?
उत्तर-
एक दिन।

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2. प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-

प्रश्न (क)
सूर्य मंडल के ग्रहों के कितने-कितने उपग्रह हैं ?
उत्तर-

  1. बुध – कोई नहीं
  2. शुक्र – कोई नहीं
  3. पृथ्वी – 1
  4. मंगल – 2
  5. बृहस्पति – 63
  6. शनि – 47
  7. यूरेनस – 27
  8. नेपच्यून – 13.

प्रश्न (ख)
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में सिद्धांत किन विचारवानों ने दिए ? लिखें।
उत्तर-
गणित शास्त्री लैपलेस, एमनुअल कांट, चैमबरलेन व मोल्टन, जेमस जीनज़, हैराल्ड जैफरी, आटोस्मिथ तथा ऐडविन हबल।

प्रश्न (ग)
पृथ्वी अपनी गतियों को कितने-कितने समय में पूर्ण करती है ?
उत्तर-

  • दैनिक गति – 23 घंटे, 56 मिनट 4 सैकिंड।
  • वार्षिक गति — 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सैकिंड।

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प्रश्न (घ)
सूर्योदय के समय में भिन्नता किस प्रकार सिद्ध करती है कि पृथ्वी गोल है ?
उत्तर-
पृथ्वी के गोल होने के कारण सभी स्थानों पर सूर्य निकलने का समय भिन्न होता है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सभी स्थानों पर सूर्य एक ही समय पर नज़र आता ।

प्रश्न (ङ)
अक्षांश और देशांतर निश्चित करने में कौन-से वैज्ञानिक शामिल थे ?
उत्तर-
जॉन हैरीसन, एमेरिगो वैसमकी, हिमोरकस, इरेटोस्थनीज़।

प्रश्न (च)
‘जीनिथ’ अथवा ‘शिखर बिंदु’ क्या होता है ?
उत्तर-
किसी स्थान का उच्च सीमा शिखर बिंदु आकाश में काल्पनिक बिंदु है, जो देखने वाले के सिर के ठीक ऊपर हो।

प्रश्न (छ)
दुमेल (क्षितिज) क्या होता है ?
उत्तर-
जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं, उसे दुमेल (क्षितिज) (Horizon) कहते हैं।

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प्रश्न (ज)
देशान्तर (लंबकार) वास्तव में पूर्ण चक्कर होते हैं, कैसे ?
उत्तर-
देशान्तर रेखाओं की आकृति अर्ध-गोला चाप होती है। दो देशान्तर रेखाएँ मिलकर पूर्ण चक्कर बनाती हैं।

3. प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-

प्रश्न (क)
‘पृथ्वी चपटी नहीं बल्कि गोलाकार है’, इस स्थिति से पड़ते तीन प्रभाव लिखें।
उत्तर-
(क) समुद्र तल पर दूर से आ रहा समुद्री जहाज़ एक ही समय पूरा दिखाई नहीं देता।
(ख) सूर्य निकलने का समय अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होता है।
(ग) जब क्षितिज को अलग-अलग ऊँचाइयों से देखें तो क्षितिज की चौड़ाई भिन्न होती है।

प्रश्न (ख)
दिन व रात के समय नक्षत्रों से दिशाओं का ज्ञान कैसे होता है ?
उत्तर-
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, इसलिए यदि हम सूर्य की ओर मुँह करके खड़े हों तो हमारे सामने पूर्व दिशा और पीछे पश्चिम दिशा होगी।

प्रश्न (ग)
पृथ्वी के काल्पनिक अक्षांशों सहित ताप खंडों में विभाजन करें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ भूमध्य रेखा के समानांतर होती हैं। सूर्य की किरणें 21 जून और 22 दिसम्बर को क्रमवार कर्क रेखा और मकर रेखा के ऊपर बिल्कुल सीधी पड़ती हैं। इसकी सहायता से पृथ्वी को तापखंडों में बाँटा जाता है। कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्यांतर क्षेत्र को उष्ण कटिबंध, ध्रुव चक्र तक के क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबंध और ध्रुवों तक के क्षेत्र को शीत कटिबंध कहा जाता है।
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प्रश्न (घ)
पुच्छल तारों (Commets) पर एक संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
लम्बी पूंछ वाले गैसीय आकाशीय पिंडों को धूमकेतु अथवा पुच्छल तारे कहा जाता है। हैली धूमकेतु को सबसे पहले एडमंड हैली ने 1682 ई० में देखा था। यह पूंछ वाला तारा 76 सालों के समय के बाद दिखाई देता है। यह तारा सूर्य के आस-पास 76 वर्षों में 5.3 अरब किलोमीटर लम्बे ग्रह-पथ पर एक चक्कर पूरा करता है। इसकी लम्बाई 3.2 किलोमीटर होती है। यह धूमकेतु 1986 में फिर दिखाई दिया था। यह अन्य ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करता है। प्राचीन काल में इसको देखना अपशकुन माना जाता था। अब यह तारा सन् 2062 में फिर नज़र आएगा।

प्रश्न (ङ)
प्रकाश वर्ष क्या होता है ? यह क्या नापने की इकाई है ?
उत्तर-
आकाश में तारों की दूरी नापने के लिए प्रकाश वर्ष (Light year) का प्रयोग किया जाता है। प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो रोशनी की किरणें एक साल में तय करती हैं। प्रकाश की किरणों की गति 3 लाख कि० मी० प्रति सैकिंड है। इस प्रकार प्रकाश वर्ष की दूरी 95 खरब कि० मी० है।
Light year = 3,00,000 x 365 days x 24 hours x 60 minutes x 60 Seconds = 94,60,80,00,000 कि० मी०।

प्रश्न (च)
पृथ्वी से संबंधित आँकड़ों में से कोई तीन तथ्य लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी संबंधित आँकड़े (Statistical data of the Earth)-सौर मण्डल में पृथ्वी पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।

व्यास (Diameter)-
भूमध्य रेखीय व्यास (Equatorial Diameter) = 12,756 कि०मी०
ध्रुवीय व्यास (Polar Diameter) = 12,714 कि०मी०

घेरा (Circumference)-
भूमध्य रेखीय घेरा (Equatorial Circumference) = 40,077 कि० मी०
ध्रुवीय घेरा (Polar Circumference) = 40,009 कि० मी०
कुल धरातलीय क्षेत्रफल (Total Surface Area) = 51 करोड़ वर्ग कि०मी०
= (510 million Sq. km.)
= 29% covered by continents
= 71% covered by oceans
= 1,000,000 million Cu. km.

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प्रश्न (छ)
पृथ्वी की वार्षिक गति दर्शाता हुआ चार अवस्थाओं वाला चित्र बनाएँ।
उत्तर-
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प्रश्न (ज)
‘Blue Planet’, ‘Red Planet’ और ‘Veiled Planet’ कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  • पृथ्वी को ‘Blue Planet’ कहते हैं क्योंकि इसकी सतह पर 71% पानी है।
  • मंगल ग्रह को Red Planet कहते हैं क्योंकि इसकी मिट्टी में लोहे के कण अधिक होते हैं।
  • शुक्र ग्रह को Veiled Planet कहते हैं क्योंकि इसमें कार्बन-डाइऑक्साइड बहुत अधिक होती है।

4. प्रश्नों के उत्तर 150 से 250 शब्दों में दें-

प्रश्न (क)
पृथ्वी की दो गतियों पर सचित्र नोट लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी स्थिर नहीं है, बल्कि पृथ्वी की दो गतियाँ हैं-
(i) दैनिक गति (ii) वार्षिक गति।

I. दैनिक गति (Rotation)-जब पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती हुई लगभग 24 ___घंटों में एक चक्कर लगाती है, तो इसको दैनिक गति कहते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 घंटे 56 मिनट 4 सैकिंड में एक चक्कर पूरा करती है। (The spinning of the earth on its polar axis is called rotation), इस समय को एक दिन कहा जाता है। पृथ्वी की धुरी एक कल्पित रेखा है, जो लम्ब रूप में नहीं है, परन्तु लम्ब दिशा पर 23/2° झुकी हुई है। पृथ्वी की धुरी ग्रह-पथ रेखा पर 66%2° का कोण बनाती है, पृथ्वी की दैनिक गति 29 किलोमीटर प्रति मिनट है और भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक है।
प्रभाव-पृथ्वी की दैनिक गति के प्रभाव नीचे लिखे हैं-

1. दिन-रात का बनना- गोलाकार पृथ्वी का केवल आधा भाग ही एक समय पर प्रकाश में होता है, बाकी आधा भाग अंधकार में होता है। प्रत्येक भाग क्रम से सूर्य के सामने आता है और वहाँ दिन होता है। जो भाग अंधकार में होता है, वहाँ रात होती है।
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2. समय के माप का होना-दैनिक गति के एक चक्कर की 24 घंटे की लम्बाई होने के कारण एक दिन 24 घंटे के बराबर माना गया है।

3. नक्षत्र, ग्रहों आदि का पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चलते हुए प्रतीत होना-पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है परन्तु बाकी ग्रह इसकी विपरीत दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए रेलगाड़ी में बैठे यात्री को बाहर की वस्तुएँ उल्टी दिशा में चलती हुई दिखाई देती हैं।

4. पवनों तथा धाराओं की दिशा में परिवर्तन-दैनिक गति पर फैरल का सिद्धान्त (Ferral’s Law) आारित है। पृथ्वी के घूमने के कारण पवनें तथा धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दाएँ ओर मुड जाती हैं। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में पवनें तथा धाराएँ अपने बाएँ ओर मुड़ जाती हैं।

5. देशांतर रेखाओं का निर्माण-दैनिक गति के आधार पर गोलाकार पृथ्वी को 360 देशांतर रेखाओं में बाँटा गया है। इस प्रकार घूमने के फलस्वरूप पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण आदि चार प्रमुख दिशाओं का निर्माण होता है।

6. ध्रुवों का पिचका होना-दैनिक गति के कारण केंद्रमुखी शक्ति के प्रभाव से ध्रुव केंद्र की ओर पिचक या धंस गए हैं।

7. सुबह, दोपहर और शाम का होना-घूमने के कारण जो भाग सूर्य के सामने सबसे पहले आता है, वहाँ सूर्योदय (Sunrise) होता है। सूर्य के ठीक सामने वाले भाग में दोपहर (Noon) होती है। पृथ्वी का वह भाग, जो सूर्य से दूर होने लगता है, वहाँ शाम (Evening) होती है।

8. ज्वारभाटे का आना-चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण दिन में दो बार समुद्र के जल में ज्वारभाटा आता है।

II. वार्षिक गति-जब पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ एक अंडाकार पथ पर 365-1/4दिनों में एक चक्कर पूरा करती है, तो इसे वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी अपने ग्रह-पथ पर 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सैकिंड में एक चक्कर पूरा करती है। इस ग्रहपथ (Orbit) की लम्बाई लगभग 95 करोड़ किलोमीटर है। पृथ्वी की गति 30 किलोमीटर प्रति सैकिंड है। पृथ्वी का यह पथ गोलाकार नहीं है, बल्कि अंडाकार है। इसलिए जब पृथ्वी सूर्य के निकटतम होती है, तो इस स्थिति को पेरीहीलियन (Perihelian) कहा जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच 14 करोड़ 73 लाख किलोमीटर की दूरी होती है। जब पृथ्वी सूर्य से बहुत अधिक दूर होती है, तो इस स्थिति को ऐपहीलियन (Aphelian) कहा जाता है। इस स्थिति में सूर्य और पृथ्वी के बीच 15 करोड़ 21 लाख किलोमीटर की दूरी होती है।
प्रभाव-पृथ्वी की वार्षिक गति के प्रभाव नीचे लिखे हैं-

1. समय का पैमाना-पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365-1/4 दिनों में पूरा करती है, इसीलिए एक वर्ष में 365 दिन गिने जाते हैं। हर चौथा वर्ष 366 दिनों का होता है, जिसको लीप का साल कहते हैं।

2. दिन-रात की लम्बाई में समानता नहीं-परिक्रमा के समय पृथ्वी अपनी स्थिति बदलती रहती है। पृथ्वी के झकाव के कारण कभी उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है और कभी दक्षिणी गोलार्द्ध। इस झुकाव के कारण, एक स्थान पर दिन-रात छोटे होते रहते हैं।

3. ध्रुवों पर छह-छह महीने का दिन और रात का होना-धुरी के झुकाव के कारण उत्तरी ध्रुव 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है और प्रकाश में रहता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव 6 महीने अंधकार में ही रहता है। परिक्रमा के कारण ही उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में एक-दूसरे के विपरीत ऋतुएँ होती हैं।

4. ऋतु परिवर्तन-परिक्रमण और दूरी के झुकाव के कारण दिन-रात की लम्बाई में अंतर होता रहता है। कभी सूर्य की किरणें लम्ब रूप में और कभी ‘तिरछी पड़ती है, जिस के कारण सूर्य के ताप की मात्रा बदलती रहती है। फलस्वरूप, एक वर्ष में चार स्पष्ट ऋतुओं का निर्माण होता है, जिन्हें गर्मी, पतझड़, सर्दी और वसन्त ऋत कहते हैं।

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5. ताप कटिबंधों की रचना-परिक्रमा के कारण और सूर्य की किरणों के अनुसार अलग-अलग ताप कटिबंधों का विस्तार पता लगता है। कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच सूर्य की किरणें लगभग लम्ब रूप में पड़ती हैं और इसे ऊष्णकटीय बन्ध कहा जाता है। ध्रुवों तथा ध्रुवीय चक्रों के बीच के भाग को शीतकटीय बन्ध कहते हैं। यहां 24 घंटे से अधिक लम्बे दिन और रातें होती हैं और सूर्य की किरणें बहुत ही तिरछी पड़ती हैं। ऊष्णकटीय बन्ध और शीतकटीय बन्ध के बीच वाले भाग को शीत-ऊष्ण कटीय बन्ध (शीतोष्ण-कटीयबंध) कहते हैं।

6. आधी रात का सूर्य-21 मार्च से 23 सितम्बर तक 6 महीने के समय में आर्कटिक चक्र से उत्तर के भाग सूर्य की ओर झुके रहते हैं। इसलिए यहाँ दिन की लम्बाईं 24 घंटे से भी अधिक होती है। यहाँ आधी रात को भी सूर्य चमकता है, इसलिए नॉर्वे को ‘आधी रात के सूर्य का देश’ (Land of Midnight Sun) भी कहा जाता है।

7. भूमध्य रेखा, मकर रेखा और कर्क रेखा को निश्चित करना- जब 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें पृथ्वी के मध्यवर्ती भाग पर लम्ब रूप में पड़ती हैं, तो इसे भूमध्य रेखा कहते हैं। 21 – जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर और 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर लम्ब रूप में पड़ती हैं।

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प्रश्न (ख)
सूर्य मंडल (Solar System) के ग्रहों पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
सूर्य, ग्रह, उपग्रह और अनगिनत खगोलीय पिंड मिलकर सूर्य मंडल की रचना करते हैं। इसे सूर्य परिवार भी कहते हैं। सूर्य, सूर्य मंडल का केन्द्र और संचालक भी है। सूर्य मंडल में 8 ग्रह, 60 उपग्रह, अनगिनत उल्का, तारे और अनेक पुच्छल तारे शामिल हैं। ये सभी खगोलीय पिंड अपने-अपने ग्रह-पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य मंडल के अलग-अलग सदस्यों का वर्णन इस प्रकार है-

1. सूर्य (Sun)-सूर्य, सूर्य मंडल का सबसे बड़ा सदस्य है। सूर्य जलती हुई गैसों का एक विशाल तारा है। सूर्य के केंद्र का तापमान लगभग दो करोड़ सैंटीग्रेड है। इसका व्यास 14 लाख 94 हज़ार कि०मी० है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सभी ग्रह इसके चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। सूर्य हमारी धरती से लगभग 15 करोड़ कि० मी० दूर है। इसका प्रकाश धरती पर 812 मिनट में पहुँचता है। इसके ताप तथा प्रकाश के कारण ही पृथ्वी पर जीवन मिलता है।

2. ग्रह (Planets)—सूर्य मंडल के 8 ग्रह हैं, जो सूर्य के इर्द-गिर्द अंडाकार पथ पर परिक्रमा करते हैं।
सूर्य की दूरी के अनुसार इनके नाम हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण। बुध सूर्य के सबसे निकट और वरुण सबसे दूर स्थित है। वृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा है। यदि इन आठ ग्रहों को एक पंक्ति में रखा जाए, तो यह एक सिगार की शक्ल की रचना करते हैं।

i) बुध (Mercury)—यह सूर्य के सबसे निकट और सबसे छोटा ग्रह है। यह 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करता है। वायु-मंडल रहित ग्रह होने तथा अधिक तापमान के कारण यहाँ जीवन संभव नहीं है। यह सूर्य के उदय होने से दो घंटे पहले दिखाई देता है। इसे पूर्वी आकाश में ‘सुबह का तारा’ (Morning Star) कहा जाता है।

ii) शुक्र (Venus)-यह सूर्य मंडल का सबसे अधिक चमकीला ग्रह है। इसका आकार, व्यास और घनत्व पृथ्वी के समान है। यह आम तौर पर सूर्य अस्त होने के बाद पश्चिमी आकाश में दिखाई देता है। इसे ‘संध्या का तारा’ (Evening Star) कहते हैं। इसे Veiled Planet भी कहा जाता है।

iii) पृथ्वी (Earth)—पृथ्वी एक भाग्यशाली ग्रह है, क्योंकि यहाँ मनुष्य-जीवन संभव है। यह सूर्य से लगभग 15 करोड़ कि० मी० दूर है। इसका एक उपग्रह है, जिसे चन्द्रमा कहते हैं। यह अंडाकार पथ से 36574 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करती है। इसे Blue Planet भी कहा जाता है।

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iv) मंगल (Mars)–यह पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह है। अंतरिक्ष उपग्रह Viking द्वारा लिए गए इसके चित्रों से अनुमान लगाया गया है कि यहाँ वायुमंडल के कारण जीवन संभव है। मंगल ग्रह पर पहले ही प्रयास में पहुँचने वाला देश भारत है। 24 सितम्बर, 2014 को ISRO के Mars Orbit Mission के अधीन अन्तरिक्ष जहाज़ मंगल यान ने मंगल के Orbit में प्रवेश किया।

v) वृहस्पति (Jupiter)…यह सूर्य मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह के बहुत कम है और यहाँ हज़ारों किलोमीटर मोटी बर्फ जमी हुई है। मंगल और वृहस्पति ग्रहों के बीच
खाली स्थान पर छोटे-छोटे अवांतर ग्रह (Asteroids) फैले हुए हैं।

vi) शनि (Saturn)—यह सूर्य मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक सुन्दर परन्तु क्रूर ग्रह माना जाता है। इसके चारों तरफ तीन छल्ले चक्कर लगाते हैं। इसके 62 उपग्रह हैं। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाईटन (Titan) है।

vii) अरुण (Uranus)—इसकी खोज विलियम हरशौल ने 1781 में की थी। यहाँ तापमान कम होने के कारण जीवन की संभावना नहीं है।

viii) वरुण (Neptune)—यह ग्रह सूर्य से 450 करोड़ कि० मी० दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा 165 वर्षों में करता है। इसका रंग हरा दिखाई देता है।

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3. उपग्रह (Satellites)-उपग्रह अपने-अपने ग्रहों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड होते हैं। इनकी कुल संख्या 153 है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि सभी ग्रहों के उपग्रह नहीं हैं। केवल पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण के ही उपग्रह हैं। बुध, शुक्र और कुबेर का कोई उपग्रह नहीं है। ग्रहों के समान उपग्रहों का भी न अपना तापमान होता है और न ही अपना प्रकाश होता है। ये अपना ताप और प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं।

4. अवांतर ग्रह (Asteroids)—मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच लगभग 1500 छोटे-छोटे ग्रह हैं। ग्रहों के समान ये भी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करते हैं और अपने-अपने अंडाकार पथों पर सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं।

5. धूमकेतू अथवा पुच्छल तारे (Comets)-ये लम्बी पूंछ वाले पिन्ड हैं, जो गैसीय पदार्थों से बने होते हैं। ये कभी-कभी ही दिखाई देते हैं। पुच्छल तारे का नाम उस वैज्ञानिक के नाम पर रखा जाता है, जो उसका पता लगाता है। हैली (Halley) पुच्छल तारा 76 वर्षों बाद दिखाई देता है।

6. उल्का पिंड (Meteors)-रात के समय चलते हुए पदार्थ आकाश से धरती की ओर आते हुए नज़र आते हैं और पलभर में आलोप भी हो जाते हैं। इन टूटते हुए तारों को उल्का तारे कहते हैं। आमतौर पर ये मार्ग में ही जलकर राख हो जाते हैं और कुछ धरती पर भी गिरते हैं। रूस और अमेरिका की तरफ से छोड़े गए छोटे खगोलीय पिंड (स्पूतनिक) आदि भी पृथ्वी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं।

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प्रश्न (ग)
प्रमाणों का ज़िक्र करते हुए सिद्ध करें कि पृथ्वी गोल है।
उत्तर-
पृथ्वी का रूप (Shape of the Earth)-
प्राचीन विचार-प्राचीन काल में पृथ्वी के रूप के सम्बन्ध में कुछ अजीब विचार थे, परन्तु हज़ारों वर्षों के ज्ञान और अलग-अलग प्रयोगों ने इन्हें ग़लत सिद्ध कर दिया है।
पृथ्वी का चपटा रूप-देखने में पृथ्वी चपटी नज़र आती है, इसलिए बहुत-से विद्वानों ने इसे चपटी (Flat Disc) माना।

यूनान (Greek) के विद्वान् थेलज़ (Thales) के अनुसार ‘पृथ्वी गोल मेज़ की भाँति चपटी और गोल चक्कर (Disc shaped) के समान है।’ अनैक्सीमेंडर के अनुसार, “पृथ्वी बेलनाकार है।”

गोलनुमा पृथ्वी-प्राचीन समय में ही अरस्तु (Aristotle), टॉलमी (Ptolemy), आर्यभट्ट, भास्कर, आचार्य, फिलोलस (Philolaus), पाईथागोरस (Phythagorus) आदि विद्वानों ने प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि पृथ्वी गोलाकार है।

आधुनिक विचार-16वीं सदी में कॉपरनिकस (Copernicous) ने पृथ्वी की परिक्रमा (Revolution) के प्रमाणों से सिद्ध किया है कि पृथ्वी गोल है। परन्तु वास्तव में न्यूटन (Newton) ने 17वीं सदी में वैज्ञानिक प्रमाण पेश किया कि पृथ्वी पूरी तरह एक गोले के समान गोल नहीं है, बल्कि गोल वस्तु का बिगड़ा हुआ रूप है और गोलनुमा (Spheroid) है। 1903 ई० में सर जेमस जीनज़ (Sir James Jeans) ने बताया कि पृथ्वी नाशपाती के आकार (Pear Shaped) की है। पृथ्वी का अपना अलग आकार है। इसे नारंगी (Orange) अथवा नाशपाती आदि में से किसी के बिल्कुल अनुरूप नहीं कहा जा सकता। वास्तव में पृथ्वी का अपना अलग ही आकार है, जिसकी उपमा किसी अन्य वस्तु के साथ नहीं की जा सकती। यह विशेष आकार केवल पृथ्वी का ही है, इसलिए इस आकार को Geoid कहा गया है।
(Geo + Oid) (भू + आकार)

पृथ्वी ध्रुवों पर पिचकी या सी हुई (Flattered) है, पर भूमध्य रेखा पर बाहर की ओर उभरी हुई (Bulging) है। यही कारण है कि पृथ्वी के दोनों व्यास बराबर नहीं हैं जबकि एक गोले (Sphere) के सभी व्यास समान होते हैं।
पृथ्वी के विशेष आकार का कारण-पृथ्वी का विशेष आकार पृथ्वी की रोज़ाना गति (Rotation) के कारण है। पृथ्वी अपनी धुरी (Axis) के इर्द-गिर्द घूमती है।

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विकेंद्रित शक्ति (Centrifugal force) के कारण प्रत्येक घूमती हुई गोल वस्तु का रूप बिगड़ जाता है, इसीलिए पृथ्वी को भी a sphere of Rotation कहा गया है।
पृथ्वी एक गोलाकार पिंड का बिगड़ा हुआ रूप है। नीचे लिखे प्रमाण इस तथ्य की पुष्टि करते हैं-

1. दूर से आ रहे समुद्री जहाज़ की स्थिति-यदि समुद्र तट से दूर से आते हुए जहाज़ को देखें , तो सबसे पहले हमें उसका ऊपरी भाग भाव चिमनी दिखाई देती है। निकट आने पर धीरे-धीरे समुद्री जहाज़ पूरा दिखाई देने लगता है। यह गोलाकार पृथ्वी के कारण ही है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो शुरू से ही समुद्री जहाज़ पूरे का पूरा एक साथ ही नज़र आ जाता।

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2. दूसरे ग्रहों का गोल होना-सूर्य मंडल के दूसरे ग्रह और सूर्य गोलाकार पिंड हैं। पृथ्वी भी सूर्यमंडल का एक सदस्य है। इन्हीं के समान पृथ्वी भी अवश्य गोलाकार ही होगी।
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3. क्षितिज का गोल होना-क्षितिज (जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए प्रतीत होते हैं) सभी दिशाओं में गोल प्रतीत होता है। अधिक ऊँचाई पर क्षितिज का आकार बढ़ता जाता है। यदि पृथ्वी चपटी होती, तो क्षितिज का विस्तार हर एक ऊँचाई पर एक समान होता।
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4. सूर्य का उदय और अस्त होना-गोलाकार पृथ्वी के कारण अलग-अलग प्रदेशों में सूर्य के उदय और अस्त होने का समय भिन्न होता है। यदि पृथ्वी चपटी होती है तो पूरे संसार में सूर्योदय और सूर्यास्त का एक ही समय होता और समूचे तल पर एक ही समय में प्रकाश पहुँचता।

5. पृथ्वी की परिक्रमा-मैगेलन (Magallan) और फ्रांसिस ड्रेक नाविकों ने समुद्री जहाज़ से पृथ्वी की __ परिक्रमा करके यह सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। वे बिना मुड़े उसी स्थान पर पहुँच गए, जहाँ से उन्होंने यात्रा शुरू की थी।
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6. बेडफोर्ड लेवल नहर का प्रयोग-सन् 1870 ई० में इंग्लैण्ड की बेडफोर्ड लेवल नाम की एक नहर में ए० आर० वैलेस (A.R.Wallace) ने एक प्रयोग से सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। उसने नहर में एक-एक मील की दूरी पर बराबर ऊँचाई के तीन खम्भे इस तरह गाड़े कि वे जल-सतह से 14 फुट ऊँचे थे। सीधा देखने पर बीच वाला खम्भा आठ इंच ऊँचा दिखाई दिया। यह पृथ्वी की गोलाई के कारण है।
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7. अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रमाण-अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष और चंद्रमा से धरती के जो चित्र लिए हैं, उनसे सिद्ध होता है कि पृथ्वी गोलाकार है। ऐसे ही चित्र यूरी गार्गिन, नील आर्मस्ट्रांग और राकेश शर्मा ने अन्तरिक्ष में लिए थे।

प्रश्न (घ)
पृथ्वी पर मौसमों का बदलाव कैसे और क्यों होता है ? लिखें।
उत्तर-
ऋतु परिवर्तन-वर्ष भर में एक जैसा मौसम नहीं रहता। परिक्रमण तथा धुरी के झुकाव के कारण पृथ्वी की स्थिति सूर्य के सामने बदलती रहती है। फलस्वरूप दिन-रात की लम्बाई, सूर्य के ताप की मात्रा अलग-अलग होती है। इसी प्रकार परिक्रमा के दौरान पृथ्वी की अलग-अलग अवस्थाओं के अनुसार चार मुख्य ऋतुओं का निर्माण होता है-गर्मी की ऋतु, पतझड़ की ऋतु, सर्दी की ऋतु और वसंत की ऋतु। यह अवस्थाएँ क्रमानुसार 21 जून, 23 सिम्तबर, 21 मार्च और 22 दिसंबर को होती हैं।

ऋतु परिवर्तन के कारण-

  • पृथ्वी की धुरी का अपने ग्रह-पथ तल पर 66%2° के कोण पर झुका हुआ होना।
  • पृथ्वी की धुरी का सदा एक ही दिशा में झुका होना।
  • पृथ्वी की परिक्रमण गति।
  • दिन रात का छोटे और बड़े होना।

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1. 21 जून की अवस्था-

  • इस अवस्था में सूर्य कर्क रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है।
  • उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और दक्षिणी ध्रुव सूर्य से दूर होता है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध का अधिक भाग सूर्य की रोशनी में रहता है। उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
  • दक्षिणी गोलार्द्ध का अधिक भाग अंधकार में रहता है। यहाँ दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। 21 जून दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है।
  • इस प्रकार लम्ब रूप किरणों तथा दिन बड़े होने के कारण, उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य के ताप की मात्रा अधिक होती है और गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में तिरछी किरणों और छोटे दिनों के कारण सर्दी की ऋतु होती है।
  • इस अवस्था को कर्क संक्रांति अथवा कर्क समपात (Summer Solstice) कहते हैं।

2. 22 दिसम्बर की अवस्था-

  • इस अवस्था में सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्ब रूप में पड़ती हैं।
  • दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने और उत्तरी ध्रुव सूर्य से परे होता है।
  • दक्षिणी गोलार्द्ध का अधिक भाग सूर्य की रोशनी में रहता है। फलस्वरूप दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। 22 दिसम्बर दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक भाग अंधकार में रहता है। यहाँ दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। 22 दिसम्बर उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है।
  • इस प्रकार लम्ब रूप में किरणों, बड़े दिनों और अधिक सूर्य के ताप की मात्रा के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु होती है।
  • इस अवस्था को मकर संक्रांति अथवा मकर समपात (Winter Solstice) भी कहते हैं।

3. 21 मार्च और 23 सितम्बर की अवस्थाएँ-

  • इन अवस्थाओं में दोनों ध्रुव सूर्य की ओर समान रूप से झुके होते हैं।
  • सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्ब रूप में चमकती हैं।
  • रोशनी चक्र बिल्कुल ध्रुवों के बीच से निकलता है और दोनों ध्रुवों पर समान रूप से रोशनी पहुँचती है।
  • प्रत्येक अक्षांश का आधा भाग अन्धकार में तथा आधा भाग प्रकाश में रहता है, इसीलिए पृथ्वी पर दिन रात. बराबर होते हैं।
  • दोनों गोलार्डों में सूर्य का ताप और दिन-रात बराबर होने के कारण एक समान ऋतुएँ होती हैं।
  • 21 मार्च को उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु होती है। इस स्थिति को वसन्त समरात्रि (Spring equinox) भी कहते हैं।
  • 23 सितम्बर को उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में वसन्त ऋतु होती है। इस अवस्था को पतझड़ समरात्रि (Autumn equinox) कहते हैं।

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प्रश्न (ङ)
उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी गोलार्डों पर नोट लिखें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ किसी स्थान की स्थिति के बारे में जानकारी देती हैं। पृथ्वी के मध्य में जो काल्पनिक रेखा खींची गई है, उसे भूमध्य रेखा कहते हैं। पृथ्वी गोल है और इसका नाप 360° है। भूमध्य रेखा और पृथ्वी की धुरी (90° N से 90° S 32) मिलकर पृथ्वी को चार भागों में बाँटते हैं। भूमध्य रेखा को 0° अक्षांश माना जाता है।

इस प्रकार पृथ्वी के चार भाग नीचे लिखे हैं-

  1. उत्तरी गोलार्द्ध – . 0° to 90° N
  2. दक्षिणी गोलार्द्ध – 0° to 90° S
  3. पूर्वी गोलार्द्ध – 0° to 180° E
  4. पश्चिमी गोलार्द्ध – 0° to 180° W.

मुख्य मध्याह्न (Prime Meridian)—यह पृथ्वी को दो भागों में बाँटती है-पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध। मुख्य मध्याह्न रेखा के पूर्वी भाग को पूर्वी गोलार्द्ध कहते हैं, जबकि पश्चिमी भाग को पश्चिमी गोलार्द्ध कहते हैं। पूर्वी गोलार्द्ध में समय आगे होता है और पश्चिमी गोलार्द्ध में समय पीछे होता है। 180° देशांतर पर पूर्वी और पश्चिमी देशांतर रेखाएँ मिल जाती हैं।

प्रश्न (च)
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में कथा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में भिन्न-भिन्न सिद्धान्त-

  • पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में लैपलेस के अतिरिक्त ऐमनुअल कांट (Cant), चैम्बरलेन और मोल्टन ने भी अपने सिद्धान्त दिए।
  • जेम्स जीनज़ और हैरोल्ड जैफरी ने चैम्बरलेन के मत का समर्थन किया।
  • सन् 1950 में रूस के ऑटोस्मिथ और जर्मनी के कार्ल वाईजास्कर ने निहारिका परिकल्पना में कुछ सुधार किया। इनके मतानुसार सूर्य एक ओर से निहारिका से घिरा हुआ है, जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम और धूल-कणों से बना हुआ है। इन कणों की रगड़ से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ।

आधुनिक सिद्धान्त-आधुनिक युग का सबसे अधिक माना जाने वाला सिद्धान्त बिग बैंग सिद्धान्त (Big Bang Theory) है। सन् 1920 में एडेविन हबल ने यह प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड फैल रहा है। 1950 और 1960 में इस सिद्धान्त को निश्चित समझ लिया गया।

  • 1972 में यह सही मान लिया गया कि कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्सप्लोरर (Cosmic Background Explorer) के प्रमाण के कारण, इस सिद्धान्त के अनुसार वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अत्यधिक छोटे बिंदुओं के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे।
  • इनमें एक भयानक विस्फोट हुआ। बिग बैंग के पहले तीन मिनट के भीतर ही पहले अण का निर्माण हुआ।
  • यह घटना 15 अरब (Billion) वर्ष पहले घटी थी।
  • इस विस्फोट के फलस्वरूप बाद में आकाश गंगा, तारों और ग्रहों का जन्म हुआ। इस प्रकार जैसे-जैसे ब्रह्मांड फैलता गया, आकाश गंगा (Galaxies) एक-दूसरे से दूर होती गईं। यह माना जाता है कि एक आग के गोले (Single fireball) के धमाके से कई टुकड़े अलग होने की घटना 15 अरब साल (Billion) पहले घटी थी।
    चित्र-बिग बैंग प्रक्रिया का काल्पनिक ग्राफिक थी।

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Geography Guide for Class 11 PSEB पृथ्वी Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
सूर्य मण्डल के सबसे बड़े ग्रह का नाम बताएँ।
उत्तर-
वृहस्पति।

प्रश्न 2.
सूर्य और पृथ्वी के बीच कितनी दूरी है ?
उत्तर-
15 करोड़ किलोमीटर।

प्रश्न 3.
सूर्य से धरती पर प्रकाश की किरणें कितनी देर में पहुँचती हैं ?
उत्तर-
8 मिनट 22 सैकिंड।

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प्रश्न 4.
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास बताएँ।
उत्तर-
12714 किलोमीटर।

प्रश्न 5.
बेडफोर्ड लेवल नहर का प्रयोग किसने किया था ?
उत्तर-
ए० आर० वैलेस ने।

प्रश्न 6.
सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्ब रूप में कब पड़ती हैं ?
उत्तर-
21 जून।

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प्रश्न 7.
भारत का प्रामाणिक समय किस देशांतर से लिया जाता है ?
उत्तर-
82/2° पूर्व।

प्रश्न 8.
कर्क रेखा का अक्षांश बताएँ।
उत्तर-
23172° N.

प्रश्न 9.
पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर कितने समय में लगाती है ?
उत्तर-
23 घंटे 56 मिनट 4 सैकिंड।

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प्रश्न 10.
उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन बताएँ।
उत्तर-
21 जून।

बहुविकल्पी प्रश्न

नोट-सही उत्तर चुनकर लिखें-

प्रश्न 1.
सूर्य के सबसे निकट के ग्रह का नाम बताएँ-
(क) पृथ्वी
(ख) शुक्र
(ग) बुध
(घ) शनि।
उत्तर-
बुध।

प्रश्न 2.
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास बताएँ-
(क) 12000 कि०मी०
(ख) 12500 कि०मी०
(ग) 12710 कि०मी०
(घ) 12714 कि०मी० ।
उत्तर-
12714 कि०मी०।

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प्रश्न 3.
बैडफोर्ड लेवल नहर कहाँ है ?
(क) इंग्लैंड
(ख) जर्मनी
(ग) फ्रांस
(घ) हॉलैंड।
उत्तर-
इंग्लैंड।

प्रश्न 4.
1° देशांतर के लिए समय में अंतर बताएं-
(क) 2 मिनट
(ख) 3 मिनट
(ग) 4 मिनट
(घ) 5 मिनट।
उत्तर-
4 मिनट।

प्रश्न 5.
‘आधी रात का सूर्य’ किस देश को कहते हैं ?
(क) नॉर्वे
(ख) स्वीडन
(ग) फिनलैंड
(घ) आईसलैंड।
उत्तर –
नॉर्वे!

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-

प्रश्न 1.
पृथ्वी की आयु का वर्णन करें।
उत्तर-
पृथ्वी की आयु ब्रह्मांड से लगभग एक-तिहाई है। पृथ्वी का गठन 4.54 अरब वर्ष पहले हुआ। इसकी सतह पर जीवन का विकास लगभग 1 अरब वर्ष पूर्व हुआ।

प्रश्न 2.
बिग बैंग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
बिग बैंग (Big Bang) एक बहुत बड़े विस्फोट को कहा जाता है, जिसके कारण पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।

प्रश्न 3.
नेबुयला सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
नेबुयला बहुत ठंडा, गैसों और धूल का बादल था, जिसके सिकुड़ने के कारण पृथ्वी की उत्पत्ति हुई। विकिरण के कारण नेबुयला में से कई छल्ले बाहर की ओर फेंके गए, जो ठंडे होकर ग्रह बन गए। यह सिद्धान्त कांट और लैपलेस ने प्रस्तुत किया।

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प्रश्न 4.
आकाश-गंगा का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
रात को तारों की एक चौड़ी और लम्बी चमकदार सड़क दिखाई देती है। इस चमकदार मेहराब (Arch) को आकाश–गंगा कहते हैं।

प्रश्न 5.
सूर्य मंडल के कुल मादे के अलग-अलग पदार्थ बताएँ।
उत्तर-
सूर्य – 99.85%
ग्रह – 0.135%
पूँछ वाले तारे – 0.01%
उपग्रह – 0.00005%
उल्का . – 0.0000001%

प्रश्न 6.
सूर्य के अलग-अलग भाग बताएँ और उनका तापमान बताएँ।
उत्तर-
सूर्य का जो भाग हमें दिखाई देता है, उसे प्रकाश-मण्डल (Photosphere) कहते हैं, जिसका तापमान 6000° kelvin है। मध्यभाग को क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) कहते हैं, जिसका तापमान 10,000 Kelvin है। मध्यवर्ती केंद्रीय भाग को कोरोना (Corona) कहते हैं, जिसका तापमान 10 लाख दर्जे Kelvin है।

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प्रश्न 7.
सूर्य कलंक तथा चुंबकीय क्षेत्र क्या हैं ?
उत्तर-
सूर्य पर बने काले धब्बों को सूर्य कलंक कहते हैं। जब इन धब्बों की गिनती बहुत बढ़ जाती है तो धरती पर चुम्बकीय हवाएं चलती हैं। इससे जहाज़ों की दिशा में भूल हो जाती है।

प्रश्न 8.
सूर्य मण्डल के अन्दरूनी और बाहरी ग्रह कौन-से हैं ?
उत्तर-
सूर्य के निकट घूमने वाले ग्रहों को अदंरूनी ग्रह (Inner Planets) अथवा Terrestial Planets कहते हैं। ये चार ग्रह हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल।
सूर्य से दूर घूमने वाले ग्रहों को बाहरी ग्रह (Outer Planets) अथवा Jovian Planets कहते हैं। ये चार ग्रह हैं-बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।

प्रश्न 9.
शनि ग्रह की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-

  • यह सूर्य मण्डल का दूसरा बड़ा ग्रह है।
  • इसके इर्द-गिर्द तीन छल्ले (Rings) चक्कर लगाते हैं।
  • कम तापमान (-150°C) के कारण यहाँ जीवन संभव नहीं है।

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प्रश्न 10.
सुबह का तारा और शाम का तारा किस ग्रह को कहते हैं ?
उत्तर-
बुध ग्रह को सुबह का तारा और शुक्र ग्रह को शाम का तारा कहते हैं।

प्रश्न 11.
बौने ग्रह (Dwarf Planets) कौन-से हैं ?
उत्तर-
छोटे आकार के बौने ग्रह नीचे लिखे हैं.-

  • सीरस
  • एरीज़
  • मेक मेक
  • हयुमीया।

प्रश्न 12.
उल्का से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
रात को कभी-कभी आसमान में टूटते हुए तारे दिखाई देते हैं। इन्हें उल्का अथवा Shooting Stars कहते हैं। इनके छोटे टुकड़े धरती पर भी गिरते हैं, जिन्हें Meteroits कहते हैं। अमेरिका के ऐरीजोना के मरुस्थल में एक उल्का के गिरने से एक बड़ा क्रेटर बन गया था।

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प्रश्न 13.
पृथ्वी के आकार का नाप करने वाले वैज्ञानिकों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सबसे पहले हेवरीज नामक विद्वान् ने धरती की आकृति अर्द्ध-चक्र जैसी बताई। इसके बाद थेलज़ ने पृथ्वी को गोल मेज़ की तरह बताया। ऐंगज़ीलैंडर ने पृथ्वी को बेलनाकार बताया। इसके बाद ईरेटोस्थनीज़ ने पृथ्वी को गोल बताया।

प्रश्न 14.
पृथ्वी की प्रमुख अक्षांश रेखाएँ बताएँ।
उत्तर-

  • भूमध्य रेखा – 0°
  • कर्क रेखा – 23.5° N
  • मकर रेखा – 23.5° S
  • 3706f2afi alghi – 66\(\frac{1}{2}\)° N
  • अंटार्कटिक चक्र – 66\(\frac{1}{2}\) S
  • उतरी धुव – 90° N
  • दक्षिणी – 90°S

प्रश्न 15.
भारत के मानक समय पर एक नोट लिखें ।
उत्तर-
भारत में 82\(\frac{1}{2}\)° पूर्व देशांतर के स्थानीय समय को पूरे भारत में मानक समय माना जाता है। \(\frac{1}{2}\)° देशांतर इलाहाबाद और मिर्जापुर के मध्य से निकलती है।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
सूर्य मण्डल के नौ ग्रहों की सूर्य से दूरी के क्रम और आकार के अनुसार नाम बताएँ।
उत्तर-
सूर्य और नौ ग्रह मिलकर सूर्य मण्डल अथवा सूर्य-परिवार की रचना करते हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों के नाम इस प्रकार हैं(i) बुध (ii) शुक्र (iii) पृथ्वी (iv) मंगल (v) बृहस्पति (vi) शनि (vii) अरुण (viii) वरुण। इस प्रकार बुध ग्रह सूर्य से सबसे निकट है और वरुण ग्रह सूर्य से सबसे दूर है।

सूर्य मण्डल के ग्रहों का आकार एक समान नहीं है। सूर्य मण्डल में बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है और बुध सबसे छोटा ग्रह है। बृहस्पति, शनि, अरुण बड़े ग्रह हैं और बुध, वरुण, मंगल, शुक्र और पृथ्वी छोटे ग्रह हैं। आकार के अनुसार इनका क्रम इस प्रकार है(i) बृहस्पति (i) शनि (iii) अरुण (iv) वरुण (v) पृथ्वी (vi) शुक्र (vii) मंगल (viii) बुध ।

प्रश्न 2.
सूर्य के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
सूर्य, सूर्य मण्डल का सबसे बड़ा सदस्य है। सूर्य एक विशाल जलता हुआ खगोलीय पिंड हैं। इस गर्म पिंड की सतह पर तापमान लगभग 6000°C है। इसका व्यास 14 लाख 93 हज़ार किलोमीटर है। आयतन के अनुसार सूर्य धरती से 13 लाख गुणा बड़ा है। आकार की दृष्टि से सूर्य धरती से 3 लाख 30 हज़ार गुणा बड़ा है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सभी ग्रह इसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। सूर्य चारों तरफ से गैसों के गोलों से घिरा हुआ है। यह सूर्य मंडल को प्रकाश और गर्मी प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
चन्द्रमा (Moon) पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर–
चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग 3 लाख 52 हज़ार किलोमीटर दूर है। पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक चक्कर लगाने में इसे 29/2 दिन लगते हैं। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की शक्ति का 1/5 भाग है। चन्द्रमा हवा और पानी से रहित उपग्रह है। यहाँ कम तापमान होने के कारण जीवन संभव नहीं है। चन्द्रमा सूर्य से ताप और प्रकाश ग्रहण करता है। सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) नाम का अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री 28 जुलाई, 1969 को चन्द्रमा पर उतरा था।

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प्रश्न 4.
पुच्छल तारे और उल्का तारे में अंतर बताएँ।
उत्तर-
पुच्छल तारे और उल्का तारे में अंतर-

पुच्छल तारे (Comets)- उल्का तारे (Meteors)-
1. ये गैसों से बने लम्बी पूंछ वाले तारे होते हैं। 1. ये ठोस खगोलीय पिंड होते हैं, जो पृथ्वी की ओर चलते हुए प्रतीत होते हैं।
2. इन्हें धूमकेतू (Comets) भी कहा जाता है। 2. इन्हें टूटते हुए तारे (shooting stars) भी कहा जाता है।
3. ये सूर्य की आकर्षण शक्ति के साथ पृथ्वी के निकट आते हैं। 3. ये पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं।
4. इनकी अपनी रोशनी नहीं होती। ये अंडाकार रूप में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। 4. ये वायुमंडल की रगड़ से जलने लगते हैं और पृथ्वी पर गिरकर धंस जाते हैं।

 

प्रश्न 5.
पृथ्वी और मंगल ग्रह की तुलना करें।
उत्तर-
पृथ्वी और मंगल ग्रह की तुलना-

पृथ्वी (Earth) – मंगल ग्रह
1. पृथ्वी का व्यास 12736 किलोमीटर है। 1. मंगल ग्रह का व्यास 6,752 किलोमीटर है।
2. पृथ्वी सूर्य से 14 करोड़ 90 लाख किलोमीटर दूर है। 2. मंगल ग्रह सूर्य से 22 करोड़ 27 लाख किलोमीटर दूर है।
3. पृथ्वी अपने ग्रह-पथ पर 23 घंटे 56 मिनटों में एक चक्कर पूरा करती है। 3. मंगल ग्रह अपने ग्रह-पथ पर 24 घंटे 37 . मिनटों में एक चक्कर पूरा करता है।
4. पृथ्वी 365-1/4 दिनों में सूर्य के इर्द-गिर्द एक चक्कर पूरा करती है। 4. मंगल ग्रह सूर्य के इर्द-गिर्द 687 दिनों में एक चक्कर पूरा करता है।
5. पृथ्वी का एक उपग्रह है। 5. मंगल ग्रह के दो उपग्रह हैं।

 

प्रश्न 6.
पृथ्वी को एक भाग्यशाली ग्रह क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन संभव है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैसों के कारण यहाँ मनुष्य और वनस्पति जीवित हैं। पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी केवल 81 मिनटों में पहुंच जाती है। पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण मौसम बनते हैं। सूर्य ताप, पवनों और वर्षा को जन्म देता है। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है, जो पृथ्वी पर ज्वारभाटा पैदा करता है। यही कारण हैं कि इसे भाग्यशाली ग्रह कहते हैं।

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प्रश्न 7.
“पृथ्वी गोलनुमा होते हुए भी चपटी नज़र आती है।” कारण बताएँ।।
उत्तर-
आमतौर पर पृथ्वी गोलाकार है। यह एक विशाल गोलनुमा पिंड है। इसका घेरा 40,000 किलोमीटर है। इतने बड़े घेरे वाले गोले में साधारण उभार नज़र नहीं आता है। यह गोलाई छोटे-से क्षेत्र में नाम मात्र ही होती है। इस प्रकार प्रत्येक भाग में पृथ्वी चपटी और सपाट ही प्रतीत होती है। अन्तरिक्ष से ही धरती के रूप का अनुभव होता है।

प्रश्न 8.
अन्तरिक्ष यात्री और महासागरों की परिक्रमा करने वाले यात्रियों के नाम बताएँ और प्रमाण सहित बताएँ कि पृथ्वी गोल है।
उत्तर-
अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रमाण–अन्तरिक्ष यात्रियों ने अन्तरिक्ष और चन्द्रमा से धरती के जो चित्र लिए हैं, उनसे सिद्ध होता है कि पृथ्वी गोलाकार है। ऐसे चित्र यूरी गार्गिन, नील आर्मस्ट्रांग, राकेश शर्मा और कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में लिए थे।

पृथ्वी की परिक्रमा–मैगेलिन (Megallan) और फ्रांसिस ड्रेक नाविकों ने समुद्री जहाज़ के द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करके यह सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। वे बिना मुड़े उसी स्थान पर पहुँच गए, जहाँ से उन्होंने यात्रा शुरू की थी।

प्रश्न 9.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर देशान्तर की लम्बाई कम क्यों होती जाती है ?
उत्तर-
पृथ्वी गोलाकार पिन्ड है। भूमध्य रेखा धरती पर सबसे बड़ा अक्षांश चक्र है। ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांश चक्र छोटे होते जाते हैं। ऐसा धरती के गोलाकार होने के कारण है। इनके फलस्वरूप प्रत्येक अक्षांश पर 10 देशान्तर की लम्बाई भी कम होती जाती है। ध्रुवों के निकट देशान्तर के लिए स्थान कम हो जाता है, जिस प्रकार-

  • भूमध्य रेखा पर देशान्तर की लम्बाई = 111 km
  • 45° अक्षांश पर देशान्तर को लम्बाई – 79 km
  • 60° अक्षांश पर देशान्तर की लम्बाई = 55 km
  • 90° अक्षांश पर देशान्तर की लम्बाई = Zero

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प्रश्न 10.
प्रत्येक देशान्तर पर समय का चार मिनट का अन्तर क्यों होता है ?
अथवा
देशांतर और समय में क्या संबंध है ?
उत्तर-
देशान्तर और समय का निकट का सम्बन्ध है। पृथ्वी 24 घण्टों में अपने ध्रुवों के इर्द-गिर्द एक चक्कर पूरा करती है भाव पृथ्वी 360° घूम जाती है। इसलिए 1° देशान्तर घूमने के लिए समय = \(\frac{24 \times 60}{360}\) मिनट = 4 मिनट होता है। यदि दो स्थानों में 1° देशान्तर का अन्तर है, तो उनके स्थानीय समय में 4 मिनट का अन्तर होगा। यदि यह अन्तर 15° हो, तो समय में अन्तर 15 x 4 = 60 मिनट अथवा एक घण्टा होगा।

पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूमने की गति के कारण पूर्व की ओर जाने पर समय बढ़ जाता है, परन्तु पश्चिम की ओर जाने से समय कम हो जाता है। इस सम्बन्ध में नीचे लिखे नियमों का प्रयोग किया जाता है
(East-Gain–Add)
(West–Lose—Subtract)

प्रश्न 11.
मानक समय की क्या ज़रूरत है ?
उत्तर-
1. ज़रूरत (Necessity)-

  • अलग-अलग स्थानों पर अलग समय होने के कारण स्थानीय समय का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इससे रोज़ाना के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ पैदा हो जाती हैं। प्रत्येक देशान्तर पर हमें घड़ी चार मिनट आगे या पीछे करनी पड़ेगी।
  • प्रत्येक स्थान पर स्थानीय समय के प्रयोग से डाक, तार, रेल आदि विभागों के काम में विघ्न पड़ जाता है।
  • प्रत्येक देश में समय की एकरूपता (Uniformity of Time) कायम करने के लिए मानक समय का होना ज़रूरी है।
  • अलग-अलग देशों के समय के साथ सम्बन्ध रखने के लिए मानक समय का होना जरूरी है।
  • हवाई जहाजों, समुद्री जहाजों पर लम्बी यात्रा और संचार साधनों के लिए प्रामाणिक समय का ज्ञान ज़रूरी है।

2. अक्षांश रेखाओं से किसी स्थान की भूमध्य रेखा से दूरी पता की जा सकती है। 1° देशान्तर में लगभग 111 किलोमीटर की दूरी होती है।
3. अक्षांश रेखाओं की मदद से किसी स्थान के तापमान का अनुमान लगाया जा सकता है।
4. ये रेखाएँ मानचित्र बनाने में भी सहायक होती हैं।

प्रश्न 12.
जब साइबेरिया (रूस) में पहली जनवरी की तिथि होती है, तब अलास्का (संयुक्त राज्य) में 31 दिसम्बर की तिथि होगी। क्यों ?
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा 180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ निश्चित की गई एक रेखा है। इस तिथि रेखा को पार करने पर समुद्री जहाज़ समय में एक दिन को कम कर लेते हैं या बढ़ा लेते हैं, ताकि अलगअलग देशों का प्रामाणिक समय अलग-अलग होने के कारण समय में विघ्न न पड़े। साइबेरिया पूर्व में स्थित है और अलास्का पश्चिम में। पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए यात्री अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पार करने के बाद एक दिन का अंतर करके अगले दिन को भी वही दिन समझ लेते हैं। इस प्रकार अलास्का में पहली जनवरी के स्थान पर 31 दिसम्बर की तिथि होती है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी

प्रश्न 13.
समय-कटिबंध पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
कई बड़े देशों का पूर्व-पश्चिम में देशान्तरीय विस्तार अधिक है, जिस प्रकार सोवियत रूस का विस्तार 165° देशान्तर है। इन देशों में कई मानक समयों का प्रयोग किया जाता है। देश के अलग-अलग मानक समयों वाले भागों को समय-कटिबंध (Time Zone) कहते हैं। किसी देश को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जाता है। प्रत्येक क्षेत्र का अपना मानक समय होता है। एक समय-कटिबंध से दूसरे समय-कटिबंध में प्रवेश करने पर घड़ि दूसरे कटिबंध के समय के अनुसार ठीक करनी पड़ती हैं। प्रत्येक समय-कटिबंध का विस्तार 15° देशान्तर होता है और समय में एक घण्टे का अन्तर होता है। संयुक्त राज्य में 4 समय-कटिबंध, कनाडा में 6 समय-कटिबंध और रूस में 11 समय-कटिबंध हैं। ट्रांस-साईबेरियन रेल मार्ग के यात्रियों को अन्तिम स्टेशन तक पहुँचते-पहुँचते कई बार अपनी घड़ियाँ ठीक करनी पड़ती हैं।

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प्रश्न 14.
देशान्तर और देशान्तर रेखाओं में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
देशान्तर और देशान्तर रेखाओं में अन्तर-

देशान्तर (Longitude)- देशान्तर रेखा (Line of Longitude)-
1. पश्चिम की ओर कोणात्मक दूरी को देशान्तर कहते हैं। 1. देशान्तर रेखाएँ उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को मिलाती हैं और भूमध्य रेखा को लम्ब रूप में काटती हैं।
2. देशान्तर किसी स्थान की दूरी को प्रकट करता है। 2. देशान्तर रेखाएँ किसी स्थान का देशान्तर प्रकट करती हैं।
3. देशान्तर को रेखांश (Parallels) भी कहा जाता है। 3. इन्हें मध्याह्न रेखाएँ (Meridians) भी कहा जाता है।
4. देशान्तर 180° पूर्व और 180° पश्चिम तक होता है। 4. देशान्तर रेखाएँ उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची जाती हैं।
5. ग्रीनविच का देशान्तर शून्य माना गया है। 5. देशान्तर रेखाएँ समान लम्बाई वाली होती हैं।

प्रश्न 15.
स्थानीय समय और प्रामाणिक समय में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
स्थानीय समय और प्रामाणिक समय में अन्तर-

मानक समय (Standard Time) स्थानीय समय (Local time)
1. स्थानीय समय प्रत्येक स्थान के देशान्तर के अनुसार होता है। 1. मानक समय किसी देश के केंद्रीय देशान्तर के अनुसार होता है।
2. प्रत्येक स्थान पर स्थानीय समय अलग-अलग होता है। 2. सभी स्थानों पर मानक समय एक समान होता है।
3. जब किसी देशान्तर पर दोपहर को सूर्य लम्ब रूप में हो, तब 12 बजे का समय होता है। 3. मानक समय का दोपहर के समय सूर्य की स्थिति से कोई सम्बन्ध नहीं होता।
4. एक देशान्तर पर सभी स्थानों का समय एक होता है। 4. किसी देश के सभी स्थानों पर मानक समय एक होता है।
5. 1° देशान्तर पर समय में चार मिनट का अन्तर होता है। 5. मानक समय में कोई परिवर्तन नहीं होता।

 

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी

प्रश्न 16.
दिन-रात किस प्रकार बनते हैं ? चित्र द्वारा समझाएँ।
उत्तर-
धरती की दैनिक गति के कारण दिन और रात बनते हैं। धरती अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। गोलाकार होने के कारण धरती का आधा भाग सूर्य के सामने प्रकाश में रहता है और वहाँ दिन
PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी 17
होता है। बाकी आधा भाग सूर्य से परे अन्धकार में रहता है और वहाँ रात होती है। प्रत्येक भाग क्रम से सूर्य के सामने आता है और दूसरा अन्धकार में चला जाता है। इस प्रकार दिन और रात बनते हैं।

प्रश्न 17.
दिन और रात छोटे-बड़े होने का क्या कारण है ?
उत्तर-
गरमी के मौसम में दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, जबकि सर्दी के मौसम में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। इसके नीचे लिखे कारण हैं-

  • पृथ्वी की वार्षिक गति-परिक्रमा के कारण छह महीने के लिए उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है और वहाँ दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, परंतु दूसरे छह महीने दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है। इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में रातें छोटी और दिन बड़े होते हैं।
  • धुरी का झुका होना-पृथ्वी की धुरी ग्रह-पथ पर 66/2° के कोण पर झुकी हुई है, इसलिए प्रत्येक अक्षांश पर दिन-रात समान नहीं होते।

प्रश्न 18.
नॉर्वे को ‘आधी रात के सूर्य का देश’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
नॉर्वे उत्तरी ध्रुवीय चक्र (66/2° अक्षांश) के उत्तर में स्थित है। गर्मी की ऋतु में उत्तरी ध्रुवीय चक्र से उत्तर के प्रदेशों में दिन की लम्बाई 24 घण्टे से अधिक होती है। यह प्रदेश सूर्य की ओर झुके होने के कारण छह महीनों तक लगातार प्रकाश में होता है। यहाँ सूर्य लगातार क्षितिज के ऊपर ही रहता है और उस समय भी दिखाई देता है, जब बाकी के भागों में घड़ी के अनुसार आधी रात का समय होता है। इसीलिए नॉर्वे को आधी रात के सूर्य का देश (Land of midnight sun) भी कहा जाता है।

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प्रश्न 19.
दैनिक गति और वार्षिक गति में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
दैनिक गति और वार्षिक गति में अन्तर-

दैनिक गति (Rotation) – दैनिक गति (Rotation) –
1. जब पृथ्वी अपनी धुरी पर लटू के समान घूमती है, तो इसे दैनिक गति कहते हैं। 1. जब पृथ्वी अपनी धुरी पर लटू के समान घूमती है, तो इसे दैनिक गति कहते हैं।
2. दैनिक गति में एक चक्कर पूरा करने में 23 घण्टे 56 मिनट 4 सैकिंड का समय लगता है। 2. दैनिक गति में एक चक्कर पूरा करने में 23 घण्टे 56 मिनट 4 सैकिंड का समय लगता है।
3. पृथ्वी धुरी पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है। 3. पृथ्वी धुरी पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है।

 

प्रश्न 20.
कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति में अन्तर-

कर्क संक्रांति (Summer Solstice) मकर संक्रांति (Winter Solstice)
1. परिक्रमा के समय 21 जून को पृथ्वी की अवस्था को मकर संक्रांति कहते हैं। 1. परिक्रमा के समय 22 दिसम्बर को पृथ्वी की अवस्था को कर्क संक्रांति कहते हैं।
2. इस अवस्था में उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और सूर्य मकर रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है। 2. इस अवस्था में दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और सूर्य कर्क रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है।
3. उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े होते हैं और गर्मी की ऋतु होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन छोटे हैं और सर्दी की ऋतु होती है। 3. उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटे होते हैं और सर्दी की ऋतु होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े और गर्मी की ऋतु होती है।
4. यह अवस्था 22 दिसम्बर की अवस्था के विपरीत होती है। 4. यह अवस्था 21 जून की अवस्था के विपरीत होती है।

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निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
पृथ्वी के विस्तार का नाप किस प्रकार किया गया है ?
उत्तर-
पृथ्वी का विस्तार (Size of the Earth)—पृथ्वी का आकार गोलनुमा (Spheroid) है। प्राचीन काल में पृथ्वी को चपटा माना जाता था। जब प्राचीन नक्षत्र वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के गोलाकार होने के प्रमाण दिए, तब पृथ्वी के विस्तार की जानकारी प्राप्त करने के प्रयत्न किए गए।

सबसे पहले सन् 200B.C. में एक यूनानी नक्षत्र वैज्ञानिक ईरेटोस्थनीज़ (Eratosthenes) ने पृथ्वी के विस्तार को मापने का प्रयत्न किया। उसने 21 जून के दिन नील नदी पर स्थित साइन (Syene) शहर (इस समय आसवान शहर) में दोपहर के समय सूर्य की किरणें एक कुएं के पानी पर लम्ब रूप में पड़ती हुई देखीं। उसने अनुमान लगाया कि वहां सूर्य की ऊँचाई 90° है।

अगले वर्ष 21 जून को अल्गज़ानद्रिया शहर में सूर्य की किरणों की ऊँचाई देखी। यह ऊँचाई लम्ब रूप में नहीं थी। यह ऊँचाई साइन शहर में मापी गई ऊँचाई से 7.2° कम थी। साइन शहर और अल्गजानद्रिया शहर के बीच की दूरी 5000 स्टेडिया थी, जो कि 925 किलोमीटर के बराबर है। इस प्रकार पृथ्वी को गोलाकार और इसके केंद्र में चक्र के समान 360° के कोण को मान कर पृथ्वी का घेरा निकालने का प्रयत्न किया गया।
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इस तरह वर्तमान काल में पृथ्वी का मापा गया घेरा, व्यास आदि और ईरेटोस्थनीज़ द्वारा किए गए माप में बहुत अन्तर नहीं है।

प्रश्न 2.
अक्षांश और देशान्तर रेखाओं से क्या तात्पर्य है ? उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ (Lines of Latitude)-अक्षांश रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं, जो बराबर अक्षांश वाले स्थानों को मिलाती हैं। ये रेखाएँ भूमध्य रेखा के समानांतर होती हैं और गोल-चक्र होती हैं। ये रेखाएँ पूर्वपश्चिमी दिशा में खींची जाती हैं। भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती हैं। भूमध्य रेखा सबसे बड़ा अक्षांश चक्र है। पृथ्वी की गोलाई के कारण अक्षांश रेखाओं की लम्बाई ध्रुवों की ओर लगातार कम होती जाती है। ध्रुव केवल बिन्दु मात्र ही रह जाते हैं। अक्षांश रेखाओं की कुल गिनती 180 होती है- 90° उत्तर और 90° दक्षिण प्रमुख अक्षांश रेखाएँ नीचे लिखी हैं-

(i) भूमध्य रेखा–0° अक्षांश
(ii) कर्क रेखा-237° उत्तर
(iii) मकर रेखा-23/2° दक्षिण
(iv) उत्तरी ध्रुव चक्र-66/2° उत्तर
(v) दक्षिणी ध्रुव चक्र-66/2° दक्षिण
(vi) उत्तरी ध्रुव-90° उत्तर
(vii) दक्षिणी ध्रुव-90° दक्षिण।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी 19
देशान्तर रेखाएँ (Lines of Longitude)—देशान्तर रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं, जो समान देशान्तर वाले स्थानों को मिलाती हैं। ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को मिलाती हुई भूमध्य रेखा को समकोण पर काटती हैं। ये अर्धचक्र के समान होती हैं। ये रेखाएँ उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची जाती हैं। इनकी कुल संख्या 360 होती है–180° पूर्व और 180° पश्चिम। सभी देशान्तर रेखाओं की लंबाई समान होती है। इन रेखाओं को मध्याह्न रेखाएँ (Meridian) भी कहा जाता है। लंदन के निकट ग्रीनविच में से निकलने वाली देशांतर रेखा को प्रधान मध्याह्न रेखा (Prime Meridian) कहते हैं। इसे शून्य (0°) देशान्तर कहते हैं। यह रेखा धरती को दो बराबर भागों में पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध में बाँटती है। सभी देशान्तर रेखाएँ ध्रुवों पर मिलती हैं। 180° पूर्व और 180° पश्चिम देशान्तर एक ही रेखा है, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा भी कहते हैं।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी

प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की स्थिति और महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line)-180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ खींची गई रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं, जिसको पार करने पर तिथि में एक दिन का अंतर कर दिया जाता है।

ज़रूरत (Necessity)—पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए 180° देशान्तर रेखा तक पहुँचने के समय में एक दिन का अन्तर आ जाता है। समुद्री यात्रा करते हुए नाविकों को आम तौर पर एक दिन की भूल हो जाती थी। इस भूल को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निश्चित की गई।

प्रत्येक देशान्तर के समय में 4 मिनट का अन्तर आ जाता है। यदि किसी दिन ग्रीनविच (0° देशांतर रेखा) पर रात के 12 बजे हों और हम पूर्व की ओर से 180° देशांतर रेखा पर पहुँचें, तो वहाँ अगले दिन के दोपहर के 12 बजे का समय होगा। यदि ग्रीनविच से पश्चिम की ओर चलते हुए 180° पश्चिम देशान्तर रेखा पर पहुँचें तो वहाँ उसी दिन दोपहर के 12 बजे होंगे। इस प्रकार 180° देशान्तर रेखा पर दो तिथियाँ आ जाती हैं। यदि इसके पूर्व में पहली जनवरी है तो पश्चिम में 31 दिसंबर होगी। .

उदाहरण-जब सन् 1522 में मैगेलन (Magellan) समुद्रीमार्ग से पूरे विश्व का चक्कर लगाकर स्पेन वापस पहुँचा, तो उसने उस दिन को 5 सितम्बर समझ लिया, जबकि वास्तव में उस दिन 6 सितंबर तिथि थी। पश्चिम की ओर से यात्रा करने के कारण उसने 1 दिन का समय गँवा दिया और यह भूल हुई थी।

तिथि परिवर्तन का नियम-

1. पूर्व (जापान) से पश्चिम (संयुक्त राज्य अमेरिका) जाते हुए यात्री इस रेखा को पार करते समय अपनी तिथि से एक दिन कम कर देता है। वह अगले दिन को भी वही दिन समझेगा, जिस दिन वह तिथि- रेखा को पार करता है। इस प्रकार उसका सप्ताह 8 दिन का हो जाता है।

2. पश्चिम (संयुक्त राज्य अमेरिका) से पूर्व (जापान) जाते हुए यात्री अपनी तिथि में एक दिन जोड़ लेता है। उसके लिए अगला दिन एक दिन छोड़ के होगा। इस प्रकार उसका सप्ताह 6 दिन का ४६ हो जाता है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी 20
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि-रेखा की स्थिति-यह रेखा लगभग 180° देशांतर रेखा के साथ-साथ स्थित है। प्रशान्त महासागर में अनेक द्वीप (Island) हैं, जिनके मध्य से 180° देशांतर रेखा निकलती है। कुछ मुश्किलों से बचने के लिए इसे टेढ़ी माना गया है। इस रेखा को सीधी न रख कर कहीं-कहीं टेढ़ा किया गया है, ताकि एक ही टापू के मध्य से न निकले। इस प्रकार एक ही द्वीप के दो भागों में दो अलग-अलग तिथियाँ न हो जाएँ। उत्तरी भाग में यह अल्यूशियन द्वीप के पश्चिम में मुड़ जाती है, जबकि दक्षिणी भाग में यह रेखा फ़िज़ी द्वीप (Fiji Island) के पूर्व की ओर मुड़ जाती है।

प्रश्न 4.
स्थानीय समय और मानक समय किसे कहते हैं ? मानक समय की ज़रूरत का वर्णन करें।
उत्तर-
स्थानीय समय (Local Time) किसी स्थान पर या देशान्तर पर दोपहर के समय सूर्य की स्थिति के अनुसार निश्चित समय को स्थानीय समय कहा जाता है। (Local time of a place is the time of its own Meridian) जब सूर्य लम्ब रूप में हो अथवा उसकी ऊँचाई अधिक-से-अधिक हो, तो वहाँ दोपहर के 12 बजे का समय होता है। उस स्थान की घड़ियाँ उस समय के अनुसार चलाई जाती हैं। इस प्रकार स्थानीय समय दोपहर के सूर्य की ऊँचाई की सहायता से निश्चित किया गया किसी देशान्तर विशेष का समय होता है।

विशेषताएँ (Characteristics)-

  1. पृथ्वी के घूमने के कारण प्रत्येक देशान्तर क्रम से सूर्य के सामने आता है। इसीलिए प्रत्येक देशांतर के दोपहर का समय अथवा स्थानीय समय अलग-अलग होता है।
  2. एक ही देशान्तर पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय एक होता है, क्योंकि ये सभी स्थान एक साथ सूर्य के सामने आते हैं।
  3. स्थानीय समय सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है।
  4. यह समय मापने का एक प्राचीन ढंग है, जब दिन के समय धूप-घड़ी (Sun dial) की सहायता से समय को मापा जाता था।
  5. एक ही देश में अलग-अलग शहरों में अलग-अलग स्थानीय समय मिलता है, जैसे बंबई (मुंबई), कोलकाता और दिल्ली अलग-अलग देशान्तरों में स्थित हैं और उनका स्थानीय समय भी अलग-अलग है।
  6. प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व की ओर जाने पर समय बढ़ता है और पश्चिम की ओर जाने पर समय कम होता है। समय का अंतर 4 मिनट प्रति देशान्तर होता है।

मानक समय (Standard Time)–जब किसी देश के मध्यवर्ती स्थान अथवा केन्द्रीय देशांतर के स्थानीय समय को समूचे देश में लागू कर दिया जाता है, तब उसे प्रामाणिक समय कहा जाता है। यह समय किसी देश के सभी स्थानों पर एक ही होता है।

उदाहरण-भारत में 8272% पूर्व देशांतर केन्द्रीय और मानक देशान्तर रेखा है, इसलिए 8212 पूर्व देशान्तः रेखा का स्थानीय समय भारतीय मानक समय (Indian Standard Time) माना जाता है। यह देशांतर रेखा इलाहाबाः शहर के निकट से निकलती है। इंग्लैण्ड में ग्रीनविच शहर के स्थानीय समय को सारे देश का मानक समय मा जाता है और इसे G.M.T. कहा जाता है। भारतीय मानक समय I.S.T. ग्रीनविच के समय से 5\(\frac{1}{2}\) घं आगे है।

ज़रूरत (Necessity)

  • अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय होने के कारण स्थानीय समय का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसमें रोज़ाना के जीवन में कई मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। प्रत्येक देशान्तर पर हमें घड़ी चार मिनट आगे या पीछे करनी पड़ेगी।
  • प्रत्येक स्थान के स्थानीय समय के प्रयोग से डाक, तार, रेल आदि विभागों के काम में विघ्न पैदा हो जाता है।
  • प्रत्येक देश में समय की एकरूपता (Uniformity of Time) कायम करने के लिए मानक समय जरूर होता है।
  • अलग-अलग देशों के समय के साथ सम्बन्ध रखने के लिए मानक समय ज़रूरी है।
  • हवाई जहाजों, समुद्री जहाज़ों के लंबे सफर और संचार साधनों के लिए मानक समय का ज्ञान ज़रूरी है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी

स्थानीय समय जानना (To find out the Local Time)

प्रश्न 1.
इलाहाबाद (82\(\frac{1}{2}\) °E) में स्थानीय समय क्या होगा, जबकि ग्रीनविच में शाम के चार बजे हों ?
उत्तर-
PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी 21
1. देशान्तर में अन्तर (Difference in Longititude)
82″E इलाहाबाद का देशांतर = 82 \(\frac{1}{2}\) E
ग्रीनविच का देशांतर = 0°
अन्तर = 82\(\frac{1}{2}\)°
= \(\frac{165°}{2}\)
(East-Gain-Add)

2. समय में अन्तर (Difference in Time)
यदि देशान्तर में अंतर 1° है तो समय में अन्तर = 4 मिनट
यदि देशान्तर में अंतर \(\frac{165°}{2}\) है तो समय में अन्तर = \(\frac{165 \times 4}{2}\) = 30 मिनट।
= 5 घंटे 30 मिनट।

3. इलाहाबाद का समय निकालना
ग्रीनविच का समय = 4.00 P.M. घंटे मिनट
= 4.00 + 12.00 = 16.00
समय में अन्तर = Add + 5.30
21.30 भाव शाम के 9.30 बजे।

कारण-क्योंकि इलाहाबाद ग्रीनविच के पूर्व में स्थित है, इसलिए वहाँ स्थानीय समय अधिक होगा। इसलिए नियम अनुसार जोड़ करना पड़ेगा।

(Rule-East-sgain-Add)

प्रश्न 2.
न्यूयॉर्क (75°W) में स्थानीय समय क्या होगा जबकि काहिरा (30°E) में दोपहर के 12 बजे हों ?
उत्तर-
न्यूयॉर्क का देशान्तर = 75°W
काहिरा का देशान्तर = 30°E
देशांतर में अन्तर = 75° + 30° = 105°
PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 1 पृथ्वी 22
समय में अन्तर 105 x 4 = 420 मिनट
= 7 घंटे।
(क्योंकि न्यूयॉर्क ग्रीनविच के पश्चिम में स्थित है, इसलिए समय में अन्तर को कम करेगा।)
(Ruie = West – Loss – Subtract)
घंटे मिनट
काहिरा का समय = 12.00
समय में अन्तर = – 7.00
न्यूयॉर्क में स्थानीय समय = 5.00 A.M.

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

Punjab State Board PSEB 6th Class Agriculture Book Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Agriculture Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

PSEB 6th Class Agriculture Guide कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक या दो शब्दों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
फसलों की गहाई के लिए कौन-सी मशीन का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
थ्रेशर का।

प्रश्न 2.
चारा काटने वाली मशीन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
टोका।

प्रश्न 3.
भूमि को समतल और भुरभुरा किससे करते हैं ?
उत्तर-
सुहागे से।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

प्रश्न 4.
खेतों में मेढ़ें बनाने के लिए कौन-से औज़ार का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जंदरा।

प्रश्न 5.
गुडाई के लिए उपयोग किए जाने वाले किन्हीं दो यंत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
खुरपी, कसौला, पहिएदार यन्त्र।

प्रश्न 6.
फसलों पर कीड़ेमार दवाइयों का छिड़काव करने वाले यंत्रों का नाम बताओ।
उत्तर-
बाल्टी स्प्रेयर, रोकर स्प्रेयर, नैपसैक स्प्रेयर।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

प्रश्न 7.
बीज बोने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली मशीन का नाम बताओ।
उत्तर-
बीज तथा खाद ड्रिल।

प्रश्न 8.
कृषि कार्यों में प्रयुक्त की जाने वाली किन्हीं दो मशीनों के नाम बताओ।
उत्तर-
थ्रेशर, रीपर, ट्रैक्टर।

प्रश्न 9.
ट्रैक्टर कितनी शक्ति के होते हैं ?
उत्तर-
5 हार्स पावर से लेकर 90 हार्स पावर तक।

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प्रश्न 10.
लेज़र लैवलर का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
भूमि को समतल करना।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
डीज़ल इंजन का कृषि कार्यों में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
डीज़ल इंजन ट्रैक्टर से छोटी मशीन है तथा जब कम शक्ति की आवश्यकता हो तब इसका प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग करके ट्यूबवेल, चारा काटने वाली मशीन (टोका), दाने निकालने वाली मशीन आदि को चलाया जा सकता है। इसमें तेल तथा मुरम्मत का खर्चा ट्रैक्टर की तुलना में कम है।
PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र 1

प्रश्न 2.
उल्टावाँ हल क्या होता है ? इसके क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
यह हल लोहे का बना होता है। इस हल से भूमि की नीचे वाली तह ऊपर आ जाती है तथा ऊपर वाली तह नीचे चली जाती है।

जब दो फसलों के काटने तथा बोने के बीच में अधिक समय लगता हो तो इस हल का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। इससे भूमि के ऊपर पड़ा घास-फूस ज़मीन के नीचे दब जाता है तथा गल-सड़ कर खाद का कार्य करता है। भूमि के नीचे की घास-फूस तथा जड़ें आदि ऊपर आ जाती हैं तथा भूमि के हानिकारक जीवाणु धूप से समाप्त हो जाते हैं।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

प्रश्न 3.
नदीनों की रोकथाम कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए गुडाई की जाती है। इसके लिए खुरपी, कसौला तथा त्रिफाली या ट्रैक्टर के पीछे टिल्लर का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
टोका किसे कहते हैं ? यह क्या काम आता है ?
उत्तर-
टोका एक चारा काटने वाली मशीन है। पशुओं का चारा काटने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह मशीन हाथों से, बिजली की मोटर से तथा डीज़ल इंजन से भी चलाई जा सकती है।

प्रश्न 5.
जुताई करने वाले यंत्रों का वर्णन करो।
उत्तर-
जुताई करने के लिए हल या टिल्लर का प्रयोग किया जाता है। बैलों से खींचने वाला हल लकड़ी का बना होता है। इसके आगे लोहे का फाला लगा होता है। इससे सियाड़ खुलता है तथा साथसाथ सियाड़ खुलने से सारी भूमि की जुताई हो जाती है।
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PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

प्रश्न 6.
गुडाई करने वाले यंत्रों का वर्णन करो।
उत्तर-
गुडाई करने वाले यन्त्र हैं-खुरपी, कसौला, पहिएदार हो आदि।
PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र 3

पहिएदार हो का प्रयोग खड़ी फसल में गुडाई करने के लिए किया जाता है। इसको एक आदमी हाथों से पीछे से धक्का लगा कर चलाता है। पहिए के पीछे 3-6 फाले लगे होते

प्रश्न 7.
टिल्लर किस काम आता है ?
उत्तर-
इसका प्रयोग खेत की जुताई के लिए किया जाता है। इससे भूमि में सियाड खुलता है तथा साथ-साथ सियाड़ निकाले जाते हैं। इससे सारे खेत की जताई हो जाती है।

प्रश्न 8.
डिस्क हैरो किस काम आता है ?
उत्तर-
डिस्क हैरो का प्रयोग कठोर भूमि में ढेलों को तोड़ने के लिए किया जाता है तथा मिट्टी को भुर–भुरा करने के लिए किया जाता है। ऐसी भूमि जिसमें PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र 4

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र

प्रश्न 9.
हैप्पीसीडर कैसे कार्य करता है ?
उत्तर-
इसका प्रयोग गेहूँ की बुवाई के लिए किया जाता है। जब धान की कटाई के बाद पराली खेत में ही होती है तथा इसको निकाले बिना ही गेहूँ की सीधी बवाई खेत में करने के लिए हैप्पीसीडर का प्रयोग होता है। इस मशीन में फलेल किस्म के ब्लेड लगे होते हैं जोकि ड्रिल के बुवाई करने वाले फाले के सामने आने वाली पराली को काटते हैं तथा पीछे की तरफ धकेलते हैं। मशीन के फालों में पराली नहीं फंसती तथा साफ की गई जगह पर बीज सही ढंग से बो दिए जाते है।
PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 6 कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र 5

प्रश्न 10.
थैशर कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
थ्रेशर कई तरह के होते हैं तथा गहाई के काम आते हैं। कंबाइन हारवैस्टर, यह स्व-चालित कंबाइन हारवैस्टर तथा ट्रैक्टर से चलने वाले कंबाइन हारवैटस्टर होते हैं।
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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
कृषि मशीनों का आधुनिक युग में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कृषि की पहली तथा प्राथमिक मांग ऊर्जा तथा शक्ति की है। प्राचीन समय में खेत से संबंधित कार्य जैसे–कटाई, गहाई, सफाई, भण्डारण, ढुलाई आदि में पशुओं जैसे—बैल, ऊंट तथा खच्चर आदि का प्रयोग किया जाता है परन्तु इस ढंग से कृषि के कार्य पूरे करने के लिए कितने ही दिन लग जाते थे। बढ़ती हुई जनसंख्या से कृषि उत्पादों की मांग भी बढ़ गई है तथा इसके लिए खेती से संबंधित कार्यों के लिए मशीनों का प्रयोग होने लगा है। आज के युग में खेती मशीनों का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। इनके प्रयोग से उपज में वृद्धि हुई है। उपज की कटाई, गहाई, गुडाई आदि सारे कार्य शीघ्रता से हो जाते हैं।

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प्रश्न 2.
उल्टावाँ हल क्या है ? यह दूसरे हलों से कैसे भिन्न है ?
उत्तर-
यह हल मिट्टी को उलटने का कार्य करता है। मिट्टी की नीचे वाली तह ऊपर तथा ऊपरी तह नीचे चली जाती है। यह हल लोहे का बना होता है। यदि पिछली फसल काटने तथा दूसरी फसल बोने के बीच में कुछ समय बचता हो तो उल्टावें हल का प्रयोग बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। इसके प्रयोग से भूमि के ऊपर वाला घास
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फूस नीचे चला जाता है तथा गल-सड़ कर खाद का काम करता है। भूमि के नीचे वाली जड़ें एवं घास-फूस ऊपर आ जाता है तथा भूमि के अंदर हानिकारक जीवाणु धूप से समाप्त हो जाते हैं।

उल्टावाँ हल

  1. यह हल लोहे का बना होता है।
  2. इससे ऊपरी मिट्टी नीचे तथा नीचे वाली मिट्टी ऊपर आ जाती है।

हल या टिल्लर

  1. यह हल लकड़ी का बना होता है जिसके आगे लोहे का फाला लगा होता है
  2. इससे सियाड़ खुलता है।

प्रश्न 3.
पराली संभालने वाली मशीनों का वर्णन करो।
उत्तर-
बेलर पराली संभालने वाली मशीन है। इसकी सहायता से पराली इकट्ठी करके चौरस या गोल पूले बांध दिए जाते हैं। यह मशीन खेत में बिखरी पराली को इकट्ठा करके एक समान गांठें बना देती है। यह मशीन केवल काटी हुई पराली को ही इकट्ठा करती है।

हैप्पीसीडर-यह मशीन धान की कटाई के बाद पराली को खेत में से निकाले बगैर गेहूँ की सीधी बुवाई के लिए उपयोग की जाती है। ___ पराली चौपर-पराली को खेतों में ही जोतने के लिए इस मशीन का प्रयोग होता है। इसके प्रयोग से धान की पराली का कुतरा हो जाता है तथा खेतों में बिखेर दी जाती है। कुतरा किए खेत में पानी लगा कर रोटरी पडलर (रोटावेटर) की सहायता से पराली को खेत में मिला दिया जाता है।
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प्रश्न 4.
जुताई के लिए मुख्य कौन-सी मशीनें उपयोग की जाती हैं ?
उत्तर-
जुताई के लिए प्रयोग होने वाली मशीनें हैं। हल या टिल्लर, कल्टीवेटर, डिस्क हैरो, उल्टालाँ हल, तवेदार हल, रोटावेटर आदि।
1. हल या टिल्लर-जुताई करने के लिए हल या टिल्लर का प्रयोग किया जाता है। बैलों से खींचने वाला हल लकड़ी का बना होता है। इसके आगे लोहे का फाला लगा होता है। इससे सियाड़ खुलता है तथा साथ-साथ सियाड़ खुलने से सारी भूमि की जुताई हो जाती

2. डिस्क हैरो-डिस्क हैरो का प्रयोग कठोर भूमि में ढेलों को तोड़ने के लिए किया जाता है तथा मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए किया जाता है। ऐसी भूमि जिसमें अधिक घास-फूस हो या पिछली फसल के अवशेष या जड़ें अधिक हों उस खेत की पहली जुताई के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

3. रोटावेटर-इसका प्रयोग पहली तथा दूसरी जुताई दोनों के लिए होता है। यह मिट्टी को भुर-भुरा बनाकर बुवाई के लिए तैयार करने के काम आता है।

4. तवेदार हल-यह मिट्टी को काटने तथा भुर-भुरा बनाने के काम आता है। कठोर तथा पथरीली ज़मीन में तथा पिछली फसल को काटने के बाद इसका प्रयोग लाभदायक होता है।

प्रश्न 5.
कम्बाइन हारवैस्टर मशीन के मुख्य कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. इसका प्रयोग फसल की कटाई के लिए होता है।
  2. फसल की गहाई के लिए होता है।
  3. फसल की सफ़ाई के लिए होता है।
  4. फसल को इकट्ठा करना संभव है।
  5. इससे समय की बचत होती है।
  6. दाने जल्दी से निकल जाते हैं तथा आग, वर्षा, तूफान से हानि का डर नहीं रहता।

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Agriculture Guide for Class 6 PSEB कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि की पहली माँग क्या है ?
उत्तर-
ऊर्जा तथा शक्ति।

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प्रश्न 2.
ट्रैक्टर की कितनी शक्ति होती है ?
उत्तर-
5 हार्स पावर से 90 हार्स पावर तक।

प्रश्न 3.
पंजाब में कितने ट्रैक्टर हैं ?
उत्तर-
4.76 लाख

प्रश्न 4.
भूमि की जुताई के लिए कोई यन्त्र बताओ।
उत्तर-
हल या टिल्लर।

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प्रश्न 5.
कठोर भूमि में ढेलों को तोड़ने के लिए किसका प्रयोग होता है ?
उत्तर-
डिस्क हैरो (तवियां)।

प्रश्न 6.
उल्टावाँ हल किससे बना होता है ?
उत्तर-
लोहे का।

प्रश्न 7.
बैलों से कितने उल्टावें हल खींचे जा सकते हैं ?
उत्तर-
एक हल।

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प्रश्न 8.
ट्रैक्टर से कितने उल्टावें हल चलाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
4 से 6 हल।

प्रश्न 9.
सुहागा कितना चौड़ा और मोटा होता है ?
उत्तर-
8 इंच चौड़ा तथा 3 इंच मोटा।

प्रश्न 10.
ट्रैक्टर से चलने वाले सुहागे की लम्बाई कितने फुट होती है ?
उत्तर-
10 फुट।

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प्रश्न 11.
बैलों से चलने वाले सुहागे की लम्बाई कितनी होती है ?
उत्तर-
6 फुट।

प्रश्न 12.
खेत में मेढ़ें बनाने के लिए कौन-सा यन्त्र है ?
उत्तर-
जंदरा ।

प्रश्न 13.
तवेदार हल में तवियों की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर-
1 से 6.

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प्रश्न 14.
दूसरी जुताई के लिए किस यन्त्र का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
कल्टीवेटर का।

प्रश्न 15.
रोटावेटर मिट्टी को किस तरह का बनाता है ?
उत्तर-
भुर-भुरा।

प्रश्न 16.
लेज़र लैवलर किस काम आता है ?
उत्तर-
भूमि को समतल करने के।

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प्रश्न 17.
धान की बुवाई किस मशीन से होती है ?
उत्तर-
ट्रांसप्लांटर से।

प्रश्न 18.
गन्ने की बुवाई के लिए मशीन का नाम बताओ।
उत्तर-
शुगरकेन प्लांटर।

प्रश्न 19.
ज़ीरो टिल ड्रिल मशीन से एक घण्टे में कितनी बुवाई की जा सकती
उत्तर-
एक एकड़।

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प्रश्न 20.
क्या रोटो टिल ड्रिल के प्रयोग से पहली जुताई की आवश्यकता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 21.
गुडाई करने के लिए प्रयोग होने वाले यन्त्र कौन-से हैं ?
उत्तर-
खुरपी, कसौला।

प्रश्न 22.
कतारों (पंक्तियों) में बोई फसलों की गुडाई किस यन्त्र से की जाती है?
उत्तर-
त्रिफाली।

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प्रश्न 23.
खड़ी फसल में गुडाई करने वाला यन्त्र कौन-सा है ?
उत्तर-
पहिएदार हो।

प्रश्न 24.
पहिएदार हो के पीछे कितने फाले लगे होते हैं ?
उत्तर-
3-6 फाले।

प्रश्न 25.
इंजन से चलने वाला स्प्रेयर कौन-सा है ?
उत्तर-
हैरो ब्लास्ट स्प्रेयर।

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प्रश्न 26.
रीपर का प्रयोग किस काम के लिए होता है ?
उत्तर-
कटाई के लिए।

प्रश्न 27.
थैशर का मुख्य काम क्या है ?
उत्तर-
फसलों से दाने निकालना।

प्रश्न 28.
पराली को खेत में इकट्ठा करने के लिए कौन-सी मशीन का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
बेलर का।

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प्रश्न 29.
हैप्पीसीडर कितने हार्स पावर वाले ट्रैक्टर से चलता है ?
उत्तर-
45-50 हार्स पावर वाले ट्रैक्टर से।

प्रश्न 30.
पराली को खेतों में जोतने के लिए कौन-सी मशीन का प्रयोग होता
उत्तर-
पराली चौपर।

प्रश्न 31.
भूमि की गुडाई क्यों की जाती है ?
उत्तर-
गुडाई करने से पालतू जड़ी-बूटियां नष्ट हो जाती हैं।

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प्रश्न 32.
मिट्टी पलट हल से समय, धन तथा मेहनत की बचत कैसे हो जाती है ?
उत्तर-
यह हल भूमि को केवल काटता ही नहीं है बल्कि मिट्टी को पलट भी देता है। इस तरह समय, धन तथा मेहनत की बचत हो जाती है।

प्रश्न 33.
हैरो का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
यह नदीनों को उखाड़ कर इकट्ठा कर देता है तथा मिट्टी के ढेलों को तोड़कर भुर-भुरा बना देता है।

प्रश्न 34.
देसी हल किस तरह के सियाड़ बनाता है ?
उत्तर-
यह अंग्रेजी के अक्षर ‘V’ आकार के सियाड़ बनाता है।

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प्रश्न 35.
पिछली दातरी किस काम आती है ?
उत्तर-
यह गन्ने की छिलाई के काम आती है।

प्रश्न 36.
सुहागा तथा कराहा में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
सुहागा, हल चलाने के बाद भूमि को समतल करने के लिए प्रयोग होता है। जबकि कराहा ऊंची-नीची भूमि को समतल करने के काम आता है।

प्रश्न 37.
भारत में कितनी प्रकार के हल प्रचलित हैं ?
उत्तर-
40 प्रकार के।

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प्रश्न 38.
पंजाब में कौन-से हल प्रयोग में आते हैं ?
उत्तर-
दो प्रकार के मुन्ना हल तथा मिट्टी पलट हल।

प्रश्न 39.
डीज़ल इंजन से कौन-सी मशीनें चलाई जाती हैं ?
उत्तर-
इससे ट्यूबवेल, चारा काटने के लिए मशीन तथा दाने निकालने वाली मशीनें चलाई जाती हैं।

प्रश्न 40.
ट्रैक्टर से चलने वाले सुहागे की लम्बाई कितनी है ?
उत्तर-
इसकी लम्बाई 10 फुट है।

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प्रश्न 41.
बैलों से चलने वाले सुहागे की लम्बाई कितनी होती है ?
उत्तर-
6 फुट।

प्रश्न 42.
डीज़ल इंजन के प्रयोग को प्राथमिकता कब देनी चाहिए ?
उत्तर-
जब कम शक्ति की आवश्यकता हो तब ट्रैक्टर के स्थान पर डीज़ल इंजन के प्रयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।

प्रश्न 43.
डिस्क हैरो को देहाती भाषा में क्या कहते हैं ?
उत्तर-
तवियां।

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प्रश्न 44.
पराली को संभालने के लिए कौन सी तकनीक का प्रयोग किया जाता
उत्तर-
बेलर मशीन से गोल पूले बांध दिए जाते हैं।
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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
डीज़ल इंजन के बारे में संक्षेप जानकारी दें।
उत्तर-
यह ट्रैक्टर से छोटी मशीन है। इसको चलाने के लिए तेल तथा इसकी मुरम्मत के लिए खर्चा ट्रैक्टर से कम है। यदि कम शक्ति की आवश्यकता हो तो इस मशीन का प्रयोग किया जाता है। इससे टयूबवेल, चारा काटने वाला टोका, गहाई वाली मशीन चलाई जा सकती हैं।

प्रश्न 2.
सुहागा के बारे में बताएं।
उत्तर-
यह भूमि को समतल करने वाला यन्त्र है तथा मिट्टी को भुर-भरा बनाता है। यह 3 इंच मोटे तथा 8 इंच चौड़े 2-3 फट्टों को जोड़ कर बनता है। ट्रैक्टर से चलने वाले सुहागे की लम्बाई 10 फुट होती है तथा बैलों से चलने वाले सुहागे की लम्बाई 6 फुट होती

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प्रश्न 3.
तवेदार हल के बारे में संक्षेप जानकारी दें।
उत्तर-
इस हल का मुख्य उद्देश्य मिट्टी को काटना तथा भुर-भुरा बना कर पलट देना है। इस हल में मोल्ड बोर्ड नहीं बल्कि तवे लगे होते हैं। इसको पशुओं तथा ट्रैक्टर की सहायता से चलाया जाता है। इस में 6 तक तने लगे होते हैं।
कठोर, पथरीली भूमि तथा पिछली फसल के काटने के बाद इस हल का प्रयोग अधिक लाभदायक है।

प्रश्न 4.
लेज़र लेवलर के प्रयोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
यह भूमि को समतल करने का आधुनिक ढंग है। इसमें लेज़र किरणों का प्रयोग होता है जिससे मिट्टी खुरचने वाले ब्लेडों को ऊपर नीचे करना आसान है। लेज़र लेवलर में एक तीन टांगों वाला स्टैंड तथा लेज़र ट्रांसमीटर लगा होता है। इससे भूमि के ऊंचा-नीचा होने की सूचना मिलती है तथा ट्रैक्टर ऊंची जगह से मिट्टी खोद कर नीची जगह पर डाल देता है इस तरह भूमि समतल हो जाती है।
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प्रश्न 5.
ज़ीरो टिल ड्रिल के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
धान की कटाई करने के बाद भूमि में नमी बच जाती है। ऐसी हालत में खेत की जुताई किए बगैर गेहूँ की बुवाई की जाती है। इससे एक घण्टे में एक एकड़ की बुवाई हो जाती है। धान की पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
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प्रश्न 6.
फसल सुरक्षा संबंधी छिड़काव यन्त्रों के बारे में बताएं।
उत्तर-
हाथों से चलने वाले स्प्रेयर, पैरों से चलने वाले स्प्रेयर, बाल्टी स्प्रेयर, रोकर स्प्रेयर, नैपसैक स्प्रेयर, इंजन से चलने वाला हैरो ब्लास्ट स्प्रेयर।
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प्रश्न 7.
हम फसलों पर दवाइयों का छिड़काव क्यों करते हैं ?
उत्तर-
खड़ी फसल में कीड़े-मकौड़े या नदीनों की रोकथाम करने के लिए फसलों पर दवाइयों का छिड़काव किया जाता है।

प्रश्न 8.
नदीनों की रोकथाम कैसे की जाती है ?
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए गुडाई करनी चाहिए तथा नदीन उखाड़ कर जला देने चाहिएं तथा नदीनाशक दवाइयों का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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प्रश्न 9.
हाथ की बजाय ड्रिल से बीज बोना क्यों लाभदायक हैं ?
उत्तर-
इससे बीज तथा खाद खेत में एक समान पड़ते हैं तथा आवश्यकता अनुसार बीज तथा खाद की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। इसकी तुलना में हाथों से बोने पर बीज कम या ज्यादा हो जाता है तथा बीज को एक समान बोने के बहुत ज्यादा महारत की आवश्यकता है।

प्रश्न 10.
टोका किस को कहते हैं ? यह किस काम आता है ? यह कैसे चलता
उत्तर-
गांवों में हर घर में पशु होते हैं तथा इनको चारा काट कर डालने के लिए टोका मशीन का प्रयोग किया जाता है। यह मशीन हाथों से, बिजली की मोटर से तथा डीज़ल इंजन द्वारा चलाई जा सकती है।
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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेती मशीनों का आधुनिक युग में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-

  1. फसल की बुवाई जल्दी तथा सस्ती हो जाती है।
  2. पौधों तथा पौधों में कतारों का फासला बिल्कुल ठीक तरह रहता है।
  3. कतारों में बोने के कारण फसल की गुडाई आसानी से हो जाती है।
  4. बीज तथा खाद निश्चित गहराई तथा योग्य फासले पर लगते हैं।
  5. ड्रिल से बोई हुई फसल से 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक अधिक उत्पाद प्राप्त हो जाता है।

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प्रश्न 2.
कृषि कार्यों के लिए प्रयोग होने वाली मशीनों के नाम बताएं तथा ट्रैक्टर के बारे में विवरण दें।
उत्तर-
कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाली मशीनें हैं-ट्रैक्टर, डीज़ल इंजन, बिजली से चलने वाली मोटर, चारा काटने वाली मशीन, बीज तथा खाद ड्रिल आदि।

ट्रैक्टर-सबसे अधिक कृषि कार्यों में काम आने वाली मशीन ट्रैक्टर है। इसकी शक्ति 5 हार्स पावर से लेकर 90 हार्स पावर तक हो सकती है। इससे बहुत सारे कार्य लिए जा सकते हैं।
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इस से भूमि की जुताई करना, कृषि में प्रयोग संबंधी ढुलाई, भूमि से पानी निकालने के लिए ट्यूबवेल को चलाना आदि शामिल हैं। बेशक ट्यूबवेल को चलाने के लिए डीजल इंजन या बिजली की मोटर बहुत सस्ती पड़ती है, फिर भी जहां कहीं यह साधन उपलब्ध नहीं है, वहां किसान पानी निकालने के लिए ट्रैक्टर द्वारा ही ट्यूबवेल चला लेते हैं। फसलों की गहाई तथा कंबाइनों को चलाने के लिए भी ट्रैक्टर का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
सुहागा तथा जंदरा के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
1. सुहागा-हल चलाने के बाद भूमि को समतल करने के लिए तथा केरे द्वारा की गई बुवाई के बाद बीज ढकने के लिए जिस मशीन का प्रयोग होता है उसे सुहागा कहते हैं। यह लकड़ी का बना फट्टा होता है। इस की लम्बाई 275 सें.मी. (लगभग 10 फुट), चौड़ाई 30 सें.मी. (1 फुट) तथा मोटाई 15 सैं.मी. (आधा फुट)
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होती है। इसकी लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई कम या अधिक हो सकती है। सुहागे के माथे की लम्बाई वाली तरफ 7-8 सैं.मी. चौड़ी लोहे की पत्ती लगी होती है, जो लकड़ी को घिसने से बचाती है तथा इस फट्टे के दोनों तरफ लकड़ी की मोटी कीलें लगी होती हैं। इन कीलों को कान कहते हैं। सुहागे को पंजाली से बांधने वाला रस्सा इन कीलों के साथ ही बांधा जाता है। इसको बैलों की जोड़ियों द्वारा खींचा जाता है। सुहागा भूमि को समतल करता है वहीं भूमि के ढेलों को भी तोड़ता है। 10 फुट लम्बा सुहागा ट्रैक्टर से तथा 6 फुट लम्बा सुहागा बैलों से चलाया जाता है।

2. जंदरा-यह खेतों में मेढ़ें डालने के काम आता है। आधुनिक कृषि के लिए जंदरा किसान के लिए एक सहायक यन्त्र है। इसके दस्ते की लम्बाई 175 सें.मी. होती है। दस्ते के नीचे एक लकड़ी की फट्टी लगी होती है। लकड़ी की फट्टी के नीचे 5-6 सें.मी. चौड़ी लोहे की पत्ती होती है। लकड़ी की फट्टी के दोनों सिरों पर एक-एक कुण्डा लगा होता है।

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इन कुण्डियों में से रस्सा गुज़र कर एक कील से बांध लिया जाता है। एक व्यक्ति कील पकड़ कर जंदरा खींचता है तथा दूसरा व्यक्ति दस्ते को पकड़ कर रखता है।

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प्रश्न 4.
खेत में हल क्यों चलाया जाता है ? विस्तार से लिखें।
उत्तर-
अच्छी फसल की प्राप्ति करने के लिए पहले अच्छी तैयारी करनी पड़ती है। अच्छी तथा अधिक फसल की प्राप्ति के लिए किसान बुवाई से पहले खेत को बुवाई के योग्य बनाता है। वह खेतों में नमी की मात्रा (वतर)देख कर हल चलाता है। शुरू में मिट्टी पलट हल या उल्टावां हल चलाया जाता है। खेतों में पिछली फसलों की जड़ें मिट्टी पलटने के कारण भूमि के ऊपर आ जाती हैं। जड़ों के साथ ही उनमें छिपे हुए हानिकारक कीड़े भी बाहर आ जाते हैं। ये कीड़े धूप के कारण मर जाते हैं। भूमि में हल चलाने के कारण भृमि में पनप रहे फालतू पौधे भी नष्ट हो जाते हैं। हल जोतने से मिट्टी के कण खुल जाते हैं तथा इस तरह भूमि में से हवा की आवागमन आसानी से हो जाती है तथा पानी सोखने की शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए यह लोकोक्ति ‘जिनीआं सिआं लवेंगा, उना बोहल उठाएंगा” प्रसिद्ध है।

प्रश्न 5.
मिट्टी पलट हल को कौन-कौन से विशेष कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
मिट्टी पलट हल को नीचे लिखे विशेष कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है-

  1. खेत को पहली बार जोतने के समय इसके प्रयोग से मिट्टी उलटाई जाती है।
  2. हरी खाद बनाने के लिए खेत में खड़ी फसल को इसके द्वारा जोत कर भूमि में दबाया जाता है।
  3. इससे खेत में मेहें बनाने का काम भी लिया जाता है।
  4. इससे खेतों में खालियां बनाई जाती हैं।
  5. इससे खाद तथा रूड़ी मिलाने का काम भी लिया जाता है।

प्रश्न 6.
बीज तथा खाद ड्रिल के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
यह एक ऐसी मशीन है जिससे खाद तथा बीज खेत में डाले जाते हैं। हाथों से पोरा करने पर कई स्थानों पर बीज अधिक तथा कई स्थानों पर कम हो जाते हैं परन्तु __ इस मशीन के प्रयोग से बीज तथा खाद की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। यह मशीन ट्रैक्टर तथा बैलों द्वारा चलने वाली दोनों तरह की हो सकती है।
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प्रश्न 7.
मशीनों द्वारा बुवाई तथा आधुनिक मशीनों के बारे में विस्तार में जानकारी दें।
उत्तर-
खेती की मुख्य मांग समय, शक्ति तथा ऊर्जा है। जब सारे कार्य हाथों से करने पड़ते थे तब कई-कई दिनों तक काम समाप्त नहीं होता था अब आधुनिक युग में मनुष्य ने कई प्रकार की मशीनों की खोज कर ली है तथा काम बहुत जल्दी समाप्त हो जाते हैं। बहुत ही बड़े-बड़े क्षेत्रफल को मशीनों की सहायता से दिनों में ही तैयार कर लिया जाता है तथा बुवाई भी कर ली जाती है।

बीज खाद ड्रिल की सहायता से गेहूं, सरसों, बाजरा, मूंगी, ज्वार, गवार, चने आदि की बुवाई की जाती है।
ट्रांसप्लांटर की सहायता से धान की बुवाई की जाती है। जीरो टिल ड्रिल तथा बैड प्लांटर की सहायता से गेहूं की बुवाई की जाती है।

वैजीटेबल प्लांटर की सहायता से सब्जियों की बुवाई की जाती है। काटन प्लांटर की सहायता से कपास नरमे की बुवाई की जाती है।
शुगरकेन प्लांटर से गन्ने की बुवाई होती है। रोटो टिल ड्रिल बुवाई से पहले साथ-साथ जुताई भी करता है।

कृषि के लिए मशीनरी तथा यन्त्र PSEB 6th Class Agriculture Notes

  • कृषि की पहली आवश्यकता ऊर्जा तथा शक्ति की है।
  • संसार में सबसे अधिक पशुओं की संख्या भारत में है।
  • कृषि कार्यों के लिए बैल, ऊंट तथा खच्चरों का प्रयोग किया जाता है।
  • ट्रैक्टर 5 हार्स पावर से लेकर 90 हार्स पावर तक शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
  • पंजाब में लगभग 4.76 लाख ट्रैक्टर हैं।
  • डीज़ल इंजन ट्रैक्टर से छोटी मशीन है।
  • पंजाब में 1.5 लाख ट्यूबवेल बिजली से चलते हैं। 8. हल से भूमि की जुताई की जाती है।
  • हैरों का प्रयोग पिछली फसल के अवशेष निकालने तथा प्रथम जुताई के लिए की जाती है।
  • उल्टावां हल से भूमि की नीचे वाली सतह ऊपर आ जाती है।
  • सुहागा ज़मीन को समतल तथा भुर-भुरा बनाने के काम आता है।
  • खेत में मेंढ़ बनाने के लिए जंदरा नामक यंत्र प्रयोग किया जाता है।
  • तवेदार हल का काम मिट्टी को काटना तथा भुर-भुरा बनाना तथा पलटना है।
  • रोटावेटर भी मिट्टी को भुर-भुरा बना कर बुवाई के लिए तैयार करता है।
  • लेजर लैवलर, भूमि को समतल करने की बहुत नई तकनीक है। इसमें लेज़र किरणों का प्रयोग होता है।
  • कुछ फसलों की बुवाई छट्टा या बीज तथा खाद ड्रिल के प्रयोग से की जाती है।
  • जीरो टिल ड्रिल तथा बैड प्लांटर का प्रयोग करके गेहूँ की बुवाई की जाती है।
  • खड़ी फसल में खरपतवार की रोकथाम के लिए गुडाई की जाती है।
  • कतारों में बोई जाने वाली फसलों की गुडाई तरीफली या पहिएदार हो या ट्रैक्टर के द्वारा चलने वाला गुडाई यन्त्र से की जाती है।
  • छिड़काव यन्त्र हैं-हाथों से चलने वाला स्प्रेयर, पैरों से चलने वाला स्प्रेयर, रोकर स्प्रेयर, बाल्टी स्प्रेयर तथा नैपसैक स्प्रेयर।
  • रीपर का प्रयोग फसलों की कटाई के लिए किया जाता है।
  • फसलों के दाने निकालने के लिए (गहाई) थ्रेशरों का उपयोग किया जाता है।
  • फसल की कटाई के लिए सारे कार्य इकट्ठे करने के लिए कंबाइन हारवैस्टर का प्रयोग किया जाता है ; जैसे-कटाई, गहाई, सफाई तथा उसको इकट्ठा करना।
  • धान की कटाई के बाद प्रायः किसान खड़ी पराली को आग लगा देते हैं जिससे कृषि के लिए अच्छे पोषक तत्त्व भी जल जाते हैं तथा वातावरण का प्रदूषण भी होता है।
  • धान की कटाई के बाद पराली को खेत में से निकाले बगैर गेहँ की सीधी बवाई करने के लिए हैप्पी सीडर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • पराली को खेतों में ही जोतने के लिए पराली चोपर का प्रयोग किया जाता है।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

अब्दुस समद स्वाँ 1713-26 ई० (Abdus Samad Khan 1713-26 A.D.)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिखों की दशा कैसी थी ? अब्दुस समद खाँ ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया ?
(What was the condition of the Sikhs after the martyrdom of Banda Singh Bahadur ? How did Abdus Samad Khan tackle the Sikhs ?)
अथवा
अब्दुस समद खाँ ने 1713-1716 तक सिखों की शक्ति कुचलने के लिए क्या कदम उठाए ?
(What steps were taken by Abdus Samad Khan to crush the powers of the Sikhs during 1713-1726 ?)
अथवा
अब्दुस समद खाँ के सिखों के साथ 1713 से 1726 तक कैसे संबंध थे ? (What were the relations of the Sikhs with Abdus Samad Khan during 1713 to 1726 ?)
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ को 1713 ई० में मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर द्वारा लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया गया था। उसे इस उद्देश्य से इस पद पर नियुक्त किया गया था कि वह पंजाब में सिखों की शक्ति का पूर्णत: दमन कर दे। उसने बंदा सिंह बहादुर को बंदी बना लिया और उसे दिल्ली लाकर 1716 ई० में शहीद कर दिया। फर्रुखसियर अब्दुस समद खाँ की इस कार्यवाई से बहुत प्रसन्न हुआ। अब्दुस समद खाँ के सिखों के साथ संबंधों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है—
1. फर्रुखसियर का आदेश (Farrukhsiyar Edict)-1716 ई० में मुग़ल सम्राट् फर्रुखसियर ने एक शाही आदेश जारी किया। इसमें मुग़ल अधिकारियों को यह आदेश दिया कि जो भी सिख तम्हारे हाथ लगे, उसकी हत्या कर दो। सिखों को सहायता अथवा शरण देने वालों को भी यही सज़ा दी जाए। यदि कोई व्यक्ति सिखों को बंदी बनाने में सरकार की सहायता करे तो उसे पुरस्कार दिया जाए।

2. अब्दुस समद खाँ द्वारा सिखों के विरुद्ध उठाए गए पग (Steps taken by Abdus Samad Khan against the Sikhs)—शाही आदेश के जारी होने के पश्चात् अब्दुस समद खाँ ने सिखों पर घोर अत्याचार आरंभ कर दिए। सैंकड़ों निर्दोष सिखों को प्रतिदिन बंदी बनाकर लाहौर लाया जाता। जल्लाद इन सिखों को घोर यातनाएँ देने के पश्चात् शहीद कर देते। अब्दुस समद खाँ की इस कठोर नीति से बचने के लिए बहुत-से सिखों ने लक्खी वन और शिवालिक पर्वत में जाकर शरण ली। इस प्रकार अपने शासनकाल के आरंभिक कुछ वर्षों में अब्दुस समद खाँ की सिखों के विरुद्ध दमनकारी नीति बहुत सफल रही। इससे प्रसन्न होकर फर्रुखसियर ने उसे ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि से सम्मानित किया।

3. सिखों में फूट (Split among the Sikhs)—बंदा सिंह बहादुर के बलिदान के पश्चात् सिख परस्पर फूट का शिकार हो गए। वे तत्त खालसा और बंदई खालसा नामक दो मुख्य संप्रदायों में विभाजित हो गए। तत्त खालसा गुरु गोबिंद सिंह जी के धार्मिक सिद्धांतों के दृढ़ समर्थक थे। बंदई खालसा बंदा सिंह बहादुर को अपना नेता मानने लगे थे। तत्त खालसा वाले आपस में मिलते समय ‘वाहिगुरु जी का खालसा वाहिगुरु जी की फतह’ कहते थे जबकि बंदई खालसा ‘फतह धर्म और फतह दर्शन’ शब्दों का प्रयोग करते थे। तत्त खालसा वाले नीले रंग के वस्त्र धारण करते थे जबकि बंदई खालसा वाले लाल रंग के। दोनों संप्रदायों के बीच परस्पर मतभेद दिन प्रतिदिन बढ़ते गए। फलस्वरूप सिख अब्दुस समद खाँ के अत्याचारों का संगठित होकर सामना न कर पाए।

4. परिस्थितियों में परिवर्तन (Change in Circumstances)-1720 ई० के पश्चात् परिस्थितियों में कुछ परिवर्तन आए और सिखों की स्थिति में सुधार होने लगा। शाही दरबार षड्यंत्रों का अड्डा बन कर रह गया था। परिणामस्वरूप केंद्रीय सरकार सिखों की ओर अपना वाँछित ध्यान न दे पाई। पंजाब में अब्दुस समद खाँ भी ईसा खाँ और हुसैन खाँ के विद्रोहों का दमन करने में उलझ गया। भाई मनी सिंह जी ने बैसाखी के अवसर पर 1721 ई० में अमृतसर में तत्त खालसा और बंदई खालसा में परस्पर समझौता करवा दिया । परिणामस्वरूप सिख फिर से एक हो गए।

5. सिखों की कार्यवाहियाँ (Activities of the Sikhs) स्थिति में परिवर्तन आने से सिखों में एक नया जोश पैदा हुआ। उन्होंने सौ-सौ सिखों के जत्थे बना लिए और मुग़ल प्रदेशों में लूटपाट आरंभ कर दी। उन्होंने उन हिंदुओं और मुसलमानों को दंड देना आरंभ कर दिया था जिन्होंने सिखों, उनकी स्त्रियों और बच्चों को मुग़लों के सुपुर्द कर दिया था। अब्दुस समद खाँ ने सिखों को सबक सिखाने के लिए असलम खाँ के अधीन कुछ सेना अमृतसर भेजी। सिखों ने इस सेना पर अचानक आक्रमण करके उसे कड़ी पराजय दी। इस लड़ाई में असलम खाँ को लड़ाई का मैदान छोड़कर भागने के लिए विवश होना पड़ा।

6. अब्दुस समद खाँ की असफलता (Failure of Abdus Samad Khan)-अब्दुस समद खाँ अपने सभी प्रयासों के बावजूद सिखों का दमन करने में विफल रहा। इसके कई कारण थे। पहला, अब्दुस समद खाँ अब बूढ़ा होने लगा था। दूसरा, सिखों में परस्पर एकता स्थापित हो गई थी। तीसरा, अब्दुस समद खाँ को मुग़ल अधिकारियों के षड्यंत्रों का शिकार होना पड़ा। चौथा, उसे केंद्र से पर्याप्त सहायता न प्राप्त हुई। 1726 ई० में अब्दुस समद खाँ को पदच्युत कर दिया गया।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध 1
MARTYRDOM OF BHAI MANI SINGH JI

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

जकरिया रवाँ 1726-45 ई० (Zakariya Khan 1726-45 A.D.)

प्रश्न 2.
सिखों की शक्ति कुचलने के लिए जकरिया खाँ ने क्या पग उठाए ? उसके प्रयासों से उसे कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई ?
(What measures were adopted by Zakariya Khan to crush the powers of the Sikhs ? How far did he succeed in his efforts ?)
अथवा
जकरिया खाँ के राज्यकाल में सिखों के कत्लेआम का संक्षिप्त वर्णन करें। (Describe briefly the persecution of the Sikhs in the reign of Zakariya Khan.)
अथवा
जकरिया खाँ के सिखों के साथ संबंधों की चर्चा करें।
(Discuss the relations of Zakariya Khan with the Sikhs.)
अथवा
जकरिया खाँ के सिखों के साथ निपटने के लिए किस प्रकार के प्रयत्न किए ? (How did Zakariya Khan treat with the Sikhs ?)
अथवा
सिखों की शक्ति को कुचलने के लिए जकरिया खाँ ने क्या कदम उठाए ? उसे अपने प्रयत्नों में किस प्रकार सफलता मिली ?
(What measures were adopted by Zakariya Khan to crush the power of the Sikhs ? How far did he succeed in his efforts ?)
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ के बाद उनका पुत्र जकरिया खाँ लाहौर का सूबेदार बना था। वह इस पद पर 1726 ई० से 1745 ई० तक रहा। जकरिया खाँ के शासनकाल तथा उसके सिखों के साथ संबंधों का वर्णन इस प्रकार है—
1. सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाइयाँ (Harsh measures against the Sikhs)—जकरिया खाँ ने पद संभालते ही सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए 20,000 सैनिकों को भर्ती किया। गाँवों के मुकद्दमों तथा चौधरियों को यह आदेश दिया गया कि वे सिखों को अपने क्षेत्र में शरणं न दें। जकरिया खाँ ने यह घोषणा की कि किसी सिख के संबंध में सूचना देने वाले को 10 रुपये, बंदी बनवाने वाले को 25 रुपए, बंदी बनाकर सरकार के सुपुर्द करने वाले को 50 रुपए और सिर काटकर सरकार को भेंट करने वाले को 100 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इस प्रकार सिखों पर अत्याचारों का दौर पुनः आरंभ हो गया। सैंकड़ों सिखों को लाहौर के दिल्ली गेट में शहीद किया जाने लगा। इसके कारण इस स्थान का नाम ही ‘शहीद गंज’ पड़ गया।

2. भाई तारा सिंह जी वाँ का बलिदान (Martyrdom of Bhai Tara Singh Ji Van)-भाई तारा सिंह जी अमृतसर जिला के गाँव वाँ का निवासी था। उसने बंदा सिंह बहादुर की लड़ाइयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। नौशहरा का चौधरी साहिब राय सिखों के खेतों में अपने घोड़े छोड़ देता था। जब सिख इस बात पर आपत्ति उठाते तो वह सिखों का अपमान करता। भाई तारा सिंह जी वाँ के लिए यह बात असहनीय थी। एक दिन उसने साहिब राय की एक घोड़ी को पकड़कर बेच दिया और मिले हुए पैसों को लंगर के लिए दे दिया। इस पर सिखों को सबक सिखाने दे. लिए साहिब राय ने जकरिया खाँ से सहायता की माँग की तो जकरिया खाँ ने 2200 घुड़सवार सिखों के विरुद्ध भेजे। भाई तारा सिंह जी वाँ और उसके 22 साथी मुग़लों का सामना करते हुए शहीद हो गए। परंतु इससे पूर्व उन्होंने 300 मुगल सैनिकों को यमलोक पहुँचा दिया था। एस० एस० सीतल के शब्दों में,
“उस (तारा सिंह) के बलिदान का सिखों के दिलों पर गहरा प्रभाव पड़ा।”1

3. सिखों की जवाबी.कार्यवाइयाँ (Retaliatory measures of the Sikhs)-भाई तारा सिंह जी वाँ और उसके साथियों के बलिदान ने सिखों में एक नया जोश पैदा किया। उन्होंने गुरिल्ला युद्धों द्वारा सरकारी कोषों को लूटना आरंभ कर दिया। उन्होंने कई स्थानों पर आक्रमण करके सरकार के पिठुओं को मार डाला। जब जकरिया खाँ इन सिखों के विरुद्ध अपने सैनिकों को भेजता तो वे झट वनों और पहाड़ों में जा छुपते।

4. हैदरी ध्वज की घटना (Incident of Haidri Flag) जकरिया खाँ ने सिखों का अंत करने के लिए विवश होकर जेहाद का नारा लगाया। हजारों की संख्या में मुसलमान इनायत उल्ला खाँ के ध्वज तले एकत्रित हो गए। उन्हें ईद के शुभ दिन एक हैदरी ध्वज दिया गया और यह कहा गया कि इस ध्वज तले लड़ने वालों को अल्ला अवश्य विजय देगा। परंतु एक दिन लगभग 7 हज़ार सिखों ने इन गाज़ियों पर अचानक आक्रमण करके हज़ारों गाज़ियों की हत्या कर दी। इस घटना से सरकार की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा।

5. जकरिया खाँ का सिखों से समझौता (Agreement of Zakariya Khan with the Sikhs) अब ज़करिया खाँ ने सिखों को प्रसन्न करने की नीति अपनाई। उसने 1733 ई० में घोषणा की कि यदि सिख सरकार विरोधी कार्यवाइयों को बंद कर दें तो उन्हें एक लाख रुपए वार्षिक आय वाली एक जागीर व उनके नेता को ‘नवाब’ की उपाधि दी जाएगी। पहले तो सिख इस समझौते के विरुद्ध थे, परंतु बाद में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। सिखों ने नवाब की उपाधि सरदार कपूर सिंह फैज़लपुरिया को दी।

6. बुड्डा दल एवं तरुणा दल का गठन (Formation of Buddha Dal & Taruna Dal)-मुग़लों से समझौता हो जाने पर नवाब कपूर सिंह ने सिखों को यह संदेश भेजा कि वे पुन: अपने घरों में लौट आएं। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों की शक्ति दृढ़ करने के उद्देश्य से उन्हें दो जत्थों में संगठित कर दिया। ये जत्थे थेबुड्डा दल और तरुणा दल। बुड्डा दल में 40 वर्ष से बड़ी आयु के सिखों को शामिल किया गया तथा तरुणा दल में उससे कम आयु वाले सिखों को। तरुणा दल को आगे पाँच जत्थों में विभाजित किया गया था। बुड्डा दल धार्मिक स्थानों की देख-रेख करता था जबकि तरुणा दल शत्रुओं का सामना करता था।

7. मुग़लों और सिखों के बीच पुनः संघर्ष (Renewed Struggle between the Mughals and the. Sikhs)-अपनी शक्ति को संगठित करने के बाद सिखों ने अपनी सैनिक कार्यवाइयों को फिर से आरंभ कर दिया। उन्होंने शाही खजाने को लुटना आरंभ कर दिया था। अतः जकरिया खाँ ने क्रोधित होकर सिखों को दी गई जागीर को 1735 ई० में ज़ब्त कर लिया। सिखों के विरुद्ध पुनः कड़ी सैनिक कार्यवाई के आदेश दिए गए। परिणामस्वरूप. सिख वनों की ओर चले गए। इस अवसर का लाभ उठाकर मुग़लों ने हरिमंदिर साहिब पर अधिकार कर लिया।

8. भाई मनी सिंह जी का बलिदान (Martyrdom of Bhai Mani Singh Ji)-भाई मनी सिंह जी 1721 ई० से हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी चले आ रहे थे। उन्होंने जकरिया खाँ को यह निवेदन किया कि यदि वह सिखों को दीवाली के अवसर पर हरिमंदिर साहिब आने की अनुमति दे तो वे 5,000 रुपए भेंट करेंगे। जकरिया खाँ ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। परंतु सिख अमृतसर में एकत्रित हो ही रहे थे, कि जकरिया खाँ के सैनिकों ने उन पर आक्रमण कर दिया और कई निर्दोष सिखों को शहीद कर दिया। फलस्वरूप हरिमंदिर साहिब में दीवाली का उत्सव न मनाया जा सका। जकरिया खाँ ने भाई मनी सिंह जी से 5,000 रुपए की माँग की। भाई मनी सिंह जी यह पैसा देने में असमर्थ रहे अतः उन्हें बंदी बनाकर लाहौर भेज दिया गया। भाई साहिब को इस्लाम ग्रहण करने को कहा गया, परंतु उन्होंने इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप उन्हें 1738 ई० में निर्ममतापूर्वक शहीद कर दिया गया। इस घटना से सिखों में रोष की लहर दौड़ गई। प्रसिद्ध इतिहासकार खुशवंत सिंह के विचारानुसार,
“पवित्र एवं पूज्य योग मुख्य पुजारी (भाई मनी सिंह) के बलिदान के कारण सिख भड़क उठे।”2

9. सिखों का नादिरशाह को लूटना (Sikhs robbed Nadir Shah)-1739 ई० में नादिरशाह दिल्ली में भारी लूटपाट करके पंजाब से होता हुआ वापिस ईरान जा रहा था। जब सिखों को यह सूचना मिली तो उन्होंने आक्रमण करके उसका बहुत-सा खज़ाना लूट लिया। नादिरशाह ने जकरिया खाँ को यह चेतावनी दी कि शीघ्र ही सिख पंजाब के शासक होंगे।

10. जकरिया खाँ द्वारा सिखों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाइयाँ (Strong actions against the Sikhs by Zakariya Khan) नादिरशाह की चेतावनी का जकरियाँ खाँ पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सिखों के विनाश के लिए अनेक पग उठाए। सिखों का पुनः प्रतिदिन बड़ी निर्दयता से शहीद किया जाने लगा। कुछ प्रमुख शहीदों का वर्णन इस प्रकार है

i) भाई बोता सिंह जी (Bhai Bota Singh Ji)—जकरियाँ खाँ ने असंख्य सिखों को शहीद करने के पश्चात् यह घोषणा की कि उसने सिखों का नामो-निशान मिटा दिया है। सिखों का अस्तित्व दर्शाने के लिए भाई बोता सिंह जी ने सराय नूरदीन में एक चौंकी स्थापित कर ली और वहाँ चुंगीकर लेना आरंभ कर दिया। जकरिया खाँ ने उसे गिरफ्तार करने के लिए कुछ सेना भेजी। भाई बोता सिंह जी शत्रुओं का डटकर सामना करते हुए शहीद हो गए।

ii) भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सुखा सिंह जी (Bhai Mehtab Singh Ji and Bhai Sukha Singh Ji) अमृतसर जिले के मंडियाला गाँव का चौधरी मस्सा रंघड़ हरिमंदिर साहिब की पवित्रता को भंग कर रहा था। इस कारण सिख उसे एक सबक सिखाना चाहते थे। एक दिन भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सखा सिंह जी कुछ बोरियों में पत्थर भर कर तथा ऊपर कुछ सिक्के रखकर हरिमंदिर साहिब पहुँच गए। सैनिकों द्वारा पूछने पर उन्होंने बताया कि वह लगान उगाह कर लाए हैं । मस्सा रंघड़ सिक्कों से भरी बोरियाँ देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। जैसे ही वह ये बोरियाँ लेने नीचे झुका उसी समय भाई मेहताब सिंह जी ने तलवार के एक ही वार से उसका सिर धड़ से अलग कर। बाद में मुग़लों ने भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सुखा सिंह जी को बंदी बनाकर 1740 ई० . में बड़ी निर्दयता से शहीद कर दिया गया।

iii) बाल हकीकत राय जी (Bal Haqiqat Rai Ji)—बाल हकीकत राय जी स्यालकोट का रहने वाला था। एक दिन कुछ मुसलमान लड़कों ने हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध कुछ अपमानजनक शब्द कहे। बाल हकीकत राय जी यह सहन न कर सके। उसने हज़रत मुहम्मद साहिब के संबंध में कुछ अनुचित शब्द कहे। इस पर बाल .हकीकत राय जी पर मुकद्दमा चलाया गया तथा मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई। यह घटना 1742 ई० की है। इस घटना के कारण लोगों ने ज़ालिम मुग़ल शासन का अंत करने का प्रण लिया।

iv) भाई तारू सिंह जी (Bhai Taru Singh Ji)—भाई तारू सिंह जी माझा क्षेत्र के पूहला गाँव के निवासी थे। वह अपनी आय से अक्सर सिखों की सहायता करते थे। सरकार की दृष्टि में यह एक घोर अपराध था । जकरिया खाँ ने भाई तारू सिंह जी को लाहौर बुलाकर इस्लाम धर्म ग्रहण करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि वह किसी भी मूल्य पर सतगुरु की दी हुई पवित्र दात केशों को नहीं दे सकते। हाँ वह अपने केश अपनी खोपड़ी सहित उतरवा सकते हैं। इस पर जल्लादों ने भाई तारू सिंह की खोपड़ी उतार दी। यह घटना 1745 ई० की है। जब भाई साहिब जी की खोपड़ी उतारी जा रही थी तो वह जपुजी साहिब का पाठ कर रहे थे। इस अद्वितीय बलिदान ने सिखों में एक नया जोश उत्पन्न कर दिया।

11. जकरिया खाँ की मृत्यु (Death of Zakariya Khan) जकरिया खाँ ने निस्संदेह अपने शासन काल में सिखों पर घोर अत्याचार किए। वह अपने अथक प्रयत्नों के बावजूद सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा। जकरिया खाँ की 1 जुलाई, 1745 ई० को मृत्यु हो गई। पतवंत सिंह का यह कथन पूर्णतः ठीक है,
“किसी ने भी सिखों का इससे अधिक उत्साह के साथ दमन नहीं किया जितना कि जकरिया खाँ ने।”3

1. “The news of his martyrdom, deeply moved the feelings of the Sikhs.” S.S. Seetal, Rise of the Sikh Power in the Punjab (Ludhiana : 1982) p. 166. .
2. “The killing of the pious and venerable head priest caused deep resentment among the Sikhs.” . Khushwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1989) Vol. 1, p. 237.
3. “No one persecuted the Sikhs with greater zeal than Zakariya Khan.” Patwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1999) p. 83.
याहिया रवाँ 1746-47 ई० (Yahiya Khan 1746 – 47 A.D.)

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

प्रश्न 3.
संक्षेप में अब्दुस समद खाँ तथा जकरिया खाँ के सिखों के साथ संबंधों की चर्चा करें।
(Briefly describe the relations of Abdus Samad Khan and Zakariya Khan with the Sikhs.)
उत्तर-
1. सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाइयाँ (Harsh measures against the Sikhs)—जकरिया खाँ ने पद संभालते ही सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए 20,000 सैनिकों को भर्ती किया। गाँवों के मुकद्दमों तथा चौधरियों को यह आदेश दिया गया कि वे सिखों को अपने क्षेत्र में शरणं न दें। जकरिया खाँ ने यह घोषणा की कि किसी सिख के संबंध में सूचना देने वाले को 10 रुपये, बंदी बनवाने वाले को 25 रुपए, बंदी बनाकर सरकार के सुपुर्द करने वाले को 50 रुपए और सिर काटकर सरकार को भेंट करने वाले को 100 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इस प्रकार सिखों पर अत्याचारों का दौर पुनः आरंभ हो गया। सैंकड़ों सिखों को लाहौर के दिल्ली गेट में शहीद किया जाने लगा। इसके कारण इस स्थान का नाम ही ‘शहीद गंज’ पड़ गया।

2. भाई तारा सिंह जी वाँ का बलिदान (Martyrdom of Bhai Tara Singh Ji Van)-भाई तारा सिंह जी अमृतसर जिला के गाँव वाँ का निवासी था। उसने बंदा सिंह बहादुर की लड़ाइयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। नौशहरा का चौधरी साहिब राय सिखों के खेतों में अपने घोड़े छोड़ देता था। जब सिख इस बात पर आपत्ति उठाते तो वह सिखों का अपमान करता। भाई तारा सिंह जी वाँ के लिए यह बात असहनीय थी। एक दिन उसने साहिब राय की एक घोड़ी को पकड़कर बेच दिया और मिले हुए पैसों को लंगर के लिए दे दिया। इस पर सिखों को सबक सिखाने दे. लिए साहिब राय ने जकरिया खाँ से सहायता की माँग की तो जकरिया खाँ ने 2200 घुड़सवार सिखों के विरुद्ध भेजे। भाई तारा सिंह जी वाँ और उसके 22 साथी मुग़लों का सामना करते हुए शहीद हो गए। परंतु इससे पूर्व उन्होंने 300 मुगल सैनिकों को यमलोक पहुँचा दिया था। एस० एस० सीतल के शब्दों में,
“उस (तारा सिंह) के बलिदान का सिखों के दिलों पर गहरा प्रभाव पड़ा।”1

3. सिखों की जवाबी.कार्यवाइयाँ (Retaliatory measures of the Sikhs)-भाई तारा सिंह जी वाँ और उसके साथियों के बलिदान ने सिखों में एक नया जोश पैदा किया। उन्होंने गुरिल्ला युद्धों द्वारा सरकारी कोषों को लूटना आरंभ कर दिया। उन्होंने कई स्थानों पर आक्रमण करके सरकार के पिठुओं को मार डाला। जब जकरिया खाँ इन सिखों के विरुद्ध अपने सैनिकों को भेजता तो वे झट वनों और पहाड़ों में जा छुपते।

4. हैदरी ध्वज की घटना (Incident of Haidri Flag) जकरिया खाँ ने सिखों का अंत करने के लिए विवश होकर जेहाद का नारा लगाया। हजारों की संख्या में मुसलमान इनायत उल्ला खाँ के ध्वज तले एकत्रित हो गए। उन्हें ईद के शुभ दिन एक हैदरी ध्वज दिया गया और यह कहा गया कि इस ध्वज तले लड़ने वालों को अल्ला अवश्य विजय देगा। परंतु एक दिन लगभग 7 हज़ार सिखों ने इन गाज़ियों पर अचानक आक्रमण करके हज़ारों गाज़ियों की हत्या कर दी। इस घटना से सरकार की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा।

5. जकरिया खाँ का सिखों से समझौता (Agreement of Zakariya Khan with the Sikhs) अब ज़करिया खाँ ने सिखों को प्रसन्न करने की नीति अपनाई। उसने 1733 ई० में घोषणा की कि यदि सिख सरकार विरोधी कार्यवाइयों को बंद कर दें तो उन्हें एक लाख रुपए वार्षिक आय वाली एक जागीर व उनके नेता को ‘नवाब’ की उपाधि दी जाएगी। पहले तो सिख इस समझौते के विरुद्ध थे, परंतु बाद में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। सिखों ने नवाब की उपाधि सरदार कपूर सिंह फैज़लपुरिया को दी।

6. बुड्डा दल एवं तरुणा दल का गठन (Formation of Buddha Dal & Taruna Dal)-मुग़लों से समझौता हो जाने पर नवाब कपूर सिंह ने सिखों को यह संदेश भेजा कि वे पुन: अपने घरों में लौट आएं। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों की शक्ति दृढ़ करने के उद्देश्य से उन्हें दो जत्थों में संगठित कर दिया। ये जत्थे थेबुड्डा दल और तरुणा दल। बुड्डा दल में 40 वर्ष से बड़ी आयु के सिखों को शामिल किया गया तथा तरुणा दल में उससे कम आयु वाले सिखों को। तरुणा दल को आगे पाँच जत्थों में विभाजित किया गया था। बुड्डा दल धार्मिक स्थानों की देख-रेख करता था जबकि तरुणा दल शत्रुओं का सामना करता था।

7. मुग़लों और सिखों के बीच पुनः संघर्ष (Renewed Struggle between the Mughals and the. Sikhs)-अपनी शक्ति को संगठित करने के बाद सिखों ने अपनी सैनिक कार्यवाइयों को फिर से आरंभ कर दिया। उन्होंने शाही खजाने को लुटना आरंभ कर दिया था। अतः जकरिया खाँ ने क्रोधित होकर सिखों को दी गई जागीर को 1735 ई० में ज़ब्त कर लिया। सिखों के विरुद्ध पुनः कड़ी सैनिक कार्यवाई के आदेश दिए गए। परिणामस्वरूप. सिख वनों की ओर चले गए। इस अवसर का लाभ उठाकर मुग़लों ने हरिमंदिर साहिब पर अधिकार कर लिया।

8. भाई मनी सिंह जी का बलिदान (Martyrdom of Bhai Mani Singh Ji)-भाई मनी सिंह जी 1721 ई० से हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी चले आ रहे थे। उन्होंने जकरिया खाँ को यह निवेदन किया कि यदि वह सिखों को दीवाली के अवसर पर हरिमंदिर साहिब आने की अनुमति दे तो वे 5,000 रुपए भेंट करेंगे। जकरिया खाँ ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। परंतु सिख अमृतसर में एकत्रित हो ही रहे थे, कि जकरिया खाँ के सैनिकों ने उन पर आक्रमण कर दिया और कई निर्दोष सिखों को शहीद कर दिया। फलस्वरूप हरिमंदिर साहिब में दीवाली का उत्सव न मनाया जा सका। जकरिया खाँ ने भाई मनी सिंह जी से 5,000 रुपए की माँग की। भाई मनी सिंह जी यह पैसा देने में असमर्थ रहे अतः उन्हें बंदी बनाकर लाहौर भेज दिया गया। भाई साहिब को इस्लाम ग्रहण करने को कहा गया, परंतु उन्होंने इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप उन्हें 1738 ई० में निर्ममतापूर्वक शहीद कर दिया गया। इस घटना से सिखों में रोष की लहर दौड़ गई। प्रसिद्ध इतिहासकार खुशवंत सिंह के विचारानुसार,
“पवित्र एवं पूज्य योग मुख्य पुजारी (भाई मनी सिंह) के बलिदान के कारण सिख भड़क उठे।”2

9. सिखों का नादिरशाह को लूटना (Sikhs robbed Nadir Shah)-1739 ई० में नादिरशाह दिल्ली में भारी लूटपाट करके पंजाब से होता हुआ वापिस ईरान जा रहा था। जब सिखों को यह सूचना मिली तो उन्होंने आक्रमण करके उसका बहुत-सा खज़ाना लूट लिया। नादिरशाह ने जकरिया खाँ को यह चेतावनी दी कि शीघ्र ही सिख पंजाब के शासक होंगे।

10. जकरिया खाँ द्वारा सिखों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाइयाँ (Strong actions against the Sikhs by Zakariya Khan) नादिरशाह की चेतावनी का जकरियाँ खाँ पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सिखों के विनाश के लिए अनेक पग उठाए। सिखों का पुनः प्रतिदिन बड़ी निर्दयता से शहीद किया जाने लगा। कुछ प्रमुख शहीदों का वर्णन इस प्रकार है

i) भाई बोता सिंह जी (Bhai Bota Singh Ji)—जकरियाँ खाँ ने असंख्य सिखों को शहीद करने के पश्चात् यह घोषणा की कि उसने सिखों का नामो-निशान मिटा दिया है। सिखों का अस्तित्व दर्शाने के लिए भाई बोता सिंह जी ने सराय नूरदीन में एक चौंकी स्थापित कर ली और वहाँ चुंगीकर लेना आरंभ कर दिया। जकरिया खाँ ने उसे गिरफ्तार करने के लिए कुछ सेना भेजी। भाई बोता सिंह जी शत्रुओं का डटकर सामना करते हुए शहीद हो गए।

ii) भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सुखा सिंह जी (Bhai Mehtab Singh Ji and Bhai Sukha Singh Ji) अमृतसर जिले के मंडियाला गाँव का चौधरी मस्सा रंघड़ हरिमंदिर साहिब की पवित्रता को भंग कर रहा था। इस कारण सिख उसे एक सबक सिखाना चाहते थे। एक दिन भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सखा सिंह जी कुछ बोरियों में पत्थर भर कर तथा ऊपर कुछ सिक्के रखकर हरिमंदिर साहिब पहुँच गए। सैनिकों द्वारा पूछने पर उन्होंने बताया कि वह लगान उगाह कर लाए हैं । मस्सा रंघड़ सिक्कों से भरी बोरियाँ देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। जैसे ही वह ये बोरियाँ लेने नीचे झुका उसी समय भाई मेहताब सिंह जी ने तलवार के एक ही वार से उसका सिर धड़ से अलग कर। बाद में मुग़लों ने भाई मेहताब सिंह जी तथा भाई सुखा सिंह जी को बंदी बनाकर 1740 ई० . में बड़ी निर्दयता से शहीद कर दिया गया।

iii) बाल हकीकत राय जी (Bal Haqiqat Rai Ji)—बाल हकीकत राय जी स्यालकोट का रहने वाला था। एक दिन कुछ मुसलमान लड़कों ने हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध कुछ अपमानजनक शब्द कहे। बाल हकीकत राय जी यह सहन न कर सके। उसने हज़रत मुहम्मद साहिब के संबंध में कुछ अनुचित शब्द कहे। इस पर बाल .हकीकत राय जी पर मुकद्दमा चलाया गया तथा मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई। यह घटना 1742 ई० की है। इस घटना के कारण लोगों ने ज़ालिम मुग़ल शासन का अंत करने का प्रण लिया।

iv) भाई तारू सिंह जी (Bhai Taru Singh Ji)—भाई तारू सिंह जी माझा क्षेत्र के पूहला गाँव के निवासी थे। वह अपनी आय से अक्सर सिखों की सहायता करते थे। सरकार की दृष्टि में यह एक घोर अपराध था । जकरिया खाँ ने भाई तारू सिंह जी को लाहौर बुलाकर इस्लाम धर्म ग्रहण करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि वह किसी भी मूल्य पर सतगुरु की दी हुई पवित्र दात केशों को नहीं दे सकते। हाँ वह अपने केश अपनी खोपड़ी सहित उतरवा सकते हैं। इस पर जल्लादों ने भाई तारू सिंह की खोपड़ी उतार दी। यह घटना 1745 ई० की है। जब भाई साहिब जी की खोपड़ी उतारी जा रही थी तो वह जपुजी साहिब का पाठ कर रहे थे। इस अद्वितीय बलिदान ने सिखों में एक नया जोश उत्पन्न कर दिया।

11. जकरिया खाँ की मृत्यु (Death of Zakariya Khan) जकरिया खाँ ने निस्संदेह अपने शासन काल में सिखों पर घोर अत्याचार किए। वह अपने अथक प्रयत्नों के बावजूद सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा। जकरिया खाँ की 1 जुलाई, 1745 ई० को मृत्यु हो गई। पतवंत सिंह का यह कथन पूर्णतः ठीक है,
“किसी ने भी सिखों का इससे अधिक उत्साह के साथ दमन नहीं किया जितना कि जकरिया खाँ ने।”3

1. “The news of his martyrdom, deeply moved the feelings of the Sikhs.” S.S. Seetal, Rise of the Sikh Power in the Punjab (Ludhiana : 1982) p. 166. .
2. “The killing of the pious and venerable head priest caused deep resentment among the Sikhs.” . Khushwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1989) Vol. 1, p. 237.
3. “No one persecuted the Sikhs with greater zeal than Zakariya Khan.” Patwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1999) p. 83.

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

याहिया रवाँ 1746-47 ई० (Yahiya Khan 1746 – 47 A.D.)

प्रश्न 4.
याहिया खाँ ने सिखों की ताकत को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए ? (What steps were taken by Yahiya Khan to crush the power of the Sikhs ?)
उत्तर-
ज़करिया खाँ की मृत्यु के बाद याहिया खाँ दिल्ली के वज़ीर कमरुद्दीन के सहयोग से 1746 ई० में लाहौर का सूबेदार बना। वह 1747 ई० तक इस पद पर रहा। सिखों पर अत्याचार करने के लिए वह अपने पिता ज़करिया खाँ से एक कदम आगे था। उसके सिखों के साथ संबंधों का वर्णन इस प्रकार है—
1. सिखों की गतिविधियाँ (Activities of the Sikhs)-ज़करिया खाँ की मृत्यु का लाभ उठाकर सिखों ने अपनी शक्ति को संगठित कर लिया था। उन्होंने पंजाब के कई गाँवों में चौधरियों तथा मुकद्दमों की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही करने के कारण हत्या कर दी थी। इसके अतिरिक्त सिख पंजाब के कई क्षेत्रों में खूब लूटपाट करते थे।

2. जसपत राय की मृत्यु (Death of Jaspat Rai)-1746 ई० में सिखों के एक जत्थे ने गोंदलावाला गाँव से बहुत-सी भेड़-बकरियों को पकड़ लिया। लोगों की शिकायत पर जसपत राय ने सिखों को ये भेड़-बकरियाँ लौटाने का आदेश दिया। सिखों के इंकार करने पर उसने सिखों पर आक्रमण कर दिया। लड़ाई के दौरान जसपत राय मारा गया। इस कारण मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई।

3. लखपत राय की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही (Actions of Lakhpat Rai against the Sikhs)जसपत राय की मृत्यु का समाचार पाकर उसका भाई दीवान लखपत राय आग-बबूला हो गया। उसने यह प्रण किया कि वह सिखों का नामो-निशान मिटा कर ही दम लेगा। याहिया खाँ ने सिखों को उनके धर्म-ग्रंथों को पढने पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने गुरु शब्द के प्रयोग पर रोक लगा दी। इस उद्देश्य से उसने गुड़ के स्थान पर लोगों को रोड़ी शब्द का प्रयोग करने के लिए कहा, क्योंकि गुड़ शब्द की आवाज़ गुरु के साथ मिलती-जुलती थी। इसी प्रकार ग्रंथ के स्थान पर पोथी शब्द का प्रयोग करने का आदेश दिया गया। इन आदेशों का उल्लंघन करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था। उसने बहुत-से सिखों को बंदी बनाया और उनको लाहौर लाकर शहीद कर दिया।

4. पहला घल्लूघारा (First Holocaust)-1746 ई० में याहिया खाँ और लखपत राय के नेतृत्व में मग़ल सेना ने लगभग 15,000 सिखों को काहनूवान में घेर लिया। सिख बसोली की पहाड़ियों की ओर चले गए। मुग़ल सैनिकों ने उनका पीछा किया। सिख भारी संकट में फंस गए। एक ओर ऊँची पहाड़ियाँ थीं और दूसरी ओर रावी नदी में बाढ़ आई हुई थी। पीछे मुग़ल सैनिक उनका पीछा कर रहे थे। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और 3,000 सिखों को बंदी बना लिया गया। सिखों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था जब सिखों की एक बार में ही इतनी भारी प्राण-हानि हुई। इस दर्दनाक घटना को सिख इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा के नाम से याद किया जाता है। गुरबख्श सिंह का यह कहना पूर्णतः ठीक है,
“1746 के इस विनाशकारी झटके ने सिखों के इस विश्वास को और बल प्रदान किया कि वे अत्याचारियों का सर्वनाश करें।”4

5. याहिया खाँ का पतन (Fall of Yahiya Khan)-नवंबर, 1746 ई० में याहिया खाँ के छोटे भाई शाहनवाज़ खाँ ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह चार मास तक रहा। इस विद्रोह के अंत में शाहनवाज़ खाँ सफल रहा और उसने 17 मार्च, 1747 ई० को याहिया खाँ को कारावास में डाल दिया। इस प्रकार उसके अत्याचारों का अंत हुआ।

4. “This devastating blow to the Sikhs in 1746 made them more determined than ever to put an end to the genocide.” Gurbakhsh Singh, The Sikh Faith : A Universal Message (Amritsar : 1997) p. 93.

प्रश्न 5.
1726-1746 तक जकरिया खाँ तथा याहिया खाँ ने सिखों की ताकत कुचलने के लिए क्या कदम उठाए ?
(What steps were taken by Zakariya Khan and Yahiya Khan from 1726-1746 in order to crush the power of the Sikhs ?)
अथवा
ज़करिया खाँ तथा याहिया खाँ के अधीन सिखों पर किए गए अत्याचारों का वर्णन करें।
(Describe the persecution of the Sikhs during the rule of Zakariya Khan and Yahiya Khan.)
उत्तर-
ज़करिया खाँ की मृत्यु के बाद याहिया खाँ दिल्ली के वज़ीर कमरुद्दीन के सहयोग से 1746 ई० में लाहौर का सूबेदार बना। वह 1747 ई० तक इस पद पर रहा। सिखों पर अत्याचार करने के लिए वह अपने पिता ज़करिया खाँ से एक कदम आगे था। उसके सिखों के साथ संबंधों का वर्णन इस प्रकार है—
1. सिखों की गतिविधियाँ (Activities of the Sikhs)-ज़करिया खाँ की मृत्यु का लाभ उठाकर सिखों ने अपनी शक्ति को संगठित कर लिया था। उन्होंने पंजाब के कई गाँवों में चौधरियों तथा मुकद्दमों की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही करने के कारण हत्या कर दी थी। इसके अतिरिक्त सिख पंजाब के कई क्षेत्रों में खूब लूटपाट करते थे।

2. जसपत राय की मृत्यु (Death of Jaspat Rai)-1746 ई० में सिखों के एक जत्थे ने गोंदलावाला गाँव से बहुत-सी भेड़-बकरियों को पकड़ लिया। लोगों की शिकायत पर जसपत राय ने सिखों को ये भेड़-बकरियाँ लौटाने का आदेश दिया। सिखों के इंकार करने पर उसने सिखों पर आक्रमण कर दिया। लड़ाई के दौरान जसपत राय मारा गया। इस कारण मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई।

3. लखपत राय की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही (Actions of Lakhpat Rai against the Sikhs)जसपत राय की मृत्यु का समाचार पाकर उसका भाई दीवान लखपत राय आग-बबूला हो गया। उसने यह प्रण किया कि वह सिखों का नामो-निशान मिटा कर ही दम लेगा। याहिया खाँ ने सिखों को उनके धर्म-ग्रंथों को पढने पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने गुरु शब्द के प्रयोग पर रोक लगा दी। इस उद्देश्य से उसने गुड़ के स्थान पर लोगों को रोड़ी शब्द का प्रयोग करने के लिए कहा, क्योंकि गुड़ शब्द की आवाज़ गुरु के साथ मिलती-जुलती थी। इसी प्रकार ग्रंथ के स्थान पर पोथी शब्द का प्रयोग करने का आदेश दिया गया। इन आदेशों का उल्लंघन करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था। उसने बहुत-से सिखों को बंदी बनाया और उनको लाहौर लाकर शहीद कर दिया।

4. पहला घल्लूघारा (First Holocaust)-1746 ई० में याहिया खाँ और लखपत राय के नेतृत्व में मग़ल सेना ने लगभग 15,000 सिखों को काहनूवान में घेर लिया। सिख बसोली की पहाड़ियों की ओर चले गए। मुग़ल सैनिकों ने उनका पीछा किया। सिख भारी संकट में फंस गए। एक ओर ऊँची पहाड़ियाँ थीं और दूसरी ओर रावी नदी में बाढ़ आई हुई थी। पीछे मुग़ल सैनिक उनका पीछा कर रहे थे। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और 3,000 सिखों को बंदी बना लिया गया। सिखों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था जब सिखों की एक बार में ही इतनी भारी प्राण-हानि हुई। इस दर्दनाक घटना को सिख इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा के नाम से याद किया जाता है। गुरबख्श सिंह का यह कहना पूर्णतः ठीक है,
“1746 के इस विनाशकारी झटके ने सिखों के इस विश्वास को और बल प्रदान किया कि वे अत्याचारियों का सर्वनाश करें।”4

5. याहिया खाँ का पतन (Fall of Yahiya Khan)-नवंबर, 1746 ई० में याहिया खाँ के छोटे भाई शाहनवाज़ खाँ ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह चार मास तक रहा। इस विद्रोह के अंत में शाहनवाज़ खाँ सफल रहा और उसने 17 मार्च, 1747 ई० को याहिया खाँ को कारावास में डाल दिया। इस प्रकार उसके अत्याचारों का अंत हुआ।

4. “This devastating blow to the Sikhs in 1746 made them more determined than ever to put an end to the genocide.” Gurbakhsh Singh, The Sikh Faith : A Universal Message (Amritsar : 1997) p. 93.

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 12 अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध

प्रश्न 6.
1716 ई० से 1747 ई० तक सिखों के कत्लेआम का संक्षिप्त वर्णन करें। (Explain in brief the persecution of the Sikhs during 1716 to 1747 A.D.)
अथवा
1716-1747 के समय दौरान मुग़ल गवर्नरों ने सिखों को कुचलने के लिए क्या प्रयास किया ? मुगल गवर्नर सिखों को कुचलने में क्यों असफल रहे ?
(What steps did the Mughal Governors take to crush the Sikhs between 1716-1747 ? Why did the Mughal Governors fail to suppress the Sikhs ?)
नोट-
उत्तर के लिए विद्यार्थी प्रश्न नं० 1, 2 एवं 4 का उत्तर देखें।

मीर मन्नू 1748-53 ई०. (Mir Mannu 1748-53 A.D.)

प्रश्न 7.
मीर मन्नू के अधीन सिखों पर किए गए अत्याचारों का वर्णन कीजिए। उसकी विफलता के कारण भी बताएँ।
(Discuss the persecution of the Sikhs under Mir Mannu. Explain the causes of his failure also.)
अथवा
मीर मन्नू के सिखों के साथ कैसे संबंध थे ? वह अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में क्यों विफल रहा ? (Describe Mir Mannu’s relations with the Sikhs. Why did he fail to achieve his objective ?)
अथवा
मीर मन्नू कौन था ? सिखों को कुचलने में उसकी विफलता के क्या कारण थे ? (Who was Mir Mannu ? What were the causes of his failure to crush the Sikhs ?)
अथवा
मीर मन्नू के सिखों के साथ संबंधों की चर्चा कीजिए। (Describe the relations Mir Mannu had with the Sikhs.)
अथवा
मुईन-उल-मुल्क (मीर मन्नू) के जीवन और सफलताओं का वर्णन कीजिए। (Describe the career and achievements of Muin-Ul-Mulk (Mir Mannu)).
अथवा
मीर मन्नू ने सिखों के साथ निपटने के लिए क्या प्रयत्न किए? (What was the strategy of Mir Mannu to fight against the sikhs ?)
उत्तर-
मीर मन्नू मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला के वज़ीर कमरुद्दीन का पुत्र था। वह मुईन-उल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता था। वह एक वीर, अनुशासित तथा योग्य राजनीतिज्ञ था। मीर मन्नू के इन्हीं गुणों के कारण उसे पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया गया था। वह 1748 ई० से 1753 ई० तक पंजाब का सूबेदार रहा। हरबंस सिंह के अनुसार, “मीर मन्नू अपने पूर्व-अधिकारियों से अधिक सिखों का कट्टर शत्रु सिद्ध हुआ।”5
1. मीर मन्न की मश्किलें (Difficulties of Mir Mannu) मीर मन्न जब पंजाब का सूबेदार बना तब उसके सामने पहाड़ सी मुश्किलें थीं। सिंहासन की प्राप्ति के लिए याहिया खाँ और शाहनवाज खाँ के बीच संघर्ष के कारण पंजाब में अराजकता फैल गई थी। अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण ने पंजाब की राजनीतिक स्थिति को जटिल बना दिया था। सिखों ने अपनी लूटपाट की कार्यवाइयाँ तेज़ कर दी थीं। राज्यकोष लगभग रिक्त पड़ा था। मीर मन्नू ने इन मुश्किलों पर नियंत्रण करने के लिए विशेष पग उठाने का निर्णय लिया।

2. सिखों के विरुद्ध कार्यवाई (Action against the Sikhs)-मीर मन्नू ने सर्वप्रथम अपना ध्यान सिखों की ओर लगाया। उसने सिखों का विनाश करने के लिए पंजाब के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अपनी सेना भेजी। उसने जालंधर के फ़ौजदार अदीना बेग को सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने के आदेश दिए। सिखों को प्रतिदिन बंदी बनाया जाने लगा। अदीना बेग और सिखों में हुई एक लड़ाई में 600 सिख शहीद हो गए। फलस्वरूप सिखों ने वनों में शरण ली।

3. रामरौणी दुर्ग का घेरा (Siege of Ramrauni Fort)-सिख अक्तूबर, 1748 ई० में दीवाली के अवसर पर अमृतसर में एकत्रित हुए। जब मीर मन्नू को यह समाचार मिला तो वह एक विशाल सेना के साथ अमृतसर की ओर बढ़ा। सिखों ने रामरौणी दुर्ग में जाकर शरण ली। मीर मन्नू ने रामरौणी दुर्ग को घेर लिया। यह घेरा चार माह तक जारी रहा। ऐसे समय में जस्सा सिंह रामगढ़िया अपने सैनिकों सहित सिखों की सहायता के लिए पहुँचा। इसी समय मीर मन्नू को यह सूचना मिली कि अहमदशाह अब्दाली पंजाब पर आक्रमण करने वाला है। फलस्वरूप मीर मन्नू ने सिखों के साथ समझौता कर लिया और घेरा उठा लिया। समझौते के अनुसार मीर मन्नू ने सिखों को पट्टी में एक जागीर दी ताकि वे शाँति से रहें।

4. अब्दाली का दूसरा आक्रमण (Second Invasion of Abdali)-अहमदशाह अब्दाली ने दिसंबर, 1748 ई० में पंजाब पर दूसरी बार आक्रमण किया। मीर मन्नू ने बुद्धिमानी से काम लेते हुए अब्दाली से समझौता कर लिया। इसके अनुसार मीर मन्नू ने सियालकोट, गुजरात, पसरूर और औरंगाबाद का लगान अब्दाली को देना मान लिया। यह लगान 14 लाख रुपए वार्षिक था।

5. नासिर खाँ एवं शाह नवाज़ खाँ के विद्रोह (Revolts of Nasir Khan and Shah Nawaz Khan)दिल्ली के वज़ीर सफदरजंग के भड़काने पर फ़ौजदार नासिर खाँ तथा मुलतान के सूबेदार शाहनवाज़ खाँ ने मीर मन्नू के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। शाहनवाज़ खाँ ने सिखों को भी लाहौर में अशांति फैलाने के लिए उकसाया। मीर मन्नू ने कौड़ा मल को शाहनवाज़ खाँ के विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा। इस लड़ाई में शाहनवाज़ खाँ मारा गया।

6. अब्दाली का तीसरा आक्रमण (Third Invasion of Abdali)-अब्दाली ने 1751 ई० के अंत में पंजाब पर तीसरी बार आक्रमण कर दिया। 6 मार्च, 1752 ई० में अहमदशाह अब्दाली और मीर मन्नू की सेनाओं के बीच लाहौर के निकट बड़ा घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में मीर मन्नू को बंदी बना लिया गया। इस प्रकार अहमदशाह अब्दाली का 1752 ई० में पंजाब पर अधिकार हो गया। अहमदशाह अब्दाली ने मीर मन्नू को ही पंजाब का सूबेदार नियुक्त कर दिया और उसे सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का आदेश दिया।

7. सिखों पर पुनः अत्याचार (Renewal of Sikh Persecution)—मीर मन्नू ने सिखों का सर्वनाश करने के लिए बड़े जोरदार प्रयास आरंभ कर दिए। सिखों के सिरों के मूल्य निश्चित किए गए। सिखों को शरण देने वालों को कठोर दंड दिए गए। मार्च, 1753 ई० में जब सिख होला मोहल्ला के अवसर पर माखोवाल में एकत्रित हुए थे तो अदीना बेग ने अचानक आक्रमण करके बहुत-से सिखों की हत्या कर दी। सिख स्त्रियों और बच्चों को बंदी बनाकर लाहौर ले जाया गया। इन स्त्रियों और बच्चों पर जो अत्याचार किए गए, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। प्रत्येक स्त्री को सवा-सवा मन अनाज प्रतिदिन पीसने के लिए दिया जाता। छोटे बच्चों को उनकी माताओं से छीनकर उनके सामने हत्या की जाती। इन घोर अत्याचारों के बावजूद सिखों की संख्या कम होने की अपेक्षा बढ़ती चली गई। उस समय यह लोकोक्ति बहुत प्रचलित थी
“मन्नू असाडी दातरी, असीं मन्नू दे सोए।
ज्यों-ज्यों मन्नू वड्दा, असीं दून सवाए होए।”

8. मीर मन्नू की मृत्यु (Death of Mir Mannu)-3 नवंबर, 1753 ई० को मीर मन्नू को यह सूचना मिली कि कुछ सिख तिलकपुर में एक गन्ने के खेत में छुपे हुए हैं। वह तुरंत सिखों का अंत करने के लिए अपने घोड़े पर सवार होकर वहाँ पहुँच गया। वहाँ पर सिखों द्वारा चलाई गई गोलियों के कारण उसका घोड़ा घबरा गया। उसने मीर मन्नू को नीचे गिरा दिया, परंतु उसका एक पाँव घोड़े की रकाब में फंस गया। घोड़ा उसी प्रकार मीर मन्नू को घसीटता गया जिसके कारण मीर मन्नू की मृत्यु हो गई। इस प्रकार प्रकृति ने मीर मन्नू से उसके अत्याचारों का प्रतिशोध ले लिया। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर एन० के० सिन्हा ने ठीक लिखा है,

“अप्रत्यक्ष रूप में मीर मन्नू सिखों की शक्ति बढ़ाने के लिए उत्तरदायी था।”6
1. दल खालसा का संगठन (Organisation of the Dal Khalsa)-मीर मन्नू की विफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारण दल खालसा का संगठन था। सिखों ने मीर मन्नू के अत्याचारों का डटकर सामना करने के लिए स्वयं को 12 जत्थों में संगठित कर लिया था। सिख दल खालसा का अत्यधिक सम्मान करते थे और इसके आदेश पर कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार रहते थे। परिणामस्वरूप मीर मन्नू के लिए सिखों का दमन करना कठिन हो गया।

2. सिखों के असाधारण गुण (Uncommon qualities of the Sikhs)–सिखों में अपने धर्म के लिए दृढ़ निश्चय, अपार जोश और असीमित बलिदान की भावनाएँ थीं। वे अत्यधिक मुश्किलों की घड़ी में भी अपने धैर्य का त्याग नहीं करते थे। मीर मन्नू ने सिखों पर असीमित अत्याचार किए, परंतु वह सिखों को विचलित करने में असफल रहा। अतः सिखों के इन असाधारण गुणों के कारण भी मीर मन्नू विफल रहा।

3. सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति (Guerilla tactics of the Sikhs)-सिखों ने मुग़ल सेना के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाई अर्थात् सिखों को जब अवसर मिलता, वे मुग़ल सेना पर आक्रमण करते और लूटपाट करने के बाद पुनः वनों में जाकर शरण ले लेते। अतः आमने-सामने की टक्कर के अभाव में मीर मन्नू सिखों की शक्ति का दमन करने में विफल रहा।

4. दीवान कौड़ा मल्ल का सिखों से सहयोग (Cooperation of Diwan Kaura Mal with the Sikhs) दीवान कौड़ा मल्ल मीर मन्न का प्रमुख परामर्शदाता था। सहजधारी सिख होने के कारण वह सिखों से सहानुभूति रखता था। मीर मन्नू उसके परामर्श के बिना सिखों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं करता था। जब भी मीर मन्नू ने सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का निर्णय किया तो दीवान कौड़ा मल्ल उसे सिखों से समझौता करने के लिए मना लेता था। अतः दीवान कौड़ा मल्ल का सहयोग भी सिख शक्ति को बचाए रखने में बहुत लाभप्रद सिद्ध हुआ।

5. अदीना बेग की दोहरी नीति (Dual Policy of Adina Beg)—अदीना बेग जालंधर दोआब का फ़ौजदार था। वह मीर मन्नू के बाद पंजाब का सूबेदार बनना चाहता था। मीर मन्नू ने जब भी उसे सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का आदेश दिया तो उसने इसका पालन नहीं किया। वह पंजाब में अशांति के माहौल को बनाए रखना चाहता था। अतः अदीना बेग की दोहरी नीति भी मीर मन्नू की विफलता का कारण बनी।

6. मीर मन्नू की समस्याएँ (Problems of Mir Mannu)-अपने शासनकाल के दौरान कई समस्याओं से घिरा रहने के कारण भी मीर मन्नू सिखों का पूर्ण दमन करने में विफल रहा। उसकी पहली बड़ी समस्या अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण थे। इन आक्रमणों के कारण उसे सिखों के विरुद्ध कार्यवाई स्थगित करनी पड़ती थी। दूसरा, दिल्ली का वज़ीर सफदरजंग भी उसे पदच्युत करने के लिए षड्यंत्र रचता रहता था। उसके कहने पर ही नासिर खाँ और शाह नवाज़ खाँ ने मीर मन्नू के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। फलस्वरूप मीर मन्नू इन समस्याओं से जूझने में ही व्यस्त रहा।

5. “Mir Mannu proved a worse foe of the Sikhs than his predecessors.” Harbans Singh, The Heritage of the Sikhs (New Delhi : 1983) p. 134.
6. “Indirectly, Mir Mannu was responsible for the growth of the power of the Sikhs.” Dr. N.K. Sinha, Rise of the Sikh Power (Calcutta : 1973) p. 19.

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मीर मन्न की विफलता के कारण (Causes of the Failure of Mir Mannu)

प्रश्न 8.
मीर मन्नू की सिखों के विरुद्ध असफलता के क्या कारण थे ?
(What were the main reasons of the failure of Mir Mannu against the Sikhs ?)
अथवा
मीर मन्नू सिखों को कुचलने में क्यों असफल रहा ?
(Why did Mir Mannu fail to crush the Sikhs ?)
अथवा
मीर मन्नू की असफलता के कारणों की व्याख्या करें।
(Explain the causes of failure of Mir Mannu.) :
उत्तर-
मीर मन्नू ने सिखों का अंत करने के लिए अथक प्रयास किए, परंतु इसके बावजूद वह सिखों का दमन करने में विफल रहा। उसकी विफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. दल खालसा का संगठन (Organisation of the Dal Khalsa)-मीर मन्नू की विफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारण दल खालसा का संगठन था। सिखों ने मीर मन्नू के अत्याचारों का डटकर सामना करने के लिए स्वयं को 12 जत्थों में संगठित कर लिया था। सिख दल खालसा का अत्यधिक सम्मान करते थे और इसके आदेश पर कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार रहते थे। परिणामस्वरूप मीर मन्नू के लिए सिखों का दमन करना कठिन हो गया।

2. सिखों के असाधारण गुण (Uncommon qualities of the Sikhs)–सिखों में अपने धर्म के लिए दृढ़ निश्चय, अपार जोश और असीमित बलिदान की भावनाएँ थीं। वे अत्यधिक मुश्किलों की घड़ी में भी अपने धैर्य का त्याग नहीं करते थे। मीर मन्नू ने सिखों पर असीमित अत्याचार किए, परंतु वह सिखों को विचलित करने में असफल रहा। अतः सिखों के इन असाधारण गुणों के कारण भी मीर मन्नू विफल रहा।

3. सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति (Guerilla tactics of the Sikhs)-सिखों ने मुग़ल सेना के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाई अर्थात् सिखों को जब अवसर मिलता, वे मुग़ल सेना पर आक्रमण करते और लूटपाट करने के बाद पुनः वनों में जाकर शरण ले लेते। अतः आमने-सामने की टक्कर के अभाव में मीर मन्नू सिखों की शक्ति का दमन करने में विफल रहा।

4. दीवान कौड़ा मल्ल का सिखों से सहयोग (Cooperation of Diwan Kaura Mal with the Sikhs) दीवान कौड़ा मल्ल मीर मन्न का प्रमुख परामर्शदाता था। सहजधारी सिख होने के कारण वह सिखों से सहानुभूति रखता था। मीर मन्नू उसके परामर्श के बिना सिखों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं करता था। जब भी मीर मन्नू ने सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का निर्णय किया तो दीवान कौड़ा मल्ल उसे सिखों से समझौता करने के लिए मना लेता था। अतः दीवान कौड़ा मल्ल का सहयोग भी सिख शक्ति को बचाए रखने में बहुत लाभप्रद सिद्ध हुआ।

5. अदीना बेग की दोहरी नीति (Dual Policy of Adina Beg)—अदीना बेग जालंधर दोआब का फ़ौजदार था। वह मीर मन्नू के बाद पंजाब का सूबेदार बनना चाहता था। मीर मन्नू ने जब भी उसे सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का आदेश दिया तो उसने इसका पालन नहीं किया। वह पंजाब में अशांति के माहौल को बनाए रखना चाहता था। अतः अदीना बेग की दोहरी नीति भी मीर मन्नू की विफलता का कारण बनी।

6. मीर मन्नू की समस्याएँ (Problems of Mir Mannu)-अपने शासनकाल के दौरान कई समस्याओं से घिरा रहने के कारण भी मीर मन्नू सिखों का पूर्ण दमन करने में विफल रहा। उसकी पहली बड़ी समस्या अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण थे। इन आक्रमणों के कारण उसे सिखों के विरुद्ध कार्यवाई स्थगित करनी पड़ती थी। दूसरा, दिल्ली का वज़ीर सफदरजंग भी उसे पदच्युत करने के लिए षड्यंत्र रचता रहता था। उसके कहने पर ही नासिर खाँ और शाह नवाज़ खाँ ने मीर मन्नू के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। फलस्वरूप मीर मन्नू इन समस्याओं से जूझने में ही व्यस्त रहा।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अब्दुस समद खाँ पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a short note on Abdus Samad Khan.)
अथवा
अब्दुस समद खाँ के अधीन सिखों पर किए गए अत्याचारों का संक्षेप में ब्योरा दें।
(Briefly explain the repressions done on the Sikhs by Abdus Samad Khan.)
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ 1713-1726 ई० तक पंजाब का गवर्नर रहा। अब्दुस समद खाँ 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर तथा उसके अन्य साथियों को पकड़ने में सफल हुआ। इसके पश्चात् सिखों पर अत्याचारों का दौर प्रारंभ हो गया। अब्दुस समद खाँ की दमनकारी कार्यवाहियों से प्रसन्न होकर मुग़ल बादशाह फ़र्रुखसियर ने उसको ‘राज्य की तलवार’ का खिताब दिया। अब्दुस समद खाँ अपने पूरे प्रयत्नों के बावजूद सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा। परिणामस्वरूप 1726 ई० में उसको उसके पद से हटा दिया गया।

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प्रश्न 2.
बंदई खालसा तथा तत्त खालसा से क्या अभिप्राय है ? उनके बीच मतभेद कैसे समाप्त हुआ ?
(What do you mean by Bandai and Tat Khalsa ? How were their differences resolved ?)
अथवा
बंदई खालसा व तत्त खालसा में मतभेद कैसे समाप्त हुए ?
(How were the differences between Bandai Khalsa and Tat Khalsa finished ?)
अथवा
तत्त खालसा और बंदई खालसा में क्या मतभेद था ? इनके बीच समझौता किसने करवाया ?
(What was the difference between Tat Khalsa and Bandai Khalsa ? Who compromised them ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिखों की क्या स्थिति थी ?
(What was the position of the Sikhs after the martyrdom of Banda Singh Bahadur?)
उत्तर-
1716 ई० में बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिख बंदई खालसा एवं तत्त खालसा नामक दो दलों में बँट गए। वे सिख जो गुरु गोबिंद सिंह जी के सिद्धांतों को मानते थे तत्त खालसा तथा जो बंदा सिंह बहादुर के सिद्धांतों में विश्वास रखते थे बंदई खालसा कहलवाए। बंदई खालसा बंदा सिंह बहादुर को अपना गुरु मानते थे जबकि तत्त खालसा वाले गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानते थे। 1721 ई० में हरिमंदिर साहिब के प्रमुख ग्रंथी भाई मनी सिंह जी ने इन दोनों दलों में समझौता करवा दिया। इससे सिख संगठन की शक्ति में वृद्धि हुई।

प्रश्न 3.
जकरिया खाँ ने सिखों के साथ निपटने की किस प्रकार कोशिश की ?
(How did Zakariya Khan try to deal with the Sikhs ?)
अथवा
जकरिया खाँ के अधीन सिखों के दमन का संक्षिप्त वर्णन करें।
(Discuss briefly the persecution of the Sikhs under Zakariya Khan.)
अथवा
सिखों की शक्ति को कुचलने के लिए जकरिया खाँ ने क्या कदम उठाए ? (What measures were atopted by Zakariya Khan to crush the power of the Sikhs ?)
अथवा
सिखों की शक्ति को कुचलने के लिए जकरिया खाँ ने क्या कदम उठाए तथा वह अपने प्रयत्नों में कहां तक सफल रहा ?
(What measures were adopted by Zakariya Khan to crush the power of the Sikhs ? How far did he succeeded in his efforts ?)
उत्तर-
ज़करिया खाँ 1726 ई० में पंजाब का गवर्नर नियुक्त हुआ। उसने सिखों की शक्ति को कुचलने के लिए कठोर नीति अपनाई। बड़ी संख्या में सिखों को पकड़कर मौत के घाट उतार दिया गया। जब वह सिखों को कुचलने में असफल रहा तो उसने 1733 ई० में सिखों के साथ समझौता कर लिया। कुछ समय के पश्चात् सिखों ने मुग़लों पर पुनः आक्रमण करने शुरू कर दिए। इस कारण जकरिया खाँ को सिखों के प्रति अपनी नीति बदलनी पड़ी। उसने सिखों का फिर से कत्लेआम शुरू कर दिया।

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प्रश्न 4.
तारा सिंह वाँ कौन था ? उसकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या महत्त्व है ?
(Who was Tara Singh Van ? What is the importance of his martyrdom in Sikh History ?)
अथवा
भाई तारा सिंह जी वाँ पर संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on Bhai Tara Singh Ji Van.)
उत्तर-
भाई तारा सिंह जी वाँ अपनी पंथ सेवा और वीरता के कारण सिखों में बहुत लोकप्रिय थे। नौशहरा का चौधरी साहिब राय जानबूझ कर सिखों के खेतों में अपने घोड़े छोड़ देता था। एक दिन भाई तारा सिंह वाँ ने साहिब राय की एक घोड़ी को पकड़कर बेच दिया और उन पैसों को लंगर के लिए दे दिया। जब साहिब राय को पता चला तो उसने सिखों को सबक सिखाने के लिए उन पर आक्रमण कर दिया। भाई तारा सिंह वाँ और उसके 22 साथी रात भर मुग़ल सेनाओं से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। यह घटना फरवरी, 1726 ई० की है।

प्रश्न 5.
भाई मनी सिंह जी कौन थे ? उनकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या प्रभाव पड़ा ?
(Who was Bhai Mani Singh Ji ? What is the impact of his martyrdom in Sikh History ?).
अथवा
भाई मनी सिंह जी के बलिदान के कारण लिखो। (What were the causes of the martyrdom of Bhai Mani Singh Ji ?)
अथवा
भाई मनी सिंह जी तथा उनकी शहीदी बारे आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Bhai Mani Singh Ji and his martyrdom ?)
अथवा
भाई मनी सिंह जी की शहीदी के कोई तीन कारण बताओ।
(Write any three causes of the martyrdom of Bhai Mani Singh Ji.)
अथवा
भाई मनी सिंह जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Bhai Mani Singh Ji.)
अथवा
भाई मनी सिंह जी कौन थे ? उनके बलिदान के कारण लिखें। (Who was Bhai Mani Singh Ji ? What were the causes of his martyrdom ?)
उत्तर-
भाई मनी सिंह जी दरबार साहिब, अमृतसर में मुख्य ग्रंथी थे। जकरिया खाँ ने सिखों पर दरबार साहिब जाने पर रोक लगा दी। भाई मनी सिंह जी ने दीवाली के अवसर पर सिखों को दरबार साहिब में एकत्रित होने की जकरिया खाँ से अनुमति ले ली। इसके बदले उन्होंने 5,000 रुपये जकरिया खाँ को देने का वचन दिया। परंतु दीवाली के एक दिन पूर्व ही जकरिया खाँ ने अमृतसर पर आक्रमण कर दिया। इस कारण भाई मनी सिंह जी जकरिया खाँ को 5000 रुपए न दे सके। अत: 1738 ई० में उनको लाहौर में बड़ी निर्ममता के साथ शहीद कर दिया गया। इस शहीदी के कारण सिख भड़क उठे।

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प्रश्न 6.
भाई तारू सिंह जी कौन थे ? उनकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या महत्त्व है ?
(Who was Bhai Taru Singh Ji ? What is the significance of his martyrdom in Sikh History ?)
अथवा
भाई तारू सिंह जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on Bhai Taru Singh Ji.)
उत्तर-
भाई तारू सिंह जी गाँव पूहला के निवासी थे। वह खेती-बाड़ी का व्यवसाय करते थे और इससे होने वाली आय से सिखों की सहायता करते थे। सरकार की दृष्टि में यह एक घोर अपराध था। परिणामस्वरूप भाई साहिब को गिरफ्तार कर लिया गया। जकरिया खाँ ने भाई तारू सिंह जी को इस्लाम ग्रहण करने के लिए कहा। भाई साहिब जी ने इन दोनों बातों से इंकार कर दिया। इस कारण भाई साहिब जी की खोपड़ी को उतार कर 1 जुलाई, 1745 ई० को शहीद कर दिया गया।

प्रश्न 7.
नादिर शाह कौन था ? उसने भारत पर कब आक्रमण किया ? उसके इस आक्रमण का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ा ?
(Who was Nadir Shah ? When did he invade India ? What was the effect of his invasion on the Punjab ?)
अथवा
नादिर शाह के पंजाब पर आक्रमण तथा इसके प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन करो।
(Give a brief account of Nadir Shah’s invasion on Punjab and its impact.)
उत्तर-
नादिरशाह ईरान का बादशाह था। उसने 1739 ई० में भारत पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के दौरान उसने भयंकर लूटमार मचाई। ईरान लौटते समय जब वह पंजाब में से गुजर रहा था तो सिखों ने उसका बहुत सा खजाना लूट लिया। इस घटना से नादिरशाह आश्चर्यचकित रह गया। नादिरशाह ने जकरिया खाँ को चेतावनी दी कि यदि उसने सिखों के विरुद्ध कठोर पग न उठाए तो सिख शीघ्र ही पंजाब पर अपना अधिकार कर लेंगे। परिणामस्वरूप जकरिया खाँ ने सिखों पर अधिक अत्याचार आरंभ कर दिए।

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प्रश्न 8.
बुड्डा दल और तरुणा दल पर एक सक्षिप्त नोट लिखो।
(Write a brief note on Buddha Dal and Taruna Dal.)
अथवा
बुड्डा दल और तरुणा दल का गठन कब किया गया ? सिख इतिहास में इनका क्या महत्त्व है ?
(When were Buddha Dal and Taruna Dal organised ? What is their importance in Sikh History ?)
अथवा बुड्डा दल तथा तरुणा दल से क्या अभिप्राय है ? संक्षेप में वर्णन करें। (What do you mean by ‘Buddha Dal’ and ‘Taruna Dal’ ? Explain in brief.)
अथवा
तरुणा दल पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
(Write a brief note on Taruna Dal.)
उत्तर-
1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों की शक्ति को मजबूत करने के उद्देश्य से उन्हें दो दलों में संगठित कर दिया। ये दल थे बुड्डा दल और तरुणा दल। बुड्ढा दल में 40 वर्ष से अधिक आयु के सिखों को शामिल किया गया। तरुणा दल में चालीस वर्ष से कम आयु वाले अर्थात् युवा सिखों को भर्ती किया गया। तरुणा दल को आगे पाँच भागों में बाँटा गया था। बुड्डा दल धार्मिक स्थानों की देखभाल करता था जबकि तरुणा दल शत्रुओं का मुकाबला करता था। इस प्रकार नवाब कपूर सिंह ने सिखों को भविष्य में होने वाले संघर्ष के लिए तैयार कर दिया।

प्रश्न 9.
याहिया खाँ कौन था ? उसके शासनकाल के संबंध में संक्षेप जानकारी दें। (Who was Yahiya Khan ? Give a brief information of his rule.)
उत्तर-
याहिया खाँ 1746 ई० से 1747 ई० में पंजाब का नया सूबेदार रहा। उसने सिखों के प्रति दमनकारी नीति जारी रखी। 1746 ई० में सिखों के साथ हुई एक लड़ाई में लाहौर के दीवान लखपत राय का भाई जसपत राय मारा गया था। इसका बदला लेने के लिए लखपत राय ने याहिया खाँ के साथ मिलकर काहनूवान (गुरदासपुर) में सिखों पर अचानक आक्रमण कर दिया। परिणामस्वरूप सात हजार सिख शहीद हुए। सिख इतिहास में इस खूनी घटना को ‘छोटा घल्लूघारा’ के नाम से याद किया जाता है। 1747 ई० में याहिया खाँ का तख्ता पलट दिया गया।

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प्रश्न 10.
प्रथम अथवा छोटे घल्लूघारे (1746 ई०) के विषय में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the First Holocaust or the Chhota Ghallughara of 1746 ?)
अथवा
पहले घल्लूघारे के बारे में आप क्या जानते हैं?
(What do you know about First Holocaust ?)
अथवा
‘छोटा घल्लूघारा’ पर संक्षेप नोट लिखो। (Write a short note on ‘Chhota Ghallughara’.)
अथवा
‘छोटा घल्लूघारा’ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the ‘Chhota Ghallughara’.).
उत्तर-
याहिया खाँ और लखपत राय ने सिखों को कुचलने के लिए एक विशाल सेना तैयार की। इस सेना ने सिखों को अचानक काहनूवान ने घेर लिया। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और 3,000 को बंदी बना लिया गया। सिखों को प्रथम बार इतनी भारी प्राण हानि उठानी पड़ी थी। इसके कारण इस घटना को इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा कहा जाता है। यह घल्लूघारा मई, 1746 ई० को हुआ। इस घल्लूघारे के बावजूद सिखों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई।

प्रश्न 11.
मीर मन्नू द्वारा सिखों के विरुद्ध की गई कार्यवाहियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Describe briefly the sikh persecution under Mir Mannu.)
अथवा
मीर मन्नू द्वारा सिखों के द्रमन का अध्ययन करें।
(Study the persecution of Sikhs by Mir Mannu.)
अथवा
मार मन्नू आर सिखा के संबंधों का वर्णन कीजिए। (Write briefly the relations of Mir Mannu with the Sikhs.)
उत्तर-
मीर मन्नू 1748 ई० से लेकर 1753 ई० तक पंजाब का सूबेदार रहा। उसने सिखों की शक्ति को । कुचलने के लिए हर संभव प्रयास किए। सिखों को प्रतिदिन बंदी बनाकर लाहौर में शहीद किया जाने लगा। मीर मन्नू के इन अत्याचारों से बचने के लिए सिखों ने जंगलों और पहाड़ों में शरण ली। सिखों के हाथ न आने के कारण मीर मन्नू के सैनिकों ने सिख स्त्रियों और बच्चों को बंदी बनाना आरंभ कर दिया। उन पर अति निर्मम अत्याचार किए गए। इन घोर अत्याचारों के बावजूद मीर मन्नू सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा।

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प्रश्न 12.
मीर मन्नू सिखों की शक्ति को कुचलने में क्यों असफल रहा ? (Why did Mir Mannu fail to crush the Sikh power ?)
अथवा
मीर मन्नू की सिखों के विरुद्ध असफलता के क्या कारण थे ?
(What were the causes of the failure of Mir Mannu against the Sikhs ?)
उत्तर-

  1. मीर मन्नू की असफलता का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यह था कि सिख भारी कठिनाइयों के बावजूद कभी साहस नहीं छोड़ते थे।
  2. सिखों की छापामार युद्ध नीति ने मीर मन्नू को असफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई।
  3. मीर मन्नू का दीवान कौड़ा मल सिखों के साथ सहानुभूति रखता था।
  4. जालंधर दोआब के फ़ौजदार अदीना बेग की दुरंगी नीति के कारण भी मीर मन्नू असफल रहा।
  5. मीर मन्नू को अपने शासन काल में बहुतसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ा था। परिणामस्वरूप वह सिखों को कुचलने में कामयाब न हो सका।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)

प्रश्न 1.
1716 ई० से 1752 ई० तक लाहौर के किसी एक मुग़ल सूबेदार का नाम बताएँ।
अथवा
पंजाब के किसी एक सूबेदार का नाम बताएँ जिसने सिखों पर अत्याचार किए।
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ।

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प्रश्न 2.
अब्दुस समद खाँ लाहौर का सूबेदार कब नियुक्त हुआ था ?
उत्तर-
1713 ई०।

प्रश्न 3.
अब्दुस समद खाँ की सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता कौन-सी थी ?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर क्रो बंदी बनाना।

प्रश्न 4.
अब्दुस समद खाँ को मुग़ल सम्राट् फ़र्रुखसियर ने कौन-सी उपाधि दी ?
उत्तर-
‘राज्य की तलवार’

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प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर की मृत्यु के बाद सिखों के जो दो संप्रदाय बन गए थे, उनके नाम बताओ।
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की मृत्यु के पश्चात् सिख कौन-से दो दलों में बँट गए ?
उत्तर-
बंदई खालसा एवं तत्त खालसा।

प्रश्न 6.
बंदई और तत्त खालसा में क्या अंतर था ?
अथवा
बंदई खालसा से आपका क्या अभिप्राय है ?
अथवा
तत्त खालसा से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बंदई खालसा बंदा सिंह बहादुर के सिद्धांतों में तथा तत्त खालसा गुरु गोबिंद सिंह जी के सिद्धांतों में विश्वास रखते थे।

प्रश्न 7.
बंदई खालसा एवं तत्त खालसा के मध्य झगड़ा कब खत्म हुआ ?
उत्तर-
1721 ई०

प्रश्न 8.
बंदई खालसा एवं तत्त खालसा के मध्य मतभेदों को किसने समाप्त करवाए ?
उत्तर-
भाई मनी सिंह जी।

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प्रश्न 9.
सहजधारी सिख किन्हें कहा जाता था?
उत्तर-
ये वो गैर-सिख थे जो सिख पंथ के सिद्धांतों में तो विश्वास रखते थे, परन्तु इसमें प्रविष्ट नहीं हुए थे।

प्रश्न 10.
जकरिया खाँ कौन था ?
उत्तर-
लाहौर का सूबेदार।

प्रश्न 11.
जकरिया खाँ कब लाहौर का सूबेदार बना ?
उत्तर-
1726 ई०।

प्रश्न 12.
जकरिया खाँ के शासनकाल में शहीद किए जाने वाले किसी एक प्रसिद्ध सिख का नाम बताएँ।
उत्तर-
भाई मनी सिंह जी।

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प्रश्न 13.
जकरिया खाँ ने सिखों के साथ समझौता कब किया ?
उत्तर-
1733 ई०।

प्रश्न 14.
सिखों के उस नेता का नाम बताएँ जिसे 1733 ई० के समझौते के अनुसार नवाब की उपाधि से सम्मानित किया गया था ?
उत्तर-
सरदार कपूर सिंह।

प्रश्न 15.
सिखों के दो दलों के नाम बताओ।
उत्तर-
बुड्डा दल और तरुणा दल।

प्रश्न 16.
बुड्डा दल एवं तरुणा दल की स्थापना कब की गई थी ?
उत्तर-
1734 ई०।

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प्रश्न 17.
बुड्डा दल तथा तरुणा दल की स्थापना कहाँ की गई थी ?
उत्तर-
अमृतसर।

प्रश्न 18.
बुड्डा दल तथा तरुणा दल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह।

प्रश्न 19.
बुड्डा दल से क्या भाव है ?
उत्तर-
बुड्ढा दल 40 वर्ष से अधिक आयु वाले सिखों का दल था।

प्रश्न 20.
तरुणा दल से क्या भाव है ?
उत्तर-
तरुणा दल सिख नौजवानों का दल था।

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प्रश्न 21.
हैदरी झंडे की घटना किसके शासनकाल में हुई ?
उत्तर-
ज़करिया खाँ।

प्रश्न 22.
भाई तारा सिंह जी वाँ कब शहीद हुए ?
उत्तर-
1726 ई०

प्रश्न 23.
भाई मनी सिंह जी कौन थे ?
उत्तर-
हरिमंदिर साहिब, अमृतसर के मुख्य ग्रंथी।

प्रश्न 24.
भाई मनी सिंह जी को कब शहीद किया गया था ?
उत्तर-
1738 ई०।

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प्रश्न 25.
भाई मनी सिंह जी को किसने शहीद करवाया था ?
उत्तर-
ज़करिया खाँ ने।

प्रश्न 26.
नादिर शाह कौन था ?
उत्तर-
ईरान का शासक।

प्रश्न 27.
नादिर शाह ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
1739 ई०।

प्रश्न 28.
नादिर शाह के भारतीय आक्रमण का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
वह भारत पर विजय प्राप्त कर एक महान् विजेता बनना चाहता था।

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प्रश्न 29.
मस्सा रंगड़ कौन था ?
उत्तर-
अमृतसर जिले के मंडियाला गाँव का चौधरी।

प्रश्न 30.
बाल हकीकत राय जी को कब शहीद किया गया था ?
उत्तर-
1742 ई०।

प्रश्न 31.
बाल हकीकत राय जी की शहीदी का क्या कारण था ?
उत्तर-
क्योंकि उसने बीबी फातिमा के संबंध में कुछ अपमानजनक शब्द कहे थे।

प्रश्न 32.
जकरिया खाँ की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर-
1745 ई० में।

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प्रश्न 33.
याहिया खाँ लाहौर का सूबेदार कब बना ?
उत्तर-
1746 ई० में।

प्रश्न 34.
छोटा अथवा पहला घल्लूघारा कब हुआ ?
उत्तर-
1746 ई०।

प्रश्न 35.
छोटा घल्लूघारा कहाँ हुआ ?
उत्तर-
काहनूवान।

प्रश्न 36.
मीर मन्नू लाहौर का सूबेदार कब बना ?
उत्तर-
1748 ई० में।

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प्रश्न 37.
पंजाब में मुगल शासन का अंत कब हुआ?
उत्तर-
1752 ई०।

प्रश्न 38.
मुइनुल-मुल्क किस अन्य नाम से विख्यात हुआ ?
उत्तर-
मीर मन्नू।

प्रश्न 39.
पंजाब में मुग़लों का अंतिम सूबेदार कौन था ?
अथवा
पंजाब में अफ़गानों का प्रथम सूबेदार कौन था ?
उत्तर-
मीर मन्नू।

प्रश्न 40.
मीर मन्नू कौन था?
उत्तर-
दिल्ली के वज़ीर कमरुद्दीन का पुत्र।

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प्रश्न 41.
मीर मन्नू सिखों का विरोधी क्यों था ?
उत्तर-
क्योंकि वह पंजाब में सिखों का बढ़ता हुआ प्रभाव सहन करने को तैयार नहीं था।

प्रश्न 42.
मुग़लों के विरुद्ध सिखों की सफलता के क्या कारण थे ? कोई एक बताएँ।
उत्तर-
सिखों का गुरिल्ला युद्ध नीति को अपनाना।

प्रश्न 43.
कौड़ा मल कौन था ?
उत्तर-
मीर मन्नू का दीवान।

प्रश्न 44.
मीर मन्नू की सिखों के विरुद्ध असफलताओं का कोई एक कारण बताएँ।
अथवा
मीर मन्नू सिखों की ताकत को खत्म करने में क्यों असफल रहा ? कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति।।

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प्रश्न 45.
सिख कौड़ा मल को मिट्ठा मल क्यों कहते थे ?
उत्तर-
क्योंकि वह सिखों से सहानुभूति रखता था

प्रश्न 46.
मीर मन्नू की मृत्यु कब हुई थी ?
उत्तर-
1753 ई०।

प्रश्न 47.
अदीना बेग कौन था ?
उत्तर-
मीर मन्नू के समय जालंधर दोआब का फ़ौजदार।

प्रश्न 48.
मुगलानी बेगम कौन थी?
उत्तर-
पंजाब के सूबेदार मीर मन्नू की विधवा।

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प्रश्न 49.
मीर मन्नू की विधवा का क्या नाम था?
उत्तर-
मुग़लानी बेगम।

प्रश्न 50.
मुग़लानी बेगम पंजाब की सूबेदार कब बनी थी ?
उत्तर-
1753 ई०।

(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

प्रश्न 1.
अब्दुस समद खाँ को………में लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया गया।
उत्तर-
(1713 ई०)

प्रश्न 2.
अब्दुस समद खाँ को सिखों के विरुद्ध दमन की नीति के लिए उसे ……….की उपाधि के साथ सम्मानित किया गया।
उत्तर-
(राज्य की तलवार)

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प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिख……तथा ……..नामक दो संप्रदायों में बंट गए।
उत्तर-
(तत्त खालसा, बंदई खालसा)

प्रश्न 4.
1721 ई० में……ने तत्त खालसा व बंदई खालसा में समझौता करवाया।
उत्तर-
(भाई मनी सिंह जी)

प्रश्न 5.
जकरिया खाँ से पहले पंजाब का सूबेदार …………. था।
उत्तर-
(अब्दुस समद खाँ)

प्रश्न 6.
जकरिया खाँ……..में लाहौर का सूबेदार नियुक्त हुआ।
उत्तर-
(1726 ई०)

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प्रश्न 7.
जकरिया खाँ ने……में सिखों के साथ समझौता किया।
उत्तर-
(1733 ई०)

प्रश्न 8.
1733 ई० के समझौते अनुसार नवाब का खिताब………को दिया गया।
उत्तर-
(सरदार कपूर सिंह)

प्रश्न 9.
बुड्ढा दल और तरुणा दल का गठन ………… ई० में किया गया।
उत्तर-
(1734 ई०)

प्रश्न 10.
भाई मनी सिंह जी को…..में शहीद किया गया।
उत्तर-
(1738 ई०)

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प्रश्न 11.
मस्सा रंगड़ ……………. गाँव का चौधरी था।
उत्तर-
(मंडियाला)

प्रश्न 12.
अमृतसर जिले के मंडियाला गाँव के चौधरी …….. ने हरिमंदिर साहिब की पवित्रता को भंग कर दिया था।
उत्तर-
(मस्सा रंगड़)

प्रश्न 13.
……….में नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण किया।
उत्तर-
(1739 ई०)

प्रश्न 14.
नादिर शाह………..का शासक था।
उत्तर-
(ईरान)

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प्रश्न 15.
पहला या छोटा घल्लूघारा…….में घटित हुआ।
उत्तर-
(1746 ई०)

प्रश्न 16.
पहले घल्लूघारे के समय पंजाब का सूबेदार………था।
उत्तर-
(याहिया खाँ)

प्रश्न 17.
मीर मन्नू को………के नाम से भी जाना जाता है। .
उत्तर-
(मुइन-उल-मुल्क)

प्रश्न 18.
मीर मन्नू पंजाब का सूबेदार………में नियुक्त हुआ।
उत्तर-
(1748 ई०)

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प्रश्न 19.
मीर मन्नू ……..को जालंधर दोआब का फ़ौजदार नियुक्त किया।
उत्तर-
(अदीना बेग)

प्रश्न 20.
मीर मन्नू की मृत्यु. ….में हुई।
उत्तर-
(1753 ई०)

(iii) ठीक अथवा गलत (True or False)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—

प्रश्न 1.
अब्दुस समद खाँ 1716 ई० में पंजाब का सूबेदार बना।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 2.
अब्दुस समद खाँ को मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर ने पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया था।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 3.
अब्दुस समद खाँ को ‘राज की तलवार’ कहा जाता था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद पंजाब के सिख तत्त खालसा और बंदई खालसा नामक दो संप्रदायों में बँट गए थे।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 5.
भाई मनी सिंह जी ने तत्त खालसा और बंदई खालसा में आपसी समझौता करवाया।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 6.
तत्त खालसा और बंदई खालसा के मध्य समझौता 1721 ई० में हुआ।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 7.
जकरिया खाँ 1720 ई० में लाहौर का सूबेदार नियुक्त हुआ।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 8.
1726 ई० में भाई तारा सिंह जी वाँ को शहीद किया गया।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 9.
जकरिया खाँ ने सिखों के साथ 1733 ई० में समझौता किया।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 10.
बुड्डा दल व तरुणा दल का गठन सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया ने किया।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 11.
बुड्ढा दल और तरुणा दल की स्थापना 1734 ई० में की गई थी।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 12.
जकरिया खाँ ने 1738 ई० में भाई मनी सिंह जी को शहीद किया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 13.
नादिर शाह ने 1739 ई० में भारत पर आक्रमण किया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 14.
बाल हकीकत राय जी को अब्दुस समद खाँ के समय शहीद किया गया था।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 15.
भाई तारू सिंह जी को 1745 ई० में शहीद किया गया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 16.
जकरिया खाँ की मौत 1745 ई० में हुई।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 17.
पहला या छोटा घल्लूघारा 1746 ई० में घटित हुआ।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 18.
मीर मन्नू 1748 ई० में पंजाब का नया सूबेदार बना।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 19.
अहमद शाह अब्दाली ने 1752 ई० में पंजाब पर कब्जा कर लिया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 20.
मीर मन्नू की मृत्यु 1754 ई० में हुई।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 21.
मीर मन्नू के समय अदीना बेग जालंधर दुआब का फ़ौजदार था।
उत्तर-
ठीक

(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—

प्रश्न 1.
1716 ई० में पंजाब का सूबेदार कौन था ?
(i) अब्दुस समद खाँ
(ii) अहमद शाह अब्दाली
(iii) मीर मन्नू
(iv) जकरिया खाँ।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 2.
फर्रुखसियर ने अब्दुस समद खाँ को किस उपाधि से सम्मानित किया ?
(i) खान बहादुर
(ii) राज्य की तलवार
(ii) नासिर खान
(iv) मिट्ठा मल।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 3.
बंदई खालसा और तत्त खालसा में समझौता कब हुआ ?
(i) 1711 ई० में
(ii) 1716 ई० में
(iii) 1721 ई० में
(iv) 1726 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 4.
बंदई खालसा और तत्त खालसा में समझौता किसने करवाया था ?
(i) बाबा दीप सिंह जी ने
(ii) नवाब कपूर सिंह ने
(iii) भाई मनी सिंह जी ने
(iv) भाई तारू सिंह जी ने।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 5.
जकरिया खाँ पंजाब का सूबेदार कब बना ?
(i) 1716 ई० में
(ii) 1717 ई० में
(iii) 1726 ई० में
(iv) 1728 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 6.
हैदरी ध्वज की घटना किसके शासन काल में हुई ?
(i) अब्दुस समद ख़ाँ
(ii) याहिया खाँ
(iii) अहमद शाह अब्दाली
(iv) जकरिया खाँ।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 7.
सिखों और मुग़लों में समझौता कब हुआ ?
(i) 1721 ई० में
(ii) 1724 ई० में
(ii) 1733 ई० में
(iv) 1734 ई० में।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 8.
बुडा दल एवं तरुणा दल का गठन कब किया गया था ?
(i) 1730 ई० में
(ii)- 1735 ई० में
(iii) 1733 ई० में
(iv) 1734 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 9.
बुडा दल एवं तरुणा दल का गठन किसने किया था ?
(i) नवाब कपूर सिंह ने
(ii) भाई मनी सिंह जी ने
(iii) बाबा दीप सिंह जी ने
(iv) भाई मेहताब सिंह ने।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 10.
भाई मनी सिंह जी को कब शहीद किया गया था ?
(i) 1721 ई० में
(ii) 1733 ई० में
(iii) 1734 ई० में
(iv) 1738 ई० में।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 11.
नादिर शाह ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
(i) 1736 ई० में
(ii) 1737 ई० में
(iii) 1738 ई० में
(iv) 1739 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 12.
नादिर शाह कहाँ का शासक था ?
(i) अफ़गानिस्तान
(ii) ईराक
(iii) बलोचिस्तान
(iv) ईरान।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 13.
मस्सा रंगड़ कौन था ?
(i) मंडियाला गाँव का चौधरी
(ii) वाँ गाँव का चौधरी
(iii) जालंधर का फ़ौजदार
(iv) सरहिंद का फ़ौजदार।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 14.
बाल हकीकत राय जी को कब शहीद किया गया था ?
(i) 1739 ई० में
(ii) 1740 ई० में
(iii) 1741 ई० में
(iv) 1742 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 15.
जकरिया खाँ की मृत्यु कब हुई ?
(i) 1742 ई० में
(ii) 1743 ई० में
(iii) 1744 ई० में
(iv) 1745 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 16.
पहला घल्लूघारा अथवा छोटा घल्लूघारा कहाँ हुआ था ?
(i) काहनूवान
(ii) कूप
(iii) सरहिंद
(iv) मंडियाला।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 17.
पहला अथवा छोटा घल्लूघारा कब हुआ ?
(i) 1733 ई० में
(ii) 1734 ई० में
(iii) 1739 ई० में
(iv) 1746 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 18.
मीर मन्नू पंजाब का सूबेदार कब बना ?
(i) 1748 ई० में
(ii) 1751 ई० में
(iii) 1752 ई० में
(iv) 1753 ई० में।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 19.
अदीना बेग कौन था ?
(i) मीर मन्नू का परामर्शदाता
(ii) जकरिया खाँ का दीवान
(iii) जालंधर दोआब का फ़ौजदार
(iv) गाँव मंडियाला का चौधरी।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 20.
मीर मन्नू की मृत्यु कब हुई ?
(i) 1750 ई० में
(ii) 1751 ई० में
(iii) 1752 ई० में
(iv) 1753 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 21.
मीर मन्नू सिखों के विरुद्ध क्यों असफल रहा ?
(i) अदीना बेग़ की दोहरी नीति के कारण
(ii) सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति के कारण
(iii) मीर मन्नू के अत्याचार के कारण
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 22.
मुगलानी बेगम पंजाब की सूबेदार कब बनी ? ”
(i) 1751 ई० में
(ii) 1752 ई० में
(iii) 1753 ई० में
(iv) 1754 ई० में।
उत्तर-
(iii)

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Long Answer Type Question

प्रश्न 1.
अब्दुस समद खाँ पर एक नोट लिखो।
(Write a note on Abdus Samad Khan.)
अथवा
1713 से 1726 ई० के दौरान अब्दुस समद खाँ और सिखों के संबंधों की व्याख्या करें।
(Explain Abdus Samad Khan relations with the Sikhs from 1713-1726.)
उत्तर-
पंजाब में सिखों की बढ़ती हुई शक्ति को कुचलने के लिए मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर ने 1713 ई० में अब्दुस समद खाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। अब्दुस समद खाँ 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर तथा उसके अन्य साथियों को पकड़ने में सफल हुआ। इससे अब्दुस समद खाँ के हौंसले बुलंद हो गए और उसने सिखों पर अत्याचारों का दौर प्रारंभ कर दिया। प्रतिदिन सिखों को बंदी बनाकर लाहौर लाया जाता और वहाँ शहीद कर दिया जाता। उसकी यह मनकारी नीति बड़ी सफल रही। उसकी सफलता से प्रसन्न होकर मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर ने उसको ‘राज्य की तलवार’ का खिताब दिया। उसके अत्याचारों से बचने के लिए बहुत-से सिख जंगलों तथा पहाड़ों की ओर भाग गए थे पर बाद में उन्होंने मुग़लों पर छापामार आक्रमण कर दिया। अब्दुस समद खाँ सिखों के आक्रमण को रोकने में असफल रहा। परिणामस्वरूप 1726 ई० में उसको उसके पद से हटा दिया गया।

प्रश्न 2.
बंदई खालसा तथा तत्त खालसा से क्या अभिप्राय है ? उनके बीच मतभेद कैसे समाप्त हुआ ? (What do you mean by Bandai and Tat Khalsa ? How were their differences resolved ?)
अथवा
तत्त खालसा और बंदई खालसा में क्या मतभेद था? इनके बीच समझौता किसने करवाया ?
(What was the difference between Tat Khalsa and Bandai Khalsa ? Who compromised them ?)
उत्तर-
1. तत्त खालसा-तत् खालसा कट्टर सिखों का एक संप्रदाय था। यह एक सर्वाधिक शक्तिशाली गुट था। तत् खालसा के सदस्य गुरु ग्रंथ साहिब में पूर्ण विश्वास रखते थे तथा उसके नियमों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते थे। वे गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा निर्धारित नीले वस्त्र पहनते थे। वे एक-दूसरे को मिलते समय वाहेगुरु जी का खालसा एवं वाहेगुरु जी की फतेह’ कहकर सम्बोधन करते थे। वे बंदा सिंह बहादुर द्वारा सिख धर्म में किए गए परिवर्तनों को स्वीकार नहीं करते थे। वे किसी भी प्रकार के चमत्कार दिखाने के विरुद्ध थे। वे बंदा सिंह बहादुर को गुरु की पदवी दिए जाने के विरुद्ध थे।

2. बंदई खालसा-बंदई खालसा सिखों का दूसरा महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय था। बंदा सिंह बहादुर के सैनिक अभियानों ने उनके दिलों पर जादुई प्रभाव डाला था। 1716 ई० में बंदा सिंह बहादुर द्वारा दी गई अद्वितीय शहीदी से वे बहुत प्रभावित हुए। इस कारण बंदई खालसा के लोग बंदा सिंह बहादुर को गुरु समझ कर उसकी उपासना करने लगे। अनेक लोगों का यह विश्वास था कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने ज्योति-जोत समाने से पूर्व बंदा बहादुर को गुरुगद्दी सौंप दी थी। वे बंदा सिंह बहादुर द्वारा दिए गए दो नारों ‘फतेह धर्म’ एवं ‘फतेह दर्शन’ में विश्वास रखते थे। वे बंदा सिंह बहादुर द्वारा निर्धारित लाल रंग के वस्त्र पहनते थे।

3. समझौता-1721 ई० में हरिमंदिर साहिब के प्रमुख ग्रंथी भाई मनी सिंह जी ने दोनों दलों के मध्य समझौता करवा दिया। इस समझौते के परिणामस्वरूप बंदई खालसा व तत्त खालसा एक हो गए। यह समझौता सिख धर्म के विकास के लिए एक मील पत्थर सिद्ध हुआ।

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प्रश्न 3.
जकरिया खाँ ने सिखों के साथ निपटने की किस प्रकार कोशिश की ?
(How did Zakariya Khan try to deal with the Sikhs ?)
अथवा
ज़करिया खाँ के अधीन सिखों के दमन का संक्षिप्त वर्णन करें। (Discuss briefly the persecution of the Sikhs under Zakariya Khan.)
उत्तर-
ज़करिया खाँ 1726 ई० में पंजाब का गवर्नर बना। उसने सिखों के प्रति दमन की नीति अपनाई।
1. उसने अपना पद सम्भालते ही सिखों के विरुद्ध दमनकारी कार्यवाहियाँ आरम्भ कर दी। उसने सिखों की शक्ति का पूर्णतः दमन करने के लिए 20,000 सैनिकों को भर्ती किया।

2. उसने गाँवों के मुकद्दमों, चौधरियों और ज़मींदारों को इस बात के लिए चेतावनी दी कि वे सिखों को अपने अधीन क्षेत्र में शरण न लेने दें और यदि कोई सिख कहीं दिखाई दे तो उसकी सूचना तुरंत सरकार को दी जाए। इसके अतिरिक्त जकरिया खाँ ने एक आदेश द्वारा यह घोषणा की कि किसी सिख के संबंध में सूचना देने वाले को, बंदी बनाने वाले को और सिर काटकर सरकार को भेट करने वाले को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।

3. सैंकड़ों सिखों को प्रतिदिन लाहौर के दिल्ली गेट में शहीद किया जाने लगा। इस कारण इस स्थान का नाम ‘शहीद गंज’ पड़ गया।

4. इसके बावजूद जब वह अपने उद्देश्य में असफल रहा तो उसने सिखों को प्रसन्न करने की योजना बनाई। उसने 1733 ई० में सिखों के नेता सरदार कपूर सिंह को नवाब का खिताब और एक बड़ी जागीर प्रदान की।

5. सिखों ने इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी शक्ति को पुनः संगठित करना प्रारंभ कर दिया। जकरिया खाँ इसे सहन करने को तैयार न था। अतः उसने सिखों को पुनः कुचलने का प्रयत्न किया। उसने सिखों को दी गई जागीर वापस ले ली और सिखों को पकड़ कर कत्ल करने के आदेश दिए। परिणामस्वरूप भाई मनी सिंह जी, भाई महताब सिंह जी, भाई तारू सिंह जी और बाल हकीकत राय जी जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों को शहीद कर दिया गया। इसके बावजूद जकरिया खाँ अपने अंत तक सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा।

प्रश्न 4.
तारा सिंह वाँ कौन थे ? उनकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या महत्त्व है ? ।
(Who was Tara Singh Van ? What is the importance of his martyrdom in Sikh History ?)
उत्तर-
तारा सिंह अमृतसर जिला के गांव वाँ के निवासी थे। वह अपनी सिख पंथ की सेवा और वीरता के कारण सिखों में बहुत लोकप्रिय थे। उन्होंने बंदा सिंह बहादुर की लड़ाइयों में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। अब वह अपने गाँव में कृषि करने लग पड़े थे। नौशहरा का चौधरी साहिब राय सिखों के खेतों में अपने घोड़े छोड़ देता जिसके कारण वे फसलों को नष्ट कर देते। जब सिख इस बात पर आपत्ति उठाते तो वह सिखों का बड़ा अपमान करता। सिख इस अपमान को सहन नहीं कर सकते थे। एक दिन तारा सिंह वाँ ने साहिब राय की एक घोड़ी को पकड़ कर बेच दिया और उन पैसों का राशन खरीदकर लंगर के लिए दे दिया। जब साहिब राय को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो उसने जकरिया खाँ से सहायता की माँग की। जकरिया खाँ ने 2200 घुड़सवार सिखों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए भेजे। तारा सिंह वाँ और उनके 22 साथियों ने रात भर मुग़ल सेनाओं के खूब छक्के छुड़ाए तथा अंत में शहीद हो गए। इससे पूर्व उन्होंने 300 मुग़ल सैनिकों को यमलोक पहुँचा दिया था और बहुत-से अन्य को घायल कर दिया था। यह घटना फरवरी, 1726 ई० की है। तारा सिंह वां की शहीदी ने सिखों में एक नया जोश उत्पन्न किया।

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प्रश्न 5.
भाई मनी सिंह जी कौन थे ? उनकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या प्रभाव पड़ा ? (Who was Bhai Mani Singh Ji ? What is the impact of his martyrdom in Sikh History ?)
अथवा
भाई मनी सिंह जी के बलिदान के कारण लिखो। (What were the causes of the martyrdom of Bhai Mani Singh Ji ?)
अथवा
भाई मनी सिंह जी तथा उनकी शहीदी के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about Bhai Mani Singh Ji and his martyrdom ?)
अथवा भाई मनी सिंह जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Bhai Mani Singh Ji.).
उत्तर-
ज़करिया खाँ के काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना भाई मनी. सिंह जी की शहीदी थी। भाई मनी सिंह जी दरबार साहिब, अमृतसर में मुख्य ग्रंथी थे। सिख उनका बहुत मान-सम्मान करते थे। जकरिया खाँ ने सिखों पर दरबार साहिब जाने पर रोक लगा दी। भाई मनी सिंह जी ने 5 हज़ार रुपये के बदले दीवाली के अवसर पर सिखों को दरबार साहिब में एकत्रित होने की जकरिया खाँ से अनुमति ले ली। बड़ी संख्या में सिख अमृतसर में एकत्रित होने शुरू हो गए। परंतु दीवाली के एक दिन पूर्व ही जकरिया खाँ ने अमृतसर पर आक्रमण कर दिया। इस कारण सिखों में भगदड़ मच गई और दीवाली पर सिख एकत्रित न हो सके। जकरिया खाँ ने भाई मनी सिंह जी को बंदी बना लिया और उनसे 5 हज़ार रुपए की माँग की। मेला न हो सकने के कारण वह इतनी बड़ी राशि नहीं दे सकते थे। इसके बदले उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा गया। भाई मनी सिंह जी के इंकार करने पर 1738 ई० में उनको लाहौर में बड़ी निर्ममता के साथ शहीद कर दिया गया। इस शहीदी के कारण सिख भड़क उठे। उन्होंने मुग़ल साम्राज्य को जड़ से उखाड़ने का निर्णय कर लिया।

प्रश्न 6.
भाई तारू सिंह जी कौन थे ? उनकी शहीदी का सिख इतिहास में क्या महत्त्व है ?
(Who was Bhai Taru Singh Ji ? What is the significance of his martyrdom in Sikh History ?)
अथवा
भाई तारू सिंह जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Bhai Taru Singh Ji.)
उत्तर-
भाई तारू सिंह जी गाँव पूहला के निवासी थे। वह खेती-बाड़ी का व्यवसाय करते थे और इससे होने वाली आय से सिखों की सहायता करते थे। सरकार की दृष्टि में यह एक घोर अपराध था। जंडियाला के हरिभगत नामक व्यक्ति ने भाई साहिब को गिरफ्तार करवा दिया। उनको लाहौर ले जाया गया जहाँ जकरिया खाँ ने भाई तारू सिंह जी को इस्लाम धर्म ग्रहण करने के लिए कहा। इसके बदले उनको दुनिया भर की खुशियाँ देने का लालच दिया गया। भाई साहिब ने इन दोनों बातों से इंकार कर दिया। इस कारण जकरिया खाँ ने भाई तारू सिंह जी की खोपड़ी उतारने के आदेश दिए। आदेश की पालना करते हुए जल्लादों ने भाई साहिब की खोपड़ी उतारनी प्रारंभ कर दी। जब भाई साहिब की खोपड़ी उतारी जा रही थी तब वह जपुजी साहिब का पाठ कर रहे थे। उनका शरीर लहू-लुहान हो गया था पर वह अपने निश्चय पर अटल रहे। वह इसके 22 दिनों बाद 1 जुलाई, 1745 ई० को शहीद हो गए। इस अभूतपूर्व शहीदी ने सिखों में एक नया जोश भर दिया।

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प्रश्न 7.
नादिर शाह कौन था ? उसके आक्रमण का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ा ?
(Who was Nadir Shah ? What was the effect of his invasion on the Punjab ?)
अथवा
नादिर शाह के पंजाब पर आक्रमण तथा इसके प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन करो। (Give a brief account of Nadir Shah’s invasion on Punjab and its impact.)
उत्तर-
नादिर शाह ईरान का बादशाह था। उसने भारत पर 1739 ई० में आक्रमण किया। इस आक्रमण के दौरान उसने भारत में भारी लूटमार मचाई। वह इतना क्रूर था कि शत्रु उसका नाम सुनते ही थर-थर काँपने लग जाते थे। वापसी के दौरान जब वह दिल्ली से लूटमार कर पंजाब में से गुजर रहा था तो सिखों ने उस पर अचानक हमला करके उसका बहुत-सा खज़ाना लूट लिया। इस घटना से नादिर शाह आश्चर्यचकित रह गया। उसने इन सिखों के संबंध में पंजाब के सूबेदार जकरिया खाँ से पूछताछ की। उसने जकरिया खाँ को यह चेतावनी दी कि यदि उसने सिखों के विरुद्ध कठोर पग न उठाए तो सिख शीघ्र ही पंजाब पर अपना अधिकार कर लेंगे। परिणामस्वरूप जकरिया खाँ ने सिखों पर अधिक अत्याचार आरंभ कर दिए पर नादिर शाह के आक्रमण के बाद पंजाब में अव्यवस्था फैल गई थी। इस स्थिति का लाभ उठाकर सिखों ने अपनी शक्ति को अधिक संगठित करना आरंभ कर दिया था। शीघ्र ही पंजाब में उनका प्रभुत्व बढ़ गया।

प्रश्न 8.
बड़ा दल और तरुणा दल पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a brief note on Buddha Dal and Taruna Dal.)
अथवा
बुड्डा दल और तरुणा दल के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Buddha Dal and Taruna Dal ?)
अथवा
बुड्डा दल तथा तरुणा दल से क्या अभिप्राय है ? (What do you mean by ‘Buddha Dal’ and ‘Taruna Dal’ ?)
उत्तर-
1733 ई० में सिखों का मुग़लों से समझौता हो जाने के कारण सिखों को अपनी शक्ति संगठित करने का सुनहरी अवसर मिला। नवाब कपूर सिंह ने सिखों को यह संदेश भेजा कि वे जंगलों और पहाड़ों को छोड़कर पुनः अपने घरों को लौट आएँ। इस प्रकार पिछले दो दशकों से मुग़लों और सिखों में चले आ रहे संघर्ष का अंत हुआ और सिखों को कुछ राहत मिली। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों की शक्ति को मज़बूत करने के उद्देश्य से उन्हें दो दलों में संगठित कर दिया। ये दल थे बुड्डा दल और तरुणा दल। बुड्डा दल में 40 वर्षों से अधिक आयु के सिखों को शामिल किया गया और इससे कम आयु के सिखों को तरुणा दल में। तरुणा दल को आगे पाँच भागों में बाँटा गया था। प्रत्येक भाग में 1300 से लेकर 2000 सिख थे और प्रत्येक भाग का अपना एक अलग नेता था। बुड्ढा दल धार्मिक स्थानों की देख-भाल करता था जबकि तरुणा दल शत्रुओं का मुकाबला करता था।

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प्रश्न 9.
याहिया खाँ कौन था ? उसके शासन काल के संबंध में संक्षेप जानकारी दें। (Who was Yahiya Khan ? Give a brief information of his rule.)
उत्तर-
ज़करिया खाँ की मृत्यु के बाद याहिया खाँ दिल्ली के वज़ीर कमरुद्दीन के सहयोग से 1746 ई० में लाहौर का सूबेदार बना। वह 1747 ई० तक इस पद पर रहा। सिखों पर अत्याचार करने के लिए वह अपने पिता जकरिया खाँ से एक कदम आगे था। उसके सिखों के साथ संबंधों का वर्णन इस प्रकार है—
1. सिखों की गतिविधियाँ-जकरिया खाँ की मृत्यु का लाभ उठाकर सिखों ने अपनी शक्ति को संगठित कर लिया था। उन्होंने पंजाब के कई गाँवों में चौधरियों तथा मुकद्दमों की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही करने के कारण हत्या कर दी थी। इसके अतिरिक्त सिख पंजाब के कई क्षेत्रों में खूब लूटपाट करते थे।

2. जसपत राय की मृत्यु-1746 ई० में सिखों के एक जत्थे ने गोंदलावाला गाँव से बहुत-सी भेड़-बकरियों को पकड़ लिया। लोगों की शिकायत पर जसपत राय ने सिखों को ये भेड़-बकरियाँ लौटाने का आदेश दिया। सिखों के इंकार करने पर उसने सिखों पर आक्रमण कर दिया। लड़ाई के दौरान जसपत राय मारा गया। इस कारण मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई।

3. लखपत राय की सिखों के विरुद्ध कार्यवाही-जसपत राय की मृत्यु का समाचार पाकर उसके भाई दीवान लखपत राय का खून खौल उठा। उसने यह प्रण किया कि वह सिखों का नामो-निशान मिटा कर ही दम लेगा। याहिया खाँ ने सिखों पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए। इन आदेशों का उल्लंघन करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था। उसने बहुत-से सिखों को बंदी बनाया और उनको लाहौर लाकर शहीद कर दिया।

4. पहला घल्लूघारा-1746 ई० में याहिया खाँ और लखपत राय के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने लगभग 15,000 सिखों को काहनूवान में घेर लिया। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और 3,000 सिखों को बंदी बना लिया गया। सिखों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था जब सिखों की एक बार में ही इतनी भारी प्राण-हानि हुई। इस दर्दनाक घटना को सिख इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा के नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न 10.
प्रथम अथवा छोटे घल्लूघारे (1746 ई०) के विषय में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the First Holocaust or the Chhota Ghallughara of 1746 ?)
अथवा
‘छोटा घल्लूघारा’ पर संक्षेप नोट लिखो। (Write a short note on ‘Chhota Ghallughara.’)
उत्तर-
सिखों का सर्वनाश करने के लिए याहिया खाँ और लखपत राय ने एक भारी सेना तैयार की। इस सेना ने लगभग 15,000 सिखों को अचानक काहनूवान में घेर लिया। सिख वहाँ से बचकर बसोली की पहाड़ियों की ओर चले गए। मुग़ल सैनिकों ने उनका बड़ी तेजी से पीछा किया। यहाँ पर सिख बहुत मुश्किल में फंस गए। एक ओर ऊँची पहाड़ियाँ थीं और दूसरी ओर रावी नदी में बाढ़ आई हुई थी। पीछे की ओर मुग़ल सैनिक उनका पीछा कर रहे थे तथा आगे पहाड़ी राजा और लोग भी उनके कट्टर शत्रु थे। सिखों के पास खाद्य सामग्री बिल्कुल नहीं थी। चारे की कमी के कारण घोड़ों की भी भूख से बुरी दशा थी। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और मुग़लों ने 3,000 सिखों को बंदी बना लिया। इन सिखों को लाहौर में शहीद कर दिया गया। सिखों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था जब सिखों की एक बार में इतनी भारी प्राण-हानि हुई। इसके कारण इस घटना को इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा के नाम से स्मरण किया जाता है। यह घल्लूघारा मई, 1746 ई० को हुआ। इस विनाशकारी घल्लूघारे के बावजूद सिखों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई।

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प्रश्न 11.
मीर मन्नू कौन था ? उसने अपने शासन काल में सिखों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की ? (Who was Mir Mannu ? What steps did he take against the Sikhs during his rule ?)
अथवा
मीर मन्नू द्वारा सिखों के उत्पीड़न का अध्ययन करें। (Study the persecution of Sikhs by Mir Mannu.)
अथवा
मीर मन्नू को और किस नाम से जाना जाता है ? इसका शासन काल सिख शक्ति के उत्थान के लिए कैसे सफल हुआ?
(What was the other name of Mir Mannu ? How did the rule of Mir Mannu help in the rise of Sikh power ?)
अथवा
मीर मन्नू और सिखों के संबंधों का वर्णन कीजिए। (Write briefly the relations of Mir Mannu with the Sikhs.)
उत्तर-
मीर मन्नू को मुइन-उल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता था। वह 1748 ई० से लेकर 1752 ई० तक मुगल बादशाह की ओर से तथा 1752 ई० से लेकर 1753 ई० तक अहमदशाह अब्दाली की ओर से पंजाब का सूबेदार रहा। मीर मन्नू सिखों का बहुत कट्टर शत्रु था। अत: मीर मन्नू ने अपना पद संभालने के पश्चात् सर्वप्रथम अपना ध्यान सिखों की ओर लगाया। उन्होंने समूचे पंजाब में बहुत गड़बड़ी फैलाई हुई थी। मीर मन्नू ने सिखों का दमन करने के लिए पंजाब के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अपनी सैन्य-टुकड़ियाँ भेजीं। उसने जालंधर के फ़ौजदार अदीना बेग को सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने के आदेश दिए। ऐसे ही आदेश पहाड़ी राजाओं को भी दिए गए। फलस्वरूप सिखों को प्रतिदिन बंदी बनाया जाने लगा और उन्हें लाहौर में शहीद किया जाने लगा। जून, 1748 ई० में अदीना बेग और सिखों में हुई एक लड़ाई में 600 सिख शहीद हो गए। अतः सिखों ने आत्म-रक्षा के लिए पर्वतों और वनों में जाकर शरण ली। वे अवसर मिलने पर मुग़ल सेनाओं पर आक्रमण करते और लूटपाट करके पुनः लौट जाते। मीर मन्नू ने सिखों का सर्वनाश करने के लिए बड़े जोरदार प्रयास आरंभ कर दिए। सिखों के सिरों के मूल्य निश्चित किए गए। सिखों को शरण देने वालों को कठोर दंड दिए गए। मार्च, 1753 ई० में जब सिख होला मोहल्ला के अवसर पर माखोवाल में एकत्रित हुए थे तो अदीना बेग ने अचानक आक्रमण करके बहुत-से सिखों की हत्या कर दी। सिख स्त्रियों और बच्चों को बंदी बनाकर लाहौर ले जाया गया। इन स्त्रियों और बच्चों पर जो अत्याचार किए गए, उनका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। प्रत्येक स्त्री को सवा-सवा मन अनाज प्रतिदिन पीसने के लिए दिया जाता। दूध पीते बच्चों को उनकी माताओं से बलपूर्वक छीनकर उनके सामने हत्या की जाती। इन घोर अत्याचारों के बावजूद सिखों की संख्या कम होने की अपेक्षा बढ़ती चली गई। उस समय यह लोकोक्ति बहुत प्रचलित थी—

“मन्नू असाडी दातरी, असीं मन्नू दे सोए।
ज्यों-ज्यों मन्नू वड्दा, असीं दून सवाए होए।”

प्रश्न 12.
मीर मन्नू सिखों की शक्ति को कुचलने में क्यों असफल रहा ? (Why did Mir Mannu fail to crush the Sikh Power ?)
अथवा
मीर मन्नू की सिखों के विरुद्ध असफलता के क्या कारण थे ? कोई छः कारण बतायें।
(What were the causes of the failure of Mir Mannu against the Sikhs ? Write any six Causes.)
अथवा
मीर मन्नू सिखों के विरुद्ध क्यों असफल रहा ?
(Why Mir Mannu was unsuccessful against the Sikhs ?)
उत्तर-
मीर मन्नू ने सिखों का अंत करने के लिए अथक प्रयास किए, परंतु इसके बावजूद वह सिखों का दमन करने में विफल रहा। उसकी विफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. दल खालसा का संगठन—मीर मन्नू की विफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारण दल खालसा का संगठन था। सिख दल खालसा का अत्यधिक सम्मान करते थे और इसके आदेश पर कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार रहते थे। परिणामस्वरूप मीर मन्नू के लिए सिखों का दमन करना कठिन हो गया।

2. सिखों के असाधारण गुण सिखों में अपने धर्म के लिए दृढ़ निश्चय, अपार जोश और असीमित बलिदान की भावनाएँ थीं। वे अत्यधिक मुश्किलों की घड़ी में भी अपने धैर्य का त्याग नहीं करते थे। मीर मन्नू ने सिखों पर असीमित अत्याचार किए, परंतु वह सिखों को विचलित करने में विफल रहा।

3. सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति-सिखों ने मुग़ल सेना के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाई अर्थात् सिखों को जब अवसर मिलता, वे मुग़ल सेना पर आक्रमण करते और लूटपाट करने के बाद पुनः वनों में जाकर शरण ले लेते। अतः आमने-सामने की टक्कर के अभाव में मीर मन्नू सिखों की शक्ति का दमन करने में विफल रहा।

4. दीवान कौड़ा मल्ल का सिखों से सहयोग-दीवान कौड़ा मल्ल मीर मन्नू का प्रमुख परामर्शदाता था। सहजधारी सिख होने के कारण वह सिखों से सहानुभूति रखता था। अतः जब भी मीर मन्नू ने सिखों के विरुद्ध कठोर कार्यवाई करने का निर्णय किया तो दीवान कौड़ा मल्ल उसे सिखों से समझौता करने के लिए मना लेता था। अतः दीवान कौड़ा मल्ल का सहयोग भी सिख शक्ति को बचाए रखने में बहुत लाभप्रद सिद्ध हुआ।।

5. मीर मन्नू की समस्याएँ-मीर मन्नू अपने शासनकाल के दौरान कई समस्याओं से घिरा रहने के कारण भी मीर मन्नू सिखों का पूर्ण दमन करने में विफल रहा। उसकी पहली बड़ी समस्या अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण थे। इन आक्रमणों के कारण उसे सिखों के विरुद्ध कार्यवाई स्थगित करनी पड़ती थी। दूसरा, दिल्ली का वज़ीर सफदरजंग भी उसे पदच्युत करने के लिए षड्यंत्र रचता रहता था। फलस्वरूप मीर मन्नू इन समस्याओं से जूझने में ही व्यस्त रहा।

6. मीर मन्नू के अत्याचार-मीर मन्नू ने सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए निर्दोष लोगों पर भारी अत्याचार किए। इस कारण ये लोग सिखों के साथ मिल गए। इस कारण सिखों की शक्ति बहुत बढ़ गई। परिणामस्वरूप मीर मन्नू सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहा।

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Source Based Questions

नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
1
शाही आदेश जारी होने के पश्चात् अब्दुस समद खाँ ने सिखों पर घोर अत्याचार आरंभ कर दिए। सैंकड़ों निर्दोष सिखों को प्रतिदिन बंदी बनाकर लाहौर लाया जाता। उन्हें इस्लाम धर्म में शामिल होने पर प्राण-दान का लोभ दिया जाता। किंतु गुरु के सिख ऐसे जीवन से शहीद होना अधिक अच्छा समझते थे। जल्लाद इन सिखों को घोर यातनाएँ देने के पश्चात् उनको शहीद कर देते। अब्दुस समद खाँ की इस कठोर नीति से बचने के लिए बहुत-से सिखों ने लक्खी वन और शिवालिक पहाड़ियों में जाकर शरण ली। यहाँ पर उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता था अथवा वे वृक्षों के पत्ते और छाल खाकर अपनी भूख मिटाते रहे। मुग़ल अधिकारियों ने पीछे रह गई स्त्रियों और बच्चों पर कहर ढाना आरंभ कर दिया। इस प्रकार अपने शासनकाल के आरंभिक कुछ वर्षों तक अब्दुस समद खाँ की सिखों के विरुद्ध दमनकारी नीति बहुत सफल रही। इससे प्रसन्न होकर फर्रुखसियर ने उसे ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि से सम्मानित किया।

  1. अब्दुस समद खाँ कौन था ?
  2. शाही आदेश जारी होने के पश्चात् ……….. ने सिखों पर घोर अत्याचार आरंभ कर दिए।
  3. सिखों को कहाँ शहीद किया जाता था ?
  4. अब्दुस समद खाँ के अत्याचारों से बचने के लिए सिखों ने क्या किया ?
  5. फर्रुखसियर ने अब्दुस समद खाँ को किस उपाधि से सम्मानित किया था ?

उत्तर-

  1. अब्दुस समद खाँ लाहौर का सूबेदार था।
  2. अब्दुस समद खाँ।
  3. सिखों को लाहौर में शहीद किया जाता था।
  4. अब्दुस समद खाँ के अत्याचारों से बचने के लिए सिखों ने जंगलों व शिवालिक पहाड़ियों में जाकर शरण ली।
  5. फर्रुखसियर ने अब्दुस समद खाँ को ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि से सम्मानित किया था।

2
ज़करिया खाँ सिखों की दिन-प्रतिदिन बढ़ रही कार्यवाइयों से बहुत परेशान था। उसने सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए जेहाद का नारा लगाया। फलस्वरूप हज़ारों की संख्या में मुसलमान उसके ध्वज तले एकत्रित हो गए। इस सेना का नेतृत्व मीर इनायत उल्ला खाँ को सौंपा गया। उन्हें ईद के शुभ दिन एक हैदरी ध्वज दिया गया और यह घोषणा की गई कि इस ध्वज तले लड़ने वालों को अल्ला अवश्य विजय देगा। जब सिखों को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो उन्होंने पुनः वनों और पहाड़ों की शरण ली। एक दिन लगभग 7 हज़ार सिखों ने इन गाज़ियों पर अचानक आक्रमण करके भारी विनाश किया। हज़ारों गाज़ियों की हत्या कर दी गई। इसके अतिरिक्त सिख उनका सामान भी लूटकर ले गए। इस घटना से जहाँ सरकार की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा वहीं इस अद्वितीय सफलता से सिखों का प्रोत्साहन बढ़ गया।

  1. जकरिया खाँ कौन था ?
  2. जेहाद से क्या भाव है ?
  3. हैदरी झंडे की कमान किसे सौंपी गई थी?
  4. हैदरी झंडे की घटना समय पंजाब का सूबेदार कौन था ?
    • अब्दुस समद खाँ
    • मीर मन्नू
    • जकरिया खाँ
    • अहमद शाह अब्दाली।
  5. सिखों ने कहाँ शरण ली थी ?

उत्तर-

  1. जकरिया खाँ लाहौर का सूबेदार था।
  2. जेहाद से भाव है धार्मिक लड़ाई।
  3. हैदरी झंडे की कमान मीर इनायत उल्ला खाँ को सौंपी गई थी।
  4. जकरिया खाँ।
  5. सिखों ने जंगलों तथा पहाड़ों में जाकर शरण ली।

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3
मुग़लों से समझौता हो जाने पर सिखों को अपनी शक्ति को संगठित करने का स्वर्ण अवसर मिला। नवाब कपूर सिंह ने सिखों को यह संदेश भेजा कि वे वनों और पर्वतों को छोड़कर पुन: अपने घरों में लौट आएँ। इस प्रकार गत दो दशक से मुग़लों और सिखों में चले आ रहे संघर्ष का अंत हुआ और सिखों ने सुख की साँस ली। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों की शक्ति दृढ़ करने के उद्देश्य से उन्हें दो जत्थों में संगठित कर दिया। ये जत्थे थे-बुड्डा दल और तरुणा दल। बुड्डा दल में 40 वर्ष से बड़ी आयु के सिखों को सम्मिलित किया गया और इससे कम आयु वाले सिखों को तरुणा दल में। तरुणा दल को आगे पाँच जत्थों में विभाजित किया गया था। प्रत्येक जत्थे में 1300 से 2000 सिख थे और प्रत्येक जत्थे का अपना एक अलग नेता तथा झंडा था। बुड्डा दल धार्मिक स्थानों की देख-रेख करता था जबकि तरुणा दल शत्रुओं का सामना करता था। इन दलों ने भविष्य में सिख इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  1. मुग़लों तथा सिखों के मध्य समझौता कब हुआ ?
  2. मुगलों तथा सिखों के मध्य समझौते समय पंजाब का सूबेदार कौन था ?
    • अहमद शाह अब्दाली
    • मीर मन्नू
    • जकरिया खाँ
    • उपरोक्त में से कोई नहीं।
  3. नवाब कपूर सिंह कौन था ?
  4. बुड्डा दल तथा तरुणा दल का गठन कब किया गया था ?
  5. बुड्डा दल तथा तरुणा दल में कौन-कौन शामिल थे ?

उत्तर-

  1. मुग़लों तथा सिखों के मध्य समझौता 1733 ई० में हुआ था।
  2. जकरिया खाँ।
  3. नवाब कपूर सिंह 18वीं सदी में सिखों का एक प्रसिद्ध नेता था।
  4. बुड्ढा दल तथा तरुणा दल का गठन 1734 ई० में किया गया था।
  5. बुड्डा दल में 40 वर्ष से अधिक आयु के सिख तथा तरुणा दल में नौजवानों को शामिल किया गया था।

4
भाई मनी सिंह जी के बलिदान को सिख इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। सिख पंथ की अद्वितीय सेवा के कारण उनका सिखों में बहुत सम्मान था। वे 1721 ई० से हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी चले आ रहे थे। जकरिया खाँ के सैनिकों द्वारा हरिमंदिर साहिब पर अधिकार और वहाँ पर सिखों को न जाने देने के लिए स्थापित की गई सैनिक चौकियों के कारण वे बहत निराश हुए। 1738 ई० में भाई मनी सिंह जी ने जकरिया खाँ को यह निवेदन किया कि यदि वह सिखों को दीवाली के अवसर पर हरिमंदिर साहिब आने की अनुमति दे तो वे 5,000 रुपये भेट करेंगे। जकरिया खाँ ने यह प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया। वास्तव में उसके दिमाग में एक योजना आई। इस योजनानुसार वह अमृतसर में दीवाली के अवसर पर एकत्रित होने वाले सिखों पर अचानक आक्रमण करके उनका सर्वनाश करना चाहता था।

  1. भाई मनी सिंह जी कौन थे ?
  2. भाई मनी सिंह जी ने किसे विनती की कि सिखों को अमृतसर में दीवाली के अवसर पर इकट्ठे होने की आज्ञा दी जाए ?
  3. भाई मनी सिंह जी ने सिखों को अमृतसर आने के लिए जकरिया खाँ को कितने रुपये देने का निवेदन किया ?
    • 2,000 रुपये
    • 3,000 रुपये
    • 4,000 रुपये
    • 5,000 रुपये।
  4. भाई मनी सिंह जी को कब शहीद किया गया था ?
  5. भाई मनी सिंह जी की शहीदी का क्या परिणाम निकला ?

उत्तर-

  1. भाई मनी सिंह जी 1721 ई० में हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी थे।
  2. लाहौर के सूबेदार जकरिया खाँ को।
  3. 5,000 रुपये।
  4. भाई मनी सिंह जी को 1738 ई० में शहीद किया गया था।
  5. इस कारण सिखों में एक नया जोश पैदा हुआ।

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5
सिखों का सर्वनाश करने के लिए याहिया खाँ और लखपत राय ने एक भारी सेना तैयार की। उनके नेतृत्व में मुग़ल सेना ने लगभग 15,000 सिखों को अचानक काहनूवान में घेर लिया। सिख वहाँ से बचकर बसोली की पहाड़ियों की ओर चले गए। मुग़ल सैनिकों ने उनका बड़ी तेज़ी से पीछा किया। यहाँ पर सिख भारी संकट में फंस गए। एक ओर ऊँची पहाड़ियाँ थीं और दूसरी ओर रावी नदी में बाढ़ आई हुई थी। पीछे की ओर मुग़ल सैनिक उनका पीछा कर रहे थे तथा आगे पहाड़ी राजा और लोग भी उनके कट्टर शत्रु थे। सिखों के पास खाद्य सामग्री बिल्कुल नहीं थी। चारे की कमी के कारण घोड़ों की भी भूख से बुरी दशा थी। इस आक्रमण में 7,000 सिख शहीद हो गए और मुग़लों ने 3,000 सिखों को बंदी बना लिया। इन सिखों को लाहौर में शहीद कर दिया गया। सिखों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था जब सिखों की एक बार में ही इतनी भारी प्राण-हानि हुई। इस दर्दनाक घटना को सिख इतिहास में पहला अथवा छोटा घल्लूघारा के नाम से स्मरण किया जाता है। यह घल्लूघारा मई, 1746 ई० को हुआ।

  1. पहला घल्लूघारा कब घटित हुआ ?
  2. पहले घल्लूघारे के समय लाहौर का सूबेदार कौन था ?
  3. पहले घल्लूघारे में कितने सिखों ने शहीदी प्राप्त की थी ?
  4. पहले घल्लूघारे में मुगलों ने …………… सिखों को बंदी बना लिया।
  5. पहले घल्लूघारे को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?

उत्तर-

  1. पहला घल्लूघारा मई, 1746 ई० में घटित हुआ।
  2. पहले घल्लूघारे के समय लाहौर का सूबेदार याहिया खाँ था।
  3. पहले घल्लूघारे में 7000 सिखों ने शहीदी प्राप्त की थी।
  4. 3000.
  5. पहले घल्लूघारे को छोटे घल्लूघारा के नाम से भी जाना जाता है।

अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ और मीर मन्नू-उनके सिखों के साथ संबंध PSEB 12th Class History Notes

  • अब्दुस समद खाँ (Abdus Samad Khan)-अब्दुस समद खाँ 1713 ई० में लाहौर का सूबेदार बना-उसने सिखों पर घोर अत्याचार किए-इससे प्रसन्न होकर मुगल बादशाह फर्रुखसियर ने उसे ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि से सम्मानित किया-मुग़ल अत्याचारों से बचने के लिए सिखों ने स्वयं को जत्थों में संगठित कर लिया-अब्दुस समद खाँ अपने तमाम प्रयासों के बावजूद सिखों का दमन करने में विफल रहा-1726 ई० में उसे पद से हटा दिया गया।
  • जकरिया खाँ (Zakariya Khan)—जकरिया खाँ 1726 ई० में लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया गया-प्रतिदिन लाहौर के दिल्ली गैट पर सैंकड़ों सिखों को शहीद किया जाने लगा था-1726 ई० में भाई तारा सिंह वाँ ने अपने 22 साथियों के साथ जकरिया खाँ के सैनिकों के खूब छक्के छुड़ाए-सिख जत्थों ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली अपनाकर जकरिया खाँ की रातों की नींद हराम की-सिखों को प्रसन्न करने के लिए जकरिया खाँ ने उनके नेता सरदार कपूर सिंह को एक लाख रुपए की जागीर तथा नवाब की उपाधि प्रदान की-संबंधों के पुनः बिगड़ जाने पर जकरिया खाँ ने हरिमंदिर साहिब पर अधिकार कर लिया-1738 ई० में जकरिया खाँ ने हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई मनी सिंह जी को शहीद कर दिया-जकरिया खाँ के काल में ही हुई भाई बोता सिंह जी, भाई मेहताब सिंह जी, भाई सुखा सिंह जी, बाल हकीकत राय जी तथा भाई तारू सिंह जी की शहीदी ने सिखों में एक नया जोश उत्पन्न कर दिया-परिणामस्वरूप सिखों ने जकरिया खाँ को कभी चैन की साँस न लेने दी-1 जुलाई, 1745 ई० को जकरिया खाँ की मृत्यु हो गई।
  • याहिया खाँ (Yahiya Khan)—याहिया खाँ 1746 ई० में लाहौर का सूबेदार बना-उसने सिखों के विरुद्ध कठोर पग उठाए–याहिया खाँ और दीवान लखपत राय ने मई, 1746 ई० को लगभग 7,000 सिखों को काहनूवान के निकट शहीद कर दिया-इस घटना को छोटा घल्लूघारा के नाम से स्मरण किया जाता है-1747 ई० में याहिया खाँ के छोटे भाई शाहनवाज़ खाँ ने उसे बंदी बना लिया।
  • मीर मन्नू (Mir Mannu)-मीर मन्नू को मुइन-उल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता था वह 1748 ई० से 1753 ई० तक पंजाब का सूबेदार रहा-वह अपने पूर्व अधिकारियों से अधिक सिखों का कट्टर शत्रु सिद्ध हुआ-वह 1752 ई० में अब्दाली की ओर से पंजाब का सूबेदार नियुक्त हुआ-मीर मन्नू अपनी समस्त कारवाईयों के बावजूद सिखों की शक्ति का अंत करने में विफल रहा-1753 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।
  • मीर मन्नू की विफलता के कारण (Causes of Failure of Mir Mannu)-सिखों ने दल खालसा का संगठन कर लिया था-सिखों में पंथ के लिए दृढ़ निश्चय, अपार जोश, निडरता और बलिदान की भावनाएँ थीं-सिख गुरिल्ला युद्ध नीति से लड़ते थे-मीर मन्नू का परामर्शदाता दीवान कौड़ा मल सिखों से सहानुभूति रखता था-मीर मन्नू अपने शासन से संबंधित कई समस्याओं से घिरा रहा था।

PSEB 6th Class Home Science Solutions Chapter 1 मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 1 मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ

PSEB 6th Class Home Science Guide मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के नाम लिखो।
उत्तर-
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता हवा, पानी, भोजन, घर और कपड़ा है।

प्रश्न 2.
पका हुआ भोजन कैसा होता है ?
उत्तर-
पका हुआ भोजन स्वादिष्ट, सुगन्धित तथा शीघ्र पाचनशील होता है।

प्रश्न 3.
हम स्वस्थ कैसे रह सकते हैं ?
उत्तर-
हम नियमित रूप से संतुलित भोजन खाकर स्वस्थ रह सकते हैं।

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प्रश्न 4.
घर हमें शारीरिक सुरक्षा कैसे प्रदान करता है?
उत्तर-
घर हमें गर्मी, सर्दी, जंगली जानवरों, प्राकृतिक आपदाओं से बचाता है।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन को जीवित जीव की प्राथमिक आवश्यकता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
भोजन को जीवित जीव की प्राथमिक आवश्यकता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह आवश्यकता जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ जुड़ी रहती है।

प्रश्न 2.
पुराने तथा आज के मनुष्य के खाने में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्राचीन मानव कंद-मूल और फल-फूल खाकर अपने पेट की भूख को शान्त करता था। तब उसके लिए यही वस्तुएँ भोजन थीं। आज का मनुष्य भूख मिटाने के लिए कंद-मूल या कच्चा भोजन नहीं खाता, बल्कि उसे कई ढंगों से पकाकर. स्वादिष्ट तथा आकर्षक बनाकर खाता है।

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प्रश्न 3.
हम घर क्यों बनाते हैं ?
उत्तर-
घर एक ऐसा स्थान है जहाँ हमें आराम मिलता है, जहाँ हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाते हैं और जहाँ हमें शारीरिक व भौतिक सुरक्षा मिलती है।

प्रश्न 4.
क्या पशु-पक्षियों को भी घर की आवश्यकता है ?
उत्तर-
हाँ, हमारे समान ही पशु-पक्षियों को घर की आवश्यकता होती है। पशु-पक्षी भी भोजन की तलाश में बाहर जाते हैं और शाम होते ही घर वापिस आ जाते हैं। जैसेखरगोश बिल बनाकर रहते हैं, पक्षी घोंसले बनाकर रहते हैं।

प्रश्न 5.
प्राचीन समय के घरों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
प्राचीन मनुष्य गुफाओं में रहता था। धीरे-धीरे वह लकड़ी और पत्थरों के घरों में रहने लगा।

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प्रश्न 6.
घर को ‘स्वर्ग’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
घर को स्वर्ग इसलिए कहा गया है कि घर हमें आराम व सुख प्रदान करता है। यह एक ऐसा सुखदायी स्थान है कि हम चाहे जहाँ भी घूमें और बाहर हमें कितने ही सुख क्यों न मिलें, घर वापस लौटने की लालसा स्वाभाविक रूप से बनी रहती है।

प्रश्न 7.
वस्त्र मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता कैसे है ?
उत्तर-
वस्त्र को मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता इसलिए कहा गया है क्योंकि भोजन के समान ही यह आवश्यकता जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के साथ जुड़ी रहती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
वह आवश्यकता जो जन्म से लेकर अन्त तक हमारे साथ रहती है तथा जिसकी पूर्ति को प्राथमिकता दी जाती है, उसे प्राथमिक आवश्यकता कहते हैं। प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत भोजन, वस्त्र तथा घर या आश्रम मुख्य हैं। जन्म से लेकर मरने तक सभी मनुष्य, जीव-जन्तु अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष करते रहते हैं। यह भी ध्यान योग्य है कि सभी प्राणियों का अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का ढंग तथा कोशिशें भिन्न होती हैं।

ऐसी कोई भी वस्तु जिस के बिना जीवन में कुछ कमी लगती है, जिस के बिना रहना मुश्किल लगता है, वह आवश्यकता बन जाती है। आज के आधुनिक जीवन में तो अत्यधिक प्रकार की आवश्यकताएं पैदा हो गई हैं, अथवा पैदा कर ली गई हैं। गाड़ी, कार, वायुयान, मोबाइल फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर आदि ऐसा कई कुछ हैं जिन के बिना जीवन जीना कठिन प्रतीत होता है। आवश्यकताएं अधिक होने के बावजूद भी तीन मुख्य आवश्यकताएं जिन को यदि पूरा न किया जाए तो ऊपरलिखित सभी आवश्यकताएं गौन हो जाती हैं। यह तीन आवश्यकताएं हैं जो कि प्राथमिक हैं-रोटी, कपड़ा और मकान तथा इन सब में भी अत्यधिक आवश्यक भोजन है।

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प्रश्न 2.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत कौन-कौन सी आवश्यकताएँ आती हैं ?
उत्तर-
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत भोजन, वस्त्र तथा घर या आश्रम की आवश्यकताएँ आती हैं। जब से सृष्टि की रचना हुई है तथा इसमें प्राणी का आगमन हुआ है, वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों का प्रयोग कर रहा है। जब मनुष्य अभी सभ्य नहीं हुआ था तब वह कंदमूल, फल-फूल खा कर पेट भरता था। अब सभ्य समाज में रह रहा इंसान भोजन को कई प्रकार से पका कर सुंदर, स्वादिष्ट तथा सुंगधित भोजन खाता है। भोजन की आवश्यकता के अग्रलिखित कारण हैं –

1. शरीर का विकास- भोजन हमारे शरीर के विकास के लिए अति आवश्यक है। प्रोटीन हमारे शरीर के तंतुओं का निर्माण करता है। कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा मिलती है। यह तत्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार अन्य आवश्यक तत्व जैसे वसा, विटामिन, खनिज आदि भी भोजन से मिलते हैं। यदि एक भी दिन हम भोजन न लें तो हम कमज़ोर महसूस करने लगते हैं। भोजन शरीर की क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है।

2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व-मिलजुल कर भोजन करने से तथा बनाने से एकता का भावना पैदा होती है। शादी, जन्मदिन आदि के अवसर पर हम संबंधियों तथा दोस्तों को प्रीती भोज तथा चाय पार्टी आदि के लिए बुलाते हैं। इस प्रकार भोजन का सामाजिक महत्त्व पता चलता है। धार्मिक अवसरों पर लंगर, प्रसाद आदि को मिल बांट कर ग्रहण करने से भाईचारे की भावना पैदा होती है।

3. मन की शांति-भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यन्त हर्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3.
घर की आवश्यकता किन कारणों से है ?
उत्तर-
घर की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –

1. गर्मी-सर्दी से बचाव-गर्मी-सर्दी से बचने के लिए घर ही ऐसा स्थान है जहाँ मनुष्य अपना सिर छिपा सकता है। घर गर्मियों में लू या धूप से बचाता है तथा सर्दियों में बर्फीली हवा से हमारी रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त घर कई बार प्राकृतिक आपदाओं, जैसे-तूफान, ओले, आँधी आदि से भी बचाता है।

2. जंगली-पशुओं तथा चोरों से बचाव-घर में रहकर हम अपनी जान और माल को सुरक्षित करते हैं। जंगली पशुओं एवं चोरों का दीवार पार करके आना इतना सुगम नहीं जितना कि खुले स्थान पर। आजकल की दीवारों पर लोहे की तारें या शीशे आदि भी इसीलिए लगाएँ जाते हैं।

3. पारिवारिक भावना-जब हम एक चार-दीवारी में मिल-जुलकर बैठते हैं, तो मेल-जोल की भावना उत्पन्न होती है। घर केवल ईंटों की इमारत ही नहीं होता, घर तो वस्तुतः ऐसा स्थान है जहाँ मिल-जुलकर एक-दूसरे का दुःख-सुख बाँटते हैं तथा ज़िम्मेदारी को बाँटकर चलते हैं। इस तरह घर में हमारी प्रवृत्तियों को संतुष्टि मिलती है जैसे कि माँबाप का प्यार, बहन-भाई का प्यार, इकट्ठे रहने की प्रवृत्ति आदि।

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प्रश्न 4.
वस्त्रों की आवश्यकता किन कारणों से है?
उत्तर-
कपड़ों की आवश्यकता निम्न कारणों से है –

1. गर्मी-सर्दी से बचाव-वस्त्र हमें गर्मियों में गर्मी और सर्दियों में ठण्ड से बचाते हैं। यही कारण है कि गर्मियों में वही वस्त्र पहने जाते हैं जो शरीर की गर्मी को बाहर निकालते हैं, जैसे-मलमल और रूबिया आदि। परन्तु सर्दियों में ऊनी वस्त्र पहने जाते हैं, क्योंकि ये ताप के कुचालक होते हैं तथा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते। इसी कारण वस्त्र पहनते और खरीदते समय ऋतु का ध्यान रखा जाता है।

2. सौन्दर्य में वृद्धि-कपड़े मनुष्य के सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। प्राचीन समय में मनुष्य पशुओं की खालों से अपने शरीर को सजाता था। तब खाले ही वस्त्र थे। सुन्दरता की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं। इनके सीने-पिरोने में ही परिवर्तन होता रहता है। सुन्दरता बढ़ाने के लिए वस्त्रों को रंगों तथा छापे से या कई बार फूल-बूटों की कढ़ाई करके सुन्दर तथा आकर्षक बनाया जाता है।

3. सभ्यता की प्रतीक-अच्छी तरह वस्त्र पहनकर तैयार होना सभ्य मनुष्य होने का प्रतीक है। वस्त्र पहनने की बात हमें पशु-पक्षियों से अलग करती है। आज यदि कभी यह सोच भी ले कि प्राचीन मनुष्य नंगा रहता था, तो बहुत ही अजीब लगता है। आज यदि कोई ठीक तरह वस्त्र न पहने तो उसको मूर्ख या असभ्य कहा जाता है। इसी कारण खेलने, तैरने, खाना बनाने के लिए अलग-अलग पहनावे प्रयुक्त किये जाते हैं। आज के ज़माने में कपड़े द्वारा सभ्य तथा असभ्य मनुष्य का अनुमान लगाया जाता है।

4. चोट लगने से बचाव-वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।

5. कीड़े-मकौड़ों से बचाव-वातावरण में कई तरह के कीड़े-मकौड़े होते हैं, जैसे-बिच्छ्, भिंड, मच्छर आदि। अगर कपड़े के ऊपर से काटें तो कई बार चमड़ी तक डंक नहीं जाता। अगर ये नंगे शरीर पर काटें तो अधिक नुकसान हो सकता है।

Home Science Guide for Class 6 PSEB मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार का हर जीवित प्राणी अपने पेट की आग को कैसे शान्त करता है?
उत्तर-
संसार का हर जीवित प्राणी अपने पेट की आग भोज्य वस्तु को खाकर शान्त करता है।

प्रश्न 2.
भोजन खाने से हमारे मन को कैसा लगता है ?
उत्तर-
भोजन खाने से मन को संतोष मिलता है।

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प्रश्न 3.
पशु-पक्षी भोजन की तलाश में कहाँ जाते हैं ?
उत्तर-
पशु-पक्षी भोजन की तलाश में घर से बाहर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं।

प्रश्न 4.
घर किसका नाम है ?
उत्तर-
घर निजी स्वर्ग का नाम है।

प्रश्न 5.
प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं को ढाँपने के लिए किस वस्तु का प्रयोग करता था ?
उत्तर-
प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं को ढाँपने के लिए वृक्ष की छालों, पत्तों और खालों का प्रयोग करता था।

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प्रश्न 6.
वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन क्यों बनते हैं ?
उत्तर-
सुन्दर दिखने की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं।

प्रश्न 7.
कपड़े चोट लगने से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर-
वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घर मनुष्य का गर्मी-सर्दी से कैसे बचाव करता है ?
उत्तर-
गर्मी-सर्दी से बचने के लिए घर ही प्रमुख स्थान है, घर गर्मियों में लू तथा धूप से बचाता है और सर्दियों में बर्फीली हवाओं से हमारी रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त मकान कई बार प्राकृतिक आपदाओं, जैसे-तूफान, ओले, आँधी आदि से भी हमें बचाता है।

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प्रश्न 2.
वस्त्र हमें कीड़े-मकौड़े से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर-
वातावरण में कई प्रकार के कीड़े-मकौड़े होते हैं, जैसे-बिच्छू, भिंड, मच्छर आदि। अगर ये कपड़े के ऊपर से काटें तो कई बार चमड़ी तक डंक नहीं जाता है। अगर ये वस्त्रहीन शरीर पर काटें तो काफी नुकसान हो सकता है।

प्रश्न 3.
कपड़े हमारे सौंदर्य में कैसे वृद्धि करते हैं ?
उत्तर-
कपड़े मनुष्य के सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। प्राचीन समय में मनुष्य पशुओं की खालों से अपने शरीर को सजाता था। तब खाले ही वस्त्र थे। सुन्दरता की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं। इनके सीने-पिरोने में ही परिवर्तन होता रहता है। सुन्दरता बढ़ाने के लिए वस्त्रों को रंगों तथा छापे से या कई बार फूल-बूटों की कढ़ाई करके सुन्दर तथा आकर्षक बनाया जाता है।

प्रश्न 4.
भोजन प्राप्ति का मन की शांति से क्या संबंध है ?
उत्तर-
भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यंत हर्ष की प्राप्ति होती है।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन की आवश्यकता किन कारणों से है ?
उत्तर-
जब से सृष्टि की रचना हुई है तथा इसमें प्राणी का आगमन हुआ है, वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों का प्रयोग कर रहा है। जब मनुष्य अभी सभ्य नहीं हुआ था तब वह कंदमूल, फल-फूल खा कर पेट भरता था। अब सभ्य समाज में रह रहा इंसान भोजन पका कर कई प्रकार से इसे सुंदर, स्वादिष्ट तथा सुंगधित बनाकर खाता है। भोजन की आवश्यकता के अग्रलिखित कारण हैं –

1. शरीर का विकास-भोजन हमारे शरीर के विकास के लिए अति आवश्यक है। प्रोटीन हमारे शरीर के तंतुओं का निर्माण करता है। कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा मिलती है। यह तत्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार अन्य आवश्यक तत्व जैसे वसा, विटामिन, खनिज आदि भी भोजन से मिलते हैं। यदि एक भी दिन हम भोजन न लें तो हम कमजोर महसूस करने लगते हैं। भोजन शरीर की क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है।

2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व-मिलजुल कर भोजन करने से तथा बनाने से एकता की भावना पैदा होती है। शादी, जन्मदिन आदि के अवसर पर हम संबंधियों तथा दोस्तों को प्रीती भोज तथा चाय पार्टी आदि के लिए बुलाते हैं। इस प्रकार भोजन का सामाजिक महत्त्व पता चलता है। धार्मिक अवसरों पर लंगर, प्रसाद आदि को मिल बांट कर ग्रहण करने से भाईचारे की भावना पैदा होती है।

3. मन की शांति-भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यन्त हर्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 2.
कपड़ों की आवश्यकता के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-
कपड़ों की आवश्यकता के दो कारण निम्नलिखित हैं –
1. सभ्यता का प्रतीक-अच्छी तरह वस्त्र पहनकर तैयार होना सभ्य मनुष्य होने का प्रतीक है। वस्त्र पहनने की बात हमें पशु-पक्षियों से अलग करती है। आज यदि कभी यह सोच भी ले कि प्राचीन मनुष्य नंगा रहता था, तो बहुत ही अजीब लगता है। आज यदि कोई ठीक तरह वस्त्र न पहने तो उसको मूर्ख या असभ्य कहा जाता है। इसी कारण खेलने, तैरने, खाना बनाने के लिए अलग-अलग पहनावे प्रयुक्त किये जाते हैं। आज के ज़माने में कपड़े द्वारा सभ्य तथा असभ्य मनुष्य का अनुमान लगाया जाता है।

2. चोट लगने से बचाव-वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सबसे पहली प्राथमिक आवश्यकता क्या है ?
उत्तर-
भोजन।

प्रश्न 2.
कपड़े द्वारा कौन-सी प्राकृतिक आवश्यकता पूर्ण होती है ?
उत्तर-
तन ढकने की।

प्रश्न 3.
घर का खिंचाव …… ही रहता है।
उत्तर-
सदा।

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प्रश्न 4.
पका भोजन ………. तथा सुगन्धित होता है।
उत्तर-
सुस्वाद।

प्रश्न 5.
सौंदर्य में वृद्धि के लिए हम …… पहनते हैं।
उत्तर-
कपड़े।

प्रश्न 6.
घर निजी ………. का नाम है।
उत्तर-
स्वर्ग।

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प्रश्न 7.
प्राचीन मनुष्य कहां रहता था ?
उत्तर-
गुफा में।

प्रश्न 8.
कपड़े हमें ……. से बचाते हैं।
उत्तर-
कीड़े-मकौड़ों।

मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ PSEB 6th Class Home Science Notes

  • कोई भी वस्तु, जिसके बिना जीवन अधूरा लगता है, जिसके बिना हम रह नहीं सकते उसे आवश्यकता का नाम दिया जाता है।
  • वह आवश्यकता, जो जन्म से लेकर अन्त तक हमारे साथ रहती है तथा जिसकी पूर्ति को प्राथमिकता दी जाती है, उसे हम प्राथमिक आवश्यकता कहते हैं। भोजन, वस्त्र तथा घर मुख्य प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं।
  • संसार का हर जीवित प्राणी जिस वस्तु को खाकर अपने पेट की आग को शान्त | | करता है, वह उसका भोजन है।
  • भोजन की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. शरीर का विकास, 2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व, 3. मानसिक सन्तोष।
  • घर या आश्रय केवल मनुष्य की ही नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों की आवश्यकता है।
  • पुरातन मनुष्य गुफाओं में रहकर अपने शरीर की रक्षा करता था।
  • घर की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. गर्मी, सर्दी व वर्षा से बचाव, 2. जंगली पशुओं तथा चोरों से बचाव, 3. पारिवारिक भावना।
  • घर के प्यार से ही देश प्यार की नींव बनती है।
  • घर निजी स्वर्ग का नाम है।
  • समय का अर्थ है युग बदलने के अनुसार बदलाव।
  • आजकल कई प्रकार से प्राकृतिक तथा बनावटी रेशों की सहायता से वस्त्र बनाये | | जाते हैं, जैसे–सूती, रेशमी, नायलॉन, रेयॉन, ज़री आदि।
  • वस्त्रों की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. गर्मी, सर्दी व वर्षा से बचाव, 2. सौन्दर्य में वृद्धि, 3. सभ्यता का प्रतीक, 4. चोट लगने से बचाव, 5. कीड़े – मकौड़ों से बचाव।
  • आग बुझाने वाले ऐस्बेसटॉस के वस्त्र पहनते हैं, क्योंकि उनमें आग नहीं लगती।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 6 संसार में भारत

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 संसार में भारत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 6 संसार में भारत

SST Guide for Class 6 PSEB संसार में भारत Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
कौन-सी अक्षांश रेखा भारत को दो भागों में बांटती है? उनके नाम । लिखो।
उत्तर-
भारत को कर्क रेखा दो बराबर भागों में बांटती है। उत्तरी भाग को उपउष्णखण्डीय भारत तथा दक्षिणी भाग को उष्णखण्डीय भारत कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारत के पड़ोसी देशों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत की सीमाएं 7 देशों को छूती हैं। उत्तर-पश्चिम तथा उत्तर में पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, चीन तथा नेपाल हमारे पड़ोसी देश हैं। भूटान, म्यांमार तथा बंगलादेश हमारे देश के उत्तर-पूर्व में स्थित हैं। दक्षिण में हमारे पड़ोसी श्रीलंका तथा मालदीव हैं।

प्रश्न 3.
ग्लोब पर भारत की अक्षांश तथा देशान्तर स्थिति लिखो।
उत्तर-
भारत 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर अक्षांशों तथा 68°7′ पू० से 97°25′ पू० देशान्तरों के बीच स्थित है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 6 संसार में भारत

प्रश्न 4.
भारत को उपमहाद्वीप क्यों कहते हैं?
उत्तर-
भारत एशिया महाद्वीप का एक भाग है। परंतु उत्तर के पर्वत तथा शेष तीन ओर से जल-भण्डार (सागर) इसे एशिया से अलग करते हैं। इसका विस्तार भी बहुत अधिक है। इसी कारण इसे उपमहाद्वीप कहा जाता है।

प्रश्न 5.
भारत को राजनीतिक दृष्टि से कितने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटा गया है?
उत्तर-
राजनीतिक दृष्टि से भारत को 28 राज्यों तथा 9 केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटा गया है।

प्रश्न 6.
उन तीन सागरों के नाम लिखो जिनसे भारतीय प्रायद्वीप घिरा हुआ है।
उत्तर-
हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी।

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II. निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरो

  1. आकार के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य …………… है।
  2. …………… भारत का सबसे छोटा राज्य है।
  3. इंदिरा पुवाइंट भारत के बिल्कुल ……………… सिरे पर है।
  4. कश्मीर से …………. तक भारत एक है।
  5. अरुणाचल प्रदेश भारत के ………….. भाग में है।

उत्तर-

  1. राजस्थान
  2. गोआ
  3. दक्षिणी
  4. कन्याकुमारी
  5. पूर्वी।

III. मिलान करो

स्तम्भ क – स्तम्भ ख

  1. अंडमान और निकोबार – हमारा पूर्वी पड़ोसी
  2. मालदीव – दक्षिण में हमारा पड़ोसी
  3. म्यांमार – भारत का द्वीप-समूह
  4. श्रीलंका – समुद्री सीमा से जुड़ा देश।

उत्तर-

  1. अंडमान और निकोबार-भारत का द्वीप-समूह।
  2. मालदीव-दक्षिण में हमारा पड़ोसी।
  3. म्यांमार-हमारा पूर्वी पड़ोसी।
  4. श्रीलंका-समुद्री सीमा से जुड़ा देश।

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PSEB 6th Class Social Science Guide संसार में भारत Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सा केंद्र शासित राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा है?
उत्तर-
लक्षद्वीप।

प्रश्न 2.
गंगा तथा यमुना क्रमशः किस-किस हिमखंड से निकलती है?
उत्तर-
गंगोत्री, यमुनोत्री।

प्रश्न 3.
भारत की तटरेखा कितनी लंबी है?
उत्तर-
6100 किलोमीटर।

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बहु-विकल्पीयप्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब-हरियाणा के मैदान में निम्नलिखित शामिल नहीं –
क) बारी दोआब
(ख) बिस्त दोआब
(ग) थार मरुस्थल।
उत्तर-
(ग) थार मरुस्थल

प्रश्न 2.
भारत का एक भू-भाग निरंतर लावा बहने से बना है? क्या आप उसका नाम बता सकते हैं?
(क) महान हिमालय
(ख) दक्षिणी पठार
(ग) तटीय मैदान
उत्तर-
(ख) दक्षिणी पठार।

सही (✓) या गलत (✗) कथन

  1. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा बड़ा देश है।
  2. ब्यास तथा सतलुज नदी के मध्य क्षेत्र को बारी दोआब कहते हैं।
  3. भारत के पश्चिमी तटीय मैदान पूर्व के तटीय मैदानों से कम चौड़े हैं।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3.  (✓)

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत का क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर-
लगभग 32.8 लाख वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 2.
भारत को पूर्वी देश क्यों माना जाता है?
उत्तर-
भारत पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है। इसलिए इसे पूर्वी देश माना जाता है।

प्रश्न 3.
देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित भारत के दो पड़ोसी देशों के नाम बताओ।
उत्तर-
पाकिस्तान तथा अफ़गानिस्तान।
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प्रश्न 4.
क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से भारत का संसार में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवां तथा जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा।

प्रश्न 5.
हमारे देश के दक्षिण में स्थित कौन-से दो द्वीपीय देश भारत के पड़ोसी हैं?
उत्तर-
श्रीलंका तथा मालद्वीव।

प्रश्न 6.
श्रीलंका को कौन-सी जल-सन्धि तथा खाड़ी भारत से अलग करती है?
उत्तर-
पाक जल-सन्धि तथा मन्नार की खाड़ी।

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प्रश्न 7.
भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
सिक्किम में कंचनजंगा।

प्रश्न 8.
लद्दाख के पठार को ठण्डा मरुस्थल क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
क्योंकि इसकी जलवायु अत्यन्त ठण्डी तथा शुष्क है।

प्रश्न 9.
भारत के उत्तरी मैदानों के पश्चिम में स्थित मरुस्थल का नाम बताओ।
उत्तर-
थार मरुस्थल।

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प्रश्न 10.
संसार का सबसे बड़ा डेल्टा कौन-सा है?
उत्तर-
गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा संसार का सबसे बड़ा डेल्टा है।

प्रश्न 11.
भारत का कौन-सा भू-भाग प्राचीनतम है?
उत्तर-
भारत का प्राचीनतम भू-भाग दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार है। यह कठोर आग्नेय तथा रूपान्तरित शैलों से बना है।

प्रश्न 12.
तीन ओर से सागर (जल) से घिरा भू-भाग क्या कहलाता है?
उत्तर-
प्रायद्वीप।

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प्रश्न 13.
डेल्टा क्या होता है?
उत्तर-
नदी के मुहाने पर बनी त्रिभुजाकार भू-आकृति।

प्रश्न 14.
भारत के उत्तरी मैदानों में जनसंख्या क्यों घनी है?
उत्तर-
उत्तरी मैदानों की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है और कृषि उन्नत है। इसलिए यहां जनसंख्या घनी है।

प्रश्न 15.
प्रायद्वीपीय भारत की कौन-सी दो नदियां डेल्टा नहीं बनाती?
उत्तर-
नर्मदा तथा ताप्ती।

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प्रश्न 16.
उत्तर भारत के मैदान का निर्माण करने वाली तीन प्रमुख नदियों के नाम बताओ।
उत्तर-
उत्तर भारत के मैदान का निर्माण करने वाली तीन प्रमुख नदियां हैं –

  1. सिन्धु
  2. गंगा तथा
  3. ब्रह्मपुत्र।

प्रश्न 17.
कौन-सा केंद्र शासित राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा है?
उत्तर-
लक्षद्वीप।

प्रश्न 18.
गंगा तथा यमुना क्रमशः किस-किस हिमखंड से निकलती हैं?
उत्तर-
गंगोत्री, यमुनोत्री।

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प्रश्न 19.
भारत की तटरेखा कितनी लंबी है?
उत्तर-
6100 किलोमीटर।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के पाँच भौतिक विभाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भारत के पाँच भौतिक विभाग हैं –

  1. उत्तर के महान् पर्वत
  2. उत्तरी भारत के विशाल मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. द्वीप समूह।

प्रश्न 2.
सुन्दरवन डेल्टा पर एक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
सुन्दरवन डेल्टा संसार का सबसे बड़ा डेल्टा है। इसका निर्माण गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों ने अपने मुहाने पर किया है। संसार के अन्य डेल्टों की तरह यह डेल्टा भी बहुत उपजाऊ है।

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प्रश्न 3.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार की कोई चार भौगोलिक विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. भारत के प्रायद्वीपीय पठार की आकृति एक त्रिभुज जैसी है।
  2. यह तीन ओर से क्रमशः अरब सागर (पश्चिम में), बंगाल की खाड़ी (पूर्व में) तथा हिन्द महासागर (दक्षिण में) से घिरा हुआ है।
  3. पश्चिम में पश्चिमी घाट तथा पूर्व में पूर्वी घाट इसकी सीमाएं बनाते हैं।
  4. यह पठार खनिज पदार्थों में बहुत अधिक धनी है।

प्रश्न 4.
थार (भारत के महान्) मरुस्थल पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
थार मरुस्थल उत्तरी मैदान के पश्चिम में स्थित है। यह पथरीला प्रदेश रेत से ढका हुआ है। इसकी जलवायु अति गर्म तथा शुष्क है। इस प्रदेश में पेड़-पौधे नाममात्र ही हैं।

प्रश्न 5.
भारत के पश्चिमी तट तथा पूर्वी तट की तुलना कीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तट

  1. यह तट अपेक्षाकृत कम चौड़ा है।
  2. इस भाग में नदियां डेल्टा नहीं बनातीं।
  3. यह तट पूर्वी तट की अपेक्षा कम उपजाऊ है।

पूर्वी तट

  1. यह तट अधिक चौड़ा है।
  2. इसमें कावेरी, कृष्णा और महानदी के उपजाऊ डेल्टे हैं।
  3. यह तट डेल्टा प्रदेशों के कारण अधिक उपजाऊ है।

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प्रश्न 6.
हिमालय पर्वतों की तीन समान्तर श्रृंखलाओं के नाम लिखो और प्रत्येक की एक-एक विशेषता बताओ।
उत्तर-
1. सर्वोच्च हिमालय या हिमाद्रि-यह हिमाचल की सबसे उत्तरी तथा सबसे ऊंची श्रेणी है। हिमालय के सर्वोच्च शिखर इस श्रेणी में हैं। इनमें माउंट एवरेस्ट (नेपाल में 8848 मी० ऊंची) तथा कंचनजुंगा (सिक्किम-भारत) प्रमुख हैं।

2. मध्य या लघु हिमालय (अथवा हिमालय श्रेणी)-यह पर्वत श्रेणी हिमालय के दक्षिण में फैली है। इसमें डल्हौज़ी, धर्मशाला, शिमला, मसूरी, नैनीताल आदि प्रमुख पर्वतीय नगर स्थित हैं।

3. बाह्य हिमालय या शिवालिक श्रेणी-यह हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी है। यह जलोढ़ अवसादों से बनी है।

प्रश्न 7.
भारत के उत्तरी मैदान को विभाजित करने वाले दो नदी-तन्त्रों के नाम बताइए। प्रत्येक नदी-तन्त्र की दो महत्त्वपूर्ण विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-
उत्तरी मैदान को विभाजित करने वाले दो नदी-तन्त्र हैं-पश्चिम में सिन्धु नदी-तन्त्र तथा पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी-तन्त्र।

सिन्धु नदी तन्त्र-

  1. इसका विस्तार जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब राज्यों में है।
  2. इसकी लम्बाई 2900 किलोमीटर से भी अधिक है।

गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र-

  1. गंगा नदी उत्तर प्रदेश के हिमालय क्षेत्र में गंगोत्री से निकलती है, जबकि ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल तिब्बत में सिन्धु तथा सतलुज के उद्गम के निकट है।
  2. दक्षिण में पहुंचकर ब्रह्मपुत्र नदी गंगा में मिल जाती है।

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प्रश्न 8.
उत्तर भारत के पर्वतों (हिमालय) तथा प्रायद्वीपीय भारत (दक्षिण पठार) के पर्वतों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
उत्तर भारत के पर्वत-उत्तर भारत के पर्वत नवीन वलित पर्वत हैं। ये बहुत ऊंचे हैं तथा बर्फ से ढके हुए हैं। इन पर्वतों पर वन भी हैं।
प्रायद्वीपीय भारत के पर्वत-प्रायद्वीपीय भारत के पर्वत प्राचीन पर्वतों के शेष भाग हैं। ये न तो अधिक ऊंचे हैं और न ही उन पर हिमानियां होती हैं। इन पर्वतों की ढाल तिरछी है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी भारत के विशाल मैदान पर एक नोट लिखो। इनकी रचना किस प्रकार हुई?
उत्तर-
उत्तरी भारत के विशाल मैदानों को सतलुज गंगा का मैदान भी कहा जाता है। यह मैदान हिमालय तथा दक्षिण पठार के बीच स्थित है। यह राजस्थान से असम तक फैला हुआ है। इस मैदान की रचना नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से हुई है। इसलिए यह अत्यन्त उपजाऊ है।

मैदान के भाग-इस मैदान को चार भागों में बांटा जा सकता है –
(i) पंजाब-हरियाणा का मैदान,
(ii) थार मरुस्थल का मैदान,
(iii) गंगा का मैदान तथा
(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान।

(i) पंजाब-हरियाणा का मैदान-यह मैदान मुख्य रूप से पंजाब तथा हरियाणा में फैला हुआ है। यह सतलुज तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है। इसलिए यह काफ़ी उपजाऊ है।

(ii) थार मरुस्थल का मैदान-यह मैदान पंजाब और हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्र का शुष्क भाग है। यह गुजरात की कच्छ की खाड़ी तक फैला हुआ है। अरावली पर्वत इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। यहां स्थान-स्थान पर रेत के टीले दिखाई देते हैं। इसके कुछ भाग उपजाऊ भी हैं। यहां की खारे पानी की सांभर झील बहुत ही प्रसिद्ध है। थार मरुस्थल का मैदान यमुना, राम गंगा, चम्बल, बेतवा आदि नदियों द्वारा बना है।

(iii) गंगा का मैदान-गंगा का मैदान एक महत्त्वपूर्ण मैदान है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में फैला हुआ है। यह मैदान गंगा, यमुना तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के जमा होने से बना है।।

(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान-ब्रह्मपुत्र का मैदान असम राज्य के मध्य में स्थित है। इस मैदान की रचना ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से हुई है।

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प्रश्न 2.
भारत को कितनी भौतिक इकाइयों में बांटा जा सकता है? प्रत्येक भौतिक इकाई का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
भारत एक विशाल देश है। इस देश में कहीं ऊंचे पर्वत हैं तो कहीं गहरी घाटियां हैं। कहीं समतल विस्तृत मैदान हैं, तो कहीं ऊंची-नीची पथरीली भूमि है। हम अपने देश को भौतिक रचना के आधार पर निम्नलिखित छ: इकाइयों में बांट सकते हैं –

  1. उत्तर के महान् पर्वत
  2. उत्तर के विशाल मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. भारत का महान् मरुस्थल
  6. द्वीप-समूह।

भारत का महान् मरुस्थल वास्तव में उत्तर के विशाल मैदानों का ही एक भाग है। इसलिए यहां पांच इकाइयों का वर्णन किया जा रहा है।
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1. उत्तर के महान् पर्वत-हमारे देश की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वत फैला हुआ है। हिमालय पर्वत में तीन श्रेणियां हैं। ये एक-दूसरे के समानान्तर फैली हुई हैं। इन समानान्तर श्रेणियों के मध्य में पूर्व-पश्चिम में फैली हुई कई लम्बी घाटियां हैं, जिन्हें ‘दून’ कहते हैं।

हिमालय का सबसे ऊंचा शिखर ‘माऊंट एवरेस्ट’ है। यह 8848 मीटर ऊंचा है। भारत में हिमालय का सबसे ऊंचा शिखर कंचनजंगा है। इस पर्वत की सभी ऊंची-ऊंची चोटियां बर्फ से ढकी रहती हैं। इस क्षेत्र की जलवायु अत्यन्त ठण्डी है।

2. उत्तर के विशाल मैदान-उत्तरी भारत के विशाल मैदान हिमालय पर्वतों के दक्षिण में फैले हैं। पश्चिम में रावी नदी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक इनकी लम्बाई 2500 किलोमीटर से भी अधिक है। ये मैदान रावी, ब्यास, सतलुज, गंगा और ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी से बने हैं। इसलिए इनकी गणना संसार के सबसे अधिक उपजाऊ मैदानों में की जाती है।

3. प्रायद्वीपीय पठार-भारत का प्रायद्वीपीय पठार उत्तरी मैदानों के दक्षिण में विस्तृत है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्राचीन भाग है। इस पठार को दो भागों में विभाजित किया जाता है। मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार। दक्कन का पठार लावे से बना है। इस त्रिकोणे पठार के दो मुख्य भाग हैं-मालवे का पठार तथा दक्षिणी पठार।
पश्चिम में पश्चिमी घाट तथा पूर्वी घाट इसकी सीमा बनाते हैं। यह पठार खनिज पदार्थों में बहुत ही धनी है।

4. तटीय मैदान-दक्कन के पठार के पश्चिम तथा पूर्व में तटीय मैदान फैले हैं। अरब सागर के तटीय मैदानों को पश्चिमी तटीय मैदान तथा बंगाल की खाड़ी की तटीय पट्टी को पूर्वी तटीय मैदान कहते हैं। पूर्वी तटीय मैदान पश्चिमी मैदानों की अपेक्षा अधिक चौड़े तथा समतल हैं। यहां नदियों द्वारा बनाये गये उपजाऊ डेल्टा भी हैं।

5. द्वीप-समूह-भारत में मुख्य रूप से दो द्वीप समूह हैं –
(1) लक्षद्वीप,
(2) अण्डमान-निकोबार।

(1) लक्षद्वीप समूह केरल के पश्चिम में अरब सागर में स्थित है। यह मूंगे की चट्टानों से बने छोटे-छोटे द्वीपों का एक समूह है। इनकी कुल संख्या 25 है।

(2) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह ज्वालामुखी चट्टानों से बना है। इन द्वीपों की कुल संख्या 120 है। समुद्र तट से दूर स्थित इन द्वीपों के अतिरिक्त ‘कुछ द्वीप तट के निकट भी स्थित हैं। इनमें व्हीलर, न्यूमर, दियु आदि द्वीप शामिल हैं।

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प्रश्न 3.
भारत के राजनीतिक विभाजन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भारत में 28 राज्य तथा 8 केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश जिलों में बंटे हुए हैं। भारत के राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की सूची नीचे दी गई है –

राज्य – राजधानी
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  1. हिमाचल प्रदेश – शिमला
  2. पंजाब – चण्डीगढ़
  3. हरियाणा – चण्डीगढ़
  4. उत्तर प्रदेश – लखनऊ
  5. मध्य प्रदेश – भोपाल
  6. राजस्थान – जयपुर
  7. गुजरात – गांधी नगर
  8. महाराष्ट्र – मुम्बई
  9. कर्नाटक – बंगलौर (बंगलुरू)
  10. गोवा – पणजी
  11. केरल – तिरुवनन्तपुरम्
  12. तमिलनाडु – चेन्नई
  13. आंध्र प्रदेश – अमरावती
  14. तेलंगाना – हैदराबाद
  15. उड़ीसा – भुवनेश्वर
  16. बिहार – पटना
  17. पश्चिमी बंगाल – कोलकाता
  18. सिक्किम – गंगटोक
  19. असम – दिसपुर
  20. अरुणाचल प्रदेश – इटानगर
  21. नागालैण्ड – कोहिमा
  22. मणिपुर – इम्फाल
  23. मिज़ोरम – आइज़ोल
  24. त्रिपुरा – अगरतला
  25. मेघालय – शिलांग
  26. छत्तीसगढ़ – रायपुर
  27. उत्तराखंड – देहरादून
  28. झारखण्ड – रांची

केन्द्र शासित क्षेत्र

नाम – मुख्यालय

  1. चण्डीगढ़ – चण्डीगढ़
  2. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली – दिल्ली
  3. दमन और दीव – दमन
  4. दादरा नगर हवेली – सेलवास
  5. लक्षद्वीप – कवरत्ति
  6. पुड्डुचेरी – पुड्डचेरी
  7. अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह – पोर्ट ब्लेयर
  8. जम्मू और कश्मीर – श्रीनगर
  9. लद्दाख – लेह

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संसार में भारत PSEB 6th Class Social Science Notes

  • भारत के पड़ोसी देश – उत्तर-पश्चिम में अफ़गानिस्तान तथा पाकिस्तान, उत्तर में चीन, नेपाल तथा भूटान और पूर्व में बंगलादेश तथा म्यांमार भारत के पड़ोसी देश हैं।
  • भारत के भौतिक भाग – धरातल के अनुसार भारत को 6 भागों में बांटा जा सकता है-(1) उत्तर के महान् पर्वत, (2) उत्तर के विशाल मैदान, (3) प्रायद्वीपीय पठार, (4) तटीय मैदान, (5) भारत का महान् मरुस्थल, (6) द्वीप समूह।
  • हिमालय पर्वत – ये पर्वत भारत के उत्तर में कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। ये संसार के सबसे ऊंचे पर्वत हैं। इनकी लंबाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 150 से 400 किलोमीटर तक है।
  • उत्तर के विशाल मैदान – ये मैदान हिमालय पर्वत और दक्षिणी पठार के बीच फैले हुए हैं। ये मैदान नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने हैं और बड़े ही उपजाऊ हैं।
  • प्रायद्वीपीय पठार – यह पठारी भाग भारत का सबसे प्राचीन भाग है जो पहाड़ियों से घिरा है। यह आग्नेय चट्टानों से बना है।
  • तटीय मैदान – ये मैदान पूर्वी और पश्चिमी घाट के साथसाथ फैले हुए हैं। पूर्वी तट के मैदान पश्चिमी तट के मैदानों से अधिक चौड़े हैं।
  • भारतीय द्वीप समूह – बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में अनेक भारतीय द्वीप हैं। ये समूहों के रूप में मिलते हैं। इनमें से लक्षद्वीप समूह तथा अण्डमाननिकोबार द्वीप समूह प्रमुख हैं।
  • भारत की नदियां – भारत की नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है-उत्तरी भारत की नदियां और दक्षिणी भारत की नदियां। उत्तरी भारत की नदियां सारा साल बहती हैं, परन्तु दक्षिणी भारत की नदियां केवल वर्षा ऋतु में ही बहती हैं।
  • राजनीतिक विभाजन – भारत संघ में 28 राज्य तथा 9 केन्द्र शासित क्षेत्र सम्मिलित हैं।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलों का महत्त्व

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 6 खेलों का महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 6 खेलों का महत्त्व

PSEB 7th Class Physical Education Guide खेलों का महत्त्व Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
कोई दस बड़ी और छोटी खेलों के नाम लिखो।
उत्तर-
बड़ी खेलें-

  1. फुटबाल
  2. हॉकी
  3. क्रिकेट
  4. टेबिल टेनिस
  5. खो-खो
  6. वालीबाल
  7. बास्कटबाल
  8. बैडमिन्टन
  9. कुश्ती
  10. कबड्डी।

छोटी खेलें-

  1. रूमाल उठाना
  2. कोटला छपाकी
  3. गुल्ली डण्डा
  4. लीडर ढूंढना
  5. बिल्ली -चूहा
  6. तीन-तीन या चार-चार
  7. जंग पलंगा
  8. राजे रानियां
  9. मथौला घोड़ी
  10. चक्कर वाली खो-खो।

प्रश्न 2.
मनुष्य की मूल कुशलताएं कौन-सी हैं ? इन मूल कुशलताओं से आजकल की खेलें कैसे प्रकाश में आईं ?
उत्तर-
चलना, भागना, कूदना, वृक्षों पर चढ़ना आदि मनुष्य की मूल कुशलताएं हैं। जैसे-जैसे मनुष्य के काम-धन्धों में उन्नति हुई, उसके साथ-साथ ही इन कुशलताओं के समन्वय में भी उन्नति हुई। मनुष्य ने इन क्रियाओं को जोड़कर खेलों में बदल दिया। धीरे-धीरे खेलों के वे रूप सम्पूर्ण विश्व में फैल गए।

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प्रश्न 3.
एक व्यक्ति के लिए खेलों से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
एक व्यक्ति के लिए खेलों से निम्नलिखित लाभ हैं—
1. शरीर की वृद्धि और विकास (Development and growth of Body खेलें व्यक्ति के शरीर को सुदृढ़ बनाती हैं। वे उसके शरीर में चुस्ती एवं फुर्ती लाती हैं। खेलों से मनुष्य का शारीरिक विकास होता है।

2. खाली समय का उचित प्रयोग (Proper use of leisure time) खेलों के द्वारा व्यक्ति अपने खाली समय का उचित प्रयोग कर सकता है। खेलों के कारण व्यक्ति बहुत-से बुरे कामों से बच जाता है। खेलें मन को शैतान का घर नहीं बनने देती।

3. भावनाओं पर नियन्त्रण (Full control over Emotion)-खेलों से व्यक्ति भय, क्रोध, चिन्ता, उदासी आदि भावनाओं पर नियन्त्रण करना सीखता है।

4. आज्ञा का पालन (Obedience) खेलों से व्यक्ति में आज्ञा पालन का गुण विकसित होता है।
5. सहयोग की भावना (Spirit of co-operation)-खेलों से खिलाड़ियों में आपसी सहयोग की भावना आती है।
6. समय का पालन (Punctuality)-खेलें व्यक्ति को समय का पालन करना सिखाती हैं।
7. सहनशीलता (Tolerance) खेलें सहनशीलता के गुण का विकास करती हैं।
8. आत्म-विश्वास (Self Confidence)-खेलों से व्यक्ति में आत्म-विश्वास पैदा होता है।
9. दृढ़ निश्चय (Firm Determination) खेलें व्यक्ति में दृढ़ निश्चय का विकास करती हैं।
9. प्रतियोगिता की भावना (Spirit of Competition) खेलों से खिलाड़ियों में प्रतियोगिता की भावना विकसित होती है।
10. ज़िम्मेदारी की भावना (Spirit of Responsibility) खेलों द्वारा व्यक्ति में ज़िम्मेदारी की भावना विकसित होती है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलों का महत्त्व

प्रश्न 4.
खेलों के खेलने से एक व्यक्ति में कौन-कौन से गुण विकसित होते हैं ?
उत्तर-
खेलों के गुण (Quality of Sports)-खेलें मनुष्य में निम्नलिखित गुण विकसित करती हैं—
1. अच्छा स्वास्थ्य (Gopd Health) खेलें स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। खिलाड़ियों के भागने, कूदने और उछलने से शरीर के सभी अंग ठीक प्रकार से काम करना आरम्भ कर देते हैं। दिल, फेफड़े और पाचन आदि सभी अंग ठीक प्रकार से काम करना आरम्भ कर देते हैं। मांसपेशियों में शक्ति और लचक बढ़ जाती है। जोड़ लचकदार हो जाते हैं और शरीर में चुस्ती आ जाती है। इस प्रकार खेलों से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

2. सुडौल शरीर (Conditioned Body) खेलों में खिलाड़ी को भागना पड़ता है, जिससे उसका शरीर सुडौल हो जाता है। इससे उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है।

3. संवेगों का सन्तुलन (Full Control over Emotion) संवेगों का सन्तुलन सफल जीवन के लिए आवश्यक है। यदि इस पर नियन्त्रण न रखा जाए तो क्रोध, उदासी, अहंकार मनुष्य को चक्कर में डाल कर उसके व्यक्तित्व को नष्ट करते हैं। खेलें मनुष्य का मन जीवन की उलझनों से दूर हटाती हैं, उसका मन प्रसन्न करती हैं और उसे संवेगों पर नियन्त्रण करने में सफल बनाती हैं।

4. तीव्र बुद्धि का विकास (Development of Intelligence) खेलते समय खिलाडी को हर क्षण किसी-न-किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। अड़चन या समस्या को उसी समय अपनी शक्ति के अनुसार हल करना पड़ता है। समाधान ढूंढने में तनिक भी विलम्ब हो जाने से सारे खेल का पासा पलट सकता है। इस प्रकार के वातावरण में प्रत्येक खिलाड़ी हर समय किसी-न-किसी समस्या के हल में लगा रहता है। उसे अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने का अवसर मिलता है। अतः खेलों द्वारा मनुष्य में तीव्र बुद्धि का विकास होता है।

5. चरित्र का विकास (Development of Character) खेल के समय विजयपराजय के लिए खिलाड़ियों को कई प्रकार के प्रलोभन दिए जाते हैं। अच्छे खिलाड़ी भूल कर भी इस जाल में नहीं फंसते और अपने विरोधी पक्ष के हाथों नहीं बिकते। अच्छा खिलाड़ी किसी भी छल-कपट का आश्रय नहीं लेता। इस प्रकार खेलें मनुष्य में कई चारित्रिक गुणों का विकास करती हैं।

6. इच्छा शक्ति प्रबल करती हैं (Development of Will Power) खेलों में खिलाड़ी एकाग्रचित होकर खेलता है। वह उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपनी सारी शक्ति लगा देता है और साधारणतः सफल भी हो जाता है। यही आदत उसके जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बन जाती है। इस प्रकार खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं।

7. भ्रातृ-भाव की भावना का विकास (Spirit of Brotherhood) खेलों के द्वारा भ्रातृ-भाव की भावना का विकास होता है। इसका कारण यह है कि खिलाड़ी सदा ग्रुपों में खेलता है और ग्रुप के नियमानुसार व्यवहार करता है। इससे वे एक-दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण और भाइयों जैसा व्यवहार करने लगते हैं। इस प्रकार उनका जीवन भ्रातृ प्रेम के आदर्श के अनुसार ढल जाता है।

8. नेतृत्व (Leadership)-खेलों से मनुष्य में नेतृत्व के गुणों का विकास होता है। खेलों के मैदान से ही हमें अनुशासन, आत्म संयम, आत्म त्याग और मिल-जुल कर देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले सैनिक अधिकारी प्राप्त होते हैं। इसलिए तो ड्यूक ऑफ वेलिंग्टन ने नेपोलियन को वाटरलू (Waterloo) के युद्ध में पराजित करने के पश्चात् कहा था, “वाटरलू का युद्ध हैरो के खेलों के मैदान में जीता गया।”

9. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना (International Co-operation) खेलें जातीय भेद-भाव को समाप्त करती हैं। प्रत्येक टीम में विभिन्न जातियों के खिलाड़ी होते हैं। उनके इकट्ठे मिलने-जुलने और टीम के लिए एक जुट होकर संघर्ष करने की भावना के कारण जाति-पाति की दीवारें ढह जाती हैं और सादा जीवन में विशाल दृष्टिकोण हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देश के खिलाड़ियों से खेलते हैं और उनसे मिलते-जुलते हैं। इस प्रकार उनमें मित्रता की भावना बढ़ जाती है। अत: खेलें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना का विकास करती हैं।

10. प्रतियोगिता और सहयोग (Competition and Co-operation)-प्रतियोगिता ही उन्नति का आधार है और सहयोग महान् प्राप्तियों का साधन। विजय प्राप्त करने के लिए टीमें एड़ी-चोटी का जोर लगा देती हैं, परन्तु मैच जीतने के लिए सभी खिलाड़ियों के सहयोग की आवश्यकता होती है। किसी भी एक खिलाड़ी के प्रयत्नों से मैच नहीं जीता जा सकता। अतः प्रतियोगिता और सहयोग की भावनाओं का विकास करने के लिए खेलें बहुत उपयोगी हैं।

इनके अतिरिक्त खेलों से मनुष्य में आत्म-विश्वास एवं उत्तरदायित्व निभाने के गुणों का भी विकास होता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलों का महत्त्व

प्रश्न 5.
एक राष्ट्र को खेलों से क्या लाभ होते हैं ?
उत्तर-
एक राष्ट्र को खेलों से निम्नलिखित लाभ होते हैं—
1. राष्ट्रीय एकता (National Unity) खेलों द्वारा राष्ट्रीय एकता का विकास होता है। एक राज्य के खिलाड़ी दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों से खेलने के लिए आते-जाते रहते हैं। उनके परस्पर समन्वय से राष्ट्रीय भावना उत्पन्न होती है।

2. सीमाओं की रक्षा (Full Protection of the Border of the Country)खेलों में भाग लेने से प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहता है। इस प्रकार स्वस्थ जाति का निर्माण होता है। एक स्वस्थ जाति ही अपनी सीमाओं की अच्छी तरह रक्षा कर सकती है।

3. अच्छे और अनुभवी नेता (Good and Experienced Leader) खेलों के द्वारा अच्छे नेता पैदा होते हैं क्योंकि खेल के मैदान में बालकों को नेतृत्व के बहुत-से अवसर मिलते हैं। खेलों के ये नेता बाद में अच्छी तरह से अपने देश की बागडोर सम्भालते हैं।

4. अच्छे नागरिक (Good Citizen)-खेलें बालकों में आज्ञा पालन, नियम पालन, ज़िम्मेदारी निभाना, आत्म-विश्वास, सहयोग आदि के गुणों का विकास करती हैं। इन गुणों से युक्त व्यक्ति श्रेष्ठ नागरिक बन जाता है। श्रेष्ठ और अच्छे नागरिक ही देश की बहुमूल्य सम्पत्ति होते हैं।

5. अन्तर्राष्ट्रीय भावना (International Brotherhood)-एक देश की टीमें दूसरे देशों में मैच खेलने जाती हैं। इससे दोनों देशों के खिलाड़ियों में मित्रता और सूझबूझ बढ़ती है जिससे परस्पर भेद-भाव मिट जाते हैं। इस प्रकार उनमें अन्तर्राष्ट्रीय भावना विकसित होती है। अन्तर्राष्ट्रीय भावना के विकास से शान्ति स्थापित होती है।

Physical Education Guide for Class 7 PSEB खेलों का महत्त्व Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पहले-पहल मनुष्य किस प्रकार का जीवन व्यतीत करता था ?
उत्तर-
जंगली जीवन।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलों का महत्त्व

प्रश्न 2.
खेलों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
दो।

प्रश्न 3.
भारतीय (या देशीय) खेलें कौन-सी हैं ?
उत्तर-
कुश्ती, कबड्डी तथा खो-खो।

प्रश्न 4.
बच्चे की प्राकृतिक और मन-पसंद क्रिया क्या है ?
उत्तर-
खेल।

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प्रश्न 5.
हम में जिम्मेवारी की भावना, सहनशीलता, दृढ़ निश्चय, आत्म-विश्वास और प्रतियोगिता की भावना कैसे पैदा हो सकती है ?
उत्तर-
खेलों के द्वारा।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शारीरिक क्रियाओं का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
प्रत्येक मनुष्य बचपन से ही कोई-न-कोई शारीरिक क्रिया शुरू कर लेता है। शारीरिक क्रिया मनुष्य की एक प्राथमिक आवश्यकता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे उस की शारीरिक क्रियाओं की संख्या भी बढ़ती जाती है। शारीरिक क्रियाओं को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है-प्राकृतिक क्रियाएं और औपचारिक क्रियाएं।
खेलें औपचारिक क्रियाओं में आती हैं। खेलों से मनुष्य शारीरिक तथा मानसिक पक्ष से स्वस्थ रहता है।

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प्रश्न 2.
खेलों की अन्तर्राष्ट्रीय विशेषता क्या है ?
उत्तर-
एक राष्ट्र की टीम दूसरे राष्ट्र में खेलने के लिए जाती है। इस प्रकार देशों में मित्रता बढ़ती है और अन्तर्राष्ट्रीय भावना उत्पन्न होती है। इस अन्तर्राष्ट्रीय भावना के द्वारा देशों के परस्पर वैर-विरोध मिट कर विश्व में शान्ति स्थापित होती जा रही है। इस प्रकार खेलें एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य से, एक प्रान्त को दूसरे प्रान्त से और एक देश को दूसरे देश से मिलाती हैं।

प्रश्न 3.
खेलों की राष्ट्रीय विशेषता का वर्णन करो।
उत्तर-
खेलों में भाग लेने से बच्चों में समय का पालन करने, नियमपूर्वक काम करने, अपनी ज़िम्मेदारी निभाने, दूसरों की सहायता करने और स्वयं की रक्षा करने आदि अच्छे कामों की सिखलाई मिलती है। इससे बच्चे स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट और प्रसन्न चित्त रहेंगे। इससे. समूचे राष्ट्र को बल मिलेगा। कोई भी राष्ट्र निजी व्यक्तियों के समूह से ही बनता है। बच्चे राष्ट्र के भावी नागरिक होते हैं। खेलें किसी देश को स्वस्थ एवं अच्छे नागरिक प्रदान करती हैं। अत: यदि किसी राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अच्छा हो, तो, राष्ट्र अपने आप ही अच्छा बन जाएगा। इस प्रकार खेलों का किसी राष्ट्र के लिए विशेष महत्त्व है। खेलों से राष्ट्रीय एकता की भावना मज़बूत होती है।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध : कारण, परिणाम तथा पंजाब का विलय

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 23 द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध : कारण, परिणाम तथा पंजाब का विलय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 23 द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध : कारण, परिणाम तथा पंजाब का विलय

निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

द्वितीय एंग्लो-सिरव युद्ध के कारण (Causes of the Second Anglo-Sikh War)

प्रश्न 1.
उन परिस्थितियों का वर्णन करो जिनके कारण द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध हुआ। इस युद्ध के लिए अंग्रेज़ कहाँ तक उत्तरदायी थे ?
(Discuss the circumstances leading to the Second Anglo-Sikh War. How far were the British responsible for it ?)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के मुख्य कारण क्या थे ? ।
(What were the main causes of Second Anglo-Sikh War ?)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के महत्त्वपूर्ण कारणों की व्याख्या करें। (Explain the important causes of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध के कारण लिखें।
(Write the reasons of Second Anglo-Sikh War.)
उत्तर-
प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध में अंग्रेजों की विजय हई और सिखों को पराजय का सामना करना पड़ा। अंग्रेज़ों द्वारा सिखों के साथ किया गया अपमानजनक व्यवहार और थोपी गई संधियों से सिखों में रोष भड़क उठा। इसका परिणाम द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध के रूप में सामने आया। इस युद्ध के मुख्य कारण निम्नलिखित थे—

1. सिखों की अपनी पराजय का प्रतिशोध लेने की इच्छा (Sikh desire to avenge their defeat in the First Anglo-Sikh War)—यह सही है कि अंग्रेजों के साथ प्रथम युद्ध में सिख पराजित हो गए थे, परंतु इससे उनका साहस किसी प्रकार कम नहीं हुआ था। इस पराजय का मुख्य कारण सिख नेताओं लाल सिंह तथा तेजा सिंह द्वारा की गई गद्दारी थी। सिख सैनिकों को अपनी योग्यता पर पूर्ण विश्वास था। वे अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहते थे। उनकी यह प्रबल इच्छा द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध का एक मुख्य कारण बनी।

2. लाहौर तथा भैरोवाल की संधियों से पंजाबी असंतुष्ट (Punjabis were dissatisfied with the Treaties of Lahore and Bhairowal)-अंग्रेज़ों तथा सिखों के बीच हुए प्रथम युद्ध के पश्चात् अंग्रेज़ों ने लाहौर दरबार के साथ लाहौर तथा भैरोवाल नामक दो संधियाँ कीं। इन संधियों द्वारा जालंधर दोआब जैसे प्रसिद्ध उपजाऊ प्रदेश को अंग्रेजों ने अपने अधिकार में ले लिया था। कश्मीर के क्षेत्र को अंग्रेजों ने अपने मित्र गुलाब सिंह के सुपुर्द कर दिया था। पंजाब के लोग महाराजा रणजीत सिंह के अथक प्रयासों से निर्मित साम्राज्य का विघटन होता देख सहन नहीं कर सकते थे। इसलिए सिखों को अंग्रेजों से एक और युद्ध लड़ना पड़ा।

3. सिख सैनिकों में असंतोष (Resentment among the Sikh Soldiers) लाहौर की संधि के अनुसार अंग्रेजों ने खालसा सेना की संख्या 20,000 पैदल तथा 12,000 घुड़सवार निश्चित कर दी थी। इस कारण हजारों की संख्या में सिख सैनिकों को नौकरी से हटा दिया गया था। इससे इन सैनिकों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष उत्पन्न हो गया तथा वे अंग्रेजों के साथ युद्ध की तैयारियाँ करने लगे।

4. महारानी जिंदां से दुर्व्यवहार (Harsh Treatment with Maharani Jindan)-अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह की विधवा महारानी जिंदां से जो अपमानजनक व्यवहार किया, उसने सिखों में अंग्रेजों के प्रति व्याप्त रोष को और भड़का दिया। महारानी जिंदां को अंग्रेज़ों ने लाहौर की संधि द्वारा अवयस्क महाराजा दलीप सिंह की संरक्षक माना था। परंतु अंग्रेजों ने भैरोवाल की संधि के द्वारा महारानी के समस्त अधिकार छीन लिए। 1847 ई० में अंग्रेजों ने महारानी को शेखूपुरा के दुर्ग में नज़रबंद कर दिया। 1848 ई० में महारानी जिंदां को देश निकाला देकर बनारस भेज दिया। महारानी जिंदां के साथ किए गए दुर्व्यवहार के कारण समूचे पंजाब में अंग्रेजों के प्रति रोष की लहर दौड़ गई।

5. दीवान मूलराज का विद्रोह (Revolt of Diwan Moolraj)-द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध को आरंभ करने में मुलतान के दीवान मूलराज के विद्रोह को विशेष स्थान प्राप्त है। 1844 ई० में मूलराज को मुलतान का नया नाज़िम बनाया गया। परंतु अंग्रेजों की गलत नीतियों के कारण दिसंबर, 1847 ई० को दीवान मूलराज ने अपना त्याग-पत्र दे दिया। 1848 ई० में सरदार काहन सिंह को मुलतान का नया नाज़िम नियुक्त किया गया। मूलराज से चार्ज लेने के लिए काहन सिंह के साथ दो अंग्रेज़ अधिकारियों वैनस एग्नयू तथा एंड्रसन को भेजा गया। मूलराज ने उनका स्वागत किया किन्तु मूलराज के कुछ सिपाहियों ने 20 अप्रैल, 1848 ई० को आक्रमण करके उनकी हत्या कर दी तथा काहन सिंह को बंदी बना लिया। उनकी हत्या के लिए मूलराज को दोषी ठहराया गया। इस कारण उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का ध्वज उठा लिया। भारत का गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी ऐसे ही अवसर की प्रतीक्षा में था। वह चाहता था कि यह विद्रोह अधिक भड़क उठे तथा उसे पंजाब पर अधिकार करने का अवसर मिल जाए। डॉक्टर कृपाल सिंह के अनुसार,
“वह चिंगारी जिसने अग्नि प्रज्वलित की तथा जिसमें पंजाब का स्वतंत्र राज्य जलकर भस्म हो गया, मुलतान से उठी थी।”1

6. चतर सिंह का विद्रोह (Revolt of Chattar Singh)-सरदार चतर सिंह अटारीवाला हज़ारा का नाज़िम था। उसके एक सिपाही ने एक अंग्रेज़ अधिकारी कर्नल कैनोरा की उसके द्वारा चतर सिंह को अपमानित करने के कारण हत्या कर दी। इस पर अंग्रेजों ने सरदार चतर सिंह को पदच्युत कर दिया तथा उसकी जागीर ज़ब्त कर ली। इस कारण चतर सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा कर दी। परिणामस्वरूप चारों ओर विद्रोह की अग्नि फैल गई।

7. शेर सिंह का विद्रोह (Revolt of Sher Singh)—शेर सिंह सरदार चतर सिंह का पुत्र था। जब शेर सिंह को अपने पिता के विरुद्ध किए गए अंग्रेज़ों के दुर्व्यवहार का पता चला तो उसने भी 14 सितंबर, 1848 ई० को अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा कर दी। उसकी अपील पर कई सिख सिपाही उसके ध्वज तले एकत्रित हो गए।

8. लॉर्ड डल्हौज़ी की नीति (Policy of Lord Dalhousie)-जनवरी, 1848 ई० में लॉर्ड डलहौज़ी भारत का नया गवर्नर-जनरल बना था। उसने लैप्स की नीति द्वारा भारत की बहुत-सी रियासतों को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था। केवल पंजाब ही एक ऐसा राज्य था, जिसे अभी तक अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित नहीं किया जा सका था। वह किसी स्वर्ण अवसर की तलाश में था। यह अवसर उसे दीवान मूलराज, चतर सिंह तथा शेर सिंह द्वारा किए गए विद्रोहों से मिला।

जब पंजाब में विद्रोह की आग भड़कती दिखाई दी तो लॉर्ड डलहौज़ी ने विद्रोहियों के विरुद्ध कार्यवाई करने का आदेश दिया। अंग्रेज़ कमांडर-इन-चीफ लॉर्ड ह्यूग गफ 16 नवंबर को सेना लेकर शेर सिंह का सामना करने के लिए चनाब नदी की ओर चल पड़ा।

1. “The spark which arose from Multan kindled the conflagration and reduced the sovereign state of the Punjab to ashes” Dr. Kirpal Singh, History and Culture of the Punjab (Patiala : 1978) Vol. 3, p. 80..

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युद्ध की घटनाएं (Events of the War)

प्रश्न 2.
अंग्रेज़ों तथा सिखों के मध्य हुए दूसरे युद्ध की घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन करें। . (Discuss in brief the events of the Second Anglo-Sikh War.)
उत्तर-
अंग्रेज़ों की कुटिल नीतियों ने अंग्रेज़-सिख संबंधों को एक और युद्ध के कगार पर ला के खड़ा कर दिया। मूलराज, चतर सिंह तथा शेर सिंह के विद्रोह को देखते हुए लॉर्ड डलहौज़ी ने लॉर्ड ह्यूग गफ को सिखों का दमन करने के लिए भेजा। परिणामस्वरूप, दूसरा ऐंग्लो-सिख युद्ध आरंभ हो गया। इस युद्ध की मुख्य घटनाएँ निम्नलिखित थीं—

1. रामनगर की लड़ाई (Battle of Ramnagar)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की पहली लड़ाई 22 नवंबर, 1848 ई० को रामनगर के स्थान पर हुई। अंग्रेजी सेना का नेतृत्व लॉर्ड ह्यूग गफ़ कर रहा था। उसके अधीन 20,000 सैनिक थे। सिख सेनाओं का नेतृत्व शेर सिंह कर रहा था। उसके साथ 15,000 सैनिक थे। सिंखों के आक्रमण ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। इस लड़ाई से लॉर्ड गफ को पता चला कि सिखों का सामना करना कोई सहज काम नहीं है।

2. चिल्लियाँवाला की लड़ाई (Battle of Chillianwala)—चिल्लियाँवाला की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी। यह 13 जनवरी, 1849 ई० को लड़ी गई थी। जब लॉर्ड ह्यूग गफ़ को यह सूचना मिली कि चतर सिंह अपने सैनिकों सहित शेर सिंह की सहायता को पहुँच रहा है तो उसने 13 जनवरी को शेर सिंह के सैनिकों पर आक्रमण कर दिया। यह लड़ाई बहुत भयानक थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ी सेना के 695
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MAHARAJA DALIP SINGH
सैनिक, जिनमें 132 अफ़सर भी मारे गए। अंग्रेजों की चार तोपें भी सिखों के हाथ लगीं। सीताराम कोहली के अनुसार,
“जब से भारत पर अंग्रेज़ों ने अधिकार किया था, चिल्लियाँवाला की लड़ाई में यह उनकी सबसे कड़ी पराजय थी।”2

3. मुलतान की लड़ाई (Battle of Multan)—मुलतान में दीवान मूलराज के विद्रोह करने के बाद शेर सिंह । उसके साथ जा मिला था। अंग्रेजों ने एक चाल चली। उन्होंने नकली पत्र लिखकर शेर सिंह तथा मूलराज में भाँति उत्पन्न कर दी। परिणामस्वरूप, शेर सिंह ने मूलराज का साथ छोड़ दिया। दिसंबर, 1848 ई० में जनरल विश ने मुलतान के किले को घेरा डाल दिया। अंग्रेज़ों की ओर से फेंका गया एक गोला भीतर रखे बारूद पर जा गिरा। इस कारण बहुत-सा बारूद नष्ट हो गया तथा मूलराज के 500 सैनिक भी मारे गए। इस भारी क्षति के कारण मूलराज के लिए युद्ध जारी रखना बहुत कठिन हो गया। अंततः विवश होकर 22 जनवरी, 1849 ई० को मूलराज ने अंग्रेजों के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया। मुलतान की इस विजय से चिल्लियाँवाला में अंग्रेजों का जो अपमान हुआ था, उसकी काफ़ी सीमा तक पूर्ति हो गई।

4. गुजरात की लड़ाई (Battle of Gujarat)—गुजरात की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो -सिख युद्ध की सबसे महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक लड़ाई थी। इस लड़ाई में चतर सिंह तथा भाई महाराज सिंह शेर सिंह की सहायता के लिए आ गए। अफ़गानिस्तान के बादशाह दोस्त मुहम्मद खाँ ने भी सिखों की सहायता के लिए 3,000 घुडसवार सेना भेजी। सिख सेना की संख्या 40,000 थी। दूसरी ओर अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व लॉर्ड गफ ही कर रहा था। अंग्रेज़ों इतिहास में तोपों की लड़ाई के नाम से विख्यात है।

यह लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को हुई थी। सिखों की तोपों का बारूद शीघ्र ही समाप्त हो गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी तोपों से सिख सेनाओं पर भारी आक्रमण कर दिया। इस लड़ाई में सिख सेना को भारी क्षति पहुँची। उनके 3,000 से 5,000 तक सैनिक इस लड़ाई में मारे गए। इस लड़ाई के पश्चात् सिख सैनिकों में भगदड़ मच गई। 10 मार्च, 1849 ई० को चतर सिंह, शेर सिंह ने रावलपिंडी के निकट जनरल गिल्बर्ट के सम्मुख हथियार डाल दिए। प्रसिद्ध इतिहासकार पतवंत सिंह के अनुसार,
“इस प्रकार द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध का अंत हुआ तथा इसके साथ रणजीत सिंह के गौरवशाली साम्राज्य पर पर्दा पड़ गया।”3

2. “Chillianwala was the worst defeat the British had suffered since their occupation of India.” Sita Ram Kohli, Sunset of the Sikh Empire (Bombay : 1967) p. 175.
3. “Thus ended the Second Sikh War, and with it the curtain came down on Ranjit Singh’s proud empire.” Patwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1999) p. 172.

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युद्ध के परिणाम (Consequences of the War)

प्रश्न 3.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिए। (Discuss the main results of the Second Anglo-Sikh War.)
उत्तर-
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के बड़े दूरगामी परिणाम निकले। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का अंत (End of the Empire of Maharaja Ranjit Singh)दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का पूर्णतः अंत हो गया। अंतिम सिख महाराजा दलीप सिंह को सिंहासन से उतार दिया गया। उसे पंजाब को छोड़कर देश के किसी भी भाग में रहने की छूट दी गई। लाहौर दरबार की समस्त संपत्ति पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। विख्यात कोहेनूर हीरा दलीप सिंह से लेकर महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया। कुछ समय के पश्चात् महाराजा दलीप सिंह को इंग्लैंड भेज दिया गया। 1893 ई० में उनकी पेरिस में मृत्यु हो गई।

2. सिख सेना भंग कर दी गई (Sikh Army was Disbanded)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के पश्चात् सिख सेना को भी भंग कर दिया गया। अधिकाँश सिख सैनिकों को कृषि व्यवसाय में लगाने का प्रयत्न किया गया। कुछ को ब्रिटिश-भारतीय सेना में भर्ती कर लिया गया।

3. दीवान मूल राज तथा भाई महाराज सिंह को निष्कासन का दंड (Banishment of Diwan Moolraj and Bhai Maharaj Singh)-दीवान मूलराज को पहले मृत्यु दंड दिया गया था। बाद में इसे काले पानी की सज़ा में बदल दिया गया। परंतु उनकी 11 अगस्त, 1851 ई० को कलकत्ता (कोलकाता) में मृत्यु हो गई। भाई महाराज सिंह को पहले इलाहाबाद तथा बाद में कलकत्ता (कोलकाता) के बंदीगृह में रखा गया। तत्पश्चात् उसे सिंगापुर जेल भेज दिया गया जहाँ 5 जुलाई, 1856 ई० को उसकी मृत्यु हो गई।

4. चतर सिंह तथा शेर सिंह को दंड (Punishment to Chattar Singh and Sher Singh)-अंग्रेज़ों ने स० चतर सिंह तथा उसके पुत्र शेर सिंह को बंदी बना लिया था। उन्हें पहले इलाहाबाद तथा बाद में कलकत्ता (कोलकाता) की जेलों में रखा गया। 1854 ई० में सरकार ने उन दोनों को मुक्त कर दिया।

5. पंजाब के लिए नया प्रशासन (New Administration for the Punjab)-पंजाब के अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब का प्रशासन चलाने के लिए प्रशासनिक बोर्ड की स्थापना की। यह 1849 ई० से 1853 ई० तक बना रहा। अंग्रेज़ों ने पंजाब की प्रशासनिक संरचना में कई परिवर्तन किए। उत्तर-पश्चिमी सीमा को अधिक सुरक्षित बनाया गया। न्याय व्यवस्था को अधिक सुलभ बनाया गया। पंजाब में सड़कों तथा नहरों का जाल बिछा दिया गया। कृषि को प्रोत्साहन दिया गया। जागीरदारी प्रथा समाप्त कर दी गई। व्यापार वृद्धि के प्रयत्न किए गए। पंजाब में पश्चिमी-ढंग की शिक्षा प्रणाली आरंभ की गई। इन सुधारों ने पंजाबियों के दिलों को जीत लिया। परिणामस्वरूप वे 1857 के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार रहे।

6. पंजाब की रियासतों से मित्रता का व्यवहार (Friendly attitude towards Princely States of the Punjab)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पटियाला, नाभा, जींद, मालेरकोटला, फरीदकोट तथा कपूरथला की रियासतों ने अंग्रेज़ों का साथ दिया था। अंग्रेजों ने इनसे मित्रता बनाए रखी तथा इन रियासतों को अंग्रेज़ी राज्य में सम्मिलित न किया गया।

प्रश्न 4.
अंग्रेज़ों तथा सिखों के मध्य हुए दूसरे युद्ध के कारणों तथा परिणामों का वर्णन करें।
(Discuss the causes and results of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के कारण तथा परिणामों का वर्णन करें। (What were the causes and results of the 2nd Anglo-Sikh War ? Explain.)
उत्तर-
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के बड़े दूरगामी परिणाम निकले। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का अंत (End of the Empire of Maharaja Ranjit Singh)दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का पूर्णतः अंत हो गया। अंतिम सिख महाराजा दलीप सिंह को सिंहासन से उतार दिया गया। उसे पंजाब को छोड़कर देश के किसी भी भाग में रहने की छूट दी गई। लाहौर दरबार की समस्त संपत्ति पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। विख्यात कोहेनूर हीरा दलीप सिंह से लेकर महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया। कुछ समय के पश्चात् महाराजा दलीप सिंह को इंग्लैंड भेज दिया गया। 1893 ई० में उनकी पेरिस में मृत्यु हो गई।

2. सिख सेना भंग कर दी गई (Sikh Army was Disbanded)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के पश्चात् सिख सेना को भी भंग कर दिया गया। अधिकाँश सिख सैनिकों को कृषि व्यवसाय में लगाने का प्रयत्न किया गया। कुछ को ब्रिटिश-भारतीय सेना में भर्ती कर लिया गया।

3. दीवान मूल राज तथा भाई महाराज सिंह को निष्कासन का दंड (Banishment of Diwan Moolraj and Bhai Maharaj Singh)-दीवान मूलराज को पहले मृत्यु दंड दिया गया था। बाद में इसे काले पानी की सज़ा में बदल दिया गया। परंतु उनकी 11 अगस्त, 1851 ई० को कलकत्ता (कोलकाता) में मृत्यु हो गई। भाई महाराज सिंह को पहले इलाहाबाद तथा बाद में कलकत्ता (कोलकाता) के बंदीगृह में रखा गया। तत्पश्चात् उसे सिंगापुर जेल भेज दिया गया जहाँ 5 जुलाई, 1856 ई० को उसकी मृत्यु हो गई।

4. चतर सिंह तथा शेर सिंह को दंड (Punishment to Chattar Singh and Sher Singh)-अंग्रेज़ों ने स० चतर सिंह तथा उसके पुत्र शेर सिंह को बंदी बना लिया था। उन्हें पहले इलाहाबाद तथा बाद में कलकत्ता (कोलकाता) की जेलों में रखा गया। 1854 ई० में सरकार ने उन दोनों को मुक्त कर दिया।

5. पंजाब के लिए नया प्रशासन (New Administration for the Punjab)-पंजाब के अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब का प्रशासन चलाने के लिए प्रशासनिक बोर्ड की स्थापना की। यह 1849 ई० से 1853 ई० तक बना रहा। अंग्रेज़ों ने पंजाब की प्रशासनिक संरचना में कई परिवर्तन किए। उत्तर-पश्चिमी सीमा को अधिक सुरक्षित बनाया गया। न्याय व्यवस्था को अधिक सुलभ बनाया गया। पंजाब में सड़कों तथा नहरों का जाल बिछा दिया गया। कृषि को प्रोत्साहन दिया गया। जागीरदारी प्रथा समाप्त कर दी गई। व्यापार वृद्धि के प्रयत्न किए गए। पंजाब में पश्चिमी-ढंग की शिक्षा प्रणाली आरंभ की गई। इन सुधारों ने पंजाबियों के दिलों को जीत लिया। परिणामस्वरूप वे 1857 के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार रहे।

6. पंजाब की रियासतों से मित्रता का व्यवहार (Friendly attitude towards Princely States of the Punjab)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पटियाला, नाभा, जींद, मालेरकोटला, फरीदकोट तथा कपूरथला की रियासतों ने अंग्रेज़ों का साथ दिया था। अंग्रेजों ने इनसे मित्रता बनाए रखी तथा इन रियासतों को अंग्रेज़ी राज्य में सम्मिलित न किया गया।

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पंजाब का विलय (Annexation of the Punjab)

प्रश्न 5.
“पंजाब का विलय एक घोर विश्वासघात था।” संक्षिप्त व्याख्या करें।
(“Annexation of the Punjab was a violent breach of trust.” Discuss briefly.)
अथवा
लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा पंजाब विलय का आलोचनात्मक वर्णन करें।
(Explain critically Lord Dalhousie’s annexation of Punjab.)
अथवा
“लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा पंजाब का अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय सिद्धांतहीन तथा अनुचित था।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने पक्ष में तर्क दें।
(“The annexation of Punjab by Lord Dalhousie to the British Empire was unprincipled and unjustified.” Do you agree to this view ? Give arguments in your favour.)
उत्तर-
लॉर्ड डलहौज़ी भारत में 1848 ई० में गवर्नर-जनरल बनकर आया था। वह भारत के गवर्नर-जनरलों में सबसे बड़ा साम्राज्यवादी था। पंजाब को भी उसकी साम्राज्यवादी नीति का शिकार होना पड़ा। 29 मार्च, 1849 ई० को लाहौर को अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल करने की घोषणा की गई। इसके पश्चात् लाहौर दुर्ग से सिखों का झंडा उतार दिया गया तथा अंग्रेज़ों का झंडा फहराया गया। इस प्रकार पंजाब के सिख राज्य का अंत हो गया।
I. डलहौज़ी की विलय की नीति के पक्ष में तर्क (Arguments in favour of Dalhousie’s Policy of Annexation)
डब्ल्यू डब्ल्यू० हंटर, मार्शमेन तथा एस० एम० लतीफ आदि इतिहासकारों ने लॉर्ड डलहौजी द्वारा पंजाब के अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए हैं—

1. सिखों ने वचन भंग किया (Sikhs had broken their Promises)-लॉर्ड डलहौज़ी ने यह आरोप लगाया कि सिखों ने भैरोवाल संधि की शर्ते भंग की। सिख सरदारों ने यह वचन दिया था कि वे अंग्रेज़ रेजीडेंट को पूर्ण सहयोग देंगे। परंतु उन्होंने राज्य में अशाँति तथा विद्रोह भड़काने का प्रयत्न किया। लॉर्ड डलहौज़ी ने दीवान मूलराज के विद्रोह को पूरी सिख जाति का विद्रोह बताया। उसके अनुसार यह विद्रोह सिख राज्य की स्थापना के लिए किया गया था। सरतार चतर सिंह तथा उसके पुत्र शेर सिंह ने विद्रोह करके मूलराज का साथ दिया। इस प्रकार बिगड़ रही परिस्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए पंजाब का अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय आवश्यक था। इसी कारण लॉर्ड डलहौज़ी ने कहा था,
“निस्संदेह मुझे यह पक्का विश्वास है कि मेरी कार्यवाई समयानुसार, न्यायपूर्ण तथा आवश्यक थी।”4

2. पंजाब अच्छा मध्यवर्ती राज्य न रहा (Punjab remained no more a useful Buffer State)लॉर्ड हार्डिंग का विचार था कि पंजाब एक लाभप्रद मध्यवर्ती राज्य प्रमाणित होगा। इससे ब्रिटिश राज्य को अफ़गानिस्तान की ओर से किसी ख़तरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। परंतु उनका यह विचार गलत प्रमाणित हुआ क्योंकि सिखों तथा अफ़गानों में मित्रता स्थापित हो गई। इसीलिए लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित करना आवश्यक समझा।

3. ऋण न लौटाना (Non-payment of the Loans)-लॉर्ड डलहौज़ी ने यह आरोप लगाया कि भैरोवाल की संधि की शर्तों के अनुसार लाहौर दरबार ने अंग्रेज़ों को 22 लाख रुपए वार्षिक देने थे। परंतु लाहौर दरबार ने एक पाई भी अंग्रेज़ों को न दी। इसलिए पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में सम्मिलित करना उचित था।

4. पंजाब पर अधिकार करना लाभप्रद था (It was advantageous to annex Punjab)-प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध में विजय के पश्चात् अंग्रेज़ों का मत था कि आर्थिक दृष्टि से पंजाब कोई लाभप्रद प्राँत नहीं है। परंतु पंजाब में दो वर्ष तक रह कर उन्हें ज्ञात हो गया कि यह राज्य तो कई दृष्टियों से भी अंग्रेजों के लिए लाभप्रद प्रमाणित हो सकता है। इन कारणों से लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को हड़प करने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

5. पंजाब के लोगों के लिए लाभप्रद (Advantageous for the people of Punjab) लॉर्ड डलहौज़ी . का पंजाब पर अधिकार करना पंजाब के लोगों के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ। महाराजा रणजीत सिंह के बाद लाहौर दरबार षड्यंत्रों का अखाड़ा बन चुका था। ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर चोरों, डाकुओं तथा ठगों ने अपना धंधा जोरों से शुरू कर दिया था। अंग्रेज़ों ने पंजाब का अपने राज्य में विलय करके वहाँ फिर से शाँति स्थापित की। पुलिस तथा न्याय प्रणाली को अधिक कुशल बनाया गया। कृषि तथा व्यापार को प्रोत्साहन दिया गया। पंजाब में सड़कों तथा नहरों का जाल बिछाया गया। लोगों को पश्चिमी शिक्षा देने की व्यवस्था की गई।

6. पंजाब का अधिकार आवश्यक था (Annexation of the Punjab was Inevitable)-यह कहा जाता है कि यदि पंजाब का विलय न किया जाता तो सिखों ने अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र रचते रहना था। इसका प्रभाव भारत के अन्य भागों में भी पड़ सकता था। इसलिए लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना आवश्यक समझा।

4. “I have an undoubting conviction of the expediency, the justice and necessity of my act.”. Lord Dalhousie.

II. डलहौज़ी की विलय की नीति के विरुद्ध तर्क (Arguments against Dalhousie’s Policy of Annexation)
ईवांज बैल, जगमोहन महाजन, गंडा सिंह और खुशवंत सिंह आदि इतिहासकारों द्वारा लॉर्ड डलहौजी द्वारा पंजाब के विलय के विरुद्ध निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं—

1. सिखों को विद्रोह के लिए भड़काया (Sikhs were Provoked to Revolt)—प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध के बाद बहुत-सी ऐसी घटनाएँ घटीं जिन्होंने सिखों को विद्रोह के लिए भड़काया। लाहौर की संधि के अनुसार पंजाब के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्र अंग्रेज़ों ने छीन लिए थे। परिणामस्वरूप उसके कोष पर कुप्रभाव पड़ा। लाहौर दरबार की अधिकाँश सेना को भंग कर दिया गया। अंग्रेज़ों ने महारानी जिंदां से बहुत बुरा व्यवहार किया। उन्होंने दीवान मूलराज तथा सरदार चतर सिंह को विद्रोह के लिए भड़काया। परिणामस्वरूप सिखों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए विवश किया गया।

2. विद्रोह समय पर न दबाया गया (Revolt was not suppressed in Time)-जब मुलतान में विद्रोह की आग भड़की तो उस पर तुरंत नियंत्रण न किया गया। आठ माह तक विद्रोह फैलने देना, एक गहरी राजनीतिक चाल थी। इसी मध्य चतर सिंह, शेर सिंह तथा महाराज सिंह ने विद्रोह कर दिया था। इस तरह अंग्रेज़ों को पंजाब में सैनिक कार्यवाही करने का बहाना मिल गया तथा पंजाब को हड़प लिया गया।

3. अंग्रेजों ने संधि की शर्ते पूरी न की (British had not fulfilled the terms of the Treaty)अंग्रेज़ों का कहना था कि उन्होंने संधि की शर्ते पूरी की हैं। परंतु अंग्रेज़ों ने संधि की केवल वही शर्ते पूरी की जो उनके लिए लाभप्रद थीं। उदाहरणतया लाहौर की संधि के अनुसार अंग्रेजों ने यह शर्त मानी थी कि वे दिसंबर, 1846 ई० के पश्चात् लाहौर से अपनी सेनाएँ हटा लेंगे। जब यह समय आया तो उन्होंने भैरोवाल की संधि अनुसार इस अवधि में वृद्धि कर दी। इस प्रकार हम देखते हैं कि अंग्रेज़ों का यह कहना कि उन्होंने संधि की शर्तों को पूरा किया, नितांत झूठ है।

4. लाहौर दरबार ने संधि की शर्ते पूरी करने में पूर्ण सहयोग दिया (Lahore Darbar gave full Cooperation in fulfilling the terms of the Treaty)-लाहौर दरबार ने तो पंजाब पर अंग्रेज़ों का अधिकार होने तक संधि की शर्ते पूरी निष्ठा से पूरी की। लाहौर सरकार पंजाब में रखी गई अंग्रेजी सेना का पूरा खर्च दे रही थी। उसने दीवान मूलराज, चतर सिंह और शेर सिंह द्वारा की गई बगावतों की निंदा की और इनके दमन में अंग्रेज़ी सेना को पूर्ण सहयोग दिया।

5. ऋण के संबंध में वास्तविकता (Facts about Loans) लॉर्ड डलहौज़ी का यह आरोप कि लाहौर दरबार ने ऋण की एक पाई भी वापिस नहीं की, तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है। लाहौर में अंग्रेज़ रेजीडेंट फ्रेडरिक करी ने लॉर्ड डलहौजी को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि लाहौर दरबार ने 13,56,837 रुपए मूल्य का सोना जमा करवा दिया है। यदि लाहौर दरबार ने अपना सारा ऋण नहीं लौटाया तो इसका उत्तरदायित्व अंग्रेज़ रेजीडेंट पर था।

6. पूरी सिख सेना तथा लोगों ने विद्रोह नहीं किया था (The whole Sikh Army and the People did not Revolt)-लॉर्ड डलहौज़ी ने यह आरोप लगाया था कि पंजाब की सारी सिख सेना तथा लोगों ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। परंतु यह कथन भी सत्य नहीं है। पंजाब के केवल मुलतान तथा हज़ारा प्रांतों में ही अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह हआ था। अधिकाँश सिख सेना तथा लोग अंग्रेजों के प्रति निष्ठावान् रहे।

7. पंजाब पर अधिकार एक विश्वासघात था (Annexation of Punjab was a breach of Trust)दिसंबर 1846 ई० में हुई भैरोवाल की संधि के अनुसार अंग्रेजों ने पंजाब का सारा शासन अपने हाथों में ले लिया था। इस प्रकार पंजाब की सत्ता का वास्तविक स्वामी अंग्रेज़ रेजीडेंट फ्रेडरिक करी था। अंग्रेजों ने पंजाब में शाँति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से लाहौर में अंग्रेज सेना भी रख ली थी। ऐसी स्थिति में मुलतान तथा हज़ारा में हुए विद्रोह के दमन का समस्त दायित्व अंग्रेज़ रेजीडेंट का था। यदि इन विद्रोहों में कोई विफल रहा था तो वह अंग्रेज़ रेजीडेंट था। अपने अपराध के लिए दलीप सिंह को सज़ा देना अन्यायपूर्ण बात थी। यह एक घोर विश्वासघात नहीं तो और क्या था ?

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि पंजाब का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय राजनीतिक तथा नैतिक दृष्टि से बिल्कुल गलत था। अंत में हम मेजर ईवांज़ बैल के इन शब्दों से सहमत हैं,
“यह वास्तव में कोई विजय नहीं, अपितु नितांत विश्वासघात था।”5

5. “It was in fact, no conquest, but a violent breach of trust.”Major Evans Bell, The Annexation of the Punjab and the Maharaja Daleep Singh (Patiala : 1970) p. 6.

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संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के कारणों का संक्षिप्त वर्णन करें। (Explain in brief the causes of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के प्रमुख कारणों का संक्षिप्त ब्योरा दें। (Give a brief description of the main causes of the Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के तीन मुख्य कारण क्या थे ?
(What were the three main causes for the Second Anglo-Sikh War ?)
उत्तर-

  1. सिख प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध में हुई अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहते थे।
  2. अंग्रेज़ों ने महारानी जिंदां से जो अपमानजनक व्यवहार किया, उससे सिख भड़क उठे।
  3. मुलतान के दीवान मूलराज ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था।
  4. लॉर्ड डलहौज़ी पंजाब को जल्द-से-जल्द अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना चाहता था।
  5. चतर सिंह एवं शेर सिंह के विद्रोह ने अग्नि में घी डालने का काम किया।

प्रश्न 2.
दीवान मूलराज के विद्रोह पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए। (Write a note on the revolt of Diwan Moolraj.)
अथवा
मुलतान के दीवान मूलराज के विद्रोह के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दें। (Give a brief account of the revolt of Diwan Moolraj of Multan.)
उत्तर-
दीवान मूलराज 1844 ई० में मुलतान का नया गवर्नर बना था। उससे लिया जाने वाला वार्षिक लगान बढ़ा दिया गया। इस कारण दीवान मूलराज ने गवर्नर के पद से त्याग-पत्र दे दिया। काहन सिंह को मुलतान का नया गवर्नर नियुक्त किया गया। दो अंग्रेज़ अधिकारियों एगन्यू और एंडरसन को उसकी सहायता के लिए भेजा गया। अंग्रेज़ों ने इनके कत्ल का झूठा आरोप मूलराज पर लगाया। परिणामस्वरूप वह विद्रोह करने के लिए मजबूर हो गया।

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प्रश्न 3.
हज़ारा के चतर सिंह के विद्रोह के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the revolt of Chattar Singh of Hazara ?)
उत्तर-
सरदार चतर सिंह अटारीवाला हजारा का नाज़िम था। उसके द्वारा भड़काए गए हज़ारा के मुसलमानों ने 6 अगस्त, 1848 ई० को सरदार चतर सिंह के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। यह देख कर सरदार चतर सिंह ने कर्नल कैनोरा को विद्रोहियों के विरुद्ध कार्रवाही करने का आदेश दिया। कर्नल कैनोरा ने चतर सिंह के आदेश को मानने से इंकार कर दिया। कैप्टन ऐबट ने सरदार चतर सिंह को. पदच्युत कर दिया। इस कारण चतर सिंह का खून खौल उठा तथा उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा कर दी।

प्रश्न 4.
चिलियाँवाला की लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a note on the battle of Chillianwala.)
अथवा
चिलियाँवाला की लड़ाई के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the battle of Chillianwala ?)
उत्तर-
चिलियाँवाला की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की एक महत्त्वपूर्ण लड़ाई थी। लॉर्ड ह्यग गफ़, जो अंग्रेजी सेनापति था को यह सूचना मिली कि चतर सिंह उसके प्रतिद्वंद्वी शेर सिंह की सहायता के लिए आ रहा है। इसलिए ह्यग गफ़ ने चतर सिंह के पहुंचने से पहले ही 13 जनवरी, 1849 ई० को चिलियाँवाला में शेर सिंह की सेना पर आक्रमण कर दिया। इस घमासान लड़ाई में सिखों ने अंग्रेजों के खूब छक्के छुड़ाए।

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प्रश्न 5.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के दौरान हुई गुजरात की लड़ाई का क्या महत्त्व था ? (What was the importance of the battle of Gujarat in the Second Anglo-Sikh War ?)
उत्तर-
गुजरात की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई थी। यह लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को लड़ी गई थी। इस लड़ाई में सिख सैनिकों की संख्या 40,000 थी तथा उनका नेतृत्व चतर सिंह, शेर सिंह तथा महाराज सिंह कर रहे थे। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या 68,000 थी और लॉर्ड ह्यूग गफ़ उनका सेनापति था। इस युद्ध में सिखों की हार हुई। परिणामस्वरूप पंजाब को 29 मार्च, 1849 ई० को अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल कर लिया गया।

प्रश्न 6.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के क्या प्रभाव पड़े ?(What were the results of the Second Anglo-Sikh War ?)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के कोई तीन प्रभाव लिखें। (Explain any three effects of Social Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के प्रभावों का अध्ययन संक्षेप में करें। (Study in brief the results of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के तीन प्रभाव लिखें।
(Explain the three effects of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के क्या परिणाम निकले? (What were the results of the Second Anglo-Sikh War ?)
उत्तर-

  1. दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल कर लिया गया।
  2. पंजाब के अंतिम शासक महाराजा दलीप सिंह को 50,000 पौंड वार्षिक पेंशन देकर सिंहासन से उतार दिया गया।
  3. उससे प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा लेकर महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया।
  4. दीवान मूलराज तथा महाराजा दलीप सिंह को देश निष्कासन का दंड दिया गया
  5. पंजाब का शासन प्रबंध चलाने के लिए प्रशासनिक बोर्ड की स्थापना की गई।

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प्रश्न 7.
क्या लॉर्ड डलहौजी द्वारा पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय उचित था ? अपने पक्ष में तर्क दें।
(Was it justified for Lord Dalhousie to annex Punjab to the British empire ? Give arguments in support of your answer.)
अथवा
“पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना एक घोर विश्वासघात था।” व्याख्या करें।
(“Annexation of Punjab was a violent breach of trust.” Explain.)
अथवा
क्या पंजाब का विलय उचित था ? कारण लिखो।
(Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
अथवा
क्या पंजाब का संयोजन न्याय संगत था ? कारण बताओ।
(Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
उत्तर-
लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल करना किसी प्रकार भी उचित नहीं था। अंग्रेजों ने सर्वप्रथम लाहौर संधि के अंतर्गत पंजाब के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्र छीन लिए। लाहौर दरबार की अधिकाँश सेना भंग कर दी गई, जिससे सैनिकों में रोष उत्पन्न हो गया। अंग्रेजों ने महारानी जिंदां को राज्य के प्रशासन से अलग कर दिया। मुलतान के गवर्नर दीवान मूलराज तथा हज़ारा के गवर्नर चतर सिंह को पहले विद्रोह के लिए उकसाया गया तथा फिर उनके विद्रोह को फैलने दिया गया ताकि बहाना बनाकर पंजाब को अधिकार में ले सकें।

प्रश्न 8.
डलहौज़ी के इस पक्ष में तर्क दें कि उसके द्वारा पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में सम्मिलित करना उचित था।
(Give arguments in favour of Dalhousie’s annexation of the Punjab to the British Empire.)
अथवा
डलहौज़ी की पंजाब विलय की नीति के पक्ष में तर्क दीजिए। (Give arguments in favour of Dalhousie’s policy of the annexation of the Punjab.)
अथवा
क्या पंजाब का विलय उचित था ? कारण लिखो। (Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
उत्तर-

  1. सिखों ने भैरोवाल की संधि की शर्तों को भंग किया था।
  2. दीवान मूलराज ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया था।
  3. पंजाब में शांति स्थापित करने के लिए उसको अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाना अनिवार्य था।
  4. पंजाब अंग्रेज़ी साम्राज्य के लिए ख़तरा बन सकता था।
  5. पंजाब पर अधिकार अंग्रेजी साम्राज्य के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता था।

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प्रश्न 9.
महाराजा दलीप सिंह पर नोट लिखें। (Write a note on Maharaja Dalip Singh.)
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह रणजीत सिंह का सबसे छोटा पुत्र था। वह 15 सितंबर, 1843 ई० को पंजाब का नया महाराजा बना था। महाराजा दलीप सिंह ने लाल सिंह को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जो गद्दार निकला। परिणामस्वरूप पहले तथा दूसरे एंग्लो-सिख युद्धों में सिखों को पराजय का मुख देखना पड़ा। अंग्रेजों ने महाराजा दलीप सिंह को गद्दी से उतार दिया। 22 अक्तूबर, 1893 ई० को महाराजा दलीप सिंह की पेरिस में मृत्यु हो गई।

प्रश्न 10.
महारानी जींद कौर (जिंदां) पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
[Write a brief note on Maharani Jind Kaur (Jindan).] .
अथवा
महारानी जिंदां के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Maharani Jindan ?)
उत्तर-
महारानी जिंदां, महाराजा रणजीत सिंह की रानी थी। उसे 15 सितंबर, 1843 ई० को पंजाब के नवनियुक्त महाराजा दलीप सिंह की संरक्षिका बनाया गया था । इसीलिए अंग्रेजों ने दिसंबर, 1846 ई० में भैरोवाल की संधि के अंतर्गत महारानी जिंदां के सभी अधिकार छीन लिए तथा उसकी डेढ़ लाख रुपए वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गई। महारानी भेष बदल कर नेपाल पहुँचने में सफल हो गई। यहाँ अंग्रेजों ने दोनों को एक साथ न रहने दिया। 1 अगस्त, 1863 ई० को महारानी जिंदां इंग्लैंड में इस संसार से चल बसीं।

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प्रश्न 11.
भाई महाराज सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a brief note on Bhai Maharaj Singh.)
उत्तर-
भाई महाराज सिंह नौरंगाबाद के प्रसिद्ध संत भाई बीर सिंह के शिष्य थे। वह पंजाब की स्वतंत्रता के पक्ष में थे। अतः उन्होंने मुलतान के दीवान मूलराज, हज़ारा के सरदार. चतर सिंह अटारीवाला तथा उसके पुत्र शेर सिंह को अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सभी लड़ाइयों में भाग लिया। उनको पहले कलकत्ता (कोलकाता) तथा बाद में सिंगापुर की जेल में रखा गया। वहीं पर उनकी 5 जुलाई, 1856 ई० को मृत्यु हो गई।

बहु-विकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)

प्रश्न 1.
दूसरा ऐंग्लो-सिख युद्ध कब लड़ा गया ?
उत्तर-
1848-49 ई०।

प्रश्न 2.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था ?
उत्तर-
लॉर्ड डलहौज़ी।

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प्रश्न 3.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का कोई एक कारण लिखिए।
उत्तर-
सिख प्रथम युद्ध में हुई अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहते थे।

प्रश्न 4.
महारानी जिंदां कौन थी ?
अथवा
महारानी जिंदां (जिंद कौर) कौन थी ?
उत्तर-
वह महाराजा दलीप सिंह की माँ।

प्रश्न 5.
दीवान मूलराज कौन था ?
उत्तर-
मुलतान का नाज़िम (गवर्नर)।

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प्रश्न 6.
दीवान मूलराज द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर-
अंग्रेजों ने दीवान मूलराज से वसूल किए जाने वाले वार्षिक लगान की राशि में भारी वृद्धि कर दी थी।

प्रश्न 7.
सावन मल कौन था ?
उत्तर-
दीवान मूलराज का पिता व मुलतान का नाज़िम

प्रश्न 8.
चतर सिंह अटारीवाला कौन था ?
उत्तर-
हज़ारा का नाज़िम।

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प्रश्न 9.
शेर सिंह कौन था ?
उत्तर-
चतर सिंह अटारीवाला का पुत्र।

प्रश्न 10.
शेर सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा क्यों खड़ा किया था ?
उत्तर-
वह अंग्रेजों द्वारा उसके पिता के साथ किए गए दुर्व्यवहार के कारण।

प्रश्न 11.
भाई महाराज सिंह कौन था ?
उत्तर-
वह नौरंगाबाद के प्रसिद्ध संत थे।

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प्रश्न 12.
दूसरा ऐंग्लो-सिख युद्ध किसके विद्रोह से शुरू हुआ ?
अथवा
किसके विद्रोह ने द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध को आरंभ किया ?
उत्तर-
दीवान मूलराज।

प्रश्न 13.
रामनगर की लड़ाई कब हुई ?
उत्तर-
22 नवंबर, 1848 ई०

प्रश्न 14.
चिल्लियाँवाला की लड़ाई कब हुई ?
उत्तर-
13 जनवरी, 1849 ई०

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प्रश्न 15.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की अंतिम लड़ाई कौन-सी थी ?
उत्तर-
गुजरात की लड़ाई।

प्रश्न 16.
गुजरात की लड़ाई कब लड़ी गई थी ?
उत्तर-
21 फरवरी, 1849 ई०।

प्रश्न 17.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के दौरान लड़ी गई उस लड़ाई का नाम बताएँ जो तोपों की लड़ाई के नाम से विख्यात है ?
उत्तर-
गुजरात की लड़ाई।।

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प्रश्न 18.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का कोई एक महत्त्वपूर्ण परिणाम बताएँ।
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल कर लिया गया।

प्रश्न 19.
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में कब शामिल किया गया ?
अथवा
पंजाब को अंग्रेजी सामाज्य में कब मिलाया गया?
उत्तर-
29 मार्च, 1849 ई०।

प्रश्न 20.
लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल करने के पक्ष में दिए जाने वाला कोई एक तर्क बताएँ।
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल करना पंजाब के लोगों के लिए लाभप्रद था।

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प्रश्न 21.
लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल करने के विरुद्ध दिए जाने वाला एक तर्क बताएँ।
उत्तर-
अंग्रेजों ने सिखों को विद्रोह के लिए भड़काया।

प्रश्न 22.
भाई महाराज सिंह कौन था ?
उत्तर-
वह नौरंगाबाद के प्रसिद्ध संत भाई बीर सिंह का शिष्य था।

प्रश्न 23.
भाई महाराज सिंह की मौत कब हुई थी ?
उत्तर-
1856 ई०।

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प्रश्न 24.
भाई महाराज सिंह की मौत कहाँ हुई थी ?
उत्तर-
सिंगापुर।

प्रश्न 25.
पंजाब का अंतिम सिख महाराजा कौन था ?
अथवा
पंजाब का आखिरी सिख शासक कौन था ?
अथवा
सिखों का अंतिम सिख महाराजा कौन था?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह।

प्रश्न 26.
महाराजा दलीप सिंह की मृत्य कहाँ हुई थी ?
उत्तर-
पेरिस में।

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प्रश्न 27.
महाराजा दलीप सिंह की मौत कब हुई थी ?
उत्तर-
1893 ई०

प्रश्न 28.
महारानी जिंदां की मृत्य कब हुई थी ?
उत्तर-
1863 ई०।

प्रश्न 29.
सिख साम्राज्य के पतन का कोई एक मुख्य कारण बताएँ ।
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले।

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(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

प्रश्न 1.
अंग्रेज़ों एवं सिखों के बीच दूसरी लड़ाई ………….. ई० में हुई।
उत्तर-
(1848-49)

प्रश्न 2.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय भारत का गवर्नर जनरल……….था।
उत्तर-
(लॉर्ड डलहौज़ी)

प्रश्न 3.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पंजाब का महाराजा…………….था।
उत्तर-
(दलीप सिंह)

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प्रश्न 4.
महाराजा दलीप सिंह की माँ का नाम…………..था।
उत्तर-
(महारानी जिंदां)

प्रश्न 5.
1844 ई० में……………मुलतान का नाजिम नियुक्त हुआ।
उत्तर-
(दीवान मूलराज)

प्रश्न 6.
सरदार चतर सिंह अटारीवाला………का नाज़िम था।
उत्तर-
(हज़ारा)

प्रश्न 7.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की पहली लड़ाई का नाम……..था। .
उत्तर-
(रामनगर)

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प्रश्न 8.
रामनगर की लड़ाई………….को हुई।
उत्तर-
(22 नवंबर, 1848 ई०)

प्रश्न 9.
चिल्लियाँवाला की लड़ाई……….को हुई।
उत्तर-
(13 जनवरी, 1849 ई०)

प्रश्न 10.
गुजरात की लड़ाई इतिहास में…………..की लड़ाई के नाम से प्रसिद्ध है।
उत्तर-
(तोपों)

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प्रश्न 11.
अंग्रेजों ने पंजाब को अपने साम्राज्य में………….को सम्मिलित किया था।
उत्तर-
(29 मार्च, 1849 ई०)

(ii) ठीक अथवा गलत (True or False)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—

प्रश्न 1.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध 1848-49 ई० में लड़ा गया।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 2.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय लॉर्ड डलहौज़ी भारत का गवर्नर जनरल था।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 3.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पंजाब का महाराजा दलीप सिंह था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 4.
महारानी जिंदां महाराजा दलीप सिंह की माँ थी।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 5.
दीवान मूलराज 1846 ई० में मुलतान का नाज़िम बना।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 6.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध रामनगर की लड़ाई से आरंभ हुआ था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 7.
राम नगर की लड़ाई 12 नवंबर, 1846 ई० को हुई।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 8.
चिल्लियाँवाला की लड़ाई 13 जनवरी, 1849 ई० को हुई।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 9.
चिल्लियाँवाला की लड़ाई में अंग्रेज़ी सेना को एक कड़ी पराजय का सामना करना पड़ा।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 10.
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध गुजरात की लड़ाई के साथ समाप्त हुआ।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 11.
गुजरात की लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को हुई।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 12.
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में 29 मार्च, 1849 ई० में शामिल किया गया।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 13.
महाराजा दलीप सिंह पंजाब का अंतिम सिख महाराजा था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 14.
सिखों का अंतिम महाराजा रणजीत सिंह था।
उत्तर-
गलत

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(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—

प्रश्न 1.
द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध कब लड़ा गया ?
(i) 1844-45 ई० में
(ii) 1845-46 ई० में
(iii) 1847-48 ई० में
(iv) 1848-49 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 2.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था ?
(i) लॉर्ड लिटन
(ii) लॉर्ड रिपन
(iii) लॉर्ड डलहौज़ी
(iv) लॉर्ड हार्डिंग।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 3.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पंजाब का महाराजा कौन था?
(i) महाराजा शेर सिंह
(ii) महाराजा रणजीत सिंह
(iii) महाराजा दलीप सिंह
(iv) महाराजा खड़क सिंह।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 4.
महारानी जिंदां कौन थी ?
(i) महाराजा दलीप सिंह की माता
(ii) महाराजा खड़क सिंह की बहन
(iii) महाराजा शेर सिंह की पत्नी
(iv) राजा गुलाब सिंह की पुत्री।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 5.
दीवान मूलराज कौन था ?
(i) गुजरात का नाज़िम
(ii) मुलतान का नाज़िम
(iii) कश्मीर का नाज़िम
(iv) पेशावर का नाज़िम।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 6.
दीवान मूलराज ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कब किया था ?
(i) 1844 ई० में
(ii) 1845 ई० में
(iii) 1846 ई० में
(iv) 1848 ई० में।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 7.
सरदार चतर सिंह अटारीवाला कहाँ का नाज़िम था ?
(i) हज़ारा
(ii) मुलतान
(iii) कश्मीर
(iv) पेशावर।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 8.
दूसरा ऐंग्लो-सिख युद्ध किस लड़ाई के साथ आरंभ हुआ ?
(i) मुलतान की लड़ाई
(ii) चिल्लियाँवाला की लड़ाई
(iii) गुजरात की लड़ाई
(iv) रामनगर की लड़ाई।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 9.
रामनगर की लड़ाई कब हुई थी ?
(i) 12 नवंबर, 1846 ई०
(ii) 15 नवंबर, 1847 ई०
(iii) 17 नवंबर, 1848 ई०
(iv) 22 नवबर, 1848 ई०
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 10.
चिल्लियाँवाला की लड़ाई कब हुई ?
(i) 22 नवंबर, 1848 ई०
(ii) 3 जनवरी, 1848 ई०
(iii) 10 जनवरी, 1849 ई०
(iv) 13 जनवरी, 1849 ई०।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 11.
मुलतान का युद्ध कब समाप्त हुआ ?
(i) 22 जनवरी, 1849 ई०
(ii) 23 जनवरी, 1849 ई०
(iii) 24 जनवरी, 1849 ई०
(iv) 25 जनवरी, 1849 ई०
उत्तर-
(i)

प्रश्न 12.
दूसरा ऐंग्लो-सिख युद्ध किस लड़ाई के साथ समाप्त हुआ ?
अथवा
उस लड़ाई का नाम लिखें जो इतिहास में ‘तोपों की लड़ाई’ के नाम से प्रसिद्ध है।
(i) मुलतान की लड़ाई
(ii) रामनगर की लड़ाई
(iii) गुजरात की लड़ाई
(iv) चिल्लियाँवाला की लड़ाई।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 13.
गुजरात की लड़ाई कब लड़ी गई थी ?
(i) 22 नवंबर, 1848 ई०
(ii) 13 जनवरी, 1849 ई०
(iii) 22 जनवरी, 1849 ई०
(iv) 21 फरवरी, 1849 ई०।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 14.
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में कब सम्मिलित किया गया ?
(i) 1849 ई०
(ii) 1850 ई०
(iii) 1848 ई०
(iv) 1947 ई०
उत्तर-
(i)

प्रश्न 15.
पंजाब का अंतिम सिख महाराजा कौन था ?
(i) महाराजा दलीप सिंह
(i) महाराजा रणजीत सिंह
(iii) महाराजा खड़क सिंह
(iv) महाराजा शेर सिंह।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 16.
महाराजा दलीप सिंह की मृत्यु कब हुई थी ?
(i) 1857 ई० में
(ii) 1893 ई० में
(iii) 1849 ई० में
(iv) 1892 ई० में।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 17.
महाराजा दलीप सिंह की मृत्यु कहाँ हुई थी ?
(i) पंजाब
(ii) पेरिस
(iii) नेपाल
(iv) लंदन।
उत्तर-
(ii)

Long Answer Type Question

प्रश्न 1.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के छः कारणों का संक्षिप्त वर्णन करें। (Explain in brief the six causes of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के क्या कारण थे ?
(What were the causes of the Second Anglo-Sikh War ?)
अथवा
दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के छः मुख्य कारण क्या थे ?
(What were the six main causes for the Second Anglo-Sikh War ?)
उत्तर-
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के मुख्य कारण निम्नलिखित थे—
1. सिखों की अपनी पराजय का प्रतिशोध लेने की इच्छा—यह सही है कि अंग्रेज़ों के साथ प्रथम युद्ध में सिख पराजित हो गए थे, परंतु इससे उनका साहस किसी प्रकार कम नहीं हुआ था। इस पराजय का मुख्य कारण सिख नेताओं द्वारा की गई गद्दारी थी। सिख सैनिकों को अपनी योग्यता पर पूर्ण विश्वास था। वे अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहते थे। उनकी यह इच्छा द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध का एक मुख्य कारण बनी।

2. लाहौर तथा भैरोवाल की संधियों से पंजाबी असंतुष्ट-अंग्रेजों तथा सिखों के बीच हुए प्रथम युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने लाहौर दरबार के साथ लाहौर तथा भैरोवाल नामक दो संधियाँ कीं। पंजाब के लोग महाराजा रणजीत सिंह के अथक प्रयासों से निर्मित साम्राज्य का इन संधियों द्वारा किया जा रहा विघटन होता देख सहन नहीं कर सकते थे। इसलिए सिखों को अंग्रेजों से एक और युद्ध लड़ना पड़ा।

3. सिख सैनिकों में असंतोष-लाहौर की संधि के अनुसार अंग्रेजों ने खालसा सेना की संख्या 20,000 पैदल तथा 12,000 घुड़सवार निश्चित कर दी थी। इस कारण हज़ारों की संख्या में सिख सैनिकों को नौकरी से हटा दिया गया था। इससे इन सैनिकों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष उत्पन्न हो गया तथा वे अंग्रेजों के साथ युद्ध की तैयारियाँ करने लगे।

4. महारानी जिंदां से दुर्व्यवहार अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह की विधवा महारानी जिंदां से जो अपमानजनक व्यवहार किया, उसने सिखों में अंग्रेजों के प्रति व्याप्त रोष को और भड़का दिया। वह इस अपमान का बदला लेने चाहते थे।

5. दीवान मूलराज का विद्रोह-द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध को आरंभ करने में मुलतान के दीवान मूलराज के विद्रोह को विशेष स्थान प्राप्त है। 20 अप्रैल, 1848 ई० को मुलतान में दो अंग्रेज़ अधिकारियों वैनस एग्नय तथा एंडरसन के किए गए कत्लों के लिए मूलराज को दोषी ठहराया गया। इस कारण उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का ध्वज उठा लिया।

6. लॉर्ड डलहौज़ी की नीति-1848 ई० में लॉर्ड डलहौज़ी भारत का नया गवर्नर-जनरल बना था। वह बहुत बड़ा साम्राज्यवादी था। वह पंजाब को अपने अधीन करने के लिए किसी स्वर्ण अवसर की तलाश में था। यह अवसर उसे दीवान मूलराज, चतर सिंह तथा शेर सिंह द्वारा किए गए विद्रोहों से मिला।

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प्रश्न 2.
दीवान मूलराज के विद्रोह पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए। (Write a note on the revolt of Diwan Mulraj.)
अथवा
मुलतान के दीवान मूलराज के विद्रोह के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दें। (Give a brief account of the revolt of Diwan Mulraj of Multan.)
उत्तर-
दीवान मूलराज 1844 ई० में मुलतान का नया गवर्नर बना था। वह लगभग 1372 लाख रुपए वार्षिक लगान लाहौर दरबार को देता था। बाद में यह राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपए वार्षिक कर दी गई थी, परंतु इसके साथ ही उसके प्राँत का तीसरा भाग भी उससे ले लिया गया। इस कारण दीवान मूलराज ने गवर्नर के पद से त्यागपत्र दे दिया। मार्च, 1848 ई० में रेजीडेंट फ्रेडरिक करी ने मूलराज का त्याग-पत्र स्वीकार कर लिया। उसने काहन सिंह को मुलतान का नया गवर्नर नियुक्त करने का निर्णय किया। उसकी सहायता के लिए दो अंग्रेज अधिकारियों एग्नयू और एंडरसन को उसके साथ भेजा गया। मूलराज ने बिना किसी विरोध के 19 अप्रैल, 1848 ई० को किले की चाबियाँ काहन सिंह को सौंप दी, परंतु 20 अप्रैल को मूलराज के सिपाहियों ने दोनों अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या कर दी। अंग्रेजों ने इसके लिए मूलराज को दोषी ठहराया। इसलिए मूलराज ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। अंग्रेज़ों ने इस विद्रोह का दमन करने की अपेक्षा इसे फैलने दिया ताकि उन्हें लाहौर दरबार पर आक्रमण करने का अवसर मिल सके।

प्रश्न 3.
हज़ारा के चतर सिंह के विद्रोह के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the revolt of Chattar Singh of Hazara ?)
उत्तर-
सरदार चतर सिंह अटारीवाला हज़ारा का नाज़िम था। उसकी लड़की की सगाई महाराजा दलीप सिंह के साथ हुई थी, परंतु अंग्रेज़ इस रिश्ते के विरुद्ध थे, क्योंकि इससे सिखों की राजनीतिक शक्ति बढ़ जानी थी। यह शक्ति अंग्रेजों की पंजाब को हड़पने की नीति के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकती थी। कैप्टन ऐबट जिसे सरदार चतर सिंह का परामर्शदाता नियुक्त किया गया था, सिख राज्य को नष्ट करने की योजना तैयार कर रहा था। उस द्वारा भड़काए गए हज़ारा के मुसलमानों ने 6 अगस्त, 1848 ई० को सरदार चतर सिंह के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। यह देख कर सरदार चतर सिंह ने कर्नल कैनोरा को विद्रोहियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का आदेश दिया। कर्नल कैनोरा जो कैप्टन ऐबट के साथ मिला हुआ था, ने चतर सिंह के आदेश को मानने से इन्कार कर दिया। उसने अपनी पिस्तौल से गोलियाँ चलाकर दो सिख सिपाहियों को मार डाला। उसी समय एक सिख सिपाही ने आगे बढ़कर अपनी तलवार से कैनोरा की जान ले ली। जब इस घटना का समाचार ऐबट ने पाया तो वह क्रोध से आग बबूला हो उठा। उसने सरदार चतर सिंह को पदच्युत कर दिया तथा उसकी जागीर ज़ब्त कर ली। इस कारण चतर सिंह का खून खौल उठा तथा उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा कर दी।

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प्रश्न 4.
चिलियाँवाला की लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a note on the battle of Chillianwala.)
उत्तर-
चिलियाँवाला की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी। लॉर्ड ह्यग गफ, जो अंग्रेजी सेनापति था, शेर सिंह की सेना का मुकाबला करने के लिए और सैनिक सहायता पहुँचने की प्रतीक्षा कर रहा था। इसी बीच ह्यग गफ को यह सूचना मिली कि चतर सिंह ने अटक के किले पर अधिकार कर लिया है और वह शेर सिंह की सहायता के लिए आ रहा है। ऐसा होने पर अंग्रेजों के लिए घोर संकट पैदा हो सकता था। इसलिए ह्यग गफ ने चतर सिंह के पहुंचने से पहले ही 13 जनवरी, 1849 ई० को चिलियाँवाला में शेर सिंह की सेना पर आक्रमण कर दिया। इस घमासान लड़ाई में शेर सिंह के सैनिकों ने अंग्रेजों के खूब छक्के छुड़ाए। इस लड़ाई में अंग्रेजों की इतनी अधिक क्षति हुई कि इंग्लैंड में भी हाहाकार मच गई। इस अपमानजनक पराजय के कारण सेनापति लॉर्ड ह्यग गफ के सम्मान को भारी आघात पहुँचा। उसके स्थान पर चार्ल्स नेपियर को अंग्रेज़ी सेना का नया सेनापति नियुक्त करके भारत भेजा गया।

प्रश्न 5.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के दौरान हुई गुजरात की लड़ाई का क्या महत्त्व था ? (What was the importance of the battle of Gujarat in the Second Anglo-Sikh War ?)
उत्तर-
गुजरात की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो सिख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई थी। यह लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को लड़ी गई थी। इस लड़ाई में सिख सैनिकों की संख्या 40,000 थी तथा उनका नेतृत्व चतर सिंह, शेर सिंह तथा महाराज सिंह कर रहे थे। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या 68,000 थी और लॉर्ड ह्यग गफ उनका सेनापति था। क्योंकि इस लड़ाई में दोनों पक्षों की ओर से तोपों का खूब प्रयोग किया गया इसलिए गुजरात की लड़ाई को तोपों की लड़ाई भी कहा जाता है। सिखों ने अंग्रेजों का बड़ी वीरता से सामना किया, परंतु उनका गोला-बारूद समाप्त हो जाने पर अंततः उन्हें पराजित होना पड़ा। इस लड़ाई में सिखों की भारी क्षति हुई और उनमें भगदड़ मच गई। चतर सिंह, शेर सिंह तथा महाराज सिंह रावलपिंडी की ओर भाग गए। अंग्रेज़ सैनिकों ने उनका पीछा किया। उन्होंने 10 मार्च को शस्त्र डाल दिए जबकि शेष सैनिकों ने 14 मार्च को अंग्रेजों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया। इस लड़ाई में विजय के पश्चात् 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में : सम्मिलित कर लिया गया। इस प्रकार महाराजा रणजीत सिंह के राज्य का अंत हो गया।

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प्रश्न 6.
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के क्या प्रभाव पड़े ? (What were the results of the Second Anglo-Sikh War ?)
अथवा
दसरे ऐंग्लो-सिख यद्ध के प्रभावों का अध्ययन संक्षेप में करें। (Study in brief the results of Second Anglo-Sikh War.)
अथवा
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के कोई छः प्रभाव बताएँ। (Write six effects of Second Anglo-Sikh War.)
उत्तर-
दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के बड़े दूरगामी परिणाम निकले। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार—
1. महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का अंत-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का पूर्णतः अंत हो गया। अंतिम सिख महाराजा दलीप सिंह को सिंहासन से उतार दिया गया।

2. सिख सेना भंग कर दी गई—दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के पश्चात् सिख सेना को भी भंग कर दिया गया। अधिकाँश सिख सैनिकों को कृषि व्यवसाय में लगाने का प्रयत्न किया गया। कुछ को ब्रिटिश-भारतीय सेना में भर्ती कर लिया गया।

3. दीवान मूल राज तथा भाई महाराज सिंह को निष्कासन का दंड दीवान मूलराज के मृत्यु दंड को काले पानी की सज़ा में बदल दिया गया। परंतु उनकी 11 अगस्त, 1851 ई० को कलकत्ता (कोलकाता) में मृत्यु हो गई। भाई महाराज सिंह को सिंगापुर जेल भेज दिया गया जहाँ 5 जुलाई, 1856 ई० को उसकी मृत्यु हो गई।

4. चतर सिंह तथा शेर सिंह को दंड-अंग्रेजों ने स० चतर सिंह तथा उसके पुत्र शेर सिंह को बंदी बना लिया था। उन्हें पहले इलाहाबाद तथा बाद में कलकत्ता (कोलकाता) की जेलों में रखा गया। 1854 ई० में सरकार ने उन दोनों को मुक्त कर दिया।

5. पंजाब के लिए नया प्रशासन —पंजाब के अंग्रेजी साम्राज्य में विलय के पश्चात् अंग्रेज़ों ने पंजाब का प्रशासन चलाने के लिए प्रशासनिक बोर्ड की स्थापना की। यह 1849 ई० से 1853 ई० तक बना रहा। इन सुधारों ने पंजाबियों के दिलों को जीत लिया। परिणामस्वरूप वे 1857 के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार रहे।

6. पंजाब की रियासतों में मित्रता का व्यवहार-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध के समय पटियाला, नाभा, जींद, मालेरकोटला, फरीदकोट तथा कपूरथला की रियासतों ने अंग्रेज़ों का साथ दिया था। इससे अंग्रेज़ों ने इनसे मित्रता बनाए रखीं और इन रियासतों को अंग्रेज़ी राज्य में सम्मिलित न किया गया।

प्रश्न 7.
क्या लॉर्ड डलहौजी द्वारा पंजाब का संयोजन न्याय संगत था ? अपने पक्ष में तर्क दें।
(Was the annexation of Punjab by Lord Dalhousie Justified ? Give reasons in your favour.)
अथवा
“पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना एक घोर विश्वासघात था।” व्याख्या करें। (“Annexation of Punjab was a violent breach of trust.” Explain.)
अथवा
क्या पंजाब का विलय उचित था ? कारण लिखो। (Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
अथवा
क्या पंजाब का संयोजन न्याय संगत था ? इसके पक्ष में छः तर्क दें। (P.S.E.B. July 2019) (Was the annexation of Punjab justified ? Give six reasons for it.)
उत्तर-
1. सिखों को विद्रोह के लिए भड़काया-प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध के बाद बहुत-सी ऐसी घटनाएँ घटीं जिन्होंने सिखों को विद्रोह के लिए भड़काया। लाहौर की संधि के अनुसार पंजाब के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्र अंग्रेज़ों ने छीन लिए थे। अंग्रेज़ों ने महारानी जिंदां से बहुत बुरा व्यवहार किया। उन्होंने दीवान मूलराज तथा सरदार चतर सिंह को विद्रोह के लिए भड़काया। परिणामस्वरूप सिखों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए विवश किया गया।

2. विद्रोह समय पर न दबाया गया-जब मुलतान में विद्रोह की आग भड़की तो उस पर तुरंत नियंत्रण न किया गया। आठ माह तक विद्रोह फैलने देना, एक गहरी राजनीतिक चाल थी। इस तरह अंग्रेज़ों को पंजाब में सैनिक कार्यवाही करने का बहाना मिल गया तथा पंजाब को हड़प लिया गया।

3. अंग्रेजों ने संधि की शर्ते पूरी न की-अंग्रेजों का कहना था कि उन्होंने संधि की शर्ते पूरी की हैं। परंतु अंग्रेज़ों ने संधि की केवल वही शर्ते पूरी की जो उनके लिए लाभप्रद थीं। इस प्रकार हम देखते हैं कि अंग्रेज़ों का यह कहना कि उन्होंने संधि की शर्तों को पूरा किया, नितांत झूठ है।

4. लाहौर दरबार ने संधि की शर्ते पूरी करने में पूर्ण सहयोग दिया-लाहौर दरबार ने तो पंजाब पर अंग्रेज़ों का अधिकार होने तक संधि की शर्ते पूरी निष्ठा से पूरी की। लाहौर सरकार पंजाब में रखी गई अंग्रेज़ी सेना का पूरा खर्च दे रही थी। उसने दीवान मूलराज, चतर सिंह और शेर सिंह द्वारा की गई बगावतों की निंदा की और इनके दमन में अंग्रेजी सेना को पूर्ण सहयोग दिया।

5. पूरी सिख सेना तथा लोगों ने विद्रोह नहीं किया था-लॉर्ड डलहौज़ी ने यह आरोप लगाया था कि पंजाब की सारी सिख सेना तथा लोगों ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। परंतु यह कथन भी सत्य नहीं है। पंजाब के केवल मुलतान तथा हज़ारा प्रांतों में ही अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह हुआ था। अधिकाँश सिख सेना तथा लोग अंग्रेजों के प्रति निष्ठावान् रहे।

6. पंजाब पर अधिकार एक विश्वासघात था-पंजाब पर अंग्रेजों द्वारा अधिकार एक घोर विश्वासघात था। 1846 ई० में हुई भैरोवाल की संधि अनुसार पंजाब में शांति व्यवस्था बनाए रखने की सारी ज़िम्मेदारी अंग्रेज़ों की थी। परन्तु अंग्रेजों ने पंजाब में बिगड़ती हुई परिस्थितियों के लिए महाराजा दलीप सिंह को दोषी माना।

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प्रश्न 8.
डलहौज़ी के इस पक्ष में कोई छः तर्क दें कि उसके द्वारा पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना उचित था।
(Give any six arguments in favour of Dalhousie’s annexation of the Punjab to the British Empire.)
अथवा
डलहौज़ी की पंजाब विलय की नीति के पक्ष में तर्क दीजिएवं (Give arguments in favour of Dalhousie’s policy of the annexation of Punjab.)
उत्तर-
1. सिखों ने वचन भंग किया-लॉर्ड डलहौजी ने यह आरोप लगाया कि सिखों ने भैरोवाल संधि की शर्ते भंग की। सिख सरदारों ने यह वचन दिया था कि वे अंग्रेज़ रेजीडेंट को पूर्ण सहयोग देंगे। परंतु उन्होंने राज्य में अशांति तथा विद्रोह भड़काने का प्रयत्न किया। लॉर्ड डलहौज़ी ने दीवान मूलराज के विद्रोह को पूरी सिख जाति का विद्रोह बताया। सरतार चतर सिंह तथा उसके पुत्र शेर सिंह ने विद्रोह करके मूलराज का साथ दिया। इस प्रकार बिगड़ रही परिस्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए पंजाब का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय आवश्यक था।

2. पंजाब अच्छा मध्यवर्ती राज्य न रहा-लॉर्ड हार्डिंग का विचार था कि पंजाब एक लाभप्रद मध्यवर्ती राज्य प्रमाणित होगा। इससे ब्रिटिश राज्य को अफ़गानिस्तान की ओर से किसी ख़तरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। परंतु उनका यह विचार गलत प्रमाणित हुआ क्योंकि सिखों तथा अफ़गानों में मित्रता स्थापित हो गई। इसीलिए लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित करना आवश्यक समझा।

3. ऋण न लौटाना-लॉर्ड डलहौज़ी ने यह आरोप लगाया कि भैरोवाल की संधि की शर्तों के अनुसार लाहौर दरबार ने अंग्रेजों को 22 लाख रुपए वार्षिक देने थे। परंतु लाहौर दरबार ने एक पाई भी अंग्रेजों को न दी। इसलिए पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में सम्मिलित करना उचित था।

4. पंजाब पर अधिकार करना लाभप्रद था-प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध में विजय के पश्चात् अंग्रेजों का मत था कि आर्थिक दृष्टि से पंजाब कोई लाभप्रद प्राँत नहीं है। परंतु पंजाब में दो वर्ष तक रह कर उन्हें ज्ञात हो गया कि यह राज्य तो कई दृष्टियों से भी अंग्रेजों के लिए लाभप्रद प्रमाणित हो सकता है। इन कारणों से लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को हड़प करने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

5. पंजाब पर अधिकार आवश्यक था-यह कहा जाता है कि यदि पंजाब का विलय न किया जाता तो सिखों ने अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र रचते रहना था। इसका प्रभाव भारत के अन्य भागों में भी पड़ सकता था। इसलिए लॉर्ड डलहौज़ी ने पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित करना आवश्यक समझा।

6. पंजाब के लोगों के लिए लाभप्रद-लॉर्ड डलहौज़ी के पंजाब पर अधिकार करने के पक्ष में एक तर्क यह दिया जाता है कि ऐसा करके उसने पंजाब के लोगों के लिए एक अच्छा कार्य किया। ऐसा करके उन्होंने पंजाब में फैली अराजकता को दूर किया। प्रशासन में महत्त्वपूर्ण सुधारों को लागू किया। इस तरह पंजाब का अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय पंजाब के लोगों के लिए वरदान प्रमाणित हुआ।

प्रश्न 9.
महाराजा दलीप सिंह पर एक नोट लिखें।
(Write a note on Maharaja Dalip Singh.)
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह रणजीत सिंह का सबसे छोटा पुत्र था। वह 15 सितंबर, 1843 ई० को पंजाब का नया महाराजा बना था। उस समय उसकी आयु 5 वर्ष की थी, इसलिए महारानी जिंदां को उसका संरक्षक बनाया गया। महाराजा दलीप सिंह ने राज्य का प्रशासन चलाने के लिए हीरा सिंह को राज्य का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। यद्यपि वह बहुत समझदार था, परंतु उसने पंडित जल्ला को मुशीर-ए-खास (विशेष परामर्शदाता) नियुक्त करके बहुत-से दरबारियों को रुष्ट कर लिया था। 1844 ई० में हीरा सिंह की हत्या के पश्चात् जवाहर सिंह को नया प्रधानमंत्री बनाया गया, परंतु वह बड़ा हठी तथा अयोग्य था। उसे सितंबर, 1845 ई० में कंवर पिशौरा सिंह की हत्या के कारण सैनिकों ने मृत्यु दंड दे दिया था। उसके पश्चात् लाल सिंह को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया गया। वह पहले से ही अंग्रेजों से मिला हुआ था। परिणामस्वरूप पहले तथा दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्धों में सिखों को पराजय का मुख देखना पड़ा। अंग्रेज़ों ने महाराजा दलीप सिंह को गद्दी से उतार दिया और 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। 22 अक्तब्रूर, 1893 ई० को महाराजा दलीप सिंह की पेरिस में मृत्यु हो गई।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध : कारण, परिणाम तथा पंजाब का विलय

प्रश्न 10.
महारानी जींद कौर (जिंदां) पर एक नोट लिखो। [Write a note on Maharani Jind Kaur (Jindan).]
अथवा
महारानी जिंदां के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Maharani Jindan ?)
उत्तर-
महारानी जिंदां, महाराजा दलीप सिंह की माता तथा महाराजा रणजीत सिंह की रानी थी। जब 15 सितंबर, 1843 ई० को दलीप सिंह पंजाब का नया महाराजा बना तो महारानी जिंदां को उसका संरक्षक बनाया गया। क्योंकि महारानी जिंदां पंजाब को स्वतंत्र रखना चाहती थी इसलिए वह अंग्रेज़ों की आँखों में खटकती थी। इसीलिए अंग्रेज़ों ने दिसंबर, 1846 ई० में लाहौर दरबार से हुई भैरोवाल की संधि के अंतर्गत महारानी जिंदां के सभी अधिकार छीन लिए तथा उसकी डेढ़ लाख रुपए वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गई। अगस्त, 1847 ई० में अंग्रेज़ों ने महारानी को शेखूपुरा के किले में नज़रबंद कर दिया और मई, 1848 को देश निकाला देकर बनारस भेज दिया। जेल में महारानी से क्रूर व्यवहार किया गया। अप्रैल, 1849 ई० में महारानी भेष बदल कर नेपाल पहुँचने में सफल हो गई। 1861 ई० में जब महाराजा दलीप सिंह इंग्लैंड से भारत आया तो महारानी जिंदां उससे मिलने नेपाल से भारत आई। महाराजा दलीप सिंह अपनी माता को इंग्लैंड ले गया। यहाँ अंग्रेजों ने दोनों को एक साथ न रहने दिया। अंततः 1 अगस्त, 1863 ई० को महारानी इस संसार से चल बसीं।

प्रश्न 11.
भाई महाराज सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a brief note on Bhai Maharaj Singh.)
उत्तर-
भाई महाराज सिंह नौरंगाबाद के प्रसिद्ध संत भाई बीर सिंह के शिष्य थे। 1845 ई० में वह भाई बीर सिंह की मृत्यु के पश्चात् गद्दी पर बैठे। वह पंजाब की स्वतंत्रता को बनाए रखने के पक्ष में थे। इस उद्देश्य के साथ उन्होंने गाँव-गाँव जाकर प्रचार करना आरंभ किया। अत: सरकार ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली तथा उनको बंदी करवाने वाले को 10,000 रुपए ईनाम देने की घोषणा की। इसके बावजूद भाई महाराज सिंह बिना किसी भय के अपना प्रचार करते रहे। उन्होंने मुलतान के दीवान मूलराज, हज़ारा के सरदार चतर सिंह अटारीवाला तथा उसके पुत्र शेर सिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सभी लड़ाइयों में भाग लिया। वह गुजरात की लड़ाई के पश्चात् सिख सैनिकों द्वारा अंग्रेजों के समक्ष हथियार डालने के विरुद्ध थे। ऐसा किया जाने पर वह जम्मू चले गए। उन्होंने काबुल के शासक के साथ मिलकर 3 जनवरी, 1850 ई० को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने की योजना बनाई। इस योजना के बारे में अंग्रेजों को पूर्व ही सूचना मिल गई। परिणामस्वरूप भाई महाराज सिंह को 28 दिसंबर, 1849 ई० को बंदी बना लिया गया। उनको पहले कलकत्ता तथा बाद में सिंगापुर की जेल में रखा गया। यहाँ उनकी 5 जुलाई, 1856 ई० को मृत्यु हो गई।

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Source Based Questions

नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
1
द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध को आरंभ करने में मुलतान के दीवान मूलराज के विद्रोह को विशेष स्थान प्राप्त है। मुलतान सिख राज्य का एक प्राँत था। 1844 ई० में यहाँ के नाज़िम (गवर्नर) सावन मंल की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र मूलराज को नया नाज़िम बनाया गया। इस अवसर पर अंग्रेज़ रेज़िडेंट ने मुलतान प्राँत द्वारा लाहौर दरबार को दिया जाने वाला वार्षिक लगान 13,47,000 रुपए से बढ़ाकर 19,71,500 रुपए कर दिया। 1846 ई० में इसमें वृद्धि करके इसे 30 लाख रुपए कर दिया गया। दूसरी ओर अंग्रेजों ने मुलतान में बिकने वाली कुछ आवश्यक वस्तुओं पर से कर हटा लिया और मुलतान का 1/3 भाग भी वापस ले लिया। इन कारणों से दीवान मूलराज सरकार को बढ़ा हुआ लगान नहीं दे सकता था। अतः उसने इस संबंध में ब्रिटिश सरकार के पास अनेक बार प्रार्थना की परंतु इन्हें रद्द कर दिया गया। अतः विवश होकर दिसंबर, 1847 ई० को दीवान मूलराज ने अपना त्यागपत्र दे दिया। मार्च 1848 ई० में नए रेज़िडेंट फ्रेड्रिक करी ने सरदार काहन सिंह को मुलतान का नया नाज़िम नियुक्त करने का निर्णय किया। मूलराज से चार्ज लेने के लिए काहन सिंह के साथ दो अंग्रेज़ अधिकारियों वैनस एग्नयू तथा एंड्रसन को भेजा गया। मूलराज ने उनका अच्छा स्वागत किया। 19 अप्रैल को मूलराज ने दुर्ग की चाबियाँ काहन सिंह को सौंप दी, परंतु अगले दिन 20 अप्रैल को मूलराज के कुछ सिपाहियों ने आक्रमण करके दोनों अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या कर दी तथा काहन सिंह को बंदी बना लिया। प्रैड्रिक करी ने मुलतान के विद्रोह के लिए मूलराज को दोषी ठहराया।

  1. दीवान मूलराज को कब मुलतान का नया नाज़िम नियुक्त किया गया था ?
  2. दीवान मूलराज ने किस कारण अपना अस्तीफ़ा दिया था ?
  3. 1848 ई० में रेजिडेंट फ्रेड्रिक करी ने किसे मुलतान का नया नाजिम नियुक्त किया था ?
  4. अंग्रेज़ों ने किन दो अफ़सरों के कत्ल की जिम्मेवारी दीवान मूलराज पर डाली ?
  5. प्रैड्रिक करी ने मुलतान के विद्रोह के लिए …………. को दोषी ठहराया।

उत्तर-

  1. दीवान मूलराज को 1844 ई० में मुलतान का नया नाज़िम नियुक्त किया गया था।
  2. उसके द्वारा दिए जाने वाले वार्षिक लगान में बहुत अधिक बढ़ौत्तरी कर दी गई थी।
  3. सरदार काहन सिंह को।
  4. वैनस एग्नयू तथा एंड्रसन।
  5. मूलराज।

2
चिल्लियाँवाला की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी। यह लड़ाई 13 जनवरी, 1849 ई० को लड़ी गई थी। लॉर्ड ह्यूग गफ़ का कहना था कि उसके पास शेर सिंह का सामना करने के लिए शक्तिशाली सेना नहीं है। इसलिए वह और सैन्य शक्ति के पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहा है परंतु जब लॉर्ड ह्यूग गफ़ को यह सूचना मिली कि चतर सिंह ने अटक के किले पर अधिकार कर लिया है और वह अपने सैनिकों सहित शेर सिंह की सहायता को पहुँच रहा है तो उसने 13 जनवरी को शेर सिंह के सैनिकों पर आक्रमण कर दिया। यह लड़ाई बहुत भयानक थी। इस लड़ाई में शेर सिंह के सैनिकों ने अंग्रेज़ी सेना में खलबली मचा दी। उनके 695 सैनिक, जिनमें 132 अफसर थे, इस लड़ाई में मारे गए तथा अन्य 1651 घायल हो गए। अंग्रेजों की चार तोपें भी सिखों के हाथ लगीं।

  1. दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सबसे महत्त्वपूर्ण लड़ाई कौन-सी थी ?
  2. चिल्लियाँवाला की लड़ाई कब हुई ?
  3. शेर सिंह कौन था ?
  4. चिल्लियाँवाला की लड़ाई में किसकी हार हुई ?
  5. चिल्लियाँवाला की लड़ाई में कितने अंग्रेज़ अफसर मारे गए थे ?
    • 132
    • 142
    • 695
    • 165

उत्तर-

  1. दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सबसे महत्त्वपूर्ण लड़ाई चिल्लियाँवाला की लड़ाई थी।
  2. यह लड़ाई 13 जनवरी, 1849 ई० को हुई।
  3. शेर सिंह हज़ारा के नाज़िम सरदार चतर सिंह का पुत्र था।
  4. चिल्लियाँवाला की लड़ाई में अंग्रेजों की पराजय हुई।
  5. 132

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3
गुजरात की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सब से महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक लड़ाई प्रमाणित हुई। इस लड़ाई में चतर सिंह के सैनिक शेर सिंह के सैनिकों से आ मिले थे। उनकी सहायता के लिए भाई महाराज सिंह भी गुजरात पहुँच गया था। इसके अतिरिक्त अफ़गानिस्तान के बादशाह दोस्त मुहम्मद खाँ ने सिखों की सहायता के लिए अपने पुत्र अकरम खाँ के नेतृत्व में 3000 घुड़सवार सेना भेजी। इस लड़ाई में सिख सेना की संख्या 40,000 थी। दूसरी ओर अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व अभी भी लॉर्ड ह्यग गफ़ ही कर रहा था क्योंकि सर चार्ल्स नेपियर अभी भारत नहीं पहुंचा था। अंग्रेजों के पास 68,000 सैनिक थे। इस लड़ाई में दोनों ओर से तोपों का भारी प्रयोग किया गया था जिससे यह लड़ाई इतिहास में तोपों की लड़ाई नाम से विख्यात है। यह लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को प्रातः 7.30 बजे आरंभ हुई थी। सिखों की तोपों का बारूद शीघ्र ही समाप्त हो गया। जब अंग्रेजों को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो उन्होंने अपनी तोपों से सिख सेनाओं पर भारी आक्रमण कर दिया। सिख सैनिकों ने अपनी तलवारें निकाल ली परंतु तोपों का मुकाबला वे कब तक कर सकते थे। इस लड़ाई में सिख सेना को भारी क्षति पहुँची।

  1. गुजरात की लड़ाई दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध की सबसे महत्त्वपूर्ण तथा ……… लड़ाई प्रमाणित हुई।
  2. गुजरात की लड़ाई कब लड़ी गई थी ?
  3. गुजरात की लड़ाई में अंग्रेज़ी सेना का नेतृत्व कौन कर रहा था ?
  4. गुजरात की लड़ाई को तोपों की लड़ाई क्यों कहा जाता था ?
  5. गुजरात की लड़ाई में कौन विजयी रहे ?

उत्तर-

  1. निर्णायक।
  2. गुजरात की लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० में लड़ी गई थी।
  3. गुजरात की लड़ाई में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व लॉर्ड ह्यूग गफ़ कर रहा था।
  4. गुजरात की लड़ाई को तोपों की लड़ाई इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें दोनों ओर से भारी तोपों का प्रयोग किया गया था।
  5. गुजरात की लड़ाई में अंग्रेज़ विजयी रहे।

द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध : कारण, परिणाम तथा पंजाब का विलय PSEB 12th Class History Notes

  • द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध के कारण (Causes of the Second Anglo-Sikh War)-सिख प्रथम ऐंग्लो-सिख युद्ध में हुई अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहते थे-लाहौर तथा भैरोवाल की संधियों ने सिख राज्य की स्वतंत्रता को लगभग समाप्त कर दिया था-सेना में से हजारों की संख्या में निकाले गए सिख सैनिकों के मन में अंग्रेज़ों के प्रति भारी रोष था-अंग्रेजों द्वारा महारानी जिंदां के साथ किए गए दुर्व्यवहार के कारण समूचे पंजाब में रोष की लहर दौड़ गई थी-मुलतान के दीवान मूलराज द्वारा किए गए विद्रोह को अंग्रेजों ने जानबूझ कर फैलने दिया-चतर सिंह और उसके पुत्र शेर सिंह द्वारा किए गए विद्रोह ने ऐंग्लो-सिख युद्ध को और निकट ला दिया-लॉर्ड डलहौज़ी की साम्राज्यवादी नीति द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध का तत्कालीन कारण बनी।
  • युद्ध की घटनाएँ (Events of the War)—सिखों तथा अंग्रेज़ों के मध्य हुए द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध की प्रमुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है—
    • रामनगर की लड़ाई (Battle of Ramnagar)-रामनगर की लड़ाई 22 नवंबर, 1848 ई० को लड़ी गई थी-इसमें सिख सेना का नेतृत्व शेर सिंह तथा अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व लॉर्ड ह्यूग गफ़ कर रहा था-द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध की इस प्रथम लड़ाई में सिखों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
    • चिल्लियाँवाला की लड़ाई (Battle of Chillianwala)—चिल्लियाँवाला की लड़ाई 13 जनवरी, 1849 ई० को लड़ी गई थी-इसमें भी सिख सेना का नेतृत्व शेर सिंह तथा अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व लॉर्ड ह्यूग गफ़ कर रहा था-इस लड़ाई में अंग्रेजों को भारी पराजय का सामना करना पड़ा।
    • मुलतान की लड़ाई (Battle of Multan) दिसंबर, 1848 ई० में जनरल विश ने मुलतान के किले को घेर लिया-अंग्रेजों द्वारा फेंके गए एक गोले ने मुलतान के दीवान मूलराज की सेना का बारूद नष्ट कर दिया – परिणामस्वरूप मूलराज ने 22 जनवरी, 1849 ई० को आत्म-समर्पण कर दिया।
    • गुजराते की लड़ाई (Battle of Gujarat)—गुजरात की लड़ाई द्वितीय ऐंग्लो-सिख युद्ध की सबसे महत्त्वपूर्ण और निर्णायक लड़ाई थी-इसमें सिखों का नेतृत्व कर रहे शेर सिंह की सहायता के लिए चतर सिंह, भाई महाराज सिंह और दोस्त मुहम्मद खाँ का पुत्र अकरम खाँ आ गए थे-अंग्रेज़ सेना का नेतृत्व लॉर्ड गफ कर रहा था–इस लड़ाई को ‘तोपों की लड़ाई’ भी कहा जाता है-यह लड़ाई 21 फरवरी, 1849 ई० को हुई-इस लड़ाई में सिख पराजित हुए और उन्होंने 10 मार्च, 1849 ई० को हथियार डाल दिए।
  • युद्ध के परिणाम (Consequences of the War)-दूसरे ऐंग्लो-सिख युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिला दिया गया-सिख सेना को भंग कर दिया गया-दीवान मूलराज और भाई महाराज सिंह को निष्कासन का दंड दिया गया पंजाब का प्रशासन चलाने के लिए 1849 ई० में प्रशासनिक बोर्ड की स्थापना की गई।
  • पंजाब के विलय के पक्ष में तर्क (Arguments in favour of Annexation of the Punjab) लॉर्ड डलहौज़ी का आरोप था कि सिखों ने भैरोवाल की संधि की शर्ते भंग की-लाहौर दरबार ने संधि में किए गए वार्षिक 22 लाख रुपए में से एक पाई भी न दी-लॉर्ड डलहौज़ी का आरोप था कि मूलराज तथा चतर सिंह का विद्रोह पुनः सिख राज्य की स्थापना के लिए था अतः पंजाब का अंग्रेज़ी साम्राज्य में विलय आवश्यक था।
  • पंजाब के विलय के विरोध में तर्क (Arguments against Annexation of the Punjab) इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजों ने सिखों को जानबूझ कर विद्रोह के लिए भड़काया-मूलराज के विद्रोह को समय पर न दबाना एक सोची समझी चाल थी-लाहौर दरबार ने संधि की शर्तों का पूरी निष्ठा से पालन किया था-विद्रोह केवल कुछ प्रदेशों में हुआ था इसलिए पूरे पंजाब को दंडित करना पूर्णतः अनुचित था।

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Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न.

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Class 10th Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(1)

प्रत्येक देश की सरकार समाज में कानून की व्यवस्था और शांति स्थापित करती है। इस कार्य को सरकार कानूनों के निर्माण और व्यवस्था की स्थापना करके करती है। परन्तु सरकार अपनी इच्छा के अनुसार कानून बनाकर मनमानी नहीं कर सकती। देश की सरकार को संविधान मौलिक कानून के अनुसार ही कार्य करने होते हैं। इस प्रकार संविधान देश के प्रशासन और राज्य प्रबन्ध को निर्धारित करने वाले नियमों का मूल स्रोत होता है और यह शक्ति के दुरुपयोग पर प्रतिबन्ध लगाता है। जहाँ यह सरकार के अंगों के परस्पर और नागरिक के साथ सम्बन्धों को निर्धारित करता है, वहाँ यह सरकार द्वारा शक्ति के दुरुपयोग पर रोक भी लगाता है।

(a) संविधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संविधान एक मौलिक कानूनी दस्तावेज़ या लेख होता है जिसके अनुसार देश की सरकार अपना कार्य करती

(b) प्रस्तावना में वर्णित कोई तीन उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
संविधान की प्रस्तावना में भारतीय शासन प्रणाली के स्वरूप तथा इसके बुनियादी उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है। ये उद्देश्य निम्नलिखित हैं —
(1) भारत एक प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य होगा।
(2) सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिले।
(3) नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्राप्त होगी।
(4) कानून के सामने सभी नागरिक समान समझे जाएंगे।
(5) लोगों में बन्धुत्व की भावना को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति की गरिमा बढ़े और राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता को बल मिले।

(2)

अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। ये दोनों साथ-साथ चलते हैं। अन्य शब्दों में कर्तव्यों के बिना अधिकारों का कोई अस्तित्व नहीं। अतः सारे देशों ने संविधान में अपने नागरिकों के अधिकारों के साथ-साथ उनके मौलिक कर्त्तव्य भी अंकित किये हैं। भारतीय संस्कृति में सदा ही अधिकारों के स्थान पर कर्तव्यों पर अधिक बल दिया गया है। मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी। 1976 में संविधान के बयालीसवें संशोधन द्वारा नया अध्याय IV A में नागरिकों के दस कर्तव्य निर्धारित किये गए हैं। सन् 2002 में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा एक नया कर्तव्य जोड़ा गया है।

(a) भारतीय संविधान में नागरिकों के कर्त्तव्यों को कब और क्यों जोड़ा गया?
उत्तर-
मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी। इन्हें 1976 में (संविधान के 42वें संशोधन द्वारा) संविधान में सम्मिलित किया गया।

(b) भारतीय नागरिकों के तीन कर्त्तव्य बताएं।
उत्तर-
भारतीय नागरिकों के कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं —

  1. संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत का सम्मान करना।
  2. भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष को प्रोत्साहित करने वाले आदर्शों का सम्मान तथा पालन करना।
  3. भारत की प्रभुसत्ता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा करना।
  4. भारत की रक्षा के आह्वान पर राष्ट्र की सेवा करना।
  5. धार्मिक, भाषायी, क्षेत्रीय अथवा वर्गीय विभिन्नताओं से ऊपर उठ कर भारत के सभी लोगों में परस्पर मेलजोल और बन्धुत्व की भावना का विकास करना।
  6. सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और इसे बनाए रखना।
  7. वनों, झीलों, नदियों, वन्य जीवन तथा प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना।
  8. वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद, अन्वेषण और सुधार की भावना का विकास करना।
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और हिंसा का त्याग करना।

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(3)

लोकतांत्रिक शासन प्रणाली सबसे उत्तम समझी जाती है। वर्तमान समय में संसार के बहुत से देशों ने लोकतांत्रिक शासन को अपनाया हुआ है और यह बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। इसके बावजूद लोकतांत्रिक शासन प्रणाली प्रत्येक देश में पूर्ण रूप से सफल नहीं हुई।
लोकतन्त्र की सफलता के लिए प्रत्येक नागरिक अच्छे आचरण वाला, चेतन तथा बुद्धिमान सुशिक्षित, विवेकशील तथा समझदार, उत्तरदायी तथा सार्वजनिक मामलों में रुचि लेने वाला होना चाहिए। समाज में अच्छे तथा योग्य नेता, सामाजिक और आर्थिक समानता तथा निष्पक्ष प्रैस तथा न्यायपालिका, अच्छे राजनैतिक संगठित दल और नागरिकों में सहनशक्ति तथा सहयोग का होना लोकतन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्ते हैं। जे.एस. मिल के अनुसार लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए लोगों में लोकतांत्रिक शासन को नियमित करने की इच्छा और उसे चलाने की योग्यता, लोकतन्त्र की रक्षा के लिए सदा प्रयत्नशील रहना और नागरिकों में अधिकारों की रक्षा और कर्तव्यों के पालन की इच्छा बेहद आवश्यक है।

(a) लोकतन्त्र से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार, लोकतन्त्र लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन होता है।

(b) लोकतन्त्र को सफल बनाने की तीन शर्ते लिखिए।
उत्तर-
हमारे देश में लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं

  1. शिक्षा का प्रसार-सरकार को शिक्षा के प्रसार के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। गांव-गांव में स्कूल खोलने चाहिए, स्त्री शिक्षा का उचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए तथा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  2. पाठ्यक्रमों में परिवर्तन-देश के स्कूलों तथा कॉलजों के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन लाना चाहिए। बच्चों को राजनीति शास्त्र से अवगत कराना चाहिए। शिक्षा केन्द्रों में प्रजातान्त्रिक सभाओं का निर्माण करना चाहिए। जिनमें बच्चों को चुनाव तथा शासन चलाने का प्रशिक्षण मिल सके।
  3. चुनाव-प्रणाली में सुधार-देश में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि चुनाव एक ही दिन में सम्पन्न हो जाएं और उनके परिणाम भी उसी दिन घोषित हो जाएं।
  4. न्याय-प्रणाली में सुधार-देश में न्यायधीशों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि मुकद्दमों का निपटारा जल्दी हो सके। निर्धन व्यक्तियों के लिए सरकार की ओर से वकीलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता-देश में समाचार-पत्रों को निष्पक्ष विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए।
  6. आर्थिक विकास-सरकार को नये-नये उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए। उसे लोगों के लिए अधिक-सेअधिक रोज़गार जुटाने चाहिएं। ग्रामों में कृषि के उत्थान के लिए उचित पग उठाने चाहिएं।

(4)

लोकतन्त्र और लोकमत के गहरे सम्बन्ध को समझने के लिये यह जान लेना आवश्यक है कि लोकमत, लोकतन्त्र का आधार होता है। आज का युग लोकतन्त्र का युग है और लोकतन्त्र सदैव लोगों के कल्याण हेतु चलाया जाता है। इसके अतिरिक्त सही अर्थों में लोकमत, लोकतांत्रिक सरकार की आत्मा होता है क्योंकि लोकतांत्रिक सरकार अपनी सारी शक्ति जनमत से ही प्राप्त करती है और इसी के आधार पर कायम रहती है। ऐसी सरकार का हमेशा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे भाव उसके विरुद्ध न जाये। इस प्रकार हम लोकमत को कल्याणकारी सरकार की आत्मा भी कह सकते हैं। इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक सरकार में सरकार को राह पर चलाने के लिए जाग्रत जनमत की बहुत आवश्यकता है।

(a) लोकमत से आपका क्या भाव है?
उत्तर-
लोकमत से हमारा अभिप्राय जनता की राय अथवा मन से है।

(b) (लोकतंत्र में) लोकमत की भूमिका बताओ।
उत्तर-
लोकमत अथवा जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की आत्मा होता है, क्योंकि लोकतान्त्रिक सरकार अपनी शक्ति लोकमत से ही प्राप्त करती है। ऐसी सरकार का सदा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र लोगों का राज्य होता है। ऐसी सरकार जनता की इच्छाओं और आदेशों के अनुसार कार्य करती है। प्रायः यह देखा गया है कि आम चुनाव काफ़ी लम्बे समय के पश्चात् होते हैं जिसके फलस्वरूप जनता का सरकार से सम्पर्क टूट जाता है और सरकार के निरंकुश बन जाने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है। इससे लोकतन्त्र का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की सफलता का मूल आधार बन जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(5)

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और मंत्रिमण्डल में एक कड़ी की भूमिका निभाता है। मंत्रिमण्डल के निर्णयों को राष्ट्रपति को अवगत कराना उसका संवैधानिक कर्तव्य है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से किसी भी विभाग सम्बन्धी सूचना प्राप्त कर सकता है। यदि कोई मंत्री राष्ट्रपति से मिलना चाहता है या परामर्श लेना चाहता है तो वह ऐसा प्रधानमंत्री के द्वारा ही कर सकता है। संक्षेप में वह राष्ट्रपति और मंत्रिमण्डल के सदस्यों में मध्यस्थ का कार्य करता है।
प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता माना जाता है। प्रत्येक विपरीत परिस्थिति में लोकसभा इसके नेतृत्व की इच्छा करती है। प्रधानमंत्री की इच्छा के विपरीत लोकसभा कुछ भी नहीं कर सकती क्योंकि उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। वह लोकसभा में सरकार की नीतियों और निर्णयों की घोषण करता है। अक्ष्यक्ष प्रधानमंत्री के परामर्श से सदन का कार्यक्रम निश्चित करता है।

(a) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राष्ट्रपति संसद् में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है।

(b) प्रधानमंत्री के किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण कार्यों (शक्तियों) का वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का धुरा होता है।

  1. वह मन्त्रियों की नियुक्ति करता है और वही उनमें विभागों का बंटवारा करता है।
  2. वह जब चाहे प्रशासन की कार्यकुशलता के लिए मन्त्रिमण्डल का पुनर्गठन कर सकता है। इसका अभिप्राय यह है कि वह पुराने मन्त्रियों को हटा कर नए मन्त्री नियुक्त कर सकता है। वह मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है। यदि प्रधानमन्त्री त्याग-पत्र दे दे तो पूरा मन्त्रिमण्डल भंग हो जाता है।
  3. यदि कोई मन्त्री त्याग-पत्र देने से इन्कार करे तो वह त्याग-पत्र देकर पूरे मन्त्रिमण्डल को भंग कर सकता है। पुनर्गठन करते समय वह उस मन्त्री को मन्त्रिमण्डल से बाहर रख सकता है। इसके अतिरिक्त वह मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उनकी तिथि, समय तथा स्थान निश्चित करता है।

(6)

संविधान के अनुसार यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को यह रिपोर्ट दे या राष्ट्रपति को किसी भरोसेमन्द सूत्रों से यह सूचना मिले कि राज्य सरकार संवैधानिक ढंग से नहीं चल रही तो वह राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है। ऐसी घोषणा के उपरान्त राष्ट्रपति राज्य की मंत्रि परिषद् को बर्खास्त कर देता है और विधान सभा को भंग कर सकता है या स्थगित कर सकता है राष्ट्रपति शासन के अधीन राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है भाव वह केन्द्रीय सरकार के एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। संवैधानिक ढाँचा फेल होने पर राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं और वैधानिक शक्तियाँ संसद को प्राप्त हो जाती हैं।

(a) राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

(b) संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics उद्धरण संबंधी प्रश्न

(7)

भारत ने गुट निरपेक्षता को अपनी विदेश नीति का मूल सिद्धान्त बनाया है। जब भारत आजाद हुआ तब सारा विश्व दो गुटों में बँटा हुआ था-रूस और एंग्लो-अमरीकन गुट। भारत की विदेश नीति के निर्माता पंडित नेहरू ने अनुभव किया कि राष्ट्र के निर्माण हेतु भारत को शक्ति-गुटों के संघर्ष से दूर रहना चाहिए। इसलिए पंडित नेहरू ने गुट निरपेक्ष नीति को अपनाया-गुट निरपेक्षता का अर्थ है कि प्रतियोगी शक्ति-गुटों से जानबूझ कर अलग रहना, किसी देश के प्रति वैर-विरोध का भाव न रखना और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का गुण के आधार पर निर्णय करना तथा स्वतन्त्र नीति अपनाना। भारत के प्रयत्नों के फलस्वरूप गुट-निरपेक्ष आन्दोलन समूचे विश्व में एक शक्तिशाली तथा प्रभावशाली आन्दोलन बन गया है।

(a) भारत की परमाणु नीति क्या है?
उत्तर-
भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। परंतु हमारी विदेश नीति शांतिप्रियता पर आधारित है। इसलिए भारत की परमाणु नीति का आधार शांतिप्रिय लक्ष्यों की प्राप्ति करना और देश का विकास करना है। वह किसी पड़ोसी देश को अपनी परमाणु शक्ति के बल पर दबाने के पक्ष में नहीं है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध की स्थिति में भी हम परमाणु शक्ति का प्रयोग करने की पहल नहीं करेंगे।

(b) गुट-निरपेक्ष नीति का अर्थ और भारत का इसे अपनाने का क्या कारण है?
उत्तर-
गुट-निरपेक्ष नीति भारतीय विदेश नीति के मूल सिद्धान्तों में से एक है।
गुट-निरपेक्षता का अर्थ-गुट-निरपेक्षता का अर्थ है सैनिक गुटों से अलग रहना। इसका यह भाव नहीं है कि हम अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति दर्शक बने रहेंगे बल्कि गुण के आधार पर निर्णय लेने का प्रयास करेंगे। हम अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहेंगे। भारत द्वारा गुट-निरपेक्ष नीति अपनाने का कारण-भारत की स्वतन्त्रता के समय विश्व दो मुख्य शक्ति गुटोंऐंग्लो-अमरीकन शक्ति गुट और रूसी शक्ति गुट में बंटा हुआ था। विश्व की सारी राजनीति इन्हीं गुटों के गिर्द घूम रही थी और दोनों में शीत युद्ध चल रहा था। नव स्वतन्त्र भारत इन शक्ति गुटों के संघर्ष से दूर रह कर ही उन्नति कर सकता था। इसीलिए पं० नेहरू ने गुट-निरपेक्षता को विदेश नीति का आधार स्तम्भ बनाया।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 5 योग

PSEB 7th Class Physical Education Guide योग Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
‘योग’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
योग शब्द संस्कृत के ‘युज’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है मिलाना। साधारण शब्दों में योग का अर्थ मनुष्य को परमात्मा से मिलाना है अर्थात् वह विज्ञान जो हमें परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाता है उसे योग कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऋषि पतंजली के अनुसार योग क्या है ?
उत्तर-
योग का उद्देश्य एकता, मिलाप और प्रेम है। मनुष्य का मन चंचल होने के कारण हर समय भटकता रहता है जो कभी रुक नहीं सकता। योग की मदद से मन को नियंत्रित कर सकते हैं। महर्षि पतंजली के अनुसार मन की वृत्तियों को रोकना ही योग है।
विभिन्न विद्वानों ने ‘योग’ को इस प्रकार परिभाषित किया है—
डॉ० राधाकृष्ण के अनुसार, “योग वह मार्ग है जो व्यक्ति को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।”
श्री रामचरण के अनुसार, “योग व्यक्ति के तन को स्वास्थ्य, मन को शान्ति व आत्मा को चैन प्रदान करता है।”

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प्रश्न 3.
योग की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
डॉ० राधाकृष्ण के अनुसार, “योग वह मार्ग है जो व्यक्ति को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।”

प्रश्न 4.
‘आसन’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आसन प्राचीन यौगिक अभ्यास है जिससे प्राणायाम, ध्यान और समाधि का आधार तैयार होता है। आसन’ शब्द संस्कृत भाषा के शब्द ‘अस’ से लिया गया है जिसका मतलब है बैठने की कला। ऋषि पतंजली द्वारा “योग सूत्र में आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।”

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प्रश्न 5.
आसन कितने प्रकार के होते हैं। विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर-

  1. उपचार के लिए आसन-इन आसनों में मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है और अनेक कुरूपताओं का उपचार किया जा सकता है।
  2. साधना के लिए आसन-इन आसनों में शरीर को एक स्थिति में रख कर लम्बे समय तक बैठकर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
  3. आराम के लिए आसन-इन आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर को आराम देना होता है और लेटकर किए जाते हैं। इन आसनों से शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।

प्रश्न 6.
योग सिर्फ एक ईलाज की विधि है-इस धारणा के बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर-
1. क्या योग एक विशेष धर्म से सम्बन्धित है-भारत में योग प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों द्वारा आरम्भ किया गया है। इसलिए आम लोग इसे हिन्दू धर्म सम्बन्धित मानते हैं और योग केवल हिन्दुओं के लिए है। यह धारणा बिल्कुल गलत है। योग को किसी भी धर्म को मानने वाला अपना सकता है क्योंकि योग तो एक किस्म का शारीरिक व्यायाम है जिसका किसी धर्म से लेना-देना नहीं।

2. क्या योग केवल पुरुषों के लिए है-कुछ लोग मानते हैं कि योग करने वाले व्यक्ति को कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है और योग केवल पुरुष ही कर सकते हैं। योग स्त्रियों के लिए नहीं है। सच्चाई यह है कि योग के लिए कोई कठोर नियम नहीं है और योग स्त्रियों के लिए भी उतना लाभदायक है जितना पुरुषों के लिए लाभदायक है।

3. क्या योग केवल रोगियों के लिए है-योग से कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इसलिए कई लोग यह सोचते हैं कि योग केवल इलाज के लिए है और रोगियों के लिए है। यह धारणा गलत है क्योंकि कोई भी स्वस्थ मनुष्य योग कर सकता है और शरीर को बीमारियों से बचा सकता है।

4. क्या योग सिर्फ संन्यासियों के लिए है-ऋषि मुनि प्राचीन काल में योग का अभ्यास जंगलों में रह कर किया करते थे। आज भी कुछ लोग सोचते हैं योग करने के लिए मनुष्य को घर छोड़ना पड़ता है। एक गृहस्थी के लिए योग करना ठीक नहीं जोकि बिल्कुल गलत है। सच्चाई तो यह है कि योग घर में रहकर भी कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

Physical Education Guide for Class 7 PSEB योग Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
योग के बारे में अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर-
योग शब्द संस्कृत के ‘युज’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है मिलाना, मिलाप और प्रेम। योग के द्वारा व्यक्ति का परमात्मा से मेल।

प्रश्न 2.
महर्षि पतंजली के अनुसार योग के बारे में लिखें।
उत्तर-
महर्षि पतंजली के अनुसार मन की वृत्तियों को रोकना अथवा उनको नियंत्रित करना ही योग है।

प्रश्न 3.
योग सम्बन्धी कोई एक भ्रामक धारणा लिखें।
उत्तर-
योग किसी विशेष धर्म से सम्बन्धित नहीं है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

प्रश्न 4.
आसन क्या है ?
उत्तर-
ऋषि पतंजली के अनुसार आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसनों के कोई तीन सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-

  1. आसन करने के लिए आयु व लिंग का ध्यान रखना ज़रूरी है। बच्चों को अधिक कठोर आसन नहीं करने चाहिए, जिनसे उनकी शारीरिक वृद्धि प्रभावित हो।
  2. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  3. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय एक दम झटका नहीं देना चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसन के सिद्धान्त विस्तार से लिखें।
उत्तर-
आसन करने वाले व्यक्ति को कुछ सिद्धान्तों का पालन करना पड़ता है। इन सिद्धान्तों का पालन करने से हम आसनों से पूरा लाभ ले सकते हैं। ये सिद्धान्त इस प्रकार हैं

  1. आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव पैदा होना ज़रूरी है। तनाव से लचक पैदा होती है।
  2. आसन करते समय आयु और लिंग का ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों को कठोर आसन नहीं करने चाहिए जिससे उनके शरीर की वृद्धि में रुकावट न आ जाए। लड़कियों को मयूरासन अधिक नहीं करना चाहिए।
  3. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  4. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय जरक अथवा झटका नहीं लगाना चाहिए।
  5. आसन हमेशा प्रगति के सिद्धान्त के अनुसार करने चाहिए। पहले आसान आसन करने चाहिए। उसके पश्चात् कठिन आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
  6. गर्भवती महिलाओं को और हृदय रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
  7. आसन करने वाला स्थान साफ और शांत होना चाहिए। सुबह का समय आसन करने के लिए सबसे उच्च माना जाता है।
  8. आसन खाना खाने के चार घण्टे बाद या निराहार रह कर करने चाहिए।

प्रश्न 4.
आसन क्या है ?
उत्तर-
ऋषि पतंजली के अनुसार आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसनों के कोई तीन सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-

  1. आसन करने के लिए आयु व लिंग का ध्यान रखना ज़रूरी है। बच्चों को अधिक कठोर आसन नहीं करने चाहिए, जिनसे उनकी शारीरिक वृद्धि प्रभावित हो।
  2. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  3. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय एक दम झटका नहीं देना चाहिए।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसन के सिद्धान्त विस्तार से लिखें।
उत्तर-
आसन करने वाले व्यक्ति को कुछ सिद्धान्तों का पालन करना पड़ता है। इन सिद्धान्तों का पालन करने से हम आसनों से पूरा लाभ ले सकते हैं। ये सिद्धान्त इस प्रकार

  1. आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव पैदा होना ज़रूरी है। तनाव से लचक पैदा होती है।
  2. आसन करते समय आयु और लिंग का ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों को कठोर आसन नहीं करने चाहिए जिससे उनके शरीर की वृद्धि में रुकावट न आ जाए। लड़कियों को मयूरासन अधिक नहीं करना चाहिए।
  3. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  4. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय जरक अथवा झटका नहीं लगाना चाहिए।
  5. आसन हमेशा प्रगति के सिद्धान्त के अनुसार करने चाहिए। पहले आसान आसन करने चाहिए। उसके पश्चात् कठिन आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
  6. गर्भवती महिलाओं को और हृदय रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
  7. आसन करने वाला स्थान साफ और शांत होना चाहिए। सुबह का समय आसन करने के लिए सबसे उच्च माना जाता है।
  8. आसन खाना खाने के चार घण्टे बाद या निराहार रह कर करने चाहिए।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 धरातल Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 2 धरातल

SST Guide for Class 10 PSEB धरातल Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
भारत की प्रमुख भौतिक इकाइयों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत की प्रमुख भौतिक इकाइयां हैं-(i) हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, (ii) उत्तरी विशाल मैदान, (iii) प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र, (iv) तटीय मैदान, (v) भारतीय द्वीप।

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत श्रेणी का आकार कैसा है?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी का आकार एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा है।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय की प्रमुख चोटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की मुख्य चोटियां हैं-माऊंट के (K2), गाडविन ऑस्टिन, हिडन पीक, ब्राड पीक, गैशरबूम, राकापोशी तथा हरमोश।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

प्रश्न 4.
बृहत् हिमालय में 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-
बृहत् हिमालय की 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं-माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचन जंगा (8598 मीटर), मकालू (8481 मीटर), धौलागिरी (8172 मीटर), मनायशू, चोंउज, नागापर्वत तथा अन्नपूर्णा।

प्रश्न 5.
भारत की युवा एवं प्राचीन पर्वत मालाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत भारत के युवा पर्वत हैं और यहां के प्राचीन पर्वत अरावली, विन्ध्याचल, सतपुड़ा आदि हैं।

प्रश्न 6.
देश में रिफ्ट या दरार घाटियां कहां मिलती हैं?
उत्तर-
भारत में दरार घाटियां प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

प्रश्न 7.
डेल्टा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
नदी द्वारा अपने मुहाने पर बने स्थल-रूप को डेल्टा कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के मुख्य डेल्टाई क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के प्रमुख डेल्टाई क्षेत्र हैं-गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कृष्णा नदी डेल्टा क्षेत्र तथा महानदी का डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत के दरों के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत में पाये जाने वाले मुख्य दरै हैं-बुरजिल, जोझीला, लानक ला, चांग ला, खुरनक ला, बाटा खैपचा ला, शिपकी ला, नाथु ला, तत्कला कोट इत्यादि।

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प्रश्न 10.
लघु हिमालय की मुख्य पर्वत श्रेणियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियां हैं-(i) कश्मीर में पीर पंजाल तथा नागा टिब्बा, (ii) हिमाचल में धौलाधार तथा कुमाऊं, (iii) नेपाल में महाभारत, (iv) उत्तराखण्ड में मसूरी, (v) भूटान में थिम्पू।

प्रश्न 11.
लघु हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्धक घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय के मुख्य स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग तथा चकराता हैं।

प्रश्न 12.
देश की प्रमुख ‘दून’ घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश की मुख्य दून घाटियां हैं-देहरादून, पतली दून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि।

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प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयन्तिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 14.
उत्तर के विशाल मैदानों में नदियों द्वारा निर्मित प्रमुख भू-आकृतियों के नाम बताइए।
उत्तर-
उत्तरी मैदानों में नदियों द्वारा निर्मित भू-आकार हैं-जलोढ़ पंख, जलोढ़ शंकु, सर्पदार मोड़, दरियाई सीढ़ियां, प्राकृतिक बांध तथा बाढ़ के मैदान।।

प्रश्न 15.
ब्रह्मपुत्र के मैदानों का आकार (Size) क्या है?
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र का मैदान 640 किलोमीटर लम्बा तथा 90 से 100 किलोमीटर तक चौड़ा है।

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प्रश्न 16.
अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार कहां से कहां तक है तथा इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम क्या है?
उत्तर-
अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर (1722 मीटर) है।

प्रश्न 17.
पश्चिमी घाट की ऊंची चोटियों के नाम बताओ।
उत्तर-
पश्चिमी घाट की ऊंची चोटियां हैं-वाणुला माला (2339 मी०), कुदरमुख (1894 मी०), पुष्पगिरी (1714 मी०), कालसुबाई (1646 मी०) इत्यादि।

प्रश्न 18.
पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं।

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प्रश्न 19.
अन्नाई मुदी की पर्वत गांठ पर कौन-कौन सी पर्वत श्रेणियां आकर मिलती हैं?
उत्तर-
कार्डमम या ईलामी (Elami), अन्नामलाई तथा पलनी।

प्रश्न 20.
दक्षिणी पठार के पहाड़ी भागों पर कौन-कौन से रमणीय स्थान ( हिल स्टेशन) हैं?
उत्तर-
दोदाबेटा, ऊटाकमुंड, पलनी तथा कोडाईकनाल।

प्रश्न 21.
उत्तर-पूर्वी तटवर्ती मैदान के उप-भागों के नाम बताओ।
उत्तर-
उत्तर-पूर्वी तटीय मैदान के उप-भाग हैं- (i) उड़ीसा के मैदान, (ii) उत्तरी सरकार।

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प्रश्न 22.
अरब सागर में मिलने वाले द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर में स्थित उत्तरी द्वीपों को अमीनदिवी (Aminodivi), मध्यवर्ती द्वीपों को लक्काद्वीप तथा दक्षिणी भाग को मिनीकोय कहा जाता है।

प्रश्न 23.
देश के तट के समीप द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
देश के तट के समीप सागर, शोरट, न्युमूर, भासरा, मंढापस, ऐलिफैंटा, दीव (Diu) आदि द्वीप मिलते हैं।

प्रश्न 24.
देश का दक्षिणी बिन्द कहां स्थित है?
उत्तर-
देश का दक्षिणी बिन्दु ग्रेट निकोबार के इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) पर स्थित है।

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II. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दो —

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत माला एवं दक्षिण के पठार के बीच क्या कुछ समानताएं पायी जाती हैं?
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा दक्षिण के पठार में निम्नलिखित समानताएं पायी जाती हैं

  1. हिमालय पर्वत का निर्माण दक्षिणी पठार की उपस्थिति के कारण हुआ है।
  2. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, भ्रंश घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय पर्वत श्रृंखला से आने वाले दबाव के कारण बनी है।
  3. हिमालय पर्वतों की भान्ति दक्षिणी पठार में भी अनेक खनिज पदार्थ पाये जाते हैं।
  4. इन दोनों भौतिक भागों में वन पाये जाते हैं जो देश में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

प्रश्न 2.
क्या हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है?
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है। इनकी उत्पत्ति नदियों द्वारा टैथीज सागर में बिछाई गई तलछट से हुई है। बाद में इसके दोनों ओर स्थित भूखण्डों के एक-दूसरे की ओर खिसकने से तलछट में मोड़ पड़ गया जिससे हिमालय पर्वतों के रूप में ऊपर उठ आए। आज भी ये पर्वत ऊंचे उठ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन पर्वतों का निर्माण देश के अन्य पर्वतों की तुलना में काफ़ी बाद में हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि हिमालय पर्वत अभी भी अपनी युवा अवस्था में हैं।

प्रश्न 3.
बृहत् हिमालय की धरातलीय विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
महान् हिमालय पश्चिम में सिन्धु नदी की घाटी से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र की दिहांग घाटी तक फैला हुआ है। इसकी मुख्य धरातलीय विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है-

  1. यह देश की सबसे लम्बी तथा रची पर्वत श्रेणी है। इसमें ग्रेनाइट तथा नीस जैसी परिवर्तित रवेदार चट्टानें मिलती
  2. इसकी चोटियां बहुत ऊंची हैं। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां की चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं।
  3. इसमें अनेक रे हैं जो पर्वतीय मार्ग जुटाते हैं।
  4. इसमें काठमाण्डू तथा कश्मीर जैसी महत्त्वपूर्ण घाटियां स्थित हैं।

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प्रश्न 4.
उत्तरी विशाल मैदानी भाग में किस-किस जलोढ़ी मैदान का निर्माण हुआ है?
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदान में निम्नलिखित जलोढ़क मैदानों का निर्माण हुआ है —

  1. खादर के मैदान,
  2. बांगर के मैदान,
  3. भाबर के मैदान,
  4. तराई के मैदान,
  5. बंजर मैदान।

प्रश्न 5.
थार मरुस्थल पर एक संक्षिप्त भौगोलिक लेख लिखो।
उत्तर-
थार मरुस्थल पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ तक फैला हुआ है। यह मरुस्थल समतल तथा शुष्क है। अरावली पर्वत श्रेणी इसकी पूर्वी सीमा बनाती है। इसके पश्चिम में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। यह लगभग 640 कि० मी० लम्बा तथा 300 कि० मी० चौड़ा है। अति प्राचीन काल में यह क्षेत्र समुद्र के नीचे दबा हुआ था। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि यह मरुस्थल किसी समय उपजाऊ रहा होगा। परन्तु वर्षा की मात्रा बहुत कम होने के कारण आज यह क्षेत्र रेत के बड़े-बड़े टीलों में बदल गया है।

प्रश्न 6.
स्थिति के आधार पर भारतीय द्वीपों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
स्थिति के अनुसार भारत के द्वीपों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-तट से दूर स्थित द्वीप तथा तट के निकट स्थित द्वीप।

  1. तट से दूर स्थित द्वीप-इन द्वीपों की कुल संख्या 230 के लगभग है। ये समूहों में पाये जाते हैं। दक्षिणी-पूर्वी अरब सागर में स्थित ऐसे द्वीपों का निर्माण प्रवाल भित्तियों के जमाव से हुआ है। इन्हें लक्षद्वीप कहते हैं। अन्य द्वीप क्रमशः अमीनदिवी, लक्काद्वीप तथा मिनीकोय के नाम से प्रसिद्ध हैं। बंगाल की खाड़ी में तट से दूर स्थित द्वीपों के नाम हैं-अण्डमान द्वीप समूह, निकोबार, नारकोडम तथा बैरन आदि।
  2. तट के निकट स्थित द्वीप-इन द्वीपों में गंगा के डेल्टे के निकट स्थित सागर, शोरट, ह्वीलर, न्युमूर आदि द्वीप शामिल हैं। इस प्रकार के अन्य द्वीप हैं-भासरा, दीव, बन, ऐलिफंटा इत्यादि।

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प्रश्न 7.
तटवर्ती मैदानों की देश को क्या महत्त्वपूर्ण देन है ?
उत्तर-
तटीय मैदानों की देश को निम्नलिखित देन है —

  1. तटीय मैदान बढ़िया किस्म के चावल, खजूर, नारियल, मसालों, अदरक, लौंग, इलायची आदि की कृषि के लिए विख्यात हैं।
  2. ये मैदान अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अग्रणी हैं।
  3. इन मैदानों से समस्त देश में बढ़िया प्रकार की समुद्री मछलियां भेजी जाती हैं।
  4. तटीय मैदानों में स्थित गोआ, तमिलनाडु तथा मुम्बई के समुद्री बीच पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।
  5. देश में प्रयोग होने वाला नमक पश्चिमी तटीय मैदानों में तैयार किया जाता है।

प्रश्न 8.
हिमालय क्षेत्रों का देश के विकास में योगदान बताइए।
उत्तर-
हिमालय क्षेत्रों का देश के विकास में निम्नलिखित योगदान है —

  1. वर्षा-हिन्द महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि सभी मुख्य नदियां हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती हैं। शुष्क ऋत में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलानें चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकडी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।

प्रश्न 9.
प्रायद्वीपीय पठार देश के अन्य भागों को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर-

  1. प्रायद्वीपीय पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है। इसी से निकलने वाली नदियों ने पहले हिमालय का निर्माण किया और फिर हिमालय तथा अपने यहां से बहने वाली नदियों के तलछट से विशाल उत्तरी मैदानों का निर्माण किया।
  2. प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर घाटों पर बने जल-प्रपात तटीय मैदानों को सिंचाई के लिए जल तथा औद्योगिक विकास के लिए बिजली देते हैं।
  3. यहां के वन देश के अन्य भागों में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करें(i) तराई और भाबर, (ii) बांगर और खादर।
उत्तर-

  1. तराई और भाबर–भाबर वे मैदानी प्रदेश होते हैं जहां नदियां पहाड़ों से निकलते ही तुरन्त मैदानी प्रदेश .में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का यहां निक्षेप करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियां भूमि तल पर बहने की बजाए भूमि के नीचे बहती हैं। जब भाबर मैदानों की भूमिगत नदियां पुनः भूमि पर उभरती हैं, तो ये दलदली क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। शिवालिक पहाड़ियों के समानान्तर फैली इस आर्द्र तथा दलदली भूमि की पट्टी को तराई प्रदेश कहते हैं। यहां घने वन भी पाये जाते हैं तथा जंगली जीव जन्तु भी अधिक संख्या में मिलते हैं।
  2. बांगर और खादर-उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में बहने वाली नदियों में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आ जाती है और वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में मिट्टी की नई परतें बिछा देती हैं। बाढ़ से प्रभावित इस तरह के मैदानों को खादर के मैदान कहा जाता है। – बांगर वह ऊंची भूमि होती है जो बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होती और जिसमें चूने के कंकड़-पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसे रेह तथा कल्लर भूमि भी कहते हैं।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दें —

प्रश्न 1.
भारत को धरातलीय आधार पर विभिन्न भागों में बांटो तथा किसी एक भाग का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
धरातल के आधार पर भारत को हम पाँच भौतिक विभागों में बांट सकते हैं —

  1. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र
  2. विशाल उत्तरी मैदान
  3. प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र
  4. तट के मैदान
  5. भारतीय द्वीप।

इनमें से हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है —
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र-हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के रूप में फैले हैं। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2400 कि० मी तथा चौड़ाई 240 से 320 कि० मी० तक है।
ऊंचाई के आधार पर हिमालय पर्वतों को निम्नलिखित पाँच उपभागों में बांटा जा सकता है —

  1. ट्रांस हिमालय-इस विशाल पर्वत-श्रेणी का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे तिब्बती हिमालय भी कहा जाता है। इसकी कुल लम्बाई 970 कि० मी० तथा चौड़ाई (किनारों पर) 40 किमी० है। इन पर्वतों की औसत ऊंचाई 6100 मी० है। माऊंट K2 तथा गॉडविन ऑस्टिन (8611 मी०) इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  2. महान् हिमालय-यह भारत की सबसे लम्बी तथा ऊंची पर्वत-श्रेणी है। इसकी लम्बाई 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 100 से 200 कि० मी० तक है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। संसार की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  3. लघु-हिमालय-इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 3500 मी० से लेकर 5000 मी० तक है। इस पर्वत श्रेणी की ऊंची चोटियां शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाती हैं। यहां शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि स्वास्थ्यवर्धक स्थान पाये जाते हैं।
  4. बाह्य हिमालय-इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय तथा दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। इन पर्वतों के दक्षिण में कई झीलें पायी जाती थीं। बाद में इनमें मिट्टी भर गई और इन्हें दून (Doon) (पूर्व में इन्हें द्वार (Duar) कहा जाता है) कहा जाने लगा। इनमें देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि शामिल हैं।
  5. पहाड़ी शाखाएं-हिमालय पर्वतों की दो शाखाएं हैं-पूर्वी शाखाएं तथा पश्चिमी शाखाएं।
    पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल भी कहा जाता है।
    इन शाखाओं में ढ़फा बुम, पटकाई बुम, गारो, खासी, जैंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां सम्मिलित हैं।
    पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय की दो उपशाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान की साल्ट रेंज, सुलेमान तथा किरथर होते हुए दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान में स्थित हिम्दुकुश तथा कॉकेशस पर्वत श्रेणी से जा मिलती है।

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प्रश्न 2.
हिमालय की उत्पत्ति एवं बनावट पर लेख लिखो और बताइए कि क्या हिमालय अभी भी बढ़ रहे हैं?
उत्तर-
हिमालय की उत्पत्ति तथा बनावट का वर्णन इस प्रकार है —
उत्पत्ति-जहां आज हिमालय है, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खण्डों से घिरा एक लम्बा और उथला सागरं था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खण्ड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खण्डों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खण्ड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।
बनावट-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा दिखाई देता है जिसका मध्यवर्ती भाग नेपाल की सीमा तक शुकी हुआ है। इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे सफ़ेद कोह, सुलेमान तथा किरथर की पहाड़ियों द्वारा अरब सागर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के उत्तर-पूर्वी किनारे टैनेसरीम पर्वत श्रेणियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच जाते हैं।
हिमालय पर्वतों की दक्षिणी ढाल भारत की ओर है। यह ढाल बहुत ही तीखी है। परन्तु इसकी उत्तरी ढाल साधारण है। यह चीन की ओर है। दक्षिणी ढाल के अधिक तीखा होने के कारण इस पर जल-प्रपात तथा तंग नदी-घाटियां पाई जाती हैं।
ऊंचाई की दृष्टि से हिमालय की पर्वत श्रेणियों को पांच उपभागों में बांटा जा सकता है-

  1. ट्रांस हिमालय,
  2. महान् हिमालय,
  3. लघु हिमालय,
  4. बाह्य हिमालय तथा
  5. पहाड़ी शाखाएं।

हिमालय पर्वत की मुख्य विशेषता यह है कि ये आज भी ऊंचे उठ रहे हैं।

प्रश्न 3.
पश्चिमी एवं पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-
पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की आपसी तुलना इस प्रकार की जा सकती है —

पश्चिमी मैदान पूर्वी मैदान
(1) इनके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं। (1) पूर्वी तट के मैदानों के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा | पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियां हैं।
(2) इन मैदानों की लम्बाई 1500 कि० मी० और चौड़ाई 30 से 80 कि० मी० है। इन मैदानों में डेल्टाई निक्षेप का अभाव है। (2) इन मैदानों की लम्बाई 2000 कि० मी० है और इनकी औसत चौड़ाई 150 कि० मी० है। ये अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं तथा इनमें जलोढ़ मिट्टी का निक्षेप है।
(3) पश्चिमी मैदानों को धरातलीय विस्तार के आधार पर चार भागों में बांटते हैं-गुजरात का तटीय मैदान, कोंकण का तटीय मैदान, मालाबार तट का मैदान, केरल का मैदान। (3) पूर्वी तटीय मैदान के दो भाग हैं-उत्तरी तटीय मैदान तथा दक्षिण तटीय मैदान। उत्तरी मैदान को उत्तरी सरकार या गोलकुण्डा या काकीनाडा भी कहते हैं। दक्षिण तटीय मैदान को कोरोमण्डल तट भी कहते है।
(4) इन मैदानों में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती हैं। ये डेल्टा बनाने की बजाए ज्वारनदमुख बनाती है। (4) इस मैदान की प्रमुख नदियां महानदी, कावेरी, गोदावरी | तथा कृष्णा हैं।
(5) पश्चिमी मैदान में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है। यह वर्षा दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण होती है। (5) इस मैदान में शरद् ऋतु में वर्षा होती है। यह वर्षा | उत्तर-पूर्वी पवनों के कारण होती है।

 

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प्रश्न 4.
देश के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है —
आकार-रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लम्बाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 100 से 500 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है।
जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अतः टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ।
क्षेत्रीय विभाजन-उत्तरी विशाल मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है —

  1. पंजाब हरियाणा का मैदान- इस मैदान का निर्माण सतलुज, रावी, ब्यास तथा घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से हुआ है। इसमें बारी दोआब, बिस्त दोआब, मालवा का मैदान तथा हरियाणा का मैदान शामिल है।
  2. थार मरुस्थल का मैदान-पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात में स्थित कच्छ की रण तक के इस मैदान को थार मरुस्थल का मैदान कहते हैं।
  3. गंगा का मैदान-गंगा का मैदान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इसे असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के अति उत्तरी भाग सादिया (Sadiya) तक लगभग 640 किलोमीटर तक फैला हुआ है।

प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार एवं धरातलीय रचना क्या है ? ढलान को आधार मानकर इसके उपभागों का विवरण दें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत से लेकर उत्तर-पूर्व में शिलांग के पठार तक फैला हुआ है। दक्षिण में यह त्रिकोणीय आकार में कन्याकुमारी तक विस्तृत है। इस कठोर भू-भाग ने भारत के धरातलीय भाग का 50% भाग अपनी लपेट में लिया हुआ है। इसका क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग कि० मी० है और इसकी औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर तक है।
रचना-प्रायद्वीपीय पठार का जन्म कई करोड़ वर्ष पूर्व प्रीकैम्बरीअन काल में हुआ। यह लावा के ठण्डा होने से बना है। इसकी पर्वत श्रेणियों तथा पठारी भागों में नाईस, क्वार्टज़ तथा संगमरमर जैसी कठोर शैलें पाई जाती हैं।
विभाजन-इसके उत्तरी भाग को मालवा का पठार तथा दक्षिण भाग को दक्कन का पठार कहते हैं। दक्कन के पठार की ढाल दक्षिण पूर्व से उत्तर-पूर्व की ओर है। ___ मालवा का पठार-मालवा के पठार में बनास, चम्बल, केन तथा बेतवा नदियां बहती हैं। इसमें खनिज पदार्थ अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मीटर है। पारसनाथ (1365 मीटर) यहां की सबसे ऊंची चोटी है। मालवा के पठार में पाई जाने वाली तीन श्रेणियां हैं-अरावली श्रेणी, विन्ध्याचल श्रेणी, सतपुड़ा श्रेणी।
दक्कन का पठार-इसकी औसत ऊंचाई 300 से 900 मीटर तक है। इसके धरातल को मौसमी नदियों ने कांटछांट कर सात स्पष्ट भागों में बांटा हुआ है-महाराष्ट्र का टेबल लैंड, दंडकारणय-छत्तीसगढ़ क्षेत्र, तेलंगाना का पठार, कर्नाटक का पठार, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, दक्षिणी पहाड़ी समूह । पश्चिमी घाट की ऊंचाई 1200 मीटर और पूर्वी घाट की 500 मीटर है। दक्षिण भारत की सभी महत्त्वपूर्ण नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं। पश्चिमी और पूर्वी घाट जहां जाकर मिलते हैं, उन्हें नीलगिरि पर्वत कहते हैं। इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी दोदावेटा है, जो 2637 मीटर ऊंची है।
सच तो यह है कि प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों का भण्डार है और इसका भारत की आर्थिकता में बड़ा महत्त्व है।

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प्रश्न 6.
हिमालय व प्रायद्वीपीय पठार के धरातली लक्षणों की तुलना करें व अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5100 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है। इस पठार की औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर तक है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयन्तिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिन्दुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
    इस के विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार। ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  3. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  4. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर नोट लिखो(क) विन्ध्याचल, (ख) सतपुड़ा, (ग) अरावली पर्वत, (घ) सप्तक पठार (ङ) नीलगिरि।
उत्तर-
(क) विन्ध्याचल-विन्ध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है।
(ख) सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ (1350 मी०) तथा अमरकंटक (1127 मी०) ! इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊँचाई 1120 मी० है।
(ग) अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 725 कि० मी० की लम्बाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है।
(घ) सप्तक पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुन्देलखण्ड तथा बघेलखण्ड, पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चाप की तरह है। इस पठार में बनास, चम्बल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसकी तीन पर्वत श्रेणियां हैं- अरावली पर्वत श्रेणी, विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।।
(ङ) नीलगिरि-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं। इनकी औसत ऊंचाई 1220 मी० है।

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प्रश्न 8.
“क्या भारत के अलग-अलग भौतिक अंश आज़ाद इकाइयां हैं तथा एक-दूसरे के पूरक हैं ?” व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं कि भारत की भिन्न-भिन्न भौतिक इकाइयां एक-दूसरे की पूरक हैं। वे देखने में अलग अवश्य लगते हैं, परन्तु उनका अस्तित्व अलग नहीं है। यदि हम उनके जन्म और उनके मिलने वाले प्राकृतिक भण्डारों का अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(क) जन्म-

  1. हिमालय पर्वत का जन्म ही प्रायद्वीपीय पठार के अस्तित्व में आने के पश्चात् हुआ है।
  2. उत्तरी मैदानों का जन्म उन निक्षेपों से हुआ है, जिनके लिए प्रायद्वीपीय पठार तथा हिमालय पर्वत की नदियां उत्तरदायी हैं।
  3. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, दरार घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय के दबाव के कारण ही अस्तित्व में आए हैं।
  4. तटीय मैदानों का जन्म प्रायद्वीपीय घाटों की मिट्टी से हुआ है।

(ख) प्राकृतिक भण्डार-

  1. हिमालय पर्वत बर्फ का घर है। इसकी नदियां जल प्रपात बनाती हैं और इनसे जो बिजली बनाई जाती है, उसका उपयोग पूरा देश करता है।
  2. भारत के विशाल मैदान उपजाऊ मिट्टी के कारण पूरे देश के लिए अन्न का भण्डार है। इसमें बहने वाली गंगा नदी सारे भारत को प्रिय है।
  3. प्रायद्वीपीय पठार में खनिजों का खज़ाना दबा पड़ा है। इसमें लोहा, कोयला, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज़ आदि कई प्रकार के खनिज दबे पड़े हैं, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  4. तटीय मैदान देश को चावल, मसाले, अदरक, लौंग, इलायची जैसे व्यापारिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
    सच तो यह है कि देश की भिन्न-भिन्न इकाइयां एक दूसरे की पूरक हैं और ये देश के आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान देती हैं।

IV. भारत के नक्शे पर दिखाएं:

1. कराकोरम, जस्कर, कैलाश, पीरपंजाल और शिवालिक पर्वतीय श्रेणियां।
2. कोरोमंडल, कोंकण और मालाबार तटवर्ती हिस्से।
3. थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट के रास्ते।
4. जाजीला, नाथुला, जलेपला तथा शिपकी ला दरे।
5. माऊंट आबू, दार्जिलिंग, शिमला, पर्यटन केंद्र।
6. माऊंट एवरेस्ट, नन्दा देवी, कंचनजंगा, माऊँट गाडविन, असटिन।
उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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PSEB 10th Class Social Science Guide धरातल Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारत के प्रायद्वीपीय भाग को देश की प्राकृतिक बनावट का केन्द्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि भारत के प्रायद्वीपीय भाग ने देश के सम्पूर्ण धरातल के निर्माण में योगदान दिया है।

प्रश्न 2.
हिमालय का क्या अर्थ है?
उत्तर-
हिमालय का अर्थ है-हिम (बर्फ) का घर।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय को ‘तिब्बत हिमालय’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ट्रांस हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में है।

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प्रश्न 4.
ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई कितनी है?
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई 6100 मीटर है।

प्रश्न 5.
दून किसे कहते हैं?
उत्तरं-
‘दून’ बाह्य हिमालय में स्थित वे झीलें हैं जो मिट्टी से भर गई हैं।

प्रश्न 6.
हिमालय की पूर्वी शाखाओं की किन्हीं दो प्रमुख ऊंची चोटियों के नाम बताओ।
उत्तर-
दफा बम्म (4578 मी०) तथा सारामती (3926 मी०) हिमालय की पूर्वी शाखाओं की दो प्रमुख चोटियां हैं।

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प्रश्न 7.
विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
माऊंट एवरेस्ट।

प्रश्न 8.
माऊंट एवरेस्ट समुद्रतल से कितनी ऊंची है?
उत्तर-
8848 मी०।

प्रश्न 9.
ब्रह्मपुत्र के मैदान की लम्बाई तथा चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
इस मैदान की लम्बाई 640 किलोमीटर और चौड़ाई 90 से 100 किलोमीटर तक है।

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प्रश्न 10.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर-
कन्याकुमारी।

प्रश्न 11.
नागपुर के पठार की कोई एक विशेषता लिखो।
उत्तर-
लावे से बना यह पठार कटा-फटा है।

प्रश्न 12.
पश्चिमी घाट के दरों के नाम लिखो।
उत्तर-
थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट पश्चिमी घाट के दरें हैं।

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प्रश्न 13.
जोग झरना कहां है और यह कितना ऊंचा है?
उत्तर-
जोग झरना शरावती नदी पर है जिसकी ऊंचाई 250 मीटर है।

प्रश्न 14.
चिलका झील कितनी लम्बी है?
उत्तर-
चिलका झील 70 कि० मी० लम्बी है।

प्रश्न 15.
अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह में कितने-कितने द्वीप हैं?
उत्तर-
अण्डमान द्वीप समूह में 120 तथा निकोबार द्वीप समूह में 18 द्वीप सम्मिलित हैं।

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प्रश्न 16.
कौन-सी नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है?
उत्तर-
नर्मदा।

प्रश्न 17.
भारत के प्रमुख द्वीप समूह कौन-कौन से हैं और ये कहां स्थित हैं?
उत्तर-
(i) भारत के प्रमुख द्वीप समूह अण्डमान तथा निकोबार और लक्षद्वीप हैं।
(ii) ये क्रमशः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित हैं।

प्रश्न 18.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति किस सागर से हुई है?
उत्तर-
टैथीज़।

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प्रश्न 19.
हिमालय पर्वत किस प्रकार के पर्वत हैं?
उत्तर-
युवा मोड़दार।

प्रश्न 20.
हिमालय का अधिकतर भाग कहां फैला है?
उत्तर-
हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में फैला है।

प्रश्न 21.
ट्रांस हिमालय की मुख्य अथवा पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
गॉडविन आस्टिन तथा माऊंट K2 ट्रांस हिमालय अथवा पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊंची चोटियां हैं।

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प्रश्न 22.
भारत की सबसे लंबी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है?
उत्तर-
बृहत् हिमालय।

प्रश्न 23.
हिमालय की कौन-सी श्रेणी शिवालिक कहलाती है?
उत्तर-
बाह्य हिमालय।

प्रश्न 24.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में किस-किस जल प्रवाह प्रणाली का योगदान रहा है?
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों का योगदान है।

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प्रश्न 25.
रावी और ब्यास के मध्य भाग को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
बिस्त दोआब।

प्रश्न 26.
भारत का कौन-सा भू-भाग त्रिभुजाकार है?
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 27.
अरावली पर्वत श्रेणी की माऊंट आबू की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
उत्तर-
गुरु शिखर।

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प्रश्न 28.
गोआ से मंगलौर तक का समुद्री तट क्या कहलाता है?
उत्तर-
मालाबार तट।

प्रश्न 29.
कोंकण तट कहां से कहां तक फैला है?
उत्तर-
कोंकण तट दमन से गोआ तक फैला है।

प्रश्न 30.
भारत का कौन-सा भू-भाग सभी प्रकार के खनिजों का विशाल भंडार है?
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ट्रांस हिमालय की लम्बाई ……………. मीटर है।
  2. दफा बम्म तथा …………. हिमालय की पूर्वी शाखाओं की प्रमुख चोटियां हैं।
  3. ……………… विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
  4. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु ……………… है।
  5. थाल घाट, भोर घाट तथा …………. पश्चिमी घाट के रॆ हैं।
  6. चिल्का झील ………… कि०मी० लम्बी है। ।
  7. …………. नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है।
  8. …………… हिमालय भारत की सबसे लम्बी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है।
  9. मालाबार तट का विस्तार गोआ से ………… तक है।
  10. छत्तीसगढ़ का मैदान ………….. द्वारा बना है।

उत्तर-

  1. 6100
  2. सारामती,
  3. माऊंट ऐवरेस्ट,
  4. कन्याकुमारी,
  5. पाल घाट,
  6. 70,
  7. नर्मदा,
  8. बृहत्,
  9. मंगलौर,
  10. महानदी।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई है —
(A) 9848 मी०
(B) 7048 मी०
(C) 8848 मी०
(D) 6848 मी।
उत्तर-
(C) 8848 मी०

प्रश्न 2.
जोग झरना कहां है?
(A) गंगा नदी पर
(B) शरावती नदी पर
(C) यमुना नदी पर
(D) चिनाब नदी पर।
उत्तर-
(B) शरावती नदी पर

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प्रश्न 3.
हिमालय का अधिकतर भाग फैला है —
(A) भारत में
(B) नेपाल में
(C) तिब्बत में
(D) भटान में।
उत्तर-
(C) तिब्बत में

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति हुई है —
(A) टैथीज़ सागर से
(B) अंध महासागर से
(C) हिंद महासागर से
(D) खाड़ी बंगाल से।
उत्तर-
(A) टैथीज़ सागर से

प्रश्न 5.
रावी और व्यास के मध्य भाग को कहा जाता है —
(A) बिस्त दोआब
(B) प्रायद्वीपीय पठार
(C) चज दोआब
(D) मालाबार दोआब।
उत्तर-
(A) बिस्त दोआब

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प्रश्न 6.
भारत का त्रिभुजाकार भू-भाग कहलाता है —
(A) बृहत् हिमालय
(B) भोर घाट
(C) बिस्त दोआब
(D) प्रायद्वीपीय पठार।
उत्तर-
(D) प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 7.
अरावली पर्वत श्रेणी में माऊंट आबू की सबसे ऊंची चोटी है —
(A) K2
(B) गाडविन आस्टिन
(C) गुरु शिखर
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) गुरु शिखर

प्रश्न 8.
कोंकण तट का विस्तार है —
(A) दमन से गोआ तक
(B) मुम्बई से गोआ तक
(C) दमन से बंगलौर तक
(D) मुम्बई से दमन तक।
उत्तर-
(A) दमन से गोआ तक

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प्रश्न 9.
पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है —
(A) गुरु शिखर
(B) वाणुलामाला
(C) कोंकण शिखर
(D) माऊंट K2
उत्तर-
(B) वाणुलामाला

प्रश्न 10.
सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता है —
(A) दक्षिणी विशाल मैदान
(B) पूर्वी विशाल मैदान
(C) उत्तरी विशाल मैदान
(D) तिब्बत का मैदान।
उत्तर-
(C) उत्तरी विशाल मैदान

प्रश्न 11.
अण्डेमान द्वीप समूह में कुल कितने द्वीप हैं?
(A) 120
(B) 150
(C) 18
(D) 130
उत्तर-
(A) 120

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प्रश्न 12.
निकोबार द्वीप समूह में कुल कितने द्वीप हैं —
(A) 30
(B) 18
(C) 28
(D) 20
उत्तर-
(B) 18

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं —

  1. ट्रांस हिमालय को तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है।
  2. हिमालय के अधिकतर स्वास्थ्यवर्धक स्थान बृहत् हिमालय में स्थित हैं।
  3. उत्तरी विशाल मैदान की रचना में कावेरी तथा कृष्णा नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  4. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट नामक स्थित हैं।
  5. विश्व की सबसे अधिक वर्षा मसीनरम (Mansynram) में होती है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✓)

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V. उचित मिलान

  1. जोग झरना — कन्याकुमारी
  2. भारत में हिमालय की सबसे लम्बी और ऊंची शृंखला — बिस्त दोआब
  3. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु — शरावती नदी
  4. रावी और व्यास का मध्य भाग — बृहत् हिमालय।

उत्तर-

  1. जोग झरना — शरावती नदी,
  2. भारत में हिमालय की लम्बी और ऊंची श्रृंखला — बृहत् हिमालय
  3. भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिन्दु — कन्याकुमारी,
  4. रावी और व्यास का मध्य भाग — बिस्त दोआब।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. ये पर्वत भारत के उत्तर में स्थित हैं। ये एक चाप की तरह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। संसार का कोई भी पर्वत इनसे अधिक ऊंचा नहीं है। इनकी लम्बाई 2400 किलोमीटर और चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  2. हिमालय पर्वत की तीन समानान्तर शृंखलाएं हैं। उत्तरी श्रृंखला सबसे ऊंची है तथा दक्षिणी श्रृंखला सबसे कम ऊंची है। इन शृंखलाओं के बीच बड़ी उपजाऊ घाटियां हैं।
  3. इन पर्वतों की मुख्य चोटियां ऐवरेस्ट, नागा पर्वत, गाडविन ऑस्टिन, नीलगिरि, कंचनजंगा आदि हैं। ऐवरेस्ट संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।
  4. हिमालय की पूर्वी शाखाएं भारत तथा म्यनमार की सीमा बनाती हैं। हिमालय की पश्चिमी शाखाएं पाकिस्तान में हैं। इनके नाम सुलेमान तथा किरथर पर्वत हैं। इन शाखाओं में खैबर तथा बोलान के दर्रे स्थित हैं।

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प्रश्न 2.
भारत के मध्यवर्ती विशाल मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर-भारत का मध्यवर्ती विशाल मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इस मैदान की लम्बाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 100 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक है। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है-

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान,
  2. थार मरुस्थलीय मैदान,
  3. गंगा का मैदान,
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान। भारत की आर्थिक समृद्धि का आधार यही विशाल मैदान है। यहां नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके पूर्वी भागों में खनिज पदार्थों के विशाल भण्डार विद्यमान हैं।

प्रश्न 3.
भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
(1) ये मैदान पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित हैं। (1) ये मैदान पूर्वी घाट तथा खाड़ी बंगाल के बीच स्थित हैं।
(2) ये मैदान बहुत ही असमतल एवं संकुचित हैं। (2) ये मैदान अपेक्षाकृत समतल एवं चौड़ा है।
(3) इस मैदान में कई ज्वारनदमुख और लैगून हैं। (3) इस मैदान में कई नदी डेल्टा हैं।

 

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प्रश्न 4.
किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
(1) उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है।
(2) उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है।
(3) विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं।
(4) विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर नोट लिखो —
1. पश्चिमी घाट
2. पूर्वी घाट।
उत्तर-
1. पश्चिमी घाट- यह दक्षिणी पठार की प्रमुख पर्वत श्रेणी है। यह पर्वत श्रेणी पश्चिमी तट के साथ-साथ ताप्ती नदी से कन्याकुमारी तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊंची चोटी (2,339 मी०) वाणु ला माला है। इस घाट में थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट नामक तीन दर्रे भी हैं।
2. पूर्वी घाट-ये घाट उत्तर में महानदी घाटी से लेकर दक्षिण में नीलगिरि पहाड़ियों तक दक्षिणी पठार के पूर्वी किनारों पर लगभग 800 किलोमीटर लम्बे और 500 मीटर ऊँचे हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी महेन्द्रगिरि (1,500 मीटर) है।

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प्रश्न 6.
ट्रांस हिमालय से क्या भाव है?
उत्तर-
ट्रांस हिमालय (Trans Himalayas)-हिमालय पर्वत की विशाल श्रेणियाँ भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित पामीर की गाँठ (Pamir’s Knot) से उत्तर-पूर्वी दिशा के समानान्तर फैली हुई हैं। इसका अधिकतर भाग तिब्बत में है। इसलिए इन्हें ‘तिब्बत हिमालय’ भी कहा जाता है। इनकी कुल लम्बाई 970 किलोमीटर और चौड़ाई (दोनों किनारों पर) 40 किलोमीटर है परन्तु इसका केन्द्रीय भाग 222 किलोमीटर के लगभग चौड़ा हो जाता है। इनकी औसत ऊँचाई 6100 मीटर है। इसकी मुख्य पर्वतीय श्रेणियाँ जस्कर, कराकोरम, लद्दाख और कैलाश हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र बहुत ऊँची एवं मोड़दार चोटियों तथा विशाल हिमानियों (Glaciers) के लिए प्रसिद्ध है। माऊंट K2 इस क्षेत्र की सबसे ऊँची एवम् पृथ्वी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।

प्रश्न 7.
बृहत् हिमालय के नाम, स्थिति तथा आकार का वर्णन करो।
उत्तर-
बृहत् हिमालय का वर्णन इस प्रकार है

  1. नाम-हिमालय क्षेत्र के इस भाग को हिमाद्रि, आन्तरिक हिमालय या केन्द्रीय हिमालय भी कहा जाता है।
  2. स्थिति-यह उप-भाग पश्चिम में सिन्धु नदी के गहरे गॉर्ज (Gorge) से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी की दिहांग घाटी तक फैली हुई देश की सबसे लम्बी और ऊँची पर्वत श्रृंखला है। इसमें ग्रेनाइट, शिस्ट एवं नाईस जैसी प्राचीन महाकल्प की चट्टानें मिलती हैं।
  3. आकार-इस पर्वत श्रेणी की लम्बाई 2400 किलोमीटर और औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। इसकी चौड़ाई 100 से 200 किलोमीटर तक है।

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प्रश्न 8.
लघु हिमालय पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
लघु हिमालय-लघु हिमालय को हिमाचल या मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इस की औसत ऊँचाई… 3500 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक है। इन श्रेणियों की पहाड़ियाँ 60 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में मिलती है।

  1. श्रेणियाँ-जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल व नागा टिब्बा, हिमाचल में धौलाधार, नेपाल में महाभारत, उत्तराखण्ड में मसूरी और भूटान में थिम्पू इस पर्वतीय भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं।
  2. घाटियाँ-इस भाग में कश्मीर घाटी के कुछ भाग, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, भागीरथी घाटी व मन्दाकिनी घाटी जैसी लाभकारी व स्वास्थ्यवर्द्धक घाटियाँ मिलती हैं।
  3. स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान-इस क्षेत्र में शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि प्रमुख स्वास्थ्य वद्धक व रमणीय केन्द्र है।

प्रश्न 9.
बाह्य हिमालय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बाह्य हिमालय को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय और दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। ये पर्वत श्रेणियाँ लघु हिमालय के समानान्तर दक्षिण में पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हुई हैं। इनकी औसत ऊँचाई 900 से 1200 मीटर तथा चौड़ाई 15 से 50 किलोमीटर तक है। इस क्षेत्र का निर्माण टरशरी युग में हुआ था। इस क्षेत्र में लम्बी व गहरी तलछटी चट्टानें मिलती हैं जिनकी रचना चिकनी मिट्टी, रेत, पत्थर, स्लेट आदि के निक्षेपों द्वारा हुई है जो हिमालय से अपरदन द्वारा इन क्षेत्रों में जमा किया जाता रहा है। इस भाग की प्रसिद्ध घाटियां देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, छोखम्भा, उधमपुर तथा कोटली हैं।

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प्रश्न 10.
हिमालय की पूर्वी तथा पश्चिमी शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. पूर्वी शाखाएँ-इन शाखाओं को पूर्वांचल (Purvanchal) भी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्म’ नदी की दिहांग गॉर्ज से लेकर ये श्रृंखलाएँ भारत और म्यनमार (बर्मा) की सीमा बनाती हुई दो भागों में बंट जाती है

  1. गंगा-ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित शाखाएं बंगलादेश के मैदानों तक पहुंचती हैं जिसमें दफा बम्म, पटकोई बाम, गारी, खांसी, जयन्तिया व त्रिपुरा की पहाड़ियाँ आती हैं।
  2. ये शाखाएं पटकोई बम्म से शुरू होकर नागा पर्वत, बरेल, लुशाई से होती हुई इरावदी के डेल्टे तक पहुंचती है। हिमालय की इन पूर्वी शाखाओं में दफा बम्म (4578 मीटर) और सारामती (3926 मीटर) प्रमुख ऊँची चोटियों हैं।

2. पश्चिमी शाखाएँ-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गाँठ से हिमालय श्रेणियों की आगे दो उप-शाखाएँ बन जाती है। एक शाखा पाकिस्तान के मध्य में से सॉल्ट रेन्ज, सुलेमान व किरथर होती हुई दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में अरब सागर तक पहुँचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान से होकर हिन्दुकुश तथा कॉकेशस पर्वत की श्रृंखला से जा मिलती है।

प्रश्न 11.
उत्तरी विशाल मैदानों की चार धरातलीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदानों की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. समतल मैदान-सम्पूर्ण उत्तरी भारतीय मैदान समतल और सपाट है। इसमें मीलों तक कंकड़-पत्थर दिखाई नहीं पड़ता।
  2. नदियों का जाल-इस सम्पूर्ण मैदानी क्षेत्र में दरियाओं व नदनालों (Choes) का जाल सा बिछा हुआ है। इसके साथ दोआब के क्षेत्रों का निर्माण होता है। पंजाब राज्य का नाम भी पाँच नदियों के बहने के कारण तथा एकसार मिट्टी जमा होने के कारणं पंज-आब से पडा है।
  3. भं-आकार नदियों द्वारा जमा मिट्टियों से निर्मित मैदान जिसमें जलोढ़ पंखे, जलोढ़ीय शंकुओं, सर्प समान घुमाव, दरियाई सीढ़ियाँ, प्राकृतिक बन्ध, बाढ़ के मैदान जैसे भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  4. मैदानी तलछट इन मैदानों के तलछट में चिकनी मिट्टी (clay), बालू, दोमट और सिल्ट ज्यादा मोटाई में मिलती है। चिकनी मिट्टी अर्थात् पाण्डु मिट्टी नदियों के मुहानों के समीप अधिक मिलती है और ऊपरी भागों में बालू की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

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प्रश्न 12.
उत्तरी विशाल मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन करो।
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदोनों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. खादर के मैदान-उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल की नदियों में हर साल बाढ़ों के आने के कारण मृदा की नई तहें बिछ जाती हैं। इन नदियों के आस-पास बाढ़ वाले क्षेत्रों को खादर के मैदान कहा जाता है।
  2. बांगर के मैदान-ये वे ऊँचे मैदानी क्षेत्र हैं जहाँ पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। यहाँ की पुरानी तलछटों में चूने के कंकड़ अधिक मात्रा में मिलते हैं।
  3. भाबर के मैदान-उत्तर भारत में जब दरिया शिवालिक के पहाड़ी प्रदेशों को छोड़कर समतल प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो ये अपने साथ लाई बाल, कंकड़, बजरी, पत्थर व बट्टे आदि के जमाव द्वारा जिन मैदानों का निर्माण करते हैं, उसे भाबर के मैदान कहा जाता है। ऐसे मैदानी क्षेत्रों में छोटी-छोटी नदियों का पानी अक्सर धरती के नीचे बहता है।
  4. तराई के मैदान जब भाबर क्षेत्रों में अलोप हुई नदियों का पानी पुनः धरातल पर निकल आता है तब पानी के इकट्ठे हो जाने के कारण दलदली क्षेत्र (Marshy Lands) बन जाते हैं। इसमें गर्मी व नमी के कारण सघन वन उत्पन्न हो जाते हैं और जंगली जीव-जन्तुओं की भरमार हो जाती है।

प्रश्न 13.
पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो।
उत्तर-

  1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव के कारण बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है।
  2. पाकिस्तान सीमा से लेकर यमुना नदी तक इसकी लम्बाई पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम दिशा में 500 किलोमीटर तथा उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम में 640 किलोमीटर है।
  3. इस मैदान के उत्तरी भाग 300 मीटर तक ऊँचे हैं और दक्षिण पूर्वी भागों की ओर यह ऊँचाई 200 मीटर रह जाती है।
  4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 14.
ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। यह लगभग 640 किलोमीटर लम्बा और 90 से 100 किलोमीटर तक चौड़ा है। इसमें ब्रह्मपुत्र, सेसिरी, दिबांग और लोहित नदियों द्वारा हिमालय पर्वत और इसके आस-पास की पहाड़ी शाखाओं से मृदा लाकर जमा की गई है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
गंगा के मैदान के विभिन्न भौगोलिक पक्षों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गंगा के मैदान के मुख्य भौगोलिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. स्थिति-यह मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल राज्यों में स्थित है। यह पश्चिम में यमुना, पूर्व में बंगलादेश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा, उत्तर में शिवालिक तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी विस्तार के मध्य फैला हुआ है।
  2. नदियाँ-इस मैदान में गंगा, यमुना, घागरा, गण्डक, कोसी, सोन, बेतवा तथा चम्बल नदियां बहती हैं।
  3. भू-आकारीय नाम-गंगा के तराई वाले उत्तरी क्षेत्रों में बनी दलदली पेटियों को ‘कौर’ (caur) कहा जाता है। इसकी दक्षिणी सीमा में बड़े-बड़े खड्ड (Ravines) मिलते हैं जिन्हें ‘जाला’ व ‘ताल’ (Jala & Tal) अथवा बंजर भूमि कहते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त मैदान में पुरानी जमीं बांगर और नई बिछी खादर की जलोढ़ पट्टियों को ‘खोल’ (Khols) कहा जाता है। गंगा और यमुना दोआब में पवनों के निक्षेप द्वारा निर्मित बालू के टीलों को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तथा बिजनौर जिलों में ‘भूर’ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।
  4. ढलान तथा क्षेत्रफल-गंगा के मैदान की ढलान पूर्व की ओर है। 5. विभाजन-ऊँचाई के आधार पर गंगा के मैदानों को अग्रलिखित तीन उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है —
    1. ऊपरी मैदान-इन मैदानों को गंगा-यमुना दोआब भी कहते हैं। इनके पश्चिम में यमुना नदी है तथा 100 मीटर की ऊँचाई तक मध्यम ढाल वाले क्षेत्र इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। रुहेलखण्ड तथा अवध का मैदान भी इन्हीं मैदानों में सम्मिलित है।
    2. मध्यवर्ती मैदान-इस मैदान को बिहार के मैदान या मिथिला (Mithila) मैदान भी कहते हैं, जिसकी ऊँचाई लगभग 50 से 100 मीटर के बीच है। यह घागरा नदी से लेकर कोसी नदी तक 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
    3. निचले मैदान-गंगा के ये मैदानी भाग समुद्र तल से लगभग 50 मीटर ऊंचे हैं। ये राजमहल तथा गारो पर्वत श्रेणियों के मध्य एक समतल डेल्टाई क्षेत्र बनाते हैं। इसके उत्तर में तराई पट्टी के द्वार (Duar) मिलते हैं तथा दक्षिण में विश्व का सबसे बड़ा सुन्दरवन डेल्टा स्थित है।

प्रश्न 2.
पश्चिमी तटीय मैदानों का उसके उपभागों सहित विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तटीय मैदान अरब सागर और पश्चिमी घाट के मध्य, उत्तर से दक्षिण की ओर फैले हुए हैं। ये लगभग 1500 किलोमीटर की लम्बाई तथा 30 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत संकरे मैदान हैं। इनका ढलान दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर है। मैदानों को धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है —
(1) गुजरात तट, (2) कोंकण तट, (3) मालाबार तट, (4) केरल का मैदान।

  1. गुजरात तट-इस तटवर्ती मैदानी भाग में साबरमती, माही, लुनी, बनास, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियों के तलछट के जमाव से कच्छ तथा काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय मैदान और सौराष्ट्र के लम्बवत् मैदानों का निर्माण हुआ है। कच्छ का क्षेत्र अभी भी दलदली तथा समुद्र तल से नीचा है। काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय भाग में लावा युक्त गिर पर्वतीय श्रेणियाँ भी मिलती हैं। यहाँ की गिरनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ चोटी (1117 मीटर) की ऊंचाई सबसे अधिक है। गुजरात का यह तटवर्ती मैदान 400 किलोमीटर लम्बा तथा 200 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी औसत ऊँचाई 300 मीटर है।
  2. कोंकण तट-दमन से लेकर गोआ तक का मैदान कोंकण तट कहलाता है। इसके अधिकतर तटवर्ती भागों में धसने की क्रिया होती रहती है। इसीलिए इस 500 किलोमीटर लम्बे मैदान की पट्टी की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक रह जाती है। इस मैदानी भाग में तीव्र समुद्री लहरों द्वारा बनी संकरी खाड़ियां, आन्तरिक कटाव (Coves) और समुद्री बालू में बीच (Beach) आदि भू-आकृतियां मिलती हैं। थाना की संकरी खाड़ी में प्रसिद्ध मुम्बई द्वीप स्थित है।
  3. मालाबार तट-यह गोआ से लेकर मंगलौर तक लगभग 225 किलोमीटर लम्बा तथा 24 किलोमीटर चौड़ा मैदान है। इसे कर्नाटक का तटवर्ती मैदान भी कहते हैं। यह उत्तर की ओर संकरा परन्तु दक्षिण की ओर चौड़ा है। कई स्थानों पर इसका विस्तार कन्याकुमारी तक भी माना जाता है। इस मैदान में मार्मागोआ, मान्ढवी तथा शेरावती नदियों के समुद्री जल में डूबे हुए मुहाने (Estuaries) मिलते हैं। ..
  4. केरल के मैदान-मंगलौर से लेकर कन्याकुमारी तक 500 किलोमीटर लम्बे, 10 किलोमीटर चौड़े तथा 300 मीटर ऊँचे भाग केरल के मैदान कहलाते हैं। इन में बहुत-सी झीलें (Lagoons) तथा काईल (Kayals) पाये जाते हैं। यहाँ पर वैम्भानद (Vembanad) और अष्टमुदई (Astamudi) झीलों वाले क्षेत्रों में नौकाओं का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग होता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 2 धरातल

धरातल PSEB 10th Class Geography Notes

  1. भारत का धरातल-भारत का धरातल एक समान नहीं है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा उसकी नदियों द्वारा बने विस्तृत मैदान हैं। देश का दक्षिणी भाग एक पठारीय प्लेट है जो प्राचीन चट्टानों से बना है।
  2. भारत के भौतिक भाग-धरातल के अनुसार भारत को पाँच भागों में बांटा जा सकता है-(1) हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, (2) उत्तरी विशाल मैदान, (3) प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र (4) तटीय मैदान (5) भारतीय द्वीप।
  3. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र- बर्फ से ढका रहने वाला यह पर्वतीय क्षेत्र एक विशाल दीवार की तरह पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में कश्मीर तक फैला हुआ है। ये संसार के सबसे ऊंचे पर्वत हैं। इनकी लम्बाई 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  4. उत्तरी विशाल मैदान-ये मैदान हिमालय पर्वत और दक्षिणी पठार के बीच फैले हुए हैं। ये मैदान नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने हैं और ये अत्यंत ही उपजाऊ हैं।
  5. प्रायद्वीपीय पठार- यह पठारी भाग भारत का सबसे प्राचीन भाग है जो पहाड़ियों से घिरा है। यह आग्नेय चट्टानों से बना है।
  6. तटीय मैदान-ये मैदान पूर्वी और पश्चिमी घाट के साथ-साथ फैले हुए हैं। पूर्वी तट के मैदान पश्चिमी तट के मैदानों से चौड़े हैं।
  7. भारतीय द्वीप-बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में अनेक भारतीय द्वीप हैं। ये समूहों के रूप में मिलते हैं। इनमें से लक्षद्वीप समूह तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह प्रमुख हैं।
  8. जल प्रवाह अथवा नदियां-जल प्रवाह का अर्थ है-नदियां। भारत की नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है-उत्तरी भारत की नदियां और दक्षिण भारत की नदियां। उत्तरी भारत की नदियां सारा साल बहती हैं, परन्तु दक्षिणी भारत की नदियां केवल वर्षा ऋतु में ही बहती हैं।