PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 25 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 25 हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 25 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

Hindi Guide for Class 7 PSEB हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ-शब्दार्थ सरलार्थ के साथ दिए हैं।

2. पर्यायवाची शब्द लिखें:-

पंछी = ………………
गगन = ……………….
कनक = ……………….
पंख = ……………….
तरु = ……………….
नीड़ = …………………
उत्तर:
शब्द पर्यायवाची शब्द
पंछी = खग, पक्षी
गगन = आकाश, नभ
कनक = स्वर्ण, सोना
पंख = पर, डैना
तरु = वृक्ष, पेड़
नीड़ = घोंसला, बसेरा

3. स्वर्ण श्रृंखला, कनक-कटोरी, लाल किरण-सी में स्वर्ण, कनक और लाल शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। इसी प्रकार तीन उदाहरण ढूंढ़कर लिखें।
उत्तर-
‘कटुक निबौरी, नीले नभ, सीमाहीन’ इन शब्दों में ‘कनक, नीले, हीन’ गुणवाचक विशेषण हैं।

4. भूखे-प्यासे में द्वंद्व समास है। इन दो शब्दों के बीच लगे चिह्न को संयोजक चिह्न कहते हैं। इसी चिह्न से और का संकेत मिलता है। इसी प्रकार के तीन उदाहरण और लिखें।
उत्तर:
रात-दिन, राजा-रानी. माता-पिता।

5. संधिविच्छेद करें:

उन्मुक्त = ………………….
उन्नायक = ………………..
उत्तर:
उत् + मुक्त,
उत् + नायक।

(ख) विचार-बोध :

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
इस कविता में पक्षी क्या चाहते हैं ?
उत्तर:
इस कविता में पक्षी खुले आकाश में आजादी से उड़ना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
पक्षी अपनी क्या-क्या इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं ?
उत्तर:
पक्षी बहता जल पीना, कड़वी निबौरी खाना, पेड़ की फुनगी पर झूलना, तारों रूपी अनार के दानों को चुगना, क्षितिज से बाज़ी लगाना तथा खुले आकाश में आज़ादी से उड़ना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
पक्षी कौन-कौन सी सुख-सुविधाएँ पाकर भी पिंजरे में नहीं रहना चाहते ?
उत्तर:
पक्षी सोने की कटोरी में विशेष खाद्य पदार्थ, सुरक्षा, सोने की जंजीरों के बंधन जैसी सुख-सुविधाएँ पा कर भी पिंजरे में नहीं रहना चाहते।

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प्रश्न 4.
पक्षियों के लिए पंखों की सार्थकता किस बात में है ?
उत्तर:
पक्षियों के लिए पंखों की सार्थकता आज़ादी से उड़ने में है।

2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
सप्रसंग व्याख्या करें:

नीड़ न दो ….. विघ्न न डालो।
उत्तर:
कविता का सप्रसंग सरलार्थ भाग देखिए।

प्रश्न 2.
इस कविता में पक्षियों की कौन-कौन सी स्वभावगत विशेषताएँ बताई गई हैं ?
उत्तर:
पक्षी खुले आकाश में उड़ना पसंद करते हैं। वे पिंजरे में गा नहीं सकते। वे बहता जल पीते हैं। उन्हें सोने की कटोरी में दिया भोजन कड़वी निबौरी के सामने अच्छा नहीं लगता। वे पेड़ों की फुनगी पर झूलना चाहते हैं। उन्हें क्षितिज से बाज़ी लगाकर उड़ना पसंद है। वे पिंजरे के बन्धन से आज़ादी अच्छी समझते हैं।

प्रश्न 3.
पक्षियों को पिंजरे में बन्द करने से उनकी आज़ादी का हनन होता है। क्या आपको भी आज़ादी पसन्द है? किस-किस क्षेत्र में आप आज़ाद होकर जीना चाहेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर:
पिंजरे में बन्द रखने से पक्षियों की आज़ादी समाप्त हो जाती है। पिंजरे की तीलियों से टकरा कर उस के पंख टूट जाते हैं और वे उड़ना भूल जाते हैं। हमें भी
आज़ादी पसंद है। हम अपनी पढ़ाई, खेल-कूद, खाने-पीने, अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित करने में आजादी चाहते हैं। हम अपने भरोसे तथा बल पर अपने जीवन का निर्माण करना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
यदि वातावरण में पक्षी न हों तो आपको कैसा लगेगा ? इस विषय पर वादविवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide हम पंछी उन्मुक्त गगन के Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
(क) शिव मंगल सिंह सुमन
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) राजेश जोशी
उत्तर:
(क) शिव मंगल सिंह सुमन

प्रश्न 2.
पंछी कहाँ उड़ते हैं ?
(क) उन्मुक्त गगन में
(ख) विस्तृत धरती पर
(ग) गहरे पाताल में
(घ) उथले पानी में
उत्तर:
(क) उन्मुक्त गगन में

प्रश्न 3.
पंछी कहाँ नहीं गा पाएंगे ?
(क) घरों में
(ख) पिंजरे में
(ग) पेड़ों पर
(घ) घोंसले में
उत्तर:
(ख) पिंजरे में

प्रश्न 4.
पंछी के पंख कैसे हैं ?
(क) पीले
(ख) नीले
(ग) काले
(घ) पुलकित
उत्तर:
(घ) पुलकित

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प्रश्न 5.
पंछियों के पंख क्यों टूट जाऐगे ?
(क) हवा के वेग से
(ख) पंख फडफड़ाने से
(ग) पानी में भेगकर
(घ) कनक तीलियों से टकराकर
उत्तर:
(घ) कनक तीलियों से टकराकर

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
पक्षियों के …………………. अरमान थे।
(क) नील गगन में उड़ने के
(ख) पेड़ पर रहने के
(ग) घोंसले में सोने के
(घ) महलों में रहने के
उत्तर:
(क) नील गगन में उड़ने के

प्रश्न 2.
पक्षियों को अनार के दाने …….. लग रहे थे।
(क) बूंदों जैसे
(ख) पत्तों जैसे
(ग) तारों जैसे
(घ) मोती जैसे
उत्तर:
(ग) तारों जैसे

प्रश्न 3.
निबौरी ……………… है।
(क) कटुक
(ख) मीठी
(ग) नमकीन
(घ) खट्टी-मीठी
उत्तर:
(क) कटुक

प्रश्न 4.
पंछी सपनों में … ………… देख रहे हैं।
(क) तरु के फूल
(ख) तरु की फुनगी के झूले
(ग) तरु के फल
(घ) फल और पत्तियाँ
उत्तर:
(ख) तरु की फुनगी के झूले

प्रश्न 5.
पक्षी के लिए मैदा ……… कटोरी में रखा गया है।
(क) चाँदी की
(ख) हीरे की
(ग) पीतल की
(घ) सोने की
उत्तर:
(घ) सोने की

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
नीड़:
घोंसला
नीर
उत्तर:
घोंसला

प्रश्न 2.
तरु:
वृक्ष
नीम
तैरना
तर्पण
उत्तर:
वृक्ष।

प्रश्न 3.
अरमान:
इच्छा
अनिच्छा
मानना
उत्तर:
इच्छा

प्रश्न 4.
निबौरी:
नीम की बोरी
बोरी
नीम का फल
उत्तर:
नीम का फल

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सप्रसंग सरलार्थ

1. हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पायेंगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जायेंगे।
हम बहता जल पीने वाले
मर जायेंगे भूख-प्यासे,
कहीं भली है कटक निबौरी
कनक-कटौरी की मैदो से।

शब्दार्थ:
पंछी = पक्षी। उन्मुक्त = आज़ाद। गगन = आकाश। पिंजरबद्ध = पिंजरे में बन्द। कनक-तीलियां = सोने की तारें। पुलकित = रोमांचित, प्रसन्न, आनन्दित। कटुक = कड़वी। निबौरी = नीम की निबौरी। कनक = सोना।

प्रसंग:
यह पद्यांश ‘शिव मंगल सिंह सुमन’ द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से लिया गया है। इसमें कवि ने पिंजरे में बन्द पक्षी की दशा का वर्णन किया है।

सरलार्थ:
कवि एक पक्षी की दशा का वर्णन करते हुए लिखता है कि पक्षी तो आज़ादी से खुले आकाश में उड़ते हैं, वे पिंजरे में बन्द हो जाने पर गा नहीं पाते। वे पिंजरे की सोने की तीलियाँ से टकरा-टकरा कर अपने रोमांचित पंखों को तोड़ देंगे। वे सदा बहता जल पीते हैं नहीं तो भूखे-प्यासे मर जाते हैं। उन्हें कड़वी निबौरी सोने की कटोरी में दिए गए खाद्य पदार्थों से कहीं अधिक अच्छी लगती हैं।

भावार्थ:
पक्षी को पिंजरे में बन्द रहने के स्थान पर खुले आकाश में आजादी से उड़ना अच्छा लगता है।

2. स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति उड़ान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नीले नभ की सीमा पाने,
लाल किरण सी चोंच खोल
चुगते तारक-अनार के दाने।

शब्दार्थ:
स्वर्ण-श्रृंखला = सोने को जंजीर । गति = चाल । तरु = वृक्ष, पेड़। फुनगी = पेड़ के सब से ऊपर की कोमल नई पत्ती! अरमान = इच्छा, कामना। नभ = आकाश। तारक – तारे।

प्रसंग:
यह पद्यांश शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से लिया गया है। इसमें कवि ने पिंजरे में बन्द पक्षी की दशा का वर्णन किया है।

सरलार्थ:
कवि बताता है कि सोने की जंजीरों में बंध कर पक्षी अपनी चाल और उड़ान सब कुछ भूल गया है। अब वह केवल सपने में ही देखता है कि वह वृक्ष की फुनगी पर बैठा झूल रहा है ! उसकी यह इच्छा थी कि वह नीले आकाश की सीमा जानने के लिए उड़ता और अपनी लाल किरण जैसी चोंच को खोल कर आकाश में उगे हुए तारों रूपी अनार के दानों को चुगता।

भावार्थ:
पक्षी पिंजरे में बन्द होने पर स्वयं को बहुत असहाय अनुभव करता है, उसके मन की इच्छाएँ हैं मन में ही रह जाती हैं।

3. होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा-होड़ी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।
नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

शब्दार्थ:
सीमाहीन = असीम, जिसकी सीमा न हो। क्षितिज = जहाँ धरती और आसमान मिलते हुए दिखाई देते हैं। होड़ा-होड़ी = बाजी लगाना, मुकाबला करना। तनती = तन जाती। नीड़ = घर, घोंसला। आश्रय = रहने की जगह, सहारा। आकुल = व्यग्र। विघ्न = बाधा, रुकावट।

प्रसंग:
यह पद्यांश शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से लिया गया है। इसमें कवि ने पिंजरे में बन्द पक्षी की दशा का वर्णन किया है।

सरलार्थ:
कवि लिखता है कि यदि पक्षी पिंजरे में बन्द न होता तो वह असीम क्षितिज से अपने पंखों द्वारा उड़ने की बाज़ी लगा कर उड़ता और उसका क्षितिज से मिलन हो जाता अथवा उसकी सांसों की डोरी तन जाती। वह चाहता है कि चाहे उसे किसी वृक्ष की टहनी पर घोंसला न दिया जाए अथवा उस का सहारा नष्ट कर दिया जाए परन्तु जब उसे पंख दिए गए हैं तो उस की व्यग्र उड़ान में बाधा नहीं डालो।

भावार्थ:
पक्षी अपना सब कुछ गंवा कर भी अपनी उड़ान में किसी प्रकार की बाधा नहीं चाहता है।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के Summary

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का सार

शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ में कवि ने आज़ादी से उड़ने वाले पक्षी के विचारों का वर्णन किया है। कवि लिखता है कि खुले आकाश में उड़ने वाला पक्षी कहता है कि वह पिंजरे में बन्द हो कर गा नहीं सकेगा क्योंकि पिंजरे की सोने की तीलियों से टकराकर उसके आनन्द में मग्न पंख टूट जाएंगे। वे सदा बहता हुआ जल पीते हैं तथा उन्हें पिंजरे में सोने की कटोरी में दिए गए स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा कड़वी नीम की निबौरी ही अच्छी लगती है। सोने के पिंजरे में बन्द होकर वे अपनी स्वाभाविक चाल और गति भी भूल जाते हैं और पेड़ की फुनगी पर बैठने से मिलने वाले झूले का आनन्द उनके लिए स्वप्न ही बन जाता है। वे नीले आकाश में बहुत ऊँचे उड़कर अपनी लाल चोंच से तारों रूपी अनार के दानों को चगना चाहते थे। वे असीम क्षितिज को अपने पंखों से नाप लेना चाहते थे जिस से वे उसे पा लेते अथवा उनकी साँसों की डोरी तन जाती। वे चाहते हैं कि चाहे उन्हें किसी टहनी पर रहने के लिए घोंसला न दो परन्तु यदि पंख दिए हैं तो उन्हें निर्विघ्न उड़ान भरने दो।

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