PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 22 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 22 हार की जीत

Hindi Guide for Class 7 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

आनन्द = प्रसन्नता, सुख
बलवान् = ताकतवर
खरहरा करना = खाज आदि करने के लिए हाथ या ब्रश फेरना
कठिन = मुश्किल
कीर्ति = बड़ाई, यश
अधीर = बेचैन
भगवद् भजन = ईश्वर की भक्ति
अर्पण = भेंट
वेदना = पीड़ा
असह्य = सह न सकने वाली
विचित्र = अनोखा
प्रशंसा = तारीफ
छवि = शोभा
अंकित = चिह्नित
अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान
सहस्रों = हज़ारों
बाँका = सुन्दर
अधीरता = बेचैनी
वायु वेग = वायु की रफ्तार
अधिकार = हक
बाहुबल = भुजाओं की शक्ति
प्रतिक्षण = हर समय
स्वप्न = सपना
न्याई = तरह
मिथ्या = झूठ
करुणा = दया
कष्ट = तकलीफ
स्वयं = आप
सहसा = अचानक
विस्मय = हैरानी
निराशा = न उम्मीद
अस्वीकार = नामंजूर
दास = नौकर
घटना = वारदात
प्रकट = सामने
प्रयोजन = उद्देश्य
सिद्ध = पूरा
पश्चात्ताप = पछतावा
अपाहिज = अंगहीन
तन कर = अकड़ कर
विषय में = बारे में
भाव = विचार
सावधानी = चतुराई, होशियारी
नेकी = सज्जनता, भलाई
सहायता = मदद
अभिलाषा = इच्छा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

2. इन मुहावरों का इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ स्पष्ट हो जायें:

लटू होना _______________ ______________________________
अधीर हो उठना ______________ ___________________________
पीठ पर हाथ फेरना _________________ _________________________
हृदय पर साँप लोटना ________________ _________________________
आँखों में चमक होना _________________ ______________________
फूले न समाना ________________ ____________________
दिल टूट जाना ____________________ _______________________
खिल जाना _______________ ___________________________
उत्तर:
लटू होना (मोहित होना) – कार के इस नए मॉडल को देखकर सब का मन इस पर लटटू होने होने लगेगा।
अधीर हो उठना (बेचैन होना) – मोहन अपने बीमार भाई से मिलने के लिए अधीर हो गया।
पीठ पर हाथ फेरना (शाबासी देना) – गुरु जी ने राकेश की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
हृदय पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – लता की सफलता पर सुधा के हृदय पर साँप लोटने लगा।
आँखों में चमक होना (खुश होना) – पिता जी को अपने सामने पाकर नेहा की आँखों में चमक आ गई।
फूले न समाना (प्रसन्न होना) – एशिया कप की जीत पर हमारी हॉकी टीम फूली न समा रही थी।
दिल टूट जाना (निराश होना) – परीक्षा में फेल होने से रमेश का दिल टूट गया।
खिल जाना (प्रसन्न होना) – पिता जी के घर आने पर देव खिल जाता है।

3. उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किस प्रकार के क्रिया विशेषण हैं ?

चौथा पहर आरम्भ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल कर ठंडे जल से स्नान किया। उसके पश्चात् इस प्रकार जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो, उनके पाँव अस्तबल की ओर बढ़े। (संकेत-समय, स्थान, रीति, दिशा)
उत्तर:
चौथा पहर आरम्भ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल कर ठंडे जल से स्नान किया। उसके पश्चात् इस प्रकार जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो, उनके पाँव अस्तबल की ओर बढ़े। (संकेत-समय, स्थान, रीति, दिशा)

4. इन शब्दों के विशेषण बनाएं:

अंक = ……………….
हृदय = ………………
विस्मय = ………………..
भय = ………………….
निश्चय = ………………….
उत्तर:
शब्द विशेषण
अंक = अंकित
हृदय = हार्दिक
विस्मय = विस्मित
भय = भयानक
निश्चय = निश्चित

5. विपरीतार्थक शब्द लिखें:

उपस्थित = ……………….
धीर = ………………….
स्वीकार = …………………
प्रकट = ………………
प्रसन्न = ………………….
सहय = ……………….
आज्ञा = …………………
गरीब = ……………….
मिथ्या = ……………..
प्रशंसा = ……………….
निराशा = ……………….
भय = ……………….
निश्चय = …………………..
भाग्य = ………………….
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
उपस्थित = अनुपस्थित
धीर = अधीर
स्वीकार = अस्वीकार
प्रकट = गुप्त
प्रसन्न = अप्रसन्न
सह्य = असह्य
आज्ञा = अवज्ञा
गरीब = अमीर
मिथ्या = सत्य
प्रशंसा = निंदा
निराशा = आशा
भय = निर्भय
निश्चय = अनिश्चय
भाग्य = दुर्भाग्य

6. अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें:

जिसे सहन न किया जा सके = ………………….
घोड़े बाँधने का स्थान = …………………..
उत्तर:
जिसे सहन न किया जा सके = असहनीय
घोड़े बाँधने का स्थान = अस्तबल

7. विराम चिह्न लगाएं:

बाबा जी आज्ञा कीजिए मैं आपका दास हूँ केवल यह घोड़ा न दूंगा वहाँ तुम्हारा कौन है
ओ बाबा इस कंगले का बात भी सुनते जाना
उत्तर:
“बाबा जी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल यह घोड़ा न दूँगा।”
“वहाँ तुम्हारा कौन है ?” “ओ बाबा! इस कंगले की बात भी सुनते जाना।”

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

8. शब्द के पहले ‘सु’ तथा ‘अ’ उपसर्ग का प्रयोग कर शब्द बनाना सीखें :

(क) सु-उपसर्ग (ख) अ-उपसर्ग
परिचित – सुपरिचित गम – अगम
विदित – सुविदित भाव – अभाव
पुत्र – सुपुत्र सह्य – असह्य
लक्षणा – सुलक्षणा (अच्छे गुणों वाली) टूट – अटूट (गहरा, पक्का )
कर्म – सुकर्म (पुण्य-अच्छे व नेक काम) धीर -अधीर
जन – सुजन बोध – अबोध (नादान)
गम – सुगम (आसान) धर्म – अधर्म
शिक्षित – सुशिक्षित छूत – अछूत
गति – सुगति ज्ञान – अज्ञान
व्यय – अव्यय

9. प्रयोगात्मक व्याकरण

भगवत् + भजन = भगवद्भजन (त् को द)
त् के बाद पवर्ग का तीसरा अक्षर भ होने से त् को द् हो गया।
अन्य उदाहरण :

सत + भावना = सद्भावना (त् को द्)
भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति (त् को द्)
सत् + भाव = सद्भाव (त् को द)
जगत् + ईश = जगदीश (त् को द् + ई = दी)
सत् + उपयोग = सदुपयोग (त् को द् + उ = दु)
अतएव त के बाद ग्, ध, द् ब, भ (कवर्ग, तवर्ग, पवर्ग का तीसरा और चौथा व्यंजन) या प, र ल, व या कोई स्वर हो तो उसके स्थान पर द हो जाता है।

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न 1.
बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था ?
उत्तर:
बाबा भारती के घोड़े का नाम सुलतान था।

प्रश्न 2.
खड्ग सिंह कौन था ?
उत्तर:
खड्ग सिंह इलाके का कुख्यात डाकू था।

प्रश्न 3.
खड्ग सिंह बाबा भारती से क्या चाहता था ?
उत्तर:
खड्ग सिंह बाबा भारती से उनका घोड़ा लेना चाहता था।

प्रश्न 4.
अपाहिज कौन था ?
उत्तर:
अपाहिज बना हुआ व्यक्ति खड्ग सिंह था।

प्रश्न 5.
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की ?
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना कि तुमने घोड़ा कैसे लिया था।

प्रश्न 6.
इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना बाबा भारती ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
बाबा भारती ने ऐसा इसलिए कहा था कि इस घटना को सुन कर लोग गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे।

प्रश्न 7.
जब खड्ग सिंह घोड़े को लौटा गया तो बाबा भारती ने क्या कहा ?
उत्तर:
बाबा भारती ने कहा कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।

2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
सुलतान को पाने के लिए खड्ग सिंह ने कौन-सी चाल चली ?
उत्तर:
सुलतान को पाने के लिए खड्ग सिंह एक अपाहिज बन कर रास्ते में एक पेड़ की छाया में कराहते हुए बाबा भारती को उसे रामांवाला तक घोड़े पर बैठा कर पहुँचा दें तो उनका भला होगा। उसने स्वयं को दुर्गा दत्त वैद्य का सौतेला भाई बताया। बाबा भारती को उस पर दया आ गई और स्वयं घोड़े से उतर कर उसे घोड़े पर बैठा दिया। घोड़े पर बैठते ही वह उस पर तन कर बैठ गया और झटके से बाबा भारती के हाथ से लगाम छीन कर घोड़े को ले भागा।

प्रश्न 2.
कैसे पता चलता है कि बाबा भारती अपने घोड़े को बहुत प्यार करते थे?
उत्तर:
बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर वैसे ही प्रसन्न होते थे जैसे माँ अपने बेटे, साहूकार अपने देनदार और किसान अपने लहलहाते खेतों को देखकर होता है। वे अपने घोड़े को स्वयं खरहरा करते और खुद दाना खिला कर खुश होते थे। वे उसकी चाल पर लटू थे। जब खड्ग सिंह ने उनके घोड़े को उनसे लेने की बात कही तो उन्हें रात में नींद नहीं आती थी। वे सारी रात अस्तबल में घोड़े की रखवाली करते थे। इस से स्पष्ट है कि वे अपने घोड़े से बहुत प्यार करते थे। __

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

प्रश्न 3.
खड्ग सिंह ने घोड़े व उसकी चाल को देखकर मन में क्या सोचा?
उत्तर:
बाबा भारती ने जब खड्ग सिंह को अपने घोड़े सुलतान की चाल दिखाई तो उस घोड़े की चाल देखकर खड्ग सिंह की छाती पर साँप लोट गया। वह उस घोड़े को बाहुबल अथवा रुपए के बल प्राप्त करना चाहता था। उसने जाते-जाते बाबा भारती को कह दिया कि अब यह घोड़ा वह उनके पास नहीं रहने देगा।

प्रश्न 4.
इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।” बाबा भारती ने खड्ग सिंह से ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
जब खड्ग सिंह ने लाचार अपाहिज बन कर बाबा भारती से उन का घोड़ा छीन लिया तो उन्होंने इस घटना को किसी अन्य के सामने बताने से खड्ग सिंह को इसलिए मना किया था क्योंकि इस धोखेबाज़ी की घटना को सुन कर लोग गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे तथा उन्हें मुसीबत में देखकर भी उनकी सहायता नहीं करेंगे।

प्रश्न 5.
बाबा भारती का ऐसा कौन-सा वाक्य था जिस ने खड्ग सिंह को घोड़ा वापस देने पर मजबूर कर दिया।
उत्तर:
बाबा भारती के जाने के बाद खड्ग सिंह जब सुलतान घोड़े को लेकर चला तो सोचने लगा कि बाबा भारती तो सुलतान से बहुत प्रेम करते थे। वे कहते थे कि इसके बिना वे जिंदा नहीं रहेंगे। इसकी रखवाली में वे कई रात सोए तक नहीं थे परन्तु आज जब उसने उन से छल से सुलतान ले लिया तो उनके मुख पर शिकन तक नहीं थी। उन्हें सिर्फ यही ख्याल था कि कहीं लोग गरीब पर विश्वास करना न छोड़ दें। यही सोचसोचकर खड्ग सिंह ने बाबा भारती का घोड़ा वापस कर दिया था।

प्रश्न 6.
बाबा हारकर भी जीत गए और खड्ग सिंह जीतकर भी हार गया कैसे?
उत्तर:
खड्ग सिंह छल पूर्व बाबा भारती का घोड़ा ले जाता है और इसे अपनी जीत मानता है क्योंकि उसने बाबा भारती को कहा था कि वह यह घोडा उन के पास नहीं रहने देगा परन्तु जब बाबा उसे अपने छल की बात किसी को नहीं बताने के लिए कहते हैं क्योंकि उन्हें भय है कि कहीं यह सुन कर कोई गरीब पर विश्वास ही नहीं करेगा तथा मुसीबत में भी उसे सहायता नहीं मिलेगी तो उसे बाबा मनुष्य नहीं देवता लगते हैं और वह उन का घोड़ा उनके अस्तबल में छोड़ आता है। इस प्रकार बाबा की जीत हुई। इस से स्पष्ट है कि बाबा भारती हार कर भी जीत गए और खड़ग सिंह जीत कर भी हार गया।

3. यह वाक्य किसने, किससे कहा :

प्रश्न 1.
यह घोड़ा, आपके पास नहीं रहने दूंगा।
उत्तर:
खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा है।

प्रश्न 2.
क्यों, तुम्हें क्या कष्ट है ?
उत्तर:
बाबा भारती ने अपाहिज बने खड्ग सिंह से कहा है।

प्रश्न 3.
इस कंगले की बात भी सुनते जाना।
उत्तर:
अपाहिज बने खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा है।

प्रश्न 4.
इसकी चाल न देखी तो क्या देखा?
उत्तर:
खड्ग सिंह ने बाबा भारती को कहा है।

प्रश्न 5.
विचित्र जानवर है, देखोगे तो प्रसन्न हो जाओगे।
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा है।

(ग) रचना-बोध

1. कहानी का सार अपने शब्दों में दें।
2. आपके पड़ोस में चोरी हो गयी है, इस घटना की प्राथमिक सूचना अपने स्थानीय पुलिस चौकी में पत्र के माध्यम से लिखें।
उत्तर:
1. कहानी का सार पाठ के प्रारंभ में दिया गया है।

2. चोरी की सूचना का पत्र
नवजोत सिंह सराभा
52-आदर्श नगर,
लुधियाना।
दिनांक 25 मई, 20…
सेवा में
चौकी अधिकारी,
पुलिस चौकी,
आदर्श नगर, लुधियाना।
महोदय,
निवेदन यह है कि हमारे पड़ोस के मकान नम्बर 51 में गत रात चोरी हो गई है। इस मकान में हरकिशन सिंह बजाज अपने परिवार के साथ रहता है, जो कल परिवार सहित किसी विवाह में अमृतसर गया हुआ था। हमने सुबह देखा तो उस के घर के दरवाजे खुले हुए थे तथा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा है। आप से प्रार्थना है कि इस चोरी की प्राथमिक सूचना दर्ज करके शीघ्र उचित कार्यवाही करें, जिससे अपराधियों को सज़ा मिले तथा इस इलाके के लोग शांति से रह सकें।
धन्यवाद,
भवदीय,
नवजोत सिंह सराभा

PSEB 7th Class Hindi Guide हार की जीत Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
घोड़े का क्या नाम था ?
(क) सुल्तान
(ख) चेतक
(ग) टॉमी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) सुलतान

प्रश्न 2.
घोड़ा सुलतान किसके पास था ?
(क) पुलिस
(ख) सजा
(ग) खड्ग सिंह
(घ) बाबा भारती
उत्तर:
(घ) बाबा भारती

प्रश्न 3.
‘हार की जीत’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) हृदय परिवर्तन
(ख) खेल-कूद
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) चित्रात्मक
उत्तर:
(क) हृदय परिवर्तन

प्रश्न 4.
खड्ग सिंह कौन था ?
(क) ऋषि
(ख) डाकू
(ग) संत
(घ) सेवक
उत्तर:
(ख) डाकू

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

प्रश्न 5.
‘हार की जीत’ कहानी के रचनाकार कौन थे ?
(क) प्रेमचंद
(ख) राकेश शर्मा
(ग) सुदर्शन
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर:
(ग) सुदर्शन

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
एक दिन …………. बाबा भारती घूमने जा रहे थे।
(क) सुबह
(ख) संध्या समय
(ग) रात को
(घ) दोपहर
उत्तर:
(ख) संध्या समय

प्रश्न 2.
बाबा भारती ने ……….. को घोड़े पर चढ़ा लिया।
(क) सैनिक
(ख) राजा
(ग) राजकुमार
(घ) अपाहिज
उत्तर:
(घ) अपाहिज

प्रश्न 3.
अपाहिज के वेश में …………….. था।
(क) खड्ग सिंह
(ख) बाबा भारती
(ग) लेखक
(घ) राजकुमार
उत्तर:
(ग) खड्ग सिंह

प्रश्न 4.
बाबा भारती सुलतान पर बैठकर कितने चक्कर लगाते थे ?
(क) पाँच मील
(ख) आठ-दस मील
(ग) बीस मील
(घ) एक मील
उत्तर:
(ख) आठ-दस मील

प्रश्न 5.
बाबा भारती ने बोला अब कोई गरीबों की ………. से मुंह न मोड़ेगा।
(क) सहायता
(ख) दुश्मनी
(ग) मज़ाक
(घ) अत्याचार
उत्तर:
(क) सहायता

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
मशहूरी:
प्रसिद्धि
मशूरी
मोर
उत्तर:
प्रसिद्धि

प्रश्न 2.
लट्टू होना:
मोहित होना
लड्डू खाना
लटू चलाना
उत्तर:
मोहित होना

प्रश्न 3.
मिथ्या:
मित्र
सच
उत्तर:
झूठ

प्रश्न 4.
कराहना:
पीड़ा से तड़पना
खुश होना
नाराज़ होना
उत्तर:
पीड़ा से तड़पना

हार की जीत Summary

हार की जीत पाठ का सार

श्री सुदर्शन द्वारा लिखित कहानी ‘हार की जीत’ में एक डाक के हृदय परिवर्तन की घटना का वर्णन किया गया है। बाबा भारती के पास एक बहुत सुन्दर घोड़ा था। उसकी मशहूरी दूर-दूर तक फैल गई थी। बाबा भारती सब कुछ छोड़कर साधु बन गये थे, परन्तु घोड़े को छोड़ना उनके वश में न था। वे उसे ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे। संध्या के समय वे सुलतान पर चढ़कर आठ दस मील का चक्कर लगा लेते थे। उस इलाके के मशहूर डाकू खड्ग सिंह के कानों में भी सुलतान की चर्चा पहुँची। वह उसे देखने के लिए बेचैन हो उठा और एक दिन दोपहर के समय बाबा भारती के पास पहुँचा। उन्हें नमस्कार करके बैठ गया। बाबा भारती ने उससे पूछा कि कहो खड्ग सिंह क्या हाल है ? इधर कैसे आना हुआ। खड्ग सिंह ने कहा, कि आपकी कृपा है। सुलतान को देखने की चाह मुझे यहाँ खींच लाई। इस पर बाबा भारती ने उत्तर दिया कि सचमुच घोड़ा बाँका है। उन्होंने खड्ग सिंह को अस्तबल में ले जाकर घोड़ा दिखाया। खड्ग सिंह उस पर लटू हो गया। वह मन ही मन सोचने लगा कि ऐसा घोड़ा तो उसके पास होना चाहिए था। वहाँ से जातेजाते वह बोला कि बाबा जी! मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा। यह सुन कर बाबा भारती को डर के मारे अब नींद न पड़ती। वे सारी रात अस्तबल में घोड़े की रखवाली में बिताते।

एक दिन संध्या के समय बाबा भारती घोड़े पर सवार होकर घूमने जा रहे थे। अचानक उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी- “ओ बाबा!” इस कंगले की बात सुनते जाना।” उन्होंने देखा एक अपाहिज वृक्ष के नीचे बैठा कराह रहा है। बाबा भारती ने पूछा, तुम्हें क्या तकलीफ है। वह बोला, मैं दुखी हूँ। मुझे पास के रामांवाला गाँव जाना है। मैं दुर्गादत्त वैद्य का सौतेला भाई हूँ। मुझे घोड़े पर चढ़ा लो।”

बाबा भारती ने उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा लिया और स्वयं लगाम पकड़ कर चलने लगा। अचानक लगाम को झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। अपाहिज घोड़े पर तन कर बैठ गया। अपाहिज के वेश में वह खड्ग सिंह था। बाबा भारती के मुँह से चीख निकल गई। बाबा भारती थोड़ी देर चुप रहने के बाद चिल्लाकर बोले, “खड्ग सिंह मेरी बात सुनते जाओ।” वह कहने लगा, “बाबा जी अब घोड़ा न दूँगा।

बाबा भारती बोले- “घोड़े की बात छोड़ो। अब मैं घोड़े के बारे में कुछ न कहूँगा। मेरी एक प्रार्थना है कि इस घटना के बारे में किसी से कुछ न कहना, क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी दीन-हीन गरीब पर विश्वास न करेंगे।” बाबा भारती सुलतान की ओर से मुँह मोड़ कर ऐसे चले गए मानो उसके साथ उनका कोई सम्बन्ध न था।

बाबा जी के उक्त शब्द खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे। एक रात खड्ग सिंह घोड़ा लेकर बाबा भारती के मन्दिर में पहुँचा, चारों ओर खामोशी थी। अस्तबल का फाटक खुला था। उसने सुलतान को वहाँ बाँध दिया और फाटक बन्द करके चल दिया। उसकी आँखों से पश्चाताप के आँसू बह रहे थे। रात के आखिरी पहर में बाबा भारती स्नान आदि के बाद अचानक ही अस्तबल की ओर चल दिए पर फाटक पर पहुँच कर उन्हें वहाँ सुलतान के न होने की बात याद आई तो उनके पैर स्वयं रुक गए। तभी उन्हें अस्तबल से सुलतान के हिनहिनाने की आवाज़ सुनाई दी। वे प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर आए और सुलतान से ऐसे लिपट गए जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो और बोले कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।

Leave a Comment