PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

Hindi Guide for Class 7 PSEB जिन्दगी-एक रिक्शा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

सरलार्थों के साथ दे दिए गए हैं।
वचन = खींचकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना
चाह = इच्छा
संतुलन = बराबर होना
स्थिति = हालत
गृहस्थी = परिवार

2. वचन बदलें:-

सवारियाँ = ………………….
भूखा = ………………..
थाली = ………………
वह = ………………..
गाड़ी = ……………….
नाली = ……………….
उत्तर:
सवारियाँ = सवारी
भूखा = भूखे
थाली = थालियाँ
वह = वे
गाड़ी = गाड़ियाँ
नाली = नालियाँ

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3. विपरीत शब्द लिखें:-

निराशा = …………………
संतुलन = ………………..
जिंदगी = ………………..
खोना = …………………
उत्तर:
निराशा = आशा,
संतुलन = असंतुलन
जिंदगी = मौत
खोना = पाना

4. भाववाचक संज्ञा बनाएं:-

भूखा = …………………
अकेला = …………………
कमाना = ……………….
अपना = ………………….
बिखरना = ……………….
मज़बूत = …………………….
उत्तर:
भूखा = भूख
अकेला = अकेलापन
कमाना = कमाई
अपना = आपा
बिखरना = बिखराव
मज़बूत = मज़बूती

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में कवि ने जिंदगी को किसके साथ जोड़ा है ?
उत्तर:
कवि ने जिंदगी को रिक्शा के साथ जोड़ा है।

प्रश्न 2.
रिक्शे की हालत किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
रिक्शे की हालत रिक्शेवाले पर निर्भर करती है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार अधिक कमाने की चाह में चालक का क्या नुकसान हो सकता है ?
उत्तर:
अधिक कमाने की चाह में चालक का संतुलन बिगड़ सकता है।

प्रश्न 4.
रिक्शा चालक अपनी स्थिति किस प्रकार मज़बूत कर सकता है ?
उत्तर:
रिक्शाचालक अपनी रिक्शा की ब्रेक, पुर्जे, टायर आदि ठीक-ठाक रख कर तथा जितनी सवारियाँ वह ढो सकता है उतनी ढोकर अपनी स्थिति मज़बूत कर सकता है।

प्रश्न 5.
प्रस्तुत कविता में कवि ने हमें क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि हमें यह संदेश देता है कि यदि मनुष्य अपना परिवार छोटा रखेगा तथा अपनी हैसियत के अनुसार चलेगा तो उसकी ज़िन्दगी सदा सुखी रहेगी।

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(ग) भाव-बोध

1. निम्न पंक्तियों का प्रसंग सहित व्याख्या करें:

चाह में
अधिकाधिक कमाने की
कहीं खो न दे
वह अपना संतुलन
और बिखर जाए
उसका तन-मन
गृहस्थी की इस गाड़ी में।
उत्तर:
सरलार्थ देखिए।

(घ) रचना-बोध

प्रश्न 1.
‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ विषय पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें।
उत्तर:
हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या से जहाँ सरकार चिन्तित है, वहीं प्रत्येक घर परिवार के मुखिया को भी बढ़ते हुए परिवार की समस्याओं ने परेशान कर रखा है। महँगाई के इस युग में सुखी जीवन जीने के लिए छोटे परिवार की आवश्यकता है। अनेक सरकारी योजनाएँ परिवारों को छोटा रखने में नाकाम रही हैं, इसलिए हमें अपनी आमदनी और खर्चे का ध्यान रखते हुए अपना परिवार उतना रखना चाहिए, जितने से हम परिवार के प्रत्येक सदस्य का पालन, पोषण, शिक्षा आदि उचित रूप से कर सकें। छोटे परिवार का मुखिया अपना, अपनी पत्नी और बच्चों का अधिक अच्छी प्रकार से ख्याल रख सकता है। वे सब मिलजुल कर सब कार्य करते हुए एक-दूसरे की भावनाओं को समझ-समझा सकते हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन का उज्ज्वल भविष्य बना सकते हैं। छोटा परिवार सदा सुखी रहता है, इसलिए हमें छोटा परिवार रखना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Guide जिन्दगी-एक रिक्शा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘जिंदगी एक रिक्शा’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
(क) डॉ० राकेश कुमार बब्बर
(ख) शिव मंगल सिंह सुमन
(ग) विनोद पाण्डेय
(घ) धर्मवीर भारती
उत्तर:
(क) डॉ० राकेश कुमार बब्बर

प्रश्न 2.
कविता में कवि ने रिक्शे वाले को क्या कहा है ?
(क) कुम्हार
(ख) मज़दूर
(ग) बोझ
(घ) परिवार का मुखिया
उत्तर:
(घ) परिवार का मुखिया

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार जिंदगी किसके समान है ?
(क) साइकिल
(ख) कार
(ग) जीप
(घ) रिक्शे
उत्तर:
(घ) रिक्शे

प्रश्न 4.
मनुष्य को अपना परिवार कैसा बनाना चाहिए ?
(क) छोटा
(ख) बीस लोगों का
(ग) बड़ा
(घ) अपनी हैसियत के अनुसार।
उत्तर:
(घ) अपनी हैसियत के अनुसार

प्रश्न 5.
मनुष्य सुखी जीवन कैसे व्यतीत कर सकता है ?
(क) सीमित परिवार रखकर
(ख) वैर-विरोध से
(ग) अलग नीति से
(घ) झगड़े से
उत्तर:
(क) सीमित परिवार रखकर

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
अधिक कमाने की चाह में मनुष्य अपना ………….. खो देता है।
(क) संतुलन
(ख) घर
(ग) धन
(घ) नाम
उत्तर:
(क) संतुलन

प्रश्न 2.
संतुलन खोकर व्यक्ति ………… पर भटक जाता है।
(क) धन
(ख) प्रसिद्धि
(ग) लोकाचार
(घ) गलत रास्तों
उत्तर:
(घ) गलत रास्तों

प्रश्न 3.
अनेक सरकारी योजनाएँ परिवारों को छोटा रखने में ………… रही है।
(क) प्रभावी
(ख) सफल
(ग) नाकाम
(घ) ठीक-ठीक
उत्तर:
(ग) नाकाम

प्रश्न 4.
रिक्शे की हालत …………… पर निर्भर करती है।
(क) रिक्शे वाले
(ख) पुलिस वाले
(ग) सैनिक
(घ) छात्रों
उत्तर:
(क) रिक्शे वाले

प्रश्न 5.
……… के लालच में वह अपना संतुलन बिगाड़ देता है।
(क) कम कमाई
(ख) अधिक कमाई
(ग) घर
(घ) दुकान
उत्तर:
(ख) अधिक कमाई

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए.

प्रश्न 1.
व्यतीत:
व्यय करना
बिताना
हटाना
उत्तर:
बिताना।

प्रश्न 2.
वहन करना:
ढो सकना
वाहन
वाहिनी
उत्तर
ढो सकना

प्रश्न 3.
थामना:
पकड़ना
थम
उत्तर:
पकड़ना

प्रश्न 4.
गृहस्थी:
आराम
गृह का आसन
परिवार
उत्तर:
परिवार

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सप्रसंग सरलार्थ

1. जिंदगी एक रिक्शा है
जिसे
हर कोई चलाता रहता है
कोई घसीट कर
कोई दौड़ा कर
कोई अकेले
कोई कई को लादकर

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर की कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी को एक रिक्शा से जोड़ा है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन एक रिक्शा के समान है। जैसे रिक्शे को चलाता तो हर आदमी है परन्तु कोई उसे घसीट कर. कोई दौडाकर तथा कोई एक सवारी बैठा कर तो कोई कई सवारियाँ लाद कर रिक्शा चलाता है। इसी प्रकार से
व्यक्ति भी अपनी ज़िन्दगी को घसीट कर, दौड़ाकर, सीमित परिवार अथवा बहुत बड़े परिवार के साथ चला रहा है।

भावार्थ:
ज़िन्दगी रिक्शे के समान है जिसे कोई आराम से तो कोई कठिनाई से चला रहा है।

2. रिक्शे की हालत
है निर्भर
चलाने वाले पर
चाहे तो
खटारा बना दे
चाहे रखे टिप-टाप
सवारियां उतनी
वहन कर पाए जितनी
पहुँचा सके
उन्हें मंजिल तक
बिना रुके
बना थके।

शब्दार्थ:
हालत = दशा। निर्भर = टिकी हुई, आश्रित। खटारा = बेकार । टिप-टाप = साफ-सुथरी। वहन = खींच सकना, ढो सकना।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर द्वारा लिखित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी की तुलना एक रिक्शा से की है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि रिक्शे की दशा उसे चलाने वाले पर होती है। वह चाहे तो उसे खटारा बना दे या साफ-सुथरा रखे। वह उतनी ही सवारियाँ अपनी रिक्शा पर : बैठाए, जितनी का बोझ वह सहन कर सकता है और उन्हें उन के ठिकाने तक बिना रुके, बिना थके सही सलामत पहुँचा सकता है।

भावार्थ:
मनुष्य को अपना परिवार उतना ही सीमित रखना चाहिए जिस का वह सही-सही भरण-पोषण कर सके।

3. चाह में
अधिकाधिक कमाने की
कहीं खो न दे
वह अपना संतुलन
और
बिखर जाए
उसका तन-मन
गृहस्थी की इस गाड़ी में।
गिर पड़े वह
निराशा की गंदी नाली में
पेट रह जाए भूखा
और
कुछ न बचा हो
भोजन की सूनी थाली में।

शब्दार्थ”:
चाह = इच्छा। अधिकाधिक = ज्यादा से ज्यादा। संतुलन = बराबर होना। गृहस्थी = परिवार।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर द्वारा लिखित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मानव जीवन को एक रिक्शा के समान माना है। – सरलार्थ-कवि कहता है कि कहीं अधिक कमाने की चाहना से वह अपने होश न खो बैठे और अपनी गृहस्थी की गाड़ी खींचते-खींचते उस का तन-मन ही न टूट जाए। वह जीवन से निराश होकर गलत रास्तों पर न चलने लगे और उस का परिवार भूखा रह जाए तथा उनके खाने की थाली में कुछ भी खाने के लिए न हो।

भावार्थ:
अधिक कमाने की चाह में मनुष्य अपना संतुलन खो कर गलत रास्तों पर भटक जाता है, जिससे उसे निराशा हाथ लगती है और भुगतना उस के परिवार को पड़ता इसलिए है

4. इसलिए है जरूरत
कि वह
एक-एक पुर्जा
रिक्शे का ठीक रखे,
ब्रेक कसवा कर
टायरों को थामे
सीट पर हो सवार
ले उतनी जिम्मेदारी
जिससे
वह अपनी
और सवारियों की
स्थिति मजबूत रखे।

शब्दार्थ:
स्थिति = दशा।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर के द्वारा रचित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी की तुलना एक रिक्शा से की है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि इसीलिए ज़रूरी है कि रिक्शा वाला उसके एक-एक पुर्जे, ब्रेक, टायर आदि ठीक रख कर अपनी सीट संभाले। वह सही सलामत उनके ठिकानों तक सवारियों को पहुँचाने की ज़िम्मेदारी ले। इसी से वह सभी सवारियों की स्थिति को मज़बूत रख सकेगा।

भावार्थ:
मनुष्य को अपनी ज़िन्दगी ठीक से जीने के लिए सभी ज़िम्मेदारियां ठीक प्रकार से निभानी चाहिए।

ज़िन्दगी-एक रिक्शा Summary

ज़िन्दगी-एक रिक्शा कविता का सार

“ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ कविता में कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर ने ज़िन्दगी को रिक्शा के साथ जोड़कर यह संदेश दिया है कि जिस प्रकार रिक्शा में दो सवारियों को बैठा कर रिक्शावाला रिक्शा आराम से चलाता है तथा अपनी रिक्शा को भी ठीक-ठाक रखता है, वैसे . ही मनुष्य अपने जीवन को सीमित परिवार में रखकर सुखी ज़िन्दगी व्यतीत कर सकता है। – कवि कहता है कि जिंदगी एक रिक्शे के समान है जिसे हर कोई चला तो रहा है परन्तु कोई घसीट कर, कोई दौड़ा कर, कोई अकेले तो कोई कइयों को लादकर चलता है। यदि रिक्शा ठीक-ठाक रखनी है तो वह उतनी ही सवारियां बैठाता है, जितनी वह सहन कर सकता है। अधिक कमाई करने के लालच में वह अपना संतुलन बिगाड़ देता है और अपनी : ………………. हैसियत से अधिक परिवार बनाने पर व्यक्ति की ज़िन्दगी की दशा खराब हो जाती है। इसलिए जैसे रिक्शावाला अपनी रिक्शा को ठीक-ठाक रखने के लिए उसकी ब्रेक, पुर्जे, टायर आदि ठीक रखता है और उतनी सवारियां बैठाता है जिन्हें वह आसानी से ले जा सकता हैं वैसे ही मनुष्य को भी अपना परिवार अपनी हैसियत के अनुसार बनाना चाहिए।

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