PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare Ka Vakya Mein Prayog मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

1. अन्धे की लकड़ी एकमात्र सहारा,
प्रयोग – अब तो रमेश ही बुढ़ापे में मुझ अन्धे की लकड़ी है।

2. अंगूठा दिखाना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – जब मैंने सुरेश से दस रुपए मांगे तो उसने अंगूठा दिखा दिया।

3. अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब निकालना,
प्रयोग – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।

4. अंग – अंग हिल जाना – थक जाना,
प्रयोग – दिन भर मेहनत करने से मजदूरों का अंग – अंग हिल जाता है।

5. अपने पैरों पर खड़े होना आत्मनिर्भर होना,
प्रयोग – बच्चों को प्रारम्भ से ही ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

6. आँखों का तारा बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुनील अपने माता – पिता की आँखों का तारा है।

7. आँख में खटकना – बुरा लगना,
प्रयोग – शरारती बच्चे अध्यापक की आँख में खटकने लगते हैं।

8. आँख बदलना – मुँह फेर लेना,
प्रयोग – मुसीबत के समय अपने भी आँख बदल लेते हैं।

9. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना,
प्रयोग – ठग, राम की आँखों में धूल झोंक कर पाँच सौ रुपए ले गया।

10. आँखें खुलना – होश आना,
प्रयोग – हानि उठाकर ही आँखें खलती हैं।

11. आत्म – समर्पण करना अपने आप को दूसरे के हवाले करना,
प्रयोग – चोर ने पुलिस के सामने आत्म – समर्पण कर दिया।

12. आनाकानी करना टालमटोल करना,
प्रयोग – जब मैंने पीयूष से सौ रुपये उधार माँगे, तो वह आनाकानी करने लगा

13. आव देखा न ताव – बिना सोचे समझे,
प्रयोग – डूबते हुए बच्चे को बचाने के लिए सुरेन्द्र ने आव देखा न ताव नदी में छलांग लगा दी।

14. आसमान सिर पर उठाना बहुत शोर करना,
प्रयोग – अध्यापक के क्लास से बाहर निकलते ही लड़कों ने आसमान सिर पर उठाना शुरू कर दिया।

15. ईंट से ईंट बजाना – नाश करना,
प्रयोग – बन्दा बहादुर ने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजा दी।

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16. ईद का चाँद होना बहुत दिनों बाद दिखाई देना,
प्रयोग – अरे सुरेश तुम तो ईद के चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो?

17. एक आँख से देखना बराबर का बर्ताव,
प्रयोग – माता – पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

18. काम आना – युद्ध में मारे जाना,
प्रयोग – भारत – पाक युद्ध में अनेक भारतीय वीर काम आए।

19. कलम तोड़ना – बहुत बढ़िया लिखना,
प्रयोग – सुन्दर ने चाहे थोड़ा लिखा है पर कलम तोड़ कर रख दी है।

20. कान पर जूं न रेंगना कोई असर न पड़ना,
प्रयोग – मेरे कहने पर तो उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

21. कान भरना – चुगली करना,
प्रयोग – अपने सहपाठियों के विरुद्ध कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।

22. कानों का कच्चा होना किसी बात पर बिना सोचे – समझे विश्वास कर लेना,
प्रयोग – किसी अफसर के लिए कानों का कच्चा होना ठीक नहीं है।

23. खाला जी का घर – आसान काम,
प्रयोग – आठवीं श्रेणी पास करना खाला जी का घर नहीं है।

24. गले का हार – बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुरेश अपने माता – पिता के गले का हार है।

24. गहरी नींद सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – फाँसी के बाद सद्दाम हुसैन गहरी नींद सो गया।

25. घी के दीये जलाना – बहुत खुशी मनाना,
प्रयोग – जब श्री रामचन्द्र अयोध्या वापस पहुँचे तो लोगों ने घी के दीये जलाए।

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26. घोड़े बेचकर सोना – बे – फिक्र होकर सोना,
प्रयोग – परीक्षा के बाद सब विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

27. घड़ी समीप होना – मृत्यु निकट होना,
प्रयोग – रोगी की साँस बहुत धीमे चल रही थी, ऐसा लगता था जैसे उसकी घड़ी समीप हो।

28. चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना,
प्रयोग – आपने यहाँ पधार कर उत्सव को चार चाँद लगा दिए।

29. छक्के छुड़ाना बुरी तरह हराना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए।

30. जान हथेली पर रखना अपने को जोखिम में डालना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं।

31. जी की कली खिलना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – विदेश से वापस आए पुत्र को देखकर माता – पिता के जी की कली खिल उठी।

32. झाँसा देना धोखा देना,
प्रयोग – अपराधी पुलिस को झांसा देकर भाग खड़ा हुआ।

33. टका – सा जवाब देना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – मैंने जब महेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने मुझे टका – सा जवाब दे दिया।

34. टेढ़ी खीर – कठिन काम,
प्रयोग – आठवीं की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

35. डींग मारना शेखी मारना,
प्रयोग – डींग मारने वालों पर विश्वास मत कीजिए।

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36. तलवे चाटना – खुशामद करना,
प्रयोग – बलबीर दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में निपुण है।

37. दांत खट्टे करना – बुरी तरह हराना,
प्रयोग – भारत ने युद्ध में दो बार पाकिस्तान के दांत खट्टे किए।

38. दांतों तले उंगली दबाना – चकित होना,
प्रयोग – ताजमहल की सुन्दरता को देखकर विश्व के लोग दांतों तले उंगली दबाते हैं।

39. दिल बल्लियों उछलना बहुत खुश होना,
प्रयोग – लाटरी निकलने का समाचार सुनकर जसदेव का दिल बल्लियों उछलने लगा।

40. दिल टूट जाना – हताश हो जाना,
प्रयोग – इकलौते पुत्र की मृत्यु से माँ – बाप का दिल टूट गया।

41. धुन का पक्का – इरादे का पक्का,
प्रयोग – जीवन में वही व्यक्ति उन्नति कर सकता है, जो धुन का पक्का होता है।

42. नस – नस पहचानना हर बात की जानकारी होना,
प्रयोग – राजेन्द्र का विश्वास मत करो, मैं उसकी नस – नस पहचानता

43. नाक कटवाना – बदनामी करवाना,
प्रयोग – सोहन ने चोरी करके अपने कुल की नाक कटवा दी है।

44. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना,
प्रयोग – सिपाही को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

45. नाक में दम करना – बहुत तंग करना,
प्रयोग – वर्षा ने नाक में दम कर दिया है, कहीं जाना भी कठिन हो गया है।

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46. पानी – पानी होना बहुत लज्जित होना,
प्रयोग – सच्चाई सामने आने पर बलदेव पानी – पानी हो गया।

47. पीठ दिखाना – युद्ध से भाग जाना,
प्रयोग – युद्ध के मैदान में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।

48. प्राण पखेरू उड़ना – मर जाना,
प्रयोग – डॉक्टर के आने से पहले रोगी के प्राण पखेरू उड़ गए।

49. पीठ थपथपाना – शाबाश देना,
प्रयोग – कक्षा में प्रथम आने पर अध्यापक ने सुरेश की पीठ थपथपाई।

50. प्राणों की खैर मनाना – अपना बचाव करना,
प्रयोग – भारतीय सैनिकों ने शत्रु सैनिकों को ललकार कर कहा – प्राणों की खैर मनानी है तो हथियार डाल दो।

51. फूला न समाना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर दिनेश फूला नहीं समाता था।

52. फूट – फूट कर रोना बहुत अधिक रोना,
प्रयोग – पिता के मरने का समाचार सुनकर पुत्र फूट – फूट कर रोने लगा।

53. बेसिर पैर की बातें करना – फजूल की बातें करना।
प्रयोग – सुच्चा सिंह हर वक्त बेसिर पैर की बातें करता है।

54. भीगी बिल्ली बनना – डर से दबे रहना,
प्रयोग – जब तक मास्टर जी कक्षा में रहते हैं, लड़के भीगी बिल्ली बनकर बैठे रहते हैं।

55. मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन स्वस्थ हो तो घर में ही पुण्य पाया जा सकता है।
प्रयोग – रविदास जी ने तीर्थ यात्रा को निरर्थक बताया। उनका कहना था – मन चंगा तो कठौती में गंगा।

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56. मन मोह लेना – अच्छा लगना, मन लुभाना।
प्रयोग – जसवंत के नृत्य ने सबका मन मोह लिया।

57. मखमल में लपेट कर कहना – चिकनी – चुपड़ी बात कहना।
प्रयोग – आजकल मखमल में लपेटकर कहने वाले ही सफल होते हैं।

58. मुँह मोड़ना – नाराज़ होना।
प्रयोग – संकट में मित्र भी मुँह मोड़ते हैं।

59. मौत के घाट उतारना – मार देना।
प्रयोग – अमेरिका ने इराक में हजारों को मौत के घाट उतार दिया।

60. मृत्यु – तुल्य जीवन बिताना – मरे हुए के समान रहना।
प्रयोग – कालाहांडी में लोग मृत्यु – तुल्य जीवन बिता रहे हैं।

61. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – सुनामी लहरों के कहर से लाखों लोग मृत्यु की गोद में सो गए।

62. मुँह की खाना – बुरी तरह हारना,
प्रयोग – 1971 के भारत – पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

63. मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना,
प्रयोग – आजकल मुट्ठी गर्म करने से ही प्रत्येक काम बनता है।

64. रंग में भंग डालना मजा किरकिरा होना,
प्रयोग – विवाह में दादा जी की मृत्यु ने रंग में भंग डाल दिया।

65. रफूचक्कर होना – भाग जाना,
प्रयोग – पुलिस को देखते ही डाकू रफू चक्कर हो गए।

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66. लाल – पीला होना क्रुद्ध होना, गुस्से में आना,
प्रयोग – पहले बात तो सुन लो व्यर्थ में क्यों लाल – पीले हो रहे हो।

67. लोहा लेना युद्ध करना,
प्रयोग – अधिकतर मुग़ल सम्राट् राजपूतों से लोहा नहीं लेना चाहते थे।

68. लोहे के चने चबाना अति कठिन काम करना, कष्ट अनुभव करना,
प्रयोग – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े थे।

69. वीरगति प्राप्त करना – वीरों की मौत मरना, शहीद होना,
प्रयोग – युद्ध में कई भारतीय सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की।

70. वार देना – कुर्बान करना,
प्रयोग – गुरु गोबिन्द सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्र वार दिए थे।

71. श्रीगणेश करना – काम आरम्भ करना,
प्रयोग – सोहन ने कल ही अपने नये व्यवसाय का श्रीगणेश किया है।

72. सिर चढ़ाना – लाड़ प्यार से आदतें खराब करना,
प्रयोग – बच्चों को ज्यादा सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

73. हवा से बातें करना बहुत तेज़ दौड़ना,
प्रयोग – महाराणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

74. हवा हो जाना – भाग जाना,
प्रयोग – पहरेदार को अपनी तरफ आते देखकर चोर हवा हो गया।

75. हाथ – फैलाना – मांगना,
प्रयोग – स्वाभिमान – रहित व्यक्ति हर किसी के आगे हाथ फैलाने लगता है।

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76. हाथ मलना – पछताना,
प्रयोग – अब फेल होने पर हाथ मलने से क्या लाभ? पहले ही डट कर मेहनत करते तो पास हो जाते।

77. हाथ लगना – अधिकार में होना,
प्रयोग – युद्ध में अनेक पाकिस्तानी टैंक भारतीय सेना के हाथ लगे।

78. हथियार डालना – हार मान लेना,
प्रयोग – बांग्लादेश में पाकिस्तान ने साधारण से युद्ध के बाद हथियार डाल दिए।

79. हृदय पर साँप लोटना – बुरा लगना,
प्रयोग – दूसरे की उन्नति देखकर ईष्यालु व्यक्ति के हृदय पर साँप लोटने लगता है।

80. हँसते – हँसते लोट – पोट होना – बहुत हँसना।
प्रयोग – लाल बुझक्कड़ के किस्से सुनकर बच्चे हँसते – हँसते लोट – पोट हो गए।

PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

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PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

शब्दों का शुद्ध रूप

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लिंग परिवर्तन

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वचन परिवर्तन

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भाववाचक संज्ञाएं

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विशेषण रचना

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विपरीतार्थक या विलोम शब्द

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पर्यायवाची या समानार्थक शब्द

अमृत सोम, सुधा, पीयूष।
असुर राक्षस, दैत्य, दानव, दनुज।
अग्नि आग, अनल, पावक, दहन।
अन्धकार अन्धेरा, तम, तिमिर।
आँख नेत्र, चक्षु, नयन, लोचन।
आकाश गगन, आसमान, नभ, अम्बर।
आनन्द मोद, हर्ष, उल्लास, प्रसन्नता।
इच्छा अभिलाषा, कामना, चाह, लालसा।
ईश्वर भगवान्, परमात्मा, ईश, प्रभु।
कपड़ा वस्त्र, पट, वसन।
कमल पंकज, सरोज, अरविन्द।
किनारा तट, तीर, कूल।
गौ गाय, सुरभि, धेनु।
घर गृह, सदन, भवन।
घोड़ा अश्व, वाजी, घोटक, तुरंग।
चन्द्रमा चाँद, इन्दु, राकेश, शशि, चन्द्र।
जल वारि, पानी, नीर, पय।
तलवार खड्ग, कृपाण, असि।
तीर वाण, शर, सायक।
दिन दिवस, वार, अहन।
देवता सुर, देव, अमर।
नदी सरिता, तरंगिणी, नद, तटिनी।
नमस्कार प्रणाम, नमस्ते, अभिवादन।
पृथ्वी ज़मीन, धरती, भूमि।
पुत्र बेटा, सुत, तनय।
पर्वत गिरि, पहाड़, अचल, शैल।
पक्षी खग, नभचर, विहंग।
बाग़ बगीचा, उपवन, वाटिका।
बादल मेघ, घन, जलद, नीरद।
बिजली विद्युत्, तड़ित, दामिनी।
फूल सुमन, कुसुम, पुष्प।
माता जननी, माँ, मैया।
मृत्यु मौत, अन्त, निधन, देहान्त।
राजा नरेश, नरपति, भूपति।
वायु अनिल, पवन, हवा।
रात रजनी, निशा, रात्रि।
संसार दुनिया, विश्व, जगत्।
सूर्य रवि, भानु, दिनकर।
स्त्री महिला, अबला, नारी, औरत।
सरोवर तालाब, सर, तड़ाग।
समुद्र सागर, सिन्धु, जलधि।
शत्रु दुश्मन, बैरी, अरि।

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

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1. भाषा

प्रश्न 1.
भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस साधन द्वारा हम अपने विचार दूसरों पर प्रकट करते हैं, उसे भाषा कहते हैं ; जैसे हिन्दी, मराठी, बांग्ला, पंजाबी आदि भाषाएं हैं।

प्रश्न 2.
भाषा के कितने प्रकार हैं?
उत्तर :
भाषा के दो प्रकार हैं –

  • लिखित और
  • मौखिक।

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प्रश्न 3.
लिपि किसे कहते हैं? हिन्दी की लिपि का नाम बताइए।
उत्तर :
जिन वर्ण चिहनों के द्वारा भाषा लिखी जाती है, उसे लिपि कहते हैं। हिन्दी भाषा की लिपि का नाम देवनागरी है।

प्रश्न 4.
व्याकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शास्त्र की सहायता से हमें किसी भाषा को शुद्ध लिखना और बोलना आता है, उसे व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के तीन भाग होते हैं – वर्ण विचार, शब्द विचार और वाक्य विचार।

प्रश्न 5.
हिन्दी व्याकरण के कितने भाग हैं?
उत्तर :
हिन्दी व्याकरण के तीन भाग हैं –

  • वर्ण विचार – इसमें वर्ण, उसके भेद, उच्चारण एवं शब्द निर्माण के नियम आदि होते हैं।
  • शब्द विचार – इसमें शब्द, भेद, उत्पत्ति, रचना और रूपांतर का वर्णन होता है।
  • वाक्य विचार – इसमें वाक्य भेद, अन्वय, संश्लेषण, विश्लेषण आदि का वर्णन होता है।

प्रश्न 6.
वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह छोटी – से – छोटी ध्वनि जिसका कोई खंड न हो सके, वर्ण (अक्षर) कहलाती हैं ; जैसे – अ, क, स, प, ह, इ, उ आदि।

प्रश्न 7.
वर्णमाला किसे कहते हैं?
उत्तर :
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

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प्रश्न 8.
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण (अक्षर) हैं?
उत्तर :
हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और तैंतीस व्यंजन हैं। प्रश्न 9. वर्ण के कितने भेद होते हैं? उत्तर : वर्ण के दो भेद हैं –

  • स्वर
  • व्यंजन।

प्रश्न 10.
स्वर किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहा जाता जैसे –
अ, इ, उ, ऋ आदि ग्यारह स्वर हैं।

स्वरों के तीन भेद हैं –

  • ह्रस्व
  • दीर्घ
  • प्लुत।

प्रश्न 11.
मात्रा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
व्यंजन के साथ मिलाकर लिखे जाने वाले स्वर के संक्षिप्त रूप को मात्रा कहते हैं; जैसे –
प् + ई (1) = पी।

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प्रश्न 12.
शब्द किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के समूह को शब्द कहते हैं। शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द।

(i) सार्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट होता हो, सार्थक शब्द कहलाता है; जैसे – पुस्तक, मेज, कलम, गाय आदि।
(ii) निरर्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट न होता हो, निरर्थक शब्द कहलाता है; जैसे – स्तफुल, यमाक आदि।

प्रश्न 13.
शब्द के वर्गीकरण के आधार बताइए।
उत्तर :
शब्द के वर्गीकरण के तीन आधार हैं

  • उत्पत्ति के आधार पर।
  • वाक्य के प्रयोग के आधार पर
  • व्युत्पत्ति के आधार पर।

प्रश्न 14.
पद किसे कहते हैं?
उत्तर :
शब्दों में ने, को, के लिए आदि विभक्ति चिह्न जोड़ने पर वे पद बन जाते हैं; जैसे – राम ने रोटी खाई। यहाँ ‘राम ने’, ‘रोटी’ तथा ‘खाई’ – ये तीन पद हैं।

प्रश्न 15.
शब्द और पद में क्या अंतर है?।
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को खंड कहते हैं तथा खंडों में विभक्ति चिह्न जोड़ने पर शब्द ही पद कहलाते हैं।

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प्रश्न 16. वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदों के ऐसे समूह को वाक्य कहते हैं, जिससे भाव पूरी तरह स्पष्ट हो ; जैसे –
राम रोटी खाता है।

प्रश्न 17.
वाक्य कैसे बनते हैं?
उत्तर :
शब्दों में विभक्ति चिहन जोड़ने पर वे शब्द ‘पद’ कहलाते हैं और पदों से वाक्य बनते हैं; जैसे –
राम ने पुस्तक पढ़ी।

यहाँ ‘राम ने’ कर्ता पद, ‘पुस्तक’ कर्म पद तथा ‘पढ़ी’ क्रिया पद है। शब्दों से वाक्य कभी नहीं बनते। पदों से ही वाक्य बनते हैं। यदि शब्दों के समूह का नाम वाक्य हो तो सभी शब्द कोश ही वाक्य बन जाएँ।

प्रश्न 18.
शब्द और वाक्य में क्या अंतर है? ..
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और पदों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 19.
प्रयोग के अनुसार शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर :
प्रयोग के अनुसार शब्द के आठ भेद हैं
विकारी – अविकारी
(1) संज्ञा – (5) क्रिया विशेषण
(2) सर्वनाम – (6) सम्बन्ध बोधक
(3) विशेषण – (7) समुच्चय बोधक
(4) क्रिया – (8) विस्मयादि बोधक

विकारी – जिन शब्दों का पुरुष, लिंग, वचन आदि के कारण रूप बदल जाता है, उन्हें विकारी कहा जाता है, जैसे – पर्वत, पर्वतों, बादल, बादलों, विद्वान्, विदुषी आदि।

अविकारी – जिन शब्दों का रूप नहीं बदलता, उन्हें अविकारी कहा जाता है। जैसे – और, यहाँ, वहाँ, या, अथवा आदि।

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2. संज्ञा

प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा लिखो और उसके भेद बताओ।
उत्तर :
किसी व्यक्ति, जाति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि का बोध कराए, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – कृष्ण, दिल्ली, गंगा आदि।
  • जातिवाचक – जो शब्द किसी सम्पूर्ण जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – स्त्री, पुरुष, पशु, नगर आदि।
  • भाववाचक – जो शब्द किसी के धर्म, अवस्था, भाव, गुण – दोष आदि प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – मिठास, मानवता, सत्यता आदि।

3. लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? उसके भेद बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप में स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में लिंग के दो प्रकार हैं –

  • पुल्लिग – संज्ञा के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिग कहते हैं। जैसे – लड़का, शेर, हाथी।
  • स्त्रीलिंग – संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – लड़की, शेरनी, हथिनी।।

4. वचन

प्रश्न 1.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
शब्दों के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन के दो भेद हैं –

  • एकवचन – संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – लड़की, घोड़ा, बहिन आदि।
  • बहुवचन – संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।

प्रश्न 2.
एकवचन का बहवचन के रूप में प्रयोग किन स्थितियों में होता है?
उत्तर :
सम्मान के भाव में एकवचन का प्रयोग बहुवचन के रूप में होता है, जैसे –

  • पिता जी आए हैं।
  • बापू महान् नेता थे।

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5. कारक

प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
अथवा
कारक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाए, उस रूप को कारक कहते हैं। जैसे – मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।

विभक्तिकारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है।

हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिहन इस प्रकार हैं : –
कारक – विभक्ति चिहन

  1. कर्ता – ने
  2. कर्म – को
  3. करण – से, के द्वारा, के साथ
  4. सम्प्रदान – को, के लिए, वास्ते
  5. अपादान – से (पृथकत्व, बोधक)
  6. सम्बन्ध – का, के, की
  7. अधिकरण – में, पर
  8. सम्बोधन – हे, अरे, रे

1. कर्ता – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे –
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) सोहन ने दूध पिया।
2. कर्म – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे – श्याम पाठशाला को जाता है।
3. करण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे – राम ने बाण से बालि को मारा।
4. सम्प्रदान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे – अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।
5. अपादान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहा जाता है। जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
6. सम्बन्ध – संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। जैसे – यह मोहन का घर है।
7. अधिकरण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे – वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।
8. सम्बोधन – संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो। जैसे हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो।

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6. सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा लिखो और उसके भेद भी बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – सोहन, मोहन के साथ उसके घर गया। इस वाक्य में ‘उसके’ सर्वनाम मोहन के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।

सर्वनाम के पाँच भेद हैं –

  1. पुरुषवाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही हो, उसका ज्ञान प्राप्त हो, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
    • अन्य पुरुष – वह, वे
    • मध्यम पुरुष – तू, तुम
    • उत्तम पुरुष – मैं, हम
  2. निश्चयवाचक इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दर की वस्तु पर निश्चय होता है। जैसे – यह, ये, वह, वे।
  3. अनिश्चयवाचक – इस सर्वनाम से किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान नहीं होता। जैसे – कोई, कुछ।
  4. सम्बन्धवाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर सम्बन्ध का ज्ञान होता है। जैसे – जो, सो। जो करेगा, सो भरेगा।
  5. प्रश्नवाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है। जैसे – कौन, क्या। आप कौन हैं? मैं क्या करूँगा?

7. विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? इसके भेद बताओ।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है। जैसे – वीर पुरुष। इसमें ‘वीर’ शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है।

विशेषण के चार भेद हैं –

  1. गुणवाचक – संज्ञा या सर्वनाम के गुण – दोष, रंग, अवस्था आदि को बताने वाला गुणवाचक विशेषण होता है। जैसे विद्वान् पुरुष। मूर्ख लड़का (गुण – दोष)। नीला घोड़ा। काली बिल्ली (रंग)।
  2. संख्यावाचक – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान कराए, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – एक पुस्तक। दस मनुष्य।
  3. परिमाणवाचक जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के नाप – तोल का ज्ञान होता हो, वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – दो मीटर कपड़ा। चार किलो मिठाई।
  4. सार्वनामिक या सांकेतिक – जब सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत के रूप में आता है, तब वह सर्वनाम विशेषण बन जाता है। जैसे – वह मेरी पुस्तक है।

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8. क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर :
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे

  • नेहा दौड़ती है।
  • मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
  • हम खाना खाते हैं।

इन वाक्यों में दौड़ती’, ‘पढ़ती’, ‘खाते’ शब्दों से कोई काम करने या होने का पता चलता है।

प्रश्न 2.
कर्म के अनुसार क्रिया के कितने भेद हैं?
उत्तर :
कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं –

  1. सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सुरेश पत्र लिखता है। इस वाक्य में सुरेश क्या लिखता है? ‘पत्र’। पत्र क्या है? कर्म। यह क्रिया सकर्मक है।
  2. अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सलमा नहाती है। इस वाक्य में ‘नहाती’ है क्रिया का कोई कर्म नहीं है। यह अकर्मक क्रिया है।

क्रिया में परिवर्तन

प्रश्न 3.
क्रिया में परिवर्तन किस प्रकार होता है? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्द भी विकारी शब्द है। क्रिया शब्दों में परिवर्तन लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य के कारण होता है। जैसे
(क) लिंग – मोहन गा रहा था। (पुल्लिग)
राधा खेल रही थी। (स्त्रीलिंग)
यहाँ ‘रहा था’ क्रिया पुल्लिग है और ‘रही थी’ क्रिया स्त्रीलिंग है।

इस प्रकार संज्ञा शब्दों की भांति क्रिया शब्दों के दो लिंग होते हैं।

  • पुल्लिग
  • स्त्रीलिंग

(ख) वचन लड़का हँसता है। लड़के पढ़ते हैं। यहाँ ‘हँसता है’ एकवचन है और ‘पढ़ते हैं’ बहुवचन है। इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं –

  • एकवचन
  • बहुवचन

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(ग) पुरुष – मैं पढ़ता हूँ।
हम लिखते हैं।
यहाँ ‘मैं’ और ‘हम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: उत्तम पुरुष हैं।
तू जाता है।
तुम खाते हो।
यहाँ ‘तू’ और ‘तुम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: मध्यम पुरुष हैं।
वह देखता है।
कोई जा रहा है।
यहाँ ‘वह’ और ‘कोई’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अतः अन्य पुरुष हैं। इस प्रकार कर्ता के अनुसार क्रिया के तीन पुरुष हैं –

  • उत्तम पुरुष – (मैं, हम)
  • मध्यम पुरुष – (तू, तुम)
  • अन्य पुरुष – (वह, वे, संज्ञा शब्द)

9. काल

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।

प्रश्न 2.
काल के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
काल के मुख्यत: तीन भेद हैं :

  • भूतकाल
  • वर्तमानकाल
  • भविष्यत्काल।

प्रश्न 3.
भूतकाल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना बीते समय में पाया जाए तो भूतकाल की क्रिया होती है।

मैंने रोटी खाई।
गाड़ी तेज़ चल रही थी।
आंधी से कुछ पेड़ गिरे।

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ऊपर के वाक्यों में ‘खाई’, ‘चल रही थी’, ‘गिरे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है। बीते हुए समय को भूतकाल कहते हैं।

प्रश्न 4.
वर्तमान काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना चल रहे समय में पाया जाए तो वह वर्तमान काल की क्रिया होती है।
कवि कविता लिखता है।
लड़की गाना गाती है।
छात्र पुस्तकें पढ़ते हैं।

इन वाक्यों में लिखता है’, ‘गाती’ है, ‘पढ़ते’ हैं. क्रियाएँ हैं। इनसे क्रिया का करना या होना इसी समय में पाया जाता है। चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।

प्रश्न 5.
भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाए, तो भविष्यत् काल की क्रिया होती है।
लड़के मैदान में खेलेंगे।
किसान फसल काटेंगे।
वह दिल्ली जाएगा।
ऊपर के वाक्यों में ‘खेलेंगे’, ‘काटेंगे’, ‘जाएगा’ – क्रियाएँ हैं। इन से क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है। ये भविष्यत् काल की क्रियाएँ हैं।

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10. वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं? वाच्य के भेद भी लिखो।
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप में कर्ता या कर्म या भाव अर्थात् क्रिया व्यापार की प्रमुखता कही जाए, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के तीन भेद होते हैं –

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य।

प्रश्न 2.
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से कर्ता के व्यापार का पता चले उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। राम आता है। मोहन ने दरवाज़ा खोला। श्याम ने पुस्तक खरीदी।

यहाँ ‘आता है’। क्रिया व्यापार करने वाला कर्ता राम है। खोलने की क्रिया करने वाला कर्ता मोहन है और खरीदने की क्रिया करने वाला कर्ता श्याम है।

प्रश्न 3.
कर्मवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस क्रिया व्यापार से कर्म का व्यापार मुख्य रूप से सूचित हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

छात्र के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाएगी।
मोहन से लकड़ी नहीं काटी जा रही है।
शीला से दरवाजा नहीं खोला गया।

यहाँ ‘पढ़ने’ की क्रिया व्यापार में कर्ता गौण होकर कर्म पर बल है। इसी प्रकार ‘लकड़ी’ और ‘दरवाज़ा’ पर बल है। यहाँ कर्ता प्रधान नहीं है, कर्म प्रधान है। इसमें कर्ता के साथ ‘के द्वारा’, ‘से’ आदि लगा दिया जाता है।

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प्रश्न 4.
भाववाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य रचना में क्रिया का व्यापार ही प्रधान हो उसे भाववाच्य कहते हैं। यहाँ अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है।

हम से नहीं नहाया गया।
बच्चे से रोया जाता है।
नेहा से हँसा जाता है।

यहाँ न कर्म प्रधान है और न ही कर्ता, बल्कि क्रिया के व्यापार को प्रमुखता दी गई है।

11. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। यह अभी आया है।
देखो, यहाँ बहुत शोर है।
मोहन आज बहुत सोया।
समय जल्दी – जल्दी जा रहा है।

ऊपर के वाक्यों में यह कब आया? ‘अभी’। कहाँ बहुत शोर है? ‘यहाँ। मोहन आज कितना सोया? ‘बहुत’। समय कैसा जा रहा है? ‘जल्दी – जल्दी’। क्रिया में यदि हम कब, कहाँ, कितना और कैसे प्रश्न लगाएँ तो हमें क्रिया की विशेषताएँ पता चलती हैं।

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं –

  • कालवाचक क्रिया विशेषण
  • स्थानवाचक क्रिया विशेषण
  • परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
  • रीतिवाचक क्रिया विशेषण।

कुछ क्रिया विशेषण इस प्रकार हैं –

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12. सम्बन्ध बोधक

प्रश्न 1.
सम्बन्ध बोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
सम्बन्ध बोधक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बताए, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं। जैसे –
मोहन और सोहन साथ जा रहे हैं।
नीतू राम के समान बुद्धिमान है।
बच्चे छत के ऊपर उछल – कूद कर रहे हैं।
आपके सामने कौन बोल सकता है?

ऊपर के वाक्यों में साथ, समान, ऊपर, सामने आदि शब्द वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध प्रकट करते हैं।

कुछ सम्बन्ध बोधक शब्द ये हैं…
पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, निकट, पास, सामने, तरफ, द्वारा, विरुद्ध, अनुसार, तरह, समान, सिवा, रहित, अतिरिक्त, समेत, संग, साथ आदि।

प्रश्न 2.
सम्बन्ध बोधक और क्रिया विशेषण में अन्तर उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
मकान के भीतर जाओ।
भीतर जाओ।

पहले वाक्य में भीतर’ शब्द मकान के साथ आया है जबकि दूसरे वाक्य में भीतर’। शब्द क्रिया की विशेषता बता रहा है। जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त हो, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं और क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर क्रिया की विशेषता बताए, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं।

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13. योजक

प्रश्न 1.
योजक की परिभाषा लिखो।
अथवा
योजक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने वाले शब्द को योजक कहते हैं। जैसे हरदीप और मनदीप इकट्ठे खेल रहे हैं।
चुपचाप बैठो अन्यथा बाहर चले जाओ। गुरप्रीत पढ़ने में तो अच्छा है परन्तु स्वास्थ्य में कमजोर है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्द ‘और’, ‘अन्यथा’, ‘परन्तु’ आदि दो शब्दों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं।
कुछ योजकों के उदाहरण ये हैं : तथा, एवं, या, अथवा, नहीं तो, पर, लेकिन, बल्कि, किन्तु, इसलिए, अतः, क्योंकि, चूँकि, कि, जोकि, ताकि, जिससे, जिसमें, यद्यपि, तथापि, अगर तो, यानि, मानो, यहाँ तक कि आदि।

14. विस्मयादिबोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादिबोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द अचानक मुख से निकलकर घृणा, शोक, आश्चर्य, हर्ष आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

उदाहरण –
हाय ! मैं तो लुट गया।
वाह ! क्या मधुर आवाज़ है।
शाबाश ! तुमने तो कमाल कर दिया।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘हाय’, ‘वाह’, ‘शाबाश’ आदि शब्द मन के भावों को प्रकट करते हैं। कुछ विस्मयादिबोधक शब्द हैं – ओहो, हे, छि:छि:, धन्य, उफ, बाप रे, अहो, ऐं, वाह – वाह, दुर्, धिक्कार, ठीक, भला, अच्छा, सावधान, होशियार, खबरदार, काश आदि।

15. विराम चिहन

प्रश्न 1.
विराम चिह्न से क्या अभिप्राय है? हिन्दी में प्रचलित चिह्न को स्पष्ट करें।
उत्तर :
बातचीत करते समय हम अपने भावों को स्पष्ट करने के लिए कहीं – कहीं ठहरते हैं। लिखने में भी ठहराव प्रकट करते हैं। ठहराव को प्रकट करने के लिए जो चिहन लगाए जाते हैं, वे विराम चिहन कहलाते हैं।

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मुख्य विराम चिह्न

  1. पूर्ण विराम – ()
    (क) हर वाक्य के अन्त में लगाया जाता है। जैसे – गोपाल आठवीं कक्षा में पढ़ता है।
    (ख) कविता में वाक्य की पूर्णता – अपूर्णता नहीं देखी जाती। इसका प्रयोग पद या पंक्ति के अन्त में किया जाता है।
  2. अल्प – विराम – (,)
    बोलने वाला जहाँ बहुत थोड़ी देर के लिए रुकता है, वहाँ अल्प – विराम लगता है ; जैसे – मैं, कमला और गीता कल मन्दिर जाएंगी।
  3. प्रश्न – सूचक चिह्न – (?) प्रश्न – सूचक वाक्य के अन्त में प्रश्न – सू लगाया जाता है; जैसे – इस समय भारत के प्रधानमन्त्री कौन हैं?
  4. उद्धरण चिह्न – (“”) किसी के कथन को उसी रूप में दिखाने के लिए उद्धरण चिह्न लगाया जाता है ; जैसे – महात्मा गांधी जी ने कहा था, “सच्चाई की अन्त में विजय होती है।”
  5. विस्मयादिबोधक चिह्न – (!) विस्मयादिबोधक चिह्न अव्ययों के बाद लगते हैं; जैसे – अहो ! हाय ! आदि।
  6. निर्देशक – ( – ) इसका प्रयोग कथोपकथन (बातचीत) में बोलने वाले के नाम के आगे आता है। माता – पुत्र ! इधर आओ, मेरी बात सुनो।
    आचार्य – बालको ! भारत को कब आजादी मिली थी?
  7. योजक – ( – ) दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे – माता – पिता की सेवा करो।
  8. कोष्ठक चिह्न – () (क) किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – क्या तुम मेरे कहने का तात्पर्य (मतलब) समझ गए?

(ख) विभाग सूचक अंक या अक्षरों के लिए भी इसी चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक
  • जातिवाचक और
  • भाववाचक।

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9. लाघव चिन – (०) जहाँ शब्द को पूरा न लिख कर उसका संक्षिप्त रूप लिख दिया जाए वहाँ लाघव चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे पं० नेहरू। ला० लाजपतराय। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 मैं जीती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 मैं जीती (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB मैं जीती Textbook Questions and Answers

मैं जीती अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अनुराधा को क्या बुरा लगता था?
उत्तर :
अनुराधा के लंगड़ेपन पर जब कोई हँसता था तो उसे बुरा लगता था।

(ख) अनुराधा की माँ ने क्या कहकर उसका हौसला बढ़ाया?
उत्तर :
माँ ने अनु से कहा कि वह बहादुर लड़की थी और उन्हें विश्वास था कि अनु की सहपाठिने उसकी कठिनाई ज़रूर समझेंगी।

(ग) अनु में क्या गुण था?
उत्तर :
अनु में कई गुण थे :

  • वह मधुर भाषी थी।
  • वह एक अच्छी तैराक थी।

(घ) अनु ने किसे डूबने से बचाया?
उत्तर :
अनुराधा ने माला की बहन कला को डूबने से बचाया था।

(ङ) माला ने क्या कहकर अनु का धन्यवाद किया?
उत्तर :
माला ने अनु से कहा, “यदि तुम न होती तो वह डूब ही गई होती” यह कहकर उसने अनु का धन्यवाद किया।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) अनु को शुरू में माला का व्यवहार कैसा लगा?
उत्तर :
अनु जब पहली बार विद्यालय गई तो अध्यापिका ने उसे माला के साथ वाली जगह पर बैठने को कहा। माला को देखकर अनु खुश हुई लेकिन जब उसने माला से बात करनी चाही तो माला बड़ी ही बेरुखी से उससे पेश आई। माला का इस प्रकार व्यवहार अनु को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।

(ख) अनु ने कला को कैसे बचाया?
उत्तर :
अनु जब तैरने के लिए तरणताल गई तो उसने कला को पानी में हाथ छपछपाते हुए देखा। वह पानी में डूब रही थी। माला उसे बचाने के लिए मदद – मदद चिल्लाने लगी। किसी के वहाँ न आने पर अनु स्वयं कला को बचाने के लिए पानी में कूद गई। पहले उसने कला को बाल पकड़कर ऊपर खींचना चाहा लेकिन छोटे बाल होने के कारण वह उसे ऊपर न खींच सकी। तब उसने उसे दुबारा पकड़ा और पकड़ कर किनारे पर पास खींच लाई और कला को दीवार के साथ लगा दिया। तभी माला ने कला को ऊपर खींच लिया इस प्रकार अनु ने कला की जान बचा ली।

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(ग) इस कहानी का शीर्षक है ‘मैं जीती’। क्या आपको यह शीर्षक ठीक लगा? क्यों?
उत्तर :
इस कहानी का शीर्षक ‘मैं जीती’ सर्वथा उचित है क्योंकि अनुराधा ने कला को डूबने से बचाकर मृत्यु पर जीत हासिल की थी। उसकी जीत मात्र कला को बचाने की नहीं थी अपितु उसने अपनी बहादुरी से सभी का मन भी जीत लिया था। सभी अनुराधा के बचाया ? साहस और हिम्मत की प्रशंसा कर रहे थे। अत: ‘मैं जीती’ शीर्षक उचित है। अनुराधा का चरित्र इस शीर्षक की सार्थकता का प्रबल उदाहरण है।

5. इन मुहावरों के अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. आँसू टपकाना = रोना …………………………….
  2. मज़ाक बनाना = हँसी उड़ाना …………………………….
  3. पीठ थपथपाना = शाबाशी देना …………………………….

उत्तर :

  1. आँसू टपकाना = रोना वाक्य – माँ के डांटते ही शीला की आँखों से आँसू टपकने लगे।
  2. मज़ाक बनाना = हंसी उड़ाना वाक्य – हमें किसी की विकलांगता पर उसका मज़ाक नहीं बनाना चाहिए।
  3. पीठ थपथपाना = शाबाशी देना
    वाक्य – रमेश ने एक छोटे बच्चे को कुएँ में गिरने से बचाया तो सभी ने उसकी पीठ थपथपाई।

6. वचन बदल कर वाक्य पुनः लिखें :

  1. 1. बच्चा मुझे देखकर हँस रहा है।
    …………………………….
  2. 2. वह मेरी उपेक्षा कर रही थी।
    …………………………….
  3. 3. लड़की भागती हुई आई।
    …………………………….

उत्तर :

  1. बच्चे मुझे देखकर हँस रहे हैं।
  2. वे मेरी उपेक्षा कर रही थीं।
  3. लड़कियां भागती हुई आईं।

7. कहानी में कुछ शब्द अंग्रेज़ी भाषा के हैं। पाँच शब्द चुनकर उन्हें हिंदी में लिखें :
उत्तर :

  • प्रिंसीपल = प्रधानाचार्य/प्राचार्य
  • स्कूल = विद्यालय
  • मैडम = अध्यापिका/श्रीमती
  • गेम्स टीचर = खेल की अध्यापिका
  • बस = एक वाहन का प्रकार।

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8. शुद्ध करके लिखें :

  1. परीचै = …………………………….
  2. महिसूस = …………………………….
  3. बहादूर = …………………………….
  4. चिलाना = …………………………….
  5. लड़कीयाँ = …………………………….
  6. जमीन = …………………………….
  7. अधियापिका = …………………………….
  8. अनूमली = …………………………….
  9. अनूमती = …………………………….
  10. स्कुल = …………………………….
  11. चिकीत्सा = …………………………….
  12. आवाज = …………………………….
  13. कमजोर = …………………………….
  14. इरद-गिरद = …………………………….

उत्तर :

  1. परीचै = परिचय
  2. महिसूस = महसूस
  3. बहादूर = बहादुर
  4. चिलाना = चिल्लाना
  5. लडकीयाँ = लडकियाँ
  6. जमीन = ज़मीन
  7. अधियापिका = अध्यापिका
  8. अनूमती = अनुमति
  9. अनूमती = अनुमति
  10. स्कुल = स्कूल
  11. चिकीत्सा = चिकित्सा
  12. आवाज = आवाज़
  13. कमजोर = कमज़ोर
  14. इरद गिरद = इर्द – गिर्द

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9. (i) ‘इत’शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें:
उपेक्षा + इत = उपेक्षित
परिचय + इत = ………………………….
चिन्ता + इत = ………………………….
उत्तर :
परिचय + इत = परिचित
चिन्ता + इत = चिन्तित

(ii) ‘तैराक’ शब्द के अंत में आक’ शब्दांश लगा है। इसी प्रकार अंत में आक’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें।
____________ ____________
____________ ____________
उत्तर :
खतरनाक, तलाक, अवाक, फटाक, चालाक, ईराक, ब्लाक, चटाक, सटाक, खुराक, मज़ाक, इत्फ़ाक, गाजरपाक, पोशाक, खटाक।

10. जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिये। कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आयें उसका सामना अपनी बुद्धिमत्ता, होशियारी, लगन और परिश्रम से करना चाहिये। इस कहानी में ऐसा कौन-सा पात्र है जिसने अनु का विश्वास बढ़ाया है ?
उत्तर :
कहानी में अनु की मां एक ऐसी नारी है जिसने हर पल अनु का विश्वास बढाया है। जब वह स्कल जाने में हिचक रही थी तो उसकी माँ ने ही उसे प्यार से समझाते हुए विद्यालय भेजा था। विद्यालय में अपनी उपेक्षा से दुःखी होकर जब अनु रोने लगी तो मां ने उसे भरोसा दिलाया कि उसकी अच्छाई और मित्रतापूर्ण व्यवहार से शीघ्र ही सब उसकी मित्र बन जाएँगी। जब अनु खेल न पाने के कारण दु:खी थी तो अनु की मां ने ही उसे तैराकी करने की सलाह दी। जिसकी वजह से कला की जान भी बच गई और सभी लड़कियाँ उसकी मित्र बन गईं।

11. क्या आपके जीवन में भी ऐसा कोई व्यक्ति है, जो सदा आपका विश्वास बढ़ाता है ? उस पर चार-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
हाँ; मेरे जीवन में भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने सदा मेरा विश्वास बढ़ाया है। वे मेरे एक अध्यापक हैं। उन्होंने मुझे पढ़ाया ही नहीं बल्कि समाज में एक नई पहचान दी है। उन्होंने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं अपना ज्ञान सदा दूसरों में बांट सकू। जब जब मैं जीवन में निराश और हताश होता हूँ तब – तब वे अपना हाथ मेरे सिर पर रखकर मेरा हौसला बढ़ाते हैं। जीवन – मार्ग पर कठिनाइयों का सामना करने के लिए सदा प्रेरित करते हैं।

उनका मानना है कि जीवन चुनौती रूपी कांटों का संसार है और जो इस चुनौती रूपी संसार का डट कर सामना करता है वह जीवन – मार्ग में आगे ही आगे बढ़ता जाता है। अभी तो संसार में चलना सीखा है। मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि उनका आशीर्वाद सदैव मेरा मार्ग दर्शन करता रहेगा। उनकी छत्र – छाया में रहकर मैं जीवन के पड़ावों को पार करता जाऊँगा।

मैं जीती Summary in Hindi

मैं जीती पाठ का सार

‘मैं जीती’ रचनाकार द्वारा रचित एक शिक्षाप्रद कहानी है जो हमें शिक्षा देती है कि शरीर के किसी भाग के लाचार होने पर हमें उसे अपाहिज कह कर दुत्कारना नहीं चाहिए अपितु उससे प्रेम – भाव से मिलना चाहिए। इस कहानी में लेखक ने अनुराधा के अपूर्व साहस और उत्साह के द्वारा हमें जीवन का सबसे बड़ा संदेश देना चाहा है जिससे हम समाज में विकलांगों के प्रति अपने रवैये में परिवर्तन लाकर उन्हें भी सम्मान दें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती 5

अनुराधा विद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा है। उसकी माँ उसे प्यार से ‘अनु’ कहकर पुकारती है। ‘अनु’ का एक पैर खराब है इसलिए वह लंगड़ा कर चलती है। कुछ दिन पहले ही उसके पिता जी का तबादला जबलपुर हो गया था। आज ‘अनु’ का विद्यालय जाने का पहला दिन था। वह विद्यालय जाने से हिचक रही थी। अभी वह अपना सुबह का नाश्ता कर रही थी कि उसकी माँ ने उसे आवाज़ दी कि वह जल्दी करे नहीं तो उसकी बस छूट जाएगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

‘अनु’ अपने लंगड़ाने के कारण विद्यालय जाने से हिचक रही थी। माँ ने उसे समझाया कि विद्यालय में उसकी सहेलियाँ अवश्य उसका साथ देंगी। माँ ने उसे काजू की बनी बर्फी भी दी और कहा इसे मिल बांट कर खाना। स्कूल में पहुँचने के बाद चपड़ासी ‘अनु’ को उसकी कक्षा में छोड़ आया। ‘अनु’ ने कक्षा में ‘मैडम’ को अपना परिचय दिया। मैडम ने पूरी कक्षा से अनु का परिचय कराया। ‘अनु’ को माला के पास वाली जगह पर बैठने को कहा।

माला देखने में सुन्दर और अच्छी लड़की थी। अनु उसे देखकर बहुत खुश हुई। शीघ्र ही काफी सारी लड़कियाँ माला के इर्द – गिर्द खड़ी हो गईं। माला उन्हें बता रही थी कि कैसे उसने तैरना सीखा। अनु ने माला से कहा कि वह भी तैरना जानती थी। माला उपेक्षा भरे स्वर में ‘हाँ’ कहा और अपनी सहेलियों की ओर मुड़ गईं। अनु को माला का यह व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। जब वह घर पहुँची तो माँ ने उससे पूछा कि आज विद्यालय में उसका पहला दिन कैसा रहा?

यह सुनते ही अनु की आँखें छलछला आईं और उसने विद्यालय का सारा वृत्तांत माँ को बता दिया। माँ ने पुत्री को समझाते हुए कहा कि उसे सभी को कुछ दिन का समय देना चाहिए तब सब ठीक हो जाएगा। वे सभी तुम्हारे अच्छे व्यवहार के कारण तुम्हारी मित्र बन जाएंगी। अगले दिन जब अनु स्कूल गई तो कोई उस पर नहीं हँसा। स्कूल में आखिर के दो घंटे खेलने के लिए निश्चित थे। अनु ने माला से कहा कि वह उसके साथ खेल के मैदान में चले तो माला ने बड़ी बेरुखी से मना कर दिया। रात को भोजन के समय अनु के पिता जी ने अनु से उसकी गेम्स टीचर के बारे में पूछा तो अनु ने कहा कि वह खेलने नहीं जाती। इसलिए उसे उनके बारे में कुछ नहीं पता। तब माँ ने अनु को कहा कि वे तैरना जानती थी, इसलिए उसे स्कूल में तैराकी करनी चाहिए।

अगली सुबह अनु माँ का लिखित पत्र लेकर विद्यालय पहुँची। अध्यापिका ने तैराकी के लिए अनु को अनुमति दे दी। जब खेल का समय आया तो अनु ने अपनी तैरने की पोशाक उठाई और तरणताल जा पहुँची। वहाँ जा कर उसने देखा कि पानी में बुलबुले उठ रहे हैं। उसे कुछ बाल भी दिखाई दिए। उसे दो हाथ पानी में छपाछप उठते – गिरते दिखाई दिए। वह मदद के लिए चिल्लाई लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दिया।

तब अनु ने साहस करके पानी में छलांग लगाई। जब वह पानी में डूबती लड़की के पास पहुँची तो वह पानी में नीचे चली गई। अनु ने उसे बालों से पकड़कर ऊपर खींचना चाहा लेकिन छोटे बाल होने के कारण वह उसे ऊपर न खींच पाई। फिर किसी तरह अनु उस लड़की को पकड़कर किनारे ले आई। तभी माला भी वहाँ आ गई। अनु ने माला से लड़की को ऊपर खींचने को कहा। जब माला ने लड़की को ऊपर खींचा तो उसे पता चला कि वह उसकी बहन कला थी। माला ने अनु पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने कला को धक्का क्यों मारा था।

कुछ देर बाद जब कला को होश आया तो उसने बताया कि अनु ने उसकी जान बचाई थी। यह सुनकर प्रिंसीपल ने अनुराधा की पीठ थपथपाई। सभी ने अनुराधा की बहादुरी की प्रशंसा की। माला को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने अनुराधा से कहा “यदि तुम न होती तो वह डूब ही गई होती तुम थक गई होगी लाओ टांगों को मसलने में तुम्हारी मदद कर दूं।”

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

मैं जीती कठिन शब्दों के अर्थ

  • तबादला = एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदली।
  • हिचकना = घबराना।
  • कलेवा = रात का बचा भोजन जिसे सुबह खाया जाता है।
  • सहपाठिनें = साथ पढ़ने वाली लड़कियां।
  • पास खिसकना = नज़दीक आना।
  • उपेक्षा करना = मज़ाक करना या नज़र – अंदाज़ करना।
  • कसूर = अपराध।
  • आँखें खोलना = होश में आना, जागना।
  • पीठ थपथपाना = शाबाशी देना।

मैं जीती गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. पिताजी का तबादला जबलपुर में हो गया था। वहाँ के नए स्कूल में जाने का मेरा पहला दिन था। मैं जाने में हिचक रही थी क्योंकि वहाँ अभी मेरी कोई सहेली नहीं थी। मैं अभी कलेवे पर जमी थी कि मैंने माँ का चिल्लाना सुना, “अनु, तुम्हें हुआ क्या है स्कूल बस निकल जाएगी।”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से लिया गया है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है। लेखक ने यहाँ एक लड़की की बहादुरी का बड़ा सजीव वर्णन किया है।

व्याख्या – अनुराधा अपना परिचय देते हुए कहती है कि कुछ दिन पहले ही उसके पिता जी की बदली जबलपुर हुई थी। आज विद्यालय जाने का उसका पहला दिन था, लेकिन विद्यालय जाने में उसे कुछ घबराहट हो रही थी। उसकी यहाँ स्कूल में कोई सहेली भी नहीं थी। वह कहती है कि वह अभी अपना सुबह का नाश्ता खा रही थी कि इतने में उसकी माँ की आवाज़ आई कि अनु क्या कर रही हो, जल्दी करो नहीं तो बस निकल जाएगी।

विशेष –

  • लेखक ने अनु के माध्यम से एक विकलांग के मन में छिपी घबराहट को दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. “लेकिन माँ, मैं किसी को भी वहाँ नहीं जानती और वे मेरा मजाक बना सकती हैं। आप तो जानती ही हैं कि जब कोई मेरी हँसी उड़ाता है तो मुझे बहुत बुरा लगता है।”

“मेरे ख्याल में स्कूल में इतना बुरा नहीं होगा। यह लो, कुछ काजू की बर्फी। अपनी सहपाठिनों में बाँट कर खाना। अब चलो, पिता जी तुम्हें स्कूल पहुँचा आयेंगे।”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से लिया गया है। कहानीकार ने यहां एक विकलांग की विवशता को प्रकट किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि अनुराधा अपनी माँ के समक्ष अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहती है कि वह विद्यालय में किसी को नहीं जानती। विद्यालय में सभी लड़कियां उसका मज़ाक बना सकती हैं। माँ तुम तो जानती हो, जब तुम्हारी बेटी का कोई मज़ाक उड़ाता है तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। माँ अपनी बेटी अनुराधा को समझाते हुए कहती है कि उसके विचार से स्कूल में कुछ बुरा नहीं होगा। कोई उसे भला – बुरा नहीं कहेगा। माँ ने बेटी को कुछ काजू बर्फी देते हुए कहा कि इसे अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों में बाँट कर खा लेना। अच्छा तो अब तुम चलो तुम्हारे पिता जी तुम्हें विद्यालय छोड़ आएं।

विशेष –

  • लेखक ने पुत्री के प्रति माँ की ममता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

3. बरबस मेरे आँसू टपक पड़े। हिचकियाँ लेते हुए मैंने बताया, “मैं स्कूल नहीं जाऊँगी। लड़कियाँ बोलती ही नहीं। सुबह कुछ बच्चे मुझे देख कर हँस भी रहे थे। कक्षा में मेरे साथ कोई लड़की नहीं बोली।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से अवतरित है। लेखक ने अपनी इस कहानी से समाज को एक शिक्षा देनी चाही है कि हमें किसी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।

व्याख्या – लेखक कहता है कि अनुराधा जैसे विद्यालय से आई तो माँ ने उससे पूछा कि उसका पहला दिन स्कूल में कैसा रहा तो यह सुनते ही अनुराधा की आँखें भर आईं। वह रोने लगी। हिचकियाँ लेते हुए अनु ने बताया कि वह अब स्कूल नहीं जाएगी। क्योंकि स्कूल में लड़कियाँ उससे बात नहीं करती थीं। सुबह जब विद्यालय में जा रही थी तो कुछ बच्चे उसे देखकर हँस रहे थे। उसके अपाहिज होने का मजाक उड़ा रहे थे। कक्षा में भी कोई भी लड़की मुझ से नहीं बोली।

विशेष –

  • लेखक ने अनु की विकलांगता के कारण उसे हीनभावना से ग्रस्त दिखाया है।
  • भाषा सरल और सहज है।

4. पानी को देखने से मुझे शान्ति महसूस होती है। मैं ताल के किनारे जाकर खड़ी हो गई। मैंने पानी में बुलबुले उठते देखे और सोचने लगी कि क्या हो सकता है। तभी मुझे कुछ बाल नज़र आये। दो हाथ अन्धाधुन्ध पानी में छपाछप कर रहे थे। “एक लड़की डूब रही है।” मैं चारों ओर देखकर चिल्लाई। लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। इसलिए मैं पानी में कूद गई।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से अवतरित है। लेखक ने यहाँ अनु की विकलांगता को दर किनार करते हुए उसकी वीरता एवं साहस को दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब कोई भी लड़की अनु को खेल के मैदान में ले जाने को तैयार नहीं थी तो माँ के कहने पर उसने तैराकी करने का निर्णय लिया। अनु तैराकी करने के लिए ताल के पास जाकर खड़ी हो गई। पानी को देखकर अनु को अत्यधिक शान्ति महसूस होती थी। तभी अचानक उसने पानी में बुलबुले उठते हुए देखे और सोचने लगी कि यह क्या हो सकता था। तभी अचानक अनु को पानी में कुछ बाल दिखाई दिए।

वह देख रही थी कि पानी में ही हाथ लगातार छपा – छप कर रहे थे। ये हाथ एक लड़की के थे। वह पानी में डूब रही थी और डूबने से बचने के लिए पानी में हाथ चला रही थी। अनु ने चारों ओर देखा और मदद के लिए चिल्लाने लगी। लेकिन उसे वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। तब वह हिम्मत करके स्वयं पानी में कूद गई।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैं जीती

विशेष –

  • लेखक ने अनु की वीरता दिखाई है।
  • भाषा सरल और सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 दोहावली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 दोहावली (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB दोहावली Textbook Questions and Answers

दोहावली अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) हमें कैसी वाणी बोलनी चाहिए?
उत्तर :
हमें मीठी वाणी बोलनी चाहिए, जिसमें अभिमान न हो।

(ख) आज का काम कल पर क्यों नहीं टालना चाहिए?
उत्तर :
आज का काम कल पर इसलिए नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि पल भर में प्रलय हो सकती है। पल भर में कोई विपत्ति आ सकती है, मृत्यु भी हो सकती है।

(ग) विद्या कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर :
विद्या परिश्रम करके प्राप्त की जा सकती है।

(घ) पोथी पढ़कर भी लोग विद्वान क्यों नहीं बन पाते?
उत्तर :
पोथी पढ़कर लोगों को सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं होता। ईश्वर प्रेम के अभाव में वे विद्वान् नहीं बन पाते।

(ङ) हमें किस प्रकार के वचन बोलने चाहिए?
उत्तर :
हमें वचन बोलने से पहले अच्छे से सोच लेना चाहिए उसके बाद ही बोलना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

(च) कवि ने निंदक को अपने समीप रखने के लिए क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि ने निंदक को अपने समीप रखने के लिए इसलिए कहा क्योंकि निंदक हमें हमारे अवगुणों से अवगत कराता है।

(छ) दूसरों में बुराई क्यों नहीं ढूँढ़नी चाहिए?
उत्तर :
दूसरों में बुराई इसलिए नहीं ढूँढ़नी चाहिए क्योंकि सबसे अधिक बुराई हमारे अपने अन्दर ही छिपी होती है, पहले हमें उसे समाप्त करना होगा।

(ज) कवि ने संयम बरतने के लिए क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि ने संयम बरतने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि संयम से प्राप्त होने वाली चीज़ लाभदायक होती है।

3. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) पठित दोहों में से तुम्हें सबसे अच्छा दोहा कौन-सा लगा? क्यों?
उत्तर :
इस दोहावली में कबीर का यह दोहा “बड़ा हुआ अति दूर।” मुझे सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि इसमें एक बड़े (ऊँचे) इन्सान का स्पष्ट लक्षण बताया गया है। बड़ा या महान् वही हो सकता है जो दूसरों की भलाई करता है। आज के युग में हर कोई अपने को अच्छा कहता है परन्तु उसके कहने से क्या होता है वह लोगों का कितना भला करता है, यह देखने वाली बात है।

(ख) इन दोहों में से आपने जो सीखा, उसे अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
कबीर के इन दोहों से सीखा है जब तक मनुष्य में ‘मैं’ अर्थात् अहंकार की भावना होती है तब तक वह ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता। मनुष्य जैसे ही अपने अन्दर से अहंकार की भावना को नष्ट कर देता है तो ईश्वर को सहजता से पा लेता है। ईश्वर को पाने के लिए अहंकार को त्यागना आवश्यक है। इसके त्यागते ही ईश्वर प्रेम का एक अक्षर पढ़ते ही वह विद्वान् बन जाता है।

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4. इन शब्दों के हिंदी रूपलिखें :

  1. सीतल = …………………………
  2. नियरे = …………………………
  3. परलय = …………………………
  4. निरमल = …………………………
  5. पौन = …………………………
  6. सुभाय = …………………………
  7. आखर = …………………………
  8. चूप = …………………………

उत्तर :

  1. सीतल = शीतल
  2. नियरे = निकट
  3. परलय = प्रलय
  4. निरमल = निर्मल
  5. पौन = पवन
  6. सुभाय = स्वभाव
  7. आखर = अक्षर
  8. चूप = चुप

5. इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. विद्या = …………………………
  2. उद्यम = …………………………
  3. पोथी = …………………………
  4. पंथी = …………………………

उत्तर :

  1. विद्या = शिक्षा, ज्ञान, पढ़ाई।
  2. उद्यम = मेहनत, परिश्रम, श्रम।
  3. पोथी = पुस्तक, किताब, ग्रन्थ।
  4. पंथी = राही, यात्री, मुसाफिर।

दोहावली Summary in Hindi

दोहावली दोहों का सार

प्रस्तुत साखियां अथवा दोहे कबीरदास जी द्वारा रचित हैं। इन साखियों में कवि ने विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त किया है। कबीर दास जी के अनुसार हमें ऐसे मधुर वचनों का प्रयोग करना चाहिए जिससे दूसरों को भी सुख का अनुभव हो। उनका मानना है कि जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लो और जो काम आज करना है, वह अभी कर लो क्योंकि पल भर में प्रलय हो सकती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

पल भर में कोई भी विपत्ति आ सकती है। वे ये भी मानते हैं कि विद्या रूपी धन को बिना मेहनत के कोई प्राप्त नहीं कर सकता। जिस प्रकार पंखे को बिना हिलाए हवा नहीं मिल सकती, उसी प्रकार बिना परिश्रम के विद्या रूपी धन नहीं पाया जा सकता। चौथे दोहे में कबीर का कहना है कि इस संसार में धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ – पढ़कर अनेक सांसारिक लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं किन्तु कोई भी सच्चा विद्वान् नहीं बन सका।

दूसरी ओर ईश्वर प्रेम के मात्र एक ही अक्षर को पढ़ लेने वाला व्यक्ति सच्चा विद्वान बन जाता है। पाँचवें दोहे में कबीर कहते हैं कि बोली बड़ी अनमोल है। कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए और फिर मुँह से शब्द निकालने चाहिए। छठे दोहे में कबीर ने कहा है कि खजूर के पेड़ की तरह किसी व्यक्ति के बड़ा होने से क्या लाभ ? खजूर का पेड़ न तो किसी थके – हारे मुसाफिर को छाया दे सकता है और न फल।

खजूर के फल ऊपर लगते हैं जिन्हें आसानी से नहीं प्राप्त किया जा सकता। दूसरों को लाभ पहुँचाने वाला व्यक्ति ही बड़ा होता है। सातवें दोहे में कबीर ने निन्दा करने वाले व्यक्ति को अपने पास रखने को कहा है। यदि सम्भव हो तो अपने घर के आंगन में ही उसके लिए छप्पर डाल देना चाहिए। निंदक व्यक्ति बार – बार हमारे अवगुणों को बताता है। वह बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को निर्मल एवं स्वच्छ बना देता है।

आठवें दोहे में कबीर ने संसार का सबसे बुरा व्यक्ति स्वयं को बताया है। नौवें दोहे में संत कबीर ने किसी भी चीज़ की अधिकता एवं अति को हानिकारक बताया है।

दोहों की सप्रसंग व्याख्या

1. ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहुं सीतल होय॥

शब्दार्थ :

  • आपा = अभिमान।
  • औरन = दूसरों।
  • सीतल = ठंडा।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहा हमारी हिंदी की पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘दोहावली’ नामक शीर्षक से लिया गया है। इसके रचनाकार संत कबीर हैं। दोहे में कबीर जी ने मधुर वाणी के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं कि मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए, जिसमें अभिमान न हो। क्योंकि मीठी वाणी दूसरों को शीतलता प्रदान करती ही है। व्यक्ति स्वयं भी शीतलता का अनुभव करता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

विशेष –

  • कवि ने सभी से प्यार से बोलने के लिए कहा है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब॥

शब्दार्थ :

  • काल = कल।
  • पल = क्षण।
  • परलय = नाश।
  • बहुरि = फिर।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने काम को तुरन्त निपटाने की शिक्षा दी है।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लो और जो काम आज करना है, वह अभी कर लो क्योंकि पल भर में प्रलय हो सकती है। पल भर में कोई भी विपत्ति आ सकती है। किसी भी क्षण मत्य हो सकती है, व्यक्ति फिर भला कब करेगा ? भाव यह है कि आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए।

विशेष –

  • कवि ने आज का काम कल पर न छोड़कर आज ही करने की बात कही है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

3. विद्या धन उद्यम बिना, कहो जु पावे कौन।
बिना डुलाये न मिले, ज्यों पंखा की पौन॥

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

शब्दार्थ :

  • विद्या धन = विद्या रूपी धन।
  • उद्यम = मेहनत।
  • डुलाये = हिलाये, डुलाये।
  • पौन = हवा।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘दोहावली’ कविता में से लिया गया है। यह दोहा कबीर जी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने बताया है कि विद्या रूपी धन परिश्रम से ही प्राप्त किया जा सकता है।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं कि विद्या रूपी धन बिना मेहनत के भला कौन प्राप्त कर सकता है, कोई नहीं ? इसके लिए मेहनत करना ज़रूरी है, जिस प्रकार पंखे को बिना हिलाए – डुलाए उससे हवा प्राप्त नहीं की जा सकती, उसी प्रकार बिना परिश्रम के विद्या रूपी धन प्राप्त नहीं हो सकता।

विशेष –

  • कवि के अनुसार बिना परिश्रम के विद्या की प्राप्ति नहीं हो सकती।
  • भाषा भावानुकूल है।

4. पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥

शब्दार्थ :

  • पोथी = ग्रन्थ, पुस्तक।
  • जग = संसार।
  • पंडित = विद्वान्।
  • भया = हुआ।
  • आखर = अक्षर।
  • प्रेम = प्यार।
  • सो = वही।
  • पढ़ि = पढ़कर।

प्रसंग – प्रस्तुत साखी कबीरदास जी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने बताया है कि जो व्यक्ति ईश्वर – प्रेम के सच्चे रस में डूब जाता है, वही विद्वान् है।

व्याख्या – कबीर जी कहते हैं कि इस संसार में धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ – पढ़कर अनेक सांसारिक लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं किन्तु कोई भी सच्चा विद्वान् नहीं बन सका। दूसरी ओर जो व्यक्ति ईश्वर – प्रेम के केवल ढाई अक्षर को पढ़ लेता है, वह सच्चा विद्वान् बन जाता है। ईश्वर प्रेम में डूबने वाला व्यक्ति ही ईश्वर को प्राप्त करने में सफल हो जाता है। धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ने मात्र से कोई लाभ नहीं होता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

विशेष –

  • कवि ने ईश्वर प्रेम में डूबने वाले व्यक्ति को सच्चा विद्वान् कहा है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

5. बोली एक अमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि कै, तब मुख बाहर आनि॥

शब्दार्थ :

  • अमोल = अनमोल।
  • जानि = समझ कर।
  • हिये = दिल के।
  • तराजू = तकड़ी।

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने सोच – समझकर बोलने की शिक्षा दी है।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं कि बोली (वाणी) बड़ी अनमोल है। इसे सोच समझकर बोलना चाहिए। कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए और फिर मुँह से निकालना चाहिए। भाव यह है कि अच्छी और मीठी वाणी ही बोलनी चाहिए।

विशेष –

  • कवि ने मीठी बोली के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।
  • भाषा सरल, सहज और विचारानुकूल है।

6. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागै अति दूर।

शब्दार्थ :

  • पंथी = मुसाफिर।
  • लागै = लगते हैं।
  • अति दूर = बहुत ऊपर।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने बताया है कि परोपकार से ही व्यक्ति बड़ा बनता है।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं कि खजूर के पेड़ की तरह किसी व्यक्ति के बड़ा होने से क्या लाभ ? खजर का पेड न तो किसी थके – हारे मुसाफिर को छाया दे सकता है और न फल। खजूर के फल बहुत ऊपर लगते हैं, जो आसानी से नहीं प्राप्त किये जा सकते। भाव यह है कि वही व्यक्ति बड़ा माना जा सकता है, जो दूसरों को लाभ पहुँचाए।

विशेष –

  • कवि ने उसी व्यक्ति को बड़ा मानने को कहा है जो दूसरों की सहायता कर सकता है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

7. निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटि छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निरमल करे सुभाय॥

शब्दार्थ :

  • निन्दक = निन्दा करने वाला।
  • नियरे = समीप, निकट।
  • आँगन = घर के बाहर स्थान।
  • कुटि = कुटिया।
  • छवाय = छाकर, बना कर।
  • निरमल = स्वच्छ।
  • सुभाय = स्वभाव।

प्रसंग – प्रस्तुत साखी कबीरदास जी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने निन्दा करने वाले व्यक्ति के लाभ बताए हैं।

सरलार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि निन्दा करने वाले व्यक्ति का भी महत्त्व होता है। अतः उसे अपने आस – पास ही रखना चाहिए। यदि सम्भव हो तो अपने घर के आँगन में ही उसके लिए छप्पर डाल देना चाहिए। निन्दक व्यक्ति तो बार – बार हमारे अवगुणों को बताता है और इस प्रकार वह साबुन और पानी के बिना ही हमारे स्वभाव को निर्मल एवं स्वच्छ बना देता है।

विशेष –

  • कवि ने निन्दक को ऐसा व्यक्ति कहा है जो हमारे स्वभाव को निर्मल और स्वच्छ बना देता है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

8. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।
जो दिल खोजा आपनो, मुझसे बुरा न कोय॥

शब्दार्थ :

  • देखन = देखने।
  • मिलया = मिला।
  • कोय = कोई।
  • खोजा = ढूंढा।
  • आपनो – अपना।

प्रसंग – प्रस्तुत साखी कबीरदास जी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने सबसे अधिक बुरा स्वयं को कहा है।

सरलार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि जब वे संसार में बुरे व्यक्ति को देखने निकले तो उन्हें कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं मिला लेकिन जब उन्होंने अपने दिल में ढूँढ़ना शुरू किया तो उन्हें सबसे बुरा व्यक्ति स्वयं को ही पाया। भाव यह है कि सबसे ज्यादा बुराई व्यक्ति के अपने मन में छिपी है।

विशेष –

  • कवि के मन में व्याप्त बुराई को ढूँढ़ने को कहा।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

9. अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप॥

शब्दार्थ :

  • अति = अत्यधिक,
  • चूप = चुप रहना।

प्रसंग – प्रस्तुत साखी कबीरदास जी द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने किसी भी चीज़ की अधिकता को व्यर्थ माना है।।

सरलार्थ – कबीर जी कहते हैं कि अत्यधिक वर्षा होने का कोई लाभ नहीं है। न ही अत्यधिक धूप का कोई लाभ है। अत्यधिक बोलना भी ठीक बात नहीं है और न ही अत्यधिक चुप रहना ही ठीक है।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 दोहावली

विशेष –

  • कवि ने किसी भी चीज़ की अत्यधिकता को व्यर्थ कहा है।
  • भाषा सरल और सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Textbook Questions and Answers

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) सड़क पर दिनों दिन बढ़ती दुर्घटनाओं का लेखक ने क्या कारण बताया है ?
उत्तर :
सड़क पर दिनों दिन बढ़ती दुर्घटनाओं का कारण लेखक ने सड़क पर लापरवाही से चलना तथा यातायात के नियमों का पालन न करना बताया है।

(ख) सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा से लेखक का अभिप्राय है कि जब हम सड़क पर दूसरे की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे तब हमारा जीवन भी सुरक्षित रहेगा।

(ग) वाहन चलाते समय मोबाइल सुनना क्यों खतरनाक हो सकता है?
उत्तर :
वाहन चलाते समय मोबाइल सुनने से ध्यान भटक सकता है और उससे दुर्घटना घट सकती है। इसलिए मोबाइल सुनना खतरनाक है।

(घ) निश्चित स्थान पर वाहन पार्किंग का क्या फायदा है?
उत्तर :
निश्चित स्थान पर वाहन पार्क करने पर वाहन सुरक्षित रहता है और ट्रैफिक जाम की समस्या भी नहीं होती है।

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(ङ) चौराहे में लाल-हरी बत्ती के पास सड़क पर काली-सफेद लाइनें क्या दर्शाती हैं ?
उत्तर :
काली – सफेद लाइनों को जेबरा लाइन कहते हैं, जो पैदल चलकर सड़क पार करने वाले लोगों के लिए बनी होती हैं।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) वाहन चलाते समय सेफ्टी बेल्ट लगाना क्यों अनिवार्य है?
उत्तर :
वाहन चलाते समय सेफ्टी बेल्ट लगाना इसलिए अनिवार्य है ताकि यदि कभी अचानक गाड़ी रोकनी पड़े तो किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। यह हमारे जीवन की रक्षा करने के लिए ही अनिवार्य बनाया गया है। वाहन चालक के साथ आगे की सीट पर बैठे व्यक्ति को भी सेफ्टी बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि दुर्घटना किसी के साथ भी हो सकती है। जीवन सभी का बहुमूल्य है। अत: वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है।

(ख) कौन-से व्यक्ति अपने वाहनों पर काले रंग के शीशे व लाल रंग की बत्ती का प्रयोग कर सकते हैं?
उत्तर :
जिन व्यक्तियों को ट्रैफिक विभाग से आज्ञा प्राप्त है वे व्यक्ति ही काले रंग के शीशे तथा वाहनों के ऊपर लाल बत्ती का प्रयोग कर सकते हैं। बिना आज्ञा के इनका प्रयोग करना दण्डनीय अपराध है। सभी मन्त्रियों को लाल बत्ती का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इसकी सूचना पहले पुलिस विभाग को देनी होती है। बड़े – बड़े पुलिस अधिकारियों की गाड़ी पर भी लाल बत्ती लगी होती है। हम सड़क पर प्रतिदिन इस प्रकार की गाड़ियों को आते – जाते देखते हैं।

(ग) हमें सड़क पर दुर्घटना से बचने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
उत्तर :
हमें सड़क पर दुर्घटना से बचने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :

  • सड़क को भाग कर पार नहीं करना चाहिए।
  • सड़क किनारे बने फुटपाथ पर ही चलना चाहिए।
  • हमेशा सड़क के बाईं ओर ही चलना चाहिए।
  • सड़क पर हाथ छोड़कर साइकिल नहीं चलानी चाहिए।
  • हमें सड़क पर वाहन तेज़ गति से नहीं चलाना चाहिए।
  • वाहन चलाते समय सदैव हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए।
  • कार आदि चलाते समय सेफ्टी बेल्ट लगानी चाहिए।
  • पैदल चलने वालों को सदैव जेबरा लाइनों पर से ही सड़क पार करनी चाहिए।
  • सड़क पर खेलना, कूदना या उछलना नहीं चाहिए।
  • सड़क पर कूड़ा अथवा फलों के छिलके नहीं फेंकने चाहिए।

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5. शुद्ध करके लिखें :

  1. पराथना = ………………………
  2. मोबाईल = ………………………
  3. चारट = ………………………
  4. टरैफिक = ………………………
  5. मंतर = ………………………
  6. दाँयी = ………………………
  7. सिखना = ………………………
  8. किन्तू = ………………………
  9. रफतार = ………………………
  10. मोबाईल = ………………………
  11. रूकावट = ………………………
  12. मतबल = ………………………
  13. निचित = ………………………
  14. उबड़ खबड़रस्ते = ………………………
  15. धन्यावाद = ………………………

उत्तर :

  1. पराथना = प्रार्थना
  2. मोबाईल = मोबाइल
  3. चारट = चार्ट
  4. रूकावट = रुकावट
  5. टरैफिक = ट्रैफिक
  6. मतबल = मतलब
  7. दांयी = दायीं
  8. निचित = निश्चित
  9. मंतर = मंत्र
  10. उबड़ खबड़ = ऊबड़ – खाबड़
  11. सिखना = सीखना
  12. रस्ते = रास्ते
  13. किन्तु = किन्तु
  14. धन्यावाद = धन्यवाद
  15. रफतार = रफ्तार

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6. रिक्त स्थान में उचित संबंध बोधक शब्द भरें :

(क) इसे अन्य नियमों ………………………… कठोरता से लागू नहीं किया जा सका है। (की ओर, की अपेक्षा)
(ख) आज्ञा ………………………… किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए। (के लिए, के बिना)
(ग) सड़क ………………………… काली-सफेद लाइनें लगायी गयी हैं। (के पास, पर)
(घ) हमें भारी गाड़ियों ………………………… से नहीं गज़रना चाहिए। (के बीच, के बदले)
(ङ) चालक …………………………बैठे व्यक्ति को भी हेलमेट पहनना चाहिए। (के बगैर, के पीछे)
उत्तर :
(क) की अपेक्षा,
(ख) के बिना,
(ग) पर,
(घ) के बीच,
(ङ) के पीछे

7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें :

(क) स्कूल का सर्वप्रमुख अध्यापक – मुख्याध्यापक
(ख) स्कूल में सुबह आयोजित की जाने वाली सभा
(ग) स्कूटर चलाने वाला व्यक्ति
(घ) विद्या प्राप्त करने वाला
(ङ) जो बीमार हो
(च) जहाँ बीमारों का इलाज हो
(छ) चौराहे में लाल बत्ती के पास सड़क पर लगी काली-सफेद लाइनें
उत्तर :
(क) मुख्याध्यापक
(ख) प्रार्थना
(ग) स्कूटर चालक
(घ) विद्यार्थी
(ङ) मरीज़
(च) अस्पताल
(छ) जैबरा लाइन।

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8. एक शब्द में अलग-अलग अक्षरों व मात्राओं के प्रयोग से कई शब्द बन सकते हैं। ‘खतरनाक’ शब्द से बनने वाले विविध शब्द कैसे बनते हैं। देखो।

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उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं देखकर समझें।

9. इस तरह निम्नलिखित शब्दों में अलग-अलगअक्षरों वमात्राओं के प्रयोग से नए शब्द बनायें :

  1. अचानक,
  2. जानकारी

उत्तर :

  1. अचानक – आच, आक, नाक, नाच, चाक, चना, कनचा, काच, चक, चानक, कान, चकना, चन, अन।
  2. जानकारी – जान, नाज, नकार, अज, नारी, कारी, कर, आरी, नाक, कान, जीन, जारी, रीना, राजी, नकार, आन, राज, जार, कार, आर, रानी, जन, जीरा, नीक।

इन्हें सदैव याद रखिये:

  • स्कूटर चालक के साथ-साथ पीछे बैठे व्यक्ति को भी बढ़िया किस्म का (आई.एस.आई. (ISD निशान वाला) हेलमेट पहनना चाहिए।
  • महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा हेतु हेलमेट पहनना चाहिए।
  • यदि लाल बत्ती हुई हो और उस समय किसी भी तरफ से कोई भी आता-जाता न दिखाई दे तो भी हमें लाल बत्ती पर खड़े रहना चाहिए।
  • केवल हरी बत्ती पर ही चलना चाहिए।
  • हमें हरी बत्ती दिखाई देने पर जल्दी लाँधने के लिए अपने वाहन की गति बढ़ा नहीं देनी चाहिए। इससे जल्दबाज़ी में दुर्घटना हो सकती है।
  • हमें हेलमेट सुरक्षा के लिए पहनना है न कि नियमों का पालन करने केलिए। हेलमेट होते हुए भी उसे सिर पर न पहनकर हाथ में पकड़ना या स्कूटर पर लटका कर रखना नियमों की अवहेलना के साथ-साथ बेवकूफी भी है।
  • हमें सड़क पर अपने वाहन से किसी से रेस नहीं लगानी चाहिए।
  • हमें अपना वाहन निश्चित जगह पर ही खड़ा करना चाहिए।
  • रात में साइकिल या दो पहिया वाहन चलाते समय गाढ़े रंग के कपड़ों का प्रयोग न करें।
  • बस या कार में यात्रा करते समय अपना सिर बाहर न निकालें या अपना हाथ बाहर निकालकर न हिलायें।
  • खड़े हुए या पार्क किए वाहन के पीछे से सड़क क्रॉस न करें।
  • स्कूल बस में चढ़ते हुए अनुशासन बनाये रखें तथा पंक्ति में चढ़ें।
  • सड़क पर नहीं खेलना चाहिए।
  • हमें कभी भी जानबूझ कर ट्रैफिक जाम नहीं करना चाहिए। इसमें अन्य लोगों को असुविधा होती है।
  • यदि सड़क पर हमारे पीछे कोई अम्बुलैंस हार्न बजाती आ रही हो तो उसे सावधानीपूर्वक जल्दी से रास्ता दे देना चाहिए।

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary in Hindi

सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा पाठ का सार

‘सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा’ डॉ० सुनील बहल द्वारा रचित एक श्रेष्ठ लेख है। इसका ज्ञान सभी को होना चाहिए। हमारी सुरक्षा हमारे साथ – साथ दूसरे को भी जीवन दे सकती स्कूल की प्रार्थना सभा में सड़क सुरक्षा के बारे में जानकारी देने के लिए प्रधानाचार्य ने ट्रैफिक पुलिस अधिकारी को आमंत्रित किया था। पुलिस अधिकारी ने बच्चों को समझाते हुए बताया कि हमें सड़क पर स्वयं भी सुरक्षित ढंग से चलना चाहिए तथा दूसरों को भी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। तभी हमारा जीवन सुरक्षित होगा। यही सड़क पर चलने का मूल मन्त्र है। सड़क के बीच कभी मत चलो।

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हमेशा अपनी बाईं ओर पटरी पर ही चलना चाहिए। वाहन चलाने के लिए कितनी आयु होनी चाहिए के प्रश्न पर ट्रैफिक अधिकारी ने कहा कि वाहन चलाना सीखने के लिए कम – से – कम सोलह साल उम्र होनी चाहिए। बिना सीखे वाहन चलाना खतरनाक हो सकता है। वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य पहनना चाहिए। महिलाओं के लिए भी हेलमेट पहनना आवश्यक है। वाहन चालक तथा आगे बैठे दूसरे व्यक्ति को भी सेफ्टी बैल्ट लगानी चाहिए।

इससे दुर्घटना से बचा जा सकता है। एक विद्यार्थी ने पूछा – कौन से वाहनों पर काले रंग के शीशे और लाल रंग की बत्ती लगायी जा सकती है ? पुलिस अधिकारी ने बताया विशेष अधिकारी प्राप्त व्यक्ति ही ट्रैफिक विभाग से आज्ञा प्राप्त करके काले रंग के शीशे तथा लाल बत्ती का प्रयोग कर सकता है। वाहन चलाते समय कभी मोबाइल नहीं सुनना चाहिए। पुलिस अधिकारी बोर्ड पर दिखाए गए संकेतों की ओर इशारा करते हुए बच्चों को बताता है कि बैग ले जा रहे बच्चे का चित्र यह बताता है कि पास में विद्यालय है और वाहत की गति धीमी कर दी जाए।

अस्पताल के पास हार्न का निशान बनाकर काटा गया होता है, जिसका अर्थ है कि बिना मतलब के हार्न न बजाएं। इसके बाद ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने पार्किंग के विभिन्न नियमों को विस्तार से बच्चों को बताया कि पार्किंग कैसे करनी चाहिए। जैबरा लाइन के बारे में बताते हुए अधिकारी ने बताया कि यह पैदल चलने वालों के लिए बनी होती है। पैदल चलने वालों को सदा जेबरा लाइनों पर चलते हुए ही सड़क पार करनी चाहिए।

बाईं ओर मुड़े तीर का अर्थ बाईं ओर मुड़ना तथा दाईं ओर मुड़े तीर का अर्थ दाईं ओर मुड़ना है। सड़क पर दुर्घटना से बचने के लिए अधिकारी उपाय बताता हुआ कहता है कि सड़क के बीच कभी मत चलो। हमेशा अपनी बाईं ओर बनी पटरी पर ही चलना चाहिए। सड़क पर खेलना, उछलना तथा कूदना ठीक बात नहीं। कूड़ा अथवा फलों के छिलके सड़क पर मत फेंको। दोनों हाथ छोड़कर साइकिल न चलायें। भारी गाड़ियों के बीच से न निकलें।

अन्त में बच्चों ने ट्रैफिक पुलिस अधिकारी का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे सदैव यातायात के नियमों का पालन करेंगे।

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सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा कठिन शब्दों के अर्थ

  • सुरक्षा = हिफाजत।
  • सप्ताह = हफ्ता।
  • अति आवश्यक = बहुत ज़रूरी।
  • उत्सुकता = बेचैनी।
  • चिहन = निशान।
  • दिनों दिन = प्रतिदिन।
  • पधारना = आना।
  • जिज्ञासा = जानने की इच्छा।
  • वाहन = गाड़ी।
  • फुटपाथ = सड़क किनारे चलने की पटरी।
  • सेफ्टी बेल्ट = सुरक्षा पेटी।

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. वाहन चलाना सीखने के लिए कम से कम उम्र 16 साल होनी चाहिए। यदि साइकिल, स्कूटर या कार आदि चलाना सीखना हो तो खाली मैदान में ही सीखना चाहिए। सड़क पर तभी चलायें जब आपको पूरी तरह चलाना आ जाये अन्यथा स्वयं या दूसरे के लिए यह खतरनाक हो सकता है। हां, वाहन तेज़ रफ्तार से नहीं चलाना चाहिए।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा’ से लिया गया है। इसके लेखक डॉ सुनील बहल हैं। लेखक ने यहाँ जीवन रक्षा हेतु सड़क के नियमों का पालन करने की बात कही है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि ट्रैफिक पुलिस अधिकारी बच्चों को वाहन चलाने और सीखने का नियम बताते हुए कहता है कि वाहन चलाने के लिए या सीखने के लिये कम से कम सोलह वर्ष की आयु होनी चाहिए। यदि कोई साइकिल, स्कूटर या कार चलानी सीखनी है तो इसे सीखने के लिए किसी खाली बड़े मैदान में जाएँ। खाली मैदान में न तो सीखने वाले को कठिनाई होगी न ही अन्य किसी और को।

आपको सड़क पर अपना वाहन तभी चलाना चाहिए जब आप वाहन चलाने में पूर्णतः निपुण हो जाएं। यदि निपुणता में कुछ कमी रही तो दुर्घटना की सम्भावनाएं बढ़ सकती हैं। वाहन चलाते समय सबसे बड़ी ध्यान देने योग्य बात यह है कि वाहन कभी तेज गति से नहीं चलाना चाहिए।

विशेष –

  • लेखक ने वाहन चलाने की सही उम्र अथवा वाहन गति पर ध्यान देने की विशेष बात बताई है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. बच्चो! केवल वाहन चालक को ही नहीं अपितु वाहन चालक के साथ आगे वाली सीट पर बैठे व्यक्ति को भी सेफ्टी बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए जिससे अचानक झटका लगने से होने वाली दुर्घटना से बचा जा सकता है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा’ से लिया गया है जिसके रचयिता डॉ० सुनील बहल हैं। लेखक ने अपने इस लेख द्वारा सड़क सुरक्षा के नियमों पर चर्चा की है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि ट्रैफिक पुलिस अधिकारी बच्चों को वाहन चलाते समय सेफ्टी बेल्ट के प्रयोग को बताते हुए कहता है कि बच्चो वाहन चलाते समय केवल चालक को ही सेफ्टी बेल्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए अपितु चालक के साथ आगे वाली सीट पर बैठने वाले व्यक्ति को भी सेफ्टी बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए ताकि असमय होने वाली किसी भी अप्रिय दुर्घटना से बचा जा सके, जो गाड़ी के अचानक झटके से रुकने या झटका लगने से हो सकती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 18 सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा

विशेष –

  • लेखक ने सेफ्टी बेल्ट के प्रयोग की बात कही है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. दोनों हाथ छोड़कर साइकिल न चलायें। यदि आप एक स्कूल में साइकिल चला रहे हैं तो सड़क का काफी हिस्सा घेर कर समानान्तर न चलें अपितु एक – दूसरे के पीछे – पीछे चलें। यदि आप गाड़ी में हैं तो दूसरी गाड़ी से आगे केवल दायें हाथ की ओर से निकलें। हमें भारी गाड़ियों के बीच से भी नहीं निकलना चाहिए। अतः बच्चो! इस तरह हम यातायात के नियमों का पालन करते हुए अपने व दूसरे के जीवन की रक्षा सहज ही कर सकेंगे।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा’ से लिया गया है, जिसके रचनाकार डॉ सुनील बहल हैं। लेखक ने यहाँ सड़क पर चलने के नियमों के बारे में बताया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि ट्रैफिक पुलिस अधिकारी बच्चों को सड़क पर चलने के नियमों की जानकारी देता हुआ कहता है कि बच्चो सड़क पर कभी दोनों हाथ छोड़कर साइकिल नहीं चलानी चाहिए। यदि बहुत – से बच्चे इकट्ठे होकर सड़क पर साइकिल चलाएं तो उन्हें सारी सड़क को घेर कर साइकिल नहीं चलानी चाहिए। सड़क पर गाड़ी में चलते समय किसी भी गाड़ी की दाईं तरफ से ही निकलना चाहिए।

कभी भी हमें किसी भारी वाहन के बीच से नहीं जाना चाहिए। बच्चो इन सभी बातों का ध्यान दिया जाए तो हम यातायात के नियमों का सही ढंग से पालन कर सकते हैं। इससे हमारे जीवन की रक्षा के साथ – साथ दूसरे के जीवन की भी सुरक्षा हो सकेगी।

विशेष –

  • लेखक ने सड़क पर सुरक्षा को ही जीवन रक्षा बताया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 अन्याय के विरोध में (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB अन्याय के विरोध में Textbook Questions and Answers

अन्याय के विरोध में अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) जूलिया कौन थी? लेखक ने उसे अपने कमरे में क्यों बुलाया?
उत्तर :
जूलिया लेखक के बच्चों की गवर्नेस थी। लेखक ने उसे अपने कमरे में उसकी तनख्वाह का हिसाब करने के लिए बुलाया।

(ख) लेखक ने जूलिया को किस काम के लिए रखा था?
उत्तर :
लेखक ने जूलिया को अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए रखा था।

(ग) जूलिया को लेखक ने कितने रूबल दिये?
उत्तर :
जूलिया को लेखक ने ग्यारह रूबल दिए।

(घ) तनख्वाह प्राप्त करने पर जूलिया ने लेखक का धन्यवाद क्यों किया?
उत्तर :
तनख्वाह प्राप्त करने पर जूलिया ने लेखक को धन्यवाद इसलिए दिया क्योंकि वह पहला मालिक था जिसने उसे तनख्वाह के रूप में पैसे दिए थे। अन्य किसी ने उसे कोई पैसा नहीं दिया था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) लेखक जूलिया को क्या सबक सिखाना चाहता था ?
उत्तर :
जूलिया बहुत ही सीधी और दब्बू लड़की थी। लेखक उसे दुनियादारी और अन्याय के विरोध में स्वर उठाने की बात सिखाना चाहता था ताकि वह इस निर्मम, कठोर तथा हृदयहीन संसार का डटकर सामना कर सके। अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों एवं अन्याय का विरोध कर सके। वह उसे बताना चाहता था कि इस संसार में दब्बू तथा बोदे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। इसलिए उसे अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहना होगा।

(ख) जूलिया द्वारा ‘धन्यवाद’ कहे जाने पर लेखक गुस्से से क्यों उबल पड़ा ?
उत्तर :
जूलिया द्वारा ‘धन्यवाद’ कहने पर लेखक गुस्से से इसलिए उबल पड़ा क्योंकि वह आश्चर्य चकित रह गया था कि उसने जूलिया की लगभग सारी तनख्वाह काट ली, उसे खरी – खोटी भी सुनाई। इस पर भी उसने विरोध न करके उसका धन्यवाद ही किया तो यह अपने आप में एक आश्चर्य की बात थी, जिसके कारण लेखक गुस्से से उबल पड़ा।

(ग) इस कहानी के द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर :
इस कहानी के द्वारा लेखक ने संदेश दिया है कि हमें भला कहलाए जाने के लिए इतना दब्ब, भीरू तथा बोदा नहीं बन जाना चाहिए कि हमारे साथ जो अन्याय हो रहा है हम उसका विरोध न करें ? बस चुपचाप सारी ज्यादतियां सहते जाएं। हमें अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा। अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी। क्योंकि हमारे संसार में दब्बू तथा बोदे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है।

5. इन मुहावरों के अर्थ दे दिये हैं। अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. चेहरा पीला पड़ना = मायूस हो जाना = ………………………..
  2. आँसू छलक आना = रोने को होना = ………………………..
  3. गुस्से से उबलना = बहुत अधिक क्रोध आना = ………………………..
  4. क्रोध पर ठंडे पानी के छींटे मारना = क्रोध को शांत करना = ………………………..
  5. दाँतों और पंजों के साथ लड़ना = पूरी ताकत और साधनों के साथ लड़ना = ………………………..

उत्तर :

  1. चेहरा पीला पड़ना = मायूस हो जाना।
    वाक्य = तनख्वाह काट लिए जाने की बात सुनकर जूलिया का चेहरा पीला पड़ गया।
  2. ऑसू छलक आना = रोने को होना।
    वाक्य = बहन की विदाई का समय आते ही भाई की आँखों में आँसू छलक आए।
  3. गुस्से से उबलना = बहुत अधिक क्रोध आना।
    वाक्य = रमेश के बैंच तोड़ने पर अध्यापक गुस्से से उबल पड़े।
  4. क्रोध पर ठण्डे पानी के छींटे मारना = क्रोध को शांत करना।
    वाक्य = छोटे बच्चे की मुस्कान बड़ों के क्रोध पर ठंडे पानी के छींटे मारने का काम करती है।
  5. दाँतों और पंजों के साथ लड़ना = पूरी ताकत और साधनों के साथ लड़ना।
    वाक्य = प्रत्येक व्यक्ति को अन्याय के विरोध में दाँतों और पंजों के साथ लड़ना होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. नुकसान = ………………………
  2. अन्याय = ………………………
  3. झूठ = ………………………
  4. भीरु = ………………………
  5. विरोध = ………………………
  6. बीमार = ………………………

उत्तर :

  1. नुकसान = फ़ायदा
  2. अन्याय = न्याय
  3. झूठ = सच
  4. भीरू = साहसी
  5. विरोध = पक्ष
  6. बीमार = स्वस्थ

7. समानार्थक शब्द लिखें :

  1. तनख्वाह = ………………………
  2. छुट्टी = ………………………
  3. इतवार = ………………………
  4. हफ्ता = ………………………
  5. अचरज = ………………………
  6. नुकसान = ………………………
  7. मालकिन = ………………………
  8. माफ़ = ………………………

उत्तर :

  1. तनख्वाह = वेतन
  2. छुट्टी = अवकाश
  3. इतवार = रविवार
  4. हफ्ता = सप्ताह
  5. अचरज = हैरानी
  6. नुकसान = हानि
  7. मालकिन = स्वामिनी
  8. माफ़ = क्षमा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

8. ‘अन्याय को चुपचाप सहना भी गलत है।’ लेखक के इस विचार से क्या आप सहमत हैं ? समाज में रहते हुए यदि आपके साथ किसी भी क्षेत्र में अन्याय हो रहा हो तो आप उसे स्वीकार कर लेंगे या विरोध करेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
अन्याय को चुपचाप सहन भी गलत है।’ लेखक की इस बात से हम ए सहमत हैं। अन्याय को चुपचाप सहन करना अपने आपको दबा देने वाली बात है। इससे हमारा व्यक्तित्व उठने की बजाए दबता जाता है। हमारे अन्दर दब्बू तथा बोदापन आ जाता है, जो हमें अन्याय के विरोध में आवाज़ नहीं उठाने देता। समाज में यदि हमारे साथ कभी कोई अन्याय होगा तो हम उसके खिलाफ खुलकर सामने आएँगे।

अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएँगे तथा अपने ऊपर हो रहे अन्याय का विरोध करते हुए न्याय की माँग करेंगे। लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि हमें अपने कर्त्तव्य तथा अधिकारों के प्रति सचेत रहना होगा।

प्रयोगात्मक व्याकरण

अरे! मैं क्या झूठ बोल रहा हूँ ?
शाबाश! मुझे आपसे यही आशा थी।
ना-ना! मैं स्त्री-वध नहीं करूंगा।
आह! मेरी प्रजा पर अत्याचार हो रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘अरे’, ‘शाबाश’, ‘ना-ना’ तथा ‘आह’ शब्द क्रमशः विस्मय, हर्ष, घृणा तथा शोक मनोभावों को व्यक्त कर रहे हैं। ये विस्मयादिबोधक शब्द हैं। इनका प्रयोग प्रायः वाक्य के शुरू में होता है तथा इन शब्दों के बाद जो चिह्न (!) लगता है, उसे विस्मयादिबोधक चिह्न कहते हैं।

अतएव जिन शब्दों से विस्मय, हर्ष, घृणा तथा शोक आदि मन के भाव प्रकट हों वे शब्द विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

कुछ मुख्य विस्मयादिबोधक शब्द इस प्रकार हैं:

  • हर्ष बोधक = अहा! वाह-वाह ! धन्य आदि।
  • घृणा बोधक = धिक् ! धत् ! थू-थू ! आदि।
  • शोकबोधक = उफ! बाप रे! राम-राम! सी त्राहि-त्राहि आदि।
  • विस्मयादिबोधक = क्या! ओहो ! हैं ! अरे !
  • स्वीकारबोधक = हाँ-हाँ! अच्छा ! ठीक! जी हाँ!
  • चेतावनी बोधक = सावधान! होशियार ! खबरदार !
  • भयबोधक = हाय ! हाय राम ! उइ माँ ! बाप रे!
  • आशीर्वादबोधक = दीर्घायु हो! जीते रहो ! खुश रहो!

अन्याय के विरोध में Summary in Hindi

अन्याय के विरोध में पाठ का सार

‘अन्याय के विरोध में’ एंतन चेखव द्वारा रचित एक शिक्षाप्रद कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त दब्बू, भीरू तथा बोदा बन गए लोगों को अन्याय के विरुद्ध उठ खड़े होने को कहा है। लेखक का मानना है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उन्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में 5

कुछ दिन पहले की बात थी कि लेखक ने अपने बच्चों को गवर्नेस जूलिया को उसकी तनख्वाह का हिसाब करने के लिए अपने पढ़ने के कमरे में बुलाया। लेखक ने जूलिया से कहा कि तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल तय हुई थी। इस पर जूलिया ने दबे स्वर में कहा नहीं चालीस रूबल थी। लेखक ने कहा नहीं वह तो बच्चों की गवर्नेस को हमेशा तीस रूबल ही देता आया था। उसे यहाँ काम करते हुए दो महीने हुए थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

जूलिया ने कहा नहीं दो महीने पांच दिन हुए थे। लेखक ने जूलिया से कहा कि उसके दो महीने ही हुए थे। जिसके हिसाब से उसकी तनख्वाह साठ रूबल बनती थी लेकिन यह उसे तब मिलेगी यदि उसने महीने में कोई छड़ी नहीं की होगी। लेखक ने कुछ ही क्षणों में जूलिया से कहा कि उसने नौ रविवार तथा तीन छुट्टियां और की थी। कुल मिला कर बारह दिन उसने काम नही किया इसलिए उसके बारह रूबल कट गए। कोल्या चार दिन बीमार था।

उस ने मात्र वान्या को ही पढ़ाया। उसकी मालकिन ने उसे तीन दिन दोपहर के बाद छुट्टी दे दी थी। इस तरह बारह और सात मिलाकर कुल उन्नीस छुट्टी तुम्हारी हो चुकी थी। इतना सुनते ही जूलिया की आँखों में आँसू छलक आए। उसने एक शब्द भी नहीं बोला, बस धीरे से खांसते हुए उसने अपनी नाक साफ की। कुछ ही पल बाद लेखक ने जूलिया द्वारा तोड़ी गई प्लेट और प्याली के नुकसान की भरपाई के रूप में दो रूबल काटने की बात कही।

कोल्या की जैकेट फटने के दस रूबल तथा वान्या के जूते चोरी हो जाने की लापरवाही के पाँच रूबल काट लिए जाते हैं। दस जनवरी को जो दस रूबल मैंने तुम्हें दिए थे वे भी काट लिए जाते थे। जूलिया ने दबी आवाज़ में कहना चाहा कि उन्होंने उसे कोई रूबल नहीं दिए थे। मालिक के कहने पर कि उसने अपनी डायरी में लिख रखा था तो जूलिया मान गई कि जो वे कह रहे थे वह ठीक कह रहे थे। मालिक ने कठोरता भरे स्वरों में कहा कि सत्ताईस रूबल उसके बाकी बचे इकतालीस रूबल काट लिए जाएँ तो उसके हिसाब में मात्र चौदह रूबल बचते थे।

इतना सुनते ही जूलिया के नेत्र आँसुओं से भर गए। उसका सारा शरीर पसीने से तर – ब – तर हो गया। उसने कांपते हुए स्वरों में कहा कि उसे अभी तक उनकी पत्नी से मात्र तीन रूबल के आज तक और कोई पैसा नहीं मिला। मालिक ने कहा चलो चौदह रूबल में से ये तीन रूबल और कम कर दो तो ये ग्यारह रूबल तुम्हारी तनख्वाह बनती थी। जूलिया ने अपने कांपते हाथों में ग्यारह रूबल लिए और अपनी जेब टटोल कर उसमें उन्हें ढूंस लिए।

उसने बड़ी धीमी आवाज़ में मालिक का धन्यवाद किया। ‘धन्यवाद’ का स्वर सुनते ही मालिक को गुस्सा आ गया और वह क्रुद्ध स्वर में बोला “धन्यवाद किस बात का ?” जूलिया ने उत्तर देते हुए कहा कि जो आपने उसे पैसे दिए थे उसी के लिए यह धन्यवाद था। मालिक ने चिल्लाते हुए कहा कि मैंने तो तुम्हें ठगा है फिर भी तुम धन्यवाद दे रही हो ! जूलिया ने धीमे स्वर में कहा जहाँ – जहाँ उसने पहले काम किया है उन्होंने उसे कोई पैसा नहीं दिया।

आप तो कुछ दे ही रहे हैं। जूलिया की इस बात ने मालिक के क्रोध पर ठण्डा पानी मार दिया। उसने धीमे स्वर में जूलिया से कहा, “जूलिया, मुझे इस बात के लिए माफ कर देना कि मैंने तुम्हारे साथ एक छोटा – सा क्रूर मजाक किया।” यह तुम्हें सबक सिखाने के लिए किया था। तुम बहुत भोली हो।

तुम्हारा कोई पैसा नहीं काटा जाएगा। तुम्हारी पूरी तनख्वाह मिलेगी। लेकिन उससे पहले तुम्हें एक प्रश्न का उत्तर देना होगा – कि इन्सान भला कहलाने के लिए दब्बू, भीरू तथा बोदा बनता जाए। प्रत्येक अन्याय को चुपचाप सहता जाए, उसका विरोध न करे ?

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

जूलिया इस तरह खामोश रहने से काम नहीं चलेगा। तुम्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा।

अन्याय के विरोध में कठिन शब्दों के अर्थ

  • गवर्नेस = बच्चों की देखभाल करने वाली।
  • तनख्वाह = महीने भर का मेहनताना।
  • खुद = स्वयं।
  • दबा स्वर = कम आवाज़।
  • नोट करना = लिखना।
  • अलावा = अतिरिक्त।
  • चेहरा पीला पड़ना = मायूस होना।
  • इतवार = रविवार,
  • बीवी = पत्नी।
  • आँसू छलकना = रोने को होना।
  • काम में ढील देना = लापरवाही करना।
  • यकीन = विश्वास।
  • खामोश = चुपचाप।
  • निर्मम = दयाहीन।
  • हृदयहीन = बिन दिल के, जो दयालु न हो।

अन्याय के विरोध में गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. कुछ दिन पहले की बात है। मैंने अपने बच्चों की गवर्नेस जूलिया को अपने पढ़ने के कमरे में बुलाया और कहा, “बैठो जूलिया। मैं तुम्हारी तनख्वाह का हिसाब करना चाहता हूँ। मेरे ख्याल से तुम्हें पैसों की ज़रूरत होगी और जितना मैं तुम्हें अब तक जान सका हूं, मुझे लगता है, तुम अपने आप कभी अपने पैसे नहीं मांगोगी। इसलिए मैं खुद ही तुम्हें पैसे देना चाहता हूं। हां, तो तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल महीना तय हुई थी न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘अन्याय के विरोध में से लिया गया है, जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ अन्याय को सहना कायरता बताया है तथा उसका विरोध करने की बात कही है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि कुछ दिन पहले उसने अपने बच्चों की देखभाल करने वाली गवर्नेस जूलिया की तनख्वाह का हिसाब करने के लिए उसे अपने पढ़ने वाले कमरे में बुलाया। जब जूलिया कमरे में आई तो लेखक ने उसे बैठने को कहते हुए कहा कि वह उसकी तनख्वाह का हिसाब करना चाहते हैं। जूलिया से लेखक कहता है कि जितना वह उसे जानता और समझता है उसके अनुसार वह उससे अपने कभी पैसे नहीं माँगेगी।

लेकिन मेरा अनुमान है कि तुम्हें पैसे की आवश्यकता होगी। इसलिए स्वयं ही सोचा कि तुम्हें पैसे क्यों न दे दिए जाएं। तब लेखक जूलिया से कहता है कि तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल प्रति महीना तय हुई थी। तुम सहमत हो।

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विशेष –

  • लेखक ने गवर्नेस जूलिया के भोलेपन का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सहज है।

2. “हाँ, याद आया,” मैंने डायरी देखते हुए कहा, “पहली जनवरी को तुमने चाय की प्लेट और प्याली तोड़ी थी। प्याली बहुत कीमती थी। मगर मेरे भाग्य में तो हमेशा नुकसान उठाना ही बदा है। चलो, मैं उसके दो रूबल ही काढूँगा। अब देखो, उस दिन तुमने ध्यान नहीं रखा और तुम्हारी नज़र बचाकर कोल्या पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ खरोंच लगकर उसकी जैकेट फट गई। दस रूबल उसके कट गए। इसी तरह तुम्हारी लापरवाही के कारण नौकरानी ने वान्या के नए जूते चुरा लिए अब देखो भाई, तुम्हारा काम बच्चों की देखभाल है। तुम्हें इसी के पैसे मिलते हैं। तुम अपने काम में ढील दोगी, तो पैसे कटेंगे या नहीं ? मैं ठीक कह रहा हूँ न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘अन्याय के विरोध में से लिया गया है जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ अन्याय को सहने वाली एक युवा लड़की का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक अपनी डायरी को देखते हुए अपनी गवर्नेस जूलिया से कहता है कि उसे याद आ गया कि उसने पहली जनवरी को चाय की प्याली और प्लेट तोड़ी थी। वह प्याली बहुत कीमती थी। किन्तु क्या करूँ नुकसान सदैव तुम्हारे इस मालिक के हिस्से ही आता है चलो ज्यादा इसके दो रूबल तुम्हारी तनख्वाह से काट लेता हूँ।

लेखक जूलिया की लापरवाही बताते हुए कहता है कि एक दिन उसका पुत्र कोल्या किसी तरह उससे छुपछुपाकर पेड़ पर चढ़ गया था और वहाँ खरोंच लगने से उसकी जैकेट फट गई थी तो इसका नुकसान जूलिया तुम्हारे कारण ही हुआ अत: इसके दस रूबल काट लेता हूँ। जूलिया की और लापरवाही बताते हुए लेखक कहता है कि एक दिन नौकरानी ने वान्या के जूते चुरा लिए थे जिसका दण्ड उसे ही भरना होगा।

क्योंकि बच्चों की देखभाल करना ही उसका काम है। काम में किसी प्रकार की ढील का दण्ड तो उसे ही सहना होगा। इसके लिए उसके पैसे भी काटेंगे। वह जूलिया से कहता है कि वह ठीक कह रहा है न।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

विशेष –

  • लेखक ने जूलिया के भोलेपन का फायदा उठाते हुए उसे ठगने का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल है।

3. “अच्छा!” मैंने स्वर में आश्चर्य भरकर कहा, “और इतनी बड़ी बात तुम्हारी मालकिन ने मुझे बताई तक नहीं। देखो, हो जाता न अनर्थ ! खैर, मैं इसे भी डायरी में नोट कर लेता हूँ। हाँ, तो चौदह में से तीन और घटा दो। बचते हैं ग्यारह रूबल। तो लो भाई, ये रही तुम्हारी तनख्वाह ये ग्यारह रूबल। देख लो, ठीक है न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ ‘अन्याय के विरोध में’ से लिया गया है जिसके लेखक एतन चेखव हैं। लेखक ने अपने इस पाठ में अन्याय को न सहने का संदेश दिया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब जूलिया ने उससे कहा कि बस एक बार उसकी मालकिन ने मात्र तीन रूबल दिए थे, उसके अतिरिक्त आज तक उसे कोई पैसा नहीं मिला तो लेखक ने आश्चर्य भरे स्वर में कहा कि इतनी बड़ी बात तुम्हारी मालकिन ने छुपाई। मुझे बताना तक ठीक नहीं समझा।

अच्छा हुआ तुमने बता दिया नहीं तो अभी बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। खैर इन तीन रूबल को भी डायरी में लिख लेता हूँ। जूलिया अब बचे हुए चौदह रूबल में से ये तीन रूबल घटा दो तो ये ग्यारह रूबल बचते हैं। ये तुम्हारी तनख्वाह है ग्यारह रूबल इसे ठीक से ले लो।

विशेष –

  • लेखक ने समाज में जूलिया जैसे भोले – भाले लोगों को अन्याय सहते हुए दर्शाया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

4. देखो जूलिया, मैं तुम्हारा एक पैसा भी नहीं मारूँगा। देखो, यह तुम्हारे अस्सी रूबल रखे हैं। मैं अभी इन्हें तुम्हें दूंगा। लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ पूछना चाहूंगा। जूलिया, क्या ज़रूरी है कि इन्सान भला कहलाए जाने के लिए इतना दब्बू, भीरू और बोदा बन जाए कि उसके साथ जो अन्याय हो रहा है, उसका विरोध तक न करे ? बस, खामोश रहे और सारी ज्यादतियां सहता जाए ? नहीं जूलिया, नहीं। इस तरह खामोश रहने से काम नहीं चलेगा। अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए तुम्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा। अपने दाँतों और पंजों के साथ लड़ना होगा – पूरी ताकत के साथ। मत भूलो जूलिया कि इस संसार में दब्बू और बोदे लोगों के लिए कोई जगह नहीं हैकोई जगह नहीं है-

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ ‘अन्याय के विरोध में’ से अवतरित है जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ बताया है कि हमें समाज में अन्याय का विरोध करना होगा। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनना होगा।

व्याख्या – लेखक जूलिया को उसके भोलेपन से उभारते हुए उससे कहता है कि वह उसकी तनख्वाह का एक भी पैसा नहीं रखेगा। वह उसे अस्सी रूबल दिखाते हुए कहता है कि ये उसे वह अभी दे देगा लेकिन इससे पहले वह जूलिया से कुछ पूछना चाहता है। वह जूलिया से कहता है कि व्यक्ति समाज में भला बनने के लिए अन्याय को सहता रहे, उसका विरोध न करे और दब्बू, भीरू तथा बोदा बन जाए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

बस अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को चुपचाप सहन करता रहे। नहीं जूलिया यह ठीक नहीं है। चुप रहने से जीवन नहीं चलेगा। अपने आपको समाज में बनाए रखने के लिए तुम्हें इस दयाहीन, कठोर तथा पापी संसार से लड़ना होगा। तुम्हें अपनी पूरी क्षमता और ताकत से लड़ना होगा। तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस संसार में दबकर तथा झुककर रहने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है।

विशेष –

  • लेखक ने जूलिया को अन्याय का सामना करने की सलाह दी है।
  • भाषा सरल, सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 कोई नहीं बेगाना (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB कोई नहीं बेगाना Textbook Questions and Answers

कोई नहीं बेगाना अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) भाई कन्हैया कौन था?
उत्तर :
भाई कन्हैया गुरु गोबिन्द सिंह जी का सच्चा सिक्ख था। वह युद्ध भूमि में सभी घायलों को पानी पिला रहा था।

(ख) वह घायलों की सेवा किस प्रकार करता था?
उत्तर :
भाई कन्हैया युद्ध में घायलों को पानी पिला कर उनकी सेवा करता था।

(ग) वह अपने और बेगाने का भेदभाव क्यों नहीं करता था?
उत्तर :
भाई कन्हैया सब में परमात्मा की झलक देखता था। इसलिए उसके मन में अपने और बेगाने में कोई भेद – भाव नहीं था।

(घ) विरोधियों ने दशमेश पिता से उसकी क्या शिकायत की?
उत्तर :
कुछ सिक्ख वीरों ने भाई कन्हैया की यह शिकायत की कि जिन्हें हम मुश्किल से मारते हैं, उन्हें यह पानी पिलाता है। लगता है यह दुश्मन से मिला हुआ है।

(ङ) भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का क्या उत्तर दिया?
उत्तर :
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का उत्तर दिया कि हे गुरु महाराज! मैं सब में आपका रूप देखता हूँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

(च) गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम क्यों दी?
उत्तर :
गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम इसलिए दी कि युद्ध भूमि में हर घायल का इलाज किया जा सके।

4. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

“अव्वल अल्ला नूर वही है
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।”
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य – पुस्तक में से संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से लिया गया है, जिसके कवि योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने यहाँ श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या – कवि कहता है कि भाई कन्हैया गुरु जी से कहता है कि सभी परमात्मा के बनाए हुए इन्सान हैं। अव्वल अल्ला, ईश्वर का सब में तेज है। सारे संसार में उसी की शोभा फैली हुई है। फिर कौन भला है और कौन बुरा है ? यानि सभी अच्छे हैं।

5. अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. घमसान
  2. उपहार
  3. समदृष्टि
  4. उपकार
  5. उपचार
  6. दुःख हरना
  7. जीवनदान देना
  8. जान बचाना

उत्तर :

  1. घमासान = ज़बरदस्त – घमासान युद्ध के बाद शत्रु ने हथियार डाल दिए।
  2. उपहार = भेंट – यह पुस्तक मुझे उपहार में मिली है।
  3. समदृष्टि = सब को समान देखना – सन्तों में समदृष्टि की भावना होती है।
  4. उपकार = भला – सब का उपकार करना मनुष्य का धर्म है।
  5. उपचार = इलाज – घायल का ठीक ढंग से उपचार करो।
  6. दुःख हरना = दुःख दूर करना – परमात्मा ही सभी के दुःख हरते हैं।
  7. जीवन दान देना = जीवन बचाना – डॉक्टर ने रोगी का समय पर उपचार कर उसे जीवनदान दे दिया।
  8. जान बचाना = जीवन की रक्षा करना – यदि जान बचानी है तो भाग चलो।

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6. ‘उप’ और ‘बे’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. उप + हार = उपहार
  2. उप + वास = ………………….
  3. उप + नयन = ………………….
  4. उप + हास = ………………….
  5. उप + कार = ………………….
  6. उप + चार = ………………….
  7. बे + रहम = ………………….
  8. बे + कायदा = ………………….
  9. बे + कसूर = ………………….
  10. बे + मेल = ………………….
  11. बे + रोक = ………………….
  12. बे + मिसाल = ………………….

उत्तर :

  1. उपहार
  2. उपवास
  3. उपनयन
  4. उपहास
  5. उपकार
  6. उपचार
  7. बेरहम
  8. बेकायदा
  9. बेकसूर
  10. बेमेल
  11. बेरोक
  12. बेमिसाल

7. ‘गुरु’ लगाकर नये शब्द बनायें जैसे-गुरुवाणी ,__________,__________,__________
उत्तर :
गुरुद्वारा, गुरुदेव, गुरुपदेश, गुरु नानक देव।

8. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. शुत्र = _________, _________
  2. युद्ध = _________, _________
  3. धरती = _________, _________
  4. पानी = _________, _________
  5. गर्मी = _________, _________
  6. उपहार = _________, _________
  7. गुरु = _________, _________
  8. दुःख = _________, _________
  9. बेगाना = _________, _________
  10. कृपा = _________, _________
  11. हाथ = _________, _________

उत्तर :

  1. शत्रु = दुश्मन, रिपु
  2. युद्ध = जंग, लड़ाई
  3. धरती = धरा, भूमि
  4. पानी = जल, नीर
  5. गर्मी = ग्रीष्म, निदाघ
  6. उपहार = भेंट, तोहफ़ा
  7. गुरु = बड़ा, ज्ञानदाता, शिक्षक
  8. दुःख = पीड़ा, तकलीफ़
  9. बेगाना = पराया, अंजाना
  10. कृपा = दया, मेहर
  11. हाथ = हस्त, कर

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

9. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. शिकायत = ……………………..
  2. धरती = ……………………..
  3. दुःख = ……………………..
  4. शत्रु = ……………………..
  5. गुरु = ……………………..
  6. प्यास = ……………………..
  7. मुश्किल = ……………………..

उत्तर :

  1. शिकायत = सराहना
  2. धरती = आकाश
  3. दुःख = सुख
  4. शत्रु = मित्र
  5. गुरु = शिष्य
  6. प्यास = तृप्त
  7. मुश्किल = आसान।

10. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? लिखें।
उत्तर :
‘कोई नहीं बेगाना’ नामक कविता भावनात्मक और मानवतावादी है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई छोटा – बड़ा या ऊँच – नीच नहीं है। कोई अपना – पराया नहीं है। सब में ईश्वर का तेज़ समाया हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर ने रचा है – इसलिए कोई बुरा और अच्छा नहीं है। सब को समदृष्टि से देखो। शत्रु मित्र का भाव त्याग देना चाहिए। हमें सब में ईश्वर की ज्योति देखनी चाहिए।

11. भाई कन्हैया की जीवनी पढ़ें। वे निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति थे। ऐसे अन्य महान व्यक्तियों के नाम पता करें, जिन्होंने नि:स्वार्थ सेवा को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक किया।
उत्तर :
मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी, स्वामी दयानंद, बाबा आमटे, विनोबा भावे, विवेकानंद।

12. समाज सेविका मदर टेरेसा के बारे में पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ें।
उत्तर :
छात्र समाज सेविका मदर टेरेसा के बारे में पुस्तकालय से पुस्तक लेकर स्वयं पढ़ें।

कोई नहीं बेगाना Summary in Hindi

कोई नहीं बेगाना कविता का सार

‘कोई नहीं बेगाना’ डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा एक भावनात्मक कविता है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी छोटा – बड़ा या ऊँच – नीच नहीं है। कोई अपना पराया नहीं है। सब में ईश्वर का तेज समाया हुआ है। हमें सभी में ईश्वर की ज्योती देखनी चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 5

आनन्दपुर साहिब के बाहर सिक्खों एवं मुगलों में घमासान लड़ाई हुई। सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रत्येक सिक्ख हथेली पर जान रखकर लड़ा। तोपों की डरावनी गर्जना सत श्री अकाल के गीत और अल्ला हू अकबर के नारे कानों को बहरा कर रहे थे। युद्ध में शहीद होने वालों के शव धरती पर बिछ रहे थे। कई वीर गिरते – गिरते फिर उठ जाते थे और पानी – पानी चिल्ला रहे थे। गर्मी का महीना वीरों पर भारी पड़ रहा था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

युद्ध भूमि में दोपहर के समय में गुरु घर का एक सेवादार कंधे पर एक पानी से भरी मश्क रख कर सब को पानी भेंट कर रहा था। उसका नाम भाई कन्हैया था। भाई कन्हैया युद्ध भूमि में पानी बाँटता हुआ सब में गुरु महाराज का रूप देख रहा था। हर प्यासे को पानी पिला रहा था। वह दुश्मन और दोस्त को एक नज़र से देखता था। वह प्रत्येक घायल को पानी पिला कर उसकी जान बचा रहा था।

शाम के समय सिक्ख वीरों ने एक विरोधी आवाज़ उठाकर कहा कि जिन्हें वे मुश्किल से मारते हैं, उन्हे भाई कन्हैया पानी पिला कर जीवन दान दे रहा है। लगता है भाई कन्हैया का दुश्मन से सम्बन्ध है। सिक्ख वीरों की शिकायत पर गुरु गोबिन्द सिंह ने भाई कन्हैया से पूछा कि तुम्हारा क्या कहना है।

इस बारे में, तब भाई कन्हैया ने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छुए और माथा झुका कर कहने लगा मुझे सभी मनुष्यों में आप ही दिखाई देते हैं, इसलिए मैं सबको पानी पिला रहा था। उसने कहा कि उसने गुरुवाणी का इतना ही अर्थ जाना है कि प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है। कोई बेगाना नहीं है।

कन्हैया की बात सुनकर गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो उठे। कन्हैया को सच्चा सिक्ख कहते हुए गुरु जी ने कहा कि मरहम भी ले जाओ और सबका भला करो। प्रत्येक घायल में तुम परमात्मा को देखो और उनके घावों का इलाज करो।

कोई नहीं बेगाना काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. आनन्दपुर साहब के बाहर
जब हुआ युद्ध घमासान,
दशमेश गुरु का हर सिख
लड़ा हथेली पर रख जान।
तोपों की गर्जना भयंकर
‘सत श्री अकाल’ का गान,
अल्ला हू अकबर के नारे
बहरे कर देते थे कान।

शब्दार्थ :

  • युद्ध = लड़ाई।
  • घमासान = भयानक।
  • दशमेश गुरु = श्री गुरु गोबिन्द सिंह।
  • गर्जना = गर्जन।
  • भयंकर = डरावनी।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘कोई नहीं बेगाना’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। इस कविता में आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन है।।

सरलार्थ – कवि कहता है कि आनन्दपुर साहिब के बाहर सिक्खों एवं मुग़लों में घमासान लड़ाई हुई। सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का हर सिक्ख हथेली पर जान रखकर लड़ा। तोपों की डरावनी गर्जना ‘सत श्री अकाल’ के और ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे कानों को बहरा कर रहे थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

विशेष –

  • कवि ने सिक्ख वीरों की वीरता का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. वीर बांकुरे डटकर लड़ते
धरती पर बिछ – बिछ जाते,
गिरते – गिरते फिर उठते
पानी – पानी चिल्लाते।
गर्मी का वह कठिन महीना
उन वीरों पर भारी था,
जलते तपते मैदानों में
युद्ध अभी तक जारी था।

शब्दार्थ :

  • बांकुरे = बहादुर।
  • कठिन = मुश्किल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – आनन्दपुर साहिब के युद्ध का वर्णन करते हुए कवि कहता है – बहादुर और जवान योद्धा डटकर लड़ रहे थे। बलिदान होने वालों के शव धरती पर बिछ रहे थे। कई वीर गिरते – गिरते फिर उठ जाते थे और पानी – पानी चिल्ला रहे थे। वह गर्मी का मुश्किल महीना था। यह उन वीरों पर भारी पड़ रहा था। जलते और तपते हुए युद्ध के मैदानों में अभी तक युद्ध चल रहा था।

विशेष –

  • कवि ने भयंकर गर्मी में भीषण युद्ध का शब्द चित्र खींचा है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. जलती – तपती दोपहरी में
गुरुघर का इक सेवादार,
कन्धे पर इक मश्क उठाए
देता पानी का उपहार।
संगत की सेवा करता
भाई कन्हैया उसका नाम
गुरुवाणी का भक्त अनोखा
करता जन सेवा का काम।

शब्दार्थ :

  • तपती = तप रही।
  • दोपहरी = दोपहर का समय।
  • उपहार = भेंट।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि युद्ध भूमि में दोपहर के समय में गुरु घर का एक सेवादार कन्धे पर एक पानी से भरी मश्क रखकर सब को पानी भेंट कर रहा था। वह संगत की सेवा करता था। उसका नाम भाई कन्हैया था। वह गुरुवाणी का अनोखा भक्त लोगों की सेवा का काम कर रहा था।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया को सच्चे सेवादार के रूप में प्रकट किया है।
  • भाष सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. सब में गुरु का रूप देखता
सबकी सेवा करता था,
हर प्यासे की प्यास बुझाता
दुःख सभी के हरता था।
समदृष्टि थी शत्रु मित्र में,
दोनों उसको एक समान,
हर घायल को पानी देना
होता उसका पहला काम।

शब्दार्थ :

  • समदृष्टी = सब को एक नज़र से देखना।
  • समान = बराबर।।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित डॉ योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि भाई कन्हैया युद्ध भूमि में पानी बाँटता हुआ सब में गुरु महाराज का रूप देख रहा था। वह सब की सेवा कर रहा था। हर प्यासे को पानी पिला रहा था। इस प्रकार वह सब के दुःख हर रहा था। वह दुश्मन और दोस्त को एक नज़र से देखता था। वह दोनों को बराबर समझता था। उसका पहला काम यह होता था कि प्रत्येक घायल और प्यासे को पानी पिलाना।

विशेष –

  • कवि ने सभी जीवों में परमात्मा का रूप होने की बात स्वीकारी है।
  • भाषा भावानुकूल है।

5. हुई साँझ तो सिख वीरों ने
छेड़ी एक विरोधी तान,
जिनको मुश्किल से हम मारें
उनको देता जीवन दान।
लगता गुरुवर! भाई कन्हैया
का दुश्मन से नाता है,
घायल शत्रु को जल देता,
उसकी जान बचाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

शब्दार्थ :

  • साँझ = सायं।
  • तान = स्वर।
  • जीवनदान = प्राणों का दान।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इनमें गुरु गोबिन्द सिंह जी तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि शाम का समय हो गया था। सिक्ख वीरों ने एक विरोधी आवाज उठाई कि जिन्हें हम मुश्किल से मारते हैं, उन्हें जीवन का दान पानी पिला कर दिया जा रहा है। हे गुरु महाराज! ऐसा लगता है कि भाई कन्हैया का दुश्मन से सम्बन्ध है। वह घायल शत्रु को पानी पिला रहा है और उसकी जान बचा रहा है।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया के प्रति सिक्ख वीरों के तीखे तेवरों का दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुकूल है।

6. हंस कर बोले दशम पिता फिर
क्यों भाई क्या कहते हो,
ठीक शिकायत क्या सिखों की
सब की सेवा करते हो ?
हाथ जोड़ कर चरण छुए
नत मस्तक हो वचन कहे,
गुरुवर! सब को जल देता हूँ
मानों सब में आप रहे।

शब्दार्थ :

  • दशम पिता = श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी।
  • चरण = पाँव।
  • नतमस्तक = माथा झुका।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इनमें गुरु गोबिन्द सिंह तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि सिक्ख वीरों द्वारा भाई कन्हैया की शिकायत करने पर गुरु गोबिन्द सिंह जी बोले – क्यों भाई! इस बारे में तुम क्या कहते हो ? क्या सिक्खों की शिकायत ठीक है कि तुम सब की सेवा कर रहे हो? भाई कन्हैया ने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छुए और माथा झुका कर कहने लगा हे गुरु महाराज! मैं सब को पानी देता हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि सब में आप विराजमान हैं। मुझे सभी मनुष्यों में आप ही (परमात्मा ही) नज़र आते हैं।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया को सच्चे सेवक के रूप में प्रतिपादित किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

7. गुरुवाणी का मतलब मैंने
केवल बस इतना जाना
देखू हर प्राणी में प्रभुवर
कोई नहीं है बेगाना।
अव्वल अल्ला नूर वही है।
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।

शब्दार्थ :

  • केवल = सिर्फ।
  • प्राणी = जीव।
  • प्रभुवर = ईश्वर।
  • मन्दे = बुरे।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इस कविता में गुरु गोबिन्द सिंह तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुगलों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि भाई कन्हैया कहता है – मैंने गुरु वाणी का अर्थ सिर्फ इतना ही जाना कि हर जीव में ईश्वर का वास है। कोई बेगाना नहीं है। सब परमात्मा के बनाए हुए इन्सान हैं। अव्वल अल्ला (ईश्वर) का सब में तेज है। सारे संसार में उसी की शोभा फैली हुई है। फिर कौन भला है और कौन बुरा है ? यानि सभी अच्छे हैं।

विशेष –

  • कवि ने सभी जीवों में परमात्मा का वास बताते हुए सभी को अपना समझने के लिए कहा है।
  • भाषा भावानुकूल है।

8. दशम पिता गद्गद् हो बोले,
सच्चे सिख ! गुरु मेहर करे
भेद – भाव बिन सेवा रत जो
उसके सिर प्रभु हाथ धरे।
यह मरहम भी ले लो मुझ से
तुम सब का उपकार करो,
हर घायल में प्रभु को देखो
घावों पर उपचार करो।

शब्दार्थ :

  • गद्गद् = प्रसन्न।
  • मेहर = कृपा।
  • भेद – भाव = अच्छे – बुरे का भाव।
  • सेवारत = सेवा में लीन।
  • उपकार = भला।
  • उपचार = इलाज।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इस कविता में गुरु गोबिन्द सिंह जी तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि कन्हैया की बात सुनकर गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो उठे और बोले – हे सच्चे सिक्ख ! गुरु कृपा करे। जो भेद – भाव के बिना सेवा में लीन है, परमात्मा उसके सिर पर अपनी दया का हाथ धरे। मुझ से तुम यह मरहम भी ले जाओ और सब का भला करो। प्रत्येक घायल में तुम परमात्मा को देखो और उनके घावों का इलाज करो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

विशेष –

  • कवि ने प्रत्येक मानव में परमात्मा होने की बात कही है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 धर्मशाला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 धर्मशाला (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB धर्मशाला Textbook Questions and Answers

धर्मशाला अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) धर्मशाला किस पर्वतमाला की गोद में बसा है ?
उत्तर :
धर्मशाला धौलाधार पर्वतमाला की गोद में बसा है।

(ख) समुद्रतल से धर्मशाला की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर :
समुद्र तल से धर्मशाला की ऊँचाई 4500 फुट है।

(ग) मक्लोडगंज में घूमते हुए लेखिका को ल्हासा की याद क्यों आ गयी?
उत्तर :
मक्लोडगंज में घूमते हुए लेखिका को ल्हासा की याद इसलिए आ गई क्योंकि वहाँ सभी दुकानें तिब्बतियों की थीं। अधिकतर दुकानें ऊनी वस्त्रों, स्वैटरों, सजावटी वस्तुओं तथा हस्तकला की थीं जैसी उसने कभी ल्हासा में देखी थीं।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

(घ) मक्लोडगंज की मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर :
मक्लोडगंज की मुख्य विशेषता मन्दिर में स्थापित महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियों का संग्रहण है। तिब्बती शासक दलाई लामा का वह अस्थाई मुख्यालय है।

(ङ) भागसू नाग क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
भागसू नाग पत्थरों पर उकेरी गई नाग की मूर्तियों के कारण प्रसिद्ध है।

(च) वार मैमोरियल का भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है?
उत्तर :
वार मैमोरियल का हिंदी अर्थ युद्ध स्मारक है। इसका निर्माण उन वीर सैनिकों की याद में किया गया है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह स्मारक कर्त्तव्य – पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने वाले जवानों को नमन करता है।

(छ) चिन्मय तपोवन क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
चिन्मय तपोवन हनुमान जी की नौ मीटर ऊँची मूर्ति, राम मंदिर तथा अपने संस्थापक चिन्मयानन्द के कारण प्रसिद्ध है।

(ज) अंदरेटा में लेखिका को किन कलाकारों के चित्रों ने आकर्षित किया?
उत्तर :
अंदरेटा में लेखिका को श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह के चित्रों ने अपनी ओर आकर्षित किया।

(झ) पालमपुर के किन-किन वीर सैनिकों ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी शहादत दी?
उत्तर :
कारगिल युद्ध के दौरान जिन जवानों की शहादत से विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया पालमपुर के थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) मक्लोडगंज का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?
उत्तर :
मक्लोडगंज तिब्बती शासक दलाई लामा का अस्थाई मुख्यालय है। सन् 1959 ई० में जब चीन ने तिब्बत देश पर आक्रमण द्वारा कब्जा कर लिया था तब दलाई लामा सहित 85,000 निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने धर्मशाला में मकलोडगंज में शरण दी थी। यहाँ मंदिर में महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित हैं। यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा के समान देखने में लगता है।।

(ख) पर्वतीय स्थल हमें क्यों आकर्षित करते हैं?
उत्तर :
पर्वतीय स्थल प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शनों के लिए जाने जाते हैं। यही इनके आकर्षण का केन्द्र भी है। पर्वतीय स्थलों पर पर्वत श्रृंखलाओं को देखना अपने आप में एक अद्भुत दृश्य है। यहाँ झील अपने अद्भुत सौन्दर्य के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। इसका जल शीतल तथा पीने योग्य है। यहाँ फलों तथा चाय के बागानों की सुगंध वातावरण को मोहक बना देती है। यहाँ झील में भ्रमण करने के लिए नौकाएँ उपलब्ध रहती हैं। पर्यटकों के रहने के लिए उचित व्यवस्थाएँ भी हैं। अपने इन्हीं प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण सौंदर्य के कारण पर्वतीय स्थल हमें अपनी ओर खींचते हैं।

5. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. पर्वतीय
  2. हस्तकला
  3. अनगिनत
  4. निर्वासित
  5. शहादत

उत्तर :

  1. पर्वतीय – पर्वतीय स्थल पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।
  2. हस्तकला – हिमाचल के बाजारों में अधिकतर दुकानें हस्तकला से जुड़ी वस्तुओं की हैं।
  3. अनगिनत – अनगिनत प्राणियों की देखभाल परमात्मा ही तो करते हैं।
  4. निर्वासित – निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने शरण दी थी।
  5. शहादत – हमें अपने वीर सैनिकों की शहादत को कभी नहीं भूलना चाहिए।

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6. इन शब्दों को जोड़कर नया शब्द लिखें :

  1. सूर्य + उदय
  2. सूर्य + अस्त
  3. मुख्य + आलय
  4. स्वर्ण + अक्षर
  5. हिम + आच्छादित

उत्तर :

  1. सूर्य + उदय = सूर्योदय
  2. सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
  3. मुख्य + आलय = मुख्यालय
  4. स्वर्ण + अक्षर = स्वर्णाक्षर
  5. हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित

7. इन शब्दों और शब्दांशों को मिलाकर नया शब्द लिखें :

  1. पर्वत + ईय
  2. निर् + वास + इत
  3. प्र + शासन + इक
  4. प्रकृति + इक
  5. भारत + ईय
  6. अंक + इत

उत्तर :

  1. पर्वत + ईय = पर्वतीय
  2. निर् + वास + इत = निर्वासित
  3. प्र + शासन + इक = प्रशासनिक
  4. प्रकृति + इक = प्राकृतिक
  5. भारत + ईय = भारतीय
  6. अंक + इत = अंकित

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • सामिषा अपने माता-पिता के साथ धर्मशाला गयी।
  • डल झील के चारों ओर देखो देवदार के पेड़ हैं।
  • घरों के सामने बाँस के अनगिनत वृक्ष हैं।
  • हम बागानों, मकानों और बंगलों के बीच से गुजरती सड़क से न्यूगल कैफेटेरिया पहुँचे।
  • कैफेटेरिया के पीछे न्यूगल खड्ड है।
  • हम खराब सड़क के कारण ट्रैकिंग स्थल त्रिपुंड नहीं जा सके।
  • मेरे सामने प्रकृति के अद्भुत दृश्य थे।

उपर्युक्त वाक्यों में के साथ, के चारों ओर, के सामने, के बीच, के पीछे, के कारण तथा सामने शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बता रहे हैं। अतः ये संबंध बोधक है।

अतएव जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, उन्हें संबंध बोधक कहते हैं।

यदि इन संबंध बोधक अविकारी शब्दों को वाक्य में से निकाल दिया जाये तो वाक्य का अर्थ ही नहीं रहता।

अन्य संबंध बोधक शब्द : पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, पास, अनुसार, तरह, समान, बिना, कारण, तक, भर, संग, साथ, के मारे, बगैर, रहित, सिवाय आदि।

संबंध बोधक का प्रयोग दो प्रकार से होता है :

  1. विभक्तियों के साथ
  2. विभक्तियों के बिना

1. विभक्तियों के साथ संबंध बोधक शब्द प्रमुख रूप से निम्नलिखित तरह से प्रयुक्त होते हैं:

  • हमने चिन्मय तपोवन की ओर प्रस्थान किया।
  • वीर सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर दिये।
  • पालम की घाटी सुन्दरी की तरह प्रतीत होती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

2. विभक्तियों के बिना संबंध बोधक शब्द इस प्रकार प्रयुक्त होते हैं:

  • मैं जीवन भर इस यात्रा को याद रखूगी
  • ज्ञान बिना जीवन बेकार है।
  • मुझे कई दिनों तक घर की याद नहीं आयी।
  • सड़क पर काली सफेद लकीर लगायी गयी है।

धर्मशाला Summary in Hindi

धर्मशाला पाठ का सार

‘धर्मशाला’ पाठ की लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहती है कि यात्राओं से मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ – साथ भाषा और संस्कृति का आदान – प्रदान भी होता है। इस लेख में भारत के हिमाचल राज्य के शहर धर्मशाला की यात्रा का वर्णन किया गया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 5

सामिषा अपने माता – पिता और भाई साराँश के साथ धर्मशाला पर्वतीय स्थान पर घूमने आई हुई है। यहाँ वे हिमाचल पर्यटन के होटल ‘धौलाधार’ में ठहरे हुए हैं। धौलाधार सदैव बर्फ से ढकी रहती है। वह पर्वतमाला की गोद में बसी है। सामिषा को डायरी लिखने का शौक है। वह प्रतिदिन जहाँ भी जाती है, रात को सोने से पहले अपनी डायरी में लिख देती 27 दिसम्बर, सन् 2011 सामिषा अपनी डायरी में लिखती है कि वे लोग सुबह होते ही अपनी कार में बैठ कर धर्मशाला घूमने निकल पड़े। धर्मशाला समुद्र तल से 4500 फुट की ऊँचाई पर था। धौलाधार पर्वत श्रेणी की तलहटी में बसा खूबसूरत शहर था।

धर्मशाला दो हिस्सों में बँटा हुआ था। लोअर धर्मशाला और अपर धर्मशाला। लोअर धर्मशाला में प्रशासनिक इकाइयाँ हैं तो अपर धर्मशाला में सैनिक छावनी, सेंट जोन चर्च तथा मक्लोडगंज में तिब्बती कालोनियाँ हैं। सामिषा और उसका परिवार सबसे पहले धर्मशाला से 10 कि०मी० दूर मक्लोडगंज घूमने गए। मार्ग में उसे प्रकृति के सुंदर – सुंदर दृश्य दिखाई दिए। वह हरी भरी घाटियों को बिना पलक झपकाए निहार रही थी।

ठीक दस बजे सामिषा परिवार सहित मक्लोडगंज पहुँच गई। यहाँ उनके सामने सुंदर पर्वत मालाएँ थीं। बाज़ार में घूमते हुए उन्होंने देखा कि यहाँ सभी दुकानें तिब्बतियों की हैं। हस्तकला तथा ऊनी वस्त्रों की दुकानों पर भरमार थी। सामिषा को घूमते हुए ऐसा लग रहा था मानो वे ल्हासा में घूम रही हो।

सामिषा ने यहाँ बौद्ध मंदिरों के दर्शन किए जिन पर बुद्ध की विशाल प्रतिमाएँ तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित थी। मक्लोडगंज को तिब्बती शासक दलाई लामा का अस्थाई मुख्यालय माना जाता है। सन् 1959 ई० में चीन ने जब तिब्बत देश पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में कर लिया था तब दलाईलामा सहित 85000 निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने धर्मशाला में मक्लोडगंज में शरण दी थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

इसके बाद सामिषा ने यहाँ से 15 कि०मी० दूर भागसू में स्थित शिव मंदिर तथा जल प्रपात देखे तथा इसके बाद वे सीधे पवित्र डल झील गए जो एक पिकनिक स्थल भी है।

28 दिसम्बर, सन् 2011 सामिषा और उसका परिवार सुबह सवेरे तैयार होकर युद्ध स्मारक देखने चल पड़े। इसका निर्माण युद्धों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद जवानों की याद में किया गया था। शहीद हुए सैनिकों के नाम काले संगमरमर की तीन पट्टिकाओं पर लिखे हुए थे।

ये नाम आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करने वाला था कि कर्त्तव्य पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके कुणाल पत्थरी देखने गए तथा तत्पश्चात् यहाँ से दस कि०मी० दूर चिन्मय तपोवन की ओर चल पड़े। इस तपोवन की स्थापना चिन्मयानंद द्वारा की गई थी।

29 दिसम्बर, सन् 2011 सुबह सवेरे सामिषा और उसके परिवार ने धर्मशाला से 17 कि०मी० दूर त्रिपुंड जाने का मन बनाया लेकिन अधिक बर्फबारी के कारण वे वहाँ न जा सके, तब वे घूमने पालमपुर चले गए। पालमपुर काँगड़ा की मुख्य घाटी है। यहाँ घरों के सामने अनगिनत झुरमुट दिखाई देते हैं। यहां चाय के बागानों तथा बंगलों के बीच गुजरने वाली सड़क से होते हुए सामिषा और उसका परिवार न्यूगल कैफेटेरिया पहुंचे।

यहाँ न्यूगल नामक बहुत गहरी खड्ड है जिसमें पहाड़ से टूटी चट्टानों के टुकड़े हैं। खड्ड में बहने वाला साफ़ सुथरा पानी धौलाधार की बर्फ से पिघल कर आता है। इसके बाद वे सभी पालमपुर से 13 कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव की ओर चल पड़े। अंदरेटा कई कलाकारों का निवास स्थान रहा है। जिनमें चित्रकार सोभा सिंह तथा नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम प्रमुख है।

श्री गुरु नानक देव जी का चित्र जो सोभा सिंह द्वारा तैयार किया गया था प्रत्येक सिक्ख परिवार में है। पालमपुर का नाम कला प्रेमियों के साथ – साथ वीर सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया का सम्बन्ध पालमपुर से ही है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से तथा कैप्टन विक्रम बतरा को बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। अपनी यात्रा के अंत में सामिषा परिवार सहित बैजनाथ में भगवान शिव के दर्शन कर अपनी यात्रा की सुखद यादें और अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते घर वापिस आ गए।

धर्मशाला कठिन शब्दों के अर्थ

  • देवभूमि = देवताओं की भूमि।
  • पर्वत की तलहटी = पहाड़ का धरातल।
  • पर्वतीय स्थल = पहाड़ी क्षेत्र।
  • खूबसूरत = सुंदर।
  • लोअर = नीचे का।
  • अपर = ऊपर का।
  • प्रशासनिक = सरकारी दफ्तर जो प्रशासन से सम्बंधित हों।
  • भ्रमण = घूमना।
  • झुरमुट = समूह।
  • सीढ़ीनुमा = सीढ़ी के आकार का।
  • वेग से = तेज़ गति से।
  • अपलक = बिना पलक झपकाए।
  • निहारना = देखना।
  • प्रतिमा = मूर्ति।
  • हिमाच्छादित = बर्फ को छेदते हुए।
  • हस्तकला = हाथ की कला।
  • रेस्तराँ = खाने – पीने की जगह।
  • पोथियाँ = धार्मिक पुस्तकें।
  • लिप्त = शामिल।
  • जलाशय = तालाब।
  • जलप्रपात = झरने।
  • भागसू = जल।
  • पाषाण = पत्थर।
  • साँझ = शाम।
  • वार = लड़ाई।
  • पथ = रस्ता।
  • स्वर्णाक्षरों = सोने के अक्षरों से।
  • मनभावन = मन को भा जाने वाले।
  • खड़ = खाई।
  • पौ फटते ही = सूर्य की प्रथम किरण निकलते ही।
  • संग्रहालय = कृतियों एवं विशेष वस्तुओं को रखने का स्थान।
  • निर्मित = बनाया हुआ।
  • प्राचीन = पुराना।
  • शहादत = बलिदान।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

धर्मशाला गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हम 10 बजे मक्लोडगंज पहुँच गए। सामने हिमाच्छादित पर्वतों को देखकर हमारे मन में उमंगें करवटें लेने लगीं। हमने यहाँ के बाज़ार में घूमते हुए देखा कि यहाँ सभी दुकानें तिब्बयों की हैं। अधिकतर दुकानें ऊनी वस्त्रों, स्वैटरों, सजावटी वस्तुओं तथा हस्तकला की हैं तो कुछ तिब्बती रेस्तराँ हैं। यहाँ हमें ऐसे प्रतीत हो रहा था मानों हम ल्हासा (तिब्बत की राजधानी ) में भ्रमण कर रहे हों। हमने यहाँ तिब्बतियों द्वारा स्थापित बौद्ध मन्दिर के भी दर्शन किए। मन्दिर में महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धर्मशाला’ नामक शीर्षक से उदधुत है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ धर्मशाला के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ – साथ वहाँ के बाजारों तथा वहाँ के निवासियों की धार्मिक आस्थाओं का सुंदर वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका मक्लोडगंज की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती है कि वे अगले दिन दस बजे मक्लोडगंज पहुँच गए। सामने उसने चित्र देखा उसे वह शब्दों के माध्यम से नहीं बता सकती। बर्फ के बीच से पर्वतों को देखते हुए उनके मन में तरह – तरह की उमंगें करवट लेने लगीं। लेखिका ने वहाँ के बाज़ाराों में घूमते हुए देखा कि यहाँ अधिकतर दुकानें तिब्बतियों की हैं।

इन दुकानों में ऊनी वस्त्र, सजावटी वस्तुएँ तथा हस्तकला की वस्तुओं की भरमार थी। वहाँ एक रेस्तरां भी था जो तिब्बती था। सारे क्षेत्र को देखकर लेखिका को लग रहा था कि जैसे वह तिब्बत की राजधानी लहासा में घूम रही हो। उन्होंने मक्लोडगंज में तिब्बतियों द्वारा स्थापित किए बौद्ध मन्दिर में जाकर दर्शन किए। मन्दिर में भगवान महात्मा बुद्ध एक बहुत बड़ी मूर्ति थी। वहाँ भगवान बुद्ध से सम्बंधित अनेक पोथियाँ भी संग्रहित कर रखी थी।

विशेष –

  • लेखिका ने मक्लोडगंज के बाजारों की सुंदरता तथा वहाँ स्थापित बौद्ध मन्दिर का सुंदर अंकन किया है।
  • भाषा – शैली सरल तथा सहज है।

2. आज सुबह हम लोग तैयार होकर वार मैमोरियल (युद्ध स्मारक) देखने चल पड़े। इसका निर्माण उन वीर सैनिकों की याद में किया गया है जिन्होंने 1947 1948, 1962, 1965, 1971 के युद्धों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। काले संगमरमर की तीन पट्टिकाओं पर शहीद हुए सैनिकों के नाम अंकित हैं। यह स्मारक कर्तव्य पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने वाले जवानों को नमन करता है तथा आने वाली पीढ़ी कोभी बताता है कि ये वे नाम हैं। जिन्हें भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है, कभी भुलाया नहीं जा सकता।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक के ‘धर्मशाला’ नामक यात्रा वृत्तांत से ली गई हैं। इसकी लेखिका डॉ मीनाक्षी वर्मा हैं। इस पाठ में उन्होंने धर्मशाला के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ – साथ वहाँ के निवासियों की धार्मिक आस्थाओं तथा वहाँ के युद्ध स्मारक का सजीव चित्रण किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

व्याख्या – लेखिका युद्ध स्मारक का वर्णन करते हुए कहती है कि आज सुबह – सुबह वे लोग तैयार होकर युद्ध स्मारक देखने चल पड़े। इस युद्ध स्मारक का निर्माण सन् 1947, 1948, 1962, 1965 तथा 1971 के युद्धों में देश की रक्षा के लिए शहीद हुए उन वीर जवानों की याद में किया गया था जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था। यहाँ शहीद हुए सैनिकों का नाम काले संगमरमर की तीन पटिकाओं पर लिखा हुआ है।

यह स्मारक हमें उन जवानों को नमन करने की याद दिलाता है जिन्होंने अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपने प्राणों को देश के लिए बलिदान कर दिया था। ये संगमरमर की पटिकाओं पर लिखे नाम हमें तथा आने वाली पीढ़ी को बताते हैं कि इन वीरों का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा है न तो इन वीरों को भुलाया जा सकता है न ही इनकी वीरता को कभी भी भुलाया जा सकेगा।

विशेष –

  • लेखिका ने युद्ध स्मारक तथा देश की रक्षा हेतु अपना बलिदान देने वाले शहीदों को नमन करने की बात कही।
  • भाषा शैली सरस और सुबोध है।

3. इसके उपरान्त हम पालमपुर से 13 कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव की ओर रवाना हुए। अंदरेटा कई एकान्तप्रिय कलाकारों का निवास स्थान रहा है जिनमें चित्रकार सोभा सिंह तथा नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम प्रमुख है। हमने पंजाब के श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की कलाकृतियों का संग्रहालय देखा। सोभा सिंह का श्री गुरु नानक का चित्र हर सिक्ख परिवार में तथा सोहनी महीवाल का प्रसिद्ध चित्र उत्तरी भारत के हर कला प्रेमी के पास है। सोभा सिंह द्वारा निर्मित सुन्दरियों के चित्र, भारतीय चित्रकला में विशेष महत्त्व रखते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित यात्रा वृत्तांत ‘धर्मशाला’ नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। इस पाठ में लेखिका ने धर्मशाला के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ – साथ वहाँ के प्रसिद्ध व्यक्तियों एवं कलाओं का वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि पालमपुर में घूमने के बाद वह सपरिवार पालमपुर से तेरह कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव गए। अंदरेटा कला की दृष्टि से काफ़ी प्रसिद्ध स्थान है। यह कई एकांत चाहने वाले कलाकारों का घर रहा है। जिनमें मुख्य रूप से चित्रकार सोभा सिंह तथा प्रसिद्ध नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम आता है।

यहाँ घूमते हुए लेखिका ने पंजाब के सुप्रसिद्ध श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की कलाकृतियों का एक संग्रहालय देखा जिसमें उन्होंने अपनी बहुत – सी सुंदर चित्रकलाकृतियाँ रखी हुई थीं। सोभा सिंह के द्वारा बनाया गया गुरु नानक देव जी का चित्र आज सभी सिक्ख परिवारों में देखने को मिलता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

इसके साथ – साथ सोहनी महीवाल का चित्र उत्तरी भारत के प्रत्येक कला – प्रेमी के पास मिलता है। भारतीय चित्रकला में सोभा सिंह द्वारा बनाए गए सुंदर स्त्रियों के चित्र अपना एक विशेष स्थान एवं महत्त्व रखते हैं।

विशेष –

  • लेखिका ने श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की सुंदर चित्रकला की विशेषताओं को प्रकट किया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

4. पालमपुर का नाम केवल कला प्रेमियों से ही नहीं जुड़ा बल्कि देश के वीर सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध के दौरान जिन जवानों की शहादत से विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया का सम्बन्ध पालमपुर से ही है। इनमें कैप्टन विक्रम बतरा की बहादुरी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार परमवीर चक्र तथा मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित यात्रा वृतांत ‘धर्मशाला’ नामक पाठ से लिया गया है, जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका ने इस पाठ में प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ – साथ वहाँ के वीर जवानों की वीरता का सुंदर चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि पालमपुर पर्वतीय क्षेत्र का नाम मात्र कला प्रेमियों से ही नहीं जुड़ा है अपितु इसका नाम भारत देश के साहसी सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध में भारत को जिन वीर जवानों की शहादत से भारत को विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया पालमपुर के ही रहने वाले थे।

इन वीर जवानों में से कैप्टन विक्रम बतरा को वीरता के लिए भारतीय सेना का सबसे बड़ा पदक परमवीर चक्र मिला तथा मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। भाव यह है कि पालमपुर कलाप्रेमियों के साथ – साथ वीर बाँकुरों का भी स्थान है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

विशेष –

  • लेखिका ने पालमपुर को कला तथा वीरता का अनूठा सामंजस्य स्थापित करने वाला क्षेत्र बताया है।
  • भाषा शैली अत्यंत सरल और सुबोध है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 गिल्लू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 14 गिल्लू (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB गिल्लू Textbook Questions and Answers

गिल्लू अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गिल्लू कौन था?
उत्तर :
गिल्लू गिलहरी जाति का एक छोटा – सा जीव था।

(ख) लेखिका ने उसे स्वस्थ करने के लिए क्या उपचार किया?
उत्तर :
लेखिका ने गिल्लू को ठीक करने के लिए रूई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके नन्हें मुँह में लगाई। तीसरे दिन वह पूर्णत: स्वस्थ हो गया।

(ग) गिल्लू का घर कैसा था?
उत्तर :
गिल्लू का घर एक हल्की डलिया में बिछा रूई का बिछौना था जो तार से खिड़की पर लटका था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

(घ) लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर :
जब लेखिका लिखने बैठती थी तो गिल्लू उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पर्दे पर चढ़ जाता था और फिर तेजी से उतर जाता था।

(ङ) लेखिका ने गिल्लू को बाहर झाँकते देखकर क्या किया?
उत्तर :
गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर लेखिका को लगा कि इसे मुक्त कर देना चाहिए।

(च) गिल्लू लेखिका को चौंकाने के लिए क्या करता था?
उत्तर :
लेखिका को चौंकाने के लिए गिल्लू कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदों की चुन्नर में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।

(छ) लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या-क्या किया?
उत्तर :
लेखिका की अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें पंजों से लेखिका का सिर दबाता था। उसने अपना प्रिय खाद्य काजू खाना भी छोड़ दिया था।

(ज) गिल्लू के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर :
गिलहरी का जीवन दो वर्ष का होता है। अतः अपनी जीवन अवधि पूरी कर रात में अन्त की यातना में वह लेखिका की उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया जिसे उसने मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।

4. इन वाक्यों के भाव स्पष्ट करें :

(क) ‘जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया।’
उत्तर :
गिल्लू अब जातिवाचक संज्ञा नहीं रहा, क्योंकि गिल्लू गिलहरी के हर बच्चे को गिल्लू कहा जाता है परन्तु अब वह गिल्लू एक था।

(ख) ‘उसका हटना परिचारिका के हटने के समान लगता।’
उत्तर :
गिल्लू लेखिका के निकट से हटा तो ऐसा लगा मानो कोई सेवा करने वाली लेखिका से दूर हट गई है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

(ग) “किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया।’
उत्तर :
गिल्लू का मरना एक प्रकार से किसी और जीवन में परिवर्तन था। वह सो गया किसी और जीवन में जागने के लिए।

5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. निश्चेष्ट __________ _______________________________
  2. कार्यकलाप __________ _______________________________
  3. विस्मित __________ _______________________________
  4. आश्वस्त __________ _______________________________
  5. स्निग्ध __________ _______________________________
  6. मरणासन्न __________ _______________________________

उत्तर :

  1. निश्चेष्ट = बिना हिले – जुले।
    वाक्य – कौवों की चोंचों के घाव से गिलहरी का बच्चा निश्चेष्ट – सा गमले से चिपका पड़ा था।
  2. कार्यकलाप = क्रियाएँ।
    वाक्य – गिल्लू के कार्यकलाप पर सभी को आश्चर्य होता था।
  3. विस्मित = चकित।
    वाक्य – सुबह उठने पर जब पता चला भारत मैच जीत गया तो मैं विस्मित रह गया।
  4. आश्वस्त = तसल्ली पाया हुआ।
    वाक्य – रमेश ने मुझे आश्वस्त किया है कि वो बुरे समय में मेरी सहायता करेगा।
  5. स्निग्ध = चिकने।
    वाक्य – मोहन के घर में लगा पत्थर बहुत ही स्निग्ध है।
  6. मरणासन्न = मरने के निकट।
    वाक्य – आग में बुरी तरह झुलस जाने कारण रोहित की स्थिति मरणासन्न की है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. लघु = …………………….
  2. चंचल = …………………….
  3. सुलभ = …………………….
  4. मुक्ति = …………………….
  5. उष्णता = …………………….
  6. तीव्र = …………………….

उत्तर :

  1. लघु = गुरु
  2. मुक्ति = बंधन
  3. चंचल = शांत
  4. उष्णता = शीतलता
  5. सुलभ = दुर्लभ
  6. तीव्र = मंद

7. विशेषण बनायें :

  1. चमक = …………………….
  2. कठिनाई = …………………….
  3. स्वर्ण = …………………….
  4. ठंडक = …………………….
  5. चंचलता = …………………….
  6. उष्णता = …………………….
  7. बसंत = …………………….
  8. विश्वास = …………………….

उत्तर :

  1. चमक = चमकीला
  2. कठिनाई = कठिन
  3. स्वर्ण = स्वर्णिम
  4. ठण्डक = ठंडा
  5. चंचलता = चंचल
  6. उष्णता = उष्ण
  7. बसन्त = बासन्ती/बसन्ती
  8. विश्वास = विश्वसनीय

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8. ‘इत’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = …………………….
  3. आकर्षण + इत = …………………….
  4. परिचय + इत = …………………….
  5. प्रकाश + इत = …………………….
  6. फल + इत = …………………….

उत्तर :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = सम्मानित
  3. आकर्षण + इत = आकर्षित
  4. परिचय + इत = परिचित
  5. प्रकाश + इत = प्रकाशित
  6. फल + इत = फलित

9. निम्नलिखित मुहावरों को इस तरह वाक्य में प्रयोग करें ताकि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाये।

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना ____________________
  2. जीवन यात्रा का अंत होना ____________________

उत्तर :

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना = खूब भाग – दौड़ करना।
    वाक्य – मुकेश ने नौकरी पाने के लिए सिर से पैर तक दौड़ लगा दी थी।
  2. जीवन यात्रा का अन्त होना = मृत्यु होना।
    वाक्य – बीमारी से लम्बे संघर्ष के बाद रोहन के दादा जी की जीवन यात्रा का अन्तः हो गया।

10. यदि आपको कुत्ते का पिल्ला या बिल्ली का बच्चा मिल जाये तो आप उसकी देखभाल कैसे करेंगे?
उत्तर :
यदि कभी मुझे कुत्ते का पिल्ला मिल गया तो मैं उसकी खुब देखभाल करूँगा। उसे अपने साथ घर पर ले आऊँगा। उसके खाने के लिए अलग से बर्तन का प्रबन्ध करूँगा। उसके गले में एक सुन्दर – सा पट्टा बाँधूंगा। उसे प्रतिदिन स्नान कराऊँगा। उसके रहने, खाने – पीने का उचित ध्यान रखूगा। उसके साथ अनेक खेल खेलूँगा। उसे अपने साथ घुमाने भी ले जाऊँगा। सर्दियों में उसके लिए गर्म स्थान का प्रबंध करूँगा। उसकी भूख प्यास का उचित ध्यान रखूगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • गिल्लू परदे पर चढ़ा और नीचे उतर गया।
  • गिल्लू अन्य खाने की चीजें लेना बन्द कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
  • उनका मुझसे लगाव कम नहीं है परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई।
  • भूख लगने पर गिल्लू का चिक-चिक करना ऐसा लगा मानो मुझे अपने भूखे होने की सूचना देता हो।
  • सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी, क्योंकि उसे वह लता सबसे प्रिय थी।
  • गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया।
  • गिल्लू को कौवे की चोंच से घाव हो गया था, इसलिए वह निश्चेष्ट-सा गमले से चिपका पड़ा था।

उपयुक्त वाक्यों में ‘और’, ‘या’, ‘परन्तु’, ‘मानो’, ‘क्योंकि’, ‘अतः’, तथा इसलिए’ शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं।

अतएव दो शब्दों, वाक्य के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं।

अन्य योजक शब्द : एवं, तथा, किंतु, चाहे, पर, इस कारण, यानि, कि यद्यपि—-तथापि, चाहे—- फिर भी आदि।

महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मेरा परिवार’ से उनके पालतू पशु-पक्षी के शब्द चित्रों की जानकारी प्राप्त करें।

प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। कविता, कहानी, लेख की भाँति यह भी साहित्य की एक विधा है। इसका अर्थ है-स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति विषय या पशु-पक्षी के संबंध में लिखित लेख। यह पाठ श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है। इनकी कुछ रचनाएँ अपने पुस्तकालय से लेकर पढ़ें। इनके द्वारा लिखित अन्य संस्मरण हैं: घीसा, गौरा, नीलकंठ मोर, सोनाहिरणी, नीलू आदि। इन्हें पढ़ें और लेखिका के पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम तथा संवेदनशीलता को अनुभव करें।

गिल्लू Summary in Hindi

गिल्लू पाठ का सार

‘गिल्लू’ श्रीमती महादेवी वर्मा का जीव – मनोविज्ञान पर आधारित एक मार्मिक संस्मरण है। लेखिका सोन जही में लगी पीली कली को देख कर उस लघ प्राण गिल्ल की स्मतियों में डूब जाती है। वह कभी इसी लता की हरियाली में छिप कर बैठता था। गिल्लू अचानक लेखिका के कन्धे पर कूद कर उसे चौंका देता था। लेखिका पहले सोन जूही में कली की तलाश में रहती थी, परन्तु अब उसे गिल्लू की तलाश है, क्योंकि वह मिट्टी में मिल गया है।

लेखिका ने एक दिन देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ छुओवल जैसा खेल – खेल रहे हैं। अचानक लेखिका का ध्यान गमले के साथ सटे एक लघु प्राण गिलहरी के बच्चे की ओर गया। कौवे उसे अपना आहार बनाना चाहते थे। उन्होंने उसे अपनी चोंचों से घायल कर दिया था, जिस कारण वह मृतप्राय था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 5

लेखिका ने उसे उठाया और उसका उपचार किया। उसे मरहम लगाई गई। मुँह में पानी की बूंद टपकाई, तीन दिन बाद वह लेखिका की उंगली पर बैठ कर इधर – उधर देखने लगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

तीन – चार मास बीत जाने पर गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोयें, झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आँखें सब को आकृष्ट करने लगीं। उसका नामकरण कर दिया गया। उसे ‘गिल्लू’ कह कर पुकारा जाने लगा। उसे फूलों की टोकरी में रूई बिछा कर खिड़की पर लटका दिया जाता। वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा। वह कांच के मनकों – सी आँखों से अन्दर और बाहर सब कुछ देखता रहता। उसकी समझदारी पर सब हैरान होते।

लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू उसके पैरों तक आ कर तेज़ी से खिड़की के परदे पर जा चढ़ता। कभी – कभी लेखिका उसे पकड़ कर एक लम्बे लिफाफे में रख देती। ऐसी स्थिति में वह घण्टों लेखिका की सारी गतिविधियां देखता रहता।

गिल्लू के जीवन का पहला बसन्त आया। नीम – चमेली की गन्ध कमरे में आने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली में से उसे देखतीं। गिल्लू भी बाहर झांकता। लेखिका ने उसे मुक्त करना आवश्यक समझा। जाली का एक कोना खोल दिया। गिल्लू ने बाहर निकल कर सुख की सांस ली। इतने छोटे जीव को कुत्ते – बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या थी। लेखिका के कॉलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खुलता गिल्लू जाली के द्वार से अन्दर जाकर दौड़ लगाने लगता।

लेखिका के पास अनेक पशु – पक्षी थे, परन्तु किसी को उसकी थाली में खाने का साहस न होता था परन्तु गिल्लू इनमें अपवाद था। लेखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती गिल्लू तुरन्त बरामदा पार करके मेज़ पर पहुँच जाता। लेखिका ने उसे बड़ी कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया। वह एक – एक चावल उठा कर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता। काजू उसका प्रिय खाद्य था।

एक बार लेखिका मोटर – दुर्घटना में घायल हो गई। उसे अस्पताल में रहना पड़ा। जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खुलता तो गिल्लू अपने झूले से उतर कर दौड़ता लेकिन फिर किसी दूसरे को देख कर झूले में जा छिपता। सब उसे काजू दे जाते। परन्तु वह उन्हें न खाता। यह लेखिका को तब पता चला जब वह अस्पताल से घर लौटी और झूले की सफ़ाई की।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

गिलहरी के जीवन की अवधि प्राय: दो साल से अधिक नहीं होती। गिल्लू के जीवन का अन्त निकट आ गया। उसने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर ही गया। रात में वह झले से उतर कर लेखिका के बिस्तर पर आया और उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में मरणासन्न हालत में पकड़ा था। उसे बचाने का उपचार किया गया। परन्तु सुबह होते ही उसके जीवन का अन्त हो गया।

गिल्लू कठिन शब्दों के अर्थ

  • अनायास = अचानक।
  • स्मरण = याद।
  • हरीतिमा = हरियाली।
  • स्निग्ध = चिकने।
  • विस्मित = हैरान।
  • डलिया = टोकरी।
  • कार्यकलाप = गतिविधियों।
  • आकर्षित = आकृष्ट।
  • अतिरिक्त = अलावा।
  • अदभुत स्थिति = अनोखी हालत।
  • प्रथम = पहला।
  • अपवाद = निर्विवाद।
  • आहत = घायल।
  • खाद्य = खाने योग्य पदार्थ।
  • अस्वस्थता = बीमारी।
  • परिचारिका = सेवा करने वाली।
  • सर्वथा = बिल्कुल।
  • मरणासन्न = मौत के समीप।
  • उष्णता = गर्मी।
  • स्पर्श = छूना।
  • लता = बेल।
  • समाधि = ध्यानस्थ होना, चिर – निन्द्रा।
  • लघुगात = छोटे शरीर वाला।
  • पीताभ = पीली चमक।
  • लघुप्राण = छोटे प्राणों वाला।

गिल्लू गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दौ कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा है, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक शीर्षक से लिया गया है जो महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि एक दिन जब वह अपने कमरे से बरामदे में आई तो अचानक उसने देखा कि दो कौए एक गमले के चारों ओर अपनी चोंचों से कुछ छूने का खेल खेल रहे हैं। तभी लेखिका की दृष्टि गमले और दीवार के बीच खाली पड़ी जगह पर गई। जब उसने पास जाकर देखा तो वहाँ गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा था जिसे देख लगता था कि वह अपने घोंसले से गिर गया होगा। अब कौए उसे अपना भोजन बनाने के लिए ढूँढ़ रहे थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

विशेष –

  • लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे की करुण दशा का चित्रण किया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. वह मेरे पैर तक आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता, जब तक मैं उसे पकड़ने के लिए न उठती। – कभी मैं गिल्लू को पकड़कर एक लम्बे लिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघु गात लिफ़ाफ़े के भीतर बन्द रहता। इस अद्भुत स्थिति में कभी – कभी घण्टों मेज़ पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से मेरा कार्यकलाप देखा करता।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ गिल्लू की उछल – कूद का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिलहरी का बच्चा जिसका नाम उसने गिल्लू रखा हुआ था उसके पैर के पास आकर तेजी से परदे पर चढ़ जाता था फिर कुछ ही देर में उसी तेजी से उतर भी जाता था। लेखिका कहती है कि गिल्लू के दौड़ने – भागने का खेल तब तक चलता रहता था जब तक वह उसे पकड़ने के लिए खड़ी नहीं हो जाती थी। लेखिका बताती है कि कभी – कभी वह गिल्लू को एक लिफाफे में बंद कर देती थी।

उस लिफ़ाफ़े से बस उसके अगले दोनों पैर और सिर के अलावा कुछ नहीं दिखता था। उसका छोटा – सा शरीर लिफ़ाफ़े के अन्दर ही बन्द रहता था। लिफ़ाफ़े के अन्दर बन्द रहते हुए वह घण्टों दीवार के सहारे मेज़ पर खड़ा होकर लेखिका के कामकाज को देखता रहता था।

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्लू की उछल – कूद को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।
  • भाषा सरल, सहज है।

3. वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठण्डक में रहता। गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अन्त आ ही गया। दिनभर उसने न कुछ खाया, न बाहर गया। रात में अन्त की यातना में भी वह मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की भरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर करते हुए गिलहरी के बच्चे की क्रियाकलाप एवं जीवन यात्रा का वर्णन किया

व्याख्या – लेखिका गिल्लू के क्रियाकलाप का वर्णन करते हुए कहती है कि कभी वह उसके पास रखी सुराही के पास लेट जाता था। इस प्रकार वह पास भी रहता था और ठण्डक में भी रहता था। लेखिका कहती है कि गिलहरियों का जीवन – काल दो साल से अधिक नहीं होता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

इसलिए गिल्लू का अन्तिम समय आ गया था। आज दिन भर उसने कुछ भी नहीं खाया था। न ही वह बाहर गया था। अपने जीवन की अन्तिम रात में यातना सहते हुए गिल्लू लेखिका की वह उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया था, जिसे उसने अपने बचपन में अपनी मरने वाली घायल स्थिति में पकड़ा था।

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्लू की मृत्यु का करुण चित्र अंकित किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी है – इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी – इसलिए भी कि उस लघु गात का, किर्स बासन्ती दिन, जुही के पीताभ छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास मुझे सन्तोष देत है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ गिल्लू के समाधि देने का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिल्लू को सोनजुही की बेल के नीचे समाधि दी गई उसे सोनजुही की बेल अत्यधिक प्यारी थी। इसलिए गिल्लू को उसी के नीचे समाधि र्द गई। लेखिका कहती है कि उसे सोनजुही बेल के नीचे समाधि देने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उसे पूर्ण विश्वास है कि किसी बसन्त ऋतु के दिन सोनजूही के छोटे खिले फूलों में उसके नन्हें शरीर वाले गिल्लू का फिर से जन्म होगा। भाव यह है कि गिल सोनजुही के खिले हुए फूलों के रूप में फिर से लौट कर आएगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्ल के प्रति अपने अगाध प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा शैली सरस है।