Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)
1. भाषा
प्रश्न 1.
भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस साधन द्वारा हम अपने विचार दूसरों पर प्रकट करते हैं, उसे भाषा कहते हैं ; जैसे हिन्दी, मराठी, बांग्ला, पंजाबी आदि भाषाएं हैं।
प्रश्न 2.
भाषा के कितने प्रकार हैं?
उत्तर :
भाषा के दो प्रकार हैं –
प्रश्न 3.
लिपि किसे कहते हैं? हिन्दी की लिपि का नाम बताइए।
उत्तर :
जिन वर्ण चिहनों के द्वारा भाषा लिखी जाती है, उसे लिपि कहते हैं। हिन्दी भाषा की लिपि का नाम देवनागरी है।
प्रश्न 4.
व्याकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शास्त्र की सहायता से हमें किसी भाषा को शुद्ध लिखना और बोलना आता है, उसे व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के तीन भाग होते हैं – वर्ण विचार, शब्द विचार और वाक्य विचार।
प्रश्न 5.
हिन्दी व्याकरण के कितने भाग हैं?
उत्तर :
हिन्दी व्याकरण के तीन भाग हैं –
- वर्ण विचार – इसमें वर्ण, उसके भेद, उच्चारण एवं शब्द निर्माण के नियम आदि होते हैं।
- शब्द विचार – इसमें शब्द, भेद, उत्पत्ति, रचना और रूपांतर का वर्णन होता है।
- वाक्य विचार – इसमें वाक्य भेद, अन्वय, संश्लेषण, विश्लेषण आदि का वर्णन होता है।
प्रश्न 6.
वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह छोटी – से – छोटी ध्वनि जिसका कोई खंड न हो सके, वर्ण (अक्षर) कहलाती हैं ; जैसे – अ, क, स, प, ह, इ, उ आदि।
प्रश्न 7.
वर्णमाला किसे कहते हैं?
उत्तर :
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।
प्रश्न 8.
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण (अक्षर) हैं?
उत्तर :
हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और तैंतीस व्यंजन हैं। प्रश्न 9. वर्ण के कितने भेद होते हैं? उत्तर : वर्ण के दो भेद हैं –
प्रश्न 10.
स्वर किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहा जाता जैसे –
अ, इ, उ, ऋ आदि ग्यारह स्वर हैं।
स्वरों के तीन भेद हैं –
प्रश्न 11.
मात्रा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
व्यंजन के साथ मिलाकर लिखे जाने वाले स्वर के संक्षिप्त रूप को मात्रा कहते हैं; जैसे –
प् + ई (1) = पी।
प्रश्न 12.
शब्द किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के समूह को शब्द कहते हैं। शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द।
(i) सार्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट होता हो, सार्थक शब्द कहलाता है; जैसे – पुस्तक, मेज, कलम, गाय आदि।
(ii) निरर्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट न होता हो, निरर्थक शब्द कहलाता है; जैसे – स्तफुल, यमाक आदि।
प्रश्न 13.
शब्द के वर्गीकरण के आधार बताइए।
उत्तर :
शब्द के वर्गीकरण के तीन आधार हैं
- उत्पत्ति के आधार पर।
- वाक्य के प्रयोग के आधार पर
- व्युत्पत्ति के आधार पर।
प्रश्न 14.
पद किसे कहते हैं?
उत्तर :
शब्दों में ने, को, के लिए आदि विभक्ति चिह्न जोड़ने पर वे पद बन जाते हैं; जैसे – राम ने रोटी खाई। यहाँ ‘राम ने’, ‘रोटी’ तथा ‘खाई’ – ये तीन पद हैं।
प्रश्न 15.
शब्द और पद में क्या अंतर है?।
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को खंड कहते हैं तथा खंडों में विभक्ति चिह्न जोड़ने पर शब्द ही पद कहलाते हैं।
प्रश्न 16. वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदों के ऐसे समूह को वाक्य कहते हैं, जिससे भाव पूरी तरह स्पष्ट हो ; जैसे –
राम रोटी खाता है।
प्रश्न 17.
वाक्य कैसे बनते हैं?
उत्तर :
शब्दों में विभक्ति चिहन जोड़ने पर वे शब्द ‘पद’ कहलाते हैं और पदों से वाक्य बनते हैं; जैसे –
राम ने पुस्तक पढ़ी।
यहाँ ‘राम ने’ कर्ता पद, ‘पुस्तक’ कर्म पद तथा ‘पढ़ी’ क्रिया पद है। शब्दों से वाक्य कभी नहीं बनते। पदों से ही वाक्य बनते हैं। यदि शब्दों के समूह का नाम वाक्य हो तो सभी शब्द कोश ही वाक्य बन जाएँ।
प्रश्न 18.
शब्द और वाक्य में क्या अंतर है? ..
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और पदों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।
प्रश्न 19.
प्रयोग के अनुसार शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर :
प्रयोग के अनुसार शब्द के आठ भेद हैं
विकारी – अविकारी
(1) संज्ञा – (5) क्रिया विशेषण
(2) सर्वनाम – (6) सम्बन्ध बोधक
(3) विशेषण – (7) समुच्चय बोधक
(4) क्रिया – (8) विस्मयादि बोधक
विकारी – जिन शब्दों का पुरुष, लिंग, वचन आदि के कारण रूप बदल जाता है, उन्हें विकारी कहा जाता है, जैसे – पर्वत, पर्वतों, बादल, बादलों, विद्वान्, विदुषी आदि।
अविकारी – जिन शब्दों का रूप नहीं बदलता, उन्हें अविकारी कहा जाता है। जैसे – और, यहाँ, वहाँ, या, अथवा आदि।
2. संज्ञा
प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा लिखो और उसके भेद बताओ।
उत्तर :
किसी व्यक्ति, जाति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता संज्ञा के तीन भेद हैं –
- व्यक्तिवाचक – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि का बोध कराए, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – कृष्ण, दिल्ली, गंगा आदि।
- जातिवाचक – जो शब्द किसी सम्पूर्ण जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – स्त्री, पुरुष, पशु, नगर आदि।
- भाववाचक – जो शब्द किसी के धर्म, अवस्था, भाव, गुण – दोष आदि प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – मिठास, मानवता, सत्यता आदि।
3. लिंग
प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? उसके भेद बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप में स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में लिंग के दो प्रकार हैं –
- पुल्लिग – संज्ञा के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिग कहते हैं। जैसे – लड़का, शेर, हाथी।
- स्त्रीलिंग – संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – लड़की, शेरनी, हथिनी।।
4. वचन
प्रश्न 1.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
शब्दों के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन के दो भेद हैं –
- एकवचन – संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – लड़की, घोड़ा, बहिन आदि।
- बहुवचन – संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।
प्रश्न 2.
एकवचन का बहवचन के रूप में प्रयोग किन स्थितियों में होता है?
उत्तर :
सम्मान के भाव में एकवचन का प्रयोग बहुवचन के रूप में होता है, जैसे –
- पिता जी आए हैं।
- बापू महान् नेता थे।
5. कारक
प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
अथवा
कारक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाए, उस रूप को कारक कहते हैं। जैसे – मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।
विभक्तिकारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है।
हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिहन इस प्रकार हैं : –
कारक – विभक्ति चिहन
- कर्ता – ने
- कर्म – को
- करण – से, के द्वारा, के साथ
- सम्प्रदान – को, के लिए, वास्ते
- अपादान – से (पृथकत्व, बोधक)
- सम्बन्ध – का, के, की
- अधिकरण – में, पर
- सम्बोधन – हे, अरे, रे
1. कर्ता – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे –
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) सोहन ने दूध पिया।
2. कर्म – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे – श्याम पाठशाला को जाता है।
3. करण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे – राम ने बाण से बालि को मारा।
4. सम्प्रदान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे – अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।
5. अपादान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहा जाता है। जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
6. सम्बन्ध – संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। जैसे – यह मोहन का घर है।
7. अधिकरण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे – वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।
8. सम्बोधन – संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो। जैसे हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो।
6. सर्वनाम
प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा लिखो और उसके भेद भी बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – सोहन, मोहन के साथ उसके घर गया। इस वाक्य में ‘उसके’ सर्वनाम मोहन के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।
सर्वनाम के पाँच भेद हैं –
- पुरुषवाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही हो, उसका ज्ञान प्राप्त हो, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
- अन्य पुरुष – वह, वे
- मध्यम पुरुष – तू, तुम
- उत्तम पुरुष – मैं, हम
- निश्चयवाचक इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दर की वस्तु पर निश्चय होता है। जैसे – यह, ये, वह, वे।
- अनिश्चयवाचक – इस सर्वनाम से किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान नहीं होता। जैसे – कोई, कुछ।
- सम्बन्धवाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर सम्बन्ध का ज्ञान होता है। जैसे – जो, सो। जो करेगा, सो भरेगा।
- प्रश्नवाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है। जैसे – कौन, क्या। आप कौन हैं? मैं क्या करूँगा?
7. विशेषण
प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? इसके भेद बताओ।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है। जैसे – वीर पुरुष। इसमें ‘वीर’ शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है।
विशेषण के चार भेद हैं –
- गुणवाचक – संज्ञा या सर्वनाम के गुण – दोष, रंग, अवस्था आदि को बताने वाला गुणवाचक विशेषण होता है। जैसे विद्वान् पुरुष। मूर्ख लड़का (गुण – दोष)। नीला घोड़ा। काली बिल्ली (रंग)।
- संख्यावाचक – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान कराए, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – एक पुस्तक। दस मनुष्य।
- परिमाणवाचक जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के नाप – तोल का ज्ञान होता हो, वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – दो मीटर कपड़ा। चार किलो मिठाई।
- सार्वनामिक या सांकेतिक – जब सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत के रूप में आता है, तब वह सर्वनाम विशेषण बन जाता है। जैसे – वह मेरी पुस्तक है।
8. क्रिया
प्रश्न 1.
क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर :
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे
- नेहा दौड़ती है।
- मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
- हम खाना खाते हैं।
इन वाक्यों में दौड़ती’, ‘पढ़ती’, ‘खाते’ शब्दों से कोई काम करने या होने का पता चलता है।
प्रश्न 2.
कर्म के अनुसार क्रिया के कितने भेद हैं?
उत्तर :
कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं –
- सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सुरेश पत्र लिखता है। इस वाक्य में सुरेश क्या लिखता है? ‘पत्र’। पत्र क्या है? कर्म। यह क्रिया सकर्मक है।
- अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सलमा नहाती है। इस वाक्य में ‘नहाती’ है क्रिया का कोई कर्म नहीं है। यह अकर्मक क्रिया है।
क्रिया में परिवर्तन
प्रश्न 3.
क्रिया में परिवर्तन किस प्रकार होता है? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्द भी विकारी शब्द है। क्रिया शब्दों में परिवर्तन लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य के कारण होता है। जैसे
(क) लिंग – मोहन गा रहा था। (पुल्लिग)
राधा खेल रही थी। (स्त्रीलिंग)
यहाँ ‘रहा था’ क्रिया पुल्लिग है और ‘रही थी’ क्रिया स्त्रीलिंग है।
इस प्रकार संज्ञा शब्दों की भांति क्रिया शब्दों के दो लिंग होते हैं।
(ख) वचन लड़का हँसता है। लड़के पढ़ते हैं। यहाँ ‘हँसता है’ एकवचन है और ‘पढ़ते हैं’ बहुवचन है। इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं –
(ग) पुरुष – मैं पढ़ता हूँ।
हम लिखते हैं।
यहाँ ‘मैं’ और ‘हम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: उत्तम पुरुष हैं।
तू जाता है।
तुम खाते हो।
यहाँ ‘तू’ और ‘तुम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: मध्यम पुरुष हैं।
वह देखता है।
कोई जा रहा है।
यहाँ ‘वह’ और ‘कोई’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अतः अन्य पुरुष हैं। इस प्रकार कर्ता के अनुसार क्रिया के तीन पुरुष हैं –
- उत्तम पुरुष – (मैं, हम)
- मध्यम पुरुष – (तू, तुम)
- अन्य पुरुष – (वह, वे, संज्ञा शब्द)
9. काल
प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।
प्रश्न 2.
काल के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
काल के मुख्यत: तीन भेद हैं :
- भूतकाल
- वर्तमानकाल
- भविष्यत्काल।
प्रश्न 3.
भूतकाल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना बीते समय में पाया जाए तो भूतकाल की क्रिया होती है।
मैंने रोटी खाई।
गाड़ी तेज़ चल रही थी।
आंधी से कुछ पेड़ गिरे।
ऊपर के वाक्यों में ‘खाई’, ‘चल रही थी’, ‘गिरे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है। बीते हुए समय को भूतकाल कहते हैं।
प्रश्न 4.
वर्तमान काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना चल रहे समय में पाया जाए तो वह वर्तमान काल की क्रिया होती है।
कवि कविता लिखता है।
लड़की गाना गाती है।
छात्र पुस्तकें पढ़ते हैं।
इन वाक्यों में लिखता है’, ‘गाती’ है, ‘पढ़ते’ हैं. क्रियाएँ हैं। इनसे क्रिया का करना या होना इसी समय में पाया जाता है। चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
प्रश्न 5.
भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाए, तो भविष्यत् काल की क्रिया होती है।
लड़के मैदान में खेलेंगे।
किसान फसल काटेंगे।
वह दिल्ली जाएगा।
ऊपर के वाक्यों में ‘खेलेंगे’, ‘काटेंगे’, ‘जाएगा’ – क्रियाएँ हैं। इन से क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है। ये भविष्यत् काल की क्रियाएँ हैं।
10. वाच्य
प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं? वाच्य के भेद भी लिखो।
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप में कर्ता या कर्म या भाव अर्थात् क्रिया व्यापार की प्रमुखता कही जाए, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के तीन भेद होते हैं –
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य।
प्रश्न 2.
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से कर्ता के व्यापार का पता चले उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। राम आता है। मोहन ने दरवाज़ा खोला। श्याम ने पुस्तक खरीदी।
यहाँ ‘आता है’। क्रिया व्यापार करने वाला कर्ता राम है। खोलने की क्रिया करने वाला कर्ता मोहन है और खरीदने की क्रिया करने वाला कर्ता श्याम है।
प्रश्न 3.
कर्मवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस क्रिया व्यापार से कर्म का व्यापार मुख्य रूप से सूचित हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
छात्र के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाएगी।
मोहन से लकड़ी नहीं काटी जा रही है।
शीला से दरवाजा नहीं खोला गया।
यहाँ ‘पढ़ने’ की क्रिया व्यापार में कर्ता गौण होकर कर्म पर बल है। इसी प्रकार ‘लकड़ी’ और ‘दरवाज़ा’ पर बल है। यहाँ कर्ता प्रधान नहीं है, कर्म प्रधान है। इसमें कर्ता के साथ ‘के द्वारा’, ‘से’ आदि लगा दिया जाता है।
प्रश्न 4.
भाववाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य रचना में क्रिया का व्यापार ही प्रधान हो उसे भाववाच्य कहते हैं। यहाँ अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है।
हम से नहीं नहाया गया।
बच्चे से रोया जाता है।
नेहा से हँसा जाता है।
यहाँ न कर्म प्रधान है और न ही कर्ता, बल्कि क्रिया के व्यापार को प्रमुखता दी गई है।
11. क्रिया विशेषण
प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। यह अभी आया है।
देखो, यहाँ बहुत शोर है।
मोहन आज बहुत सोया।
समय जल्दी – जल्दी जा रहा है।
ऊपर के वाक्यों में यह कब आया? ‘अभी’। कहाँ बहुत शोर है? ‘यहाँ। मोहन आज कितना सोया? ‘बहुत’। समय कैसा जा रहा है? ‘जल्दी – जल्दी’। क्रिया में यदि हम कब, कहाँ, कितना और कैसे प्रश्न लगाएँ तो हमें क्रिया की विशेषताएँ पता चलती हैं।
क्रिया विशेषण के चार भेद हैं –
- कालवाचक क्रिया विशेषण
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण।
कुछ क्रिया विशेषण इस प्रकार हैं –
12. सम्बन्ध बोधक
प्रश्न 1.
सम्बन्ध बोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
सम्बन्ध बोधक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बताए, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं। जैसे –
मोहन और सोहन साथ जा रहे हैं।
नीतू राम के समान बुद्धिमान है।
बच्चे छत के ऊपर उछल – कूद कर रहे हैं।
आपके सामने कौन बोल सकता है?
ऊपर के वाक्यों में साथ, समान, ऊपर, सामने आदि शब्द वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध प्रकट करते हैं।
कुछ सम्बन्ध बोधक शब्द ये हैं…
पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, निकट, पास, सामने, तरफ, द्वारा, विरुद्ध, अनुसार, तरह, समान, सिवा, रहित, अतिरिक्त, समेत, संग, साथ आदि।
प्रश्न 2.
सम्बन्ध बोधक और क्रिया विशेषण में अन्तर उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
मकान के भीतर जाओ।
भीतर जाओ।
पहले वाक्य में भीतर’ शब्द मकान के साथ आया है जबकि दूसरे वाक्य में भीतर’। शब्द क्रिया की विशेषता बता रहा है। जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त हो, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं और क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर क्रिया की विशेषता बताए, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं।
13. योजक
प्रश्न 1.
योजक की परिभाषा लिखो।
अथवा
योजक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने वाले शब्द को योजक कहते हैं। जैसे हरदीप और मनदीप इकट्ठे खेल रहे हैं।
चुपचाप बैठो अन्यथा बाहर चले जाओ। गुरप्रीत पढ़ने में तो अच्छा है परन्तु स्वास्थ्य में कमजोर है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्द ‘और’, ‘अन्यथा’, ‘परन्तु’ आदि दो शब्दों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं।
कुछ योजकों के उदाहरण ये हैं : तथा, एवं, या, अथवा, नहीं तो, पर, लेकिन, बल्कि, किन्तु, इसलिए, अतः, क्योंकि, चूँकि, कि, जोकि, ताकि, जिससे, जिसमें, यद्यपि, तथापि, अगर तो, यानि, मानो, यहाँ तक कि आदि।
14. विस्मयादिबोधक
प्रश्न 1.
विस्मयादिबोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द अचानक मुख से निकलकर घृणा, शोक, आश्चर्य, हर्ष आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।
उदाहरण –
हाय ! मैं तो लुट गया।
वाह ! क्या मधुर आवाज़ है।
शाबाश ! तुमने तो कमाल कर दिया।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘हाय’, ‘वाह’, ‘शाबाश’ आदि शब्द मन के भावों को प्रकट करते हैं। कुछ विस्मयादिबोधक शब्द हैं – ओहो, हे, छि:छि:, धन्य, उफ, बाप रे, अहो, ऐं, वाह – वाह, दुर्, धिक्कार, ठीक, भला, अच्छा, सावधान, होशियार, खबरदार, काश आदि।
15. विराम चिहन
प्रश्न 1.
विराम चिह्न से क्या अभिप्राय है? हिन्दी में प्रचलित चिह्न को स्पष्ट करें।
उत्तर :
बातचीत करते समय हम अपने भावों को स्पष्ट करने के लिए कहीं – कहीं ठहरते हैं। लिखने में भी ठहराव प्रकट करते हैं। ठहराव को प्रकट करने के लिए जो चिहन लगाए जाते हैं, वे विराम चिहन कहलाते हैं।
मुख्य विराम चिह्न
- पूर्ण विराम – ()
(क) हर वाक्य के अन्त में लगाया जाता है। जैसे – गोपाल आठवीं कक्षा में पढ़ता है।
(ख) कविता में वाक्य की पूर्णता – अपूर्णता नहीं देखी जाती। इसका प्रयोग पद या पंक्ति के अन्त में किया जाता है।
- अल्प – विराम – (,)
बोलने वाला जहाँ बहुत थोड़ी देर के लिए रुकता है, वहाँ अल्प – विराम लगता है ; जैसे – मैं, कमला और गीता कल मन्दिर जाएंगी।
- प्रश्न – सूचक चिह्न – (?) प्रश्न – सूचक वाक्य के अन्त में प्रश्न – सू लगाया जाता है; जैसे – इस समय भारत के प्रधानमन्त्री कौन हैं?
- उद्धरण चिह्न – (“”) किसी के कथन को उसी रूप में दिखाने के लिए उद्धरण चिह्न लगाया जाता है ; जैसे – महात्मा गांधी जी ने कहा था, “सच्चाई की अन्त में विजय होती है।”
- विस्मयादिबोधक चिह्न – (!) विस्मयादिबोधक चिह्न अव्ययों के बाद लगते हैं; जैसे – अहो ! हाय ! आदि।
- निर्देशक – ( – ) इसका प्रयोग कथोपकथन (बातचीत) में बोलने वाले के नाम के आगे आता है। माता – पुत्र ! इधर आओ, मेरी बात सुनो।
आचार्य – बालको ! भारत को कब आजादी मिली थी?
- योजक – ( – ) दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे – माता – पिता की सेवा करो।
- कोष्ठक चिह्न – () (क) किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – क्या तुम मेरे कहने का तात्पर्य (मतलब) समझ गए?
(ख) विभाग सूचक अंक या अक्षरों के लिए भी इसी चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – संज्ञा के तीन भेद हैं –
- व्यक्तिवाचक
- जातिवाचक और
- भाववाचक।
9. लाघव चिन – (०) जहाँ शब्द को पूरा न लिख कर उसका संक्षिप्त रूप लिख दिया जाए वहाँ लाघव चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे पं० नेहरू। ला० लाजपतराय। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।