PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

SST Guide for Class 9 PSEB एक गांव की कहानी Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें:

  1. मानव की आवश्यकताएं
  2. …………. जोखिम उठाता है।
  3. ………… उत्पादन का प्राकृतिक साधन है।
  4. एक वर्ष में एक भूखण्ड पर एक से अधिक फसलें पैदा करने को ………. कहते हैं।
  5. जो श्रमिक एक राज्य से दूसरे राज्य में श्रम करने के लिए जाते हैं उन्हें ………….. श्रमिक कहते हैं।
  6.  पंजाब को देश के ……………. के रूप में जाना जाता है।

उत्तर-

  1. असीमित
  2. उद्यमी
  3. भूमि
  4. बहुविविध फसल प्रणाली
  5. प्रवासी श्रमिक
  6. अन्न के कटोरे।

बहुविकल्पी प्रश्न :

प्रश्न 1.
उत्पादन का कौन-सा कारक अचल है ?
(क) भूमि
(ख) श्रम
(ग) पूंजी
(घ) उद्यमी।
उत्तर-
(क) भूमि

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
वह आर्थिक क्रिया जो वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य अथवा उपयोगिता की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है, कहलाती है
(क) उत्पादन
(ख) उपभोक्ता
(ग) वितरण
(घ) उपयोगिता।
उत्तर-
(क) उत्पादन

प्रश्न 3.
कृषि में विशेषकर गेहूँ व धान के उत्पादन में असाधारण वृद्धि को क्या कहते हैं ?
(क) हरित क्रांति
(ख) गेहूं क्रांति
(ग) धान क्रांति
(घ) श्वेत क्रांति।
उत्तर-
(क) हरित क्रांति

प्रश्न 4.
इग्लैंड की मुद्रा कौन-सी है ?
(क) रुपए
(ख) डॉलर
(ग) यान
(घ) पौंड।
उत्तर-
(घ) पौंड।

सही/गलत :

  1. भूमि की पूर्ति सीमित है।
  2. मनुष्य की सीमित आवश्यकताएं असीमित साधनों के साथ पूरी होती हैं।
  3. श्रम की पूर्ति को बढ़ाया एवं घटाया नहीं जा सकता।
  4. उद्यमी जोखिम उठाता है।
  5. मशीन व पशुओं द्वारा करवाया कार्य श्रम है।
  6. बाज़ार में वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाने से उनकी मांग बढ़ जाती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत
  6. ग़लत।

(क) अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मनुष्यों के व्यवहार का अध्ययन है जो यह बताता है कि किस प्रकार एक मनुष्य अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित साधनों से पूरा कर सकता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
भारत के गांवों की मुख्य उत्पादन क्रिया कौन-सी है ?
उत्तर-
खेती, भारत के गांवों की मुख्य उत्पादन है।

प्रश्न 3.
गांवों में सिंचाई के दो प्रमुख साधन कौन-से हैं।
उत्तर-

  1. टयूबवैल
  2. नहरें।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र में श्रम से क्या अभिप्राय है ? .
उत्तर-
अर्थशास्त्र में श्रम का कार्य उन सभी मानवीय प्रयासों से हैं, जो धन कमाने के उद्देश्य से किए जाते हैं। ये प्रयास शारीरिक या बौद्धिक दोनों हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
माँ द्वारा अपने बच्चे को पढ़ाने की क्रिया श्रम है अथवा नहीं ?
उत्तर-
इस कार्य को श्रम नहीं माना जाएगा क्योंकि यह कार्य धन प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं किया गया है।

प्रश्न 6.
श्रमिकों को परिश्रमिक किस रूप में मिलता हैं ?
उत्तर-
श्रमिक अपनी मजदूरी नकद या किस्म के रूप में प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 7.
गांव के लोगों द्वारा की जाने वाली कोई दो गैर कृषि क्रियाएं बताएं।
उत्तर-
गैर कृषि क्रियाएं निम्न हैं1. डेयरी 2. मुर्गीपालन।

प्रश्न 8.
बड़े व लघु किसान कृषि के लिए वांछित पूंजी कहां से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
बड़े किसान कृषि क्रियाओं के लिए पूंजी अपनी कृषि क्रियाओं से होने वाली बचतों से प्राप्त करते हैं जबकि छोटे किसान बड़े किसानों से ऊंची ब्याज दर पर रकम लेते हैं।

प्रश्न 9.
भूमि की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है।

प्रश्न 10.
मज़दूर एक राज्य से दूसरे राज्यों में प्रवास क्यों करते हैं ?
उत्तर-
श्रमिक अपनी आजीविका कमाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य को प्रवास करते हैं।

प्रश्न 11.
किसान पराली को क्यों जलाते हैं ?
उत्तर-
धान के अवशिष्ट भाव पराली का कोई निवेष प्रबंध न होने के कारण किसान उस पराली को आग लगाते हैं।

(स्व) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हम अर्थशास्त्र का अध्यायन क्यों करते हैं ?
उत्तर-
हम अर्थशास्त्र का अध्ययन इसलिए करते हैं क्योंकि यह एक विज्ञान है जो हमें यह बताता है कि किस प्रकार हम अपने सीमित साधनों का प्रयोग करके अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। अर्थशास्त्र का अध्ययन करके ही हम अपनी आय को इस प्रकार व्यय कर सकते हैं जिससे हमें अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो।

प्रश्न 2.
आर्थिक क्रिया क्या है ? एक उदाहरण दें।
उत्तर-
आर्थिक क्रिया वह क्रिया है जो एक व्यक्ति द्वारा अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित साधनों को कम करके की जाती है। इस क्रियाओं को किए जाने का मुख्य उद्देश्य धन प्रकट करना होता है।
उदाहरण-एक शिक्षक द्वारा विद्यालय में पढ़ाना।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 3.
सिंचाई के लिए टयूबवैल का निरन्तर प्रयोग भूमि के नीचे के जलस्तर को कैसे प्रभावित करता है ?
उत्तर-
सिंचाई के लिए टयूबवैल द्वारा पानी के निरंतर प्रयोग किए जाने से भूमिगत जल का स्तर कम होता जा रहा है। पंजाब में भूमिगत जल स्तर का कम होना एक गंभीर समस्या है। पंजाब में हर वर्ष अधिक से अधिक जल का प्रयोग करने हेतु भूमि के नीचे से नीचे स्तर से भी जल निकाला जा रहा है। इस तरह 20 वर्ष के बाद भूमिगत के पूरी तरह कम हो जाने का माप उत्पन्न होने लगा है।

प्रश्न 4.
भूमि के एक ही भाग पर उत्पादन वृद्धि के कोई दो भिन्न ढंग बताएं।
उत्तर-
एक ही भूमि के टुकड़ें पर एक वर्ष में एक से अधिक फसलें एक साथ उगाने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसे बहुविविध फसल प्रणाली कहते हैं। भूमि के एक ही टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने की यह एक सामान्य प्रक्रिया है। यह विद्युत टयूवबैल तथा किसानों को विद्युत की लगातार पूर्ति से संभव हो सका है।
दूसरी ओर, एक ही भूमि के टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने का अन्य तरीका आधुनिक विधियों का प्रयोग करना है जैसे उच्च पैदावार वाले बीज, रासायनिक खाद की पर्याप्त मात्रा कीटनाशक आदि।

प्रश्न 5.
बहुफसली विधि से क्या अभिप्राय है ? वर्णन करें।
उत्तर-
एक वर्ष में भूमि के एक टुकड़े पर एक साथ एक से अधिक फसलें उगाने की क्रिया को बहुविविध फसल प्रणाली कहते हैं। यह भूमि के एक ही टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने का साधारण तरीका है। यह विद्युत टयूवबैल तथा किसानों को निरंतर विद्युत की पूर्ति से संभव हो सका है। छोटी-छोटी नहरों से भी किसानों को कृषि के लिए जल उपलब्ध होता रहता है। जिसने वर्ष भर किसानों को कृषि करने के लिए प्रेरित किया है।

प्रश्न 6.
हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है ? यह कैसे संभव हुई है ?
उत्तर-
भारत में योजनाओं की अवधि में अपनाए गए कृषि सुधारों के फलस्वरूप 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी अधिक वृद्धि किसी क्रांति से कम नहीं थी। इसलिए इसे हरित क्रांति का नाम दिया गया। हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली भारी वृद्धि से है जो कृषि की नई नीति को अपनाने के कारण हुई।

प्रश्न 7.
भूमि पर आधुनिक कृषि पद्धति व ट्यूबवैल सिंचाई के कौन-से हानिकारक प्रभाव पड़े हैं ?
उत्तर-
भूमि एक प्राकृतिक संसाधन हैं, आधुनिक कृषि विधियां इसकी उपजाऊ शक्ति को कम कर रही हैं। आधुनिक कृषि विधियों के प्रयोग द्वारा प्रारंभिक स्तर में तो कृषि उत्पादन बढ़ता रहता है परंतु बाद में यह धीरे-धीरे घटता जाता है।
भूमिगत जल का स्तर भी टयूवबैल का अधिक प्रयोग करने से घटता जा रहा है। प्रत्येक वर्ष पंजाब के किसान भूमि को और अधिक नीचे तक खोदते रहते हैं। इन स्थितियों के द्वारा 20 वर्ष के बाद भूमिगत जल के पूरी तरह कम हो जाने का संकट उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 8.
गांव के किसानों में भूमि किस प्रकार वितरित हुई है ?
उत्तर-
इस गांव में दुर्भाग्यवश सभी लोग कृषि योग्य भूमि की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण कृषि कार्यों में संलग्न नहीं हैं। लगभग 20 परिवार ऐसे हैं जो अपनी भूमि के स्वामी हैं और 100 परिवार ऐसे हैं जिनके पास कृषि योग्य थोड़ी सी भूमि उपलब्ध है। जबकि 50 परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास अपनी कृषि योग्य भूमि नहीं है। यह लोग अन्य लोगों की भूमि पर काम करके अपनी आजीविका कमाते हैं।

प्रश्न 9.
गांव में कृषि के लिए श्रम के कोई दो स्त्रोत बताएं।
उत्तर-
किसानों कृषि कार्यों के लिए श्रम का स्वयं प्रबंध करते हैं। इसके अलावा, कुछ निर्धन परिवार अपनी आजीविका कमाने के लिए बड़े कृषकों की भूमि पर श्रम का कार्य करते हैं। ज़मींदारों की भूमि पर नाम करने के लिए कुछ प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश से भी गांव में आए हैं। इन्हें प्रवासी श्रमिक कहते हैं।

प्रश्न 10.
बड़े व मध्यम वर्गीय किसान कृषि के लिए आवश्यक पूंजी का प्रबंध कैसे करते हैं ?
उत्तर-
मझौले और बड़े किसानों के पास अधिक भूमि होती है अर्थात् उनकी जोतों का आकार काफ़ी बड़ा होता है जिससे वे उत्पादन अधिक करते हैं।
उत्पादन अधिक होने से वे इसे बाज़ार में बेच कर काफी पूंजी प्राप्त कर लेते हैं जिसका प्रयोग वे उत्पादन को आधुनिक विधियों को अपनाने में करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 11.
आर्थिक तथा अनार्थिक क्रिया में अंतर लिखें।
उत्तर-

आर्थिक  क्रियाएं अनार्थिक क्रियाएं
1. आर्थिक क्रियाएं अर्थव्यवस्था में वस्तुओं  व सेवाओं का प्रवाह करती हैं। 1. अनार्थिक क्रियाओं से वस्तुओं व सेवाओं का कोई प्रवाह अर्थव्यवस्था में नहीं होता।
2. जब आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि होती है तो इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था प्रगति 2. अनार्थिक क्रियाओं में होने वाली कोई भी वृद्धि अर्थव्यवस्था की प्रगति का निर्धारक नहीं है। में है।
3. आर्थिक क्रियाओं से वास्तविक व राष्ट्रीय आय व आय में वृद्धि होती है। 3. अनार्थिक क्रियाओं में से कोई राष्ट्रीय व्यक्तिगत आय में वृद्धि नहीं होती है।

प्रश्न 12.
श्रम की मुख विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
श्रम की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं-

  1. श्रम उत्पादन का एकमात्र सक्रिय साधन है।
  2. श्रम को पूर्ति घटाई व बढ़ाई जा सकती है।
  3. भारत में श्रम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
  4. धन कमाने के उद्देश्य से किए गए सभी मानवीय प्रयास श्रम है।
  5. श्रम को खरीदा व बेचा जा सकता है।
  6. श्रम गतिशील है।

प्रश्न 13.
लघु किसान कृषि के लिए वांछित पूंजी का प्रबंध कैसे करते हैं ?
उत्तर-
छोटे किसानों की पूंजी की आवश्यकता बड़े किसानों से भिन्न होती है क्योंकि छोटे किसानों के पास भूमि कम होने के कारण उत्पादन उनके भरण-पोषण के लिए भी कम बैठता है। उन्हें अधिकतम प्राप्त न होने के कारण बचतें नहीं होती। इसलिए खेती के लिए उन्हें पूंजी बड़े किसानों या साहूकारों से उधार लेकर पूरी करनी पड़ती है, जिस पर उन्हें काफी ब्याज चुकाना पड़ता है।

प्रश्न 14.
बड़े किसान अतिरिक्त कृषि उत्पादों को क्या करते हैं ?
उत्तर-
बड़े किसान अपने कृषि उत्पाद को नज़दीक के बाजार में बेचते हैं और बहुत अधिक धन कमा लेते हैं। इस कमाई हुई अतिरिक्त पूंजी का प्रयोग वे छोटे किसानों को ऊंची ब्याज दर पर ऋण देने के लिए करते हैं। इसके अलावा वो इस आधिक्य का प्रयोग अगले कृषि मौसम में उपज उगाने के लिए भी करते हैं और अपनी जमाओं को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 15.
भारत के गांवों में कौन-सी गैर-कृषि क्रियाएं की जाती हैं ?
उत्तर-
ग्रामीण क्षेत्र में जो गैर-कृषि कार्य हो रहे हैं वे निम्नलिखित हैं-

  1. पशुपालन द्वारा दुग्ध क्रियाएं।
  2. छोटे-छोटे उद्योग हैं जिसमें आटा चक्कियां, बुनकर उद्योग टोकरियां बनाना, फर्नीचर बनाना, लोहे के औज़ार बनाना आदि शामिल हैं।
  3. दुकानदारी।
  4. यातायात के साधनों का संचालन आदि।

प्रश्न 16.
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कौन-कौन सी गैर-कृषि क्रियाएं (गतिविधियां) चलाई जा रही है ?
उत्तर-
गैर-कृषि क्रियाओं को कम मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है । वर्तमान में, गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र अधिक विस्तृत नहीं हैं। गांवों में प्रत्येक 100 श्रमिकों में से केवल 24 श्रमिक ही गैर-कृषि क्रियाओं में संलग्न हैं। लोग गैर-कृषि क्रियाएं या तो अपनी बचतों से या ऋण लेकर शुरू कर सकते हैं। गांवों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करवा कर जैसे सड़क, बिजली, संचार, यातायात आदि से शहर के साथ जोड़ा जा सकता है तथा गैर-कृषि क्रियाओं को शुरू किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
फसलों के अवशिष्ट को खेतों में जलाने से भूमि की गुणवत्ता में पतन क्यों आता है ?
उत्तर-
फसलों के अवशिष्ट को खेतों में जलाने से ज़मीन की उपरी सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिस कारण ज़मीन में मिलने वाले सूक्ष्म जीव, बैक्टीरिया, मित्रकीट, फफूंद, पक्षी मौत का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ-साथ ज़मीन के लाभदायक तत्त्व और यौगिक भी तापमान में बढ़ौतरी के कारण नष्ट हो जाते हैं, परिणामस्वरूप भूमि की गुणवत्ता में पतन हो जाता है।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

गतिविधि-1

अपने निकटतम खेत में जाकर कुछ किसानों से चर्चा कीजिए तथा मालूम करने की कोशिश कीजिए।
प्रश्न 1.
किसान कृषि में परम्परावादी अथवा आधुनिक में किस विधि का प्रयोग कर रहे हैं : व क्यों।
उत्तर-
मेरे पड़ोस के खेतों में जिन किसानों की छोटी जोतें थीं वे खेती की पुरानी विधि का प्रयोग कर रहे हैं तथा जिन किसानों की जोतें बड़ी थीं वे नयी विधि का प्रयोग कर रहे थे। इन विधियों को प्रयोग करने का मुख्य कारण यही था कि जिन किसानों की जोतें छोटे आकार की हैं वे आधुनिक विधियों को प्रयोग करने में कम आय होने के कारण असमर्थ हैं। दूसरी ओर बड़े किसानों की आय अधिक होने के कारण वे आधुनिक विधि का प्रयोग करने में समर्थ हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
उसके द्वारा सिंचाई के कौन-से स्त्रोत का प्रयोग हो रहा हैं ?
उत्तर-
मेरे गांव में अधिकतर किसान सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर हैं परंतु कुछ बड़े किसान ट्यूवबैल, पंपसैट से भी सिंचाई करते हैं।

प्रश्न 3.
किसानों द्वारा बोई जाने वाली फसलों के प्रकार तथा इन फसलों को बीजने तथा काटने का समय क्या है ?
उत्तर-
मेरे गांव के किसान खरीफ़ तथा रवी दोनों प्रकार की फसलें उगाते हैं। खरीफ मौसम में मक्की, सूरजमुखी तथा चावल उगाते हैं तथा सर्दी से पहले इनकी कटाई हो जाती है। सर्दी में रवी फसल जैसे गेहूं, जौ, चना, सरसों उगाते हैं तथा अप्रैल मास में इनकी कटाई करते हैं।

प्रश्न 4.
किसानों द्वारा प्रयुक्त खादों व कीटनाशक दवाइयों के नाम लिखिए।
उत्तर-
खादों के नाम-

  1. यूरिया (Urea)
  2. वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost)
  3. जिप्सम (Gypsum)

कीटनाशक-

  1. Emanection Benzoate
  2. RDX BIO Pesticide
  3. Bitentrin 2.5% Ec
  4. Star one.

गतिविधि-2

प्रश्न 1.
अपने गांव या निकटवर्ती गांव के खेतों में जाकर पता करें कि किसान खेतों में पराली जला रहे हैं या नहीं ? यदि वे ऐसा कर रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में समझाइए।
उत्तर-
गांव के खेतों में जाने से मालूम हुआ कि किसान अगली फसल की बुआई करने की जल्दी के कारण विशेष रूप से धान की कटाई के बाद व गेहूं की बुआई से पहले अवशेषों को ठिकाने लगाने की व्यवस्था के अभाव में जल्दी हल के लिए वे खेतों में ही खूटी (Stubble) को जला रहे थे। मैंने उन्हें ऐसा करने से होने वाले बुरे परिणामों से अवगत करवाया उन्हें बताया कि इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है जो कि वातावरण असंतुलन फैलाता है। इससे भूमि की ऊपरी सतह का तापमान बढ़ जाता है जिसने विभिन्न प्रकार के जीवाणु, कवक, मित्र कीट आदि मर जाते हैं तथा भूमि के आवश्यक तत्वों का नाश होता है।

आइए चर्चा करें:

प्रश्न 1.
लघु स्तर के किसानों को बड़े स्तर के किसानों के खेतों में श्रमिकों की तरह कार्य क्यों करना पड़ता है ?
उत्तर-
उन्हें अपनी आजीविका कमाने के लिए श्रमिक के रूप में काम करना पड़ता है क्योंकि उन्होंने बड़े किसानों से निर्धनता के कारण ऋण लिए होते हैं जिसकी अदायगी के लिए उन्हें अपने खेतों को भी देना पड़ जाता है।

प्रश्न 2.
क्या कृषि श्रमिकों को पूरे वर्ष के लिए रोजगार उपलब्ध हो जाता है ?
उत्तर-
नहीं, खेतिहर मजदूरों को पूरे वर्ष भर रोज़गार नहीं मिलता। उन्हें दैनिक मज़दूरी आधार पर अथवा किसी विशेष खेती पर होने वाले क्रियाकलाप के दौरान जैसे कटाई या बुआई के समय ही काम मिलता है। वे मौसमी रोज़गार प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
कृषि श्रमिक को अपना पारिश्रमिक किस रूप में मिलता है।
उत्तर-
वे नकदी अथवा प्रकार में भी जैसे अनाज (चावल या गेहूँ) के रूप में भी मज़दूरी प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 4.
प्रवासी श्रमिक किन्हें कहा जाता हैं ?
उत्तर-
जब बड़े किसानों के खेतों में अन्य राज्यों से लोग आकर मजदूरी पर काम करते हैं तो उन्हें प्रवासी मजदूर कहते हैं।

प्रश्न 5.
श्रमिक प्रवास क्यों करते हैं ? अपने अध्यापक महोदय के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
श्रमिक इसलिए प्रवास करते हैं क्योंकि उनके स्थान पर आजीविका कमाने के लिए काम उपलब्ध नहीं होता है। हमने अपने गांव में देखा है कि अन्य राज्यों से लोग अपने वहां काम के अभाव से यहां गांव में आते हैं। इन्हें प्रवासी मज़दूर के नाम से जाना जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

PSEB 9th Class Social Science Guide एक गांव की कहानी Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें:

  1. वे सभी वस्तुएं जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, ……. कहलाती हैं।
  2. किसी वस्तु की प्रति इकाई को ………… लागत कहते हैं।
  3. पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमांत आय ……… होती है।
  4. उत्पादन के मुख्य …………. साधन हैं।
  5. ……….. में समरूप वस्तु के बहुत सारे क्रेता और विक्रेता होते हैं।
  6. आर्थिक लगान केवल …………. की सेवाओं के लिए प्राप्त होता है।
  7. दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु अथवा सेवा की पूर्ति का उसकी मांग से ……. होता है।
  8. …………. वह इकाई है जो लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से बिक्री के लिए उत्पादन करती है।
  9. …………. वह स्थिति है जिसमें एक बाज़ार में केवल एक ही उत्पादक होता है।
  10. किसी वस्तु की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति है।

उत्तर-

  1. पदार्थ
  2. औसत
  3. समान
  4. चार
  5. पूर्ण प्रतियोगिता
  6. भूमि
  7. कम
  8. फर्म :
  9. एकाधिकार
  10. उपयोगिता।।

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
इनमें से कौन मुद्रा का एक कार्य है ?
(क) विनिमय का माध्यम
(ख) मूल्य का मापदंड
(ग) धन का संग्रह
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
इनमें से कौन पदार्थ का प्रकार नहीं हैं ?
(क) भौतिक
(ख) संतुलित
(ग) नाशवान
(घ) टिकाऊ।
उत्तर-
(ख) संतुलित

प्रश्न 3.
इनमें से कौन उद्यमी का पारितोषिक है ?
(क) लाभ
(ख) लगान
(ग) मजदूरी
(घ) ब्याज।
उत्तर-
(क) लाभ

प्रश्न 4.
ब्याज किसकी सेवाओं के बदले में दिया जाता है?
(क) भूमि
(ख) श्रम
(ग) पूंजी
(घ) उद्यमी।
उत्तर-
(ग) पूंजी

प्रश्न 5.
किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो राशि प्राप्त होती है उसे कहते हैं ?
(क) आगम
(ख) उपयोगिता
(ग) मांग
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) आगम

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 6.
दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु की पूर्ति का उसकी मांग से होना है-
(क) कम
(ख) अधिक
(ग) समान
(घ) इनमें कोई नहीं।
(ख) उत्पादन की मात्रा
उत्तर-
(क) कम

प्रश्न 7.
औसत आय निकालने का सूत्र क्या है ?
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (1)
(ग) कुल आय × उत्पादन की मात्रा
(घ) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (2)

प्रश्न 8.
इनमें से कौन पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषता है ?
(क) समरूप वस्तु
(ख) समान कीमत
(ग) पूर्ण ज्ञान
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
एक विक्रेता व अधिक क्रेता किस बाज़ार का लक्ष्य है ?
(क) एकाधिकार
(ख) पूर्ण प्रतियोगिता
(ग) अल्पाधिकार
(घ) एकाधिकार प्रतियोगिता।
उत्तर-
(क) एकाधिकार

प्रश्न 10.
इनमें से कौन बाज़ार का एक प्रकार है ?
(क) अल्पाधिकार
(ख) पूर्ण प्रतियोगिता
(ग) एकाधिकार
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

सही/गलत :

  1. U.S.A. की करंसी डॉलर है।
  2. अध्यापक द्वारा घर में अपने बच्चे को पढ़ाना एक आर्थिक क्रिया है।
  3. भूमि की पूर्ति असीमित है।
  4. एक एकड़ 8 कनाल के बराबर होता है।
  5. हमारे देश में कुल खेती योग्य क्षेत्र का केवल 40 प्रतिक्षत क्षेत्र ही सिंचाई योग्य है।
  6. पंजाब पांच नदियों की भमि है।
  7. भूमिगत जल का स्तर पंजाब में बढ़ रहा है।
  8. भारत में लगभग 70% स्त्रोतों का आकार 2 हैक्टेयर से भी कम है।
  9. श्रम को हम बेच अथवा खरीद नहीं सकते हैं।
  10. पूंजी में घिसावट होती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. गलत
  3. ग़लत
  4. सही
  5. सही
  6. सही
  7. ग़लत
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न।।

प्रश्न 1.
उपयोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति अथवा गुण है जिसके द्वारा हमारी आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है।

प्रश्न 2.
सीमांत उपयोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपयोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उस सीमांत उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 3.
पदार्थ की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल के शब्दों में, “वे सभी वस्तुएं जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, अर्थशास्त्र में पदार्थ कहलाती हैं।”

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती और अंतिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। अंतिम वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोग या निवेश के उद्देश्य से बाज़ार में बिक्री के लिए उपलब्ध

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 5.
पूंजीगत वस्तुओं की परिभाषा दें।
उत्तर-
वे पदार्थ जिनके द्वारा किसी दूसरी वस्तु का उत्पादन होता है, जैसे कच्चा माल, मशीन इत्यादि, पूंजीगत वस्तुएं कहलाती हैं।

प्रश्न 6.
वस्तुओं और सेवाओं में क्या अंतर है ?
उत्तर-
वस्तुओं को देखा, छुआ तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। सेवाओं को देखा, छुआ और हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
धन की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र में वे सभी वस्तुएं जो विनिमय साध्य हैं, जिनमें उपयोगिता है तथा जो सीमित मात्रा में हैं. धन कहलाती हैं।

प्रश्न 8.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु अथवा सेवा की पूर्ति का उसकी मांग से कम होता है।

प्रश्न 9.
क्या बी०ए० की डिग्री और व्यवसाय की साख धन है ?
उत्तर-

  1. बी०ए० की डिग्री धन नहीं है क्योंकि यह उपयोगी और दुर्लभ तो है पर हस्तांतरणीय नहीं होती।
  2. व्यवसाय की साख धन है क्योंकि इसमें धन के तीन गुण-उपयोगिता, दुर्लभता तथा विनिमय साध्यता हैं।

प्रश्न 10.
मुद्रा की परिभाषा दें।
उत्तर-
मुद्रा कोई भी वस्तुं हो सकती है जिसको सामान्य रूप से, वस्तुओं के हस्तांतरण में विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।

प्रश्न 11.
मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता समय की एक निश्चित अवधि में, एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए इच्छुक तथा योग्य है।

प्रश्न 12.
पूर्ति की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है जिसको एक विक्रेता एक निश्चित कीमत पर निश्चित समय-अवधि में बेचने के लिए तैयार होता है।

प्रश्न 13.
मौद्रिक लागत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु का उत्पादन और बिक्री करने के लिए मुद्रा के रूप में जो धन खर्च किया जाता है, उसे उस वस्तु की मौद्रिक लागत कहते हैं।

प्रश्न 14.
सीमांत लागत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने पर कुल लागत में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत लागत कहते हैं।

प्रश्न 15.
औसत लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की प्रति इकाई को औसत लागत कहते हैं। कुल लागत को उत्पादन की मात्रा में भाग देने पर औसत लागत निकल आती है।

प्रश्न 16.
आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो राशि प्राप्त होती है, उसे फर्म की आय या आगम कहा जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 17.
सीमांत आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत आगम कहते हैं।

प्रश्न 18.
कीमत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु अथवा सेवा की एक निश्चित गुणवत्ता की एक इकाई प्राप्त करने के लिए दी जाने वाली मुद्रा की राशि को कीमत कहते हैं।

प्रश्न 19.
पूर्ण प्रतियोगिता में सीमांत आय और औसत आय में क्या संबंध होता है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में चूंकि कीमत (औसत आय) एक समान रहती है, इसलिए औसत आय तथा सीमांत आय दोनों बराबर होती हैं।

प्रश्न 20.
एकाधिकार की स्थिति में सीमांत आगम और औसत आगम में क्या संबंध होता है ?
उत्तर-
एकाधिकार की स्थिति में अधिक उत्पादन बेचने के लिए कीमत (औसत आगम) कम करनी पड़ती है। इसलिए अगर औसत आगम और सीमांत आगम दोनों नीचे की ओर गिर रही होती हैं।

प्रश्न 21.
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता वह स्थिति है जिसमें किसी समरूप वस्तु के बहुत सारे क्रेता और विक्रेता होते हैं और वस्तु की कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित होती है।

प्रश्न 22.
एकाधिकार की परिभाषा दें।
उत्तर-
एकाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु या सेवा का केवल एक ही उत्पादक होता है, पर वस्तु का कोई निकटतम प्रतिस्थानापन्न नहीं होता।

प्रश्न 23.
बाज़ार की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र में बाज़ार का अर्थ किसी विशेष स्थान से नहीं है बल्कि ऐसे क्षेत्र से है जहां क्रेता और विक्रेता में एक-दूसरे से इस प्रकार स्वतंत्र संपर्क हो कि एक ही प्रकार की वस्तु की कीमत की प्रवृत्ति आसानी से एक होने की पाई जाए।

प्रश्न 24.
उत्पादन के साधनों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन की प्रक्रिया में शामिल होने वाली सेवाओं के स्रोतों को उत्पादन साधन कहा जाता है।

प्रश्न 25.
भूमि की परिभाषा दें।
उत्तर-
भूमि से अभिप्राय केवल ज़मीन की ऊपरी सतह से नहीं है, बल्कि उन सभी पदार्थों और शक्तियों से है जिन्हें प्रकृति, भूमि, पानी, हवा, प्रकाश और गर्मी के रूप में मनुष्य, की सहायता के लिए मुफ़्त प्रदान करती है।

प्रश्न 26.
पूंजी की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल के शब्दों में, “प्रकृति के मुफ़्त उपहारों को छोड़कर सब प्रकार की संपत्ति जिससे आय प्राप्त होती है, पूंजी कहलाती है।”

प्रश्न 27.
श्रम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मनुष्य के वे सभी शारीरिक तथा मानसिक कार्य जो धन प्राप्ति के लिए किए जाते हैं, श्रम कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उद्यमी उत्पादन का वह साधन है जो भूमि, श्रम, पूंजी तथा संगठन को इकट्ठा करता है, आर्थिक निर्णय करता है और जोखिम उठाता है।

प्रश्न 29.
लगान की परंपरागत परिभाषा दें।
उत्तर-
परंपरावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार, “आर्थिक लगान वह लगान है जो सिर्फ़ भूमि की सेवाओं के लिए प्राप्त होता है।”

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 30.
लगान की आधुनिक परिभाषा दें।
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार, “उत्पादन के प्रत्येक साधन से आर्थिक लगान उत्पन्न होता है जबकि उसकी पूर्ति सीमित हो। किसी साधन की वास्तविक आय और हस्तांतरण आय के अंतर को लगान कहा जाता है।”

प्रश्न 31.
मज़दूरी की परिभाषा दें।
उत्तर-
मजदूरी से अभिप्राय उस भुगतान से है जो सभी प्रकार के मानसिक तथा शारीरिक परिश्रम के लिए दिया जाता है।

प्रश्न 32.
वास्तविक मजदूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वास्तविक मज़दूरी से अभिप्राय वस्तुओं तथा सेवाओं की उस मात्रा से है जो एक श्रमिक अपनी मजदूरी के बदले में प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 33.
नकद मज़दूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नकद मजदूरी मुद्रा की वह मात्रा है जो प्रति घंटा, प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, प्रति मास के हिसाब से प्राप्त होती

प्रश्न 34.
ब्याज की परिभाषा दें।
उत्तर-
ब्याज वह कीमत है जो मुद्रा को एक निश्चित समय के लिए प्रयोग करने के लिए ऋणी द्वारा ऋणदाता को दी जाती है।

प्रश्न 35.
कुल ब्याज तथा शुद्ध ब्याज में क्या अंतर है ?
उत्तर-
कुल ब्याज से अभिप्राय उस सारे धन से है जो ऋणी ऋणदाता को देता है जबकि शुद्ध ब्याज कुल ब्याज का वह अंग है जो केवल पूंजी के उपयोग के लिए दिया जाता है।

प्रश्न 36.
लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक उद्यमी अपने व्यवसाय की कुल आय में से कुल लागत को घटाकर जो धनात्मक (-) शेष प्राप्त करता है, उसे लाभ कहते हैं।

प्रश्न 37.
कुल लाभ तथा शुद्ध लाभ में क्या अंतर है ?
उत्तर-
शुद्ध लाभ का अभिप्राय है कुल लाभ तथा आंतरिक लागतों का अंतर जबकि कुल लाभ का अभिप्राय है कुल आय तथा कुल बाहरी लागतों का अंतर।

प्रश्न 38.
कुल लाभ की परिभाषा दें।
उत्तर-
कुल लाभ वह अधिशेष है जो उत्पादन कार्य में उत्पादन के सभी साधनों को उनके परिश्रम का पुरस्कार चुकाने के बाद उद्यमी को प्राप्त होता है।

प्रश्न 39.
शुद्ध लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
शुद्ध लाभ का अनुमान लगाने के लिए कुल लाभ में से आंतरिक.लागतों, घिसावट और बीमा आदि का खर्च . घटा दिया जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उपयोगिता की परिभाषा दें। उसकी विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
उपयोगिता की परिभाषा-उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति है जिसके द्वारा मनुष्य की आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है। उपयोगिता की विशेषताएं

  1. उपयोगिता एक भावगत तथ्य है-उपयोगिता को हम केवल अनुभव कर सकते हैं, उसे स्पर्श अथवा देखा नहीं जा सकता।
  2. उपयोगिता सापेक्षिक है-यह समय, स्थान तथा व्यक्ति के साथ बदल जाती है।
  3. उपयोगिता का लाभदायक होना आवश्यक नहीं है-यह ज़रूरी नहीं कि जिस वस्तु की उपयोगिता है, वह लाभदायक भी हो।
  4. उपयोगिता का नैतिकता के साथ संबंध नहीं है-यह ज़रूरी नहीं कि जो वस्तु उपयोगी है, वह नैतिक दृष्टि से भी ठीक हो।

प्रश्न 2.
कुल उपयोगिता, सीमांत उपयोगिता और औसत उपयोगिता की धारणाओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-

  1. कुल उपयोगिता-किसी वस्तु की विभिन्न मात्राओं के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता की इकाइयों के जोड़ को कुल उपयोगिता कहा जाता है।
  2. सीमांत उपयोगिता-किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो परिवर्तन आता है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं। माना पहला रसगुल्ला खाने से एक व्यक्ति को 15 इंकाई उपयोगिता प्राप्त होती है। दूसरा रसगुल्ला खाने के फलस्वरूप दोनों रसगुल्लों से मिलने वाली कुल उपयोगिता 25 इकाई हो जाती है। अत: 25 – 15 = 10 इकाई सीमांत उपयोगिता है। इस प्रकार प्रारंभिक उपयोगिता 15 इकाई होगी।
  3. औसत उपयोगिता-किसी वस्तु की कुल इकाइयों की कुल उपयोगिता को इकाइयों की मात्रा से विभाजित करने से हमारे पास औसत उपयोगिता आ जाती है। 3 वस्तुओं से 15 उपयोगिता मिलती है तो एक वस्तु की औसत उपयोगिता \(\frac{15}{3}\) = 5 है।

प्रश्न 3.
पदार्थ की परिभाषा दें और उसका वर्गीकरण करें।
उत्तर-
पदार्थ की परिभाषा-मार्शल के शब्दों में, “वे सब पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं, अर्थशास्त्र में पदार्थ कहलाते हैं।”
पदार्थ का वर्गीकरण-

  1. भौतिक पदार्थ-जिन्हें देखा जा सकता है।
  2. अभौतिक पदार्थ या सेवाएं-जिन्हें देखा नहीं जा सकता।
  3. आर्थिक पदार्थ-ये वे पदार्थ हैं जो मूल्य द्वारा प्राप्त किए जाते हैं।
  4. निःशुल्क पदार्थ-वे पदार्थ हैं जो बिना किसी मूल्य के मिल जाते हैं।
  5. उपभोक्ता पदार्थ उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करते हैं।
  6. उत्पादक पदार्थ-अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं।
  7. नाशवान् पदार्थ-जिनका केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है।
  8. टिकाऊ पदार्थ-वे पदार्थ जो काफ़ी समय तक काम में लाए जा सकते हैं।
  9. मध्यवर्ती पदार्थ-मध्यवर्ती पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।
  10. अंतिम पदार्थ-अंतिम पदार्थ वे पदार्थ हैं जो उपभोग या निवेश के उद्देश्य से बाज़ार में बिक्री के लिए उपलब्ध
  11. सार्वजनिक पदार्थ-जिन पदार्थों पर सरकार का स्वामित्व होता है।
  12. निजी पदार्थ-वे पदार्थ जिन पर किसी व्यक्ति का निजी अधिकार होता है।
  13. प्राकृतिक पदार्थ-जो प्रकृति ने लोगों को उपहार के रूप में प्रदान किए हैं।
  14. मानव द्वारा निर्मित पदार्थ-जिनका उत्पादन मानव द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
मुद्रा की परिभाषा दें। मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-से हैं ?
उत्तर-
मुद्रा का अर्थ-मुद्रा कोई भी वस्तु हो सकती है जिसको सामान्य रूप से, वस्तुओं के हस्तांतरण में विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।
मुद्रा के कार्य-

  1. विनिमय का माध्यम-सभी वस्तुएं मुद्रा के द्वारा खरीदी और बेची जाती हैं।
  2. मूल्य का मापदंड-सभी वस्तुओं का मूल्य मुद्रा में ही व्यक्त किया जाता है।
  3. भावी भुगतान का मान-सभी प्रकार के ऋण मुद्रा के रूप में ही लिए और दिए जाते हैं।
  4. धन का संग्रह- मुद्रा के रूप में धन का संग्रह करना सरल हो जाता है।
  5. विनिमय शक्ति का हस्तांतरण-मुद्रा के रूप में धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से भेजा जा सकता है।

प्रश्न 5.
मांग से क्या अभिप्राय है ? एक तालिका और रेखाचित्र की सहायता से मांग की धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
मांग का अर्थ-“मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसको एक उपभोक्ता समय की एक निश्चित अवधि में, एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए इच्छुक और योग्य है।”
मांग तालिका–मांग की धारणा को निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

कीमत (₹) मांग की मात्रा (कि० ग्रा०)
1 40
2 30
3 20
4 10

तालिका से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ती जाती है, उसकी मांग कम होती जाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (3)
मांग वक्र-मांग वक्र वह वक्र है जो मांग और कीमत का संबंध प्रकट करता है। मांग वक्र की सहायता से भी मांग को स्पष्ट किया जा सकता है। जब कीमत ₹ 1 है तो मांग 40 इकाइयां है, जब कीमत ₹4 है तो मांग 10 इकाइयां है। इस प्रकार मांग वक्र का ढलान ऊपर से बाईं ओर तथा नीचे दाईं
ओर होता है जो यह दर्शाता है कि कीमत अधिक होने पर मांग कम होती है और कीमत कम होने पर मांग अधिक होती है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 6.
पूर्ति की परिभाषा दें। एक तालिका और रेखाचित्र द्वारा पूर्ति की धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
पूर्ति की परिभाषा-किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है जिसको एक विक्रेता एक निश्चित समय में किसी कीमत पर बेचने के लिए तैयार होता है।
पूर्ति तालिका-पूर्ति तालिका एक ऐसी तालिका है जिसके द्वारा वस्तु की पूर्ति की मात्रा का उसकी कीमत से संबंध दिखाया जा सकता है।
पूर्ति तालिका-पूर्ति की धारणा को निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

कीमत (₹) मांग की मात्रा (कि० ग्रा०)
1 0
2 10
3 20
4 30

तालिका से स्पष्ट होता है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ रही है, उसकी पूर्ति की मात्रा भी बढ़ रही है। इस प्रकार पूर्ति तालिका कीमत और बेची जाने वाली मात्रा के संबंध को दिखाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (4)
पूर्ति वक्र-पूर्ति वक्र वह वक्र है जो किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति का संबंध प्रकट करता है। रेखाचित्र में पूर्ति वक्र है जो बाएं से दाएं ऊपर को जा रहा है। SS पूर्ति वक्र के धनात्मक ढलान से ज्ञात होता है कि कीमत के बढ़ने पर पूर्ति बढ़ती है और कीमत के कम होने पर पूर्ति कम होती है।

प्रश्न 7.
लागत की परिभाषा दें। कुल लागत, सीमांत लागत और औसत लागत की धारणाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
लागत की परिभाषा-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के लिए उत्पादन के साधनों को जो कुल मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है, उसे मौद्रिक उत्पादन लागत कहते हैं।
कुल लागत-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन पाने के लिए जो धन खर्च करना पड़ता है, उसे कुल लागत कहते हैं।
औसत लागत-किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते हैं। कुल लागत को उत्पादन की मात्रा से भाग देने पर औसत लागत का पता लगता है।
कुल लागत
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (5)
सीमांत लागत-सीमांत लागत कुल लागत में वह परिवर्तन है जो एक वस्तु की एक और इकाई पैदा करने पर खर्च आती है।

प्रश्न 8.
आय की परिभाषा दें। कुल आय, सीमांत आय और औसत आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय की परिभाषा-किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो कुल राशि प्राप्त होती है, उसे फ़र्म की आगम (आय) कहा जाता है।
कुल आय-एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक निश्चित मात्रा बेच कर जो धन प्राप्त होता है, उसे कुल आय कहते हैं।
सीमांत आय–एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक इकाई अधिक बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है, उसको सीमांत आय कहा जाता है।
औसत आय-किसी वस्तु की बिक्री से प्राप्त होने वाली प्रति इकाई आगम औसत आय कहलाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (6)

प्रश्न 9.
फ़र्म की परिभाषा दें। एक उत्पादक के रूप में फ़र्म के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
फ़र्म की परिभाषा-फ़र्म उत्पादन की वह इकाई है जो लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से बिक्री के लिए उत्पादन करती है।
एक उत्पादक के रूप में फ़र्म के कार्य-उत्पादक के रूप में फ़र्म वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है और उनकी बिक्री करती है। एक फ़र्म अपना उत्पादन न्यूनतम लागत पर करने का प्रयत्न करती है और वह उसको बेचकर अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहती है। एक उत्पादक के रूप में फ़र्म वास्तव में उद्यमी का ही एक रूप होती है।

प्रश्न 10.
बाजार की परिभाषा दें। बाजार की मख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
बाज़ार की परिभाषा-कूरनो के शब्दों में, “अर्थशास्त्री बाज़ार का अर्थ किसी विशेष स्थान से नहीं लेते जहां वस्तुएं खरीदी या बेची जाती हैं बल्कि उस सारे क्षेत्र से लेते हैं जहां क्रेता और विक्रेता में एक-दूसरे से इस प्रकार स्वतंत्र संपर्क हो कि एक ही प्रकार की वस्तु की कीमत की प्रवृत्ति आसानी और शीघ्रता से एक होने की पाई जाए।”
बाज़ार की मुख्य विशेषताएं-

  1. क्षेत्र-अर्थशास्त्र में ‘बाज़ार’ शब्द से आशय किसी स्थान विशेष से नहीं है बल्कि बाज़ार का बोध उस संपूर्ण क्षेत्र से होता है, जिसमें बेचने वाले और खरीदने वाले फैले होते हैं।
  2. एक वस्तु-अर्थशास्त्र में ‘बाजार’ एक ही वस्तु का माना जाता है; जैसे घी का बाज़ार, फल का बाज़ार इत्यादि।
  3. क्रेता-विक्रेता-क्रेता एवं विक्रेता दोनों ही बाजार के महत्त्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग हैं।
  4. स्वतंत्र प्रतियोगिता-बाज़ार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं में स्वतंत्र रूप से प्रतियोगिता होनी चाहिए।
  5. एक कीमत-जब बाज़ार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं में स्वतंत्र प्रतियोगिता होगी तो इसका परिणाम यह होगा कि वस्तु की कीमत एक समय में एक ही होगी।

प्रश्न 11.
संतुलन की धारणा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संतुलन का अर्थ-“संतुलन वह अवस्था है, जिसमें विरोधी दिशा में परिवर्तन लाने वाली शक्तियां पूर्ण रूप से एक-दूसरे के बराबर होती हैं अर्थात् परिवर्तन की कोई प्रवृत्ति नहीं पाई जाती।”
उदाहरण के लिए, जब एक फ़र्म को अधिकतम लाभ प्राप्त होते हैं, उसमें परिवर्तन की प्रवृत्ति नहीं पाई जाती। फ़र्म की इस स्थिति को संतुलन की स्थिति कहा जाएगा।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 12.
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा दें। इसकी विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा-पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार की वह स्थिति है जिसमें बहुत सारी फ़र्मे होती हैं और वे सभी एक समरूप वस्तु की बिक्री करती हैं। इस अवस्था में फ़र्म कीमत स्वीकार करने वाली होती है न कि निर्धारित करने वाली।
पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएं-पूर्ण प्रतियोगिता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. क्रेताओं और विक्रेताओं की अधिक संख्या
  2. समरूप वस्तुएं
  3. पूर्ण ज्ञान
  4. फ़र्मों का स्वतंत्र प्रवेश व निकास
  5. समान कीमत
  6. साधनों में पूर्ण गतिशीलता।

प्रश्न 13.
एकाधिकार की परिभाषा दें। इसकी विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एकाधिकार की परिभाषा-एकाधिकार वह स्थिति है जिसमें बाजार में एक वस्तु का केवल एक ही उत्पादक होता है।
एकाधिकार की विशेषताएं-एकाधिकार बाजार की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं

  1. एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता-एकाधिकार बाज़ार में वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है। वस्तु के क्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं।
  2. नई फ़र्मे बाज़ार में नहीं आ सकतीं-एकाधिकारी बाज़ार में कोई नई फ़र्म प्रवेश नहीं कर सकती।
  3. निकटतम स्थानापन्न नहीं होता-एकाधिकार बाज़ार में उत्पादित वस्तुओं का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता।
  4. कीमत पर नियंत्रण-एकाधिकारी का वस्तु की कीमत पर नियंत्रण होता है।

प्रश्न 14.
आर्थिक क्रियाएं क्या हैं ? उनके मुख्य प्रकार कौन-से हैं ?
उत्तर-
आर्थिक क्रियाओं का अर्थ-आर्थिक क्रियाएं वे क्रियाएं हैं जिनका संबंध धन के उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा वितरण से होता है। इन क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति होता है।
आर्थिक क्रियाओं के प्रकार-

  1. उपभोग-उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका संबंध आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से होता है।
  2. उत्पादन-उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसका संबंध वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता या कीमत में वृद्धि करने से है।
  3. विनिमय-विनिमय वह क्रिया है जिसका संबंध किसी वस्तु के क्रय-विक्रय से है।
  4. वितरण-वितरण का संबंध उत्पादन के साधनों की कीमत अर्थात् भूमि की कीमत (लगान), श्रम की कीमत (मज़दूरी), पूंजी की कीमत (ब्याज) और उद्यमी को प्राप्त होने वाली कीमत (लाभ) के निर्धारण से है।

प्रश्न 15.
आर्थिक और अनार्थिक क्रियाओं में अंतर बताओ।
उत्तर-
यदि कोई क्रिया धन प्राप्त करने के लिए की जाती है तो इस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहा जाता है। इसके विपरीत यदि वह ही क्रिया मनोरंजन, धर्म, प्यार, दया, देश-प्रेम, समाज-सेवा, कर्त्तव्य आदि उद्देश्यों के लिए की जाती है तो उसको अनार्थिक क्रिया कहा जायेगा। इस अंतर को एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। माना अर्थशास्त्र के अध्यापक 500 रुपए प्रति माह फीस लेकर आपको एक घंटा घर पर ही अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं तो उनकी यह क्रिया आर्थिक क्रिया कहलाती है। इसके विपरीत यदि वह आपको एक निर्धन विद्यार्थी होने के नाते बिना कोई फीस लिए मुफ्त में अर्थशास्त्र पढाते हैं, तो उनकी यह क्रिया अनार्थिक क्रिया कहलाती है।

प्रश्न 16.
भूमि की परिभाषा दें। इसकी मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
भूमि की परिभाषा-अर्थशास्त्र में भूमि के अंतर्गत भूमि की ऊपरी सतह ही नहीं बल्कि पृथ्वी के तल पर, उसके नीचे और उसके ऊपर, प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाने वाली सब वस्तुएं सम्मिलित हो जाती हैं, जो धनोत्पादन में मनुष्य की सहायता करती हैं।
भूमि की मुख्य विशेषताएं-

  1. भूमि परिमाण में सीमित है।
  2. भूमि उत्पादन का प्राथमिक साधन है।
  3. भूमि स्थिर है।
  4. भूमि उपजाऊपन की दृष्टि से भिन्नता रखती है।
  5. भूमि अक्षय है।
  6. भूमि का मूल्य स्थिति पर निर्भर करता है।
  7. भूमि प्रकृति की नि:शुल्क देन है।
  8. भूमि उत्पादन का निष्क्रिय साधन है।

प्रश्न 17.
श्रम से क्या अभिप्राय है ? इसकी मुख्य विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
श्रम का अर्थ-साधारण भाषा में श्रम का आशय उस प्रयत्न या चेष्टा से है जो किसी कार्य के संपादन हेतु किया जाता है लेकिन श्रम का यह व्यापक अर्थ अर्थशास्त्र में नहीं लिया जाता। अर्थशास्त्र में किसी प्रतिफल के लिए किया गया मानवीय प्रयत्न, मानसिक या शारीरिक श्रम कहलाता है।
श्रम की मुख्य विशेषताएं-

  1. श्रम एक मानवीय साधन है।
  2. श्रम एक सक्रिय साधन है।
  3. श्रम को श्रमिक से अलग नहीं किया जा सकता है।
  4. श्रम नाशवान होता है।
  5. श्रमिक अपने श्रम को बेचता है अपने आपको नहीं बेचता है।
  6. श्रमिक उत्पादन का साधन और साध्य दोनों है।
  7. श्रमिक की कार्यकुशलता में विभिन्नता पाई जाती है।
  8. श्रम में गतिशीलता होती है।

प्रश्न 18.
पूंजी की परिभाषा दें। इसकी मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
पूंजी की परिभाषा–मार्शल के शब्दों में, “प्रकृति प्रदत्त उपहारों के अतिरिक्त पूंजी में सभी प्रकार की संपत्ति शामिल होती है जिससे आय प्राप्त होती है।”
पूंजी की विशेषताएं-

  1. पूंजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है।
  2. पूंजी में उत्पादकता होती है।
  3. पूंजी अत्यधिक गतिशील होती है।
  4. पूंजी श्रम द्वारा उत्पादित होती है।
  5. पूंजी में ह्रास होता है।
  6. पूंजी बचत किए गए धन का एक रूप है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 19.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ? उद्यमी के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
प्रत्येक व्यवसाय में चाहे वह छोटा हो अथवा बड़ा, कुछ-न-कुछ जोखिम अथवा लाभ-हानि की अनिश्चितता अवश्य बनी रहती है। इस जोखिम को सहन करने वाले व्यक्ति को ‘साहसी’ या ‘उद्यमी’ कहा जाता है।
उद्यमी के कार्य-

  1. व्यवसाय का चुनाव करता है।
  2. उत्पादन का पैमाना निर्धारित करता है।
  3. साधनों का अनुकूलतम संयोग प्राप्त करता है।
  4. उत्पादन के स्थान का निर्धारण करता है।
  5. वस्तु का चयन करता है।
  6. वितरण संबंधी कार्य करता है।
  7. जोखिम उठाने का दायित्व उद्यमी पर होता है।

प्रश्न 20.
लगान की धारणा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
साधारण बोलचाल की भाषा में लगान या किराया शब्द का प्रयोग उस भुगतान के लिए किया जाता है जो किसी वस्तु जैसे मकान, दुकान, फर्नीचर, क्राकरी आदि की सेवाओं का उपयोग करने के लिए अथवा उत्पादन के साधनों के रूप में प्रयोग करने के लिए नियमित रूप से एक निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है। परंतु अर्थशास्त्र में लगान शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। प्रो० कारवर के अनुसार, “भूमि के प्रयोग के लिए दी गई कीमत लगान है।” परंतु आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार अर्थशास्त्र में लगान शब्द का प्रयोग उत्पादन के उन साधनों को दिए जाने वाले भुगतान के लिए ही किया जाता है जिनकी पूर्ति बेलोचदार होती है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार किसी साधन की वास्तविक आय तथा हस्तान्तरण आय के अंतर को लगान कहते हैं।

प्रश्न 21.
मज़दूरी की परिभाषा दें। नकद और वास्तविक मजदूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मजदूरी की परिभाषा-मजदूरी से अभिप्राय उस भुगतान से है जो सभी प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक क्रियाओं के लिए दिया जाता है।
नकद मजदूरी-जो मजदूरी रुपयों के रूप में दी जाती है, उसे नकद मज़दूरी कहते हैं। यह दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक हो सकती है।
वास्तविक मजदूरी-श्रमिक को मुद्रा के अतिरिक्त जो वस्तुएं या सुविधायें प्राप्त होती हैं, उसे असल या वास्तविक मज़दूरी कहते हैं; जैसे—मुफ़्त मकान, पानी, बिजली, चिकित्सा सुविधा, शिक्षा आदि।

प्रश्न 22.
ब्याज की परिभाषा दें। शुद्ध और कुल ब्याज से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ब्याज की परिभाषा-ब्याज वह कीमत है जो मुद्रा को एक निश्चित समय के लिए प्रयोग करने के लिए ऋणी द्वारा ऋणदाता को दी जाती है।
कुल ब्याज-एक ऋणी द्वारा वास्तव में ऋणदाता को ब्याज के रूप में जो कुल भुगतान किया जाता है, उसको कुल ब्याज कहते हैं।
शुद्ध ब्याज-शुद्ध ब्याज वह धनराशि है जो केवल मुद्रा के प्रयोग के बदले में चुकाई जाती है। चैपमैन के शब्दों में, “शुद्ध ब्याज पूंजी के ऋण के लिए भुगतान है, जबकि कोई जोखिम न हो, कोई असुविधा न हो, (बचत की असुविधा को छोड़कर) और उधार देने वाले के लिए कोई कार्य न हो।”

प्रश्न 23.
लाभ की धारणा से क्या अभिप्राय है ? कुल और शुद्ध लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लाभ का अर्थ-साहसी को जोखिम के बदले में जो कुछ मिलता है, वह लाभ कहलाता है अर्थात् राष्ट्रीय आय का वह भाग जो किसी साहसी को अपने साहस के कारण प्राप्त होता है, उसे लाभ कहते हैं। कुल आय में से यदि कुल खर्च निकाल दिया जाए तो जो शेष बचे, उसे लाभ कहते हैं।
कुल लाभ-कुल आगम में से यदि हम उत्पादन की स्पष्ट लागतें घटा दें तो जो अतिरेक बचता है, उसे कुल लाभ कहा जाता है।
कुल लाभ = कुल आगम – स्पष्ट लागत
शुद्ध लाभ-यदि कुल आगम में से स्पष्ट और अस्पष्ट दोनों लागतें घटा दें तो जो अतिरेक बचता है, उसे शुद्ध लाभ कहा जाता है।
शुद्ध लाभ = कुल आगम – (स्पष्ट लागत + अस्पष्ट लागत)

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बाज़ार किसे कहते हैं ? बाज़ार के वर्गीकरण के मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बाज़ार का अर्थ-बाज़ार वह सम्पूर्ण क्षेत्र होता है जहां क्रेता और विक्रेता सम्पर्क में आते हैं।
बाज़ार के वर्गीकरण का आधार-बाज़ार का विस्तृत रूप से निम्नलिखित भागों में वर्गीकरण किया जाता है। जैसे-

  1. पूर्ण प्रतियोगी
  2. एकाधिकार
  3. एकाधिकारी प्रतियोगिता।

इस वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्नलिखित हैं-

  1. क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या-यदि बाज़ार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत है तो वह पूर्ण प्रतियोगी अथवा एकाधिकारी प्रतियोगिता का बाज़ार होता है। यदि बाज़ार में वस्तु का केवल एक विक्रेता हो और क्रेताओं की संख्या अधिक हो तो वह एकाधिकारी बाज़ार होगा। यदि बाज़ार में वस्तु के थोड़े विक्रेता हों तो वह अल्पाधिकारी बाज़ार होगा।
  2. वस्तु की प्रकृति-यदि बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तु एकसमान है तो वह पूर्ण प्रतियोगी बाज़ार की स्थिति होगी और इसके विपरीत वस्तु की विभिन्नता एकाधिकारी प्रतियोगिता का आधार माना जाता है।
  3. कीमत नियन्त्रण की डिग्री-बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तु की कीमत पर यदि फ़र्म का पूर्ण नियन्त्रण हो तो वह एकाधिकारी होगा। आंशिक नियन्त्रण हो तो एकाधिकारी प्रतियोगिता होगी। शून्य नियन्त्रण पर पूर्ण प्रतियोगिता होती है।
  4. बाज़ार का ज्ञान-यदि क्रेताओं तथा विक्रेताओं को बाज़ार की स्थितियों का पूर्ण ज्ञान हो तो पूर्ण प्रतियोगिता होगी। इसके विपरीत अपूर्ण ज्ञान एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता की विशेषता है।
  5. साधनों की गतिशीलता- पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में उत्पादन साधनों की गतिशीलता पूर्ण होती है परन्तु बाज़ार के अन्य प्रकारों में साधनों की गतिशीलता सामान्य नहीं होती।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
मुद्रा के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं ?
उत्तर-
मुद्रा के निम्नलिखित कार्य हैं

  1. विनिमय का माध्यम-मुद्रा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य विनिमय का माध्यम है। इसका अभिप्राय यह है कि मुद्रा के रूप में एक व्यक्ति अपनी वस्तुओं को बेचता है तथा दूसरी वस्तुओं को खरीदता है। मुद्रा क्रय तथा विक्रय दोनों में ही एक मध्यस्थ का कार्य करती है। मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में लोग सामान्य रूप से स्वीकार करते हैं। इसलिए मुद्रा के द्वारा लोग अपनी इच्छा से विभिन्न वस्तुएं खरीद सकते हैं।
  2. मूल्य की इकाई-मुद्रा का दूसरा कार्य वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मापना है। मुद्रा लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का माप करती है। लेखे की इकाई से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है।
  3. स्थगित भुगतानों का मान-जिन लेन-देनों का भुगतान तत्काल न करके भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है, उन्हें स्थगित भुगतान कहा जाता है। मुद्रा के फलस्वरूप स्थगित भुगतान सरल हो जाता है।
  4. मूल्य का संचय-मुद्रा मूल्य के संचय के रूप में कार्य करती है। मुद्रा के मूल्य संचय का अर्थ है धन का संचय। इससे अभिप्राय यह है कि मुद्रा को वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए खर्च करने का तुरन्त कोई विचार नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए बचाता है। इसे ही मूल्य का संचय कहा जाता है।
  5. मूल्य का हस्तान्तरण-मुद्रा के कारण मूल्य का हस्तांतरण सुविधाजनक बन गया है। आज इस युग में लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूर-दूर से वस्तुएं खरीदी जाती हैं। मुद्रा में तरलता तथा सामान्य स्वीकृति का गुण होने के कारण इसका एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तान्तरण आसान हो जाता है।
  6. साख निर्माण का आधार-आज लगभग सभी देशों में चेक, ड्राफ्ट, विनिमय-पत्र इत्यादि साख-पत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन साख-पत्रों का आधार मुद्रा ही है। लोग अपनी आय में से कुछ राशि बैंकों में जमा करवाते हैं। इस जमा राशि के आधार पर ही बैंक साख का निर्माण करते हैं।

एक गांव की कहानी PSEB 9th Class Economics Notes

  • अर्थशास्त्र – अर्थशास्त्र मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन है जो हमें यह बताता है कि किस प्रकार दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके अधिकतम संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है।।
  • वस्तुएं – वस्तुएं वे दृश्य मदें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताएं पूरी करती हैं जैसे किताब, कुर्सी, मोबाइल आदि।
  • सेवाएं – सेवाएं अदृश्य मदें हैं परंतु मनुष्य की आवश्यकताएं संतुष्ट करती हैं जैसे अध्यापन।
  • उपयोगिता – आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति उपयोगिता है।
  • कीमत – वस्तुओं और सेवाओं का वह मूल्य जो मुद्रा में व्यक्त किया जाता है।
  • धन – वे सभी वस्तुएं तथा सेवाएं जो हम उपभोग करने के लिए कीमत देकर खरीदते हैं।
  • मुद्रा – मुद्रा वह पदार्थ है जो सरकार द्वारा जारी किया जाता है तथा जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • मांग – अन्य बातें समान रहने पर, मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर खरीदने के लिए तैयार होता है।
  • पूर्ति – पूर्ति किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसे एक उत्पादक निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर बेचने के लिए तैयार होता है।
  • बाज़ार – बाज़ार एक स्थान है जहां क्रेता व विक्रेता एक साथ पाए जाते हैं।
  • लागत – लागत मुद्रा के रूप में व्यय की गई वह मात्रा है जो वस्तु को बनाने से लेकर विक्री तक के बीच लगाई जाती है।
  • आगम – आगम मुद्रा की वह मात्रा है जो किसी वस्तु की विक्री से प्राप्त होता है।
  • आर्थिक क्रियाएं – आर्थिक क्रियाएं वे क्रियाएं हैं जो धन कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं।
  • गैर आर्थिक क्रियाएं – वे क्रियाएं जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं की जाती हैं।।
  • उत्पादन – उपयोगिता का सृजन उत्पादन है।
  • उत्पादन के साधन – भूमि, पूंजी, श्रम, उद्यमी उत्पादन के साधन हैं।
  • भूमि – भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है जिसकी पूर्ति स्थिर है।
  • श्रम – धन कमाने के उद्देश्य से किए गए सभी मानवीय प्रयास श्रम है।
  • बहुविविध कृषि – भूमि के एक टुकड़े पर एक वर्ष में एक साथ एक से अधिक फसलें एक साथ उगाना बहु विविध कृषि कहलाती हैं।
  • पूंजी – पूंजी का अर्थ उन सभी मानव निर्मित पदार्थों से है जो आगे उत्पादन करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं।
  • उद्यमी – वह मानवीय तत्व जो उत्पादन संबंधी निर्णय तथा जोखिम उठाता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

PSEB 9th Class Physical Education Guide नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो नशीली वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शराब
  2. हशीश।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुएं किन दो क्रियाओं पर अधिक प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर-

  1. पाचन क्रिया पर
  2. खेलने की शक्ति पर।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

प्रश्न 3.
नशीली वस्तुओं के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर-

  1. चेहरा पीला पड़ जाता है।
  2. मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों पर कोई दो बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर-

  1. लापरवाई तथा बेफिक्री।
  2. खेल भावना का अन्त।

प्रश्न 5.
खेल में हार नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 6.
शराब का असर पहले दिमाग पर होता है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 7.
तम्बाकू खाने से या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 8.
तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ता है अथवा कम होता है ?
उत्तर-
डर बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
तम्बाकू के प्रयोग से खांसी नहीं लगती और टी० बी० भी नहीं हो सकती। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 10.
नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है। सही अथवा ग़लत ।
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुओं की सूची बनाएं और यह भी बताएं कि नशीली वस्तुएं पाचन क्रिया और सोचने की शक्ति पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
(Prepare a list of intoxicants and describe how these intoxicants affect on digestion and memory or thinking of a person ?)
उत्तर-
मादक पदार्थ ऐसे नशीले पदार्थ हैं जिनके सेवन से किसी-न-किसी प्रकार की उत्तेजना या शिथिलता आ जाती है। मनुष्य के स्नायु संस्थान पर सभी किस्म के मादक पदार्थों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे कई प्रकार के विचार, कल्पनाएं तथा भावनाएं पैदा होती हैं। इससे व्यक्ति में घबराहट, गुस्सा और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने से व्यक्ति का अपने व्यवहार और शरीर पर नियन्त्रण नहीं रहता। नशीली वस्तुएं निम्नलिखित हैं –

  1. शराब
  2. अफीम
  3. तम्बाकू
  4. भांग
  5. हशीश
  6. चरस
  7. कोकीन
  8. एलडरविन।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

पाचन क्रिया पर प्रभाव (Effects on Digestion)- नशीली वस्तुओं का पाचन क्रिया पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इनमें अम्लीय अंश बहुत अधिक होते हैं। इन अंशों के कारण आमाशय की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है और कई प्रकार के पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

सोचने की शक्ति पर प्रभाव (Effects on Thinking) नशीली वस्तुओं के प्रयोग से व्यक्ति अच्छी तरह बोल नहीं सकता और वह बोलने के स्थान पर तुतलाने लगता है। वह अपने पर नियन्त्रण नहीं रख सकता। वह खेल में आई अच्छी स्थितियों के विषय में सोच नहीं सकता और न ही ऐसी स्थितियों से लाभ उठा सकता है।

प्रश्न 2.
खेल में हार नशीली वस्तुएं के प्रयोग के कारण हो सकती है, कैसे ?
(Intoxicants cause defeat in sports. How ?)
उत्तर-

  1. नशे में खेलते समय खिलाड़ी बहुत-से ऐसे काम कर जाता है जिससे टीम हार जाती है।
  2. नशे में खिलाड़ी विरोधी टीम की चालें नहीं समझ सकता और अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बनता है।
  3. यदि किसी खिलाड़ी को नशे में खेलते हुए पकड़ लिया जाए तो उसे खेल में से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि उसे इनाम मिलना है तो नहीं दिया जाता। इस प्रकार उसकी विजय पराजय में बदल जाती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुएं क्या हैं ? इनके दोषों का वर्णन करो। (What are intoxicants ? Discuss their harms.)
उत्तर-
मनुष्य प्राचीन काल से ही नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता आ रहा है। उसका विश्वास था कि इनके प्रयोग से रोग दूर होते हैं तथा मन ताजा होता है। परन्तु बाद में इनके कुप्रभाव भी देखने में आये हैं। आज के वैज्ञानिक युग में अनेक नई-नई नशीली वस्तुओं का आविष्कार हुआ है जिसके कारण क्रीड़ा जगत् दुविधा में पड़ गया है। इन नशीली वस्तुओं के सेवन से भले ही कुछ समय के लिए अधिक काम लिया जा सकता है, परन्तु नशे और अधिक काम से मानव रोग का शिकार हो कर मृत्यु को प्राप्त करता है। इन घातक नशों में से कुछ नशे तो कोढ़ के रोग से भी बुरे हैं। शराब, तम्बाकू, अफीम, भांग, हशीश, एडरनलिन तथा निकोटीन ऐसी नशीली वस्तुएं हैं जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने मनोरंजन के लिए किसी-न-किसी खेल में भाग लेता है। वह अपने साथियों तथा पड़ोसियों के साथ मेल-मिलाप तथा सद्भावना की भावना रखता है। इसके विपरीत एक नशे का गुलाम व्यक्ति दूसरों की सहायता करना तो दूर रहा, अपना बुरा-भला भी नहीं सोच सकता। ऐसा व्यक्ति समाज के लिए बोझ होता है। वह दूसरों के लिए सिरदर्दी बन जाता है। वह न केवल अपने जीवन को दुःखद बनाता है, बल्कि अपने परिवार और सम्बन्धियों के जीवन को भी नरक बना देता है। सच तो यह कि नशीली वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इससे ज्ञान शक्ति, पाचन शक्ति, दिल, रक्त, फेफड़े आदि से सम्बन्धित अनेक रोग लग जाते हैं।
नशीली वस्तुओं का प्रयोग करना खिलाड़ियों के लिए ठीक नहीं होता।

नशीली वस्तुओं के दोष-जो खिलाड़ी नशीली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं उनके दोष निम्नलिखित हैं –

  • चेहरा पीला पड़ जाता है।
  • कदम लड़खड़ाते हैं।
  • मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।
  • खेल का मैदान लड़ाई का मैदान बना जाता है।
  • पाचन शक्ति खराब हो जाती है।
  • तेजाबी अंश आमाशय की शक्ति को कम करते हैं।
  • पेट में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं।
  • पेशियों के काम करने की शक्ति कम हो जाती है।
  • खेल के मैदान में खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता।
  • कैंसर और दमे की बीमारियां लग जाती हैं।
  • खिलाड़ियों की स्मरण-शक्ति कम हो जाती है।
  • नशे में डूबे खिलाड़ी खेल की परिवर्तित अवस्थाओं को नहीं समझ सकते और अपनी टीम की पराजय का कारण बन जाते हैं।
  • नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है।
  • उसके शरीर में समन्वय नहीं होता।
  • नशे वाले खिलाड़ी के पैरों का तापमान सामान्य व्यक्ति के तापमान से 1.8°C सैंटीग्रेड कम होता है।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दो।
(Mention the adverse effects of intoxicants on the players and their performance.)
उत्तर-
नशीली वस्तुओं के सेवन का खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है –

1. शारीरिक समन्वय एवं स्फूर्ति का अभाव (Loss of Co-ordination and Alertness)-नशे करने वाले खिलाड़ी में शारीरिक तालमेल तथा स्फूर्ति नहीं रहती। अच्छे खेल के लिये इनका होना बहुत ज़रूरी है। हॉकी, फुटबाल, वालीबाल आदि ऐसी खेलें हैं।

2. मन के सन्तुलन और एकाग्रचित्त का अभाव (Loss of Balance and Concentration) किसी खिलाड़ी की मामूली सी सुस्ती खेल का पासा पलट देती है। इतना ही नहीं, नशे में धुत खिलाड़ी एकाग्रचित्त नहीं हो सकता। इसलिए वह खेल के दौरान ऐसी गलतियां कर देता है जिसके फलस्वरूप उसकी टीम को पराजय का मुंह देखना पड़ता है।

3. लापरवाही तथा बेफिक्री (Carelessness) नशे में ग्रस्त खिलाड़ी बहुत लापरवाह और बेफिक्र होता है। वह अपनी शक्ति तथा दक्षता का उचित अनुमान नहीं लगा सकता। कई बार जोश में आकर वह ऐसी चोट खा जाता है जिससे उसे आयु पर्यन्त पछताना पड़ता है।

4. खेल भावना का अन्त (Lack of Sportsmanship) नशे में रहने से खिलाड़ी की खेल भावना का अन्त हो जाता है। नशा करने वाले खिलाड़ी की स्थिति अर्द्ध बेहोशी की होती है। उसके मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है। वह खेल में अपनी ही हांकता है और साथी खिलाड़ी की कोई बात नहीं सुनता।

5. सोचने का अभाव (Lack of Thinking)-वह रैफरी या अम्पायर के उचित निर्णयों के प्रति असन्तोष व्यक्त करता है। सहनशीलता की शक्ति की कमी हो जाती है। अतः वह इस तरह करता है।

6. नियमों की अवहेलना (Breaking of Rules)—वह खेल के नियमों की अवहेलना करता है।

7.मैदान का लड़ाई का अखाड़ा बन जाना (Playfield Becomes Battlefield)नशे में रहने वाला खिलाड़ी खेल के मैदान को लड़ाई का अखाड़ा बना देता है।

अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने खेल के दौरान नशीली वस्तुओं के प्रयोग पर पाबन्दी लगा दी है। यदि खेल के दौरान कोई खिलाड़ी नशे की दशा में पकड़ा जाता है तो उसका जीता हुआ इनाम वापस ले लिया जाता है। इसलिए खिलाड़ियों को चाहिए कि वे स्वयं को हर प्रकार की नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रखें और सर्वोत्तम खेल का प्रदर्शन करके अपने और अपने देश के नाम को चार चांद लगायें।

प्रश्न 3.
शराब का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? शराब की हानियां लिखें।
(What are the effects of Alcohol on our body? Discuss harms of alcohol.)
उत्तर-
शराब का सेहत पर प्रभाव (Effect of Alcohol on Health) शराब एक नशीला तरल पदार्थ है। शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बाज़ार में बेचने से पहले प्रत्येक शराब की बोतल पर यह लिखना ज़रूरी है। फिर भी बहुत-से लोगों को इस की लत (आदत) लगी हुई है जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर को कई तरह के रोग लग जाते हैं। फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं और व्यक्ति की आयु घट जाती है। ये शरीर के सभी अंगों पर बुरा प्रभाव डालती है। पहले तो व्यक्ति शराब को पीता है। कुछ समय पीने के बाद शराब आदमी को पीने लग जाती है। भाव शराब शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगा जाती है।

शराब पीने के नुकसान निम्नलिखित हैं –

  1. शराब का असर पहले दिमाग़ पर होता है। नाड़ी प्रबन्ध बिगड़ जाता है और दिमाग कमज़ोर हो जाता है। मनुष्य के सोचने की शक्ति घट जाती है।
  2. शरीर में गुर्दे कमजोर हो जाते हैं।
  3. शराब पीने से पाचन रस कम पैदा होना शुरू हो जाता है जिससे पेट खराब रहने लग जाता है।
  4. श्वास की गति तेज़ और सांस की अन्य बीमारियां लग जाती हैं।
  5. शराब पीने से रक्त की नाड़ियां फूल जाती हैं। दिल को अधिक काम करना पड़ता है और दिल के दौरे का डर बना रहता।
  6. लगातार शराब पीने से मांसपेशियों की शक्ति घट जाती है। शरीर बीमारियों का मुकाबला करने के योग्य नहीं रहता।
  7. आविष्कारों से पता लगा है कि शराब पीने वाला मनुष्य शराब न पीने वाले व्यक्ति से काम कम करता है। शराब पीने वाले व्यक्ति को बीमारियां भी जल्दी लगती हैं।
  8. शराब से घर, स्वास्थ्य, पैसा आदि बर्बाद होता है और यह एक सामाजिक बुराई है।

प्रश्न 4.
सिगरेट या तम्बाकू का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? तम्बाकू की हानियां लिखें।
(What is the effect of cigarettes and tobacco on our body ? What are the harms of smoking ?)
उत्तर-
तम्बाकू से स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effect of Smoking on Health)हमारे देश में तम्बाकू पीना-खाना एक बहुत बुरी आदत बन चुका है। तम्बाकू पीने के अलग-अलग ढंग हैं, जैसे बीड़ी, सिगरेट पीना, सिगार पीना, हुक्का पीना, चिल्म पीना आदि। इस तरह खाने के ढंग भी अलग हैं जैसे तम्बाकू चूने में मिला कर सीधे मुंह में रख कर खाना, या रगने में रख कर खाना, या गले में रख कर खाना आदि। तम्बाकू में खतरनाक ज़हर निकोटीन (Nicotine) होता है। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड आदि भी होता है। निकोटीन का बुरा प्रभाव सिर पर पड़ता है जिससे सिर चकराने लग जाता है और फिर दिल पर प्रभाव करता है।

तम्बाकू के नुकसान इस तरह हैं –

  1. तम्बाकू खाने या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है।
  2. इससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। दिल का रोग लग जाता है जो कि मृत्यु का कारण बना सकता है।
  3. आविष्कारों से पता लगा है कि तम्बाकू पीने या खाने से रक्त की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं।
  4. तम्बाकू शरीर के तन्तुओं को उत्तेजित रखता है, जिससे नींद नहीं आती और नींद न आने की बीमारी लग सकती है।
  5. तम्बाकू के प्रयोग से पेट खराब रहने लग जाता है।
  6. तम्बाकू के प्रयोग से खांसी लग जाती है जिससे फेफड़ों को टी० बी० होने का खतरा बढ़ जाता है।
  7. तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ जाता है। विशेषकर छाती का कैंसरऔर गले का कैंसर।
  8. तम्बाकू के प्रयोग से खुराक नली, मुंह के कैंसर का डर भी रहता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • अध्याय की संक्षेप रूपरेखा (Brief Outline of the Chapter)
  • नशीली वस्तुएं-शराब, तम्बाकू, अफीम, भंग, चरस, हशीश, कोकीन, आदि नशीली वस्तुएं होती हैं।
  • नशीली वस्तुओं से हानियां-मानसिक सन्तुलन और पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कार्यक्षमता कम हो जाती है और बहुत तरह के रोग लग जाते हैं।
  • खिलाड़ियों के खेल पर नशीली वस्तुओं का प्रभाव-शारीरिक तालमेल और फुर्ती कम हो जाती है। मन में बेचैनी और मन की एकाग्रता कम हो जाती है। बेफिक्री और खेल भावना का अन्त नशीली वस्तुओं के कारण हो जाता है।
  • नशीली वस्तुओं द्वारा खेल में हार-नशे से खिलाड़ी खेल में बहुत गलतियां करता है और विरोधी खिलाड़ी की चालों को नहीं समझ पाता जिससे उसकी हार हो जाती है।
  • शराब के शरीर पर प्रभाव-शराब द्वारा नाड़ी प्रणाली और गुर्दो को रोग लग जाता है। इससे सांस के और दूसरे रोग लग जाते हैं।
  • तम्बाकू के शरीर पर प्रभाव-तम्बाकू खाने से हृदय, सांस और कैंसर के रोग हो जाते हैं। पेट खराब हो जाता है और दमा आदि रोग हो जाते हैं।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

PSEB 9th Class Physical Education Guide खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के कोई दो लाभ लिखो।
उत्तर-

  1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं
  2. सुडौल शरीर।

प्रश्न 2.
एक स्पोर्ट्समैन कैसा व्यवहार करता है ? दो पंक्तियां लिखो।
उत्तर-

  1. पराजय को बड़ी शान से स्वीकार करे।
  2. प्रत्येक टीम को बराबर समझता हो।

प्रश्न 3.
खिलाड़ी के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. सहयोग की भावना
  2. सहनशीलता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

प्रश्न 4.
विजय-पराजय को समान समझने की भावना को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
खिलाड़ी का गुण।

प्रश्न 5.
आज्ञा देने और मानने की योग्यता किस प्रकार आती है ?
उत्तर-
खेलों में भाग लेने से।

प्रश्न 6.
आत्मविश्वास की भावना और उत्तरदायित्व की भावना खिलाड़ी को क्या बनाती है ?
उत्तर-
अच्छा सामाजिक प्राणी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक स्पोर्ट्समैन के लिए कौन-सी व्यवहार प्रणाली स्वीकृत है ? (What system of behaviour is accepted by a sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैन के लिए व्यवहार प्रणाली (System of behaviour for a sportsman) विश्व के सारे खिलाड़ी (स्पोर्ट्समैन) निम्नलिखित प्रणाली को मानते हैं और इसी के अनुसार व्यवहार करना अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं। इसके अनुसार व्यवहार प्रणाली की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –

  1. अधिकारियों के निर्णय ठीक और अन्तिम होते हैं।
  2. खेलों के नियम वास्तव में अच्छे पुरुषों की सन्धि होते हैं।
  3. टीमों के लिए जान तोड़ कर साफ़-सुथरा खेलना ही सब से बड़ा आश्वासन है।
  4. पराजय को बड़ी शान से लो।
  5. जीत को बड़े सहज ढंग से स्वीकार करो।
  6. दूसरों के अच्छे गुणों का सम्मान करने से मान मिलता है।
  7. पराजय या बुरे खेल के लिए बहाने ढूंढ़ना ठीक नहीं।
  8. किसी राष्ट्र या टीम को उसके व्यवहार के अनुसार सम्मान दिया जाता है।
  9. बाहर से आई हुई टीमों का सम्मान होना चाहिए।
  10. प्रत्येक टीम को बराबर समझा जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
दर्शक किस प्रकार अच्छे स्पोर्ट्समैन बन सकते हैं ? (How can the spectators become good sportsmen ?)
उत्तर-
दर्शकों में अच्छे स्पोर्ट्समैन बनने के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –

  1. वे अच्छे खेल की प्रशंसा और उसको उत्साहित करने में बाधा न बनें।
  2. यदि निर्णायक उनकी इच्छा के विरुद्ध निर्णय दे दे तो उसके विरुद्ध बुरे शब्दों का प्रयोग न करें।
  3. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हों यदि वह कमजोर है या अयोग्य है तो उसकी जीत देखना न चाहें क्योंकि खेल में अच्छी टीम ही विजय की पात्र है।
  4. वे अपने साथी दर्शकों से केवल इसलिए न झगड़ें क्योंकि वे विरोधी टीम का समर्थन करते हैं।
  5. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हैं यदि वह हार रही है तो अभद्र व्यवहार का प्रदर्शन न करें जैसे खेल के मैदान में कूड़ा-कर्कट, पत्थर आदि फेंक कर खेल रुकवाना ताकि खेल में हार-जीत का फैसला ही न हो।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के लाभों या गुणों का वर्णन करें। (Describe the Values of Sports.)
उत्तर-
खेलों के गुण (Values of Sports)-खेलों में व्यक्ति का आकर्षण उनके गुणों के कारण है। आजकल खेलों पर अधिक बल दिए जाने के निम्नलिखित कारण हैं-

1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं (Sound Health)-स्वास्थ्य एक अमूल्य देन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है । स्वस्थ व्यक्ति से दारिद्रय, आलस्य तथा थकावट कोसों दूर रहती है। खेलें स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। खिलाड़ी के भागने दौड़ने तथा उछलने-कूदने से शरीर के सभी अंग हरकत करते हैं। दिल, फेफड़े, पाचक अंग आदि सारे अंग सुचारु रूप से कार्य करने लगते हैं। मांसपेशियों में ताकत और लचक बढ़ जाती है। जोड़ भी लचकदार हो जाते हैं और शरीर स्फूर्तिवान हो जाता है। इस प्रकार खेलों से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

2. सुडौल शरीर (Sound Body)-खेलों में भाग लेते हुए खिलाड़ी को भागना पड़ता है, उछलना पड़ता है, कूदना पड़ता है, जिससे उसका शरीर सुडौल हो जाता है। कद ऊंचा हो जाता है। शरीर पर कपड़े खूब सजते हैं, जिससे उसके व्यक्तित्व को चार चांद लग जाते हैं। मांसपेशियों और सूक्ष्म नाड़ियों का तालमेल भी खेलों द्वारा ही पैदा होता है। इससे खिलाड़ी की चाल-ढाल आकर्षक हो जाती है । इस प्रकार खेलें व्यक्ति का रूप निखारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करती हैं।

3. संवेगों का सन्तुलन (Full Control on Emotions)—संवेगों का सन्तुलन सफल जीवन के लिए अत्यावश्यक है। यदि इन पर नियन्त्रण न रखा जाए तो क्रोध, उदासी तथा घमण्ड मनुष्य को चक्कर में डाल कर उसके व्यक्तित्व को नष्ट कर देते हैं। खेलें मनुष्य का मन जीवन की उलझनों से परे हटाती हैं, उसका मन प्रसन्न करती हैं तथा उसे संवेगों पर काबू पाने में सफल बनाती हैं। इस दिशा में खेलों द्वारा उत्पन्न स्पोर्ट्समैनशिप की भावना काफ़ी सहायक सिद्ध होती है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

4. सतर्क बुद्धि का विकास (Development of Sound Reason)—मनुष्य को जीवन में कदम-कदम पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए सतर्क बुद्धि का विकास खेलों के द्वारा ही हो सकता है। खेल के समय खिलाड़ी को प्रत्येक पल किसी-न-किसी समस्या का सामना करना पड़ता है । अड़चन या समस्या को उसी समय शीघ्रातिशीघ्र हल करना पड़ता है। हल ढूंढने में तनिक देरी हो जाने पर सारे खेल का पासा उल्ट सकता है। इस प्रकार के वातावरण में प्रत्येक खिलाड़ी हर समय किसी-न-किसी समस्या के समाधान में लगा रहता है। उसे अपनी समस्याओं को स्वयं हल करने का अवसर मिलता रहता है। इस तरह उस में सतर्क बुद्धि का विकास होता है।

5. चरित्र का विकास (Development of Character)-चरित्रवान् व्यक्ति का सब जगह सम्मान होता है। वह लोभ-लालच में नहीं फंसता। खेल के समय विजयपराजय के लिए खिलाड़ियों को कई बार प्रलोभन दिए जाते हैं। अच्छा खिलाड़ी भूलकर भी इस जाल में नहीं फंसता तथा अपने विरोधी पक्ष के हाथों नहीं बिकता। यदि कोई खिलाड़ी भूल कर लालच में आकर अपने पक्ष से विश्वासघात करता है तो खिलाड़ियों तथा दर्शकों की नज़र में गिर जाता है। ऐसा खिलाड़ी बाद में पछताता है। एक अच्छा खिलाड़ी कभी भी छल-कपट का सहारा नहीं लेता। खेल के दर्शकों के सम्मुख होने तथा रैफरी के निरीक्षण में होने के कारण प्रत्येक खिलाड़ी कम-से-कम फाऊल खेलने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार खेलें मनुष्य में कई चारित्रिक गुणों का विकास करती हैं।

6. इच्छा शक्ति प्रबल करती हैं (Development of Strong Wil-power) – खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं। परिणामस्वरूप खिलाड़ी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दत्तचित्त होकर प्रयत्न करते हैं और भावी जीवन में सफलता उनके कदम चूमती है। खेलों में खिलाड़ी एक-चित्त होकर खेलता है। उसके सम्मुख उसका उद्देश्य जीत प्राप्त करना होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह अपनी सारी शक्ति लगा देता है और प्रायः सफल भी हो जाता है। जीवन के श्रेयों की प्राप्ति ही उसके लिए यही आदत बन जाती है। इस प्रकार खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं।

7. भ्रातृत्व की भावना का विकास (Development of Brotherhood) खेलों द्वारा भ्रातृत्व की भावना का विकास होता है। इसका कारण यह है कि खिलाड़ी सदैव ग्रुपों में खेलता है तथा ग्रुप के नियम के अनुसार व्यवहार करता है। यदि उसकी कोई आदत ग्रुप आदत के अनुकूल नहीं होती तो उसे उसका त्याग करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त ग्रुप में खेलने वालों का एक-दूसरे पर प्रभाव पड़ता है। उनका एक-दूसरे से प्रेम-पूर्ण तथा भाइयों जैसा व्यवहार हो जाता है। इस प्रकार उनका जीवन भ्रातृत्व के आदर्शों के अनुसार ढल जाता है तथा समाज में वे सम्मान प्राप्त करते हैं।

8. आत्म-अभिव्यक्ति (Self-expression)-खेलें व्यक्तियों को आत्म-अभिव्यक्ति अर्थात् स्वयं को खुल कर प्रकट करने के अवसर प्रदान करती हैं। खेल के मैदान में खिलाड़ी खुल कर अपने गुणों तथा कौशल को दर्शकों के समक्ष प्रकट करता है। इस गुण का विकास केवल क्रीड़ा-क्षेत्र में ही सम्भव है, अन्यत्र नहीं।

9. नेतृत्व (Leadership) खेलों का अच्छा नेतृत्व करने वाले में नेतृत्व के गुणों का विकास हो जाता है। एक अच्छा नेता अपने देश के नाम को चार चांद लगा देता है। इसके विपरीत एक बुरा अथवा अयोग्य नेता देश की नाव को मंझदार में फंसा देता है। खेल के मैदान से ही हमें अनुशासनबद्ध, आत्म-संयमी, आत्म-त्यागी तथा मिलजुलकर देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले सैनिक व अफसर प्राप्त होते हैं। इसीलिए तो ड्यूक ऑफ़ विलिंगटन ने नेपोलियन को वाटरलू (Waterloo) की लड़ाई में परास्त करने के बाद कहा, “वाटरलू की लड़ाई ऐटन तथा हैरो के क्रीड़ा-क्षेत्र में जीती गई।” (“The Battle of Waterloo was won at the playing-fields of Eton and Harrow.”)

10. फालतू समय का प्रयोग (Proper Use of Leisure Time) दिन भर काम करने के पश्चात् भी काफ़ी समय बच जाता है। इसलिए आज की मुख्य समस्या है कि इस फालतू समय का किस प्रकार प्रयोग किया जाए ? यदि हम इस फालतू समय का सदुपयोग न करेंगे तो इस समय में शरारतें ही सूझेंगी क्योंकि एक बेकार आदमी का दिमाग़ शैतान का घर होता है। इस फालतू समय को ठीक ढंग से गुज़ारने के लिए खेलें हमारी सहायता करती हैं। खेलों में भाग लेकर न केवल फालतू समय का ही उचित प्रयोग होता है वरन् इसके साथ शारीरिक विकास भी होता है।

11. जातीय भेदभाव मिटता है और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ता है (Free from Casteism and Development of International Understanding) खेलें जातीय भेदभाव को मिटाती हैं जो कि देश की प्रगति में बहुत बड़ी बाधा होता है। प्रत्येक टीम में विभिन्न जातियों के खिलाड़ी होते हैं। उनके एक साथ मिलने-जुलने तथा टीम के लिए एक जान होकर संघर्ष करने की भावना के कारण जात-पात की दीवारें गिर जाती हैं और उनका जीवन विशाल दृष्टिकोण वाला हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों से खेलते हैं तथा उनसे मिलते-जुलते हैं। इससे उनमें मैत्री की भावना बढ़ जाती है। अतः खेलें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भी सहायक होती हैं।

12. प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावना (Spririt of Competition and Cooperation)-प्रतियोगिता ही प्रगति का आधार है और सहयोग महान् उपलब्धियों का साधन है। प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाएं प्रत्येक मनुष्य में होती हैं। इनके विकास द्वारा ही समुदाय, समाज तथा देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। इन भावनाओं का विकास खेलों द्वारा ही होता है। हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट आदि खेलों की टीमों में खूब मुकाबला होता है। मैच जीतने के लिए टीमें ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देती हैं, परन्तु मैच जीतने के लिए सभी खिलाड़ियों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है क्योंकि किसी भी एक खिलाड़ी के प्रयत्नों से मैच नहीं जीता जा सकता। अत: प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाओं का विकास करने के लिए खेलें बहुत उपयोगी हैं।

13. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-खेल का मैदान एक ऐसा स्थान है जहां खिलाड़ी अनुशासन में रहते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। हम कह सकते हैं कि खेलों द्वारा व्यक्ति या खिलाड़ी खेल के नियमों के अनुशासन में रह कर अनुशासन में रहने का आदी हो जाता है। इस प्रकार हमें अनुशासन खेलों द्वारा प्राप्त होता है।

14. सहनशीलता (Tolerance) खेलों द्वारा खिलाड़ियों के मन में सहनशीलता पैदा होती है, क्योंकि खेलों द्वारा हम एक-दूसरे के विचार सुनते हैं और अपने विचार उन्हें बताते हैं। हम में मेल-मिलाप बढ़ता है और सहनशीलता की भावना पैदा होती है।

15. अच्छी नागरिकता (Good Citizenship) खेलों द्वारा खिलाड़ियों में एक अच्छे नागरिक के गुण पैदा होते हैं क्योंकि खिलाड़ी आपस में मिल कर खेलते हैं। नियमों, कर्त्तव्यों, अनुशासन में रहना आदि गुणों के कारण खिलाड़ी अच्छे नागरिक बन जाते हैं।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि खेलें व्यक्ति में सहयोग, भ्रातृत्व, नेतृत्व, समन्वय आदि सद्गुणों का विकास करती हैं और उसे अच्छे नागरिक बनने में सहायता प्रदान करती हैं।

प्रश्न 2.
स्पोर्ट्समैनशिप से क्या अभिप्राय है ? एक स्पोर्ट्समैन में कौन-कौन से गुण होने चाहिएं ?
(What do you understand by Sportsmanship ? What should be the qualities of a good Sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैनशिप का अर्थ (Meaning of Sportsmanship)—जहां भारतीय भाषाओं में अंग्रेजी के अनेक शब्द अच्छी तरह से अपना लिए गए हैं, वहीं स्पोर्ट्समैनशिप और स्पोर्ट्समैन भी खेलों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण शब्द हैं। स्पोर्ट्समैनशिप (Sportsmanship) एक अच्छे खिलाड़ी की वह भावना या वह विशेषता है, या ऐसे कहें कि वह स्पिरिट है जिसके आधार पर कोई भी खिलाड़ी खेल के मैदान में आरम्भ से लेकर अन्त तक बड़ी योग्यता से भाग लेता है। स्पोर्ट्समैनिशप अच्छे गुणों का वह समूह है, जिनका होना एक खिलाड़ी के लिए जरूरी समझा जाता है। जैसे कि एक खिलाड़ी के लिए जरूरी है कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से भरपूर, अनुशासनबद्ध, अच्छा सहयोगी, चुस्त और अपनी टीम के कैप्टन की आज्ञा का पालन करने वाला हो। वास्तव में इस तरह के गुणों का समूह ही स्पोर्ट्समैनशिप कहलाता है।

स्पोट्र्समैनशिपया खिलाड़ी के गुण (Qualities of Sportsman) -एक स्पोर्ट्समैन या खिलाड़ी में निम्नलिखित गुणों का होना ज़रूरी है-

1. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-स्पोर्ट्समैन का सबसे बड़ा और मुख्य गुण है नियम से अनुशासन में बन्धकर कार्य करना। वास्तविक स्पोर्ट्समैन वही कहा जा सकता है जो खेल आदि के सारे नियमों का पालन बड़े अच्छे ढंग से करे और अनुशासनबद्ध हो ।

2. सहनशीलता (Tolerance)-सहनशीलता स्पोर्ट्समैनशिप के गुणों में एक बहत ही महत्त्वपूर्ण गुण है। खेल में कई प्रकार के अवसर आते हैं। अपनी विजय प्राप्त होने से बहुत प्रसन्नता होती है और पराजित हो जाने से उदासी के बादल घेर लेते हैं। परन्तु स्पोर्ट्समैन वही है, जो विजयी होने पर भी पराजित टीम या खिलाड़ी को प्रसन्नता से उत्साहित करे और स्वयं पराजित हो जाने पर भी विजयी को पूर्ण सम्मान के साथ बधाई दे।

3. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation)-स्पोर्ट्समैन में तीसरा गुण सहयोग की भावना का होना है। खेल के मैदान में यह सहयोग की भावना ही है जो टीम के विभिन्न खिलाड़ियों को इकट्ठे रखती है और वे एक होकर अपनी विजय के लिए संघर्ष करते हैं। दूसरे शब्दों में, स्पोर्ट्समैन अपने कोच, कैप्टन, खिलाड़ियों और विरोधी टीम के साथ सहयोग की भावना रखता है। ___4. विजय-पराजय को समान समझने की भावना (No Difference between Defeat or Victory) खेल में हर एक अच्छा खिलाड़ी विजय प्राप्त करने की अनथक चेष्टा करता है और उसके लिए प्रत्येक सम्भव ढंग प्रयुक्त करता है। परन्तु उसे स्पोर्ट्समैन तभी कहा जा सकता है जब वह केवल विजय के उद्देश्य के साथ न खेले बल्कि उसका उद्देश्य अच्छे खेल का प्रदर्शन करना हो। यदि इसी मध्य सफलता उसके पग चूमती है तो उसे पागल होकर विरोधी टीम या खिलाड़ी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए और यदि उसे पराजय का सामना करना पड़ता है तो उसे उत्साहहीन नहीं होना चाहिए। वह खेल में विजयी होने पर भी पराजित खिलाड़ियों को हीन समझने की बजाये अपने समान समझता है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes 1
चित्र-स्पोर्ट्समैन विजयी होते हुए पराजित खिलाड़ियों को समान समझते हुए

5. आज्ञा देने और मानने की योग्यता (Ability of Obedience and Order)स्पोर्ट्समैन के लिए इस ज़रूरी है कि आज्ञा देने और आज्ञा मानने की योग्यता रखता हो। कई बार यह देखा गया है कि खिलाड़ी कुछ कारणों से आपे से बाहर होकर स्वयं को ठीक समझ कर खेल में अपने कैप्टन की आज्ञा का पालन नहीं करते और मनमानी करने लगते हैं। वे सच्चे अर्थों में स्पोर्ट्समैन नहीं होते हैं।

6. त्याग की भावना (Spirit of Sacrifice)-स्पोर्ट्समैन में त्याग की भावना बहुत ज़रूरी है। एक टीम में खिलाड़ी केवल अपने लिए नहीं खेलता बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य समस्त टीम को विजय दिलाने का होता है। इससे प्रकट होता है कि खिलाड़ी निजी हित को त्याग देता है। बस यही स्पोर्ट्समैन का एक साथ महत्त्वपूर्ण गुण है। एक दूसरे पक्ष से भी एक स्पोर्ट्समैन अपने लिए तो खेलता ही है, साथ-साथ अपने स्कूल, प्रान्त, क्षेत्र और समस्त राष्ट्र के लिए भी वह अपनी विजय का श्रेय अपने राष्ट्र और अपने देश को देता है।

7. भ्रातृत्व की भावना (Spirit of Brotherhood) स्पोर्ट्समैन का यह गुण भी कोई कम महत्त्व नहीं रखता। एक स्पोर्ट्समैन खेल में जाति-पाति, धर्म, रंग, सभ्यता और संस्कृति आदि को एक ओर रखकर प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा ही व्यवहार करता

8. प्रतियोगिता की भावना (Spirit of Competition) एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में प्रतियोगिता की भावना का होना भी आवश्यक है । इसी भावना से प्रेरित होकर वह खेल के मैदान में अन्य खिलाड़ियों से बाज़ी ले जाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा देता है। वास्तव में सारी प्रगति का रहस्य प्रतियोगिता की भावना में ही छुपा हुआ है, परन्तु यह हर प्रकार के द्वेष से मुक्त होनी चाहिए।

9. समय पर कार्य करने की भावना (Spirit of Punctuality) स्पोर्ट्समैन किसी भी खेल में समय का पूर्ण सम्मान करते हुए प्रत्येक अवसर का पूर्ण लाभ उठाता है।
खेल में एक-एक सैकिण्ड महत्त्वपूर्ण होता है। ज़रा-सी असावधानी विजय को पराजय में और सावधानी पराजय को विजय में परिवर्तित कर देती है।

10. चुस्त और फुर्तीले रहने की भावना (Spirit of Active and Alertness)स्पोर्ट्समैन प्रत्येक खेल में हर समय चुस्ती और फुर्तीलेपन से ही कार्य करता है। वह किसी भी अवसर को अपने हाथ से जाने नहीं देता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

11. आत्म-विश्वास की भावना (Spirit of Self-Confidence)-वास्तव में आत्म-विश्वास स्पोर्ट्समैन का महत्त्वपूर्ण गुण है। बिना आत्म-विश्वास के खेलना सम्भव नहीं है। खेल में प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी योग्यता पर विश्वास होता है और वह प्रत्येक कार्य बहुत धैर्य और विश्वास से करता है। 1974 में तेहरान में हुई सातवीं एशियाई खेलों में जापान का सबसे अधिक स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त करने का एकमात्र कारण जापानी खिलाड़ियों का आत्म-विश्वास था। 1978 में बैंकाक में एशियाई खेलों में जापानियों ने पहला स्थान ही प्राप्त किया। इसी प्रकार ही जापान ने 1982 की नौवीं एशियाई खेलों में, जो दिल्ली में हुई थीं, प्रथम स्थान प्राप्त

किया और अपने आत्म-विश्वास को स्थिर रखा है। स्पोर्ट्समैन सदैव प्रसन्न, सन्तुष्ट, शान्त और स्वस्थ दिखाई देता है जिससे उसका आत्म-विश्वास प्रकट होता है।

12. उत्तरदायित्व की भावना (Spirit of Responsibility)-स्पोर्ट्समैन के लिए यह ज़रूरी है कि उसमें उत्तरदायित्व की भावना हो। खिलाड़ी को कभी गैर-उत्तरदायित्व से या लापरवाही से काम नहीं करना चाहिए। उसकी ज़रा-सी एक गलती से टीम हार सकती है। इसलिए खिलाड़ी को उत्तरदायित्व को सम्मुख रखकर खेलना चाहिए।

13. नये नियमों की जानकारी (Knowledge of New Rules)-स्पोर्ट्समैन को नये-नये नियमों की जानकारी होनी चाहिए। हर वर्ष खेलों के लिए नए कानून और नियम बनाए जाते हैं। स्पोर्ट्समैन को इनकी जानकारी होनी आवश्यक है।
संक्षेप में, हम यह कह सकते हैं कि स्पोर्ट्समैन एक इकाई नहीं, अपितु कई अच्छे तत्त्वों से मिलकर बना एक गुलदस्ता है तथा एक स्पोर्ट्समैन में अनुशासन, सहनशीलता, आत्म-विश्वास, त्याग, सहयोग आदि के गुणों का होना अत्यावश्यक है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • खेलों के गुण-शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विकास, सहयोग की भावना और सहनशीलता खेलों द्वारा हमें मिलती है।
  • स्पोर्ट्समैनशिप–यह उन सभी अच्छे गुणों का सुमेल है जिसका खिलाड़ी में होना आवश्यक माना जाता है।
  • खिलाड़ी में अनुशासन की भावना, स्वस्थ और मानसिक रूप में प्रफुल्लित, अच्छा सहयोगी और चुस्ती आदि गुण उसमें विराजमान होने चाहिए।
  • स्पोर्ट्समैन एक दूत-स्पोर्ट्समैन अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है और विदेश में ऐसा कोई काम नहीं करता जिससे अपने देश का नुकसान हो।
  • स्पोर्ट्समैन का व्यवहार–प्रत्येक टीम को एक जैसा समझता है और अपनी पराजय को शान से स्वीकार करता है।
  • खेलों से लाभ-शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से छुटकारा मिलता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

PSEB 9th Class Home Science Guide भोजन के कार्य और पोषण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भोजन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौष्टिक तत्त्वों से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर की वृद्धि के लिए, ऊर्जा प्रदान करने के लिए तथा शरीर में चलती रासायनिक क्रियाओं को नियन्त्रण में रखने के लिए तथा शरीर के हर सैल की बनावट, रचना के लिए जिन तत्त्वों की ज़रूरत होती है, को पौष्टिक तत्त्व कहते हैं।

प्रश्न 3.
भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
भोजन में पानी, प्रोटीन, चर्बी, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज आदि पौष्टिक तत्त्व होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 4.
हड्डियों में कौन-से खनिज पदार्थ अधिक होते हैं ?
उत्तर-
हड्डियों में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस खनिज पदार्थ होते हैं। दूध, राजमांह, मेथी, मछली आदि में इनकी काफ़ी मात्रा होती है।

प्रश्न 5.
विटामिन को रक्षक तत्त्व क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
एन्जाइम शारीरिक तापमान पर ही जोड़-तोड़ क्रियाएं करवाते हैं। इन एन्जाइमों के संश्लेषण तथा क्रियाशीलता के लिए विटामिन तथा खनिज पदार्थ आवश्यक होते हैं। यह बीमारियों से भी शरीर को बचाते हैं। इसलिए विटामिन को रक्षक तत्त्व कहा जाता है।

प्रश्न 6.
शरीर में कितने प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं। यह हैं-कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटाशियम, सोडियम, क्लोरीन, आयोडीन, सल्फर, तांबा, जिंक, कोबाल्ट, मैंग्नीज़, लोहा तथा मोलिब्डेनम आदि।

प्रश्न 7.
भोजन की ऊर्जा कैसे मापी जाती है ?
उत्तर-
शरीर को कई काम करने पड़ते हैं जैसे-खाने का पाचन, दिल का धड़कना, सांस लेना, दिमाग का हर समय काम करना, भागना-दौड़ना आदि। इन सभी कामों के लिए शरीर को ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है।
ऊर्जा को किलो कैलोरी में मापा जाता है परन्तु पोषण विज्ञान में इसे कैलोरी ही कहा जाता है।

प्रश्न 8.
1 ग्राम प्रोटीन तथा 1 ग्राम वसा में कितनी कैलोरी होती है ?
उत्तर-
एक किलोग्राम पानी के तापमान में एक डिग्री सैल्सियस की वृद्धि करने के लिए जितने ताप की ज़रूरत होती है, उसे कैलोरी कहा जाता है।
एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी तथा एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा होती है।

प्रश्न 9.
भोजन का शरीर में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि। __ शरीर को ऊर्जा प्रदान करना भोजन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। वास्तव में अन्य सभी कार्य ऊर्जा के कारण ही होते हैं।

प्रश्न 10.
भोजन का मनोवैज्ञानिक कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
अच्छे भोजन से मानसिक सन्तुष्टि मिलती है। जब मन खुश हो तो भोजन अच्छा लगता है तथा खाने को भी मन करता है तथा जब कोई चिन्ता हो तो वही भोजन बुरा लगता है। कई बार बच्चे को अच्छा काम करने जैसे अच्छे नम्बर आदि प्राप्त किये हों तो इनाम के रूप में आइसक्रीम अथवा पेस्ट्री आदि दी जाती है। इससे बच्चे को मानसिक सन्तुष्टि तथा खुशी प्राप्त होती है तथा इसी तरह दण्ड के रूप में इन चीजों की मनाही की जाती है। इस तरह भोजन मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने का कार्य भी करता है।

प्रश्न 11.
भोजन का सामाजिक महत्त्व क्या है ?
उत्तर-
भोजन का सामाजिक महत्त्व-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के मौकों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाइचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 12.
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति की क्या पहचान है ?
उत्तर-
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जिसका –

  1. सुडौल शरीर होता है।
  2. भार आयु तथा कद के अनुसार होता है।
  3. वृद्धि पूर्ण होती है।
  4. चमड़ी साफ़ तथा आंखें चमकदार होती हैं।
  5. सांस में से बदबू नहीं आती।
  6. बाल चमकदार तथा बढ़िया बनावट वाले होते हैं।
  7. शरीर के सभी अंग ठीक काम करते हैं।
  8. भूख तथा नींद भी ठीक होती है।

प्रश्न 13.
रेशे (फोक) का हमारे शरीर में क्या कार्य है ?
उत्तर-
रेशे के कार्य –
रेशे शरीर से मल को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

प्रश्न 14.
भोजन के कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण कैसे करोगे ?
उत्तर-
कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण-शरीर में कार्य के अनुसार भोजन को तीन मुख्य समूहों में बांटा गया है –

  1. ऊर्जा देने वाला भोजन-इसमें कार्बोहाइड्रेट्स तथा चर्बी पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  2. शरीर की बनावट के लिए भोजन-इसमें प्रोटीन होते हैं।
  3. रक्षक भोजन-इसमें खनिज पदार्थ तथा विटामिन होते हैं।

प्रश्न 15.
ऐसे दो भोजन पदार्थों के नाम बताओ जिनमें प्रोटीन अधिक होती है ?
उत्तर-
सोयाबीन, मांह साबुत, बकरे का मांस, पनीर, बादाम, मूंग, मसर, खोया, मछली आदि में अधिक मात्रा में प्रोटीन होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
भोजन, पौष्टिक तत्त्व और पोषण विज्ञान के बारे बताओ।
उत्तर-
भोजन-भोजन मनुष्य की प्राथमिक ज़रूरतों में सबसे महत्त्वपूर्ण ज़रूरत है। वह पदार्थ जिन्हें खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उन्हें भोजन कहा जाता है। यह पदार्थ ठोस, अर्द्ध-ठोस तथा तरल रूप में भी हो सकते हैं। भोजन जीवित प्राणियों के शरीर के लिए ईंधन (Fuel) का कार्य करता है। भोजन ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ शरीर की वृद्धि में भी सहायक होता है। इससे ही खून का निर्माण होता है। इसलिए मनुष्य का भोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें शरीर की तंदरुस्ती के लिए सभी अनिवार्य तत्त्व मौजूद हों।

पौष्टिक तत्त्व-पौष्टिक तत्त्व भोजन का एक अंग हैं। यह विभिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में ज़रूरत होती है। यह रासायनिक तत्त्व हमारे शरीर में पाचन क्रिया में पाचन रसों द्वारा साधारण रूप में तबदील हो जाते हैं। यह तत्त्व पचने के पश्चात् आवश्यकतानुसार सभी अंगों में पहुंचकर उन्हें पोषण देते हैं।
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)।

पोषण विज्ञान-पोषण विज्ञान से हमें पता चलता है कि पौष्टिक तत्त्व कौन-से भोजन पदार्थों से मिल सकते हैं तथा सामान्य मिलने वाले तथा सस्ते भोजन पदार्थों से इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है ताकि पौष्टिक तत्त्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से बच जा सके।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 17.
पोषण सम्बन्धी विज्ञान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
पोषण विज्ञान हमें बताता है कि ठीक स्वास्थ्य के लिए कौन-से पौष्टिक तत्त्वों की शरीर को कितनी मात्रा में ज़रूरत है तथा कहां से प्राप्त होते हैं।

  1. कौन-से खाद्य पदार्थों से पौष्टिक तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
  2. इनकी कमी से शरीर पर क्या बुरा प्रभाव होगा।
  3. इन तत्त्वों की लगभग तथा कितने अनुपात में शरीर को ज़रूरत है।
  4. इस ज्ञान के आधार पर भोजन सम्बन्धी अच्छी आदतें कैसे बनानी हैं।

प्रश्न 18.
शरीर की वृद्धि और विकास के लिए भोजन के किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध तथा दूध से बनी चीजें, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियां, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 19.
ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेट्रोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बड़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 20.
भोजन के शारीरिक कार्य कौन-से हैं ? किसी दो के बारे लिखें।
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

(i) शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

(ii) शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छी सेहत के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

प्रश्न 21.
भोजन शारीरिक कार्य के अतिरिक्त हमारे शरीर में अन्य कौन-कौन से कार्य करता है ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नवविवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुला कर इकट्ठे बैठते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 22.
हमारे शरीर के लिए कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं ? जल और रेशे हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं ? ।
उत्तर-
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)|

पानी-पानी में कोई कैलोरी नहीं होती पर शरीर की लगभग सभी प्रक्रियाओं में पानी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पानी के बिना हम थोड़े दिन भी जीवित नहीं रह सकते। यह शरीर के सभी तरल पदार्थों में होता है। रक्त में 90% पानी होता है। पाचक रसों में भी काफ़ी मात्रा पानी की ही होती है। इस तरह पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक है जैसे कि हार्मोन्ज़ भोजन के पाचन के पश्चात् पदार्थ तथा बाहर निकलने वाले पदार्थों को एक से दूसरे स्थान पर ले जाना आदि। पानी शरीर की बनावट तथा शरीर का तापमान नियमित रखने में भी आवश्यक है।

पानी को हम पानी के रूप अथवा पेय पदार्थ अथवा अन्य भोजन पदार्थों द्वारा प्राप्त करते हैं।

रुक्षांश-रुक्षांश भोजन का ऐसा हिस्सा है जो हमारी पाचन प्रणाली में पचाया नहीं जा सकता। यह पौधों से मिलने वाले भोजन पदार्थ जैसे फल, सब्जियां तथा अनाजों में होता है। यह शरीर में से मल को बाहर निकालने में सहायता करता है।

प्रश्न 23.
भोजन हमारे शरीर में क्या-क्या कार्य करता है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

1. शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

2. शारीरिक क्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

3. शारीरिक कोशिकाओं का निर्माण करना तथा तन्तुओं की मरम्मत-करना विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटीफूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध से बनी चीज़ों, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियों, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

4. शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेटोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बढ़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा, तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा के ताप को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी।

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

5. शरीर का तापमान संतुलित करना-प्रत्येक मौसम में हमारे शरीर का तापमान नियमित रहता है। गर्मियों में हमें पसीना आता है। पसीना सूखने पर वाष्पीकरण से ठण्ड पैदा होती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है। विभिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न ढंगों से क्रिया करने का संकेत दिमाग से आता है जिसके लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा यह ऊर्जा हमें भोजन से ही प्राप्त होती है। पानी शरीर का तापमान नियमित रखने के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

6. मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके आन्तरिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

7. सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं।

प्रश्न 24.
भोजन के शारीरिक कार्य क्या हैं ? और इनके लिए किन-किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
भोजन के शारीरिक कार्य-

भोजन समूह पौष्टिक तत्त्व कार्य
1. ऊर्जा देने वाले भोजन

(i) अनाज तथा जड़ वाली सब्जियां।

(ii) शक्कर तथा गुड़, तेल, घी तथा मक्खन।

कार्बोहाइड्रेट तथा चर्बी ऊर्जा प्रदान करना
2. शरीर की बनावट तथा वृद्धि के लिए भोजन

(i) दूध तथा दूध से बने पदार्थ

(ii) मांस, मछली तथा अण्डे

(iii) दालें तथा

(iv) सूखे मेवे।

प्रोटीन शरीर की वृद्धि तथा टूटे फूटे तन्तुओं की मरम्मत करने के लिए
3. रक्षक भोजन

(i) पीले तथा संतरी रंग के फल

(ii) हरी सब्जियां

(iii) अन्य फल तथा सब्ज़ियां।

विटामिन तथा खनिज पदार्थ बीमारियों से शरीर की रक्षा करना तथा शारीरिक क्रियाओं को कण्ट्रोल करना।

Home Science Guide for Class 9 PSEB भोजन के कार्य और पोषण Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. शरीर में ………………… प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं।
  2. पानी शरीर के ……………. को नियमित करता है।
  3. ऊर्जा को ……………….. में मापा जाता है।
  4. रक्त में …………………. पानी होता है।
  5. राइबोफ्लेबिन ……………… में घुलनशील है।

उत्तर-

  1. 4%
  2. तापमान
  3. किलो कैलोरी
  4. 90%
  5. पानी।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
एक 65 किलोग्राम भार वाले पुरुष के शरीर में कितना प्रोटीन होता है ?
उत्तर-
11 किलोग्राम।

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कितने प्रतिशत जल है ?
उत्तर-
70%

प्रश्न 3.
कार्बोज़ तथा वसा का क्या कार्य है ?
उत्तर-
ऊर्जा प्रदान करना।

प्रश्न 4.
वसा में घुलनशील एक विटामिन बताएं।
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 5.
विटामिन तथा खनिज पदार्थों को कैसे तत्त्व कहा जाता है ?
उत्तर-
रक्षक तत्त्व।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. हमारे शरीर में 70% पानी होता है।
  2. विटामिन बी (B) पानी में अघुलनशील है।
  3. दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है।
  4. पानी से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
  5. प्रोटीन शरीर की मुरम्मत करने के काम आता है।
  6. खनिज पदार्थ तथा विटामिन रक्षक भोजन है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ग़लत,
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ व्यक्ति के लिए ठीक तथ्य नहीं हैं –
(A) शरीर सुडौल होता है
(B) भूख तथा नींद कम होती है
(C) भार, आयु तथा लम्बाई अनुसार होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(B) भूख तथा नींद कम होती है

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं
(B) एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी ऊर्जा होती है
(C) सोयाबीन में अधिक प्रोटीन होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
शरीर में ………………….. तथा रक्त में ………………….. पानी होता है –
(A) 70%, 90%
(B) 90%, 70%
(C) 100%, 100%
(D) 70%, 20%.
उत्तर-
(D) 70%, 20%

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एस्कीमो आदि की मुख्य खुराक क्या है ?
उत्तर-
इनकी मुख्य खुराक मांस, मछली तथा अण्डा है।

प्रश्न 2.
यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो इसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर-
भोजन तथा स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध है। यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो हमारे शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की शक्ति में कमी आ जाती है जिस कारण हमें कोई भी बीमारी आसानी से हो सकती है। शरीर की कार्य करने की क्षमता भी कम हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूध के पौष्टिक गुणों के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है जिस कारण इसमें पौष्टिक गुण होते हैं।

प्रश्न 4.
भोजन किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
जिस खाद्य पदार्थ को खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उसे भोज कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पौष्टिक तत्त्व क्या हैं ?
उत्तर-
भोजन के रासायनिक तत्त्वों के मिश्रण को पौष्टिक तत्त्व कहा जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 6.
कौन-से भोजन पदार्थों से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है ?
उत्तर-
घी, तेल, मेवे, दालों तथा चर्बी युक्त पदार्थों से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 7.
शरीर के निर्माण के लिए कौन-से भोजन पदार्थ आवश्यक हैं ?
उत्तर-
दूध तथा दूध से बने पदार्थ, साबुत दालें, मांस, अण्डे आदि।

प्रश्न 8.
कौन-से भोजन पदार्थ शरीर को सुरक्षित रखते हैं ?
उत्तर-
फल, सब्जियां तथा पानी शरीर को सुरक्षित रखते हैं।

प्रश्न 9.
शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर-
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, चर्बी, विटामिन, खनिज पदार्थ, रुक्षांश तथा पानी आवश्य पौष्टिक तत्त्व हैं।

प्रश्न 10.
पोषण क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक ऐसी परिस्थिति है जो शरीर को विकसित करती है तथा बनाये रखती है।

प्रश्न 11.
भोजन शरीर के लिए क्या कार्य करता है ?
उत्तर-

  1. शारीरिक क्रियाओं को चालू तथा नीरोग रखता है।
  2. मनोवैज्ञानिक कार्य।
  3. सामाजिक कार्य।

प्रश्न 12.
शरीर में ऊर्जा कैसे पैदा होती है ?
उत्तर-
शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों के ऑक्सीकरण से पैदा होती है।

प्रश्न 13.
कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से ऊर्जा पैदा होती है ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी तथा प्रोटीन से ऊर्जा पैदा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 14.
शरीर में कौन-से तत्त्व कम मात्रा में आवश्यक हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन आदि शरीर को कम मात्रा में आवश्यक हैं।

प्रश्न 15.
एक 65 किलो के पुरुष के शरीर में पानी, प्रोटीन, कैल्शियम, तांबा तथ थाइयोमिन की कितनी मात्रा होती है ?
उत्तर-
पानी – 40 किलोग्राम
प्रोटीन – 11 किलोग्राम
कैल्शियम – 1200 ग्राम
तांबा – 100-150 मिलिग्राम
थाइयोमिन – 25 मिलिग्राम।

प्रश्न 16.
65 किलो के पुरुष के शरीर में चर्बी, लोहा, आयोडीन तथा विटामिन सी कितनी मात्रा में होते हैं ?
उत्तर-
चर्बी – 9 किलोग्राम
लोहा — 3-4 ग्राम
आयोडीन – 25-50 मिलिग्राम
विटामिन सी – 5 ग्राम।

प्रश्न 17.
हमारे शरीर में पानी की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर-
हमारे शरीर में पानी 70% होता है।

प्रश्न 18.
रक्त बनाने के लिए कौन-से तत्त्वों की ज़रूरत होती है ?
उत्तर-
रक्त बनाने के लिए लोहा तथा प्रोटीन की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 19.
गर्मियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
गर्मियों में पसीना आता है तथा पसीने के वाष्पीकरण से ठण्डक पैदा होती है। इससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 20.
सर्दियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
सर्दियों में शरीर द्वारा काफ़ी ऊर्जा पैदा की जाती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 21.
मानसिक पक्ष से कौन-सा व्यक्ति ठीक होता है ?
उत्तर-
मानसिक पक्ष से वह व्यक्ति ठीक होता है जिसे –

  1. अपने गुणों तथा अवगुणों के बारे में पता हो।
  2. जो चिंता अथवा किसी प्रकार के तनाव से मुक्त हो।
  3. जो चौकस तथा फुर्तीला हो।
  4. जो समझदार तथा सीखने वाला हो।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 22.
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति कौन होता है ?
उत्तर–
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति वह होता है –

  1. जो अपने इर्द-गिर्द के लोगों को साथ लेकर चलता है।
  2. जो अच्छे तौर तरीके तथा शिष्टाचार अपनाता है।
  3. जो दूसरों की मदद करने में खुशी महसूस करता है।
  4. जो समाज तथा परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेवारी समझता है।

प्रश्न 23.
विटामिन कितनी प्रकार के होते हैं, विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
विटामिन दो तरह के होते हैं –
(i) पानी में घलनशील विटामिन ‘सी’ तथा ‘बी’ ग्रप के विटामिन जैसे कि थायामिन. राइबोफ्लेबिन, निकोटिनिक अम्ल, पिरडॉक्सिन, फौलिक अम्ल तथा विटामिन बी,, पानी में घुलनशील हैं।
(ii) चर्बी में घुलनशील विटामिन-विटामिन ‘ए’, ‘डी’ तथा ‘के’ चर्बी में घुलनशील हैं।

प्रश्न 24.
सबसे अधिक प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, कार्बोज़, कैल्शियम तथा लोहा, ऊर्जा कौन-से भोजन पदार्थों में होते हैं ?
उत्तर-
प्रोटीन – सोयाबीन (43.2 ग्राम)
चर्बी – मक्खन (81 ग्राम)
खनिज पदार्थ – सोयाबीन (4.6 ग्राम)
कार्बोज़ – गुड़ (95 ग्राम)
कैल्शियम – खोया (956 मिलिग्राम)
लोहा – सरसों (16.3 मिलिग्राम)
ऊर्जा – मक्खन (किलो कैलोरी)
यह मात्रा 100 ग्राम भोजन पदार्थ के लिए है।

प्रश्न 25.
पानी का शरीर में कार्य बतायें।
उत्तर–
पानी के कार्य –
(i) पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।
(ii) पानी शरीर के तापमान को नियमित करता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

भोजन के कार्य और पोषण PSEB 9th Class Home Science Notes

  • सभी जीवित प्राणियों को भोजन की ज़रूरत होती है।
  • पोषण विज्ञान से हमें यह पता चलता है कि कौन-से भोजन पदार्थों में कौन-से पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  • शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों से पैदा होती है।
  • डण्डी को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस खाद्य पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।
  • भोजन के शारीरिक काम हैं-शरीर को ऊर्जा देना, शरीर की वृद्धि, टूटे-फूटे तन्तुओं की मुरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, शरीर का तापमान नियमित करना आदि।
  • भोजन मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा धार्मिक कार्य भी करता है।
  • पौष्टिक तत्त्व वह रासायनिक पदार्थ हैं जो हमें भोजन से मिलते हैं तथा शरीर की विभिन्न जोड़-तोड़ क्रियाओं के लिए ऊर्जा का साधन हैं तथा शरीर के सैलों की रचना तथा बनावट के लिए ज़रूरी हैं।
  • पौष्टिक तत्त्व हैं-प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा पानी।
  • पोषण विज्ञान में ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है।
  • 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा चर्बी में बारी-बारी 4,4 तथा 9 कैलोरी ऊर्जा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

PSEB 9th Class Home Science Guide पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार में उपलब्ध साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
(i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 2.
पारिवारिक साधनों का वर्गीकरण कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
साधनों का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता है –(i) मानवीय साधन (ii) गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन।
(i) मानवीय साधन हैं-कुशलता, ज्ञान, शक्ति, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि।
(ii) भौतिक साधन हैं-समय, धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 5.
समय और शक्ति की व्यवस्था से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
समय ऐसा साधन है जो कि सभी के लिए समान होता है। जब किसी कार्य को करने की शक्ति तथा समय का प्रयोग किया जाता है तो थकावट महसूस होती है। इसलिए समय तथा शक्ति दोनों साधनों को सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए ताकि कार्य भी हो जाये तथा थकावट भी ज़रूरत से ज्यादा न हो तथा दोनों की बचत भी हो जाये।

प्रश्न 6.
पारिवारिक साधनों की क्या विशेषताएं होती हैं ?
उत्तर-

  1. यह साधन सीमित होते हैं।
  2. साधन उपयोगी होते हैं तथा इनका प्रयोग कई रूपों में किया जा सकता है।
  3. साधनों का प्रभावशाली प्रयोग किसी भी व्यक्ति के जीवन स्तर को प्रभावित करता
  4. सभी साधनों का उचित प्रयोग परस्पर सम्बन्धित होता है तथा इस तरह उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  5. इन साधनों के उचित प्रयोग से हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

प्रश्न 7.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर–
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं –
परिवार का आकार तथा रचना, जीवन-स्तर, घर की स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यता, ऋतु, आर्थिक स्थिति आदि।

प्रश्न 8.
योजना बनाकर समय और शक्ति के व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
योजना बनाकर कार्य किया जाये तो समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है। योजना बनाने से पहले सारे कार्यों की सूची बनाई जाती है। इस तरह यह पता लगाया जाता है कि कौन-सा कार्य किस समय तथा कौन-से सदस्य द्वारा किया जाना है। योजना में अपने व्यक्तिगत कार्यों तथा मनोरंजन के लिए भी समय रखा जाता है। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने से रोज़ एक जैसी शक्ति का प्रयोग होता है। इस तरह अधिक थकावट भी नहीं होती। योजनाएं दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों के लिए भी तैयार की जाती हैं। इस तरह समय तथा शक्ति के खर्च को घटाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
निर्णय लेने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
निर्णय अथवा फैसला लेने की प्रक्रिया को गृह-प्रबन्ध का अभिन्न अंग माना गया है। निर्णय लेने की क्रिया से अभिप्राय है किसी समस्या के हलें के लिए विभिन्न विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करना। किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित चरणों में से गुजरना पड़ता है –

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था 1

प्रश्न 10.
निर्णय लेने से पूर्व सोच-विचार करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
जब परिवार में कोई समस्या आ जाये तो उसके हल के लिए सोच-विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। प्रत्येक समस्या के हल के लिए कई विकल्प होते हैं। विभिन्न विकल्पों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा प्रत्येक विकल्प कई तत्त्वों का समूह होता है। इनमें से कई तत्त्व समस्या के हल के लिए सहायक होते हैं तथा कई नहीं, कई कम सहायक होते हैं तथा कई अधिक सहायक होते हैं। इसलिए इन तत्त्वों की जानकारी प्राप्त करनी तथा कई स्थितियों में आपको किसी अन्य अनुभवी व्यक्ति की सलाह भी लेनी पड़ती है ताकि ठीक विकल्प का चुनाव हो सके। जैसे मनोरंजन की समस्या के लिए कई विकल्प हैं जैसे सिनेमा जाना, कोई खेल खरीदना अथवा टेलीविज़न खरीदना। इन सभी विकल्पों के बारे में जानकारी लेना तथा फिर एक उपयुक्त विकल्प जैसे कि टेलीविज़न का चुनाव किया जाता है। क्योंकि यह एक लम्बे समय तक चलने वाला मनोरंजन का साधन है। इसके साथ परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम मिल सकते हैं। इसलिए इन सभी तत्त्वों को ध्यान में रखकर सभी विकल्पों के बारे में सोच-समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 11.
सही निर्णय गृह व्यवस्था में कैसे उपयोगी होता है ?
उत्तर-
सही निर्णय लिए जाएं तो समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है। यदि घर की व्यवस्था सोच-समझकर तथा सही निर्णय न लेकर की जाए तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। घर के सदस्यों में मेल-मिलाप नहीं रहता। कोई भी कार्य समय पर नहीं होता तथा मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह सही निर्णय घर की व्यवस्था में बड़ा लाभदायक होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 12.
पारिवारिक साधन मानवीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में कैसे सहायक होते हैं ? इन्हें प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर-
परिवार के लिए उपलब्ध साधन, पारिवारिक लक्ष्यों अथवा उद्देश्यों की पूर्ति करने में सहायक होते हैं। दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है। साधनों के सफल प्रयोग को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं –

  1. परिवार का आकार तथा रचना-जिन परिवारों में छोटे बच्चे अथवा बुजुर्ग होते हैं वहां गृहिणी को अधिक कार्य करना पड़ता है। परन्तु बच्चे बड़े होकर गृहिणी की मदद करने लग जाते हैं, तथा कई बुजुर्ग भी घर के काम-काज में मदद कर देते हैं।
  2. जीवन-स्तर-सादा जीवन व्यतीत करने वालों के लक्ष्य आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं।
  3. घर की स्थिति-यदि घर, स्कूल अथवा कॉलेज, मार्कीट आदि के निकट हो तो आने-जाने का काफ़ी समय तथा शक्ति बच जाती है। यदि घर बड़ी सड़क के नज़दीक हो तो धूल-मिट्टी काफ़ी आती है तथा सफ़ाई पर काफ़ी समय नष्ट हो जाता है।
  4. आर्थिक स्थिति-यदि अधिक आय हो तो घर में नौकर रखे जा सकते हैं तथा कई कार्य बाहर से भी करवाये जा सकते हैं। यदि आय कम हो तो गृहिणी को सभी कार्य स्वयं ही करने पड़ते हैं।
  5. परिवार के सदस्यों की शिक्षा-पढ़े-लिखे लोग आधुनिक साधनों का प्रयोग करके अपनी शक्ति तथा समय की काफ़ी बचत कर लेते हैं। जैसे एक पढ़ी-लिखी गृहिणी वाशिंग मशीन तथा मिक्सी आदि का अधिक प्रयोग करेगी जबकि अनपढ़ लोग पुराने परम्परागत साधनों तथा रिवाजों पर ही निर्भर रहते हैं।
  6. ऋतु बदलना-गांवों में बिजाई-कटाई के समय कार्य अधिक करना पड़ता है और समय कम। शहरों में ऋतु बदलने पर गर्म-ठण्डे कपड़ों आदि को निकालना तथा रखना आदि कार्य बढ़ जाते हैं।
  7. गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यताएं-एक कुशल गृहिणी अपनी योग्यता से समय तथा शक्ति की बचत कर सकती है।

प्रश्न 13.
समय और शक्ति पारिवारिक साधन कैसे हैं ? योजना बनाकर इनके व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
समय सभी के लिए ही बराबर होता है। एक दिन में 24 घण्टे होते हैं। परन्तु शक्ति सभी के पास एक जैसी नहीं होती तथा आयु के साथ-साथ इसमें अन्तर पड़ता रहता है। जब कोई कार्य किया जाता है तो समय तथा शक्ति दोनों खर्च होते हैं। योजना बनाकर कार्य किया जाये तो इन दोनों की बचत की जा सकती है। एक समझदार गृहिणी को समय तथा शक्ति के खर्च को घटाने के लिए योजना बनाने में कोई मुश्किल नहीं आती। योजना को लिखकर बनाना चाहिए तथा योजना में लचीलापन होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको बदला जा सके। सभी कार्यों की सूची बनाने के पश्चात् योजना बनानी चाहिए। यह भी तय कर लेना चाहिए कि इनमें से कौन-से कार्य किस सदस्य ने तथा कब करने हैं। दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बना लेनी चाहिए। अधिक भारी कार्य के पश्चात् हल्के कार्य को स्थान देना चाहिए ताकि अधिक थकावट न हो। योजना में अपने व्यक्तिगत तथा मनोरंजन के कार्यों के लिए भी समय रखना चाहिए। योजना इस तरह बनाएं कि प्रतिदिन ज़रूरी कार्यों तथा मनोरंजन के कार्यों में लगभग एक जैसी शक्त्रि व्यय हो। इस तरह योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB पारिवारिक साधनों की व्यवस्था क्षेत्र Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. पारिवारिक साधनों को …………………….. भागों में बांटा जाता है।
  2. मानवीय साधन, मानव के …………………….. होते हैं।
  3. पारिवारिक साधन …………………………. होते हैं।
  4. ………………………… में ही मनुष्य को मानसिक सन्तुष्टि मिलती है।
  5. साधन हमारी …………………………… की पूर्ति करते हैं।

उत्तर-

  1. दो,
  2. अन्दर,
  3. सीमित,
  4. घर,
  5. इच्छाओं।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
गृह निर्माता का कर्त्तव्य आमतौर पर कौन निभाता है ?
उत्तर-
गृहिणी।

प्रश्न 2.
सीमित साधनों के द्वारा कार्य बढ़िया कैसे हो सकता है ?
उत्तर-
अच्छी व्यवस्था द्वारा।

प्रश्न 3.
समय को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
तीन।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. साधन दो प्रकार के होते हैं-मानवीय, भौतिक।
  2. साधन असीमित होते हैं।
  3. साधनों का उचित प्रयोग करके हम अपनी इच्छायों की पूर्ति करते हैं।
  4. समय ऐसा साधन है जो कि सभी के पास बराबर होता है।
  5. परिवार का आकार तथा रचना पारिवारिक साधनों को प्रभावित नहीं करती।
  6. सही निर्णय घर की व्यवस्था के लिए लाभदायक है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ग़लत
  6. ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले कारक हैं –
(A) परिवार का आकार
(B) घर की स्थिति
(C) ऋतु
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 2.
निम्न में ठीक हैं –
(A) जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग होता है तो थकावट महसूस होती है
(B) साधन सीमित हैं
(C) सही निर्णय लेने से समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य है
(A) साधन असीमित होते हैं
(B) साधनों की उपयोगिता नहीं होती
(C) धन भौतिक साधन है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(C) धन भौतिक साधन है

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
योजना बनाने के अतिरिक्त गृहिणी को कौन-सी अन्य बातों का ज्ञान होना चाहिए जिससे समय तथा शक्ति बच सकती हो ?
उत्तर-

  1. सभी चीज़ों को अपने स्थान पर रखो ताकि ज़रूरत पड़ने पर वस्तु को ढूंढने में समय नष्ट न हो।
  2. काम करने के लिए सामान अच्छा तथा ठीक हालत में होना चाहिए।
  3. काम करने वाली जगह पर रोशनी का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए।
  4. काम करने के सुधरे तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  5. घर के सभी सदस्यों की मदद लेनी चाहिए। यदि फिर भी कार्य तथा आय के साधन ठीक हों तो कार्य बाहर से भी करवाया जा सकता है।
  6. काम करने वाली जगह की ऊंचाई अथवा वस्तुओं के हैण्डल ऐसे हों कि कन्धों पर अधिक भार न पडे।

प्रश्न 2.
मूल्यांकन करने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुछ देर किसी योजना के अनुसार कार्य करते रहने के पश्चात् देखा जाता है कि नियत लक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं, अथवा नहीं। यदि लक्ष्य प्राप्त न हो रहे हों तो योजना में फेरबदल किया जाता है तथा इस तरह अपनी योजना का मूल्यांकन किया जाता है ताकि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।
इन साधनों का उचित प्रयोग करके गृह प्रबन्ध बढ़िया ढंग से किया जा सकता है। किसी कार्य को करने की योग्यता तथा कुशलता हो तो कार्य में रुचि तथा दिलचस्पी स्वयं पैदा हो जाती है। नए उपकरणों तथा मशीन आदि के बारे में ज्ञान हो तो समय तता शक्ति की बचत हो जाती है। घर के सदस्यों की शक्ति भी एक मानवीय साधन है।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं और गृह व्यवस्था के लिए कैसे लाभदायक है ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि। इन सभी के उचित प्रयोग से गृह-व्यवस्था ठीक ढंग से की जा सकती है तथा परिवार के उद्देश्यों तथा ज़रूरतों की पूर्ति की जा सकती है।

पारिवारिक साधनों की व्यवस्था PSEB 9th Class Home Science Notes

  • परिवार के उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध साधनों की सहायता ली जाती है।
  • पारिवारिक साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
    (i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
  • कार्य करने की कुशलता, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि मानवीय साधन हैं।
  • धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि ग़ैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं।
  • समय ऐसा साधन है जो सभी के लिए बराबर होता है।
  • समय को तीन भागों में बांटा जा सकता है-कार्य, विश्राम, नींद आदि।
  • विभिन्न व्यक्तियों में शक्ति भी अलग-अलग होती है तथा एक ही व्यक्ति में सारी उम्र एक जैसी शक्ति नहीं रहती।
  • जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो थकावट अनुभव होती है।
  • परिवार का आकार तथा रचना, जीवन स्तर, घर की स्थिति, आर्थिक स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तौँ योग्यताएं, ऋतु बदलने से कार्य आदि पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं।
  • योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है।
  • रोज़ाना कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बनानी चाहिए।
  • यदि घर की आय के साधन ठीक हों तो घर के कार्य बाहर से करवाकर भी समय तथा शक्ति का बचाव किया जा सकता है।
  • जब किसी योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाता है तो कुछ देर पश्चात् पता लग जाता है कि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो रही है अथवा नहीं।
  • यदि उद्देश्यों की पूर्ति न हो रही हो तो अपनी योजना में परिवर्तन कर लेना चाहिए ताकि आगे के लिए उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
  • ठीक निर्णय लिए जाएं तो कार्य अच्छी तरह तथा आसानी से हो जाते हैं।
  • घर का प्रबन्धक अथवा गृहिणी सोच-समझकर निर्णय न करे तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

PSEB 9th Class Home Science Guide मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के विकास के कितने पड़ाव होते हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
मानवीय विकास के निम्नलिखित पड़ाव हैं —

  1. बचपन
  2. किशोरावस्था
  3. बालिग
  4. बुढ़ापा।

प्रश्न 2.
बचपन को कितनी अवस्थाओं में बांटा जा सकता है?
उत्तर-बचपन को निम्नलिखित अवस्थाओं में बांटा जाता है–

  1. जन्म से दो वर्ष तक
  2. दो से तीन वर्ष तक
  3. तीन से छः वर्ष का बच्चा
  4. छ: से किशोरावस्था तक।

प्रश्न 3.
कितने महीने का बच्चा बिना सहारे खड़ा होने लगता है?
उत्तर-
9 माह का बच्चा बिना सहारे के खड़ा होने लगता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 4.
किस उमर में बच्चे का शारीरिक विकास बहुत तेज़ गति से होता है?
उत्तर-
2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है।

प्रश्न 5.
कितनी आयु का बच्चा कानूनी रूप से वयस्क समझा जाता है?
उत्तर-
पहले 21 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता था परन्तु अब 18 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता है जबकि 20 वर्ष की आयु तक उसका शारीरिक विकास होता रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6.
किशोरावस्था के दौरान लड़कों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-

  1. किशोरावस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ फूटनी आरम्भ हो जाती है।
  2. उनकी टांगें-बांहें अधिक लम्बी हो जाती हैं तथा आवाज़ फटती है। उनके लिए यह अनोखी बात होती है।
  3. उनके गले की हड्डी बाहर को उभर आती है।
  4. लड़के स्वयं को बड़ा समझने लगते हैं तथा उनसे माता-पिता की ओर से लगाई गई पाबन्दियां बर्दाश्त नहीं होती।
  5. वह कभी बड़ों की तरह तथा कभी बच्चों की तरह बर्ताव करने लगते हैं।
  6. किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
  7. अपने शरीर में आए जिस्मानी परिवर्तनों के बारे उनमें जानने की इच्छा पैदा होती है।

प्रश्न 7.
किशोरावस्था के दौरान माता-पिता के उनके बच्चों के प्रति क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तर-

  1. बच्चों को लिंग शिक्षा सम्बन्धी पूरी जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को एड्स जैसी जानलेवा बीमारी तथा नशों के बुरे परिणामों के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए।
  2. किशोर बच्चों से माता-पिता के मित्रों वाले सम्बन्ध होने बहुत आवश्यक हैं ताकि बच्चा बिना परेशानी अपनी शारीरिक तथा मानसिक परेशानी उनके साथ साझी कर सके तथा मां-बाप द्वारा दिये सुझावों का पालन कर सके।
  3. मां-बाप तथा अध्यापकों को किशोरों से अपना व्यवहार एक जैसा रखना चाहिए। किसी हालत में उन्हें छोटा तथा कभी बड़ा कहकर उनके मन में उलझन पैदा नहीं करनी चाहिए। इस तरह उसे यह समझ नहीं आता कि वह वास्तव में बड़ा हो गया है या अभी छोटा ही है।
  4. माता-पिता को भी इस अवस्था में अपने बच्चे के प्रति पूर्ण विश्वास वाला तथा हिम्मत वाला व्यवहार करना चाहिए ताकि उनका सर्वपक्षीय विकास ठीक ढंग से हो सके।
    अपनी ऊर्जा (शक्ति) खर्च करने के लिए कई प्रकार की रुचियों में रुझाने के लिए समय मिलना चाहिए जैसे खेल-कूद, कहानी पढ़ना, गाना-बजाना आदि।

प्रश्न 8.
प्रौढ़ावस्था में मनुष्य के सामाजिक कर्त्तव्य क्या होते हैं?
उत्तर-

  1. मनुष्य इस आयु में सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करता है।
  2. मनुष्य उचित व्यवसाय का चुनाव करता है तथा अपने जीवन साथी का चुनाव करके घर बसा लेता है।
  3. बच्चे पालता है, दुनियादारी निभाता है, माता-पिता, छोटे बहन-भाइयों तथा अन्य रिश्तेदारों की जिम्मेवारी सम्भालता है।

प्रश्न 9.
बच्चा और बूढ़ा एक समान क्यों कहा जाता है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
वृद्धावस्था में मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है। उसके लिए चलना, फिरना, उठना, बैठना कठिन हो जाता है। आँखों से दिखाई देना तथा कानों से सुनना कम हो जाता है। ज्ञानेन्द्रियां अपना कार्य करना बन्द कर देती हैं। कई रंगों की पहचान नहीं कर सकते तथा कइयों को अंधराता हो जाता है।
इस तरह वृद्धों को विशेष देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। जैसे छोटे बच्चों को होती है। इसीलिए बच्चे तथा वृद्ध को एक जैसा कहा जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 10.
स्कूल बच्चे के सामाजिक और मानसिक विकास में सहायक होता है। कैसे?
उत्तर-
स्कूल में बच्चे अपने साथियों से पढ़ना तथा खेलना तथा कई बार बोलना भी सीखते हैं। इस तरह उनमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा जब अपने स्कूल का कार्य करता है तो उसमें ज़िम्मेदारी का बीज बो दिया जाता है। जब वह अध्यापक का कहना मानता है तो उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना पैदा होती है।
बच्चा स्कूल में अपने साथियों से कई नियम सीखता है तथा कई अच्छी आदतें सीखता है जो आगे चलकर उसके व्यक्तित्व को उभारने में सहायक हो सकती हैं।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तनों का तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर-

किशोर लड़के किशोर लड़कियां
(1) इस आयु में लड़कों की दाढ़ी तथा आने लगती हैं। (1) लड़कियों को माहवारी आने लगती मूंछे है।
(2) उनका शरीर बेढंगा (टांगें, बाजू लम्बी होने होना) हो जाता है तथा आवाज़ फटने लगती है। (2) इनके विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा लगती है तथा कई आन्तरिक बदलाव जैसे दिल तथा फेफड़ों के आकार में वृद्धि होती है।
(3) इस आयु में लड़कों को खेल, पढ़ाई, कम्प्यूटर, समाज सेवा आदि सीखने पर जोर देना चाहिए। (3) लड़कियों को पढ़ाई, कढ़ाई, कम्प्यूटर, स्वैटर बुनना, संगीत, पेंटिंग आदि ज़ोर सीखने पर देना चाहिए।

प्रश्न 12.
प्रारम्भिक वर्षों में माता-पिता बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में किस प्रकार योगदान डालते हैं?
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व को बनाने में माता-पिता का बड़ा योगदान होता है क्योंकि बच्चा जब अभी छोटा ही होता है तभी माता-पिता की भूमिका उसकी ज़िन्दगी में आरम्भ हो जाती है। बच्चे के प्रारम्भिक वर्षों में बच्चे को भरपूर प्यार देना, उस द्वारा किये प्रश्नों के उत्तर देना, बच्चे को कहानियां सुनाना आदि से बच्चे का व्यक्तित्व उभरता है तथा माता-पिता इसमें काफ़ी सहायक होते हैं।

प्रश्न 13.
बच्चों को टीके लगवाने क्यों ज़रूरी हैं ? बच्चों को कौन-से टीके किस आयु में लगवाने चाहिएं? और क्यों?
उत्तर-
बच्चों को कई खतरनाक जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें टीके लगाये जाते हैं। इन टीकों का सिलसिला जन्म के पश्चात् आरम्भ हो जाता है। बच्चों को 2 वर्ष की आयु तक चेचक, डिप्थीरिया, खांसी, टिटनस, पोलियो, हेपेटाइटस, बी०सी०जी० तथा टी०बी० आदि के टीके लगवाये जाते हैं। छ: वर्ष में बच्चों को कई टीकों की बूस्टर डोज़ भी दी जाती है।

प्रश्न 14.
बच्चे में 3 से 6 वर्ष की आयु तक होने वाले विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
इस आयु में बच्चे की शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है तथा उसकी भूख कम हो जाती है। वह अपना कार्य स्वयं करना चाहता है।
बच्चे को रंगों तथा आकारों का ज्ञान हो जाता है तथा उसकी रुचि ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलने तथा कहानियां सुनने की ओर अधिक हो जाती है।
बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करने लग जाता है।

प्रश्न 15.
दो से तीन वर्ष के बच्चे में होने वाले भावनात्मक विकास सम्बन्धी जानकारी दो।
उत्तर-
इस आयु के दौरान बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊंची आवाज़ में रोता है, ज़मीन पर लोटता है, तथा हाथ-पैर मारने लगता है। कई बार वह खाना-पीना भी छोड़ देता है। माता-पिता को ऐसी हालत में चाहिए कि उसको न डांटें परन्तु जब वह शांत हो जाए तो उसे प्यार से समझाना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
किशोरावस्था के दौरान लिंग शिक्षा देना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
किशोरावस्था आने पर बच्चों के शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। उनके प्रजनन अंगों का विकास होता है। लड़कियों को माहवारी आने लगती है। शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। किशोरावस्था में बच्चे में विरोधी लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। बच्चों को इन सभी परिवर्तनों की जानकारी नहीं होती तथा वह यह जानकारी अपने दोस्तों-मित्रों से हासिल करने की कोशिश करते हैं अथवा ग़लत किताबें पढ़ते हैं तथा अपने मन में ग़लत धारणाएं बना लेते हैं। वैसे तो हमारे समाज में लड़केलड़कियों के मिलने के अवसर कम ही होते हैं परन्तु कई बार यदि उन्हें इकट्ठे रहने का मौका मिल जाये तो इसके ग़लत परिणाम भी निकल सकते हैं।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि किशोरों को माता-पिता तथा अध्यापक अच्छी तरह लिंग शिक्षा प्रदान करें। उनके साथ स्वयं मित्रों वाला व्यवहार करें तथा उनकी समस्याओं को समझें तथा सुलझाएं ताकि उन्हें ग़लत संगति में जाने से रोका जा सके। उन्हें एड्स जैसी भयानक बीमारी की भी जानकारी देनी चाहिए।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 17.
बच्चों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखने से उनमें कौन-से सद्गुण विकसित होते हैं? विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व तथा भावनात्मक विकास में माता-पिता के प्यार तथा मित्रतापूर्वक व्यवहार की बड़ी महत्ता है। माता-पिता के प्यार से बच्चे को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी प्राथमिक ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। माता-पिता की ओर से बच्चे द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने पर बच्चे का दिमागी विकास होता है। उसे स्वयं पर विश्वास होने लगता है। माता-पिता द्वारा बच्चे को कहानियां सुनाने पर उसका मानसिक विकास होता है। कई बार बच्चा मां का कहना नहीं मानना चाहता तथा ज़बरदस्ती करने पर गुस्सा होता है। ऊँची आवाज़ में रोता है, हाथ-पैर मारता है तथा ज़मीन पर लोटने लग जाता है। ऐसी हालत में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा शांत होने पर उसे प्यार से माता-पिता द्वारा समझाया जाना चाहिए कि वह ऐसे ग़लत करता है। इस तरह बच्चे को पता चल जाता है कि माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं।

बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखने पर बच्चों को अपनी समस्याओं का हल ढूँढने के लिए ग़लत रास्तों पर नहीं चलना पड़ता अपितु उनमें यह विश्वास पैदा होता है कि माता-पिता उसे सही मार्ग बताएंगे।

वह ग़लत संगति से बच जाता है। उसमें अच्छी रुचियां जैसे ड्राईंग, पेंटिंग, संगीत. अच्छी किताबें पढ़ना आदि पैदा होती हैं। वह अपनी शक्ति का प्रयोग अच्छे कार्यों में करता है। इस तरह वह एक अच्छा व्यक्तित्व बन कर उभरता है।

प्रश्न 18.
वृद्धावस्था में पैसे के साथ प्यार क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर-
वृद्धावस्था मनुष्य की ज़िन्दगी का अन्तिम पड़ाव होता है। इस पड़ाव पर पहुंच कर अलग-अलग मानवों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। कई तो अभी भी ऐसे हँसमुख तथा स्वस्थ रहते हैं तथा कई हर समय यही सोचते हैं कि वह बूढ़े हो गये हैं, अब उन्हें और भी कई बीमारियां लग जाएंगी तथा वह और भी बूढ़े हो जाते हैं। इस उम्र में कमजोरी तो आती है जोकि मानसिक तथा शारीरिक दोनों तरह की होती है। कइयों की नेत्र ज्योति घट जाती है। कई बार ज्ञानेन्द्रियां कमजोर हो जाती हैं। दाँत टूट जाते हैं। शरीर काम नहीं कर सकता : कइयों की रंगों को पहचानने की शक्ति कम हो जाती है तथा कइयों को अंधराता हो जाता है। परन्तु ऐसी हालत में भी मनुष्य यह चाहता है कि वह आर्थिक पक्ष से रिश्तेदारों का मोहताज न हो, उसके पास अपने पैसे हों तथा उसकी स्वतन्त्रता को कोई फर्क न पड़े। धन तो अब वह कमा नहीं सकता इसलिए वह प्रत्येक पैसे को खर्च करते समय कई बार सोचता है। इस तरह वृद्धावस्था में धन के प्रति उसका मोह बढ़ जाता है। वृद्धावस्था में नींद भी कम आती है, कानों से कम सुनाई देता है। सांसारिक वस्तुओं से प्यार कम हो जाता है तथा परमात्मा की ओर ध्यान बढ़ जाता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB मनुष्य के विकास के पड़ाव Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. प्रौढ़ावस्था के . ……………… पड़ाव हैं।
  2. महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है।
  3. ……………… वर्ष के बच्चे बालिग हो जाते हैं।
  4. छः वर्ष में बच्चों को …………………. डोज़ भी दी जाती है।
  5. ………………… वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।

उत्तर-

  1. दो,
  2. 10,
  3. 18,
  4. टीकों की बूस्टर,
  5. दो।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कितने माह का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है?
उत्तर-
9 माह का।

प्रश्न 2.
प्रौढ़ावस्था की पहली अवस्था कब तक होती है?
उत्तर-
40 वर्ष तक।

प्रश्न 3.
कितनी आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है?
उत्तर-
17 वर्ष।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 4.
औरतों में माहवारी किस आयु में बंद हो जाती है?
उत्तर-
45 से 50 वर्ष।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  2. वृद्ध अवस्था का प्रभाव सभी पर एक जैसा होता है।
  3. स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  4. 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  5. 6 वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं।
  6. किशोर अवस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ निकलनी शुरू हो जाती है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कितनी देर का बच्चा स्वयं उठ कर खड़ा हो सकता है –
(A) 6 माह का
(B) 1 वर्ष का
(C) 3 महीने का
(D) 8 महीने का।
उत्तर-
(B) 1 वर्ष का

प्रश्न 2.
कानूनी रूप में बच्चा कितनी आयु में वयस्क हो जाता है –
(A) 15 वर्ष
(B) 20 वर्ष
(C) 18 वर्ष
(D) 25 वर्ष।
उत्तर-
(C) 18 वर्ष

प्रश्न 3.
कौन-सा तथ्य ठीक है –
(A) किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
(B) बच्चे तथा वृद्ध को एक समान कहा जाता है।
(C) किशोर अवस्था को तूफानी तथा दबाव वाली अवस्था माना गया है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्म से दो वर्ष तक के बच्चे में सामाजिक तथा भावनात्मक विकास के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
इस आयु का बच्चा जिन आवाज़ों को सुनता है, उनका मतलब समझने की कोशिश करता है। वह प्यार तथा क्रोध की आवाज़ को समझता है। वह अपने आस-पास के लोगों को पहचानना आरम्भ कर देता है। जब बच्चे को अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पूरा लाड़-प्यार मिलता है तथा उसकी प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं तो उसे विश्वास हो जाता है कि उसकी ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। उसका इस तरह भावनात्मक तथा सामाजिक विकास आरम्भ हो जाता है।

प्रश्न 2.
दो से तीन वर्ष के बच्चे के विकास बारे तम क्या जानते हो?
उत्तर-
शारीरिक विकास-2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है। __मानसिक विकास-इस आयु का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है। वह पहले से अधिक बातें समझना आरम्भ कर देता है। वह अपने आस-पास के बारे में कई प्रकार के प्रश्न पूछता है। इस समय माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चे के प्रश्नों के उत्तर ज़रूर दें। बच्चे को प्यार से पास बिठा कर कहानियां सुनाने से उसका मानसिक विकास होता है।

सामाजिक विकास-इस आय में बच्चे को दूसरे बच्चों की मौजूदगी का अहसास होने लग जाता है। अपनी मां के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से भी प्यार करने लगता है। अब वह अपने कार्य जैसे भोजन करना, कपड़े पहनना, नहाना, बुट पालिश करना आदि स्वयं ही करना चाहता है।
भावनात्मक विकास-इस आयु में बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊँची आवाज़ में रोता, हाथ-पैर मारता तथा ज़मीन पर लेटने लगता है। कई-कई बार खाना-पीना भी छोड़ देता है। गुस्से की अवस्था में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा जब वह शांत हो जाये तो प्यार से उसे समझाना चाहिए। इस तरह बच्चे में मातापिता के प्रति प्यार तथा विश्वास की भावना पैदा होती है तथा उसे यह अहसास होने लगता है कि उसके माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 3.
तीन से छः वर्ष के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
शारीरिक विकास- इस आयु में बच्चे की वृद्धि तेज़ी से होती है परन्तु उसको भूख कम लगती है। वह परिवार के बड़े सदस्यों के साथ बैठकर वही भोजन खाना चाहता है जो वे खाते हैं। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए बच्चे की खुराक में दूध, अण्डा, पनीर तथा अन्य प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ अधिक मात्रा में शामिल करने चाहिएं। बच्चा धीरे-धीरे अपना कार्य करने लगता है तथा उसे जहां तक हो सके अपने काम स्वयं करने देने चाहिएं। इस तरह वह आत्म-निर्भर बनता है।
मानसिक विकास- इस आयु के बच्चे में ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलना तथा कहानियां सुनने आदि में रुचि पैदा होती है। उसे रंगों तथा आकारों का भी ज्ञान हो जाता है।
सामाजिक तथा भावनात्मक विकास-बच्चा जब दूसरे बच्चों से मिलता-जुलता है उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करता है इसलिए जहां तक हो सके उसके सामने कोई ऐसी बात न करो जिसका उसके मन पर बुरा प्रभाव पड़े जैसे सिग्रेट पीना।

प्रश्न 4.
किशोरावस्था में लड़कियों में आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. इस आयु में लड़कियों को माहवारी आने लगती है। क्योंकि उन्हें इसके कारण का पता नहीं होता, कई बार वे घबरा जाती हैं।
  2. इस आयु में लड़कियां अधिक समझदार हो जाती हैं तथा कई बार पढ़ाई में भी तेज़ हो जाती हैं।
  3. इस आयु में लड़कियां जल्दी भावुक हो जाती हैं। कई बार छोटी-सी बात पर रोने लगती हैं। उदास तथा नाराज़ भी रहने लगती हैं।
  4. वह अपनी आलोचना नहीं सहन कर सकतीं तथा शीघ्र रुष्ट हो जाती हैं।
  5. इस आयु में जागते ही सपने देखना आरम्भ कर देती हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 5.
किशोरावस्था क्या है तथा इसमें होने वाले विकास के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लगती है, इसको किशोरावस्था कहते हैं। यह एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चा न तो बच्चों में गिना जाता है न ही बालिगों में। उसमें शारीरिक परिवर्तन आने के साथ-साथ बच्चे की ज़िम्मेदारियां, फर्ज़ तथा दूसरों से रिश्तों में भी परिवर्तन आता है।
इसके दो भाग होते हैं-प्राथमिक तथा बाद की किशोरावस्था।

शारीरिक विकास-इस आयु में शारीरिक परिवर्तनों की गति कम हो जाती है तथा प्रजनन अंगों का विकास होता है। इस पड़ाव पर लड़कियां अपना कद पूरा कर लेती हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। बाह्य परिवर्तनों के साथ-साथ शरीर में कुछ आन्तरिक परिवर्तन भी होते हैं जैसे पाचन प्रणाली में पेट का आकार लम्बा हो जाता है तथा आंतों की लम्बाई तथा चौड़ाई भी बढ़ती है। पेट तथा आंतों की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं। जिगर का भार भी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किशोरावस्था में दिल की वृद्धि भी तेजी से होती है। 17,18 वर्ष की आयु तक इसका भार जन्म के भार से 12 गुणा बढ़ जाता है। श्वास प्रणाली में 17 वर्ष की आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है। इस आयु में प्रजनन अंगों तथा उनसे सम्बन्धित गलैंड्स का भी तेजी से विकास होता है तथा अपना कार्य करना आरम्भ कर देता हैं।

भावनात्मक तथा मानसिक विकास-कई मनोवैज्ञानिक किशोरावस्था को तूफानी तथा दबाव (Storm and Stress) वाली अवस्था मानते हैं। इसमें भावनाएं बड़ी तीव्र तथा बेकाबू हो जाती हैं परन्तु जैसे-जैसे आयु बढ़ती है भावनात्मक व्यवहार में परिवर्तन आता है। इस आयु में बच्चे को बच्चे की तरह समझने से भी वह गुस्सा मनाते हैं। वह अपना गुस्सा चुप रह कर अथवा ऊँची आवाज़ में नाराज़ करने वाली की आलोचना करते हैं। इसके अतिरिक्त जो बच्चे उससे पढ़ाई में अथवा व्यवहार के तौर पर बढ़िया हों उनके प्रति ईर्ष्यालु हो जाते हैं। परन्तु धीरे-धीरे इन सभी भावनाओं पर बच्चा काबू पाना सीखता है। वह सभी के सामने अपना क्रोध ज़ाहिर नहीं कर सकता। पूरे भावनात्मक विकास वाला बच्चा अपने व्यवहार को स्थिर रखता है। इस अवस्था के दौरान बच्चे की सामाजिक दिलचस्पी तथा व्यवहार पर हम उमर मित्रों का अधिक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में बच्चे की मनोरंजक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा फैशन प्रति नई रुचियां विकसित होती हैं । किशोरावस्था में बच्चे में विपरीत लिंग प्रति आकर्षण भी पैदा हो जाता है तथा वह इस कम्पनी में आनन्द महसूस करता है। इस अवस्था का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चों का व पारिवारिक रिश्तों प्रति लगाव कम होना आरम्भ हो जाता है। बच्चा अपने व्यक्तित्व तथा अस्तित्व प्रति अधिक चेतन हो जाता है। सामाजिक वातावरण के अनुसार बच्चा अपने व्यक्तित्व के विकास तथा अस्तित्व जताने की कोशिश करता है परन्तु कई बार घर के हालात तथा आर्थिक कारण उसके उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट बन जाते हैं। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चा हार जाने तथा घटियापन के अहसास का शिकार हो जाता है तथा बच्चे का व्यवहार साधारण नहीं रहता तथा व्यक्तित्व के विकास प्रक्रिया में बिगाड़ पैदा हो जाता है।

प्रश्न 6.
बुढ़ापे की क्या खास विशेषताएं हैं?
उत्तर-
बुढ़ापे की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे मानवीय ज़िन्दगी की एक विलक्षण अवस्था बनाती हैं। इस आयु में शारीरिक तथा मानसिक कमज़ोरी आने लगती है इस आयु में बुजुर्गों की पाचन शक्ति, चलना-फिरना, बीमारियां सहने की शक्ति, सुनने तथा देखने की शक्ति घट जाती है। इसके साथ बालों का सफ़ेद होना, चमड़ी पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। बुर्जुगों की शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन उनके सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन (Adjustment) को प्रभावित करती हैं। इन परिवर्तनों का बुजुर्गों की बाह्य दिखावट, कपड़े पहनने, मनोरंजन, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है।
इस आयु में मनुष्य सामाजिक ज़िम्मेदारी से धीरे-धीरे पीछे हटता जाता है तथा उसकी धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। इस आयु में व्यक्ति को बहुत सारी बीमारियां भी आ घेरती हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए उसकी निर्भरता परिवार पर बढ़ जाती है । इस अवस्था में परिवार के सदस्यों का बुजुर्गों प्रति व्यवहार बुजुर्गों के लिए खुशी अथवा उदासी का कारण बनता है। बुजुर्गों में एकांकीपन, परिवार पर बोझ, सामाजिक सम्मान घटने का अहसास मानसिक परेशानी का कारण बन जाता है।
जीवन के अन्तिम पड़ाव पर पहुंचते हुए बुजुर्ग सभी प्राथमिक ज़रूरतों की पूर्ति के लिए एक छोटे बच्चे की तरह पूर्णतः परिवार पर निर्भर हो जाता है। इस अवस्था दौरान कई बार बुजुर्गों में बच्चों वाली आदतें उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
जन्म से दो वर्ष तक होने वाले शारीरिक विकास के पड़ावों का वर्णन करो।
उत्तर-
जन्म से दो वर्ष के दौरान होने वाले शारीरिक विकास निम्नलिखित अनुसार हैं

  1. 6 हफ्ते की आयु तक बच्चा मुस्कुराता है तथा किसी रंगीन वस्तु की ओर टिकटिकी लगाकर देखता है।
  2. 3 महीने की आयु तक बच्चा चलती-फिरती वस्तु से अपनी आँखों को घुमाने लगता है।
  3. 6 महीने का बच्चा सहारे से तथा 8 महीने का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है। (4) 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  4. 10 महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है तथा सरल, सीधे शब्द जैसे-काका, पापा, मामा, टाटा आदि बोल सकता है।
  5. 1 वर्ष का बच्चा स्वयं उठकर खड़ा हो सकता है तथा उंगली पकड़कर अथवा स्वयं चलने लगता है।
  6. 11 वर्ष का बच्चा बिना किसी सहारे के चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।

प्रश्न 8.
बच्चों को टीकों की बूस्टर दवा कब दिलाई जाती है?
उत्तर-
छ: वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं ताकि उन्हें कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।

मनुष्य के विकास के पड़ाव PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मानवीय जीवन का आरम्भ बच्चे के मां के गर्भ में आने से होता है।
  • मानवीय विकास के विभिन्न पड़ाव होते हैं जैसे ; बचपन, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था।
  • बच्चा जन्म से लेकर दो वर्ष तक बेचारा-सा तथा दूसरों पर निर्भर होता है।
  • 12 वर्ष का बच्चा स्वयं चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  • दो वर्ष के बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं।
  • दो से तीन वर्ष का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है।
  • छ: वर्ष तक बच्चे की,खाने, पीने, सोने, टट्टी-पेशाब तथा शारीरिक सफ़ाई की आदतें पक्की हो जाती हैं।
  • स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  • जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लग जाती है तो इस आयु को किशोसवस्था कहते हैं।
  • किशोरों के माता-पिता का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों को लिंग शिक्षा सही ढंग से दें।
  • इस आयु में बच्चे स्वयं को बालिग समझने लगते हैं।
  • पहले बच्चे कानूनी तौर पर 21 वर्ष की आयु पर बालिग हो जाते थे तथा अब 18 वर्ष की आयु के बच्चे को कानूनी तौर पर बालिग करार दे दिया जाता है।
  • प्रौढ़ावस्था के दो पड़ाव हैं। 40 वर्ष तक पहली तथा 40 से 60 वर्ष की पिछली प्रौढ़ावस्था।
  • 45 से 50 वर्ष की आयु में औरतों को माहवारी बन्द हो जाती है।
  • वृद्धावस्था के प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव होता है।
  • वृद्धावस्था में नींद कम आती है तथा दाँत खराब होने के कारण भोजन ठीक तरह नहीं खाया जा सकता।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

PSEB 9th Class Home Science Guide वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र धोने में प्रयोग होने वाले सामान को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र इस्तरी करने के लिए सामान।

प्रश्न 2.
वस्त्र संग्रह करने के लिए हमें क्या-क्या सामान चाहिए?
उत्तर-
इसके लिए हमें अलमारी, लांडरी बैग अथवा गंदे वस्त्र रखने के लिए टोकरी की ज़रूरत होती है। मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे भी आवश्यक होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 3.
वस्त्र धोने के लिए हम पानी कहां से प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी तथा कुएं आदि स्रोतों से पानी प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
हल्के और भारी पानी में क्या अन्तर है?
उत्तर

भारी पानी हल्का पानी
(1) इसमें अशुद्धियां होती हैं। (1) इसमें अशुद्धियां नहीं होती।
(2) इसमें साबुन की झाग नहीं बनती। (2) इसमें आसानी से साबुन की झाग बन जाती है।

प्रश्न 5.
भारी पानी को हल्का कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर-
भारी पानी को उबाल कर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जा सकता है अथवा फिर कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइकार्बोनेट से प्रक्रिया करके इसको हल्का बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
स्थाई और अस्थाई भारी पानी में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर-

अस्थाई भारी पानी स्थाई भारी पानी
(1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम क्लोराइड तथा सल्फेट घुले होते हैं। (1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण होते हैं।
(2) इसको उबालकर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जाता है। (2) कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइ-कार्बोनेट से प्रक्रिया करके छानकर इसको हल्का बनाया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7.
वस्त्रों की धुलाई में पानी का क्या महत्त्व है?
उत्तर-

  1. पानी को विश्वव्यापी घोलक कहा जाता है। इसलिए वस्त्रों पर लगे दाग तथा मिट्टी आदि पानी में घुल जाते हैं तथा वस्त्र साफ़ हो जाते हैं।
  2. पानी वस्त्र को गीला करके अन्दर तक चला जाता है तथा उसको साफ़ कर देता है।

प्रश्न 8.
पानी के स्त्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण कैसे करोगे?
उत्तर-
पानी के स्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है

  1. वर्षा का पानी-यह पानी का सबसे शुद्ध रूप होता है। यह हल्का पानी होता है, परन्तु हवा की अशुद्धियां इसमें घुली होती हैं। इसको वस्त्र धोने के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  2. दरिया का पानी-पहाड़ों की बर्फ पिघल कर दरिया बनते हैं। जैसे-जैसे यह पानी मैदानी इलाकों में आता रहता है इसमें अशुद्धियों की मात्रा बढ़ती रहती है तथा पानी गंदा सा हो जाता है। यह पानी पीने के लिए ठीक नहीं होता, परन्तु इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  3. चश्मे का पानी-धरती के नीचे इकट्ठा हुआ पानी किसी कमज़ोर स्थान से बाहर निकल आता है, इसको चश्मा कहते हैं। इस पानी में कई खनिज लवण घुले होते हैं इसको कई बार दवाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। वस्त्र धोने के लिए यह पानी ठीक है।
  4. कुएँ का पानी-धरती को खोदकर जो पानी बाहर निकलता है वह पानी पीने के लिए ठीक होता है। इसको कुएँ का पानी कहते हैं। इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  5. समुद्र का पानी-इस पानी में काफ़ी अधिक अशुद्धियां होती हैं। यह पीने के लिए तथा वस्त्र धोने के लिए भी ठीक नहीं होता।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 9.
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त अन्य कौन-कौन सा सामान चाहिए?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त साबुन, टब, बाल्टियां, चिल्मचियां, मग, रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा, पानी गर्म करने वाली देग, वस्त्र धोने वाली मशीन, सक्शन वाशर आदि सामान ज़रूरत होती है।

प्रश्न 10.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? महानगरों और फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र कैसे सखाते हैं?
उत्तर-
वस्त्रों को सुखाने के लिए प्राकृतिक धूप तथा हवा की ज़रूरत होती है। परन्तु अन्य सामान जिसकी ज़रूरत होती है, वह है

  1. रस्सी अथवा तार,
  2. क्लिप तथा हैंगर
  3. वस्त्र सुखाने वाला रैक,
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट।

बड़े शहरों में फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़ों को सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं। ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन की सहायता भी ली जा सकती है।

प्रश्न 11.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? हमारे देश में वस्त्र सुखाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाया जाता है?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए सामान-देखें प्रश्न 10 का उत्तर।
हमारे देश में साधारणतः घर खुले से होते हैं। छतों अथवा चौबारों पर जहां धूप आती हो रस्सियां अथवा तारों को ठीक ऊंचाई पर बांधकर इन पर वस्त्र सुखाने के लिए लटकाये जाते हैं।
बड़े शहरों में जहां घर खुले नहीं होते तथा लोग फ्लैटों में रहते हैं, वस्त्रों को रैकों पर सुखाया जाता है।
आजकल वाशिंग मशीनों का प्रयोग तो हर कहीं होने लगा है। इनके साथ भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
वस्त्रों को इस्तरी करना क्यों ज़रूरी है और कौन-कौन से सामान की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर-
वस्त्र धोकर जब सुखाये जाते हैं, इनमें कई सिलवटें पड़ जाती हैं तथा वस्त्र की दिखावट बुरी-सी हो जाती है। कपड़ों को प्रैस करके इनकी सिलवटें आदि तो निकल ही जाती हैं साथ ही वस्त्र में चमक भी आ जाती है तथा वस्त्र साफ़-सुथरा लगता है।
वस्त्र प्रैस करने के लिए निम्नलिखित सामान की ज़रूरत पड़ती है
बिजली अथवा कोयले से चलने वाली प्रैस, प्रेस करने के लिए फट्टा आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 13.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाले सही सामान के चयन से समय और श्रम की बचत कैसे होती है?
उत्तर-
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान इस तरह है

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र प्रैस करने के लिए सामान।

जब धोने वाले वस्त्र पहले ही इकट्ठे करके एक अल्मारी अथवा टोकरी आदि में रखे जाएं जो कि धोने वाले स्थान के नज़दीक रखी हो तो वस्त्र धोते समय सारे घर से विभिन्न कमरों से पहले वस्त्र इकट्ठे करने का समय बच जाता है। यह आदत गृहिणी को सारे घर के सदस्यों को डालनी चाहिए कि जो भी धोने वाला कपड़ा हो उसे इस काम के लिए बनाई अलमारी अथवा टोकरी में रखें।

घर में साबुन, डिटर्जेंट, नील, ब्रुश आदि आवश्यक सामान पहले ही मौजूद होना चाहिए। इस तरह नहीं होना चाहिए कि उधर से वस्त्र धोने आरम्भ कर लिये जाएं तथा बाद में पता चले घर में तो साबुन अथवा कोई अन्य आवश्यक सामान नहीं है। इस तरह समय तथा मेहनत दोनों नष्ट होते हैं।

धोने के लिए पानी भी हल्का ही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि भारी पानी में साबुन की झाग नहीं बनती तथा वस्त्र अच्छी तरह नहीं निखरते। इसलिए पानी को गर्म करके अथवा अन्य तरीके से पानी को हल्का बना लेना चाहिए। वस्त्र सुखाने का भी ठीक प्रबन्ध होना चाहिए। रस्सियों आदि को अच्छी तरह बांधना चाहिए तथा कपड़ों पर क्लिप आदि लगा लेने चाहिए ताकि हवा चले तो वस्त्र उड़ न जाएं। यदि रैक हैं तो इन्हें पहले ही खोल लेना चाहिए। इस तरह विभिन्न आवश्यक सामान पहले ही इकट्ठा किया हो तो समय तथा मेहनत की त्चत हो जाती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 14.
वस्त्र धुलाई के समान को किन-किन भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
स्टोर करने के लिए सामान-

  1. अलमारी-धोने वाले कमरे के नज़दीक अलमारी होनी चाहिए जिसमें साबुन, नील, मावा, रीठे, दाग उतारने वाला सामान आदि होना चाहिए।
  2. लाऊण्डरी बैग अथवा वस्त्र रखने के लिए टोकरी-इसमें घर के गंदे वस्त्र रखे जाते हैं।
  3. मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे-रीठे, दाग उतारने का सामान, नील, डिटर्जेंट आदि इनमें रखा जाता है।

वस्त्र धोने के लिए सामान-

  1. पानी-पानी एक विश्वव्यापी घोलक है। इसमें सभी तरह की मैल घुल जाती है तथा इस तरह इसका कपड़ों की धुलाई में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पानी को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी, कुएँ के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए किया जा सकता है।
  2. साबुन-वस्त्र धोने के लिए कई सफ़ाईकारी पदार्थ, साबुन तथा डिटर्जेंट मिलते हैं। वस्त्र साफ़ करने में इनका बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  3. टब तथा बाल्टियां- इनमें वस्त्र भिगोकर रखे, धोये तथा खंगाले जाते हैं। यह लोहे, प्लास्टिक अथवा पीतल के होते हैं। इनमें नील देने, रंग देने तथा मावा देने का भी कार्य किया जाता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (1)
  4. चिल्मचियां तथा मग-इनमें नील, मावा आदि देने का कार्य किया जाता है। यह प्लास्टिक, तामचीनी तथा पीतल आदि के होते हैं।
  5. लकड़ी का चम्मच तथा डण्डा-इससे नील अथवा मावा घोलने का कार्य किया जाता है। चद्दरें, खेस आदि को डण्डे अथवा थापी से पीट कर साफ़ किया जाता है।
  6. हौदी-धुलाई वाले कमरे में पानी की टूटी के नीचे सीमेंट की हौदी बनी हई होनी चाहिए। इससे काम आसान हो जाता है। हौदी के दोनों ओर सीमेंट अथवा लकड़ी के फट्टे लगे होने चाहिएं ताकि धोकर वस्त्र इन पर रखे जा सकें। इनकी ढलान हौदी की ओर होनी चाहिए।
  7. रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा-प्लास्टिक के ब्रुशों का प्रयोग वस्त्र के अधिक मैले हिस्से को रगड़कर मैल उतारने के लिए किया जाता है। फट्टा लकड़ी, स्टील अथवा जस्त का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्र को रगड़कर मैल निकाली जाती है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (2)
  8. गर्म पानी-वस्त्र धोने के लिए या तो बिजली के बायलर में पानी गर्म किया जाता है या फिर आग के सेक से बर्तन में डालकर पानी गर्म किया जाता है।
  9. वस्त्र धोने वाली मशीन-इससे समय तथा. शक्ति दोनों की बचत होती, अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इसको खरीदा जा सकता है।
  10. सक्शन वाशर-भारी, ऊनी, कम्बल, साड़ियां तथा अन्य वस्त्र इसके प्रयोग से आसानी से धोए जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (3)

वस्त्र सुखाने के लिए सामान — वस्त्रों को धोने के पश्चात् साधारणतः प्राकृतिक धूप तथा हवा में सुखाया जाता है। अन्य आवश्यक सामान इस तरह हैं —

  1. रस्सी अथवा तार-रस्सी को अथवा तार को खींचकर खूटियों तथा खम्बों में बांधा जाता है। रस्सी नायलॉन, सन अथवा सूत की हो सकती है। जंग रहित लोहे की तार भी हो सकती है।
  2. क्लिप तथा हैंगर-वस्त्र तार पर लटका कर क्लिप लगा दी जाती है ताकि हवा चलने पर वस्त्र नीचे गिरकर खराब न हो जाएं। बढ़िया किस्म के वस्त्र हैंगर में डालकर सुखाए जा सकते हैं।
  3. वस्त्र सुखाने वाले रैक-बरसातों में अथवा बड़े शहरों में जहां लोग फ्लैटों में रहते हैं वहां रैकों पर वस्त्र सुखाये जाते हैं । यह एल्यूमीनियम अथवा लकड़ी के हो सकते हैं। इन्हें फोल्ड करके सम्भाला भी जा सकता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (4)
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट-विकसित देशों में प्रायः इसका प्रयोग होता है। खासकर जहां अधिक ठण्ड अथवा वर्षा होती है उन देशों में इनका प्रयोग साधारण है।
    इनके अतिरिक्त ऑटोमैटिक वाशिंग मशीनों से भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (5)

वस्त्र प्रैस करने वाला सामान —

  1. प्रेस-वस्त्र प्रैस करने के लिए बिजली अथवा कोयले वाली प्रेस का प्रयोग किया जाता है। प्रैस लोहे, पीतल तथा स्टील की मिलती है।
  2. प्रैस करने वाला फट्टा — यह लकड़ी का होता है, फट्टे के स्थान पर बैंच अथवा मेज आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है । इस पर एक कम्बल बिछा कर ऊपर पुरानी चादर बिछा लेनी चाहिए।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (6)

प्रश्न 15.
वस्त्र धोने के लिए पानी कहां से प्राप्त किया जा सकता है और क्यों? कैसा पानी वस्त्र धोने के लिए उपयुक्त नहीं और क्यों?
उत्तर-
देखो प्रश्न 8 का उत्तर।
समुद्र के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें बहुत सारी अशुद्धियां मिली होती हैं।

Home Science Guide for Class 9 PSEB वस्त्र धोने के लिए सामान Important Questions and Answers

वस्तुनिक प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. पानी घोलक है।
  2. हल्के पानी में …………….. की झाग शीघ्र बनती है।
  3. …………….. पानी में बहुत-सी अशुद्धियां होती हैं।
  4. स्रोत के आधार पर पानी को …………………. किस्मों में बांटा गया है।
  5. ……………… भारी पानी में कैल्शियम क्लोराइड होता है।

उत्तर-

  1. यूनिवर्सल,
  2. साबुन,
  3. समुद्र के,
  4. पांच,
  5. स्थायी।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारे पानी में कौन-से लवण होते हैं?
उत्तर-
कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लत्रण।

प्रश्न 2.
स्वाद के अनुसार पानी कितने प्रकार का है?
उत्तर-
दो प्रकार का।

प्रश्न 3.
फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़े कहां सुखाते हैं?
उत्तर-
रैकों में।

प्रश्न 4.
साबुन को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
सफाईकारी।

प्रश्न 5.
बिजली की कैबिनेट का प्रयोग कपड़े सुखाने के लिए किन देशों में हो रहा
उत्तर-
विकसित देशों में।

ठीक ग़लत बताएं

  1. लांडरी बैग में धोने वाले कपड़े एकत्र किए जाते हैं।
  2. पानी एक विश्वव्यापी घोलक है।
  3. पानी दो प्रकार का होता है हल्का तथा भारी।
  4. हल्के पानी में साबुन की झाग नहीं बनती।
  5. समुद्र का पानी पीने के लिए तथा कपड़े धोने के लिए ठीक नहीं होता।
  6. कपड़ों को धूप में सुखाना ठीक है।

उत्तर-

  1. ठोक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान है
(A) स्टोर करने वाला
(B) कपड़े धोने वाला
(C) कपड़े सुखाने वाला
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
कपड़े धोने के लिए सामान है
(A) पानी
(B) साबुन
(C) टब, बाल्टियां
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य हैं
(A) फ्लैटों में रहने वाले रैकों पर कपड़े सुखाते हैं
(B) धूप में कपड़े सुखाना अच्छा है
(C) समुद्र के पानी से कपड़े नहीं धो सकते
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धोबी को वस्त्र देने के क्या नुकसान हैं?
उत्तर-

  1. धोबी कई बार वस्त्र साफ़ करने के लिए ऐसी विधियों का प्रयोग करता है जिससे वस्त्र जल्दी फट जाते हैं अथवा फिर कमजोर हो जाते हैं।
  2. कई बार वस्त्रों के रंग खराब हो जाते हैं।
  3. छूत की बीमारियां होने का भी डर रहता है।
  4. धोबी से वस्त्र धुलाना महंगा पड़ता है।

प्रश्न 2.
जल चक्र क्या है?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप में पानी कुओं, चश्मों, दरियाओं तथा समुद्रों में से मिलता है। धरती पर सूर्य की धूप से यह पानी भाप बनकर उड़ जाता है तथा वायुमण्डल में जलवाष्प के रूप में इकट्ठा होता रहता है तथा बादलों का रूप धारण कर लेता है। जब यह भारी हो जाते हैं तो वर्षा, ओलों तथा बर्फ के रूप में पानी दुबारा धरती पर आ जाता है। यह पानी शुरू से दरियाओं द्वारा होता हुआ समुद्र में मिल जाता है। तथा यह चक्र इसी तरह चलता रहता है।

प्रश्न 3.
स्वादानुसार पानी का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर-
स्वादानुसार पानी दो तरह का होता है-

  1. मीठा अथवा हल्का पानी-इस पानी का स्वाद मीठा होता है।
  2. खारा पानी-यह पानी स्वाद में नमकीन-सा होता है।

प्रश्न 4.
पानी का वर्गीकरण अशुद्धियों के अनुसार किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
अशुद्धियों के अनुसार पानी दो प्रकार का है

  1. हल्का पानी-इसमें अशुद्धियां नहीं होतीं तथा यह पीने में स्वादिष्ट होता है। इसमें साबुन की झाग भी शीघ्र बनती है।
  2. भारी पानी-इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। यह साबुन से मिलकर झाग नहीं बनाता। यह भी दो तरह का होता है अस्थाई भारी पानी तथा स्थाई भारी पानी।

प्रश्न 5.
वस्त्र धोने के लिए थापी अथवा डण्डे का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए? वस्त्र धोने वाला फट्टा क्या होता है?
उत्तर-
थापी का अधिक प्रयोग किया जाये तो कई बार वस्त्र फट जाते हैं, वस्त्र धोने वाला फट्टा स्टील अथवा लकड़ी का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्रों को साबुन लगाकर रगड़ा जाता है। इस तरह वस्त्र से मैल उतर जाती है।

प्रश्न 6.
आप वस्त्र सुखाने के लिए लोहे के तार का प्रयोग करोगे अथवा नाइलॉन की रस्सी का?
उत्तर-
वैसे तो दोनों का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु लोहे की तार को जंग लग जाता है जिससे वस्त्र पर दाग पड़ जाते हैं। इसलिए नाइलॉन की रस्सी अधिक उपयुक्त रहेगी।

वस्त्र धोने के लिए सामान PSEB 9th Class Home Science Notes

  • घर में वस्त्र कपड़े धोने के लिए कई तरह का सामान चाहिए।
  • वस्त्र धोने का सामान अपनी आर्थिक हालत अनुसार तथा आवश्यकतानुसार ही लो।
  • लाऊण्डरी बैग में धोने वाले वस्त्र इकट्ठे किये जाते हैं।
  • पानी एक विश्वव्यापी घोलक है, इसमें साधारणतः प्रत्येक प्रकार की मैल घुल जाती है।
  • पानी प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोत हैं। वर्षा, दरिया, कुएं, चश्मे तथा समुद्र का पानी।
  • समुद्र का पानी वस्त्र धोने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  • पानी दो तरह का होता है-हल्का तथा भारी।
  • हल्के पानी में साबुन की झाग शीघ्र बनती है।
  • भारी पानी स्थाई तथा अस्थाई दो तरह का होता है। अस्थाई भारे पानी को उबाल कर हल्का किया जा सकता है।
  • साबुनों को सफ़ाईकारी कहा जाता है। यह चर्बी तथा खारों के मिश्रण से बनता
  • टब, बाल्टियां, चिल्मचियां आदि का प्रयोग नील देने, मावा देने, वस्त्र भिगोने, खंगालने आदि के लिए किया जाता है।
  • फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं।
  • विकसित देशों में वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट का प्रयोग किया जाता है।
  • वस्त्र को साफ़-सुथरी, चमकदार, सिलवट रहित दिखावट प्रदान करने के लिए इस्तरी किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

PSEB 9th Class Home Science Guide घरेलू सफ़ाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
घर की सफाई में किस प्रकार का सामान प्रयोग में आता है ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए पांच प्रकार के सामान का प्रयोग होता हैपोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक, सफाई करने वाले यन्त्र।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 2.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जाती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोना, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।

प्रश्न 3.
दैनिक सफाई और मासिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-प्रतिदिन की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहते हैं। रोजाना सफाई में प्रत्येक कमरे में झाड़-पोचा लगाया जाता है।
मासिक सफाई- यह सफाई महीने बाद तथा महीने में एक बार की जाती है। जैसेरसोई तथा अल्मारियों की सफाई आदि।

प्रश्न 4.
वैक्यूम क्लीनर कैसा उपकरण है ?
उत्तर-
यह एक बिजली से चलने वाली मशीन है। जब इसको बिजली से जोड़कर सफाई करने वाले स्थान पर चलाया जाता है तो सारी मिट्टी आदि इसके अन्दर खींची जाती है तथा एक थैली में इकट्ठी हो जाती है। यह मशीन प्रयोग करने से धूल नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी तरह से हो जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
घर की सफाई क्यों ज़रूरी होती है ?
उत्तर-

  1. सफाई करने से घर साफ तथा सुन्दर लगता है जो कि गृहिणी की सुघड़ता का सूचक होता है।
  2. गन्दे घर की हवा दूषित होती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सफाई करने से घर की हवा भी साफ हो जाती है।
  3. अधिक समय गन्दा रखने से घर का सामान जल्दी खराब हो जाता है। गन्दी जगह पर बैठने को किसी का मन नहीं करता।
  4. गन्दे घर में कई प्रकार के कीटाणु, मक्खी, मच्छर आदि पैदा होते हैं जो कई तरह की बीमारियां फैलाते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 6.
घर की सफाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के समय ध्यान में रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें

  1. घर के सभी सदस्यों को घर की सफाई के प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। क्योंकि सदस्यों को घर की सफाई के दौरान सभी सदस्यों का सहयोग अनिवार्य होता है।
  2. सफाई करने से पहले योजना बना लेनी चाहिए क्योंकि बिना योजना से की जाने वाली सफाई में अधिक समय खराब होता है।
  3. सफाई करते समय ज़रूरत का सारा सामान एक जगह पर इकट्ठा कर लेना चाहिए।
  4. सफाई के साधनों का प्रयोग करने के पश्चात् उन्हें फिर से साफ करके रख लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग में लाए जा सके जैसे पॉलिश करने के पश्चात् ब्रुश मिट्टी के तेल से साफ करके सम्भाल लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग किया जा सके।
  5. सफाई करते समय ठीक प्रकार की सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। इससे सफाई भी ठीक ढंग से होती है तथा समय तथा शक्ति की भी बचत होती है।
  6. सफाई सही ढंग तथा ध्यान से करनी चाहिए। लापरवाही से की गई सफाई घर को साफ बनाने के स्थान पर और भी बदसूरत बना देती है।

प्रश्न 7.
घर की सफाई करने के लिए कौन-कौन सा सामान चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेडा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े को पोचे के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फ्लालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। शीशे की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा ब्रश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि । इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी साफ की जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

प्रश्न 8.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश -से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़ कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स, पत्थर आदि वाले फर्श की सफाई झाड से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ का प्रयोग किया जाता है।
बाथरूम तथा रसोई को रोज़ धोकर साफ किया जाता है।
घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता
है।

प्रश्न 9.
सफाई करने के लिए क्या बिजली की कोई मशीन है ? यदि हां, तो कौन-सी और कैसे प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
बिजली से चलने वाली सफाई मशीन वैक्यूम क्लीनर है। इससे फर्श, पर्दे, दीवारें, सोफा, दरियां, फर्नीचर, कालीन आदि साफ किये जा सकते हैं।
यह एक ऊंचे हैण्डल वाली मोटर है। इसमें एक थैली लगी होती है। जब इसको चलाया जाता है तो सारी मिट्टी इसमें चली जाती है। यह मिट्टी थैली में इकट्ठी हो जाती है। सफाई कर लेने के पश्चात् थैली को उतार कर झाड़ लिया जाता है। इस मशीन के प्रयोग से मिट्टी नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी होती है।

प्रश्न 10.
सफाई करने के लिए कौन-कौन से झाड़ और ब्रुश की ज़रूरत पड़ती
उत्तर-

1. ब्रुश-सफाई के लिए कई तरह के ब्रुशों का प्रयोग किया जाता है। ब्रुश खरीदने के लिए एक विशेष बात का ध्यान रखें कि उसे किस चीज़ की सफाई के लिए प्रयोग करना है। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा परन्तु सख्त ब्रुश, दीवारें साफ करने के लिए नर्म ब्रुश, फर्श को साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, छोटी वस्तुएं साफ करने के लिए दांतों वाले ब्रुश, फर्श से काई उतारने के लिए तारों वाले सख्त ब्रुश की ज़रूरत होती है। फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए नर्म ब्रुश का प्रयोग किया जाता है। दीवारों पर सफेदी करने के लिए मूंजी की कूची तथा दरवाजे, खिड़कियां तथा अल्मारियों को पेंट अथवा पॉलिश करने के लिए 1½ इंच वाले तथा दीवारों पर पेंट अथवा डिस्टैंपर करने के लिए तीन-चार इंच वाले ब्रुशों की ज़रूरत पड़ती है। बाथरूम में फ्लशों को साफ करने के लिए विशेष प्रकार के गोल, नर्म ब्रुश प्रयोग किये जाते हैं। दीवारों से जाले उतारने के लिए भी लम्बी डण्डी वाले ब्रुश होते हैं।

2. झाड़-घर को तथा घर के और सामान को साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार के झाड़ प्रयोग में लाये जाते हैं। सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म जैसे झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए अथवा घास पर फेरने के लिए तीलियों वाले मोटे बांस के झाड़ की ज़रूरत होती है। सफाई करने के लिए कई बार खजूर तथा नारियल के पत्तों के झाड़ भी प्रयोग किये जाते हैं। आजकल बाज़ार में लम्बे डंडे वाले झाड़ नुमा ब्रुश भी मिल जाते हैं जिनसे खड़ेखड़े फर्शों की सफाई की जाती है।

प्रश्न 11.
घर में सफाई की व्यवस्था कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
घर में सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है :

  1. दैनिक सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसर पर सफाई।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 12.
दैनिक सफाई से आप क्या समझते हो ? इसके क्या लाभ हैं? .
उत्तर-
दैनिक सफाई दैनिक सफाई में वे कार्य शामिल किये जाते हैं जो प्रतिदिन किये जाते हैं। इसके कई लाभ हैं। दैनिक सफाई करने से कोई भी सामान अधिक गन्दा नहीं होता। यदि बहुत गन्दे सामान को साफ करना हो तो समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। परन्तु प्रतिदिन करने से बिल्कुल अनुभव नहीं होता। दैनिक सफाई सुबह ही करनी चाहिए। क्योंकि रात को सारा गरदा, मिट्टी चीजों पर जम जाती है। इसलिए साफ करना कठिन होता है। दैनिक सफाई के लिए बहुत योजनाबन्दी की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह सभी कार्य करने की आदत ही बन चुकी होती है। यह सारे कार्य या तो गृहिणी स्वयं करती है अथवा फिर परिवार के सदस्यों की सहायता ली जाती है तथा कई बार नौकरों से करवाए जाते हैं।

दैनिक सफाई के लिए सबसे पहले परदे पीछे करके कांच की खिड़कियां खोल देनी चाहिएं जिससे ताजा हवा तथा रोशनी घर में आ सके। फिर कमरों की चादरें झाड कर बिछा दें। बिखरे हुए सामान को अपनी-अपनी जगह पर रखें। फिर कमरों में रखे कूडेदानों को खाली करके सभी कमरों, बरामदे तथा आंगन में झाड़ लगाओ। फिर कपड़ा लेकर मेज़, कुर्सियां, टेबल तथा अन्य कमरों में पड़े सामान की झाड़-पोंछ करनी चाहिए। झाड़-पोचा करते समय कपड़ा ज़ोर से पटक कर न मारें, इस तरह करने से धूल एक स्थान से उड़कर दूसरी जगह पड़ जाती है तथा चीजें टूटने का भी डर रहता है। इसके पश्चात् कोई मोटा कपड़ा जैसे पुराना तौलिया आदि लेकर, बाल्टी में पानी लेकर, कपड़ा गीला करके सभी कमरों में पोचा लगाना चाहिए। भिन्न-भिन्न सामान को ठीक करके टिकाने पर रखा जाता है। इस तरह पूरा घर साफ-सुथरा हो जाता है। यदि घर में कहीं कच्ची जगह है तो पहले वहां हल्का सा पानी का छिड़काव कर लेना चाहिए ताकि झाड़ लगाने पर अधिक मिट्टी न उड़े।

प्रश्न 13.
दैनिक तथा साप्ताहिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-दैनिक सफाई में वह कार्य शामिल हैं जो रोज़ किये जाते हैं।
साप्ताहिक सफाई-यह सफाई सप्ताह के बाद तथा सप्ताह में एक बार की जाती है।
साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य समय सीमित होने के कारण गृहिणी के लिए यह सम्भव नहीं कि वह घर की प्रत्येक चीज़ को रोज़ साफ करे। वैसे ही कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनकी रोज़ाना सफाई की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे सारे कार्य जैसे चादरों, गिलाफों अथवा सोफे के कपड़ों को रोजाना बदलने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे कार्य जैसे कालीन की सफाई, गिलाफ, फ्रिज की सफाई, रसोई की शैल्फ तथा गैस स्टोव की सफाई, रसोई घर के डिब्बों की सफाई, बाथरूम की बाल्टियां, मग तथा साबुनदानी आदि की सफाई साप्ताहिक सफाई में ही आते हैं।

इसके अतिरिक्त यदि गृहिणी के पास समय हो तो कपड़ों वाली अल्मारियों को साफ किया जा सकता है जिससे ज़रूरत पड़ने पर सामान आसानी से ढूंढा जा सकता है। साप्ताहिक सफाई में घर के सभी कमरों, बरामदों आदि से जाले उतारने बहुत ज़रूरी हैं। गृहिणी को यह योजना बनाकर (जबानी अथवा लिखित) रखनी चाहिए कि इस सप्ताह के कार्य कौन-से हैं।

प्रश्न 14.
वार्षिक सफाई और विशेष अवसर पर सफाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-

  1. वार्षिक सफाई वार्षिक सफाई, रोज़ाना, साप्ताहिक तथा मासिक सफाई से अधिक विस्तृत होती है। यह कम-से-कम छ:-सात दिन का कार्य होता है। इस कार्य में समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। इसलिए इस कार्य के लिए गृहिणी को पूरी योजनाबन्दी करनी चाहिए। परिवार के अलग-अलग नौकरों तथा सदस्यों को भी कार्य बांटे जाते हैं। घर का सारा सामान एक तरफ करके विस्तृत रूप में सफाई की जाती है ताकि घर से धूल-मिट्टी तथा कीड़े-मकौड़े समाप्त हो सकें। इस सफाई के दौरान घर के टूटे-फूटे सामान की मुरम्मत, पॉलिश तथा अनावश्यक सामान को भी निकाला जाता है। कीड़े-मकौड़े समाप्त करने के लिए घर में सफेदी भी कराई जानी चाहिए। पेटियों तथा अल्मारियों आदि के सामान को धूप लगवानी चाहिए
  2.  विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई-हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे का विवाह हो तो वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ हिस्सा ही साफ करके सजाया जाता है। जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के मौके पर केवल ड्राईंग रूम की ही खास सफाई की जाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
घर की सफाई गृहिणी की सुघड़ता का सूचक है। कैसे ?
उत्तर-
एक साफ-सुथरा तथा सजा हुआ घर गृहिणी की सूझ-बूझ तथा कुशलता का प्रत्यक्ष रूप है। इसलिए सफाई निम्नलिखित बातों के कारण भी महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. सफाई न करने से घर की हवा दूषित हो जाती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  2. गन्दे स्थान पर मक्खियां-मच्छर तथा अन्य कई रोग पैदा करने वाले कीटाणु भी अधिक बढ़ते हैं जो बीमारियों की,जड़ हैं।
  3. गन्दे घर में बैठकर काम करने को दिल नहीं करता। यहां तक कि आस-पड़ोस के लोग भी गन्दगी देखकर घर आना पसन्द नहीं करते।
  4. सफाई करने से घर सजा हुआ दिखाई देता है। यदि सफाई न की जाये तो घर की प्रत्येक वस्तु पर मिट्टी, धूल तथा कूड़ा-कर्कट इकट्ठा हो जाता है जिससे घर गन्दा होने के साथ-साथ घर का सामान भी खराब होना आरम्भ हो जाता है।
  5. साफ-सुथरे सजे हुए घर से गृहिणी की समझदारी का पता चलता है। घर के अन्य कार्यों में से घर की सफाई एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।

प्रश्न 16.
घर की सफाई कैसे की जाती है और इसके लिए क्या सामान आवश्यक है ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स तथा पत्थर आदि वाली फर्श की सफाई फूल झाड़ से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ प्रयोग किया जाता है।
गुसलखाना तथा रसोई आदि को रोज़ धोकर साफ किया जाता है। घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता है।
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेड़ा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े पोचे के तौर पर प्रयोग किए जाते हैं। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फलालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। कांच की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा बुश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रुश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि। इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी झाड़ी जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 17.
घर की सफाई की व्यवस्था कैसे और किस आधार पर की जाती है ?
उत्तर-
गृहिणी हर रोज़ सारे घर की सफाई नहीं कर सकती क्योंकि यह थका देने वाला कार्य है। इसलिए इस कार्य को करने के लिए सूझ-बूझ से योजना बनाई जाती है। गृहिणी अपनी सुविधा के अनुसार सफाई कर सकती है। घर की सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –

  1. रोज़ाना सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसरों पर सफाई।

1. रोज़ाना अथवा दैनिक सफाई-रोज़ाना सफाई से हमारा अभिप्राय उस सफाई से है जो घर में रोज़ की जाती है। इसलिए गृहिणी का यह मुख्य कर्त्तव्य है कि वह घर के उठने-‘ बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई घर, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा लैटरिन की हर रोज़ सफाई करें। रोजाना सफाई में साधारणतः इधर-उधर बिखरी चीज़ों को ठीक तरह लगाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फर्श पर झाड़ लगाना, गीला पोचा लगाना आदि आते हैं।

2. साप्ताहिक सफाई-एक अच्छी गृहिणी को घर के रोज़ाना जीवन में अनेक कार्य करने पड़ते हैं। इसलिए यह सम्भव नहीं कि वह एक ही दिन में घर की पूरी सफाई कर सके। समय की कमी के कारण घर में जो चीजें हर रोज़ साफ नहीं की जातीं उन्हें सप्ताह में अथवा पन्द्रह दिनों में एक बार अवश्य साफ कर लेना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया तो दरवाजों तथा दीवारों की छतों पर जाले इकट्ठे हो जायेंगे। दरवाज़ों तथा खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर की सफाई, बिस्तर झाड़ना तथा धूप लगवाना, अल्मारियों की सफाई तथा दरी, कालीन को झाड़ना तथा धूप लगवाना आदि कार्य सप्ताह में एक बार अवश्य किये जाने चाहिएं।

3. मासिक सफाई-जिन कमरों अथवा वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार न हो सके, उन्हें महीने में एक बार जरूर साफ करना चाहिए। साधारणत: सारे महीने की खाद्यसामग्री एक बार ही खरीदी जाती है। इसलिए भण्डार गृह में रखने से पहले भण्डार घर को अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर ही उसमें खाद्य सामग्री रखी जानी चाहिए। मासिक सफाई के अन्तर्गत अनाज, दालों, अचार, मुरब्बे तथा मसाले आदि को धूप लगवानी चाहिए। अल्मारी के जाले, बल्बों के शेड आदि भी साफ करने चाहिएं।

4. वार्षिक सफाई-वार्षिक सफाई का अभिप्राय वर्ष में एक बार सारे घर की पूरी तरह सफाई करना है। वार्षिक सफाई के अन्तर्गत घर में सफेदी करना, टूटे स्थानों की मरम्मत, दरवाजों, खिड़कियों तथा दहलीज़ों की मरम्मत तथा सफाई तथा रंग-रोगन करवाना, फर्नीचर तथा अन्य सामान की मरम्मत, वार्निश, पॉलिश आदि आती है। कमरों में से सारे सामान को हटाकर चूना, पेंट अथवा डिस्टैंपर करवाना सफाई के पश्चात् फर्श को रगड़ कर धोना तथा दागधब्बे हटाना, सफाई के पश्चात् सारे सामान को दोबारा व्यवस्थित करना वार्षिक कार्य है। इस प्रकार की सफाई से कमरों को नवीन रूप प्रदान होता है। रज़ाई, गद्दों को खोलकर रुई साफ करवाना, धुनाई आदि भी वर्ष में एक बार किया जाता है।

हमारे देश में जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है, दशहरे अथवा दीवाली के समय वार्षिक सफाई की जाती है, लीपने-पोचने तथा पॉलिश करवाने से सुन्दरता तो बढ़ती ही है, रोग फैलाने वाले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं । इसलिए स्वास्थ्य के पक्ष में भी एक बार घर की पूरी सफाई आवश्यक है।

5. विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई -हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे को विवाह हो तो भी वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ भाग ही साफ करके सजाया जाता है जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के अवसर पर केवल ड्राईंग-रूम की ही खास सफाई की जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB घरेलू सफ़ाई Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. रसोई तथा अल्मारियों की सफ़ाई ………… ….. सफ़ाई है।
  2. घर के सभी सदस्यों की …………………. के प्रति रुचि होनी चाहिए।
  3. सूखा कूड़ा एकत्र करने के लिए …………………. झाड़ का प्रयोग करें।
  4. पॉलिश करने के लिए तथा चीज़ों को चमकाने के लिए …………………. कपड़े का प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. मासिक
  2. सफ़ाई
  3. नर्म
  4. फलालेन या लिनन।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
शीशे को चमकाने के लिए कैसे कपड़े का प्रयोग ठीक रहता है ?
उत्तर-
सिल्क।

प्रश्न 2.
चांदी की सफाई के लिए पॉलिश का नाम बताएं।
उत्तर-
सिल्वो।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 3.
सबसे पहले किस कमरे की सफाई करनी चाहिए ?
उत्तर-
खाना बनाने वाले कमरे की।

प्रश्न 4.
फ्रिज़ को कब साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
सप्ताह में एक बार।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. घर की सफ़ाई के प्रति घर के सभी सदस्यों की रुचि होनी चाहिए।
  2. मासिक सफ़ाई महीने बाद की जाती है।
  3. स्नानागृह को महीने बाद धोना चाहिए न कि प्रतिदिन।
  4. बिजली से चलने वाली सफ़ाई वाली मशीन है माइक्रोवेव।
  5. धूल के कण, गंदगी का प्राकृतिक कारण है।
  6. पेंट वाली लकड़ी को प्रतिदिन झाड़न वाले कपड़े से पोंछे।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकार है –
(A) कफ़
(B) थूक
(C) पसीना
(D) सभी।
उत्तर-(D) सभी।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) गंदे घर में बैठ कर कार्य करने का मन नहीं करता
(B) साफ़ सुन्दर सजे हुए घर से गृहिणी की सूझबूझ का पता चलता है
(C) सप्ताह वाली सफ़ाई सप्ताह में एक बार की जाती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 3.
सफ़ाई के लिए प्रयोग वाला सामान है –
(A) झाड़
(B) बिजली की मशीन
(C) ब्रश
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दैनिक सफ़ाई में क्या-क्या कार्य करने आवश्यक होते हैं ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई में निम्नलिखित कार्य आवश्यक रूप से करने होते हैं –

  1. घर के सारे कमरों के फ़र्श, खिड़कियां, दरवाजे, मेज़ तथा कुर्सी की झाड़-पोंछ करना।
  2. घर में रखे कडेदान आदि की सफाई करना।
  3. शौचालय तथा स्नानघर आदि की सफाई करना।
  4. रसोई में काम आने वाले बर्तनों की सफ़ाई तथा रख-रखाव।

प्रश्न 2.
घर में गन्दगी होने के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक कारण-धूल के कण, वर्षा और बाढ़ के पानी के बहाव के कारण आने वाली गन्दगी, मकड़ी के जाले, पक्षियों और अन्य जीवों द्वारा फैलाई गन्दगी।
  2. मानव विकार-मल-मूत्र, कफ, थूक, खांसी, पसीना तथा बालों का झड़ना।
  3. घरेलू कार्य-खाद्य पदार्थों की सफ़ाई से निकलने वाली गन्दगी, साग-सब्जी, फ़ल आदि के छिलके, खाने वाली वस्तुएं, बर्तन आदि का धोना, कपड़ों की धुलाई, साबुन की झाग, मैल, नील, स्टार्च, रद्दी कागज़ के टुकड़े, सिलाई से निकलने वाले कपड़ों के टुकड़े, कताई की रूई तथा उसका झाड़न आदि।

प्रश्न 3.
दैनिक सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? तथा घर की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई से हमारा अभिप्राय उस सफ़ाई से है जो घर में रोजाना की जाती है। इसलिए गृहिणी का कर्तव्य है कि वह घर के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा शौचालय की प्रतिदिन सफ़ाई करे। दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत साधारणतः इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुओं को ठीक तरह टिकाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फ़र्श पर झाड़ करना, गीला पोछा करना आदि आते हैं।

प्रश्न 4.
शौचालय, बाथरूम में फिनाइल क्यों छिड़कायी जाती है.?
उत्तर-
शौचालय, बाथरूम को रोजाना फिनाइल से धोना चाहिए तथा इन्हें खुली हवा लगनी चाहिए। नहीं तो यह मक्खी, मच्छर के घर बन जाएंगे। जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 5.
घर में फर्नीचर की पॉलिश कैसे तैयार की जाती है ?
उत्तर-
फर्नीचर की पॉलिश तैयार करने के लिए अलसी का तेल दो हिस्से, तारपीन का तेल-एक हिस्सा, सिरका एक हिस्सा, मैथिलेटिड स्पिरिट-एक हिस्सा लेकर मिला लो। इस तरह पॉलिश तैयार हो जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर की देखभाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर को नर्म साफ़ कपड़े से साफ़ किया जाता है क्योंकि कठोर ब्रुश का प्रयोग करने से लकड़ी पर खरोंचें पड़ सकती हैं। लकड़ी को गीला नहीं करना चाहिए। फर्नीचर की लकड़ी को पेंट अथवा पॉलिश की जाती है। पेंट तथा पॉलिश को विभिन्न विधियों से अलग किया जाता है।

पॉलिश की लकड़ी की सम्भाल-इसको प्रतिदिन नर्म कपड़े से साफ़ करना चाहिए। अधिक गन्दी होने की सूरत में साबुन वाले पानी से धोकर फ्लालेन के कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। कम गन्दी लकड़ी को साफ़ करने के लिए आधे लीटर गुनगुने पानी में दो बड़े चम्मच सिरके के मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। इस घोल में गीला करके फ्लालेन के कपड़े से फर्नीचर को साफ़ करो। यदि फर्नीचर की लकड़ी की पॉलिश काफ़ी खराब हो गई हो अथवा चमक घट जाए तो मैन्शन पॉलिश अथवा क्रीम का प्रयोग करके सफ़ाई की जाती है। सनमाइका लगे फर्नीचर को साफ़ करना आसान होता है। इसको गीले कपड़े से पोंछा जा सकता है तथा दाग उतारने के लिए साबुन का प्रयोग किया जा सकता है।

पेंट की हई लकडी-पेंट वाली लकडी प्रतिदिन झाडने वाले कपड़े से पोंछो। यदि ज़रूरत हो तो कुछ दिनों के पश्चात् साबुन वाले गुनगुने पानी तथा फ्लालेन के कपड़े से इसे साफ़ करो। कोनों को अच्छी तरह साफ़ किया जाता है। अधिक गन्दे हिस्सों को साफ़ करने के लिए साफ़ ब्रुश प्रयोग करो। पेंट से चिकनाहट के दाग उतारने के लिए पानी में थोड़ी पैराफिन मिला ली जाती है परन्तु पैराफिन का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाए तो पेंट खराब हो जाता है।

कपड़ा चढ़ा हुआ फर्नीचर-इसको रोज़ सूखे कपड़े से झाड़ना चाहिए। कभी-कभी गर्म कपड़े साफ़ करने वाले ब्रुश से साफ़ करो। रैक्सिन अथवा चमड़े वाले फर्नीचर को रोज़ गीले कपड़े से साफ़ करो। चिकनाहट के दाग उतारने के लिए कपड़े को साबुन वाले गुनगुने पानी से भिगो कर रगड़ो। कभी-कभी थोड़ा सा अलसी का तेल कपड़े पर लगाकर चमड़े के फर्नीचर पर रगड़ने से चमड़ा मुलायम रहता है तथा दरारें नहीं पड़तीं।

घरेलू सफ़ाई PSEB 9th Class Home Science Notes

  • गन्दे घर का घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा कई प्रकार की बीमारियां फैल सकती हैं।
  • गन्दे घर में कई तरह के कीटाणु, मक्खी-मच्छर आदि पैदा होते हैं तथा बीमारियां फैलाते हैं।
  • सफाई सही ढंग से करनी चाहिए। लापरवाही तथा बिना ढंग से सफाई की जाये तो साफ होने के स्थान पर घर और भी बदसूरत हो जायेगा।
  • सफाई के लिए प्रयोग में आने वाला सामान पांच प्रकार का होता है –
    पोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई करने वाले यन्त्र, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक।
  • सफाई करने के कई ढंग हैं –
    झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।
  • लकड़ी के फर्नीचर को नर्म, साफ कपड़े से साफ करना चाहिए।
  • घर की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
    रोज़ाना सफाई, साप्ताहिक सफाई, मासिक सफाई, वार्षिक सफाई, विशेष अवसर पर सफाई।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

SST Guide for Class 9 PSEB पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
पंजाब के रेखाचित्र में अंकित करें :
उत्तर-

  1. होशियारपुर शिवालिक तथा रोपड़ शिवालिक शृंखालायें
  2. सतलुज का बेट क्षेत्र।

प्रश्न 2.
अर्ध पर्वतीय, मैदानी तथा दक्षिण-पश्चिम रेतीले टीलों वाले क्षेत्रों में पड़ते जिलों की सारणियां बनाकर कक्षा में लगाएं।
नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्र की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें :

प्रश्न 1.
प्राचीन जलोढ़ निर्मित क्षेत्र को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
बांगर।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
खाडर (खादर) या बेट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खाडर अथवा बेट नई जलोढ़ मिट्टी के मैदान हैं। यह मिट्टी नदियों के किनारों पर निचले क्षेत्रों में पाई जाती है।

प्रश्न 3.
पंजाब के मैदानों को किन भागों में वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानों को पांच भागों में बांटा जाता है-

  1. चो वाले मैदान,
  2. बाढ़ के मैदान,
  3. नैली,
  4. जलोढ़ के मैदान,
  5. जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीले।

प्रश्न 4.
पंजाब में रेत के टीले किस दिशा में थे/हैं।
उत्तर-
रेतीले टिब्बे पंजाब के दक्षिण पश्चिम में राजस्थान की सीमा के साथ-साथ पाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
चंगर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आनंदपुर साहिब के नज़दीक कंडी क्षेत्र को चंगर कहा जाता है।

प्रश्न 6.
सही और गलत कथन बताएं-
(i) हिमालय की बाहरी श्रेणी का नाम शिवालिक है। ( )
(ii) कंडी क्षेत्र रूपनगर व पटियाला ज़िलों के दक्षिण में है। ( )
(iii) होशियारपुर शिवालिक, सतलुज व व्यास नदियों के बीच है। ( )
(iv) पंजाब के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में घग्गर के जलोढ़ मैदान, नैली में मिलते हैं। ( )
उत्तर-

  1. सही,
  2. गलत,
  3.  सही,
  4. सही।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:

प्रश्न 1.
कंडी क्षेत्र की विशेषताएं लिखें तथा बतायें ये क्षेत्र कौन-से जिलों में पड़ते हैं ?
उत्तर-
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों के पश्चिम तथा रूपनगर (रोपड़) जिले की नूरपुर बेदी तहसील के पूर्व में स्थित मैदानी प्रदेश को स्थानीय भाषा में कंडी क्षेत्र कहा जाता है। इस क्षेत्र की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. यह क्षेत्र पंजाब के 5 लाख हेक्टेयर भू-भाग में फैला हुआ है जो पंजाब के कुल क्षेत्रफल का 10% हिस्सा है।
  2. इस क्षेत्र की मृदा मुसामदार (Porons) है।
  3. इसमें बहुत से चोअ मिलते हैं।
  4. यहां जल-स्तर काफ़ी गहरा है।

ज़िले-इस क्षेत्र में होशियारपुर, रूपनगर (रोपड़) आदि जिले शामिल हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
चोअ क्या होते हैं ? उदाहरण देकर बतायें।
उत्तर-
चोअ एक प्रकार के बरसाती नाले हैं। ये नाले वर्षा के मौसम में भरकर बहने लगते हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी सूख जाता है। ऐसे नालों को मौसमी चोअ कहते हैं। रूपनगर (रोपड़) के शिवालिक प्रदेश में बहुत अधिक मौसमी नाले पाए जाते हैं। यहाँ पर इन्हें राओ और घाड़ (Rao & Ghar) भी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों की उत्पत्ति के विषय पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब का 70% भू-भाग जलोढ़ी मैदानों से घिरा हुआ है। यह मैदान भारत के गंगा और सिंध के मैदान का भाग है। इनकी उत्पत्ति हिमालय क्षेत्र से नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से हुई है। इन नदियों में सिंध और उसकी सहायक नदियों सतलुज, रावी, व्यास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समुद्र तल से इन मैदानों की ऊंचाई 200 मीटर से 300 मीटर तक है।

प्रश्न 4.
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पर नोट लिखें।
उत्तर-
गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक की पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट गई हैं जिससे ये काफी तीखी हो गई
इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्ड और उसकी सहायक नदियां व्यास नदी में गिरती हैं।

PSEB 9th Class Social Science Guide पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पंजाब का अधिकतर भू-भाग कैसा है ?
(क) पहाड़ी
(ख) मैदानी
(ग) पठारी
(घ) मरुस्थलीय।
उत्तर-
(ख) मैदानी.

प्रश्न 2.
पंजाब के शिवालिक पहाड़ों की उत्पत्ति किन दो भू-भागों के टकराने का परिणाम थी ?
(क) गोंडवाना लैंड तथा भाबर मैदान
(ख) अंगारा लैंड तथा शिवालिक मैदान
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट
(घ) अंगारालैंड तथा यूरेशिया प्लेट।।
उत्तर-
(ग) गोंडवाना लैंड तथा यूरेशिया प्लेट

प्रश्न 3.
बारी दोआब का एक अन्य नाम कौन-सा है ?
(क) मालवा
(ख) चज
(ग) नैली
(घ) माझा।
उत्तर-
(घ) माझा।

प्रश्न 4.
पंजाब के तराई प्रदेश का चोओं से घिरा प्रदेश क्या कहलाता है ?
(क) कंडी
(ख) बारी दोआब
(ग) बेट
(घ) बेला।
उत्तर-
(क) कंडी

प्रश्न 5.
घग्गर के जलोढ़ मैदानों का एक नाम है-
(क) चो
(ख) नैली
(ग) टैथीज़
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) नैली

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पंजाब के ……………. में रेत के टीले मिलते हैं।
  2. कंडी क्षेत्र पंजाब के कुल क्षेत्रफल का ……….. प्रतिशत भाग है।
  3. सिरसा नदी के निकट कंडी क्षेत्र को …………. कहा जाता है।
  4. पंजाब का 70% भू-भाग ………….. मैदान है।
  5. पंजाब के मैदान ………. तथा ………… के मैदानों का भाग है।

उत्तर-

  1. दक्षिण-पश्चिम,
  2. 10,
  3. घाड़,
  4. जलोढ़ी,
  5. गंगा, सिंध।

उचित मिलान :

1. बारी दोआब – (i) होशियारपुर शिवालिक
2. बाढ़ के मैदान – (ii) रोपड़ शिवालिक
3. सतलुज-घग्गर – (iii) बेट
4. ब्यास-सतलुज – (iv) माझा।
उत्तर-

  1. माझा।
  2. बेट
  3. रोपड़ शिवालिक
  4. होशियारपुर शिवालिक।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शिवालिक की पहाड़ियां पंजाब के किस ओर स्थित हैं ?
उत्तर-
पूर्व और उत्तर-पूर्व में।

प्रश्न 2.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियां किस राज्य की सीमाओं को छूती हैं ?
उत्तर-
हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 3.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
600 मीटर से 1500 मीटर तक।

प्रश्न 4.
पठानकोट जिले का कौन-सा ब्लॉक पूरी तरह गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
धार कलां।

प्रश्न 5.
होशियारपुर शिवालिक का सबसे ऊँचा ब्लॉक/विकास खण्ड कौन-सा है ?
उत्तर-
तलवाड़ा (741 मीटर)

प्रश्न 6.
होशियारपुर शिवालिक के दो प्रमुख चोओं के नाम बताओ।
उत्तर-
कोट मैंरा, ढल्ले की खड्ड।

प्रश्न 7.
किस नदी के कारण रोपड़ शिवालिक श्रेणी की निरंतरता टूट जाती है ?
उत्तर-
सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण।

प्रश्न 8.
कंडी क्षेत्र का निर्माण कौन-सी भू-रचनाओं के आपस में मिलने से हुआ है ?
उत्तर-
जलोढ़ पंख।

प्रश्न 9.
पंजाब के जलोढ़ मैदान कौन-कौन सी भौगोलिक इकाइयों में बंटे हुए हैं ?
उत्तर-
बारी दोआब, बिस्त दोआब, सिज दोआब।

प्रश्न 10.
पंजाब में नदियों के रास्ता बदलने से बने ढाए (Dhaiya) कहां देखे जा सकते हैं ? (कोई एक स्थान)
उत्तर-
फिल्लौर।

प्रश्न 11.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों में नदियों से दूर ऊंचे क्षेत्रों को क्या नाम दिया जाता है ?
उत्तर-
बांगर।

प्रश्न 12.
पंजाब की शिवालिक पहाड़ियों की लगभग लंबाई कितनी है ?
उत्तर-
280 कि०मी०।

प्रश्न 13.
होशियारपुर शिवालिक अपने दक्षिणी भाग में क्या कहलाता है ?
उत्तर-
कटार की धार।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 14.
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के धरातल में भिन्नता पाई जाती है। उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पंजाब के धरातलीय नक्शे पर सरसरी दृष्टि डालने पर यह एक मैदानी क्षेत्र दिखाई देता है परंतु भौगोलिक दृष्टि और भू-वैज्ञानिक रचना के अनुसार इसमें काफी भिन्नता पाई जाती है।
पंजाब के मैदान संसार के सबसे ऊपजाऊ मैदानों में से एक हैं। पंजाब के पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाडियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में रेत के टीले भी मिलते हैं। राज्य में जगह-जगह चोअ दिखाई देते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब में शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तार बताएं। इसके तीन भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। यह पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ-साथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
शिवालिक की पहाड़ियों के तीन भाग हैं-

  1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक-ये पहाड़ियां रावी और ब्यास नदियों तक फैली हैं।
  2. होशियारपुर शिवालिक-ये पहाड़ियां ब्यास और सतलुज नदियों तक हैं।
  3. रोपड़ शिवालिक-इसका विस्तार सतलुज और घग्गर नदी तक है।

प्रश्न 3.
पंजाब के कंडी क्षेत्र का निर्माण कहां और कैसे हुआ है ?
उत्तर-
कंडी क्षेत्र का निर्माण शिवालिक की तराई में बने गिरीपद मैदानों (Foothill planes) में हुआ है। इनके निर्माण में जलोढ़ पंखों का हाथ है। ये भू-रचनाएं गिरीपद मैदानों में आपस में मिलती हैं और कंडी क्षेत्र बनाती हैं। इस प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे है।

प्रश्न 4.
होशियारपुर शिवालिक को दक्षिण में ‘कटार की धार’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
होशियारपुर शिवालिक की ढलाने नालीदार अपरदन के कारण बहुत अधिक फटी-कटी हैं। इसके अतिरिक्त यहां बहने वाले चोओं ने भी इन पहाड़ियों को कई स्थानों पर बुरी तरह काट दिया है। कटी-फटी पहाड़ियों के सिरे तीखे होने के कारण इन पहाड़ियों को ‘कटार की धार’ कहते हैं।

प्रश्न 5.
रोपड़ शिवालिक की कोई चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। इसका विस्तार रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  2. यह पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं।
  3. इस श्रेणी की लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है।
  4. दूसरी शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी चोओं से भरी हुई है। इन्हें राओ (Rao) तथा घाड़ (Ghar) भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों का दोआबो के अनुसार वर्गीकरण करते हुए एक सूची बनाएं।
उत्तर-
पंजाब के जलोढ़ मैदान

बारी दोआब (ब्यास-रावी) बिस्त दोआब (ब्यास-सतलुज) सिज-दोआब (सतलुज-जमना)
रावी-सक्की किरन पश्चिमी दोआब कोटकपूरा पठार
सकी किरन-उदियारा मंजकी दोआब नैली
उदियारा-कसूर ढक दोआब पभाध
बेट/खाडर बाढ़ के मैदान
पट्टी-ब्यास रेतीले टिब्बे

प्रश्न 7.
शिवालिक पहाड़ों (पहाड़ियों) की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर-
शिवालिक पहाड़ियों की उत्पत्ति भी हिमालय की तरह टैथीज़ सागर से हुई। इनका निर्माण सागर में जमा कीचड़, चिकनी मिट्टी, ककड़-पत्थर आदि के ऊँचा उठने से हुआ। एक विचार के अनुसार मायोसीन (Miocene) काल में हिमालय के निर्माण के समय हिमालय के सामने एक छिछला सागर अस्तित्व में गया। लाखों वर्षों तक इसमें गाद जमा होती रही। कुछ समय बाद यूरेशिया प्लेट के गोंडवाना लैड से टकराने पर जमा पदार्थों ने ऊपर उठकर पहाड़ों का रूप ले लिया। यही पहाड़ शिवालिक पहाड़ कहलाते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 8.
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र कौन-सा है ? इसमें शामिल ज़िलों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब के मैदानों का सबसे बड़ा क्षेत्र मालबा है। इसमें फिरोजपुर, फरीदकोट का उत्तरी भाग, मोगा, लुधियाना, बरनाला, संगरूर, पटियाला, पश्चिमी रूपनगर, साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), फतेहगढ़ साहिब आदि ज़िले शामिल हैं।

प्रश्न 9.
पंजाब के किन्हीं दो दोआबों के नाम लिखो तथा उनमें शामिल ज़िलों के बारे में बताओ।
उत्तर-
बारी दोआब तथा बिस्त दोआब पंजाब के दो प्रमुख दोआब हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है

  1. बारी दोआब-पंजाब में रावी और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र बारी दोआब कहलाता है। इसे ‘माझा क्षेत्र’ भी कहा जाता है। इसमें पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन के ज़िले आते हैं।
  2. बिस्त दोआब-बिस्त दोआब ब्यास और सतलुज नदियों के बीच का क्षेत्र है। इसमें जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के जिले आते हैं।

प्रश्न 10.
पंजाब के जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले टीलों पर नोट लिखो।
उत्तर-
सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की ओर है। इस क्षेत्र में बाढ़ के दिनों में पानी के बह जाने से रेत के टीले बन गए हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियां बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।

प्रश्न 11.
पंजाब के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित रेतीले टीलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के साथ लगती सीमा पर जगह-जगह रेतीले टीले दिखाई देते हैं। इस प्रकार के टीले प्रायः भठिंडा, मानसा, फाजिल्का, फरीदकोट, संगरूर, मुक्तसर तथा पटियाला ज़िलों के दक्षिणी भागों में मिलते हैं। फिरोजपुर जिले के मध्यवर्ती भागों में भी कुछ टीले पाए जाते हैं। इन टीलों की ढलान टेढ़ी मेढ़ी है।
इस क्षेत्र की जलवायु अर्ध शुष्क है। अब पंजाब में रेत के टीलों को समतल करके खेती की जाने लगी है। पंजाब के मेहनती किसानों ने सिंचाई की सहायता से कृषि को उन्नत किया है। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की प्राकृतिक भौगोलिक विशेषता लगभग लुप्त हो गई है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब को धरातल के अनुसार हम कौन-कौन से भागों में बांट सकते हैं ? शिवालिक की पहाड़ियों का विस्तृत वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि पंजाब अपने विशाल उपजाऊ मैदानों के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है। परंतु यह केवल मैदानी क्षेत्र नहीं है। इसके धरातल में काफी भिन्नता पाई जाती है। इसके पूर्व और उत्तर-पूर्व में शिवालिक की पहाड़ियां हैं। पंजाब के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में रेत के टीले भी हैं। पंजाब के धरातल को हम नीचे लिखे क्षेत्रों में बांट सकते हैं

  1. शिवालिक की पहाड़ियां
  2. विशाल जलोढ़ी मैदान
  3. जलोढ़ मैदानों के मध्य (दक्षिण-पश्चिम के) रेतीले टीले।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब धरातलभू-आकृतियां 1

शिवालिक की पहाड़ियां बाह्य हिमालय का भाग हैं। ये पर्वत पंजाब के पूर्व में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथसाथ 280 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।
इस पर्वत श्रेणी की औसत चौड़ाई 5 से 12 किलोमीटर तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 600 से 1500 मीटर तक है।
शिवालिक की पहाड़ियों के भाग-शिवालिक की पहाड़ियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक रावी और ब्यास नदियों तक,
  2. होशियारपुर शिवालिक ब्यास और सतलुज नदियों तक
  3. रोपड़ शिवालिक सतलुज और घग्गर तक।

इन भागों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है-

1. गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक इस पहाड़ी श्रेणी का विस्तार गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बीच है। पठानकोट जिले का धार कलां ब्लॉक पूरी तरह शिवालिक पहाड़ों के बीच स्थित है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 1000 मीटर के लगभग है।
इस क्षेत्र की पहाड़ी ढलाने, पानी के तेज बहाव के कारण किनारों से कट जाती हैं जिससे गहरी खाइयां/खड्डे (Gullies) बन जाती हैं। इस क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियाँ (Seasonal River) चक्की खड्डु और उसकी सहायक नदियां ब्यास नदी में गिरती हैं।

2. होशियारपुर शिवालिक होशियारपुर शिवालिक का क्षेत्र ब्यास और सतलुज के मध्य होशियारपुर, शहीद भगत सिंह (नवांशहर) और रूपनगर जिले के नूरपूर बेदी ब्लॉक के बीच फैला हुआ है। इसकी लंबाई 130 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 8 किलोमीटर तक है। उत्तर में ये पहाड़ियाँ अधिक चौड़ी हैं परंतु दक्षिण में नीची तथा तंग हो जाती हैं। इसका सबसे ऊँचा ब्लॉक तलवाड़ा है और जिसकी ऊँचाई 741 मीटर तक है। शिवालिक की ये ढलाने नालीदार अपरदन (Gully Erosion) का बुरी तरह शिकार हैं और बहुत ज्यादा कटी फटी हैं। प्रत्येक किलोमीटर बाद प्रायः एक चोअ (Choe) आ जाता है। इन चोओं के अपरदन (Headward Erosion) के कारण ये पहाड़ कई स्थानों पर कटे हुए हैं। होशियारपुर के दक्षिण में इन्हें कटार की धार भी कहा जाता है। इसका बीच वाला भाग गढ़शंकर के पूर्व में स्थित है। कोट, मैरां, डले की खड़ यहां के प्रमुख चोअ हैं।

3. रोपड़ शिवालिक-शिवालिक की यह श्रेणी सतलुज और घग्गर नदियों के बीच स्थित है। यह रूपनगर (रोपड़) जिले में हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व ओर फैली हुई है। ये पहाड़ उत्तर में नंगल से शुरू होकर चंडीगढ़ के नजदीक घग्गर नदी तक चले जाते हैं। इनकी लंबाई 90 किलोमीटर तक है। इस श्रेणी की निरंतरता (Continuity) सतलुज की सहायक नदी सरसा के कारण टूट जाती है। अन्य शिवालिक श्रेणियों की तरह यह श्रेणी भी मौसमी नालों से भरी हुई है। यहां पर इन नालों को राओ और घार (Rao & Ghare) भी कहा जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2b पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
पंजाब के मैदान की उत्पत्ति कैसे हुई ? इनकी भौगोलिक दृष्टि से बांट करो।
उत्तर-
पंजाब के मैदान गंगा और सिंध के मैदान का भाग हैं। ये मैदान सिंध और उसकी सहायक नदियों रावी, ब्यास, सतलुज और उसकी सहायक नदियों द्वारा हिमालय से बहाकर लाई गई मिट्टी के जमाव से है। इन मैदानों की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 200 मी० से 300 मी० तक है। इनकी ढलान पूर्व से पश्चिम की ओर है।
भौगोलिक बांट-भौगोलिक दृष्टि से पंजाब के मैदानों को 5 भागों में बांटा जा सकता है-

  1. चो (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान
  2. बाढ़ के मैदान
  3. नैली
  4. जलोढ़ के मैदान
  5. जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित रेतीले (बालू के) टीले

(i) चोअ (नालों) वाले क्षेत्रों के मैदान-ये मैदान शिवालिक पहाड़ियों की तराई में स्थित हैं। यह प्रदेश चोओं से घिरा है। वर्षा के मौसम में इन चोओं में प्रायः बाढ़ आ जाती है। इससे जान-माल की बहुत हानि होती है। इन मैदानों की मिट्टी में कंकड़ पाए जाते हैं। इसके नीचे पानी का स्तर काफी नीचा होता है।

(ii) बाढ़ के मैदान-इन मैदानों में रावी, ब्यास तथा सतलुज़ के बाढ़ वाले मैदान शामिल हैं। इन मैदानों को बेट भी कहा जाता है। पंजाब में फिल्लौर बेट, आनंदपुर बेट तथा नकोदर बेट इसके मुख्य उदाहरण हैं।

(iii) नैली-पंजाब के दक्षिण-पूर्व में घग्गर नदी ने जलोढ़ के मैदानों का निर्माण किया है। इन मैदानों को स्थानीय भाषा में नैली कहते हैं। इन नैलियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ें आ जाती हैं। घुड़ाम, समाना तथा सरदूलगढ़ इन मैदानों के मुख्य उदाहरण हैं।
(iv) जलोढ़ के मैदान-बारी तथा बिस्त दोआब के प्रदेश जलोढ़ी मिट्टी से बने हैं। इन मैदानों में खाडर तथा बांगर दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं।

(v) जलोढ़ मैदानों के बीच स्थित बालू टीले-सतलुज नदी के दक्षिणी भाग में पानी का बहाव घग्गर नदी की
ओर है। बाढ़ के दिनों में यहां पानी के बहने से रेत के टीले बन जाते हैं। बाढ़ों से बचाव के लिए कई स्थानों पर नाले तथा नालियाँ बनाई गई हैं। अब इन टीलों को कृषि योग्य बना लिया गया है।

पंजाब : धरातल/भू-आकृतियां PSEB 9th Class Geography Notes

  • पंजाब का भौतिक मानचित्र देखने में पंजाब मुख्य एक मैदानी प्रदेश दिखाई देता है। परंतु यहाँ अन्य भी कई भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  • पंजाब के मैदान संसार के सबसे उपजाऊ मैदानों में से एक हैं।
  • भौतिक दृष्टि से पंजाब के मैदानों को पांच भागों में बांटा जा सकता है : चोअ वाले मैदान, बाढ़ के मैदान, नैली, जलोढ़ मैदान तथा बालू (रेत) के टिब्बे।
  • दोआब का अर्थ है दो नदियों के बीच का प्रदेश।
  • पंजाब के पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी भाग में शिवालिक की पहाड़ियां स्थित हैं।
  • शिवालिक श्रेणी के अध्ययन के लिए इसे गुरदासपुर-पठानकोट शिवालिक, होशियारपुर शिवालिक तथा रोपड़ शिवालिक आदि भागों में बांटा गया है।
  • पंजाब का कंडी क्षेत्र विच्छेदित लहरदार मैदानों से बना है। इसमें काफी चोअ हैं।
  • पंजाब सरकार ने डेरा बस्सी, चंडीगढ़, रोपड़-बलाचौर, होशियारपुर तथा मुकेरियाँ के पूरे क्षेत्र को कंडी क्षेत्र घोषित किया हुआ है।
  • बारी दोआब का एक और नाम माझा भी है।
  • मंड, बेट, चंगर, घाड़, बेला आदि नदियों के समीप पड़ने वाले निचले क्षेत्रों के नाम हैं।
  • नैली, घग्गर नदी द्वारा बनाए गए जलोढ़ मैदानों का स्थानीय नाम है।
  • पंजाब के किसानों ने सुदूर दक्षिण-पश्चिम के टीलों को लगभग समाप्त कर दिया है। अब इस भाग में सिंचाई द्वारा सफल खेती की जाने लगी है।
  • जलोढ़ मैदानों में खादर तथा बांगर दो प्रकार की मिट्टियां मिलती हैं।
  • खादर नई जलोढ़ मिट्टी होती है जो बहुत ही उपजाऊ होती है। बांगर पुरानी जलोढ़ होने के कारण कंकड़-पत्थरों से भरी होती है।
  • बारी तथा बिस्त दोआब के प्रदेश जलोढ़ी मिट्टी से बने हैं। इन मैदानों में खादर तथा बांगर दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं।
  • मैदान बाढ़ के मैदान नदियों के किनारे पर निचले भागों में मिलते हैं। इनका निर्माण बाढ़ के पानी द्वारा मिट्टी के जमाव से होता है।

 

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

SST Guide for Class 9 PSEB भारत : धरातल/भू-आकृतियां Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work) :

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र में अंकित करें :
उत्तर-

  • कराकोरम, पीर पंजाल, शिवालिक, सतपुड़ा, पटकोई वम्म, खासी और गारो की पहाड़ियां।
  • कंचनजुंगा, गोडविन, ऑस्टिन, धौलगिरी, गुरु शिखर व अनाईमुटी पहाड़ियां।
  • कोई पांच दर्रे और तीन पठारी क्षेत्र।
    नोट-विद्यार्थी यह प्रश्न अध्याय में दिए गए मानचित्रों की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न 1.
भारत को भू-आकृति आधार पर वर्गीकृत करते हुए दो भागों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत को भू-आकृति के आधार पर पांच भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय पर्वत
  2. उत्तरी विशाल मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पठार
  4. तटीय मैदान
  5. भारतीय द्वीप समूह।

प्रश्न 2.
अगर आप गुरु शिखर पर हैं, तो कौन-सी पर्वत श्रृंखला में हैं ?
उत्तर-
माऊंट आबू (अरावली पहाड़ी)।।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 3.
भारतीय उत्तरी मैदान की लंबाई व चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी मैदान की लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर तथा चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है।

प्रश्न 4.
भारतीय द्वीपों को कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर-
भारतीय द्वीपों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है-

  1. अंडेमान निकोबार द्वीप समूह तथा
  2. लक्षद्वीप समूह।

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा नाम मैदान का नहीं है ?
(i) भाबर
(ii) बांगर
(iii) केयाल
(iv) कल्लर।
उत्तर-
(iii) केयाल।

प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सी झील नहीं है ?
(i) सैडल
(ii) सांबर
(iii) चिल्का
(iv) वैबानंद।
उत्तर-
(i) सैडल।

प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सा नाम अलग पहचान का हैं ?
(i) शारदा
(ii) कावेरी
(ii) गोमती
(iv) यमुना।
उत्तर-
(i) कावेरी।

प्रश्न 8.
कौन-सी पर्वतीय श्रृंखला हिमालियाई नहीं है ?
(i) रक्शपोशी
(ii) डफ़ला
(iii) जास्कर
(iv) नीलगिरी।
उत्तर-
(iv) नीलगिरी।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
जहां आज हिमालय हैं, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का एक गहरा सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालांतर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

प्रश्न 2.
खाडर मैदानों के विषय में बताएं कि ये बेट से अलग कैसे हैं ?
उत्तर-
खाडर एक प्रकार की नई जलोढ़ मिट्टी वाला मैदान है। इस मिट्टी को नदियां अपने साथ लाकर निचले प्रदेशों में बिछाती हैं। यह मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है। पंजाब में इस प्रकार की मिट्टी वाले प्रदेशों को ‘बेट’ भी कहा जाता है। इस प्रकार बेट खाडर मिट्टी वाले मैदानों का स्थानीय नाम है।

प्रश्न 3.
मध्य हिमालय पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
मध्य हिमालय को लघु हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मीटर तक है। इन श्रेणियों की पहाड़ियां 60 से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में मिलती हैं।

  1. श्रेणियाँ-जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल व नागा टिब्बा, हिमाचल में धौलाधार, नेपाल में महाभारत, उत्तराखंड में मसूरी और भूटान में थिम्पू इस पर्वतीय भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं।
  2. घाटियाँ-इस भाग में कश्मीर घाटी के कुछ भाग, कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, भागीरथी घाटी व मंदाकिनी घाटी जैसी लाभकारी व स्वास्थ्यवर्द्धक घाटियां मिलती है।
  3. स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान-इस क्षेत्र में शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि प्रमुख स्वास्थ्यवर्द्धक व रमणीय केंद्र हैं।

प्रश्न 4.
पश्चिम और पूर्वी घाटों में क्या अंतर है ?
उत्तर-

  1. पश्चिम घाट उत्तर से दक्षिण तक अरब सागर के समांतर फैले हैं। इसके विपरीत पूर्वी घाट का विस्तार खाड़ी बंगाल के साथ-साथ है।
  2. पश्चिम घाट के पर्वत एक लंबी श्रृंखला बनाते हैं। परंतु पूर्वी घाट नदियों द्वारा कट जाने के कारण अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में दिखाई देते हैं।
  3. पश्चिम घाट के पर्वत पूर्वी घाट की अपेक्षा अधिक ऊंचे तथा स्पष्ट हैं।
  4. पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरि है। इसके विपरीत पश्चिम घाट की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुदी है।
  5. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट, शेनकोटा आदि दरें हैं। परंतु पूर्वी घाट में कोई भी महत्त्वपूर्ण दर्रा नहीं है।

प्रश्न 5.
भारतीय द्वीप समूहों का वर्गीकरण कीजिए तथा द्वीपों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय द्वीपों की कुल संख्या 267 है। इन्हें निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है

  1.  बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडेमान-निकोबार द्वीप समूह-ये द्वीप उत्तर-पूर्वी पर्वत श्रेणी अराकान योमा (म्यांमार में) का भी विस्तार हैं। इनकी संख्या 204 है। सैडल (Saddle Peak) अंडेमान की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 737 मीटर है। निकोबार में 19 द्वीप शामिल हैं। जिनमें से ग्रेटर निकोबार सबसे बड़ा द्वीप है।
  2. अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह-इन द्वीपों की कुल संख्या 34 है। इसके उत्तर में अमिनदिवी (Amindivi) तथा दक्षिण में मिनीकोय (Minicoy) द्वीप स्थित हैं। इन द्वीपों का मध्यवर्ती भाग लक्कादिव (Laccadive) कहलाता है।

प्रश्न 6.
भाबर और तराई में अंतर बताएं।
उत्तर-
भाबर वे मैदानी प्रदेश होते हैं जहां नदियां पहाड़ों से निकल कर मैदानी प्रदेश में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का यहां निक्षेप (जमा) करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियां भूमि तल पर बहने की बजाए भूमि के नीचे बहती हैं।
जब भाबर मैदानों की भूमिगत नदियां पुनः भूमि पर उभरती हैं, तो ये दलदली क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। शिवालिक पहाड़ियों के समानांतर फैली ऐसी आर्द्र दलदली भूमि की पट्टी को तराई प्रदेश कहते हैं। यहां घने वन भी पाये जाते हैं तथा जंगली जीव-जंतु भी अधिक संख्या में मिलते हैं।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दें:

प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय पठार और उनकी पर्वतीय श्रृंखलाओं के विषय में विस्तार में लिखें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार भारत के मध्य से लेकर सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ है। यह पठार क्रिस्टलीय आग्नेय तथा
रूपांतरित चट्टानों से बना है। त्रिभुज के आकार के इस प्राचीन भू-भाग का शीर्ष बिन्दु कन्याकुमारी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यहां की वन-संपदा है। इन पठारों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है। इन भागों तथा उनमें स्थित पर्वत श्रेणियों का वर्णन इस प्रकार है

1. मध्य भारत का पठार-यह पठारी प्रदेश मारवाड़ प्रदेश के पूर्व में फैला है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 250500 मी० तक है। इसकी दरार घाटी में चंबल तथा उसकी सहायक नदियां बहती हैं। यह पठार अपनी गहरी घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। इस पठार के पूर्व में यमुना के निकट बुंदेलखंड का प्रदेश स्थित है।

2. मालवा पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड, पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसकी तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
अरावली पर्वत श्रेणी सबसे पुरानी पर्वत श्रेणी है। इसकी लंबाई लगभग 800 किलोमीटर तक है। इसकी सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर (1722 मी०) है। इसमें गोरनघाट नामक एक दर्रा भी स्थित है। सतपुड़ा की पहाड़ियां 900 किलोमीटर की लंबाई में फैली हैं। इस पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी (धूपगढ़ 1350 मी०) है। अमरकंटक दूसरी ऊंची चोटी है।

3. दक्कन (दक्षिण) का पठार-इसकी औसत ऊँचाई 300 से 900 मीटर तक है। इसके धरातल को मौसमी नदियों ने कांट-छांट कर सात स्पष्ट भागों में बांटा हुआ है-

  1. महाराष्ट्र का टेबल लैंड,
  2. दंडकारण्य-छत्तीसगढ़ क्षेत्र,
  3. तेलंगाना का पठार,
  4. कर्नाटक का पठार,
  5. पश्चिमी घाट,
  6. पूर्वी घाट,
  7. दक्षिणी पहाड़ी समूह।

पश्चिमी घाट की औसत ऊंचाई 1200 मीटर और पूर्वी घाट की 500 मीटर है। दक्षिण भारत की सभी महत्त्वपूर्ण नदियां पश्चिमी घाट से निकलती हैं। उत्तर से दक्षिण तक पश्चिमी घाट में चार प्रसिद्ध दर्रे हैं-थालघाट, भोरघाट, पालघाट तथा शेनकोटा। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट की अपेक्षा अधिक चौड़े कटे-फटे तथा टूटी पहाड़ियों वाला है। पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरी (1500 मी०) है।

पश्चिमी और पूर्वी घाट जहां जाकर मिलते हैं, उन्हें नीलगिरि पर्वत कहते हैं। इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी दोदाबेटा है अथवा डोडाबेटा जो 2637 मीटर ऊंची है।
सच तो यह है कि प्रायद्वीपीय पठार खनिज पदार्थों का भंडार है और इसका भारत की आर्थिकता में बड़ा महत्त्व है। यहां चाय, रबड़, गन्ना, कॉफ़ी आदि की कृषि भी की जाती है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों की बनावट व उनके क्षेत्रीय वर्गीकरण पर नोट लिखें।
उत्तर-
(क) गंगा के मैदान-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान के मुख्य भौगोलिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है

  1. स्थिति-यह मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल राज्यों में स्थित है। यह पश्चिम में यमुना, पूर्व में बंगलादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा, उत्तर में शिवालिक तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी विस्तार के मध्य फैला हुआ है।
  2. नदियाँ-इस मैदान में गंगा, यमुना, घागरा, गण्ड्क, कोसी, सोन, बेतवा तथा चंबल नदियां बहती हैं।
  3. भू-आकारीय नाम-गंगा के तराई वाले उत्तरी क्षेत्रों में बनी दलदली पेटियों को ‘कौर (caur) कहा जाता है। इसकी दक्षिणी सीमा में बड़े-बड़े खड्ड (Ravines) मिलते हैं जिन्हें ‘जाला’ व ‘ताल’ (Jala & Tal) अथवा बंजर भूमि कहते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त मैदान में पुरानी जमीं बांगर और नई बिछी खादर की जलोढ़ पट्टियों को ‘खोल’ (Khols) कहा जाता है। गंगा और यमुना दोआब में पवनों के निक्षेप द्वारा निर्मित बालू के टीलों को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तथा बिजनौर जिलों में ‘भूर’ (Bhur) के नाम से जाना जाता है।
  4. ढलान तथा क्षेत्रफल-गंगा के मैदान की ढलान पूर्व की ओर है।
    महाराष्ट्र टेबल लैंड बेसाल्ट के लावे से बना है। कर्नाटक के पठार में बाबा बूदन की पहाड़ियों में स्थित मूल्नगिरी (1913 मी०) सबसे ऊँची चोटी है।
  5. विभाजन-ऊँचाई के आधार पर गंगा के मैदानों को निम्नलिखित तीन उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है
    • ऊपरी मैदान-इन मैदानों को गंगा-यमुना दोआब भी कहते हैं। इनके पश्चिम में यमुना नदी है तथा 100 मीटर की ऊंचाई तक मध्यम ढाल वाले क्षेत्र इसकी पूर्वी सीमा बनाते हैं। रुहेलखंड तथा अवध का मैदान भी इन्हीं मैदानों में सम्मिलित हैं।
    • मध्यवर्ती मैदान-इस मैदान को बिहार के मैदान या मिथिला (Mithila) मैदान भी कहते हैं, जिसकी ऊंचाई लगभग 50 से 100 मीटर के बीच है। यह घागरा नदी से लेकर कोसी नदी तक फैला है। इस मैदान की लंबाई 600 कि०मी० तथा चौड़ाई 330 कि०मी० है।
    • निचले मैदान-गंगा के ये मैदानी भाग समुद्र तल से लगभग 50 मीटर ऊंचे हैं। इसकी लंबाई 580 कि०मी० तथा चौड़ाई 200 कि०मी० है। ये राजमहल तथा गारो पर्वत श्रेणियों के मध्य एक समतल डेल्टाई क्षेत्र बनाते हैं। इसके उत्तर में तराई पट्टी के द्वार (Duar) मिलते हैं तथा दक्षिण में विश्व का सबसे बड़ा सुंदरवन डेल्टा स्थित है।

(ख) ब्रह्मपुत्र के मैदान-इस मैदान को आसाम (असम) का मैदान भी कहा जाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 250 मी० से लेकर 550 मी० तक है।

प्रश्न 3.
भारत के तटीय मैदानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तटवर्ती मैदान अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ फैले हुए हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जाता है-पश्चिमी तट के मैदान तथा पूर्वी तट के मैदान। इनका वर्णन इस प्रकार है
पश्चिमी मैदान-

  1. इसके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 1500 कि०मी० और चौड़ाई 65 कि०मी० है। इन मैदानों में डेल्टाई निक्षेप का अभाव है।
  3. पश्चिमी मैदानों को धरातलीय विस्तार के आधार पर चार भागों में बांटते हैं-गुजरात का तटीय मैदान, कोंकण का तटीय मैदान, मालाबार तट का मैदान, केरल का मैदान। गुजरात का मैदान कच्छ से महाराष्ट्र होते हुए खंबात की खाड़ी तक चला जाता है। इसका निर्माण साबरमती, माही, लूनी तथा तापी नदियों द्वारा लाकर बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। कोंकण का मैदान दमन से गोवा तक 500 मीटर की लंबाई में फैला है। मुंबई इस तट की प्रमुख बंदरगाह है। कोंकण तट को कारावली तथा केनारा भी कहा जाता है। मालावार का तटवर्ती मैदान मंगलूर से कन्याकुमारी तक फैला है। झीलों अथवा लैगूनों वाले इस मैदान की लंबाई 845 कि०मी० है। बैबानंद द्रत मैदान की सबसे बड़ी झील है।।
  4. इन मैदानों में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती है। ये डेल्टा बनाने की बजाए ज्वारनदमुख बनाती हैं।
  5. पश्चिमी मैदान में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है। यह वर्षा दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण होती है। ।

पूर्वी तट के मैदान-

  1. पूर्वी तट के मैदानों के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में पूर्वी घाट की पहाड़ियां हैं।
  2. इन मैदानों की लंबाई 2000 कि०मी० है और इनकी औसत चौड़ाई 150 कि०मी० है। ये अपेक्षाकृत अधिक चौड़े हैं तथा इनमें जलोढ़ मिट्टी का निक्षेप है।
  3. पूर्वी तटीय मैदान के दो भाग हैं-उत्तरी तटीय मैदान तथा दक्षिण तटीय मैदान। उत्तरी मैदान को उत्तरी सरकार या गोलकुंडा या काकीनाडा भी कहते हैं। दक्षिण तटीय मैदान को कोरोमंडल तट कहा जाता हैं।
  4. इस मैदान की प्रमुख नदियां महानदी, कावेरी, गोदावरी तथा कृष्णा है।
  5. इस मैदान में पुलिकट तथा चिल्का नामक झीलें पाई जाती हैं। उड़ीसा की चिल्का झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।

प्रश्न 4.
निम्न पर नोट लिखें
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल
(ii) मालवा का पठार
(iii) उच्चतम हिमालय।
उत्तर-
(i) राजस्थान के मैदान और मरुस्थल-यह मरुस्थल पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ तक फैला हुआ है। यह समतल तथा शुष्क मरुस्थल थार मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी इसकी पूर्वी सीमा बनाती है। इसके पश्चिम में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लगती है। यह लगभग 650 कि०मी० लंबा तथा 250 कि० मी० चौड़ा है। अति प्राचीन काल में यह क्षेत्र समुद्र के नीचे दबा हुआ था। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि यह मरुस्थल किसी समय उपजाऊ रहा होगा। परंतु वर्षा की मात्रा बहुत कम होने के कारण आज यह क्षेत्र रेत के बड़े-बड़े टीलों में बदल गया है। थार मरुस्थल के पूर्वी भाग को ‘राजस्थान बांगर’ भी कहा जाता है।

(ii) मालवा का पठार-पश्चिम में अरावली पर्वत, उत्तर में बुंदेलखंड तथा बघेलखंड पूर्व में छोटा नागपुर, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग के पठार तक और दक्षिण की ओर सतपुड़ा की पहाड़ियों तक घिरा हुआ पठार मालवा का पठार कहलाता है। इसका शीर्ष शिलांग के पठार पर है। इस पठार की उत्तरी सीमा अवतल चापाकार की तरह है। इस पठार में बनास, चंबल, केन तथा बेतवा नामक नदियां बहती हैं। इसकी औसत ऊंचाई 900 मी० है। पारसनाथ तथा नैत्रहप्पाट इसकी मुख्य चोटियां हैं। इसको तीन पर्वत श्रेणियां हैं-अरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।

(iii) उच्चतम हिमालय-इसे महान् हिमालय भी कहते हैं। हिमालय का यह विशाल भाग पश्चिम में सिंधु नदी की घाटी से लेकर उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र की दिहांग घाटी तक फैला हुआ है। इसकी मुख्य धरातलीय विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. यह देश की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत श्रेणी है। इसमें ग्रेनाइट तथा नीस जैसी परिवर्तित रवेदार चट्टानें मिलती हैं।
  2. इसकी चोटियां बहुत ऊंची हैं। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां की चोटियां सदा बर्फ से ढकी रहती हैं।
  3. इसमें अनेक दर्रे हैं जो पर्वतीय मार्ग जुटाते हैं।
  4. इसमें काठमांड तथा कश्मीर जैसी महत्त्वपूर्ण घाटियां स्थित हैं।

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वत और दक्षिण पठार के लाभों की तुलना करें।
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा ढक्कन का पठार भारत के दो महत्त्वपूर्ण भू-भाग हैं। ये दोनों ही भू-भाग अपने-अपने ढंग से भारत देश को समृद्ध बनाते हैं। इनके लाभों की तुलना इस प्रकार की जा सकती है
हिमालय के लाभ-

  1. वर्षा-हिंद महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली सभी मुख्य नदियां गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती रहती हैं। शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलाने चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकड़ी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
  7. पर्यटन-हिमालय में अनेक सुंदर और रमणीक घाटियां हैं। कश्मीर घाटी ऐसी ही एक प्रसिद्ध घाटी है। इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। अन्य प्रमुख घाटियां हिमाचल प्रदेश में कुल्लू तथा कांगड़ा और उत्तरांचल में कुमायूँ की घाटियाँ हैं। सारे संसार से पर्यटक इन घाटियों की मनोहर छटा को निहारने के लिए यहां आते हैं।

दक्कन (दक्षिणी) पठार के लाभ

  1. दक्षिण का पठार खनिजों से संपन्न है। देश के 98% खनिज भंडार दक्षिणी पठार में ही मिलते हैं यहां कोयला, लोहा, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, सोना आदि बहुमूल्य खनिज पाये जाते हैं।
  2. यहां की मिट्टी, कपास, चाय, रबड़, गन्ना, कॉफी, मसालों, तंबाकू आदि के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  3. यहां नदियां जलप्रपात बनाती हैं जो जलविद्युत् के उत्पादन के लिये उपयोगी है।
  4. इस भाग में साल, सागवान, चंदन आदि के वन पाये जाते हैं।
  5. यहां उटकमंड, पंचमढ़ी, महाबालेश्वर आदि पर्यटन स्थानों का विकास हुआ है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

PSEB 9th Class Social Science Guide भारत : धरातल/भू-आकृतियां Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई है-
(क) 9848 मी०
(ख) 7048 मी०
(ग) 8848 मी०
(घ) 6848 मी०।
उत्तर-
(ग) 8848 मी०

प्रश्न 2.
पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर कौन-सा है ?
(क) डोडाबेटा
(ख) महेन्द्रगिरी
(ग) पुष्पागिरी
(घ) कोलाईमाला।
उत्तर-
(ख) महेन्द्रगिरी

प्रश्न 3.
हिमालय का अधिकतर भाग फैला है-
(क) भारत में
(ख) नेपाल में
(ग) तिब्बत में
(घ) भूटान में।
उत्तर-
(ग) तिब्बत में

प्रश्न 4.
हिमालय पर्वतों की उत्पत्ति हुई है-
(क) टैथीज़ सागर से
(ख) अंध-महासागर से
(ग) हिंद महासागर से
(घ) खाड़ी बंगाल से।
उत्तर-
(क) टैथीज़ सागर से

प्रश्न 5.
रावी और ब्यास के मध्य भाग को कहा जाता है-
(क) बिस्त दोआब
(ख) प्रायद्वीपीय पठार
(ग) चज दोआब
(घ) मालाबार दोआब।
उत्तर-
(क) बिस्त दोआब

प्रश्न 6.
कोंकण तट का विस्तार है-
(क) दमन से गोआ तक
(ख) मुम्बई से गोआ तक
(ग) दमन से बंगलौर तक
(घ) मुम्बई से दमन तक।
उत्तर-
(क) दमन से गोआ तक

प्रश्न 7.
पश्चिमी घाट की प्रमुख चोटी है-
(क) गुरु शिखर
(ख) कालस्थाए
(ग) कोंकण शिखर
(घ) माऊंट
उत्तर-
(ख) कालस्थाए

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 8.
सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों से बना मैदान कहलाता ह-
(क) दक्षिणी विशाल मैदान
(ख) पूर्वी विशाल मैदान
(ग) उत्तरी विशाल मैदान
(घ) तिब्बत का मैदान।
उत्तर-
(ग) उत्तरी विशाल मैदान

रिक्त स्थानों की पूर्ति :

1. ट्रांस हिमालय की औसत ऊंचाई …………. मीटर है।
2. दफा बम्म तथा ……………. हिमालय की पूर्वी शाखाओं की प्रमुख चोटियां हैं।
3. ………….. विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
4. त्रिभुजाकार भारतीय प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु ………….. है।
5. थाल घाट, भोर घाट तथा …………. पश्चिमी घाट के दर्रे हैं।
6. चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी …………… पानी की झील है।
7. ………… नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है।
8. ……….. हिमालय भारत की सबसे लंबी और ऊंची पर्वत श्रृंखला है।
9. मालाबार तट का विस्तार गोआ से ………….. तक है।
10. छत्तीसगढ़ का मैदान ……………… द्वारा बना है।
उत्तर-

  1. 6000
  2. सारामती
  3. माऊंट एवरेस्ट
  4. कन्याकुमारी
  5. पाल घाट
  6. खारे
  7. नर्मदा
  8. बृहत्
  9. मंगलौर
  10. महानदी।

सत्य-असत्य कथन :

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं-
1. ट्रांस हिमालय को तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है।
2. हिमालय के अधिकतर स्वास्थ्यवर्धक स्थान बृहत् हिमालय में स्थित हैं।
3. उत्तरी विशाल मैदान की रचना में कावेरी तथा कृष्णा नदियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
4. पश्चिम घाट में थाल घाट, भोर घाट तथा पाल घाट नामक तीन दर्रे स्थित हैं।
5. पश्चिमी घाट को सहाद्रि भी कहा जाता है। |
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)

उचित मिलान :

1. उत्कल – सहयाद्रि
2. सागर मथ्था – अरब सागर
3. पश्चिमी घाट – तटवर्ती मैदान
4. लक्षद्वीप – माऊंट ऐवरेस्ट।
उत्तर-

  1. तटवर्ती मैदान
  2. माऊंट ऐवरेस्ट।
  3. घाट–सहयाद्रि
  4. लक्षद्वीप

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति कैसी है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत श्रेणी की आकृति एक चाप (Curve) जैसी है।

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों का जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर-
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की उत्पत्ति टेथिस सागर में जमा गाद में बल पड़ने से हुई।

प्रश्न 3.
ट्रांस हिमालय की प्रमुख चोटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
ट्रांस हिमालय की मुख्य चोटियां हैं—विश्व की दूसरी ऊंची चोटी माऊंट के (गाडविन ऑस्टिन), गशेरबम-I तथा गशेरबम-II

प्रश्न 4.
बृहत् हिमालय में 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
बृहत् हिमालय की 8000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियां हैं-माऊंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचनजंगा, मकालू, धौलागिरी, अन्नपूर्णा आदि।

प्रश्न 5.
भारत की युवा एवं प्राचीन पर्वत मालाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत भारत के युवा पर्वत हैं और वहां के प्राचीन पर्वत अरावली, विंध्याचल, सतपुड़ा आदि हैं।

प्रश्न 6.
देश में रिफ्ट या दरार घाटियां कहां मिलती हैं ?
उत्तर-
भारत में दरार घाटियां प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं।

प्रश्न 7.
डेल्टा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नदी के निचले भागों में बने स्थल-रूप को डेल्टा कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के मुख्य डेल्टाई क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के प्रमुख डेल्टाई क्षेत्र हैं-गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र, कृष्णा नदी डेल्टा क्षेत्र तथा महानदी का डेल्टा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत के दरों के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत में पाये जाने वाले मुख्य दरे हैं-बुरज़िल, जोझीला, लानक ला, चांग ला, खुरनक ला, बाटा खैपचा ला, शिपकी ला, नाथु ला, तत्कला कोट इत्यादि।

प्रश्न 10.
लघु हिमालय की मुख्य पर्वतीय श्रेणियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय की पर्वत श्रेणियां हैं-

  1. कश्मीर में पीर पंजाल तथा नागा टिब्बा,
  2. हिमाचल में धौलाधार तथा कुमाऊं,
  3. नेपाल में महाभारत,
  4. उत्तराखंड में मसूरी,
  5. भूटान में थिम्पू।

प्रश्न 11.
लघु हिमालय में स्थित स्वास्थ्यवर्धक घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
लघु हिमालय के मुख्य स्वास्थ्यवर्धक स्थान शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीतालं, दार्जिलिंग तथा चकराता हैं।

प्रश्न 12.
देश की प्रमुख ‘दून’ घाटियों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश की मुख्य दून घाटियां हैं-देहरादून, पतली दून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र की पूर्वी किनारे वाली प्रशाखाओं (Eastern off shoots) के नाम बताइए।
उत्तर-
हिमालय की प्रमुख पूर्वी श्रेणियां पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 14.
उत्तर-पश्चिमी मैदान में कौन-कौन से अंतर-दोआब (Inter fluxes) मिलते हैं ?
उत्तर-

  1. बारी दोआब तथा माझा का मैदान,
  2. बिस्त दोआब,
  3. मालवा का मैदान,
  4. हरियाणा का मैदान।

प्रश्न 15.
ब्रह्मपुत्र के मैदानों की औसत ऊंचाई कितनी है ?
उत्तर-
250-550 मी०।

प्रश्न 16.
(i) अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार कहां से कहां तक है तथा
(ii) इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम क्या है ?
उत्तर-

  1. अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है।
  2. इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर है।

प्रश्न 17.
थारमरुस्थल (भारत) की तीन खारे पानी की झीलों के नाम बताओ।
उत्तर-
सांभर, चिदवाना तथा सारमोल।

प्रश्न 18.
पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियों के नाम बताइए।
उत्तर-
जवद्दी (Jawaddi), गिन्गी, शिवराई, कौलईमाला, पंचमलाई, गोंडुमलाई इत्यादि पूर्वी घाट की दक्षिणी पहाड़ियां हैं।

प्रश्न 19.
दक्षिणी पठार के पहाड़ी भागों पर कौन-कौन से रमणीय स्थान ( हिल स्टेशन ) हैं ?
उत्तर-
दोदाबेटा, ऊटाकमुंड, पलनी तथा कोडाईकनाल।

प्रश्न 20.
अरब सागर में मिलने वाले द्वीपों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर में स्थित उत्तरी द्वीपों को अमीनोदिवी (Aminolivi), मध्यवर्ती द्वीपों को लक्काद्वीप तथा दक्षिणी भाग को मिनीकोय कहा जाता है।

प्रश्न 21.
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु कहां स्थित है ?
उत्तर-
देश का दक्षिणी सीमा बिंदु ग्रेट निकोबार के इंदिरा प्वाइंट (Indira Point) पर स्थित है।

प्रश्न 22.
तटीय मैदानों से समस्त भारत को मिलने वाले तीन प्रमुख लाभों को बताओ।
उत्तर-

  1. गहरे प्राकृतिक पोताश्रय
  2. लैगून तथा
  3. उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की प्राप्ति।

प्रश्न 23.
ट्रांस हिमालय को ‘तिब्बत हिमालय’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ट्रांस हिमालय का अधिकतर भाग तिब्बत में है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 24.
दून किसे कहते हैं ?
उत्तर-
‘दून’ बाह्य हिमालय में स्थित वे झीलें हैं जो मिट्टी से भर गई हैं।

प्रश्न 25.
विश्व की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कौन-सी है ?
उत्तर-
K2

प्रश्न 26.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का शीर्ष बिंदु कौन-सा है ?
उत्तर-
कन्याकुमारी।

प्रश्न 27.
भारत के किस राज्य में पश्चिमी घाट नीलगिरी के नाम से विख्यात है ?
उत्तर-
तमिलनाडु।

प्रश्न 28.
कौन-सी नदी भारतीय विशाल पठार के दो भागों के बीच सीमा बनाती है ?
उत्तर-
नर्मदा।

प्रश्न 29.
भारत के प्रमुख द्वीप समूह कौन-कौन से हैं और ये कहां स्थित हैं ?
उत्तर-

  1. भारत के प्रमुख द्वीप समूह अंडमान तथा निकोबार और लक्षद्वीप हैं।
  2. ये क्रमश: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित हैं।

प्रश्न 30.
हिमालय की कौन-सी श्रेणी शिवालिक कहलाती है ?
उत्तर-
बाह्य हिमालय।

प्रश्न 31.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में किस-किस जल प्रवाह प्रणाली का योगदान रहा है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी विशाल मैदान की रचना में सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा गंगा जल प्रवाह प्रणालियों का योगदान है।

प्रश्न 32.
गोआ से मंगलौर तक का समुद्री तट क्या कहलाता है ?
उत्तर-
मालाबार तट।

प्रश्न 33.
कोंकण तट कहां से कहां तक फैला है ?
उत्तर-
कोंकण तट दमन से गोआ तक फैला है।

प्रश्न 34.
भारत का कौन-सा भू-भाग खनिजों का विशाल भंडार है ?
उत्तर–
प्रायद्वीपीय पठार।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत के क्रमवार उत्थान (uplifts) के बारे में कोई दो प्रमाण दीजिए।
उत्तर-
हिमालय का जन्म आज से लगभग 400 लाख वर्ष पहले टैथीज (Tythes) सागर से हुआ है। एक लंबे समय तक तिब्बत पठार तथा दक्षिण पठार की नदियां टैथीज सागर में तलछट लाकर जमा करती रहीं। फिर दोनों पठार एक-दूसरे की ओर खिसकने लगे। इससे तलछट में मोड़ पड़ने लगे और यह ऊंचा उठने लगा। इसी उठाव से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है। यह क्रमिक उठाव आज भी जारी है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत माला एवं दक्षिण के पठार के बीच क्या समानताएं पायी जाती हैं ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत तथा दक्षिण के पठार में निम्नलिखित समानताएं पायी जाती हैं-

  1. इन दोनों भू-भागों का निर्माण एक-दूसरे की उपस्थिति के कारण हुआ।
  2. हिमालय पर्वतों की भांति दक्षिणी पठार में भी अनेक खनिज पदार्थ पाये जाते हैं।
  3. इन दोनों भौतिक भागों में वन पाये जाते हैं जो देश में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत धरातलभू-आकृतियां (1)

प्रश्न 3. क्या हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है ?
उत्तर-इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमालय पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है। इनकी उत्पत्ति नदियों द्वारा टैथीज सागर में बिछाई गई तलछट से हुई है। बाद में इसके दोनों ओर स्थित भूखंडों के एक-दूसरे की ओर खिसकने से तलछट में मोड़ पड़ गया जिससे हिमालय पर्वतों की ऊंचाई बढ़ गई। आज भी ये पर्वत ऊंचे उठ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इन पर्वतों का निर्माण देश के अन्य पर्वतों की तुलना में काफ़ी बाद में हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि हिमालय पर्वत अभी भी अपनी युवा अवस्था में है।

प्रश्न 4.
उत्तरी विशाल मैदानी भाग में किस-किस जलोढ़ी मैदान का निर्माण हुआ है ?
उत्तर-
उत्तरी विशाल मैदान में निम्नलिखित जलोढ़ मैदानों का निर्माण हुआ है-

  1. खाडर के मैदान,
  2. बांगर के मैदान,
  3. भाबर के मैदान,
  4. तराई के मैदान,
  5. रेह व कल्लर मिट्टी के बंजर मैदान,
  6. भूर।

प्रश्न 5.
स्थिति के आधार पर भारत के द्वीपों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? उदाहरणों सहित व्याख्या करें।
उत्तर-
स्थिति के अनुसार भारत के द्वीपों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-तट से दूर स्थित द्वीप तथा तट के निकट स्थित द्वीप।

  1. तट से दूर स्थित द्वीप-इन द्वीपों की कुल संख्या 230 के लगभग है। ये समूहों में पाये जाते हैं। दक्षिणी-पूर्वी
    अरब सागर में स्थित ऐसे द्वीपों का निर्माण प्रवाल भित्तियों के जमाव से हुआ है। इन्हें लक्षद्वीप कहते हैं। अन्य द्वीप क्रमशः अमीनदिवी, लक्काद्वीप तथा मिनीकोय के नाम से प्रसिद्ध हैं। बंगाल की खाड़ी में तट से दूर स्थित द्वीपों के नाम हैं-अंडमान द्वीप समूह, निकोबार, नारकोडम तथा बैरन आदि।
  2. तट के निकट स्थित द्वीप-इन द्वीपों में गंगा के डेल्टे के निकट स्थित सागर, शोरट, ह्वीलर, न्युमूर आदि द्वीप शामिल हैं। इस प्रकार के अन्य द्वीप हैं-भासरा, दीव, बन, ऐलिफैंटा इत्यादि।

प्रश्न 6.
तटवर्ती मैदानों की देश को क्या महत्त्वपूर्ण देन है ?
उत्तर-
तटीय मैदानों की देश को निम्नलिखित देन है-

  1. तटीय मैदान बढ़िया किस्म के चावल, खजूर, नारियल, मसालों, अदरक, लौंग, इलायची आदि की कृषि के लिए विख्यात हैं।
  2. ये मैदान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अग्रणी हैं।
  3. इन मैदानों से समस्त देश में बढ़िया प्रकार की समुद्री मछलियां भेजी जाती हैं।
  4. तटीय मैदानों में स्थित गोआ, तमिलनाडु तथा मुंबई के समुद्री बीच पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
  5. देश में प्रयोग होने वाला नमक पश्चिमी तटीय मैदानों में तैयार किया जाता है।

प्रश्न 7.
तट के मैदान न केवल संकरे हैं, बल्कि डेल्टाई निक्षेपण से भी विहीन हैं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत के पश्चिमी तट के मैदान संकरे हैं और यहां डेल्टाई निक्षेप का भी अभाव है। इसके कारण निम्नलिखित हैं

  1. पश्चिमी तट पर सागर दूर तक अंदर चला गया है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी घाट की पहाड़ियां कटी-फटी नहीं हैं। परिणामस्वरूप पश्चिमी तट के मैदानों के विस्तार में बाधा आ गई है। इसी कारण ये मैदान संकरे हैं।
  2. जो नदियां पश्चिमी घाट से होकर अरब सागर में गिरती हैं, उनका बहाव तेज़ है, परंतु बहाव क्षेत्र कम है। परिणामस्वरूप ये नदियां (नर्मदा, ताप्ती) डेल्टे नहीं बनातीं, अपितु ज्वारनदमुख बनाती हैं।

प्रश्न 8.
प्रायद्वीपीय पठार का देश के लिए क्या महत्त्व रहा है ? कोई तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर-

  1. प्रायद्वीपीय पठार प्राचीन गोंडवाना लैंड का भाग है जो खनिज पदार्थों में धनी है। अतः यह देश के लिए खनिज पदार्थों का बहुत बड़ा स्रोत रहा है।
  2. प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर घाटों पर बने जल-प्रपात तटीय मैदानों को सिंचाई के लिए जल तथा औद्योगिक विकास के लिए बिजली देते हैं।
  3. यहां के वन देश के अन्य भागों में लकड़ी की मांग को पूरा करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(i) बांगर और खादर/खाडर
(ii) नाले (चो), नदी और बंजर भूमि।
उत्तर-

  1. बांगर और खादर/खाडर-उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल में बहने वाली नदियों में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आ जाती है और वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में मिट्टी की नई परतें बिछा देती हैं। बाढ़ से प्रभावित इस तरह के मैदानों को खादर के मैदान भी कहा जाता है।
    बांगर वह ऊंची भूमि होती है जो बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं होती और जिसमें चूने के कंकड़-पत्थर अधिक मात्रा में मिलते हैं। इसे रेह तथा कल्लर भूमि भी कहते हैं।
  2. नाले (चो), नदी और बंजर भूमि-चो वे छोटी-छोटी नदियां होती हैं जो वर्षा ऋतु में अकस्मात् सक्रिय हो उठती हैं। ये भूमि में गहरे गड्ढे बनाकर उसे कृषि के अयोग्य बना देते हैं।
    बहते हुए जल को नदी कहते हैं। इसका स्रोत किसी पर्वतीय स्थान (हिमानी) पर होता है। यह अंततः किसी सागर या भूमिगत स्थान पर जा मिलती है। बंजर भूमि से अभिप्राय ऐसी भूमि से है जिसकी उपजाऊ क्षमता न के बराबर होती है। ऐसी भूमि खेती के अयोग्य होती है। भारत में उत्तरी प्रायद्वीपीय पठार तथा पश्चिमी शिवालिक पहाड़ियों के आस-पास बंजर भूमि का विस्तार है।

प्रश्न 10.
हिमालय पर्वत की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. ये पर्वत भारत के उत्तर में स्थित हैं। ये एक चाप की तरह कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। संसार का कोई भी पर्वत इनसे अधिक ऊंचा नहीं है। इनकी लंबाई 2400 किलोमीटर और चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है।
  2. हिमालय पर्वत की तीन समानांतर शृंखलाएं हैं। उत्तरी श्रृंखला सबसे ऊंची है तथा दक्षिणी श्रृंखला सबसे कम ऊंची है। इन श्रृंखलाओं के बीच बड़ी उपजाऊ घाटियां हैं।
  3. इन पर्वतों की मुख्य चोटियां ऐवरेस्ट, नागा पर्वत, गाडविन ऑस्टिन (K2), नीलगिरि, कंचनजंगा आदि हैं। ऐवरेस्ट संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।
  4. हिमालय की पूर्वी शाखाएं.भारत तथा म्यनमार की सीमा बनाती हैं। हिमालय की पश्चिमी शाखाएं पाकिस्तान में हैं। इनके नाम सुलेमान तथा किरथर पर्वत हैं। इन शाखाओं में खैबर तथा बोलान के प्रे स्थित हैं।

प्रश्न 11.
भारत के विशाल उत्तरी मैदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। भारत की अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
भारत का विशाल उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व तक फैला हुआ है। इसका विस्तार राजस्थान से असम तक है। इसके कुछ पश्चिमी रेतीले भाग को छोड़कर शेष सारा मैदान बहुत ही उपजाऊ है। इनका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। इसलिए इसे जलोढ़ मैदान भी कहते हैं। इसे चार भागों में बांटा जा सकता है–

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान,
  2. थार मरुस्थलीय मैदान,
  3. गंगा का मैदान,
  4.  ब्रह्मपुत्र का मैदान। भारत की आर्थिक समृद्धि का आधार यही विशाल मैदान है। यहां नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके पूर्वी भागों में खनिज पदार्थों के विशाल भंडार विद्यमान हैं।

प्रश्न 12.
भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी तटीय मैदानों की तुलना करो।
उत्तर-

पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान
1. ये मैदान पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच स्थित हैं। 1. ये मैदान पूर्वी घाट तथा खाड़ी बंगाल के बीच स्थित हैं।
2. ये मैदान बहुत ही असमतल एवं संकुचित हैं। 2. ये मैदान अपेक्षाकृत समतल एवं चौड़े हैं
3. इस मैदान में कई ज्वारनदमुख और लैगून हैं। 3. इस मैदान में कई नदी डेल्टा हैं।

प्रश्न 13.
किन्हीं चार बातों के आधार पर प्रायद्वीपीय पठार तथा उत्तर के विशाल मैदानों की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-

  1. उत्तर के विशाल मैदानों का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है जबकि प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण प्राचीन ठोस चट्टानों से हुआ है।
  2. उत्तर के विशाल मैदानों की समुद्र तल से ऊंचाई प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा बहुत कम है।
  3. विशाल मैदानों की नदियां हिमालय पर्वत से निकलने के कारण सारा वर्ष बहती हैं। इसके विपरीत पठारी भाग की नदियां केवल बरसात के मौसम में ही बहती हैं।
  4. विशाल मैदानों की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां गेहूं, जौ, चना, चावल आदि की कृषि होती है। दूसरी ओर पठारी भाग में कपास, बाजरा तथा मूंगफली की कृषि की जाती है।

प्रश्न 14.
ट्रांस हिमालय से क्या भाव है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत की ये विशाल श्रेणियां भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित पामीर की गांठ (Pamir’s Knot) से उत्तर-पूर्वी दिशा के समानांतर फैली हुई हैं। इसका अधिकतर भाग तिब्बत में है। इसलिए इन्हें ‘तिब्बत हिमालय’ भी कहा जाता है। इनकी कुल लंबाई 1000 किलोमीटर और चौड़ाई (दोनों किनारों पर) 40 किलोमीटर है परंतु इसका केंद्रीय भाग 222 किलोमीटर के लगभग हो जाता है। इनकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। इसकी मुख्य पर्वतीय श्रेणियां जास्कर, कराकोरम, लद्दाख और कैलाश हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र बहुत ऊंची एवं मोड़दार चोटियों तथा विशाल हिमानियों (Glaciers) के लिए प्रसिद्ध है। माऊंट K2 इस क्षेत्र की सबसे ऊंची एवम् संसार की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत धरातलभू-आकृतियां (2)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 15.
बाह्य हिमालय पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बाह्य हिमालय को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय और दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। ये पर्वत श्रेणियां लघु हिमालय के दक्षिण भाग के समानांतर पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हुई हैं। इनकी औसत लंबाई 2400 किलोमीटर मीटर तथा चौड़ाई 50 से 15 किलोमीटर तक है। इस क्षेत्र का निर्माण टरशरी युग में हुआ था। इस क्षेत्र में लंबी व गहरी तलछटी चट्टानें मिलती हैं जिनकी रचना चिकनी मिट्टी, रेत, पत्थर, स्लेट आदि के निक्षेपों द्वारा हुई है जो हिमालय से अपरदन द्वारा इन क्षेत्रों में जमा किया जाता रहा है। इस भाग की प्रसिद्ध घाटियां देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, छोखंभा, ऊधमपुर तथा कोटली हैं।

प्रश्न 16.
हिमालय की पूर्वी तथा पश्चिमी शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल (Purvanchal) भी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की दिहांग गॉर्ज से लेकर ये श्रृंखलाएं भारत और म्यनमार (बर्मा) की सीमा बनाती हुई दो भागों में बँट जाती हैं

  1. गंगा-ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित शाखाएं बंगलादेश के मैदानों तक पहुंचती हैं जिसमें दफा बम्म, पटकोई बम्म, गारो, खासी, जयंतिया व त्रिपुरा की पहाड़ियाँ आती हैं।
  2. ये शाखाएं पटकोई बम्म से शुरू होकर नागा पर्वत, बरेल, लुशाई से होती हुई इरावदी के डेल्टे तक पहुंचती हैं। . हिमालय की इन पूर्वी शाखाओं में दफा बम्म और सारामती प्रमुख ऊंची चोटियां हैं।

(ख) पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय श्रेणियों की आगे दो उप-शाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान के मध्य में से सॉल्ट रेंज, सुलेमान व किरथर होती हुई दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान से होकर हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत की श्रृंखला से जा मिलती है।
भारत-प्रमुख पर्वत चोटियां
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत धरातलभू-आकृतियां (3)

प्रश्न 17.
विशाल उत्तरी मैदानों की चार धरातलीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. समतल मैदान-संपूर्ण उत्तरी भारतीय मैदान समतल और सपाट है।
  2. नदियों का जाल-इस संपूर्ण मैदानी क्षेत्र में दरियाओं व नदनालों (Choes) का जाल सा बिछा हुआ है। इनके कारण यहां दोआब क्षेत्रों का निर्माण हुआ है। पंजाब राज्य का नाम भी पांच नदियों के बहने के कारण तथा एकसार मिट्टी जमा होने के कारण पंज-आब पड़ा है।
  3. भू-आकार-इन मैदानों में जलोढ़ पंखे, जलोढ़ीय शंकु, विसर्पाकार नदियां, प्राकृतिक सीढ़ी बंध, बाढ़ के मैदान जैसे भू-आकार देखने को मिलते हैं।
  4. मैदानी तलछट-इन मैदानों के तलछट में चिकनी मिट्टी (clay), बालू, दोमट और सिल्ट ज्यादा मोटाई में मिलती है। चिकनी मिट्टी अर्थात् पांडु मिट्टी नदियों के मुहानों के समीप अधिक मिलती है और ऊपरी भागों में बालू की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

प्रश्न 18.
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढ़क मैदानों का वर्णन करो।
उत्तर-
विशाल उत्तरी मैदानों में पाये जाने वाले चार जलोढक मैदानों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. खादर के मैदान-उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल की नदियों में हर साल बाढ़ों के आने के कारण मृदा की नई तहें बिछ जाती हैं। इन नदियों के आस-पास बाढ़ वाले क्षेत्रों को खादर के मैदान कहा जाता है।
  2. बांगर के मैदान-ये वे ऊंचे मैदानी क्षेत्र हैं जहाँ पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। यहाँ की पुरानी तलछटों में चूने के कंकड़ अधिक मात्रा में मिलते हैं।
  3. भाबर के मैदान-उत्तर भारत में जब दरिया शिवालिक के पहाड़ी प्रदेशों को छोड़कर, समतल प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो यह अपने साथ लाई बालू, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि के जमाव द्वारा जिन मैदानों का निर्माण करते हैं, उसे भाबर के मैदान कहा जाता है। ऐसे मैदानी क्षेत्रों में छोटी-छोटी नदियों का पानी अक्सर धरती के नीचे बहता है।
  4. तराई के मैदान-जब भाबर क्षेत्रों में अलोप हुई नदियों का पानी पुनः धरातल से निकल आता है तब पानी के इकट्ठे हो जाने के कारण दलदली क्षेत्र (Marshy Lands) बन जाते हैं। इसमें गर्मी व नमी के कारण सघन वन हो जाते हैं और जंगली जीव-जंतुओं की भरमार हो जाती है।

प्रश्न 19.
पंजाब-हरियाणा मैदान की चार विशेषताएं लिखो। .
उत्तर-

  1. यह मैदान सतलुज, रावी, ब्यास व घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों के जमाव से बना है। 1947 में भारत व पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बन जाने के कारण इसका अधिकतर भाग पाकिस्तान में चला गया है।
  2. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक इनकी लंबाई 640 किलोमीटर तथा औसत चौड़ाई 300 किलोमीटर है।
  3. इस मैदान की औसत ऊंचाई 300 मीटर तक है।
  4. इस उपजाऊ मैदान का क्षेत्रफल 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 20.
ब्रह्मपुत्र के मैदान पर एक भौगोलिक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
ब्रह्मपुत्र के मैदान को असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के सुदूर उत्तर-पूर्व में सादिआ (Sadiya) तक फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई 250-550 मी० है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा बिछाई गई मिट्टी से हुआ है। इस तंग मैदान में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ों के कारण नवीन तलछटों का निक्षेप होता रहता है। इस मैदान का ढलान उत्तर-पूर्वी तथा पश्चिम की ओर है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत को धरातलीय आधार पर विभिन्न भागों में बांटो तथा किसी एक भाग का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर-
धरातल के आधार पर भारत को हम पांच भौतिक विभागों में बांट सकते हैं-

  1. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र
  2. उत्तर के मैदान व मरुस्थल
  3. प्रायद्वीपीय पर्वत
  4. तट के मैदान
  5.  भारतीय द्वीप समूह।

इनमें से हिमालय पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है
हिमालय पर्वत-हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के रूप में फैले हैं। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा कश्मीर हिमालय में इसकी चौड़ाई 400 से 500 कि० मी० तक है।
ऊंचाई के आधार पर हिमालय पर्वतों को निम्नलिखित पांच उपभागों में बांटा जा सकता

  1. ट्रांस हिमालय-इस विशाल पर्वत-श्रेणी का अधिकांश भाग तिब्बत में होने के कारण इसे तिब्बती हिमालय भी कहा जाता है। इसकी कुल लंबाई 1000 कि० मी० तथा चौड़ाई (किनारों पर) 40 कि० मी० है। इन पर्वतों की औसत ऊंचाई 6000 मी० है। भारत की सबसे ऊँची चोटी माऊंट K2 गॉडविन ऑस्टिन तथा गशेरबम I तथा II इन पर्वतों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  2. महान् (उच्चतम) हिमालय- यह भारत की सबसे लंबी तथा ऊंची पर्वत-श्रेणी है। इसकी लंबाई 2400 कि० मी० तथा औसत ऊँचाई 5100 मी० है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। संसार की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  3. लघु-हिमालय-इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई 5050 मी० से लेकर 5050 मी० तक है। इस पर्वत श्रेणी की ऊंची चोटियां शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाती हैं। यहां शिमला, श्रीनगर, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग, चकराता आदि स्वास्थ्यवर्धक स्थान पाये जाते हैं।
  4. बाह्य हिमालय-इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक श्रेणी, उप-हिमालय तथा दक्षिणी हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है। इन पर्वतों के दक्षिण में कई झीलें पायी जाती थीं। बाद में इनमें मिट्टी भर गई और इन्हें दून (Doon) (पूर्व में इन्हें द्वार (Duar) कहा जाता है) कहा जाने लगा। इनमें देहरादून, पतलीदून, कोथरीदून, ऊधमपुर, कोटली आदि शामिल हैं।
  5. पहाड़ी शाखाएं-हिमालय पर्वतों की दो शाखाएं हैं–पूर्वी शाखाएं तथा पश्चिमी शाखाएं। पूर्वी शाखाएं-इन शाखाओं को पूर्वांचल भी कहा जाता है। इन शाखाओं में ढफा बुम, पटकाई बुम, गारो, खासी, जैंतिया तथा त्रिपुरा की पहाड़ियां सम्मिलित हैं।
    पश्चिमी शाखाएं-उत्तर-पश्चिम में पामीर की गांठ से हिमालय की दो उपशाखाएं बन जाती हैं। एक शाखा पाकिस्तान की साल्ट रेंज, सुलेमान तथा किरथर होते हुए दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर तक पहुंचती है। दूसरी शाखा अफ़गानिस्तान में स्थित हिंदुकुश तथा कॉकेशस पर्वत श्रेणी से जा मिलती है।

प्रश्न 2.
हिमालय की उत्पत्ति एवं बनावट पर लेख लिखो और बताइए कि क्या हिमालय अभी भी बढ़ रहे हैं ?
उत्तर-
हिमालय की उत्पत्ति तथा बनावट का वर्णन इस प्रकार है-
उत्पत्ति-जहां आज हिमालय है, वहां कभी टैथीज (Tythes) नाम का सागर लहराता था। यह दो विशाल भू-खंडों से घिरा एक लंबा और उथला सागर था। इसके उत्तर में अंगारा लैंड और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भू-खंड थे। लाखों वर्षों तक इन दो भू-खंडों का अपरदन होता रहा। अपरदित पदार्थ अर्थात् कंकड़, पत्थर, मिट्टी, गाद आदि टैथीज सागर में जमा होते रहे। ये दो विशाल भू-खंड धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसकते रहे। सागर में जमी मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में उभर कर पानी की सतह से ऊपर आ गये। कालान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम आज हिमालय के नाम से पुकारते हैं।

बनावट-हिमालय पर्वतीय क्षेत्र एक उत्तल चाप (Convex Curve) जैसा दिखाई देता है जिसका मध्यवर्ती भाग नेपाल की सीमा तक झुका हुआ है। इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे सफ़ेद कोह, सुलेमान तथा किरथर की पहाड़ियों द्वारा अरब सागर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के उत्तर-पूर्वी किनारे टैनेसरीम पर्वत श्रेणियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच जाते हैं।

हिमालय पर्वतों की दक्षिणी ढाल भारत की ओर है। यह ढाल बहुत ही तीखी है। परंतु इसकी उत्तरी ढाल साधारण है। यह चीन की ओर है। दक्षिणी ढाल के अधिक तीखा होने के कारण इस पर जल-प्रपात तथा तंग नदी-घाटियां पाई जाती हैं।

ऊंचाई की दृष्टि से हिमालय की पर्वत श्रेणियों को पांच उपभागों में बांटा जा सकता है-

  1. ट्रांस हिमालय,
  2. महान् हिमालय,
  3. लघु हिमालय,
  4. बाह्य हिमालय तथा
  5. पहाड़ी शाखाएं।

हिमालय पर्वत की मुख्य विशेषता यह है कि ये आज भी ऊंचे उठ रहे हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 3.
देश के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म एवं क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के विशाल उत्तरी मैदानों के आकार, जन्म तथा क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन इस प्रकार है
आकार-रावी नदी से लेकर गंगा नदी के डैल्टे तक इस मैदान की कुल लंबाई लगभग 2400 कि० मी० तथा चौड़ाई 150 से 200 कि० मी० तक है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 180 मी० के लगभग है। अनुमान है कि इसकी गहराई 5 कि० मी० से लेकर 32 कि० मी० तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 7.5 लाख वर्ग कि० मी० है।
जन्म-भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विशाल प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी से बना है। लाखों, करोड़ों वर्ष पहले भू-वैज्ञानिक काल में उत्तरी मैदान के स्थान पर टैथीज नामक एक सागर लहराता था। इस सागर से विशाल वलित पर्वत श्रेणियों का निर्माण हुआ, जिन्हें हम हिमालय के नाम से पुकारते हैं। हिमालय की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ उस पर नदियां तथा अनाच्छादन के दूसरे कारक सक्रिय हो गए। इन कारकों ने पर्वत प्रदेश का अपरदन किया और यह भारी मात्रा में गाद ला-ला कर टैथीज सागर में जमा करने लगे। सागर सिकुड़ने लगा। नदियां जो मिट्टी इसमें जमा करती रहीं, वह बारीक पंक जैसी थी। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। अत: टैथीज सागर के स्थान पर जलोढ़ मैदान अर्थात् उत्तरी मैदान का निर्माण हुआ।
क्षेत्रीय विभाजन-विशाल उत्तरी मैदान को निम्नलिखित चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है-

  1. पंजाब हरियाणा का मैदान-इस मैदान का निर्माण सतलुज, रावी, ब्यास तथा घग्घर नदियों द्वारा लाई गई मिट्टियों से हुआ है। इसमें बारी दोआब, बिस्त दोआब, मालवा का मैदान तथा हरियाणा का मैदान शामिल है।
  2. थार मरुस्थल का मैदान-पंजाब तथा हरियाणा के दक्षिणी भागों से लेकर गुजरात में स्थित कच्छ की रण तक के इस मैदान को थार मरुस्थल का मैदान कहते हैं।
  3. गंगा का मैदान-गंगा का मैदान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  4. ब्रह्मपुत्र का मैदान-इसे असम का मैदान भी कहा जाता है। यह असम की पश्चिमी सीमा से लेकर असम के अति उत्तरी भाग सादिया (Sadiya) तक लगभग 720 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। समुद्र तल से इतनी औसत ऊंचाई 250-550 मी० है।

प्रश्न 4.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार के भौतिक लक्षणों की तुलना कीजिए तथा अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
पश्चिमी तथा पूर्वी हिमालय की उप-शाखाओं की चित्र सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार की तुलना भूगोल की दृष्टि से बड़ी रोचक है।

  1. बनावट-हिमालय तलछटी शैलों से बना है और यह संसार का सबसे युवा पर्वत है। इसकी ऊंचाई भी सबसे अधिक है। इसकी औसत ऊंचाई 5000 मीटर है।
    इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार का जन्म आज से 50 करोड़ वर्ष पूर्व प्रिकैम्बरीअन महाकाल में हुआ था। ये आग्नेय शैलों से निर्मित हुआ है।
  2. विस्तार-हिमालय जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके पूर्व में पूर्वी श्रेणियां और पश्चिम में पश्चिमी श्रेणियां हैं। पूर्वी श्रेणियों में खासी, गारो, जयंतिया तथा पश्चिमी श्रेणियों में हिंदुकुश तथा किरथर श्रेणियां पाई जाती हैं। हिमालय के पांच भाग हैं-ट्रांस हिमालय, महान् हिमालय, लघु हिमालय, बाह्य हिमालय तथा पहाड़ी शाखाएं।
  3. इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग हैं-मालवा का पठार तथा दक्कन का पठार । ये अरावली पर्वत से लेकर शिलांग के पठार तक तथा दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसमें पाई जाने वाली प्रमुख पर्वत श्रेणियां हैंअरावली पर्वत श्रेणी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी।
    इसके अतिरिक्त यहां पूर्वी घाट की पहाड़ियां, पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा नीलगिरि पर्वत आदि पाये जाते हैं।
  4. नदियां-हिमालय से निकलने वाली नदियां बर्फीले पर्वतों से निकलने के कारण सारा साल बहती हैं। प्रायद्वीपीय पठार की नदियां बरसाती नदियां हैं। शुष्क ऋतु में इनमें पानी का अभाव हो जाता है।
  5. आर्थिक महत्त्व-प्रायद्वीपीय पठार में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर नोट लिखो-
1. विन्ध्याचल,
2. सतपुड़ा,
3. अरावली पर्वत,
4. नीलगिरि की पहाडियां।
उत्तर-

  1. विंध्याचल-विंध्याचल पर्वत श्रेणियों का पश्चिमी भाग लावे से बना है। इसका पूर्वी भाग कैमूर तथा भानरेर की श्रेणियां कहलाता है। इसकी दक्षिणी ढलानों के पास नर्मदा नदी बहती है।
  2. सतपुड़ा-सतपुड़ा की पहाड़ियां नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे के साथ-साथ पूर्व में महादेव तथा मैकाल की पहाड़ियों के सहारे बिहार में स्थित छोटा नागपुर की पहाड़ियों तक जा पहुंचती हैं। इसकी मुख्य चोटियां हैं-धूपगढ़ तथा अमरकंटक। इस पर्वत श्रेणी की औसत ऊंचाई 1120 मी० है।
  3. अरावली पर्वत-अरावली पर्वत श्रेणी दिल्ली से गुजरात तक 800 कि० मी० की लंबाई में फैला हुआ है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है और यहां अब पहाड़ियों के बचे-खुचे टुकड़े ही रह गये हैं। इसकी सबसे ऊंची चोटी माऊंट आबू (1722 मी०) है।
  4. नीलगिरि की पहाड़ियां-पश्चिमी घाट की पहाड़ियां तथा पूर्वी घाट की पहाड़ियां दक्षिण में जहां जाकर आपस में मिलती हैं, उन्हें दक्षिणी पहाड़ियां या नीलगिरि की पहाड़ियां कहते हैं। इन्हें नीले पर्वत भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
“क्या भारत के भिन्न-भिन्न भौतिक भाग एक-दूसरे से अलग स्वतंत्र इकाइयां हैं या ये एक-दूसरे के पूरक हैं ?” इस कथन की उदाहरणों सहित व्याख्या करो।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं कि भारत की भिन्न-भिन्न भौतिक इकाइयां एक-दूसरे की पूरक हैं। वे देखने में अलग अवश्य लगते हैं, परंतु उनका अस्तित्व अलग नहीं है। यदि हम उनके जन्म और उनके मिलने वाले प्राकृतिक भंडारों का अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वे पूरी तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(क) जन्म-

  1. हिमालय पर्वत का जन्म ही प्रायद्वीपीय पठार के अस्तित्व में आने के पश्चात् हुआ है।
  2. उत्तरी मैदानों का जन्म उन निक्षेपों से हुआ है, जिनके लिए प्रायद्वीपीय पठार तथा हिमालय पर्वत की नदियां उत्तरदायी हैं।
  3. प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियां, दरार घाटियां तथा अपभ्रंश हिमालय के दबाव के कारण ही अस्तित्व में आए हैं।
  4. तटीय मैदानों का जन्म प्रायद्वीपीय घाटों की मिट्टी से हुआ है।

(ख) प्राकृतिक भंडार-

  1. हिमालय पर्वत बर्फ का घर है। इसकी नदियां जल प्रपात बनाती हैं और इनसे जो बिजली बनाई जाती है, उसका उपयोग पूरा देश करता है।
  2. भारत के विशाल मैदान उपजाऊ मिट्टी के कारण पूरे देश के लिए अन्न का भंडार है। इसमें बहने वाली गंगा नदी सारे भारत को प्रिय है।
  3. प्रायद्वीपीय पठार में खनिजों का खज़ाना दबा पड़ा है। इसमें लोहा, कोयला, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज़ आदि कई प्रकार के खनिज दबे पड़े हैं, जो देश के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  4. तटीय मैदान देश को चावल, मसाले, अदरक, लौंग, इलायची जैसे व्यापारिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
    सच तो यह है कि देश की भिन्न-भिन्न इकाइयां एक दूसरे की पूरक हैं और ये देश के आर्थिक विकास में अपना विशेष योगदान देती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 2a भारत : धरातल/भू-आकृतियां

प्रश्न 8.
पश्चिमी तटीय मैदानों का उसके उपभागों सहित विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी तटीय मैदान कच्छ के रण से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए हैं। ये विस्तृत संकरे मैदान हैं। इनकी चौड़ाई 65 कि.मी. के लगभग है। इनका ढलान दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर है। इन मैदानों को धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. गुजरात का तटवर्ती मैदान,
  2. कोंकण का तटवर्ती मैदान,
  3. मालाबार का तटवर्ती मैदान,
  4. केरल का मैदान।

1. गुजरात का तटवर्ती मैदान-इस तटवर्ती मैदानी भाग में साबरमती, माही, लुनी, बनास, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियों के तलछट के जमाव से कच्छ तथा काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय मैदान और सौराष्ट्र के लंबवत् मैदानों का निर्माण हुआ है। कच्छ का क्षेत्र अभी भी दलदली तथा समुद्र तल से नीचा है। काठियावाड़ के प्रायद्वीपीय भाग में लावा युक्त गिर पर्वतीय श्रेणियां भी मिलती हैं। यहाँ की गिरनार पहाड़ियों में स्थित गोरखनाथ चोटी की ऊंचाई सबसे अधिक है। गुजरात का यह तटवर्ती मैदान 400 किलोमीटर लंबा तथा 200 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर है।

2. कोंकण का तटवर्ती मैदान-दमन से लेकर गोआ तक का मैदान कोंकण तट कहलाता है। इसके अधिकतर तटवर्ती भागों में धंसने की क्रिया होती रहती है। इसीलिए इस 500 किलोमीटर लंबे मैदान की पट्टी की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तक रह जाती है। इस मैदानी भाग में तीव्र समुद्री लहरों द्वारा बनी संकरी खाड़ियां, आंतरिक कटाव (Coves) और समुद्री बालू में बीच (Beach) आदि भू-आकृतियां मिलती हैं। थाना की संकरी खाड़ी में प्रसिद्ध मुंबई द्वीप स्थित है।

3. मालाबार का तटवर्ती मैदान-यह गोआ से लेकर मंगलौर तक लगभग 225 किलोमीटर लंबा तथा 24 किलोमीटर चौड़ा मैदान है। इसे कर्नाटक का तटवर्ती मैदान भी कहते हैं। यह उत्तर की ओर संकरा परंतु दक्षिण की ओर चौड़ा है। कई स्थानों पर इसका विस्तार कन्याकुमारी तक भी माना जाता है। इस मैदान में मार्मागोआ, मान्ढवी तथा शेरावती नदियों के समुद्री जल में डूबे हुए मुहाने (Estuaries) मिलते हैं।

4. केरल के मैदान-मंगलौर से लेकर कन्याकुमारी तक 500 किलोमीटर लंबे, 10 किलोमीटर चौड़े तथा 300 मीटर ऊंचे भू-भाग केरल के मैदान कहलाते हैं। इनमें बहुत-सी झीलें (Lagoons) तथा काईल अथवा क्याल (Kayals) पाये जाते हैं। क्याल झीलों का स्थानीय नाम है। यहाँ पर बैंबानद (Vembanad) और अष्टमुदई (Astamudi) की झीलों वाले क्षेत्रों में नौकाओं का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग होता है।

भारत : धरातल/भू-आकृतियां PSEB 9th Class Geography Notes

  • विज्ञान की वह शाखा जो भू-आकृतियों के निर्माण तथा इसके लिए उत्तरदायी कारकों का अध्ययन करती है, ‘भू-आकृति विज्ञान’ कहलाती है।
  • भारत के कुल क्षेत्रफल का 43% मैदानी, 29.3% पहाड़ी और 27.7% पठारी प्रदेश है।
  • धरातल के अनुसार भारत को पांच भागों में बांटा जा सकता है-
    1. हिमालय पर्वत,
    2. उत्तर के विशाल मैदान व मरुस्थल,
    3. प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र
    4. तट के मैदान
    5. भारतीय द्वीप समूह।
  • 12 करोड़ वर्ष पहले हिमालय के स्थान पर टेथिस नामक एक कम गहरा सागर था।
  • संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट तथा भारत की गॉडविन-ऑस्टन (K2) है।
  • उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध दर्रे बृहत् हिमालय में स्थित हैं। मध्य हिमालय अपने रमणीक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है।
  • भाबर, तराई, बांगर, खाडर, रेह, भूर आदि विभिन्न प्रकार के मैदान हैं।
  • बिस्त तथा बारी दोआब भारत में है और चज दोआब पाकिस्तान में है।
  • सुंदर वन का अर्थ है-सुंदरी नामक वृक्षों से भरा हुआ वन (जंगल)।
  • मध्य भारत का पठार, मालवा का पठार और दक्कन का पठार भारत के पठारी क्षेत्र हैं। ये भारत के प्रायद्वीपीय पठार के भाग हैं।
  • थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तथा शेनकोश पश्चिमी घाट के दर्रे हैं।
  • पूर्वी घाट का पठारी क्षेत्र खनिजों का भंडार है।
  • कच्छ, कोंकण, मालाबार, कोरोमंडल और उत्कल तटवर्ती मैदानों के भाग हैं।
  • भारतीय द्वीप समूह में लगभग 267 द्वीप हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जाता है-बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडेमान-निकोबार तथा अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह।
  •  मालवा का पठार त्रिभुज के आकार का है। खनिज पदार्थों के लिए प्रसिद्ध छोटा नागपुर का पठार भी मालवा के पठार का एक भाग है।