PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 नवयुवकों के प्रति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 नवयुवकों के प्रति

Hindi Guide for Class 8 PSEB नवयुवकों के प्रति Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ : देखिए

नवयुवाओ = नवयुवको, नौजवानों।
दृष्टि = नज़र।
मनुज = मनुष्य।
ज्योति = प्रकाश।
योग = सहायता, सहयोग।
देशोद्धार = देश का उद्धार करना।
कार्य = काम।
परिणत = बदलना, परिवर्तन करना।
भक्तवर = भक्तों में श्रेष्ठ।
निम्नोक्ति = नीचे लिखी उक्ति या कथन।
धरो = धारण करो, रखो।
कौमार = कुमार, यौवन की अवस्था।
भागवत = प्रभु का।
धर्माचरण = धर्म के अनुसार आचरण, व्यवहार करना।
नर-जन्म = इन्सान का जन्म।
दुर्लभ = कठिन।
अधिक = ज्यादा।
पथ = रास्ता।
असंयम = संयम से रहित, अनियन्त्रित।
अशुभ = बुरा।
शुभ = अच्छा, भला, कल्याणकारी, हितकारी।
प्रथम = पहले।

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(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) इस कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर:
इस कविता के कवि का नाम ‘नवयुवको’ के प्रति’ है।

(ख) यह कविता किन्हें सम्बोधित की गई है ?
उत्तर:
यह कविता देश के युवाओं को सम्बोधित की गई है।

(ग) जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो।’ इस काव्य-पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर:
इस पंक्ति का अर्थ है कि हम पुस्तक में जो कुछ पढ़ें उसे कार्य क्षेत्र और व्यावहारिक जीवन में भी स्थान दें तभी हम उसकी उपयोगिता को समझ पाएंगे।

(घ) नवयुवकों के सम्मुख कौन-से दो पथ हैं ? उन्हें किस पथ का चुनाव करना चाहिए ?
उत्तर:
नवयुवकों के सम्मुख दो पथ हैं-असंयम का पथ और संयम का पथ । असंयम का पथ कभी नहीं चुनना चाहिए क्योंकि वह अहितकर और बुरा है जबकि दूसरा पथ संयम का है। यह दूसरा पथ हितकर होता है।

II. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

दो पथ असंयम ………….. संभलोगे कभी।
उत्तर:
कवि कहता है कि हे युवाओ! तुम्हें जीवन में अब सदा ही असंयम और संयम नामक दो रास्ते मिलेंगे। कभी न भूलना कि पहला रास्ता बुरा और अकल्याणकारी है और दूसरा अच्छा और कल्याणकारी है। तुम्हारा मन सदा की तरह तुम्हें पहले रास्ते की ओर झुकायेगा। हर मनुष्य को बुरा रास्ता जल्दी आकृष्ट करता है पर ध्यान रखना कि यदि तुम अभी नहीं सम्भलोगे तो फिर तुम कभी नहीं सम्भल पाओगे। भाव है कि जब मनुष्य एक बार बुराई की राह पर बढ़ चलता है तो फिर आसानी से अच्छाई की राह की ओर नहीं बढ़ पाता।

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III. नवयुवक देश के उत्थान में क्या-क्या योगदान दे सकते हैं ? चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर:
नवयुवक ही तो देश के विकास को वास्तविक दिशा देने वाले होते हैं। उनमें नये युग के साथ कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ने की क्षमता होती है। उनके पास साहस और क्षमता के साथ-साथ नया ज्ञान होता है। उनमें नई सोच होती है जिसके कारण वे रूढ़ियों को ठोकर मार कर नया रास्ता बना सकते हैं। वे अपनी शक्ति से विरोधी शक्तियों को परे धकेल सकते हैं। वे ही अच्छे शिल्पी, सैनिक, वैज्ञानिक, कलाकार, अध्यापक, चिकित्सक, इन्जीनियर और प्रत्येक क्षेत्र में मेहनतकश कर्मी बनने की क्षमता रखते हैं।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

मनुज = ………………..
ज्योति = ………………..
संसार = ………………..
पथ = ………………..
उत्तर:
मनुज = मनुष्य , मानव।
ज्योति = लौ , जोत।
संसार = विश्व , दुनिया
पथ = मार्ग , राह।

II. ‘अ’ लगाकर विपरीत शब्द बनायें :

अ + संयम = असंयम
अ + शुभ = ………………..
अ + धर्म = ………………..
अ + विश्वास = ………………..
उत्तर
अ + संयम = असंयम
अ + शुभ = अशुभ
अ + धर्म = अधर्म
अ + विश्वास = अविश्वास।

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III. देश + उद्धार धर्म + आचरण इसी प्रकार नये शब्द बनायें

अ + उ = ओ
निम्न + उक्ति = निम्नोक्ति
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
नव + उदय = नवोदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
शुभ + उदय = शुभोदय
सूर्य + उदय = सूर्योदय
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
भाग्य + उदय = भाग्योदय
मानव + उचित = मानवोचित
रोग + उपचार = रोगोपचार
हित + उपदेश = हितोपदेश

अ + आ = आ
कर्म + अनुसार = कर्मानुसार
सत्य + अग्रह = सत्याग्रह
युग + आदि = युगादि
मरण + आसन्न = मरणासन्न
न्याय + आलय = न्यायालय
विरह + आतुर = विरहातुर
शुभ + आरम्भ = शुभारम्भ
नव + आगत = नवागत
प्राण + आयाम = प्राणायाम
देव + आलय = देवालय
हिम + आलय = हिमालय।

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PSEB 8th Class Hindi Guide नवयुवकों के प्रति Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘नवयुवकों के प्रति’ कविता किस कवि की रचना है ?
(क) हरिवंशराय बच्चन
(ख) योगेंद्र बख्शी
(ग) मैथिलीशरण गुप्त ।
(घ) गोपाल दास नीरज।
उत्तर:
मैथिलीशरण गुप्त।

प्रश्न 2.
कवि किन्हें संबोधित कर रहा है ?
(क) बालकों को
(ख) युवाओं को
(ग) नेताओं को
(घ) कर्मचारियों को।
उत्तर:
युवाओं को।

प्रश्न 3.
कवि नवयुवकों को देश का क्या मानता है ?
(क) कर्मकार
(ख) कर्णधार
(ग) कर्मचारी
(घ) कर्मठ।
उत्तर:
कर्णधार।

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प्रश्न 4.
नवयुवकों को कौन-सी आदत डाल लेनी चाहिए ?
(क) धर्माचरण की
(ख) राजनीति की
(ग) स्वार्थ की
(घ) परार्थ की।
उत्तर:
धर्माचरण की।

प्रश्न 5.
कवि ने किस मार्ग को शुभ बताया है ?
(क) असंयम
(ख) संयम
(ग) विकट
(घ) सरल।
उत्तर:
संयम।

प्रश्न 6.
कवि ने किस भक्त का उल्लेख किया है ?
(क) ध्रुव
(ख) प्रहलाद
(ग) नरसी
(घ) श्रवण।
उत्तर:
प्रहलाद

सप्रसंग व्याख्या

1. हे नवयुवाओ! देश भर की दृष्टि तुम पर ही लगी,
है मनुज जीवन की तुम्हीं में ज्योति सब से जगमगी।
दोगे न तुम तो कौन देगा योग देशोद्धार में ?
देखो, कहाँ क्या हो रहा है आजकल संसार में॥

शब्दार्थ:
नवयुवाओ = नवयुवको, नौजवानों। दृष्टि = नज़र। मनुज = मनुष्य। ज्योति = प्रकाश। योग = सहायता, सहयोग। देशोद्धार = देश का उद्धार करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘नवयुवकों के प्रति’ से ली गई हैं। कवि ने देश के युवा वर्ग को सम्बोधित करते हुए उन्हें प्रेरणा दी है कि वे देश के विकास के लिए काम करे।

व्याख्या:
कवि कहता है कि देश के नवयुवको! सारे देश के लोगों की नज़र तुम्हारी ही ओर लगी है। मानव-जीवन ने अब तक जितनी भी विशेषताएँ समय के साथ-साथ प्राप्त की हैं वे सब प्रकाश तुम्हारे भीतर जगमगा रही हैं। तुम उन सभी गुणों और विशेषताओं से सम्पन्न हो। देश के उद्धार के लिए यदि तुम ही सहयोग नहीं दोगे तो फिर और कौन देगा ? देश का उद्धार तुम्हारे ही हाथ में है। तुम सजग और सचेत रहो। तुम देखो कि इस संसार में आजकल सभी जगह क्या हो रहा है और कैसे हो रहा है ? भाव है कि संसार की चाल को देख कर ही विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा जा सकता है।

विशेष:

  1. कवि ने युवावर्ग को प्रेरणा दी है कि वह समय की चाल को समझे और उसके अनुसार ही जीवन की राह में आगे बढ़े।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

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2. जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो,
सब भक्तवर प्रह्लाद की निम्नोक्ति को मन में धरो”
कौमार में ही भागवत धर्माचरण कर लो यहाँ
नर-जन्म दुर्लभ और वह भी अधिक रहता है कहाँ॥

शब्दार्थ:
कार्य = काम। परिणत = बदलना, परिवर्तन करना। भक्तवर = भक्तों में श्रेष्ठ। निम्नोक्ति = नीचे लिखी उक्ति या कथन। धरो = धारण करो, रखो। कौमार = कुमार, यौवन की अवस्था। भागवत = प्रभु का। धर्माचरण = धर्म के अनुसार आचरण, व्यवहार करना। नर-जन्म = इन्सान का जन्म। दुर्लभ = कठिन। अधिक = ज्यादा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘नवयुवकों के प्रति’ से ली गई हैं। कवि ने नवयुवकों को प्रेरणा दी है कि वे देश के लिए परिश्रम करें और उसे विकास के मार्ग पर आगे ले चलें।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे नौजवानों! तुम जिस भी विषय को पढ़ो उसे केवल पुस्तक के ज्ञान तक सीमित न रखो बल्कि उसे उपयोगी कार्य में भी बदलो। उस शिक्षा को इस्तेमाल करना सीखो। सभी युवक भक्तों में श्रेष्ठ प्रहलाद की नीचे लिखी इस पंक्ति को भी ध्यान में रखो कि युवावस्था के आरम्भ में ही ईश्वर के नाम और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने की आदत को अपना लो, ग्रहण कर लो। मानव जीवन प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। वह आसानी से प्राप्त नहीं होता और बहुत अधिक देर तक रहता भी कहाँ है अथवा मनुष्य का जीवन छोटा होता है। भाव है कि मनुष्य को भगवान के द्वारा दिए गए अपने छोटे से जीवन में कार्यों के साथ-साथ ईश्वर के नाम की ओर भी बढ़ना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि युवाओं को पढ़ने और कार्य करने के साथ-साथ ईश्वर का नाम भी लेना चाहिए।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

3. दो पथ, असंयम और संयम हैं तुम्हें अब सब कहीं॥
पहला अशुभ है, दूसरा शुभ है इसे भूलो नहीं”।
पर मन प्रथम की ओर ही तुम को झुकावेगा अभी,
यदि तुम न सम्भलोगे अभी तो फिर न संभलोगे कभी॥

शब्दार्थ:
पथ = रास्ता। असंयम = संयम से रहित, अनियन्त्रित। अशुभ = बुरा। शुभ = अच्छा, भला, कल्याणकारी, हितकारी। प्रथम = पहले।

प्रसंग:
यह अवतरण हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘नवुयवकों के प्रति’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रेरणा दी है कि हमें अपने जीवन में उच्चता और श्रेष्ठता के लिए अच्छी राह को चुनना चाहिए।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे युवाओ! तुम्हें जीवन में अब सदा ही असंयम और संयम नामक दो रास्ते मिलेंगे। कभी न भूलना कि पहला रास्ता बुरा और अकल्याणकारी है और दूसरा अच्छा और कल्याणकारी है। तुम्हारा मन सदा की तरह तुम्हें पहले रास्ते की ओर झुकायेगा। हर मनुष्य को बुरा रास्ता जल्दी आकृष्ट करता है पर ध्यान रखना कि यदि तुम अभी नहीं सम्भलोगे तो फिर तुम कभी नहीं सम्भल पाओगे। भाव है कि जब मनुष्य एक बार बुराई की राह पर बढ़ चलता है तो फिर आसानी से अच्छाई की राह की ओर नहीं बढ़ पाता।

विशेष:

  1. कवि ने प्रेरणा दी है कि मनुष्य को सदा जीवन में अच्छी राह पर आगे बढ़ना चाहिए। उसे बुरी राह छोड़ देनी चाहिए।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

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नवयुवकों के प्रति Summary

नवयुवकों के प्रति कविता का सार

कवि देश के युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे युवाओ! सारे देश की दृष्टि उन पर ही लगी हुई है। सारी मानव जाति के गुणों की चमक तुम्हीं में जगमगा रही है। तुम्हारे बिना देश के उद्धार में योगदान और कौन दे सकता है ? तुम जरा देखो तो सही कि इस संसार में आजकल क्या हो रहा है। तुम जो कुछ भी शिक्षा प्राप्त करो उसे कार्य के रूप में बदल दो। तुम सब भक्त प्रह्लाद की इस बात को मन में धारण कर लो कि युवावस्था में ही ईश्वर के प्रति अपने भक्ति भावों को मन में रखना है। प्राणियों का इन्सान का जन्म बहुत कठिनाई से प्राप्त होता है और जिनको प्राप्त होता भी है तो वह बहुत देर तक नहीं रहता। जीवन जीते हुए दो ही रास्ते मिलते हैं-असंयम और संयम। असंयम का रास्ता बुरा होता है और संयम का अच्छा। लेकिन मन प्रायः असंयम के रास्ते पर पहले चलने लगता है, इसका झुकाव उधर ही होता है। यदि इस रास्ते पर एक बार चलना शुरू कर दिया और तुम नहीं सम्भले तो फिर कभी भी नहीं सम्भल पाओगे। सदा सोच-विचार कर अच्छे और सही मार्ग पर ही चलना सीखो।

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