PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग

SST Guide for Class 8 PSEB मुख्य उद्योग Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर-20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग को निम्नलिखित कारणों से पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है(1) यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को कच्चा माल देता है। (2) अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लोहे तथा इस्पात से बनती हैं।।

प्रश्न 2.
लौह-इस्पात उद्योग को स्थापित करने के लिए कौन-कौन सी आवश्यक अवस्थाएं हैं ?
उत्तर-
(1) कच्चे लोहे की पूर्ति (2) अच्छी किस्म के कोयले की प्राप्ति (3) पानी की निरन्तर आपूर्ति (4) तैयार माल के लिए खपत केन्द्रों की निकटता (5) यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन (6) प्रशिक्षित मजदूर (7) पूंजी।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर और डीट्रोयट शहर कहां-कहां स्थित हैं ?
उत्तर-
जमशेदपुर झारखंड राज्य में सिंहभूम जिले में स्थित है। पहले इसका नाम साकची था और यह बिहार राज्य का भाग था। डीट्रोयट यू० एस० ए० के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह महान् झीलों के किनारे बसा हुआ है। .

प्रश्न 4.
कपड़ों का निर्माण किन पदार्थों से किया जाता है ?
उत्तर-
कपड़ों का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, ऊन, पटसन, रेशम तथा बनावटी (कृत्रिम) रेशा शामिल है।

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प्रश्न 5.
कपड़ा उद्योग को किन-किन श्रेणियों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
कपड़ा उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पटसन कपड़ा उद्योग (5) बनावटी रेशम तथा बनावटी रेशा कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 6.
रेशम कहाँ से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
रेशम हमें एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त होता है। ये कीड़े पौधों (विशेषकर शहतूत) की पत्तियों पर पलते हैं।

प्रश्न 7.
कपास की सबसे बढ़िया किस्म कौन-सी है ?
उत्तर-
लम्बे रेशे वाली कपास की सबसे बढ़िया किस्म है। इससे बना कपड़ा बाज़ार में महंगा बिकता है।

प्रश्न 8.
सूचना-तकनीक उद्योग में भारत ने कितनी उन्नति की है ?
उत्तर-
भारत ने सूचना तकनीक में बहुत अधिक उन्नति की है। हमारे देश में बंगलुरु, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद आदि सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं।

प्रश्न 9.
बंगलुरु में कौन-कौन से उद्योग पाए जाते हैं ?
उत्तर-
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में मशीन टूल्ज़, संचार के साधन, घड़ियाँ, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं। इस समय बंगलुरु कम्प्यूटर निर्माण उद्योग के लिए देश भर में प्रसिद्ध हैं। इसलिए इसे भारत की ‘सिलीकॉन घाटी’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
सिलीकान घाटी कहां है ? यह पहले किस वस्तु के लिए प्रसिद्ध थी ?
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में कैलिफोर्निया राज्य में स्थित है। पहले यह फल उगाने के लिए प्रसिद्ध थी।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया बताएं।
उत्तर-
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया में सबसे पहले कच्चे माल को भट्ठियों में पिघलाया जाता है। पिघले हुए लोहे में से सभी अशुद्धियाँ निकाल कर लोहे को साफ़ कर लिया जाता है। साफ़ किए गये इस लोहे से स्टील बनाया जाता है तथा स्टील से भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

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प्रश्न 2.
चीन और जापान के लौह-इस्पात औद्योगिक केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
1. चीन के लौह-इस्पात केन्द्र-मंचूरिया, यंगसी घाटी तथा होपे सांतूंग।
2. जापान के लौह-इस्पात केन्द्र यवाता (Yawata), तोबाता (Tobata), क्यूसू (Kyushu), टोकियो (Tokyo), कावासाकी (Kawasaki), योकोहामा (Yokohoma), ओसाका (Osaka) तथा कोबे (Kobe) ।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए कौन-कौन सी अनुकूल अवस्थाएं मौजूद हैं ?
उत्तर-
जमशेदपर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए निम्नलिखित अवस्थाएँ अनुकूल हैं

  • अच्छी किस्म का कच्चा लौह झारखण्ड के सिंहभूम तथा उड़ीसा के मयूरभंज की खानों से मिल जाता है।
  • कोयले की पूर्ति झरिया तथा रानीगंज की खानों से हो जाती है।
  • मैंगनीज़ तथा चूने के पत्थर जैसा कच्चा माल उड़ीसा से मिल जाता है।
  • पानी की आवश्यकता सुबरन रेखा (स्वर्ण रेखा) नदी से पूरी हो जाती है। ।
  • कोलकाता की बंदरगाह जमशेदपुर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लौह-इस्पात का अन्य देशों को निर्यात करने में यह बंदरगाह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • उद्योग के लिए बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक झारखण्ड, बिहार तथा उड़ीसा राज्यों से आसानी से मिल जाते हैं।
  • जमशेदपुर, मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली तथा कोलकाता जैसे नगरों के साथ सड़कों तथा रेलमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। अतः यहाँ का तैयार माल देश के भिन्न-भिन्न भागों में आसानी से भेजा जाता है।

प्रश्न 4.
डीट्रोयट के लौह-इस्पात उद्योग के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
डीट्रोयट यू० एस० ए० के लौह-इस्पात उद्योग का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह दो झीलों डरो तथा ऐरी के मध्य मिशीगन स्टेट में स्थित है। इसके आस-पास के क्षेत्र में कच्चा लौह, कोयला तथा लौह-इस्पात उद्योग के लिए अन्य कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अतः डीट्रोयट में लौह को पिघलाने तथा स्टील बनाने के बहुत से कारखाने पाये जाते हैं। झीलों के किनारे बसा होने के कारण इस शहर को जल यातायात की सुविधा भी उपलब्ध है। जल मार्गों द्वारा यह स्थान यूरोप तथा एशिया की बड़ी-बड़ी मंडियों से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 5.
ऊनी वस्त्र उद्योग पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
ऊनी कपड़ा उद्योग जानवरों के बालों पर निर्भर करता है। भेड़, बकरी, ऊंट, याक, खरगोश आदि जानवरों के बालों का प्रयोग ऊनी कपड़ा बुनने में किया जाता है। सबसे अधिक मात्रा में ऊन भेड़ों से प्राप्त की जाती है। ‘मैरीनो’ किस्म की भेड़ से लम्बे रेशे वाली बढ़िया प्रकार की ऊन मिलती है। संसार के लगभग प्रत्येक महाद्वीप में ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। भेड़ें पालने वाले मुख्य देश आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, रूस, अर्जनटाइना, दक्षिणी अफ्रीका, चीन, युरुगवे, तुर्की, यू० एस० ए० तथा इंग्लैण्ड हैं। भेड़ें पालने वाले सभी देशों में ऊनी कपड़ा उद्योग काफ़ी विकसित है। ऊनी कपड़ा गर्म होता है। इसलिए इसे ठण्डे देशों या ठण्डे मौसम में पहना जाता है।

प्रश्न 6.
ओसाका शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकसित होने के कारण लिखें। (P.B. 2009 Set-B)
उत्तर-
औद्योगिक विकास की दृष्टि से ओसाका जापान का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह जापान के किनकी (Kinki) क्षेत्र में आता है। यह अपने सूती कपड़ा उद्योग के लिए विख्यात है। जापान का 100% सूती कपड़ा ओसाका के उद्योगों की देन है। इसलिए इस शहर को ‘जापान का मानचेस्टर’ भी कहा जाता है। इस शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकास के लिए शहर की भौगोलिक स्थिति का बहुत बड़ा योगदान है। समुद्री मार्ग निकट होने के कारण कच्चे माल का आयात करना तथा तैयार माल का निर्यात करना सरल हो जाता है। इसके अतिरिक्त यहां की नम जलवायु भी सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल है। .

प्रश्न 7.
बंगालुरु शहर में कौन-कौन सी अवस्थाएं सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं ?
उत्तर-
बंगालुरु कर्नाटक राज्य की राजधानी है। यह सूचना तकनीक उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है। इस शहर की निम्नलिखित अवस्थाएँ सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं

  • यहां सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अधिक पढ़े-लिखे लोग आसानी से मिल जाते हैं।
  • यहां की जलवायु यहां रहने तथा काम करने के लिए बहुत अनुकूल है।
  • राज्य सरकार भी बंगालुरु में सूचना-तकनीक उद्योग के विकास में पूरा-पूरा सहयोग दे रही है।

प्रश्न 8.
सिलीकान घाटी के सूचना-तकनीक उद्योग के विकास पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका (यू०एस०ए०) के पश्चिम में कैलीफोर्निया राज्य में स्थित है। यह यू० एस० ए० का एक बहुत बड़ा सूचना तकनीक केन्द्र है। यहां इनटैल (Intel), एप्पल (Apple) तथा सन (Sun) जैस बड़ी-बड़ी कम्प्यूटर कम्पनियों के उद्योग स्थापित हैं। अनुसन्धान को प्रोत्साहित करने के लिए.यहाँ 1951 में स्टेनफोर्ड रिसर्च पार्क की स्थापना की गई थी। इस कार्य के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से सभी सुविधाएँ प्रदान की गई थीं। 1959 ई० तक यहां लगभग 100 सूचना तकनीक औद्योगिक कम्पनियों ने अपने उद्योग स्थापित कर लिए थे। इस समय सिलीकान घाटी में लगभग तीन लाख लोग काम कर रहे हैं। यहाँ अरबों रुपयों का सामान बेचा जाता है। सूचना तकनीक उद्योग के लिए सिलीकान घाटी में आवश्यक अवस्थाएँ भी अनुकूल हैं। यातायात के साधन पूरी तरह से विकसित हैं। सरकार की ओर से भी इस उद्योग को विकसित करने के लिए बहुत-सी सुविधाएँ दी जा रही हैं।

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III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग का महत्त्व और आवश्यक अवस्थाएं बताइए। भारत के लौह-इस्पात केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण उद्योग है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है

  • यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को कच्चा माल प्रदान करता है।
  • अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लौह-इस्पात से बनती हैं।
  • सभी प्रकार के औजार तथा हथियार लोहे से बनते हैं। .

आवश्यक अवस्थाएं-लौह-इस्पात उद्योग स्थापित करने के लिए निम्नलिखित अवस्थाओं का अनुकूल होना आवश्यक है-

1. कच्चे लौह की प्राप्ति-कच्चा लौह लौह-इस्पात का मुख्य कच्चा माल है। इसलिए इसकी प्राप्ति होना आवश्यक है। इस उद्योग को कच्चे लौह के भण्डार के समीप ही स्थापित किया जाना चाहिए, क्योंकि कच्चा लौह भारी होता है।

2. बढ़िया किस्म के कोयले की प्राप्ति-कच्चे लौह को भट्ठियों में पिघलाने के लिए बढ़िया किस्म के कोयले
की आवश्यकता होती है। कोयले के अतिरिक्त चूने का पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज़ आदि भी लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक हैं। इसलिए इन पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में प्राप्ति होनी चाहिए।

3. जल की आपूर्ति-लौह को पिघलाने के पश्चात् इसे ठण्डा करने और धोने के लिए काफ़ी मात्रा में जल की
आवश्यकता होती है। इसलिए इस उद्योग के निकट जल की व्यवस्था या जल भण्डारों का होना अति आवश्यक है।

4. उद्योगों में तैयार माल के लिए मांग क्षेत्रों का समीप होना-लौह-इस्पात उद्योग में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डियों का समीप होना अति आवश्यक है। मांग क्षेत्र समीप होने से समय की बचत होगी और तैयार माल के लिए यातायात का खर्चा कम होगा। यदि तैयार माल को अन्य देशों को निर्यात किया जाना हो तो उद्योग की स्थापना किसी बन्दरगाह के समीप की जानी चाहिए।

5. यातायात के सस्ते और विकसित साधन-लौह इस्पात उद्योग में प्रयोग होने वाली बहुत-सी वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए बढ़िया किस्म के यातायात साधनों का होना अति आवश्यक है। श्रमिकों के आने-जाने के लिए भी यातायात के साधन ज़रूरी हैं।

6. पूँजी-लौह-इस्पात जैसे बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह उद्योग बहुत ही धनी व्यक्ति या विदेशी कम्पनियों के सहयोग से ही स्थापित हो सकता है।

7. शिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता-लौह-इस्पात उद्योग में भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यों के लिए शिक्षित तथा अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसलिए इस प्रकार के श्रमिकों का उपलब्ध होना जरूरी है।’

भारत के लौह-इस्पात केन्द्र-भारत के मुख्य लौह-इस्पात के केन्द्र जमशेदपुर तथा बोकारो (झारखंड), बर्नपुर तथा दुर्गापुर (पश्चिमी बंगाल), रुड़केला (उड़ीसा) तथा भिलाई (छत्तीसगढ़) और भद्रावती (कर्नाटक) हैं।

प्रश्न 2.
सूती कपड़ा उद्योग के संसार में वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग संसार के बहुत-से देशों में स्थापित है। इसके मुख्य उत्पादकों में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व-सोवियत संघ के देश, इंग्लैंड, जापान, चीन, मिस्र और भारत आदि हैं। यूरोप में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली और पोलैंड जैसे देशों में सूती कपड़े का उत्पादन 18वीं या 19वीं शताब्दी से होने लगा था। इन देशों के अतिरिक्त बैल्जीयम, नीदरलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, तुर्की, चैकोस्लोवाकिया आदि देशों में भी सूती कपड़ा उद्योग स्थापित हैं। कुछ मुख्य देशों में सूती कपड़ा उद्योग का वितरण इस प्रकार हैं

जापान-जापान का सूती कपड़ा उद्योग अधिक पुराना नहीं है, परन्तु इस देश ने इस उद्योग में बहुत अधिक उन्नति की है। यह देश पूरे संसार का लगभग 5% सूत तैयार करता है। जापान, सूती कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल मुख्य रूप से यू० एस० ए०, चीन तथा भारत से मंगवाता है। वहां नोबी पलेन तथा हानसिन क्षेत्र सूती कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इस उद्योग के मुख्य केन्द्र ओसाका, कोबे तथा क्योटो हैं। – चीन-चीन इस समय संसार का सबसे बड़ा सूती कपड़ा उत्पादक देश है। चीन में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र चीक्यिांग, सांतुंग, होपे, हुनान, सैंसी, नानकिंग, शंघाई आदि हैं।

यू० एस० ए०यू० एस० ए० में सूती कपड़ा उद्योग उत्तर-पूर्व, मध्य अटलांटिक तथा दक्षिणी क्षेत्रों में केन्द्रित है। इसके मुख्य केन्द्र न्यूबैडफोर्ड, मानचेस्टर, सैंट लारेंस, बोस्टन, फिलाडैलफिया, बाल्टीमोर, न्यूयार्क, ग्रीनविले, कोलम्बिया, एटलांटा तथा कैलीफोर्निया आदि हैं।
पूर्व-सोवियत संघ-पूर्व-सोवियत संघ के देशों में मास्को, लेनिनग्राड, युक्रेन, इवानोवो, यूराल, वोल्गा, मध्य एशिया का क्षेत्र तथा साइबेरिया आदि सूती कपड़ा बनाने के मुख्य क्षेत्र हैं।

मिस्त्र-मिस्र (Egypt) कपास के उत्पादन और सूती कपड़ा उद्योग में भले ही बहुत पीछे हैं, परन्तु इस देश का महत्त्व बहुत अधिक है। यहां लम्बे रेशे वाली कपास पैदा होती है, जिससे उत्तम कोटि का कपड़ा बनाया जाता है।

भारत-हमारे देश का सूती कपड़ा उद्योग बहुत ही पुराना है। यहां के हाथ से बुने कपड़ों की मांग संसार के भिन्नभिन्न देशों में रही है। परन्तु 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो हमारे सूती कपड़ा उद्योग को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि बढ़िया किस्म की कपास पैदा करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान में चले गये थे। अतः भारत ने अन्य देशों से कपास आयात करके अपने इस पुराने उद्योग को फिर से जीवित किया।

भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, पांडिचेरी, कर्नाटक तथा केरल सूती कपड़ा पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं। इस उद्योग के कुछ महत्त्वपूर्ण केन्द्र निम्नलिखित हैं

  • मुम्बई, शोलापुर, पूना, कोल्हापुर, सतारा, नागपुर, औरंगाबाद तथा अमरावती (महाराष्ट्र)।
  • अहमदाबाद, बड़ोदरा, भारुच, सूरत तथा राजकोट (गुजरात)।
  • ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर तथा भोपाल (मध्य प्रदेश)।
  • चेन्नई, मदुराए, स्लेम तथा पैरम्बूर (तमिलनाडु)।
  • कोलकाता, मुर्शिदाबाद तथा हुगली (पश्चिमी बंगाल)।
  • कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आगरा, बरेली, सहारनपुर तथा लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
  • लुधियाना, अमृतसर तथा फगवाड़ा (पंजाब)।
  • भिवानी, हिसार तथा पानीपत (हरियाणा)।
  • बंगलुरु तथा मैसूर (कर्नाटक)।
  • भीलवाड़ा, कोटा तथा अजमेर (राजस्थान)।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 3.
सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व बताते हुए संसार और भारत में इसके मुख्य केन्द्रों के बारे में लिखो।
उत्तर-
आज का युग मशीनी युग है। मशीनों के प्रयोग से हर प्रकार के उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है। सूचना-तकनीक उद्योग भी इनमें से एक है। इसमें रेडियो, टेलीफोन, टेलीविज़न, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि शामिल हैं।

सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व-

(1) सूचना-तकनीक उद्योग ने संसार भर के लोगों को आपस में जोड़ने का काम किया है। इन यन्त्रों के प्रयोग ने मानव के जीवन में समृद्धि और उन्नति ला दी है। इन यन्त्रों तथा उपकरणों की सहायता से कोई भी सूचना, संसार के एक कोने से दूसरे कोने तक बहुत ही शीघ्र पहुंचाई जा सकती है। परिणामस्वरूप सूचना-तकनीक यन्त्रों द्वारा हम संसार के किसी भी कोने में घटित घटना की जानकारी मिनटों और सैकिंडों में प्राप्त कर सकते हैं।
(2) अपने बैंक खातों में ए० टी० एम० द्वारा किसी भी समय इस तकनीक के द्वारा हम पैसे निकलवा सकते हैं।
(3) कम्प्यूटर की सूचना तकनीक उद्योग को बहुत बड़ी देन है। कम्प्यूटर को अपनी मर्जी से कहीं भी ले जा सकते हैं। इसमें बहुत-सी सूचना भी स्टोर की जाती है। आजकल तो मोबाइल सेटों में कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (1)

संसार में सूचना-तकनीक उद्योग का वितरण-संसार में पहले डिजीटल इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर का निर्माण 1946 में य० एस० ए० में हुआ था। आज संसार के सभी विकसित देश सूचना-तकनीक उद्योग में बहुत आगे निकल चुके हैं। इन देशों में यू० एस० ए० के अतिरिक्त कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन, रूस, जापान तथा जर्मनी आदि शामिल हैं। यू० एस० ए० की सिलीकान घाटी इस उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है।

भारत में सूचना तकनीक उद्योग-भारत एक विकासशील देश है। यहां कम्प्यूटर बहुत देर बाद आया। परन्तु फिर भी देश ने सूचना-तकनीक उद्योग में बड़ी तेज़ी से उन्नति की है। भारत में बंगलुरु, मुम्बई, पूना, चेन्नई, हैदराबाद, नोएडा (दिल्ली), गुड़गांव, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि शहर सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं। इनमें से बंगगलुरु इस उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र है। इसे भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कह कर पुकारा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide मुख्य उद्योग Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(1) सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में ………. राज्य में स्थित है।
(2) रेडियो, टी०वी०, मोबाइल आदि ………. के मुख्य यंत्र हैं।
(3) ……… यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केंद्र है।
(4) कपास को ……….. सोना भी कहा जाता है।
(Sample Paper) (5) …………. उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
(6) …………. किस्म की भेड़ से लंबे रेशे वाली ऊन प्राप्त की जाती है।
(7) बोरियाँ, टाट तथा रस्से ……….. से बनते हैं।
उत्तर-

  1. कैलिफोर्निया
  2. सूचना तकनीक
  3. डीट्रोयट
  4. सफेद
  5. सूती कपड़ा उद्योग
  6. मेरीनो
  7. जूट (पटसन)।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

(1) लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है।
(2) जमशेदपुर भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केंद्र है।
(3) लम्बे रेशे वाली कपास, कपास की सबसे बढ़िया किस्म है।
(4) कपास, पटसन, ऊन, रेशम आदि का उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है।
(5) सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक प्रदेश सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि हैं।
(6) बंगलुरु में मशीन टूल्स, घड़ियां, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं।
उत्तर-

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार में लौह-इस्पात उद्योग के वितरण में असमानता क्यों पाई जाती हैं ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि संसार में कच्चे लौह तथा कोयले का वितरण एक समान नहीं है।

प्रश्न 2.
संसार के किस देश ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है और कैसे ?
उत्तर-
जापान ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है। वह कच्चा लौह तथा कोयला संसार के अन्य देशों से मंगवाता है।

प्रश्न 3.
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग के बड़े-बड़े केन्द्र कहां स्थित हैं ? किन्हीं चार केन्द्रों के नाम भी बताइए।
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात के बड़े-बड़े केन्द्र महान् झीलों के आस-पास स्थित हैं। इसके चार मुख्य केन्द्र पिट्सबर्ग, शिकागो, बरमिंघम तथा अलबामा हैं।

प्रश्न 4.
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केन्द्र (कारखाना) कौन-सा है ? इसे कब और किसने लगाया था ?
उत्तर-
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात कारखाना टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (TISCO) है। इसे 1907 ई० में जमशेद जी टाटा ने लगाया था।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित लौह-इस्पात केन्द्र ( कारखाने ) कब-कब और किस-किस देश के सहयोग से स्थापित किये गयेभिलाई, रुड़केला, दुर्गापुर तथा बोकारो।
उत्तर-
1. भिलाई-1957 में रूस के सहयोग से। 2. रुड़केला-1957 में जर्मनी की सहायता से। 3. दुर्गापुर-1959 में इंग्लैंड की सहायता से। . 4. बोकारो-1964 में रूस की सहायता से।

प्रश्न 6.
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की गई ?
उत्तर-
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1973 में लौह-इस्पात उद्योग का अच्छा प्रबंध करने के लिए की गई।

प्रशन 7.
डीट्रोयट (यू० एस० ए०) किन-किन उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात, मोटर गाड़ियां, कृषि मशीनरी, मशीनी पुर्जे, कैमिकल्स, फूड प्रोसेसिंग तथा समुद्री जहाज़ निर्माण आदि।

प्रश्न 8.
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले यंत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले मुख्य यंत्र हैं-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि।

प्रश्न 9.
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम कपड़ा उद्योग को कौन-कौन सी श्रेणियों में बांट सकते हैं ?
उत्तर–
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम इस उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांट सकते हैं
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पंटसन कपड़ा उद्योग (5) कृत्रिम रेशम और बनावटी रेशों द्वारा बुने गये कपड़े का उद्योग।

प्रश्न 10.
मुम्बई के बाद भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र कौन-सा शहर है ? यह शहर किस राज्य में है ?
उत्तर-
भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र अहमदाबाद है। यह शहर गुजरात राज्य में है।

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प्रश्न 11.
ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इंग्लैंड के मानचेस्टर की तरह ओसाका (जापान) का सूती कपड़ा उद्योग एक बहुत बड़ा केन्द्र है। जापान का 100% सूती कपड़ा इसी शहर के उद्योगों से प्राप्त होता है। इसीलिए ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।

प्रश्न 12.
किस शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है ? यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास कब आरंभ हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक राज्य के बंगलुरु शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है। यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास 1970 के बाद आरम्भ हुआ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़े का निर्माण किस प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है ? इस उद्योग का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कपड़े का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे शामिल हैं। महत्त्व-

  • कपड़ा उद्योग बहुत बड़ी मात्रा में लोगों को रोज़गार देता है और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करता है।
  • संसार के बहुत-से देशों में कपड़ा उद्योग को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है। कपड़ा उद्योग द्वारा बनाया गया कपड़ा पहनने, घरों की सजावट और भिन्न-भिन्न वस्तुओं को पैक करने के काम आता है।
  • मानव की मूल आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान में कपड़े का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 2.
कपास से सूती कपड़ा बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सबसे पहले श्रमिक खेतों से कपास के डोडे इकट्ठे करते हैं। इन्हें मशीनों द्वारा भी इकट्ठा किया जाता है। इनमें बीज होते हैं जिन्हें कपास से अलग कर दिया जाता है।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (2)
इस कपास की पिंजाई करके इसे साफ़ किया जाता है। साफ़ की गई कपास से सूत काता जाता है। इस सूत के धागे (Yarn) को बुनकर कपड़ा तैयार किया जाता है। इसके पश्चात् कपड़े को ज़रूरत अनुसार रंगा जाता है या प्रिंट किया – जाता है। ज़रूरत होने पर इसे अच्छी तरह रंगरहित भी रहने दिया जाता है।

प्रश्न 3.
अहमदाबाद में सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • अहमदाबाद (गुजरात राज्य) भारत की “कपास पेटी” में आता है इसलिए यहां की कपड़ा मिलों को कपास के रूप में कच्चा माल आसानी से प्राप्त हो जाता है।
  • यहां की जलवायु आर्द्र (नम) है। यह जलवायु कपड़ा उद्योग के लिए वरदान सिद्ध होती है क्योंकि इसमें धागा आसानी से नहीं टूटता।
  • आस-पास ही बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
  • बिजली सस्ती है।
  • अहमदाबाद रेलों और सड़कों द्वारा देश के अन्य भागों से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • मुंबई की तुलना में यहां भूमि सस्ते रेटों में मिल जाती है।
  • तैयार माल (कपड़ा) के लिए मांग क्षेत्र भारत में ही मिल जाता है।
  • सरकार भी कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन कपड़ा उद्योग तथा कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने के उद्योग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रेशमी कपड़ा उद्योग-रेशमी कपड़ा उद्योग में रेशम को कच्चे माल के रूप में प्राप्त किया जाता है। रेशम एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त किया जाता है जिसे शहतूत के वृक्ष के पत्तों पर पाला जाता है। रेशम से कपड़ा बनाने की कला लगभग 2500 ईसा पूर्व-चीन में आरंभ हुई थी। अन्य देशों में यह कला तीसरी या चौथी शताब्दी में ही पहुंची। रेशम से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश चीन, जापान, दक्षिणी कोरिया, रूस, भारत, उत्तरी कोरिया तथा ब्राज़ील हैं।
रेशमी कपड़ा काफ़ी महंगा होता है जो प्रायः धनी लोग ही पहनते हैं। इसलिए इसे ‘धनी पोषाक’ भी कहा जाता
है।

पटसन कपड़ा उद्योग-पटसन एक पौधे से मिलने वाला रेशा होता है। यह पौधा प्रायः गर्म और नम क्षेत्रों में उगाया जाता है। पटसन का उपयोग मुख्य रूप से बोरियां, टाट और रस्से बनाने में किया जाता है। परन्तु आजकल इससे कपड़ा भी बनाया जाने लगा है। पटसन से बने बारीक कपड़े की काफ़ी मांग है। पटसन उद्योग मुख्यतः चीन, भारत, बांग्ला देश, थाइलैंड और ब्राजील में विकसित हैं। इस उद्योग में भारत तथा बांग्लादेश संसार में अग्रणी हैं।

कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने का उद्योग-कृत्रिम रेशों में कृत्रिम रेशे तथा कई प्रकार के अन्य रासायनिक रेशे शामिल हैं। कृत्रिम रेशम भी एक रासायनिक यौगिक है। इसे फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है। नाइलोन, टैरालीन, एवरीलोन, टैटरोन भी रासायनिक रेशे हैं। इनसे बना कपड़ा काफ़ी सस्ता तथा मजबूत होता है। इसलिए यह कपड़ा प्राकृतिक रेशों से बने कपड़े का अच्छा मुकाबला कर रहा है। कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश जापान, यू० एस० ए०, इंग्लैंड, जर्मनी, भारत, चीन तथा इटली हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

मुख्य उद्योग PSEB 8th Class Social Science Notes

  • लौह-इस्पात उद्योग – इस उद्योग को प्राथमिक या पहले दर्जे का उद्योग कहा जाता है क्योंकि यह उद्योग अन्य सभी उद्योगों का आधार है।
  • लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक अवस्थाएं – कच्चे लौह की पूर्ति, बढ़िया किस्म का कोयला, पानी की निरन्तर आपूर्ति, मांग क्षेत्रों की समीपता, यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन, शिक्षित श्रमिक तथा पूंजी। .
  • लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले मुख्य देश – चीन, जापान, यू० एस० ए०, रूस, जर्मनी, ब्राजील, भारत तथा इंग्लैण्ड।
  • भारत के मुख्य लौह-इस्पात केन्द्र – जमशेदपुर, बर्नपुर, दुर्गापुर, भिलाई, रुड़केला तथा बोकारो।
    डीट्रोयट – यह यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केन्द्र है।
  • कपड़ा उद्योग – कपड़ा मानव की मूल आवश्यकताओं में से एक है। इसका निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल द्वारा किया जाता है, जैसे-कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे। ।
  • कच्चे माल के आधार पर कपड़ा उद्योग की किस्में – सूती कपड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग, रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन वस्त्र उद्योग तथा कृत्रिम रेशम तथा बनावटी रेशों का कपड़ा उद्योग।
  • सूती कपड़ा उद्योग – इस उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
  • सूती कपड़ा उद्योग के लिए आवश्यक तत्त्व – कच्चा माल, पूँजी, सस्ते श्रमिक, यातायात के विकसित साधन, मण्डी का समीप होना तथा अनुकूल जलवायु।
  • सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक देश – यू० एस० ए०, रूस, जापान, चीन, इंग्लैण्ड, भारत तथा मिस्र।
  • भारत के मुख्य सूती कपड़ा उद्योग केन्द्र – मुम्बई, शोलापुर, नागपुर, अहमदाबाद, सूरत, ग्वालियर, चेन्नई, कोलकाता, हुगली, कानपुर, लखनऊ, हैदराबाद, भीलवाड़ा, लुधियाना, अमृतसर, फगवाड़ा आदि ।
  • ओसाका – जापान का महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र जिसे ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।
  • सूचना-तकनीक उद्योग – महत्त्व-इसने संसार के लोगों को आपस में जोड़ दिया है।
    मुख्य यन्त्र-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर इत्यादि।
    सूचना-तकनीक उद्योग वाले मुख्य देश-यू० एस० ए०, कनाडा, इंग्लैण्ड, चीन, फ्रांस, रूस, जापान, जर्मनी, भारत।
    भारत में सूचना तकनीक उद्योग के केन्द्र-बंगलुरु, मुम्बई, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई, नोएडा, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास

SST Guide for Class 8 PSEB औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
वस्तु-निर्माण क्रिया से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लगभग सभी आरम्भिक (मूल) पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया से गुज़रते हैं। इसी क्रिया को वस्तु-निर्माण क्रिया कहते हैं। इस क्रिया को बताने के लिए उद्योग शब्द का प्रयोग किया जाता है। उद्योग में कच्चे माल को पक्के माल में बदला जाता है।

प्रश्न 2.
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अंदाज़ा कैसे लगाया जा सकता है ?
उत्तर-
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अनुमान (अंदाजा) देश के औद्योगिक विकास से लगाया जाता है। संसार के सभी विकसित देश औद्योगिक रूप से पूरी तरह विकसित हैं। .

प्रश्न 3.
उद्योगों को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
उद्योगों को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं : (1) कच्चा माल (2) शक्ति के साधन (3) मजदूर (4) यातायात के साधन (5) बाज़ार अथवा मण्डी (6) पानी (7) जलवायु (8) पूंजी (9) सरकार की नीतियां (10) बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

प्रश्न 4.
निजी उद्योग किन उद्योगों को कहा जाता है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो लोग निजी रूप से अथवा कोई फ़र्म बना कर स्थापित करते हैं, निजी उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए एटलस अथवा हीरो साइकिल उद्योग। इस प्रकार उद्योगों में लागत तथा लाभ दोनों पर उद्योग के स्वामी का नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 5.
कृषि आधारित उद्योगों में कौन-कौन से कच्चे माल का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
कृषि पर आधारित उद्योगों में कृषि से प्राप्त कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-कपड़ा उद्योग में कपास को, चीनी उद्योग में गन्ने को तथा चाय उद्योग में चाय की पत्तियों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 6.
समुद्री जहाज़ों के उद्योग भारत में कहां-कहां हैं ?
उत्तर-
भारत में समुद्री जहाज़ उद्योग विशाखापट्टनम, कोलकाता, चेन्नई, कोचीन (कोच्चि) तथा मुम्बई में स्थित है।

प्रश्न 7.
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर-
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ 19वीं शताब्दी में हुआ।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
उद्योगों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर-
उद्योगों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है :(1) ये किसी देश के आर्थिक ढांचे को मज़बूत बनाते हैं। (2) ये देश में से गरीबी तथा बेरोज़गारी को दूर करने में सहायता करते हैं। (3) ये पुराने समाज को नये समाज में बदल देते हैं। (4) उद्योगों का विकास किसी देश के आर्थिक विकास को दर्शाता है। (5) उद्योग जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।

प्रश्न 2.
कच्चा माल और शक्ति साधन उद्योगों को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
कच्चा माल तथा शक्ति के साधन उद्योगों को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करते हैं :-

  1. कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  2. शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।

प्रश्न 3.
उद्योगों के विकास में सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। यह मंजूरी सरकार के अलग-अलग विभागों से लेनी पड़ती है। इन विभागों में प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, वन विभाग, सुरक्षा विभाग आदि शामिल हैं। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है। सरकारी नीति के अनुसार किसी सीमावर्ती प्रदेश में औद्योगिक विकास नहीं हो सकता।

प्रश्न 4.
बड़े, मध्यम और छोटे पैमाने वाले उद्योगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बड़े पैमाने के उद्योग-जिन उद्योगों में मजदूरों की संख्या बहुत अधिक होती है, उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहा जाता है। इन उद्योगों में पूंजी भी बहुत अधिक लगती है। पूंजी की राशि 10 करोड़ या अधिक होती है। – मध्यम पैमाने के उद्योग-इन उद्योगों में मजदूरों की संख्या तथा पूंजी की राशि बड़े पैमाने के उद्योगों से कम होती है। पूंजी की राशि 5 करोड़ से 10 करोड़ तक होती है।

छोटे पैमाने के उद्योग-छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं। नई औद्योगिक नीति के अनुसार इन उद्योगों में पूंजी की लागत 5 करोड़ तक होती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

प्रश्न 5.
भारी और हल्के उद्योगों में उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं। लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं। हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

प्रश्न 6.
कपड़ा (वस्त्र) और लौह-इस्पात उद्योग के मुख्य देश कौन-कौन से हैं ? भारत के तीन कपड़ा उद्योग के केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग-कपड़ा उद्योग में इंग्लैण्ड संसार में सबसे आगे है। कपड़ा उद्योग के अन्य मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, चीन, मित्र तथा भारत हैं।

लोहा-इस्पात उद्योग-लोहा-इस्पात उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ के देश तथा जर्मनी सबसे आगे है। ये देश संसार के कुल लोहा-इस्पात का 50 प्रतिशत पैदा करते हैं। इस उद्योग के अन्य मुख्य देश इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, जापान, चीन तथा भारत हैं।
भारत में वस्त्र उद्योग के केन्द्र-भारत के तीन प्रमुख वस्त्र उद्योग केन्द्र मुम्बई (महाराष्ट्र), अहमदाबाद (गुजरात) तथा कोलकाता (पश्चिमी बंगाल) हैं।

प्रश्न 7.
हवाई जहाज़ों का प्रयोग कहाँ होता है ? भारत में हवाई जहाज़ बनाने वाले मुख्य केन्द्र कौन-से हैं ?
उत्तर-
हवाई जहाज़ों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों में होता है-

  1. दुर्गम स्थानों पर पहुंचने के लिए।
  2. वायु सेना में शत्रु के ठिकानों पर हमला करने के लिए।
  3. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए।
  4. विदेशों से संपर्क बनाए रखने के लिए।
  5. तीव्र यात्रा के लिए।

III. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लगभग 200-250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
उद्योगों को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों की स्थापना तथा विकास को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें से मुख्य तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार-

  • कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  • शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।
  • मज़दूर अथवा श्रमिक-उद्योगों को चलाने के लिए मज़दूरों की ज़रूरत होती है। मज़दूर सस्ते, कुशल तथा प्रशिक्षित होने चाहिए। आज के मशीनी युग में भी उद्योगों में मजदूरों का अपना महत्त्व है। .
  • यातायात के साधन-उद्योगों के लिए तरह-तरह का सामान इकट्ठा करने, मज़दूरों के आने-जाने तथा तैयार माल को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए यातायात के विकसित साधनों की ज़रूरत होती है।
  • मण्डी अथवा बाज़ार-उद्योगों में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डी (बाज़ार) निकट होनी चाहिए। बाज़ार में तैयार माल की मांग होना भी ज़रूरी है।
  • पानी-उद्योगों की स्थापना के लिए पानी भी बहुत आवश्यक है। इसलिए अनेक उद्योग नदियों तथा झीलों के किनारे लगाये जाते हैं। जिन उद्योगों को कम पानी की ज़रूरत होती है, उन्हें नदियों आदि से दूर भी लगाया जा सकता है। फिर भी मजदूरों के प्रयोग तथा अन्य छोटे-मोटे कार्यों के लिए आवश्यक पानी की पूर्ति अवश्य होनी चाहिए।
  • जलवायु-उद्योगों की स्थापना पर जलवायु का प्रभाव भी पड़ता है। बहुत अधिक गर्म या ठण्डे स्थान उद्योगों की स्थापना के लिए ठीक नहीं रहते। सूती कपड़ा उद्योग के लिए थोड़ी नमी वाला स्थान उपयुक्त रहता है। ऐसे स्थान पर धागा बार-बार नहीं टूटता।
  • पूंजी-पूंजी के बिना किसी उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती। पूंजी कम होने पर उद्योग का विकास भी नहीं हो पाता। इसलिए उद्योग को आवश्यक पूंजी अवश्य मिलनी चाहिए।
  • सरकार की नीतियां–उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना अथवा कोई औद्योगिक विकेन्द्रीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है।
  • बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं-उद्योगों की स्थापना, मज़दूरों को वेतन अथवा मजदूरी देने, कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल को बेचने आदि कार्यों के लिए पैसे का काफ़ी लेन-देन करना पड़ता है। अतः पैसे की सुरक्षा, उचित हिसाब-किताब तथा लेन-देन के लिए निकट ही बैंक की सुविधा होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मशीनों पर काम करते समय किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है जिससे मशीन अथवा श्रमिक को हानि पहुंच सकती है। इस क्षति की पूर्ति के लिए मशीनों तथा श्रमिकों के बीमे की सुविधा होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
उद्योगों को मुख्य रूप से किस-किस आधार पर बांटा गया है ? कच्चे माल पर आधारित उद्योगों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
उद्योगों को मुख्य रूप से निम्नलिखित आधारों पर बांटा गया है :

  1. आकार के आधार पर
  2. कच्चे माल के आधार पर
  3. स्वामित्व (मिलकियत) के आधार पर।

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण-कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित दो प्रकार से बांटा गया है :

A. कच्चे माल के भार के आधार पर

  • भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं । लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं।
  • हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

B. कच्चे माल की किस्म अथवा स्रोत के आधार पर

  • खेती (कृषि) पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग तथा चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योग हैं।
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, उन्हें खनिज-आधारित उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग तथा एल्यूमीनियम उद्योग इनके उदाहरण हैं।
  • जानवरों पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों के लिए कच्चा माल जानवरों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों में डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग तथा जानवरों की हड्डियों से सम्बन्धित उद्योग शामिल हैं।
  • वनों (जंगलों) पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों को कच्चा मालं वनों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों के मुख्य उदाहरण कागज उद्योग, लकड़ी उद्योग तथा माचिस उद्योग हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

PSEB 8th Class Social Science Guide औद्योगिक विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. वे उद्योग जिनका कच्चा माल भारी होता है ……….. उद्योग कहलाते हैं।
2. कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग …………… उद्योग तथा कृषि आधारित उद्योग हैं।
3. डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग आदि उद्योग …………. आधारित उद्योग हैं।
4. एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से चलाए जाने वाले उद्योग ……….. कहलाते हैं।
5. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ ………….. उत्पाद कहलाते हैं।
6. बंगलौर भारत के …………. राज्य की राजधानी है।
7. बड़े पैमाने के उद्योगों में – करोड़ या इससे अधिक पूंजी. वाले उद्योग शामिल हैं।
उत्तर-

  1. भारी
  2. चीनी
  3. जानवर
  4. सहकारी
  5. प्राथमिक
  6. कर्नाटक
  7. पांच।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं : .

1. कच्चा माल, शक्ति के साधन, मजदूर, मण्डी, पानी इत्यादि तत्त्व उद्योगों को प्रभावित करते हैं।
2. कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग जानवरों पर आधारित उद्योग हैं।
3. पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) निजी उद्योग हैं।
4. कपड़ा उद्योग में भारत संसार में सबसे आगे है।
5. छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं।
6. जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है उसे पक्का माल कहा जाता है।
7. इंग्लैंड को कपड़ा उद्योग का लीडर माना जाता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. (✓).

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक उत्पाद (Primary Produsets) क्या होते हैं। ? मनुष्य को ये कहां से प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ प्राथमिक उत्पादकहलाते हैं। मनुष्य को ये पदार्थ खेती, वनों, मछलियों, खानों तथा जानवरों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
किस प्रकार के उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
जिन उद्योगों का कच्चा माल तथा तैयार माल भारी होता है, वे कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
जंगलों तथा जानवरों पर आधारित दो-दो उद्योगों के नाम बताओ।
उत्तर-
जंगलों पर आधारित उद्योग-कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग। .. जानवरों पर आधारित उद्योग-डेयरी उद्योग तथा चमड़ा उद्योग।

प्रश्न 4.
सहकारी उद्योग क्या होते हैं ?
उत्तर-
जो उद्योग एक सहकारी संस्था बना कर, उसके सदस्यों के सहयोग से लगाए जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहते हैं। पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) इसी प्रकार का उद्योग है।

प्रश्न 5.
कौन-कौन से उद्योगों को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है ? किन्हीं छः के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) लोहा-इस्पात उद्योग (2) कपड़ा उद्योग (3) ऑटोमोबाइल उद्योग (4) समुद्री जहाज़ उद्योग (5) वायुयान उद्योग (6) रेलवे इंजनों का उद्योग।

प्रश्न 6.
भारत के लौह-इस्पात पैदा करने वाले चार राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल।

प्रश्न 7.
वायुयान उद्योग में संसार के कौन-कौन से देश अग्रणी हैं ?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका, रूंस, इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, इटली, आस्ट्रेलिया, जापान तथा चीन।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई चार उदाहरण दीजिए जिनसे पता चले कि लगभग प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष प्रक्रिया में से गुजरता है।
उत्तर-

  • खेतों से प्राप्त गेहूं को पीसकर आटा बनाया जाता है। फिर आटे से रोटी, डबल रोटी, बिस्कुट तथा खाने के लिए अन्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
  • कपास के गीले डोडों को साफ करके रूई बनाई जाती है। रूई से धागा तैयार करके कपड़ा बुना जाता है।
  • गन्ने के रस से चीनी तथा गुड़ बनाया जाता है। (4) धरती से प्राप्त कच्चे लौह को साफ़ करके लोहे या स्टील की वस्तुएं बनाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
संसार के ऑटोमोबाइल उद्योग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
संसार में ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में हुआ। इस उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, जापान, फ्रांस, स्वीडन और यूरोप के कई अन्य देश मुख्य हैं। कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्पेन, चीन और भारत जैसे देशों में भी बहुत से ऑटोमोबाइल उद्योग स्थापित हैं। भारत में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र मुम्बई, चेन्नई, जमशेदपुर, जबलपुर, कोलकाता, कानपुर, अहमदाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि हैं।

प्रश्न 3.
संसार तथा भारत में रेल इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने के उद्योगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसार में रेल के इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने वाले मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, जर्मनी और जापान हैं। भारत में चितरंजन (पश्चिमी बंगाल) वाराणसी. (उत्तर प्रदेश) तथा जमशेदपुर (झारखण्ड) रेल के इंजन बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। पैराम्बूर (तमिलनाडु), बंगलौर (कर्नाटक) और कपूरथला (पंजाब) रेल के डिब्बे बनाने के मुख्य औद्योगिक केन्द्र हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
मालकीयत (स्वामित्व) आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
मालकीयत आधारित मुख्य उद्योग निम्नलिखित हैं

  1. निजी क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग लोगों द्वारा निजी रूप से या फर्म बनाकर लगाये जाते हैं, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। इस प्रकार के उद्योगों में पूंजी, लाभ या हानि पर उद्योग मालिक का नियन्त्रण होता है। हीरो साइकिल उद्योग इसी प्रकार का उद्योग है।
  2. सरकारी क्षेत्र के उद्योग-सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा लगाये गये उद्योग सरकारी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं। इन उद्योगों में पूंजी, लाभ और हानि पर सरकार का नियन्त्रण होता है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल (भोपाल) और रेल कोच फैक्टरी कपूरथला आदि सरकारी क्षेत्र के उद्योगों के उदाहरण हैं।
  3. साझे क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग सरकार और प्राइवेट लोगों या एजेंसियों द्वारा साझे रूप में लगाये जाते हैं उन्हें साझे क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। उदाहरण के लिए पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली और होशियारपुर) तथा गुजरात औलकलीज़ लिमिटेड आदि उद्योग साझे क्षेत्र में आते हैं। .
  4. सहकारी क्षेत्र-जो उद्योग एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से लगाये जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहा जाता है। सहकारी चीनी मिलें तथा सहकारी कपड़ा मिलें इसी प्रकार के उद्योग हैं।
  5. बहु-देशीय उद्योग-इस प्रकार के उद्योगों में एक मुख्य कम्पनी अपना उद्योग, एक साथ कई देशों में लगाती है। इसीलिए इन उद्योगों को बहु-देशीय उद्योग कहा जाता है। बहु-देशीय उद्योगों में कारों की कम्पनियां तथा कोकाकोला आदि कम्पनियां शामिल हैं।

औद्योगिक विकास PSEB 8th Class Social Science Notes

  • निर्माण क्रिया – प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ, मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया में से गुज़रता है इसे निर्माण क्रिया (Manufacturing) कहा जाता है।
  • उद्योगों का महत्त्व मनुष्य के जीवन में उद्योगों का बहुत महत्त्व है। ये रोज़गार जुटाते हैं तथा जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।
  • उद्योगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक-
    • कच्चा माल
    • शक्ति साधन
    • श्रमिक
    • यातायात के साधन
    • मण्डियां
    • जल
    • जलवायु
    • पूंजी
    • सरकारी नीतियां
    • बैंक एवं बीमा सुविधाएं
  • उद्योगों का वर्गीकरण
    (A) आकार पर आधारित उद्योग

    • बड़े पैमाने वाले उद्योग
    • मध्यम पैमाने वाले उद्योग
    • छोटे पैमाने वाले उद्योग

(B) कच्चे माल पर आधारित उद्योग

(1) कच्चे माल के भार पर आधारित -भारी उद्योग, हल्के उद्योग
(2) कच्चे माल की किस्म या स्रोत के आधार पर –

  • कृषि आधारित उद्योग
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग
  • जानवरों पर आधारित उद्योग
  • वनों पर आधारित उद्योग

(C) मलकीयत (स्वामित्व) के आधार पर-

  • निजी क्षेत्र के उद्योग
  • सरकारी क्षेत्र के उद्योग
  • सहकारी क्षेत्र -साझे क्षेत्र के उद्योग
  • बहु-देशीय कम्पनियां

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

मुख्य उद्योग और वर्गीकरण – उद्योग तो कई प्रकार के हैं परन्तु मुख्य उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग, समुद्री जहाजों के उद्योग, वायुयान उद्योग, रेलवे इंजन और रेल के डिब्बे बनाने वाले उद्योग तथा इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग को शामिल किया जाता है। ये उद्योग संसार के भिन्न-भिन्न भागों में केन्द्रित हैं।

कृषि पर आधारित उद्योग – वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल आदि उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से मिलता है। इसलिए इन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 4 सौर-ऊर्जा

PSEB 8th Class Agriculture Guide सौर-ऊर्जा Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सौर (सौर्य) वाटर हीटर का मुख्य लाभ क्या है ?
उत्तर-
यह 100 डिग्री सैल्सियस से कम तापमान पर पानी गर्म करने के काम आता है।

प्रश्न 2.
परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ आदि।

प्रश्न 3.
गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
सूर्य की ऊर्जा, बायोगैस।

प्रश्न 4.
सौर ड्रायर कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
प्रयोग के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-व्यापारिक तथा पारिवारिक।

प्रश्न 5.
सौर ड्रायर में सुखाई जाने वाली दो सब्जियों के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, मेथी, मिर्च, टमाटर।

प्रश्न 6.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर में कृषि पदार्थों की कितनी मात्रा एक बार में सुखाई जा सकती है?
उत्तर-
20 से 30 किलो कृषि पदार्थ।

प्रश्न 7.
सौर-कुकर का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर-
यह भोजन पकाने के काम आता है।

प्रश्न 8.
सौर-कुकर के प्रयोग से कितने प्रतिशत परम्परागत ईंधन बच सकता है?
उत्तर-
20% से 50% तक परम्परागत ईंधन बच जाता है।

प्रश्न 9.
सौर लालटेन का प्रयोग कितने घण्टे तक किया जा सकता है?
उत्तर-
3-4 घण्टे तक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 10.
सौर जल तापक (वाटर हीटर) कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
यह दो प्रकार के होते हैं-स्टोरेज़ कम कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर तथा थर्मोसाइफिन सोलर वाटर हीटर।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत कितनी प्रकार के हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत दो प्रकार हैं—
(i) परम्परागत
(ii) गैर-परम्परागत

  1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण-बिजली, कोयला, पेट्रोलियम वस्तुएँ ये अत्यन्त मूल्यवान् एवम् प्रकृति में सीमित मात्रा में होते हैं।
  2. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण हैं-बायोगैस, सौर ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।

ये स्रोत बेहद मात्रा में उपलब्ध है तथा मूल्य में सस्ते हैं।

प्रश्न 2.
सौर-ड्रायर से सुखाई जाने वाली वस्तुओं के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, टमाटर, मेथी, सरसों का साग, आलू, हल्दी, मिर्च, आलूचे, आड़, अंगूर आदि।

प्रश्न 3.
सौर-कुकर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सौर-कुकर एक ऐसा यन्त्र है जिसके प्रयोग से सूर्य की गर्मी के उपयोग से भोजन पकाया जाता है तथा इस तरह 20% से 50% तक परम्परागत ईंधन की बचत हो जाती है।

प्रश्न 4.
सौर स्ट्रीट लाइट के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
इस लाइट को सूर्य की ऊर्जा द्वारा बैटरी को चार्ज करके सूर्य अस्त के बाद गलियों, सड़कों पर प्रकाश करने के लिए प्रयोग किया जा ा है। यह अन्धेरा होने पर स्वतः ही जल जाती हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (1)
चित्र-सौर स्ट्रीट लाइट सिस्टम

प्रश्न 5.
सौर-कुकर द्वारा भोजन पकाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-

  1. पहले सौर-कुक्कर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुक्कर में रखो।
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सौर कुक्कर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।

प्रश्न 6.
सौर-होम लाइटिंग सिस्टम पर संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
इस सिस्टम में सूर्य के प्रकाश से इनवर्टर को चार्ज करके हम घर में बिजली न होने की सूरत में 2 ट्यूब लाइटस तथा 2 पंखे 5 से 6 घण्टे तक चला सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (2)
चित्र-सौर होम लाइटिंग सिस्टम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 7.
सौर जल पम्प क्या होता है?
उत्तर-
ऐसे ट्यूबवैल जिनमें पानी का स्तर 35-40 फुट होता है, को सोलर वाटर पम्प की सहायता से चलाया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (3)
चित्र-सौर जल पम्प

प्रश्न 8.
सौर-लालटेन की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करें।
उत्तर-
यह एमरजैंसी लाइट है जिसको सूर्य के प्रकाश से चार्ज किया जाता है। इससे 3-4 घण्टे तक प्रकाश लिया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (4)
चित्र-सौर लालटेन

प्रश्न 9.
पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर किस तरह काम करते हैं?
उत्तर-
यह छोटे आकार का ड्रायर होता है इसमें दो से तीन किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिन में सुखाया जा सकता है। इसमें ऐसे पदार्थ सुखाए जाते हैं जिनको हम खाना तैयार
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (5)
चित्र-पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर
करने के लिए पाऊडर बना कर प्रयोग करते हैं, जैसे-लाल मिर्च, प्याज, लहसुन, आम का चूर्ण, अदरक, पालक के पत्ते आदि।

प्रश्न 10.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
कृषि पदार्थ को हवा से कम तापमान पर सुखाना होता है ताकि इन पदार्थों के गण नष्ट न हो जाएं। इस ड्रायर में हवा का अधिक-से-अधिक तापमान जो कि किसी पदार्थ के सूखने के लिए आवश्यक है। इस तापमान से कम रखकर ही पदार्थों को इसमें सुखाया जाता है। इसमें एक ही समय में 20 से 30 किलो कृषि पदार्थ सुखाए जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (6)
चित्र-व्यापारिक स्तर पर सौर डायर

(इ) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भोजन पकाने के लिए सौर कुकर का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
भोजन पकाने के लिए कुकर को सैट करके रखने के लिए निम्नलिखित विधि का प्रयोग करो

  1. पहले सोलर कुकर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुकर में रखो।
    PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (7)
    चित्र-बॉक्स टाइप कुकर
    चित्र-दोहरे शीशे वाले सौर कुकर
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटेछोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सोलर कुकर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।
  5. कुकर का ऊपरी हिस्सा सूर्य की ओर करके रखें।
  6. कुकर को बार-बार न खोलें। ऐसा करने से भोजन पकाने में देरी होगी।
  7. भोजन पकाने के पश्चात् बर्तन का ढक्कन आराम से खोलें ताकि भाप आपके शरीर को न लगे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 2.
‘स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल तापक (हीटर)’ के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्टोरेज-कम-कुलैक्टर हीटर में ऊर्जा सोखने वाले तथा पानी गर्म करने वाले दोनों तरह के यूनिट लगे होते हैं। इनके लिए पानी स्टोर करने के लिए कोई अलग टैंक अथवा पाइपें नहीं होती। इसलिए ऐसे वाटर हीटरों को थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर से अधिक बढ़िया माना गया है। सोलर वाटर हीटरों को पक्की तरह दक्षिण की ओर मुँह करके एक ही स्थिति में रखा जाता है। इन्हें सूर्य की धूप लगने के लिए बार-बार हिलाया-डुलाया नहीं जाता। इन्हें ज़मीन पर तथा खिड़की के पास भी रखा जा सकता है। ऐसे हीटर मकान की छत पर पक्के भी लगाये जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (8)
चित्र-स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल हीटर
सोलर वॉटर हीटर साधारणतः जल्दी खराब नहीं होते। परन्तु फिर भी यह आवश्यक हो जाता है कि इस पर लगे शीशे को साफ़ रखना चाहिए, क्योंकि शीशे पर धूल के कण आदि जमें हों तो इस तरह सूर्य की किरणें पानी को गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 3.
सौर ड्रायर के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दें।
उत्तर-
इनका प्रयोग फलों तथा सब्जियों आदि को सुखाने के लिए किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं—

1. कैबिनेट ड्रायर—यह एक लकड़ी का बक्सा होता है जो अन्दर से काला होता है। इसके ऊपरी हिस्से पर शीशा लगा होता है। सुखाने वाली वस्तु को छिद्रों वाली ट्राली पर एक स्तर पर रखा जाता है। इस यन्त्र में दो तरह के छिद्र होते हैं। ऊपरी सतह में जो छिद्र होते हैं उनमें से हवा निकलती रहती है तथा निचली परत वाले छिद्रों से ताज़ा हवा अन्दर आती रहती है। इस तरह हवा का आवागमन होता रहता है।

2. परतदार डायर-यह यन्त्र लकडी तथा लोहे की शीटों अथवा फाइबर ग्लास का बना होता है। बक्से में हवा के आवागमन के लिए ऊपरी तथा निचले हिस्से में कई छिद्र किए होते हैं। बक्से के दोनों तरफ सुखाने वाली वस्तु को निकालने का प्रबन्ध होता है। ट्रेओं पर सौर किरणों को सोखने वाले चमकीले डण्डे लगे होते हैं। बक्से के ऊपर वाले हिस्से पर इकहरा शीशा फिट होता है। जिन थालियों में सुखाने के लिए चीजें रखनी होती हैं उनमें बहुत से छिद्र होते हैं। थालियों की ऊंचाई 3-4 सेंटीमीटर होती है। इनमें कटी सब्जियां तथा फल आसानी से सुखाने के लिए रखे जा सकते हैं। सूख रही वस्तुओं को छाया करने के लिए काली चमकती प्लेटें लगी होती हैं। क्योंकि यह यन्त्र सूर्य की किरणों को प्राप्त करके कार्य करते हैं इसको दिन में धूप में रखा जाता है। इन यन्त्रों का शीशा हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है।

प्रश्न 4.
‘सौर जल तापक’ (Solar Water Heater) से पानी की निरंतर पूर्ति के लिए कौन-सी सावधानियां रखना चाहिए?
उत्तर-
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से पानी गर्म करने वाले हीटरों को पक्की तरह एक स्थान पर ही रखा जाता है। इन्हें छत पर भी पक्के तौर पर फिट किया जा सकता है। इसके लिए ठण्डे पानी की पाइप लगानी पड़ती है। इसके ऊपर लगे शीशे को अच्छी तरह साफ रखना चाहिए ताकि सूर्य का प्रकाश पहुंचने में कोई रुकावट न आए। इसको पानी की सप्लाई लगातार बनाए रखनी आवश्यक है। हीटर का मुंह दक्षिण की तरफ रखा जाता है।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा से हम भिन्न-भिन्न ढंगों से कैसे लाभ उठा सकते हैं?
उत्तर-
सूर्य सारे विश्व को चलाने वाला अकेला ही ऊर्जा स्रोत है। इसकी ऊर्जा से पौधे भोजन बनाते हैं जिनसे हम अपना भोजन प्राप्त करते हैं। हवा-पानी का चक्कर भी सूर्य के कारण ही चलता है परन्तु यह सभी कुछ प्रकृति में अपने आप हो रहा है। हम अपनी मेहनत से सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से अन्य लाभ भी ले सकते हैं, जैसे—

  1. सूर्य के ताप के प्रयोग से हम पानी गर्म कर सकते हैं, खाना पका सकते हैं, बिजली पैदा कर सकते हैं। सब्जियों फलों को सुखा सकते हैं।
  2. सोलर सैल का प्रयोग करके सूर्य की ऊर्जा से बिजली पैदा कर सकते हैं।
  3. सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग करके हम पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों को बचा सकते हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB सौर-ऊर्जा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर-
दो भागों में।

प्रश्न 2.
कोयले से पैदा होने वाली बिजली कैसा ऊर्जा स्रोत है?
उत्तर-
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत।

प्रश्न 3.
कौन-से ऊर्जा स्रोत सीमित हैं ?
उत्तर-
पारम्परिक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 4.
कौन-से ऊर्जा स्रोत अधिक मात्रा में हैं ?
उत्तर-
और-पारम्परिक।

प्रश्न 5.
पारिवारिक स्तर वाले सोलर ड्रायर से कितने ताजे पदार्थ को कितने दिनों में सुखाया जा सकता है?
उत्तर-
2-3 किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिनों में।

प्रश्न 6.
क्या सोलर कुकर में रोटी बनाई जा सकती है?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 7.
सोलर बाटर हीटर का मुंह किस तरफ होता है?
उत्तर-
दक्षिण की तरफ।

प्रश्न 8.
सोलर होम लाइटिंग सिस्टम से कितने पंखे तथा लाइटें चला सकते हैं?
उत्तर-
2 ट्यूब, 2 पंखे, 5 से 6 घण्टे के लिए।

प्रश्न 9.
सौर ऊर्जा से किस हीटर द्वारा पानी गर्म होता है?
उत्तर-
थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर तथा स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर दोनों से।

प्रश्न 10.
ऊर्जा के किसी एक औपचारिक स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर-
कोयला।

प्रश्न 11.
सोलर कुकर के उपयोग से कितने प्रतिशत औपचारिक ईंधन की बचत होती है?
उत्तर-
20% से 50% तक।

प्रश्न 12.
तहदार ड्रायर में वस्तु रखने वाली थालियों का फ्रेम किस पदार्थ का बना होता है?
उत्तर-
जी० आई० शीटों का।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सौर ऊर्जा को कौन-कौन से कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा को पानी गर्म करने, फलों, सब्जियों को सुखाने, भोजन पकाने आदि के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
सीधी धूप में फल तथा सब्जियों को सुखाने का क्या नुकसान है ?
उत्तर-
इस तरह कीड़े, पंछी तथा धूल से फल तथा सब्जियां खराब होते हैं तथा इनके रंग में भी अन्तर आ जाता है।

प्रश्न 3.
सौर हीटर क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक उपकरण है जो सौर ऊर्जा को सोखकर गर्मी ऊर्जा में बदल देता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 4.
सोलर वाटर हीटर के कांच की सफ़ाई करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कांच पर धूल कण आदि जम जाते हैं जिससे सूर्य की किरणें पानी को अच्छी तरह गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा किस प्रकार एकत्रित की जा सकती है ?
उत्तर-
इसे कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित किया जाता है।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
सोलर कुकर के प्रयोग से कितने रिवायती ईंधन की बचत होती है ? सोलर कुकर कितनी प्रकार के हैं ? उनमें क्या कमियां हैं ?
उत्तर-
सोलर कुकर के प्रयोग से 20% से 50% तक रिवायती ईंधन बच सकता है, जो भोजन पकाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा गर्मी की शक्ल में कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित की जाती है, जोकि भोजन पकाने के लिए प्रयोग की जाती है।
साधारणतः यह दो तरह के होते हैं—

  1. साधारण सोलर कुकर।
  2. बॉक्सनुमा सोलर कुकर।

कमियां-सोलर कुक्कर को हमेशा सूर्य की तरफ मुख करके रखना पड़ता है तथा बार-बार सैट करना पड़ता है। इनका प्रयोग रोटी पकाने के लिए नहीं किया जा सकता ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पानी गर्म करने के लिए सौर हीटर होता है।
  2. सौर-कुकर भोजन पकाने के काम आता है।
  3. पारम्परिक ऊर्जा स्रोत असीमित हैं।

उत्तर-

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) कोयला
(ख) वायु
(ग) पानी
(ग) सूर्य।
उत्तर-
(क) कोयला

प्रश्न 2.
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) बायोगैस
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) रसायनिक ऊर्जा
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 3.
सोलर ड्रायर में सुखाई जाने वाली सब्जियां हैं—
(क) पालक
(ख) मेथी
(ग) मिर्च
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

रिक्त स्थान भरें

  1. बायोगैस ……………. स्रोत है।
  2. सोलर लालटेन एक ……………. लाइट है।
  3. सोलर वाटर हीटर ……….. प्रकार के होते हैं।

उत्तर-

  1. गैर-पारम्परिक,
  2. एमरजैंसी,
  3. दो।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

सौर-ऊर्जा PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोतों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है-परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत।
  • परम्परागत स्रोत प्रकृति में सीमित हैं। यह हैं-कोयला, बिजली, पैट्रोलियम पदार्थ आदि।
  • गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत हैं-बायोगैस, सौर-ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।
  • सूर्य की किरणों से सोलर (सौर) सैल के द्वारा बिजली पैदा की जा सकती है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर की सहायता से सब्जियों, फलों को सुखाया जाता है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर दो प्रकार के होते हैं—पारिवारिक प्रयोग के लिए, व्यापारिक प्रयोग के लिए।
  • सोलर (सौर) कुकर से सूर्य के प्रकाश में भोजन पकाया जा सकता है।
  • पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटर (सौर-जल तापक) होते हैं।
  • पानी गर्म करने वाले सोलर हीटर दो प्रकार के हैं-थर्मोसाइफन सोलर वाटर हीटर, स्टोरेज़ कम-कलैक्टर सोलर वाटर हीटर।
  • सोलर (सौर) लालटैन एमरजैंसी लाइट होती है इसको सूर्य के प्रकाश में चार्ज किया जाता है तथा इसे 3-4 घंटे तक प्रयोग किया जा सकता है।
  • सूर्य प्रकाश से सोलर होम लाइटिंग सिस्टम तथा सोलर स्ट्रीट लाइट आदि भी चलते हैं।
  • सोलर वाटर पंप (सौर जल पम्प) 35-40 फुट पानी के स्तर से पानी निकालने के लिए प्रयोग होते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

SST Guide for Class 8 PSEB जाति-प्रथा को चुनौती Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
ज्योतिबा फूले ने निम्न जाति के उद्धार के लिए कौन-से कार्य किये ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज-सुधारक थे। उन्होंने निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये।

  • सर्वप्रथम उन्होंने अनुसूचित जाति की कन्याओं की शिक्षा के लिए पुणे में तीन स्कूल खोले। इन स्कूलों में ज्योतिबा फूले तथा उनकी पत्नी सावित्री बाई स्वयं पढ़ाते थे।
  • उन्होंने अपने भाषणों तथा अपनी दो पुस्तकों के माध्यम से ब्राह्मणों तथा पुरोहितों द्वारा अनुसूचित जातियों के लोगों के आर्थिक शोषण की निन्दा की।
  •  उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को ब्राह्मणों तथा पुरोहितों के बिना ही विवाह की धार्मिक रीति सम्पन्न करने का परामर्श दिया।
  • ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1873 ई० को सत्यशोधक समाज नामक संस्था स्थापित की। इस संस्था ने अनुसूचित जातियों के लोगों की सामाजिक दासता की निन्दा की तथा उनके लिए सामाजिक न्याय की मांग की।
  • उन्होंने अनुसूचित जाति के निर्धन किसानों तथा काश्तकारों की दशा सुधारने के लिए सरकार से अपील की कि उनसे यथोचित भूमि कर लिया जाये। ज्योतिबा फूले ने अपना सारा जीवन अनुसूचित जाति की महिलाओं की दशा सुधारने के लिए व्यतीत किया। अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए किए गये अनेक कार्यों के लिए उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 2.
समाज सुधारकों ने जाति-प्रथा को ही क्यों निशाना बनाया ?
उत्तर-
जाति आधारित समाज में ब्राह्मणों का बहुत आदर-सत्कार किया जाता था, जबकि शूद्रों की दशा बहुत ही दयनीय थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। वे उच्च जाति के लोगों के साथ मेल-मिलाप नहीं रख सकते थे। उन्हें सार्वजनिक कुओं तथा तालाबों का प्रयोग करने की मनाही थी। न तो उन्हें मन्दिरों में जाने दिया जाता था और न ही उन्हें वेदों का पाठ करने की अनुमति थी। उन्हें अछूत समझा जाता था। यदि किसी व्यक्ति पर किसी शूद्र की परछाईं भी पड़ जाती थी, तो उसे (शुद्र को) अपनी जान से हाथ धोना पड़ता था। शूद्रों को झाड़ लगा कर सफ़ाई करने, मृत पशुओं को उठाने तथा उनकी खाल उतारने, जूते तथा चमड़ा बनाने जैसे काम करने के लिए विवश किया जाता था। इन लोगों को समाज के अत्याचारों से बचाने के लिए ही समाज-सुधारकों ने जाति-प्रथा को अपना निशाना बनाया।

प्रश्न 3.
महात्मा गांधी जी ने समाज से छुआछूत समाप्त करने के लिए क्या किया ?
उत्तर-
छुआछूत का अर्थ है–किसी व्यक्ति को छूना भी पाप समझना। समाज के एक बड़े वर्ग को, जिसमें मुख्यत: शूद्र शामिल थे. अछुत समझा जाता था। इन लोगों की दशा बहुत दयनीय थी। महात्मा गांधी ने छूतछात को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित पग उठाए

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूल तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

प्रश्न 4.
वीरसलिंगम को वर्तमान आन्ध्र प्रदेश के पैगम्बर क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कन्दूकरी वीरसलिंगम आन्ध्र प्रदेश के एक महान् समाज-सुधारक थे। समाज-सुधारक होने के साथ-साथ वह एक महान् विद्वान् भी थे। उन्होंने प्राइमरी स्कूल में पढ़ते समय ही समाज में प्रचलित खोखले रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों की निन्दा की थी। जब वे स्कूल में अध्यापक थे, तब उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष आरम्भ किया था। वे अन्तर्जातीय विवाहों के पक्ष में थे। उन्होंने जाति-प्रथा की कड़ी निन्दा की तथा अस्पृश्यता (छुआछूत) समाप्त करने के लिए प्रचार किया।

वीरसलिंगम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखों तथा नाटकों के माध्यम से जाति-प्रथा समाप्त करने के लिए प्रचार किया। वे पिछड़े वर्गों एवं निर्धन लोगों की सदा सहायता करते थे। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं की अति अल्प आयु में विवाह की प्रथा के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए अनेक यत्न किये।

वीरसलिंगम जीवन भर समाज-सेवा, समाज-सुधार तथा अनुसूचित जातियों के लोगों का उद्धार करने में जुटे रहे। इसीलिए उन्हें वर्तमान आन्ध्र प्रदेश राज्य का पैगम्बर कहा जाता है।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु ने निम्न जाति की भलाई के लिए क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु केरल राज्य के एक महान् समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1856 ई० में करल में हुआ था। वह जीवन भर अनुसूचित जातियों, विशेषतया एजहेवज़ जाति के लोगों के उद्धार के लिए संघर्ष करते रहे। अन्य जातियों के लोग इस जाति के लोगों को ‘अछूत’ (अस्पृश्य) समझते थे। श्री नारायण गुरु जी इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने एजहेवज़ जाति तथा अन्य निम्न जातियों के लोगों के उद्धार के लिए लम्बे समय तक संघर्ष किया। उन्होंने समाज-सुधार के लिए 1903 ई० में ‘श्री नारायण धर्म परिपालन योगम्’ की स्थापना की। उन्होंने जाति एवं धर्म के आधार पर किये जा रहे भेद-भाव का विरोध किया तथा निम्न जाति के लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए भरसक प्रयत्न किये।

प्रश्न 6.
महात्मा गांधी जी ने निम्न जाति के लोगों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया तथा उसका भावार्थ क्या था ?
उत्तर-
महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया जिसका भावार्थ है ‘परमात्मा के बच्चे।

प्रश्न 7.
महात्मा गांधी जी द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए किए गये कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
(1) महात्मा गांधी अस्पृश्यता को पाप मानते थे। 1920 ई० में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया गया। इस आन्दोलन के कार्यक्रम की रूप-रेखा में समाज में अस्पृश्यता समाप्त करना भी सम्मिलित था। 1920 ई० में नागपुर में निम्न जातियों के लोगों का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता की निन्दा की। उन्होंने हिन्दू लोगों में अस्पृश्यता के प्रचलन को भारत का सबसे बड़ा अपराध बताया। परन्तु महात्मा गांधी को इस बात से बहुत कष्ट हुआ कि असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस ने समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए आवश्यक प्रयत्न नहीं किये। इसी कारण ही निम्न जातियों के लोगों ने असहयोग आन्दोलन में कांग्रेस का साथ नहीं दिया था। वे हिन्दू-स्वराज की अपेक्षा ब्रिटिश शासन को ही अच्छा समझते थे।

(2) असहयोग आन्दोलन स्थगित हो जाने के पश्चात् महात्मा गांधी ने कांग्रेसी संस्थाओं को आदेश दिया कि वे अनुसूचित जातियों के लोगों के हित के लिए उन्हें संगठित करें और उनकी सामाजिक, मानसिक तथा नैतिक दशा सुधारने के लिए प्रयत्न करें। उन्हें वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जो अन्य नागरिकों को प्राप्त हैं। – (3) 1921 ई० से 1923 ई० के बीच कांग्रेस द्वारा विकास कार्यक्रम पर खर्च की गई 49.5 लाख रुपये की राशि में से अनुसूचित जाति के लोगों के हित के लिए केवल 43,381 रुपये ही खर्च किये गये थे। भले ही अनुसूचित जाति के लोगों ने महात्मा गांधी द्वारा आरम्भ किये गये असहयोग आन्दोलन में भाग नहीं लिया था, फिर भी गान्धी जी ने उन लोगों की दशा सुधारने के लिए अनेकों प्रयत्न किये थे।

गांधी जी के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य-महात्मा गांधी जी द्वारा अछूतों के उद्धार के लिए किए गए कार्यों में से निम्नलिखित कार्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण थे-

  • गांधी जी ने अछूतों को ईश्वर की संतान बताया और कहा कि उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाये।
  • अछूतों की भलाई के लिए गांधी जी ने वर्धा से अपनी यात्रा आरम्भ की। वह जहां भी गए, उन्होंने वहां के लोगों को पिछड़े वर्गों के लिए स्कूलों तथा मन्दिरों के द्वार खोल देने को कहा।
  • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अछूतों को सड़कों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से न रोका जाये।
  • उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान पिछड़े वर्गों के लोगों की भलाई के लिए फण्ड भी एकत्रित किया।

कई स्थानों पर कुछ सनातनी हिन्दू लोगों ने गांधी जी के भाषणों का विरोध किया। पुणे में तो उन पर बम फेंकने का यत्न किया गया। परन्तु विरोधियों को सफलता नहीं मिली।

प्रश्न 8.
भारतीय समाज सुधारकों द्वारा निम्न जाति के लोगों का उद्धार करने के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारतीय समाज में अनेक बुराइयां थीं। इनमें सती _प्रथा, कन्या वध, जाति प्रथा, दहेज प्रथा, बाल विवाह तथा विधवाओं को पुनर्विवाह न करने जैसी आदि बुराइयां मुख्य थीं। भारतीय समाज सुधारकों ने भारतीय समाज की इन सामाजिक एवं धार्मिक बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वास्तव में समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के बिना समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना बहुत ही कठिन था। उनके द्वारा बुराइयों को समाप्त करने के लिए किये गये प्रयत्नों के निम्नलिखित परिणाम निकले

1. सुधार आन्दोलन-बुराइयों को समाप्त करने के लिए समाज सुधारकों ने सुधार आन्दोलन चलाए। इनमें ब्रह्म समाज, आर्य समाज, नामधारी लहर, सिंह सभा, रामकृष्ण मिशन, अलीगढ़ आन्दोलन आदि ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन आन्दोलनों के प्रयत्नों से समाज में से सती-प्रथा, बहु-विवाह प्रथा, बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा तथा कई अन्य बुराइयां कमज़ोर पड़ गईं।

2. कानूनी प्रयास- भारतीय समाज-सुधारकों द्वारा जोर देने पर ब्रिटिश सरकार ने सामाजिक-धार्मिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए कई कानून लागू किये-

  • 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने सती प्रथा को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित किया। उसने अपने शासन काल में कन्या-वध तथा नर-बलि के विरुद्ध भी कानून पारित किये।
  • 1891 ई० में बाल-विवाह प्रथा को अवैधानिक घोषित कर दिया गया।

3. राष्ट्रवाद की भावना का उदय-भारतीय समाज-सुधारकों के प्रयत्नों के फलस्वरूप भारत के लोगों में राष्ट्रवाद – की भावना उत्पन्न हुई जिससे नये भारत का निर्माण करना सम्भव हो सका।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. समाज चार वर्गों में बंटा हुआ था-ब्राह्मण, क्षत्रिय, ………… तथा शूद्र।
2. ज्योतिबा फूले को …………. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
3. डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने …………ई० में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया की स्थापना की।
4. महात्मा गांधी ने निम्न जाति के लोगों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ था ………..
उत्तर-

  1. वैश्य
  2. महात्मा
  3. 1936
  4. परमार के बच्चे।

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III. सही जोड़े बनाएं:

1. ज्योतिबा फूले – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम
2. पेरियार रामास्वामी – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
3. वीरसलिंगम – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
4. श्री नारायण गुरु – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फूले – सत्य शोधक समाज नामक संस्था।
  2. पेरियार रामास्वामी – तमिलनाडु के महान् समाज सुधारक
  3. वीरसलिंगम – आंध्र प्रदेश राज्य के पैग़म्बर
  4. श्री नारायण गुरु – श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम।

PSEB 8th Class Social Science Guide जाति-प्रथा को चुनौती Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
सत्यशोधक समाज के संस्थापक थे –
(i) वीरसलिंगम
(ii) ज्योतिबा फुले
(iii) श्री नारायण गुरु
(iv) महात्मा गाँधी।
उत्तर-
ज्योतिबा फूले

प्रश्न 2.
बाल विवाह की प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया गया –
(i) 1891 ई० में
(ii) 1829 ई० में
(iii) 1856 ई० में
(iv) 1875 ई० में।
उत्तर-
1891 ई० में

प्रश्न 3.
1936 ई० में ‘इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया’ की स्थापना की –
(i) ज्योतिबा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पेरियार रामास्वामी।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेडकर

प्रश्न 4.
अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘बैंकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया
(i) ज्योतिवा फूले
(ii) वीरसलिंगम
(iii) डॉ० भीमराव अम्बेडकर
(iv) पैरियार रामास्वामी।
उत्तर-
पैरियार रामास्वामी

प्रश्न 5.
‘श्री नारायण धर्म प्रतिपालन योगम’ नामक संस्था की स्थापना की –
(i) श्री नारायण गुरु
(ii) श्री नारायण स्वामी
(iii) श्री चैतन्य नारायण
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
श्री नारायण गुरु।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का निशान लगाएं :

1. महात्मा गांधी जी छुआ-छत को पाप समझते थे।
2. बहिकृत हितकारिणी सभा ने उच्च जातियों के हितों की रक्षा की।
3. वीर सलिंगम अंतर्जातीय विवाह के पक्ष में थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗),
  3. (✓) .

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) ज्योतिबा फुले (2) वीरसलिंगम (3) श्री नारायण गुरु (4) महात्मा गांधी।

प्रश्न 2.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 3.
ज्योतिबा फूले कौन था तथा उसने निम्न अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए पहला महत्त्वपूर्ण कार्य क्या किया ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किए। इस उद्देश्य से सबसे पहले, उन्होंने पुणे में तीन स्कूल खोले जहां निम्न जातियों की लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी।

प्रश्न 4.
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना कब की तथा इसके प्रथम प्रधान तथा सैक्रेटरी कौन-कौन थे ?
उत्तर-
ज्योतिबा फूले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना 24 सितम्बर, 1873 ई० को की। इसके पहले प्रधान स्वयं ज्योतिबा फूले तथा सैक्रेटरी नारायण राव, गोविंद राव कडालक थे।

प्रश्न 5.
श्री नारायण गुरु का जन्म कब, कहां तथा किस जाति में हुआ ?
उत्तर-
श्री नारायण गुरु का जन्म 1856 ई० में केरल राज्य में एज़हेवज़ जाति में हुआ।

प्रश्न 6.
पेरियार रामा स्वामी ने समाज से अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए कौन-सा सत्याग्रह आरम्भ किया तथा इसमें कौन-से राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी ने समाज में अछूत प्रथा समाप्त करने के लिए वैकोम सत्याग्रह आरम्भ किया। इस सत्याग्रह में महात्मा गांधी, सी० राज गोपालाचार्य, विनोबा भावे आदि राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया।

प्रश्न 7.
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए कौन-से दो संघों की स्थापना की तथा कौन-से समाचार-पत्र निकाले ?
उत्तर-
डॉ० अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा तथा समाज समत संघ की स्थापना की। उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत तथा जनता आदि समाचार-पत्र निकाले।

प्रश्न 8.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 9.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 10.
प्राचीन भारतीय समाज कौन-से चार वर्गों में बंटा हुआ था ? इस बंटवारे का आधार क्या था ?
उत्तर-
प्राचीन भारतीय समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र नामक चार वर्गों में बंटा हुआ था। इस बंटवारे का आधार काम-धन्धे थे।

प्रश्न 11.
जाति-प्रथा किस काल में कठोर हो गई और कैसे ?
उत्तर-
जाति-प्रथा राजपूत काल में कठोर हो गई, क्योंकि इस काल में चार मुख्य जातियों के अतिरिक्त और भी कई जातियां तथा उप-जातियां पैदा हो गईं।

प्रश्न 12.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार समाज-सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. ज्योतिबा फुले
  2. वीरसलिंगम
  3. श्री नारायण गुरु
  4. महात्मा गांधी।

प्रश्न 13.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी में भारतीय समाज में प्रचलित किन्हीं चार बुराइयों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. सती प्रथा
  2. बाल विवाह
  3. कन्या वध
  4. विधवाओं को पुनर्विवाह की मनाही।

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प्रश्न 14.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के किन्हीं चार सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. ब्रह्म समाज
  2. आर्य समाज
  3. रामकृष्ण मिशन
  4. नामधारी लहर।

प्रश्न 15.
सती प्रथा को कब और किसने गैर-कानूनी घोषित किया ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने गैर-कानूनी घोषित किया।

प्रश्न 16.
बाल-विवाह की प्रथा को कब गैर-कानूनी घोषित किया गया ?
उत्तर-
1891 ई० में।

प्रश्न 17.
गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने हिस्सा क्यों नहीं लिया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन में अनुसूचित जाति के लोगों ने इसलिए हिस्सा नहीं लिया क्योंकि तब तक कांग्रेस ने समाज से छुआछूत को समाप्त करने के लिए कोई ठोस पग नहीं उठाया था।

प्रश्न 18.
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1936 ई० में डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने की।

प्रश्न 19.
डॉ० भीमराव अम्बेदकर द्वारा गठित दो राजनीतिक दलों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. लेबर पार्टी
  2. शैड्यूल कास्ट फेडरेशन।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पेरियार रामा स्वामी कौन थे ? उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों के हितों की रक्षा के लिए क्या किया ?
उत्तर-
पेरियार रामा स्वामी तमिलनाडु के महान् समाज-सुधारक थे। उनका जन्म 17 सितम्बर, 1879 ई० को चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। उन्होंने अनुभव किया कि समाज में अनुसूचित जाति के लोगों को अछूत समझा जाता है। इसके अतिरिक्त इन लोगों को सामाजिक रीति-रिवाजों में भाग लेने, दूसरी जातियों के साथ मेल-मिलाप करने तथा शिक्षा प्राप्त करने की मनाही है। अतः उन्होंने इन लोगों के हितों की रक्षा के लिए द्रविड़ काज़गाम नामक संस्था स्थापित की।
इस संस्था ने अनुसूचित जाति के लोगों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिलाने के प्रयास किये। फलस्वरूप जिन जातियों के साथ भेद-भाव किया जाता था उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भारत के संविधान में प्रथम संशोधन किया गया। पेरियार रामा स्वामी ने अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘वैकोम’ सत्याग्रह आरम्भ किया। इस प्रकार पेरियार रामा स्वामी ने तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा की।

प्रश्न 2.
भारतीय नारी की दशा सुधारने के लिए आधुनिक सुधारकों द्वारा किए गए कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर-

  1. सती प्रथा का अन्त-सती प्रथा स्त्री जाति के उत्थान में बहुत बड़ी बाधा थी। आधुनिक समाजसुधारकों के अथक प्रयत्नों से इस अमानवीय प्रथा का अन्त हो गया।
  2. विधवा विवाह की आज्ञा-समाज में विधवाओं की दशा बड़ी खराब थी। उन्हें पुनः विवाह करने की आज्ञा नहीं थी। इस कारण कई विधवाएं पथ-भ्रष्ट हो जाती थीं। आधुनिक समाज-सुधारकों के प्रयत्नों से उन्हें दोबारा विवाह करने की आज्ञा मिल गई।
  3. पर्दा-प्रथा का विरोध आधुनिक सुधारकों का विश्वास था कि पर्दे में रहकर नारी कभी उन्नति नहीं कर सकती। इसलिए उन्होंने स्त्रियों को पर्दा न करने के लिए प्रेरित किया। .
  4. स्त्री-शिक्षा पर बल-स्त्रियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए समाज सुधारकों ने स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल दिया। स्त्रियों की शिक्षा के लिए अनेक स्कूल भी खोले गए।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० बी० आर० अम्बेदकर द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के उद्धार के लिए की गई गतिविधियों के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
डॉ० भीमराव अम्बेदकर को अनुसूचित जातियों का मसीहा कहा जाता है। उन्होंने समाज तथा सरकार से अनुसूचित जातियों के लोगों के साथ न्याय करने की मांग की। इन लोगों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने सत्याग्रह तथा प्रदर्शन किए। इस दिशा में उनके योगदान का वर्णन इस प्रकार है

  • 1918 ई० में अम्बेदकर जी ने साऊथबोरो रिफ़ार्ज़ कमेटी से मांग की कि अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए सभी प्रान्तों की विधान परिषदों तथा केन्द्रीय विधान परिषद् में उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें संरक्षित की जायें। इसके अतिरिक्त उनके लिए अलग से चुनाव क्षेत्र निश्चित किये जाएं, परन्तु कमेटो ने यह मांग नहीं मानी।
  • 1931 ई० की गोलमेज़ काफ्रेंस में अम्बेदकर जी ने अनुसूचित जाति के लोगों को राजनीतिक अधिकार देने की सिफ़ारिश की। इस सिफ़ारिश को काफ़ी सीमा तक 16 अगस्त, 1932 ई० को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री द्वारा तैयार किए गए ‘कम्युनल अवार्ड’ में शामिल कर लिया गया।
  • अनुसूचित जाति के लोगों के सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए नागपुर, कोल्हापुर आदि स्थानों पर सम्मेलन हुए। डॉ० साहिब ने इन सम्मेलनों में भाग लिया।
  • उन्होंने इन जातियों के लोगों के उद्धार से सम्बन्धित प्रचार करने के लिए ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ तथा ‘समाज संमत संघ’ की स्थापना की। इस उद्देश्य से उन्होंने ‘मूक नायक’, ‘बहिष्कृत भारत’, ‘जनता’ आदि समाचारपत्र प्रकाशित करने भी आरम्भ किये।
  • उन्होंने अनुसूचित जातियों के लोगों को दूसरी जातियों के लोगों के समान सार्वजनिक कुओं से पानी भरने तथा मन्दिरों में प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह आरंभ किया।
  • बम्बई (मुम्बई) लेजिस्लेटिव असेम्बली का सदस्य होने के नाते उन्होंने 1926 ई० से लेकर 1934 ई० तक किसानों, मज़दूरों तथा अन्य निर्धन लोगों के उद्धार के लिए कई बिल प्रस्तुत किये जो रूढ़िवादी सदस्यों के विरोध के कारण पास नहीं हो सके।
  • अक्तूबर, 1936 ई० में उन्होंने इण्डिपेंडेंट लेबर पार्टी ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की जिसने 1937 ई० में प्रेज़िडेंसी की लेजिस्लेटिव असेम्बली के लिए हुए चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए संरक्षित सीटों पर जीत प्राप्त की।
  • अम्बेदकर जी ने ‘लेबर पार्टी’ तथा ‘शेड्यूल्ड कॉस्ट फेडरेशन’ नामक राजनीतिक दलों का संगठन किया। उनके प्रबल अनुरोध के फलस्वरूप भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों तथा कबीलों के लोगों को विशेष सुविधाएं देने की व्यवस्था की गयी।
  • उनके प्रयत्नों के कारण सरकार ने अस्पृश्यता (छूआछात) को गैर-कानूनी (अवैधानिक) घोषित कर दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 18 जाति-प्रथा को चुनौती

जाति-प्रथा को चुनौती PSEB 8th Class Social Science Notes

  • जाति-प्रथा – प्राचीन भारत में समाज चार मुख्य जातियों में बंटा हुआ था–ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र । राजपूत काल में और भी कई जातियां तथा उपजातियां उत्पन्न हो गईं जिससे जाति प्रथा जटिल हो गई।
  • छुआछूत – जाति आधारित समाज में ब्राह्मणों को उच्च स्थान प्राप्त था। उनका बड़ा आदर-सत्कार होता था। परन्तु शूद्रों की दशा दयनीय थी। लोग उन्हें छूना भी पाप समझते थे जिसे छुआछूत का नाम दिया जाता है।
  • जाति-प्रथा को चुनौती – ज्योतिबा फुले, डॉ० भीमराव अम्बेदकर, परियार रामास्वामी, वीरेस लिंगम तथा महात्मा गांधी जैसे समाज सुधारकों ने जातीय भेदभाव को चुनौती दी तथा निम्न जातियों के अधिकारों की मांग की।
  • सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध कानून – अंग्रेज़ी सरकार ने कानूनों द्वारा सती प्रथा (1829 ई०) तथा बाल विवाह (1891 ई०) जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगा दी।
  • अस्पृश्यता (छुआछूत ) का उन्मूलन – समाज सुधारकों के प्रयत्नों से भारतीय संविधान में अस्पृश्यता को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

SST Guide for Class 8 PSEB न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Questions and Answers

I. खाली स्थान भरो:

1. ………… पहली सूचना रिपोर्ट को कहते हैं।
2. भारत की सबसे बड़ी अदालत …………. है।
3. सरकार के मुख्य अंग ………… हैं।
4. सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) का जज (न्यायाधीश) …………. साल और हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) का न्यायाधीश …………. साल तक अपने पद पर बने रहते हैं।
5. पी०आई०एल० से तात्पर्य ………… है।
6. फ़ौजदारी मुकद्दमा धारा …………. अधीन दर्ज किया जाता है।
उत्तर-

  1. FIR
  2. सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट
  3. विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका
  4. 65, 62
  5. जनहित मुकद्दमें
  6. 134.

II. निम्नलिखित वाक्यों में सही (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :

1. न्यायपालिका को संविधान की रक्षक कहा जाता है। – (✓)
2. भारत में दोहरी न्याय प्रणाली लागू है। – (✗)
3. जिला अदालत के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील नहीं हो सकती है। – (✗)
4. न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। – (✗)
5. ज़मीन-जायदाद से सम्बन्धित झगड़े फ़ौजदारी झगड़े होते हैं। – (✗)

III. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
सर्वोच्च अदालत को विशेष अधिकार संविधान की किस धारा के अनुसार दिए गए हैं ?
(क) धारा-134
(ख) धारा-135
(ग) धारा-136
(घ) धारा-137
उत्तर-
(ग) धारा-136

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

प्रश्न 2.
उच्च अदालतों का गठन कैसे किया जाता है ?
(क) जिला स्तर
(ख) तहसील स्तर
(ग) राज्य स्तर
(घ) गांव स्तर।
उत्तर-
राज्य स्तर

प्रश्न 3.
जनहित मुकद्दमें किस प्रकार दर्ज हो सकते हैं ?
(क) निजी हितों की रक्षा हेतु
(ख) सरकारी हितों की रक्षा हेतु
(ग) जनतक हितों की रक्षा हेतु
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
जनता के हितों की रक्षा के लिए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार

IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका किस को कहते हैं ?
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करती है। यह संविधान तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है और कानून का उल्लंघन करने वालों को दण्ड देती है।

प्रश्न 2.
भारत की सबसे बड़ी अदालत कौन-सी है और यह कहां पर स्थित है ?
उत्तर-
भारत की सबसे बड़ी अदालत को सर्वोच्च न्यायालय कहते हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 3.
मुख्य मुकद्दमें कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य मुकद्दमें दो प्रकार के होते हैं-सिविल मुकद्दमें तथा फ़ौजदारी मुकद्दमें। सिविल मुकद्दमों में मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, सम्पत्ति, ज़मीनी झगड़े आदि शामिल हैं। फ़ौजदारी मुकद्दमों का सम्बन्ध मारपीट, लड़ाईझगड़ों तथा गाली-गलोच आदि से है।

प्रश्न 4.
सिविल (दीवानी) मुकद्दमा क्या है ?
उत्तर-
सिविल मुकद्दमें आम लोगों से सम्बन्धित होते हैं। इन विवादों में नागरिकों के मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, बलात्कार, सम्पत्ति तथा भूमि सम्बन्धी झगड़े आदि आते हैं। इनका सम्बन्ध निजी जीवन से होता है। इनमें दीवानी मुकद्दमें भी शामिल हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील कौन होते हैं ?
उत्तर-
जो वकील सरकार की ओर से मुकद्दमा लड़ते हैं, उन्हें सरकारी वकील कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जनहित मुकद्दमा (PIL) क्या है ?
उत्तर-
जन-हित-मुकद्दमा सरकार के किसी विभाग या अधिकारी या संस्था के विरुद्ध दायर किया जाता है। ऐसे मुकद्दमें का सम्बन्ध सार्वजनिक हित से होना अनिवार्य है। किसी के निजी हितों की रक्षा के लिए जन-हित-मुकद्दमेबाज़ी की शरण नहीं ली जा सकती। ऐसे केसों की पैरवी सरकारी वकीलों द्वारा ही की जाती है।

प्रश्न 7.
एफ० आई० आर० (प्रथम सूचना शिकायत) क्या है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है-किसी तरह की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना। यह सूचना समीप के पुलिस केन्द्र को देनी होती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
न्यायपालिका का महत्त्व वर्णन करें।
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करता है। लोकतन्त्रीय सरकार में न्यायपालिका का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसे ‘संविधान की रक्षक’, लोकतन्त्र की पहरेदार और अधिकारों एवं स्वतन्त्रताओं की समर्थक माना गया है। संघीय प्रणाली में न्यायपालिका की महत्ता और भी अधिक है क्योंकि संघीय प्रणाली में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य होने वाले झगड़ों का निपटारा करने, संविधान की रक्षा करने तथा इसकी निरपेक्ष व्याख्या करने के लिए न्यायपालिका को विशेष भूमिका निभानी पड़ती है। किसी सरकार की श्रेष्ठता को परखने के लिए उसकी न्यायपालिका की निपुणता सबसे बड़ी कसौटी है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका के विशेष अधिकार लिखें।
उत्तर-
न्याययिक पुनर्निरीक्षण न्यायपालिका का विशेष अधिकार है। इसके अनुसार न्यायपालिका यह देखती है कि विधानपालिका द्वारा पारित किया गया कोई कानून या कार्यपालिका द्वारा जारी कोई अध्यादेश संविधान के विरुद्ध तो नहीं है। यदि न्यायपालिका को महसूस हो कि यह संविधान के विरुद्ध है , तो वह उसे (कानून या अध्यादेश को) रद्द कर सकती है। अपने इसी अधिकार के कारण ही न्यायापालिका संविधान की संरक्षक कहलाती है।

प्रश्न 3.
भारत की एकल न्यायिक प्रणाली के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा न्यायालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। प्रांतों के अपने-अपने न्यायालय हैं जिन्हें हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) कहा जाता है। जिला स्तर पर सत्र न्यायालय कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल मैजिस्ट्रेट है। स्थानीय स्तर पर न्याय का कार्य पंचायतें तथा न्यायपालिका-निगमें करती हैं। सभी न्यायालय क्रमवार सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं। यदि कोई निम्न अदालत के न्याय से प्रसन्न नहीं है तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

प्रश्न 4.
फ़ौजदारी मुकद्दमें कौन-से होते हैं ? सिविल तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों में अन्तर लिखें।
उत्तर-
फ़ौजदारी मुकद्दमों में मारपीट, लड़ाई-झगड़े, गाली-गलोच आदि के मुकद्दमें शामिल हैं। किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुंचाने के मामले फ़ौजदारी मुकद्दमों में आते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति किसी की भूमि पर अनुचित अधिकार कर लेता है तो वह दीवानी मुकद्दमें का विषय है। परन्तु जब दोनों पक्षों में लड़ाई-झगड़ा या मारपीट होती है और एक-दूसरे की शारीरिक हानि होती है, तो यह मुकद्दमा दीवानी के साथ-साथ फ़ौजदारी भी बन जाता है। इरादा-ए-कत्ल (Intention to Murder) या हत्या करने की भावना भी फ़ौजदारी मुकद्दमें में शामिल है। जब किसी पर धारा 134 के अन्तर्गत फ़ौजदारी मुकद्दमा चलाया जाता है, तो उसे मृत्युदण्ड भी दिया जा सकता है।

इसके विपरीत सिविल मुकद्दमें प्रायः मौलिक अधिकारों, विवाह, तलाक, बलात्कार, ज़मीनी झगड़ों आदि से सम्बन्ध रखते हैं। इस प्रकार इनका सम्बन्ध व्यक्ति के निजी जीवन से होता है।

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प्रश्न 5.
एफ० आई० आर० (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) कहां दर्ज हो सकती है ? एफ० आई० आर० दर्ज न होने पर अदालत की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है पुलिस को किसी दुर्घटना की प्रथम सूचना देना। यह शिकायत समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। फिर भी यदि किसी नागरिक की एफ० आई० आर० किसी पुलिस केन्द्र में दर्ज नहीं हो पाती, तो वह किसी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का सहारा ले सकता है।

संविधान के अनुसार कोई भी अदालत पुलिस को एफ० आई० आर० दर्ज करने का निर्देश दे सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायालय स्वयं भी एफ० आई० आर० दर्ज करके पुलिस को पैरवी करने का निर्देश दे सकता है। सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के पास ऐसे विशेष अधिकार हैं। परन्तु आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जबकि किसी पुलिस अधिकारी ने किसी घटना या दुर्घटना की एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार किया हो। यदि ऐसा हो तो देश की अदालतों को इस सम्बन्ध में भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं।

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PSEB 8th Class Social Science Guide न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय – प्रांत का न्यायालय.
2. उच्च न्यायालय – सम्पति तथा ज़मीनी झगड़े
3. फौजदारी मुकद्दमे – दिल्ली
4. दीवानी मुकद्दमे – मारपीट, लड़ाई-झगड़े।
उत्तर-

  1. दिल्ली
  2. प्रांत का न्यायालय
  3. सम्पत्ति तथा ज़मीनी झगड़े
  4. मारपीट, लड़ाई-झगड़े।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

प्रश्न 2.
संविधान की धारा 136 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को क्या विशेष अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर-
संविधान की धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

प्रश्न 3.
‘विशेष अदालत कानून’ (Special Courts Act) क्या है ?
उत्तर-
विशेष अदालत कानून के अनुसार विशेष अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। यह अपील विशेष अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के पश्चात् 30 दिन के अन्दर की जानी आवश्यक है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत के सभी न्यायालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। देश का सबसे बड़ा न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। प्रान्तों (राज्यों) के अपने-अपने ‘उच्च न्यायालय’ हैं। जिला स्तर पर सेशन (सत्र) न्यायालय हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल अधिकारी (सिविल) हैं। स्थानीय स्तर पर लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा नगर-परिषदों आदि का गठन किया गया है। सबसे बड़े न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के अधीन उच्च-न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधीन जिला न्यायालय हैं। इसी प्रकार तहसील स्तर के न्यायालय जिला न्यायालयों के अधीन हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत में एकल (इकहरी) न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
एफ० आई० आर० (F.I.R.) अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई व्यक्ति क्या-क्या प्रयास कर सकता है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ किसी भी दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने से है। यह रिपोर्ट समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। नियम के अनुसार किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। यदि किसी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज नहीं करती, तो उस पुलिस केन्द्र के एस० एच० ओ० (थानेदार) तक पहुंच की जा सकती है। यदि थानेदार भी उस प्रथम सूचना शिकायत को दर्ज करने से इन्कार करता है तो उप-पुलिस अधीक्षक से मिला जा सकता है। यदि वह भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज नहीं . करवाता, तो जिले के पुलिस अधीक्षक के पास जाया जा सकता है। यदि पुलिस अधीक्षक भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज करने में आनाकानी-करता है तो एफ० आई० आर० देश के किसी भी पुलिस केन्द्र में दर्ज करवाई जा सकती है।

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प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

  1. न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
  2. न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
  4. न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
सरकारी वकील की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर-
सरकारी वकील वे वकील होते हैं जो सरकार के पक्ष में मुकद्दमा लड़ते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के मुकद्दमें लड़ने के लिए भिन्न-भिन्न सरकारी वकील होते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सरकार और सरकारी कर्मचारियों के मध्य होने वाले मुकद्दमें, सरकारी सम्पत्ति के केस, फ़ौजदारी मुकद्दमें और सिविल मुकद्दमें लड़ने के लिए अलग अलग सरकारी वकील होते हैं। इन सब मुकद्दमों में सरकारी वकीलों को सरकार के पक्ष में लड़ना होता है और हर मुकद्दमें में सरकार का बचाव करना होता है।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, सत्र न्यायालय तथा तहसील स्तर के न्यायालय कहां-कहां स्थित होते हैं ? गांव स्तर के न्यायालय के बारे में भी बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में, उच्च न्यायालय प्रान्तों में तथा सत्र न्यायालय जिलों में स्थित होते हैं। तहसील स्तर के न्यायालय सत्र न्यायालय के अधीन होते हैं। गांव स्तर पर लोगों को न्याय दिलवाने के लिए ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। परन्तु ग्राम पंचायतों के अधिकार अधिक विस्तृत नहीं हैं। ये छोटे-मोटे झगड़ों का ही निपटारा करती हैं। इन्हें किसी अपराधी को कारावास का दण्ड देने का अधिकार नहीं है। ये अपराधी को प्रायः जुर्माना ही करती हैं।

प्रश्न 7.
मुकद्दमा निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में लाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपने विचार लिखो।
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। यदि किसी केस (विवाद) में ऐसा प्रतीत हो कि न्याय ठीक नहीं हुआ है, तो कोई भी नागरिक उच्च स्तर के न्यायालय की शरण ले सकता है। जिला न्यायालयों के विरुद्ध ‘उच्च-न्यायालय’ में अपील की जा सकती है और उच्च-न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को मानने के लिए उच्च न्यायालय प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रकार उच्च-न्यायालयों के निर्णयों को मानने के लिए जिला न्यायालय प्रतिबद्ध हैं।

प्रश्न 8.
न्यायाधीशों की नियुक्ति koun करता है।
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्यत: राष्ट्रपति करता है। वह पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है, फिर वह उसकी सलाह से सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करते समय वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह लेता है।
जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। इसमें वह उच्च न्यायालय की सलाह लेता है।

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प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय का अपीलीय अधिकार क्षेत्र अपीलें सुनने से सम्बन्ध रखता है। यह उच्च न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णय के विरुद्ध अपीलें सुनता है। ये अपीलें तीन प्रकार की हो सकती हैं-संविधान सम्बन्धी, दीवानी तथा फ़ौजदारी।

1. संविधान सम्बन्धी अपीलें-

  • यदि किसी राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा दीवानी, फ़ौजदारी या किसी अन्य मुकद्दमे के बारे में यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाये कि मुकद्दमे में और अधिक संवैधानिक व्याख्या की ज़रूरत है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र न भी जारी करे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ऐसी स्वीकृति देकर मुकद्दमे की सुनवाई कर सकता है।

2. दीवानी अपीलें-

  • यदि उच्च न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मुकद्दमे में साधारण महत्त्व का कोई कानूनी प्रश्न है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • कुछ विशेष मुकद्दमों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी उसके निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

3. फ़ौजदारी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित स्थितियों में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध फ़ौजदारी अपील में सुन सकता है

  • कोई भी ऐसा मुकद्दमा जिसमें निम्न न्यायालयों ने किसी व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया हो, परन्तु उच्च न्यायालय ने उसे मृत्युदण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को सीधा अपने पास मंगवा लिया हो और दोषी को मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
  • यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित करे कि मुकद्दमा अपील के योग्य है।

इसके अतिरिक्त धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिये गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।

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न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार PSEB 8th Class Social Science Notes

  • सरकार के अंग – सरकार के तीन मुख्य अंग होते हैं-विधानपालिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका। विधानपालिका कानून बनाती है, कार्यपालिका कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका न्याय करती है।
  • एकल न्यायपालिका – भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। ऊपर से लेकर नीचे तक सभी न्यायालय आपस में जुड़े हुए हैं।
  • न्यायपालिका की स्वतन्त्रता – न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। उदाहरण के लिए इसे विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है, ताकि वह स्वतन्त्र रह कर निर्णय दे सके।
  • सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्राधिकार – सर्वोच्च न्यायालय राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलें सुनता है।
    देश का सबसे ऊंचा न्यायालय होने के कारण इसके निर्णय को अन्तिम माना जाता है।
  • दीवानी अपीलें – किसी भी दीवानी विवाद के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। परन्तु उच्च-न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाना आवश्यक है कि विवाद में साधारण महत्त्व का कोई ठोस कानूनी प्रश्न है। विशेष केसों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी अपील सुन सकता है।
  • जन-हित-मुकद्दमेंबाजी – जन-हित-मुकद्दमेंबाज़ी में सार्वजनिक हित में कोई भी व्यक्ति, जिसका किसी मुकद्दमें से सीधा सम्बन्ध नहीं है, अदालत में मुकद्दमा दायर कर सकता है। अदालतों द्वारा उस मुकद्दमें की सुनवाई भी नियमित मुकद्दमों के समान ही की जाती है।
  • मुकद्दमें – मुकद्दमें मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- दीवानी तथा फ़ौजदारी।
  • एफ० आई० आर० किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना होता है। इसे एफ० आई० आर० अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत कहा जाता है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 7 खेल भावना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 7 खेल भावना

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB खेल भावना InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बढ़िया खेल भावना सीखने का सही समय कौन-सा है?
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना अमूल्य गुण है जिसे हमें अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में सीखना चाहिए।

प्रश्न 2.
जब हम हार जाएं तो क्या हमें चिल्लाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, जब हम हार जाएं तो हमें चिल्लाना नहीं चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि विरोधी खिलाड़ी जीत जाए तो क्या हमें उसे बधाई देनी चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें विरोधी खिलाड़ी को जीत की बधाई देनी चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 4.
वास्तव में विजेता कौन है?
उत्तर-
वास्तव में विजेता वह है जो जानता है कि कैसे हारना है, नहीं तो आप जीत कर भी हार जाएंगे।

प्रश्न 5.
क्या जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शान के साथ हारने और जीतने के लिए हमारे लिए खेल भावना आवश्यक है?
उत्तर-
हाँ, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में खेल भावना हमारे लिए जीतने और शान से हारने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 6.
क्या हमेशा ईमानदारी हमारे लिए बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, ईमानदारी हमारे लिए हमेशा बढ़िया है।

प्रश्न 7.
क्या हमें हारने वालों का मजाक उड़ाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें हारने वालों का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या हमें विजेता के साथ लड़ना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें विजेता को बधाई देनी चाहिए।

प्रश्न 9.
क्या निर्णय लेने से पूर्व हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हां, निर्णय लेने से पूर्व हमें सभी सम्भावित विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 10.
क्या हमें हमारी कमजोरी और हार के लिए बहाना बनाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें हमारी कमजोरी और हार के लिए बहाना नहीं बनाना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है?
उत्तर-
हाँ, प्रत्येक विकल्प/समाधान सम्बन्धी पूर्ण जानकारी एकत्र करना बढ़िया है।

प्रश्न 12.
क्या हमें लगातार जीत पर अभिमानी बनना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, अगर हम लगातार जीत रहे हैं तो हमें अभिमानी नहीं बनना चाहिए क्योंकि भविष्य में हमें हराया भी जा सकता है।

प्रश्न 13.
यदि हम हार जाएं तो क्या हमें प्रेरणाहीन अनुभव करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, यदि हम हार जाएं तो भी हमें प्रेरणाहीन अनुभव नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 14.
यदि हम जीतने में असफल हों तो क्या हमें खेल रोक देना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें अपनी गलतियों और असफलताओं से सीखना चाहिए और अगली बार जीतने के लिए कठिन प्रयास करना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 15.
हमें जीत के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें जीत के लिए सर्वोत्तम खेलना चाहिए। यदि हमारा खेल सर्वोत्तम नहीं है तो हमें अपने आप को सुधारने का यत्न करना चाहिए।

प्रश्न 16.
यदि हमें लगता है कि रैफरी या अम्पायर का निर्णय हमारे विरुद्ध है तो क्या हमारा रैफरी या अम्पायर से लड़ना उचित है?
उत्तर-
नहीं, हमारा रैफरी या अम्पायर के साथ लड़ना उचित नहीं है चाहे हमें लगता है कि उसका निर्णय हमारे विरुद्ध है।

प्रश्न 17.
क्या सभी परिस्थितियों में हमें खेल के नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी परिस्थितियों में खेल के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।

प्रश्न 18.
बढ़िया खिलाड़ी की बढ़िया पहचान क्या है?
उत्तर-
शान से हार को स्वीकार करना बढ़िया खिलाड़ी की पहचान है।

प्रश्न 19.
क्या हमें सभी समाधानों के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, हमें सभी समाधानों के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 20.
क्या हमें जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बढ़िया खेल भावना को संक्षेप में परिभाषित करें।
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना एक अमूल्य गुण है जो विद्यार्थी जीवन के दौरान सीखा जाना चाहिए। यह एक पाठ है जो हम खेल के मैदान में सीखते हैं परन्तु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन करता है।

प्रश्न 2.
बढ़िया खेल भावना दिखाने के लिए हमें क्या चाहिए?
उत्तर-
बढ़िया खेल भावना दिखाने के लिए हमें यह करना चाहिए

  1. हमें शान के साथ हार को स्वीकार करना चाहिए।
  2. हमें हारने वाले व्यक्ति का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।
  3. हमें हमारी हार के लिए बहाने नहीं बनाने चाहिए।
  4. हमें हमारी हार की डींग हांकनी चाहिए।

प्रश्न 3.
हार के पश्चात् आपको अपनी भावनाओं को किस प्रकार प्रकट करना चाहिए?
उत्तर-
हमें जीत और हार को सिक्के के दो पहलुओं की भान्ति लेना चाहिए। जब कभी भी मैच होता है तो केवल एक ही जीत सकता है। जो व्यक्ति बढ़िया खेलता है वही जीतता है। हमें खेलते समय सोचना चाहिए कि हमने कोई गलती की है जिसके कारण हमें हार का सामना करना पड़ा। हमें अपने आप से प्रण करना चाहिए कि अगली बार हम अपने प्रयत्नों में सुधार करेंगे और गलतियों को पुनः नहीं दुहराएंगे ताकि जीत सकें।

प्रश्न 4.
हमें अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए अपने आप से क्या प्रतिज्ञा करनी चाहिए?
उत्तर-
हम अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए निम्नलिखित प्रतिज्ञा कर सकते हैं

  1. हम शान के साथ हार को स्वीकार करेंगे।
  2. हम हमेशा खेल के नियमों का पालन करेंगे।
  3. हम जीत के लिए बढ़िया प्रयत्न करेंगे।
  4. हम जीतने के लिए गलत ढंगों का उपयोग नहीं करेंगे।

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प्रश्न 5.
दो बातें लिखो जो तुम्हें तब करनी चाहिए जब आप (i) जीतते हैं और (ii) हारते हैं।
उत्तर-
जीतने पर मैं

  1. हारने वाले का मजाक नहीं उड़ाऊँगा
  2. मैं घमंडी नहीं बनूंगा और स्नेही जैसे कि सभी के लिए विनीत रहूँगा।

हारने पर मैं

  1. हार को शान से स्वीकार करूँगा
  2. मैं अपने आप में हार के लिए बहाने बनाने के स्थान पर सुधार करने का यत्न करूँगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों को अच्छी और बुरी खेल भावना में बांटो, ईमानदारी, मज़ाक उड़ाना, बधाई देना, लड़ना, चिल्लाना, हाथ मिलाना, खुशी मनाना, धोखा देना, शोर करना, विनम्रता, आदर, शान्ति, तर्क वितर्क, डींग हांकना, निर्देशों का पालन, आलोचना करना।
उत्तर-
अच्छी खेल भावना-ईमानदारी, बधाई देना, हाथ मिलाना, खुशी मनाना, विनम्रता, आदर, शान्ति, निर्देशों का पालन।
बुरी खेल भावना-मज़ाक उड़ाना, लड़ना, चिल्लाना, धोखा देना, शोर करना, तर्क-वितर्क, डींग हांकना, आलोचना करना।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्ति के जीवन में खेल भावना के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
खेल भावना एक गुण है जो न केवल हमें अच्छा खिलाड़ी बनाती है बल्कि हमें अच्छा व्यक्ति बनने में सहायता करती है।

  1. अच्छी खेल भावना हमें सिखाती है कि सामुदायिक कार्य हमेशा व्यक्तिगत यत्नों से बढ़िया होता है।
  2. अच्छी खेल भावना हमें नैतिकता सिखाती है।
  3. अच्छी खेल भावना हमें सबसे शान्त और विनीत रहना सिखाती है चाहे हम जीत न पाएं।
  4. अच्छी खेल भावना हमें सभी परिस्थितियों में अनुशासित रहना सिखाती है।
  5. अच्छी खेल भावना हमें सिखाती है कि हमें जीत पर दूसरों को बधाई देना और हारने वालों का कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।
  6. अच्छी खेल भावना हमें आत्म-विश्लेषण करने और अपने आप को सुधारने के लिए यत्न करने में सहायता करती है।

प्रश्न 2.
अच्छे खिलाड़ी में कौन-कौन से गुण होते हैं?
उत्तर-
अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए इन गुणों की आवश्यकता होती है

  1. आत्म-विश्वास
  2. आत्म-अनुशासन और आत्म-नियन्त्रण
  3. लक्ष्य का होना
  4. सम्मिलित कार्य
  5. बढ़िया समय प्रबन्ध
  6. लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अच्छे यत्न करना
  7. अपनी और दूसरों की उन्नति के लिए कार्य करने की भावना
  8. हार का सामना करने का साहस और कभी साहस न छोड़ना।

प्रश्न 3.
अच्छा खिलाड़ी बनने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
अच्छा खिलाड़ी बनने के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. हम अच्छे खिलाड़ी बनकर स्वस्थ और बलवान ही नहीं बनते बल्कि हम अच्छे व्यक्ति बनते हैं।
  2. यदि हम अच्छे खिलाड़ी बनते हैं तो हम अच्छे और बुरे समय का सामना करना सीखते हैं। हम कठिन परिस्थितियों में शांत बने रहना भी सीखते हैं।
  3. हम दूसरों की सफलता में खुश होना सीखते हैं।
  4. हम घमण्डी और बेईमान बनना नहीं सीखते।
  5. हम दूसरों की खुशी के लिए त्याग करना सीखते हैं।
  6. हम सबसे प्यार और सम्मान करना शुरू कर देते हैं।
  7. हम उन्नति करने वाले बनते हैं और उन्नति करना कभी बन्द नहीं करते और प्रगतिशील रहते हैं।

प्रश्न 4.
दी गई स्थिति का विश्लेषण करो और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
आप क्रिकेट के खिलाड़ी हो। अन्तर-स्कूल खेल प्रतियोगिता में, आपकी टीम का फाईनल मैच चल रहा है। यह मैच की अन्तिम गेंद है। आपके कोच को एक खिलाड़ी को मैदान में भेजना है। उसने आप पर विश्वास न करके दूसरे खिलाड़ी को भेज दिया। यदि आपका साथी खिलाड़ी चार दौड़ बनाने के योग्य है तो आप जीत जाओगे। परन्तु वह आऊट हो गया और आप मैच हार गए। अपनी भावनाओं और परिस्थितियों को दर्शाते हुए बताओ कि आप निम्न व्यक्तियों को क्या कहोगे?

  1. अपने साथी खिलाड़ी को
  2. कोच को
  3. विजेता टीम के कप्तान को
  4. अपने मित्रों को
  5. परिजनों को।

उत्तर-
ऊपर दी गई स्थिति को पढ़ने के पश्चात् प्रश्नों के मेरे उत्तर निम्नानुसार हैं

  1. अपने साथी खिलाड़ी से-मैं अपने साथी खिलाड़ी का मज़ाक नहीं उड़ाऊँगा जो जीतने में हमारी सहायता न कर सका। मैं उसका हौंसला बढ़ाऊँगा और उसे भविष्य में बढ़िया करने के लिए उत्साहित करूँगा।
  2. कोच को-मैं अपने कोच का अनादर नहीं करूंगा और कहूंगा कि यदि मैं बिना किसी स्कोर के आऊट हो जाता। अतः दूसरे व्यक्ति को भेजने का उसका निर्णय समय की मांग थी।
  3. विजेता टीम के कप्तान को-मैं विजेता टीम के कप्तान को बधाई दूंगा कि आपकी टीम ने हमारी टीम से अच्छा खेला।
  4. अपने मित्रों को-मैं अपने मित्रों और साथी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाऊंगा कि आज का दिन हमारा नहीं था। हम अच्छा खेलें परन्तु भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया। हम अवश्य ही अगला मैच जीतेंगे।
  5. परिजनों को-मैं अपने परिजनों को कहूंगा कि हमारी टीम ने अच्छा खेला परन्तु हम हार गए। हम आत्मनिरीक्षण करेंगे और अपनी कमियों को सुधारेंगे ताकि अगली बार जीत सकें।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

वस्तनिष्ठ प्रश्न

बहविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
विद्यार्थी जीवन के समय कौन-सा गुण सीखना चाहिए?
(क) बहस करना
(ख) जीतना
(ग) बढ़िया खेल भावना
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(ग) बढ़िया खेल भावना।

प्रश्न 2.
वह कौन-सी शिक्षा है जो हम खेल के मैदान में सीखते हैं परन्तु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारा नेतृत्व करती है?
(क) बढ़िया खेल भावना
(ख) जीतना
(ग) लड़ना
(घ) ये सभी।
उत्तर-
(क) बढ़िया खेल भावना।

प्रश्न 3.
बढ़िया खिलाड़ी वह है जो
(क) केवल जीतने के लिए खेलता है।
(ख) हार को खेल के भाग के अतिरिक्त स्वीकार करता है।
(ग) बदलापूर्ण सोच रखता है।
(घ) ये सभी सही हैं।
उत्तर-
(ख) हार को खेल के भाग के अतिरिक्त स्वीकार करता है।

प्रश्न 4.
वास्तविक विजेता जानता है कि किसे स्वीकार करना है?
(क) चुनौतियों को
(ख) आत्म-प्रशंसा को
(ग) दूसरों के क्रोध को
(घ) हार को।
उत्तर-
(घ) हार को।

प्रश्न 5.
हमें खेलना चाहिए और खेल को जीतने का कैसे यत्न करना चाहिए?
(क) धोखा दिए बिना
(ख) किसी भी कीमत पर
(ग) दोनों (क) तथा (ख) सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) धोखा दिए बिना।

प्रश्न 6.
बढ़िया खिलाड़ी हमेशा हारी हुई टीम के यत्नों की प्रशंसा करता है।
(क) सही
(ख) ग़लत
(ग) कभी-कभी सही और कभी-कभी गलत
(घ) कभी भी सही नहीं।
उत्तर-
(क) सही।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

प्रश्न 7.
……….. से हारना और …….. से जीतना खेल भावना के मुख्य लक्ष्य हैं।
(क) नम्रता, नम्रता
(ख) नम्रता, सम्मान
(ग) सम्मान, नम्रता
(घ) सम्मान, सम्मान।
उत्तर-
(ग) सम्मान, नम्रता।

प्रश्न 8.
बढ़िया खिलाड़ी
(क) कभी भी अपनी असफलता के लिए बहाना नहीं बनाता बल्कि अपनी जीत की डींग हांकता है।
(ख) अपनी जीत की कभी डींग नहीं हांकता बल्कि अपनी हार के लिए बहाना बनाता है।
(ग) अपनी हार के लिए न तो बहाना बनाता है और न ही जीत पर डींग हांकता है।
(घ) कोई भी सही नहीं।
उत्तर-
(ग) अपनी हार के लिए न तो बहाना बनाता है और न ही जीत पर डींग हांकता है।

प्रश्न 9.
बढ़िया खिलाड़ी वह है जो
(क) अपनी और विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(ख) केवल अपनी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(ग) केवल विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
(घ) कभी भी अपनी या विपक्षी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान नहीं रखता।
उत्तर-
(क) अपनी और विरोधी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।

प्रश्न 10.
कथन क : बढ़िया खिलाड़ी अपनी और विपक्षी टीम के प्रति स्नेह और सम्मान रखता है।
कथन ख : एक व्यक्ति जो अपनी हार के लिए कभी बहाना नहीं बनाता और कभी अपनी जीत की डींग नहीं हांकता। निम्न विकल्पों में से कौन-सा सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है
(ख) कथन क गलत है और कथन ख सही है
(ग) दोनों कथन सही हैं
(घ) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा बढ़िया खिलाड़ी का लक्षण नहीं है?
(क) विजेता टीम को मुबारकबाद देना
(ख) हारी हुई टीम का मज़ाक उड़ाना
(ग) किसी भी कीमत पर जीतना
(घ) खेल के नियमों की पालना न करना।
उत्तर-
(ख) हारी हुई टीम का मजाक उड़ाना।

प्रश्न 12.
खेल में हम सब को क्या करना चाहिए?
(क) खेल को बढ़िया खिलाड़ी की भांति खेलना चाहिए
(ख) बढ़िया खिलाड़ी के साथ खेलना चाहिए
(ग) खेल के नियमों का पालन करना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 7 खेल भावना

रिक्त स्थान भरो:

  1. बढ़िया खिलाड़ी हमेशा ……………. अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य के साथ खेलता है।
  2. बढ़िया खिलाड़ी हमें संयमी बनाता है और हमारे व्यवहार को …………… नियंत्रित करता है।
  3. सम्मान से हारना और ……………… से जीतना खेल भावना का मुख्य बिन्दु है।
  4. बढ़िया खिलाड़ी कभी भी अपनी हार के लिए …………… नहीं बनाता।
  5. बढ़िया खिलाड़ी अपनी जीत की ……………… कभी नहीं हांकता।
  6. बढ़िया खिलाड़ी हमेशा अपनी और विपक्षी टीम के लिए ……………….. और सम्मान रखता है।
  7. किसी भी कीमत पर जीतना ………….. खिलाड़ी का लक्षण नहीं है।
  8. ………………… से जीतना खेल भावना के विरुद्ध है।
  9. बढ़िया खिलाड़ी नियमों की …………… द्वारा दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  10. हमें जीत और ……. को सिक्के के दो पहलुओं की भांति समझना चाहिए।

उत्तर-

  1. सहकारिता से
  2. अनुशासित
  3. नम्रता
  4. बहाना
  5. डींग
  6. स्नेह
  7. बढ़िया
  8. धोखे
  9. पालना
  10. हार।

सही/ग़लत:

  1. हमें किसी भी कीमत पर जीतने के लिए खेलना चाहिए।
  2. धोखे से जीतना और दूसरों को दु:खी करना बढ़िया समझा जाता है।
  3. हमें दूसरी टीम के खिलाड़ियों के प्रति स्नेह और सम्मान नहीं रखना चाहिए।
  4. हमें खेल के नियमों का पालन तब तक करना चाहिए जब तक हम जीत नहीं जाते।
  5. हमें विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के प्रति नहीं परन्तु अपनी टीम के सदस्यों के प्रति भी आक्रमक होना चाहिए।
  6. बढ़िया खिलाड़ी टीम की प्राप्ति से ज्यादा व्यक्तिगत प्राप्ति को पहल देता है।
  7. बढ़िया खिलाड़ी कभी भी अपनी असफलता के लिए विभिन्न बहाने नहीं बनाता और न ही अपनी जीत की डींग हांकता है।
  8. एक व्यक्ति जो अपनी टीम के साथ सहकारिता के साथ खेलता है, ईमानदारी से पूर्ण समर्पण के साथ नियमों का पालन करता है, वास्तविक विजेता है।
  9. हमें दूसरे खिलाड़ियों के साथ लड़ना चाहिए या खेलते समय अभद्र भाषा का उपयोग करना चाहिए।
  10. जब हार निश्चित हो तब भी हमें खेल खत्म करना चाहिए।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. ग़लत
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. ग़लत
  6. ग़लत
  7. सही
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

PSEB 8th Class Agriculture Guide फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भारत में फलों एवम् सब्जियों की कुल उपज कितनी है ?
उत्तर-
भारत का फलों तथा सब्जियों की उपज के हिसाब से दुनिया में दूसरा स्थान है

प्रश्न 2.
पंजाब में सब्जियों की वार्षिक उपज कितनी है ? एवम् इसके अन्तर्गत कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
सब्जियों की उपज 40.11 लाख टन है तथा इसकी काश्त के अन्तर्गत क्षेत्रफल 203.7 हज़ार हैक्टेयर है।

प्रश्न 3.
पंजाब में फलों की वार्षिक उपज कितनी है एवम् इसके अन्तर्गत कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
फलों की पैदावार 15.41 लाख टन है तथा इनकी कृषि के अन्तर्गत क्षेत्रफल 76.5 हज़ार हैक्टेयर है।

प्रश्न 4.
नींबू के आचार में कितने प्रतिशत नमक पाया जाता है ?
उत्तर-
\(\frac{1}{5}\) भाग अर्थात् 20%.

प्रश्न 5.
टमाटरों की चटनी में कौन-सा प्रिज़रवेटिव (परिरक्षक) कितनी मात्रा में डाला जाता है ?
उत्तर-
सोडियम बैन्जोएट की 700 मि० ग्राम मात्रा को 1 किलो के हिसाब से।

प्रश्न 6.
आम के शर्बत में कौन-सा परिरक्षक कितनी मात्रा में डाला जाता है ?
उत्तर-
एक किलो आम के गुद्दे के लिए 2.8 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट प्रिजेरवेटिव डाला जाता है।

प्रश्न 7.
पंजाब के मुख्य फल का नाम बताएं।
उत्तर-
पंजाब में किन्नू की कृषि सभी फलों से अधिक होती है। इसके लिए मुख्य फल किन्नू है।

प्रश्न 8.
आंवले का मुरब्बा बनाने के लिए आँवलों को कितने प्रतिशत नमक के घोल में रखा जाता है ?
उत्तर-
2 प्रतिशत सादा नमक के घोल में।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

प्रश्न 9.
भारत में फलों की वार्षिक उपज कितनी है ?
उत्तर-
लगभग 320 लाख टन से अधिक।

प्रश्न 10.
भारत में सब्जियों की वार्षिक उपज कितनी है ?
उत्तर-
लगभग 700 लाख टन से अधिक।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
सब्ज़ियों एवम् फलों के कौन-कौन से पदार्थ बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों से शर्बत, जैम, अचार, चटनी आदि पदार्थ बनाए जाते हैं; जैसे-नींबू का शर्बत, आंवले का मुरब्बा, टमाटर की चटनी (कैचअप), सेब का जैम आदि।

प्रश्न 2.
फल एवम् सब्जियों के संसाधन के किसानों को क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों के संसाधन के नीचे लिखे लाभ हैं—

  1. इनकी तुड़वाई, कटाई, स्टोर करते समय दर्जाबंदी करते समय, ढुलाई आदि कार्यों में उपज की बहुत हानि होती है। इस हानि को संसाधन करके घटाया जा सकता है। यह हानि लगभग 30-35% होता है।
  2. संसाधन किए पदार्थ से अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 3.
टमाटर के रस एवम् चटनी में क्या अंतर है ?
उत्तर-
टमाटर के रस में केवल टमाटर, चीनी तथा नमक ही होते हैं तथा यह पतला होता है। टमाटरों की चटनी में टमाटर के अलावा प्याज, लहसुन, मिर्च तथा अन्य मसाले भी होते हैं तथा यह सांद्र होता है।

प्रश्न 4.
फल एवम् सब्ज़ियों को सुखाने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
फलों एवम् सब्जियों को धूप में तथा सोलर ड्रायर की सहायता से सुखाया जाता है। व्यापारिक स्तर पर मशीनी यूनिट लगाने पड़ते हैं।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों को किस तापमान पर सुखाया जाता है और क्यों ?
उत्तर-
साधारणत: 50 से 70 डिग्री सैल्सियस तापमान पर सुखाया जाता है। शुरू में सुखाने के लिए 70 डिग्री तथा अंतिम समय पर 50 डिग्री तापमान पर सुखाया जाता है।

प्रश्न 6.
आंवले के मुरब्बे में कितनी चीनी डाली जाती है और क्यों ?
उत्तर-
एक किलो आंवले में कुल एक किलो चीनी डाली जाती है। एक तो यह मिठास पैदा करती है तथा अधिक चीनी प्रिजेरवेटिव का काम भी करती है तथा आंवले के मुरब्बे को कई माह तक संभाल कर रखने में सहायक है।

प्रश्न 7.
टमाटर का रस बनाने की विधि लिखो।
उत्तर-
एलमीनीयम या स्टील के बर्तन में डालकर पके टमाटरों को उबाल लें। उबले हुए टमाटरों का रस निकाल लें। फिर रस को 0.7 प्रतिशत नमक, 4 प्रतिशत चीनी, 0.02 प्रतिशत सोडियम बैन्जोएट तथा 0.1 प्रतिशत सिट्रिक अमल मिला कर अच्छी तरह उबाल लें। रस को साफ बोतलों में भर कर अच्छी तरह हवा बंद ढक्कन लगा दें। गर्म बन्द बोतलों को पहले उबलते पानी में 20 मिन्टों के लिए उबालें तथा फिर थोड़ा-थोड़ा ठण्डा पानी डाल कर ठण्डा करें। इस रस को ठण्डा करके पीने के लिए, सब्जी में टमाटरों के स्थान पर डालने तथा सूप आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
नींबू, आम एवम् जौं के शर्बत में कितनी-कितनी मात्रा में कौन-सा प्रिज़रवेटिव डाला जाता है ?
उत्तर-
नींबू के शर्बत में 1 किलो नींबू का रस होने पर 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फेट के घोल का प्रयोग किया जाता है।
आम के शर्बत में एक किलो आम के गुद्दे के लिए 2.8 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट मिलाया जाता है।
नींबू, जौ के शर्बत में भी 3 ग्राम पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट डाला जाता है।

प्रश्न 9.
भारत की फलों एवम् सब्जियों की उपज में सबसे विलक्षण विशेषता क्या है ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों को संसाधन करके कई प्रकार के पदार्थ बनाए जाते हैं ; जैसे-शर्बत, चटनी, जैम, मुरब्बा आदि। कुछ उदाहरण हैं-नींबू का शर्बत, आम का शर्बत, सत्तु का शर्बत, मालटे, संगतरे का शर्बत, टमाटरों का रस, नींबू का अचार, आम का अचार, आंवले का अचार, गाजर का अचार, नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक का अचार, टमाटरों की चटनी, आंवले का मुरब्बा, सेब का जैम आदि।।

प्रश्न 10.
फल एवम् सब्जियों की पैकिंग के क्या ढंग हैं ?
उत्तर-
फल एवम् सब्जियों को उनके प्रकार के अनुसार लकड़ी की पेटियों, बांस की टोकरियों, बोरियों, प्लास्टिक के क्रेट, गत्ते के डिब्बे, सरिक/कलिंग फिल्मों का प्रयोग करके पैक किया जाता है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
पंजाब में फल एवम् सब्जियों की कृषि पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
पंजाब में फलों तथा सब्जियों की कृषि करने की बहुत संभावनाएं हैं। फलों के बाग एक बार लगाकर तथा कई-कई वर्षों तक उपज देते रहते हैं। सब्जियां कम समय में ही तैयार हो जाती हैं तथा उपज बेच कर लाभ लिया जा सकता है। पंजाब में फलों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 78 हज़ार हैक्टेयर है तथा इससे 14 लाख टन पैदावार हो रही है। इसी तरह सब्जियों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 109 हज़ार हैक्टेयर है तथा इससे 36 लाख टन पैदावार होती है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियां तथा 80 ग्राम फलों की आवश्यकता होती है। यह तथ्य भारतीय मैडीकल खोज संस्था के अनुसार है। जब कि भारत में अभी केवल 30 ग्राम फल तथा 80 ग्राम सब्जियां ही प्रति व्यक्ति हिस्से आती हैं। इस लिए सारे भारत में तथा पंजाब में भी सब्जियों तथा फलों की अधिक कृषि करने की आवश्यकता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

प्रश्न 2.
फल एवम् सब्जियों के संसाधन की क्या महत्ता है?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों के संसाधन के निम्नलिखित लाभ हैं—

  1. इनकी तुड़वाई, कटाई, स्टोर करते समय दर्जाबंदी करते समय, ढुलाई आदि कार्यों में उपज की बहुत हानि होती है। इस हानि को प्रोसेसिंग करके कम किया जा सकता है। यह हानि लगभग 30-35% होती है।
  2. संसाधन किए पदार्थों से अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। केवल 2% उपज को ही पदार्थ बनाने के लिए संसाधन की जाती है। बिना मौसम प्राप्ति तथा भण्डारीकरण करने के लिए फलों तथा सब्जियों के संसाधन की बहुत आवश्यकता है ताकि इस व्यवसाय को छोटे तथा बड़े स्तर पर अपना कर अधिक कमाई की जा सके। संसाधन करके बनाए गए पदार्थ हैं-शर्बत, जैम, अचार, चटनी आदि।

प्रश्न 3.
भारत में फल एवम् सब्जियों की उपज पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारत फलों तथा सब्जियों की पैदावार के हिसाब से दुनिया में दूसरे स्थान पर है। सब्जियों की फसल थोड़े समय में तैयार हो जाती है तथा वर्ष में दो से चार फसलें मिल जाती हैं। पैदावार अधिक होती है तथा कमाई भी अधिक होती है तथा प्रतिदिन हो जाती है। फलों की कृषि करने के लिए बाग लगाए जाते हैं जो कई वर्षों तक थोड़ी संभाल, देख रेख पर ही अच्छी उपज दे देते हैं। भारत में फलों तथा सब्जियों की पैदावार काफी हो रही है, परन्तु बढ़ती जन-संख्या के कारण इनकी मांग पूरी नहीं हो सकती, इसलिए इन फलों तथा सब्जियों की पैदावार को बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है।

प्रश्न 4.
भारत में फलों एवम् सब्जियों का प्रसंस्करण कैसे किस स्तर पर किया जाता है ?
उत्तर-
भारत में फलों तथा सब्जियों का प्रसंस्करण छोटे स्तर से लेकर बड़े व्यापारिक स्तर पर किया जाता है। फलों तथा सब्जियों की पैदावार में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। परन्तु कुल उपज के केवल 2% को ही तैयार पदार्थ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसलिए भारत में फलों तथा सब्जियों के प्रसंस्करण की तरफ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसान गांव स्तर पर इनका प्रसंस्करण करके अच्छा लाभ ले सकते हैं तथा कई बड़ी कम्पनियों के साथ संबंध बनाए जा सकते हैं तथा अपनी उपज को प्रसंस्करण के लिए भी दे सकते हैं।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों की खराबी के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
सब्जियों तथा फलों की खराबी के कई कारण हैं। सब्जियां तथा फलों की तुड़वाई, कटाई, इनको भण्डार करना, इनकी दर्जाबंदी करना, इनकी डिब्बाबंदी करना तथा ढुलाई करना ऐसे कई काम हैं जो सब्जियों तथा फलों के खेत से हमारे घर तक पहुंचने के समय किए जाते हैं। इन कार्यों में फलों तथा सब्जियों की 30-35% हामि हो जाती है।
भण्डार किए फलों तथा सब्जियों को कोई बीमारी या कीड़े-मकौड़े भी खराब कर सकते हैं। कई बार सूक्ष्म जीव तथा उल्लियां भी उपज को खराब करती हैं। कई पक्षी या जानवर फलों आदि को वृक्षों पर ही कुतर देते हैं। इस तरह सब्जियों तथा फलों की खराबी के भिन्न-भिन्न कारण हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आम का अचार कितने सप्ताह में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
2-3 हफ्तों में।

प्रश्न 2.
सब्जियों को धूप में सुखाना चाहिए या छाया में ?
उत्तर-
धूप में।

प्रश्न 3.
सेब को सुरक्षित रखने की एक विधि बताओ।
उत्तर-
सेब का मुरब्बा, जैम आदि।

प्रश्न 4.
कुल उपज के कितने प्रतिशत की प्रोसेसिंग की जा रही है ?
उत्तर-
2%.

प्रश्न 5.
पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट का क्या काम है ?
उत्तर-
यह एक प्रिज़ेरवेटिव है।

प्रश्न 6.
नींबू का अचार कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
2-3 सप्ताह में।

प्रश्न 7.
आम के अचार में कौन-सा तेल प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सरसों का तेल।

प्रश्न 8.
एक किलो गाजर के आचार के लिए कितने ग्राम सरसों का तेल ठीक है ?
उत्तर-
250 ग्राम।

इस छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नींबू का शर्बत बनाने का तरीका बताओ।
उत्तर-
बाज़ार से सस्ते नींबू खरीद लेने चाहिएं तथा इनका शर्बत बनाकर महंगे दाम पर बेचा जा सकता है। शर्बत बनाने के लिए नींबू निचोड़ कर इनका रस निकालकर चीनी के बर्तन में रख लो। चीनी का घोल बनाने के लिए 1 लिटर पानी में दो किलो चीनी डालकर गर्म करो तथा सारी चीनी घुल जाने के पश्चात् घोल को बारीक तथा साफ़ कपड़े से छानें। ठण्डा होने पर इसमें एक लिटर नींबू का रस तथा 4 ग्राम एसेंस तथा 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट घोल भी मिला लो। शर्बत को बोतलों में भर लें तथा बोतलों के मुँह को मोम से हवाबन्द कर लो।

प्रश्न 2.
माल्टे अथवा संगतरे का शर्बत कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
माल्टे अथवा संगतरे का शर्बत तैयार करने के लिए ताजे फल लेकर मशीन से इनका रस साफ़-सुथरे बर्तन में निकालो। 2 किलो चीनी तथा 25-30 ग्राम सिट्रिक एसिड को एक लिटर पानी में डालकर गर्म करो तथा घोल को बारीक कपड़े अथवा छननी से छानें। जब घोल ठण्डा हो जाए तो इसमें एक लीटर माल्टे का रस, 2-3 ग्राम एसेंस तथा 5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट का घोल भी मिलाओ। शर्बत को बोतलों में भरकर बोतलों के मुँह पिघले हुए मोम में डुबो कर हवाबन्द करके सम्भाल लो।

प्रश्न 3.
आम का शर्बत कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
आम का शर्बत बनाने के लिए अच्छी तरह पके हुए रसदार फल लेकर चाकू से इसका गूदा उतार लें। कड़छी आदि से इस गूदे को अच्छी तरह पीस कर बारीक छननी अथवा कपड़े से छान लो। 1.4 किलो चीनी को 1.6 लिटर पानी में डालकर गर्म करो तथा घोल को बारीक कपड़े से छानो। ठण्डा हो जाने पर इसमें एक किलो आम का गूदा तथा 20-30 ग्राम सिट्रिक एसिड मिला दो। इसके बाद इसमें 2-3 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट भी मिला दो। शर्बत को बोतलों में भरकर बोतलों के मुँह को मोम से सील कर दो।

प्रश्न 4.
नींबू तथा जौ का शर्बत कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर-
पके हुए नींबू लेकर तथा दो-दो टुकड़ों में काटकर नींबू-निचोड़ से इनका रस निकाल के छान लें। जौ के 15 ग्राम आटे में 0.3 लिटर पानी डालकर लेटी सी बनाएं। 50-60 मिलीलिटर लेटी को एक लिटर पानी में डालकर थोड़ासा गर्म करें, फिर लेटी को छानो तथा ठण्डा होने के लिए रख दो। अतिरिक्त पानी में 1.70 किलो चीनी डालकर गर्म करो तथा फिर घोल को छानो तथा ठण्डा करने के लिए रख दो। अब आटे की लेटी, चीनी के घोल तथा नींबू के 1 लिटर रस को इकट्ठा करके अच्छी तरह मिलाओ। शर्बत में 3.5 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट भी डाल कर मिलाओ। बोतलों में गले तक शर्बत भरकर मोम से बोतलों का मुँह बंद कर दो।

प्रश्न 5.
आम का अचार बनाने का तरीका बताएं।
उत्तर-
पूरे तैयार कच्चे, खट्टे तथा सख्त आम लेकर इन्हें धो लो तथा लम्बी तरफ टुकड़े करके गुठलियां बाहर निकाल लो तथा कटे टुकड़ों को धूप में सुखा लो। फिर अचार के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठी करो जैसे आम के टुकड़े 1 किलो, नमक 250 ग्राम, मेथी 50 ग्राम, सौंफ 65 ग्राम, कलौंजी 30 ग्राम, लाल मिर्च 25 ग्राम तथा हल्दी 30 ग्राम लो। अब टुकड़ों तथा नमक को मिलाओ तथा एक कांच के मर्तबान में डाल दो। बाद में बाकी सामग्री भी डाल दो तथा सरसों का तेल इतनी मात्रा में डालें कि एक पतली सी परत आम. के टुकड़ों के ऊपर आ जाए। फिर मर्तबान को धूप में रख दो, 2-3 हफ्तों में अचार तैयार हो जाएगा।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

प्रश्न 6.
आंवले का अचार बनाने का तरीका बताओ।
उत्तर-
1 किलो ताज़ा तथा.साफ़ आंवले लेकर रात भर पानी में डुबो कर रखो। फिर इनको साफ़ कपड़े पर बिछा कर सुखा लो। आंवलों को 100 मिलीलिटर तेल में पाँच मिनट तक पकाओ तथा इनमें 100 ग्राम नमक तथा 50 ग्राम हल्दी डालकर और 5 मिनट के लिए पकाएं, फिर आग से उतार कर इन्हें ठण्डा होने के लिए रख दो, अचार तैयार है। फिर इन्हें साफ़ हवाबन्द बर्तनों में भरकर सम्भाल लें।

प्रश्न 7.
गाजर का अचार कैसे बनता है ?
उत्तर-
एक किलो गाजरों को खुले तथा साफ़ पानी से धोकर इनकी हल्की छील उतार लें। टुकड़े काटकर 2 घण्टे तक सुखा लो। इन कटी हुई गाजरों को कुछ मिनट के लिए 250 ग्राम सरसों के तेल में पकाओ। पकी गाजरों में 100 ग्राम नमक तथा 20 ग्राम लाल मिर्च डाल दो तथा फिर आग से उतार लें। ठण्डा होने पर पिसे हुए 100 ग्राम राई के बीज इसमें मिला दो। अचार तैयार है। इसको बर्तनों में सम्भाल लो।

प्रश्न 8.
फल तथा सब्जियों को तोड़ने के पश्चात् सम्भाल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को उनके भरे मौसम में सम्भाल कर रख लेना चाहिए। इस तरह करने से फलों तथा सब्जियों को खराब होने से तो बचाया जा सकता है साथ ही उन्हें बे-मौसम में बेचकर मुनाफा भी लिया जा सकता है तथा इनका स्वाद लिया जा सकता है। इसीलिए फल तथा सब्जियों को शर्बत, अचार, मुरब्बा, जैम, जैली, चटनी आदि रूप में सम्भाल लिया जाता है।

प्रश्न 9.
नींबू का अचार तैयार करने की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
अचार डालने के लिए साफ़-सुथरे तथा पके हुए नींबुओं को धोकर साफ़ कपड़े से सुखा लो। जितने नींबू हों उनसे चौथा हिस्सा नमक ले लें। एक किलो नींबू के अचार के लिए 7 ग्राम जीरा, 2 ग्राम लौंग तथा 20 ग्राम अजवाइन लो। प्रत्येक नींबू को एक ही रखते हुए चार-चार हिस्सों में काटो तथा फिर इस मिश्रण को चार-चार हिस्से किए नींबुओं में भर दो। बाकी बची हुई सामग्री मर्तबान में अचार पर डाल दो। नींबुओं को मर्तबान में डालकर धूप में रखकर हिलाते रहें तथा इस तरह 2-3 हफ्ते में आचार तैयार हो जाएगा।

प्रश्न 10.
पोटाशियम मैटावाइस्लफाइट कई पदार्थ बनाने में प्रयोग किया जाता है, इसका महत्त्व बताओ। .
उत्तर-
पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक प्रिजेरवेटिव का काम करता है। यह तैयार किए पदार्थों को कई महीने तक खराब होने से बचाता है। इस प्रकार हम फलों, सब्जियों से बने पदार्थों का प्रयोग लम्बे समय तक कर सकते हैं। इस तरह तैयार पदार्थों को कई महीनों तक दुकानों पर बेचा जा सकता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक का अचार कैसे बनाते हैं ?
उत्तर-
हरी मिर्चे, नींबू तथा अदरक को खुले साफ पानी में अच्छी तरह धोकर सुखाने के पश्चात् 250 ग्राम नींबूओं को दो अथवा चार टुकड़ों में काटो, 300 ग्राम अदरक को छीलकर बराबर लम्बे टुकड़ों में काटो, 200 ग्राम हरी मिर्चों में हल्का सा कटाव लगा दें। अब इन सभी को इकट्ठा करके 250 ग्राम नमक डालकर हिलाओ। अब इस सामग्री को खुले मुँह वाले साफ़ मर्तबानों में डालो। बाकी बचे 250 ग्राम नींबूओं का रस निकाल कर नमक वाले नींबू, अदरक तथा हरी मिर्चों पर डाल दो। ध्यान रखें कि यह सारी सामग्री रस से ढकी जाए। मर्तबान को हवा बन्द ढक्कनों से बन्द करके एक सप्ताह धूप में रखें। जब मिर्गों तथा नींबूओं का रंग हल्का भूरा तथा अदरक का रंग गुलाबी हो जाए तो अचार खाने के लिए तैयार है।

प्रश्न 2.
टमाटरों की चटनी कैसे बनाई जाती है ?
उत्तर-
पके टमाटरों को धोने के पश्चात् छोटे-छोटे टुकड़ों में काटो तथा फिर आग पर गर्म कर के छान कर जूस निकाल लें। निम्नलिखित विधि अनुसार अन्य सामग्री इकट्ठी करो टमाटरों का रस (1 लिटर), कटे हुए प्याज (15 ग्राम), कटा हुआं लहसुन (2-3 टुकड़े), बिना सर के लौंग (4-5), काली मिर्च (2-3 मि.), इलायची (2), जीरा (1-2 ग्राम), बिना पिसी जलवत्री (1-2 ग्राम), दालचीनी (टूटी हुई) (3-4 ग्राम); सिरका (40 मिलीलिटर), चीनी (30 ग्राम), नमक (12-15 ग्राम), लाल मिर्च (1-2 ग्राम) अथवा आवश्यकतानुसार।

सिरका, चीनी तथा नमक को छोड़ कर अन्य सारी सामग्री को एक मलमल की पोटली में बांधो। रस में आधी चीनी डालकर इसे धीमी आग पर गर्म करो तथा इसमें मसाले की पोटली रख दो। रस को तब तक गर्म करो जब तक कि आवश्यक गाढ़ापन न आ जाए। इस तरह रस का लगभग आधा हिस्सा ही बाकी बचता है। मसाले वाली पोटली निकालकर इसमें रस निचोड़ दो। अब अतिरिक्त चीनी, नमक तथा सिरका भी इसमें डाल दो। अगर सिरके से पतलापन आ जाए तो थोड़ी देर और गर्म करें, परन्तु अब देर तक इसे आग पर न रखें। गर्म-गर्म चटनी को साफ़ की हुई बोतलों में भर लो।

प्रश्न 3.
सब्जियों को सुखाने के बारे में आप क्या जानते हैं ? किन्हीं चार सब्जियों को सुखाने का तरीका बताओ।
उत्तर-

  1. सब्जी को धोकर इसके चाकू से टुकड़े कर लेने चाहिएं।
  2. सब्जी के टुकड़ों को मलमल के कपड़े में बांध कर 2-3 मिनट तक उबलते पानी में डुबो कर रखो।
  3. उबलते पानी में से निकालने के पश्चात् सब्जी के इन टुकड़ों को 0.25% पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट के घोल (एक लिटर पानी में अढाई ग्राम दवाई) में 10 मिनट तक रखो। इस तरह सब्जी के खराब होने का कोई डर नहीं रहता। एक किलो सब्जी के लिए एक लिटर घोल का प्रयोग करो।
  4. सब्जी को घोल में से निकालकर एल्यूमीनियम की ट्रेओं को सुखाने के लिए रख देना चाहिए।
  5. बाद में सब्जी वाली ट्रेओं को सुखाने के लिए रख देना चाहिए।

सब्जियों को सुखाना—

  1. गाजर-गाजर को छील कर एक सें० मी० मोटे टुकड़े काटकर धूप में तीन दिन के लिए सुखाया जाता है।
  2. प्याज़-प्याज़ को छीलकर साफ करके अच्छी तरह बारीक काट कर धूप में सुखाओ।
  3. लहसुन-इसकी तुरियां (गांठों) को छील कर बारीक-बारीक काटकर दो दिन तक धूप में सुखाओ।
  4. भिण्डी नं0 2 तथा करेला-उन्हें छोटे आकार की होने की सूरत में इनके दोनों सिरे चाकू से उतार दें तथा बारीक काट लें।

फिर उबलते पानी में 6-7 मिनट के लिए ब्लीच तथा फिर 0.25% पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट के घोल से सुधारें तथा दो दिन के लिए धूप में सुखाएं।

प्रश्न 4.
आंवले का मुरब्बा कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
मुरब्बे के लिए बनारसी किस्म के बड़े-बड़े साफ़-सुथरे आंवले ठीक रहते हैं। एक रात के लिए इन्हें 2% सादा नमक के घोल में डुबो कर रखो। आंवलों को अगले दिन इस घोल से निकालकर फिर से 2% नमक के सादा घोल में फिर रात भर के लिए रखो। इसी तरह तीसरे दिन भी करो। चौथे दिन आंवलों को घोल से निकालकर अच्छी तरह धो लो। स्टील के कांटे से फलों में कई स्थानों पर छिद्र कर दें। इन आंवलों को साफ मलमल के कपड़े में बांधो। एक लिटर पानी में 2 ग्राम फिटकड़ी घोल कर बंधे हुए आंवलों को इस पानी में उबालो। इस तरह आंवले अच्छी तरह नर्म हो जाएंगे।
एक किलो फलों के लिए डेढ़ किलो चीनी लो तथा इसमें से आधी चीनी 750 ग्राम को एक लिटर पानी में घोलो। इसे उबालकर मलमल के कपड़े में छान लो। इस चीनी के घोल में उबले हुए आंवले डालो तथा रात भर पड़े रहने दो। अगले दिन चीनी का घोल निकाल लो तथा इसमें बाकी 750 ग्राम चीनी डालकर उबालो। मलमल के कपड़े से उसे छानें। अब इसमें फिर आंवले डाल दें। दो दिन पश्चात् फिर उबालो ताकि चीनी का घोल गाढ़ा हो जाए। फिर ठण्डा करके बर्तन में डालकर सम्भाल लो।

प्रश्न 5.
गाजर का अचार बनाने का तरीका बताएं।
उत्तर-
गाजर को छील कर, धोकर इनके छोटे-छोटे पतले टुकड़े काट लें। इन्हे धूप में सुखा लें। एक किलो गाजर को 250 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। इनमें 100 ग्राम नमक तथा 20 ग्राम लाल मिर्च डालें। ठण्डा होने पर इसमें 100 ग्राम राई पीस कर मिलाएं। बोतल में डाल कर संभाल लें।

प्रश्न 6.
आंवले का अचार तथा मुरब्बा बनाने का ढंग बताएं।
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पंजाब में आम की पैदावार सबसे अधिक होती है।
  2. भारत में फलों की वार्षिक पैदावार 500 लाख टन है।
  3. पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक प्रिज़रवेटिव है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
पंजाब में कौन-सी सब्जी की पैदावार सबसे अधिक है ?
(क) भिण्डी
(ख) आलू
(ग) पालक
(घ) प्याज़
उत्तर-
(ख) आलू

प्रश्न 2.
निंबू का अचार कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?
(क) 2-3 सप्ताह
(ख) 6-7 सप्ताह
(ग) 10 सप्ताह
(घ) 15-16 सप्ताह।
उत्तर-
(क) 2-3 सप्ताह

प्रश्न 3.
एक किलो गाजर के अचार के लिए कितने ग्राम सरसों का तेल ठीक है?
(क) 100 ग्राम
(ख) 250 ग्राम
(ग) 500 ग्राम
(घ) 1000 ग्राम।
उत्तर-
(ख) 250 ग्राम

रिक्त स्थान भरें

  1. पोटाशियम मैटावाइसल्फाइट एक ……………है।
  2. नींबू के अचार में ……………. प्रतिशत नमक डाला जाता है।
  3. पंजाब में …………… की कृषि सभी फलों से अधिक होती है।

उत्तर-

  1. प्रिज़रवेटिव,
  2. 20,
  3. किन्नू।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 11 फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना

फलों एवम् सब्जियों से अचार, मुरब्बे एवम् शर्बत बनाना PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारत में फल तथा सब्जियों की पैदावार बड़े स्तर पर होती है तथा भारत दुनिया में इसलिए दूसरे स्थान पर है।
  • पंजाब में फलों की पैदावार के नीचे 76.5 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल है।
  • पंजाब में फलों की पैदावार 15.41 लाख टन है।
  • पंजाब में सब्जियों की पैदावार के लिए 203.7 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल है।
  • पंजाब में सब्जियों की पैदावार 36 लाख टन है।
  • पंजाब में फलों में किन्नू की पैदावार सबसे अधिक तथा सब्जियों में आलू की पैदावार सबसे अधिक है।
  • लगभग 2% पैदावार को ही पदार्थ बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
  • फलों सब्जियों को भिन्न-भिन्न तरह के पदार्थ बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है।
  • भिन्न-भिन्न पदार्थ जो बनाए जा सकते हैं-नींबू का शर्बत, आम का शर्बत, माल्टे, संगतरे या किन्नू का शर्बत, सत्तु का शर्बत, टमाटरों का रस, नींबू का अचार, आम का अचार, आंवले का अचार, गाजर का अचार, नींबू, हरी मिर्च तथा अदरक, टमाटरों का कैचअप, आंवले का मुरब्बा।
  • गोभी, शलगम, गाजर, आलू, करेला, मेथी, पालक आदि को पतले-पतले टुकड़ों में काट कर सुखा कर रखा जाता है।
  • सुखाने के लिए सोलर ड्रायर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • फलों सब्जियों की तुड़ाई या कटाई के बाद प्रोसेसिंग करने से अधिक कमाई की जा सकती है।