PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 29 सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव

SST Guide for Class 8 PSEB सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव Textbook Questions and Answers

I. खाली स्थान भरें :

1. सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक न्याय देने का वायदा ………. में किया गया है।
2. प्रस्तावना भारतीय नागरिकों को …………. न्याय देने का वायदा करती है।
3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ……… से ……… धार्मिक स्वतन्त्रता दी गई है।
4. भारत में लगभग ………….. से ज्यादा जातियां हैं।
5. भारतीय संविधान में ………… भाषाओं को मान्यता दी गई है।
6. मण्डल कमीशन की स्थापना ………… में की गई थी।
7. मण्डल कमीशन ने भारत में ………… अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की पहचान की है
उत्तर-

  1. प्रस्तावना
  2. सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक
  3. 25, 28
  4. 3,000
  5. 22
  6. 1978
  7. 3743.

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :

1. सामाजिक असमानताएँ लोकतन्त्रीय सरकार को प्रभावित नहीं करती हैं। – (✗)
2. भारत में आज 54% लोग अनपढ़ है। – (✗)
3. हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। – (✓)
4. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण आज भी लागू है। – (✓)
5. 73वीं और 74वीं शोध गांवों और शहरी स्वै-शासन का प्रबन्ध करती है। – (✓)
6. आज भारतीय समाज में सामाजिक असमानताएं खत्म हो रही हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
“भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।” ये शब्द किसने कहे ?
(क) महात्मा गांधी
(ख) पं० जवाहर लाल नेहरू
(ग) श्री जय प्रकाश नारायण
(घ) डॉ० बी० आर० अंबेडकर।
उत्तर-
श्री जय प्रकाश नारायण

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प्रश्न 2.
भारतीयों को सामाजिक न्याय देने के लिए संविधान में कौन-सा मौलिक अधिकार दर्ज किया गया ?
(क) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ख) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ग) समानता का अधिकार
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
समानता का अधिकार

प्रश्न 3.
‘पढ़ो सारे बढ़ो सारे’ यह किस का सिद्धान्त (Motto) है ?
(क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
(ख) सर्वशिक्षा अभियान
(ग) राष्ट्रीय साक्षरता मिशन
(घ) पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड।
उत्तर-
सर्वशिक्षा अभियान

प्रश्न 4.
सरकारी नौकरियों में आरक्षण किनके लिए लागू है ?
(क) अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए
(ख) केवल पिछड़ी श्रेणियों के लिए
(ग) केवल गरीब लोगों के लिए
(घ) अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी श्रेणियों के लिए।
उत्तर-
अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए

IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
हमारे समाज में जाति, सम्प्रदाय, भाषा आदि के नाम पर अनेक असमानताएं पाई जाती हैं। इन्हें सामाजिक असमानता का नाम दिया जाता है। स्वतन्त्रता से पूर्व समाज में अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं था। अतः स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने सामाजिक समानता लाने के लिए विशेष पग उठाए। इसी उद्देश्य से संविधान में समानता के अधिकार का समावेश किया गया। इसके अनुसार किसी से ऊँच-नीच, धनी, निर्धन, रंग, नस्ल, जाति, जन्म, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता। छुआछूत को अवैध घोषित कर दिया गया है। इसका अनुसरण करने वालों को कानून द्वारा दण्ड दिया जा सकता है।

प्रश्न 2.
जातिवाद और छुआछूत से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जातिवाद-भारतीय समाज जाति के नाम पर भिन्न-भिन्न वर्गों में बंटा है। इन वर्गों में ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवाद कहते हैं।
छुआछूत-भारत में कुछ पिछड़ी जातियों के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। कुछ लोग उन्हें छूना भी पाप समझते हैं। इस प्रथा को छुआछूत कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अनपढ़ता (निरक्षरता) किसको कहते हैं ?
उत्तर-
अनपढ़ता का अर्थ है-लोगों का पढ़ा-लिखा न होना। ऐसे लोगों को स्वार्थी राजनेता आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग एक तिहाई लोग अनपढ़ हैं।

प्रश्न 4.
भाषावाद से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
भाषावाद का अर्थ है-भाषा के नाम पर समाज का बंटवारा। भारत में सैंकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं। भाषा के आधार पर लोग बंटे हुए हैं। कई लोग अन्य भाषाएं बोलने वाले लोगों को अच्छा नहीं समझते। भाषा के आधार पर ही राज्यों (प्रांतों) का गठन किया गया है। अब भी भाषाओं के आधार पर कई भागों में नये प्रान्तों के . गठन की मांग की जा रही है। भाषा के आधार पर लोगों में वर्ग बने हुए हैं। लोग राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा प्रान्तीय भाषा तथा संस्कृति को प्राथमिकता देते हैं।

प्रश्न 5.
आरक्षण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
भारत में कुछ जातियां बहुत ही पिछड़ी हुई हैं क्योंकि इनका अन्य जातियों द्वारा शोषण होता रहा है। इन्हें अनुसूचित जातियों की संज्ञा दी गई है। इनके उत्थान के लिए लोकसभा, विधानसभा तथा नौकरियों में स्थान आरक्षित हैं। इसे आरक्षण कहा जाता है। 1978 में गठित किये गये मण्डल आयोग द्वारा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त अन्य पिछड़े वर्गों के लिये जनसंख्या के अनुसार सीटें आरक्षित किये जाने का सुझाव दिया गया था, परन्तु इस रिपोर्ट को आज तक भी लागू नहीं किया जा सका। समय-समय पर लोकसभा तथा विधान सभाओं में स्त्रियों के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित किये जाने की मांग होती रही है। वास्तव में भारत में आज भारतीय राजनीतिक प्रणाली को जाति की राजनीति प्रभावित कर रही है। श्री जय प्रकाश नारायण ने ठीक ही कहा था कि भारत में जाति सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल है।

प्रश्न 6.
क्या मैला ढोने की प्रक्रिया बंद हो गई है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था। मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।

प्रश्न 7.
अनपढ़ता का लोकतन्त्र पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अनपढ़ता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। इसके लोकतन्त्र पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं :

  • अनपढ़ता बहुत सी बुराइयों की जड़ है। इसी बुराई के कारण ही बेकारी, धार्मिक संकीर्णता, रूढ़िवाद, अन्धविश्वास, हीनता, क्षेत्रीयता, जातिवाद आदि भावनाएं उत्पन्न होती हैं।
  • अनपढ़ व्यक्ति एक अच्छा नागरिक भी नहीं बन सकता। स्वार्थी राजनीतिज्ञ अनपढ़ व्यक्तियों को आसानी से पथभ्रष्ट कर देते हैं। इस प्रकार अनपढ़ता लोकतन्त्र के मार्ग में बाधा डालती है।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. छुआछूत कानूनी अपराध घोषित – 1979
2. मंडल आयोग का गठन – 1955
3. समानता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 25 से 28
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार – संविधान के अनुच्छेद 14 से 18.
उत्तर-

  1. 1955
  2. 1979
  3. संविधान के अनुच्छेद 14 से 18
  4. संविधान के अनुच्छेद 25 से 28.

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में सम्मिलित तीन सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त कौन-से हैं जो सामाजिक समानता को सुनिश्चित करते हैं ?
उत्तर-
समानता, स्वतन्त्रता तथा धर्म-निरपेक्षता।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को कौन-कौन से तीन प्रकार के न्याय प्रदान करने की बात कही गई है?
उत्तर–
सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक।

प्रश्न 3.
सामाजिक असमानताओं के कोई चार प्रकार लिखिए।
उत्तर-

  1. साम्प्रदायिकता
  2. जातिवाद तथा छुआछूत
  3. भाषावाद
  4. अनपढ़ता।

प्रश्न 4.
भारतीय लोकतंत्र की कोई दो समस्याएं लिखो।
उत्तर-

  1. भारत में अधिकतर लोग निरक्षर हैं।
  2. साम्प्रदायिकता तथा भाषावाद भारतीय लोकतंत्र की सफलता में बाधा डालते हैं।

प्रश्न 5.
छुआछूत को कानूनी अपराध क्यों घोषित किया गया है ?
उत्तर-
छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। यह सफल लोकतन्त्र के मार्ग की बहुत बड़ी बाधा है। इसी कारण छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित किया गया है।

प्रश्न 6.
सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
उत्तर-
हमारी सरकार द्वारा अनपढ़ता को समाप्त करने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। देश भर में सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। आठवीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या में वृद्धि की गई है। शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है।

प्रश्न 7.
संविधान में कितनी भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है ? किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है?
उत्तर-
संविधान में 22 भाषाओं को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में साम्प्रदायिक असमानता पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
साम्प्रदायिकता सामाजिक असमानता का पहला रूप है। भारत में अनेक धर्म हैं। भिन्न-भिन्न धर्मों के कुछ लोगों में धार्मिक कट्टरता पाई जाती है जो साम्प्रदायिकता को जन्म देती है। परिणामस्वरूप साम्प्रदायिकता सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन का एक अंग बन चुकी है। इसी धार्मिक कड़वाहट के कारण ही 1947 में भारत को दो भागों में बांट दिया गया था। यह भी धार्मिक कट्टरता का ही परिणाम है कि देश में साम्प्रदायिक दंगे होते रहते हैं। यही कड़वाहट भारतीय राजनीति में भी है। धर्म के नाम पर वोट मांगे जाते हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जाता है। परिणामस्वरूप देश में समय-समय पर धार्मिक तनाव का वातावरण पैदा हो जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। इसके अनुसार सभी धर्मों को समान माना गया है। लोगों को किसी भी धर्म को अपनाने, मानने तथा प्रचार करने का अधिकार दिया गया है।

प्रश्न 2.
मैला ढोने की प्रथा क्या थी ? इसे क्यों समाप्त कर दिया गया है ?
उत्तर-
मैला ढोने की प्रथा एक घृणापूर्ण प्रथा थी। यह समाज में शताब्दियों से चली आ रही थी। इसके अनुसार एक जाति के लोगों को दूसरों का मल-मूत्र सिर पर उठा कर बाहर फेंकना पड़ता था।

मैला ढोने वाली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। प्रत्येक व्यक्ति उनसे घृणा करता था। समय के परिवर्तन के साथ इस बुराई को समाप्त करना आवश्यक था। समय-समय पर सरकारें इसको बन्द करने पर विचार करती रहीं। अब कानून के अनुसार सिर पर मैला ढोने की यह प्रथा बन्द कर दी गई है। इसके विरुद्ध दण्ड देने के कानून का प्रावधान कर दिया गया है।

प्रश्न 3.
भारत के सीमान्त ग्रुपों (समूहों) की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
सीमान्त ग्रुप हमारे समाज के वे समूह हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक कारणों से एक लम्बे समय तक पिछड़े रहे हैं। इन समूहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. अनुसूचित जातियां-अनुसूचित जातियों की कोई स्पष्ट संवैधानिक परिभाषा नहीं है। हम इतना कह सकते हैं कि इन जातियों का सम्बन्ध उन लोगों से है जिनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता रहा है।
  2. अनुसूचित कबीले-अनुसूचित कबीलों की भी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। ये भी समाज के शोषित कबीले हैं। पिछड़ा होने के कारण ये समाज से अलग-थलग होकर रह गए।
  3. पिछड़ी श्रेणियां- इन्हें भी संविधान में परिभाषित नहीं किया गया है। वास्तव में ये समाज का कमजोर वर्ग है। मण्डल आयोग के अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 5.2% भाग पिछड़ी श्रेणियां हैं।
  4. अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक धार्मिक या भाषा की दृष्टि से वे लोग हैं जिनकी अपने धर्म या सम्प्रदाय में संख्या कम है।

प्रश्न 4.
साम्प्रदायिक असमानता के प्रभाव वर्णित करें।
उत्तर-
साम्प्रदायिक असमानता के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  1. राजनीतिक दल धर्म के आधार पर संगठित होते हैं।
  2. धर्म पर आधारित कई दबाव समूह भारतीय लोकतन्त्र को प्रभावित करते हैं।
  3. साम्प्रदायिकता भारतीय जनजीवन में हिंसा को बढावा दे रही है।
  4. मन्त्रिपरिषद् के निर्माण में धर्म विशेष को महत्त्व दिया जाता है।
  5. साम्प्रदायिकता लोगों को निष्पक्ष मतदान करने से रोकती है।

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प्रश्न 5.
जातिवादी असमानता का अर्थ बताते हुए इसके प्रभाव लिखो।
उत्तर-
जातिवादी असमानता- भारत में तीन हज़ार से भी अधिक जातियों के लोग रहते हैं। इनमें जाति के नाम पर ऊंच-नीच पाई जाती है। इसे जातिवादी असमानता कहते हैं। इस असमानता के कारण कुछ जातियों के लोगों को सार्वजनिक कुओं का प्रयोग नहीं करने दिया जाता। उन्हें मन्दिरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी जाने से रोका जाता है। जाति के नाम पर राजनीति होती है तथा विभिन्न राजनीतिक दल जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काते रहते हैं।

प्रभाव-

  1. राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हो रहा है।
  2. चुनाव के समय जाति के नाम पर वोट मांगे जाते हैं।
  3. अनुसूचित जातियों को विशेष सुविधायें प्रदान करने की व्यवस्था ने समाज का जातिकरण कर दिया है।
  4. जाति के कारण छुआछूत जैसी अमानवीय प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
  5. कई बार जाति संघर्ष तथा हिंसा का कारण बनती है।
  6. जाति पर आधारित दबाव समूहों का निर्माण होता है जो लोकतन्त्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्रश्न 6.
क्या छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि छुआछूत एक अमानवीय प्रथा है। इस प्रथा के कारण भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग का शताब्दियों से शोषण होता रहा है। उनसे घृणा की जाती रही है। यहां तक कि उन्हें छूना भी पाप समझा जाता रहा है। छुआछूत के प्रभावों से यह स्पष्ट हो जायेगा कि यह वास्तव में ही एक अमानवीय प्रथा है।

प्रभाव :

  1. छुआछूत की प्रथा सामाजिक असमानता को जन्म देती है।
  2. छुआछूत से लोगों में हीन भावना पैदा होती है।
  3. यह प्रथा हिंसा को जन्म देती है।
  4. बहुत-से लोगों को राजनीतिक शिक्षा नहीं मिलती।
  5. छुआछूत के कारण लोगों को राजनीति में प्रवेश नहीं करने दिया जाता। इन सब बातों को देखते हुए भारतीय संविधान द्वारा छुआछूत को कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है।

प्रश्न 7.
भाषावाद के क्या प्रभाव होते हैं ?
उत्तर-

  1. भाषा के आधार पर नये राज्यों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
  2. भाषा के आधार पर ही राजनीतिक दलों का गठन हो रहा है।
  3. भाषा के आधार पर ही आन्दोलन चल रहे हैं।
  4. भाषा क्षेत्रवाद तथा साम्प्रदायिकता को उत्साहित करती है।
  5. भाषा के आधार पर लोगों में भेदभाव तथा हिंसा उत्पन्न होती है।
  6. भाषावाद मतदान को प्रभावित करता है।

सामाजिक असमानताएं-सामाजिक न्याय तथा प्रभाव PSEB 8th Class Social Science Notes

  • भारतीय संविधान तथा समानता – में कई सिद्धान्त सम्मिलित किये गए हैं। इन सिद्धान्तों में समानता, स्वतन्त्रता तथा धर्म-निरपेक्षता मुख्य हैं। ये सिद्धान्त सामाजिक समानता को सुनिश्चित बनाते हैं।
  • संविधान की प्रस्तावना – भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान के आरम्भ में दी गई है। इसमें स्पष्ट रूप से अंकित है-‘हम भारत के लोग भारत में एक सम्पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्र स्थापित करने के लिए, सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय प्रदान करने के लिए वचनबद्ध हैं।’
  • सामाजिक असमानता – भारत का समाज कई आधारों पर विभिन्न वर्गों में बंटा हुआ है। इसे सामाजिक असमानता कहते हैं।
  • सामाजिक असमानता के प्रकार – भारत में कई प्रकार की सामाजिक असमानता पाई जाती है। इनमें से मुख्य हैं: जातिवाद, छुआछूत, साम्प्रदायिकता, भाषावाद तथा अनपढ़ता।
  • आरक्षण – भारत में अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा स्त्रियों के लिए विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं में सीटें आरक्षित हैं। सरकारी नौकरियों में भी उनके लिए स्थान निश्चित हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 8 प्राथमिक सहायता

PSEB 8th Class Home Science Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने या बेहोशी दूर करना।

प्रश्न 2.
जलन कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
जलन दो प्रकार की होती है-

  1. सूखी (शुष्क) जलन,
  2. तरल जलन।

प्रश्न 3.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर–
व्यक्ति को मोटे कंबल आदि में लपेटें तथा धरती पर लिटा कर लुढ़काना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे ?
उत्तर-
बरनौल।

प्रश्न 5.
अपने आप को लू से कैसे बचाओगे ?
उत्तर-
पानी अधिक पीना चाहिए, कच्चे आम को भून कर रस पीना चाहिए। प्याज का प्रयोग करना चाहिए, सीधे धूप में नहीं जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
ल वाले रोगी को किस तरह से सम्भालोगे ?
उत्तर-
रोगी को छाया वाली ठण्डी जगह पर रखें। धड़ को ठंडे पानी में डुबोना चाहिए। सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए। कच्चे आम का रस देना चाहिए आदि।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 7.
लू क्यों लगती है ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी के मौसम में अचानक सूर्य की किरणें किसी कमज़ोर व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ जाएं तो उसे लू लग सकती है।

प्रश्न 8.
ज़ख्म पर क्या लगाना चाहिए ?
उत्तर-
डिटोल, स्पिरीट आदि।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कान में से खून बहने का क्या कारण है ?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हो ?
अथवा
प्राथमिक सहायता से क्या भाव है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता वह सहायता है जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक स्तर पर चुस्त होना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्या प्राथमिक सहायता के उपरान्त डॉक्टर को बुलाना आवश्यक है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के उपरान्त शेष कार्य डॉक्टर के लिए छोड़ देना चाहिए। जितनी जल्दी हो उसे डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए और डॉक्टर के पहुंचने पर उसे बीमार की पूरी स्थिति बता देनी चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 5.
सूखी जलन से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ जख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।

प्रश्न 6.
तरल जलन कैसे हो जाती है?
उत्तर-
भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय या दूध या अयोग्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।

प्रश्न 7.
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती क्यों होता है ?
उत्तर-
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती है, क्योंकि कई बार डूबने से आदमी मरता तो नहीं, लेकिन बेहोश हो जाता है। झिल्ली काम करना बन्द कर देती है और सांस रुक जाता है। इस समय अगर बनावटी सांस दिया जाए तो जान बच सकती है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जख्म कितनी तरह के होते हैं ?
उत्तर-
जख्म या घाव कई तरह के होते हैं। मुख्य प्रकार से जख्मों या घावों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
1. कटा हुआ घाव या कर्टित घाव-कभी-कभी तेज़ चाक, ब्लेड या काँच आदि के किनारे से लगकर रक्त बहने लगता है। यदि घाव गहरा हो जाता है तो धमनियाँ तथा नाड़ियाँ भी कट जाती हैं।

2. फटा हुआ घाव या दीर्घ घाव-इस प्रकार के घाव सामान्यतः मशीन के कल-पुर्जो, जानवरों के सींगों तथा पंजों द्वारा हो जाया करते हैं। घाव के किनारे फटे तथा टेढ़े-मेढ़े हो जाते प्राथमिक सहायता हैं। ये घाव ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनके विषैले होने का खतरा रहता है। घाव के भर जाने पर भी शरीर पर स्थाई तथा भद्दे निशान पड़ जाते हैं।

3. संवेधित घाव-इस प्रकार के घाव गोली लगने, लकड़ी की फास चुभने, नुकीला हथियार लगने, काँटा चुभने आदि से हो जाते हैं। इन घावों का मुंह ऊपर से छोटा होता है। इनके बारे में सही अनुमान लगाना सम्भव नहीं होता। गोली लगने पर गोली निकालने का काम डॉक्टर पर छोड़ देना चाहिए।

4. कुचला हुआ घाव या कुचलित घाव-किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से, हथौड़े की चोट उँगली पर पड़ जाने से, दरवाज़े के बीच उंगली आ जाने से जो घाव बनता है; वह कुचला हुआ या कुचलित घाव कहलाता है।

प्रश्न 2.
अगर नाक में खून आए तो क्या करोगे?
उत्तर-
प्रायः गर्मियों में अधिक गर्मी होने के कारण नाक से खून बहता है। इसे नक्सीर आना या फूटना कहते हैं। नक्सीर फूटने पर निम्नलिखित प्रकार से उपचार करना चाहिए-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता 1
चित्र 8.1 नाक से खून बहना

  1. रोगी को खुले स्थान पर खिड़की के सामने ले जाकर कुर्सी पर बिठाना चाहिए जिससे शुद्ध वायु मिल सके।
  2. उसके सिर को पीछे और हाथों को ऊँचा करना चाहिए।
  3. यदि रोगी बैठ न सकता हो तो उसके कन्धे के नीचे दो तकिये लगा देने चाहिएँ।
  4. गर्दन व छाती के आस-पास के वस्त्रों को ढीला कर देना चाहिए।
  5. नाक द्वारा सांस न लेकर मुँह द्वारा साँस लेने को कहना चाहिए।
  6. नाक, हँसली और रीढ़ की हड्डी पर ठण्डे पानी की पट्टी रखनी चाहिए ताकि खून का बहना कम हो जाए।
  7. पाँव गर्म रखने चाहिएँ। ऐसा करने के लिए एक चिलमची में गुनगुना पानी लेकर रोगी के पैरों को उसमें रखकर तौलिए से ढक देना चाहिए। इससे खून का बहाव पैरों की ओर अधिक होगा।
  8. खून बहना बन्द हो जाने पर भी रोगी की नाक जल्दी साफ़ नहीं करनी चाहिए और न ही उसे बहुत हिलने-डुलने देना चाहिए।

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प्रश्न 3.
आप रोगी की सहायता कैसे करोगे?
उत्तर-
रोगी की सहायता-कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देनी चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

Home Science Guide for Class 8 PSEB प्राथमिक सहायता Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
दहन कितने प्रकार की होती है ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पांच
(घ) दस।
उत्तर-
(ख) दो

प्रश्न 2.
कांटा चुभने के कारण हुआ घाव कैसा है ?
(क) कर्टित घाव
(ख) दीर्घ घाव
(ग) संवेधित घाव
(घ) कुचलित घाव।
उत्तर-
(ग) संवेधित घाव

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प्रश्न 3.
कुचलित घाव है
(क) तेज़ चाकू वाला
(ख) मशीन के पुर्जे के कारण
(ग) बांस चुभना
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।
उत्तर-
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।

प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) जले हुए स्थान पर बरनौल लगानी चाहिए।
(ख) घाव को एंटीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
(ग) क्षार से जले हुए अंग को पानी से धो दें।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. शरीर में 6 दबाव बिन्दु होते हैं।
  2. धमनी की तुलना में शिरा का रक्त स्राव सरलता से रोका जा सकता है।
  3. लू वाले रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. लू लगने से रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  5. गर्म धातु से जलना तरल जलन है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. लू वाले रोगी को ……………….. स्थान पर ले जाएं।
  2. दरवाज़े में उंगली आने से ……………….. घाव बनता है।
  3. शरीर में ……………….. दबाव बिंदु है।
  4. लू लगने पर शरीर का तापमान 102° F से ……………….. तक हो सकता है।

उत्तर-

  1. ठण्डे,
  2. कुचला,
  3. छ:,
  4. 108°

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान से खून आने का कारण बताएं।
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटना।

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प्रश्न 2.
लू से बचने के लिए नमक की मात्रा कम लेनी चाहिए या अधिक ?
उत्तर-
साधारण से 1/2 गुणा अधिक।

प्रश्न 3.
जले हुए घाव पर किस घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए ?
उत्तर-सोडे के घोल से।

प्रश्न 4.
सूखी जलन का उदाहरण दें।
उत्तर-
गर्म धातु से जलन।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख घरेलू दुर्घटनाएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
भीगे या चिकने फर्श पर फिसल कर गिर जाना, सीढ़ियों से लुढ़क जाना, खेल-कूद में चोट लगना, रसोई में आग लगना, गर्म जल या दीपक या किसी तेज़ गर्म वस्तु से जल जाना, गर्म पानी या चाय आदि के गिरने से जल जाना, आग से झुलस जाना, भाप से जल जाना, दम घुटना, कटना या खरोंच पड़ना, धोखे से जहरीली दवाएँ पी लेना आदि-आदि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अचानक घटने वाली दुर्घटनाओं की जो चिकित्सा डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाने से पूर्व की जाती है, उसे प्रार्थामक सहायता कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने पर बेहोशी दूर करना।

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प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
चोट से, खरोंच से, सुई चुभने से या किसी तेज़ धार वाली वस्तु द्वारा धमनी या शिरा के कट जाने से रक्त के बहने को रक्तस्राव कहते हैं।

प्रश्न 5.
रक्तस्त्राव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  1. कोशिकाओं के कट जाने से रक्तस्राव,
  2. धमनी से रक्तस्राव,
  3. शिरा से रक्तस्राव,
  4. आन्तरिक रक्तस्राव,
  5. नाक से रक्तस्राव

प्रश्न 6.
कान से खून बहने का क्या कारण है?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

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प्रश्न 7.
कान से खून बहने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर-
कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देना चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

प्रश्न 8.
दबाव बिन्दु क्या होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में ऐसे स्थान जहाँ पर दबाव डालकर खून का बहना रोका जा सकता है।

प्रश्न 9.
शरीर में कितने दबाव बिन्दु प्रमुख हैं ? नाम दीजिए।
उत्तर-
शरीर में छः दबाव बिन्दु प्रमुख हैं

  1. गले स्राव नलिका की बगल में,
  2. कान के ठीक सामने की ओर,
  3. जबड़े से कोण बनाता हुआ 2.5 सेमी. की दूरी पर,
  4. कॉलर की हड्डी के अन्दर के भाग के पीछे की ओर,
  5. भुजाओं के अन्दर की ओर,
  6. जाँघ में मूत्राशय के निकट।

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प्रश्न 10.
दबाव बिन्दु का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर-
दबाव बिन्दुओं पर उचित दबाव डालकर रक्त के बहने को रोक कर रोगी को एक बहुत बड़े सदमे से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 11.
नक्सीर फूटना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी से छींकने अथवा सीधी चोट के कारण नाक से खून बहने लगता है, तो उसे नक्सीर फूटना कहते हैं।

प्रश्न 12.
प्राथमिक चिकित्सक के गुण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. स्पष्ट बोलने वाला।
  2. धैर्यवान्, सहनशील तथा साहसी।
  3. मृदु भाषी तथा प्रसन्नचित
  4. दूरदर्शी, सतर्क तथा निपुण।
  5. हृष्ट-पुष्ट।
  6. दयालु व सेवाभाव रखने वाला।

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प्रश्न 13.
भाप, गर्म तेल या उबलती चाय के साथ पैदा हुए घाव को कौन सी जलन कहां जाता है ?
उत्तर-
तरल जलन।

प्रश्न 14.
शुष्क जलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
रोगी की प्राथमिक सहायता करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. घायल की तत्काल थोड़ी-सी सहायता करने से उसका जीवन बच सकता है।
  2. प्राथमिक सहायता से रोग को और अधिक गम्भीर होने से बचाया जा सकता है।
  3. किसी भी कारण खून के बहने को रोका जा सकता है।
  4. किसी के अचानक चोट लगने पर या बेहोश हो जाने पर बेहोशी दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं।
  5. थोड़ी देर के लिए अचानक पीड़ा को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
सूखी गर्मी से जलने के क्या लक्षण होते हैं? इसका उपचार किस प्रकार किया जाना चाहिए?
उत्तर-
आग, गर्म धातु, तेज़ाब, क्षार, बिजली, तेज़ घूमने वाले पहिये या तार की रगड से जलने को सूखी गर्मी से जलना कहते हैं। इसके प्रमुख लक्षण निम्न होते हैं

  1. पीड़ा अधिक होती है।
  2. सदमा पहुँचता है।
  3. त्वचा पर लाली आ जाती है।

उपचार-

  1. सदमें को दूर करने के लिए घायल को गर्म रखना चाहिए।
  2. जलन को कम करने के लिए कोई भी ठण्डक पहुँचाने वाला घोल, जैसे खाने के सोडे का गाढ़ा घोल जले हुए स्थान पर लगाना चाहिए।
  3. जले हुए स्थान पर बरनॉल नामक औषधि भी लगाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
लू लगने के क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
लू लगने के लक्षण-

  1. रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  2. शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
  3. बुखार 102°F से 110°F तक हो सकता है।
  4. बुखार बढ़ने से नाक-कान से खून बहने लगता है।
  5. मूर्छा आ जाती है।
  6. पुतली सिकुड़ जाती है।
  7. सिर घूमने लगता है।
  8. प्यास लगने लगती है।

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प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव को रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर-
रक्तस्राव को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं-

  1. खरोंच, सूई चुभने या सामान्य कोशिका के कट जाने पर रक्तस्त्राव को रोकने के लिए कटे स्थान को हाथ या अँगूठे से दबा दिया जाता है।
  2. यदि अँगूठे या हाथ से रक्त का बहाव बन्द न हो तो रूई व कपड़े का पैड या बौरसिक लिन्ट के टुकड़े को घाव पर रखकर पट्टी बाँधनी चाहिए। तब तक पट्टी न खोली जाये जब तक रक्त का बहाव बन्द न हो जाए।
  3. धमनी से रक्त बहने की स्थिति में पहले घायल व्यक्ति को लिटा देना चाहिए। जिस अंग से रक्त बह रहा हो उसे यथासम्भव हृदय के लैवल से ऊपर उठाकर रखना चाहिए।
  4. बर्फ की थैली रखने से भी रक्त बहना बन्द हो जाता है।
  5. शिरा से रक्त बहने पर चोट लगे हिस्से को नीचे की ओर झुकाना चाहिए।
  6. यदि हड्डी नहीं टूटी हो तो घाव को अँगूठे व हथेली से दबाकर भी रक्त बहना बन्द किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
तेज़ाब से जलने पर प्राथमिक उपचार बताइए।
उत्तर-

  1. क्षतिग्रस्त भाग को दो चाय के चम्मच बेकिंग सोडा, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडा कार्बन एक पाइन्ट गर्म पानी में घोलकर भली-भान्ति धो डालें।
  2. दूषित वस्त्रों को सावधानीपूर्वक उतार दें और जले हुए घाव के सामान्य नियमों का पालन करें।
  3. जले हुए भाग को कभी भी सादे पाने से न धोयें।
  4. यदि आँख पर तेज़ाब पड़ने की शंका हो तो उसे पानी से अच्छी प्रकार धोकर पट्टी बाँध दें।

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प्रश्न 6.
क्षार से जलने पर क्या प्राथमिक उपचार किया जाना चाहिए ?
उत्तर-

  1. जले अंग पर पड़ा क्षार (चूना) नर्म ब्रुश से हटा दें।
  2. जले हुए अंग को पानी से धो डालें।
  3. सिरका या नींबू के रस को समान मात्रा में पानी मिलाकर क्षतिग्रस्त भाग को धोएँ इससे क्षार का प्रभाव कम हो जाता है।
  4. दृषित वस्त्रों को शीघ्र हटा दें और जलने के सामान्य नियमों का पालन करें।
  5. यदि आँख पर क्षार पड़ने की शंका हो तो पानी में भली-भान्ति धो डालें। आँखों को नर्म रूई की गद्दी लगाकर पट्टी बाँध दें तथा डॉक्टर को तुरन्त दिखाने का प्रयास करें।

प्रश्न 7.
शिरा के रक्तस्त्राव को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर-
धमनी की अपेक्षा शिरा का रक्तस्राव सरलता से रोका जा सकता है। शिराओं से बहने वाला रक्त अशुद्ध तथा नीलापन लिए हुए गहरे रंग का होता है। शिरा से रक्त लगातार तेज़ी से एक बंधी धार के साथ निकलता है।

उपचार-जिस अंग में चोट लगी हो उसे नीचे की ओर झुका देना चाहिए। यदि घाव गन्दा हो तो एण्टीसेप्टिक घोल से धो देना चाहिए। यदि हड्डी न टूटी हो तो उँगली से घाव को ज़ोर से दबाना चाहिए और रूई का एक मोटे पैड पर रखकर बाँध देना चाहिए। घाव के नीचे कसकर पट्टी बाँध देने से रक्तस्राव पूर्ण रूप से बन्द हो जाता है।।

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प्रश्न 8.
डूबते व्यक्ति को बचाने के लिए उस की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
डूबते व्यक्ति को पानी में से बाहर निकाल कर बचाने के लिए उस को उल्टा कर पेट पर दबाव डाल कर फालतू पानी निकाल दें तथा बनावटी सांस देनी चाहिए। जल्दी ही डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए।

प्रश्न 9.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं तथा प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के घाव के उपचार बताइए।
उत्तर-
1. कटे हुए घाव का उपचार-यदि घाव कम गहरा हो तो थोड़ा-सा रक्त बहा देना चाहिए। इससे कीटाणु बाहर निकल जायेंगे। इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल, टिंचर आयोडीन, स्प्रिट आदि से साफ़ करना चाहिए तथा घाव के ऊपर रूई रखकर पट्टी बाँध
देनी चाहिए। साफ़ करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आस-पास की गन्दगी तथा पानी घाव में न जाये। यदि रक्तस्राव अधिक हो तो कसकर पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि घाव बड़ा हो तो डॉक्टर की सलाह से टाँके लगवा देने चाहिएँ।

2. फटे हुए घाव का उपचार-

  • रक्तस्राव बन्द करके घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
  • घाव साफ़ करने के बाद उस पर सल्फोनामाइड पाउडर अच्छी तरह बुरक कर तथा रूई रखकर बाँध देना चाहिए। डॉक्टरी इलाज करना चाहिए।

3. संवेधित घाव का उपचार-रक्तस्राव रोकने के उपरान्त घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर साफ़ करना चाहिए और फिर रूई को मरक्यूरीक्रोम या एक्रोफ्लेविन में भिगोकर घाव पर रखने के बाद पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि गोली अन्दर रह गई हो तो घायल को तुरन्त चिकित्सालय ले जाना चाहिए। रोगी को मूर्छित नहीं होने देना चाहिए।

4. कुचले हुए या कुचलित घाव का उपचार- इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर कपड़े को बर्फ के पानी में गीला कर बाँध देना चाहिए। यदि घायल को बेचैनी हो तो ठण्डे पानी के साथ ग्लुकोस देना चाहिए।

प्रश्न 2.
फर्स्ट एड बॉक्स क्या होता है ? प्राथमिक सहायता हेतु आवश्यक वस्तुओं की सूची दीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के लिए आवश्यक सामग्री को एक डिब्बे में रखा जाता है जिससे उसका उपयोग आपातकाल के समय तुरन्त किया जा सके और सामान के लिए इधरउधर न भटकना पड़े। इस डिब्बे को फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) कहते हैं।
फर्स्ट एड बॉक्स में प्राथमिक सहायता सम्बन्धी निम्नलिखित सामान होना चाहिए-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता 2
चित्र 8.2 फर्स्ट एड बॉक्स

  1. टिंक्चर आयोडीन
  2. टिंक्चर बेन्जोइन
  3. मरक्यूरोक्रोम या ऐक्रीफ्लेविन
  4. स्प्रिट तथा अमोनिया
  5. पोटाशियम परमैंगनेट (लाल दवाई)
  6. डिटोल (कृमिनाशक घोल)
  7. सोडा बाइकार्बोनेट (खाने का मीठा सोडा)
  8. सूंघने का नमक (स्मैलिंग साल्ट)
  9. बरनॉल
  10. आयोडेक्स
  11. दवाईयुक्त प्लास्टर (हेसिव टेप)
  12. ए० पी० सी०, डिस्प्रीन, एनासिन या नोवलजिन
  13. पट्टियाँ (गोल व तिकोनी)
  14. गॉज (जाली वाला कपड़ा)
  15. रूई (कॉटन) मेडीकेटिड
  16. खपच्चियाँ
  17. आँख धोने का गिलास
  18. आधा दर्जन सेफ्टी पिन
  19. 2-3 ड्रापर
  20. कुछ लम्बी सीकें जो फुरहरी बनाने के काम आयें
  21. टूनिकेट
  22. छोटी कैंची, चाकू तथा चिमटी।

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प्रश्न 3.
सूखे तथा तरल दहन से क्या भाव है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
शुष्क और तरल जलन से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्वष्ट कीजिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 4.
लू क्यों लगती है तथा लू वाले रोगी की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
उपरोक्त प्रश्नों में देखें।

प्रश्न 5.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
दैनिक जीवन में कई प्रकार की दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। घर में, स्कूल में, सड़क पर यात्रा करते हुए, कारखाने आदि में कहीं भी दुर्घटना हो सकती है। जल जाना, लू लगना, किसी कीड़े-मकौड़े का काटना, गलती से कोई विषैली वस्तु खा लेना, किसी अंग का कट जाना, मूर्च्छित हो जाना, चोट लगने से रक्त बहना आदि भी रोज़ की घटनाएँ हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को बुलाना और इलाज करना आवश्यक हो जाता है। परन्तु हर जगह और हर समय शीघ्र डॉक्टर का मिलना सम्भव नहीं होता। डॉक्टर के न मिलने पर तत्काल उपचार न होने से मरीज की हालत बिगड़ जाती है और मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति को डॉक्टर के आने से पूर्व बिगड़ने से रोकने के लिए और उसकी जान बचाने के लिए प्राथमिक सहायता (प्राथमिक उपचार) की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 6.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कपड़ों को आग लगने पर उपाय-
1. यदि खाना बनाते समय या किसी और कारण से कपड़ों में आग लग गई हो तो रोगी को तुरन्त ज़मीन पर लेट कर लुढ़कना चाहिए। रोगी के ऊपर एक कम्बल या ओवरकोट डालना चाहिए, लेकिन रोगी का मुँह खुला रखना चाहिए।
2. आग बुझाने के लिए जलते हुए व्यक्ति पर कभी भी पानी नहीं डालना चाहिए, नहीं तो घाव और गम्भीर हो जाते हैं।
3. रोगी के कपड़े व जूते उतार देने चाहिएं। यदि नहीं उतर सकें तो उन्हें काट देना चाहिए।
4. रोगी को उठाकर किसी एकान्त स्थान पर ले जाकर लिटा देना चाहिए। उसे पीने के लिए गर्म दूध या चाय देनी चाहिए।
5. यदि फफोले पड़ गए हों तो उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए।
6. जले हुए स्थान पर खाने के सोडे के घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए।
7. एक भाग अलस के तेल में एक भाग चूने का पानी मिलाकर स्वच्छ कपड़े के फाये द्वारा जले हुए भाग पर लगाना लाभदायक होता है।बरनोल उपलब्ध हो तो जले हुए स्थान पर धीरे-धीरे लगाना चाहिए।
8. जले हुए स्थान पर नारियल का तेल मलने से भी आराम मिलता है।
9. यदि अधिक जल गया हो तो जले हुए स्थान के कपड़े सावधानीपूर्वक हटा देने चाहिएँ यदि कपड़े चिपक गए हों तो उस स्थान पर नारियल या जैतून का तेल लगा देना चाहिए।
10. रोगी को शीघ्रातिशीघ्र डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे?
उत्तर-
डॉक्टर के आने से पूर्व जले हुए व्यक्ति के फफोले या छाले नहीं फोड़ने चाहिएं क्योंकि ये बाहर के रोगाणुओं से घाव को बचाते हैं। डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर निम्नलिखित पदार्थ लगाए जा सकते हैं-
1. यदि कपड़ों के जलने से शरीर जला है तो जले हुए स्थान पर खाने के सोडे का घोल, एक भाग चूने का पानी मिलाकर, जैतून या नारियल का तेल या बरनोल लगाया जा सकता है।

2. यदि शरीर रासायनिक पदार्थों से जला है तो जले हुए स्थान के भाग को पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। यदि शरीर का भाग तेज़ाब (अम्ल) से जला है तो उस पर अमोनिया या खाने के सोडे का घोल लगाना चाहिए।

3. तीव्र क्षार से जलने पर सिरके या नींबू के रस में पानी मिलाकर लगाने से आराम मिलता है और क्षार का प्रभाव कम हो जाता है। कार्बोलिक अम्ल से जले हुए भाग पर एल्कोहल मलने से आराम मिलता है।

4. वाष्प या शुष्क ताप से जलने पर या बिजली से जलने पर भी वही उपचार देना चाहिए जो कपड़ों में आग लगने पर गम्भीर रूप से जलने पर दिया जाता है।

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प्रश्न 8.
अपने आपको लू से कैसे बचाओगे?
उत्तर-
अपने आप को लू से बचाने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए-

  1. गर्मी में काम करते समय हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  2. गर्मी के स्थान से वातानुकूलित ठण्डे स्थान में या वातानुकूलित ठण्डे स्थान से गर्मी के स्थान पर एकाएक नहीं आना-जाना चाहिए।
  3. घर से खाली पेट बाहर नहीं जाना चाहिए। खाना खाए हुए व्यक्ति की अपेक्षा खाली पेट वाले व्यक्ति को लू अधिक तेजी से लगती है।
  4. अधिकाधिक पानी पीना चाहिए। घर से जाते समय भी पानी पी कर जाना चाहिए।
  5. लू के दिनों में कच्चे आम के पीने (आम को भून कर बनाए गए रस) तथा प्याज का सेवन करना चाहिए।
  6. नमक की मात्रा अधिक लेनी चाहिए।
  7. पौष्टिक खुराक लेने वाले को लू कम लगती है। शराब पीने वालों को, त्वचा के रोगियों को व पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लू लगती है।

प्रश्न 9.
लू वाले रोगी को किस तरह सम्भालोगे?
उत्तर-
लू से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल डॉक्टरी सहायता पहुँचानी चाहिए। अन्यथा तेज़ बुखार से उसकी मृत्यु का भय रहता है। लू लगने पर निम्नलिखित प्राथमिक उपचार किए जाने चाहिएँ.

  1. रोगी को सबसे छायादार या ठण्डे स्थान पर ले जाना चाहिए।
  2. जितना शीघ्र हो सके उसके मस्तिष्क को ठण्डक पहुँचानी चाहिए। इसके लिए उसके धड़ को ठण्डे पानी में डुबोना चाहिए। पूरे शरीर को ठण्डे पानी से मल-मल कर नहलाना चाहिए।
  3. रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. बुखार उतरते ही रोगी को बिस्तर पर लिटा देना चाहिए। यदि बुखार दुबारा तेज़ होता है तो यही उपचार करना चाहिए।
  5. रोगी को कच्चा आम भूनकर या उबालकर उसका रस बनाकर देना चाहिए। प्याज़ का रस देना भी लाभदायक रहता है।
  6. रोगी के हाथ-पाँव पर विशेष रूप से हथेलियों एवं तलवों पर मेंहदी या प्याज़ पीस कर मलना चाहिए।
  7. रोगी को लस्सी या नींबू के साथ नमक खिलाना चाहिए क्योंकि पसीने द्वारा अधिक मात्रा में नमक शरीर से बाहर निकल जाता है।
  8. रोगी को कोई उत्तेजक पदार्थ नहीं पिलाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
ल क्यों लगती है?
उत्तर-
लू गर्म देशों में घटित होने वाली घटना है। तेज़ गर्मी के मौसम में एकापक सूर्य की तेज़ किरणें दुर्बल व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ती हैं तो उसे लू लग सकती है। मनुष्य काफ़ी लम्बे समय के लिए खुली गर्मी में काम करे तो उसे लू लग सकती है। घर के अन्दर भी तेज़ गर्मी लू लगने के समान परिणाम ला सकती है। लू लगने की दशा में शरीर तापं के निष्कासन की सामान्य शक्ति नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 11.
जख्म पर क्या लगाना चाहिए?
उत्तर-
जख्म से यदि खून बहता हो तो पहले खून बन्द करने का उपचार करना चाहिए। जिस अंग से खून बहता हो उसे हल्के से पकड़कर हृदय के लैवल से थीड़ा ऊपर रखना चाहिए ताकि खून बहना बन्द हो जाए। यदि हड्डी टूटी हो तो जख्म पर सख्त कपड़ा रखकर ज़ोर से पट्टी बाँधने से खून बहना बन्द हो जाता है। यदि जख्म में कोई चीज़ या हड्डी का टुकड़ा फँसा हो तो जख्म के किनारों पर दबाव डालना चाहिए।

खुले जख्म के सबसे पहले किसी कीटाणुनाशक या एण्टीसेप्टिक घोल, जैसे डिटोल, पोटेशियम परमैंगनेट या स्प्रिट से साफ़ करना चाहिए। इससे घाव विषैला होने से बच जाता है। घाव पर मरक्यूरी क्रीम या टिंचर बेंजोइन लगाना चाहिए। घाव पर यदि खुरण्ड बन आया हो तो उसे नहीं हटाना चाहिए क्योंकि यह खून बहना रोकने का प्राकृतिक साधन है।

प्रश्न 12.
काटे जाने पर रक्त बहने की स्थिति में प्राथमिक सहायतों के बारे में लिखें। जख़्म कितनी प्रकार के होते हैं ? विस्तार से लिखें।।
उत्तर-
ऐसी स्थिति में प्राथमिक सहायता देने का भाव है कि रक्त बहने से रोकना तथा रोगाणुओं को रक्त में मिलने से रोकना। साधारण जख़्म पर टिंकचर आयोडीन लगा देनी चाहिए। गहरे जख़्म को पानी से धो कर फलालैन के कपड़े से पोंछ दें। यदि दवाई न हो तो शहद का प्रयोग कर सकते हैं।
जख़्मों के प्रकार-स्वयं करें।

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प्राथमिक सहायता PSEB 8th Class Home Science Notes

  • प्राथमिक सहायता वह सहायता है, जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोगी के रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।
  • प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त होना चाहिए।
  • आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ ज़ख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।
  • भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय का दूध या अभोज्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।
  • जले हुए स्थान पर तेल लगाने से खून में जहर फैलने का डर रहता है।
  • जले हुए व्यक्ति को गर्म मीठी चाय में हल्दी डालकर रोगी को देना चाहिए ताकि रोगी को गर्म रखा जा सके।
  • लू लगने से रोगी की नब्ज़ तेज़ चलती है।
  • गर्मी में काम करने वाले को हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  • गर्मी के दिनों में धूप में काले चश्मों और छतरी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • लू अधिक शराब पीने वालों को, एग्ज़ीमा के रोगियों को, पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लगती है।
  • साधारण कटे हुए ज़ख्म पर टॅनर आयोडीन लगानी ठीक रहती है।
  • किसी भी तेज़ ब्लेड, उस्तरा आदि लगने से हुए घाव को कटित घाव कहते हैं।
  • मशीन में शरीर के किसी अंग का आ.। या किसी पशु के मुँह में आ जाने से होने वाले घाव को दीर्घ घाव कहते हैं।
  • किसी चाकू, तेज़ धार वाले या नुकीले हथियार से हुए गहरे घाव, जिसका मुँह ऊपर से छोटा होता है, लेकिन अन्दर घाव गहरा होता है, इसको ही संवेधित घाव कहते हैं।
  • किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से या किसी कुंद हथियार के ज़ोर से लगने से होने वाला घाव कुचलित घाव कहलाता है।
  • नाक से खून बहे तो नाक पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। और नाक साफ़ नहीं करना चाहिए।
  • लू के दिनों में पानी और नमक का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
  • लू लगे हुए रोगी को ठंडी और खुली हवा में लिटाना चाहिए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

SST Guide for Class 8 PSEB प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
भूमि को मुख्यतः किस-किस धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
भूमि को मुख्यत: तीन धरातली वर्गों में बांटा जा सकता है-पर्वत, पठार तथा मैदान।

प्रश्न 2.
मैदानों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
मैदान कृषि योग्य तथा घनी आबादी वाले क्षेत्र होते हैं। ये मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। कृषि तथा वनस्पति के अनुरूप मैदानी भूमि को बहुत ही बहुमूल्य माना जाता है।

प्रश्न 3.
वे कौन-से तत्त्व हैं जो मिट्टी की रचना में अपनी भूमिका अदा करते हैं ?
उत्तर-
प्रमुख चट्टानें, जलवायु, पौधे तथा जीव-जन्तु।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
भारत में कितने प्रकार की मिट्टी (मृदा) पाई जाती है ? किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित 6 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है-

  1. जलौढ़ मृदा
  2. काली मृदा
  3. लाल मृदा
  4. लेटराइट मृदा
  5. वनीय तथा पर्वतीय मृदा
  6. मरुस्थलीय मृदा।

प्रश्न 5.
काली मिट्टी में कौन-कौन सी उपजें उगाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
काली मिट्टी कपास, गेहूँ, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगायी जा सकती हैं। यदि सिंचाई का प्रबन्ध हो तो इसमें चावल तथा गन्ने की खेती भी की जा सकती है।

प्रश्न 6. जल के मुख्य स्रोतों के नाम लिखो।
उत्तर-जल के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. वर्षा
  2. नदियां और नाले
  3. नहरें
  4. तालाब
  5. भूमिगत जल।

प्रश्न 7. प्राकृतिक वनस्पति से मानव को क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक वनस्पति से मानव को लकड़ी मिलती है जिसका प्रयोग ईंधन के रूप में तथा बड़े-बड़े उद्योगों में होता है।
  2. इससे हमें फल, दवाइयां तथा अन्य कई प्रकार के उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 8. भारत में वनों की कौन-सी किस्में पाई जाती हैं ?
उत्तर-भारत में वनों की निम्नलिखित किस्में पाई जाती हैं-

  1. सदाबहार वन
  2. पतझड़ी वन
  3. मरुस्थलीय वन
  4. पर्वतीय वन
  5. डैल्टाई वन।

प्रश्न 9.
पक्षी क्या हैं और ये कहाँ से आते हैं ?
उत्तर-
जो पक्षी सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठण्डे प्रदेशों से भारत आते हैं उन्हें प्रवासी पक्षी कहते हैं। ये मुख्यत: साइबेरिया तथा चीन से आते हैं।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
भारत में भूमि का प्रयोग किस तरह किया जा रहा है ?
उत्तर-
भारत में भूमि का प्रयोग भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए होता है-

  1. वन-भारत के क्षेत्रफल का 23% भाग वनों के अन्तर्गत आता है जो वैज्ञानिक दृष्टि से कम है। वैज्ञानिक दृष्टि से देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए।
  2. कृषि योग्य भूमि-भारत का 46% क्षेत्रफल कृषि योग्य भूमि है। इसमें विभिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती है
  3. कृषि अयोग्य भूमि-देश की 14% भूमि गांवों, शहरों, सड़कों, रेलवे लाइनों, नदियों तथा झीलों के अधीन है। इसमें बंजर भूमि भी शामिल है।
  4. कृषि के बिना छोड़ी हुई भूमि-भारत की बहुत-सी भूमि कृषि के बिना छोड़ी हुई है। इस पर कृषि तो की जाती है। परन्तु इसे 1 से 5 वर्ष तक खाली छोड़ दिया जाता है, ताकि यह अपनी उपजाऊ शक्ति फिर से प्राप्त कर ले।
  5. अन्य-
    • भारत की 5% भूमि कृषि योग्य, परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि है। इस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती।
    • भारत की 4% भूमि चरागाहें हैं जिस पर पशु चराये जाते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन 1

प्रश्न 2.
मिट्टी के प्रकार बता कर जलोढ़ मिट्टी के महत्त्व के बारे में लिखो।
उत्तर-
मिट्टी के प्रकार-मिट्टी (मृदा) मुख्य रूप से 6 प्रकार की होती है

  1. जलौढ़ मृदा
  2. काली मृदा
  3. लाल मृदा
  4. लेटराइट मृदा
  5. वनीय तथा पर्वतीय मृदा
  6. मरुस्थलीय मृदा।

जलौढ़ मिट्टी का महत्त्व-जलौढ़ मिट्टी बारीक कणों से बनी होती है। ये कण मिट्टी को उपजाऊ बना देते हैं। इसलिए जलौढ़ मिट्टी द्वारा बने मैदान कृषि के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। भारत के सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान इसी प्रकार के मैदान हैं।

प्रश्न 3.
मिट्टी संसाधन की सम्भाल किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
मिट्टी की सम्भाल नीचे दिए गए तरीकों से की जा सकती हैमिट्टी के संसाधन के महत्त्व को देखते हुए हमें-

  • मिट्टी के अपरदन को रोकना चाहिए।
  • नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ों के पानी को रोकना चाहिए।
  • अधिक पानी का निकास करके सीलन (सेम). की समस्या से छुटकारा पाना चाहिए।
  • बाढ़ों को रोकने से मिट्टी अपरदन भी रोका जा सकता है और नदियों के आस-पास पड़ी अतिरिक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
  • कृषि के गलत तरीकों से भी मिट्टी कमजोर होती है। इसलिए आवश्यक है कि कृषि के ढंग अच्छे हों।
    यदि हम मिट्टी का प्रयोग अच्छे ढंग तथा समझदारी से करेंगे तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अधिक समय तक बनी रहेगी।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
जल संसाधन में नदियों और नहरों के महत्त्व के बारे में लिखें।
उत्तर-
मानव सभ्यता के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आस-पास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।

प्रश्न 5.
जल की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
  • वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
  • प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
  • सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।

प्रश्न 6.
पतझड़ वनों पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पतझड़ वन वे वन हैं जिन वृक्षों के पत्ते एक विशेष मौसम में झड़ जाते हैं। बसंत के मौसम में इन पर फिर से पत्ते आ जाते हैं। इस प्रकार के वन भारत में अधिक मिलते हैं। लकड़ी प्राप्त करने के लिए ये वन बहुत अधिक महत्त्व रखते हैं। इन वनों में मुख्यतः साल, टीक, बांस, शीशम (टाहली) तथा खैर के वृक्ष पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए भारत सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाये हैं ?
उत्तर-
भारत सरकार की ओर से जंगली जीवों के बचाव और सम्भाल के लिए बहुत से कदम उठाये गए हैं-

  • 1952 में “जंगली जीवों के लिए भारतीय बोर्ड” की स्थापना की गई।
  • जंगली जीवों के बचाव के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर 1973’ तथा ‘प्रोजेक्ट ऐलीफैंट 1992’ आदि प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं।
  • इस उद्देश्य से 1972 तथा 2002 में विभिन्न एक्ट पास किए गए।
  • बहुत-से राष्ट्रीय पार्क तथा जंगली जीव सैंक्चुरियां बनाई गई हैं। इनमें जंगली जीव अपनी प्राकृतिक अवस्था में सुरक्षित रह सकते हैं। इस समय भारत में 89 राष्ट्रीय पार्क तथा 490 जंगली जीव सैंक्चुरियां हैं।
  • जंगली जीवों के शिकार पर रोक लगाई गई है।

प्रश्न 8.
मिट्टी से जुड़ी समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर-
मिट्टी मनुष्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मनुष्य की भोजन सम्बन्धी अधिकतर आवश्यकताएं मिट्टी से ही पूरी होती हैं। इसके लिए उपजाऊ मिट्टी की ज़रूरत होती है। परन्तु निम्नलिखित समस्याओं के कारण मिट्टी सदैव उपजाऊ नहीं रह पाती-

  1. मिट्टी का अपरदन
  2. लगातार खेती
  3. मिट्टी में रेत कण
  4. मिट्टी में सेम (अधिक पानी) की समस्या
  5. मिट्टी में तेजाब या लवणता
  6. मिट्टी का समर्थता से अधिक प्रयोग।

III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं ? मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति की किस्में और महत्त्व लिखो।
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये उपहारों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों में भूमि,जल, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, जंगली जीव, खनिज पदार्थ आदि शामिल हैं।

1. मिट्टी-मिट्टी की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं-

  • जलौढ़ मिट्टी
  • काली मिट्टी
  • लाल मिट्टी
  • लेटराइट मिट्टी
  • वनीय तथा पर्वतीय मिट्टी
  • मरुस्थलीय मिट्टी।

महत्त्व-मिट्टी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। ये फ़सलें उगाने के लिए अनिवार्य है। उपजाऊ मिट्टी विशेष रूप से उन्नत कृषि का आधार है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो मिट्टी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। यहां भिन्न-भिन्न प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जिनमें भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं।

2. प्राकृतिक वनस्पति-भारत में मिलने वाली प्राकृतिक वनस्पति की मुख्य किस्में निम्नलिखित हैं(1) सदाबहार वन (2) पतझड़ी वन (3) मरुस्थलीय वन (4) पर्वतीय वन (5) डैल्टाई वन।
महत्त्व-मिट्टी की तरह वनस्पति भी एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। यह मनुष्य की अनेक ज़रूरतों को पूरा करती है-

  • वनस्पति से हमें ईंधन, भवन बनाने तथा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी मिलती है। वनों की नर्म लकड़ी से कागज़ तथा माचिसें बनाई जाती हैं। वनों पर अन्य भी कई उद्योग निर्भर हैं।
  • वनों से लाख, गोंद, गंदा बिरोज़ा, रबड़ आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं।
  • वनों की घास पर पशु चरते हैं।
  • वन अनेक पशु-पक्षियों को आश्रय देते हैं।
  • वनों से अनेक जड़ी-बूटियां मिलती हैं जिनसे दवाइयां बनाई जाती हैं।
  • वन अनेक प्रकार के फल प्रदान करते हैं।
  • वन मिट्टी के अपरदन को रोकते हैं तथा वनों के विस्तार को नियन्त्रित करते हैं।
  • वन बाढ़ों को नियन्त्रित करते हैं।
  • ये वर्षा लाने तथा प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रखने में सहायता करते हैं। . सच तो यह है कि वनों से अनेक लोगों को रोजगार मिलता है।

प्रश्न 2.
जल और जंगली जीवों की सम्भाल कैसे की जा सकती है ‘? अपने विचार प्रकट करो।
उत्तर-
जल की सम्भाल-जल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन है। अतः इसकी सम्भाल अति आवश्यक है। इसकी सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • जल का ज़रूरत से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सिंचाई की नई विधियों का प्रयोग किया जाए। उदाहरण के लिए फव्वारों द्वारा सिंचाई।
  • वर्षा के जल को भूमिगत कुओं द्वारा भूमि के अन्दर ले जाया जाये ताकि भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो।
  • प्रयोग किये गये जल को पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जाए।
  • सीवरेज के जल को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में जल का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए और इसे व्यर्थ बह जाने से रोकना चाहिए।

जंगली जीवों की सम्भाल-जंगली जीव हमारी धरती की शोभा हैं। परन्तु मानव द्वारा शिकार किये जाने के कारण इनकी कई किस्में समाप्त हो चुकी हैं और कई अन्य समाप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए जंगली जीवों की सम्भाल करना अति आवश्यक है। इसके लिए अग्रलिखित पग उठाए जाने चाहिए-

  • हमें सरकार द्वारा जंगली जीवों की रक्षा के लिए बनाए गये कानूनों का पूरी तरह पालन करना चाहिए।
  • हमें राष्ट्रीय पार्कों तथा जंगली-जीव सैंक्चुरियों के रख-रखाव में सरकार को सहयोग देना चाहिए।
  • हमें अपनी ओर से जंगली जीवों तथा पक्षियों का शिकार नहीं करना चाहिए।
  • वन जंगली जीवों तथा पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम वनों को न काटें, ताकि जीवों के घर नष्ट न हों।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

PSEB 8th Class Social Science Guide प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. भारत का लगभग ………….. प्रतिशत भाग पर्वतीय है।
2. ………… मिट्टी को रेगुर भी कहा जाता है।
3. डैल्टाई वनों में ……………के वृक्ष अधिक संख्या में मिलते हैं।
उत्तर-

  1. 30
  2. काली
  3. सुन्दरी।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. पतझड़ी वनों को मानसूनी वन भी कहा जाता है।
2. दक्षिण भारत में नहरें लोगों के लिए बहुत बड़ा जल साधन हैं।
3. संसार में जल का सबसे अधिक प्रयोग कृषि के लिए होता है।
उत्तर-

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस स्रोत के जल का प्रयोग मनुष्य नहीं कर सकता ?
(i) समुद्र
(ii) नहरें
(iii) तालाब
(iv) भूमिगत जल।
उत्तर-
(i) समुद्र

प्रश्न 2.
जल के संरक्षण का कौन-सा उपाय नहीं है ?
(i) भूमिगत कुएं
(ii) बांध बनाना
(iii) पुनः प्रयोग
(iv) नदियों में बहा देना।
उत्तर-
(iv) नदियों में बहा देना,

प्रश्न 3.
किस प्रकार की जलवायु में अधिक घने वन मिलते हैं ?
(i) कम वर्षा तथा कम तापमान
(ii) अधिक वर्षा और उच्च तापमान
(iii) अधिक वर्षा तथा कम तापमान
(iv) कम वर्षा तथा उच्च तापमान।
उत्तर-
(iii) अधिक वर्षा तथा उच्च तापमान।

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. मरुस्थलीय मिट्टी – पूर्वी तथा पश्चिमी घाट
2. काली मिट्टी – राजस्थान
3. जलोढ़ मिट्टी – महाराष्ट्र
4. वनी एवं पर्वतीय मिट्टी – भारत का उत्तरी मैदान।
उत्तर-1. राजस्थान,
2. महाराष्ट्र,
3. भारत का उत्तरी मैदान,
4. पूर्वी तथा पश्चिमी घाट।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
धरती पर भूमि और पानी की बांट लिखें।
उत्तर-
धरती का केवल 29% भाग भूमि है। शेष 71% भाग पानी है।

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प्रश्न 2.
भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। क्यों?
उत्तर-
भारत जैसे घनी जनसंख्या वाले देश का 33% क्षेत्र वनों के अधीन होना चाहिए। परन्तु भारत का केवल 22.2 प्रतिशत क्षेत्र ही वनों के अधीन है। इसलिए भारत में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाये जाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि क्या होती है?
उत्तर-
कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ छोड़ी गई भूमि ऐसी भूमि होती है जिस पर कृषि तो की जा सकती है, परन्तु कुछ कारणों से इस पर कृषि नहीं की जाती। इन कारणों में जल की कमी, मिट्टी अपरदन, अधिक लवणता, पानी का अधिक समय तक खड़ा रहना आदि बातें शामिल हैं।

प्रश्न 4.
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी कहां मिलती है? इसकी कोई दो विशेषताएं लिखो।
उत्तर-
वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी वनों तथा पर्वतीय ढलानों पर मिलती है। विशेषताएं-(1) इस मिट्टी में जैविक तत्त्व अधिक होते हैं।
(2) इसमें पोटाश, फ़ास्फोरस तथा चूने की कमी होती है। इसलिए इसमें कृषि करने के लिए उर्वरकों की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 5.
जलोढ़ मिट्टी क्या होती है?
उत्तर-
जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी है जो बारीक गाद के निक्षेपण से बनती है। यह गाद नदियां अपने साथ बहा कर लाती हैं। समुद्र तट के निकट समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। जलोढ़ मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है।

प्रश्न 6.
काली मिट्टी को कपास की मिट्टी क्यों कहा जाता है ? इसका एक अन्य नाम बताओ।
उत्तर-
काली मिट्टी कपास की फ़सल के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसलिए इसे कपास की मिट्टी कहते हैं। इस मिट्टी का एक अन्य नाम रेगुर मिट्टी है।

प्रश्न 7.
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है? .
उत्तर-
भारत में मरुस्थलीय मिट्टी राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। गुजरात के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी मिलती है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी को ‘जल ग्रह’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
पृथ्वी का अधिकतर भाग जल है जो लगभग 71% है। जल की अधिकता के कारण ही पृथ्वी को ‘जल • ग्रह’ कहा जाता है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल किस रूप में मिलता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
पृथ्वी पर सबसे अधिक जल समुद्रों, सागरों तथा नमकीन जल की झीलों के रूप में मिलता है। यह कुल जल का 97.20% है।

प्रश्न 10.
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग किस कार्य के लिए होता है? यह कुल जल का कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
संसार में सबसे अधिक जल का प्रयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। यह कुल जल का लगभग 93.37% है।

प्रश्न 11.
तालाब प्रायः किन क्षेत्रों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
तालाब प्रायः उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों तथा नहरों की कमी होती है। इन क्षेत्रों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा है। भारत में तालाब मुख्यतः दक्षिणी भारत में पाये जाते हैं।

प्रश्न 12.
मरुस्थलीय वनस्पति की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह वनस्पति विरली होती है। इसमें खजूर, कैक्टस तथा कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। भारत में इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है।

प्रश्न 13.
पर्वतीय वनस्पति के किन्हीं चार वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. फर
  2. देवदार
  3. ओक तथा
  4. अखरोट।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जलौढ़ (जलौद) मिट्टी पर एक नोट लिखो। इसे कौन-कौन से दो भागों में बांटा जाता है?
उत्तर-
जलौढ़ मिट्टी देश के लगभग 45% भाग में पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी का हमारी कृषि में बहुत अधिक योगदान है। यह मिट्टी नदियों तथा नहरों के पानी द्वारा बिछाई जाती है। समुद्र तट के साथ-साथ समुद्री लहरें भी इस प्रकार की मिट्टी का जमाव करती हैं। बाढ़ आने पर पानी में घुले मिट्टी के बारीक कण धरातल पर आ जाते हैं। ये कण मिट्टी को बहुत अधिक उपजाऊ बना देते हैं। भारत के उपजाऊ उत्तरी मैदानों में प्रमुख रूप से जलौढ़ मिट्टी ही पाई जाती है। __ जलौढ़ मिट्टी के भाग-जलौढ़ मिट्टी को दो भागों में बांटा जाता है-खादर तथा बांगर । खादर मिट्टी के नये जमाव को कहा जाता है, जबकि बांगर मिट्टी का पुराना जमाव होता है।

प्रश्न 2.
काली मिट्टी की मुख्य विशेषताएं बताओ। भारत में यह मिट्टी कहां-कहां पाई जाती है?
उत्तर-
काली मिट्टी कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इसे रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है। क्योंकि यह मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम मानी जाती है, इसलिए इसे कपास की मिट्टी भी कहते हैं।
विशेषताएं-

  • काली मिट्टी आग्नेय चट्टानों से बनी है।
  • यह मिट्टी अपने अन्दर नमी को लम्बे समय तक बनाये रखती है।
  • यह बहुत ही उपजाऊ होती है। इसमें कपास, गेहूं, ज्वार, अलसी, तम्बाकू, सूरजमुखी आदि फ़सलें उगाई जाती हैं। सिंचाई क. सबन्ध होने पर इसमें चावल तथा गन्ने जैसी फसलें भी उगाई जा सकती हैं।

प्रदेश-काली मिट्टी भारत के लगभग 16.6% भाग पर पाई जाती है। यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात तथा तमिलनाडु राज्यों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 3.
मरुस्थलीय मिट्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
मरुस्थलीय मिट्टी में रेत के कणों की अधिकता होती है। इसलिए यह अधिक उपजाऊ नहीं होती। इस मिट्टी में जल को समा कर रखने की शक्ति भी बहुत कम होती है, क्योंकि जल जल्दी से नीचे चला जाता है। अतः इस प्रकार की मिट्टी में अधिक जल वाली फ़सलें नहीं उगाई जा सकती। इसमें प्राय: जौ, बाजरा, मक्की तथा दालों की खेती की जाती है। जिन प्रदेशों में नहरी सिंचाई की सुविधा प्राप्त है, वहां कृषि उन्नत हो रही है। भारत में कुल भूमि के लगभग 4.3% भाग पर मरुस्थलीय मिट्टी पाई जाती है। यह मुख्यत: राजस्थान, पंजाब तथा हरियाणा के कुछ भागों में मिलती है। गुजरात के कुछ भागों में भी मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार है।

प्रश्न 4.
लाल मिट्टी की विशेषताओं तथा भारत में इसके वितरण के बारे में लिखो।
उत्तर-

  • लाल मिट्टी को इसके लाल रंग के कारण इस नाम से पुकारा जाता है। वैसे इसकी रचना तथा रंग इसकी मूल चट्टान पर निर्भर करता है।
  • इस मिट्टी में चूने, मैग्नीशियम, फास्फेट, नाइट्रोजन तथा जैविक तत्त्वों की कमी होती है।
  • फ़सलें उगाने के लिए यह मिट्टी अधिक उपयोगी नहीं होती। परन्तु अच्छी सिंचाई सुविधाएं मिलने पर इसमें गेहूं, कपास, दालें, आलू, फल आदि फ़सलें उगाई जा सकती हैं।

वितरण-भारत की कुल भूमि के 10.6% भाग पर लाल मिट्टी पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी मुख्य रूप से तमिलनाडु, दक्षिण-पूर्वी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में मिलती है।

प्रश्न 5.
लेटराइट मिट्टी की विशेषताएं बताओ। यह भारत में कहां पाई जाती है?
उत्तर-
लेटराइट मिट्टी 90-100% तक लौह अंश, एल्यूमीनियम, टाइटेनियम और मैंगनीज़ आक्साइड से बनी होती है। ऐसी मिट्टी प्रायः उच्च तापमान तथा अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। अधिक वर्षा के कारण इसके उपजाऊ तत्त्व घुलकर पृथ्वी की भीतरी परतों में चले जाते हैं और ऑक्साइड पृथ्वी के ऊपर रह जाते हैं। उपजाऊ तत्त्वों की कमी हो जाने के कारण यह मिट्टी कृषि योग्य नहीं रहती। परन्तु सिंचाई सुविधाओं तथा रासायनिक खादों के उपयोग से इसमें चाय, रबड़, कॉफी तथा नारियल जैसी फ़सलें पैदा की जा सकती हैं।

भारत में वितरण-लेटराइट मिट्टी देश की कुल मिट्टी क्षेत्रफल के 7.5% भाग में पाई जाती है। यह मुख्यतः पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, राजमहल की पहाड़ियों, विंध्याचल, सतपुड़ा और मालवा के पठार में मिलती है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल, झारखण्ड तथा असम राज्य के कुछ भागों में भी इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 6.
जंगली जीवों से क्या भाव है? भारत के जंगली जीवों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
जंगलों में रहने वाले जीवों को जंगली जीव कहा जाता है। इनमें बड़े-बड़े जानवरों से लेकर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े शामिल हैं। जंगलों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षी भी पाये जाते हैं। संसार के बड़े-बड़े जंगलों तथा घास के मैदानों में तरह-तरह के जंगली जीव मिलते हैं। भारत में भी 80,000 से अधिक प्रकार के जंगली जीव मिलते हैं। इनमें हाथी, शेर, चीता, बाघ, गैंडा, भालू, यॉक, हिरण, गीदड़, नील गाय, बन्दर, लंगूर आदि शामिल हैं। इनके अतिरिक्त हमारे देश में नेवले, कछुए तथा कई प्रकार के सांप भी पाये जाते हैं। यहां अनेक प्रकार के पक्षी तथा मछलियां भी मिलती हैं। सर्दियों में कई प्रकार के पक्षी संसार के ठण्डे प्रदेशों से हमारे देश में आते हैं।

प्रश्न 7.
प्राकृतिक संसाधनों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? इसके मुख्य क्षेत्र हमारे देश में कहां-कहां
उत्तर-
प्रकृति द्वारा प्रदान किये गए संसाधनों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। ये संसाधन किसी देश की खुशहाली तथा शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए इन्हें किसी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी’ कहा जाता है। __भारत में प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र-

  1. भारत का 30% भाग पर्वतीय है। इन पर्वतों को संसाधनों का भण्डार कहते हैं। ये जल तथा वन संसाधनों में धनी हैं।
  2. देश का 27% भाग पठारी है। इस क्षेत्र से हमें कई प्रकार के खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं। इनमें कृषि भी होती है।
  3. देश का शेष 43% भाग मैदानी है। उपजाऊ मिट्टी के कारण यहां की कृषि बहुत ही उन्नत है। इसलिए ये मैदान देश के ‘अन्न-भण्डार’ भी कहलाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के लिए ताजे जल (fresh water) के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी पर बहुत अधिक खारा तथा ताजा जल पाया जाता है। मनुष्य इसमें से कुछ सीमित तथा ताज़े जल के स्रोतों का ही प्रयोग करता है। इन स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. वर्षा-वर्षा पृथ्वी पर जल-पूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। परन्तु वर्षा के जल की प्राप्ति में काफ़ी भिन्नताएं पाई जाती हैं। कहीं वर्षा बहुत अधिक होती है तो कहीं बहुत ही कम। भारत में औसत रूप से 118 सें०मी० वार्षिक वर्षा होती है। वर्षा का यह सारा जल मनुष्य के प्रयोग में नहीं आता। इसका बहुत-सा भाग रिस-रिस कर धरातल में चला जाता है जिससे भूमिगत जल में वृद्धि होती है।
  2. नदियां एवं नहरें-मनुष्य के विकास में नदियों तथा नहरों की आरम्भ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मनुष्य ने आरम्भ में अपने आवास नदियों के आसपास ही बनाये थे, ताकि उसे जल प्राप्त होता रहे। कई स्थानों पर मनुष्य ने नदियों पर बांध बना कर अपने लाभ के लिए नहरें निकाली हैं। इन नहरों के जल का प्रयोग सिंचाई तथा मानव के अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। सिंचाई संसाधनों के विस्तार से कृषि में एक नई क्रान्ति आ गई है।
  3. तालाब-तालाब अधिकतर उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां सारा साल बहने वाली नदियों या नहरों की कमी होती है। इन भागों में भूमिगत जल भी बहुत गहरा होता है जिसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए लोग वर्षा के जल को तालाबों में इकट्ठा कर लेते हैं और आवश्यकता के समय इसका प्रयोग करते हैं। दक्षिण भारत में तालाब लोगों के लिए बहुत बड़ा जल संसाधन हैं।
  4. भूमिगत जल-भूमिगत जल मानव के लिए विशेष महत्त्व रखता है। इसे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा धरती से बाहर निकाला जाता है। यह जल मुख्य रूप से पीने या सिंचाई के काम आता है। भूमिगत जल की मात्रा चट्टानों की बनावट तथा उस प्रदेश में होने वाली वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर करती है ? भारत की किन्हीं चार किस्मों की प्राकृतिक वनस्पति का वर्णन करो।
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। प्राकृतिक वनस्पति जलवायु, मिट्टी तथा जैविक तत्त्वों पर निर्भर करती है। इनमें से जलवायु सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। संसार के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की वनस्पति मिलती है। वनस्पति की किस्मों को जलवायु, मिट्टी के प्रकार, समुद्र तल से ऊंचाई आदि तत्त्व प्रभावित करते हैं।
भारत की वनस्पति की किस्में- भारत की वनस्पति की चार मुख्य किस्मों का वर्णन इस प्रकार है

1. सदाबहार वन-सदाबहार वन सारा साल हरे-भरे रहते हैं। इनके पत्ते किसी भी मौसम में पूरी तरह से नहीं झड़ते। सदाबहार वनस्पति अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। यह अधिकतर दक्षिण भारत के पश्चिमी तट, बंगाल, असम के उत्तर-पूर्व में और हिमालय की निचली ढलानों पर पायी जाती है। कर्नाटक के कुछ भागों में भी इस प्रकार के वन पाये जाते हैं, जहां लौटती हुई मानसून पवनें वर्षा करती हैं। हिमालय की ढलानों पर टीक तथा रोज़वुड और कर्नाटक में अलबनी, नीम तथा इमली आदि के वृक्ष मिलते हैं।

2. मरुस्थलीय वन-मरुस्थलीय वनस्पति कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। वर्षा कम होने के कारण यह वनस्पति बहुत ही विरली होती है। इस प्रकार की वनस्पति राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। इन वनों में खजूर, कैक्टस और कांटेदार झाड़ियां ही मिलती हैं। बढ़िया लकड़ी प्राप्त करने की दृष्टि से इस प्रकार की वनस्पति अधिक महत्त्व नहीं रखती।

3. पर्वतीय वनस्पति-पर्वतीय वनस्पति पर्वतों की ढलानों पर मिलती है। असम से लेकर कश्मीर तक हिमालय पर्वत की ढलानों में अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है। यहां मिलने वाले मुख्य वृक्ष फर, चील, देवदार, ओक, अखरोट, मैपल तथा पापूलर आदि हैं। इन वृक्षों की लकड़ी महंगी और बढ़िया प्रकार की होती है। इसका प्रयोग भवन बनाने, रेल के डिब्बे, माचिस तथा बढ़िया प्रकार का फर्नीचर बनाने में होता है। पर्वतीय वनस्पति की पेटी में कई प्रकार के फल जैसे सेब, बादाम, अखरोट और आलूबुखारा आदि भी मिलते हैं।

4. डैल्टाई वन-डैल्टाई वन समुद्री तटों के समीप मिलते हैं। नदियां समुद्रों में प्रवेश करने से पहले डैल्टा बनाती हैं। इन डैल्टों में उगने वाली वनस्पति को ही डैल्टाई वनों का नाम दिया जाता है। गंगा-ब्रह्मपुत्र या दक्षिण भारत की कुछ नदियों के डैल्टाई भागों में इस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। यहां सुन्दरी, नीमा और पाम आदि के वृक्ष मिलते हैं। सुन्दरी वृक्ष की लकड़ी, मनुष्य के प्रयोग के लिए बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इस प्रकार की वनस्पति में ‘सुन्दरी’ के वृक्षों की अधिकता के कारण ही गंगा-ब्रह्मपुत्र डैल्टा को ‘सुन्दर वन डैल्टा’ कहा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 2 प्राकृतिक संसाधन

प्राकृतिक संसाधन PSEB 8th Class Social Science Notes

  • प्राकृतिक संसाधन – प्रकृति द्वारा प्रदान किये गये उपहारों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। ये संसाधन मानव को समृद्धि तथा विकास का आधार हैं।
  • मुख्य प्राकृतिक संसाधन – मिट्टी, भूमि, जल, प्राकृतिक वनस्पति, जंगली जीव तथा खनिज और ऊर्जा संसाधन
    मुख्य प्राकृतिक संसाधन हैं।
    भूमि संसाधन – भूमि संसाधन कृषि और मानव क्रियाओं के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत में भूमि प्रयोग – (1) वनों के अधीन भूमि
    (2) कृषि अधीन भूमि ।
    (3) कृषि के अतिरिक्त भूमि
    (4) कृषि के लिए खाली छोड़ी हुई भूमि
    (5) कृषि योग्य परन्तु व्यर्थ भूमि।
    (6) चरागाह तथा जंगलात भूमि।
  • मिट्टी संसाधन | मिट्टी फ़सलें और पौधे पैदा करने के लिए आवश्यक संसाधन हैं । इसलिए मिट्टी संसाधन में आने वाली समस्याओं का निदान तथा मिट्टी की सम्भाल बहुत ही आवश्यक है।
  • मिट्टी के प्रकार | जलौढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, मरुस्थलीय मिट्टी, लेटराइट मिट्टी तथा वनीय एवं पर्वतीय मिट्टी।
  • जल संसाधन – जल एक बहुमूल्य संसाधन है। पीने तथा सिंचाई के अतिरिक्त यह धुलाई, खाना पकाना जैसे कई अन्य कार्यों में भी प्रयोग होता है।
  • जल के स्त्रोत – वर्षा, नहरें, नदियां, तालाब तथा भूमिगत जल।
  • प्राकृतिक वनस्पति – यह संसाधन जलवायु, मिट्टी के प्रकार, स्थान तथा समुद्र तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है।
  • वनों के प्रकार – सदाबहार, पतझड़ी, मरुस्थलीय, पर्वतीय और डैल्टाई वनस्पति।
  • जंगली जीव – इन्हें बचाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय-पार्क तथा जीव सैंक्चुरियां स्थापित की हैं। हमारा भी कर्तव्य है कि हम इनकी रक्षा करें।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

SST Guide for Class 8 PSEB संसाधन-प्रकार और संभाल Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। दूसरे शब्दों में संसाधन वे प्राकृतिक उपहार हैं जो मनुष्य के लिए किसी-न-किसी रूप में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक संसाधन कौन-कौन से हैं ? ये हमें कौन प्रदान करता है ?
उत्तर-
वन, खनिज पदार्थ, मिट्टी, समुद्र, सौर ऊर्जा आदि साधन प्राकृतिक संसाधन हैं। ये हमें प्रकृति से मिले हैं।

प्रश्न 3.
संसाधन कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है; जैसे-

  • सजीव तथा निर्जीव संसाधन।
  • समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन।
  • विकसित व सम्भावित संसाधन।
  • मिट्टी व भूमि संसाधन।
  • समुद्री तथा खनिज संसाधन।
  • मानवीय संसाधन।

प्रश्न 4.
मिट्टी की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
मिट्टी (मृदा) पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। जो शैलों से बनी है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

प्रश्न 5.
समुद्रों से हमें क्या-क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
समुद्र हमें खनिज तथा शक्ति संसाधन प्रदान करते हैं। इनके अतिरिक्त समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां, हीरे-जवाहरात आदि प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
संसाधनों की सही सम्भाल कैसे हो सकती है ?
उत्तर-
संसाधनों की सही सम्भाल इनका उचित तथा ज़रूरत के अनुसार प्रयोग करने से हो सकती है। इसके लिए संसाधनों के दुरुपयोग तथा विनाश से बचना चाहिए।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
सजीव और निर्जीव संसाधनों में अन्तर लिखो।
उत्तर-
सजीव संसाधन-सजीव संसाधन हमें सजीव पदार्थों से प्राप्त होते हैं। जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इनके उदाहरण हैं। कोयला तथा खनिज तेल भी सजीव संसाधन कहलाते हैं, क्योंकि ये पेड़-पौधों तथा मृत जीवों के गलनेसड़ने से बनते हैं।
निर्जीव संसाधन-निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं। खनिज पदार्थ तथा जल इनके उदाहरण हैं। खनिज पदार्थ हमारे उद्योगों का आधार हैं। इनकी सम्भाल बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये जल्दी समाप्त हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
भूमि और मिट्टी संसाधनों के महत्त्व पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि तथा मिट्टी संसाधनों का मनुष्य के लिए निम्नलिखित महत्त्व है-

  1. भूमि-भूमि पर मनुष्य अपनी आर्थिक क्रियाएं तथा गतिविधियां करता है। इन क्रियाओं तथा गतिविधियों में कृषि करना, उद्योग लगाना, यातायात के संसाधनों का विकास करना, खेल-खेलना, सैर-सपाटा करना आदि शामिल हैं। मनुष्य अपने घर भी भूमि पर बनाता है।
  2. मिट्टी-मिट्टी में मनुष्य पौधे तथा फ़सलें उगाता है। ये मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं, क्योंकि इनसे मनुष्य को भोजन मिलता है। इनसे मनुष्य को कई प्रकार के अन्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 3.
खनिज पदार्थ हमें कहां से प्राप्त होते हैं और इनका प्रयोग कहां किया जाता है ?
उत्तर-
खनिज पदार्थ हमें धरती के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में मिलते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-धातु खनिज तथा अधातु खनिज । धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि शामिल हैं। अधातु खनिजों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा खनिज तेल प्रमुख हैं। खनिज पदार्थों का प्रयोग उद्योगों में किया जाता है। इन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं कर सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें उद्योगों में साफ़ करना पड़ता

प्रश्न 4.
विकसित और संभावित संसाधनों को उदाहरण सहित समझाओ।
उत्तर-
जब संसाधन किसी लाभदायक उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं, तो वे विकसित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब तक उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जाता है तब तक उन्हें सम्भावित संसाधन कहा जाता है। इन्हें निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है-

  1. पर्वतों से नीचे बहती नदियां बिजली पैदा करने के लिए एक सम्भावित संसाधन हैं। परन्तु इन नदियों के जल से जब बिजली पैदा की जाने लगती है, तो ये विकसित संसाधन बन जाती हैं।
  2. पृथ्वी के नीचे दबा हुआ कोयला एक सम्भावित संसाधन है। इसके विपरीत प्रयोग में लाया जा रहा कोयला एक विकसित संसाधन है।

प्रश्न 5.
समाप्त होने वाले संसाधनों का प्रयोग हमें समझदारी व संकोच के साथ क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो लगातार तथा अधिक मात्रा में प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरण के लिये कोयले तथा पेट्रोलियम का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए ये कम होते जा रहे हैं। एक समय आयेगा जब ये बिलकुल समाप्त हो जायेंगे। क्योंकि इनके बनने में लाखों वर्ष लगते हैं, इसलिए हम इनसे सदा के लिए वंचित हो जायेंगे। यदि हमें ऐसी स्थिति से बचना है, तो हमें इनका प्रयोग समझदारी व संकोच के साथ करना होगा।

प्रश्न 6.
मानवीय संसाधनों का दूसरे संसाधनों के विकास में क्या योगदान है ?
उत्तर-
मनुष्य को पृथ्वी के सभी जीवों में सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है। वह अपनी बुद्धिमत्ता, कार्य शक्ति तथा कौशल के कारण अपने आप में एक बहुत बड़ा संसाधन है। पृथ्वी पर उपलब्ध अन्य सभी संसाधनों को वही प्रयोग में लाता है और उन्हें विकसित करता है। किसी भी क्षेत्र के विकास के पीछे मनुष्य की ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जापान इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। वहां अन्य संसाधनों की कमी होते हुए भी देश ने बहुत अधिक उन्नति की है। वास्तव में मनुष्य को पहले उसके गुण, शिक्षा, तकनीकी योग्यता विकसित संसाधन बनाते हैं, तब वह अन्य संसाधनों को विकसित बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

III. नीचे लिखे प्रश्न का उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न-
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है ? इनके प्रकार बताते हुए संसाधनों के महत्त्व और इनकी सम्भाल के लिए अपनाए गए ढंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसाधन-संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गए वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
संसाधनों के प्रकार-संसाधन प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक दो प्रकार के होते हैं। इन्हें आगे भी कई भागों में बांटा जा सकता है। जैसे –

1. सजीव और निर्जीव संसाधन-सजीव संसाधन सजीव वस्तुओं से प्राप्त होते हैं, जैसे जीव-जन्तु तथा पौधे। इसके विपरीत निर्जीव संसाधन प्रकृति से प्राप्त निर्जीव वस्तुएं हैं, जैसे खनिज पदार्थ, जल आदि।
2. विकसित तथा सम्भावित संसाधन-सभी उपलब्ध संसाधन संभावित संसाधन कहलाते हैं। परन्तु जब इनका प्रयोग होने लगता है तो इन्हें विकसित संसाधन कहा जाता है।
3. समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधन-कोयला, पेट्रोलियम आदि समाप्त होने वाले संसाधन हैं। लगातार प्रयोग से ये किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं। दूसरी ओर जल न समाप्त होने वाला संसाधन है। लगातार प्रयोग से भी यह समाप्त नहीं होता।
4. मिट्टी तथा भूमि संसाधन-मिट्टी में मनुष्य भोजन तथा अन्य उपयोगी पदार्थ प्राप्त करने के लिए पौधे तथा फ़सलें उगाता है। भूमि पर वह उद्योग लगाता है, यातायात के संसाधनों का विकास करता है तथा अन्य गतिविधियां करता है।
5. समुद्री व खनिज संसाधन-समुद्रों से हमें मछलियां, मोती, सीपियां तथा हीरे-जवाहरात प्राप्त होते हैं। खनिज संसाधनों से हमें धातुएं, अधातुएं, ऊर्जा आदि मिलती हैं। ये संसाधन हमारे उद्योगों का आधार हैं।
6. मानवीय संसाधन-मनुष्य अपने आप में सबसे बड़ा संसाधन है। अन्य सभी संसाधनों का विकास मनुष्य ही करता है।
संसाधनों का महत्त्व-संसाधनों का मनुष्य के लिए बहत अधिक महत्त्व है-

  • ये मनुष्य की मूल तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • ये मनुष्य के जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाते हैं और उसके जीवन स्तर को ऊंचा करते हैं।
  • संसाधन देश के विकास के लिए ज़रूरी हैं।

सम्भाल के तरीके-संसाधनों के महत्त्व को देखते हुए इनकी सम्भाल करना आवश्यक हो जाता है। खनिज पदार्थों जैसे संसाधन तो दुर्लभ होते हैं। इनके लगातार तथा बड़ी मात्रा में उपयोग से ये शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे। अतः इनकी सम्भाल और भी आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनसे लाभ उठा सकें। संसाधनों की सम्भाल निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है-

  • इनका उपयोग सूझ-बूझ के साथ लम्बे समय तक किया जाये।
  • इनके दुरुपयोग को रोका जाये ताकि इनके विनाश से बचा जा सके।
  • फिर से प्रयोग में लाये जा सकने वाले संसाधनों को दोबारा प्रयोग में लाया जाए।
  • मनुष्यों की योग्यता और कौशल में वृद्धि की जाए, ताकि वे संसाधनों की उपयोगिता को बढ़ा सकें।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसाधन-प्रकार और संभाल Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. पृथ्वी का …………. प्रतिशत भाग पानी है।
2. संसाधन ………… उपहार हैं जो मनुष्य के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं।
3. जिन संसाधनों का प्रयोग नहीं होता उन्हें ………… संसाधन कहते हैं।
उत्तर-

  1. 71,
  2. प्राकृतिक,
  3. संभावित।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. पृथ्वी पर जीवन सबसे पहले समुद्रों में शुरू हुआ।
2. खनिज संसाधन पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होने वाले पदार्थ हैं।
3. प्रकृति के जीवों में से पशु-पक्षियों को सर्वोत्तम प्राणी माना जाता है।
उत्तर-

  1. ✗.

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) पानी
(i) कोयला
(iii) वायु
(iv) सूर्य की ऊर्जा । ।
उत्तर-
(i) कोयला

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

प्रश्न 2.
न समाप्त होने वाला संसाधन कौन-सा है ?
(i) सूर्य की ऊर्जा
(ii) पैट्रोलियम
(iii) कोयला
(iv) एल्यूमीनिय ।।
उत्तर-
(i) सूर्य की ऊर्जा

प्रश्न 3.
पृथ्वी की कौन-सी सतह मिट्टी कहलाती है ?
(i) सबसे अंदर की सतह
(ii) बीच की सतह
(iii) सबसे ऊपरी सतह
(iv) ये तीनों सतहें।
उत्तर-
(iii) सबसे ऊपरी सतह

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. धातु खनिज – जल
2. सजीव संसाधन – मैंगनीज़
3. निर्जीव संसाधन – पौधे
4. अभातु खनिज – तांबा।
उत्तर-

  1. तांबा,
  2. पौधे,
  3. जल,
  4. मैंगनीज़।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आज के मनुष्य को बहुत से संसाधनों पर निर्भर क्यों होना पड़ता है ?
उत्तर-
पहले मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत कम थीं। परन्तु आज उसकी आवश्यकताएं असीमित हो गई हैं। इसलिए उसे आज बहुत से संसाधनों पर निर्भर होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
उदाहरण देकर समझाइए कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही संसाधनों का उचित विकास है।
उत्तर-
कोयला या खनिज तेल आदि मानव के लिए तथा वायुयान के आविष्कार से पहले एल्यूमीनियम आधुनिक मानव के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता था। परन्तु इनकी उपयोगिता बढ़ने पर इनका महत्त्व बढ़ गया। अत: हम कह सकते हैं कि संसाधनों का उचित प्रयोग ही इनका उचित विकास है।

प्रश्न 3.
संसाधनों को विभिन्न वर्गों में बांटने के चार मुख्य आधार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. जीवन
  2. उपलब्धियां
  3. विकास स्तर
  4. प्रयोग।

प्रश्न 4.
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए कौन-से संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं और क्यों ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए जैव संसाधन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि संसार में लगभग 85% खाद्य पदार्थ इन्हीं साधनों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5.
कोयले तथा खनिज तेल को सजीव संसाधनों की श्रेणी में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर-
कोयला तथा खनिज तेल पौधों तथा जीवों जैसे सजीव संसाधनों के अवशेषों से बनते हैं।

प्रश्न 6.
किसी देश के धनी होने का अनुमान किस बात से लगाया जाता है ?
उत्तर-
किसी देश के धनी होने का अनुमान देश में प्राप्त होने वाले संसाधनों से लगाया जाता है।

प्रश्न 7.
मृदा या मिट्टी कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखें।
उत्तर-
मृदा कई प्रकार की होती हैं; जैसे- (1) रेतीली, (2) चिकनी (3) दोमट (4) जलोढ़ (5) पर्वतीय (6) लाल तथा (7) काली मृदा।

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प्रश्न 8.
उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं। क्यों ?
उत्तर-
उपजाऊ मृदा (मिट्टी) फ़सलें उगाने के लिए सर्वोत्तम होती है। अत: उपजाऊ मृदा वाले क्षेत्रों में कृषि उन्नत होती है जिसके कारण ये क्षेत्र घनी जनसंख्या वाले तथा आर्थिक क्रियाओं से भरपूर होते हैं।

प्रश्न 9.
भूमि का प्रयोग किन बातों को ध्यान में रख कर होता है ?
उत्तर-
भूमि का प्रयोग धरातल, ढलान, मिट्टी के प्रकार, जल-निकास तथा मनुष्य की ज़रूरतों आदि बातों को ध्यान में रख कर होता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
संसाधन प्राकृतिक तथा मानवीय दो प्रकार के होते हैं। प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्राप्त होते हैं। इनमें वन, खनिज पदार्थ, नदियां, सौर ऊर्जा तथा समुद्र आदि शामिल हैं।
मानवीय संसाधन स्वयं मनुष्य द्वारा बनाये जाते हैं; जैसे-सड़कें, मशीनरी, यातायात के साधन, कृत्रिम खादें आदि। ये संसाधन मानव की प्रगति के प्रतीक हैं। ये भौतिक भी हो सकते हैं तथा अभौतिक भी। मनुष्य की बुद्धि, ज्ञान एवं कार्यकुशलता को भी मानव साधन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले संसाधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समाप्त होने वाले संसाधन वे संसाधन हैं जो अधिक मात्रा में तथा लगातार प्रयोग के कारण समाप्त होते जा रहे हैं। यदि ये समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से नहीं पा सकेंगे क्योंकि इनके बनने में लाखों-करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम इसी प्रकार के संसाधन हैं।
वे संसाधन जो बार-बार प्रयोग करने पर भी समाप्त नहीं होते, न समाप्त होने वाले संसाधन कहलाते हैं। ये इसलिए समाप्त नहीं होते क्योंकि इनकी पूर्ति होती रहती है। इन साधनों में सूर्य की ऊर्जा, वायु, पानी, वन आदि शामिल हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समुद्री तथा खनिज संसाधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
समुद्री संसाधन-पृथ्वी का लगभग 71% भाग जल है। जल के बड़े-बड़े भण्डारों को समुद्र कहा जाता है। माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ सबसे पहले समुद्रों में ही हुआ था। इसलिए समुद्र हमें बड़ी मात्रा में जैविक संसाधन प्रदान करते हैं जिनमें शक्ति के संसाधन (पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस) भी शामिल हैं। समुद्रों से हमें मछलियां, सीपियां, मोती, नमक तथा हीरे-जवाहरात भी प्राप्त होते हैं। मछलियां संसार में बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करती हैं।

खनिज संसाधन-खनिज संसाधन हमें पृथ्वी के भीतरी भाग से प्राप्त होते हैं। ये मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं-धातु (Metallic) खनिज तथा अधातु (Non Metallic) खनिज। धातु खनिजों में लोहा, तांबा, सोना, चांदी, एल्यूमीनियम आदि खनिज शामिल हैं। अधातु खनिज पदार्थों में कोयला, अभ्रक, मैंगनीज़ तथा पेट्रोलियम आदि मुख्य हैं। खनिज संसाधन भिन्न-भिन्न प्रकार की चट्टानों में पाये जाते हैं। चट्टानों से मिलने वाले खनिज पदार्थ प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं किये जा सकते। प्रयोग करने से पहले इन्हें साफ़ किया जाता है और इनकी अशुद्धियां दूर की जाती हैं। खनिज हमारे उद्योगों का आधार माने जाते हैं। इसलिए इन्हें बहुत अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 2.
संसाधनों की सम्भाल पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
संसाधन मनुष्य को प्रकृति की बहुत बड़ी देन हैं। मनुष्य इन्हें अपने और अपने देश के विकास के लिए प्रयोग करता है। परन्तु विकास के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य दूसरे देशों के साथ मुकाबला भी कर रहा है। इसलिए वह बिना सोचे-समझे इन संसाधनों को समाप्त कर रहा है। वह यह नहीं जानता कि बहुत-से साधनों के भण्डार सीमित हैं। यदि ये भण्डार एक बार समाप्त हो गए तो हम इन्हें फिर से प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उदाहरण के लिए कोयला और पेट्रोलियम जिन्हें पूर्ण संसाधन बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, यदि एक बार समाप्त हो गये तो इन्हें दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए इनकी सम्भाल ज़रूरी है।

  • संसाधनों तथा इनकी सम्भाल का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है। संसाधनों की सम्भाल से अभिप्राय इनका सही प्रयोग है ताकि इनका दुरुपयोग या विनाश न हो। दूसरे शब्दों में इनका प्रयोग विकास के लिए हो और लम्बे समय के लिए हो ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ियां भी इनका लाभ उठा सकें। उचित और ज़रूरत के अनुसार इनका प्रयोग ही इन साधनों की सही सम्भाल होगी।
  • यूं तो सम्भाल प्रत्येक संसाधन के लिए आवश्यक है, परन्तु जो संसाधन दुर्लभ हैं उनकी विशेष सम्भाल की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार यदि कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग इसी गति से होता रहा, तो लगभग 80% जीवांश ईंधन इसी शताब्दी में समाप्त हो जायेंगे।
  • हमें मृदा, जल और वन आदि संसाधनों की सम्भाल भी करनी चाहिए। इनका प्रयोग करते समय इन्हें व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दोबारा प्रयोग होने वाले साधनों को बार-बार प्रयोग में लाया जाये।
  • यह भी आवश्यक है कि ज्ञान, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया जाये और लोगों को इन संसाधनों की संभाल के बारे में जागृत किया जाये।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 1 संसाधन-प्रकार और संभाल

संसाधन-प्रकार और संभाल PSEB 8th Class Social Science Notes

  • संसाधन – संसाधन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाये गये वे उपयोगी पदार्थ हैं जो मनुष्य की मूल (रोटी, कपड़ा, मकान) तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। |
  • संसाधनों का महत्त्व । (1) संसाधन मनुष्य की ज़रूरतों को पूरा करते हैं और उसके जीवन को सुखी तथा समृद्ध बनाते हैं। (2) संसाधन विकास के लिए ज़रूरी हैं।
  • संसाधनों के प्रकार (1) सजीव तथा निर्जीव (2) विकसित तथा संभावित (3) समाप्त होने वाले तथा न समाप्त होने वाले (4) मिट्टी और भूमि (5) समुद्री और खनिज (6) मानवीय साधन।
  • संसाधनों की संभाल | कोयला, पेट्रोलियम जैसे कई संसाधन जल्दी समाप्त होने वाले होते हैं। अतः इनका प्रयोग सही और लम्बे समय तक होना चाहिये। ताकि हम इनसे वंचित न हो जाएं।
    • फिर से प्रयोग होने वाले पदार्थों का दोबारा प्रयोग किया जाये। उदाहरण के लिए लोहे को गला कर इसका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है।
    • संसाधनों का ठीक प्रयोग करने के लिए आवश्यक नियम बनाये जायें।
    • लोगों के ज्ञान तथा शैक्षणिक एवं तकनीकी शिक्षा का स्तर ऊंचा किया जाये।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

PSEB 8th Class Home Science Guide भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खाना खाने के कितने तरीके हैं ?
उत्तर-
खाना खाने के दो तरीके हैं-आधुनिक तथा पुरातन।

प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
आधुनिक तरीके आजकल भारत में पढ़े-लिखे व्यक्ति ही व्यवहार में लाते हैं और मेज़ पर बैठकर ही खाना पसंद करते हैं।

प्रश्न 3.
खाना खाने के कौन-से ढंग में आमतौर पर स्त्रियाँ मेहमान के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं और क्यों ?
उत्तर-
खाना खाने की पुरातन ढंग में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खाती क्योंकि वे मेजबान बनकर खाना बनाने और परोसने में मान महसूस करती हैं।

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प्रश्न 4.
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते कहाँ प्रयोग किये जाते हैं ?
उत्तर-
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते दक्षिणी भारत में प्रयोग किये जाते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
तुम्हारे विचार में भोजन इकट्ठे बैठकर खाना चाहिए या अलग-अलग बैठकर और क्यों ?
उत्तर-
हमारे विचार से भोजन इकट्ठे बैठकर करना चाहिए क्योंकि इकट्ठे बैठकर भोजन करने से जो भी भोजन बना होगा सभी मिल-जुलकर खाना खाएँगे और किसी तरह की शिकायत नहीं होगी। साथ ही गृहिणी को खाना परोसने में आसान भी रहेगा।

प्रश्न 2.
खाना खाते समय आप किन नियमों का पालन करोगे ? विस्तार से लिखो।
उत्तर-
खाना खाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए-

  1. मुँह में चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए। उतनी देर तक कोई चीज़ दोबारा नहीं लेना चाहिए जब तक सभी एक-एक बार न ले लें।
  2. अगर खाना हाथ से खाओ तो पूरा हाथ नहीं भरना चाहिए।
  3. भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। तली हुई चीज़ों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। उतना ही खाना खाना चाहिए जितना आसानी से पच सके।
  4. हाथ साफ़ होने चाहिएँ। कपड़े साफ़, हल्के और ढीले हों तो अति उत्तम है।
  5. गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  6. भोजन करते समय न तो खाँसी होना चाहिए न ही छींक आनी चाहिए। चम्मच, काँटे या बर्तन अगर कोई दूसरे व्यक्ति ने इस्तेमाल किए हों तो गर्म पानी में धो कर इस्तेमाल करना चाहिए।
  7. रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खाना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

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प्रश्न 3.
आपखाना खाने और परोसने के लिए कौन-सा ढंग पसन्द करोगे और क्यों ?
उत्तर-
हम खाना खाने और परोसने के लिए आधुनिक ढंग पसन्द करेंगे, क्योंकि आधुनिक ढंग में सब लोग इकट्ठा खाना शुरू करते हैं और अन्त में कुर्सियों से इकट्ठे ही उठते हैं। इसमें मेज़ के ऊपर सभी चीजें रख ली जाती हैं जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार चीज़ ले लेता है। इस प्रकार कोई भी पदार्थ व्यर्थ नहीं जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी और दक्षिणी भारत में खाना परोसने के ढंग बताओ।
उत्तर-
उत्तरी भारत में थाली में विभिन्न आकार की कटोरियों में सजे व्यंजन रखे जाते हैं। दाल, सब्जी व रायता एक ही आकार की कटोरियों में रखते हैं। छोटी कटोरियों में चटनी व अचार रखते हैं। पापड़ और रोटी, पराँठा या पूरी भी थाली में रखते हैं। थाली में चम्मच भी अवश्य रखा जाता है। पानी से भरा गिलास दायीं ओर चौकी पर थाली के पास रखा जाता है। चावल यदि बनाये जाते हैं तो कुछ रोटी के बाद पूछकर दिए जाते हैं। पंजाब में तथा अन्य बहुत-से घरों में दही की नमकीन लस्सी भी दी जाती है।

खाना प्रायः गृहिणी ही खिलाती है। पहले थाली व कटोरी में थोड़ा-थोड़ा खाना लगाकर चौकी पर रख दिया जाता है। भोजनकर्ता खाना खाता रहता है और गृहिणी बीच-बीच में आवश्यकतानुसार थोड़ा-थोड़ा परोसती रहती है।

भोजन के पश्चात् जूठे बर्तन उठाकर चौकी, पटरा तथा कमरे व स्थान को साफ़ कर दिया जाता है।
दक्षिण भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल किए जाते हैं। पत्ते की नोक खाने वाले के दायीं तरफ़ होती है। पत्ते के ऊपर बायीं तरफ़ पानी के लिए गिलास रखा जाता है। यदि मिठाई परोसनी हो तो पत्ते के दाएँ हाथ के कोने पर परोसी जाती है। कई लोग खाने के शुरू में और कई खाने के अन्त में मिठाई परोसते हैं। अचार पत्ते के नोक की बाईं तरफ रखते हैं। चावल जो दक्षिण भारत के लोगों का मुख्य खाना है, पत्ते के बीच में रखा जाता है। चावलों के साथ घी और सांबर देते हैं। दूसरे दौर में चावल के साथ रसम और तीसरी बार देना हो तो अचार, चावल, दही या लस्सी परोसी जाती है। भोजन खाने के बाद हाथ धोकर पान बाँटते हैं।

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प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक और पुरातन ढंग में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
खाना खाने के आधुनिक तथा पुरातन ढंग में निम्नलिखित अन्तर हैं-

आधुनिक ढंग पुरातन ढंग
(1) इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ़ कुर्सियाँ लगी होती हैं। (1) पुराने ढंग में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है।
(2) मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। (2) इस विधि में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है।
(3) भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों  पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। (3) इस विधि में गृहिणी को सामान्यतः भोजन परोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है।
(4) आवश्यकता पड़ने पर दुबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से लेते हैं। (4) प्रारम्भिक रूप से गृहिणी थोडा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है।

 

प्रश्न 3.
खाना परोसते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
खाना परोसते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. गृहिणी अथवा खाना परोसने वाले व्यक्ति का शरीर स्वच्छ तथा वस्त्र साफ़-सुथरे होने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र हों तो अधिक उत्तम रहता है।
  2. यदि गृहिणी खाना परोसे तो उसे अपने बाल भली-भान्ति बाँध लेने चाहिएँ जिससे बार-बार बालों को स्पर्श न करना पड़े। पल्ला व दुपट्टा उचित स्थिति में रखना चाहिए ताकि वह लटके नहीं।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त होकर कराना चाहिए।
  4. बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते होने चाहिएं।
  5. कटोरियाँ और प्लेटें खाने के समय पूरी-पूरी नहीं भरनी चाहिए। थोड़ी खाली ही रहने देनी चाहिए।
  6. भोजन परोसते समय मेज़ या फर्श पर न गिरे और न ही बर्तन के किनारे पर गिरे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  7. खाना खिलाते समय प्रत्येक सदस्य की ओर ध्यान रखना चाहिए।
  8. भोजन करने वालों की रुचि का ध्यान रखना चाहिए।
  9. प्रत्येक आदमी के लिए 20” से 24″ तक लम्बी और 15 से 16” चौड़ी जगह होनी चाहिए ताकि खाना आसानी से खाया जा सके।
  10. खाने की मेज़ पर कोई ऐसा कपड़ा बिछाना चाहिए जिससे खाना खाते समय प्लेटों, छुरियों, काँटों आदि की आवाज़ कम हो।
  11. फूलदान, फूल ट्रे आदि को मेज़ के केन्द्र में रखना चाहिए तथा ये कम ऊँचे होने चाहिए जिससे सभी व्यक्ति बिना रुकावट एक-दूसरे को देख सकें।
  12. खाना परोसते समय थाली, कटोरी या किसी बर्तन को ज़मीन पर बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।
  13. खाना खाने के बाद हाथ धोने, हाथ पोंछने आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।
  14. भोजन को इस तरह परोसना चाहिए कि भोजन खाने वाले भोजन की ओर आकर्षित हो जायें और खुश होकर खायें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Home Science Guide for Class 8 PSEB भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय तरीके में घर की स्त्री पति के किस तरफ बैठती है ?
(क) बायें
(ख) दायें
(ग) बैठती ही नहीं
(घ) खड़ी रहती है।
उत्तर-
(क) बायें

प्रश्न 2.
प्लेटों के स्थान पर केले के पत्ते कहां प्रयोग होते हैं
(क) दक्षिणी भारत
(ख) पूर्वी भारत
(ग) अमरीका
(घ) रूस।
उत्तर-
(क) दक्षिणी भारत

प्रश्न 3.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सब से पहले क्या परोसा जाता है ?
(क) सूप
(ख) खीर
(ग) पानी
(घ) कुछ नहीं
उत्तर-
(क) सूप

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प्रश्न 4.
मक्खन को गर्म करने से
(क) खाने योग्य नहीं रहता
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है
(ग) जल जाता है
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है

II. ठीक/गलत बताएं

  1. भारतीय शैली में भोजन के अंत में स्वीट डिश परोसी जाती है।
  2. मिठाई केले के पत्ते के कोने पर परोसी जाती है।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त हो कर करना चाहिए।
  4. भोजन करते समय खूब बातें करना चाहिए।

उत्तर-

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. दक्षिणी भारत में ……………. के पत्ते बर्तनों की जगह प्रयोग में लाए जाते हैं।
  2. पुराने ढंग में भोजन खाने के बाद हाथ धोकर ……………… बाँटा जाता है।
  3. रात को सोने से ……………… पहले खाना खायो।
  4. ……………… के गिलास प्रयोग नहीं करने चाहिए।

उत्तर-

  1. केले,
  2. पान,
  3. एक घण्टे,
  4. काँसे।

IV. एक शब्द में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
भोजन परोसते समय किस बात का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्वच्छता का।

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प्रश्न 2.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सबसे पहले क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
सूप या फ्रूट जूस।

प्रश्न 3.
भारतीय शैली में भोजन के अन्त में क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
मीठी चीजें (स्वीट डिश)

प्रश्न 4.
खाना खाने की किस विधि में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं ?
उत्तर-
पुरातन ढंग में।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाना खाने के कौन-कौन से दो तरीके हैं ?
अथवा
खाना परोसने के दो ढंगों के नाम लिखो।
उत्तर-
खाना खाने के पुरातन और आधुनिक दो तरीके हैं।

प्रश्न 2.
मक्खन को गर्म क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
मक्खन को गर्म करने से उसका विटामिन ‘ए’ नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 3.
भोजन परोसने की तीन (दो) विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
अथवा
भोजन परोसने के ढंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. भारतीय शैली,
  2. विदेशी शैली,
  3. बुफे भोज।

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प्रश्न 4.
यथासम्भव एक ही धातु के पात्रों में भोजन क्यों परोसना चाहिए ?
उत्तर-
एकरूपता होने के कारण आकर्षण बढ़ता है।

प्रश्न 5.
बुफे विधि प्रायः कहाँ प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
शादी, पार्टियों, सामूहिक भोज आदि अवसरों पर।

प्रश्न 6.
सेकने की विधि द्वारा भोजन पकाने के लाभ तथा हानि क्या हैं ?
उत्तर-
लाभ-भोज्य पदार्थ स्वादिष्ट तथा पोषक तत्त्वयुक्त रहता है। हानि-यह महँगी विधि है और इसमें अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 7.
चावल पकाते समय चावलों में कितना पानी डालना चाहिए ?
उत्तर-
जितना पानी चावल सोख लें।

प्रश्न 8.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ।
उत्तर-
इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ कुर्सियां लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोगों प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बाठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं।

प्रश्न 9.
मेज़ पर खाना परोसने के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए ? ।
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने के लिए, डोंगे, कड़छियाँ, चम्मच, छरी, काँटे, नेपकिन पानी का जग, गिलास, प्लेटें, कटोरियाँ, नमकदानी आदि सामग्री की आवश्यकता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन परोसने की देशी और विदेशी विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हमारे देश में भोजन परोसने के लिए सामान्यतः दो विधियां हैं-
(1) देशी विधि,
(2) विदेशी विधि। कहीं-कहीं इन दोनों विधियों का मिला-जुला रूप भी प्रचलित है।

1. देशी विधि-देशी विधि अर्थात् भारतीय विधि में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है। प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है। थाली में पकाया हुआ भोजन भली-भाँति सजाया जाता है। रसेदार सब्जी व तरल भोज्य पदार्थों को कटोरी में व अन्य चीजें थाली में ही रखी जाती हैं। इस विधि में गृहिणी को सामान्यत: भोजन पोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है। प्रारम्भिक रूप में गृहिणी थोड़ा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है। यह बात गृहिणी के ध्यान रखने योग्य है कि शुरू में ही वह थाली में इतना भोजन न परोसे कि खाया ही न जाए तथा व्यर्थ जाए, बल्कि खाने वाले की इच्छानुसार पूछकर देना चाहिए।

देशी विधि में बदलते समय के साथ-साथ कुछ परिवर्तन भी होते रहे हैं, जैसे अब विदेशी विधि की भान्ति डोंगों में भोज्य पदार्थों को रखकर परिवार के सारे सदस्य भूमि में आसन बिछाकर एक साथ भोजन करते हैं।

2. विदेशी विधि- यह विधि परा-भारतीय है किन्तु भारत में अब इसका काफ़ी प्रचलन है। इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों ओर कुर्सियाँ लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से ले लेते हैं। इस विधि में बार-बार परोसने के लिए किसी अतिरिक्त व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती । अतः सभी व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। इस विधि में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • प्रत्येक डोंगे के साथ एक सर्विस चम्मच होना चाहिए।
  • प्रत्येक व्यक्ति के प्रयोग के लिए नेपकिन होते हैं जिससे कपड़े खराब नहीं होते।
  • प्रत्येक व्यक्ति के सामने एक बड़ी प्लेट होती है।
  • छुरी, काँटे की उचित व्यवस्था हो। छुरी प्लेट के दायीं ओर हो तथा उसकी धार प्लेट की तरफ़ होनी चाहिए। काँटे प्लेट के बायीं ओर सीधे रखने चाहिएँ।
  • मेज़ पर एक सुन्दर फूलदान रखना चाहिए लेकिन यह इस स्थिति में रखा जाए कि भोजन लेने में उससे रुकावट उत्पन्न न हो।

आजकल देशी-विदेशी दोनों विधियों का मिला-जुला रूप कई स्थानों पर देखने को मिलता है। जो भी हो, भोजन परोसने की विधि ऐसी मनोहारी, स्वच्छ व रुचिकर होनी चाहिए जिसमें आकर्षण झलकता हो।

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प्रश्न 2.
खाने की मेज़ की व्यवस्था करना क्यों आवश्यक है ? यह व्यवस्था कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने से पहले मेज़ की व्यवस्था करना ज़रूरी है। मेज़ की व्यवस्था खाना खाने के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए की जाती है। मेज़ की व्यवस्था से गहिणी का व्यक्तित्व प्रकट होता है।

मेज़ की व्यवस्था में कोई जटिल नियम नहीं होते हैं। भोजन के परोसे जाने की विधि; मीन का चुनाव, मेज़ का आकार, इन सब पर मेज़-व्यवस्था निर्भर करती है। भोजन परोसने की विधि के अनुसार हम वस्तुओं की स्थिति निर्धारित करते हैं।

मेज़पोश-मेज़ पर मेज़पोश, मैट्स, नेपकिन इत्यादि की आवश्यकता होती है। आजकल सनमाइका के मेज़ होने के कारण मेज़पोश तथा मैट्स की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि कागज़ के नैपकिन के इस्तेमाल से ही काम चल जाता है। यदि इन वस्तुओं का इस्तेमाल करना हो तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1. मेज़पोश मेज़ के चारों तरफ 30-40 सेमी० से ज्यादा नहीं लटकना चाहिए।

2. मेज़ चौड़ी हो तो मैट्स को मेज़ के किनारों से 3-4 सेमी. दूरी पर रखनी चाहिए। यदि मेज़ कम चौड़ी हो तो मैट्स को किनारों के साथ-साथ लगाया जाना चाहिए।

3. मेज़ की सज्जा रुचि अनुसार की जाती है। यदि बैठकर भोजन करना हो तो फूल सज्जा नीची रखनी चाहिए और यदि खड़े होकर खाने का प्रबन्ध हो तो ऊँचे आकार की फूल सज्जा रखी जाती है।

4. नेपकिन के रंग ध्यानपूर्वक चुनने चाहिएँ। नेपकिन रखने से पहले कई तरह से तह लगाया जा सकता है, जैसे-चौरस, आयताकार आदि। नेपकिन को मैट्स पर प्लेट के बाईं तरफ या प्लेट के ऊपर ही रखा जाता है।

5. चीनी और काँच के बर्तन आदि रखने के लिए ठीक स्थान होना चाहिए। पानी के गिलास को छुरी के एक दम सामने रखना चाहिए। सब्जी की प्लेटें चम्मच के दाईं ओर रखनी चाहिएँ। डोंगे मेज़ के मध्य भाग में ही रखने चाहिए।

5. चम्मच, छुरी, काँटे खाना खाने की सुविधा के लिए होते हैं । खाना खाने की छुरी को प्लेट के दाईं तरफ़ तथा चम्मचों को छुरी के बाईं तरफ रखना चाहिए। काँटे को प्लेट की बाईं ओर रखना चाहिए।

6. यदि मेहमानों की संख्या उपलब्ध स्थान से ज्यादा हो तो इसका सरल समाधान बुफे सर्विस है। बड़ी मेज़ के साथ छोटी मेजें लगाकर डेजर्ट तथा पानी की व्यवस्था की जा सकती है।

प्रश्न 3.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

भारतीय ढंग से मेज़ लगाना PSEB 8th Class Home Science Notes

  • खाना खाने के दो तरीके हैं-एक पुरातन और दूसरा आधुनिक।
  • भारतीय ढंग के अनुसार खाना खाने के लिए दाएँ हाथ का इस्तेमाल करते हैं और खाना उँगलियों से खाते हैं।
  • दक्षिणी भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल करते हैं।
  • भारतीय ढंग में घर की स्त्री पति के बाएँ ओर बैठती है।
  • मेज़ को सजाने के लिए फूलदान, फ्रूट ट्रे आदि इस्तेमाल करते हैं।
  • खाना परोसते समय बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते हुए होने चाहिएँ।
  • खाना खाते समय मुँह से चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए।
  • भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।
  • गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  • रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खा लेना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि एवम् भूमि सुधार Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि की दृष्टि से भूमि का pH कितना होना चाहिए?
उत्तर-
6.5 से
8.7 तक pH होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भूमि के दो मुख्य भौतिक गुण बताएँ।
उत्तर-
कणों का आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली जगह, पानी रोकने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
किस भूमि में पानी लगाने के फौरन बाद ही विलय हो जाता है?
उत्तर-
रेतली भूमि।

प्रश्न 4.
चिकनी मिट्टी में चिकने कणों की मात्रा बताएँ।
उत्तर-
कम-से-कम 40% चिकने कण होते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
क्षारीय एवं अम्लीय को मापने का पैमाना बतलाएँ।
उत्तर-
क्षारीय और तेज़ाबीपन (अम्लीयता) को मापने का पैमाना pH है।

प्रश्न 6.
लवणी भूमि में किन लवणों की प्रचुरता (अधिकता) होती है ?
उत्तर-
इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की अधिकता होती है।

प्रश्न 7.
जिस भूमि में सोडियम के कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट अत्यधिक मात्रा में हो, उस भूमि को किस श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर-
क्षारीय भूमि।

प्रश्न 8.
हरी खाद के लिए दो फसलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सन अथवा लैंचा, जंतर।

प्रश्न 9.
चिकनी धरती किस फसल के लिए श्रेष्ठ है?
उत्तर-
धान की बुवाई के लिए।

प्रश्न 10.
क्षारीय धरती के सुधार के लिए कौन-सा पदार्थ प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जिप्सम।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भू-विज्ञान के अनुसार मिट्टी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव के अधीन प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।

प्रश्न 2.
भूमि के प्रमुख भौतिक गुण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
कणों के आकार, भूमि घनत्व, कणों के मध्य खाली स्थान, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की ताकत आदि।

प्रश्न 3.
चिकनी व रेतली मिट्टी की तुलना करें।
उत्तर-

रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी
(1) उंगलियों में मिट्टी को रगड़ने से कणों का आकार खटकता है। (1) कण बहुत बारीक होते हैं।
(2) पानी बहुत जल्दी अवशोषित हो जाता है। (2) पानी बहुत देर तक खड़ा रहता है।
(3) दो कणों के मध्य खाली स्थान होता है। (3) दो कणों के मध्य खाली स्थान कम ज़्यादा होता है।

 

प्रश्न 4.
अम्लीय भूमि होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जिन भूमियों में तेज़ाबी (अम्लीय) मादा ज़्यादा होता है उनको अम्लीय भूमि कहते हैं। इन भूमियों में ज्यादा बारिश होने के कारण क्षारीय लवण बह जाते हैं और पौधों आदि के पत्तों के गलने-सड़ने से तेज़ाबी मादा पैदा होता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 5.
कल्लर वाली भूमि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिस भूमि में लवण की मात्रा बढ़ जाती है उनको कल्लर वाली भूमि कहते हैं। यह तीन तरह की होती है–लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय।

प्रश्न 6.
सेम वाली भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उन भूमियों को जिन भूमियों के नीचे पानी का स्तर शून्य से लेकर 1.5 मीटर नीचे ही मिल जाए, उसको सेम वाली भूमि कहते हैं।

प्रश्न 7.
लवणीय भूमि का सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-

  1. जिंदरा या ट्रैक्टर वाले कराहे के साथ भूमि की ऊपर वाली सतह खुरच कर किसी अन्य स्थान पर गहरे गड्ढे में दबा देनी चाहिए।
  2. भूमि को पानी के साथ भर कर इसमें हल चला दिया जाता है और फिर पानी बाहर निकाल दिया जाता है। इसके साथ लवण पानी में घुल कर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 8.
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए अभीष्ट जानकारी दें।
उत्तर–
कल्लर भूमि को सुधारने के लिए कुछ जानकारी प्राप्त करनी ज़रूरी है, जैसे—

  1. भूमि के नीचे पानी की सतह।
  2. पानी की सिंचाई के लिए योग्यता किस तरह की है।
  3. नहर का पानी उपलब्ध है या नहीं।
  4. धरती में कंकर या अन्य सख्त परतें हैं या नहीं।
  5. ज्यादा पानी निकालने के लिए खालों का योग्य प्रबंध है कि नहीं।
  6. कल्लर की कौन-सी किस्म है।

प्रश्न 9.
मैरा भूमि के प्रमुख गुण बताएँ।
उत्तर-
मैरा भूमि के गुण रेतीले और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं। हाथों में डालने पर इसके कण पाउडर की तरह फिसलते हैं।

प्रश्न 10.
लवणीय क्षारीय भूमि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इन भूमियों में क्षारत्व और लवणों की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें चिकने कणों के साथ जुड़ा सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है और भूमि में अच्छे लवण भी बहुत ज़्यादा मात्रा में होते हैं।

(इ) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि (धरती) के सुधार के लिए समुचित प्रबंध का वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे की अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 2.
कणों के आकार के अनुपात भूमि के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
कणों के आकार के अनुपात अनुसार भूमि की तीन श्रेणियां हैं—
1. रेतीली भूमि
2. चिकनी भूमि
3. मैरा (दोमट) भूमि।।

  1. रेतीली भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू बनाते तुरन्त ही टूट जाता है। इसके कण उंगलियों में रख कर महसूस किए जा सकते हैं। सिंचाई का पानी लगाते ही सोख लिया जाता है। इसके कणों में मध्य खाली स्थान अधिक होता है। इस मिट्टी की जुताई आसान है तथा इसको हल्की भूमि कहा जाता है। इसमें हवा तथा पानी का आवागमन सरल है।
  2. चिकनी भूमि-गीली मिट्टी का लड्डू सरलता से बन जाता है तथा टूटता नहीं है। इसके कणों का आकार रेत के कणों की तुलना में बहुत कम होता है। इसमें कम-सेकम 40% चिकने कण होते हैं। इसमें कई दिनों तक पानी रुका रहता है। जब नमी कम हो जाती है तो जुताई के समय मिट्टी ढीम बनके निकलती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। भूमि जैसे फट जाती है। इनमें पानी रखने की शक्ति रेतीली भूमि से कहीं अधिक होती है।
  3. मैरा (दोमट) भूमि-यह भूमि रेतीली से चिकनी भूमि के बीच होती है। इसके कणों का आकार भी चिकनी तथा रेतीली भूमियों के कणों के मध्य होता है। इनमें रोगों की संरचना हवा तथा पानी का संचालन, पानी सम्भाल समर्था आहारीय तत्त्व की मात्रा आदि गुण अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हैं। इस भूमि को कृषि के लिए उत्तम माना गया है। इसके कण हाथों में पाऊडर जैसे फिसलते हैं।

प्रश्न 3.
एक आँकड़ा आकृति के द्वारा भूमि के मुख्य भाग दर्शाएं।
उत्तर-
भूमि एक मिश्रण है जिसमें खनिज पदार्थ, जैविक पदार्थ, पानी तथा हवा होती है। इनकी मात्रा को नीचे दिए गए चित्र के अनुसार दर्शाया गया है। हवा तथा पानी की मात्रा आपस में कम अधिक हो सकती है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार 1
चित्र-भूमि के मुख्य भाग

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प्रश्न 4.
रेतीली धरती के सुधार का उपाय विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर-
रेतीली भूमियों के सुधार के लिए योग्य प्रबंध निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरी खाद को फूल पड़ने से पहले या दो महीने की फ़सल को ज़मीन में दबा दें। हरी खाद के लिए सन या ढेंचे की बुवाई की जा सकती है।
  2. अच्छी तरह गली-सड़ी रूड़ी को प्रयोग कर खेत में जुताई के द्वारा खेत में मिला देना चाहिए।
  3. मुर्गियों की खाद, सूअर की खाद, कंपोस्ट खाद आदि के प्रयोग से भी सुधारा जा सकता है।
  4. मई-जून के महीने में खेतों को खाली नहीं रखना चाहिए। कोई न कोई फसल बोकर रखें ताकि इनके जीवांश मादे को बचाया जा सके।
  5. फ़ली वाली फसलों की कृषि करनी चाहिए।
  6. सिंचाई के लिए छोटी क्यारियां बनाओ।
  7. ऊपर वाली रेतीली सतह को कराहे के साथ एक तरफ कर दो और नीचे अच्छी मैरा मिट्टी की सतह का इस्तेमाल करें।
  8. तालाबों की चिकनी मिट्टी भी खेतों में डालकर लाभ मिलता है।

प्रश्न 5.
सेम वाली धरती में फसलों की प्रमुख समस्याएँ एवम् सेम की धरती को सधारने की विधि बतलाएँ।
उत्तर-
ऐसी भूमियाँ जिनमें भूमि के नीचे पानी की सतह ज़ीरो से 1.5 मीटर तक की गहराई पर हो तो उनको सेम वाली भूमियाँ कहा जाता है। यह पानी इतनी नज़दीक आ जाता है कि पौधों की जड़ों वाली स्थान पर भूमि के सुराख पानी के साथ भरे रहते हैं और भूमि एवम् भूमि सुधार भूमि हमेशा ही गीली रहती है। पौधे की जड़ों को हवा नहीं मिलती और हवा का आवागमन भी कम हो जाता है। भूमि में ऑक्सीजन कम हो जाती है और कार्बनडाइऑक्साइड ज़्यादा हो जाती है।
सेम की समस्या सुलझाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जैसे-रुके हुए पानी का सेम नालियों द्वारा निकास, बहुत ट्यूबवैल लगा कर पानी का ज़्यादा प्रयोग, धान और गन्ने जैसी फसलों की कृषि करनी चाहिए, जंगलों के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि एवम् भूमि सुधार Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमि-विज्ञान के अनुसार धरती को निर्जीव वस्तु या जानदार वस्तु माना गया?
उत्तर-
जानदार वस्तु।

प्रश्न 2.
भूमि में कितने प्रतिशत खनिज तथा जैविक पदार्थ होता है?
उत्तर-
खनिज 45% और जैविक पदार्थ 0-5% है।

प्रश्न 3.
हल्की भूमि किसको कहा जाता है?
उत्तर-
रेतीली भूमि को।

प्रश्न 4.
पानी सम्भालने की शक्ति सबसे ज्यादा किस भूमि में है?
उत्तर-
चिकनी मिट्टी में।

प्रश्न 5.
खेती के लिए कौन-सी भूमि उत्तम मानी गई है?
उत्तर-
मैरा भूमि।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों की समस्या किस इलाके में ज्यादा है ?
उत्तर-
बारिश वाले इलाकों में।

प्रश्न 7.
कितने पी० एच० वाली भूमियाँ तेज़ाबी होती हैं ?
उत्तर-
पी० एच० 7 से कम वाली।

प्रश्न 8.
कितनी पी० एच० वाली भूमि खेती के लिए ठीक मानी जाती है?
उत्तर-
6.5 से 8.7 तक पी० एच० वाली।

प्रश्न 9.
लवणी भूमियों की पी० एच० कितनी होती है?
उत्तर-
8.7 से कम।

प्रश्न 10.
रेह, थूर या शोरे वाली भूमियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर-
लवणी भूमियाँ।

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प्रश्न 11.
क्षारीय भूमियों में पानी समाने की क्षमता कितनी है?
उत्तर-
बहुत कम।

प्रश्न 12.
हरी खाद की फ़सल बताओ।
उत्तर-
सन जंतर।

प्रश्न 13.
रेतीली भूमियों में सिंचाई के लिए कैसा क्यारा बनाया जाता है ?
उत्तर-
छोटे आकार का।

प्रश्न 14.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने का सही समय बताओ।
उत्तर-
फसल बोने से 3-6 महीने पहले।

प्रश्न 15.
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की कितनी गम्भीर समस्या है ?
उत्तर-
पंजाब में तेज़ाबी भूमियों की समस्या नहीं है।

प्रश्न 16.
लवणीय भूमियों में कौन-से लवण अधिक होते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा पोटाशियम के क्लोराइड।

प्रश्न 17.
सेम वाली भूमि में धरती के नीचे पानी का स्तर क्या है ?
उत्तर-
धरती के नीचे पानी का स्तर शून्य से डेढ़ मीटर तक होता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रेतीली भूमि की पहचान के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
रेतीली भूमि में पानी सिंचाई करने के साथ ही पानी समा जाता है। उँगलियों में इसके कण महसूस किए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
चिकनी मिट्टी में पानी सोखने और सम्भालने की शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, जुताई करना और गोडी करने के साथ चिकनी मिट्टी की पानी सोख और सम्भालने की शक्ति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ने का कारण बताएँ।
उत्तर-
बहुत बारिश कारण ज़्यादा हरियाली रहती है। पौधों आदि के पत्ते भूमि पर गिर कर गलते-सड़ते रहते हैं और वर्षा के पानी के बहाव से क्षारीय लवण बह जाते हैं, जिसके कारण भूमि में तेज़ाबीपन बढ़ जाता है।

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प्रश्न 4.
लवणी भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाशियम के क्लोराइड और सल्फेट लवणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. इनमें पानी समाने की समर्था काफ़ी होती है और जुताई के लिए नर्म होती हैं।

प्रश्न 5.
क्षारीय भूमियों के दो गुण बताएँ।
उत्तर-

  1. इन भूमियों में सोडियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट वाले लवण बहुत मात्रा में होते हैं।
  2. waq पानी समाने की समर्था कम होती है। जुताई बहुत कठिन होती है।

प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों के सुधार के लिए दो तरीके बताएँ।
उत्तर-
चूने का प्रयोग करके और गन्ना मिल की मैल और लकड़ी की राख का प्रयोग किया जा सकता है। चूने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
तेज़ाबी भूमि में चूना डालने के तरीके के बारे में बताएँ।
उत्तर-
चूना डालने का सही समय बुवाई से 3-6 महीने डाल कर जुताई कर देनी चाहिए।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मलहड़ किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है ?
उत्तर-
जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति के अवशेष, मल-मूत्र तथा उनके गले सड़े अंग जो कि मिट्टी में समय-समय पर मिलते रहते हैं, को मलहड़ अथवा ह्यमस कहते हैं। घास-फूस, फसलें, वृक्ष, सुंडियां केंचुए, जीवाणु, कीटाणु ढेरों की रूढ़ि तथा घर का कूड़ा-कर्कट भी मलहड़ के हिस्से हो सकते हैं। इन पदार्थों के ज़मीन में मिलने से भूमि के गुणों में बहुत सुधार होता है। इससे प्राप्त होने वाली उपज पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

जब भी जैविक पदार्थ अथवा कार्बनिक चीजें मिट्टी में मिलाई जाती हैं, सूक्ष्म जीवाणुओं तथा बैक्टीरिया की क्रियाओं से इन पदार्थों का विघटन आरम्भ हो जाता है तथा यह पदार्थ गलना-सड़ना आरम्भ कर देते हैं। इनमें से कई प्रकार की गैसें पैदा होती हैं जो हवा में मिल जाती हैं। इसलिए गल-सड़ रही चीज़ों से हमें कई बार दुर्गन्ध भी आने लग जाती है। कार्बनिक पदार्थ टूट कर अकार्बनिक तत्त्वों जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गन्धक में बदल जाते हैं। पानी, भू-ताप तथा भू-जीवों की क्रिया से यह तत्त्व पौधों के लिए प्राप्त योग्य रूप में परिवर्तित हो जाते हैं तथा यह दुबारा पौधों से शरीरों के अंग बनकर कार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं तथा इस तरह यह बनने तथा टूटने का चक्र चलता रहता है इस तरह यह कहा जा सकता है कि मलहड़ जैविक पदार्थों की पौधों के लिए प्राप्ति योग्य अवस्था है।

प्रश्न 2.
भूमि-बनावट की कौन-सी किस्म कृषि के लिए सबसे अच्छी है तथा क्यों ? उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर-
फसलें जड़ों द्वारा भूमि में से अपना भोजन प्राप्त करती हैं। फसलें आसानी से यह भोजन तभी प्राप्त कर सकती हैं यदि भूमि के टुकड़ों के आकार छोटे हों तथा यह बहुत कम शक्ति से टूट जाएं। ऐसी बनावट उसी हालत में सम्भव है अगर भूमि में मलहड़ अथवा जैविक पदार्थ की मात्रा काफ़ी अधिक हो। भूमि की ऐसी उचित तथा आवश्यक बनावट को भुरभुरी बनावट कहा जाता है। भुरभुरी बनावट वाली भूमि में ढेले नर्म तथा बहुत छोटे आकार के होते हैं। इन ढेलों को हाथों में मलकर आसानी से तोड़ा जा सकता है। ढेलों के कणों में आपस में जुड़कर रहने की शक्ति बहुत कम होती है। इसलिए वह टूट कर छोटे-छोटे कणों के रूप में भूमि का अंग बन जाती हैं। कणों के बीच जुड़ने की शक्ति का कम होना पानी तथा हवा के लिए काफ़ी स्थान उपलब्ध होने के कारण बनता है। जुड़ने की शक्ति कम होने से जीवाणुओं के लिए विघटन का कार्य करना काफ़ी आसान रहता है तथा उन्हें सांस लेने के लिए आवश्यक हवा भी मिल जाती है। भूमि नर्म होने से जड़ों को फैलने में कोई कठिनाई नहीं आती तथा वह अच्छी तरह फैलकर आवश्यक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त कर सकती हैं।

प्रश्न 3.
भूमि के भौतिक गुणों की सूची बनाओ। इनमें से किसी एक गुण के बारे में तीन-चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भूमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर होना है। भूमि में पानी का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति, यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान।

कण-आकार- भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती है। भूमि का कण आकार इसमें मौजूद अलग-अलग मोटाई के कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है। भूमि की उर्वरा शक्ति कण-आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के यातायात की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है।

प्रश्न 4.
पी० एच० अंक से क्या अभिप्राय है ? भूमि के पी० एच० अंक का उसकी तासीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
पी० एच० अंक-भूमि अम्लीय है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) तथा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7 – 7 हल्का खारापन
7 उदासीन
7.5 – 5 तक हल्की अम्लीय
6.5 से कम अम्लीय भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में अच्छी तरह फलफूल सकती हैं। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भूमि को पी० एच० मात्रा पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में से पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैंगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक अम्लीय भूमियों में से अधिक मात्रा में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए जहर का कार्य भी करती है।

प्रश्न 5.
भूमि में नमी कैसे आ जाती है ? नमी का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा कैसे ?
उत्तर-
नमी का कारण स्थाई रूप से बहने वाली नहरों का पानी भूमि छिद्रों द्वारा आस-पास की भूमि में रिस-रिस कर पहुंच जाता है। पन्द्रह-बीस साल में धरती के खुले पानी का तट धरती की सतह के निकट आ जाता है, भूमि नमी की मार तले आ जाती है। इसके अतिरिक्त बाढ़ों का पानी, अच्छे जल निकास प्रबन्ध की कमी आदि भी नमी का कारण बन सकते हैं।

नमी का प्रभाव-पौधों के बढ़ने पर नमी के कई प्रभाव पड़ते हैं। बहुत सारे काश्त किये जाने वाले पौधों की जड़ें जल-तल के ऊपर वाली भूमि-तह में ही रह जाती हैं। पौधे अधिक समय पानी में खड़े रहकर मर जाते हैं। भूमि वायु की कमी हो जाती है। पानी की उच्च ताप योग्यता के कारण भूमि में तापमान परिवर्तन भी घट जाता है।

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प्रश्न 6.
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ बताओ।
उत्तर-
तेज़ाबी भूमियों में चूना डालने के लाभ—

  1. इससे भूमि का तेज़ाबीपन समाप्त हो जाता है।
  2. फॉस्फोरस पौधों को उचित रूप में प्राप्त होने वाले रूप में बदल जाती है।
  3. चूने में खाद्य तत्त्व मैग्नीशियम तथा कैल्शियम होते हैं।
  4. जैविक पदार्थों के गलने-सड़ने की क्रिया तेज़ हो जाती है तथा पौधों के लिए नाइट्रोजन योग्य रूप की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है।
  5. सूक्ष्म जीव क्रियाएं तेज़ी से होने लगती हैं।

प्रश्न 7.
भू-आकार बांट पर विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
मिट्टी के कणों का आकार एक-सा नहीं होता। कुछ बहुत मोटे तथा कुछ बहुत सूक्ष्म अथवा बारीक होते हैं। आकार के आधार पर मिट्टी के कणों की बांट को आकार बांट कहा जाता है। मिट्टी में साधारणतः तीन तरह के कण होते हैं—
रेत के कण, चिकनी मिट्टी के कण तथा भाल के कण।
इन कणों की मात्रा अनुसार भूमि के आकार की बांट की जाती है जिसे भू-आकार बांट कहा जाता है। भू-आकार बांट निम्नानुसार की गई है—

मात्रा बांट
40 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि भारी चिकनी
40-31 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि चिकनी
31-21 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा चिकनी
20-11 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि मैरा
10-06 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली मैरा
05-00 से अधिक प्रतिशत चिकनी मिट्टी वाली भूमि रेतीली

 

अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि के कणों की आकार-बांट निम्नानुसार—

कण-आकार कण-आकार मिली मीटरों में देखना
चिकनी मिट्टी 0.002 से कम माइक्रोस्कोप से
भाल 0.002 तथा 0.02 के बीच माइक्रोस्कोप से
बारीक रेत 0.02 तथा 0.20 के बीच नंगी आंख से
मोटी रेत 0.20 तथा 2.00 के बीच नंगी आंख से
पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़ 2.00 से अधिक नंगी आंख से

 

प्रश्न 8.
भूमि के मुख्य भौतिक गुणों के नाम लिखो तथा कोई दो की व्याख्या भी करो।
उत्तर-
विभिन्न भूमियों के भौतिक गुण भी अलग-अलग होते हैं। इसका कारण भमियों में कणों के आकार, क्रम, जैविक पदार्थों की मात्रा तथा मुसामों में अन्तर का होना है। भूमि में जल का संचार तथा बहाव कैसे होता है, पौधों को खुराक देने की शक्ति तथा हवा की गति यह बातें भूमि के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
भूमि के भौतिक गुण निम्नलिखित हैं—

  1. कण-आकार
  2. प्रवेशता
  3. गहराई
  4. रंग
  5. घनत्व
  6. नमी सम्भालने की योग्यता
  7. तापमान

उपरोक्त गुणों की व्याख्या निम्नलिखित अनुसार है—

1. कण-आकार-भूमि विभिन्न मोटाई के खनिज कणों की बनी होती हैं। भूमि का कण-आकार इसमें मौजूद विभिन्न मूल कणों के आपसी अनुपात पर निर्भर करता है।
महत्त्व-भूमि की उर्वरा शक्ति कण के आकार पर निर्भर करती है। कण-आकार का प्रभाव भूमि की जल ग्रहण शक्ति तथा हवा के आवागमन की मात्रा तथा गति पर भी पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रीय सोसाइटी अनुसार भूमि-कणों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है—

  1. पत्थर, रोड़े अथवा कंकड़
  2. मोटी रेत
  3. बारीक रेत
  4. भाल
  5. चिकनी मिट्टी।

कणों के आकार अनुसार भूमि को 12 श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पर तीन मुख्य श्रेणियां हैं-रेतीली भूमियां, मैरा भूमियां तथा चिकनी भूमियां।
2. प्रवेशता-प्रवेशता से अभिप्राय है भूमि में पानी तथा हवा का संचार अथवा प्रवेश करना कितना आसान है। भूमि की जल अवशोषण की शक्ति, पानी सम्भालने की शक्ति तथा जड़ों की गहराई भूमि के इस गुण पर निर्भर है। प्रवेशता का गुण भूमि में मुसामों की मात्रा पर निर्भर करता है। बहुत ही बारीक छिद्रों को मुसाम कहा जाता है। मुसाम शरीर की त्वचा (चमड़ी) में भी होते हैं जिनके द्वारा हमें पसीना आता है। जिस भूमि में प्रवेशता गुण अधिक हो, वह भूमि फसलों के फलने-फूलने के लिए अच्छी रहती है। क्योंकि इस तरह की भूमि में जल तथा सम्भालने की शक्ति अधिक होती है तथा फसल की जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक जाकर अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्त्व तथा भोजन प्राप्त करने के समर्थ हो जाती हैं। कई बार तो भूमि के नीचे कठोर परत बन जाती है जिस कारण जड़ें नीचे नहीं जा सकतीं।

प्रश्न 9.
भूमि के कोई दो रासायनिक गुणों के नाम बारे विस्तार से लिखें।
उत्तर-
भूमि के रासायनिक गुणों का महत्त्व-भूमि के रासायनिक गुणों का पौधों के फलने-फूलने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खाद्य तत्त्व को पौधे प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकते।
1. पी० एच०-भूमि तेजाबी है, क्षारीय अथवा उदासीन है बताने के लिए एक अंक प्रणाली उपयोग की जाती है जिसे भूमि की पी० एच० मूल्य अथवा मात्रा कहा जाता है। वास्तव में पी० एच० मात्रा किसी घोल में हाइड्रोजन (H+) अथवा हाइड्राक्सल (OH) आयनों के आपसी अनुपात को बताती है।

भूमि की पी० एच० मात्रा गुण
8.7 से अधिक क्षारीय भूमि
8.7-7 हल्का क्षारीयपन
7 उदासीन
7-65 तक हल्की तेज़ाबी
6.5 से कम तेजाबी भूमि

 

अधिकतर फसलें 6.5 से 7.5 पी० एच० तक वाली भूमियों में ठीक तरह फल-फूल सकती है। खाद्य तत्त्वों का पौधों को उचित रूप में प्राप्त होना भी पी० एच० पर निर्भर करता है। 6.5 से 7.5 पी० एच० मात्रा वाली भूमियों में पौधे बहुत सारे खाद्य तत्त्वों को आसानी से उचित रूप में प्राप्त कर लेते हैं। कुछ सूक्ष्म तत्त्व जैसे मैगनीज़, लोहा, तांबा, जिस्त आदि अधिक तेज़ाबी भूमियों में से अधिक मात्रा में उचित रूप में पौधों को प्राप्त हो जाते हैं पर कई बार इनकी अधिक मात्रा पौधों के लिए ज़हर का कार्य भी करती है।

2. जैविक पदार्थ-ज़मीन में जैविक पदार्थ पौधों की जड़ों, पत्तों तथा घास-फूस के गलने-सड़ने से बनता है। भूमि में पाए जाते किसी भी जैविक पदार्थ पर बहत सारे सूक्ष्म जीव अपना असर करते हैं तथा जैविक पदार्थ विघटन करके उसको अच्छी तरह गला-सड़ा देते हैं। ऐसे पदार्थ को मलहड़ (ह्यूमस) का नाम दिया गया है। ह्यूमस खाद्य तत्त्वों फॉस्फोरस, गन्धक तथा नाइट्रोजन का विशेष स्रोत है। इसमें थोड़ी मात्रा में अन्य खाद्य तत्त्व भी हो सकते हैं। भूमि की जल ग्रहण योग्यता, हवा की गति तथा बनावट को ठीक रखने के लिए जैविक पदार्थ बहुत लाभदायक हैं। इससे भूमि की खाद्य तत्त्व सम्भालने की शक्ति भी बढ़ती है। पंजाब की जमीनों में जैविक पदार्थ की मात्रा साधारणत: 0.005 से 0.90 प्रतिशत है। जैविक तथा कम्पोस्ट डालने से भूमि में जैविक पदार्थों की मात्रा में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

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प्रश्न 10.
मलहड़ की कृषि में महत्ता पर रोशनी डालो।
उत्तर-
मलहड़ की कृषि में महत्ता—

  1. शीघ्र गलने वाला मलहड़ डालने से मिट्टी के कण आपस में इस तरह जुड़ जाते हैं कि उनके छोटे तथा नर्म (भुरभुरी) ढेले बन जाते हैं। इस तरह का मलहड़ रेतीली तथा चिकनी किस्मों की भूमियों के लिए बढ़िया रहता है। मलहड़ रेतीली मिट्टी तथा खुरदरे कणों को आपस में जोड़ने में सहायता करता है तथा चिकनी मिट्टी को नर्म कर देता है जिससे इसका आयतन बढ़ जाता है। हवा का आवागमन आसान तथा तेज़ हो जाता है। इस तरह मलहड़ रेतीली तथा चिकनी दोनों प्रकार की भूमियों को अधिक भुरभुरी तथा उपजाऊ बना देता है।
  2. मलहड़ भूमि को नर्म कर देता है जिससे भूमि की पानी सोखने की शक्ति में बढ़ौत्तरी होती है तथा भूमि पानी को अधिक देर तक लम्बे समय तक अपने अन्दर सम्भाल कर रख सकती है।
  3. भूमि में मौजूद लाभदायक तथा उपयोगी जीवाणु मलहड़ से अपना भोजन भी प्राप्त करते हैं। मलहड़ के विघटन से जो कार्बन पैदा होती है वह इन जीवाणुओं के लिए भोजन का कार्य करती है। इससे यह अधिक शक्तिशाली रूप में क्रिया करने के योग्य हो जाते हैं।
  4. पौधों की जड़ें ज़मीन में छिद्र करके धरती को नर्म कर देती हैं। जड़ों के गलनेसड़ने के पश्चात् छिद्रों द्वारा पानी धरती के नीचे चला जाता है तथा ऑक्सीजन गैस के अन्दर जाने तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बाहर निकलने के लिए भी यह छिद्र मदद अथवा सहायता करते हैं।
  5. मलहड़ तथा कई पौष्टिक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, गन्धक, फॉस्फोरस आदि प्राप्त होते हैं। यह तत्त्व भूमि के कणों के साथ चिपके रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पौधा इन तत्त्वों को प्रयोग कर सकता है।
  6. कई भूमियों की तासीर ऐसी होती है कि पौधे भूमि में मौजूद आवश्यक तत्त्व प्राप्त नहीं कर सकते। पर मलहड़ की मौजूदगी में तत्त्व पौधों के उपयोग लायक बन जाते हैं। उदाहरणतः अम्लीय ज़मीनों में फॉस्फोरस।
  7. मलहड़ के गलने-सड़ने से कई तरह के तेज़ाब पैदा होते हैं जो कि क्षारीय भूमियों का खारापन कम करते हैं। यह तेज़ाब तथा कार्बन गैसों (जो खुद भी अम्लीय गुण रखती हैं) पोटाशियम आदि से मिलकर भूमि के खारेपन को घटा कर उसके पौधों को बढ़ने तथा फलने-फूलने के अनुकूल तथा उचित बनाते हैं।
  8. मलहड़ भू-ताप को स्थिर रखने में मदद करता है। बाह्य तापमान में कमी या बढ़ौतरी मलहड़ वाली भूमि के तापमान पर बहुत प्रभाव नहीं डालता।
  9. कई तत्त्व पौधों को बहुत थोड़ी मात्रा में चाहिएं। ये तत्त्व रासायनिक खादों को प्राप्त नहीं होते। इनकी कमी से फसलों की पैदावार बहुत घट सकती है तथा किसान को काफी नुकसान हो सकता है। इनमें से काफ़ी तत्त्व मलहड़ से मिल जाते हैं।

प्रश्न 11.
मलहड़ कैसे समाप्त हो जाता है तथा भूमि में इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
प्रत्येक फसल के साथ जड़ों, पत्तों, जीवाणुओं, कूड़ा-कर्कट, गोबर तथा हरी खाद द्वारा नया मलहड़ खेतों में मिलता रहता है। परन्तु साथ ही यह समाप्त भी होता
रहता है। पौधे तथा जीवाणु इसे प्रयोग कर लेते हैं। इसके कई तत्त्व गैसों के रूप में बदल जाते हैं तथा वायुमण्डल में मिल जाते हैं। कई स्थानों पर बहुत सख्त गर्मी पड़ती है जिससे मलहड़ के लाभदायक अंशों का नाश हो जाता है। इस तरह मलहड़ का फसल को कोई भी लाभ नहीं पहुंचता। जैसे कि पता ही है कि मलहड़ फसलों के लिए बहुत ‘लाभदायक होता है। इसलिए इसकी मात्रा भूमि में कम नहीं होने देनी चाहिए। इसलिए खेत में ऐसी फसल बो देनी चाहिए जिससे मलहड़ की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो। इस मन्तव्य के लिए चने तथा अन्य फलीदार फसलें जिनकी जड़ों में नाइट्रोजन बांधने वाले बैक्टीरिया होते हैं, बो लेनी चाहिएं। इन फसलों की हरी खाद बनाकर जो उत्तम किस्म की मलहड़ होती है भूमि को अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ढेर की रूड़ी तथा कूड़ा मलहड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
भूमि की उर्वरा शक्ति की सम्भाल तथा प्रतिपूर्ति के लिए कौन-सी मुख्य बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके लिए निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना आवश्यक है—

1. धरती की भौतिक हालत-धरती की उचित भौतिक स्थिति अच्छी बुआई पर निर्भर करती है। अच्छी बुआई से अभिप्राय है इस तरह की बुआई जिससे धरती के कणों की बनावट ठीक तरह कायम रह सके अर्थात् ज़मीन में मिट्टी के ढेले भुरभुरे तथा नर्म हों। गीली बोई भूमि में वतर से पहले भूमि-कण अधिक अच्छी तरह जुड़ कर सख्त ढेलों का रूप धारण कर लेते हैं तथा यदि वतर में देरी हो जाए तो भी ज़मीन सूख जाती है तथा सख्त हो जाती है। ज़मीन के बीच वाला पानी बहुत सारी केशका नालियों द्वारा बाहर निकल जाता है तथा भूमि में नमी की कमी हो जाती है। फसल की अच्छी पैदावार के लिए हवा तथा पानी का धरती-छिद्रों में चलते रहना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए बुआई समय पर करनी चाहिए। क्योंकि न तो इससे ढेले बनते हैं तथा न ही धरती की नमी बाहर निकलती है। अच्छी बुआई से भूमि की पानी जज़ब (अवशोषण) करने की शक्ति भी बढ़ जाती है तथा भूमि क्षरण से भी बची रहती है। भूमि की बनावट को ठीक रखने के लिए मलहड़ का अच्छा तथा उचित प्रयोग सहायक होता है। इसके अतिरिक्त अच्छे तथा उचित फसल-चक्र, जिसमें समय-समय पर गुच्छेदार जड़ों वाली तथा फलीदार फसलें आती रहें, साथ ही धरती की भौतिक हालत को ठीक रखने में सहायता मिलती है।

2. खेतों के नदीनों को साफ़ रखना-भूमि की उर्वरा शक्ति को कायम रखने के लिए खेत नदीनों से मुक्त हों, यह भी बहुत आवश्यक है। नदीन, खेत में बोई फसल के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों को खुद ही खा जाते हैं। कम पौष्टिकता मिलने के कारण फसल कमज़ोर हो जाती है तथा अच्छी तरह फल-फूल नहीं सकती। इससे पैदावार कम हो जाती है। कई बार यदि नदीन अधिक मात्रा में हों तो वह छोटी फसल भूमि एवम् भूमि सुधार को पूरी तरह दबा लेते हैं तथा सारी फसल को नष्ट कर देते हैं। यदि नदीन फसल को फूल, फल लगने से पहले, न नष्ट किए जाएं तो पक जाने पर उनके बीज भूमि में मिल जाते हैं तथा अगली फसल के समय वह फसल से पहले ही उग कर अथवा उसके साथ बढ़कर उसे छोटी आयु में ही दबा लेते हैं तथा उसकी वृद्धि रोक देते हैं। इसलिए खेत को नदीनों से साफ़ रखने के लिए गुड़ाई तथा कई बार बुआई भी करनी पड़ती है। पंजाबी की प्रसिद्ध कहावत है-‘उठता वैरी, रोग दबाइये, बढ़ जाए तां फेर पछताइये’। नदीन भी किसान, फसल तथा धरती की उर्वरा शक्ति के रोग तथा वैरी हैं। इसलिए इन्हें भी पैदा होते ही नष्ट कर देना चाहिए। नदीनों को मारने के लिए वैज्ञानिकों ने नदीननाशी दवाइयों की खोज भी की है। पर इन रासायनिक दवाइयों का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। इन दवाइयों को बच्चों की पहुँच से बहुत दूर रखना चाहिए, क्योंकि यह ज़हरीली होती हैं। इन दवाइयों के अधिक प्रयोग से वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इसलिए इनका प्रयोग इस पक्ष से भी सावधानी से करना चाहिए।

3. कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम-फंगस, निमाटोड तथा अन्य हानिकारक कीड़ेमकौड़े की कटाई के बाद भी ज़मीन पर ही पलते हैं। इस समय उन्हें समाप्त कर देना आसान रहता है। उनके खात्मे से ही धरती की उर्वरा शक्ति को सम्भाल कर रखना सम्भव होता है। इसलिए फसल की कटाई के पश्चात् समय पर ज़मीन की जुआई, बदल-बदल कर फसलों की बिजाई, एक से दूसरी फसल के बीच में समय का अन्तर, पराली को जलाना तथा जमीन में कीट तथा फंगस नाशक दवाइयों का उपयोग कुछ ऐसे साधन हैं, जिनसे रोगों तथा हानिकारक फंगस तथा कीटों को नष्ट करके काबू किया जा सकता है। इन्हें काबू करके ही ज़मीन की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जा सकता है।

4. उचित तथा योग्य फसल-चक्र-विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग भोजन तत्त्वों की ज़रूरत होती है। कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं जो प्रत्येक फसल द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। परन्तु इनकी खपत की गई मात्रा तथा दर का अन्तर तो फिर भी होता है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि एक खेत में एक फसल के पश्चात् दूसरी फसल वह बोई जाए जिसको पहली फसल से अलग प्रकार के तत्त्वों की ज़रूरत हो अथवा यह पहली फसल द्वारा हुए उर्वरा शक्ति के घाटे को कुछ हद तक पूरा करती हो। इस तरह भूमि की उपजाऊ शक्ति लम्बे समय तक कायम रखी जा सकती है।

प्रश्न 13.
सेम वाली भूमि पर नोट लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

प्रश्न 1.

  1. भूमि में 45% खणिज पदार्थ हैं।
  2. लवणी भूमियों का पी.एच.मान 8.7 से कम होता है।
  3. तेज़ाबी भूमियों में चूना डाला जाता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
तेज़ाबी भूमि का पी.एच. मान है—
(क) 7 के बराबर
(ख) 7 से कम
(ग) 7 से अधिक
(घ) 12.
उत्तर-
(ख) 7 से कम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 1 भूमि एवम् भूमि सुधार

प्रश्न 2.
कौन-सी भूमि में पानी देर तक खड़ा रहता है ?
(क) चिकनी
(ख) मैरा
(ग) रेतीली
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(क) चिकनी

रिक्त स्थान भरो

  1. ……….. भूमि की समस्या अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में होती है।
  2. कृषि के लिए ……………… पी०एच०वाली भूमि ठीक मानी जाती है ।
  3. …………. भूमि के लिए जिपस्म का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. तेज़ाबी,
  2. 6.5 से 8.7,
  3. क्षारीय।

भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भूमि धरती की ऊपर वाली मिट्टी की परत है, जिसमें फ़सल की जड़ें होती हैं और इसमें से फ़सल पानी और आहारीय तत्त्व प्राप्त करती है।
  • भूमि पौधे को खड़ा रखने में मदद करती है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव से प्राकृतिक मादे से पैदा हुई एक प्राकृतिक वस्तु है।
  • भू वैज्ञानिकों की दृष्टि से भूमि एक सजीव वस्तु है क्योंकि इसमें बहुत सारे असंख्य सूक्ष्मजीवों, कीटाणुओं, जीवाणुओं और छोटे-बड़े पौधों के पालन-पोषण की शक्ति है।
  • भूमि में 45% खनिज, 25% हवा, 25% पानी, 0 से 5% जैविक पदार्थों का मिश्रण . है जिसमें हवा पानी कम ज्यादा हो सकते हैं।
  • भूमि के मुख्य तौर पर दो तरह के गुण हैं-रासायनिक और भौतिक गुण।
  • भूमि के मुख्य भौतिक गुण हैं-कणों का आकार, भूमि घनत्व कम होना, कणों के मध्य में खाली जगह, पानी संजोए रखने की ताकत और पानी विलय करने की , ताकत आदि।
  • रेतीली भूमि के कण हाथों में रगड़ने पर खटकते हैं।
  • चिकनी मिट्टी में 40% चीकने कण होते हैं।
  • मैरा (दोमट) भूमि के लक्षण रेतीली और चिकनी भूमियों के बीच में होते हैं।
  • बहुत बारिश होने वाले खेतों में तेज़ाबी भूमि देखने को मिलती है।
  • pH का मूल्य 7 से कम होता है तो भूमि अम्लीय या तेज़ाबी होती है।
  • लवणों की किस्म के आधार पर कल्लर वाली भूमियां तीन तरह की होती हैं।
  • कल्लरी भूमियां हैं-लवणीय, क्षारीय और लवणीय-क्षारीय भूमि।
  • अम्लीय (तेज़ाबी) भूमियों का सुधार चूना डाल कर किया जा सकता है।
  • क्षारीय भूमियों में मिट्टी जांच के आधार पर जिप्सम का प्रयोग किया जा सकता है।
  • रेतली भूमि के सुधार के लिए हरी खाद, गली-सड़ी रूडी, फलीदार फसलों आदि की सहायता ली जाती है।
  • लवण वाली भूमि को पानी के साथ धोकर या फिर मिट्टी की ऊपर वाली परत को कराहे आदि के साथ खुरच कर साफ़ कर देते हैं।
  • चिकनी भूमियों में धान की बुवाई करनी लाभदायक रहती है।
  • सेम वाली भूमियों में भूमि के नीचे वाले पानी (भूमिगत जल) का स्तर बहुत ऊपर पौधों की जड़ों तक आ जाता है।
  • आमतौर पर जब भूमि के नीचे वाला पानी शून्य से डेढ़ मीटर होता है तो उस भूमि को सेम वाली भूमि कहते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

PSEB 8th Class Home Science Guide कार्यात्मक फर्नीचर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कार्यात्मक फर्नीचर से क्या भाव है ?
उत्तर-
जो फर्नीचर किसी खास काम के लिए इस्तेमाल किया जाता हो।

प्रश्न 2.
सोने वाले कमरे में आरामदायक फर्नीचर होना चाहिए। बताओ क्यों ?
उत्तर-
सोने वाले कमरे में आरामदायक फर्नीचर होना चाहिए क्योंकि उठने-बैठने तथा सोने में कष्टदायक न हो।

प्रश्न 3.
कार्यात्मक फर्नीचर कितनी प्रकार का होता है ?
उत्तर-
दो प्रकार का-

  1. कार्यात्मक,
  2. केवल सजावटी।

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प्रश्न 4.
मेज़ के ऊपर सनमाइका लगाने का क्या लाभ है ?
उत्तर-
मेज़ के ऊपरी भाग पर सनमाइका लगाने से मेज़ साफ़ करना आसान रहता है।

प्रश्न 5.
किस प्रकार की लकड़ी फर्नीचर के लिए सबसे अच्छी रहती है ?
उत्तर-
टीक, महोगनी, गुलाब और अखरोट की लकड़ी फर्नीचर के लिए सबसे अच्छी रहती है।

प्रश्न 6.
पलंग का आम माप क्या होता है और बच्चों के लिए कैसा पलंग हो सकता
उत्तर-
पलंग का साधारण माप \(2 \frac{1}{2}\) से \(3 \frac{1}{2}\) तक चौड़ा और \(6 \frac{1}{2}\) फुट तक लम्बा होता है।
बच्चों के लिए छोटी चारपाई हो सकती है। इसका माप 4′ × 2′ होता है।

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प्रश्न 7.
पढ़ाई वाले मेज़ का आम माप क्या होता है ?
उत्तर-
पढ़ाई वाले मेज़ का साधारण माप \(2 \frac{1}{2}\) फुट × 4 फुट और ऊँचाई \(2 \frac{1}{2}\) फुट हो सकती है।

प्रश्न 8.
पढ़ाई वाले मेज़ पर कार्य करते समय किस प्रकार की कुर्सी का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
पढ़ाई वाले मेज़ पर काम करते समय कुर्सी सीधी पीठ वाली और बाजू वाली प्रयोग करनी चाहिए।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मौसम के अनुसार किस तरह का फर्नीचर होना चाहिए ?
उत्तर-
भारतीय मौसम के अनुसार निम्नलिखित तरह का फर्नीचर होना चाहिए

  1. फर्नीचर नए डिज़ाइन का हो।
  2. फर्नीचर कमरे के आकार का हो।
  3. फर्नीचर आर्थिक दृष्टि से मितव्ययी हो।
  4. फर्नीचर स्थान की दृष्टि से मितव्ययी हो।
  5. फर्नीचर कमरे के लिए उपयोगी हो।
  6. फर्नीचर मज़बूत व टिकाऊ हो।
  7. फर्नीचर उपयोगी और सुन्दर होने के साथ-साथ आरामदायक हो।
  8. फर्नीचर उठाने-धरने में सुविधाजनक हो।
  9. फर्नीचर सदैव अच्छे कारीगर द्वारा बना हो।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

प्रश्न 2.
बैठने वाले और खाने वाले कमरों में कौन-कौन सा फर्नीचर होना ज़रूरी है ?
उत्तर-
बैठने वाले कमरों में फर्नीचर-सोफासेट, गद्देदार, कुर्सियाँ, मेज़, कॉफी टेबल,सेन्टर टेबल और आराम कुर्सियाँ। खाने वाले कमरों में फर्नीचर- भोजन की मेज़, कुर्सियाँ, परोसने की मेज़, साइड बोर्ड ट्राली (पहिए वाली मेज़)।

प्रश्न 3.
पढ़ाई वाले कमरे की आवश्यकता क्यों समझी जाती है ? इसमें किस तरह का फर्नीचर होना चाहिए ?
उत्तर-
शिक्षा के प्रसार से हमारे देश में भी पश्चिमी देशों की तरह पढ़ाई वाले कमरे की आवश्यकता है जिसमें बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से हो सके। पढ़ाई वाले कमरे का फर्नीचर-पढ़ने वाला मेज़, कुर्सी, पुस्तकों की अलमारी आदि होनी चाहिएँ। मेज़ का आम माप 21/2 फुट × 4 फुट और ऊँचाई 272 फुट होती है। लेकिन मेज़ इससे लम्बा और चौड़ा भी हो सकता है। मेज़ इतना बड़ा होना चाहिए कि उस पर लैम्प, पुस्तकें, शब्दकोष, पेन, पेंसिलें आदि आसानी से आ सकें। अगर टाइपराइटर रखने की जगह हो सके तो और भी अच्छा है। कुर्सी सीधी पीठ वाली और बाजू वाली होनी चाहिए। इसकी सीट बेंत की या गद्देदार होनी चाहिए। यदि टाइपराइटर का प्रबन्ध हो तो कुर्सी पहियों वाली होनी चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको टाइपराइटर की तरफ़ या मेज़ की तरफ़ घुमाया जा सके। पुस्तकों के लिए शैल्फ़ वाली अलमारी इस कमरे में होनी चाहिए। हमारे देश के मौसम के अनुसार शीशे वाली अलमारी होनी चाहिए क्योंकि मिट्टी, धूल से पुस्तकों को सुरक्षित रखा जा सके।

प्रश्न 4.
लकड़ी के फर्नीचर की किस तरह देखभाल करोगे ? ।
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. फर्नीचर की सफ़ाई प्रतिदिन की जानी चाहिए।
  2. फर्नीचर को बहुत सावधानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना चाहिए।
  3. फर्नीचर को खींचना या घसीटना नहीं चाहिए। फर्नीचर को रगड़ लगने से भी बचाना चाहिए।
  4. फर्नीचर पर किसी प्रकार की खाने की वस्तु न गिरे, यदि गिर भी जाए तो उसे तत्काल साफ़ कर देना चाहिए नहीं तो दाग-धब्बे पड़ने का डर रहता है।

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प्रश्न 5.
गद्देदार और चमड़े के फर्नीचर को किस तरह साफ़ करोगे ?
उत्तर-
गद्देदार और चमड़े के फर्नीचर को साफ़ करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. प्रतिदिन साफ़ कपड़े से झाड़ना चाहिए।
  2. कभी-कभी पानी में नर्म साबुन का घोल बनाकर कपड़े के साथ घोल लगाकर चमड़े और रेक्सीन को साफ़ करना चाहिए।
  3. साफ़ करने के बाद पॉलिश करना चाहिए ताकि चमड़ा नरम हो जाए और कटे नहीं।

प्रश्न 6.
बैंत के फर्नीचर का क्या लाभ और हानियाँ हैं ?
उत्तर-
बैंत के फर्नीचर से निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. बैंत का फर्नीचर लकड़ी से हल्का होता है।
  2. यह लकड़ी के फर्नीचर की अपेक्षा आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।
  3. यह लकड़ी के फर्नीचर से सस्ता होता है।

बैंत के फर्नीचर की सफ़ाई-

  1. बैंत वाले फर्नीचर को रोज़ कपड़े या ब्रुश से साफ़ करना चाहिए।
  2. बैंत वाले फर्नीचर को नमक के पानी से साफ़ करना चाहिए।

हानियाँ-

  1. इस फर्नीचर को कुत्तों, बिल्लियों से बचाना पड़ता है।
  2. यह लम्बे समय तक चलने योग्य नहीं होता।

प्रश्न 7.
मीनाकारी वाले फर्नीचर के क्या लाभ और हानियाँ हैं ?
उत्तर-
लाभ-

  1. मीनाकारी फर्नीचर देखने में सुन्दर होता है।
  2. इससे कमरा आकर्षक लगता है।

हानियाँ-

  1. हमारे यहाँ तेज़ हवा चलती है जिस कारण मीनाकारी फर्नीचर पर धूलमिट्टी की परतें जम जाती हैं।
  2. इस फर्नीचर की आसानी से सही सफ़ाई नहीं होती।
  3. सफ़ाई न होने से यह अनाकर्षक दिखायी देने लगता है।

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प्रश्न 8.
फर्नीचर पर घी, तेल, पेंट और लुक आदि के दाग कैसे दूर किये जा सकते
उत्तर-
फर्नीचर पर लगे घी, तेल, पेंट तथा तारकोल आदि के धब्बे निम्नलिखित ढंग से दूर किये जा सकते हैं

  1. तरल पदार्थों को किसी साफ़ कपड़े से पोंछ देना चाहिए।
  2. चिकने और चिपकने वाले दागों के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। आवश्यकता हो तो किसी नरम साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए। लकड़ी को अधिक गीला नहीं करना चाहिए।
  3. यदि लकड़ी पर कोई गर्म बर्तन रखा जाए तो भी उस पर दाग पड़ जाते हैं। इस तरह के दाग पर कुछ दिन थोड़ा सा युक्लिप्टस का तेल या पीतल का पॉलिश लगाकर अच्छी तरह रगड़ना चाहिए। 8-10 दस दिनों के बाद दाग उतर जाएगा।
  4. पेन्ट या रोगन के दाग के लिए मैथिलेटिड स्पिरिट इस्तेमाल में लानी चाहिए और फर्नीचर पर पॉलिश करनी चाहिए।
  5. स्याही के दाग के लिए ऑग्जैलिक तेज़ाब का हल्का घोल इस्तेमाल करना चाहिए।
  6. रगड़ के निशानों को दूर करने के लिए उबालकर ठंडा किया अलसी का तेल इस्तेमाल करना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर का चुनाव करते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
फर्नीचर के चुनाव में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है
(1) उपयोगिता,
(2) सुन्दरता,
(3) डिज़ाइन,
(4) आरामदेही,
(5) मूल्य,
(6) मज़बूती,
(7) आकार।
1. उपयोगिता-केवल उपयोगी फर्नीचर का ही चुनाव करना चाहिए। अनुपयोगी फर्नीचर कितना ही सुन्दर क्यों न हो, वह हमारे लिए कोई महत्त्व नहीं रखता।

2. सुन्दरता-फर्नीचर आकर्षक व सन्तोषजनक होना चाहिए। सामान्य नियमों का पालन करते हुए सुन्दरता पर ध्यान देना चाहिए।

3. बनावट (डिज़ाइन)-मकान की बनावट के अनुसार फर्नीचर आधुनिक, सादा या पुराने डिज़ाइन का हो सकता है। आधुनिक मकान में पुराने डिज़ाइन का फर्नीचर शोभा नहीं देता। आधुनिक मकान का सभी फर्नीचर आधुनिक ही होना चाहिए।

4. आरामदेही-फर्नीचर की विशेषता उसका आरामदेह होना है। उठने-बैठने तथा सोने में कष्ट देने वाले फर्नीचर कितने ही सुन्दर क्यों न हों, बेकार होते हैं।

5. मूल्य-घर की आर्थिक स्थिति तथा फर्नीचर के मूल्य में तालमेल होना चाहिए। अपनी आर्थिक स्थिति से बाहर निकलकर खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है। बहुत सस्ता फर्नीचर भी नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि वह टिकाऊ नहीं हो सकता।

6. मज़बूती-फर्नीचर सुन्दर होने के साथ-साथ मज़बूत भी होना चाहिए। चीड की लकड़ी का फर्नीचर शीघ्र टूट जाता है। सागवान व शीशम की लकड़ी का फर्नीचर मज़बूत होता है। स्टील या लोहे के फर्नीचर में चादर की मज़बूती का ध्यान रखना चाहिए।

7. आकार- फर्नीचर का चुनाव कमरे के आकार के आधार पर ही करना चाहिए। छोटे कमरों में छोटे आकार का फर्नीचर और बड़े कमरों में बड़े आकार का फर्नीचर ही उपयुक्त रहता है।

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प्रश्न 2.
लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ के निशानों को कैसे दूर कर सकते हैं ?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ के निशानों को दूर करने के लिए अलसी का तेल उबालकर ठंडा करके प्रयोग किया जाता है।

Home Science Guide for Class 8 PSEB कार्यात्मक फर्नीचर Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
ग़लत तथ्य हैं
(क) बैंत का फर्नीचर लकड़ी से हल्का होता है।
(ख) पढ़ाई वाली मेज़ 4 फुट ऊंची होती है।
(ग) सजावटी फर्नीचर केवल सजावट के लिए होता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ख) पढ़ाई वाली मेज़ 4 फुट ऊंची होती है।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य है
(क) फर्नीचर दो प्रकार का होता है।
(ख) सब से अच्छा फर्नीचर लकड़ी का होता है।
(ग) फर्नीचर आराम दायक होना चाहिए।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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प्रश्न 3.
ठीक तथ्य है
(क) बैंत वाले फर्नीचर को नमक वाले पानी से साफ करना चाहिए।
(ख) मीनाकारी वाले फर्नीचर से कमरा आकर्षक लगता है।
(ग) बैंत का फर्नीचर लकड़ी के फर्नीचर से सस्ता होता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. पुराने फर्नीचर भारी तथा नक्काशीदार होते हैं।
  2. फर्नीचर का चयन कमरे के रंग, आकार अनुसार करें।
  3. देवदार, अखरोट की लकड़ी हल्की होती है।
  4. बहु-उद्देशीय फर्नीचर कम स्थान लेता है।

उत्तर-

  1.  ✓

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. फर्नीचर का चयन कमरे के ……………….. के अनुसार करें।
  2. पढ़ाई वाले कमरे में कुर्सी ………………. तथा बाजू वाली होनी चाहिए।
  3. मेज़ के ऊपर ……………….. लगा होना चाहिए।
  4. लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ दूर करने के लिए …… का तेल प्रयोग करें।
  5. स्याही के दाग़ दूर करने के लिए ……………….. प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. रंग, आकार,
  2. सीधी पीठ वाली,
  3. सनमाईका,
  4. अलसी,
  5. आग्जैलिक तेज़ाब।

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सबसे अच्छा फर्नीचर किसका होता है ?
उत्तर-
लकड़ी का।

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प्रश्न 2.
जो फर्नीचर बार-बार हटाये या खिसकाये जाएं, वे किस प्रकार की लकड़ी के बने होते हैं ?
उत्तर-
हल्की लकड़ी (देवदार, अखरोट) आदि के।

प्रश्न 3.
बच्चों के फर्नीचर किसके बने होने चाहिएँ ?
उत्तर-
बेंत के।

प्रश्न 4.
पुराने फर्नीचर किस प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
भारी और नक्काशीदार।

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प्रश्न 5.
आधुनिक फर्नीचर कैसे होते हैं तथा इनके डिज़ाइन क्या हैं ? .
उत्तर-
हल्के तथा तरल डिज़ाइन वाले।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर के अन्तर्गत कौन-कौन सी वस्तुएँ आती हैं ?
उत्तर-
मेज़, कुर्सी, पलंग, चौकी, तिपाई, सोफा, मूढा, बुक-रैक, अलमारी आदि।

प्रश्न 2.
फर्नीचर कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-

  1. लकड़ी का,
  2. बेंत का,
  3. गद्देदार का,
  4. लोहे का,
  5. कामचलाऊ,
  6. अलंकृत, तथा
  7. स्थान बचाऊ या फोल्डिंग।

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प्रश्न 3.
फर्नीचर किस किस्म की लकड़ी का हो सकता है ?
उत्तर-
फर्नीचर लकड़ी मज़बूत और अच्छी तरह पकी हुई लकड़ी का हो सकता है।

प्रश्न 4.
कार्यात्मक फर्नीचर से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
जो फर्नीचर किसी खास काम के लिए प्रयोग किया जाता हो।

प्रश्न 5.
फर्नीचर के दो आवश्यक गुण बताओ।
उत्तर-

  1. आरामदायकता,
  2. मज़बूती।

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प्रश्न 6.
बैठक में क्या-क्या फर्नीचर होता है ?
उत्तर-
सोफासेट, गद्देदार, कुर्सियाँ, मेज़, कॉफी टेबत, केन्टर टेबल और आराम कुर्सियाँ ।

प्रश्न 7.
भोजन कक्ष में इस्तेमाल होने वाला फीस कौन-सा होता है ?
उत्तर-
भोजन की मेज़, कुर्सियाँ, परोसने की मेज़, साइड छोर्ड ट्राली (पहिये वाली मेज़)।

प्रश्न 8.
सोने के कमरे का फर्नीचर बताओ।
उत्तर-
सिंगल या डबल बैड, साइड मेज़, ड्रेसर खानों सहित, ड्रेसिंग टेबल, लोहे या लकड़ी की अलमारी, आराम कुर्सी।।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

प्रश्न 9.
फर्नीचर खरीदते समय कौन-सी आवश्यक बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ ?
उत्तर-

  1. उपयोगिता,
  2. सुन्दरता,
  3. डिज़ाइन,
  4. मूल्य,
  5. आरामदायकता,
  6. मज़बूती,
  7. आकार, तथा
  8. परिवार के सदस्यों की रुचि।

प्रश्न 10.
फर्नीचर के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर-

  1. घर में उठने-बैठने के लिए,
  2. शरीर को आराम पहुँचाने के लिए,
  3. काम करने में सुविधा प्रदान करना,
  4. घर की सजावट,
  5. सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का परिचय तथा
  6. वस्तुओं की सुरक्षा।

प्रश्न 11.
फर्नीचर बनाने में प्रायः कौन-कौन सी लकड़ी का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
देवदार, आबनूस, शीशम, आम, सागवान, अखरोट, चीड़ आदि।

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प्रश्न 12.
बेंत से कौन-से फर्नीचर बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
मोटी बेंत से कुर्सी,सोफा, मेज़ और मूढ़े बनाये जाते हैं।

प्रश्न 13.
बेंत के फर्नीचर किस स्थान के लिए अधिक उपयोगी होते हैं ?
उत्तर-
बगीचे, बरामदे और आँगन के लिए। बच्चों के कमरों में भी ऐसे फर्नीचर उचित रहते हैं।

प्रश्न 14.
अच्छे फर्नीचर की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर-
अच्छा फर्नीचर उपयोगी, मज़बूत, नये डिज़ाइन का, कम कीमत का तथा आरामदेह होता है।

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प्रश्न 15.
फर्नीचर का चुनाव करते समय कमरे के आकार का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
फर्नीचर कमरे के आकार के अनुसार ही होना चाहिए। जैसे छोटे कमरे में अधिक या बड़े आकार के फर्नीचर से कमरा भरा लगेगा तथा चलने फिरने की जगह भी नहीं रहेगी।

प्रश्न 16.
सजावटी फर्नीचर से क्या भाव है ?
उत्तर-
ऐसा फर्नीचर घर की सजावट के लिए प्रयोग होता है। इस फर्नीचर पर नक्काशीदार खुदाई की होती है।

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
फर्नीचर’ शब्द से अभिप्राय ऐसे सामान से है जो प्रतिदिन उठने-बैठने, आराम करने, विभिन्न वस्तुओं को सुरक्षित रखने आदि के काम आता है। इसके अन्तर्गत कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढा, तिपाई, पलंग, तख्त, चारपाई, डोली, बेंच, बुक-रैक तथा अलमारी आदि भी फर्नीचर में आते हैं।

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प्रश्न 2.
घर में फर्नीचर का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
घर में फर्नीचर का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार है-

  1. फर्नीचर घर की आन्तरिक सजावट के लिए आवश्यक है।
  2. फर्नीचर से व्यक्ति की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को बढ़ावा मिलता है।
  3. घर में सुसज्जित फर्नीचर से परिवार के व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती है।
  4. वस्तुओं को सुरक्षित रखने एवं कार्यों को सुविधापूर्वक करने के लिए भी फर्नीचर अत्यन्त आवश्यक है।

प्रश्न 3.
फर्नीचर कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
फर्नीचर का विभाजन तीन प्रकार से किया जा सकता है-
(1) फर्नीचर किस वस्तु का बना है ?
(2) कीमत के आधार पर।
(3) उपयोगिता के आधार पर।

  1. फर्नीचर किस वस्तु का बना है ?
    • लकड़ी का फर्नीचर।
    • बेंत का फर्नीचर।
    • बाँस का फर्नीचर।
    • गद्देदार फर्नीचर।
    • लोहे का फर्नीचर।
    • एल्यूमिनियम का फर्नीचर।
  2.  कीमत के आधार पर-
    • कम लागत का फर्नीचर।
    • मध्यम लागत का फीचर।
    • उच्च लागत का फर्नीचर।
  3. उपयोगिता के आधार पर-
    • बैठने के लिए फर्नीचर।
    • मध्यम लागत का फर्नीचर।
    • कार्य सम्पादन के लिए फर्नीचर।
    • सामान को सुरक्षित रखने के लिए फर्नीचर।

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प्रश्न 4.
लकड़ी के फर्नीचर पर पॉलिश के सामान्य नियम क्या हैं ?
उत्तर-

  1. पॉलिश या वार्निश लगाने से पूर्व फर्नीचर पर पड़े धूल कण तथा गन्दगी को मुलायम झाड़न से पोंछकर साफ़ कर देना चाहिए।
  2. फर्नीचर को गुनगुने पानी से या सोडे से धोने पर ऊपरी मैल तथा धब्बे छूट जाते हैं।
  3. पूरा फर्नीचर एक साथ गीला नहीं करना चाहिए। थोड़ा-थोड़ा भाग गीला करके साफ़ करते जाना चाहिए।
  4. पॉलिश लगाने अथवा चमकाने के पूर्व लकड़ी को पूर्णतः सूख जाना चाहिए।
  5. फर्नीचर पर चमक लाने के लिए साफ़ और मुलायम कपड़े से अधिक ज़ोर देकर जल्दी-जल्दी रगड़ना चाहिए।

प्रश्न 5.
फर्नीचर खरीदते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखोगी ?
उत्तर-

  1. फर्नीचर नए डिज़ाइन का हो।
  2. फर्नीचर कमरे के आकार के अनुरूप हो।
  3. फर्नीचर आर्थिक दृष्टि से मितव्ययी हो।
  4. फर्नीचर स्थान की दृष्टि से मितव्ययी हो।
  5. फर्नीचर कमरे के लिए उपयोगी हो।
  6. फर्नीचर मज़बूत व टिकाऊ हो।
  7. फर्नीचर उपयोगी और सुन्दर होने के साथ-साथ आरामदायक हो।
  8. फर्नीचर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सुविधाजनक हो।
  9. फर्नीचर सदैव अच्छे कारीगर द्वारा बना हो।

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प्रश्न 6.
फर्नीचर की देखभाल के नियम बताइए।
उत्तर-
फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए-

  1. फर्नीचर पर गद्दियों तथा कवर आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  2. फर्नीचर की टूट-फूट होने पर उसकी मरम्मत तुरन्त करवानी चाहिए।
  3. फर्नीचर को रोज़ सूखे कपड़े से पोंछकर साफ़ रखना चाहिए।
  4. नक्काशीदार फर्नीचर को ब्रुश के प्रयोग से साफ़ रखना चाहिए।
  5. फर्नीचर को नमी या धूप के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
  6. आवश्यकता अनुभव होने पर फर्नीचर की पॉलिश करवानी चाहिए।
  7. फर्नीचर उठाते या सरकाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

प्रश्न 7.
बहुउद्देशीय स्थान-बचाऊ की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर-
बहुउद्देशीय स्थान-बचाऊ फर्नीचर फोल्डिंग (मुड़ने वाला) फर्नीचर होता है, जैसे सोफा-कम-बैड, फोल्डिंग कुर्सियाँ, मशीन कवर-कम-टेबल आदि। छोटे घरों में इसकी बहुत उपयोगिता होती है-

  1. यह स्थान कम घेरता है।
  2. फोल्डिंग सोफे को रात्रि में खोलकर पलंग का काम लिया जा सकता है।
  3. रात्रि में फोल्डिंग कुर्सियों व मेज़ आदि को फोल्ड करके रख देने से छोटे घर में स्थान की समस्या हल हो जाती है।
  4. तबादले के समय सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सुविधा रहती है।

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प्रश्न 8.
मुख्य प्रकार के फर्नीचर तथा उनके उदाहरण बताओ।
उत्तर-

  1. लकड़ी का फर्नीचर-कुर्सी, मेज़, पलंग, चौकी,तख्त, अलमारी आदि।
  2. बेंत का फर्नीचर-कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढ़े आदि।
  3. गद्देदार फर्नीचर-सोफा, गद्देदार, कुर्सियाँ आदि।
  4. लोहे का फर्नीचर-फोल्डिंग टेबल, कुर्सियाँ, अलमारियाँ, रैकं आदि।
  5. अलंकृत फर्नीचर- नक्काशीदार फर्नीचर।
  6. काम चलाऊ फर्नीचर-बॉक्स पर गद्दी, बिछाकर बेंच के रूप में, लकड़ी की पेटियों की बुक-रैक, क्रॉकरी तथा बर्तन रखने की अलमारी आदि।

प्रश्न 9.
घर में कौन-कौन से फर्नीचर प्रयोग में लाये जाते हैं ?
उत्तर-
घर में निम्नलिखित फर्नीचर प्रयोग में लाए जाते हैं-

  1. सोफासेट-लकड़ी का, स्प्रिंग वाला गद्देदार, फोम रबड़ का, बेंत का या फोल्डिंग।
  2. कुर्सियाँ-साधारण, ड्राइंग रूम के लिए, भोजन कक्ष के लिए, अध्ययन कक्ष के लिए फोल्डिंग कुर्सी तथा आराम कुर्सियाँ।
  3. मेज़-बैठक के लिए केन्द्रीय मेज़, बगल वाली मेज़, कोने वाली मेज़ व कॉफी मेज़, खाने की मेज़ (डाइनिंग टेबल), श्रृंगार मेज़, पढ़ने की मेज़।
  4.  चारपाई तथा पलंग।
  5. तख्त और दीवान।
  6. अलमारियाँ-दीवार में बनी, लकड़ी की, स्टील की तथा रैक।
  7. शो केस।
  8. वॉल केबिनेट।

प्रश्न 10.
‘महँगा रोए एक बार सस्ता रोए बार-बार’ पर टिप्पणी दो।
उत्तर-
घर के उपयोग की कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें जीवन में प्रायः एक-दो बार ही खरीदा जाता है, जैसे-मकान, टी० वी०, फ्रिज़, फर्नीचर आदि। ऐसी वस्तुएँ जब खरीदी जाती हैं तब उनके मूल्य की ओर इतना ध्यान न देकर उनकी मज़बूती, आरामदेहता तथा बनावट की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। कुछ लोग नासमझी में सस्ती वस्तुएँ खरीद तो लेते हैं, परन्तु उनके खराब होने या टूट जाने पर उन्हें दूसरी बार या कई बार खरीदना पड़ता है। तात्पर्य यह है कि एक ही बार सोच-समझकर अधिक पैसे खर्च कर अच्छी चीज़ खरीदना या कम पैसे खर्च कर सस्ती चीज़ कई बार खरीदना, इन दोनों बातों के आधार पर ही यह कथन है कि ‘महँगा रोए एक बार’ ‘सस्ता रोए बार-बार’।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के फर्नीचर का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फर्नीचर विभिन्न प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. लकड़ी का फर्नीचर-लकड़ी का फर्नीचर हल्का होता है। यह धूप तथा पानी से खराब हो जाता है। घरों में काम आने वाला अधिकतर फर्नीचर, जैसे-मेज़, कुर्सी, पलंग, अलमारी, चौकी आदि प्रायः लकड़ी का ही बना होता है। इस प्रकार के फर्नीचर देवदार, शीशम, आम, सागवान, अखरोट, चीड़, आबनूस आदि लकड़ी के बनते हैं। फर्नीचर की कीमत लकड़ी पर निर्भर करती है। सागवान तथा शीशम का फर्नीचर सुदृढ़, आकर्षक, भारी एवं मज़बूत होता है। आजकल पर्ती लकड़ी (प्लाइवुड) का फर्नीचर भी बनाया जाता है।

2. बेंत का फर्नीचर-बेंत का फर्नीचर विभिन्न रंगों का तथा हल्का होता है। बेंत का फर्नीचर मज़बूत नहीं होता। यह देखी में सुन्दर लगता है। बच्चों के कमरों में इस प्रकार का फर्नीचर उपयोगी होता है। बेंत का फर्नीचर बगीचे, बरामदे तथा आँगन के लिए भी उपयोगी होता है। लकड़ी की कुर्सी में भी बेंत का जाल बुना जा सकता है। मोटी बेंत द्वारा कुर्सी, मेज़, सोफा, मूढ़े आदि बनाये जाते हैं।

3. गद्देदार फर्नीचर-गद्देदार फर्नीचर, जैसे-सोफासेट, गद्देदार कुर्सियाँ, तिपाई आदि लकड़ी या धातु के ढाँचे में जूट, नारियल के रेशे, रूई तथा भूसा आदि भरकर तथा स्प्रिंग डालकर बनाए जाते हैं। इन्हें ऊपर से चमड़े, रेक्सीन या प्लास्टिक से ढका जाता है। गद्दों में फोम, रबर, डनलप का प्रयोग भी किया जाता है। ये टिकाऊ तथा आरामदायक होता है।

4. स्टील या लोहे का फर्नीचर-स्टील या लोहे का फर्नीचर प्रायः लोहे की चादरों तथा खोखले पाइप से बनाया जाता है। लोहे का फर्नीचर हल्का तथा मज़बूत होता है। इस पर आसानी से रंग चढ़ाया जा सकता है। इसमें सीलन तथा कीड़े-मकोड़े नहीं घुस सकते। इससे बनी कुर्सियों में गद्दों का तथा गद्दों पर रेक्सीन व चमड़े का कवर लगाया जाता है। इसके अन्तर्गत मुड़ने वाला (फोल्डिंग) फर्नीचर भी आता है। सुरक्षा की दृष्टि से मूल्यवान वस्तुओं को रखने के लिए स्टील की पेटियाँ तथा अलमारियाँ काम में लाई जाती हैं।

5. बाँस का फर्नीचर-बाँस से सोफासेट, गोल एवं चौकोर कुर्सियाँ, मेज़, मूढ़े आदि बनाए जाते हैं। ये अधिक सस्ते होते हैं तथा इन पर पॉलिश की जा सकती है। ये अधिक हल्के होते हैं।

6. एल्यूमीनियम का फर्नीचर-आजकल एल्यूमीनियम की बनी नलियों के फ्रेम वाले फर्नीचर प्रचलित हो गए हैं। कुर्सियों, स्टूलों, मेज़ों और पलंगों के फ्रेम एल्यूमीनियम के बनने लगे हैं। ये सस्ते और हल्के होते हैं। इन पर नायलॉन की तारों और निवाड़ की बुनाई होती है।

7. कामचलाऊ फर्नीचर-धन की कमी के कारण उपलब्ध सामग्री को फर्नीचर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जैसे सामान की पेटी पर गद्दी तथा चादर बिछाकर बेंच का काम लिया जा सकता है। कम दामों में लकड़ी की पेटियाँ खरीदकर उनसे बुक-रैक, क्रॉकरी तथा बर्तन रखने की अलमारी बनायी जा सकती है।

8. अलंकृत फर्नीचर-कुछ फर्नीचर नक्काशीदार खुदाई किए हुए भी बनाया जाता है। इस प्रकार के फर्नीचर पर धूल-मिट्टी की पर्ते जम जाती है। इस फर्नीचर की आसानी से सही सफ़ाई नहीं हो पाती। सफ़ाई न होने से यह अनाकर्षक दिखायी देने लगता है।

9. आधुनिक स्थानबचाऊ बहुउद्देशीय फर्नीचर-आज बड़े-बड़े शहरों जैसे मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि में स्थान की कमी के कारण आधुनिक स्थानबचाऊ फर्नीचर का उपयोग किया जाता है। स्थानबचाऊ बहुउद्देशीय फर्नीचर फोल्डिंग होता है, जैसे सोफाकम-बैड जिसे दिन में सोफे के रूप में तथा रात्रि में उसे खोलकर बिस्तर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। सिलाई मशीनें भी इस तरह की होती हैं जिसमें आवश्यकतानुसार पहिया लगाकर चौकोर मेज़ के रूप में प्रयोग किया जाता है। आजकल विभिन्न प्रकार के फोल्डिंग, मेज़, कुर्सी, पलंग बनाये जाते हैं जो बन्द करके रखे जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
आप घर में अलग-अलग प्रकार के फर्नीचर की देखभाल कैसे करेंगे ?
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 5 कार्यात्मक फर्नीचर

कार्यात्मक फर्नीचर PSEB 8th Class Home Science Notes

  • फर्नीचर दो प्रकार के होते हैं-कार्यात्मक और सजावट वाले।
  • कार्यात्मक फर्नीचर वह होता है जिसका अलग-अलग काम हो।
  • सजावटी फर्नीचर केवल सजावट के लिए होता है।
  • फर्नीचर खरीदते समय डिज़ाइन का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
  • सबसे अच्छा फर्नीचर लकड़ी का होता है।
  • फर्नीचर के जोड़ मज़बूत होने चाहिएँ।
  • फर्नीचर आरामदेह होना चाहिए।
  • लकड़ी के फर्नीचर को प्रतिदिन बड़े ध्यान से साफ़ करना चाहिए।
  • लकड़ी के फर्नीचर पर कोई चीज़ गिर जाए तो उसको वहीं सूखने नहीं देना चाहिए। उसको उसी समय साफ़ कर देना चाहिए।
  • चिकने और चिपकने वाले दागों के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पेंट या रोगन के दाग के लिए मैथिलेटिड स्पिरिट इस्तेमाल में लानी चाहिए और फर्नीचर पर पॉलिश करनी चाहिए।
  • साल में एक दो बार फर्नीचर को अच्छी तरह साफ़ करके पॉलिश करना चाहिए।
  • चाय, कॉफी, कलों के रस के दागों के लिए पानी में थोड़ा-सा नरम साबुन घोलकर कपड़े के साथ साफ़ करना चाहिए।
  • गद्देदार फर्नीचर को आवश्यकतानुसार ड्राइक्लीन करवाना चाहिए।
  •  बेंत वाले फर्नीचर को नमक वाले पानी से साफ़ करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 9 लिंग समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 9 लिंग समानता

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB लिंग समानता InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही है?
उत्तर-
नहीं, लड़के और लड़की में भेदभाव करना सही नहीं है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर पुरुष और स्त्री का अनुपात क्या है?
उत्तर-
अधिकतर समान या 50 : 50.

प्रश्न 3.
अपनी कक्षा में कितने लड़के और लड़कियां हैं?
उत्तर-
हमारी कक्षा में 30 लड़कियां और 20 लड़के हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 4.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़के कर सकते हैं?
उत्तर-
वे कार्य जो प्रकृति से यान्त्रिक होते हैं और उनके लिए अधिक शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। इस के साथ ही समाज यह भी सोचता है कि लड़कों को बाहरी कार्य करने चाहिए।

प्रश्न 5.
उन कार्यों के नाम लिखो जिसे समाज सोचता है कि ये कार्य केवल लड़कियों को करना चाहिए।
उत्तर-
अधिकतर घरेलू कार्य और जिनमें कम शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
क्या समाज में लिंग असमानता अच्छी है या बुरी।
उत्तर-
समाज में लिंग समानता अच्छी है।

प्रश्न 7.
जो परिजन लड़की के जन्म पर खुशी व्यक्त नहीं करते वे अच्छे हैं। इस कथन के विषय में आपका क्या विचार है?
उत्तर-
नहीं, वे अच्छे परिजन नहीं हैं।

प्रश्न 8.
उन कुछेक कार्यों का नाम लिखो जो परम्परागत रूप में लड़कियों के लिए नहीं हैं परन्तु आजकल भी लड़कियां उनको कर रही हैं।
उत्तर-
लड़कियों ने गाड़ी चलाना, अभियन्ता और कुलियों आदि का कार्य शुरू कर दिया है।

प्रश्न 9.
लिंग समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
साधारण शब्दों में इसका अर्थ है लड़कों और लड़कियों को उनके लिंग के आधार पर समान अवसर प्रदान करना।

प्रश्न 10.
क्या हमें कृषि करती लड़की का मजाक उड़ाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं हमें कृषि करती लड़की का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या हमें अपने विद्यालय की देखभाल नहीं करनी चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपने विद्यालय की देखभाल करनी चाहिए जैसे कि ये विद्या के मन्दिर हैं।

प्रश्न 12.
आजकल समाज में असमानता के तीन उदाहरण कौन-से हैं?
उत्तर-
असमान भत्ते, पुरुषों के लिए कुछेक कार्य आरक्षित रखना, स्त्रियों को गृह कार्य करने के लिए बाध्य करना आदि।

प्रश्न 13.
क्या हमें लिंग असमानता या लिंग समानता का समर्थन करना चाहिए?
उत्तर-
हमें लिंग समानता को समर्थन करना चाहिए और लिंग असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 14.
क्यों स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए?
उत्तर-
हां. स्त्रियों को रेलगाड़ी चलाने और विमान उड़ाने की आज्ञा दी जानी चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 15.
क्या हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें बहुत योग्य स्त्री को अपने नेता के रूप में चुनना चाहिए।

प्रश्न 16.
क्या भाई होने के नाते आप अपनी बहन का समर्थन करेंगे यदि वह तैराक या पहलवान बनना चाहती है?
उत्तर-
हां, मैं उसका समर्थन करूंगा।

प्रश्न 17.
क्या स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए?
उत्तर-
हां, स्त्रियों को देर रात तक कार्य करने की आज्ञा होनी चाहिए।

प्रश्न 18.
उन तीन स्त्रियों के नाम बताओ जिनकी आप उनकी प्राप्तियों के लिए प्रशंसा करते हैं?
उत्तर-
हिमा दास, कल्पना चावला और मैरी कॉम।

प्रश्न 19.
दो प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों के नाम लिखो।
उत्तर-
मैरी क्यूरी (भौतिकी और रसायन वैज्ञानिक) एवं जानकी अम्मल (वनस्पति वैज्ञानिक)।

प्रश्न 20.
उस स्त्री का नाम लिखो जो भारत की प्रधानमन्त्री थी।
उत्तर-
इन्दिरा गाँधी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लिंग समानता के विषय में संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
लिंग समानता शब्द का अर्थ है कि लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। स्त्रियों और पुरुषों को सब प्रकार से समान समझा जाना चाहिए। स्त्रियां पुरुषों के समान अवसर प्राप्त करें और उन्हें किसी कार्य के लिए पुरुषों के समान भत्ते दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या अतीत में लिंग समानता थी?
उत्तर-
नहीं, अतीत में लिंग समानता नहीं थी। आज भी विश्व के कई भागों में लिंग समानता नहीं है। स्त्रियों को पुरुषों से कम समझा जाता है। उन्हें घर के अन्दर रहने और गृह कार्य करने के लिए विवश किया जाता है।

प्रश्न 3.
लिंग असमानता की क्या हानियां हैं?
उत्तर-
निम्नलिखित कुछेक लिंग असमानता की हानियां हैं

  1. यह उचित शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है।
  2. जीवन वातावरण सामंजस्यपूर्ण नहीं होगा।
  3. सभी राष्ट्र और समाज की उन्नति में योगदान देने के योग्य नहीं होंगे।
  4. राष्ट्र की G.D.P. (सकल घरेलू उत्पाद) निम्न रहेगी।
  5. सभी ज़िन्दगी का पूर्ण आनन्द नहीं ले सकते।

प्रश्न 4.
लिंग समानता के मुख्य लक्षण कौन-से हैं?
उत्तर-
लिंग समानता के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. लड़कों और लड़कियों को समान समझना।
  2. जो भी कार्य करने के योग्य है, उसे कार्य करना चाहिए।
  3. भत्ते निश्चित होने चाहिए यह विचार किए बिना कि कार्य कौन कर रहा है।
  4. स्त्रियां वे सभी कार्य करने के योग्य हैं जो केवल पुरुष कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
लिंग समानता का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यदि समाज में लिंग समानता है तो हमारे पास निम्नलिखित होगा

  1. स्त्रियों और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा नहीं।
  2. समाज में आर्थिक समृद्धि।
  3. उच्च सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
  4. बहुत सुखद पारिवारिक और सामाजिक वातावरण।

प्रश्न 6.
लिंग असमानता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
लिंग असमानता के लिए उत्तरदायी बहुत-से तत्त्व हैं। उनमें से कुछेक हैं:

  1. समाज की छोटी सोच।
  2. स्त्रियों की योग्यता के बारे में तुच्छ सोच।
  3. पुरुषों को स्त्रियों का रखवाला समझना।
  4. पुरुषों में झूठी श्रेष्ठता समझने की भावना।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न माग

प्रश्न 1.
उन कुछेक स्त्रियों के नाम लिखो जिन पर भारत को मान है।
उत्तर-
हमारे यहाँ ऐसी बहुत-सी स्त्रियां हैं जिन्होंने भारत के लिये ख्याति अर्जित की है। उनमें से कुछेक हैं

  1. इन्दिरा गांधी-वह पहली स्त्री थी जो भारत की प्रधानमन्त्री बनी। उन्होंने जनवरी, 1966 से मार्च, 1977 तक तथा पुनः जनवरी 1980 से उनकी हत्या किए जाने तक अक्तूबर, 1984 तक प्रधानमन्त्री के रूप में सेवा की। वह आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध है।
  2. मैरी कॉम-वह भारत की मुक्केबाजी की स्टार है। उन्होंने छ: बार विश्व अव्यवसायी मुक्केबाजी प्रतियोगिता जीती। भारत को उन पर मान है।
  3. हिमा दास-वह भारत की सेवानिवृत्त ऐथलीट है। उन्होंने 2019 में पांच स्वर्ण पदक जीते।
  4. कल्पना चावला-वह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, अभियंता और अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली स्त्री थी।
  5. मदर टेरेसा-उन्होंने अपना जीवन गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता करने को समर्पित किया और 1979 ई० में नोबल शान्ति पुरस्कार जीतने वाली पहली स्त्री थी।
  6. आनन्दी गोपाल जोशी-वह पहली स्त्री थी जो भारत में डॉक्टर बनी।

प्रश्न 2.
हमारा समाज बदल रहा है। इस कथन को लिंग समानता के आधार पर समायोजित करें।
उत्तर-
हमारा समाज बदल रहा है विशेषतया जब हम लड़कियों के प्रति मनोदृष्टि की बात करते हैं। कुछेक बिन्दु जो इस परिवर्तन को दर्शाते हैं, वे निम्नानुसार हैं:

  1. परिजन लड़कियों के जन्म-दिन और उनकी प्राप्तियों पर खुशी मनाते हैं।
  2. परिजन लड़कियों को वे कार्य करने से भी नहीं रोकते जो कभी केवल लड़कों के करने योग्य समझे जाते थे।
  3. लड़कियां समाज में बहुत उच्च पदों पर आसीन हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वे दिखाई देती हैं।
  4. लोग अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सहायक हैं।
  5. समाज के सभी क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के लिए समान अवसर हैं।
  6. लड़कियां पुलिस अफ्सर, पायलट, प्रशासन अधिकारी आदि बन रही हैं।
  7. स्त्रियां राष्ट्र की उन्नति में भी अद्भुत कार्य करके अपना योगदान दे रही हैं।
  8. बहुत-सी स्त्रियां न केवल खेलों में भाग ले रही हैं बल्कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत रही हैं। इन सभी बिन्दुओं से कोई भी सरलता से जान सकता है कि हमारा समाज बदल रहा है और लिंग समानता की अवधारणा का समर्थन कर रहा है।

प्रश्न 3.
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना क्या सही है? अपने उत्तर के सन्दर्भ में विचार दें।
उत्तर-
पुरुष और स्त्री में भेदभाव करना सही नहीं है। निम्न बिन्दु इस उत्तर का समर्थन करते हैं।

  1. स्त्रियां पुरुषों की भान्ति ही महत्त्वपूर्ण हैं । वे समाज के दो स्तंभ हैं।
  2. यदि हम बेटियों को शिक्षा नहीं देंगे तो हमारे पोत्तों-नवासों को कौन शिक्षा देगा।
  3. यदि हम उन्हें चिकित्सा व्यवसाय में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हमारी माताओं, बहनों और बेटियों का उपचार कौन करेगा।
  4. यदि हम उन्हें खेलों में जाने की अनुमति नहीं देंगे तो हम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक तालिका में ऊपर तक कैसे जा सकते हैं।
  5. यदि हम अपनी बेटियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करेंगे तो दूसरे कैसे उनके साथ सम्मान से पेश आएंगे। उपरोक्त बातों से कोई भी सरलता से लिंग समानता के समर्थन की महत्ता को समझ सकता है।

प्रश्न 4.
लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। क्या आप इस कथन से सहमत या असहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में बताएं।
उत्तर-
मैं उक्त कथन से सहमत हूँ कि लड़कियों को समान अवसर और समान भत्ते देकर हम अप्रत्यक्ष रूप से केवल उनकी सहायता कर रहे हैं। मेरे उत्तर के पक्ष में निम्नलिखित बिन्दु हैं,

  1. यदि मेरी माता एक कार्यरत महिला हैं और उनको कम भत्ता दिया जाता है तो यह हमारे लिए कम पैसे लाएँगी।
  2. हमें अपनी बहनों, बेटियों और माताओं के उपचार के लिए महिला डॉक्टरों की आवश्यकता है। हम उन्हें तभी पा सकते हैं यदि स्त्रियां डॉक्टरी शिक्षा ग्रहण करेंगी।
  3. हमें महिला नौं की आवश्यकता है क्योंकि केवल वे ही हैं जो हमारी स्त्रियों की देखभाल कर सकती हैं।
  4. हमें महिला अध्यापिकाओं की आवश्यकता अपनी बहनों और बेटियों की शिक्षा के लिए है।
  5. हमें महिला खिलाड़ियों की आवश्यकता है नहीं तो हम अंतर्राष्ट्रीय खेलों के दौरान तालिका में उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सकते।
  6. हमें और बहुत-से वैज्ञानिकों, कम्प्यूटर विशेषज्ञों और तकनीशियनों की आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान करते हैं।
  7. यदि पुरुष और स्त्री दोनों मिल कर कार्य करेंगे तो हमारा देश सुपर शक्ति बन सकता है। अतः हम विकसित राष्ट्र बनने की कल्पना नहीं कर सकते यदि हम लड़कियों को समान अवसर प्रदान नहीं करेंगे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
लिंग समानता सुनिश्चित करती है
(क) स्त्रियों के प्रति हिंसा
(ख) पुरुष प्रधान समाज
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर
(घ) लड़कों के लिए अधिक रोज़गार।
उत्तर-
(ग) सभी लोगों के लिए समान अवसर।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा कथन लिंग समानता के लिए उपयुक्त है?
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर
(ख) गृह कार्यों में पुरुषों की भागीदारी नहीं
(ग) स्त्रियों का खेलों में भाग न लेना
(घ) यह सभी।
उत्तर-
(क) लड़कों और लड़कियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

प्रश्न 3.
नारीवादी आन्दोलनों का लक्ष्य है
(क) स्वतन्त्रता
(ख) समानता
(ग) सहभागिता
(घ) शक्ति।
उत्तर-
(ख) समानता।

प्रश्न 4.
भारत में स्त्रियों से ……. में भेदभाव किया जाता है।
(क) राजनीतिक जीवन
(ख) सामाजिक जीवन
(ग) आर्थिक जीवन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(घ) सभी ग़लत हैं।

प्रश्न 5.
लिंग आधारित मजदूरी का विभाजन दर्शाता है कि
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है
(ख) जाति पुरुषों और स्त्रियों के बीच विभाजन का आधार है
(ग) शिक्षा के आधार पर काम का विभाजन
(घ) सभी ग़लत हैं।
उत्तर-
(क) कार्य पुरुषों और स्त्रियों के बीच में विभाजन तय करता है।

प्रश्न 6.
समान मज़दूरी अधिनियम व्यक्त करता है
(क) घरेलू और परिवार सम्बन्धी मामलों को कैसे नियन्त्रित करना है।
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।
(ग) कि सभी कार्य स्त्रियों और पुरुषों द्वारा सीमा में रहते हुए किये जाते हैं।
(घ) कि लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उत्तर-
(ख) कि स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान कार्य के लिए समान भत्ता दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
लिंग विभाजन आमतौर पर ………… का उल्लेख करता है।
(क) पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक अन्तर।
(ख) असमान साक्षरता दर ।
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं ,
(घ) स्त्रियों को मताधिकार न देना।
उत्तर-
(ग) समाज द्वारा पुरुषों और स्त्रियों को असमान भूमिकाएं सौंपी गई हैं।

प्रश्न 8.
स्त्रियों का उत्तरदायित्व ………… है।
(क) केवल बच्चों की देखभाल करना
(ख) केवल घरेलू कार्य करना
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ग) निर्णय लेने और अन्य गतिविधियों में भाग लेना।

प्रश्न 9.
पुरुषों को ……………….. नहीं करना चाहिए।
(क) गृह कार्यों में योगदान
(ख) बच्चों की देखभाल
(ग) स्त्रियों का शोषण
(घ) स्त्रियों का सम्मान।
उत्तर-
(ग) स्त्रियों का शोषण।

प्रश्न 10.
कथन (क): लिंग समानता हम सब के लिए अच्छी है।
कथन (ख): स्त्रियां पुरुषों से कम हैं। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।
(ख) कथन क गलत है। कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं।
(घ) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।

प्रश्न 11.
लड़कियों को …………… में अवश्य भाग लेना चाहिए।
(क) खेल गतिविधियों
(ख) कृषि और बागबानी कार्यों
(ग) यांत्रिक कार्यों
(घ) इन सभी में।
उत्तर-
(घ) इन सभी में।

प्रश्न 12.
पक्षपातीय लिंग ……….. का परिणाम है।
(क) समाज की संकीर्ण सोच
(ख) कार्यवाही की कमी
(ग) समाज की पुरुष प्रधान प्रकृति
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 लिंग समानता

रिक्त स्थान भरोः

  1. ……….. लिंग असमानता का कारण है जो सोचता है कि लड़कियां कमज़ोर हैं।
  2. समाज की ………… के लिए लिंग समानता बहुत ज्यादा आवश्यक है।
  3. स्त्रियां और पुरुष दोनों समाज का ………………. अंग हैं।
  4. लिंग समानता स्त्रियों के विरुद्ध ……………. को रोकता है।
  5. लिंग समानता घर पर या कार्य स्थल पर स्त्रियों और पुरुषों दोनों को समान ………… को निश्चित करती है।
  6. …………. लिंग सम्बन्धी रूढ़ प्रारूप को तोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  7. लिंग समानता एक मानवीय ……….. है।
  8. लड़कों को ………….. गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
  9. स्त्रियों को शिक्षित करना उसके ………….. को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  10. भेदभाव साधारणतः ………….. बनाया जाता है।

उत्तर-

  1. संकीर्ण विचारधारा
  2. उन्नति
  3. अपरिहार्य
  4. हिंसा
  5. अवसर
  6. शिक्षा
  7. अधिकार
  8. घरेलू
  9. आत्म-सम्मान
  10. सामाजिक रूप से।

सही/गलत:

  1. हमें लड़कों और लड़कियों में भेदभाव करना चाहिए।
  2. लड़कियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के अवसर मिलने चाहिए।
  3. यान्त्रिक और चालक कार्य लड़कियों की पहुँच से दूर हैं।
  4. लड़कियों को कृषि और बागबानी कार्य में भाग लेना चाहिए।
  5. लिंग समानता करना उचित व्यवहार नहीं है।
  6. लड़कों और लड़कियों को आगे बढ़ने के समान अवसर दिए जाने चाहिए।
  7. लड़कियों को उनके द्वारा सामना किए गए दुर्व्यवहार के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए।
  8. लड़कों और लड़कियों दोनों को पौष्टिक भोजन दिया जाना चाहिए।
  9. लिंग असमानता उनके लिंग पर आधारित व्यक्तिगत असमान बर्ताव को प्रस्तुत करती है।
  10. लिंग समानता का मुख्य उद्देश्य समाज की रचना करना है जिसमें पुरुष और स्त्रियां समान अधिकारों का आनन्द मानें।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत
  6. सही
  7. ग़लत
  8. सही
  9. सही
  10. ग़लत।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक सम्पत्ति क्या है?
उत्तर-
ऐसी सम्पत्ति जो लोगों से एकत्र किए कर से चलती है।

प्रश्न 2.
किसी एक सार्वजनिक सम्पत्ति का नाम बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक पुस्तकालय।

प्रश्न 3.
किसी एक व्यक्तिगत सम्पत्ति का नाम बताओ।
उत्तर-
अपना घर।

प्रश्न 4.
इनमें से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति नहीं है? बंगला, पार्क और संग्रहालय।
उत्तर-
बंगला।

प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति है? बंगला, पार्क और संग्रहलय।
उत्तर–
पार्क और संग्रहालय।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 6.
सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाव और रक्षा करना सरकार का कार्य है। क्या यह कथन सही या गलत है?
उत्तर-
नहीं, सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाब और रक्षा करना सरकार, सहित हम सबका कर्त्तव्य है।

प्रश्न 7.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचानी चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण, रख-रखाव और रक्षा में योगदान देना चाहिए?
उत्तर-
हां, हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण, रख-रखाव और रक्षा में योगदान देना चाहिए।

प्रश्न 9.
कुछ सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
क्योंकि ये जनता से आए पैसे से बनाई, रक्षित और रख-रखाव की जाती हैं।

प्रश्न 10.
क्या हमें संग्रहालय की दीवारों पर लिखना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, संग्रहालय की दीवारों पर नहीं लिखना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक सम्पत्ति है।

प्रश्न 11.
क्या हमें अपने विद्यालय का ध्यान नहीं रखना चाहिए?
उत्तर-
हूँ, हमें अपने विद्यालय का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये शिक्षा के मन्दिर हैं।

प्रश्न 12.
समाज की सेवा का सबसे बढ़िया ढंग कौन-सा है?
उत्तर-
समाज की सेवा का सबसे बढ़िया ढंग सार्वजनिक सम्पत्ति को बनाने, रख-रखाव करने, रक्षा करने और बचाने में योगदान देना।

प्रश्न 13.
यदि हम हार जाएं तो क्या हमें प्रेरणाहीन अनुभव करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, यदि हम हार जाएं तो हमें स्वयं को प्रेरणाहीन नहीं समझना चाहिए।

प्रश्न 14.
यदि हम जीतने में असफल हों तो क्या हमें खेलना बन्द कर देना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपनी कमियों और असफलता से सीखना चाहिए और अगली बार जीतने के लिए कड़ा परिश्रम करने का यत्न करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 15.
क्या सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही होनी चाहिए?
उत्तर-
हाँ, सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

प्रश्न 16.
सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना किस प्रकार का व्यवहार है?
उत्तर-
यह समाज विरोधी व्यवहार है या पूर्ण समाज के विरुद्ध अपराध है।

प्रश्न 17.
क्या हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की साफ़-सफ़ाई का ध्यान नहीं रखना चाहिए?
उत्तर-
हमें ध्यान रखना चाहिए कि सार्वजनिक सम्पत्तियों को साफ़-सुथरा रखना चाहिए।

प्रश्न 18.
क्या रेलवे स्टेशन और बस स्टाप सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं?
उत्तर-
हां, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं।

प्रश्न 19.
सड़क और फार्मलैंड में से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति है?
उत्तर-
सड़क सार्वजनिक सम्पत्ति है।

प्रश्न 20.
सार्वजनिक सम्पत्ति को कौन उपयोग कर सकता है?
उत्तर-
हम सब सार्वजनिक सम्पत्ति का उपयोग कर सकते हैं।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक सम्पत्ति के अर्थ की व्याख्या करें।
उत्तर-
सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज की विशिष्ट सम्पत्तियां हैं। ये सभी बड़े यत्नों से बनाई गई हैं। इनको बनाने और इनके रख-रखाव में बहुत बड़ी मात्रा में पैसे का निवेश होता है। इन सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां कहा जाता है। क्योंकि ये लोगों से कर के रूप में एकत्र किए पैसे से चलती हैं। विद्यालय, अस्पताल, पुस्तकालय, बैंक, रेलवे, बसें, पार्क आदि सार्वजनिक सम्पत्तियां हैं।

प्रश्न 2.
निजी सम्पत्ति, सार्वजनिक सम्पत्ति से कैसे भिन्न होती है?
उत्तर-
निजी सम्पत्ति, सार्वजनिक सम्पत्ति से निम्नानुसार भिन्न है

  1. सार्वजनिक सम्पत्ति अकसर निजी सम्पत्ति से बड़ी होती है।
  2. सार्वजनिक सम्पत्ति हम सबसे करो के रूप में एकत्र किए धन से बनायी और चलायी जाती है। दूसरी ओर निजी सम्पत्ति मालिक द्वारा बनाई जाती है और रख-रखाव की जाती है।
  3. सार्वजनिक सम्पत्ति सामान्य सम्पत्ति है जो सभी द्वारा उपयोग की जाती है। निजी सम्पत्ति केवल मालिक द्वारा उपयोग की जाती है।
  4. सार्वजनिक सम्पत्ति के रख-रखाव को बनाए रखना हम सबका कर्त्तव्य है। निजी सम्पत्ति का रख-रखाव मालिक द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक सम्पत्तियों की हम कैसे रक्षा कर सकते हैं?
उत्तर-
निम्न कुछेक विधियां हैं जिससे हम सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा कर सकते हैं।

  1. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।
  2. हमें उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जो सार्वजनिक सम्पत्ति का रख-रखाव और रक्षा कर रहे हैं।
  3. हम सबको सार्वजनिक सम्पत्तियों के महत्त्व के बारे में जागरुकता फैलानी चाहिए।
  4. सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के लिए कानून और नियम होने चाहिए।
  5. जो लोग सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने का यत्न करते हैं या वास्तव में क्षति पहुंचाते हैं, उन्हें कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक सम्पत्तियों के लिए धन के स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
जिस सम्पत्ति पर हम सबका समान अधिकार हो उसे सार्वजनिक सम्पत्ति कहा जाता है। सार्वजनिक सम्पत्तियों के लिए धन के मुख्य साधन ये हैं

  1. प्रत्यक्ष कर जैसे कि आयकर।
  2. अप्रत्यक्ष कर जैसे कि बिक्री कर, उत्पाद और सीमा शुल्क।
  3. लोगों से दान, जो सोचते हैं कि समाज के प्रति यह उनकी नैतिक जिम्मेवारी है।

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प्रश्न 5.
विद्यालय की सम्पत्ति के बारे में कुछेक पंक्तियां लिखो।
उत्तर-
विद्यालय की सम्पत्ति में, कुर्सियां, मेज़, डैस्क, विज्ञान प्रयोगशालाएं, खेल के मैदान और पुस्तकालय शामिल होते हैं। विद्यार्थियों को विद्यालय की सम्पत्ति को नष्ट नहीं करना चाहिए। विद्यालय की सम्पत्ति का निर्माण सरकार और जनता दोनों द्वारा किया जाता है। हमें विद्यालय की सम्पत्ति की देखभाल में सहायता के लिए कक्षासमितियां बनानी चाहिएं।

प्रश्न 6.
निम्न पहेलियों को सुलझाने का यत्न करें

  1. मेरे पास बहुत-सी कुर्सियां, मेज़, समाचार-पत्र और किताबों से भरी बहुत-सी अलमारियां हैं।
  2. मेरे पास सुन्दर लॉन है और बहुत-से सुन्दर फूल और पौधे हैं।
  3. मैं बहुत-से कमरों वाली प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, खेल के मैदान, रसोई शनिका वाली बड़ी
    इमारत हूँ और औपचारिक शिक्षा देने का स्थान हूँ।

उत्तर-

  1. यह पुस्तकालय है।
  2. यह पार्क है।
  3. यह एक विद्यालय है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछेक सार्वजनिक सम्पत्तियों का नाम लिखो और इनके महत्त्व बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक सम्पत्तियां वे सम्पत्तियां हैं जो जनता के पैसे से बनाई जाती हैं और उनका रख-रखाव किया जाता है,। कुछेक सार्वजनिक सम्पत्तियां और उनका महत्त्व निम्नलिखित है

  1. सार्वजनिक पुस्तकालय-यह सबको पढ़ने और पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करती है। अत: यह बढ़िया समाज को बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
  2. सार्वजनिक खेल के मैदान-ये विभिन्न बाहरी खेलों को सीखने और खेलने में हमारी सहायता करते हैं। ये हमारी ऊर्जा और समय को सकारात्मक ढंग से उपयोग करने में सहायता करते हैं।
  3. पार्क और बाग-ये वे स्थान हैं जहां हम योगा, कसरत और सैर कर सकते हैं। हम अच्छा और चिन्तामुक्त अनुभव करते हैं जब हम सुन्दर फूलों को देखते हैं। अतः ये वे स्थान हैं जो हमारा तनाव कम करने में सहायता करते हैं।
  4. सार्वजनिक यातायात-बसें और रेलगाड़ियां सार्वजनिक यातायात का महत्त्वपूर्ण भाग हैं। ये ईंधन बचाने और प्रदूषण कम करने में सहायता करती हैं।
  5. अस्पताल-सार्वजनिक अस्पताल स्वस्थ रहने में हमारी सहायता करते हैं और बहुत कम लागत पर उपचार लेने को हमारी सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दें

  1. क्या सार्वजनिक सम्पत्तियों के बगैर बढ़िया जीवन की कल्पना कर सकते हैं?
  2. जो सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाते हैं, उनसे हमें कैसे व्यवहार करना चाहिए?
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियों की क्षति हमारी अपनी क्षति है, सिद्ध करें।
  4. आप दूसरों की सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने से दूर रहने के लिए किस प्रकार उत्साहित करेंगे?

उत्तर-

  1. नहीं, हम सार्वजनिक सम्पत्तियों के बगैर बढ़िया जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। उदाहरणत: हमें कम पैसे खर्चे पर दूर स्थानों तक यात्रा करने के लिए बसों और रेलगाड़ियों की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार कम लागत पर उपचार प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक अस्तपालों की आवश्यकता है।
  2. कुछेक लोग सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाते हैं। हमें किसी को भी सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकना चाहिए और जागरूक करना चाहिए।
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियां जनता के पैसे से बनाई और चलाई जाती हैं। हम सरकार को कर अदा करते हैं और सरकार एकत्रित धन में से कुछ सार्वजनिक सम्पत्तियों के रख-रखाव पर खर्च करती है। यदि हम सार्वजनिक सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाएंगे तो सरकार हम पर भारी कर लगाएगी। अतः हमें उनकी क्षति पूर्ति के लिए धन अदा करना है। साधारण शब्दों में यदि हम सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं तो हम स्वयं को क्षति पहुंचा रहे हैं।
  4. सार्वजनिक स्थानों का ध्यान रखना हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व है। हमें यह हमारे इर्द-गिर्द सभी को बताना होगा। हम सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकने के लिए लोगों के लिए नारे तैयार कर सकते हैं। हम सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के लिए जागरुकता फैलाने के लिए पोस्टर बना सकते हैं, खेल खेलते हैं, ड्रामा आदि दिखा सकते हैं।

प्रश्न 3.
विद्यालय की सम्पत्ति का ध्यान रखना प्रत्येक विद्यार्थी के लिए महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
अग्रलिखित वे कारण हैं जो प्रत्येक विद्यार्थी के लिए विद्यालय की सम्पत्ति का ध्यान रखने की व्याख्या करते हैं

  1. विद्यालय एक सार्वजनिक सम्पत्ति है और इस स्थान की आवश्यकता ज्ञान प्राप्त करने और औपचारिक शिक्षा ग्रहण के लिए है।
  2. यदि हम अपने विद्यालय की सम्पत्ति को हानि पहुंचाएंगे तो आवश्यकता के समय उसका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
  3. यदि हम पुस्तकालय से पुस्तकें चुराते हैं या फाड़ते हैं तो आवश्यकता के समय हम पुस्तकें प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
  4. यदि हम प्रयोगशाला में उपकरणों और यन्त्रों को तोड़ते हैं तो हम प्रयोग नहीं कर सकते।
  5. यदि हम विद्यालय के लॉन को खराब करते हैं तब हमें असुखद परिवेश में बैठना पड़ेगा।
  6. यदि हम खेल के मैदानों का उपयोग कूड़ा-कर्कट फैंकने के लिए करेंगे तो हमें खेलने के लिए कोई स्थान नहीं मिलेगा।
  7. यदि हम कक्षा में फर्नीचर को क्षति पहुंचाएंगे तो हमारे पास बैठने के लिए अच्छा फर्नीचर नहीं होगा। ऊपरी तथ्यों से, प्रत्येक व्यक्ति विद्यालय की सम्पत्तियों के ध्यान रखने के महत्त्व को सरलता से समझ सकता है।

प्रश्न 4.
निम्न प्रश्नों का उत्तर दें:
(i) हमें सार्वजनिक यातायात का क्यों ध्यान रखना चाहिए?
(ii) हमें पार्कों और बागों का क्यों ध्यान रखना चाहिए?
(iii) हमें सड़कों और रेल मार्गों को क्षति क्यों नहीं पहुंचानी चाहिए?
उत्तर-
(i) सार्वजनिक यातायात सस्ता, टिकाऊ और सबके लिए उपलब्ध साधन है। हम सबको, चाहे वह अमीर हो या गरीब, दूरस्थ स्थानों पर यात्रा करने के लिए सार्वजनिक यातायात की आवश्यकता होती है। यह तब और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है जब हम दुर्गम और बीहड़ स्थानों पर जाना चाहते हैं। इनका प्रयोग करके हम सभी मौसमों में यात्रा कर सकते हैं और हम बिना थकावट के यात्रा कर सकते हैं । हम खुशी अनुभव करेंगे यदि सार्वजनिक यातायात साफ और अच्छी स्थिति में होगा। यह तभी सम्भव है यदि हम अच्छी तरह ध्यान रखेंगे और इनको किसी प्रकार की क्षति न पहुंचाएं।

(ii) अच्छी तरह से साफ और रख-रखाव किए हुए पार्क लोगों को लम्बी सैर, पिकनिक मनाने, खेल गतिविधियों या केवल आराम करने के लिए सुरक्षित और आनन्ददायक स्थान उपलब्ध करवाते हैं। वे हमारे वातावरण और पानी की गुणवत्ता को सुधारते हैं। हम कई प्रकार के फूलों, पौधों और जानवरों के बारे में जानते हैं। पार्कों और बागों में जाकर सीख सकते हैं। पार्कों और बागों को साफ़ रखना प्रत्येक आने वाले का कार्य हैं। अतः हमारे अपने लाभ के लिए हमें पार्कों और बागों की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए।

(iii) हमें सड़कों और रेलमार्गों को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि यदि ये क्षतिपूर्ण होंगे तो हमारी यात्रा धीमी और असुखद होगी। हमें अपने निर्धारित स्थान पर पहुंचने में अधिक समय लगेगा। यदि सड़क या रेल मार्ग खराब होंगे तो दुर्घटनाओं की सम्भावनाएं अधिक होंगी। यह बहुत से लोगों के जीवन को खतरे में डाल देगी। अतः हमें अपनी सुरक्षा और उन्नति के लिए सड़कों और रेलमार्गों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
स्कूल वह स्थान है जहां हम
(क) खेलते समय सीखते हैं
(ख) अनौपचारिक विधि से सीखते हैं
(ग) औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(ग) औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी सार्वजनिक सम्पत्ति नहीं है?
(क) स्कूल
(ख) खेल का मैदान
(ग) पार्क
(घ) ये सभी सार्वजनिक सम्पत्ति हैं।
उत्तर-
(घ) ये सभी सार्वजनिक सम्पत्ति हैं।

प्रश्न 3.
सभी सार्वजनिक सम्पत्तियां जनता के पैसे से बनाई जाती हैं।
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) इनमें कुछेक जनता के पैसे से बनाई जाती हैं
(घ) सभी गलत हैं।
उत्तर-
(क) सत्य।

प्रश्न 4.
हमें ………………….. चाहिए।
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल नहीं करनी
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल करनी।
(ग) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचानी
(घ) सभी गलत हैं।
उत्तर-
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति की देखभाल करनी।

प्रश्न 5.
सार्वजनिक सम्पत्ति के लिए पैसे ……………. से आता है।
(क) आमदन कर
(ख) बिक्री कर
(ग) सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) सभी सही हैं।

प्रश्न 6.
हम पढ़ने के लिए विभिन्न विषयों पर बहुत-सी पुस्तकें कहां पाते हैं?
(क) निजी पुस्तकालय में
(ख) सार्वजनिक पुस्तकालय में
(ग) अस्पताल में
(घ) पार्क में।
उत्तर-
(ख) सार्वजनिक पुस्तकालय में।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

प्रश्न 7.
सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज की महत्त्वपूर्ण सम्पत्तियां होती हैं।
(क) महत्त्वपूर्ण
(ख) प्रतिष्ठा
(ग) बहुमूल्य
(घ) सभी सत्य हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सत्य हैं।

प्रश्न 8.
हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों के निर्माण के लिए ……….. योगदान देना चाहिए।
(क) अधिक से अधिक जितना हो सके
(ख) कुछ भी नहीं
(ग) सब कुछ
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) अधिक-से-अधिक जितना हो सके।

प्रश्न 9.
यह सभी का प्रमुख कर्तव्य है कि
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति का रख-रखाव करना
(ग) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना
(घ) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और रख-रखाव करना।
उत्तर-
(घ) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और रख-रखाव करना।

प्रश्न 10.
कथन क : सार्वजनिक सम्पत्ति का निर्माण जनता से एकत्र किए धन से होता है।
कथन ख : सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। निम्न में से कौनसा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क गलत है और कथन ख सही है
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है।

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा सबका कर्तव्य है?
(क) सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा और रख रखाव
(ख) सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति न पहंचाना
(ग) सार्वजनिक सम्पति को बढ़िया बनाने के लिए पैसा दान करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 12.
जो सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं उनके विरुद्ध किस प्रकार की कार्यवाही की जानी चाहिए?
(क) कोई कार्यवाही नहीं
(ख) सख्त कार्यवाही
(ग) कोमल कार्यवाही
(घ) केवल थोड़ा सा जुर्माना करना चाहिए।
उत्तर-
(ख) सख्त कार्यवाही।

रिक्त स्थान भरो:

  1. खेल के मैदान और पार्क …………. सम्पत्ति हैं।
  2. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों का रख-रखाव और …………. करने का यत्न करना चाहिए।
  3. सार्वजनिक सम्पत्तियां हम सबके ……………… लिए हैं।
  4. सार्वजनिक सम्पत्तियां ………………….. निवेश से बनती हैं।
  5. सार्वजनिक सम्पत्तियों का बढ़िया ……………. सभ्य समाज का चिन्ह है।
  6. लोगों से ……………. द्वारा एकत्र किए पैसे से चलने वाली सम्पत्तियों को सार्वजनिक सम्पत्तियां कहते हैं।
  7. सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा और रख-रखाव करना हम सबका ………………….. है।
  8. जो सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं, उनके विरुद्ध …………. कार्यवाही करनी चाहिए।
  9. हमें …………… जैसे कि रेलों में गन्दगी नहीं फैलानी चाहिए।
  10. सार्वजनिक सम्पत्तियां समाज के प्रत्येक व्यक्ति की …………. करती हैं।

उत्तर-

  1. सार्वजनिक
  2. रक्षा
  3. उपयोग
  4. विशाल
  5. रख-रखाव
  6. टैक्सों
  7. कर्त्तव्य
  8. सख्त
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति
  10. सेवा।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 8 स्कूल और सार्वजनिक सम्पत्ति का सम्मान

सही/ग़लत:

  1. हमें सार्वजनिक पुस्तकालय में शान्ति बनाए रखनी चाहिए।
  2. बसों और रेलों में सफाई व्यवस्था को बनाए रखना सामूहिक उत्तरदायित्व है।
  3. हमें सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए।
  4. हमें सार्वजनिक पुस्तकालय में किताबों से पन्ने फाड़ने चाहिए।
  5. हमें सार्वजनिक बागों और पार्कों में से फूल तोड़ने चाहिए।
  6. सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
  7. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा और रख-रखाव करना हम सबका कर्त्तव्य है।
  8. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की दीवारों पर नहीं लिखना चाहिए।
  9. हमें सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।
  10. सार्वजनिक सम्पत्तियां लोगों से एकत्र करों पर चलती हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. ग़लत
  5. ग़लत
  6. सही
  7. सही
  8. सही
  9. सही
  10. सही।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 6 निर्णय लेना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 6 निर्णय लेना

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB निर्णय लेना InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्णय लेने को परिभाषित करें।
उत्तर-
निर्णय लेना एक व्यक्ति सभी सम्भावित विकल्पों में से चुनाव करने की योग्यता है।

प्रश्न 2.
क्या निर्णय लेना केवल अव्यवस्थित विकल्प बनाना है?
उत्तर-
नहीं, यह केवल अव्यवस्थित विकल्प बनाना नहीं है।

प्रश्न 3.
निर्णय लेने का मुख्य बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर-
यह प्रत्येक विकल्प के बारे में तर्कसंगत सोच पर आधारित है।

प्रश्न 4.
क्या हमें हमेशा शीघ्रता से निर्णय लेना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, अधिकतर स्थितियों में हमें अति शीघ्रता से निर्णय नहीं लेना चाहिए।

प्रश्न 5.
क्या बढ़िया निर्णय लेना एक गुण है?
उत्तर-
हाँ, बढ़िया निर्णय लेना एक गुण है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 6.
क्या हमें निर्णय लेने से पहले समस्या के कारण के बारे में जानना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पहले हमें समस्या के कारण के बारे में जानना चाहिए।

प्रश्न 7.
क्या कार्य करने से पहले समस्या का विश्लेषण करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, कार्य करने से पहले समस्या का विश्लेषण करना अच्छा है।

प्रश्न 8.
क्या समाधान ढूंढने का प्रत्यन करने से पहले समस्या की प्रकृति के बारे में जानना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, समाधान ढूंढने का प्रयत्न करने से पहले समस्या की प्रकृति के बारे में जानना अच्छा है।

प्रश्न 9.
क्या निर्णय लेने से पहले हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पहले हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 10.
क्या हमें अपने निर्णय पर स्थिर रहना चाहिए यदि यह समस्या को और गम्भीर बना दे?
उत्तर-
नहीं, हमें अपने निर्णय पर स्थिर नहीं रहना चाहिए यदि यह समस्या को और गम्भीर बना दे।

प्रश्न 11.
क्या प्रत्येक विकल्प/समाधान के बारे में पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, प्रत्येक विकल्प/समाधान के बारे में पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है।

प्रश्न 12.
निर्णय लेना सरल क्यों नहीं है?
उत्तर-
क्योंकि इसमें विश्लेषण करना, जानकारी प्राप्त करना और दूसरों से चर्चा करना शामिल है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 13.
जब हमारे पास अपनी समस्या के लिए बहुत-से विकल्प हों तो कौन-सा विकल्प चुना जाना चाहिए?
उत्तर-
हमें कम लागत के साथ बढ़िया परिणाम वाले विकल्प को चुनना चाहिए।

प्रश्न 14.
क्या निर्णय लेने से पूर्व सभी विकल्पों की तुलना करना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, निर्णय लेने से पूर्व सभी विकल्पों की तुलना करना अच्छा है।

प्रश्न 15.
हमें अपने निर्णय को लागू करने से पहले दूसरे के साथ चर्चा क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
क्योंकि यह हमें अपने निर्णय में उपयुक्त परिवर्तन करने के लिए सहायता करेगा ताकि बढ़िया परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

प्रश्न 16.
क्या पूर्व निर्णयों के नकारात्मक परिणामों के आधार पर अपने निर्णय को बदलना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, पूर्व निर्णयों के नकारात्मक परिणामों के आधार पर अपने निर्णय को बदलना अच्छा है।

प्रश्न 17.
क्या नया निर्णय लेने से पहले पूर्व निर्णयों के परिणामों के बारे में जानना अच्छा है?
उत्तर-
हाँ, नया निर्णय लेने से पहले पूर्व निर्णयों के परिणामों के बारे में जानना बढ़िया है।

प्रश्न 18.
हम बढ़िया निर्णय कैसे ले सकते हैं?
उत्तर-
हम बढ़िया निर्णय केवल पूर्ण विश्लेषण, उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की तुलना और दूसरों से बातचीत करने के पश्चात् ले सकते हैं।

प्रश्न 19.
क्या हमें सभी समाधानों के सभी सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में सोचना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी समाधानों के सभी सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में सोचना चाहिए।

प्रश्न 20.
यदि हमारे पूर्व निर्णय सही नहीं थे तो हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें उस निर्णय को दिमाग में रखना चाहिए और भविष्य में समस्या के समाधान में कभी लागू नहीं करना चाहिए।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्णय लेना क्या है ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-
निर्णय लेना वह योग्यता है जो सभी सम्भावित विकल्पों में से सही को चुनने के योग्य बनाती है। यह प्रत्येक विकल्प के बारे में तर्कसंगत सोच पर आधारित है जोकि अव्यवस्थित विकल्प पर।

प्रश्न 2.
निर्णय लेने की प्रक्रिया में कौन-से पग शामिल हैं?
उत्तर-
महत्त्वपूर्ण पग ये हैं:

  1. हमें समस्या के बारे में, इसके कारणों और इसकी प्रकृति के विषय में जानना चाहिए।
  2. हमें समस्या के समाधान के लिए उपलब्ध विकल्पों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए।
  3. हमें दूसरों के साथ अपने निर्णय पर बातचीत करनी चाहिए।
  4. हमें अपने पूर्व निर्णयों को इस जैसी स्थिति में याद करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 3.
क्या यह आवश्यक है कि हमें समस्या के लिए उत्तरदायी विभिन्न तत्त्वों का विश्लेषण करना चाहिए?
उत्तर-
समस्या के लिए उत्तरदायी विभिन्न तत्त्वों का विश्लेषण करना आवश्यक है क्योंकि कई बार विशेष तत्त्व को केवल हटाने से ही समस्या का समाधान हो सकता है। उदाहरणतया यदि किसी को किसी तत्त्व से एलर्जी है तो दवाई से उसका उपचार नहीं किया जा सकता। इस मामले में, समस्या का समाधान एलर्जी फैलाने वाले तत्त्व को हटा कर ही किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
तर्कसंगत सोच से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
तर्कसंगत सोच सोचने की एक विधि है जिसमें हम समस्या के समाधान के लिए प्रयत्न करने से पहले समस्या के प्रत्येक पहलू का विश्लेषण करते हैं। इस प्रकार की सोच में, हम समस्या के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं की तुलना करते हैं।

प्रश्न 5.
पूर्व अनुभव से सीखना निर्णय लेने में हमेशा सहायक होता है। सिद्ध करो।
उत्तर-
हम प्रतिदिन निर्णय लेते हैं। हमारे निर्णयों में से कुछ सही और लाभदायक सिद्ध होते हैं परन्तु कुछेक ग़लत या कम लाभदायक होते हैं। अतः यदि हम पूर्व निर्णयों और उनके परिणामों को दिमाग में रखते हैं तो हमारे लिए भविष्य में सही व लाभदायक निर्णय लेने में सरलता होगी। इसके कारण जब हमारा वैसी ही समस्या से सामना होगा तो हम ग़लत या कम लाभदायक निर्णय नहीं लेंगे। इसलिए पूर्व अनुभव से सीखना निर्णय लेने में हमेशा सहायक होता है।

प्रश्न 6.
स्व-विश्लेषण या आत्म-निरीक्षण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आत्म-निरीक्षण या स्व-विश्लेषण एवं प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के विचारों और भावनाओं को भीतर से जानना शामिल है। जिसमें जब आप परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के कारणों का किसी दूसरे से मशवरा किए बगैर विश्लेषण करते हैं, यह इसकी उदाहरण है। यह आपको भविष्य में बढ़िया कर्ता बनने में सहायता करेगा। हम सबको आत्म-निरीक्षण करना चाहिए।

प्रश्न 7.
यदि आपको पता चलता है कि आपकी टेबल लैम्प कार्य नहीं कर रही तो अपने निर्णय का फ्लोचार्ट बनाओ।
उत्तर-
यदि हमारी टेबल लैम्प कार्य नहीं कर रही तो इसके बहुत-से कारण हो सकते हैं और हम निम्न फ्लोचार्ट के आधार पर अपने कार्य को निश्चित कर सकते हैं

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना 1

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक प्रभावशाली निर्णय लेने के लिए विभिन्न पग लिखें।
उत्तर-
एक प्रभावशाली निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित पगों की आवश्यकता है

  1. निर्णय की पहचान-यह पहला पग है जो बहुत महत्त्वपूर्ण है। आपने जो निर्णय किया है उसके प्रति स्पष्ट रहो।
  2. सम्बन्धित जानकारी एकत्र करना-निर्णय लेने से पूर्व पूरी सम्बन्धित जानकारी एकत्र करो।
  3. विकल्पों की पहचान-आप सभी सम्भव और इच्छित विकल्पों की सूची बनाओ।
  4. विकल्पों की परख-आपको विकल्पों की परख अवश्य करनी चाहिए। इन विकल्पों को स्थिति की मांग के आधार पर प्राथमिक क्रम में रखो। इसके बाद बढ़िया विकल्प को चुनो जिसको कम लागत की आवश्यकता हो और अधिक परिणाम दें।
  5. निर्णय को लागू करना-सभी आवश्यक कार्य करने के पश्चात् आपको क्रिया करनी चाहिए।
  6. अपने निर्णय और इसके परिणामों की समीक्षा करें-अन्त में देखो कि परिणाम क्या है। यदि परिणाम अच्छा नहीं है या लक्ष्य तक नहीं है तो विभिन्न तत्वों पर विचार करें जहां आपको सुधारों की आवश्यकता है।
    इस पूरी प्रक्रिया को निम्न चित्र की सहायता से दिखा जा सकता है।
    PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना 2

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 2.
रोजमर्रा की ज़िन्दगी में बढ़िया निर्णय लेने की आवश्यकता या महत्ता के बारे में लिखें।
उत्तर-
बढ़िया निर्णय लेना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:

  1. यदि अब हम ग़लत निर्णय लेते हैं तो हमें अपने जीवन में इसे पुनः दोहराना पड़ सकता है।
  2. सही व्यवसाय के बारे में राय बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है नहीं तो हमारी पूरी ज़िन्दगी के लिए हमें कुछ ऐसा करना पडेगा जो हमारे स्वभाव के विरुद्ध है।
  3. बढ़िया निर्णय हमें खुश रखता है और निर्धारित क्षेत्र में उन्नति करने और विशिष्ट बनने के लिए उत्साहित करता है।
  4. अपनी योजना और लक्ष्य निर्धारित करने के पश्चात् हम दिल लगा कर और अपनी पूरी योग्यता से कार्य कर सकते हैं।
  5. हमारे अपने निर्णयों के साथ हम निरन्तर कार्य करते हैं जो हमारी सफलता को निश्चित करता है। चाहे हमें सफलता शीघ्रता से या देरी से मिलेगी परन्तु हमारी सफलता निश्चित है।

प्रश्न 3.
दिए गए पगों को पुनर्व्यवस्थित करें, जिनका बढ़िया निर्णय लेते समय पालन किया जाना चाहिए।

  1. निर्णय की समीक्षा
  2. समस्या का विश्लेषण
  3. सभी समाधानों या विकल्पों की परख
  4. सभी समाधानों या विकल्पों की पहचान
  5. क्रिया करना
  6. जानकारी एकत्र करना
  7. समाधानों या विकल्पों में से चुनना।

उत्तर-
हमें ऊपर बताए पगों के साथ निम्न क्रम में चलना चाहिए

  1. समस्या का विश्लेषण
  2. सभी समाधानों या विकल्पों की पहचान
  3. जानकारी एकत्र करना
  4. सभी समाधानों या विकल्पों की परख
  5. समाधानों या विकल्पों में से चुनना
  6. क्रिया करना
  7. निर्णय की समीक्षा।

प्रश्न 4.
उन ढंगों को सुचीबद्ध करो जिनमें आप अपनी निर्णय लेने की कुशलता को सुधार सकते हैं।
उत्तर-
यहां ऐसे बहुत-से ढंग हैं जिनसे हम अपनी निर्णय लेने की कुशलता को सुधार सकते हैं

  1. पहली और महत्त्वपूर्ण कुशलता अपने धैर्य को बनाए रखना है।
  2. हमें कठिन परिस्थितियों में कभी भी घबराहट महसूस नहीं करनी चाहिए।
  3. यदि हम एक समय पर एक से अधिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो हमें प्राथमिकता तय करनी चाहिए।
  4. हमें समस्या और इसके कारणों का विश्लेषण करना चाहिए।
  5. हमें हमारे लिए उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और उनकी परख करनी चाहिए।
  6. हमें पूर्ण सम्बन्धित जानकारी एकत्र करनी चाहिए और सबसे बढ़िया सम्भव विकल्प को चुनना चाहिए।
  7. हमें अपने निर्णय के बारे में दूसरों से विचार विमर्श करना चाहिए और अपने पूर्व के निर्णय के साथ मिलाकर जांचना चाहिए।
  8. हमें अपने निर्णय को तय करने के पश्चात् कार्य करना चाहिए।
  9. हमारे निर्णय के लिए हम उत्तरदायी हैं और हमें इसकी उपयोगिता या अपयोगिता के लिए समीक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
मान लो आपका नाम x है और आपके मित्र का है जिसे आप उसके घर में मिलते हो। Y ने अपने पिता की अलमारी में से सिगरेट चुराई और पीने लगा। उसने आपको भी सिगरेट पेश की। आप इस स्थिति में क्या करेंगे? निर्णय लेने के लिए अपने विकल्प दो। यह आपके जीवन में अच्छा निर्णय लेने में आपकी सहायता करेगा। जब कभी भी आपको कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने हैं या आप सही या गलत के बीच दुविधा में हैं। सही निर्णय तक पहुंचने के लिए आवश्यक छः पगों को बताओ।
उत्तर-
निर्णय लेने की क्रिया को निम्नलिखित ढंग से पूरा किया जा सकता है

  1. समस्या की पहचान-यहां मैंने समस्या की पहचान कर ली है जैसे सिगरेट पीने के बारे में निर्णय लेना है।
  2. विकल्पों के बारे में विचार करना-मेरे पास दो विकल्प हैं या तो सिगरेट पीऊं या न।
  3. एक विकल्प या अनुसरण करने के परिणाम-मैं जानता हूँ कि सिगरेट पीना बुरी आदत है और मेरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। अत: यदि मैं सिगरेट पीता हूँ तो मैं अपने जीवन को बर्बाद कर लूंगा और यदि मैं सिगरेट नहीं पीता तो मैं अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा लूंगा।
  4. सही विकल्प के बारे में तय करना-क्योंकि मैं जानता हूँ, सिगरेट पीना बहुत हानिकारक है और जीवन के लिए खतरनाक है। अत: सिगरेट पीने का निर्णय गलत निर्णय होगा। अत: सही विकल्प सिगरेट पीने की पेशकश को अस्वीकार करना होगा।
  5. अन्तिम निर्णय-मेरा अन्तिम निर्णय मेरे मित्र के प्रस्ताव को छोड़ देना है। मैं अपने मित्र को सब कुछ बताऊंगा और वह मुझ से सहमत होता है और अपनी सिगरेट पीने की आदत के विरुद्ध निर्णय लेगा।
  6. मेरे निर्णय की समीक्षा-सिगरेट न पीने का मेरा निर्णय एकदम सही है। इसने मुझे खुश किया है जैसे कि मैंने अपने मित्र को सिगरेट पीने की बुरी आदत को छोड़ने के लिए आश्वस्त किया है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

प्रश्न 6.
मध्यांतर में, आपने देखा कि आपका परम मित्र किसी दूसरे विद्यार्थी के बैग से कुछ निकाल रहा है। आपके मित्र ने यह नहीं देखा कि आप उसे देख रहे हो। मध्यांतर के पश्चात् अध्यापक ने कक्षा में घोषणा की कि किसी ने एक विद्यार्थी के बैग से पैसे चुरा लिए हैं। आप क्या करोगे? एक निर्णय लो और निम्न प्रश्नों का उत्तर दें।

  1. समस्या क्या है?
  2. आपके पास क्या विकल्प हैं?
  3. प्रत्येक विकल्प का परिणाम क्या है?
  4. कौन-सा विकल्प अधिक बढ़िया है और क्यों?
  5. आपका क्या निर्णय है?
  6. क्या आप सोचते हो कि आपने सही निर्णय किया? क्यों?

उत्तर-
इस स्थिति में प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर मेरा निर्णय है:

  1. यह सारी समस्या मेरे मित्र द्वारा किए कार्य के कारण है जोकि पूर्ण रूप से ग़लत कार्य है।
  2. मेरे पास विभिन्न विकल्प हैं जैसे कि मित्र के कार्य को नज़र अंदाज़ कर देना, प्रयत्न करना कि मेरा मित्र पुनः ऐसा कार्य न करे जोकि ग़लत हो।
  3. यदि मैं मित्र के कार्य को नज़र अंदाज़ कर देता हूँ तो वह बुरा व्यक्ति बन सकता है। यदि मैं प्रयत्न करता हूँ तो उसको अच्छा व्यक्ति बना सकता है।
  4. दूसरा विकल्प बढ़िया है क्योंकि यह मेरे मित्र व समाज की भलाई के लिए होगा।
  5. मेरा अन्तिम निर्णय अध्यापक को बताना है कि मेरे मित्र ने पैसे चोरी किए हैं। मुझे अध्यापक और सहपाठियों को विश्वास दिलाना चाहिए कि भविष्य में वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा और उसे क्षमा कर देना चाहिए।
  6. हाँ, मेरे विचार से मेरा निर्णय सही है क्योंकि इससे सबको लाभ होगा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निर्णय लेने का सार है
(क) समस्या का समाधान
(ख) विकल्पों में से चुनना
(ग) कार्य के विकल्प का पाठ्यक्रम विकसित करना
(घ) निगरानी।
उत्तर-
(ख) विकल्पों में से चुनना।

प्रश्न 2.
निर्णय लेना एक व्यक्ति की ……………. बनाने की योग्यता है।
(क) सभी सम्भव विकल्पों में से एक को चुनना
(ख) समस्या के समाधान के लिए सभी सम्भावनों की सूची
(ग) समस्या के सभी कारणों की सूची
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) सभी सम्भव विकल्पों में से एक को चुनना।

प्रश्न 3.
निर्णय लेना है:
(क) अव्यवस्थित विकल्प बनाना
(ख) केवल अव्यवस्थित विकल्प न बनाना
(ग) हमारे बुजुर्गों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(ख) केवल अव्यवस्थित विकल्प न बनाना।

प्रश्न 4.
हमें तर्कसंगत बनना चाहिए जब:
(क) निर्णय लेना हो
(ख) स्नान करना हो
(ग) अध्यापकों का अभिनंदन करना
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) निर्णय लेना हो।

प्रश्न 5.
हमें समस्या का विश्लेषण करना चाहिए:
(क) कार्य करने से पहले
(ख) कार्य करने के बाद
(ग) कार्य करते समय
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(क) कार्य करने से पहले।

प्रश्न 6.
निर्णय तब बढ़िया होता है यदि हम ……… का विचार विमर्श करने के बाद इसे लेते हैं।
(क) इसके सकारात्मक परिणाम
(ख) इसके नकारात्मक परिणाम
(ग) इसके हानिकारक या हानिरहित परिणामों
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

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प्रश्न 7.
निर्णय लेने से पहले यदि हम हमारे ………. से विचार विमर्श करते हैं तो यह बढ़िया है।
(क) मित्रों
(ख) परिजनों
(ग) अध्यापकों
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 8.
हमारे पूर्व निर्णयों के परिणामों से सीख हमारी निम्न में सहायता करती है:
(क) दूसरे के प्रति हमारी सोच को बदलने में
(ख) हमारी निर्णय लेने की योग्यता को बनाए रखने में
(ग) हमारी निर्णय लेने की योग्यता में सुधार में
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(ग) हमारी निर्णय लेने की योग्यता में सुधार में।

प्रश्न 9.
निर्णय लेने की बढ़िया योग्यता वाले व्यक्ति …………. हैं।
(क) दूसरों से अच्छे
(ख) दूसरों से अच्छे नहीं
(ग) दोनों सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं हैं।
उत्तर-
(क) दूसरों से अच्छे।

प्रश्न 10.
कथन (क) समस्या का विश्लेषण निर्णय लेने का पहला चरण है। कथन (ख) एक व्यक्ति जो बढ़िया निर्णय ले सकता है वह बढ़िया नेता है। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क ग़लत है और कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 11.
निम्न में से निर्णय लेने का कौन-सा मुख्य तत्त्व है?
(क) समस्याओं का विश्लेषण करना
(ख) मित्रों, अध्यापकों, परिजनों व अनुभवी व्यक्तियों से परामर्श करना
(ग) विभिन्न परिणामों और उनके प्रभावों के प्रति सम्पूर्ण जानकारी द्वारा
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 12.
जब आज रात को बाहर जाते हैं तो आपके पास किस वस्तु का होना अति आवश्यक है?
(क) पैंसिल
(ख) चाकू
(ग) टार्च
(ख) रोटी।
उत्तर-
टार्च।

रिक्त स्थान भरो:

  1. सभी सम्भावित विकल्पों में से सही को चुनना एक व्यक्ति की ……………….. की योग्यता है।
  2. निर्णय लेना केवल ………………. विकल्प चुनना नहीं है।
  3. निर्णय लेना प्रत्येक विकल्प पर ……………… विचार करने पर आधारित है।
  4. किसी समस्या पर कार्य करने से पूर्व हमें समस्या का ……………… करना चाहिए।
  5. हमें समस्या के …………… लिए विभिन्न समाधानों की भाल करनी चाहिए।
  6. हमें सभी समाधानों के सही और गलत ……… के बारे में सोचना चाहिए।
  7. हमें विकल्पों/समाधानों के विषय में परिजनों व मित्रों से …………….. करना चाहिए।
  8. हमें प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी सम्पूर्ण …………… एकत्र करनी चाहिए।
  9. हमें हमारे …………….. को अन्तिम रूप देने से पहले सभी समाधानों/विकल्पों की तुलना करनी चाहिए।
  10. नए निर्णय लेने से पूर्व हमें पूर्व निर्णयों के ………….. के बारे में सोचना चाहिए।
  11. हमें हमारे निर्णय में परिवर्तन हमारे पूर्व निर्णयों के ……………. परिणामों के आधार पर करना चाहिए।

उत्तर-

  1. निर्णय लेना
  2. अव्यवस्थित
  3. तर्कसंगत
  4. विश्लेषण
  5. हल
  6. पहलुओं
  7. चर्चा
  8. जानकारी
  9. निर्णय
  10. परिणामों
  11. गलत।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 6 निर्णय लेना

सही/ग़लत:

  1. निर्णय लेने से पूर्व समस्या का विश्लेषण करना बढ़िया है।
  2. हमें समस्या के समाधान के लिए विभिन्न समाधानों पर विचार करना चाहिए।
  3. हमें सभी समाधानों के विभिन्न पहलुओं पर विचार नहीं करना चाहिए।
  4. पशु अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत-से कानून हैं।
  5. हमें सभी परिस्थितियों के लिए एक ही निर्णय लागू करना चाहिए।
  6. सभी विकल्पों के बारे में पूर्ण जानकारी लेना समय की बर्बादी है।
  7. हमें हमेशा हमारे परिजनों, अध्यापकों व मित्रों के साथ चर्चा करने के पश्चात् निर्णय लेना चाहिए।
  8. हमें अति सरल समाधान चुनना चाहिए।
  9. हमें अपना निर्णय नहीं बदलना चाहिए चाहे यह स्थिति को और बिगाड़ दे।
  10. सभी सम्भावित विकल्पों में से एक को चुनना व्यक्ति की निर्णय लेने की योग्यता है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत
  6. ग़लत
  7. सही
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।