PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के लिए बिब बनाना

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical बच्चों के लिए बिब बनाना Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के लिए बिब बनाना

आय-जन्म से एक वर्ष तक माप-छाती = 18”
कागज़ का नाप (पहले कागज़ को| दोहरा कर लें)
बिब की चौड़ाई = छाती का 1/6 + 1/36 = 3 1/2″
बिब की चौड़ाई = छाती

  • का \(7 \frac{1}{2}\),
  • उ अ = इ स \(3 \frac{1}{2}\)
  • उ इ = अ स = \(7 \frac{1}{2}\)
  • उ ग = उ च = \(\frac{1}{2}\)
  • ग ह = ह ख = \(1 \frac{1}{2}\)
  • ह क = \(\frac{1}{12}\)
  • छाती = \(1 \frac{1}{2}\)“

PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के लिए बिब बनाना 1
चित्र 5.1
ग, च को सीधी लाइन से मिलाते हैं। प, घ, इ को गोलाई से मिलाते हैं। इसी तरह ख, क तथा ग को गोलाई से मिलाते हैं। बिब को ग, च, घ, इ. ख, क, ग लाइनों पर काट लेते हैं।

सिलाई-सभी ओर बारीक-बारीक मोड़कर तुरपाई कर लेते हैं। \(\frac{1}{2}\) चौड़ी लेस सब किनारों पर रन एण्ड टाँके से लगाते हैं। बिब के साथ का वस्त्र लेकर \(\frac{3}{8}\) चौड़ी तथा 6” लम्बी दो तनियाँ (डोरे) बनाकर बाद में लगा देते हैं।
कपड़ा-25 × 25 सेंटीमीटर, तौलिए वाला कपड़ा या 25 × 50 सेंटीमीटर पापलीन।

नोट-यदि पापलीन इस्तेमाल में लाई जाए तो दो बिब कटते हैं, सब ओर \(\frac{1}{4}\) सिलाई का हक रखो तथा दोनों भागों को मिलाकर अन्दर की सिलाई करते हैं। सीधा करके लेस लगाते हैं।

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PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

Punjab State Board PSEB 6th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 खादें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Agriculture Chapter 5 खादें

PSEB 6th Class Agriculture Guide खादें Textbook Questions and Answers

(क) इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 1.
पौधे को फलने-फूलने और अपना भोजन तैयार करने के लिए कितने प्रकार के पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
17 पोषक तत्त्वों की।

प्रश्न 2.
खादों को मुख्यतः कौन-कौन से भागों में विभाजित किया जा सकता
उत्तर-
प्राकृतिक खाद, रासायनिक खाद।

प्रश्न 3.
कौन-सी फसलें वायुमण्डल से नाइट्रोजन लेकर अपनी जड़ों में जमा करती हैं ?
उत्तर-
फलीदार फसलें जैसे मटर, दालें, सोयाबीन आदि।

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प्रश्न 4.
नाइट्रोजन खाद के अधिक प्रयोग से भूमि में कौन-सा मादा बढ़ जाता
उत्तर-
खारा मादा।

प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत नाइट्रोजन गैस के रूप में वायुमण्डल में पाई जाती है ?
उत्तर-
78 प्रतिशत।

प्रश्न 6.
100 किलोग्राम डाईअमोनियम फास्फेट खाद में कितने किलोग्राम फास्फोरस होता है ?
उत्तर-
46 किलोग्राम।

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प्रश्न 7.
फास्फोरस तत्त्व कौन-सी खाद में मिलता है ?
उत्तर-
सिंगल सुपरफास्फेट तथा डी० ए० पी० ।

प्रश्न 8.
रूड़ी की 100 किलो खाद में कौन-से तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस।

प्रश्न 9.
पोटॉश तत्त्व विशेषकर कौन-सी फसल के लिए प्रयुक्त किया जाता है ?
उत्तर-
यह तत्त्व विशेषतः आलू की फसल के लिए प्रयोग होता है।

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प्रश्न 10.
100 किलोग्राम यूरिया में कितने किलोग्राम नाइट्रोजन तत्त्व होता है ?
उत्तर-
46 किलोग्राम।

(ख) इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए –

प्रश्न 1.
प्राकृतिक खादें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ये खादें फसलों के अवशेषों तथा जीव-जन्तुओं के व्यर्थ पदार्थों से बनती हैं। रूड़ी खाद, हरी खाद आदि इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
हरी खाद किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी फलीदार फसल जैसे–चा को खेत में उगाकर तथा जब यह हरी होती है खेत में ही जोत दिया जाता है, इसे हरी खाद कहा जाता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 3.
प्राकृतिक खादें किस प्रकार भूमि की उपजाऊ शक्ति को कायम रखती
उत्तर-
ये खादें भूमि में मिट्टी के कणों की जुड़ने की शक्ति तथा भूमि के पानी को सम्भालने की सामर्थ्या को बढ़ाती है। मिट्टी में जैविक मादा भी बढ़ता है तथा उपजाऊ शक्ति बनी रहती है।

प्रश्न 4.
कौन-सी मुख्य रासायनिक खादों का प्रयोग अधिक किया जाता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन वाली, फास्फोरस वाली तथा पोटाश वाली खादें।

प्रश्न 5.
यूरिया खाद कैसे बनाई जाती है ?
उत्तर-
हवा में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस रूप में होती है, इससे ही यूरिया खाद बनाई जाती है।

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प्रश्न 6.
फॉस्फोरस तत्त्व कहाँ से लाया जाता है ?
उत्तर-
यह तत्व फॉस्फोरस वाली खादें जैसे डी० ए० पी० से मिलता है तथा ये खादें एक फास्फेट नाम के खनिज पदार्थ से बनती हैं।

प्रश्न 7.
रूड़ी की खाद कौन-सी भूमि के लिए लाभदायक है ?
उत्तर-
रूड़ी खाद सभी प्रकार की भूमियों के लिए लाभदायक है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और अनेक अहारीय तत्व भी होते हैं और यह ज़मीन के भौतिक गुणों पर भी अच्छा प्रभाव डालती है।

प्रश्न 8.
नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन की कमी के कारण सबसे पहले पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, फिर यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है तथा धीरे-धीरे सारा पौधा पीला हो जाता है।

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प्रश्न 9.
रासायनिक खादें फसलों के लिए कैसे लाभदायक होती हैं ?
उत्तर-
रासायनिक खादों का प्रयोग पौधों के पोषक तत्त्वों की पूर्ति के लिए किया जाता है, मिट्टी में जिन पोषक तत्त्वों की कमी हो जाए उन तत्त्वों वाली रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है। यह खादें पानी में घुलनशील हैं तथा पौधों को पोषक तत्वों की प्राप्ति जल्दी हो जाती है।

प्रश्न 10.
केंचुआ खाद कैसे बनती है ?
उत्तर-
पौधों के अवशेष तथा गोबर को एक स्थान पर इकट्ठा करके इसमें केंचुए छोड़ दिए जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद केंचुआ खाद प्राप्त हो जाती है।

(ग) इन प्रश्नों के उत्तर पाँच या छः वाक्यों में दीजिए-

प्रश्न 1.
खादों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पौधे बढ़ने-फूलने के लिए अपनी आवश्यकताओं को भूमि में से पूरा करते हैं। ये अपनी आवश्यकताओं वाले 17 से भी अधिक भिन्न-भिन्न प्रकार के पोषक तत्वों को भूमि से प्राप्त करते हैं। ऐसे तत्त्व जो पौधों को बढ़ने-फूलने तथा भोजन तैयार करने के लिए चाहिए तथा इनकी पूर्ति बनावटी रूप से बाहर से की जाती है, को खाद कहा जाता है।
खादों को प्राकृतिक रूप से तथा कारखानों में रासायनिक खादों के रूप में तैयार किया जाता है। उदाहरण-रूड़ी खाद, यूरिया खाद।

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प्रश्न 2.
रासायनिक खादें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रासायनिक खादें पौधों के लिए पोषक तत्त्व प्रदान करती हैं तथा इनको कारखानों में तैयार किया जाता है। मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश वाली खादों की अधिक आवश्यकता पड़ती है। ये तत्त्व यूरिया, डी० ए० पी०, एन० पी० के०, म्यूरेट ऑफ पोटाश आदि खादों से प्राप्त होते हैं। प्राय: यह रासायनिक खादें पानी में घुलनशील होती हैं तथा इसलिए पौधों को सरलता से उपलब्ध हो जाती हैं। हरित क्रांति के बाद इन खादों की मांग बहुत बढ़ गई है।

प्रश्न 3.
रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
रासायनिक खादों की सहायता से जहां उपज में वृद्धि हुई है वहीं इनके प्रयोग से हानिकारक प्रभाव भी हुए हैं। इनका प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद आवश्यकतानुसार तथा केवल कमी वाले तत्त्वों वाली खादों का ही प्रयोग करना चाहिए। यदि खादों का अनावश्यक तथा नादानीपूर्ण ढंग से प्रयोग किया जाएगा तो ये हानिकारक सिद्ध होंगी।

नाइट्रोजन वाली खादों के अधिक प्रयोग से भूमि में खारा मादा बढ़ जाता है। ये खादें पानी में घुलनशील होने के कारण पानी में घुलकर धरती के पानी को भी प्रदूषित करती हैं।

इनके अनावश्यक प्रयोग से पैसे की बर्बादी होती है। फसलों में ये तत्त्व बढ़ जाते हैं तथा मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

प्रश्न 4.
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कायम रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
मिट्टी की भूमि का फसल उगाने में बहुत महत्त्वपूर्ण तथा सबसे अधिक है। यदि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अधिक होगी तो ही फसल बढ़िया होगी तथा उपज भी अधिक मिलेगी। एक खेत में बार-बार एक ही प्रकार की फसलें प्राप्त करने से इसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इस की उपजाऊ शक्ति कायम रखने के लिए खेत में फसल चक्र बदलते रहना चाहिए। खेत में मल्लड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए रूड़ी खाद, केंचुआ खाद आदि का प्रयोग करना चाहिए। रासायनिक खादों का प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद तत्त्वों की कमी के अनुसार आवश्यक मात्रा में करना चाहिए। रासायनिक तथा प्राकृतिक खादों का संतुलन बना कर रखना चाहिए।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 5.
रूड़ी की खाद की उपयोगिता बताइए।
उत्तर-
पशुओं के गोबर, पेशाब तथा पराली आदि को तकनीकी ढंग से सम्भाल कर गलने-सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। जब यह अच्छी तरह गल-सड़ जाता है तो इस को रूड़ी खाद कहा जाता है। रूड़ी खाद खेतों में जैविक मादे में वृद्धि करती है तथा इस में वे सारे आवश्यक तत्त्व होते हैं जोकि किसी फसल के लिए आवश्यक होते हैं। इसके प्रयोग से भूमि के भौतिक गुणों में अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। 100 किलो रूड़ी खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस तत्त्व होता है तथा पोटॉश तत्त्व तथा अन्य आवश्यक तत्त्व भी होते हैं।

Agriculture Guide for Class 6 PSEB खादें Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी जैविक खाद की उदाहरण दें।
उत्तर-
रूड़ी खाद।

प्रश्न 2.
रूड़ी खाद के 100 किलोग्राम में कितनी नाइट्रोजन होती है ?
उत्तर-
1 किलो यूरिया के बराबर ।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 3.
रूड़ी खाद के 100 किलोग्राम में कितनी फास्फोरस होती है ?
उत्तर-
1.5 किलोग्राम सुपरफॉस्फेट के बराबर।

प्रश्न 4.
जंतर की फसल को खेत में जोतने को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
हरी खाद।

प्रश्न 5.
पोटाश तत्त्व की प्राप्ति के लिए कौन-सी रासायनिक खाद प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
म्यूरेट ऑफ पोटाश।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 6.
म्यूरेट ऑफ पोटाश में कितना पोटाश तत्त्व होता है ?
उत्तर-
60 प्रतिशत।

प्रश्न 7.
पंजाब में कितनी ज़मीनों में पोटाश तत्त्व की कमी है ?
उत्तर-
केवल 5-10 प्रतिशत भूमि में।

प्रश्न 8.
डी० ए० पी० का पूरा नाम बताओ।
उत्तर-
डायअमोनियम फास्फेट।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 9.
सिंगल सुपरफास्फेट में कितना फास्फोरस तत्त्व होता है ?
उत्तर-
16 प्रतिशत।

प्रश्न 10.
डी० ए० पी० में कितना फास्फोरस तत्त्व होता है ?
उत्तर-
46 प्रतिशत।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खादों का प्रयोग किस समय किया जाता है ?
उत्तर-
कई खादों का प्रयोग बुवाई से पहले तथा कई खादों का प्रयोग बुवाई के बाद किया जाता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 2.
हवा में से नाइट्रोजन को कौन-से पौधे प्रयोग कर सकते हैं तथा कौनसे नहीं ?
उत्तर-
हवा में से नाइट्रोजन गैस को फलीदार फसलें प्राप्त कर सकती हैं तथा दूसरे पौधे प्राप्त नहीं कर सकते।

प्रश्न 3.
पौधों के लिए पोटाश तत्त्व की आवश्यकता के बारे में बताओ।
उत्तर-
पौधों को विकसित होने के लिए पोटॉश तत्त्व की उतनी ही मात्रा में आवश्यकता होती है जितनी कि नाइट्रोजन तत्त्व की परन्तु पंजाब की भूमि में प्रायः इस तत्त्व की काफ़ी मात्रा होती है तथा केवल 5-10 प्रतिशत भूमियों में ही इसकी कमी है।

प्रश्न 4.
कौन-सी फसल के लिए पोटाश तत्व की अधिक आवश्यकता है ?
उत्तर-
इस तत्त्व की आलू की फसल के लिए अधिक आवश्यकता पड़ती है। इसको रासायनिक खाद म्यूरेट ऑफ पोटाश से प्राप्त किया जाता है परन्तु इसकी कुछ मात्रा रूड़ी खाद में होती है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 5.
खाद किसे कहते हैं ?
उत्तर-
भूमि में पौधों के पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए जिस पदार्थ का प्रयोग किया जाता हैं उसको खाद कहते हैं।

प्रश्न 6.
रासायनिक खाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
यह वे खादें हैं जिनको कारखानों में बनाया जाता है। यह रसायनों से बनती हैं। जैसे-यूरिया, जिंक सल्फेट आदि इन खादों के उदाहरण हैं।।

प्रश्न 7.
नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन की कमी से पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं बाद में यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। अधिक कमी होने पर सारा पौधा पीला हो जाता है।

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प्रश्न 8.
डाया किस खाद को कहते हैं ? इसका पोषक तत्त्व बताओ।
उत्तर-
डायअमोनियम फास्फेट खाद को कहा जाता है। इसके 100 किलोग्राम में 46 किलोग्राम फास्फोरस होती है।

प्रश्न 9.
पंजाब में पोटाश खादों की आवश्यकता क्यों नहीं पड़ती ?
उत्तर-
पंजाब की भूमि में यह तत्त्व अधिक मात्रा में मौजूद हैं। इसलिए इसकी खादों की आवश्यकता कम पड़ती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक खादों के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों को जैविक खादें भी कहा जाता है। इनको जैविक मादे से तैयार किया जाता है। यह खादें हैं-रूढ़ी खाद, केंचुआ खाद, हरी खाद आदि।

पशुओं के गोबर, मूत्र, पराली आदि को तकनीकी ढंग से गलने-सड़ने के लिए कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है तथा इस तरह रूढ़ी खाद तैयार होती है। इस तरह पौधों के अवशेष तथा गोबर में केंचुए छोड़ दिए जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद केंचुआ खाद बन जाती है। लैंचा, जंतर आदि की फसल को खेतों में उगा कर, जब यह हरी अवस्था में होती है, तो इसे खेत में जोत दिया जाता है। इसको हरी खाद कहते हैं।

प्राकृतिक खादों में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व होते हैं तथा इन का प्रयोग भूमि में जैविक मादा बढ़ाने में सहायक होता है। यह भूमि में मिट्टी के कणों की जुड़ने की शक्ति तथा भूमि की पानी सम्भालने की शक्ति बढ़ाती है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 2.
खाद से क्या अभिप्राय है ? यह कितने प्रकार की होती है ? प्रत्येक की परिभाषा दें।
उत्तर-खादें, वे पदार्थ हैं जिनसे पौधे अपने आवश्यक पोषक तत्वों को प्राप्त करते हैं। यह दो प्रकार की होती हैं
(i) जैविक खादें
(ii) रासायनिक खादें

(i) जैविक खादें-ये ऐसी खादें हैं जो जीवों के प्रत्येक प्रकार के अवशेषों से बनाई जाती हैं। इसको फसलों तथा सब्जियों के अवशेषों या पशुओं के मल मूत्र से तैयार किया जाता है, जैसे रूड़ी खाद या फिर फसलें उगाकर फूल आने से पहले ही उसको भूमि में दबा कर हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।

(ii) रासायनिक खाद-इन खादों को फैक्ट्रियों में भिन्न-भिन्न रसायनों से बनाया जाता है ; जैसे-यूरिया, सुपरफास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश, जिंक सल्फेट आदि।

प्रश्न 3.
रूड़ी खाद से क्या भाव है ? इसके पौधों को क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
यह खाद सब्जियों के बचे हुए अवशेष, पशुओं के मल-मूत्र, कई अन्य तरह के जैविक पदार्थों को गड्डों में गलने-सड़ने से बनाई जाती है। यह बहुत ही गुणकारी खाद है तथा इसमें पौधे की वृद्धि के लिए आवश्यक लगभग सारे तत्त्व मौजूद होते हैं । इस खाद का पोषक तत्त्वों के अतिरिक्त भूमि के भौतिक गुणों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। रूड़ी की खाद रेतीली, चिकनी, कल्लराठी आदि सभी भूमियों के लिए लाभदायक होती है। इसके उपयोग से भूमि में हवा तथा पानी का संचार अच्छा होने में सहायता मिलती है। रूड़ी की 100 किलो खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस तत्त्व होता है। इसके अतिरिक्त पोटॉश तथा पौधे को मिलने वाले अन्य पोषक तत्त्व भी होते हैं।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 4.
रूढ़ी की खाद की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
रूढ़ी खाद की संभाल के लिए 1 मीटर गहरा, 2 मीटर चौड़ाई वाला तथा पशुओं की संख्या के अनुसार तथा जगह के अनुसार 3-4 मीटर लम्बा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे में एक तरफ से रूढ़ी की खाद भरनी शुरू करें तथा गड्ढे को भूमि से 6 इंच ऊंचाई तक भर दें। सारा गड्ढा भर जाने के बाद उसके ऊपर 3 इंच मोटी मिट्टी की तह बिछा दें। गड्ढे की लम्बाई जगह के अनुसार बढ़ाई जा सकती है। रूड़ी 3 माह में उपयोग के लिए अच्छी तरह तैयार हो जाती है। इस तरह गड्ढे में रखी रूढ़ी से पोषक तत्त्वों का नुकसान नहीं होता तथा जो खरपतवार के बीज पशुओं के गोबर में या चारे से आते हैं, उनके उगने की शक्ति भी समाप्त हो जाती है। खेत में डाली रूड़ी से खरपतवार नहीं उग सकते।

प्रश्न 5.
खादों की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
प्रत्येक जानदार वस्तु के लिए आहार की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार मनुष्य, पशुओं तथा जानवरों को विकास तथा वृद्धि के लिए आहार की आवश्यकता होती है, इसी तरह पौधों को विकसित होने के लिए भी आहार की आवश्यकता होती है। पौधे अपना आहार धरती से लेते हैं। एक ही भूमि में बार-बार फसल उगाने से भूमि में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है तथा भूमि से फसलों को पूरा पोषण नहीं मिलता। इसलिए भूमि में तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए खादों के प्रयोग की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन तत्त्व की पूर्ति, कमी तथा इसकी खादों के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
हवा में 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, गैस के रूप में होती है। इसको केवल फलीदार फसलें ही सीधे रूप में हवा में से अपनी आवश्यकता के अनुसार प्राप्त कर सकती हैं, अन्य फसलें नहीं। हवा में से नाइट्रोजन गैस से ही रासायनिक खादें बनाई जाती हैं, जैसे यूरिया। हवा में से नाइट्रोजन तथा तरल पदार्थों में से हाइड्रोजन तथा कार्बन लेकर इनके मेल से यूरिया खाद बनती है। यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है, अर्थात् 100 किलोग्राम यूरिया में 46 किलोग्राम वाला तत्त्व नाइट्रोजन है।

यह तत्त्व पौधों के लिए बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से सबसे पहले पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं तथा धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। यदि फसल में इस तत्त्व की कमी हो जाए तो सारा पौधा पीला हो जाता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

प्रश्न 7.
पौधे फास्फोरस तत्त्व कहां से प्राप्त करते हैं ? इसकी खादों के बारे में बताएं।
उत्तर-
यह पौधों के लिए दूसरा महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है। इसकी कमी का आषाढ़ी की फसलों पर बहुत अधिक प्रभाव होता है। यह तत्त्व खानों में रॉक फास्फेट नाम के खनिज पदार्थ से लिया जाता है। इसको साफ करके नाइट्रोजन के साथ मिलाकर डायअमोनियम फास्फेट खाद बनाई जाती है, जिसको डाया कहा जाता है, 100 किलोग्राम डायअमोनियम फास्फेट खाद में 46 किलोग्राम फास्फोरस तत्त्व होता है।

प्रश्न 8.
पोटॉश तत्त्व के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
पौधे के विकसित होने के लिए पोटॉश तत्त्व भी बहुत आवश्यक है। इसको पौधे उतनी ही मात्रा में लेते हैं, जितनी मात्रा में नाइट्रोजन परन्तु पंजाब की भूमियों में इस तत्त्व की काफ़ी मात्रा मिलती है, इसलिए हमें इस खाद का उपयोग करने की आमतौर पर आवश्यकता नहीं पड़ती। पंजाब में केवल 5-10 प्रतिशत भूमियाँ ही ऐसी हैं जिनमें इस तत्त्व की आवश्यकता हो सकती है। यह तत्त्व विशेषत: आलू की फसल के लिए ही प्रयोग होता है। इस तत्त्व को म्यूरेट ऑफ पोटाश नाम की खाद से प्राप्त किया जाता है तथा यह खाद सारी की सारी विदेशों से मंगवाई जाती है। इस खाद में पोटाश तत्व 60 प्रतिशत होता है।

प्रश्न 9.
नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन एक बहुत आवश्यक तत्त्व है जोकि हवा में लगभग 78 प्रतिशत होता है। इसका प्रयोग सभी पौधों के लिए आवश्यक है। इसकी कमी के कारण पौधों पर कई बुरे प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।

इस तत्त्व की कमी के कारण सबसे पहले पौधे के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं तथा फिर यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है तथा धीरे-धीरे सारा पौधा ही पीला हो जाता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 5 खादें

खादें PSEB 6th Class Agriculture Notes

  • पौधों को विभिन्न प्रकार के 17 पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है।
  • भूमि में पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए बाहर से कुछ वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। इन बाहर से डाली जाने वाली वस्तुओं को खादें कहा जाता है।
  • खादें दो प्रकार की हैं-प्राकृतिक तथा रासायनिक खादें।
  • प्राकृतिक खादों को जैविक खादें भी कहा जाता है।
  • जीव-जन्तुओं के अपशिष्ट, व्यर्थ पदार्थों से केंचुओं द्वारा तैयार खाद को केंचुआ खाद कहा जाता है।
  • फलीदार फसलों को खेत में उगा कर तथा उसे खेत में जोतने को हरी खाद कहते है।
  • 100 किलो रूड़ी खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा डेढ़ किलो सुपर फास्फेट के बराबर फास्फोरस होती है।
  • रासायनिक खादें मनुष्य द्वारा कारखानों में तैयार की जाती हैं।
  • प्रायः उपयोग में आने वाली रासायनिक खादें हैं-यूरिया, डी० ए० पी०, एन० पी० के० तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश।
  • हवा में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस के रूप में होती है।
  • यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है।
  • नाइट्रोजन की कमी का पता पुराने पत्तों के पीले पड़ने से चलता है।
  • फास्फोरस की पूर्ति के लिए सिंगल सुपरफास्फेट तथा डी० ए० पी० का प्रयोग किया जाता है।
  • डी० ए० पी० में 46 प्रतिशत फास्फोरस होती है।
  • म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद में 60 प्रतिशत पोटाश तत्त्व होता है, परन्तु इसकी आवश्यकता पंजाब में कम पड़ती है।

PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कढ़ाई क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
वस्त्रों को अत्यधिक सुन्दर और आकर्षक बनाने के लिए।

प्रश्न 2.
घर में प्रयोग किए जाने वाले कढ़ाई किए हुए कुछ वस्त्रों के उदाहरण दो।
उत्तर-
मेज़पोश, कुशन कवर, पलंगपोश, नेपकिन, पर्दे आदि।

प्रश्न 3.
कढ़ाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले टाँकों के नाम बताओ।
उत्तर-
कढ़ाई के लिए अक्सर निम्नलिखित दस प्रकार के टाँके काम में लाए जाते हैं

  1. सादा या खड़ा टाँका,
  2. बखिया,
  3. भराई के टाँके (साटिन स्टिच), कश्मीरी टाँका (लोंग एण्ड शीर्ट स्टिच:
  4. जंजीरी टाँका, (चेन स्टिच),
  5. काज का टाँका (बटन होल स्टिच),
  6. लेजी-डेजी टाँका (लेजी-डेजी स्टिच),
  7. मछली टाँका,
  8. चोप का टाँका,
  9. फूलकारी का टाँका,
  10. दसूती टाँका।

PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना

प्रश्न 4.
डंडी टाँके का प्रयोग कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
फूलों की डंडियाँ भरने में।

प्रश्न 5.
साड़ी, दुपट्टे आदि पर पीको क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
जिससे वस्त्र के धागे न निकलें।

प्रश्न 6.
कढ़ाई में गाँठों का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
गाँठों के प्रयोग से कढ़ाई सुन्दर नहीं लगती।

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प्रश्न 7.
कढ़ाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर-
कढ़ाई रंग-बिरंगे टाँकों द्वारा की जाती है।

प्रश्न 8.
कपड़ों पर नमूना उतारने की कौन-कौन सी विधियां हैं?
उत्तर-
तीन-

  1. कार्बन पेपर द्वारा,
  2. ठप्पों द्वारा,
  3. बटर पेपर द्वारा।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कढ़ाई के लिए कौन-कौन से सामान की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए निम्नलिखित सामान की आवश्यकता होती है-

  1. सूई–महीन नोक की, बिना जंग लगी, पक्की धातु की तथा चिकनी।
  2. डोरे—सभी रंगों की रेशमी लच्छियां तथा सती डोरे।
    PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 1
    चित्र 4.1 कढ़ाई के लिए प्रयोग में आने वाला सामान
  3. कैंची-तेज़ धार वाली नुकीली।
  4. फ्रेम-विभिन्न नाप के लकड़ी, लोहे अथवा प्लास्टिक के।
  5. पेंसिल-नमूना उतारने के लिए, पक्के सिक्के की कड़ी।
  6. कार्बन पेपर-नमूना उतारने के लिए।
  7. आलपिन तथा रबड़।

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प्रश्न 2.
ट्रे का कवर कैसे बनाया जाता है ? सचित्र वर्णन करो।
उत्तर-
ट्रे में खाना परोसकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता है। यदि ट्रे के ऊपर का कपड़ा बिछा दिया जाए तो इससे ट्रे को दाग नहीं लगते हैं। ट्रे में कपड़ा बिछाने से परोसा हुआ भोजन आकर्षक भी लगता है तथा खाने को मन भी करता है। ट्रे का कपड़ा मोटा होना चाहिए। इसके लिए खद्दर, दसूती या केसमेंट लिए जा सकते हैं। इसका रंग बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। ट्रे के कपड़े के लिए हल्का नीला, बादामी या मोतिया रंग लेना चाहिए। कपड़े का आकार तथा शक्ल ट्रे के आधार तथा शक्ल के अनुसार होना चाहिए। साधारण ट्रे के कपड़े की लम्बाई 16″ तथा चौड़ाई 12″ होनी चाहिए। लम्बाई और चौड़ाई दोनों ओर से ट्रे से दो इंच अधिक होनी चाहिए। बीडिंग करने से कपड़े का आकार छोटा हो जाता है।
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चित्र 4.2. ट्रे कवर का नमूना

प्रश्न 3.
कढ़ाई के लिए धागों के रंगों का चयन किन बातों पर आधारित होना चाहिए?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए धागों के रंगों का चयन करते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. बच्चों के वस्त्रों पर बनाए जाने वाले नमूनों पर चटकीले एवं विरोधी संगति की योजनानुसार धागों का प्रयोग करना चाहिए।
  2. गाढ़े रंग के कपड़ों पर हल्के रंग के धागों एवं हल्के रंग के कपड़ों पर गाढ़े रंग के धागों का चुनाव करना चाहिए।
  3. बड़े व्यक्ति के कपड़ों पर कढ़ाई के आलेखन में सहयोगी रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे-पीले रंग के साथ नारंगी रंग।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कढ़ाई के प्रमुख टाँकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. भराई का टाँका या साटिन स्विच-इस टाँके को गोल कढ़ाई भी कहा जाता है। इसके द्वारा छोटे-छोटे गोल फूल तथा पत्तियाँ बनती हैं। आजकल एप्लीक कार्य भी इसी टाँके से तैयार किया जाता है। कट वर्क, नेट वर्क भी इसी टाँके द्वारा बनाये जाते हैं। छोटेछोटे पक्षी आदि भी इसी टाँके से बहुत सुन्दर लगते हैं। इसे फैन्सी टाँका भी कहा जाता है। इसमें ज़्यादा छोटी फूल-पत्तियाँ (जो गोल होती हैं) का इस्तेमाल होता है। यह टाँका भी दाहिनी ओर से बाई ओर लगाया जाता है। रेखा के ऊपर जहाँ से नमूना आरम्भ करना है, सूई वहीं लगनी चाहिए और दूसरे से सटे हुए टाँके लगाये जाने चाहिएं। रेखाओं पर उल्टी बखिया की कढ़ाई कर देनी चाहिएं। यह टाँका देखने में दोनों ओर से एक समान होता है।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 3
चित्र 4.3. भराई का टाँका

2. जंजीर टाँका-इस टाँके को प्रत्येक स्थान पर प्रयोग कर लिया जाता है। इसे डंडियों, पत्तियों, फूलों तथा पक्षियों आदि सभी में प्रयोग किया जाता है। ऐसे टाँके दाहिनी ओर से बाई ओर या बाई और से दाहिनी ओर लगाये जाते हैं। कपड़े पर सूई एक बिन्दु से निकालकर सूई पर एक धागा लपेटते हुए दोबारा उसी स्थान पर सूई लगाकर आगे की ओर एक लपेट देते हुए यह टाँका लगाया जाता है। इस प्रकार क्रम से एक गोलाई में दूसरी गोलाई बनाते हुए आगे की ओर टाँका लगाते जाना चाहिए।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 4
चित्र 4.4 जंजीर टाँका

3. लेजी-डेजी टाँका-इस टाँके का उपयोग छोटे-छोटे फूल तथा बारीक पत्ती की हल्की कढ़ाई के लिए किया जाता है। ये टाँके एक-दूसरे से क्रम में गुँथे नहीं रहते बल्कि अलग-अलग रहते हैं। फूल के बीच में धागा निकालकर सूई उसी स्थान पर डालते हैं। इस प्रकार गोल पत्ती-सी बन जाती है। पत्ती को अपनी जगह स्थिर करने के लिए दूसरी ओर गाँठ डाल देते हैं।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 5
चित्र 4.5 लेजी-डेजी टाँका

4. हेम स्टिच (बीडिंग)-इस प्रकार के टाँके मेज़पोश आदि काढ़ने के काम में आते हैं। यह किनारों पर फुदने बनाने के लिए अति उत्तम प्रकार के टाँके हैं। इनके लिए मोटा सूती कपड़ा प्रयुक्त किया जाता है। सर्वप्रथम जितने चौड़े किनारे बनाने होते हैं, उतनी चौड़ाई से लगे कपड़े के धागे खींच लिए जाते हैं। धागे निकालने से शेष धागे कमज़ोर हो जाते हैं, इसलिए कई धागों को मिलाकर बाँध देते हैं। इस टाँके से बीडिंग भी की जा सकती है।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 6
चित्र 4.6 हेम स्टिच

5. ब्लैंकेट (कंबल) टाँके-इस टाँके में डोरा नीचे की रेखा पर निकाला जाता है और सूई को ऊपर की रेखा से नीचे की ओर।
6. काज टाँका-कढ़ाई में इसका उपयोग फूल-पत्तियों के सिरे भरने, पेच लगाने, छोटे फूलों को भरने तथा कटवर्क में किया जाता है। इससे किनारे पक्के हो जाते हैं।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 7
चित्र 4.7 काज टाँका

7. उल्टी बखिया-यह टाँका फूल पत्ती की डंडी बनाने के काम आता है। यह बाहरी रेखा बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। ये टाँके कुछ तिरछे-से दाहिनी ओर मिले हुए लगाये जाते हैं। एक टाँका जहाँ समाप्त होता है, वहीं दूसरा टाँका लगाया जाता है। एक टाँका केवल एक ही बार लगाया जाता है। टाँका सीधी रेखा में ही लगाना चाहिए।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 8
चित्र 4.8 उल्टी बखिया

8. दसूती टाँका-यह टाँका ऐसे कपड़े पर ही बन सकता है जिसकी बनाई खुली होती है ताकि कढ़ाई करते समय धागे सुगमता से गिने जा सकें। यदि तंग बुनाई वाले वस्त्र पर यह कढ़ाई करनी हो तो कपड़े पर पहले नमूना छाप लेना चाहिए फिर नमूने के ऊपरऊपर ही बिना कपड़े के धागे गिनकर कढ़ाई करना चाहिए। यह टाँका दो बारियों में बनाया जाता है। पहली बारी में इकहरा टाँका बनाया जाता है ताकि टेढ़े (/) टाँकों की एक पंक्ति बन जाए तथा दूसरी बार इस लाइन के टाँकों पर दूसरी पंक्ति बनाई जाती है। इस तरह दसूती टाँका (×) बन जाता है। सूई को दाएँ हाथ के कोने की ओर से टाँके के निचले सिरे से निकालते हैं। उसी टाँके के ऊपर के बाएँ कोने में डालते हैं तथा दूसरे टाँके के निचले दाएं कोने से निकलते हैं। इस तरह करते जाते हैं ताकि पूरी पंक्ति टाँकों की बन जाए।

अब सूई अन्तिम टाँके के बाईं ओर वाले निचले कोने से निकाली हुई होनी चाहिए। अब सूई दाएँ ऊपर के कोने से डालो तथा अगले टाँके के निचले बाएँ कोने से सूई को उसी टाँके से निकालें ताकि (×) पूरा बन जाए।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 9
चित्र 4.9 दसूती टाँका

9. दोहरी बीडिंग-इसे करने के लिए पहले ऊपर लिखे ढंग के अनुसार एक ओर तथा फिर उसी ढंग से वस्त्र के धागे निकली हुई जगह के दूसरी ओर से बीडिंग करें।
PSEB 7th Class Home Science Practical कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना 10
चित्र 4.10 दोहरी बीडिंग

10. तिरछी बीडिंग-धागे निकाली जगह के एक ओर सादा बीडिंग करना चाहिए। उठाए गए धागों की संख्या समान होनी चाहिए। अब धागे निकाली जगह के दूसरी ओर बीडिंग करो, लेकिन धागे सूई पर उठाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आधे धागे एक दूसरे टाँके के उठाए जाएं ताकि एक दूसरे से फँसे हुए टाँके बनें।
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चित्र 4.11 तिरछी बीडिंग

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कढ़ाई के टाँकों से ट्रे कवर बनाना PSEB 7th Class Home Science Notes

  • ट्रे के कपड़े के लिए मोटा कपड़ा होना चाहिए।
  • ट्रे के कपड़े के लिए हल्का, नीला, बादामी या मोतिया रंग लेना चाहिए।
  • ट्रे के कपड़े का आकार तथा शक्ल ट्रे के आधार तथा शक्ल के अनुसार होना चाहिए।
  • दसूती टाँका ऐसे कपड़े पर ही बन सकता है जिसकी बुनाई खुली हो ताकि
  • कढ़ाई करते समय धागे सुगमता से गिने जा सकें। बीडिंग साधारणत: मेज़पोश, चादरों, ट्रे कवर आदि के किनारों को आकर्षक बनाने के लिए की जाती है।
  • बीडिंग का टाँका कपड़े के उल्टी ओर से बनाया जाता है। इसे दाईं ओर से शुरू करके बाईं ओर लाया जाता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

PSEB 7th Class Physical Education Guide शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
शारीरिक क्षमता से क्या अभिप्राय है ? शारीरिक क्षमता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
शारीरिक शक्ति वह गुण है जिससे व्यक्ति अपने प्रतिदिन के कार्य आसानी से कठिनाई के बिना कर सकता है। व्यक्ति के अधिक-से-अधिक शारीरिक कार्य करने के योग्यता को शारीरिक शक्ति कहते हैं।
“शारीरिक शक्ति व्यक्ति की योग्यता है जिसके साथ वह किसी विशेष कार्य को अपने पूर्ण प्रयास से पूरा कर सकता है।

जिन लोगों को शक्ति का सही ज्ञान नहीं उनके लिए शारीरिक शक्ति की ज़रूरत केवल किसान मज़दूर, सैनिक आदि को होती है जो अधिक शारीरिक कार्य करते हैं। शारीरिक शक्ति को खिलाड़ियों के साथ जोड़ा जाता है जिन्होंने कठोर परिश्रम करके खेलों में अपना नाम कमाना और पुरस्कार जीतने होते हैं। शारीरिक शक्ति प्रत्येक के लिए आवश्यक है। कार्य भारी हो या हल्का शारीरिक शक्ति उचित ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक है।

शारीरिक शक्ति का स्तर मनुष्यों से भिन्न होता है। यह मनुष्य के व्यायाम और आजीविका पर निर्भर करता है। आजीविका का शारीरिक शक्ति के साथ सम्बन्ध है। दफ्तर में बैठकर कार्य करने वालों की शारीरिक शक्ति, श्रमिक की शारीरिक शक्ति से कम होती है। इसलिए भिन्न-भिन्न खेलें खेलने वाली खिलाड़ियों की शारीरिक शक्ति भी भिन्न-भिन्न होगी। एक फुटबाल खिलाड़ी की शारीरिक शक्ति और कबड्डी खिलाड़ी की शारीरिक शक्ति में फर्क होगा। योग्यता के इन्हीं गुणों को श्रेष्ठ बनाने के लिए जितना अधिक परिश्रम किया जाएगा उतनी ही शारीरिक शक्ति अधिक होगी।

प्रश्न 2.
शारीरिक क्षमता के गुणों के नाम लिखें।
उत्तर-
शारीरिक शक्ति के गुण—

  1. गति
  2. शक्ति
  3. साहस
  4. लचकता
  5. संयोजन।
    PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ 1

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

प्रश्न 3.
गति किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
गति (Speed) शारीरिक शक्ति का पहला गुण गति है किसी कार्य के कमसे-कम समय में पूरा करने की योग्यता को गति कहते हैं। गति शारीरिक शक्ति का बड़ा गुण है जिसका हर खेल में महत्त्वपूर्ण योगदान है। जिस खिलाड़ी की गति अधिक होगी उसे ही गुणी माना जाएगा।

प्रश्न 4.
संयोजन से क्या अभिप्राय है? खिलाड़ी के लिए संयोजन का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
संयोजन (Co-ordination) संयोजन भी शक्ति का महत्त्वपूर्ण गुण है। संयोजन का अर्थ खिलाड़ी के शरीर एवं मस्तिष्क के आपसी तालमेल से है। अगर । खिलाड़ी के मस्तिष्क से मिलने वाले निर्देशों को ठीक से प्राप्त करता है और शीघ्र पूरा करता है तो कार्य में गलतियां नहीं होंगी। मस्तिष्क व शरीर के संयोजन के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता।
शारीरिक शक्ति व्यक्ति को ठीक प्रकार से कार्य करने के योग्य बनाती है।

प्रश्न 5.
शारीरिक शक्ति के महत्त्व के बारे में विस्तृत नोट लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक शक्ति से मांसपेशियां ठीक ढंग से कार्य करती हैं और सभी शारीरिक प्रणालियां ठीक प्रकार से कार्य करने के योग्य बनती हैं।
  2. शारीरिक शक्ति रखने वाले को दिल और फेफड़ों के रोग जैसे रक्तचाप, हृदय आघात, दमा, श्वास सम्बन्धी रोग कम होते हैं।
  3. शारीरिक शक्ति रखने वाले मनुष्य का शरीर स्वस्थ और सुन्दर होता है। उसके शरीर की वृद्धि व विकास ठीक मात्रा में होता है।
  4. शारीरिक शक्ति से व्यक्ति का अपने शरीर पर नियन्त्रण बना रहता है। उसके मस्तिष्क और मांसपेशियों के संयोजन में सुचारु होता रहता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

प्रश्न 6.
व्यायाम से क्या अभिप्राय है? व्यायाम के लाभ लिखिए।
उत्तर-
चलना, कूदना, दौड़ना, फैंकना आदि इन कुशलताओं को बेहतर बनाने के लिए तीव्र क्रियाएं की जाती हैं जिन्हें व्यायाम अथवा कसरत कहते हैं। कसरत या व्यायाम का अर्थ रक्त के प्रवाह को तीव्र करना है।
व्यायाम और स्वास्थ्य का अधिक सम्बन्ध है। शरीर के लिए व्यायाम के लाभ इस प्रकार हैं—

  1. व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत और लचकदार बनती हैं जिससे शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  2. व्यायाम करते समय फेफड़ों को ज़ोर से फैलना और सिकुड़ना पड़ता है। सिकुड़ने और फैलने से अधिक मात्रा में कार्बनडाइआक्साइड (CO) शरीर से बाहर निकलती है और अधिक आक्सीजन शरीर में प्रवेश करती है जिससे हमारा रक्त साफ होता रहता है।
  3. प्रतिदिन व्यायाम करने से हृदय स्वस्थ रहता है और हृदय की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  4. व्यायाम करने वाले व्यक्ति को हृदयाघात नहीं होते।
  5. व्यायाम करने से व्यक्ति की पाचन प्रणाली ठीक रहती है और लगातार भूख लगती है।
  6. व्यायाम करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है जिससे पसीना आता है और सभी विषैले द्रव बाहर निकल जाते हैं।
  7. व्यायाम से शारीरिक ढांचे की कुरूपताएं ठीक हो जाती हैं।
  8. व्यायाम करने से शरीर में नई कोशिकाएं बनती हैं, नया रक्त बनता है। रक्त में श्वेत रक्तकण की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर रोगों से लड़ने से पक्षम बनता है।
  9. व्यायाम से मनुष्य की आयु बढ़ती है और उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है।
  10. व्यायाम करने वाला व्यक्ति गलत विचारधारा में नहीं पड़ता। खाली समय का उचित प्रयोग करता है।
  11. व्यायाम से शरीर की फालतू चर्बी नष्ट हो जाती है जिससे व्यक्ति का शरीर स्वास्थ्य, आकर्षक, सुन्दर और फुर्तीला रहता है।

Physical Education Guide for Class 7 PSEB शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे चलने, फिरने, कूदने, दौड़ने आदि से क्या होता है ?
उत्तर-
कसरत (व्यायाम)

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प्रश्न 2.
शरीर में से कार्बनडाइआक्साइड कौन-सा अंग बाहर निकालता है ?
उत्तर-
फेफड़े।

प्रश्न 3.
शारीरिक शक्ति किस वस्तु से बनती है ?
उत्तर-
लगातार कसरत से और संतुलित भोजन खाने से।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर की मांसपेशियां किससे मज़बूत और लचकदार होती है ?
उत्तर-
कसरत करने से।

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प्रश्न 5.
पसीना आने से क्या होता है ?
उत्तर-
शरीर से व्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और मुसाम खुल जाते हैं।

प्रश्न 6.
शारीरिक शक्ति क्या है ?
उत्तर-
शारीरिक शक्ति व्यक्ति की योग्यता है जिसके साथ वह किसी विशेष कार्य को अपने पूर्ण प्रयास से पूरा कर सकता है।

प्रश्न 7.
शारीरिक शक्ति के गुणों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. गति
  2. शक्ति
  3. साहस (क्षमता)
  4. लचकता
  5. संयोजन।

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प्रश्न 8.
शारीरिक शक्ति के कोई दो महत्त्व लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक शक्ति से शरीर स्वस्थ और सुन्दर रहता है।
  2. शारीरिक शक्ति से व्यक्ति का अपने शरीर पर नियंत्रण बना रहता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिदिन शरीर के सभी अंगों की निरन्तर कसरत करने से क्या होता है ?
उत्तर-
प्रतिदिन ठीक ढंग से शरीर के सभी अंगों की कसरत करने से शरीर ताकतवर हो जाता है। लगातार कसरत करते रहने से मनुष्य में अधिक कार्य करने की शक्ति आ जाती है। पाचन क्रिया ठीक हो जाती है। समय पर भूख लगती है।

प्रश्न 2.
कसरत करने से कोई तीन लाभ बताओ।
उत्तर-

  1. कसरत करने से बहुत-से रोग दूर हो जाते हैं। कसरत करने से पसीना अधिक आता है तथा मुसाम खुल जाते हैं।
  2. व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाता है तथा त्वचा की सफाई हो जाती है।
  3. कसरत करने से मनुष्य की आयु लम्बी हो जाती है।

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प्रश्न 3.
कसरत करने से फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
कसरत से फेफड़ों को अधिक ज़ोर से सिकुड़ने और फैलना पड़ता है जिससे कार्बन-डॉइआक्साइड बाहर निकलती है और आक्सीजन शरीर के भीतर जाती है। इस तरह रक्त साफ होता रहता है और फेफड़ों की शक्ति में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
कार्य की कसरत का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
कार्य की कसरतें सर्वांगी नहीं होतीं। इससे हमारे शरीर के कुछ अंग अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं और कुछ अधिक कमज़ोर हो जाते हैं जैसे लोहार की बांहें टांगों से अधिक ताकतवर हो जाती है। एक नाचने वाले के शरीर का निचला भाग अधिक ताकतवर और ऊपरी भाग कमज़ोर हो जाता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खिलाड़ियों की खेलों के क्षेत्र में क्या-क्या उपलब्धियां हैं ?
उत्तर-
खेलों में खिलाड़ी नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं और खेलों के क्षेत्र में अपने राष्ट्र का नाम चमका रहे हैं। पहले खेलें मात्र मनोरंजन और रुचि तक ही सीमित थीं। परन्तु अब खेलों से खिलाड़ी नाम और धन कमा रहे हैं जिससे जीतने के लिए कठोर परिश्रम करते हैं और शरीर को जीतने के लिए सक्षम बनाते हैं। एक विश्व रिकार्ड अथवा ओलम्पिक खेलों में मात्र उपलब्धि के कारण खिलाड़ी रातों-रात विश्व का सितारा बन जाते हैं और धनी हो जाते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी यह चाहता है कि वह विश्व रिकार्ड बना सके। इसके लिए खिलाड़ियों को कठिन परिश्रम करना पड़ता है और उसे कई पहलुओं पर ध्यान रखना पड़ता है जैसे प्रशिक्षण, ठीक मात्रा में समय, अत्याधुनिक खेल सामग्री, अनुभवी कोच खिलाड़ी में खेल क्षमता पैदा करता है जिससे खिलाड़ी का शरीर प्रशिक्षण व खेल के लिए पूरी तरह प्यार हो जाए। यदि खिलाड़ी में शारीरिक शिक्षा की कमी होती है तो विरोधी खिलाड़ी का मुकाबला नहीं कर पाएगा। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शक्ति का होना ज़रूरी है।

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प्रश्न 2.
शारीरिक शक्ति के गुण विस्तार से लिखें।
उत्तर-
शारीरिक शक्ति के गुण—
(1) गति
(2) शक्ति
(3) साहस
(4) लचकता
(5) संयोजन।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ 2
1. गति (Speed) शारीरिक शक्ति का पहला गुण गति है किसी कार्य के कम-सेकम समय में पूरा करने की योग्यता को गति कहते हैं। गति शारीरिक शक्ति का बड़ा गुण है जिसका हर खेल में महत्त्वपूर्ण योगदान है। जिस खिलाड़ी की गति अधिक होगी उसे ही गुणी माना जाएगा।

2. शक्ति (Strength) शारीरिक मांसपोशियों द्वारा मिलकर कार्य किया गया शक्ति कहलाता है। कार्य हल्का या भारी हो शारीरिक शक्ति के बिना कार्य पूरा करना मुश्किल है। शक्तिशाली व्यक्ति कठिन-से-कठिन कार्य भी आसानी से कर सकता है।

3. साहस (क्षमता) (Endurance)-लगातार लम्बे समय तक किसी कार्य को करते रहने के सामर्थ्य को साहस अथवा क्षमता कहते हैं। साहस शारीरिक शक्ति का महत्त्वपूर्ण गुण है। दीर्घकाल तक चलने वाली क्रियाएं इस गुण के बिना पूरी नहीं हो सकती। जिस व्यक्ति में अधिक दम (साहस) क्षमता होगी वह अन्य व्यक्तियों की उपेक्षा अधिक कार्य करने में कामयाब हो जाएगा।

4. लचकता (Flexibility) खिलाड़ी का प्रदर्शन उसकी लचकता पर निर्भर करता है। लचक से भाव व्यक्ति के शारीरिक जोड़ों की हिलजुल से है। व्यक्ति जितना अधिक अपने जोड़ों को मोड़ सकता है उसकी लचकता उतनी अधिक होगी। लचकता से हम शरीर को किसी तरफ भी मोड़ सकते हैं जिससे हम कार्य आसानी से कर सकते हैं।

5. संयोजन (Co-ordination -संयोजन भी शक्ति का महत्त्वपूर्ण गुण है। संयोजन का अर्थ खिलाड़ी के शरीर एवं मस्तिष्क के आपसी तालमेल से है। अगर खिलाड़ी के मस्तिष्क से मिलने वाले निर्देशों को ठीक से प्राप्त करता है और शीघ्र पूरा करता है तो कार्य में गलतियां नहीं होंगी। मस्तिष्क व शरीर के संयोजन के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता।

शारीरिक शक्ति व्यक्ति को ठीक प्रकार से कार्य करने के योग्य बनाती है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 3 राज्य सरकार

SST Guide for Class 10 PSEB राज्य सरकार Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दें

प्रश्न 1.
राज्य विधानमण्डल के कितने सदन होते हैं?
उत्तर-
दो सदन-विधानसभा तथा विधानपरिषद्।

प्रश्न 2.
राज्य विधानसभा के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं हैं?
(ii) इसके कम-से-कम या अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
(iii) साधारण विधेयक को कानून बनने के लिए किन चरणों या पड़ावों में से गुजरना पड़ता है?
(iv) विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु कितनी है?
(v) अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
(i) राज्य विधानसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु कम-से-कम 25 वर्ष हो।
  3. वह पागल या दिवालिया न हो।
  4. वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभप्रद पद पर न हो। (कोई एक लिखो)

(ii) सदस्य संख्या-मूल संविधान के अनुसार राज्य विधानसभा के अधिक-से-अधिक 500 और कम-से-कम 60 सदस्य हो सकते हैं।
(iii) साधारण विधेयक के चरण-

  1. प्रस्तुति और परिचय
  2. विधेयक की प्रत्येक धारा पर बहस
  3. विधेयक पर समग्र रूप से मतदान
  4. विधेयक दूसरे सदन में।

(iv) विधानसभा सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु-25 वर्ष।
(v) अध्यक्ष का चुनाव-विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।

प्रश्न 3.
राज्य की विधान परिषद् के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें (i) विधान परिषद् के कितने सदस्य हो सकते हैं? (ii) विधान परिषद् का कार्यकाल कितना है ?
उत्तर-
(i) विधान परिषद् की सदस्य संख्या-विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के एक तिहाई सदस्यों से अधिक नहीं होनी चाहिए और कम-से-कम संख्या 40 होनी चाहिए।
(ii) विधान परिषद् का कार्यकाल-विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार

प्रश्न 4.
राज्य विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखना।
  2. कर लगाने, कर संशोधन करने या बजट पास करने का अधिकार।
  3. राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना।
  4. सदन की मर्यादा भंग करने वालों को दण्ड देने का अधिकार। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 5.
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

प्रश्न 6.
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।

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प्रश्न 7.
संवैधानिक संकट के समय राज्यपाल की क्या स्थिति होती है?
उत्तर-
संवैधानिक संकट के समय राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है और राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल का कार्यकाल कितना है?
उत्तर-
राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें

(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना है?
(ii) इसकी योग्यताएं क्या हैं?
(ii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी होती है?
(iv) लोक अदालतों से आप क्या समझते हैं ?
(v) क्या आपके राज्य में दो सदनी विधानपालिका है?
उत्तर-
(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
(ii) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह दस वर्ष तक किसी अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश रह चुका हो।
  3. उसने दस वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत की हो।

(iii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या-उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। इनकी संख्या निश्चित नहीं होती है। इनकी संख्या राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर है।
(iv) लोक अदालतें-निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए कुछ समय पूर्व देश में लोक अदालतें स्थापित की गईं। 6 अक्तूबर, 1985 को पहली लोक अदालत दिल्ली में बैठी थी। इसमें 150 दुर्घटना सम्बन्धी विवादों को निपटाया गया था।
(v) नहीं। हमारे राज्य पंजाब में दो सदनी विधानपालिका नहीं है।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. राज्य का सारा शासन प्रबन्ध उसी के नाम पर चलता है।
  2. राज्य में शान्ति एवं सुरक्षा बनाए रखना उसका उत्तरदायित्व है। इसमें उसकी सहायता करने तथा परामर्श देने के लिए मुख्यमन्त्री सहित मन्त्रिपरिषद् का प्रावधान है।
  3. वह विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है।
  4. वह राज्य के समस्त उच्च पदाधिकारियों को नियुक्त करता है। वह राज्य के महाधिवक्ता तथा राज्य सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों को नियुक्त करता है।
  5. वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। (कोई तीन लिखें!)

प्रश्न 2.
मुख्यमंत्री, मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति का वर्णन करें।
उत्तर-
केन्द्र की भान्ति राज्यों में भी शासन की संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। राज्यपाल नाममात्र का अध्यक्ष होता है। इसकी सहायता एवं परामर्श के लिए मुख्यमन्त्री एवं उसका मन्त्रिमण्डल होता है। मन्त्रिमण्डल राज्य की वास्तविक कार्यपालिका होती है। राज्यपाल विधानसभा के बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। राज्यपाल मुख्यमन्त्री द्वारा दी गई सूची में न तो अपनी इच्छा से कोई नाम जोड़ सकता है और न ही सूची में दिए गए नामों में से किसी नाम को काट सकता है।

प्रश्न 3.
विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
विधानमण्डल की शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है

  1. वैधानिक शक्तियां-विधानमण्डल राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
  2. कार्यपालिका शक्तियां-
    1. राज्य की मन्त्रिपरिषद् विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होती है।
    2. वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकता है।
    3. इसके सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
    4. इसके सदस्य विभिन्न प्रस्ताव पेश करके भी मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखते हैं।
  3. वित्तीय शक्तियां-विधानमण्डल राज्य के आय-व्यय पर नियन्त्रण रखता है। वह राज्य का वार्षिक बजट पास करता है। इसकी स्वीकृति के बिना न तो कोई कर लगाया जा सकता है और न ही कुछ व्यय किया जा सकता है।
  4. विविध शक्तियां-
    1. विधानमण्डल के निम्न सदन (विधानसभा) के चुने हुए सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
    2. विधानसभा के सदस्य विधान परिषद् के 1/3 सदस्यों का निर्वाचन करते हैं।
    3. विधानसभा राज्य में विधानपरिषद् की स्थापना अथवा समाप्ति का प्रस्ताव पास करती है।

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प्रश्न 4.
राज्यपाल की ऐच्छिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की स्थिति वैसी नहीं है जैसी केन्द्र में राष्ट्रपति की है। केन्द्र में यह संवैधानिक प्रावधान है कि राष्ट्रपति को मन्त्रिपरिषद् के परामर्श के अनुसार ही कार्य करना पड़ता है। इसके विपरीत राज्यपाल कुछ परिस्थितियों में अपने विवेक के अनुसार कार्य कर सकता है। राज्यपाल की इस शक्ति को स्व-विवेक की शक्ति अथवा ऐच्छिक शक्ति कहते हैं।
राज्यपाल निम्नलिखित परिस्थितियों में अपने स्वविवेक से कार्य कर सकता है

  1. यदि विधानसभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो वह स्वविवेक से मुख्यमन्त्री की नियुक्ति कर सकता है।
  2. वह राष्ट्रपति को संवैधानिक यन्त्र के विफल हो जाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
  3. राज्य में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा करने के लिए।
  4. राज्य विधानमण्डल द्वारा पास किए गए किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने के लिए।

प्रश्न 5.
मन्त्रिमण्डल के चार कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मन्त्रिमण्डल के तीन कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. नीति-निर्माण-राज्य मन्त्रिमण्डल का मुख्य कर्त्तव्य राज्य के लोगों की समस्याओं का समाधान करना होता है। इसके लिए वह आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक तथा कृषि सम्बन्धी नीति का निर्माण करता है।
  2. प्रशासन-प्रत्येक मन्त्री राज्य के किसी विभाग का अध्यक्ष होता है। वह विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की सहायता से अपने विभाग का प्रशासन चलाता है।
  3. वैधानिक शक्तियां-राज्य विधानमण्डल में अधिकतर बिल मन्त्रियों द्वारा पेश किए जाते हैं। मन्त्रिपरिषद् की इच्छा के विरुद्ध कोई भी बिल पास नहीं हो सकता। राज्य विधानमण्डल की बैठकें राज्यपाल मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही बुलाता है। मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही वह विधानसभा को भंग कर सकता है तथा अध्यादेश जारी करता है।
  4. वित्तीय शक्तियां-राज्य का वार्षिक बजट मन्त्रिमण्डल तैयार करता है। वित्तमन्त्री इसे विधानमण्डल में प्रस्तुत करता है। मन्त्रिमण्डल ही यह निर्णय करता है कि कौन-से नए कर लगाए जायें, किन करों को घटाया या बढ़ाया जाए तथा धन का प्रयोग किस प्रकार से किया जाए। (कोई तीन लिखें)

प्रश्न 6.
संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

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प्रश्न 7.
लोक अदालतों के कार्यों/शक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर-
लोक अदालतें न्याय करने के लिए बिल्कुल नवीन व्यवस्था है। इसके जनक न्यायमूर्ति पी० एन० भगवती माने जाते हैं। इसका मुख्य कार्य निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाना है। हमारे न्यायालयों में काम का बड़ा बोझ है। लाखों विवाद फाइलों में बन्द पड़े हैं। लोक अदालतों में आपसी सहमति द्वारा सैंकड़ों अभियोगों का निपटारा किया जाता है। अत: लोक अदालतों में लम्बे समय से लम्बित पड़े मुकद्दमे शीघ्रता से निपट जाएंगे और न्यायालयों का कार्य भार हल्का हो जाएगा। 1987 में लोक अदालतों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संघ में कितने प्रकार की इकाइयां हैं? नाम बताइए।
उत्तर-
भारतीय संघ में दो प्रकार की इकाइयां हैं-राज्य तथा केन्द्र शासित क्षेत्र।

प्रश्न 2.
(i) राज्यों का वर्गीकरण किस आधार पर किया गया है?
(ii) राज्यों को भाषायी राज्य क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
(i) भारत में राज्यों का वर्गीकरण भाषा के आधार पर किया गया है।
(ii) राज्यों का गठन भाषा के आधार पर होने के कारण इन्हें भाषायी राज्य कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
केन्द्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर-
केन्द्र शासित प्रदेश वह प्रशासनिक इकाई है जिसका शासन केन्द्र सरकार के अधीन होता है।

प्रश्न 4.
दो केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम लिखो।
उत्तर-
पाण्डिचेरी और चण्डीगढ़।

प्रश्न 5.
(i) राज्य सरकार किस सूची के विषयों पर कानून बना सकती है?
(ii) राज्य सूची में कौन-कौन से विषय हैं?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
(ii) कृषि, भूमि, सिंचाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि राज्य सूची के विषय हैं।

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प्रश्न 6.
(i) धन सम्बन्धी विधेयक राज्य विधानमण्डल के किस सदन में पेश किए जा सकते हैं?
(ii) विधानसभा द्वारा भेजे गए विधेयक को विधान परिषद कितने समय तक रोक सकती है?
उत्तर-
(i) धन सम्बन्धी विधेयक विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं।
(ii) विधानसभा द्वारा परामर्श के लिए भेजे गए विधेयक को विधान परिषद् अधिक-से-अधिक 14 दिनों तक रोक सकती है।

प्रश्न 7.
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान (कार्याध्यक्ष) कौन होता है?
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान मुख्यमन्त्री होता है।
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल के पद के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
35 वर्ष।

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प्रश्न 9.
(i) राज्य विधानसभा के एक वर्ष में कितने अधिवेशन होना आवश्यक है?
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में कम-से-कम कितने समय का अन्तर होना चाहिए?
उत्तर-
(i) राज्य विधानमण्डल के एक वर्ष में दो अधिवेशन होना आवश्यक है।
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में 6 मास से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 10.
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता मुख्यमन्त्री होता है।

प्रश्न 11.
भारत में कितने राज्य (राज्य सरकारें) हैं?
उत्तर-
28.

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प्रश्न 12.
भारत में कितने संघीय क्षेत्र हैं?
उत्तर-
8.

प्रश्न 13.
दो राज्यों के नाम बताओ जहां द्विसदनीय विधानमण्डल हैं।
उत्तर-
महाराष्ट्र तथा कर्नाटक।

प्रश्न 14.
पंजाब में कितने सदनीय विधानमण्डल/विधानपालिका हैं?
उत्तर-
एक सदनीय।

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प्रश्न 15.
विधानपरिषद् के सदस्यों की कम-से-कम कितनी संख्या निश्चित की गई है?
उत्तर-
40.

प्रश्न 16.
विधानसभा का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
25 वर्ष।

प्रश्न 17.
विधानपरिषद् का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
30 वर्ष।

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प्रश्न 18.
विधानपरिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
6 वर्ष।

प्रश्न 19.
विधानपरिषद् में राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-
12.

प्रश्न 20.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

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प्रश्न 21.
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 22.
राज्य में अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 23.
राज्यपाल अपनी कौन-सी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है?
उत्तर-
विवेकशील।

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प्रश्न 24.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त हो जाती हैं?
उत्तर-
संसद् को।

प्रश्न 25.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी है?
उत्तर-
26.

प्रश्न 26.
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश कितनी आयु तक अपने पद पर रह सकता है?
अथवा
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

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प्रश्न 27.
पंजाब और हरियाणा का संयुक्त उच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर-
चंडीगढ़ में।

प्रश्न 28.
जिला न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 29.
लोक अदालतों की धारणा का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर-
पी० एन० भगवती को।

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प्रश्न 30.
संघ सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
97.

प्रश्न 31.
राज्य सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
66.

प्रश्न 32.
समवर्ती सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
47.

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प्रश्न 33.
संघ सूची के कोई दो विषय बताओ।
उत्तर-
रेलवे तथा रक्षा।

प्रश्न 34.
समवर्ती सूची का कोई एक विषय बताइए।
उत्तर-
मजदूर कल्याण।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. भारत में ……….. राज्य हैं।
  2. भारत में …………… संघीय (केंद्र शासित) क्षेत्र हैं।
  3. पंजाब में ……………. सदनीय विधानमंडल है।
  4. विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  5. संवैधानिक संकट के समय …………. राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।
  6. राज्य के सबसे बड़े न्यायालय को ……….. न्यायालय कहते हैं।
  7. राज्यपाल अपनी ………….. शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से कर सकता है।
  8. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश …………. वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।
  9. राज्यपाल की नियुक्ति ………… करता है।।
  10. विधान परिषद् में ………….. सदस्य राज्यपाल मनोनीत करता है।

उत्तर-

  1. 28,
  2. 8,
  3. एक,
  4. 25,
  5. राज्यपाल,
  6. उच्च,
  7. विवेकशील,
  8. 62
  9. राष्ट्रपति,
  10. 1/6.

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III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधान मंडल है
(A) बिहार
(B) महाराष्ट्र
(C) उत्तर प्रदेश
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधानमंडल/विधान परिषद् नहीं है
(A) पंजाब/हरियाणा
(B) झारखंड
(C) जम्मू और कश्मीर
(D) कर्नाटक।
उत्तर-
(A) पंजाब/हरियाणा

प्रश्न 3.
विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव होता है
(A) राज्यपाल द्वारा
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा
(C) मुख्यमन्त्री द्वारा
(D) विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा।
उत्तर-
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा

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प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा केंद्र शासित (संघीय) क्षेत्र नहीं है?
(A) राजस्थान
(B) दिल्ली
(C) चंडीगढ़
(D) पांडिचेरी।
उत्तर-
(A) राजस्थान

प्रश्न 5.
राज्य विधानमंडल के कौन-कौन से दो सदन होते हैं?
(A) लोकसभा तथा विधानसभा
(B) विधानसभा तथा राज्यसभा
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद
(D) लोकसभा तथा राज्यसभा।
उत्तर-
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद

प्रश्न 6.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त होती हैं?
(A) विधानपरिषद् को
(B) संसद् को
(C) प्रधानमन्त्री को
(D) राज्यसभा को।
उत्तर-
(B) संसद् को

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प्रश्न 7.
शक्तियों के बंटवारे के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(A) संघ सूची 47 विषय; राज्य सूची 97 विषय; समवर्ती सूची 66 विषय
(B) संघ सूची 66 विषय; राज्य सूची 47 विषय; समवर्ती सूची 97 विषय
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय

प्रश्न 8.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
(A) राज्यपाल
(B) मुख्यमन्त्री
(C) विधानसभा अध्यक्ष
(D) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(A) राज्यपाल

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।
  2. विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।
  3. मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  4. पंजाब तथा हरियाणा केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  5. राज्य में मुख्यमंत्री ही अध्यादेश जारी कर सकता है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✗).

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V. उचित मिलान

  1. मुख्यमन्त्री द्वि-सदनीय विधानमंडल
  2. राज्यपाल एक सदनीय विधानमंडल
  3. पंजाब राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान
  4. बिहार राज्य का संवैधानिक मुखिया

उत्तर-

  1. मुख्यमन्त्री-राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान,
  2. राज्यपाल-राज्य का संवैधानिक मुखिया,
  3. पंजाबएक सदनीय विधानमंडल,
  4. बिहार-द्वि-सदनीय विधानमंडल।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विधानसभा की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
विधानसभा के सदस्यों की संख्या राज्य के आकार तथा वहां की जनसंख्या पर निर्भर करती है। परन्तु संविधान के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा में अधिक-से-अधिक 500 सदस्य हो सकते हैं। इनका चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा किया जाता है। विधानसभा का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति की आयु 25 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए। विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
विधानसभा की कार्यवाही का संचालन करने के लिए एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष होता है। इनका चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से ही करते हैं।

प्रश्न 2.
विधान परिषद् की रचना कैसी होती है?
उत्तर-
किसी राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों के एक-तिहाई भाग से अधिक नहीं हो सकती। इस सदन की रचना इस प्रकार होती है —

  1. इसके एक-तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं।
  2. इसके अन्य एक-तिहाई सदस्य राज्य की विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं।
  3. सदस्य संख्या का बारहवां भाग स्नातकों द्वारा निर्वाचित होता है।
  4. एक अन्य बारहवां भाग सैकेण्डरी स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है।
  5. शेष 1/6 सदस्यों को राज्य का राज्यपाल मनोनीत करता है। ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन या सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त होते हैं।

विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। प्रत्येक दो वर्ष के पश्चात् इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नये सदस्य चुन लिए जाते हैं। इस प्रकार विधान परिषद् एक स्थायी सदन है।

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प्रश्न 3.
केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकारी होता है, परन्तु वह केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपना कार्य करता है। निम्नलिखित तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं —

  1. वह केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच कड़ी (Link) का काम करता है। वह विधायिका द्वारा पारित किसी बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  2. राज्यपाल द्वारा राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता की सूचना मिलने पर राष्ट्रपति सम्बन्धित राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ लागू कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्य की विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् को भंग अथवा स्थगित कर दिया जाता है और राज्य का प्रशासन राज्यपाल के अधीन हो जाता है। ऐसे समय पर राज्यपाल राष्ट्रपति का व्यावहारिक प्रतिनिधि बन जाता है। वह राज्य का प्रशासन कुछ सलाहकारों की सहायता से चलाता है।

प्रश्न 4.
जिन आधारों पर राज्यपाल अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल निम्नलिखित आधारों पर अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है —

  1. जब राज्य का शासन संविधान के अनुसार चलाने में बाधा पड़ रही हो।
  2. जब राज्यपाल के लिए यह निश्चित करना कठिन हो जाए कि विधानसभा में किस राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।

प्रश्न 5.
केन्द्र शासित क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत में 8 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। ये जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटे प्रदेश हैं। इसीलिए उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है। वे स्वायत्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों का प्रशासन केन्द्र के अधीन है तथा इन्हें उसके नियन्त्रण में चलाया जाता है। केन्द्र शासित क्षेत्र के प्रशासन का प्रधान उप-राज्यपाल, मुख्य आयुक्त अथवा प्रशासक होता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संसद् कानून बना कर किसी क्षेत्र के लिए विधानसभा की स्थापना भी कर सकती है। ऐसे क्षेत्र का शासन मुख्यमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् चलाती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में यही व्यवस्था है।

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प्रश्न 6.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं बताइए।
उत्तर-
भारत में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र तथा राज्य दोनों संसदीय कार्यपालिकाएं हैं।
  2. केन्द्र और राज्यों में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका है।
  3. केन्द्र में विधानमण्डल (संसद्) के दो सदन हैं। इसी प्रकार कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में भी दो-दो सदन हैं।

प्रश्न 7.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख विषमताएं बताइए।
उत्तर-
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन विषमताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र में निर्वाचित राष्ट्रपति होता है जबकि राज्यों में मनोनीत राज्यपाल होते हैं।
  2. केन्द्र की संसद् के दो सदन हैं, परन्तु अधिकांश राज्यों में एक सदनीय विधानमण्डल है।
  3. राज्य में भारत के उप-राष्ट्रपति के समान स्तर का कोई पद नहीं है।

प्रश्न 8.
राज्य विधानमण्डलों के चार गैर-विधायी कार्य बताइए।
उत्तर-
राज्य विधानमण्डलों के निम्नलिखित चार गैर-विधायी कार्य हैं

  1. विधानमण्डल के सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
  2. विधानमण्डल राज्य के मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास के प्रस्ताव पर विचार करता है।
  3. राज्य विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव करते हैं।
  4. विधानमण्डल का प्रत्येक सदन अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव करता है।

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प्रश्न 9.
राज्यपाल की तीन प्रमुख विधायी शक्तियां बताइए।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन विधायी शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. वह राज्य विधानमण्डल की बैठक बुला सकता है और उसे सम्बोधित कर सकता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित किए गए विधेयकों को स्वीकार कर सकता है, पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है अथवा राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  3. वह राज्य विधानमण्डल के अवकाश काल में अध्यादेश जारी कर सकता है।

प्रश्न 10.
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां बताएं।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. वह मुख्यमंत्री का चयन करता है तथा मुख्यमन्त्री की सलाह से राज्य मन्त्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा एडवोकेट जनरल की नियुक्ति करता है।
  3. वह अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।

प्रश्न 11.
राज्य सरकारों के चार प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर-
मान्य सरकारें चार प्रमुख कार्य करती हैं —

  1. वे अपने राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कानून बनाती हैं और उन्हें लागू करती हैं।
  2. वे अपने राज्य में आवश्यक वस्तुएं लोगों को लगातार उपलब्ध करने के कार्य करती हैं।
  3. वे अपने राज्य में शिक्षा का प्रसार तथा अन्य कल्याणकारी कार्य करती हैं।
  4. वे अपने राज्य में कृषि को प्रोत्साहन देती हैं।

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प्रश्न 12.
मुख्यमन्त्री की चार शक्तियों तथा स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की शक्तियां-मुख्यमन्त्री की शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. मन्त्रियों की नियुक्ति-मुख्यमन्त्री अपने मन्त्रियों की सूची तैयार करके राज्यपाल को भेजता है। राज्यपाल उन्हीं सदस्यों को मन्त्री पद की शपथ दिलाता है।
  2. विभागों का बंटवारा-मुख्यमन्त्री मन्त्रियों में विभाग बांटता है।
  3. मन्त्रियों को हटाना-वह किसी भी मन्त्री से त्याग-पत्र मांग सकता है। यदि वह त्याग-पत्र देने से इन्कार कर दे तो मुख्यमन्त्री उसे राज्यपाल से कह कर हटा सकता है।
  4. मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष-मुख्यमन्त्री मन्त्रिपरिषद् की बैठक का कार्यक्रम निश्चित करता है तथा इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है।

मुख्यमन्त्री की स्थिति-सच तो यह है कि मुख्यमन्त्री राज्य का एक महत्त्वपूर्ण तथा शक्तिशाली अधिकारी है। राज्य प्रशासन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं होता जिस पर उसका नियन्त्रण न हो। कोई भी मन्त्री मुख्यमन्त्री की इच्छा के बिना मन्त्री पद पर नहीं रह सकता। वह ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का प्रशासन चक्कर काटता है।

प्रश्न 13.
उच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार का वर्णन करो।
उत्तर-
मूल रूप से उच्च न्यायालय एक अपीलें सुनने वाला न्यायालय होता है। यह अपने अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध विभिन्न दीवानी और फ़ौजदारी मामलों में अपीलें सुन सकता है। उदाहरण के लिए किसी अपराधी को तब तक फांसी नहीं लगाई जा सकती. जब तक कि सैशन न्यायालय द्वारा दिये गये फांसी के निर्णय का उच्च न्यायालय अनुमोदन नहीं करता। यदि उच्च न्यायालय फांसी के दण्ड को उचित घोषित करता है, तभी मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।

प्रश्न 14.
उच्च न्यायालय के प्रशासकीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उच्च न्यायालय को निम्नलिखित प्रशासकीय अधिकार प्राप्त हैं —
(क) अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करना तथा उन पर नियन्त्रण रखना।
(ख) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में राज्यपाल को परामर्श देना।
(ग) न्यायाधीशों की पदोन्नति इत्यादि के मामले।

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प्रश्न 15.
जिला न्यायालय पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
न्यायिक प्रशासन के लिए प्रत्येक राज्य को विभिन्न जिलों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक जिला एक जिला न्यायाधीश के अधीन कार्य करता है। जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के परामर्श से राज्यपाल नियुक्त करता है, उन्हीं व्यक्तियों को जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जा सकता है जो कि कम-से-कम सात वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुके हों या जो कि संघ या राज्य सरकार की सेवा में अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हों। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जज स्वतन्त्रतापूर्वक न्याय कर सकें और जनता का न्यायपालिका में विश्वास दृढ़ हो।

प्रश्न 16.
भारतीय संघ की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर-
भारतीय संघ में संघीय ढांचे की भान्ति केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर अलग सरकारें हैं। शक्तियों का विभाजन : भी तीन सूचियों-संघ, राज्य तथा समवर्ती में किया गया है। स्वतन्त्र न्यायालय की भी व्यवस्था है, परन्तु भारतीय संघ में केन्द्र अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। सभी महत्त्वपूर्ण विषय केन्द्रीय-सची में रखे गए हैं। केन्द्र साझी सूची पर भी कानून बना सकता है। आपात्काल में इसे राज्य-सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। इस देश में सभी को इकहरी नागरिकता प्राप्त है। भारतीय संघ अमेरिका की भान्ति एक संघ नहीं है।

प्रश्न 17.
संघ और राज्य के मध्य वैधानिक अधिकारों का विभाजन किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
संघीय शासन से हमारा अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शक्तियां संघ तथा उसकी इकाइयों में बांट दी जाती है। संक्षेप में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार होता है —

  1. संघीय-सूची-संघीय सरकार को उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय महत्त्व के होते हैं। सुरक्षा, डाक-तार, मुद्रा आदि सभी संघीय विषय होते हैं।
  2. राज्य-सूची-राज्य-सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य विधानमण्डलों को कानून बनाने का अधिकार होता है। बिक्री-कर, राज्य-वित्त, कृषि आदि राज्य सूची के विषय हैं। यदि कोई राज्य-सूची का विषय राष्ट्रीय महत्त्व धारण कर ले तो एक विशेष प्रक्रिया द्वारा संघीय सरकार को उस विशेष विषय पर कानून बनाने के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
  3. समवर्ती-सूची-इस सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं, परन्तु यदि किसी एक ही विषय पर राज्य तथा केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून में विरोध हो तो केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून को ही मान्य समझा जाता है।

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प्रश्न 18.
राज्यपाल और मन्त्रिपरिषद् का सम्बन्ध बतलाओ।
उत्तर-
राज्यपाल भारतीय संघ में राज्य का मुखिया होता है, परन्तु वह नाममात्र का ही मुखिया है। उसे राज्य की मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से कार्य करना पड़ता है। फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में वह राज्य का वास्तविक मुखिया भी होता है। वह राज्य के मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है। अन्य मन्त्री भी उसी के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के निर्णयों के विषय में मुख्यमन्त्री से पूछताछ कर सकता है, परन्तु मुख्यमन्त्री तथा अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करते समय राज्यपाल अपनी इच्छा से काम नहीं ले सकता है। वह केवल राज्य विधानसभा के बहुमत दल के नेता को ही मुख्यमन्त्री नियुक्त कर सकता है। अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति वह मुख्यमन्त्री के परामर्श से करता है।

प्रश्न 19.
राज्यपाल के क्या अधिकार हैं?
उत्तर-
राज्यपाल को अनेक वैधानिक, कार्यकारी, धन सम्बन्धी तथा न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं।

  1. वह मन्त्रिपरिषद् का गठन करता है तथा राज्य लोक-सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित बिलों को स्वीकृति दे कर कानून बनाता है तथा अप्रैल से पूर्व वित्तमन्त्री से बजट पेश करवाता है।
  3. वह उच्च न्यायालयों के जजों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  4. वह अपने विवेकानुसार किसी बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रख सकता है।
  5. वह राष्ट्रपति को राज्य में शासन-तन्त्र की विफलता की सूचना अपने विवेकानुसार दे सकता है।

प्रश्न 20.
राज्य की व्यवस्थापिका में वित्तीय-विधेयक किस प्रकार पारित होता है?
उत्तर-
वित्तीय विधेयक मन्त्रियों द्वारा रखे जाते हैं। ये विधेयक केवल विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं। जिन राज्यों में दो सदन होते हैं, वहां विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक विधान परिषद् में भेजा जाता है। विधान परिषद् इसे चौदह दिन तक रोक सकती है। तत्पश्चात् यह विधेयक को विधानसभा को सुझावों या बिना सुझावों के भेज देती है। विधानसभा इन सुझावों को अस्वीकार भी कर सकती है। इस प्रकार पारित विधेयक राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की अनुमति मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है।

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राज्य सरकार PSEB 10th Class Civics Notes

  • राज्य विधानमण्डल-कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में दो सदन हैं तथा अन्य में केवल एक ही सदन है। द्विसदनीय विधानमण्डल में निम्न सदन को विधानसभा तथा उच्च सदन को विधानपरिषद् कहते हैं। एक सदनीय विधानमण्डल में केवल विधानसभा होती है।
  • विधानसभा-विधानसभा की सदस्य संख्या राज्य की जनसंख्या के आधार परअधिक-से-अधिक 500 सदस्य। चुनाव के लिए योग्यताएं-25 वर्ष या इससे अधिक आयु तथा लाभप्रद सरकारी पद पर न हो। इसका कार्यकाल 5 वर्ष है।
  • विधानपरिषद्-राज्य का उच्च तथा स्थायी सदन। एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष पश्चात् सेवानिवृत्त। इसके एक तिहाई सदस्य विधानसभा द्वारा, एक तिहाई नगर पालिकाओं तथा परिषदों द्वारा, बारहवां भाग स्नातकों द्वारा, एक अन्य बारहवां भाग स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है। शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं।
  • राज्य कार्यपालिका-राज्यपाल, मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्।
  • राज्यपाल-राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है। राज्य की सारी कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित हैं, परन्तु उनका वास्तविक प्रयोग मुख्यमन्त्री करता है। सारी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल के नाम पर की जाती हैं। राज्यपाल के हस्ताक्षर के पश्चात् ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है। वह अध्यादेश भी जारी कर सकता है। उसके पास स्वविवेक शक्तियां भी हैं।
  • राष्ट्रपति शासन-राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट मिलने पर वहां संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है। इस अवधि में राज्य की सभी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल करता है।
  • मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद-राज्यपाल विधानसभा में बहमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है और. उसकी सिफ़ारिश से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् संयुक्त रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • उच्च न्यायालय-प्रत्येक राज्य के शिखर पर.उच्च न्यायालय होता है। कभी-कभी दो या दो से अधिक राज्यों का साझा उच्च न्यायालय भी हो सकता है।
  • उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार-आरम्भिक, अपील सम्बन्धी तथा प्रशासकीय क्षेत्राधिकार।
  • आरम्भिक क्षेत्राधिकार- इसमें संविधान की व्याख्या तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सम्बन्धी मामले आते हैं।
  • अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-इसके अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करना आता है।
  • प्रशासकीय क्षेत्राधिकार-इस क्षेत्राधिकार में उच्च न्यायालय राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करता है तथा उन पर कड़ा नियन्त्रण रखता है।
  • अधीनस्थ न्यायालय-उच्च न्यायालय के अधीन अधीनस्थ न्यायालय आते हैं। इसमें जिले के न्यायालय तथा उससे नीचे के न्यायालय शामिल हैं।
  • लोक अदालत-निर्धन तथा पिछड़े वर्ग के लोगों को शीघ्र तथा कम खर्चीला न्याय दिलाने के लिए लोक अदालतों की व्यवस्था है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 5(i) ज्वालामुखी

PSEB 11th Class Geography Guide ज्वालामुखी Textbook Questions and Answers

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
ज्वालामुखी की परिभाषा दें।
उत्तर-
यह धरातल पर एक गहरा छेद होता है, जिसके द्वारा धरती के नीचे से गर्म गैसें, तरल और ठोस पदार्थ बाहर. . निकलते हैं।

प्रश्न 2.
ज्वालामुखी क्रियाओं के क्या कारण हैं ?
उत्तर-

  1. भू-गर्भ में उच्च-ताप
  2. भीतरी लावे के भंडार।

प्रश्न 3.
ज्वालामुखी कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  • सक्रिय ज्वालामुखी
  • शांत ज्वालामुखी
  • मृत ज्वालामुखी।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 4.
ज्वालामुखी करेटर क्या होता है ? इसका निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर-
ज्वालामुखी के मुँह के ऊपर बने हुए खड्डे को करेटर कहते हैं। यह कटोरे के समान कीप आकार का होता है। लगातार विस्फोट के कारण इसका आकार बड़ा हो जाता है।

प्रश्न 5.
कैलडरा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विशाल करेटर को कैलडरा कहते हैं।

प्रश्न 6.
बैथोलिथ और लैकोलिथ में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
बैथोलिथ का अर्थ है-लावे का भंडार। ये धनुष के आकार के होते हैं। इसे छत्र भी कहते हैं। जब काफी गहराई पर लावा एक गुंबद आकार में जम जाता है, तो उसे बैथोलिथ कहते हैं। एक-दूसरे के समानांतर जमाव को लैकोलिथ कहते हैं।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 7.
गीज़र और वाष्प द्वार (Fumards) में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
फव्वारे के समान उछलकर अपने-आप निकलने वाले गर्म पानी के चश्मे को गीज़र (Geyser) कहते हैं। धरती की पपड़ी के सुराख में से धुआँ, गैस और जल वाष्प के बाहर निकलने को वाष्प द्वार (Fumarols) कहते हैं।

प्रश्न 8.
विस्फोट के समय की सीमा के आधार पर ज्वालामुखियों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर-

  • हवाईयन विस्फोट
  • सटरोंबोलीयन विस्फोट
  • वोलकेनीयन विस्फोट
  • पेलीनीयन विस्फोट।

प्रश्न 9.
ज्वालामुखी विस्फोट के समय निकलने वाले पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर-

  • जल वाष्प और गैसें।
  • मैगमा और लावा।
  • ठोस पदार्थ-राख, धूल कण, लैपीली।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 10.
विश्व में ज्वालामुखियों के क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी पेटियों (Belts) में मिलते हैं।
  2. अधिकतर ज्वालामुखी कमज़ोर क्षेत्रों में मिलते हैं।
  3. ज्वालामुखी आमतौर पर भूकंप की पेटियों के साथ-साथ मिलते हैं।
  4. अधिकतर ज्वालामुखी समुद्र के निकट या द्वीपों पर मिलते हैं।
  5. ज्वालामुखी मोड़दार पहाड़ी प्रदेशों में या दरारों के निकट मिलते हैं।

विश्व के ज्वालामुखी क्षेत्र (Volcanic Zones of the world) – विश्व में भूकंप कुछ विशेष क्षेत्रों में ही आते हैं। अधिकतर भूकंप उन क्षेत्रों में आते हैं, जहाँ नवीन बलदार पर्वत मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ज्वालामुखी क्षेत्रों में भी भूकंप उत्पन्न होते हैं। भूकंप-क्षेत्र अग्रलिखित हैं-

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी 1

1. प्रति-प्रशांत महासागर तटीय पेटी (Circum Pacific Belt)–यह पेटी प्रशांत महासागर के चारों तरफ के तटीय भागों में फैली हुई है। यह ज्वालामुखी क्षेत्रों की प्रमुख पेटी है, जिसे प्रशांत महासागर का अग्निचक्र (Pacific Ring of Fire) कहते हैं। इस पेटी में विश्व के लगभग दो-तिहाई भूकंप उत्पन्न होते हैं। जापान, अलास्का (Alaska), कैलीफोर्निया (California), मैक्सिको और चिली (Chile) इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। जापान में वर्ष-भर में लगभग 1500 भूकंप आते हैं।

2. मध्यवर्ती विश्व-पेटी (Mid-World Belt)-यह पेटी यूरोप और एशिया की पश्चिम-पूर्व दिशा में बलदार पर्वतों में स्थित है। इस पेटी के अंतर्गत अल्पस (Alps), कॉकेसस (Caucasus), हिमालय पर्वतमाला और पूर्वी द्वीप समूह आते हैं।

Geography Guide for Class 11 PSEB ज्वालामुखी Important Questions and Answers

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बताएँ।
उत्तर-
ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण (Causes of Volcanic Activity) ज्वालामुखी क्रिया एक रहस्यमयी घटना है। ज्वालामुखी का संबंध धरती के भीतरी भाग (Interior) से है। इसकी कार्यशीलता के कई कारण हैं-

1. धरती के भू-गर्भ में बढ़ता तापमान-धरती के भीतरी भाग की ओर जाने पर प्रति 32 मीटर के बाद 1°C तापमान बढ़ जाता है। 90 कि०मी० की गहराई पर तापमान इतना बढ़ जाता है कि चट्टानें ठोस अवस्था में नहीं रह सकतीं। अनेक रेडियो-एक्टिव (Radio-active) खनिजों के कारण भी तापमान अधिक होता है। इतने अधिक तापमान के कारण चट्टानें अति गर्म (Super heated) हो जाती हैं, परन्तु बाहरी भू-तल के दबाव के कारण वे पिघलती नहीं। जैसे ही ऊपरी दबाव कम होता है, चट्टानें पिघलकर द्रव्य रूप (Lava) में बदल जाती हैं और यह लावा बाहर की ओर बढ़ने लगता है।

2. लावे का भंडार-धरती के नीचे लावे का एक भंडार है, जिससे लावे की प्राप्ति होती है।

3. भीतरी वाष्प-धरती के नीचे का पानी भाप बन जाता है और वह वाष्प और गैसों के ज़ोर से चट्टानों को तोडकर बाहर निकलता है। जिस प्रकार सोडा-वाटर की बोतल खोलते ही गैस के साथ-साथ कुछ सोडा-वाटर भी बाहर निकल आता है। समुद्र के निकट यह क्रिया अधिक होती है।

4. कमजोर भू-भागों का होना-कमज़ोर भू-भागों में किसी भीतरी हलचल से चट्टानें आसानी से टूट जाती हैं और विस्फोट होता है। हलचल के कारण दबाव कम होता है और लावा ऊपर उठता है और बाहर निकलता है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 2.
ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले पदार्थ बताएँ।
उत्तर-
ज्वालामुखी विस्फोट के समय तीन प्रकार के पदार्थ-ठोस, तरल और गैसीय-बाहर निकलते हैं।

1. ठोस पदार्थ (Solid Material) ज्वालामुखी विस्फोट के समय बड़े-बड़े चट्टानी टुकड़े बाहर निकलते हैं। लावे के ठोस पिंडों को ज्वालामुखी बम (Bomb) कहते हैं। छोटे टुकड़ों को बरेसिया (Breccia) और लैपीली (Lapilli) कहते हैं। इसके अतिरिक्त बारीक राख (Cinder, ash, Pumice, tuff) भी बड़ी मात्रा में निकलती है।

2. तरल पदार्थ (Liquid Material)—ज्वालामुखी से निकलने वाला महत्त्वपूर्ण तरल पदार्थ लावा (Lava) होता है। यह सिलिका की मात्रा के आधार पर दो प्रकार का होता है-

i) तेजाबी लावा (Acid Lava)-इसमें सिलिका (Silica) की मात्रा 75% से अधिक होती है। यह गाढ़ा होता है और अधिक तापमान पर पिघलता है। यह धीरे-धीरे और थोड़ी दूरी तक बहता है। यह पीले रंग का होता है।

ii) बेसिक लावा (Basic Lava) इसमें सिलिका की मात्रा 60% से कम होती है। यह जल्दी ही पिघल जाता है और दूर तक फैल जाता है। हवाई द्वीप (Hawai islands) के ज्वालामुखी से बेसिक लावा निकलता है। यह काले रंग का होता है।

3. गैसीय पदार्थ (Gaseous Material) ज्वालामुखी से बाहर निकलने वाले गैसीय पदार्थों में जल वाष्प, भाप (Steam), सल्फर, हाइड्रोजन, कार्बन-डाइऑक्साइड, क्लोरीन आदि गैसें मिलती हैं। जलवाष्प के वायुमंडल के संपर्क में आने पर बहुत ज़ोर से वर्षा होती है। इन गैसों के कारण लपटें निकलती हैं। अलास्का को दस हज़ार ज्वालाओं की घाटी (Valley of Ten thousand smokes) कहते हैं।

प्रश्न 3.
ज्वालामुखी के अलग-अलग प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes) विश्व में अनेक प्रकार के ज्वालामुखी मिलते हैं। अलग-अलग पदार्थों के कारण इनके आकार भी भिन्न बन जाते हैं। विस्फोट के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं-

1. सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcanoes)—ये वे ज्वालामुखी हैं, जिनमें समय-समय पर विस्फोट होता रहता है। विश्व में लगभग 600 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। सिसली द्वीप में ऐटना (Etna) ज्वालामुखी 2500 वर्षों से सक्रिय है। खाड़ी बंगाल में अंडमान द्वीप के पूर्व में बैरन द्वीप (Barren Island) ही केवल एक सक्रिय ज्वालामुखी है। इस ज्वालामुखी का व्यास 2 कि०मी० और ऊँचाई 27 मीटर है। इसके मुख से गंधक और गैसें निकलती हैं। हवाई द्वीप का मेना लोआ सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी है।

2. शांत ज्वालामुखी (Dormant Volcanoes)—ये ऐसे ज्वालामुखी हैं, जो लंबे समय तक शांत रहने के बाद अचानक सक्रिय हो जाते हैं। इटली में वैसुवीयस (Vesuvious) ज्वालामुखी कई वर्षों तक शांत रहने के बाद सन् 1976 में अचानक फूट पड़ा। इसमें पोंपअई (Pompeii), हरक्यूलेनियम (Herculaneum) आदि नगर लावे के नीचे दब गए। इसी प्रकार कराकटोआ ज्वालामुखी सन् 1833 में अचानक फूट पड़ा।

3. मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcanoes)—ये ऐसे ज्वालामुखी हैं, जो पूरी तरह से ठंडे हो चुके हैं। इनका मुख मिट्टी, लावा आदि के जमाव से बंद हो गया है। आमतौर पर इनके मुख पर झीलें होती हैं। म्याँमार का पोपा (Popa) और ईरान का कोह सुल्तान (Koh Sultan) ज्वालामुखी इसी प्रकार के हैं।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 4.
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार बताएँ।
उत्तर-
ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption)-ज्वालामुखी विस्फोट दो प्रकार का होता है-
1. केंद्रीय विस्फोट (Central Eruption)—यह विस्फोट किसी केंद्रीय छेद के द्वारा धमाके और गड़गड़ाहट के साथ होता है। शिलाखंडों की बौछार के साथ लावा बाहर निकलता है। जापान का फ्यूज़ीयामा और इटली का वैसुवीयस इसके उदाहरण हैं।

2. दरारी विस्फोट (Fissure Eruption)-जब लावा धरातल पर पड़ी अनेक दरारों से निकलकर चारों तरफ फैल जाता है, तो यह विस्फोट होता है। ये विस्फोट आमतौर पर शांत होते हैं। ये विस्फोट पठारों का निर्माण करते हैं जैसे भारत का लावा प्रदेश और आइसलैंड में लाकी (Laki) प्रदेश।

प्रश्न 5.
ज्वालामुखी के लाभ बताएँ।
उत्तर-
ज्वालामुखी के लाभ (Advantages of Volcanoes)-ज्वालामुखी विस्फोटों से कई लाभ होते हैं और अनेक हानियाँ भी होती हैं। आज के समय में ज्वालामुखियों को प्रकृति के सुरक्षा वाल्व (Safety valves of nature) कहते हैं।

लाभ (Advantages)-

  1. ज्वालामुखी के कारण धरातल पर नए पर्वतों और नए पठारों का जन्म होता है।
  2. ज्वालामुखी के लावे से बनी मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है, जैसे भारत में काली मिट्टी का प्रदेश कपास की खेती के लिए आदर्श है।
  3. ज्वालामुखी विस्फोट से कई खनिज प्राप्त होते हैं, जैसे गंधक, चांदी आदि।
  4. ज्वालामुखी प्रदेशों में गर्म पानी के चश्मों में स्नान करने से त्वचा के कई रोग दूर हो जाते हैं।
  5. ज्वालामुखी के गढों (craters) में झीलें बन जाती हैं, जिनमें से कई नदियाँ निकलती हैं।
  6. लावा के जमाव से बनी चट्टानें भवन-निर्माण के लिए उपयोगी होती हैं।
  7. ज्वालामुखी क्षेत्रों में देखने योग्य दृश्य बन जाते हैं।
  8. ज्वालामुखी से धरती की भीतरी हालत का पता चलता है।
  9. आइसलैंड के गर्म चश्मों के पानी से खाना बनाने और कपड़े धोने का काम लिया जाता है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

निबंधात्मक प्रश्न । (Essay Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
ज्वालामुखियों का वर्गीकरण करें। विस्फोट के समय की सीमा के आधार पर ज्वालामुखियों को। कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर
ज्वालामुखियों का वर्गीकरण (Classification of Volcanoes)-
केंद्रीय प्रकार के विस्फोट के समय निकला लावा, राख आदि शंकु आकार (Conical) ज्वालामुखियों की रचना करते हैं। ये ज्वालामुखी अनेक प्रकार के होते हैं। ज्वालामुखियों का वर्गीकरण (Classification) क्रियाशीलता और विस्फोट के आधार पर किया जाता है, जिनका उल्लेख आगे किया गया है

I. क्रियाशीलता पर आधारित वर्गीकरण (Classification Based on Activity)-
क्रियाशीलता के आधार पर ज्वालामुखी नीचे लिखे तीन प्रकार के होते हैं-

1. सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcanoes)—इन ज्वालामुखियों में विस्फोट थोड़े-थोड़े समय के बाद होता रहता है अर्थात् समय-समय पर इनमें से लावा, गैसें आदि निकलती रहती हैं। इन्हें सक्रिय ज्वालामुखी कहकर पुकारा जाता है। दक्षिणी अमेरिका के देश एक्वाडोर (Ecuador) का कोटोपैक्सी (Cotopaxi) ज्वालामुखी सर्वोच्च सक्रिय ज्वालामुखी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 600 मीटर है। सिसली (Sicily) का ऐटना (Etna) ज्वालामुखी पिछले कई वर्षों से सक्रिय है।

2. शांत ज्वालामुखी (Dormant Volcanoes) जो ज्वालामुखी अधिक समय तक शांत रहने के बाद अचानक जागृत हो जाते हैं, उन्हें शांत ज्वालामुखी कहते हैं। इस प्रकार के ज्वालामुखियों के विस्फोट में अक्सर लंबे समय का अंतर रहता है। इटली का वैसुवीयस (Vesuvius) ज्वालामुखी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। 79 ई० में इस ज्वालामुखी के विस्फोट के फलस्वरूप उस समय के दो प्रसिद्ध नगर पोंपञई (Pompei) और हरक्यूलेनियम (Herculaneum) इसकी गर्म राख के नीचे दबकर पूर्ण रूप से नष्ट हो गए थे। उस समय यह ज्वालामुखी पिछले सात सौ वर्षों से शांत था।

3. मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcanoes)—कुछ ऐसे ज्वालामुखी भी हैं, जो पहले कभी एक-दो बार फटे थे, परंतु उसके बाद से वे पूर्ण रूप से शांत हैं। अब उनके विस्फोट की कोई संभावना नहीं है। इन्हें मृत ज्वालामुखी कहते हैं। बर्मा (म्यांमार) का माऊंट पोपा (Mount Popa) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।

II. विस्फोट के आधार पर वर्गीकरण (Classification Based on Nature of Eruptions)-

ज्वालामुखियों का वर्गीकरण विस्फोट के स्वभाव के आधार पर नीचे दिया गया है-

1. हवाईयन प्रकार (Hawaian Type)-इस प्रकार के ज्वालामुखियों में जोरदार विस्फोट कम ही होते हैं। इनमें से पतला लावा शांतमयी ढंग से धीरे-धीरे निकलता है, जोकि एक विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है। लावे के निकलने के समय, कभी-कभी तीव्र गति से प्रवाहित होती हुई हवा लावे को धागों के रूप में उड़ाती है। धागे के समान इन पतली लावा आकृतियों को हवाई की अग्नि देवी पैले (Pele) के नाम पर पैले के बाल (Pele’s Hair) कह कर संबोधित किया जाता है। हवाई द्वीप के प्रमुख ज्वालामुखी मोना लोआ (Mauna Loa) और किलाओ (Kilauea) इसके सबसे उत्तम उदाहरण हैं।

2. सटरोंबोलीयन प्रकार (Strombolian Type)-इस प्रकार के ज्वालामुखियों का नामकरण भू-मध्य सागर में सिसली द्वीप के उत्तर में स्थित लीपेरी द्वीप समूह (Lipari Islands) के सटरोंबोलीयन ज्वालामुखी के नाम पर किया गया है। विस्फोट के बाद इसमें से लेपीली (Lapilli), प्यूमिका (Pumica), एकोरिया (Acoria), बम (Bomb) आदि पदार्थ बाहर निकलते हैं। सटरोंबोली जैसे ज्वालामुखियों में से निरंतर रूप में निकास होता रहता है। इसी कारण सटरोंबोली ज्वालामुखी को रोम सागर का प्रकाश गृह (Light house of Mediterranean) के नाम से संबोधित करते हैं।

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3. वोलकेनीयन प्रकार (Volcanian Type)-
इस प्रकार के ज्वालामुखियों का नाम सटरोंबोलीयन के निकट स्थित वोलकेनो के नाम पर रखा गया है। इसमें से निकलने वाला लावा बहुत गाढ़ा होता है। ज्वालामुखी के ऊपर भाप के घने बादल छा जाते हैं जो कि गोभी के फूल (like Cauliflower) की आकृति धारण कर लेते हैं। पेलीनियन प्रकार (Palenean Type)-पेले पश्चिमी द्वीप समूह (West Indies) का ज्वालामुखी है। इसमें भयंकर प्रकार के विस्फोट होते हैं। विस्फोट के समय बड़ी मात्रा में शिलाखंड, राख और गैसें बाहर निकलती हैं, जिससे आकाश अत्यंत धूलमय हो जाता है। इस तरह के ज्वालामुखियों में इतना भयंकर विस्फोट होता है कि आरंभिक ज्वालामुखी (craters) नष्ट हो जाते हैं और विस्फोट के स्थान पर केलडेरा (Caldera) बन जाते हैं।

5. वैसवीयस प्रकार (Vesuvius Type)-इस प्रकार के ज्वालामुखियों में निकलने वाला लावा अधिक गैस युक्त होता है जिससे विस्फोट होता है। ऊँची उठती हुई गैसों के साथ मिट्टी, राख, विखंडित शिलाओं के टुकड़े आदि भी प्रमुख मात्रा में ऊपर उठते हैं। इंडोनेशिया के क्राकटोआ (Krakatoa) ज्वालामुखी का जो विस्फोट सन् 1883 ई० में हुआ था, उसमें से निकली राख आकाश के ऊपर लगभग 6 महीने तक लटकती अवस्था में पड़ी रही।

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PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 5(i) ज्वालामुखी

प्रश्न 2.
ज्वालामुखी विस्फोट के समय निकलने वाले पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर-
ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption)—ज्वालामुखी विस्फोट दो प्रकार का होता है-
1. केंद्रीय विस्फोट (Central Eruption)—यह विस्फोट किसी केंद्रीय छेद के द्वारा धमाके और गड़गड़ाहट से होता है। शिलाखंडों की बौछार के साथ लावा बाहर निकलता है। जापान का फ्यूज़ीयामा और इटली का वैसुवीयस विस्फोट इस प्रकार के उदाहरण हैं।

2. दरारी विस्फोट (Fissure Eruption) जब लावा धरती पर पड़ी अनेक दरारों से निकलकर चारों तरफ फैल जाता है, तो इस विस्फोट को दरारी विस्फोट कहते हैं। ये विस्फोट आमतौर पर शांत होते हैं। ये विस्फोट पठारों का निर्माण करते हैं, जैसे भारत का लावा प्रदेश और आईसलैंड में लाकी (Laki) प्रदेश।

ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले पदार्थ (Materials of Volcanic Eruptions)-

ज्वालामुखी विस्फोट के समय भू-गर्भ से जो गर्म चट्टानें और गैसें बाहर निकलती हैं, इनका सांझा नाम मैगमा (Magma) है। ज्यों-ज्यों मैगमा भू-तल की ओर आता है, तो गैसें अलग हो जाती हैं, बाकी भाग को लावा (Lava) कहते हैं। विस्फोट के समय तीन प्रकार के पदार्थ बाहर निकलते हैं-ठोस, तरल और गैसीय।

1. ठोस पदार्थ (Solid Material)-ज्वालामुखी विस्फोट के समय बड़े-बड़े चट्टानी टुकड़े बाहर निकलते हैं। लावे के ठोस पिंडों को ज्वालामुखी बम (Bomb) कहते हैं, जो बंदूक की गोली के समान नीचे गिरते हैं। ये लावे के जम जाने के कारण बनते हैं। छोटे टुकड़ों को बरेसिया (Breceia) और लैपीली (Lapilli) कहते हैं। इसके अतिरिक्त बारीक राख (Cinder, ash, Pumice, tuff) भी बड़ी मात्रा में निकलती है। 27 अगस्त, 1883 को क्राकटोआ (Krakatoa) द्वीप के विस्फोट के समय निकलने वाली राख (Dust) तीन साल तक वायुमंडल में रही और इसने धरती के तीन चक्कर लगाए और वायुमंडल में 25 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँची।

2. तरल पदार्थ (Liquid Material)-ज्वालामुखी से निकलने वाला महत्त्वपूर्ण तरल पदार्थ लावा (Lava) होता है। यह सिलीका की मात्रा के आधार पर दो प्रकार का होता है-

1. तेजाबी लावा (Acid Lava) इसमें सिलीका (Silica) की मात्रा 75% से अधिक होती है। यह गाढ़ा होता है और अधिक तापमान पर पिघलता है। यह धीरे-धीरे और थोड़ी दूरी तक बहता है। यह पीले रंग का होता है।

2. बेसिक लावा (Basic Lava)—इसमें सिलीका की मात्रा 60% से कम होती है। यह जल्दी ही पिघल जाता है और दूर तक फैल जाता है। हवाई द्वीप (Hawai Island) के ज्वालामुखी से बेसिक लावा निकलता है। यह काले रंग का होता है।

3. गैसीय पदार्थ (Gaseous Material)-दूर से ऐसा लगता है, जैसे ज्वालामुखी से आग की लपटें (ज्वाला) निकलती हों, इसीलिए इसे ज्वालामुखी कहते हैं। ज्वालामुखी से बाहर निकलने वाले गैसीय पदार्थों में जलवाष्प, भाप (Steam), सल्फर, हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरीन आदि गैसें मिलती हैं। जलवाष्प के वायुमंडल के संपर्क में आने से बहुत ज़ोर से वर्षा होती है। इन गैसों के कारण लपटें निकलती हैं। फटने के समय लपटें उठती हुई दिखाई देती हैं। अलास्का को दस हज़ार ज्वालाओं की घाटी (Valley of Ten thousand smokes) कहते हैं। जावा (Java) में जहरीली गैसों की एक घाटी है, जिसे मौत की घाटी (Valley of Death) कहते हैं। बहुत तेज़ वर्षा के बाद ज्वालामुखी से कीचड़ (Mud) भी निकलता है।

प्रश्न 3.
विश्व में ज्वालामुखियों के क्षेत्रीय विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर-
ज्वालामुखियों का विभाजन (Distribution of Volcanoes)-

  1. विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी पेटियों (Belts) में मिलते हैं।
  2. अधिकतर ज्वालामुखी कमज़ोर क्षेत्रों में मिलते हैं।
  3. ज्वालामुखी आमतौर पर भूकंप की पेटियों के साथ-साथ मिलते हैं।
  4. अधिकतर ज्वालामुखी समुद्र के निकट या द्वीपों पर मिलते हैं।
  5. ज्वालामुखी मोड़दार पहाड़ी प्रदेशों में या दरारों के निकट मिलते हैं।

विश्व के ज्वालामुखी क्षेत्र (Volcanic Zones of the world) – विश्व में भूकंप कुछ विशेष क्षेत्रों में ही आते हैं। अधिकतर भूकंप उन क्षेत्रों में आते हैं, जहाँ नवीन बलदार पर्वत मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ज्वालामुखी क्षेत्रों में भी भूकंप उत्पन्न होते हैं। भूकंप-क्षेत्र अग्रलिखित हैं-

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1. प्रति-प्रशांत महासागर तटीय पेटी (Circum Pacific Belt)–यह पेटी प्रशांत महासागर के चारों तरफ के तटीय भागों में फैली हुई है। यह ज्वालामुखी क्षेत्रों की प्रमुख पेटी है, जिसे प्रशांत महासागर का अग्निचक्र (Pacific Ring of Fire) कहते हैं। इस पेटी में विश्व के लगभग दो-तिहाई भूकंप उत्पन्न होते हैं। जापान, अलास्का (Alaska), कैलीफोर्निया (California), मैक्सिको और चिली (Chile) इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। जापान में वर्ष-भर में लगभग 1500 भूकंप आते हैं।

2. मध्यवर्ती विश्व-पेटी (Mid-World Belt)-यह पेटी यूरोप और एशिया की पश्चिम-पूर्व दिशा में बलदार पर्वतों में स्थित है। इस पेटी के अंतर्गत अल्पस (Alps), कॉकेसस (Caucasus), हिमालय पर्वतमाला और पूर्वी द्वीप समूह आते हैं।

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प्रश्न 4.
ज्वालामुखी की परिभाषा दें। इसके कारण बताएँ।
उत्तर-
ज्वालामुखी (Volcanoes)-भू-पटल में वह छेद (Vent), जिसमें से द्रव्य, लावा, गैस, चट्टानीय टुकडे, राख आदि पदार्थ भू-तल पर प्रकट होते हैं, उसे ज्वालामुखी (Volcanoes) कहते हैं।

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ज्वालामुखी (Volcano)–धरातल पर एक गहरा छेद होता है, जिसके द्वारा धरती के नीचे से गर्म गैसें, तरल और ठोस पदार्थ बाहर निकलते हैं। अंग्रेजी भाषा का ‘Volcano’ शब्द रोमन शब्द ‘Vulcan’ से बना है, जिसका अर्थ है’अग्नि देवता’। यही कारण है कि आज भी जापान में फ्यूज़ीयामा ज्वालामुखी की पूजा की जाती है। हिमाचल में भी ज्वालामुखी स्थल को पवित्र मानकर लोग उसकी पूजा करते हैं। ज्वालामुखी के तीन भाग होते हैं-

  1. छेद (Vent)
  2. ज्वालामुखी नली (Volcanic Pipe)
  3. ज्वालामुखी कुंड (Crater)

ज्वालामुखी की रचना (Formation of a Volcano)—पहले भीतरी हलचल के कारण धरती की किसी कमज़ोर परत के एक छेद के द्वारा बाहर निकलने वाले पदार्थ आस-पास जम जाते हैं और एक शंकु (Cone) का निर्माण करते हैं। इसकी ऊँचाई जमाव के कारण निरंतर बढ़ती जाती है। ऐसे भू-आकार को ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountain) कहते हैं।

ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण (Causes of Volcanic Activities)–ज्वालामुखी क्रिया एक रहस्यमयी घटना है। ज्वालामुखी का संबंध धरती के भीतरी भाग (Interior) से है। इसकी कार्यशीलता के कई कारण हैं

1. धरती के भू-गर्भ में तापमान की अधिकता (Increase in temperature of Inner Earth)-धरती के भीतरी भाग की ओर जाने से प्रति 32 मीटर 1°C तापमान बढ़ जाता है। 90 कि०मी० की गहराई पर तापमान इतना बढ़ जाता है कि चट्टानें ठोस हालत में नहीं रह सकतीं। अनेकों रेडियो-एक्टिव (Radio Active) खनिजों के कारण भी ताप बढ़ जाता है। इतने अधिक ताप के कारण चट्टानें अति गर्म (Super heated) हो जाती हैं, परंतु बाहरी भूमि तल के दबाव के कारण वे पिघलती नहीं। जैसे ही ऊपरी दबाव कम होता है, चट्टानें पिघलकर द्रव्य रूप (Lava) में बदल जाती हैं और यह लावा बाहर की ओर बढ़ने लगता है।

2. भू-पटल के भीतर दबाव की कमी होना (Decrease in Pressure upon the Interior of Earth’s crust)-भू-पटल की ऊपरी परतों के दबाव के कारण भीतरी पदार्थ पूर्ण रूप से द्रव्य नहीं होते क्योंकि यह दबाव इन पदार्थों का द्रव्य-अंक (Melting Point) ऊँचा कर देता है। पर जब कभी दरारों (Faulting) और अपरदन से ऊपरी परतों का दबाव कम हो जाता है, तो भीतरी पदार्थ द्रव्य बनकर बाहर निकलने का यत्न करते हैं जिसके कारण ज्वालामुखी विस्फोट होता है।

3. गैसों का दबाव (Pressure of Gases)-भूमिगत जल प्रवाह की अधिकता के कारण वाष्प अधिक मात्रा में बनती है। यह क्रिया अधिकतर सागरों के निकट होती है। यह वाष्प लावे पर दबाव डालती है, फलस्वरूप लावा बाहर निकलना प्रारंभ हो जाता है। कई बार वाष्प अपना दबाव डालकर भू-पटल के कमज़ोर भागों से धमाका करके बाहर निकल आती है, जिस कारण द्रव्य लावे को भू-तल पर प्रकट होने के लिए मार्ग मिल जाता है।

प्रश्न 5.
ज्वालामुखी के बाहरी स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर-
ज्वालामुखी स्वरूप : बहिर्वेधी (Volcanic Forms : Extrusive) –
वे सभी क्रियाएँ, जो भू-गर्भ से निकलने वाले लावे और उसके द्वारा बनी भू-आकृतियों से संबंध रखती हैं, ज्वालामुखी क्रियाएँ (Volcanicity) कहलाती हैं। जब भू-गर्भ के पदार्थ भू-तल पर आकर अलग-अलग स्वरूपों में प्रकट होते हैं, तो इस क्रिया को बाहरी क्रिया कहा जाता है। इस क्रिया के स्वरूप आगे लिखे हैं-

1. ज्वालामुखी या लावा पठार (Volcanic or Lava Plateau)-ज्वालामुखी विस्फोट के समय जब इसमें से निकलने वाले लावे में यदि सिलीका की मात्रा कम हो, तो यह पतला होता है, परिणामस्वरूप वह दूरदूर तक फैल जाता है। इससे इसका आधार विस्तृत और ऊँचाई कम होती है। इसे लावा पठार कहते हैं, जैसे प्रायद्वीप भारत का दक्कन ट्रैप (Decean Trap)।

2. ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountain)-जिस छेद से लावा, गैसें आदि भू-तल पर प्रकट होती हैं, तो उस ज्वालामुखी छेद के चारों तरफ अंदर से निकलने वाले गाढ़े (Thick) पदार्थ के एकत्र होने से एक शंकु (Cone) बन जाता है, जो कुछ समय बाद बड़ा होकर पर्वत का रूप धारण कर लेता है। इसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। अफ्रीका का किलीमंजारो, जापान का फ्यूज़ीयामा, दक्षिणी अमेरिका का ऐकोंकागुआ (Aconcagua) ऐसे ही पर्वत हैं।

3. फिशर प्रवाह (Fissure Flow)-इसमें लावे का निकास किसी एक मुख से नहीं होता, बल्कि भू-तल की लंबी दरार में से होता है और लावा एक विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है। 1783 में आईसलैंड का लाकी (Laki) विस्फोट और 1986 में न्यूजीलैंड का तारानेरा (Taranera) विस्फोट इसके विशेष उदाहरण हैं। लाकी में लगभग 30 किलोमीटर और तारानेरा में लगभग 15 किलोमीटर लंबी दरार थी।

4. ऊष्ण चश्मे (Hot Springs)–जब भूमिगत जल पृथ्वी की काफी गहराई में पहुँच जाता है, तो वहाँ बहुत अधिक ऊष्णता के होने के कारण वह जल गर्म हो जाता है और चट्टानों की चौड़ी दरारों से होता हुआ भूतल पर आ जाता है। इसे ऊष्ण स्रोत या चश्मा कहते हैं। हिमाचल प्रदेश में मनाली के निकट ऊष्ण चश्मे और पार्वती घाटी में परिगंगा ऊष्ण स्रोत इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

5. गीज़र (Geyser)—यह भू-तल पर ऊष्ण जल का एक फव्वारा होता है। इसमें जल रुक-रुक कर उछलता है। गीज़र भू-पटल के भीतरी भाग में स्थित किसी जल-भंडार से संबंधित होता है। भू-गर्भ की अत्यधिक गर्मी के कारण इस जल-भंडार का जल बहुत गर्म हो जाता है और उबलने लग जाता है। फलस्वरूप यह फैलता है। फैलने के लिए खुला स्थान न होने के कारण यह भू-पटल की ओर बढ़ता है और फव्वारे के समान ऊपर आकाश की ओर उछलता है। इसे उछाल चश्मा या गीज़र कहा जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यैलोस्टोन पार्क में दो सौ से अधिक गीज़र हैं।

6. क्रेटर झील (Crater Lake) ज्वालामुखी के ठंडे हो जाने पर कभी-कभी इसके मुख में जल भर जाता है और इस प्रकार वहाँ एक झील बन जाती है। इसे क्रेटर झील कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के यैलोस्टोन पार्क की क्रेटर झील इसका प्रमुख उदाहरण है। भारत में महाराष्ट्र की लोनार झील (Lonar Lake) भी इसी प्रकार की झील है।

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7. ज्वालामुखी कुंड या कैलडरा (Caldera)-सक्रिय ज्वालामुखी जब शांत होने लगता है, तो उसके कीप आकार के मार्ग में लावा ठोस हो जाता है, जिसे ज्वालामुखी प्लग (Volcanic Plug) कहते हैं। कुछ समय के बाद जब ज्वालामुखी फिर से सक्रिय होने लगता है, तो उसके कीप आकार के मार्ग के प्लग द्वारा बंद होने के कारण, लावा प्लग सहित ज्वालामुखी के मुख में विस्फोट करके उसे उड़ा देता है। फलस्वरूप नवीन मुख बड़े आकार का बनता है, इसे ज्वालामुखी कुंड कहते हैं। इसका व्यास कई किलोमीटर तक होता है। उदाहरण के तौर पर जापान के कैलडरा को Volcano of Hundred Villages कहते हैं।

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प्रश्न 6.
ज्वालामुखी के भीतरी स्वरूपों का वर्णन करें।
उत्तर-
ज्वालामुखी स्वरूप : अंतर्वेधी (Volcanic Forms : Intrusive)-
भू-गर्भ से भू-तल की ओर आता लावा कभी-कभी मार्ग में ठोस हो जाता है और बाहर नहीं पहुंचता। इससे अंतर्वेधी या पाताली चट्टानों (Intrusive or Plutonic Rocks) का निर्माण होता है। जब लावा मार्ग में ही भू-तल के समानांतर अवस्था में ठोस हो जाता है, तो उसे लावा-चौखट (Sill) और जब लावा लंब और कुछ तिरछी दिशा में ठोस होता है, तो उसे लावा-भित्ती (Dyke) कहते हैं।

ज्वालामुखी की अंतर्वेधी क्रियाओं के कारण नीचे लिखी आकृतियाँ बनती हैं –

1. लैकोलिथ (Lacoliths)-लैकोलिथ शब्द की रचना ‘Laccas’ और ‘Lithas’ के मेल से हुई है। ‘Laccas’ का अर्थ है-भंडार और ‘Lithas’ का अर्थ है-पत्थर। इस प्रकार ‘Laccolith’ का अर्थ है-‘पत्थर के भंडार’। मैगमा से आता हुआ द्रव्य लावा भू-पटल के मध्यवर्ती भागों में अलग-अलग प्रकार की चट्टानों की परतों में प्रवेश कर जाता है और चित्र-लैकोलिथ अपने ऊपर की परतों के दबाव से आधे धनुष के आकार में मोड़ देता है। इसे लैकोलिथ कहा जाता है।

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2. बैथोलिथ (Batholiths)—भू-गर्भ से द्रव्य अवस्था में लावा भू-तल पर आने का यत्न करता है, परन्तु मार्ग न मिलने के कारण भीतरी खाली भागों में भर जाता है और ठोस चट्टानों का रूप धारण कर लेता है। लावा आयतन (Volume) में यदि बड़ा हो, तो इन खोखले स्थानों को द्रवित करके उन्हें बड़े आकार का बना देता है। भू-गर्भ में बने हुए लावे के सबसे चित्र-बैथोलिथ लावा चट्टान बड़े रूप को बैथोलिथ कहा जाता है। यह गुंबद के आकार के होते हैं। इनके किनारे खड़ी ढलान वाले (Steep slope) और नीचे की ओर असीम गहराई तक विस्तृत होते हैं। इनका आधार कभी दिखाई नहीं देता। यह आमतौर पर ग्रेनाइट द्वारा बने होते हैं। भू-पटल के ऊपर की अन्य चट्टानों के अनावरण द्वारा घिसकर समाप्त हो जाने के बाद ये भू-पटल पर दिखाई देते हैं।

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3. राख शंकु (Ash Cone)—ये कम ऊँचे शंकु होते हैं जिनकी रचना धूल और राख से होती है। इनके किनारे अवतल (Concave) ढलान वाले होते हैं। ऐसे शंकु हवाई द्वीप में मिलते हैं। उन्हें Cinder cone भी कहते हैं।

4. शील्ड शंकु (Shield Cones)—इनका निर्माण बेसिक लावा (Basic Lava) से होता है। बेसिक लावा हल्का और पतला होता है। इसमें सिलीका की मात्रा कम होती है। यह लावा दूर तक फैल जाता है। इस प्रकार लंबे और कम ऊँचे शंकु का निर्माण होता है। हवाई द्वीप का मौना लोआ (Mauna Loa) का आधार 112 किलोमीटर चौड़ा है।

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5. गुंबद शंकु (Lava Dome)—इनका निर्माण तेज़ाबी लावे से होता है। यह लावा काफी घना और चिपचिपा होता है। इसमें सिलीका की मात्रा अधिक होती है। यह मुख के निकट ही जल्दी जमकर गुंबद बन जाता है। इस प्रकार तेज़ ढलान वाले ऊँचे शंकु का निर्माण होता है। फ्रांस में पाई-द-डोम (Puy-de-Dome) 1500 मीटर ऊँचा है।

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6. लावा प्लग (Volcanic Plug)-जब शंकु पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, तो नली और छेद ठोस लावे से भर जाते हैं। यह नली एक प्लग (Plug) के समान दिखाई देती है; जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) में लौसन चोटी ALTH (Lossen Peak).

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7. मिश्रित शंकु (Composite Cone)-ये सबसे ऊँचे और बड़े शंकुओं में गिने जाते हैं। इनका निर्माण लावा, राख और दूसरे पदार्थों की विभिन्न परतों के जमने से होता है। यह जमाव समानांतर परतों में होता है। इटली का सटरोंबोली (Stromboli) इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसमें हर घंटे के बाद ज्वाला निकलती है। इसे रोम सागर का प्रकाश-गृह (light house of the Mediterranean) भी कहते हैं। जापान का फ्यूज़ीयामा इसका सुंदर उदाहरण है। ढलानों पर बनने वाले छोटे-छोटे | शंकुओं को परजीवी शंकु (Parasitic Cones) कहते हैं। इन्हें छोटे शंकु (Secondary Cones) भी कहते हैं।

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ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption)–ज्वालामुखी विस्फोट दो प्रकार का होता है-
1. केंद्रीय विस्फोट (Central Eruptions)—यह विस्फोट किसी केंद्रीय छेद के द्वारा धमाके और गड़गड़ाहट से होता है। शिलाखंडों की बौछार के साथ लावा बाहर निकलता है। जापान का फ्यूज़ीयामा और इटली का – वैसुवीयस विस्फोट इसके उदाहरण हैं।

2. दरारी विस्फोट (Fissure Eruption)-जब लावा धरातल पर पड़ी अनेक दरारों से निकलकर चारों ओर फैल जाता है तब यह विस्फोट होता है। ये विस्फोट आम तौर पर शांत होते हैं। ये विस्फोट पठारों का निर्माण करते हैं, जैसे भारत का लावा प्रदेश और आईसलैंड में लाकी (Laki) प्रदेश।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 1 मनुष्य का शरीर

PSEB 7th Class Physical Education Guide मनुष्य का शरीर Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
मानव के शरीर के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मानव का शरीर मांसपेशियों, हड्डियों तथा बहुत-से छोटे तथा बड़े अंगों जैसे दिल, फेफड़े, जिगर, गुदा आदि से बना है। जब दर्शक कबड्डी आदि खेलों में भाग लेने से पूर्व शरीर को गर्माते हुए खेल के मैदान में प्रवेश करते हैं तो उनके आकर्षक, सुन्दर हृष्टपुष्ट शरीर को देखते हैं तो उनके मन में भी उसी प्रकार का सुन्दर और आकर्षक शरीर पाने की मन में इच्छा होती है। खिलाड़ियों को अपने शरीर को आकर्षक और शक्तिशाली बनाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। प्रत्येक खेल में शरीर का स्वस्थ व शक्तिशाली होना आवश्यक है। खेलों में खिलाड़ी की उन्नति उसके शरीर की क्षमता पर निर्भर करती है। शरीर को स्वस्थ और मेहनती बनाने के लिए खिलाड़ी को शारीरिक जानकारी होना अति आवश्यक है। अगर खिलाड़ी को शरीर के सभी अंगों, उनकी कार्यक्षमता व कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं होगी तो उसे शारीरिक व्यायाम करते समय चोट लग सकती है अथवा चोट लगने का भय बना रहता है और उसकी शारीरिक क्षमता में वृद्धि नहीं हो सकती।

प्रश्न 2.
मानव शरीर को समझने के लिए कौन से दो भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-

  1. शारीरिक ढांचा
  2. शारीरिक क्रियाएं।

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प्रश्न 3.
हमारे शरीर में कुल कितनी हड्डियां होती हैं ?
उत्तर-
206 हड्डियां होती हैं।

प्रश्न 4.
रक्त प्रवाह प्रणाली के मुख्य अंग कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. दिल
  2. धमनियां
  3. शिराएं
  4. कोशिकाएं।

प्रश्न 5.
ज्ञानेन्द्रियों के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
ज्ञानेन्द्रियों में आंख, कान, जिह्वा, नाक और त्वचा शामिल है। इन ज्ञानेन्द्रियों से हमें अपने आस-पास की सभी जानकारी मिलती है। आंख से हम सभी वस्तुओं को देखते हैं। नाक से संघकर सुगंध और दुर्गंध में अन्तर मालूम होता है। कानों के द्वारा हम सुनते हैं। जिह्वा से खाने-पीने की वस्तुओं के स्वाद के बारे में पता चलता है। त्वचा द्वारा स्पर्श से गर्मी-सर्दी का पता चलता है। इन ज्ञानेन्द्रियों का हमारे मस्तिष्क से सीधा सम्बन्ध होता है।

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प्रश्न 6.
मानव शरीर में मल त्याग प्रणाली का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मल-विसर्जन प्रणाली-जो भोजन हम खाते हैं उसका कुछ भाग ही शरीर में इस्तेमाल होता है, शेष भोजन व्यर्थ पदार्थ के रूप में बच जाता है। इसी तरह जब हम कार्य करते हैं तो शरीर में ऊर्जा का प्रयोग होता है जिससे कई व्यर्थ पदार्थ शरीर में बच जाते हैं। इन व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना आवश्यक है यदि यह व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर न निकलें तो कई रोग लग जाते हैं। मल त्याग प्रणाली इन हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है। त्वचा और गुर्दे इस प्रणाली का मुख्य अंग है जो पसीने और मूत्र द्वारा इन व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं।

प्रश्न 7.
शारीरिक ढांचे के प्रमुख कार्य कौन से हैं ?
उत्तर-
हमारा शारीरिक ढांचा कई प्रकार के कार्य करता है जो निम्नलिखित हैं
1. सुरक्षा-हमारे शरीर में कई कोमल अंग हैं जैसे हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क आदि इन पर हल्की सी चोटें भी खतरनाक हो सकती हैं। हमारा शारीरिक ढांचा इन कोमल अंगों को हड्डियों और पसलियों से ढककर सुरक्षा देता है जैसे खोपड़ी की हड्डियां हमारे दिमाग और पसलियां हृदय और फेफड़ों को सुरक्षा देते हैं।

2. आकार-शारीरिक ढाँचा हमारे शरीर को आकार देता है। यदि हमारे शरीर में हड्डियां न हों तो शरीर मांस का लोथड़ा बनकर रह जाएगा और इसे किसी प्रकार का आकार प्रदान नहीं हो सकता।

3. गतिशीलता-शारीरिक ढाँचा शरीर को गतिशील बनाता है। हमारी मांसपेशियां शारीरिक ढाँचे से जुड़ी होती हैं। मांसपेशियों के सिकुड़ने और फैलने से हडियों में गति होती है जिससे हम चलने, कूदने और दौड़ सकते हैं।

4. खनिज भण्डार-हमारे शरीर की हड्डियां खनिज भण्डार का काम भी करती हैं। हड्डियों में बड़ी मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता है जिनसे हमारे शरीर की वृद्धि और विकास होता रहता है। इन खनिजों के लिए संतुलित भोजन खाना चाहिए। यदि शरीर में इन तत्त्वों की कमी हो जाए तो हड्डियां इसकी पूर्ति करती हैं।

Physical Education Guide for Class 7 PSEB मनुष्य का शरीर Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य का शरीर किस वस्तु का बना है ?
उत्तर-
मांसपेशियों, हड्डियों तथा बहुत-से छोटे और बड़े अंगों का।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 2.
मानव शरीर में तीन महत्त्वपूर्ण अंगों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. दिल (हृदय)
  2. फेफड़े
  3. गुर्दे।

प्रश्न 3.
शरीर के कोमल अंगों को चोट से कौन रक्षा करता है ?
उत्तर-
कोमल अंगों को हड्डियां व पसलियां ढककर सुरक्षा प्रदान करती हैं।

प्रश्न 4.
खोपड़ी की हड्डियां किस शरीर के अंग की रक्षा करती हैं ?
उत्तर-
दिमाग की (मस्तिष्क)।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 5.
हमारे शरीर को आकार कौन प्रदान करता है ?
उत्तर-
शारीरिक ढांचा मानव शरीर को आकार प्रदान करता है।

प्रश्न 6.
यदि हमारे शरीर में हड्डियां न होती तो क्या होता ?
उत्तर-
हमारा शरीर मांस का लोथड़ा बन जाता।

प्रश्न 7.
शरीर को गतिशीलता कैसे मिलती हैं ?
उत्तर-
मांसपेशियां शरीर में गति पैदा करती हैं।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 8.
खनिज भण्डार का कार्य कौन करता है ?
उत्तर-
हड्डियां खनिज भण्डार का कार्य करती हैं।

प्रश्न 9.
हमारे शरीर में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कौन-कौन सी प्रणालियां हैं ?
उत्तर-

  1. रक्त प्रवाह प्रणाली
  2. श्वास क्रिया प्रणाली

प्रश्न 10.
हमारे शरीर को चलने, फिरने, दौड़ने, कूदने में कौन-सी प्रणाली कार्य करती है ?
उत्तर-
मांसपेशी प्रणाली।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 11.
श्वास प्रणाली के मुख्य अंग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
नाक, श्वासनली और फेफड़े हैं।

प्रश्न 12.
हमारे शरीर को ऊर्जा कौन-सी प्रणाली देती है ?
उत्तर-
पाचन प्रणाली।

प्रश्न 13.
मल विसर्जन प्रणाली के मुख्य दो अंग लिखें।
उत्तर-

  1. त्वचा (चमड़ी)
  2. गुर्दे।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 14.
स्नायु तंत्र प्रणाली के कार्य लिखें।
उत्तर-
मस्तिष्क के संदेशों को शारीरिक अंगों में होने वाली क्रियाओं को मस्तिष्क से मांसपेशियों द्वारा संदेश पहुंचाता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खिलाड़ियों को अपना शरीर सुन्दर और आकर्षक बनाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उत्तर-
खिलाड़ी अपने शरीर को गर्माते हुए खेल के मैदान में चाहे वह कबड्डी खेल हो या कोई दूसरा खेल प्रवेश करते हैं तो उनके सुन्दर और आकर्षक शरीर को देखकर हैरानी होती है। खिलाड़ियों को अपने शरीर को आकर्षक और शक्तिशाली बनाने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है।

प्रश्न 2.
खिलाड़ी की उन्नति के लिए उसे क्या-क्या जानना जरूरी है ?
उत्तर-
खिलाड़ी की उन्नति उसके शरीर की क्षमता पर निर्भर करती है। खिलाड़ी को शरीर के अंगों, उनकी कार्य प्रणाली और कार्यक्षमता का ज्ञान होना आवश्यक है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 3.
हड्डियों में कौन-सा खनिज भण्डार होता है ?
उत्तर-
हड्डियों में कैल्शियम और फॉसफोरस जमा होता है जो हमारे शरीर की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। हमारे शरीर में आवश्यक तत्त्वों की कमी हो जाए तो हमारी हड्डियां इसकी पूर्ति करती हैं।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर को ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर-
यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है। हम जो भोजन खाते हैं उसके कई रासायनिक क्रियाओं के पश्चात् शरीर के योग्य बनता है। भोजन-प्रणाली से हमें पता चलता है कि शरीर द्वारा भोजन कैसे पचता है और उससे ऊर्जा का प्रयोग कैसे होता है ?

प्रश्न 5.
मानव शरीर किसकी भांति लगता है ?
उत्तर-
मानव शरीर मशीन जैसा है। मशीन के ठीक कार्य करने के लिए उसके सभी पुों का अच्छे ढंग से कार्य करना ज़रूरी है। उसी प्रकार शरीर की क्रिया प्रणालियां है। यदि शरीर की किसी प्रणाली में खराबी आती है तो इसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है और व्यक्ति रोगी हो जाता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर सम्बन्धी पूर्ण जानकारी ज़रूरी है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 6.
धमनियों और शिराओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
धमनियां वे नलियां हैं जो रक्त को दिल से शरीर के प्रत्येक भाग में पहुंचाती हैं। यह धीरे-धीरे बारीक शिराओं में बंट जाती हैं जिन्हें कोशिकाएं कहते हैं। शिराएं वे नलियां हैं जो रक्त को फेफड़ों और शरीर के दूसरे भागों से हृदय में पहुँचाती हैं।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य को शारीरिक क्रियाओं का ज्ञान क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
हमारे शरीर में कई कार्य प्रणालियाँ हैं जो मिलकर भिन्न कार्य करती हैं। इन प्रणालियों का ठीक प्रकार से काम करना ज़रूरी है। यदि इनमें एक प्रणाली भी ठीक कार्य करना बंद कर दे तो सारे शरीर पर उसका बुरा प्रभाव पड़ेगा और शरीर में रोग आ जाता है।
मानव शरीर की कार्य प्रणालियां इस प्रकार हैं :

1. मांसपेशी प्रणाली-इस प्रणाली से मांसपेशियों के बारे में जानकारी मिलती है। मांसपेशियों द्वारा हम चलने, फिरने, कूदने और दौड़ने के काबिल होते हैं। हमारे शरीर में होने वाली गतिशीलता मांसपेशियों के कारण ही सम्भव है।

2. रक्तप्रवाह प्रणाली-हमारे शरीर में रक्त प्रवाह लगातार हमेशा चलता रहता है। रक्त प्रवाह प्रणाली के मुख्य अंग हृदय, धमनियां, शिराएं और कोशिकाएं हैं। दिल की आकृति बंद मुट्ठी के बराबर की होती है। दिल हमारा धड़कता रहता है। रक्त धमनियों द्वारा सारे शरीर में पहुंचता है। हम अपने हाथ के ऊपरी भाग में नीले रंग की शिराएं देख सकते हैं जो रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं।

3. श्वासक्रिया प्रणाली-मनुष्य को जीवित रहने के लिए हर समय आक्सीजन की ज़रूरत होती है। ऑक्सीजन श्वास द्वारा शरीर में प्रवेश करती है और कार्बन-डाइआक्साइड बाहर निकालते हैं। नाक, श्वासनली और फेफड़े इस श्वास प्रणाली के मुख्य अंग हैं।

4. पाचन प्रणाली-शरीर को कार्य करने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है जो ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है जो भोजन हम खाते हैं। कई रासायनिक क्रियाओं के पश्चात् शरीर में कार्य करने के योग्य बनता है। इस प्रणाली से हमें मालूम पड़ता है शरीर में भोजन कैसे पचता है और पैदा होने वाली ऊर्जा का प्रयोग कैसे होता है ?

5. मल-विसर्जन प्रणाली-जो भोजन हम खाते हैं उसका कुछ भाग ही शरीर में इस्तेमाल होता है, शेष भोजन व्यर्थ पदार्थ के रूप में बच जाता है। इसी तरह जब हम कार्य करते हैं तो शरीर में ऊर्जा का प्रयोग होता है जिससे कई व्यर्थ पदार्थ शरीर में बच जाते हैं। इन व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना आवश्यक है यदि यह व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर न निकलें तो कई रोग लग जाते हैं। मल त्याग प्रणाली इन हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है। त्वचा और गुर्दे इस प्रणाली का मुख्य अंग है जो पसीने और मूत्र द्वारा इन व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं।

6. स्नायु तंत्र प्रणाली-हमारी सभी क्रियाएं मस्तिष्क द्वारा संचालित होती हैं। हमारे शरीर में स्नायु तंत्र का जाल-सा बना हुआ है, जो मस्तिष्क के संदेशों को शारीरिक अंगों तथा शारीरिक अंगों की क्रियाओं को मस्तिष्क तक संदेशों को लाने और ले जाने का कार्य करते हैं। रीढ़ की हड्डी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। सारे संदेश इसके द्वारा आगे पहुंचते हैं।

7. ज्ञानेन्द्रियां-इस प्रणाली में आंख, कान, जिह्वा, नाक और त्वचा शामिल है। इन ज्ञानेन्द्रियों से हमें अपने आस-पास की सभी जानकारी मिलती है। आंख से हम सभी वस्तुओं को देखते हैं। नाक से सूंघकर सुगंध और दुर्गंध में अन्तर मालूम होता है। कानों के द्वारा हम सुनते हैं। जिह्वा से खाने-पीने की वस्तुओं के स्वाद के बारे में पता चलता है। त्वचा द्वारा स्पर्श से गर्मी-सर्दी का पता चलता है। इन ज्ञानेन्द्रियों का हमारे मस्तिष्क से सीधा सम्बन्ध होता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 1 मनुष्य का शरीर

प्रश्न 2.
शारीरिक कार्य प्रणालियों का महत्त्व लिखें।
उत्तर-
सारी शारीरिक प्रणालियों का मानव शरीर के लिए बहुत महत्त्व है। इनमें रक्त प्रवाह प्रणाली और श्वास क्रिया प्रणाली बहुत महत्त्वपूर्ण है। इन प्रणालियों में अगर कोई प्रणाली अपना कार्य न करे तो मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। किसी भी व्यक्ति को ज़िन्दा रहने के लिए शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का मिलना अति आवश्यक है।

मानव शरीर एक मशीन की भांति ही कार्य करता है और सभी क्रिया प्रणालियां इस मशीन के भिन्न-भिन्न पुर्जे (अंग) हैं। मशीन को अच्छी प्रकार काम करने के लिए उसके सभी पुर्जी का ठीक कार्य करना आवश्यक है। अगर शरीर की किसी प्रणाली में कोई खराबी आ जाती है तो उसका असर सारे शरीर पर पड़ता है और मनुष्य बीमार हो जाता है। इसलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए शरीर की पूरी जानकारी ज़रूरी है।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Physical Education Objective Questions and Answers.

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

पाठ-1 : स्वास्थ्य

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य की किस्में बताएं
(क) शारीरिक स्वास्थ्य
(ख) मानसिक स्वास्थ्य
(ग) सामाजिक स्वास्थ्य
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
बच्चों को किस प्रकार का भोजन करना चाहिए
(क) बच्चों को संतुलित भोजन करना चाहिए।
(ख) खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लेने चाहिए।
(ग) आवश्यकता अनुसार अधिक गर्म या ठण्डा भोजन नहीं करना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
हमें स्वस्थ रहने के लिए कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
(क) डॉक्टरी जांच
(ख) अच्छी आदतें
(ग) व्यायाम, खेलें और योग
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
त्वचा की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए
(क) प्रतिदिन सुबह साफ पानी से स्नान करना चाहिए।
(ख) स्नान करने से पहले पेट साफ़ करना चाहिए।
(ग) खाने के पश्चात् स्नान नहीं करना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
दांतों की सफ़ाई कैसे करनी होती है
(क) प्रतिदिन सुबह और रात को सोने से पहले दांतों को ब्रुश से साफ़ करना।
(ख) गर्म दूध अथवा चाय नहीं पीनी चाहिए।
(ग) दांतों में पिन आदि नहीं मारनी चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य विज्ञान के नियम लिखें
(क) साफ़ और संतुलित भोजन खाना चाहिए।
(ख) श्वास हमेशा नाक द्वारा लेना चाहिए।
(ग) हमेशा खुश रहना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 7.
सिकरी होने पर आप क्या करोगे ?
(क) सिकरी होने पर 250 ग्राम पानी में एक चम्मच बोरिक पाउडर डालकर सिर धोएं।
(ख) नारियल का तेल बालों में लगाएं
(ग) ग्लिसरीन में नींबू डालकर सिर धोना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-2 : सफाई तथा सांभ-सम्भाल

प्रश्न 1.
घर की सफ़ाई रखने के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
(क) घर के कूड़े-कर्कट और गन्दे पानी के निकास का उचित प्रबन्ध
(ख) घर के सभी कमरों में झाड़ लगाना।
(ग) घर के कूड़े को ढक्कनदार ढोल में रखना।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
स्कूल की सफ़ाई रखने के लिए अच्छी बातें
(क) स्कूल के बैंच और डैस्क साफ़ रखने चाहिए।
(ख) स्कूल के कमरे में कूड़ा नहीं फैलाना चाहिए।
(ग) लिखते समय फर्श पर स्याही नहीं छिड़कनी चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 3.
घर में गन्दगी के कारण
(क) घर के कूड़े का योग्य स्थान पर प्रबन्ध करना चाहिए।
(ख) घर, रसोई और पाखाने के गन्दे पानी के निकास का प्रबन्ध करना चाहिए।
(ग) मल-मूत्र का ठीक प्रबन्ध करना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
एक अच्छा घर बनाते समय कौन-सी बातों का ध्यान रखोगे ?
(क) घर खुश्क, सख्त तथा ऊंचे स्थान पर बनाना चाहिए।
(ख) घर बाजार, कारखाने, रेलवे स्टेशन तथा शमशान घाट से दूर बनाना चाहिए।
(ग) घर में वायु और रोशनी पर्याप्त मात्रा में आनी चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
शरीर की सफाई के नियम लिखें।
(क) हमें प्रतिदिन साफ़ पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
(ख) स्नान करने के पश्चात् तौलिए से शरीर को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
(ग) बालों को सुका कर कंघी करनी चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

पाठ-3 : हॉकी का जादूगर-मेजर ध्यानचंद

प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?
(क) 1905
(ख) 1910
(ग) 1912
(घ) 1915.
उत्तर-
(क) 1905

प्रश्न 2.
भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार ओलम्पिक खेलों में कब भाग लिया ?
(क) 1926
(ख) 1932
(ग) 1936
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 1926

प्रश्न 3.
मेजर ध्यानचंद ने पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच कब खेला ?
(क) 1926
(ख) 1928
(ग) 1932
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 1926

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
मेजर ध्यानचंद जी का बुत किस देश में लगा हुआ है
(क) ऑस्ट्रेलिया के शहर वियाना में
(ख) अमेरिका में
(ग) न्यूज़ीलैण्ड में
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) ऑस्ट्रेलिया के शहर वियाना में

प्रश्न 5.
भारत सरकार की तरफ से मेजर ध्यानचंद जी को क्या-क्या सम्मान दिए गए ?
(क) 1956 ई० में पद्म भूषण
(ख) भारतीय डाक विभाग ने उनकी याद में एक डाक टिकट जारी किया।
(ग) भारत सरकार ने दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम उनके नाम पर बनाया।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
मेजर ध्यानचंद किस खेल से सम्बन्धित थे ?
(क) फुटबॉल
(ख) हॉकी
(ग) क्रिकेट
(घ) बैडमिंटन।
उत्तर-
(ख) हॉकी

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 7.
मेजर ध्यानचंद जी ने हॉकी खेलना कहां आरम्भ किया ?
(क) घर में
(ख) स्कूल में
(ग) कॉलेज में
(घ) फौज में।
उत्तर-
(घ) फौज में।

प्राठ-4 : पंजाब की लोक वेलें

प्रश्न 1.
पुगने के कितने तरीके हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पांच।
उत्तर-
(ख) तीन

प्रश्न 2.
किसी मनपसन्द खेल का नाम लिखें।
(क) बन्दर किल्ला
(ख) कोटला छपाकी
(ग) रस्सी कूदना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बन्दर किल्ला

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 3.
बड़ी दो खेलों के नाम लिखो।
(क) हॉकी
(ख) फुटबॉल
(ग) क्रिकेट
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) हॉकी, (ख) फुटबॉल

प्रश्न 4.
लोक खेलों में से किसी दो के नाम लिखें।
(क) बन्दर किल्ला और कोटला छपाकी
(ख) चोर सिपाही
(ग) रस्सी कूदना
(घ) खो-खो।
उत्तर-
(क) बन्दर किल्ला और कोटला छपाकी

प्रश्न 5.
लोक खेलों का महत्त्व लिखें।
(क) शारीरिक बल बढ़ता है
(ख) फुर्ती
(ग) चुस्ती
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

पाठ-5 : सुरक्षा शिक्षा

प्रश्न 1.
सुरक्षा शिक्षा की क्या आवश्यकता है ?
(क) प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
(ख) सुरक्षा के ज्ञान के कारण हम अपने बाएं हाथ पर सड़क पर चलते हैं।
(ग) सुरक्षा शिक्षा के ज्ञान द्वारा ही हम चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों को समझ सकते हैं।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
सुरक्षा शिक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी है ?
(क) माता-पिता की
(ख) अध्यापकों की
(ग) नगरपालिका की
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
सुरक्षा के लिए कौन-कौन से अदारे (संस्थाएं) सहायक हो सकते हैं ?
(क) स्कूल और कॉलेज
(ख) नगरपालिका
(ग) समाज और सरकार
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
कौन-सी शिक्षा हमें दुर्घटनाओं से बचाना सिखाती है ? उसे क्या कहते हैं ?
(क) सुरक्षा शिक्षा
(ख) खेल शिक्षा
(ग) मनोरंजन शिक्षा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

प्रश्न 5.
दुर्घटनाओं से बचने के लिए लोगों को किस वस्तु का ध्यान रखना चाहिए ?
(क) ट्रैफिक नियमों का
(ख) घर के नियमों का
(ग) स्कूल और कॉलेज के नियमों का
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

प्रश्न 6.
सड़कों पर दुर्घटनाएं होने के कारण लिखें।
(क) शराब पीकर गाड़ी चलाना
(ख) चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों पर ध्यान न देना
(ग) मोड़ काटते समय ठीक इशारों का प्रयोग न करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

पाठ-6 : राष्ट्रीय ध्वज

प्रश्न 1.
हमारे झण्डे में कितने रंग हैं ?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पांच
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) तीन

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डा कब लहराया जाता है ?
(क) गणतन्त्र दिवस पर
(ख) स्वतन्त्रता दिवस पर
(ग) गांधी जयन्ती पर
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय क्या सावधानी प्रयोग में लानी चाहिए ?
(क) केसरी रंग सबसे ऊपर हो
(ख) जुलूस में झण्डा दायें कन्धे पर रखना चाहिए
(ग) जलसों और उत्सवों में झण्डा स्टेज के आगे दायें हाथ की तरफ लगाना चाहिए।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
किसी देश का झण्डा किस बात का प्रतीक है ?
(क) सभ्याचार का
(ख) मान का
(ग) शान का
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हमारे राष्ट्रीय झण्डे में कौन-कौन से रंग हैं ?
(क) केसरी
(ख) सफ़ेद
(ग) हरा
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय झण्डे में चक्र का निशान कहां से लिया गया है ?
(क) अशोक के सारनाथ से
(ख) तीर कमान से
(ग) आसमान से
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) अशोक के सारनाथ से

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

पाठ-7 : राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय गान की धुन कौन-कौन से अवसरों पर बजाई जाती है ?
(क) 15 अगस्त को
(ख) 26 जनवरी को
(ग) राष्ट्रपति और राज्यपाल को सलामी देते समय
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
हमारा राष्ट्रीय गान कौन-सा है ?
(क) जन-गण-मन और ‘वन्दे मातरम’
(ख) जन-गण-मन
(ग) वन्दे मातरम्
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) जन-गण-मन

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय गीत की रचना किसने की ?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ख) बंकिम चन्द्र चटर्जी ने
(ग) गांधी जी ने
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) बंकिम चन्द्र चटर्जी ने

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय गान जन-गण-मन सबसे पहले कब गाया गया ?
(क) 27 दिसम्बर 1911 ई० को
(ख) 27 दिसम्बर 1920 ई० को
(ग) 27 दिसम्बर, 1921 ई० को
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 27 दिसम्बर 1911 ई० को

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् सबसे पहले किस वर्ष कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया ?
(क) 1896 ई० में
(ख) 1900 ई० में
(ग) 1920 ई० में
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) 1896 ई० में

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय गान अथवा इसकी धुन के समय कौन-सी सावधानियां रखनी चाहिए ?
(क) हमें सावधान अवस्था में खड़े रहना चाहिए
(ख) हिले-डुले नहीं और न ही अपना स्थान छोड़ना चाहिए
(ग) बातें नहीं करनी चाहिए ।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

पाठ-8 : नशा-एक श्राप

प्रश्न 1.
नशीले पदार्थ का नाम बताएं।
(क) शराब
(ख) तम्बाकू
(ग) भांग और अफीम
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
कोई दो प्रणालियों के नाम बताएं जिन पर नशीले पदार्थों का प्रभाव होता है।
(क) पाचन प्रणाली
(ख) रक्त संचार प्रणाली
(ग) मानसिक प्रणाली
(घ) हड्डी प्रणाली।
उत्तर-
(क) पाचन प्रणाली, (ख) रक्त संचार प्रणाली

प्रश्न 3.
खिलाड़ी पर नशीले पदार्थों से होने वाले दुष्प्रभाव.
(क) बेफिक्र
(ख) गैर-जिम्मेदार
(ग) सिरदर्द
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बेफिक्र, (ख) गैर-जिम्मेदार

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 4.
नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के ढंग लिखें
(क) प्रेरणा
(ख) कान्फ्रेंस
(ग) मनोवैज्ञानिक ढंग
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
तम्बाक पीने के बरे प्रभाव
(क) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
(ख) तम्बाकू से टी०बी० हो सकती है
(ग) पेट खराब रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 6th Class Physical Education Objective Questions and Answers

प्रश्न 6.
शराब के हमारे स्वास्थ्य पर कुप्रभाव
(क) दिमाग़ पर बुरा प्रभाव पड़ता है
(ख) गुर्दे खराब हो सकते हैं
(ग) पाचन प्रणाली खराब हो जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 2 ख़रीफ़ की सब्ज़ियाँ

Punjab State Board PSEB 11th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 ख़रीफ़ की सब्ज़ियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

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PSEB 11th Class Agriculture Guide ख़रीफ़ की सब्ज़ियाँ Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
मिर्च की दो उन्नत किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब गुच्छेदार, चिल्ली हाईब्रिड-1.

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन कितनी सब्जी खानी चाहिए ?
उत्तर-
284 ग्राम।

प्रश्न 3.
टमाटर की दो उन्नत किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब वर्षा बहार-1, पंजाब वर्षा बहार-2.

प्रश्न 4.
फरवरी में भिण्डी की बुआई के लिए कितने बीज की आवश्यकता होती
उत्तर-
15 किलो प्रति एकड़।

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प्रश्न 5.
बैंगन की फसल में मेढ़ों की आपसी दूरी कितनी होती है ?
उत्तर-
60 सैं०मी०।

प्रश्न 6.
करेले की दो किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब-14, पंजाब करेली-1.

प्रश्न 7.
घीया कद्दू की बुआई कब करनी चाहिए ?
उत्तर-
फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, नवम्बर-दिसम्बर।

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प्रश्न 8.
खीरे की बुआई के लिए प्रति एकड़ कितने बीज को आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
एक किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 9.
खरबूजे की बुआई के लिए प्रति एकड़ कितने बीज की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
400 ग्राम।

प्रश्न 10.
घीया तोरी की बुआई कब करनी चाहिए ?
उत्तर-
मध्य मई से जुलाई।

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(ख) एक-दो वाक्य में उत्तर दो

प्रश्न 1.
सब्जी से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सब्जी पौधे का वह नर्म भाग है जिसको कच्चा सलाद के रूप में खाया जाता है; जैसे–तना, पत्ते, फूल, फल आदि।

प्रश्न 2.
टमाटर की एक एकड़ की पनीरी तैयार करने के लिए कितने बीज की कितनी जगह पर बुआई करनी चाहिए ?
उत्तर-
एक एकड़ की पनीरी के लिए 100 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसको 2 मरले की क्यारियों में बोया जाता है।

प्रश्न 3.
मिर्च की फसल के लिए कौन-कौन सी खाद उपयोग करनी चाहिए ?
उत्तर-
10-15 टन गले सड़े गोबर की खाद, 25 किलो नाइट्रोजन, 12 किलो फॉस्फोरस और 12 किलो पोटाश का प्रयोग किया जाता है। यह मात्रा एक एकड़ के लिए है।

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प्रश्न 4.
बैंगन की साल में चार फसलें कैसे ली जा सकती हैं ?
उत्तर-
बैंगन की चार फसलें अक्तूबर-नवम्बर, फरवरी-मार्च और जुलाई में पनीरी लगा कर लगाई जा सकती हैं।

प्रश्न 5.
भिण्डी की बुआई का समय और बीज की मात्रा के बारे में बताओ।
उत्तर-
भिण्डी की बुआई बहार ऋतु में फरवरी-मार्च और बरसात में जून-जुलाई में की जाती है। बीज की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 15 किलो (फरवरी), 8-10 किलो (मार्च), 5-6 किलो (जून-जुलाई) की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में प्रति व्यक्ति कम सब्जी मिलने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
(i) हमारे देश में तेजी से बढ़ती जनसंख्या।
(ii) तुड़ाई के बाद लगभग तीसरा भाग सब्जियों का खराब हो जाना।

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प्रश्न 7.
टमाटर की फसल की बुआई और पनीरी कब लगानी चाहिए ?
उत्तर-
टमाटर की पनीरी की बुआई जुलाई के दूसरे पखवाड़े में कर देनी चाहिए और पनीरी को खेतों में अगस्त के दूसरे पखवाड़े में लगाना शुरू कर देनी चाहिए।

प्रश्न 8.
करेले की तुड़ाई बुआई से कितने दिनों के बाद की जाती है ?
उत्तर-
बुआई से लगभग 55-60 दिनों के बाद करेले को तोड़ना चाहिए।

प्रश्न 9.
खरबूजे की 2 उन्नत किस्मों और बुआई का समय बताओ।
उत्तर-
पंजाब हाईब्रिड, हरा मधु तथा पंजाब सुनहरी उन्नत किस्में हैं और इसकी बुआई फरवरी-मार्च में की जाती है।

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प्रश्न 10.
खीरे की अग्रिम और अधिक पैदावार कैसे ली जा सकती है ?
उत्तर-
खीरे की अग्रिम और अधिक पैदावार लेने के लिए इसकी खेती छोटी सुरंगों में की जाती है।

(ग) पाँच-छ: वाक्य में उत्तर दो –

प्रश्न 1.
गर्मी की सब्जियां कौन-कौन सी हैं और किसी एक के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दो।
उत्तर-
गर्मियों की सब्जियां हैं-टमाटर, बैंगन, घीया कद्दू, तोरी, करेला, मिर्च, भिण्डी, चप्पन कद्, खीरा, ककड़ी, टिण्डा आदि।
किस्में-पंजाब वर्षा बहार-1, पंजाब वर्षा बहार-2.
बीज की मात्रा-एक एकड़ की पनीरी तैयार करने के लिए 100 ग्राम बीज 2 मरले की क्यारियों में बीजना चाहिए।
पनीरी की बुवाई का समय-पनीरी की बुवाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े में करनी चाहिए।
पनीरी लगाने का समय-अगस्त का दूसरा पखवाड़ा। कतारों में फासले-120-150 सैं०मी०। नदीनों की रोकथाम-सटौंप या सैनकोर का छिड़काव करें। पौधों में फासलें-30 सैं० मी०। सिंचाई-पहला पानी पनीरी खेतों में लगाने के तुरंत बाद और फिर 6-7 दिनों के बाद पानी लगाया जाता है।

प्रश्न 2.
भिण्डी की उन्नत किस्मों के नाम, बुआई का समय, प्रति एकड़ बीज की मात्रा और खरपतवार की रोकथाम के बारे में संक्षेप में जानकारी दो।
उत्तर-
भिण्डी की कृषिउन्नत किस्में-पंजाब-7, पंजाब-8, पंजाब पदमनी। बुआई का समय-भिण्डी की बुआई बहार ऋतु में फरवरी-मार्च तथा बरसात में जून-जुलाई में की जाती है।

बीज की मात्रा-बीज की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 15 किलो (फरवरी), 8-10 किलो (मार्च), 5-6 किलो (जून-जुलाई) में आवश्यकता है।
नदीनों की रोकथाम-इसके लिए 3-4 गुड़ाइयों की आवश्यकता होती है या सटोप का छिड़काव किया जाता है।

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प्रश्न 3.
सब्जियों का मनुष्य के भोजन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सब्जियों का मनुष्य के आहार में बहुत महत्त्व है। सब्जियों में कई आहारीय तत्त्व होते हैं। जैसे कार्बोहाइड्रेटस, धातु, प्रोटीन, विटामिन आदि होते हैं। इन तत्वों की मनुष्य के शरीर को बहुत आवश्यकता होती है। हमारे देश में अधिक जनसंख्या शाकाहारी है। इसलिए सब्जियों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। एक अनुसंधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 284 ग्राम सब्जी खानी चाहिए तथा भोजन में पत्ते वाली सब्जियां (पालक, मेथी, सलाद, साग आदि), फूल (गोभी), फल (टमाटर, बैंगन), अन्य (आलू) तथा जड़ों वाली सब्जियां (गाजर, मूली, शलगम) आदि का शामिल होना आवश्यक है।

प्रश्न 4.
घीया कद्ध की खेती के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
घीया कद्दू की खेती1. उन्नत किस्में-पंजाब बरकत, पंजाब कोमल। 2. बुआई का समय-फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, नवम्बर-दिसम्बर। 3. तुड़ाई-बुआई से 60-70 दिनों बाद कद्रू उतरने लगते हैं।

प्रश्न 5.
पेठे की सफल खेती कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
किस्म-पी०ए०जी०-3. बुआई का समय-फरवरी-मार्च, जून-जुलाई। बीज की मात्रा-2 किलो प्रति एकड़।
बुआई का ढंग–3 मीटर चौड़ाई वाली खालें बनाकर 70-90 सैं०मी० तथा खाल के एक तरफ कम-से-कम दो बीज बोने चाहिए।

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Agriculture Guide for Class 11 PSEB ख़रीफ़ की सब्ज़ियाँ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिर्च के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ के लिए 200 ग्राम।

प्रश्न 2.
मिर्च की पनीरी बोने का समय बताओ।
उत्तर-
अन्त अक्तूबर से मध्य नवम्बर।

प्रश्न 3.
मिर्च की पनीरी खेत में लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च।

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प्रश्न 4.
मिर्च के लिए मेढ़ों में अन्तर बताओ।
उत्तर-
75 सैं०मी०।

प्रश्न 5.
मिर्च के लिए पौधों में फासला बताओ।
उत्तर-
45 सैं०मी०।

प्रश्न 6.
टमाटर की किस्में बताओ ।
उत्तर-
पंजाब वर्षा बहार-1, पंजाब वर्षा बहार-2.

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प्रश्न 7.
टमाटर के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
100 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 8.
टमाटर की पनीरी की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
जुलाई का दूसरा पखवाड़ा।

प्रश्न 9.
टमाटर की पनीरी को खेत में लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
अगस्त का दूसरा पखवाड़ा।

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प्रश्न 10.
टमाटर के लिए पंक्तियों का फासला बताओ।
उत्तर-
120-150 सैं०मी० ।

प्रश्न 11.
टमाटर के लिए पौधों में फासला बताओ।
उत्तर-
30 सैं०मी०।

प्रश्न 12.
टमाटर में नदीनों की रोकथाम के लिए दवाई बताओ।
उत्तर-
सटोंप, सैनकोर।

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प्रश्न 13.
बैंगन की किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब नीलम (गोल), बी०एच०-2 (लम्बे), पी०बी०एच०-3 (छोटे)।

प्रश्न 14.
बैंगन के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ के लिए 300-400 ग्राम।

प्रश्न 15.
बैंगन के लिए पंक्तियों में फासला बताओ।
उत्तर-
60 सैं०मी०।

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प्रश्न 16.
बैंगन के लिए पौधों में फासला बताओ।
उत्तर-
30-40 सैं०मी०।

प्रश्न 17.
भिण्डी की बुआई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
सीधी बुआई की जाती है।

प्रश्न 18.
भिण्डी की किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब-7, पंजाब-8, पंजाब पदमनी।

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प्रश्न 19.
भिण्डी की फरवरी मार्च के लिए फसल कहां बोई जाती है ?
उत्तर-
मेढ़ों पर।

प्रश्न 20.
भिण्डी की जून-जुलाई की फसल किस प्रकार बोई जाती है ?
उत्तर-
समतल भूमि पर।

प्रश्न 21.
भिण्डी की फसल के लिए पंक्तियों में फासला बताओ।
उत्तर-
45 सैं०मी०।

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प्रश्न 22.
भिण्डी की कृषि के लिए पौधों में आपसी फासला बताओ।
उत्तर-
15 सैंमी०।

प्रश्न 23.
भिण्डी की तुड़ाई कब की जाती है ?
उत्तर-
बुवाई से 45-50 दिनों में।

प्रश्न 24.
चप्पन कद् की उन्नत किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब चप्पन कदू।

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प्रश्न 25.
चप्पन कद्दू की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य जनवरी से मार्च तथा अक्तूबर-नवम्बर।

प्रश्न 26.
चप्पन कद्दू के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
2 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 27.
चप्पन कद्दू के एक स्थान पर कितने बीज बोये जाते हैं ?
उत्तर-
एक स्थान पर दो बीज।

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प्रश्न 28.
चप्पन कद्दू कब तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं ?
उत्तर-
60 दिनों में।

प्रश्न 29.
घीया कदद की किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब बरकत, पंजाब कोमल।

प्रश्न 30.
घीया कद् की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर–
फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, नवम्बर-दिसम्बर।

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प्रश्न 31.
घीया कद्दू कितने दिनों बाद उतरने लगते हैं ?
उत्तर-
बुवाई के 60-70 दिनों में।

प्रश्न 32.
करेले की किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब-14, पंजाब करेली-1.

प्रश्न 33.
करेले की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च, जून-जुलाई।।

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प्रश्न 34.
करेले के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
2 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 35.
करेले के लिए पौधे से पौधे का फासला बताओ।
उत्तर-
45 सैंमी।

प्रश्न 36.
करेले के लिए क्यारियों में बुवाई किस तरह की जाती है ?
उत्तर-
क्यारियों के दोनों ओर।

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प्रश्न 37.
घीया तोरी की किस्में बताओ।
उत्तर-
पूसा चिकनी, पंजाब काली तोरी-9.

प्रश्न 38.
घीया तोरी की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य फरवरी से मार्च।

प्रश्न 39.
घीया तोरी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
2 किलो बीज प्रति एकड़।

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प्रश्न 40.
घीया तोरी की तुड़ाई कितने दिनों बाद की जाती है ?
उत्तर-
बुवाई से 70-80 दिनों बाद।

प्रश्न 41.
पेठे की किस्म बताओ।
उत्तर-
पी०ए०जी०-3.

प्रश्न 42.
पेठे की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च, जून-जुलाई।

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प्रश्न 43.
पेठे के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
2 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 44.
खीरे की किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब नवीन।

प्रश्न 45.
खीरे के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक किलो प्रति एकड़।

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प्रश्न 46.
ककड़ी की किस्म बताओ।
उत्तर-
पंजाब लोंग मैलन।

प्रश्न 47.
ककड़ी की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च।

प्रश्न 48.
ककड़ी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक किलो बीज प्रति एकड़।

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प्रश्न 49.
ककड़ी की तुड़ाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
बुवाई से 60-70 दिनों बाद।

प्रश्न 50.
टिण्डा की किस्में बताओ।
उत्तर-
टिण्डा-48.

प्रश्न 51.
टिण्डा की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च, जून-जुलाई।

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प्रश्न 52.
टिण्डे की बुवाई के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
1.5 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 53.
टिण्डे कितने दिनों बाद तुड़ाई के योग्य हो जाते हैं ?
उत्तर-
60 दिनों बाद।

प्रश्न 54.
खरबूजा फल है या सब्जी ?
उत्तर-
खरबूजा सब्जी है।

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प्रश्न 55.
खरबूजे की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च।

प्रश्न 56.
खरबूजे के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
400 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 57.
खरबूजे की बुवाई के लिए पौधे से पौधे का फासला बताओ।
उत्तर-
60 सैं०मी०।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सब्जियों में तत्वों की जानकारी दो।
उत्तर-
सब्जियों में कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन, धातु, विटामिन आदि पौष्टिक तत्व होते

प्रश्न 2.
मिर्च के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
एक एकड़ के हिसाब से 10-15 टन गली सड़ी गोबर की खाद, 25 किलो नाइट्रोजन, 12 किलो फॉस्फोरस तथा 12 किलो पोटाश डालनी चाहिए।

प्रश्न 3.
मिर्च के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
पहला पानी पनीरी तथा खेत में लगाने के तुरन्त बाद लगाया जाता है। गर्मियों में पानी 7-10 दिनों के अन्दर लगाया जाता है।

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प्रश्न 4.
टमाटर के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
पहला पानी पनीरी तथा खेत में लगाने के तुरन्त बाद लगाया जाता है। गर्मियों में पानी 6-7 दिनों के अन्दर लगाया जाता है।

प्रश्न 5.
बैंगन की बुवाई के ढंग के बारे में बताओ।
उत्तर-
बैंगन की बुवाई 10-15 सैं०मी० ऊँची एक मरले की क्यारियों में की जाती है।

प्रश्न 6.
चप्पन कद् की बुवाई का ढंग बताओ।
उत्तर-
1.25 मीटर चौड़ाई वाली खाइयों में पौधों का फासला 45 सैं०मी० रखकर एक स्थान पर 2-2 बीज बोये जाते हैं।

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प्रश्न 7.
खीरे की कृषि के बारे में बताओ। उन्नत किस्में, बुवाई का समय, बीज की मात्रा।
उत्तर-
उन्नत किस्में-पंजाब नवीन। बुवाई का समय-फरवरी-मार्च। बीज की मात्रा-एक किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 8.
ककड़ी की कृषि का विवरण दो।
उत्तर-
उन्नत किस्में-पंजाब लोंग मैलन।
बुवाई का समय-फरवरी-मार्च।
बीज की मात्रा-एक किलो बीज प्रति एकड़।
तुड़ाई-बुवाई से 60-70 दिनों बाद।

प्रश्न 9.
टिण्डे की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
उन्नत किस्में-टिण्डा-48.
बुआई का समय-फरवरी-मार्च, जून-जुलाई।
बीज की मात्रा-1.5 किलो बीज प्रति एकड़।
बुआई का ढंग-1.5 मीटर चौड़ी खाइयों के दोनों ओर 45 सैं०मी० फासले पर बीज बोने चाहिए।
तुड़ाई-बुआई से 60 दिनों के बाद तुड़ाई योग्य हो जाते हैं।

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प्रश्न 10.
घीया तोरी की कृषि के बारे में बताओ।
उत्तर-
किस्म-पूसा चिकनी, पंजाब काली तोरी-9.
बुआई का समय-मध्य फरवरी से मार्च, मध्य मई से जुलाई।
बुआई का ढंग-तीन मीटर चौड़ी खाइयों में 75 से 90 सैं०मी० दूरी पर बोया जाता
बीज की मात्रा-2 किलो बीज प्रति एकड़।
तुड़ाई-बुआई से 70-80 दिनों के बाद।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खरबूजे की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
खरबूजा वैज्ञानिक आधार पर सब्जी है परन्तु हम इसको फल की तरह प्रयोग करते हैं।
किस्में-पंजाब हाइब्रिड, हरा मधु, पंजाब सुनहरी।
बुवाई का समय-फरवरी-मार्च।
बीज की मात्रा-400 ग्राम बीज प्रति एकड़।
बुवाई का ढंग-बुवाई 3-4 मी० चौड़ी खाइयों में की जाती है, पौधे से पौधे का फासला 60 सैं०मी०।
सिंचाई-गर्मियों में प्रत्येक सप्ताह, फल पकने के समय हल्का पानी दें। पानी फल को नहीं लगना चाहिए नहीं तो फल गलने लगता है।

प्रश्न 2.
मिर्च की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
किस्में-पंजाब सुर्ख, पंजाब गुच्छेदार, चिली हाइब्रिड-1.
बीज की मात्रा-एक एकड़ के लिए 200 ग्राम।
पनीरी बोना-एक एकड़ के लिए एक मरला में पनीरी बोई जाती है। अंत अक्तूबर से मध्य नवम्बर तक पनीरी बोई जाती है।
पनीरी लगाना-फरवरी-मार्च में खेतों में लगायें।

फासला-मेढ़ों के बीच 75 सैं०मी० तथा पौधों में 45 सैं०मी० ।
खाद-10-15 टन गली सड़ी गोबर की खाद, 25 किलो नाइट्रोजन, 12 किलो फॉस्फोरस, 12 किलो पोटाश की आवश्यकता है।
सिंचाई-पहला पानी पनीरी को खेत में लगाने के तुरन्त बाद लगाएं। गर्मियों में 7-10 दिनों के अन्तर पर पानी लगाएं।

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प्रश्न 3.
बैंगन की कृषि के बारे में बताओ।
उत्तर-

  • किस्में-पंजाब नीलम (गोल), बी०एच०-2 (लम्बा), पी०बी०एच०-3 (छोटे)।
  • बीज की मात्रा-एक एकड़ के लिए 300-400 ग्राम।
  • बुवाई का ढंग-10-15 सैं०मी० ऊंची एक मरले की क्यारियों में बोना चाहिए।
  • बैंगन की फसलें-बैंगन की वर्ष में चार फसलें अक्तूबर, नवम्बर, फरवरी, मार्च तथा जुलाई में पनीरी बो कर ली जा सकती है।
  • फासला-पंक्तियों में 60 सैं०मी० तथा पौधों में 30-45 सैं०मी० ।
  • सिंचाई-पहला पानी पनीरी को खेत में लगाने के तुरन्त बाद तथा फिर 6-7 दिनों के अन्तर पर लगायें।

ख़रीफ़ की सब्ज़ियाँ PSEB 11th Class Agriculture Notes

  • पौधे का नर्म भाग जैसे कि-फल, पत्ते, जड़ें, तना आदि को सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है, सब्जी कहलाता है।
  • सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, धातु, विटामिन आदि तत्त्व होते हैं।
  • खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 284 ग्राम सब्जियां खानी चाहिए।
  • पत्तों वाली सब्जियां हैं-पालक, मेथी, सलाद और साग।
  • जड़ों वाली सब्जियां हैं-गाजर, मूली, शलगम।
  • हमारे देश में प्रति व्यक्ति को कम सब्जियां मिलने का कारण है-अधिक जनसंख्या की तेजी से वृद्धि और तुड़ाई के बाद सब्जियों के तीसरे हिस्से का खराब हो जाना।
  • ख़रीफ की सब्जियां हैं-मिर्च, बैंगन, भिण्डी, करेला, चप्पन कद्दू, टमाटर, तोरी, घीया कद, टीण्डा, ककड़ी, खीरा आदि।
  • मिर्च की किस्में हैं-पंजाब सुर्ख, पंजाब गुच्छेदार, चिल्ली हाईब्रिड-1
  • मिर्च के लिए एक मरले की पनीरी के लिए 200 ग्राम बीज की आवश्यकता है।
  • टमाटर की किस्में हैं-पंजाब बरखा बहार-1, पंजाब बरखा बहार-2.
  • टमाटर की एक एकड़ पनीरी के लिए 100 ग्राम बीज 2 मरले की क्यारियों में बोने चाहिए।
  • बैंगन की किस्में हैं -पंजाब नीलम (गोल), बी०एच०-2 (लम्बे), पी०बी०एच०-3 (छोटे)।
  • बैंगन की पनीरी के लिए 300-400 ग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती
  • पंजाब-7, पंजाब-8 और पंजाब पदमनी भिण्डी की किस्में हैं।
  • भिण्डी के बीज की मात्रा प्रति एकड़ इस तरह है-15 किलो (फरवरी), 8-10 किलो (मार्च), 5-6 किलो (जून-जुलाई)।
  • कदू जाति की सब्जियां हैं-चप्पन कद्, घीया कद्दू, करेला, घीया तोरी, पेठा, खीरा, ककड़ी, टिण्डा, खरबूजा आदि।
  • चप्पन कद्दू की किस्में हैं-पंजाब चप्पन कदू।
  • घीया कद्दू की किस्में हैं–पंजाब बरकत, पंजाब कोमल।
  • करेले की उन्नत किस्में हैं-पंजाब-14, पंजाब करेली-1.
  • करेले के लिए बीज की मात्रा 2 किलो प्रति एकड़ है।
  • घीया तोरी की किस्में हैं-पूसा चिकनी, पंजाब काली तोरी-9.
  • पेठे की किस्में हैं-पी०ए०जी०-3.
  • चप्पन कद्, करेला, घीया तोरी, पेठा सभी के लिए बीज की मात्रा 2 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
  • खीरे की किस्में हैं-पंजाब नवीन खीरा।
  • बीज की मात्रा खीरे के लिए एक किलो प्रति एकड़ है।
  • ककड़ी की किस्म है-पंजाब लोंग मैलन।
  • ककड़ी के लिए बीज की मात्रा है-एक किलो प्रति एकड़।
  • टिण्डे की किस्म है-टिण्डा-48.
  • टिण्डे के लिए बीज की मात्रा है-1.5 किलो प्रति एकड़।
  • खरबूजा वैज्ञानिक दृष्टि से सब्जी है।
  • खरबूजे की किस्में हैं-पंजाब हाईब्रिड, हरा मधु, पंजाब सुनहरी।
  • खरबूजे के लिए बीज की मात्रा 400 ग्राम की आवश्यकता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 9 दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक)

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 9 दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 9 दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक)

SST Guide for Class 7 PSEB दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक) Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
चोल वंश के किन शासकों ने चोल राज्य की दोबारा स्थापना की?
उत्तर-
राजराज प्रथम चोल तथा राजेन्द्र चोल शासकों ने चोल राज्य को दोबारा स्थापित किया।

प्रश्न 2.
राजराज प्रथम नै किन राजाओं (राज्यों) को पराजित करके उनके क्षेत्रों पर कब्जा किया?
उत्तर-
राजराज प्रथम ने चेर, पांड्य एवं श्रीलंका के राजाओं को हराकर उनके बहुत से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 3.
राजेन्द्र चोल शासक की महत्त्वपूर्ण विजय के विषय मैं लिखो।
उत्तर-
राजेन्द्र चोल ने पांड्य, चेर एवं श्रीलंका के शासकों को हराकर उनके क्षेत्र अपने राज्य में मिला लिये, जिस कारण उसने ‘गंगईकोंडा चोलपुरम्’ की उपाधि धारण की।

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प्रश्न 4.
चोल राज्य की रूप-रेखा के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
चोल राज्य की रूप-रेखा का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
1. राजा-चोल राजा बहुत ही शक्तिशाली होता था। वह केन्द्रीय सरकार का प्रमुख था। उसके पास बहुत-सी शक्तियां होती थीं। परन्तु वह सरकारी मामलों में मन्त्रिमण्डल की सलाह लेता था। वह राज्य प्रबन्ध की निगरानी करता था, न्याय करता था तथा युद्ध में सैनिक दल भेजता था।

2. प्रान्त-चोल राज्य प्रान्तों में विभक्त था। प्रान्तों को ‘मंडलम्’ कहा जाता था। मंडलम् आगे ‘वलनाडु’ में विभक्त था। प्रत्येक वलनाडु में कई गांव शामिल थे।

3. नाडू-चोल राज्य प्रबन्ध की सबसे छोटी इकाई ग्राम या नाडू थी। प्रत्येक ग्राम की दो सभाएं थीं-उर एवं सभा। उर के सदस्य साधारण ग्रामीण थे। सभा वयस्क पुरुषों का समूह थी। ग्राम के सभी कार्य जैसे कि झगड़ों का निपटारा करना, पानी का वितरण तथा कर एकत्रित करना आदि की देखभाल, छोटी कमेटियों द्वारा किये जाते थे।

4. सेना-चोल शासकों के पास एक शक्तिशाली सेना थी। सेना में हाथी, घुड़सवार सेना तथा पैदल सेना सम्मिलित थी। जल-सेना चोल सेना का एक शक्तिशाली भाग था।

5. आय के साधन-चोलों की आय के दो प्रमुख साधन भूमि लगान एवं व्यापार थे। उस समय दूसरे देशों के साथ भी व्यापार होता था।

प्रश्न 5.
तमिलनाडू में किस प्रकार की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?
उत्तर-
चोल शासकों ने तमिलनाडू में सिंचाई व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया। सिंचाई के लिए लगभग सभी नदियों का, विशेषकर कावेरी नदी का उपयोग किया गया। इसके अतिरिक्त बहुत से तालाब भी बनवाये। उन्होंने खेतों में पानी का वितरण करने के लिए एक तालाब कमेटी भी बनाई।

प्रश्न 6.
चोल शासन काल दौरान किन भाषाओं का विकास हुआ?
उत्तर-
चोल राज्यकाल में संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाओं-तमिल, तेलुगु एवं कन्नड़ का विकास हुआ।

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प्रश्न 7.
चोल शासन काल दौरान में कौन-सा धर्म अधिक प्रसिद्ध था?
उत्तर-
चोल शासन काल में हिन्दू धर्म अधिक प्रसिद्ध था। बौद्ध तथा जैन धर्म इत्यादि भी अस्तित्व में थे।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. पल्लव शासकों ने ………….. को अपनी राजधानी बनाया।
  2. मार्को पोलो ने ………….. राज्य की यात्रा की।
  3. राजेन्द्र चोल ने ………….. की उपाधि धारण की।
  4. चोल शासनकाल दौरान स्त्रियों का भी ……… किया जाता था।
  5. ननियाह तथा तिकना तेलुगू विद्वानों ने …………. का तेलुगू भाषा में अनुवाद किया।

उत्तर-

  1. कांची,
  2. पाण्डेय
  3. गंगईकोण्डा चोलपुरम्,
  4. विशेष सम्मान,
  5. महाभारत।

(ग) निम्नलिखित के सही जोड़े बनाएं

क – (ख)

  1. बासव – अद्वैत मत
  2. शंकराचार्य – लिंगायत मत
  3. रामानुज – भक्ति लहर
  4. माधव – भक्ति लहर

उत्तर-

  1. बासव-लिंगायत मत,
  2. शंकराचार्य-अद्वैत मत,
  3. रामानुज-भक्ति लहर,
  4. माधव-भक्ति लहर।

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(घ) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के सामने ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं-

  1. कंबन विद्वान् ने रामायण का तमिल भाषा में अनुवाद किया।
  2. मदुरै चोल शासकों की राजधानी थी।
  3. चोल शासकों के पास शक्तिशाली जल सेना थी।
  4. महेन्द्र वर्मन ने गंगईकोण्डा चोलपुरम् नगर को स्थापित किया।
  5. चोल राज्य प्रांतों में बँटा हुआ था।

उत्तर-

1. (✓),
2. (✗),
3. (✗),
4. (✗),
5. (✓)

PSEB 7th Class Social Science Guide दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग के दक्षिण भारत के तीन शक्तिशाली राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
पल्लव, पांड्य तथा चोल।

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प्रश्न 2.
पांड्य राज्य की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पांड्य राज्य तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में स्थापित था। पांड्य शासकों की राजधानी को मदुरा या मुदरा कहा जाता था। यह शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। मार्को पोलो ने इस राज्य की यात्रा की और एक वृत्तान्त लिखा। 14वीं सदी में पांड्य राज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 3.
पल्लव कब शक्तिशाली बने? उनकी सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पल्लव 5वीं तथा छठी शताब्दी में सातवाहनों के पतन के बाद शक्तिशाली शासक बने। महेन्द्र वर्मन प्रथम एवं नरसिंह वर्मन प्रथम पल्लव वंश के दो प्रमुख शासक थे। उन्होंने अपने राज्य का बहुत विस्तार किया। उन्होंने कांची को अपनी राजधानी बनाया।

पल्लव शासकों ने कला एवं भवन-निर्माण कला को संरक्षण दिया। उन्होंने महाबलिपुरम् में शोर (तट) मन्दिर एवं रथ मन्दिर बनवाया। उन्होंने कांची में कैलाश नाथ मन्दिर भी बनवाया। 9वीं शताब्दी में चोल शासकों ने पल्लवों को हरा दिया।

प्रश्न 4.
आरम्भिक चोल राज्य की स्थापना एवं पतन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
चोल शासकों ने दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। इस राज्य के आरम्भिक शासकों का वर्णन इस प्रकार है :–
1. विजयालय-विजयालय चोल वंश का संस्थापक था। उसने पल्लवों से तंजौर जीत लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया।

2. प्रान्तक प्रथम-प्रान्तक प्रथम चोल राज्य का एक शक्तिशाली शासक था। उसने पांड्य शासक को हराकर उसकी राजधानी मदुरा पर अधिकार कर लिया। इसके पश्चात् वह 949 ई० में तकोलम की लड़ाई में राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय से हार गया। परिणामस्वरूप चोल शासक शक्तिशाली हो गये।

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प्रश्न 5.
प्रान्तक प्रथम के पश्चात् किन दो शासकों ने दक्षिण में चोल राज्य को पुनः शक्तिशाली बनाया?
उत्तर-
प्रान्तक प्रथम के पश्चात् राजराजा प्रथम तथा राजेन्द्र चोल, चोल राज्य को पुनः अस्तित्व में लाये और इसे दक्षिण भारत की महाशक्ति बनाया।

प्रश्न 6.
राजराजा प्रथम की दो प्रशासनिक सफलताएं बताओ।
उत्तर-

  1. राजराजा प्रथम ने अपनी समुद्री शक्ति का आधुनिकीकरण किया।
  2. वह शैव मत का अनुयायी था, परन्तु अन्य धर्मों के प्रति भी उदार था।

प्रश्न 7.
चोल राज्य का अन्त कैसे हुआ?
उत्तर-
राजेन्द्र चोल के उत्तराधिकारी अपने पड़ोसी शासकों के साथ लड़ते रहते थे। इस कारण चोल शासक शक्तिहीन हो गये। परिणामस्वरूप चोल राज्य का अन्त हो गया।

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प्रश्न 8.
700-1200 ई० तक दक्षिणी भारत के समाज पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
700-1200 ई० तक दक्षिण भारत के समाज में कुलीन वर्ग, ब्राह्मणों तथा व्यापारियों का भी बहत सम्मान किया जाता था। समान उद्देश्य की पूर्ति के लिए समाज के भिन्न-भिन्न वर्ग एक-दूसरे को सहयोग देते थे। नारी का भी समाज में बहुत सम्मान था। उन्हें उच्च शिक्षा दिलाई जाती थी। किसान एवं मज़दूर कामगार वर्ग से सम्बन्ध रखते थे। वे बहुत निर्धन होते थे और बहुत कठिन जीवन व्यतीत करते थे।

प्रश्न 9.
700-1200 ई० तक दक्षिणी भारत के धर्म की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
700-1200 ई० तक दक्षिणी भारत के धर्म की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं :–
1. हिन्दू धर्म-हिन्दू धर्म बहुत ही लोकप्रिय था। हिन्दू देवताओं-जैसे कि विष्णु और शिव की पूजा की जाती थी।
2. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म-उस समय बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म भी अस्तित्व में थे।
3. धार्मिक लहरें-इस समय अनेक धार्मिक लहरों का जन्म हुआ।
(i) बासव ने लिंगायत मत की स्थापना की।
(ii) शंकराचार्य ने अद्वैत मत का प्रचार किया।
(iii) रामानुज तथा माधव भक्ति लहर के अन्य महान् प्रचारक थे। उन्होंने ईश्वर की भक्ति करने पर बल दिया। उन्होंने लोगों को शिक्षा दी कि मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र साधन, ईश्वर के साथ सच्चे मन से प्रेम करना है। वे जाति तथा वर्ग के भेदभाव के विरुद्ध थे। लोग उनकी शिक्षाओं से बहुत प्रभावित हुए।

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प्रश्न 10.
चोल वंश के उत्थान-पतन की कहानी लिखो।
उत्तर-
चोल वंश दक्षिणी भारत का सबसे प्रसिद्ध राज्य था। इस वंश के शासकों ने लगभग 400 वर्षों तक शासन किया। इनके राज्य में आधुनिक तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश तथा कर्नाटक का एक बहुत बड़ा भाग सम्मिलित था।
प्रमुख राजा-चोल वंश के निम्नलिखित प्रमुख राजा हुए –

1. विजयालय-विजयालय पहला प्रसिद्ध चोल शासक था। उसने 846 ई० से 871 ई० तक शासन किया। उसने तंजौर पर विजय प्राप्त की थी।

परांतक प्रथम-परांतक प्रथम 907 ई० में राजगद्दी पर बैठा और उसने 955 ई० तक शासन किया। उसने पाण्ड्य राज्य को जीता और मदुराई कोंडा की उपाधि धारण की। अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने राज्य में कृषि की उन्नति की ओर विशेष ध्यान दिया।

2. राजराजा प्रथम-राजराजा प्रथम (985-1014 ई०) चोल वंश का एक अन्य प्रसिद्ध राजा था। उसने अपने वंश के झगड़ों को समाप्त किया और विजयों द्वारा अपने राज्य का विस्तार किया। उसने चेरों, वेंगी के चालुक्यों और पाण्ड्य शासकों को भी पराजित किया। कहते हैं कि उसने लंका तक के प्रदेशों पर विजय पाई थी।

3. राजेन्द्र चोल-राजेन्द्र चोल (1014-1044 ई०) राजराजा प्रथम का पुत्र था। उसने बंगाल के पाल वंश के राजाओं के साथ युद्ध किया। उसका दूसरा प्रसिद्ध

4. युद्ध दक्षिणी-पूर्वी एशिया में श्रीविजय के विरुद्ध था। इस युद्ध में श्रीविजय पराजित हुआ और भारतीय द्वीपों पर चोलों का अधिकार हो गया।

चोलों का पतन-चोल वंश का अन्तिम शासक राजाधिराज था। वह चालुक्यों के साथ लड़ता हुआ मारा गया। उसकी मृत्यु के साथ ही चोल वंश का पतन होना आरम्भ हो गया।

प्रश्न 11.
चोल शासकों की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
उत्तर-
चोल शासक अपनी प्रजा की सुविधाओं का बहुत ध्यान रखते थे। उन्होंने अपने राज्य की उन्नति के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने उत्तम शासन प्रबन्ध की व्यवस्था की हुई थी। उन्होंने गांवों के लोगों को यह सुविधा दे रखी थी कि वे अपना शासन चलाएं। वे मन्दिरों के निर्माण में बड़ी रुचि लेते थे। उन्होंने कई भव्य मन्दिर बनवाये थे। उन्होंने अनेक शिलालेख संस्कृत और तमिल दोनों भाषाओं में लिखवाए। इस प्रक्चर चोल शासनकाल का भारतीय संस्कृति को अच्छा योगदान रहा।

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प्रश्न 12.
राजराजा प्रथम तथा राजेन्द्र चोल की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन करो।
उत्तर-
1. राजराजा प्रथम (985-1014 ई०)-राजराजा प्रथम को राजराजा चोल भी कहा जाता था। वह चोल वंश का महान् शक्तिशाली शासक था। उसने चेर, पांड्य एवं श्रीलंका के राजाओं को हराकर उनके बहुत से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र अपने अधीन कर लिये।

2. राजेन्द्र चोल (1014-1044 ई०)-राजेन्द्र चोल अपने पिता राजराजा प्रथम के समान बहुत ही वीर था। उसने चोल राज्य का काफ़ी विस्तार किया।

(i) उसने पांड्य, चेर एवं श्रीलंका के शासकों को हराकर उनके क्षेत्र जीत लिये थे, जिस कारण उसने ‘गंगईकोंडा चोलपुरम्’ की उपाधि धारण की।

(ii) दक्षिण-पूर्वी एशिया में उसने अंडमान-निकोबार, मलाया, सुमात्रा तथा जावा पर महत्त्वपूर्ण विजयें प्राप्त की।

प्रश्न 13.
चोल शासकों की कला तथा भवन उसारी कला का वर्णन करो।
उत्तर-
चोल शासक कला प्रेमी थे। उनके अधीन कला एवं भवन उसारी कला में बहुत अधिक उन्नति हुई :

  1. राजराजा प्रथम ने तंजौर का प्रसिद्ध राजराजेश्वर मन्दिर बनवाया। यह द्रविड़ शैली में बना है।
  2. राजेन्द्र चोल ने गंगईकोंड चोलपुरम् नामक नगर बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाया।
  3. चोल काल में कांस्य की अनेक मूर्तियां बनाई गईं। तंजौर की नटराज मूर्तियां इस काल की उत्कृष्ठ कांस्य मूर्तियां हैं।

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प्रश्न 14.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें –
(अ) तमिलनाडु में ज़मींदारा विस्तार।
उत्तर-
(i) चोल शासकों ने तमिलनाडु में कृषि के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने घुमक्कड़ कबीलों की सहायता से जंगलों को साफ कराकर भूमि को कृषि योग्य बनाया। परिणामस्वरूप वहां ज़मींदारी का बहुत विस्तार हुआ।

(ii) चोल शासकों ने सिंचाई प्रबन्ध की ओर भी विशेष ध्यान दिया। सिंचाई के लिए लगभग सभी नदियों का, विशेषकर कावेरी नदी का उपयोग किया गया। जहां नदी का पानी ले जाना सम्भव नहीं था, वहां उन्होंने सिंचाई के लिए बहुत से तालाब बनवाये। उन्होंने खेतों में पानी का वितरण करने के लिए एक तालाब कमेटी भी बनाई।

(iii) चोल शासक राज्य में भारी वर्षा या सूखा पड़ जाने के कारण नष्ट हुई फसलों पर भूमि-लगान नहीं लेते थे। वे संकट काल में कृषकों को ऋण भी देते थे।

(आ) शिक्षा तथा साहित्य।
उत्तर-
मध्यकालीन भारत में चोल शासकों के अधीन शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में बहुत उन्नति हुई। उन्होंने व्याकरण, दर्शन शास्त्र, कला, विज्ञान एवं भूगोल-विज्ञान आदि अनेक विषयों को प्रोत्साहन दिया। शिक्षा का माध्यम संस्कृत तथा तमिल भाषाएं थीं। शिक्षा मन्दिरों के परिसरों में दी जाती थी।

चोल राज्य में संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाओं-तमिल, तेलुगु एवं कन्नड़ का विकास हुआ। संस्कृत की अनेक पुस्तकों का इन भाषाओं में अनुवाद किया गया। उदाहरण के लिए विद्वान् कम्बन ने रामायण का तमिल में अनुवाद किया। नन्नयया एवं तिकना आदि तेलुगु विद्वानों ने महाभारत का तेलुगु भाषा में अनुवाद किया।
रामायण तथा महाभारत महाकाव्यों से हमें दक्षिण भारत के आरम्भिक एवं उत्तर मध्यकालीन युग के इतिहास बारे जानकारी मिलती है।

सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
पाण्डेय दक्षिण भारत का एक राज्य था। क्या आप इस राज्य की राजधानी का नाम बता सकते हैं?
(i) कांचीपुरम्
(ii) महाबलिपुरम्
(ii) मदुरै।
उत्तर-
(iii) मदुरै।

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प्रश्न 2.
गंगईकोण्डा चोलपुरम् उपाधि किस चोल शासक ने धारण की?
(i) राजेन्द्र चोल
(ii) राजराज चोल
(iii) कृष्ण तृतीय।
उत्तर-
(i) राजेन्द्र चोल।

प्रश्न 3.
कैलाशनाथ मंदिर (कांचीपुरम्) किस राजवंश के शासकों ने बनवाया?
(i) पाल
(ii) राष्ट्रकूट
(iii) पल्लव।
उत्तर-
(iii) पल्लव।

प्रश्न 4.
चित्र में दिखाए गए रथ मंदिर कहां स्थित हैं?
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(i) कांचीपुरम्
(ii) महाबलिपुरम्
(iii) चोलपुरम्।
उत्तर-
(ii) महाबलिपुरम्।

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दक्षिणी भारत में राजनीतिक विकास (700-1200 ई० तक) PSEB 7th Class Social Science Notes

  • मध्यकालीन युग में दक्षिणी भारत के राज्य – मध्यकालीन युग में दक्षिण भारत में बहुत-से राजपूत राज्य स्थापित हो गये थे। परन्तु उनमें से उस समय तीन राज्य-पल्लव, प्रांड्य और चोल बहुत शक्तिशाली थे। ये तीनों अपनी-अपनी प्रभुसत्ता के लिए परस्पर लड़ते रहते थे।
  • पल्लव शासक – इस वंश के प्रमुख शासक महेन्द्र वर्मन प्रथम तथा नरसिंह वर्मन थे। उन्होंने अपने राज्य का बहुत अधिक विस्तार किया और कांची को अपनी राजधानी बनाया।
  • पल्लवकालीन कला तथा वास्तुकला – पल्लवों ने कला तथा वास्तुकला को बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया। दक्षिण (महाबलिपुरम्) के प्रसिद्ध रथ मन्दिर पल्लव शासकों ने ही बनवाये थे। ये एक ही चट्टान को काटकर बनाए गये हैं। ये मन्दिर पल्लवों की कलात्मक प्रतिभा के अद्भुत नमूने हैं।
  • पांड्य राज्य – पांड्य राज्य तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में स्थापित था। उनकी राजधानी को मदुरा या मुदरा कहा जाता था। यह शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र था।
  • चोल वंश – चोल वंश का संस्थापक विजयालय था। इस वंश के अन्य प्रसिद्ध शासक प्रांतक प्रथम, राजराजा प्रथम (985-1014 ई०) तथा राजेन्द्र चोल (1014-1044 ई०) थे।
  • चोलों की ग्राम सभाएं – चोलों के अधीन ग्राम प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए ग्राम सभाओं का गठन किया जाता था। ग्राम सभाएं दो प्रकार की होती थीं –
    (i) उर-यह आम लोगों की सभा थी।
    (ii) सभा या महासभा-यह विद्वान् ब्राह्मणों की सभा थी।
  • ग्राम सभा – ग्राम सभाएं अपने कार्य विभिन्न समितियों की सहायता से करती थीं। ग्रामीण इन समितियों के सदस्यों का चुनाव स्वयं करते थे। ये समितियां सड़कों के रख-रखाव, न्याय, शिक्षा, धार्मिक उत्सवों, मन्दिरों की देखभाल, सिंचाई तथा भूमि प्रबन्ध सम्बन्धी कार्य करती थीं।
  • मंडलम् – चोल प्रांतों को मंडलम् कहा जाता था।
  • वलनाडु – मंडलम् वलनाडु में विभक्त थे। प्रत्येक वलनाडु में कई गांव शामिल थे।
  • चोल समाज – चोल समाज एक आदर्श समाज था। ब्राह्मणों, व्यापारियों और शिल्पकारों को समाज में आदर की दृष्टि से देखा जाता था। साझे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समाज के विभिन्न वर्ग मिलकर कार्य करते थे। स्त्रियों का भी बड़ा आदर किया जाता था।
  • राजराजा-प्रथम – राजराजा-प्रथम चोल वंश का सबसे महत्त्वपूर्ण शासक था। उसने पांड्य और चेर वंश के राज्यों पर और मैसूर के कुछ भागों पर आक्रमण किए।
  • राजेन्द्र-प्रथम – चोल शासक राजेन्द्र-प्रथम भी बहुत महत्त्वाकांक्षी था। उसने अपने पिता राजराजा-प्रथम की विजय-नीति को जारी रखा और दक्षिण प्रायद्वीप में अनेक युद्ध लड़े।
  • चोल राज्य का पतन – राजेन्द्र-प्रथ्म के उत्तराधिकारी अयोग्य तथा निर्बल थे। अतः तेरहवीं शताब्दी के अन्त तक चोल राज्य का अन्त हो गया।