PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Prarthana Patr / Patr Lekhan प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

1. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
सनातन धर्म उच्च विद्यालय,
जालन्धर।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल शाम से बुखार है, डॉक्टर ने दवा देने के साथ मुझे आराम करने के लिए कहा है इसी कारण मैं कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता। इसलिए मुझे दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
धीरज कुमार,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 10 अगस्त, 20..

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2. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को किसी आवश्यक कार्य के लिए अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
श्री पार्वती जैन उच्च विद्यालय,
नकोदर।
मान्यवर,

निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मुझे घर पर बहत ही आवश्यक कार्य पड गया है, जिस कारण मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे एक दिन का अवकाश प्रदान करें।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रवि शर्मा
कक्षा सातवीं ‘क’
तिथि 5 दिसम्बर, 20…..

3. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को अपने भाई के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
साईं दास ए० एस० उच्च विद्यालय,
होशियारपुर।
मान्यवर,

सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 16 जुलाई को होना निश्चित हुआ है। मेरा उसमें सम्मिलित होना अत्यन्त आवश्यक है। बारात करनाल जा रही है। इसलिए मैं चार दिन विद्यालय से अनुपस्थित रहूँगा। अतः आप मुझे चार दिन का अवकाश देने की कृपा करें। इस हेतु आपका अतिशय धन्यवाद ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजीव कुमार,
सातवीं ‘बी’
तिथि 14 जुलाई, 20…

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4. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
खालसा उच्च विद्यालय,
लुधियाना।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिता जी का स्थानांतरण फिरोज़पुर हो गया है। इसलिए हम सब यहाँ से जा रहे हैं। मेरा अकेला यहाँ रहना मुश्किल है। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र देने की कृपा करें जिससे स्थान परिवर्तन होने के कारण मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असुविधा न हो। मैं आपका बहुत आभारी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
ललित मोहन,
सातवीं ‘बी’
तिथि 15 सितम्बर, 20….

5. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें शिक्षा शुल्क माफ़ करने की प्रार्थना करो।

सेवा में
मुख्याध्यापिका,
शिव देवी कन्या उच्च विद्यालय,
अमृतसर।
महोदया,

विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे-से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय बहुत ही कम है जिससे घर का निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस देने में असमर्थ हैं, लेकिन मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। मैं अपनी कक्षा में प्रथम आती हूँ। खेलने में भी मेरी रुचि है। अतः आप मेरी फीस माफ़ कर मुझे कृतार्थ करें। मैं आपकी इस सहायता के लिए बहुत आभारी हूँगी।

                             सधन्यवाद,

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
अनुराधा कुमारी,
सातवीं ‘ए’
तिथि 16 जुलाई, 20 …..

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6. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को जुर्माना माफ़ करवाने के लिए प्रार्थनापत्र लिखो।

सेवा में
प्रधानाचार्य जी,
आदर्श शिक्षा केन्द्र,
जालन्धर ।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि सोमवार को हमारे गणित के अध्यापक ने टैस्ट लिया था। मेरी माता जी उस दिन बहुत बीमार थीं। घर में मेरे अतिरिक्त उनकी देखभाल करने वाला अन्य कोई नहीं था। इसलिए मैं टैस्ट देने के लिए उस दिन स्कूल में उपस्थित न हो सका। मेरे कक्षा अध्यापक ने मुझे दस रुपये जुर्माना लगा दिया है। मेरे पिता जी एक ग़रीब आदमी हैं। वे यह जुर्माना नहीं दे सकते। मैं गणित में सदैव अच्छे अंक लेता रहा हूँ। अतः आपसे अनुरोध है कि आप मेरी मजबूरी को सामने रखते हुए मेरा जुर्माना माफ़ कर दें।

सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राकेश कुमार शर्मा,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 19 नवम्बर, 20..

7. अपने पिता जी को एक पत्र लिखो, जिसमें अपने विद्यालय का वर्णन हो।

विजय नगर,
अमृतसर।
17 मई, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।

आपने अपने पिछले पत्र में मुझसे मेरे विद्यालय के विषय में जानकारी चाही थी, इसलिए आपकी इच्छा के अनुसार मैं इस पत्र में अपने विद्यालय के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ। मेरे विद्यालय का नाम डी० ए० वी० उच्च विद्यालय है। यह अपने नगर के सभी विद्यालय में सबसे अच्छा विद्यालय है। यहाँ पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का बहुत ही अच्छा प्रबन्ध है। प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी खेल में अवश्य भाग लेता है। इसका भवन बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 1500 छात्र पढ़ते हैं तथा 50 अध्यापक पढ़ाते हैं। इसके चारों ओर सुन्दर बाग हैं, जिसमें कई प्रकार के फूल खिले रहते हैं। हमारे अध्यापक बहुत ही सदाचारी तथा मेहनती हैं। मुख्याध्यापक तो बहुत ही योग्य, शान्त तथा अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। सभी विद्यार्थी इस विद्यालय में प्रवेश के लिए उत्सुक रहते हैं। मुझे भी अपने विद्यालय पर गर्व है।

आपका सुपुत्र,
गुरदेव सिंह

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8. अपने चाचा जी को जन्म दिवस की भेंट पर धन्यवाद प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

405, बसन्त निवास,
कादियां।
11 जुलाई, 20…..
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।

अपने जन्म दिन पर मैं अपने मित्रों के साथ आपके आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन आप तो नहीं आए मगर आपके द्वारा भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोला तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।

मुझे कई बार विद्यालय जाने में भी देर हो जाती थी। नि:सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। पूज्य चाची जी को चरणवन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। सब को यथा योग्य नमस्ते।

आपका भतीजा,
प्रेम सिंह

9. मुहल्ले की सफ़ाई के लिए स्वास्थ्याधिकारी (हैल्थ आफिसर) को प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
स्वास्थ्याधिकारी,
नगर निगम,
जालन्धर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि हमारे किला मुहल्ला में नगर निगम की ओर से सफ़ाई के लिए राम प्रकाश नामक जो कर्मचारी नियुक्त किया हुआ है वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं करता। न तो वह गली की सफ़ाई ही अच्छी तरह से करता है और न ही नालियों को साफ़ करता है। गन्दे पानी से मुहल्ले की सभी नालियाँ भरी पड़ी हैं। जगहजगह गन्दगी के ढेर लगे रहते हैं। हमने उसे कई बार ठीक तरह से काम करने के लिए कहा है, परन्तु उस पर मेरे कहने का ज़रा भी असर नहीं पड़ता। यदि सफ़ाई की कुछ यही दशा रही तो कोई-न-कोई भयानक रोग अवश्य फूट पड़ेगा। इसलिए आप से यह प्रार्थना है कि आप या तो उसे बदल दीजिए या ठीक प्रकार से काम करने के लिए सावधान कर दीजिए।

धन्यवाद,

भवदीय,
शामलाल शर्मा
तिथि 4 जून, 20….

10. पोस्ट मास्टर को डाकिये की लापरवाही के विरुद्ध शिकायती पत्र लिखो।

109, रेलवे कालोनी,
बठिण्डा।
30 जुलाई, 20
सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
बठिण्डा।
महोदय,

निवेदन है कि हमारे मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। कभी-कभी तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। उसे वे इधर-उधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।

अत: आपसे सनम्र प्रार्थना है कि या तो इसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें ताकि हमें और हानि न उठानी पड़े।

भवदीय,
चांद सिंह

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11. मित्र की माता जी के निधन (मृत्यु) पर संवेदना का पत्र।

201, माडल टाऊन,
लुधियाना।
20 मई, 20…..
प्रिय युद्धवीर,

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूज्य माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखों के आगे अन्धेरा सा-छा गया। पैरों तेल ज़मीन खिसक गई। बार-बार सोचता हूँ कि कहीं यह स्वप्न तो नहीं। अभी कुछ दिन की ही तो बात है, जब मैं उन्हें कोलकाता मेल पर चढ़ाकर आया था। न कोई दुःख न कोई कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मंडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी समुद्र के समान गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।

प्रिय मित्र, भाग्य लेख मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और है। ईश्वरीय कार्यों में कौन दखल दे सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं। मेरी यही प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। रोनेधोने से कुछ नहीं बनेगा। इससे तो स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। अनिल और नलिनी को सान्त्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें, तथा आप सभी को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

तुम्हारा अपना,
सुखदेव

12. पिता जी को रुपए मँगवाने के लिए पत्र।

चोपड़ा निवास,
बांसां बाज़ार,
फगवाड़ा।
25 जनवरी, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।

आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मैं सातवीं श्रेणी में 800 में से 685 अंक लेकर अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। अब मुझे आठवीं श्रेणी की पुस्तकें तथा कापियाँ लेनी हैं। इधर मेरे सभी मित्रों ने मुझे बधाई देते हुए पार्टी की मांग भी की है। मैं भी चाहता हूँ कि एक छोटी चाय-पार्टी उन्हें दे ही दूँ। इसलिए पत्र मिलते ही आप मुझे 500 रुपए मनीआर्डर द्वारा भेज दें।

                          माता जी को सादर प्रणाम। गीता को प्यार।

आपका पुत्र,
रमेश चोपड़ा

13. अपनी सखी को अपने भाई के विवाह में शामिल होने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखो।

आदर्श विद्यालय,
फिरोज़पुर।
16 सितम्बर, 20….
प्रिय अनु,
सप्रेम नमस्ते।

आपको यह जानकर बहुत प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई विजय कुमार का शुभ विवाह दिल्ली में सेठ राम लाल की सुपुत्री सीमा से इसी मास की 25 तारीख को होना निश्चित हुआ है। इस शुभ विवाह में आप जैसे सभी इष्ट-मित्र तथा बन्धुओं का शामिल होना अत्यावश्यक है। अतः आपको भाई साहब की बारात में चलना पड़ेगा। विवाहोत्सव का प्रोग्राम नीचे दिया जा रहा है।

23 तारीख             दोपहर        1 बजे प्रीति भोज
24 तारीख             सायँ           6 बजे घोड़ी चढ़ी ,
25 तारीख             प्रातः           5 बजे बारात का दिल्ली प्रस्थान

आशा है, आप 22 तारीख को पहुँच जाओगी। मीना और मंजू भी 22 तारीख को यहाँ पहुँच जाएँगी।

तुम्हारी अनन्य सखी
सुमन

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

14. मित्र को पास होने पर बधाई पत्र लिखो।

208, प्रेम नगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र सुरेश,

कुल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम सातवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
अशोक

15. अपने छोटे भाई को पत्र लिखो जिसमें प्रातः भ्रमण (सुबह की सैर) के लाभ बताये गये हों।

208, कृष्ण नगर,
लुधियाना।
11 जुलाई, 20…..
प्रिय भाई नरेश,
चिरंजीव रहो

कल माता जी का पत्र मिला। पढ़कर पता चला कि तुम बीमार रहने के कारण बहुत कमज़ोर हो गए हो। तुम सुबह देर तक सोए रहते हो। प्यारे भाई ! प्रातः उठकर सैर करनी चाहिए। सुबह की सैर से स्वास्थ्य उत्तम होता है। प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। मांसपेशियों में नए रक्त का संचार होता है। फेफड़ों को साफ़ वायु मिलती है। ओस पड़ी घास पर नंगे पाँव चलने से बल, बुद्धि और आँखों की रोशनी बढ़ती है। दिमाग को शक्ति मिलती है। इसलिए प्रात: घूमने अवश्य जाया करो।

आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनु को प्यार।

तुम्हारा बड़ा भाई,
प्रदीप कुमार

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

16. अपने छोटे भाई को पढ़ाई में ध्यान देने के लिए पत्र।

195,फतेहपुरा,
जालन्धर।
16 जनवरी, 20….
प्रिय राजीव,
सदा प्रसन्न रहो।

अभी-अभी तुम्हारे मित्र संदीप का पत्र मिला है उससे मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। सारा दिन तुम आवारागर्दी करते हो। तुम्हारे मासिक परीक्षा में नम्बर बहुत कम आए हैं। प्रिय राजीव, याद रखो, यह विद्यार्थी जीवन पढ़ाई के लिए ही होता है, क्योंकि यदि बचपन में ठीक से नहीं पढ़ोगे तो शेष सारा जीवन ही दुःखों में बीतता है।

तुम्हारी इस असफलता से मुझे बड़ा दुःख हुआ है। मुझे आशा नहीं थी कि तुम मेरे यहाँ से चले जाने के बाद इतने निकम्मे और लापरवाह हो जाएंगे। खेलना बुरा नहीं, परन्तु खेलने के समय खेलो और पढ़ने के समय पढ़ो। पढ़ाई की कमी को पूरा करने के लिए यदि कोई आवश्यकता हो तो मुझे लिखो।

तुम्हारा हितैषी,
राम प्रकाश

17. अपने मित्र को पत्र लिखो जिसमें किसी आँखों देखे मेले का वर्णन हो।

परीक्षा भवन,
………. नगर।
15 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र रमेश,
सप्रेम नमस्ते।

मुझे पिछले बुधवार को आपके पास आना था, पर मालूम हुआ कि वीरवार को अमृतसर में वैशाखी का मेला लगेगा। इसलिए मैंने अपने चार सहपाठियों के साथ मेला देखने का कार्यक्रम बना लिया।
हम पाँचों साथी बुधवार को सवेरे ही घर से चलकर पहली बस में बैठकर अमृतसर पहुँच गए। वहाँ जाकर देखा कि जैसे पुरुषों और स्त्रियों का समुद्र-सा उमड़ आया हो। ज्यों-ज्यों दिन चढ़ता गया, मेले में आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। वीरवार को तो यह संख्या दो लाख से भी ज्यादा हो गई।

दरबार साहिब के क्षेत्र में तो तिल धरने की भी जगह नहीं थी। हलवाइयों और होटल वालों की पौ-बारह थी। चाहे पुलिस ने कड़े प्रबन्ध कर रखे थे, फिर भी जेबकतरों ने बहुत-से लोगों की जेबें काट ली थीं। पुलिस ने कुछ गुंडों की पिटाई भी की।

एक स्थान पर नौजवानों की एक टोली “जट्टा आई वैसाखी” की तान के साथ भंगड़ा डाल रही थी। उनके पाँवों की थिरकन के साथ ही वहाँ इकट्ठी हुई भीड़ के दिल भी मचल रहे थे। एक नया जोश था। सबके मुँह पर नई उमंगें नाच रही थीं।

यह एक यादगारी मेला था। अगर तुम भी होते तो बड़ा मजा आता। पूज्य माता जी और पिता जी को चरणवन्दना।

तुम्हारा मित्र,
हर्ष देव

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

18. अपने किसी मित्र को पत्र लिख, उससे पूछो कि तम गर्मियों की छद्रियाँ कहाँ और कैसे बिताओगे। अपना विचार भी उसे बताओ।

राष्ट्रीय विद्यालय,
फिरोज़पुर।
18 जून, 20…..
प्रिय विनोद,
सप्रेम नमस्ते।

चिरकाल से आपका पत्र नहीं आया। क्या कारण है ? स्वास्थ्य तो ठीक है ? आपको याद होगा कि जब इस बार शिशिर के अवकाश में मैं आपके पास आया था, तो आपने ग्रीष्मावकाश एक साथ यहाँ बिताने का वचन दिया था। अब उस वचन को पूरा करने का समय आ गया है।

यहाँ मेरे पास अलग दो कमरे हैं। स्थान बिल्कुल एकान्त है। बिजली तथा पंखा लगा हुआ है। साथ ही खेलने के लिए अलग एक छोटा-सा क्रीडांगन है। यहाँ शाम को टेनिस खेला करेंगे और प्रातः काल दौड़ा करेंगे, जिससे हमारा शरीर बलिष्ठ और सुन्दर बनेगा।

मेरे अभिन्न मित्र राकेश ने भी साथ देने का वचन दिया है। उसके पिता जी जहां एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं। उनसे भी समय-समय पर सहायता ली जा सकेगी। इस विषय में मैंने उनसे बात कर ली है। उन्होंने सहर्ष सहायता देना स्वीकार कर लिया है।

मेरे पिता जी तथा माता जी का भी आपको यहाँ बुलाने का आग्रह है। आशा है कि हमारा कार्यक्रम बहुत सुन्दर और रुचिकर होगा।

आप कब आने का कष्ट कर रहे हैं, लिखें। माता जी को प्रणाम ।

तुम्हारा मित्र,
राजीव

19. अपने मित्र को एक पत्र लिखो कि वह किताबी कीड़ा न बनकर खेलों में भाग लिया करे।

मल्होत्रा निवास,
जी० टी० रोड।
करतारपुर
17 मार्च, 20 ………
प्रिय कृष्ण,
सप्रेम नमस्ते,

परीक्षा में आपकी शानदार सफलता ने मेरा मन प्रसन्नता से भर दिया पर यह जानकर मुझे दुःख भी हुआ कि यह सफलता तुम्हें सेहत गँवाकर मिली है। मुझे पता लगा है कि तुम आगे से भी अधिक किताबी कीड़ा बन गए हो। न तुम खेलों में भाग लेते हो और न बाहर भ्रमण के लिए ही जाते हो ?

मेरी यह अभिलाषा है कि तुम बड़े विद्वान् बनो पर साथ ही मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम शरीर से भी पूर्ण स्वस्थ रहो। यह बात सच है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसलिए तुम्हें पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भाग लेना चाहिए। यह तुम्हारे उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है।

आशा है कि तुम पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी अवश्य भाग लोगे।

आपका प्रिय मित्र,
सिमरनजीत सिंह

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20. पुस्तकें मंगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
प्रबन्धक,
मल्होत्रा बुक डिपो।
रेलवे रोड,
जालन्धर।
प्रिय महोदय,

निवेदन है कि आप निम्नलिखित पुस्तकें वी० पी० पी० द्वारा शीघ्र ही नीचे लिखे पते पर भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फटी हुई न हो। सभी पुस्तकें सातवीं श्रेणी के लिए तथा नए संस्करण की हों। आपकी अति कृपा होगी।

1. ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड (प्रथम भाषा)             10 प्रतियाँ
2. ऐम० बी० डी० इंग्लिश गाइड                             10 प्रतियाँ
3. ऐम० बी० डी० पंजाबी गाइड                              8 प्रतियाँ

भवदीय
मनोहर लाल
आर्य हाई स्कूल,
नवांशहर।
तिथि 15 मई, 20…

21. रक्षाबन्धन के पुनीत अवसर पर अपने छोटे भाई को आशीर्वाद देते हुए पत्र लिखिए।

28, नेशनल पार्क,
कोलकाता।
19 दिसम्बर, 20….
प्रिय अनुज प्रतीक,

चिंरजीव रहो। तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुमने मासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। अगले सप्ताह रक्षाबन्धन का त्योहार है। मैं इस पत्र के साथ राखी भेज रही हूँ। प्रिय अनुज, इन राखी के धागों में बड़ी शक्ति और प्रेरणा का भाव है। इस दिन भाई अपनी बहन की मान-मर्यादा की रक्षा का संकल्प करता है और बहन भी भाई की सर्वांगीण प्रगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। मैं इस बार रक्षाबन्धन के अवसर पर तुम्हारे कोमल हाथों में राखी बाँधने के लिए उपस्थित न हो सकूँगी। मेरा प्यार, मेरा आशीर्वाद तथा मेरी शुभ कामना इन राखी के धागों में गुंथी हुई है।

माता-पिता को प्रणाम।

तुम्हारी बड़ी बहन,
रानी मुखर्जी।

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

22. छात्रावास जीवन पर टिप्पणी करते हुए अपने बड़े भाई के नाम पर एक पत्र लिखिए।

512, टैगोर भवन,
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र-136119
दिनांक : 20 जुलाई, 20…..
पूज्य भाई साहब
नमस्कार।

आशा है कि आप सब सकुशल हैं। मुझे यहां प्रवेश मिल गया है तथा टैगोर भवन छात्रावास में कमरा भी मिल गया है। यहां के सभी साथी बहुत ही मिलनसार तथा हँसमुख हैं। हमारे छात्रावास में खेलों तथा मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि उपलब्ध हैं। यहाँ के भोजनालय में भोजन अत्यन्त पौष्टिक तथा स्वास्थ्यवर्धक प्राप्त होता है। स्नानागार आदि भी स्वच्छ तथा हवादार हैं। कमरे में पंखा लगा हुआ है तथा कमरे के बाहर छज्जे में से प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं।

आप माता जी एवं पिताजी को समझा दें कि मैं यहाँ पर सुखपूर्वक हूँ तथा मन लगाकर पढ़ रहा हूँ। समय पर खा-पी लेता हूँ तथा व्यायाम भी करता हूँ। उन्हें नमस्कार कहें तथा रुचि को स्नेह दें।

आपका अनुज
तरुण कुमार।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar मुहावरे

मुहावरे

अंग-अंग ढीला होना (थक जाना) – आज सुबह से मैंने इतना काम किया है कि मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
अंगूठा दिखाना (विश्वास दिलाकर मौके पर इन्कार कर देना) – नेता लोग चुनाव के दिनों में बीसियों वायदे करते हैं, परन्तु बाद में अंगूठा दिखा देते हैं।
अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) – जब मैंने मोहन से दस रुपये उधार माँगे तो वह अगर-मगर करने लगा।
अंगुली उठाना (दोष लगाना, निन्दा करना) – कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता।
अन्धे की लकड़ी (एक मात्र सहारा) – श्रवण अपने माता-पिता की अन्धे की लकड़ी था।
अन्धेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – रमन अन्धेरे घर का उजाला है, इसका ध्यान रखो।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – सब के साथ मिलकर रहना चाहिए, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता।
अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ निकालना) – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।
आँख उठाना (बुरी नज़र से देखना) – मेरे जीते जी तुम्हारी तरफ़ कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता।
आँखें दिखाना (क्रोध से घूरना) – मैं इनसे नहीं डरता, ये आँखें किसी अन्य को दिखाओ।
आँख का तारा (बहुत प्यारा) – श्री राम चन्द्र जी राजा दशरथ की आँखों के तारे थे।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) – चोर सिपाहियों की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।
आँख फेर लेना (बदल जाना) – अक्सर लोग काम निकल जाने पर आँखें फेर लेते हैं।
आँख मारना (इशारा करना) – सुरेश ने जब राजेश से पुस्तक माँगी तो सुरेश ने राजेश को पुस्तक न देने के लिए आँख मार दी।
आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचे होना) – कुतुबमीनार आकाश से बातें करती है।
आकाश-पाताल एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – उसने परीक्षा में सफल होने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया परन्तु सफ़ल न हो सका।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – अध्यापक के कक्षा छोड़ने पर लड़कों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
उधर-उधर की हाँकना (व्यर्थ गप्पें मारना) – राम सदैव इधर-उधर की हाँकता रहता है।
ईंट से ईंट बजाना (बिल्कुल नष्ट कर देना) – घर की फूट ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों के बाद दिखाई पड़ना) – अरे सुरेश, आजकल कहाँ रहते हो, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
अंगली उठाना (निन्दा करना) – विरोधी भी गांधी जी पर अंगली उठाने की हिम्मत नहीं करते थे।
उल्लू बनाना (मूर्ख सिद्ध करना) – सोहन के दोस्तों ने उसे ऐसा उल्लू बनाया कि उसका सारा धन उससे छीन कर ले गए।
उल्टी गंगा बहाना (उल्टी बातें करना) – बाप ने बेटे से क्षमा माँग कर उल्टी गंगा बहा दी।
एक आँख से देखना (बराबर कर बर्ताव) – माता-पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
एड़ी चोटी का जोर लगाना (पूरा जोर लगाना) – सुदेश ने परीक्षा में पास होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, फिर भी वह असफल रही।
कमर कसना (तैयार होना) – गरीबी को दूर करने के लिए सबको कमर कसनी चाहिए।
कमर टूटना (निराश हो जाना) – नौजवान बेटे की मृत्यु ने बूढ़े बाप की कमर तोड़ दी।
काम आना (युद्ध में मारे जाना) – भारत – पाक युद्ध में अनेक भारतीय सैनिक काम आए।
कफ़न सिर पर बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) – भारत की रक्षा के लिए वीर सैनिक सदैव सिर पर कफ़न बाँधे फिरते हैं।
काला अक्षर भैंस बराबर (अनपढ़ व्यक्ति) – अनपढ़ व्यक्ति के लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
कुत्ते की मौत मरना (बुरी हालत में मरना) – शराबी व्यक्ति सदैव कुत्ते की मौत मरते
कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – मोहन की सफलता पर उसके पड़ोसी के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कोल्हू का बैल (दिन-रात कार्य करने वाला) – आजकल कोल्हू का बैल बनने पर भी बड़ी कठिनता से निर्वाह होता है।
कोरा जवाब देना (साफ़ इन्कार करना) – जब उसने सुरेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने कोरा जवाब दे दिया।
खाला जी का घर (आसान काम) – मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करना खाला जी का घर नहीं है।
खून का प्यासा (कट्टर शत्रु) – आजकल तो भाई, भाई के खून का प्यासा बन गया है।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

खून का बूंट पीना (क्रोध को दिल में दबाए रखना) – हरगोपाल की पुत्र वधु उसकी गालियाँ सुनकर खून का चूंट पीये रहती है।
खरी-खरी सुनाना (सच्ची बात कहना) – अंगद ने जब रावण को खरी-खरी सुनाई तो वह अंगारे उगलने लगा।
गुदड़ी का लाल (छुपा रुस्तम) – हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।
गप्पें हाँकना (व्यर्थ की बातें करना) – मुकेश सदैव गप्पें हाँकता रहता है। पढ़ाई की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देता।
गुड़ गोबर करना (बनी बनाई बात बिगाड़ देना) – काम तो बन गया था, परन्तु तुमने बीच में बोलकर गुड़ गोबर कर दिया।
घर में गंगा (सहज प्राप्ति) – अरे सुरेश! तुम्हें पढ़ाई की क्या चिन्ता ? तुम्हारा भाई अध्यापक है, तुम्हारे घर में गंगा बहती है।
घर सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – छुट्टी के दिन बच्चे घर सिर पर उठा लेते
घाव पर नमक छिड़कना (दु:खी को और दुखाना) – बेचारी उमा विवाह होते ही विधवा हो गई, अब उसकी सास हरदम बुरा-भला कहकर उसके घाव पर नमक छिड़कती. है।
घी के दिये जलाना (प्रसन्न होना) – जब श्री रामचन्द्र जी अयोध्या वापस लौट तो लोगों ने घी के दीये जलाये।
चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
चल बसना (मर जाना) – श्याम के पिता दो वर्ष की लम्बी बीमारी के बाद कल चल बसे।
चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना (बनते काम में रुकावट डालना) – तुम तो व्यर्थ ही चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाते हो।
चाल में आना (धोखे में फँसना) – तुम्हें राम की चाल में नहीं आना चाहिए, वह ठग
चम्पत होना (खिसक जाना) – सिपाही का ध्यान जैसे ही दूसरी तरफ हुआ कि चोर चम्पत हो गया।
चादर से बाहर पैर पसारना (आमदनी से बढ़कर खर्च करना) – चादर से बाहर पैर पसारने वाले लोग बाद में पछताते हैं।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए।
छोटा मुँह बड़ी बात (बढ़ा – चढ़ा कर कहना) – कई लोगों को छोटा मुँह बड़ी बात कहने की आदत होती है।
जूतियाँ चाटना (खुशामद करना) – स्वार्थी आदमी अपने काम के लिए अफसरों की जूतियाँ चाटते फिरते हैं।
जान पर खेलना (प्राणों की परवाह न करना) – लाला लाजपतराय जैसे देश भक्त भारत की स्वतन्त्रता के लिए जान पर खेल गए।
जान हथेली पर रखना (मरने की बिल्कुल परवाह न करना) – रण क्षेत्र में भारत के वीर सदैव जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं।
जहर का चूंट पीना (क्रोध को दबाना) – अपनी सास की जली-कटी बातें सुनकर भी शीला जहर का चूंट पीये रही।
जी चुराना (परिश्रम से भागना) – पढ़ाई में जी चुराने वाले विद्यार्थी कभी परीक्षा में सफ़ल नहीं होते।
ज़मीन आसमान एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – रमेश ने नौकरी पाने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया, लेकिन असफल रहा।
टका-सा जवाब देना (कोरा जवाब देना) – जब मैंने सुरेश से पुस्तक माँगी तो उसने मुझे टका-सा जवाब दे दिया।
टाँग अड़ाना (व्यर्थ दखल देना, रुकावट डालना) – मोहन, तुम क्यों दूसरों के कार्य में टाँग अड़ाते हो।
टेडी खीर (कठिन कार्य) – बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आना टेढ़ी खीर है।
ठोकरें खाना (धक्के खाना) – आजकल तो एम० ए० पास भी नौकरी के लिए ठोकरें खाते फिरते हैं।

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डींग मारना (शेखी मारना) – राकेश डींगें तो मारता है, लेकिन वैसे पाई-पाई के लिए मरता
डंका बजना (प्रभाव होना, अधिकार होना, विजय पाना) – आज विश्व भर में भारत की शक्ति का डंका बज रहा है।
डूबते को तिनके का सहारा (संकट में थोड़ी-सी सहायता मिलना) – इस विपत्ति में तुम्हारे पाँच रुपये भी मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा सिद्ध होंगे।
तूती बोलना (प्रभाव होना, बात का माना जाना) – आजकल हर जगह धनिकों की ही तूती बोलती है।
तलवे चाटना (चापलूसी करना) – मुनीश दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में बहुत निपुण है।
ताक में रहना (अवसर देखते रहना) – चोर सदैव चोरी करने की ताक में रहते हैं।
दम घुटना (श्वास लेने में कठिनाई होना) – आजकल यातायात के समय इतनी भीड़ का सामना करना पड़ता है कि कई बार दम घुटने लगता है।
दंग रह जाना (हैरान रह जाना) – अनिल के द्वारा चोरी किए जाने का समाचार सुनकर उसके पिता जी दंग रह गए।
दिन फिरना (अच्छे दिन आना) – निराश मत हो, सभी के दिन फिरते हैं।
दाँतों तले अंगली दबाना (आश्चर्य प्रकट करना) – महान् तपस्वी भी रावण की कठिन तपस्या देखकर दाँतों तले अंगली दबाते थे।
दाहिना हाथ (बहुत सहायक) – जवान पुत्र अपने पिता के लिए दाहिना हाथ सिद्ध होता
दिन में तारे नज़र आना (कोई अनहोनी घटना होने से घबरा जाना) – जंगल में शेर को अपनी ओर लपकते देखकर प्रमोद को दिन में तारे नज़र आ गए।
दाँत खट्टे करना (हारना) – महाराणा प्रताप ने युद्ध में कई बार मुग़लों के दाँत खट्टे किए।
दिन दुगुनी रात चौगुनी (अत्यधिक) – भारत आजकल दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।
धज्जियाँ उड़ाना (पूरी तरह खंडित करना) – महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के अत्याचारों की धज्जियाँ उड़ा दीं।
नाकों चने चबाना (खूब तंग करना) – भारतीय सैनिकों ने शत्रु को नाकों चने चबा दिये।
नाक में दम करना (बहुत तंग करना) – तुमने तो मेरा नाक में दम कर रखा है।
नाम कमाना (प्रसिद्ध होना) – घर बैठे-बैठे नाम नहीं कमाया जा सकता।
नमक-मिर्च लगाना (छोटी-सी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना) – हरीश के स्कूल से भागने पर सुरेश ने मुख्याध्यापक के सम्मुख खूब नमक-मिर्च लगाकर उसकी शिकायत की।
नीचा दिखाना (हराना, घमंड तोड़ना) – पाकिस्तान सदैव भारत को नीचा दिखाने की ताक में रहता है।
पानी-पानी होना (बहुत लज्जित होना) – चोरी पकड़े जाने पर सुरेश पानी-पानी हो गया।)
पीठ दिखाना (युद्ध से भाग जाना) – युद्ध में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।
पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों की पगड़ी उछालना सज्जन पुरुषों को शोभा नहीं देता।
पत्थर की लकीर (अटल बात) – श्री जयप्रकाश नारायण का कथन पत्थर की लकीर सिद्ध हुआ।
पापड़ बेलना (कड़ी मेहनत करना) – महेश ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई पापड़ बेले, फिर भी असफल रहा।
पसीना-पसीना होना (घबरा जाना) – कठिन पर्चा देखकर गीता पसीना-पसीना हो गई।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर आशा फूली नहीं समाई।
फूट-फूट कर रोना (बहुत अधिक रोना) – पिता के मरने का समाचार सुनकर रमा फूट-फूट कर रोने लगी।
बगुला भक्त (कपटी) – मोहन को अपनी कोई बात न बताना, वह बगुला भक्त है। बायें हाथ का खेल (आसान काम) – दसवीं की परीक्षा पास करना बायें हाथ का खेल नहीं है।
बाल बाँका न करना (हानि न पहुँचा पाना) – मेरे होते हुए कोई तुम्हारा बाल बाँका नहीं कर सकता।
बाल-बाल बच जाना (साफ़-साफ़ बच जाना) – आज ट्रक और बस की दुर्घटना में यात्री बाल-बाल बच गए।
भंडा फोड़ना (भेद प्रकट करना) – प्रवीण के वास्तविक बात न बतलाने पर राजेश ने उसका भंडा फोड़ दिया।
भाड़े का टटू (किराये का आदमी) – आजकल सच्चा देशभक्त मिलना कठिन है। सभी भाड़े के टटू हैं।
भीगी बिल्ली बनना (भय के कारण दब जाना) – सौतेली माता होने के कारण बेचारी वीणा हर समय भीगी बिल्ली बनी रहती है।
मिट्टी का माधो (निरा मूर्ख) – सभी विद्यार्थी रमेश को मिट्टी का माधो समझते थे, लेकिन वह बहुत चालाक निकला।
मुँह की खाना (बुरी तरह हारना) – 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी थी।
मैदान मारना (जीतना) – भारतीय फ़ौज ने देखते-ही-देखते छम्ब क्षेत्र में मैदान मार लिया।
रंगा सियार (धोखेबाज) – तुम्हें सतीश की बातों में नहीं आना चाहिए, वह तो निरा रंगा सियार है।
रफू-चक्कर होना (भाग जाना) – जेब काटकर जेबकतरा रफू-चक्कर हो गया।
रंग में भंग पड़ना (मजा किरकिरा होना) – जलसा शुरू ही हुआ था कि तेज वर्षा होने लगी और रंग में भंग पड़ गया।
लाल-पीला होना (क्रुद्ध होना) – पहले बातें तो सुन लो, व्यर्थ में क्यों लाल-पीले हो रहे हो ?
लोहा मानना (शक्ति मानना) – सारा यूरोप नेपोलियन का लोहा मानता था।
लेने के देने पड़ जाना (लाभ के बदले हानि होना) – भारत पर आक्रमण करके पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए। क्योंकि युद्ध में वह पूर्वी पाकिस्तान गँवा बैठा।
लोहे के चने चबाना (अति कठिन काम) – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े।

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लहू पसीना एक करना (बहुत परिश्रम करना) – आजकल लहू पसीना एक करने पर भी अच्छी तरह से जीवन निर्वाह नहीं हो पाता।
सिर पर आसमान उठाना (बहुत शोर मचाना) – अध्यापक महोदय के कक्षा से निकलते ही छात्रों ने सिर पर आसमान उठा लिया।
सिर पर भूत सवार होना (अत्यधिक क्रोध में आना) – अरे सुरेश, राम के सिर पर तो भूत सवार हो गया है, वह तुम्हारी एक न मानेगा।
सिर नीचा होना (इज्जत बिगड़ना) – नकल करते हुए पकड़े जाने पर प्रभा का सिर नीचा हो गया।
हवा से बातें करना (तेज़ भागना) – शीघ्र ही हमारी गाड़ी हवा से बातें करने लगी।
हक्का-बक्का रह जाना (हैरान रह जाना) – वरिष्ठ नेता जगजीवन राम के कांग्रेस छोड़ने पर श्रीमती इंदिरा गांधी हक्का-बक्का रह गई थीं।
हाथों के तोते उड़ जाना (बुरा समाचार सुनकर डर जाना) – कारखाने में आग लगने की खबर सुनकर सेठ हरिदत्त के हाथों के तोते उड़ गए।
हाथ तंग होना (पैसे का अभाव होना) – हमारा आजकल हाथ बहुत तंग है, कृपया नकद रुपया दें।
हाथ मलना (पछताना) – बिना सोचे-समझे काम करने वाले मनुष्य अन्त में हाथ मलते रह जाते हैं।
हाथ धो बैठना (खो देना, छिन जाना) – पाकिस्तान युद्ध में कई पोतों तथा पनडुब्बियों से हाथ धो बैठा।
हाथ-पैर मारना (प्रयत्न करना) – डूबते बच्चे को बचाने के लिए लोगों ने खूब हाथपैर मारे, परन्तु सफल न हो सके।
हथियार डाल देना (हार मान लेना) – कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान ने अन्ततः हथियार डाल दिये।

अभ्यास के प्रश्न

काला अक्षर भैंस बराबर – अनपढ़ व्यक्ति-रोहन के लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
छाती पर मूंग दलना – परेशान करना-रमेश ने चौधरी साहिब की दुकान के सामने अपनी दुकान खोल कर उसकी छाती पर मूंग दलने का काम किया है।
फाँसी का फंदा चूमना – हँसते-हुए फाँसी लेना-भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूम लिया है।
कान पकड़ना – तौबा करना-पुलिस की मार खाकर सुदर्शन ने चोरी करने को कान पकड़ लिए।
मैदान में कूद पड़ना – जंग के लिए उतर आना-नौजवान भगत सिंह आज़ादी के लिए मैदान में कूद पड़े।
राग अलापना – अपनी ही बात करना-कक्षा में सब बच्चे अपना-अपना ही राग अलापने लगे।
नमक खाना – हजूर मैंने आपका नमक खाया है मैं आपसे गद्दारी नहीं कर सकता।

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अपना सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिंदा होना-बार-बार उछलने पर भी लोमड़ी .अंगूर न पा सकी तो अपना सा मुँह लेकर रह गई।
जान के पीछे पड़ना – सेठ तो नौकर की जान के पीछे ही पड़ गए।
फूले न समाना – अपने जन्मदिन पर उपहार में मिली घड़ी देखकर सुनीता तो फूले नहीं समा रही।
मुँह की खाना – युद्ध में पाकिस्तान को हर बार भारत से मुँह की खानी पड़ी।
सीधे मुँह बात न करना – कक्षा में प्रथम क्या आ गया मोहन तो किसी से सीधे मुँह बात ही नहीं करता।
उंगलियों पर नचाना – महेश की पत्नी तो उसे अपनी उगलियों पर नचाती है।
चीं की भांति चककर लगाना – शराब पीने का आदी सुरेश जब देखो शराब के ठेके के आसपास चर्बी की भांति चक्कर लगाता रहा है।
पत्थर के देवता – अरे हरिया, क्या सेठ जी के पैर पकड़ते हो । ये पत्थर के देवता है ये नहीं पिघलेंगे।
न पसीजना – भिखारी का क्रन्दन सुनकर भी सेठ का दिल नहीं पसीजा। हाथ धोना-व्यापारी अपने सामान से हाथ थो बैठा। मैदान मार लेना-भारत में न्यूजीलैंड को हरा कर मैदान मार लिया।
डूबते को तिनके का सहारा – इस विपत्ति में तुम्हारे ये पचास रुपए उस दुखियारी के लिए डूबते को तिनका का सहारा है।
हड्डी पसली का पता न लगना – जहाज़ इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ कि किसी भी हड्डी पसली का पता न चला।
फूला न समाना – अपने जन्मदिन पर घड़ी पाकर सोहन तो फूला नहीं समा रहा।
गुदड़ी का लाल – कथाकार मुंशी प्रेमचन्द तो गुदड़ी का लाल निकले।
बाग-बाग होना – कश्मीर का सौन्दर्य देखकर मेरा तो दिल बाग-बाग हो गया।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

जहाँ चाह वहाँ-राह – अगर बढ़ने का इरादा तुम्हारा पक्का है तो कोई बाधा तुम्हें रोक नहीं सकती। तुम तो जानते हो, जहाँ चाह वहाँ राह।
अनहोनी को होनी – प्रभु सर्वशक्तिमान है वह अनहोनी को होनी कर सकते हैं।
गले लगाना – माँ ने बेटे को गले से लगा लिया।
कोरा जवाब देना – मैंने श्याम से कापी माँगी तो उसने कोरा जबाव दे दिया।
खून पसीने की कमाई – यह मेरी खून-पसीने की कमाई है।
इसे नष्ट न करना। राख हो जाना – सुनीता ईर्ष्या से जलभुन कर राख हो गई।
फूट-फूट कर रोना – बूढ़ा अपने बेटे की मृत्यु का समाचार पाकर फूट-फूट कर रोने लगा।
नश्वर देह त्यागना – कल रात महात्मा जी ने अपना नश्वर देह त्याग दिया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

Hindi Guide for Class 7 PSEB श्री गुरु अर्जुन देव जी Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

परलोकवास = स्वर्गवास
विख्यात = प्रसिद्ध
दीन = गरी
हीन = नीचा
पावन-स्थल = पवित्र स्थान
निर्माण = बनाना
निवारण = दूर करना, समाधान करना
शंकाओं = संदेहों
अनमोल = कीमती
मालिया = लगान
महसूस = अनुभव
तृप्त = संतुष्ट
शीतल = ठण्डा
वृद्ध = बूढ़े
ख्याति = प्रसिद्धि
लांछन = आरोप, दोष
यातनाएँ = कष्ट
अंततः = अन्त में
दृढ़ता = मज़बूती
अत्यंत = अधिक

2. वाक्यों में प्रयोग करें:

दसवंध _________________ _________________
षड्यंत्र ______________ _________________
निवारण ___________ _____________________
उत्तर:
अपनी नेक कमाई का दसवंध दान करना चाहिए।
दुश्मनों ने भारत के विरुद्ध षड्यन्त्र रचे हुए हैं।
हे प्रभु! हमारे कष्टों का निवारण कीजिए।

3. विपरीत शब्द लिखें:

मान = ……………..
अपराध = ……………….
एक = ………………..
ईमानदारी = ……………….
इच्छा = ……………….
तृप्त = ……………….
विरोध = ………………
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
मान = अपमान
अपराध = निरपराध
एक = अनेक
ईमानदारी = बेईमानी
इच्छा = अनिच्छा
तृप्त = अतृप्त
विरोध = समर्थन

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

4. नए शब्द बनायें:

सु + पुत्री = सुपुत्री
दशम + अंश = ……………….
श्रद्धा = आलु = ……………….
गुरु + द्वारा = ……………..
महान + ता = …………………
उप + लक्ष्य = ………………
उत्तर:
सु + पुत्री = सुपुत्री
दशम + अंश = दशमांश
श्रद्धा = आलु = श्रद्धालु
गुरु + द्वारा = गुरुद्वारा
महान + ता = महानता
उप + लक्ष्य = उपलक्ष्य

5. इन मुहावरों को इस तरह वाक्यों में प्रयोग करें कि अर्थ स्पष्ट हो जाएं

जान का दुश्मन ____________ _______________________
फूटी आँख न भाना __________________ _______________________
कान भरना ________________ ______________________
ज्योति जोत समाना ______________ ___________________
परलोक सिधारना _____________ ____________________
दो टूक कहना __________________ _________________
मामले को उछालना _________________ _____________________
उत्तर:
जान का दुश्मन (पक्का दुश्मन) – रमेश ने पुलिस से झगड़ा करके उसे अपनी जान का दुश्मन बना लिया है।
फूटी आँखों न भाना (बिलकुल अच्छा न लगना) – कक्षा में समय पर नहीं आने वाले विद्यार्थी मुझे फूटी आँख नहीं भाते।
कान भरना (चुगली करना) – ऐसे लोगों से बच कर रहो, जो दूसरों के खिलाफ़ तुम्हारे कान भरते हैं।
ज्योति जोत समाना (परलोक सिधारना) – श्री गुरु अर्जुन देव जी लाहौर में रावी नदी के तट पर ज्योति जोत समा गए।
परलोक सिधारना (मृत्यु को प्राप्त होना) – हरिसिंह के पिता जी कल परलोक सिधार गए।
दो टूक कहना (स्पष्ट वक्ता, सही और सत्य बोलना) – सुमन ने सुषमा से एक हजार रुपए उधार माँगे पर उसने दो टूक मना कर दिया।
मामले को उछालना (झगड़ा बढ़ाना, बात फैलाना) – कुछ न होते हुए भी नेताजी ने विरोधी पक्ष के मामले को उछालना शुरू कर दिया।

प्रयोगात्मक व्याकरण

6. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग करके लिखें:

प्रदान = ______________
आमंत्रित = _____________
निवारण = ______________
अनमोल = _______________
प्रभावित = _______________
प्रबन्ध = ______________
आनन्द = ___________
विभोर = ____________
संकलित = ____________
संग्रह = ______________
सुशोभित = _____________
उत्तर:
प्र, आ, नि, अन, प्र, प्र, आ, वि, सम्, सम्, सु।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

7. निम्नलिखित समास शब्दों का विग्रह करें

समस्त पद विग्रह
गुरुद्वारा = ………………..
परलोकवास = ……………….
गुरु-गद्दी = ………………..
गुरु-परम्परा = …………………
ग्रंथी-परम्परा = ………………
उत्तर:
समस्त पद विग्रह
गुरुद्वारा = गुरु का द्वारा
परलोकवास = परलोक में वास
गुरु-गद्दी = गुरु की गद्दी
गुरु-परम्परा = गुरु की परम्परा
ग्रंथी-परम्परा = ग्रंथी की परम्परा

8. (क)
1. ने + अन = नयन
ए + अ = अय

2. गै + अक = गायक
ऐ + अ = आय
अतएव अब ए ऐ के बाद यदि कोई दूसरा स्वर आ जाए तब इनके स्थान पर क्रमशः अय आय हो जाता है। यह स्वर संधि की अयादि संधि है। अन्य उदाहरण :- नै + अक ‘= नायक, नै + इका = नायिका।

(ख)
1. पो + अन = पवन
ओ + अ = अव

2. पौ + अन = पावन
औ + अ = आव
अतएव जब ओ औ के बाद दूसरा स्वर आ जाए तो इनके स्थान पर क्रमश: अव आव हो जाता है। यह स्वर संधि की अयादि संधि है। अन्य उदाहरण
भो + अन = भवन
नौ + इक – नाविक
भौ + उक = भावुक

9. रेखांकित पदों के कारक बतायें:

  1. गुरु जी ने सिक्ख धर्म के प्रचार और दीन हीन की सहायता के लिए ‘दसवंध मर्यादा’ का आरम्भ किया।
  2. यह अमृतसर नगर में विद्यमान है।
  3. गुरु जी अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे।
  4. चंदू शाह अपने अपमान का बदला चुकाना चाहता था।
  5. हर साल गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस संसार भर में मनाया जाता है।

उत्तर:

  1. संप्रदान तत्पुरुष
  2. द्वंद्व समास
  3. अधिकरण तत्पुरुष
  4. कर्ता तत्पुरुष
  5. संबंध तत्पुरुष

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
दसवंध मर्यादा से क्या भाव है ?
उत्तर:
दसवंध मर्यादा का अर्थ सिक्ख धर्म के अनुयायियों का अपनी आमदनी का दसवाँ भाग दान में से है।

प्रश्न 2.
गुरु अर्जुन देव जी ने सम्राट अकबर से क्या मांगा ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी ने सम्राट अकबर से कहा कि हरमन्दिर साहिब के आस-पास के गाँवों का लगान माफ़ कर दिया जाए।

प्रश्न 3.
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ में किन-किन की वाणी संकलित है ?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी, भक्त कबीर जी, गुरु अर्जुन देव जी तथा अन्य गुरुओं और अनेक सन्तों की वाणी संकलित है।

प्रश्न 4.
चन्दू शाह गुरु अर्जुन देव जी का दुश्मन क्यों बना ?
उत्तर:
चन्दू शाह अपनी पुत्री का विवाह गुरु अर्जुन देव जी के बड़े बेटे श्री हर गोबिन्द जी से करना चाहता था। गुरु जी इसके लिए तैयार नहीं थे। इसलिए चन्दू शाह गुरु जी का दुश्मन बन गया।

प्रश्न 5.
गुरु अर्जुन देव जी को गुरु गद्दी कब प्रदान की गई ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी को गुरु गद्दी सन् 1581 ई० में प्रदान की गई।

प्रश्न 6.
दस गुरुओं के क्रमशः नाम लिखें। उत्तर-सिक्ख धर्म के दस गुरुओं के नाम इस प्रकार हैं

  1. गुरु नानक देव जी
  2. गुरु अंगद देव जी
  3. गुरु अमरदास जी
  4. गुरु रामदास जी
  5. गुरु अर्जुन देव जी
  6. गुरु हरगोबिन्द जी
  7. गुरु हरिराय जी
  8. गुरु हरिकृष्ण जी
  9. गुरु तेग़ बहादुर जी
  10. गुरु गोबिन्द सिंह जी

3. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
गुरु अर्जुन देव जी के चरित्र की दो विशेषताओं को स्पष्ट करें। संकेत-उदारता, दया, सेवाभाव, भक्ति, दृढ़ता, कष्ट सहिष्णुता, निर्भयता।
उत्तर:

  1. उदारता-गुरु अर्जुन देव जी बड़े उदार विचारों के थे। उन्होंने अपने समय के प्रसिद्ध मुस्लिम फकीर साईं मियां मीर को आमन्त्रित करके श्री हरमन्दिर साहिब की नींव रखवाई थी। दरबार साहिब के नाम से भी विख्यात यह गुरुद्वारा साहिब सिक्ख धर्म का महान् तीर्थ स्थान माना जाता है।
  2. दया-गुरु जी ने अकबर से गरीब किसानों का लगान माफ करवाया।
  3. सेवाभाव-गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं को वे स्वयं भोजन परोसा करते थे। गुरु जी की सिक्ख धर्म को सबसे बड़ी देन है-गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश।
  4. निर्भयता-गुरु जी बड़े-से बड़े संकट से घबराते नहीं थे। दीन-हीन और निःसहायों को आश्रय देना वे अपना धर्म मानते थे।

प्रश्न 2.
जहाँगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को क्यों दण्डित किया ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी के विरोधियों तथा चन्दू शाह ने उनके विरुद्ध अनेक तरह के लांछन लगाकर मुग़ल बादशाह जहाँगीर के कान भरे। गुरु साहिब बड़े दयालु थे। उन्होंने जहाँगीर के बेटे शहज़ादा खुसरो की मुसीबत के समय सहायता की थी। पिता से बिगड़े पुत्र खुसरो की मदद के इस मामले को भी गुरु साहिब के विरोधियों ने खूब उछाला। ऐसे षड्यंत्रों में फंसा कर बादशाह जहाँगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर बुलवा कर नौ लाख रुपए दण्ड भरने का आदेश दे दिया और दण्ड न देने पर उन्हें कैद करवाया।

प्रश्न 3.
गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस कब और कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी 30 मई, सन् 1606 ई० को शहीद हुए। इसी की स्मृति में हर साल गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस संसार भर में मनाया जाता है। शहीदी गुरु पर्व के सिलसिले में प्रभात फेरियाँ और नगर कीर्तन निकलते हैं। गर्मी का मौसम होने के कारण मीठे शीतल जल की छबीलें लगाकर शान्ति प्रिय गुरुदेव का स्मरण किया जाता है। इसी उपलक्ष्य में गुरुद्वारे में दीवान भी सजते हैं।

(ग) रचना-बोध

अपनी सहेली को पत्र में अमृतसर के दर्शनीय स्थलों का विवरण दें

92 – मॉडल कॉलोनी,
अमृतसर।
दिनांक 22 दिसम्बर, 20….
प्रिय सखी प्रीतम,
स्नेह भरी नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। घर के काम-काज में व्यस्त रहने के कारण तुरन्त उत्तर नहीं दे सकी, क्षमा चाहती हूँ। तुमने अमृतसर के दर्शनीय स्थलों का विवरण पूछा है, संक्षेप में दे रही हूँ।

जिस के कारण अमृतसर दुनिया भर में प्रसिद्ध है, वह है सिक्खों का पावन-तीर्थ श्री दरबार साहिब। यह महान् गुरुद्वारा दुनिया भर के सिक्खों का सबसे बड़ा श्रद्धा का केन्द्र है। इसका पावन सरोवर निर्मल एवं शुद्ध जल से पूर्ण है। इस में लोग श्रद्धा से स्नान करते हैं । दरबार साहिब में रात-दिन भीड़ लगी रहती है। श्रद्धालुओं के लिए गुरु का अटूट लंगर दिन-रात चलता रहता है। गुरुद्वारे में शबद कीर्तन निरन्तर होता रहता है।

श्री दरबार साहिब के निकट ही जलियाँवाला बाग है। यह देश-भक्तों का अमर स्मारक है। दुर्याना मन्दिर भी अमृतसर का एक परम पावन तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त शहर के बाग भी अद्भुत छटा बिखेरते हैं। वस्तुतः ये स्थान स्वयं आँखों से देखकर अपनी विशेषताएँ साकार करते हैं। इसलिए आगामी छुट्टियों में तुम अमृतसर आकर अपनी आँखों से सब कुछ देखो।
पूज्य माता और पिता जी को सादर नमस्कार कहना और हैप्पी को प्यार देना।
तुम्हारी प्रिय सखी,
नन्दिनी शर्मा।

(घ) सिक्ख धर्म के पावन ग्रंथ गुरु ‘ग्रंथ साहिब’ में से किसी श्लोक को याद करें और उसके अर्थ जानें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide श्री गुरु अर्जुन देव जी Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘पंचम पातशाह’ किसे कहते हैं ?
(क) गुरु नानक देव
(ख) गुरु अर्जुन देव
(ग) गुरु गोबिंद सिंह
(घ) क और ग
उत्तर:
(ख) गुरु अर्जुन देव

प्रश्न 2.
गुरु अर्जुन देव जी का जन्म कहां हुआ था ?
(क) कराची
(ख) लाहौर
(ग) दिल्ली
(घ) गोइंदवाल
उत्तर:
(घ) गोइंदवाल

प्रश्न 3.
चौथे सिक्ख गुरु कौन थे ?
(क) गुरु रामदास जी
(ख) गुरु गोबिंद सिंह जी
(ग) गुरु अर्जुन देव जी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) गुरु रामदास जी

प्रश्न 4.
गुरु अर्जुन देव जी ने कौन-सी मर्यादा का आरम्भ किया था ?
(क) पंचवंध
(ख) दसवंध
(ग) सप्तवंध
(घ) बीसवंध
उत्तर:
(ख) दसवंध

प्रश्न 5.
गुरु जी की सबसे बड़ी देन क्या है ?
(क) उपदेश
(ख) लंगरसेवा
(ग) दसवंध
(घ) गुरु ग्रंथ साहिब
उत्तर:
(घ) गुरु ग्रंथ साहिब

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
हरमन्दिर साहिब को सिक्ख धर्म का …………… माना जाता है।
(क) तीर्थ
(ख) गुरुद्वारा
(ग) मंदिर
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) तीर्थ

प्रश्न 2.
दीवान ………….. ने गुरु जी को कैद में डाल दिया था ।
(क) मन्दूशाह
(ख) चन्दूशाह
(ग) राम सेवक
(घ) श्यामचंद्र
उत्तर:
(ख) चन्दूशाह

प्रश्न 3.
जहाँगीर के पुत्र का नाम ………….. था।
(क) मीर जाफ़र
(ख) रामशेर
(ग) अल्लाफ़
(घ) खुसरो
उत्तर:
(घ) खुसरो

प्रश्न 4.
हरमन्दिर साहिब की यात्रा मुगल सम्राट ………….. ने की थी।
(क) अकबर
(ख) जहाँगीर
(ग) शाहजहाँ
(घ) बाबर
उत्तर:
(क) अकबर

प्रश्न 5.
गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु जी के …………. श्लोक तथा शब्द हैं।
(क) 2 सौ
(ख) 21 सौ
(ग) 22 सौ
(घ) 23 सौ
उत्तर:
(ग) 22 सौ

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
विख्यात:
प्रसिद्ध
विज्ञान
विचार
उत्तर:
प्रसिद्ध

प्रश्न 2.
आमंत्रित करना :
मंत्र देना
बुलाना
भेजना
उत्तर:
बुलाना

प्रश्न 3.
स्मरण:
याद करना
भुला देना
घूमना
उत्तर:
याद करना

प्रश्न 4.
श्रद्धालु:
श्राद् का आलू
श्रद्धा करने वाले
श्रद्धा
उत्तर:
श्रद्धा करने वाले

श्री गुरु अर्जुन देव जी Summary

श्री गुरु अर्जुन देव जी पाठ का सार

‘श्री गुरु अर्जुन देव जी’ पाठ में ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से सिक्ख परंपरा में विख्यात श्री गुरु अर्जुन देव जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। श्री गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, सन् 1563 को गोइंदवाल में हुआ था। आप के पिता श्री गुरु रामदास जी चौथे सिक्ख गुरु थे। आपकी माता जी का नाम बीबी भानी जी था। वे तीसरे सिख गुरु श्री गुरु अमरदास जी की सुपुत्री थी। इस प्रकार गुरु अमरदास जी श्री गुरु अर्जुन देव जी के नाना हुए। गुरु अर्जुन देव जी अपने माता-पिता की तीसरी सन्तान थे। सोलह वर्ष की आयु में गुरु अर्जुन देव जी का विवाह मउ गाँव के श्रीकृष्ण चन्द की बेटी गंगा जी के साथ हुआ था। आप सन् 1581 ई० में गुरुगद्दी पर बैठे और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से विख्यात हुए।

श्री गुरु अर्जुन देव जी ने ‘दसवंध मर्यादा’ का आरम्भ किया। गुरु जी ने मुस्लिम फकीर साईं.मियां मीर जी को आमंत्रित करके श्री हरमन्दिर साहिब की नींव रखवाई थी। दरबार साहिब के नाम से प्रसिद्ध यह सिक्ख धर्म का महान् तीर्थ माना जाता है। मुग़ल सम्राट अकबर भी इसकी यात्रा करने आया था और उसने गुरु जी के दर्शन किये थे।

श्री गुरु अर्जुन देव जी गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं भोजन परोसा करते थे। वे थके-मांदे की सेवा करते थे। गुरु जी की सबसे बड़ी देन ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ है। उन्होंने बाबा बुड्डा जी को दरबार साहिब में ग्रन्थी बनाकर ग्रन्थी परम्परा शुरू की थी। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में गुरु जी के 22 सौ ‘श्लोक’ तथा ‘शबद’ हैं। अकबर की मृत्यु के बाद गुरु जी के विरोधियों ने मुग़ल सम्राट् जहाँगीर के कान भरे क्योंकि उन्होंने जहाँगीर के पुत्र खुसरो की मुसीबत में सहायता की थी। दीवान चन्दू शाह ने गुरु जी को कैद में डाल दिया था। वह उन्हें अनेक यातनाएँ देता था। वे 30 मई, सन् 1606 ई० को शहीद हो गए। गुरु जी का शहीदी दिवस हर साल संसार भर में मनाया जाता है और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से उनको स्मरण किया जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

Hindi Guide for Class 7 PSEB एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

रिवाज़ = रीति, परम्परा
हक = अधिकार
बरताव = व्यवहार
बेरहम = निर्दयी
बेहतर = अच्छा, श्रेष्ठ
बियाबान = सुनसान
खोह = गुफा
गौर से = ध्यान से
उकता गया = तंग हो गया
अजीब = विचित्र
यकायक = अचानक
सन्नाटा = खामोशी
किस्सा = कहानी
निर्वाह = निबाहना, निभाना

2. निम्न शब्दों/मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग करें:

पीठ थपथपाना _____________ _____________________
टूट पड़ना _____________ ____________________
बात ही बात में _____________ _________________
हड़बड़ा कर ______________ ______________________
आँख लगना ________________ ____________________
दुम हिलाना ___________ _____________________
सिर पैरों पर रखना ________________ ___________________
दंग रह जाना _____________ ____________________
उत्तर:
पीठ थपथपाना (शाबाशी देना) – राघव के कक्षा में प्रथम आने पर सब ने उसकी पीठ थपथपा कर उसे बधाई दी।
टूट पड़ना (आक्रमण करना) – भारतीय सैनिक भूखे भेड़ियों की तरह शत्रु पर टूट पड़े।
बात ही बात में (क्षण भर में) – बात ही बात में दोनों यात्री आपस में उलझ पड़े। हड़बड़ा कर (घबरा कर) – शेर की दहाड़ सुन शिकारी हड़बड़ा कर जाग उठा।
आँख लगना (नींद आना) – मुसाफिर थक गया था, लेटते ही उसकी आँख लग गई।
दुम हिलाना (प्रसन्नतापूर्वक अधीनता स्वीकार करना) – एण्ड्रोक्लीज़ को दंगल के मैदान में देखते ही शेर उसके पास जाकर दुम हिलाने लगा।
सिर पैरों पर रखना (क्षमा माँगना) – नौकर ने अपनी गलती मान कर अपना सिर उसके पैरों पर रख दिया।
दंग रह जाना (हैरान/चकित रह जाना) – जादूगर के कमाल देखकर सभी दंग रह गए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

3. विपरीत शब्द लिखें:

बादशाह = …………………
बेरहम = ……………….
कृतज्ञ = ………………
गुलाम = ……………….
उपकार = ……………..
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
बादशाह = फकीर
बेरहम = रहम
कृतज्ञ = कृतध्न
गुलाम = मालिक
उपकार = अपकार

4. कई बार एक ही शब्द को दो बार प्रयोग किया जाता है। ऐसे शब्दों को पुनरुक्त शब्द कहते हैं। इस पाठ में कुछ ऐसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं जैसे :- भटकते-भटकते इसी प्रकार अन्य शब्द ढूंढें और लिखें।
उत्तर:
खड़ा-खड़ा, बार-बार, लँगड़ाता-लँगड़ाता, आगे-आगे, साथ-साथ, बड़ेबड़े।

5. बेरहम शब्द में बे उपसर्ग लगा है। इसी प्रकार बे उपसर्ग से नए शब्द बनाएं:

बे + कार = ………………..
बे + चैन = …………….
बे + शक = ……………..
बे + रोक = ………………
बे + जान = …………………
उत्तर:
बे + कार = बेकार
बे + चैन = बेचैन
बे + शक = बेशक
बे + रोक = बेरोक
बे + जान = बेजान

6. प्रयोगात्मक व्याकरण

(1) एक दिन रात को वह घर से निकल भागा और समुद्र के किनारे की तरफ चल दिया।
(2) मालिक एण्ड्रोक्लीज़ से बहुत रात बीतने तक काम लेता मगर न पहनने को कपड़े देता, न पेट भर खाना।
(3) उसे भूख लगी थी इसलिए शेर ने उसके पास एक मरा हुआ खरगोश लाकर डाल दिया।
(4) ऐसा लगा मानो उसके पंजे में कोई तकलीफ है।
(5) एण्ड्रोक्लीज़ मालिक के कब्जे से भाग गया था। इस कारण उसे मौत की सज़ा दी गयी।
(6) उसने समझ लिया कि अब मौत आ गयी।
(7) वह थक हार कर खोह में लोट गया ताकि आराम कर सके।
(8) चाहे वह अपराधी था फिर भी बादशाह ने उसे छोड़ दिया।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘और’, ‘मगर’, ‘इसलिए’, ‘मानो’, ‘इस कारण कि’, ‘ताकि’, ‘चाहे’ फिर भी शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं।
अतएव दो शब्दों, वाक्यों के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं।
अन्य योजक शब्द-एवं, तथा, अथवा, या, नहीं तो, अतः, यद्यपि… तथापि, चूंकि, क्योंकि, जिससे कि, यदि तो।

(ख) विचार-बोध

1. उपयुक्त शब्द भरकर वाक्य पूरे करें :

  1. एण्ड्रोक्लीज़ ………….. का एक गुलाम था।
  2. मालिक गुलाम को ………….. बेच सकता है।
  3. उसका मालिक उसे ………….. ले गया।
  4. वह रास्ता भूल गया …….. जंगल में जा पहुंचा।
  5. शेर बुरी तरह ………….. हुआ आगे बढ़ा।
    (दहाड़ता, भेड़-बकरियों की तरह, और बियाबान, अफ्रीका, रोम)

उत्तर:

  1. रोम
  2. भेड़-बकरियों की तरह
  3. अफ्रीका
  4. और बियाबान
  5. दहाड़ता

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
गुलामी प्रथा से क्या भाव है ?
उत्तर:
गुलामी प्रथा में लोग किसी भी व्यक्ति को खरीद सकते हैं और उसका मालिक अपने गुलाम को भेड़-बकरियों की तरह किसी को भी बेच सकता है।

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ भाग कर कहाँ पहुँचा ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ अफ्रीका से भाग कर एक पहाड़ की खोह में पहुंचा।

प्रश्न 3.
एण्ड्रोक्लीज़ को मौत की सज़ा क्यों दी गई ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ एक गुलाम था। उसका अपने मालिक को छोड़ कर भाग जाना कानूनी अपराध था। इसलिए उसे मौत की सज़ा दी गई।

प्रश्न 4.
उन दिनों मौत की सज़ा कैसे दी जाती थी ?
उत्तर:
उन दिनों अपराधी को भूखे शेर के साथ भिड़ना पड़ता था। उसे दंगल में एक भाला देकर भेज दिया जाता। फिर भूखे शेर को पिंजरे से निकाल कर उस दंगल में छोड़ दिया जाता। भूखा शेर दहाड़ मारता हुआ उस पर टूट पड़ता और उसे चीर-फाड़ कर खा जाता था।

प्रश्न 5.
इस कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
‘एण्ड्रोक्लीज़ और शेर’ कहानी का मुख्य उद्देश्य यह है कि उपकार करने का फल अवश्य मिलता है।

3. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ अपने मालिक के पास किस रूप में रहता था और वहाँ से क्यों भाग गया ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ अपने मालिक के पास एक गुलाम के रूप में रहता था। उसे दिन-रात काम करना पड़ता था। एण्ड्रोक्लीज़ को न पहनने के पूरे कपड़े मिलते थे, न ही उसे भरपेट भोजन मिलता था, इस कारण वह बहुत दुखी रहता। इस दशा में उसने वहाँ से भाग जाना ही ठीक समझा।

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ की शेर के साथ दोस्ती किस प्रकार हुई और उसके पश्चात् दोनों किस प्रकार रहे ?
उत्तर:
एण्डोक्लीज़ मालिक के बुरे बर्ताव से तंग आकर भाग निकला। वह रात भर भटकता-भटकता रास्ता भूल गया। वह रोम जाना चाहता था परन्तु वह एक पहाड़ की खोह में जा पहुँचा। जहाँ वह सो गया। इतने में शेर दहाड़ता हुआ आया। एण्ड्रोक्लीज़ ने देखा शेर के पंजे में काँटा चुभा हुआ है। उसने झट से काँटा निकाल दिया और एण्ड्रोक्लीज और शेर मित्र बन कर वहाँ रहने लगे।

प्रश्न 3.
मौत के कटघरे में एण्ड्रोक्लीज़ और शेर के व्यवहार का वर्णन करें।
उत्तर:
मौत के कटघरे में एण्ड्रोक्लीज़ को एक भाला देकर भेजा गया। थोड़ी देर बाद पिंजरे से एक भूखे शेर को वहाँ छोड़ दिया गया। शेर दहाड़ता हुआ आगे बढ़ने ही वाला था कि एकदम रुक गया ! शेर एण्ड्रोक्लीज़ के पास पहुँचकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगा। एण्ड्रोक्लीज़ ने शेर की पीठ थपथपाई। दोनों ओर से प्यार छलक रहा था। सभी देखने वाले दंग थे।

(ग) भाव-बोध (प्रश्न) इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें

प्रश्न 1.
गुलामी से मौत बेहतर है।
उत्तर:
गुलामी एक अभिशाप है। गुलाम का जीवन अपने मालिक की दया पर निर्भर करता है। वह भेड़-बकरी के समान होता है। न उसे पहनने के पूरे कपड़े मिलते हैं और न खाने को भरपेट भोजन। ऐसी गुलामी से मौत बेहतर है।

प्रश्न 2.
पशु भी कृतज्ञ और सच्चे मित्र होते हैं।
उत्तर:
पशुओं के साथ भी मनुष्य को अच्छा बर्ताव करना चाहिए। उनमें भी विचारशक्ति होती है। वे भी समय पड़ने पर कृतज्ञ और सच्चे मित्र सिद्ध होते हैं। यहाँ तक कि हिंसक पशु भी उपकार नहीं भूलते।

योग्यता विस्तार

(1) मानव स्वतन्त्रता और गुलामी प्रथा विषय पर अपनी कक्षा में भाषण प्रतियोगिता रखो।
(2) वन्य जन्तुओं के आचरण और व्यवहार से सम्बन्धित पुस्तकें पढ़ो।
(3) किसी भारतीय अभ्यारण्य में जाकर जन्तुओं का निरीक्षण करो।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ के साथ शेर कैसे रहता था ?
(क) दोस्त
(ख) भाई
(ग) पालतू कुत्ते
(घ) दुश्मन
उत्तर:
(ग) पालतू कुत्ते

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ ने किसे भूनकर खा लिया था ?
(क) हिरन
(ख) साँप
(ग) मेंढ़क
(घ) खरगोश
उत्तर:
(घ) खरगोश

प्रश्न 3.
एण्ड्रोक्लीज़ को कौन-सी सजा सुनाई गई ?
(क) उम्रकैद
(ख) दस साल की
(ग) फाँसी की
(घ) मुर्गा बनने की
उत्तर:
(ग) फाँसी की

प्रश्न 4.
एण्ड्रोक्लीज़ कौन था ?
(क) व्यापारी
(ख) रोम का गुलाम
(ग) क्रांतिकारी
(घ) नौकर शाह
उत्तर:
(ख) रोम का गुलाम

प्रश्न5.
एण्ड्रोक्लीज़ कहाँ का वासी था ?
(क) रोम
(ख) भारत
(ग) इग्लैण्ड
(घ) अमेरिका
उत्तर:
(क) रोम

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ को उसका मालिक ………….. ले गया।
(क) रोम
(ख) अमेरिका
(ग) फ्रांस
(घ) अफ्रीका
उत्तर:
(घ) अफ्रीका

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

प्रश्न 2.
रोम में …………… की प्रथा थी।
(क) व्यापारी
(ख) गुलाम
(ग) बुर्का
(घ) पर्दा
उत्तर:
(ख) गुलाम

प्रश्न 3.
शेर …………… हुआ वहाँ से चला गया।
(क) लंगड़ाता
(ख) चिघाड़ता
(ग) रोता
(घ) हँसता
उत्तर:
(क) लंगड़ाता

प्रश्न 4.
…………….. ने एण्ड्रोक्लीज़ को अपने पास बुलाया।
(क) मालिक
(ख) बादशाह
(ग) जल्लाद
(घ) जेलर
उत्तर:
(ख) बादशाह

प्रश्न 5.
शेर ने एण्ड्रोक्लीज़ के सामने ……….. डाल दिया।
(क) मरा खरगोश
(ख) हिरन
(ग) भालू
(घ) बछड़ा
उत्तर:
(क) मरा खरगोश

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
बर्ताव:
व्यवहार
बर्तन
बर्फ
उत्तर:
व्यवहार

प्रश्न 2.
किस्सा
कविता
कहानी
केश
उत्तर:
कहानी

प्रश्न 3.
निर्वाह
निरवाह
निबाहना
निवरहा
उत्तर:
निबाहना

प्रश्न 4.
उकताना
तंग आना
रंग जाना
हट जाना
उत्तर:
तंग आना

एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Summary

एण्ड्रोक्लीज़ और शेर पाठ का सार

‘एण्ड्रोक्लीज़ और शेर’ कहानी में लेखक ने गुलामी को एक अभिशाप बताते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि किए हुए उपकार का फल अवश्य मिलता है। पशु भी उन पर किए गए अहसान को कभी नहीं भूलते हैं। इस कहानी में रोम में गुलामी की प्रथा का वर्णन किया गया है।

एण्ड्रोक्लीज़ रोम का एक गुलाम था। उसका मालिक उसे रोम से अफ्रीका ले गया। वहाँ उससे खूब काम लिया जाता था, परन्तु एण्ड्रोक्लीज़ को न पहनने को पूरे कपड़े मिलते और न ही पेट भर भोजन। वह मालिक के बर्ताव से बहुत तंग आ चुका था। एक दिन वह घर से भाग निकला। वह अंधेरे में रास्ता भूल गया और भटकते-भटकते पहाड़ की खोह में जाकर लेट गया, जहाँ वह सो गया। एक दिल दहलाने वाली दहाड़ सुन कर वह जाग उठा। उसने देखा कि एक शेर रास्ते रोके खड़ा था। उसने देखा शेर बारबार अपना पंजा चाट रहा था। उसके पंजे से खून बह रहा था। पंजे में एक बड़ा काँटा चुभा हुआ था। एण्ड्रोक्लीज़ ने शेर के पंजे से काँटा निकाल दिया। थोड़ी देर में पंजे से खून बहना बन्द हो गया।

शेर लंगड़ाता हुआ वहाँ से चला गया। थोड़ी देर बाद शेर ने एक मरा हुआ खरगोश लाकर वहाँ डाल दिया। एण्ड्रोक्लीज़ ने खरगोश को भूनकर खा लिया। दोनों दोस्त बनकर खोह में रहने लगे। एण्ड्रोक्लीज़ को वहाँ कई महीने बीत गए। जंगल के जीवन से तंग आकर एक दिन वह वहाँ से चल दिया। कुछ दिनों बाद एण्ड्रोक्लीज़ को सिपाहियों ने पकड़ लिया। उसे कानून के अनुसार मौत की सज़ा सुनाई गई। भूखे शेर को पिंजरे से निकालकर कर दंगल के मैदान में छोड़ दिया गया। एण्ड्रोक्लीज़ को दंगल के मैदान में लाया गया। शेर दहाड़ता हुआ आगे बढ़ा, पर एण्ड्रोक्लीज़ को देखकर एकाएक रुक गया। शेर एण्ड्रोक्लीज़ के सामने पालतू कुत्ते के समान दुम हिलाने लगा। यह वही शेर था जिसके साथ वह खोह में रहा था। उसने शेर की पीठ थपथपाई।

बादशाह ने एण्ड्रोक्लीज़ को अपने पास बुलाया। उसने बादशाह को सारा किस्सा सुनाया। बादशाह सुनकर दंग रह गया। उसने सोचा पशु भी अपने ऊपर किये उपकार को नहीं भूलते। उसने एण्ड्रोक्लीज़ को आज़ाद कर दिया। शेर भी उसे सौंप दिया गया। शेर उसके साथ पालतू कुत्ते की तरह रहता था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 हिम्मती सुमेरा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 हिम्मती सुमेरा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 हिम्मती सुमेरा

Hindi Guide for Class 7 PSEB हिम्मती सुमेरा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

अद्भुत = विचित्र, हैरान करने वाली
ढेर सारी = बहुत अधिक
हिम्मत = साहस
मुश्किल = कठिन
माल = सामान
तय किया = निश्चय किया
चकित = हैरान
एकमात्र = इकलौती, सिर्फ एक
सिलसिला = क्रम
अजीब = विचित्र
मिन्नत = विनती, प्रार्थना
सर्र-से = तेज़ी से
फटकारना = डांटना
परिश्रम = मेहनत
कारोबार = व्यापार

2. इन मुहावरों के अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें:

घुट्टी पिलाना ______________ _________________________
पत्थर की लकीर की तरह जमना ______________ _________________
सिर चकराना __________ __________________
धुन समाना _____________ ___________________
पीठ थपथपाना ________________ ____________________
उत्तर:
घुट्टी पिलाना (सिखाना-समझाना) – रोहित को न मालूम कैसी घुट्टी पिलाई गई थी कि माल की हेराफेरी करने में बड़ों-बड़ों को मात दे देता है।
पत्थर की लकीर की तरह जमना (पक्की तरह जमना) – मनुष्य की बुरी आदतें पत्थर की लकीर की तरह जमकर सारी जिंदगी उसका पीछा नहीं छोड़ती।
सिर चकराना (चक्कर आना) – गणित का प्रश्न-पत्र देखते ही कीमती लाल का सिर चकरा गया।
धुन समाना (लगन लगना) – रश्मि को तो आजकल गाना सीखने की धन समाई हई है।
पीठ थपथपाना (शाबाशी देना) – परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर प्रधानाचार्य ने नकुल की पीठ थपथपाई।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 हिम्मती सुमेरा

3. पर्यायवाची शब्द लिखें:

पिता = ………………….
राजा = ……………….
आदमी = …………………
दुनिया = …………………..
कहानी = ……………..
हिम्मत = …………………
मुसीबत = ………………..
उत्तर:
शब्द पर्यायवाची शब्द
पिता = जनक, तात
राजा = अधिपति, राजन
आदमी = मनुष्य, मानव
दुनिया = संसार, जगत
कहानी = कथा, गल्प
हिम्मत = शक्ति, साहस
मुसीबत = संकट, विपत्ति

4. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें:

सवेरा = ………………..
गरीब = ……………….
उधार = ……………….
इनाम = ……………….
प्यार = ………………..
बेचना = ………………..
रोना = ……………..
न्याय = ………………….
विदा = ………………….
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
सवेरा = सांझ
गरीब = अमीर
उधार = नकद
इनाम = सज़ा
प्यार = नफ़रत
बेचना = खरीदना
रोना = हँसना
न्याय = अन्याय
विदा = स्वागत

5. इन समरूपी भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें:

(1) समान = ………………
सामान = ………………
(2) ओर = ………………….
और = ……………..
(3) दिन = ………………..
दीन = ……………….
(4) उदार = ………………
उधार = ………………
उत्तर:
(1) समान = बराबर-हमें शहीद भगत सिंह के समान देशभक्त बनना चाहिए।
सामान = सामग्री- सीमा सिलाई-कढ़ाई की सामग्री लेने बाज़ार गई है।
(2) ओर – तरफ- आप किस ओर जा रहे हैं?
और = अधिक – राम को थोड़ी और खीर दो।
(3) दिन = दिवस – हमारे विद्यालय में आज शहीदी दिन मनाया गया।
दीन = ग़रीब – कभी भी दीन को नहीं सताना चाहिए।
(4) उदार = दाता – ईश्वर अपने भक्तों पर सदा उदार रहता है।
उधार = कर्ज – कभी भी उधार का मत खाओ।

6. इन वाक्यों में रेखांकित शब्द भाववाचक संज्ञा है या विशेषण

  1. चोरी से बढ़कर कोई पाप दुनिया में नहीं है।
  2. सुमेरा के नन्हें मन में यह बात बैठ गई थी।
  3. सुमेरा हिम्मती बालक था।
  4. ड्राइवर की फटकार का कोई असर नहीं हुआ।
  5. सुमेरा की कहानी काल्पनिक नहीं है।
  6. सुमेरा ने कमेटी वालों को दो रुपए नहीं दिए।

उत्तर:

  1. भाववाचक संज्ञा
  2. विशेषण
  3. भाववाचक संज्ञा
  4. भाववाचक संज्ञा
  5. विशेषण
  6. विशेषण

7. प्रयोगात्मक व्याकरण

(1) सुमेश ने शाम को खाना बनाया।
(2) मैं यहाँ से नहीं हिलूँगा।
(3) वह जोर-जोर से आवाजें लगा रहा था।
(4) उसके लिए इतना ही काफ़ी है।

उपर्युक्त पहले वाक्य में शाम को शब्द क्रिया के काल का बोध करा रहा है। दूसरे वाक्य में यहाँ शब्द क्रिया के स्थान का बोध करा रहा है। तीसरे वाक्य में ज़ोर-ज़ोर शब्द क्रिया होने की रीति (ढंग) का बोध करा रहा है तथा चौथे वाक्य में इतना शब्द क्रिया की मात्रा का बोध करा रहा है। अतः ये सभी शब्द (शाम को, यहाँ, ज़ोर-ज़ोर तथा इतना) क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। अतएव ये शब्द क्रियाविशेषण हैं।
जो शब्द क्रिया की विशेषता को बताते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। क्रिया विशेषण के चार भेद हैं-कालवाचक क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रिया विशेषण, रीतिवाचक क्रिया विशेषण, परिमाणवाचक क्रियाविशेषण।
इस पाठ में क्रियाविशेषण के पहले दो भेदों के बारे में बताया जा रहा है।

(1) वह सवेरे-सवेरे जाकर सब्जी वालों के बीच बैठ गया।
(2) वह शाम को पढ़ने जाता है।

उपर्युक्त वाक्यों में सवेरे-सवेरे तथा शाम को शब्दों से क्रिया के काल की विशेषता का पता चलता है। इसलिए ये कालवाचक क्रियाविशेषण है। अतएव जिन शब्दों से क्रिया के होने के समय का पता चले, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। अन्य कालवाचक क्रिया विशेषण शब्द:- आज, कल, परसों, अब, जब, तब, तभी, पहले, बाद में, आजकल, प्रतिदिन, रात को, पाँच बजे, हर साल, नित्य हमेशा, महीनों, वर्षों, बहुधा, हर घड़ी, सायं, प्रातःकाल।

(1) सब्जी बाज़ार पास ही था।
(2) वह इधर-उधर माल ढोता है।

उपर्युक्त वाक्यों में पास तथा इधर-उधर शब्दों से क्रिया के स्थान की विशेषता का पता चलता है। इसलिए ये स्थानवाचक क्रियाविशेषण है।
अतएव जिन शब्दों से क्रिया के स्थान का पता चले, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
अन्य स्थानवाचक क्रिया विशेषण शब्द:- जहाँ, किधर, जिधर, नीचे, ऊपर, सामने, दाहिने, बाएं, दाएं, उस ओर, अन्यत्र, दूर, चारों तरफ, एक तरफ, आगे, पीछे।

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
सुमेरा कैसा बालक था ?
उत्तर:
सुमेरा एक मामूली-सा गरीब बालक था।

प्रश्न 2.
उसके पिता ने बचपन से ही उसे कैसी घुट्टी पिलायी थी ?
उत्तर:
सुमेरा को उसके पिता ने बचपन से ही सच्चाई और ईमानदारी की घुट्टी पिलायी थी।

प्रश्न 3.
उसके पिता को कौन-सी बीमारी हो गई थी ?
उत्तर:
सुमेरा के पिता को लकवा मार गया था।

प्रश्न 4.
सुमेरा ने किससे रुपए उधार माँगे?
उत्तर:
सुमेरा ने अपने मास्टर जी से रुपए उधार माँगे थे।

प्रश्न 5.
सुमेरा से दो रुपए किसने माँगे ?
उत्तर:
साइकिल पर थैला लटकाए कमेटी के आदमी ने सुमेरा से दो रुपए माँगे थे।

प्रश्न 6.
राजनिवास में कौन रहते थे ?
उत्तर:
राजनिवास में दिल्ली का राजा रहता था।

प्रश्न 7.
राजा साहब ने सुमेरा की हिम्मत को देखकर कितने रुपए दिए ?
उत्तर:
राजा साहब ने सुमेरा की हिम्मत को देखकर उसे दस रुपए इनाम में दिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 हिम्मती सुमेरा

2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
सुमेरा के चरित्र की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • सुमेरा एक मामूली-सा गरीब बालक है।
  • उसे पढ़ने में बहुत रुचि है।
  • वह बहुत हिम्मती, ईमानदार, सच्चा तथा लगन का पक्का बालक है।
  • पिता के लकवा से बीमार हो जाने पर भी वह अपना साहस नहीं छोड़ता तथा फल बेच कर घर का खर्चा चलाता है और अपनी पढ़ाई भी जारी रखता है।
  • अपनी मेहनत के बल पर वह अपने पिता का इलाज करता है, पढ़ाई करते हुए कॉलेज तक जाता है, मकान बनवाता है और दुकान भी बना लेता है।

प्रश्न 2.
उसने अपना और अपने पिता का पेट भरने के लिए क्या काम किया ?
उत्तर:
सुमेरा ने अपना और अपने पिता का पेट भरने के लिए अपने स्कूल के मास्टर जी से तीस रुपए ले कर मंडी से संतरे खरीदे और उन्हें बेच कर छत्तीस रुपए कमाए। इनमें से एक रुपया कर्ज उतारने के लिए रखकर, पाँच रुपए का घर के लिए आटा दाल लाया तथा तीस रुपए अगले दिन फल खरीदकर बेचने के लिए रख दिए।

प्रश्न 3.
दूसरे दिन शाम को कौन-सी अजीब बात हो गई ?
उत्तर:
दूसरे दिन शाम को साइकिल के हैंडल पर थैला लटकाए एक आदमी हर ठेले वाले के पास जाता और इशारों में बात करता और उसके थैले में ठेले वाला कुछ डाल देता। वह साइकिल वाला सुमेरा के पास आकर खड़ा हुआ तो सुमेरा कुछ नहीं समझा। उसके साथ वाले ने उसे थैले में दो रुपए डालने के लिए कहा, पर उसने नहीं डाले क्योंकि वह मुफ्त में उसे कुछ नहीं देना चाहता था।

प्रश्न 4.
वह राजा साहब से मिलने में किस प्रकार सफल हुआ?
उत्तर:
सुमेरा का सामान जब कमेटी वाले उठा कर ले गए तो वह राजा साहब से मिलने गया, पर पहरेदारों ने उसे नहीं मिलने दिया। वह बाहर खड़ा राजा साहब के बाहर आने की प्रतीक्षा करने लगा। वे बड़ी-सी गाड़ी में बाहर निकले और गाड़ी सर्र-से निकल गई। सुमेरा उनसे नहीं मिल पाया। वह वहीं बैठकर उन के लौटने की राह देखने लगा। शाम को उस ने राजा साहब की गाड़ी आती हुई देखी तो सड़क के बीच में दोनों हाथ फैला कर उनकी गाड़ी के सामने खड़ा हो गया तो ड्राइवर ने गाड़ी रोककर उसे डांटा पर वह राजा साहब की खिड़की के पास जाकर अपनी बात कहने लगा तो उन्होंने उसे कोठी के अन्दर आने के लिए कहा। इस प्रकार वह राजा साहब से मिलने में सफल हुआ।

प्रश्न 5.
राजा साहब ने सुमेरा की क्या सहायता की ?
उत्तर:
राजा साहब ने उस की आप बीती सुन कर उसकी हिम्मत की तारीफ़ करते हुए उसे दस रुपए इनाम दिए और अगले दिन आने के लिए कहा। अगले दिन जब वह फिर राजा साहब से मिलने गया तो उन्होंने उसे लाइसेंस दिलवा दिया और साथ में उसे एक सौ रुपए भी दिए, जिस से वह अपना काम शुरू कर सके। उन्होंने उसे एक महीने बाद फिर आकर अपने काम-काज की खबर देने के लिए भी कहा।

प्रश्न 6.
सुमेरा की जगह आप होते तो क्या करते ?
उत्तर:
सुमेरा की जगह यदि मैं होता तो अपने बीमार पिता की सेवा करने के लिए कोई भी काम करता तथा जब समय मिलता अपनी पढ़ाई भी जारी रखता। यदि काम करते हुए मुझे कोई बेईमानी करने अथवा झूठ बोलने के लिए कहता तो मैं उसका विरोध करता और अपने जैसे अन्य साथियों के साथ मिलकर उच्च अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाता जिस से हमारे जैसे बाल श्रमिकों पर अत्याचार न हो सकें।

प्रश्न 7.
यदि सुमेरा के पिता को लकवा न होता तो उसका जीवन कैसा होता ? सोचें और लिखें।
उत्तर:
यदि सुमेरा के पिता जी को लकवा न होता तो सुमेरा को इतना अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ता। सुमेरा पढ़ने में बहुत अच्छा था। उसके अध्यापक भी उसे प्यार करते थे जैसा कि इसी बात से स्पष्ट है कि वह फल बेचने के लिए उधार अपने मास्टर जी से ही लेता है। वह पढ़-लिखकर अच्छी डिग्री प्राप्त कर कहीं अच्छी नौकरी प्राप्त कर लेता। वह अपनी ईमानदारी और सच्चाई के बल पर उन्नति करते हुए साफ-सुथरा प्रशासन देश को देता है।

प्रश्न 8.
कमेटी के लोग इसी प्रकार फड़ी-रेहड़ी वालों से मनमाना टैक्स वसूलते हैं जो कि कमेटी वालों के लिए उचित है परन्तु रेहड़ी वालों के लिए अनुचित, आप ऐसे लोगों के बारे में क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
कमेटी वाले लोगों का इस प्रकार बेईमानी से पैसा वसूल करना कमेटी के लिए नुकसानदेह है क्योंकि यह पैसा कमेटी के खाते में जमा नहीं होता बल्कि ऊपर की काली कमाई होती है, जिससे भ्रष्टाचार फैलता है। फड़ीवालों के लिए भी इस प्रकार रिश्वत देना ठीक नहीं है, उन्हें कमेटी से लाइसेंस लेना चाहिए तथा ऐसे कालाबाज़ारियों की उच्च अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए।

प्रश्न 9.
अपने जीवन में घटित किसी ऐसी घटना का वर्णन करो जब आपने साहस का परिचय दिया हो।
उत्तर:
एक दिन मैं विद्यालय जा रही थी। अचानक मैंने देखा कि एक वृद्ध व्यक्ति सड़क पार कर रहा था और कांप भी रहा था। दूसरी ओर से तेज़ रफ्तार से एक कार आ रही थी और पीछे से एक बैल बेकाबू हो कर दौड़ता आ रहा था। मुझे लगा कि कहीं बाबा जी गिर न पड़ें। मैंने पल-भर सोचा और अपना बस्ता पास में फुटपाथ पर रखकर दौड़कर उन्हें पकड़ कर सड़क के पार ले गई। तभी तेज़ कार से दौड़कर आते हुए बैल की टक्कर हो गई। मैं और बाबा जी बच गए थे पर हम दोनों हाँफ रहे थे।

(ग) आत्म-बोध

साहसी व्यक्तियों की कहानियाँ पढ़ो और उनके गुणों को जीवन में अपनाओ।

PSEB 7th Class Hindi Guide हिम्मती सुमेरा Important Questions and Answers

1 .निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
सुमेरा सफल होकर क्या बना ?
(क) व्यापारी
(ख) अध्यापक
(ग) चित्रकार
(घ) लेखक
उत्तर:
(क) व्यापारी

प्रश्न 2.
सुमेरा कैसा बस्ता लेकर पढ़ने जाता था ?
(क) नया
(ख) पुराना
(ग) महँगा
(घ) स्टाइलिश
उत्तर:
(ख) पुराना

प्रश्न 3.
सुमेरा ने मंडी से क्या खरीदा था ?
(क) संतरे
(ख) अमरूद
(ग) आम
(घ) सेब
उत्तर:
(क) संतरे

प्रश्न 4.
सुमेरा को तीस रुपए किसने दिए थे ?
(क) दोस्त ने
(ख) पड़ोसी ने
(ग) पिता जी ने
(घ) मास्टर जी ने
उत्तर:
(घ) मास्टर जी ने

प्रश्न 5.
राजा साहब ने सुमेरा को कितने रुपए दिए थे ?
(क) दस रुपए
(ख) बीस रुपए
(ग) तीस रुपए
(घ) चालीस रुपए
उत्तर:
(क) दस रुपए

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
सुमेरा की माँ की ………………… हो गई थी।
(क) मृत्यु
(ख) पदोन्नति
(ग) तबादला
(घ) बीमारी
उत्तर:
(क) मृत्यु

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 हिम्मती सुमेरा

प्रश्न 2.
सुमेरा के पिता ………………. पर सामान ढोने का काम करते थे।
(क) रेलवे स्टेशन
(ख) बस अड्डे
(ग) ऑटो स्टैंड
(घ) रिक्शा स्टैंड
उत्तर
(ख) बस अड्डे।

प्रश्न 3.
सुमेरा के पिता ………………… बेहोश रहे।
(क) चार दिन
(ख) पाँच दिन
(ग) दो दिन
(ग) तीन दिन
उत्तर:
(ग) दो दिन

प्रश्न 4.
शाम तक सुमेरा ने ……….. रुपए के संतरे बेच लिए थे।
(क) 36
(ख) 24
(ग) 35
(घ) 39
उत्तर:
(क) 36

प्रश्न 5.
सुमेरा ने दिल्ली के सब्जी बाज़ार में अपनी ………. बना ली।
(क) साइकिल
(ख) दुकान
(ग) मोटर
(घ) क और ग
उत्तर:
(ख) दुकान

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
विषमता:
विषैला
भेदभाव
विषम
उत्तर:
भेदभाव

प्रश्न 2.
कड़ी:
सख्त
नरम
गरम
उत्तर:
सख्त

प्रश्न 3.
लाज:
शेखर
शर्म
लता
उत्तर:
शर्म

प्रश्न 4.
दूनी:
दुगुना
देना द्वारा
उत्तर:
दुगुना

हिम्मती सुमेरा Summary

हिम्मती सुमेरा पाठ का सार

‘हिम्मती सुमेरा’ एक ऐसे गरीब बालक की कहानी है जो अपनी मेहनत और लगन से एक सफल व्यापारी बन गया। सुमेरा पुराने से बस्ते को लेकर पढ़ने स्कूल जाता है। उसकी माँ की मृत्यु हो गई है तथा पिता बस अड्डे पर सामान ढोने का काम करता है। पिता उसे सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलने की शिक्षा देते हैं। एक दिन शाम को सुमेरा घर का काम-काज करने के बाद पढ़ रहा था कि तीन-चार आदमी उसके पिता को उठा कर लाए जो सिर चकराने से बेहोश हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहाँ वे दो दिन बेहोश रहे। बेहोशी टूटने पर पता चला कि उन के दोनों पैरों को लकवा मार गया था। दस वर्षीय सुमेरा समझ नहीं रहा था कि अब क्या करें?

सुमेरा ने दिन में स्कूल, सुबह पिता की सेवा और बाकी समय में सब्जी बेचने का निश्चय किया। उसके पास पैसे नहीं थे। उसने अपनी सारी दशा अपने मास्टर जी को बताई तो उन्होंने उसे तीस रुपए उसकी हिम्मत से खुश होकर इनाम में दिए परन्तु सुमेरा ने इन्हें उधार समझकर लौटाने के लिए कहा। सुमेरा ने मंडी से तीस रुपए के संतरे खरीदे और सवेरे-सवेरे सब्जी वालों के बीच में उन्हें गा-गा कर बेचता रहा। शाम तक उसने छत्तीस रुपए के संतरे बेच लिए तथा बचे हुए चार संतरे वह पिता के खाने के लिए ले आया। अगले दिन फिर उसने यही किया। उसकी बिक्री ठीक हो रही थी कि शाम को साइकिल पर थैला लटकाए कोई वसूला करने आया। पास वाले ने उसे साइकिल वाले के थैले में दो रुपए डालने के लिए कहा पर उसने नहीं डाले। दो दिन बाद कमेटी की गाड़ी आई और उस का सामान उठा कर ले गए क्योंकि उस के पास लाइसेंस नहीं था।

सवेरा होने पर वह दिल्ली के राजा के घर गया पर पहेरदारों ने उसे अन्दर नहीं जाने दिया। वह वही बैठा रहा। राजा बड़ी-सी मोटर में बाहर निकला पर सुमेरा के वहाँ तक पहुँचने से पहले ही गाड़ी वहाँ से निकल गई। सुमेरा वहीं बैठकर राजा के लौटने की प्रतीक्षा करने लगा। शाम को राजा की गाड़ी आते देख वह दोनों हाथ फैलाकर सड़क के बीच में राजा की गाड़ी के सामने खड़ा हो गया। गाड़ी रोककर ड्राइवर ने उसे डाँटा तो वह राजा साहब की खिड़की के सामने कुछ कह कर सुबकने लगा। तब राजा साहब ने उसे कोठी में बुलाकर सब कुछ पूछा और सुमेरा को दस रुपए देकर अगले दिन आने के लिए कहा। अगले दिन राजा साहब ने उसे लाइसेंस और सौ रुपए दिए कि इन से वह अपना काम शुरू करे। सुमेरा ने कठिन परिश्रम से अपना काम बढ़ाया, पिता का इलाज कराया, उन्हें दुकान पर बैठा कर वह पढ़ने जाता। उसने दो कमरों का पक्का मकान और दिल्ली के सब्जी बाज़ार में अपनी दुकान भी बना ली।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran अशुद्ध-शुद्ध

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Ashuddh-Shuddh अशुद्ध-शुद्ध Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar अशुद्ध-शुद्ध

अशुद्ध – शुद्ध
प्रयाप्त – पर्याप्त
आधीन – अधीन
शात्र – छात्र
श्रंगार – श्रृंगार
बहन – बहिन
प्रगट – प्रकट
प्रमात्मा – परमात्मा
प्रमेश्वर – परमेश्वर
पत्नीयों – पत्नियों
जाग्रति – जागृति
श्राप – शाप
परिक्षा – परीक्षा
सूचि – सूची
दुश्ट – दुष्ट

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran अशुद्ध-शुद्ध

शान्ती – शान्ति
पैत्रिक – पैतृक
स्मृद्धि – समृद्धि
स्वयंम्बर – स्वयंवर
कवित्री – कवयित्री
औषधी – औषधि
उज्जवल – उज्ज्वल
परीश्रमी – परिश्रम
नदि – नदी
दुरोपयोग – दुरुपयोग
न्यायधीश – न्यायाधीश
स्वास्थ – स्वास्थ्य
जन्ता – जनता
अनीवार्य – अनिवार्य
अवश्यकता – आवश्यकता
प्रमाणु – परमाणु

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran अशुद्ध-शुद्ध

बुधिमान – बुद्धिमान्
मीठाई – मिठाई
प्रन्तु – परन्तु
शरन – शरण
मिठाईयां – मिठाइयाँ
अनन्द – आनंद/आनन्द
जित – जीत
पैंसल – पेंसिल
कवी – कवि
आश्य – आशय
प्रमान – प्रमाण
आग्या – आज्ञा
दुख – दुःख
परार्थना – प्रार्थना
कृश्ण – कृष्ण
महातमा – महात्मा
प्रतीख्शा – प्रतीक्षा
लक्षमी – लक्ष्मी

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran अशुद्ध-शुद्ध

पंडत – पंडित/पण्डित
मन्दर – मंदिर/मन्दिर
हिरदा – हृदय
सुरेन्द्र – सुरेन्द्र
आमोद-प्रमोद – अमोद-प्रमोद
गुपत – गुप्त
त्यारी – तैयारी
गनेश – गणेश

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Visheshan Rachna विशेषण रचना Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar विशेषण रचना

शब्द – विशेषण
अज्ञान – अज्ञात
अन्तर – आन्तरिक
अपमान – अपमानित
अभिमान – अभिमानी
अवश्य – आवश्यक
अन्त – अन्तिम
आदर – आदरणीय
इच्छ – इच्छुक
इतिहास – ऐतिहासिक
ईर्ष्या – ईर्ष्यालु
ईश्वर – ईश्वरीय
उद्यम – उद्यमी
उदास – उदासी
घर – घरेलू
घना – घनिष्ठ
घाव – घायल

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

चमक – चमकीला,चमकदार
चाचा – चचेरा
चिकित्सा – चिकित्सक
चाह – चाहत, चहेता
जंगल – जंगली
जाति – जातीय
जहर – जहरीला
जागना – जागरूक
जोश – जोशीला
झूठ – झगड़ा
झगड़ा – झगड़ालू
डर – डरावना
तप – तपस्वी
तेज – तेजस्वी
दया – दयालु
दान – दानी
एक – अकेला, एकाकी
ऐश्वर्य – ऐश्वर्यवान्
केन्द्र – केन्द्रीय

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

कथन – कथित
कांटा – कंटीला
काल – कालीन
कोढ़ – कोढ़ी
कुल – कुलीन
कृपा – कृपालु
खोज – खोजी
खेलना – खिलाड़ी
गहराई – गहरा
गाना – गवैया
गाँव – गँवार
ग्राम – ग्रामीण दुधारू दूसरा
दुध – दुधारू
दूस – दूसरा
धन – धनी
नागर – नागरिक
नमक – नमकीन
नुक – नुकीला
निन्दा – निन्दनीय

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

नीचे – नीचा
नाटक – नाटकीय
नील – नीला
नशा – नशीला
पतन – पतित
पर्वत – पर्वतीय
परिश्रम – पारिश्रमिक
परिवार – पारिवारिक
पहरा – पहरेदार
पाप – पापी
पाँच – पाँचवाँ
पिता – पैतृक
पूजा – पुजारी
दिन – दैनिक
द्रोह – द्रोही
देश – देशीय
विदेश – विदेशी
भार – भारी
भारत – भारतीय
भागना – भगोड़ा
भीख – भिखारी
भूख – भूखा
भुल – भुलक्कड़
मधु – मधुर
मास – मासिक
सोना – सुनहरी
संसार – सांसारिक
साँप – सपेरा
सेना – सैनिक
स्वभाव – स्वाभाविक
सुर – सुरीला
विदेश – विदेशी
वन – वन्य
विज्ञान – वैज्ञानिक
विष – विषैला
विरोध – विरोधी

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

विष्णु – वैष्णव
वर्ष – वार्षिक
लोभ – लोभी
लूट – लुटेरा
लाज – लजीला
लज्जा – लज्जालु
लड़ना – लड़ाकु
बर्फ – बर्फीला
पालन – पालक
प्यास – प्यासा
मास – मासिक
मुख – मौखिक
मूल – मौलिक
मूल्य – मूल्यवान्
यश – यशस्वी
रस – रसीला
रक्षा – रक्षक
रंग – रंगीन
सम्मान – सम्मानित
सभा – सभ्य

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण रचना

स्थान – स्थानीय
सन्तोष – सन्तुष्ट
सच्च – सच्चा
समाज – सामाजिक
सप्ताह – साप्ताहिक
सम्बन्ध – सम्बन्धी
स्वर्ग – स्वर्गीय
स्वदेश – स्वदेशी
स्वाद – स्वादिष्ट
लाख – लखपति
श्री – श्रीमान्
श्रद्धा – श्रद्धालु
शरीर – शारीरिक
शीत – शीतल
शक्ति – शाक्त
वन – वनैला
बात – बातूनी
बल – बलवान
बाहर – बाहरी
बुद्धि – बुद्धिमान
बुराई – बुरा
हँसी – हँसोड़
हिंसा – हिंसक
हत्या – हत्यारा

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

Hindi Guide for Class 12 PSEB सुमित्रानन्दन पंत Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘दो लड़के’ कविता के प्रतिपाद्य को अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता कवि की एक प्रगतिवादी रचना है, जिसमे कवि ने मानवतावादी दृष्टिकोण अभिव्यक्त करते हुए मनुष्य को ही ईश्वर मानते हुए उसे धरती पर ही स्वर्ग बसाने के लिए कहा है, जिससे मनुष्य आपस में प्रेम प्यार से रहते हुए अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सके। कोई भेदभाव न रहे, किसी का शोषण न हो, मानवीयता का प्रचार हो।

प्रश्न 2.
‘दो लड़के’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
दो लड़के’ शीर्षक कविता पंत जी की काव्यकृति ‘युगवाणी’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी मानवतावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त किया है। कविता के आरम्भ में कवि ने यथार्थ का चित्रण करते हुए दो निर्धन निम्न जाति के नंग-धडंग किन्तु सुन्दर गठीले शरीर वाले लड़कों का वर्णन किया है बाद में कविं आत्मा की एकान्तिक उपासना को भौतिक शरीर के सामने नगण्य मानता हुआ कहता है कि संसार में रहने का सबसे अधिक अधिकार उसे है जो अधिक दुर्बल है। संसार में रहने के लिए मनुष्य को उपयुक्त साधनों की आवश्यकता है। मनुष्य एक-दूसरे को मानव-सुलभ प्रेमदान देता हुआ धरती पर स्वर्ग स्थापित कर सके।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 3.
‘सुख-दुःख’ में कवि ने सुख और दुःख को क्या-क्या उपमाएँ दी हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने सुख और दुःख को आँख-मिचौनी का खेल कहा है। कवि ने सुख और दुःख को उषा और सन्ध्या, मिलन और विरह, आँसू और हँसी तथा चाँद और बादलों से उपमा दी है।

प्रश्न 4.
‘सुख-दुःख’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दुःख या सुख का निरन्तर रहना भी कष्टकारक होता है। अतः हमें सुख-दुःखों को आपस में बाँट लेना चाहिए ताकि जीवन में सन्तुलन बना रह सके।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
सुन्दर लगती नग्न देह ………….. सच्चे।
उत्तर:
कवि उन दो निर्धन लड़कों की दीन-हीन दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि उन लड़कों का नंगा शरीर सुन्दर लगता है जो व्यक्ति के मन और आँखों को मोह लेता है। मनुष्यता के नाते व्यक्ति के हृदय में अपनापन भर जाता है। ये पासी के बच्चे भी तो मनुष्य के ही बालक हैं। उनका रोम-रोम मनुष्य के सच्चे साँचे में ढला हुआ है।

प्रश्न 6.
यह साँझ उषा का आँगन …….. जीवन का।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यह संसार सन्ध्या और उषा का आँगन है अर्थात् यहाँ सन्ध्या रूपी दुःख भी है तो उषा रूपी सुख भी है। यहाँ विरह और मिलन का मिलाप होता है अर्थात् संसार में लोग मिलते भी हैं और बिछुड़ते भी हैं। इस तरह वे मिलन के सुख और बिछुड़ने के दुःख को झेलते हैं। मनुष्य के जीवन में हँसी भी है और आँसू भी हैं। उसे सुख-दुःख दोनों ही भोगने पड़ते हैं। यही मानव जीवन है।

PSEB 12th Class Hindi Guide सुमित्रानन्दन पंत Additional Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
पंत जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गांव में 21 मई, सन् 1900 ई० में हुआ था।

प्रश्न 2.
पंत जी को ‘चिदंबरा’ पर कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 3.
पंत जी को डी० लिट् की उपाधि किस विश्वविद्यालय ने दी थी?
उत्तर:
कलकत्ता विश्वविद्यालय ने।

प्रश्न 4.
पंत जी का देहांत कब हुआ था?
उत्तर:
सन् 1977 ई० में।

प्रश्न 5.
दो निर्धन बालक प्रायः कहां आ जाते थे?
उत्तर:
लेखक के टीले पर बने घर के आंगन में।

प्रश्न 6.
दोनों बालक कवि को प्रतीत होते थे?
उत्तर:
सांवले रंग की मूर्ति की तरह, साँवले और चुस्त।

प्रश्न 7.
दोनों बालक किसकी तरह किलकारियां मारा करते थे?
उत्तर:
बंदर की तरह।

प्रश्न 8.
उन दोनों बच्चों की लगभग आयु कितनी थी?
उत्तर:
छः सात वर्ष।

प्रश्न 9.
कवि ने समाज में रहने वाले सभी लोगों को कैसा माना है?
उत्तर:
भेदभाव से रहित-पूरी तरह से एक समान।

प्रश्न 10.
कवि जीवन में सदा किसकी खेल-मिचौली देखना चाहता था?
उत्तर:
सुख-दुःख की खेल-मिचौली।

प्रश्न 11.
अधिक सुख और दुःख से यह जंग कैसा लगता है?
उत्तर:
पीड़ित।

प्रश्न 12.
कवि ने इस संसार को किसका आँगन माना है?
उत्तर:
सांझ-उषा का आँगन।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
सुंदर लगती नग्न देह,…………
उत्तर:
मोहती नयन मन।

प्रश्न 14.
जग का अधिकारी है वह,……………….।
उत्तर:
जो है दुर्बलतर।।

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प्रश्न 15.
निष्ठुर है जड़ प्रकृति…………………।
उत्तर:
सहज भंगुर जीवित जन।

प्रश्न 16.
मानव का साम्राज्य बने,………
उत्तर:
मानव-हित निश्चय।।

प्रश्न 17.
जग पीड़ित है अति दुःख से,………….
उत्तर:
जग-पीड़ित रे अति-सुख से।

प्रश्न 18.
दुख-सुख की निशा-दिवा में….
उत्तर:
सोता-जगता जग जीवन।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 19.
‘दो लड़के’ एक प्रगतिवादी कविता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 20.
दो लड़के पल्लव में संकलित है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 21.
कवि जीवन में चिर सुख-चिर दुख चाहता था।
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि पंत का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सुमित्रानंदन पंत।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. हिंदी साहित्य का सर्वप्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार किसको मिला ?
(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) निराला
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) प्रसाद
उत्तर:
(क) सुमित्रानंदन पंत

2. सुमित्रानंदन पंत को भारत सरकार ने किस सम्मान से अलंकृत किया ?
(क) पद्मविभूषण
(ख) पद्मभूषण
(ग) ज्ञानपीठ
(घ) भारत रत्न।
उत्तर:
(ख) पद्मभूषण

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

3. सुमित्रानंदन पंत को किस कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
(क) चिदंबरा
(ख) चितकोबरा
(ग) ऋतंबरा
(घ) ऋतुम्बर
उत्तर:
(क) चिदंबरा

4. कवि ने संसार को किसका आंगन माना है ?
(क) सांझ का
(ख) ऊषा का
(ग) सांझ-ऊषा का
(घ) रात का।
उत्तर:
(ग) सांझ-ऊषा का

5. ‘दो लड़के’ कैसी कविता है ?
(क) प्रगतिवादी
(ख) प्रयोगवादी
(ग) छायावादी
(घ) हालावादी।
उत्तर:
(क) प्रगतिवादी

सुमित्रानन्दन पंत सप्रसंग व्याख्या

दो लड़के कविता का सार

‘दो लड़के’ कविता में कवि ने दो निर्धन नाटे, सांवले, मांसल, नंगे तन, छ:सात साल के लड़कों के फुर्तीलेपन, मामूली-सी वस्तुएं प्राप्त करके भी प्रसन्न हो जाने का वर्णन किया है। उन्हें अपने अभावग्रस्त जीवन में भी आनन्द की अनुभूति होती है, वे इस अभाव से चिन्तित नहीं हैं। कवि के मन में उनके प्रति अपनापन जाग उठता है। वह चाहता है कि ये बालक भी मानव की सन्तान हैं। इसलिए मानव-मात्र में कोई भेदभाव न रहे। मानव का कल्याण हो, शोषण न हो। सब परस्पर प्रेमभाव से रहें। सब की इच्छाएं पूर्ण हों तथा धरती पर ही स्वर्ग बन जाए।

1. मेरे आंगन में, टीले पर है मेरा घर,
दो छोटे-से लड़के आ जाते हैं अक्सर,
नंगे-तन, गदबदे, साँवले, सहज छबीले
मिट्टी के मटमैले पुतले -पर फुर्तीले।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अक्सर = प्रायः । गदबदे = कोमल, भरे हुए शरीर वाले। सहज = स्वाभाविक रूप से। छबीले = सुन्दर, संजीला। पुतला = मूर्ति। फुर्तीला = चुस्त।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश आधुनिक युग के प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा लिखित कविता ‘दो लड़के’ में से लिया गया है। यह कविता कवि की काव्यकृति ‘युगवाणी’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि प्रगतिवादी बन कर समाज के दो असहाय एवं पीड़ित बालकों का चित्रण करते हुए अपने मानवतावादी दृष्टिकोण को व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या:
कवि अपने आँगन में आने वाले दो निर्धन बालकों का चित्रण करते हुए कहता है कि टीले पर बने मेरे घर के आँगन में दो छोटे-से लड़के प्रायः आ जाते हैं। वे शरीर से नंगे होते हैं, किन्तु भरे हुए शरीर वाले, साँवले रंग के स्वाभाविक रूप से सुन्दर दिखते हैं। वे मिट्टी से लथपथ होते हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे कोई मिट्टी की मूर्ति हो परन्तु हैं बड़े ही चुस्त अर्थात् वे हर काम बड़ी चुस्ती-फुर्ती से करते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने अपने आंगन में आकर खेलने वाले दो बालकों का सजीव चित्रण किया है।
  2. भाषा तत्सम, तद्भव, देशज शब्दों से युक्त भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार है।

2. जल्दी से, टीले के नीचे, उधर उतर कर
वे चुन ले जाते कूड़े से निधियाँ सुन्दर
सिगरेट के खाली डिब्बे, पन्नी चमकीली
फीतों के टुकड़े, तस्वीरें नीली पीली
मासिक-पत्रों के कवरों की, और बन्दर से
किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से।
दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल
वे नाटे छ:-सात साल के लड़के मांसल।

कठिन शब्दों के अर्थ:
टीला = छोटी पहाड़ी, ऊँची जगह । निधियाँ = खज़ाने। पन्नी = चमकीला कागज़ जो सिगरेट की डिबिया में होता है! कवर = मुख्य पृष्ठ। किलकारी भरना = खुशी से ऊँची आवाज़ में चीखना। नाटे = छोटे कद के। मांसल = पुष्ट शरीर वाले तगड़े।
प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से लिया गया है। इसमें कवि ने निर्धन वर्ग के दो नंग-धडंग छ:-सात वर्षीय बालकों की अभावों में भी मस्त रहने की दशा का चित्रण करते हुए उनके प्रति मानवीय संवेदना जगाने का प्रयास किया है।

व्याख्या:
अपने घर के आँगन में प्रायः आने वाले दो निर्धन किन्तु सुन्दर लड़कों का वर्णन करता हुआ कवि कहता है कि वे लड़के जल्दी से टीले के नीचे दूसरी तरफ उतर कर कूड़े से अपने लिए खज़ाना समझते हुए कुछ चीजें चुनकर ले जाते थे। जैसे कि सिगरेट के खाली डिब्बे, चमकीली पन्नी, बूटों के फीतों के टुकड़े और मासिक पत्रों के मुख्य पृष्ठों की नीली-पीली रंगीन तस्वीरें। इन चीजों को पाकर वे अन्दर से खुश हो-होकर बन्दरों के समान किलकारियाँ भरते हैं और आँगन को दौड़ कर पार कर आँखों से ओझल हो जाते हैं। वे छोटे कद के पुष्ट शरीर वाले छ: सात साल के लड़के

विशेष:

  1. कवि मानता है कि वे निर्धन बालक छोटी-छोटी चीजें पाकर भी प्रसन्न होते हैं। उन्हें अपनी निर्धनता या अभाव भरे जीवन की कोई चिन्ता नहीं है।
  2. भाषा सहज, तद्भव एवं देशज शब्दों से युक्त चित्रात्मक है।
  3. अनुप्रास तथा उपमा अलंकार हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

3. सुन्दर लगती नग्न देह, मोहती नयन-मन,
मानव के नाते उर में भरता अपनापन।
मानव के बालक हैं ये पासी के बच्चे,
रोम-रोम मानव, साँचे में ढाले सच्चे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पासी = एक जाति। उर = हृदय।

प्रसंग:
यह काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने निर्धन वर्ग के दो नंग-धडंग छ:-सात वर्षीय बालकों की अभावों में भी मस्त रहने की दशा का चित्रण करते हुए उनके प्रति मानवीय संवेदना जगाने का प्रयास किया है।

व्याख्या:
कवि उन दो निर्धन लड़कों की दीन-हीन दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि उन लड़कों का नंगा शरीर सुन्दर लगता है जो व्यक्ति के मन और आँखों को मोह लेता है। मनुष्यता के नाते व्यक्ति के हृदय में अपनापन भर जाता है। ये पासी के बच्चे भी तो मनुष्य के ही बालक हैं। उनका रोम-रोम मनुष्य के सच्चे साँचे में ढला हुआ है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वे दोनों लड़के निम्न और निर्धन जाति के होते हुए भी मानव के बच्चे होने के कारण सुन्दर प्रतीत होते हैं। उन्हें देखकर उसके मन में उनके प्रति अपनापन जागता है। कवि ने इन बालकों की चिन्तामुक्त दशा का वर्णन करते हुए इनके प्रति सद्भाव व्यक्त किया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान परन्तु सरल तथा भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

4. अस्थि-माँस के इन जीवों का ही यह जग घर,
आत्मा का अधिवास न यह, वह सूक्ष्म अनश्वर !
न्योछावर है आत्मा नश्वर रक्त-मॉस पर,
जग का अधिकारी है वह, जो है दुर्बलतर !

कठिन शब्दों के अर्थ:
अस्थि-माँस = हड्डियाँ और माँस। जीव = प्राणी। अधिवास = रहने का स्थान। नश्वर = नाशवान्। दुर्बलतर = अत्यन्त कमज़ोर।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यावतरण सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन नंगधडंग बालकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवि अपने मानवतावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता हुआ कहता है कि यह संसार हाड़ मांस के प्राणियों का ही घर है। यह संसार आत्मा के रहने की जगह नहीं है क्योंकि आत्मा तो सूक्ष्म और न नाश होने वाली अर्थात् अमर है जबकि संसार की प्रत्येक वस्तु तो स्थूल और अनित्य है। कवि कहता है कि इस न नष्ट होने वाली-अमर आत्मा पर यह नाशवान् रक्त माँस का पुतला मानव न्योछावर है तात्पर्य यह है कि इस नाशवान् हाड़-माँस के पुतले मानव के सामने अनश्वर आत्मा क्षुद्र है। इस नाशवान संसार में रहने का वही अधिकारी है जो अत्यन्त कमज़ोर भी है तात्पर्य यह है कि निर्धन, कमज़ोर लोग भी इस संसार में रहने का अधिकार रखते हैं।

विशेष:

  1. कवि आत्मा की एकान्तिक उपासना को भौतिक शरीर के सामने नगण्य मानता है। कवि के लिए पूर्ण मानव ही ईश्वर है।
  2. भाषा सहज, सरल, देशज-तत्सम शब्दों से युक्त भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास अलंकार तथा चित्रमयता है।

5. वह्नि बाढ़, उल्का, झंझा की भीषण भू पर
कैसे रह सकता है कोमल मनुज कलेवर?
निष्ठुर है जड़ प्रकृति, सहज भंगुर जीवित जन,
मानव को चाहिए यहाँ मनुजोचित साधन !

कठिन शब्दों के अर्थ:
वह्नि = आग। उल्का = तारों का टूट कर धरती पर गिरना। झंझा = तूफान। भीषण = भयानक । कलेवर = शरीर। निष्ठुर = निर्दय, कठोर। जड़ = बेजान। सहज भंगुर = आसानी से या स्वाभाविक रूप से नष्ट होने वाला। मनुजोचित = मनुष्य के लिए उचित। साधन = तरीका।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्य-खंड सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन नंगधडंग बालकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवि संसार की भीषणता का उल्लेख करता हुआ मनुष्य को जीने के लिए उचित साधन होने की चर्चा करता हुआ कहता है कि इस संसार में आग का डर है बाढ़ का उत्पीड़न है अर्थात् बाढ़ आकर दु:खी करती है। तारों के टूट कर धरती पर गिरने का भय है। यहाँ इस धरती पर भयंकर तूफान आते रहते हैं फिर भला कोमल शरीर वाला मनुष्य इस धरती पर या इस संसार में कैसे रह सकता है। बेजान प्रकृति भी बड़ी निर्दयी है और जीवन सहज ही नाश हो जाने वाला है। अतः इस संसार में रहने के लिए मनुष्य को उचित साधनों की आवश्यकता है।

विशेष:

  1. परोक्ष रूप में कवि प्रकृति द्वारा भी-आग, बाढ़, उल्कापात और तूफान द्वारा ग़रीबों को सताए जाने की बात कह रहा है और समाज से यह आशा करता है कि वह पिछड़ों और ग़रीबों के लिए भी जीने के उचित साधन जुटाए।
  2. तत्सम प्रधान भाषा में उपदेशात्मकता है।
  3. प्रश्न तथा अनुप्रास अलंकार तथा चित्रात्मकता का गुण है।

6. क्यों न एक हों मानव मानव सभी परस्पर
मानवता निर्माण करें जग में लोकोत्तर ?
जीवन का प्रासाद उठे भू पर गौरवमय,
मानव का साम्राज्य बने, मानव-हित निश्चय।

कठिन शब्दों के अर्थ:
परस्पर = आपस में। लोकोत्तर = अलौकिक । प्रासाद = महल। मानव-हित = मनुष्य की भलाई के लिए।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने दो निर्धन बालकों के चिन्तामुक्त जीवन का चित्रण करते हुए मानव मात्र के परस्पर मिलजुल कर तथा भेदभाव से रहित समाज बनाकर रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि भेदभाव भरे, अमीर-गरीब का भेद रखने वाले इस संसार को बदलने का प्रयत्न करने के लिए कहता है कि क्यों न सभी मनुष्य आपस में मिलकर संसार में एक अलौकिक मानवता का निर्माण करें, जिससे पृथ्वी पर जीवन का गौरवशाली महल खड़ा किया जा सके और मनुष्य की भलाई के लिए मनुष्य का एक साम्राज्य बन जाए।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है कि इस संसार से अमीर-ग़रीब का भेद मिट जाना चाहिए। यह न हो कि एक तो आनन्द से जीवन व्यतीत करे और दूसरा पेट भर रोटी को भी तरसें, इसलिए हमें इस भेदभाव को मिटा कर समता की भावना युक्त संसार का निर्माण करना चाहिए।
  2. तत्सम प्रधान भाषा में प्रवाह तथा भावों का सुन्दर समन्वय है।
  3. अनुप्रास, प्रश्न तथा रूपक अलंकार है।

7. जीवन की क्षण-धूलि रह सके जहाँ सुरक्षित,
रक्त-माँस की इच्छाएँ जन की हों पूरित।
मनुज प्रेम से जहाँ रह सकें-मानव ईश्वर।
और कौन-सा स्वर्ग चाहिए तुझे धरा पर ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
पूरित = पूरी।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यावतरण सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन बालकों के चिन्तामुक्त जीवन का चित्रण करते हुए मानव मात्र के परस्पर मिलजुल कर तथा भेदभाव से रहित समाज बनाकर रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि धरती को ही स्वर्ग बनाने की कामना करते हुए कहता है कि हमें ऐसे संसार का निर्माण करना होगा जहाँ इस क्षणिक जीवन की मिट्टी सुरक्षित रह सके। प्रत्येक मनुष्य की इच्छाएं पूरी हो सकें। मनुष्य एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक रह सके। हे मनुष्य रूपी ईश्वर ! तुझे धरती पर फिर किस दूसरे स्वर्ग की कामना होगी.? मनुष्य का साम्राज्य ही तुम्हारा स्वर्ग होगा अर्थात् जिस प्रकार स्वर्ग में सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, धरती पर भी वे सब प्राप्त होगी तो धरती स्वर्ग कहलाएगी।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है कि मनुष्य मनुष्य से प्रेम करके अपनी सभी इच्छाओं को पूरी कर सकता है तथा धरती को स्वर्ग बना सकता है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।
  3. प्रश्न अलंकार है।

सुख-दुःख कविता का सार

‘सुख-दुःख’ कविता में कवि ने सदा के लिए न सुख चाहा है और न ही दुःख। कवि का मानना है कि सुख-दुःख के मधुर मिलन में ही जीवन की परिपूर्णता है। अत्यधिक सुख अथवा दुःख से लोग परेशान हो जाते हैं। सुख और दुःख का संगम ही उचित है। जैसे रात के बाद दिन अच्छा लगता है, वैसे ही दुःख के बाद सुख में आनन्द आता है। दुःख-सुख तो विरह के बाद मिलन में सुख के समान है। इस कविता में कवि ने सुख-दुःख से सम्बन्धित अपनी दाशनिक मान्यताओं को व्यक्त किया है।

1. मैं नहीं चाहता चिर-सुख,
मैं नहीं चाहता चिर-दुःख,
सुख-दुःख की खेल-मिचौनी,
खोले जीवन अपना मुख।

कठिन शब्दों के अर्थ:
चिर = देर तक रहने वाला। खेल-मिचौनी = आँख मिचौनी का खेल। खोले जीवन अपना मुख = जीवन अग्रसर हो।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश आधुनिक युग के प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पन्त की काव्यकृति ‘गुंजन’ में संकलित ‘सुख-दुःख’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि जीवन में सुख-दुःख की समानता होने की कामना करते हैं क्योंकि निरन्तर दुःख हो या सुख सदा मनुष्य को दुःखी करते हैं।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं यह भी नहीं चाहता कि सुख देर तक मेरे जीवन में बना रहे और मैं यह भी नहीं चाहता दुःख देर तक मेरे जीवन में बना रहे। मैं तो यह चाहता हूँ कि मेरे जीवन में, सुख-दुःख आँख-मिचौनी का खेल । खेलते रहें अर्थात् सुख-दुःख मेरे जीवन में आते जाते रहें इस तरह मेरा जीवन चलता रहे।

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि सुख-दुःख रथ के पहिये के समान हों कभी पहिए का एक भाग ऊपर आ जाए तो कभी दूसरा। सदा सुख या सदा दुःख बना रहने पर जीवन रुक जाएगा। आँख-मिचौनी के खेल में कभी एक छिपता है तो कभी दूसरा। इसी प्रकार जीवन में भी कभी सुख छिप जाए दूर हो जाए तो कभी दुःख। यही जीवन है।
  2. तत्सम प्रधान सहज भाषा का प्रयोग किया गया है।
  3. अनुप्रास अलंकार तथा लाक्षणिकता विद्यमान है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

2. सुख-दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन में ओझल हो शशि
फिर शशि से ओझल हो घन

कठिन शब्दों के अर्थ:
मिलन = संयोग। ओझल होना = छिप जाना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख को समभाव से ग्रहण करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि सुख और दुःख के उचित संयोग से मेरा जीवन पूर्ण हो अर्थात् जीवन में सुख-दुःख आते जाते रहने चाहिए जैसे कभी बादलों में चाँद छिप जाए और कभी बादल चाँद से दूर हो जाएँ।

विशेष:

  1. चाँद सुख का प्रतीक माना जाता है और बादल दुःख के।
  2. भाषा तत्सम प्रधान लाक्षणिक से युक्त है।
  3. अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

3. जग पीड़ित है अति दुःख से,
जग पीड़ित रे अति-सुख से,
मानव-जग में बँट जावें
दुःख सुख से औ, सुख दुःख से।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पीड़ित = दु:खी। अति = अत्यधिक।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख को समभाव से ग्रहण करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि संसार दुःख की अधिकता से भी दु:खी है और सुख की अधिकता से भी दुःखी है अर्थात् मनुष्य निरन्तर दुःख या विपत्तियाँ सहता-सहता भी दुःखी हो जाता है और मनुष्य सुख के निरन्तर बने रहने से भी ऊब जाता है। इसलिए वह चाहता है कि मानव जगत् में दुःख-सुख से और सुख-दुःख से बँट जाएँ अर्थात् दुःखी मनुष्य के दुःखों को सुखी मनुष्य बाँट लें और सुखी मनुष्य के थोड़े सुख दुःखी मनुष्यों में बँट जाएँ। इस तरह जीवन में सुख-दुःख का सन्तुलन बना रहेगा।

विशेष:

  1. कवि ने सुख-दुःख के बराबर बँटवारे की कामना की है। सुखी व्यक्ति दुःखियों के दुःख को दूर करें।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।
  3. कवि ने सुख-दुःख को समभाव से स्वीकार करने पर बल दिया है।

4. अविरत दुःख है उत्पीड़न
अविरत सुख भी उत्पीड़न
सुख-दुःख की निशा-दिवा में
सोता-जगता जग-जीवन।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अविरत = निरन्तर, लगातार। उत्पीड़न = दुःख का कारण। दिवा = दिन।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता सुख-दुःख से लगी गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख . में समन्वय पर बल दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि निरन्तर दुःख भी दुःख का कारण बनता है अर्थात् मनुष्य को व्यथित कर देता है और निरन्तर सुख भी दुःख पैदा करने का कारण बनता है अर्थात् लगातार सुख सहते-सहते या भोगते-भोगते मनुष्य उदासीन हो जाता है। इसलिए चाहिए तो यह है कि दुःख-सुख रूपी रात-दिन में मनुष्य जीवन सोता-जागता रहे। क्योंकि लगातार दुःख सहते-सहते मनुष्य व्याकुल हो जाता है और सुख के दिनों में वह उत्सव और उल्लास मनाता है।

विशेष:

  1. मानव जीवन सुख-दुःख का ही मिश्रण है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान लाक्षणिक है।
  3. अनुप्रास, रूपक तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

5. यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का,
चिर हास-अश्रुमय आनन ।
रे इस मानव-जीवन का।

कठिन शब्दों के अर्थ:
आलिंगन = मिलाप। विरह = जुदाई, बिछुड़ना। आनन = चेहरा, मुख। ..

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख में समन्वय पर बल दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि यह संसार सन्ध्या और उषा का आँगन है अर्थात् यहाँ सन्ध्या रूपी दुःख भी है तो उषा रूपी सुख भी है। यहाँ विरह और मिलन का मिलाप होता है अर्थात् संसार में लोग मिलते भी हैं और बिछुड़ते भी हैं। इस तरह वे मिलन के सुख और बिछुड़ने के दुःख को झेलते हैं। मनुष्य के जीवन में हँसी भी है और आँसू भी हैं। उसे सुख-दुःख दोनों ही भोगने पड़ते हैं। यही मानव जीवन है।

विशेष:

  1. कवि ने सुख-दुःख के समन्वय पर बल दिया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान एवं लाक्षणिक है।
  3. रूपक और मानवीकरण अलंकार हैं।

सुमित्रानन्दन पंत Summary

सुमित्रानन्दन पंत जीवन परिचय

सुमित्रानन्दन पन्त जी का जीवन परिचय दीजिए ।

सुमित्रानन्दन पन्त जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में 21 मई, सन् 1900 ई० को हुआ। इनके पिता का नाम पंडित गंगादत्त तथा माता का नाम सरस्वती था। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा तथा बनारस में प्राप्त की थी तथा उच्च शिक्षा के लिए प्रयाग के म्योर सैंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया, किन्तु महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड़ दी और साहित्य साधना करने लगे। इन्होंने आकाशवाणी, इलाहाबाद में भी कार्य किया था। इन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से, कलकत्ता विश्वविद्यलय ने डी० लिट् से, साहित्य अकादमी ने ‘कला और बूढ़ा चाँद’ पर सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार तथा भारतीय ज्ञानपीठ ने ‘चिदम्बरा’ पर सम्मानित किया था। सन् 1977 में इनका देहान्त हो गया था। इन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियां, निबन्ध आदि सभी लिखे हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ वीणा, पल्लव, गुंजन, युगान्त, ग्राम्या, लोकायतन, चिदंबरा, कला और बूढ़ा चांद हैं।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया की परिभाषा लिखकर कर्म के आधार पर क्रिया के भेद लिखो।
अथवा
क्रिया की परिभाषा सोदाहरण दें।
अथवा
क्रिया किसे कहते हैं ? कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जिस शब्द के द्वारा किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे-
(i) भगवान् की पूजा करो।
(ii) कृष्ण राधा को देखता है,
(iii) किसान बैल को हाँकता है,
(iv) पानी बहता है।
इन वाक्यों में पूजा करना, देखना, हाँकना तथा बहना क्रियाएँ हैं कि क्योंकि इनसे कार्य करने या होने का बोध होता है।

कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं-
1. अकर्मक :
जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्ता पर ही पड़े (कर्म न हो) अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-कृष्ण रोता है। मोहन भागता है।

2. सकर्मक :
जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्ता को छोड़ कर कर्म पर ही पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-श्याम पुस्तक पढ़ता है। मोहन पेंसिल देता है।

सकर्मक क्रिया के भेद :
(i) एककर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का एक कर्म होता है, वे एककर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-शोभा फूल तोड़ती है। सतीश पुस्तक पढ़ता है। ‘फूल’ तथा ‘पुस्तक’ इन वाक्यों में कर्म हैं।
(ii) द्विकर्मक क्रियाएँ-कुछ सकर्मक क्रियाएँ ऐसी होती हैं जिनमें दो कर्म आ जाते है, उन्हें द्विकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे-राम मुझे पुस्तक देता है। ‘मुझे’ तथा ‘पुस्तक’ दोनों ही वाक्य में कर्म हैं। अतः ‘उक्त वाक्य में’ द्विकमर्क क्रिया है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 2.
रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद लिखो।
उत्तर:
रचना की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित भेद हैं
1. सामान्य क्रिया : जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग किया जाए वह सामान्य क्रिया कहलाती है; जैसे-अनिल आया। सोहन ने पढ़ा। मैंने खाया।
2. संयुक्त क्रिया : दो या दो से अधिक धातुओं से मिलकर बनने वाली क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-लिखना चाहता है, पढ़ सकता है, जा सकता है।
3. नामधातु क्रिया : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण से बनने वाली क्रियाओं को नाम धातु क्रिया कहते हैं; जैसे-हथियाना, बतियाना, लतियाना आदि।
4. प्रेरणार्थक क्रिया : जो क्रिया या कर्ता स्वयं क्रिया न करके किसी अन्य को क्रिया करने की प्रेरणा देता है, उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसे-सुनाना, लिखाना, पढ़ाना, कराना।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ
मूल धातु
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5. पूर्वकालिक क्रिया : जब कोई क्रिया मुख्य क्रिया से पूर्व ही समाप्त हो जाए तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं; जैसे-सीता खाना खा कर स्कूल जाएगी। यहाँ पर ‘जाएगी’ मुख्य क्रिया है और ‘खा कर’ पूर्वकालिक क्रिया है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित क्रियाओं में से सकर्मक और अकर्मक क्रियाएँ छाँट कर लिखो

प्रश्न 1.
तोड़ना, रोना, मरना, मारना, उबालना, लड़ना, गिरना।
उत्तर:
अकर्मक – तोड़ना, मारना, उबालना।
सकर्मक – रोना, मरना, लड़ना, गिरना।

2. नीचे लिखे वाक्यों में जो क्रियाएँ हैं, उन्हें छाँट कर लिखो

प्रश्न 1.
(क) राम ने पत्र लिखा।
(ख) मोहन अपनी जगह से उठ बैठा।
(ग) रमा पुस्तक पढ़ रही है।
(घ) वह देखो, चन्द्रमा निकल आया।
उत्तर:
(क) लिखा
(ख) उठ बैठा
(ग) पढ़ रही है
(घ) देखो, निकल आया।

3. निम्नलिखित शब्दों के नाम धातु रूप को वाक्यों में प्रयोग करें-

हाथ, बात, दुःख, आप, शर्म।
उत्तर:
1. हाथ = हथियाना – उसने मेरी पुस्तक हथिया ली।
2. बात = बतियाना – शिमला आने से पूर्व मुझे बतिया देना।
3. दुःख = दुखाना – कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
4. आप = अपनाना – सदा सद्गुणों को अपनाना चाहिए।
5. शर्म = शर्माना – पेट भर कर खाओ, शर्माओ मत।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
क्रिया के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

प्रश्न 2.
क्रियापद चुन कर लिखें
(क) राम
(ख) ने
(ग) पत्र
(घ) लिखा।
उत्तर:
लिखा।

प्रश्न 3.
श्याम पुस्तक पढ़ता है-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) अकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) द्विकर्मक
(घ) प्रेरणार्थक।
उत्तर:
सकर्मक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 4.
पूजा सोती है-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) अकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) द्विकर्मक
(घ) प्रेरणार्थक।
उत्तर:
अकर्मक।

प्रश्न 5.
पूनम ने आद्या को हलवा दिया-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) सकर्मक
(ख) प्रेरणार्थक
(ग) द्विकर्मक
(घ) अकर्मक।
उत्तर:
द्विकर्मक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Visheshan विशेषण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं ? विशेषण के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करे, विशेषण कहलाता है; जैसे-वीर पुरुष। इसमें वीर शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है। विशेषण के चार भेद हैं
(1) गुणवाचक
(2) परिमाणवाचक
(3) संख्यावाचक
(4) निर्देशक या सार्वनामिक।
1. गुणवाचक : जो शब्द किसी पदार्थ के गुण, दोष, आकार, रंग, अवस्था, समय आदि का बोध कराए, उसे ‘गुणवाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-भला मनुष्य, काला घोड़ा, निचला कमरा।

2. परिमाणवाचक :
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की माप या तोल सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-दो मीटर कपड़ा, चार किलो मिठाई। इसके दो भेद हैं
(i) निश्चित परिमाणवाचक-जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध हो; जैसे-दो क्विटल, चार लिटर।
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक-जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध न हो; जैसे-कुछ दूध, थोड़ा घी, बहुत मिठाई।

3. संख्यावाचक :
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या (गिनती) का ज्ञान कराए, उसे ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-एक पुस्तक, दस लड़के। इसके भी दो भेद निम्नलिखित हैं
(i) निश्चित संख्यावाचक-जो निश्चित संख्या का ज्ञान कराए; जैसे-पाँच लड़कियाँ, दुगुना बोझ।
(ii) अनिश्चित संख्यावाचक-जो निश्चित संख्या का बोध न कराए; जैसे-सभी छात्र, कुछ लोग, कई दिन।

4. निर्देशन या सार्वनामिक :
जो सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत या निर्देश के रूप में आता है, वह विशेषण बन जाता है; जैसे-यह घोड़ा, वह पुस्तक। निर्देशक विशेषण को निर्देशवाचक, संकेतवाचक, सांकेतिक और सार्वनामिक विशेषण भी कहा जाता है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 2.
विशेषण और विशेष्य किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विशेषण जिस शब्द की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द को कहते हैं।
जैसे-मुर्ख लड़का’ में मुर्ख विशेषण है तथा लड़का विशेष्य।

प्रश्न 3.
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं परन्तु यदि वाक्य में वे किसी संज्ञा से पहले प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हैं तो वे सर्वनाम न रह कर विशेषण बन जाते हैं; जैसे-यह चुप बैठा है। वह रोटी खाता है। (यह, वहसर्वनाम)। ये कपड़े मेरे हैं। वह पुस्तक किसकी है ? (ये, यह–सार्वनामिक विशेषण)।

प्रश्न 4.
विशेषणों की तुलना से क्या अभिप्राय है ? तुलना की दृष्टि से विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं ?
उत्तर-संज्ञाओं के गुण-दोषों की न्यूनता-अधिकता का बोध कराए जाने को विशेषण की तुलना कहा जाता है। तुलना के विचार से विशेषण की तीन अवस्थाएँ हैं
(1) मूलावस्था
(2) उत्तरावस्था
(3) उत्तमावस्था।

1. मूलावस्था : इसमें विशेष्य की किसी से तुलना नहीं की जाती; जैसे–मोहन सुन्दर
2. उत्तरावस्था : इसमें दो पदार्थों की तुलना की जाती है और एक की अधिकता या न्यूनता दिखाई जाती है; जैसे-राम श्याम से अधिक चतुर है।
3. उत्तमावस्था : इसमें एक की तुलना दो से अधिक वस्तुओं से की जाती है और इसे सबसे ऊँचा या सबसे नीचा दर्शाया जाता है; जैसे-राम अपनी श्रेणी में सबसे चतुर है।

आवश्यक जानकारी :
विशेषण की पहली अवस्था (मूलावस्था) में विशेषण शब्द के साथ कोई प्रत्यय नहीं लगता जबकि उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ प्रत्यय लगते हैं। कुछ उदाहरण-
मूलावस्था – उत्तरावस्था – उत्तमावस्था
योग्य – योग्यतर – योग्यतम
प्रिय – प्रियतर – प्रियतम
अधिक – अधिकतर – अधिकतम
निकट – निकटतर – निकटतम

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 5.
परिमाण वाचक विशेषण किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर:
परिमाण वाचक विशेषण-जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की मापतोल सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करे उन्हें परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-दो मीटर कपड़ा, चार किलो मिठाई। इसके दो भेद हैं
(1) निश्चित परिमाण वाचक।
(2) अनिश्चित परिमाण वाचक।

प्रश्न 6.
सार्वनामिक विशेषण किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर:
सार्वनामिक विशेषण-जो सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत या निर्देश के रूप में आता है, वह विशेषण बन जाता है; जैसे-यह घोड़ा, वह पुस्तक। इनमें ‘यह’ और ‘वह’ सार्वनामिक विशेषण है।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों में से सार्वनामिक विशेषण छाँटिए

प्रश्न 1.
(क) वे विद्यार्थी लगातार परिश्रम करते हैं।
(ख) यह भारत का सर्वप्रिय फल है।
(ग) वह बच्चा खेल रहा है।
उत्तर:
(क) वे
(घ) यह
(ग) वह।

2. नीचे लिखे वाक्यों में से विशेषण चुनिए

प्रश्न 1.
(1) काला घोड़ा सबसे आगे निकल गया।
(2) मनोहर के घर सफ़ेद गाय है।
(3) वीर पुरुष किसी से नहीं डरता।
(4) पर्वत से भारी चट्टान नीचे जा गिरी।
(5) हमेशा बुरे लोगों से दूर रहो।
(6) हमें अब पता चला कि हममें क्या कमी है ?
(7) वह विकराल डाकू सामने आ खड़ा हुआ।
(8) उसका भाई बहुत निपुण है।
उत्तर:
(1) काला
(2) सफ़ेद
(3) वीर
(4) भारी
(5) बुरे
(6) कमी
(7) विकराल
(8) निपुण।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

3. नीचे लिखे सन्दर्भ में से विशेषण छांटो

प्रश्न 1.
सहसा उन्हें किसी की कठोर आवाज़ सुनाई दी-“ठहरो”। वृद्ध ने रुक कर और पीछे मुड़कर देखा तो जंगल की झाड़ियाँ चीरता हुआ वह विकराल डाकू सामने आ खड़ा हुआ। ऊँचा कद, काला शरीर, विकराल चेहरा, लाल आँखें, उठे हुए केश, बड़ी-बड़ी मूंछे और हाथ में तेज़ कटार। निश्चय ही वह मनुष्य नहीं दैत्य दिखाई देता था।
उत्तर:
कठोर, विकराल, ऊँचा, काला, लाल, बड़ी-बड़ी तेज़।

4. नीचे दिए गए कोष्ठक में से उपयुक्त विशेषण शब्द चुनकर रिक्त स्थानों में भरो

प्रश्न 1.
(उत्साही, क्रूर, हज़ारों, धर्म के रक्षक, विरक्त, निर्भीक) ।
मालाधारी………….. व्यक्ति भी तलवार उठा लेता है। खालसा धर्म के प्रवर्तक तथा ………… गुरु गोबिन्द सिंह जी ने बन्दा बैरागी को तत्कालीन………….. मुग़ल सरकार से …………. बेगुनाहों के खून का बदला लेने के लिए आशीर्वाद देकर भेजा। वह बचपन से ही …………. और …………… प्रकृति का था।
उत्तर:
विरक्त, धर्म के रक्षक, क्रूर, हज़ारों, उत्साही, निर्भीक।

5. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण अलग-अलग करें

प्रश्न 1.
कर्तव्य, हम, अधिकार, वे, वृद्ध, अचल।
उत्तर:
संज्ञा – कर्त्तव्य, अधिकार, वृद्ध।
सर्वनाम – हम, वे।
विशेषण – अचल।

6. नीचे लिखे गद्यांश में से संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्द चुनो

प्रश्न 1.
महापुरुषों के जीवन के आलोक में जब हम अपने आपको पढ़ते हैं तब हमें पता चलता है कि हम में क्या कमी है, हमारी कमजोरियाँ क्या हैं, हमारा जीवन इतना आलोकहीन क्यों है ? हम इस सत्य से परिचित होते हैं कि हमारे अन्दर भी उतनी ही शक्ति छिपी है, जितनी कि महापुरुषों के पास थी।
उत्तर:
संज्ञाएँ-महापुरुषों, शक्ति, जीवन, सत्य। सर्वनाम-हम, अपने। विशेषण-कमी, आलोकहीन।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
विशेषण के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
चार।

प्रश्न 2.
विशेषण छाँट कर लिखें
(क) काला
(ख) घोड़ा
(ग) भाग
(घ) गया।
उत्तर:
काला।

प्रश्न 3.
‘इतिहास’ शब्द का विशेषण क्या है ?
(क) इतिहासिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) इतिहासता
(घ) ऐतिहासिकता।
उत्तर:
ऐतिहासिक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 4.
‘साहसी’ का विशेषण नहीं है
(क) साहसिक
(ख) साहस
उत्तर:
साहस।

प्रश्न 5.
चार किलो दूध लाना में रेखांकित विशेषण है
(क) संख्यावाचक
(ख) गुणवाचक
(ग) परिमाणवाचक
(घ) सार्वनाम वाचक।
उत्तर:
परिमाणवाचक।