PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर किन-किन भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर-
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है

  1. मृतोपजीवी-वे जीव जो अपना भोजन मृत एवं सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-फफूंद (कवक), खमीर, मशरूम एवं जीवाणु आदि।
  2. परजीवी-वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के शरीर के बाहर अथवा भीतर रहकर प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करते हैं परजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-खटमल, एस्करिस, मच्छर, अमरबेल आदि।
  3. प्राणीसमभोजी-वे जीव जिनमें पाचन तंत्र पाया जाता है तथा जो भोज्य पदार्थ को अंतर्ग्रहित करके पाचन करते हैं तथा पचे भोजन का अवशोषण करके शेष अपचित भोजन को उत्सर्जित करते हैं।

प्राणी समभोजी जीव कहलाते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं-

  • शाकाहारी-ये जंतु अपना भोजन केवल पौधों से प्राप्त करते हैं। जैसे-गाय, चूहा, हिरन और बकरी आदि।
  • माँसाहारी-ये वे जंतु होते हैं जो अन्य जंतुओं के माँस को भोजन के रूप रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेशेर, चीता, भेड़िया, सर्प, बाज आदि।
  • सर्वाहारी-ये जंतु केवल पौधों और जंतुओं के माँस दोनों को भोजन के रूप में लेते हैं। जैसे-कॉकरोच, मनुष्य, कौआ आदि।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं ? पत्ती की अनुप्रस्थ काट के आरेख की सहायता से उन कोशिकाओं को प्रदर्शित करें जिनमें क्लोरोफिल पाया जाता है। इसका महत्त्व लिखिए।
उत्तर–
प्रकाश-संश्लेषण हरे पौधे सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में CO2 और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट (भोज्य पदार्थ) का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
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यह पत्तियों में पाये जाने वाला हरित लवक एक प्रकाशग्राही वर्णक है तथा प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को पूरा करता है। यह हरे बिंदु कोशिकांगों में पाया जाता है जिन्हें हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। ये पत्ती की ऊपरी बाह्य त्वचा के नीचे | द्वार कोशिकायें स्थित कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
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महत्त्व-

  • इस प्रक्रिया के द्वारा भोजन का निर्माण होता है जिससे मनुष्य तथा अन्य जीव-जंतुओं का पोषण होता है।
  • इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का निर्माण होता है, जो कि जीवन के लिए अत्यावश्यक है। जीव श्वसन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं जिससे भोजन का ऑक्सीकरण होकर शरीर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • इस क्रिया में CO2 ली जाती है तथा O2 निकाली जाती है जिससे पर्यावरण O2 एवं CO2 की मात्रा संतुलित रहती है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड के नियमन से प्रदूषण दूर होता है।
  • प्रकाश-संश्लेषण के ही उत्पाद खनिज, तेल, पेट्रोलियम कोयला आदि हैं, जो करोड़ों वर्ष पूर्व पौधों द्वारा संग्रहित किये गये थे।

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प्रश्न 3.
पादप किस प्रकार खाद्य प्राप्त करते हैं ? ‘प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की भूमिका का विवरण दीजिए।
उत्तर-
हरे पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण विधि से प्राप्त करते हैं। सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में CO2 और जल जैसे सरल यौगिकों का हरे पौधों द्वारा स्थिरीकरण कर जटिल कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट के निर्माण की प्रक्रिया को ही प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु पौधों को CO2 जल क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। स्थलीय पौधे CO2 को बाह्य वातावरण से जबकि जलीय पौधे जल में घुली CO2 को ग्रहण करते हैं। पौधों की जड़ें पानी का अवशोषण करके उसे जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचाती हैं । क्लोरोफिल पत्तियों में पाया जाता है, जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित कर इसे कार्बनिक यौगिकों के बंधों के रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित कर देता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
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प्रकाश संश्लेषण की दो प्रावस्थाएँ होती हैं जो निम्नलिखित हैं-
(A) प्रकाशिक अभिक्रिया (Light Reaction)
(B) अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark Reaction)।

प्रश्न 4.
अमीबा के पोषण की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
एक कोशकीय जीवों में पोषण प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर-
अमीबा में पोषण-अमीबा प्राणीसम भोजी विधि से पोषण करता है। यह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों के निगलने (Ingestion) में जो विधि अपनाई जाती है, उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं। यह अपने भोजन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद या अस्थाई प्रवर्ध द्वारा ग्रहण करता है।

पोषण विधि के निम्नलिखित चरण हैं –
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण वहिक्षेपण। जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटपाद बनावन् उसकी ओर बढ़ता है तो यह कूटपादों (Pseudopodia) द्वारा चारों ओर से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है, जिसे फूड कप (Food cup) कहते हैं। बाद में कूटपाद अपने सिरों पर परस्पर संगलित होकर खाद्य रिक्तिका (Food vacoule) का निर्माण करके इसे एंडोप्लाज्म में डाल देते हैं। अमीबा में अंतः कोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion) होता है। भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका (Food Vacuole) में होता है। भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेटिसन, एमाइलेज एंजाइम पाये जाते हैं।

खाद्य रिक्तिका में पचा हुआ भोजन एंडोप्लाज्म में विसरित (Diffuse) हो जाता है। बाद में पचा हुआ भोजन शरीर (Cell) के अंदर जीव द्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) में बदल जाता है। शरीर में यदि भोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है तो यह ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन तथा लिपिड्स आदि के रूप में संचित कर ली जाती है।
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इसमें अपच पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है। अपच भोजन (भोजन अविशेष) शरीर के किसी भी स्थान से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को वहिक्षेपण (Egestion) कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अंतर लिखिए
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी
(ख) स्वपोषी एवं परपोषी।
उत्तर-
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी –

शाकाहारी (Herbivore) मांसाहारी (Carnivore)
वे जीव जो केवल पौधे या पौधे से प्राप्त उत्पादों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-गाय, खरगोश, बकरी आदि। वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के मांस से ग्रहण करते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-शेर, चीता, भेड़िया आदि।

(ख) स्वपोषी एवं विषमपोषी परपोषी

स्वपोषी (Autotrophs) परपोषी (Heterotrophs)
वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं स्वपोषी जीव (Autotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-सभी हरे पौधे, युग्लीना। वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, परपोषी जीव (Heterotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि।

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प्रश्न 6.
मनुष्यों में पाचन की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से मानव आहार नली का वर्णन करें।
उत्तर-
मनुष्य में पाचन प्रक्रिया (Digestion in Human)-मनुष्य की पाचन क्रिया निम्नलिखित चरणों में विभिन्न अंगों में पूर्ण होती है –
(i) मुखगुहा में पाचन (Digestion in Mouth Cavity)-मनुष्य मुख के द्वारा भोजन ग्रहण करता है। मुख में स्थित दाँत भोजन के कणों को चबाते हैं जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाता है। लार-ग्रंथियों (Salivary Glands) से निकली लार भोजन में अच्छी तरह से मिल जाती है। लार में उपस्थित एंजाइम भोज्य पदार्थ में उपस्थित मंड (स्टार्च) को शर्करा (ग्लूकोज) में बदल देता है। लार भोजन को लसदार चिकना और लुग्दीदार बना देती है, जिससे भोजन ग्रसिका में से होकर आसानी से आमाशय में पहुंच जाता है।

(ii) आमाशय में पाचन क्रिया (Digestion in Stomach)-जब भोजन आमाशय में पहुँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन होता है जिससे भोजन और छोटे-छोटे कणों में टूट जाता है। भोजन में नमक का अम्ल मिलता है जो माध्यम को अम्लीय बनाता है तथा भोजन को सड़ने से रोकता है। आमाशयी पाचक रस में उपस्थित एंजाइम प्रोटीन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं।

(iii) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum)-आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत से आया पित्त रस भोजन से अभिक्रिया करके वसा का पायसीकरण कर देता है तथा जिह्वा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशय से आये पाचक रस में उपस्थित एंजाइम क्रियाशील हो जाते हैं और भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते हैं।

(iv) क्षुद्रांत्र में पाचन (Digestion in Ileum)
पित्त नली ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रांत्र में पहुँचता है यकृत तो वहाँ आँत्र रस में उपस्थित एंजाइम बचे हुए अपचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन कर देते हैं। आस्त्र की विलाई द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है तथा अवशोषित भोजन रक्त में परिशेषिका पहुँचा दिया जाता है।
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(v) बड़ी आंत्र (मलाशय) में पाचन (Digestion in Rectum)- क्षुद्रांत्र में भोजन के पाचन एवं अवशोषण के बाद जब भोजन बड़ी आंत्र में पहुँचता है तो वहाँ पर अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है, बड़ी आंत्र में भोजन का पाचन नहीं होता। भोजन का अपशिष्ट (अतिरिक्त) भाग यहाँ पर एकत्रित होता रहता है तथा समयसमय पर मल द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 7.
स्टोमेटा के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिरों का खुलना एवं बंद होना रक्षक कोशिकाओं की सक्रियता पर निर्भर करता है। इसकी कोशिका भित्ति असमान मोटाई की होती है। जब यह कोशिका स्फीत दशा में होती है तो छिद्र खुलता है व इसके ढीली हो जाने पर यह बंद हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि द्वार कोशिकाएं आस-पास की कोशिकाओं से पानी को अवशोषित कर स्फीत की जाती हैं। इस अवस्था में कोशिकाओं में पतली भित्तियां फैलती हैं, जिसके कारण छिद्र के पास मोटी भित्ति बाहर की ओर खिंचती है, फलतः रंध्र खुल जाता है। जब इसमें पानी की कमी हो जाती है तो तनाव मुक्त पतली भित्ति पुनः अपनी पुरानी अवस्था में आ जाती है, फलस्वरूप छिद्र बंद हो जाता है।

प्रकाश-संश्लेषण के दौरान पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर गिरता जाता है और शर्करा का स्तर रक्षक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में बढ़ता जाता है। फलस्वरूप परासरण दाब और स्फीति दाब में परिवर्तन हो जाता है। इससे रक्षक कोशिकाओं में एक कसाव आता है जिससे बाहर की भित्ति बाहर की ओर खिंचती है। इससे अंदर की भित्ति भी खिंच जाती है। इस प्रकार स्टोमेटा चौड़ा हो जाता है अर्थात् खुल जाता है।

अंधकार में शर्करा स्टार्च में बदल जाती है। जो अविलेय होती है। रक्षक कोशिकाओं को कोशिका द्रव्य में शर्करा का स्तर गिर जाता है। इससे रक्षक कोशिकाएं ढीली पड़ जाती हैं। इससे स्टोमेटा बंद हो जाता है।
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प्रश्न 8.
मानव हृदय का अंकित चित्र बनाकर भीतरी संरचना दिखाओ।
उत्तर –
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संरचना-मनुष्य का हृदय चार भागों में कोष्ठों में बँटा रहता है अग्र दो भाग आलिंद (Auricle) कहलाते हैं। इनसे एक बायाँ आलिंद तथा दूसरा दायाँ आलिंद होता है। पश्य दो भाग निलय (Ventricle) कहलाता हैं। जिनमें एक बायाँ निलय तथा दूसरा दायाँ निलय होता है। बाँयें आलिंद एवं बाँयें निलय के बीच दिवलनी कपाट (Bicuspid Valve) तथा दाएँ आलिंद एवं दाएँ निलय के बीच त्रिवलीन कपाट (Tricuspid Valve) होते हैं। ये वाल्व निलय की ओर खुलते हैं। बाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार (Semilunar Valve) द्वारा महाधमनी (Aorta) से तथा दाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार कपाट द्वारा फुफ्फुसीय धमनी से होता है। दाएँ आलिंद से महाशिरा (Vena Cava) आकर मिलती है तथा बाएँ आलिंद से फुफ्फुस शिरा आकर मिलती है।

हृदय की क्रियाविधि-हृदय के आलिंद व निलय में संकुचन (Systole) व शिथिलन (diastole) दोनों क्रियाएं होती हैं। ये क्रियाएं एक निश्चित क्रम में निरंतर होती हैं। हृदय की एक धड़कन या स्पंदन के साथ एक कार्डियक चक्र (Cardiac Cycle) पूर्ण होता है।

एक चक्र में निम्नलिखित चार अवस्थाएं होती हैं-

  • शिथिलन (Diastole)-इस अवस्था में दोनों आलिंद शिथिलन अवस्था में रहते हैं और रुधिर दोनों आलिंदों में एकत्रित होता है।
  • आलिंद संकुचन-आलिंदों के संकुचित होने को आलिंद संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं और आलिंदों से रुधिर निलयों में जाता है। दायाँ आलिंद सदैव बाँयें आलिंद से कुछ पहले संकुचित होता है।
  • निलय संकुचन-निलयों के संकुचन को निलय संकुचन कहते हैं, जिसके फलस्वरूप आलिंद निलय कपाट बंद हो जाते हैं एवं महाधमनियों के अर्धचंद्राकार कपाट खुल जाते हैं और रुधिर महाधमनियों में चला जाता है।
  • निलय शिथिलन-संकचन के पश्चात् निलयों में शिथिलन होता है और अदर्धचंद्राकार कपाट बंद हो जाते हैं। निलयों के भीतर रुधिर दाब कम हो जाता है जिससे आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं।

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प्रश्न 9.
रुधिर क्या है ? इसके संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिर (Blood)-मानव शरीर में भोजन, ऑक्सीजन, हार्मोन, उत्सर्जन योग्य अवशिष्ट पदार्थ आदि रक्त के माध्यम से गति करते रहते हैं। शरीर में यह कुल भार का लगभग बारहवां हिस्सा होता है।
यह एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक (Connective Tissue) है जो कि निम्नलिखित घटकों से मिलकर बना होता है-

  • लाल रक्त कणिकाएँ (R.B.C.)-इनमें हीमोग्लोबिन नाम का प्रोटीन होता है जो श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करता है।
  • श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)-ये हानिकारक बैक्टीरिया एवं मृत कोशिकाओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं और संक्रमण तथा आघातों से शरीर की रक्षा करती हैं।
  • प्लेटलेट्स (Platelets)-ये रक्त का थक्का जमने में सहायक होती हैं। इस प्रकार अमूल्य रक्त को नष्ट करने से रोकती हैं।
  • प्लाज़मा (Plasma)-यह रक्त का द्रवीय भाग है जिसमें प्रोटीन, हॉर्मोन्स, ग्लूकोज़, वसीय अम्ल, ऐमीनो अम्ल, खनिज लवण, भोजन के पचित भाग एवं उत्सर्जी पदार्थ होते हैं। यह रक्त के परिवहन का मुख्य माध्यम है। यह रुधिर का 2/3 भाग बनाता है।

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प्रश्न 10.
मानव श्वसन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव के श्वसन तंत्र का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकलना है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं
(i) नासाद्वार एवं नासागुहा-नासाद्वार से वायु शरीर के भीतर प्रवेश करती है। नाक में छोटे-छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है। उसकी धूल उनसे स्पर्श कर वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है। वायु नम हो जाती है|

(ii) ग्रसनी-ग्रसनी ग्लॉटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है। जब हम भोजन करते हैं तो ग्लॉटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढंका रहता है।
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(iii) श्वास नली-उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है। यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो।

(iv) फुफ्फुस-फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है। इसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है।

कार्य-जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है। इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को ढक लेती है। रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का विशेष आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

प्रश्न 11.
मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वृक्क एवं इसके अनेक सहायक अंग मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र (Excretory System) कहते हैं। वृक्क उत्सर्जन तंत्र का प्रमुख अंग है जो केवल उत्सर्जी पदार्थों को उपयोगी पदार्थों से छानकर अलग कर देता है। वृक्क (Kidney) भूरे रंग का, सेम के बीज के आकार (Bean shaped) की संरचनाएं हैं, जो कि उदरगुहा (Abdomen) में कशेरूक दंड के दोनों तरफ होती है। प्रत्येक वृक्क लगभग 10 सेमी० लंबा, 6 सेमी० चौडा और 2.5 सेमी० मोटा होता है। यकृत की वजह से दायाँ वृक्क का बाहरी किनारा उभरा (Convex) हुआ होता है जबकि भीतरी किनारा धंसा (Concave) होता है जिसे हाइलम (Hilum) कहते हैं और इसमें से मूत्र नलिका (Ureter) निकलती है। मूल नलिका जाकर एक पेशीय थैले जैसी संरचना में खुलती है जिसे मूत्राशय (Urinary Bladder) कहते हैं।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण की परिभाषा दीजिए। पोषण की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
पोषण (Nutrition)-वह समस्त प्रक्रम जिसके द्वारा जीवधारी बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करते हैं तथा भोज्य पदार्थ से ऊर्जा मुक्त करके शरीर की वृद्धि करते हैं, उसको पोषण (Nutrition) कहते हैं।

पोषण की विधियाँ-जीवों में पोषण की दो विधियाँ हैं-

  • स्वपोषी या स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic nutrition) परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण (Heterotrophic nutrition)। परपोषी पोषण निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है
  • मृतोपजीवी पोषण या मृतजीवी पोषण (Saprophytic nutrition)
  • परजीवी पोषण (Parasitic nutrition)
  • प्राणी समभोजी पोषण (Holozoic nutrition)।

प्रश्न 2.
प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है।
उत्तर-
उपकरण-गमले में लगा पौधा, KOH के घोल से भरी बोतल, कॉर्क KI घोल आदि। विधि-गमले के पौधे को 36 से 48 घंटे अंधेरे में रखते हैं। एक हरी पत्ती को चौड़े मुँह की बोतल में कॉर्क के बीच इस प्रकार लगाते मंड परीक्षण हैं कि पत्ती का आधा भाग KOH युक्त बोतल के अंदर रहे। बोतल नीला भाग के मुँह पर ग्रीस लगाकर वायुरुद्ध कर देते हैं। उपकरण को कुछ समय के लिए धूप में रखते हैं। कुछ घंटे बाद पत्ती को तोड़कर, पानी में रंगहीन भाग उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं।

निरीक्षण–पत्ती का अग्र भाग जो बोतल में था पीला हो जाता है, क्योंकि बोतल में रखे KOH के द्वारा बोतल की CO2 गैस सोख ली जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया पूरी न होने | से पत्ती के अग्र भाग में मंड का निर्माण नहीं हो पाता है। शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है। परिणाम-प्रयोग से सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 गैस आवश्यक है।
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प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक होता है, इसकी पुष्टि के लिए निम्नलिखित प्रयोग किया जाता है-
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एक क्रोटन पौधे के गमले को 24-48 घंटे के लिए अंधकार में रख दिया जाता है। फिर एक निश्चित अवधि (समय) के पश्चात् इसकी एक पत्ती को तोड़कर उसका स्टार्च परीक्षण आयोडीन से किया जाता है। निरीक्षण करने पर यह देखा जाता है कि पत्ती का वह स्थान जो हरा था, वह नीला हो गया और पीले भाग पर आयोडीन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि हरे भाग में क्लोरोफिल उपस्थित होता है जिससे वहाँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्टार्च का निर्माण हुआ अन्य स्थानों पर नहीं। अतः इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।

प्रश्न 4.
प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर–
प्रयोग विधि-एक गमले में पौधे को 36 घंटे अंधेरे में (स्टार्च मुक्त करने के लिए) रखते हैं। गमले के पौधे की एक मंड परीक्षण पत्ती के दोनों ओर काला कागज़ क्लिप से लगा देते हैं। इसके पश्चात् पौधे को तीन-चार घंटे के लिए सूर्य के तीव्र प्रकाश में रख देते हैं। उक्त पत्ती को तोड़कर पानी में उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं। निरीक्षण–पत्ती का जो भाग काले कागज़ से ढका था पीला रंगहीन भाग है, शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है।
निष्कर्ष- इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
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प्रश्न 5.
जीवधारियों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-
जीवधारियों (जीवों) को पोषण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –

  • ऊर्जा उत्पादन के लिए-शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जीवधारियों को यह ऊर्जा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।
  • शरीर की टूट-फूट की मुरम्मत के लिए विभिन्न जैविक क्रियाओं में शरीर के ऊतकों की टूट-फूट होती है, इनकी मुरम्मत के लिए पोषण की आवश्यकता होती है।
  • वृद्धि के लिए-नये जीवद्रव्य से नई कोशिकाएँ बनती हैं। इनसे जीवों की वृद्धि होती है।
  • उपापचयी क्रियाओं के नियंत्रण के लिए भोजन को पचाने तथा श्वसन आदि उपापचयी क्रियाओं में कुछ निर्माणकारी और कुछ विनाशकारी क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियाओं के संपन्न होने में तथा इन क्रियाओं पर नियंत्रण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
कठिन व्यायाम का श्वसन दर पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य की श्वास दर (Breathing rate) 15 से 18 प्रति मिनट होती है, लेकिन कठोर व्यायाम के बाद यह दर बढ़कर 20 से 25 प्रति मिनट हो जाती है, क्योंकि व्यायाम के समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिसके फलस्वरूप कठोर व्यायाम के बाद श्वास की दर बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • प्रकाश (Light)-प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया सूर्य-प्रकाश में होती है, इसलिए प्रकाश का प्रकार तथा उसकी तीव्रता (intensity) इस क्रिया को प्रभावित करती है। प्रकाश की लाल एवं नीली किरणों तथा 100 फुट कैंडल से 3000 फुट कैंडल तक प्रकाश तीव्रता प्रकाश-संश्लेषण की दर को बढ़ाती है जबकि इससे उच्च तीव्रता पर यह क्रिया रुक जाती है।
  • कार्बन-डाइऑक्साइड CO2 – वातावरण में CO2 की मात्रा 0.03% होती है। यदि एक सीमा तक CO2 की मात्रा बढ़ाई जाए तो प्रकाश-संश्लेषण दर भी बढ़ती है लेकिन अधिक होने से घटने लगती है।
  • तापमान (Temperature)-प्रकाश-संश्लेषण के लिए 25-35°C का तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है। इससे अधिक या कम होने पर दर घटती-बढ़ती रहती है।
  • जल (Water)-इस क्रिया के लिए जल एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है। जल की कमी होने से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है क्योंकि जीवद्रव्य की सक्रियता घट जाती है, स्टोमेटा बंद हो जाते हैं और प्रकाश-संश्लेषण दर घट जाती है।
  • ऑक्सीजन (O)-प्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की सांद्रता से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती है लेकिन यह पाया गया है कि वायुमंडल में 0, की मात्रा बढ़ने से प्रकाश-संश्लेषण की दर घटती है।

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प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर बताइए।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर –

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) श्वसन (Respiration)
(1) यह क्रिया पौधे की पर्णहरित युक्त कोशिकाओं में होती है। (1) यह क्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में होती है।
(2) यह क्रिया सूर्य के प्रकाश में संपन्न होती है। (2) यह क्रिया प्रकाश एवं अंधकार दोनों में होती है।
(3) इस क्रिया में ऊर्जा भोजन के रूप में संग्रहित होती है। (3) इस क्रिया में भोजन में से ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
(4) इसमें O2, निकलती है एवं CO2, अवशोषित होती है। (4) इसमें O2, प्रयुक्त होती है एवं CO2, निकलती है।
(5) यह उपचय (Anabolic) क्रिया है। (5) यह अपचय (Catabolic) क्रिया है।
(6) यह रचनात्मक क्रिया है। (6) यह विनात्मक (विनाशकारी) क्रिया है।

प्रश्न 9.
पाचन में पित्त रस का महत्त्व लिखिए।
उत्तर-
पित्त रस (Bile Juice) प्रत्यक्ष रूप से भोजन के पाचन में भाग नहीं लेता है, लेकिन इसमें विभिन्न प्रकार के रसायन होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायता करते हैं।

इस तरह पित्त रस निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-

  • यह अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को क्षारीय बनाता है।
  • यह जीवाणुओं को मारता है तथा इसकी उपस्थिति में ही अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) कार्य करता है।
  • यह आंत की दीवार को क्रमाकुचन के लिए उत्तेजित करता है।
  • यह वसा में घुलनशील विटामिनों (A,D,E,K) के अवशोषण में सहायक होता है।
  • यह कुछ विषैले पदार्थों जैसे-कोलेस्ट्रॉल और धातुओं के उत्सर्जन में सहायक होता है।

प्रश्न 10.
श्वेत रक्त कणिकाओं को शरीर का सैनिक क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ शरीर की रक्षक हैं। ये प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं। जब कभी शरीर में रोग फैलाने वाले रोगाणु प्रविष्ट हो जाते हैं या कोई चोट लग जाती है तो ये रोगाणुओं का भक्षण कर लेती हैं। इसीलिए इन्हें शरीर का सैनिक कहा जाता है।

प्रश्न 11.
धमनी एवं शिरा में दो अंतर कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
धमनी तथा शिरा में अंतर-

धमनी (Artery) शिराए (Vein)
(1) धमनी हृदय से रक्त का संवहन शरीर के विभिन्न  भागों में करती है। (1) शिराएं शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को एकत्रित करके उसका संवहन हृदय तक करती है।
(2) इनमें कपाट (वाल्व) नहीं होते हैं। (2) इनमें कपाट (वाल्व) होते हैं।
(3) इनकी दीवारें मोटी होती हैं। (3) इनकी दीवारें पतली होती हैं।
(4) फुफ्फुस धमनी को छोड़कर शेष धमनियां ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं। (4) फुफ्फुस शिरा को छोड़कर शेष शिराएं CO, युक्त अशुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं।
(5) माँस के अंदर अधिक गहराई में स्थित होती हैं। (5) माँस के अंदर कम गहराई में स्थित होती हैं।
(6) रक्त का बहाव तेज़ और झटके से होता है। (6) रक्त का बहाव धीमी चाल से होता है।

प्रश्न 12.
धमनी, शिरा तथा केशिका में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ-ये साफ़ रक्त को हृदय से शरीर के अन्य अंगों के पास ले जाती हैं। ये चौड़ी होती हैं और माँस के अंदर गहराई में विद्यमान होती हैं।
  • शिराएँ- ये अशुद्ध रक्त को शरीर के अंगों से हृदय की ओर लाती हैं। इनकी दीवारें पतली होती हैं। माँस में बहुत गहराई में नहीं बल्कि ऊपरी त्वचा के पास होती हैं।
  • केशिकाएँ- ये बहुत पतली और बारीक होती हैं। यही रक्त को सभी अंगों के पास पहुँचाती हैं।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिएवाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ
उत्तर-
वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ में अन्तर –

वाहिकाएँ वाहिनिकाएँ
(1) ये अधिक लंबी होती हैं। (1) ये अपेक्षाकृत कम लंबी होती हैं।
(2) ये अधिक व्यास की होती हैं। (2) ये कम व्यास की होती हैं।
(3) इनमें गर्मों की संख्या अधिक पाई जाती है। (3) इनमें गर्मों की संख्या कम पाई जाती है।

प्रश्न 14.
वृक्क के मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर-

  • वृक्क का मुख्य कार्य नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का होता है।
  • वृक्क जल की मात्रा को संतुलित बनाये रखने का कार्य करता है।
  • वृक्क शरीर में अम्ल क्षार का संतुलन बनाये रखते हैं।
  • वृक्क लवण संतुलन में सहायक होते हैं।
  • वृक्क शरीर में अनावश्यक रूप से उत्सर्जी पदार्थों जैसे विष, दवाइयों इत्यादि को मूत्र के साथ बाहर निकालते हैं।

प्रश्न 15.
नेफ्रान को डायलिसियस थैला क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
नेफ्रान को डायलिसियस थैला इसलिए कहा जाता है क्योंकि नेफ्रान की प्यालेनुमा संरचना बाऊमैन संपुट में स्थिर कोशिका गुच्छ की दीवारों से रक्त छनता है। रक्त में उपस्थिति प्रोटीन के अणु बड़े होने के कारण छन नहीं पाते तथा ग्लूकोज़ और लवण के अणु छोटे होने से छन जाते हैं। इस प्रकार नेफ्रान डायलिसियस थैली के समान कार्य करती है।

प्रश्न 16.
रक्त दाब किसे कहते हैं ? इसे कैसे मापते हैं ? रक्तदान अधिक बढ़ जाने से क्या क्षति हो सकती है?
उत्तर-
रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है। धमनी के अंदर रक्त का दाब निलय प्रकुंचन के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन के दौरान धमनी के अंदर का दाब अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 मिमी (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 मिमी (पारा) होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 14
स्फाईग्मोमैनोमीटर नाम यंत्र से रक्तदाब मापा जाता है। उच्च रक्तदाब को अति तनाव भी कहते हैं और इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है। इससे रक्त प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे आँख, मस्तिष्क आदि अंगों की धमनी फट सकती है। इससे आंतरिक रक्तस्त्रावण हो सकता है।

प्रश्न 17.
मानव उत्सर्जन तन्त्र का अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 15

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 18.
वायवीय श्वसन एवं अवायवीय श्वसन में दो अन्तर लिखो।
उत्तर –

वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
(1) वायवीय क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है। (1) अवायवीय क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है।
(2) यह क्रिया कोशिका के जीव द्रव्य एवं माइटोकाँड्रिया दोनों में पूर्ण होती है। (2) यह क्रिया केवल जीव द्रव्य में ही पूर्ण होती है।
(3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण होती है। (3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।

प्रश्न 19.
स्वपोषी पोषण क्या होता है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्वपोषी पोषण-वह प्रक्रम जिसमें जीव अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं, स्वपोषी पोषण कहलाता है। उदाहरण-सभी हरे पौधे।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अंदर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं।

प्रश्न 2.
श्वसन क्या है?
उत्तर-
शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।

प्रश्न 3.
उत्सर्जन क्या है?
उत्तर-
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना उत्सर्जन है।

प्रश्न 4.
भोजन क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा की प्राप्ति के लिए जो पदार्थ खाए जाते हैं वे भोजन हैं।

प्रश्न 5.
स्वपोषी जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो जीव अकार्बनिक स्रोतों से CO2 तथा जल के रूप में सरल पदार्थ प्राप्त करते हैं उन्हें स्वपोषी कहते हैं।

प्रश्न 6.
स्वपोषी किस प्रक्रिया से अपना भोजन बनाते हैं ?
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से।

प्रश्न 7.
हरे पौधों को उत्पादक क्यों कहते हैं?
उत्तर-
पौधे CO2, H2O, सूर्य प्रकाश तथा हरित लवक की सहायता से अपने तथा जीव-जगत् के दूसरे जीवों के लिए भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं, इसलिए इन्हें उत्पादक कहा जाता है।

प्रश्न 8.
पौधे हरे क्यों दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण पौधे हरे दिखाई देते हैं, जो श्वेत प्रकाश में उपस्थित हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित तथा शेष रंगों के प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। हरा प्रकाश हमारे आँखों के दृष्टि पटल पर पड़ता है, तो हमें हरे रंग का अहसास होता है। यही कारण है कि पौधे हरे दिखाई देते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 9.
प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखें और इसके लिए समीकरण भी लिखें।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण-सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड और जल जैसे सरल यौगिक से हरे पौधों द्वारा क्लोरोफिल की सहायता से पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों की निर्माण प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक क्रिया
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 16

प्रश्न 10.
दो बाह्य परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. खटमल
  2. जूं।

प्रश्न 11.
दो अंतः परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फीताकृमि, प्लाजमोडियम (मलेरिया परजीवी)।

प्रश्न 12.
मनुष्य में आहार नाल कहाँ से कहाँ तक फैली होती है?
उत्तर-
मुँह से गुदा तक।

प्रश्न 13.
लार क्या है?
उत्तर-
मुँह में लाल ग्रंथियों से निकलने वाला रस लार कहलाता है।

प्रश्न 14.
आहार नली का सबसे लंबा भाग कौन-सा है ?
उत्तर-
क्षुद्रांत्र।

प्रश्न 15.
यकृत से कौन-सा रस निकलता है ?
उत्तर-
पित्त रस।

प्रश्न 16.
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई कितनी होती है ?
उत्तर-
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई लगभग 9 से 10 मीटर होती है।

प्रश्न 17.
मनुष्य के शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम बताइए।
उत्तर-
यकृत (Liver)।

प्रश्न 18.
अग्न्याशयी रस में उपस्थित चार प्रकीनों (एंजाइमों) के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. अग्न्याशयी एमाइलेज
  2. अग्न्याशयी लाइपेज
  3. ट्रिप्सिन
  4. काइमोट्रिप्सिन।

प्रश्न 19.
पाचन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह क्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है, जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, पाचन (Digestion) कहलाती है।

प्रश्न 20.
ऑक्सी श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)-यह वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्णरूपेण CO, तथा H,O में हो जाता है। इस श्वसन में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं
C6H112O6 + 6O2, → 6CO2, + 6H2O + 673 K cal ऊर्जा

प्रश्न 21.
अनॉक्सी श्वसन किसे कहते हैं ? समीकरण दीजिए।
उत्तर-
अनॉक्सी श्वसन (Anerobic Respiration)-वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इसमें अपेक्षाकृत कम ऊर्जा मुक्त होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त करते हैं-
C6H112O6 → 2CO2 + 2C2H5OH + 21 K Cal ऊर्जा (2ATP)

प्रश्न 22.
ATP क्या है ?
उत्तर-
ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट एक विशिष्ट यौगिक है, जो सभी जीवों की कोशिका में ऊर्जा का वाहक एवं संग्राहक है।

प्रश्न 23.
किण्वन क्या है ?
उत्तर-
वह रासायनिक क्रिया जिसमें सूक्ष्म जीव (यीस्ट) शर्करा का अपूर्ण विघटन करके CO2, तथा एल्कोहल, ऐसीटिक अम्ल इत्यादि का निर्माण होता है, किण्वन (Fermentation) कहलाती है। इसमें कुछ ऊर्जा भी मुक्त होती है।

प्रश्न 24.
सामान्य अवस्था में मनुष्य कितनी बार साँस लेता है ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य प्रति मिनट 12 से 15 बार साँस लेता है।

प्रश्न 25.
ATP का कार्य बताइए।
उत्तर-
ATP का कार्य-

  • यह कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा का संवहन एवं संचयन करता है।
  • विभिन्न रसायनों का संश्लेषण इन्हीं की सहायता से होता है।
  • यह कोशिका का प्रमुख अवयव है।

प्रश्न 26.
जाइलम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जाइलम मोटी दीवार वाले वे मृत ऊतक हैं जो पानी और खनिजों को जड़ से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 27.
फ्लोएम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
फ्लोएम वे जीवित ऊतक हैं जो पत्तों से भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 28.
रक्त से संबंधित रक्त वाहिनियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ,
  • शिराएँ,
  • कोशिकाएँ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 29.
रुधिर का तरल माध्यम क्या है ?
उत्तर-
प्लाज्मा।

प्रश्न 30.
शरीर में रक्त को कौन गति प्रदान करता है ?
उत्तर-
हृदय।

प्रश्न 31.
शरीर में हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कौन करता है ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)।

प्रश्न 32.
कौन-सी धमनी अशुद्ध रक्त को फेफड़ों तक पहुँचाती है ?
उत्तर-
फुफ्फुस धमनी (Pulmonary Artery)।

प्रश्न 33.
ECG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
इलैक्ट्रो कार्डियो ग्राम।

प्रश्न 34.
सामान्य रक्त दाब कितना होता है ?
उत्तर-
सामान्य रक्त दाब 120/80 होता है। सिस्टॉलिक = 120 डायस्टॉलिक = 80

प्रश्न 35.
वृक्क के अतिरिक्त जंतुओं ( मनुष्यों) में अन्य उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • यकृत,
  • फेंफड़े,
  • त्वचा।

प्रश्न 36.
स्वयंपोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
स्वयंपोषण-वह जैविक प्रक्रिया जिसमें पौधे (जीव) जल CO, तथा प्रकाश की उपस्थिति में पर्णरहित द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न 37.
विषम पोषी पोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विषम पोषी पोषण-वह प्रक्रिया जिसमें जीव कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों अथवा जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषम पोषी पोषण कहलाती है।

प्रश्न 38.
निम्न चित्र (a) तथा (b) पौधे के कौन-से भाग हैं तथा यह क्या कार्य करते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 17
उत्तर-
(a) स्टोमैटा छिद्र
(b) द्वार कोशिकाएं कार्य-प्रकाश संश्लेषण के लिए गैसों का आदान-प्रदान इन के द्वारा होता है।

प्रश्न 39.
वृक्ष के दिए गए चित्र में कौन-सी क्रिया हो रही है ? उस क्रिया का नाम लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 18
उत्तर-
वाष्पोत्सर्जन क्रिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है –
(a) पोषण
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन।
उत्तर-
(c) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन।
उत्तर-
(a) जल का वहन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है –
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकाँड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केंद्रक।
उत्तर-
(b) माइटोकाँड्रिया।

प्रश्न 5.
हरे पौधों में पोषण होता है –
(a) स्वपोषी
(b) विषमपोषी
(c) परपोषी
(d) मृतपोषी।
उत्तर-
(a) स्वपोषी।

प्रश्न 6.
श्वसन क्रिया में पौधों से मुक्त होती है-
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बनडाइऑक्साइड
(c) जलवाष्प
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) कार्बनडाइऑक्साइड।

प्रश्न 7.
अवायवीय श्वसन के फलस्वरूप लैक्टिक अम्ल बनता है –
(a) यीस्ट में
(b) खम्भ कोशिकाओं में
(c) पेशीकोशिकाओं में
(d) फेफड़ों में।
उत्तर-
(c) पेशीकोशिकाओं में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) वृक्क की इकाई ……………………. है।
उत्तर-
नेफ्रॉन

(ii) पौधों में गैसों का आदान-प्रदान ………………………… द्वारा होता है।
उत्तर-
स्टोमैटा (Stomata)

(iii) …………………….. श्वसन से जीवों को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
उत्तर-
वायवीय

(iv) फुफ्फुस में ……………………. रुधिर से अलग हो जाती है।
उत्तर-
CO2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

(v) रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
रक्तदाब।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
न्यूलैंड का अष्टक नियम क्या है ? उदाहरण देकर समझाओ। यह भी बताओ कि इस नियम का क्या योगदान है ?
उत्तर-
(क) न्यूलैंड का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octave)-जॉन न्यूलैंड ने तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया। उसने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर प्रत्येक आठवें सुर के पीछे दोहराए जाते हैं। संगीत स्केल के आधार पर न्यूलैंड ने अष्टक नियम को प्रतिपादित किया। न्यूलैंड्स द्वारा तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से तत्वों के गुणों का दोहराया जाना अष्टक का नियम कहलाता है। न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार व्यवस्थित किए आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड का अष्टक कहते हैं।

सारणी-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार कुछ तत्वों की व्यवस्था-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 1
सोडियम जो आठवें स्थान पर स्थित है उसके गुण पहले स्थान पर स्थित लिथियम से मिलते-जुलते हैं। इसी प्रकार की पोटैशियम जो सोडियम से आठवां तत्व है, उसके गुण सोडियम से मिलते हैं।
(ख) न्यूलैंड के अष्टक नियम का योगदान-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार तत्वों को सारणी में व्यवस्थित करने से स्पष्ट हो गया कि तत्वों के गुणों में आवर्तता स्पष्ट करने के लिए आवश्यक है कि तत्वों को क्षितिज तथा लम्बात्मक पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाए।

प्रश्न 2.
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी क्या है ? इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
उत्तर-
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी- एक रूसी वैज्ञानिक प्रोफेसर डिमिट्री इवानोविच मेंडलीफ ने तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों तथा उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्मों के मध्य एक संबंध का भली-भाँति अध्ययन किया। उस समय कुल 63 तत्व ज्ञात थे। मेंडलीफ ने उन तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर व्यवस्थित किया। इस प्रकार मेंडलीफ ने तत्वों को उनके द्वारा बनाए यौगिकों; जैसे-ऑक्साइड, हाइड्राइड आदि के सूत्रों में समानताओं के आधार पर व्यवस्थित किया। उन्होंने यह प्रेक्षित किया कि अधिकतर तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में रखने पर आवर्ती पुनरावृत्ति अथवा आवर्तिता प्रदर्शित होती है अर्थात् प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म प्रथम तत्व के गुणधर्म के समान होते हैं।

इस आधार पर मेंडलीफ ने यह आवर्त नियम प्रस्तावित किया “तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु भारों (परमाणु-द्रव्यमानों) के आवर्ती फलन होते हैं।” मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभ (समूह) तथा क्षैतिज कतारें (आवर्त) थीं। इस सारणी में यद्यपि सभी तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में व्यवस्थित किया गया। कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के व्युत्क्रम में रखा गया। उदाहरणार्थ-कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान 53.93) तथा निकिल (58.7), टेल्यूरियम (127.6) और आयोडीन (126.90)।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 2
आवर्त सारणी में यह व्युत्क्रमण तत्व के रासायनिक गुणधर्मों की उस समूह के तत्वों के साथ समानताओं के कारण किया गया जिसमें उस तत्व को रखा गया था। उदाहरणार्थ-टेल्यूरियम (Te) को आयोडीन से पहले रखा गया, जबकि Te का परमाणु द्रव्यमान अधिक है। ऐसा इसलिए किया गया; क्योंकि आयोडीन के गुणधर्म ब्रोमीन के गुमधर्म के समान हैं, न कि सेलेनियम (Se) के गुणधर्म के समान हैं। इस सारणी में छोड़े गए रिक्त स्थानों को भरने के लिए भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के गुणधर्मों की भविष्यवाणी उसने तत्वों की आवर्त सारणी में स्थिति के आधार पर की।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  • प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित हैं।
  • एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं।
  • प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों की ऋण विद्युत् संयोजकता कम होती जाती है, जबकि धन विद्युत् संयोजकता बढ़ती जाती है।
  • तत्व का परमाणु भार उसका मौलिक गुण है।
  • कम परमाणु भार वाले तत्व, जैसे-H, C, O, N अपेक्षाकृत प्रकृति में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
  • सारणी में रिक्त स्थानों के तत्वों के गुणधर्मों को पहले ही बताया जा सकता है।
  • आवर्त सारणी में कुछ तत्व ऐसे स्थानों पर रखे गए थे जिसके अनुसार उनके गुण नहीं थे। इन तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में संशोधन हुआ तथा तब इन्हें सारणी में तर्कसंगत स्थान प्राप्त हुआ।
  • सारणी में किसी भी तत्व के स्थान के अनुसार उसके गुणों को बताया जा सकता है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
(i) हाइड्रोजन का स्थान-इस सारणी में हाइड्रोजन को प्रथम समूह में क्षार-धातुओं के साथ उनके समान धनविद्युती गुण के कारण तथा सप्तम समूह में हैलोजेन के साथ उनके समान ऋण-विद्युती गुण के कारण दो स्थानों पर रखा गया है, परंतु हाइड्रोजन को दोनों समूहों (प्रथम तथा सप्तम) में रखा जाना दोषपूर्ण है।

(ii) असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखना-इस सारणी में तत्वों को गुणों की समानता के आधार पर एक साथ रखा गया है, फिर भी कुछ तत्व ऐसे हैं जिनके गुणों में असमानताएं हैं। दूसरे शब्दों में, कुछ तत्व भिन्न-भिन्न गुणों वाले होते हुए भी एक समूह में रखे गए हैं; जैसे-I-A के तत्वों (क्षार धातुएँ) तथा I-B के तत्वों (सिक्का धातुएँ) को एक ही समूह में रखा गया है, जबकि इनके गुणों में भिन्नता है।

(iii) समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समान गुण वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखा गया है; जैसे-Pt (195.09) तथा Au (196.97) के गुणों में समानताएँ हैं, फिर भी उन्हें आठवें तथा पहले समूह में भिन्न-भिन्न रखा गया है। इसके अतिरिक्त कॉपर व पारा; बेरियम व लेड इत्यादि के गुण समान होते हुए भी उन्हें भिन्न-भिन्न समूहों में रखा गया है।

(iv) भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखा गया। जैसे

  • कोबाल्ट (परमाणु भार = 58.93), निकिल (परमाणु भार = 58.71) से पहले रखा गया है।
  • टेल्यूरियम (परमाणु भार = 127.6), आयोडीन (परमाणु भार = 126.9) से पहले रखा गया है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम के विपरीत हैं।

(v) दुर्लभ मृदा तत्वों का स्थान-दुर्लभ मृदा तत्वों के रासायनिक गुणों में समानताएँ हैं, परंतु इनके परमाणु भार भिन्न हैं। फिर भी इन 84.14 तत्वों की तीसरे उपसमूह B (छठे आवर्त) में एक साथ रखा गया है, जो उचित नहीं है।

(vi) समस्थानिकों का स्थान-समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज से यह स्पष्ट हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नही होता। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं, परंतु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु एक समान होते हैं, परंतु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में समस्थानिकों का स्थान निश्चित नहीं है।

(vii) आठवें समूह के तत्वों को तीन ऊर्ध्वाधर स्तंभों में रखा जाना तर्कसंगत नहीं है।

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प्रश्न 3.
आधुनिक आवर्त सारणी क्या है ? यह दीर्घ सारणी मेंडलीफ की आवर्त सारणी से किस प्रकार भिन्न है ? आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की विसंगतियों का निराकरण किस प्रकार किया गया ?
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी-मेंडलीफ ने तत्वों को न केवल उनके गुणों के आधार पर ही वर्गीकृत करने का प्रयास किया, बल्कि किसी ऐसे आधार की खोज करने की कोशिश की जो किसी निश्चित तत्व के बहुत-से गुणों की भविष्यवाणी कर सके। परमाणु भार ही एक ऐसा गुण था जिसने उन्हें पूर्ण रूप से सहायता की।

चित्र में आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें 105 तत्वों को उचित स्थान दिया गया है। मेंडलीफ द्वारा दी गई आवर्त सारणी दोषपूर्ण थी। बहुत-से तत्वों के आइसोटोप मिलते थे जिनके परमाणु पुंज भिन्न-भिन्न थे। अतः सारणी में हरेक के लिए अलग-अलग स्थान होना चाहिए, परंतु ऐसा नहीं किया जा सकता था। इसी दौरान मेंडलीफ को अपनी त्रुटि का आभास हो गया। इस सारणी की मेंडलीफ की आवर्त सारणी से तुलना करने पर आप पायेंगे कि वे तत्व जिनको उसने वर्गीकृत किया, अब भी अपने उसी स्थान पर हैं। सारणी को देखने पर पता चलता है कि परमाणु क्रमांक एक तत्व से दूसरे तत्व तक बढ़ता जाता है। परमाणु भार में जो अनियमितताएं थीं, इस दीर्घ सारणी में हल हो गईं।

मेंडलीफ ने संशोधित आवर्त नियम प्रस्तुत किया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा गया है। इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण अपने परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।
तत्वों का वर्गीकरण परमाणु क्रमांक के आधार पर
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आधुनिक आवर्त सारणी में समूह (Groups) तथा आवर्त (Periods)-सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे की ओर आते समय तत्वों के परमाणों में शैलों की संख्या बढ़ती है, पर वैलेंस शैल में उपस्थित इलैक्ट्रॉनों की संख्या समान ही रहती है। इन इलैक्ट्रॉनों की समान संख्या के कारण उनके ग्रुप भी समान होते हैं। आवर्त सारणी में कुल 18 ग्रुप हैं। s, p, d तथा f उपशैल के आधार पर सारणी को 4 ब्लॉकों में वर्गीकृत किया गया है।

  • ग्रुप 1-2 s-ब्लॉक
  • ग्रुप 13-15 p-ब्लॉक
  • ग्रुप 3-12 d-ब्लॉक
  • परमाणु संख्या 58-71 तथा 90-103 के तत्व f-ब्लॉक में रखे गए हैं।

मेंडलीफ की आवर्ती सारणी का विवरण-सारणी से स्पष्ट है कि इसमें क्षैतिज पंक्तियां और उर्ध्वाधर कालम हैं। क्षैतिज पंक्तियों को समूह और ऊर्ध्वाधर कालमों में पीरियड कहते हैं। इस सारणी में 6 पीरियड और 18 समूह हैं। पहले 7 समूहों में साधारण तत्व और 8 समूह में प्रतिनिधि तत्व हैं जिन्हें समूह A और समूह B में वर्गीकृत किया गया है। परंतु इस आवर्ती सारणी में अक्रियाशील गैसें और प्रतिनिधि तत्व नहीं थे क्योंकि उस समय इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित किसी आवर्त और किसी समूह में कैसे परिवर्तन करते हैं ?
(i) आयनन ऊर्जा
(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) तत्वों के धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण।
उत्तर-
(i) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के विलगित परमाणु से अथवा आयन से एक इलैक्ट्रान को पूर्ण रूप से उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं।
(क) समूह में ऊर्जा का परिवर्तन-आवर्त सारणी के समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जा कम होती है। इस कथन की पुष्टि नीचे दी गई समूह 1 की सारणी में तत्वों से संबंधित आययन ऊर्जा से होती है। किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में कमी उनके परमाणुओं के आकार में वृदधि के कारण होती है। किसी समूह में नीचे की ओर जाते समय परमाणुओं में बाहयतम शैल (कोष) के इलैक्ट्रॉन न्यूक्लियसों से दूर होते जाते हैं जिसके फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों के प्रति न्यूक्लियस का आकर्षण कम हो जाता है। ऐसा होने से इलैक्ट्रॉन कम ऊर्जा द्वारा ही सुगमता से हटाए जा सकते हैं।

समूह 1 के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएंतत्व
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(ख) आवर्त (पीरियड) में आयनन ऊर्जा का परिवर्तन)-आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बाएं से दाएं तरफ जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। उदाहरणतः दूसरे आवर्त के तत्वों की सारणी से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि प्रथम आयनन ऊर्जा में बाएं से दाएं ओर जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। दूसरे आवर्त ( पीरियड) के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएं
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तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं की ओर जाते हुए तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि इस कारण होती है कि परमाणु संख्या में वृद्धि होने के कारण धन आवेश में वृद्धि होती है तथा परमाणु अर्धव्यास कम हो जाता है। परमाणु के अर्धव्यास कम होकर परमाणु के इलैक्ट्रॉन अधिक बल के साथ आकर्षित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप इलैक्ट्रॉन का विलय की ओर आकर्षण बढ़ जाता है अर्थात् आयनन ऊर्जा में वृद्धि होती है।

(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास-पृथक् परमाणु ने न्यूक्लियस के केंद्र बिंदु तथा बाह्यत्म शैल के बीच की दूरी को परमाणु अर्ध-व्यास कहते हैं।
(क) समूह में परमाण्विक अर्धव्यस का परिवर्तन- एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास धीरे-धीरे बढ़ता है। जैसे
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(ख) एक आवर्त में परमाणु अर्ध-व्यास में परिवर्तन-किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास घटता जाता है। जैसे
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(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता-जब किसी तत्व का उदासीन परमाणु एक इलैक्ट्रॉन को सुगमता से ग्रहण करके ऋणायन में परिवर्तित हो जाता है तो इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जिसे इलैक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं।

(क) ग्रुप में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की इलैक्ट्रॉन बंधुता कम हो जाती है। यह कभी परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण होती है। परमाणु के आकार में वृद्धि के फलस्वरूप इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है। पहले समूह के तत्वों से स्पष्ट हो जाता है कि लिथियम के इलैक्ट्रॉन आकर्षण हाइड्रोजन के इलैक्ट्रान आकर्षण से कम है। इसलिए कुछ अपवाद भी हैं जैसे कि क्लोरीन का आकार छोटा है।

(ख) आवर्त में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय तत्वों के इलैक्ट्रॉन बंधुता का मूल्य बढ़ता है। इलैक्ट्रॉन बंधुता की यह वृद्धि परमाणु संख्या के बढ़ने के कारण परमाणु आकार में कमी होने के कारण होता है।

(iv) धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण में परिवर्तन
(क) ग्रुप में तत्वों के धात्विक तथा अधात्विक गुणों का बढ़ना-दीर्घ आवर्त सारणी के समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए तत्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है, परंतु अधात्विक गुणों में कमी आती है। इसका कारण यह है कि समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए धात्विक तत्वों का परमाणु आकार बढ़ता है और इलैक्ट्रॉनों का आकर्षण बल कम होता है। इसलिए वेलैंस शैल के इलैक्ट्रॉन को सुगमता से हटा कर विद्युतीय धन आवेशित आयन बन जाते हैं अर्थात् धात्विक गुणों में वृद्धि होती जाती है।

समूह 17 के अधात्विक तत्वों को देग्नने से पता चलता है कि फ्लोरीन से आयोडीन तक अधात्विक तथा ऋण विद्युत आवेश में कमी होती है। इसकारण यह है कि समूह में ऊपर से नीचे जाते हुए परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण विद्युतीय ऋण आवेशित आयन बनाने वाले इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी हो जाती है।

(ख) आवर्त (पीरियड) में तत्वों धात्विक तथा अधात्विक गणों का बदलना-दीर्घ आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं ओर जाते हुए तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी होती है तथा धात्विक गुणों में वृद्धि होती है। इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए आओ तीसरे आवर्त के तत्वों पर विचार करें।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों हुई ?
उत्तर-
तत्वों की अत्यधिक संख्या होने के कारण उनके गुणों तथा उपयोगों का पृथक-पृथक अध्ययन करना सम्भव नहीं है। अतः तत्वों को विशेष रूप में व्यवस्थित करके प्रत्येक तत्व के विषय में अध्ययन करने के लिए इनका वर्गीकरण करना आवश्यक हुआ।

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प्रश्न 2.
डॉबेराइनर द्ववारा दिए गए वर्गीकरण क्या आधार था ?
उत्तर-
सन् 1817 ई०में डॉबेराइन ने लगभग समान गुणधर्म वाले अनेक तत्वों को तीन-तीन के समूहों में उनके परमाणु द्रव्यमान में वृद्धि के क्रमानुसार रखा तथा स्पष्ट किया कि प्रत्येक समूह के बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान प्रथम एवं तृतीय तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों के योग का लगभग मध्यमान होता है। यह डॉबेराइनर का त्रिक नियम कहलाता है और इस प्रकार के समूह त्रिक (traid) कहलाते है, जैसे(i) तत्व :
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यह वर्गीकरण सर्वमान्य न हो सका क्योंकि उस समय तक ज्ञात सभी तत्वों को ऐसे त्रिक समूहों में विभाजित नहीं किया जा सका।

प्रश्न 3.
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त क्यों माना गया ?
उत्तर–
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त माना गया, क्योंकि-

  • मेंडलीफ का आवर्त नियम समान गुण वाले तत्वों के एक समान रखने पर बल देता है न कि केवल उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों को पूर्वानुमान के आधार पर रिक्त स्थान उपलब्ध था। इनके गुण समीपवर्ती तत्वों के गुणों के अनुसार बताए गए थे।
  • मेंडलीफ ने समान. गुण वाले तत्वों को एक साथ रखने हेतु उनके परमाणु द्रव्यमानों में भी सुधार किया। उपर्युक्त विशिष्टताओं के कारण ही मेंडलीफ का वर्गीकरण सर्वोच्च म ना गया।

प्रश्न 4.
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान छोड़ दिए थे। उनका उल्लेख कीजिए तथा इसका कारण बताइए।
अथवा
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता क्या है ?
उत्तर-
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान रिक्त रखे थे। मेंडलीफ का विश्वास था कि उन स्थानों पर उस समूह में पहले उपस्थित तत्व के समान गुणधर्म वाले तत्व अस्तित्व में हैं, परंतु तब तक उनकी खोज न हो सकी। मेंडलीफ ने इन तत्वों के नाम पहले वाले तत्व के नाम से संस्कृत उपसर्ग ‘एका’ लगाकर किया, जैसेएकाबोरेन, एका-ऐल्युमिनियम तथा एका–सिलिकॉन। उनके अनुमान के अनुसार क्रमशः स्कैंडियम, गैलियम एवं जर्मेनियम की बाद में खोज हुई। यह मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता थी।

प्रश्न 5.
किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके परमाणु भार से अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
किसी तत्व के परमाणु क्रमांक के आधार पर उसमें प्रोटॉनों, इलैक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात की जा सकती है। तत्व की संयोजकता एवं तत्व के वर्ग की जानकारी हमें परमाणु क्रमांक से ही प्राप्त होती है तथा परमाणु क्रमांक के आधार पर इलैक्ट्रॉनिक विन्यास भी लिखे जा सकते हैं। स्पष्ट है कि परमाणु क्रमांक द्वारा ही तत्वों के गुणधर्मों का निर्धारण करने में सरलता होती है इसलिए ये अधिक महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी के समूह-15 में नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) स्थित हैं। इन दो तत्वों के इलैक्ट्रॉनिक विन्यासों को K, L, M, N कोशों के आधार पर दीजिए। इन तत्वों के धात्विक एवं अधात्विक प्रकृति के बारे में भी प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास-
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नाइट्रोजन व फॉस्फोरस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से पता चलता है कि इनके बाह्यतम कोश में 5 इलैक्ट्रॉन हैं जो अधातु का लक्षण है, क्योंकि अधातु तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में सामान्यतया 4-8 इलैक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं। अतः नाइट्रोजन व फॉस्फोरस तत्व अधातु हैं।

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प्रश्न 7.
(क) उन तत्वों के नाम बताइए जो आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं और उनका धातु व अधातु में वर्गीकरण कीजिए।
(ख) आवर्त सारणी के किस ओर आप धातुओं को पाते हैं ?
(ग) आवर्त सारणी के किस ओर आप अधातुओं को पाते हैं ?
उत्तर-
(क) आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में निम्नलिखित तत्व होते हैं-
तीसरा आवर्त-सोडियम (Na), मैग्नीशियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (AI), सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
उपर्युक्त तत्वों का धातुओं तथा अधातुओं में वर्गीकरण निम्नवत् किया जा सकता हैधातु-सोडियम (Na), मैग्नीनियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (Al) अधातु-सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
(ख) आवर्त सारणी में बाईं ओर हम धातुओं को पाते हैं। (ग) आवर्त सारणी में दाईं ओर हम अधातुओं को पाते हैं।

प्रश्न 8.
आधुनिक आवर्त सारणी में निम्नलिखित को बताइए
(क) हैलोजेन परिवार में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ग) वह अधातु जो द्रव अवस्था में रहती है।
उत्तर-
(क) हैलोजेन परिवार में फ्लुओरीन (F), छोटे परमाणु तथा कम बंधन ऊर्जा के कारण सबसे अधिक क्रियाशील अधातु है।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील धातु पोटैशियम (K) है।
(ग) ब्रोमीन सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहती है।

प्रश्न 9.
दो तत्व ‘X’ तथा ‘Y’ जिनके परमाणु क्रमशः 11 व 17 हैं –
(क) ये तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
(ख) इन तत्वों में से कौन-सी धातु तथा कौन-सी अधातु है ? (ग) ये तत्व आवर्त सारणी के किस आवर्त में हैं ?
उत्तर-
(क) तत्व ‘X’ प्रथम वर्ग या वर्ग संख्या 1 में तथा तत्व ‘Y’ सप्तम वर्ग या वर्ग संख्या 17 में है।
(ख) तत्व ‘X’ धातु तथा तत्व ‘Y’ अधातु है।
(ग) ये दोनों तत्व आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व की परमाणु संख्या 14 है। कारण सहित समझाइए कि तत्व में धात्विक गुणधर्म विद्यमान होगा अथवा नहीं।
उत्तर-
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व X की परमाणु संख्या 14 है। इसका इलेक्ट्रॉन विन्यास निम्न प्रकार से होगा
X (14) = 2, 8, 4
इस इलैक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि तत्व के अंतिम कक्ष में इलैक्ट्रॉन की संख्या 4 है जो सारणी के दाईं ओर स्थित है। अतः यह धातु और अधातु के बीच के गुण से युक्त तत्व है जिसे उपधातु कहते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि दिया हुआ तत्व धातु नहीं है तथा प्रकृति की दृष्टि से तत्व अधातु होता है। .

प्रश्न 11.
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार में क्या परिवर्तन होता है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर-
परमाणु आकार से तात्पर्य परमाणु की त्रिज्या से है। अत: आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है। इसका कारण यह है कि तत्वों के परमाणुओं का नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है जिसे नाभिक इलैक्ट्रॉन को अधिक बल से खींचता है तथा फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों का नाभिक के समीप हो जाने के कारण परमाणु आकार कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
स्पष्ट कीजिए कि आर्गन परमाणु का आकार क्लोरीन परमाणु से बड़ा क्यों होता है ?
उत्तर-
आर्गन (Ar) परमाणु एक सक्रिय गैस परमाणु है जो संरचनात्मक रूप से स्थायी होता है चूंकि इसके बाह्यतम कोश में इलैक्ट्रॉनों का अष्टक (आठ इलैक्ट्रॉन) होता है। इसका आकार क्लोरीन से बड़ा होता है, क्लोरीन (हैलोजेन) परमाणु के बाह्यतम कोश में केवल 7 इलैक्ट्रॉन होते हैं जो इसके नाभिक पर अत्यधिक धनावेश का कारण है। इसके परिणामस्वरूप इसके इलैक्ट्रॉन नाभिक की ओर खिंचते हैं तथा नाभिक के समीप आ जाते हैं जिससे इसका आकार कम हो जाता है।

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प्रश्न 13.
बेरियम ( परमाणु क्रमांक = 56) की आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए।
(i) यह धातु है या अधातु ?
(ii) यह सीजियम से बड़ा है या छोटा ?
(iii) इसकी संयोजकता क्या है ?
(iv) बेरियम क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
Ba (परमाणु क्रमांक = 56) 2, 8, 18, 18, 8, 2 यह छठे आवर्त तथा II-A, वर्ग में स्थित है। (चूंकि कोशों की संख्या 6 है तथा संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 है)।
(i) बेरियम एक धातु है क्योंकि यह आवर्त सारणी में बाईं ओर तथा वर्ग में नीचे की ओर स्थित है।
(ii) बेरियम परमाणु का आकार सीजियम (Cs) से छोटा है क्योंकि आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार घटता है। बेरियम (Ba) तथा सीजियम (Cs) एक ही आवर्त में स्थित है तथा बेरियम (Ba), सीज़ियम (Cs) के दाईं ओर स्थित है।
(iii) इसकी संयोजकता 2 है क्योंकि इसमें 2 संयोजी इलैक्ट्रॉन हैं। यह दो इलैक्ट्रॉन त्याग कर के द्विसंयोजक धनात्मक बन जाता है।
(iv) बेरियम क्लोरड का सूत्र है : BaCl

प्रश्न 14.
निम्नलिखित दिए गए प्रथम वर्ग के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं में परिवर्तन का अध्ययन कीजिए
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(i) उन तत्वों के नाम बताइए जिनके परमाणु सबसे बड़े तथा सबसे छोटे हैं ?
(ii) वर्ग में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर-
(i) सोडियम (Na) के परमाणु सबसे छोटे हैं। सीजियम (Cs) के परमाणु सबसे बड़े हैं।
(ii) वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है।

प्रश्न 15.
किसी तत्व के धन आयन का आकार उसी तत्व के परमाणु से बड़ा होता है या छोटा ? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
किसी तत्व के धन आयन का आकार उस तत्व के परमाणु से छोटा होता है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं

  • जब धन आयन बनता है तो उस तत्व का परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन का त्याग करता है जबकि नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या पूर्ववत् रहती है जिससे नाभिक तथा इलैक्ट्रॉनों के बीच आकर्षण बढ़ जाता है। आकर्षण बल की अधिकता से इलैक्ट्रॉन नाभिक के समीप आ जाते हैं और फलस्वरूप परमाणु का आकार छोटा हो जाता है।
  • कभी कभी इलैक्ट्रॉन निकल जाने से धनायन बनाने पर कोशों की संख्या में भी कमी आ जाती है, उक्त दोनों कारणों के कारण धनायन का आकार तत्व के परमाणु से छोटा होता है। उदाहरणार्थ, धनायन (Na+) का आकार परमाणु (Na) से छोटा होता है।

प्रश्न 16.
किसी तत्व की परमाणु संख्या 33 है। उसकी आवर्त सारणी में स्थिति ज्ञात कीजिए। ..
उत्तर-
तत्व की परमाणु संख्या 33 है अर्थात् इसका इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 18, 5 है। चूंकि इस तत्व में कुल चार इलैक्ट्रॉन कोश हैं, इसलिए यह आवर्त सारणी के चौथे आवर्त में स्थित है | इस तत्व में संयोजकता इलैक्ट्रॉनों (बाह्य कोश में इलैक्ट्रॉनों) की संख्या 5 है, इसलिए यह V-A वर्ग में स्थित है। इस प्रकार परमाणु संख्या 33 वाला तत्व चौथे आवर्त तथा V-A वर्ग में स्थित है।

प्रश्न 17.
न्यूलैंड के अष्टक नियम का वर्णन करो।
उत्तर-
सन् 1864 में न्यूलैंड ने तत्वों के वर्गीकरण का अष्टक नियम स्थापित किया। इसके अनुसार जब तत्वों को बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के अनुसार दर्शाया जाता है तो संगीत के सुरों की भांति प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। ये गिनती किसी भी तत्व से शुरू की जा सकती है।
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इस वर्गीकरण के अनुसार सोडियम का क्रम 8 है। उसके गुण पहले क्रम में उपस्थित तत्व लिथियम (Li) के गुणों से मिलते-जुलते होंगे। इस प्रकार बोरॉन (B) से आठवां तत्व एल्यूमीनियम (Al) है तथा इन दोनों तत्वों के गुण एकदूसरे से परस्पर मिलते-जुलते होंगे।

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प्रश्न 18.
निम्न लिखित कथन का क्या भाव है ? “तत्वों के गुण उनके परमाणु अंकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।”
उत्तर-
कथन-“तत्वों के गुण उनके परमाणुओं के आवर्ती फलन (Functions) हैं।” आधुनिक आवर्त नियम कहलाता है।
आवर्तता या आवर्त फलन (Periodic function)-आवर्त फलन का अर्थ है कि जब तत्वों को एक विशेष समूह ऊर्ध्वाधर पंक्ति में उनके परमाणुओं के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो उनके गुणों की पुनरावृत्ति होती है। ऊर्ध्वाधर पंक्ति में रखे गए तत्वों के गुणों की 2, 8, 8, 18, 18, 32 परमाणु अंकों के लगातार अंतर से पुनरावृत्ति होती है। इन अंकों को जादुई अंक (Magic Numbers) कहते हैं।

तत्वों के गुण उनके परमाणु के विभिन्न ऊर्जा स्तरों में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन मुख्यतः संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन पर निर्भर करते हैं। उन परमाणुओं को, जिनके संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉन विन्यास एक जैसा होता है, एक जैसे गुण प्रदर्शित करते हैं। जब तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तो तत्वों के संयोजकता ऊर्जा स्तर में समान इलैक्ट्रॉन विन्यास की मैजिक अंक 2, 8, 8, 18, 18 और 32 के बाद क्रमशः एक विशेष लंबात्मक पंक्ति (समूह) में पुनरावृत्ति होती है।

प्रश्न 19.
आवर्त सारणी के कोई दो लाभ बताएं।
उत्तर-

  1. आवर्त सारणी ने रसायन विज्ञान को सुगम तथा सरल बना दिया है क्योंकि एक जैसे गुणों वाले तत्व एक वर्ग में रखे गए हैं।
  2. आवर्त सारणी ने कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में सुधार किया है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित तत्वों के जोड़ों में से किस तत्व का आकार छोटा है? अपने उत्तर के पक्ष में प्रमाण दें।
(i) सोडियम या पौटेशियम
(ii) मैग्नीशियम या क्लोरीन।
उत्तर-
(i) सोडियम तथा पौटेशियम दोनों एक ही वर्ग/समूह (Group) I के तत्व हैं। समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर पहले सोडियम और फिर तत्व | त्रिज्या (pm) पौटेशियम स्थित है। सोडियम तथा पौटेशियम का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमश: (2, 8, 1) तथा (2, 8, 8, 1) है। इलैक्ट्रॉनिक विन्यास देखने से स्पष्ट हो जाता है कि सोडियम में तीन इलैक्ट्रॉनिक शैल (कोश) तथा पौटेशियम में चार इलैक्ट्रॉनिक शैल हैं। हम देखते हैं कि समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के कोशों में वृद्धि के कारण नाभिक और बाहरी कोश की दूरी, जिसे परमाणु की त्रिज्या कहते हैं, बढ़ जाती है अर्थात् परमाणु का आकार बढ़ जाता है। इससे स्पष्ट है कि सोडियम परमाणु का आकार पौटेशियम परमाणु के आकार की अपेक्षा छोटा है।
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(ii) मैग्नीशियम तथा क्लोरीन दोनों आवर्त (Period) तीन के तत्व हैं। आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर पहले मैग्नीशियम और फिर अंत में क्लोरीन स्थित है। हम जानते हैं कि आवर्त (Period) में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर परमाणु का अर्धव्यास/त्रिज्या घटती है। इसका कारण है कि नाभिक में आवेश बढ़ने से नाभिक इलैक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है। अत: मैग्नीशियम की अपेक्षा क्लोरीन का आकार छोटा है।
सारणी-तीसरे आवर्त के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तीसरे आवर्त के तत्व
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 14

प्रश्न 21.
निम्नलिखित की परिभाषा दें :
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(ii) आयनन ऊर्जा।
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन।
उत्तर-
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास-किसी एक परमाणु के न्यूक्लियस के परमाणु बिंदु तथा बाह्यतम शैल की मध्य की दूरी का माप होता है। इसे साधारणतः पीकोमीटर (10-12m) में मापा जाता है।

(ii) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के एक गैसीय परमाणु आयन से कमजोर रूप से बंधित इलैक्ट्रॉन पूरी तरह हटाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। इसे संक्षेप में I.E. लिखा जाता है। आयनन ऊर्जा को किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता- जब किसी तत्व के एक उदासीन गैसीय परमाणु द्ववारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन कहते हैं। इसे संक्षेप में E.A. लिखा जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन-किसी तत्व के परमाणु के बाह्यतम कोश में जितने इलैक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, उन्हें संयोजक इलैक्ट्रॉन अथवा वेलैंस इलैक्ट्रॉन कहा जाता है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित से क्या अभिप्राय है :
(i) आवर्तता
(ii) आवर्ती सारणी
(iii) तत्वों का वर्गीकरण
(iv) न्यूलैंड के अष्टक
(v) आवर्त सारणी का समूह
(vi) आवर्त सारणी का आवर्त
(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु
(viii) क्षार धातु
(ix) प्राकृतिक तत्व
(x) धातु
(xi) अपधातु
(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास।
उत्तर-
(i) आवर्तता-तत्वों को उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से उनके गुणों का निश्चित गैप (अवधि) के पश्चात् दोहराए जाने को तत्वों के गुणों की आवर्तता कहते हैं। तत्वों के गुणों में आवर्तता का कारण उनके परमाणुओं के वेलैंस शैलों के निश्चित अवधि के बाद एक जैसी इलैक्ट्रॉनिक विन्यास का दोहराया जाना है।

(ii) आवर्ती सारणी-तत्वों की आवर्त सारणी तत्वों का सारणीय रूपी चार्ट है जिसको इस प्रकार से रचा गया है कि एक जैसे गुणों वाले तत्व कुछ गैप (अवधि) के पश्चात् ऊर्ध्वाधर कॉलम में उपस्थित होते हैं क्योंकि एक जैसे गुणों वाले चार्ट में निश्चित अवधि के पश्चात् उपस्थित होते हैं और तत्वों को सारणी के रूप में व्यवस्थित किया गया था। इसलिए इसे आवर्त सारणी (Periodic Table) का नाम दिया गया है।

(iii) तत्वों का वर्गीकरण-ज्ञात तत्वों को ऐसे ढंग से व्यवस्थित करना कि समान गुणों वाले तत्व एक साथ हो जाएं जबकि भिन्न गुणों वाले तत्व अलग समूह में एकत्रित हो जाएं तो उसे तत्वों का वर्गीकरण कहते हैं।

(iv) न्यूलैंड के अष्टक- तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड के अष्टक कहते हैं।

(v) आवर्त सारणी का समूह- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों के ऊर्ध्वाधर (लंबात्मक पंक्ति) कॉलम को समूह (Group) कहते हैं। –

(vi) आवर्त सारणी का आवर्त- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों की क्षितिज पंक्तियों को आवर्त (Period) कहते हैं।

(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के दूसरे ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns2 है। ये तत्व बैरीलियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडॉन हैं।

(vii) क्षार धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के पहले ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns1 है। इनमें लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुएं हैं। ये धातुएं बहुत नरम होती हैं और इनकी आयनन ऊर्जा बहुत कम होती है।

(ix) प्राकृतिक तत्व-वे तत्व जो प्रकृति में मिलते हैं, उन्हें प्राकृतिक तत्व कहा जाता है।

(x) धातु- वे तत्व जो साधारणत: कठोर, अघातवर्ध्य तथा तन्यशील, चमकदार, विद्युत् तथा ताप के सुचालक हैं और जो सुगमता से इलैक्ट्रॉन को त्याग कर विद्युतीय धन-आवेशित आयन (कैटायन) बना सकते हों, उन्हें धातु कहते हैं।

(xi) अपधातु-तत्वों की दीर्घ आवर्त सारणी में धातुओं और अधातुओं को पृथक् करने वाली सीमा के ऊपर दोनों धातुओं और अधातुओं के गुण रखने वाले तत्वों को अप-धातु कहते हैं।

(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास-तत्व के धात्विक क्रिस्टल में दो परमाणु एक-दूसरे के संपर्क में धात्विक आयनों (परमाणुओं) के न्यूक्लियसों की दूरी के आधे के बराबर मानी गई दूरी को धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 23.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की कोई दो विशेषताएं और दो विषमताएं बताएं।
उत्तर-
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं-

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी ने तत्वों के रसायन विज्ञान को सरल बना दिया है क्योंकि एक समान गुण वाले सभी तत्वों को एक समूह में एकत्रित कर दिया जाता है ताकि समूह के एक सदस्य के गुणों से दूसरे सदस्यों के गुणों का अनुमान लगाया जा सके।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमान ठीक करने के लिए योगदान डाला है। उदाहरणत: बैरीलियम का द्रव्यमान 13.5 से ठीक करके 9 कर दिया है।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विषमताएं –

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों के विभिन्न समस्थानिकों के लिए उचित स्थान नहीं है।
  • कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमान (Atomic) के बढ़ते क्रम में नहीं रखा गया है, परंतु उनके गुणों को ध्यान में रख कर स्थान निश्चित किया गया है।
  • यद्यपि हाइड्रोजन अधातु है, परंतु इसके बावजूद इसको लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुओं के . साथ रखा गया है।
  • उत्कृष्ट गैसों की खोज के बाद इनके लिए इस सारणी में कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 24.
इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसे कहते हैं ? इलैक्ट्रॉन आकर्षण किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन आकर्षण- जब किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु द्वारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन आकर्षण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसी तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण है। इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुए ऋण आवेशित हुए आयन को ऐनायन कहते हैं। इलैक्ट्रॉन आकर्षण (Electron Affinity) को संक्षेप में E.A के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल (Kilo Joule per mole या KJ mol-1) से मापा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 15

इलैक्ट्रॉन आकर्षण की निर्भरता- इलैक्ट्रॉन आकर्षण अधिकांश न्यूक्लीय आवेश, इलैक्ट्रॉन विन्यास तथा परमाणु आकार पर निर्भर करता है।

  • न्यूक्लीय आवेश बढ़ने के साथ इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • परमाणु आकार के कम होने से इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • जब इलैक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉनिक विन्यास पहले से ही स्थायी हो तो इलैक्ट्रॉनिक आकर्षण का मूल्य शून्य (0) होता है।

प्रश्न 25.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय (i) परमाणु आकार और (ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं जाते समय परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्त्वों की धात्विक प्रकृति घटती है या कम होती है।

प्रश्न 26.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे जाते समय
(i) परमाणु आकार और
(ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय परमाणु के आकार में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों का धात्विक स्वभाव अधिक होता जाता (बढ़ता) है।

प्रश्न 27.
तत्त्वों की आधुनिक आवर्त सारणी में किसी पीरियड में
(i) धात्विक स्वभाव और
(ii) संयोजकता बायें से दायें जाने पर कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बायें से दायें जाने पर तत्त्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी पीरियड में बायें से दायें जाने पर संयोजकता पहले 1 से 4 तक बढ़ती है और फिर 4 से कम होती होती शून्य हो जाती है।

प्रश्न 28.
एक परमाणु का इलैक्ट्रॉनी विन्यास 2, 8, 7 है।
(1) इस तत्व की परमाणु संख्या क्या है ? तत्व का नाम भी बताओ।
(2) निम्न में से किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी ?
N(7), F (9), P(15), Ar(18).
उत्तर-
(1) तत्व की परमाणु संख्या = 2 + 8 + 7 = 17 तत्व का नाम-क्लोरीन।
(2) इस तत्व की समानता N (7) तथा F (9) के साथ है।

प्रश्न 29.
तत्वों के वर्गीकरण के लिए न्यूलैंड का अष्टक का नियम लिखें।
उत्तर-
न्यूलैंड का अष्टक का नियम-इस नियम के अनुसार जब तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर पीछे आठवें सुर से दोहराए जाते हैं।

प्रश्न 30.
सोडियम [Na] तथा गंधक/सल्फर [S] दोनों आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं। इनमें से कौन-सा अधिक धात्विक है और क्यों ?
उत्तर-
तत्व सोडियम [Na] अधिक धात्विक होगा। किसी आवर्त में बायें से दायें जाते समय तत्वों के धात्विक लक्षण में कमी होती है। ऐसा इस लिए होता है कि तत्वों की इलैक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 31.
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम लिखो।
उत्तर-
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम-मेंडलीफ ने सभी तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु पुंज के चढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जिससे एक समान भौतिक तथा रासायनिक गुणों वाले भिन्न-भिन्न तथा एक निश्चित पीरियड के बाद दोबारा आ जाते हैं। इस आधार को मुख्य रख कर मेंडलीफ ने आवर्त सारणी बनाई जिसका नियम है : “तत्वों के गुण उनके परमाणु पुंज के आवर्त फंक्शन (फलन ) होते हैं।”

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बृहत् आवर्त सारणी का आधार क्या है ?
उत्तर-
परमाणु संख्या और इलैक्ट्रॉन का वितरण।

प्रश्न 2.
हैलोजन परिवार के तत्वों में कितने संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
इसमें सात संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 3.
चौथे आवर्त में कितने तत्व विद्यमान होते हैं ?
उत्तर-
चौथे आवर्त में कुल 18 तत्व हैं।

प्रश्न 4.
Mg2+ आयन में कितने इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं ?
उत्तर-
इसमें दस इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं।

प्रश्न 5.
Na और Mg में से किसका आकार बड़ा है ?
उत्तर-
सोडियम (Na) का आकार मैग्नीशियम (Mg) से बड़ा होता है।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन की संयोजकता क्या है ?
उत्तर-
इसकी संयोजकता तीन (3) है।

प्रश्न 7.
Li और Na में से कौन अधिक सक्रिय है ?
उत्तर-
Na अधिक सक्रिय है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 8.
उन तत्वों का उल्लेख कीजिए जिनकी खोज मेंडलीफ की आवर्त सारणी बनाने के बाद हुई।
उत्तर-
स्कैडियम (Sc), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge) आदि ऐसे उदाहरण है जिन्हें आवर्त सारणी बनाने के बाद खोजा गया था।

प्रश्न 9.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में वर्गों तथा आवर्तों की संख्या लिखिए।
उत्तर-
नौ वर्ग (समूह) तथा सात आवर्त हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं ?
उत्तर-
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार बाईं से दाईं ओर क्रमिक रूप से घटते हैं।

प्रश्न 11.
किसी तत्व का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 3 है। इसे आवर्त सारणी के किस समूह में रखना उचित होगा?
उत्तर-
इसे आवर्त सारणी के तृतीय समूह में रखना उचित होगा।

प्रश्न 12.
तीन तत्वों X, Y, Z में से X और Z के परमाणु भार 35.5 और 127 हैं। डॉबेरेनर के त्रिक के आधार पर Y का परमाणु भार ज्ञात करो।
उत्तर-
Y का परमाणु भार = \(\frac{35.5+127}{2}\) = 81.25

प्रश्न 13.
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को किस आवर्त और किस समूह में रखा गया है ?
उत्तर-
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को तृतीय आवर्त तथा V-A समूह में रखा गया है।

प्रश्न 14.
किसी तत्व के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 हैं। इसे आवर्त सारणी के किस वर्ग एवं आवर्त में रखना उचित है ?
उत्तर-
इस तत्व की वर्ग संख्या II-A तथा आवर्त संख्या चार है।

प्रश्न 15.
एक तत्व M आवर्त सारणी के तीसरे समूह में हैं, इसे ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
M2O3.

प्रश्न 16.
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को कितने समूहों एवं आवों में विभक्त करते हैं ?
उत्तर-
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को 7 आवर्तों और 18 वर्गों में विभाजित किया गया है। आवर्त को क्षैतिज स्तंभ तथा वर्गों की ऊर्ध्वाधर स्तंभ भी कहते हैं।

प्रश्न 17.
मेंडलीफ का आवर्त नियम लिखिए।
उत्तर-
तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 18.
मेंडलीफ ने अपनी सारणी किसे ध्यान में रखकर बनाई थी ?
उत्तर-
तत्वों के परमाणु द्रव्यमान की वृद्धि क्रम को ध्यान में रख कर।

प्रश्न 19.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में कुल कितने वर्ग हैं ?
उत्तर-
मेंडलीफ आवर्त सारणी में I से VIII तक तथा इसके बाद शून्य (0) समूह को मिलाकर कुल नौ वर्ग हैं।

प्रश्न 20.
आवर्त में फॉस्फोरस के बाद आने वाले तत्व का नाम बताइए।
उत्तर-
इस तत्व का नाम सल्फर (S) है।

प्रश्न 21.
नाइट्रोजन और फॉस्फोरस किस वर्ग से संबंधित हैं ?
उत्तर-
ये दोनों वर्ग VA से संबंधित हैं।

प्रश्न 22.
Mg और AI में कौन-सा अधिक धात्वीय है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम (Mg) अधिक धात्वीय है।

प्रश्न 23.
निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
उत्तर-
सभी निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के शून्य वर्ग में हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अष्टक नियम का प्रतिपादन किया –
(a) न्यूलैंड ने
(b) डॉबेराइनर ने
(c) मेंडलीफ ने
(d) लोथर मेयर ने
उत्तर-
(a) न्यूलैंड ने।

प्रश्न 2.
आवर्त नियम के जनक थे.
(a) न्यूलैंड
(b) डॉबेराइनर
(c) मेंडलीफ
(d) लोथर मेयर।
उत्तर-
(c) मेंडलीफ।

प्रश्न 3.
एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है, तत्व उपस्थित है.
(a) समूह 2 में
(b) समूह 18 में
(c) समूह 8 में
(d) समूह 10 में।
उत्तर-
(b) समूह 18 में।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा विन्यास धात्विक गुण प्रदर्शित करता है?
(a) 2,8,2
(b) 2,8,4
(c) 2,8,8
(d) 2,7.
उत्तर-
(a) 2,8,2.

प्रश्न 5.
मेंडलीफ आवर्त नियम के अनुसार, आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था है
(a) परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में
(b) परमाणु संख्या के घटते क्रम में
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में
(d) परमाणु द्रव्यमान के घटते क्रम में।
उत्तर-
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में।

प्रश्न 6.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में, बाद में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए स्थान छोड़े गए थे। आवर्त सारणी में निम्नलिखित तत्वों में से किसने बाद में स्थान प्राप्त किया? ।
(a) जर्मेनियम
(b) क्लोरीन
(c) ऑक्सीजन
(d) सिलिकॉन।
उत्तर-
(a) जर्मेनियम।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा आवर्त-2 के तत्वों के लिए बाह्यतम कोश है ?
(a) K – कोश
(b) L- कोश
(c) M – कोश
(d) N – कोश
उत्तर-
(b) L – कोश।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित तत्वों में से किसकी परमाणु त्रिज्या सबसे बड़ी होगी ?
(a) Mg
(b) Na
(c) K
(d) Ca.
उत्तर-
(c) K.

प्रश्न 9.
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु साइज –
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) पर्याप्त नहीं बदलता है
(d) पहले बढ़ता है और फिर घटता है।
उत्तर-
(b) घटता है।

प्रश्न 10.
मेंडलीफ ने बेरॉन तथा ऐलुमीनियम के बीच में नए तत्व के लिए खाली स्थान छोड़ा था जो बाद में खोजा गया था यह तत्व है
(a) Na
(b) Ca
(c) Ga
(d) Ba.
उत्तर-
(c) Ga.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) …………………. का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है।
उत्तर-
मैग्नीशियम

(ii) डाबेराइनर ने तीन-तीन तत्व वाले कुछ समूहों को चुना एवम् इन समूहों को …………………………. कहा।
उत्तर-
त्रिक्

(iii) आधुनिक आवर्त सारणी में …………………………. क्षैतिज पंक्तियाँ हैं।
उत्तर-
7

(iv) आधुनिक आवर्त सारणी में टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं को ………………………… से अलग करती है।
उत्तर-
अधातुओं

(v) सन् 1866 में अंग्रेज़ वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को ……………………………….. के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया।
उत्तर-
परमाणु द्रव्यमान।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपररूपता किसे कहते हैं ? कार्बन के अपररूपों के नाम लिखो। क्या वे रासायनिक दृष्टि से समान हैं ? उनके भौतिक गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अपररूपता- जिस गुण के कारण तत्व विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं, उसे अपररूपता कहते हैं तथा विभिन्न रूपों को तत्व के अपररूप कहते हैं।

कार्बन के अपररूप

  • हीरा
  • ग्रेफाइट।

रासायनिक दृष्टि से समानता-यदि दोनों अपररूपों की समान मात्रा को वायु में गर्म किया जाए तो दोनों समान मात्रा में ही कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं और शेष कुछ नहीं बचता। अतः इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि दोनों अपररूप रासायनिक दृष्टि से समान हैं :
C + O2 → CO2, (हीरा या ग्रेफाइट)
हीरे तथा ग्रेफाइट के भौतिक गुणों की तुलना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 1

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 2.
(क) सहसंयोजी आबंध किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
(ख) आयनिक और सहसंयोजी यौगिकों में अंतर लिखिए।
उत्तर-
(क) सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक जोडे की साझेदारी से बनने वाले आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं। इनमें निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं

  • इन अणुओं में भीतर प्रबल आबंध होता है लेकिन इनका अंतराअणुक बल कम होता है।
  • इनका क्वथनांक कम होता है।
  • इनका गलनांक कम होता है।
  • इनके यौगिक विद्युत् के कुचालक होते हैं।

(ख) आयनिक तथा सहसंयोजी यौगिकों में अंतर-

आयनिक यौगिक सहसंयोजी यौगिक
1. ये प्रायः क्रिस्टलीय ठोस अवस्था में पाए जाते हैं। 1. ये प्रायः द्रवीय या गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं परंतु कुछ ठोस अवस्था में भी पाए जाते हैं।
2. ये विद्युत् के सुचालक होते हैं। 2. ये विद्युत् के कुचालक होते हैं।
3. ये जल में घुलनशील होते हैं। 3. ये कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं।
4. ये तीव्र अभिक्रियाशील होते हैं। 4. ये धीमे अभिक्रियाशील होते हैं।
5. इनका गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है। 5. इनका गलनांक और क्वथनांक निम्न होता है।

प्रश्न 3.
कार्बन यौगिकों की गणना अन्य सभी तत्त्वों की गणना के कुल योग से भी अधिक है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर-
कार्बन यौगिकों की अत्याधिक संख्या-सहसंयोजी बंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता होती है। ऐसा कार्बन के दो निम्नलिखित कारकों/गुणों के फलस्वरूप होता है-
(i) श्रंखलन (Catenation) कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या में अणु बनते हैं। इस गुण को शृंखलन कहते हैं।

इन यौगिकों में-
(a) कार्बन की लंबी श्रृंखला,
(b) कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली श्रृंखला अथवा
(c) वलय में व्यवस्थित कार्बन भी पाये जाते हैं।

साथी ही कार्बन के परमाणु एक, द्वि अथवा त्रि आबंध से जुड़े हो सकते हैं। जिस सीमा तक श्रृंखलन का गुण कार्बन यौगिकों में पाया जाता है वह किसी और तत्त्व में नहीं मिलता। कार्बन-कार्बन आबंध अत्याधिक प्रबल होता है। अत: यह स्थायी होता है।

(ii) चतुः संयोजकता (Tetra-valency)-चूंकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, इसलिए इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं या कुछ अन्य एक संयोजक तत्त्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन सल्फर, क्लोरीन तथा अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं। अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध प्रबल होते हैं जिससे यौगिक बहुत स्थायी होते हैं। प्रबल आबंधों के कारण इसका आकार भी छोटा होता है।

प्रश्न 4.
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म लिखिए।
उत्तर-
कार्बन यौगिकों के प्रमुख रासायनिक गुणधर्म कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म निम्नलिखित हैं
(i) दहन-कार्बन अपने सभी अपरूपों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करता है और ऊष्मा, प्रकाश के साथ-साथ CO2, उत्पन्न करता है। उदाहरण
C + O2 → CO2 + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH4 + 2O2, → CO2 + 2H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH3CH2OH + 3O2 → 2CO2 + 3H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन स्वच्छ ज्वाला के साथ जलते हैं और असंतृप्त कार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।

(ii) ऑक्सीकरण-कार्बन यौगिकों को दहन के द्वारा सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। क्षारीय पोटाशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट ऐल्कोहॉलों को अम्लों में ऑक्सीकृत कर देते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 2

(iii) संकलन अभिक्रिया-असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पैलेडियम और निक्कल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अपने साथ हाइड्रोजन संकलित (जोड़) कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाते हैं। निक्कल उत्प्रेरक का उपयोग प्रायः वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में किया जाता है। वनस्पति तेलों में प्रायः लंबी असंतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं जबकि जंतु वसा में संतृप्त कार्बन श्रृंखलाएं होती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 3
(iv) प्रतिस्थापन अभिक्रिया-संतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिकतर अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिया नहीं करते पर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन का हाइड्रोकार्बन में संकलन होता है। क्लोरीन अति तीव्र अभिक्रिया में एकएक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं का प्रतिस्थापन करती है जिस कारण उच्च समजातीय एल्केन के साथ अनेक उत्पादों का निर्माण होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 4
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 5

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल किसे कहते हैं ? कृत्रिम ऐथनॉल को किस विधि द्वारा बनाया जाता है ? एथेनॉल के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के सरल यौगिक होते हैं। किसी एल्केन के एक हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (-OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।
ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र (CnH2n +2) OH होता है।
उदाहरण-

  • मिथेन (CH4) में हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (–OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने में मिथनॉल (CH3OH) प्राप्त होता है।
  • एथेन द्वारा एथेनॉल (C2H5OH) प्राप्त होता है।

कृत्रिम एथेनॉल की तैयारी –
कृत्रिम एथेनॉल को बनाने के लिए फॉस्फोरिक अम्ल की उपस्थिति में एथीन की जल के साथ क्रिया की जाती है।
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एथीन फॉस्फोरिक अम्ल
एथेनॉल एथेनॉल के भौतिक गुण

  • यह एक विशिष्ट गंध वाला रंगहीन द्रव है।
  • इसका क्वथनांक 351K तथा गलनांक 156K है।
  • यह सभी अनुपातों में जल में विलेय है।
  • इसका लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि यह उदासीन है।

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
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(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
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इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

प्रश्न 6.
एथेनॉल के तीन रासायनिक गुण लिखो। इसका प्रयोग ईंधन के तौर पर क्यों किया जाता है ?
उत्तर-

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
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(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
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इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

एथेनॉल का प्रयोग ईंधन के रूप में- यह कार्बन का यौगिक ऑक्सीजन में जलने पर अत्यधिक मात्रा में उष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है। कुछ देशों में पैट्रोल में एथेनॉल मिलाकर स्वच्छ इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
C2H5OH + O2 → CO2 + H2O + ऊष्मा + प्रकाश

प्रश्न 7.
ऐथनॉइक अम्ल के वाणिज्यकीय उत्पादन की विधि का वर्णन करें। ऐथनॉइक अम्ल के गुण तथा उपयोग भी लिखिए।
उत्तर-
ऐथनॉइक अम्ल का वाणिज्यकीय उत्पादन
ऐथनॉइक अम्ल (Acetic Acid) को किण्वन क्रिया से व्यापारिक स्तर पर तैयार किया जाता है। ऐथनॉल की एसिटोबैक्टर नामक जीवाणुओं की उपस्थिति में किण्वन क्रिया करवाई जाती है। यह एक ऑक्सीकरण क्रिया है जिससे ऐथनॉइक अम्ल प्राप्त कर लिया जाता है।
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ऐथनॉइक अम्ल के गुण
(क) भौतिक गुण-

  • शुद्ध ऐथनॉइक अम्ल का गलनांक 290K होता है और इसीलिए शीत के दिनों में जम जाता है।
  • यह एक दुर्बल अम्ल है।
  • यह पानी में विलेय है।

(ख) रासायनिक गुण

  • सोडियम से क्रिया 2CH3COOH + 2Na → 2CH3COONa + H2 सोडियम ऐथनोएट
  • सोडियम हाइड्रोक्साइड और पोटेशियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया –

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(iii) कार्बोनेट एवं हाइड्रोजन कार्बोनेट से क्रिया-कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ क्रिया करके यह लवण जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
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(iv) ऐस्टरीकरण प्रतिक्रिया-एथेनाइक अम्ल किसी अम्लीय उत्प्रेरक की उपस्थिति में शुद्ध ऐथनॉल (अल्कोहल) से प्रतिक्रिया करके ऐस्टर बनाता है। ऐस्टर की गंध मीठी होती है।
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ऐथनोइक अम्ल के उपयोग –

  • ऐथनॉइक अम्ल रंग, रेयॉन, प्लास्टिक, रबड़ और रेशम उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है।
  • इसे सिरका तथा अचार के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • इसे सफेद सीसा (white lead 2PbCO3.Pb(OH)2) बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।

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प्रश्न 8.
निम्न पदों की व्याख्या कीजिए :
(i) एस्टरीकरण
(ii) साबुनीकरण
(iii) डिकार्बोक्सीलेशन एवं
(iv) बहुलीकरण।
उत्तर-
(i) एस्टरीकरण (Esterification)
ऐल्कोहॉलों के सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में कार्बनिक अम्लों की क्रिया से एस्टर के निर्माण की विधि को एस्टरीकरण कहते हैं।
विधि-एक परखनली में इथाइल ऐल्कोहॉल को एसिटिक अम्ल में मिलाओ। इसमें कुछ बूंदें सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की डालो और परखनली को हल्के गर्म पानी के टब में रख दो। शीघ्र ही सारे कमरे में एस्टर की सुगंधी भर जाएगी।
CH3COOH + C2H5OH → CH3COOC2H5
यह क्रिया एस्टरीकरण का उदाहरण है। एस्टरों का उपयोग आइसक्रीम, ठंडे पेय, दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है।

(ii) साबुनीकरण (Saponification) वसा को विघटित करने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। साबुनीकरण का कार्य वनस्पति या जंतु वसा में कास्टिक सोडा का 40% विलयन डाल कर गर्म करने से हो जाता है। वसा तथा क्षार अभिक्रिया करके साबुन तथा ग्लिसरॉल बनाते हैं।
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जलीय विलयन से साबुन को अवक्षेपित करने के लिए इसमें नमक का संतृप्त घोल डाला जाता है। ठंडा होने पर साबुन जम कर ऊपरी सतह पर आ जाता है। इसे ऊपर से निकाल लिया जाता है और इसमें मनचाहा रंग और सुगंध मिला कर विभिन्न प्रकार के आकार दे दिए जाते हैं।

(iii) डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation)
ऐथेनॉइक अम्ल के सोडियम या पोटाशियम लवण को सोडियम हाइड्रोक्साइड और कैल्सियम ऑक्साइड के 3 : 1 मिश्रण के साथ गर्म करने से मिथेन उत्पन्न होती है।
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यह मीथेन गैस को बनाने की उपयोगी विधि है। चूंकि इस में CO, का एक अणु हट जाता है, इसलिए इस क्रिया को डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation) कहते हैं।

(iv) बहुलीकरण (Polymerization)-
जब विशेष ताप और दाब की उपस्थिति में छोटे-छोटे अणु आपस में जुड़कर एक बड़ा अणु बनाते हैं तो इस क्रिया को बहुलीकरण कहते हैं। छोटे अणु को ‘एकलक’ और बड़े अणु को ‘बहुलक’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
समावयव से क्या अभिप्राय होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ब्यूटेन के समावयव लिखिए।
उत्तर-
समावयव (Isomers)- ऐसे यौगिक जिनका आण्विक सूत्र तो समान हो परंतु अणुओं की संरचनात्मक व्यवस्था भिन्न-भिन्न हो, उन्हें समावयव कहते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते हैं। मिथेन, एथेन, प्रोपेन में कार्बन तथा हाइड्रोजन के परमाणुओं को पुनः व्यवस्थित करने पर भी संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आता परंतु जब अल्केन के अणु में कार्बन की संख्या तीन से अधिक हो जाती है तो एक से अधिक व्यवस्थाएं संभव हो जाती हैं।

इनमें से एक में कार्बन परमाणु लंबी श्रृंखला बनाते हैं जबकि दूसरे में शाखाएं होती हैं। ब्यूटेन में शाखा युक्त श्रृंखला में कम-से-कम कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से बंधित है। इस प्रकार अल्केनों को आइसो-अल्केन कहते हैं। शाखा रहित श्रृंखला में कोई भी कार्बन परमाणु दो से अधिक कार्बन परमाणुओं से बंधित नहीं होता है। इस प्रकार के एल्केनों को सामान्य (नार्मल) n-एल्केन कहते हैं।
ब्यूटेन के दो समावयव
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन मुख्यतया सहसंयोजी आबंधों द्वारा यौगिक क्यों बनाता है ?
उत्तर-
कार्बन परमाणु में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह इन चार इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर अथवा चार अन्य इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके स्थायी विन्यास प्राप्त कर सकते हैं। ऊर्जा संबंधी तथ्यों के अनुसार कार्बन चार इलेक्ट्रॉनों को न तो ग्रहण कर सकता है और न ही इनका त्याग कर सकता है। इस प्रकार, कार्बन के लिए स्थायी विन्यास प्राप्त करने हेतु केवल एक ही विकल्प है कि यह यौगिक निर्माण में इलेक्ट्रॉनों को सांझा करे अर्थात् सहसंयोजक आबंध बनाए।

प्रश्न 2.
CH3CI के आबंध के निर्माण की उदाहरण से सहसंयोजक आबंध की प्रकृति को समझाइए।
उत्तर-
CH3CI एक कार्बन परमाणु, तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु का बना होता है। कार्बन परमाणु में 4 (संयोजकता इलेक्ट्रॉन), प्रत्येक हाइड्रोजन में 1 संयोजकता इलेक्ट्रॉन और क्लोरीन परमाणु में 7 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु से सांझा करके CH,CI बनाता है।
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CH3Cl की उपर्युक्त इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना से हम पता लगा सकते हैं कि कार्बन और दूसरे परमाणुओं के बीच में साझे इलेक्ट्रॉनों के चार जोड़े हैं। साझे इलेक्ट्रॉनों का प्रत्येक जोड़ा एक एकल सहसंयोजक आबंध बनाता है। इसलिए, CH3Cl में चार एकल सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न 3.
हीरे की संरचना समझाइए और बताइए कि हीरा इतना कठोर क्यों है ?
उत्तर-
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु नियमित चतुष्फलक के केंद्र में स्थित रहता है तथा यह सहसंयोजक बंध द्वारा उन चार कार्बन परमाणुओं से बंधित रहता है जो चतुष्फलक के चारों कोनों पर स्थित होते हैं। इस प्रकार कार्बन परमाणु के समस्त बंध योग्य इलेक्ट्रॉन बंधित रहते हैं तथा कोई भी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र नहीं होता। इस प्रकार के प्रबल बंधित चतुष्फलक अवस्था के कारण एक तीन आयामी सुदृढ़ संरचना बन जाती है। हीरा सबसे कठोर तत्व है तथा इसका घनत्व अति उच्च है। चित्र-हीरे की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था
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प्रश्न 4.
हीरे के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
हीरे के उपयोग–

  • हीरा सबसे कठोर पदार्थ है इसलिए इसका उपयोग दूसरे पदार्थों को काटने के लिए किया जाता है।
  • इसकी अद्वितीय चमक के कारण इसका उपयोग आभूषणों को बनाने में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पृथ्वी की चट्टानों में छिद्र करने हेतु पेषण के रूप में किया जाता है।
  • नुकीले किनारे वाले हीरे शल्य चिकित्सकों को आँखों से मोतिया बिंद हटाने के लिए उत्तम औजार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
हीरे के अत्यधिक चमकने के कारण बताइए।
उत्तर-
हीरा एक पारदर्शक पदार्थ है जिसका अपवर्तन गुणांक बहुत अधिक होता है। इसमें से गुजरने वाली प्रकाश किरणों का मार्ग से विचलन बहुत अधिक होता है। इसके अनेक प्रतिच्छेदी तलों के अनुरूप उच्चकोटि का विचलन होता है। जब इन प्रतिच्छेदी तलों को पॉलिश कर दिया जाए तो यह हीरे को एक विशेष प्रकार की चमक प्रदान करते हैं जिससे हीरा अत्याधिक चमकता है।

प्रश्न 6.
ग्रेफाइट की संरचना लिखिए तथा यह बताइये कि ग्रेफाइट इतना मुलायम क्यों है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट की संरचना-ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन पड़ोसी कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा होता है तथा षट्कोणीय जाल की परतें बनाता है। हीरे की तुलना में ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं के बीच की दूरी अधिक होती है। ऊपर नीचे की परतों की इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बंध बनने की संभावना समाप्त हो जाती है जिससे चौथा इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रह जाता है। दूसरे के ऊपर आसानी से फिसल सकती हैं, जिस कारण ग्रेफाइट में स्नेहक गुण होते हैं तथा यह स्पर्श करने में चित्र-ग्रेफाइट की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था मुलायम तथा चिकना अनुभव होता है।
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प्रश्न 7.
ग्रेफाइट के भौतिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के भौतिक गुण-

  • ग्रेफाइट एक चमकदार काला पदार्थ है।
  • ग्रेफाइट स्पर्श करने पर मुलायम तथा चिकना प्रतीत होता है।
  • यह विद्युत् का सुचालक है।
  • इसका घनत्व 2250 kg/m है।
  • इसका गलनांक 3700°C है।

प्रश्न 8.
क्या कारण है कि ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा रहता है तथा जिस कारण इसमें षट्कोणीय जाल की परतें बनाती हैं। इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच दूरी अधिक होती है। परतों के मध्य इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंधों के बनने की संभावना समाप्त हो जाती है और चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र छूट जाता है। इसीलिए ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह आसानी से हो सकता है और ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक होता है।

प्रश्न 9.
ग्रेफाइट के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के उपयोग-

  • यह विद्युत् का सुचालक है, इसलिए इसका उपयोग शुष्क सैल, विद्युत् आर्क में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
  • इससे पेंसिल, काला रंग, काला पेंट इत्यादि बनाए जाते हैं।
  • इसके स्नेहक गुण के कारण इसका उपयोग उच्च ताप पर मशीनों को चिकना रखने में होता है।
  • इसके उच्च गलनांक के कारण ग्रेफाइट की बनी क्रूसीबल कुछ धातुओं को पिघलाने हेतु उपयोग होती है।

प्रश्न 10.
उन पदार्थों को जिनमें 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, फुलरीन क्यों कहते हैं?
उत्तर-
जिन पदार्थों में 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, उन्हें फुलरीन कहते हैं। अमेरिकी वास्तुकार बकमिंसटर फुलर ने त्रिविमीय ज्यामिति वाले गुंबदों की रचना की जिन्हें दृढ़ता प्रदान करने के लिए पंचकोणीय और षट्कोणीय व्यवस्था का उपयोग किया गया था। फुलरीन अणुओं की संरचना इन गुंबदों से मिलती-जुलती प्रतीत होती है। इसलिए उनके नाम पर इन्हें फुलरीन कहते हैं।
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प्रश्न 11.
मिथेन, एथेन, एथीन और प्रोपेन की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
(1) मिथेनसूत्र : CH4
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(2) एथेनसूत्र : C2H6
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(3) एथीनसूत्र : C2H4
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(4) प्रोपेनसूत्र : C2H10
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प्रश्न 12.
(a) समजातीय श्रृंखला क्या होती है ? इसके दो गुण लिखो। एल्केन श्रृंखला के पहले दो सदस्यों के नाम एवं सूत्र लिखो।
(b) मिथेन श्रृंखला के प्रथम तीन समजातीय सदस्यों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखो।
उत्तर-
(a) समजातीय श्रेणी-कार्बनिक यौगिकों को एक ही क्रियात्मक समूह वाले, रासायनिक दृष्टि से समान तथा एक ही सामान्य सूत्र से प्रकट किए जा सकने वाले यौगिकों के समूहों में बांटा जा सकता है। ऐसे प्रत्येक समूह को सजातीय श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी में रखे गए निकटतम दो सदस्यों के आण्विक सूत्रों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है। एक समजातीय श्रेणी के प्रत्येक सदस्यों को समजात कहते हैं। एक ही समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को समान विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

समजातीय श्रृंखला के गुण-
(1) किसी भी समजातीय श्रृंखला के सदस्यों को एक सी विधि द्वारा तैयार किया जा सकता है।
(2) समजातीय श्रृंखला के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण एक समान होते हैं तथा भौतिक गुणों में अणुभार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।

उदाहरण-एल्केन की समजातीय श्रेणी अग्र है-
सामान्य सूत्र : CnH2n+2
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(b) मिथेन के प्रथम तीन सजातीय सदस्य
(i) एथेन (C2H6)
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(ii) प्रोपेन (C3H8)
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(iii) ब्यूटेन (C4H20)
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प्रश्न 13.
समजातीय श्रेणी के लक्षण लिखो।
उत्तर-
समजातीय श्रेणी के लक्षण-

  • किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है। जैसे एल्केन समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक ही सामान्य सूत्र CnH2n+2. द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के दो साथ-साथ वाले सदस्यों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक जैसे रासायनिक गुण प्रकट करते हैं।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक गुणों में अणु भार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सी विधियों द्वारा तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
कभी-कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे भी जलते समय बर्तनों को काला करते हैं ? क्यों? इससे वायु प्रदूषण किस प्रकार होता है?
उत्तर-
जब कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे जलते समय बर्तनों को काला करें तब समझ जाना चाहिए कि वायु के लिए बने स्टोव छिद्र किसी कारण अवरुद्ध हो गए हैं। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में स्वच्छ नीली ज्वाला उत्पन्न होती है लेकिन जब ईंधन को जलने के लिए वायु की आवश्यक मात्रा नहीं मिलती तब ईंधन व्यर्थ खर्च होने लगता है ; काला धुआँ उत्पन्न होता है जिस से बर्तनों के तले काले होने लगते हैं और वायु प्रदूषित होती है।

प्रश्न 15.
सजीव प्राणियों पर एथेनॉल का सेवन सीधे रूप से क्या-क्या प्रभाव डालता है ?
उत्तर-

  • एथेनॉल के सेवन से उपापचयी प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है।
  • समन्वय की कमी हो जाने के कारण मानसिक दुविधा, उनींदापन और अंतर्बोध में कमी उत्पन्न हो जाती है।
  • सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है।
  • माँसपेशियाँ प्रभावित हो जाती हैं।

प्रश्न 16.
मेथेनॉल के प्रयोग से कोई भी व्यक्ति किस प्रकार प्रभावित होता है ?
अथवा
एथानोल पीने से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
इथानोल का स्वास्थ्य पर प्रभाव –

  • इसके पीने से दिल की पेशियाँ खराब हो जाती हैं।
  • इससे जिगर का आकार बढ़ जाता है।
  • इसके अधिक सेवन से जिगर के फेल होने से मृत्यु भी हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से दिल पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके अधिक सेवन से व्यक्ति शराबी हो जाता है, जुबान तुतलाने लगती है तथा निर्णय लेने की क्षमता में भी अधिक समय लगता है।

प्रश्न 17.
एक कार्बनिक यौगिक ‘A’ का अणुसूत्र C2H6O है। गर्म उत्प्रेरक ताँबे की उपस्थिति में वायु में उपचयन द्वारा यह CH3COOH में उपचयित हो जाता है। यौगिक ‘A’ क्या है ?
उत्तर-
यौगिक ‘A’ उपचयन द्वारा ऐसीटिक एसिड, CH3COOH बनाता है चूँकि एसिड, ऐल्कोहॉल या एक एल्डिहाइड के उपचयन से बनता है। अतः यौगिक ‘A’ एक ऐल्कोहॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) या एस्टिएल्डिहाइड होना चाहिए क्योंकि इसके अणु में दो कार्बन परमाणु होते हैं। एथिल ऐल्कोहॉल CH3CH2OH या C2H5OH होता है तथा एस्टिएल्डिहाइड CH3CHO या C2H4O होता है। इसलिए यौगिक ‘A’ केवल एथिल ऐल्कोहॉल ही है।

प्रश्न 18.
मिसेल निर्माण क्यों होता है जब साबुन को जल में मिलाया जाता है ?
उत्तर-
जब साबन को जल में मिलाया जाता है, मिसेल निर्माण होता है क्योंकि साबन अणुओं को हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाएँ जल-विरोधी (जल-विकर्षक) होती हैं जो जल में अविलेय हैं परंतु साबुन अणुओं के आयनिक सिरे जलरागी (जल-आकर्षक) होते हैं और इस कारण जल में विलेय होते हैं। साबुन मिसेल में, हाइड्रोकार्बन, श्रृंखला के अनावेशित सिरे अंदर की ओर होते हैं जबकि आवेशित आयनिक सिरे बाहर की ओर होते हैं।

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प्रश्न 19.
कारण सहित समझाइए कि क्यों साबुन कठोर जल में शोधन अभिकर्मक का कार्य प्रभावी रूप से संपन्न नहीं करता है ?
उत्तर-
साबुन कठोर पानी में सफ़ाई करने में प्रभावी नहीं होते क्योंकि कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। जब साबुन को कठोर पानी में डाला जाता है तब कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम आयन साबुन से क्रिया करते हैं और वसीय अम्लों के कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों को बनाते हैं –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 29
यदि कठोर पानी का प्रयोग किया जाए तो साबुन का बहुत बड़ा भाग व्यर्थ हो जाता है।
स्पष्ट ही कठोर पानी के प्रयोग से साबुन, कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों के अघुलनशील तलछट तैयार करते हैं जो कपड़ों से चिपके रहते हैं। ये कपड़े की सफ़ाई करने में बाधा बनते हैं और कपड़े पूरी तरह से साफ़ नहीं हो पाते।

प्रश्न 20.
साबुन और अपमार्जकों मे अंतर लिखिए।
उत्तर-
साबुन और अपमार्जक में अंतर

साबुन (Soap) अपमार्जकों  (Detergent)
(1) साबुन लंबी शृंखला वाले वसा अम्लों का सोडियम लवण होता है। (1) संश्लिष्ट अपमार्जक, लंबी श्रृंखला वाले ‘बेंजीन,  सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण’ या लंबी श्रेणी वाले ‘एल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण’ होता है।
(2) साबन कठोर जल के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता। (2) अपमार्जक कठोर जल के साथ भी झागं उत्पन्न करता है।
(3) साबुन को वनस्पति तेल या जंतु वसा से बनाया जाता है। (3) संश्लिष्ट अपमार्जक कोयले तथा पेट्रोलियम के  हाइड्रोकार्बन से बनते हैं।
(4) साबुन जल प्रदूषण नहीं फैलाता। (4) अपमार्जक जल प्रदूषण फैलाता है।
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प्रश्न 21.
किण्वन प्रक्रम द्वारा एथॉनॉल के विरचन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साधारण ताप पर किसी जैव-रासायनिक उत्प्रेरक की उपस्थिति में किण्वन क्रिया की जाती है जिसमें शर्करा अणुओं का ऐल्कोहॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तन होता है। ये उत्प्रेरक ‘एंजाइम’ कहलाते हैं, जिनका शाब्दिक अर्थ ‘यीस्ट’ या ‘खमीर के अंदर’ होता है। ऐथनॉल को एंजाइमों की उपस्थिति में शक्कर या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है। किसी पात्र में अंगूर के रस या शर्करा के विलयन में खमीर डाल कर इसे 20°-30°C ताप पर रखा जाता है। किण्वन द्वारा शक्कर या स्टार्च के अणु छोटे अणुओं में टूट जाते हैं जिससे कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। इस कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकलने दिया जाता है परंतु वायु को पात्र में नहीं जाने दिया जाता। इस किण्वन प्रक्रिया के दौरान एथेनॉल का जल में तनु घोल बन जाता है। ऐथेनॉल को पृथक् करके आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 32

प्रश्न 22.
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध को प्रदर्शन करें।
उत्तर-
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध का प्रदर्शन-हाइड्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक एक है। इसलिए इसके K कक्ष में एक इलैक्ट्रॉन है तथा इस K कक्ष को पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन के दो परमाणु परस्पर 1-1 इलैक्ट्रॉन सांझा करके हाइड्रोजन अणु (H2) बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु निकटतम हीलियम गैस का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं जिससे दोनों परमाणुओं के K कक्ष में 2-2 इलैक्ट्रॉन हो जाते हैं। इस प्रकार इन सांझा किये गए इलैक्ट्रॉन युग्म से दो परमाणुओं के मध्य एकल सहसंयोजक आबंध बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 33

प्रश्न 23.
ऑक्सीजन के अणु में बनने वाले सहसंयोजक आबंध को समझाओ तथा चित्र द्वारा इसका प्रदर्शन करो।
उत्तर-
ऑक्सीजन के अणु में बने सहसंयोजक आबंध की जानकारी तथा प्रदर्शन-ऑक्सीजन का परमाणु अंक 6 है। इसके परमाणु के L कक्ष में 6 इलैक्ट्रॉन होते हैं तथा इसे अपना अष्टक पूरा करने के लिए दो अन्य इलैक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इसलिए ऑक्सीजन के प्रत्येक परमाणु 2 इलैक्ट्रॉन दूसरे परमाणु के साथ 2 इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी करता है। इस प्रकार ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के मध्य 2 युग्म इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी से दोहरा सहसंयोजक आबंध बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 34

प्रश्न 24.
नाइट्रोजन के अणु में किस प्रकार का आबंध बनता है ? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के अणु में सहसंयोजक आबंध का बनना-नाइट्रोजन के अणु में दो नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। नाइट्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक 7 है तथा इसके अंतिम कक्ष L में 5 इलैक्ट्रॉन होते हैं। नाइट्रोजन के अणु के प्रत्येक परमाणु को अष्टक पूरा करने के लिए 3 इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक परमाणु 3-3 इलैक्ट्रॉन सांझा करता है। इस प्रकार सांझा किये गए तीन युग्म इलैक्ट्रॉनों से सहसंयोजक त्रि-आबंध का निर्माण होता है। N, की इलैक्ट्रॉन बिंदु संरचना तथा सहसंयोजक त्रि-आबंध का प्रदर्शन चित्र में किया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 35

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 25.
चित्र में दर्शाई रचना को क्या कहा जाता है ? इसके दो सिरे क्या दर्शाते हैं ? यह रचना किस क्रिया में बनती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 36
उत्तर-
चित्र में दर्शाई गई संरचना को मिसेल कहते हैं। इसके दो सिरे होते हैं, एक जलरागी तथा दूसरा सिरा जलविरागी अथवा पूँछ कहलाता है। यह संरचना, साबुन द्वारा सफाईकरण क्रिया में बनती है।

प्रश्न 26.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाई गई रचना का नाम लिखें 1 और 2 को अंकित करें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 37
उत्तर-
चित्र में दशाई गई रचना मिसैल कहलाती है।
1 जलस्नेही सिरा (हाइड्रोफिलिक सिरा)
2 जल-विरोधी सिरा (हाइड्रोफोबिक सिरा)

प्रश्न 27.
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र लिखें ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 38
उत्तर-
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र : C3H8
(ii) ब्रोमो-एथेन।

प्रश्न 28.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाए गए यौगिक का नाम लिखो। इस यौगिक में कितने इकहरे (Single) सहसंयोजी बन्ध हैं ? यह यौगिक किस कार्बनिक श्रृंखला का है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 39
उत्तर-
यौगिक नाम : ईथीन ईथीन में चार इकहरे सहसंयोजी आबंध होते हैं। इसके कार्बन परमाणुओं के मध्य दोहरा आबंध होने के कारण यह असंतृप्त कार्बन श्रृंखला का यौगिक है।

प्रश्न 29.
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र लिखो।
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र बनाओ।
उत्तर-
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र- C4H10
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र
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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन के सबसे बाहरी कक्ष में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
चार।

प्रश्न 2.
कार्बन को चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या कम करने की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
नोबल गैस की संरचना को प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन के सहभाजी युगल हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच कौन-सा बंध बनाते हैं ?
उत्तर-
एकल बंध।

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन की परमाणु संख्या कितनी होती है ?
उत्तर-
सात।

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प्रश्न 5.
अष्टक बनाने के लिए नाइट्रोजन का प्रत्येक परमाणु कितने इलेक्ट्रॉन देता है ?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 6.
ईंधन के रूप में किस गैस का सबसे अधिक उपयोग होता है ?
उत्तर-
मिथेन गैस का।

प्रश्न 7.
मिथेन किन दो गैसीय ईंधन का प्रमुख घटक है ?
उत्तर-

  1. बायोगैस
  2. सी० एन० जी० ।

प्रश्न 8.
CNG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) ।

प्रश्न 9.
हीरे की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
प्रबल त्रिविमीय संरचना।

प्रश्न 10.
ग्रेफाइट की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
षट्कोणीय।

प्रश्न 11.
विद्युत् का सुचालक कौन है-हीरा या ग्रेफाइट ?
उत्तर-
ग्रेफाइट।

प्रश्न 12.
ग्रेफाइट छूने में कैसा प्रतीत होता है ?
उत्तर-
चिकना तथा सर्पशशील।

प्रश्न 13.
किस तत्व में बड़ी मात्रा में यौगिक तैयार करने का गुण विद्यमान है ?
उत्तर-
कार्बन।

प्रश्न 14.
हाइड्रोकार्बन का सरलतम रूप कौन-सा है ?
उत्तर-
मिथेन (CH4 )।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 15.
किन्हीं पांच तत्वों के नाम लिखिए जो कार्बन के साथ मिलकर यौगिक बनाते हैं।
उत्तर-
ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन।

प्रश्न 16.
एथेन का आण्विक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
C2H6.

प्रश्न 17.
एथेन का संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 41

प्रश्न 18.
निम्नलिखित के अगले उच्च समाजात लिखिए :
(i) C3H6
(ii) C6 H8
उत्तर-
(i) C4 H8
(ii) C7 H10 .

प्रश्न 19.
ऐथनॉल की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 42

प्रश्न 20.
प्रोपेनॉन (CH3COCH3) में उपस्थिति क्रियात्मक संग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 43

प्रश्न 21.
सरलतम कीटोन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
रलतम कीटोन ऐसीटोन है। इसकी संरचना है :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 44

प्रश्न 22.
चार कार्बन परमाणुओं वाले ऐल्डिहाइड की संरचना और नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 45

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 23.
एथाइल ऐल्कोहॉल (C2H5OH) की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 46

प्रश्न 24.
CH3COOH यौगिक में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह का
(i) नाम तथा
(ii) संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर-
(i) कार्बोक्सिलिक समूह
(ii) संरचना सूत्र :
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प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-से दो यौगिक एक सजातीय श्रेणी से संबंध रखते हैं ? C2H6O2, C2H6O2, C2H6CH4O.
उत्तर-
C2H6O (C2H5OH) और CH4O(CH2OH).

प्रश्न 26.
एक एस्टर का संरचनात्मक सूत्र लिखो।। उस अम्ल और एल्कोहॉल का आणविक सूत्र लिखो जिससे यह उत्पन्न हुआ है।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 48
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 49

प्रश्न 27.
मिथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 50

प्रश्न 28.
सहसंयोजी आबंध क्या होते हैं ?
उत्तर-
सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के मध्य एक इलैक्ट्रॉन युग्म की सांझेदारी से बने आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं।

प्रश्न 29.
सहसंयोजक यौगिक विद्युत् के दुर्बल चालक क्यों होते हैं ?
उत्तर–
क्योंकि इनमें आयन या मुक्त इलैक्ट्रॉन नहीं होते हैं जो विद्युत् चालन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 30.
अपररूप क्या होते हैं ?
उत्तर-
अपररूप- जब एक तत्त्व दो या अधिक रूपों में पाया जाता है जिसके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों परंतु रासायनिक गुण एक समान हों तब तत्त्व के ये रूप उस तत्त्व के अपररूप होते हैं।

प्रश्न 31.
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 51

प्रश्न 32.
प्रोपेन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 52

प्रश्न 33.
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 53

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 34.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं ?
उत्तर-
क्रियात्मक समूह (Functional Group)-एक या एक से अधिक परमाणुओं का वह समूह जो किसी कार्बनिक यौगिक की रासायनिक प्रवृत्ति को निर्धारित करता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है। जैसे CH3Cl में -Cl तथा C2H5 OH में –OH क्रियात्मक समूह है।

प्रश्न 35.
एलकेन, एलकीन तथा एलकाइन के सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एलकेन का सामान्य सूत्र : Cn H2n+2
एलकीन का सामान्य सूत्र : CnH2n
एलकाइन का सामान्य सूत्र : CnH2n-2
जहाँ n यौगिक में कार्बन के परमाणुओं की संख्या है।

प्रश्न 36.
ब्यूटेन के समावयवों का चित्रण करें।
उत्तर-
ब्यूटेन के दो समावयव हैं :
(i) n – ब्यूटेन तथा
(ii) आइसो-ब्यूटेन

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प्रश्न 37.
एल्कोहॉल समजातीय श्रेणी के प्रथम चार समजात लिखिए।
उत्तर-
CH3OH, C2H5OH, C3HOH, C4H9OH

प्रश्न 38.
उत्प्रेरक क्या है ?
उत्तर-
उत्प्रेरक-वे पदार्थ जो किसी अभिक्रिया के होने की दर बढ़ाने के लिए कारक होता है परंतु इनकी स्वयं की उपस्थिति से स्वयं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 39.
विकृतित स्पिरिट या ऐल्कोहॉल क्या है ?
उत्तर-
विषाक्त रसायन जैसे मैथेनॉल या ऐसीटोन या पिरीडीन या कॉपर सल्फेट मिले हुए एथेनॉल को विकृतित स्पिरिट अथवा ऐल्कोहॉल कहते हैं। यह पीने योग्य नहीं होता है।

प्रश्न 40.
हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक क्या है ?
उत्तर-
एक।

प्रश्न 41.
सिरके में उपस्थित कार्बनिक अम्ल का नाम व रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH)।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एसिटिक अम्ल की एल्कोहल के साथ क्रिया को कहते हैं
(a) विकार्बोक्सिलकरण
(b) बहुलीकरण
(c) साबुनीकरण
(d) एस्टरीकरण।
उत्तर-
(d) एस्टरीकरण।

प्रश्न 2.
एसिटिक एसिड में कितने प्रतिशत जल सिरका कहलाता है ?
(a) 5% – 8%
(b) 15% – 20%
(c) 21% – 29%
(d) 30% – 40%.
उत्तर-
(a) 5% – 8%.

प्रश्न 3.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में क्रियात्मक समूह होता है –
(a) –CHO
(b) – CH2OH
(c) –COOH
(d) –OH.
उत्तर-
(c) – COOH.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 4.
एथेनॉइक अम्ल का सूत्र है –
(a) C2H5OH
(b) CH3COCH3
(c) CH3COOH
(d) C2H5COOH.
उत्तर-
(d) C2H5COOH.

प्रश्न 5. ऐल्काइन का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n – 2
(b) CnH2n + 2
(c) CnH2n
(d) Cn + 22n.
उत्तर-
(a) CnH2n – 2

प्रश्न 6.
प्रोपेनोन में क्रियात्मक समूह है –
(a) –OH
(6) CHO
(c) C = O
(d) -COOH.
उत्तर-
(c) C = O.

प्रश्न 7.
जल की कठोरता के लिए कौन-से आयन उत्तरदायी होते हैं ?
(a) Ca2+ आयन
(b) Mg2+ आयन
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन
(d) Ca + 2 और Mg2+ आयन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) परमाणु या परमाणुओं का समूह जो किसी ऐल्किल मूलक के साथ जुड़कर उस पदार्थ के विशिष्ट व्यवहार को दर्शाता है, उसे ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
क्रियात्मक समूह

(ii) एल्कोहल प्रबल आक्सीकारकों की उपस्थिति में ऑक्सीकरण होने पर …………………….. बनता है।
उत्तर-
कार्बोक्सिलिक अम्ल

(iii) ……………………. का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
उत्तर-
एथेनॉल

(iv) जलरहित शुद्ध एथेनॉइक अम्ल ………………………….. अम्ल कहलाता है।
उत्तर-
ग्लैशल ऐसीटिक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

(v) …………………… विघटित न होने के कारण मानव जीवन तथा पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।
उत्तर-
पॉलीथीन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 2
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3

2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
अधातुओं के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखो।
उत्तर-
अधातुओं के भौतिक गुण-
(i) भौतिक अवस्था-अधातुएं सामान्य तापमान पर प्राय: गैसीय अवस्था में या फिर ऐसे द्रव या ठोस रूप में होती हैं, जो निम्न तापमान पर ही वाष्पों में परिवर्तित हो जाते हैं।
(ii) धात्वीय चमक-अधातुओं की कोई चमक नहीं होती, किंतु आयोडीन थोड़ी सी धात्वीय चमक रखता है।
(ii) अधातुएं न ही आघातवीय हैं, न ही तन्य।
(iv) चालकता-धातुएं बिजली एवं ताप की कुचालक होती हैं। ग्रेफाइट ही एक ऐसी अधातु है, जो बिजली एवं ताप की सुचालक है।
(v) कठोरता-अधातुएं प्राय: नर्म होती हैं, किंतु हीरा अधातु होते हुए भी कठोरतम पदार्थ है।

अधातुओं के रासायनिक गुण –
(i) कार्बन की ऑक्सीजन से क्रिया-अधातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 5
कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड का स्वभाव अम्लीय है। कार्बन डाइऑक्साइड पानी के साथ क्रिया करके कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 6

(ii) नाइट्रोजन और सल्फर की हाइड्रोजन के साथ क्रिया-हाइड्रोजन अनुकूल परिस्थितियों में नाइट्रोजन के साथ क्रिया करके अमोनिया बनाती है, जबकि सल्फर के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन सल्फाइड बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 7

(iii) सल्फर और हाइड्रोजन की ऑक्सीजन के साथ क्रिया-सल्फर ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर क्रिया करके सल्फर डाइऑक्साइड बनाता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके पानी बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 8

(iv) फॉस्फोरस के साथ क्लोरीन की क्रिया-फॉस्फोरस क्लोरीन के साथ क्रिया करके फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 9

प्रश्न 3.
धात्विकी क्या है ? इस प्रक्रम में प्रयुक्त पदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
अयस्क से धातु-निष्कर्षण में प्रयुक्त चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
धात्विकी- अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण और बाद में उनको परिष्कृत करके उपयोग में लाए जाने योग्य बनाने के प्रक्रम को धात्विकी (metallurgy) कहते हैं।
धात्विकी प्रक्रम में प्रयुक्त पद-धात्विकी प्रक्रम में मुख्यतः तीन पद होते हैं-
(I) अयस्क की समृद्धि,
(II) अपचयन तथा
(III) धातुओं का शुद्धिकरण।

I. अयस्क की समृद्धि
भू-खनन से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, बालू, चट्टानी पदार्थ आदि अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हें गैंग कहते हैं। अयस्क से धातु के निष्कर्षण से पहले इन अशुद्धियों को हटाना आवश्यक होता है। अयस्क से गैंग हटाने की प्रक्रिया सांद्रण कहलाती है जो उनके भौतिक रासायनिक गुणधर्मों से भिन्नता पर आधारित होती है।

इसके लिए कई विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. चंबकीय विधि-यह विधि चुंबकीय कणों (आयरन, कोबाल्ट, निक्कल) की अशुदधियों को अलग करने के लिए अपनाई जाती है। जो खनिज चुंबकीय प्रकृति के होते हैं वे चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गैंग आदि आकर्षित नहीं होते। क्रोमाइट तथा पाइरोल्युसाइट अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं। इस विधि में पीसे हुए अयस्क को एक कन्वेयर बैल्ट के ऊपर रखते हैं। कन्वेयर बैल्ट दो रोलरों के ऊपर से गुज़रती है जिनमें से एक चुंबकीय होता है। जब अयस्क चुंबकीय किनारे पर से नीचे आता है तो चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ दो अलग अलग ढेरों में एकत्रित हो जाते हैं। लोहे के अयस्क मैग्नेटाइट का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।
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2. द्रवचालित धुलाई-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज़ धारा में धोया जाता है। इस तेज़ धारा में गैंग हल्के कण बह जाते हैं जबकि भारी खनिज कण तली में बैठ जाते हैं। टिन और लैड के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किये जाते हैं।

(iii) फैन प्लवन विधि-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल एवं किसी उपयुक्त तेल के साथ एक बड़े टैंक में मिलाया जाता है। खनिज कण पहले से तेल से भीग जाते हैं जबकि गैंग के कण पानी से भीग जाते हैं। अब इस मिश्रण में से दबाव अधीन वायु प्रवाहित की जाती है जिससे खनिज कण युक्त तेल के झाग या फैन बन जाते हैं जो जल की सतह पर तैरने लगते हैं जिन्हें बड़ी सरलता से जल के ऊपर से निकाला जा सकता है। तांबा, सीसा तथा जिंक के सल्फाइडों के सांद्रण के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
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II. अपचयन
1. रासायनिक पृथक्करण (Chemical Separation)रासायनिक पृथक्करण में खनिज तथा गैंग के मध्य रासायनिक गुणों के अंतर का उपयोग किया जाता है। इसकी एक मुख्य विधि है-बेयर की विधि जिस द्वारा बॉक्साइट से एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त किया जाता है। बेयर विधि द्वारा एल्यूमीनियम अयस्क का सांद्रण-इस विधि में बॉक्साइट को गर्म सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अपचयित किया जाता है जो जल में घुलनशील है। गैंग को छान कर अलग कर दिया जाता है। एल्यूमीनियम का अवक्षेपण एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड के रूप में प्राप्त होता है जिसके बाद एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड को गर्म करके शुद्ध एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त लिया जाता है। विभिन्न अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार से है-
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2. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में बदलना भर्जन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करके धातु ऑक्साइड प्राप्त करते हैं, जो आसानी से अपचयित होकर धातु को अलग कर देता है। जिंक ब्लेंडी में जिंक सल्फाइड होता है। जब सांद्रित जिंक ब्लैंड अयस्क (जिंक सल्फाइड) को वायु में भर्जित किया जाता है तो वह ऑक्सीकृत होकर जिंक ऑक्साइड बना देता है।
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निस्तापन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करके नमी तथा वाष्पशील अशुद्धियों को . अलग कर देते हैं। जब किसी कार्बोनेट अयस्क को गर्म किया जाता है, तो वह विघटित होकर धातु ऑक्साइड बना देता है।
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3. धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त करना-धातु ऑक्साइडों से धातु प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी अपचायक के साथ गर्म करते हैं। ज़िंक, लोहा, टिन तथा निकल जैसी धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करके धातुएँ प्राप्त करने के लिए कार्बन का अपचायक के रूप में उपयोग किया जाता है।
ZnO(s) + C(s) → Zn(s) + CO(g)
मध्यम अभिक्रियाशीलता वाली धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करने के लिए सोडियम, कैल्शियम तथा एल्यूमीनियम जैसी अभिक्रियाशील धातुएँ भी अपचायक के रूप में उपयोग की जा सकती हैं।
3MnO2(s) + 4Al(s) → 3Mn (1) + 2Al2O3(s) + ऊष्मा

III. धातुओं का शुद्धिकरण धात्वीय ऑक्साइडों के अपचयन के बाद प्राप्त हुई धातुओं में कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। इसलिए शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए इन अशुद्धियों को अलग करना बहुत ज़रूरी होता है। शुद्धिकरण के लिए अपनाई जाने वाली विधि अशुद्धियों और धातु के गुणों पर निर्भर करती है।

कुछ विधियों का विवरण नीचे दिया गया है –
1. आसवन विधि-कम उबाल दर्जे वाली धातुओं को इस विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है। जिंक, कैल्शियम और मरकरी जैसी धातुएं शीघ्र वाष्प के रूप में बन जाती हैं इसलिए उन्हें आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।

2. गलनिक पृथक्करण-इस प्रक्रिया में ढलान युक्त भट्ठी का उपयोग किया जाता है। भट्ठी का ताप धातु के गलनांक से कुछ अधिक रखा जाता है। अशुद्ध धातु को भट्ठी के सबसे ऊपरी सिरे पर रखा जाता है। गर्म करने पर धातु तो पिघल कर नीचे की ओर बह जाती है जबकि ठोस अशुद्धियां वहीं रह जाती हैं। इस विधि द्वारा टिन, सीसा तथा बिस्मथ का परिष्करण किया जाता है।’

3. विद्युतीय शुद्धिकरण-धातुओं का परिष्करण धातुओं का शुद्धिकरण कहलाता है। तांबा, टिन, सीसा, सोना, जिंक, क्रोमियम तथा निक्कल जैसी शुद्ध धातु एनोड कैथोड की पट्टी को कैथोड तथा अशुद्ध धातु की पट्टी को एनोड के रूप में लिया जाता है। वैद्युत् अपघटय के अशुद्ध तांबे रूप में धातु का कोई लवण लिया जाता है।

‘जब  की छड़ विदयुत् अपघटन सेल में से धारा प्रवाहित करते हैं तो धातु कैथोड पर जमा हो जाता है तथा एनोड पर स्थित अन्य अभिक्रियाशील धातुएं अपघट्य के घोल में पहुंच शुद्ध तांबे की छड़ कॉपर सल्फेट जाती हैं। कम अभिक्रियाशील धातुएं जैसे सोना तथा चांदी विद्युत् अपघटनी सेल की तली में गिर जाती हैं, चित्र-धातुओं के शदधिकरण के लिए विदयुत अपघटन जिन्हें प्राप्त कर लिया जाता है।
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यदि तांबे को परिष्कृत करना हो तो विद्युत्-अपघटय के रूप में कॉपर सल्फेट का अम्लीकृत घोल किया जाता है तथा सैल में होने वाली अभिक्रियाएं निम्नलिखित होती हैं।
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प्रश्न 4.
धातुओं एवं अधातुओं के बीच कैसे विभेद करेंगे ?
उत्तर-
धातुओं और अधातुओं के गुणों में विभेद
भौतिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं सामान्य ताप पर ठोस होती हैं परंतु केवल पारा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में होता है। (1) अधातुएं सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती हैं। फॉस्फोरस और सल्फर ठोस रूप में, H2, O2, N2
गैसीय रूप में तथा ब्रोमीन तरल रूप में होती हैं।
(2) धातुएं तन्य तथा आघातवर्ध्य तथा लगिष्णु होती हैं। (2) वे प्रायः भंगुर होती हैं।
(3) धातुएं प्राय: चमकदार होती हैं अर्थात् उनमें धात्विक चमक होती है। (3) अधातुओं में धात्विक चमक नहीं होती परंतु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसके अपवाद हैं।
(4) धातुएं ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक होती हैं परंतु बिस्मथ इसका अपवाद है। (4) ग्रेफाइट और गैस कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं कुचालक हैं।
(5) धातुओं के गलनांक तर्थो क्वथनांक अत्यधिक होते (5) अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं।
(6)  धातुएं अधिकांशतः कठोर होती हैं परंतु सोडियम तथा पोटाशियम चाकू से काटी जा सकती हैं। (6) इनकी कठोरता भिन्न-भिन्न होती हैं। हीरा सब पदार्थों से कठोरतम है।
(7) धातुओं का आपेक्षिक घनत्व अधिक होता है परंतु Na, K इसके अपवाद हैं। (7) अधातुओं का आपेक्षिक ताप प्रायः कम होता है।
(8) धातुएं अपारदर्शक होती हैं। (8) गैसीय अधातुएं पारदर्शक हैं।

रासायनिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं जिसमें से हैं। (1) अधातुएं अम्लीय तथा उदासीन ऑक्साइड बनाती कुछ क्षार बनाती हैं।
(2) धातुएं अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती हैं तथा अनुरूप लवण बनाती हैं। (2) अधातुएं अम्लों में से हाइड्रोजन गैस को पुनः स्थापित नहीं करती हैं।
(3) धातुएं धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं। (3) अधातुएं ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।
(4) धातुएं क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं जो वैद्युत् संयोजक होते हैं। (4) अधातुएं क्लोरीन से संयोग कर क्लोराइड बनाती हैं परंतु वे सहसंयोजक होते हैं।
(5) कुछ धातुएं हाइड्रोजन से संयोग करके हाइड्रोक्साइड बनाती हैं जो विद्युत् संयोजक होते हैं। (5) अधातुएं हाइड्रोजन के साथ अनेक स्थाई हाइड्राइड बनाती हैं जो सहसंयोजक होते हैं।
(6) धातुएं अपचायक हैं। (6) अधातुएं ऑक्सीकारक हैं।
(7) धातुएं जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं। (7) अधातुएं जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं।

प्रश्न 5.
संक्षरण से क्या भाव है ? धातुओं के संक्षारण से बचाने के लिए आप क्या करोगे ? (मॉडल पेपर)
उत्तर-
संक्षरण-अयस्क से प्राप्त धातु काफ़ी शुद्ध होती है तथा देखने में सुंदर दिखती है। प्रकृति इसे पुनः उसी रूप में परिवर्तित करने का यत्न करती है। जिस रूप में उसे प्राप्त किया जाता है।

धात्वीय सतह पर वातावरण की गैसें आदि की क्रिया से धात्वीय ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोनेट और सल्फेट बनते हैं। इस तरह धातु धीरे-धीरे क्षरित होती रहती है। धातुओं के इस प्राकृतिक क्षरण को संक्षरण कहते हैं। आयरन के संक्षरण को जंग लगना भी कहते हैं। जंग लगना एक गंभीर आर्थिक समस्या है। जंग लाल भूरे रंग का एक पाऊडर होता है जो जलीय आयरन ऑक्साइड (Fe2O. xH2O) के रूप में होता है। लोहे को जंग लगने के लिए जल और ऑक्सीजन की उपस्थिति आवश्यकता होती है।
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संक्षरण की रोकथाम के उपाय

  • धातुओं को नमी (आर्द्रता) से बचा कर रखना चाहिए।
  • धातुओं की ऊपरी सतह पर पेंट कर देना चाहिए ताकि इसकी सतह का ऑक्सीजन तथा नमी से संपर्क टूट जाए।
  • धातु की सतह पर ग्रीस या तेल लगाना चाहिए।
  • धातु पर किसी अन्य संक्षारण-रोधी धातु की परत चढ़ा देनी चाहिए।
  • धातु को पिघले हुए ज़िंक में डुबो कर बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे इस पर जिंक की परत जम जाए अर्थात् गैल्वनीकरण कर देना चाहिए।

प्रश्न 6.
लोहे का जंग लगने की क्रिया का विवरण दो और इससे बचाव के कोई दो ढंग बताओ।
अथवा
लोहे को जंग से बचाने (rusting of iron) के लिए किन्हीं पांच ढंगों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
अथवा
जंग लगना क्या है ? लोहे को जंग लगने से रोकने के लिए दो उपाय बताओ।
उत्तर-
लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

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इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 7.
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्म ये निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक प्रकृति-धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के बीच दृढ़ आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस होते हैं। ये यौगिक प्रायः भंगुर होते हैं तथा दबाव देने पर टूट जाते हैं।
  • द्रवनांक और क्वथनांक-आयनिक यौगिकों का द्रवनांक और क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की बहुत बड़ी मात्रा की ज़रूरत होती है।
  • विलयशीलता-संयोजक यौगिक प्रायः जल में विलयशील तथा केरोसीन, पेट्रोल आदि जैसे विलायक में अविलयशील होते हैं।
  • विद्युत् चालकता-किसी विलयन से विद्युत् के चालन के लिए आवेशित कणों की गतिशीलता ज़रूरी होती है। आयनिक यौगिकों के जलीय विलयन में आयन विद्यमान होते हैं।

जब विलयन में से विद्युत् गुज़ारी जाती है तो ये आयन विपरीत इलेक्ट्रोड की ओर गति करने लगते हैं। ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत् का चालन नहीं करते हैं क्योंकि ठोस अवस्था के दृढ़ संरचना के कारण आयनों की गति संभव नहीं होती है परंतु आयनिक यौगिक द्रवित अवस्था में विद्युत् का चालन करते हैं क्योंकि द्रवित अवस्था में विपरीत आवेश वाले आयनों के मध्य विद्युत् स्थैतिक आकर्षण बल, ऊष्मा के कारण काफ़ी शिथिल हो जाता है। इसलिए आयन स्वतंत्र रूप से गमन करते हैं एवं विद्युत् का संवहन करते हैं।

प्रश्न 8.
मिश्र धातु किसे कहते हैं ? इनके बनाने के उद्देश्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 9.
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम-सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है। कुछ धातुएं जैसे सोडियम, पोटाशियम तथा कैल्शियम आदि अत्यधिक क्रियाशील हैं। ये धातुएं ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन से अभिक्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं। कुछ धातुएं अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील होती हैं जैसे-लोहा, जिंक आदि परंतु कुछ धातुएं बिलकुल कम क्रियाशील होती हैं जैसे सोना, चांदी। धातुओं की अभिक्रियाशीलता उनके इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। धातुओं को अभिक्रियाशीलता के आधार पर उनकी क्रियाशीलता के घटते क्रम के अनुसार लिखा जाता है जिसे धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम कहते हैं।

अभिक्रियाशीलता क्रम में धातुएं-
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प्रश्न 10.
धातुओं के तीन भौतिक तथा दो रासायनिक गुण लिखो। उत्तर-

धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
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(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
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2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दो धातुओं के नाम बताओ जो ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक हों। ऊष्मा की सबसे अधिक तथा सबसे कम चालक धातुओं के नाम लिखो।
उत्तर-
कॉपर और एल्यूमीनियम दोनों धातुएं ऊष्मा और विद्युत् की सुचालक हैं। चांदी ऊष्मा की सर्वोत्तम चालक है जबकि सीसा धातुओं में सबसे कम चालक है।

प्रश्न 2.
धातुओं की तन्यता गुण को उदाहरण सहित परिभाषित करें।
उत्तर-
तन्यता- धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहा जाता है। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है।

प्रश्न 3.
धातुओं का कौन-सा गुण उनको लाक्षणिक रासायनिक गुण प्रदान करता है ?
उत्तर-
धातुएं अपने इलेक्ट्रॉन को खोकर धनात्मक आयन बनाती हैं, इसलिए ये विद्युत् धनात्मक तत्व हैं। धातुओं का यह आयनीकरण गुण उनको रासायनिक गुण प्रदान करता है। जैसे-Mg धातु को इलेक्ट्रॉन खोकर Mg का धनात्मक आयन बनाता है।
Mg →Mg2+ + 2e

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 4.
आयनिक यौगिक किस अवस्था में पाए जाते हैं ? आयनिक यौगिकों के क्वथनांक एवं द्रवनांक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
धातु से अधातु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा बने यौगिकों को आयनिक यौगिक या वैद्युत् संयोजक यौगिक कहते हैं। उदाहरण-NaCl, CaCl2, CaO, MgCl2, | आयनिक यौगिकों का क्वथनांक एवं द्रवनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अत्याधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
खनिज और अयस्क में अंतर लिखिए।
उत्तर-
खनिज और अयस्क में अंतर –

खनिज (Minerals) अयस्क (Ores)
(1) जिन प्राकृतिक पदार्थों में धातुओं के यौगिक पाए जाते हैं वह खनिज कहलाते हैं। (1) जिन खनिजों से लाभदायक तथा सुविधापूर्वक ढंग से धातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं उन खनिजों को अयस्क कहते हैं।
(2) अनेक खनिजों में धातु की प्रतिशत मात्रा काफ़ी बड़ी मात्रा होती है जबकि अन्य में धातु की प्रतिशत मात्रा बहुत कम होती है। (2) धातुओं की प्रतिशत मात्रा सभी अयस्कों में पर्याप्त होती है।
(3) कुछ खनिजों में बहुत अधिक अशुद्धियाँ होती हैं जो धातु के निष्कर्षण में रुकावट डालती हैं। (3) अयस्कों में कोई भी आपत्तिजनक अशुद्धियाँ नहीं होती।
(4) सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। सभी खनिज अयस्क नहीं होते। (4) सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-
धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया-जल के साथ अभिक्रिया करके धातु, हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड बनाते हैं। ये जल में घुलकर धातु हाइड्रोक्साइड बनाते हैं परंतु सभी धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं। पोटैशियम एवं सोडियम जैसे धातु ठंडे जल के साथ तेज़ अभिक्रिया करते हैं। सोडियम तथा पोटैशियम की अभिक्रिया इतनी तेज़ तथा ऊष्माक्षेपी होती है कि इससे उत्सर्जित हाइड्रोजन तत्काल आग पकड़ लेती है।
2K (s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
2Na (s) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
जल के साथ कैल्सियम की अभिक्रिया थोड़ी मंद होती है। इसमें उत्सर्जित ऊष्मा हाइड्रोजन के प्रज्वलित होने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। .
Ca (s) + 2H2O (l) → Ca (OH)2(aq) + H2 (g)
एल्यूमीनियम, लोहा तथा जिंक जैसे धातु न तो ठंडे जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करते हैं। लेकिन भाप के साथ अभिक्रिया करके यह धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन प्रदान करते हैं।
2Al (s) + 3H2O (g) → Al2O3 (s) + 3H2(g)
3Fe (s) + 4H2 O (g)→ Fe3O4 (s) + 4H2 (g)
सीसा, कॉपर, चांदी तथा सोना आदि जैसे धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 7.
अधातुओं की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएं लिखिए(a) ऑक्सीजन (b) अम्ल (c) क्लोरीन (d) हाइड्रोजन।
उत्तर-
अधातुएं वैद्युत् ऋणात्मक होती हैं। वे इलेक्ट्रॉनों को आसानी से ग्रहण कर लेती हैं तथा ऋणात्मक रूप से आवेशयुक्त आयन बनाती हैं।
(a) अधातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-अधातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके सहसंयोजक ऑक्साइड बनाती हैं, जो पानी में घुलने पर अम्ल बनाती है।
C+ O2 → CO2
CO2 + H2O → H2CO3 (कार्बोनिक अम्ल)

(ii) S+ O2 → SO2
SO2 + H2O → H2SO (सल्फ्यू रस अम्ल)

(iii)
2H2 + O2 → 2H2O (उदासीन ऑक्साइड)
2C + O2 → 2CO  (उदासीन ऑक्साइड)

(b) अम्लों से अभिक्रिया-अधातुएं अम्लों में हाइड्रोजन को पुनः स्थापित नहीं करती हैं। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए अम्ल H+ आयन के लिए इलेक्ट्रॉन उपलब्ध होने चाहिएं परंतु अधातु स्वयं इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं। अतः वे H+ आयन को इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं करा सकती हैं। इसलिए अधातुओं की तनु अम्ल के साथ कोई अभिक्रिया नहीं होती है।

(c) क्लोरीन के साथ अभिक्रिया-क्लोरीन के साथ अधातुएं सहसंयोजक आबंध वाले क्लोराइड बनाती हैं।
2P2 + 6Cl2 → 4PCl3 (फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 19
C + 2Cl2 → CCl4 (कार्बन टेट्राक्लोराइड)

(d) हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया-अधातुएं, हाइड्रोजन के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं।
H2 + S → HS (हाइड्रोजन सल्फाइड)
H+ Cl2 → 2HCl (हाइड्रोजन क्लोराइड)
C + 2H2 → CH4 (मीथेन)
ये हाइड्राइड इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (सहसंयोजन आबंध) से बनते हैं।

प्रश्न 8.
भर्जन क्रिया क्या है ? इसका उपयोग कब किया जाता है ? इसमें होने वाले परिवर्तनों के लिए रासायनिक क्रियाएं लिखो।
उत्तर-
भर्जन प्रक्रिया (Roasting)-सांद्रण के पश्चात् अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करना भर्जन प्रक्रिया कहलाता है। जिंक तथा सीसा के सल्फाइडों को उनके ऑक्साइड में बदलने के लिए भर्जन प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 20

प्रश्न 9.
यदि सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए डुबो कर रखा जाए तो क्या होता है ? हो रही क्रिया का आयनी समीकरण भी लिखो।
उत्तर-
कॉपर, सिल्वर से अधिक क्रियाशील है। जब कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए सिल्वर नाइट्रेट के घोल में डुबो कर रखा जाता है तो सिल्वर निम्नलिखित क्रिया द्वारा जमा (deposit) हो जाती है और घोल का रंग नीला हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 21

प्रश्न 10.
कॉपर सल्फेट के घोल को लोहे के बर्तन में रखने से कुछ दिनों पश्चात् बर्तन में कुछ छिद्र हो गए। इस अभिक्रिया को लिखिए। इस अभिक्रिया को अभिक्रियाशीलता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अभिक्रियाशीलता के क्रम में लोहा पहले आता है अर्थात् लोहा, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील है। इसलिए CuSO, के घोल में से लोहा, कॉपर को विस्थापित कर देता है, जिसके कारण लोहे के बर्तन में छिद्र हो जाते हैं। रासायनिक अभिक्रिया
CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu
Cu2+ (aq) + Fe (s) →Fe+2(aq) + Cu (s)

प्रश्न 11.
कॉपर को वायु में खुला छोड़ने पर वह हरे रंग का हो जाता है। क्यों ?
उत्तर-
कॉपर, वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है, जिससे इसकी सतह से भूरे रंग की चमक धीरे-धीरे खत्म हो जाती है तथा इस पर हरे रंग की परत चढ़ जाती है। यह हरा पदार्थ कॉपर कार्बोनेट होता है।
Cu + CO2 + H2O + O2 → CuCO3.Cu(OH)2

प्रश्न 12.
24 कैरेट सोना क्या है ?
उत्तर-
24 कैरेट सोना-शुद्ध सोने को 24 कैरेट कहते हैं तथा ये काफ़ी नर्म होता है। इसलिए आभूषण बनाने के लिए ये उपयुक्त नहीं होता है। इसे कठोर बनाने के लिए चाँदी या कॉपर के साथ मिलाया जाता है। हमारे देश में प्रायः आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है। इसका मतलब है कि 22 भाग शुद्ध सोने में 2 भाग कॉपर या चाँदी मिश्रित की जाती है।

प्रश्न 13.
सल्फाइड अयस्क को सांद्रण करने में उपयोग होने वाले प्रक्रम का नाम बताइए। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने में उपयोग होने वाले दो चरणों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
सल्फाइड अयस्क के बड़े टुकड़ों को बारीक पीसकर, चूर्ण बना लिया जाता है। अब इसको ‘झाग प्लावन विधि’ द्वारा सांद्रित कर लिया जाता है। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने के लिए निम्नलिखित दो चरण इस प्रकार हैं-
1. भर्जन- सांद्रित अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइडों में परिवर्तित कर लिया जाता है। इस विधि को भर्जन कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 22
2. अपचयन-सांद्रित अयस्क के ऑक्साइड को अपचायक के साथ गर्म करने से धातु ऑक्सीजन से मुक्त हो जाती है।
ZnO + C → Zn + CO

प्रश्न 14.
कोई अयस्क गर्म करने पर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस देता है। ऐसे अयस्क से धातु निकालने में सम्मिलित नियम को संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
कॉपर धातु के अयस्क कॉपर पाइराइट को गर्म करने पर SO2 गैस बनती है। इस अयस्क से धातु प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं
(i) अयस्क को बारीक चूर्ण करके इसमें पानी तथा पाइन आयल मिला दिया जाता है। अब इसमें से वायु को उच्च दाब अधीन प्रवाहित किया जाता है ताकि अशुद्धियां अलग हो जाएं। इस प्रकार अयस्क सांद्रित हो जाती है। यह विधि झाग प्लावन विधि कहलाती है।
(ii) अब सांद्रित अयस्क को भर्जित किया जाता है जबकि CuS का कुछ भाग CuO में बदल जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 23
कुछ समय पश्चात् वायु की आपूर्ति रोक दी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 24
इस प्रकार प्राप्त तांबा तरल अवस्था में है और इसे वैद्युत् परिष्करण विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
(iii) वैद्युत् परिष्करण-इस प्रक्रिया में अशुद्ध कॉपर की छड़ एनोड पर तथा शुद्ध कॉपर की प्लेट कैथोड बनाकर अम्ल की उपस्थिति में कॉपर सल्फेट में से विद्युत् गुजारी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 25

प्रश्न 15.
थर्मिट अभिक्रिया से क्या तात्पर्य है ? लिखिए।
उत्तर-
कुछ विस्थापन अभिक्रियाएं बहुत अधिक ऊष्माक्षेपी होती हैं। इन अभिक्रियाओं में उत्सर्जित ऊष्मा की मात्रा इतनी अधिक होती है कि धातुएँ गलित अवस्था में प्राप्त होती हैं। जब आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3) के साथ एल्यूमीनियम की अभिक्रिया की जाती है तो अत्याधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।
Fe2O3(s) + 2Al (s) → 2Fe(I) + Al2O3 (s) + ऊष्मा
इसे थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं। इसके उपयोग से रेलवे पटरियों और मशीनी दरारों को जोड़ा जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 16.
अधातुओं के पाँच प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर-
अधातुओं के उपयोग-

  • हाइड्रोजन को वनस्पति तेलों से वनस्पति घी बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
  • कार्बन प्रमुख अधातु है जो हमें विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, एंजाइम आदि प्रदान करती है। ग्रेफाइट विभिन्न प्रकार के सैलों में इलेक्ट्रोड के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • नाइट्रोजन का उपयोग अमोनिया, नाइट्रिक अम्ल और उर्वरक बनाने में होता है। वायु में नाइट्रोजन की उपस्थिति दहन की दर को नियंत्रित करती है।
  • ऑक्सीजन की उपस्थिति हमारे जीवन का आधार है। दहन क्रिया भी इसी की उपस्थिति के कारण संभव होती है।
  • गंधक अनेक प्रकार की दवाइयां तथा बारूद बनाने में काम आती है।

प्रश्न 17.
भर्जन और निस्तापन में अंतर लिखिए।
उत्तर-
भर्जन और निस्तापन में अंतर –

भर्जन (Roasting) निस्तापन  (Calcination)
(1) भर्जन का प्रयोग सल्फाइड अयस्कों के लिए अयस्कों के लिए किया जाता है। (1) निस्तापन का प्रयोग कार्बोनेट और हाइड्रेटिड किया जाता है।
(2) भर्जन में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है। (2) निस्तापन में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।
(3) इसमें SO2 गैस उत्पन्न होती है। (3) इसमें CO2 गैस उत्पन्न होती है।
(4) उदाहरण सांद्रित जिंक के अयस्क को वाय की उपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है। (4) उदाहरण-जिंक कार्बोनेट अयस्क को वाय की अनुपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 18.
आयनिक यौगिक सोडियम क्लोराइड, सोडियम और क्लोरीन से कैसे बनता है ?
उत्तर-
सोडियम आयन और क्लोराइड आयन विपरीत आवेशित होने के कारण एक-दूसरे की ओर आकृष्ट होते हैं और मज़बूत. स्थिर वैद्युत् बल से बंध कर सोडियम क्लोराइड (NaCl) के रूप में उपस्थित रहते हैं। सोडियम क्लोराइड अणु के रूप में नहीं पाया जाता बल्कि यह विपरीत आयनों का समुच्चय होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 26

प्रश्न 19.
विद्युत् अपघटनी शोधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् अपघटनी शोधन-कॉपर, जिंक, टिन, निक्कल, चाँदी, सोना आदि जैसी अनेक धातुओं का शोधन विद्युत् अपघटन द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में अशुद्ध धातु को ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पतली परत को कैथोड बनाया जाता है। धातु के लवण विलयन का उपयोग विद्युत्-अपघट्य के रूप में होता है। विद्युत्अपघट्य में से जब विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तब एनोड पर स्थित शुद्ध धातु विद्युत् अपघट्य में घुल जाती है तथा इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु विद्युत्-अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है। विलयशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं तथा अविलयशील अशुद्धियाँ ऐनोड के नीचे निक्षेपित हो जाती हैं जिसे ऐनोड अवपंक कहते हैं।

प्रश्न 20.
अपचयन प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ? धातुओं के निष्कर्षण में इस प्रक्रिया की कौन-कौन सी विधियां अपनाई जाती हैं ?
उत्तर-
अपचयन (Reduction)-धातुओं के यौगिकों से धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया अपचयन कहलाती है। धातुओं की अभिक्रियाशीलता श्रेणी के अनुसार ही विभिन्न धातुओं के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-
(1) अभिक्रियाशीलता क्रम में नीचे आने वाली धातुओं को केवल वायु में गर्म करने पर ही धातु प्राप्त हो जाती है। जैसे–पारे का अयस्क सिनाबार वायु में गर्म करने पर भर्जित होकर पारा मुक्त कर देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 27
(2) अभिक्रियाशीलता के मध्य में आने वाली धातुओं के यौगिकों को मुख्यतः कोक से गर्म करके अपचयित किया जाता है। जैसे-लोहा, जिंक, निकिल, टिन धातुएं आदि।।
2ZnO2 + C → 2Zn + CO2

(3) कुछ धातुओं का अपचयन अधिक क्रियाशील धातु द्वारा किया जाता है। जैसे-मैंगनीज़ ऑक्साइड को एल्यूमीनियम द्वारा अपचयित करके मैंगनीज़ प्राप्त किया जाता है।
3MnO2 + 4Al → 3Mn + 2Al2O3

प्रश्न 21.
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता ?
उत्तर-
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि एल्यूमीनियम सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया करके घुलनशील लवण बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 28

प्रश्न 22.
एल्यूमीनियम के उपयोग बताओ।
उत्तर-
एल्यूमीनियम के उपयोग –

  • एल्यूमीनियम हल्की धातु होने के कारण, हवाई जहाज़ों की बॉडी और मोटर इंजन बनाने के काम आती है।
  • एल्यूमीनियम बर्तन, फोटोफ्रेम तथा घरेलू उपयोग की अनेक वस्तुएं बनाने के काम आती हैं।
  • एल्यूमीनियम बिजली का सुचालक है इसलिए आजकल बिजली के संचारण के लिए प्रयुक्त बिजली की तारें बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम की पत्तियां खाने का सामान, दवाइयां, दूध की बोतलें आदि पैक करने में प्रयुक्त की जाती हैं।
  • एल्यूमीनियम पाउडर सिल्वर पेंट बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम पाउडर एलुमिनो-थरैमी में प्रयुक्त होता है। यह प्रक्रम लोहे की पटरियों तथा मशीनों के टूटे भागों को जोड़ने के काम आता है।

प्रश्न 23.
क्या होता है, जब :
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर गर्म किया जाता है।
(ii) मैग्नीशियम को तनु लवण के अम्ल से मिलाया जाता है ?
(iii) नीले थोथे के घोल में ज़िंक मिलाया जाता है ?
उत्तर-
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर जब गर्म किया जाता है तो लोहे का ऑक्साइड अपचयित होकर लोहे में परिवर्तित हो जाता है।
C+O2 → CO2
CO2 + C → 2CO
Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

(ii) जब मैग्नीशियम को तनु लवण अम्ल से मिलाया जाता है तब हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 29
(iii) जब नीले थोथे के विलयन में ज़िंक मिलाया जाता है तब विलयन का नीला रंग समाप्त हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 30

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 24.
एक क्रिया-कलाप द्वारा दर्शाओ कि लोहे को जंग लगने के लिए पानी और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ?
अथवा
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि लोहे को जंग लगने के लिए हवा/ऑक्सीजन तथा नमी का होना आवश्यक है। चित्र भी बनाएं।
उत्तर-
क्रिया-कलाप–तीन परखनलियां ‘A’, ‘B’ और ‘C’ लें। ‘क’ परखनली में लोहे की कुछ कीलें डालें। ‘क’ में पानी डालें। ‘C’ परखनली में कुछ कीलें डालो तथा उसमें कैल्शियम क्लोराइड डालो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 31
हवा कैल्शियम क्लोराइड एक जल अवशोषक पदार्थ है। जंग ‘B’ परखनली में कुछ कीलें डालकर, इसमें पानी लगी कीलें डालो। साथ में कुछ तेल भी डालो। कुछ दिन बाद पानी आप देखोगे कि परखनली ‘A’ में पड़ी कीलों को जंग लगना शुरू हो गया। परंतु ‘B’ तथा ‘C’ में रखी कीलों
आसावित पर जंग नहीं लगता क्योंकि ‘B’ में रखी कीलों को क्लोराइड आक्सीजन तथा ‘C’ में पड़ी कीलों को नमी प्राप्त नहीं होती। ‘A’ परखनली में पड़ी कीलों को ऑक्सीजन चित्र-लोहे को जंग लगने की क्रिया तथा पानी (नमी) दोनों प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 25.
मिश्रधातु क्या होती है ? यह क्यों बनाई जाती हैं ?
उत्तर-

मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 26.
प्रमुख मिश्र धातुओं के नाम, उनके घटक तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर–
प्रमुख मिश्रधातु –
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प्रश्न 27.
निम्नलिखित मिश्र धातुओं की रचना तथा गुण लिखो
(i) पीतल
(ii) एलनिको
(iii) ड्यूरेलुमिन।
उत्तर-
मिश्र धातु की संरचना और गुण नीचे दिए गए हैं।
(i) पीतल (Brass)-इसमें 70% कॉपर (Cu) तथा 30% जिंक (Zn) होता है। यह बर्तन बनाने के काम आता है।

(ii) एलनिको (Alnico)-इसमें 63% आयरन (Fe), 20% निकल (Ni), 12% एल्यूमीनियम (AI) और 5% कोबाल्ट (Co) होता है। यह स्थायी चुंबक बनाने के काम आता है।

(iii) ड्यूरेलुमिन- इसमें ताँबा (Cu) 4%, एल्यूमीनियम (Al) 95.5% और मैंगनीज़ (Mn) 5% होता है। इसे हवाई जहाज़ों के पुर्जे बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 28.
लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए तीन ढंग लिखो।
उत्तर-

लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी धातु का उदाहरण दीजिए जो कमरे के तापमान पर द्रव होती है ?
उत्तर-
मरकरी (पारा)।

प्रश्न 2.
एक धातु और एक अधातु का नाम लिखिए जो सामान्य तापमान पर द्रव अवस्था में पायी जाती है ?
उत्तर-
धातु : मरकरी (पारा)
अधातु : ब्रोमीन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सी धातुएं शरीर के ताप (37°C)पर पिघल जाती है ? गैलियम, मैग्नीशियम, सीज़ियम, एल्यूमीनियम।
उत्तर-
गैलियम तथा सीज़ियम।

प्रश्न 4.
एक ऐसी अधातु का नाम बताइए जो विद्युत् की सुचालक है।
उत्तर-
ग्रेफाइट (कार्बन का अपरूप)।

प्रश्न 5.
एक अधातु X दो विभिन्न रूपों Y तथा Z में उपलब्ध है। Y कठोरतम पदार्थ है जबकिZ विद्युत् का सुचालक है। Y और Z की पहचान बतायें।
उत्तर-
Y-हीरा (डॉयमंड)
Z-ग्रेफाइट
हीरा और ग्रेफाइट, कार्बन के अपरूप हैं
∴ X कार्बन है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 6.
एक तत्व X ऑक्सीजन से क्रिया करके X2O बनाता है। यह ऑक्साइड जल में विलेय है तथा नीले लिटमस को लाल कर देता है। तत्त्व की प्रकृति बताइए अर्थात् क्या यह तत्व धातु है या अधातु ? ।
उत्तर-
क्योंकि तत्व X का ऑक्साइड नीले लिटमस को लाल बना देता है। इसकी प्रकृति अम्लीय है। अतः तत्व X अधातु है।

प्रश्न 7.
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर-
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।

प्रश्न 8.
दो उच्च आघातवर्ध्य धातुओं के नाम बताइए।
उत्तर-
चांदी (सिल्वर) तथा सोना (गोल्ड)।

प्रश्न 9.
दो मेटालॉयड्स (उपधातुओं) का नाम बताओ।
उत्तर-

  • सिलिकॉन,
  • आर्सेनिक।

प्रश्न 10.
धातुओं को वायु में खुला छोड़ने पर उनका रंग फीका क्यों पड़ जाता है ?
उत्तर-
उनकी सतह पर ऑक्साइड, कार्बोनेट तथा सल्फाइड की परत के निर्माण के कारण होता है।

प्रश्न 11.
ऐसी धातुओं के नाम बताओ जिन्हें चाकू से आसानी से काटा जा सकता है ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम तथा मैग्नीशियम।

प्रश्न 12.
धातुओं को विभिन्न आकार देना क्यों संभव है ?
उत्तर-
धातुओं के आघातवर्ध्यता तथा तन्यता गुणों के कारण।

प्रश्न 13.
सबसे कम एक ऊष्मा चालक धातु का नाम बताओ।
उत्तर-
सीसा (लैड)।

प्रश्न 14.
कौन-सी धातु विद्युत् प्रवाह का अधिक प्रतिरोध करती है ?
उत्तर-
पारा (मरकरी)।

प्रश्न 15.
किन्हीं चार धातुओं के नाम बताओ, जिनकी तारें खींची जा सकती हैं ?
उत्तर-
कॉपर, एल्यूमीनियम, एल्यूमीनियम, आयरन।

प्रश्न 16.
क्षार क्या है ? क्षार की एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-क्षार-
धात्विक हाइड्रोक्साइड जो जल में विलयशील हैं, क्षार कहलाते हैं। उदाहरण-सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)।

प्रश्न 17.
दो उभयधर्मी (Amphoteric Oxides) ऑक्साइडों के नाम बताओ।
उत्तर-

  • एल्यूमिनियम ऑक्साइड
  • ज़िंक ऑक्साइड।

प्रश्न 18.
क्या होता है जब मैग्नीशियम को इसके ज्वलन ताप तक गर्म किया जाता है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम सफ़ेद प्रकाश के साथ जलने लगता है और मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।

प्रश्न 19.
कौन-सी धातु तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है ?
उत्तर-
कॉपर।

प्रश्न 20.
उन धातुओं के नाम बताओ जो हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करती हैं ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम और कैल्शियम।

प्रश्न 21.
जब कैल्सियम धातु के किसी टुकड़े को पानी में डाला जाता है तो संपन्न होने वाली अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Ca + 2H2O → Ca (OH)2 + 4H2

प्रश्न 22.
लाल गर्म लोहे के ऊपर से भाप गुजारने से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + H2

प्रश्न 23.
जब कॉपर धातु की पत्ती के जिंक का सल्फेट के विलयन में डाला जाता है तो घटित होने वाली रासायनिक अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu.

प्रश्न 24.
दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में मिलती हैं ?
उत्तर-

  1. सोना
  2. प्लैटिनम।

प्रश्न 25.
धातुओं के संक्षारण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संक्षारण- वायु तथा नमी (आर्द्रता) का उपस्थिति में धातुओं की ऊपरी परत का क्षीण होना धातु का संक्षारण कहलाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 26.
आघातवर्ध्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
आघातवर्ध्यता (Mallbeability)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को हथौड़े से पीटकर बिना इसके टूटे धातुओं को पतली चादर के रूप में बदला जाता है।

प्रश्न 27.
तन्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
तन्यता (Ductility)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को पतली तारों के रूप में बदला जा सकता है।

प्रश्न 28.
हम लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट क्यों करते हैं ?
उत्तर-
लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट किया जाता है ताकि लोहे से बनी वस्तुओं को संक्षारण से बचाया जा सके।

प्रश्न 29.
ऐसी अधातु का उदाहरण दो जो :
(i) विद्युत की सुचालक हो
(ii) चमकीली हो।
उत्तर-
विद्युत की सुचालक अधातु-ग्रेफाइट। चमकीली अधातु-आयोडीन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्य अवस्था में द्रव अवस्था में पाई जाने वाली अधातु है
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) फ्लू ओरीन
(d) आयोडीन।
उत्तर-
(b) ब्रोमीन।

प्रश्न 2.
उभयधर्मी ऑक्साइड है
(a) Na2O
(b) BaO
(c) ZnO
(d) K2O.
उत्तर-
(c) ZnO.

प्रश्न 3.
धातुओं को पीट कर पतली चादर बनाया जा सकता है ? इस गुणधर्म को क्या कहते हैं ?
(a) आघातवर्ध्यता
(b) तन्यता
(c) धात्विक चमक
(d) कठोरता।
उत्तर-
(a) आघातवर्ध्यता।

प्रश्न 4.
सक्रियता श्रेणी में सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Au
(d) K.
उत्तर-
(d) K.

प्रश्न 5.
Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3+ ऊष्मा, इस अभिक्रिया का नाम है
(a) एनोडीकरण
(b) थर्माइट
(c) यशदलेपन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) थर्माइट।

प्रश्न 6.
यशदलेपन में किस धातु की परत चढ़ाई जाती है ?
(a) गेलियम
(b) ऐलुमिनियम
(c) जिस्त
(d) चाँदी।
उत्तर-
(c) जिस्त।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) अधिक सक्रिय धातु द्वारा कम सक्रिय धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित करने की क्रिया …………………………. कहलाती है।
उत्तर-
विस्थापन

(ii) मिश्रधातु दो या दो से अधिक धातु अथवा धातु एवं अधातु का ……………. मिश्रण होता है।
उत्तर-
समाँगी

(iii) लोहे के पैन को जंग से बचाने के लिए ……………………. की परत चढ़ाई जाती है।
उत्तर-
जिंक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

(iv) सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया को …………… कहते हैं।
उत्तर-
भर्जन

(v) धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को …………………… कहते हैं।
उत्तर-
तन्यता।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण Important Questions, and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उदासीनीकरण क्रिया से क्या अभिप्राय है? इसे प्रयोग द्वारा समझाइए।
उत्तर-
उदासीनीकरण-ऐसी रासायनिक क्रिया जिसमें अम्ल, क्षारकों के साथ मिलकर उन्हें उदासीन कर दें तथा लवण और पानी बना दें, उसे उदासीनीकरण क्रिया कहते हैं। – प्रयोग-एक बीकर में थोड़ा-सा तनु सोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल लीजिए। उसमें कुछ बूंदें फिनालफ्थेलीन घोल की डालो।

इसका रंग गुलाबी हो जाएगा। अब एक ब्यूरेट में तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) भरकर उसे चित्र अनुसार ऊर्ध्वाकर स्टैंड में फिट करो तथा बीकर को उसके नीचे रखो। अब ब्यूरेट की सहायता से धीरे-धीरे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बीकर में डालते जाओ और बीकर को हिलाते जाओ। जब घोल का रंग समाप्त हो जाए तो उसमें अम्ल डालना बंद कर दो। अब इस घोल पर नीले और लाल लिटमस का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अतः अब बीकर में केवल लवण व पानी है जो लिटमस के प्रति उदासीन है। इस क्रिया को उदासीनीकरण क्रिया कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 1

प्रश्न 2.
अम्लों के रासायनिक गुण संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
अम्लों के अनेक रासायनिक गुण हैं-
(i) धातुओं से क्रिया-अम्ल सक्रिय धातुओं से क्रिया करते हैं। जिंक मैग्नीशियम लोहा, मैंगनीज़ आदि इनसे क्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं-
Zn (s) + तनु H2SO4 (aq) → ZnSO4 (aq) + H2 (g)
Mg (s) + तनु 2HCl (aq) → MgCl2 (aq) + H2 (g)

(ii) धातु कार्बोनेट और धातु बाइकार्बोनेट से क्रिया-अम्ल धातु कार्बोनेट और धातु बाइकार्बोनेट से क्रिया कर CO2 उत्पन्न करते हैं।
Na2CO3 + H2SO4 → Na2SO4 + H2O + CO2
NaHCO3 + HCl → NaCl + H2O + CO2

(iii) क्षारकों से क्रिया-अम्ल क्षारकों से क्रिया कर उदासीनीकरण को प्रकट करते हैं। वे लवण तैयार करते हैं।
HCl + NaOH → NaCl + H2O
HCl + KOH → KCl + H2O

(iv) धातु सल्फाइट और बाइसल्फाइट से क्रिया-अम्ल धातु सल्फाइट और धातु बाइसल्फाइट से क्रिया करके SO2 गैस उत्पन्न करते हैं।
CaSO3 + H2SO4 → CasO4 + H2O + SO2 (g)
Na HSO3 + HCl → NaCl + H2O + SO2 (g)

(v) धातु सल्फाइड और हाइड्रोजन सल्फाइड से क्रिया-अम्ल विभिन्न धातु सल्फाइडों तथा हाइड्रोजन सल्फाइड से क्रिया कर H2S गैस उत्पन्न करते हैं।
FeS + H2SO4 → FeSO4 + H2S (g)
KHS + 2HCI — KCl + H2S (g)
(पोटाशियम हाइड्रोजन सल्फाइड)

(vi) धातु क्लोराइडों से क्रिया-जब धातु क्लोराइड को अम्लों के साथ गर्म किया जाता है तो क्रिया होती है।
NaCl + H2SO4 → NaHSO4 + HCl (g)
NaCl + NaHSO4 → Na2SO4 + HCl (g)

(vii) धातु नाइट्रेट से क्रिया-धातु नाइट्रेट से सांद्र अम्ल क्रिया करता है।
NaNO3 + H2SO4 → NaHSO4 + HNO3
NaNO3 + NaHSO4 → Na2SO3 + HNO3

(vii) धातु ऑक्साइड से अम्लों की क्रिया-धातु, ऑक्साइड तनु अम्लों से क्रिया कर धातु के लवण तैयार करते हैं।
Na2O + 2HNO3 → 2NaNO3 + H2O
CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 3.
क्षारकों/क्षारों के रासायनिक गुण संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
क्षारकों/क्षारों के महत्त्वपूर्ण रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं –
(i) धातुओं से क्रिया-क्षार कुछ धातुओं से क्रिया कर H2 गैस उत्पन्न करते हैं।
Zn + 2NaOH → Na2 ZnO2 + H2 (g) सोडियम जिंकेट
2Al + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2+ 3H2 सोडियम एलुमिनेट

(ii) वायु से क्रिया-कुछ क्षार वायु में उपस्थित CO2 से क्रिया करते हैं।
2NaOH + CO2 → Na2CO3
2KOH + CO2 → K2CO3

(iii) अम्लों से क्रिया-क्षारक/क्षार अम्लों से क्रिया कर लवण तैयार करते हैं।
NaOH + HCl → NaCl + H2O
Fe(OH)2 + 2HCl → FeCl2+ 2H2O
Ca(OH)2 + 2HCl → CaCl2 + 2H2O

(iv) लवणों से क्रिया-तांबा, लोहा, जिंक आदि के लवण क्षारों/क्षारकों से क्रिया करते हैं और अघुलनशील धात्विक हाइड्रॉक्साइड तैयार करते हैं।
ZnSO4 + 2NaOH → Na2SO4 + Zn(OH)2↓
CuSO4 + 2NH4OH → (NH4)2SO4 + Cu(OH)2
FeCl3 + 3NaOH → 3NaCl + Fe(OH)3↓

प्रश्न 4.
दैनिक जीवन में pH का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
pH का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है।
(i) मानव और जंतु जगत् में हमारे शरीर की अधिकांश क्रियाएं 7.0 से 7.8 pH परास के बीच काम करती हैं। हम इसी संकीर्ण परास में ही जीवित रह सकते हैं। हमारे रक्त, आँसुओं, लार आदि का pH लगभग 7.4 होता है। यदि यह 7.0 से कम हो जाता है या 7.8 से बढ़ जाता है तो जीवन असंभव-सा हो जाता है। वर्षा के जल से pH का मान जब 7 से कम होकर 5.6 हो जाता है तो उसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा का जल जब नदियों में बहता है तो नदी के जल का pH का मान कम हो जाता है जिस कारण जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन हो जाता है।

(ii) पेड़-पौधों के लिए-पेड़-पौधों की अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए मिट्टी के pH परास की विशेषता बनी रहनी चाहिए। यदि यह अधिक अम्लीय या क्षारीय हो जाए तो उपज पर कुप्रभाव पड़ता है।

(iii) पाचन-तंत्र-हमारे पेट में HCl उत्पन्न होता रहता है जो हमें बिना हानि पहुँचाए भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में इसमें अम्ल की मात्रा अधिक बनने लगती है। जिस कारण पेट में दर्द और जलन अनुभव होता है। इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऐंटैसिड जैसे क्षारकों का प्रयोग करना पड़ता है। इसके लिए प्रायः मिल्क ऑफ़ मैग्नीशियम जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है।

(iv) दंत-क्षय-हमारे मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय शुरू हो जाता है। हमारे दांत कैल्सियम फॉस्फेट से बने होते हैं जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता पर मुँह की pH का 5.5 से कम होने पर यह नष्ट होने लगता है। मुँह में उपस्थित जीवाणु, अवशिष्ट शर्करा और खाद्य पदार्थों के निम्नीकरण से अम्ल उत्पन्न होते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे अम्ल की अधिकता उदासीन हो जाती है और दांत क्षय से रोके जा सकते हैं।

(v) जीव-जंतुओं के डंक से रक्षा-जब जीव जंतु कभी डंक मार देते हैं तो वे हमारे शरीर में विशेष प्रकार के अम्ल छोड़ देते हैं। मधुमक्खी भिरंड, चींटी आदि मेथैनॉइक अम्ल हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंचा देते हैं। इससे उत्पन्न पीड़ा से मुक्ति के लिए डंक मारे गए अंग पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना चाहिए।

(vi) विशेष पौधों से रक्षा-नेटल (Nettle) पौधे के पत्तों पर डंकनुमा बाल होते हैं। उन्हें छू जाने से डंक जैसा दर्द होता है। इन बालों से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव होता है जो दर्द का कारण बनता है। पारंपरिक तौर पर इस पीड़ा से मुक्ति डॉक पौधे की पत्तियों को डंक वाले स्थान पर रगड़ कर पाई जाती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सूचक किसे कहते हैं ? सूचकों के किस आधार पर भेद किए जाते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सूचक-वे पदार्थ जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में निश्चित रंग परिवर्तन करते हैं उन्हें सूचक कहते हैं।
सूचकों की विशेषताओं और गुणों के आधार पर इनके दो भाग किए जाते हैं –

  1. अम्लीय और क्षारकीय माध्यमों को रंग देने वाले सूचक
  2. अम्लीय और क्षारकीय माध्यमों को गंध देने वाले सूचक।

1. रंग देने वाले सूचक-
(क) लिटमस विलयन-लिचेन पौधों से प्राप्त किया जाने वाला लिटमस बैंगनी रंग का होता है। यह नीले और लाल रंग में विलयन या पत्र के रूप में मिलता है। नीला लिटमस अम्ल की उपस्थिति को लाल रंग में बदल कर प्रदर्शित करता है और लाल लिटमस क्षारक को नीले रंग में बदलता है। लिटमस स्वयं न तो अम्लीय होता है और न क्षारीय।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 2
(ख) टरमैरिक (हल्दी)-हल्दी का घोल क्षारकों को लाल-भूरे रंग में बदल देता है। इसी के कारण कपड़े पर लगा सब्जी का निशान क्षारकीय साबुन से धोने पर लाल-भूरा हो जाता है।

(ग) फिनॉलफ्थेलिन-यह संश्लिष्ट सूचक है। यह क्षारकों के साथ गुलाबी रंग बनाता है।

(घ) मिथाइल आरेंज-यह भी संश्लिष्ट सूचक है। यह अम्लीय विलयन को गुलाबी रंग में बदलता है और क्षारक को पीले रंग में परिवर्तित करता है।

2. गंधीय सूचक-प्याज़ के कटे हुए छोटे-छोटे टुकड़े वे नीला गंध और लौंग का तेल अम्लों और क्षारकों के साथ भिन्न गंध उत्पन्न कर इनके परीक्षण में सहायक सिद्ध होते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 2.
हमारे दैनिक जीवन में अम्लों के चार उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  • सिरका हमारे भोजन को पकाने और उसकी सुरक्षा तथा आचार बनाने के काम आता है।
  • हमारे पेट में HCl हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है जो भोजन के साथ वहाँ पहुँच जाते हैं।
  • टारटेरिक अम्ल बेकिंग पाउडर बनाने में काम आता है।
  • कार्बोनिक अम्ल पेय पदार्थों में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रबल अम्ल और दुर्बल अम्ल में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
प्रबल अम्ल तथा दुर्बल अम्ल में अन्तर –

प्रबल अम्ल दुर्बल अम्ल
(i) ये पानी में मिलने से पूरी तरह H+ आयनों और ऋणात्मक आयनों में बदल जाते हैं। (i) ये पानी में मिलने से पूरी तरह H+ आयनों और ऋणात्मक आयनों में नहीं बदलते।
(ii) इनमें साम्य स्थापना नहीं होती। (ii) इनमें आयनों तथा अवियोजित अणुओं के बीच साम्य स्थापित हो जाता है।
(iii) उदाहरण-H2SO4, HNO3 (iii) उदाहरण-H2CO3, CH3COOH

प्रश्न 4.
प्रबल क्षारक (Strong base) और दुर्बल क्षारक (Weak base) में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
प्रबल क्षारक तथा दुर्बल क्षारक में अन्तर-

प्रबल क्षारक दुर्बल क्षारक
ये पानी में पूरी तरह से घुल कर OH आयन बनाते हैं। उदाहरण-NaOH, KOH ये पानी में आंशिक रूप से घुलते हैं। उदाहरण-Ca(OH)2, Mg(OH)2.

प्रश्न 5.
निम्न यौगिकों को दुर्बल एवं प्रबल अम्ल तथा क्षारक में वर्गीकृत कीजिए
(i) HCI
(ii) H2SO4
(iii) CH3COOH
(iv) HCN
(v) HClO4
(vi) H3PO4
(vii) NaOH
(viii) Ca(OH)2
(ix) NH4OH.
उत्तर-
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प्रश्न 6.
क्षारकों/क्षारों के उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  • इनका उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है।
  • इन्हें क्षारीय बैटरियों में प्रयुक्त किया जाता है।
  • ऐंटैसिड बनाने में प्रयोग में लाए जाते हैं।
  • पेट्रोल रिफाइनिंग और कागज़ उद्योग में प्रयुक्त होते हैं।
  • कपड़ों से ग्रीज़ के निशान हटाने में प्रयोग किया जाता है।
  • कठोर जल को मृदु बनाने में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
क्षार और क्षारक में अंतर लिखिए।
उत्तर-
क्षार तथा क्षारक में अंतर-वे क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं उन्हें क्षार कहते हैं। इसका अर्थ है कि सभी क्षार क्षारक होते हैं पर सभी क्षारक क्षार नहीं होते। उदाहरण के लिए फैरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] और क्यूपरिक हाइड्रॉक्साइड [Cu(OH)2] क्षारक हैं पर उन्हें क्षार नहीं कह सकते क्योंकि ये जल में घुलनशील नहीं है।

प्रश्न 8.
साधारण नमक के उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  • नमक हमारे भोजन का अनिवार्य भाग है।
  • यह अनेक भोज्य पदार्थों को सुरक्षित रखने में काम आता है।
  • यह साबुन उद्योग, पॉटरी आदि में प्रयुक्त होता है।
  • यह हिमकारी मिश्रण बनाने में प्रयुक्त होता है।
  • इस का उपयोग धावन सोडा, विरंजक चूर्ण, कास्टिक सोडा, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, मीठा सोडा आदि बनाने में किया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 9.
विरंजक चूर्ण किस प्रकार तैयार किया जाता है ? इसके सामान्य गुण और उपयोग लिखिए।
उत्तर-
विरंजक चूर्ण का निर्माण शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से होता है।
Ca(OH)2 (s) + Cl2 (g) → CaOCl2 (s) + H2O (l)
बड़ी मात्रा में इसके निर्माण के लिए एक विशेष टावर लेते हैं जिसमें ऊपर से होपर (Hopper) से शुष्क बुझा हुआ चूना डाला जाता है और नीचे से क्लोरीन गैस तथा गर्म वायु प्रवाहित करते हैं। क्लोरीन ऊपर तक पहुँचतेपहुँचते पूर्णतया अवशोषित हो जाती है और बुझा हुआ चूना विरंजक चूर्ण में बदल जाता है।

गुण-
(i) विरंजक चूर्ण पीले रंग का चूर्ण है, जिसमें क्लोरीन की तीखी गंध होती है।
(ii) यह जल में घुलनशील है, परंतु पूरी तरह विलेय नहीं।
(iii) यह वायु की CO2 के साथ क्रिया करके क्लोरीन खो देता है।
CaoCl2 + CO2 → CaCO3 + Cl2
(iv) यह अम्लों से क्रिया करता है।
CaOCl2+ 2HCl → CaCl +H2O + Cl2
CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2

उपयोग-

  • कागज़ तथा कपड़ा उद्योग में विरंजक के रूप में।
  • पेय जल को रोगाणुरहित करने में।
  • बिना सिकुड़ने वाली ऊन बनाने में।
  • यह क्लोरोफॉर्म बनाने में प्रयुक्त होता है।
  • प्रयोगशाला में यह ऑक्सीकारक का कार्य करता है।

प्रश्न 10.

विरंजक चूर्ण की तैयारी के लिए समीकरण लिखें और इसके लाभ भी लिखें।
उत्तर-
रासायनिक समीकरण –
Ca(OH)2 (s) + Cl2 (g) → CaOCl2 (s) + H2O (l) विरंजक चूर्ण के लाभ-देखें

प्रश्न 11.
धोने का सोडा का रासायनिक सूत्र लिखिए। जब इसके क्रिस्टलों को वायु में खुला छोड़ देते हैं, तो क्या होता है?
उत्तर-
धोने का सोडा अर्थात् धावन सोडा (Washing Soda) का सूत्र Na2CO3 . 10H2O है जब इसके क्रिस्टलों को हवा में उद्भासित किया जाता है तब उत्फुल्लन प्रक्रिया से पानी के नौ अणु बाहर निकल जाते हैं।
Na2CO3 . 10H2O → Na2CO3 . H2O + 9 H2O

प्रश्न 12.
सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट विलयन को गर्म करने पर क्या होता है? इसमें प्रयुक्त रासायनिक अभिक्रिया की समीकरण दीजिए।
उत्तर-
जब सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के घोल को गर्म किया जाता है तब वह कार्बन डाइऑक्साइड को उत्पन्न करता है और सोडियम कार्बोनेट को बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 4

प्रश्न 13.
CaOCl2 यौगिक का सामान्य नाम क्या है? उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करके विरंजक चूर्ण प्रदान करता है।
उत्तर-
यौगिक CaOCl2 का सामान्य नाम विरंजक चूर्ण है। जिस पदार्थ के साथ क्रिया करके क्लोरीन विरंजक चूर्ण बनाता है उसका नाम बुझा हुआ चूना [Ca (OH)2] है।

प्रश्न 14.
बेकिंग सोडे के उपयोग लिखें।
उत्तर-
बेकिंग सोडे के उपयोग-

  • इसका उपयोग बेकिंग पाऊडरों के बनाने में होता है।
  • पेट की खराबी की अवस्था में यह औषधि का कार्य करता है।
  • इसे अग्नि निवारक यंत्र में भी भरा जाता है।

प्रश्न 15.
क्या होता है जब ताज़े चूने के पानी में से कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारी जाती है?
उत्तर-
जब ताज़े चूने के पानी में से थोड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारी जाए तो अघुलनशील कैल्सियम कार्बोनेट के कारण उसका रंग दूधिया हो जाएगा –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 5
इस घोल में यदि और कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारी जाए तो यह कैल्सियम कार्बोनेट घुलनशील बाइकार्बोनेट ‘ में बदल जाएंगे जिससे चूने के पानी का दूधियापन समाप्त हो जाएगा-
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 16.
pH स्केल क्या है ? यह किसी विलयन की अम्लता और क्षारकता कैसे दर्शाता है ? एक चित्र की सहायता से pH तथा [H3O]+ के पूरे परिसर को प्रकट कीजिए।
उत्तर-
किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए जिस स्केल का प्रयोग किया जाता है इसे pH स्केल कहते हैं। इसमें ‘p’ ‘पुसांस’ (potenz) को प्रकट करता है जो एक जर्मन शब्द है और इसका अर्थ ‘शक्ति’ होता है। इस स्केल से शून्य से 14 तक pH को ज्ञात किया जा सकता है। शून्य अधिक अम्लता को तो 14 अधिक क्षारीयता को प्रकट करता है। pH को एक ऐसी संख्या के रूप में देखा जाता है जो किसी विलयन की अम्लता और क्षारीयता को दर्शाता है। हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी उसका pH उतना ही कम होगा। किसी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होता है। 7 से कम मान अम्लीय विलयन और 7 से अधिक क्षारीय शक्ति को प्रकट करते हैं। सामान्य रूप से pH सार्वजिक सूचक अंतर्भारित पेपर द्वारा ज्ञात किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 7
कुछ सामान्य पदार्थों को pH पत्र पर दिखाया गया है।

प्रश्न 17.
चित्र में दर्शाए pH पेपर पर नींबू के रस का pH = 2.2 तथा मिल्क आफ मैग्नीशिया का pH = 10 है। इससे क्या तात्पर्य है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 8
उत्तर-
नींबू के रस का pH = 2.2 है जोकि 7 से कम है। अम्लीय प्रकृति तथा 7 से अधिक pH वाला मिल्क ऑफ मैग्नीशियम (pH = 10) क्षारीय प्रकृति का है।

प्रश्न 18.
धावन सोडा किस प्रकार तैयार किया जाता है ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर-
धावन सोडा (Na2CO3.10H2O) एक रसायन जिसे सोडियम क्लोराइड से प्राप्त किया जा सकता है। बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जा सकता है। सोडियम कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता है। यह भी एक क्षारकीय लवण है।
Na2CO3+ 10H2O → Na2CO3.10H2O (सोडियम कार्बोनेट)
सोडियम कार्बोनेट एवं सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट, कई औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोगी रसायन है।

धावन सोडे के उपयोग

  • सोडियम कार्बोनेट का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
  • इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है।
  • सोडियम कार्बोनेट का उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिए होता है।
  • जल की स्थाई कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है।

प्रश्न 19.
उत्फुल्लन क्या होता है? एक ऐसे यौगिक का नाम दीजिए जो उत्फुल्लन प्रदर्शित करता हो। अपने उत्तर को एक अभिक्रिया द्वारा समझाइए।
उत्तर-
उत्फुल्लन-उत्फुल्लन उस क्रिया को कहते हैं जिसमें किसी यौगिक क्रिस्टल जल के वायु में मुक्त होने की प्रक्रिया होती है। यह क्रिया गर्म करने या अपने आप ही हो जाती है। धावन सोडा में क्रिस्टलीय जल मिला होता है इसीलिए उसका सूत्र Na2CO3 . 10H2O है। जब इसे वायु में रखा जाता है तो यह पानी के 9 अणु खो देता है और एकल हाइड्रेट के रूप में रह जाता है।
Na2CO3 . 10H2O → Na2CO3.H2O + 9H2O
गर्म करने पर यह अपने सारे क्रिस्टलीय जल को खो देता है, Na2CO3 . 10H2O → Na2CO3 + 10H2O

प्रश्न 20.
एक बेकर ने पाया कि उसके द्वारा बनाया केक सख्त और आकार में छोटा है। वह कौन-सा संघटक डालना भूल गया है जिससे केक फूला हुआ बन सकता था? कारण बताइए।
उत्तर-
केक तैयार करते समय बेकरी वाला बेकिंग पाऊडर डालना भूल गया था। जब बेकिंग पाऊडर (सोडियम बाइकार्बोनेट और टारटारिक अम्ल का मिश्रण) डाल कर गर्म किया जाता है तब टारटारिक अम्ल की क्रिया से सोडियम बाइकार्बोनेट, कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करता है। इस कार्बन डाइऑक्साइड से केक फूलता है और हल्का होता है। बेकरी वाले का केक सख्त और आकार में छोटा है इसलिए निश्चित है कि वह बेकिंग पाऊडर डालना भूल गया है।

प्रश्न 21.
विरंजक चूर्ण को वायु में खुला छोड़ देने पर क्या होता है?
उत्तर-
जब विरंजक चूर्ण को वायु में उद्भासित किया जाता है तो वह अपने गुणों में विकृति पाता है। वायु में उपस्थित CO2 इससे क्रिया करता है जिस कारण कैल्सियम कार्बोनेट और क्लोरीन गैस उत्पन्न होते हैं। विरंजक चूर्ण के गुण नष्ट हो जाते हैं।
CaOCl2 + CO2 → CaCO3 + Cl2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 22.
अस्पतालों (Hospitals) में टूटी हुई अस्थियों को जोड़कर बैठाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले यौगिक का नामोल्लेख कीजिए। इसको कैसे निर्मित करते हैं?
उत्तर-
अस्पतालों में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए जिस यौगिक का प्रयोग किया जाता है उसे प्लास्टर ऑफ़ पेरिस कहते हैं। इसे रासायनिक दृष्टि से कैल्सियम सल्फेट हेमी हाइड्रेट (CaSO4 \(\frac{1}{2}\) H2O) कहते हैं। इसे भट्ठी में जिप्सम को 373 K ताप पर गर्म करके बनाया जाता है।
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प्रश्न 23.
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र और लाभ लिखो।
उत्तर-
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र-
CaSO4 \(\frac{1}{2}\) H2O प्लास्टर ऑफ पेरिस के लाभ-

  • इसे साँचे, खिलौने, सिरेमिक, बर्तन आदि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
  • सजावटी समान, मूर्तियां आदि इससे बनाए जाते हैं।
  • अस्पतालों में अस्थि विभाग और दंत विभाग के द्वारा इसका पर्याप्त प्रयोग किया जाता है। यह टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त किया जाता है और टूटे हुए दाँतों के स्थान पर नकली दाँत लगाने के सांचे इससे बनाए जाते हैं।
  • भवनों की दीवारों और छतों को समतल करने और उन पर डिज़ाइन बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
  • अग्निशमन संबंधी सामग्री इससे तैयार की जाती है।
  • प्रयोगशालाओं में गैसों का रिसाव इससे रोका जाता है।

प्रश्न 24.
अनेक लोग पेट में गैस की शिकायत करते हैं। इसका मुख्य कारण क्या है ? इससे आराम पाने के लिए लोग ‘मिल्क ऑफ़ मैग्नीशियम’ का उपयोग क्यों करते हैं?
अथवा
ऐंटएसिड किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आमाशय में जठर रस स्रावित होता है जिसमें एंजाइम पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है। एंजाइम पेप्सिन अम्लीय माध्यम में ही सक्रिय होता है। जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अधिक मात्रा में स्रावित होता है तब यह आमाशय में जलन उत्पन्न करता है जिसे गैस (Acidity) कहते हैं।

अम्ल की अधिकता को उदासीन करने के लिए जिन पदार्थों का प्रयोग किया जाता है उन्हें ऐंटएसिड (Antacids) कहते हैं। प्रायः लोग ‘मिल्क मैग्नीशियम’ प्रयोग करते हैं जो एक दुर्बल क्षारक है। यह अधिक अम्ल को उदासीन करके आराम पहँचाता है।

प्रश्न 25.
दाँतों की रक्षा के लिए दाँत किस प्रकार की टूथपेस्ट से साफ़ करने चाहिए? क्यों?
अथवा
pH परिवर्तन कैसे दंत-क्षय का कारण है ?
उत्तर-
खाना खाने के पश्चात् मुँह में शर्करा आदि की अधिकता के कारण भोजन के कण आदि जीवाणुओं द्वारा अम्लों में बदल दिए जाते हैं जिससे मुँह का pH कम हो जाता है जो दंत क्षय को उत्पन्न करता है। भोजन के बाद दाँतों की रक्षा के लिए क्षारीय टूथपेस्ट या टूथमंजन का प्रयोग करना चाहिए। इसमें उपस्थित दुर्बल क्षार अतिरिक्त अम्ल को उदासीन कर देते हैं। इससे दंत क्षय की संभावना कम हो जाती है।

प्रश्न 26.
अम्लीय वर्षा क्या है ? मिट्टी की pH को कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर-
अम्लीय वर्षा-वातावरण में उपस्थित SO2, SO3, NO2, आदि गैसों का वर्षा के जल में घुल कर धरती पर वापिस गिरना अम्लीय वर्षा कहलाता है। मिट्टी का pH सार्वत्रिक सूचक अंतर्भारित पेपर द्वारा ज्ञात किया जाता है। इससे मिट्टी की अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का पता लग जाता है। वर्षा के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। मिट्टी का pH ज्ञात करने के लिए परखनली में मिट्टी को घोल कर निस्यंद एकत्रित कर लिया जाता है और सार्वत्रिक सूचक पत्र से pH की जाँच कर ली जाती है।

प्रश्न 27.
दन्त क्षरण क्या होता है ? यह कैसे होता है ?
उत्तर-
दन्त क्षरण-खाना खाने के पश्चात् मुँह में शर्करा की अधिकता होने पर जीवाणुओं द्वारा भोजन के कण अम्लों में बदल दिये जाते हैं जिससे pH का मान 5.5 से कम हो जाता है जो दन्त क्षरण का कारण बन जाता है।

प्रश्न 28.
धावन सोडे का रासायनिक नाम और सूत्र लिखो। इसके दो लाभ भी लिखो।
उत्तर-
धावन सोडे का रासायनिक नाम : सोडियम कार्बोनेट धावन सोडे का रासायनिक सूत्र : -Na2CO3.10H2O धावन सोडे के लाभ-

  • इसका उपयोग कांच, साबुन और कागज़ उद्योगों में होता है।
  • जल की स्थाई कठोरता को दूर करने के लिए इसका उपयोग होता है।

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प्रश्न 29.
धावन सोडा (Washing Soda) के दो उपयोग लिखें।
उत्तर-
जब ताज़े चूने के पानी में से थोड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारी जाए तो अघुलनशील कैल्सियम कार्बोनेट के कारण उसका रंग दूधिया हो जाएगा –
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इस घोल में यदि और कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुज़ारी जाए तो यह कैल्सियम कार्बोनेट घुलनशील बाइकार्बोनेट ‘ में बदल जाएंगे जिससे चूने के पानी का दूधियापन समाप्त हो जाएगा-
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प्रश्न 30.
नीचे दिए चित्र में 1 और 2 को अंकित करें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 10
उत्तर-

  • बैटरी (ऊर्जा स्रोत)
  • एनोड।

प्रश्न 31.
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ?
उत्तर-
भोजन में आयोडीन की कमी से घंघा रोग (Goitre) हो जाता है। इस रोग से बचने के लिए भोजन में आयोडीन युक्त नमक की सलाह दी जाती है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भोजन का खट्टा स्वाद किस कारण होता है ?
उत्तर-
अम्लों की उपस्थिति के कारण।

प्रश्न 2.
कड़वे स्वाद का कारण कौन होता है ?
उत्तर-
क्षारकों की उपस्थिति।

प्रश्न 3.
जिंक की सोडियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया करने पर कौन-सी गैस उत्पन्न होती है?
उत्तर-
हाइड्रोजन गैस।

प्रश्न 4.
धातु कार्बोनेट और धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट अम्लों से क्रिया करके कौन-सी गैस उत्पन्न करते हैं?
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड।

प्रश्न 5.
चूने के पानी से CO2 को प्रवाहित करने से क्या होता है?
उत्तर-
चूने का पानी दूधिया हो जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 6.
चूने के पानी से अधिक CO2 गुज़ारने से चूने के पानी का दूधियापन किस कारण समाप्त हो जाता है?
उत्तर-
जल में विलयशील Ca (HCO3)2 के कारण।

प्रश्न 7.
अधात्विक ऑक्साइड किस प्रकृति के होते हैं ?
उत्तर-
अम्लीय प्रकृति के।

प्रश्न 8.
अम्लों में से विद्युत्-प्रवाह किस कारण होता है ?
उत्तर-
आयनों के कारण।

प्रश्न 9.
अम्लीय विलयन किस आयन को उत्पन्न करता है?
उत्तर-
हाइड्रोजन आयन (H+) को उत्पन्न करता है।

प्रश्न 10.
क्षारक जल में कौन-सा आयन उत्पन्न करते हैं?
उत्तर-
हाइड्रॉक्साइड (OH) आयन।

प्रश्न 11.
क्षार क्या है?
उत्तर-
जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं।

प्रश्न 12.
अम्लों को तनु करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
जल में सांद्र अम्ल धीरे-धीरे मिलाना चाहिए न कि सांद्र अम्ल में जल।

प्रश्न 13.
pH स्केल क्या है?
उत्तर-
किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने की स्केल को pH स्केल कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 14.
pH स्केल से कहाँ से कहाँ तक pH ज्ञात कर सकते हैं ?
उत्तर-
0 से 14 तक।

प्रश्न 15.
किसी उदासीन विलयन के pH का मान क्या होगा?
उत्तर-
pH का मान 7 होगा।

प्रश्न 16.
pH स्केल में विलयन का मान 7 से कम हो तो वह क्या दर्शाता है?
उत्तर-
अम्लीय विलयन।

प्रश्न 17.
pH स्केल में विलयन का मान 7 से अधिक हो तो वह क्या दर्शाता है?
उत्तर-
विलयन में OH की सांद्रता अर्थात् क्षार की बढ़ती शक्ति।

प्रश्न 18.
नींबू का रस pH स्केल पर क्या मान दिखाता है?
उत्तर-
लगभग 2.2.

प्रश्न 19.
मिल्क ऑफ मैग्नीशियम pH स्केल पर क्या मान दिखाता है?
उत्तर-
10.

प्रश्न 20.
सोडियम हाइड्रोक्साइड pH स्केल पर क्या मान दिखाता है?
उत्तर-
लगभग 14.

प्रश्न 21.
शुक्र ग्रह का वायुमंडल किससे घिरा है?
उत्तर-
सल्फ्यूरिक अम्ल के मोटे श्वेत और पीले बादलों से।

प्रश्न 22.
हमारा उदर कौन-सा अम्ल उत्पन्न करता है?
उत्तर-
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।

प्रश्न 23.
पेट में अधिक अम्ल का उपचार कैसे किया जाता है?
उत्तर-
ऐटैसिड जैसे क्षारकों द्वारा।

प्रश्न 24.
मुँह में दाँतों का क्षय कब आरंभ होता है?
उत्तर-
pH का मान 5.5 से कम होने पर।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 25.
डंक मारे गए अंग पर किसके उपयोग से आराम मिलता है ?
उत्तर-
बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक से।

प्रश्न 26.
सिरके में कौन-सा अम्ल उपस्थित होता है?
उत्तर-
ऐसीटिक अम्ल।

प्रश्न 27.
दही और खट्टे दूध में कौन-सा अम्ल होता है ?
उत्तर-
लैक्टिक अम्ल।

प्रश्न 28.
ऊष्मा उन्मोची क्रियाएँ (Exothermic Reactions) किसे कहते हैं?
उत्तर-
ऊष्मा उन्मोची क्रियाएं-जिन रासायनिक क्रियाओं में ऊष्मा ऊर्जा की उत्पत्ति होती है उन्हें ऊष्मा उन्मोची क्रियाएँ कहते हैं।

प्रश्न 29.
ऊष्मा अवशोषी (Endothermic Reaction) क्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊष्मा अवशोषी क्रियाएं-जिन रासायनिक क्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है उन्हें ऊष्मा अवशोषी क्रिया कहते हैं।

प्रश्न 30.
ठोस रूप में सोडियम क्लोराइड (NaCl) विद्युत् का चालक क्यों नहीं होता?
उत्तर-
ठोस सोडियम क्लोराइड में Na+ और Cl तीव्र कूलॉम बलों से आपस में जुड़े रहते हैं और इसमें कोई भी स्वतंत्र आयन नहीं होता, जिस कारण वह विद्युत् का चालक नहीं होता।

प्रश्न 31.
विलेय किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विलेय वह यौगिक है, जो जलीय अवस्था में आकर धनात्मक या ऋणात्मक आवेशित आयनों में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 32.
शक्तिशाली विलायक (Strong Electrolyte) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह यौगिक जिसके जलीय घोल की विच्छेदन मात्रा 30% हो उसे शक्तिशाली विलायक कहते हैं।

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प्रश्न 33.
कमज़ोर विलायक (Weak Electrolytes) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह यौगिक जिसके जलीय घोल की विच्छेदन मात्रा 30% से कम हो उसे कमज़ोर विलायक कहते हैं।

प्रश्न 34.
बेकिंग पाऊडर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
बेकिंग पाऊडर मीठा सोडा और टारटैरिक अम्ल के मिश्रण को कहते हैं।

प्रश्न 35.
केक बनाने के लिए बेकिंग पाऊडर में यदि टारटैरिक अम्ल का प्रयोग न किया जाए तो केक का स्वाद कैसा होगा?
उत्तर-
सोडियम कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण वह कड़वा होगा।

प्रश्न 36.
अग्निशमन के लिए यंत्रों में किन रसायनों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट और सल्फ्यूरिक अम्ल का।

प्रश्न 37.
सोडा-एसिड अग्निशमन यंत्रों से कौन-सी गैस उत्पन्न होती है?
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड गैस।

प्रश्न 38.
जल को संक्रमण रहित बनाने में किस यौगिक का सामान्यतः प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
विरंजक चूर्ण (CaOCl2) का।

प्रश्न 39.
विरंजक चूर्ण से किस गैस की गंध आती है?
उत्तर-
क्लोरीन गैस की गंध।

प्रश्न 40.
कई बार तरण-तालों में तैरने से आँखें लाल हो जाती हैं। क्यों ?
उत्तर-
पानी में विरंजक चूर्ण की अधिकता के कारण आँखें लाल हो जाती है।

प्रश्न 41.
इमली तथा चींटी के डंक में कौन-कौन से अम्ल होते हैं ?
उत्तर-
इमली में उपस्थित अम्ल : टारट्रिक अम्ल चींटी के डंक में उपस्थित अम्ल : मेथेनॉइक अम्ल।

प्रश्न 42.
सभी अम्लों एवं क्षारकों में क्या समानताएं होती हैं ?
उत्तर-
(i) अम्ल तथा क्षारक कुछ एक धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन बनाते हैं।
(ii) अम्ल तथा क्षारक पानी में घुलकर हाइड्रोनियम H3O+ /OH आयन बनाते हैं। ये विलयन की प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अम्लीय विलयन का pH मान होता है
(a) pH >7
(b) pH <7
(c) pH = 7
(d) pH = 14.
उत्तर-
(b) pH <7.

प्रश्न 2.
उदासीन विलयन की pH है
(a) 7
(b) >7
(c) <7
(d) 14.
उत्तर-
(a) 7.

प्रश्न 3.
Na2CO3 का प्रचलित नाम है –
(a) ब्लीचिंग पाउडर
(b) बेकिंग पाउडर
(c) प्लास्टर ऑफ पेरिस
(d) वाशिंग सोडा।
उत्तर-
(d) वाशिंग सोडा।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 4.
अम्ल तथा क्षारक की अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को कहते हैं
(a) उदासीनीकरण
(b) तनुकरण
(c) क्लोर क्षार
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) उदासीनीकरण।

प्रश्न 5.
डाक्टर टूटी हुई हड्डियों को सही जगह पर स्थिर रखने के लिए किसका उपयोग करते हैं ?
(a) सीमेंट
(b) जिप्सम
(c) प्लास्टर ऑफ पैरिस
(d) सोडा।
उत्तर-
(c) प्लास्टर ऑफ पैरिस।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) जल में घुलनशील क्षारक को ………………. कहते हैं।
उत्तर-
क्षार

(ii) सल्फर को वायु में जलाने पर प्राप्त गैस की प्रकृति ……………………. होगी।
उत्तर-
अम्लीय

(iii) अम्लीय विलयन का pH मान 7 से …………………………… होता है।
उत्तर-
कम

(iv) धातुएँ अम्ल के साथ अभिक्रिया करके …………………………. गैस बनाती हैं।
उत्तर-
हाइड्रोजन

(v) क्षार का जलीय विलयन ………… को नीला करता है।
उत्तर-
लाल लिटमस।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संतुलित रासायनिक समीकरण को किस प्रकार लिखा जाता है ? इसके विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संतुलित रासायनिक समीकरण को लिखने के तरीके के बारे में जानने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।
जिंक + सल्फ्यूरिक अम्ल → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन इस समीकरण को निम्नलिखित रासायनिक समीकरण से प्रकट किया जा सकता है।
Zn + H2 SO4 → ZnSO4 + H2
तीर के निशान के दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या की जांच कर लें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 1
समीकरण में, तीर के चिह्न के दोनों तरफ के प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर है इसलिए यह एक संतुलित रासायनिक समीकरण है। अब निम्नलिखित रासायनिक समीकरण को संतुलित करने का प्रयत्न करते हैं
Fe + H2O → Fe3O4 + H2
चरण 1. रासायनिक समीकरण को संतुलित करने के लिए सबसे पहले प्रत्येक सूत्र के चारों ओर एक बॉक्स बना लें। समीकरण को संतुलित करते समय बॉक्स के अंदर कुछ भी बदलाव न करें।
Fe + H2O → Fe3O4 + H2

चरण 2.
असंतुलित समीकरण में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या की सूची बनाइए-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 2
चरण 3. सबसे अधिक परमाणु वाले यौगिक को पहले संतुलित करें चाहे वह अभिकारक हो या उत्पाद। उस यौगिक में सबसे अधिक परमाणु वाले तत्व को चुन लें। इस आधार पर हम Fe3O4, और उसके ऑक्सीजन तत्व को चुन लेते हैं। दायीं ओर ऑक्सीजन के चार परमाणु हैं और बायीं ओर केवल एक।

ऑक्सीजन परमाणु को संतुलित करने के लिए-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 3
परमाणुओं की संख्या को बराबर करने के लिए हम अभिक्रिया में शामिल तत्वों तथा यौगिकों के सूत्रों को नहीं बदल सकते हैं। जैसे-ऑक्सीजन परमाणु को संतुलित करने के लिए हम ‘4’ गुणांक लगाकर 4H2O लिख सकते हैं लेकिन H2O4 या (H2O4) या (H2O)4 नहीं। आंशिक रूप से संतुलित समीकरण अब इस प्रकार होगा
Fe + 4 H2O → Fe3O4 + H2 (आंशिक रूप से संतुलित समीकरण)
चरण 4. Fe तथा H परमाणु अब भी असंतुलित हैं। इनमें किसी एक तत्व को चुनकर आगे बढ़ते हैं। हाइड्रोजन परमाणु को बराबर करने के लिए दायीं ओर हाइड्रोजन अणु की संख्या को ‘4’ कर देते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4
अब समीकरण इस प्रकार होगा
Fe + 4 H2O → Fe3O4 + 4H2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

चरण 5. ऊपर दिए समीकरण की जांच करें तथा तीसरा तत्व चुन लें जो अब तक असंतुलित है। आप पाएंगे कि केवल लोहा ही एक तत्व है, जिसे संतुलित करना शेष है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 5
Fe को संतुलित करने के लिए बायीं ओर हम Fe के 3 परमाणु लेते हैं।
3 Fe + 4 H2O → Fe3O4 + 4H2

चरण 6. अंत में, इस संतुलित समीकरण की जाँच के लिए समीकरण में दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या की गिनती करते हैं।
3 Fe + 4H2O → Fe3O4+4 H2
(संतुलित समीकरण) समीकरण में दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या बराबर है। अतः यह समीकरण अब संतुलित है। रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने की इस विधि को हिट एंड ट्रायल विधि कहते हैं क्योंकि सबसे छोटी पूर्णांक संख्या के गुणांक का उपयोग करके समीकरण को सुंतलित करने का प्रयत्न करते हैं।

चरण 7.
भौतिक अवस्थाओं के संकेत लिखना-ऊपर लिखे संतुलित समीकरण में भौतिक अवस्था की कोई जानकारी नहीं है।
रासायनिक समीकरण को अधिक सूचनापूर्ण बनाने के लिए अभिकारकों तथा उत्पादों के रासायनिक सूत्र के साथ उनकी भौतिक अवस्था को भी दर्शाया जाता है। अभिकारकों तथा उत्पादों के ठोस, गैस, द्रव तथा जलीय अवस्थाओं को क्रमशः (s), (g), (l) तथा (aq) से दर्शाया जाता है। अभिकारक या उत्पादों जब जल में घोल के रूप में उपस्थित रहता है तब (aq) लिखते हैं। अतः संतुलित समीकरण इस प्रकार होगा
3Fe(s) + 4H2O (g) → Fe3O4 (S) + 4H2(g)

प्रश्न 2.
रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर-
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु में नहीं बदलता है। न ही कोई परमाणु मिश्रण से बाहर जाता है या बाहर से मिश्रण में आता है। वास्तव में, किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने और जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है।
1. संयुक्त अभिक्रिया-ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयुक्त अभिक्रिया कहते हैं। जैसे-कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) का निर्माण करके अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है।
उदाहरण –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 6
इस अभिक्रिया में कैल्सियम ऑक्साइड तथा जल मिलकर एकल उत्पाद, कैल्सियम हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।

2. वियोजन अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसमें कोई यौगिक दो या दो से अधिक सरल पदार्थों में टूटता है उसे वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 7
3. विस्थापन अभिक्रिया-जब कोई तत्व दूसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो वह विस्थापन अभिक्रिया होती है।
उदाहरण
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 8

4. द्विविस्थापन अभिक्रिया-द्विविस्थापन अभिक्रिया में दो अलग-अलग परमाणु या परमाणुओं के समूह का आपस में आदान-प्रदान होता है।
उदाहरण –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 9

प्रश्न 3.
उपचयन एवं अपचयन की उदाहरण सहित संक्षेप में व्याख्या कीजिए
उत्तर-
उपचयन तथा अपचयन-किसी अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन तब होता है जब उसमें ऑक्सीजन की वृद्धि या हाइड्रोजन का ह्रास होता है इसके विपरीत पदार्थ का अपचयन तब होता है जब उसमें ऑक्सीजन का ह्रास या हाइड्रोजन की वृद्धि होती है।
उदाहरण-
कॉपर चूर्ण के सतह पर कॉपर ऑक्साइड (II) की काली परत चढ़ जाती है। यह काला पदार्थ क्यों बना? यह कॉपर ऑक्साइड कॉपर में ऑक्सीजन के योग से बना है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 10
यदि इस गर्म पदार्थ के ऊपर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाए तो सतह की काली परत भूरे रंग की हो जाती है क्योंकि इस स्थिति में विपरीत अभिक्रिया होती है तथा कॉपर प्राप्त होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 11
अभिक्रिया के दौरान जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है तो कहते हैं कि उसका उपचयन हुआ है और जब अभिक्रिया में किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का ह्रास होता है तो कहते हैं कि उसका अपचयन हुआ है।
अभिक्रिया में कॉपर (II) ऑक्साइड में ऑक्सीजन का ह्रास हो रहा है, इसलिए यह अपचयित हुआ है। हाइड्रोजन में ऑक्सीजन की वृद्धि हो रही है, इसलिए यह उपचयित हुआ है। अर्थात्, किसी अभिक्रिया में एक अभिकारक उपचयित तथा दूसरा अभिकारक अपचयित होता है। इन अभिक्रियाओं को उपचयन-अपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 12
रेडॉक्स अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरण हैं
ZnO+C → Zn + CO
MnO2 + 4HCl→ MnCl2 + 2H2O + Cl2
अभिक्रिया में कार्बन उपचयित होकर CO तथा ZnO अपचयित होकर Zn बनता है। अभिक्रिया में HCl, Cl2 में उपचयित तथा MnO2, MnCl2 में अपचयित हुआ है।

प्रश्न 4.
अम्ल क्या होता है ? अम्लों के चार गुणों की व्याख्या उदाहरण देकर करो।
उत्तर-
अम्ल-ऐसे यौगिक जिनमें एक अथवा एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित होते हैं तथा वह जल में घुलकर आवेशित हाइड्रोनियम आयन (H3O+) बनाते हैं, अम्ल कहलाते हैं। अम्लों का स्वाद खट्टा होता है।

अम्लों के गुण-
1. धातुओं के साथ क्रिया-अम्ल क्रियाशील धातुएं जैसे जिंक, मैग्नीशियम,लोहा तथा मैंग्नीज़ के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस पैदा करती हैं।
Zn(s) + तनु H2SO4(aq) → ZnSO4(aq) + H2(g) ↑
Mg(s) + तनु 2HCl (aq) → MgCl(aq) + H2(g) ↑

2. धात्विक कार्बोनेट तथा धात्विक बाइकार्बोनेट के साथ क्रिया-अम्ल, धात्विक कार्बोनेट तथा धात्विक बाइकार्बोनेट से क्रिया करके कार्बनडाइऑक्साइड गैस उत्सर्जित करते हैं।
Na2CO3 + H2SO4 → Na2SO4 + H2O + CO2
NaHCO3 +HCl → NaCl + H2O + CO2

3. शारों के साथ क्रिया-अम्ल, क्षारों के साथ क्रिया करके उदासीनीकरण प्रक्रिया दर्शाते हैं तथा लवण और जल पैदा करते हैं।
HCl + NaOH → NaCl + H2O
HCl + KOH → KCl + H2O

4. धात्विक सल्फाइड तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के साथ क्रिया-अम्ल विभिन्न धातु सल्फाइडों तथा हाइड्रोदन सल्फाइडों के साथ क्रिया करके H2S गैस उत्पन्न करते हैं।
FeS + H2SO4→ FeSO4 + H2S(g)
2KHS + 2HCl → 2KCl + 2H2S(g)

प्रश्न 5.
चित्र में किस प्रकार की रासायनिक क्रिया दर्शायी गई है ? इस क्रिया की परिभाषा उदाहरण सहित लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 13
उत्तर-
चित्र में धातुओं की लवणों के विलयनों के साथ अभिक्रिया दर्शाई गई है। यह विस्थापन अभिक्रिया है। विस्थापन अभिकिया जब कोई तत्व दूसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो वह विस्थापन अभिक्रिया होती है।
उदाहरण –
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
रासायनिक समीकरणों को लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है ?
उत्तर-

  • रासायनिक परिवर्तन को प्रदर्शित करना।
  • अभिकारकों और उत्पादों के सभी तत्वों को प्रतीकों से दर्शाना।
  • अभिकारकों और उत्पादों के प्रत्येक तत्व के कुल परिणामों की संख्या का दोनों ओर समान होना।
  • भौतिक अवस्था, ऊष्मा और परिस्थितियों को स्पष्ट करना।

प्रश्न 2.
संयुक्त अभिक्रिया की परिभाषा उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
संयुक्त अभिक्रिया- ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयुक्त अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 15

प्रश्न 3.
बुझे हुए चूने का रासायनिक सूत्र और उसका एक उपयोग बताइए।
उत्तर-
रासायनिक सूत्र → Ca(OH)2
बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवारों की सफ़ेदी करने के लिए होता है।

प्रश्न 4.
सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद चमक क्यों आ जाती है?
उत्तर-
कैल्सियम हाइड्रोक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम कार्बोनेट की एक पतली परत बना देता है। सफ़ेदी करने के दो-तीन दिन बाद कैल्सियम कार्बोनेट का निर्माण होता है और इससे दीवारों पर चमक आ जाती है।

प्रश्न 5.
संगमरमर का रासायनिक सूत्र तथा उसके बनने की अभिक्रिया बताइए।
उत्तर-
संगमरमर को कैल्सियम कार्बोनेट भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र है-CaCO3
इसके बनने की अभिक्रिया –
Ca(OH2) (aq) + CO2(g) → CaCO3(s) + H2O कैल्सियम कार्बोनेट

प्रश्न 6.
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया की परिभाषा तथा दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction)-जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। A + B→ C + D + ऊष्मा इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों की कुल ऊर्जा उत्पादों की कुल ऊर्जा से अधिक होती है। अभिकारकों की ऊर्जा > उत्पादों की ऊर्जा ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण हैं –

  • प्राकृतिक गैस का दहन –
    CH4 (g) + 2O2 (g) → CO2(g) + 2H2O (g) + ऊर्जा
  • साग-सब्जियों का विघटित होकर कंपोस्ट बनाना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का ही उदाहरण है।

प्रश्न 7.
ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं की उदाहरण सहित परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)-जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रियाएं कहते हैं।
A+ B + ऊष्मा →C+ D
इस अभिक्रिया में अभिकारकों की कुल ऊर्जा उत्पादों की कुल ऊर्जा से कम होती है। अभिकारकों की ऊर्जा < उत्पादों की ऊर्जा उदाहरण –

  • कोक की भाप के साथ अभिक्रिया
    C(s) + H2O (g) + ऊष्मा → CO(g) + H2 (g)
  • N2 और O2 की प्रक्रिया
    N2(g) + O2 (g) + ऊष्मा → 2 NO (g)

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प्रश्न 8.
वियोजन अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया से किस प्रकार अलग है?
उत्तर-
संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं जबकि वियोजन अभिक्रिया इसके विपरीत है। वियोजन अभिक्रिया में एकल पदार्थ वियोजित होकर दो या दो से अधिक पदार्थ प्रदान करता है।

प्रश्न 9.
विस्थापन अभिक्रिया की परिभाषा तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
विस्थापन अभिक्रिया-जब कोई तत्व किसी दूसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो वह विस्थापन अभिक्रिया होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 16
उपरोक्त उदाहरण में Zn कॉपर से ज्यादा क्रियाशील है इसलिए वह कॉपर सल्फेट से कॉपर का विस्थापन करके स्वयं सल्फेट के साथ जिंक सल्फेट बनाता है।

प्रश्न 10.
द्विविस्थापन अभिक्रिया की परिभाषा तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
द्विविस्थापन अभिक्रिया-वैसी अभिक्रियाएं जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 17
उपरोक्त अभिक्रिया में Cl- तथा SO42- आयनों का आदान-प्रदान हो रहा है इसलिए यह द्विविस्थापन अभिक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 11.
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 18
उपरोक्त अभिक्रिया को पूरा करें तथा उत्पाद का रंग भी बताइए।
उत्तर-
उपरोक्त अभिक्रिया है-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 19
यह उत्पाद Pbo पीले रंग का है।

प्रश्न 12.
जंग लगना किसे कहते हैं ? जंग का रासायनिक सूत्र लिखिए। इससे होने वाली हानि क्या है?
उत्तर-
लोहे की बनी नई वस्तुएँ चमकीली होती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात् उन पर लालिमा युक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। आमतौर पर इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं। कॉपर जंग का रासायनिक सूत्र है : Fe2SO3. x H2O जंग हाइड्रेटेड आयरन (III) ऑक्साइड है। यह भंगुर है और समय के साथ धातु की सतह से पृथक् होता रहता है जिस कारण लोहे से बनी वस्तुएं क्षतिग्रस्त होती रहती हैं।

प्रश्न 13.
क्या होता है जब जिंक की छड़ कॉपर सल्फेट के विलयन में रखी जाती है? अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर-
जिंक कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है। वह कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है, और जिंक सल्फेट बनता है। कॉपर सल्फेट का नीला विलयन धीरे-धीरे सफेद होता चला जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 20

प्रश्न 14.
‘चूना शमन’ का तात्पर्य क्या होता है? इस प्रक्रिया में सूं-सूं की ध्वनि क्यों होती है? संबंधित अभिक्रिया को प्रदर्शित करने वाली रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर-
चूना शमन-जब चूने में जल मिलाया जाता है, यह बुझे चूने में बदल जाता है। इसे चूना शमन कहते हैं। यह एक उष्मापेक्षी अभिक्रिया है जिसमें उष्मा बाहर निकलती है जिसके कारण सूं-सूं की ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को संतुलित कीजिए
(i) H2 + N2 → NH3
(ii) BaCl2 + Al2(SO4)3 → AlCl3 + 3BaSO4
(iii) H2S + O2 → SO2 + H2O
(iv) KBr + BaI2 → KI + BaBr2
(v) Al + CuCl2 → AICl3 + Cu
(vi) AgNO3 + Cu2 + → Cu(NO3)2 + Ag
(vii) AI (OH)3 → Al2O3+ H2O
(viii) NH3 + CuO → Cu + N2 + H2O
(ix) KClO3 → KCl+ O2
(x) KNO2 → KNO2 + O2
(xi) BaCl2 + K2SO4 → + BaSO4 + KCl.
उत्तर-
(i) 3H2 + N2 → 2NH3
(ii) 3BaCl2 + Al2(SO4)2 → 2Alcl3 + 3BaSO4
(iii) 2H2S + 3O2 → 2SO2 + 2H2O
(iv) 2KBr + Bal2 → 2KI + BaBr2
(v) 2Al + 3CuCl2 → 2AlCl3 + 3Cu
(vi) 2AgNO3 + Cu → Cu (NO3)2 + 2Ag
(vii) 2AI (OH)3 → AlO3 + 3H2O
(viii) 2NH2 + 3CuO →  Cu + N2 + 3H2O
(ix) 2KCIO3 → 2KCl + 3O2
(x) 2KNO3 → 2KNO2 + O2
(xi) BaCl2 + K2SO4 → BaSO4 + 2KCl.

प्रश्न 16.
निम्न समीकरणों में उपचयित और अपचयित पदार्थों के नाम लिखिए
(i) SO2 + 2H2S → 2H2O+ 3S
(ii) 2Al + 3HCl → 2AlCl3 + 3H2
(iii) 2H2S + SO2 → 3S + 2H2O
(iv) Zn + 2AgNO3 → Zn (NO3)2 + 2Ag
(v) H2 + CuO → Cu + H2O.
उत्तर-
(i) SO2 में S का अपचयन तथा H2S में S का उपचयन हुआ।
(ii) एलुमीनियम उपचयित तथा क्लोरीन अपचयित हुआ।
(iii) हाइड्रोजन का उपचयन हुआ और सल्फर का अपचयन हुआ।
(iv) जिंक का उपचयन हुआ और सिल्वर का अपचयन हुआ।
(v) हाइड्रोजन का उपचयन हुआ तथा तांबा का अपचयन हुआ।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित क्रियाओं के लिए संकेतों और सूत्रों द्वारा संतुलित रासायनिक समीकरण लिखो :
(i) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट → जिंक नाइट्रेट + सिल्वर
(ii) कॉपर ऑक्साइड + हाइड्रोजन → कॉपर + पानी
(ii) बेरियम क्लोराइड + एल्युमीनियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + एल्युमीनियम क्लोराइड।
उत्तर-
(i) Zn + 2AgNO3 → Zn(NO3)2 + 2Ag
(ii) CuO + H2 → Cu + H2O
(iii) 3BaCl2 + Al2(SO4)3 → 3BaSO4 + 2AlCl3

प्रश्न 18.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा करें :
(i) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड + कार्बनडाइऑक्साइड → ………………….. +
(ii) सोडियम + पानी → …………………………….. + ………………………………
(iii) हाइड्रोजन + क्लोरीन → …………………………….
उत्तर –
(i) कैल्सियम + कार्बनडाइऑक्साइड → कैल्सियम कार्बोनेट + पानी हाइड्रॉक्साइड
(ii) सोडियम + पानी → सोडियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन
(iii) हाइड्रोजन + क्लोरीन → हाइड्रोजन क्लोराइड गैस

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 19.
निम्नलिखित कथनों को रासायनिक समीकरणों (सूत्रों सहित ) में लिखकर संतुलित करो :
(i) पोटाशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटाशियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोजन गैस देती है।
(ii) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का वायु/ऑक्सीजन में दहन होने पर जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड गैस बनाती है।
(ii) हाइड्रोजन गैस नाइट्रोजन से संयोग करके अमोनिया बनाती है। (P.S.E.B. March 2017, Set-III)
उत्तर
(i) 2K + 2H2O → 2KOH + H2
(ii) 2H2S + 3O2 → 2H2O + 2SO2
(iii) 3H2 + N2 → 2NH3

प्रश्न 20.
नीचे दिए गए फ्लास्क में किस प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया हो रही है ? इसके लिए रासायनिक समीकरण लिखें। उत्पन्न हो रही गैस का नाम एवं एक गुण भी लिखें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 22
उत्तर-
रासायनिक समीकरण
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 23
इस अभिक्रिया में हाइड्रोजन गैस उत्पन्न हो रही है।
हाईड्रोजन गैस का गुण-हाईड्रोजन गैस एक ज्वलनशील गैस है जो नीली-पीली ज्वाला के साथ धमाके के साथ जलती है।

प्रश्न 21.
सामने चित्र में दिखाई गई परखनली में रासायनिक अभिक्रिया के दौरान कौन-सी गैस पैदा हो रही है ? यह गैस चूने के पानी/कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड से किस तरह क्रिया करती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 24
उत्तर-

  • सोडियम कार्बोनेट तथा तनु हाइड्रोक्लोरिक की क्रिया के दौरान कार्बनडाइऑक्साइड गैस पैदा होती है।
  • कार्बनडाइऑक्साड गैस चूने के पानी (कैल्शियम हाइड्राक्साइड) के साथ क्रिया करके सफेद रंग का कैल्शियम कार्बोनेट बनाती है जिससे चूने के पानी का रंग दुधिया हो जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 25

 

प्रश्न 22.
सामने दिए गये चित्र में दर्शाई परखनली में हो रही रासायनिक क्रिया को समीकरण के रूप में लिखो। घोल/विलयन के रंग में किस प्रकार परिवर्तन होता है ? लोहे की कीलों के रंग में क्या परिवर्तन होता है ?

उत्तर-
रासायनिक क्रिया का समीकरण :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 27
जब लोहे की कीलों को कॉपर सल्फेट के घोल मे डुबोया जाता है तो नीले रंग का घोल धीरे-धीरे फीका हो जाता है तथा कीलों का रंग भूरा हो जाता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुझे हुए चूने का एक उपयोग बताइए।
उत्तर-
दीवारों की सफ़ेदी करने के लिए।

प्रश्न 2.
संगमरमर का रासायनिक फार्मूला लिखिए।
उत्तर-
CaCO3.

प्रश्न 3.
प्राकृतिक गैस का दहन करने पर क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
CO2 H2O और ऊर्जा ।

प्रश्न 4.
फ़ेरस सल्फेट का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
FeSO4.7H2O

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 5.
तैलीय तथा वसायुक्त खाद्य सामग्री जब लंबे समय तक रखी रह जाती है तो उसमें स्वाद और गंध किस क्रिया के कारण बदल जाते हैं ?
उत्तर-
उपचयन के कारण।

प्रश्न 6.
चिप्स बनाने वाले चिप्स की थैली में क्या युक्त कर देते हैं ताकि उनमें उपचयन न हो सके?
उत्तर-
नाइट्रोजन गैस।

प्रश्न 7.
किसी अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन कब होता है?
उत्तर-
जब O2 की वृद्धि या H2 का ह्रास होता है।

प्रश्न 8.
ऊष्मा देने पर कैल्सियम कार्बोनेट किसमें नियोजित होता है ?
उत्तर-
कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड ।

प्रश्न 9.
बुझे हुए चूने का रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
CaO.

प्रश्न 10.
प्राकृतिक गैस का दहन होने पर होने वाली अभिक्रिया को लिखिए।
उत्तर-
CH4 (g) + 2O2 (g) → CO2 (g) + 2H2O (g) + ऊर्जा।

प्रश्न 11.
कोयले का दहन तथा H2 और O2, से जल का निर्माण कैसी अभिक्रिया को दर्शाते हैं?
उत्तर-
संयोजन अभिक्रिया।

प्रश्न 12.
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 28
उत्तर-
क्लोरोफ़िल।

प्रश्न 13.
अपचयन क्रिया क्या है ?
उत्तर-
अपचयन वह क्रिया है जिसमें 0, का ह्रास तथा H, की वृद्धि होती है।

प्रश्न 14.
उपचयन क्रिया क्या है ?
उत्तर-
उपचयन वह क्रिया है जिसमें H, का ह्रास तथा O2, की वृद्धि होती है।

प्रश्न 15.
मैग्नीशियम रिबन को वायु में जलाने से कौन-सा पदार्थ बनता है ? ( मॉडल पेपर)
उत्तर-
सफेद पाउडर मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO).

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प्रश्न 16.
नीचे लिखी समीकरण में रिक्त स्थान भरो :
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उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 30

प्रश्न 17.
जिंक की तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया होने से कौन-सी गैस बनती है ?
उत्तर-
हाइड्रोजन गैस (H2)

प्रश्न 18.
निम्नलिखित रासायनिक समीकरण में रिक्त स्थान भरो : BaCl2 + Na2SO4 → …………. + …….
उत्तर-
BaCl2 + Na2SO4 → BaSO4 + 2NaCl

प्रश्न 19.
कार्बनडाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी में से प्रवाहित करने पर चूने के पानी में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर-
चूने का पानी दुधिया हो जाता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित रासायनिक समीकरण को पूरा करें :
Fe(s) + CuSO4 (aq) → ………………. +
उत्तर-
Fe(s) + CuSO4 (aq) → FeSO4 (aq) + Cu(s)

प्रश्न 21.
निम्नलिखित समीकरण को पूरा करो :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 31
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 32

प्रश्न 22.
Zn(s) + CuSO4(aq) → ZnSO4(aq)+ Cu(s) इस रासायनिक समीकरण में किस प्रकार की अभिक्रिया दर्शायी गयी है ?
(क) संयोजन अभिक्रिया
(ख) वियोजन अभिक्रिया
(ग) विस्थापन अभिक्रिया
(घ) द्विविस्थापन अभिक्रिया।
उत्तर-
(ग) विस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 23.
Na2SO4(aq) + BaCl2→ BaSO4(s) + NaCl(aq) उपरोक्त रासायनिक समीकरण किस प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया का उदाहरण है ?
(क) संयोजन अभिक्रिया
(ख) वियोजन अभिक्रिया
(ग) विस्थापन अभिक्रिया
(घ) द्विविस्थापन अभिक्रिया।
उत्तर-
(घ) द्विविस्थापन अभिक्रिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
BaCl2 (aq) + Na2SO4 (aq) → BaSO4(s) + 2NaCl (aq) है
(a) विस्थापन अभिक्रिया
(b) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(c) संयोजन अभिक्रिया
(d) वियोजन अभिक्रिया।
उत्तर-
(b) द्विविस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 2.
वह अभिक्रिया जिसमें ऊष्मा उत्पन्न होती है, कहलाती है –
(a) बहुलीकरण अभिक्रिया
(b) ऊष्माशोषी अभिक्रिया
(c) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(c) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 3.
जल के विद्युत् अपघटन पर उत्पन्न हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का मोल अनुपात है –
(a) 2:1
(b) 1:1
(c) 2:2
(d) 4:1.
उत्तर-
(a) 2:1.

प्रश्न 4.
जंग का रासायनिक सूत्र है –
(a) Fe2O3
(b) FeCO3
(c) Fe2O3.xH2O
(d) FeCO3.xH2O.
उत्तर-
(c) Fe2O3.xH2O.

प्रश्न 5.
वियोजन अभिक्रिया का उदाहरण है-
(a) CH4 + 2O2, → CO2 + 2H2O
(b) 2Pb (NO3)2 → 2PbO + 4NO2 + O2,
(c) NH3 + HCl → NH4Cl
(d) PB + CuCl2 → PbCl2 + CU.
उत्तर-
(b) 2Pb (NO3)2 → 2PbO + 4NO2 + O2.

प्रश्न 6.
लोहा किसे उसके विलयन से विस्थापित कर सकता है ?
(a) Al
(b) Zn
(c) Cu
(d) AU.
उत्तर-
(c) Cu.

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सी अधातु है जो धातुओं की सक्रियता क्रम में उपस्थित रहती है –
(a) O2,
(b) Cl
(c) Br
(d) H2.
उत्तर-
(d) H2.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) अपघटन अभिक्रिया ………….. की विपरीत अभिक्रिया है।
उत्तर-
संयोजन अभिक्रिया

(ii) अम्ल व क्षारक की निश्चित मात्रा एवं आयतन मिलाने से ……….. तथा ……….. बनता है।
उत्तर-
लवण, जल

(iii) ऑक्सीजन का समावेश ……….. कहलाता है।
उत्तर-
ऑक्सीकरण

(iv) वह अभिक्रिया जिसमें ऊष्मा का उत्सर्जन होता है, ……… अभिक्रिया कहलाती है।
उत्तर-
ऊष्माक्षेपी

(v) ऑक्सीकरण तथा अपचयन एक-दूसरे की …………. हैं।
उत्तर-
पूरक।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

PSEB 10th Class Science Guide प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तन लाकर हम अपने घर में पर्यावरण-मित्र वातावरण बना सकते हैं –

  • हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् का अपव्यय रोक सकते हैं।
  • टपकने वाले जल के पाइप या नल की मुरम्मत करवा कर हम जल की बचत कर सकते हैं।
  • हमें तीन Rs द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने की कोशिश करनी चाहिए।
  • हमें पुन: चक्रण योग्य वस्तुओं को कूड़े के साथ नहीं फेंकना चाहिए।
  • हमें चीज़ों (जैसे लिफ़ाफ़े) को फेंकने की अपेक्षा फिर से प्रयोग में लाना चाहिए।
  • हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  • हमें अपने आवास के आस-पास कचरे और गंदे जल को इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।
  • जल के व्यर्थ रिसाव को रोकना चाहिए।
  • जल को मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए।
  • आवासीय कूड़े-कचरे को कूड़ादान में इकट्ठा कर उसका निपटान करना चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तनों द्वारा हम अपने विद्यालय में पर्यानुकूलित वातावरण बना सकते हैं-

  • हमें विद्यालय में ज़्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिएं।
  • बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए कि फूल तथा पत्तियों को न तोड़ें।
  • हमें जल का अपव्यय रोकना चाहिए।
  • कमरों में ज़्यादा-से-ज्यादा खिड़कियाँ बनानी चाहिएं ताकि सूर्य की रोशनी अंदर आए और कम-से-कम बिजली खर्च हो।
  • हमें कूड़ा-कचरा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि चीज़ों का पुन: उपयोग करना चाहिए।
  • शौचालय और मूत्रालयों की नियमित सफाई-धुलाई की जानी चाहिए।
  • विद्युत् अपव्यय को नियंत्रित करना चाहिए।
  • विद्यालय के आस-पास कचरे के ढेर और रुका हुआ गंदा जल नहीं होना चाहिए।
  • विद्यालय का भवन साफ-सुथरा रखना चाहिए।
  • जैव निम्नीकृत और जैव अनिम्नीकृत कूड़े-कचरे के एकत्रीकरण के लिए कूड़ादान अलग-अलग होने चाहिए। इससे कूड़े का निपटान सरलता से हो सकेगा।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ? आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते समय सामने आने वाले चार मुख्य दावेदार हैं-

  1. वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी तरह-तरह की आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।
  2. सरकार का वन विभाग वनों से प्राप्त साधनों का नियंत्रण करता है।
  3. उद्योगपति तेंदुआ पत्ती का प्रयोग कर बीड़ी उत्पादकों से लेकर कागज़ मिल तक वन उत्पादों का उपयोग करते हैं।
  4. वन्य जीवन और प्रकृति प्रेमी प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में चाहते हैं।

वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार वन के अंदर तथा निकट रहने वाले उन लोगों को देने चाहिए जो सदियों से वनों पर निर्भर रहते हैं। परंतु कुछ अधिकार सरकार के पास भी होने चाहिएं ताकि लोग वनों का उपयोग ठीक से करें तथा इनका अपव्यय न करें। वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमियों को भी कुछ अधिकार देने चाहिएं क्योंकि वे प्रकृति का संरक्षण इसका आद्य अवस्था में करना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
(a) वन एवं वन्य जंतु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम ?
उत्तर-
(a) वन एवं वन्य जंतु-दूसरे लोगों में वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता जगा सकते हैं, अपने क्षेत्र के उन क्रियाकलापों में भाग ले सकते हैं जो वन तथा वन्य जंतुओं के संरक्षण को महत्त्व देते हैं। संरक्षण के नियमों को अपनाकर तथा इन मसले पर काम कर रही कमेटियों की सहायता करके भी हम वन एवं वन्य जंतुओं के प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं।

(b) जल संसाधन-अपने घर तथा कार्य स्थान पर जल का अपव्यय रोक कर तथा वर्षा के जल को अपने घरों में संग्रहण करके।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम-विद्युत् के अपव्यय को रोक कर तथा कम-से-कम बिजली उपयोग करके हम इनके प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं। निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहन का उपयोग कर पेट्रोल-डीजल की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-

  • विद्युत् को कम-से-कम इस्तेमाल कर सकते हैं तथा इसके अपव्यय को रोक सकते हैं।
  • तीन (R’s) के नियमों का पालन करके हम प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम कर सकते हैं।
  • हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  • जल को व्यर्थ होने से रोकना चाहिए।
  • खाना पकाने के लिए भी लकड़ी की जगह गैस का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर-
(a)

  • विद्युत् उपकरणों का व्यर्थ उपयोग नहीं किया।
  • रोशनी के लिए CFL का प्रयोग करके।
  • स्कूल आने-जाने के लिए अपने वाहन की जगह सरकारी वाहनों का प्रयोग करके।
  • नहाने में कम-से-कम पानी का उपयोग किया।
  • पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित जागरूकता अभियान में भाग लिया।

(b)

  • कंप्यूटर पर प्रिंटिंग के लिए अधिक कागज़ों का प्रयोग किया।
  • पंखा चलते छोड़कर कमरे से बाहर गया।
  • दीवाली पर पटाखे जलाकर।
  • मोटर साइकिल का अत्यधिक प्रयोग करके।
  • आहार को व्यर्थ किया।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?
उत्तर

  1. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम एक समाज में रहते हैं, अकेले नहीं।
  2. हमें अपने संसाधनों का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए तथा किसी भी तरह उन्हें व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  3. हमें तीन (R’s) के नियमों का पालन करना चाहिए। (Reduce, Recycle, Reuse)
  4. हमें निजी वाहनों की अपेक्षा सरकारी वाहनों का उपयोग करना चाहिए।
  5. हमें अपने पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। इन सब बातों को अपने जीवन में महत्त्व देकर हम अपने संसाधनों के संपोषण को बढ़ावा दे सकते हैं।

Science Guide for Class 10 PSEB प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ?
उत्तर-

  1. धुआँ रहित वाहनों का प्रयोग करके।
  2. पॉलीथीन का उपयोग न करना।
  3. जल संरक्षण को बढ़ावा देकर।
  4. वनों की कटाई पर रोक लगाकर ।
  5. वृक्षारोपण।
  6. तेल से चालित वाहनों का कम-से-कम उपयोग करके।
  7. व्यर्थ बहते जल की बर्बादी रोक कर।
  8. ठोस कचरे का कम-से-कम उत्पादन कर।
  9. सोच-समझ कर विद्युत् उपकरणों का उपयोग करके।
  10. पुनः चक्रण हो सकने वाली वस्तुओं का उपयोग करके।
  11. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मना कर।
  12. नालियों में रसायन तथा उपयोग किया हुआ तेल न डाल कर।
  13. जैव निम्नीकरणीय और जैव अनिम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग फैंक कर।
  14. सीसा रहित पैट्रोल का प्रयोग करके। उपरोक्त विभिन्न विधियों को अपनाकर हम पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर-
इसका केवल एक ही लाभ है, मनुष्य की आत्म-केंद्रित (स्वार्थ) संतुष्टि। पेड़-पौधों को काट कर हम अपने स्वार्थ की पूर्ति कर लेते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि इससे पर्यावरण असंतुलित हो जाता है। संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं को कुछ सोच-समझ कर ही बनाना चाहिए।

प्रश्न 3.
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाए गए परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय लंबी अवधि को ध्यान में रखना होता है। जिससे कि वे अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सकें। अल्प अवधि के लाभ के लिए पेड़ काटे जाते हैं लेकिन लंबी अवधि को ध्यान में रख कर पुनः वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वनों की कटाई से कृषि, आवासीय और औद्योगिक कार्यों के लिए भूमि प्राप्त हो सकती है लेकिन इससे भूमि कटाव की समस्या और पर्यावरण की सुरक्षा नहीं रह सकती।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं ?
उत्तर-
आर्थिक विकास का पर्यावरण संरक्षण के साथ सीधा संबंध है। संसार में संसाधनों का असमान वितरण ग़रीबी का एक मुख्य कारण है। संसाधनों का समान वितरण एक शांतिपूर्ण संसार की स्थापना कर सकता है। सरकारी अभिकर्ता और कुछ स्वार्थी तत्त्व प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करते हैं। चोरी छिपे वनों की कटाई इसी का एक उदाहरण है।

प्रश्न 5.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जीवन को निम्नलिखित कारणों से सुरक्षित रखना चाहिए

  1. प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए।
  2. जीन पूल की सुरक्षा के लिए।
  3. फल, मेवे, सब्ज़ियाँ तथा औषधियाँ प्राप्त करने के लिए।
  4. इमारती तथा जलाने वाली लकड़ी प्राप्त करने के लिए।
  5. पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने के लिए।
  6. वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो वर्षा के स्रोत का कार्य करते हैं।
  7. मृदा अपरदन एवं बाढ़ पर नियंत्रण करने के लिए।
  8. वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करने के लिए।
  9. धन प्राप्ति के अच्छे स्रोत के रूप में।
  10. स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरंतरता के लिए।
  11. प्राणियों की प्रजाति को बनाये रखने के लिए।
  12. वन्य प्राणियों से ऊन, अस्थियाँ, सींग, दाँत, तेल, वसा तथा त्वचा आदि प्राप्त करने के लिए।

वन्य जीवन का संरक्षण राष्ट्रीय पार्क तथा पशुओं और पक्षियों के लिए शरण स्थल बनाने से किया जा सकता है। यह पशुओं का शिकार करने की निषेध आज्ञा का कानून प्राप्त करके किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
संरक्षण के उपाय-पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीवन का संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

  1. सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिएं जिससे शिकारियों को प्रतिबंधित वन्य पशु का शिकार करने पर दंड मिले।
  2. राष्ट्रीय पार्क और पशु-पक्षी विहार स्थापित किए जाने चाहिएं जहां पर वन्य पशु सुरक्षित रह सकें।
  3. वनों को काटने पर रोक लगानी चाहिए।
  4. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए और रोपित पेड़-पौधों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  5. वनों की आग से रक्षा करनी चाहिए। प्रति वर्ष विश्व में अनेक वन जल कर नष्ट हो जाते हैं।
  6. वनों को अधिक चराई से बचाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर-
हमारे निवास क्षेत्र के आस-पास वर्षा के जल को जोहड़ों और तालाबों में इकट्ठा करने का प्रचलन था। भूमिगत टैंकों में भी जल संग्रहण का प्रचलन था।

प्रश्न 8.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • लद्दाख के क्षेत्रों में जिंग द्वारा जल संरक्षण किया जाता है, जिसमें बर्फ के ग्लेशियर को रखा जाता है जो दिन के समय पिघल कर जल की कमी को पूरा करता है।
  • बाँस की नालियाँ-जल संरक्षण की यह प्रणाली मेघालय में सदियों पुरानी पद्धति है। इसमें जल को बाँस की नालियों द्वारा संरक्षित करके उन्हें पहाड़ों के निचले भागों में उन्हीं बाँस की नालियों द्वारा लाया जाता है।

मैदानी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • तमिलनाडु क्षेत्र में वर्षा जल को बड़े-बड़े टैंकों में संरक्षित किया जाता है तथा ज़रूरत के समय उपयोग करते हैं।
  • बावरियाँ-ये मुख्यतः राजस्थान में पाए जाते हैं। ये छोटे-छोटे तालाब हैं जो प्राचीन काल में बंजारों द्वारा पीने के पानी की पूर्ति के लिए बनाए गए थे।

पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • भंडार-ये मुख्यत: महाराष्ट्र में पाए जाते हैं, जिसमें नदियों के किनारों पर ऊँची दीवारें बनाकर बड़ी मात्रा में जल को संरक्षित किया जाता है।
  • जोहड़-ये पठारी क्षेत्रों की जमीन पर पाए जाने वाले प्राकृतिक छोटे खड्डे होते हैं। जो वर्षा जल को संरक्षित करने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 9.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ?
उत्तर-
हमारे क्षेत्र में मुख्य जल स्रोत भूमिगत जल तथा नगर निगम द्वारा जल आपूर्ति हैं। कभी-कभी विशेषकर गर्मी के दिनों में इन स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल में कुछ कमी आ जाती है तथा इसकी पूर्ण या समान उपलब्धता भी संभव नहीं होती।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 15 हमारा पर्यावरण

PSEB 10th Class Science Guide हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं ?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-
(a), (c) तथा (d)।

प्रश्न 2.
निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम ।
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं ?
(a) बाज़ार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) मां द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें ( मार डालें) ?
उत्तर-
यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि घास → हिरण → शेर आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी जिससे वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर-
किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों पर अलग-अलग होगा। –

  1. उत्पादकों को हटाने का प्रभाव-यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जाएगा। तब किसी प्रकार का जीवन नहीं रहेगा।
  2. शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव-शाकाहारियों को नष्ट करने से उत्पादकों (पेड़-पौधों-वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक-टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भूख से मर जाएंगे।
  3. मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव-मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढ़ जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएंगी।
  4. अपघटकों को हटाने का प्रभाव-अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव-जंतुओं के ढेर लग जाएंगे।

उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेंगी। मिट्टी में उत्पादकों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी। किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीवित नहीं रह सकते हैं और शाकाहारियों के न रहने से मांसाहारी नहीं रह सकते। अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाएंगे।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर-
जैविक आवर्धन-विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनका हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है।

हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।

उदाहरण-
उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों को मारने के लिए बहुत अधिक डी० डी० टी० का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई। पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी में प्रति दस लाख कण में 0.2 कण डी० डी० टी० (1 ppm = \(\frac{1}{1000000} \)) है। डी० डी० टी० के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
हमारे द्वारा उत्पादित प्लास्टिक, डी० डी० टी० आदि से युक्त अजैव निम्नीकरणीय कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

  1. नाले-नालियों में अवरोध।
  2. मृदा प्रदूषण।
  3. प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जंतुओं की मृत्यु।
  4. मानव शरीर में जैव आवर्धन।
  5. पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध।
  6. जल, वायु और मृदा प्रदूषण।
  7. सौंदर्य बोध की दृष्टि से हानिकारक और बुरा।

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर-
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो और उसका निपटान ठीक प्रकार से कर दिया जाए तो हमारे पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 9.
ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर-
विभिन्न रासायनिक कारणों से ओज़ोन परत को क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों की वृद्धि के कारण ओज़ोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर, मोतिया बिंद और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है।

इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बीत कही गई। सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCs पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरो कार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है।

सजगता को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। विश्वभर की सरकारों को निम्नलिखित कार्य तत्परता से करने चाहिएं-

  1. सुपर सॉनिक विमानों का कम-से-कम प्रयोग।
  2. नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  3. क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग को सीमित करना चाहिए।
  4. CFCs के विकल्प की तलाश करनी चाहिए।

Science Guide for Class 10 PSEB हमारा पर्यावरण InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो कर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीकरण पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते। अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढ़तापूर्वक आपस में जुड़े रहते हैं और एंजाइम उन पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते।

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु बढ़ते हैं।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार हो कर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिल कर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
  2. वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 4.
पोषी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बनाइए।
उत्तर-
पोषी स्तर- आहार श्रृंखला में उत्पादक और उपभोक्ता का स्थान ग्रहण करने वाले जीव जीवमंडल को कोई निश्चित संरचना प्रदान करते हैं, जिसे पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला में उत्पादक का पहला स्थान होता है। यदि हम पौधों का सेवन करें तो श्रृंखला में केवल उत्पादक तथा उपभोक्ता स्तर होते हैं। मांसाहारियों की आहार श्रृंखला में अधिक उपभोक्ता होते हैं।
आहार श्रृंखला का उदाहरण-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

प्रश्न 5.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ? ।
उत्तर-
पारितंत्र में अपमार्जक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवाणु मृतोपजीवी, कवक जैसे अति सूक्ष्म जीव मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। फलों सब्जियों के छिलके, गले-सड़े फल, जैविक कचरा, गायभैसों का गोबर, पेड़-पौधों के गले सड़े भाग आदि अपमार्जकों के द्वारा विघटित कर दिए जाते हैं और वे आसानी से प्रकृति में पुनः मिल जाते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में मिलकर पौधों द्वारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर-
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी ओज़ोन का वायुमंडल के ऊपरी स्तर (स्ट्रैटोस्फीयर) में लगभग 16 किलोमीटर ऊपर एक आवरण है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी की सुरक्षा करता है। पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। यह त्वचा कैंसर करती है। पृथ्वी के चारों ओर ओजोन परत समाप्त हो जाने से सूर्य के प्रकाश से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर बिना रोक-टोक पहुँचने लगेंगी और पारितंत्र को दुष्प्रभावित करने लगेंगी। सन् 1980 से वायुमंडल में ओज़ोन की मात्रा में तेज़ी से गिरावट आने लगी है।

ओज़ोन पारितंत्र को निम्नलिखित आधारों पर भी प्रभावित करती है –

  • तापमान में परिवर्तन के कारण धरती पर वर्षा में कमी।
  • चावल जैसी फ़सलों पर प्रभाव।
  • जलीय जीवों और पदार्थों पर प्रभाव।
  • मानवों में प्रतिरोध क्षमता की कमी तथा त्वचा कैंसर में वृद्धि ।
  • पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न होने की संभावना
  • सूक्ष्मजीवों में उत्परिवर्तन और उनकी मृत्यु का कारण।

प्रश्न 7.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कचरा व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अति हानिकारक है क्योंकि इससे केवल गंदगी ही नहीं फैलती बल्कि यह अनेक प्रकार की बीमारियों का कारण भी बनता है। इसे निपटाने के लिए निम्नलिखित दो तरीकों को अपनाया जा सकता है-

  • पुन: चक्रण-कचरे में से कागज़, प्लास्टिक, धातुएँ, चीथड़े आदि चुन कर अलग करके उनका पुन: चक्रण किया जाना चाहिए। पुराने कागज़ और कपड़े के पुनः चक्रण से पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। प्लास्टिक का बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
  • मिट्टी में दबाना-जैव निम्नीकरण पदार्थों को मिट्टी में दबा कर कचरे का निपटान किया जा सकता है। उससे खाद प्राप्त कर खेतों में प्रयुक्त किया जा सकता है।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

PSEB 10th Class Science Guide ऊर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर ऊर्जा जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर-
(b) बादलों वाले दिन ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला।
उत्तर-
(c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है। (a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा।
उत्तर-
(a) भूतापीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर-

जीवाश्मी ईंधन सूर्
(1) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। (1) यह ऊर्जा का विकरणीय स्रोत है।
(2) यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। (2) यह प्रदूषण नहीं फैलाता है।
(3) रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न प्रकाश उत्पन्न करता है। (3) परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और करता है।
(4) निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है।
(5) मानव मन चाहे ढंग से उस पर नियंत्रण कर भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। (5) मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी सकता है।

प्रश्न 5.
जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत् की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए ।
उत्तर-
जैवमात्रा तथा जल विद्युत् की तुलना –

जैवमात्रा जल वैद्युत्
(1) जैव-मात्रा केवल सीमित मात्रा में ही ऊर्जा प्रदान कर सकती है। (1) जल वैद्युत् ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है।
(2) जैव-मात्रा से ऊर्जा प्राप्त करने के प्रक्रम में प्रदूषण फैलता है। (2) जल वैद्युत् ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है।
(3) जैव-मात्रा से प्राप्त ऊर्जा को सीमित स्थान में ही प्रयोग किया जा सकता है। (3) जल वैद्युत् ऊर्जा को पारेषण लाइन की सहायता से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ

  • पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। एक MW के जनित्र के लिए 2 हेक्टेयर स्थान की आवश्यकता होती है।
  • पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब पवन का न्यूनतम वेग 15 km/h हो।
  • हवा की तेज़ गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएं अधिक होती हैं।
  • सारा वर्ष आवश्यक पवनें नहीं चलतीं।

(b) तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-समुद्रीय जल तरंगों के वेग के कारण उनमें ऊर्जा समाहित होती है जिसके कारण निष्कर्षण के लिए निम्न सीमाएँ हैं

  • तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
  • इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं हैं।

(c) ज्वार भाटा ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ-ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय आर्कषण के कारण होता है। तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर-
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्रोत

  • नवीकरणीय स्त्रोत-ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
  • अनवीकरणीय स्रोत-ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता। जीवाश्मी ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।

(b) समाप्य तथा अक्षय (असमाप्य)-ऊर्जा के समाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं जबकि अक्षय (असमाप्य) स्रोत अनवीकरणीय हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-

  • पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होनी चाहिए।
  • समान दर से ऊर्जा की उत्पत्ति होनी चाहिए।
  • सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
  • परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
  • यह सस्ता और सुलभ होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुक्कर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुक्करों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर-
सौर कुक्कर के लाभ-

  • ईंधन का कोई खर्च नहीं होता। ईंधन और विद्युत् की बचत है।
  • पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है। धीमी गति से खाना पकने के कारण भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
  • किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती।
  • खाना पकाते समय निरंतर देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सौर कुक्कर की हानियां (सीमाएँ)

  • बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता।
  • रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
  • बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
  • यह 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।

पृथ्वी पर कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुक्कर का उपयोग अत्यंत सीमित है। उदाहरण के लिए, चारों ओर पर्वतों से घिरी हुई घाटी जहां सूर्य की धूप दिन में बहुत कम समय के लिए मिलती है। पहाड़ी ढलानों पर प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आपतित सौर ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है। इसके अतिरिक्त भूमध्य रेखा से सुदूर क्षेत्रों में सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर लंबवत् आपतित नहीं होती। अतः ऐसे क्षेत्रों पर सौर कुक्कर का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा नहीं मिल पाती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा की मांग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर निश्चित रूप से कुप्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएं आदि सब के लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।

ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत् ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन का कैलोरीमान अधिक हो, सरलता से प्राप्त हो, दाम भी बहुत अधिक न हो तथा स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय- इसके लिए निम्नलिखित उपाय उपयोग में लाए जा सकते हैं-

  1. घरों में विद्युत् उपकरणों का अनावश्यक प्रयोग में न किया जाए।
  2. पंखे, कूलर, ए० सी० आदि का प्रयोग करते समय परिवार के सभी सदस्य एक ही कमरे में रहने का प्रयास करें।
  3. बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को विकसित किया जाए तथा निजी गाड़ियों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाए।
  4. स्ट्रीट लाइट को दिन में बंद किए जाने की समुचित व्यवस्था की जाएं।
  5. पारंपरिक उत्सवों (दीपावली, शादी समारोह आदि) पर ऊर्जा की बर्बादी पर रोक लगाई जाए।

Science Guide for Class 10 PSEB ऊर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • जिसका प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
  • जिसका भंडारण और परिवहन सुगम हो।
  • सुगमता से प्राप्त हो जाता हो।
  • सस्ता हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तम ईंधन-वह ईंधन जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हो, वह उत्तम ईंधन कहलाता है। उत्तम ईंधन की विशेषताएँ-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों का उत्पादन कम-से-कम होना चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर-
हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे, क्योंकि इस का ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरीमान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।

प्रश्न 4.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर-
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ-जीवाश्मी ईंधन से होने वाली प्रमुख हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  • पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधन का सीमित भंडार मौजूद है जो कुछ ही समय में समाप्त हो जाएगा।
  • जीवाश्मी ईंधन, जलाने पर विषैली गैसें मुक्त कर वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
  • जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्सर्जित गैसें कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करती हैं जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है।
  • जीवाश्मी ईंधन के दहन से उत्सर्जित गैसें अम्लीय वर्षा का भी कारण बनती हैं।

प्रश्न 5.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर-
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देने के कारण-हम अपनी दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों जैसे खाना पकाना, विद्युत् उत्पादन, औद्योगिक संयंत्रों तथा वाहन चलाने आदि के लिए जीवाश्मी ईंधनों (कोयला, पेट्रोलियम)पर निर्भर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दर से हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहे हैं अतिशीघ्र ही जीवाश्म ईंधन का भंडार समाप्त हो जाएगा। वैकल्पिक स्रोत जल से उत्पादित विद्युत् की भी अपनी सीमाएँ हैं। अत: जल से सभी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव है। इसलिए शीघ्र ही भयंकर ऊर्जा संकट होने की आशंका है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रश्न 6.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?
उत्तर-
पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप में किया जाता है। वर्तमान समय में इनमें कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो।
1. पवन ऊर्जा-प्राचीन काल में पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चला कर कुओं से जल खींचने का काम होता था लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत् उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को समुद्रीय तट के समीप विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है। ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

2. जल ऊर्जा-प्राचीन काल में जल ऊर्जा का उपयोग जल परिवहन में किया जाता है। जल को विद्युत् ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए पहाड़ों की ढलानों पर बांध बनाकर जल की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आज जल विद्युत् संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है।

जल विद्युत् उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोक कर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया गया है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत् ऊर्जा को उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
सौर कुक्कर के लिए कौन-सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल-सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों ?
उत्तर-
सौर कुक्कर में अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर केंद्रित करता है जिससे सौर कुक्कर का तापमान बढ़ जाता है।

प्रश्न 8.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर-
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है परंतु सदैव ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों-ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनीअपनी सीमाएं हैं।
1. ज्वारीय ऊर्जा-ज्वारीय ऊर्जा का दोहन, सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है। बांध पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। सागर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करके ऊर्जा की उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।

2. तरंग ऊर्जा-तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहां तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहां सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हों कि उनकी ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।

3. सागरीय तापीय ऊर्जा-सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि० मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। इस प्रकार विद्युत् ऊर्जा प्राप्त हो सकती है परंतु यह प्रणाली बहुत महंगी है।

प्रश्न 9.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर-
भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में पिघलती हुई चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी को पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती हैं और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत् जनित्रों के द्वारा विद्युत् उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 10.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
नाभिकीय ऊर्जा- भारी नाभिकीय परमाणु (यूरोनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरोनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अतः परम्परागत ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अतः विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।

इससे निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  • अधिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए कम ईंधन की आवश्यकता पड़ती है।
  • यह ऊर्जा का विश्वसनीय स्रोत है और लंबे समय तक विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में सामर्थ्य है।
  • अन्य स्रोतों की अपेक्षा कम खर्च पर ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 11.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। कुछ स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करते हैं और कुछ ऊर्जा स्रोतों के निर्माण में प्रदूषण होता है। उदाहरण के लिए सौर-सैल को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत कहा जाता है, परंतु इस युक्ति के निर्माण समय प्रदूषण होता है जिससे पर्यावरण की क्षति होती है।

प्रश्न 12.
राकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाइड्रोजन निश्चित रूप से CNG की अपेक्षा स्वच्छ ईंधन है क्योंकि न तो इसका अपूर्ण दहन होता है और न ही हाइड्रोजन जल कर कोई हानिकारक गैस उत्पन्न करती है, जबकि CNG के द्वारा NO2 तथा SO2 जैसी ग्रीन हाऊस गैसें मुक्त होती हैं।

प्रश्न 13.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
जैव-मात्रा तथा बहते हुए जल की ऊर्जा, ऊर्जा के दो नवीकरणीय स्रोत हैं चूँकि जैव-मात्रा (वनों से प्राप्त लकड़ी) को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अतः इसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। बहते हुए जल की ऊर्जा भी वास्तव में सौर ऊर्जा का ही एक रूप है; अतः यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

प्रश्न 14.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों ऊर्जा के दो समाप्य स्रोत हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों के पृथ्वी पर उपलब्ध भंडार जल्दी ही समाप्त हो जाने वाले हैं तथा इन्हें कभी भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता; अतः ये दोनों ही ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

PSEB 10th Class Science Guide विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत् धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर-
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत् मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर-
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत् धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत् चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर-
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत्धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर-
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है ? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए
(a) विद्युत् मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत् जनित्र वैद्युत् चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत् धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युत्रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर-
(a) गलत।
(b) सही।
(c) सही।
(d) गलत।

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र के स्रोत-चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित स्रोत हैं
(i) स्थायी चुंबक
(ii) विद्युत् चुंबक
(iii) पृथ्वी चुंबक
(iv) गतिमान आवेश।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भांति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर-
धारावाही परिनालिका तथा छड़ चुंबक में समानताएँ-

  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका. दोनों को स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर दोनों के अक्ष उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों समान ध्रुवों को प्रतिकर्षित और असमान ध्रुवों को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों चुंबकीय पदार्थों (जैसे लोहा, कोबाल्ट, तथा निक्कल) को आकर्षित करते हैं।
  • छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका दोनों के निकट दिक्सूचक सूई लाने पर सूई विक्षेपित हो जाती है।
  • स्वतंत्रतापूर्वक लटक रहे चुंबक या धारावाही परिनालिका को धारावाही तार के समीप लाने पर दोनों विक्षेपित हो जाते हैं।

छड़ चुंबक द्वारा धारावाही परिनालिका के ध्रुव निर्धारण करना

  1. एक स्वतंत्रतापूर्वक क्षितिज अवस्था में लटक रही धारावाही परिनालिका के एक सिरे के निकट छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव लाएँ। यदि धारावाही परिनालिका आकर्षित होती है तो यह सिरा परिनालिका का दक्षिणी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
  2. यदि छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव परिनालिका के समीप लाने पर परिनालिका विक्षेपित हो जाती है तो छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव और विपरीत सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर-
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब विद्युत् धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार के सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत् धारा दोनों की दिशाओं के लंबवत् होती है। विद्युत् धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है, इसलिए चुंबकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत् मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है ?
अथवा अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् मोटर का सिद्धांत, रचना और कार्यविधि समझाओ।
अथवा
विद्युत् मोटर का सिद्धांत क्या है ? नामांकित चित्र बनाकर इसकी बनावट स्पष्ट करें। कार्यविधि का संक्षेप वर्णन करो। दैनिक जीवन में इसके दो उपयोग लिखो।
उत्तर-
विद्युत् मोटर– विद्युत् मोटर एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत् ऊर्जा (विद्युत् धारा) को यांत्रिक ऊर्जा (गति) में परिवर्तित कर देता है। विद्युत् मोटर का दैनिक जीवन में प्रयोग बाल सुखाने वाला यंत्र (ड्रॉयर), पंखे, पानी का पंप आदि से लेकर कई प्रकार के वाहनों और उद्योगों में किया जाता है।
सिद्धांत- जब किसी धारा वाहक कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इसकी कुंडली की भुजाओं पर वाहक बल क्रिया करता है जो कुंडली को घुमाने का प्रयत्न करता है।

बनावट-विद्युत् मोटर के निम्नलिखित भाग हैं –
1. आर्मेचर कुंडली-ABCD आर्मेचर कुंडली है। यह एक नर्म लोहे की छड़ के गिर्द लपेटी गई कुंडली है जो अपने अक्ष के गिर्द घूमने के लिए स्वतंत्र होती है।

2. दिक् परिवर्तक-दिक् परिवर्तक कुंडली, विभक्त वलयों S1 और S2 भागों में विभक्त होती है। कुंडली के सिरे इन विभक्त वलयों S1 और S2 से जुड़े होते हैं।

3. हॉर्स-शू चुंबक- कुंडली को हॉर्स-शू चुंबक के शक्तिशाली ध्रुवों के बीच रखा जाता है।

4. कार्बन ब्रुश-कार्बन ब्रुशों B1 तथा B2 का जोड़ा विभक्त वलयों को दबाकर रखता है । d.c. का एक स्रोत इन कार्बन ब्रुशों से जुड़ा होता है।
कार्य विधि-मान लो कुंडली ABCD का तल क्षैतिजीय है तथा विभक्त वलय S1 और S2 ब्रुश B1 और B,sub>2 को छू रहे हैं, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। धारा अघड़ीवत् दिशा या (घड़ी की दिशा से उल्ट) में प्रवाहित की जाती है।

फ्लेमिंग के बाएं हाथ नियम के अनुसार भुजा AB बाहर की तरफ कागज़ के तल पर लंबात्मक दिशा में एक बल F महसूस करती है। भुजा DC अंदर की तरफ कागज के तल के समानांतर बल F महसूस करती है।CB और AD भुजाएं क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर हैं, इसलिए कोई बल महसूस नहीं करतीं। भुजा AB और CD पर क्रिया कर रहे बल बराबर परंतु विलोम दिशायी हैं जो विभिन्न बिंदुओं पर क्रिया करके एक बल युग्म बनाते हैं जिससे कुंडली |

दिक् परिवर्तक घड़ीवत दिशा में घूमने लगती है। जब कुंडली कागज़ के तल के लंबात्मक ऊर्ध्वाधर दिशा में आ जाती है तथा भुजा AB ऊपर और CD नीचे हो जाती है तो बल युग्म शून्य हो जाता है परंतु जड़त्व के कारण कुंडली घूमती रहती है। विभक्त वलय S1 ब्रुश B2 के | तथा विभक्त वलय S2 ब्रुश B1 के संपर्क में आ जाता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 1

विभक्त वलय अपनी स्थिति बदलते हैं न कि ब्रुश B1 और B2 फिर जब विद्युत् धारा कुंडली में दिशा ABCD में गुज़रती है तो कुंडली की भुजाओं पर क्रिया करके बल उस दिशा में बल युग्म बनाता है। इसके परिणामस्वरूप कुंडली उसी दिशा में निरंतर घूमती रहती है।
इस तरह मोटर की कुंडली के अक्ष पर यदि कोई पहिया लगा दिया जाये तो यह पहिया अनेक मशीनों को चला सकता है। विद्युत् धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएं भी उत्क्रमित हो जाती हैं। कुंडली की जो भुजा पहले नीचे धकेली गई थी वह अब ऊपर की ओर धकेली जाती है और दूसरी ऊपर जाने वाली भुजा नीचे धकेल दी जाती है। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद यह क्रम दोहराया जाता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर का उपयोग विद्युत् पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत् मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP 3 प्लेयरों, जल पंप, गेहूँ पीसने वाली मशीन आदि में किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत्रोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(i) कुंडली में धकेला जाता है ?
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है ?
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है ?
उत्तर-
(i) जैसे ही छड़ चुंबक, कुंडली के भीतर धकेला जाता है वैसे ही गैल्वनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है। यह कुंडली में विद्युत् धारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(ii) जब चुंबक को कुंडली के भीतर से बाहर की ओर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेप होता है परंतु विपरीत दिशा में होता है।
(iii) यदि चुंबक को कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुंडली में कोई विद्युत् धारा उत्पन्न नहीं होती। अर्थात् विक्षेप शून्य हो जाता है।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत् धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर-
हाँ। जब कुंडली A में से प्रवाहित विद्युत् धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली B में विद्युत् धारा प्रेरित होगी। कुंडली A में विद्युत् धारा में परिवर्तन के कारण इसकी चुंबकीय बल रेखाएं जो कुंडली B के साथ संबंधित हैं बदल जाती हैं और यह कुंडली B में प्रेरित विद्युत् धारा को उत्पन्न कर देती हैं।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत् धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित विद्युत् धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा।
उत्तर-
(i) धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम निर्धारित करता है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम-यदि आप अपने दाहिने चुंबकीय हाथ में विद्युत् धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी। इसे दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 2
(ii) चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा निर्धारित होती है।
फ्लेमिंग का वामहस्त (बायां हाथ ) नियम-अपने वामहस्त के अंगूठे, तर्जनी के मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि वे परस्पर लंबवत् हो। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करें तथा मध्यमा अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को इंगित करे तो अंगूठा चालक की दिशा को प्रवाहित करेगी।
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(iii) चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली की गति के चालक की गति कारण उसमें प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त (दाहिने हाथ) नियम द्वारा ज्ञात होती है।

चुंबकीय क्षेत्र फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम-अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् | चालक में प्रेरित हों। यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर | विद्युत् धारा संकेत करे तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो, प्रेरित विद्युत् धारा तो मध्यम अंगुली चालक में प्रेरित विद्युत् धारा की ।
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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से विद्युत् जनित्र का सिद्धांत, रचना एवं कार्यविधि समझाओ।
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत् जनित्र-विद्युत् जनित्र एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है। इसका कार्य फैराडे के विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर निर्भर है।

सिद्धांत-जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में एक विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम-अपने दायें हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि प्रत्येक एक-दूसरे के साथ समकोण बनाए तो तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की ओर संकेत करती है, अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करता है और मध्यमा अंगुली कुंडली में उत्पन्न विद्युत् धारा की दिशा को दिखाती है।
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रचनाकिसी साधारण प्रत्यावर्ती जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं
1. आर्मेचर (Armature)-इसमें नरम लोहे की क्रोड पर तांबे की अवरोधी तार की अधिक वलयों वाली आयातकार कुंडली ABCD होती है, जिसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो घूम सकती है।

2. क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)-कुंडली को शक्तिशाली चुंबकों के बीच स्थापित किया जाता है। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबक लगाए जाते हैं, परंतु बड़े जनित्रों में विद्युत् चुंबकों का प्रयोग किया जाता है। ये क्षेत्र चुंबक चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करते हैं।

3. स्लिप रिंगज़ (Slip Rings)-धातु के दो खोखले रिंग R1 और R2 को कुंडली की धुरी पर लगाया जाता है। कुंडली की भुजाओं AB और CD को क्रमशः इनसे जोड़ दिया जाता है। आर्मेचर के घूमने के साथ R1 और R2 भी साथ-साथ घूमते हैं।

4. दो कार्बन ब्रुशों B1 और B2 से विद्युत् धारा को Load तक ले जाया जाता है। चित्र में इसे गैल्वनोमीटर से जोड़ा गया है जो विद्युत् धारा को मापता है।

कार्य विधि-जब कुंडली को चुंबक के ध्रुवों N और S के बीच घड़ी की सूई की विपरीत दिशा (anticlock wise) में घुमाया जाता है तब AB नीचे और CD ऊपर की दिशा में गति करती है। उत्तरी ध्रुव के निकट AB चुंबकीय रेखाओं को काटती है और CD ऊपर दक्षिणी ध्रुव के निकट रेखाओं को काटती है। इससे AB और DC में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियमानुसार विद्युत् धारा B से A और D से C की ओर बहती है। प्रभावी विद्युत् धारा DCBA की दिशा में प्रवाहित होती है। आधे चक्कर के बाद कुंडली के AB और DC अपनी स्थिति को बदल लेते हैं। AB दायीं तरफ और DC बायीं तरफ हो जाएंगे इससे AB ऊपर तथा DC नीचे की ओर जाएंगे। इस परिवर्तन के कारण कुंडली में धारा की दिशा आधे चक्र के बाद उलट जाएगी।
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इस व्यवस्था में एक ब्रुश सदा उस भुजा के साथ संपर्क में रहता है जो चुंबकीय क्षेत्र में ऊपर की ओर गति करती है जबकि दूसरा ब्रुश सदा नीचे की ओर गति करने वाली भुजा के संपर्क में रहता है।
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प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में लघुपथन (शॉर्ट सर्किट) कब होता है ?
उत्तर-
जब किसी घरेलू अथवा औद्योगिक परिपथ में जीवित तार (फेज तार) तथा उदासीन तार (न्यूट्रल तार) परस्पर सम्पर्कित हो जाते हैं तो परिपथ का लघुपथन हो जाता है। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध अचानक शून्य हो जाता है और धारा का मान एकाएक बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू-संपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
भूसंपर्क तार-घरेलू विद्युत् परिपथ में विद्युत्मय तथा उदासीन तारों के साथ एक तीसरा तार भी लगा होता है। इस तार का संपर्क घर के निकट जमीन के नीचे गहराई में दबी धातु की प्लेट के साथ होता है। इस तार का रोधन हरे रंग का होता है। इस तार को भूसंपर्क तार कहते हैं। यह तार विद्युत् धारा को अल्प-प्रतिरोध चालन पथ प्रस्तुत करता है।

धातु के साधित्रों (उपकरणों) जैसे–बिजली की प्रेस, फ्रिज, टोस्टर आदि को भूसंपर्क तार से जोड़ दिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र की बॉडी में विद्युत् धारा का क्षरण होने पर बॉडी का विभव भूमि के विभव के बराबर बना रहे। इससे साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर विद्युत् झटका लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर-
चुंबक के निकट लाने पर चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र, दिक्सूचक की सूई जोकि एक प्रकार का छोटा चुंबक है, पर बलयुग्म लगाता है। इससे चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न 2.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं खींचिए।
उत्तर-
छड़ चुंबक की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं-
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प्रश्न 3.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण-

  1. चुंबक के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं।
  2. चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent) उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
  3. कोई दो चुंबकीय क्षेत्र बल रेखाएं परस्पर एक-दूसरे को नहीं काटती, क्योंकि एक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं संभव नहीं हैं।
  4. किसी स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संघनता उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
  5. एक समान (uniform) चुंबकीय क्षेत्र की चुंबकीय रेखाएं परस्पर समानांतर तथा बराबर दूरी पर होती हैं।

प्रश्न 4.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती ?
उत्तर-
यदि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद (काटेंगी) करेंगी, तो उस बिंदु पर क्षेत्र की दो दिशाएं होंगी जो कि असंभव है। दिक्सूचक सूई को इस बिंदु पर रखने से चुंबकीय सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जोकि संभव नहीं हो सकता।

प्रश्न 5.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत्धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
चित्र के अनुसार मेज़ के तल पर तार का वृत्ताकार पाश जिसमें दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है, में दक्षिणहस्त अंगुष्ठ (दाहिना हाथ अंगूठा) नियमानुसार अंगुलियों के मुड़ने की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी। चित्र से साफ़ है कि पाश के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की पाश के तल के लंबवत् ऊपर से नीचे की ओर होंगी।
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प्रश्न 6.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर-
एक समान चुंबकीय क्षेत्र को परस्पर समानांतर बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसलिए इसका निरूपण निम्न चित्र अनुसार होगा-
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प्रश्न 7.
सही विकल्प चनिए : किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर-
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।

प्रश्न 8.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग।
उत्तर-
(c) वेग तथा (d) संवेग।

प्रश्न 9.
क्रियाकलाप 13.7 में, हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए ?
उत्तर-
(i) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 11
(ii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि छड़ पर लग रहा बल चुंबकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लंबाई के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 10.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी।
उत्तर-
(d) उपरिमुखी (ऐसा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार होगा)।

प्रश्न 11.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
अथवा
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम चित्र की सहायता से वर्णन करो।
उत्तर-
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम (बायाँ हाथ नियम)-इस नियम के अनुसार, “अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे को परस्पर लंबवत् हों (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है) यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा अंगुली चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा या चालक पर लग रहे बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 12

प्रश्न 12.
विद्युत् मोटर का क्या सिद्धांत है ?
उत्तर-
विद्युत मोटर का सिद्धांत- जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है जो कुंडली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुंडली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र हो तो वह घूमने लगती है।

प्रश्न 13.
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय (Split rings) की भूमिका-विद्युत मोटर में विभक्त वलय का कार्य कुंडली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है अर्थात् यह दिक् परिवर्तक का कार्य करता है। जब कुंडली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का एक ओर के ब्रुशों से संपर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से संपर्क जुड़ जाता है जिसके फलस्वरूप कुंडली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुंडली एक ही दिशा में घूमती रहती है। यदि विद्युत मोटर में विभक्त वलय न हों तो मोटर आधा चक्कर लगाकर रुक जाएगी।

प्रश्न 14.
किसी कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग –

  • कुंडली को स्थिर रख कर, छड़ चुंबक को कुंडली की ओर लाने पर या फिर कुंडली से दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • चुंबक को स्थिर रखे हुए कुंडली को चुंबक के निकट लाकर या फिर दूर ले जाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली को किसी चुंबकीय क्षेत्र में घुमाकर कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित की जा सकती है।
  • कुंडली के समीप रखी हुई किसी दूसरी कुंडली में विद्युत् धारा की मात्रा में परिवर्तन करने से पहली कुंडली में विद्युत्धारा प्रेरित की जा सकती है।

प्रश्न 15.
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत लिखिए। .
उत्तर-
विद्युत् जनित्र का सिद्धांत- जब किसी बंद कुंडली को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुंबकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुंडली में विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। कुंडली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुंडली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

प्रश्न 16.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दिष्ट धारा के स्रोत-

  1. विद्युत् सेल या बैटरी
  2. दिष्ट धारा जनित्र
  3. डायनमो
  4. बटन सेल।

प्रश्न 17.
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • जनित्र प्रत्यावर्ती विद्युत्धारा उत्पन्न करते हैं।
  • पन विद्युत् संयंत्र।

प्रश्न 18.
सही विकल्प का चयन कीजिए
तांबे की तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है ?
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई।
उत्तर-
(c) आधे।

प्रश्न 19.
विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • फ्यूज तार तथा
  • भू-संपर्क तार।

प्रश्न 20.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत् तंदूर किसी घरेलू विद्युत् परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत् धारा अनुमतांक 5A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
हल-घरेलू परिपथ की धारा अनुमतांक 5A है, इसका यह अर्थ हुआ कि घर की मुख्य लाइन में 5A का फ्यूज तार लगा है।
विद्युत् तंदूर की शक्ति P = 2kW = 2000 W जबकि V = 220 V माना विद्युत् तंदूर द्वारा ली जाने वाली धारा I है, तो
P = V x I से,
I= \(\frac{P}{V}\)
= \(\frac{2000 \mathrm{~W}}{220 \mathrm{~V}}\)
= 9.09 A
अर्थात् विद्युत् तंदूर मुख्य लाइन से 9.09A की धारा लेगी जो कि फ्यूज़ की क्षमता से अधिक है। अतः अतिभारण होगा जिसके फलस्वरूप फ्यूज़ की तार पिघल जाएगी और विद्युत् पथ अवरोधित हो जाएगा।

प्रश्न 21.
घरेलू विद्युत् परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर-
अतिभारण से बचाव के लिए सावधानियां

  1. विद्युत् प्रवाह के लिए प्रयुक्त की जाने वाली तारें अच्छे प्रतिरोधन पदार्थ से ढकी होनी चाहिए।
  2. विद्युत् परिपथ विभिन्न वर्गों में बंटे होने चाहिए और प्रत्येक साधित्र का अपना फ्यूज़ होना चाहिए।
  3. उच्च शक्ति प्राप्त करने वाले एयर कंडीशनर, फ्रिज, वाटर हीटर, हीटर, प्रैस आदि को एक साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. एक ही सॉकेट से बहुत-से विद्युत् साधित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।