PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

SST Guide for Class 7 PSEB भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
इतिहास में भारतीय उपमहाद्वीप के कौन-कौन से नाम रखे गए ?
उत्तर-
भारतीय महाद्वीप के दो नाम रखे गए–हिन्दुस्तान तथा भारतवर्ष।

प्रश्न 2.
इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को कितने युगों में बाँटा है ?
उत्तर-
प्राचीन युग, मध्यकालीन युग तथा आधुनिक युग।

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प्रश्न 3.
भारतीय इतिहास के स्त्रोत कितनी प्रकार के हैं ?
उत्तर-
मध्यकालीन भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए दो प्रकार के ऐतिहासिक स्रोत मिलते हैं –
I. पुरातत्त्व स्रोत
II. साहित्यिक स्रोत
I. पुरातत्त्व स्रोत- पुरातत्त्व स्रोतों में प्राचीन स्मारक, मन्दिर, शिलालेख, सिक्के, बर्तन, हथियार, आभूषण तथा चित्र शामिल हैं।

1. प्राचीन स्मारक अथवा इमारतें-इन इमारतों में मन्दिर, मस्जिद तथा किले शामिल हैं। मन्दिरों में खजुराहो, भुवनेश्वर, कोणार्क आदि का नाम लिया जा सकता है। मस्जिदों में जामा मस्जिद तथा मोती मस्जिद और किलों में जैसलमेर, जयपुर आदि मुख्य है।
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2. शिलालेख-शिलालेख हमें आरम्भिक (पूर्व) मध्यकाल के भिन्न-भिन्न पहलुओं की जानकारी देते हैं। इनसे हमें मध्ययुग की महत्त्वपूर्ण घटनाओं, शासकों तथा उनके शासनकाल एवं गुणों, कला के नमूनों, प्रशासनिक गतिविधियों आदि का पता चलता है।
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3. सिक्के-हमें मध्ययुग के बहुत अधिक सिक्के प्राप्त हुए हैं। ये इस युग की महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं तथा प्रसिद्ध व्यक्तियों की जानकारी देते हैं। कुछ सिक्के उस समय की आर्थिक दशा पर भी प्रकाश डालते हैं।

4. चित्रकारी-चित्रकारी से हमें मध्ययुग की साधारण जानकारी के साथ-साथ उस समय की कला के विकास का भी पता चलता है।

II. साहित्यिक स्रोत-साहित्यिक स्रोतों में आत्मकथाएं, जीवन कथाएं, राजा तथा राजवंशों के वृत्तांत, दस्तावेज़ आदि शामिल हैं। बाबर, जहांगीर की आत्मकथाएं हमें विभिन्न शासकों की महत्त्वपूर्ण जानकारी देती हैं। दस्तावेज़ भिन्न-भिन्न शासकों के बीच हुई सन्धियों पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न 4.
विदेशी यात्रियों के लेख किस प्रकार ऐतिहासिक स्रोत हैं ?
उत्तर-
विदेशी यात्रियों के लेख मध्यकालीन इतिहास के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं। मध्ययुग में कई मुस्लिम तथा यूरोपीय यात्रियों ने भारत की यात्रा की। उन्होंने भारत के बारे में अपने-अपने लेख लिखे। ये लेख मध्ययुग से सम्बन्धित कई बातों की जानकारी देते हैं।

  1. इन-बतूता के किताब ‘उल-रिहला’ लेख से मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।
  2. अलबेरूनी का भारत सम्बन्धी लेख भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।
  3. अब्दुल राजाक ने विजय नगर राज्य की यात्रा की। उसने उस समय के विजय नगर राज्य की स्थिति के बारे में लिखा।
  4. यूरोपीयन यात्रियों ने अपनी भारत यात्रा के बारे में कई लेख लिखे जो उस समय की भारतीय दशा पर प्रकाश डालते हैं।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. भारतीय उपमहाद्वीप को पूर्व काल में ……………… कहा जाता था।
  2. भारत में ………………. को परिवर्तन की शताब्दी माना जाता है।
  3. चीन निवासियों ने भारत को ……………… का नाम दिया।
  4. स्मारक, शिलालेख तथा सिक्के आदि भारतीय इतिहास के …………… स्रोत हैं, जबकि आत्मकथा तथा जीवनगाथा ………………… स्रोत हैं।
  5. इब्नबतूता एक ………………… यात्री था।

उत्तर-

  1. हिन्दुस्तान,
  2. आठवीं शताब्दी,
  3. ताइन चूँ,
  4. पुरातत्व, पुरातत्व साहित्य,
  5. विदेशी।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य के सामने ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं

  1. मध्यकालीन युग प्रारम्भिक मध्यकालीन युग एवं उत्तर-मध्यकालीन युगों में बँटा हुआ था।
  2. मध्यकालीन युग दौरान बहुत-से सामाजिक रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वास अस्तित्व में नहीं आए थे।
  3. मध्यकालीन युग में व्यापार एवं वाणिज्य के विकास के लिए विशेष सुधार किए गए।
  4. मध्यकालीन युग दौरान हिन्दुओं तथा मुसलमानों में आपसी सम्बन्ध स्थापित नहीं थे।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

PSEB 7th Class Social Science Guide भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इतिहास के प्राचीन युग तथा आधुनिक युग के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहते हैं।

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प्रश्न 2.
भारत में किस काल को मध्यकालीन युग कहा जाता है ?
उत्तर-
भारत में 8वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहा जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में 8वीं शताब्दी को परिवर्तन की शताब्दी क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
भारत में 8वीं शताब्दी में समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, सभ्याचार तथा धर्म में बहुत-से परिवर्तन आए। इसी कारण भारत में 8वीं शताब्दी को परिवर्तन की शताब्दी माना जाता है।

प्रश्न 4.
भारत को किस काल में ‘आर्यवर्त’ का नाम दिया गया है ? इसका शाब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर-
भारत को वैदिक काल में आर्यवर्त का नाम दिया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है-आर्यों का देश।

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प्रश्न 5.
भारत में मध्यकालीन युग को कौन-कौन से दो भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
भारत में मध्यकालीन युग को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है –

  1. 8वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के आरम्भ तक के समय को आरम्भिक अथवा पूर्व मध्यकालीन युग कहा जाता है।
  2. 13वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक का समय उत्तर मध्यकालीन युग कहलाता है।

प्रश्न 6.
अकबर के प्रसिद्ध संगीतकार का नाम बताओ।
उत्तर-
अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था।

प्रश्न 7.
इतिहास ने भिन्न-भिन्न युगों में भारत को भिन्न-भिन्न नाम दिए। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है कि इतिहास ने भिन्न युगों में भारत को भिन्न नाम दिए –

  1. वैदिक काल में भारत को आर्यवर्त कहा जाता था।
  2. महाभारत तथा पुराणों के समय में राजा भरत के नाम पर हमारे देश को भारतवर्ष कहा जाने लगा।
  3. ईरानियों ने इसे ‘हिन्दू’ तथा यूनानियों ने इसे इण्डस का नाम दिया।
  4. बाइबल में भारत को होडू कहा गया है।
  5. जब चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ तो चीनियों ने भारत को ताइन-चूं का नाम दिया।
  6. ह्यूनसांग की भारत यात्रा के बाद भारत को इंटू कहा जाने लगा।

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प्रश्न 8.
भारत में मध्यकालीन युग का अंत कब माना जाता है ?
उत्तर-
भारत में मध्यकालीन युग का अन्त मुग़ल साम्राज्य के पतन तथा अंग्रेजों द्वारा शक्ति पकड़ने के साथ माना जाता है। ऐसा 18वीं शताब्दी के मध्य में हुआ।

प्रश्न 9.
संगीत ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि संगीत भी ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। उदाहरण के लिए हम मुग़ल काल को लेते हैं। मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे। इसलिए उनके शासन काल में संगीत का बहुत अधिक विकास हुआ। अकबर ने तो अपने दरबार में अनेक संगीतकारों को संरक्षण दिया हुआ था। तानसेन उसके समय का प्रसिद्ध संगीतकार था। मुग़लकाल में संगीत के माध्यम से ही हिन्दू तथा मुस्लिम संस्कृति का मेल हुआ।

प्रश्न 10.
मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में कौन-कौन से देश शामिल थे?
उत्तर-
मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में आज के छ: देश शामिल थे। ये देश थे-पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा भारत।

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प्रश्न 11.
मध्यकालीन युग के दौरान प्रमुख ऐतिहासिक प्रवृत्तियों का वर्णन करो।
उत्तर-
मध्यकालीन युग की ऐतिहासिक प्रवृत्तियां इस युग को प्राचीन युग से अलग करती हैं। इनमें से प्रमुख प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. मध्यकाल में भारत में मुसलमान आए और उनका हिन्दुओं से मेलजोल बढ़ा। परिणामस्वरूप मिश्रित सभ्यता
    जन्म हुआ।
  2. मध्यकाल में बहुत-सी भाषाओं का विकास हुआ जो हम आज भी बोलते हैं। इनमें से हिन्दी तथा उर्दू प्रमुख थीं।
  3. इस युग में हमारे बहुत से सामाजिक रीति-रिवाजों, रस्मों तथा धार्मिक विश्वासों की उत्पत्ति हुई।
  4. इस काल में भारत के बाहरी संसार के साथ गहरे आपसी सम्बन्ध स्थापित हुए। व्यापार के कारण संसार के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग एक-दूसरे के निकट आए। उन्होंने एक-दूसरे के रीति-रिवाज अपनाए। भारत ने भी अन्य देशों से अनेक रीति-रिवाज ग्रहण किये।
  5. भारत में भक्ति मत तथा सूफी मत का प्रचार हुआ। इससे हिन्दुओं तथा मुसलमानों को एक-दूसरे के धर्मों के सिद्धान्तों को समझने में सहायता मिली।
  6. मध्ययुग में व्यापार तथा वाणिज्य के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण सुधार किये गये।

(क) सही कथनों पर (✓) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. शिलालेख साहित्यिक स्त्रोत हैं।
  2. मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे।
  3. इब्न-बतूता के लेख से हमें अकबर के शासनकाल की जानकारी मिलती है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)

(ख) सही जोड़े बनाएं:

  1. अब्दुल रज्जाक – अकबर
  2. तानसेन – विजयनगर राज्य
  3. इण्डस – यूनसांग
  4. इंटू – ग्रीक

उत्तर-

  1. अब्दुल रज्जाक – विजयनगर राज्य
  2. तानसेन – अकबर
  3. इण्डस – ग्रीक
  4. इंटू – यूनसांग

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(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
‘किताब-उल-रिहला’ भारत में आने वाले एक विदेशी का लेख है। बताइए वह कौन था?
(i) अल्बेरुनी
(ii) इब्न-बतूता
(iii) अब्दुल रज्जाक।
उत्तर-
(ii) इब्न-बतूता।

प्रश्न 2.
चित्र में दिखाया गया व्यक्ति अकबर के समय का प्रसिद्ध संगीतकार था।
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(i) तानसेन
(ii) अब्दुल रज्जाक
(iii) अलबेरुनी।
उत्तर-
(i) तानसेन।

प्रश्न 3.
चित्र में दिखाया गया स्रोत साहित्यिक स्रोतों में शामिल है? यह क्या है?
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(i) आत्मकथा
(ii) अकबर का सिक्का
(iii) चित्रकारी।
उत्तर-
(ii) अकबर का सिक्का ।

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भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) PSEB 7th Class Social Science Notes

  • इतिहास के काल – किसी देश के इतिहास को प्रायः तीन कालों अथवा युगों में बांटा जाता है-प्राचीन युग, मध्यकालीन युग तथा आधुनिक युग।
  • मध्यकालीन युग – इतिहास के प्राचीन युग तथा आधुनिक युग के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहते हैं। भारत में 8वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहा जाता है।
  • 8वीं शताब्दी का महत्त्व – भारत में 8वीं शताब्दी को परिवर्तन शताब्दी माना जाता है क्योंकि इस शताब्दी में भारत में समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, सभ्याचार तथा धर्म में बहुत-से परिवर्तन आए।
  • मध्ययुग में भारत के नाम – मध्ययुग में भारतीय उपमहाद्वीप को हिन्दुस्तान अथवा भारतवर्ष के नाम से पुकारा जाता था।
  • मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल देश – मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में आज के छ: देश शामिल थे। ये देश थे-पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा भारत।
  • मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत – मध्यकालीन भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए दो प्रकार के ऐतिहासिक स्रोत मिलते हैं। पुरातत्त्व स्रोत तथा साहित्यिक स्रोत।
  • पुरातत्त्व स्रोत – पुरातत्त्व स्रोतों में प्राचीन स्मारक, मंदिर, शिलालेख, सिक्के, बर्तन, हथियार, आभूषण तथा चित्र शामिल हैं।
  • साहित्यिक स्रोत – साहित्यिक स्रोतों में आत्मकथाएं, जीवन कथाएं, राजा तथा राजवंशों के वृत्तांत, दस्तावेज़ आदि शामिल हैं।
  • विदेशी यात्रियों के लेख – मध्ययुग में कई मुस्लिम तथा यूरोपीय यात्रियों ने भारत की यात्रा की। उन्होंने भारत के बारे में अपने-अपने लेख लिखे। ये लेख मध्ययुग से संबंधित कई बातों की जानकारी देते हैं।

PSEB 7th Class Agriculture Objective Questions and Answers

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हरित क्रांति

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्ष 1967-68 में रासायनिक खादों का कितना प्रयोग होता था ?
(क) 10 लाख टन
(ख) 5 लाख टन
(ग) 25 लाख टन
(घ) 19 लाख टन।
उत्तर-
(क) 10 लाख टन

प्रश्न 2.
हरित क्रांति किस कारण आई ?
(क) परिश्रमी किसान
(ख) रासायनिक खादों के उत्पादन में वृद्धि
(ग) खोज तथा परीक्षण सुविधाओं में वृद्धि
(घ) सारें ठीक
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 3.
वर्ष 1960 में हुए कृषि उत्पादन की वृद्धि को कौन-सा नाम दिया गया?
(क) हरित क्रांति
(ख) सफेद क्रांति
(ग) काली क्रांति
(घ) सुनहरी क्रांति।
उत्तर-
(क) हरित क्रांति।

रिक्त स्थान भरो

  1. चावल पंजाब की …………. फसल नहीं है
  2. आज देश में कृषि लागत में ………… हो गई है।
  3. वर्ष 1971-72 में पंजाब का अनाज उत्पादन …………. था।

उत्तर-

  1. पारम्परिक
  2. वृद्धि
  3. 119 लाख टन।

ठीक/गलत

  1. हरित क्रान्ति के कारण दूध की पैदावार में वृद्धि हुई।
  2. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कपूरथला में है।
  3. हरित क्रांति के कारण कृषि विभिन्नता घटी है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)

कृषि हेतु मिट्टी एवं जल परीक्षण

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिट्टी के परीक्षण से पता लगने वाले लघु तत्त्व हैं :
(क) जिंक
(ख) लोहा
(ग) मैंगनीज़
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
मिट्टी का नमूना लेने के लिये सही समय कौन सा है?
(क) फसल काटने के बाद
(ख) वर्षा होने के बाद
(ग) खेत को पानी देने के बाद
(घ) सारे गलत
उत्तर-
(क) फसल काटने के बाद।

प्रश्न 3.
पानी तथा मिट्टी का परीक्षण कितने समय बाद करना चाहिए ?
(क) दस साल बाद
(ख) हर तीन साल बाद
(ग) कभी नहीं करना चाहिए
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(ख) हर तीन साल बाद।

रिक्त स्थान भरो

  1. बाग लगाने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाने के लिए खेत में ………… गहरा गड्डा बनाना चाहिए।
  2. टयूबवैल से पानी का नमूना लेने के लिए कम से कम ……….. तक चलते रखना चाहिए।
  3. खारे पानी से लगातार सिंचाई करते रहने से मिट्टी की .. …….. शक्ति घटती है।

उत्तर-

  1. 6 फुट
  2. आधे घंटा
  3. उपजाऊ।

ठीक / गलत

  1. सिंचाई के लिये नमक वाले पानी का प्रयोग करना चाहिए।
  2. सेम वाली भूमि में बाग लगाया जा सकता है।
  3. पी०ए०यू० के क्षेत्रीय केन्द्र गुरदासपुर में मिट्टी का परीक्षण किया जा सकता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)

फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइट्रोजन तत्त्व वाली खाद है :
(क) यूरिया
(ख) अमोनियम क्लोराइड
(ग) कैन
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
पोटाशियम की पूर्ति के लिए कौन सी खाद है?
(क) म्यूरेट आफ पोटाश
(ख) कैन
(ग) यूरिया
(घ) सोडियम क्लोराइड
उत्तर-
(क) म्यूरेट आफ पोटाश।

प्रश्न 3.
रेतली भूमि में बोए गेहूँ में कौन से तत्त्व की कमी हो जाती है?
(क) मैंगनीज़
(ख) लोहा
(ग) फास्फोरस
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) मैंगनीज़

रिक्त स्थान भरो

  1. जिप्सम, सुपर फास्फेट में फास्फोरस के साथ ………. तत्त्व भी मिल जाते हैं।
  2. जिंक ……….. का आवश्यक भाग है।
  3. मैगनीज़ पौधे में ………… बनाने का काम करते हैं।

उत्तर-

  1. गंधक
  2. एन्जाइमों
  3. क्लोरोफिल

ठीक / गलत

  1. डाया खाद में लोहा तत्त्व मिलता है।
  2. जिंक की कमी से धान के पत्तों में पीलापन आ जाता है।
  3. लोहे की कमी की पूर्ति म्युरेट आफ पोटाश के साथ की जाती है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)

कृषि में पानी का कुशल प्रयोग

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्ष 2023 तक पानी का स्तर कितने फुट नीचे होने की सम्भावना है?
(क) 160
(ख) 500
(ग) 223
(घ) 634.
उत्तर-
(क) 160

प्रश्न 2.
कम पानी की आवश्यकता वाली फसल है :
(क) दालें
(ख) तेल बीज
(ग) नरमा
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 3.
आधुनिक सिंचाई प्रणाली के तरीके हैं :
(क) बूंद-बूंद प्रणाली
(ख) फव्वारा प्रणाली
(ग) दोनों ठीक (घ) दोनों गलत।
उत्तर-
(ग) दोनों ठीक

रिक्त स्थान भरो

  1. फसलों में पराली की परत बिछाने को ………… कहा जाता है।
  2. …………लेवलर से 25-30 प्रतिशत पानी की बचत हो जाती है।
  3. …………. की फसल में टैंशियोमीटर का प्रयोग करके भी पानी की बचत हो जाती

उत्तर-

  1. मल्चिग
  2. लेज़र
  3. धान।

ठीक / गलत

  1. नहरों तथा नालों को पक्का करने से पानी की बरबादी होती है।
  2. बूंद-बूंद सिंचाई भी सिंचाई की एक प्रणाली है।
  3. कियारा विधि में पानी की खपत कम होती है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)

फसलों में खरपतवार एवं उनकी रोकथाम

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गेहूँ में चौड़े पत्ते वाले खरपतवार हैं :
(क) मैना
(ख) मैनी
(ग) तकला
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
गुडाई में काम आने वाले कृषि औजार हैं :
(क) खुरपा
(ख) ‘कसौला
(ग) त्रिफाली
(घ) सारे ठीक
उत्तर-
(घ) सारे ठीक

प्रश्न 3.
खरपतवार फसलों के साथ उनके कौन से ऊर्जा स्त्रोतों से मुकाबला करते
(क) सूर्य प्रकाश
(ख) पोषक तत्त्व
(ग) खादें
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

रिक्त स्थान भरो

  1. गुल्ली डंडा …………फसलों के चक्र वाले खेतों में होते हैं।
  2. खड़ी फसल में खरपतवार को खत्म करने के लिए ………… खरपतवारनाशके का प्रयोग किया जाता है।
  3. खरपतवारनाशकों का प्रयोग ………… मौसम वाले दिन ही करना चाहिए।

उत्तर-

  1. गेहूँ धान
  2. टौपिक
  3. शांत।

ठीक / गलत

  1. तकड़ी घास सावनी की फसलों में होते हैं।
  2. खरपतवारों को गुडाई करके भी खत्म किया जा सकता है।
  3. राऊंड अप को सुरक्षित हुड लगा कर प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✓)

फसलों के कीट और बीमारियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फसल को कौन-से रस चूसने वाले कीड़े हानि पहुंचाते हैं ?
(क) तेला
(ख) चेपा
(ग) सफेद मक्खी
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
पत्ते खाने वाले कीडे हैं :
(क) टिड्डे
(ख) सैनिक सूंडी
(ग) लाल भंग
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 3.
उल्ली के साथ होने वाले रोग हैं :
(क) झुलस रोग
(ख) कंगियारी
(ग) बीज गलने का रोग
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक

रिक्त स्थान भरो

  1. दीमक …………. को नुकसान पहुंचाने वाला कीड़ा है।
  2. चितकबरा रोग …………. के कारण होता है।
  3. ………… में 1943 में धान के भूरी चित्ती के रोग के कारण अकाल पड़ गया था।

उत्तर-

  1. जड़ों
  2. विषाणुओं
  3. बंगाल

ठीक/ गलत

  1. यदि किसी को जहर चढ़ जाये तो नमक वाला पानी पिला कर उल्टी करवाई जाती है।
  2. कृषि ज़हरों का छिड़काव भूखे पेट नहीं करना चाहिए।
  3. कीटों के हमले के कारण फसलों का झाड़ बढ़ जाता हैं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)

पौष्टिक घरेलू बगीचा

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विटामिन ए की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
(क) अन्धराता
(ख) सकर्वी
(ग) रिकेट्स
(घ) अनीमिया।
उत्तर-
(क) अन्धराता।

प्रश्न 2.
घरेलू बगीचों में उगाए जा सकने वाले पौधे हैं :
(क) अमरूद
(ख) पपीता
(ग) नाशपाती
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 3.
घरेलू बगीचे में फलों के पौधे कौन-सी दिशा में लगाये जाने चाहिए?
(क) उत्तर
(ख) पूर्व
(ग) पश्चिम
(घ) दक्षिण।
उत्तर-
(क) उत्तर।

रिक्त स्थान भरो

  1. तीन ………… में 1500 वर्ग मीटर होते हैं।
  2. तोरी ……….. जाति की सब्जी है।
  3. करेला ………. महीने में बोया जाता है।

उत्तर-

  1. कनाल
  2. कद्
  3. फरवरी।

ठीक/ गलत

  1. लोहे की कमी के कारण अनीमिया रोग हो जाता है।
  2. सब्जियों में से मिलने वाले रेशे मनुष्य के पाचन को खराब करते हैं।
  3. स्वस्थ व्यक्ति को रोज 50 ग्राम फल अवश्य खाने चाहिएं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)

सजावटी पौधे

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सड़कों के आस-पास लगाने वाले वृक्ष हैं :
(क) पिलकन
(ख) सिल्वर ओक
(ग) डेक
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
खुशबूदार फूलों वाली झाड़ी है :
(क) रात की रानी
(ख) पिलकन
(ग) बोतल बुरश
(घ) सारे गलत।
उत्तर-
(क) रात की रानी।

प्रश्न 3.
हल्की बेल है:
(क) लोनीसोरा
(ख) माधवी लता
(ग) झुमका बेल
(घ) बिगनोनिया।
उत्तर-
(क) लोनीसोरा।

रिक्त स्थान भरो

  1. अर्जुन ………… गुणों वाला वृक्ष है।
  2. घरों के अन्दर …………. के लिए प्रयोग होने वाली बेल है मनी प्लांट।
  3. गोल्डन शावर …………. वाली बेल है।

उत्तर-

  1. औषधी
  2. सजावट
  3. पर्दे।

ठीक / गलत

  1. कैलेंडुला सर्दी ऋतु के फूल हैं।
  2. कचनार सजावटी वृक्ष है।
  3. जीनीया गर्मी के मौसमी फूल हैं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✓)

अनाज की सम्भाल

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनाज को लगने वाले कीड़े हैं :
(क) खपरा
(ख) सुसरी
(ग) दाने का छोटा बोरर
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

प्रश्न 2.
एक टोपी गोदाम में कितनी बोरियां आ सकती है?
(क) 200
(ख) 96
(ग) 150
(घ) 500
उत्तर-
(ख) 96.

प्रश्न 3.
दानों की कीटों से बचाने के लिए प्रयोग करते हैं :
(क) सुमीसाइडीन
(ख) सिम्बुश
(ग) साइथियॉन
(घ) सारे ठीक।
उत्तर-
(घ) सारे ठीक।

रिक्त स्थान भरो

  1. मैलाथियान ………… को शोधने के लिये प्रयोग की जाने वाली दवाई है।
  2. स्टोर किये दानों में लगभग ………… किस्म के कीड़े लग सकते हैं।
  3. मूंगफली में अधिकतम ………… नमी होनी चाहिए।

उत्तर-

  1. गोदामों
  2. 20
  3. 10 प्रतिशत।

ठीक / गलत

  1. स्टोर भण्डार तीन किस्म के होते हैं।
  2. दीवारों से बोरियों को 5-6 मीटर दूर रखना चाहिए।
  3. 65°F पर कीड़े अण्डे देना बन्द कर देते हैं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)

प्राकृतिक संसाधनों का अनुरक्षण

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत है :
(क) कोयला
(ख) हवा
(ग) सूर्य का प्रकाश
(घ) पानी
उत्तर-
(क) कोयला

प्रश्न 2.
पैट्रोल में हानिकारक तत्त्व है :
(क) सल्फर
(ख) लोहा
(ग) ताँबा
(घ) सोना।
उत्तर-
(क) सल्फर।

प्रश्न 3.
धरती पर उपलब्ध कुल पानी में से कितना पानी प्रयोग होने योग्य है ?
(क) 1 प्रतिशत
(ख) 3 प्रतिशत
(ग) 5 प्रतिशत
(घ) 8 प्रतिशत
उत्तर-
(क) 1 प्रतिशत।

रिक्त स्थान भरो

  1. ढलानों पर ………….. कृषि करनी चाहिए।
  2. धरती पर ……………… पानी है।
  3. हवा के प्रदूषण के कारण …………… परत का क्षय हो रहा है।

उत्तर-

  1. सीढ़ीदार
  2. 70 %
  3. ओजोन।

ठीक/ गलत

  1. पानी के प्रदूषण के कारण बीमारियां पैदा होती हैं।
  2. धरती पर 2% पानी है।
  3. कोयले के स्थान पर बायोगैस का प्रयोग करना चाहिए।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)

बायोगैस

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बायोगैस में मीथेन गैस कितने प्रतिशत हैं ?
(क) 10-20%
(ख) 30-40%
(ग) 50-60%
(घ) 15-20%
उत्तर-
(ग) 50-60%.

प्रश्न 2.
देश में सालाना कितना गोबर पैदा होता है?
(क) 5500 लाख टन
(ख) 9800 लाख टन
(ग) 2500 लाख टन
(घ) 1000000 लाख टन
उत्तर-
(ख) 9800 लाख टन

प्रश्न 3.
1 घन मीटर बायोगैस कितनी बिजली ऊर्जा के बराबर है?
(क) 0.47 किलो वाट बिजली
(ख) 1.90 किलो वाट बिजली
(ग) 2.56 किलो वाट बिजली
(घ) 5.23 किलो वाट बिजली
उत्तर-
(क) 0.47 किलो वाट बिजली।

रिक्त स्थान भरो

  1. बायोगैस में मुख्य तौर पर ………… गैस होती है।
  2. कोयला ……………. ऊर्जा का स्त्रोत है।
  3. दीनबंधु बायोगैस प्लांट…………. में अस्तित्व में आया।

उत्तर-

  1. मीथेन
  2. पारंपरिक
  3. 1984

ठीक/ गलत

  1. बायोगैस में से बहुत धुआं निकलता है।
  2. बायोगैस में 30-40% कार्बनडाईआक्साइड होती है।
  3. बायोगैस बहुत महंगी होती है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्तन

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

PSEB 7th Class Home Science Guide खाना बनाने के सिद्धान्त Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन ज्यादा देर पकाने से क्या नष्ट हो जाता है?
उत्तर-
विटामिन तथा खनिज लवण।

प्रश्न 2.
फलों और सब्जियों का पतला छिलका उतारने की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर-
छिलकों के बिल्कुल नीचे ही विटामिन तथा खनिज लवण होते हैं, इसलिए मोटा छिलका उतारने से ये नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
डिब्बाबंद भोजन खरीदते समय हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
डिब्बा फूला हुआ था पिचका हुआ न हो।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

प्रश्न 4.
खाने वाले सोडे का प्रयोग भोजन पकाने में क्यों वर्जित है?
उत्तर-
इससे विटामिन तथा खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन पकाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
भोजन पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. चोकर सहित आटे का प्रयोग करना चाहिए इसमें विटामिन पाया जाता है। रोटी सेंकने से कम-से-कम आधा घण्टा पहले ही आटा गूंध कर स्वच्छ गीले कपड़े से ढक कर रखें।
  2. चावल पकाने से पूर्व बार-बार न धोयें, इससे खनिज लवण और विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  3. भोजन सदैव स्वच्छ बर्तन में ही पकाना चाहिए।
  4. गृहिणी को अपने हाथ और नाखून साफ़ रखने चाहिए।
  5. रसोईघर में प्रयोग आने वाले कपड़े, जैसे-तौलिया, नेपकिन, झाड़न, पोंछा आदि स्वच्छ होना चाहिए।
  6. बर्तनों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए, इससे कीड़े-मकौड़े का भोजन में गिरने का डर रहता है।
  7. दाल, सब्जी में पानी केवल उतना ही डालना चाहिए जिससे भोजन पक जाए।
    अधिक पानी डालकर फिर फेंकने से बहुत-से खनिज लवण एवं विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  8. भोजन धीमी आँच पर पकाना चाहिए; भाप द्वारा पकाना सबसे उत्तम होता है इसके लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग करना चाहिए।
  9. भोजन को ढक्कनदार बर्तन में पकाना चाहिए।
  10. दूध को धीमी आँच पर न उबालकर तेज़ आँच पर उबालना चाहिए।
  11. मांस व अण्डे को बहुत अधिक नहीं पकाना चाहिए।
  12. भोजन पकाते समय सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए; इससे विटामिन B नष्ट हो जाते हैं।
  13. भोजन में अधिक मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अधिक मिर्च, मसाले व घी के प्रयोग से व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
  14. भोजन पकाने के पश्चात् परोसने में देर न करें। पके हुए भोजन को पुनः गर्म करना ठीक नहीं होता है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

प्रश्न 2.
भोजन पकाते समय निजी सफ़ाई से क्या भाव है?
उत्तर-
भोजन पकाते समय निजी सफ़ाई से भाव निम्नलिखित हैं

  1. जिन लोगों को जुकाम, गला खराब, खाँसी, फ्लू, फोड़े आदि हों उन्हें खाना पकाने का काम नहीं करना चाहिए।
  2. खाना पकाते समय हाथ और नाखून हमेशा साफ़ होना चाहिए। कपड़े भी साफ़ होने चाहिएं और बालों को अच्छी तरह बाँधकर रखना चाहिए।
  3. कच्चे मीट, मछली, सब्जियों और फलों के छिलकों को हाथ लगाने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लेने चाहिए।
  4. भोजन को चलाते समय कड़छी या चम्मच का इस्तेमाल करना चाहिए। जहाँ तक हो सके भोजन को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
  5. खाना बनाते समय अगर छींक या खाँसी आने लगे तो मुँह को ढक लेना चाहिए।
  6. जिस चम्मच के साथ खाने का स्वाद देखना हो उसको फिर धोकर इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 3.
रसोई और बर्तनों की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए?
उत्तर-
रसोई तथा बर्तनों की सफाई निम्नलिखित ढंग से करनी चाहिए

  1. रसोईघर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए ताकि मक्खी, मच्छर, आदि अन्दर न आ सके।
  2. रसोईघर की सफ़ाई हर रोज़ खाना खाने के बाद जूठे बर्तनों को साफ़ करने के बाद करनी चाहिए। दिन में एक बार रसोई को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए। सप्ताह में एक बार जाले उतार कर दीवारों को साफ़ करना चाहिए और साल में एक बार या दो बार सफेदी करनी चाहिए।
  3. खाना पकाने वाले बर्तनों को प्रत्येक बार इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए। मीट काटने के बाद चाकू को धो लेना चाहिए।
  4. बर्तनों या शैल्फ जहां कच्छा मीट, मुर्गा या मछली रखी हो वहां दूसरी खाने की वस्तु रखने से पहले उसे अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
  5. जूठे बर्तनों को साफ़ बर्तनों से अलग रखना चाहिए।
  6. जूठे बर्तनों को धोने के लिए गर्म पानी और साबुन या डिटरजेन्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे बर्तन साफ़ और कीटाणुरहित हो जाते हैं। बर्तनों को धोकर अगर धूप में सुखाया जाए तो इनमें चमक आ जाती है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
खाना पकाने के सिद्धान्त लिखो।
उत्तर-
खाना पकाने के निम्नलिखित सिद्धान्त हैं

  1. खाना पकाते समय सब्जियों के छिलके उतारने चाहिएं।
  2. इनको ज्यादा नहीं धोना और न ही ज्यादा देर तक भिगोकर रखना चाहिए।
  3. भोजन को हमेशा ढककर पकाना चाहिए।
  4. जिस पानी में भोजन पकाया जाए उसे फेंकना नहीं चाहिए।
  5. भोजन को धूप में नहीं रखना चाहिए और भोजन पकाते समय सोडा नहीं डालना चाहिए।
  6. सब्जियों को बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में नहीं काटना चाहिए।

प्रश्न 2.
भोजन खरीदते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
भोजन खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. भोजन ऐसे स्थानों से खरीदना चाहिए जहां सफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाता हो। जिस बाज़ार में मक्खियां, मच्छर या दूसरे कीड़े-मकौड़े और चूहे आदि हों, वहाँ से भोजन की कोई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
  2. बेचने वाले दुकानदार साफ़ होने चाहिएं, उसके कपड़े साफ़ हों और सेहत अच्छी हो। अगर उनको खाँसी या जुकाम लगा हो तो उससे खाने की वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
  3. मीट खरीदते समय यह देखना ज़रूरी है कि जानवर बीमार न हो और साथ ही उस पर डॉक्टर की मोहर भी लगी होनी चाहिए।
  4. डिब्बे में बन्द वस्तु खरीदते समय यह देख लेना चाहिए कि डिब्बा फूला हुआ या चिपका हुआ न हो। फूले हुए डिब्बे में बैक्टीरिया होते हैं। जहाँ तक सम्भव हो सके डिब्बे किसी अच्छी फ़र्म के बने ही इस्तेमाल करने चाहिए।
  5. फल और सब्जियाँ गली-सड़ी नहीं होनी चाहिए। (6) दालें, चावल, आटे आदि में कीड़े या सुसरी नहीं होनी चाहिए।
  6. दूध और दूध से बनी वस्तुएँ ताजी होनी चाहिएँ और उनसे खट्टी महक नहीं आनी चाहिए।
  7. कटे हुए फल-सब्जियाँ, जिन पर धूल पड़ी होने का सन्देह हो या उन पर मक्खियां बैठी हों, नहीं खरीदनी चाहिए।
  8. पका हुआ भोजन खरीदना हो तो उसकी सफ़ाई के बारे में पूरी जाँच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।
  9. भोजन की चीजें लाने के बाद सूखी चीज़ों को सूखे डिब्बों में भरकर रसोई की अलमारी या स्टोर में रख देना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

प्रश्न 3.
रसोई की सफ़ाई से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
रसोईघर के प्रत्येक स्थान को धो-पोंछकर साफ़ करना चाहिए। भोजन समाप्त होने के बाद बची हुई खाद्य-सामग्री को दूसरे स्वच्छ बर्तनों में रखकर जालीदार अलमारी . या रेफ्रीजरेटर में रख देना चाहिए। जूठे बर्तनों को साफ़ करने के स्थान पर ही साफ़ किया जाना चाहिए। भोजन पकाने तथा परोसने के स्थान को पहले गीले तथा फिर सूखे कपड़े से पोंछकर स्वच्छ करना चाहिए। बर्तनों को साफ़ करके यथास्थान व्यवस्थित करना चाहिए। नल, फर्श, सिंक आदि को साफ़ करके सूखा रखने का प्रयत्न करना चाहिए। रसोईघर की चौकी, तख्त, मेज, कुर्सी की सफाई भी प्रतिदिन की जानी चाहिए तथा फर्श को भी पानी से प्रतिदिन सींक को झाडू या कूची से रगड़कर धोना चाहिए।

प्रश्न 4.
भोजन घर लाने के बाद ताज़ी और सूखी चीज़ों की सम्भाल आप कैसे करोगे?
उत्तर-
भोजन की चीजें घर लाने के बाद सूखी चीज़ों को सूखे डिब्बों में भरकर रसोई की अलमारी या स्टोर में रख देना चाहिए। ताजी सब्जियों और फलों को फ्रिज या किसी अन्य ठण्डी जगह पर रखना चाहिए। मीट लाने के बाद अगर फ्रिज़ हो तो उसको सबसे ठण्डे खाने में रखना चाहिए। अगर ऐसा न हो सके तो उसे जल्दी ही पका लेना चाहिए।
दूध को हमेशा उबालकर जाली के साथ ढककर रखना चाहिए। अगर फ्रिज़ हो तो उसमें रखना चाहिए नहीं तो ठण्डी जगह का पानी दूध वाले बर्तन में रखना चाहिए।

Home Science Guide for Class 7 PSEB खाना बनाने के सिद्धान्त Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भोज्य पदार्थ को पकाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
भोजन को पचने योग्य बनाना।

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प्रश्न 2.
प्रोटीन पर पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
प्रोटीन पकाने पर सुपाच्य (पचने योग्य) हो जाती है तथा तरल प्रोटीन ठोस रूप में बदल जाती है।

प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेट्स पर पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
पकाने से कार्बोहाइड्रेट्स पचने योग्य तथा मीठे हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
पकाने का वसा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
पकाने से वसा पिघलती है और सुपाच्य बन जाती है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 4 खाना बनाने के सिद्धान्त

प्रश्न 5.
सब्जी पकाने का मुख्य अभिप्राय क्या है?
उत्तर-
सब्जी के सैलुलोज को मुलायम करना तथा श्वेतसार कणों को फुलाकर जिलेटिन के रूप में परिवर्तित करना।

प्रश्न 6.
किन खनिज तत्त्वों पर ताप का प्रभाव बहुत कम पड़ता है?
उत्तर-
कैल्शियम तथा लोहे पर।

प्रश्न 7.
कैरोटीन पकाने पर नष्ट क्यों नहीं होता?
उत्तर-
क्योंकि यह जल में घुलनशील नहीं है।

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प्रश्न 8.
भोजन पकाने से विटामिन ‘बी’ तथा ‘सी’ प्रायः नष्ट क्यों हो जाते हैं?
उत्तर-
जल में घुलनशील होने तथा ताप द्वारा नष्ट हो जाने के कारण।

प्रश्न 9.
शक्कर को गर्म करने पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शक्कर को गर्म करने पर वह भूरे रंग का हो जाता है। इसको अधिक गर्म करने पर काले रंग का हो जाता है।

प्रश्न 10.
कौन-से पदार्थ पेट में अधिक वायु बनाते हैं?
उत्तर-
कच्चे सलाद पेट में अधिक वायु बनाते हैं।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रसोईघर के लिए निम्नलिखित केन्द्रों की व्यवस्था आप कैसी करेंगी?
(क) तैयारी केन्द्र,
(ख) खाना पकाने व परोसने का केन्द्र।
उत्तर-
(क) तैयारी केन्द्र-खाना पकाने से पूर्व खाद्य पदार्थों की तैयारी करनी पड़ती है। इनमें दाल-चावल चुनना व धोना, साग-सब्जी धोना व काटना, आटा छानना, गूंधना आदि जैसे कार्य रहते हैं। कार्य करने के लिए शेल्फों की ऊँचाई गृहिणी की लम्बाई के अनुसार उचित होनी चाहिए जिससे गृहिणी को कार्य करने में असुविधा न हो। इन शेल्फों के नीचे तथा ऊपर अलमारियों में भोजन की तैयारी में उपयोग में आने वाले उपकरण आटा, दालें आदि संग्रहीत करके रखी जा सकती हैं।

(ख) खाना पकाने व परोसने का केन्द्र-भोजन पकाने के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उन्हें ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जिससे गृहिणी को अधिक दौड़ धूप न करनी पड़े। भोजन पकाने के केन्द्र के निकट ही एक ऐसा स्थान या अलमारी हो जिसमें सभी मसालों से भरी शीशियां, घी, तेल तथा पकाने के बर्तन हों।

भोजन पकाने के बाद भोजन परोसना सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। भोजन दो प्रकार से परोसा जाता है-भारतीय शैली तथा विदेशी शैली।
भारतीय शैली में खाना थाली एवं कटोरियों में परोसकर प्रायः रसोईघर में चौकी पर रखा जाता है और व्यक्ति पटरे पर बैठकर खाता है। विदेशी शैली में खाना डोंगों में भरकर मेज़ पर लगाया जाता है और व्यक्ति इच्छानुसार स्वयं परोसकर खाता है।

प्रश्न 2.
रसोईघर के बर्तनों की धुलाई व सफ़ाई के उत्तम प्रबन्ध के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
जूठे तथा भोजन पकाए हुए बर्तनों को साफ़ करने के लिए एक निश्चित स्थान होना चाहिए। बर्तन साफ़ करने के केन्द्र के पास सिंक की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। सिंक के पास एक ओर गंदे बर्तन तथा दूसरी ओर धुले बर्तन रखने के लिए शेल्फ होने चाहिएं। सिंक कभी कोने में नहीं होना चाहिए। इस केन्द्र में विम, छनी हुई राख, सर्फ, मिट्टी, ब्रश, स्पंज तथा झाडू आदि रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सब्ज़ियाँ तथा फलों के छिलकों के बिल्कुल नीचे ………….. तथा ……………. होते हैं।
उत्तर-
विटामिन, खनिज लवण।

प्रश्न 2.
……… सहित आटे का प्रयोग करना चाहिए इसमें विटामिन ‘बी’ होता है।
उत्तर-
चोकर।

प्रश्न 3.
श्वेतसार के कण पकाने पर फूल जाते हैं तथा किस रूप में परिवर्तित होते हैं?
उत्तर-
जिलेटिन।

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प्रश्न 4.
कैरोटीन …………. में घुलनशील नहीं है।
उत्तर-
जल।

प्रश्न 5.
अधिक गर्म करने पर शक्कर कैसी हो जाती है?
उत्तर-
काली।

प्रश्न 6.
गर्म करने से तरल प्रोटीन ……. रूप में बदल जाता है।
उत्तर-
ठोस।

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प्रश्न 7.
भोजन को …………….. सेंक पर पकाना चाहिए।
उत्तर-
मध्यम।

खाना बनाने के सिद्धान्त PSEB 7th Class Home Science Notes

  • सब्जियों और फलों के छिलकों के बिल्कुल नीचे ही विटामिन और खनिज लवण होते हैं।
  • अधिक देर तक खाना पकाने से भी विटामिन और खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं। इसलिए भोजन उतनी देर तक ही पकाना
  • चाहिए जब तक वह गल कर पचने योग्य न हो जाए।
  • कुछ विटामिन और खनिज लवण पानी में घुल जाते हैं। इसलिए सब्जियों को धोने के बाद ही काटना चाहिए।
  • जिन लोगों को जुकाम, गला खराब, खांसी, फ्लू, फोड़े आदि हों उन्हें खाना पकाने का काम नहीं करना चाहिए।
  • खाना पकाते समय हाथ और नाखून हमेशा साफ़ होने चाहिए।
  • भोजन को हिलाते समय कड़छी या चम्मच का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • रसोईघर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए ताकि मक्खी, मच्छर आदि अन्दर न आ सकें।
  • खाना पकाने वाले बर्तनों को प्रतिदिन इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
  • जूठे बर्तनों को साफ़ बर्तनों से अलग रखना चाहिए।
  • जूठे बर्तनों को धोने के लिए गर्म पानी, साबुन या डिटरजेन्ट का इस्तेमाल करना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 5 घर की सफ़ाई

PSEB 7th Class Home Science Guide घर की सफ़ाई Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफ़ाई के दो महत्त्व बताइए।
उत्तर-

  1. स्वच्छता
  2. सौंदर्य तथा स्वास्थ्य।

प्रश्न 2.
ऋतु के अनुसार सफाई किसे कहते हैं?
उत्तर-
जब ऋतु बदलती है तब घर की सफाई की जाती है इसे ऋतु के अनुसार सफाई करना कहते हैं।

प्रश्न 3.
शीशे को साफ करने के लिए क्या प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
गीले अखबार या पतंग वाले कागज़ से।

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लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
शौचघर, गुसलखाने में फिनाइल क्यों छिड़की जाती है?
उत्तर-
शौचघर और गुसलखाने को प्रतिदिन फिनाइल से धोना चाहिए और इनको खुली हवा लगनी चाहिए। नहीं तो ये मक्खी, मच्छर के घर बन जाएंगे। जिससे अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
सफ़ाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
सफ़ाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. कमरे का फर्श और दैनिक प्रयोग में आने वाले बर्तनों की सफ़ाई रोज़ करनी चाहिए।
  2. रसोई, गुसलखाना और नालियाँ भी रोज़ाना साफ़ करनी चाहिए।
  3. साप्ताहिक सफ़ाई में दरी या फर्नीचर बाहर निकालकर झाड़ना और दीवारों से जाले उतारने ज़रूरी होते हैं। कपड़ों को धूप लगानी चाहिए।
  4. रोज़ाना प्रयोग में आने वाले बर्तन, पर्दे, चादरें आदि साफ़ करनी चाहिएं।
  5. शौचघर और नालियों में फिनाइल का पानी डालना चाहिए।
  6. ऋत अनसार सफ़ाई में दीवारों और फर्श झाड कर लीप-पोत लेने चाहिएं या फर्श और दीवारों की मुरम्मत करवा लेना चाहिए।
  7. दरवाजों और खिड़कियों को पेंट करवा लेना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

प्रश्न 3.
साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर-
साप्ताहिक सफ़ाई के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य करना चाहिए

  1. साप्ताहिक सफ़ाई में एक बार बिस्तरों को धूप में अवश्य सुखाना चाहिए।
  2. घर का सारा सामान फर्नीचर आदि को धूप अवश्य लगानी चाहिए।
  3. कमरे, आँगन और सीढ़ियों को धोकर साफ़ कर लेना चाहिए।
  4. कमरों को धोने से पहले फर्नीचर बाहर निकालकर दीवारें साफ़ कर लेनी चाहिएं। ताकि जाले आदि अच्छी तरह साफ़ हो जाए।
  5. अलमारियों का सामान निकालकर साफ़ करके उचित जगह पर लगा देना चाहिए।
  6. अगर फर्श पर दरी बिछी हो तो बाहर निकालकर झाड़ लें और फर्श को धोकर गीले कपड़े के साथ पोचा फेर लेना चाहिए।
  7. बिजली के बल्ब और शेड की सफ़ाई भी कर लेनी चाहिए।
  8. नालियों में फिनाइल छिड़क देना चाहिए, ताकि कीटाणु रहित हो जाएं।
  9. शौचघर में फिनाइल और कभी-कभी चूने का पानी छिड़कना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दैनिक सफ़ाई क्यों जरूरी है और घर की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई से हमारा अभिप्राय उस सफ़ाई से है जो घर में प्रतिदिन की जाती है। अत: गृहिणी का यह प्रमुख कर्त्तव्य है कि वह घर के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई, आँगन, स्नानागार, बरामदा तथा शौचालय की प्रतिदिन सफ़ाई करे। दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत प्रायः इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुओं को ठीक से लगाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फर्श पर झाडू करना, गीला पोंछा करना आदि आते हैं। आज के आधुनिक युग की व्यस्त गृहिणियों तथा कार्यरत गृहिणियों को यह कदापि सम्भव नहीं कि वे घर के सभी पक्षों की सफ़ाई प्रतिदिन करें।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

प्रश्न 2.
ऋतु के अनुसार खास सफ़ाई का क्या मतलब है?
उत्तर-
हमारे देश में प्राय: जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है, दशहरे या दीपावली के समय वार्षिक सफ़ाई की जाती है। पुताई, पॉलिश आदि करवाने से घर की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, रोग फैलाने वाले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। अत: स्वास्थ्य की दृष्टि से भी एक वर्ष में एक बार घर की पूर्ण स्वच्छता अनिवार्य है।

Home Science Guide for Class 7 PSEB घर की सफ़ाई Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सफ़ाई क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तथा घर को आकर्षित बनाने के लिए सफ़ाई ज़रूरी है।

प्रश्न 2.
शारीरिक सफ़ाई से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
शरीर के विभिन्न अंगों की नियमित सफ़ाई तथा नियमित अच्छी आदतें।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

प्रश्न 3.
दैनिक सफ़ाई से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई से अभिप्राय प्रतिदिन की सफ़ाई से है।

प्रश्न 4.
दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत किन स्थानों की सफाई आवश्यक है?
उत्तर-
प्रतिदिन उठने-बैठने और सोने वाले कमरे, स्नानागार, शौचालय, रसोई, आँगन एवं बरामदा।

प्रश्न 5.
सामयिक सफाई क्या होती है?
उत्तर-
ऋतु अनुसार काम आने वाली वस्तुओं की सफ़ाई करके ठीक रख-रखाव की व्यवस्था करना। जैसे-सर्दी व गर्मी के कपड़े, अनाज संरक्षण आदि।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

प्रश्न 6.
आकस्मिक सफ़ाई किसे कहते हैं?
उत्तर-
अकस्मात् जरूरत पड़ने पर घर की सफ़ाई करना, जैसे ब्याह-शादी पर।

छोटे स्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वातावरण की सफ़ाई को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
वातावरण की सफ़ाई को सामान्यत: छः भागों में बांटा जा सकता है

  1. दैनिक सफ़ाई
  2. साप्ताहिक सफ़ाई
  3. मासिक सफाई
  4. सामयिक सफाई
  5. वार्षिक सफ़ाई
  6. आकस्मिक सफ़ाई।

प्रश्न 2.
दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत क्या-क्या कार्य करने होते हैं?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य आवश्यक रूप से करने होते हैं

  1. घर के सभी कमरों के फर्श, खिड़की, दरवाजे, मेज़-कुर्सी की झाड़-पोंछ करना।
  2. घर में रखे कूड़ेदान आदि को साफ़ करना।
  3. शौचालय तथा स्नानागार आदि की सफ़ाई करना।
  4. रसोई में काम आने वाले बर्तनों की सफ़ाई व रख-रखाव।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 घर की सफ़ाई

प्रश्न 3.
घर में गन्दगी होने के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक कारण-धूल के कण, वर्षा तथा बाढ़ के पानी के बहाव के साथ आने वाली गन्दगी, मकड़ी के जाले, पक्षियों तथा अन्य जीवों द्वारा गन्दगी।
  2. मानव विकार-मल-मूत्र, कफ, थूक, खखार, पसीना और बाल झड़ना।
  3. घरेलू कार्य-खाद्यान्नों की सफ़ाई से निकलने वाला कूड़ा, साग-सब्जी-फल आदि के छिलके, खाद्य वस्तुओं, बर्तन आदि के धोवन, कपड़ों की धुलाई, साबुन के फेन, मैल, नील, माँड़ रद्दी कागज़ के टुकड़े, सिलाई की कतरनें, कताई की रूई तथा छीजन आदि।

बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफ़ाई कितने प्रकार की होती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
घर की सफ़ाई को हम मुख्य रूप से चार भागों में बाँटते हैं-दैनिक सफ़ाई, साप्ताहिक सफ़ाई, मासिक सफ़ाई, वार्षिक सफ़ाई।
1. दैनिक सफ़ाई-दैनिक सफ़ाई से हमारा अभिप्राय उस सफ़ाई से है जो घर में प्रतिदिन की जाती है। अतः गृहिणी का यह प्रमुख कर्त्तव्य है कि वह घर के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोईघर, आँगन, स्नानागार, बरामदा तथा शौचालय की प्रतिदिन सफ़ाई करे। दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत प्रायः इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुओं को ठीक से लगाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फर्श पर झाडू करना, गीला पोंचा करना आदि आते है। आज के आधुनिक युग की व्यस्त गृहिणियों तथा कार्यरत गृहिणियों को यह कदापि सम्भव नहीं कि वे घर के सभी पक्षों की सफ़ाई प्रतिदिन करें।

2. साप्ताहिक सफ़ाई-एक कुशल गृहिणी को घर के दैनिक जीवन में अनेक कार्य करने पड़ते हैं अतः यह सम्भव नहीं कि वह एक ही दिन में घर की पूर्ण सफ़ाई कर सके। समय की कमी के कारण घर में जो वस्तुएँ प्रतिदिन साफ़ नहीं की जातीं उन्हें सप्ताह में या पन्द्रह दिन में एक बार अवश्य साफ़ कर लेना चाहिए। यदि ऐसा न किया गया तो दरवाजों तथा दीवारों की छतों पर जाले एकत्रित हो जायेंगे। दरवाज़ों व खिड़कियों के शीशों, फनीचर की सफ़ाई, बिस्तर झाड़ना व धूप लगाना, अलमारियों की सफ़ाई तथा दरी कालीन को झाड़ना व धूप लगाना आदि कार्य सप्ताह में एक बार अवश्य किये जाने चाहिएं।

3. मासिक सफ़ाई-जिन कमरों या वस्तुओं की सफ़ाई सप्ताह में एक बार न हो सके, उन्हें महीने में एक बार अवश्य साफ़ करना चाहिए। साधारण तौर पर महीने भर की खाद्य-सामग्री एक साथ खरीदी जाती है इसलिए उसको भण्डारगृह में रखने से पूर्व भंडार घर को भली-भाँति झाड़-पोंछकर ही उसमें खाद्य-सामग्री रखी जानी चाहिए। टीन के डिब्बों को भली-भाँति साफ़ करके धूप दिखाकर उसमें सामान भरना चाहिए। मासिक सफ़ाई के अन्तर्गत अनाज, दालों, अचार, मुरब्बे व मसाले आदि को धूप लगानी चाहिए। अलमारी के जाले, बल्बों के शेड आदि भी साफ़ करने चाहिएं।

4. वार्षिक सफ़ाई-वार्षिक सफ़ाई का तात्पर्य वर्ष में एक बार सम्पूर्ण घर की पूर्ण रूप से सफाई करना है। वार्षिक सफाई के अन्तर्गत घर की पुताई, टूटे स्थानों की मरम्मत, दरवाजों, खिड़कियों के किवाड़ों तथा चौखटों की मरम्मत तथा सफाई एवं रोगन करवाना, फर्नीचर और अन्य सामानों की मरम्मत, वार्निश, पॉलिश आदि आती है। कमरों से सभी सामानों को हटाकर चूना, पेंट या डिस्टेम्पर करवाना, पुताई के पश्चात् फर्श को रगड़कर धोना तथा दाग-धब्बे हटाना, सफ़ाई के उपरान्त सारे सामान को पुनः व्यवस्थित करना वार्षिक कार्य हैं। इस प्रकार की सफ़ाई के कमरों को नवीन रूप प्रदान होता है। रजाई, गद्दों को खोलकर रूई साफ़ करवाना, धुनवाना आदि भी वर्ष में एक बार किया जाता है।

हमारे देश में प्रायः जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है, दशहरे या दीपावली के समय वार्षिक सफ़ाई की जाती है। पुताई, पॉलिश आदि करवाने से घर की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, रोग फैलाने वाले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। अतः स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वर्ष में एक बार घर की पूर्ण स्वच्छता अनिवार्य है।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सफ़ाई के प्रबन्ध को कितने हिस्सों में बाँट सकते हैं?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 2.
शौचघर तथा नालियों में ………….का पानी डालना चाहिए।
उत्तर-
फ़िनाईल।

प्रश्न 3.
साप्ताहिक सफ़ाई में ……. की भी सफ़ाई की जाती है।
उत्तर-
दीवारों पर लगे जाले।

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प्रश्न 4.
घर में गन्दगी का एक प्राकृतिक कारण बताएं।
उत्तर-
मकड़ी का जाल।

प्रश्न 5.
दीवाली के समय की जाने वाली सफ़ाई कौन-सी है?
उत्तर-
वार्षिक सफ़ाई।

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घर की सफ़ाई PSEB 7th Class Home Science Notes

  • मिट्टी और धूल से भरा मकान देखने में बहुत बेकार और खराब लगता है।
  • मक्खियां और मच्छर गन्दगी की देन हैं।। कमरों को साफ़ करते समय कोनों की सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी
  • सफ़ाई करते समय हवा का रुख देखते हुए खिड़कियाँ और दरवाज़े खोलने ठीक रहते हैं।
  • शौचघर और गुसलखाने को प्रतिदिन फिनाइल से धोना चाहिए और उसमें खुली हवादार जाली लगानी चाहिए।
  • सप्ताह में एक दिन सारे घर की सफ़ाई सम्भव नहीं होती इसलिए कमरे बाँट लेना चाहिए।
  • सप्ताह में एक बार बिस्तरों को धूप अवश्य लगवानी चाहिए।
  • शौचघर में फिनाइल और कभी-कभी चूने का पानी छिड़कना चाहिए।
  • सफ़ाई रखने से जहां मकान की सुन्दरता कायम रहती है उसके साथ ही काफ़ी चीज़ों को नष्ट होने से भी बचाया जा सकता है।
  • हमारे देश में ऋतु के बदलने पर सफ़ाई करने का आम रिवाज है।
  • सफ़ेदी करने से पहले दीवारों से कलैण्डर और तस्वीरें उतारकर झाड़कर रख लेने चाहिएं ताकि टूट न जाएं।
  • खिड़कियाँ, अलमारियाँ और दरवाज़े की जालियाँ सोडे या साबुन वाले पानी के साथ साफ़ कर लेनी चाहिएं।
  • वार्षिक सफ़ाई या ऋतु के अनुसार सफ़ाई में दैनिक और साप्ताहिक सफ़ाई के भी सारे काम शामिल होते हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 4 महासागर

SST Guide for Class 7 PSEB प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 1-15 शब्दों में दो।

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या भाव है?
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति से भाव उन जड़ी-बूटियों तथा पेड़-पौधों से है, जो अपने आप उग आते हैं। इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता। किसी प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति वहां के धरातल, मिट्टी के प्रकार, जलवायु आदि पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वनस्पति को प्रमुख कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है –

  1. वन
  2. घास के मैदान तथा
  3. मरुस्थलीय झाड़ियां।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 3.
जंगलों से कौन-सी वस्तुएं प्राप्त होती हैं ?
उत्तर-
जंगलों से हमें कई प्रकार की लकड़ी, बांस, कागज़ बनाने वाले घास, गूद, गन्दा बरोज़ा, तारपीन, लाख, चमड़ा रंगने का छिलका, दवाइयों के लिए जड़ी-बूटियां आदि वस्तुएं प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 4.
जंगल अप्रत्यक्ष रूप में हमारी क्या सहायता करते हैं ?
उत्तर-
वन परोक्ष रूप से हमारी बहुत सहायता करते हैं।

  1. ये वातावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  2. ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं और तापमान को अधिक नहीं बढ़ने देते।
  3. ये बाढ़ और भू-क्षरण को रोकते हैं।
  4. ये भूमि के अन्दर पानी के रिसाव में सहायता करते हैं।
  5. वन मरुस्थलों के विस्तार को रोकते हैं और वन्य-जीवों तथा पक्षियों को आवास (Habitat) प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
जंगलों के विकास का क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर-
जंगल (वन) हमारे लिए वरदान हैं। इनके विकास का निम्नलिखित प्रभाव पड़ेगा –

  1. देश की आर्थिक प्रगति होगी।
  2. पर्यावरण शुद्ध होगा।
  3. वन्य जीवन की सुरक्षा होगी।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 6.
मानव परिस्थिति (पारिस्थितिक) सन्तुलन को कैसे बिगाड़ रहा है?
उत्तर-
मनुष्य आवास तथा कृषि योग्य भूमि प्राप्त करने के लिए वनों की अन्धाधुन्ध कटाई कर रहा है। इससे पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ रहा है।

प्रश्न 7.
उष्ण घास के मैदानों के स्थानीय नाम बताएं।
उत्तर-
उष्ण घास के मैदानों को अफ्रीका में पार्कलैण्ड, वेंजुएला में लानोज तथा ब्राज़ील में कैंपोज़ कहते हैं।

प्रश्न 8.
ठण्डे मरुस्थलों की वनस्पति के बारे में लिखो।
उत्तर-
ठण्डे मरुस्थलों में जब थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलती है, तो विभिन्न रंगों के फलों वाले छोटे-छोटे पौधे उग जाते हैं। उत्तरी भागों में छोटी-छोटी घास जैसे काई और लिचन (लाइकन) उग जाती है।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भूमध्य रेखी जंगलों के बारे में लिखो।
उत्तर-
भूमध्य रेखी जंगल भू-मध्य रेखा से 10° उत्तर और 10° दक्षिणी अक्षांशों में फैले हुए हैं। इन वनों को सदाबहार घने जंगल कहते हैं। भू-मध्य रेखा पर सारा साल उच्च तापमान रहता है और वर्षा भी अधिक होती है। इसी कारण यहां घने वन पाए जाते हैं। इन वनों की ऊपर वाली शाखाएं आपस में इस प्रकार मिली होती हैं कि वे एक छतरी के समान दिखाई देती हैं। इसलिए सूर्य का प्रकाश भी धरती पर नहीं पहुंच पाता। इन वनों में कई प्रकार के वृक्ष होते हैं; फिर भी ये वृक्ष आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं होते। इसका मुख्य कारण यह है कि ये इतने सघन होते हैं कि इनमें से गुज़रना कठिन होता है। इस कारण इनकी कटाई नहीं हो सकती।

दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मैडागास्कर में इन वनों के बहुत बड़े क्षेत्र हैं। ऑस्ट्रेलिया, मध्य-अमेरिका में इन वनों ने थोड़ा-थोड़ा क्षेत्र घेरा हुआ है।

प्रश्न 2.
आर्थिक पक्ष से कौन-से जंगल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-
आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तथा मूल्यवान वन नुकीले पत्तों वाले वन हैं। इन वनों को सदाबहार वन भी कहते हैं। यूरेशिया में इन्हें टैगा (Taiga) वन कहा जाता है। इन वनों में चीड़, फ़र और स्यूस के वृक्ष मिलते हैं। इन वृक्षों से नर्म लकड़ी प्राप्त होती है जिससे गूदा और कागज़ बनाया जाता है।

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प्रश्न 3.
मानसूनी जंगलों (वनों) को पतझड़ी जंगलों (वनों) के नाम से क्यों पुकारा जाता है?
उत्तर-
मानसूनी वन कम उष्ण अर्थात् उपोष्ण अक्षांशों पर पाये जाते हैं। जिन क्षेत्रों में किसी एक मौसम में वर्षा अधिक मात्रा में होती है वहां इनके पत्ते चौड़े होते हैं। ये वन उन क्षेत्रों में अधिक होते हैं जहां मानसून पवनों के कारण अधिक वर्षा होती है। इस कारण इन्हें मानसूनी वन कहते हैं। जिस मौसम में वर्षा नहीं होती; ये वन अपने पत्ते गिरा देते हैं। इसलिए इन्हें पतझड़ी वन भी कहा जाता है। ये वन आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये वन भू-मध्यरेखीय वनों से कम सघन हैं और मनुष्य की पहुंच में हैं। इनसे इमारती तथा ईंधन की लकड़ी मिलती है। परन्तु अधिकतर मानसूनी वन काट दिए गए हैं और प्राप्त भूमि पर कृषि की जाने लगी है।

प्रश्न 4.
शीत ऊष्ण घास के मैदानों के बारे में लिखो। इनके भिन्न-भिन्न महाद्वीपों में कौन-कौन से नाम हैं ?
उत्तर-
शीतोष्ण घास के मैदान कम वर्षा वाले शीतोष्ण क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यहां घास अधिक ऊंची तो नहीं होती, परन्तु यह कोमल तथा सघन होती है। अतः यह पशुओं के चारे के लिए बहुत उपयोगी होती है। इन घास के मैदानों को विभिन्न महाद्वीपों में भिन्न-भिन्न नाम दिये गये हैं। इन्हें यूरेशिया में स्टैपीज़, उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, दक्षिणी अमेरिका में पम्पाज़, दक्षिणी अफ्रीका में वैल्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में डाउन्ज के नाम से पुकारा जाता है।

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प्रश्न 5.
गर्म मरुस्थलीय वनस्पति के बारे में लिखो।
उत्तर-
संसार के प्रमुख गर्म मरुस्थल अफ्रीका में सहारा और कालाहारी, अरब-ईरान का मरुस्थल, भारतपाकिस्तान का थार मरुस्थल, दक्षिणी अमेरिका में ऐटोकामा, उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी कैलेकैनिया और उत्तरी मैक्सिको तथा ऑस्ट्रेलिया में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के मरुस्थल हैं। इन मरुस्थलों में अधिक गर्मी तथा कम वर्षा के कारण बहत कम वनस्पति मिलती है। यहां केवल कांटेदार झाड़ियां, थोहर, छोटी-छोटी जड़ी-बूटियां और घास आदि ही पैदा होते हैं। प्रकृति ने इस वनस्पति को इस प्रकार का बनाया है कि यह अत्यधिक गर्मी और शुष्कता को सहन कर सके। इनकी जड़ें लम्बी और मोटी होती हैं ताकि पौधे गहराई से नमी प्राप्त कर सकें। पौधों का छिलका मोटा होता है तथा पत्ते मोटे और चिकने होते हैं, ताकि वाष्पीकरण से अधिक पानी नष्ट न हो।

प्रश्न 6.
जंगलों (वनों) की सम्भाल क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
वनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। ये हमारी बहुत-सी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं । वनों से प्राप्त लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में, मकान बनाने में तथा कई अन्य कामों, जैसे कागज़ बनाने, रेलों के डिब्बे, स्लीपर, रेयन (कपड़ा बनाने के लिए) आदि बनाने के लिए होता है। वनों से हमें लकड़ी के अतिरिक्त अन्य कई उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। सबसे बढ़कर वन वर्षा लाने में सहायता करते हैं, बाढ़ों पर नियन्त्रण करते हैं तथा भूक्षरण को रोकते हैं। परन्तु जनसंख्या की वृद्धि के साथ वनों का उपभोग बढ़ रहा है। जिससे वन-क्षेत्र कम हो रहा है। अतः वनों की सम्भाल और नये वृक्ष लगाने की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125-130 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति के बारे में विसृत रूप में लिखो।
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उन जड़ी-बूटियों तथा पेड़-पौधों से है, जो मनुष्य के प्रयत्न के बिना अपने आप उग आते हैं। इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता। किसी प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति वहां के धरातल, मिट्टी के प्रकार, जलवायु आदि पर निर्भर करती है।
प्राकृतिक वनस्पति के भाग-प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है –
(1) वन
(2) घास के मैदान तथा
(3) मरुस्थलीय झाड़ियां।
I. वन-वनों को वर्षा की मात्रा, मौसमी बांट, तापमान आदि कारक प्रभावित करते हैं। इस आधार पर वनस्पति तीन प्रकार की है –
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव 1

(1) भू-मध्य रेखीय वन (2) मानसूनी अथवा पतझड़ी वन (3) नुकीली पत्ती वाले वन।
1. भू-मध्य रेखीय वन-ये वन भू-मध्य रेखा से 10° उत्तर और 10° दक्षिण अक्षांशों में फैले हुए हैं। इन वनों को सदाबहार घने वन कहते हैं। भू-मध्य रेखा पर सारा साल निरन्तर उच्च तापमान रहता है और वर्षा भी अधिक होती है। इसी कारण यहां घने वन पाए जाते हैं। इन वनों की ऊपर वाली शाखाएं आपस में इस प्रकार मिली होती हैं कि वे एक छतरी के समान दिखाई देती हैं। इसलिए सूर्य का प्रकाश भी धरती पर नहीं पहुंच पाता। इन वनों में कई प्रकार के वृक्ष होते हैं; फिर भी ये वृक्ष आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं होते। इसका मुख्य कारण यह है कि ये इतने सघन होते हैं कि इनमें से गुज़रना कठिन होता है। इस कारण इनकी कटाई नहीं हो सकती।

दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मैडागास्कर में इन वनों के बहुत बड़े क्षेत्र हैं। ऑस्ट्रेलिया, मध्य-अमेरिका में इन वनों ने थोड़ा-थोड़ा क्षेत्र घेरा हुआ है।

2. मानसूनी अथवा पतझड़ी वन-मानसूनी वन कम उष्ण अर्थात् उपोष्ण अक्षांशों पर पाये जाते हैं। जिन क्षेत्रों में किसी एक मौसम में अधिक वर्षा होती है, वहां इनके पत्ते चौड़े होते हैं। ये वन उन क्षेत्रों में अधिक होते हैं जहां मानसून पवनों के कारण अधिक वर्षा होती है। इस कारण इन्हें मानसूनी वन कहते हैं। जिस मौसम में वर्षा नहीं होती; ये वन अपने पत्ते गिरा देते हैं। इसलिए इन्हें पतझड़ी वन भी कहा जाता है। ये वन आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये वन भू-मध्य रेखीय वनों से कम सघन हैं और मनुष्य की पहुंच में हैं। इनसे इमारती तथा ईंधन की लकड़ी मिलती है। परन्तु अधिकतर मानसूनी वन काट दिए गए हैं और प्राप्त भूमि पर कृषि की जाने लगी है।

3. नुकीली पत्ती वाले वन-ये वन आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तथा मूल्यवान हैं। इन वनों को सदाबहार वन भी कहते हैं। यूरेशिया में इन्हें टेगा (Taiga) वन कहा जाता है। इन वनों में चीड़, फ़र और स्पूस के वृक्ष मिलते हैं। इन वृक्षों से नर्म लकड़ी प्राप्त होती है जिससे गूदा और कागज़ बनाया जाता है।

II. घास के मैदान-घास के मैदान मुख्य रूप से दो प्रकार के हैं-उष्ण घास के मैदान तथा शीतोष्ण घास के मैदान।
1. उष्ण घास के मैदान-घास के ये मैदान 10°-30° अक्षांशों पर उत्तरी तथा दक्षिणी गोलाद्धों में पाये जाते हैं। इन घास के मैदानों को ‘सवाना घास के मैदान’ कहा जाता है। परन्तु अलग-अलग क्षेत्रों में इन्हें अलग-अलग नाम दिये गए हैं। अफ्रीका में इन्हें पार्कलैण्ड, जुएला में लानोज़ और ब्राज़ील में कैम्पोज़ कहते हैं।

इन मैदानों की घास पांच मीटर तक ऊंची हो जाती है और सूखकर बहुत कठोर हो जाती है। यहां पर कहीं-कहीं छोटे कद के वृक्ष भी मिलते हैं। इन घास के मैदानों में घास खाने वाले और मांसाहारी पशु बहुत अधिक पाये जाते हैं।

2. शीतोष्ण घास के मैदान-शीतोष्ण घास के मैदान कम वर्षा वाले शीतोष्ण क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यहां घास अधिक ऊंची तो नहीं होती, परन्तु यह कोमल तथा सघन होती है। अतः यह पशुओं के चारे के लिए बहुत उपयोगी होती है। इन घास के मैदानों को भी विभिन्न महाद्वीपों में भिन्न-भिन्न नाम दिये गये हैं। इन्हें यूरेशिया में स्टैपीज़, उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, दक्षिणी अमेरिका में पम्पाज़, दक्षिणी अफ्रीका में वैल्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में डाउन्ज़ के नाम से पुकारा जाता है।

III. मरुस्थलीय झाड़ियां-संसार में दो प्रकार के मरुस्थल पाये जाते हैं-गर्म मरुस्थल तथा ठण्डे मरुस्थल।
1. गर्म मरुस्थल-संसार के प्रमुख गर्म मरुस्थल अफ्रीका में सहारा और कालाहारी, अरब-ईरान का मरुस्थल, भारत-पाकिस्तान का थार मरुस्थल, दक्षिणी अमेरिका में ऐटोकामा, उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी कैलिफ्रेनिया और उत्तरी मैक्सिको तथा ऑस्ट्रेलिया में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया का मरुस्थल हैं। इन मरुस्थलों में अधिक गर्मी तथा कम वर्षा के कारण बहुत कम वनस्पति मिलती है। यहां केवल कांटेदार झाड़ियां, थोहर, छोटी-छोटी जड़ी-बूटियां और घास आदि ही पैदा होते हैं। प्रकृति ने इस वनस्पति को इस प्रकार का बनाया है कि यह अत्यधिक गर्मी और शुष्कता को सहन कर सके। इनकी जड़ें लम्बी और मोटी होती हैं ताकि पौधे गहराई से नमी प्राप्त कर सकें। पौधों का छिलका मोटा होता है तथा पत्ते मोटे और चिकने होते हैं, ताकि वाष्पीकरण से अधिक पानी नष्ट न हो।

2. ठण्डे मरुस्थल-ठण्डे मरुस्थल कनाडा तथा यूरेशिया के सुदूर उत्तरी अक्षांशों में स्थित हैं। यहां वर्ष में अधिकतर समय बर्फ जमी रहती है। जब थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलती है, तो विभिन्न प्रकार के रंगों के फूलों वाले छोटे-छोटे पौधे उग आते हैं। उत्तरी भागों में छोटी-छोटी घास जैसे काई और लिचन (लाइकन) उग जाती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 2.
संसार में जंगली जीवों की सुरक्षा तथा सम्भाल के बारे में लिखो। पारिस्थिति (पारिस्थितिक) सन्तुलन को बनाये रखने के लिए जंगली जीवों की भूमिका के बारे में लिखो।
उत्तर-
जंगली जीव हमारी अमूल्य सम्पत्ति हैं। परन्तु जंगलों के विनाश के साथ-साथ जंगली जीवों की संख्या बहुत कम होती जा रही है। मनुष्य जंगल काटने के साथ-साथ जंगली जीवों का शिकार भी करता रहा है। मांस, खाल तथा अन्य अंगों के लिए मनुष्य अन्धा-धुन्ध पशुओं का शिकार करता रहा है। परिणामस्वरूप जंगली जीवों की कई जातियां लुप्त हो गई हैं और कई जातियों की संख्या इतनी कम हो गई है कि उनके लुप्त हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। उदाहरण के लिए भारत में गेंडा, चीता, शेर आदि जीव लुप्त होने की कगार पर हैं।

पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखने में जंगली जीवों की भूमिका-पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाये रखने में वन्य जीवों का बहुत अधिक योगदान है। प्रकृति ने जीव-मण्डल की रचना इस प्रकार की है कि एक जीव भोजन के लिए दूसरे जीव पर निर्भर है। छोटे जीव बडे जीवों का भोजन हैं। मांसाहारी जीव घास खाने वाले जीवों पर निर्भर हैं। अतः किसी एक जीव-जाति का अस्तित्व समाप्त हो जाने पर पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जाता है। उदाहरण के लिए यदि शेर, चीते आदि मांसाहारी जीवों की संख्या बढ़ जाये या घास खाने वाले जीव कम हो जायें तो शेर तथा चीते भूखे मर जाएंगे या फिर मांसाहारी जीव मनुष्य को खाना आरम्भ कर देंगे। यदि स्थिति उलट हो जाए तो शेर और चीतों की संख्या कम हो जाये तो घास खाने वाले जीवों की संख्या बढ़ जायेगी। अत: वे सारी धरती की घास खा जायेंगे, जिससे लहलहाते हरे-भरे मैदान मरुस्थलों में बदल जायेंगे। भू-क्षरण भी बढ़ जायेगा। इस प्रकार पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जायेगा। अतः पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखने के लिए उपाय किये जाने चाहिएं। इसलिए बहुत से देशों में शिकार पर पाबन्दी लगा दी गई है। भारत में भी शिकार करना अपराध है और शिकार करने वाला व्यक्ति दण्ड का भागी हो सकता है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव 2
जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत तथा कई अन्य देशों में राष्ट्रीय पार्क भी स्थापित किये गये हैं। इन पार्कों में वन्य जीवों को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान किया गया है। भारत के विभिन्न भागों में लगभग 20 राष्ट्रीय पार्क हैं। इनमें कॉर्बेट, शिवपुरी, कनेरी, राजदेवगा, गीर आदि के नाम लिए जा सकते हैं। इनके अतिरिक्त जीवों और मछलियों के लिए अलग-अलग आरक्षित केन्द्र हैं। छत्तबीड़ पंजाब में ऐसा ही एक केन्द्र है। अफ्रीका का सवाना घास-क्षेत्र वन्य जीवों का विशाल घर है। इस क्षेत्र में जेबरा, जिरोफ, बारहसिंगा, हिरण, बाघ, शेर, चीता, हाथी, जंगली भैंसे, गैंडे और अनेक प्रकार के कीड़े-मकौड़े पाये जाते हैं। (घ) संसार के नक्शे में निम्नलिखित क्षेत्र दिखाएं –
(1) सहारा मरुस्थलीय वनस्पति।
(2) लानोज़ घास-क्षेत्र।
(3) पंपास के घास-क्षेत्र।
(4) सैलवास जंगल।
नोट-MBD मानचित्रावली की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Social Science Guide प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
वनों की लकड़ी पर कौन-कौन से उद्योग निर्भर हैं?
उत्तर-
वनों की लकड़ी पर कई उद्योग निर्भर करते हैं। इन उद्योगों में फर्नीचर, खेलों का सामान, समुद्री बेड़े, रेलों के डिब्बे और स्लीपर, कागज़, प्लाईवुड, सामान पैक करने के लिए पेटियां बनाना आदि उद्योग शामिल हैं। इमारती लकड़ी भवन निर्माण में काम आती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 2.
वनों की विभिन्नता को प्रभावित करने वाले तीन कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर-

  1. वर्षा की वार्षिक मात्रा
  2. मौसमी बांट तथा
  3. तापमान।

प्रश्न 3.
यूरेशिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यूरोप तथा एशिया महाद्वीपों को सामूहिक रूप से यूरेशिया कहते हैं।

प्रश्न 4.
वनों की लकड़ी का प्रयोग मुख्यतः किन-किन कार्यों के लिए होता है?
उत्तर-
वनों की लकड़ी का प्रयोग मुख्य रूप से जलाने में होता है। वनों से प्राप्त कुल लकड़ी का 50% इसी काम आता है। 33% लकड़ी भवन निर्माण में तथा शेष लकड़ी अन्य कार्यों के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 5.
वृक्षों की सुरक्षा एवं सम्भाल के कुछ उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. कई बार आग लग जाने से वनों की भारी हानि होती है। इस ओर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
  2. वृक्षों की कटाई नियमों की सीमा में रहते हुए करनी चाहिए। साथ ही साथ नये वृक्ष भी लगाने चाहिए।
  3. इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि कीड़े-मकोड़ों और बीमारियों से वृक्ष नष्ट न हों।
  4. नहरों, नदियों, सड़कों, रेल-पटरियों के साथ-साथ खाली पड़ी भूमि पर अधिक-से-अधिक वृक्ष उगाए जाने चाहिए।
  5. ईंधन के लिए लकड़ी का प्रयोग कम किया जाना चाहिए। इसके स्थान पर गैस, सौर-शक्ति, गोबर-गैस आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  6. भवन-निर्माण में भी लकड़ी के स्थान पर अन्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
भू-मध्य रेखीय वनों को आकाश को छूने वाली एक इमारत (Sky Scraper) क्यों माना जाता है?
उत्तर-
आकाश को छूने वाली इमारत से अभिप्राय एक बहुत ऊंची अथवा अनेक मंज़िलों वाली इमारतों से है। भूमध्य रेखीय वन भी इसी प्रकार का दृश्य प्रस्तुत करते हैं। इसलिए इन्हें आकाश को छूने वाली इमारत माना जाता है।
1. इस वन-इमारत में सबसे ऊपर वाली मंज़िल 70 मीटर ऊंचे वृक्षों से बनती है। यहां धूप और हवा दोनों मिलते । हैं। यहां फल भी होते हैं और फूल भी।

2. इससे नीचे की मंज़िल छतरी नुमा होती है। वृक्षों की शाखाओं के परस्पर उलझ जाने के कारण यहां छतरी जैसी छत बन जाती है। यहां सूर्य का प्रकाश कम पहुँचता है जो फलों और फूलों के लिए लाभदायक है।

3. इससे नीचे वाली मंजिल परछाईं वाली होती है। यहां लताएं वृक्षों पर चढ़ जाती हैं और आपस में लिपटी हुई होती हैं। जो लताएं सूर्य के प्रकाश के बिना नहीं रह सकतीं, वे सूर्य का प्रकाश पाने के लिए ऊपर बढ़ जाती हैं।

4. सबसे नीचे वाली मंजिल पर बहुत अन्धेरा होता है। सूर्य का प्रकाश यहां बिल्कुल भी नहीं पहुंचता। इसका फर्श गले-सड़े पत्तों और कीड़े-मकौड़ों से ढका रहता है।

(क) रिक्त स्थान भरो :

  1. संसार का लगभग ……….. प्रतिशत स्थल क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है।
  2. …………….. जंगलों को सदाबहार घने जंगल भी कहा जाता है।
  3. शीत उष्ण घास के मैदान ……………. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
  4. अफ्रीका का …………….. घास प्रदेश जंगली जीवों का विशाल घर है।

उत्तर-

  1. 30,
  2. भूमध्य-रेखी,
  3. कम,
  4. सवाना।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. भूमध्य-रेखी जंगल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं होते।
  2. मानसूनी वनों को सदाबहार वन भी कहा जाता है।
  3. भारत का थार मरुस्थल एक गर्म मरुस्थल है।
  4. भारत में जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति की सघनता तथा आकार को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें से एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व कौन-सा है?
(i) समुद्री धाराएँ
(ii) जलवायु
(iii) प्रचलित पवनें।
उत्तर-
(ii) जलवायु।

प्रश्न 2.
ब्राजील में उष्ण घास के मैदान किस नाम से जाने जाते हैं ?
(i) पंपास
(ii) वेल्ड
(iii) कैंपोज़।
उत्तर-
(iii) कैंपोज़।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

प्रश्न 3.
पंजाब का कौन-सा केन्द्र जीवों तथा पक्षियों से जुड़ा है?
(i) छत्तीसगड़
(ii) छत्तबीड़
(ii) राजदेवगा।
उत्तर-
(ii) छत्तबीड़।

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव PSEB 7th Class Social Science Notes

  • प्राकृतिक वनस्पति – प्राकृतिक वनस्पति स्वयं उत्पन्न होने वाले पेड़-पौधे हैं। धरातलीय तथा जलवायु की विभिन्नता के कारण संसार में कई प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
  • प्राकृतिक वनस्पति के भाग – प्राकृतिक वनस्पति को तीन भागों में बांटा गया है-वन, घास के मैदान तथा मरुस्थलीय झाड़ियां।
  • वनों के प्रकार – वर्षा की वार्षिक मात्रा, ऋतु-परिवर्तन और तापमान वनों की विभिन्नता को प्रभावित करते हैं। इस आधार पर वनों को तीन प्रकारों में विभक्त किया गया है –
    (1) भू-मध्य-रेखीय वन (2) मानसूनी या पतझड़ी वन (3) नुकीली पत्ती वाले वन।
  • गर्म मरुस्थल – इन मरुस्थलों में वर्षा और वनस्पति का अभाव होता है और चारों ओर रेत का विस्तार होता है।
  • ठण्डे मरुस्थल – इन क्षेत्रों में दूर-दूर तक बर्फ का विस्तार होता है। थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलने पर ही कुछ फूलदार पौधे उग पाते हैं।
  • जीव-जन्तु – संसार में जीव-जन्तुओं की अनेक जातियां मिलती हैं। अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी भी पाये जाते हैं। परन्तु मानव की गतिविधियों के कारण जंगली जीवों की अनेक जातियां विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं।
  • वन्य जीवों का संरक्षण – वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जीव आरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं ताकि वन्य जीवों की कोई भी जाति विलुप्त न हो।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

PSEB 7th Class Home Science Guide मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मकान बनाने के लिए सबसे पहले किस चीज़ का अनुमान लगाना चाहिए?
उत्तर-
आर्थिक स्थिति का।

प्रश्न 2.
मकान बनाने के लिए धन के अतिरिक्त और किस चीज़ की ज़रूरत है?
उत्तर-
बुद्धि की।

प्रश्न 3.
घर कैसी जगहों के पास और कैसी जगहों से दूर होना चाहिए?
उत्तर-
स्टेशन, शमशान घाट, गंदी बस्तियां, कूड़ा-कर्कट के ढेर आदि से दूर होना चाहिए।
काम का स्थान, बैंक डाक्टर, स्कूल, बाज़ार आदि घर के पास होना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
सरकार, बैंक या बीमा कम्पनियाँ मकान बनाने में कैसे मदद करती है?
उत्तर-
सरकार, बैंक या बीमा कम्पनियाँ मकान बनाने में सस्ते ब्याज पर कर्ज देकर मदद करती हैं।

प्रश्न 2.
गन्दी बस्तियों का बच्चों के विकास पर क्या असर पड़ता है?
उत्तर-
गन्दी बस्तियों में रहने वाले बच्चों की न केवल सेहत ही खराब होती है, बल्कि उनके आचरण पर भी खराब असर पड़ता है। उसमें अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
बहुत अमीर पड़ोस में रहने से बच्चों की मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है?
उत्तर-
जिस गली या मुहल्ले में बच्चों को रहना हो, वहाँ के निवासियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बच्चों के आर्थिक और सामाजिक स्थिति के अनुसार होनी चाहिए। अगर बाकी लोग अमीर हों तो बच्चों के मन में ईर्ष्या की भावना जाग जाती है और अपने को छोटा महसूस करने की भावना आ जाती है जिससे बच्चों की मानसिक स्थिति पर खराब असर पड़ता है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हरित क्रान्ति और जमींदारों का ज़मीनों की कीमतों और मकानों के किराये पर क्या असर पड़ा है?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के बाद कुछ ज़मींदार परिवारों के पास बहुत पैसा आ गया है। इन्होंने घरों पर बहुत पैसे खर्च किए हैं। आलीशान बंगले बनाए हैं। इससे दूसरे लोगों में ईर्ष्या और रोष की भावना जागी है। नकल करके कुछ लोगों ने जिनके पास बहुत धन नहीं है उन्होंने भी मकानों पर बहुत धन खर्च करके अपने आर्थिक सन्तुलन को खराब किया है। अब शहरों में मकान बनाने के लिए जमीन बहुत महंगी हो गई है। बड़े शहरों में मकान बनाना केवल अमीर लोगों के बस की बात है। किराये भी बहुत बढ़ गए हैं जिससे आम आदमी पर खराब असर पड़ा है।

प्रश्न 2.
मकान बनाते समय अपनी अर्थिक स्थिति का जायज़ा लेना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
मकान बनाने के लिए सबसे पहले अपनी आर्थिक स्थिति का जायजा लेना चाहिए। बहुत बार ऐसा होता है कि मकान बनाने की धुन में कई परिवार अपनी दूसरी ज़िम्मेदारियों को भूल जाते हैं, और वे सरकार, बैंक या बीमा कम्पनियों से कर्ज़ लेकर मकान बनाना शुरू कर देते हैं, लेकिन पैसे की कमी के कारण घर की खुराक, बच्चों की पढ़ाई और परिवार के सारे विकास पर बुरा असर पड़ता है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

प्रश्न 3.
मकान बनाते समय या किराये पर लेते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
मकान बनाते समय या किराये पर लेते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए

  1. मकान परिवार की जरूरतों के अनुसार ही बनाना चाहिए।
  2. मकान ऐसी जगह बनाना चाहिए जहाँ दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ शीघ्र तथा सुगमता से प्राप्त हो सकती हों।।
  3. नौकरी वाले लोगों के लिए नौकरी का स्थान तथा दकान समीप होनी चाहिए।
  4. अस्पताल तथा बाजार भी घर से बहत दूर नहीं होने चाहिएं।
  5. बच्चों के लिए स्कूल और कॉलेज नज़दीक होना चाहिए।
  6. डाकघर तथा बैंक भी नज़दीक होना चाहिए।

Home Science Guide for Class 7 PSEB मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मकान की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-
वर्षा, धूप, ठण्ड, आँधी-तूफान, जीव-जन्तु व आकस्मिक घटनाओं आदि से बचने के लिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

प्रश्न 2.
आदि काल में मनुष्य कहाँ रहते थे?
उत्तर-
गुफ़ाओं में।

प्रश्न 3.
प्राणी में जन्मजात चेतना क्या होती है?
उत्तर-
प्राणी अपने विकास के लिए ऐसे ठौर का निर्माण करना चाहता है जहाँ उसे सुख-शान्ति प्राप्त हो सके। यही जन्मजात चेतना होती है।

प्रश्न 4.
समय, श्रम व धन की बचत के लिए मकान कहाँ होना चाहिए?
उत्तर-
समय, श्रम व धन की बचत के लिए मकान, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, दफ्तर, बाजार आदि के निकट होना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मकान में व्यक्ति को कौन-कौन सी सुविधाएँ मिलती हैं?
उत्तर-
मकान में व्यक्ति को निम्न सुविधाएँ मिलती हैं

  1. सुरक्षात्मक सुविधाएँ
  2. कार्य करने की सुविधा
  3. शारीरिक सुख
  4. मानसिक शान्ति
  5. विकास एवं वृद्धि की सुविधा।

प्रश्न 2.
हमारा मकान कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
हमारा मकान ऐसा होना चाहिए जहाँ

  1. परिवार के सभी सदस्यों के पूर्ण विकास व वृद्धि का ध्यान रखा जाए।
  2. सदा प्रत्येक सदस्य की कार्य क्षमता को प्रोत्साहन दिया जाए।
  3. एक-दूसरे के प्रति सद्भावना व प्रेम से व्यवहार किया जाए।
  4. परिवार की आर्थिक स्थिति में पूर्ण योगदान दिया जाए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

प्रश्न 3.
मकान की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-

  1. वर्षा, धूप, ठण्ड, आँधी, तूफ़ान आदि से बचने के लिए।
  2. जीव-जन्तुओं, चोरों तथा आकस्मिक घटनाओं से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए।
  3. शान्तिपूर्वक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत करने के लिए।
  4. अपना तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए।

प्रश्न 4.
घर की दिशा के सम्बन्ध में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
घर का मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए। इस प्रकार सूर्य का प्रकाश तथा ताज़ा हवा सरलता से आ जा सकती है।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सुन्दर, सुरक्षाजनक व सुदृढ़ मकान बनाने के लिए कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिएं?
उत्तर-
मकान बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1. स्थिति (वातावरण)-स्वास्थ्यकर मकान के चुनाव में वातावरण का विशेष महत्त्व है। वातावरण पर ही घर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। गन्दे और दूषित वातावरण में बने अच्छे से अच्छे मकान भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। वातावरण की दृष्टि से निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

2. रेलवे स्टेशन, कारखाने, भीड़ वाले बाज़ार, शमशान घाट, कसाईखाना, तालाब, नदी, गन्दे नाले, सार्वजनिक शौचालय आदि के पास मकान नहीं बनवाना चाहिए।

  1. मकान सीलन भरी अंधेरी और तंग गलियों में नहीं बनवाना या लेना चाहिए।
  2. मकान अन्य घरों से बिल्कुल लगा हुआ नहीं होना चाहिए। मकानों में आपस में उचित दूरी होनी चाहिए।
  3. मकान ऊँचे स्थान पर होना चाहिए। पास के मकान बहुत ऊंचे नहीं होने चाहिएं।
  4. मकान खुली जगह पर होना चाहिए जिससे शुद्ध वायु एवं सूर्य का प्रकाश उचित मात्रा में मिल सकें।
  5. मकान जहाँ बनाया जाए वहाँ शुद्ध पेयजल सुगमता से प्राप्त हो सकें।
  6. घर से थोड़ी दूर पर कुछ वृक्ष हों तो वे लाभप्रद होते हैं। वे भूमि को सुखी रखते हैं तथा उनसे शुद्ध व ताजी वायु भी प्राप्त होती है।
  7. भूमि-भूमि इस प्रकार की होनी चाहिए कि वह पानी सोख सके। चिकनी मिट्टी मकान के लिए उपयुक्त नहीं होती क्योंकि उसमें पानी सोखने की क्षमता नहीं होती और उस पर बनाए गए मकान में सदैव सीलन बनी रहती है। ऐसी भूमि में कई प्रकार के रोग होने का भय रहता है। इसके अतिरिक्त मकान के चारों ओर पानी एकत्र हो जाने से उसकी नींव कमजोर पड़ जाती है। रेतीली भूमि गर्मियों में गर्म तथा सर्दियों में ठण्डी होती है। इसके साथ ही ऐसी भूमि पर बना हुआ मकान मज़बूत नहीं होता। कंकरीली भूमि मकान के लिए सबसे उत्तम रहती है क्योंकि ऐसी भूमि में नीव अधिक दृढ़ रहती है।

3. घर की दिशा-घर का मुख पूरब की ओर होना चाहिए। इससे सूर्य का प्रकाश व ताज़ी हवा आसानी से आ जा सकती है।

4. नींव-मकान को बनवाते समय यह भी अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि मकान की नींव गहरी हो। इसकी गहराई मकान की ऊँचाई पर निर्भर करती है। जितना मंजली व ऊँचा मकान होगा उतना ही अधिक भार नींव के ऊपर पड़ेगा, अत: उसी के अनुसार उसकी गहराई रखी जानी चाहिए। नींव के लिए जमीन को प्रायः तीन फुट गहरा खोदना चाहिए। इस नींव को दृढ़ बनाने के लिए इसको काफ़ी ऊँचाई तक कंकरीट और सीमेंट से भरा जाना चाहिए। मज़बूत नींव पर ही एक अच्छे मकान का निर्माण सम्भव है।

5. बनावट-मकान बनाने के लिए नक्शे व योग्य कारीगर का चयन करना चाहिए, जिससे मकान सुन्दर, सुविधाजनक व सुदृढ़ बने। मकान बनाते समय नींव के अलावा दीवारों, खिड़कियों, रोशनदानों, अलमारियों व छत आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे उचित व टिकाऊ मकान बने। मकान के फर्श पर भी अत्यधिक ध्यान देना चाहिए ताकि समय-समय पर उसे साफ़ करने व धोने में कोई कठिनाई न हो।

6. वायु आवागमन का प्रबन्ध-दूषित वायु की हानियों से बचने तथा शुद्ध वायु प्राप्त करने के लिए कमरों में वायु के आवागमन का उचित प्रबन्ध होना अत्यन्त आवश्यक है। कमरों में वायु के आवागमन के लिए यह उचित है कि दरवाज़े और खिड़कियों की संख्या अधिक हो और वे आमने-सामने हों जिससे कमरों में दूषित वायु रुकने न पाये। छत के समीप दीवार में रोशनदान का होना ज़रूरी है।

7. प्रकाश का प्रबन्ध-हवा के साथ घर में प्रकाश का भी उचित प्रबन्ध होना चाहिए। दिन के समय सूर्य के प्रकाश का कमरों में आना अत्यन्त आवश्यक है। सूर्य का प्रकाश अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। धूप हानिकारक कीटाणुओं का नाश करके वायु को शुद्ध करती है। यदि अन्धेरे कमरों में बहुत से लोग इकट्ठे रहते हों तो छूत के रोग, जैसे-खाँसी, जुकाम, निमोनिया, तपेदिक आदि होने की सम्भावना बढ़ जाती है। अतः मकानों में वायु के आवागमन, प्रकाश और धूप का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
सूर्य के प्रकाश के साथ-साथ हमें रात्रि के लिए भी प्रकाश का प्रबन्ध करना चाहिए। इसके लिए उस इलाके में बिजली की उपलब्धि भी होनी चाहिए।

आवश्यकताओं के साधन केन्द्र-मकान ऐसे स्थान पर होना चाहिए कि जीवन की दैनिक आवश्यकताओं के साधन-केन्द्र उस स्थान से अधिक दूरी पर न हों। विद्यालय, भी बैंक, कॉलेज, बाजार, डाकघर, अस्पताल अथवा डॉक्टर आदि अधिक दूर होने से समय तथा धन दोनों को अधिक व्यय होता है। मकान ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहाँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में सुविधा हो। मलमूत्र तथा गन्दे पानी का निकास-घरों में कमरों के धोने पर पानी के बाहर निकलने का उचित प्रबन्ध होना चाहिए, विशेषकर रसोई, स्नानागार तथा शौचालय में तो नालियों का प्रबन्ध होना अनिवार्य ही है। नालियाँ पक्की हों तथा ढलवी हो जिससे पानी आसानी से बह जाए। ये नालियाँ ढकी हुई होनी चाहिएं तथा उनमें फिनायल आदि डालते रहना चाहिए। नालियों में और दीवार पर कुछ ऊँचाई तक सीमेंट का प्रयोग अति आवश्यक है।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सरकार अपने कर्मचारियों को उनके वेतन का कितने प्रतिशत किराए के लिए भत्ते के रूप में देती है?
उत्तर-
10-15%

प्रश्न 2.
मित्र ……………. करके नहीं बनाए जा सकते।
उत्तर-
फैसला।

प्रश्न 3.
अच्छा पड़ोस जीवन में ……………….. के लिए आवश्यक है।
उत्तर-
खुशी!

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

प्रश्न 4.
…………. के बाद कुछ ज़मींदार परिवारों के पास बहुत पैसा आ गया है।
उत्तर-
हरित क्रान्ति।

प्रश्न 5.
घर का मुख किस तरफ होना चाहिए?
उत्तर-
पूर्व की तरफ।

प्रश्न 6.
………….. भूमि मकान के लिए उत्तम रहती है।
उत्तर-
पथरीली।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 6 मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व

मकान सम्बन्धी सामाजिक और आर्थिक तत्त्व PSEB 7th Class Home Science Notes

  • मकान बनाने के लिए सबसे पहले अपनी आर्थिक स्थिति का जायजा लेना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आमदनी से बचत करना ज़रूरी है।
  • बड़े शहरों में आमदनी का बहुत बड़ा भाग किराये पर खर्च हो जाता है।
  • मकान अपनी सामर्थ्य और सामाजिक स्तर के अनुसार बनाना चाहिए।
  • जिस गली या मुहल्ले में रहना हो, वहाँ के निवासियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति आपकी स्थिति के अनुसार होनी चाहिए।
  • अच्छा पड़ोस न केवल आपके जीवन की खुशी के लिए ज़रूरी है बल्कि आजकल के जीवन में आपकी सुरक्षा के लिए भी ज़रूरी है।
  • अच्छा मकान बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मकान परिवार की जरूरतों के अनुसार ही बने।
  • अधिक भीड़ वाले इलाकों, गन्दी बस्तियों में रह रहे लोगों की न केवल सेहत . ही खराब होगी बल्कि उसके आचरण पर भी खराब असर पड़ेगा।
  • उनमें अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

PSEB 7th Class Agriculture Guide पौष्टिक घरेलू बगीचा Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें :

प्रश्न 1.
भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान के अनुसार सेहतमंद व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी सब्जी खानी चाहिए ?
उत्तर-
280-300 ग्राम सब्जी।

प्रश्न 2.
भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन कितने फलों का सेवन करना चाहिए ?
उत्तर-
50 ग्राम फल।

प्रश्न 3.
विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग का नाम बताएं।
उत्तर-
अन्धराता।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 4.
मानव शरीर में लोहे की कमी के कारण होने वाले रोग का नाम बताएं।
उत्तर-
अनीमिया।

प्रश्न 5.
घरेलू बगीचे का मॉडल किस कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना।

प्रश्न 6.
कद जाति की कोई दो सब्जियों के नाम लिखो।
उत्तर-
कद्, तोरी, करेला, टिंडा।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 7.
घरेलू बगीचे में उगाए जा सकने वाले कोई दो फलदार पौधों के नाम लिखो।
उत्तर-
अमरूद, पपीता, नाशपाती, अंगूर।

प्रश्न 8.
घरेलू बगीचे में उगाए जा सकने वाले कोई दो जड़ी-बूटियों वाले पौधों के नाम लिखो।
उत्तर-
पुदीना, तुलसी, सौंफ, अजवायन।

प्रश्न 9.
संतुलित भोजन की पूर्ति के लिए आठ पारिवारिक सदस्यों को कितने क्षेत्र पर घरेलू बगीचा बनाना चाहिए ?
उत्तर-
तीन कनाल।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 10.
घरेलू बगीचा कहाँ बनाना चाहिए ?
उत्तर-
घर के नज़दीक।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें :

प्रश्न 1.
संतुलित भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व विद्यमान होते हैं ?
उत्तर-
संतुलित भोजन में सारे आवश्यक तत्त्व उचित मात्रा में होते हैं; जैसेकार्बोहाइड्रेट्स, खनिज, प्रोटीन, वसा, विटामिन, धातुएं आदि।

प्रश्न 2.
भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान की स्वस्थ मनुष्य के लिए भोजन संबंधी सिफ़ारिशें क्या हैं ?
उत्तर-
भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के द्वारा स्वस्थ मनुष्य के लिए प्रतिदिन के आहार में 280-300 ग्राम सब्जियां, 50 ग्राम फल तथा 80 ग्राम दालों की सिफ़ारिश की गई है।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 3.
घरेलू बगीचा घर के निकट क्यों बनाना चाहिए ?
उत्तर-
घरेलू बगीचा घर के निकट इसलिए बनाना चाहिए ताकि खाली समय में घर का कोई भी सदस्य बगीचे में काम कर सकता है।

प्रश्न 4.
मानव के भोजन में सब्जियों और फलों की क्या महत्ता है ?
उत्तर-
मानव के भोजन में सब्जियों तथा फलों का बहुत महत्त्व है क्योंकि इनमें कुछ ऐसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो अन्य भोजन पदार्थों में नहीं मिलते।

प्रश्न 5.
घरेलू बगीचे में कीड़े-मकौड़ों की रोकथाम के लिए कौन-से तरीके अपनाने चाहिएं ?
उत्तर-
गैर-रासायनिक तरीकों का उपयोग करके कीड़े-मकौड़ों की रोकथाम की जाती है।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 6.
घरेलू बगीचे में किस प्रकार की खाद का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
घरेलू बगीचे में रूड़ी खाद तथा घर के अपशिष्ट से तैयार कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 7.
घरेलू बगीचे में उगाई जा सकने वाली दालों के नाम लिखो।
उत्तर-
चने, मसूर, मूंगी, उड़द आदि।

प्रश्न 8.
फल-सब्जियों की बहुलता होने पर उनसे कौन-कौन से पदार्थ बनाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
फलों, सब्जियों की बहुलता होने पर शर्बत, जैम, आचार, मुरब्बे आदि बनाए जा सकते हैं।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 9.
घरेलू बगीचे के लिए स्थान के चुनाव के समय कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्थान का चुनाव, सब्जियों का चयन तथा योजना, खादों का प्रयोग, खरपतवार, कीटों तथा बीमारियों से रोकथाम, सब्जियों की तुड़ाई, जड़ी-बूटियां उगाना आदि को ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 10.
सब्जियों से मिलने वाले रेशे मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार लाभदायक हैं ?
उत्तर-
सब्जियों से मिलने वाले रेशे मनुष्य की पाचन क्रिया को ठीक रखते हैं।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
संतुलित भोजन से क्या अभिप्रायः है ?
उत्तर-
संतुलित भोजन में भिन्न-भिन्न आहारीय तत्त्व उचित मात्रा में होने चाहिएं, ताकि सभी पोषक तत्त्व; जैसे-कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, चर्बी, विटामिन, खनिज उचित मात्रा में मनुष्य को मिल सकें। इसलिए संतुलित आहार में अनाज, सब्जियां, दालें, दूध, फल, अण्डे, मीट, मछली आदि सारे आहारीय पदार्थ उचित मात्रा में होने चाहिएं। भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान की सिफारिशों के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन अपने भोजन में 280-300 ग्राम सब्जियां, 50 ग्राम फल तथा 80 ग्राम दालें शामिल करना आवश्यक है।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 2.
घरेलू बगीचे का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
घरेलू बगीचे की महत्ता तथा लाभ इस प्रकार हैं—

  1. संतुलित आहार की पूर्ति-घरेलू बगीचे में से आवश्यकता अनुसार सब्जियां, फल तथा दालों की पूर्ति हो जाती है।
  2. रसायनों से मुक्त आहार की प्राप्ति-घरेलू बगीचे में जो भी फसल उगाई जाती है उसमें रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता। इस तरह रसायनों से मुक्त आहार की प्राप्ति होती है।
  3. समय का उचित प्रयोग-घर के सदस्य जब भी खाली समय मिले, अपने समय का उचित प्रयोग कर सकते हैं।
  4. खर्च में कमी-घरेलू बगीचे में से प्राप्त फल, सब्जियां आदि बाज़ार से सस्ती पड़ती हैं।

प्रश्न 3.
घरेलू बगीचे में कीट और बीमारियों की रोकथाम कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
घरेलू बगीचे में खरपतवारनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है तथा कम ही करना चाहिए। खरपतवारों की रोकथाम गुडाई द्वारा करनी चाहिए। कीड़े-मकौड़ों को पैदा होते ही हाथ से ही पकड़ कर मार देना चाहिए। बीज प्रमाणित किस्म के होने चाहिएं। यदि कीड़ों या बीमारी का हमला हो तो कृषि विशेषज्ञों की सिफ़ारिश के अनुसार उचित मात्रा में रसायनों का प्रयोग करें। सुरक्षित रसायनों का ही प्रयोग करना चाहिए जो कोई अपशिष्ट न छोड़ें। यदि रसायनों का प्रयोग किया हो तो तुड़ाई इसका प्रभाव समाप्त होने पर ही करें।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 4.
घरेलू बगीचा बनाते समय किस प्रकार की ज़रूरी बातें ध्यान में रखनी चाहिएं ?
उत्तर-
घरेलू बगीचा बनाते समय आवश्यक बातें :
1. स्थान का चयन-घरेलू बगीचा घर के निकट ही होना चाहिए ताकि घर का कोई भी सदस्य जब खाली समय मिले बगीचे में काम कर सके। इस तरह घर के फालतू पानी का निकास भी बगीचे में किया जा सकता है।

2. सब्जियों का चयन तथा योजनाबंदी-घरेलू बगीचे में परिवार द्वारा पसंद की जाने वाली सब्जियों को पहल देनी चाहिए। कद्दू जाति की सब्जियों को बगीचे की बाहरी पंक्तियों में लगाया जाना चाहिए ताकि इनको वृक्षों या झाड़ियों पर चढ़ाया जा सके। ताज़ा प्रयोग होने वाली सब्जियां; जैसे—मूली, शलगम आदि को 15-15 दिनों के अंतर पर बोना चाहिए।

3. खादों का प्रयोग–रूड़ी खाद तथा घर में अपशिष्ट से बनी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए।

4. खरपतवार, कीट तथा बीमारियों की रोकथाम-घरेलू बगीचे में रसायनों का प्रयोग न के बराबर ही करना चाहिए। शुरू में कीटों को हाथ से पकड़ कर ही मार दें।
खरपतवार समाप्त करने के लिए गुडाई करें तथा प्रमाणित किस्म के बीज ही बोने चाहिएं। आवश्यकतानुसार विशेषज्ञों द्वारा सिफ़ारिश किए रसायन ही उचित मात्रा में प्रयोग करें।

5. सब्जियों की तुड़ाई-सब्जियों की तुड़ाई समय पर करते रहना चाहिए। अधिक मात्रा में होने पर जैम, आचार, मुरब्बे आदि बना लेने चाहिएं।

6. जड़ी-बूटियां लगाना-घरेलू बगीचे में तुलसी, पुदीना, अजवायन, सौंफ, नीम, कड़ी पत्ता आदि भी लगाने चाहिएं।

प्रश्न 5.
संतुलित भोजन की पूर्ति के लिए तीन कनाल पर विकसित किये गये घरेलू बगीचे के मॉडल का रेखाचित्र तैयार करो।
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

Agriculture Guide for Class 7 PSEB पौष्टिक घरेलू बगीचा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
तीन कनाल में कितने वर्ग मीटर होते हैं ?
उत्तर-
1500 वर्ग मीटर।

प्रश्न 2.
फरवरी माह में बोई जाने वाली कोई सब्जी बताओ।
उत्तर-
करेला, घीया, तोरी।

प्रश्न 3.
अगस्त में बोई जाने वाली कोई सब्जी बताओ।
उत्तर-
धनिया, छोटे बैंगन।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 4.
तीन कनाल घरेलू बगीचे में एक कनाल किस काम के लिए है ?
उत्तर-
एक कनाल सब्जी बोने के लिए है।

प्रश्न 5.
घरेलू बगीचे में कौन-सी दिशा में फलदार पौधे लगाने चाहिएं।
उत्तर-
उत्तर-दिशा की तरफ।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घरेलू बगीचे में फलदार पौधे उत्तर दिशा में क्यों लगाए जाने चाहिएं ?
उत्तर-
इस तरह करने से उनकी छाया का बुरा प्रभाव सब्जियों की पैदावार पर नहीं पड़ता।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा

प्रश्न 2.
घरेलू बगीचे में कौन-सी सब्जियों को पहल देनी चाहिए ?
उत्तर-
घरेलू बगीचे में परिवार द्वारा पसंद की जाने वाली सब्जियों को पहल देनी चाहिए।

प्रश्न 3.
कम समय लेने वाली सब्जियों को घरेलू बगीचे में कहां बोना चाहिए ?
उत्तर-
कम समय लेने वाली सब्जियों को लम्बा समय लेने वाली सब्जियों के बीच खाली जगह पर बोना चाहिए।

प्रश्न 4.
कम समय लेने वाली सब्ज़ियां तथा लम्बा समय लेने वाली सब्जियां जो घरेलू बगीचे में होती हैं। कौन सी हैं ?
उत्तर-
कम समय वाली सब्जियां हैं-मूली, पालक, शलगम आदि तथा लम्बा समय लेने वाली सब्जियां हैं-टमाटर, बैंगन, भिंडी आदि।

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा तैयार घरेलू बगीचे के मॉडल की जानकारी दें।
उत्तर-
यह मॉडल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा तीन कनाल स्थान के लिए तैयार किया गया है। इस मॉडल के अनुसार एक परिवार के आठ सदस्यों के लिए आवश्यक दालें, सब्जियां तथा फल पैदा किए जा सकते हैं। इस मॉडल के अनुसार एक कनाल क्षेत्रफल में सब्जियां तथा दो कनाल में दालों की पैदावार की जाती है। घरेलू बगीचे में बिना ज़हर वाली ताज़ी पैदावार मिल जाती है। रबी (आषाढ़ी) में चने, मसूर तथा खरीफ (सावनी) में मूंगी, उड़द आदि की कृषि की जा सकती है। बगीचे में उत्तर दिशा की तरफ दो पंक्तियों में फलदार पौधे लगा कर फलों की आवश्यकता पूरी की जा सकती है।
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 7 पौष्टिक घरेलू बगीचा 1
चित्र-घरेलू बगीचा

पौष्टिक घरेलू बगीचा PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • अच्छी सेहत के लिए संतुलित आहार बहुत आवश्यक है।
  • फलों तथा सब्जियों में ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो अन्य भोजन पदार्थों में नहीं होते।
  • स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 280-300 ग्राम सब्जियां, 50 ग्राम फल तथा 80 ग्राम दालों की आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान समय में सब्जियों तथा फलों के ऊपर आवश्यकता से अधिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है।
  • घरेलू बगीचा मनोरंजन का साधन भी बन सकता है।
  • घरेलू बगीचे में पैदा सब्जियां तथा फल बाज़ार से सस्ते पड़ते हैं।
  • पी०ए०यू० लुधियाना द्वारा घरेलू बगीचे का मॉडल तैयार किया गया है जिस के अनुसार एक परिवार के आठ सदस्यों के लिए तीन कनाल क्षेत्रफल में से दालें, सब्जियां तथा फल पैदा किए जा सकते हैं।
  • घरेलू बगीचा घर के पास ही होना चाहिए।
  • कदू जाति की सब्जियां हैं-घीया कद्दू, तोरी, करेले, टिंडे, खरबूजे आदि।
  • मूली, पालक, शलगम आदि कम समय में तैयार होने वाली सब्जियां हैं।
  • घरेलू बगीचे में रूड़ी की खाद का प्रयोग किया जाता है।
  • घरेलू बगीचे में खरपतवार की रोकथाम गुडाई करके करनी चाहिए।
  • सब्जियों की तुड़ाई समय पर करते रहना चाहिए।
  • घरेलू बगीचे में जड़ी-बूटी; जैसे-पुदीना, सौंफ, अजवायन, तुलसी, कड़ी-पत्ता – आदि बोई जा सकती हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 4 महासागर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 4 महासागर

SST Guide for Class 7 PSEB महासागर Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 1-15 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
सागर का जल खारा क्यों होता है?
उत्तर-
सागर के जल में कई लवण घुले होते हैं। इसी कारण सागरीय जल खारा होता है।

प्रश्न 2.
न्यूफाऊण्डलैंड के पास हर समय घनी धुन्ध क्यों रहती है?
उत्तर-
न्यूफाऊण्डलैंड के पास खाड़ी की ऊष्ण धारा तथा लेब्राडोर की शीत धारा आपस में मिलती है। इसी कारण वहां सदा सघन धुन्ध रहती है।

प्रश्न 3.
दक्षिणी अन्ध महासागरीय चक्र की मुख्य धाराओं के नाम बताओ।
उत्तर-
दक्षिणी अन्ध महासागर की प्रमुख धाराएं हैं-फाकलैंड की धारा तथा बैंगुएला की धारा।

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प्रश्न 4.
खाड़ी की धारा के मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर-
खाड़ी की धारा मैक्सिको खाड़ी से प्रारम्भ होकर न्यूफाऊण्डलैंड के टापुओं तक पहुंचती है।

प्रश्न 5.
उत्तरी शान्त महासागरीय चक्र की मुख्य धाराओं के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. उत्तरी भूमध्य रेखा की धारा
  2. कुरोश्विो की धारा
  3. उत्तरी प्रशान्त महासागरीय धारा
  4. कैलिफोर्निया की धारा।

प्रश्न 6.
सुनामी से क्या भाव है?
उत्तर-
सुनामी एक जापानी शब्द है जो कि दो शब्दों TSO (अर्थात् किनारा) और NAMI (अर्थात् पानी की ऊंची और लम्बी छड़ी) के मेल से बना है। इस प्रकार सुनामी का अर्थ है समुद्र के तटों पर टकराने वाली लम्बी ऊँची समुद्री लहरें।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
बड़े ज्वार-भाटे तथा लघु ज्वार-भाटे में क्या अन्तर है?
उत्तर-
बड़ा ज्वार-भाटा-जब सागर के जल की ऊंचाई सबसे अधिक होती है तो उसे बड़ा ज्वार-भाटा कहा जाता है। बड़ा ज्वार-भाटा केवल अमावस और पूर्णिमा को आता है। अमावस तथा पूर्णिमा को सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं और सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों मिल कर सागर के जल को अपनी ओर खींचते हैं।
लघु (छोटा) ज्वार-भाटा-लघु (छोटा) ज्वार भाटा चन्द्रमा की सातवीं तथा इक्कीसवीं तिथि को आता है। यह नीचा होता है।

इन तिथियों को सूर्य तथा चन्द्रमा पृथ्वी के साथ 90° का कोण बनाते हैं और दोनों ही अपनी शक्ति से जल को अपनी ओर खींचते हैं। क्योंकि चन्द्रमा जल के अधिक निकट होता है, इसलिए जल चन्द्रमा की ओर ही उछलता है। सूर्य का आकर्षण दूसरी दिशा में होने के कारण जल का उछाल अधिक ऊंचा नहीं होता।

प्रश्न 2.
गर्म धारा और ठण्डी धारा में क्या अन्तर है?
उत्तर-
(1) भूमध्य रेखा की ओर से आने वाली धाराएं गर्म होती हैं और भूमध्य रेखा की ओर आने वाली धाराएं सदा ठण्डी होती हैं।

(2) ऊष्ण (गर्म) जलधारा का जल इतना अधिक गर्म नहीं होता। इसी प्रकार शीत (ठण्डी) जलधारा का जल अधिक शीत नहीं होता। यह केवल अपने समीप के जल की तुलना में अधिक गर्म या ठण्डा लगता है।

(3) गर्म जलधारा जल के ऊपरी भाग में तथा ठण्डी धारा जल के नीचे प्रवाहित होती है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 1

प्रश्न 3.
हिन्द महासागर की धाराएं इतनी निश्चित तथा नियमित क्यों नहीं?
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिन्द महासागर में बहने वाली धाराएं नियमित तथा निश्चित नहीं हैं। इसका मुख्य कारण हिन्द महासागर में चलने वाली मौसमी पवनें हैं। ये पवनें गर्मी में दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में परन्तु सर्दी में उत्तरपूर्व दिशा में चलती हैं। इस परिवर्तन के कारण सागरीय धाराएं भी ऋतु के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं। अतः स्पष्ट है कि ये धाराएं निश्चित एवं नियमित नहीं हो सकती।

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प्रश्न 4.
“बर्तानिया की पश्चिमी बन्दरगाहें सर्दी की ऋतु में भी खुली रहती हैं, जबकि इन्हीं अक्षांशों पर स्थित उत्तरी अमेरिका की पूर्वी बन्दरगाहें इस ऋतु में बर्फ जमने के कारण बन्द पड़ी रहती हैं।” कारण बताओ।
उत्तर-
धाराओं का किसी देश की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शीत ऋतु में बर्तानिया के उत्तर-पश्चिम में सर्दी पड़ती है परन्तु उत्तरी अन्ध महासागरीय धारा पश्चिमी पवनों के प्रभावाधीन पूर्व दिशा की ओर मुड़ जाती है। यह उष्ण धारा बर्तानिया के उत्तर-पश्चिम से होती हुई सुदूर नार्वे, स्वीडन के ठण्डे देशों तक पहुंचती हैं। अपने उष्ण प्रभाव के कारण सर्दी की ऋतु में भी बर्तानिया की पश्चिमी बन्दरगाहें खुली रहती हैं। परन्तु ऐसा वातावरण न मिलने के कारण उत्तरी अमेरिका की पूर्वी बन्दरगाहों में बर्फ जम जाती है और वे बन्द हो जाती हैं।

प्रश्न 5.
‘ज्वार-भाटा जहाजों के लिए बड़ा लाभदायक सिद्ध होता है।’ कैसे?
उत्तर-
1. ज्वार-भाटा के कारण नदियों के मुहानों में से कीचड़ तथा मिट्टी बहती रहती है। परिणामस्वरूप इन तटों पर स्थित बन्दरगाहों पर मिट्टी नहीं जमती और जहाज़ दूर अन्दर तक आ-जा सकते हैं।

2. बड़े तथा भारी जहाज़ दूर गहरे समुद्र में खड़े ज्वार-भाटों की प्रतीक्षा करते हैं। जब जल में चढ़ाव आता है तो जहाज़ भी उसके साथ बन्दरगाहों तक पहुंच जाते हैं। बन्दरगाहों पर माल उतार कर वे फिर ज्वार-भाटों की प्रतीक्षा करते हैं ताकि सागर की ओर सुगमता से वापिस जाया जा सके। कोलकाता तथा लन्दन की बन्दरगाहें इसके अच्छे उदाहरण हैं।

प्रश्न 6.
बड़ा ज्वार-भाटा पूर्णिमा तथा अमावस को क्यों आता है?
उत्तर-
बड़ा ज्वार-भाटा के समय सागरीय पानी का चढ़ाव अधिक होता है। यह सदा पूर्णिमा तथा अमावस के दिन ही होता है। इसका कारण यह है कि इन दोनों तिथियों को सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक ही सीध में आ जाते हैं। इस तिथि को सूर्य और चन्द्रमा मिलकर महासागरीय जल को अपनी ओर खींचते हैं। इस दोहरे आकर्षण के कारण लहरों का उछाल बढ़ जाता है जिसे बड़ा ज्वार-भाटा कहते हैं।

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प्रश्न 7.
खाड़ी की धारा यूरोप की जलवायु पर क्या प्रभाव डालती है?
उत्तर-
खाड़ी की धारा को अंग्रेज़ी में गल्फ स्ट्रीम कहते हैं। यह संसार की सबसे महत्त्वपूर्ण उष्ण जलधारा है। इसकी चौड़ाई लगभग 400 किलोमीटर तक है। इसका जल 5 किलोमीटर प्रति घण्टा के वेग से बहता है। न्यूफाऊण्डलैंड के समीप इस धारा में लैब्राडोर की शीत धारा आ मिलती है। परिणामस्वरूप यहां गहन धुन्ध छाई रहती है। यहां मछलियां भी अधिक मात्रा में मिलती हैं। इसके बाद यह यूरोप की ओर मुड़ जाती हैं। इसके कारण उत्तर-पश्चिमी यूरोप में शीत ऋतु अधिक ठण्डी नहीं होती। इसके अतिरिक्त यूरोप के तटीय भागों में वर्षा होती है।

प्रश्न 8.
सारागासो सागर क्या है तथा कैसे बनता है?
उत्तर-
उत्तरी अन्ध महासागर की धाराएं भूमध्य रेखा से आरम्भ होकर उत्तर की ओर जाती हैं। जाते हुए यह अमेरिका के तट के साथ-साथ आगे बढ़ती हैं और लौटते समय यूरोप के तट के साथ होते हुए फिर से भूमध्य रेखा की धारा के साथ मिल कर चक्र पूरा कर लेती हैं। इस प्रकार यह धारा चक्र घड़ीवत् दिशा में ही चलता है। महासागरों का जो भाग इस चक्र के बीच आ जाता है, उसे सारागासो सागर कहा जाता है।

प्रश्न 9.
सागरी लहरों तथा धाराओं में क्या अन्तर है?
उत्तर-
सागर का पानी सदा ऊंचा-नीचा होता रहता है। ऋतु की दशानुसार यह गति कभी तेज़ हो जाती है, कभी मन्द जिससे लहरें या तरंगें पैदा होती हैं। जल-कण ऊपर नीचे दौड़ते हैं जिससे सागर में सिलवटें पड़ी हुई दिखाई देती हैं।

जब सागर का जल किसी निश्चित दिशा की ओर चल पड़ता है तो उसे महासागरीय धारा कहा जाता है। महासागर में बड़े नियमित ढंग से जल एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान की ओर चलता रहता है। प्रायः धारा की गति 2 कि० मी० प्रति घण्टा से 10 कि० मी० प्रति घण्टा तक हो सकती है।

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प्रश्न 10.
सुनामी से सम्बन्धित किसी स्थान का वृत्तांत लिखो।
उत्तर-
26 दिसम्बर, 2004 को हिन्द महासागर में ज़बरदस्त सुनामी लहरें आईं। ये समुद्र के तल पर 9.0 के रिचर पैमाने पर आए भूकम्प के कारण उत्पन्न हुईं। इस भूकम्प का अधिकेन्द्र इण्डोनेशिया का पश्चिमी तट था। कुछ घण्टों में ही इन समुद्री लहरों ने 11 हिन्द महासागरीय देशों में भारी विनाश ला दिया। इनके कारण. कितने ही लोग बह गए और कितने ही घर डूब गए। इनके कारण समुद्री तट पर अफ्रीका से लेकर थाईलैंड तक अनेक देश बुरी तरह से प्रभावित हुए।

भारत सरकार के अनुमान के अनुसार लगभग 5322 करोड़ की जान-माल की हानि हुई। भारत में सबसे अधिक विनाश तमिलनाडु, केरल, आन्ध्र प्रदेश तथा पाण्डेचेरी में हुआ। इसमें दो लाख से भी अधिक लोग मारे गए और इससे कई गुणा लोग बेघर हो गए।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125-130 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
महासागरीय धाराएं क्यों चलती हैं? इनका किसी देश की जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
किसी निश्चित दिशा में बहने वाले महासागरीय जल को महासागरीय धारा कहते हैं। ये वास्तव में समुद्र के अन्दर बहने वाली गर्म और ठण्डे जल की नदियां होती हैं जिनके किनारों का जल स्थिर होता है।
चलने के कारण-महासागर धाराओं के चलने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

1. प्रचलित पवनें-प्रचलित पवनें सदा एक ही दिशा में चलती रहती हैं। ये समुद्र के जल को भी अपने साथ बहा कर ले जाती हैं। इस तरह धाराएं उत्पन्न होती हैं।

2. तापमान में अन्तर-भूमध्य रेखीय प्रदेशों में तापमान अधिक होता है। इस कारण वहां सागर का जल फैलता है और फैल कर ध्रुवों की ओर बढ़ता है। दूसरी ओर ध्रुवों पर तापमान कम होता है और वहां का जल भीतर-ही-भीतर भूमध्य रेखा की ओर बढ़ने लगता है। इस प्रकार जल-धाराओं का जन्म होता है।

3. लवणों में अन्तर-समुद्र के जल में अनेक लवण घुले होते हैं। जिस जल में लवण अधिक होते हैं, वह जल भारी होकर नीचे बैठ जाता है। इसका स्थान लेने के लिए कम लवण वाला हल्का जल इसकी ओर बहने लगता है। इस कारण धारा उत्पन्न हो जाती है।

4. महाद्वीपीय तटों की बनावट-जल धाराएं महाद्वीपों के तटों के साथ-साथ बहती हैं। अतः महाद्वीपों के तटों की बनावट धाराओं को नई दिशा देती है। दिशा परिवर्तन के साथ ही एक नई धारा का जन्म होता है।

प्रभाव-समुद्री धाराएं अपने आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु पर गहरा प्रभाव डालती हैं। गर्म धारा अपने पास के प्रदेशों की जलवायु को गर्म और ठण्डी धारा ठण्डा बना देती है। दूसरे, जिन देशों के पास से गर्म धाराएं गुज़रती हैं, वहां भारी वर्षा होती है, परन्तु जिन-जिन स्थानों के निकट से शीत धाराएं गुज़रती हैं, वहां कम वर्षा होती है और वे स्थान मरुस्थल बन जाते हैं। इसके अतिरिक्त जहां उष्ण और शीत धाराएं आपस में मिलती हैं, वहां गहरी धुन्ध छा जाती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर

प्रश्न 2.
अन्ध महासागरीय धाराओं का वर्णन विश्व के मानचित्र में दर्शा कर करें।
उत्तर-
अन्ध महासागर की धाराओं के दो निश्चित चक्र हैं-(1) उत्तरी चक्र तथा (2) दक्षिणी चक्र।
I. उत्तरी चक्र
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 2

1. उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा-भूमध्य रेखा के उत्तर में समुद्र का जल व्यापारिक पवनों के कारण पूर्व से पश्चिम की ओर बहने लगता है। इस धारा को उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा कहते हैं। यह गर्म पानी की धारा है।

2. गल्फ स्ट्रीम अथवा खाड़ी की धारा-उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा अफ्रीका की ओर से अमेरिका की ओर बहती है। जब यह धारा अमेरिका के पूर्वी तट के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम की ओर जाती है, तो इसका नाम खाड़ी की धारा पड़ जाता है। अंग्रेज़ी में इसे गल्फ स्ट्रीम कहते हैं। यह धारा मैक्सिको से प्रारम्भ होकर न्यूफाऊण्डलैंड के टापुओं तक पहुंचती है।

3. लैब्राडोर की धारा-यह शीत धारा है। यह उत्तर की ओर से आकर न्यूफाउण्डलैंड के टापुओं के पास खाड़ी की धारा में आ मिलती है।

4. उत्तरी महासागरीय धारा-न्यूफाऊण्डलैंड के पश्चात् खाड़ी की धारा पश्चिमी पवनों के प्रभाव में पूर्व की ओर हो जाती है। यहां इसे उत्तरी महासागरीय धारा कहते हैं।

5. कनेरी की धारा-उत्तरी महासागर की धारा यूरोप के पश्चिमी तट के साथ टकराती है जिससे इसके दो भाग हो जाते हैं। इसका एक भाग दक्षिण की ओर प्रवाहित होता है, जिसे कनेरी की धारा कहते हैं। यह शीत जल की धारा है। यह धारा अन्ततः भूमध्य रेखा की धारा में मिलकर उत्तरी चक्र को पूरा कर देती है।

II. दक्षिणी चक्र

यह चक्र घड़ी की विपरीत दिशा से चलता है।
1. दक्षिणी भूमध्य रेखीय धारा-यह गर्म पानी की धारा है। भूमध्य रेखा के दक्षिण में व्यापारिक पवनों के प्रभाव के कारण समुद्र का जल पूर्व से पश्चिम की ओर बहने लगता है। इसे दक्षिणी भूमध्य रेखीय धारा कहते हैं।

2. ब्राज़ील की धारा–भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा जब ब्राज़ील के तट के साथ टकराती है तो इसके दो भाग हो जाते हैं। इसका जो भाग ब्राजील के तट के साथ दक्षिण की ओर बहता है, उसे ब्राज़ील की धारा कहते हैं।

3. फाकलैंड की धारा-ब्राज़ील की धारा में दक्षिण की ओर से शीतल जल की धारा आकर मिल जाती है। इसी धारा को फाकलैंड की धारा कहते हैं। फिर यह धारा पश्चिमी पवनों के प्रभाव में आकर पूर्व की ओर मुड़ जाती है। इसे पश्चिमी पवनों का झाल कहा जाता है।
उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा तथा दक्षिणी भूमध्य रेखीय धारा के बीच विरोधी भूमध्य रेखीय धारा बहती है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है।

4. बेंगुएला की धारा-यह ठण्डे पानी की धारा है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमी पवनों के झाल से होती है। यह दक्षिणी अफ्रीका के पश्चिमी तट के साथ-साथ उत्तर की ओर बहती है।

प्रश्न 3.
शांत (प्रशान्त ) महासागर की धाराओं का वर्णन विश्व के मानचित्र में दर्शा कर करें।
उत्तर-
प्रशान्त महासागर संसार का सबसे बड़ा और गहरा महासागर है। इसकी धाराओं को क्रमश: दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है-1. उत्तरी चक्र
2. दक्षिणी चक्र।
I. उत्तरी चक्र

1. उत्तरी भूमध्य रेखा की धारा-प्रशान्त महासागर के उत्तरी भाग में व्यापारिक पवनें चलती रहती हैं। इन पवनों के प्रभाव के कारण महासागर में पूर्व से पश्चिम की ओर एक जल धारा बहने लगती है। इस धारा को उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा कहते हैं, जो गर्म पानी की धारा है।

2. कुरोशीवो की धारा-उत्तरी भूमध्य रेखा की धारा पूर्वी द्वीप के पास पहुँच कर उत्तर की ओर बहती है। यहां इसका नाम कुरोशीवो की धारा है।

3. उत्तरी प्रशान्त महासागरीय धारा-कुरोशीवो की धारा जब एशिया के पूर्वी तटों से टकराती है तो यह उत्तरपूर्व की ओर बहने लगती है। इसे उत्तरी प्रशान्त महासागरीय धारा कहते हैं।

4. कैलीफोर्निया की धारा-उत्तरी प्रशान्त महासागरीय धारा उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ टकराती है। यहां इसके दो भाग हो जाते हैं। इसका एक भाग अलास्का की धारा तथा दूसरा भाग कैलीफोर्निया की धारा कहलाता है क्योंकि कैलीफोर्निया की धारा ध्रुवों की ओर से आती है इसलिए यह शीत धारा है।

II. दक्षिणी चक्र
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 3

1. भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा-भूमध्य रेखा के दक्षिण में समुद्र का जल व्यापारिक पवनों के प्रभाव के कारण पूर्व से पश्चिम की ओर बहने लगता है। इसे भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा कहते हैं जो गर्म पानी की धारा है।

2. पूर्वी आस्ट्रेलिया की धारा-यह भी गर्म पानी की धारा है। भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा पूर्वी-द्वीप समूह में पहुंच कर दक्षिण की ओर मुड़ जाती है और आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के पास से बहने लगती है। इसे पूर्वी आस्ट्रेलिया की धारा कहते हैं।

3. दक्षिणी प्रशान्त महासागरीय धारा-यह गर्म पानी की धारा है। पूर्वी आस्ट्रेलिया की धारा पश्चिमी पवनों के कारण पूर्व की ओर बहने लगती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में होने के कारण यह धारा पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इसे दक्षिणी प्रशान्त महासागरीय धारा कहते हैं।

4. पीरू की धारा-यह ठण्डे पानी की धारा है। दक्षिणी प्रशान्त महासागरीय धारा का एक भाग दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट से टकराता है और दक्षिण से उत्तर की ओर बहने लगता है। इसे पीरू की धारा कहते हैं। यह धारा भूमध्य रेखा की धारा में मिल कर प्रशांत महासागर की धाराओं के चक्र को पूरा कर देती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर

प्रश्न 4.
ज्वार भाटा कैसे उत्पन्न होता है? चित्र बनाकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
ज्वार-भाटा-समुद्र का पानी दिन में दो बार तट की ओर चढ़ता है तथा दो बार नीचे उतरता है। समुद्र के पानी के इसी उतार-चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहते हैं।

ज्वार-भाटा आने का कारण-ज्वार-भाटा सूर्य और चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण आता है। यूं तो सूर्य की आकर्षण शक्ति चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति से कई गुना अधिक है, परन्तु चन्द्रमा के पृथ्वी के अधिक निकट होने के कारण सागरीय जल पर इसकी आकर्षण शक्ति का अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति को ही ज्वार-भाटे का मुख्य कारण माना जा सकता है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 4
बड़ा ज्वार-भाटा-बड़े ज्वार-भाटे से अभिप्राय लहरों के अत्यधिक ऊंचा उठने से है। ऐसा उस समय होता है जब सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों मिल कर सगार के जल को अपनी ओर खींचते हैं। बड़ा ज्वार-भाटा केवल अमावस्या तथा पूर्णिमा को ही आता है। इन दोनों दिनों में सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं। अतः चन्द्रमा और सूर्य मिल कर सागर के जल को अपनी ओर खींचते हैं। इसलिए सागर के जल की ऊंचाई अन्य दिनों की तुलना में अधिक होती है। इसे बड़ा ज्वार-भाटा कहते हैं।

छोटा ज्वार-भाटा-चन्द्रमा की सातवीं तथा इक्कीसवीं तिथि को चन्द्रमा और सूर्य दोनों ही पृथ्वी के साथ समकोण (90°) बनाते हैं। अतः वे दोनों ही सागर के जल को अपनी-अपनी ओर खींचते हैं। क्योंकि चन्द्रमा सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी के निकट है इसलिए सागर का जल चन्द्रमा की ओर से ही उछलता है। परन्तु जल में सूर्य के खिंचाव के कारण चन्द्रमा
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 5
की आकर्षण शक्ति इतनी कम रह जाती है कि सागर का जल एक साधारण लहर से अधिक ऊंचा नहीं उठ पाता। इसे छोटा ज्वार-भाटा कहते हैं।

प्रश्न 5.
जलधारा (महासागरीय धारा) क्या है? इनकी उत्पत्ति के क्या कारण हैं?
उत्तर-
समुद्र के पानी का वह भाग जो निश्चित क्रम से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर निश्चित दिशा में चलता है, उसे जलधारा अथवा महासागरीय धारा कहते हैं। ये वास्तव में समुद्र के अन्दर बहने वाली गर्म और ठण्डे जल की नदियां होती हैं जिनके किनारे स्थिर पानी के बने होते हैं।
चलने के कारण-महासागरीय धाराओं के चलने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

1. प्रचलित पवनें-प्रचलित पवनें सदा एक ही दिशा में चलती रहती हैं। ये समुद्र के जल को भी अपने साथ बहा कर ले जाती हैं। इस तरह धाराएं उत्पन्न होती हैं।

2. तापमान में अन्तर-भूमध्य रेखीय प्रदेशों में तापमान अधिक होता है। इस कारण वहां सागर का जल फैलता है और ध्रुवों की ओर बढ़ता है। दूसरी ओर ध्रुवों पर तापमान कम होता है और वहां का जल भीतर-ही-भीतर भूमध्य रेखा की ओर बढ़ने लगता है। इस प्रकार जल-धाराओं का जन्म होता है।

3. लवणों में अन्तर-समुद्र के जल में अनेक लवण घुले होते हैं। जिस जल में लवण अधिक होते हैं, वह जल भारी होकर नीचे बैठ जाता है। इसका स्थान लेने के लिए कम लवण वाला हल्का जल इसकी ओर बहने लगता है। इस कारण धारा उत्पन्न हो जाती है।

4. महाद्वीपीय तटों की बनावट-जल धाराएं महाद्वीपों के तटों के साथ-साथ बहती हैं। अत: महाद्वीपों के तटों की बनावट धाराओं को नई दिशा देती है। दिशा परिवर्तन के साथ ही एक नई धारा का जन्म होता है।

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PSEB 7th Class Social Science Guide महासागर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
महासागर किसे कहते हैं? महासागर की कोई एक विशेषता बताओ।
उत्तर-
धरातल पर जल के कुछ विशाल भण्डार (खण्ड) पाए जाते हैं। इन्हीं विशाल जल खण्डों को महासागर कहते हैं। इनका जल खारा होता है।

प्रश्न 2.
ज्वार-भाटा किसे कहते हैं?
उत्तर-
समुद्र का पानी दिन में दो बार तट की ओर ऊपर चढ़ता है और नीचे उतरता है। समुद्र के पानी के इस उतार-चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहते हैं।

प्रश्न 3.
बड़ा ज्वार-भाटा पूर्णिमा तथा अमावस्या को क्यों आता है?
उत्तर-
पूर्णिमा और अमावस्या को चन्द्रमा के साथ सूर्य का आकर्षण भी मिल जाता है। इस दोहरे आकर्षण के कारण ज्वार-भाटा की ऊंचाई बढ़ जाती है जिसे- बड़ा ज्वार-भाटा कहते हैं।

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प्रश्न 4.
महासागरीय जल की कितनी गतियां हैं और कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-
महासागरीय जल की तीन गतियां हैं। इनके नाम हैं-लहरें, सागरीय धाराएं तथा ज्वार-भाटा।

प्रश्न 5.
लहर और सागरीय धारा में कोई एक अन्तर बताओ।
उत्तर-
लहर में जल ऊंचा-नीचा होता रहता है, परन्तु यह गति नहीं करता। इसके विपरीत सागरीय धारा में जल एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर गति करता रहता है।

प्रश्न 6.
हमारी पृथ्वी पर कितने महासागर हैं? इनके नाम तथा मुख्य विशेषता बताओ।
उत्तर-हमारी पृथ्वी पर पांच महासागर हैं। इनके नाम हैं –

  1. प्रशान्त महासागर
  2. अन्ध महासागर
  3. हिन्द महासागर
  4. उत्तरी ध्रुव हिम (आर्कटिक) महासागर
  5. दक्षिणी ध्रुव हिम (अंटार्कटिक) महासागर। ये सभी महासागर एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनका पानी एक-दूसरे में मिलता रहता है।

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प्रश्न 7.
किन्हीं चार महासागरों का क्षेत्रफल बताओ।
उत्तर-
महासागर – क्षेत्रफल (करोड़ वर्ग कि० मी०)

  1. प्रशान्त महासागर – 16.6
  2. अन्ध महासागर – 8.2
  3. हिन्द महासागर – 7.3
  4. उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक) हिम महासागर – 1.3

प्रश्न 8.
ताजे पानी और नमकीन पानी में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-
ताज़ा पानी-वर्षा, पिघलती बर्फ, नदियों, नहरों, नल-कूपों आदि द्वारा लाया गया पानी ताज़ा पानी होता है।
नमकीन पानी-झीलों, बन्द सागरों और खुले समुद्रों का पानी नमकीन होता है। सबसे अधिक नमक की मात्रा मृत सागर में है। यह सागर सभी ओर से स्थल से घिरा हुआ है।

प्रश्न 9.
संसार की सबसे महत्त्वपूर्ण उष्ण जलधारा कौन-सी है? यह कहां से कहां तक चलती है?
उत्तर-
संसार की सबसे महत्त्वपूर्ण उष्ण जलधारा खाड़ी की धारा है। यह मैक्सिको की खाड़ी से प्रारम्भ होकर न्यूफाऊण्डलैंड के टापुओं तक पहुंचती है।

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प्रश्न 10.
नार्वे के मछुआरे समुद्र में दूर तक मछलियां पकड़ने क्यों चले जाते हैं?
उत्तर-
नार्वे के समीप से होकर उत्तरी महासागरीय उष्ण धारा बहती है। इसके उष्ण प्रभाव के फलस्वरूप ही नार्वे के मछेरे दूर तक मछलियां पकड़ने चले जाते हैं।

प्रश्न 11.
पश्चिमी यूरोपीय देशों की पश्चिमी बन्दरगाहें सर्दी की ऋतु में भी क्यों खुली रहती हैं?
उत्तर-
उत्तरी महासागरीय धारा के उष्ण प्रभाव के कारण पश्चिमी यूरोपीय देशों की पश्चिमी बन्दरगाहें सर्दियों में भी खुली रहती हैं। उष्ण प्रभाव के कारण ये जमती नहीं हैं।

प्रश्न 12.
“शीत धाराओं के निकटवर्ती प्रदेशों में मरुस्थल पाए जाते हैं।” क्यों?
उत्तर-
जब कोई पवन शीत धारा के ऊपर से गुज़रती है तो यह ठण्डी और शुष्क हो जाती है। अतः शीत धाराओं के निकटवर्ती प्रदेशों में मरुस्थल बन जाते हैं।

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प्रश्न 13.
महासागरीय धाराएं जहाज़रानी पर क्या प्रभाव डालती हैं?
उत्तर-
सागरीय बेड़े प्रायः धाराओं की दिशा में चलते हैं। इससे उनकी गति बढ़ जाती है और ईंधन भी कम लगता है।

प्रश्न 14.
समुद्री धाराओं के पैदा होने के कोई दो कारण लिखो।
उत्तर-
समुद्री धाराओं के पैदा होने के दो कारण हैं –

  1. प्रचलित पवनें महासागरों के जल को अपनी दिशा में बहाकर ले जाती हैं।
  2. महासागरों के जल के तापमान में अन्तर के कारण भी जल में गति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
महासागरीय धाराओं का किसी देश की जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
(1) महासागरीय धाराओं का अपने पड़ोसी देशों की जलवायु पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। गर्म धाराएं अपने निकटवर्ती क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती हैं। दूसरी ओर, ठण्डी धाराएं अपने निकट के स्थानों को ठण्डा बना देती हैं।

(2) गर्म धाराओं के ऊपर से गुजरने वाली पवनें नमी सोख लेती हैं और तटवर्ती प्रदेशों में वर्षा करती हैं। परन्तु शीत धारा के ऊपर से गुजरने वाली पवनें ठण्डी और शुष्क हो जाती हैं।

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प्रश्न 16.
महासागर तथा सागर में क्या अन्तर है?
उत्तर-
महासागर तथा सागर दोनों का सम्बन्ध पृथ्वी के जल भाग से है। जल के सबसे बड़े खण्ड महासागर कहलाते हैं। प्रत्येक महासागर फिर कई छोटे-छोटे खण्डों में बंटा हुआ है। इस छोटे खण्ड को सागर कहते हैं। प्रत्येक सागर किसी-न-किसी महासागर का ही भाग होता है। उदाहरण के लिए हिन्द महासागर में दो भाग हैं-अरब सागर तथा खाड़ी बंगाल।

प्रश्न 17.
लहर किसे कहते हैं? इसकी उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर-
सागर का पानी सदा ऊंचा-नीचा होता रहता है। इसके साथ जल-कण ऊपर-नीचे होते रहते हैं। इस प्रकार सागर के जल में सिलवटें पड़ी हुई दिखाई देती हैं। इसी को लहर कहते हैं। लहरों का जन्म पवन की गति के कारण होता है। जब पवन समुद्र के ऊपर से गुज़रती है तो यह समुद्र के पानी को हिला देती है। पानी के हिलने पर लहरें उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 18.
क्या कारण है कि उत्तर-पश्चिमी यूरोप में दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है?
उत्तर-
यूरोप के उत्तर-पश्चिमी तट के साथ-साथ उत्तरी अन्ध महासागर की गर्म धारा बहती है। गर्म धारा अपने निकटवर्ती प्रदेशों में वर्षा लाने में सहायक होती है। अतः इस धारा के कारण यूरोप के इस भाग में काफी वर्षा होती है। इसके विपरीत दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ पीरू की धारा बहती है। इस ठण्डी धारा के कारण अमेरिका के पश्चिमी तट के निकटवर्ती भागों में बहुत कम वर्षा होती है।

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प्रश्न 19.
उत्तरी हिन्द महासागर की धाराएं शीत तथा ग्रीष्म ऋतुओं में एक-दूसरे की विपरीत दिशा में क्यों बहती हैं?
उत्तर-
धाराओं की दिशा पर सबसे अधिक प्रभाव प्रचलित पवनों का होता है। पवनें जिस दिशा में लम्बे समय के लिए चलती हैं, वे समुद्र के जल को भी उसी दिशा में बहा कर ले जाती हैं। उत्तरी हिन्द महासागर में मौसमी पवनें शीत तथा ग्रीष्म ऋतुओं में विपरीत दिशा में चलती हैं। फलस्वरूप इस सागर की धाराएं भी विपरीत दिशा में बहने लगती

प्रश्न 20.
छोटा ज्वार-भाटा चन्द्रमा की सातवीं तथा इक्कीसवीं तिथि को ही क्यों आता है? कारण बताओ।
उत्तर-
चन्द्रमा की सातवीं तथा इक्कीसवीं तिथि को चन्द्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ समकोण (90°) बनाते हैं। परिणामस्वरूप चन्द्रमा और सूर्य सागर के जल को विपरीत दिशाओं में खींचने हैं। चूंकि चन्द्रमा पृथ्वी के अधिक निकट है, इसलिए सागर का जल चन्द्रमा की ओर ही उछलता है। परन्तु इस उछाल की ऊंचाई एक साधारण लहर से भी कम होती है। इसी को छोटा ज्वार-भाटा कहते हैं।

प्रश्न 21.
हिन्द महासागर की धाराओं का विस्तारपूर्वक वर्णन करो। इन्हें मानचित्र पर भी दिखाओ।
उत्तर-
हिन्द महासागर की धाराओं का चक्र इतना निश्चित तथा नियमित नहीं है जितना कि प्रशान्त महासागर की धाराओं का। इसका मुख्य कारण इस महासागर की मौसमी पवनें हैं। ये पवनें ऋतु परिवर्तन के साथ अपनी दिशा बदल देती हैं। इसके साथ-साथ हिन्द महासागर की धाराओं की दिशा भी बदलती रहती है। इन धाराओं को दो मुख्य भागों में बांट सकते हैं –
(1) उत्तरी चक्र
(2) दक्षिणी चक्र

1. उत्तरी चक्र

1. दक्षिणी-पश्चिमी मानसून धारा-दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनों के प्रभाव के कारण हिन्द महासागर का जल पश्चिम से पूर्व की ओर बहने लगता है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून धारा कहते हैं।

2. उत्तरी भूमध्य रेखी धारा-भूमध्य रेखा के उत्तर में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून धारा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर होती है। इसे उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा कहते हैं। यह गर्म पानी की धारा है।

3. उत्तरी-पूर्वी मानसून धारा-उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा का जल भूमध्य रेखा के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर बहने लगता है। इसे उत्तरी-पूर्वी मानसून धारा कहते हैं। यह गर्म पानी की धारा है।
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2. दक्षिणी चक्र

दक्षिणी गोलार्द्ध में धाराओं का चक्र अधिकतर निश्चित है जिसका वर्णन इस प्रकार है –
1. भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा-उष्ण जल की धारा पवनों के प्रभाव के कारण भूमध्य रेखा के दक्षिण में पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।

2. मौज़म्बीक की धारा-यह धारा भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा का ही एक भाग है। भूमध्य रेखा की दक्षिणी धारा जब अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ टकराती है तो इसका पानी दक्षिण की ओर बहने लगता है। यह पानी दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट के पास से गुज़रता है। यहां इसे मौज़म्बीक की धारा कहते हैं। यह धारा गर्म पानी की धारा है।

3. अगुलहास की धारा-मैलागासी टापू के पूर्व से एक शाखा दक्षिण की ओर बहती है। इसे अगुलहास की धारा कहते हैं।

4. पश्चिमी आस्ट्रेलिया की धारा-दक्षिणी हिन्द महासागर की धारा आस्ट्रेलियां के दक्षिणी-पश्चिमी तटं के साथ टकराती है और इसका एक भाग उत्तर की ओर मुड़ जाता है। इसे पश्चिमी आस्ट्रेलिया की धारा कहते हैं। यह शीत धारा अन्त में उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा से जा मिलती है।

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(क) रिक्त स्थान भरो:

  1. ……………….. सबसे बड़ा तथा गहरा महासागर है।
  2. समुद्रों का पानी स्वाद में …………… होता है।
  3. भूमध्य रेखा की ओर जाने वाली जल धाराएं सदा …………… होती हैं।
  4. …………. ज्वारभाटा सदैव पूर्णिमा या अमावस के दिन ही आता है।

उत्तर-

  1. प्रशान्त महासागर,
  2. नमकीन,
  3. ठण्डी,
  4. बड़ा।

(ख) सही जोड़े बनाझर :

  1. चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति – अंध महासागर
  2. मौज़म्बीक की धारा – समुद्री धाराओं की उत्पत्ति
  3. खाड़ी की धारा – ज्वारभाटा की उत्पत्ति
  4. पवन की गति – हिन्द महासागर

उत्तर-

  1. चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति – ज्वारभाटा की उत्पत्ति
  2. मौज़म्बीक की धारा – हिन्द महासागर
  3. खाड़ी की धारा – अंध महासागर
  4. पवन की गति – समुद्री धाराओं की उत्पत्ति।

(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर छोटे-बड़े पांच महासागर हैं। बताइए कि निम्नलिखित में से सबसे छोटा महासागर कौन-सा है?
(i) हिम (आर्कटिक) महासागर
(ii) अन्ध महासागर
(iii) हिन्द महासागर।
उत्तर-
(i) हिम (आर्कटिक) महासागर।

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प्रश्न 2.
दिए चित्र में क्या दर्शाया गया है?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 4 महासागर 7
(i) महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति
(ii) ज्वरभाटा की उत्पत्ति
(iii) पृथ्वी पर जल और थल का वितरण।
उत्तर-
(iii) पृथ्वी पर जल और थल का वितरण।

प्रश्न 3.
संसार की सबसे महत्त्वपूर्ण उष्ण जल धारा कौन-सी है?
(i) ब्राजील की धारा
(ii) न्यूफाऊंडलैण्ड की धारा
(ii) खाड़ी की धारा।
उत्तर-(iii) खाड़ी की धारा।

महासागर PSEB 7th Class Social Science Notes

  • महासागर – पृथ्वी पर जल के विशाल खण्डों को महासागर कहते हैं। प्रशान्त महासागर, अन्ध महासागर तथा हिन्द महासागर पृथ्वी के मुख्य महासागर हैं।
  • प्रशान्त महासागर – प्रशान्त महासागर संसार का सबसे लम्बा और गहरा महासागर है। यह इतना गहरा है कि संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट भी इसमें डूब सकती है।
  • सागर – प्रत्येक महासागर कई छोटे-छोटे खण्डों में बंटा हुआ है। इन छोटे-छोटे खण्डों को सागर कहते हैं।
  • महासागरीय जल की गतियां – महासागरीय जल की तीन गतियां हैं-लहरें, धाराएं तथा ज्वार-भाटा।
  • लहरें – सागर का जल सदा ऊपर-नीचे होता रहता है। इसे लहर कहते हैं।लहरों का जन्म पवन की गति के कारण होता है।
  • धाराएं – जब महासागर का जल एक निश्चित दिशा में बहने लगता है, तो उसे महासागरीय धारा कहते हैं। महासागरीय धारा की गति प्राय: 2 किलोमीटर से 10 किलोमीटर प्रति घण्टा तक हो सकती है।
  • ज्वार-भाटा – समुद्र के जल के नियमित उतार-चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहते हैं। यह दिन में दो बार आता है।
  • बड़ा ज्वार-भाटा – पूर्णिमा तथा अमावस के दिन सागर की लहरें सबसे अधिक ऊंची उठती हैं। इसे बड़ा ज्वार-भाटा कहते हैं।
  • छोटा ज्वार-भाटा – शुक्लाष्टमी तथा कृष्णाष्टमी के दिन सागर की लहरें सबसे कम ऊंची उठती हैं। इसे छोटा ज्वार-भाटा कहते हैं।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 8 सजावटी पौधे

PSEB 7th Class Agriculture Guide सजावटी पौधे Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
बहूपयोगी वृक्ष का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर-
पैगोड़ा, अमलतास आदि।

प्रश्न 2.
खुशबूदार फूलों वाले किसी एक वृक्ष का नाम बताएं।
उत्तर-
पैगोड़ा, सोनचंपा, बड़ा चम्पा आदि।

प्रश्न 3.
बाड़ बनाने के लिए किसी एक उपयुक्त झाड़ी का नाम बताएं।
उत्तर-
कामिनी, केशिया, पीली कनेर।

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प्रश्न 4.
दो फूलदार झाड़ियों के नाम बताएं।
उत्तर-
रात की रानी, चांदनी, पीली कनेर।

प्रश्न 5.
खुशबूदार फूलों वाली झाड़ी का नाम लिखें।
उत्तर-
रात की रानी।

प्रश्न 6.
सजावटी पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय कौन-सा होता है ?
उत्तर-
बहार के मौसम में तथा वर्षा के दिनों में।

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प्रश्न 7.
परदा करने के लिए किस बेल का उपयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
परदाबेल (वरनोनिया लता), गोल्डन शावर।

प्रश्न 8.
घरों के अंदर सजावट के लिए उपयोग में लाई जाने वाली किसी एक बेल का नाम बताएं।
उत्तर-
मनी प्लांट।

प्रश्न 9.
मर्मी की ऋतु वाले किसी एक मौसमी फूल का नाम लिखो।
उत्तर-
सूरजमुखी, दोपहर खिली, जीनीया।

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प्रश्न 10.
सर्द ऋतु वाले मौसमी फूलों का बीज कौन-से महीने बीजा जाता है ?
उत्तर-
सितम्बर के मध्य।

(ख) एक-दो वाक्य में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
छायादार वृक्ष के क्या गुण होने चाहिएं ?
उत्तर-
इन वृक्षों का फैलाव गोल, छतनुमा तथा पत्ते घने होने चाहिएं।

प्रश्न 2.
चार फूलदान झाड़ियों के नाम लिखें।
उत्तर-
चाइना रोज़, रात की रानी, पीली कनेर, बोगनविलिया, चांदनी आदि।

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प्रश्न 3.
बेलों को कहाँ लगाया जाता है ?
उत्तर-
बेलों को सहारे की आवश्यकता होती है, इनको दीवारों, वृक्षों आदि के पास लगाया जाता है ताकि इनकों सहारे से ऊपर चढ़ाया जा सके।

प्रश्न 4.
खुशबूदार फूलों वाली दो बेलों के नाम लिखें।
उत्तर-
चमेली, माधवी लता खुशबूदार फूल वाली बेलें हैं।

प्रश्न 5.
सजावटी झाड़ियों के क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-
जिन स्थानों पर वृक्ष लगाने का स्थान न हो वहां झाड़ियां सरलता से लग जाती

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प्रश्न 6.
मौसमी फूल कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
मौसमी फूल एक साल या एक मौसम में अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं।

प्रश्न 7.
सड़कों के पास वृक्ष किस उद्देश्य के लिए लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
यह आसपास की सुंदरता में वृद्धि करते हैं तथा मिट्टी क्षरण से बचाते हैं।

प्रश्न 8.
ऊंची बाड़ तैयार करने के लिए कैसे वृक्षों का चुनाव करना चाहिए ?
उत्तर-
ऊंची बाड़ तैयार करने के लिए सीधे तथा लम्बे जाने वाले वृक्ष पास-पास लगाए जाते हैं।

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प्रश्न 9.
श्रृंगार वृक्ष किस उद्देश्य के लिए लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
ये वृक्ष खूबसूरत फूलों के लिए लगाए जाते हैं।

प्रश्न 10.
झाड़ियों का प्रयोग आसानी से कहां किया जा सकता है ?
उत्तर-
जहां वृक्ष लगाने के लिए आवश्यकतानुसार स्थान न हो, वहां झाड़ियों का प्रयोग सरलता से हो जाता है।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें :

प्रश्न 1.
सजावटी वृक्षों को लगाने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. सजावटी वृक्ष आसपास की सुंदरता में वृद्धि करते हैं।
  2. सजावटी वृक्ष मिट्टी क्षरण को रोकते हैं।
  3. वृक्ष वातावरण को भी शुद्ध रखने में भूमिका निभाते हैं।
  4. वृक्ष वातावरण को ठण्डा रखने में सहायक हैं।
  5. कई वृक्षों के फूल सुंगध वाले होते हैं जिससे वातावरण महक उठता है।
  6. कई वृक्ष यात्रियों को छाया देते हैं।

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प्रश्न 2.
सजावटी झाड़ियों का चुनाव कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
सजावटी झाड़ियों के चुनाव के लिए किस्में इस प्रकार हैं—

  1. फूलदार झाड़ियां-रात की रानी, चाइना रोज़, बोगनविलिया,चांदनी, पीली कनेर आदि।
  2. सुंदर पत्तों वाली झाड़ियां-अलीयर, कामनी, क्लैरोडेंडरौन, पीली कनेर, केशिया आदि। .
  3. भू-ढपनी झाड़ियां-लैंटाना। .
  4. दीवारों के निकट लगने वाली झाड़ियां-टीकोमा, अकलिफा आदि।

प्रश्न 3.
सजावटी बेलों का चुनाव अलग-अलग स्थानों के लिए कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
बेलों का चुनाव नीचे लिखे अनुसार किया जाता है’

  1. धूप वाले स्थान के लिए-बोगनविलिया, झुमका बेल, लसन बेल, गोल्डन शावर आदि।
  2. घर के अन्दर रखने के लिए-मनी प्लांट।
  3. बाड़ बनाने के लिए-बोगनविलिया, क्लैरोडेंडरौन, एस्प्रेगस आदि।
  4. हल्की बेलें-लोनीसोरा, मिठी मटरी आदि।
  5. खुशबूदार फूलों वाली बेलें-चमेली, माधवी लता।
  6. गमलों में लगाई जाने वाली-बोगनविलिया।
  7. भारी बेल-बिग़नोनिया, बोगनविलिया, माधवी लता, झुमका बेल, गोल्डन शावर।

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प्रश्न 4.
मौसमी फूलों का मौसम के आधार पर वर्गीकरण करें।
उत्तर-
मौसम के आधार पर फूलों का वर्गीकरण—

  1. गर्मी ऋतु के फूल-इन की बोवाई फरवरी-मार्च में की जाती है तथा खेत में लगाने के लिए पनीरी चार सप्ताह में तैयार हो जाती है। इस मौसम के मुख्य फूल हैंकोचिया, जीनीया, गेलारडिया, दोपहर खिली, गौंफरीना आदि।
  2. वर्षा ऋतु के फूल-इनकी जून के पहले सप्ताह बोवाई की जाती है तथा खेत में लगाने के लिए पनीरी जुलाई के पहले सप्ताह में तैयार हो जाती है। बाल्सम, कुक्कड़ कल्गी इस मौसम के फूल हैं।
  3. सर्दी ऋतु के फूल-इनको सितम्बर के मध्य में बोया जाता है तथा पनीरी अक्तूबर के मध्य में तैयार हो जाती है। इस ऋतु के फूल हैं-कैलैंडूला, डेहलिया, पटूनिया, गेंदा आदि।

प्रश्न 5.
सजावटी वृक्षों का चुनाव किन-किन उद्देश्यों के लिए किया जाता है? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-
सजावटी वृक्षों का चुनाव अग्रलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है—

  1. छाया के लिए-इन वृक्षों का फैलाव गोल तथा पत्ते घने तथा छाया देने वाले होते हैं। इनका उदाहरण है-नीम, सत्तपत्तिया, पीपल, पिलकन आदि।
  2. श्रृंगार के लिए-ये वृक्ष सुंदर फूलों के लिए लगाए जाते हैं; जैसे-कचनार, नीली गुलमोहर, लाल गुलमोहर आदि।
  3. सड़कों के आसपास लगाने वाले वृक्ष-ये वृक्ष छाया तथा शृंगार दोनों उद्देश्यों के लिए लगाए जाते हैं; उदाहरण, अमलतास, डेक, पिलकन, सिल्वर ओक आदि।
  4. बाड़ के तौर पर लगाए जाने वाले वृक्ष-इन का उद्देश्य ऊंची बाड़ तैयार करना है। यह मुख्य फसल को तेज़ हवा से बचाते हैं। इनको पास-पास लगाया जाता है तथा यह पर्दे का रूप धारण कर लेते हैं। उदाहरण सिल्वर ओक, सफैदा, पाप्लर, अशोका आदि।
  5. वायु प्रदूषण रोकने के लिए-कारखानों में से निकलता धुआं तथा रासायनिक गैसें वातावरण को दूषित करती हैं। इसलिए इस उद्देश्य के लिए पतझड़ वृक्ष जिनके पत्ते मोटे तथा चमकदार हों, लगाए जाते हैं; जैसे-शहतूत, पाप्लर, पैगोड़ा आदि।
  6. औषधी गुणों वाले वृक्ष-ये दवाई वाले वृक्ष हैं। इनका उदाहरण है-नीम, जामुन, अर्जुन, महुया, अशोका आदि।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे

Agriculture Guide for Class 7 PSEB सजावटी पौधे Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कांटों की सहायता से ऊपर चढ़ने वाली दो लताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
गुलाब और बोगनविलिया।

प्रश्न 2.
खुशबू के लिए लगाई जाने वाली दो लताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
जैसमीन, माधवी लता।

प्रश्न 3.
हल्के जामुनी रंग के घंटियों जैसे फूल किस लता पर लगते हैं ?
उत्तर-
एडीन्कोलाइमा।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे

प्रश्न 4.
बुरे स्थानों को छिपाने के लिए कौन-सी लता लगाई जाती है ?
उत्तर-
अरिस्टोलोचिया।

प्रश्न 5.
माधवी लता पर किस रंग के फूल होते हैं ?
उत्तर-
सफेद रंग के।

प्रश्न 6.
गोल्डन शावर पर लगने वाले फूल किस रंग के होते हैं ?
उत्तर-
संतरी रंग के।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे

प्रश्न 7.
पर्दै जैसा प्रभाव डालने वाली लता कौन-सी है ?
उत्तर-
वरनोनिया (पर्दा लता)।

प्रश्न 8.
छायादार स्थान पर कौन सी लता लगानी ठीक है ?
उत्तर-
फाइक्स रैप्नस।

प्रश्न 9.
पत्ते झड़ने वाली लताएं किस महीने में लगाई जाती हैं ?
उत्तर-
जनवरी-फरवरी में।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 8 सजावटी पौधे

प्रश्न 10.
धूप वाले स्थान पर लगाई जाने वाली दो लताओं के नाम बताओ ।
उत्तर-
गोल्डन शावर, झुमका बेल।

प्रश्न 11.
झुमका लता को और क्या कहते हैं ?
उत्तर-
रंगून क्रीपर।

प्रश्न 12.
बाजा लता कौन-सी है ?
उत्तर-
कैंपसिस ग्रैंडीफ्लोरा।

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प्रश्न 13.
बिना सहारे के उगाई जाने वाली किसी लता का नाम बताओ।
उत्तर-
बाजा लता।

प्रश्न 14.
ईंडरॉन लता किस काम आती है ?
उत्तर-
छायादार स्थान पर बाड़ लगाने के काम आती है।

प्रश्न 15.
गोल्डन शावर लता किस काम आती है ?
उत्तर-
धूप वाले स्थान के लिए, पर्दा लता और र ‘समी लताओं के रूप में काम आती है।

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प्रश्न 16.
भारी लताओं के नाम बताएं ।
उत्तर-
पीली चमेली, रेगमार और गुलाब।

प्रश्न 17.
पर्दा लताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
गोल्डन शावर व बरनोनिया।

प्रश्न 18.
आन्तरिक सजावट के लिए प्रयोग की जाने वाली लताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
एसपैरेगश, सिंगोनियम, मनीप्लांट।

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प्रश्न 19.
सारा वर्ष हरी रहने वाली लताएं कब लगाई जाती हैं ?
उत्तर-
फरवरी-मार्च और जुलाई-सितम्बर में।

प्रश्न 20.
पतझड़ वाली लताएं कब लगाई जाती हैं ?
उत्तर-
जनवरी-फरवरी में।

प्रश्न 21.
सारा वर्ष हरी-भरी रहने वाली लता का नाम बताओ
उत्तर-
वरनोनिया, फाइक्स रैप्नस।

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प्रश्न 22.
इसको बाजा लता क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
इसके फूल बाजों की तरह होते हैं।

प्रश्न 23.
वरनोनिया को पर्दा लता क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
क्योंकि उसको जब बरामदे में लगाया जाता है तो पर्दे की तरह प्रभाव पड़ता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
लता ऐसे पौधे हैं जिनका तना कमज़ोर होता है।

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प्रश्न 2.
दीवारों, वृक्षों आदि पर चढ़ने के लिए लताओं द्वारा अपनाई जाने वाली विधियां बताओ।
उत्तर-
इस कार्य के लिए लताएं अपने कांटों, टेंड्रिल और जड़ों की सहायता लेती हैं।

प्रश्न 3.
लताएं किस प्रकार की मिट्टी में लगाई जाती हैं ?
उत्तर-
उपजाऊ और पानी को देर तक समा कर रखने वाली किसी भी ज़मीन में लताओं को लगाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
लताएं लगाने के लिए किस आकार के गड्ढे खोदने चाहिएं ?
उत्तर-
लताएं लगाने के लिए 60 सें० मी० चौड़े , लम्बे और गहरे गड्डे खोदने चाहिएं।

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प्रश्न 5.
लताओं की सूखी और बीमार टहनियों को क्यों काटते रहना चाहिए ?
उत्तर-
लताएं अच्छी तरह फल-फूल सकें इसलिए इनकी सूखी और बीमार टहनियों को काट देना चाहिए।

प्रश्न 6.
ब्यूमोनसिया लता के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
इसे मार्च मास में बड़े और सफ़ेद रंग के फूल लगते हैं। इस लता को वृक्षों पर चढ़ाया जाता है। इसे बीज या कलम द्वारा उगाया जा सकता है।

प्रश्न 7.
एडीन्कोलाइमा और एंटीगोनोन लताओं को लगने वाले फूलों की तुलना करो।
उत्तर-
एडीन्कोलाइमा के फूल नवम्बर में हल्के जामुनी रंग के घंटियों जैसे होते हैं। एंटीगोनोन के फूल सितम्बर से मार्च तक सफ़ेद, गुलाबी रंग के होते हैं।

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प्रश्न 8.
अरिस्टोलोचिया लता के फूल किस प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
इसके फूल सितम्बर में बत्तख जैसे बड़े और सफ़ेद रंग के होते हैं और इसके बीच जामुनी रंग के धब्बे भी होते हैं।

प्रश्न 9.
ऊंची इमारतों की सजावट के लिए प्रायः कौन-सी लता लगाई जाती है?
उत्तर-
बिगलोनिया लता ऊंची इमारतों की सजावट के लिए प्रयोग में लाई जाती है। यह हमेशा हरी ही रहती है।

प्रश्न 10.
बोगनविलिया लता की विभिन्न किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
बोगनविलिया लता की किस्में हैं-विजय, पार्था, ग्लैबरा और सुभरा।

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प्रश्न 11.
एंटीगोनोन लता के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
इसको नवम्बर में जामुनी रंग के घंटियों जैसे फूल लगते हैं। इसके पत्तों को रगड़ने पर लहसुन की सुगन्ध आती है। पत्ते साफ़ और चमकदार होते हैं। इन्हें कलमों के द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 12.
बाजा लता के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
इसे कैंपसिस ग्रैंडीफ्लोरा भी कहा जाता है। इसको संतरी रंग के बच्चों के बाजों की तरह फूल मई से अगस्त तक लगते हैं जो कि अक्तूबर से नवम्बर तक रहते हैं। इसके पत्ते सर्दियों में झड़ जाते हैं।
इस लता को कलमों के द्वारा लगाया जाता है। इसकी शाखा सख्त होती है और बिना सहारे चल सकती है।

प्रश्न 13.
अरिस्टोलोचिया के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
इस लता को खराब स्थानों को ढकने के लिए लगाया जाता है। इसको बत्तख की तरह बड़े और सफेद रंग के फूल लगते हैं। इनके बीच में जामुनी रंग के धब्बे जैसे भी होते हैं। इसके बीज लगाए जाते हैं।

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प्रश्न 14.
बिगलोनिया के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
इसको ऊँची इमारतों को सजाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह हमेशा हरी रहती है। इसे पीले फूल जनवरी-फरवरी में लगते हैं। इसकी कलमें और बीज दोनों ही लगाए जा सकते हैं।

प्रश्न 15.
पीली चमेली के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
इसे दीवारों पर चढ़ाने के लिए लगाया जाता है। इसको 15-20 दिन के लिए मार्च में पीले फूल लगते हैं। इसकी वृद्धि कलमों के द्वारा की जाती है।

प्रश्न 16.
माधवी लता के बारे में जानकारी दो ।
उत्तर-
इस लता के पत्ते चमकदार होते हैं और फूल फरवरी-मार्च में लगते हैं। फूल सफ़ेद रंग के खुशबूदार होते हैं। इसको बीजों या कलमों द्वारा दोनों विधियों से लगाया जा सकता है।

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प्रश्न 17.
फाइक्स रैजस लता के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
इस लता को शानदार स्थानों के लिए चुना जाता है। यह हमेशा हरी रहती है। यह जड़ों के द्वारा दीवारों पर चिपक जाती है। इसको पत्तों के लिए लगाया जाता है और काट कर कोई भी आकार दिया जा सकता है।

प्रश्न 18.
ब्यूमोनसिया लता के बारे में जानकारी दो ?
उत्तर-
यह लता वृक्षों पर चढ़ाने के लिए लगाई जाती है। इसे मार्च में बड़े सफ़ेद रंग के फूल लगते हैं। यह लता कलमों और बीजों के द्वारा भी लगाई जा सकती है।

प्रश्न 19.
एंटीगोनॉन लता के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
इसको स्थान ढकने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसको सितम्बर से मार्च तक सफेद गुलाबी रंग के फूल लगते हैं। इसको बीज तथा कलमों के द्वारा लगाया जा सकता है।

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प्रश्न 20.
गोल्डन शावर के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
यह सबसे सुन्दर बेल है। इसको सर्दियों में संतरी रंग के फूल लगते हैं। इसको इमारतों, घरों और बरामदों की सजावट के लिए लगाया जाता है।

प्रश्न 21.
झुमका लता के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
झुमका लता का दूसरा नाम रंगून क्रीपर भी है। इसको दीवारों, परगलों या वृक्षों पर चढ़ाने के लिए लगाया जाता है। इसको सारा साल ही सफ़ेद, लाल या गुलाबी फूल लगे रहते हैं। इसको कलमों और जड़ों के हिस्सों के साथ उगाया जा सकता है।

प्रश्न 22.
पर्दा लता के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
इसको बरामदे में लगाया जाता है और पर्दा लगा होने का भ्रम देती है। यह सारा साल ही हरी भरी रहती है। इस लता को दीवारों, बालकोनी पर चढ़ाने के लिए लगाया जाता है।

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बडे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लताओं का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लताओं से घरों, स्कूलों, कोठियों, कार्यालयों और सड़कों की सुन्दरता बढ़ती है। फूलों वाली लताएं बच्चों का मन मोह लेती हैं और उनके कोमल मन पर अच्छा प्रभाव डालती हैं। इससे बच्चों का मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास भी बढ़िया ढंग से होता है।

प्रश्न 2.
भिन्न-भिन्न स्थानों पर लगाई जाने वाली लताओं का विवरण दो।
उत्तर-
विभिन्न स्थानों पर लगाई जाने वाली लताएं हैं—

  1. धूप वाले स्थान के लिए-गोल्डन शावर, बोगनविलिया, झुमका लता इत्यादि।
  2. छायादार स्थान के लिए-मनीप्लांट, क्लैरोडेंडरॉन, सिंगोनीयम इत्यादि।
  3. बाड़ लगाने के लिए-क्लैरोडेंडरॉन, बोगनविलिया।
  4. मौसमी लताएं-गोल्डन शावर, बोगनविलिया।
  5. सुगन्ध के लिए-माधवी लता, जैसमीन (मोतिया-चमेली) इत्यादि।
  6. पर्दा लताएं-गोल्डन शावर, बरनोनिया।
  7. गमलों के लिए–सिंगोनीयम, बोगनविलिया, मनीप्लांट इत्यादि।
  8. अंदरूनी सजावट के लिए-ऐस्प्रेगस, मनीप्लांट, सिंगोनियम।
  9. भारी लताएं-रेगमार, गुलाब, पीली चमेली इत्यादि।

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प्रश्न 3.
लताएं लगाने की विधि क्या है ? इनकी देखभाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
भूमि-कोई भी उपजाऊ और देर तक पानी समा कर रखने वाली भूमि इन लताओं के लिए ठीक रहती है।
लताएं लगाने का समय-सारा वर्ष हरी रहने वाली लताओं के लिए उचित समय जुलाई-सितम्बर का मास होता है। पत्ते झड़ने वाली लताओं को जनवरी-फरवरी में लगाते हैं।

गड्ढे तैयार करना-लताओं के लिए 60 सें० मी० चौड़े लम्बे और गहरे गड्ढे खोदे जाते हैं और एक गड्ढे में 10 ग्राम बी० एच० सी० का पाऊडर और 8-10 कि० ग्रा० गली रूड़ी गोबर खाद मिला दें।

सिंचाई-लताएं लगाने के बाद ही लगातार पानी लगाएं और इन्हें आवश्यकता अनुसार ही सहारा दें।
देखभाल-बीमार और सूखी शाखाओं को काट दें। अच्छी तरह बढ़ फूल सकें इसके लिए इनकी कांट-छांट भी करते रहें। कीड़े-मकौड़े और रोगों से बचाव के लिए दवाइयों का छिड़काव करें।

प्रश्न 4.
बोगनविलिया लता के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
किस्में-बोगनविलिया की विभिन्न किस्में हैं-ग्लैबरा, पार्था, सुभरा और विजय। लगाने की विधि-सभी किस्मों को कलम के द्वारा लगाया जाता है। लगाने का समय-कलमों को जुलाई-अगस्त या जनवरी से फरवरी तक लगाया जाता है। रंगदार फूलों के लगने का समय-सफेद, जामुनी, लाल, पीले, संतरी रंगों के फूल मार्च-अप्रैल और नवम्बर-दिसम्बर में लगते हैं।

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प्रश्न 5.
रंगून क्रीपर किस लता को कहते हैं ? इसके फूल किस तरह के होते हैं और इसे कौन-से स्थान पर और किस विधि से लगाया जाता है ?
उत्तर-
झुमका लता को रंगून क्रीपर कहा जाता है। इसके फूल सफ़ेद गुलाबी या लाल रंग के होते हैं। फूल खुशबूदार होते हैं और सारा वर्ष लगे रहते हैं। इन लताओं को दीवारों, वृक्षों या परगलों पर चढ़ाने के लिए लगाया जाता है। इसे कलमों या जड़ों के भाग से उगाया जाता है।

प्रश्न 6.
अलग-अलग लताओं के नाम और फूलों के रंग बताओ और फूल कब लगते हैं ?
उत्तर-

  1. एंडीन्कोलाइमा-हल्के जामुनी रंग के घण्टियों के आकार के, नवम्बर में।
  2. व्यूमोनसिया लता-सफ़ेद रंग के, मार्च में।
  3. माधवी लता-सफ़ेद खुशबूदार, फरवरी-मार्च में।
  4. बिगलोनिया-पीले रंग के, जनवरी-फरवरी में।
  5. एंटीगोनान-सफ़ेद, गुलाबी, सितम्बर से मार्च। .
  6. अरिस्टोलोचिया-बत्तख की तरह बड़े और सफ़ेद, इनके बीच में जामुनी रंग के धब्बे होते हैं, सितम्बर में।
  7. झुमका लता-सफ़ेद, गुलाबी या लाल, सारा वर्ष।
  8. गोल्डन शावर-सर्दियों में, संतरी रंग के।
  9. पीली चमेली-मार्च में, पीले रंग के।
  10. बोगनविलिया-सफेद, जामुनी, लाल, नाभी, संतरी, पीले। मार्च-अप्रैल और नवम्बर-दिसम्बर में।
  11. कैम्पसिस ग्रैंडीफ्लोरा-मई से अगस्त में संतरी रंग के।

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प्रश्न 7.
धूप वाली जगह के लिए भारी बेलों, अंदरूनी सजावट वाली बेलों के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. धूप वाली जगह के लिए-गोल्डन शावर, झुमका बेल।
  2. भारी बेल-रेगमार, पीली चमेली।
  3. अंदरूनी सजावट-ऐस्प्रेगस, मनी प्लांट।

सजावटी पौधे PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • वृक्ष, झाड़ियां, बेलें और मौसमी फूल आसपास की सुंदरता बढ़ाने में सहायक हैं तथा मिट्टी को क्षरण से भी बचाते हैं।
  • बहुपयोगी वृक्ष हैं-पैगोड़ा, अमलतास, लाल गुलमोहर, ऐरोकेरिया आदि।
  • छायादार वृक्ष हैं-नीम, सातपत्तिया, मोलसरी, सुखचैन, जामुन, पिलकन, पीपल आदि।
  • शृंगार वृक्ष हैं-नीली गुलमोहर, सिल्वर ओक, अमलतास, पिलकन, डेक आदि।
  • बाड़ के तौर पर लगाए जाने वाले वृक्ष हैं-सफैदा, पाप्लर, अशोका आदि।
  • सड़कों के आसपास लगाए जाने वाले वृक्ष हैं-डेक, पिलकन, सिल्वर ओक, नीली गुलमोहर आदि।
  • वायु प्रदूषण रोकने के लिए वृक्ष हैं-शहतूत, पाप्लर, पैगोड़ा आदि।
  • औषधि गुण वाले वृक्ष हैं-नीम, जामुन, अशोका, महुआ, अर्जुन आदि।
  • खुशबूदार फूलों वाले वृक्ष हैं-पैगोड़ा, सोनचंपा, बड़ा चम्पा।
  • फूलदार झाड़ियां हैं-रात की रानी, चांदनी, पीली कनेर, चाइमा रोज़, बोगनविलिया आदि।
  • सुंदर पत्तों वाली झाड़ियां हैं-अलीयर, कामिनी, केशिया आदि।
  • भू-ढपनी झाड़ियां हैं-लैंटाना।
  • दीवारों के निकट लगाने वाली झाड़ियां हैं-टीकोमा, अकलिफा आदि।
  • धूप वाले स्थान के लिए सजावटी बेलें हैं-गोल्डन शावर, झुमका बेल, बोगनविलिया।
  • भारी बेलें हैं-बिगनोनिया, माधवी लता, झुमका बेल, गोल्डन शावर आदि।
  • हल्की बेलें हैं-लोनीसोरा, मीठी मटरी आदि।
  • खुशबूदार फूलों वाली बेलें-चमेली, माधवी लता आदि।
  • बोगनविलिया को गमले में भी लगाया जा सकता है।
  • बाड़ लगाने वाली बेलें हैं-बोगनविलिया, क्लैरोडैडरोन, ऐस्प्रेगस आदि।
  • घर के अन्दर रखने वाली बेलें हैं-मनी प्लांट आदि।
  • पर्दा करने के लिए-परदा बेल, गोल्डन शावर आदि।
  • गर्मी ऋतु के फूल-कोचिया, जीनीया, सूरजमुखी, गेलारडिया, गौंफरीना, दोपहर खिली आदि।
  • वर्षा ऋतु के फूल हैं-बाल्सम, कुक्कड़ कल्गी आदि।
  • सर्दी ऋतु के फूल हैं-कैलेंडुला, डेहलीया, पहूनिया, गेंदा आदि।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

Punjab State Board PSEB 7th Class Science Book Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Science Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

PSEB 7th Class Science Guide अपशिष्ट जल की कहानी Textbook Questions and Answers

1. खाली स्थान भरें :-

(i) मल प्रवाह में घुली हुई तथा ठोस अशुद्धियों को ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
प्रदूषक

(ii) चार्जित गार में लगभग …………………… जल होता है।
उत्तर-
97%

(iii) जल शुद्धिकरण टैंक के तल पर बैठे ठोस पदार्थ को ……………………… कहते हैं।
उत्तर-
गार/आपंक

(iv) ……………… ऐसा स्थान होता है, जहाँ अपशिष्ट जल में से दूषकों को अलग किया जाता है।
उत्तर-
जल शुद्धिकरण टैंक

(v) सफाई संबंधी ……………………… आदतें अपनाएं।
उत्तर-
अच्छी।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

2. निम्नलिखित में से सही या गलत चुनें :-

(i) खुली नालियों (Drain) की गंध तथा दिखावट बहुत मनमोहक होती है।
उत्तर-
ग़लत

(ii) पॉलिथीन के लिफ़ाफे नालियों में फेंकें।
उत्तर-
ग़लत

(iii) खुली नालियाँ, मक्खियों तथा मच्छरों के प्रजनन स्थान होते हैं।
उत्तर-
सही

(iv) खुले में शौच न करें।
उत्तर-
सही

(v) भोजन के बचे हुए ठोस टुकड़े नालियों (Drain) को बंद कर सकते हैं।
उत्तर-
सही

3. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का सही मिलान करें :-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) कार्बनिक अशुद्धियाँ (क) मल–प्रवाह उपचार
(ii) अकार्बनिक अशुद्धियाँ (ख) टायफाइड
(iii) अपशिष्ट जल-शोधन (ग) रूड़ी खाद
(iv) जल के साथ होने वाली बीमारी (घ) नाइट्रेट्स तथा फास्फेट
(v) सूखा गार (ङ) मानवीय मल।

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) कार्बनिक अशुद्धियाँ (ङ) मानवीय मल।
(ii) अकार्बनिक अशुद्धियाँ (घ) नाइट्रेट्स तथा फास्फेट
(iii) अपशिष्ट जल-शोधन (क) मल-प्रवाह उपचार
(iv) जल के साथ होने वाली बीमारी (ख) टायफाइड
(v) सूखा गार (ग) रूड़ी खाद।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

4. बहु-वैकल्पिक उत्तरों में सही उत्तर चुनें :-

प्रश्न (i)
अपशिष्ट जल शोधक यंत्र में होते हैं-
(क) छड़ों वाली जाली
(ख) जल शुद्धिकरण
(ग) गारा तथा रेत अलग करने वाली टंकी
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न (ii)
अपशिष्ट जल शोधक प्लांट के सह उत्पाद होते हैं-
(क) बायोगैस
(ख) गारा
(ग) ‘क’ तथा ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) ‘क’ तथा ‘ख’ दोनों।

प्रश्न (iii)
इनमें से कौन-सा रासायनिक जल को कीटाणु रहित करने के लिए प्रयोग किया जाता है ?
(क) क्लोरीन
(ख) ओजोन
(ग) ‘क’ तथा ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) ‘क’ तथा ‘ख’ दोनों।

प्रश्न (iv)
विश्व टॉयलेट दिवस मनाया जाता है-
(क) 29 नवंबर
(ख) 19 अक्तूबर
(ग) 19 नवंबर
(घ) 29 अक्तूबर।
उत्तर-
(ग) 19 नवम्बर।

प्रश्न (v)
इनमें से कौन-सी कम खर्चीली मल-प्रवाह निपटान की प्रणाली नहीं है ?
(क) सेप्टिक टंकी
(ख) कंपोस्टिंग टंकी
(ग) रासायनिक टॉयलेट
(घ) छड़ों वाली जाली।
उत्तर-
(घ) छड़ों वाली जाली।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

5. अति लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
मल-प्रवाह क्या होता है ?
उत्तर-
मल-प्रवाह – यह वह गंदा जल होता है जिसमें घुली हुई तथा लटकती हुई ठोस अशुद्धियाँ होती हैं। यह घरों, उद्योगों, खेतों तथा अस्पतालों द्वारा पैदा किया जाता है।

प्रश्न (ii)
गार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गार – जो ठोस पदार्थ जल शुद्धिकरण टैंक के तल पर बैठ जाता है, उसे गार अथवा आपंक कहते हैं।

प्रश्न (iii)
निर्मल जल /शुद्ध जल (Clarified Water) क्या होता है ?
उत्तर-
निर्मल जल या शुद्ध जल – शुद्ध जल रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादरहित होता है। शुद्ध जल का pH लेवल 7 होता है। वर्षा जल शुद्ध जल होता है। शुद्ध जल का उबाल दर्जा 100°C होता है। शुद्ध जल में कोई घुलनशील अथवा लटकती हुई कोई अशुद्धि नहीं होती तथा यह कीटाणु रहित होता है।

प्रश्न (iv)
सेप्टिक टंकी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सेप्टिक टैंकी – यह एक कम खर्चे वाली मल प्रवाह शोध की ऐसी प्रणाली है जिसमें ऑक्सीजन रहित जीवाणु होते हैं जो अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन करते हैं। इसका मुख्य मल-विसर्जन पाइपों से कोई संबंध नहीं होता है। मानवीय मल प्रवाह की यह तकनीक वहाँ प्रयोग होती है जहाँ मल को शौचालय के बंद पाइपों के रास्ते सीधा ही बायोगैस प्लांट में भेजा जाता है।
PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी 1

प्रश्न (v)
अपशिष्ट जल शोधन-प्रणाली क्या होती है ?
उत्तर-
अपशिष्ट जल – शोधन प्रणाली-अशुद्धियों को अलग करने के लिए मल प्रवाह को बंद पाइपों द्वारा व्यर्थ जल शोधक प्रणाली तक लेकर जाते हैं तथा शोध के बाद इस जल को नदियों या समद्रों में बहा दिया जाता है। अपशिष्ट जल शोधक प्रणाली वहीं होती है जहाँ इसमें से अशुद्धियाँ अलग की जाती हैं। अपशिष्ट जल में से अशुद्धियाँ अलग करने को जल स्वच्छ करना या जल शोधन या उपचार कहते हैं। जल शोधन में पानी में से अशुद्धियाँ दूर करने के लिए भौतिक, रासायनिक तथा जैविक क्रियाएँ की जाती हैं। अपशिष्ट जल शोधन को साधारणतः से मल-प्रवाह शोधन कहते हैं।

PSEB 7th Class Science Solutions Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी

6. लघूत्तर प्रश्न :-

प्रश्न (i)
तेल, घी आदि को नाली में क्यों नहीं फेंकना चाहिए ? टिप्पणी दें।
उत्तर-
खाना/भोजन पकाते समय बचे हुए तेल/घी को ड्रेन में फेंकने के स्थान पर कूड़ेदान में फेंकना चाहिए क्योंकि यह सख्त होकर निकासी वाली पाइपों को बंद कर सकते हैं। खुले स्थान पर यह मिट्टी के मुसामों/छिद्रों को भी बंद कर सकते हैं जिससे मिट्टी की पानी को फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है।

प्रश्न (ii)
अपशिष्ट जल शोधक प्रणाली में छड़ों वाली जाली का क्या काम है ?
उत्तर-
अपशिष्ट जल शोधक प्रणाली में सबसे पहले इस जल में से ठोस अशुद्धियों जैसे डिब्बे, कपड़े के टुकड़े नैपकिन, प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि को अलग करने के लिए जल को लोहे वाले जाल में से गुजारा जाता है जहाँ यह वस्तुएँ रुककर अलग हो जाती हैं।
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प्रश्न (iii)
कूड़े को केवल कूड़ेदान में फेंके। टिप्पणी करें।
उत्तर-
कूड़े के बिखेरने से न केवल हमारा इर्द-गिर्द ही गंदा होगा बल्कि वातावरण भी दूषित होगा तथा गंदी बदबू भी आएगी जो कीड़े-मकौड़ों तथा तिलचट्टे पैदा होने में सहायक होगी। इससे कई बिमारियाँ भी होंगी। इसलिए कूडे को कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

Science Guide for Class 7 PSEB अपशिष्ट जल की कहानी Intext Questions and Answers

सोचें तथा उत्तर दें:- (पेज 216)

प्रश्न 1.
साफ जल तथा दूषित जल के रंग में क्या अंतर होता है ?
उत्तर-
साफ जल – साफ जल रंगहीन होता है, परंतु इसमें घुली अशुद्धियाँ तथा सूक्ष्मजीव उपस्थित हो सकते हैं। यह जल शुद्ध नहीं होता तथा पीने योग्य नहीं है।

दूषित जल – जल जिसमें सूक्ष्मजीव उपस्थित हो वह भी रंगहीन हो सकता है। इसके अतिरिक्त यदि जल में कोई रंगदार घुली हुई मिट्टी या अशुद्धि है तो यह काले या भूरे रंग का भी हो सकता है।

प्रश्न 2.
गंदे जल में विद्यमान कोई दो कार्बनिक संदूषकों के नाम बताएं।
उत्तर-
गंदे पानी में उपस्थित कार्बनिक संदूषक-

  1. कीटनाशक
  2. नदीन नाशक
  3. फल सब्जियाँ
  4. मानवीय तथा पशु मल।

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सोचें तथा उत्तर दें:- (पेज 217)

प्रश्न 1.
मल-प्रवाह मार्ग में मैनहोल क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
मल-प्रवाह मार्ग के प्रत्येक 50-60 मीटर की दूरी पर या दो मल विसर्जनों के जोड़ पर जहाँ दिशा बदलनी हो, वहाँ मैनहोल बनाए जाते हैं ताकि इसमें दाखिल होकर व्यक्ति जल-मल निकास की समस्या का पता तथा निवारण कर सके।

प्रश्न 2.
किसी खुले जल-निकास में या समीप पाए जाने वाले दो जीवों के नाम बताएं।
उत्तर-

  1. काकरोच (तिलचट्टा) तथा
  2. बिच्छू।

सारी परखनलियों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:-(पेज 220)

प्रश्न 1.
हवा प्रवाहित करने के बाद तरल दिखावट (Appearance) में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर-
द्रव का रंग थोड़ा साफ तथा हल्के रंग का दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
रेत फिल्टर होने से क्या अलग हुआ ?
उत्तर-
रेत फिल्टररेशन द्वारा अघुलनशील ठोस कण अलग हो गए।

PSEB Solutions for Class 7 Science अपशिष्ट जल की कहानी Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) जल को स्वच्छ करना ………………… को दूर करने का प्रक्रम है।
उत्तर-
संदूषक

(ii) घरों द्वारा मुक्त किए जाने वाला अपशिष्ट जल …………………… कहलाता है।
उत्तर-
वाहित मल

(iii) शुष्क ……………………….. का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।
उत्तर-
आपंक

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(iv) नालियाँ …………………. और ……………………. के द्वारा अवरूद्ध हो जाती हैं।
उत्तर-
तेल, वसा

(v) ढक्कन से ढका हुआ वह खुला स्थान जिस रास्ते व्यक्ति अंदर जाकर मल-प्रवाह प्रणाली को चैक कर सकता है, को ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
मैनहोल।

प्रश्न 2.
कॉलम ‘क’ में दिए गए शब्दों का कालम ‘ख’ के साथ मिलान कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख
(i) व्यर्थ जल शोध के सह-उत्पाद (क) 19 दिसम्बर
(ii) विश्व जल दिवस (ख) मक्खियां तथा मच्छरों का प्रजनन स्थल
(iii) खुले मल-प्रवाह (ग) गार, बायोगैस
(iv) विश्व टायलेट दिवस (घ) 22 मार्च।

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) व्यर्थ जल शोध के सह-उत्पाद (ग) गार, बायोगैस
(ii) विश्व जल दिवस (घ) 22 मार्च
(iii) खुले मल-प्रवाह (ख) मक्खियां तथा मच्छरों का प्रजनन स्थल
(iv) विश्व टायलेट दिवस (क) 19 दिसम्बर।

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनें-

(i) धरती के नीचे छोटे तथा बढ़े पाइपों के जाल को कहते हैं।
(क) गार
(ख) मल-प्रवाह
(ग) मल विसर्जन प्रणाली
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) मल विसर्जन प्रणाली।

(ii) विश्व जल दिवस मनाया जाता है-
(क) 22 मार्च
(ख) 22 फरवरी
(ग) 22 अप्रैल
(घ) 22 जून।
उत्तर-
(क) 22 मार्च।

(iii) पराबैंगनी विकिरणों को कौन-सी गैस अवशोषित करती है ?
(क) नाइट्रोजन
(ख) ऑक्सीजन
(ग) ओज़ोन
(घ) हाइड्रोजन।
उत्तर-
(ग) ओज़ोन।

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(iv) प्रदूषित पानी से रोग होते हैं ?
(क) पीलिया
(ख) पेचिश
(ग) हैजा
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

(v) मलेरिया फैल सकता है-
(क) खुली नालियों से-
(ख) बंद नालियों से
(ग) नल से
(घ) पानी की पाइपों से।
उत्तर-(क) खुली नालियों से।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ठीक या गलत बताओ-

(i) अवशोषित मल प्रवाह को जल भंडारों में फेंक देना चाहिए।
उत्तर-
ग़लत

(ii) बचे हुए तेल तथा घी को ड्रेन में बहा देना चाहिए।
उत्तर-
ग़लत

(iii) पॉलीथीन के लिफ़ाफे या टुकड़े नालियों में फेंकने से नालियों को बंद कर सकते हैं।
उत्तर-
ठीक

(iv) कचरे को केवल कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए।
उत्तर-
ठीक

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(v) जल शुद्धिकरण टैंक के तल में बैठे ठोस पदार्थ को गार कहते हैं।
उत्तर-
ठीक।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सा दिन विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है ?
उत्तर-
22 मार्च।

प्रश्न 2.
जल की सफ़ाई से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
जल की सफ़ाई : अपशिष्ट जल से संदूषकों को पृथक् करने के प्रक्रम को जल की सफ़ाई कहते हैं।

प्रश्न 3.
अपशिष्ट जल को साफ़ करने के प्रक्रम को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर-
वाहित मल उपचार।

प्रश्न 4.
‘वाहित मल’ कैसे बनता है ?
उत्तर-
वाहित मल घरों, उद्योगों, अस्पतालों, कार्यालयों और अन्य उपयोगों के बाद प्रवाहित किया जाने वाला जल अपशिष्ट या वाहित मल होता है।

प्रश्न 5.
पेचिश फैलाने वाले जीव कौन-से हैं ?
उत्तर-
सूक्ष्म रोगाणु।

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प्रश्न 6.
सीवर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सीवर (Sewerage) – भूमि के अंदर छोटे और बड़े पाइपों का जाल, सीवर कहलाता है।

प्रश्न 7.
पानी के सूक्ष्म जीव कौन-से रसायनों से नष्ट होते हैं ?
उत्तर-
पेंट, तेल, दवाइयां आदि। ।

प्रश्न 8.
ठोस व्यर्थ नालियों में क्यों नहीं फेंकने चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि यह नालियों को प्रदूषित करते हैं तथा ऑक्सीजन के मुक्त प्रवाह को रोकते हैं।

प्रश्न 9.
ऑक्सीजन व्यर्थ जल को किस प्रकार शुद्ध करती है ?
उत्तर-
ऑक्सीजन व्यर्थ जल का निम्नीकरण करती है।

प्रश्न 10.
रोगों के फैलने के दो कारणों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. सफाई ना करना
  2. प्रदूषित जल।

प्रश्न 11.
जिन स्थानों पर मल वाहन की व्यवस्था नहीं है वहां किस प्लांट का उपयोग उपयुक्त है ?
उत्तर-
सेप्टिक टैंक (Septic Tank)।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वाहित मल निपटान की प्रणाली पर नोट लिखिए।
उत्तर-
सेप्टिक टैंक, रासायनिक शौचालय, कपोस्टिंग पिट आदि वाहित मल निपटान की वैकल्पिक व्यवस्थाएँ हैं। यह सारी व्यवस्था साधन की कम लागत से तैयार होती है और उन सभी जगहों के लिए उपयुक्त है जहाँ सीवर साधन उपलब्ध नहीं हैं जैसे अस्पताल, अलग-थलग बने भवन अथवा 4 से 5 घरों का समूह।

प्रश्न 2.
घरों में अपशिष्ट जल की मात्रा को कम करने के कुछ उपाय समझाइए।
उत्तर-घरों में अपशिष्ट जल की मात्रा को नियंत्रण करने के उपाय-

  1. नालियों में तेलीय वस्तुएँ, वसा आदि को नहीं बहने देना चाहिए क्योंकि ये वस्तुएँ नालियों को अवरूद्ध कर देती हैं।
  2. पेंट, रसायन, कीटनाशी आदि जल में प्रवाहित नहीं करने चाहिए क्योंकि ये जल शोधन के सूक्ष्मजीव को नष्ट कर देते हैं।
  3. प्रयुक्त चाय पत्ती, बचे हुए ठोस खाद्य पदार्थ, खिलौने, सैनिटरी टावल आदि कूड़ेदान में डालने चाहिए क्योंकि यह ठोस नालियों को अवरूद्ध कर देते हैं।

प्रश्न 3.
वाहित मल क्या है ? अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना हानिकारक क्यों है ? समझाइए। . .
उत्तर-
वाहित मल – यह द्रव रूपी अपशिष्ट है जिसमें अधिकांश घुले हुए और निलंबित अपद्रव्य (संदूषक) होते हैं। यह प्रकृति में जटिल होता है। वाहित मल घरों, उद्योगों, कृषि क्षेत्रों तथा मानव क्रियाकलापों द्वारा उत्पन्न होता है। यह जल तथा भूमि के प्रदूषण का मुख्य कारण है।

अनुपचारित प्रदूषित जल के हानिकारक प्रभाव-

  1. इससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे होते हैं।
  2. भूमिगत जल तथा भूमि जल प्रदूषित हो जाते हैं।
  3. जलवाहक रोगों के लिए वाहक का कार्य करता है।

प्रश्न 4.
तेल और वसाओं को नाली में क्यों नहीं बहाना चाहिए ? समझाइए।
उत्तर-
तेल तथा वसा जम कर ठोस बन जाने से पाइप तथा नालियों को बंद कर देते हैं। खुली नालियों में तेल मिट्टी के कणों को जकड़ लेते हैं जिससे उनकी फिल्टर करने की शक्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 5.
अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सम्मिलित चरणों का वर्णन करें।
उत्तर-
अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने में चरण-

  1. अपशिष्ट जल में उपस्थित कपड़ों के टुकड़े, डंडियाँ, डिब्बे तथा प्लास्टिक आदि को पृथक् करने के लिए
    अपशिष्ट जल को उर्ध्वाकार लगी छड़ों से बने शलाका छन्ने (बार स्क्रीन) में से गुज़ारा जाता है।
  2. अपशिष्ट जल को ग्रिट तथा रेत अलग करने वाली टैंकी में से गुज़ारा जाता है जहाँ अपशिष्ट जल को कम प्रवाह से छोड़ा जाता है। यहाँ जल में उपस्थित रेत, ग्रिट और कंकड़-पत्थर नीचे बैठ जाते हैं।
  3. अब जल को बड़ी टैंकी में ले जाया जाता है, जिसका पैंदा मध्य भाग में ढलान वाला होता है। इस टैंकी के मध्य भाग में मल तथा तैरने वाले तेल जैसे ठोस टैंकी की तपैंदी के मध्य भाग में बैठ जाते हैं।
  4. अब निर्मलीकृत जल में से पंप द्वारा वायु को गुज़ारा जाता है जिससे उसमें वायकीय जीवाणुओं की वृद्धि होती है। इस प्रकार साफ़ किया गया जल निर्मलीकृत जल कहलाता है।

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प्रश्न 6.
आपंक क्या है ? समझाइए कि इसे कैसे उपचारित किया जाता है ?
उत्तर-
आपंक (Sludge) – यह अपशिष्ट जल को बार स्क्रीन लगी टैंकी जिससे ग्रिट तथा रेत पृथक् की जाती है, में से गुज़ार कर एकत्रित किया गया ठोस मल है।

आपंक का उपचार – आपंक को एक टैंकी में एकत्रित किया जाता है, जहाँ यह अवायवीय जीवाणुओं द्वारा अपघटित हो जाता है। इस प्रक्रम में उत्पन्न होने वाली बायोगैस (जैव गैस) का उपयोग ईंधन के रूप में या बिजली उत्पादन में किया जाता है। शुष्क आपंक को खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। समझाइए।
उत्तर-

  1. अनुपचारित मानव मल मच्छर, मक्खी तथा अन्य कीटों का जनन केंद्र बन जाता है।
  2. यह दुर्गंध से भरपूर होता है।
  3. यह भूमि तथा जल को प्रदूषित करता है।
  4. यह अनेक प्रकार के रोगों का वाहक है।

प्रश्न 8.
जल को रोगाणुनाशित (रोगाणु मुक्त) करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो रसायनों के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. क्लोरीन और
  2. ओज़ोन।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वाहित मल उपचार संयंत्र का विवरण दीजिए।
उत्तर-
वाहित मल उपचार संयंत्र – वाहित मल के उपचार में भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रम सम्मिलित हैं जो जल को संदूषित करने वाले भौतिक, रासायनिक और जैविक द्रव्यों को पृथक करने में सहायता करते हैं।

(i) शलाका छन्नों में से गुज़ारना – अपशिष्ट जल उर्ध्वाकार लगी छड़ों से बने शलाका छन्नों में से गुज़ारा जाता है ताकि बड़े आकार की अशुद्धियां जैसे कपड़ों के टुकड़े, डिब्बे, प्लास्टिक के थैले आदि पृथक् हो सकें।

(ii) ग्रिट और बालू उपचार टैंक – अपशिष्ट जल को इन टैंकों में से बड़ी से धीमी गति से प्रवाहित किया जाता है ताकि धूल, कंकड़, पत्थर आदि नीचे तल में बैठ जाएँ।

(iii) आपंक को पृथक् करना – अपशिष्ट जल को एक ऐसी टैंकी में डाला जाता है जिसका मध्य भाग ढलान वाला होता है ताकि अपशिष्ट जल में ठोस इस ढलान वाली तली में बैठ जाए। यह तली पर जमा ठोस आपंक कहलाता

इसे खुरच कर बाहर निकाला जाता है। अपशिष्ट जल में तैरने वाली अशुद्धियों (तेल, वसा) को अपमथित्र (स्किमर) द्वारा पृथक् किया जाता है। यह जल निर्मलीकृत जल होता है।

अब दो विभिन्न प्रक्रम अपनाए जाते हैं-
(क) आपंक को एक ऐसी टंकी में स्थानांतरित किया जाता है जहाँ अवायवीय अपघटन हो सके। इस अपघटन में बायोगैस उत्पन्न होती है।

(ख) निर्मलीकृत जल में वायवीय सूक्ष्मजीव बचे हुए मानव अपशिष्ट पदार्थों, खाद्य पदार्थों, साबुन आदि का उपयोग करते हैं। इन जीवों की वद्धि के लिए निर्मलीकृत जल में वायु का प्रवाह किया जाता है। यह सूक्ष्मजीव उपभोग किए हुए पदार्थों के साथ टंकी की तली में बैठ जाते हैं। ऊपर से जल को निकाल दिया जाता है। जमे हुए आपंक को सुखा कर खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।

(iv) उपरोक्त जल को या तो किसी जल स्रोतों में डाल दिया जाता है अथवा क्लोरीन या ओज़ोन से उपचारित किया जाता है।