PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 18 सरकार के अंग-व्यवस्थापिका

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 18 सरकार के अंग-व्यवस्थापिका Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 18 सरकार के अंग-व्यवस्थापिका

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
व्यवस्थापिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
(Describe the functions of a legislature.)
अथवा
आधुनिक लोकतन्त्रीय राज्य में विधानमण्डल के कार्यों का वर्णन करें।
(Describe the functions of the legislature in a modern democratic state.)
उत्तर-
सरकार के तीनों अंगों में से विधानपालिका सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। विधानपालिका राज्य की इच्छा को कानून के रूप में निर्मित करती है। कार्यपालिका विधानपालिका के बनाए हुए कानूनों को लागू करती है तथा न्यायपालिका इन कानूनों की व्याख्या करती है। इस प्रकार कार्यपालिका तथा न्यायपालिका अपने कार्यों के लिए विधानमण्डल पर निर्भर करती हैं। इसलिए विधानमण्डल का कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से महत्त्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसी का देश के वित्त पर नियन्त्रण होता है।

विधानमण्डल के कार्य देश की शासन प्रणाली पर निर्भर करते हैं। लोकतन्त्रीय राज्यों में विधानमण्डल को प्रायः निम्नलिखित कार्य करने पड़ते हैं :

1. कानून निर्माण का कार्य (Law Making Functions)—विधानमण्डल का प्रथम कार्य कानूनों का निर्माण करना है। विधानमण्डल देश की परिस्थितियों के अनुसार तथा नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुसार कानूनों का निर्माण करता है। विधानमण्डल जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है और जनता की इच्छा विधानमण्डल के कानूनों में ही प्रकट होती है। आधुनिक लोकतन्त्रीय राज्यों में कानून का मुख्य स्रोत विधानमण्डल है।

2. कार्यपालिका पर नियन्त्रण (Control over the Executive)-लोकतन्त्र राज्यों में विधानमण्डल का कार्यपालिका पर थोड़ा बहुत नियन्त्रण अवश्य होता है। संसदीय सरकार में कार्यपालिका अपने समस्त कार्यों के लिए विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होती है। मन्त्रिमण्डल के सभी सदस्य विधानमण्डल के सदस्य होते हैं और मन्त्रिमण्डल तब तक अपने पद पर रह सकता है जब तक उसे विधानमण्डल का विश्वास प्राप्त हो। अविश्वास प्रस्ताव पास होने की दशा में मन्त्रिमण्डल को त्याग-पत्र देना पड़ता है। विधानमण्डल के सदस्य मन्त्रियों से अनेक प्रश्न पूछ सकते हैं और मन्त्रियों को पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते हैं। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका प्रत्यक्ष तौर पर विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। फिर भी विधानमण्डल का कार्यपालिका पर थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ता है। अमेरिका में राष्ट्रपति को बड़ी-बड़ी नियुक्तियां करने तथा सन्धियां करने के लिए सीनेट की अनुमति लेनी पड़ती है। सीनेट विधानमण्डल का ऊपरी सदन है।

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3. वित्त पर नियन्त्रण (Control over Finance)-संसार के प्रायः सभी लोकतन्त्रीय राज्यों में वित्त पर विधानमण्डल का नियन्त्रण होता है। कार्यपालिका विधानमण्डल की अनुमति के बिना एक पैसा खर्च नहीं कर सकती। विधानमण्डल प्रति वर्ष बजट पास करती है। टैक्स लगाना, टैक्सों में संशोधन करना तथा करों को समाप्त करना विधानमण्डल का ही कार्य है।

4. न्यायिक कार्य (Judicial Functions)-कई देशों में विधानपालिका को न्यायिक कार्य भी करने पड़ते हैं। अमेरिका में विधानमण्डल राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पर महाभियोग चला कर उन्हें पद से हटा सकता है। भारत में भी संसद् राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति को महाभियोग के द्वारा हटा सकती है। कैनेडा में तलाक के मुकद्दमे विधानमण्डल द्वारा सुने जाते हैं। स्विट्ज़रलैंड में क्षमादान का अधिकार विधानमण्डल के पास है।

5. संविधान में संशोधन (Amendment in the Constitution) सभी लोकतन्त्रीय राज्यों में संविधान में संशोधन करने का अधिकार विधानमण्डल के पास है। कुछ देशों में संविधान में संशोधन साधारण बहुमत से किया जा सकता है। जबकि कुछ देशों में संशोधन करने के लिए विशेष विधि अपनाई जाती है। इंग्लैण्ड में संसद् संविधान में साधारण बहुमत से संशोधन कर सकती है। हमारे देश में संसद् को संविधान की कुछ धाराओं को दो-तिहाई बहुमत से संशोधन करने के लिए आधे राज्यों की अनुमति की भी आवश्यकता होती है।

6. चुनाव-सम्बन्धी कार्य (Electoral Functions)-विधानमण्डल चुनाव सम्बन्धी कार्य भी करती है। भारतवर्ष में राष्ट्रपति का चुनाव संसद् के दोनों सदनों के चुने हुए राष्ट्र तथा प्रान्तों की विधानसभाओं के सदस्य मिलकर करते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद् के दोनों सदन मिलकर करते हैं। इंग्लैण्ड में विधानमण्डल का निम्न सदन अपने स्पीकर का चुनाव करता है। स्विट्ज़रलैण्ड में कार्यपालिका के सदस्यों का चुनाव विधानमण्डल के द्वारा ही किया जाता है।

7. जांच-पड़ताल सम्बन्धी कार्य (Investigating Functions)-व्यवस्थापिका महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक मामलों की छानबीन करने के लिए विशेषज्ञों की समितियां नियुक्त करती है। ये समितियां निश्चित समय के अन्दर अपनी रिपोर्ट व्यवस्थापिका के सामने पेश करती हैं। व्यवस्थापिका इन रिपोर्टों पर विचार करती है और व्यवस्थापिका का निर्णय अन्तिम होता है।

8. विदेश नीति पर नियन्त्रण (Control over Foreign Policy)-व्यवस्थापिका राज्य के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की देखभाल भी करती है। मन्त्रिमण्डल को अपनी विदेश नीति विधानमण्डल से पास करानी पड़ती है। गणतन्त्रात्मक राज्यों में कोई भी युद्ध या सन्धि उस समय तक नहीं की जा सकती जब तक विधानमण्डल की उस विषय में राय न ले ली जाए।

9. लोगों की शिकायतें दूर करना (Redressal of the Grievences of the People)-आजकल लोकतन्त्र के युग में विधानमण्डल लोगों की शिकायतों को जोकि प्रशासन के विरुद्ध हों, दूर करने के प्रयत्न भी करता है। विधानमण्डल में जनता के प्रतिनिधि होते हैं। जनता को जो भी शिकायत, कठिनाई या समस्या हो, वह अपने प्रतिनिधियों के पास भेज देते हैं। प्रतिनिधि उन्हें विधानमण्डल में प्रस्तुत करते हैं, उनके बारे में मन्त्रियों से प्रश्न भी पूछते हैं और प्रयत्न करते हैं कि वह कठिनाई या समस्या हल हो या शिकायत दूर हो। जनता के पास सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने का यह एक बहुत बड़ा प्रभावशाली साधन है।

10. विचारशील कार्य (Deliberative Functions)-व्यवस्थापिका का एक महत्त्वपूर्ण कार्य राजनीतिक मामलों
और शासन सम्बन्धी नीतियों पर विचार-विमर्श और वाद-विवाद करना है। किसी भी विषय पर कानून बनाने से पहले अथवा निर्णय लेने से पूर्व उस पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार किया जाता है। व्यवस्थापिका में विभिन्न हितों, वर्गों और सम्प्रदायों के प्रतिनिधि होते हैं तथा सभी को अपने विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता होती है।

11. अन्य कार्य (Other Functions) विधानपालिका देश के आर्थिक विकास की योजनाओं की स्वीकृति देती है। सरकारी निगमों की स्थापना के लिए कानून बनाती है। कार्यपालिका के किसी एक सदस्य या समस्त मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध लगे आरोपों की जांच-पड़ताल करने के लिए जांच कमीशन नियुक्त करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)-इस प्रकार आधुनिक राज्य में व्यवस्थापिका को बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है और इसे कानून बनाने के अतिरिक्त प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखने के अधिकार भी दिए जाते हैं। प्रायः सभी देशों में युद्ध और शान्ति की घोषणा व्यवस्थापिका की स्वीकृति से ही की जा सकती है। लोकतन्त्र में इसको सर्वोच्च स्थान मिलना स्वाभाविक ही है।

प्रश्न 2.
द्वि-सदनात्मक व्यवस्था के लाभ तथा हानियों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(Examine critically advantages and disadvantages of the bicameral system.)
अथवा
द्विसदनीय विधानमण्डल के लाभ तथा हानियों का वर्णन कीजिए। (Explain the merits and demerits of the bicameral system.)
उत्तर-
विधानमण्डल सरकार के तीनों अंगों में से सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। संसार के प्रायः सभी देशों में विधानमण्डल पाया जाता है, परन्तु इसके संगठन पर बहुमत में मतभेद पाया जाता है अर्थात् इस प्रश्न पर कि क्या विधानमण्डल के दो सदन होने चाहिएं अथवा एक सदन होना चाहिए, काफ़ी मतभेद पाया जाता है। जॉन स्टुअर्ट मिल, सर हैनरी मेन तथा लेकी आदि लेखकों ने विधानमण्डल के दो सदनों का समर्थन किया है। परन्तु बेन्थम, अबेसियस तथा बैंजमिन फ्रैंकलिन आदि लेखकों ने विधानमण्डल के एक सदन का समर्थन किया है।

जिस प्रकार लेखकों के विचारों में भिन्नता पाई जाती है, उसी प्रकार व्यवहार में कई देशों में विधानमण्डल के दो सदन हैं जबकि कुछ देशों में एक सदन है। इंग्लैंण्ड, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, स्विट्ज़रलैण्ड, जापान, स्वीडन, नार्वे तथा भारतवर्ष में विधानमण्डल के दो सदन पाए जाते हैं। पहले सदन को निम्न सदन तथा दूसरे सदन को उपरि सदन कहा जाता है। परन्तु चीन, तुर्की तथा पुर्तगाल में एक सदन पाया जाता है। भारत के कई राज्यों में जैसे कि राजस्थान, नागालैण्ड, उड़ीसा, केरल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल तथा पंजाब में एक सदन पाया जाता है जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मूकश्मीर आदि राज्यों में द्वि-सदनीय व्यवस्थापिका है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले दो सदन के पक्ष में तथा विपक्ष में दिए गए तर्कों का अध्ययन करना आवश्यक है।

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द्विसदनात्मक विधानमण्डल के पक्ष में तर्क (Arguments in Favour of Bicameralism)-

द्विसदनात्मक विधानमण्डल के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं :

1. दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है (Second Chamber checks the Despotism of the Lower House)—जिस देश में एक सदन होता है वहां पर सदन निरंकुश बन जाता है। यह साधारणतः कहा जाता है कि “शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट करती है और निरंकुश सत्ता उसे पूर्णतया भ्रष्ट कर देती है।” एक सदन का यही हाल होता है। जिस दल का सदन में बहुमत होता है वह अपनी मनमानी करता है और अल्प-संख्यकों पर अत्याचार करता है। पहले सदन की निरंकुशता को रोकने के लिए दूसरे सदन का होना आवश्यक है। दूसरा सदन पहले सदन को मनमानी करने से रोकता है और इस प्रकार नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करता है।

2. दूसरा सदन अविचारपूर्ण तथा जल्दी में पास किए गए कानूनों को रोकता है (Second Chamber prevents the Hasty and Ill considered Legislation)-दूसरा सदन पहले सदन द्वारा जल्दी में पास किए बिलों को कानून बनने से रोकता है। बहुमत दल जनता से किए गए वायदों को पूरा करने के लिए जोश में आकर विभिन्न कानून पास कर देता है। पहले सदन के पास अधिक समय कम होने के कारण बिल जल्दबाजी में पास कर दिए जाते हैं। दूसरा सदन पहले सदन के द्वारा जल्दबाजी तथा अविचारपूर्ण पास किए गए बिलों को कुछ समय के लिए रोक लेता है जिससे जनता की राय का पता चलता है।

3. यह बिलों को दोहराने वाला सदन है (It is a Revisory Chamber)-दूसरा सदन पहले सदन द्वारा पास हुए बिलों को दोहराता है और विधेयक में रह गई त्रुटियों को दूर करता है। वास्तव में किसी विषय को दोहराना कोई बुरी बात नहीं है। ब्लंटशली (Bluntschli) ने ठीक कहा है कि “दो आंखों की अपेक्षा चार आंखें अच्छी तरह देखती हैं। विशेषतः जब किसी विषय पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार किया जाना हो।”

4. दूसरा सदन पहले सदन के समय की बचत करता है (Second Chamber Saves the time of the Lower House)-एक सदन के पास इतना अधिक कार्य होता है कि प्रत्येक बिल पर पूर्ण विचार करके पास करना असम्भव है। दूसरे सदन में विवादहीन तथा विरोध-हीन बिलों को पेश किया जाता है, इन बिलों पर पूर्ण रूप से विचार करने के पश्चात् बिल को पहले सदन के पास भेज दिया जाता है। पहला सदन इन बिलों को शीघ्र ही पास कर देता है। इस प्रकार दूसरा सदन पहले सदन के समय की बचत करता है।

5. दूसरा सदन विशेष हितों और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने के लिए आवश्यक है (Second Chamber is essential for giving Representation to Special Interests and Minorities)-दूसरे सदन का होना आवश्यक है ताकि विशेष वर्गों तथा अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व दिया जा सके। इसके अतिरिक्त प्रत्येक देश में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो चुनाव लड़ना पसन्द नहीं करते पर उनकी योग्यता की देश को आवश्यकता होती है। ऐसे योग्य व्यक्तियों की योग्यता का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब विधानमण्डल का दूसरा सदन हो। इन योग्य व्यक्तियों को दूसरे सदन में नामजद किया जाता है।

6. दूसरा सदन संघात्मक राज्यों के लिए अनिवार्य है (Second Chamber is essential in Federal Form of Government) संघात्मक सरकार की सफलता के लिए दूसरा सदन अनिवार्य है ताकि दूसरे सदन में संघ की इकाइयों को समान प्रतिनिधित्व देकर सब इकाइयों के हितों की रक्षा की जा सके। ऐसे सिद्धान्त अमेरिका तथा स्विट्ज़रलैण्ड आदि देशों में हैं। अमेरिका में प्रत्येक इकाई उपरि सदन में दो सदस्य भेजती है।

7. दूसरा सदन अधिक स्थायी (Second Chamber is more Stable)-दूसरा सदन पहले सदन की अपेक्षा अधिक चिरस्थायी होता है। इंग्लैण्ड का लॉज सदन तो पैतृक है। कनाडा के सीनेट के सदस्य जीवन भर के लिए मनोनीत होते हैं और भारत में राज्य सभा के एक-तिहाई (1/3) सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के पश्चात् रिटायर होते हैं और निचले सदन की अवधि केवल 5 वर्ष की है इसलिए दूसरे सदन के सदस्य अधिक अनुभवी होते हैं। ऐसे सदस्य अपने अनुभव के आधार पर कानून में अच्छे-अच्छे सुझाव दे सकते हैं।

8. द्वि-सदनीय विधानमण्डल जनमत का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व करता है (Bicameral Legislature better reflects the Public Opinion)-विधानमण्डल के दोनों सदन मिलकर जनमत का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। एक सदन जनमत का ठीक प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। निम्न सदन की अवधि प्राय: चार अथवा पांच वर्ष होती है और कई बार सदन को अवधि से पूर्व भी भंग कर दिया जाता है। परन्तु दूसरा सदन अधिक स्थायी होता है। जब निम्न सदन को भंग कर दिया जाता है तब जनता का प्रतिनिधित्व दूसरा सदन करता है। इसके अतिरिक्त निम्न सदन कई बार अपनी अवधि समाप्त होने से पहले ही पुराना हो जाता है और परिवर्तित जनमत का प्रतिनिधित्व ठीक तरह से नहीं करता। परन्तु उपरि सदन के सदस्य कुछ समय पश्चात् रिटायर होते रहते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्यों का चुनाव किया जाता है जो परिवर्तित जनमत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

9. द्वि-सदनीय विधानमण्डल कार्यपालिका को अधिक स्वतन्त्रता प्रदान करता है (Bicameral Legislature gives more Independence to the Executive)-द्वि-सदनीय विधानमण्डल में दोनों सदन एक-दूसरे पर नियन्त्रण करके कार्यपालिका को अधिक स्वतन्त्रता प्रदान करते हैं। कार्यपालिका अपना कार्य तभी कुशलता से कर सकती है जब उसे कार्य करने की स्वतन्त्रता प्राप्त हो। कई बार कार्यपालिका को अपनी नीतियों को एक सदन में समर्थन प्राप्त नहीं होता पर यदि दूसरे सदन में उनका समर्थन प्राप्त हो जाए तो वे अपना कार्य विश्वास से कर सकते हैं। इससे कार्यपालिका की निर्भरता एक सदन पर नहीं रहती। कार्यपालिका दो सदनों के होने से अधिक स्वतन्त्र हो जाती है।

10. दूसरे सदन में उच्च स्तर के भाषण होते हैं (High Quality of Speeches in Second Chamber)दूसरे सदन के भाषणों का स्तर निम्न सदन की अपेक्षा ऊंचा होता है। इसके दो कारण हैं

  • निम्न सदन के सदस्यों के बोलने के ऊपर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगे हुए होते हैं। परन्तु उपरि सदन के सदस्यों के बोलने पर कम प्रतिबन्ध होते हैं और उन्हें बोलने के लिए भी काफ़ी समय मिल जाता है। भाषण की स्वतन्त्रता होने के कारण सदस्य अपने विचारों को स्वतन्त्रतापूर्वक प्रकट करते हैं और उनके भाषण का स्तर काफ़ी ऊंचा होता है।
  • दूसरे सदन में अनुभवी व्यक्ति होते हैं।

11. देरी करने की उपयोगिता (Utility of delaying Power)-दूसरे सदन के बिलों को पास करने में देरी लगाने की अपनी विशेष उपयोगिता है। दूसरा सदन विधेयकों को पास करने में इतनी देरी लगा देता है, जिससे जनता को उस विधेयक पर सोच-विचार करने तथा मत प्रकट करने के लिए समय मिल जाता है।

12. ऐतिहासिक समर्थन (Historical Support)-दूसरे सदन की उपयोगिता का समर्थन इतिहास द्वारा भी किया जाता है। इंग्लैण्ड में 1649 ई० में क्रामवैल (Cromwell) ने लार्ड सदन को समाप्त कर दिया, परन्तु 1660 ई० में लार्ज़ सदन को पुनः स्थापित किया गया। अमेरिका में स्वतन्त्रता के पश्चात् एक सदनीय विधानमण्डल की स्थापना की गई थी, परन्तु वह ठीक कार्य न कर सका जिसके फलस्वरूप 1787 ई० के संविधान के अन्तर्गत में द्वि-सदनीय प्रणाली को अपनाया गया। इंग्लैण्ड, भारत, फ्रांस, अमेरिका, स्विट्ज़रलैण्ड, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि सभी देशों में संसद् के दो-दो सदन हैं। इतिहास दूसरे सदन के पक्ष में है, इसके विरुद्ध नहीं।

दूसरे सदन के विपक्ष में तर्क (Arguments against Second Chamber)-

बहुत से विद्वानों का यह मत है कि दूसरा सदन आवश्यक नहीं। दूसरे सदन के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं-

1. जनता की इच्छा एक है, दो नहीं (People have Only One Will not Two)—एक सदन के समर्थकों के अनुसार किसी विषय पर जनमत केवल एक ही हो सकता है दो नहीं। जनता या तो किसी विषय के पक्ष में होगी या विपक्ष में। जनमत को इसलिए एक सदन ही अधिक अच्छी तरह प्रकट कर सकता है और वह एक सदन निचला सदन है क्योंकि निचले सदन में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं।

2. दूसरा सदन या तो व्यर्थ है या शरारती (Second Chamber is either Mischievous or Superfluous)अबेसियस ने कहा है “यदि उपरि सदन निम्न सदन से सहमत हो जाता है तो व्यर्थ है और यदि विरोध करता है तो शरारती है”। कहने का अभिप्राय यह है कि उपरि सदन निम्न सदन के प्रत्येक बिल को पास कर देता है तो उसका लाभ नहीं होता। इस प्रकार उपरि सदन व्यर्थ है। यदि उपरि सदन निम्न सदन के रास्ते में रुकावटें करता है अर्थात् बिल को पास नहीं करता तो वह शरारती है।

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3. गतिरोध की सम्भावना (Possibility of Deadlocks)-विधानमण्डल के दूसरे सदन का यह भी दोष होता है कि दोनों सदनों में गतिरोध की सम्भावना रहती है। दोनों सदनों में गतिरोध की सम्भावना उस समय और भी बढ़ जाती है जब एक सदन में एक दल का बहुमत हो और दूसरे सदन में किसी अन्य राजनीतिक दल का।

4. कानून जल्दी में पास नहीं किए जाते (Laws are not passed in Hurry)-दूसरे सदन के समर्थकों का यह कहना है कि एक सदन होने से कानून जल्दी तथा उतावलेपन में पास होते हैं, ठीक नहीं है। एक सदन में बिल पूर्ण सोच-विचार करने के पश्चात् कानून बनाया जाता है। बिल को कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप भारत तथा इंग्लैण्ड में बिल पास होने से पूर्व तीन वाचन (Three Readings) होते हैं। बिल को कमेटी स्टेज से भी गुज़रना पड़ता है। जब बिल को सदन पास कर देता है तब बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।

5. उपरि सदन निम्न सदन की निरंकुशता को नहीं रोकता (Second Chamber does not check the Despotism of the First Chamber)-द्वि-सदनीय विधान मण्डल के समर्थकों के अनुसार दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है परन्तु यह ठीक नहीं है। निम्न सदन को बहुत शक्तियां प्राप्त होती हैं जिनकी वजह से निम्न सदन जिस बिल को चाहे, पास कर सकता है। दूसरा सदन पहले सदन को बिल पास करने से नहीं रोकताहां, बिल को पास करने में कुछ देर कर सकता है। इंग्लैण्ड में हाऊस ऑफ लार्ड्स साधारण बिल को एक वर्ष के लिए रोक सकता है जबकि धन बिल को केवल 30 दिन के लिए रोक सकता है। भारत में राज्यसभा धन बिल को 14 दिन के लिए रोक सकती है। साधारण बिलों पर भी राज्यसभा की शक्ति लोक सभा से कम ही है।

6. संघात्मक राज्यों में दूसरा सदन आवश्यक नहीं (Second Chamber is not essential in a Federal Form of Government)—संघात्मक सरकारों में दूसरे सदन का होना आवश्यक नहीं है। दूसरे सदन के सदस्यों का चुनाव पहले सदन की तरह दलों के आधार पर ही होता है। सदस्य अपने राज्यों के हितों को ध्यान में रखकर वोट का प्रयोग नहीं करते बल्कि पार्टी के आदेशों पर चलते हैं।

7. दूसरे सदन के संगठन में कठिनाइयां (Difficulties in Organising the Second Chamber)-दूसरे सदन की आलोचना इसलिए भी की जाती है क्योंकि इसके संगठन की समस्या है। निम्न सदन के सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं, परन्तु प्रश्न उत्पन्न होता है कि दूसरे सदन के सदस्य किस प्रकार चुने जाएं ? विभिन्न देशों में दूसरे सदन का संगठन विभिन्न आधारों पर किया गया है। अमेरिका में दूसरे सदन के सदस्य पहले सदन की तरह जनता के द्वारा चुने जाते हैं, इसका कोई लाभ नहीं। इंग्लैण्ड में दूसरे सदन के अधिक सदस्य पैतृक आधार पर नियुक्त किए जाते हैं, यह प्रणाली प्रजातन्त्र के विरुद्ध है। भारत में राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष तौर पर चुने जाते हैं तथा कुछ मनोनीत किये जाते हैं। इसलिए दूसरे सदन के संगठन का कोई सन्तोषजनक हल नहीं मिला है।

8. दूसरे सदन को शक्तियां देने में कठिनाइयां (Difficulties in giving Powers to Second Chamber)दूसरे सदन के संगठन की तरह यह भी एक समस्या है कि दूसरे सदन को शक्तियां दी जाएं। यदि दूसरे सदन को पहले सदन से कम शक्तियां दी जाएं तो वह उस पर कोई नियन्त्रण नहीं रखता। पर दूसरी तरफ यदि दूसरे सदन को पहले सदन के समान शक्तियां दी जाएं तो इससे दोनों में गतिरोध उत्पन्न होंगे जिससे शासन ठीक प्रकार से चलाना कठिन हो जाए।

9. दूसरा सदन प्रायः रूढ़िवादी होता है (Second Chamber is generally a Conservative House)दूसरे सदन में विशेष हितों के प्रतिनिधि होते हैं जो प्रायः अपने विचारों में रूढ़िवादी होते हैं। ये सदस्य प्रगतिशील नहीं होते और न ही लोगों के कल्याण के लिए कोई कार्य करना चाहते हैं। ये केवल अपने हितों की रक्षा करना चाहते हैं। इस सदन में बड़े-बड़े पूंजीपति, उद्योगपति, ठेकेदार इत्यादि होते हैं जो निम्न सदन को पसन्द नहीं करते। अतः दूसरा सदन निम्न सदन में पास किए गए प्रगतिशील कानूनों को पास करने में रुकावट डालता है।

10. अधिक खर्च (More Expenditure)-दूसरा सदन लाभदायक नहीं है पर इसका देश के बजट पर बोझ पड़ा रहता है। दूसरे सदन के सदस्यों के वेतन, भत्ते इत्यादि इतने हो जाते हैं कि उस धन राशि को किसी और कार्य पर लगाया जा सकता है।

11. विशेष हितों तथा अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने के लिए दूसरे सदन की आवश्यकता नहीं है-जब दूसरे सदन के सदस्य दलों के आधार पर अपने मत का प्रयोग करते हैं तब इससे विशेष हितों की रक्षा नहीं हो पाती। इसलिए दूसरे सदन की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके अतिरिक्त विशेष हितों तथा अल्पसंख्यकों को पहले सदन में ही प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। योग्य व्यक्तियों को पहले सदन में भी मनोनीत किया जा सकता है तथा अल्पसंख्यकों को अन्य उपायों के द्वारा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)-द्वितीय सदन के पक्ष तथा विपक्ष में तर्कों का अध्ययन करने के पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि द्वितीय सदन की कड़ी आलोचना के बावजूद भी इस सदन के बहुत लाभ हैं। यही कारण है कि कई देशों में जहां एक सदनीय प्रणाली को अपनाया गया, असफल रहने के पश्चात् फिर द्वि-सदनीय प्रणाली की स्थापना की गई। प्रो० लीकॉक ने ठीक ही कहा है, कि एक सदनीय विधानमण्डल की परीक्षा हो चुकी है, और यह असफल रही है। आज संसार के अधिकांश देशों में द्वि-सदनीय विधानमण्डल है। यही इनकी उपयोगिता का सबसे बड़ा प्रमाण है।

प्रश्न 3.
एक-सदनीय विधानमण्डल के तीन लाभ तथा तीन हानियां बताइए।
(Discuss three advantages and three disadvantages of a Unicameral Legislature.)
उत्तर-
चीन, बुल्गारिया, नेपाल, तुर्की तथा पुर्तगाल में एक सदनीय विधानमण्डल पाया जाता है जबकि भारत, हालैण्ड, अमेरिका आदि देशों में द्वि-सदनीय विधानमण्डल पाया जाता है। एक सदनीय विधानमण्डल के लाभ भी हैं और हानियां भी। एक सदनीय विधानमण्डल के लाभ-एक सदनीय विधानमण्डल के तीन मुख्य लाभ इस प्रकार हैं-

  • एक सदनीय विधानमण्डल जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है-किसी विषय पर जनमत केवल एक ही हो सकता है दो नहीं। जनता या तो किसी विषय में होगी या विपक्ष में । इसलिए जनमत को एक सदन ही अधिक अच्छी तरह प्रकट कर सकता है।
  • कम खर्चीला-एक सदनीय विधानमण्डल से खर्चा कम होता है और देश के बजट पर अधिक बोझ नहीं पड़ता। दूसरे सदन पर खर्च होने वाले धन को देश के विकास कार्यों में लगाया जा सकता है।
  • एक सदनीय विधानमण्डल में कानून शीघ्र पास होते हैं-एक सदनीय विधानमण्डल में कानून पास करने में अनावश्यक समय बर्बाद नहीं होता। एक सदन दूसरे सदन में बिल भेजने से बिल के पास करने में देरी होती है। जब एक ही सदन में बिल पर पूरा विचार हो जाता है तो उस पर दोबारा विचार करने के लिए दूसरे सदन की कोई आवश्यकता नहीं है।

एक सदनीय विधानमण्डल की हानियां-एक सदनीय विधानमण्डल की मुख्य तीन हानियां इस प्रकार हैं-

  • एक-सदनीय विधानमण्डल निरंकुश बन जाता है-यह आम कहा जाता है कि “शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट कर देती है।” एक सदन का भी यही हाल होता है जिस दल का सदन बहुमत में होता है, वह अपनी मनमानी करता है और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है।
  • एक-सदनीय विधानमण्डल में बिलों पर पूरा विचार नहीं होता-एक सदनीय विधानमण्डल में बिलों को बिना विचार किए तेज़ी से पास कर दिया जाता है। एक-सदनीय विधानमण्डल में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं। चुनाव के समय जनता के साथ बहुत वायदे होते हैं जिसके कारण जनता की वाह-वाह लेने के लिए सत्तारूढ़ दल तेज़ी से कानून पास करते जाते हैं। इस तरह राष्ट्र के हित की कोई परवाह नहीं की जाती।
  • संघात्मक शासन प्रणाली के लिए उचित नहीं-एक सदनीय विधानमण्डल संघीय शासन प्रणाली के लिए ठीक नहीं है क्योंकि राज्यों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 18 सरकार के अंग-व्यवस्थापिका

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विधानपालिका से क्या अभिप्राय है ? इसकी कितनी किस्में हैं ?
उत्तर-
विधानपालिका से हमारा अभिप्राय सरकार के उस अंग से है जो राज्य प्रबन्ध के लिए कानूनों का निर्माण करता है। विधानपालिका सरकार के बाकी दोनों अंगों से अधिक महत्त्वपूर्ण है। लॉस्की के अनुसार, “विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की सीमाओं का निर्धारण करती है।” यह प्रचलित कानूनों में संशोधन करती है। यदि यह महसूस करे कि यह कानून ठीक नहीं है तो यह उन कानूनों को रद्द भी कर सकती है। विधानपालिका दो तरह की हो सकती है-एक सदनीय विधानपालिका और दो सदनीय विधानपालिका। इन दोनों का वर्णन इस प्रकार है

  • एक सदनीय विधानपालिका-एक सदनीय विधानपालिका में एक सदन होता है। उदाहरणस्वरूप चीन, टर्की, श्रीलंका आदि में विधानपालिका एक सदनीय है।
  • दो सदनीय विधानपालिका-इस तरह की विधानपालिका में विधानपालिका के दो सदन-ऊपरी सदन व निम्न सदन होते हैं। उदाहरणस्वरूप अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, स्विट्ज़रलैण्ड आदि राज्यों में विधानपालिका दो सदनीय है।

प्रश्न 2.
व्यवस्थापिका के चार महत्त्वपूर्ण कार्य बताएं।
उत्तर-
आधुनिक समय में व्यवस्थापिका के तीन महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं-

  • कानून-निर्माण का कार्य-व्यवस्थापिका का प्रमुख कार्य कानूनों का निर्माण करना है। व्यवस्थापिका जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और जनता की इच्छा को विधानमण्डल के कानूनों द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • कार्यपालिका पर नियन्त्रण-संसदीय सरकार में कार्यपालिका तभी तक अपने पद पर बनी रह सकती है जब उसे विधानमण्डल में बहुमत प्राप्त हो। विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकती है। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका प्रत्यक्ष तौर पर व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती परन्तु फिर भी विधानमण्डल का थोड़ा-बहुत प्रभाव कार्यपालिका पर पड़ता है।
  • वित्त पर नियन्त्रण-संसार के प्रायः सभी लोकतन्त्रीय राज्यों में वित्त पर विधानमण्डल का नियन्त्रण होता है। कार्यपालिका, विधानमण्डल की अनुमति के बिना धन खर्च नहीं कर सकती। विधानमण्डल प्रतिवर्ष बजट पास करती है। टैक्स लगाना, पुराने टैक्सों में संशोधन करना और करों को समाप्त करना विधानपालिका का ही कार्य है।
  • संविधान में संशोधन-सभी लोकतन्त्रीय राज्यों में संविधान में संशोधन करने का अधिकार विधानमण्डल के पास है।

प्रश्न 3.
द्वि-सदनीय विधानपालिका के पक्ष में चार तर्क लिखें।
उत्तर-
द्वि-सदनीय विधानमण्डल के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं-

  1. दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है-दूसरा सदन पहले सदन को मनमानी करने से रोकता है और नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करता है।
  2. दूसरा सदन अविचारपूर्ण तथा जल्दी से पास किए गए कानूनों को रोकता है-दूसरा सदन पहले सदन के द्वारा जल्दबाज़ी तथा अविचारपूर्ण पास किए गए बिलों को कुछ समय के लिए रोक लेता है, जिससे जनता को उन पर विचार करने को समय मिल जाता है।
  3. दूसरा सदन पहले सदन के समय की बचत करता है-दूसरे सदन में विचारहीन तथा विरोधीहीन बिलों को पेश किया जाता है, इन बिलों पर पूर्ण रूप से विचार-विमर्श करने के पश्चात् बिल दूसरे सदन में पेश किया जाता है। पहला सदन इन बिलों को शीघ्र ही पास कर देता है। इस प्रकार दूसरा सदन पहले सदन के समय की बचत करता है।
  4. अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व-दूसरे सदन का होना आवश्यक है, ताकि विशेष वर्गों तथा अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व दिया जा सके।

प्रश्न 4.
दूसरे सदन के विपक्ष में चार तर्क दीजिए।
उत्तर-
दूसरे सदन के विपक्ष में निम्नलिखित मुख्य तर्क दिए जाते हैं-

  • जनता की इच्छा एक है, दो नहीं-एक सदन के समर्थकों के अनुसार किसी विषय पर जनमत केवल एक ही हो सकता है दो नहीं, क्योंकि निम्न सदन में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं अतः वही जनता की इच्छा को अधिक अच्छी तरह प्रकट कर सकते हैं।
  • दूसरा सदन या तो व्यर्थ है या शरारती-कहने का अभिप्राय यह है कि यदि ऊपरि सदन, निम्न सदन के प्रत्येक बिल को पास कर देता है तो वह व्यर्थ है। उसका कोई लाभ नहीं है और यदि वह निम्न सदन के द्वारा पास किए गए बिलों का विरोध करता है तो वह शरारती है।
  • गतिरोध की सम्भावना-विधानमण्डल के दूसरे सदन का एक दोष यह भी होता है कि दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है। दोनों सदनों में गतिरोध की सम्भावना उस समय और भी बढ़ जाती है जब एक सदन में एक दल का बहुमत हो और दूसरे सदन में किसी अन्य राजनीतिक दल का।
  • अधिक खर्च- दूसरा सदन लाभदायक नहीं है, पर इसका देश के बजट पर बोझ पड़ा रहता है।

प्रश्न 5.
अविश्वास प्रस्ताव का अर्थ संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
संसदीय सरकार में कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिमण्डल अपने कार्यों और नीतियों के संचालन के लिए विधानपालिका के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है। मन्त्रिमण्डल का कार्यकाल विधानपालिका के समर्थन पर निर्भर करता है। विधानपालिका मन्त्रियों को अविश्वास प्रस्ताव पास करके अपने पद से हटा सकता है। अविश्वास का प्रस्ताव एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके द्वारा विधानपालिका मन्त्रियों को उनके पद से हटा सकता है। यदि विधानपालिका का निम्न सदन किसी एक मन्त्री अथवा समस्त मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर देता है तो सभी मन्त्रियों को सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त के अनुसार अपने पदों से त्याग-पत्र देना पड़ता है। इस अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा विधानपालिका कार्यपालिका पर अपना नियन्त्रण बनाए रखती है।

प्रश्न 6.
निन्दा प्रस्ताव (Censure Motion) का अर्थ बताएं। (Textual Question) (P.B. 1988)
उत्तर-
संसदीय सरकार में विधानपालिका निन्दा प्रस्ताव के द्वारा भी कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिमण्डल पर अपना नियन्त्रण बनाए रखती है। निन्दा प्रस्ताव के द्वारा विधानपालिका के सदस्य मन्त्रियों के द्वारा अपनाई गई नीतियों तथा उनके प्रशासनिक कार्यों की निन्दा करते हैं। जब विधानपालिका के निम्न सदन में निन्दा प्रस्ताव पास कर दिया जाता है तब मन्त्रिमण्डल को अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है। इस प्रस्ताव की शक्ति अविश्वास प्रस्ताव के समान होती है।

प्रश्न 7.
स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) का अर्थ बताएं।
उत्तर-
विधानपालिका अपना दैनिक कार्य पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार करती है। परन्तु कई बार देश में अचानक कोई विशेष और महत्त्वपूर्ण घटना घट जाती है, जैसे कि कोई रेल दुर्घटना, कहीं पुलिस और जनता में झगड़ा होने से कुछ व्यक्तियों की मौत हो जाए इत्यादि तो ऐसे समय संसद् का कोई भी सदस्य स्थगन प्रस्ताव (काम रोको प्रस्ताव) पेश कर सकता है। इस प्रस्ताव का यह अर्थ है कि सदन का निश्चित कार्यक्रम थोड़े समय के लिए रोक दिया जाए और उस घटना या समस्या पर विचार किया जाए। अध्यक्ष इस पर विचार करता है और यदि उचित समझे तो स्वीकार कर लेता है। अध्यक्ष अपनी स्वीकृति के बाद सदन से पूछता है और यदि सदस्यों की निश्चित संख्या उस प्रस्ताव के शुरू किए जाने के पक्ष में हो तो प्रस्ताव आगे चलता है वरन् नहीं। प्रस्ताव स्वीकार हो जाने पर सदन का निश्चित कार्यक्रम रोक दिया जाता है और उस विशेष घटना पर विचार होता है। इस प्रकार स्थगन प्रस्ताव सरकार का ध्यान किसी महत्त्वपूर्ण घटना या समस्या की ओर आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है।

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प्रश्न 8.
द्वितीय वाचन (Second Reading) का अर्थ बताएं।
उत्तर-
विधानपालिका में कानून बनने से पूर्व बिल को अनेक चरणों से गुज़रना पड़ता है। ये चरण प्रथम वाचन, द्विवीय वाचन, सामति स्तर, रिपोर्ट स्तर तथा तृतीय वाचन होते हैं। इन चरणों में से द्वितीय वाचन का चरण एक विशेष महत्त्वपूर्ण चरण होता है। बिल के द्वितीय वाचन के समय ही सदस्यों को वाद-विवाद का पहला अवसर मिलता है। प्रायः बिल को पेश करने वाला बिल के सिद्धान्तों तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डालता है। विधानपालिका के सदस्यों को बिल के मौलिक सिद्धान्तों की आलोचना करने का अवसर मिलता है। इस चरण में बिल पर मतदान भी करवाया जाता है। द्वितीय वाचन ही बिल को जीवन अथवा मृत्यु प्रदान करता है।

प्रश्न 9.
द्वि-सदनीय प्रणाली पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
क्या विधानमण्डल के दो सदन होने चाहिए अथवा एक सदन होना चाहिए, इस बारे में काफ़ी मतभेद पाया जाता है। जे० एस० मिल, सर हैनरी मेन आदि लेखकों ने द्वि-सदनीय विधानमण्डल का समर्थन किया है। जब विधानमण्डल के दो सदन हों तो उसे द्वि-सदनीय विधानमण्डल कहा जाता है। इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, भारत आदि देशों में विधानमण्डल के दो सदन पाए जाते हैं। पहले सदन को निम्न सदन तथा दूसरे सदन को उपरि सदन कहा जाता है।

प्रश्न 10.
व्यवस्थापिका किस भान्ति कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखती है ?
उत्तर–
संसदीय सरकार में व्यवस्थापिका निम्नलिखित तरीकों से कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखती है-

  • व्यवस्थापिका के सदस्य कार्यपालिका (मन्त्रियों) से प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं और मन्त्रियों को पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता है।
  • स्थगन अथवा काम रोको प्रस्ताव लाकर व्यवस्थापिका सार्वजनिक महत्त्व के मामलों पर विवाद कर सकती है।
  • बजट अस्वीकार करके या अविश्वास प्रस्ताव पास करके व्यवस्थापिका कार्यपालिका को हटा सकती है।

अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका प्रत्यक्ष तौर पर व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। परन्तु फिर भी कार्यपालिका का थोड़ा-बहुत काम व्यवस्थापिका पर निर्भर होता है।

प्रश्न 11.
विधानपालिका की रचना का वर्णन करें।
उत्तर-
आमतौर पर राज्यों में द्वि-सदनीय विधानपालिका पाई जाती है जिसमें एक सदन को निम्न सदन (Lower House) और दूसरे को उच्च सदन (Upper Chamber) कहा जाता है। निम्न सदन के सदस्य प्रायः वयस्क मताधिकार के आधार पर जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। उच्च सदन के सदस्यों का चुनाव विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न तरीके से किया जाता है। भारत में उच्च सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत-प्रणाली द्वारा होता है और अमेरिका में प्रत्यक्ष रूप में होता है। इंग्लैण्ड में उच्च सदन के अधिकांश सदस्य पैतृक होते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विधानपालिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
विधानपालिका से हमारा अभिप्राय सरकार के उस अंग से है जो राज्य प्रबन्ध के लिए कानूनों का निर्माण करता है। विधानपालिका सरकार के बाकी दोनों अंगों से अधिक महत्त्वपूर्ण है। लॉस्की के अनुसार, “विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की सीमाओं का निर्धारण करती है।”

प्रश्न 2.
व्यवस्थापिका के दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताएं।
उत्तर-

  • कानून-निर्माण का कार्य-व्यवस्थापिका का प्रमुख कार्य कानूनों का निर्माण करना है। व्यवस्थापिका जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और जनता की इच्छा को विधानमण्डल के कानूनों द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • कार्यपालिका पर नियन्त्रण-संसदीय सरकार में कार्यपालिका तभी तक अपने पद पर बनी रह सकती है जब तक उसे विधानमण्डल में बहुमत प्राप्त हो। विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकती है।

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प्रश्न 3.
द्वि-सदनीय विधानपालिका के पक्ष में दो तर्क लिखें।
उत्तर-

  • दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है-जिस देश में विधानमण्डल में एक सदन होता है वहां पर वह निरंकुश बन जाता है। पहले सदन की निरंकुशता को रोकने के लिए दूसरे सदन का होना आवश्यक है। दूसरा सदन पहले सदन को मनमानी करने से रोकता है और नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करता है।
  • दूसरा सदन अविचारपूर्ण तथा जल्दी से पास किए गए कानूनों को रोकता है-दूसरा सदन पहले सदन के द्वारा जल्दबाज़ी तथा अविचारपूर्ण पास किए गए बिलों को कुछ समय के लिए रोक लेता है, जिस जनता को उन पर विचार करने का समय मिल जाता है।

प्रश्न 4.
दूसरे सदन के विपक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर-

  • जनता की इच्छा एक है, दो नहीं-एक सदन के समर्थकों के अनुसार किसी विषय पर जनमत केवल एक ही हो सकता है दो नहीं, क्योंकि निम्न सदन में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं अतः वही जनता की इच्छा को अधिक अच्छी तरह प्रकट कर सकते हैं।
  • दूसरा सदन या तो व्यर्थ है शरारती-कहने का अभिप्राय यह है कि यदि ऊपरी सदन, निम्न सदन के प्रत्येक बिल को पास कर देता है तो वह व्यर्थ है। उसका कोई लाभ नहीं है और यदि वह निम्न सदन के द्वारा पास किए गए बिलों का विरोध करता है तो वह शरारती है।

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. संविधान की कोई एक परिभाषा दें।
उत्तर-बुल्जे के अनुसार, “संविधान उन नियमों का समूह है, जिनके अनुसार सरकार की शक्तियां, शासितों के अधिकार तथा इन दोनों के आपसी सम्बन्धों को व्यवस्थित किया जाता है।”

प्रश्न 2. संविधान के कोई दो रूप/प्रकार लिखें।
उत्तर-

  1. विकसित संविधान
  2. निर्मित संविधान।

प्रश्न 3. विकसित संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-जो संविधान ऐतिहासिक उपज या विकास का परिणाम हो, उसे विकसित संविधान कहा जाता है।

प्रश्न 4. लिखित संविधान किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-लिखित संविधान उसे कहा जाता है, जिसके लगभग सभी नियम लिखित रूप में उपलब्ध हों।

प्रश्न 5. अलिखित संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-अलिखित संविधान उसे कहते हैं, जिसकी धाराएं लिखित रूप में न हों, बल्कि शासन संगठन अधिकतर रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं पर आधारित हो।

प्रश्न 6. कठोर एवं लचीले संविधान में एक अन्तर लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान की अपेक्षा लचीले संविधान में संशोधन करना अत्यन्त सरल है।

प्रश्न 7. लचीले संविधान का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर- लचीला संविधान समयानुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 8. किसी एक विद्वान् का नाम लिखें, जो लिखित संविधान का समर्थन करता है?
उत्तर-डॉ० टॉक्विल ने लिखित संविधान का समर्थन किया है।

प्रश्न 9. कठोर संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता।

प्रश्न 10. एक अच्छे संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-संविधान स्पष्ट एवं सरल होता है।

प्रश्न 11. अलिखित संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-यह समयानुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 12. अलिखित संविधान का कोई एक दोष लिखें।
उत्तर-अलिखित संविधान में शक्तियों के दुरुपयोग की सम्भावना बनी रहती है।

प्रश्न 13. लिखित संविधान का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर-लिखित संविधान निश्चित तथा स्पष्ट होता है।

प्रश्न 14. लिखित संविधान का एक दोष लिखें।
उत्तर-लिखित संविधान समयानुसार नहीं बदलता।

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प्रश्न 15. जिस संविधान को आसानी से बदला जा सके, उसे कैसा संविधान कहा जाता है ?
उत्तर-उसे लचीला संविधान कहा जाता है।

प्रश्न 16. जिस संविधान को आसानी से न बदला जा सकता हो, तथा जिसे बदलने के लिए किसी विशेष तरीके को अपनाया जाता हो, उसे कैसा संविधान कहते हैं ?
उत्तर-उसे कठोर संविधान कहते हैं। प्रश्न 17. लचीले संविधान का एक दोष लिखें। उत्तर-यह संविधान पिछड़े हुए देशों के लिए ठीक नहीं।

प्रश्न 18. कठोर संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान निश्चित एवं स्पष्ट होता है।

प्रश्न 19. कठोर संविधान का एक दोष लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है।

प्रश्न 20. शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Power) का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर-शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त मान्टेस्क्यू ने प्रस्तुत किया।

प्रश्न 21. संविधानवाद की साम्यवादी विचारधारा के मुख्य समर्थक कौन हैं ?
उत्तर-संविधानवाद की साम्यवादी विचारधारा के मुख्य समर्थक कार्ल-मार्क्स हैं।

प्रश्न 22. संविधानवाद के मार्ग की एक बड़ी बाधा लिखें।
उत्तर-संविधानवाद के मार्ग की एक बाधा युद्ध है।

प्रश्न 23. अरस्तु ने कितने संविधानों का अध्ययन किया?
उत्तर-अरस्तु ने 158 संविधानों का अध्ययन किया।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. ……………. संविधान उसे कहा जाता है, जिसमें आसानी से संशोधन किया जा सके।
2. जिस संविधान को सरलता से न बदला जा सके, उसे …………… संविधान कहते हैं।
3. लिखित संविधान एक ……………. द्वारा बनाया जाता है।
4. ……………. संविधान समयानुसार बदलता रहता है।
5. ……………. में क्रांति का डर बना रहता है।
उत्तर-

  1. लचीला
  2. कठोर
  3. संविधान सभा
  4. अलिखित
  5. लिखित संविधान।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. अलिखित संविधान अस्पष्ट एवं अनिश्चित होता है।
2. लचीले संविधान में क्रांति की कम संभावनाएं रहती हैं।
3. कठोर संविधान अस्थिर होता है।
4. एक अच्छा संविधान स्पष्ट एवं निश्चित होता है।
5. कठोर संविधान समयानुसार बदलता रहता है।
उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत ।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 18 सरकार के अंग-व्यवस्थापिका

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
कठोर संविधान का गुण है
(क) यह राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता
(ख) संघात्मक राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है
(ग) समयानुसार नहीं बदलता
(घ) संकटकाल में ठीक नहीं रहता।
उत्तर-
(क) यह राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता

प्रश्न 2.
एक अच्छे संविधान का गुण है-
(क) संविधान का स्पष्ट न होना
(ख) संविधान का बहुत विस्तृत होना
(ग) व्यापकता तथा संक्षिप्तता में समन्वय
(घ) बहुत कठोर होना।
उत्तर-
(ग) व्यापकता तथा संक्षिप्तता में समन्वय

प्रश्न 3.
“संविधान उन नियमों का समूह है, जो राज्य के सर्वोच्च अंगों को निर्धारित करते हैं, उनकी रचना, उनके आपसी सम्बन्धों, उनके कार्यक्षेत्र तथा राज्य में उनके वास्तविक स्थान को निश्चित करते हैं।” किसका कथन है ?
(क) सेबाइन
(ख) जैलिनेक
(ग) राबर्ट डाहल
(घ) आल्मण्ड पावेल।
उत्तर-
(ख) जैलिनेक

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से एक अच्छे संविधान की विशेषता है-
(क) स्पष्ट एवं निश्चित
(ख) अस्पष्टता
(ग) कठोरता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) स्पष्ट एवं निश्चित

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

SST Guide for Class 9 PSEB संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को ……….. मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
  2. नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद …………. द्वारा ……………. संशोधन के अंतर्गत दिया गया है।

उत्तर-

  1. छ:
  2. 21 A, 86वें।।

(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बालश्रम’ किस अधिकार द्वारा प्रतिबंधित है ?
(अ) स्वतंत्रता का अधिकार
(आ) समानता का अधिकार
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार
(ई) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
उत्तर-
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ है
(अ) वह राज्य जहां केवल एक ही धर्म हो
(आ) वह राज्य जिसमें कोई धर्म न हो
(इ) वह राज्य जहां बहुत से धर्म हों
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं। ”
उत्तर-
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं।।

(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना मानव का पूर्ण विकास नहीं हो सकता।
  2. धर्म-निरपेक्ष का अर्थ है लोग किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मौलिक अधिकार संविधान के किस भाग में अंकित हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार संविधान के तीसरे भाग में अंकित हैं।

प्रश्न 2.
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को कौन-सी शक्ति प्राप्त है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को संवैधानिक उपचारों के अधिकार की शक्ति प्राप्त है।

प्रश्न 3.
उस विधेयक का नाम बताएं जिसमें बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों के लिए अंग्रेजों से कुछ अधिकारों की माांग की थी ?
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज विधेयक की मांग की थी।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों से पुरुषों व स्त्रियों के लिए समान अधिकारों की मांग किस रिपोर्ट में की गई थी ?
उत्तर-
नेहरू रिपोर्ट।

प्रश्न 5.
व्यक्ति द्वारा किया गया उचित दावा जिसे समाज स्वीकार करता है एवं राज्य कानून द्वारा लागू करता है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार।

प्रश्न 6.
संपत्ति का अधिकार, मौलिक अधिकारों की सूची से कब और किस संशोधन द्वारा विकसित किया गया ?
उत्तर-
1978 में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया था।

प्रश्न 7.
कोई दो मौलिक अधिकार बताएं जो विदेशियों को भी प्राप्त हैं।
उत्तर-
स्वतंत्रता का अधिकार, कानून के सामने समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।

प्रश्न 8.
बच्चों के शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों से संबंधित किस अनुच्छेद के अधीन दर्ज किया गया है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 21 A.

प्रश्न 9.
मौलिक अधिकार किस अनुच्छेद से किस अनुच्छेद तक दर्ज हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 14-32 तक।

प्रश्न 10.
‘अस्पृश्यता के उन्मूलन’ के लिए भारत के संविधान में किस अनुच्छेद अधीन व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 से अस्पृश्यता के उन्मूलन की व्यवस्था की गई है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘समानता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें। .
उत्तर-
समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है।

  1. संविधान के अनुच्छेद 14 में ‘कानून के समक्ष समता’ और ‘कानूनों के समान संरक्षण’ शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है।
  2. अनुच्छेद 15 के अनुसार राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग अथवा इनमें से किसी के भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
  3. अनुच्छेद 16 राज्य में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में, सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है।
  4. अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।
  5. अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
‘न्यायपालिका की न्याय पुनर्निरीक्षण’ की शक्ति पर नोट लिखें।
उत्तर-
न्यायिक पुनर्निरीक्षण न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधानसभा के कानूनों तथा कार्यपालिका के आदेशों की जांच कर सकता है और यदि ये कानून और आदेश संविधान के विरुद्ध हों तो उनको असंवैधानिक एवं अवैध घोषित कर सकते हैं। न्यायालय कानून की उन्हीं धाराओं को अवैध घोषित करते हैं जो संविधान के विरुद्ध होते हैं, न कि समस्त कानून को। न्यायालय उन्हीं कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है जो उसके सामने मुकद्दमें के रूप में आते हैं।

प्रश्न 3.
न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए भारत के संविधान में क्या व्यवस्थाएं की गई हैं ?
उत्तर-

  1. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा होनी चाहिए।
  2. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों को अच्छा वेतन तथा रिटायर होने के पश्चात् पेंशन मिलनी चाहिए।
  3. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों के पद की सुरक्षा होनी चाहिए और पद की अवधि लंबी होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने का, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति इत्यादि रखने के अधिकार दिए गए हैं। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।

प्रश्न 5.
भारत के नागरिकों को अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कौन-कौन सी स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं ?
उत्तर-
भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार के तहत अनुच्छेद 19 से 22तक कुछ स्वतंत्रताएं दी गई हैं। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु, इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी हैं। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं।

प्रश्न 6.
‘शोषण-विरुद्ध अधिकार’ की व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 23 तथा 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं।

  1. अनुच्छेद 23 के अनुसार व्यक्तियों को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है।
  2. अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।

प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार-मौलिक कैसे हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि तर्क सहित करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को निम्नलिखित कारणों से मौलिक कहा जाता है.

  1. मौलिक अधिकार मूल रूप से मानवीय अधिकार हैं। मनुष्य होने के नाते इन अधिकारों का उपयोग करना ही चाहिए।
  2. मौलिक अधिकार हमें संविधान ने दिए हैं और संविधान देश का मौलिक कानून है। यदि नागरिक को सुखी तथा लोकतांत्रिक जीवन व्यतीत करना है, तो ये अधिकार प्राप्त होने ही चाहिए।
  3. संविधान ने इन अधिकारों को लागू करने के लिए प्रभावशाली विधि अपनाई है। अधिकारों का हनन होने पर कोई भी नागरिक न्यायालय की सहायता से अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मौलिक अधिकारों का स्वरूप कैसा है ? संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों का स्वरूप निम्नलिखित है

  1. व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े विस्तृत तथा व्यापक हैं। इनका वर्णन संविधान के तीसरे भाग की 24 धाराओं में किया गया है। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तृत व्याख्या की गई है।
  2. मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता यह है कि ये भारत के सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त हैं। ये अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
  3. मौलिक अधिकार असीमित नहीं हैं-कोई भी अधिकार पूर्ण और असीमित नहीं हो सकता। भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार भी असीमित नहीं हैं। संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
  4. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं-यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो वह नागरिक न्यायालय के पास जा सकता है। इसके पीछे कानूनी शक्ति है।
  5. सकारात्मक व नकारात्मक-मौलिक अधिकार सकारात्मक भी हैं तथा नकारात्मक भी। जहां एक तरफ यह सरकार के कुछेक कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वहीं दूसरी तरफ यह सरकार को कुछ सकारात्मक आदेश भी देते हैं।
  6. नागरिक व राजनीतिक स्वरूप-हमारे अधिकारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-नागरिक व राजनीतिक, संघ बनाने, विचार प्रकट करने, बिना हथियार इकट्ठे होने जैसे अधिकार राजनीतिक होते हैं। इसके साथ समानता का अधिकार, सांस्कृतिक व शिक्षा संबंधी अधिकार नागरिक अधिकार हैं।
  7. इनकी उल्लंघना नहीं हो सकती–संसद् में कानून पास करवा कर अथवा कार्यपालिका द्वारा आदेश पास करके अधिकारों को न तो खत्म किया जा सकता है न ही उनमें परिवर्तन किया जा सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो न्यायपालिका उस आदेश को रद्द भी कर सकती है।

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 20 से 22 तक मौलिक अधिकारों सम्बन्धी की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Right to life and Personal Liberty) Art. 2022) अनुच्छेद 20 व्यक्ति और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जैसे-

  1. किसी व्यक्ति को किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करने पर दंड नहीं दिया जा सकता जो कानून उसके अपराध करते समय लागू नहीं था।
  2. किसी व्यक्ति को उससे अधिक सज़ा नहीं दी जा सकती जितनी अपराध करते समय प्रचलित कानून के अधीन दी जा सकती है।
  3. किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध उसी अपराध के लिए एक बार से अधिक मुकद्दमा नहीं चलाया जाएगा और दंडित नहीं किया जाएगा।
  4. किसी अभियुक्त को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 21 में लिखा है कि कानून द्वारा स्थापित पद्धति के बिना किसी व्यक्ति को उसको व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।

दिसंबर, 2007 में राष्ट्रपति ने 86वें संवैधानिक संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की। इस स्वीकृति के बाद शिक्षा का अधिकार (Right in Education) संविधान के तीसरे भाग में शामिल होने के कारण एक मौलिक अधिकार बन गया है। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पश्चात् 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।
गिरफ्तारी एवं नज़रबंदी के विरुद्ध रक्षा-अनुच्छेद 22 गिरफ्तार तथा नज़रबंद नागरिकों के अधिकारों की घोषणा करता है। अनुच्छेद 22 के अनुसार

  1. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के तुरंत पश्चात् उसको गिरफ्तारी के कारणों से परिचित कराया जाना चाहिए।
  2. उसे अपनी पसंद के वकील से परामर्श लेने और उनके द्वारा सफाई पेश करने का अधिकार होगा।
  3. बंदी-गृह में बंद किए गए किसी व्यक्ति को बंदी गृह से मैजिस्ट्रेट के न्यायालय तक की यात्रा के लिए आवश्यक समय निकाल कर 24 घंटों के अंदर निकट से निकट मैजिस्ट्रेट के न्यायालय में उपस्थिति किया जाए।
  4. बिना मैजिस्ट्रेट की आज्ञा के 24 घंटों से अधिक समय के लिए किसी व्यक्ति को कारावास में नहीं रखा जाएगा।

अपवाद-अनुच्छेद 22 में लिखे अधिकार उस व्यक्ति को नहीं मिलते जो शत्रु विदेशी है या जो निवारक नज़रबंद कानून के अनुसार गिरफ्तार किये गये हो।
भारतीय संसद् देश की प्रतिरक्षा, विदेशी संबंधों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और भारत संघ की रक्षा के लिए निवारक निषेध अधिनियम का आश्रय ले सकती ।
स्वतंत्रता के अधिकार का निलंबन (Suspension of Right to Freedom)-राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा करके संविधान में दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार को निलंवित कर सकता है तथा साथ ही उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों में इन स्वतंत्रताओं के विरुद्ध अपील करने के अधिकार का भी निषेध कर सकता है। 44वें संशोधन के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत दिए गए निजी स्वतंत्रता के अधिकार को आपातकालीन स्थिति के दौरान भी स्थगित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 25 से 28 तक की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का समान अधिकार प्राप्त है और बिना रोक-टोक के धर्म में विश्वास रखने धार्मिक कार्य करने तथा प्रचार करने का अधिकार है। सभी व्यक्तियों को धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता दी गई है। किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कर देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता जिसको इकट्ठा करके किसी विशेष धर्म या धार्मिक समुदाय के विकास को बनाए रखने के लिए खर्च किया जाना हो। किसी भी सरकारी संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। गैर सरकारी शिक्षा संस्थाओं में जिन्हें राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जिन्हें सरकारी सहायता प्राप्त होती है किसी विद्यार्थी को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने या धार्मिक पूजा पाने में सम्मिलित होने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 4.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान के निर्माताओं को डर था कि कहीं सरकारें निरंकुश हो कर जनता के अधिकारों का हनन ही न कर दें। इसलिए उन्होंने भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संविधान में डालने के साथ साथ इन अधिकारों को लागू करने की व्यवस्था भी की। अगर भारत के किसी भी नागरिक के अधिकारों का किसी व्यक्ति, समूह या सरकार की तरफ से उल्लंघन होता है तो ऐसी स्थिति में नागरिक राज्य के उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय उन्हें उनके अधिकार वापिस दिलाएगा। उन्हें लागू करने के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय पांच प्रकार की लेख (Writs) जारी कर सकता है। यह है

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश या फरमान लेख (Mandamus)
  3. प्रतिषेध लेख (Certiorari)
  4. अधिकार पृच्छा लेख (Prohibition)
  5. उत्प्रेषण लेख (Quo-warranto)

PSEB 9th Class Social Science Guide संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
मानव के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) हिंसा
(ख) अज्ञानता
(ग) अधिकार
(घ) बेरोज़गारी।
उत्तर-
(ग) अधिकार

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन किस भाग में किया गया है ?
(क) तीसरे भाग में
(ख) चौथे भाग में
(ग) पांचवें भाग में
(घ) छठे भाग में।
उत्तर-
(क) तीसरे भाग में

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं ?
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर-
(ख) 6

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ख) अनुच्छेद 19-22

प्रश्न 5.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में समानता के अधिकार का वर्णन किया गया ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 14-18

प्रश्न 6.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 23-24

प्रश्न 7.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(घ) अनुच्छेद 25-28.

प्रश्न 8.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है ?
(क) अनुच्छेद 25-28
(ख) अनुच्छेद 29-30
(ग) अनुच्छेद 32
(घ) अनुच्छेद 35-40
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 32

प्रश्न 9.
संविधान के कौन-से.अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है ?
(क) अनुच्छेद 17
(ख) अनुच्छेद 18
(ग) अनुच्छेद 19
(घ) अनुच्छेद 20
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 17

प्रश्न 10.
भारत किस प्रकार का राज्य है ?
(क) धर्म-निरपेक्ष
(ख) हिंदू राज्य
(ग) मुस्लिम राज्य
(घ) सिख राज्य।
उत्तर-
(क) धर्म-निरपेक्ष

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

रिक्त स्थान भरें :

  1. सन् ……………. में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेज़ों को स्वराज बिल पास करने को कहा।
  2. 1946 ई० में ………. ने भारतीय लोगों के लिए मौलिक अधिकारों का समर्थन किया।
  3. संपत्ति के अधिकार को ……… संशोधन से कानूनी अधिकार बना दिया गया था।
  4. शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद ……….. में डाला गया था।
  5. …………… को अनुच्छेद 17 से समाप्त कर दिया गया था।
  6. अनुच्छेद ………….. हमें कानून के सामने समानता देता है।
  7. संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद ……….. में दिया गया है।

उत्तर-

  1. 1895
  2. कबिनेट मिशन
  3. 44 वें
  4. 21- A
  5. अस्पृश्यत
  6. 15
  7. 32

सही/गलत :

  1. अधिकारों से हमारे जीवन में रुकावटें आती हैं।
  2. मौलिक अधिकार अनुच्छेद 14 से 32 तक दर्ज हैं।
  3. अनुच्छेद 15 किसी भी प्रकार के भेदभाव की मनाही करता है।
  4. अनुच्छेद 19 में दस प्रकार की स्वतंत्रताएं दी गई हैं।
  5. हमें अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता नहीं है।
  6. अनुच्छेद 24 बच्चों की सुरक्षा के लिए है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकार किसे कहते हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है, उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 2.
अधिकार की एक परिभाषा लिखें।
उत्तर-
बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”

प्रश्न 3.
अधिकार के कोई एक महत्त्वपूर्ण तथ्य का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकार समाज द्वारा प्रदान और राज्य द्वारा लागू किया जाना ज़रूरी है।

प्रश्न 4.
अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति का किसी कार्य को करने की स्वतंत्रता का दावा है जो यह समाज से प्राप्त करता है या सुविधाओं की मांग को अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 5.
कानूनी अधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कानूनी अधिकार वे अधिकार होते हैं जिन्हें राज्य की मान्यता प्राप्त होती है और उस व्यक्ति को दंड मिलता है जो इन अधिकारों का उल्लंघन करता है।

प्रश्न 6.
नागरिक के दो महत्त्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार लिखें।
उत्तर-

  1. मत देने का अधिकार
  2. चुनाव लड़ने का अधिकार।

प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार का अर्थ बताओ।
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है, उन्हें मौलिक अधिकारों का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 8.
अधिकार व्यक्ति के लिए क्यों आवश्यक हैं ? कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि अधिकारों द्वारा ही व्यक्ति अपना संपूर्ण विकास कर सकता है।

प्रश्न 9.
मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के किस भाग में कितनी धाराओं में किया गया है?
उत्तर-
इनका वर्णन संविधान में तीसरे भाग की 24 धाराओं में धारा 12 से 35 तक में किया गया है।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं?
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय संविधान में 6 प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 11.
अनुच्छेद 14 से 18 कौन-से मौलिक अधिकार से संबंधित हैं?
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 समानता के अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 12.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था कौन-से अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 19 से 22 में स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 13.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था अनुच्छेद 25 से 28 में की गई है।

प्रश्न 14.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार से आपका क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 में अंकित है। इस अधिकार के आधार पर कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकार को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में प्रार्थना-पत्र दे सकता है।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।

प्रश्न 17.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 18.
कानून के समक्ष समानता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता का साधारण अर्थ यह है कि कानून सभी व्यक्तियों को समान समझता है तथा किसी भी आधार पर किसी व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में कानून के द्वारा कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

प्रश्न 19.
भारतीय नागरिकों को किस प्रकार की उपाधियां दी जा सकती हैं ?
उत्तर-
शैक्षणिक तथा सैनिक उपाधियां।

प्रश्न 20.
अनुच्छेद 19 में दी गई किन्हीं दो स्वतंत्रताओं का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. समुदाय या संघ बनाने की स्वतंत्रता।

प्रश्न 21.
शोषण के विरुद्ध अधिकार की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
कोई भी व्यक्ति दूसरे से ज़बरदस्ती श्रम नहीं करवा सकता और न ही व्यक्तियों को बेचा या खरीदा जा सकता है।

प्रश्न 22.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का क्या अर्थ है?
उत्तर-
लोगों को कोई भी धर्म मानने, आचरण करने, प्रचार करने तथा धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने की स्वतंत्रता धार्मिक अधिकार कहलाती है।

प्रश्न 23.
कोई ऐसे दो मौलिक अधिकार बताओ जो भारत को धर्म-निरपेक्ष राज्य सिद्ध करते हैं।
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 के अधीन दिया गया समानता का अधिकार तथा 25 से 28 के अधीन दिया गया धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय राज्य के धर्म-निरपेक्ष स्वरूप को स्पष्ट करते हैं।

प्रश्न 24.
सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार का क्या अर्थ है? .
उत्तर-
अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने के लिए शिक्षा संस्थान स्थापित करने का अधिकार है।

प्रश्न 25.
ऐसे दो लेखों के नाम लिखो जो मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
उत्तर-

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण।
  2. परमादेश लेख।

प्रश्न 26.
संपत्ति का मौलिक अधिकार किस संशोधन द्वारा कानूनी अधिकार बनाया गया है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा।

प्रश्न 27.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 300 A अंकित किया गया है जिसमें संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 28.
क्या मौलिक अधिकार सीमित किए जा सकते हैं?
उत्तर-
संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों पर कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। संसद् संवैधानिक संशोधन द्वारा इन अधिकारों को और अधिक सीमित कर सकती है।

प्रश्न 29.
संविधान का कौन-सा अनुच्छेद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 20 से 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है।

प्रश्न 30.
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, ‘हमारे सम्मुख शरीर को प्रस्तुत करो।’ (Let us have the body.)

प्रश्न 31.
‘मैंडामस’ (Mandamus) का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
‘मैंडामस’ (Mandamus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं।'(We command.)

प्रश्न 32.
संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है।

प्रश्न 33.
संविधान के लिए किस अनुच्छेद द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 13 द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है।

प्रश्न 34.
किस मौलिक अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 35.
शिक्षा के अधिकार को कौन-से संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया ?
उत्तर-
शिक्षा के अधिकार को 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया।

प्रश्न 36.
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन और किसकी सलाह से करता है ?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से करता है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज से मिली होती हैं उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्रायः उन सुविधाओं और अवसरों से होता है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होती हैं और उन्हें समाज ने मान्यता दी होती है।

प्रश्न 2.
अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  1. अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं। समाज के बाहर अधिकारों का न कोई अस्तित्व है और न कोई आवश्यकता।
  2. अधिकार सीमित होते हैं। अधिकार कभी असीमित नहीं होते बल्कि ये सीमित शक्तियां होती हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक होती हैं।

प्रश्न 3.
अधिकारों की कोई दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-

  1. डॉ० वेणी प्रसाद के अनुसार, “अधिकार वे सामाजिक अवस्थाएं हैं जो व्यक्ति की उन्नति के लिए आवश्यक हैं। अधिकार सामाजिक जीवन का आवश्यक पक्ष हैं।”
  2. ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के भौतिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”

प्रश्न 4.
अधिकारों के प्रकार बताइए।
उत्तर-
अधिकारों को प्रायः तीन भागों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं-प्राकृतिक अधिकार, नैतिक अधिकार तथा कानूनी अधिकार।

  1. प्राकृतिक अधिकार-प्राकृतिक अधिकारों का अर्थ है वे अधिकार जो व्यक्ति को प्रकृति ने दिए हैं।
  2. नैतिक अधिकार-नैतिक अधिकार व्यक्ति की नैतिक भावनाओं पर आधारित होते हैं। इन अधिकारों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती।
  3. कानूनी अधिकार-कानूनी अधिकारों को राज्य की मान्यता प्राप्त होती है। राज्य के कानून इन्हें लागू करते हैं। कानूनी अधिकार चार प्रकार के होते हैं-मौलिक अधिकार, सामाजिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार तथा आर्थिक अधिकार।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
संविधान में जो भी मौलिक अधिकार घोषित किए गए हैं, उनकी कुछ अपनी ही विशेषताएं हैं, जो इस प्रकार

  1. व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।
  2. मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।

प्रश्न 6.
मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है ?
अथवा
मौलिक अधिकारों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है उन्हें मौलिक अधिकार का नाम दिया जाता है। ये वे अधिकार होते हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए अनिवार्य समझे जाते हैं। भारत, अमेरिका, जापान, फ्रांस तथा अन्य लोकतंत्रात्मक देशों के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 7.
हमारे संविधान द्वारा निर्मित किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय नागरिकों को छः प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं।

  1. समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानन के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग गे नागरिक कर सकते हैं। अस्पृस्यता को समाप्त कर दिया गया है।
  2. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का या गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रयोग करने और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार हए गए हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
संविधान में 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं-

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  5. सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
  6. संवैधानिक उपायों का अधिकार।

प्रश्न 9.
कन्हीं दो परिस्थितियों का वर्णन करें जिनमें मौलिक अधिकारों को सीमित किया जा सकता है। – प्रश्न 9. दि
उत्तर-

  1. युद्ध तथा विदेशी आक्रमण के समय घोषित राष्ट्रीय संकटकाल के दौरान राष्ट्रपति अधिकारों को सीमित कर सकता है।
  2. सशस्त्र विद्र रोह तथा आंतरिक गड़बड़ी के कारण घोषित आपात्काल में मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को क्यों निकाल दिया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में मूल रूप से संपत्ति के अधिकार का मौलिक अधिकारों के अध्याय में वर्णन किया गया था, परंतु 44वें संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों में से निकाल दिया गया है। मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को निम्नलिखित कारणों से निकाला गया है-

  1. भारत में निजी संपत्ति के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों में से निकाल दिया गया है।
  2. 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद शब्द रखा गया है। समाजवाद और संपत्ति का अधिकार एक साथ नहीं चलते। अत: संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों से निकाल दिया गया है।

प्रश्न 11.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की निम्नलिखित आधारों पर कड़ी आलोचना की गई है-

  1. बहुत अधिक बंधन-मौलिक अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं कि अधिकारों का महत्त्व बहत कम हो गया है। इन अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध हैं कि नागरिकों को यह समझने के लिए कठिनाई आती है कि इन अधिकारों द्वारा उन्हें कौन-कौन-सी सुविधाएं दी गई हैं।
  2. आर्थिक अधिकारों का अभाव-मौलिक अधिकारों की इसलिए भी कड़ी आलोचना की गई है कि इस अध्याय में आर्थिक अधिकारों का वर्णन नहीं किया गया है जबकि समाजवादी राज्यों में आर्थिक अधिकार भी दिए जाते हैं।

प्रश्न 12.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों के अध्ययन का महत्त्व निम्नलिखित शीर्षकों के अधीन किया जाता है-

  1. मौलिक अधिकार कानून का शासन स्थापित करते हैं- मौलिक अधिकारों का महत्त्व इसमें है कि ये कानून के शासन की स्थापना करते हैं। सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान हैं और सभी को कानून द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
  2. मौलिक अधिकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं-अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार दिया गया है। अल्पसंख्यक अपनी पसंद की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं और उनका संचालन भी कर सकते हैं। सरकार अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगी।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 13.
मौलिक अधिकारों तथा नीति-निर्देशक सिद्धांतों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर-

  1. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत न्याय योग्य नहीं हैं। मौलिक अधिकारों को न्यायालयों द्वारा लागू करवाया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को न्यायालयों द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता है।
  2. मौलिक अधिकारों का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र है जबकि निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य आर्थिक लोकतंत्र है।
  3. मौलिक अधिकार लोगों के अधिकार हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत राज्य के कर्त्तव्य हैं।
  4. मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को निलंबित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 तथा 24 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।

प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत न्यायपालिका किस प्रकार के आदेशों को जारी कर सकती है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायपालिका निम्नलिखित आदेश जारी कर सकती है

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण लेख
  2. परमादेश का आज्ञा-पत्र
  3. मनाही आज्ञा-पत्र
  4. उत्प्रेषण लेख तथा
  5. अधिकार पृच्छा लेख।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 तथा 30 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 29 तथा 30 के अंतर्गत नागरिकों को विशेषतया अल्पसंख्यकों को सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार प्रदान किए गए हैं जो अग्रलिखित हैं-

  1. भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार-
    • अनुच्छेद 29 के अनुसार भारत के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग या उसके किसी भाग को जिसकी अपनी भाषा, लिपि अथवा संस्कृति हो उसे यह अधिकार है कि यह उनकी रक्षा करे।
    • किसी भी नागरिक को राज्य द्वारा या उसकी सहायता से चलाए जाने वाली शिक्षा संस्था में प्रवेश देने से धर्म, जाति, वंश, भाषा या इसमें किसी के आधार पर इंकार नहीं किया जा सकता।
  2. अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा-
    • अनुच्छेद 30 के अनुसार सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म पर आधारित हों या भाषा पर, यह अधिकार प्राप्त है कि वे अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करें तथा उनका प्रबंध करें।
    • अनुच्छेद 30 के अनुसार राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को सहायता देते समय शिक्षा संस्था के प्रति इस आधार पर भेदभाव नहीं होगा कि वह अल्पसंख्यकों के प्रबंध के अधीन हैं, चाहे वह अल्पसंख्यक भाषा के आधार पर हो या धर्म के आधार पर।

प्रश्न 17.
परमादेश लेख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
‘परमादेश’ शब्द का अर्थ है “हम आज्ञा देते हैं।” इस निर्देश के द्वारा न्यायालय सरकार को कानूनाधीन अपने कर्त्तव्य को पूरा करने का आदेश दे सकता है। इस आदेश द्वारा अधिकार के विषय में सरकार की उन लापरवाहियों को संशोधित किया जा सकता है जो नागरिकों के अधिकारों के लिए घातक सिद्ध होती हैं।

प्रश्न 18.
मौलिक अधिकारों का उल्लेख संविधान में क्यों किया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख इसलिए किया गया है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मूल अधिकार प्राप्त होने की गारंटी मिल सके। मौलिक अधिकारों का वर्णन उस सिद्धांत की पुष्टि के लिए किया गया है, जिसके अनुसार सरकार कानून के अनुसार कार्य करे न कि गैर-कानूनी तरीके से।

प्रश्न 19.
‘कानून के समक्ष समता’ के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता (समता) का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। कोई भी व्यक्ति देश के कानून के ऊपर नहीं है। सभी व्यक्ति भले ही उनकी कुछ भी स्थिति हो, साधारण कानून के अधीन हैं और उन पर साधारण न्यायालय में मुकद्दमा चलाया जा सकता है। कानून छोटा-बड़ा, अमीर गरीब, ऊंच-नीच और छुआछूत आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगा। कानून के समक्ष समता का दूसरा अर्थ यह है कि समान परिस्थितियों में सबसे समान व्यवहार किया जाए।

प्रश्न 20.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को समझाइए।
उत्तर-
प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। कोई भी नागरिक बोलकर या लि लखकर अपने विचार प्रकट कर सकता है। प्रेस की स्वतंत्रता भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता का एक साधन है। परंतु भाषण देने और विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। संसद् भारत की प्रभुसत्ता भार जडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टता अथवा नैतिकता, न्यायालय का अपमान, मान-हानि लिए उत्तेजित करना आदि के आधारों पर भाषण तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।

प्रश्न 21.
अधिकार-पच्छा लेख (Writ of Ouo-warranto) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
इसका अर्थ है ‘किसके आदेश से’ अथवा किस अधिकार से। यह आदेश उस समय जारी किया जाता है काव्यात किसी ऐसे कार्य को करने का दावा करता हो जिसको करने का उसका अधिकार न हो। इस आदेश अनुसार अप्प : न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय किसी व्यक्ति को एक पद ग्रहण करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी
सकता है और उक्त पद के रिक्त होने की तब तक के लिए घोषणा कर सकता है जब तक न्यायालय द्वारा कोई निर्णय न हो।

प्रश्न 22.
शिक्षा के अधिकार की व्याख्या करें। उत्त
उत्तर-
दसबर, – 2002 में पास किए गए 86वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 2 में 21A नाम का नया अनु छेद शामिल किया गया। इस अनुच्छेद में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) की व्यवस्था की गई है। इस संवैधानिक संशोधन अधिनियम के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि 6 साल से 14 साल तक की आयु के सभी भारतीय बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई है कि बच्चों के माता-पिता तथा अभिभावकों का यह कर्त्तव्य होगा कि वे अपने बच्चों के लिए ऐसी सुविधाएं तथा अवसर उपलब्ध करवाएं, जिससे बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। सरकार भी 6 साल के बच्चों के बचपन तथा शिक्षा की देख-रेख के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगी। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 लागू होने के पश्चात् 6वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।

प्रश्न 23.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है न्यायाधीश स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा निडर हों। न्यायाधीश निष्पक्षता से न्याय तभी कर सकते हैं, जब उन पर किसी प्रकार का दबाव न हो। न्यायपालिका विधानमंडल तथा कार्यपालिका के अधीन नहीं होनी चाहिए और विधानमंडल तथा कार्यपालिका को न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 24.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की कैसे रक्षा करता है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति यह समझे कि सरकार ने उसके मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया है या कोई कानून मौलिक अधिकार के विरुद्ध बनाया गया है तो यह सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है और सर्वोच्च न्यायालय कई प्रकार के अभिलेख जारी कर सकता है और किसी कानून को अवैध भी घोषित कर सकता है।

प्रश्न 25.
भारतीय संविधान स्वतंत्र न्यायपालिका की रक्षा कैसे करता है ?
उत्तर-

  1. नीति-निर्देशक सिद्धांत न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतंत्र करने का आदेश देता है।
  2. मुख्य तथा अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्धारित न्यायिक अथवा कानूनी योग्यताओं के आधार पर की जाती है।
  3. न्यायाधीशों को अच्छा वेतन दिया जाता है। 4. उनका कार्यकाल निश्चित है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकारों से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।।
उत्तर-
मनुष्यों को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज में मिली होती हैं, उन्हीं सुविधाओं को अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्राय उन स विधाओं और अवसरों से है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं और उन्हें समाज में मान्यता प्राप्त है। अन्य शब्दों में, अधिकार वे सुविधाएं हैं जिनके कारण हमें किसी कार्य को करने या न करने की शक्ति मिलती है। विभिन्न लेखकों ने अधिकार की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं। कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :

  1. ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के मौलिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”
  2. बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”
  3. लॉस्की के शब्दों में, “अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना कोई व्यक्ति अपने जीवन का विकास नहीं कर सकता।” विशेषताएं-
  4. अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं।
  5. अधिकार व्यक्ति का दावा है।
  6. अधिकार समाज द्वारा मान्य होते हैं।
  7. अधिकार तर्कसंगत एवं नैतिक होते हैं।
  8. अधिकार असीमित नहीं होते।
  9. अधिकार लोकहित में प्रयोग किये जाते हैं।
  10. अधिकारों के साथ कर्त्तव्य जुड़े होते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकार पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में धारा 12 से 35 तक की 24 धाराओं में किया गया है। 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो इस प्रकार

  1. समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानून के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग सभी कर सकते हैं। छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है और सेना तथा शिक्षा संबंधी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी उपाधियों को समाप्त कर दिया है।
  2. स्वतंत्रता का अधिकार-नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 19 से 22 तक में किया गया है। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी है। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार-अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्ट देव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार दिए गए हैं। सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार-अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत नागरिकों को संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं। प्रत्येक जाति या समुदाय को अपनी भाषा, लिपि, संस्कृति और साहित्य को बनाए रखने, उनका प्रसार तथा विकास करने का अधिकार है। सभी अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करने तथा उनका प्रबंध करने का अधिकार प्राप्त है। राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को अनुदान देते समय भेद-भाव नहीं किया जाएगा।
  6. संवैधानिक उपायों का अधिकार-अनुच्छेद 32 के अनुसार प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की प्राप्ति और रक्षा के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते हैं। उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय को इस संबंध में कई प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार की व्याख्या करें।
उत्तर-
समानता का अधिकार एक महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है। भारतीय संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित प्रकार की समानता प्रदान की गई है-

  1. काना के समक्ष समानता-संविधान के अनुच्छेद 14 में “विधि के समक्ष समानता” और “कानूनों के समान । संरक्षण” शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है और संविधान में लिखा है कि भारत के राज्य क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को कानन के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा।
    कानून के समक्ष समानता का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। – कानून के समान संरक्षण का यह अभिप्राय है कि समान परिस्थितियों में सबके साथ समान व्यवहार किया जाए।
  2. भेद-भाव की मनाही-अनुच्छेद 15 के अनुसार निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-
    • राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान अथवा इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
    • दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और मनोरंजन के सार्वजनिक स्थानों पर धर्म, लिंग, जाति इत्यादि किसी आधार पर किसी नागरिक को अयोग्य व प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा।
  3.  सरकारी नौकरियों के लिए अवसर की समानता-अनुच्छेद 16 राज्यों में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है। सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान, निवास या इसमें से किसी एक के आधार पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  4. अस्पृश्यता की समाप्ति-अनुच्छेद 17 द्वारा छुआछूत को समाप्त किया गया है। किसी भी व्यक्ति के साथ अस्पर्श जैसा व्यवहार करना या उसको अछूत समझ कर सार्वजनिक स्थानों, होटलों, घाटों, तालाबों, कुओं, सिनेमाघरों, पार्कों तथा मनोरंजन के स्थानों के उपयोग से रोकना कानूनी अपराध है।
  5. उपाधियों की समाप्ति-अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि
    • सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।
    • भारत का कोई भी नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।

भारत सरकार नागरिकों को भारत रत्न (Bharat Ratna), पद्म विभूषण (Padma Vibhushan), पद्म भूषण (Padma Bhushan), पद्म श्री (Padma Shri) आदि उपाधियां देती है। जिस कारण आलोचकों का कहना था कि ये उपाधियां अनुच्छेद 18 के साथ मेल नहीं खातीं।

संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार PSEB 9th Class Civics Notes

  • समाज में रहते हुए लोग कई प्रकार की सुविधाओं का प्रयोग करते हैं जैसे कि समानता, अभिव्यक्ति, कहीं भी आना जाना, कोई भी पेशा अपनाना, किसी भी धर्म को मानना इत्यादि। इन सभी सुविधाओं को अधिकार कहा जाता है।
  • अधिकार को हम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह की उस उचित मांग का नाम दे सकते हैं जिन्हें समाज तथा राज्य मान्यता देता है व जिसके बिना अच्छा जीवन जीना मुमकिन ही नहीं है।
  • हमारे देश के संविधान ने नागरिकों को अच्छा जीवन देने व उनका गौरव बरकरार रखने के लिए कुछ अधिकार दिए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह संविधान के तीसरे भाग तथा अनुच्छेद 12 35 तक दर्ज हैं।
  • हमारे मौलिक अधिकार अत्यंत विस्तृत हैं, उनका नकारात्मक व सकारात्मक स्वरूप होता है, यह असीमित नहीं है परंतु न्यायसंगत है तथा इनकी उल्लंघना नहीं की जा सकती।
  • शुरुआत में नागरिकों को सात प्रकार के अधिकार दिए गए थे जिनमें से संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44 वें संवैधानिक संशोधन से हटा कर इसे कानूनी अधिकार बना दिया गया था। इस कारण हमारे मौलिक अधिकारों की संख्या छः रह गई थी।
  • सन् 2002 में 86 वें संशोधन द्वारा बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया था परंतु इसे कोई नया नंबर न देकर अनुच्छेद 21A में डाल दिया गया था।
  • हमारे छ: मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं
    • समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
    • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
    • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
    • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
    • सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
    • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
  • हमारे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा व स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कई प्रावधान किए गए हैं। यह सब इसलिए किया गया है ताकि न्यायपालिका निडर होकर अपना निर्णय दे सके।
  • हमारे न्यायालय (उच्चतम तथा उच्च) को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार दिया गया है जिसका अर्थ है कि न्यायपालिका विधानपालिका द्वारा बनाए कानून का निरीक्षण भी कर सकती है। अगर उसे लगता है कि यह कानून संविधान में मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है तो इसे निरस्त (Null and Void) भी किया जा सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि सरकार के सभी अंग अपने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर कार्य करें तथा संविधान की आत्मा के अनुरूप कार्य करें।
  • मौलिक अधिकार इसलिए मौलिक हैं क्योंकि यह व्यक्ति के सर्वपक्षीय विकास के लिए आवश्यक हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

SST Guide for Class 9 PSEB लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. भारत में केंद्रीय संसद् के चुने हुए प्रतिनिधि को ……….. कहा जाता है।
  2. प्रथम लोकसभा चुनाव ……. ई० में हुआ।
  3. मुख्य चुनाव आयुक्त तथा उप-चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति ……. द्वारा की जाती है।

उत्तर-

  1. एम० पी०
  2. 1952
  3. राष्ट्रपति

(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
लोगों के प्रतिनिधि
(अ) नियुक्त किए जाते हैं
(आ) लोगों द्वारा निश्चित समय के लिए चुने जाते हैं
(इ) लोगों द्वारा पक्के तौर पर चुने जाते हैं
(ई) राष्ट्रपति द्वारा चुने जाते हैं
उत्तर-
(आ) लोगों द्वारा निश्चित समय के लिए चुने जाते हैं

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा लोकतंत्र का स्तंभ नहीं है ?
(अ) राजनैतिक दल
(आ) निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव
(इ) गरीबी
(ई) वयस्क मताधिकार।
उत्तर-
(इ) गरीबी

(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. भारत में बहुदलीय प्रणाली है।
  2. चुनाव आयुक्त का मुख्य कार्य चुनाव का निर्देशन, प्रबंधन व निरीक्षण करना है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्राम पंचायत के लिए चुने गए प्रतिनिधि को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
ग्राम पंचायत के लिए चुने गए प्रतिनिधि को पंच कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विधानसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
विधानसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि को एम० एल० ए० (MLA) कहते हैं।

प्रश्न 3.
चुनाव विधियों के नाम लिखें।
उत्तर-
प्रत्यक्ष चुनाव तथा अप्रत्यक्ष चुनाव।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव किस विधि द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष विधि द्वारा किया जाता है। उन्हें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है।

प्रश्न 5.
भारत में चुनाव कराने वाली संस्था का क्या नाम है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव कराने वाली संस्था का नाम चुनाव आयोग है।

प्रश्न 6.
भारत में चुनाव प्रणाली की कोई दो विशेषताएं बतलाएं।
उत्तर-

  1. भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर करवाए जाते हैं।
  2. एक चुनाव क्षेत्र से ही एक ही उम्मीदवार का चयन किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
चुनाव विवाद के संबंध में याचिका कहां दायर की जा सकती है ?
उत्तर-
चुनाव संबंधी विवाद के लिए याचिका उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।

प्रश्न 8.
चुनाव आयोग के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर-

  1. चुनाव आयोग वोटर सूची तैयार तथा संशोधित करवाता है।
  2. चुनाव आयोग अलग-अलग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है।

प्रश्न 9.
पंजाब विधानसभा के चुनाव क्षेत्र कितने हैं ?
अथवा
पंजाब विधानसभा की कितनी सीटें हैं ?
उत्तर-
पंजाब विधानसभा के 117 चुनाव क्षेत्र या सीटें हैं।

प्रश्न 10.
भारत में चुनाव-प्रक्रिया का संचालन कौन करता है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव-प्रक्रिया का संचालन चुनाव आयोग करता है।

प्रश्न 11.
मुख्य चुनाव आयुक्त व उप-चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 12.
मुख्य चुनाव आयुक्त व उप चुनाव आयुक्तों के पद का कार्यकाल कितना है ?
उत्तर-
6 वर्ष अथवा 65 वर्ष तक की आयु तक वह अपने पद पर बने रह सकते हैं।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
चुनाव का लोकतांत्रिक देशों में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लोकतंत्र में चुनाव का बड़ा भारी महत्त्व है। चुनाव के द्वारा ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उनके माध्यम से शासन में भाग लेती है तथा शासन पर अपना नियंत्रण रखती है। चुनाव के कारण ही जनता अर्थात् मतदाताओं का महत्त्व क्या रहता है और यदि कोई मंत्री या प्रतिनिधि अपना कार्य ठीक प्रकार से न करें तो मतदाता उसे अगले चुनाव में वोट न देकर असफल कर सकते हैं। चुनाव के समय जनता को सरकार की आलोचना का भी अवसर मिलता है और वह अपनी इच्छानुसार सरकार को बदल सकती है। चुनाव ही एक ऐसा साधन है जिसके कारण जनता अपने को देश का शासक समझ और कह सकती है। चुनावों से जनता को राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है, क्योंकि चुनावों के दिनों में सभी और सरकार अपने-अपने कार्यों का प्रचार करती तथा एक-दूसरे की आलोचना करती है। इससे नागरिकों को पता चल जाता है कि देश की समस्याएं क्या हैं और उन्हें कैसे हल किया जाए।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 2.
चुनाव प्रक्रिया के पड़ावों की तालिका बताएँ।
उत्तर-

  1. चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन
  2. चुनाव तिथियों की घोषणा
  3. नामांकण पत्र भरना
  4. नामांकन पत्र वापिस लेना
  5. चुनाव अभियान चलाना
  6. चुनाव प्रचार बंद करना
  7. मतदान करना
  8. मतगणना
  9. परिणाम घोषित करना।

प्रश्न 3.
चुनाव अभियान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब नामांकन पत्र वापिस लेने की तारीख समाप्त हो जाती है तो इसके पश्चात् सभी उम्मीदवारों को कम से कम 20 दिन चुनाव प्रचार के लिए दिए जाते हैं। इस चुनाव प्रचार को ही चुनाव अभियान का नाम दिया जाता है।

इस समय के दौरान चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार अपने पक्ष में प्रचार करते हैं ताकि अधिक-से-अधिक वोट उन्हें डाल सकें। राजनीतिक दल व उम्मीदवार जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए घोषणा-पत्र सामने लाते हैं तथा जनता के साथ बहुत से वायदे भी किए जाते हैं। चुनाव से 48 घंटे पहले चुनाव अभियान बंद कर दिया जाता है।

प्रश्न 4.
मतदान केंद्र पर बलात् अधिकार करने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मतगणना वाले स्थान या केंद्र को एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा घेरना, वोट की गणना करने वाले कर्मचारियों से मतपेटी या मशीनें छीन लेना या कोई ऐसी गतिविधि जिससे चुनाव में विघ्न उत्पन्न हो बूथ केपचरिंग या मतदान केंद्र पर बलात् अधिकार कहलाता है। काबूले के अनुसार यदि कोई ऐसा करेगा तो उसे कम से कम 6 महीने की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है तथा इस कारावास की अवधि को दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। परंतु अगर कोई सरकारी कर्मचारी ऐसा करता है तो उसे 1 वर्ष की सज़ा व जुर्माना होगा तथा सजा को तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 5.
राजनीतिक दलों की चुनाव में क्या भूमिका है ?
उत्तर-
लोकतंत्र रूपी गाड़ी में राजनीतिक दल पहिए के समान होते हैं जिनके बिना चुनाव करवाना मुमकिन ही नहीं है। हम राजनीतिक दलों के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते। संपूर्ण विश्व में सरकार चाहे कोई हो, राजनीतिक दल तो होते ही हैं। चाहे उत्तरी कोरिया जैसी तानाशाही हो या भारत जैसा लोकतंत्र, राजनीतिक दल तो होते ही हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। भारत में 8 राष्ट्रीय दल हैं 59 क्षेत्रीय दल हैं तथा अगर उन सभी दलों को मिला दिया जाए जो चुनाव आयोग के पास पंजीकृत हैं तो यह संख्या 1700 के करीब है।

प्रश्न 6.
भारत के कोई चार राष्ट्रीय दलों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  2. भारतीय जनता पार्टी
  3. बहुजन समाज पार्टी
  4. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया।

प्रश्न 7.
भारत के कोई चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शिरोमणि अकाली दल (पंजाब)
  2. शिवसेना (महाराष्ट्र)
  3. आम आदमी पार्टी (दिल्ली व पंजाब)
  4. तेलगुदेशम् पार्टी (आंध्र प्रदेश)

प्रश्न 8.
मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से कैसे निष्कासित किया जा सकता है.?
उत्तर-
वैसे तो मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो पहले हो जाए, होता है परंतु उसे उसका कार्यकाल पूर्ण होने से पहले भी उसे हटाया जा सकता है। यदि संसद् के दोनों सदन उसके विरुद्ध दो तिहाई बहुमत से दोष प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति के पास भेज दें तो उसे राष्ट्रपति उसके पद से हटा सकते हैं।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय चुनाव प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन संक्षेप में करें।
उत्तर-
भारतीय चुनाव प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  1. वयस्क मताधिकार-भारतीय चुनाव प्रणाली की प्रथम विशेषता वयस्क मताधिकार है। भारत के प्रत्येक नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो मताधिकार प्राप्त है।
  2. संयुक्त चुनाव पद्धति-भारतीय चुनाव प्रणाली की मुख्य विशेषता संयुक्त चुनाव पद्धति है। इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक ही निर्वाचक सूची होती है जिसमें उस क्षेत्र के सभी मतदाताओं के नाम होते हैं और वे सभी मिलकर एक प्रतिनिधि को चुनते हैं।
  3. अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्गों के लिए सुरक्षित स्थान-संयुक्त चुनाव प्रणाली के बावजूद भी हमारे संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित तथा पिछड़े वर्गों के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए हैं। संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के स्थान सुरक्षित कर दिए हैं।
  4. गुप्त मतदान-भारत में मतदान गुप्त रूप से होता है।
  5. प्रत्यक्ष चुनाव-भारत में लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं, नगरपालिकाओं, पंचायतों आदि के चुनाव जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होते हैं और ये संस्थाएं ही शक्ति का वास्तविक प्रयोग करती हैं।

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प्रश्न 2.
चुनाव आयुक्त के कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव आयुक्त के कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. चुनाव आयुक्त का सबसे प्रथम कार्य सभी प्रकार के चुनावों के लिए मतदाता सूचियां तैयार करवाना तथा उनमें संशोधन करवाना है।
  2. चुनाव का निर्देशन, नियंत्रण व निरीक्षण करवाना भी चुनाव आयुक्त का कार्य है।
  3. चुनाव के लिए समय सूची तैयार करना तथा चुनाव करवाने के लिए चुनाव की तिथियों का चुनाव आयुक्त ही करता है।
  4. चुनाव से संबंधित साधारण नियम बनाना तथा मनोनीत पत्रों की सुरक्षा भी उसका ही कार्य है।
  5. राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता भी वह ही लागू करवाते हैं।
  6. चुनाव चिह्न देना तथा राजनीतिक दलों को मान्यता देना भी उनका ही कार्य है।
  7. चुनाव रद्द करना, किसी स्थान पर दोबारा चुनाव करवाना तथा बूथ गड़बड़ी जैसी घटनाओं को रोकना भी उनका कार्य है।
  8. न्यायपालिका द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित व्यक्तियों के लिए कुछ छूट देना भी चुनाव आयुक्त का ही कार्य है।

प्रश्न 3.
चुनाव प्रक्रिया के मुख्य पड़ावों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं

  1. चुनाव क्षेत्र निश्चित करना-चुनाव प्रबंध में सर्वप्रथम कार्य चुनाव क्षेत्र को निश्चित करना है। लोकसभा में जितने सदस्य चुने जाते हैं, लंगभग समान जनसंख्या वाले उतने ही क्षेत्रों में सारे भारत को बांट दिया जाता है। इसी प्रकार विधानसभाओं के चुनाव में राज्य को समान जनसंख्या वाले चुनाव क्षेत्र में बांट दिया जाता है और प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है।
  2. मतदाताओं की सूची-मतदाता सूचियां तैयार करना चुनाव प्रक्रिया की दूसरी अवस्था है। सबसे पहले मतदाताओं की अस्थायी सूची तैयार की जाती है। इन सूचियों को कुछ एक विशेष स्थानों पर जनता को देखने के लिए रख दिया जाता है। यदि उस सूची में किसी का नाम लिखने से रह गया हो या किसी का नाम गलत लिख दिया गया हो तो उसको एक निश्चित तिथि तक संशोधन करवाने के लिए प्रार्थना-पत्र देना होता है। फिर संशोधित सूचियां तैयार की जाती हैं।
  3. चुनाव तिथि की घोषणा–चुनाव आयोग चुनाव की तिथि की घोषणा करता है। चुनाव आयोग नामांकन-पत्र भरने की तिथि, नाम वापस लेने की तिथि, नामांकन-पत्रों की जांच-पड़ताल की तिथि निश्चित करता है।
  4. उम्मीदवारों का नामांकन-चुनाव कमिशन द्वारा की गई चुनाव घोषणा के पश्चात् विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने नामांकन-पत्र दाखिल करते हैं। राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के अतिरिक्त स्वतंत्र उम्मीदवार भी अपने नामांकन-पत्र प्रस्तुत करते हैं।
  5. मतदान-निश्चित तिथि पर मतदान होता है। मतदान के लिए प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में मतदान केंद्र बनाए जाते हैं। प्रत्येक चुनाव केंद्र का एक मुख्य अधिकारी तथा कई सहायक अधिकारी होते हैं। प्रत्येक मतदाता को एक मत-पत्र दिया जाता है जिस पर मतदाता मर्जी से किसी उम्मीदवार पर क्रास का निशान लगा देता है।
  6. परिणामों की घोषणा-चुनावों के पश्चात् मतों की गिनती होती है। गिनती के समय उम्मीदवार तथा उनके प्रतिनिधि अंदर बैठे रहते हैं। जो उम्मीदवार सबसे अधिक वोटें प्राप्त करता है, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 4.
चुनाव के महत्त्व पर संक्षेप में नोट लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र में चुनाव का बड़ा भारी महत्त्व है। चुनाव के द्वारा ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उनके माध्यम से शासन में भाग लेती है तथा शासन पर अपना नियंत्रण रखती है। चुनाव के कारण ही जनता अर्थात् मतदाताओं का महत्त्व क्या रहता है और यदि कोई मंत्री या प्रतिनिधि अपना कार्य ठीक प्रकार से न करें तो मतदाता उसे अगले चुनाव में वोट न देकर असफल कर सकते हैं। चुनाव के समय जनता को सरकार की आलोचना का भी अवसर मिलता है और वह अपनी इच्छानुसार सरकार को बदल सकती है। चुनाव ही एक ऐसा साधन है जिसके कारण जनता अपने को देश लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति का शासक समझ और कह सकती है। चुनावों से जनता को राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है, क्योंकि चुनावों के दिनों में सभी और सरकार अपने-अपने कार्यों का प्रचार करती तथा एक-दूसरे की आलोचना करती है। इससे नागरिकों को पता चल जाता है कि देश की समस्याएं क्या हैं और उन्हें कैसे हल किया जाए।

PSEB 9th Class Social Science Guide लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
भारत में किस प्रकार का लोकतंत्र पाया जाता है ?
(क) प्रतिनिधि लोकतंत्र
(ख) प्रत्यक्ष लोकतंत्र
(ग) राजतांत्रिक लोकतंत्र
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) प्रतिनिधि लोकतंत्र

प्रश्न 2.
भारत में लोकसभा एवं राज्य विधानसभा के चुनाव कितने वर्षों बाद होते हैं ?
(क) 2 वर्ष
(ख) 4 वर्ष
(ग) 5 वर्ष
(घ) 7 वर्ष।
उत्तर-
(ग) 5 वर्ष

प्रश्न 3.
भारत में मतदान के लिए न्यूनतम कितनी आयु होनी चाहिए ?
(क) 15 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 20 वर्ष
(घ) 25 वर्ष।
उत्तर-
(ख) 18 वर्ष

प्रश्न 4.
निर्वाचन आयोग के कितने सदस्य हैं ?
(क) 1 सदस्य
(ख) 2 सदस्य
(ग) 3 सदस्य
(घ) 4 सदस्य।
उत्तर-
(ग) 3 सदस्य

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प्रश्न 5.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री
(ग) स्पीकर
(घ) गृहमंत्री।
उत्तर-
(क) राष्ट्रपति

प्रश्न 6.
भारत में लोकसभा के अब तक कितने चुनाव हो चुके हैं ?
(क) 12
(ख) 13
(ग) 14
(घ) 16
उत्तर-
(घ) 16

प्रश्न 7.
भारत में लोकसभा का पहला आम चुनाव कब हुआ ?
(क) 1950
(ख) 1951
(ग) 1952
(घ) 1955
उत्तर-
(ग) 1952

प्रश्न 8.
भारत में लोकसभा का 16वां चुनाव कब हुआ ?
(क) 2006
(ख) 2008
(ग) 2007
(घ) 2014
उत्तर-
(घ) 2014

प्रश्न 9.
किस पहले राज्य में मतदाता पहचान पत्र का प्रयोग किया गया था ?
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर-
(क) हरियाणा

रिक्त स्थान भरें :

  1. लोकतांत्रिक देश में ……… का बहुत महत्त्व होता है।
  2. मुख्य चुनाव आयुक्त ……….. वर्षों के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
  3. लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव ………… वर्षों के पश्चात् होते हैं।
  4. देश में …………. राष्ट्रीय दल हैं।
  5. नगरपालिका के चुने हुए प्रत्याशी को ……. कहते हैं।
  6. चुनाव आयुक्त को ………… नियुक्त करता है।

उत्तर-

  1. चुनाव
  2. छ:
  3. पांच
  4. सात
  5. पार्षद
  6. राष्ट्रपति

सही/गलत :

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रधानमंत्री हटा सकते हैं।
  2. चुनाव करवाने का कार्य सरकार करती है।
  3. लोकसभा के चुने हुए सदस्य को एम० एल० ए० कहते हैं।
  4. मतदाता सूची में संशोधन का कार्य चुनाव आयोग का होता है।
  5. चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सी शासन प्रणाली 1950 में अपनाई गई ?
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली।

प्रश्न 2.
भारत में कौन-सी प्रतिनिधित्व प्रणाली पाई जाती है ?
उत्तर-
प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।

प्रश्न 3.
भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कितने वर्षों के बाद होते हैं ?
उत्तर-
पांच वर्ष।

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प्रश्न 4.
लोकसभा की निर्वाचित सीटें (सदस्य संख्या) कितनी हैं ?
उत्तर-
543.

प्रश्न 5.
लोकतांत्रिक चुनाव की शर्ते लिखें।
उत्तर–
प्रत्येक नागरिक को एक वोट का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक वोट का मूल्य समान हो।

प्रश्न 6.
चुनावी प्रतियोगिता का एक महत्त्वपूर्ण दोष लिखें।
उत्तर-
निर्वाचन क्षेत्र में लोगों में गुटबंदी की भावना पैदा हो जाती है।

प्रश्न 7.
आम चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा के निर्धारित समय के पश्चात् (5 वर्ष के पश्चात्) होने वाले चुनावों को आम चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 8.
मध्यावधि चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मध्यावधि चुनाव उस चुनाव को कहते हैं जो चुनाव विधानमंडल के निश्चित कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व कराए जाते हैं।

प्रश्न 9.
भारतीय चुनाव प्रणाली की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
भारत में संयुक्त चुनाव प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 10.
भारत में मतदाता कौन है?
उत्तर-
जिस नागरिक की आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, उसे मताधिकार प्राप्त है। चुनाव में उसी नागरिक को मत डालने दिया जाता है जिसका नाम मतदाता सूची में हो।

प्रश्न 11.
मतदाता सूची से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस सूची में मतदाताओं के नाम लिखे होते हैं, उसे मतदाता सूची कहते हैं।

प्रश्न 12.
क्या चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त कर सकता है ?
उत्तर-
चुनाव आयोग को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि कोई राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर का दल निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता तो चुनाव आयोग उसकी मान्यता समाप्त कर सकता है।

प्रश्न 13.
भारतीय संविधान के किस अध्याय व किन अनुच्छेदों में चुनाव व्यवस्था का वर्णन किया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान के 15वें अध्याय के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव व्यवस्था का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 14.
निर्वाचन आयोग के कितने सदस्य हैं ?
उत्तर-
आजकल चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त व दो अन्य चुनाव आयुक्त हैं।

प्रश्न 15.
चुनाव आयोग की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
चुनाव आयोग की नियुक्ति संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

प्रश्न 16.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 17.
चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल बताइए।
उत्तर-
चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल राष्ट्रपति नियम बनाकर निश्चित करता है। प्रायः यह अवधि 6 वर्ष होती है।

प्रश्न 18.
भारतीय चुनाव आयोग का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-
चुनाव आयोग का मुख्य कार्य संसद् तथा राज्य विधान सभाओं के चुनाव करवाना तथा उनकी मतदाता सूची तैयार करवाना है।

प्रश्न 19.
चुनाव चिह्न का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
भारत के अधिकांश मतदाता अनपढ़ हैं जिस कारण मतदाता चुनाव चिह्न को पहचान कर ही अपनी पसंद के राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार को मत देते हैं।

प्रश्न 20.
चुनाव याचिका का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
चुनाव में यदि कोई उम्मीदवार चुनाव के नियमों का उल्लंघन करता है या भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करता है तब संबंधित व्यक्ति द्वारा उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में दी गई याचिका को चुनाव याचिका कहते हैं।

प्रश्न 21.
भारत में चुनाव याचिका की सुनवाई कौन करता है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव याचिका की सुनवाई सीधे उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है।

प्रश्न 22.
भारतीय चुनाव प्रणाली का कोई एक दोष बताएं।
उत्तर-
भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है।

प्रश्न. 23.
चुनाव प्रणाली में सुधार करने का एक उपाय बताएं।
उत्तर-
बूथों पर कब्जा करने वालों को कड़ी सज़ा देनी चाहिए।

प्रश्न 24.
भारत में अब तक लोकसभा के कितने चुनाव हो चुके हैं ?
उत्तर-
अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं।

प्रश्न 25.
भारत में पहली लोकसभा का चुनाव किस वर्ष में हुआ था ?
उत्तर-
भारत में पहली लोकसभा का चुनाव 1952 में हुआ था।

प्रश्न 26.
भारत सरकार द्वारा किया गया एक चुनाव सुधार बताइए।
उत्तर-
61वें संशोधन द्वारा मताधिकारी की आयु 21 वर्ष से हटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

प्रश्न 27.
सन् 1989 में पारित संविधान द्वारा मताधिकार की आयु सीमा में क्या परिवर्तन किया गया है ?
उत्तर-
मताधिकार की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

प्रश्न 28.
चुनाव प्रचार के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए जाते हैं ?
उत्तर-
चुनाव घोषणा-पत्र, चुनाव सभा एवं जुलूस, घर-घर जाकर मत याचना इत्यादि।

प्रश्न 29.
निर्धारित मतदान के समय से कितने घंटे पहले चुनाव प्रचार कानूनतः बंद कर दिया जाता है ?
उत्तर-
निर्धारित मतदान के समय से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार कानूनतः बंद कर दिया जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 30.
भारत में मताधिकार का आधार क्या है ?
उत्तर-
भारत में मताधिकार का आधार आयु है।

प्रश्न 31.
भारत में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व किसका है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग का है।

प्रश्न 32.
राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह कौन निश्चित करता है ?
उत्तर-
राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग निश्चित करता है।

प्रश्न 33.
‘एक नागरिक एक मत’ का सिद्धांत किसका प्रतीक है ?
उत्तर-
‘एक नागरिक एक मत’ का सिद्धांत राजनीतिक एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 34.
उप चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो चुनाव रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए करवाया जाता है, उसे उप चुनाव कहते हैं।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मतदाता की कौन-सी तीन योग्यताएं होनी चाहिए?
उत्तर-

  1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. आयु कम-से-कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  3. मतदाता सूची में नाम होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भारत में निर्वाचकीय प्रवृत्तियों पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में निर्वाचकीय प्रवृत्तियों को संक्षेप में निम्नलिखित रूप में बताया जा सकता है-

  1. भारत में सोलह आम चुनावों के फलस्वरूप नागरिकों में निर्वाचक चेतना का विकास हुआ।
  2. चुनाव में मतदाताओं की अभिरुचि बढ़ी है।
  3. मतदाताओं को राजनीतिक दलों की नीतियों तथा कार्यक्रम का ज्ञान हुआ है।

प्रश्न 3.
चुनाव चिह्न पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
ज़ो राजनीतिक दल चुनाव में हिस्सा लेते हैं उन्हें चुनाव आयोग चुनाव चिह्न प्रदान करता है। चुनाव चिह्न राजनीतिक दल की पहचान होता है। भारत में अधिकांश मतदाता अनपढ़ हैं। अनपढ़ मतदाता चुनाव चिह्न को पहचान कर ही अपनी पसंद के राजनीतिक दल अथवा उम्मीदवार को मत देते हैं।

प्रश्न 4.
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भारतीय प्रजातंत्र की कार्यशीलता को किस तरह प्रभावित करती है?
उत्तर-
भारतीय संविधान के अंतर्गत चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की व्यवस्था की गई है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता ने भारतीय प्रजातंत्र की कार्यशीलता को काफ़ी प्रभावित किया है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता ने भारतीय प्रजातंत्र को सुदृढ़ तथा सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। बिना स्वतंत्रता के चुनाव आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में सफल नहीं हो सकता था। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के कारण ही लोकसभा के पंद्रह आम चुनाव स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता से हो चुके हैं। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के कारण ही जनता की प्रजातंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है।

प्रश्न 5.
भारत में चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए किन्हीं दो सुधारों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत की चुनाव प्रक्रिया में निम्नलिखित दो सुधार किए जाने अति आवश्यक हैं

  1. निष्पक्षता-चुनाव निष्पक्ष ढंग से होने चाहिए। सत्तारूढ़ दल को चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही अपने दल के हित में सरकारी मशीनरी का प्रयोग करना चाहिए।
  2. चुनाव व्यय-एक चुनाव क्षेत्र में एक उम्मीदवार द्वारा धन व्यय करने के लिए निश्चित की गई धन की सीमा में वह धन भी सम्मिलित किया जाना चाहिए जो धन उम्मीदवार के मित्रों और उसके राजनीतिक दल द्वारा खर्च किया जाता है।

प्रश्न 6.
चुनाव के रद्दीकरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
चुनाव के रद्दीकरण से अभिप्राय है कि यदि चुनाव प्रचार के दौरान किसी प्रत्याशी की मृत्यु हो जाए तो उस चुनाव क्षेत्र का चुनाव कुछ समय के लिए चुनाव आयोग द्वारा निरस्त किया जाता था। फरवरी, 1992 में जनप्रतिनिधि कानून में एक संशोधन करके यह व्यवस्था की गई है कि यदि किसी निर्दलीय प्रत्याशी की मृत्यु हो गई हो तो उस चुनाव क्षेत्र के चुनाव रद्द नहीं किए जाएंगे।

प्रश्न 7.
भारत में निर्वाचन प्रक्रिया की किन्हीं दो अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रक्रिया की निम्नलिखित अवस्थाएं हैं

  1. चुनाव क्षेत्र निश्चित करना-चुनाव प्रबंध में सर्वप्रथम कार्य चुनाव क्षेत्र को निश्चित करना है। लोकसभा में जितने सदस्य चुने जाने हों, लगभग समान जनसंख्या वाले उतने ही क्षेत्रों में सारे भारत को बांट दिया जाता है। इसी प्रकार विधानसभाओं के चुनाव में राज्य को समान जनसंख्या वाले चुनाव क्षेत्र में बांट दिया जाता है और प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है।
  2. चुनाव तिथि की घोषणा-चुनाव आयोग चुनाव की तिथि की घोषणा करता है। चुनाव आयोग नामांकन-पत्र भरने की तिथि, नाम वापस लेने की तिथि, नामांकन-पत्रों की जांच-पड़ताल की तिथि निश्चित करता है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाने के पक्ष में कोई पांच तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. लोकतंत्र में प्रभुसत्ता जनता के पास होती है, इसीलिए समानता के आधार पर सभी को मत का अधिकार मिलना चाहिए।
  2. कानूनों का प्रभाव सभी पर पड़ता है, इसलिए मताधिकार सभी को.मिलना चाहिए।
  3. व्यक्ति के विकास के लिए मताधिकार आवश्यक है।
  4. वयस्क मताधिकार द्वारा चुनी गई सरकार अधिक शक्तिशाली रहती है।
  5. वयस्क मताधिकार से लोगों में राजनीतिक जागृति उत्पन्न होती है और उन्हें राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है।

प्रश्न 2.
चुनाव अभियान (Election Campaign) के तरीकों की संक्षिप्त व्याख्या करो।
उत्तर-
चुनाव से पूर्व राजनीतिक दल, उम्मीदवार, सदस्य चुनाव अभियान के अंतर्गत अनेक तरीके अपनाते हैं जिनमें महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित हैं-

  1. चुनाव घोषणा-पत्र-प्रत्येक प्रमुख दल और कभी-कभी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में अपना-अपना घोषणा-पत्र जारी करते हैं।
  2. चुनाव सभाएं व जुलूस-पार्टी के सदस्य व उम्मीदवार चुनाव अभियान के अंतर्गत सभाओं व जुलूस का आयोजन करके जनसाधारण से संपर्क स्थापित करके अपने उद्देश्यों व नीतियों को स्पष्ट करते
  3. भित्ति चित्र, पोस्टर व पर्चे-चुनाव अभियान के अंतर्गत अपनाए जाने वाले अन्य तरीके भित्ति चित्र, पोस्टर व पर्चे हैं, जिनके द्वारा उम्मीदवार व पार्टी के चिह्न का प्रचार मतदाताओं में किया जाता है।
  4. झंडे एवं ध्वजाएं-भिन्न-भिन्न पार्टियों के झंडों एवं ध्वजाओं को घरों, गैर-सरकारी कार्यालयों, दुकानों, रिक्शा, स्कूटरों, ट्रकों व कारों पर लटका कर चुनाव प्रचार किया जाता है।
  5. लाउड स्पीकर व ग्रामोफोन-अनेक तरह के वाहनों के ऊपर लाउड स्पीकर एवं ग्रामोफोन को लगाकर सड़कों व मुहल्लों में चुनाव अभियान के प्रचार का महत्त्वपूर्ण साधन अपनाया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में चुनाव में निम्न स्तर की जन-सहभागिता के लिए उत्तरदायी पांच तत्त्वों की व्याख्या करें।
उत्तर-
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। 2019 की 17वीं लोकसभा के चुनाव के अवसर पर
मतदाताओं की संख्या 89 करोड़ से अधिक थी। भारत में चुनाव में अधिकांश मतदाता वोट डालने नहीं जाते हैं। भारत में निम्न स्तर की जन-सहभागिता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. अनपढ़ता-भारत की अधिकांश जनता अनपढ़ है। अशिक्षित व्यक्ति मताधिकार का महत्त्व नहीं समझता न ही अधिकांश अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार का प्रयोग करना आता है।
  2. गरीबी-गरीब व्यक्ति चुनाव लड़ना तो दूर की बात वह चुनाव लड़ने की बात सोच भी नहीं सकता। गरीब व्यक्ति मताधिकार का महत्त्व नहीं समझता और अपनी वोट को बेचने के लिए तैयार हो जाता है।
  3. बेकारी-भारत में जन-सहभागिता के निम्न स्तर के होने का एक कारण बेकारी है। भारत में करोड़ों लोग बेकार हैं। बेकार व्यक्ति मताधिकार को कोई महत्त्व नहीं देता और अपना वोट बेचने के लिए तैयार हो जाता है।
  4. शिक्षित लोगों में राजनीतिक उदासीनता-चुनाव में अधिकांश शिक्षित लोग वोट डालने नहीं जाते।
  5. मतदान केंद्रों का दूर होना-मतदान केंद्र दूर होने के कारण कई मतदाता वोट डालने नहीं जाते।

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प्रश्न 4.
भारतीय चुनाव आयोग की रचना का वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव आयोग में मुख्य आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य हो सकते हैं। इनकी संख्या राष्ट्रपति द्वारा निश्चित की जाती है। 1989 से पूर्व चुनाव आयोग एक सदस्यीय था। 1989 में कांग्रेस सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त नियुक्त किए , परंतु राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने इस फैसले को बदल दिया था। 1 अक्तूबर, 1993 को केंद्र सरकार ने दो नए चुनाव आयुक्तों कृषि सचिव एस० एस० गिल और विधि आयोग के सदस्य जी० वी० जी० कृष्णामूर्ति की नियुक्ति कर चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाने का महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। दिसंबर, 1993 को संसद् ने चुनाव आयोग को बहु-सदस्यीय बनाने संबंधी विधेयक पारित कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 5.
भारत की निर्वाचन प्रणाली की कोई पांच कमजोरियां लिखिए।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रणाली तथा चुनावों में कई दोष हैं जो मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं-

  1. एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र-भारत में एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र है और एक स्थान के लिए बहुत-से उम्मीदवार खड़े हो जाते हैं। कई बार थोड़े-से मत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार भी चुनाव जीत सकता है।
  2. जाति और धर्म के नाम पर वोट-जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत मांगे और डाले जाते हैं।
  3. धन का अधिक खर्च- भारत में चुनाव में धन का बहुत अधिक खर्च होता है, जिसे देखकर साधारण व्यक्ति तो चुनाव लड़ने की कल्पना भी नहीं कर सकता है।
  4. सरकारी मशीनों का दुरुपयोग-सत्तारूढ़ दल चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करता है। इससे चुनाव निष्पक्ष रूप में नहीं होते हैं।
  5. जाली वोटें भुगताना-चुनाव जीतने के लिए जाली वोटें बड़े पैमाने पर भुगताई जाती हैं।

प्रश्न 6.
भारतीय चुनाव प्रणाली में कोई पांच महत्त्वपूर्ण सुधार समझाइए।
उत्तर-
चुनाव प्रणाली के दोषों को निम्नलिखित ढंगों से दूर किया जा सकता है-

  1. निष्पक्षता-चुनाव निष्पक्ष ढंग से होने चाहिए। सत्तारूढ़ दल को चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए न ही अपने दल के हित में सरकारी मशीनरी का प्रयोग करना चाहिए।
  2. धन के प्रभाव को कम करना-इसके लिए पब्लिक फंड बनाना चाहिए और उम्मीदवारों की धन से सहायता करनी चाहिए। चुनाव का खर्च शासन को ही देना चाहिए।
  3. आनुपातिक चुनाव प्रणाली-प्रायः सभी विपक्षी दल वर्तमान में एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र की प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस को अल्पसंख्यक मत मिलते हैं पर संसद् में सीटें बहुत अधिक मिलती हैं। आम तौर पर सभी विरोधी दल आनुपातिक चुनाव प्रणाली के पक्षधर हैं।
  4. परिचय-पत्र-जाली मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को परिचय-पत्र दिए जाने चाहिए।
  5. कड़ी सज़ा-बूथों पर कब्जा करने वालों को कड़ी सज़ा देनी चाहिए।

लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति PSEB 9th Class Civics Notes

  • हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है तथा लोकतंत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण पहचान उसकी चुनावी राजनीति होती है। लोकतंत्र में एक निश्चित समय के पश्चात् चुनाव करवाए जाते हैं तथा सरकार का चुनाव किया जाता है।
  • देश का प्रशासन चलाने के लिए कुछ निर्णय लिए जाते हैं तथा निर्णय लेने का अधिकार उन लोगों के पास होता है जिन्हें जनता वोट देकर चुनती है।
  • जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव इसलिए करती है ताकि उनकी समस्याओं को उनके ही स्तर पर हल किया जा सके।
  • आज के समय में चुनाव का बहुत महत्त्व है क्योंकि इससे सरकार में परिवर्तन करना आसान है तथा इससे सरकारों को निरंकुश होने से रोका जा सकता है।
  • हमारे देश में एक वयस्क-एक वोट-एक मूल्य का सिद्धांत लागू किया गया है ताकि चुनावी राजनीति में समानता लाई जा सके।
  • हमारे देश में लोकसभा, राज्य विधान सभाओं तथा स्थानीय स्वै-संस्थाओं के लिए प्रत्यक्ष चुनाव करवाए जाते हैं तथा इन सब चुनावों के लिए इकहरी वोटर सूची तैयार की जाती है।
  • भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर करवाए जाते हैं तथा जिस व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक है वह वोट देने के योग्य हो जाता है।
  • देश में मतदाताओं को मत गुप्त रूप से प्रयोग करने का अधिकार दिया गया है ताकि किसी अन्य व्यक्ति को पता न चल सके कि हमने किसे वोट दिया है।
  • हमारे देश में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव आयोग को दिया गया है। इसके तीन सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • चुनाव आयोग कई महत्त्वपूर्ण कार्य करता है जैसे कि वोटर सूची तैयार करवाना, चुनाव का निर्देशन करना, चुनावों से संबंधित नियम बनाने, आचार संहिता लागू करना, चुनाव चिन्ह देना, राजनीतिक दलों को मान्यता देना, चुनाव करवाना इत्यादि।
  • लोकतंत्र में आशा की जाती है कि चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हो। इसके लिए सरकार तथा चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में बहुत से परिवर्तन किए हैं।
  • चुनावी प्रक्रिया काफी लंबी प्रक्रिया है जिसमें चुनावी क्षेत्रों का परिसीमन, चुनाव तिथियों की घोषणा, नामांकन पत्र भरना व वापिस लेना, चुनाव अभियान चलाना, मतदान करना, मतगणना करना तथा परिणाम घोषित करना शामिल है।
  • राजनीतिक दल लोकतंत्र में काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि इसके बिना चुनाव नहीं हो सकते। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है।
  • देश में दो प्रकार के दल-राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल पाए जाते हैं। देश में 8 राष्ट्रीय राजनीतिक दल व 59 क्षेत्रीय – राजनीतिक दल हैं।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 17 सरकार के अंग-कार्यपालिका

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 17 सरकारों के रूप-एकात्मक एवं संघात्मक शासन प्रणाली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 17 सरकारों के रूप-एकात्मक एवं संघात्मक शासन प्रणाली

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1. कार्यपालिका की परिभाषा दीजिए तथा उसके विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए।
(Define the term ‘Executive’ and discuss its various forms.)
उत्तर-कार्यपालिका सरकार का दूसरा महत्त्वपूर्ण अंग है। विधानमण्डल के बनाए हुए कानूनों को कार्यपालिका के द्वारा ही लागू किया जाता है। प्राचीनकाल में सम्राट् स्वयं ही कानून बनाता था, कानून को लागू करता था तथा कानून की व्याख्या करता था। परन्तु आधुनिक राज्यों में शक्तियों के पृथक्करण होने के कारण कार्यपालिका केवल कानूनों को लागू करती है। गिलक्राइस्ट (Gilchrist) के अनुसार, “कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून के रूप में प्रकट जनता की इच्छा को लागू करता है।” डॉ० गार्नर (Garner) ने कार्यपालिका की परिभाषा करते हुए लिखा है, “व्यापक तथा सामूहिक अर्थ में कार्यपालिका के अन्तर्गत वे सभी अधिकारी, राज्य कर्मचारी तथा एजेंसियां आ जाती हैं जिनका कार्य राज्य की इच्छा को, जिसे विधानमण्डल ने प्रकट कर कानून का रूप दे दिया है, कार्यरूप में परिणत करता है।” डॉ० गार्नर की यह परिभाषा बहुत व्यापक है, इसमें राज्य का अध्यक्ष, प्रधानमन्त्री, मन्त्रिपरिषद्, पुलिस तथा सेना के सभी छोटे-बड़े कर्मचारी शामिल हैं जो शासन में भाग लेते हैं। यदि हम कार्यपालिका की संकुचित परिभाषा लें तो उसमें अध्यक्ष, प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् ही आते हैं।

कार्यपालिका कई प्रकार की है जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं-

1. वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका (Real and Nominal Executive)-प्राचीनकाल में वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका में कोई अन्तर नहीं होता था। सम्राट के पास शासन की सभी शक्तियां होती थीं और उन शक्तियों का प्रयोग सम्राट् स्वयं करता था, परन्तु इंग्लैण्ड में शानदार क्रान्ति के पश्चात् मन्त्रिमण्डल का उदय हुआ, जिसने सम्राट की शक्तियों का प्रयोग करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका बन गई और सम्राट नाममात्र का मुखिया। इस प्रकार वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका में अन्तर उत्पन्न हुआ। संसदीय सरकार में यह अन्तर स्पष्ट दिखाई देता है। संसदीय सरकार में संविधान के अनुसार कार्यपालिका की सारी शक्तियां राज्य व अध्यक्ष के पास होती हैं, परन्तु इन शक्तियों का प्रयोग अध्यक्ष स्वयं नहीं करता। राज्य के अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग वास्तव में मन्त्रिमण्डल के द्वारा किया जाता है। इंग्लैण्ड, जापान, भारत, डैनमार्क तथा हालैण्ड में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया है जबकि मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है। अध्यक्षात्मक सरकार में वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका में कोई अन्तर नहीं पाया जाता। अमेरिका में संविधान के अन्तर्गत कार्यपालिका की शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं और व्यवहार में भी इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति ही करता है। इस प्रकार राष्ट्रपति वास्तविक कार्यपालिका है।

2. संसदीय तथा अध्यक्षात्मक कार्यपालिका (Parliamentary and Presidential Executive)-संसदीय सरकार में नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में अन्तर होता है। राज्य का अध्यक्ष (सम्राट् तथा राष्ट्रपति) नाममात्र का मुखिया होता है जबकि मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य संसद् के सदस्य भी होते हैं और वे अपने समस्त कार्यों के लिए सामूहिक रूप से संसद् के प्रति उत्तरदायी होते हैं। मन्त्रिमण्डल के सदस्य तब तक अपने पद पर रह सकते हैं जब तक उन्हें संसद् का बहुमत प्राप्त हो। संसद् के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को अपदस्थ कर सकते हैं। संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका का संसद् से बहुत समीप का सम्बन्ध होता है।

अध्यक्षात्मक सरकार में राज्य का अध्यक्ष वास्तविक कार्यपालिका है। संविधान के अन्तर्गत कार्यपालिका की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं और राष्ट्रपति ही उन शक्तियों का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है और न ही वह संसद् का सदस्य होता है। राष्ट्रपति संसद् की बैठकों में भाग नहीं ले सकता। वह केवल संसद् को सन्देश भेज सकता है। संसद् के सदस्य राष्ट्रपति को अविश्वास प्रस्ताव पास करके नहीं हटा सकते। राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के द्वारा हटाया जा सकता है। अमेरिका में राष्ट्रपति 4 वर्ष के लिए चुना जाता है और वह अपने कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है।।

3. एकल तथा बहुल कार्यपालिका (Single and Plural Executive)—एकल कार्यपालिका उसे कहते हैं जहां कार्यपालिका की शक्तियां एक व्यक्ति के हाथ में होती हैं। अमेरिका में एकल कार्यपालिका पाई जाती है क्योंकि अमेरिका में कार्यपालिका की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं। राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए एक मन्त्रिमण्डल है, परन्तु मन्त्रिमण्डल के सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किये जाते हैं और उसके प्रति उत्तरदायी हैं। राष्ट्रपति का निर्णय अन्तिम होता है। संसदीय सरकारों में भी एकल कार्यपालिका होती है क्योंकि मन्त्रिमण्डल एक इकाई की तरह कार्य करता है और प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का अध्यक्ष होता है। _जहां कार्यपालिका की शक्तियां अनेक व्यक्तियों के पास होती हैं, उसे बहुल कार्यपालिका कहा जाता है। स्विटज़रलैण्ड में बहुल कार्यपालिका है। स्विट्ज़रलैण्ड में कार्यपालिका की शक्तियां एक फैडरल कौंसिल के पास हैं जिसके सात सदस्य होते हैं। इन सात सदस्यों की शक्तियां समान हैं। फैडरल कौंसिल के अध्यक्ष को शेष सदस्यों से अधिक शक्तियां प्राप्त नहीं हैं।

4. पैतृक तथा चुनी हुई कार्यपालिका (Hereditary and Elective Executive)-पैतृक कार्यपालिका वहां होती है जहां राज्य का अध्यक्ष राजा होता है और उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके लड़के अथवा लड़की को राजसिंहासन पर बैठाया जाता है। इंग्लैण्ड, जापान, हालैण्ड तथा डैनमार्क में पैतृक कार्यपालिका पाई जाती है।

चुनी हुई कार्यपालिका वहां पर पाई जाती है जहां कार्यपालिका का अध्यक्ष प्रत्यक्ष तौर पर जनता द्वारा चुना जाता है अथवा जनता के प्रतिनिधियों के द्वारा चुना जाता है। चुनी हुई कार्यपालिका में अध्यक्ष निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है और उसकी मृत्यु या उसकी अवधि के समाप्त होने पर उसके पुत्र को पैतृक आधार पर अध्यक्ष नहीं बनाया जाता। भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति जनता के प्रतिनिधियों के द्वारा चुना जाता है जबकि पीरू तथा चिल्ली में राष्ट्रपति जनता द्वारा चुना जाता है।

5. राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका (Political and Permanent Executive)-राजनीतिक कार्यपालिका उसे कहते हैं जो राजनीतिक आधार पर कुछ समय के लिए चुनाव द्वारा या किसी अन्य साधन द्वारा नियुक्त की जाती है। राजनीतिक कार्यपालिका को किसी भी समय हटाया जा सकता है। उदाहरण के लिए भारत में केन्द्र और राज्यों में मन्त्रिमण्डल राजनीतिक कार्यपालिका है। मन्त्रिमण्डल का सदस्य बनने के लिए कोई शैक्षणिक या तकनीकी योग्यता निश्चित नहीं है। चुनाव में जिस दल को विधानमण्डल में बहुमत प्राप्त होता है, उसी दल का मन्त्रिमण्डल बनता है। . नीतियों का निर्माण राजनीतिक कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है।

स्थायी कार्यपालिका की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर न होकर शैक्षणिक या तकनीकी योग्यता के आधार पर की जाती है। देश के राजनीतिक परिवर्तन के साथ-स्थायी कार्यपालिका में परिवर्तन नहीं होता। किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बने, स्थायी कार्यपालिका निष्पक्षता से कार्य करती रहती है। स्थायी कार्यपालिका का मुख्य कार्य राजनीतिक कार्यपालिका द्वारा निर्माण की गई नीतियों को लागू करना होता है। असैनिक सेवाएं अथवा प्रशासकीय सेवाएं स्थायी कार्यपालिका का रूप हैं।

6. अधिनायकीय और संवैधानिक (Dictatorial and Constitution Executive)-जो कार्यपालिका अपने अस्तित्व और शक्तियों के लिए राज्य के संविधान पर निर्भर हो, वह संवैधानिक कार्यपालिका कहलाती है। सभी प्रजातन्त्रात्मक राज्यों में इसके उदाहरण हैं जो कार्यपालिका अपने अस्तित्व और शक्तियों के लिए शारीरिक बल या सैनिक बल पर निर्भर हो. अधिनायकीय कार्यपालिका कहलाती है।

7. नियुक्ति या मनोनीत कार्यपालिका (Appointive or Nominated Executive)—मनोनीत कार्यपालिका उसे कहते हैं जिसमें देश के मुखिया को किसी व्यक्ति द्वारा मनोनीत किया जाए। स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में गवर्नर-जनरल की नियुक्ति ब्रिटिश सम्राट् द्वारा की जाती थी। आजकल कैनेडा, न्यूज़ीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, आदि देशों के गवर्नर-जनरलों की नियुक्ति ब्रिटिश सम्राट् अथवा साम्राज्ञी द्वारा की जाती है। भारत में राज्यों के राज्यपालों को राष्ट्रपति नियुक्त करता है।

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प्रश्न 2. सरकार के अंगों में कार्यपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
(Describe the functions performed by the executive organ of a government.)
अथवा
आधुनिक समय में कार्यपालिका के भिन्न-भिन्न कार्यों का वर्णन करें। (Describe the various functions performed by the executive in modern times.)
उत्तर-आधुनिक राज्य पुलिस राज्य न होकर कल्याणकारी राज्य है। राज्य का मुख्य उद्देश्य जनता की भलाई के लिए कार्य करना है। कल्याणकारी राज्य के उदय होने से कार्यपालिका के कार्य भी बहुत बढ़ गए हैं। कार्यपालिका का मुख्य काम विधानमण्डल के बनाए हुए कानूनों को लागू करना है। इस कार्य के अतिरिक्त कार्यपालिका को अनेक कार्य करने पड़ते हैं। कार्यपालिका के कार्य भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न हैं। वास्तव में कार्यपालिका के कार्य सरकार के स्वरूप पर निर्भर करते हैं। आधुनिक राज्य में कार्यपालिका के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं

1. कानून लागू करना और शान्ति व्यवस्था को बनाए रखना (Enforcement of Laws and Maintenance of Order) कार्यपालिका का प्रथम कार्य विधानमण्डल के कानूनों को लागू करना तथा देश में शान्ति व्यवस्था को बनाए रखना होता है। कार्यपालिका का कार्य कानूनों को लागू करना है चाहे वह कानून बुरा हो चाहे अच्छा। कार्यपालिका देश में शान्ति की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस का प्रबन्ध करती है। पुलिस उन व्यक्तियों को जो कानून तोड़ते हैं, गिरफ्तार करती है और उन पर मुकद्दमा चलाती है।

2. नीति निर्धारण (Formulation of Policy) कार्यपालिका का महत्त्वपूर्ण कार्य नीति निर्धारण करना है। संसदीय सरकार में कार्यपालिका अपनी नीति को निर्धारित करके संसद् के सम्मुख पेश करती है। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका को अपनी नीतियों को विधानमण्डल के सामने पेश नहीं करना पड़ता। कार्यपालिका ही देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति को निश्चित करती है और उस नीति के आधार पर ही अपना शासन चलाती है। नीतियों को लागू करने के लिए शासन को कई विभागों में बांटा जाता है और प्रत्येक विभाग का एक अध्यक्ष होता है।

3. नियुक्तियां करने और हटाने की शक्ति (Powers of Appointment and Removal) कार्यपालिका को देश का शासन चलाने के लिए अनेक कर्मचारियों की नियुक्ति करनी पड़ती है। सिविल कर्मचारियों की नियुक्ति अधिकतर प्रतियोगिता की परीक्षा के आधार पर की जाती है। भारत में राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट के न्यायाधीशों, राजदूतों, ऍटार्नी जनरल, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है। अमेरिका में राष्ट्रपति को ऊंचे अधिकारियों की नियुक्ति के लिए सीनेट की स्वीकृति लेनी पड़ती है। अमेरिका का राष्ट्रपति उन सब कर्मचारियों को हटाने का अधिकार रखता है जिन्हें कांग्रेस महाभियोग के द्वारा नहीं हटा सकती।

4. विदेश सम्बन्धी कार्य (Foreign Relations)-दूसरे देशों में सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है। देश की विदेश नीति को कार्यपालिका ही निश्चित करती है। देश के दूसरे देशों से कैसे सम्बन्ध होंगे, यह कार्यपालिका पर निर्भर करता है। कार्यपालिका अपने देश के राजदूतों को दूसरे देशों में भेजती है और दूसरे देशों के राजदूतों को अपने देश में रहने की स्वीकृति देती है। दूसरे देशों से सन्धि-समझौते करने के लिए सीनेट की स्वीकृति भी लेनी पड़ती है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में कार्यपालिका का अध्यक्ष या उसका प्रतिनिधि भाग लेता है।

5. कानून सम्बन्धी कार्य (Legislative Functions) कार्यपालिका के पास कानून से सम्बन्धित कुछ शक्तियां होती हैं। संसदीय सरकार में कार्यपालिका का कानून निर्माण में महत्त्वपूर्ण हाथ होता है। संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानमण्डल के सदस्य होते हैं, वे विधानमण्डल की बैठकों में भाग लेते हैं और बिल पेश करते हैं। वास्तव में 95 प्रतिशत बिल मन्त्रियों के द्वारा पेश किए जाते हैं क्योंकि मन्त्रिमण्डल का विधानमण्डल में बहुमत होता है इसलिए बिल पास भी हो जाते हैं। संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल के समर्थन के बिना कोई बिल पास नहीं हो सकता। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका विधानमण्डल में स्वयं बिल पेश नहीं करती, परन्तु कार्यपालिका को विधानमण्डल के पास सन्देश भेजने का अधिकार होता है प्रायः सभी देशों में उतनी देर बिल कानून नहीं बन सकता जितनी देर कार्यपालिका की स्वीकृति प्राप्त न हो। संसदीय सरकार में कार्यपालिका को विधानमण्डल का अधिवेशन बुलाने का अधिकार भी होता है। जब विधानमण्डल का अधिवेशन नहीं हो रहा होता, उस समय कार्यपालिका को अध्यादेश (Ordinance) जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है।

6. वित्तीय कार्य (Financial Functions)-देश के धन पर विधानमण्डल का नियन्त्रण होता है और विधानमण्डल की स्वीकृति बिना कार्यपालिका एक पैसा खर्च नहीं कर सकती, परन्तु कार्यपालिका ही बजट को तैयार करती है और विधानमण्डल में पेश करती है। क्योंकि कार्यपालिका को विधानमण्डल में बहुमत का समर्थन प्राप्त है इसलिए प्रायः बजट पास हो जाता है। चूंकि नए कर लगाने, कर घटाने तथा कर समाप्त करने के बिल कार्यपालिका ही विधानमण्डल में पेश करती है। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका स्वयं बजट पेश नहीं करती अपितु बजट कार्यपालिका की देखरेख में ही तैयार किया जाता है। अमेरिका में राष्ट्रपति बजट की देख-रेख करता है जबकि भारत में वित्त मन्त्री बजट पेश करता है।

7. न्यायिक कार्य (Judicial Functions)-न्याय करना न्यायपालिका का मुख्य कार्य है, परन्तु कार्यपालिका के पास भी कुछ न्यायिक शक्तियां होती हैं। बहुत से देशों में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश कार्यपालिका के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। कार्यपालिका के अध्यक्ष के पास अपराधी के दण्ड को क्षमा करने, उसे कम करने का भी अधिकार होता है। भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति को क्षमादान का अधिकार प्राप्त है। इंग्लैण्ड में यह शक्ति सम्राट के पास है। राजनीतिक अपराधियों को मुक्तिदान (Amnesty) देने का अधिकार भी कई देशों में कार्यपालिका के पास है।

8. सैनिक कार्य (Military Functions)-देश की बाहरी आक्रमणों से रक्षा के लिए कार्यपालिका का अध्यक्ष सेना का अध्यक्ष होता है। भारत तथा अमेरिका में राष्ट्रपति अपनी-अपनी सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति (कमाण्डर-इनचीफ) हैं। सेना के संगठन तथा अनुशासन से सम्बन्धित नियम कार्यपालिका के द्वारा ही बनाए जाते हैं। आन्तरिक शान्ति को बनाए रखने के लिए भी सेना की सहायता ली जा सकती है। सेना के अधिकारियों की नियुक्ति कार्यपालिका के द्वारा ही की जाती है। भारत का राष्ट्रपति संकटकालीन घोषणा कर सकता है। जब देश में संकटकालीन घोषणा हो तब कार्यपालिका सैनिक कानून (Martial Law) लागू कर सकती है। अमेरिका में राष्ट्रपति युद्ध की घोषणा कांग्रेस की स्वीकृति से ही कर सकता है।

9. संकटकालीन शक्तियां (Emergency Powers)—जब देश में आन्तरिक गड़बड़ हो या विदेशी हमले का डर हो तो उस समय कार्यपालिका का मुखिया संकटकाल की घोषणा कर सकता है। संकटकाल के समय कार्यपालिका बहुत शक्तिशाली हो जाती है और संकट का सामना करने के लिए कार्यपालिका अपनी इच्छा से शासन चलाती है।

10. उपाधियां तथा सम्मान प्रदान करना (Granting of Titles and Honours)-प्रायः सभी देशों में कार्यपालिका को महान् व्यक्तियों को उनकी असाधारण और अमूल्य सेवाओं के लिए उपाधियां और सम्मान प्रदान करने का अधिकार प्राप्त होता है। भारत और अमेरिका में यह अधिकार राष्ट्रपति के पास है जबकि इंग्लैण्ड में राजा के पास।

निष्कर्ष (Conclusion) कार्यपालिका कार्यों की उपर्युक्त दी गई सूची से यह सिद्ध होता है कि यह सरकार का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। विधानपालिका और न्यायपालिका तो अवकाश (Recess) पर चली जाती है, परन्तु कार्यपालिका सदा काम पर (On Duty) रहती है। पुलिस स्टेशन और सेना कभी बन्द नहीं होते। वैसे तो सरकार के प्रत्येक अंग का अपना-अपना महत्त्व है परन्तु कार्यपालिका का महत्त्व इन दिनों बहुत बढ़ गया है। सारे राज्य का नेतृत्व इसके पास है। सरकार के उत्तरदायित्वों में जिनती वृद्धि होती है, कार्यपालिका के कार्य और महत्त्व उतने अधिक बढ़ जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कार्यपालिका से क्या अभिप्राय है ? उसकी किस्में भी लिखें।
उत्तर-सरकार के तीन अंग होते हैं-विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका । विधानपालिका कानून बनाने, कार्यपालिका कानूनों को लागू करने और न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या करने का काम करती है। कार्यपालिका को सरकार का प्रबन्धकीय अंग कहा जाता है। गिलक्राइस्ट ने कार्यपालिका की व्याख्या करते हुए कहा है कि, “कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून बना कर लोगों की इच्छाओं को प्रकट करता है। कार्यपालिका कई तरह की हो सकती है-

  • नाममात्र कार्यपालिका।
  • एकात्मक या एकल और बहुल कार्यपालिका।
  • संसदीय और अध्यक्षात्मक कार्यपालिका।
  • निरंकुश और संवैधानिक कार्यपालिका।

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प्रश्न 2. वास्तविक कार्यपालिका (Real Executive) व नाममात्र कार्यपालिका (Nominal Executive) में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-संसदीय सरकार में यह अन्तर स्पष्ट दिखाई देता है। संसदीय सरकार में संविधान के अनुसार कार्यपालिका की सारी शक्तियां राज्य के अध्यक्ष के पास होती हैं, परन्तु इन शक्तियों का प्रयोग वास्तव में मन्त्रिमण्डल द्वारा किया जाता है। इंग्लैण्ड, जापान, भारत, डैनमार्क तथा हालैंड में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया है जबकि मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है। अध्यक्षात्मक सरकार में वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका में कोई अन्तर नहीं पाया जाता। अमेरिका में संविधान के अन्तर्गत कार्यपालिका की शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई हैं और व्यवहार में भी इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति ही करता है। इसी कारण राष्ट्रपति वास्तविक कार्यपालिका है।

प्रश्न 3. स्थायी कार्यपालिका और राजनीतिक कार्यपालिका में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-राजनीतिक कार्यपालिका उसे कहते हैं जो राजनीतिक आधार पर कुछ समय के लिए चुनाव द्वारा या किसी अन्य साधन द्वारा नियुक्त की जाती है। राजनीतिक कार्यपालिका को किसी भी समय हटाया जा सकता है। उदाहरण के लिए भारत में केन्द्र और राज्यों में मन्त्रिमण्डल राजनीतिक कार्यपालिका है। मन्त्रिमण्डल का सदस्य बनने के लिए कोई शैक्षणिक या तकनीकी योग्यता निश्चित नहीं है। चुनाव में जिस दल को विधानमण्डल में बहुमत प्राप्त होता है, रसी दल का मन्त्रिमण्डल बनता है। नीतियों का निर्माण राजनीतिक कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है।

स्थायी कार्यपालिका की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर न होकर शैक्षणिक या तकनीकी योग्यता के आधार पर की जाती है। देश के राजनीतिक परिवर्तन के साथ स्थायी कार्यपालिका में परिवर्तन नहीं होता। किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बने, स्थायी कार्यपालिका निष्पक्षता से कार्य करती रहती है। स्थायी कार्यपालिका का मुख्य कार्य राजनीतिक कार्यपालिका द्वारा निर्मित की गई नीतियों को लागू करना होता है। असैनिक सेवाएं अथवा प्रशासकीय सेवाएं स्थायी कार्यपालिका का रूप हैं।

प्रश्न 4. कार्यपालिका के चार कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर-कार्यपालिका के चार महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं-

  • प्रशासन सम्बन्धी कार्य-कार्यपालिका के मुख्य कार्य विधानमण्डल के पास किए हुए कानूनों को लागू करना तथा उन कानूनों के अनुसार शासन चलाना है। कानून और व्यवस्था द्वारा राज्य में शान्ति स्थापित करना भी इसी का काम है।
  • सैनिक कार्य-आन्तरिक शान्ति के साथ-साथ नागरिकों को बाहरी आक्रमणों से बचाना भी कार्यपालिका का कार्य है। इसके लिए कार्यपालिका सैनिक प्रबन्ध तथा युद्ध संचालन के कार्य करती है। दूसरे देशों से युद्ध और सन्धि की घोषणा कार्यपालिका द्वारा की जाती है।
  • नीति निर्धारण-कार्यपालिका का महत्त्वपूर्ण कार्य देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति को निश्चित करना है और उस नीति के आधार पर अपना शासन चलाना है। नीतियों को लागू करने के लिए शासन को कई विभागों में बांटा जाता है और प्रत्येक विभाग का एक अध्यक्ष होता है।
  • विदेश सम्बन्धी कार्य-दूसरे देशों से सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है।

प्रश्न 5. बहमखी कार्यपालिका (Plural Executive) क्या होती है ?
उत्तर-बहुमुखी कार्यपालिका उसे कहते हैं जहां कार्यपालिका की शक्तियां एक व्यक्ति के हाथ में केन्द्रित न होकर एक से अधिक अथवा किसी संस्था को प्राप्त होती हैं। स्विट्ज़रलैण्ड में कार्यपालिका की शक्तियों का प्रयोग उन सदस्यों की एक संस्था के द्वारा किया जाता है जिसे संघीय परिषद् कहते हैं। संघीय परिषद् के सात सदस्य होते हैं।

प्रश्न 6. संसदीय कार्यपालिका तथा अध्यक्षात्मक कार्यपालिका में भेद बताओ।
उत्तर-संसदीय कार्यपालिका वह कार्यपालिका है जहां राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया होता है जबकि मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य संसद् में से लिए जाते हैं और संसद् के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।
अध्यक्षात्मक कार्यपालिका वह कार्यपालिका है जहां राज्य का अध्यक्ष वास्तविक मुखिया होता है। मन्त्री संसद् के सदस्य नहीं होते हैं और न ही संसद् की बैठकों में भाग लेते हैं। ये संसद् के प्रति उत्तरदायी भी नहीं होते हैं। संसद् को उनको हटाने का अधिकार भी नहीं होता।

प्रश्न 7. पैतृक तथा चुनी हुई कार्यपालिका में भेद बताइए।
उत्तर-पैतृक कार्यपालिका वहां होती है जहां राज्य का अध्यक्ष राजा होता है और उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके लड़के अथवा लड़की को राजसिंहासन पर बैठाया जाता है। इंग्लैण्ड, जापान, नेपाल, नार्वे, कुवैत, हालैण्ड तथा डेनमार्क में पैतृक कार्यपालिका पाई जाती है।
चुनी हुई कार्यपालिका वहां पर पाई जाती है जहां कार्यपालिका का अध्यक्ष प्रत्यक्ष तौर पर जनता द्वारा चुना जाता है अथवा जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है। चुनी हुई कार्यपालिका में अध्यक्ष निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है और उसकी मृत्यु या उसकी अवधि के समाप्त होने पर उसके पुत्र को पैतृक आधार पर अध्यक्ष नहीं बनाया जाता। भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति जनता के प्रतिनिधियों के द्वारा चुना जाता है जबकि पीरू तथा चिली में राष्ट्रपति जनता द्वारा चुना जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-राज्य की इच्छा सरकार द्वारा प्रकट होती है और राज्य की इच्छा की पूर्ति सरकार द्वारा ही होती है। गार्नर ने सरकार की परिभाषा करते हुए लिखा है कि, “सरकार उस संगठन का नाम है जिसके द्वारा राज्य की इच्छा का निर्माण, अभिव्यक्ति तथा उसकी पूर्ति होती है। प्रत्येक सरकार की तीन प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं- कानून बनाना, कानून को लागू करना तथा कानून की व्याख्या करना। सरकार के इन तीन कार्यों के तीन अंगों द्वारा किया जाता है।”

प्रश्न 2. कार्यपालिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-सरकार के तीन अंग होते हैं-विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका । विधानपालिका कानून बनाने, कार्यपालिका कानूनों को लागू करने और न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या करने का काम करती है। कार्यपालिका को सरकार का प्रबन्धकीय अंग कहा जाता है।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. राज्य की इच्छा किसके द्वारा प्रकट होती है ?
उत्तर-राज्य की इच्छा सरकार द्वारा प्रकट होती है।

प्रश्न 2. सरकार के कितने अंग हैं ?
उत्तर-सरकार के तीन अंग हैं।

प्रश्न 3. सरकार के तीन अंगों के नाम लिखें।
उत्तर-(1) व्यवस्थापिका (2) कार्यपालिका (3) न्यायपालिका।

प्रश्न 4. विधानपालिका का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-कानून बनाना।

प्रश्न 5. कार्यपालिका का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-देश का प्रशासन चलाना।

प्रश्न 6. एकल कार्यपालिका किसे कहते हैं ?
उत्तर-एकल कार्यपालिका उसे कहते हैं, जहां कार्यपालिका की शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथों में केन्द्रित होती हैं।

प्रश्न 7. बहुल कार्यपालिका किसे कहते हैं ?
उत्तर-बहुल कार्यपालिका उसे कहते हैं, जहां कार्यपालिका की शक्तियां एक ही व्यक्ति के हाथ में केन्द्रित न होकर एक से अधिक व्यक्तियों अथवा किसी संस्था को प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 8. शक्तियों के पृथक्करण का कोई एक उद्देश्य लिखें।
उत्तर-संविधान की रक्षा शक्तियों के पृथक्करण का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।

प्रश्न 9. अधिकारों की रक्षा कौन करता है?
उत्तर-अधिकारों की रक्षा न्यायपालिका करती है।

प्रश्न 10. प्रशासनिक कार्य कौन करता है?
उत्तर-प्रशासनिक कार्य कार्यपालिका करती है।

प्रश्न 11. विदेशों से सम्बन्ध कौन स्थापित करता है?
उत्तर-कार्यपालिका विदेशों से सम्बन्ध स्थापित करती है।

प्रश्न 12. किस देश में बहुल कार्यपालिका पाई जाती है?
उत्तर-स्विट्ज़रलैण्ड में बहुल कार्यपालिका पाई जाती है।

प्रश्न 13. द्विसदनीय विधानमण्डल के पक्ष में कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है।

प्रश्न 14. द्विसदनीय विधानमण्डल के विपक्ष में कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-जनता की इच्छा एक होती है, दो नहीं।

प्रश्न 15. एक सदनीय विधानमण्डल का कोई एक गुण बताइए।
उत्तर-एक सदनीय विधानमण्डल जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 17 सरकारों के रूप-एकात्मक एवं संघात्मक शासन प्रणाली

प्रश्न 16. एक सदनीय विधानमण्डल का कोई एक दोष लिखें।
उत्तर-एक सदनीय विधानमण्डल निरंकुश बन जाता है।

प्रश्न 17. एक सदनीय व्यवस्थापिका का अर्थ समझाइए।
उत्तर-जिस व्यवस्थापिका का एक सदन होता है, उसे एक सदनीय व्यवस्थापिका कहा जाता है।

प्रश्न 18. यह कथन किसका है, “किसी शासन की श्रेष्ठता जांचने के लिए उसकी न्याय व्यवस्था की कुशलता से बढ़कर और कोई अच्छी कसौटी नहीं है?”
उत्तर-यह कथन लॉर्ड ब्राइस का है।

प्रश्न 19. न्यायपालिका का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर- न्यायपालिका का महत्त्वपूर्ण कार्य न्याय करना है।

प्रश्न 20. कानूनों की व्याख्या कौन करता है?
उत्तर-कानूनों की व्याख्या न्यायपालिका करती है।

प्रश्न 21. संविधान का संरक्षक किसे माना जाता है?
उत्तर-संविधान का संरक्षक न्यायपालिका को माना जाता है।

प्रश्न 22. न्यायपालिका की स्वतन्त्रता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-न्यायपालिका की स्वतन्त्रता का अर्थ है, कि न्यायाधीश स्वतन्त्र, निष्पक्ष एवं निडर होने चाहिएं।

प्रश्न 23. न्यायपालिका की स्वतन्त्रता को स्थापित करने वाला कोई एक तत्त्व लिखें।
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा होनी चाहिए।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. ………. का मुख्य कार्य न्याय करना है।
2. शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त ………… ने दिया।
3. मान्टेस्क्यू की पुस्तक ………….. है।
4. दूसरा सदन पहले सदन की …………… को रोकता है।
5. ……… विधानमण्डल में कानून शीघ्र पास हो जाते हैं।
उत्तर-

न्यायपालिका
मान्टेस्क्यू
The Spirit of Law
निरंकुशता
एक सदनीय।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें।

1. राज्य के अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग वास्तव में मन्त्रिमण्डल के द्वारा किया जाता है।
2. स्विट्ज़रलैण्ड में एकल कार्यपालिका पाई जाती है।
3. कानून लागू करना एवं शान्ति व्यवस्था बनाए रखना कार्यपालिका का कार्य है।
4. प्रदत्त व्यवस्था के कारण कार्यपालिका अधिक शक्तिशाली हो गई है।
5. न्यायपालिका विधानपालिका के बनाए हुए कानूनों को लागू करती है।
उत्तर-

सही
ग़लत
सही
सही
ग़लत।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
यह कथन किसका है, “किसी शासन की श्रेष्ठता जाँचने के लिए उसकी न्याय व्यवस्था की कुशलता से बढ़कर और कोई कसौटी नहीं है।”
(क) लॉर्ड ब्राइस
(ख) लॉस्की
(ग) टी० एच० ग्रीन
(घ) विलोबी।
उत्तर-
(क) लॉर्ड ब्राइस

प्रश्न 2.
न्यायाधीशों की नियुक्ति की सर्वोत्तम पद्धति कौन-सी है ?
(क) जनता द्वारा चुनाव
(ख) विधानमण्डल द्वारा चुनाव
(ग) कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति

प्रश्न 3.
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता स्थापित करने वाले तत्त्व हैं-
(क) कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति
(ख) नौकरी की सुरक्षा
(ग) अच्छा वेतन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
विधानपालिका की शक्तियों के पतन का कारण है-
(क) कार्यपालिका की शक्तियों में वृद्धि
(ख) विधानपालिका तक लोगों की पहुंच कठिन है
(ग) कल्याणकारी राज्य की धारणा ने कार्यपालिका के महत्त्व को बढ़ाया है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

SST Guide for Class 9 PSEB श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
ऋग्वेद के अनुसार पंजाब का नाम क्या था ?
(क) हड़प्पा
(ख) सप्त सिंधु
(ग) पंचनद
(घ) पेंटापोटामिया।
उत्तर-
(ख) सप्त सिंधु

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में चीनी यात्री कौन था ?
(क) चाणक्य
(ख) लॉर्ड कर्जन
(ग) हयनसांग
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) हयनसांग

प्रश्न 3.
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में कब मिलाया गया ?
(क) 1849 ई०
(ख) 1887 ई०
(ग) 1889 ई०
(घ) 1901 ई०
उत्तर-
(क) 1849 ई०

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 4.
यह दोआब कम उपजाऊ है-
(क) चज्ज दोआब
(ख) सिंधु सागर दोआब
(ग) रचना दोआब
(घ) बारी दोआब।
उत्तर-
(ख) सिंधु सागर दोआब

प्रश्न 5.
घग्गर और यमुना के बीच का क्षेत्र
(क) मालवा
(ख) बांगर
(ग) माझा
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) बांगर

प्रश्न 6.
मालवा क्षेत्र किन नदियों के मध्य स्थित है ?
(क) सतलुज और यमुना
(ख) सतलुज और घग्गर
(ग) घग्गर और यमुना
(घ) सतलुज और ब्यास।
उत्तर-
(ख) सतलुज और घग्गर

(ख) रिक्त स्थान भरें:

  1. ……. सभ्यता का जन्म पंजाब में हुआ था।
  2. ‘पेंटा’ का अर्थ ……………. है और ‘पोटामिया’ का अर्थ …….. है।
  3. भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को …………. भागों में बांटा गया है।
  4. …………… चिनाब और जेहलम नदियों के बीच का इलाका है।
  5. सिक्ख धर्म के संस्थापक ………. थे।
  6. भाषा के आधार पर ……………. को पंजाब का पुनर्गठन किया गया।
  7. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ………….. मीटर है।

उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. पांच, नदी
  3. तीन
  4. चज दोआब
  5. श्री गुरु नानक देव जी
  6. 1 नवंबर, 1966
  7. 8848

(ग) सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. ऋग्वेद – (i) उत्तर-पश्चिमी पर्वत
2. सुलेमान – (i-) सेकिया
3. बांगर – (iii) उप-पर्वतीय क्षेत्र
4. शिवालिक – (iv) सप्त सिंधु
5. यूनसांग – (v) घग्गर और यमुना।
उत्तर-

  1. सप्त सिंधु
  2. पश्चिमी पर्वत
  3. घग्गर और यमुना
  4. पर्वतीय क्षेत्र
  5. सेकिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

(घ) निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करें :

1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’
2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’
3. ‘दर्रे’ तथा ‘दोआब’
4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र
5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त जालंधर दोआब’
उत्तर-

  1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’ :
    • मालवा-सतलुज तथा घग्गर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं । लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
    • बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्गर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहाँ अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।
  2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’-1947 ई० में स्वतंत्रता के समय पंजाब को दो भागों में बांटा गया : पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब। पंजाब का पश्चिमी भाग मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र था। वह अलग होकर पाकिस्तान के रूप में नया देश बना। पूर्वी पंजाब भारत का हिस्सा बना। उस समय पंजाब के 13 ज़िले पाकिस्तान में चले गए तथा शेष 16 ज़िले भारतीय पंजाब में रह गए।
  3. ‘रे’ तथा ‘दोआब’ :
    • दर्रे-ये ऊंचे पहाड़ों के बीच में से गुजरने के लिए प्रकृति द्वारा बनाए गए मार्ग होते हैं। इन दुर्गम मार्गों में से होकर पर्वतों को पार किया जा सकता है।
    • दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदान पांच दोआबों से बना हैं।
  4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र : हिमालय-हिमालय अर्थात् हिम + आलय का अर्थ है बर्फ का घर। हिमालय की पहाड़ियां पंजाब में श्रृंखलाबद्ध हैं। इन पहाड़ियों को ऊंचाई के अनुसार तीन भागों में बांटा जाता है-महान् हिमालय, मध्य हिमालय तथा बाहरी हिमालय।
    उप-पर्वतीय क्षेत्र (तराई क्षेत्र)-यह क्षेत्र हिमालय की पीर-पंजाल पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित है। इसमें शिवालिक और कसौली की पहाड़ियों के ढलान वाले प्रदेश शामिल हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियों की औसत ऊंचाई 10003000 फुट है।
  5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त-जालंधर’ दोआब :
    • चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
    •  बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
पंजाब से भाव पांच नदियों के प्रदेश से है। पंजाब’ फारसी के दो शब्दों-पंज तथा आब के मेल से बना है। पंच का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी अर्थात् नदी।

प्रश्न 2.
यूनानियों ने पंजाब का क्या नाम रखा ?
उत्तर-
यूनानियों ने पंजाब का नाम पेंटापोटामिया अर्थात् पांच नदियों की धरती रखा था। पेंटा का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी।

प्रश्न 3.
‘सप्त सिंधु’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु कहा जाता था क्योंकि उस समय यह सात नदियों का प्रदेश था।

प्रश्न 4.
1947 ई० में पंजाब को किन दो भागों में बांटा गया था ?
उत्तर-
1947 ई० में पंजाब को पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब दो भागों में बांटा गया था। पश्चिमी हिस्सा पाकिस्तान बना तथा पूर्वी हिस्सा भारत को मिला।

प्रश्न 5.
पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम लिखो।
उत्तर-पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित रे हैं-खैबर, कुर्रम, टोची आदि।

प्रश्न 6.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब और कितने राज्यों में बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1 नवंबर, 1966 को दो राज्यों-पंजाब तथा हरियाणा में बांटा गया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के भिन्न-भिन्न ऐतिहासिक नामों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
पंजाब के नाम समय-समय पर बदलते रहे हैं-

  1. वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु (सात नदियों की धरती) कहा जाता था।
  2. प्राचीन महाकाव्य रामायण, महाभारत तथा पुराणों में पंजाब को पंचनद बताया गया है।
  3. यूनानियों ने पंजाब को पेंटापोटामिया (Pentapotamia) नाम रखा था-पेय का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी अर्थात् पांच (दरियाओं) नदियों की धरती।
  4. टक कबीले ने पंजाब को टक प्रदेश अथवा टकी का नाम दिया।
  5. चीनी यात्री हयूनसांग ने पंजाब को सेकिया कहकर पुकारा।
  6. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब लाहौर सूबा के नाम से जाना जाने लगा।
  7. मुग़ल सम्राट अकबर ने पंजाब को पंजाब का नाम दिया। पंजाब फारसी भाषा में पंज और आब से मिलकर बना है। पंज का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी।
  8. 1849 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपने राज्य में मिला लिया और उसे पंजाब प्रांत नाम दिया।
  9. 1947 ई० में भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पंजाब को पूर्वी पंजाब तथा पश्चिमी पंजाब नामक दो भागों में बांटा गया। परंतु दोनों ही देशों में आज भी इसे पंजाब के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब के इतिहास का अध्ययन करने के लिए पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
किसी भी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की देन होता है। इसलिए किसी प्रदेश के इतिहास के अध्ययन के लिए उस प्रदेश की भौगोलिक अवस्थाओं का अध्ययन ज़रूरी है। पंजाब के रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, लोगों के स्वभाव तथा विचार शक्ति काफी सीमा तक भौगोलिक तथ्यों द्वारा प्रभावित हुई है। यहां की प्रत्येक घटना यहां के किसी-न-किसी भौगोलिक तथ्य से जुड़ी हुई है। यहां का उपजाऊ मैदान सभ्यता का पलना बना। समय पड़ने पर यही मैदान रणभूमि बना और यहां के लाखों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यहां की नदियों ने अनेक बार आक्रमणकारियों का मार्ग दर्शन किया। यहां के वनों का महत्त्व भी कुछ कम नहीं है। मुग़ल अत्याचारी से पीड़ित पंजाब के लोगों को इन्हीं वनों ने अनेक बार आश्रय दिया। यहां के समृद्ध मैदानों ने आक्रमणकारियों को आक्रमण करने की प्रेरणा दी। इस प्रकार पंजाब के भूगोल ने पंजाब को रंगभूमि और रणभूमि दोनों का स्तर प्रदान किया।

प्रश्न 3.
पंजाब को भारत का प्रवेश द्वार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब वर्षों तक भारत के प्रवेश द्वार का काम करता रहा है। इन पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों से गुज़रना कठिन नहीं है। अतः आर्यों से लेकर मंगोलों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे क्योंकि ये दरें उन्हें सीधा, पंजाब की धरती पर पहुंचा देते थे। सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। उन्हें पराजित करने पर ही वे पूर्व की ओर आगे बढ़ सके। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता रहा है।

प्रश्न 4.
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेजी से क्यों हुआ ?
उत्तर-
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेज़ी से हुआ क्योंकि सभी मुस्लिम आक्रमणकारी पहले पंजाब में आकर बसे। उन्होंने यहां के लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश किया। मुस्लिम धर्म प्रचारक, सूफी संतों तथा व्यापारियों ने भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिन्दू धर्म के कठोर रीति-रिवाज़ों से तंग आ चुके लोगों ने आसानी से इस्लाम धर्म को अपना लिया। परिणामस्वरूप पंजाब में इस्लाम धर्म काफ़ी तेजी से फैला।

प्रश्न 5.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति का लोगों के आर्थिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के लोगों के जीवन को आर्थिक रूप से दृढ़ता प्रदान की। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते गए। इन नदियों से पंजाब की भूमि सींची भी जाती थी। बर्फ से ढके रहने के कारण हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती रहती हैं और कृषि के लिए वरदान सिद्ध हुई हैं। हिमालय से प्राप्त लकड़ी के कारण पंजाब में फर्नीचर तथा खेल का सामान बनने लगा। इन्हीं पर्वतों से पंजाब के लोगों को गंदा बिरोजा, जड़ी-बूटियां तथा अन्य अनेक उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती रहीं जिससे पंजाब में उद्योगों का विकास हुआ।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
पंजाब के उप-पर्वतीय (तराई) प्रदेश के बारे में लिखो।
अथवा
पंजाब के मैदानी क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं पर एक नोट लिखो।
उत्तर- भौगोलिक रूप से पंजाब का अध्ययन बहुत ही रोचक है। इस दृष्टि से पंजाब को तीन भागों में बांटा जा सकता है

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश
  3. मैदानी क्षेत्र।

1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां-हिमालय अर्थात् हिम+आलय का अर्थ है-बर्फ का घर। भारत के उत्तर में स्थित यह ऊंचा पर्वत वर्ष में अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है। पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० तथा उत्तर से दक्षिण की ओर औसत चौड़ाई लगभग 250 कि०मी० है। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) हिमालय में ही स्थित है परन्तु हिमालय की सभी पहाड़ियों की ऊंचाई एक समान नहीं है।

पंजाब के उत्तर-पश्चिम में हिमालय की पश्चिमी शाखाएं स्थित हैं। इन शाखाओं में किरथार तथा सुलेमान की पर्वतश्रेणियां सम्मिलित हैं। इन पर्वतों की ऊंचाई अधिक नहीं है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें अनेक दर्रे हैं इन दरों में खैबर का दर्रा महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। अधिकतर आक्रमणकारियों के लिए यही दर्रा प्रवेश-द्वार बना रहा। .

2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश-हिमालय प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य तराई का प्रदेश स्थित है। इसे उप-पर्वतीय प्रदेश भी कहा जाता है। यह 160 कि० मीटर से 320 कि० मीटर तक चौड़ा है और इसकी ऊंचाई 300 से 900 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलगसा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर, अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। जहां कहीं भूमि को कृषि योग्य बनाया गया है वहां आलू, चावल-गेहूँ तथा मक्का की कृषि की जाने लगी है। यहां आने-जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। प्रकृति की सुंदर छटा के कारण यह प्रदेश बहुत की आकर्षक है और वनों से आच्छादित इसकी घाटियां मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

3. मैदानी क्षेत्र-पंजाब के मैदानी क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है-पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान। यमुना तथा रावी के मध्य स्थित भाग को ‘पूर्वी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ है। यहां की जनसंख्या भी घनी है। रावी तथा सिंध के मध्य वाले भाग को ‘पश्चिमी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश पूर्वी मैदान की तुलना में कम समृद्ध है।
(क) पाँच दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदानी भाग निम्नलिखित पाँच दोआबों से घिरा हुआ है।

  1. सिंध सागर दोआब-जेहलम तथा सिंध नदियों के बीच के प्रदेश को सिंध सागर दोआब कहा जाता है। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ नहीं है। जेहलम तथा रावलपिंडी यहां के प्रसिद्ध नगर हैं।
  2. रचना दोआब-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफ़ी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  3. बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  4. बारी दोआब-ब्यास तथा रावी नदियों के बीच के प्रदेश को बारी दोआब कहा जाता है। यह अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र है। पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण इसे ‘माझा’ भी कहा जाता है। पंजाब के दो सुविख्यात नगर लाहौर तथा अमृतसर इसी दोआब में स्थित हैं।
  5. चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।

(ख) मालवा तथा बांगर-पांच दोआबों के अतिरिक्त पंजाब के मैदानी भाग में सतलुज तथा यमुना के मध्य का विस्तृत मैदानी क्षेत्र भी सम्मिलित है। इसको दो भागों में बांटा जा सकता है-मालवा तथा बांगर।

  1. मालवा-सतलुज तथा घग्घर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं। लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
  2. बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्घर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहां अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।

प्रश्न 2.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने पंजाब के राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र के इतिहास पर क्या प्रभाव डाला ? विस्तार सहित बताओ।
उत्तर-
पंजाब भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक अति उपजाऊ प्रदेश है। इसकी आदर्श स्थिति ने यहां के इतिहास को एक-एक विशिष्ट रूप प्रदान किया है। वैसे भी किसी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की कोख से ही जन्म लेता है। पंजाब का इतिहास भी कोई अपवाद नहीं है। यहां के लोगों ने राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं। संक्षेप में पंजाब की स्थिति ने पंजाब के इतिहास को निम्नलिखित रंगों में रंगा है-

1. राजनीतिक क्षेत्र पर प्रभाव-

  • पंजाब के उत्तर-पश्चिम में स्थित दरों ने आक्रमणकारियों के लिए प्रवेश द्वार का काम किया। सभी आरंभिक आक्रमणकारी उत्तर-पश्चिम की दिशा से भारत में प्रवेश करते रहे। उनका सामना करने के लिए पंजाब के वीर सपूत आगे बढ़े।
  • सभी महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक युद्ध इसी धरती पर ही लड़े गए। चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत में प्रथम विशाल साम्राज्य स्थापित किया था, परंतु उसके साम्राज्य की नींव पंजाब से ही पड़ी। हर्ष के साम्राज्य की पहली राजधानी थानेश्वर (कुरुक्षेत्र के समीप) भी पंजाब में ही थी।
  • पंजाब के वनों तथा पर्वतों ने सिक्खों को संकट के समय शरण दी। यहीं रह कर सिक्खों ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली द्वारा मुग़लों तथा अहमदशाह अब्दाली के दांत खट्टे किए।
  • अंग्रेज़ पंजाब पर सबसे अन्त में अधिकार कर सके। इसका कारण यह था कि उन्होंने देश के पूर्वी तट से भारत में प्रवेश किया था। यह प्रदेश पंजाब से बहुत दूर था।

2. धार्मिक क्षेत्र पर प्रभाव-धार्मिक क्षेत्र में पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले :

वैदिक धर्म का जन्म तथा विकास-वैदिक धर्म का आरम्भ वेदों से माना जाता है। वेद चार हैं ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद। इनमें से ऋग्वेद सबसे प्राचीन और सर्वोच्च है। इसकी रचना पंजाब की धरती पर ही हुई है। इस प्रकार यह पंजाब वैदिक धर्म के प्रचार का केन्द्र रहा है।

इस्लाम धर्म का प्रसार-इस्लाम धर्म का जन्म मक्का-मदीना में हुआ और तेज़ी से मध्य एशिया के देशों में फैल गया। इन देशों से मुस्लिम आक्रमणकारी धर्म-प्रचारक, व्यापारी, सूफी संत आदि उत्तर-पश्चिमी दरों के रास्ते भारत आए। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पंजाब पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर विवश किया। इसके अतिरिक्त हिन्दू समाज में प्रचलित कठोर रीति-रिवाजों और जाति भेदभाव के कारण निम्न जाति के बहुत से लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। इस तरह पंजाब में इस्लाम धर्म का काफ़ी तेजी से प्रसार हुआ।

सिक्ख धर्म का उदय तथा विकास-विदेशी हमलावरों के कारण पंजाब के लोगों पर कई प्रकार के अत्याचार हुए। उस समय हिन्दू समाज जाति भेद, कर्मकाण्डों और पाखण्डों में फंस चुका था। इस प्रकार लोगों का जीवन अत्यन्त दयनीय हो गया था। ऐसे वातावरण में पंजाब की धरती पर एक महान् क्रांतिकारी महापुरुष श्री गुरु नानक देव जी ने जन्म लिया। उन्होंने प्रचलित जाति भेद, कर्मकाण्डों, पाखण्डों और राजनैतिक अत्याचारों का विरोध किया। उन्होंने संसार को सबके कल्याण (सरबत दा भला) का संदेश दिया जिसने सिक्ख धर्म की नींव डाली। श्री गुरु नानक देव जी के बाद नौ . गुरुओं ने सिक्ख धर्म के प्रचार व प्रसार में अपना योगदान दिया। अत्याचारों के विरुद्ध और धर्म की रक्षा के लिए दो सिक्ख गुरुओं ने अपने बलिदान भी दिए। परिणामस्वरूप पंजाब में सिक्ख धर्म तेज़ी से विकसित हुआ।

प्रश्न 3.
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर बुरे तथा अच्छे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। इनका अलगअलग वर्णन इस प्रकार है-
बुरे प्रभाव

  1. अत्याचार-विदेशी आक्रमणकारियों ने पंजाब के लोगों पर अनेक अत्याचार किए। मुस्लिम हमलावरों ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए विवश किया। उन्होंने यह कार्य तलवार के बल पर करने का प्रयास किया।
  2. जन-धन की हानि-विदेशी हमलों से पंजाब के लोगों को जन-धन की भारी हानि उठानी पड़ी। इन हमलों में कई लोग मारे गए और कृषि उजड़ गई।
  3. कला और साहित्य के विकास में बाधा-पंजाब प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का पलना था। यहां की कला और साहित्य काफ़ी विकसित थे। विदेशी हमलों से इनके विकास में बाधा पड़ी। कई ग्रंथ तथा कलाकृत्तियां नष्ट हो गईं।

अच्छे प्रभाव

  1. पंजाबियों के विशेष गुण-लगातार युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता, साहस, परिश्रम जैसे अच्छे गुण उत्पन्न हुए। आज भी पंजाब के लोगों में ये गुण विद्यमान हैं।
  2. समृद्ध मिश्रित संस्कृति का विकास-विदेशियों के सम्पर्क में रहने से पंजाब में एक मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ। पंजाबियों के खान-पान, पहनावे तथा रहन-सहन में कई नए मूल्य जुड़ गए। इस प्रकार पंजाब की विशेष संस्कृति काफ़ी समृद्ध हो गई।
    सत्य तो यह है कि विदेशी हमलों ने पंजाब तथा पंजाबियों के चरित्र को एक नया रूप प्रदान किया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

PSEB 9th Class Social Science Guide श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पंजाब में पहले सिख राज्य की स्थापना की___
(क) श्री गुरु नानक देव जी
(ख) महाराजा रणजीत सिंह
(ग) बंदा सिंह बहादुर
(घ) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(ग) बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 2.
पंजाब को भाषा के आधार पर दो भागों में बांटा गया
(क) 1947 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1971 ई० में
उत्तर-
(ख) 1966 ई० में

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच सीमा का काम करता था
(क) सतलुज दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) रावी दरिया
(घ) ब्यास दरिया।
उत्तर-
(क) सतलुज दरिया

प्रश्न 4.
आज हिंद-पाक सीमा का काम कौन-सा दरिया करता है ?
(क) रावी दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) ब्यास दरिया
(घ) सतलुज दरिया।
उत्तर-
(क) रावी दरिया

प्रश्न 5.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण किया
(क) 1811 ई० में
(ख) 1798 ई० में
(ग) 1757 ई० में
(घ) 1794 ई० में।
उत्तर-
(ख) 1798 ई० में

प्रश्न 6.
दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया
(क) लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने
(ख) लॉर्ड माऊंटबेटन ने
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने
(घ) लॉर्ड कर्जन ने।
उत्तर-
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

रिक्त स्थान भरें:

  1. पंजाब को ………… काल में सप्त सिंधु कहा जाता था।
  2. दो दरियाओं के बीच के भाग को ………… कहते हैं।
  3. मुग़ल शासक अकबर ने पंजाब को ………. प्रांतों में बांटा।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ……….. राज्य के नाम से पुकारा जाने लगा।
  5. रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को …….. कहा जाता था।
  6. सिकंदर ने भारत पर …………. ई० पू० में आक्रमण किया।

उत्तर-

  1. वैदिक
  2. दोआबा
  3. दो
  4. लाहौर
  5. सेकिया
  6. 326

सही मिलान करो:

(क) – (ख)
1. महाराजा रणजीत सिंह – (i) सतलुज तथा ब्यास
2. पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय – (ii) लार्ड हार्डिंग
3. रामायण तथा महाभारत – (iii) लाहौर राज्य
4. दिल्ली भारत की राजधानी – (iv) 1849 ई०
5. बिस्त-जालन्धर दोआब – (v) सेकिया
उत्तर-

  1. लाहौर राज्य
  2. 1849 ई०
  3. सेकिया
  4. लार्ड हार्डिंग
  5. सतलुज तथा ब्यास

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
भारत के बंटवारे के बाद ‘पंजाब’ शब्द उचित क्यों नहीं रह गया ?
उत्तर-
बंटवारे से पहले पंजाब पांच दरियाओं की धरती था, परंतु बंटवारे के कारण इसके तीन दरिया पाकिस्तान में चले और वर्तमान पंजाब में केवल दो दरिया (ब्यास तथा सतलुज) ही शेष रह गए।

प्रश्न 2.
भारत के बंटवारे का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
भारत के बंटवारे से पंजाब भी दो भागों में बंट गया।

प्रश्न 3.
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को कितने भागों में बांटा जाता है ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को तीन भागों में बांटा जाता है-

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पहाड़ियां
  2. उप पहाड़ी क्षेत्र (पहाड़ की तलहटी के क्षेत्र)
  3. मैदानी क्षेत्र।

प्रश्न 4.
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह कैसा इलाका होता ?
उत्तर-
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह इलाका शुष्क तथा ठंडा बन कर रह जाता।

प्रश्न 5.
‘दोआबा’ शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
दो दरियाओं के बीच के भाग को दोआंबा कहते हैं।

प्रश्न 6.
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को क्या कहा जाता है तथा यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को ‘मालेवा’ कहा जाता है। यहां के निवासियों को मलवई कहते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 7.
1. दोआबा बिस्त का यह नाम क्यों पड़ा ?
2. इसके किन्हीं दो प्रसिद्ध शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. दोआबा बिस्त ब्यास तथा सतलुज नदियों के बीच का प्रदेश है जिनके नाम के पहले अक्षरों के जोड़ से ही इस दोआब का नाम बिस्त पड़ा है।
  2. जालंधर तथा होशियारपुर इस दोआबे के दो प्रसिद्ध शहर हैं।

प्रश्न 8.
1. दोआबा बारी को ‘माझा’ क्यों कहा जाता है तथा
2. यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-

  1. दोआबा बारी पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण माझा कहलाता है।
  2. इसके निवासियों को ‘मझेल’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
मुग़ल बादशाह अकबर ने पंजाब को कौन-कौन से दो प्रांतों में विभाजित किया ?
उत्तर-
लाहौर तथा मुलतान।

प्रश्न 10.
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को किस नाम से पुकारा जाने लगा था ?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ‘लाहौर राज्य’ के नाम से पुकारा जाने लगा था।

प्रश्न 11.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया ?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य में 1849 ई० में मिलाया गया।

प्रश्न 12.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1966 ई० में बांटा गया।

प्रश्न 13.
हिमालय के पश्चिमी दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली किन्हीं चार जातियों के नाम बताओ।
उत्तर-
इन दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली चार जातियां थीं-आर्य, शक, यूनानी तथा कुषाण।

प्रश्न 14.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को कौन-कौन से दो भागों में विभक्त किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान में विभक्त किया जाता है।

प्रश्न 15.
भारतीय पंजाब में अब कौन-से दो दरिया रह गये हैं ?
उत्तर-
सतलुज तथा ब्यास।

प्रश्न 16.
रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
सेकिया।

प्रश्न 17.
दिल्ली को भारत की राजधानी किस गवर्नर-जनरल ने बनाया ?
उत्तर-
लार्ड हार्डिंग ने।

प्रश्न 18.
हिमालय की पश्चिमी श्रृंखलाओं में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम बताओ।
उत्तर-
खैबर तथा टोची।

प्रश्न 19.
दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी ?
उत्तर-
1911 में।

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प्रश्न 20.
सिकंदर ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
326 ई० पू० में।

प्रश्न 21.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण कब किया ?
उत्तर-
1798 ई० में।

प्रश्न 22.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच कौन-सा दरिया सीमा का काम करता था ?
उत्तर-
सतलुज।

प्रश्न 23.
आज किस दरिया का कुछ भाग हिंद-पाक सीमा का काम करता है ?
उत्तर-
रावी।

प्रश्न 24.
महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
लाहौर।

प्रश्न 25.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को वास्तविक पंजाब’ क्यों कहा गया है ? कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है और समस्त पंजाब की समृद्धि का आधार है।

प्रश्न 26.
पंजाब के किस मैदानी क्षेत्र में महाभारत का युद्ध, पानीपत के तीन युद्ध तथा तराइन के दो युद्ध लड़े गए ?
उत्तर-
बांगर।

प्रश्न 27.
मालवा प्रदेश किन नदियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
मालवा प्रदेश सतलुज और घग्घर नदियों के बीच में स्थित है।

प्रश्न 28.
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम किसके नाम पर पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम यहां बसने वाले मालव कबीले के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 29.
पंजाब के किन्हीं चार नगरों के नाम बताओ जहां निर्णायक ऐतिहासिक युद्ध हुए।
उत्तर-
तराइन, पानीपत, पेशावर तथा थानेसर में निर्णायक युद्ध हुए।

प्रश्न 30.
पाकिस्तानी पंजाब को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
पश्चिमी पंजाब।

प्रश्न 31.
हिंदी-बाखत्री तथा हिंदी-पारथी राजाओं के अधीन पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
साकला (सियालकोट)।

प्रश्न 32.
दो दरियाओं के मध्य भाग के लिए ‘दोआबा’ शब्द का प्रचलन किस मुगल शासक के समय में हुआ ?
उत्तर-
अकबर।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय की पहाड़ियों के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर-
हिमालय की पहाड़ियों के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती हैं। ये नदियां पंजाब की भूमि को उपजाऊ बनाती हैं।
  2. हिमालय की पहाड़ियों पर घने वन पाये जाते हैं। इन वनों से जड़ी-बूटियां तथा लकड़ी प्राप्त होती है।
  3. इस पर्वत की ऊंची बर्फीली चोटियां शत्रु को भारत पर आक्रमण करने से रोकती हैं।
  4. हिमालय पर्वत मानसून पवनों को रोक कर वर्षा लाने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
किन्हीं तीन दोआबों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-

  1. दोआबा सिंध सागर-इस दोआबे में दरिया सिंध तथा दरिया जेहलम के मध्य का प्रदेश आता है। यह भाग अधिक उपजाऊ नहीं है।
  2. दोआब चज-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआबा के नाम से पुकारते हैं। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
  3. दोआबा रचना-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

प्रश्न 3.
पंजाब के दरियाओं ने इसके इतिहास पर क्या प्रभाव डाला है ?
उत्तर-
पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने सदा शत्रु के बढ़ते कदमों को रोका। बाढ़ के दिनों में तो यहां के दरिया (नदियां) समुद्र का रूप धारण कर लेते हैं और उन्हें पार करना असंभव हो जाता है। यहां के दरिया (नदियां) जहां आक्रमणकारियों के मार्ग में बाधा बने, वहां ये उनके लिए मार्ग-दर्शक भी बने। लगभग सभी आक्रमणकारी अपने विस्तार क्षेत्र का अनुमान इन्हीं नदियों की दूरी के आधार पर ही लगाते थे। पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने प्राकृतिक सीमाओं का काम भी किया। मुग़ल शासकों ने अपनी सरकारों, परगनों तथा सूबों की सीमाओं का काम इन्हीं दरियाओं (नदियों) से ही लिया। यहां के दरियाओं (नदियों) ने पंजाब के मैदानों को उपजाऊ बनाया और लोगों को समृद्धि प्रदान की।

प्रश्न 4.
विभिन्न कालों में पंजाब की सीमाओं की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पंजाब की सीमाएं समय-समय पर बदलती रही हैं-

  1. ऋग्वेद में बताए गए पंजाब में सिंध, जेहलम, रावी, चिनाब, ब्यास, सतलुज तथा सरस्वती नदियों का प्रदेश सम्मिलित था।
  2. मौर्य तथा कुषाण काल में पंजाब की पश्चिमी सीमा हिंदुकुश के पर्वतों तक चली गई थी तथा तक्षशिला इसका एक भाग बन गया था।
  3. सल्तनत काल में पंजाब की सीमाएं लाहौर तथा पेशावर तक थीं जबिक मुग़ल काल में पंजाब दो प्रांतों में बंट गया था-लाहौर तथा मुल्तान।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब (लाहौर) राज्य का विस्तार सतलुज नदी से पेशावर तक था।
  5. लाहौर राज्य के अंग्रेजी साम्राज्य में विलय के पश्चात् इसका नाम पंजाब रखा गया।
  6. भारत विभाजन के समय पंजाब के मध्यवर्ती प्रदेश पाकिस्तान में चले गए।
  7. पंजाब भाषा के आधार पर तीन राज्यों में बंट गया-पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 5.
पंजाब के इतिहास को हिमालय पर्वत ने किस तरह से प्रभावित किया ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले हैं-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों से भारत का द्वार पथ रहा। इन पर्वतीय श्रेणियों में स्थित दरों को पार करके अनेक आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करते रहे।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। जो शासक इस भाग में स्थित दरौं की उचित रक्षा नहीं कर सके, उन्हें पतन का मुंह देखना पड़ा।
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत ऊंचा है तथा हमेशा बर्फ से ढका रहता है। इस लिये इसे पार करना बड़ा कठिन था। परिणामस्वरूप पंजाब उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सदा सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी ला-लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा।

प्रश्न 6.
पंजाब ने भारतीय इतिहास में क्या भूमिका निभाई है ?
उत्तर-
पंजाब ने अपनी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के कारण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रदेश भारत में सभ्यता का पालना बना। भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता (सिंधु घाटी की सभ्यता) इसी क्षेत्र में फलीफूली। आर्यों ने भी अपनी सत्ता का केंद्र इसी प्रदेश को बनाया। उन्होंने वेद, पुराण, महाभारत, रामायण आदि महत्त्वपूर्ण कृतियों की रचना की। पंजाब ने भारत के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य किया। मध्यकाल तक भारत में आने वाले सभी आक्रमणकारी पंजाब के मार्ग से ही भारत आये। अतः पंजाब वासियों ने बार-बार आक्रमणकारियों के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए बार-बार उनसे युद्ध किए। इसके अतिरिक्त पंजाब हिंदू तथा सिक्ख धर्म की जन्म-भूमि भी रहा है। गुरु नानक देव जी ने अपना पावन संदेश इसी धरती पर दिया। यहीं रहकर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और मुग़लों के धार्मिक अत्याचारों का विरोध किया। बंदा बहादुर तथा महाराजा रणजीत सिंह के कार्य भी भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। नि:संदेह पंजाब ने भारत के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

प्रश्न 7.
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब के भौतिक भागों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब को मुख्य रूप से तीन भौतिक भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय तथा उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. तराई प्रदेश तथा
  3. मैदानी क्षेत्र।

पंजाब के उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत फैला है। इसकी ऊंची-ऊंची चोटियां सदैव बर्फ से ढकी रहती हैं। हिमालय की तीन श्रेणियां हैं जो एक-दूसरे के समानांतर फैली हैं। हिमालय की उत्तर-पश्चिमी शाखाओं में अनेक महत्त्वपूर्ण दर्रे हैं जो प्राचीन काल में आक्रमणकारियों, व्यापारियों तथा धर्म प्रचारकों को मार्ग जुटाते रहे। पंजाब का दूसरा भौतिक भाग तराई (तलहटी) प्रदेश है। यह पंजाब के पर्वतीय तथा उपजाऊ मैदानी भाग के मध्य में विस्तृत है। इस भाग में जनसंख्या बहुत कम है। पंजाब का सबसे महत्त्वपूर्ण भौतिक भाग इसका उपजाऊ मैदानी प्रदेश है। यह उत्तर-पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर दक्षिण-पूर्व में यमुना नदी तक फैला हुआ है। यह हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी से बना है और आरंभ से ही पंजाब की समृद्धि का आधार रहा है।

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प्रश्न 8.
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को अपने-अपने ढंग से प्रभावित किया है।

  1. हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों ने अनेक आक्रमणकारियों को मार्ग दिया। अत: पंजाब के शासकों के लिए उत्तरी-पश्चिमी सीमा की सुरक्षा सदा एक समस्या बनी रही। इसके साथ-साथ हिमालय की बर्फ से ढकी ऊंचीऊंची चोटियां पंजाब की आक्रमणकारियों (उत्तर की ओर से) से रक्षा भी करती रहीं।
  2. हिमालय के कारण पंजाब में अपनी एक विशेष संस्कृति का भी विकास हुआ।
  3. पंजाब का उपजाऊ एवं धनी प्रदेश आक्रमणकारियों के लिए सदा आकर्षण का कारण बना रहा। फलस्वरूप इस धरती पर बार-बार युद्ध हुए।
  4. तराई प्रदेश ने संकट के समय सिक्खों को शरण दी। यहां रहकर सिक्खों ने अत्याचारी शासकों का विरोध किया और अपने अस्तित्व को बनाए रखा। अतः स्पष्ट है कि पंजाब का इतिहास वास्तव में इस प्रदेश के भौतिक तत्त्वों की ही देन है।

प्रश्न 9.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब और किसने मिलाया ? स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब को 1849 में लॉर्ड डल्हौज़ी ने अंग्रेज़ी राज्य में मिलाया। स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब का योगदान अद्वितीय था। पंजाब में ही भाई राम सिंह ने कूका आंदोलन की नींव रखी। 20वीं शताब्दी में सिंह सभा लहर, गदर पार्टी, गुरुद्वारा सुधार आंदोलन, बब्बर अकाली आंदोलन, नौजवान सभा तथा अकाली दल के माध्यम से यहां के वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय बनाया। भगत सिंह ने मातृभूमि की जंजीरें तोड़ने के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया।
पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव करतार सिंह सराभा तथा सरदार ऊधम सिंह जैसे पंजाबी वीरों ने भी हंसते-हंसते भारत माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। अंतत: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ पंजाब भी अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया।

प्रश्न 10.
पंजाब की पर्वतीय तलहटी अथवा तराई प्रदेश की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
तराई प्रदेश हिमाचल प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य स्थित हैं। इसकी ऊंचाई 308 में 923 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलग-सा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर तथा अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। यहां आने जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। इसलिए यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। इस परिश्रम ने उन्हें बलवान् तथा हृष्ट-पुष्ट बना दिया है।

प्रश्न 11.
पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास को कहां तक प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब के इतिहास पर पंजाब के मैदानी प्रदेश की स्पष्ट छाप दिखाई देती है।-

  1. इस प्रदेश की भूमि अत्यंत उपजाऊ है जिसके कारण यह प्रदेश सदा समृद्ध रहा। पंजाब के मैदानों की यह संपन्नता बाह्य शत्रुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई।
  2. पंजाब निर्णायक युद्धों का केंद्र बना रहा। पेशावर, कुरुक्षेत्र, करी, थानेश्वर, तराइन, पानीपत आदि नगरों में घमासान युद्ध हुए। केवल पार्नीपत के मैदान में तीन बार निर्णायक युद्ध हुए।
  3. अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जहां पंजाबियों ने अनेक युद्धों का सामना किया, वहां निर्मम अत्याचारों का सामना भी किया। उदाहरण के लिए तैमूर ने पंजाब के लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए थे।
  4. निरंतर युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता एवं निर्भीकता के विशेष गुण उत्पन्न हुए। 5. पंजाब के मैदानी प्रदेश में आर्यों ने हिंदू धर्म का विकास किया। इसी प्रदेश ने मध्यकाल में गुरु नानक साहिब जैसे महान् संत को जन्म दिया जिनकी सरल शिक्षाएं सिक्ख धर्म के रूप में प्रचलित हुईं। इन सब तथ्यों से स्पष्ट है कि पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास में अनेक अध्यायों का समावेश किया।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ऋग्वैदिक काल से 1966 तक पंजाब के बदलते राजनीतिक स्वरूप (सीमा संबंधी परिवर्तनों) की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
ऋग्वैदिक काल से लेकर भारत की स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद तक पंजाब की सीमाओं में लगातार बदलाव होते रहे हैं। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :
ऋग्वैदिक काल से मुगल काल तक

  1. ऋग्वेद के समय सिंधु नदी से सरस्वती नदी के बीच का क्षेत्र (सप्तसिंधु) पंजाब में शामिल था।
  2. चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने राज्य का विस्तार पश्चिम की ओर अफगानिस्तान और बलोचिस्तान के क्षेत्रों तक कर लिया। इस प्रकार उसने पंजाब की सीमाओं को हिंदुकुश पर्वतों तक पहुँचा दिया और तक्षशिला भी पंजाब का हिस्सा बन गया।
  3. हिंद-बाखतरी और हिंद-पारथी राजाओं के समय में पंजाब की सीमा अफगानिस्तान को छूती थी और इसकी राजधानी साकला (सियालकोट पाकिस्तान) थी।
  4. दिल्ली सल्तनत के समय में पंजाब (लाहौर प्रांत) की सीमा सतलुज नदी से पेशावर तक थी।
  5. मुगल बादशाह अकबर ने पंजाब को दो प्रांतों में बांट दिया-लाहौर प्रांत व मुल्तान प्रांत
  6. अंग्रेज़ी काल में महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब पूर्व में सतलुज नदी से लेकर पश्चिम में खैबर दर्रे तक फैल
  7. 1849 ई० में पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया। 1857 ई० के विद्रोह के बाद दिल्ली (सतलुज नदी से यमुना नदी तक के क्षेत्र) को भी पंजाब का हिस्सा बना दिया गया।
  8. 1901 ई० में लार्ड कर्जन ने एक और परिवर्तन किया। उसने पश्चिम में सिंधु नदी के पार के क्षेत्र को पंजाब से अलग करके उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रदेश बना दिया।
  9. 1911 ई० में लार्ड हार्डिंग ने पूर्व में सतलुज नदी से यमुना नदी तक के प्रदेश को एक बार फिर पंजाब से अलग कर दिया और दिल्ली को भारत की राजधानी बना दिया। इस प्रकार इतिहास में पंजाब पहली बार सही अर्थों में पाँच नदियों की धरती के रूप में सामने आया।
  10. स्वतन्त्रा प्राप्ति के बाद 1947 ई० में भारत विभाजन के समय पंजाब का भी विभाजन कर दिया गया। पंजाब का पश्चिमी भाग नए बने देश पाकिस्तान में चला गया और पूर्वी भाग भारत में ही रह गया। पाकिस्तान में पंजाब के 29 जिलों में से 13 ज़िले और भारतीय पंजाब में 16 शामिल किए गए।
  11. 1956 में देश के राज्यों का पुनगर्छन किया गया। इसमें मालवा की रियासतों को समाप्त करके पंजाब में मिला दिया गया।
  12. 1 नवंबर 1966 को भाषा के आधार पर पंजाब का फिर से विभाजन किया गया। इसमें से हरियाणा नामक नया राज्य अस्तित्व में आया। पंजाब के कुछ पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश में मिला दिए गए।

प्रश्न 2.
“हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत पंजाब के उत्तर में एक विशाल दीवार की भांति स्थित है। इस पर्वत ने पंजाब के इतिहास को पूरी तरह प्रभावित किया है-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों में भारत का द्वार पथ रहा। आर्यों से लेकर ईरानियों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे। परंतु सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए द्वार की भूमिका निभाता रहा है।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। भारतीय शासकों को इनकी रक्षा के लिए काफ़ी धन व्यय करना पड़ा। डॉ० बुध प्रकाश ने ठीक ही कहा है, “जब कभी शासकों का इस प्रदेश (उत्तर-पश्चिमी सीमा) पर नियंत्रण ढीला पड़ गया, तभी उनका साम्राज्य छिन्न-भिन्न होकर अदृश्य हो गया।”
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत बहुत ऊंचा है और सदा बर्फ से ढका रहता है। परिणामस्वरूप यह प्रदेश उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। इसकी नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते चले गए।
  5. विदेशों से व्यापारिक संबंध-उत्तर-पश्चिमी पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों के कारण पंजाब के विदेशों से व्यापारिक संबंध स्थापित हुए। एशिया के देशों के व्यापारी इन्हीं दरों के मार्ग से यहां आया करते थे और पंजाब के व्यापारी उन देशों में जाया करते थे।
  6. पंजाब की विशेष संस्कृति-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों द्वारा यहां ईरानी, अरब, तुर्क, मुग़ल, अफ़गान आदि जातियां आईं और यहां अनेक भाषाओं जैसे संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि का संगम हुआ। इस मेल-मिलाप से पंजाब में एक विशिष्ट संस्कृति का जन्म हुआ जिसमें देशी तथा विदेशी तत्त्वों का संगम था।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 3.
पंजाब के भूगोल अथवा भौगोलिक स्थिति के पंजाब के इतिहास पर जो सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक प्रभाव पड़े, उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के भूगोल ने पंजाब के समाज, संस्कृति तथा आर्थिक जीवन के लगभग हर पक्ष पर गहरा प्रभाव डाला। इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है :
I. सांस्कृतिक व सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों की विशेष संस्कृति-मध्य एशिया की ओर से आने वाले सभी विदेशी आक्रमणकारी सबसे पहले पंजाब में ही आए। इनमें से कुछ पंजाब में ही बस गए और उन्होंने यहाँ की स्त्रियों से विवाह भी कर लिए। हिन्दुओं ने इनके वंशजों को अपनी जाति में शामिल करने से इन्कार कर दिया। जिससे कई नई जातियों का जन्म हुआ। इस प्रकार पंजाब में एक मिली-जुली नई सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ। इसके अतिरिक्त जब ये हमलावर यहाँ से वापिस गए वे यहाँ की संस्कृति भी अपने साथ ले गए। फलस्वरूप विदेशों में पंजाबी संस्कृति का प्रसार और प्रचार हुआ।
  2. पंजाबियों के विशेष गुण तथा जीवन-शैली में परिवर्तन-पंजाब के लोगों को बार-बार विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अतः वे प्रायः युद्ध में ही व्यस्त रहते थे। युद्धों ने पंजाबियों में साहस, हिम्मत और मेहनत के गुण उत्पन्न किये। लगातार विदेशी लोगों के सम्पर्क में आने के कारण पंजाबियों के खान-पान, रीति-रिवाज़ों, भाषा, रहन-सहन और पहनावे में भी परिवर्तन आए।
  3. कला और साहित्य पर प्रभाव-पंजाब ने प्राचीनकाल से ही कला और साहित्य में बहुत उन्नति की थी। परन्तु सदियों तक विदेशी आक्रमणों के कारण पंजाब की कला और साहित्य को बहुत अधिक क्षति उठानी पड़ी। इस समय के दौरान विदेशी संस्कृति के प्रभाव से पंजाब की भवन निर्माण कला में गुम्बद और मेहराब आदि का प्रयोग होने लगा।

II. आर्थिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों का मुख्य व्यवसाय कृषि-पंजाब का अधिकांश प्रदेश मैदानी है। यहाँ सारा वर्ष बहती नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने मैदान बहुत ही उपजाऊ हैं। अतः यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहाँ गेहूँ, चावल, कपास, दालें, मक्की, ज्वार, चने, गन्ना, तिल्हन व सरसों आदि अनेक फसलें हैं। यहाँ के पहाड़ी लोग भेड़-बकरियाँ पालते हैं।
  2. विदेशी व्यापार-पंजाब की समृद्धि ने विदेशी लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित किया है। उत्तरपश्चिमी पर्वतों में स्थित दर्रे पंजाब को मध्य एशिया से जोड़ते थे। इन दरों ने व्यापारिक मार्ग का काम किया। भारतीय और विदेशी व्यापारी इन दरों के मार्ग से आते जाते रहे। इसी लिए प्राचीन काल से ही पंजाब के मध्य एशिया से अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं।
  3. व्यापारिक नगरों का उदय-अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण पंजाब व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र बन गया। पंजाब के इस घरेलू और विदेशी व्यापार के कारण यहाँ कई बड़े व्यापारिक नगरों का उदय हुआ। इनमें लाहौर, मुल्तान, पेशावर, गुजरांवाला अमृतसर, जालन्धर, हिसार और फिरोज़पुर जैसे व्यापारिक नगर प्रमुख हैं।
    सच तो यह है कि पंजाब की समृद्ध भूमि ने विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित किया। जिसने इसके पूरे इतिहास को नये रूप में रंग दिया।

श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज PSEB 9th Class History Notes

  • पंजाब (अर्थ) – पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों ‘पंज’ तथा ‘आब’ के मेल से बना है। पंज का अर्थ है-पांच तथा आब का अर्थ है-पानी, जो नदी का प्रतीक है। अतः पंजाब से अभिप्राय है-पांच नदियों का प्रदेश।
  • पंजाब के बदलते नाम – पंजाब को भिन्न-भिन्न कालों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। ये नाम हैं-सप्त सिंधु, पंचनद, पेंटापोटामिया, सेकिया, लाहौर सूबा, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत आदि।
  • भौतिक भाग – भौगोलिक दृष्टि से पंजाब को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
    • हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पर्वत श्रृंखलाएं
    • उप-पर्वतीय क्षेत्र (पहाड़ की तलहटी के क्षेत्र)
    • मैदानी क्षेत्र।
  • मालवा प्रदेश – मालवा प्रदेश सतलुज और घग्घर नदियों के बीच में स्थित है। प्राचीन काल में इस प्रदेश में ‘मालव’ नाम का एक कबीला निवास करता था। इसी कबीले के नाम पर इस प्रदेश का नाम ‘मालवा’ रखा गया।
  • हिमालय का पंजाब के इतिहास पर प्रभाव – हिमालय की पश्चिमी शाखाओं में स्थित दरों के कारण पंजाब भारत का द्वार बना। मध्यकाल तक भारत पर आक्रमण करने वाले लगभग सभी आक्रमणकारी इन्हीं दरों द्वारा भारत आये।
  • पंजाब के मैदानी भाग – पंजाब का मैदानी भाग बहुत समृद्ध था। इसी समृद्धि ने विदेशी आक्रमणकारियों को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
  • पंजाब की नदियों का पंजाब के इतिहास पर प्रभाव – पंजाब की नदियों ने आक्रमणकारियों के लिए बाधा का काम किया। इन्होंने पंजाब की प्राकृतिक सीमाओं का काम भी किया। मुग़ल शासकों ने अपनी सरकारों, परगनों तथा सूबों की सीमाओं का काम इन्हीं नदियों से ही लिया।
  • तराई प्रदेश – पंजाब का तराई प्रदेश घने जंगलों से घिरा हुआ है। संकट के समय में इन्हीं वनों ने सिक्खों को आश्रय दिया। यहां रहकर उन्होंने अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाई और अत्याचारियों से टक्कर ली।
  • पंजाब में रहने वाली विभिन्न जातियां – पंजाब में विभिन्न जातियों के लोग निवास करते हैं। इनमें से जाट, सिक्ख, राजपूत, पठान, खत्री, अरोड़े, गुज्जर, अराइन आदि प्रमुख हैं।
  • 1849 ई० -पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया।
  • 1857 ई० -दिल्ली और हिसार के क्षेत्र पंजाब में शामिल।
  • 1901 ई० -पंजाब प्रदेश में से उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेश बनाया गया।
  • 1911 ई०.-दिल्ली को पंजाब से अलग किया गया।
  • 1947 ई० -भारत के विभाजन के समय पंजाब दो भागों पश्चिमी पंजाब और पूर्वी पंजाब में विभाजित हो गया।
  • 1 नवंबर, 1966 ई०-पंजाब को भाषा के आधार पर पंजाब और हरियाणा दो प्रांतों में बांटा गया और कुछ इलाका हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

SST Guide for Class 8 PSEB संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। दूसरे शब्दों में संसाधन वे प्राकृतिक उपहार हैं जो मनुष्य के लिए किसी-न-किसी रूप में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक संसाधन कौन-कौन से हैं ? ये हमें कौन प्रदान करता है ?
उत्तर-
वन, खनिज पदार्थ, मिट्टी, समुद्र, सौर ऊर्जा आदि साधन प्राकृतिक संसाधन हैं। ये हमें प्रकृति से मिले हैं।

प्रश्न 3.
संसाधन कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है; जैसे-

  • सजीव तथा निर्जीव संसाधन।
  • समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन।
  • विकसित व सम्भावित संसाधन।
  • मिट्टी व भूमि संसाधन।
  • समुद्री तथा खनिज संसाधन।
  • मानवीय संसाधन।

प्रश्न 4.
मिट्टी की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
मिट्टी (मृदा) पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। जो शैलों से बनी है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

प्रश्न 5.
समुद्रों से हमें क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
समुद्र हमें खनिज तथा शक्ति संसाधन प्रदान करते हैं। इनके अतिरिक्त समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां, हीरे-जवाहरात आदि प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
संसाधनों की सही सम्भाल कैसे हो सकती है ?
उत्तर-
संसाधनों की सही सम्भाल इनका उचित तथा ज़रूरत के अनुसार प्रयोग करने से हो सकती है। इसके लिए संसाधनों के दुरुपयोग तथा विनाश से बचना चाहिए।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
सजीव और निर्जीव संसाधनों में अन्तर लिखो।
उत्तर-
सजीव संसाधन-सजीव संसाधन हमें सजीव पदार्थों से प्राप्त होते हैं। जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इनके उदाहरण हैं। कोयला तथा खनिज तेल भी सजीव संसाधन कहलाते हैं, क्योंकि ये पेड़-पौधों तथा मृत जीवों के गलनेसड़ने से बनते हैं।
निर्जीव संसाधन-निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं। खनिज पदार्थ तथा जल इनके उदाहरण हैं। खनिज पदार्थ हमारे उद्योगों का आधार हैं। इनकी सम्भाल बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये जल्दी समाप्त हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
भूमि और मिट्टी संसाधनों के महत्त्व पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि तथा मिट्टी संसाधनों का मनुष्य के लिए निम्नलिखित महत्त्व है-

  1. भूमि-भूमि पर मनुष्य अपनी आर्थिक क्रियाएं तथा गतिविधियां करता है। इन क्रियाओं तथा गतिविधियों में कृषि करना, उद्योग लगाना, यातायात के संसाधनों का विकास करना, खेल-खेलना, सैर-सपाटा करना आदि शामिल हैं। मनुष्य अपने घर भी भूमि पर बनाता है।
  2. मिट्टी-मिट्टी में मनुष्य पौधे तथा फ़सलें उगाता है। ये मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं, क्योंकि इनसे मनुष्य को भोजन मिलता है। इनसे मनुष्य को कई प्रकार के अन्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 3.
खनिज पदार्थ हमें कहां से प्राप्त होते हैं और इनका प्रयोग कहां किया जाता है ?
उत्तर-
खनिज पदार्थ हमें धरती के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में मिलते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-धातु खनिज तथा अधातु खनिज । धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि शामिल हैं। अधातु खनिजों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा खनिज तेल प्रमुख हैं। खनिज पदार्थों का प्रयोग उद्योगों में किया जाता है। इन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं कर सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें उद्योगों में साफ़ करना पड़ता

प्रश्न 4.
विकसित और संभावित संसाधनों को उदाहरण सहित समझाओ।
उत्तर-
जब संसाधन किसी लाभदायक उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं, तो वे विकसित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब तक उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जाता है तब तक उन्हें सम्भावित संसाधन कहा जाता है। इन्हें निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है-

  1. पर्वतों से नीचे बहती नदियां बिजली पैदा करने के लिए एक सम्भावित संसाधन हैं। परन्तु इन नदियों के जल से जब बिजली पैदा की जाने लगती है, तो ये विकसित संसाधन बन जाती हैं।
  2. पृथ्वी के नीचे दबा हुआ कोयला एक सम्भावित संसाधन है। इसके विपरीत प्रयोग में लाया जा रहा कोयला एक विकसित संसाधन है।

प्रश्न 5.
समाप्त होने वाले संसाधनों का प्रयोग हमें समझदारी व संकोच के साथ क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो लगातार तथा अधिक मात्रा में प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिये कोयले तथा पेट्रोलियम का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए ये कम होते जा रहे हैं। एक समय आयेगा जब ये बिलकुल समाप्त हो जायेंगे। क्योंकि इनके बनने में लाखों वर्ष लगते हैं, इसलिए हम इनसे सदा के लिए वंचित हो जायेंगे। यदि हमें ऐसी स्थिति से बचना है, तो हमें इनका प्रयोग समझदारी व संकोच के साथ करना होगा।

प्रश्न 6.
मानवीय संसाधनों का दूसरे संसाधनों के विकास में क्या योगदान है ?
उत्तर-
मनुष्य को पृथ्वी के सभी जीवों में सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है। वह अपनी बुद्धिमत्ता, कार्य शक्ति तथा कौशल के कारण अपने आप में एक बहुत बड़ा संसाधन है। पृथ्वी पर उपलब्ध अन्य सभी संसाधनों को वही प्रयोग में लाता है और उन्हें विकसित करता है। किसी भी क्षेत्र के विकास के पीछे मनुष्य की ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जापान इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। वहां अन्य संसाधनों की कमी होते हुए भी देश ने बहुत अधिक उन्नति की है। वास्तव में मनुष्य को पहले उसके गुण, शिक्षा, तकनीकी योग्यता विकसित संसाधन बनाते हैं, तब वह अन्य संसाधनों को विकसित बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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III. नीचे लिखे प्रश्न का उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न-
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ? इनके प्रकार बताते हुए संसाधनों के महत्त्व और इनकी सम्भाल के लिए अपनाए गए ढंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसाधन-संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
संसाधनों के प्रकार-संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के होते हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है। जैसे –

1. सजीव और निर्जीव संसाधन-सजीव संसाधन सजीव वस्तुओं से प्राप्त होते हैं, जैसे जीव-जन्तु तथा पौधे। इसके विपरीत निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं, जैसे खनिज पदार्थ, जल आदि।
2. विकसित तथा सम्भावित संसाधन-सभी उपलब्ध संसाधन संभावित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब इनका प्रयोग होने लगता है तो इन्हें विकसित संसाधन कहा जाता है।
3. समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन-कोयला, पेट्रोलियम आदि समाप्त होने वाले संसाधन हैं। लगातार प्रयोग से ये किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं। दूसरी ओर जल न समाप्त होने वाला संसाधन है। लगातार प्रयोग से भी यह समाप्त नहीं होता।
4. मिट्टी तथा भूमि संसाधन-मिट्टी में मनुष्य भोजन तथा अन्य उपयोगी पदार्थ प्राप्त करने के लिए पौधे तथा फ़सलें उगाता है। भूमि पर वह उद्योग लगाता है, यातायात के संसाधनों का विकास करता है तथा अन्य गतिविधियां करता है।
5. समुद्री व खनिज संसाधन-समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां तथा हीरे-जवाहरात प्राप्त होते हैं। खनिज संसाधनों से हमें धातुएं, अधातुएं, ऊर्जा आदि मिलती हैं। ये संसाधन हमारे उद्योगों का आधार हैं।
6. मानवीय संसाधन-मनुष्य अपने आप में सबसे बड़ा संसाधन है। अन्य सभी संसाधनों का विकास मनुष्य ही करता है।
संसाधनों का महत्त्व-संसाधनों का मनुष्य के लिए बहत अधिक महत्त्व है-

  • ये मनुष्य की मूल तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • ये मनुष्य के जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाते हैं और उसके जीवन स्तर को ऊंचा करते हैं।
  • संसाधन देश के विकास के लिए ज़रूरी हैं।

सम्भाल के तरीके-संसाधनों के महत्त्व को देखते हुए इनकी सम्भाल करना आवश्यक हो जाता है। खनिज पदार्थों जैसे संसाधन तो दुर्लभ होते हैं। इनके लगातार तथा बड़ी मात्रा में उपयोग से ये शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे। अतः इनकी सम्भाल और भी आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनसे लाभ उठा सकें। संसाधनों की सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है-

  • इनका उपयोग सूझ-बूझ के साथ लम्बे समय तक किया जाये।
  • इनके दुरुपयोग को रोका जाये ताकि इनके विनाश से बचा जा सके।
  • फिर से प्रयोग में लाये जा सकने वाले संसाधनों को दोबारा प्रयोग में लाया जाए।
  • मनुष्यों की योग्यता और कौशल में वृद्धि की जाए, ताकि वे संसाधनों की उपयोगिता को बढ़ा सकें।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसाधन-प्रकार और संभाल Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. पृथ्वी का …………. प्रतिशत भाग पानी है।
2. संसाधन ………… उपहार हैं जो मनुष्य के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं।
3. जिन संसाधनों का प्रयोग नहीं होता उन्हें ………… संसाधन कहते हैं।
उत्तर-

  1. 71,
  2. प्राकृतिक,
  3. संभावित।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. पृथ्वी पर जीवन सबसे पहले समुद्रों में शुरू हुआ।
2. खनिज संसाधन पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होने वाले पदार्थ हैं।
3. प्रकृति के जीवों में से पशु-पक्षियों को सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है।
उत्तर-

  1. ✗.

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) पानी
(i) कोयला
(iii) वायु
(iv) सूर्य की ऊर्जा । ।
उत्तर-
(i) कोयला

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प्रश्न 2.
न समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) सूर्य की ऊर्जा
(ii) पैट्रोलियम
(iii) कोयला
(iv) एल्यूमीनिय ।।
उत्तर-
(i) सूर्य की ऊर्जा

प्रश्न 3.
पृथ्वी की कौन-सी सतह मिट्टी कहलाती है ?
(i) सबसे अंदर की सतह
(ii) बीच की सतह
(iii) सबसे ऊपरी सतह
(iv) ये तीनों सतहें।
उत्तर-
(iii) सबसे ऊपरी सतह

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. धातु खनिज – जल
2. सजीव संसाधन – मैंगनीज़
3. निर्जीव संसाधन – पौधे
4. अभातु खनिज – तांबा।
उत्तर-

  1. तांबा,
  2. पौधे,
  3. जल,
  4. मैंगनीज़।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आज के मनुष्य को बहुत से संसाधनों पर निर्भर क्यों होना पड़ता है ?
उत्तर-
पहले मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत कम थीं। परन्तु आज उसकी आवश्यकताएं असीमित हो गई हैं। इसलिए उसे आज बहुत से संसाधनों पर निर्भर होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
उदाहरण देकर समझाइए कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही संसाधनों का उचित विकास है।
उत्तर-
कोयला या खनिज तेल आदि मानव के लिए तथा वायुयान के आविष्कार से पहले एल्यूमीनियम आधुनिक मानव के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता था। परन्तु इनकी उपयोगिता बढ़ने पर इनका महत्त्व बढ़ गया। अत: हम कह सकते हैं कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही इनका उचित विकास है।

प्रश्न 3.
संसाधनों को विभिन्न वर्गों में बांटने के चार मुख्य आधार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. जीवन
  2. उपलब्धियां
  3. विकास स्तर
  4. प्रयोग।

प्रश्न 4.
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए कौन-से संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं और क्यों ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए जैव संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि संसार में लगभग 85% खाद्य पदार्थ इन्हीं साधनों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5.
कोयले तथा खनिज तेल को सजीव संसाधनों की श्रेणी में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर-
कोयला तथा खनिज तेल पौधों तथा जीवों जैसे सजीव संसाधनों के अवशेषों से बनते हैं।

प्रश्न 6.
किसी देश के धनी होने का अनुमान किस बात से लगाया जाता है ?
उत्तर-
किसी देश के धनी होने का अनुमान देश में प्राप्त होने वाले संसाधनों से लगाया जाता है।

प्रश्न 7.
मृदा या मिट्टी कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखें।
उत्तर-
मृदा कई प्रकार की होती हैं; जैसे- (1) रेतीली, (2) चिकनी (3) दोमट (4) जलोढ़ (5) पर्वतीय (6) लाल तथा (7) काली मृदा।

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प्रश्न 8.
उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं। क्यों ?
उत्तर-
उपजाऊ मृदा (मिट्टी) फ़सलें उगाने के लिए सर्वोत्तम होती है। अत: उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में कृषि उन्नत होती है जिसके कारण ये क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं।

प्रश्न 9.
भूमि का प्रयोग किन बातों को ध्यान में रख कर होता है ?
उत्तर-
भूमि का प्रयोग धरातल, ढलान, मिट्टी के प्रकार, जल-निकास तथा मनुष्य की ज़रूरतों आदि बातों को ध्यान में रख कर होता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा मानवीय दो प्रकार के होते हैं। प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्राप्त होते हैं। इनमें वन, खनिज पदार्थ, नदियां, सौर ऊर्जा तथा समुद्र आदि शामिल हैं।
मानवीय संसाधन स्वयं मनुष्य द्वारा बनाये जाते हैं; जैसे-सड़कें, मशीनरी, यातायात के साधन, कृत्रिम खादें आदि। ये संसाधन मानव की प्रगति के प्रतीक हैं। ये भौतिक भी हो सकते हैं तथा अभौतिक भी। मनुष्य की बुद्धि, ज्ञान एवं कार्यकुशलता को भी मानव साधन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो अधिक मात्रा में तथा लगातार प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। यदि ये समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से नहीं पा सकेंगे क्योंकि इनके बनने में लाखों-करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम इसी प्रकार के संसाधन हैं।
वे संसाधन जो बार-बार प्रयोग करने पर भी समाप्त नहीं होते, न समाप्त होने वाले संसाधन कहलाते हैं। ये इसलिए समाप्त नहीं होते क्योंकि इनकी पूर्ति होती रहती है। इन साधनों में सूर्य की ऊर्जा, वायु, पानी, वन आदि शामिल हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समुद्री तथा खनिज संसाधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
समुद्री संसाधन-पृथ्वी का लगभग 71% भाग जल है। जल के बड़े-बड़े भण्डारों को समुद्र कहा जाता है। माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ सबसे पहले समुद्रों में ही हुआ था। इसलिए समुद्र हमें बड़ी मात्रा में जैविक संसाधन प्रदान करते हैं जिनमें शक्ति के संसाधन (पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस) भी शामिल हैं। समुद्रों से हमें मछलियां, सीपियां, मोती, नमक तथा हीरे-जवाहरात भी प्राप्त होते हैं। मछलियां संसार में बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करती हैं।

खनिज संसाधन-खनिज संसाधन हमें पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं-धातु (Metallic) खनिज तथा अधातु (Non Metallic) खनिज। धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि खनिज शामिल हैं। अधातु खनिज पदार्थों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा पेट्रोलियम आदि मुख्य हैं। खनिज संसाधन भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में पाये जाते हैं। चट्टानों से मिलने वाले खनिज पदार्थ प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं किये जा सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें साफ़ किया जाता है और इनकी अशुद्धियां दूर की जाती हैं। खनिज हमारे उद्योगों का आधार माने जाते हैं। इसलिए इन्हें बहुत अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 2.
संसाधनों की सम्भाल पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
संसाधन मनुष्य को प्रकृति की बहुत बड़ी देन हैं। मनुष्य इन्हें अपने और अपने देश के विकास के लिए प्रयोग करता है। परन्तु विकास के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य दूसरे देशों के साथ मुकाबला भी कर रहा है। इसलिए वह बिना सोचे-समझे इन संसाधनों को समाप्त कर रहा है। वह यह नहीं जानता कि बहुत-से साधनों के भण्डार सीमित हैं। यदि ये भण्डार एक बार समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उदाहरण के लिए कोयला और पेट्रोलियम जिन्हें पूर्ण संसाधन बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, यदि एक बार समाप्त हो गये तो इन्हें दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए इनकी सम्भाल ज़रूरी है।

  • संसाधनों तथा इनकी सम्भाल का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है। संसाधनों की सम्भाल से अभिप्राय इनका सही प्रयोग है ताकि इनका दुरुपयोग या विनाश न हो। दूसरे शब्दों में इनका प्रयोग विकास के लिए हो और लम्बे समय के लिए हो ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ियां भी इनका लाभ उठा सकें। उचित और ज़रूरत के अनुसार इनका प्रयोग ही इन साधनों की सही सम्भाल होगी।
  • यूं तो सम्भाल प्रत्येक संसाधन के लिए आवश्यक है, परन्तु जो संसाधन दुर्लभ हैं उनकी विशेष सम्भाल की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार यदि कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग इसी गति से होता रहा, तो लगभग 80% जीवांश ईंधन इसी शताब्दी में समाप्त हो जायेंगे।
  • हमें मृदा, जल और वन आदि संसाधनों की सम्भाल भी करनी चाहिए। इनका प्रयोग करते समय इन्हें व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दोबारा प्रयोग होने वाले साधनों को बार-बार प्रयोग में लाया जाये।
  • यह भी आवश्यक है कि ज्ञान, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया जाये और लोगों को इन संसाधनों की संभाल के बारे में जागृत किया जाये।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

संसाधन-प्रकार और संभाल PSEB 8th Class Social Science Notes

  • संसाधन – संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गये वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की मूल (रोटी, कपड़ा, मकान) तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। |
  • संसाधनों का महत्त्व । (1) संसाधन मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं और उसके जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाते हैं। (2) संसाधन विकास के लिए ज़रूरी हैं।
  • संसाधनों के प्रकार (1) सजीव तथा निर्जीव (2) विकसित तथा संभावित (3) समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले (4) मिट्टी और भूमि (5) समुद्री और खनिज (6) मानवीय साधन।
  • संसाधनों की संभाल | कोयला, पेट्रोलियम जैसे कई संसाधन जल्दी समाप्त होने वाले होते हैं। अतः इनका प्रयोग सही और लम्बे समय तक होना चाहिये। ताकि हम इनसे वंचित न हो जाएं।
    • फिर से प्रयोग होने वाले पदार्थों का दोबारा प्रयोग किया जाये। उदाहरण के लिए लोहे को गला कर इसका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है।
    • संसाधनों का ठीक प्रयोग करने के लिए आवश्यक नियम बनाये जायें।
    • लोगों के ज्ञान तथा शैक्षणिक एवं तकनीकी शिक्षा का स्तर ऊंचा किया जाये।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि की दृष्टि से भूमि का pH कितना होना चाहिए?
उत्तर-
6.5 से
8.7 तक pH होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भूमि के दो मुख्य भौतिक गुण बताएँ।
उत्तर-
कणों का आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली जगह, पानी रोकने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
किस भूमि में पानी लगाने के फौरन बाद ही विलय हो जाता है?
उत्तर-
रेतली भूमि।

प्रश्न 4.
चिकनी मिट्टी में चिकने कणों की मात्रा बताएँ।
उत्तर-
कम-से-कम 40% चिकने कण होते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
क्षारीय एवं अम्लीय को मापने का पैमाना बतलाएँ।
उत्तर-
क्षारीय और तेज़ाबीपन (अम्लीयता) को मापने का पैमाना pH है।

प्रश्न 6.
लवणी भूमि में किन लवणों की प्रचुरता (अधिकता) होती है ?
उत्तर-
इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की अधिकता होती है।

प्रश्न 7.
जिस भूमि में सोडियम के कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट अत्यधिक मात्रा में हो, उस भूमि को किस श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर-
क्षारीय भूमि।

प्रश्न 8.
हरी खाद के लिए दो फसलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सन अथवा लैंचा, जंतर।

प्रश्न 9.
चिकनी धरती किस फसल के लिए श्रेष्ठ है?
उत्तर-
धान की बुवाई के लिए।

प्रश्न 10.
क्षारीय धरती के सुधार के लिए कौन-सा पदार्थ प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जिप्सम।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भू-विज्ञान के अनुसार मिट्टी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव के अधीन प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।

प्रश्न 2.
भूमि के प्रमुख भौतिक गुण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
कणों के आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली स्थान, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
चिकनी व रेतली मिट्टी की तुलना करें।
उत्तर-

रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी
(1) उंगलियों में मिट्टी को रगड़ने से कणों का आकार खटकता है। (1) कण बहुत बारीक होते हैं।
(2) पानी बहुत जल्दी अवशोषित हो जाता है। (2) पानी बहुत देर तक खड़ा रहता है।
(3) दो कणों के मध्य खाली स्थान होता है। (3) दो कणों के मध्य खाली स्थान कम ज़्यादा होता है।

 

प्रश्न 4.
अम्लीय भूमि होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जिन भूमियों में तेज़ाबी (अम्लीय) मादा ज़्यादा होता है उनको अम्लीय भूमि कहते हैं। इन भूमियों में ज्यादा बारिश होने के कारण क्षारीय लवण बह जाते हैं और पौधों आदि के पत्तों के गलने-सड़ने से तेज़ाबी मादा पैदा होता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
कल्लर वाली भूमि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिस भूमि में लवण की मात्रा बढ़ जाती है उनको कल्लर वाली भूमि कहते हैं। यह तीन तरह की होती है–लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय।

प्रश्न 6.
सेम वाली भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उन भूमियों को जिन भूमियों के नीचे पानी का स्तर शून्य से लेकर 1.5 मीटर नीचे ही मिल जाए, उसको सेम वाली भूमि कहते हैं।

प्रश्न 7.
लवणीय भूमि का सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-

  1. जिंदरा या ट्रैक्टर वाले कराहे के साथ भूमि की ऊपर वाली सतह खुरच कर किसी अन्य स्थान पर गहरे गड्ढे में दबा देनी चाहिए।
  2. भूमि को पानी के साथ भर कर इसमें हल चला दिया जाता है और फिर पानी बाहर निकाल दिया जाता है। इसके साथ लवण पानी में घुल कर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 8.
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए अभीष्ट जानकारी दें।
उत्तर–
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए कुछ जानकारी प्राप्त करनी ज़रूरी है, जैसे—

  1. भूमि के नीचे पानी की सतह।
  2. पानी की सिंचाई के लिए योग्यता किस तरह की है।
  3. नहर का पानी उपलब्ध है या नहीं।
  4. धरती में कंकर या अन्य सख्त परतें हैं या नहीं।
  5. ज्यादा पानी निकालने के लिए खालों का योग्य प्रबंध है कि नहीं।
  6. कल्लर की कौन-सी किस्म है।

प्रश्न 9.
मैरा भूमि के प्रमुख गुण बताएँ।
उत्तर-
मैरा भूमि के गुण रेतीले और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं। हाथों में डालने पर इसके कण पाउडर की तरह फिसलते हैं।

प्रश्न 10.
लवणीय क्षारीय भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इन भूमियों में क्षारत्व और लवणों की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें चिकने कणों के साथ जुड़ा सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है और भूमि में अच्छे लवण भी बहुत ज़्यादा मात्रा में होते हैं।

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि (धरती) के सुधार के लिए समुचित प्रबंध का वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे की अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 2.
कणों के आकार के अनुपात भूमि के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
कणों के आकार के अनुपात अनुसार भूमि की तीन श्रेणियां हैं—
1. रेतीली भूमि
2. चिकनी भूमि
3. मैरा (दोमट) भूमि।।

  1. रेतीली भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू बनाते तुरन्त ही टूट जाता है। इसके कण उंगलियों में रख कर महसूस किए जा सकते हैं। सिंचाई का पानी लगाते ही सोख लिया जाता है। इसके कणों में मध्य खाली स्थान अधिक होता है। इस मिट्टी की जुताई आसान है तथा इसको हल्की भूमि कहा जाता है। इसमें हवा तथा पानी का आवागमन सरल है।
  2. चिकनी भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू सरलता से बन जाता है तथा टूटता नहीं है। इसके कणों का आकार रेत के कणों की तुलना में बहुत कम होता है। इसमें कम-सेकम 40% चिकने कण होते हैं। इसमें कई दिनों तक पानी रुका रहता है। जब नमी कम हो जाती है तो जुताई के समय मिट्टी ढीम बनके निकलती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। भूमि जैसे फट जाती है। इनमें पानी रखने की शक्ति रेतीली भूमि से कहीं अधिक होती है।
  3. मैरा (दोमट) भूमि-यह भूमि रेतीली से चिकनी भूमि के बीच होती है। इसके कणों का आकार भी चिकनी तथा रेतीली भूमियों के कणों के मध्य होता है। इनमें रोगों की संरचना हवा तथा पानी का संचालन, पानी सम्भाल समर्था आहारीय तत्त्व की मात्रा आदि गुण अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हैं। इस भूमि को कृषि के लिए उत्तम माना गया है। इसके कण हाथों में पाऊडर जैसे फिसलते हैं।

प्रश्न 3.
एक आँकड़ा आकृति के द्वारा भूमि के मुख्य भाग दर्शाएं।
उत्तर-
भूमि एक मिश्रण है जिसमें खनिज पदार्थ, जैविक पदार्थ, पानी तथा हवा होती है। इनकी मात्रा को नीचे दिए गए चित्र के अनुसार दर्शाया गया है। हवा तथा पानी की मात्रा आपस में कम अधिक हो सकती है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार 1
चित्र-भूमि के मुख्य भाग

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 4.
रेतीली धरती के सुधार का उपाय विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 5.
सेम वाली धरती में फसलों की प्रमुख समस्याएँ एवम् सेम की धरती को सधारने की विधि बतलाएँ।
उत्तर-
ऐसी भूमियाँ जिनमें भूमि के नीचे पानी की सतह ज़ीरो से 1.5 मीटर तक की गहराई पर हो तो उनको सेम वाली भूमियाँ कहा जाता है। यह पानी इतनी नज़दीक आ जाता है कि पौधों की जड़ों वाली स्थान पर भूमि के सुराख पानी के साथ भरे रहते हैं और भूमि एवम् भूमि सुधार भूमि हमेशा ही गीली रहती है। पौधे की जड़ों को हवा नहीं मिलती और हवा का आवागमन भी कम हो जाता है। भूमि में ऑक्सीजन कम हो जाती है और कार्बनडाइऑक्साइड ज़्यादा हो जाती है।
सेम की समस्या सुलझाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जैसे-रुके हुए पानी का सेम नालियों द्वारा निकास, बहुत ट्यूबवैल लगा कर पानी का ज़्यादा प्रयोग, धान और गन्ने जैसी फसलों की कृषि करनी चाहिए, जंगलों के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि एवम् भूमि सुधार Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमि-विज्ञान के अनुसार धरती को निर्जीव वस्तु या जानदार वस्तु माना गया?
उत्तर-
जानदार वस्तु।

प्रश्न 2.
भूमि में कितने प्रतिशत खनिज तथा जैविक पदार्थ होता है?
उत्तर-
खनिज 45% और जैविक पदार्थ 0-5% है।

प्रश्न 3.
हल्की भूमि किसको कहा जाता है?
उत्तर-
रेतीली भूमि को।

प्रश्न 4.
पानी सम्भालने की शक्ति सबसे ज्यादा किस भूमि में है?
उत्तर-
चिकनी मिट्टी में।

प्रश्न 5.
खेती के लिए कौन-सी भूमि उत्तम मानी गई है?
उत्तर-
मैरा भूमि।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों की समस्या किस इलाके में ज्यादा है ?
उत्तर-
बारिश वाले इलाकों में।

प्रश्न 7.
कितने पी० एच० वाली भूमियाँ तेज़ाबी होती हैं ?
उत्तर-
पी० एच० 7 से कम वाली।

प्रश्न 8.
कितनी पी० एच० वाली भूमि खेती के लिए ठीक मानी जाती है?
उत्तर-
6.5 से 8.7 तक पी० एच० वाली।

प्रश्न 9.
लवणी भूमियों की पी० एच० कितनी होती है?
उत्तर-
8.7 से कम।

प्रश्न 10.
रेह, थूर या शोरे वाली भूमियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर-
लवणी भूमियाँ।

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प्रश्न 11.
क्षारीय भूमियों में पानी समाने की क्षमता कितनी है?
उत्तर-
बहुत कम।

प्रश्न 12.
हरी खाद की फ़सल बताओ।
उत्तर-
सन जंतर।

प्रश्न 13.
रेतीली भूमियों में सिंचाई के लिए कैसा क्यारा बनाया जाता है ?
उत्तर-
छोटे आकार का।

प्रश्न 14.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने का सही समय बताओ।
उत्तर-
फसल बोने से 3-6 महीने पहले।

प्रश्न 15.
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की कितनी गम्भीर समस्या है ?
उत्तर-
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की समस्या नहीं है।

प्रश्न 16.
लवणीय भूमियों में कौन-से लवण अधिक होते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा पोटाशियम के क्लोराइड।

प्रश्न 17.
सेम वाली भूमि में धरती के नीचे पानी का स्तर क्या है ?
उत्तर-
धरती के नीचे पानी का स्तर शून्य से डेढ़ मीटर तक होता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि की पहचान के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
रेतीली भूमि में पानी सिंचाई करने के साथ ही पानी समा जाता है। उँगलियों में इसके कण महसूस किए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
चिकनी मिट्टी में पानी सोखने और सम्भालने की शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, जुताई करना और गोडी करने के साथ चिकनी मिट्टी की पानी सोख और सम्भालने की शक्ति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ने का कारण बताएँ।
उत्तर-
बहुत बारिश कारण ज़्यादा हरियाली रहती है। पौधों आदि के पत्ते भूमि पर गिर कर गलते-सड़ते रहते हैं और वर्षा के पानी के बहाव से क्षारीय लवण बह जाते हैं, जिसके कारण भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ जाता है।

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प्रश्न 4.
लवणी भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. इनमें पानी समाने की समर्था काफ़ी होती है और जुताई के लिए नर्म होती हैं।

प्रश्न 5.
क्षारीय भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में सोडियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट वाले लवण बहुत मात्रा में होते हैं।
  2. waq पानी समाने की समर्था कम होती है। जुताई बहुत कठिन होती है।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों के सुधार के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
चूने का प्रयोग करके और गन्ना मिल की मैल और लकड़ी की राख का प्रयोग किया जा सकता है। चूने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने के तरीके के बारे में बताएँ।
उत्तर-
चूना डालने का सही समय बुवाई से 3-6 महीने डाल कर जुताई कर देनी चाहिए।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मलहड़ किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है ?
उत्तर-
जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेष, मल-मूत्र तथा उनके गले सड़े अंग जो कि मिट्टी में समय-समय पर मिलते रहते हैं, को मलहड़ अथवा ह्यमस कहते हैं। घास-फूस, फसलें, वृक्ष, सुंडियां केंचुए, जीवाणु, कीटाणु ढेरों की रूढ़ि तथा घर का कूड़ा-कर्कट भी मलहड़ के हिस्से हो सकते हैं। इन पदार्थों के ज़मीन में मिलने से भूमि के गुणों में बहुत सुधार होता है। इससे प्राप्त होने वाली उपज पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

जब भी जैविक पदार्थ अथवा कार्बनिक चीजें मिट्टी में मिलाई जाती हैं, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा बैक्टीरिया की क्रियाओं से इन पदार्थों का विघटन आरम्भ हो जाता है तथा यह पदार्थ गलना-सड़ना आरम्भ कर देते हैं। इनमें से कई प्रकार की गैसें पैदा होती हैं जो हवा में मिल जाती हैं। इसलिए गल-सड़ रही चीज़ों से हमें कई बार दुर्गन्ध भी आने लग जाती है। कार्बनिक पदार्थ टूट कर अकार्बनिक तत्त्वों जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गन्धक में बदल जाते हैं। पानी, भू-ताप तथा भू-जीवों की क्रिया से यह तत्त्व पौधों के लिए प्राप्त योग्य रूप में परिवर्तित हो जाते हैं तथा यह दुबारा पौधों से शरीरों के अंग बनकर कार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं तथा इस तरह यह बनने तथा टूटने का चक्र चलता रहता है इस तरह यह कहा जा सकता है कि मलहड़ जैविक पदार्थों की पौधों के लिए प्राप्ति योग्य अवस्था है।

प्रश्न 2.
भूमि-बनावट की कौन-सी किस्म कृषि के लिए सबसे अच्छी है तथा क्यों ? उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर-
फसलें जड़ों द्वारा भूमि में से अपना भोजन प्राप्त करती हैं। फसलें आसानी से यह भोजन तभी प्राप्त कर सकती हैं यदि भूमि के टुकड़ों के आकार छोटे हों तथा यह बहुत कम शक्ति से टूट जाएं। ऐसी बनावट उसी हालत में सम्भव है अगर भूमि में मलहड़ अथवा जैविक पदार्थ की मात्रा काफ़ी अधिक हो। भूमि की ऐसी उचित तथा आवश्यक बनावट को भुरभुरी बनावट कहा जाता है। भुरभुरी बनावट वाली भूमि में ढेले नर्म तथा बहुत छोटे आकार के होते हैं। इन ढेलों को हाथों में मलकर आसानी से तोड़ा जा सकता है। ढेलों के कणों में आपस में जुड़कर रहने की शक्ति बहुत कम होती है। इसलिए वह टूट कर छोटे-छोटे कणों के रूप में भूमि का अंग बन जाती हैं। कणों के बीच जुड़ने की शक्ति का कम होना पानी तथा हवा के लिए काफ़ी स्थान उपलब्ध होने के कारण बनता है। जुड़ने की शक्ति कम होने से जीवाणुओं के लिए विघटन का कार्य करना काफ़ी आसान रहता है तथा उन्हें सांस लेने के लिए आवश्यक हवा भी मिल जाती है। भूमि नर्म होने से जड़ों को फैलने में कोई कठिनाई नहीं आती तथा वह अच्छी तरह फैलकर आवश्यक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त कर सकती हैं।

प्रश्न 3.
भूमि के भौतिक गुणों की सूची बनाओ। इनमें से किसी एक गुण के बारे में तीन-चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भूमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर होना है। भूमि में पानी का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति, यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान।

कण-आकार- भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती है। भूमि का कण आकार इसमें मौजूद अलग-अलग मोटाई के कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है। भूमि की उर्वरा शक्ति कण-आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के यातायात की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है।

प्रश्न 4.
पी० एच० अंक से क्या अभिप्राय है ? भूमि के पी० एच० अंक का उसकी तासीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
पी० एच० अंक-भूमि अम्लीय है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) तथा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7 – 7 हल्का खारापन
7 उदासीन
7.5 – 5 तक हल्की अम्लीय
6.5 से कम अम्लीय भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में अच्छी तरह फलफूल सकती हैं। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भूमि को पी० एच० मात्रा पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में से पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैंगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक अम्लीय भूमियों में से अधिक मात्रा में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए जहर का कार्य भी करती है।

प्रश्न 5.
भूमि में नमी कैसे आ जाती है ? नमी का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा कैसे ?
उत्तर-
नमी का कारण स्थाई रूप से बहने वाली नहरों का पानी भूमि छिद्रों द्वारा आस-पास की भूमि में रिस-रिस कर पहुंच जाता है। पन्द्रह-बीस साल में धरती के खुले पानी का तट धरती की सतह के निकट आ जाता है, भूमि नमी की मार तले आ जाती है। इसके अतिरिक्त बाढ़ों का पानी, अच्छे जल निकास प्रबन्ध की कमी आदि भी नमी का कारण बन सकते हैं।

नमी का प्रभाव-पौधों के बढ़ने पर नमी के कई प्रभाव पड़ते हैं। बहुत सारे काश्त किये जाने वाले पौधों की जड़ें जल-तल के ऊपर वाली भूमि-तह में ही रह जाती हैं। पौधे अधिक समय पानी में खड़े रहकर मर जाते हैं। भूमि वायु की कमी हो जाती है। पानी की उच्च ताप योग्यता के कारण भूमि में तापमान परिवर्तन भी घट जाता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ बताओ।
उत्तर-
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ—

  1. इससे भूमि का तेज़ाबीपन समाप्त हो जाता है।
  2. फॉस्फोरस पौधों को उचित रूप में प्राप्त होने वाले रूप में बदल जाती है।
  3. चूने में खाद्य तत्त्व मैग्नीशियम तथा कैल्शियम होते हैं।
  4. जैविक पदार्थों के गलने-सड़ने की क्रिया तेज़ हो जाती है तथा पौधों के लिए नाइट्रोजन योग्य रूप की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है।
  5. सूक्ष्म जीव क्रियाएं तेज़ी से होने लगती हैं।

प्रश्न 7.
भू-आकार बांट पर विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
मिट्टी के कणों का आकार एक-सा नहीं होता। कुछ बहुत मोटे तथा कुछ बहुत सूक्ष्म अथवा बारीक होते हैं। आकार के आधार पर मिट्टी के कणों की बांट को आकार बांट कहा जाता है। मिट्टी में साधारणतः तीन तरह के कण होते हैं—
रेत के कण, चिकनी मिट्टी के कण तथा भाल के कण।
इन कणों की मात्रा अनुसार भूमि के आकार की बांट की जाती है जिसे भू-आकार बांट कहा जाता है। भू-आकार बांट निम्नानुसार की गई है—

मात्रा बांट
40 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि भारी चिकनी
40-31 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि चिकनी
31-21 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा चिकनी
20-11 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा
10-06 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली मैरा
05-00 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली

 

अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि के कणों की आकार-बांट निम्नानुसार—

कण-आकार कण-आकार मिली मीटरों में देखना
चिकनी मिट्टी 0.002 से कम माइक्रोस्कोप से
भाल 0.002 तथा 0.02 के बीच माइक्रोस्कोप से
बारीक रेत 0.02 तथा 0.20 के बीच नंगी आंख से
मोटी रेत 0.20 तथा 2.00 के बीच नंगी आंख से
पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़ 2.00 से अधिक नंगी आंख से

 

प्रश्न 8.
भूमि के मुख्य भौतिक गुणों के नाम लिखो तथा कोई दो की व्याख्या भी करो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर का होना है। भूमि में जल का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान

उपरोक्त गुणों की व्याख्या निम्नलिखित अनुसार है—

1. कण-आकार-भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती हैं। भूमि का कण-आकार इसमें मौजूद विभिन्न मूल कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है।
महत्त्व-भूमि की उर्वरा शक्ति कण के आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के आवागमन की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि-कणों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है—

  1. पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़
  2. मोटी रेत
  3. बारीक रेत
  4. भाल
  5. चिकनी मिट्टी।

कणों के आकार अनुसार भूमि को 12 श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पर तीन मुख्य श्रेणियां हैं-रेतीली भूमियां, मैरा भूमियां तथा चिकनी भूमियां।
2. प्रवेशता-प्रवेशता से अभिप्राय है भूमि में पानी तथा हवा का संचार अथवा प्रवेश करना कितना आसान है। भूमि की जल अवशोषण की शक्ति, पानी सम्भालने की शक्ति तथा जड़ों की गहराई भूमि के इस गुण पर निर्भर है। प्रवेशता का गुण भूमि में मुसामों की मात्रा पर निर्भर करता है। बहुत ही बारीक छिद्रों को मुसाम कहा जाता है। मुसाम शरीर की त्वचा (चमड़ी) में भी होते हैं जिनके द्वारा हमें पसीना आता है। जिस भूमि में प्रवेशता गुण अधिक हो, वह भूमि फसलों के फलने-फूलने के लिए अच्छी रहती है। क्योंकि इस तरह की भूमि में जल तथा सम्भालने की शक्ति अधिक होती है तथा फसल की जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक जाकर अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्त्व तथा भोजन प्राप्त करने के समर्थ हो जाती हैं। कई बार तो भूमि के नीचे कठोर परत बन जाती है जिस कारण जड़ें नीचे नहीं जा सकतीं।

प्रश्न 9.
भूमि के कोई दो रासायनिक गुणों के नाम बारे विस्तार से लिखें।
उत्तर-
भूमि के रासायनिक गुणों का महत्त्व-भूमि के रासायनिक गुणों का पौधों के फलने-फूलने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खाद्य तत्त्व को पौधे प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकते।
1. पी० एच०-भूमि तेजाबी है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) अथवा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7-7 हल्का क्षारीयपन
7 उदासीन
7-65 तक हल्की तेज़ाबी
6.5 से कम तेजाबी भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में ठीक तरह फल-फूल सकती है। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भी पी० एच० पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक तेज़ाबी भूमियों में से अधिक मात्रा में उचित रूप में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए ज़हर का कार्य भी करती है।

2. जैविक पदार्थ-ज़मीन में जैविक पदार्थ पौधों की जड़ों, पत्तों तथा घास-फूस के गलने-सड़ने से बनता है। भूमि में पाए जाते किसी भी जैविक पदार्थ पर बहत सारे सूक्ष्म जीव अपना असर करते हैं तथा जैविक पदार्थ विघटन करके उसको अच्छी तरह गला-सड़ा देते हैं। ऐसे पदार्थ को मलहड़ (ह्यूमस) का नाम दिया गया है। ह्यूमस खाद्य तत्त्वों फॉस्फोरस, गन्धक तथा नाइट्रोजन का विशेष स्रोत है। इसमें थोड़ी मात्रा में अन्य खाद्य तत्त्व भी हो सकते हैं। भूमि की जल ग्रहण योग्यता, हवा की गति तथा बनावट को ठीक रखने के लिए जैविक पदार्थ बहुत लाभदायक हैं। इससे भूमि की खाद्य तत्त्व सम्भालने की शक्ति भी बढ़ती है। पंजाब की जमीनों में जैविक पदार्थ की मात्रा साधारणत: 0.005 से 0.90 प्रतिशत है। जैविक तथा कम्पोस्ट डालने से भूमि में जैविक पदार्थों की मात्रा में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

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प्रश्न 10.
मलहड़ की कृषि में महत्ता पर रोशनी डालो।
उत्तर-
मलहड़ की कृषि में महत्ता—

  1. शीघ्र गलने वाला मलहड़ डालने से मिट्टी के कण आपस में इस तरह जुड़ जाते हैं कि उनके छोटे तथा नर्म (भुरभुरी) ढेले बन जाते हैं। इस तरह का मलहड़ रेतीली तथा चिकनी किस्मों की भूमियों के लिए बढ़िया रहता है। मलहड़ रेतीली मिट्टी तथा खुरदरे कणों को आपस में जोड़ने में सहायता करता है तथा चिकनी मिट्टी को नर्म कर देता है जिससे इसका आयतन बढ़ जाता है। हवा का आवागमन आसान तथा तेज़ हो जाता है। इस तरह मलहड़ रेतीली तथा चिकनी दोनों प्रकार की भूमियों को अधिक भुरभुरी तथा उपजाऊ बना देता है।
  2. मलहड़ भूमि को नर्म कर देता है जिससे भूमि की पानी सोखने की शक्ति में बढ़ौत्तरी होती है तथा भूमि पानी को अधिक देर तक लम्बे समय तक अपने अन्दर सम्भाल कर रख सकती है।
  3. भूमि में मौजूद लाभदायक तथा उपयोगी जीवाणु मलहड़ से अपना भोजन भी प्राप्त करते हैं। मलहड़ के विघटन से जो कार्बन पैदा होती है वह इन जीवाणुओं के लिए भोजन का कार्य करती है। इससे यह अधिक शक्तिशाली रूप में क्रिया करने के योग्य हो जाते हैं।
  4. पौधों की जड़ें ज़मीन में छिद्र करके धरती को नर्म कर देती हैं। जड़ों के गलनेसड़ने के पश्चात् छिद्रों द्वारा पानी धरती के नीचे चला जाता है तथा ऑक्सीजन गैस के अन्दर जाने तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बाहर निकलने के लिए भी यह छिद्र मदद अथवा सहायता करते हैं।
  5. मलहड़ तथा कई पौष्टिक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, गन्धक, फॉस्फोरस आदि प्राप्त होते हैं। यह तत्त्व भूमि के कणों के साथ चिपके रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पौधा इन तत्त्वों को प्रयोग कर सकता है।
  6. कई भूमियों की तासीर ऐसी होती है कि पौधे भूमि में मौजूद आवश्यक तत्त्व प्राप्त नहीं कर सकते। पर मलहड़ की मौजूदगी में तत्त्व पौधों के उपयोग लायक बन जाते हैं। उदाहरणतः अम्लीय ज़मीनों में फॉस्फोरस।
  7. मलहड़ के गलने-सड़ने से कई तरह के तेज़ाब पैदा होते हैं जो कि क्षारीय भूमियों का खारापन कम करते हैं। यह तेज़ाब तथा कार्बन गैसों (जो खुद भी अम्लीय गुण रखती हैं) पोटाशियम आदि से मिलकर भूमि के खारेपन को घटा कर उसके पौधों को बढ़ने तथा फलने-फूलने के अनुकूल तथा उचित बनाते हैं।
  8. मलहड़ भू-ताप को स्थिर रखने में मदद करता है। बाह्य तापमान में कमी या बढ़ौतरी मलहड़ वाली भूमि के तापमान पर बहुत प्रभाव नहीं डालता।
  9. कई तत्त्व पौधों को बहुत थोड़ी मात्रा में चाहिएं। ये तत्त्व रासायनिक खादों को प्राप्त नहीं होते। इनकी कमी से फसलों की पैदावार बहुत घट सकती है तथा किसान को काफी नुकसान हो सकता है। इनमें से काफ़ी तत्त्व मलहड़ से मिल जाते हैं।

प्रश्न 11.
मलहड़ कैसे समाप्त हो जाता है तथा भूमि में इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
प्रत्येक फसल के साथ जड़ों, पत्तों, जीवाणुओं, कूड़ा-कर्कट, गोबर तथा हरी खाद द्वारा नया मलहड़ खेतों में मिलता रहता है। परन्तु साथ ही यह समाप्त भी होता
रहता है। पौधे तथा जीवाणु इसे प्रयोग कर लेते हैं। इसके कई तत्त्व गैसों के रूप में बदल जाते हैं तथा वायुमण्डल में मिल जाते हैं। कई स्थानों पर बहुत सख्त गर्मी पड़ती है जिससे मलहड़ के लाभदायक अंशों का नाश हो जाता है। इस तरह मलहड़ का फसल को कोई भी लाभ नहीं पहुंचता। जैसे कि पता ही है कि मलहड़ फसलों के लिए बहुत ‘लाभदायक होता है। इसलिए इसकी मात्रा भूमि में कम नहीं होने देनी चाहिए। इसलिए खेत में ऐसी फसल बो देनी चाहिए जिससे मलहड़ की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो। इस मन्तव्य के लिए चने तथा अन्य फलीदार फसलें जिनकी जड़ों में नाइट्रोजन बांधने वाले बैक्टीरिया होते हैं, बो लेनी चाहिएं। इन फसलों की हरी खाद बनाकर जो उत्तम किस्म की मलहड़ होती है भूमि को अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ढेर की रूड़ी तथा कूड़ा मलहड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
भूमि की उर्वरा शक्ति की सम्भाल तथा प्रतिपूर्ति के लिए कौन-सी मुख्य बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके लिए निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है—

1. धरती की भौतिक हालत-धरती की उचित भौतिक स्थिति अच्छी बुआई पर निर्भर करती है। अच्छी बुआई से अभिप्राय है इस तरह की बुआई जिससे धरती के कणों की बनावट ठीक तरह कायम रह सके अर्थात् ज़मीन में मिट्टी के ढेले भुरभुरे तथा नर्म हों। गीली बोई भूमि में वतर से पहले भूमि-कण अधिक अच्छी तरह जुड़ कर सख्त ढेलों का रूप धारण कर लेते हैं तथा यदि वतर में देरी हो जाए तो भी ज़मीन सूख जाती है तथा सख्त हो जाती है। ज़मीन के बीच वाला पानी बहुत सारी केशका नालियों द्वारा बाहर निकल जाता है तथा भूमि में नमी की कमी हो जाती है। फसल की अच्छी पैदावार के लिए हवा तथा पानी का धरती-छिद्रों में चलते रहना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए बुआई समय पर करनी चाहिए। क्योंकि न तो इससे ढेले बनते हैं तथा न ही धरती की नमी बाहर निकलती है। अच्छी बुआई से भूमि की पानी जज़ब (अवशोषण) करने की शक्ति भी बढ़ जाती है तथा भूमि क्षरण से भी बची रहती है। भूमि की बनावट को ठीक रखने के लिए मलहड़ का अच्छा तथा उचित प्रयोग सहायक होता है। इसके अतिरिक्त अच्छे तथा उचित फसल-चक्र, जिसमें समय-समय पर गुच्छेदार जड़ों वाली तथा फलीदार फसलें आती रहें, साथ ही धरती की भौतिक हालत को ठीक रखने में सहायता मिलती है।

2. खेतों के नदीनों को साफ़ रखना-भूमि की उर्वरा शक्ति को कायम रखने के लिए खेत नदीनों से मुक्त हों, यह भी बहुत आवश्यक है। नदीन, खेत में बोई फसल के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों को खुद ही खा जाते हैं। कम पौष्टिकता मिलने के कारण फसल कमज़ोर हो जाती है तथा अच्छी तरह फल-फूल नहीं सकती। इससे पैदावार कम हो जाती है। कई बार यदि नदीन अधिक मात्रा में हों तो वह छोटी फसल भूमि एवम् भूमि सुधार को पूरी तरह दबा लेते हैं तथा सारी फसल को नष्ट कर देते हैं। यदि नदीन फसल को फूल, फल लगने से पहले, न नष्ट किए जाएं तो पक जाने पर उनके बीज भूमि में मिल जाते हैं तथा अगली फसल के समय वह फसल से पहले ही उग कर अथवा उसके साथ बढ़कर उसे छोटी आयु में ही दबा लेते हैं तथा उसकी वृद्धि रोक देते हैं। इसलिए खेत को नदीनों से साफ़ रखने के लिए गुड़ाई तथा कई बार बुआई भी करनी पड़ती है। पंजाबी की प्रसिद्ध कहावत है-‘उठता वैरी, रोग दबाइये, बढ़ जाए तां फेर पछताइये’। नदीन भी किसान, फसल तथा धरती की उर्वरा शक्ति के रोग तथा वैरी हैं। इसलिए इन्हें भी पैदा होते ही नष्ट कर देना चाहिए। नदीनों को मारने के लिए वैज्ञानिकों ने नदीननाशी दवाइयों की खोज भी की है। पर इन रासायनिक दवाइयों का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। इन दवाइयों को बच्चों की पहुँच से बहुत दूर रखना चाहिए, क्योंकि यह ज़हरीली होती हैं। इन दवाइयों के अधिक प्रयोग से वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इसलिए इनका प्रयोग इस पक्ष से भी सावधानी से करना चाहिए।

3. कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम-फंगस, निमाटोड तथा अन्य हानिकारक कीड़ेमकौड़े की कटाई के बाद भी ज़मीन पर ही पलते हैं। इस समय उन्हें समाप्त कर देना आसान रहता है। उनके खात्मे से ही धरती की उर्वरा शक्ति को सम्भाल कर रखना सम्भव होता है। इसलिए फसल की कटाई के पश्चात् समय पर ज़मीन की जुआई, बदल-बदल कर फसलों की बिजाई, एक से दूसरी फसल के बीच में समय का अन्तर, पराली को जलाना तथा जमीन में कीट तथा फंगस नाशक दवाइयों का उपयोग कुछ ऐसे साधन हैं, जिनसे रोगों तथा हानिकारक फंगस तथा कीटों को नष्ट करके काबू किया जा सकता है। इन्हें काबू करके ही ज़मीन की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जा सकता है।

4. उचित तथा योग्य फसल-चक्र-विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग भोजन तत्त्वों की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं जो प्रत्येक फसल द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। परन्तु इनकी खपत की गई मात्रा तथा दर का अन्तर तो फिर भी होता है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि एक खेत में एक फसल के पश्चात् दूसरी फसल वह बोई जाए जिसको पहली फसल से अलग प्रकार के तत्त्वों की ज़रूरत हो अथवा यह पहली फसल द्वारा हुए उर्वरा शक्ति के घाटे को कुछ हद तक पूरा करती हो। इस तरह भूमि की उपजाऊ शक्ति लम्बे समय तक कायम रखी जा सकती है।

प्रश्न 13.
सेम वाली भूमि पर नोट लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

प्रश्न 1.

  1. भूमि में 45% खणिज पदार्थ हैं।
  2. लवणी भूमियों का पी.एच.मान 8.7 से कम होता है।
  3. तेज़ाबी भूमियों में चूना डाला जाता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
तेज़ाबी भूमि का पी.एच. मान है—
(क) 7 के बराबर
(ख) 7 से कम
(ग) 7 से अधिक
(घ) 12.
उत्तर-
(ख) 7 से कम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 2.
कौन-सी भूमि में पानी देर तक खड़ा रहता है ?
(क) चिकनी
(ख) मैरा
(ग) रेतीली
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(क) चिकनी

रिक्त स्थान भरो

  1. ……….. भूमि की समस्या अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में होती है।
  2. कृषि के लिए ……………… पी०एच०वाली भूमि ठीक मानी जाती है ।
  3. …………. भूमि के लिए जिपस्म का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. तेज़ाबी,
  2. 6.5 से 8.7,
  3. क्षारीय।

भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भूमि धरती की ऊपर वाली मिट्टी की परत है, जिसमें फ़सल की जड़ें होती हैं और इसमें से फ़सल पानी और आहारीय तत्त्व प्राप्त करती है।
  • भूमि पौधे को खड़ा रखने में मदद करती है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव से प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।
  • भू वैज्ञानिकों की दृष्टि से भूमि एक सजीव वस्तु है क्योंकि इसमें बहुत सारे असंख्य सूक्ष्मजीवों, कीटाणुओं, जीवाणुओं और छोटे-बड़े पौधों के पालन-पोषण की शक्ति है।
  • भूमि में 45% खनिज, 25% हवा, 25% पानी, 0 से 5% जैविक पदार्थों का मिश्रण . है जिसमें हवा पानी कम ज्यादा हो सकते हैं।
  • भूमि के मुख्य तौर पर दो तरह के गुण हैं-रासायनिक और भौतिक गुण।
  • भूमि के मुख्य भौतिक गुण हैं-कणों का आकार, भूमि घनत्व कम होना, कणों के मध्य में खाली जगह, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की , ताकत आदि।
  • रेतीली भूमि के कण हाथों में रगड़ने पर खटकते हैं।
  • चिकनी मिट्टी में 40% चीकने कण होते हैं।
  • मैरा (दोमट) भूमि के लक्षण रेतीली और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं।
  • बहुत बारिश होने वाले खेतों में तेज़ाबी भूमि देखने को मिलती है।
  • pH का मूल्य 7 से कम होता है तो भूमि अम्लीय या तेज़ाबी होती है।
  • लवणों की किस्म के आधार पर कल्लर वाली भूमियां तीन तरह की होती हैं।
  • कल्लरी भूमियां हैं-लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय भूमि।
  • अम्लीय (तेज़ाबी) भूमियों का सुधार चूना डाल कर किया जा सकता है।
  • क्षारीय भूमियों में मिट्टी जांच के आधार पर जिप्सम का प्रयोग किया जा सकता है।
  • रेतली भूमि के सुधार के लिए हरी खाद, गली-सड़ी रूडी, फलीदार फसलों आदि की सहायता ली जाती है।
  • लवण वाली भूमि को पानी के साथ धोकर या फिर मिट्टी की ऊपर वाली परत को कराहे आदि के साथ खुरच कर साफ़ कर देते हैं।
  • चिकनी भूमियों में धान की बुवाई करनी लाभदायक रहती है।
  • सेम वाली भूमियों में भूमि के नीचे वाले पानी (भूमिगत जल) का स्तर बहुत ऊपर पौधों की जड़ों तक आ जाता है।
  • आमतौर पर जब भूमि के नीचे वाला पानी शून्य से डेढ़ मीटर होता है तो उस भूमि को सेम वाली भूमि कहते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

SST Guide for Class 9 PSEB निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें :

  1. विश्व की कुल निर्धन जनसंख्या के ………… से अधिक निर्धन -(ग़रीब) भारत में रहते है।
  2. निर्धनता निर्धन लोगों में ………… की भावना उत्पन्न करती है।
  3. ………… लोगों को ………….. से अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।
  4. पंजाब राज्य उच्च …………… दर के विकास की सहायता से निर्धनता कम करने में सफल रहा है।
  5. जिंदगी की मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए न्यूनतम आय को मापने के ढंग को………… कहते हैं।
  6. ………… निर्धनता के मापदंड का एक कारण है।

उत्तर-

  1. 1/5
  2. असुरक्षा
  3. ग्रामीण, शहरी
  4. कृषि
  5. निर्धनता रेखा
  6. सापेक्ष।

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता में रहने वाले लोगों की संख्या कितनी है ?
(क) 20 करोड़
(ख) 26 करोड़
(ग) 26 करोड़
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।

प्रश्न 2.
ग़रीबी का अनुपात …………. में कम है।
(क) विकसित देशों में
(ख) विकासशील देशों में
(ग) अल्प विकसित देशों में
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(क) विकसित देशों में

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 3.
भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य कौन-सा है ?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) राजस्थान।
उत्तर-
(ग) बिहार

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय किसका सूचक है ?
(क) ग़रीबी रेखा
(ख) जनसंख्या
(ग) सापेक्ष निर्धनता
(घ) निरपेक्ष निर्धनता।
उत्तर-
(ग) सापेक्ष निर्धनता

सही/गलत :

  1. विश्वव्यापी ग़रीबी में तीव्र गति से कमी आई है।
  2. कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेकारी होती है।
  3. गांव में शिक्षित बेकारी अधिक होती है।
  4. राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (NSSO) सर्वेक्षण करके जनसंख्या में हो रही वृद्धि का अनुमान लगाता हैं।
  5. सबसे अधिक ग़रीबी वाले राज्य बिहार और ओडिशा है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सापेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
सापेक्ष ग़रीबी का अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।

प्रश्न 2.
निरपेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
निरपेक्ष ग़रीबी से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है।

प्रश्न 3.
सापेक्ष निर्धनता के दो निर्धारकों के नाम लिखें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय सापेक्ष निर्धनता के ही माप हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 4.
ग़रीबी रेखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ग़रीबी वह रेखा है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
ग़रीबी रेखा को निर्धारित करने के लिए भारत के योजना आयोग ने क्या मापदण्ड अपनाया है ?
उत्तर-
भारत का योजना आयोग ग़रीबी रेखा का निर्धारण आय व उपभोग स्तर पर सकता है।

प्रश्न 6.
ग़रीबी के दो मापदण्डों (निर्धारकों) के नाम लिखें।
उत्तर-
आय तथा उपभोग ग़रीबी के दो निर्धारक हैं।

प्रश्न 7.
ग़रीब परिवारों में सर्वाधिक दुःख किसे सहन करना पड़ता है ?
उत्तर-
गरीब परिवारों में बच्चे सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के दो सबसे अधिक ग़रीब राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
ओडिशा तथा विहार दो निर्धन राज्य हैं।

प्रश्न 9.
केरल राज्य में निर्धनता को सबसे कम कैसे किया है ?
उत्तर-
केरल राज्य मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रश्न 10.
पश्चिमी बंगाल को ग़रीबी कम करने में किसने सहायता की है ?
उत्तर-
भूमि सुधार उपायों ने पश्चिम बंगाल में ग़रीबी को कम करने में सहायता की है।

प्रश्न 11.
उच्च कृषि वृद्धि दर से ग़रीबी कम करने वाले दो राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
पंजाब और हरियाणा।

प्रश्न 12.
चीन व दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश निर्धनता कम करने में सफल कैसे हुए ?
उत्तर-
चीन तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों ने तीव्र आर्थिक संबृद्धि तथा मानव संसाधन विकास में निवेश से निर्धनता को कम किया है।

प्रश्न 13.
निर्धनता के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. निम्न आर्थिक संवृद्धि
  2. उच्च जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 14.
निर्धनता कम करने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  2. संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना।

प्रश्न 15.
राजकीय विद्यालयों में निःशुल्क भोजन प्रदान करने वाले कार्यक्रम का नाम क्या है ?
उत्तर-
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

(रव) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्धनता से क्या अभिप्राय है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
निर्धनता से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता। इस न्यूनतम आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी न्यूनतम मानवीय आवश्यकताएं शामिल होती हैं। इस न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं के पूरा न होने से मनुष्यों को कष्ट उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता की हानि होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि करना तथा भविष्य में निर्धनता से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।

प्रश्न 2.
सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है। अर्थशास्त्रियों ने इस संबंध में निर्धनता की कई परिभाषाएं दी हैं, परंतु अधिकतर देशों में प्रति व्यक्ति उपभोग की जाने वाली कैलौरी तथा प्रति व्यक्ति न्यूनतम उपभोग व्यय स्तर द्वारा निर्धनता को मापने का प्रयत्न किया गया है जबकि दूसरी ओर, सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आकार पर निर्धनता से है। जिस देश की प्रति व्यक्ति आय-अन्य देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में काफी कम है वह देश सापेक्ष रूप से निर्धन है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर-
निर्धन लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है; जैसे- सूखा, अपवर्जन, भूखमरी आदि। अपवर्जन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कुछ लोग कुछ सुविधाओं, लाभों के अपवर्जित हो जाते हैं जो कि लोग अभोग करते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर-
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकताओं, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। इस भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी की आवश्यकताओं पर आधारित है।

प्रश्न 5.
निर्धनता के मुख्य निर्धारकों का वर्णन करें।
उत्तर-
निर्धनता के अनेक पहलू हैं, सामाजिक वैज्ञानिक उसे अनेक सूचकों के माध्यम से देखते हैं। सामान्यत प्रयोग किए जाने वाले सूचक वे हैं, जो आय और उपयोग के स्तर से संबंधित हैं, लेकिन अब निर्धनता को निरक्षरता स्तर, कुपोषण
के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोज़गार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुंच की कमी आदि जैसे अन्य सामाजिक सूचकों के माध्यम से को भी देखा जाता है।

प्रश्न 6.
1993-94 ई० से भारत में निर्धनता के रूझान का वर्णन करें।
उत्तर-
पिछले दो दशकों से निर्धनता रेखा को नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। अतः शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निर्धन लोगों की संख्या में काफी कमी आई है।
1993-94 में 4037 मिलियन लोग या 44.3% जनसंख्या निर्धनता रेखा को नीचे रह रही थी। निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लेगों की संख्या जो 2004-05 में 37.2% थी वह 2011-12 में और कम होकर 21.7% रह गई।

प्रश्न 7.
भारत में निर्धनता (ग़रीबी) में अंतराज्य असमानताओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में राज्यों के बीच निर्धनता का असमान रूप देखने को मिलता है। भारत में वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत कम होकर 21.7 हो गया है परंतु ओडिशा व बिहार दो ऐसे राज्य हैं जहां निर्धनता का प्रतिशत क्रमश: 32.6 तथा 33.7 है। इसके दूसरी ओर केरल, हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर निर्धनता काफी कम हुई है। इन राज्यों ने कृषि संवृद्धि दर तथा मानव पूंजी संवृद्धि में निवेश करके निर्धनता को कम किया है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 8.
भारत में निर्धनता के तीन प्रमुख कारण कौन-से हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्न हैं

1. जनसंख्या का अधिक दबाव (Heavy Pressure of Population)-भारत में जनसंख्या में तीव्रता स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अधिक हो गई। सन् 1951 के पश्चात् के समय को जनसंख्या विस्फोट का समय भी कहा जाता है क्योंकि उस समय जनसंख्या में तीव्रता आई। 1941-51 में जनसंख्या 1.0% थी जो 1981-91 में बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई। 2011 में बढ़कर 121 करोड़ हो गई। शताब्दी के अंत तक हमारी जनसंख्या 100 करोड़ पहुंच चुकी है। देश की सम्पति का मुख्य भाग इस बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की संतुष्टि में खर्च हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप देश के विकास के लिए अन्य कार्यों में धन कम पड़ जाता है। यहीं नहीं निरंतर बढ़ती जनसंख्या से निर्भर जनसंख्या अधिक तथा कार्यशील जनसंख्या में कमी आ रही है जिस कारण उत्पादन के लिए कार्यशील जनसंख्या कम तथा निर्भर जनसंख्या अधिक है जो देश को और निर्धन बना देती है।

2. बेरोज़गारी (Unemployment)-भारत में जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है उसी तरह बेरोज़गारी भी निरंतर बढ़ती जा रही है। यह बढ़ती बेरोज़गारी निर्धनता को जन्म देती है जो देश के लिए अभिशाप साबित हो रही है। भारत में न केवल शिक्षित बेरोज़गारी बल्कि अदृश्य बेरोज़गारी की समस्या भी पनपती जा रही है। भारत में 2011-12 में लगभग 234 करोड़ लोग बेरोज़गार थे। वर्ष 2016-17 तक 0.59 करोड़ बेरोज़गार रहने का अनुमान है।

3. विकास की धीमी गति (Slow Growth of Development) भारत का विकास जो धीमी गति से हो रहा है इस कारण से भी निर्धनता बढ़ती जा रही है। योजनाओं की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर लगभग 4 प्रतिशत रही है परंतु जनसंख्या की वृद्धि दर लगभग 1.76 प्रतिशत होने से प्रतिशित आय में वृद्धि केवल 2-3 प्रतिशत हो गई है। 2013-14 में विकास दर 4.7% के लगभग प्राप्त की गई। भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर 1.76 प्रतिशत रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के अनुरूप विकास की गति धीमी है।

प्रश्न 9.
निर्धनता बेरोज़गारी को प्रकट करती है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि से दीर्घकालिक बेरोज़गारी तथा अल्प रोज़गार की समस्या उत्पन्न हुई है। दोनों सरकारी तथा निजी क्षेत्र रोज़गार संभावनाएं उत्पन्न करने में असफल रहे हैं। अनियमित निम्न आय, निम्न आवास सुविधाएं निर्धनता को बढ़ा रही हैं। शहरी क्षेत्रों में शैक्षिक बेरोज़गारी पाई जाती है जबकि गांवों में अदृश्य बेरोज़गारी पाई जाती है जो कृषि क्षेत्र से संबंधित है। इस तरह निर्धनता, बेरोज़गारी का मात्र एक प्रतिबंब है।

प्रश्न 10.
आर्थिक वृद्धि में प्रोत्साहन निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम में सहायक है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में निर्धनता को दूर करने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय आर्थिक विकास की गति को तीव्रता से बढ़ाता है। जब संवृद्धि की दर को बढ़ावा दिया जाता है, तो कृषि तथा औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में रोज़गार बढ़ते गए हैं, आर्थिक रोज़गार का अर्थ है कम निर्धनता। अस्सी के दशक से भारत की संवृद्धि दर विश्व में एक उभरती हुई संवृद्धि दर है। आर्थिक-संवृद्धि ने मानव विकास में निवेश द्वारा रोज़गार की संभावनाओं को बढ़ाया है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार अधिनियम-2005 की मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (NREGA) 2005 वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोज़गार की सुरक्षा देता है इसमें कुल रोज़गार का 1/3 भाग महिलाओं के लिए आरक्षित है। केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर रोज़गार गारंटी के लिए कोष का निर्धारण करेंगी।

प्रश्न 12.
भारत सरकार द्वारा संचालित किन्हीं तीन ग़रीबी कम करने के कार्यक्रमों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत सरकार पंचवर्षीय योजनाओ के अंतर्गत निम्नलिखित उन्मूलन कार्यक्रम लागू कर रही है-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)-इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन तथा रोजगार सृजन हेतु ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के सदस्य को वर्ष में 100 दिन का रोज़गार प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए ₹ 33.000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। वर्ष 2013-14 में 475 करोड़ परिवारों को 219.72 करोड़ रोज़गार के व्यक्ति दिवस प्रदान किये गए।
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)-इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024-25 तक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक ग़रीब परिवार को एक महिला सदस्य की स्वयं सहायता समूह (SHGs) का सदस्य बनाना है ताकि वे गरीबी रेखा से ऊपर रह सके। इस मिशन में 97.391 गाँवों को कवर करते हुए 20 लाख स्वयं सहायता समूह बनाए हैं जिसमें से 3.8 लाख नए SHGs हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान ₹ 22121.18 करोड़ को बैंक शाख इन SHGs को प्रदान की जा चुकी है। वर्ष 2014-15 में NREM के लिए ₹ 3560 करोड़ की राशि आबंटित की गई है।
  3. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) सितम्बर, 2013 में स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना (SISRY) को बदलकर इसका नाम NULM रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को कौशल निर्माण तथा प्रशिक्षण द्वारा लाभदायक रोज़गार के अवसर प्रदान करता है तथा शहरी बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करना। वर्ष 201314 में NULM के अंतर्गत ₹720.43 करोड़ प्रदान किये गए हैं। इससे 6,83,542 लोगों का कौशल प्रशिक्षण हुआ है और 1,06,205 लोगों को स्वरोजगार प्रदान किया गया है।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

आइए चर्चा करें :

प्रश्न 1.
चर्चा करें कि आपके गांव अथवा नगर में गरीब परिवार किन दशाओं में रहते हैं ?
उत्तर-
हमारे गांव अथवा नगर में निर्धन परिवारों को अनियमित रोज़गार अवसर, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, रहने की खराब दशाएं हैं तथा अपने बच्चे को पाठशालाओं में भी नहीं भेजते हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण व नगरीय निर्धनता के दिए गए उदाहरणों के अध्ययन के पश्चात् निर्धनता के निम्नलिखित कारणों पर चर्चा करके मालूम करें कि कहानी में दिए गए परिवारों की निर्धनता का कारण निम्नलिखित कारणों में है अथवा कोई अन्य कारण है।

  • भूमिहीन परिवार
  • बेरोज़गारी
  • परिवार का दीर्घ (बड़ा आकार)
  • अशिक्षा
  • कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित।

उत्तर-
भूमिहीन परिवार-दोनों ही मामलों में परिवार भूमिहीन हैं। उनके पास कृषि के लिए भूमि नहीं है जिसके कारण वे गरीब हैं।
बेरोज़गारी-ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के दोनों ही मामलों में लोग बेरोज़गार हैं । वे बहुत ही कम मज़दूरी पर कार्य कर रहे हैं जिसमें उनका पेट भी नहीं भरता।
बड़ा परिवार-उनके परिवारों का आकार भी बड़ा है जो कि उनकी गरीबी का कारण है।
अशिक्षा-परिवार अशिक्षित हैं। वे अपने बच्चों को भी पाठशाला नहीं भेज पा रहे जिससे वे गरीबी में जकड़े हुए हैं।
कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित-गरीबी के कारण उनका स्वास्थ्य कमज़ोर है क्योंकि खाने को भरपेट नहीं मिलता। बच्चे कुपोषित हैं उनके लिए जूते, साबुन एवं तेल जैसी वस्तुएं भी आरामदायक वस्तुओं की श्रेणी में आती हैं।
ग्राफ 3.1 वर्ष 2011-12 दौरान चयन
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता भारत के सम्मुख एक चुनौती
स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 वित मंत्रालय, भारत सरकार

आइए चर्चा करें

  1. ग्राफ 3.1 को देखिए, पांच सबसे अधिक निर्धन लोगों की प्रतिशतता वाले राज्यों के नाम लिखिए।
  2. उन राज्यों के नाम बताइए जहां निर्धनता के अनुमान 22% में कम तथा 15% से अधिक है।
  3. उन राज्यों के नाम बताइए जहां सबसे अधिक तथा सबसे कम निर्धनता प्रतिशतता है।

उत्तर-

  1. पांच राज्य जिनमें सबसे अधिक निर्धनता की प्रतिशतता है
    • बिहार
    • उड़ीसा
    • आसाम
    • महाराष्ट्र
    • उत्तर प्रदेश।
  2.  ऐसे राज्य पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र तथा गुजरात हैं।
  3. सबसे अधिक निर्धनता प्रतिशतता बिहार तथा सबसे कम केरल में है।

PSEB 9th Class Social Science Guide निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1993-94 में भारत में निर्धनों का प्रतिशत था :
(क) 44.3%
(ख) 32%
(ख) 19.3%
(ग) 38.3%.
उत्तर-
(क) 44.3%

प्रश्न 2.
इनमें कौन निर्धनता निर्धारण का मापक है ?
(क) व्यक्ति गणना अनुपात
(ख) सेन का सूचकांक
(ग) निर्धनता अंतराल सूचकांक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) सेन का सूचकांक

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 3.
किस देश में डॉलर में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है ?
(क) U.S.A.
(ख) स्विट्ज़रलैंड
(ग) नार्वे
(घ) जापान।
उत्तर-
(ग) नार्वे

प्रश्न 4.
किस प्रकार की निर्धनता दो देशों में तुलना को संभव बनाती है ?
(क) निरपेक्ष
(ख) सापेक्ष
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) सापेक्ष

प्रश्न 5.
कौन-सा राज्य भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य है ?
(क) ओडिशा
(ख) बिहार
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) ओडिशा

रिक्त स्थान भरें:

  1. ……….. से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता।
  2. ……….. निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से
  3. ………….. निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति-आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।
  4. निर्धनता के ………….. प्रकार है।
  5. ………… वह है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है. जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकता को संतुष्ट कर सकते हैं।

उत्तर-

  1. निर्धनता
  2. सापेक्ष
  3. निरपेक्ष
  4. दो
  5. निर्धनता रेखा।

सही/गलत :

  1. निर्धनता के दो प्रकार हैं-सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता।
  2. निर्धनता भारत की मुख्य समस्या है।
  3. व्यक्ति गणना अनुपात निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या को दर्शाती है।
  4. बढ़ रही जनसंख्या बढ़ रही निर्धनता को प्रकट करती है।
  5. व्यक्ति गणना अनुपात तथा निर्धनता प्रमाण अनुपात समान मदें हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत में विश्व जनसंख्या का कितना भाग निवास करता है ?
उत्तर-
भारत में विश्व का \(\frac{1}{5}\) भाग निवास करता है।

प्रश्न 2.
UNICEF के अनुसार भारत में पांच वर्ष से कम आयु के मरने वाले बच्चों की संख्या क्या है ?
उत्तर-
लगभग 2.3 मिलियन बच्चे।

प्रश्न 3.
वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत क्या था ?
उत्तर-
21.7 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
निर्धनता के प्रकार क्या हैं ?
उत्तर-

  1. निरपेक्ष निर्धनता
  2. सापेक्ष निर्धनता।

प्रश्न 5.
कैलोरी क्या होती है ?
उत्तर-
एक व्यक्ति एक दिन में जितना भोजन करता है उसमें प्राप्त शक्ति को कैलोरी करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के सामने भावी चुनौती क्या है ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता में निश्चित रूप में कमी आई है परंतु प्रगति के बावजूद निर्धनता उन्मूलन भारत की एक सबसे बाध्यकारी चुनौती है। भावी चुनौती निर्धनता की अवधारणा का विस्तार ‘मानव निर्धनता’ के रूप में होने से है। अतः भारत के सामने सभी को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रोज़गार सुरक्षा उपलब्ध कराना, लैंगिक समता तथा निर्धनों का सम्मान जैसी बड़ी चुनौतियां होंगी।

प्रश्न 2.
ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्र में कैलोरी में अंतर क्यों है ?
उत्तर-
यह अंतर इसलिए है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शारीरिक काम अधिक करते हैं जिससे उन्हें अधिक थकावट होती है। नगरीय लोगों की तुलना में उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
निर्धनता दूर करने के लिए उपाय बताएं।
उत्तर-
निर्धनता को निम्नलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है-

  1. लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन।
  2. भारी उद्योग व हरित क्रांति के लिए प्रोत्साहन
  3. जनसंख्या नियंत्रण
  4. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम’ को 2004 में सबसे पिछड़े 150 जिलों में निर्धनता उन्मूलन के लिए लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रमों के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।

प्रश्न 5.
निर्धनताग्रस्त कौन लोग हैं ?
उत्तर-
अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां, ग्रामीण खेतिहर मज़दूर, नगरीय अनियमित मज़दूर, वृद्ध लोग, ढाबों में काम करने वाले बच्चे, झुग्गियों में रहने वाले लोग, भिखारी आदि निर्धनताग्रस्त लोग हैं।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम क्या है ?
उत्तर-
यह विधेयक सितंबर, 2005 में पारित किया गया है जो प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। बाद में इसका विस्तार 600 जिलों में किया जाएगा। इसमें एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ? ।
उत्तर-
इस कार्यक्रम को वर्ष 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रम के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रधानमंत्री रोजगार योजना पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह योजना वर्ष 1993 में आरंभ की गई है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। उन्हें लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में सहायता दी जाती है।

प्रश्न 9.
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम पर नोट लिखें।
उत्तर-
इसे वर्ष 1995 में आरंभ किया गया है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रश्न 10.
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन करें।
उत्तर-
इसका आरंभ वर्ष 1999 में किया गया है जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।

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प्रश्न 11.
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना क्या है ?
उत्तर-
इसे वर्ष 2000 में आरंभ किया गया है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
वैश्विक निर्धन परिदृश्य पर नोट लिखें।
उत्तर-
विकासशील देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता (विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन-निर्वाह करना) में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 28.प्रतिशत से गिरकर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन, इसमें बृहत्त क्षेत्रीय भिन्नताएं पाई जाती हैं।

प्रश्न 13.
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण आय अथवा उपभोग स्तरों के आधार पर किया जाता है। आय आकलन के आधार पर 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 328 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था। उपभोग आकलन के आधार पर भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।

प्रश्न 14.
निर्धनता के मुख्य आयाम क्या हैं ?
उत्तर-
निर्धनता के मुख्य आयाम निम्नलिखित हैं-

  1. निर्धनता का अर्थ भूख एवं आवास का अभाव है।
  2. निर्धनता का अर्थ शुद्ध जल की कमी एवं और सफाई सुविधाओं का अभाव है।
  3. निर्धनता एक ऐसी स्थिति है, जब माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पाते या कोई बीमार आदमी इलाज नहीं करवा पाता।
  4. निर्धनता का अर्थ नियमित रोज़गार की कमी भी है तथा न्यूनतम शालीनता स्तर का अभाव भी है।
  5. निर्धनता का अर्थ असहायता की भावना के साथ जीना है।

प्रश्न 15.
अगले दस या पंद्रह वर्षों में निर्धनता के उन्मूलन में प्रगति होगी। इसके लिए उत्तरदायी कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. सार्वभौमिक निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा वृद्धि पर ज़ोर देना।
  2. आर्थिक संवृद्धि।
  3. जनसंख्या संवृद्धि में गिरावट।
  4. महिलाओं की शक्तियों में वृद्धि।

प्रश्न 16.
निर्धनता विरोधी कार्यक्रमों का परिणाम मिश्रित रहा है। कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. अति जनसंख्या।
  2. भ्रष्टाचार।
  3. कार्यक्रमों के उचित निर्धारण की कम प्रभावशीलता।
  4. कार्यक्रमों की अधिकता।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-

  1. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम सन् 2004 में देश के 150 सबसे अधिक पिछड़े जिलों में शुरू किया गया।
  2. यह कार्यक्रम सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
  3. इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया गया है।

प्रश्न 18.
भारत में निर्धनता के कारण बताएं।
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर।
  2. वैकल्पिक व्यवसाय न होने के कारण ग्रामीण लोगों की मात्र कृषि पर निर्भरता होना।
  3. आय की असमानताएं।
  4. जनसंख्या वृद्धि।
  5. सामाजिक कारण जैसे-निरक्षरता, बड़ा परिवार, उत्तराधिकार कानून और जाति-प्रथा आदि।
  6. सांस्कृतिक कारण जैसे-मेलों, त्योहारों आदि पर फिजूलखर्ची।
  7. आर्थिक कारण-ऋण लेकर उसे न चुका पाना।
  8. अक्षमता एवं भ्रष्टाचार के कारण निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रभावी ढंग से न लागू होना।

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प्रश्न 19.
निर्धनता उन्मूलन के कोई चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें।
उत्तर-
ये निम्नलिखित हैं

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। .
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसका आरंभ 1999 में किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्व-सहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसका आरंभ 2000 में किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण, आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 20.
निर्धनता का सामाजिक अपवर्जन क्या है ?
उत्तर-
इस अवधारणा के अनुसार निर्धनता को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि निर्धनों को बेहतर माहौल और अधिक अच्छे वातावरण में रहने वाले संपन्न लोगों की सामाजिक समता से अपवर्जित रहकर केवल निकृष्ट वातावरण में दूसरे निर्धनों के साथ रहना पड़ता है। सामान्य अर्थ में सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण व परिणाम दोनों हो सकता है। मोटे तौर पर यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं, लाभों और अवसरों से अपवर्जित रहते हैं, जिनका उपभोग दूसरे करते हैं। इसका एक विशिष्ट उदाहरण भारत में जाति-व्यवस्था की कार्यशैली है, जिसमें कुछ जातियों के लोगों को समान अवसरों से अपवर्जित रखा जाता है।

प्रश्न 21.
निर्धनता की असुरक्षा धारणा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कुछ विशेष समुदाय या व्यक्तियों के भावी वर्षों में निर्धन होने या निर्धन बने रहने की अधिक संभावना जताता है। असुरक्षा का निर्धारण परिसंपत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती अवसरों के रूप में जीविका खोजने के लिए विभिन्न समुदायों के पास उपलब्ध विकल्पों से होता है। इसके अलावा, इसका विश्लेषण प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद आदि मामलों में इन समूहों के समक्ष विद्यमान बड़े जोखिमों के आधार पर किया जाता है। अतिरिक्त विश्लेषण इन जोखिमों से निपटने की उनकी सामाजिक और आर्थिक क्षमता के आधार पर किया जाता है। वास्तव में, जब सभी लोगों के लिए बुरा समय आता है, चाहे कोई बाढ हो या भूकंप या फिर नौकरियों की उपलब्धता में कमी, दूसरे लोगों की तुलना में अधिक प्रभावित होने की बड़ी संभावना का निरूपण ही असुरक्षा है।

प्रश्न 22.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय असमानताएं क्या हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता का एक और पहलू है। प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। हाल के अनुमान दर्शाते हैं कि 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर, निर्धनता अब भी उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश की एक गंभीर समस्या है। इसकी तुलना में केरल, जम्मू व कश्मीर, आंध्र प्रदेश, गुजरात राज्यों में निर्धनता में कमी आई है।

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय ग्रामीण बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक (NREGA) की, गरीबी उन्मूलन में सहायक प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. यह विधेयक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। यह विधेयक 600 जिलों में लागू करने का प्रस्ताव है जिससे निर्धनता को हटाया जा सके।
  2. प्रस्तावित रोज़गारों का एक तिहाई रोज़गार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
  3. कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गार भत्ते का हकदार होगा।

प्रश्न 24.
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक तथा दो आर्थिक समुदायों के नाम लिखिए। इस प्रकार के समुदाय के लिए और अधिक बुरा समय कब आता है ?
उत्तर-
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक समुदायों के नाम हैं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार जबकि आर्थिक समुदाय में ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियप्त मज़दूर परिवार हैं। इन समुदायों के लिए और अधिक बुरा समय तब आता है जब महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को भी सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुंच से वंचित किया जाता है।

प्रश्न 25.
भारत में निर्धनता को कम करने के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सरकार द्वारा निर्धनता को कम करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम अपनाए हैं

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना, 2005 को सितंबर में पारित किया गया। यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है।
  2. दूसरा, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम है जिसे 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था।
  3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना एक रोजगार सृजन योजना है, जिसे 1993 में आरंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।

प्रश्न 26.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की किन्हीं तीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. सार्वजनिक वितरण – प्रणाली भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है।
  2. राशन कार्ड रखने वाला कोई भी परिवार प्रतिमाह अनाज की एक अनुबंधित मात्रा निकटवर्ती राशन की दुकानों से खरीद सकता है।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सस्ता अनाज पहुंचाना था।

प्रश्न 27.
परिवारों के सदस्यों के मध्य आय की असमानता किस प्रकार प्रतिबिंबित होती है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परिवार के विभिन्न सदस्यों की आय भिन्न-भिन्न होती है तो यह आय की असमानता को प्रतिबिंबित करती है। उदाहरण के लिए एक परिवार में 5 सदस्य हैं। उनकी आय का विवरण निम्नलिखित है-

परिवार के सदस्य मासिक आय (₹ में)
1 40,000
2 25,000
3 20,000
4 10,000
5 3,000

उपरोक्त तालिका में स्पष्ट है कि इस परिवार के सदस्यों के बीच आय की असमानता अधिक है। पहले सदस्य की आय जहां ₹ 40,000 मासिक है वहीं पाँचवें सदस्य की आय ₹ 3,000 मासिक है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 28.
भारत में निर्धनता उन्मूलन के लिए विकसित किए गए किन्हीं पांच कार्यक्रमों पर नोट लिखिए।
उत्तर-
भारत में निर्धनता विरोधी पांच कार्यक्रम निम्नलिखित हैं-

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसे 1999 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसे 2000 में आरंभ किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्रारंभिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
  5. अंत्योदय अन्न योजना-यह योजना दिसंबर, 2000 में शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत लक्षित वितरण प्रणाली में आने वाली निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई है।

प्रश्न 29.
“दो अग्रभागों पर असफलता : आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाना तथा जनसंख्या नियंत्रण के कारण निर्धनता का चक्र स्थिर है।” इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
निम्नलिखित कारणों से निर्धनता का चक्र स्थिर है।

  1. राज्यों की असमान वृद्धि दरें।
  2. औद्योगिक की दर का जनसंख्या वृद्धि दर से कम होना।
  3. शहरों की ओर प्रयास।
  4. ऋण-ग्रस्तता के ऊंचे स्तर।
  5. सामाजिक बंधन।
  6. भूमि का असमान वितरण।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण कैसे होता है ? .
उत्तर-
योजना आयोग ने “गरीबी रेखा की भौतिक उत्तरजीविता” (Physical survival) की संघटना को छठी योजना तक अपनाया, जिसके अनुसार उसने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक दिन में एक व्यक्ति के लिए 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों के लिए एक दिन में 2100 कैलोरी की न्यूनतम पौषिक आवश्यकताओं के आधार पर परिभाषित किया। इस कैलोरी अन्तर्ग्रहण को फिर मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में परिवर्तित किया जाता है। योजना आयोग को एक विधि एक अध्ययन समूह, जिसमें डी० आर, गाडगिल, पी० एस० लोकनाथ, बी० एन० गांगुली और अशोक मेहता थे, ने सुझाई। इस समूह ने राष्ट्रीय गरीबी रेखा का निर्धारण किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि 1960-61 कीमतों पर ₹ 20 प्रति व्यक्ति प्रति मास निजी उपभोग व्यय न्यूनतम निर्वाह स्तर है। यह राशि चौथी योजना के लिए निश्चित की गई। बाद की योजनाओं में कीमतों के बढ़ने से यह राशि ऊँचे स्तर पर निश्चित की गई जो उन योजनाओं में गरीबी रेखा निर्धारित की गई। छठी योजना में ₹ 77 प्रति व्यक्ति प्रति मास ग्रामीण जनसंख्या के लिए ₹ 88 प्रति व्यक्ति मास शहरी जनसंख्या के लिए गरीबी रेखा का स्तर निर्धारित किया। इस आधार पर 1977-78 में 50.82 प्रतिशत ग्रामीण तथा 38.19 शहरी जनसंख्या निर्धन थी। दोनों को इकट्ठा कर लेने पर कुल जनसंख्या 48.13 प्रतिशत निर्धन थी।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा अपने 55वें दौर के सर्वेक्षण (जुलाई 1999-जून 2000) में उपभोक्ता व्यय के सम्बन्ध में उपलब्ध कराए गए अद्यतन वृहद् नमूना सर्वेक्षण आँकड़ों के अनुसार 30 दिवसीय प्रत्यावहन के आधार पर देश में गरीबी अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों में 27.09 प्रतिशत अनुमानित है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के अनुपात में वर्ष 1973-74 में 54.54% से निरन्तर गिरावट आई है जो वर्ष 1991-2000 में 27.09 प्रतिशत के स्तर तक पहँच गई। इस तरह, देश में अभी भी लगभग 20 करोड़ ग्रामीण जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है। यद्यपि देश में गरीबी में व्यापक स्तर पर गिरावट आई है। फिर भी ग्रामीण गरीबी अनुपात अभी भी उड़ीसा, बिहार तथा उत्तरी पूर्व राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 2.
निर्धनता को दूर करने के उपाय बताएं।
उत्तर-
ये उपाय निम्न हैं

1. पूँजी निर्माण की दर को बढ़ाना (High Rate of Capital Formation)-यह तो सब जानते हैं कि पूँजी निर्माण की दर जितनी ऊँची होगी, साधारणतया आर्थिक विकास भी उतनी ही तीव्र गति से सम्भव हो सकेगा। इसका कारण यह है कि विकास के प्रत्येक कार्यक्रम के लिए चाहे उसका सम्बन्ध कृषि की उत्पादकता में वृद्धि लाने से हो अथवा औद्योगीकरण या शिक्षा या स्वास्थ्य की व्यवस्था बढ़ने से हो, अधिकाधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। यदि पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध है तो विकास का कार्य ठीक प्रकार से चल सकेगा अन्यथा नहीं। अतः देश में पूँजी निर्माण की ओर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। पूँजी निर्माण के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी कुल आय को वर्तमान उपभोग पर व्यय न करके उसके एक भाग को बचाएँ और उसे उत्पादन कार्यों में विनियोग करें अथवा लगाएं। इस दृष्टि से हमें चाहिए कि हर ढंग से लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे उपभोग के स्तर को सीमित करें। फिजूलखर्चों से बचें और आय के अधिकाधिक भागों को बचाकर उत्पादन क्षेत्र में लगाएँ। देश में साख मुद्रा और कर सम्बन्धी नीतियों में ठीक परिवर्तन लाकर पूँजी निर्माण की दर को ऊपर उठाया जा सकता है।

2. उत्पादन नीतियों में सुधार (Improved Methods of Production) उत्पादन की आधुनिक विधियाँ और साज समान को अपनाना चाहिए, तभी उत्पादन की मात्रा में अधिकाधिक वृद्धि लाकर लोगों का जीवन-स्तर ऊपर उठाया जा सकता है। लेकिन ऐसा करते समय हमें अपनी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा। केवल उन्नत देशों की नकल से काम नहीं चलेगा। कारण, उनकी और हमारी परिस्थितियों में बहुत बड़ा अन्तर है। हमें चाहिए कि ऐसे नए तरीकों और साज-समान को अपनाएँ जिनमें अपेक्षाकृत बहुत अधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता न पड़ती हो और श्रम की अधिक खपत हो सकती हो।

3. न्यायोचित वितरण (Better Distribution)-पूँजी-निर्माण की दर को ऊँचा करने तथा उत्पादन के नए तरीकों को अपनाने से उत्पादन को मात्रा में निश्चय ही भारी वृद्धि होगी। फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि लाने से ही सर्वसाधारण की ग़रीबी दूर न होगी, उनका जीवन स्तर ऊपर न उठ सकेगा। साथ ही उसके ठीक विभाजन व वितरण के लिए भी आर्थिक व्यवस्था करना आवश्यक है जिससे आय और सम्पत्ति की विषमता घटे और देश में आर्थिक शक्ति का अधिक समान वितरण सम्भव हो सके। हमें ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे जिन लोगों की आय बहुत कम है, उन की आय बढ़े और उन्हें अधिक लाभप्रद अवसर मिलें और साथ ही जिससे धन का संचय एक स्थान पर न होने पाए तथा समृद्धिशालियों के साधनों में अपेक्षाकृत कमी हो।

4. जनसंख्या पर नियन्त्रण (Population Control)-देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए हमें एक और कार्य करना होगा। वह है तेज़ी से बढ़ती हुई देश की भारी जनसंख्या पर नियन्त्रण करना। जब लोगों की आय और व्यय का स्तर नीचा होता है और जनसंख्या में वृद्धि का क्रम ऊँचा होता है तो आर्थिक विकास की गति में भारी रुकावट पैदा होती है। कारण, ऐसी परिस्थिति में श्रमिकों को बढ़ती हुई संख्या के लिए उपभोक्ता पदार्थों (Consumer’s goods) की आवश्यकताएँ और लाभप्रद रोज़गार की कमी है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती PSEB 9th Class Economics Notes

  • निर्धनता – निर्धनता एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी मानव को अपने जीवनयापन के लिए भोजन वस्त्र और मकान जैसी न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करने में भी कठिनाई होती है।
  • सामाजिक अपवर्जन – सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण और परिणाम दोनों हो सकता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं लाभों और अवसरों से अपवर्तित करते हैं, जिनका उपभोग दूसरे करते हैं।
  • असुरक्षा – निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कछ विशेष समुदाओं या व्यक्तियों के भावी वर्गों से निर्धनता या निर्धन वने रहने की अधिक समानता जताना है।
  • निर्धनता के माप –
    • निरपेक्ष निर्धनता
    • सापेक्ष निर्धनता।
  • सापेक्ष निर्धनता – इससे अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।
  • निरपेक्ष निर्धनता – इससे अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है।
  • निर्धनता रेखा – निर्धनता रेखा वह रेखा है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकते हैं।
  • कैलोरी – यह एक व्यक्ति को एक दिन के खाने से मिलने वाली ऊर्जा है।
  • निर्धनता के कारण –
    •  निम्न आर्थिक समृद्धि
    • भारी जनसंख्या दबाव
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था
  • निर्धनता उन्मूलन माप –
    • आर्थिक समृद्धि का विकास
    • निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम
  • निर्धनता के वैश्विक माप – विश्व के लगभग 1/5 भाग के निर्धन भारत में रहते हैं।
  • कैलोरी मापदंड – इस विचारधारा के अनुसार भारत में ग्रामीण क्षेत्र के प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रतिदिन प्राप्त होनी चाहिए।
  • दैनिक भोगीश्रम – वह श्रमिक जो दैनिक आधार पर मज़दूरी प्राप्त करता है।
  • उपभोग – उपयोगिता का भक्षण उपभोग है।
  • आय – निवेश या कार्य के नियमित तौर पर किए जाने पर प्राप्त होने वाली मुद्रा आय है।
  • निवेश – आगे उत्पादन करने के लिए किया जाने वाला व्यय निवेश है।
  • असमानता – असमानता से अभिप्राय धन व आय के असमान वितरण से है।
  • लिंग विभेद – लिंग, जाति या अन्य आधारों पर होने वाला विभेद लिंग विभेद है।
  • भारत के निर्धन राज्य – ओडिशा व बिहार।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 6 जनसंख्या

SST Guide for Class 9 PSEB जनसंख्या Textbook Questions and Answers

(क) मानचित्र कार्य :

प्रश्न 1.
1. सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश।
2. सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश।
3. प्रति वर्ग किलोमीटर 1000 से अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
4. प्रति वर्ग किलोमीटर 1000 से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी MBD Map Master की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों से एक वाक्य में दें:

प्रश्न 1.
पंजाब की जनसंख्या की कारोबारी बनावट का चार्ट अध्यापक की सहायता से तैयार करें और कक्षा के कमरे में लगाओ।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी अपने अध्यापकों की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पंजाब की जनसंख्या का ज़िले अनुसार लिंग अनुपात की सूची तैयार करें और इस संबंधी अध्यापक जी से चर्चा करें।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
इनमें से कौन-से राज्य की जनसंख्या घनत्व 2011 की जनगणना अनुसार सबसे अधिक है ?
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) बिहार
(iii) बंगाल
(iv) केरल।
उत्तर-
(ii) बिहार।

प्रश्न 4.
एक स्थान से नई जगह जाकर निवास की क्रिया को क्या कहते है ?
(i) आवास
(ii) स्वतंत्रता
(iii) नगरीकरण
(iv) प्रवास।
उत्तर-
(iv) प्रवास।

प्रश्न 5.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब के कितने फीसदी लोग कृषि संबंधी कार्यों में हैं ?
(i) 35.5
(ii) 40.5
(iii) 30.5
(iv) 27.5.
उत्तर-
(i) 35.5.

प्रश्न 6.
मादा भ्रूण हत्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माँ की कोख में ही मादा भ्रूण खत्म करने को मादा भ्रूण हत्या कहते हैं। इससे लिंग अनुपात कम हो जाता है।

प्रश्न 7.
देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास का पता लगाने के लिए जरूरी तत्त्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
साक्षरता, स्वास्थ्य, आय इत्यादि किसी देश के सामाजिक व आर्थिक विकास का पता करने के लिए आवश्यक तत्त्व हैं।

प्रश्न 8.
किसी स्थान की जनसंख्या बढ़ौतरी (फीसदी) कैसे पता की जाती है ?
उत्तर-
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (1) के फार्मूले से जनसंख्या बढ़ौतरी (फीसदी) का पता किया जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 9.
विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर-
विश्व जनसंख्या दिवस प्रति वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है।

(ग) इन प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें :

प्रश्न 1.
जनसंख्या के पक्ष से भारत की विश्व में स्थिति पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
2011 की जनसंख्या गणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,21,05,69,573 अर्थात् 121 करोड़ से कुछ अधिक थी। अगर हम 2016 के अनुमानित आँकड़ों की तरफ देखें तो यह 132 करोड़ तक पहुँच गई है। इस समय संपूर्ण संसार की जनसंख्या 742 करोड़ से अधिक है। भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हज़ार वर्ग किलोमीटर है जो क्षेत्रफल के पक्ष से संसार में सातवें स्थान पर आता है तथा यह 2.4% ही बनता है। परंतु अगर हम जनसंख्या के पक्ष से तुलना करें तो
हमारा संसार में दूसरा स्थान है तथा हमारे देश में संसार की कुल जनसंख्या का 16.7% बसता है। इस समय संसार के लगभग छः लोगों में से एक भारतीय है।

प्रश्न 2.
पंजाब का एक व्यस्क, जनसंख्या घनत्व, लिंग अनुपात और साक्षरता के पक्ष से कौन-से स्थान पर होगा ?
उत्तर-

  • जनसंख्या के पक्ष से पंजाब का भारत में 15वां स्थान है तथा इसकी जनसंख्या 2,77,43,338 है।
  • जनसंख्या घनत्व के पक्ष से पंजाब का जनसंख्या घनत्व 2011 में 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था जो 2001 में 484 व्यक्ति था।
  • लिंग अनुपात के पक्ष से पंजाब का लिंग अनुपात 2011 में 1000 : 895 था जो काफी कम है। पंजाब में 2011 में बच्चा लिंग अनुपात 1000 : 846 था।
  • पंजाब की साक्षरता दर 75.8% है जो सम्पूर्ण देश में चौदहवें स्थान पर है।

प्रश्न 3.
प्रवास के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं ?
उत्तर-

  1. रोजगार की तलाश में प्रवास करना।
  2. कृषि करने के लिए भूमि ढूँढने के लिए प्रवास करना।
  3. धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रवास करना।
  4. अधिक आय की आशा में प्रवास करना।
  5. मजबूरी में प्रवास करना।
  6. राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए प्रवास करना।
  7. विवाह करवाने के लिए अपना क्षेत्र छोड़ देना।
  8. बढ़िया सुविधाओं के लिए गाँव से नगरों को प्रवास करना।

प्रश्न 4.
साक्षरता दर कैसे पता चलती है ? साक्षरता पक्ष से पंजाब कौन-से मुख्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है ?
उत्तर-
भारत में जनगणना के उद्देश्य से जो व्यक्ति किसी भी भारतीय भाषा में पढ़-लिख सकता है, वह साक्षर अथवा पढ़ा लिखा है। 1991 में यह निर्णय किया गया कि 7 वर्ष से कम आयु वाले सभी बच्चों को अनपढ़ माना जाएगा। यह निर्णय 2001 तथा 2011 की जनगणना में भी लागू किया गया। साक्षरता दर पता करने का एक सूत्र है :
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (2)
अगर हम भारत में पंजाब की साक्षरता दर की स्थिति देखें तो यह चौदहवें स्थान पर आता है। पंजाब की साक्षरता दर 75.8%, है। यह केरल (94%), मिज़ोरम (91.3%), गोवा (88.7%), त्रिपुरा (87.2%) इत्यादि राज्यों से काफी पीछे है।।

प्रश्न 5.
पंजाब के गांव-शहरी जनसंख्या विभाजन पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है तथा इसमें से 1,03,99,146 व्यक्ति नगरों में तथा 1,73,44,192 व्यक्ति गांवों में रहते हैं। इस प्रकार 37.5% लोग नगरों में तथा 62.5% लोग गाँवों में रहते हैं। नगरों की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 33.9% थी जो 2011 में 37.5% हो गई है। वास्तव में नगरों में अधिक सुविधाओं, पढ़ाई-लिखाई तथा रोजगार के अधिक अवसर होते हैं जिस कारण नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 2001 से 2011 के बीच साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले में सबसे अधिक नगरीकरण हुआ है जहां 54.8% लोग नगरों में रहते हैं । तरनतारन में केवल 12.7% लोग ही नगरों में रहते हैं, बाकी 87.3% लोग गाँवों के वासी हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि धीरे-धीरे नगरों की जनसंख्या बढ़ रही है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 से अवगत कराएं।
उत्तर-
वर्ष 2000 में भारत सरकार ने कई उद्देश्यों को सामने रख कर राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का निर्माण किया जिसके । उद्देश्य निम्नलिखित हैं :

  1. 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को आवश्यक तथा निःशुल्क शिक्षा देना।
  2. प्राथमिक तथा सैकेंडरी स्तर पर पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम करना।
  3. बाल मृत्यु दर को 30 प्रति 1000 तक लेकर आना।
  4. मातृ मृत्यु दर को एक लाख के पीछे 100 से कम करना।
  5. छोटे परिवार को प्राथमिक देना।
  6. लड़कियों को 18 वर्ष से पहले विवाह न करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  7. बच्चों के जन्म को संस्थाओं तथा ट्रेंड व्यक्तियों से करवाने पर बल देना।
  8. 2045 तक स्थिर जनसंख्या का लक्ष्य प्राप्त करना।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दें :

प्रश्न 1.
किशोर आयु वर्ग को क्या-क्या मुख्य कठिनाइयां हो सकती हैं ?
उत्तर-
जब एक बच्चा 10 वर्ष की आयु पार कर जाता है तो वह किशोरावस्था में शामिल हो जाता है। यह अवस्था 10 वर्ष से 19 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में बच्चे में काफी शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन आते हैं जिस कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जिनका वर्णन इस प्रकार है-

  1. बाल विवाह-देश के कई भागों में आज भी बाल विवाह प्रचलित है जिस कारण इस आयु में आते ही उनका विवाह कर दिया जाता है। इस कारण उनका शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है तथा उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिल पाता।
  2. बाल मजदूरी-देश की बहुत बड़ी जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। इस कारण घर के बच्चों को घर का खर्चा चलाने के लिए मज़दूरी या कोई अन्य कार्य करना पड़ता है। इस प्रकार पढ़ने की आयु में उन पर घर चलाने का दबाव पड़ जाता है।
  3. नशीली दवाओं का प्रयोग-इस आयु में बच्चे काफी जल्दी गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं तथा कई बच्चे और लोगों को देखकर नशा करने लग जाते हैं। इससे उनका भविष्य खराब हो जाता है।
  4. अच्छी खुराक न मिलना-इस आयु में शारीरिक व मानसिक विकास के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है जो निर्धनता के कारण उन्हें मिल नहीं पाती। उन्हें कम आहार पर गुजारा करना पड़ता है तथा इस कारण शारीरिक विकास नहीं हो पाता।
  5. स्कूल से हटाना-इस आयु में बच्चे पढ़ते-लिखते हैं तथा अपना भविष्य बनाते हैं। परंतु यह देखा गया है कि बहुत से लोग बच्चों को स्कूल से ही निकाल लेते हैं तथा कोई कार्य करने के लिए लगा देते हैं ताकि घर में पैसे आ सकें।
  6. रक्त की कमी-पौष्टिक आहार न मिलने के कारण उनके रक्त की कमी हो जाती है जिस कारण वह अपनी प्रतिभा का ठीक ढंग से उपयोग नहीं कर पाते।

प्रश्न 2.
जनसंख्या प्रवास संबंधी भारत और पंजाब की स्थितियों पर चर्चा करें।
उत्तर-
किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या एक समान नहीं रहती। उसके घटने बढ़ने में जन्म दर तथा मृत्यु दर का काफी बड़ा हाथ होता है। परंतु इसके साथ-साथ प्रवास की भी इसमें काफी बड़ी भूमिका होती है। परंतु प्रश्न यह उठता है कि प्रवास होता क्या है ? वास्तव में प्रवास का अर्थ है जनसंख्या अथवा लोगों का एक भौगोलिक क्षेत्र को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में जाकर रहने लग जाना। यह गतिशीलता अथवा प्रवास स्थायी भी हो सकता है तथा अस्थायी भी।

1. भारत की स्थिति- इसमें कोई शंका नहीं है कि भारत के बहुत से लोग प्रत्येक वर्ष विदेशों की तरफ प्रवास कर जाते हैं। उत्तर भारत के लोगों के मुख्य देश जहां वह प्रवास करना पसंद करते हैं, वह हैं अमेरिका, कैनेडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी इत्यादि इसके साथ ही दक्षिण भारत विशेषतया केरल के लोग खाड़ी देशों में जाना पसंद करते हैं। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति अधिक से अधिक पैसे कमाना चाहता है जिस कारण वह पश्चिमी देशों की तरफ प्रवास कर जाते हैं। उन देशों की करंसी की कीमत हमारे देश की करंसी की कीमत से काफी अधिक है जिस कारण वह पश्चिमी देशों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर, आई.टी. से संबंधित व्यक्ति हमेशा इस प्रयास में रहते हैं कि कब बाहर के देश में जाकर पैसे कमा सकें। इससे भारतीय लोग अन्य देशों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

2. पंजाब की स्थिति-अन्य भारतीयों की तरह बहुत से पंजाबी भी बाहर के देशों की तरफ प्रवास करना पसंद करते हैं। जालंधर दोआब के क्षेत्र के बहुत से गांवों के अधिकतर पुरुष पश्चिमी देशों की तरफ प्रवास कर गए हैं तथा धीरे-धीरे अपने परिवारों को भी वहां पर लेकर जा रहे हैं। उनके पसंदीदा देश हैं कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा इंग्लैंड। पंजाबी वहां के डॉलरों के प्रति खींचे चले जाते हैं।

अगर पंजाबी बाहर के देशों की तरफ जा रहे हों तो बहुत से लोग पंजाब आ भी रहे हैं । यह वे प्रवासी मज़दूर हैं जो उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों से पंजाब आकर पैसे कमाते हैं। वे यहां के कारखानों में कार्य करते हैं, खेतों में कार्य करते हैं ताकि अधिक पैसे कमाए जा सकें। 2011 में 21,30,262 व्यक्ति पंजाब आए थे जो कि राज्य की जनसंख्या का 8.7% बनता है।

प्रश्न 3.
भारतीय जनसंख्या का घनत्व के आधार पर विभाजन करें।
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। परंतु प्रादेशिक स्तर पर जनसंख्या घनत्व में भारी अंतर है। जनसंख्या घनत्व बिहार में सबसे अधिक है तो सबसे कम अरुणाचल प्रदेश में है। केंद्र शासित प्रदेशों में यह अन्तर और भी अधिक है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक (9340 व्यक्ति) है, जबकि अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में यह मात्र 46 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

1. अधिक जनसंख्या घनत्व-प्रादेशिक स्तर पर, अधिक जनसंख्या घनत्व (400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से अधिक) वाले क्षेत्र सतलुज, गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के डेल्टे हैं। यहां पर उपजाऊ मिट्टी तथा अच्छी वर्षा के कारण कृषि का विकास अच्छा है। इसके अतिरिक्त बड़े औद्योगिक एवं प्रशासनिक नगरों जैसे लुधियाना, गुड़गांव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, कानपुर, पटना, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, अहमदाबाद, बंगलौर (बंगलुरू) एवं हैदराबाद के आसपास भी अधिक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (3)
2. कम जनसंख्या घनत्व-कम जनसंख्या घनत्व (200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से कम) वाले क्षेत्र ऐसे हैं जो भौतिक विकलांगता से ग्रस्त हैं। ऐसे क्षेत्र हैं-

  • उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणियों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल के पहाड़ी भाग,
  • पूर्व में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय तथा त्रिपुरा राज्यों में,
  • पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय भाग, गुजरात के दलदलीय क्षेत्रों तथा
  • दक्षिण आंतरिक प्रायद्वीपीय पठार में मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, पूर्वी कर्नाटक, तेलंगाना एवं तमिलनाडु का कुछ भाग शामिल हैं।

3. औसत जनसंख्या घनत्व-अधिक जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों के बाह्य भाग औसत जनसंख्या घनत्व (200 से 300 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी०) के क्षेत्र कहलाते हैं। सामान्यतः ये क्षेत्र कम और अधिक जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों के बीच पड़ते हैं। ऐसे क्षेत्र संख्या में कम ही हैं।
इससे इस बात का आभास हो जाता है कि भारत में जनसंख्या वितरण एवं घनत्व में भारी प्रादेशिक असमानताएं हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय जनसंख्या के स्वास्थ्य और कार्य पक्ष की चर्चा करें।
उत्तर-
1. स्वास्थ्य-स्वास्थ्य को जनसंख्या की संरचना का एक महत्त्वपूर्ण भाग माना जाता है जो विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। सरकारों के लगातार प्रयासों के कारण भारत की जनसंख्या के स्वास्थ्य स्तर में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है। मृत्यु दर जो 1951 में 25 प्रति हज़ार थी वह 2011 में कम होकर 7.9 प्रति हज़ार रह गई है। इस प्रकार औसत आयु जो 1951 में 36.7 वर्ष थी, वह 2011 में बढ़ कर 65.2 वर्ष हो गई है। यह महत्त्वपूर्ण सुधार बहुत से कारणों की वजह से ही मुमकिन हो पाया है जैसे कि जनता का स्वास्थ्य, संक्रामक बिमारियों से बचाव तथा बिमारियों के इलाज में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग। सरकार ने हज़ारों अस्पताल, डिस्पेंसरियां तथा स्वास्थ्य केन्द्र खोले हैं ताकि जनता को बढ़िया स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो सके परंतु फिर भी स्वास्थ्य का स्तर मुख्य चिंता का विषय है। प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत अभी भी कम है। हमारी जनसंख्या के एक बड़े भाग को अभी भी सही भोजन नहीं मिल पाता है। साफ पीने का पानी तथा मूल स्वास्थ्य सुविधाएं केवल एक तिहाई ग्रामीण जनता के लिए ही मौजूद हैं। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए एक सही जनसंख्या नीति की आवश्यकता है।

2. पेशे-आर्थिक रूप से कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत विकास का एक महत्त्वपूर्ण सूचक होता है। अलग-अलग प्रकार के पेशों के अनुसार की गई जनसंख्या के विभाजन को पेशों की संरचना कहा जाता है। किसी भी देश में अलग-अलग पेशों को करने वाले लोग भी अलग-अलग होते हैं, पेशों को तीन भागों-प्राथमिक, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में बाँटा जाता है।

    • प्राथमिक श्रेणी-इसमें कृषि, पशुपालन, वृक्ष लगाना, मछली पालना तथा खनन इत्यादि शामिल हैं।
    • द्वितीय श्रेणी-इसमें उद्योग, घर बनाना तथा निर्माण कार्य में लगे लोग शामिल होते हैं।
    • तृतीय श्रेणी-इसमें अपनी सेवा देने वाले लोग शामिल हैं जैसे कि प्रशासन, बैंकिंग, बीमा क्षेत्र इत्यादि।

विकसित तथा विकासशील देशों में अलग-अलग कार्यों में लगे लोगों का अनुपात भी अलग होता है। विकसित देशों में द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में अधिक लोग लगे होते हैं। विकासशील देशों में प्राथमिक क्षेत्र में अधिक लोग लगे होते हैं। भारत में 53% जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र में लगी हुई है। इस प्रकार द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में 13% तथा 20% लोग लगे हुए हैं। वर्तमान समय में औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के बढ़ने के कारण द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में काफी परिवर्तन आया है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

PSEB 9th Class Social Science Guide जनसंख्या Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
जनसंख्या की दृष्टि भारत का विश्व में स्थान है-
(क) दूसरा
(ख) चौथा
(ग) पाँचवां
(घ) नौवां।
उत्तर-
(क) दूसरा

प्रश्न 2.
पंजाब में पूरे देश की लगभग जनसंख्या निवास करती है-
(क) 1.3%
(ख) 2.3%
(ग) 3.2%
(घ) 1.2%.
उत्तर-
(ख) 2.3%

प्रश्न 3.
देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है ?
(क) 70%
(ख) 75%
(ग) 78%
(घ) 71%.
उत्तर-
(घ) 71%

प्रश्न 4.
2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में जनसंख्या घनत्व है-
(क) 888
(ख) 944
(ग) 551
(घ) 933.
उत्तर-
(ग) 551

प्रश्न 5.
2011 की जनगणना के अनुसार देश में प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या थी-
(क) 943
(ख) 933
(ग) 939
(घ) 894.
उत्तर-
(क) 943

प्रश्न 6.
देश के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) बिहार
(ग) राजस्थान
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर-
(ख) बिहार

प्रश्न 7.
देश के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है ?
(क) मिज़ोरम
(ख) सिक्किम
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) नागालैंड।
उत्तर-
(ग) अरुणाचल प्रदेश

प्रश्न 8.
पंजाब में 2011 में लिंग अनुपात कितना था ?
(क) 943
(ख) 866
(ग) 872
(घ) 895.
उत्तर-
(घ) 895.

प्रश्न 9.
देश के किस जिले की जनसंख्या सबसे अधिक है ?
(क) थाने
(ख) उत्तर चौबीस
(ग) दिबांग घाटी
(घ) अनजाह।
उत्तर-
(क) थाने

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 10.
इनमें से कौन-सा प्रवास का कारण है ?
(क) रोज़गार की तलाश
(ख) कमाई की आशा
(ग) धार्मिक स्वतंत्रता
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

रिक्त स्थान की पूर्ति करें (Fill in the Blanks)

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल शहरी जनसंख्या लगभग ……… है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का प्रतिशत …………… है।
  3. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व ………… प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  4. देश में मुख्य श्रमिकों का प्रतिशत ……………. है।
  5. देश में मुख्य श्रमिकों का सबसे अधिक प्रतिशत …………. में है।
  6. देश में 15-65 आयु वर्ग में …………. प्रतिशत जनसंख्या है।

उत्तर-

  1. 1.35 करोड़,
  2. 40%
  3. 382,
  4. 37.50,
  5. आंध्रप्रदेश,
  6. 58.4

सही/गलत (True/False)

  1. जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का पहला स्थान है। ( )
  2. देश के पर्वतीय तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत सघन है। ( )
  3. निर्धन देशों में बाल्य आयु वर्ग (0-14 वर्ष) की जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है। ( )
  4. भारत में लिंग-अनुपात कम अर्थात् प्रतिकूल है। ( )
  5. जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि दर जन्म-दर तथा मृत्यु दर के अंतर पर निर्भर करती है। ( )

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✓)
  5. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी क्षेत्र के एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की औसत संख्या को उस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत के जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक कौन-सा है और क्यों ?
उत्तर-
कृषि उत्पादकता।

प्रश्न 3.
भारत के अति सघन आबाद दो भागों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत में ऊपरी गंगा घाटी तथा मालाबार में अति सघन जनसंख्या है।

प्रश्न 4.
भारत के किन प्रदेशों की जनसंख्या का घनत्व कम है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी पर्वतीय प्रदेश, घने वर्षा वनों वाले उत्तर-पूर्वी प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान के अत्यंत शुष्क क्षेत्र और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जन-घनत्व कम है।

प्रश्न 5.
नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने से क्या दुष्परिणाम हुए हैं ?
उत्तर-
नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने के कारण उपलब्ध संसाधनों और जन-सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ा है।

प्रश्न 6.
स्त्री-पुरुष अथवा लिंग अनुपात से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
प्रति हज़ार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं।

प्रश्न 7.
अर्जक जनसंख्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्जक जनसंख्या से अभिप्राय उन लोगों से है जो विभिन्न व्यवसायों में काम करके धन कमाते हैं।

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प्रश्न 8.
आश्रित जनसंख्या क्या होती है ?
उत्तर-
आश्रित जनसंख्या में वे बच्चे तथा बूढ़े आते हैं जो काम नहीं कर सकते अपितु अर्जक जनसंख्या पर आश्रित रहते हैं।

प्रश्न 9.
मृत्यु-दर के तेज़ी से घटने का मुख्य कारण बताएं।
उत्तर-
मृत्यु-दर के तेज़ी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार है।

प्रश्न 10.
भारत में सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है ?
उत्तर-
सिक्किम।

प्रश्न 11.
भारत में जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर-
382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 12.
पश्चिमी बंगाल में जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर-
1082 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 13.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य का नाम बताइए।
उत्तर-
बिहार।

प्रश्न 14.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 15.
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग-अनुपात है ?
उत्तर-
943 स्त्रियां प्रति एक हज़ार पुरुष।

प्रश्न 16.
भारत में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर-
केरल।

प्रश्न 17.
भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है ?
उत्तर-
अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 18.
दिल्ली का जनसंख्या घनत्व क्या है ?
उत्तर-
11297 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 19.
मानव संसाधन विकास का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
मानव संसाधन विकास से तात्पर्य लोगों में इन चार बातों का विकास करने से है-

  1. शिक्षा
  2. तकनीकी कुशलता
  3. स्वास्थ्य
  4. पोषण।

प्रश्न 20.
आजादी से पहले देश की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ने के क्या कारण थे ?
उत्तर-
महामारियों, लड़ाइयों तथा अकाल के कारण मृत्यु दर में वृद्धि।

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प्रश्न 21.
वर्ष 1901 में भारत की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर-
वर्ष 1901 में भारत की जनसंख्या 23,83,96,327 (23.8 करोड़) थी।

प्रश्न 22.
वर्ष 2001 में भारत की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर-
वर्ष 2001 में भारत की जनसंख्या 102.7 करोड़ थी।

प्रश्न 23.
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में (चीन के पश्चात्) दूसरा स्थान है।.

प्रश्न 24.
भारत के कितने राज्यों की जनसंख्या पांच करोड़ से अधिक है ?
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 10 राज्यों की जनसंख्या 5 करोड़ से अधिक है।

प्रश्न 25.
देश के सबसे अधिक और सबसे कम जनसंख्या वाले राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है।

प्रश्न 26.
पंजाब की जनसंख्या 2011 में कितनी थी और जनसंख्या की दृष्टि से पंजाब का राज्यों में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-

  1. वर्ष 2011 में पंजाब की जनसंख्या लगभग 2.77 करोड़ थी।
  2. जनसंख्या की दृष्टि से पंजाब का भारत के राज्यों में 15वां स्थान है।

प्रश्न 27.
पंजाब में पूरे देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ?
उत्तर-
पंजाब में पूरे देश की लगभग 2.3 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 28.
एक लाख की आबादी से अधिक के भारत में कितने शहर हैं ?
उत्तर-
भारत में एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की संख्या 300 से अधिक है।

प्रश्न 29.
मैदानी भागों में देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ?
उत्तर-
मैदानी भागों में देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 30.
देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है ?
उत्तर-
देश की लगभग 68% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।

प्रश्न 31.
देश में जनसंख्या का औसत घनत्व कितना है ?
उत्तर-
देश में जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (2011 में) है।

प्रश्न 32.
देश के सबसे अधिक व सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार देश का सबसे अधिक घनत्व वाला राज्य बिहार तथा सबसे कम घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश है।

प्रश्न 33.
पंजाब में जनसंख्या का घनत्व कितना है ?
उत्तर-
पंजाब में जनसंख्या का घनत्व 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (2011 में) है।

प्रश्न 34.
किस केंद्र शासित प्रदेश का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।

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प्रश्न 35.
आयु संरचना को निर्धारित करने वाले तत्त्वों के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. जन्मता (fertility)
  2. मर्त्यता (mortality)
  3. प्रवास (migration)।

प्रश्न 36.
देश में 0-14 आयु वर्ग में कितने प्रतिशत जनसंख्या है ?
उत्तर-
देश में 0-14 आयु वर्ग में 37.2 प्रतिशत जनसंख्या है।

प्रश्न 37.
देश में 15-65 आयु वर्ग में कितने प्रतिशत जनसंख्या है ?
उत्तर-
देश में 15-65 आयु वर्ग में 58.4 प्रतिशत जनसंख्या है।

प्रश्न 38.
लिंग-अनुपात से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लिंग-अनुपात से अभिप्राय प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या से है।

प्रश्न 39.
वर्ष 2011 में देश की जनसंख्या का लिंग अनुपात क्या था ?
उत्तर-
वर्ष 2011 में देश की जनसंख्या का लिंग-अनुपात 1000 : 943 था।

प्रश्न 40.
वर्ष 2001 में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों का अलग-अलग लिंग अनुपात क्या था ?
उत्तर-
वर्ष 2001 में ग्रामीण क्षेत्रों का लिंग अनुपात 939 तथा शहरों में 894 प्रति हजार पुरुष था।

प्रश्न 41.
देश के ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में लिंग अनुपात तेजी से क्यों घट रहा है ?
उत्तर-
लिंग अनुपात के तेज़ी से घटने के कारण हैं

  1. स्त्रियों का दर्जा निम्न होना।
  2. जनगणना के समय स्त्रियों की अपेक्षाकृत कम गणना करना या पुरुषों की गणना बढ़ाकर करना।
  3. लड़कियों की जन्म दर कम होना।
  4. स्त्री भ्रूण-हत्या (Female foeticide)।

प्रश्न 42.
आर्थिक आधार पर भारत की जनसंख्या को किन दो भागों में बांट सकते हैं ?
उत्तर-
आर्थिक आधार पर जनसंख्या को दो भागों में बांट सकते हैं-

  1. श्रमिक जनसंख्या
  2. अश्रमिक जनसंख्या।

प्रश्न 43.
जन्म दर क्या होती है ?
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 व्यक्तियों के पीछे एक वर्ष में पैदा हुए बच्चों की संख्या को जन्म दर कहते हैं।

प्रश्न 44.
मृत्यु दर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 व्यक्तियों के पीछे एक वर्ष में मरे व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं।

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प्रश्न 45.
प्रवास क्या होता है?
उत्तर-
व्यक्तियों के एक भौगोलिक क्षेत्र को छोड़ कर दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में जाकर रहने की प्रक्रिया को प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 46.
किशोरावस्था क्या होती है ?
उत्तर-
10 वर्ष से 19 वर्ष तक की अवस्था को किशोरावस्था कहते हैं।

प्रश्न 47.
किशोरावस्था की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
इस आयु में कई शारीरिक परिवर्तन आते हैं जो किशोरों को काफी अजीब लगता है।

प्रश्न 48.
पंजाब में प्रवासी मजदूरों के आने का एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब के उद्योगों तथा खेतों में कार्य करके पैसा कमाने के लिए प्रवासी मज़दूर पंजाब आते हैं।

प्रश्न 49.
पंजाब में कौन-से राज्यों से प्रवासी मजदूर आते हैं ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल इत्यादि।

प्रश्न 50.
देश के कौन-से जिलों में सबसे अधिक व सबसे कम जनसंख्या है ?
उत्तर-
अधिक जनसंख्या-थाने (महाराष्ट्र)- 1,10,60,148 व्यक्ति कम जनसंख्या-दिबांग घाटी (अरुणाचल प्रदेश)-8004 व्यक्ति।

प्रश्न 51.
देश की साक्षरता दर कितनी है ?
उत्तर-
2011 में देश की साक्षरता दर 74.04% थी।

प्रश्न 52.
पंजाब के किस जिले में लिंग अनुपात सबसे अधिक है ?
उत्तर-
होशियारपुर 1000 : 961.

प्रश्न 53.
पंजाब के किस जिले में सबसे अधिक साक्षरता दर है ?
उत्तर-
होशियारपुर-84.16%.

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जनगणना से आप क्या समझते हैं ? इस पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
भारत सरकार प्रत्येक दस वर्ष के पश्चात् जनसंख्या की गिनती करवाती है जिसे जनगणना (Census Survey) कहते हैं। इस गिनती के साथ-साथ लोगों की आयु, लिंग, घर, साक्षरता इत्यादि के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाती है। देश में प्रथम बार जनगणना सन् 1872 में हुई थी तथा उसके पश्चात् प्रत्येक दशक के प्रथम वर्ष में जनगणना करवाई जाती है। 2011 की जनगणना देश की 15वीं जनगणना थी जिसमें 22 अरब रुपये खर्च हुए थे तथा 27 लाख अधिकारियों ने इसमें भाग लिया था।

प्रश्न 2.
जनसंख्या वितरण एवं जनसंख्या घनत्व के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जनसंख्या वितरण का संबंध स्थान से तथा घनत्व का संबंध अनुपात से है। जनसंख्या वितरण का अर्थ यह है कि देश के किसी एक भाग में जनसंख्या का क्षेत्रीय प्रारूप (pattern) कैसा है। हम यह भी कह सकते हैं कि जनसंख्या वितरण में इस बात की जानकारी प्राप्त की जाती है कि जनसंख्या प्रारूप फैलाव लिए है या इसका एक ही । स्थान पर अधिक जमाव है। इसके विपरीत जनसंख्या घनत्व में, जिसका संबंध जनसंख्या आकार एवं क्षेत्र से होता है, मनुष्य तथा क्षेत्र के अनुपात पर ध्यान दिया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या वितरण पर किन-किन तत्त्वों का सबसे अधिक प्रभाव है ?
उत्तर-
भारत में जनसंख्या का वितरण एक समान नहीं है। इसके लिए निम्नलिखित अनेक तत्त्व उत्तरदायी हैं

  1. भूमि का उपजाऊपन-भारत के जिन राज्यों में उपजाऊ भूमि का अधिक विस्तार है, वहां जनसंख्या का घनत्व अधिक है। उत्तर प्रदेश तथा बिहार ऐसे ही राज्य हैं।
  2. वर्षा की मात्रा अधिक वर्षा वाले भागों में प्राय: जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। उत्तरी भारत में पूर्व से पश्चिम को जाते हुए वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। इसलिए जनसंख्या का घनत्व भी घटता जाता है।
  3. जलवायु-जहां जलवायु स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है, वहां भी जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। इसके विपरीत ऐसे प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है जहां की जलवायु स्वास्थ्य के लिए अच्छी न हो। असम में वर्षा अधिक होते हुए भी जनसंख्या का घनत्व कम है क्योंकि यहां अधिक नमी के कारण मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है।
  4. परिवहन के उन्नत साधन-परिवहन के साधनों के अधिक विकास के कारण व्यापार की प्रगति तीव्र हो जाती है जिससे जनसंख्या का घनत्व भी अधिक हो जाता है। उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखंड इत्यादि राज्यों में अधिक जनसंख्या होने का एक कारण परिवहन के साधनों का विकास है।
  5. औद्योगिक विकास-जिन स्थानों पर उद्योग स्थापित हो जाते हैं, वहां जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों में आजीविका कमाना सरल होता है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि नगरों में औद्योगिक विकास के कारण ही जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 4.
भारत को गांवों का देश क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत गांवों का देश है। निम्नलिखित तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाएगी-

  1. देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बसी है।
  2. देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है।
  3. देश में 5 लाख 50 हजार से अधिक ग्रामीण अधिवासी (Rural Settlements) हैं जबकि कुल शहरी जनसंख्या का दो तिहाई भाग देश के बड़े नगरों में बसा हुआ है।
  4. देश में कुल मुख्य श्रमिकों का 40.1 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 30.2 प्रतिशत नगरों में निवास करता है।

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर-
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। नदियों की घाटियों और समुद्र तटीय मैदानों में जनसंख्या वितरण बहुत सघन है, परंतु पर्वतीय, मरुस्थलीय एवं अभाव-ग्रस्त क्षेत्रों में जनसंख्या वितरण बहुत ही विरल है।
  2. देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में और 29% भाग शहरों में निवास करता है। शहरी जनसंख्या का भारी जमाव बड़े शहरों में है। कुल शहरी जनसंख्या का दो-तिहाई भाग एक लाख या इससे अधिक आबादी वाले प्रथम श्रेणी के शहरों में रहता है।
  3. देश के अल्पसंख्यक समुदायों का अति संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण बाह्य सीमा क्षेत्रों में जमाव है। उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिमी भारत में भारत-पाक सीमा के पास पंजाब में सिक्खों तथा जम्मू-कश्मीर जो कि अब एक केन्द्र शासित प्रदेश है, में मुसलमानों का बाहुल्य है।

प्रश्न 6.
जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है ? भारत में जनसंख्या घनत्व के बारे में बताएं।
उत्तर-
एक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में जितने व्यक्ति रहते हैं, उसे जनसंख्या घनत्व कहते हैं। किसी क्षेत्र में कितने व्यक्ति रहते हैं यह केवल जनसंख्या घनत्व देख कर ही पता किया जा सकता है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। देश के कई राज्य हैं जहां जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है जैसे कि बिहार (1106), पश्चिम बंगाल (1028), केरल (860), उत्तर प्रदेश (829), पंजाब (551) इत्यादि। परंतु कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां का जनसंख्या घनत्व काफी कम है जैसे कि नागालैंड (119), सिक्किम (86), मिज़ोरम (52), अरुणाचल प्रदेश (17) इत्यादि। केंन्द्र शासित प्रदेशों में दिल्ली (11297) का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।

प्रश्न 7.
जनसंख्या बढ़ौतरी पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
किसी भी देश या स्थान की जनसंख्या एक समान नही रहती बल्कि इसमें समय के साथ-साथ परिवर्तन आते रहते हैं। इस कारण एक विशेष समय के दौरान किसी विशेष क्षेत्र में जनसंख्या में आए सकारात्मक परिवर्तन को जनसंख्या बढ़ौतरी कहा जाता है। जनसंख्या बढ़ौतरी कई कारणों की वजह से हो सकती है जैसे कि जन्म दर का बढ़ना, मृत्यु दर का कम होना, देश में विदेशों से लोगों का आकर रहना। 2001 से लेकर 2011 में भारत की जनसंख्या में 17.68% तथा पंजाब में यह 13.9% थी। जनसंख्या बढ़ौतरी को एक सूत्र से पता किया जा सकता है-
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (4)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 8.
जनसंख्या बढ़ौतरी के लिए उत्तरदायी कुछ कारकों के नाम लिखें।
उत्तर-
जनसंख्या बढ़ौतरी के लिए कई कारक उत्तरदायी हैं जैसे कि-

  1. अगर जन्म दर अधिक हो तथा मृत्यु दर कम हो तो जनसंख्या बढ़ जाती है।
  2. अगर लड़कियों का विवाह कम आयु में हो जाए तो भी जनसंख्या बढ़ने का खतरा हो जाता है।
  3. अगर देश की जलवायु जीवन जीने के अनुकूल है तो भी जनसंख्या बढ़ जाती है।
  4. विवाह की सर्वव्यापकता भी जनसंख्या बढ़ने के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 9.
आयु संरचना (Age Composition) पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
किसी क्षेत्र, राज्य अथवा देश की जनसंख्या को अलग-अलग आयु वर्गों में बाँटने की प्रक्रिया को आयु संरचना कहते हैं। सम्पूर्ण जनता को साधारणतया तीन समूहों में बाँटा जाता है। प्रथम समूह में 0-14 वर्ष की आयु के व्यक्ति आते हैं जिन्हें बच्चा समूह कहा जाता है। द्वितीय समूह में 15-64 वर्ष के व्यक्ति आते हैं जिसे बालिग या कार्यशील समूह कहा जाता है। तृतीय तथा अंतिम समूह में 65 वर्ष या इससे अधिक आयु के व्यक्ति आते हैं जिसे वृद्ध समूह कहा जाता है। प्रथम तथा तृतीय समूह अपनी आवश्यकताओं के लिए द्वितीय समूह पर निर्भर करता है। इस कारण इन्हें निर्भर समूह भी कहा जाता है। निर्भरता अनुपात को एक सूत्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (5)

प्रश्न 10.
लिंग अनुपात क्या है ? भारत में लिंग अनुपात का वर्णन करें।
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को ही लिंग अनुपात कहा जाता है। भारत में 2011 में लिंग अनुपात 1000 : 943 था अर्थात् 1000 पुरुषों के पीछे 943 स्त्रियां थीं। भारत में लिंग अनुपात कम है। केवल केरल (1084) तथा पुडुचेरी (1037) में स्त्रियां अधिक हैं। बाकी सभी राज्यों में यह काफी कम है। किसी भी देश में स्त्रियों की स्थिति का पता करने के लिए लिंग अनुपात देखना बहुत ज़रूरी है। पिछले कुछ समय से सरकार की कठोरता के कारण लिंग अनुपात में काफी सुधार हो रहा है।

प्रश्न 11.
भारत में लिंग अनुपात कम होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
भारत में लिंग-अनुपात कम होने के कारणों के बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना संभव नहीं है। परंतु भारतीय समाज में स्त्री का दर्जा निम्न होना इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है। परिवार व्यवस्था में उसे निम्न दर्जा दिया गया है और पुरुष को ऊँचा। इसी कारण कम आयु में लड़कियों के स्वास्थ्य, खान-पान तथा देख-भाल की ओर कम ध्यान दिया जाता है। परिणामस्वरूप निम्न आयु वर्ग (0-6 वर्ष) में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की मृत्यु-दर अधिक है।
लिंग अनुपात कम होने के अन्य प्रमुख कारण हैं-जनगणना के समय स्त्रियों की अपेक्षाकृत कम गणना करना या पुरुषों की गणना बढ़ाकर करना, लड़कियों की जन्म दर कम होना तथा स्त्री भ्रूण-हत्या।

प्रश्न 12.
उत्तर भारत के राज्यों में लिंग अनुपात कितना है ?
उत्तर-
उत्तर भारत के राज्यों में लिंग अनुपात प्रतिकूल है। इसका अर्थ यह है कि इन राज्यों में प्रति हज़ार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम है। यह बात 2011 में भारत के 5 उत्तरी राज्यों में लिंग अनुपात से स्पष्ट हो जाती है, जो इस प्रकार है

  1. बिहार 912,
  2. राजस्थान 935,
  3. पंजाब 899,
  4. उत्तर प्रदेश 910 तथा
  5. हरियाणा 885.

प्रश्न 13.
जनसंख्या की आर्थिक संरचना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
जनसंख्या की आर्थिक संरचना का विशेष महत्त्व है-

  1. इससे हमें पता चलता है कि देश की जनसंख्या का कितना भाग कार्यशील है और वह किस-किस व्यवसाय में जुटा हुआ है।
  2. यह संरचना किसी क्षेत्र की जनसांख्यिकीय तथा सांस्कृतिक लक्षणों को प्रकट करती है। इसी पर उस क्षेत्र के भविष्य का सामाजिक तथा आर्थिक विकास का प्रारूप आधारित होता है।
  3. आर्थिक संरचना से हमें पता चलता है कि देश किस आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। अतः हम उस क्षेत्र के विकास के लिए उचित योजना बना सकते हैं।

प्रश्न 14.
देश की जनसंख्या की संरचना का अध्ययन करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
किसी देश की जनसंख्या की संरचना को जानना क्यों आवश्यक है, इसके कई कारण हैं-

  1. सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के लिए किसी भी देश की जनसंख्या के विभिन्न लक्षणों जैसे जनसंख्या की आयु-संरचना, लिंगसंरचना, व्यवसाय संरचना आदि के आंकड़ों की आवश्यकता पड़ती है।
  2. जनसंख्या की संरचना के विभिन्न घटकों का देश के आर्थिक विकास से गहरा संबंध है। जहां एक ओर ये जनसंख्या संरचना घटक आर्थिक विकास से प्रभावित होते हैं, वहीं ये आर्थिक विकास की प्रगति एवं स्तर के प्रभाव से भी अछूते नहीं रह पाते। उदाहरण के लिए यदि किसी देश की जनसंख्या की आयु संरचना में बच्चों तथा बूढ़े लोगों का प्रतिशत बहत अधिक है तो देश को शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अधिक-से-अधिक वित्तीय साधनों को खर्च करना पड़ेगा। दूसरी ओर, आयु संरचना में कामगार आयु-वर्गों (Working age-groups) का भाग अधिक होने से देश के आर्थिक विकास की दर तीव्र हो जाती है।

प्रश्न 15.
आयु संरचना के अध्ययन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
आयु संरचना के अध्ययन के अनेक लाभ हैं

  1. बाल आयु वर्ग (0-14) की कुल जनसंख्या ज्ञात होने से सरकार को इन बातों का स्पष्ट पता लग सकता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में कितनी सुविधाओं की आवश्यकता है। इसी के अनुसार नये स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक केंद्रों आदि का निर्माण कराया जाता है।
  2. साथ ही देश में कितने लोग मताधिकार वर्ग में हैं, इस बात की जानकारी भी हो सकती है। मताधिकार वर्ग के लोगों की जानकारी होना प्रजातंत्र में अत्यंत आवश्यक है। आयु संरचना के आंकड़ों के हिसाब से लगभग 58 प्रतिशत मतदाता होने चाहिएं, परंतु देश में 60 प्रतिशत मतदाता हैं।

प्रश्न 16.
किशोरावस्था में किशोरों की आवश्यकताओं के बारे में बताएं।
उत्तर-

  1. किशोरों को बढ़िया तथा संतुलित खुराक मिलनी चाहिए।
  2. उन्हें सही वातावरण में सही शिक्षा मिलनी चाहिए।
  3. उन्हें शारीरिक परिवर्तनों की सही जानकारी होनी चाहिए।
  4. माता-पिता तथा समाज की तरफ से उन्हें प्यार से सभी बातें समझानी चाहिए।
  5. उन्हें नशों से बचाने के प्रयास करने चाहिए। 6. उन्हें अच्छा भविष्य बनाने के लिए लगातार परामर्श दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 17.
किशोरों का भविष्य बनाने में समाज, अध्यापकों व माता-पिता की क्या भूमिका है ?
उत्तर-

  1. माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा तथा अच्छा वातावरण प्रदान कर सकते हैं।
  2. माता-पिता तथा बच्चों को ठीक रास्ते पर चलाने के लिए, नशों से दूर रहने तथा समाज के उत्तरदायी नागरिक बनने की तरफ रास्ता दिखा सकते हैं।
  3. अध्यापक किशोरों को सही शिक्षा देकर उन्हें समाज के अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  4. समाज के अलग-अलग सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक नेता उन्हें सही रास्ता दिखा कर समाज के उत्तरदायी नागरिक बनने के रास्ते पर डाल सकते हैं।

प्रश्न 18.
पंजाब की लिंग आधारित संरचना पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है जिसमें 1,46,39,465 पुरुष तथा 1,31,03873 स्त्रियां हैं। इनका लिंग अनुपात 1000 : 895 बनता है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 1000 पुरुषों के पीछे 895 स्त्रियां हैं जो काफी कम हैं। नगरों में यह 875 है तथा गांवों में 907 है जो 2001 की तुलना में थोड़ा-सा अधिक है। होशियारपुर जिले (861) का लिंग अनुपात सबसे अधिक है जबकि शहीद भगत सिंह नगर (954), जालंधर (915) तथा रूपनगर (915) इसके पश्चात् आते हैं। सबसे कम लिंग अनुपात बठिंडा (868) हैं। फिर फतेहगढ़ साहिब (871) का जिला आता है। पिछले दशकों में इसमें सुधार हो रहा है जो सरकारी प्रयासों का परिणाम है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (6)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 19.
पंजाब की कारोबारी संरचना पर रोशनी डालें।
उत्तर-
पंजाब के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है जिस कारण यहां की अधिकतर जनता कृषि या संबंधित कार्यों में लगी हुई है। पंजाब के कुल कार्यरत लोगों का 35.5% हिस्सा कृषि या संबंधित कार्यों में लगा हुआ है। 3.9% लोग घरेलू, उद्योगों में कार्य कर रहे हैं। बाकी 60.5% लोग अन्य कई प्रकार के कार्यों में लगे हुए हैं। मुक्तसर तथा मानसा जिलों में सबसे अधिक लोग कृषि में लगे हुए हैं परंतु लुधियाना तथा साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर में काफी कम लोग कृषि में तथा बाकी लोग औद्योगिक क्षेत्र, सेवाओं इत्यादि में लगे हुए हैं। पंजाब में बहुत से लोग नौकरी की तलाश में देश-विदेश में भी गए हुए हैं।

प्रश्न 20.
मादा भ्रूण हत्या का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
लोगों में कई कारणों के कारण लड़की के स्थान पर लड़के को प्राप्त करने की इच्छा होती है। वह कई ढंगों का प्रयोग करते हैं ताकि लड़की के स्थान पर लड़के को प्राप्त किया जा सके। जब कोई स्त्री गर्भवती होती है तो पहले तीन-चार माह तक माँ के गर्भ में बच्चा पूर्णतया विकसित नहीं हुआ होता है। इसे अभी भी भ्रूण ही कहा जाता है। आजकल ऐसी मशीनें आ गई हैं जिनसे माता के पेट में ही टैस्ट करके पता कर लिया जाता है कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की। अगर गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है तो ठीक है परंतु लड़की है तो उसका गर्भपात करवा दिया जाता है अर्थात् माता की कोख में ही लड़की को मार दिया जाता है। इसे ही मादा भ्रूण हत्या कहते हैं।

प्रश्न 21.
मादा भ्रूण हत्या के कारण बताएं।
उत्तर-

  1. लड़का प्राप्त करने की इच्छा मादा भ्रूण हत्या को जन्म देती है।
  2. तकनीकी सुविधाओं के बढ़ने के कारण अब गर्भ में ही बच्चे के लिंग का पता कर लिया जाता है जिस कारण लोग मादा भ्रूण हत्या की तरफ बढ़े हैं।
  3. लड़की के बड़े होने पर उसे दहेज देना पड़ता है तथा लड़का होने पर दहेज आता है। यह कारण भी लोगों को मादा भ्रूण हत्या करने के लिए प्रेरित करता है।
  4. यह कहा जाता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति का दाह संस्कार तथा और संस्कार बेटा ही पूर्ण करता है। इस कारण भी लोग लड़का प्राप्त करना चाहते हैं।
  5. लड़कों से यह आशा की जाती है कि वह बुढ़ापे में अपने माता-पिता की देखभाल करेंगे तथा लड़कियां विवाह के बाद अपने ससुराल चली जाएंगी। इस सामाजिक सुरक्षा की इच्छा के कारण भी लोग लड़का चाहते हैं।

प्रश्न 22.
मादा भ्रूण हत्या के परिणाम बताएं।
उत्तर-

  1. मादा भ्रूण हत्या के कारण समाज में लिंग अनुपात कम होना शुरू हो जाता है। भारत में यह 1000 : 940 है।
  2. कम होते लिंग अनुपात के कारण समाज में असंतुलन बढ़ जाता है क्योंकि पुरुषों की संख्या बढ़ जाती है तथा स्त्रियों की संख्या कम हो जाती है।
  3. इस कारण स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा भी बढ़ जाती है। अपहरण, बलात्कार, छेड़छाड़ इत्यादि जैसी घटनाएं भी बढ़ जाती हैं।
  4. मादा भ्रूण हत्या के कारण स्त्रियों की सामाजिक स्थिति और निम्न हो जाती है क्योंकि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन हो जाती है।

प्रश्न 23.
देश के मैदानी भागों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
देश के मैदानी भागों में का घनत्व बहुत अधिक है। इसके मुख्य कारण अग्रलिखित हैं-

  1. भारत का उत्तरी मैदान विशाल और उपजाऊ है।
  2. यहां वर्षा भी पर्याप्त होती है। इसलिए कृषि के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  3. यहां उद्योग के भी बड़े-बड़े केंद्र हैं।
  4. यहां यातायात के साधन उन्नत हैं।
  5. तटीय मैदानी प्रदेशों में मछली पकड़ने तथा विदेशी व्यापार की सुविधाएं हैं। परिणामस्वरूप लोगों के लिए रोजी कमाना सरल है।

प्रश्न 24.
देश में कम जनसंख्या वाले क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
भारत के थार मरुस्थल, पूर्वी हिमालय प्रदेश तथा छोटा नागपुर के पठार में जनसंख्या कम आबाद है। कारण-

  1. इन प्रदेशों की भूमि उपजाऊ नहीं है। यह या तो रेतीली है या पथरीली।
  2. यहां यातायात के साधनों का विकास नहीं हो सका है।
  3. यहां की जलवायु स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। यह या तो अत्यधिक गर्म है या अत्यधिक ठंडी। हिमालय क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक वर्षा होती है।
  4. छोटा नागपुर क्षेत्र को, छोड़कर अन्य भागों में निर्माण उद्योग विकसित नहीं है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में लिंग अनुपात के राज्य स्तरीय प्रारूप का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लिंग अनुपात से अभिप्राय है-प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की औसत संख्या। लिंग अनुपात को आजकल समाज में स्त्री के सम्मान को आंकने का पैमाना भी माना जाता है। अधिकतर धनी देशों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों के बराबर है या उससे अधिक। विकसित देशों में 1050 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष हैं, जबकि विकासशील देशों में यह औसत 964 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष हैं। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग अनुपात 943 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष हैं यह औसत विश्व की सबसे कम औसतों में से एक है।

राज्य स्तरीय प्रारूप-देश के सभी राज्यों में लिंग अनुपात एक समान नहीं है। भारत के केवल दो ही राज्य ऐसे हैं। जहां लिंग अनुपात स्त्रियों के पक्ष में है। ये राज्य हैं-केरल तथा तमिलनाडु। केरल में प्रति हज़ार पुरुषों पर 1084 स्त्रियां (2011 में) हैं। देश के अन्य राज्यों में अनुपात पुरुषों के पक्ष में है अर्थात् इन राज्यों में प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या कम है जो निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है-

1. पंजाब 895
2. हरियाणा 879
3. राजस्थान 928
4. बिहार 918
5. उत्तर प्रदेश 912
6. तमिलनाडु 996

 

लिंग अनुपात से राज्य प्रारूप में से एक बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि देश के उत्तर राज्यों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में लिंग अनुपात कम है। यह बात समाज में स्त्री के निम्न स्थान को दर्शाती है। यह निःसन्देह एक चिंता का विषय है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (7)

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प्रश्न 2.
देश में जनसंख्या वितरण के प्रादेशिक प्रारूप की प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए प्रारूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत में जनसंख्या वितरण का प्रादेशिक प्रारूप तथा उसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। नदियों की घाटियों और समुद्र तटीय मैदानों में जनसंख्या बहुत सघन है, परंतु पर्वतीय, मरुस्थलीय एवं अभाव-ग्रस्त क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत ही विरल है। उत्तर के पहाड़ी प्रदेशों में देश के 16 प्रतिशत भू-भाग पर मात्र 3 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि उत्तरी मैदानों में देश के 18 प्रतिशत भूमि पर 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। राजस्थान में देश के मात्र 6 प्रतिशत भू-भाग पर 6 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
  2. अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बसी है। देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में और लगभग 29% भाग शहरों में निवास करता है। शहरी जनसंख्या का भारी जमाव बड़े शहरों में है। कुल शहरी जनसंख्या का दो-तिहाई भाग एक लाख या इससे अधिक आबादी वाले प्रथम श्रेणी के शहरों में रहता है।
  3. देश के अल्पसंख्यक समुदायों का जमाव अति संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण बाह्य क्षेत्रों में है। उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिमी भारत में भारत-पाक सीमा के पास पंजाब में सिक्खों तथा जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों का बाहुल्य है। इसी तरह उत्तर-पूर्व में चीन व बर्मा (म्यनमार) की सीमाओं के साथ ईसाई धर्म के लोगों का जमाव है। इस तरह के वितरण से अनेक सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक कठिनाइयां सामने आती हैं।
  4. एक ओर तटीय मैदानों एवं नदियों की घाटियों में जनसंख्या घनी है तो दूसरी ओर पहाड़ी, पठारी एवं रेगिस्तानी भागों में जनसंख्या विरल है। यह वितरण एक जनसांख्यिकी विभाजन (Demographic divide) जैसा लगता है।

प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर लेख लिखिए जिसमें समस्या के समाधान के उपायों को भी बताएँ।
उत्तर-
जब किसी देश की जनसंख्या इसके प्राकृतिक साधनों की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ती है तो उसका देश के साधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भारत में प्रत्येक 10 वर्ष के बाद जनगणना होती है। सन् 1921 तक भारत की जनसंख्या कुछ घटती-बढ़ती रही अथवा स्थिर रही, परंतु 1921 के पश्चात् जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  1. निम्न जीवन स्तर-अन्य देशों के जीवन स्तर के मुकाबले में भारतीय लोगों का जीवन स्तर बहुत निम्न है। यह समस्या वास्तव में जनसंख्या की वृद्धि के कारण ही उत्पन्न हुई है।
  2. वनों की कटाई-बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट भरने के लिए वनों को अंधाधुध तरीके से काटा जा रहा है ताकि अतिरिक्त भूमि प्राप्त की जा सके। परंतु वनों की कटाई के कारण और कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे-भूमि का कटाव, नदियों में बाढ़ों का अधिक आना, पर्यावरण का प्रदूषित होना तथा वन्य संपदा की हानि।
  3. पशुओं के लिए चारे का अभाव-भारत में केवल चार प्रतिशत क्षेत्र पर चरागाह हैं। जनसंख्या की समस्या के कारण यदि इन्हें भी कृषि अथवा आवासों के निर्माण के लिए प्रयोग किया गया तो पशुओं के लिए चारे की समस्याएं
    और भी जटिल हो जाएंगी।
  4. भूमि पर दबाव-जनसंख्या की वृद्धि का सीधा प्रभाव भूमि पर पड़ता है। भूमि एक ऐसा साधन है जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता। यदि भारत की जनसंख्या इस प्रकार बढ़ती रही तो भूमि पर भी दबाव पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादों का और भी अधिक अभाव हो जाएगा।
  5. खनिजों का अभाव-हम बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं को उद्योगों का विकास करके पूरा कर रहे हैं परंतु उद्योगों के विकास के लिए खनिजों की और भी अधिक आवश्यकता होगी। परिणामस्वरूप हमारे खनिजों के भंडार शीघ्र समाप्त हो जाएंगे।
  6. पर्यावरण की समस्या-जनसंख्या में वृद्धि के कारण पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु की आपूर्ति एक समस्या बन गई है। वनस्पति की कमी के कारण ऑक्सीजन की भी कमी हो रही है।
    समस्या का समाधान-जनसंख्या की वृद्धि की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाए किए जाने चाहिए-

    • सीमित परिवार योजनाओं को अधिक महत्त्व देना चाहिए।
    • लोगों को फिल्मों, नाटकों तथा अन्य साधनों द्वारा सीमित परिवार का महत्त्व समझाया जाए।
    • देश में अनपढ़ता को दूर करने का प्रयास किया जाए ताकि लोग स्वयं भी बढ़ती हुई जनसंख्या की हानियों को समझ सके। स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया जाए।
    • विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि की जाए ताकि विवाह छोटी आयु में न हो सके।

प्रश्न 4.
पंजाब के जनसंख्या विभाजन पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है तथा यह जनसंख्या 12,581 गाँव तथा 217 छोटे बड़े नगरों में रहती है। पंजाब के कुछ भागों में जनसंख्या काफी अधिक है तथा कई भागों में काफी कम है। लुधियाना, अमृतसर जैसे नगरों की जनसंख्या काफी अधिक है जो कि क्रमशः 16 लाख तथा 11 लाख है। परंतु कई नगरों की जनसंख्या हजारों में ही है। जनसंख्या घनत्व के आधार पर पंजाब को चार भागों में बाँटा जाता है। जिसका वर्णन इस प्रकार है-
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  1. कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-प्रथम श्रेणी में वह जिले आते हैं जिनका जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम है। मानसा, फिरोज़पुर तथा श्री मुक्तसर साहिब इस श्रेणी में शामिल हैं। श्री मुक्तसर साहिब का जनसंख्या घनत्व 348 है जो अन्य जिलों से काफी कम है।
  2. साधारण जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-दूसरी श्रेणी में पंजाब के वह जिले शामिल हैं जिनका जनसंख्या घनत्व 401 से 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। तरनतारन, होशियारपुर, फरीदकोट, शहीद भगत सिंह नगर, मोगा, बरनाला, बठिंडा, संगरूर इत्यादि जिले इस श्रेणी में शामिल हैं।
  3. अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-तीसरी श्रेणी में पटियाला, फतेहगढ़ साहिब तथा रूपनगर जिले शामिल हैं। इन ज़िलों का जनसंख्या घनत्व 501 से 600 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  4. बहुत अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 600 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है वह इस श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी में अमृतसर, गुरदासपुर, लुधियाना, जालंधर, साहिबजादा अजीत सिंह नगर आते हैं। लुधियाना का जनसंख्या घनत्व 978 है जो पंजाब में सबसे अधिक है। इसके पश्चात् अमृतसर (928), साहिबजादा अजीत सिंह नगर (909) तथा जालंधर (836) के जिले आते हैं।

जनसंख्या PSEB 9th Class Geography Notes

  • मानव संसाधन – मनुष्य अपने परितंत्र का मात्र एक अंग ही नहीं रह गया, अब वह अपने लाभ के लिए पर्यावरण में परिवर्तन भी कर सकता है। अब उसकी शक्ति उसकी गुणवत्ता में समझी जाती है। राष्ट्र को ऊंचा उठाने के लिए हमें अपने मानवीय | संसाधनों को विकसित, शिक्षित एवं प्रशिक्षित करना अनिवार्य है। तभी प्राकृतिक संसाधनों का विकास संभव हो सकेगा।
  • 2011 की जनगणना – 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। यह संसार की कुल जनसंख्या का 17.2% भाग है।
  • जनसंख्या घनत्व – देश की अधिकतर जनसंख्या मैदानी भागों में निवास करती | है। देश में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  • जनसंख्या बढ़ौतरी – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या एक समान नहीं रहती बल्कि उसमें परिवर्तन आते रहते हैं। जब यह परिवर्तन सकारात्मक होता है तो इसे जनसंख्या बढ़ौतरी कहते हैं। किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ने या कम होने में जन्म दर व मृत्यु दर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • स्त्री-पुरुष अनुपात – स्त्री-पुरुष के सांख्यिकी अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात | कहते हैं। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • आयु संरचना – जनसंख्या को सामान्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-1. 15 वर्ष से कम आयु-वर्ग 2. 15 से 65 वर्ष का आयु वर्ग तथा 3. 65 वर्ष से अधिक का आयु वर्ग। इस विभाजन को जनसंख्या का पिरामिड कहा जाता है।
  • आवास तथा प्रवास – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या में परिवर्तन में आवास तथा | प्रवास की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आवास का अर्थ |होता है बाहर से आकर बस जाना तथा प्रवास का अर्थ है बाहर जाकर बस जाना। प्रवास के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि, रोजगार की तलाश, आय की आशा, बढ़िया सुविधाओं की आवश्यकता इत्यादि।
  • पंजाब में प्रवासी मजदूर – पंजाब के कई नगरों में बहुत से उद्योग स्थापित हैं जिनमें कार्य करने के लिए अस्थायी मजदूरों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार कृषि का कार्य करने के लिए मज़दूरों की आवश्यकता होती है। इस कारण पंजाब में उत्तर प्रदेश, बिहार इत्यादि प्रदेशों से प्रवासी मज़दूर आकर कार्य करते है।
  • अर्जक तथा आश्रित जनसंख्या – भारत में जनसंख्या का 41.6% भाग आश्रित है। शेष 58.4% अर्जक जनसंख्या को आश्रित जनसंख्या का निर्वाह करना पड़ता है।
  • बढ़ती जनसंख्या – जनसंख्या की वृद्धि दर, जन्म-दर तथा मृत्यु-दर के अन्तर पर निर्भर करती है। भारत की मृत्यु दर तो काफ़ी नीचे आ गई है परंतु जन्म-दर बहुत धीमे से घटी है। मृत्यु-दर के घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार रहा है।
  • साक्षरता – स्वतंत्रता के समय हमारे देश में केवल 14% लोग ही साक्षर थे। 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 74.01% हो गया।
  • स्वास्थ्य – जनसंख्या का स्तर पता करने के लिए लोगों का स्वास्थ्य देखने की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सुविधाएं विशेषतया अस्पताल, डिस्पैंसरी तथा डॉक्टरों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई है।
  • पेशे के अनुसार जनसंख्या संरचना – हमारे देश की 53% जनसंख्या आज भी प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत है। द्वितीय क्षेत्र 13% लोग तथा तृतीय क्षेत्र में लगभग 20% लोग कार्यरत हैं।
  • पंजाब का जनसंख्या विभाजन – पंजाब में 12,581 गांव हैं तथा 217 छोटे बड़े नगर हैं। इन सभी की जनसंख्या में काफी अंतर है। कई क्षेत्रों का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी कम है तथा कई क्षेत्रों में यह 900 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है।
  • मादा भ्रूण हत्या – मादा भ्रूण हत्या से जनसंख्या में असंतुलन आ जाता है। इस कारण भारत का लिंग अनुपात 1000 : 943 है तथा पंजाब में यह 1000 : 895 है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

SST Guide for Class 9 PSEB भारत में अन्न सुरक्षा Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें:

  1. बढ़ रही कीमतों के कारण सरकार ने ग़रीबी के लिए कम मूल्यों पर ……….. प्रणाली आरम्भ की।
  2. 1943 में भारत के ……… राज्य में बहुत बड़ा अकाल पड़ा।
  3. ……… एवम् ……. कुपोषण का अधिक शिकार होते हैं।
  4. ……… कार्ड बहुत निर्धन वर्ग के लिए जारी किया जाता है।
  5. फसलों की पूर्व घोषित कीमत को …….. कीमत कहा जाता है।

उत्तर-

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  2. बंगाल
  3. महिलाएं व बच्चे
  4. राशन
  5. न्यूनतम समर्थन ।

बहुविकल्पी प्रश्न :

प्रश्न 1.
ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को कौन-सा कार्ड जारी किया जाता है ?
(क) अन्त्योदय कार्ड
(ख) BPL कार्ड
(ग) APL कार्ड
(घ) CPL कार्ड।
उत्तर-
(ख) BPL कार्ड

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 2.
अन्न सुरक्षा का एक सूचक है।
(क) दूध
(ख) पानी
(ग) भूख
(घ) वायु।
उत्तर-
(ग) भूख

प्रश्न 3.
फसलों को पूर्व घोषित मूल्य (कीमत) को क्या कहा जाता है ?
(क) न्यूनतम समर्थन मूल्य
(ख) निर्गम मूल्य
(ग) न्यूनतम मूल्य
(घ) उचित मूल्य।
उत्तर-
(क) न्यूनतम समर्थन मूल्य

प्रश्न 4.
बंगाल अकाल के अतिरिक्त अन्य किस राज्य में अकाल जैसी स्थिति पैदा हुई।
(क) कर्नाटक
(ख) पंजाब
(ग) ओडिशा
(घ) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(ग) ओडिशा

प्रश्न 5.
कौन-सी संस्था गुजरात में दूध तथा दूध निर्मित पदार्थ बेचती है ?
(क) अमूल
(ख) वेरका
(ग) मदर डेयरी
(घ) सुधा।
उत्तर-
(क) अमूल

सही/गलत चुने :

  1. अन्न के उपलब्ध होने से अभिप्राय है कि देश के भीतर उत्पादन नहीं किया जाता है।
  2. भूख अन्न सुरक्षा का एक सूचक है।
  3. राशन की दुकानों को उचित मूल्य पर सामान बेचने वाली दुकानें भी कहा जाता है।
  4. मार्कफैड पंजाब भारत में सबसे बड़ी खरीद करने वाली सहकारी संस्था है।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

(उत्तर एक पंक्ति या एक शब्द में हों)

प्रश्न 1.
अन्न सुरक्षा क्या है ?
उत्तर-
अन्न सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य है।

प्रश्न 2.
अन्न सुरक्षा क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
अन्न सुरक्षा की आवश्यकता लगातार और तीव्र गति में बढ़ रही जनसंख्या के लिए है।

प्रश्न 3.
अकाल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अकाल का अर्थ है खाद्यान्न में होने वाली अत्यधिक दुर्लभता।

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प्रश्न 4.
महामारी के दो उदाहरणे दें।
उत्तर-

  1. भारत में 1974 में चेचक।
  2. भारत में 1994 में प्लेग।

प्रश्न 5.
बंगाल में अकाल किस वर्ष पड़ा ?
उत्तर-
1943 में।

प्रश्न 6.
बंगाल के अकाल के दौरान कितने लोग मारे गए ?
उत्तर-
30 लाख लोग।

प्रश्न 7.
अकाल के दौरान कौन-से लोग अधिक पीड़ित होते हैं ?
उत्तर-
बच्चे और औरतें अकाल में सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।

प्रश्न 8.
‘अधिकार’ शब्द किस व्यक्ति ने अन्न सुरक्षा के साथ जोड़ा।
उत्तर-
डॉ० अमर्त्य सेन ने।

प्रश्न 9.
अन्न असुरक्षित लोग कौन-से हैं ?
उत्तर-
भूमिहीन लोग, परंपरागत कारीगर, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग आदि।

प्रश्न 10.
उन राज्यों के नाम लिखें जहां अन्न असुरक्षित लोग अधिक संख्या में कहते है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखण्ड, बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का कुछ भाग।

(स्व) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

(उत्तर 70 से 75 शब्दों में हों)

प्रश्न 1.
हरित क्रांति से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हरित क्रांति से अभिप्राय भारत में खाद्यान्न में होने वाली उस वृद्धि से है जो 1966-67 में कृषि में नई तकनीकें लगाने से उत्पन्न हुई थी। इससे कृषि उत्पादन 25 गुणा बढ़ गया था। यह वृद्धि किसी क्रांति से कम नहीं थी। इसलिए इसे हरित क्रांति का नाम दे दिया गया।

प्रश्न 2.
बफर भण्डार की परिभाषा दें।
उत्तर-
बफर भण्डार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं और चावल का भंडार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूं और चावल खरीदते हैं। किसानों को उनकी उपज के बदले पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। अब अधिकांश गांवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। देशभर में लगभग 4.6 लाख राशन की दुकानें हैं। राशन की दुकानें जिन्हें उचित मूल्य की दुकानें कहा जाता है, चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल के भंडार हैं।

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प्रश्न 4.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में से किसानों से गेहूं और चावल खरीदते हैं। किसानों को उनकी उपज के बदले पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं। इन फसलों को अधिक उत्पादित करवाने के लिए बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थन कीमत की घोषणा कर देती है।

प्रश्न 5.
मौसमी भूख और मियादी भूख से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दीर्घकालिक भुख मात्रा एवं गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। ग़रीब लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण मियादी भुख से ग्रस्त होते हैं। मौसमी भुख फसल उपजाने और काटने के चक्र से संबंधित है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है।

प्रश्न 6.
अधिक (बफर) भण्डारण सरकार की तरफ से क्यों रखा जाता है ?
उत्तर-
सरकार का बफर स्टॉक बनाने का मुख्य उद्देश्य कमी वाले राज्यों या क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में
बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं। यह खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।

प्रश्न 7.
निर्गम मूल्य (इशू कीमत) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार का मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न कमी वाले क्षेत्रों में खाद्यन्न उपलब्ध करवाना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार बफर स्टॉक बनाती है ताकि समाज के गरीब वर्ग को बाजार कीमत से कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। इस न्यूनतम कीमत को ही निर्गम कीमत कहा जाता है।

प्रश्न 8.
सस्ते मूल्य की दुकानों के कामकाज की समस्याओं की व्याख्या करो। .
उत्तर-
सस्ते मूल्य की दुकानों के मालिक कई बार अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाज़ार में बेच देते हैं, कई बार घटिया किस्म की उपज बेचते हैं, दुकानें अधिकतर बंद रखते हैं। इसके अलावा एफ०सी०आई० के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो रहा है जो लोगों को प्राप्त नहीं हो रहा। हाल के वर्षों में कार्ड भी तीन प्रकार के कर दिए गए हैं जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 9.
अन्न की पूर्ति के लिए सहकारी संस्थाओं की भूमिका की व्याख्या करो।
उत्तर-
भारत में विशेषकर देश के दक्षिण और पश्चिम भागों में सहकारी समितियां भी खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । सहकारी समितियां निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती है। जैसे तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में सहकारी समितियां हैं जो लोगों को सस्ता दूध, सब्जी, अनाज आदि उपलब्ध करवा रही हैं।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा 1
चित्र 4.1 बंगाल अकाल

आइए चर्चा करें

  1. चित्र 4.1 में आप क्या देखते हैं ?
  2. क्या आप कह सकते हैं कि चित्र में दर्शाया गया परिवार एक ग़रीब परिवार है ? यदि हां, तो क्यों ?
  3. क्या आप चित्र से दर्शाये व्यक्ति की आजीविका का साधन बता सकते है ? अपने अध्यापक से चर्चा करें।
  4. राहत कैंप में प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों को कौन-से प्रकार की सहायता दी जा सकती है ?

उत्तर-

  1. चित्र 4.1 के अवलोकन से ज्ञात हो रहा है कि लोग अकाल, सूखा तथा प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त होने के कारण भूखे, नंगे, प्यासे व बिना आश्रय के हैं।
  2. हाँ, चित्र में दर्शाया गया परिवार एक निर्धन परिवार है। उनके पास खाने व पीने के लिए कुछ भी नहीं है जिससे वे भूखे व बीमार हैं।
  3. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा दी गई सहायता अत्यंत लाभदायक होती है। बाहर से आने वाली खाद्य सामग्री, कपड़े, दवाइयां इसमें अत्यंत लाभदायक हो सकती हैं।
  4. राहत कैंप में आपदा के शिकार लोगों को भोजन, वस्त्र, दवाइयाँ, बिस्तर, टैंट की सहायता दी जा सकती है। उसके बाद उनके पुनर्स्थापन की व्यवस्था की जा सकती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा 2
ग्राफ 4.1 भारत में खाद्यान्नों का उत्पादन (मिलियन टन में)

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

आओ चर्चा करें :

ग्राफ 4.1 का अध्ययन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) हमारे देश में किस वर्ष 200 मिलियन टन प्रति वर्ष अन्न की मात्रा के उत्पादन का लक्ष्य पूरा किया ?
(ii) किस वर्ष दौरान भारत में अन्न का उत्पादन सर्वाधिक रहा ?
(iii) क्या वर्ष 2000-01 से लेकर 2016-17 तक अन्न के उत्पादन में वृद्धि हुई अथवा नहीं ?

उत्तर-

  1. वर्ष 2000-01 में भारत ने 200 मिलियन टन खाद्यान्न के उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया था।
  2. वर्ष 2016-17 में भारत में खाद्यान्न का उत्पादन सबसे अधिक रहा।
  3. नहीं, वर्ष 2000-01 से लेकर 2016-17 तक लगातार खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई है।

PSEB 9th Class Social Science Guide भारत में अन्न सुरक्षा Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें:

  1. ………… का अर्थ, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य।
  2. ………… ने भारत को चावल और गेहूं में आत्मनिर्भर बनाया है।
  3. ……….. वह कीमत है जो सरकार बुआई से पहले निर्धारित करती है।
  4. ………… भुखमरी खाद्यान्न के चक्र से संबंधित है।
  5. ……….. ने ‘पात्रता’ शब्द का प्रतिपादन किया है।

उत्तर-

  1. खाद्य सुरक्षा,
  2. हरित क्रांति,
  3. न्यूनतम समर्थन कीमत,
  4. मौसमी,
  5. डॉ० अमर्त्य सेन।

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा का आयाम क्या है ?
(a) पहुंच
(b) उपलब्धता
(c) सामर्थ्य
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
खाद्य असुरक्षित कौन है ?
(a) अनुसूचित जाति
(b) अनुसूचित जनजाति
(c) अन्य पिछड़ा वर्ग
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब घोषित की गई ?
(a) 1991
(b) 1992
(c) 1994
(d) 1999
उत्तर-
(b) 1992

प्रश्न 4.
बंगाल का भयंकर अकाल कब पड़ा ?
(a) 1943
(b) 1947
(c) 1951
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(a) 1943

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

सही/गलत :

  1. पहुंच का अर्थ है सभी लोगों को खाद्यान्न मिलता रहे।
  2. खाद्य सुरक्षा का प्रावधान खाद्य अधिकार 2013 अधिनियम में किया गया है।
  3. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम वर्ष 2009 में शुरू हुआ।
  4. न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा घोषित की जाती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही।।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भुखमरी क्या है ?
उत्तर-
भुखमरी खाद्य असुरक्षा का एक आयाम है। भुखमरी खाद्य तथा पहुंच की असमर्थता है।

प्रश्न 2.
खाद्य सुरक्षा किस तत्व पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर है।

प्रश्न 3.
भारत में राशनिंग प्रणाली कब शुरू की गई ?
उत्तर-
भारत में राशनिंग प्रणाली 1940 में शुरू की गई, इसकी शुरुआत बंगाल के अकाल के बाद हुई।

प्रश्न 4.
‘पात्रता क्या है ?
उत्तर-
पात्रता, भुखमरी से ग्रस्त लोगों को खाद्य की सुरक्षा प्रदान करेगी।

प्रश्न 5.
ADS क्या है ?
उत्तर-
ADS का अर्थ है Academy of Development Science.

प्रश्न 6.
खाद्य सुरक्षा के आयाम क्या हैं ?
उत्तर-

  1. खाद्य की पहुंच,
  2. खाद्य का सामर्थ्य,
  3. खाद्य की उपलब्धता।

प्रश्न 7.
खाद्य सुरक्षा किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शासकीय सतर्कता और खाद्य सुरक्षा के खतरे की स्थिति में सरकार द्वारा की गई कार्यवाही पर निर्भर करती है।

प्रश्न 8.
खाद्य सुरक्षा के आयाम क्या हैं?
उत्तर-
ये निम्नलिखित हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता से अभिप्राय देश में खाद्य उत्पादन, खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों के स्टॉक से है।
  2. पहुंच से अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति को खाद्य मिलने से है।
  3. सामर्थ्य से अभिप्राय पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए उपलब्ध धन से है।

प्रश्न 9.
निर्धनता रेखा से ऊपर लोग खाद्य असुरक्षा से कब ग्रस्त हो सकते हैं ?.
उत्तर-
जब देश में भूकंप, सूखा, बाढ़, सुनामी, फ़सलों के खराब होने से पैदा हुए अकाल आदि से राष्ट्रीय आपदाएँ आती हैं तो निर्धनता रेखा से ऊपर लोग भी खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हो सकते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 10.
अकाल की स्थिति कैसे बन सकती है ?
उत्तर-
व्यापक भुखमरी से अकाल की स्थिति बन सकती है।

प्रश्न 11.
प्रो० अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा के संबंध में किस पर जोर दिया है ?
उत्तर-
प्रो० अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा है जो हकदारियों के आधार पर खाद्य तक पहुंच पर ज़ोर देता है। हकदारियों का अर्थ राज्य या सामाजिक रूप से उपलब्ध कराई गई अन्य पूर्तियों के साथ-साथ उन वस्तुओं से . है, जिनका उत्पादन और विनिमय बाज़ार में किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
भारत में भयानक अकाल कब और कहां पड़ा था ?
उत्तर-
भारत में सबसे भयानक अकाल 1943 में बंगाल में पड़ा था जिससे बंगाल प्रांत में 30 लाख लोग मारे गए थे।

प्रश्न 13.
बंगाल के अकाल में सबसे अधिक कौन लोग प्रभावित हुए थे ?
उत्तर-
इससे खेतिहर मज़दूर, मछुआरे, परिवहन कर्मी और अन्य अनियमित श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।

प्रश्न 14.
बंगाल का अकाल चावल की कमी के कारण हुआ था। क्या आप इससे सहमत हैं ?
उत्तर-
हां, बंगाल के अकाल का मुख्य कारण चावल की कम पैदावार ही था जिससे भुखमरी हुई थी।

प्रश्न 15.
किस वर्ष में खाद्य उपलब्धता में भारी कमी हुई ?
उत्तर-
1941 में खाद्य उपलब्धता में भारी कमी हुई।

प्रश्न 16.
अनाज की उपलब्धता भारत में किस घटक के कारण और भी सुनिश्चित हुई है ?
उत्तर-
बफर स्टॉक एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कारण।

प्रश्न 17.
देशभर में लगभग राशन की दुकानें कितने लाख हैं ?
उत्तर-
4.6 लाख।

प्रश्न 18.
‘एकीकृत बाल विकास सेवाएँ’ प्रायोगिक आधार पर किस वर्ष शुरू की गईं ?
उत्तर-
1975.

प्रश्न 19.
‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम कब शुरू हुआ था ?
उत्तर-
1965-66 में।

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम कब लागू किया गया ?
उत्तर-
2004 में।

प्रश्न 21.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब लागू की गई ?
उत्तर-
1997 में।

प्रश्न 22.
अन्नपूर्णा योजना कब लागू हुई ?
उत्तर-
2000 में।

प्रश्न 23.
अन्नपूर्णा योजना में लक्षित समूह कौन है ?
उत्तर-
दीन वरिष्ठ नागरिक।

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प्रश्न 24.
अंत्योदय अन्न योजना में लक्षिक समूह कौन हैं ?
उत्तर-
निर्धनों में सबसे निर्धन।

प्रश्न 25.
अन्नपूर्णा योजना में खाद्यान्नों की आद्यतन मात्रा प्रति परिवार कितने किलोग्राम निर्धारित की गई है ?
उत्तर-
10 किलोग्राम।

प्रश्न 26.
इनमें से कौन भूख का आयाम है ?
(क) मौसमी
(ख) दीर्घकालिक
(ग) (क) तथा (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) (क) तथा (ख) दोनों।

प्रश्न 27.
इनमें से कौन-सी फसलें हरित क्रांति से संबंधित हैं ?
(क) गेहूँ, चावल
(ख) कपास, बाजरा
(ग) मक्की , चावल
(घ) बाजरा, गेहूँ।
उत्तर-
(क) गेहूँ, चावल।

प्रश्न 28.
‘लक्षित सार्वजनिक वितरण-प्रणाली’ कब लागू हुई ?
(क) 1992
(ख) 1995
(ग) 1994
(घ) 1997.
उत्तर-
(घ) 1997.

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के ग़रीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी०डी०एस०) कहते हैं।

प्रश्न 2.
खाद्य सुरक्षा में किसका योगदान है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली, दोपहर का भोजन आदि विशेष रूप से खाद्य की दृष्टि से सुरक्षा के कार्यक्रम हैं। अधिकतर ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रम भी खाद्य सुरक्षा बढ़ाते हैं।

प्रश्न 3.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ?
उत्तर-
यह सार्वजनिक वितरण-प्रणाली का संशोधित रूप है जिसे 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुँचाना था। इसमें 20 किलोग्राम तक खाद्यान्न प्रति परिवार जिसमें गेहूँ ₹ 2.80 प्रति किलोग्राम तथा चावल ₹ 3.77 प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपलब्ध करवाए जाते थे।

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प्रश्न 4.
अन्नपूर्णा योजना क्या है ?
उत्तर-
यह भोजन ‘दीन वरिष्ठ नागरिक’ समूहों पर लक्षित योजना है जिसे वर्ष 2000 में लागू किया गया है। इस योजना में ‘दीन वरिष्ठ नागरिक’ समूहों को 10 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति परिवार निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रावधान है।

प्रश्न 5.
राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
राशन कार्ड तीन प्रकार होते हैं-

  1. निर्धनों में भी निर्धन लोगों के लिए अंत्योदय कार्ड,
  2. निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों के लिए बी०पी०एल० कार्ड और
  3. अन्य लोगों के लिए ए०पी०एल० कार्ड।

प्रश्न 6.
किसी आपदा के समय खाद्य सुरक्षा कैसे प्रभावित होती है ?
उत्तर-
किसी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आती है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी हो जाती है। खाद्य की कमी के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। कुछ लोग ऊँची कीमतों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद पाते। अगर आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या अधिक लंबे समय तक बनी रहती है, तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।

प्रश्न 7.
बफर स्टॉक क्या होता है ? .
उत्तर-
बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (IFC) के माध्यम से सरकार द्वारा प्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भंडार है। IFC अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फ़सल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।

प्रश्न 8.
विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन 1995 में क्या घोषणा की गई थी?
उत्तर-
विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन 1995 में यह घोषणा की गई थी कि “वैयक्तिक, पारिवारिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व तभी है, जब सक्रिय और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आहार संबंधी ज़रूरतों और खाद्य पदार्थों को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्य तक सभी लोगों की भौतिक एवं आर्थिक पहुँच सदैव हो।”

प्रश्न 9.
खाद्य असुरक्षित कौन है ?
उत्तर-
यद्यपि भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य एवं पोषण की दृष्टि से असुरक्षित है, परंतु इससे सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में निम्नलिखित शामिल हैं- भूमिहीन जो थोड़ी-बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, पारंपरिक दस्तकार, पारंपरिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग, अपना काम करने वाले कामगार तथा भिखारी। शहरी क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित वे परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्राय: वेतन वाले व्यवसायों और अनियत श्रम बाज़ार में काम करते हैं।

प्रश्न 10.
राशन व्यवस्था क्या होती है ?
उत्तर-
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत बंगाल के अकाल की पृष्ठभूमि में 1940 के दशक में हुई। हरित क्रांति से पूर्व भारी खाद्य संकट के कारण 60 के दशक के दौरान राशन प्रणाली पुनर्जीवित की गई। गरीबी के उच्च स्तरों को ध्यान में रखते हुए 70 के दशक के मध्य N.S.S.O. की रिपोर्ट के अनुसार तीन कार्यक्रम शुरू किए गए।

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  2. एकीकृत बाल विकास सेवाएँ
  3. काम के बदले अनाज।

प्रश्न 11.
वे तीन बातें क्या हैं जिनमें खाद्य सुरक्षा निहित है ?
उत्तर-
किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है, जब-

  1. सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो।
  2. सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ खरीदने की क्षमता हो।
  3. खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा न हो।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 12.
बफर स्टॉक क्या होता है ? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?
उत्तर-
बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं और चावल का भंडार है जिसमें खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। सरकार बफर स्टॉक की कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज उपलब्ध करवाने के लिए तथा आपदा काल में अनाज की समस्या को हल करने के लिए बनाती है।

प्रश्न 13.
वर्णन करें कि पिछले वर्षों के दौरान भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आलोचना क्यों होती रही है ?
उत्तर-
पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आलोचना इसलिए हुई है क्योंकि यह अपने लक्ष्य में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। अनाजों से ठसाठस भरे अन्न भंडारों के बावजूद भुखमरी की घटनाएँ हो रही हैं। एफ०सी०आई० के भंडार अनाज से भरे हैं। कहीं अनाज सड़ रहा है तो कुछ स्थानों पर चूहे अनाज खा रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के धारक अधिक कमाने के लिए अनाज को खुले बाजार में बेचते हैं। इन सभी तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक वितरण-प्रणाली की आलोचना हो रही है।

प्रश्न 14.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है ? बढ़ाए हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्य संग्रहण का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर-
न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज के लिए दिया गया मूल्य है जो कि सरकार द्वारा पहले ही घोषित किया जा चुका होता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से विशेष तथा खाद्यान्नों के अधिशेष वाले राज्यों के किसानों को अपनी भूमि पर मोटे, अनाजों की खेती समाप्त कर धान और गेहूँ उपजाने के लिए प्रेरित किया है, जबकि मोटा अनाज ग़रीबों का प्रमुख भोजन है।

प्रश्न 15.
खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयाम हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता का तात्पर्य देश के भंडारों में संचित अनाज तथा खाद्य उत्पादन से है।
  2. पहुँच का अर्थ है कि खाद्य प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहे।
  3. सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध हो।

प्रश्न 16.
एक प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण अधोसंरचना शायद प्रभावित हो लेकिन इससे खाद्य सुरक्षा अवश्य ही प्रभावित होगी। उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को न्यायसंगत बनाएँ।
उत्तर-

  1. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आई है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी होने के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। अगर यह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिससे अकाल की स्थिति बन सकती है।
  2. उदाहरणार्थ-1943 में बंगाल का अकाल।

प्रश्न 17.
‘उचित दर वाली दुकानें किस प्रकार से खाद्य वितरण में सहायक होती हैं ?
उत्तर-
‘उचित दर वाली दुकानें भारत में निम्नलिखित प्रकार से खाद्य वितरण में सहायक होती हैं-

  1. देश भर में लगभग 4.6 लाख दुकानें हैं।
  2. राशन की दुकानों में चीनी, खाद्यान्न तथा खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है।
  3. उचित दर वाली दुकानें ये सब बाज़ार कीमत से कम कीमत पर लोगों को बेचती हैं।

प्रश्न 18.
अंत्योदय अन्न योजना पर विस्तृत नोट लिखें।
उत्तर-
अंत्योदय अन्न योजना यह योजना दिसंबर 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। संबंधित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने ग़रीबी रेखा से नीचे के ग़रीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना।₹ 2 प्रति किलोग्राम गेहूँ और ₹ 3 प्रति किलोग्राम चावल की अत्यधिक आर्थिक सहायता प्राप्त दर पर प्रत्येक पात्र परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ा कर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 5050 लाख अतिरिक्त बी०पी०एल० परिवार दो बार जोड़े गए। इससे इस योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।

प्रश्न 19.
खाद्य सुरक्षा के आयामों का वर्णन करें।
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा के निम्नलिखित आयाम हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता का तात्पर्य देश में खाद्य उत्पादन, खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षों के स्टॉक से है।
  2. पहुँच का अर्थ है कि खाद्य प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहना चाहिए।
  3. सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।

किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है जब

  1. सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो,
  2. सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य-पदार्थ खरीदने की क्षमता हो और
  3. खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा न हो।

प्रश्न 20.
सहकारी समितियों की खाद्य सुरक्षा में भूमिका क्या है?
उत्तर-
भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं। उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है। देश के विभिन्न भागों में कार्यरत सहकारी समितियों के और अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराई है।

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प्रश्न 21.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान स्थिति क्या है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रारंभ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर-निर्धनों के बीच कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में PDS को अधिक दक्ष और अधिक लक्षित बनाने के लिए संशोधित किया गया। 1992 में देश में 1700 ब्लाकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (RPDS) शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में PDS से लाभ पहुँचाना था।

जून, 1997 से सभी क्षेत्रों में ग़रीबी को लक्षित करने के सिद्धांतों को अपनाने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) प्रारंभ की गई। इसके अलावा 2000 में दो विशेष योजनाएँ अंत्योदय अक्ष योजना तथा अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की गई।

प्रश्न 22.
भारत में खाद्य सुरक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है ?
उत्तर-
70 के दशक के प्रारंभ में हरित क्रांति के आने के बाद से मौसम की विपरीत दशाओं के दौरान भी देश में अकाल नहीं पड़ा है। देश भर में उपजाई जाने वाली विभिन्न फ़सलों के कारण भारत पिछले तीस वर्षों के दौरान खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बन गया है। सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के कारण देश में अनाज की उपलब्धता और भी सुनिश्चित हो गई। इस व्यवस्था के दो घटक हैं-1. बफर स्टॉक, 2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली।

प्रश्न 23.
प्रतिरोधक भंडार (बफर स्टॉक) शब्द की व्याख्या कीजिए।खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में यह किन दो विधियों से प्रयक्त होता है ?
उत्तर-
प्रतिरोधक भंडार (बफर स्टॉक) भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भंडार है। खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में यह निम्न प्रकार से प्रयुक्त होता है-

  1. अनाज की कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज का वितरण करने के लिए।
  2. खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को हल करता है।

प्रश्न 24.
भूख के दो आयामों में अंतर स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक प्रकार की भूख कहां अधिक प्रचलित है ?
उत्तर-
भूख के दो आयाम दीर्घकालिक और मौसमी आयाम होते हैं। दीर्घकालिक भूख मात्रा एवं गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। निर्धन लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भूख से ग्रस्त होते हैं। मौसमी भूख फ़सल उपजाने और काटने के चक्र के संबद्ध है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियंत्रित श्रम के कारण होती है। प्रत्येक प्रकार की भूख ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है।

प्रश्न 25.
भारत के विभिन्न वर्गों के लोगों की, जो खाद्य एवं पोषण की दृष्टि से असरक्षित हैं, उनकी स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य एवं पोषण की प्राप्ति से असुरक्षित है, परंतु इससे सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में निम्नलिखित शामिल हैं; भूमिहीन जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, पारंपरिक दस्तकार, पारंपरिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग, अपना छोटा-मोटा काम करने वाले कामगार और निराश्रित तथा भिखारी। शहरी क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित वे परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्रायः कम वेतन वाले व्यवसायों और अनियत श्रम बाज़ार काम करते हैं।

प्रश्न 26.
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत द्वारा खाद्यान्नों मे आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदमों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय नीति निर्माताओं ने खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सभी उपाय किए। भारत ने कृषि में एक नई रणनीति अपनाई, जिसकी परिणति हरित क्रांति में हुई, विशेषकर, गेहूँ और चावल के उत्पादन में। बहरहाल, अनाज की उपज में वृद्धि समानुपातिक नहीं थी। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई, यहाँ अनाजों का उत्पादन 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर 1995-96 में 3.03 करोड़ टन पर पहुँच गया। दूसरी तरफ, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

प्रश्न 27.
भारत में खाद्य सुरक्षा के विस्तार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली किस प्रकार सर्वाधिक कारगर सिद्ध
उत्तर–
सार्वजनिक वितरण-प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रारंभ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर-निर्धनों के मध्य कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए संशोधित किया गया। 1992 में देश के 1700 ब्लाकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण-प्रणाली से लाभ पहुंचाना था।

प्रश्न 28.
सहकारी समिति क्या काम करती है ? सहकारी समितियों के दो उदाहरण दीजिए तथा बताइए कि सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनका क्या योगदान है ?
उत्तर-
सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं । सहकारी समितियों के उदाहरण हैं-दिल्ली में मदर डेयरी, गुजरात में अमूल दुग्ध उत्पादन समिति । दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धनता नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है। गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। उसने देश में श्वेत क्रांति ला दी है। इस तरह सहकारी समितियों ने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराई है।

प्रश्न 29.
कौन लोग खाद्य सुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं ?
उत्तर-

  1. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति व कुछ अन्य पिछड़े वर्ग के लोग जो भूमिहीन थोड़ी बहुत कृषि भूमि पर निर्भर हैं।
  2. वे लोग भी खाद्य की दृष्टि से शीघ्र असुरक्षित हो जाते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें काम की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता है।
  3. खाद्य असुरक्षा से ग्रसित आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाओं तथा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का है।

प्रश्न 30.
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर-

  1. आपदा के समय खाद्य आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित होता है।
  2. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे, सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आती है।
  3. आपदा के समय खाद्यान्न की उपज में कमी आ जाती है तथा कीमतें बढ़ जाती हैं।
  4. यदि वह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या अधिक लंबे समय तक बनी रहती है, तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।
  5. भारत में आपदा के समय खाद्यन्नों की कमी हो जाती है जिससे जमाखोरी व कालाबाजारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 31.
राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर-
राशन की दुकानों के संचालन की समस्याएं निम्नलिखित हैं-

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली धारक अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाज़ार में बेचना, राशन दुकानों में घटिया अनाज़ बेचना, दुकान कभी-कभार खोलना जैसे कदाचार करते हैं।
  2. राशन दुकानों में घटिया किस्म के अनाज का पड़ा रहना आम बात है जो बिक नहीं पाता। यह एक बड़ी समस्या साबित हो रही है।
  3. जब राशन की दुकानें इन अनाजों को बेच नहीं पातीं तो एफ०सी०आई० (FCI) के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो जाता है। इससे भी राशन की दुकानों के संचालन में समस्याएं आती हैं।
  4. पहले प्रत्येक परिवार के पास निर्धन या गैर-निर्धन राशन कार्ड था जिसमें चावल, गेहूं, चीनी आदि वस्तुओं का एक निश्चित कोटा होता था पर अब जो तीन प्रकार के कार्ड और कीमतों की श्रृंखला को अपनाया गया है। अब तीन भिन्न कीमतों वाले टी० पी० डी० एस० की व्यवस्था में निर्धनता रेखा से ऊपर वाले किसी भी परिवार को राशन दुकान पर बहुत कम छूट मिलती है। ए०पी०एल० परिवारों के लिए कीमतें लगभग उतनी ही ऊँची हैं जिनकी खुले बाज़ार में, इसलिए राशन की दुकान से इन चीज़ों की खरीदारी के लिए उनको बहुत कम प्रोत्साहन प्राप्त है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 32.
यदि खाद्य सुरक्षा न हो तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि खाद्य सुरक्षा न हो तो निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न होंगी-

  1. देश में आने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे से खाद्यान्नों की कुल उपज में गिरावट आएगी।
  2. खाद्य सुरक्षा न होने से यदि आपदा में खाद्यान्नों की कमी होती है तो कीमत स्तर बढ़ जाएगा।
  3. खाद्य सुरक्षा न होने से देश में कालाबाजारी बढ़ती है।
  4. खाद्य सुरक्षा न होने से प्राकृतिक आपदा आने से देश में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

प्रश्न 33.
यदि सरकार बफर स्टॉक न बनाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि सरकार बफर स्टॉक न बनाए तो निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो जाएंगी-

  1. बफर स्टॉक न बनाए जाने से देश में खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  2. बफर स्टॉक न बनाए जाने की स्थिति में कम खाद्यान्न वाले क्षेत्रों को अनाज महँगा प्राप्त होगा।
  3. बफर स्टॉक न बनाए जाने पर अधिप्राप्त अनाज गल-सड़ जाएगा।
  4. बफर स्टॉक न होने से कालाबाजारी में वृद्धि होगी।
  5. इससे आपदा काल में स्थिति अत्यधिक गंभीर हो सकती है।

प्रश्न 34.
किसी देश के लिए खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. कोई देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर इसलिए होना चाहता है ताकि किसी आपदा के समय देश में खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न न हो।
  2. कोई देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर इसलिए भी होना चाहता है ताकि उसे खाद्यान्न विदेशों से न खरीदना पड़े।
  3. देश में कालाबाजारी को रोकने और कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए भी कोई भी देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।

प्रश्न 35.
सहायिकी क्या है ? सरकार सहायिकी क्यों देती है ?
उत्तर-
सहायिकी वह भुगतान है जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है। सहायिकी से घेरलू उत्पादकों के लिए ऊँची आय कायम रखते हुए, उपभोक्ता कीमतों को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा सहायिकी देने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. निर्धनों को वस्तुएं सस्ती प्राप्त हो सकें।
  2. लोगों का न्यूनतम जीवन-स्तर बना रहे।
  3. उत्पादक को सरकार द्वारा किसी उत्पाद की बाज़ार कीमत की अनुपूर्ति के लिए भी सहायिकी दी जाती है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता क्या है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता निम्न कारणों से है-

  1. खाद्य असुरक्षा का भय दूर करना (To Avoid Food insecurity) खाद्य सुरक्षा व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि जन सामान्य के लिए दीर्घकाल में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है। इसके अन्तर्गत बाढ़, सूखा, अकाल, सुनामी, भूचाल, आंतरिक युद्ध या अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए खाद्य भंडार रिजर्व में रखे जाते हैं। इससे खाद्य असुरक्षा का भय दूर हो जाता है।
  2. पोषण स्तर को बनाए रखना (Maintainance of Nutritional Standards)-खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के अन्तर्गत उपलब्ध करवाए गए खाद्य पदार्थों की मात्रा व गुणवत्ता स्तर स्वास्थ्य विशेषज्ञों व सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित प्रमापों के अनुसार होता है। इससे जनसामान्य में न्यूनतम पोषण स्तर को बनाए रखने में सहायता मिलती है।
  3. निर्धनता उन्मूलन (Poverty Alleviation)-खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे लोगों को कम कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे निर्धनता उन्मूलन होता है।
  4. सामाजिक न्याय (Social Justice)-खाद्य सुरक्षा के अभाव में सामाजिक न्याय संभव ही नहीं है। भारत एक कल्याणकारी राज्य है। अतः सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति व समावेशी विकास हेतु समाज के निर्धन वर्ग को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न कम कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएं।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण व्यवस्था क्या है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का तात्पर्य ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपो) के माध्यम से लोगों को आवश्यक मदें ; जैसे- गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल, आदि के वितरण से है। इस व्यवस्था के द्वारा निर्धनता रेखा से नीचे रह रही जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। इसके अंतर्गत अनुदानित कीमतों पर राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्नों का वितरण किया जाता है। निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में इस व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस समय भारत में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के अन्तर्गत 5.35 लाख उचित कीमत दुकानें अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्नों के वितरण का काम कर रही हैं। भारतीय सार्वजनिक वितरण व्यवस्था विश्व की विशाल खाद्यान्न वितरण व्यवस्थाओं में से एक है। केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें मिल कर इस व्यवस्था को चलाती हैं। केंद्र सरकार खाद्यान्नों को खरीदने, स्टोर करने व इसके विभिन्न स्थानों पर परिवहन का काम करती है। राज्य सरकारें इन खाद्यान्नों को ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपुओं) के माध्यम से लाभार्थियों को वितरण का कार्य करती हैं। निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान करना, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित कीमत दुकानों के कार्यकरण का पर्यवेक्षण करना, आदि की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है।

सरकार निर्धनता के उन्मूलन के लिए निर्धन व जरूरतमंद परिवारों को अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाती है। इन खाद्यान्नों के वितरण में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का बहुत महत्त्व है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्धन वर्ग को खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करना है। इसके अंतर्गत समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों; जैसे- भूमिहीन कृषि मज़दूर, सीमांत किसान, ग्रामीण शिल्पकार, कुम्हार, बुनकर (Weavers), लोहार, बढ़ई, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले व्यक्तियों, दैनिक वेतन पर काम करने वालों, जैसे-रिक्शा चालकों, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले छोटे विक्रेताओं, बैलगाड़ी चलाने वाले व्यक्तियों, आदि को अनुदानित कीमतों पर एक निश्चित मात्रा में राशन डिपुओं के माध्यम से खाद्यान्न व कुछ अन्य आवश्यक मदें वितरित की जाती हैं। सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (नियंत्रण) आदेश’ 2001 [Public Distribution System (Control) Order 2001] जारी किए गए। इसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए नियम बनाए गए हैं। PDS के मुख्य उद्देश्य हैं-(i) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, (ii) निर्धनता उन्मूलन करना।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

भारत में अन्न सुरक्षा PSEB 9th Class Economics Notes

  • अन्न सुरक्षा – अन्न सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य।
  • अन्न सुरक्षा के आयाम –
    • उपलब्धता
    • पहुंच
    • सामर्थ्य
  • उपलब्धता – अन्न उपलब्धता का अर्थ है देश में अन्न उत्पादन, अन्न आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षों का स्टॉक।
  • पहुंच – पहुंच का अर्थ है कि अन्न प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहे।
  • सामर्थ्य – सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, पर्याप्त व पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।
  • बफर स्टॉक – बफर स्टॉक भारतीय अन्न नियम (FCI) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं व चावल का भंडार है।
  • आपदा – कोई प्राकृतिक समस्या जो सूखे या बाढ़ आदि के रूप में आती है।
  • हरित क्रांति – हरित क्रांति खाद्यान्न में होने वाली वह कुल वृद्धि है जो वर्ष 1966-67 में कृषि की नई तकनीकें अपनाने के द्वारा संभव हुई थी।
  • आत्म निर्भरता – इसका अर्थ जीवन जीने के लिए किसी भी प्रकार की सहायता, आवश्यकता, सहायिकी के अभाव से है जिसमें दूसरों पर निर्भर नहीं रहा जाता।
  • उचित मूल्य दुकानें – यह वितरण प्रणाली है जो सरकार के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं को निर्धन व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए खोली गई हैं।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली – भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के ग़रीब वर्गों में वितरण करना सार्वजनिक वितरण प्रणाली है।
  • प्राकृतिक आपदा – कोई प्राकृतिक विपत्ति जैसे बाढ़, अकाल, भूकंप जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है।
  • राशन कार्ड – एक सरकारी दस्तावेज जो धारक को राशन प्राप्त करने के लिए प्रदान किया जाता है।
  • संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली – यह सरकारी कार्यक्रम है जो 1992 को शुरू किया गया।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य – यह एक ऐसी कीमत है जो सरकार द्वारा किसानों को उन्हें हतोत्साहित होने से बचाने के लिए निर्धारित की जाती है।
  • अधिकतम मूल्य – वह मूल्य जिस पर बफर स्टॉक में रखे गए उत्पादन को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बेचा जाता है।
  • दीर्घकालिक भुखमरी – गुण व मात्रा के रूप में भोजन में होने वाली लगातार अपर्याप्तता।
  • मौसमी भुखमरी – यह खाद्यान्न उत्पादन में होने वाली कमी है।
  • खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता – यह ग़रीबी व भुखमरी के कारण होती है जो अधिक कीमत गुणात्मक व मात्रात्मक उपायों से उत्पन्न होती है।
  • संस्थाएं – यह बाज़ार संगठनों का एक प्रकार है जिसमें कुछ लोग मिलकर वस्तुओं का विक्रय करते हैं।