PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता

Punjab State Board PSEB 8th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Physical Education Chapter 1 प्राथमिक सहायता

PSEB 8th Class Physical Education Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है जो किसी रोगी या ज़ख्मी व्यक्ति को अचानक चोट लगने या दुर्घटना के तुरन्त बाद डॉक्टर के आने से पहले या अस्पताल पहुंचाने से पहले दी जाती है। इसे ही प्राथमिक सहायता कहा जाता है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता के कौन-से उद्देश्य हैं ?
उत्तर-

  • रोगी को समीप के अस्पताल पहुँचाना या डॉक्टर के पास ले जाना।
  • रोगी की हालत को सुधारना।
  • रोगी की हालत को बिगड़ने से बचाना।
  • रोगी की जिंदगी को बचाना।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता बॉक्स (First Aid Box) में कौन-कौन सा सामान होना चाहिए?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता प्रदान करने के लिए प्राथमिक सहायता बॉक्स में निम्नलिखित सामान होना चाहिए

  • तिकोनियां, गोल पट्टियां तथा गर्म पट्टियां ।
  • भिन्न-भिन्न प्रकार की पट्टियां।
  • थर्मामीटर, चिमटी, कैंची, टॉर्च तथा सेफ्टी पिन्ज आदि।
  • ओ०आर० एस० (ORS) के पैकेट।
  • लीकोपोर या एडहैसिव टेप (Anticeptic Tap/Adhesive Tap)
  • एक साफ़ रूई का पैकेट।
  • साँस ठीक करने के लिए इन्हेलर।
  • भिन्न-भिन्न प्रकार के कीटाणु रहित फाहे या रूई के फाहे।
  • दवाई को मापने हेतु गिलास या बेकेलाइट गिलास।
  • एन्टीसेप्टिक तथा कीटाणु नाशक : स्पिरिट, बीटाडिन, बोरिक एसिड, साबुन, बरनोल, टिचर, आयोडीन तथा डिसेल आदि दवाइयां (स्पिरिट या क्रीम)।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
प्राथमिक सहायता के नियम लिखिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है जो किसी रोगी या ज़ख्मी व्यक्ति को अचानक चोट लगने या दुर्घटना के तुरन्त बाद डॉक्टर के आने से पहले या अस्पताल पहुंचाने से पहले दी जाती है। इसे ही प्राथमिक सहायता कहा जाता है।
प्राथमिक सहायता के नियम -वर्तमान काल में किसी भी व्यक्ति का जीवन सुरक्षित नहीं है,क्योंकि हर रोज़ कोई-न-कोई घटनाएं होती रहती हैं। इनसे बचने के लिए हमें प्राथमिक सहायता का ज्ञान अथवा नियमों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। इसके मुख्य नियम इस प्रकार हैं-

  1. सबसे पहले घायल व्यक्ति के शरीर पर लगे घावों में से खतरनाक चोट का इलाज करना चाहिए।
  2. बहते खून को बन्द करना चाहिए।
  3. यदि रोगी बेहोश हो या उसका सांस तक रुक गया हो तो उसे बनावटी सांस देनी चाहिए।
  4. यदि कोई दुर्घटना हुई हो तो शीघ्र आवश्यकतानुसार तुरन्त चिकित्सा शुरू कर देनी चाहिए।
  5. रोगी की दशा खराब नहीं होने देनी चाहिए।
  6. रोगी को अन्तिम क्षणों तक बचाने की कोशिश जारी रखनी चाहिए।
  7. रोगी के चारों ओर भीड़ इकट्ठी नहीं होने देनी चाहिए।
  8. रोगी को आरामदेह स्थिति में रखो।
  9. रोगी का साहस बढ़ाते रहना चाहिए।
  10. रोगी को आघात से बचाना चाहिए।
  11. रोगी को पूर्णत: गर्म रखो, चाय या दूध आदि पीने के लिए दो।
  12. प्राथमिक सहायता देते समय कोई हिचक या संकोच नहीं करना चाहिए।
  13. आवश्यकतानुसार रोगी के शरीर के कपड़े उतार देने चाहिए।
  14. रोगी को प्राथमिक सहायता देते समय बहुत ही धैर्य, सहानुभूति और मृदु भाषा से काम लेना चाहिए।
  15. प्राथमिक सहायता देने के बाद रोगी को किसी योग्य डॉक्टर के पास अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
प्राथमिक सहायक किसे कहा जाता है?
उत्तर-
जिस व्यक्ति ने किसी अधिकारिक संस्था से प्राथमिक सहायता की शिक्षा प्राप्त करके टैस्ट पास किया हो, उसे प्राथमिक सहायक कहा जाता है।

प्रश्न 6.
प्राथमिक सहायक के गुण लिखिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायक का गुण (Qualities of First Aider)—प्राथमिक सहायक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

  • प्राथमिक सहायक बहुत ही समझदार और होशियार होना चाहिए, जिसको दूसरों की सेवा करने उपरान्त शान्ति मिले और अपना काम फर्ज़ समझकर करें।
  • प्राथमिक सहायक बड़ा चुस्त होना चाहिए जो कि रोगी को लगी चोट आदि को समझने की योग्यता रखता हो।
  • प्राथमिक सहायता योजनाबद्ध होनी चाहिए।
  • वह बहुत फुर्तीला होना चाहिए।
  • उसका व्यवहार हमदर्दी वाला होना चाहिए। वह सहनशील, लगनशील और त्याग की भावना रखता हो।
  • वह स्पष्ट व्यक्ति होना चाहिए ताकि आस-पास के लोगों को समझा सके।
  • उसे तुरन्त निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए ताकि यह जान सके कि अनेक चोटों से सबसे पहले किसकी देखभाल ज़रूरी है।
  • प्राथमिक सहायक दृढ़ संकल्प वाला होना चाहिए।
  • वह स्वाभिमानी होना चाहिए।
  • उसमें इतना धैर्य व सामर्थ्य होनी चाहिए कि वह रोगी या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अन्तिम क्षणों तक सहायता दे सकता हो।
  • प्राथमिक सहायक उत्साही और साहसी होना चाहिए।
  • उसका व्यवहार अच्छा होना चाहिए।
  • प्राथमिक सहायक स्वस्थ तथा दृढ़ निश्चय वाला होना चाहिए।
  • प्राथमिक सहायक को प्राथमिक सहायता की पूरी तथा अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
  • उसे बिना किसी भय या लालच के सहायता करनी चाहिए।

प्रश्न 7.
सी०पी०आर० (C.P.R.) के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
C-Cardio (सी-कार्डिओ) P_Pulmonary (पी-पलमोनरी) R-Resuscitation (आर-रिसेसीटेशन)
जब रोगी की नब्ज तथा श्वास क्रिया महसूस न हो, उसकी आंखों की हिलजुल बंद हो जाए तथा रोगी बेहोश हो जाए, तो उसके दिल तथा फेफड़ों को पुनः चलाने के लिए सी०पी०आर० किया जाए। सी०पी०आर० करते समय रोगी के दिल पर अपनी हथेलियां रखें उससे लगभग तीस बार दबाएं। फिर दो बार मुंह पर मुंह रखकर अपना सांस उसके मुंह में डालें। जब तक रोगी की नब्ज महसूस न हो मुँह से सांस देते रहें। यदि ठीक समय पर सी०पी०आर० किया जाए तो रोगी की जान बच सकती है।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता (1)

सी०पी०आर० कब करनी चाहिए?

  1. जब रोगी बेहोश हो।
  2. जब रोगी की आंखों में हल-चल बंद हो।
  3. जब रोगी की नब्ज न हिलती हो।
  4. जब रोगी की धड़कन न सुनाई दे।

सी०पी०आर० कब नहीं करनी चाहिए?

  1. जब रोगी की सांस कठिनाई से आ रही हो।
  2. जब रोगी को दिल का दौरा पड़ा हो।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 8.
मुँह से मुँह द्वारा बनावटी साँस देने के ढंग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर–
बनावटी सांस कैसे दिया जाता है-जब रोगी के रुके हुए सांस को चलाने के लिए बनावटी सांस देना हो, तो उसे बनावटी सांस कहा जाता है।

मुँह से मुँह द्वारा बनावटी साँस देने के ढंग-रोगी के मुँह में कोई रुकावट हो, सबसे पहले प्राथमिक सहायता देने वाले को उस रुकावट से दूर कर देना चाहिए। फिर पीड़ित का नाक बंद करके अपने मुँह से हवा भरें और रोगी के मुँह पर अपना मुँह रख कर ज़ोर से अपना साँस उसके मुँह में भर दें।
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जब सहायता देने वाले का साँस रोगी के अंदर जाएगा तो रोगी की छाती में वायु भर जाएगी और फूल जाएगी।
प्राथमिक सहायता देने वाला यह क्रिया 12 से 16 बार करे अथवा जब तक पीड़ित का श्वास आना शुरू न हो जाए।

प्रश्न 9.
शैफ़र विधि द्वारा बनावटी श्वास कैसे दिया जाता है ? वर्णन करो।
उत्तर-
शैफ़र विधि-

1. रोगी की स्थिति-रोगी को भूमि पर मुंह के बल इस प्रकार लिटाना चाहिए कि उसकी बाहें सिर से ऊपर और हथेलियां भूमि की ओर हों।
PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता (3)
उसका सिर एक ओर मोड़ कर फुर्ती के साथ उसके कपड़े ढीले कर दो। यदि रोगी पीठ के भार लेटा हो तो उसे उल्टा करके मुंह के बल लिटा दो। ऐसा करने के लिए उसकी बाहों को उसके शरीर से हटा दो। उसकी दूर वाली टांग नज़दीक वाली टांग के ऊपर ले आओ। उसके चेहरे को बचाते हुए उसे इस प्रकार लिटाओ कि वह मुंह के बल हो जाए।

2. प्राथमिक सहायक की स्थिति-प्राथमिक सहायक को रोगी की कमर के एक ओर थोड़ा नीचे घुटनों के बल अपनी एड़ियां थोड़ा पीछे हटा कर बैठना चाहिए।बैठे हुए उसका मुंह रोगी के सिर की ओर होना चाहिए। इसके बाद उसे अपने हाथों को रोगी की कमर पर इस प्रकार रखना चाहिए कि एक हाथ रीढ़ की हड्डी पर और दूसरा हाथ दूसरी ओर हो। अंगूठे और टखने मिले हुए हों और अंगुलियां भूमि की ओर हों। दोनों बाहें सीधी हों।
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3. बनावटी सांस देने की क्रिया-प्राथमिक सहायक धीरे-धी रे आगे की ओर सरकते हुए अपने शरीर के भार को रोगी की कमर पर डालें। ऐसा करने से रोगी के पेट के अंग भूमि से उसका मध्य पेट या डायाफ्राम की ओर दब जायेगा। इस प्रकार से फेफड़ों से हवा निकल जायेगी। इस क्रिया में दो सैकिंड का समय लगना चाहिए। दो मिनट भार डालने के बाद रोगी की कमर से अपना भार हटा दो। अब धीरे-धीरे प्राथमिक सहायक अपनी एड़ियों पर आ जाए। इस प्रकार पेट के अंग पीछे हट जायेंगे और डायाफ्राम गिर जायेगा तथा फेफड़ों में हवा भी जाएगी। इस क्रिया में तीन सैकिंड लगने चाहिए। दोनों क्रियाओं में कुल पांच सैकिंड का समय लगना चाहिए और यह एक मिनट में 12 बार क्रिया होनी चाहिए।
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यह बनावटी सांस देने की क्रिया उस समय तक जारी रखनी चाहिए जब तक रोगी की श्वास-प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती।

Physical Education Guide for Class 8 PSEB प्राथमिक सहायता Important Questions and Answers

बहु विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता के उद्देश्य लिखें
(क) मरीज को नज़दीक अस्पताल लेकर जाना
(ख) रोगी की हालत सुधारना
(ग) हालत बिगड़ने न देना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता के बॉक्स में सामान आवश्यक है –
(क) थर्मामीटर
(ख) कैंची
(ग) चिमटी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता के नियम हैं
(क) रक्त को बहने से रोकना
(ख) बेहोश रोगी को बनावटी श्वास देना
(ग) रोगी की हालत में सुधार लाना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
प्राथमिक सहायता के गुण हैं
(क) प्राथमिक सहायता करने वाला सूझवान और होशियार होना चाहिए
(ख) उसे योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए
(ग) वह अपने कार्य में निपुण होना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
C.P.R. है –
(क) कार्डिओ
(ख) पलमोनरी
(ग) रिसेसीटेशन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
C.P.R. कब देनी चाहिए ?
(क) जब रोगी की नब्ज न चलती हो
(ख) रोगी की दिल की धड़कन बंद हो
(ग) रोगी की आँखों में हलचल न हो
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो आप क्या करोगे ?
उत्तर-
रोगी का बुखार कम करने के लिए उपाय किया जाएगा और डॉक्टर को दिखाया जाएगा।

प्रश्न 2.
ज़हरीले जानवर के काटने से शरीर में क्या फैलने का डर रहता है ?
उत्तर-
ज़हर फैलने का।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायक का व्यवहार कैसा होना चाहिए ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायक का व्यवहार मीठा, नम्रता भरा और हमदर्दी भरा होना चाहिए।

प्रश्न 4.
जली हुई जगह का रंग कैसा हो जाता है ?
उत्तर-
जली हुई जगह का रंग बदसूरत लाल हो जाता है।

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प्रश्न 5.
डॉक्टर के पहुंचने से पहले रोगी या घायल व्यक्ति को दी जाने वाली सहायता को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता।

प्रश्न 6.
प्राथमिक सहायता का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर-
रोगी या घायल की जान बचाना।

प्रश्न 7.
प्राथमिक सहायक (First Aider) को डॉक्टरी सहायता मिलने तक क्या करते रहना चाहिए ?
उत्तर-
रोगी की देखभाल।

प्रश्न 8.
साँप द्वारा डसे स्थान को किससे धोना चाहिए ?
उत्तर-
पानी और पोटाशियम के मिश्रण से।

प्रश्न 9.
सांप द्वारा डसे हुए स्थान पर चाकू या ब्लेड से कैसा कटाव करना चाहिए ?
उत्तर-
1″ लम्बा और = ” गहरा।

प्रश्न 10.
कटाव करने के लिए चाकू या ब्लेड कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
रोगाणु मुक्त।

प्रश्न 11.
किसी पागल कुत्ते के काटने से व्यक्ति की क्या दशा हो सकती है ?
उत्तर-
व्यक्ति की मृत्यु।

प्रश्न 12.
प्रारम्भिक सहायक में पहला गुण क्या होना चाहिए ?
उत्तर-
चुस्ती एवं फुर्ती।

प्रश्न 13.
रोगी के बेहोश होने पर श्वास बन्द होने पर क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
बनावटी साँस देना चाहिए।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता से क्या भाव है ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है, जो किसी रोगी द्वारा बीमार, बेहोश व्यक्ति या दुर्घटना के समय डॉक्टर के आने से पहले व्यक्ति को दी जाए।

प्रश्न 2.
पागल कुत्ते के काटने से जहर शरीर में किस तरह फैलता है?
उत्तर-
पागल कुत्ते के काटने से कुत्ते का जहर काटी हुई जगह पर नाड़ियों द्वारा नाड़ी तंत्र में पहुंच जाता है। वहां जहर दिमाग में दाखिल हो जाता है। यह जहर कुत्ते की लार में होता है। जख्म या खरोंच के साथ जहर व्यक्ति के सारे शरीर में फैल जाता है।

प्रश्न 3.
पागल कुत्ते के काटने से जो डॉक्टरी सहायता तुरंत न दी जा सके तो क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कई बार पागल कुत्ते के काटने से मरीज को तुरंत डॉक्टरी सहायता नहीं पहुंचाई जा सकती। इस हालत में रोगी के जख्म को जला देना चाहिए। ऐसे करने के लिए बंधन खोल देना चाहिए और किसी तरल कास्टिक कार्बनिक या शोरे का तेजाब जख्म ऊपर लगाएं। ऐसे करने से जहर खत्म हो जाएगा।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
डंक लगने के चिह्न बताओ।
उत्तर-
किसी कीड़े आदि के डंक मारने पर डंक वाली जगह सूज जाती है। वहां दर्द महसूस होने लगता है और कई भयानक चिह्न पैदा हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
जलने पर लक्षण बताओ।
उत्तर-
जलने के लक्षण-

  1. जली हुई जगह पर बहुत दर्द होती है।
  2. चमड़ी लाल हो जाती है और छाले पड़ जाते हैं।
  3. जले हुए अंग भद्दे लगते हैं।
  4. जलने के कारण कई बार सदमा भी लग जाता है।

प्रश्न 6.
लू लगने के पांच लक्षण लिखो।
उत्तर-
लू लगने के पांच लक्षण –

  1. रोगी बेहोश हो जाता है।
  2. रोगी की चमड़ी गर्म हो जाती है।
  3. रोगी के चेहरे का रंग नीला हो जाता है।
  4. रोगी को सांस लेने में कठिनाई आती है।
  5. रोगी की नब्ज़ तेज़ हो जाती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हाथ से सिलाई करने के लिए कपड़े के टुकड़े को कैसे पकड़ना चाहिए ?
उत्तर-
हाथ से सिलाई करने के लिए कपड़े के टुकड़े को बराबर करके पकड़ना चाहिए।

प्रश्न 2.
पक्की सिलाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
पक्की सिलाई के लिए तीन सादा टाँकों के पश्चात् एक बखिया टाँका लिया जाता है।

प्रश्न 3.
कपड़े की पूरी और बढ़िया सिलाई के लिए कौन-सा टाँका व्यवहार में लेना चाहिए ?
उत्तर-
कपड़े की पूरी और बढ़िया सिलाई के लिए बखिया टाँका व्यवहार में लेना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सादी सिलाई आप कैसे करोगे ?
उत्तर-
यह सिलाई सबसे आसान है। इसका प्रयोग कपड़े के टुकड़ों को स्थाई रूप से जोड़ने के लिए किया जाता है। इसमें टाँके की लम्बाई कपड़े की मोटाई पर निर्भर करती है। पतले कपड़े पर छोटा टाँका लगाया जाता है। यह दाईं ओर से शुरू की जाती है। इसमें पहला और अन्तिम टाँका बखिया का लिया जाता है। सूई को थोड़ा-थोड़ा स्थान छोड़कर कपड़े के ऊपर-नीचे निकाला जाता है। पक्की सिलाई के लिए तीन सादा टाँकों के पश्चात् एक बखिया टाँका लिया जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई 1
चित्र 4.1 सादी सिलाई

PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई

प्रश्न 2.
फ्रैंच सिलाई आप कैसे करोगे ?
उत्तर-
इस सिलाई को दोहरी या चोर सिलाई भी कहते हैं। कपड़ों के सिरों से धागे निकालने से रोकने के लिए सबसे पहले कपड़े के दोनों भागों को उल्टी तरफ एक-दूसरे । के ऊपर दोनों सिरे मिलाकर रखते हैं। सिरों से लगभग 1/8″ की दूरी से सादा टाँका लगाते हैं। अब उन्हीं सिरों को उल्टा कर इस तरह मोड़ देते हैं कि सिलाई किए गए सिरों की पट्टी अन्दर की तरफ़ कपड़ों के बीच में आ जाए और उधड़ रहे धागों के अन्दर छिपा दिया जाता है। धागों को छिपाने के बाद ली गई पट्टी पर उल्टी तरफ़ से हाथ की सादी या बखिया टाँका प्रयोग करके सिलाई की जाती
PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई 2
चित्र 4.2 फ्रैंच सिलाई
है। यह सिलाई मर्दाना कमीजों पर की जाती है। यह सिलाई बढ़िया, बारीक, महँगे, रेशमी और बनावटी रेशों वाले कपड़ों पर की जाती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई

हाथ से सादी सिलाई और फ्रैंच सिलाई PSEB 8th Class Home Science Notes

  • हाथ से सिलाई करने के लिए कपड़े के टुकड़े को बराबर करके पकड़ना चाहिए।
  • पक्की सिलाई के लिए तीन सादा टाँकों के पश्चात् एक बखिया टाँका लिया जाता है।
  • प्रायः कपड़े की पूरी और बढ़िया सिलाई के लिए बखिया टाँका व्यवहार में लेना चाहिए।
  • फ्रैंच सिलाई को दोहरी या चोर सिलाई भी कहते हैं।
  • फ्रैंच सिलाई पुरुषों की कमीज़ों पर की जाती है। यह सिलाई बढ़िया, बारीक, महँगे रेशमी और बनावटी रेशों वाले कपड़ों पर की जाती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार के जल का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
मृदु जल का।

प्रश्न 2.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई में कौन-से घोल अधिक प्रचलित हैं?
उत्तर-
पोटैशियम परमैंगनेट, सोडियम परऑक्साइड तथा हाइड्रोजन ऑक्साइड के हल्के घोल।

प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों को फुलाने की आवश्यकता क्यों नहीं होती?
उत्तर-
क्योंकि पानी में डुबाने से रेशे निर्बल हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 4.
ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना-कूटना क्यों नहीं चाहिए?
उत्तर-
रगड़ने से रेशे नष्ट हो जाते हैं तथा आपस में फँसते हुए जम जाते हैं।

प्रश्न 5.
वस्त्रों को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ी-सी नील क्यों डाल देनी चाहिए?
उत्तर-
वस्त्रों को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ी-सी नील इसलिए डाल देनी चाहिए जिससे कपड़ों में चमक आ जाए।

प्रश्न 6.
ऊनी वस्त्रों को धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए?
उत्तर-
क्योंकि तेज़ धूप के प्रकाश के ताप से ऊन की रचना बिगड़ जाती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 7.
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए तापमान की दृष्टि से किस प्रकार के पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान एक-सा होना चाहिए।

प्रश्न 8.
धोने के बाद ऊनी कपड़ों को किस प्रकार सुखाना चाहिए?
उत्तर-
धोने से पूर्व बनाए गए खाके पर कपड़ों को रखकर उसका आकार ठीक करके छाया में उल्टा करके, समतल स्थान पर सुखाना चाहिए जहाँ चारों ओर से कपड़े पर हवा लग सके।

प्रश्न 9.
ऊनी कपड़े को धोने के बाद हैंगर में लटकाकर क्यों नहीं सुखाया जाता?
उत्तर-
ऊनी कपड़े बहुत पानी चूसते हैं और भारी हो जाते हैं इसलिए अगर कपड़े को हैंगर में सुखाया जाये तो वह नीचे लटक जाता है और उसका आकार खराब हो जाता है।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 10.
ऊनी कपड़े पर कीड़ों का असर न हो, इसलिए कपड़ों के साथ बक्स या अलमारी में क्या रखा जा सकता है?
उत्तर-
नैप्थलीन की गोलियाँ, पैराडाइक्लोरोबेंजीन का चूरा, तम्बाकू की पत्ती, कपूर, पिसी हुई लौंग, चन्दन का बुरादा, फिटकरी का चूरा या नीम की पत्तियाँ आदि।

प्रश्न 11.
कपड़ों पर दाग-धब्बे क्या होते हैं?
उत्तर-
दाग एक प्रकार के धब्बेदार चिह्न होते हैं जो कपड़ों पर किसी बाहरी पदार्थ के सम्पर्क या संस्पर्श में आ जाने से लग जाते हैं।

प्रश्न 12.
दाग-धब्बों की जानकारी के बारे में कौन-सी बातें महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-

  1. वस्त्र के रेशों के वर्ग, रचना, वयन, रंग तथा परिसजा की जानकारी।
  2. धब्बे का वर्ग, प्रकृति और अवस्था की जानकारी।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 13.
धब्बे की पहचान का पहला सुराग क्या है?
उत्तर-
रंग प्रायः धब्बे की पहचान का पहला सुराग है।

प्रश्न 14.
दाग-धब्बे छुड़ाने के क्रम में सबसे महत्त्वपूर्ण बात क्या है?
उत्तर-
धब्बे की पहचान करना।

प्रश्न 15.
पसीने के धब्बे को प्राणिज धब्बे के अन्तर्गत क्यों नहीं रखा जाता?
उत्तर-
क्योंकि इनके संगठन में प्रोटीन नहीं होता।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 16.
कपड़ों पर लगने वाले धब्बे कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
छः प्रकार के-

  1. वानस्पतिक,
  2. प्राणिज,
  3. खनिज,
  4. चिकनाई के,
  5. रंग के,
  6. पसीने, मैल आदि के अन्य धब्बे।

प्रश्न 17.
वानस्पतिक धब्बों में कौन-से धब्बे आते हैं ?
उत्तर-
दूध, अण्डे, मांस, रक्त आदि के धब्बे।

प्रश्न 18.
चिकनाई धब्बों में कौन-से धब्बे आते हैं?
उत्तर-
घी, मक्खन तथा रसेदार सब्जी के धब्बे।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 19.
खनिज धब्बों के उदाहरण बताओ।
उत्तर-
स्याही, दवाइयों तथा कोलतार के धब्बे।

प्रश्न 20.
वानस्पतिक धब्बे किस प्रकार दूर किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
क्षारीय पदार्थों के उपयोग से।

प्रश्न 21.
प्राणिज धब्बों के लिए किस प्रकार के जल का उपयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
ठण्डे जल का, क्योंकि गर्म जल से दाग और भी पक्के हो जाते हैं।

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प्रश्न 22.
चिकनाई के धब्बे किस विधि से दूर किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
घोलक तथा चूषक विधि द्वारा।

प्रश्न 23.
धब्बों को शीघ्र ही क्यों छुड़ा देना चाहिए ?
उत्तर-
देर करने से वे पक्के हो जाते हैं और दाग कपड़ों को कमज़ोर भी करते हैं।

प्रश्न 24.
नाखून पालिश का धब्बा कैसे छुड़ाया जा सकता है ?
उत्तर-
नाखून पालिश का धब्बा छुड़ाने के लिए एमाइल एसिटेट से धब्बे को स्पंज करें। धब्बा छूटने पर सोडियम हाइड्रोसल्फाइट के विरंजक का प्रयोग करें।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊनी बुने हुए स्वेटर की धुलाई आप किस प्रकार करेंगी ?
उत्तर-
ऊनी स्वेटर पर प्रायः बटन लगे रहते हैं। यदि कुछ ऐसे फैन्सी बटन हों जिनको धोने से खराब होने की सम्भावना हो तो उता लेते हैं। यदि स्वेटर कहीं से फटा हो तो सी लेते हैं । अब स्वेटर का खाका तैयार करते हैं। इसके उपरान्त गुनगुने पानी में आवश्यकतानुसार लक्स का चूरा अथवा रीठे का घोल मिलाकर हल्की दबाव विधि से धो लेते हैं। तत्पश्चात् गुनगुने साफ़ पानी में तब तक धोते हैं, जब तक सारा साबुन न निकल जाए। ऊनी वस्त्रों के लिए पानी का तापमान एक-सा रखते हैं तथा ऊनी वस्त्रों को पानी में बहुत देर तक नहीं भिगोना चाहिए वरन् इसके सिकुड़ने का भय हो सकता है। इसके बाद एक रोंएदार (टर्किश) तौलिये में रखकर उसको हल्के हाथों से दबाकर पानी निकाल लेते हैं। फिर खाके पर रखकर किसी समतल स्थान पर छाया में सुखा लेते हैं।
PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना 1
चित्र 3.1 ऊनी वस्त्र का खाका बनाना

प्रश्न 2.
ऊनी स्वेटर को आप कैसे सुखाओगे ?
उत्तर-
ऊनी स्वेटर को सुखाने के लिए खाके वाले कागज़ को खाट पर बिछाते हैं और उस पर स्वेटर रखते हैं। हाथों से थोड़ा-थोड़ा खींचकर उसका आकार ठीक करते हैं। स्वेटर को गर्म जगह पर लेकिन छाया में जहां हवा चलती हो रखकर सुखाते हैं। जब आधा सूख जाए तो उसको उलट देते हैं ताकि दोनों तरफ से अच्छी तरह सूख जाए।

प्रश्न 3.
ऊनी बुनी हुई जुराबों की धुलाई आप कैसे करेंगे ?
उत्तर-
ऊनी बुनी हुई जुराबों की धुलाई हम निम्नलिखित प्रकार से करेंगे-

  1. जुराबों को अच्छी तरह झाड़ना चाहिए। अगर उन पर कीचड़ लगा हो तो पहले सुखा लेना चाहिए और फिर ब्रुश से झाड़ना चाहिए।
  2. साबुन वाले गुनगुने पानी में धोना चाहिए। एड़ी और पंजे की तरफ खास ध्यान देना चाहिए। अगर ज़रूरत हो तो प्लास्टिक का ब्रुश इस्तेमाल करना चाहिए।
  3. ऊनी जुराब धोने के बाद 2-3 बार साफ गुनगुने पानी में खंगालना चाहिए।
  4. गहरी, नीली और काली जुराबों को अगर नील लगाया जाए तो इनके रंगों में चमक आ जाती है।
  5. जुराबों को तौलिए में रखकर निचोड़ना चाहिए।
  6. खाट या मूढ़े के ऊपर सीधा डालकर सुखाना चाहिए।
  7. इस पर प्रैस की ज़रूरत नहीं पड़ती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

प्रश्न 4.
वस्त्रों पर लगे घी, तेल, मक्खन या ग्रीज के धब्बे किस प्रकार छुड़ाएंगी?
उत्तर-

  1. घी, तेल, मक्खन तथा ग्रीज आदि चिकनाई के धब्बे, धोने वाले वस्त्रों पर से गर्म पानी और साबुन के घोल में डालकर छुड़ाये जा सकते हैं। जिन वस्त्रों को धोना नहीं है उन पर फ्रेंच चॉक (अवशोषक पदार्थ) रखकर, कुछ देर छोड़कर ब्रुश से झाड़ दें। इसे तब तक दोहराएँ जब तक कि चिकनाई का धब्बा पूरी तरह से दूर न हो जाए।
  2. चिकनाई के धब्बे के दोनों ओर ब्लॉटिंग पेपर रखकर खूब गर्म इस्तरी से कसकर दबाने से भी यह धब्बा दूर किया जा सकता है।
  3. चिकनाई के धब्बे छुड़ाने के लिए घोलक पदार्थ, जैसे पेट्रोल आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है। इससे वस्त्र पानी के.सम्पर्क से बच जाता है।

प्रश्न 5.
स्याही के धब्बे किस प्रकार छुड़ाये जा सकते हैं ?
उत्तर-

  1. स्याही लगे वस्त्र के भाग को प्लेट में रख लें। इस पर नमक की एक परत बिछा दें। इस पर नींबू का रस निचोड़ कर धूप में रख दें। इसे बराबर नींबू के रस से तर रखना चाहिए। कभी-कभी नमक भी बदल देना चाहिए। दाग के हट जाने पर भी पानी से धो दें।
  2. स्याही के धब्बे हटाने के लिए वस्त्र को दही में भी भिगोया जाता है।
  3. सफेद सूती वस्त्र पर से धब्बे हटाने के लिए ब्लीचिंग पाऊडर के घोल का भी प्रयोग किया जा सकता है।
  4. इंक रिमूवर से भी इन्हें छुड़ाया जा सकता है।
  5. कच्चे दूध से भी स्याही का दाग छूट जाता है।

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प्रश्न 6.
वस्त्रों पर लगे रक्त के धब्बे कैसे छुड़ाए जा सकते हैं ?
उत्तर-

  1. रक्त के धब्बे ठण्डे पानी तथा साबुन से धोने पर छूट जाते हैं। जिन वस्त्रों को धोना नहीं है, उन पर स्टार्च के पेस्ट को फैलाकर, सुखाकर तथा ब्रुश से झाड़कर रक्त के धब्बे को छुड़ाया जा सकता है।
  2. अमोनिया से भी रक्त के धब्बे छूट जाते हैं। गुनगुने पानी में कुछ बूंदें अमोनिया की डालकर उसमें दाग को डुबो देना चाहिए, फिर साबुन के पानी से धो डालना चाहिए।

प्रश्न 7.
आप किसी वस्त्र पर लगा घास का धब्बा कैसे छुड़ाएँगी ?
उत्तर-
धोने वाले वस्त्रों पर से ,घास के धब्बे केवल साबुन के पानी से ही छूट जाते हैं। किरोसिन तेल में अथवा एल्कोहल में भी फुला देने से धब्बा दूर हो जाता है। मेथिलेटिड स्पिरिट का प्रयोग न धोये जा सकने वाले वस्त्रों पर से घास के धब्बे छुड़ाने के लिए किया जाता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धब्बे छुड़ाने की सामग्री के रख-रखाव में सतर्कता सम्बन्धी सुझाव बताइए।
उत्तर-
धब्बे छुड़ाने की सामग्री के रख-रखाव में सतर्कता सम्बन्धी कुछ सुझाव निम्नलिखित प्रकार हैं

  1. धब्बे छुड़ाने वाले उत्पादों को बच्चों की पहुँच से ऊपर रखना चाहिए। यह स्थान खाद्य पदार्थों के स्थान से अलग होना चाहिए।
  2. बोतलों में कसकर ढक्कन लगा होना चाहिए तथा डिब्बों को बंद रखना चाहिए।
  3. इनके डिब्बों पर लिखे निर्देशों का पालन करना चाहिए। सभी चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए।
  4. धब्बे छुड़ाने वाली सामग्री के प्रयोग के लिए प्लास्टिक और धातु की अपेक्षा पोर्सलीन के आधार पात्र अधिक अच्छे लगते हैं। घोलकों के लिए तो प्लास्टिक के बर्तनों का कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  5. धब्बे छुड़ाने के प्रक्रम में अपने हाथों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। रबर के दस्ताने पहनने चाहिएँ। इस बीच आँख और त्वचा को नहीं छूना चाहिए।
  6. घोलकों की वाष्प विषाक्त होती है अतः इनका प्रयोग अच्छी तरह से हवादार स्थान में करना चाहिए।
  7. अग्नि के समीप कभी भी रसायनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  8. रसायनों का प्रयोग करते समय धूमपान नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 2.
दाग-धब्बे छुड़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
दाग-धब्बे किस प्रकार छुड़ाये जाते हैं, यह जानते हुए भी दाग-धब्बे छुड़ाते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जान लेनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं-

  1. धब्बा तुरन्त छुड़ाया जाना चाहिए। इसके लिए धोबी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि तब तक ये दाग-धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  2. दाग-धब्बे छुड़ाने में रासायनिक पदार्थों का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
  3. घोल को वस्त्र पर उतनी देर तक ही रखना चाहिए जितनी देर तक धब्बा फीका न पड़ जाये, अधिक देर तक रखने से वस्त्र कमज़ोर पड़ जाते हैं।
  4. चिकनाई को दूर करने से पूर्व उस स्थान के नीचे किसी सोखने वाले पदार्थ की मोटी तह रखनी चाहिए। धब्बे को दूर करते समय रगड़ने के लिए साफ़ और नरम पुराने रूमाल का प्रयोग किया जा सकता है।
  5. धब्बे उतारने का काम खुली हवा में करना चाहिए ताकि धब्बा उतारने के लिए प्रयोग किए जाने वाले रसायनों की वाष्प के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।
  6. दाग किस प्रकार का है, जब तक इसका ज्ञान न हो तब तक गर्म जल का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म जल में धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  7. किसी अनजाने धब्बे पर प्रेस नहीं करना चाहिए। इससे स्याही या रंग के धब्बे और भी पक्के हो जाते हैं।
  8. जंग या फलों के धब्बे साबुन या क्षार के प्रयोग से और अधिक दिखाई देने लगते हैं।
  9. रंगीन वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय कपड़े के कोने को जल में डुबोकर देखना चाहिए कि रंग कच्चा है अथवा पक्का।
  10. लिपस्टिक के धब्बे साबुन व क्षार के प्रयोग से और भी पक्के हो जाते हैं।
  11. धब्बा छुड़ाने की विधियों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विभिन्न वस्तुओं
    का प्रयोग अलग-अलग धब्बों को छुड़ाने हेतु किया जाता है।
  12. ऊनी वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय न तो गर्म जल का प्रयोग करना चाहिए. और न ही क्लोरीन-युक्त रासायनिक पदार्थ का। इससे धब्बे और भी पक्के हो जाते हैं।
  13. एल्कोहल, स्प्रिट, बैन्जीन, पेट्रोल आदि से दाग छुड़ाते समय आग से बचाव रखना चाहिए।
  14. धातु के धब्बे पर ब्लीच का प्रयोग करने से तन्तु कमज़ोर पड़ जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना

ऊनी कपड़ों को धोना और दाग उतारना PSEB 8th Class Home Science Notes

  • स्वेटर को गर्म जगह पर लेकिन छाया में जहाँ हवा चलती हो रखकर सुखाना चाहिए।
  • गहरी, नीली और काली जुराबों को अगर नील लगाया जाए तो इनके रंगों में चमक आ जाती है।
  • सभी प्रकार के ताजे दाग आसानी से उतारे जाते हैं।
  • अगर दाग की किस्म का पता न हो तो दाग लगने वाले हिस्से को दाग के विशेष प्रतिकारक से साफ़ करना चाहिए।
  • रंगकाट का इस्तेमाल रंगदार कपड़ों पर तब तक नहीं करना चाहिए जब तक सारे कपड़े से रंग न उतारना हो।
  • गर दाग तेजाब से उतारे जाएं तो बाद में हल्के क्षार में और अगर क्षार से उतारे जाएं तो हल्के तेजाब में खंगालना चाहिए।
  • सूती और लिनन के कपड़ों पर से दाग उतारने के लिए कटे हुए नींबू को दाग वाले हिस्से पर रगड़ना चाहिए और फिर उस पर नमक रगड़ना चाहिए।
  • पुराने.दाग उतारने के लिए पहले पैट्रोल या बेन्जीन के साथ साफ़ करना चाहिए और फिर साबुन वाले पानी के साथ धोना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical सलाद और सूप

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical सलाद और सूप Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical सलाद और सूप

हरी सब्जियों का सलाद

सामग्री-

  1. बन्दगोभी – 1 छोटा फूल
  2. शिमला मिर्च — 1
  3. पालक के पत्ते — थोड़े-से
  4. टमाटर — 2
  5. राई का पाउडर — \(\frac{1}{4}\) चम्मच
  6. काली मिर्च — स्वादानुसार
  7. नमक — स्वादानुसार
  8. सिरका — 2 बड़े चम्मच
  9. लहसुन — 2 तुरिया

विधि—जिस शीशे के डोंगे में सलाद परोसना हो उसको धोकर, पोंछकर साफ़ कर लें। सब्जियों को धोकर, पोंछकर सलाद बनाने तक फ्रिज में रखें। डोंगे में लहसुन की पिसी हुई तुरियों को रखकर फिर बन्दगोभी को हाथों से तोड़कर डालें। उस पर नमक, काली मिर्च, राई का पाऊडर और सिरका डाल दें और सबसे ऊपर कटी हुई शिमला मिर्च और टमाटर रख दें। परोसने से पहले ठंडा करें और काँटे से हिला लें।

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कुछ अन्य प्रकार के सलाद

उबली हुई सब्जियों का सलाद

सामग्री

  1. बन्दगोभी — 250 ग्राम
  2. गाजर — 250 ग्राम
  3. मटर — 100 ग्राम
  4. फ्रांसबीन — कुछ फलियाँ
  5. चुकन्दर — 1
  6. अण्डे — 2
  7. आलू — 2
  8. सिरका — 2 चम्मच
  9. नमक, काली मिर्च — इच्छानुसार

विधि—सभी सब्जियों को धोकर हल्का-सा उबाल लें। आलू को उबालकर छील लें। चुकन्दर रंग छोड़ता है; इसलिए उसे अलग से उबालें। अब इन सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें नमक, काली मिर्च व सिरका मिला दें। अण्डों को अच्छी तरह उबालकर उनके छिलके उतार लें। सब्जियों को प्लेट में सजाकर ऊपर से अण्डे के गोल-गोल टुकड़े सजाएँ।

दाल और सब्जियों का मिश्रित सलाद

सामग्री—

  1. राजमाह — 50 ग्राम
  2. काबुली चने — 50 ग्राम
  3. आलू — 100 ग्राम
  4. खीरा — 100 ग्राम
  5. हरा धनिया — थोड़ा-सा
  6. हरी मिर्च — 1-2
  7. प्याज — 1 छोटा
  8. नमक, काली मिर्च — स्वाद के अनुसार
  9. नींबू — 1 बड़ा

विधि—राजमाह और चने साफ़ करके भिगो दें। भीगे हुए चने और राजमाह उबाल लें। आलू भी उबाल लें। आलू को छीलकर काट लें। खीरे को छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। सबको मिलाकर, बारीक कटे हुए प्याज, हरा धनिया और हरी मिर्च भी डाल दें। अब इसमें नमक, काली मिर्च और नींबू मिलाकर परोसें।

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फलों के सलाद

सामग्री—

  1. केले — 1
  2. सन्तरा — 1
  3. सेब — 1
  4. नाशपाती — 1
  5. अमरूद — 2
  6. अन्नानास — दो गोल टुकड़े
  7. नींबू — 1
  8. चेरी — सजाने के लिए
  9. नमक, काली मिर्च — इच्छानुसार

विधि—सभी फलों को छीलकर, मनपसन्द गोल या लम्बे टुकड़ों में काट लें। चेरी को नहीं काटना चाहिए। प्लेट में अच्छी तरह से सजाकर नमक, काली मिर्च नींबू का रस डाल दें

सेब का खट्टा-मीठा सलाद

सामग्री—

  1. मीठे सेब — 1
  2. ककड़ी — 1
  3. बन्दगोभी — छोटी
  4. नींबू — 1
  5. टमाटर — 1
  6. चीनी — इच्छानुसार
  7. सन्तरा — 1
  8. नमक — इच्छानुसार
  9. हरी मिर्च — 2
  10. सलाद का पत्ता — 1
  11. प्याज — 1

विधि—सबसे पहले सब्जियों व फलों को अच्छी तरह से धो लें। सन्तरे को छीलकर तेज़ चाकू से बारीक-बारीक काट लें। सेब को छीलकर उसके भी छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। बन्दगोभी व हरी मिर्च को बिल्कुल बारीक काट लें। फिर इन सब पर चीनी, नमक व नींबू का रस मिला लें। एक बड़ी प्लेट में सलाद व पत्ता बिछाकर इस मिश्रण को उस पर रखें। अब प्याज, ककड़ी व टमाटर को गोल-गोल काटकर उसके चारों ओर सजाएँ।

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टमाटर का सूप

सामग्री—

  1. टमाटर — 500 ग्राम
  2. प्याज — 1
  3. दालचीनी — 1 छोटा टुकड़ा
  4. नमक, काली मिर्च — आवश्यकतानुसार
  5. पानी — आवश्यकतानुसार
  6. कॉर्नफ्लोर — 2 चम्मच
  7. मक्खन — 1 छोटा चम्मच
  8. क्रीम — इच्छानुसार

विधि—टमाटर को धोकर टुकड़े कर लें। प्याज को बारीक काट लें। टमाटर, प्याज व दालचीनी को आवश्यकतानुसार पानी में धीमी आँच पर पकने के लिए रख दें। अच्छी तरह गल जाने पर छलनी से छान लें। कॉर्नफ्लोर को मक्खन में भून लें। अब कार्नफ्लोर के ऊपर टमाटर का सूप धीरे-धीरे डालते जायें और हिलाते जायें। इच्छानुसार नमक व काली मिर्च डालें। अब क्रीम डालकर गरम-गरम परोसें।
नोट-सूप को प्यालियों में डालकर ऊपर डबलरोटी के तले हुए टुकड़े डालकर परोसने से सूप की सुन्दरता और बढ़ जाती है।

पालक का सूप

सामग्री—

  1. पालक — 500 ग्राम
  2. प्याज — 1
  3. नमक, काली मिर्च — इच्छानुसार
  4. दालचीनी, लौंग — आवश्यकतानुसार
  5. कॉर्नफ्लोर — 2 चम्मच
  6. डबलरोटी — इच्छानुसार
  7. घी — तलने के लिए क्रीम
  8. क्रीम — इच्छानुसार

विधि—पालक को अच्छी तरह धोकर काट लें। प्याज भी बारीक काट लें। इसमें दालचीनी, लौंग व पानी डालकर पकाएँ। गल जाने पर छानकर रख लें। एक बर्तन में घी गर्म करें। उसमें कॉर्नफ्लोर और डबलरोटी के टुकड़े चौकोर करके तल लें। कॉर्नफ्लोर के ऊपर पालक का सूप डालें व हिलाते जायें। गर्म-गर्म सूप में इच्छानुसार नमक व काली मिर्च मिलाकर उसे डबलरोटी के टुकड़ों व क्रीम से सजाकर परोसें।

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गाजर का सूप

सामग्री—

  1. गाजर — \(\frac{1}{2}\) किलो
  2. दूध — 1 गिलास
  3. पानी — 2 गिलास
  4. काली मिर्च — \(\frac{1}{2}\) चम्मच
  5. जैफल पाउडर — \(\frac{1}{4}\) चम्मच
  6. सजावट के लिए धनिए या पुदीने के पत्ते नमक — स्वादानुसार

विधि—गाजरों को धोकर काट लें या कद्दूकस कर लें। इसमें पानी मिलाकर प्रेशरकुकर में 10 मिनट के लिए पकाएँ। ठंडा करके छान लें और दूध डालकर हल्की आँच पर 10 मिनट के लिए पकाएँ। अब इसे उबलने न दें। नमक, काली मिर्च और जैफल पाउडर मिलाकर प्याली में डालें और पुदीने या धनिए के पत्तों से सजाकर परोसें।

हरे मटर का सूप

सामग्री—

  1. हरे ताज़े छीले हुए मटर — 300 ग्राम
  2. मैदा — 2 चम्मच
  3. दूध — 2 प्याले
  4. मक्खन — 3 चम्मच
  5. पानी — 2 प्याले
  6. नमक और काली मिर्च — स्वादानुसार

विधि—इसको भी टमाटरों के सूप की तरह ही बनाया जा सकता है। सभी चीजों को अच्छी तरह मिक्सी में मिलाएँ। उबालने तथा गर्म करें और प्यालों में परोस दें।

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दाल का सूप बनाना

सामग्री—

  1. मूंग की धुली हुई दाल — 4 चम्मच
  2. गोभी — \(\frac{1}{2}\)फल
  3. आलू — 1
  4. शलगम — 1
  5. टमाटर — 1
  6. दूध — 1 प्याला
  7. पानी — 1 प्याला
  8. मक्खन — 1 चम्मच
  9. मैदा — 1 चम्मच

विधि—दाल को साफ़ करके कुछ देर के लिए भिगो दें। सब्जियों को काट लें। मक्खन को गर्म करके सब्जियों में डाल दें और साथ ही दाल, पानी, नमक और काली मिर्च डाल दें। जब गल जाए तो छलनी में छान लें। दूध में मैदा मिलाकर सूप में मिलाएं और उबालने तक पकाएँ और गर्म-गर्म पीने के लिए दें।

PSEB 8th Class Home Science Practical चपाती बनाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical चपाती बनाना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical चपाती बनाना

गेहूँ की रोटी

सामग्री—

  1. गेहूँ का आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — आवश्यकतानुसार (आटा गूंथने के लिए)
  3. मक्खन या घी — थोड़ा-सा

विधि—आटे में पानी मिलाकर गूंथ ले। आधे घण्टे के लिए ढककर रख दें। अब इसकी छोटी-छोटी लोइयाँ बनाकर लगभग 5 व्यास की चपाती बेल लें। इन्हें गर्म तवे पर डाल दें
और उसको एक तरफ़ तब पलट दें जब उसका रंग बदलने लगे। अब दूसरी तरफ़ पकाएँ। जब भूरे रंग के निशान बनने लगें तो पहली तरफ़ को आग पर सेंकें। चपाती अच्छी प्रकार से फूलनी चाहिए। फिर घी लगाकर परोसें।

पराठा बनाना

सामग्री—

  1. आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — आवश्यकतानुसार
  3. घी — तलने के लिए

विधि—चपाती की भाँति ही आटा गूंथ लें। आटे की लोई बनाकर उसे थोड़ा बेल लें। अब थोड़ा-सा घी लगाकर इसे मोड़ दें और दुबारा बेल लें। बेला हुआ पराँठा गर्म तवे पर डाल दें और थोड़ा सिकने पर उसे पलट दें। अब थोड़ा-थोड़ा घी लगाकर दोनों तरफ़ से तल लें। गरम-गरम पराँठे सब्जियों के साथ परोसें।

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मेथी का पराँठा

सामग्री—

  1. एक भाग मक्की का आटा — 100 ग्राम
  2. तीन भाग गेहूँ का आटा — 300 ग्राम
  3. हरी मेथी — 20 ग्राम (भूनी हुई)
  4. प्याज — 20 ग्राम
  5. नमक और मिर्च — स्वादानुसार

विधि—मेथी को धोकर बहुत बारीक काट लें। प्याज को छीलकर धोकर लम्बाई की तरफ़ पतला-पतला काटें। आटा गूंथने के समय आधे प्याज बीच में गूंथ लें। एक पैड़ की रोटी बनाएँ। घी लगाकर बीच में मेथी, प्याज, नमक और मिर्च मिला दें। पराँठे की तरह घी ऊपर ही लगाएँ। दही और मक्खन के साथ परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

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PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर बनाना

सामग्री—

  1. दूध — 1 लीटर
  2. दही — 100 ग्राम
  3. नींबू का रस — 2 बड़े चम्मच

विधि—दूध को आग पर रखकर उबालें। जब दूध उबल जाए तो उसमें फेंटा हुआ दही या नींबू का रस थोड़ा-थोड़ा करके डालें। जब दूध और पानी अलग-अलग हो जाए तो पतीला आग से उतार लें। 10-15 मिनट के बाद इसको साफ़ मलमल के कपड़े में डालकर कुछ देर के लिए लटका दें। पानी को निकलने दें। अगर पनीर की टुकड़ियाँ काटनी हों तो पनीर वाले कपड़े को चकले पर रखकर ऊपर कोई भारी वस्तु रख दें ताकि पनीर का सारा पानी निकल जाए और दब जाएं। इसके बाद पनीर के टुकड़े कर लें।

शाकाहारी लोगों के भोजन में पानी की बहुत महत्ता है क्योंकि इसमें अच्छे किस्म का प्रोटीन और कैल्शियम काफ़ी मात्रा में होता है। पनीर को खाने के लिए तो इस्तेमाल किया ही जाता है, इसके अतिरिक्त भारतीय लोग पनीर से कई प्रकार की मिठाइयाँ बनाते हैं।

खट्टा-मीठा पनीर

सामग्री—

  1. पनीर — 200 ग्राम
  2. टमाटर — 400 ग्राम
  3. टमाटर की सॉस — \(\frac{1}{2}\) कप
  4. गाजर — 1
  5. शिमला मिर्च — 1
  6. फ्रॉसबीन — 50 ग्राम
  7. नमक और काली मिर्च — स्वादानुसार
  8. प्याज —1 चम्मच
  9. चीनी — 1 चम्मच
  10. घी — थोड़ा-सा

विधि—टमाटरों को धोकर बारीक काट लें और थोड़े-से पानी में अच्छी तरह पकाएँ। छाननी से छानें और फोक फेंक दें। गाजर, शिमला मिर्च, फ्रॉसबीन और प्याज को लम्बा और पतला काटें। घी में सब्जियों को थोड़ा तलकर टमाटरों का गूद्दा डालकर कुछ देर पकाएँ ताकि सब्जियाँ गल जाएँ। पनीर के टुकड़े डालें, नमक, मिर्च और चीनी डाल दें और उतारने से पहले टमाटरों की सॉस डाल दें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर के पकौड़े

सामग्री—

  1. पनीर — 100 ग्राम
  2. बेसन — 50 ग्राम
  3. सूखा धनिया — 1 चम्मच
  4. दही — 1
  5. नमक और लाल मिर्च — स्वादानुसार
  6. घी — तलने के लिए

विधि—पनीर के टुकड़े काट लें। बेसन में नमक, मिर्च, सूखा धनिया और दही मिलाकर पानी के साथ घोलें। कड़ाही में घी डालकर गर्म करने के लिए रखें। जब घी में से धुआँ निकलने लगे तो आँच थोड़ी हल्की करके, पनीर के टुकड़ों को बेसन लगाकर तलें। पकौडों को तलकर किसी साफ़ कागज़ पर रखें ताकि फालतू घी निकल जाए। टमाटरों की सॉस के साथ परोसें।

बेसन का पूड़ा

सामग्री—

  1. बेसन — 100 ग्राम
  2. प्याज — 2 छोटे
  3. हरी मिर्च — 1-2
  4. नमक, मिर्च — स्वाद के अनुसार
  5. घी — तलने के लिए

विधि—प्याज और हरी मिर्च को बारीक काट लें। बेसन में नमक, मिर्च और कटा हुआ प्याज आदि मिलाकर पानी से थोड़ा पतला घोल बना लें। तवा गर्म करके पहले थोड़ासा घी लगा लें। इस पर घोल को कड़छी से फैला लें। अब इसके चारों तरफ़ थोड़ा घी डाल लें। सिक जाने पर दूसरी तरफ़ पलट कर फिर घी डालकर सेंक लें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

पनीर वाले टोस्ट

सामग्री—

  1. डबलरोटी के टुकड़े — 4
  2. कद्दूकस किया पनीर — \(\frac{3}{4}\) प्याला
  3. दही — 1 चम्मच
  4. बेसन — 2 बड़े चम्मच
  5. पिसी हुई राई — \(\frac{1}{4}\) चम्मच

विधि—पनीर, राई, काली मिर्च, दही, मैदा, बेसन और नमक को मिला लें ताकि गाढ़ासा घोल बन जाए। अगर ज़रूरत हो तो थोड़ा-सा पानी या दूध डालें। अच्छी तरह फेंटे। डबल रोटी के टुकड़ों को इस घोल में दोनों तरफ इबो दें। फ्राइंग पैन में घी डालकर गर्म करें और टोस्ट को दोनों कैफ से तलकर परोसें।
नोट—जो लोग अण्डा खा हैं उनके लिए बेसन की जगह अण्डे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दही का जमाना

सामग्री—

  1. दूध — \(\frac{1}{2}\) लीटर
  2. दही — \(\frac{1}{2}\) से 1 चम्मच

विधि—दूध को उबालकर बैंडा करें। गर्मियों में दूध जमाने के समय बिल्कुल कोसा ही होना चाहिए। इसे मिट्टी या स्टील के बर्तन में डालकर \(\frac{1}{2}\) चम्मच दही मिलाकर ढक दें। 3-4 घण्टे बाद दही जम जाएगा।
सर्दियों में दूध थोड़ा तथा अधिक गर्म होना चाहिए। इसमें 1 चम्मच दही घोलकर बर्तन को ढककर रख दें। ज़्यादा सर्दी के मौसम में दही वाले बर्तन को गर्म जगह पर रखें या फिर इसको किसी कंबल या पुरानी शाल में लपेटकर रखें। इसको आटे वाले टीन में भी रखा जा सकता है। सर्दियों में दही जमने में 5-6 घण्टे लग जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

आलू का रायता

सामग्री—

  1. आलू — 150 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. जीरा (भुना हुआ) — \(1 \frac{1}{2}\) चम्मच
  4. दही — 750 ग्राम
  5. मिर्च — \(1 \frac{1}{2}\) चम्मच
  6. सुखाया हुआ पुदीना — 1- चम्मच

विधि—आलू उबालकर छील लें और बारीक काट लें। दही मथकर उसमें कटे हुए आलू डाल दें, ऊपर से सब मसाले डालकर मिला दें। फिर इसे ठण्डा करें। ठण्डा होने पर परोसें। कुल मात्रा—4 व्यक्तियों के लिए।

खीरे का रायता

साम्रगी—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. जीरा — चम्मच
  4. खीरा — 150 ग्राम
  5. मिर्च — 1/2 चम्मच
  6. सुखाया हुआ पुदीना — 1/2 चम्मच

विधि—खीरे को छीलकर कद्कस कर लें। अब दही को मथ लें। इसमें मसाले डालकर मिलाएँ। इसमें कद्दूकस किया हुआ खीरा डालकर मिला लें। फ्रिज में रखकर ठण्डा करें। ठण्डा होने पर खाने के साथ परोसें।
कुल मात्रा—4 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

प्याज का रायता

सामग्री—

  1. प्याज — 250 ग्राम
  2. नमक — इच्छानुसार
  3. भुना हुआ जीरा — 1 चम्मच
  4. सुखाया हुआ पुदीना — 1 चम्मच
  5. दही — 500 ग्राम
  6. मिर्च — 1/2 चम्मच
  7. काली मिर्च — 1/2 चम्मच

विधि—प्याज को छीलकर कद्दूकस कर लें। दही को मथकर उसमें कद्दूकस की हुई प्याज डाल दें। अब इसमें नमक, मिर्च, जीरा, पुदीना और काली मिर्च डालकर मिला लें। ठण्डा करके खाने के साथ परोसें।
कुल मात्रा—4-5 व्यक्तियों के लिए।

पालक-गाजर का रायता

सामग्री—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. गाजर — 50 ग्राम
  3. पालक — 100 ग्राम
  4. नमक, मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि—पालक को धोकर, बारीक काटकर, हल्की आँच पर पकाएँ ताकि यह गल जाए। गाजर को धोकर, छीलकर कद्दूकस कर लें। दही को भली प्रकार फेंटकर पालक तथा गाजर मिला दें। नमक तथा मिर्च डालकर परोसें।
कुल मात्रा—2-3 व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

लौकी का रायता

सामग्री—

  1. दही — 250 ग्राम
  2. लौकी — 100 ग्राम
  3. पिसा हुआ जीरा — स्वाद के अनुसार
  4. नमक — स्वाद के अनुसार
  5. मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि—लौकी को धोकर छीलकर, कदूकस कर लें। अब इसे भाप में पका लें। दही को फेंटकर नमक मिला दें। लौकी का पानी निचोड़कर दही में मिला दें। ऊपर से लाल मिर्च और पिसा हुआ जीरा छिड़क दें।
कुल मात्रा—2-3 व्यक्तियों के लिए।

केले का रायता

सामग्री—

  1. दही — 500 ग्राम
  2. केले — 3
  3. चीनी — 2 बड़े चम्मच
  4. किशमिश — थोड़ी-सी

विधि—किशमिश को कोसे पानी से धोकर साफ़ कर लें। दही में चीनी मिलाकर मथानी से अच्छी तरह फेंटें ताकि चीनी अच्छी तरह घुल जाए। केले को छीलकर काट लें और केले और किशमिश को दही में मिला दें।

PSEB 8th Class Home Science Practical पनीर, कस्टर्ड, दही और रायता

कस्टर्ड

सामग्र—

  1. दूध — 500 ग्राम
  2. चीनी — \(1 \frac{1}{2}\) बड़ा चम्मच
  3. कस्टर्ड पाउडर — 2 चाय के चम्मच

विधि—आधा कप दूध बचाकर, बाकी के दूध को उबालने के लिए रखें। गर्म दूध में चीनी मिलाकर और कप वाले दूध में कस्टर्ड पाउडर डालकर अच्छी तरह घोलें। जब दूध उबलने लगे तो इसमें कस्टर्ड वाला दूध धीरे-धीरे करके डालें और हाथ से चम्मच के साथ दूध को अच्छी तरह हिलाएँ ताकि गिलटियाँ न बन जाएँ। उबाल आने पर उतार लें। इसको गर्म या ठंडा करके परोसें।
कस्टर्ड में ऋतु के अनुसार फल, जैसे-आम, केला, सेब, अँगूर आदि भी डालें। अगर फल डालने हों तो कस्टर्ड को पहले अच्छी तरह ठंडा कर लें। फ्रिज में या बर्फ में रखकर ठंडा करके परोसें। ठंडे कस्टर्ड को जैली के साथ परोसे।

बेक किया हुआ कस्टर्ड

सामग्री—

  1. अण्डा — 1 छोटा
  2. दूध — 1 कप
  3. चीनी — 2 छोटे चम्मच

विधि—अण्डा और चीनी अच्छी तरह फेंट लें। फिर इसको दूध में मिलाएँ। अब इस मिश्रण को हल्की आँच पर पकाएं ठंडी हो जाने पर परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical अण्डा पकाना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

ऑमलेट

सामग्री-

  1. अण्डे — 4
  2. प्याज — 2 छोटे
  3. टमाटर — \(\frac{1}{2}\)छोटा
  4. हरी मिर्च — 1 – 2
  5. नमक और काली मिर्च — स्वाद के अनुसार
  6. घी — तलने के लिए

विधि—अण्डे का पीला और सफ़ेद भाग अलग-अलग कर लें। सफेद भाग को अच्छी तरह फेंट लें। अब इसमें पीला भाग अच्छी तरह मिला लें और नमक व काली मिर्च भी डाल लें। फ्राइंग पैन (Frying pan) गरम करके थोड़ा-सा घी डालकर अण्डे के आधे घोल को फैला दें। इसके ऊपर बारीक कटा हुआ प्याज, टमाटर और हरी मिर्च फैलाकर सिक जाने पर ऑमलेट को मोड़ दें। इसी प्रकार आधे बचे घोल का भी ऑमलेट बना लें।
कुल मात्रा—दो ऑमलेट

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

फ्राइड अण्डा

सामग्री—

  1. अण्डे — 2
  2. घी — तलने के लिए
  3. नमक तथा काली मिर्च — स्वाद के अनुसार

विधि-फ्राइंग पैन (Frying Pan) गरम करके उसमें थोड़ा-सा घी डाल दें। अण्डे को फ्राइंग पैन में ऐसे तोड़ें ताकि पीला और सफ़ेद भाग मिले नहीं। अब फ्राइंग पैन को ढककर मन्द आँच पर रखें। दो मिनट में अण्डा अपनी ही भाप में पक जाता है। परोसते समय सिकी हुई डबलरोटी पर मक्खन लगाकर ऊपर से फ्राइड अण्डा रख दें और नमक, काली मिर्च छिड़क दें।
कुल मात्रा-दो।

पोचड् अण्डा

सामग्री-

  1. अण्डे — 2
  2. पानी — 2 गिलास के लगभग
  3. नमक, काली मिर्च — स्वाद के अनुसार
  4. सिरका — 2 छोटी चम्मच

विधि—फ्राइंग पैन (Frying Pan) में पानी गरम कर लें। इसमें सिरका और थोड़ासा नमक डालकर उबाल आने दें। अब इसमें अण्डा ऐसे तोड़ें कि सफ़ेद और पीला भाग मिले नहीं। दो-तीन मिनट में पक जाने पर निकालकर काली मिर्च छिड़क कर टोस्ट या तले हुए आलू के टुकड़ों के साथ परोसें।
कुल मात्रा—दो।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

सक्रैम्बल्ड अण्डा

सामग्री-

  1. अण्डे — 4
  2. दूध — 2 बड़े चम्मच
  3. मक्खन — 2 छोटे चम्मच
  4. नमक, काली मिर्च — स्वाद के अनुसार।

विधि—अण्डों को तोड़कर फेंट लें। इसमें बाकी सब चीजें मिला लें। पतीले में यह घोल डालकर धीमी आँच पर बराबर हिलाते हुए पकाएँ। एक-दो मिनट में पक जाने पर निकाल लें। ध्यान रखें कि वह बहुत ज्यादा सख्त न हो।
कुल मात्रा—दो कटोरी।

ऐग ऑन बडूज नेस्ट

सामग्री—

  1. अण्डे — 2 स्लाइस
  2. डबलरोटी — 5
  3. प्रोसेस्ड पनीर — 25 ग्राम
  4. मक्खन — 10 ग्राम
  5. काली मिर्च (पिसी) — थोड़ी-सी
  6. नमक — स्वादानुसार

विधि—डबल रोटी के स्लाइसों पर मक्खन लगा लें। पनीर को कद्दूकस कर लें तथा उसका आधा भाग डबलरोटी के टुकड़ों पर डाल दें। एक ट्रे में थोड़ा घी लगाकर डबलरोटी को उसमें रख दें। अब अण्डों को तोड़कर उनकी ज़र्दी व सफ़ेदी को अलग-अलग कर लें। (ध्यान रहे कि जर्दी टूटे नहीं) अण्डे की सफेदी को ‘ऐग बीटर’ (Egg Beater) की सहायता से अच्छी तरह फेंट लें ताकि सख्त-सी हो जाए। अब इस सफेदी को डबलरोटी के स्लाइसों पर चारों तरफ़ डाल दें तथा दोनों के बीच में अण्डे की जर्दी को तोड़ दें। ऊपर से कद्दूकस किया हुआ पनीर ओवन में भूरे रंग का होने तक सेंकें। अब इन पर नमक व काली मिर्च बुरक कर परोसें।
कुल मात्रा—दो व्यक्तियों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

पौष्टिक पराँठे

सामग्री—

  1. आटा — \(\frac{1}{2}\)कटोरी
  2. पालक — 100 ग्राम
  3. मूंगफली — 50 ग्राम
  4. हरा धनिया — थोड़ा-सा
  5. बेसन — \(\frac{1}{2}\)कटोरी
  6. हरी मिर्च — 2-3
  7. अदरक — 1 छोटा टुकड़ा
  8. नमक — स्वादानुसार
  9. घी — तलने के लिए

विधि—मूली कद्दूकस कर लें। मूली के नरम पत्तों और पालक के पत्तों को धोकर बारीक काट लें। हरी मिर्च, हरा धनिया और अदरक को भी काट लें। मूंगफली के दानों को मोटा-मोटा सा कूट लें। आटा और बेसन को छननी में छान लें और शेष सारी चीजें मिलाकर आटा गूंथ लें। इसके पराँठे बनाकर दही के साथ परोसें।

PSEB 8th Class Home Science Practical अण्डा पकाना

भरवां पराँठा

सामग्री-

  1. गेहूँ का आटा —150 ग्राम
  2. जल — आवश्यकतानुसार
  3. नमक — थोड़ा-सा
  4. आलू — 50 ग्राम
  5. चने की दाल — 30 ग्राम
  6. हरी मिर्च — 1-2 2
  7. घी — 2 छोटी चम्मच
  8. गर्म मसाला — \(\frac{1}{4}\) चाय का चम्मच
  9. पिसी हुई लाल मिर्च — आवश्यकतानुसार
  10. घी या तेल — सेंकने के लिए

विधि—आटे में नमक डालकर गूंथ लें और \(\frac{1}{2}\) घण्टे के लिए रख दें। आलू तथा चने की दाल उबालें और आलू को छीलकर मथ लें। दाल को भी इसी में मिला लें। हरी मिर्च धोकर बारीक काटें और इसे दाल व आलू में मिला दें। एक चम्मच घी गर्म करके दाल व आलू का मिक्सचर तथा मसाले डालकर पाँच मिनट के लिए भून लें। इस प्रकार स्टफिंग तैयार हो जाएगी। आटे को भली प्रकार गूंथ कर उसमें चार गोलियाँ बना लें। हर एक गोली को थोड़ा-सा बेल लें फिर इसमें एक बड़ा चम्मच स्टफिंग भरकर फिर से गोली बना लें। अब इस पराँठे को पूरा बेल लें। पराँठे को तवे पर घी लगाकर सेंक लें।

नोट—स्टफिंग, मौसम के अनुसार सब्जियाँ; जैसे-मूली और फूलगोभी की भी बनाई जा सकती है।
मूंगफली की स्टफिंग भी बनाई जा सकती है।
कुल मात्रा—4 पराँठे।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 6 मुख्य उद्योग

SST Guide for Class 8 PSEB मुख्य उद्योग Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर-20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग को निम्नलिखित कारणों से पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है(1) यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को कच्चा माल देता है। (2) अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लोहे तथा इस्पात से बनती हैं।।

प्रश्न 2.
लौह-इस्पात उद्योग को स्थापित करने के लिए कौन-कौन सी आवश्यक अवस्थाएं हैं ?
उत्तर-
(1) कच्चे लोहे की पूर्ति (2) अच्छी किस्म के कोयले की प्राप्ति (3) पानी की निरन्तर आपूर्ति (4) तैयार माल के लिए खपत केन्द्रों की निकटता (5) यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन (6) प्रशिक्षित मजदूर (7) पूंजी।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर और डीट्रोयट शहर कहां-कहां स्थित हैं ?
उत्तर-
जमशेदपुर झारखंड राज्य में सिंहभूम जिले में स्थित है। पहले इसका नाम साकची था और यह बिहार राज्य का भाग था। डीट्रोयट यू० एस० ए० के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह महान् झीलों के किनारे बसा हुआ है। .

प्रश्न 4.
कपड़ों का निर्माण किन पदार्थों से किया जाता है ?
उत्तर-
कपड़ों का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, ऊन, पटसन, रेशम तथा बनावटी (कृत्रिम) रेशा शामिल है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 5.
कपड़ा उद्योग को किन-किन श्रेणियों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
कपड़ा उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पटसन कपड़ा उद्योग (5) बनावटी रेशम तथा बनावटी रेशा कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 6.
रेशम कहाँ से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
रेशम हमें एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त होता है। ये कीड़े पौधों (विशेषकर शहतूत) की पत्तियों पर पलते हैं।

प्रश्न 7.
कपास की सबसे बढ़िया किस्म कौन-सी है ?
उत्तर-
लम्बे रेशे वाली कपास की सबसे बढ़िया किस्म है। इससे बना कपड़ा बाज़ार में महंगा बिकता है।

प्रश्न 8.
सूचना-तकनीक उद्योग में भारत ने कितनी उन्नति की है ?
उत्तर-
भारत ने सूचना तकनीक में बहुत अधिक उन्नति की है। हमारे देश में बंगलुरु, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद आदि सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं।

प्रश्न 9.
बंगलुरु में कौन-कौन से उद्योग पाए जाते हैं ?
उत्तर-
कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में मशीन टूल्ज़, संचार के साधन, घड़ियाँ, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं। इस समय बंगलुरु कम्प्यूटर निर्माण उद्योग के लिए देश भर में प्रसिद्ध हैं। इसलिए इसे भारत की ‘सिलीकॉन घाटी’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
सिलीकान घाटी कहां है ? यह पहले किस वस्तु के लिए प्रसिद्ध थी ?
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में कैलिफोर्निया राज्य में स्थित है। पहले यह फल उगाने के लिए प्रसिद्ध थी।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया बताएं।
उत्तर-
कच्चे लोहे से स्टील बनाने की क्रिया में सबसे पहले कच्चे माल को भट्ठियों में पिघलाया जाता है। पिघले हुए लोहे में से सभी अशुद्धियाँ निकाल कर लोहे को साफ़ कर लिया जाता है। साफ़ किए गये इस लोहे से स्टील बनाया जाता है तथा स्टील से भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

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प्रश्न 2.
चीन और जापान के लौह-इस्पात औद्योगिक केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
1. चीन के लौह-इस्पात केन्द्र-मंचूरिया, यंगसी घाटी तथा होपे सांतूंग।
2. जापान के लौह-इस्पात केन्द्र यवाता (Yawata), तोबाता (Tobata), क्यूसू (Kyushu), टोकियो (Tokyo), कावासाकी (Kawasaki), योकोहामा (Yokohoma), ओसाका (Osaka) तथा कोबे (Kobe) ।

प्रश्न 3.
जमशेदपुर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए कौन-कौन सी अनुकूल अवस्थाएं मौजूद हैं ?
उत्तर-
जमशेदपर में लौह-इस्पात उद्योग के लिए निम्नलिखित अवस्थाएँ अनुकूल हैं

  • अच्छी किस्म का कच्चा लौह झारखण्ड के सिंहभूम तथा उड़ीसा के मयूरभंज की खानों से मिल जाता है।
  • कोयले की पूर्ति झरिया तथा रानीगंज की खानों से हो जाती है।
  • मैंगनीज़ तथा चूने के पत्थर जैसा कच्चा माल उड़ीसा से मिल जाता है।
  • पानी की आवश्यकता सुबरन रेखा (स्वर्ण रेखा) नदी से पूरी हो जाती है। ।
  • कोलकाता की बंदरगाह जमशेदपुर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लौह-इस्पात का अन्य देशों को निर्यात करने में यह बंदरगाह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • उद्योग के लिए बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक झारखण्ड, बिहार तथा उड़ीसा राज्यों से आसानी से मिल जाते हैं।
  • जमशेदपुर, मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली तथा कोलकाता जैसे नगरों के साथ सड़कों तथा रेलमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। अतः यहाँ का तैयार माल देश के भिन्न-भिन्न भागों में आसानी से भेजा जाता है।

प्रश्न 4.
डीट्रोयट के लौह-इस्पात उद्योग के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
डीट्रोयट यू० एस० ए० के लौह-इस्पात उद्योग का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह दो झीलों डरो तथा ऐरी के मध्य मिशीगन स्टेट में स्थित है। इसके आस-पास के क्षेत्र में कच्चा लौह, कोयला तथा लौह-इस्पात उद्योग के लिए अन्य कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अतः डीट्रोयट में लौह को पिघलाने तथा स्टील बनाने के बहुत से कारखाने पाये जाते हैं। झीलों के किनारे बसा होने के कारण इस शहर को जल यातायात की सुविधा भी उपलब्ध है। जल मार्गों द्वारा यह स्थान यूरोप तथा एशिया की बड़ी-बड़ी मंडियों से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 5.
ऊनी वस्त्र उद्योग पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
ऊनी कपड़ा उद्योग जानवरों के बालों पर निर्भर करता है। भेड़, बकरी, ऊंट, याक, खरगोश आदि जानवरों के बालों का प्रयोग ऊनी कपड़ा बुनने में किया जाता है। सबसे अधिक मात्रा में ऊन भेड़ों से प्राप्त की जाती है। ‘मैरीनो’ किस्म की भेड़ से लम्बे रेशे वाली बढ़िया प्रकार की ऊन मिलती है। संसार के लगभग प्रत्येक महाद्वीप में ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। भेड़ें पालने वाले मुख्य देश आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, रूस, अर्जनटाइना, दक्षिणी अफ्रीका, चीन, युरुगवे, तुर्की, यू० एस० ए० तथा इंग्लैण्ड हैं। भेड़ें पालने वाले सभी देशों में ऊनी कपड़ा उद्योग काफ़ी विकसित है। ऊनी कपड़ा गर्म होता है। इसलिए इसे ठण्डे देशों या ठण्डे मौसम में पहना जाता है।

प्रश्न 6.
ओसाका शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकसित होने के कारण लिखें। (P.B. 2009 Set-B)
उत्तर-
औद्योगिक विकास की दृष्टि से ओसाका जापान का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह जापान के किनकी (Kinki) क्षेत्र में आता है। यह अपने सूती कपड़ा उद्योग के लिए विख्यात है। जापान का 100% सूती कपड़ा ओसाका के उद्योगों की देन है। इसलिए इस शहर को ‘जापान का मानचेस्टर’ भी कहा जाता है। इस शहर में सूती कपड़ा उद्योग के विकास के लिए शहर की भौगोलिक स्थिति का बहुत बड़ा योगदान है। समुद्री मार्ग निकट होने के कारण कच्चे माल का आयात करना तथा तैयार माल का निर्यात करना सरल हो जाता है। इसके अतिरिक्त यहां की नम जलवायु भी सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल है। .

प्रश्न 7.
बंगालुरु शहर में कौन-कौन सी अवस्थाएं सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं ?
उत्तर-
बंगालुरु कर्नाटक राज्य की राजधानी है। यह सूचना तकनीक उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है। इस शहर की निम्नलिखित अवस्थाएँ सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अनुकूल हैं

  • यहां सूचना-तकनीक उद्योग के लिए अधिक पढ़े-लिखे लोग आसानी से मिल जाते हैं।
  • यहां की जलवायु यहां रहने तथा काम करने के लिए बहुत अनुकूल है।
  • राज्य सरकार भी बंगालुरु में सूचना-तकनीक उद्योग के विकास में पूरा-पूरा सहयोग दे रही है।

प्रश्न 8.
सिलीकान घाटी के सूचना-तकनीक उद्योग के विकास पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका (यू०एस०ए०) के पश्चिम में कैलीफोर्निया राज्य में स्थित है। यह यू० एस० ए० का एक बहुत बड़ा सूचना तकनीक केन्द्र है। यहां इनटैल (Intel), एप्पल (Apple) तथा सन (Sun) जैस बड़ी-बड़ी कम्प्यूटर कम्पनियों के उद्योग स्थापित हैं। अनुसन्धान को प्रोत्साहित करने के लिए.यहाँ 1951 में स्टेनफोर्ड रिसर्च पार्क की स्थापना की गई थी। इस कार्य के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से सभी सुविधाएँ प्रदान की गई थीं। 1959 ई० तक यहां लगभग 100 सूचना तकनीक औद्योगिक कम्पनियों ने अपने उद्योग स्थापित कर लिए थे। इस समय सिलीकान घाटी में लगभग तीन लाख लोग काम कर रहे हैं। यहाँ अरबों रुपयों का सामान बेचा जाता है। सूचना तकनीक उद्योग के लिए सिलीकान घाटी में आवश्यक अवस्थाएँ भी अनुकूल हैं। यातायात के साधन पूरी तरह से विकसित हैं। सरकार की ओर से भी इस उद्योग को विकसित करने के लिए बहुत-सी सुविधाएँ दी जा रही हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
लौह-इस्पात उद्योग का महत्त्व और आवश्यक अवस्थाएं बताइए। भारत के लौह-इस्पात केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
लौह-इस्पात उद्योग एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण उद्योग है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है

  • यह उद्योग इंजीनियरिंग, यातायात के साधन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को कच्चा माल प्रदान करता है।
  • अन्य उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लौह-इस्पात से बनती हैं।
  • सभी प्रकार के औजार तथा हथियार लोहे से बनते हैं। .

आवश्यक अवस्थाएं-लौह-इस्पात उद्योग स्थापित करने के लिए निम्नलिखित अवस्थाओं का अनुकूल होना आवश्यक है-

1. कच्चे लौह की प्राप्ति-कच्चा लौह लौह-इस्पात का मुख्य कच्चा माल है। इसलिए इसकी प्राप्ति होना आवश्यक है। इस उद्योग को कच्चे लौह के भण्डार के समीप ही स्थापित किया जाना चाहिए, क्योंकि कच्चा लौह भारी होता है।

2. बढ़िया किस्म के कोयले की प्राप्ति-कच्चे लौह को भट्ठियों में पिघलाने के लिए बढ़िया किस्म के कोयले
की आवश्यकता होती है। कोयले के अतिरिक्त चूने का पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज़ आदि भी लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक हैं। इसलिए इन पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में प्राप्ति होनी चाहिए।

3. जल की आपूर्ति-लौह को पिघलाने के पश्चात् इसे ठण्डा करने और धोने के लिए काफ़ी मात्रा में जल की
आवश्यकता होती है। इसलिए इस उद्योग के निकट जल की व्यवस्था या जल भण्डारों का होना अति आवश्यक है।

4. उद्योगों में तैयार माल के लिए मांग क्षेत्रों का समीप होना-लौह-इस्पात उद्योग में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डियों का समीप होना अति आवश्यक है। मांग क्षेत्र समीप होने से समय की बचत होगी और तैयार माल के लिए यातायात का खर्चा कम होगा। यदि तैयार माल को अन्य देशों को निर्यात किया जाना हो तो उद्योग की स्थापना किसी बन्दरगाह के समीप की जानी चाहिए।

5. यातायात के सस्ते और विकसित साधन-लौह इस्पात उद्योग में प्रयोग होने वाली बहुत-सी वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए बढ़िया किस्म के यातायात साधनों का होना अति आवश्यक है। श्रमिकों के आने-जाने के लिए भी यातायात के साधन ज़रूरी हैं।

6. पूँजी-लौह-इस्पात जैसे बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह उद्योग बहुत ही धनी व्यक्ति या विदेशी कम्पनियों के सहयोग से ही स्थापित हो सकता है।

7. शिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता-लौह-इस्पात उद्योग में भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यों के लिए शिक्षित तथा अनुभवी श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसलिए इस प्रकार के श्रमिकों का उपलब्ध होना जरूरी है।’

भारत के लौह-इस्पात केन्द्र-भारत के मुख्य लौह-इस्पात के केन्द्र जमशेदपुर तथा बोकारो (झारखंड), बर्नपुर तथा दुर्गापुर (पश्चिमी बंगाल), रुड़केला (उड़ीसा) तथा भिलाई (छत्तीसगढ़) और भद्रावती (कर्नाटक) हैं।

प्रश्न 2.
सूती कपड़ा उद्योग के संसार में वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग संसार के बहुत-से देशों में स्थापित है। इसके मुख्य उत्पादकों में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व-सोवियत संघ के देश, इंग्लैंड, जापान, चीन, मिस्र और भारत आदि हैं। यूरोप में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली और पोलैंड जैसे देशों में सूती कपड़े का उत्पादन 18वीं या 19वीं शताब्दी से होने लगा था। इन देशों के अतिरिक्त बैल्जीयम, नीदरलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, तुर्की, चैकोस्लोवाकिया आदि देशों में भी सूती कपड़ा उद्योग स्थापित हैं। कुछ मुख्य देशों में सूती कपड़ा उद्योग का वितरण इस प्रकार हैं

जापान-जापान का सूती कपड़ा उद्योग अधिक पुराना नहीं है, परन्तु इस देश ने इस उद्योग में बहुत अधिक उन्नति की है। यह देश पूरे संसार का लगभग 5% सूत तैयार करता है। जापान, सूती कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल मुख्य रूप से यू० एस० ए०, चीन तथा भारत से मंगवाता है। वहां नोबी पलेन तथा हानसिन क्षेत्र सूती कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इस उद्योग के मुख्य केन्द्र ओसाका, कोबे तथा क्योटो हैं। – चीन-चीन इस समय संसार का सबसे बड़ा सूती कपड़ा उत्पादक देश है। चीन में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र चीक्यिांग, सांतुंग, होपे, हुनान, सैंसी, नानकिंग, शंघाई आदि हैं।

यू० एस० ए०यू० एस० ए० में सूती कपड़ा उद्योग उत्तर-पूर्व, मध्य अटलांटिक तथा दक्षिणी क्षेत्रों में केन्द्रित है। इसके मुख्य केन्द्र न्यूबैडफोर्ड, मानचेस्टर, सैंट लारेंस, बोस्टन, फिलाडैलफिया, बाल्टीमोर, न्यूयार्क, ग्रीनविले, कोलम्बिया, एटलांटा तथा कैलीफोर्निया आदि हैं।
पूर्व-सोवियत संघ-पूर्व-सोवियत संघ के देशों में मास्को, लेनिनग्राड, युक्रेन, इवानोवो, यूराल, वोल्गा, मध्य एशिया का क्षेत्र तथा साइबेरिया आदि सूती कपड़ा बनाने के मुख्य क्षेत्र हैं।

मिस्त्र-मिस्र (Egypt) कपास के उत्पादन और सूती कपड़ा उद्योग में भले ही बहुत पीछे हैं, परन्तु इस देश का महत्त्व बहुत अधिक है। यहां लम्बे रेशे वाली कपास पैदा होती है, जिससे उत्तम कोटि का कपड़ा बनाया जाता है।

भारत-हमारे देश का सूती कपड़ा उद्योग बहुत ही पुराना है। यहां के हाथ से बुने कपड़ों की मांग संसार के भिन्नभिन्न देशों में रही है। परन्तु 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो हमारे सूती कपड़ा उद्योग को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि बढ़िया किस्म की कपास पैदा करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान में चले गये थे। अतः भारत ने अन्य देशों से कपास आयात करके अपने इस पुराने उद्योग को फिर से जीवित किया।

भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, पांडिचेरी, कर्नाटक तथा केरल सूती कपड़ा पैदा करने वाले मुख्य राज्य हैं। इस उद्योग के कुछ महत्त्वपूर्ण केन्द्र निम्नलिखित हैं

  • मुम्बई, शोलापुर, पूना, कोल्हापुर, सतारा, नागपुर, औरंगाबाद तथा अमरावती (महाराष्ट्र)।
  • अहमदाबाद, बड़ोदरा, भारुच, सूरत तथा राजकोट (गुजरात)।
  • ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर तथा भोपाल (मध्य प्रदेश)।
  • चेन्नई, मदुराए, स्लेम तथा पैरम्बूर (तमिलनाडु)।
  • कोलकाता, मुर्शिदाबाद तथा हुगली (पश्चिमी बंगाल)।
  • कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आगरा, बरेली, सहारनपुर तथा लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
  • लुधियाना, अमृतसर तथा फगवाड़ा (पंजाब)।
  • भिवानी, हिसार तथा पानीपत (हरियाणा)।
  • बंगलुरु तथा मैसूर (कर्नाटक)।
  • भीलवाड़ा, कोटा तथा अजमेर (राजस्थान)।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 3.
सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व बताते हुए संसार और भारत में इसके मुख्य केन्द्रों के बारे में लिखो।
उत्तर-
आज का युग मशीनी युग है। मशीनों के प्रयोग से हर प्रकार के उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है। सूचना-तकनीक उद्योग भी इनमें से एक है। इसमें रेडियो, टेलीफोन, टेलीविज़न, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि शामिल हैं।

सूचना-तकनीक उद्योग का महत्त्व-

(1) सूचना-तकनीक उद्योग ने संसार भर के लोगों को आपस में जोड़ने का काम किया है। इन यन्त्रों के प्रयोग ने मानव के जीवन में समृद्धि और उन्नति ला दी है। इन यन्त्रों तथा उपकरणों की सहायता से कोई भी सूचना, संसार के एक कोने से दूसरे कोने तक बहुत ही शीघ्र पहुंचाई जा सकती है। परिणामस्वरूप सूचना-तकनीक यन्त्रों द्वारा हम संसार के किसी भी कोने में घटित घटना की जानकारी मिनटों और सैकिंडों में प्राप्त कर सकते हैं।
(2) अपने बैंक खातों में ए० टी० एम० द्वारा किसी भी समय इस तकनीक के द्वारा हम पैसे निकलवा सकते हैं।
(3) कम्प्यूटर की सूचना तकनीक उद्योग को बहुत बड़ी देन है। कम्प्यूटर को अपनी मर्जी से कहीं भी ले जा सकते हैं। इसमें बहुत-सी सूचना भी स्टोर की जाती है। आजकल तो मोबाइल सेटों में कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (1)

संसार में सूचना-तकनीक उद्योग का वितरण-संसार में पहले डिजीटल इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर का निर्माण 1946 में य० एस० ए० में हुआ था। आज संसार के सभी विकसित देश सूचना-तकनीक उद्योग में बहुत आगे निकल चुके हैं। इन देशों में यू० एस० ए० के अतिरिक्त कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन, रूस, जापान तथा जर्मनी आदि शामिल हैं। यू० एस० ए० की सिलीकान घाटी इस उद्योग का बहुत बड़ा केन्द्र है।

भारत में सूचना तकनीक उद्योग-भारत एक विकासशील देश है। यहां कम्प्यूटर बहुत देर बाद आया। परन्तु फिर भी देश ने सूचना-तकनीक उद्योग में बड़ी तेज़ी से उन्नति की है। भारत में बंगलुरु, मुम्बई, पूना, चेन्नई, हैदराबाद, नोएडा (दिल्ली), गुड़गांव, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि शहर सूचना तकनीक उद्योग के मुख्य केन्द्र हैं। इनमें से बंगगलुरु इस उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र है। इसे भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कह कर पुकारा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide मुख्य उद्योग Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(1) सिलीकान घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिम में ………. राज्य में स्थित है।
(2) रेडियो, टी०वी०, मोबाइल आदि ………. के मुख्य यंत्र हैं।
(3) ……… यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केंद्र है।
(4) कपास को ……….. सोना भी कहा जाता है।
(Sample Paper) (5) …………. उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
(6) …………. किस्म की भेड़ से लंबे रेशे वाली ऊन प्राप्त की जाती है।
(7) बोरियाँ, टाट तथा रस्से ……….. से बनते हैं।
उत्तर-

  1. कैलिफोर्निया
  2. सूचना तकनीक
  3. डीट्रोयट
  4. सफेद
  5. सूती कपड़ा उद्योग
  6. मेरीनो
  7. जूट (पटसन)।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

(1) लौह-इस्पात उद्योग को पहले दर्जे का उद्योग माना जाता है।
(2) जमशेदपुर भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केंद्र है।
(3) लम्बे रेशे वाली कपास, कपास की सबसे बढ़िया किस्म है।
(4) कपास, पटसन, ऊन, रेशम आदि का उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है।
(5) सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक प्रदेश सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि हैं।
(6) बंगलुरु में मशीन टूल्स, घड़ियां, मोटरें तथा हवाई जहाज़ बनाने के उद्योग पाये जाते हैं।
उत्तर-

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार में लौह-इस्पात उद्योग के वितरण में असमानता क्यों पाई जाती हैं ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि संसार में कच्चे लौह तथा कोयले का वितरण एक समान नहीं है।

प्रश्न 2.
संसार के किस देश ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है और कैसे ?
उत्तर-
जापान ने कच्चा माल न होते हुए भी लौह-इस्पात उद्योग में बड़ी उन्नति की है। वह कच्चा लौह तथा कोयला संसार के अन्य देशों से मंगवाता है।

प्रश्न 3.
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग के बड़े-बड़े केन्द्र कहां स्थित हैं ? किन्हीं चार केन्द्रों के नाम भी बताइए।
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात के बड़े-बड़े केन्द्र महान् झीलों के आस-पास स्थित हैं। इसके चार मुख्य केन्द्र पिट्सबर्ग, शिकागो, बरमिंघम तथा अलबामा हैं।

प्रश्न 4.
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात केन्द्र (कारखाना) कौन-सा है ? इसे कब और किसने लगाया था ?
उत्तर-
भारत का सबसे पुराना लौह-इस्पात कारखाना टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (TISCO) है। इसे 1907 ई० में जमशेद जी टाटा ने लगाया था।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित लौह-इस्पात केन्द्र ( कारखाने ) कब-कब और किस-किस देश के सहयोग से स्थापित किये गयेभिलाई, रुड़केला, दुर्गापुर तथा बोकारो।
उत्तर-
1. भिलाई-1957 में रूस के सहयोग से। 2. रुड़केला-1957 में जर्मनी की सहायता से। 3. दुर्गापुर-1959 में इंग्लैंड की सहायता से। . 4. बोकारो-1964 में रूस की सहायता से।

प्रश्न 6.
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की गई ?
उत्तर-
स्टील अथार्टी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1973 में लौह-इस्पात उद्योग का अच्छा प्रबंध करने के लिए की गई।

प्रशन 7.
डीट्रोयट (यू० एस० ए०) किन-किन उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
लौह-इस्पात, मोटर गाड़ियां, कृषि मशीनरी, मशीनी पुर्जे, कैमिकल्स, फूड प्रोसेसिंग तथा समुद्री जहाज़ निर्माण आदि।

प्रश्न 8.
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले यंत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
सूचना उद्योग में तैयार होने वाले मुख्य यंत्र हैं-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर आदि।

प्रश्न 9.
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम कपड़ा उद्योग को कौन-कौन सी श्रेणियों में बांट सकते हैं ?
उत्तर–
प्रयोग होने वाले कच्चे माल के आधार पर हम इस उद्योग को निम्नलिखित श्रेणियों में बांट सकते हैं
(1) सूती कपड़ा उद्योग (2) ऊनी कपड़ा उद्योग (3) रेशमी कपड़ा उद्योग (4) पंटसन कपड़ा उद्योग (5) कृत्रिम रेशम और बनावटी रेशों द्वारा बुने गये कपड़े का उद्योग।

प्रश्न 10.
मुम्बई के बाद भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र कौन-सा शहर है ? यह शहर किस राज्य में है ?
उत्तर-
भारत का दूसरा बड़ा सूती कपड़ा औद्योगिक केन्द्र अहमदाबाद है। यह शहर गुजरात राज्य में है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग

प्रश्न 11.
ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इंग्लैंड के मानचेस्टर की तरह ओसाका (जापान) का सूती कपड़ा उद्योग एक बहुत बड़ा केन्द्र है। जापान का 100% सूती कपड़ा इसी शहर के उद्योगों से प्राप्त होता है। इसीलिए ओसाका को ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।

प्रश्न 12.
किस शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है ? यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास कब आरंभ हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक राज्य के बंगलुरु शहर को भारत की ‘सिलीकान घाटी’ कहा जाता है। यहां सूचना-तकनीक उद्योग का विकास 1970 के बाद आरम्भ हुआ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़े का निर्माण किस प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है ? इस उद्योग का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कपड़े का निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल से किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे शामिल हैं। महत्त्व-

  • कपड़ा उद्योग बहुत बड़ी मात्रा में लोगों को रोज़गार देता है और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करता है।
  • संसार के बहुत-से देशों में कपड़ा उद्योग को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है। कपड़ा उद्योग द्वारा बनाया गया कपड़ा पहनने, घरों की सजावट और भिन्न-भिन्न वस्तुओं को पैक करने के काम आता है।
  • मानव की मूल आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान में कपड़े का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 2.
कपास से सूती कपड़ा बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सबसे पहले श्रमिक खेतों से कपास के डोडे इकट्ठे करते हैं। इन्हें मशीनों द्वारा भी इकट्ठा किया जाता है। इनमें बीज होते हैं जिन्हें कपास से अलग कर दिया जाता है।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 6 मुख्य उद्योग (2)
इस कपास की पिंजाई करके इसे साफ़ किया जाता है। साफ़ की गई कपास से सूत काता जाता है। इस सूत के धागे (Yarn) को बुनकर कपड़ा तैयार किया जाता है। इसके पश्चात् कपड़े को ज़रूरत अनुसार रंगा जाता है या प्रिंट किया – जाता है। ज़रूरत होने पर इसे अच्छी तरह रंगरहित भी रहने दिया जाता है।

प्रश्न 3.
अहमदाबाद में सूती कपड़ा उद्योग के अनुकूल अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • अहमदाबाद (गुजरात राज्य) भारत की “कपास पेटी” में आता है इसलिए यहां की कपड़ा मिलों को कपास के रूप में कच्चा माल आसानी से प्राप्त हो जाता है।
  • यहां की जलवायु आर्द्र (नम) है। यह जलवायु कपड़ा उद्योग के लिए वरदान सिद्ध होती है क्योंकि इसमें धागा आसानी से नहीं टूटता।
  • आस-पास ही बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
  • बिजली सस्ती है।
  • अहमदाबाद रेलों और सड़कों द्वारा देश के अन्य भागों से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • मुंबई की तुलना में यहां भूमि सस्ते रेटों में मिल जाती है।
  • तैयार माल (कपड़ा) के लिए मांग क्षेत्र भारत में ही मिल जाता है।
  • सरकार भी कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन कपड़ा उद्योग तथा कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने के उद्योग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रेशमी कपड़ा उद्योग-रेशमी कपड़ा उद्योग में रेशम को कच्चे माल के रूप में प्राप्त किया जाता है। रेशम एक प्रकार के कीड़े से प्राप्त किया जाता है जिसे शहतूत के वृक्ष के पत्तों पर पाला जाता है। रेशम से कपड़ा बनाने की कला लगभग 2500 ईसा पूर्व-चीन में आरंभ हुई थी। अन्य देशों में यह कला तीसरी या चौथी शताब्दी में ही पहुंची। रेशम से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश चीन, जापान, दक्षिणी कोरिया, रूस, भारत, उत्तरी कोरिया तथा ब्राज़ील हैं।
रेशमी कपड़ा काफ़ी महंगा होता है जो प्रायः धनी लोग ही पहनते हैं। इसलिए इसे ‘धनी पोषाक’ भी कहा जाता
है।

पटसन कपड़ा उद्योग-पटसन एक पौधे से मिलने वाला रेशा होता है। यह पौधा प्रायः गर्म और नम क्षेत्रों में उगाया जाता है। पटसन का उपयोग मुख्य रूप से बोरियां, टाट और रस्से बनाने में किया जाता है। परन्तु आजकल इससे कपड़ा भी बनाया जाने लगा है। पटसन से बने बारीक कपड़े की काफ़ी मांग है। पटसन उद्योग मुख्यतः चीन, भारत, बांग्ला देश, थाइलैंड और ब्राजील में विकसित हैं। इस उद्योग में भारत तथा बांग्लादेश संसार में अग्रणी हैं।

कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने का उद्योग-कृत्रिम रेशों में कृत्रिम रेशे तथा कई प्रकार के अन्य रासायनिक रेशे शामिल हैं। कृत्रिम रेशम भी एक रासायनिक यौगिक है। इसे फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है। नाइलोन, टैरालीन, एवरीलोन, टैटरोन भी रासायनिक रेशे हैं। इनसे बना कपड़ा काफ़ी सस्ता तथा मजबूत होता है। इसलिए यह कपड़ा प्राकृतिक रेशों से बने कपड़े का अच्छा मुकाबला कर रहा है। कृत्रिम रेशों से कपड़ा बनाने वाले मुख्य देश जापान, यू० एस० ए०, इंग्लैंड, जर्मनी, भारत, चीन तथा इटली हैं।

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मुख्य उद्योग PSEB 8th Class Social Science Notes

  • लौह-इस्पात उद्योग – इस उद्योग को प्राथमिक या पहले दर्जे का उद्योग कहा जाता है क्योंकि यह उद्योग अन्य सभी उद्योगों का आधार है।
  • लौह-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक अवस्थाएं – कच्चे लौह की पूर्ति, बढ़िया किस्म का कोयला, पानी की निरन्तर आपूर्ति, मांग क्षेत्रों की समीपता, यातायात के सस्ते तथा विकसित साधन, शिक्षित श्रमिक तथा पूंजी। .
  • लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले मुख्य देश – चीन, जापान, यू० एस० ए०, रूस, जर्मनी, ब्राजील, भारत तथा इंग्लैण्ड।
  • भारत के मुख्य लौह-इस्पात केन्द्र – जमशेदपुर, बर्नपुर, दुर्गापुर, भिलाई, रुड़केला तथा बोकारो।
    डीट्रोयट – यह यू० एस० ए० का महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात केन्द्र है।
  • कपड़ा उद्योग – कपड़ा मानव की मूल आवश्यकताओं में से एक है। इसका निर्माण कई प्रकार के कच्चे माल द्वारा किया जाता है, जैसे-कपास, पटसन, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशे। ।
  • कच्चे माल के आधार पर कपड़ा उद्योग की किस्में – सूती कपड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग, रेशमी कपड़ा उद्योग, पटसन वस्त्र उद्योग तथा कृत्रिम रेशम तथा बनावटी रेशों का कपड़ा उद्योग।
  • सूती कपड़ा उद्योग – इस उद्योग का मुख्य कच्चा माल कपास है।
  • सूती कपड़ा उद्योग के लिए आवश्यक तत्त्व – कच्चा माल, पूँजी, सस्ते श्रमिक, यातायात के विकसित साधन, मण्डी का समीप होना तथा अनुकूल जलवायु।
  • सूती कपड़े के मुख्य उत्पादक देश – यू० एस० ए०, रूस, जापान, चीन, इंग्लैण्ड, भारत तथा मिस्र।
  • भारत के मुख्य सूती कपड़ा उद्योग केन्द्र – मुम्बई, शोलापुर, नागपुर, अहमदाबाद, सूरत, ग्वालियर, चेन्नई, कोलकाता, हुगली, कानपुर, लखनऊ, हैदराबाद, भीलवाड़ा, लुधियाना, अमृतसर, फगवाड़ा आदि ।
  • ओसाका – जापान का महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र जिसे ‘जापान का मानचेस्टर’ कहा जाता है।
  • सूचना-तकनीक उद्योग – महत्त्व-इसने संसार के लोगों को आपस में जोड़ दिया है।
    मुख्य यन्त्र-रेडियो, टी० वी०, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कम्प्यूटर इत्यादि।
    सूचना-तकनीक उद्योग वाले मुख्य देश-यू० एस० ए०, कनाडा, इंग्लैण्ड, चीन, फ्रांस, रूस, जापान, जर्मनी, भारत।
    भारत में सूचना तकनीक उद्योग के केन्द्र-बंगलुरु, मुम्बई, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई, नोएडा, मोहाली, चण्डीगढ़ आदि।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 5 औद्योगिक विकास

SST Guide for Class 8 PSEB औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
वस्तु-निर्माण क्रिया से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लगभग सभी आरम्भिक (मूल) पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया से गुज़रते हैं। इसी क्रिया को वस्तु-निर्माण क्रिया कहते हैं। इस क्रिया को बताने के लिए उद्योग शब्द का प्रयोग किया जाता है। उद्योग में कच्चे माल को पक्के माल में बदला जाता है।

प्रश्न 2.
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अंदाज़ा कैसे लगाया जा सकता है ?
उत्तर-
किसी देश के आर्थिक विकास का सही अनुमान (अंदाजा) देश के औद्योगिक विकास से लगाया जाता है। संसार के सभी विकसित देश औद्योगिक रूप से पूरी तरह विकसित हैं। .

प्रश्न 3.
उद्योगों को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
उद्योगों को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं : (1) कच्चा माल (2) शक्ति के साधन (3) मजदूर (4) यातायात के साधन (5) बाज़ार अथवा मण्डी (6) पानी (7) जलवायु (8) पूंजी (9) सरकार की नीतियां (10) बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

प्रश्न 4.
निजी उद्योग किन उद्योगों को कहा जाता है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो लोग निजी रूप से अथवा कोई फ़र्म बना कर स्थापित करते हैं, निजी उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए एटलस अथवा हीरो साइकिल उद्योग। इस प्रकार उद्योगों में लागत तथा लाभ दोनों पर उद्योग के स्वामी का नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 5.
कृषि आधारित उद्योगों में कौन-कौन से कच्चे माल का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
कृषि पर आधारित उद्योगों में कृषि से प्राप्त कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-कपड़ा उद्योग में कपास को, चीनी उद्योग में गन्ने को तथा चाय उद्योग में चाय की पत्तियों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 6.
समुद्री जहाज़ों के उद्योग भारत में कहां-कहां हैं ?
उत्तर-
भारत में समुद्री जहाज़ उद्योग विशाखापट्टनम, कोलकाता, चेन्नई, कोचीन (कोच्चि) तथा मुम्बई में स्थित है।

प्रश्न 7.
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर-
ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ 19वीं शताब्दी में हुआ।

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
उद्योगों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर-
उद्योगों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है :(1) ये किसी देश के आर्थिक ढांचे को मज़बूत बनाते हैं। (2) ये देश में से गरीबी तथा बेरोज़गारी को दूर करने में सहायता करते हैं। (3) ये पुराने समाज को नये समाज में बदल देते हैं। (4) उद्योगों का विकास किसी देश के आर्थिक विकास को दर्शाता है। (5) उद्योग जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।

प्रश्न 2.
कच्चा माल और शक्ति साधन उद्योगों को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
कच्चा माल तथा शक्ति के साधन उद्योगों को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करते हैं :-

  1. कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  2. शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।

प्रश्न 3.
उद्योगों के विकास में सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। यह मंजूरी सरकार के अलग-अलग विभागों से लेनी पड़ती है। इन विभागों में प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, वन विभाग, सुरक्षा विभाग आदि शामिल हैं। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है। सरकारी नीति के अनुसार किसी सीमावर्ती प्रदेश में औद्योगिक विकास नहीं हो सकता।

प्रश्न 4.
बड़े, मध्यम और छोटे पैमाने वाले उद्योगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बड़े पैमाने के उद्योग-जिन उद्योगों में मजदूरों की संख्या बहुत अधिक होती है, उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहा जाता है। इन उद्योगों में पूंजी भी बहुत अधिक लगती है। पूंजी की राशि 10 करोड़ या अधिक होती है। – मध्यम पैमाने के उद्योग-इन उद्योगों में मजदूरों की संख्या तथा पूंजी की राशि बड़े पैमाने के उद्योगों से कम होती है। पूंजी की राशि 5 करोड़ से 10 करोड़ तक होती है।

छोटे पैमाने के उद्योग-छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं। नई औद्योगिक नीति के अनुसार इन उद्योगों में पूंजी की लागत 5 करोड़ तक होती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

प्रश्न 5.
भारी और हल्के उद्योगों में उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं। लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं। हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

प्रश्न 6.
कपड़ा (वस्त्र) और लौह-इस्पात उद्योग के मुख्य देश कौन-कौन से हैं ? भारत के तीन कपड़ा उद्योग के केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग-कपड़ा उद्योग में इंग्लैण्ड संसार में सबसे आगे है। कपड़ा उद्योग के अन्य मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, चीन, मित्र तथा भारत हैं।

लोहा-इस्पात उद्योग-लोहा-इस्पात उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ के देश तथा जर्मनी सबसे आगे है। ये देश संसार के कुल लोहा-इस्पात का 50 प्रतिशत पैदा करते हैं। इस उद्योग के अन्य मुख्य देश इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, जापान, चीन तथा भारत हैं।
भारत में वस्त्र उद्योग के केन्द्र-भारत के तीन प्रमुख वस्त्र उद्योग केन्द्र मुम्बई (महाराष्ट्र), अहमदाबाद (गुजरात) तथा कोलकाता (पश्चिमी बंगाल) हैं।

प्रश्न 7.
हवाई जहाज़ों का प्रयोग कहाँ होता है ? भारत में हवाई जहाज़ बनाने वाले मुख्य केन्द्र कौन-से हैं ?
उत्तर-
हवाई जहाज़ों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों में होता है-

  1. दुर्गम स्थानों पर पहुंचने के लिए।
  2. वायु सेना में शत्रु के ठिकानों पर हमला करने के लिए।
  3. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए।
  4. विदेशों से संपर्क बनाए रखने के लिए।
  5. तीव्र यात्रा के लिए।

III. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लगभग 200-250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
उद्योगों को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों की स्थापना तथा विकास को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें से मुख्य तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार-

  • कच्चा माल-जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है, उसे कच्चा माल कहते हैं। उदाहरण के लिए सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल कपास है। कोई भी उद्योग लगाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की पूर्ति आवश्यक है। यदि कच्चा माल भारी हो तो उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर यदि कच्चा माल हल्का हो तो उसे दूर तक ले जाया जा सकता है।
  • शक्ति के साधन-उद्योगों को चलाने के लिए शक्ति के साधनों का होना आवश्यक है। कोयला, खनिज तेल तथा बिजली उद्योगों को चलाने वाले मुख्य शक्ति साधन हैं।
  • मज़दूर अथवा श्रमिक-उद्योगों को चलाने के लिए मज़दूरों की ज़रूरत होती है। मज़दूर सस्ते, कुशल तथा प्रशिक्षित होने चाहिए। आज के मशीनी युग में भी उद्योगों में मजदूरों का अपना महत्त्व है। .
  • यातायात के साधन-उद्योगों के लिए तरह-तरह का सामान इकट्ठा करने, मज़दूरों के आने-जाने तथा तैयार माल को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए यातायात के विकसित साधनों की ज़रूरत होती है।
  • मण्डी अथवा बाज़ार-उद्योगों में तैयार माल को बेचने के लिए मण्डी (बाज़ार) निकट होनी चाहिए। बाज़ार में तैयार माल की मांग होना भी ज़रूरी है।
  • पानी-उद्योगों की स्थापना के लिए पानी भी बहुत आवश्यक है। इसलिए अनेक उद्योग नदियों तथा झीलों के किनारे लगाये जाते हैं। जिन उद्योगों को कम पानी की ज़रूरत होती है, उन्हें नदियों आदि से दूर भी लगाया जा सकता है। फिर भी मजदूरों के प्रयोग तथा अन्य छोटे-मोटे कार्यों के लिए आवश्यक पानी की पूर्ति अवश्य होनी चाहिए।
  • जलवायु-उद्योगों की स्थापना पर जलवायु का प्रभाव भी पड़ता है। बहुत अधिक गर्म या ठण्डे स्थान उद्योगों की स्थापना के लिए ठीक नहीं रहते। सूती कपड़ा उद्योग के लिए थोड़ी नमी वाला स्थान उपयुक्त रहता है। ऐसे स्थान पर धागा बार-बार नहीं टूटता।
  • पूंजी-पूंजी के बिना किसी उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती। पूंजी कम होने पर उद्योग का विकास भी नहीं हो पाता। इसलिए उद्योग को आवश्यक पूंजी अवश्य मिलनी चाहिए।
  • सरकार की नीतियां–उद्योगों के विकास में सरकारी नीतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी स्थान पर उद्योग लगाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना ज़रूरी होता है। वैसे भी किसी स्थान पर कोई उद्योग केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की योजना-नीतियों के अनुसार ही लगाया जा सकता है। किसी प्रदेश में औद्योगिकीकरण करना अथवा कोई औद्योगिक विकेन्द्रीकरण करना सीधे तौर पर सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है।
  • बैंक तथा बीमा आदि की सुविधाएं-उद्योगों की स्थापना, मज़दूरों को वेतन अथवा मजदूरी देने, कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल को बेचने आदि कार्यों के लिए पैसे का काफ़ी लेन-देन करना पड़ता है। अतः पैसे की सुरक्षा, उचित हिसाब-किताब तथा लेन-देन के लिए निकट ही बैंक की सुविधा होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मशीनों पर काम करते समय किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है जिससे मशीन अथवा श्रमिक को हानि पहुंच सकती है। इस क्षति की पूर्ति के लिए मशीनों तथा श्रमिकों के बीमे की सुविधा होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
उद्योगों को मुख्य रूप से किस-किस आधार पर बांटा गया है ? कच्चे माल पर आधारित उद्योगों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
उद्योगों को मुख्य रूप से निम्नलिखित आधारों पर बांटा गया है :

  1. आकार के आधार पर
  2. कच्चे माल के आधार पर
  3. स्वामित्व (मिलकियत) के आधार पर।

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण-कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित दो प्रकार से बांटा गया है :

A. कच्चे माल के भार के आधार पर

  • भारी उद्योग-जिन उद्योगों का कच्चा माल बहुत भारी होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं । लोहा-इस्पात उद्योग, समुद्री जहाज़ उद्योग तथा रेलवे उद्योग भारी उद्योगों के उदाहरण हैं।
  • हल्के उद्योग-जिन उद्योगों में हल्के कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है, वे हल्के उद्योग कहलाते हैं। इनमें तैयार माल भी हल्का होता है। पंखे, पैसें, घड़ियां आदि उद्योग हल्के उद्योगों में शामिल हैं।

B. कच्चे माल की किस्म अथवा स्रोत के आधार पर

  • खेती (कृषि) पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग तथा चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योग हैं।
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, उन्हें खनिज-आधारित उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग तथा एल्यूमीनियम उद्योग इनके उदाहरण हैं।
  • जानवरों पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों के लिए कच्चा माल जानवरों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों में डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग, ऊनी कपड़ा उद्योग तथा जानवरों की हड्डियों से सम्बन्धित उद्योग शामिल हैं।
  • वनों (जंगलों) पर आधारित उद्योग-इन उद्योगों को कच्चा मालं वनों से प्राप्त होता है। इन उद्योगों के मुख्य उदाहरण कागज उद्योग, लकड़ी उद्योग तथा माचिस उद्योग हैं।

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PSEB 8th Class Social Science Guide औद्योगिक विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. वे उद्योग जिनका कच्चा माल भारी होता है ……….. उद्योग कहलाते हैं।
2. कपड़ा उद्योग, चाय उद्योग …………… उद्योग तथा कृषि आधारित उद्योग हैं।
3. डेयरी उद्योग, चमड़ा उद्योग आदि उद्योग …………. आधारित उद्योग हैं।
4. एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से चलाए जाने वाले उद्योग ……….. कहलाते हैं।
5. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ ………….. उत्पाद कहलाते हैं।
6. बंगलौर भारत के …………. राज्य की राजधानी है।
7. बड़े पैमाने के उद्योगों में – करोड़ या इससे अधिक पूंजी. वाले उद्योग शामिल हैं।
उत्तर-

  1. भारी
  2. चीनी
  3. जानवर
  4. सहकारी
  5. प्राथमिक
  6. कर्नाटक
  7. पांच।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं : .

1. कच्चा माल, शक्ति के साधन, मजदूर, मण्डी, पानी इत्यादि तत्त्व उद्योगों को प्रभावित करते हैं।
2. कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग जानवरों पर आधारित उद्योग हैं।
3. पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) निजी उद्योग हैं।
4. कपड़ा उद्योग में भारत संसार में सबसे आगे है।
5. छोटे पैमाने के उद्योगों में मज़दूर बहुत ही कम संख्या में होते हैं।
6. जिस पदार्थ से कोई वस्तु बनाई जाती है उसे पक्का माल कहा जाता है।
7. इंग्लैंड को कपड़ा उद्योग का लीडर माना जाता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. (✓).

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक उत्पाद (Primary Produsets) क्या होते हैं। ? मनुष्य को ये कहां से प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले पदार्थ प्राथमिक उत्पादकहलाते हैं। मनुष्य को ये पदार्थ खेती, वनों, मछलियों, खानों तथा जानवरों से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
किस प्रकार के उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
जिन उद्योगों का कच्चा माल तथा तैयार माल भारी होता है, वे कच्चे माल के स्रोत के निकट लगाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
जंगलों तथा जानवरों पर आधारित दो-दो उद्योगों के नाम बताओ।
उत्तर-
जंगलों पर आधारित उद्योग-कागज उद्योग तथा लकड़ी उद्योग। .. जानवरों पर आधारित उद्योग-डेयरी उद्योग तथा चमड़ा उद्योग।

प्रश्न 4.
सहकारी उद्योग क्या होते हैं ?
उत्तर-
जो उद्योग एक सहकारी संस्था बना कर, उसके सदस्यों के सहयोग से लगाए जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहते हैं। पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली तथा होशियारपुर) इसी प्रकार का उद्योग है।

प्रश्न 5.
कौन-कौन से उद्योगों को मुख्य उद्योगों में शामिल किया जाता है ? किन्हीं छः के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) लोहा-इस्पात उद्योग (2) कपड़ा उद्योग (3) ऑटोमोबाइल उद्योग (4) समुद्री जहाज़ उद्योग (5) वायुयान उद्योग (6) रेलवे इंजनों का उद्योग।

प्रश्न 6.
भारत के लौह-इस्पात पैदा करने वाले चार राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल।

प्रश्न 7.
वायुयान उद्योग में संसार के कौन-कौन से देश अग्रणी हैं ?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका, रूंस, इंग्लैण्ड, फ्रांस, कनाडा, इटली, आस्ट्रेलिया, जापान तथा चीन।

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई चार उदाहरण दीजिए जिनसे पता चले कि लगभग प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष प्रक्रिया में से गुजरता है।
उत्तर-

  • खेतों से प्राप्त गेहूं को पीसकर आटा बनाया जाता है। फिर आटे से रोटी, डबल रोटी, बिस्कुट तथा खाने के लिए अन्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
  • कपास के गीले डोडों को साफ करके रूई बनाई जाती है। रूई से धागा तैयार करके कपड़ा बुना जाता है।
  • गन्ने के रस से चीनी तथा गुड़ बनाया जाता है। (4) धरती से प्राप्त कच्चे लौह को साफ़ करके लोहे या स्टील की वस्तुएं बनाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
संसार के ऑटोमोबाइल उद्योग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
संसार में ऑटोमोबाइल उद्योग का प्रारम्भ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में हुआ। इस उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, जापान, फ्रांस, स्वीडन और यूरोप के कई अन्य देश मुख्य हैं। कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्पेन, चीन और भारत जैसे देशों में भी बहुत से ऑटोमोबाइल उद्योग स्थापित हैं। भारत में इस उद्योग के मुख्य केन्द्र मुम्बई, चेन्नई, जमशेदपुर, जबलपुर, कोलकाता, कानपुर, अहमदाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि हैं।

प्रश्न 3.
संसार तथा भारत में रेल इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने के उद्योगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसार में रेल के इंजन तथा रेल के डिब्बे बनाने वाले मुख्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, जर्मनी और जापान हैं। भारत में चितरंजन (पश्चिमी बंगाल) वाराणसी. (उत्तर प्रदेश) तथा जमशेदपुर (झारखण्ड) रेल के इंजन बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। पैराम्बूर (तमिलनाडु), बंगलौर (कर्नाटक) और कपूरथला (पंजाब) रेल के डिब्बे बनाने के मुख्य औद्योगिक केन्द्र हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
मालकीयत (स्वामित्व) आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
मालकीयत आधारित मुख्य उद्योग निम्नलिखित हैं

  1. निजी क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग लोगों द्वारा निजी रूप से या फर्म बनाकर लगाये जाते हैं, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। इस प्रकार के उद्योगों में पूंजी, लाभ या हानि पर उद्योग मालिक का नियन्त्रण होता है। हीरो साइकिल उद्योग इसी प्रकार का उद्योग है।
  2. सरकारी क्षेत्र के उद्योग-सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा लगाये गये उद्योग सरकारी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं। इन उद्योगों में पूंजी, लाभ और हानि पर सरकार का नियन्त्रण होता है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल (भोपाल) और रेल कोच फैक्टरी कपूरथला आदि सरकारी क्षेत्र के उद्योगों के उदाहरण हैं।
  3. साझे क्षेत्र के उद्योग-जो उद्योग सरकार और प्राइवेट लोगों या एजेंसियों द्वारा साझे रूप में लगाये जाते हैं उन्हें साझे क्षेत्र के उद्योग कहा जाता है। उदाहरण के लिए पंजाब ट्रैक्टर लिमिटेड (मोहाली और होशियारपुर) तथा गुजरात औलकलीज़ लिमिटेड आदि उद्योग साझे क्षेत्र में आते हैं। .
  4. सहकारी क्षेत्र-जो उद्योग एक सहकारी संस्था बनाकर उसके सदस्यों के सहयोग से लगाये जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहा जाता है। सहकारी चीनी मिलें तथा सहकारी कपड़ा मिलें इसी प्रकार के उद्योग हैं।
  5. बहु-देशीय उद्योग-इस प्रकार के उद्योगों में एक मुख्य कम्पनी अपना उद्योग, एक साथ कई देशों में लगाती है। इसीलिए इन उद्योगों को बहु-देशीय उद्योग कहा जाता है। बहु-देशीय उद्योगों में कारों की कम्पनियां तथा कोकाकोला आदि कम्पनियां शामिल हैं।

औद्योगिक विकास PSEB 8th Class Social Science Notes

  • निर्माण क्रिया – प्रत्येक प्राथमिक पदार्थ, मनुष्य के प्रयोग में आने से पहले एक विशेष क्रिया में से गुज़रता है इसे निर्माण क्रिया (Manufacturing) कहा जाता है।
  • उद्योगों का महत्त्व मनुष्य के जीवन में उद्योगों का बहुत महत्त्व है। ये रोज़गार जुटाते हैं तथा जीवन-स्तर को ऊंचा उठाते हैं।
  • उद्योगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक-
    • कच्चा माल
    • शक्ति साधन
    • श्रमिक
    • यातायात के साधन
    • मण्डियां
    • जल
    • जलवायु
    • पूंजी
    • सरकारी नीतियां
    • बैंक एवं बीमा सुविधाएं
  • उद्योगों का वर्गीकरण
    (A) आकार पर आधारित उद्योग

    • बड़े पैमाने वाले उद्योग
    • मध्यम पैमाने वाले उद्योग
    • छोटे पैमाने वाले उद्योग

(B) कच्चे माल पर आधारित उद्योग

(1) कच्चे माल के भार पर आधारित -भारी उद्योग, हल्के उद्योग
(2) कच्चे माल की किस्म या स्रोत के आधार पर –

  • कृषि आधारित उद्योग
  • खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योग
  • जानवरों पर आधारित उद्योग
  • वनों पर आधारित उद्योग

(C) मलकीयत (स्वामित्व) के आधार पर-

  • निजी क्षेत्र के उद्योग
  • सरकारी क्षेत्र के उद्योग
  • सहकारी क्षेत्र -साझे क्षेत्र के उद्योग
  • बहु-देशीय कम्पनियां

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 5 औद्योगिक विकास

मुख्य उद्योग और वर्गीकरण – उद्योग तो कई प्रकार के हैं परन्तु मुख्य उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग, समुद्री जहाजों के उद्योग, वायुयान उद्योग, रेलवे इंजन और रेल के डिब्बे बनाने वाले उद्योग तथा इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग को शामिल किया जाता है। ये उद्योग संसार के भिन्न-भिन्न भागों में केन्द्रित हैं।

कृषि पर आधारित उद्योग – वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल आदि उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से मिलता है। इसलिए इन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 4 सौर-ऊर्जा

PSEB 8th Class Agriculture Guide सौर-ऊर्जा Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सौर (सौर्य) वाटर हीटर का मुख्य लाभ क्या है ?
उत्तर-
यह 100 डिग्री सैल्सियस से कम तापमान पर पानी गर्म करने के काम आता है।

प्रश्न 2.
परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ आदि।

प्रश्न 3.
गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
सूर्य की ऊर्जा, बायोगैस।

प्रश्न 4.
सौर ड्रायर कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर-
प्रयोग के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-व्यापारिक तथा पारिवारिक।

प्रश्न 5.
सौर ड्रायर में सुखाई जाने वाली दो सब्जियों के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, मेथी, मिर्च, टमाटर।

प्रश्न 6.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर में कृषि पदार्थों की कितनी मात्रा एक बार में सुखाई जा सकती है?
उत्तर-
20 से 30 किलो कृषि पदार्थ।

प्रश्न 7.
सौर-कुकर का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर-
यह भोजन पकाने के काम आता है।

प्रश्न 8.
सौर-कुकर के प्रयोग से कितने प्रतिशत परम्परागत ईंधन बच सकता है?
उत्तर-
20% से 50% तक परम्परागत ईंधन बच जाता है।

प्रश्न 9.
सौर लालटेन का प्रयोग कितने घण्टे तक किया जा सकता है?
उत्तर-
3-4 घण्टे तक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 10.
सौर जल तापक (वाटर हीटर) कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
यह दो प्रकार के होते हैं-स्टोरेज़ कम कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर तथा थर्मोसाइफिन सोलर वाटर हीटर।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत कितनी प्रकार के हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत दो प्रकार हैं—
(i) परम्परागत
(ii) गैर-परम्परागत

  1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण-बिजली, कोयला, पेट्रोलियम वस्तुएँ ये अत्यन्त मूल्यवान् एवम् प्रकृति में सीमित मात्रा में होते हैं।
  2. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण हैं-बायोगैस, सौर ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।

ये स्रोत बेहद मात्रा में उपलब्ध है तथा मूल्य में सस्ते हैं।

प्रश्न 2.
सौर-ड्रायर से सुखाई जाने वाली वस्तुओं के नाम बताएं।
उत्तर-
पालक, टमाटर, मेथी, सरसों का साग, आलू, हल्दी, मिर्च, आलूचे, आड़, अंगूर आदि।

प्रश्न 3.
सौर-कुकर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सौर-कुकर एक ऐसा यन्त्र है जिसके प्रयोग से सूर्य की गर्मी के उपयोग से भोजन पकाया जाता है तथा इस तरह 20% से 50% तक परम्परागत ईंधन की बचत हो जाती है।

प्रश्न 4.
सौर स्ट्रीट लाइट के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
इस लाइट को सूर्य की ऊर्जा द्वारा बैटरी को चार्ज करके सूर्य अस्त के बाद गलियों, सड़कों पर प्रकाश करने के लिए प्रयोग किया जा ा है। यह अन्धेरा होने पर स्वतः ही जल जाती हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (1)
चित्र-सौर स्ट्रीट लाइट सिस्टम

प्रश्न 5.
सौर-कुकर द्वारा भोजन पकाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-

  1. पहले सौर-कुक्कर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुक्कर में रखो।
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सौर कुक्कर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।

प्रश्न 6.
सौर-होम लाइटिंग सिस्टम पर संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
इस सिस्टम में सूर्य के प्रकाश से इनवर्टर को चार्ज करके हम घर में बिजली न होने की सूरत में 2 ट्यूब लाइटस तथा 2 पंखे 5 से 6 घण्टे तक चला सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (2)
चित्र-सौर होम लाइटिंग सिस्टम

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 7.
सौर जल पम्प क्या होता है?
उत्तर-
ऐसे ट्यूबवैल जिनमें पानी का स्तर 35-40 फुट होता है, को सोलर वाटर पम्प की सहायता से चलाया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (3)
चित्र-सौर जल पम्प

प्रश्न 8.
सौर-लालटेन की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करें।
उत्तर-
यह एमरजैंसी लाइट है जिसको सूर्य के प्रकाश से चार्ज किया जाता है। इससे 3-4 घण्टे तक प्रकाश लिया जा सकता है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (4)
चित्र-सौर लालटेन

प्रश्न 9.
पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर किस तरह काम करते हैं?
उत्तर-
यह छोटे आकार का ड्रायर होता है इसमें दो से तीन किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिन में सुखाया जा सकता है। इसमें ऐसे पदार्थ सुखाए जाते हैं जिनको हम खाना तैयार
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (5)
चित्र-पारिवारिक स्तर पर सौर ड्रायर
करने के लिए पाऊडर बना कर प्रयोग करते हैं, जैसे-लाल मिर्च, प्याज, लहसुन, आम का चूर्ण, अदरक, पालक के पत्ते आदि।

प्रश्न 10.
व्यापारिक स्तर पर सौर ड्रायर के विषय में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
कृषि पदार्थ को हवा से कम तापमान पर सुखाना होता है ताकि इन पदार्थों के गण नष्ट न हो जाएं। इस ड्रायर में हवा का अधिक-से-अधिक तापमान जो कि किसी पदार्थ के सूखने के लिए आवश्यक है। इस तापमान से कम रखकर ही पदार्थों को इसमें सुखाया जाता है। इसमें एक ही समय में 20 से 30 किलो कृषि पदार्थ सुखाए जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (6)
चित्र-व्यापारिक स्तर पर सौर डायर

(इ) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भोजन पकाने के लिए सौर कुकर का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
भोजन पकाने के लिए कुकर को सैट करके रखने के लिए निम्नलिखित विधि का प्रयोग करो

  1. पहले सोलर कुकर को सूर्य की धूप में रखकर गर्म करो।
  2. जिस भोजन को पकाना हो उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर कुकर में रखो।
    PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (7)
    चित्र-बॉक्स टाइप कुकर
    चित्र-दोहरे शीशे वाले सौर कुकर
  3. सब्जियां, अण्डे आदि में पानी नहीं डालना चाहिए, अपितु सब्जियों के छोटेछोटे टुकड़े काटकर पकाने के लिए सोलर कुकर में रखने चाहिएं।
  4. भोजन पकाने वाले बर्तन को भोजन तथा पानी से आधे से अधिक नहीं भरना चाहिए।
  5. कुकर का ऊपरी हिस्सा सूर्य की ओर करके रखें।
  6. कुकर को बार-बार न खोलें। ऐसा करने से भोजन पकाने में देरी होगी।
  7. भोजन पकाने के पश्चात् बर्तन का ढक्कन आराम से खोलें ताकि भाप आपके शरीर को न लगे।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा

प्रश्न 2.
‘स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल तापक (हीटर)’ के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्टोरेज-कम-कुलैक्टर हीटर में ऊर्जा सोखने वाले तथा पानी गर्म करने वाले दोनों तरह के यूनिट लगे होते हैं। इनके लिए पानी स्टोर करने के लिए कोई अलग टैंक अथवा पाइपें नहीं होती। इसलिए ऐसे वाटर हीटरों को थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर से अधिक बढ़िया माना गया है। सोलर वाटर हीटरों को पक्की तरह दक्षिण की ओर मुँह करके एक ही स्थिति में रखा जाता है। इन्हें सूर्य की धूप लगने के लिए बार-बार हिलाया-डुलाया नहीं जाता। इन्हें ज़मीन पर तथा खिड़की के पास भी रखा जा सकता है। ऐसे हीटर मकान की छत पर पक्के भी लगाये जा सकते हैं।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 4 सौर-ऊर्जा (8)
चित्र-स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सौर जल हीटर
सोलर वॉटर हीटर साधारणतः जल्दी खराब नहीं होते। परन्तु फिर भी यह आवश्यक हो जाता है कि इस पर लगे शीशे को साफ़ रखना चाहिए, क्योंकि शीशे पर धूल के कण आदि जमें हों तो इस तरह सूर्य की किरणें पानी को गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 3.
सौर ड्रायर के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दें।
उत्तर-
इनका प्रयोग फलों तथा सब्जियों आदि को सुखाने के लिए किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं—

1. कैबिनेट ड्रायर—यह एक लकड़ी का बक्सा होता है जो अन्दर से काला होता है। इसके ऊपरी हिस्से पर शीशा लगा होता है। सुखाने वाली वस्तु को छिद्रों वाली ट्राली पर एक स्तर पर रखा जाता है। इस यन्त्र में दो तरह के छिद्र होते हैं। ऊपरी सतह में जो छिद्र होते हैं उनमें से हवा निकलती रहती है तथा निचली परत वाले छिद्रों से ताज़ा हवा अन्दर आती रहती है। इस तरह हवा का आवागमन होता रहता है।

2. परतदार डायर-यह यन्त्र लकडी तथा लोहे की शीटों अथवा फाइबर ग्लास का बना होता है। बक्से में हवा के आवागमन के लिए ऊपरी तथा निचले हिस्से में कई छिद्र किए होते हैं। बक्से के दोनों तरफ सुखाने वाली वस्तु को निकालने का प्रबन्ध होता है। ट्रेओं पर सौर किरणों को सोखने वाले चमकीले डण्डे लगे होते हैं। बक्से के ऊपर वाले हिस्से पर इकहरा शीशा फिट होता है। जिन थालियों में सुखाने के लिए चीजें रखनी होती हैं उनमें बहुत से छिद्र होते हैं। थालियों की ऊंचाई 3-4 सेंटीमीटर होती है। इनमें कटी सब्जियां तथा फल आसानी से सुखाने के लिए रखे जा सकते हैं। सूख रही वस्तुओं को छाया करने के लिए काली चमकती प्लेटें लगी होती हैं। क्योंकि यह यन्त्र सूर्य की किरणों को प्राप्त करके कार्य करते हैं इसको दिन में धूप में रखा जाता है। इन यन्त्रों का शीशा हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है।

प्रश्न 4.
‘सौर जल तापक’ (Solar Water Heater) से पानी की निरंतर पूर्ति के लिए कौन-सी सावधानियां रखना चाहिए?
उत्तर-
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से पानी गर्म करने वाले हीटरों को पक्की तरह एक स्थान पर ही रखा जाता है। इन्हें छत पर भी पक्के तौर पर फिट किया जा सकता है। इसके लिए ठण्डे पानी की पाइप लगानी पड़ती है। इसके ऊपर लगे शीशे को अच्छी तरह साफ रखना चाहिए ताकि सूर्य का प्रकाश पहुंचने में कोई रुकावट न आए। इसको पानी की सप्लाई लगातार बनाए रखनी आवश्यक है। हीटर का मुंह दक्षिण की तरफ रखा जाता है।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा से हम भिन्न-भिन्न ढंगों से कैसे लाभ उठा सकते हैं?
उत्तर-
सूर्य सारे विश्व को चलाने वाला अकेला ही ऊर्जा स्रोत है। इसकी ऊर्जा से पौधे भोजन बनाते हैं जिनसे हम अपना भोजन प्राप्त करते हैं। हवा-पानी का चक्कर भी सूर्य के कारण ही चलता है परन्तु यह सभी कुछ प्रकृति में अपने आप हो रहा है। हम अपनी मेहनत से सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से अन्य लाभ भी ले सकते हैं, जैसे—

  1. सूर्य के ताप के प्रयोग से हम पानी गर्म कर सकते हैं, खाना पका सकते हैं, बिजली पैदा कर सकते हैं। सब्जियों फलों को सुखा सकते हैं।
  2. सोलर सैल का प्रयोग करके सूर्य की ऊर्जा से बिजली पैदा कर सकते हैं।
  3. सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग करके हम पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों को बचा सकते हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB सौर-ऊर्जा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर-
दो भागों में।

प्रश्न 2.
कोयले से पैदा होने वाली बिजली कैसा ऊर्जा स्रोत है?
उत्तर-
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत।

प्रश्न 3.
कौन-से ऊर्जा स्रोत सीमित हैं ?
उत्तर-
पारम्परिक।

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प्रश्न 4.
कौन-से ऊर्जा स्रोत अधिक मात्रा में हैं ?
उत्तर-
और-पारम्परिक।

प्रश्न 5.
पारिवारिक स्तर वाले सोलर ड्रायर से कितने ताजे पदार्थ को कितने दिनों में सुखाया जा सकता है?
उत्तर-
2-3 किलो ताजे पदार्थ को 2 से 3 दिनों में।

प्रश्न 6.
क्या सोलर कुकर में रोटी बनाई जा सकती है?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 7.
सोलर बाटर हीटर का मुंह किस तरफ होता है?
उत्तर-
दक्षिण की तरफ।

प्रश्न 8.
सोलर होम लाइटिंग सिस्टम से कितने पंखे तथा लाइटें चला सकते हैं?
उत्तर-
2 ट्यूब, 2 पंखे, 5 से 6 घण्टे के लिए।

प्रश्न 9.
सौर ऊर्जा से किस हीटर द्वारा पानी गर्म होता है?
उत्तर-
थर्मोसाइफीन सोलर वाटर हीटर तथा स्टोरेज-कम-कुलैक्टर सोलर वाटर हीटर दोनों से।

प्रश्न 10.
ऊर्जा के किसी एक औपचारिक स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर-
कोयला।

प्रश्न 11.
सोलर कुकर के उपयोग से कितने प्रतिशत औपचारिक ईंधन की बचत होती है?
उत्तर-
20% से 50% तक।

प्रश्न 12.
तहदार ड्रायर में वस्तु रखने वाली थालियों का फ्रेम किस पदार्थ का बना होता है?
उत्तर-
जी० आई० शीटों का।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सौर ऊर्जा को कौन-कौन से कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा को पानी गर्म करने, फलों, सब्जियों को सुखाने, भोजन पकाने आदि के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
सीधी धूप में फल तथा सब्जियों को सुखाने का क्या नुकसान है ?
उत्तर-
इस तरह कीड़े, पंछी तथा धूल से फल तथा सब्जियां खराब होते हैं तथा इनके रंग में भी अन्तर आ जाता है।

प्रश्न 3.
सौर हीटर क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक उपकरण है जो सौर ऊर्जा को सोखकर गर्मी ऊर्जा में बदल देता है।

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प्रश्न 4.
सोलर वाटर हीटर के कांच की सफ़ाई करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कांच पर धूल कण आदि जम जाते हैं जिससे सूर्य की किरणें पानी को अच्छी तरह गर्म नहीं कर सकतीं।

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा किस प्रकार एकत्रित की जा सकती है ?
उत्तर-
इसे कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित किया जाता है।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
सोलर कुकर के प्रयोग से कितने रिवायती ईंधन की बचत होती है ? सोलर कुकर कितनी प्रकार के हैं ? उनमें क्या कमियां हैं ?
उत्तर-
सोलर कुकर के प्रयोग से 20% से 50% तक रिवायती ईंधन बच सकता है, जो भोजन पकाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा गर्मी की शक्ल में कई प्रकार के लैंसों द्वारा एकत्रित की जाती है, जोकि भोजन पकाने के लिए प्रयोग की जाती है।
साधारणतः यह दो तरह के होते हैं—

  1. साधारण सोलर कुकर।
  2. बॉक्सनुमा सोलर कुकर।

कमियां-सोलर कुक्कर को हमेशा सूर्य की तरफ मुख करके रखना पड़ता है तथा बार-बार सैट करना पड़ता है। इनका प्रयोग रोटी पकाने के लिए नहीं किया जा सकता ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पानी गर्म करने के लिए सौर हीटर होता है।
  2. सौर-कुकर भोजन पकाने के काम आता है।
  3. पारम्परिक ऊर्जा स्रोत असीमित हैं।

उत्तर-

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) कोयला
(ख) वायु
(ग) पानी
(ग) सूर्य।
उत्तर-
(क) कोयला

प्रश्न 2.
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं—
(क) बायोगैस
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) रसायनिक ऊर्जा
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 3.
सोलर ड्रायर में सुखाई जाने वाली सब्जियां हैं—
(क) पालक
(ख) मेथी
(ग) मिर्च
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

रिक्त स्थान भरें

  1. बायोगैस ……………. स्रोत है।
  2. सोलर लालटेन एक ……………. लाइट है।
  3. सोलर वाटर हीटर ……….. प्रकार के होते हैं।

उत्तर-

  1. गैर-पारम्परिक,
  2. एमरजैंसी,
  3. दो।

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सौर-ऊर्जा PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोतों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है-परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत।
  • परम्परागत स्रोत प्रकृति में सीमित हैं। यह हैं-कोयला, बिजली, पैट्रोलियम पदार्थ आदि।
  • गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत हैं-बायोगैस, सौर-ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि।
  • सूर्य की किरणों से सोलर (सौर) सैल के द्वारा बिजली पैदा की जा सकती है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर की सहायता से सब्जियों, फलों को सुखाया जाता है।
  • सोलर (सौर) ड्रायर दो प्रकार के होते हैं—पारिवारिक प्रयोग के लिए, व्यापारिक प्रयोग के लिए।
  • सोलर (सौर) कुकर से सूर्य के प्रकाश में भोजन पकाया जा सकता है।
  • पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटर (सौर-जल तापक) होते हैं।
  • पानी गर्म करने वाले सोलर हीटर दो प्रकार के हैं-थर्मोसाइफन सोलर वाटर हीटर, स्टोरेज़ कम-कलैक्टर सोलर वाटर हीटर।
  • सोलर (सौर) लालटैन एमरजैंसी लाइट होती है इसको सूर्य के प्रकाश में चार्ज किया जाता है तथा इसे 3-4 घंटे तक प्रयोग किया जा सकता है।
  • सूर्य प्रकाश से सोलर होम लाइटिंग सिस्टम तथा सोलर स्ट्रीट लाइट आदि भी चलते हैं।
  • सोलर वाटर पंप (सौर जल पम्प) 35-40 फुट पानी के स्तर से पानी निकालने के लिए प्रयोग होते हैं।