PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 20 मैराथन की दौड़

Hindi Guide for Class 6 मैराथन की दौड़ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

रुचि = इच्छा, शौक
आक्रमण = हमला
चढ़ाई = आक्रमण
दायित्व = जिम्मेदारी
परपंत्र = गुलाम
आशवसन = तसल्ली, विशवास
सबल = शक्तिशाली
स्वतंत्र = आजाद, स्वाधीन
प्रतियोगिता = होड, मुकाबला
अमर = कभी न मिटने वाला
शीघ्र = जल्दी

2. खाली स्थानों पर रेखांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए

1. दारा यूनानियों से नाराज़ (………….) हो गया।
2. उसने यूनान पर चढ़ाई (………..) की तैयारी की।
3. एथेंस का जीतना ज़रूरी (…………) था।
4. स्पार्टा जैसे योद्धा (………….) संसार (…………) में नहीं थे।
5. यह सन्देश (………….) लेकर इतनी दूर जाएगा कौन ?
6. उसका शरीर (…………..) थककर चूर-चूर हो गया।
उत्तर:
1. रुष्ट,
2. आक्रमण,
3. आवश्यक,
4. वीर, जगत्
5. समाचार (संवाद),
6. तन (देह)

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

3. समानार्थक लिखिए

1. शक्तिशाली = …………………..
2. स्वतन्त्रता = …………………….
3. वीरता = ……………….
4. कठिन = ……………….
5. सबल = …………………..
6. हार = ………………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. शक्तिशाली = बलशाली
2. स्वतन्त्रता = स्वाधीनता
3. वीरता = बहादुरी
4. कठिन = मुश्किल
5. सबल = बलवान
6. हार = पराजय

4. वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटकर लिखिए

1. यूनान पहाड़ी राज्यों में बँटा है।
2. ईरान का शक्तिशाली राजा यूनानियों से नाराज़ हो गया।
3. उनके सामने एक विकट समस्या थी।
4. पहाड़ी ज़मीन थी।
उत्तर:
विशेषण विशेष्य
पहाड़ी – राज्यों
शक्तिशाली – राजा
विकट – समस्या
पहाड़ी – ज़मीन

5. मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो

थक कर चूर होना, मुँह सूखना, पांव लड़खड़ाना।
उत्तर:
थक कर चूर होना-अथक परिश्रम करने से मोहन थक कर चूर हो गया।
मुँह सूखना-भीषण गर्मी में लगातार चलते रहने से रमेश का मुँह सूखने लगा।
पाँव लड़खड़ाना-देखना, युवावस्था में कुसंगति में पड़कर कहीं तुम्हारे पाँव लडखड़ा न जाएँ।

6. अपनी कल्पना से पाँच युग्म शब्द लिखो।

जैसे-पहँचते-पहँचते।
उत्तर:
चलते-चलते,
करते-करते,
पढ़ते-पढ़ते,
सोते-सोते,
जागते-जागते

7. शुद्ध रूप लिखिए

अन्तरराष्ट्रीय = …………………..
परतियोगिता = …………………..
ओल्मपक = ………………………
आशवासन = ………………………..
उत्साहत = ………………………..
आकरमण = ……………………..
प्रतंत्र, योधा = ………………….
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
अन्तरराष्ट्रीय = अन्तर्राष्ट्रीय
परतियोगिता = प्रतियोगिता
ओलम्पक = ओलम्पिक
आशवासन = आश्वासन
उत्साहत = उत्साहित
आकरमण = आक्रमण
प्रतन्त्र = परतन्त्र
योधा = योद्धा

8. सही शब्द बनाओ

1. सथेए = ………………..
2. दालिबन = ………………….
3. टकफा = ………………….
4. रामैथन = ………………….
5. टरमीलोकी = ……………….
6. रगन = ……………………
7. ढ़ाईच = …………………
8. पिजडीफिडी = ……………………
उत्तर:
1. सथेंए = एथेंस
2. दालिबन = बलिदान
टकफा = फाटक
रामैथन = मैराथन
5. टरमीलोकी = किलोमीटर
6. रगन = गनर
7. ढाईच = चढ़ाई
8. पिजडीफिडी = फिडीपिडीज

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

विचार-बोध

प्रश्न 1.
ओलम्पिक क्या है ? खेल-कूदों का ओलम्पिक नाम कैसे पड़ा?
उत्तर:
ओलम्पिक एक विश्व प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है। इस का आरम्भ ओलम्पिस । नामक स्थान से हुआ था। इस कारण इसका यह नाम पड़ा।

प्रश्न 2.
दारा कौन था ? उसने किस पर चढ़ाई की और क्यों ?
उत्तर:
दारा ईरान का राजा था। उसने यूनान पर चढ़ाई कर दी क्योंकि दारा यूनानियों से नाराज था।

प्रश्न 3.
चिंता में कौन पड़ गए और क्यों ?
उत्तर:
दारा के एथेंस पहुँचने पर, वहाँ के निवासी चिन्ता में पड़ गए क्योंकि दारा की सेना बहुत बड़ी थी।

प्रश्न 4.
वे किससे सहायता मांगना चाहते थे और क्यों ?
उत्तर:
एथेंस के लोग स्पार्टा से सहायता मांगना चाहते थे। क्योंकि स्पार्टा के योद्धा दुनिया भर में प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 5.
उनके सामने कौन-सी समस्या थी ?
उत्तर:
स्पार्टा एथेंस से बहुत दूर था। वहाँ सन्देश देकर किसे भेजा जाए, यही एथेंस के लोगों की चिन्ता थी।

प्रश्न 6.
फिडीपिडीज कौन था और उसे कौन-सा काम सौंपा गया था ?
उत्तर:
फिडीपिडीज एक बहादुर युवक था जो ओलम्पिक की दौड़ों में यूनान में प्रथम आया था।

प्रश्न 7.
वह कितने घण्टों में स्पार्टा पहुँचा ?
उत्तर:
फिडीपिडीज 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँचा।

प्रश्न 8.
उसे मार्ग में किन-किन कष्टों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:
ऊँचा-नीचा कठिन मार्ग होने के कारण फिडीपिडीज को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 9.
उसने हाँफते हुए क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने हांफते हुए यह सन्देश दिया-ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है।

प्रश्न 10.
मैराथन के मैदान में किन-किन के बीच युद्ध हुआ ? जीत किसकी हुई ?
उत्तर:
मैराथन के मैदान में दारा और स्पार्टा के सैनिकों के बीच युद्ध हुआ। इसमें एथेंस की जीत हुई।

प्रश्न 11.
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ कहाँ से कहाँ तक लगाई ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ मैराथन से एथेंस तक लगाई।

प्रश्न 12.
उसने नगर-निवासियों को क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने नगर निवासियों को यह सन्देश दिया-एथेंस की जीत हुई है। खुशियां मनाओ।

प्रश्न 13.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
उत्तर:
मैराथन की दौड़ 41 किलोमीटर से कुछ अधिक की होती है।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. साहस और देश के लिए त्याग की कहानियाँ पढ़ो।
2. देश-सेवा के लिए तैयार रहो।
3. खेलों में भाग लेते हुए प्रसन्न रहो।
4. अपने अध्यापक से ओलम्पिक, राष्ट्रमंडल व एशियाड खेलों की जानकारी हासिल करो।
(विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
दारा कहाँ का राजा था ?
(क) यूनान का
(ख) ईरान का
(ग) सियान का
(घ) चियान का
उत्तर:
(क) यूनान का

प्रश्न 2.
ओलंपिक का आरंभ किस स्थान से हुआ ?
(क) ओलम्पिया
(ख) ओलम्पिस
(ग) इथोपिया
(घ) इसोपिया
उत्तर:
(ख) ओलम्पिस

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

प्रश्न 3.
ओलम्पिक की दौड़ों में प्रथम आने वाला बहादुर कौन था ?
(क) फिंडिज
(ख) इंडीज
(ग) फिडीपिडीज
(घ) यूनानी
उत्तर:
(ग) फिडीपिडीज

प्रश्न 4.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
(क) 41
(ख) 42
(ग) 43
(घ) 44
उत्तर:
(क) 41

प्रश्न 5.
ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को क्या कहते हैं ?
(क) मैराथन
(ख) वीराथन
(ग) ईराथन
(घ) सियारन
उत्तर:
(क) मैराथन

मैराथन की दौड़ Summary

मैराथन की दौड़ पाठ का सार

ईरान का राजा दारा यूनानियों से नाराज़ हो गया। वह सेना लेकर एथेंस पहुँच गया। यूनानियों ने स्पार्टा से सहायता लेने का विचार किया। इतनी दूर संदेश ले जाने के लिए फिडीपिडीज नामक एक युवक को यह काम सौंपा गया। वह दौड़ता हुआ 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँच गया। फिडीपिडीज ने हांफते हुए कहा, “ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। उनकी सेना समुद्र के किनारे मैराथन के पास उतर रही है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है। यदि सहायता न मिली तो सारा यूनान दास बन जाएगा। शीघ्रता करो ।” स्पार्टा वालों ने बहुत शीघ्र पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़ा-सा विश्राम करके वह वीर साहसी इस सन्देश को लेकर लौट पड़ा। एथेंस निवासी इस सन्देश को सुनकर बहुत उत्साहित हो गए। एथेंस की सेना दारा को रोकने के लिए मैराथन की ओर चल पड़ी। थका-मारा फिडीपिडीज भी अपना भाला और भारी ढाल लेकर युद्ध में शामिल हुआ। घमासान युद्ध के बाद, स्पार्टा की सेना के आने से पूर्व ही, एथेंस की सेना ने दारा को पराजित कर दिया।

फिडीपिडीज को फिर एक महान् दायित्व सौंपा गया कि वह शीघ्रता से जाकर यह खुशी का समाचार एथेंस निवासियों को पहुँचा दे। मैराथन और एथेंस नगर के बीच पैंतीस किलोमीटर की दूरी थी। थका होने पर भी वह दौड़ा। एथेंस तक पहुँचते-पहुँचते उसके पाँव लड़खड़ा गए। नगर के फाटक बंद थे। उसने ऊँची आवाज़ में कहा, “एथेंस की विजय हुई है। फाटक खोलो। खुशियाँ मनाओ।” उसकी आवाज़ पहचानकर नगरनिवासियों ने फाटक खोल दिया। फिडीपिडीज के पाँव कांप रहे थे। उसका मुँह सूख गया था। बहुत धीमी आवाज़ में उसने कहा, “हम जीत गए हैं। ईरानी हार गए हैं। यूनानी स्वतन्त्र रहेंगे।” इतना कहने पर वह वीर गिरा और फिर कभी न उठा। इस महान् बलिदान के कारण फिडीपिडीज का नाम अमर है। आज भी ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:

रुचि = शौक। प्रतियोगिता = मुकाबला। आक्रमण = हमला। परतंत्र = गुलाम। प्रतिवर्ष = प्रत्येक वर्ष । चढ़ाई = आक्रमण। अमर = कभी न मरने वाला। स्वतन्त्र = आजाद, स्वाधीन। आश्वासन = तसल्ली, विश्वास। दायित्व = ज़िम्मेदारी। शीघ्र = जल्दी। सबल = शक्तिशाली। बलिदान = कुर्बानी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

Hindi Guide for Class 6 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध हमा

1. शब्दार्थ
उत्तर:
शब्दार्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

ओझल = दिखाई न देना
आविष्कार = खोज
परीक्षण = प्रयोग

2. निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्तियों के वाक्य बनाओ

1. जान से हाथ धोना ______________ ________________________
2. मन में ठान लेना _______________ __________________________
3. धक्का लगना _________________ ___________________________
4. जहाँ चाह वहाँ राह ______________ _________________________
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी है _____________ ______________________
उत्तर:
1. जान से हाथ धोना = मारे जाना – देश की रक्षा करते हुए कई सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा।
2. मन में ठान लेना = प्रण कर लेना – इस बार कक्षा में प्रथम आने की मैंने मन में ठान ली है।
3. धक्का लगना = दुःख सहना – आपके साथ इतनी बड़ी दुर्घटना घट गई यह सुन कर मुझे बहुत धक्का लगा।
4. जहाँ चाह वहाँ राह = इरादा पक्का हो तो रास्ता मिल ही जाता है – तुम परीक्षा की तैयारी करो सफलता तुम्हें अवश्य ही मिलेगी क्योंकि तुमने सुना ही है जहाँ चाह वहाँ राह।
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है = ज़रूरत हो तो साधन बन ही जाते हैं – जब मनुष्य ने घूमना-फिरना आरम्भ किया तो पहिए का आविष्कार हो गया। सच ही है-आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।

3. निम्नलिखित के विपरीत शब्द लिखो

नज़दीक ………… नियंत्रित ……….. खुश ………………………
ऊँचा ………… सफलता ………………… मृत्यु ……………………
मशहूर ………………….. शुरू …………… थोड़ा …………………..
उत्तर-
1. नज़दीक = दूर।
2. नियंत्रित = अनियंत्रित
3. खुश = नाराज़
4. ऊँचा = नीचा
5. सफलता = असफलता
6. मृत्यु = जीवन
7. मशहूर = बदनाम
8. शुरू = खत्म
9. थोड़ा = ज्यादा

4. इन वाक्यों में बताएं कि क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक ?

1. सभी जहाज़ में बैठने की कल्पना ज़रूर करते हैं। ……………………….
2. कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ……………………
3. हम इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं। …………………………………..
4. वे बार-बार वैसा खिलौना बनाते। ……………………………………….
5. इनके पिता इनके लिए एक खिलौना लाए। ………………………………….
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

5. निम्नलिखित शब्दों को सही अक्षर लगाकर पूरा करें

देख-र, क-पना, अ-रीका, -लौना,
सा-कि-, -काश, प्र-ग,
गला-ड-,-रीक्षण
उत्तर:
देख-र = देखकर, क-पना = कल्पना,
अ-रीका = अमरीका, -लौना = खिलौना,
सा-कि- = साइकिल, -काश = आकाश,
प्र-ग = प्रयोग, गला-ड-र में गलाइडर,
-रीक्षण = परीक्षण।

विचार-बोध का

(क)
प्रश्न 1.
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग उड़ने के बारे में क्या कल्पनाएँ करते थे ?
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग पक्षियों के समान आकाश में उड़ने के बारे में कल्पनाएँ करते थे।

प्रश्न 2.
जब राइट ब्रदर्स के पिता उनके लिए उड़ने वाला खिलौना लाए तो उनके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर:
उड़ने वाला खिलौना पाकर उनके मन में विचार आया कि जब यह इतना छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ ज़रूर आकाश में उड़ सकती है।

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
उत्तर:
बचपन में राइट ब्रदर्स को तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था।

प्रश्न 4.
वायुयान को बनाने व उड़ाने के अलावा राइट ब्रदर्स ने और क्या-क्या काम किए ?
उत्तर:
वायुयान बनाने, पतंग उड़ाने के अतिरिक्त राइट ब्रदर्स ने अखबार छापने, साइकिल बनाने का भी काम किया।

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ? इस उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स ने पहली उड़ान 17 दिसम्बर, सन् 1903 में भरी। इस उड़ान को केवल पाँच लोगों ने देखा।

प्रश्न 6.
विल्बर की मृत्यु के बाद ओरविल ने एरोनोटिकल लेबोरटरी क्यों खोली ?
उत्तर:
विल्बर की मृत्यु के पश्चात् उसके भाई ने वायुयान बनाने का कार्य जारी रखा और हवाई जहाज़ के तकनीकी विकास के लिए एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली।

(ख)
प्रश्न 1.
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ केवल सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं, कैसे ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ निराशा का कारण नहीं थीं बल्कि सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं क्योंकि इसी प्रयास में उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया था।

प्रश्न 2.
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की अनुपम देन है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की देन अनुपम है। यह उन्हीं के प्रयासों का फल है कि हम आज आकाश में भी उड़ सकते हैं और मीलों की दूरियाँ घण्टों में तय कर सकते हैं।

आत्म- बोध

1. आप सपने देखिए और उन सपनों को पूरा करने में निरन्तर लगे रहो।
2. क्या आप का कोई सपना है ? आप उस सपने को कैसे साकार करेंगे ?
3. असफलताएँ भी आपको ढेर सारी सीख देकर जाती हैं। असफल होने पर निराश मत होइए।
4. राइट ब्रदर्स के जीवन से प्रेरणा लेते हुए आप भी जीवन में कुछ रचनात्मक कार्य करने की कोशिश करें। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुयान का आविष्कार किसने किया ?
(क) राइट ब्रदर्स ने
(ख) डेविड ब्रदर्स ने
(ग) पेन ब्रदर्स ने
(घ) किम ब्रदर्स ने
उत्तर:
(क) राइट ब्रदर्स ने

प्रश्न 2.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ?
(क) 1901 में
(ख) 1902 में
(ग) 1903 में
(घ) 1904 में
उत्तर:
(ग) 1903 में

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
(क) कुश्ती का
(ख) मशीनों से जूझने का
(ग) वायुयान बनाने का
(घ) पढ़ने का
उत्तर:
(ख) मशीनों से जूझने का

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

प्रश्न 4.
सबसे पहली उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने अन्य क्या कार्य किए ?
(क) अखबार छापना
(ख) साइकिल बनाना
(ग) साइकिल बेचना
(घ) ये तीनों
उत्तर:
(घ) ये तीनों

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट Summary

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट पाठ का सार

आज हवाई जहाज़ के द्वारा देश-विदेश की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। परन्तु जब हवाई जहाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने की कल्पना करते थे। अपनी इस कल्पना को साकार करने की दिशा में मनुष्य ने गुब्बारों से उड़ने की कोशिश की। इसके बाद ग्लाइडर के द्वारा उड़ने का प्रयास किया गया। उड़ने के इन प्रयोगों में कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मनुष्य का आकाश में उड़ने का सपना साकार हो सका अमेरिका के दो भाइयों, विल्बर राइट और ओरविल राइट की लगन और अथक प्रयासों के कारण। इनके पिता का नाम मिल्टन था जो एक पादरी थे। दोनों ही भाई प्रखर बुद्धि के थे उन्हें तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था। एक दिन इनके पिता दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए जो छत की ऊंचाई तक उड़ सकता था। इस खिलौने को देखकर इनके मन में विचार आया कि यदि यह छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ आकाश में ज़रूर उड़ सकती है। इसी से प्रेरणा लेकर दोनों भाइयों ने एक बड़ा खिलौना बनाया परन्तु बड़ा होने के कारण वह बहुत कम उंचाई तक उड़ पाता था।

इसके बाद इन्होंने पतंगें बनानी शुरू की। थोड़ा और बड़ा होने पर दोनों भाइयों ने एक प्रैस खोली और अखबार छापने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद प्रेस का काम छोड़कर साइकिल बनाने और बेचने का काम शुरू किया। इन्हीं दिनों जर्मनी के एक आविष्कारक की ग्लाइडर उड़ाते हुए मृत्यु हो गई। राइट ब्रदर्स के मन में अभी भी आकाश में उड़ने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने अपने सपने को साकार करने की ठान ली और जहाज़ बनाने के फिर से काम करना शुरू कर दिया। उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने हिम्मत न हारी। उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया और 17 दिसम्बर, सन् 1903 को पहली उड़ान भरी। दोनों भाइयों ने इस दिशा में सफल परीक्षण किए। सन् 1912 में टाइफाइड के कारण विल्बर की मृत्यु हो गई। इससे इनके भाई ओरविल को बहुत धक्का लगा लेकिन इन्होंने अपने भाई द्वारा किए गए परीक्षणों को जारी रखा। इन्होंने सन् 1916 में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली जिसमें उसके द्वारा हवाई जहाज़ों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए। इस तरह अनेक प्रयोग करते हुए 30 जनवरी, सन् 1948 को ओरविल की भी मृत्यु हो गई। वायुयान के विकास में इन दोनों भाइयों की अनुपम देन को भुला कौन सकता है। उनके द्वारा पहली उड़ान के समय में प्रयोग में लाया गया यान आज भी वाशिंगटन में नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूज़ियम में रखा हुआ है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

सदी = शताब्दी। नज़दीक = पास। ओझल = गायब। आविष्कार = खोज। जननी = माँ। इन्सान = मनुष्य। नियंत्रित = वश में। अथक = न थकने वाला, निरन्तर। जान से हाथ धोना = मारा जाना। प्रयास = कोशिश। प्रखर = तेज़। परीक्षण = प्रयोग। सतत् = लगातार।

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Punjab State Board PSEB 8th Class English Book Solutions Poem 1 The Earth Needs You Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 English Poem 1 The Earth Needs You

Activity – 1

Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words and put them- in your WORDS notebook.
1. Meaning of the word as used in the poem (adjective/noun/verb, etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or a mobile phone for correct pronunciation.)
3. Spellings.

single-use lasts forever
oceans tangles travel

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Vocabulary Expansion

Activity 2.

Given below is a table in which you will find one word for a statement or group of words/phrases. We substitute a group of words with only one word and that is why it is called one-word substitution.

S.No. Group of words/phrases Word
1. a disease that affects a large number of people in an area at the same time epidemic
2. a body of persons appointed to hear evidence or judge and give their verdict (decision) jury
3. a game in which no one wins draw
4. a list of books available in a library catalogue
5. a man who does not know how to read or write illiterate
6. an authors handwritten or typed text that has not yet been published manuscript
7. something is written by an unknown person anonymous
8. a person who can speak many languages polyglot
9. a person who does not take alcoholic drinks teetotaller
10. a person interested in reading books and doing nothing else bookworm
11. a person who pays a visit to sacred place pilgrim
12. a woman whose husband is dead widow
13. a thing likely to be broken easily brittle
14. one who practises one of the fine arts artist
15. a person who eats too much glutton
16. a place where clothes are kept wardrobe
17. one who loves or supports one’s country deeply patriot
18. one who is unable to pay one’s debt bankrupt
19. something that can be heard audible
20. the art of beautiful handwriting calligraphy

Activity 3.

Choose any ten words from the table above and write their meaningful sentences in your notebook. Sentences

1. Covid-19 is a dangerous epidemic.
2. The jury has given its decision.
3. The match ended in a draw.
4. I want to borrow a book. Please show me catalogue.
5. He is an illiterate. He can’t even write his name.
6. There are many mistakes in the manuscript.
7. The writer of this story is anonymous.
8. My brother is a polyglot. He can speak five languages.
9. A teetotaller does drink alcohol.
10. His younger brother is a book-worm. He is always reading something.
11. Many pilgrims are going to Haridwar.
12. A widow feels lonely after her husband’s death.
13. Glass is brittle.
14. My brother is a fine artist. He prints beautifully.
15. He eats like a glutton.
16. Please remove your clothes from my wardrobe.
17. Gandhiji was a great patriot.
18. He was declared a bankrupt after he suffered a big loss.
19. Your voice is not audible.
20. He is a master of calligraphy. He write very beautifully.

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Learning to Read and Comprehend

Activity 4.

Read the poem carefully and answer the following questions.

Question 1.
Who is ‘you’ in the first line?
Answer:
It is the reader.

Question 2.
What does the Earth want from human beings?
पृथ्वी मानव से क्या चाहती है ?
Answer:
The earth wants from human beings to change their ways, and thus, change the face of the earth.

Question 3.
What difference can you and I make to save the Earth?
आप और मैं धरती को बचाने के लिए क्या अंतर ला सकते हैं ?
Answer:
We can check pollution and change ways causing pollution.

Question 4.
What are some single-use plastic things that we buy and use ?
हम ‘single-use plastic’ की कौन – कौन सी चीजें खरीदते हैं और प्रयोग में लाते है
Answer:
Bags boxes, plate, spoons and many other things are made of single-use plastic.

Question 5.
But it’s not very clever’. What according to the poet is not very clever ?
‘But it is not very clever’. कवि के अनुसार क्या clever नहीं है ?
Answer:
Using single-use plastic is not very clever. It may be cheap and may last almost forever.

Question 6.
What happens to the single-use plastic after it is thrown ? When does it end up ?
फेंकने के बाद ‘single – use plastic’ का क्या होता है? यह कहां समाप्त होती है?
Answer:
It flows to oceans, rivers and seas and becomes a part of their water. Sometimes it is caught in trees.

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Question 7.
What harm does it do to the oceans, rivers and trees ?
यह महासागरों, नदियों तथा वृक्षों को क्या हानि पहुंचाती है ?
Answer:
It poisons their act in the water and hinders the flow of wind.

Question 8.
Does it stay where you throw it? Why?
क्या यह वहीं ठहरी रहती है, जहां इसे फैंका जाता है ? क्यों ?
Answer:
No, it does not. It travels around with the wind.

Question 9.
What does the poet want you to cut down?
कवि हमें किस चीज़ को कम करने के लिए कहता है ?
Answer:
The poet wants us to cut down the use of such things (single-use plastic) as are harmful for our Earth.

Activity 5

Think together and make a list of things that ‘you’ and ‘I can do to make a difference to save the Earth in the space given below. You must write complete sentences.

S.No. Things we must do every day to make a change to save the Earth
1. We must save water. We must not waste it.
2. We must not cut down trees unwisely.
3. We should plant new trees.
4. We should check soil pollution.
5. We should say ‘No’ to poly-bags.
6. We should use paper bags.

Learning Language

Revision of Parts of Speech

Let we revise parts of speech in this chapter. Look at the following table wherein you will find eight parts of speech with their functions and examples. Read and understand them carefully.

Parts of Speech
Parts of Speech Functions Sentences
Nouns name people, place, things, and ideas/concepts Meena loves flowers.
The girl decided to buy a car. I believe in democracy.
Pronouns substitute/replace nouns Why are you pushing me? I gave her a book.
Get me a glass of water.
Adjectives describe nouns and pronouns I saw an excellent film.
The girl in the red frock is happy. I plan to go on a long holiday.
Verbs express a physical action or a state I play basketball.
I am a girl.
Do your homework.
Adverbs modify verbs, adjectives and adverbs She walked slowly.
They are extremely rich. I ran fast.
Prepositions show relationships of words and phrases The book is on the table. The stone sank in the lake. I jumped into the water.
Conjunctions join words, phrases and clauses She is tall and slim.

I will wait untill she arrives. Jim is sick so he can’t come.

Interjections or Exclamations show strong feelings such as surprise or happiness Wow ! that’s beautiful. Ouch ! that hurts.
Oh ! That’s wonderful.

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Activity 6.

Given below are some words. Categorize them as nouns, pronouns, adjective, verbs, adverbs, preposition, conjunction or exclamations
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 1
Answer:

Nouns

Pronouns Adjectives Verbs
pen
dog
music
teacher
John
town
London
you
she
your
we
some
I, they
big
red
good
well
interesting
work
have to be
to
like
sing
can
must
Adverbs Preposition Conjections

Interjection/
Exclamation

badly
quckly
silently
very
really
to
at
after
on
before
around
over, of, in, for,
with, from, beneath
throughout
and, but,
although
when
or
however
nevertheless
therefore, yet, so
ouch
hi
oh
wow

Activity 7.

Given below is a chart. Write three sentences for each part of speech in the given space. You must also underline the word that represents its category.
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 2
Answer:
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 3
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 4

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Learning to Listen (Pairwork)

Activity 8

You will listen to your teacher. She will speak some words. You will write the words in the circles on the side. Spell the words correctly. Once you have written all the words, think about the word that should go in the middle cirele, read the followers. nurse, doctor, operation, medicine, X-ray, rooms, wards hospital Here the word ‘hospital will go in the middle and other words in the side circles because hospitals have nurses, doctors, operations, medicines, X-ray rooms and wards. You may say that ‘hospital is the head word.
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 5
Answer:
PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You 6

Learning to Speak (Groupwork)

Activity 9

You are a group of news reporters and you have to speak about people who have lost their homes due to an earthquake in a village where government help has not yet reached.
PSEB 8th Class English Solutions Safety Chapter 7 Safety While Driving 5

Work in groups for five minutes and make notes on what you would want to speak. All members of your group will speak at least one sentence on the topic. You may talk about their problems such as

  • no help has yet. reached from the government.
  • non-availability of hospitals for the injured.
  • no money in their pockets.
  • no place to sleep in winters.
  • nothing much to eat.
  • help available from gurudwaras and temples.
  • some people whose houses were not destroyed by the quake are providing food.

Note :

  • The earthquake has made them homeless.
  • The nights are very cold. People have no place to pass the chilly nights.
  • They have lost almost their everything. They have no food to eat.
  • Their pockets are empty, not a single penny in their pockets.
  • Only some gurudwaras and temples have come to their help. They are running ‘langars for the hungry people.

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Learning to Write

Letter Writing

Write a letter to your friend informing him about your brother’s marriage and inviting him.
Answer:
F2401 Bollywood
Greens Sector 113
SAS Nagar
May 1, 20 — —
Dear Sunil
I am extremely happy to inform you that my brother is getting married on May 10, 20……… . The functions will start from May 8, 20……… . I am inviting you to all the functions with your parents and sister. You all must come. My father is booking rooms for all the guests. I have asked him to book two rooms for you. I will be there at the station to receive you. I will send you the card soon.
Waiting to see you on May 8, 2020.
Yours sincerely
Sahil

Activity 10.

Write a letter to your friend telling him why it is important to stop using single-use plastic.

B2555 Indian Blues.
Sector 25
Chandigarh
April 13, 2020.
Dear Manmeet
I am going to tell you about a national rather international problem. It is world-wide use of single-use plastic. It is increasing day by day, A large quantity of single-use plastic is thrown out everyday. It chokes our drainage system. As it is not bio-degradable, it keeps lying in heaps here and there. Stray animals eat it up and die. It emits poisonous gases that pollute the air, water and soil. If we have to save our earth, we must stop the use of this plastic without delay. The government should ban its production immediately. I hope you fully agree with me.
Yours sincerely
Gurdeep.

Comprehension Of Stanzas

Read the following stanzas (extracts) and answer the questions given below each :

(1) The Earth needs you
To change your ways,
Month by month
And day by day

The changes are easy
Just look and you’ll see
The differences that can be made
By you and by me.

1. Why does the Earth need us?
धरती को हमारी ज़रूरत क्यों है ?

2. What should we think of ?
हमें क्या बात सोचनी चाहिए?

3. Name the poem and its poet.
कविता और इसके कवि का नाम लिखें।
Answer:
1. The Earth needs us to changes our ways regularly to save our earth.
2. We should think of differences that can be made.
3. The name of the poem is ‘The Earth Needs You’. Its poet is anonymous.

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

(2) Single-use plastic
Lasts almost forever.
It might be cheap
But it’s not very clever.

It can end up in oceans, rivers and seas.
The wind sometimes carries it.
And it tangles in trees.

1. Why do most people use single-use plastic ?
अधिकतर लोग Single -Use plastic का प्रयोग क्यों करते हैं?

2. How is it harmful ? Mention only two points ?
यह किस प्रकार हानिकारक है ? कोई दो बिन्दु लिखिए।

3. Name the poem and its poet.
कविता और इसके कवि का नाम लिखें।
Answer:
1. Most people use single-use plastic because it is cheap and lasts long.
2. It does not break down and stays where it is. It chokes the flow of waters in rivers, seas and oceans.
3. The name of the poem is ‘The Earth Needs You’. It is written by some anonymous poet.

(3) When people drop it on the ground,
This is not where it stays,
It travels around.

If people used less,
The better place the world would be,
The future is in your hands :
Cut down and you’ll see.

1. What is it’ in the first stanza ? How does it spread ?
पहले stanza में it क्या है ? यह कैसी फैलती है ?

2. What can make the world better place ?
संसार को बेहतर स्थान क्या बात बना सकती है ?
3. Give the central idea of that poem.
कविता का मूल भाव लिखिए। .
Answer:
1. It’ in the first stanza is single-use plastic. It spreads as it does not stay at one place. It travels around.
2. Less use of single use plastic can make the world a better place.
3. इसके लिए कृप्या Topic-C Central Idea of the Poem पढ़ें।

Word Meanings

PSEB 8th Class English Solutions Safety Chapter 7 Safety While Driving 6

The Earth Needs You Poem Summary in English

The Earth Needs You Summary in English

The single-use plastic is a demon. Its increasing use can gulp down our earth any time. It may be cheap. But it does not decay easily. It travels from place to place and flows down to the seas, oceans and rivers. If gets tangled in trees. Thus marine life and the life on earth gets choked. It we want to save our Earth, we must lower the use of single-use plastic, otherwise, we will be heading toward a dark future.

The Earth Needs You Summary in Hindi

Single-use plastic एक राक्षस है। इसका बढ़ता हुआ प्रयोग हमारी धरती को किसी भी समय निगल सकता है। यह सस्ती हो सकती है, परन्तु यह आसानी से समाप्त नहीं होती। यह जगह-जगह जाती रहती है और समुद्रों, महासागरों तथा नदियों में पहुंच जाती है। यह वृक्षों में जाकर फंस जाती है। इस प्रकार जल-जीवन के साथ-साथ पृथ्वी का गला भी घुट जाता है अर्थात् सांस नहीं ले पाता। यदि हमें अपनी पृथ्वी को बचाना है तो हमें Single-use plastic का प्रयोग कम करना होगा। वरना हम अन्धकारमय भविष्य की ओर बढ़ते रहेंगे।

PSEB 8th Class English Solutions Poem 1 The Earth Needs You

Central idea of the poem

Our Earth is facing the danger of losing life on it. It is due to pollution mainly through the use of single-use plastic. Though cheap, it has choked the flow of life on Earth. The Earth is looking towards us for her survival. The earlier we stop the use of this plastic, the better it will be.

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 तीन प्रश्न

Hindi Guide for Class 6 तीन प्रश्न Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिये जा चुके हैं।

विख्यात = मशहूर
आशंका = शंका होना
ढिंढोरा पीटना = सभी को जानकारी देना
सम्मति = सहमति
रुधिर = रक्त, खून
अस्फुट शब्द = टूटे- फूटे शब्द
अपहृत = छीन ली, ले ली
कंदरा = गुफा
कुदाली = फावड़ा
स्त्राव = प्रवाह
रक्षक = रक्षा करने वाला

2. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(क) साधु ने राजा को देखकर उसका …………… किया। (स्वागत, अपमान)
(ख) राजा ने घायल आदमी को ………….. पानी पिलाया। (ताज़ा, गंदा)
(ग) जब राजा साधु की कुटी के सामने पहुंचा तब वह ………………… रहा था। (नहा, धरती गोड़)
उत्तर:
(क) स्वागत
(ख) ताज़ा
(ग) धरती गोड़

3. लिंग बदलें

1. साधु = ………………..
2. पंडित = ………………..
3. आदमी = ………………….
4. राजा = …………………….
उत्तर:
1. साधु – साध्वी
2. पंडित – पंडिताइन
3. आदमी – औरत
4. राजा – रानी

4. समानार्थक लिखिए

1. कर्तव्य = ……………….
2. शुश्रूषा = ……………..
3. स्राव = ………………..
4. पंडित = …………………
5. व्यतीत = ………………….
6. निश्चित = ………………….
7. भविष्य = …………………
8. निर्णय = ……………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. कर्तव्य = फर्ज
2. शुश्रुषा = सेवा
3. स्राव = प्रवाह/बहाव
4. पंडित = विद्वान्
5. व्यतीत = बिताना
6. निश्चित = सही समय
7. भविष्य = आने वाला समय
8. निर्णय = फैसला

5. शुद्ध रूप लिखें

1. अपहिरत = ……………….
2. कारयक्रम = ………………
3. नीरधारित = …………………
4. वयतीत = ………………..
5. सूर्यासत = ………………..
6. मूरछित = ………………..
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. अपहिरत = अपहृत
2. कारयक्रम = कार्यक्रम
3. नीरधारित = निर्धारित
4. वयतित = व्यतीत
5. सूर्यासत = सूर्यास्त
6. मूरछित = मूछित

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

6. साधु ने कहा-“देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
-इस वाक्य में निर्देशक चिहन हैं जो वक्ता की उक्ति के आरम्भ में कहा, बोला, पूछा आदि शब्दों के आगे लगता है।
-“” उद्धरण चिह्न हैं जो बोलने वाले की उक्ति को ज्यों का त्यों लिखने पर लगाए जाते हैं।
‘,’ चिह्न अल्प विराम का है। अल्प’ का अर्थ है थोड़ा। वाक्य में जहाँ थोड़े समय के लिए रुकना पड़े वहाँ अल्प विराम चिह्न लगता है। इसके अतिरिक्त एक ही प्रकार के शब्दों, क्रियाओं, वाक्यांशों के मध्य, किसी के परिचय से पहले, दो वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों से पहले, वाक्यों में संबोधन से पहले, तारीख और सन् के मध्य इस चिह्न का प्रयोग होता है।
-(!) चिह्न का परिचय पहले दिया जा चुका है। इसका नाम आप स्वयं बताएं। अब नीचे लिखे वाक्यों में उचित विराम चिहन लगाएँ

1. राजा ने कहा आप थक गए हैं लाइए मुझे कुदाली दीजिए
2. राजा ने कहा मैं तुम्हें जानता भी नहीं फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ
3. साधु ने कहा देखो कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है आओ उसे देखें
4. तुम मुझे नहीं जानते लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ
उत्तर:
1. राजा ने कहा, “आप थक गए हैं, लाइए मुझे कुदाली दीजिए।”
2. राजा ने कहा, “मैं तुम्हें जानता भी नहीं; फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया, जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ।”
3. साधु ने कहा, “देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
4. तुम मुझे नहीं जानते, लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ।

7.
(1) साधु क्यारियों में बीज बो रहा था।
(2) राजा ने शहर में ढिंढोरा पिटवाया।
(3) सूर्य वृक्षों के पीछे डूबने लगा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बो रहा था’ से काम का करना, ‘पिटवाया‘ से करवाना तथा ‘डूबने लगा‘ से होना प्रकट हो रहा है। अतः ये क्रिया पद हैं। अतएव वाक्य में जिस पद से किसी काम का ‘करना‘, ‘करवाना’ अथवा ‘होना‘ प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं।

8. निम्नलिखित में से क्रिया-पद छाँटिए

1. उसके पेट में एक बड़ा घाव था।
2. साधु ने राजा की बातें सुनीं।।
3. वहाँ उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
4. उस मनुष्य ने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
उत्तर:
(1) था
(2) सुनी
(3) लिटा दिया
(4) बन्द कर ली।

9.
1. उसने पीने के लिए कुछ पानी माँगा।
2. साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था।
3. राजा सो गया। 4. वह बैठ गया।
पहले वाक्य में ‘माँगने’ का फल ‘पानी‘ पर दूसरे वाक्य में ‘गोड़ने‘ का फल ‘धरती‘ पर पड़ रहा है। अतः ‘पानी‘ और ‘धरती‘ कर्म हैं। इन पर क्रिया का फल पड़ने से माँगना और गोड़ना-ये सकर्मक क्रियाएँ हैं। तीसरे वाक्य में ‘सोने‘ और चौथे वाक्य मैं ‘बैठने’ का फल सीधा क्रमशः ‘राजा‘ और ‘वह‘ पर पड़ रहा है। इन क्रियाओं में कर्म नहीं है, अतएव ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।

विशेष:
वाक्य में ‘क्या’, ‘किसको’ अथवा ‘किसे’ प्रश्न लगाकर यदि उत्तर हाँ में मिलता है तो क्रिया सकमर्क होगी अन्यथा अकर्मक होगी। उदाहरण : साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था। इस वाक्य में यदि प्रश्न स्वरूप क्या लगा दें तो प्रश्न होगा-साधु अपनी कुटी के सामने क्या गोड़ रहा था? उत्तर होगा-धरती। अतः धरती कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ जिसको गोड़ रहा था क्रिया की अपेक्षा है।

इसके विपरीत तीसरे वाक्य में प्रश्नस्वरूप’ क्या, किसको किसे ‘प्रश्न करें’ जैसे-राजा क्या/किसको सो गया? तो उत्तर नहीं मिलता है। अतः वाक्य में कर्म न होने के कारण यह अकर्मक क्रिया है।

10. निम्नलिखित में से सकर्मक तथा अकर्मक क्रियाएँ छाँटिए

1. राजा और साधु ने मिलकर उसके कपड़े खोले। ( )
2. उसे बिस्तर पर लिटा दिया। ( )
3. वह अपने घोड़े से उतर गया। ( )
4. राजा ने घाव पर पट्टी बाँधी। ( )
5. उसने अपने हाथ से पसीना पोंछा। ( )
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

विचार-बोध म

(क)
1. राजा के मन में क्या विचार उठा ?
2. राजा ने अपने राज्य में क्या ढिंढोरा पिटवाया ?
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए किस के पास गया ?
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है ?
(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को क्या-क्या बताया ?
6. साधु ने राजा के प्रश्नों का क्या उत्तर दिया ?
7. क्या राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हुआ ?
8. किसने राजा को अपना शत्रु बताया और क्यों ?
9. राजा ने शत्रु को क्यों क्षमा किया ?
10. संसार में मनुष्य क्यों जन्म लेता है ? साधु ने क्या बताया है ?
उत्तर:
(क)
1. राजा के मन में विचार उठा कि यदि मैं यह जान जाऊँ कि प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है, तो फिर किसी कार्य में असफल होने की आशंका न रह जाए।
2. राजा ने अपने राज्य में यह ढिंढोरा पिटवाया कि जो मुझे तीन बालों की शिक्षा देगा उसे मैं बहुत बड़ा पुरस्कार दूंगा।
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए एक साधु के पास गया।
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय वर्तमान होता है।

(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को निम्नांकित बातें कहीं

  • दिन, मास और वर्षों का कार्यक्रम निर्धारित कर लेना चाहिए।
  • उचित समय के निर्धारण के लिए पण्डितों की एक समिति बनानी चाहिए।
  • निर्णय तुरन्त कर लेना चाहिए, परन्तु भविष्य का ज्ञान भी हो।

6. साधु ने राजा के प्रश्नों के निम्नलिखित उत्तर दिए

  • किसी कार्य को आरम्भ करने का ठीक समय वह समय है जिसमें आप जी रहे हैं अर्थात् वर्तमान काल सबसे ज़रूरी है।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण लोग वे हैं जो उस बड़ी हमारे साथ हैं।
  • मानवता की सेवा करना सबसे उत्तम कार्य है।

7. राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हो गया।
8. एक दाढ़ी वाला व्यक्ति राजा का पुराना शत्रु था। उसके भाई को राजा ने फाँसी लगवा दी थी।
9. राजा ने शत्रु को इसलिए क्षमा कर दिया क्योंकि उसकी देखभाल करने से राजा के प्राण बच गए थे। राजा को घायल की देखभाल में बहुत समय बीत गया था। इसलिए वह अपनी नगरी को न लौटा।
10. संसार में मनुष्य दूसरों का उपकार करने के लिए ही जन्म लेता है। इसलिए उपकार करना ही परमावश्यक कर्त्तव्य है।

आत्म- बोध

1. अपने कर्त्तव्य को पहचानो और करो।
2. अपना कर्त्तव्य पूरा करके महान् बनने वालों की जीवनियां पढ़िए और उनसे प्रेरणा लें।
3. जैसे राजा ने शत्रु की पट्टी की ऐसे ही गुरु गोबिन्द सिंह जी के युद्ध की घटना का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रत्येक कार्य को करने के लिए सबसे उचित समय कौन-सा होता है ?
(क) वर्तमान
(ख) भविष्य
(ग) भूतकाल
(घ) निर्वतमान
उत्तर:
(क) वर्तमान

प्रश्न 2.
किसकी सेवा सबसे उत्तम कार्य है ?
(क) मानवता
(ख) दानवता
(ग) धर्म
(घ) भ्रम
उत्तर:
(क) मानवता

प्रश्न 3.
राजा अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए किसके पास गया ?
(क) मंत्री के
(ख) दूसरे राजा
(ग) वजीर
(घ) साधु
उत्तर:
(घ) साधु

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से क्रिया शब्द चुनें :
(क) माँगना
(ख) फल
(ग) समाज
(घ) रवि
उत्तर:
(क) माँगना

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) गोड़ना
(ख) बैठना
(ग) सोना
(घ) कहाँ
उत्तर:
(घ) कहाँ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण है ?
(क) राजा
(ख) साधु
(ग) वर्तमान
(घ) उठा
उत्तर:
(घ) उठा

तीन प्रश्न Summary

तीन प्रश्न पाठ का सार

‘तीन प्रश्न’ पाठ में एक राजा के मन में आये तीन प्रश्नों के बारे में कहा गया है। उसके तीन प्रश्न थे

(1) किसी कार्य को आरम्भ करने का सबसे ठीक समय कौन-सा है ?
(2) सबसे महत्त्वपूर्ण लोग कौन हैं ?
(3) सबसे ज़रूरी काम कौन-सा है ?

राजा ने घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत बड़ा पुरस्कार दिया जाएगा। बड़े-बड़े विद्वान् दूर-दूर से राजा के पास आए। सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उत्तर दिए। पहले प्रश्न के उत्तर में बहुत-से लोगों का उत्तर अलग-अलग रहा। ऐसे ही दूसरे प्रश्न के उत्तर भी अलग-अलग थे। तीसरे प्रश्न के भी जितने विद्वानों ने उत्तर दिए उन सब के अपने-अपने विचार थे। राजा को किसी भी उत्तर पर सन्तुष्टि नहीं हुई। अतः वह किसी भी विद्वान् को इनाम देने के पक्ष में नहीं था। राजा उदास रहने लगा। एक दिन राजा को पता चला कि समीप के जंगल में एक महात्मा रहते हैं, जो उच्चकोटि के ज्ञानी हैं। परन्तु वह महात्मा सीधे-सादे लोगों से ही मिलते हैं। अगली सुबह राजा सादी वेश-भूषा में महात्मा से मिलने निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर राजा ने महात्मा को कुटिया के बाहर क्यारियों की खुदाई फावड़े से करते देखा। राजा ने उन्हें नमस्कार किया। महात्मा का शरीर दुर्बल था। धरती में फावड़ा मारते ही उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगती थी। राजा ने महात्मा से अपने तीन प्रश्नों के उत्तर देने का विनम्र निवेदन किया। महात्मा चुप रहे और फावड़ा मारते रहे। राजा ने तीनों प्रश्न कह दिए।

महात्मा ने राजा के प्रश्न सुने किन्तु उनका उत्तर नहीं दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। राजा ने फावड़ा महात्मा से पकड़ कर क्यारियाँ खोदनी शुरू कर दी। दो क्यारियाँ खोदने के बाद राजा महात्मा के पास आया और उनसे प्रश्न पूछे। महात्मा ने उत्तर न देते हुए राजा से फावड़ा पकड़ाने और राजा को आराम करने को कहा। राजा ने फावड़ा नहीं दिया और फिर खोदने लगा। एक घण्टा बीता फिर दूसरा बीता और सूर्य पेड़ों के नीचे छिपने लगा। राजा को घर लौटने की चिन्ता हुई। उसने फिर महात्मा से प्रश्नों के उत्तर देने को कहा और घर जाने की आज्ञा मांगी। तभी सामने की ओर से एक आदमी भागते हुए आया। राजा ने मुड़ कर देखा तो एक दाढ़ी वाला आदमी था। राजा के समीप पहुँचते ही वह चीख कर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। राजा और महात्मा ने उनका पेट खोल कर घाव भर दिया और उसे कुटिया के अन्दर चारपाई पर डाल दिया।

रात बहुत हो चुकी थी। राजा भी थक कर चूर-चूर हो गया था। वह चौखट का सहारा लेकर लेट गया और देखते-ही-देखते उसे गहरी नींद आ गई। अगले दिन जब राजा की आँखें खुली तो राजा ने उस व्यक्ति की ओर टकटकी लगा कर देखा तभी वह व्यक्ति धीरे से बोला मुझे क्षमा कर दो। राजा ने कहा मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं तो माफ़ी किस बात की दूँ। घायल व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको जानता हूँ पर आप मुझे नहीं जानते। मैं आपका वही पुराना शत्रु हूँ जिसके भाई को आपने फाँसी दे दी थी। मैं आपकी हत्या करने आया था। मुझे मालूम था कि आप महात्मा से मिलने आ रहे हैं। मैंने लौटते समय आपकी हत्या की योजना बनाई थी, परन्तु दिन पूरा हो गया तो आप नहीं लौटे। मैं अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला तो आपके सैनिकों ने मुझे पहचान लिया और मुझे घायल कर दिया। मैं अवश्य मर जाता अगर आप मेरी देखभाल न करते। मैं आपका जीवन-भर दास बना रहूँगा। मेरे बच्चे भी आपके दास होंगे। मुझे क्षमा कर दें।

घायल व्यक्ति से विदा लेकर राजा घर जाने से पूर्व महात्मा से अन्तिम बार विदा लेने लगा। उसने तीनों प्रश्नों के उत्तर पूछे तब महात्मा ने कहा तुम्हें उत्तर तो मिल गए हैं। राजा ने कहा मैं समझा नहीं। महात्मा बोले कल जब तुम मेरी दुर्बलता पर दया करके मेरी मदद न करते तो तुम मारे जाते। तुमने मेरी मदद करने के लिए क्यारियाँ खोदी वही तुम्हारा सब से ठीक समय था। उसके बाद वह आदमी भागा-भागा तुम्हारे पास आ कर गिर पड़ा। तुमने उसका इलाज किया। वही आदमी सबसे महत्त्वपूर्ण था जिसकी तुमने जान बचाई। उसकी जान बचाना सबसे आवश्यक कार्य था। अतः तुम्हें अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मिल गए।

कठिन शब्दों के अर्थ:

अनुकूल = पक्ष में रहने वाला। स्थिति = हालत। विख्यात = मशहूर। कुटिया = झोंपड़ी। पुरोहितों = कुल गुरुओं। ज्योतिषियों = ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता। महत्त्वपूर्ण = महत्ता से युक्त, विशेष। चिकित्सा = इलाज। अंगरक्षक = रक्षा करने वाला। सेवादार = सेवा करने वाला। पश्चात्ताप = पछतावा। सन्तुष्टि = तसल्ली। महात्मा = महान् आत्मा वाला। दुर्बल = कमज़ोर।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न

Hindi Guide for Class 11 PSEB स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘सामाजिक व्यवस्था में स्त्री और पुरुष के अधिकारों में विषमता क्यों नहीं मिट सकी ?’ पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
लेखिका के अनुसार सामाजिक व्यवस्था में स्त्री और पुरुष के अधिकारों में विषमता इसलिए नहीं मिट सकी क्योंकि अर्थ सदा से ही शक्ति का अन्धानुगामी रहा है। जो अधिक सबल था उसने सुख के साधनों का पहला अधिकारी अपने आप को माना और अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार धन का बंटवारा करना अपना कर्तव्य समझा। यह सच है कि बाद में समाज के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह सबल हो या निर्बल, तीव्र बुद्धि हो या मन्द बुद्धि जीवन निर्वाह का साधन देना आवश्यक-सा हो गया। परन्तु उस आवश्यकता में भी शक्ति का दखल रहा। सबल ने दुर्बलों को उसी मात्रा में निर्वाह की सुविधाएँ देना स्वीकार किया, जितनी वे उनके लिए उपयोगी हों। समाज में स्त्री चूंकि निर्बल मानी गई इसलिए सामाजिक व्यवस्था में स्त्री पुरुष में यह विषमता बनी रही।

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प्रश्न 2.
‘आर्थिक दृष्टि से स्त्री की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हो सका।’ लेखिका के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं ? अपने विचार स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखिका की यह बात पूर्णतः सत्य है। भले ही स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्थिति में कुछ बदलाव आया है परन्तु मूल रूप से स्त्री की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसका एक कारण हमारे समाज का पुरुष प्रधान होता है, जिस कारण स्त्री को आर्थिक दृष्टि से पुरुष पर निर्भर रहना पड़ता है। स्त्री की यह परवशता उसके विकास और आत्मविश्वास में बाधक है।

लेखिका के इस विचार से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं कि क्यों पुरुष प्रधान समाज में कभी भी स्त्री को आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं होने दिया। पुरुष बाहर जाकर कमाता था और स्त्री घर सम्भालती थी इसलिए स्त्री घर की चार दीवारी में बन्द होकर रह गयी उसे आर्थिक दृष्टि से सदा पुरुष का मुँह ही देखना पड़ा। उसे समाज ने कोई ऐसा अवसर प्रदान नहीं किया जिससे वह आर्थिक दृष्टि से स्वाबलम्बी बन सके।

प्रश्न 3.
नारी जाति की स्थिति में निरन्तर होने वाले सुधारों का ऐतिहासिक क्रम में उल्लेख करते हुए वर्तमान स्थिति में लेखिका द्वारा दिये गए सुझावों से आप कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्राचीन वेदकालीन समाज में विवाह को बहुत महत्त्व दिया गया। सन्तान को जन्म देने के कारण स्त्री को बड़ा गौरवमय स्थान प्राप्त हुआ। स्त्री को घर गृहस्थी की मालिक बनाया गया। उसके मातृत्व को विशेष आदर दिया गया। सभ्यता के विकास के साथ-साथ स्त्री की स्थिति में कई परिवर्तन आए। स्त्री की स्थिति ही समाज के विकास के नापने का मापदंड माना जाता है। इस बर्बर समाज में स्त्री पर पुरुष का वैसा ही अधिकार है जैसे वह अपनी अन्य स्थावर सम्पत्ति पर रखने को स्वतंत्र है। इसके विपरीत पूर्ण विकसित समाज में स्त्री पुरुष की सहयोगिनी तथा समाज का आवश्यक अंग मानी जाकर माता तथा पत्नी के महिमामय आसन पर आसीन रहती है। लेखिका द्वारा दिये गए इन सुझावों से हम पूर्णतया सहमत हैं।

प्रश्न 4.
‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखें। उत्तर-देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया निबन्ध का सार। प्रश्न 5. लेखिका निबन्ध के उद्देश्य को स्पष्ट करने में कहाँ तक सफल रही है ?
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में महादेवी जी का उद्देश्य भारतीय नारी की आर्थिक दृष्टि से परवशता पर प्रकाश डालना है। लेखिका के अनुसार यह एक कटु सत्य है कि सारी सामाजिक, राजनैतिक और अन्य सुविधाओं की रूप-रेखा शक्ति के अनुसार ही निर्धारित होती रही है। युग आए-युग चले गए, सभ्यता में अनेक परिवर्तन हुए लेकिन आर्थिक दृष्टि से नारी आज भी बहुत कुछ उसी हीन और दुर्बल स्थिति में पड़ी है-जैसी प्राचीनकाल में भी थी। इस पुरुष प्रधान समाज में नारी निर्बल होने के कारण आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं हो सकी।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
लेखिका ने समाज की व्यवस्था में साम्य न कर सकने का क्या कारण बताया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखिका का मत है कि धन सदा ही शक्ति का अनुगामी रहा है। शक्तिशाली मनुष्य ने अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही धन का विभाजन किया। शक्तिशाली मनुष्य ने दुर्बलों को उतनी ही मात्रा में सुख-सुविधाएँ दीं जो उनके लिए ज़रूरी एवं उपयोगी थीं। उसने समाज सुविधाएँ सबके लिए नहीं उपलब्ध कराईं। यही कारण था कि समाज की व्यवस्था में साम्यता न आ सकी।

प्रश्न 2.
वैदिक समाज में स्त्री की उन्नति का क्या कारण था ?
उत्तर:
वेदकालीन समाज में पुरुष ने सन्तान की आवश्यकता के कारण और अनाचार रोकने के लिए विवाह को अधिक महत्त्व दिया। सन्तान की जन्मदात्री होने के कारण स्त्री की गरिमा बढ़ गई। उसे यज्ञ जैसे धर्म कार्यों में पति का साथ देने के कारण सहधर्मिणी माना गया और घर की व्यवस्था करने के लिए गृहिणी का पद दिया गया।

प्रश्न 3.
स्त्री को पिता की सम्पत्ति से वंचित करने में क्या उद्देश्य रहा होगा ? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
वैसे तो इस उद्देश्य के बारे में कहना कठिन है किन्तु सम्भव है स्त्री के निकट वैवाहिक जीवन को अनिवार्य रखने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई हो। यह भी हो सकता है पुरुष समाज में इस ओर ध्यान ही न दिया हो। कन्या को पिता की सम्पत्ति में स्थान देने से यह कठिनाई भी आ सकती थी कि पिता की सम्पत्ति पर दूसरे परिवारों को उत्तराधिकार हो जाने पर परिवार की व्यवस्था में अस्थिरता आ सकती हो।

प्रश्न 4.
‘प्राचीन समाज में स्त्री के स्वतन्त्र अस्तित्व की कभी चिन्ता ही नहीं की गई।’ इसका क्या कारण था ?
उत्तर:
समाज में स्त्री के मातृत्व को विशेष आदर दिया गया किन्तु सामाजिक व्यक्ति के रूप में उसे विशेष अधिकार न दिए गए। समाज के निकट स्त्री पुरुष की संगिनी होने के कारण ही उपयोगी थी। उससे भिन्न उसका अस्तित्व चिन्ता करने के योग्य नहीं रहता था। दूसरे, समाज भी पुरुष प्रधान था जिसने स्त्री के स्वतन्त्र अस्तित्व की बात कभी सोची ही नहीं।

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प्रश्न 5.
आर्थिक पराधीनता व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव डालती है ?
उत्तर:
आर्थिक पराधीनता व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास रोक देती है। न व्यक्ति अपनी इच्छा से कुछ कर पाता है न ही करने के योग्य रहता है। व्यक्ति एक घेरे में कैद होकर रह जाता है जिस से बाहर आने के लिए उसके सारे संघर्ष बेकार सिद्ध हो जाते हैं। उसे अभिमन्यु की तरह हर ओर से घेरा जाता है। परिणाम वही होता जो महाभारत के अभिमन्यु का हुआ था।

प्रश्न 6.
सापेक्षता ही सामाजिक सम्बन्ध का मूल है। भारतीय समाज में स्त्री पुरुष का सम्बन्ध कहाँ तक सापेक्ष है ? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
समाज में पूर्ण रूप से स्वतन्त्र कोई भी नहीं है क्योंकि सापेक्षता ही सामाजिक सम्बन्ध का मूल है। व्यक्ति उतना ही दूसरे पर निर्भर करता है जितना वह उससे अपेक्षा रखता है। भारतीय समाज में स्त्री पुरुष सम्बन्ध सापेक्ष नहीं है। दोनों में यह भाव समान नहीं है। दोनों एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर नहीं करते। इसी कारण भारतीय स्त्री की सापेक्षता सीमातीत हो गई है। पुरुष की अपेक्षा स्त्री पुरुष पर अधिक निर्भर है। पुरुष को स्त्री रूपी साधन के नष्ट होने पर कुछ हानि नहीं होती जबकि स्त्री हर बात में पुरुष की सहायता चाहती है।

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PSEB 11th Class Hindi Guide स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वेदकालीन समाज में नारी को क्या समझा जाता था ?
उत्तर:
केवल संतान पैदा करने वाली और गृहस्थी संभालने वाली।

प्रश्न 2.
भारतीय पुरुष स्त्री को क्या कहता है ?
उत्तर-सहयात्री।

प्रश्न 3.
‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ कहाँ से संकलित है ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा की कृति ‘श्रृंखला की कड़ियों’ से।

प्रश्न 4.
शक्ति का अनुगामी कौन रहा है ?
उत्तर:
धन।

प्रश्न 5.
आदिकाल से स्त्री को क्या समझा जा रहा है ?
उत्तर:
सुख का साधन।

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प्रश्न 6.
आर्थिक रूप से स्त्री को किस पर निर्भर रहना पड़ता था ?
उत्तर:
पुरुष पर।

प्रश्न 7.
वेदकालीन समाज में नारी की …………. पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उत्तर:
आर्थिक स्वतंत्रता।

प्रश्न 8.
वेदकालीन समाज में नारी को पिता की ………. में कोई अधिकार नहीं था।
उत्तर:
सम्पत्ति।

प्रश्न 9.
हमारे समाज में पुरुष को क्या कहा गया है ?
उत्तर:
भर्ता।

प्रश्न 10.
स्त्री सदा किसका मुँह ताकती रहती है ?
उत्तर:
पुरुष का।

प्रश्न 11.
प्राचीन समाज में स्त्री के मातृत्व को …………… दिया गया।
उत्तर:
विशेष आदर।

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प्रश्न 12.
प्रारम्भ से हमारा समाज कैसा रहा है ?
उत्तर:
पुरुष प्रधान।

प्रश्न 13.
किस समाज में विवाह को महत्त्व दिया गया ?
उत्तर:
वेदकालीन समाज में।

प्रश्न 14.
किसकी स्थिति समाज को मापने का मापदण्ड मानी जाती है ?
उत्तर:
स्त्री की।

प्रश्न 15.
पुरुष प्रधान समाज में नारी आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र क्यों नहीं हो सकी ?
उत्तर:
‘निर्बल होने के कारण।

प्रश्न 16.
समाज का निर्माण कौन करता है ?
उत्तर:
शक्तिशाली व्यक्ति।

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प्रश्न 17.
समाज में पूर्ण रूप से कौन स्वतंत्र है ?
उत्तर:
कोई भी नहीं।

प्रश्न 18.
व्यक्ति का शारीरिक, बौद्धिक तथा मानसिक विकास कौन रोक देता है ?
उत्तर:
आर्थिक पराधीनता।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामाजिक प्राणी के लिए किसका अधिक महत्त्व है ?
(क) धन का
(ख) मन का
(ग) तन का
(घ) मधुवन का ।
उत्तर:
(क) धन का

प्रश्न 2.
धन सदा किसका अनुगामी रहा है ?
(क) भक्ति का
(ख) शक्ति का
(ग) अनुशक्ति का
(घ) विरक्ति का।
उत्तर:
(ख) शक्ति का

प्रश्न 3.
पुरुष को हमारे समाज में क्या कहा जाता है ?
(क) भर्ता
(ख) कर्ता
(ग) अनुकर्ता
(घ) सतर्कता।
उत्तर:
(क) भर्ता

प्रश्न 4.
प्रारम्भ से भारतीय समाज कैसा है ?
(क) पुरुष प्रधान
(ख) स्त्री प्रधान
(ग) देव प्रधान
(घ) भोग प्रधान।
उत्तर:
(क) पुरुष प्रधान !

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कठिन शब्दों के अर्थ :

अनुगामी = पीछे चलने वाला। अर्थ = धन। सबल = शक्तिवान, शक्तिशाली। मेधावी = लायक, तीव्र बुद्धि। मंदबुद्धि = कम अक्ल, कमज़ोर बुद्धि वाला। सुगमतापूर्वक = आसानी से। प्रतिद्वंद्विता = बराबर वालों की लड़ाई । आदिम युग = प्राचीन युग, आरम्भिक युग। अनुगमन = साथ चलना। तुला = तराजू । परालंबन = दूसरे का सहारा, दूसरे पर निर्भर। भर्ता = स्वामी, भरण-पोषण करने वाला। परमुखापेक्षणी = दूसरे के मुँह की तरफ देखने वाली। विषमता = अन्तर, भेद, असमता। श्लाघ्य = प्रशंसनीय। द्रव्य-उपार्जन = धन कमाना। स्पृहणीय = वांछनीय। यीतुक = दहेज । अनिवार्य = ज़रूरी। विधान = नियम। स्वयंवरा = अपने आप वर की तलाश करना। बलात् = बलपूर्वक, ज़बरदस्ती। संगिनी = साथिन । नितान्त = बिलकुल। बर्बर = दुष्ट, अत्याचारी। परवशता = पराये वश में होना, दूसरे पर निर्भर। स्वावलम्बन = आत्मनिर्भरता। सापेक्षता = परस्पर सम्बन्ध और आदान-प्रदान की स्थिति। सीमातीत = सीमा से परे । क्षमता = सामर्थ्य । सहयात्री = हमसफर, साथ यात्रा करने वाली। उपहास = मज़ाक।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) अर्थ सदा से शक्ति का अन्ध-अनुगामी रहा है। जो अधिक सबल था उसने सुख के साधनों का प्रथम अधिकारी अपने आप को माना और अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही धन का विभाजन करना कर्त्तव्य।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा के निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देते हुए आर्थिक दृष्टि से स्त्री की परवशता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
लेखिका स्त्री की आर्थिक दृष्टि से परवशता की ऐतिहासिक पृष्ठभमि का उल्लेख करती हुई कहती है कि आदिकाल से ही धन शक्ति का अन्धानुकरण करता रहा है। जो अधिक शक्तिशाली था उसने सुख के साधनों का पहला अधिकारी अपने आपको माना और धन का बँटवारा अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही किया।

विशेष :

  1. आदिकाल से ही शक्तिशाली व्यक्ति को सभी अधिकार मिले हुए थे।
  2. शक्तिशाली के समक्ष सभी लोग उसकी बात मानने के लिए बाध्य थे।
  3. भाषा संस्कृत-निष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

(2) आदिम युग से सभ्यता के विकास तक स्त्री सुख के साधनों में गिनी जाती रही। उसके लिए परस्पर संघर्ष हुए, प्रतिद्वन्द्वता चली, महाभारत रचे गए और उसे चाहे इच्छा से हो और चाहे अनिच्छा से, उसी पुरुष का अनुगमन करना पड़ता रहा जो विजयी प्रमाणित हो सका।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वांतत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने आदिकाल से ही स्त्री को पुरुष के अधीन बताया है, उसकी अपनी इच्छा नहीं है।

व्याख्या :
स्त्री की परवशता पर प्रकाश डालते हुए लेखिका कहती है कि आदिकाल से सभ्यता के विकास तक स्त्री को सुख का साधन माना गया। स्त्री के लिए ही आपस में संघर्ष हुए, आपसी मुकाबला हुआ, महाभारत जैसे भीषण युद्धों की रचना हुई और स्त्री को चाहे मर्जी से न मर्जी से उसी पुरुष के साथ जाना पड़ा जो विजयी हो सका। लेखिका के कहने का भाव यह है कि स्त्री आदिकाल से ही पुरुष की शक्ति की गुलाम रही है।

विशेष :

  1. पुरुष के समक्ष स्त्री की अपनी कोई इच्छा का अर्थ नहीं था।
  2. जिस स्त्री को लेकर पुरुष आपस में युद्ध करते थे उसकी इच्छा का उनके लिए कोई अर्थ नहीं था।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

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(3) जीवन में विकास के लिए दूसरों से सहायता लेना बुरा नहीं, परन्तु किसी को सहायता दे सकने की क्षमता न रहना अभिशाप है । सहयात्री वे कहे जाते हैं, जो साथ चलते हैं। कोई अपने बोझ को सहयात्री कहकर अपना उपहास नहीं करा सकता।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा के निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने पुरुष द्वारा स्त्री को हम साथी कहने के साथ बोझ भी समझा है का वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखिका स्त्री की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहती है कि जीवन में विकास के लिए दूसरों से सहायता लेना बुरा नहीं है परन्तु किसी की सहायता न कर सकना या उसकी सामर्थ्य न रखना एक अभिशाप है। पुरुष ने स्त्री को सहयात्री कहा है। सहयात्री वे कहे जाते हैं जो साथ चलते हैं। कोई अपने बोझ को सहयात्री कह कर अपना मज़ाक नहीं उड़ा सकता। पुरुष ने स्त्री को सहयात्री भी कहा और उसे एक बोझ भी समझा, अपने सुख का साधन भी समझा।

विशेष :

  1. पुरुषों ने स्त्री को अपने जीवन की संगिनी बताया है परन्तु साथ ही उसे बोझ भी माना है।
  2. सहयात्री जीवन में एक-दूसरे के विकास में सहायता करते हैं।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

(4) गृह और सन्तान के लिए द्रव्य-उपार्जन पुरुष का कर्त्तव्य था अतः धन स्वभावतः उसी के अधिकार में रहा। गृहिणी गृहपति की आय के अनुसार व्यय कर गृह का प्रबन्ध और सन्तान पालन आदि का कार्य करने की अधिकारिणी मात्र थी।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें समाज के पुरुष प्रधान होने और स्त्री के आर्थिक रूप से परवश होने की बात कही है।

व्याख्या :
लेखिका वेदकालीन समाज से चली आ रही परंपरा का उल्लेख करते हुए कहती है कि घर और सन्तान के लिए धन कमाना पुरुष का कर्तव्य था। अतः स्वाभाविक रूप से धन उसी के पास रहा। घरवाली घरवाले की आय के अनुसार खर्च कर घर का प्रबंध और सन्तान पालन आदि कार्य करने की अधिकारिणी मात्र थी।

विशेष :
लेखिका ने स्त्री के आर्थिक दृष्टि से परवश होने का कारण बताया है।
भाषा तत्सम प्रधान तथा शैली विचारात्मक है।

(5) सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा शक्ति द्वारा ही निर्धारित होती रही और सबल की सुविधानुसार ही परिवर्तित और संशोधित होती गयी, इसी से दुर्बल को वही स्वीकार करना पड़ा जो सुगमतापूर्वक मिल गया। यही स्वाभाविक भी था।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने शक्तिशाली मनुष्य के अधिकारों का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका धन सदा शक्ति का अनुगामी रहा है’ अपने विचार की व्याख्या करते हुए कहती है कि धन क्योंकि शक्तिशाली के ही अधिकार में रहा, इसलिए सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा शक्ति द्वारा ही बनायी जाती रही और शक्तिशाली की सुविधा के अनुसार ही बदली गयी थी। उसमें कई संशोधन किए गए। यही कारण था कि कमज़ोर को वही स्वीकार करना पड़ा जो उसे आसानी से मिल गया। कमजोर व्यक्ति का ऐसा सोचना या करना स्वाभाविक ही था।

विशेष :

  1. जो व्यक्ति शक्तिशाली है समाज का निर्माण वही करता है।
  2. शक्तिशाली व्यक्ति के समक्ष कमज़ोर व्यक्ति की नहीं चलती। उसे वही स्वीकार करना पड़ता है जो उसे सुगमता से प्राप्त हो जाता है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है।

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(6) शताब्दियाँ-की-शताब्दियाँ आती जाती रहीं, परन्तु स्त्री की स्थिति की एक रसता में कोई परिवर्तन न हो सका। किसी भी स्मृतिकार ने उसके जीवन की विषमता पर ध्यान देने का अवकाश नहीं पाया ; किसी भी शास्त्रकार ने पुरुष से भिन्न करके उसकी समस्या को नहीं देखा।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। लेखिका ने आदिकाल से चल आ रही स्त्री की स्थिति के लिए सभी को उत्तरदायी बताया है

व्याख्या :
इसमें लेखिका स्त्री की आर्थिक दृष्टि से परवशता पर किसी ने भी ध्यान देने की बात कही है। लेखिका कहती है कि सैंकड़ों साल बीत जाने पर भी स्त्री की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। अर्थात् जैसी स्थिति उसकी पहले थी वही अब है। किसी भी स्मृति ग्रन्थ लेखक को स्त्री के जीवन की इस असमता पर ध्यान देने का समय नहीं मिला। किसी भी शास्त्र लिखने वाले ने पुरुष से अलग करके स्त्री की समस्या को नहीं देखा।

विशेष :

  1. शताब्दियों के बीत जाने पर सब कुछ बदला परन्तु स्त्रियों की स्थिति नहीं बदली। प्राचीनकाल से लेकर अब तक किसी ने भी स्त्रियों की स्थिति बदलने के लिए प्रयास नहीं किए हैं।
  2. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली भावपूर्ण है।

(7) मातृत्व की गरिमा ने गुरु और पत्नीत्व के सौभाग्य से ऐश्वर्यशालिनी होकर भी भारतीय नारी अपने व्यावहारिक जीवन में सबसे अधिक क्षुद्र और रंक कैसे रह सकी, यही आश्चर्य है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने स्त्री को पुरुष समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका भारतीय स्त्री के गौरवमयी स्थान प्राप्त करने पर भी आर्थिक दृष्टि से परवश रहने की बात करती हुई कहती है कि माता का बड़ा दर्जा प्राप्त होने पर तथा पत्नी होने के कारण ऐश्वर्यशाली स्थान प्राप्त होने पर भी भारतीय नारी अपने व्यावहारिक एवं यथार्थ जीवन में सबसे तुच्छ और निर्धन कैसे रह सकी, यही आश्चर्य की बात है अर्थात् माता का एवं पत्नी का इतना ऊँचा और गौरवमय स्थान प्राप्त होने पर भी आर्थिक दृष्टि से वह आत्मनिर्भर न बन सकी, सदा परवश ही रही।

विशेष :

  1. स्त्री को पुरुष की पत्नी तथा माता होने का गौरव प्राप्त है, फिर भी वह पुरुषों के बनाए समाज में नीच मानी जाती है।
  2. पुरुषों ने कभी भी स्त्री के गौरवमय अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

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(8) धन की उच्छशृंखल बहुलता में जितने दोष हैं वे अस्वीकार नहीं किए जा सकते परन्तु इसके नितान्त अभाव में जो अभिशाप है वह उपेक्षणीय नहीं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने धन के गुण-दोष का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका धन के महत्त्व पर प्रकाश डालती हुई कहती है कि धन के अधिक हो जाने पर उसमें अनेक दोष आ जाते हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। किन्तु धन का अभाव अर्थात् निर्धनता भी तो एक अभिशाप है। इस बात की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती। भाव यह है कि धन का सामाजिक प्राणी के जीवन में विशेष महत्त्व है।

विशेष :

  1. धन की अधिकता या कमी जीवन को नरक बना देती है।
  2. मनुष्य को अधिक धन की प्राप्ति बुरी संगति की ओर अग्रसर कर देती है तथा धन की कमी मनुष्य का जीवन उसके लिए अभिशाप बन जाता है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली भावपूर्ण है।

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न Summary

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न का सार

प्रस्तुत निबन्ध महादेवी वर्मा जी की कृति श्रृंखला की कड़ियाँ’ में संकलित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखिका ने मनुष्य के सामाजिक विकास की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि देते हुए आर्थिक दृष्टि से नारी की परवशता पर प्रकाश डाला है।

लेखिका कहती है कि धन सदा शक्ति का अनुगामी रहा है। शक्तिशाली ने ही अपनी इच्छा और सुविधानुसार धन का बँटवारा किया है। सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा इसी शक्ति पर आधारित रही है। आदिकाल से ही स्त्री को सुख का साधन तो समझा गया किन्तु उसे आर्थिक रूप से पुरुष पर ही निर्भर रहना पड़ा है। पुरुष को हमारे समाज में भर्ता कहा गया और स्त्री सदा उसका मुँह ताकती रही है।

वेदकालीन समाज में नारी को केवल सन्तान पैदा करने वाली एवं घर-गृहस्थी सम्भालने वाली के रूप में ही देखा गया। उसकी आर्थिक स्वतन्त्रता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बस दहेज में जो कुछ दे दिया गया उसे ही काफ़ी समझा गया। पिता की सम्पत्ति में उसे कोई अधिकार नहीं दिया गया। सैंकड़ों साल बीत जाने पर भी स्त्री की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

एक सामाजिक प्राणी के लिए धन कितना महत्त्व रखता है, यह हर कोई जानता है। आर्थिक रूप से परवशता स्त्री के स्वाभाविक विकास और आत्म-विश्वास को प्रभावित करती है। भारतीय पुरुष-स्त्री को सहयात्री तो कहता है सहयोगी नहीं मानता। इसी विषमता को दूर करना होगा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 16 युवाओं से

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 युवाओं से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 16 युवाओं से

Hindi Guide for Class 11 PSEB युवाओं से Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
स्वामी विवेकानन्द ने देश के नवयुवकों को कौन-कौन से गुण विकसित करने के लिए प्रेरित किया है ?
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द जी ने देश ने नवयुवकों को अपने अन्दर त्याग और सेवा के गुणों को विकसित करने की प्रेरणा दी है। स्वामी जी का कहना है कि इन गुणों को विकसित करने से तुम में शक्ति अपने आप जाग उठती है। दूसरों के लिए रत्ती भर भी सोचने से हृदय में सिंह जैसा बल आ जाता है। स्वामी जी कहते हैं कि नवयुवकों को निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। उस सेवा के बदले में न धन की लालसा करनी चाहिए न कीर्ति की। हे वीर युवक ! गरीबों और पद दलितों के प्रति सहानुभूति रखो,ईश्वर में आस्था रखने, दीन-दुःखियों के दर्द को समझो और ईश्वर से उनकी सहायता करने की प्रार्थना करो। उठो और साहसी बनो, तीर्थवान बनो और सब उत्तरदायित्व अपने कंधे पर लो। इस तरह जो भी बल या सहायता चाहिए वह सब तुम्हारे भीतर ही मौजूद है।

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प्रश्न 2.
भारतवर्ष के राष्ट्रीय आदर्श कौन-कौन से हैं ? स्वामी जी ने उन आदर्शों की क्या व्याख्या की है ?
उत्तर:
स्वामी जी के अनुसार भारत के राष्ट्रीय आदर्श-त्याग और सेवा है। स्वामी जी का मत है कि इन आदर्शों का पालन करने से सब काम अपने आप ठीक हो जाएँगे। त्याग से इतनी शक्ति आएगी कि तुम उसे संभाल न सकोगे। दूसरों के हित के लिए सोचो इससे तुम्हारे अन्दर काम करने की शक्ति जाग उठेगी। धीरे-धीरे तुम में सिंह जैसा बल आ जाएगा। – स्वामी जी दूसरे राष्ट्रीय आदर्श सेवा के बारे में कहते हैं कि सेवा निःस्वार्थ भाव से की जानी चाहिए। उसमें किसी प्रकार के धन, यश या किसी दूसरी वस्तु की कामना नहीं करनी चाहिए। मनुष्य जब ऐसा करने में समर्थ हो जाएगा तो वह भी बुद्ध बन जाएगा और उसके भीतर से ऐसी शक्ति प्रकट होगी, जो संसार की अवस्था को सम्पूर्ण रूप से बदल सकती है।

प्रश्न 3.
स्वदेश भक्ति का स्वामी जी ने क्या अर्थ स्पष्ट किया है ?
उत्तर:
स्वामी जी ने स्वदेश भक्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा है कि स्वदेश भक्ति के सम्बन्ध में उनका एक आदर्श है। बड़े काम करने के लिए तीन-चीजों की आवश्यकता होती है। बुद्धि और विचार शक्ति हमारी थोड़ी सहायता तो कर सकती है, हमें थोड़ी दूर आगे भी बहा सकती है। किन्तु वह वहीं ठहर जाती है किन्तु हमारा हृदय ही महाशक्ति को प्रेरणा देता है। प्रेम असंभव को भी संभव बना देता है। जगत के सब रहस्यों का द्वार प्रेम ही है। अतः स्वामी जी ने देश के नवयुवकों को हृदयवान बनने की प्रेरणा दी है साथ ही स्वामी जी ने कहा है कि जब तक तुम्हारा हृदय भूखेगरीबों के लिए नहीं धड़केगा। जब तक इस निर्धनता को नाश करने की बात नहीं सोचेंगे, तब तक तुम देशभक्ति की पहली सीढ़ी पर कदम नहीं रखोगे।

प्रश्न 4.
‘युवाओं से’ निबन्ध का शीर्षक कहाँ तक सार्थक है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध स्वामी विवेकानन्द जी के एक व्याख्यान का अंश है। स्वामी जी ने अपने इस व्याख्यान में नवयुवकों को सम्बोधित किया है। अतः प्रस्तुत निबन्ध का शीर्षक अत्यन्त सार्थक है। स्वामी जी ने प्रस्तुत व्याख्यान में राष्ट्रनिर्माण में नवयुवकों की महत्त्वपूर्ण भूमि का उल्लेख किया है। इसके लिए स्वामी जी ने नवयुवकों के मज़बूत एवं निर्भय बनने के लिए कहा है ऐसा वही युवक कर सकते हैं जो सच्चरित्र और अपनी शक्ति में विश्वास रखने वाले हों। जो अपनी शक्ति में विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है। युवाओं से सम्बोधन इस बात को सिद्ध करता है कि यह निबन्ध नवयुवकों को समर्पित हैं, जिन्हें नवभारत का निर्माण करना है। अतः कहना न होगा कि ‘युवाओं’ से शीर्षक अत्यन्त सार्थक है।

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प्रश्न 5.
स्वामी विवेकानन्द किस प्रकार का संगठन करना अपना ध्येय मानते थे ?
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द जी नवयुवकों का ऐसा संगठन बनाना अपना ध्येय मानते थे जो नवयुवक प्रत्येक नगर में जाकर दीनहीन और पददलित लोगों को सुख-सुविधा प्रदान कर उन्हें धर्म और नैतिकता की शिक्षा देकर उनकी अनपढता या अज्ञानता को दूर कर सकें।

प्रश्न 6.
‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ स्वामी जी के इस उद्बोधन का भाव समझाएँ।
उत्तर:
प्रस्तुत उद्बोधन द्वारा स्वामी जी ने देश के नवयुवकों को हृदयवान बनकर निर्धनता का नाश करने के उपाय सोचने के लिए कहा। उन्होंने नवयुवकों को स्वयं जाकर दूसरों को भी जगाकर अपने जन्म को सफल बनाने के लिए कहा है कि जब तक लक्ष्य पूरा न हो जाए अर्थात् निर्धनता का नाश नहीं हो जाता तब तक तुम्हें रुकना नहीं चाहिए।

प्रश्न 7.
नास्तिक व्यक्ति की स्वामी जी ने क्या व्याख्या की है ?
उत्तर:
स्वामी जी कहते हैं कि जो अपने में विश्वास नहीं करता वह नास्तिक है जबकि प्राचीन धर्मों ने कहा है कि जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है। स्वामी जी के कहने का भाव यह है कि व्यक्ति ईश्वर का ही स्वरूप है। अत: व्यक्ति का अपने आप पर विश्वास ईश्वर में विश्वास के बराबर है और जो अपने पर विश्वास नहीं रखता वह ईश्वर में विश्वास कैसे रख सकता है ? वह नास्तिक ही कहलाएगा।

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प्रश्न 8.
स्वामी जी ने नवयुवकों को शारीरिक दृष्टि से मज़बूत बनने की सलाह क्यों दी है ?
उत्तर:
स्वामी जी नवयुवकों को शक्तिशाली बनने की सलाह देते हैं। धर्म को वे बाद की वस्तु मानते हैं। स्वामी जी का मानना है कि गीता के अध्ययन की अपेक्षा फुटबाल के खेल में दक्षता प्राप्त कर स्वर्ग के अधिक समीप पहुँचा जा सकता है। क्योंकि फुटबाल खेलकर युवकों का शरीर मज़बूत होगा। उनके स्नायु और मांसपेशियाँ अधिक मज़बूत होने पर वे गीता को अच्छी तरह समझ सकेंगे।

प्रश्न 9.
धर्म के सम्बन्ध में स्वामी जी का क्या विचार है ?
उत्तर:
स्वामी जी सब धर्मों को स्वीकार करते हैं और सबकी पूजा करते हैं। वे चाहे हिन्दू हों, चाहे मुसलमान, बौद्ध या ईसाई, उन सबके साथ ईश्वर की उपासना करते हैं, चाहे वे स्वयं ईश्वर की किसी भी रूप में उपासना करते हों। वे मस्जिद में जाएँगे, गिरजा में भी जाएँगे तथा बौद्ध मन्दिर में जाकर बौद्ध शिक्षा को ग्रहण करेंगे। वे उन हिन्दुओं के साथ जंगल में जाकर ध्यान करेंगे जो ज्योतिस्वरूप परमात्मा को प्रत्यक्ष देखने में लगे हुए हैं।

प्रश्न 10.
किस प्रकार की शिक्षा जीवन और चरित्र का निर्माण कर सकती है ?
उत्तर:
स्वामी जी का विचार है कि शिक्षा अब गया है। यह ज्ञान आत्मसात् हुए बिना निष्फल हो जाएगा। हमें उन विचारों को अनुभव करने की ज़रूरत है जो जीवननिर्माण, मनुष्य निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि कोई केवल पाँच ही जांच-परखे विचारों को आत्मसात् कर ले जो चरित्र निर्माण कर सकते हों तो पूरे संग्रहालय को मुँह-जबानी याद करने वाले की अपेक्षा व्यक्ति अधिक शिक्षित कहलाएगा।

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PSEB 11th Class Hindi Guide युवाओं से Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘युवाओं से’ निबंध का लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद।

प्रश्न 2.
स्वामी जी ने किससे ऊपर उठने की बात कही है ?
उत्तर:
दलबंदी और ईर्ष्या से।

प्रश्न 3.
भारत के राष्ट्रीय आदर्श कौन-से हैं ?
उत्तर:
त्याग और सेवा।

प्रश्न 4.
दूसरों के लिए रत्ती भर सोचने मात्र से अपने अंदर कैसा बल आता है ?
उत्तर:
सिंह जैसा बल।

प्रश्न 5.
राष्ट की सबसे बडी सेवा क्या है ?
उत्तर:
गरीबों, भूखों, दलितों की सेवा करना।

प्रश्न 6.
राष्ट्रभक्ति …………….. नहीं है।
उत्तर:
कोरी भावना।

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प्रश्न 7.
राष्ट्रभक्ति का आधार क्या है ?
उत्तर:
विवेक और प्रेम।

प्रश्न 8.
शिक्षा विचारों को …………… नहीं है।
उत्तर:
ढेर।

प्रश्न 9.
भारत की उन्नति के लिए युवाओं को क्या करना होगा ?
उत्तर:
अपना आत्मिक बल बढ़ाना होगा।

प्रश्न 10.
नेतृत्व की महत्त्वाकांक्षा मनुष्य को ………….. बनाती है।
उत्तर:
असफल।

प्रश्न 11.
कमजोर व्यक्ति का जीवन किसके समान है ?
उत्तर:
मृत्यु के समान।

प्रश्न 12.
दूसरों को अपना बनाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उत्तर:
स्वयं अच्छा बनना पड़ता है।

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प्रश्न 13.
मनुष्य किसका अंश है ?
उत्तर:
परमात्मा का।

प्रश्न 14.
स्वामी जी सब ………… को स्वीकार करते थे।
उत्तर:
धर्मों।

प्रश्न 15.
स्वामी जी धर्म को कैसी वस्तु मानते थे ?
उत्तर:
बाद की वस्तु।

प्रश्न 16.
नेतृत्व की इच्छा रखने वाले लोग ……………. भूल जाते हैं।
उत्तर:
सेवा भाव।

प्रश्न 17.
प्राचीन धर्मों में क्या कहा गया है ?
उत्तर:

प्रश्न 18.
जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है।
उत्तर:
जो स्वयं पर ।वश्वास नहीं करता वह नास्तिक है।

प्रश्न 19.
कौन अपने भाग्य के स्वयं निर्माता हैं ?
उत्तर:
देश के युवा।

प्रश्न 20.
कमज़ोरी कभी न हटने वाला …………. है।
उत्तर:
बोझ।

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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘युवाओं से’ निबंध किनके भाषण का अंश है ?
(क) स्वामी विवेकानंद
(ख) स्वामी दयानंद
(ग) स्वामी परमहंस
(घ) महात्मा गांधी।
उत्तर:
(क) स्वामी विवेकानंद

प्रश्न 2.
प्रस्तुत निबंध में भारतीय नवयुवकों को किसके निर्माण की शिक्षा दी गई है ?
(क) चरित्र
(ख) धर्म
(ग) संस्कृति
(घ) अध्यात्म।
उत्तर:
(क) चरित्र

प्रश्न 3.
कमज़ोर व्यक्ति का जीवन किसके समान होता है ?
(क) धन के
(ख) मृत्यु के
(ग) नरक के
(घ) स्वर्ग के
उत्तर:
(ख) मृत्यु कें

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प्रश्न 4.
भारत के राष्ट्रीय आदर्श कौन-से हैं ?
(क) सेवा
(ख) त्याग
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) दोनों।

कठिन शब्दों के अर्थ :

समग्र = सारे। पुनरुत्थान = दोबारा उन्नति। निःस्वार्थी = स्वार्थ से रहित। अवलंबन = सहारा। अप्रतिहत = जिसे कोई रोकने वाला न हो। पशुतुल्य = पशु के समान। आत्मसात = अपने में मिलाना। कंठस्थ = मुँह जबानी याद करना। क्रूर = दुष्ट। उन्मत्तता = पागलपन।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) भारतवर्ष का पुनरुत्थान होगा, पर वह शारीरिक शक्ति से नहीं, वरन् वह आत्मा की शक्ति द्वारा। यह उत्थान विनाश की ध्वजा लेकर नहीं वरन् शांति और प्रेम की ध्वजा से होगा।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के व्याख्यान ‘युवाओं से’ के अंश में से लिया गया है। इसमें देश के नवयुवकों को सम्बोधित करते हुए उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए क्या कुछ करना चाहिए बताया गया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में स्वामी विवेकानन्द जी देश के नवयुवकों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि उन्हें देश की उन्नति के लिए शारीरिक शक्ति की नहीं आत्मिक शक्ति पैदा करनी होगी क्योंकि आत्मिक शक्ति से मनुष्य का चरित्र बनता है। देश की उन्नति विनाश का झंडा लेकर नहीं अपितु शांति और प्रेम का झंडा लेकर होगी। इसलिए हमें प्रेम और शांति का वातावरण बनाना होगा।

विशेष :

  1. इन पंक्तियों से लेखक का भाव यह है कि भारत की उन्नति के लिए युवाओं को अपना आत्मिक बल बढ़ाना होगा तथा प्रेम और शान्ति का वातावरण स्थापित करना होगा।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) कैवल वही व्यक्ति सब की सेवा उत्तम रूप से कर सकता है, जो पूर्णत: नि:स्वार्थी है, जिसे न तो धन की लालसा है, न कीर्ति की और न किसी अन्य वस्तु की ही। और मनुष्य जब ऐसा करने में समर्थ हो जाएगा, तो वह भी एक बुद्ध बन जाएगा, और उसके भीतर से एक ऐसी शक्ति प्रकट होगी, जो संसार की अवस्था को सम्पूर्ण रूप से परिवर्तित कर सकती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में वे युवकों को निष्काम सेवा का महत्त्व बताते हैं।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी कहते हैं कि केवल वही व्यक्ति दूसरों की अच्छी तरह से सेवा कर सकता है जो पूरी तरह स्वार्थ रहित हो। जिसे न धन की इच्छा हो, न यश की तथा न ही किसी दूसरी वस्तु की। जब मनुष्य ऐसा करने में समर्थ हो जाए तो वह भी एक बुद्ध अर्थात् ज्ञानी बन जाएगा और उसके अन्दर एक ऐसी शक्ति प्रकट होगी जो सारे संसार की हालत को पूरी तरह बदल सकती है।

विशेष :

  1. स्वामी जी के कहने का भाव यह है कि दूसरों की सेवा निःस्वार्थ भाव से ही की जा सकती है। यह भाव व्यक्ति में एक ऐसी शक्ति को जन्म देगा जो सारे संसार को बदल देने की क्षमता रखती है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान और शैली विचारात्मक है।

(3) तुम लोग ईश्वर की सन्तान हो, अमर आनन्द के भागी हो स्वयं पवित्र और पूर्ण आत्मा हो। अत: तुम कैसे अपने को जबरदस्ती दुर्बल कहते हो ? उठो साहसी बनो, वीर्यवान होओ। सब उत्तरदायित्व अपने कंधे पर लो- यह याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के व्याख्यान ‘युवाओं से’ के अंश में से लिया गया है। इसमें स्वामी युवाओं को आत्मिक बल को पहचान कर अपना भाग्य निर्माण करने का संदेश दे रहे हैं।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय युवकों को उनकी भीतरी शक्ति से परिचित करवाते हुए कहते हैं कि तुम ईश्वर की सन्तान हो अर्थात् ईश्वर तुम्हें जन्म देने वाले परम पिता हैं । इस कारण तुम अमर आनन्द को प्राप्त करने वाले हो। तुम पवित्र हो और पूर्ण आत्मा, ईश्वर का रूप हो। इसलिए तुम जबरदस्ती अपने को दुर्बल क्यों कहते हो। उठो और साहसी बनो, शक्तिवान बनो। अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने कंधों पर लो। तुम्हें यह याद रखना होगा कि तुम अपने भाग्य के आप ही निर्माता हो। तुम्हें जो भी शक्ति या सहायता चाहिए वह सब तुम्हारे भीतर ही मौजूद है।

विशेष :

  1. स्वामी जी युवकों को याद दिलाना चाहते हैं कि वे अपने भाग्य के स्वयं निर्माता हैं और जो काम साहस से शक्ति से ही किया जा सकता है वो कहीं बाहर नहीं तुम्हारे अपने अंदर ही मौजूद है।
  2. शब्दावली तत्सम प्रधान है।
  3. भाषा सरल, सहज तथा प्रभावशाली है।

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(4) मेरे मित्रो, पहले मनुष्य बनिए, तब आप देखेंगे कि वे सब बाकी चीजें स्वयं आप का अनुसरण करेंगी।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से लिया गया है। इसमें स्वामी युवा को मनुष्य बनने का संदेश देते हैं।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय युवकों से कहते हैं कि धन, यश आदि प्राप्त करने के लिए पहले मनुष्य बनना बहुत ज़रूरी है। मानवता के गुण अपना लेने पर बाकी सभी चीजें तुम्हें अपने आप प्राप्त हो जाएँगी। अतः सर्वप्रथम तुम्हें मनुष्य बनना चाहिए।

विशेष :
दूसरों को अपना बनाने के लिए स्वयं अच्छा बनना पड़ता है।
भाषा सरल, सहज तथा प्रभावशाली है।

(5) मैं तो सिर्फ उस गिलहरी की भाँति होना चाहता हूँ जो श्री राम चन्द्र जी के पुल बनाने के समय थोड़ा बालू देकर अपना भाग पूरा कर संतुष्ट हो गयी थी।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से लिया है। स्वामी जी युवाओं को देश की उन्नति में सहयोग देने के लिए कह रहे हैं।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द सुधार की अपेक्षा स्वाभाविक उन्नति में विश्वास रखने के अपने उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि मैं तो केवल उस गिलहरी की भाँति होना चाहता हूँ जो श्री रामचंद्र जी के समुद्र पर पुल बनाते समय थोड़ी रेत देकर अपना भाग पूरा कर संतुष्ट हो गयी थी। इसी तरह भारतीय युवकों में शक्ति और विश्वास की भावना जगाने के अपने कर्त्तव्य या उत्तरदायित्व को पूरा करना चाहता हूँ।

विशेष :

  1. युवा देश की उन्नति में थोड़ा-थोड़ा सहयोग दें तो देश उन्नति के शिखर को छू लेगा।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण है।
  3. शैली आत्मकथात्मक है।

(6) जो अपने आप में विश्वास नहीं करता, वह नास्तिक है। प्राचीन धर्मों ने कहा है, वह नास्तिक है जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता। नया धर्म कहता है, वह नास्तिक है जो अपने आप में विश्वास नहीं करता।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से ली गई हैं। स्वामी जी युवाओं को सम्बोधित करते हुए नास्तिक की परिभाषा दे रहे हैं।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय युवकों से अपने पर विश्वास करने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जो अपने में विश्वास नहीं करता वह नास्तिक है क्योंकि मनुष्य परमात्मा का ही तो अंश है अतः अपने पर विश्वास न करना परमात्मा पर विश्वास न करने के बराबर है। प्राचीन धर्मों में भी यही कहा गया है कि जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है किन्तु नया धर्म कहता है कि जो अपने पर विश्वास नहीं करता वह नास्तिक है।

विशेष :

  1. धर्म से पहले मनुष्य अपने पर विश्वास करे तो वह धर्म का सही ढंग से पालन कर सकता है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा प्रभावशाली है।

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(7) यह एक बड़ी सच्चाई है कि शक्ति ही जीवन है और कमजोरी ही मृत्यु है। शक्ति परम सुख है, जीवन अजरअमर है। कमज़ोरी कभी न हटने वाला बोझ और यंत्रणा है, कमज़ोरी ही मृत्यु है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से लिया गया है। स्वामी जी युवाओं से कहते हैं कि कमज़ोर व्यक्ति सभी के लिए बोझ है।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय युवकों को शक्ति प्राप्त करने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि यह एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि शक्ति ही जीवन है और कमज़ोरी ही मृत्यु है अर्थात् ज़िंदादिली ही जिंदगी का नाम है मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं। शक्ति में ही परम सुख है। यह जीवन तो सदा रहने वाला है जबकि कमज़ोरी कभी न हटने वाला बोझ और पीड़ा के समान है। इसीलिए कमज़ोरी मृत्यु समान मानी गयी है।

विशेष :

  1. मन से शक्तिशाली मनुष्य का जीवन अमर है, जबकि कमज़ोर मन का मनुष्य स्वयं के लिए भी बोझ है तथा दूसरों के लिए भी बोझ है।
  2. कमज़ोर व्यक्ति का जीवन मृत्यु के समान है।
  3. भाषा प्रभावशाली तथा तत्सम प्रधान है।

(8) अपने भाइयों का नेतृत्व करने का नहीं, वरन् उनकी सेवा करने का प्रयत्न करते हैं। नेता बनने की इस क्रूर उन्मत्तता में बड़े-बड़े जहाजों को इस जीवन रूपी समुद्र में डुबो दिया है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण स्वामी विवेकानन्द जी के भाषण ‘युवाओं से’ के अंश से लिया गया है। स्वामी जी युवाओं से कहते हैं कि नेतृत्व करने से अच्छा सेवा करना है।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द जी युवकों से कहते हैं कि वे अपने देशवासियों का नेतृत्व नहीं बल्कि उनकी सेवा करने का प्रयत्न करें। नेता बनने के निर्दयी पागलपन ने बड़े-बड़े जहाजों को अर्थात् व्यक्तियों को इस जीवन रूपी समुद्र में डुबो दिया है अर्थात् जो लोग नेता बनने का प्रयत्न करते हैं वे जीवन में असफल रहते हैं। लोगों की सेवा करना ही व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

विशेष :

  1. नेतृत्व की इच्छा रखने वाले लोग सेवा की भावना को भूल जाते हैं। नेतृत्व की महत्त्वाकांक्षा मनुष्य को असफल बना देती है।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण तथा शैली व्याख्यात्मक है।

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युवाओं से Summary

युवाओं से निबन्ध का सार

प्रस्तुत निबन्ध स्वामी विवेकानन्द जी के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए दिए गए एक भाषण का अंश है। स्वामी जी को युवाओं से बहुत आशाएँ हैं इसलिए उन्होंने इस भाषण में भारतीय नवयुवकों को चरित्रनिर्माण की शिक्षा देते हुए उन्हें राष्ट्र के नव-निर्माण के लिए प्रेरित किया है। स्वामी जी का कहना है कि इस समय देश को शारीरिक दृष्टि से मज़बूत निर्भय नवयुवकों की ज़रूरत है जो अपने आप में और अपनी शक्ति में विश्वास रखते हों। स्वामी जी की दृष्टि में जो अपने पर विश्वास नहीं रखता वह नास्तिक है। उसे ईश्वर पर विश्वास नहीं। भारतीय आदर्श त्याग और सेवा है। इन्हें अपनाकर गरीबों, भूखों और दलितों की सेवा करना राष्ट्र की सब से बड़ी सेवा है।

राष्ट्रभक्ति कोरी भावना नहीं है, उसका आधार विवेक और प्रेम है। इसका विवेकपूर्वक प्रयोग करते हुए बाहरी भेदभाव भुलाकर प्रत्येक मनुष्य से प्रेम करना चाहिए। शिक्षा के विषय में स्वामी जी का मत है कि शिक्षा विभिन्न जानकारियों का ढेर नहीं है जो मनुष्य के दिमाग में भर दिया जाए; अपितु शिक्षा उन विचारों की अनुभूति है जो जीवन निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में सहायक हो। लेखक युवाओं को कहता है कि उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहना चाहिए। स्वामी जी कहते हैं कि दलबंदी और ईर्ष्या से ऊपर उठकर यदि तुम पृथ्वी की तरह सहनशील हो जाओगे तो इस गुण के बल पर संसार तुम्हारे कदमों में लेटेगा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

Hindi Guide for Class 11 PSEB भारत की सांस्कृतिक एकता Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
भारत में जाति, भाषा और धर्मगत विभिन्नता होते हुए भी सांस्कृतिक एकता किस प्रकार बनी हुई है ? निबन्ध के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
भारत में हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी अनेक जातियों के लोग रहते हैं। भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, किन्तु फिर भी हमारे देश की सांस्कृतिक एकता बनी हुई है। इसका एक कारण तो यह है कि सभी धर्मों में त्याग और लय को महत्त्व दिया गया है। एक धर्म के आराध्य दूसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किए गए हैं। जैसे भगवान् बुद्ध को हिन्दुओं का तेईसवाँ अवतार माना गया है। इसी प्रकार भगवान् ऋषभ देव का श्रीमद्भागवत में परम आदर के साथ उल्लेख हुआ है। जैन धर्म ग्रंथों में भगवान् राम और श्रीकृष्ण को तीर्थंकर तो नहीं कहा गया उनसे एक श्रेणी नीचे का स्थान मिला है। अन्य हिन्दू देवी-देवाताओं को भी उनके देव मंडल में स्थान मिला है।

प्राचीन काल में भारतीय धर्म और साहित्य ने राष्ट्रीय एकता का पाठ पढ़ाया है। सभी काव्य ग्रंथ रामायण और महाभारत को अपना प्रेरणा स्रोत बनाते रहे हैं। संस्कृत-प्राकृत और अपभ्रंश के काव्य ग्रंथ उत्तर दक्षिणा में समान रूप से मान्य है।

भाषा की दृष्टि से भी उत्तर भारत की प्रायः सभी भाषाएँ संस्कृत से निकलती हैं। दक्षिण की भाषाएँ भी संस्कृत से प्रभावित हुईं। उर्दु को छोड़ कर प्रायः सभी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक सी हैं। केवल लिपि का भेद है। भारत की विभिन्न भाषाओं के साहित्य ने भी भारत की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया। वेषभूषा, रहन-सहन, चाल-ढाल से भारतवासी जल्दी पहचाने जाते हैं। विदेशी प्रभाव पढ़ने पर भी वह बहुत अंशों में अक्षुण्ण बना हुआ है, वही हमारी एकता का मूल सूत्र है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

प्रश्न 2.
‘भारत की सांस्कृतिक एकता’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:
लेखक कहता है कि देश राष्ट्रीयता का एक आवश्यक उपकरण है। भारत की अनेक नदियों को विभाजक रेखाएँ बतलाकर तथा भाषा और धर्मों एवं रीति-रिवाजों को आधार बनाकर कुछ लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को खंडित करने के लिए भारत को एक देश न कहकर उपमहाद्वीप कहा है। इस तरह उन लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को चुनौती दी है।

लेखक का मानना है कि प्रायः सभी देशों में जाति, भाषा और धर्मगत भेद हैं। जिस देश में भेद नहीं, उसकी इकाई शून्य की भान्ति दरिद्र इकाई है। सम्पन्नता भेदों में ही है। अतः भेदों के अस्तित्व को इन्कार करना मूर्खता होगी और उनकी उपेक्षा करना अपने को धोखा देना होगा। हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही हैं। हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थ के वश हमारे भेदों का अधिक विस्तार दिया जिससे हमारे देश में फूट पनपे और उनका उल्लू सीधा हो। उन शासकों ने हमारे अभेदों की उपेक्षा की। देश की नदियों को विभाजक रेखा बताने वाले यह भूल गए कि यही नदियाँ तो भारत भूमि को शस्य श्यामला बनाती हैं।

लेखक कहता है कि राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य को हृदय के अधिक निकट हैं। भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमें एक सांस्कृतिक एकता है। भारत में एक धर्म के आराध्य दूसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किए गए।

मुसलमान और ईसाई धर्म एशियाई धर्म होने के कारण भारतीय धर्मों से बहुत कुछ समानता रखते हैं। रोमन कैथोलिकों की पूजा-अर्चना, धूप-दीप, व्रत-उपवास आदि हिन्दुओं जैसे ही हैं। ‘मुसलमान’ और ईसाइयों ने यहाँ की संस्कृति को प्रभावित किया तथा यहाँ की संस्कृति से प्रभावित भी हुए। तानसेन और ताज पर हिन्दु मुसलमान समान रूप से गर्व करते हैं। जायसी, रहीम, रसलीन आदि अनेक मुसलमान कवियों ने अपनी वाणी से हिन्दी की रसमयता बढ़ाई है।

जहाँ तक भाषा का प्रश्न है। उत्तर भारत की प्राय: सभी भाषाएँ संस्कृत से निकलती हैं। उर्दू को छोड़कर प्रायः भी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक-सी है। केवल लिपि का भेद है। भारत की विभिन्न भाषाओं के साहित्य का धूमिल इतिहास धुला-मिला सा है। मीरा, भूषण, संत तुकाराम, कबीर, दादू आदि। सारे भारत में समान रूप से आदर पाते हैं। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी हमारी राष्ट्रीय एकता अक्षुण्ण बनी हुई है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
विरोधी लोग भारत को उपमहाद्वीप क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
विरोधी लोग भारत की राष्ट्रीय एकता को खंडित करने के लिए नदियों के प्रवाह को विभाजक रेखा बता कर और भारत की अनेक भाषाओं, जातियों और धर्मों के आधार बनाकर भारत को देश न कहकर उपमहाद्वीप कहते हैं। उनकी दृष्टि में भौगोलिक आधार ही मूल विभाजन करते हैं, जोकि पूर्ण रूप से गलत है।

प्रश्न 2.
‘समाज में भेद और अभेद दोनों हैं। लेखक के इस कथन का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
लेखक का अभिप्राय है कि हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थ कर हमारे भेदों को अधिक विस्तार दिया ताकि देश में आपसी फूट पैदा हो और इस भेद नीति से उनका उल्लु सीधा हो। हमारे अभेदों की उपेक्षा की गई और उसमें हीनता की भावना पैदा की गई।

प्रश्न 3.
पंचशील से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बौद्धों के पंचशील का अभिप्राय है कि हिंसा न करना, चोरी न करना, काम और मिथ्याचार से बचना, झूठ से बचना, नशीली वस्तुओं और आलस्य से बचना आदि। पंचशील मानव जीवन की उच्चता के आधार हैं।

प्रश्न 4.
धर्म और संस्कृति को लेखक ने हृदय के निकट स्वीकार किया है। निबन्ध के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य के हृदय के अधिक निकट हैं। जन-साधारण जितना धर्म से प्रभावित होता है उतना राजनीति से नहीं। हमारे भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमें एक सांस्कृतिक एकता है जो उनके अविरोध की परिचायक है। सभी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक सी है। केवल लिपि का भेद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

प्रश्न 5.
भारत की सांस्कृतिक एकता में सिक्ख गुरुओं का क्या योगदान है ?
उत्तर:
सिक्ख गुरुओं ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कष्ट और अत्याचार भी सहे। भारत की सांस्कृतिक एकता के लिए सिक्ख गुरुओं विशेषकर गुरु नानक और गुरु गोबिन्द सिंह जी ने, हिन्दी में कविता की है। ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में कबीर आदि महात्माओं की वाणी आदर के साथ सुरक्षित है, उनका नित्य पाठ होता है।

प्रश्न 6.
मुसलमान और ईसाई धर्म की भारतीय धर्मों से क्या समानता है ?
उत्तर:
‘दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो जैसा कि तुम दूसरों से अपने प्रति चाहते हो।’ ईसा मसीह का यह कथन महाभारत के ‘आत्मनः प्रतिकूलानि’ का ही पर्याय है। ईसाइयों की क्षमा और दया बौद्ध धर्म से मिलती जुलती है। रोमन कैथोलिकों की पूजा-अर्चना, धूप-दीप, व्रत-उपवास आदि हिन्दुओं के से हैं।

प्रश्न 7.
हिन्दू-तीर्थाटन में राष्ट्रीय भावना कैसे निहित है ?
उत्तर:
शिव भक्त ठेठ उत्तर की गंगोत्री से गंगा जल ला कर दक्षिणा के रामेश्वरम महादेव का अभिषेक करते हैं। उत्तर में बदरी-केदार, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ और पश्चिम में द्वारिका पुरी के तीर्थाटन में भारत की चारों दिशाओं की पूजा हो जाती है। ये मानव हृदय में आस्था के भावों को भरकर एकता का पाठ पढ़ाते हैं जिससे राष्ट्रीय भावना व्यक्त होती है।

प्रश्न 8.
भाषागत समानता से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
भाषागत समानता से तात्पर्य यह है कि उत्तर भारत की सभी भाषाएँ संस्कृत से निकलती हैं। इन सभी के शब्दों में पारिवारिक समानता है। दक्षिण की भाषाएँ भी संस्कृत से प्रभावित हुईं। उन्होंने भी थोड़ी बहुत संस्कृत की शब्दावली ग्रहण की। सभी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक सी है। केवल लिपि का भेद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 15 भारत की सांस्कृतिक एकता

PSEB 11th Class Hindi Guide भारत की सांस्कृतिक एकता Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक बाबू गुलाबराय ने नदियों को क्या बतलाया है ?
उत्तर:
विभाजक रेखाएँ।

प्रश्न 2.
लेखक बाबू गुलाबराय ने भारत को देश न कहकर क्या कहा है ?
उत्तर:
उपमहाद्वीप।

प्रश्न 3.
लेखक बाबू गुलाबराय के अनुसार राष्ट्रीयता का उपकरण क्या है ?
उत्तर:
देश।

प्रश्न 4.
सभी देशों में किस प्रकार के भेद हैं ?
उत्तर:
जाति, भाषा एवं धर्मगत भेद हैं।

प्रश्न 5.
जिस देश में भेद नहीं, उसकी इकाई कैसी है ?
उत्तर:
शून्य की भांति दरिद्र इकाई।

प्रश्न 6.
हमारे समाज में …………….. और …………….. हैं।
उत्तर:
भेद, अभेद।

प्रश्न 7.
मनुष्य के हृदय के अधिक निकट कौन हैं ?
उत्तर:
धर्म और संस्कृति।

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प्रश्न 8.
भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमें …………….. है।
उत्तर:
सांस्कृतिक एकता।

प्रश्न 9.
दो मुसलमान कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मलिक मुहम्मद जायसी, रहीम।

प्रश्न 10.
उत्तर भारत की सभी भाषाएँ ………. से निकली हैं।
उत्तर:
संस्कृत से।

प्रश्न 11.
भाषाओं में विशेषकर किसका भेद है ?
उत्तर:
लिपि का।

प्रश्न 12.
विदेशी प्रभाव के बावजूद भी हमारी राष्ट्रीय एकता ……………
उत्तर:
अक्षुण्ण।

प्रश्न 13.
विरोधी लोग भारत को देश न कहकर क्या कहते हैं ?
उत्तर:
उपमहाद्ववीय।

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प्रश्न 14.
भारत के विरोधी भारत की एकता को तोड़ने के लिए ……….. अपनाते हैं।
उत्तर:
तरह-तरह के हथकंडे।

प्रश्न 15.
सिक्ख धर्म गुरुओं ने किसकी रक्षा के लिए कष्ट सहे ?
उत्तर:
हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए।

प्रश्न 16.
सभी धर्मों में ……………. का महत्त्व है।
उत्तर:
त्याग और लय।

प्रश्न 17.
सभी भाषाओं की वर्णमाला …………. नहीं है।
उत्तर:
एक।

प्रश्न 18.
रामेश्वरम कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
भारत के दक्षिण में।

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प्रश्न 19.
ठेठ शिव भक्त रामेश्वरम महादेव का अभिषेक कैसे करते हैं ?
उत्तर:
गंगोत्री से गंगा जल लाकर।

प्रश्न 20.
भारतवासियों का एक ………….. है।
उत्तर:
जातीय व्यक्तित्व

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में किन किन धर्मों के लोग रहते हैं ?
(क) हिंदू
(ख) सिख।
(ग) ईसाई
(घ) सभी।
उत्तर:
(घ) सभी

प्रश्न 2.
भारत की सांस्कृतिक एकता किस विधा की रचना है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) नाटक ।
उत्तर:
(क) निबंध

प्रश्न 3.
पंचशील सिद्धांत किसका है ?
(क) बौद्धों का
(ख) जैनों का
(ग) सिक्खों का
(घ) ईसाइयों का।
उत्तर:
(क) बौद्धों का

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प्रश्न 4.
मनुष्य के हृदय के अधिक निकट कौन है ?
(क) धर्म
(ख) संस्कृति
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) दोनों।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) हमारी राष्ट्रीयता को चुनौती देने के निमित्त उत्तर-दक्षिण, अवर्ण-सवर्ण, हिन्दू-मुसलमान-सिक्ख-ईसाईजैन के भेद खड़े करके हमारी संगठित ईकाई को क्षति पहुँचाई गई। भाषा का भी बवंडर उठाया गया ताकि आपसी झगड़ों और भेद-भाव में हमारी शक्ति का ह्रास हो और विदेशी शासकों का राज्य अटल बना रहे।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ बाबू गुलाब राय द्वारा लिखित निबन्ध ‘भारत की सांस्कृतिक एकता’ में से ली गई हैं। इसमें लेखक ने विदेशी शासकों अथवा विरोधियों द्वारा भारत को उपमहाद्वीप कहे जाने में देश की राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने की चाल बताया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि विरोधियों द्वारा भारत को देश न कहकर उपमहाद्वीप कहने से उनका तात्पर्य था कि हमारी राष्ट्रीयता को चुनौती दी जाए। इसके लिए उन्होंने उत्तर-दक्षिण, अगड़ी और पिछड़ी जाति, हिन्दू-मुसलमानसिक्ख-ईसाई-जैन धर्मावलंबी लोगों में भेद खड़े करके हमारी संगठित इकाई को हानि पहुँचाई है परन्तु वे अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने भाषा का भी तूफान खड़ा किया गया जिसे आपसी झगड़ों और भेद-भाव में हमारी शक्ति क्षीण हो और विदेशी शासकों का राज्य अटल बना रहे।

विशेष :

  1. इन पंक्तियों से लेखक का भाव यह है कि भारत के विरोधी भारतीयों की एकता को तोड़ने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। परन्तु वे भारतीय एकता के समक्ष असफल हो जाते हैं।
  2. भाषा संस्कृत निष्ठ होते हुए भी बोधगम्य है।

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(2) भेदों के अस्तित्व से इन्कार करना मूर्खता होगी और उनकी उपेक्षा करना अपने को धोखा देना होगा। हमारे समान में भेद और अभेद दोनों ही हैं। हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थ वश हमारे भेदों को अधिक विस्तार दिया और जिससे हमारे देश में फूट की बेल पनपे और इस भेद नीति से उनका उल्लू सीधा हो। हमारे अभेदों की उपेक्षा की गई या उनको नगण्य समझा गया। इसमें दीनता की मनोवृत्ति पैदा हो गई।

प्रसंग :
यह गद्यांश बाबू गुलाब राय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भारत की सांस्कृतिक एकता’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने भारत में स्थित भेदों और उपभेदों को हवा देकर विदेशी शासकों द्वारा अपना उल्लू सीधा करने की बात कही है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि हमारे देश में जाति, धर्म, भाषा आदि के अनेक भेद हैं। इन भेदों के अस्तित्व से इन्कार करना मूर्खता होगी और उनकी उपेक्षा करना भी अपने आप को धोखा देने के बराबर होगा। लेखक मानता है कि हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही हैं किन्तु हमारे पूर्व शासकों, अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के कारण हमारे भेदों को अधिक बढ़ावा दिया जिससे हमारे देश में आपसी फूट पैदा हो और विदेशी शासकों का उल्लू सीधा हो। अंग्रेज़ों ने हमारे अभेदों की उपेक्षा की या उन्हें महत्त्व हीन किया। ऐसा करके अंग्रेज़ शासकों द्वारा भारतीयों में हीन भावना पैदा की गई। भारतीयों के मनोबल को कमज़ोर किया गया।

विशेष :

  1. अंग्रेज़ों द्वारा भारतीय सांस्कृतिक एकता को नष्ट करके अपना उल्लू सीधा करने की बात पर प्रकाश डाला गया है।
  2. भाषा संस्कृत निष्ठ है। ‘उल्लू सीधा करना’ मुहावरे का प्रयोग करके अंग्रेजों की कूटनीति का वर्णन किया है।
  3. भाषा शैली सरल, सहज तथा प्रवाहमयी है।

(3) राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य के हृदय के अधिक निकट है। यद्यपि राजनीति का सम्बन्ध भौतिक सुख-सुविधाओं से है फिर भी जन साधारण जितना धर्म से प्रभावित होता है उतना राजनीति से नहीं। हमारे भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उन में एक सांस्कृतिक एकता है, जो उनके अवरोध की परिचायक है।

प्रसंग :
यह अवतरण बाबू गुलाब राय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भारत की सांस्कृतिक एकता’ में से लिया गया है। लेखक ने राजनीति से अधिक धर्म के प्रभाव पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य के हृदय के अधिक निकट होती है अर्थात् धर्म और संस्कृति मनुष्य की जड़ों से सम्बन्धित होती है। हालांकि राजनीति का सम्बन्ध सांसारिक सुख-सुविधाओं से है फिर भी आम लोग जितने धर्म से अधिक प्रभावित होते हैं राजनीति से उतने नहीं होते। हमारे भारतीय धर्मों में भले ही अनेक भेद हैं किन्तु उनमें सांस्कृतिक एकता भी मौजूद है, जो उनके मेल या सामंजस्य के परिचायक हैं अर्थात् उनके एक होने का प्रमाण है।

विशेष :
भारतीय धर्मों को सांस्कृतिक एकता बनाए रखने वाला बताया है।
भाषा संस्कृतनिष्ठ है।
भाषा शैली सरल, सहज तथा प्रवाहमयी है।

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(4) हमारा एक जातीय व्यकितत्व है। वह हमारी जातीय मनोवृत्ति, जीवन मीमांसा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, उठने-बैठने के ढंग, चाल-ढाल, वेश-भूषा, साहित्य, संगीत और कला में अभिव्यक्त होता है। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी वह बहुत अंशों में अक्षुण्ण बना हुआ है, वहीं हमारी एकता का मूल सूत्र है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ बाबू गुलाब राय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भारत की सांस्कृतिक एकता’ में से ली गई हैं। इनमें लेखक ने भारतीय सांस्कृतिक एकता बनी रहने के कारण पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि भारतवासियों का एक जातीय व्यक्तित्व है। वह जातीय व्यक्तित्व हमारी जातीय मनोवृत्ति, जीवन-मीमांसा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, उठने-बैठने के ढंग, चाल-ढाल, वेश-भूषा, साहित्य, संगीत और कला में प्रकट होता है। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी वह बहुत हद तक अखंडित बना हुआ है। विदेशी शासन का प्रभाव भी इसे नष्ट नहीं कर सका। वही हमारी राष्ट्रीय एकता का मूल सूत्र है। हमारी एकता किसी से प्रभावित नहीं होती।

विशेष :

  1. लेखक ने भारतीय सांस्कृतिक एकता के अखंडित रहने के कारणों पर प्रकाश डाला है।
  2. भाषा संस्कृतनिष्ठ है
  3. भाषा शैली सरल, सहज तथा प्रवाहमयी है।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

हितचिन्तक = भला चाहने वाला। अवयवों = शरीर के अंगों। समायोजन = संगठन। उर्वरा = उपजाऊ। शस्यश्यामला = हरा-भरा, धन-धान्य से भरपूर, फल से भरपूर। अबाधित = बिना रुकावट के। अखिल = निरन्तर। अवरोध = मेल सामंजस्य। आराध्य = पूज्य। तीर्थंकर = जैन धर्म के पूज्य 24 श्लाघा पुरुष । आवागमन = बार-बार जन्म लेना आना जाना। मुदिता = प्रज्ञव्रता चित्त की दशा। स्वास्तिक चिह्न = मंगलकारी, गणेश जी की आकृति को दशाने वाला चिह्न । यम = अहिंसा, सत्य चोरी न करना, ब्रह्मचारी, आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना यम कहलाते हैं। अणुव्रत = जैनधर्म में अहिंसा, सत्य, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य और आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना को अणुव्रत कहा गया है। तीर्थाटन = तीर्थों की यात्रा करना। जेन्दावेस्ता = पारसियों का धर्म ग्रन्थ एकता। आम्नाय = धर्मशास्त्रीय ग्रंथ। एकध्येयता = लक्ष्य की एकता।

भारत की सांस्कृतिक एकता Summary

भारत की सांस्कृतिक एकता का सार

लेखक कहता है कि देश राष्ट्रीयता का एक आवश्यक उपकरण है। भारत की अनेक नदियों को विभाजक रेखाएँ बतलाकर तथा भाषा और धर्मों एवं रीति-रिवाजों को आधार बनाकर कुछ लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को खंडित करने के लिए भारत को एक देश न कहकर उपमहाद्वीप कहा है। इस तरह उन लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को चुनौती दी है।

लेखक का मानना है कि प्रायः सभी देशों में जाति, भाषा और धर्मगत भेद हैं। जिस देश में भेद नहीं, उसकी इकाई शून्य की भान्ति दरिद्र इकाई है। सम्पन्नता भेदों में ही है। अतः भेदों के अस्तित्व को इन्कार करना मूर्खता होगी और उनकी उपेक्षा करना अपने को धोखा देना होगा। हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही हैं। हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थ के वश हमारे भेदों का अधिक विस्तार दिया जिससे हमारे देश में फूट पनपे और उनका उल्लू सीधा हो। उन शासकों ने हमारे अभेदों की उपेक्षा की। देश की नदियों को विभाजक रेखा बताने वाले यह भूल गए कि यही नदियाँ तो भारत भूमि को शस्य श्यामला बनाती हैं।

लेखक कहता है कि राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य को हृदय के अधिक निकट हैं। भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमें एक सांस्कृतिक एकता है। भारत में एक धर्म के आराध्य दूसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किए गए।

मुसलमान और ईसाई धर्म एशियाई धर्म होने के कारण भारतीय धर्मों से बहुत कुछ समानता रखते हैं। रोमन कैथोलिकों की पूजा-अर्चना, धूप-दीप, व्रत-उपवास आदि हिन्दुओं जैसे ही हैं। ‘मुसलमान’ और ईसाइयों ने यहाँ की संस्कृति को प्रभावित किया तथा यहाँ की संस्कृति से प्रभावित भी हुए। तानसेन और ताज पर हिन्दु मुसलमान समान रूप से गर्व करते हैं। जायसी, रहीम, रसलीन आदि अनेक मुसलमान कवियों ने अपनी वाणी से हिन्दी की रसमयता बढ़ाई है।

जहाँ तक भाषा का प्रश्न है। उत्तर भारत की प्राय: सभी भाषाएँ संस्कृत से निकलती हैं। उर्दू को छोड़कर प्रायः भी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक-सी है। केवल लिपि का भेद है। भारत की विभिन्न भाषाओं के साहित्य का धूमिल इतिहास धुला-मिला सा है। मीरा, भूषण, संत तुकाराम, कबीर, दादू आदि। सारे भारत में समान रूप से आदर पाते हैं। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी हमारी राष्ट्रीय एकता अक्षुण्ण बनी हुई है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

Hindi Guide for Class 11 PSEB बुद्धम शरणम् गच्छामि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘हम तुम’ कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में एक बेटी के माँ से प्यार की कथा कही गई है। विवाह हो जाने पर भी बेटी को अपनी माँ की स्नेहमयी मूर्ति की याद आती रहती है। वह यह याद करती है कि किस तरह वह अपनी माँ के आँचल में सुरक्षित रह कर बड़ी हुई है। किस प्रकार उसने हंसी-खुशी अपना बचपन बिताया है। उसकी माँ ने उसे हर मुसीबत से बचाया है। बड़ी होने पर एक अच्छा घर दिया है अर्थात् उसका विवाह किया है। वह आज भी अपनी माँ के प्यार भरे स्पर्श को याद करती है तथा उसकी गोद में सोना चाहती है।

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प्रश्न 2.
कवयित्री ने अपने आपको किसकी प्रतिच्छाया कहा है और क्यों ?
उत्तर:
कवयित्री ने अपने आपको अपनी माँ की प्रतिच्छाया कहा है क्योंकि वह उसी के मूल से जन्मी थी। हर बेटी अपनी माँ का प्रतिरूप होती है। वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए। वह माँ का आंचल नहीं छोड़ना चाहती।

प्रश्न 3.
कवयित्री आज भी अपनी माँ की गोद में क्यों सोना चाहती है ?
उत्तर:
कवयित्री आज भी अपनी माता की गोद में सोना चाहती है । क्योंकि जो सुख बेटी को अपनी माँ की गोद में सोकर मिलता है वह संसार में और कहीं नहीं मिलता। माँ की गोद में आकर वह सब कुछ भूल जाती है। इसलिए वह माँ की गोद में सोना चाहती है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कविता में भावों की उदात्तता और तीव्रता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में भाव तत्व की प्रधानता होने के कारण पाठकों का कवयित्री की भावना से सीधा तादातम्य स्थापित हो जाता है। कवयित्री ने पूरी कविता में बेटी द्वारा मातृभक्ति की अभिव्यक्ति बड़े अनूठे ढंग से प्रदान की है। एक बेटी सदैव माँ को प्रतिच्छाया होती है। इसलिए वह विवाह के बाद भी अपनी माँ के स्नेह को याद करती है और उसकी गोद में सिर रखकर सोने की इच्छा रखती है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

PSEB 11th Class Hindi Guide बुद्धम शरणम् गच्छामि Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘उषा आर० शर्मा’ का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
24 मार्च, 1953 में।

प्रश्न 2.
‘पिघलती साँकलें’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
उषा आर० शर्मा।

प्रश्न 3.
‘पिघलती साँकलें’ कविता में कवयित्री ने किसके लिए प्रेरित किया है ?
उत्तर:
रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर नवयुग के निर्माण के लिए।

प्रश्न 4.
मनुष्य को जागृत करने के लिए कवयित्री क्या करना चाहती है ?
उत्तर:
समाज में नई विस्फोटक क्रांति लाना चाहती है।

प्रश्न 5.
नई दुनिया में लोग कैसे रहेंगे ?
उत्तर:
मिलकर।

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प्रश्न 6.
पुरानी परम्पराओं में बँधे मनुष्य के लिए कवयित्री क्या कहती है ?
उत्तर:
परमाणु विस्फोट करने को।

प्रश्न 7.
परमाणु विस्फोट के धमाके से ………… हिल जाए।
उत्तर:
धरती।

प्रश्न 8.
कवयित्री मानव को किससे मुक्त करवाना चाहती है ?
उत्तर:
पुरानी परम्पराओं से।

प्रश्न 9.
जब कोई रोक नहीं होगी तब मानव की ………. बदल जाएगी।
उत्तर:
प्रकृति।

प्रश्न 10.
मनुष्य को कब बदलना चाहिए ?
उत्तर:
युग परिवर्तन के साथ।

प्रश्न 11.
नवयुग के आगमन पर क्या आवश्यक है ?
उत्तर:
परिवर्तन।

प्रश्न 12.
मुंडेरों पर किसके बैठने की बात कही गई हैं ?
उत्तर:
कौए।

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प्रश्न 13.
व्यस्तता की बेड़ियों में बँधा होने के कारण मानव के पास किस चीज़ के लिए समय नहीं हैं ?
उत्तर:
आत्म मंथन।

प्रश्न 14.
‘तुम-हम’ कविता की रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
उषा आर० शर्मा।

प्रश्न 15.
मनुष्य की सोच कब बदलेगी ?
उत्तर:
क्रांति आने पर।

प्रश्न 16.
बेटी अपनी माँ की क्या होती है ?
उत्तर:
परछाई।

प्रश्न 17.
बेटी किसे कभी नहीं भूलती ?
उत्तर:
अपनी माँ, उसकी गोद, ममता तथा घर को।

प्रश्न 18.
बेटी का अपना घर कब होता है ?
उत्तर:
विवाह के बाद।

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प्रश्न 19.
आज भी बेटी की क्या इच्छा है ?
उत्तर:
बचपन की भाँति माँ की गोद में छिप जाए।

प्रश्न 20.
पुत्री की माँ क्या सपना देखती है ?
उत्तर:
पुत्री के विवाह का।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवयित्री का जन्म किस परिवार में हुआ था ?
(क) सैनिक
(ख) देशभक्त
(ग) किसान
(घ) वीर।
उत्तर:
(क) सैनिक

प्रश्न 2.
‘पिघलती साँकले’ कविता में कवयित्री किसके निर्माण के लिए प्रेरित करती है ?
(क) आधुनिक युग के
(ख) नवयुग के
(ग) प्राचीन युग के
(घ) धर्मयुग के ।
उत्तर:
(ख) नवयुग के

प्रश्न 3.
इस कविता में कवयित्री किन परंपराओं को तोड़ना चाहती है ?
(क) प्राचीन
(ख) रूढ़िवादी
(ग) प्राचीन और रूढ़िवादी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) प्राचीन और रूढ़िवादी

प्रश्न 4.
नवयुग के आगमन हेतु क्या आवश्यक है ?
(क) परिवर्तन
(ख) अपरिवर्तन
(ग) नियम
(घ) नीति।
उत्तर:
(क) परिवर्तन।

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पिघलती साँकलें सप्रसंग व्याख्या

1.व्यस्तताओं की बेड़ियों
में बंधे
इन्सानों के पास
समय कहाँ है
आत्म-मंथन के लिए
कुण्डली मारे
सुषुप्त शेषनाग की
कौन करे निंद्रा भंग
मुंडेरों पर बैठे
कागों की चहकन
नहीं है पर्याप्त।

कठिन शब्दों के अर्थ :
आत्ममंथन-अंत:करण के अनेक भावों पर विचार करना। सुषुप्त = सोये हुए। चहकन = प्रसन्नता। पर्याप्त = काफ़ी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘पिघलती साँकलें’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने प्राचीन एवं रूढ़िवादी परम्पराओं के पिघलने की बात कही है क्योंकि
नवयुग के आगमन पर परिवर्तन ज़रूरी है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि आज मनुष्य इतना व्यस्त हो गया है कि उसके पास, व्यस्तता की बेड़ियों में बंधा होने पर आत्ममंथन के लिए समय ही नहीं है। वह चाहकर भी सोचने-समझने के लिए समय नहीं निकाल पाती। नवयुग के आगमन पर परिवर्तन जरूरी है। परन्तु मनुष्य को कुण्डली मारे शेषनाग की तरह उसकी निद्रा कौन भंग करे, उसके लिए मुंडेरों पर बैठे कौओं का चहचहाना, काँव-काँव करना ही काफ़ी नहीं होगा बल्कि इसके लिए क्रान्ति करनी होगी। कुछ नया करना होगा।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि मनुष्य को युग परिवर्तन के साथ बदलना चाहिए। कौवों की आवाज़ को ‘चहकना’ कह कर कवयित्री ने व्यंग्य किया है।
  2. मनुष्य को जगाने के लिए अर्थात् उन्हें उनके अधिकार और दायित्व याद दिलाने के लिए कौओं की चहकन ही पर्याप्त नहीं है। उसके लिए क्रांति चाहिए।
  3. भाषा सरल एवं सहज है।
  4. तत्सम शब्दों की अधिकता है।

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2. आवश्यकता है
किसी मर्मभेदी
परमाणु विस्फोट की
जिसके हंगामे मात्र से
आलोड़ित हो जाए
सारा ब्रह्मांड।
तब स्वयं ही
पिघल जाएंगी
गुस्ताख सांकलें
नहीं रहेगा कहीं
कोई प्रतिबंध।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मर्मभेदी = किसी नाजुक (कोमल) स्थान को छेदने वाला। विस्फोट = धमाका। हंगामा = शोर। आलोड़ित होना = हिल जाना। ब्रह्मांड = संपूर्ण सृष्टि। गुस्ताख = ढीठ, बेअदब । प्रतिबंध = रोक। सांकले = जंजीरें।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘पिघलती साँकलें’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री पुरानी परम्पराओं में बंधे मनुष्य को नवयुग के लिए जागृत करने के लिए एक परमाणु विस्फोट के लिए कहती है

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि प्राचीन परम्पराओं और रूढ़ियों को बदलने के लिए किसी मर्मभेदी परमाणु धमाके की ज़रूरत है। ऐसा धमाका जिसके शोर से सारी सृष्टि हिल जाए। तब अपने आप परम्परा एवं रूढ़ियों की ये ढीठ जंजीरें पिघल जाएँगी। तब कोई, किसी किस्म की रोक नहीं रहेगी अर्थात् मनुष्य की प्रकृति बदल जाएगी। वह भी नवयुग के साथ चलना सीख जाएगा।

विशेष :

  1. कवयित्री मनुष्य को पुरानी परम्पराओं से मुक्त करवाना चाहती है। मनुष्य को जागृत करने के लिए वह समाज में नई विस्फोटक क्रांति लाना चाहती है।
  2. भाषा परिपक्व तथा आलंकारिक है।
  3. तत्सम शब्दावली के साथ उर्दू शब्दों का प्रयोग है।

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3. इत्मिनान रखो
तब पहचानेगा
इन्सान
इन्सान को
उदय होगा
एक नया सूर्य
और करेंगे
हम पदार्पण
एक नई दुनिया में।

कठिन शब्दों के अर्थ :
इत्मिनान = भरोसा। पदार्पण = कदम रखना।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘पिघलती साँकलें’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री मानव-चेतना जागृत होने पर नए सवेरे के होने का वर्णन करती हैं।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि दुनिया को हिलाकर रख देने वाला धमाका होने पर इस बात का भरोसा रखो कि तब मानव मानव को पहचानेगा, उसमें मानवीय भाव जागृत होंगे। तब एक नया सूर्य उदय होगा और हम एक नई दुनिया में कदम रखेंगे। सभी मनुष्य समान रूप से नई दुनिया में मिलकर रहेंगे।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि क्रांति आने पर मनुष्य की सोच बदलेगी।
  2. नई सोच के साथ मनुष्य आपसी भेदभाव को भुलाकर सबको समान समझने लगेगा।
  3. भाषा परिपक्व तथा आलंकारिक है।
  4. तत्सम शब्दावली के साथ उर्दू शब्दों का प्रयोग है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

तुम-हम सप्रसंग व्याख्या

1. तुम्हारे मूल से उपजी
तुम्हारी प्रतिच्छाया
-मैं
बढ़ी, पली और
कब जवान हो गई
मुझे पता ही न चला।
तुम मेरा छतनारा
दरख्त रहीं-
जिसकी छाँव तले
मैं कलोल करती
कब सयानी हो गई
मुझे पता ही न चला।

कठिन शब्दों के अर्थ :
प्रतिच्छाया = प्रतिरूप, प्रतिबिम्ब, प्रतिभा। छतनारा = जिस वृक्ष की शाखाएँ छत की तरह दूर-दूर तक फैली हों। कलोल = उछल-कूद, शरारतें।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘तुम-हम’ में से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने अपनी मातृ-भक्ति अनूठे ढंग से प्रस्तुत की है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि हे माँ! मैं तुम्हारे मूल से ही जन्मी हूँ और तुम्हारा ही प्रतिरूप हूँ। तुम्हारी गोद में मैं पली बढ़ी हुई और कब जवान हो गई इसका मुझे पता ही न चला कि मैं तुम्हारी छाया हूँ।

कवयित्री कहती है कि तुम मेरा छतनारा वृक्ष बन कर रही जिसकी छाया तले मैं शरारतें करती फिरती थीं। कब मैं सयानी हो गई इसका मुझे पता ही न चला। तुम्हारी छाया में मैं कब बड़ी हो गई मुझे पता नहीं चला।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि बेटी माँ का रूप होती है। वह उसकी छाया में सुरक्षित रहती है।
  2. माँ बेटी के लिए वह वृक्ष है जिसमें वह पल कर बड़ी होती है।
  3. भाषा अत्यंत सरल तथा सहज है।
  4. तत्सम और फ़ारसी शब्दावली का प्रयोग है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

2. तुम्हारे पंखों ने दी
सदा गरमाहट मुझे
और बचाये रखा
हर मुसीबत से
कब बदल गए
मेरे रोयें पंखों में
मुझे पता ही न चला।

कठिन शब्दों के अर्थ : रोयें = नर्म-नर्म बाल।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा रचित कविता ‘तुम-हम’ में से ली गई हैं। इनमें कवयित्री माँ की तुलना उस पक्षी से करती है जो अपने चूजों को बड़े प्यार से बड़ा करती है।

व्याख्या :
कवयित्री अपनी माँ की तुलना एक पक्षी से करती हुई कहती है कि तुम्हारे पंखों ने मुझे सदा गरमाहट दी और अपने पंखों की ओट देकर तुमने मुझे हर मुसीबत से बचाए रखा। इसी दौरान मेरे शरीर नर्म-नर्म बाल रोयें, कब पंखों में बदल गए। मैं बड़ी हो गई मुझे पता ही न चला।

विशेष :

  1. माँ कोई भी हो वह अपने बच्चों की सदैव रक्षा करती है।
  2. माँ की बाँहों में बच्चे कब बड़े हो जाते हैं, पता भी नहीं चलता।
  3. भाषा अत्यन्त सरल है।
  4. तत्सम तथा फ़ारसी शब्दावली का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

3. एक दिन
तुमने
मेरा अलग
एक सुन्दर-सा
घौंसला
बना दिया
मैं उसमें
कैसे रम गई
मुझे पता ही न चला।

कठिन शब्दों के अर्थ :
घौंसला = घर। रम गई = लीन हो गई, मस्त हो गई।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘तुम हम’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री माँ द्वारा उसके बड़े होने पर विवाह करने का वर्णन करती है।

व्याख्या :
कवयित्री कहती है कि हे माँ! एक दिन तुमने मेरा अलग सुन्दर–सा घर बना दिया। मेरी शादी कर दी। मैं उस नए घर में कैसे रम गई प्रसन्नता में भर कर लीन हो गई मुझे पता ही न चला। बेटी के बड़े होने पर माँ उसकी शादी कर देती है तथा उसे ससुराल को अपना घर मानकर उसमें रमने की शिक्षा देती है।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि प्रत्येक माँ अपनी बेटी के विवाह का सपना देखती है।
  2. माँ यह चाहती है कि उसकी बेटी का भी अपना घर हो जिसमें उसके लिए प्रत्येक खुशियाँ मिलें। बेटी कब ससुराल में घुल मिल जाती है उसे पता भी नहीं चलता।
  3. भाषा अत्यन्त सरल है।
  4. उपमा अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

4. पर मन अब भी
उड़-उड़ जाता है
पुराने घौंसले में
और मैं महसूस
करती रहती हूँ
सदैव तुम्हारे
स्नेहिल स्पर्श को।

कठिन शब्दों के अर्थ : स्नेहिल स्पर्श = प्यार भरा स्पर्श।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘तुम-हम’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री एक विवाहित बेटी का माँ के प्रति प्यार प्रकट करती है।

व्याख्या :
कवयित्री अपने मायके के घर को याद करती हुई कहती है कि विवाह हो जाने पर एक सुन्दर-सा घर मिल जाने पर मेरा मन अब भी पुराने घर, मायके की ओर उड़-उड़ जाता है। मुझे मायके की बहुत याद आती है और मैं सदा, हे माँ तुम्हारे प्यार भरे स्पर्श को महसूस करती हूँ। ससुराल में रहते हुए भी मुझे अपनी माँ की बहुत याद आती है।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि विवाह के बाद भी बेटी अपनी माँ के घर से जुड़ी रहती है।
  2. ससुराल में रम जाने के बाद भी बेटी माँ के प्यार भरे स्पर्श को सदैव याद रखती है।
  3. भाषा अत्यन्त सरल है।
  4. तत्सम शब्दावली है।
  5. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

5. तुम फैलाए रखो
यूँ ही
अपना आँचल
आसमान की तरह
जिसे मैं
जब चाहे
ओढ़ लूँ
और
थक-मांद कर
आऊँ तुम्हारी आगोश में
तो बालों में
फेरती हुई
अपनी उँगलियाँ
तुम सुला लेना
मुझे अपनी गोद में।

कठिन शब्दों के अर्थ : आगोश = गोद।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमती उषा आर० शर्मा द्वारा लिखित कविता ‘तुम-हम’ से ली गई हैं इन पंक्तियों में कवयित्री अपनी माँ की गोद में सोने की बात करती है।

व्याख्या :
कवयित्री अपनी माँ से प्रार्थना करते हुए कहती है कि हे माँ! तुम अपने आंचल को आसमान की तरह इसी तरह फैलाए रखना कि जिसे मैं जब चाहूं ओढ़ लूं और जब कभी थक-हार कर तुम्हारी गोद में आऊँ तो तुम मेरे बालों में उँगलियां फेरते हुए मुझे अपनी गोद में सुला लेना। बेटी शादी के बाद भी माँ की गोद को छोड़ना नहीं चाहती। वह सदैव अपनी माँ की गोद का स्पर्श पाना चाहती है।

विशेष :

  1. कवयित्री का भाव यह है कि जीवन के हर मोड़ पर सुख-दुख में हर बेटी अपनी माँ को याद करती है तथा उसकी गोद में सिर रखकर सब कुछ भुला देना चाहती है।
  2. माँ का आँचल बेटी के लिए प्यार और सुरक्षा का कवच है।
  3. भाषा अत्यन्त सरल है।
  4. तत्सम और फ़ारसी शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. ‘थक-मांद’ में समासात्मक शैली का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 14 पिघलती साँकलें, तुम-हम

पिघलती साँकलें, तुम-हम Summary

जीवन-परिचय

श्रीमती उषा आर० शर्मा स्वतंत्र भारत की उदीयमान हिन्दी कवयित्रियों में से एक हैं। इनका जन्म मुम्बई में 24 मार्च, सन् 1953 में एक सैनिक परिवार में हुआ। पिता का सेना में होने के कारण बार-बार तबादला होता था इसलिए इनकी पढ़ाई विभिन्न प्रांतों में हुई। विद्यार्थी जीवन से ही इन्हें संगीत, नाटक तथा प्रकृति से प्रेम था। इन्होंने प्रभाकर के उपरान्त दर्शन शास्त्र तथा लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षा विशिष्टता के साथ उत्तीर्ण की। इनका भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगिता में चयन हुआ। इन्होंने अपना कार्य बड़ी कर्मठता से किया। परन्तु संवेदनशील मन के कारण इन्होंने लेखन कार्य आरम्भ किया। इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जीवन में मानवीय संत्रास, यंत्रणा घातों-प्रतिघातों को एक सशक्त अभिव्यक्ति दी है। इनकी रचनाएँ एक वर्ग आकाश (कविता संग्रह 1999)। पिघलती साँकलें (कविता संग्रह 1999) भोजपत्रों के बीच (एक कविता संग्रह) तथा ‘क्यों न कहूँ’ कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन है। ‘भोज पत्रों के बीच’ भाषा विभाग पंजाब द्वारा पुरस्कृत हुई। इनके लेखन के लिए पंजाब हिन्दी साहित्य द्वारा ‘वीरेन्द्र सारस्वत सम्मान’ आपको सम्मानित किया गया। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पंजाब की आधुनिक हिन्दी कविता में इनकी सात कविताएँ प्रकाशित हैं।

पिघलती साँकलें कविता का सार

‘पिघलती साँकलें’ की कवयित्री श्रीमती उषा आर० शर्मा है। प्रस्तुत कविता में कवयित्री मनुष्य को प्राचीन और रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर नवयुग के निर्माण के लिए प्रेरित कर रही है। मनुष्य को पुरानी मान्यताओं से बाहर निकालने के लिए कौओं की आवाज़ ही पर्याप्त नहीं है अपितु एक ऐसे धमाके की आवश्यकता है जिससे मानव मानव पहचान कर एक नई दुनिया का निर्माण करेगा। उस दुनिया में सब मिलकर रहेंगे।

तुम-हम कविता का सार

‘तुम-हम’ कविता की कवयित्री श्रीमती उषा आर० शर्मा हैं। प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने एक बेटी के द्वारा मातृ-भक्ति को बहुत ही अनूठे ढंग से अभिव्यक्त किया है। बेटी सदैव अपनी माँ की परछाई होती है। वह अपनी माँ की ममता, गोद और घर को कभी नहीं भूलती। विवाह के बाद बेटी का अपना घर हो जाता है जहाँ पर सभी काम वह बड़े ही अच्छे ढंग से पूरे करती है, परन्तु वह अपनी माँ की गोद को नहीं भूल पाती। आज भी उसकी इच्छा है कि वह बचपन की तरह माँ की गोद में छिप जाए और माँ उसे हर मुसीबत से बचाकर बाँहों में समेट ले। बेटी बड़ी होकर भी माँ की गोद से बाहर निकलना ही नहीं चाहती।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

Hindi Guide for Class 11 PSEB बुद्धम शरणम् गच्छामि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘जो किसी भी पंक्ति में शामिल नहीं है’ में कवि ने किन लोगों की ओर इशारा किया है ? उनके लिए कवि ने क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने वर्गहीन-जो न अमीरों में शामिल हैं न ग़रीबों में-की ओर संकेत किया है। कवि प्रार्थना करता है कि सूर्य की रौशनी उनके कीचड़ भरे आँगन में भी उतरे क्योंकि सूर्य की धूप किसी एक की मलकियत नहीं है। उस पर सबका अधिकार है।

प्रश्न 2.
पक्षियों के लिए कवि क्या कामना करता है ?
उत्तर:
कवि प्रार्थना करता है कि आने वाले वर्ष में कोई भी चिड़िया (पक्षी) प्यास के कारण दम न तोड़े। हर पक्षी को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए उचित स्थान और उपयुक्त भोजन प्राप्त हो। लोगों के मन में उनके प्रति हिंसा का भाव न हो।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

प्रश्न 3.
सदियों पुरानी हमारी विरासत से जुड़े शब्दों से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कवि का अभिप्राय यह है कि सदियों पुरानी हमारी विरासत से जुड़े ये शब्द से लोगों में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत हो और बुद्धम् शरणम् गच्छामि का अनहद नाद लोगों के हृदय में एक बार फिर गूंज उठे।

प्रश्न 4.
‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि का अनहद नाद एक बार से प्राणों में गूंजे’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि का आशय यह है कि लोगों के हृदय में अहिंसा की भावना फिर से जागृत हो जाए और वे इस भाव को अपने आचरण में शामिल कर लें।

प्रश्न 5.
इस कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में ‘सब का भला’ करने की प्रार्थना की गई है ताकि मनुष्य, पशु-पक्षी और वनस्पतियाँ खुशियों से भर जाएं। लोगों में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत हो। लोग फिर बुद्धम् शरणम् गच्छामि का अनहद नाद करें तथा लोगों के हृदय में इसका वास हो।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

PSEB 11th Class Hindi Guide बुद्धम शरणम् गच्छामि Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुभाष रस्तोगी का जन्म कब और कहाँ हआ था ?
उत्तर:
सुभाष रस्तोगी का जन्म 17 अक्तूबर 1950 को अम्बाला छावनी में हुआ था!

प्रश्न 2.
‘बुद्धम शरणम् गच्छामि’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
सुभाष रस्तोगी की।

प्रश्न 3.
‘बुद्धम शरणम् गच्छामि’ सुभाष रस्तोगी के किस काव्य संग्रह से ली गई है ?
उत्तर:
समय के सामने।

प्रश्न 4.
कविता में कवि ने क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर:
जो रस वर्ष घटा है वह अगले वर्ष न हो।

प्रश्न 5.
कवि मानव में किस भावना को जगाना चाहता है ?
उत्तर:
वसुदैव कुटुम्बकम की भावना।

प्रश्न 6.
कवि ने कविता में किस अनहद नाद की बात की है ?
उत्तर:
बुद्धम शरणम् गच्छामि।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

प्रश्न 7.
कवि ने पक्षियों के लिए ……….. की है।
उत्तर:
प्रार्थना।

प्रश्न 8.
कवि सभी के लिए ………… माँग रहा है।
उत्तर:
खुशियाँ।

प्रश्न 9.
कवि के अनुसार धूप किस सी …….. न बने।
उत्तर:
जायदाद।

प्रश्न 10.
कवि के अनुसार बीते वर्ष में …………. आई थी।
उत्तर:
बहत आपदाएँ।

प्रश्न 11.
कवि ईश्वर से मनुष्य को क्या देने की बात करता है ?
उत्तर:
सद्बुद्धि।

प्रश्न 12.
मनुष्य में दूसरे मनुष्य के लिए …………. पनपना चाहिए।
उत्तर:
प्यार, विश्वास एवं त्याग की भावना।

प्रश्न 13.
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी लोग ………….. न हो।
उत्तर:
बेघर।

प्रश्न 14.
कवि मानव जीवन में फिर से क्या देखना चाहता है?
उत्तर:
बीती हुई खुशियों को।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

प्रश्न 15.
कवि वनस्पतियों के लिए क्या प्रार्थना करता है ?
उत्तर:
खूब फले-फूलें।

प्रश्न 16.
मनुष्य भटकना छोड़कर …………. प्राप्त करे।
उत्तर:
अपनी मंज़िल।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सुभाष रस्तोगी किस कविता के प्रसिद्ध कवि हैं ?
(क) समकालीन
(ख) भक्ति
(ग) प्राचीन
(घ) आधुनिक।
उत्तर:
(क) समकालीन

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

प्रश्न 2.
‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ कविता के लेखक कौन हैं?
(क) सुभाष रस्तोगी
(ख) दुष्यन्त कुमार
(ग) सुभाष भारती
(घ) उषा आर० शर्मा।
उत्तर:
(क) सुभाष रस्तोगी

प्रश्न 3.
बुद्धम् शरणम् गच्छामि किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) नाटक।
उत्तर:
(क) कविता

प्रश्न 4.
कवि मानव में किस भावना को जगाना चाहता है ?
(क) प्रेम
(ख) विरह
(ग) वसुदैव कुटुम्बकम
(घ) देव।
उत्तर:
(ग) वसुदैव कुटुम्बकम ।

बुद्धम् शरणम् गच्छामि सपसंग व्याख्या

1. यही प्रार्थना है
कि इस बरस हुआ जो
वह अगले बरस न हो!
धूप-
किसी एक की मिलकियत न बने
सूरज-
उनके कीच-भरे आँगन में भी उतरे
जो किसी भी पंक्ति में
शामिल नहीं हैं
हर खेत को पानी
हर हाथ को काम मिले
झोपरपट्टी में भी
पीपल की बन्दनवार सजे
यही प्रार्थना है
कि इस बरस जो हुआ
वह अगले बरस न होवे।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मिलकियत = जागीर, जायदाद, वह चीज़ जिस पर मालकाना हक हो। बन्दनवार = सजावटी दरवाज़े।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री सुभाष रस्तोगी के काव्य संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने सब की भलाई की कामना करते हुए लोगों में आपसी प्रेम-प्यार और भाईचारे की भावना जागृत होने की प्रार्थना की है।

व्याख्या :
कवि प्रार्थना करते हुए कहता है कि इस वर्ष जैसा हुआ वैसा अगले वर्ष न हो। धूप किसी की जायदाद न बने और सूरज भी उन लोगों के कीचड़ भरे आंगन में खिले जो किसी भी वर्ग में शामिल नहीं है। हर खेत को पानी मिले, हर हाथ को काम मिले न कोई भूखा-प्यासा रहे न कोई बेरोज़गार। झोंपड़पट्टी में भी सजावटी दरवाज़े सजें ; वहाँ भी पीपल की वंदन वार रूपी पवित्रता और शोभा बनी रहे। वहां भी खुशियां छा जाएं यही प्रार्थना है कि इस वर्ष जो हुआ वह अगले वर्ष में न हो।

विशेष :

  1. कवि सभी के लिए खुशियाँ माँग रहा है।
  2. कवि कहता है कि इस वर्ष सभी भेद-भाव भुलाकर, अमीर-गरीब की दीवार हटाकर ईश्वर सभी को खुशियाँ दें।
  3. भाषा सहज तथा सरल है।
  4. तत्सम, फ़ारसी शब्दों का प्रयोग है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

2. कोई चिरैया
प्यास से दम न तोड़े
हर पंथी को छाँव
हर पाँव को ठाँव मिले
घुप्प अँधेरे में
कोई कंदील जले
और सब-कुछ रोशन हो जाये
समय का बायस्कोप
इस बरस तो कम-से-कम
हत्या, आगज़नी और बलात्कार
अकाल
प्रकृति के ताण्डव
और आदमी को
आदमी का निवाला बनने के दृश्य
न दिखाये
यही प्रार्थना है
कि इस बरस जो हुआ
वह अगले बरस न होवे

कठिन शब्दों के अर्थ :
चिरैया = चिड़िया। ठाँव = ठिकाना। कंदील = दीप, लालटेन। बायस्कोप = परदे पर चलते-फिरते चित्र दिखाने वाला एक यन्त्र। आगजनी = आग लगाना। ताण्डव = विनाश। निवाला = ग्रास।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुभाष रस्तोगी के काव्य संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ से लिया गया है। कवि सभी प्राणियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है कि यह वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा अच्छा गुजरे।

व्याख्या :
कवि मनुष्यों की ही नहीं सब प्राणियों की भलाई की प्रार्थना करते हुए कहता है कि मेरी यह प्रार्थना है कि कोई भी चिड़िया प्यास के कारण दम न तोड़े। प्रत्येक मुसाफ़िर को छाया मिले और हर पाँव को ठिकाना मिले; उसे अपनी मंजिल की प्राप्ति हो। घुप्प अन्धेरे में कोई शोभा से युक्त दीप जले और जिससे समय का बायस्कोप रोशन हो जाए। इस वर्ष तो कम-से-कम हत्या, आग लगाने और बलात्कार की घटना न घटे और यह बायस्कोप प्रकृति के विनाशकारी रूप तथा आदमी को आदमी का ग्रास बनने के दृश्य न दिखाये। यही प्रार्थना है कि इस वर्ष जो हुआ वह अगले वर्ष में न हो।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि बीते वर्ष में बहुत प्राकृतिक आपदाएं आई हैं जिसमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। परन्तु इस वर्ष ऐसा कुछ न हो।
  2. कवि ईश्वर से मनुष्य को भी सद्बुद्धि देने की बात करता है जिससे वह बुराइयों, आतंकी सोच से दूर रहे।
  3. भाषा सरल तथा सहज है।
  4. तत्सम, फ़ारसी और तद्भव शब्दावली का प्रयोग है।
  5. उपमा, अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

3. इस बरस तो
आदमी-
विश्वास
प्रार्थना
भलाई
अहिंसा
तप-त्याग
सहिष्णुता
और वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे
सदियों पुरानी हमारी विरासत से जुड़े शब्द
कम-से-कम
नई सदी में तो
हमारे आचरण में फिर से लौटें
और बुद्धम शरणम् गच्छामि का अनहद नाद
एक बार फिर से
प्राणों में गूंजे
यही प्रार्थना है
कि इस बरस जो हुआ
वह अगले बरस न होवे।

कठिन शब्दों के अर्थ :
सहिष्णुता = सहनशीलता। वसुधैव कुटुम्बकम् = सारा विश्व एक परिवार है। विरासत = उत्तराधिकार में मिलने वाला माल, विरसा, मीरास। अनहद नाद = योगियों को सुनाई देने वाली आन्तरिक ध्वनि-ओइम।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुभाष रस्तोगी द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ से ली गई हैं। इनमें कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि चारों ओर वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत हो।

व्याख्या :
कवि प्रार्थना करते हुए कहता है कि इस वर्ष तो आदमी में विश्वास, प्रार्थना, भलाई, अहिंसा, तप-त्याग, सहनशीलता और सारा विश्व एक परिवार हो की भावना जागृत हो। जैसे सैंकड़ों वर्ष पुरानी हमारी विरासत से जुड़े शब्द नई सदी में तो कम-से-कम हमारे आचरण में लौट आएं और ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि (मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ।) का अनहद नाद (योगियों को सुनाई देने वाली आन्तरिक ध्वनि जैसे ‘ओ३म्’)। एक बार फिर प्राणों में गूंज उठे। मेरी यही प्रार्थना है कि इस वर्ष जो हुआ अगले वर्ष न हो।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि मनुष्य में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत हो।
  2. मनुष्य में दूसरे मनुष्य के लिए प्यार, विश्वास, त्याग की भावना पनपे। जिससे वह अच्छे समाज का निर्माण कर सके।
  3. भाषा सहज और सरल है।
  4. तत्सम प्रधान शब्दावली है।
  5. उपमा अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

4. नई सदी में तो धरती
कम-से-कम
हमारे कपट-तन्त्र से कलंकित न होवे
धरती के सुजलाम् सुफलाम्
और शस्यश्यामलाम् होने के पुराने दिन
फिर से लौटें

कठिन शब्दों के अर्थ :
सुजलाम् = जल से परिपूर्ण। सुफलाम् = फलों से भरपूर । शस्यश्यामलाम् = फसल से भरपूर।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुभाष रस्तोगी द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता ‘बद्धम शरणम् गच्छामि’ से ली गई हैं। इनमें कवि पुराने दिनों को याद करते हुए उनके वर्तमान में फिर से आने की प्रार्थना करता है

व्याख्या :
कवि नई सदी में धरती के पुराने दिन लौट आने की प्रार्थना करते हुए कहता है कि कम-से-कम नई सदी में धरती हमारे छल-कपट से कलंकित, दूषित न हो उसके वही पुराने दिन सुजलाम (जल से परिपूर्ण), सुफलाम् (फलों से भरपूर) और शस्यश्यामलम् (फसल से भरपूर) होने के दिन लौट आवें अर्थात् चारों ओर खुशहाली छा जाए।

विशेष :

  1. कवि बीती हुई खुशियों को मानव जीवन में फिर से देखना चाहता है।
  2. कवि धरती को पाप मुक्त करना चाहता है जिससे फिर से धरती हरी-भरी हो जाए।
  3. भाषा सरल तथा सहज है तत्सम प्रधान शब्दावली है।
  4. अनुप्रास और उपमा अलंकार है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

5. यही प्रार्थना है
कि पिछले बरस की तरह
इस बरस
हज़ारों लोग बेघर न हों
और आदमज़ात की
कौड़ियों सरीखी बेजान आँखों के
पेड़ों पर चिपकने के दृश्य
काल-देवता
अगले बरस न दिखाये
अन्न के दाने-दाने को/आदमी न तरसे

कठिन शब्दों के अर्थ :
आदमज़ात = मनुष्य जाति। काल-देवता = समय का देवता!

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुभाष रस्तोगी के काव्य-संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता ‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि इस वर्ष सभी लोग अपने घरों में रहे और उन्हें भर पेट भोजन मिलें। . व्याख्या-कवि प्रार्थना करता हुए कहता है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी हज़ारों लोग बेघर न हों और मनुष्यों की कौड़ियों जैसी बेजान आँखों के पेड़ों पर चिपकने के दृश्य न दिखाई दें अर्थात् बेघर होने से उनकी सपनों से भरी आँखें बेजान होकर एक ही दिशा में देखने लगती हैं। हे समय के देवता अगले वर्ष न दिखाना कि अन्न के दानेदाने को आदमी तरस रहे हैं। सभी को भरपेट भोजन मिलें।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि बीते वर्षों की तरह इस वर्ष लोग अपने घरों से बेघर न हो। बेघर होने पर लोगों के घर-सम्बन्धी सपने टूट जाने पर वे एक लाश के समान हो जाते हैं।
  2. इस वर्ष सभी लोगों को खाने के लिए भोजन मिले। भाषा सरल है। तत्सम, फारसी, और अरबी शब्दावली है। रूपक, पुनरुक्ति अलंकार विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

6. वनस्पतियाँ
खूब फले-फूलें
नई सदी में/सब
खुशियों के हिंडोले में झूलें
सुबह-
मंगलगान-सी जीवन में उतरे
और साँझ-
सबकी सलामती की दुआ माँगती हुई
हर अँधियारे कोने में
उजाले का एक अन्तरीप रचे
और हर थके पाँव को
मंज़िल मिले
यह प्रार्थना है
कि इस बरस जो हुआ
वह अगले बरस न होवे !

कठिन शब्दों के अर्थ :
हिंडोले = झूले। सलामती = सुरक्षा । दुआ = प्रार्थना। अन्तरीप = भूमि का नुकीला भाग जो समुद्र में दूर तक चला गया हो। .

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुभाष रस्तोगी द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘समय के सामने’ में संकलित कविता बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ से ली गई हैं। इसमें कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि मनुष्य, पशु-पक्षी और वनस्पति सभी को खुशियाँ मिलें।

व्याख्या :
कवि प्रार्थना करते हुए कहता है कि नई सदी में सभी वनस्पतियाँ खूब फले-फूलें और सभी खुशियों के झूले में झूलें। सबके लिए सुबह मंगलगान-सी जीवन में उतरे और संध्या सबकी सुरक्षा की प्रार्थना करती हुई आए। प्रत्येक अन्धेरे कोने में उजाले का एक टापू रचा जाए। प्रत्येक थके हुए पाँव को मंजिल मिले। यह प्रार्थना है कि इस वर्ष जो हुआ वह अगले वर्ष में न हो।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि इस वर्ष चारों ओर खुशी का वातावरण हो। कहीं भी दुःख का सवेरा नहीं होना चाहिए।
  2. प्रत्येक मुसाफिर अर्थात् मनुष्य भटकना छोड़कर अपनी मंजिल प्राप्त करे। भाषा सरल है। तत्सम, फ़ारसी तथा अरबी शब्दावली का प्रयोग किया गया है। उपमा, अनुप्रास अलंकार विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 13 बुद्धम शरणम् गच्छामि

बुद्धम् शरणम् गच्छामि Summary

बुद्धम् शरणम् गच्छामि जीवन-परिचय

सुभाष रस्तोगी समकालीन कविता के एक जाने-माने कवि हैं। इनका जन्म 17 अक्टूबर, सन् 1950 ई० को अम्बाला छावनी में हुआ। इन्होंने हिन्दी में एम० ए० तथा पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की है। इनकी कविता के साथ-साथ साहित्य की अन्य विधाओं जैसे कहानी, उपन्यास, जीवनी तथा साक्षात्कार आदि में भी इनकी अच्छी पकड़ है। इनकी मुख्य रचनाएं तथा अन्य उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं काव्य संग्रह-टूटा हुआ आदमी और जीवन छला गया, अग्नि देश, वक्त की साजिश, कत्ल सूरज का, बयान मौसम का, अपना-अपना सच, तपते हुए दिनों के बीच, कठिन दिनों में, अंधेरे में रोशन होती चीजें।

कहानी संग्रह-ठहरी हुई जिंदगी, एक लड़ाई-चुपचाप। उपन्यास-काँच घर, टूटे सपने। साक्षात्कार-संवाद निरंतर। जीवनी-क्रांतिकारी भगतसिंह, रवीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अमर क्रांतिकारी सुखदेव।

उन्हें ‘कत्ल सूरज का’ के लिए 1980-81 में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा, तपते हुए दिनों के बीच 1987-88 में, बयान मौसम का 1991-92 में तथा 1994-95 में क्रांतिकारी भगतसिंह (जीवनी) के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कहानियों तथा कविताओं पर एम० फिल० हेतु शोधकार्य सम्पन्न किया। आजकल ये भारत सरकार के एक कार्यालय में सेवारत तथा स्वतंत्र लेखन कार्य में लगे हुए हैं तथा साहित्य की सेवा कर रहे हैं।

बुद्धम् शरणम् गच्छामि कविता का सार

‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’ कविता सुभाष रस्तोगी द्वारा रचित ‘समय के सामने’ कविता संग्रह में ली गई है। इस कविता में कवि ने प्रार्थना की है कि इस वर्ष मानव के जीवन में जो घटा है वह अगले वर्ष नहीं चाहिए। प्रत्येक को सभी प्रकार की सुविधाएं मिलनी चाहिए जैसे रोज़गार, अनाज, सभी की सलामती, खेतों में हरियाली तथा खुशी मिलें। अगले वर्ष लोगों के जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार दूर होकर, ज्ञान-रूपी प्रकाश फैले। कवि ने पक्षियों के लिए भी प्रार्थना की है कि उन्हें भी कहीं न कहीं ठिकाना मिलें। लोगों में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना जागृत हो और बुद्धम् शरणम् गच्छामि अनहद नाद एक बार फिर से लोगों के हृदय में गूंजे।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

Hindi Guide for Class 11 PSEB वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
वारिसनामा किसे कहते हैं ? युवा पीढ़ी की विरासत क्या है ?
उत्तर:
‘वारिसनामा’ एक कार्यालयी शब्द है। जब कोई बुजुर्ग अपनी सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बनाने की बात सोचता है तो कचहरी में जाकर तहसीलदार के सामने जो कागज़ प्रस्तुत करता है उसे ‘वारिसनामा’ कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इसे वसीयत करना भी कहते हैं। कविता में वारिसनामा से तात्पर्य आने वाली पीढ़ी के लिए शहीदों का संदेश है कि वे स्वराज की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दें।
युवा पीढ़ी की विरासत शहीदों की समाधियां हैं।

प्रश्न 2.
स्वराज के लिए बहे लहू का स्वरूप क्या है ?
उत्तर:
स्वराज के लिए बहे लहू में पंच तत्व शामिल होते हैं और वह हर सुख-सुविधा देने वाला होता है। छोटाबड़ा, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, पुरुष-स्त्री, बच्चा-बूढ़ा हर व्यक्ति देश की रक्षा के लिए जागरूक हो। वह विदेशियों की चालों को समझे और एकजुट होकर देश के विरुद्ध चली जाने वाली चालों को समझे और उन चालों को असफल बनाने के लिए प्रयास करे। कोई भी व्यक्ति चाहे कोई भी काम करता है वह उसी को ईमानदारी से करता रहे। “स्वराज के लिए लहू बहाने’ से तात्पर्य मर जाना नहीं है बल्कि अपना-अपना कार्य पूरी क्षमता से करना है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

प्रश्न 3.
स्पष्ट कीजिए कि यह कविता भारत छाप विश्व मानव की छवि है ?
उत्तर:
कवि जो भारत छाप विश्व मानव के रूप में जो लड़ाई लड़ते आए हैं, उसकी एक ज्योति है कालजयी स्वराज चेतना। यह चेतना अपने आप उजागर होने और उजाला फैलाने की भावना है।

प्रश्न 4.
हुसैनी वाला के समीप भारत-पाक सीमा पर खड़ा स्मारक आज की पीढ़ी को क्या कहता है ?
उत्तर:
यह स्मारक आज की पीढ़ी को शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाते हुए उसे यह कहता है कि उठो और देश के नव-निर्माण में जुट जाओ क्योंकि तुम्हीं उस शहीदों के वारिस हो। जिस आज़ादी को लाखों वीरों ने अपना जीवन दे कर प्राप्त किया उसकी रक्षा करने में जुट जाओ। देश के भीतर और बाहर के खतरों को समझो और देश के दुश्मनों को मिटा दो। देश का दुश्मन कोई बहुत अपना भी दुश्मन के समान ही है।

प्रश्न 5.
निराला की ‘जागो फिर एक बार’ कविता से वारिसनामा कविता की तुलना करें।
उत्तर:
निराला जी की कविता में भारतवासियों को उनके अतीत के गौरव की याद दिलाते हुए स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के लिए जाने के लिए कहा गया है जबकि वात्स्यायन जी की कविता में भारतवासियों को शहीदों की याद दिला कर देश के नव-निर्माण में योग देने के लिए कहा है। दोनों कविताओं में कोई समता नहीं है। एक स्वतन्त्रता पूर्व लिखी गई थी दूसरी स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

PSEB 11th Class Hindi Guide वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि सुरेश चन्द्र वात्स्यायन का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
7 फरवरी, सन् 1934 को।

प्रश्न 2.
‘वारिसनामा’ किस प्रकार का शब्द है ?
उत्तर:
‘वारिसनामा’ एक कचहरी तथा कानूनी शब्द है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार हम सभी में किसका अंश है ?
उत्तर:
हम सभी में त्रिशक्ति का अंश है।

प्रश्न 4.
कविता में कवि ने किन्हें याद करने को कहा है ?
उत्तर:
शहीदों को।

प्रश्न 5.
हमें अपने अंदर क्या पहचानना चाहिए ?
उत्तर:
नेतृत्व की भावना को।

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प्रश्न 6.
समाधियाँ किसे प्रेरित करेंगी ?
उत्तर:
नई पीढ़ी को नव निर्माण के लिए।

प्रश्न 7.
वीरों के इतिहास हमारे लिए क्या हैं ?
उत्तर:
वसीयत।

प्रश्न 8.
चाणक्य ने किसका निर्माण किया है ?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

प्रश्न 9.
हमें अपने अंदर छिपे ………. को बाहर निकालना होगा।
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

प्रश्न 10.
हम लोगों में किसका अंश है ?
उत्तर:
त्रिशक्ति।

प्रश्न 11.
हमें किसकी रक्षा करनी है ?
उत्तर:
भारत माता की।

प्रश्न 12.
इतिहास से परिचय कराने वाले …………. नहीं हैं।
उत्तर:
वीर पुरुष।

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प्रश्न 13.
कवि ने भारतवासियों को किसका उत्तराधिकारी माना है ?
उत्तर:
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव।

प्रश्न 14.
देश भक्तों की समाधि किस नदी के किनारे बनी है ?
उत्तर:
सतलुज नदी।

प्रश्न 15.
हमें स्वतंत्रता सेनानियों के ……… को नहीं भूलना चाहिए।
उत्तर:
बलिदान।

प्रश्न 16.
भारतवासी किस की संतान हैं ?
उत्तर:
आर्य की।

प्रश्न 17.
चाणक्य ने किसके अंदर की छिपी प्रतिभा को देखकर उसे सत्ता दिलाई थी ?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त।

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प्रश्न 18.
कवि ने मानव को स्वयं ………… की पहचान बनने को कहा है।
उत्तर:
नेतृत्व।

प्रश्न 19.
हमें ………… नहीं बनना चाहिए।
उत्तर:
कल्पनाशील।

प्रश्न 20.
देश हित के लिए हमें अपनी आत्मा को ………… करना होगा।
उत्तर:
जगाना।

बहुविकल्पी प्रस्नोत्तर

प्रश्न 1.
सुरेश चन्द्र वात्स्यायन किस चिंतन के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं ?
(क) प्रगतिशील भारतीय
(ख) प्रगतिवादी भारतीय
(ग) प्रयोगवादी
(घ) नीतिवादी।
उत्तर:
(क) प्रगतिशील भारतीय

प्रश्न 2.
सुरेश चन्द्र वात्स्यायन को 1922 ई० में किस साहित्यकार के रूप में अलंकृत किया ?
(क) प्रगतिशील
(ख) प्रतिनिधि
(ग) शिरोमणि
(घ) शिरोधार्य।
उत्तर:
(ग) शिरोमणि

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प्रश्न 3.
हमें किसकी रक्षा करनी चाहिए ?
(क) भारतमाता की
(ख) देश की
(ग) वीरों की
(घ) अपनी।
उत्तर:
(क) भारतमाता की

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार हम लोगों में किसका अंश है ?
(क) देव का
(ख) त्रिशक्ति का
(ग) भगवान का
(घ) गुरु जी का।
उत्तर:
(ख) त्रिशक्ति का।

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू सपसंग व्याख्या

1. भगतसिंह-राजगुरु-सुखदेव के वारिसो,
फांसी के जिस फंदे ने,
गले घोंट दिए उनके,
क्यों भूल गए आज तुम उसको,
याद दिलाती आज भी इक समाधि को जुहारती
सतलुज के फिरोजपुरी पुल की हुसैनी हवा,
स्वराज के संकल्प पर
प्रशासन के विदेशी उस प्रहार को !

कठिन शब्दों के अर्थ :
वारिसनामा = उत्तराधिकार संबंधी प्रपत्र । स्वराज = अपना राज्य। वारिसो = उत्तराधिकारियों। जुहारती = निहारती, देखती। प्रहार = चोट।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चंद्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता वारिसनामा-‘स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को उनके पूर्वजों के संकल्प स्वतंत्रता की रक्षा करने की याद दिलाते हुए नवनिर्माण करने का संदेश दिया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के उत्तराधिकारियो ! तुम फांसी के उस फंदे को क्यों भूल गए हो जिस फंदे ने इन देशभक्तों के गले घोंट दिए थे। इन देशभक्तों की समाधि आज भी तुम्हारी ओर देख रही है जो सतलुज के किनारे हुसैनी वाला नामक स्थान पर बनी हुई है तथा यह समाधि हमें याद दिलाती है देशभक्तों की और स्वराज्य के दृढ़ निश्चय या प्रतिज्ञा की तथा विदेशी शासन की उस चोट को जो हमारे देश भक्तों पर ही नहीं देश पर भी पड़ी थी। उनकी समाधि हमें उनके दशक के लिए किए गए बलिदान की याद दिलाती है, और हमें उनका बलिदान भूलना नहीं है।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि हमें स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान को भूलना नहीं चाहिए।
  2. शहीदों की समाधियाँ हमें यह याद दिलाती है कि हमने देश को आजाद करवाने में बहुत संघर्ष किया है। भाषा सरल है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. वीर रस विद्यमान है।
  5. ओज गुण है।

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2. नेशन के विरुद्ध
राष्ट्र के युद्ध की पहचान के बिना,
पुरखों की आर्य संतान तुम कैसे बनोगे,
जिंदगी की किताब में
विदेशियों की लिपि में दरज
आर्य-द्रविड़-रंग-जाति-क्षेत्रगत भेदभाव के
पश्चिमी पाखंड को
जड़ से उखाड़ फेंकने वाले शोध बोध की ज्योति
इतिहास का यथार्थ ज्ञान तुम कैसे बनोगे,
राम-राज्य के जिस आदर्श के लिए
वे हो गए बलिदान
धारण किए बिना धड़कनों में उसको
कुश के वंशज सतगुरु नानक के सबद
लव के वंशज दशमेश पिता के विचित्र नाटक का देश पावन
मानस की जात का सच्चा सुच्चा हिंदुस्तान तुम कैसे बनोगे?

कठिन शब्दों के अर्थ :
नेशन = कौम-अंग्रेज़ी कौम। राष्ट्र = भारत। पुरखों = पूर्वजों। बोध = ज्ञान। यथार्थ = वास्तविकता। दशमेश = दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी। विचित्र नाटक = गुरु गोबिंद सिंह जी की एक रचना।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश के लिए शहीद हुए वीरों का वर्णन करके हमें सच्चा हिन्दुस्तानी बनने की प्रेरणा दी है

व्याख्या :
कवि कहता है कि अंग्रेजी कौम के विरुद्ध भारत राष्ट्र के युद्ध की पहचान के बिना तुम पूर्वजों की आर्य संतान कैसे कहलाओगे। जीवन की पुस्तक में विदेशियों द्वारा अपनी भाषा में लिखे आर्य-द्रविड़ के भेद, रंग-जाति के भेद को, जो पश्चिम का एक पाखंड है, जड़ से उखाड़ फेंकने वाले शोध के ज्ञान की ज्योति और इतिहास की वास्तविकता का ज्ञान तम्हें कब होगा।।

हमारे पूर्वज, हमारे स्वतंत्रता सेनानी, हमारे देशभक्त जो राम राज्य के आदर्श को लेकर अपने जीवन को अर्पित कर गए उनकी धड़कनों को धारण किए बिना तुम सच्चा हिन्दुस्तान किस प्रकार बनोगे। इसके लिए श्रीराम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सतगुरु नानक के सबद और श्रीराम के बड़े बेटे लव के वंशज दशम गुरु-गुरु गोबिंद सिंह जी के विचित्र नाटक में लिखित संदेश ‘मानुष की जात एक’ संदेश को याद करना होगा तभी तुम सच्चे हिन्दुस्तान का रूप बन सकोगे। सच्चा हिन्दुस्तानी बनने के लिए देश की रक्षा के लिए की गई कुरबानियों को याद रखना होगा।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि पश्चिमी विद्वानों ने भारतीय इतिहास का शोध अपने ढंग से किया जिससे हिन्दुस्तान को इतिहास की जानकारी नहीं मिल पाई है।
  2. कवि ने भारतीयों को सच्चा हिन्दुस्तानी बनने के लिए शहीदों की कुरबानियों को याद रखने के लिए कहा है अर्थात् उनके बताए मार्ग
  3. पर चलने के लिए कहा है।
  4. भाषा सरल है
  5. देशी, विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  6. अनुप्रास अलंकार है।
  7. वीर रस है।
  8. ओज गुण है।

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3. दुर्भाग्य है तुम्हारा
कि तुममें छिपा खोया जो चंद्रगुप्त
कोई चाणक्य उसके लिए प्रकाश में कहीं नहीं,
ऐसे में नेताओं की ओर देखो मत
नेतृत्व की पहचान खुद बनो!
जागो
नींद ने तुमको ले जाना है कहीं नहीं,
समझो नींद में जो आते हैं
सपने वे राह भूली अकल की भटकन हैं,
नशे की गोलियों जैसे वे
भूल भुलैयों में भरमाते हैं!!

कठिन शब्दों के अर्थ :
अकल = बुद्धि। भरमाते हैं = भ्रम में डालते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने हिन्दुस्तानियों को अपने अन्दर छिपी नेतृत्व की शक्ति को पहचानने के लिए कहता है

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को संबोधित करते हुए कहता है कि यह तुम्हारा दुर्भाग्य है कि आज चाणक्य जैसे नेता नहीं है जो तुम्हारे में छिपे चन्द्रगुप्त की खोज कर सके। तुम्हें आज के नेता की ओर नहीं देखना चाहिए। वे अपनी राह भटक गए हैं तुम्हे क्या राह दिखाएंगे। चाणक्य ने चंद्रगुप्त में छिपी प्रतिभा देख कर उसे राज्य सत्ता का अधिकारी बनाया था। लेकिन अब कोई ऐसा दिखाई नहीं देता जो स्वार्थी भावों से रहित होकर देश के लिए स्वयं को अर्पित करना चाहता है और देश का शासन किसी चन्द्रगुप्त जैसे वीर को सौंपने का साहस कर सकता है।

इसलिए तुम स्वयं नेतृत्व की पहचान बनो क्योंकि तुम्हीं कल के नेता हो इसलिए जागो यह नींद तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगी। अपनी आत्मा को जगाओ। इतनी बात समझ लो कि नींद में जो सपने आते हैं वे बुद्धि की भटकन होते हैं। नशे की गोलियों की तरह वे भूल भुलैयों के भ्रम में डालते हैं। कल्पनाशील मत बनो जीवन की सच्चाई का सामना करो।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि हमें अपने अन्दर नेतृत्व की प्रतिभा को पहचानना चाहिए और देश को नई राह पर ले जाना चाहिए।
  2. अपने को भटकने से बचाना चाहिए।
  3. भाषा सरल है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओज गुण एवं वीर रस है।

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4. हर सुबह सांझ की लाली के संग
करो प्रणाम उन माताओं को
भगतसिंह राजगुरु हरसुखदेव की नसों नाड़ियों में
गति कर रही बन कर लहू जो,
लहू यह माटी पानी आग हवा आकाश है जिनकी
जो हर सुख-सुविधा की दाता है
वह और कोई नहीं
बेटी धरती की अपनी भारत माता है।

कठिन शब्दों के अर्थ :
गति कर रही = बह रही है। दाता = देने वाली।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियां सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने शहीदों की माँ को धरती की बेटी भारत माता कहा है

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भारतवासियो ! तुम हर सुबह शाम उन माताओं को प्रणाम करो जिन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे महान् शहीदों को, देशभक्तों को जन्म दिया और जिनका लहू उन शहीदों की नसों में बह रहा है। यह लहू पंच तत्वों-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है जो प्रत्येक सुख-सुविधा को देने वाला है। यह लह और किसी का नहीं धरती की बेटी भारत माता का लहू है अर्थात् शहीदों की माताएं भारत माता होती हैं। उन्हें प्रणाम करना चाहिए।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि शहीदों की माताएं पूजनीय होती हैं।
  2. शहीदों की नसों में बहने वाला खून पांच तत्व मिट्टी, पानी, आग, हवा और आकाश से मिलकर बना है। यह पांच तत्व हमें हर प्रकार की
  3. सुविधा देते हैं अर्थात् वीरों के बलिदान हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  4. भाषा सरल है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस है।
  7. ओज गुण है।

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5. संकट है घर में
संकट है बाहिर,
पहचानो
घर में लगी घर की ही आग को,
पहचानो
घर की आग को भड़का रही
बाहिर की धूर्त पाजी सफ़ेदपोश हवा को,
यदि प्रबुद्ध तुम तपः पूत संकल्प के प्रकल्प
तब क्या है किसी अजनबी आग हवा की बिसात
कि अपनी लपेट में तुम्हें लपक वह ले ।

कठिन शब्दों के अर्थ :
धूर्त = मक्कार। पाजी = पाखंडी। प्रबुद्ध = जागृत, ज्ञानी। तपः पूत = तप से पवित्र हुए। संकल्प = दृढ़ निश्चित, प्रतिज्ञा। प्रकल्प = निश्चित । अजनबी = अपरिचित। लपक ले = पकड़ ले।।

प्रसंग :
प्रस्तुत काव्य पंक्तियां सुरेश चन्द्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारतवासियों को देश के अन्दर और बाहर दोनों ओर से आ रहे संकट के प्रति सचेत किया है।

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हमें घर और बाहर संकट को पहचानना चाहिए। घर में घर की ही आग लगी हुई है इसे पहचानो अर्थात् देश के अंदर साम्प्रदायिकता, भेदभाव, जातिवाद, आतंकवाद आदि की आग को समझो। बाहर की आग को जो मक्कार, पाखंडी, सफ़ेदपोश, सभ्य कहलाने वाले लोग हवा दे रहे हैं उसे भी पहचानो। यदि तुम जागृत हो, ज्ञानवान हो और तप से पवित्र हुए संकल्प के प्रति स्थिर हो, निश्चित हो तो क्या मजाल है कि कोई अपरिचित आग को हवा दे सके और वह आग तुम्हें अपनी लपेट में ले ले या पकड़ सके, हमें अपने कर्तव्यों तथा देश की रक्षा के प्रति जागरुक रहना चाहिए।

विशेष :

  1. कवि का भाव यह है कि सभ्य कहलाने वाले लोग दिखावे की मित्रता करके देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह आतंकी स्थिति उत्पन्न कर रहा है। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
  2. हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर एक जुट हो कर बाहरी दुश्मन का सामना करना चाहिए।
  3. भाषा सरल है।
  4. तत्सम और देशी-विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस है।
  7. औज गुण है।

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6. तुम इंद्र, व्रजपाणि, मृत्युंजय, प्रलयंकर जन्मजात,
भूलो मत बैसाखियों के भरम में
अचूक दुर्दम दम है तुममें
अपने पैरों चल सकते तुम अपनी चाल हो
अंधेरा हो घना
तो उसको चीर जो सकती
तुम वह मशाल हो,
सुनो शहीदों की हर समाधि को जुहारती
हर फ़िरोजपुरी पुल पार की हुसैनी हर हवा में गूंजती
वैदिक ऋषि के अभय सक्त जैसी
स्वराज के संकल्प की बँगार को गुहार को,
लो थामो, उतारो अपनी धड़कनों में
स्वराज का वारिसनामा यह
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव के वारिसो!!!

कठिन शब्दों के अर्थ :
इंद्र = देवताओं के स्वामी, स्वर्ग के राजा। वज्रपाणि = भगवान् विष्णु। मृत्युंजय = मृत्यु पर विजय पा ली है जिन्होंने-भगवान् शिव। प्रलयंकर = सर्वनाशकारी-भगवान् शंकर। बैसाखियों = सहारा। दुर्दम = जिसे दबाना कठिन हो। जुहारती = निहारती। अभय = निडर, भयमुक्त। सूक्त = वेद मंत्र। अभयसूक्त = कुछ वेद मंत्र हर डर में निडर रहने वाले ऋषियों की प्रार्थना है। इन मंत्रों के एक समूह को ‘अभय सूक्त’ कहा जाता है। बगार = ललकार।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश सुरेश चंद्र वात्स्यायन द्वारा लिखित कविता ‘वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों में देश भक्ति का संचार करने के लिए उन्हें उनके अंदर विद्यमान गुणों को पहचानने के लिए कहता है

व्याख्या :
कवि भारतवासियों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि तुम्हारे अन्दर जन्म से ही देवराज इंद्र, भगवान विष्णु और भगवान शिव के गुण विद्यमान हैं क्योंकि तुम उनकी सन्तान हो। तुम्हें सभी गुण विरासत में मिले हैं। तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि तुम्हें किसी भी वैशाखी के सहारे की आवश्यकता नहीं है क्योंकि तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जिसे दबाया नहीं जा सकता। इसलिए तुम अपने पैरों पर चल सकते हो। तुम्हें किसी भी संकट का सामना करने के लिए किसी सहारे की ज़रूरत नहीं है, तुम अपनी शक्ति के बल पर आगे बढ़ सकते हो। तुम वह मशाल हो जो अन्धेरे को दूर कर सकती है अर्थात् तुम्हारे अंदर नेतृत्व की वह रोशनी है जो लोगों के अंदर छाए अंधेरे को दूर कर सकती है।

कवि भारतवासियों को संबोधित करते हुए कह रहा है कि शहीदों की प्रत्येक समाधि तुम्हारी ओर बड़े विश्वास के साथ देख रही है। फिरोज़पुर में हुसैनी वाला नामक स्थान पर बहने वाली हवा में वैदिक ऋषियों के मन्त्र गूंज रहे हैं। यह मन्त्र मनुष्य के प्रत्येक डर को दूर करके उसे निडर बनाते हैं तथा वह हवा यह कहती है कि तुम स्वराज के दृढ़ निश्चय की पुकार को तथा चुनौती को थाम लो और अपनी धड़कनों में शहीदों के स्वराज के वारिसनामें को उतार लो। अपनी रग-रग में देशभक्ति की उस भावना का संचार करो जो हमारे शहीदों में बहा करती थी। तुम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के उत्तराधिकारी हो इसलिए स्वराज के वारिसनामा के तुम्ही हकदार हो।

विशेष :

  1. कविता का भाव यह है कि भारतवासियों में त्रि-शक्ति का समावेश है इसलिए उन्हें किसी अन्य सहारे की आवश्यकता नहीं है।
  2. भारत के स्वराज के लिए शहीद हुए वीर आने वाली पीढ़ी के लिए वसीयत में स्वराज की रक्षा के लिए मर-मिटने का संदेश छोड़ गए हैं।
  3. भाषा प्रभावशाली है।
  4. तत्सम, देशी-विदेशी शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. वीर रस एवं ओज गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 12 वारिसनामा-स्वराज के लिए बहे लहू

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू Summary

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू जीवन-परिचय

सुरेश चन्द्र वात्स्यायन का जन्म 7 फरवरी, सन् 1934 को पसरूर (पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता पं० अमरनाथ शास्त्री अविभाजित पंजाब के सुप्रसिद्ध संस्कृत, हिन्दी सेवी शिक्षा विद शास्त्री थे। इनका पैतृक धाम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में सुंकाली नामक गांव में है। इन्होंने लुधियाना से शिक्षा प्राप्त की। इन्हें हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, जर्मन के अतिरिक्त वेद उपनिषद-पुराण-गुरुवाणी के साथ-साथ पंजाबी, उर्दू-बंगाली, तमिल भाषाओं का निजी अध्ययन किया।

सुरेश जी की काव्य प्रतिभा का परिचय छात्र-जीवन से ही मिलने लगा था।’अंकुर’, ‘प्रवाल’, और ‘मुकुल शैलानी’ इनके तीन काव्य संग्रह हैं। ये पंजाब और भारत सरकार द्वारा अपने लेखन कार्य के लिए कई बार पुरस्कृत हुए हैं। लोक धुन, नवगीत, अंग्रेज़ी सॉनेट के सामान्तर चतुर्दशी, उर्दू रुबाई के समानान्तर षटपदी और यति क्रम पर आधारित अतुकांत लेकिन लयपूर्ण कविताओं में सुरेश की सृजनशीलता अंकुरित और प्रवाहमयी है। सुरेश का कवि रूप बहु आयामी है। कवि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की सही पहचान इनकी एक रूपता में है। इन्हें प्रगतिशील भारतीय चिन्तन के प्रतिनिधि मंत्र कविता के प्रवर्तक कवि रूप में मिल चुकी है। इन्हें अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भाषा विभाग, पंजाब ने इन्हें सन् 1992 में शिरोमणि साहित्यकार के रूप में अलंकृत किया है।

वारिसनामा स्वराज के लिए बड़े लहू कविता का सार

‘वारिसनामा’-स्वराज के लिए बहेलह के कवि सुरेश चन्द्र वात्स्यायन हैं। ‘वारिसनामा’ एक कचहरी तथा कानुनी शब्द है जिसका अर्थ घर के बुजुर्ग अपने जमीन जायदाद आदि का वारिस नामांकित करते हैं। इस कविता में कवि ने भगत सिंह, सुखदेव, तथा राजगुरु आदि शहीदों की समाधियों को आज की पीढ़ी के लिए धरोहर बताया है। ये समाधियाँ ही इस नई पीढ़ी को नवनिर्माण के लिए प्रेरित करेंगी। आज वे वीर पुरुष नहीं हैं जो हमें हमारे इतिहास से परिचित करा सकें परन्तु उनके संदेश ही हमारे लिए वसीयत है कि हमें उनके बताए मार्ग पर चलना है तथा आगे बढ़ना है। आज कोई चाणक्य जैसा राजनीतिज्ञ नहीं जो चन्द्रगुप्त का निर्माण कर सके। इसीलिए हमें अपने अन्दर छिपे चन्द्रगुप्त को बाहर निकालना है। हमें अपने समाज में छिपे उन लोगों को पहचान कर बाहर फेंकना है जो सभ्य पुरुष का मुखौटा पहने बैठे है। हम लोगों में त्रिशक्ति का अंश है इसलिए किसी सहारे की उम्मीद छोड़कर उठ खड़े होना है और हमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की तरह बनकर भारत माता के सम्मान की रक्षा करनी है।