खो-खो (Kho-Kho) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions खो-खो (Kho-Kho) Game Rules.

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. खो-खो मैदान की लम्बाई और चौड़ाई = 29 × 16 मीटर
  2. केन्द्र लेन में वर्गों की गिनती = 8
  3. मैदान के अंत में आयताकार का माप = 16 मीटर × 2.75 मीटर
  4. एक वर्ग के दूसरे वर्ग की दूरी = 2.50 मीटर
  5. केन्द्रीय गली की चौड़ाई और लम्बाई = 23.50 मी०, 30 सैं० मी० चौड़ाई लम्बाई
  6. वर्ग का आकार = 30 × 30 सैं० मी०
  7. खो-खो के खिलाड़ियों की गिनती = 12 (9+3 बदलवें)
  8. बदलवें खिलाड़ी = 3
  9. मैच का समय = 9-5-9 (सात मिनट का आराम) 9-5-9
  10. मैच के इनिंग्ज = 2
  11. फ्री जोन का माप = 2.75 x 16 मी०
  12. लॉबी = 1.50 मीटर
  13. वर्गों में बैठे खिलाड़ियों को कहते हैं = चेजर
  14. वर्गों में विरोधी खिलाड़ी होते हैं = रनर 7-5-7(5)
  15. स्त्रियों के लिए समय = 7-5-7
  16. अधिकारी = एक रैफ़री, दो अम्पायर, एक टाइम कीपर, एक स्कोरर,
  17. पोल की ज़मीन से ऊंचाई = 1.20 मीटर
  18. क्रास लेन = 16 मी० × 30 सैं०मी०
  19. लास्ट लेन की रेखा की दूरी = 2.50 मी०
  20. मध्य रेखा द्वारा विभाजित प्रत्येक कोर्ट = 7.88 मी०
  21. फालोआन = 9 अथवा इसके अधिक अंक।

खो-खो खेल की संक्षेप रूप-रेखा
(Brief outline of the Kho-Kho Game)

  1. खो-खो का मैदान आयताकार होता है। यह 29 मीटर लम्बा तथा 16 मीटर चौड़ा होता है।
  2. खो-खो की खेल में एक टीम 12 खिलाड़ियों की होती है जिसमें 9 खिलाड़ी खेलते हैं तथा तीन खिलाड़ी स्थानापन्न (Substitutes) होते हैं।
  3. खेल का आरम्भ टॉस द्वारा होता है। टॉस जीतने वाली टीम का कप्तान चेज़र या रनर बनने का निर्णय करता है।
  4. एक चेज़र को छोड़कर शेष सभी चेज़र वर्ग में इस प्रकार बैठेंगे कि किसी पास पास बैठे चेज़र का मुंह एक दिशा में न हो।
  5. ‘खो’ बैठे हुए चेज़र को पीछे से देनी चाहिए। बिना खो प्राप्त किए बैठा हुआ चेज़र नहीं उठ सकता।
  6. खो-खो के मैच की दो इनिंग्ज़ होती हैं। दोनों इनिंग्ज़ में से अधिक प्वाईंट लेने वाली टीम को विजयी घोषित किया जाता है।
  7. खेल के दौरान किसी खिलाड़ी को चोट लग जाने की दशा में रैफरी की अनुमति से कोई अन्य खिलाड़ी उसके स्थान पर खेल सकता है।
  8. कार्यशील चेज़र के शरीर का कोई भी अंग केन्द्रीय पट्टी को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
  9. यदि कोई टीम बराबर रह जाती है तो फिर एक और इनिंग्ज़ लगाई जाती है। यदि फिर भी बराबर रह जाए तो एक इनिंग्ज़ और लगाई जाती है।
  10. यदि किसी खिलाड़ी के चोट लग जाए तो उसके स्थान पर स्थानापन्न (Substitutes) में से ले लिया जाता है।
  11. खेल का समय 9-5-9, (7) 9-5-9 का होता है।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
खो-खो के खेल के मैदान, पारिभाषिक शब्द, खेल के आरम्भ, खेल के नियम तथा खेल के अधिकारियों का वर्णन करें।
उत्तर-
खेल का मैदान
खो-खो का क्रीडा क्षेत्र आयताकार होता है। यह 29 मीटर x 16 मीटर होता है। मैदान के अन्त में दो आयताकार होते हैं। आयताकार की एक भुजा 16 मीटर और दूसरी भुजा 2.75 मीटर होती है। इन दोनों आयताकारों के मध्य में दो लकड़ी के स्तम्भ (खम्बे/पोल) होते हैं। केन्द्रीय गली 23.50 मीटर लम्बी और 30 सैंटीमीटर चौड़ी होती है। इसमें 30 सम x 30 सम के आठ वर्ग होंगे।
KHO-KHO GROUND
खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
परिभाषाएं

  1. स्तम्भ का पोस्ट-मध्य लेन के अन्त में दो स्तम्भ गाड़े जाते हैं जो भूमि से 1.20 से 1.25 सैंटीमीटर के बीच ऊंचे होते हैं। इनकी परिधि 30 सम से कम या 40 सम से अधिक नहीं हो सकती।
  2. केन्द्रीय गली या लेन-दोनों स्तम्भों के मध्य में केन्द्रीय गली होती है। यह 23.50 मीटर लम्बी और 30 सम चौड़ी होती है।
  3. क्रॉस-लेन-प्रत्येक आयताकार 15 मीटर लम्बा और 30 सैंटीमीटर चौड़ा होता है। वह केन्द्रीय लेन को समकोण (90°) पर काटता है। यह स्वयं भी दो अर्द्धकों में विभाजित होता है। इसे क्रॉस-लेन कहते हैं।
    पोल से पोल की दूरी = 23.50 मीटर
    पोल की ऊंचाई = 1.20 से 1.25 मीटर।
  4. वर्ग-केन्द्रीय लेन तथा क्रॉस-लेन के परस्पर काटने से बना 30 सम – 30 सम का क्षेत्र वर्ग कहलाता है।
  5. स्तम्भ रेखा–पोल के पास केन्द्र से गुज़रती हुई क्रॉस-लेन और केन्द्रीय लेन के समानान्तर रेखा को स्तम्भ रेखा कहते हैं।
  6. आयताकार-स्तम्भ रेखा का बाहरी क्षेत्र आयताकार कहलाता है।
  7. परिधियां-केन्द्रीय लेन तथा बाहरी सीमा निश्चित करने वाली दोनों आयताकारों की रेखाओं से 7.85 मीटर दूर दोनों पार्श्व-रेखाओं को परिधियां कहते हैं।
  8. अनुधावक या चेज़र-वर्गों में बैठे खिलाड़ी अनुधावक या चेज़र कहलाते हैं। विरोधी खिलाड़ियों को पकड़ने या छूने के लिए भागने वाला अनुधावक या चेज़र सक्रिय अनुधावक या चेज़र कहलाता है।
  9. धावक-चेज़रों या धावकों के विरोधी खिलाड़ी ‘धावक’ या ‘रनर’ कहलाते हैं।
  10. ‘खो’ देना-अच्छी ‘खो’ देने के लिए सक्रिय चेज़र को बैठे हुए चेज़र को पीछे से हाथ से छूते ही ‘खो’ शब्द ऊंचा तथा स्पष्ट कहना चाहिए। छूने और ‘खो’ कहने का काम एक साथ होना चाहिए।
  11. फाऊल-यदि बैठा हुआ (निष्क्रिय) या सक्रिय चेज़र किसी नियम का उल्लंघन करता है तो वह फाऊल होता है।
  12. दिशा ग्रहण करना-एक स्तम्भ से दूसरे स्तम्भ की ओर जाना ‘दिशा ग्रहण करना’ कहलाता है।
  13. मुंह मोड़ना-जब सक्रिय चेज़र एक विशेष दिशा की ओर जाते समय अपने कंधे की रेखा 90° के कोण से अधिक दिशा को मोड़ लेता है तो इसे ‘मुंह मोड़ना’ कहते हैं। यह फाऊल होता है।
  14. निवर्तन या पलटना-किसी विशेष दिशा की ओर जाता हुआ सक्रिय चेज़र जब विपरीत दिशा में जाता है तो उसे निवर्तन या पलटना कहा जाता है। यह फाऊल होता है।
  15. स्तम्भ रेखा से हटना-जब कोई सक्रिय चेज़र स्तम्भ का अधिकार छोड़ दे या आयताकार से परे चला जाए तो इसे स्तम्भ रेखा से हटना कहते हैं।
  16. पांव बाहर-जब रनर के दोनों पांव सीमाओं से बाहर भूमि को छू लें तो उसके पांव बाहर माने जाते हैं, उसे आऊट माना जाता है।

खेल के नियम

  1. क्रीडा क्षेत्र (खेल का मैदान) को आकार में वर्णित अनुसार चिन्हित किया जाएगा।
  2. दौड़ने या चेज़र बनने का निर्णय टॉस द्वारा किया जाएगा।
  3. एक चेज़र के अतिरिक्त अन्य सभी चेज़र वर्गों में इस प्रकार बैठेंगे कि दो साथसाथ बैठे चेज़रों का मुंह एक ओर नहीं होगा। नौवां चेज़र (सक्रिय चेज़र) (Active Chaser) पीछा करने के लिए किसी एक स्तम्भ के पास खड़ा होगा।
  4. सक्रिय चेज़र के शरीर का कोई भी भाग केन्द्रीय गली से स्पर्श नहीं करेगा। वह स्तम्भों में अन्दर से केन्द्रीय रेखा पार नहीं कर सकता।
  5. ‘खो’ बैठे हुए चेज़र के पीछे से समीप जाकर ऊंची और स्पष्ट आवाज़ में देनी चाहिए। बैठा हुआ चेज़र बिना ‘खो’ प्राप्त किए नहीं उठ सकता और न ही वह अपनी टांग या भुजा फैला कर स्पर्श प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
  6. यदि कोई सक्रिय चेज़र उस वर्ग की केन्द्रीय गली से बाहर चला जाए जिस पर कोई चेज़र बैठा है और यदि वह निष्क्रिय चेज़र की पकड़ छोड़ देता/देती है तो सक्रिय चेज़र उसे ‘खो’ नहीं देगा। कोई सक्रिय चेज़र ‘खो’ देने के लिए वापस नहीं आ सकता।
  7. नियम 4, 5 तथा 6 का उल्लंघन फाऊल होता है। इस पर सक्रिय चेज़र उस दिशा के विपरीत जाने के लिए बाध्य किया जाएगा जिस दिशा में वह जा रहा/रही थी। निर्णायक की सीटी के संकेत के साथ सक्रिय चेज़र सांकेतिक दिशा की ओर चल देगा। यदि इस तरह रनर आऊट हो जाता है तो उसे आऊट नहीं माना जाता।
  8. सक्रिय चेज़र ‘खो’ देने के पश्चात् तुरन्त खो पाने वाले चेज़र का स्थान ग्रहण कर लेगा। खो देना और साथ बैठे चेज़र से खो लेना एक साथ होना चाहिए।
  9. ठीक खो लेने के पश्चात् यदि एक्टिव चेज़र का पहला कदम सैंटर लेन को छूता हो तो वह फाऊल नहीं है। यदि सैंटर लेन को क्रॉस करे तो वह फाऊल है।
    नोट-जब तक किसी खिलाड़ी का पांव क्रॉस लेन की भूमि को स्पर्श करता है तब तक वह उस लेन से बाहर नहीं माना जाएगा।
  10. दिशा लेने के पश्चात् एक्टिव चेज़र पुनः क्रॉस लाइन में आक्रमण कर सकता है और इसको फाऊल नहीं माना जाता।
  11. सक्रिय चेज़र वह दिशा ग्रहण करेगा जिस ओर इसका मुंह मुड़ा हो अर्थात् जिस ओर उसने अपने कन्धे की रेखा को मोडा था।
  12. सक्रिय चेज़र नियम 9 तथा 10 के अनुसार किसी एक ओर दिशा ग्रहण करेगा।
  13. सक्रिय चेज़र किसी एक स्तम्भ की ओर दिशा ग्रहण करने के पश्चात् स्तम्भ रेखा की उसी दिशा में जाएगा जब तक वह ‘खो’ नहीं करता। सक्रिय चेज़र केन्द्र गली से दूसरी ओर नहीं जाएगा जब तक कि वह स्तम्भ के चारों ओर बाहर से न घूम ले।
  14. यदि कोई सक्रिय चेज़र स्तम्भ छोड़ देता है तो वह स्तम्भ छोड़ने वाले स्थान की ओर वाली केन्द्रीय लेन पर रहते हुए दूसरे स्तम्भ की दिशा में जाएगा। नोट-जब वह स्तम्भ पर है तो सक्रिय चेज़र गली को पार नहीं करेगा।
  15. सक्रिय चेज़र का मुंह सदैव उसके द्वारा ग्रहण की गई दिशा की ओर रहेगा। वह अपने मुंह को नहीं मोड़ेगा। उसे केन्द्रीय लेन के समानान्तर कंधे की रेखा मोड़ने की आज्ञा होगी।
  16. चेज़र इस प्रकार बैठेंगे कि धावकों (रनरों) के मार्ग में रुकावट न पहुंचे। यदि ऐसी रुकावट से कोई रनर आऊट हो जाता है तो उसे आऊट नहीं माना जाएगा।
  17. दिशा ग्रहण करने वाले और मुंह मोड़ने वाले नियम आयताकार क्षेत्र में लागू नहीं होंगे। (नियम 9 से 11 तथा 14)
  18. पारी (इनिंग) के दौरान सक्रिय चेज़र सीमा (परिधि) से बाहर जा सकता है परन्तु सीमा से बाहर उसे दिशा लेने और मुंह मोड़ने के नियमों का पालन करना होगा।
  19. कोई भी रनर बैठे हुए चेज़र को छू नहीं सकता। यदि वह ऐसा करता है तो उसे चेतावनी दी जाती है। यदि वह फिर उस हरकत को दोहराता है तो उसे मैदान से बाहर भेज दिया जाता है। अभिप्राय यह कि आऊट दिया जाता है।
  20. यदि रनर के दोनों पैर सीमा से बाहर हों तो वह आऊट हो जाता है।
  21. यदि सक्रिय चेज़र बिना नियम का उल्लंघन किए रनर को छू लेता है तो रनर आऊट माना जाएगा।
  22. सक्रिय चेज़र नियम 4 से 14 तक के किसी नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे। इन नियमों का उल्लंघन फाऊल माना जाता है। यदि ऐसे फाऊल के कारण कोई रनर आऊट हो जाता है तो उसे आऊट नहीं माना जाएगा।
  23. यदि कोई सक्रिय चेज़र नियम 8 से 14 तक के किसी नियम का उल्लंघन करते हैं तो अम्पायर तुरन्त ही उचित दिशा लेने और कार्य करने के लिए बाध्य करेगा।

मैच सम्बन्धी नियम
खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2

  1. प्रत्येक टीम में खिलाडियों की संख्या 9 होगी और 3 खिलाड़ी स्थानापन्न (Substitutes) होते हैं।
  2. (क) प्रत्येक पारी (इनिंग) में नौ-नौ मिनट छूने तथा दौड़ने का काम बारी-बारी होगा। प्रत्येक मैच में 4 पारियां (इनिंग्ज) होंगी। दो पारियां छूने की और 2 पारियां दौड़ने की होती हैं।
    (ख) रनर खेलने के क्रमानुसार स्कोरर (फलांकनकर्ता) के पास अपने नाम दर्ज कराएंगे। पारी के आरम्भ में पहले तीन खिलाड़ी सीमा के अन्दर होंगे। इन तीनों
    के आऊट होने के पश्चात् तीन और खिलाड़ी ‘खो’ देने से पहले अन्दर आ जाएंगे। जो इस अवधि में प्रवेश न कर सकेंगे उन्हें
    आऊट घोषित किया जाएगा। अपनी बारी के बिना प्रविष्ट होने वाला खिलाड़ी भी आऊट घोषित किया जाएगा।
    यह प्रक्रिया पारी के अन्त तक जारी रहेगी। तीसरे रनर (जो तीन के समूह में प्रवेश करते हैं) को निकालने वाला सक्रिय चेज़र नए प्रविष्ट होने वाले रनर का पीछा नहीं करेगा, वह ‘खो’ देगा। प्रत्येक टीम खेल के मैदान के केवल एक पक्ष से ही अपने रनर प्रविष्ट करेगी।
  3. चेज़र तथा प्रत्येक रनर समय से पहले भी अपनी पारी समाप्त कर सकते हैं। केवल चेज़र या रनर टीम के कप्तान के अनुरोध पर ही अम्पायर खेल रोक कर पारी समाप्त की घोषणा करेगा। एक पारी के बाद 5 मिनट तथा दो पारियों के बीच 9 मिनट का अवकाश होगा।
  4. चेज़र पक्ष को प्रत्येक रनर के आऊट होने पर एक अंक मिलेगा। सभी रनरों के समय से पहले आऊट हो जाने पर उनके विरुद्ध एक ‘लोना’ दे दिया जाता है। इसके पश्चात् वह टीम उसी क्रम से अपने रनर भेजेगी। लोना प्राप्त करने के लिए कोई अतिरिक्त अंक नहीं दिया जाता है। पारी का समय समाप्त होने तक इसी ढंग से खेल जारी रहेगी। पारी के दौरान रनरों के क्रम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  5. नॉक आऊट (Knock out) पद्धति में मैच के अन्त में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजयी घोषित किया जाएगा। यदि अंक बराबर हों तो एक और इनिंग (प्रत्येक टीम के लिए चेज़र तथा रनर की) खेली जाएगी। यदि फिर भी अंक बराबर रहें . तो टाईब्रेकर रूल (नियम) का प्रयोग किया जाएगा। इस स्थिति में यह जरूरी नहीं कि टीमों में वही खिलाड़ी हों। लीग प्रणाली में विजेता टीम को 2 अंक प्राप्त होंगे। पराजित टीम को शून्य (0) अंक तथा बराबर रहने की दशा में प्रत्येक टीम को एक-एक अंक दिया जाएगा। यदि लीग प्रणाली में लीग अंक बराबर हों तो टीम अथवा टीमें पर्चियों द्वारा पुनः मैच खेलेंगी। ऐसे मैच नॉक-आऊट प्रणाली के आधार पर खेले जाएंगे।
  6. यदि किसी कारणवश मैच पूरा नहीं होता है तो यह किसी अन्य समय खेला जाएगा और पिछले अंक नहीं गिने जाएंगे। मैच शुरू से ही खेला जाएगा।
  7. यदि किसी एक टीम के अंक दूसरी टीम से 12 या उससे अधिक हो जाएं तो पहली टीम दूसरी टीम को चेज़र के रूप में पीछा करने को कह सकती है। यदि दूसरी टीम इस बार अधिक अंक प्राप्त कर ले तो भी उसका चेज़र बनने का अधिकार बना रहता है।

खेल के लिए अधिकारी
मैच की व्यवस्था के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं—
(1) अम्पायर (दो)
(2) रैफरी (एक)
(3) टाइम कीपर (एक)
(4) स्कोरर (एक)

  1. अम्पायर-अम्पायर लॉबी से बाहर खड़ा होगा और केन्द्रीय गली द्वारा विभाजित अपने स्थान से खेल की देख-रेख करेगा। वह अपने अर्द्धक में सभी निर्णय देगा। वह निर्णय देने में दूसरे अर्द्धक के अम्पायर की सहायता कर सकता है।
  2. रैफरी-रैफरी के कर्त्तव्य इस प्रकार हैं
    • वह अम्पायरों की उनके कर्त्तव्य पालन में सहायता करेगा और उसमें मतभेद होने की दशा में अपना फैसला देगा।
    • वह खेल में बाधा पहुंचाने वाले, असभ्य व्यवहार करने वाले, नियमों का उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों को दण्ड देता है।
    • वह नियमों की व्याख्या सम्बन्धी प्रश्नों पर अपना निर्णय देता है।
    • इनिंग्ज़ के अन्त में वह टीमों के अंक और परिणामों की घोषणा करता है।
  3. टाइम-कीपर-टाइम-कीपर का काम समय का रिकार्ड रखना है। वह सीटी बजाकर पारी के आरम्भ या समाप्ति का संकेत देता है।
  4. स्कोरर–स्कोरर इस बात का ध्यान रखता है कि खिलाड़ी निश्चित क्रम से मैदान में उतरते हैं। वह आऊट हुए रनरों का रिकार्ड रखता है। प्रत्येक पारी के अन्त में वह स्कोर शीट पर अंक दर्ज करता है और चेज़रों का स्कोर तैयार करता है। मैच के अन्त में वह परिणाम तैयार करता है और रैफरी को सुनाने के लिए देता है।
    SCORE SHEET
    खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
    खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical खो-खो (Kho-Kho)

प्रश्न 1.
खो-खो में कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
खो-खो में 12 खिलाड़ी होते हैं जिनमें से 9 खिलाड़ी खेलते हैं और तीन खिलाड़ी अतिरिक्त (Substitutes) होते हैं।

प्रश्न 2.
खो-खो के मैदान की लम्बाई और चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
खो-खो के मैदान की लम्बाई 29 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर होती है।

प्रश्न 3.
खो-खो के खेल में चेज़र और रनर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
खो-खो के खेल में चेज़र (Chaser) उसे कहते हैं जो खिलाड़ी बैठते हैं और रनर (Runner) वे होते हैं, जो दौड़ते हैं।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 4.
खो-खो के मैच में कितनी इनिंग्ज होती हैं ?
उत्तर-
खो-खो के मैच में दो इनिंग्ज़ होती हैं।

प्रश्न 5.
खो-खो के खेल का कितना समय होता है ?
उत्तर-
खो-खो के खेल का समय 9-5-9, 10 आराम, 9-5-9 की दो पारी होंगी।

प्रश्न 6.
मैच कैसे शुरू होता है ?
उत्तर-
मैच शुरू करने से पहले टॉस होता है। टॉस जीतने वाली टीम चेज़र या रनर की बारी का फ़ैसला करती है।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 7.
रनर के आऊट होने पर कितने अंक मिलते हैं ?
उत्तर-
रनर के आऊट होने पर एक अंक मिलता है।

प्रश्न 8.
जीत-हार का फैसला कैसे होता है?
उत्तर-
जो टीम अधिक प्वाइट बना ले उसे विजयी कहते हैं।

प्रश्न 9.
खो-खो के खेल में कितने वर्ग होते हैं और उनका आकार कितना होता
उत्तर-
खो-खो के खेल में 8 वर्ग या पट्टियां होती हैं जिनका आकार 30 cm × 30 cm होता है।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 10.
क्या खो-खो की खेल लॉबी होती है ? उसकी चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
खो-खो की खेल लॉबी होती है जिसकी चौड़ाई 3 मीटर होती है।

प्रश्न 11.
खो-खो के पोल की लम्बाई और घेरा बताओ।
उत्तर-
खो-खो के पोल की लम्बाई 1.22 मीटर और घेरा 20 सैंटीमीटर होता है।

प्रश्न 12.
खो-खो की पोल से पोल की लम्बाई कितनी होती है ?
उत्तर-
खो-खो के पोल से पोल की लम्बाई 24.40 मीटर होती है।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 13.
खो-खो के खेलाने वाले अधिकारियों की कुल गिनती बताओ।
उत्तर-
दो अम्पायर, एक रैफ़री, एक टाइम कीपर, एक स्कोरर।

प्रश्न 14.
खो-खो के खेल में खिलाड़ी कैसे आऊट माना जाता है ?
उत्तर-
जब चेज़र रनर को हाथ लगा दे या रनर अपने आप मैदान से बाहर चला जाए तो आऊट माना जाता है।

प्रश्न 15.
खो-खो के मुख्य 5 फाऊल बताओ।
उत्तर-
मुख्य फाऊल निम्नलिखित हैं—

  1. खो देने से पहले उठना।
  2. सैंटर लाइन कट करनी।
  3. पोल को हाथ लगाए बिना मुड़ना।
  4. चेज़र का ग़लत भागना।
  5. भागने वाला अपने-आप बाहर चला जाए।

खो-खो (Kho-Kho) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 16.
खो-खो की खेल में बराबर होने की हालत क्या होती है?
उत्तर-
यदि खो-खो की खेल में टीमें बराबर रह जाएं तो फिर एक-एक इनिंग्ज़ और लगाई जाती है। यदि फिर भी बराबर रह जाए तो एक और इनिंग्ज़ लगाई जाएगी। यदि फिर भी बराबर रह जाए तो मैच दोबारा खेला जाएगा।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

PSEB 10th Class Agriculture Guide कृषि सहयोगी संस्थाएं Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब राज्य स्तर पर कृषि उत्पादों की खरीद कौन-सी केन्द्रीय संस्था करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम, भारतीय खाद्य निगम।

प्रश्न 2.
कृषि उत्पादों का निर्यात किस निगम की ओर से किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड (PAGREXCO)।

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि उद्योग निगम तथा पंजाब मंडी बोर्ड की बराबर की भागीदारी से स्थापित की गई संस्था का नाम बताइए।
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड (PAGREXCO)।

प्रश्न 4.
पंजाब बागवानी विभाग कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर-
यह विभाग 1979-80 में स्थापित किया गया।

प्रश्न 5.
राज्य में पशु पालन, मछली पालन आदि खोज, शिक्षा तथा प्रसार का काम कौन करता है ?
उत्तर-
गुरु अंगद देव वेटरनरी तथा एनीमल साईंसज़ यूनिवर्सिटी।

प्रश्न 6.
सहकारिता क्षेत्र में खादों में सबसे बड़ी तथा अग्रणी संस्था कौन-सी
उत्तर-
इंडियन फार्मरज़ फर्टीलाइज़र कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO)।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन की स्कीमें किस संस्था की ओर से लागू की जाती हैं ?
उत्तर-
बागवानी विभाग।

प्रश्न 8.
बीज की गुणवत्ता की परख करने के लिए एन०एस०सी० की कितनी बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं ?
उत्तर-
पांच प्रयोगशालाएं।

प्रश्न 9.
किसानों को बीज उत्पादन में भागीदार बनाने वाले निगम का नाम लिखिए।
उत्तर-
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड (PUNSEED)।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

प्रश्न 10.
दूध की खरीद तथा मंडीकरण के लिए सहकारी संस्था का नाम बताइए।
उत्तर-
मिल्कफैड।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड कौन-से कृषि उत्पादों का मुख्य तौर पर निर्यात करती है ?
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड मुख्य रूप से निम्नलिखित कृषि उत्पादों का निर्यात करती है

  • ताज़ा तथा डिब्बाबंद फल।
  • सब्जियों तथा फूलों का निर्यात।

प्रश्न 2.
इफको की ओर से किसानों को कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
यह संस्था कृषकों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाने का कार्य करती है। यह उर्वरकों के मण्डीकरण के साथ-साथ कई तरह की प्रसार विधियों द्वारा कृषकों तक नई कृषि तकनीकों को पहुंचाता है।

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि उद्योग निगम के मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम के मुख्य कार्य हैं-कृषि संबंधी वस्तुओं का मण्डीकरण, कृषि उत्पादों की खरीद तथा इकरारनामे की कृषि द्वारा कृषि विभिन्नता लाने में सहायता करना। यह संस्था भारतीय खाद्य निगम के लिए गेहूं-चावल की खरीद के लिए भी कार्य करती है।

प्रश्न 4.
सहकारिता विभाग, पंजाब की ओर से चलाई जा रहीं कोई दो गतिविधियां लिखिए।
उत्तर-
सहकारिता विभाग, पंजाब द्वारा चलाई जा रही गतिविधियां हैं –

  • माई भागो स्त्री सशक्तिकरण योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र की औरतों के लिए स्व-रोज़गार के अवसर प्रदान करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सहकारिता सभाओं द्वारा आवश्यक घरेलू वस्तुओं की पूर्ति करना।

प्रश्न 5.
मार्कफैड किसानों की किस तरह सेवा कर रहा है ?
उत्तर-
मार्कफैड द्वारा पंजाब के कृषकों को सस्ते दामों पर कृषि बीज, खाद, कीटनाशक दवाएं आदि उपलब्ध करवाई जाती हैं तथा कृषि उपज के मंडीकरण तथा प्रोसेसिंग का कार्य किया जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विद्यालय कौन-कौन से मुख्य तीन कार्य करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विद्यालय द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-कृषि तथा कृषि संबंधी विषयों पर खोज, कृषि से संबंधित विषयों की पढ़ाई तथा प्रसार।

प्रश्न 7.
फूड एण्ड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (FAO) के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर-
इस संस्था की संस्थापना 1943 में की गई। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व में से भूखमरी को समाप्त करने के लिए बनाया गया। इसका मुख्य कार्यालय रोम (ईटली) में है। विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनाज सुरक्षा को विश्वसनीय बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है। प्राकृतिक स्रोतों की संभाल भी इसी का कार्य है।

प्रश्न 8.
विश्व व्यापार संस्था (WTO) को बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
WTO को बनाने का मुख्य उद्देश्य इस तरह है –

  • कृषि नियमों की बिक्री पर लगी पाबंदी को समाप्त करना।
  • कृषि उत्पादों के निर्यात पर मिलने वाली सुविधाओं को कम करना।
  • किसानों को कृषि आवश्यकताओं के लिए दिए अनुदान अथवा रियायतों को कम करना या बिल्कुल बंद करना।
  • निर्यात कोटा प्रणाली समाप्त करके निर्यात संबंधी सुचारु नीति अपनाना।

प्रश्न 9.
एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) का गठन क्यों किया गया ?
उत्तर-
जिले में कृषि तथा कृषि से संबंधित भिन्न-भिन्न विभागों की कृषि विकास तथा प्रसार से संबंधित गतिविधियों के तालमेल के लिए कृषि विभाग के अन्तर्गत कृषि टैकनोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) का गठन किया गया है।

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प्रश्न 10.
पंजाब खादी तथा ग्राम उद्योग बोर्ड बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण उद्योगों तथा अन्य रोज़गार शुरू करने के लिए सहायता प्रदान करना है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
डेयरी विकास के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पंजाब में डेयरी विकास के सर्वपक्षीय विकास के लिए डेयरी विकास विभाग की स्थापना की गई है। इस विभाग के प्रमुख को डायरैक्टर डेयरी विकास कहा जाता है तथा जिला स्तर पर डिप्टी डायरैक्टर डेयरी विकास कहा जाता है। इस विभाग द्वारा डेयरी प्रशिक्षण, डेयरी फार्मिंग का विस्तार तथा विकास आदि के कार्य किए जाते हैं। इस विभाग द्वारा पंजाब में आठ डेयरी प्रशिक्षण तथा विस्तार केन्द्र चलाए जाते हैं। भिन्न-भिन्न डेयरी संबंधी कार्यों के लिए दो सप्ताह, छ: सप्ताह की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है। गांव में कैम्प लगाकर डेयरी फार्मिंग के लाभ बताए जाते हैं तथा किसानों को डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय अपनाने की प्रेरणा दी जाती है। शहरों में कैम्प लगाकर दूध उपभोक्ताओं को दूध की गुणवत्ता तथा इसमें मिलावटों संबंधी जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण प्राप्त लाभार्थी को बैंक से ऋण दिलवाया जाता है तथा तकनीकी जानकारी तथा अनुदान भी उपलब्ध करवाया जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब कृषक आयोग के अस्तित्व में आने के मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब कृषक आयोग के अस्तित्व में आने का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है-

  • राज्य में कृषि तथा कृषि संबंधित क्षेत्रों की जांच तथा उनकी वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना है।
  • राज्य की कृषि को पक्के रूप से टिकाऊ तथा आर्थिक पक्ष से मज़बूत करने के लिए सुझाव देना भी है।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि करना, कटाई के बाद उत्पाद की संभाल तथा प्रोसेसिंग के लिए कम लागत वाली नई तकनीकों को विकसित करके लागू करने के लिए मार्गदर्शन करना।
  • ग्रामीण क्षेत्र के सामाजिक तथा आर्थिक मुद्दों-जैसे कि बढ़ते हुए ऋण, आत्महत्या की घटनाएं, गांव में बढ़ती बेरोज़गारी आदि की खोज के लिए आर्थिक सहायता देना है तथा इस आधार पर सरकार को उचित नीतियां बनाकर सिफारिश करना है।
  • किसानों की भिन्न-भिन्न सभाओं तथा संगठनों के प्रतिनिधियों को मिलकर उनकी समस्याओं, कठिनाइयों तथा मांगों को समझ कर, हल करने के लिए योग्य नीतियों की सिफ़ारिश करना।

प्रश्न 3.
पंजाब एग्रो औद्योगिक कार्पोरेशन के मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब एग्रो औद्योगिक कार्पोरेशन (पंजाब कृषि उद्योग निगम-PAIC) को पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2002 में स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है-

  • कृषि लागत वस्तुओं का मंडीकरण।
  • कृषि उत्पादों की खरीद तथा इकरारनामे की कृषि द्वारा कृषि विभिन्नता लाने में सहायता करना।
  • भारतीय खाद्य निगम के लिए गेहूँ चावल की खरीद के लिए कार्य करना।

प्रश्न 4.
गुरु अंगद देव वेटरिनरी विश्वविद्यालय पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर-
गुरु अंगद देव वेटरिनरी तथा एनीमल साईंसज़ विश्वविद्यालय (GADVASU) की स्थापना 2005 में की गई। इसका कार्य पशु, सुअर, खरगोश, मुर्गी, भेड़ बकरी, घोड़े तथा मछली पालन के लिए खोज, शिक्षा तथा प्रसार करना है। यहां बड़े-छो जानवरों के लिए उच्च स्तरीय अस्पताल हैं जहां 24 घंटे पशुओं का इलाज किया जाता है। यहां पशुओं के डॉक्टरों की शिक्षा/पढ़ाई करवाई जाती है।

वैटरिनरी विश्वविद्यालय में वेटरनरी कॉलेज, डेयरी साईंस तथा तकनालाजी कॉलेज, मछली पालन कॉलेज, वैटरिनरी पालीटेकनिक नाम के 4 कालेज खोले गए हैं। वैटरिनरी कालेज में आई०सी०ए०आर० द्वारा सर्जरी तथा गायनाकालजी के दो विभाग भी कार्य कर रहे हैं। पंजाब में कालझरानी (बठिंडा), बुह (तरनतारण) तथा तलवाड़ा (होशियारपुर) में तीन क्षेत्रीय खोज तथा प्रशिक्षण केन्द्र भी स्थापित किए गए हैं। यह विश्वविद्यालय पंजाब में वैटरिनरी तथा पशु-पालन के लिए प्रत्येक प्रकार की सुझाव देने के लिए एक सर्वोत्तम संस्था है।

प्रश्न 5.
डेयरी विकास विभाग की ओर से डेयरी के विकास के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
डेयरी विकास विभाग द्वारा डेयरी से संबंधित कार्यों तथा गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा लाभार्थियों को बैंकों से ऋण दिलाया जाता है तथा भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए अनुदान भी दिया जाता है जो निम्नलिखित अनुसार है-

  • शैड बनाने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ 25% अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाती है।
  • दूध देने वाले पशु खरीदने के लिए सहायता तथा तीन वर्ष के बीमे की लागत का 75% लाभार्थी को वापिस जाता है।
  • बड़े दूध कूलर की खरीद पर 50% अनुदान राशि।
  • मिल्किंग मशीन तथा चारा काटने तथा कुतरने वाली मशीनों की खरीद पर 50% अनुदान राशि।
  • आटोमैटिक डिसपैंसिंग मशीन, टोटल मिक्स राशन वैगन (TMR wagon) तथा किराए पर मशीन देने के लिए डेयरी सर्विस सैंटर स्थापित करने के लिए 50% अनुदान राशि दी जाती है।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB कृषि सहयोगी संस्थाएं Important Questions and Answers

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
एगमार्क प्रयोगशाला में ……… की गुणवत्ता की जांच होती है।
(क) हल्दी
(ख) शहद
(ग) मिर्च
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
भारत कैसा देश है?
(क) कृषि प्रधान
(ख) खेल प्रधान
(ग) उद्योग आधारित
(घ) सभी गलत।
उत्तर-
(क) कृषि प्रधान

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
(क) 1962 में
(ख) 1971 में
(ग) 1950 में
(घ) 1990 में।
उत्तर-
(क) 1962 में

प्रश्न 4.
WTO द्वारा मान्य अनुदान राशि की दर कितनी है?
(क) 5%
(ख) 25%
(ग) 10%
(घ) 19%.
उत्तर-
(ग) 10%

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प्रश्न 5.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) कौन-से शहर में स्थित है ?
(क) लुधियाना
(ख) बठिंडा
(ग) पटियाला
(घ) जालंधर।
उत्तर-
(क) लुधियाना

प्रश्न 6.
पंजाब में दूध की खरीद व विपणन के लिए स्थापित की गई सहकारी संस्था का नाम बताओ।
(क) मार्कफेड
(ख) हाऊसफेड
(ग) मिल्कफेड
(घ) शुगरफेड।
उत्तर-
(ग) मिल्कफेड

प्रश्न 7.
पंजांब डेयरी विकास बोर्ड की वेबसाइट का नाम क्या है ?
(क) www.gadvasu.in
(ख) www.pddb.in
(ग) www.ndri.res.in
(घ) www.pau.edu.
उत्तर-
(ख) www.pddb.in

प्रश्न 8.
गुरु अंगद देव वेटनरी एवं एनीमल साईंसेज़ यूनिवर्सिटी की वेबसाइट का नाम क्या है ?
(क) www.gadvasu.in
(ख) www.pddb.in
(ग) www.ndri.res.in
(घ) www.pau.edu.
उत्तर-
(क) www.gadvasu.in

प्रश्न 9.
मिल्कफेड के द्वारा गाँवों में से किस पदार्थ की खरीद की जाती है-
(क) गेहूँ
(ख) नरमा
(ग) दूध
(घ) फल।
उत्तर-
(ग) दूध

प्रश्न 10.
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है?
(क) लुधियाना
(ख) पालमपुर
(ग) हिसार
(घ) करनाल।
उत्तर-
(ग) हिसार

प्रश्न 11.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है ?
(क) लुधियाना
(ख) पालमपुर
(ग) हिसार
(घ) करनाल।
उत्तर-
(क) लुधियाना

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प्रश्न 12.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है?
(क) लुधियाना
(ख) चंडीगढ़
(ग) हिसार
(घ) पटियाला।
उत्तर-
(ग) हिसार

II. ठीक/गलत बताएं-

1. कृषि विभाग के अधीन आतमा (ATMA) का भी गठन किया गया।
2. गडवासु में 24 घण्टे पशुओं का इलाज होता है।
3. गडवासु की वैवसाइट www.gadvasu.in है।
4. पंजाब में भिन्न-भिन्न स्थानों पर आठ डेयरी शिक्षण तथा विस्तार केन्द्र हैं।
5. पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड की स्थापना 1990 में की गई।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. गलत।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. डॉ० जी० एस० कालकट की प्रधानता में ………………. आयोग का गठन किया गया।
2. कृभको संस्था की स्थापना वर्ष ………………. में की गई।
3. FAO का मुख्य कार्यालय …………………. में है।
4. राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना वर्ष ……………… में की गई।
5. भूमि तथा जल संरक्षण विभाग की स्थापना ………….. में की गई।
6. W.T.O. द्वारा तय की गई सब्सिडी की दर ………….. है।
उत्तर-

  1. पंजाब राज्य कृषक
  2. 1980
  3. रोम (इटली)
  4. 1963
  5. 1969.
  6. 6.10%.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत कैसा देश है ?
उत्तर-
भारत कृषि प्रधान देश है।

प्रश्न 2.
कृषि विभाग का प्रमुख कौन होता है ?
उत्तर-
डायरैक्टर कृषि विभाग।

प्रश्न 3.
कृषि विभाग द्वारा शहद, हल्दी, मिर्च आदि की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रयोगशाला बताओ।
उत्तर-
एगमार्क प्रयोगशाला।

प्रश्न 4.
कृषि विभाग का प्रमुख तथा जिले का प्रमुख कौन है ?
उत्तर-
विभाग का प्रमुख डायरैक्टर कृषि तथा जिले में प्रमुख कृषि अधिकारी होता है।

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प्रश्न 5.
जिले में कृषि तथा कृषि से संबंधित भिन्न-भिन्न विभागों की कृषि विकास तथा प्रसार से संबंधित गतिविधियों के तालमेल के लिए कृषि विभाग द्वारा किसका गठन किया गया है ?
उत्तर-
आतमा (ATMA-Agriculture Technology Management Agency) का गठन किया गया है।

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 1962 में।

प्रश्न 7.
पी०ए०यू० की स्थापना कौन-से कालेज के आधार पर की गई ?
उत्तर-
अमेरिका के लैंड ग्रांट्स कॉलेजों के आधार पर।

प्रश्न 8.
वैटरनरी विश्वविद्यालय में पशुओं का इलाज कितने घंटे तक उपलब्ध है ?
उत्तर-
24 घंटे के लिए।

प्रश्न 9.
वैटरनरी विश्वविद्यालय के कितने कॉलेज हैं ?
उत्तर-
चार।

प्रश्न 10.
वैटरनरी कॉलेज में 15 वर्षों से आई०सी०ए०आर० द्वारा कौन से दो विभाग अत्याधुनिक ट्रेनिंग केन्द्र घोषित किए गए हैं ?
उत्तर-
सर्जरी तथा गायनाकालाजी विभाग।

प्रश्न 11.
बागवानी विभाग कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर-
वर्ष 1979-80 में।

प्रश्न 12.
बागवानी विभाग का एक उद्देश्य बताओ।
उत्तर-
बागवानी फसलों के तहत क्षेत्रफल बढ़ाना।।

प्रश्न 13.
बागवानी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन कब से चलाया जा रहा
उत्तर-
वर्ष 2005-06 से।

प्रश्न 14.
डेयरी विकास विभाग द्वारा पंजाब में कितने डेयरी प्रशिक्षण तथा विस्तार केन्द्र चलाए जाते हैं ?
उत्तर-
आठ केन्द्र।

प्रश्न 15.
डेयरी विकास विभाग द्वारा स्व:रोज़गार के लिए कितने सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है ?
उत्तर-
दो सप्ताह की।

प्रश्न 16.
खरीदे हुए दूध वाले पशुओं के तीन वर्ष के बीमे की लागत का कितना प्रतिशत लाभार्थी को वापिस किया जाता है ?
उत्तर-
75%.

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प्रश्न 17.
मिल्किंग मशीन तथा चारा काटने तथा कुतरने वाली मशीन की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान राशि दी जाती है ?
उत्तर-
50%.

प्रश्न 18.
मछली पालन को उत्साहित करने के लिए मछली पालक विकास एजेंसीज़ फिश फार्मर्ज़ डिवैलपमैंट एजेंसीज़ कब बनाई गई ?
उत्तर-वर्ष 1975 में।

प्रश्न 19.
मछली पालन विभाग द्वारा प्रत्येक माह जिला स्तर पर मुफ्त मछली पालन ट्रेनिंग कितने दिनों की दी जाती है ?
उत्तर-पांच दिनों की।

प्रश्न: 20:
भूमि तथा जल संभाल विभाग कब स्थापित किया गया ?
उत्तर-
वर्ष 1969 में।

प्रश्न 21.
भूमि तथा जल संभाल विभाग के प्रमुख को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
भूमि पाल, पंजाब तथा ब्लॉक स्तर पर भूमि रक्षक अफसर।

प्रश्न 22.
सहकारिता विभाग की स्थापना कब तथा कौन-सा एक्ट बनने से हुई ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग की स्थापना 1904 में सहकारिता एक्ट बनने से हुई।

प्रश्न 23.
भाई घनैया स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत मुफ्त इलाज की सुविधा कौन से विभाग द्वारा चलाई गई है ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग द्वारा।

प्रश्न 24.
ग्रामीण क्षेत्र में दूध की पैदावार की खरीद, प्रोसैसिंग तथा शहरी क्षेत्र में इसके मंडीकरण का प्रबंध किस द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
मिल्कफैड द्वारा।

प्रश्न 25.
IFFCO का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
इंडियन फारमर्ज फर्टीलाइज़र कोआपरेटिव लिमिटेड।

प्रश्न 26.
KRIBCO का पूर्ण नाम लिखें।
उत्तर-
कृषक भारतीय कोआपरेटिव लिमिटेड।

प्रश्न 27.
NFL का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
नैशनल फर्टीलाइज़र लिमिटेड।

प्रश्न 28.
पंजाब राज्य किसान कमीशन का गठन किसकी अध्यक्षता में हुआ ?
उत्तर-
डॉ० जी० एस० कालकट।

प्रश्न 29.
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड कब स्थापित हुआ ?
उत्तर-
1976 में।

प्रश्न 30.
राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
1963 में।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय बीज निगम लगभग कितनी फसलों के कितनी प्रकार के प्रमाणित बीजों का उत्पादन कर रही है ?
उत्तर-
60 फसलों के 600 किस्मों के प्रमाणित बीजों का।

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प्रश्न 32.
NSC ने बीज की गुणवत्ता की जांच के लिए कितनी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं ?
उत्तर-
पांच जांच प्रयोगशालाएं।

प्रश्न 33.
पौधों के टिशु कल्चर का काम कौन-सी संस्था द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा।

प्रश्न 34.
कौन-सी संस्था भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए गेहूँ चावल की खरीद का कार्य करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम।

प्रश्न 35.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) का मुख्य कार्यालय कहां
उत्तर-
दिल्ली में।

प्रश्न 36.
भारतीय खोज संस्था की लगभग कितनी संस्थाएं हैं तथा कितने कृषि विश्वविद्यालय हैं ?
उत्तर-
भारतीय खोज संस्था की 101 संस्थाएं हैं तथा 71 कृषि विश्वविद्यालय हैं।

प्रश्न 37.
नैशनल बैंक आफ एग्रीकल्चरल एंड रूरल डिवैलपमैंट (NABARD) की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
1982 में।

प्रश्न 38.
नावार्ड का मुख्य कार्यालय कहां है ?
उत्तर-
मुम्बई में।

प्रश्न 39.
GATT कब बनाई गई ?
उत्तर-
वर्ष 1948 में।

प्रश्न 40.
GATT के कितने सदस्य थे तथा अब कितने हैं ?
उत्तर-
आरंभ में 23 सदस्य थे तथा अब 164 हैं।

प्रश्न 41.
GATT का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
जनरल एग्रीमैंटस आन टैरिफ एंड ट्रेड (General Agreements on Tarrift and Trade)|

प्रश्न 42.
GATT का नाम बदल कर क्या रखा गया ?
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संस्था (World Trade Organisation).

प्रश्न 43.
WTO द्वारा अनुदान राशि की दर कितनी है ?
उत्तर-
10%.

प्रश्न 44.
FAO का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन।

प्रश्न 45.
FAO की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
वर्ष 1943 में।

प्रश्न 46.
FAO का मुख्य कार्यालय कहां है ?
उत्तर-
रोम (इटली) में।

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प्रश्न 47.
I.C.A.R. का पूरा नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्।

प्रश्न 48.
W.T.O. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संस्था।

प्रश्न 49.
डेयरी विकास विभाग की ओर से दूध निकालने वाली (मिल्किग) मशीन की खरीद पर कितने प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है ?
उत्तर-
50%.

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि विभाग के बारे में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
कृषि विभाग की स्थापना 1881 में की गई तथा इस विभाग की पंजाब के कृषि विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह विभाग कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषकों के बीच कड़ी का कार्य करता है। कृषि से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए यह संस्था उत्तरदायी है। इस विभाग द्वारा मिट्टी, बीज, खादों, खाने वाले पदार्थों की जांच के लिए प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं। कृषि विकास तथा प्रसार के लिए संबंधित गतिविधियों में तालमेल के लिए विभाग के अन्तर्गत ATMA का गठन किया गया है।

प्रश्न 2.
बागवानी विभाग के मुख्य उद्देश्य बताओ।
अथवा
बागवानी विभाग, पंजाब की ओर से किए जाने वाले कोई चार कार्य लिखें।
उत्तर-
बागवानी विभाग के मुख्य उद्देश्य अथवा कार्य इस प्रकार हैं –

  • बागवानी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाना।
  • उच्च स्तरीय बढ़िया गुणवत्ता वाली सब्जियों के बीज तथा फलों की पनीरी आदि उपलब्ध करवाना।
  • बागवानी फसलों का तकनीकी ज्ञान किसानों तक पहुंचाना।
  • सब्जियों के प्रदर्शनी प्लांटों के लिए आर्थिक सहायता देना।

प्रश्न 3.
गडवासु के चार कॉलेज कौन-से हैं ?
उत्तर-
गडवासु के चार कॉलेज हैं-वैटरनरी कॉलेज, डेयरी साईंसज़ तथा टैक्नालॉजी साईंस, मछली पालन कालेज, वैटरनरी पॉलिटेकनीक।

प्रश्न 4.
बागवानी विभाग द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय बागवानी मिशन के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
बागवानी विभाग द्वारा वर्ष 2005-06 से एक राष्ट्रीय बागवानी मिशन शुरू किया गया है। इस मिशन द्वारा किसानों को पैक हाऊस, नैट हाऊस, पोली हाऊस बनाने, कोल्ड स्टोरेज़ बनाने, सब्जियों तथा फलों को पकाने के लिए चैंबर स्थापित करना, विक्रय मूल्य में वृद्धि करने के लिए प्रोसैसिंग इकाइयों की स्थापना करना, किसानों को प्रशिक्षित करना आदि कई कार्य किए जाते हैं।

प्रश्न 5.
पशु पालन विभाग के कुछ उद्देश्य बताओ।
उत्तर-

  • पशु पालन प्रबन्ध तथा खाद्य में सुधार।
  • पशुओं की पैदावार समर्था बढ़ाने तथा नस्ल सुधार का कार्य करना।
  • प्रसार सेवाएं प्रदान करना।

प्रश्न 6.
मार्कफैड की ओर से किसानों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाती हैं?
उत्तर-
मार्कफैड द्वारा पंजाब के किसानों को सस्ते दामों पर कृषि बीज, उर्वरक, कीट नाशक दवाइयां आदि उपलब्ध की जाती हैं तथा कृषि उत्पाद के मण्डीकरण तथा प्रोसैसिंग का कार्य किया जाता है।

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प्रश्न 7.
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड का मुख्य उद्देश्य क्या है ? इसकी स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
इस संस्था की स्थापना 1976 में हुई तथा इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को गुणवत्ता वाले बीज सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाना तथा बीज पैदावार तथा देख-रेख का ढांचा तैयार करना है ताकि बीज़ों की बढ़ रही मांग को पूरा किया जा सके।

प्रश्न 8.
सहकारिता विभाग पंजाब की ओर से किसानों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग द्वारा स्थापित संस्थाओं द्वारा बीजों, खादों तथा ऋण के वितरण में सहायता की जाती है। कृषि उपज का मण्डीकरण, दूध की पैदावार की खरीद, प्रोसैसिंग तथा शहरी क्षेत्र में मण्डीकरण आदि में योगदान दिया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मछली पालन विभाग के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मछली पालन विभाग पंजाब में सबसे पुराने विभागों में से एक है। इस विभाग का मुख्य उद्देश्य नदियों, झीलों, नहरों तथा नोटीफाइड वाटर वॉडीज में मछलियों की संभाल करना है। इस विभाग का उत्तरदायित्व सहायक डायरैक्टर फिशरी के पास होता है। आमदन पैदा करने के लिए विभाग इन स्रोतों को ठेके पर देता है। मछली पालने को उत्साहित करने के लिए 1975 में मछली पालन एजेंसी की स्थापना की गई तथा नए मछली उत्पत्ति फार्म बनाए गए। इस प्रकार राज्य में मछली पालन में क्रान्ति आई। मछली पालन विभाग द्वारा हर माह जिला स्तर पर पांच दिनों की मुफ्त मछली पालन ट्रेनिंग दी जाती है। यह विभाग मछली पालकों को ऋण सबसिडी तथा प्रसार सेवाएं भी देता है।

प्रश्न 2.
कृषि से संबंधित दस सहयोगी संस्थाओं के नाम लिखो।
उत्तर-

  • कृषि विभाग
  • पशुपालन विभाग
  • डेयरी विकास विभाग
  • बागवानी विभाग
  • मछली पालन विभाग
  • सहकारिता विभाग
  • पंजाब कृषि उद्योग निगम
  • पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था
  • राष्ट्रीय बीज निगम।

कृषि सहयोगी संस्थाएं PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • भारत एक कृषि प्रधान देश है। |
  • पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी वर्ष 1962 में अमेरिका के लैंड ग्रांटस कालेजों के मॉडल के आधार पर स्थापित की गई।
  • गुरु अंगद देव वेटरिनरी तथा एनीमल साईसिज़ यूनिवर्सिटी वर्ष 2005 में स्थापित की गई।
  • बागवानी विभाग को वर्ष 1979-80 में कृषि विभाग से अलग करके स्थापित किया गया।
  • बागवानी विभाग द्वारा 2005-06 से राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) चलाया जा रहा है।
  • पशुधन से संबंधित कार्यों के लिए पशु पालन विभाग की स्थापना की गई।
  • डेयरी विकास विभाग, पंजाब में डेयरी के सर्वांगीण विकास के लिए उत्तरदायी है।
  • इस विभाग द्वारा पंजाब में भिन्न-भिन्न स्थानों पर आठ डेयरी प्रशिक्षण तथा विस्तार केन्द्र चलाए जाते हैं।
  • मछली पालन विभाग की तरफ से मछली पालन को उत्साहित करने के लिए 1975 में मछली पालक विकास एजेंसी बनाई गई तथा नए मछली उत्पत्ति फार्म भी बनाए गए।
  • भूमि तथा जल संरक्षण विभाग की स्थापना 1969 में की गई।
  • सहकारिता विभाग पंजाब की स्थापना वर्ष 1904 में सहकारिता एक्ट बनने से हुई।
  • वर्ष 1976 में पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड की स्थापना की गई।
  • पंजाब कृषि उद्योग निगम (PAIC) की स्थापना पंजाब सरकार द्वारा 2002 में की गई।
  • पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड (PAGREXCO), पंजाब कृषि उद्योग निगम तथा पंजाब मंडी बोर्ड की बराबर की भागीदारी की इकाई है।
  • पंजाब कृषि उद्योग निगम की स्थापना 2002 में की गई।
  • पंजाब राज्य कृषक आयोग का संगठन पंजाब सरकार ने वर्ष 2005 में डॉ० जी० एस० कालकट की अध्यक्षता में किया।
  • वर्ष 1967 में बना संस्थान इंडियन फार्मरज़ फर्टीलाइज़र कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) विश्व में सबसे बड़ा सहकारी संस्थान है।
  • नैशनल फर्टीलाइजर लिमिटेड (NFL) वर्ष 1974 में यूरिया के लिए स्थापित हुई केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था है।
  • कृषक भारतीय कोआपरेटिव लिमिटेड (KRIBCO) को वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। यह संस्था मुख्य रूप से यूरिया खाद की पैदावार के लिए बनाई गयी है।
  • भारतीय खाद्य निगम की स्थापना खाद्य निगम अधिनियम 1964 के अधीन की गई।
  • राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित बीजों की पैदावार के लिए 1963 में राष्ट्रीय बीज । निगम (National Seeds Corporation NSC) की स्थापना की गई।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था एक स्वायत्त संस्था है।
  • नैशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डिवैलपमैंट (NABARD) की स्थापना 1982 में की गई।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सही ढंग से चलाने के लिए वर्ष 1948 में GATT संस्था बनाई गई तथा बाद में इसका नाम बदल कर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संस्था (WTO) रख दिया गया।
  • फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (FAO) को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व में से भूखमरी को समाप्त करने के लिए 1943 में बनाया गया।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 5 रचनात्मक सोच

PSEB 10th Class Welcome Life Guide रचनात्मक सोच Textbook Questions and Answers

नोट-इस अध्याय के पाठ संबंधी प्रश्न नहीं हैं।

पाठ पर आधारित प्रश्न

प्रश्न 1.
स्कूल के पेड़ के हिस्से कौन हैं?
उत्तर-
प्रिंसीपल, शिक्षक, चपरासी, क्लर्क, छात्र, प्रबंधन सभी स्कूल के पेड़ के हिस्से हैं।

प्रश्न 2.
इस परिवार रूपी वृक्ष के फूल कौन होते हैं?
उत्तर-
इस परिवार रूपी वृक्ष के फूल विद्यार्थी होते हैं, जिनसे स्कूल रूपी वृक्ष सुंदर लगता है।

प्रश्न 3.
स्कूल के पेड़ के फूल दुनिया में अपनी खुशबू कैसे फैलाते हैं?
उत्तर-
यह फूल अच्छी शिक्षा प्राप्त करके, व्यक्तिगत प्रगति कर, अच्छे अंक प्राप्त कर इत्यादि से पूरी दुनिया में अपनी खुशबू फैला सकते हैं।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच

प्रश्न 4.
क्या आप अपने परिवार के पेड़ को प्यार, सम्मान, समय और सहयोग से खींचते हैं? यदि हाँ तो कैसे सहयोग देते हो?
हाँ PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 1 नहीं PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 1 यदि हाँ, तो कैसे ………….

उत्तर-
हाँ, हम अपने परिवार के पेड़ को प्यार, सम्मान, समय और सहयोग के साथ खींचते हैं। हम परिवार के सदस्यों को प्यार देते हैं और लेते हैं। हम बड़ों का सम्मान करते हैं और छोटों को भी सम्मान देते हैं। हमने एक-दूसरे के साथ समय बिताया, उनकी समस्याओं को सुना, ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाया। हम हमेशा अपना काम करने के लिए माता-पिता का सहयोग करते हैं। जिसमें सभी कार्य जल्दी पूर्ण हो जाते हैं। एकल परिवार, संयुक्त परिवार को दिए गए और लिए गए सहयोग का विस्तार।
PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 2
नोट- यह विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
क्या आप ‘स्कूल परिवार’ के साथ सहयोग देते हो?
हाँ PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 1 नहीं PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 1 यदि हाँ, तो विस्तार से बताएं ……..
PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच 3
उत्तर-
यह विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 6.
जब ज़रूरत पड़ने पर आपकी कोई मदद करता है तो आप कैसा महसूस करते हो?
उत्तर-
बहुत अच्छा लगता है जब कोई हमारी संकट में मदद करता है क्योंकि उस समय हमारी हालत अच्छी नहीं होती। उस समय तिनके का सहारा बहुत होता है। उस व्यक्ति ने तो हमारी बहुत मदद की होती है क्योंकि उसकी मदद से हम मुसीबत से बाहर निकल आते हैं इसलिए हमें बहुत अच्छा लगता है और हम इस बात को भूलते नहीं।

इनके लिए आप कैसे सहयोग करेंगे इनके लिए आप कैसे काम करेंगे
परिवार कक्षा
बुजुर्गों स्कूल
युवाओं सहपाठियों से
समाज ज़रूरतमंद

उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच

आइए ! आनन्द मान

  1. सहयोगी बनें सबके, सहयोगी बनें सबके,
    ज़रूरतमंद की ताकत बनो, यदि बंदे हो रब्ब के।
  2. ताकत किसी की यदि है अपूर्ण, ताकत किसी की यदि है अपूर्ण,
    साथ खड़े हो जाओ आप, फिर हो जाएगी संपूर्ण ।
  3. रीत वैर की पाओ न, रीत वैर की पाओ ना,
    मिल-जुल कर रहो सदा, बुरा किसी का चाहो ना।
  4. अलग से चूल्हा यदि जलाएंगा, अलग से चूल्हा यदि जलाएंगा,
    हाथ में कुछ नहीं आना, अपनी जिंदगी गलाएंगा।
  5. यदि अलग से बीन बजाएंगा, यदि अलग से बीन बजाएंगा,
    वैरी हल्ला बोलेगा, फिर पीछे पछताएंगा।
  6. काम आओ! वारो वारी जी, काम आओ! वारो वारी जी,
    आपसी सहयोग हो तो, कभी बाज़ी नहीं हारी जी।
  7. गाड़ी चले जैसे तारों से, गाड़ी चले जैसे तारों से,
    वैसे ही समाज चले, सहयोगी परिवारों से।
  8. मुट्ठी की ताकत सदैव जीतती, मुट्ठी की ताकत सदैव जीतती,
    कर लीजिए एकता सारे, सारी दुनिया यही बताती।

आओ! देखें हमने क्या पड़ा? इससे क्या सीखा?

प्रश्न 1.
यह काव्य पंक्तियाँ हमें क्या बताती हैं?
उत्तर-
यह काव्य पंक्तियाँ हमें सहयोग के महत्त्व को बताती हैं कि सहयोग के बिना समाज में कुछ भी संभव नहीं है। यदि सभी एक-दूसरे का सहयोग नहीं करेंगे तो परिवार और समाज आसानी से नहीं चल सकते। एक व्यक्ति . अकेले कुछ नहीं कर सकता उसे हर प्रकार के कार्य करने के लिए दूसरों के सहयोग की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 2.
हम उनके अभाव को दो गुना कैसे करते हैं?
उत्तर-
यदि हम एक अकेले व्यक्ति के साथ खड़े होते हैं, तो उसकी ताकत दोगुनी हो जाती है। इसका अर्थ है कि यदि हम किसी भी तरह से किसी की मदद या सहयोग करते हैं तो किसी व्यक्ति की ताकत दोगुनी हो जाती है।

प्रश्न 3.
यदि हम मिल-जुल कर नहीं रहेंगे तो हमारे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर-

  1. यदि हम एक साथ नहीं रहते हैं, तो किसी के हाथ में कुछ भी नहीं आएगा।
  2. हर कोई अपना काम करेगा, दूसरों का सहयोग नहीं करेगा और अंत में समाज प्रगति नहीं करेगा।
  3. हो सकता है कि दुश्मन उस अकेले पर हमला करेगा और उसे बाद में पछताना पड़ेगा।

प्रश्न 4.
समाज को कौन चलाता है?
उत्तर-
समाज सहयोग और सहयोगी परिवारों के साथ चलता है। यदि सहयोगी परिवार नहीं होंगे, तो समाज सुचारु रूप से नहीं चलेगा।

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प्रश्न 5.
किसने शर्त कभी नहीं हारी?
उत्तर-
दूसरों का सहयोग करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Welcome Life Guide for Class 10 PSEB रचनात्मक सोच Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुनिया की सुंदरता देखने के लिए
(a) दुनिया पर निर्भर करता है
(b) व्यक्ति के परिप्रेक्ष्य पर निर्भर करता है
(c) समाज पर निर्भर करता है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) व्यक्ति के परिप्रेक्ष्य पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
हम दूसरों से क्या उम्मीद करते हैं?
(a) उन्हें हमारा सम्मान करना चाहिए।
(b) उन्हें हमारी दोस्ती को स्वीकार करना चाहिए
(c) उन्हें मुझसे बात करने को तैयार होना चाहिए
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 3.
हम परिवार के पेड़ को कैसे बढ़ा सकते हैं?
(a) सहयोग द्वारा
(b) सम्मान देकर
(c) समय देकर
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
स्कूल का प्रमुख कौन होता है?
(a) प्रबंधन
(b) प्रिंसीपल
(c) एच० ओ० डी०
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) प्रिंसीपल।

प्रश्न 5.
……. के बिना जीवन अधूरा है।
(a) समझदारी
(b) लालच
(c) ईर्ष्या
(d) द्वेष।
उत्तर-
(a) समझदारी।

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प्रश्न 6.
रचनात्मक प्रकृति का अर्थ है
(a) कुछ नया करने के लिए
(b) कुछ विशेष बनाने के लिए
(c) कुछ बुनियादी करने के लिए
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

(ख) खाली स्थान भरें

  1. एक रचनात्मक दिमाग वाला व्यक्ति …………. करता है।
  2. जीवन …………. के बिना अधूरा है।
  3. …………. के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता।
  4. हमें अपने बुजुर्गों को ………. और …………. देना चाहिए।
  5. हम दूसरों से कुछ …………….. रखते हैं।

उत्तर-

  1. आत्म विकास,
  2. समझ,
  3. सहयोग,
  4. सम्मान, समय
  5. अपेक्षाएँ।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. हमें दूसरों से अपेक्षाएं नहीं रखनी चाहिए।
  2. मैं चाहता हूँ कि सभी मेरा सम्मान करें।
  3. शिक्षक छात्रों को प्रेरित करते हैं।
  4. हमें अपने आप को झगड़े से दूर रखना चाहिए।
  5. हमें पसंद नहीं है जब कोई हमारी मदद करता है।

उत्तर-

  1. ग़लत,
  2. सही,
  3. सही,
  4. सही,
  5. ग़लत।

(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम-I — कॉलम-II
(a) एक जुट रहना — (i) नए बनाने की गुणवत्ता
(b) गुस्सा — (ii) मूड
(c) कल्पना — (iii) इकट्ठे रहना
(d) रचनात्मक सोच — (iv) डांटना
(e) फीलिंग उत्तर — (v) किसी के बारे में सोचना।
उत्तर-
कॉलम-I — कॉलम-II
(a) एक जुट रहना — (iii) इकट्ठे रहना
(b) गुस्सा — (iv) डांटना
(c) कल्पना — (v) किसी के बारे में सोचना
(d) रचनात्मक सोच — (i) नए बनाने की गुणवत्ता
(e) फीलिंग उत्तर — (ii) मूड।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुनिया की सुंदरता देखना किस पर निर्भर करता है?
उत्तर-
यह किसी के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
हम दुनिया में सब कुछ अच्छा कब पा सकते हैं?
उत्तर-
जब हम अच्छाई की तलाश शुरू करते हैं तो हम दुनिया में सब कुछ अच्छा पाते हैं।

प्रश्न 3.
आदमी को किस तरह की सोच रखनी चाहिए?
उत्तर-
उनकी सोच रचनात्मक प्रकृति की होनी चाहिए।

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प्रश्न 4.
हमें क्या करना चाहिए ताकि हम पूरी दुनिया को पसंद करें?
उत्तर-
हमें हर चीज़ में खुशी और सुंदरता खोजने की कोशिश करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
एक अपेक्षा बताइए जो मैं दूसरों से रखता हूँ।
उत्तर-
हम चाहते हैं कि वे हमारी बात मानें और हमें इंकार न करें।

प्रश्न 6.
क्या आप दूसरों की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हैं?
उत्तर-
हाँ, जब भी उन्हें आवश्यकता होती है, हम उनकी मदद करते हैं।

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प्रश्न 7.
हम दुनिया में कैसे बेहतर हो सकते हैं?
उत्तर-
यदि हम दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करते हैं, तो हम निश्चित रूप से दुनिया में बेहतर होंगे।

प्रश्न 8.
हमें दूसरों में क्या देखना चाहिए?
उत्तर-
हमें दूसरों में अच्छे गुणों की तलाश करनी चाहिए।

प्रश्न 9.
एक परिवार कैसे प्रगति कर सकता है?
उत्तर-
परिवार के सदस्यों को समय, सहयोग और प्यार देकर परिवार उन्नति कर सकता है।

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प्रश्न 10.
हम बड़ों को कैसे खुश रख सकते हैं?
उत्तर-
उनके साथ समय बिताकर और सम्मान देकर हम अपने बड़ों को खुश रख सकते हैं।

प्रश्न 11.
कौन-सी वस्तु के बिना जीवन अधूरा है?
उत्तर-
समझ के बिना जीवन अधूरा है।

प्रश्न 12.
मंगत को कैसे चोट लगी?
उत्तर-
मंगत को एक सड़क दुर्घटना में चोट लगी।

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प्रश्न 13.
रचनात्मक सोच से क्या मतलब है?
उत्तर-
रचनात्मक सोच का अर्थ कुछ नया या विशेष बनाने की जिज्ञासा होना है।

प्रश्न 14.
एक रचनात्मक दिमाग को सामाजिक सम्मान कब मिल सकता है?
उत्तर-
जब वह कुछ नया बनाता है और आत्म प्रगति करता है तो उसे सामाजिक सम्मान मिलता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुनिया कैसे अच्छी लगती है?
उत्तर-
यह दुनिया काफी खूबसूरत है और यह किसी के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वह इस सुंदरता को कैसे देखता है। यदि हम दुनिया में अच्छी चीज़ों की तलाश करते हैं, तो हम उन्हें ज़रूर खोज लेंगे, लेकिन यदि हम बुरे की तलाश करेंगे तो हमें बुरा ही नज़र आएगा। इसीलिए यदि हमें अच्छा करना है, वो हमें हर चीज़ में सुंदरता और खुशी खोजने की ज़रूरत है। इससे सब कुछ अच्छा लगता है।

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प्रश्न 2.
एक छात्र दूसरों से क्या उम्मीद करता है?
उत्तर-

  1. वह अपेक्षा करता है कि दूसरों को उसका सम्मान करना चाहिए।
  2. वह चाहता है कि सभी में उससे बात करने की इच्छा हो।
  3. वह चाहता है कि उसके दोस्त उसकी बात माने।
  4. वह अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता है।
  5. वह अपने दोस्तों के साथ घूमना चाहता है।

प्रश्न 3.
हमारे जीवन में अपेक्षाओं की क्या भूमिका है?
उत्तर-
हमारे जीवन में अपेक्षाओं की बड़ी भूमिका है। हम दूसरों से बहुत-सी अपेक्षाएं रखते हैं और उन अपेक्षाओं को पूरा करने की अपेक्षा भी करते हैं। यदि वे इन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर रहे हैं, तो हमारा रिश्ता खतरे में है। इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि यदि हम अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं, तो यह हमारे लिए भी ज़रूरी है कि हम औरों की अपेक्षाओं को भी पूरा करें। इस तरह एक-दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा करके, हम दुनिया में खुशी पा सकते हैं और इसे रहने के लिए एक खुशहाल जगह बना सकते हैं।

प्रश्न 4.
हमारे जीवन में सहयोग का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
इस तथ्य से कोई इंकार नहीं है कि जीवन दूसरों के सहयोग के बिना एक दिन भी नहीं चला सकता। जीवन में हम दूसरों का सहयोग करते हैं और वे हमारा भी सहयोग करते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को पालने के लिए परिवार में सहयोग करते हैं। सभी शिक्षक और छात्र बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल में सहयोग करते हैं। इस तरह हमारे जीवन के हर हिस्से में सहयोग मौजूद है। इसके अभाव में जीवन एक दिन भी नहीं चल सकता। इस तरह दूसरों के साथ सहयोग एक अच्छे जीवन के लिए होना चाहिए।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 रचनात्मक सोच

प्रश्न 5.
समझ की कला क्या है?
उत्तर-
समझ के बिना जीवन पूरा नहीं हो सकता। किसी भी काम को पूरा करने के लिए बेहतर समझ की कला होनी चाहिए। जीवन जीने के लिए अपने आप को समझना, खेल खेलने के नियमों को समझना, माता-पिता के क्रोध से पहले उनके प्यार को समझना, दोस्तों के व्यवहार को समझना आदि कुछ ऐसे पहलू हैं, जिनका हम जीवन में पालन कर सकते हैं। यदि हमारे जीवन में समझ का कोई पहलू नहीं होगा तो हम जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएंगे। जिन्हें हम समझने की क्षमता नहीं रखते, वे जीवन में कुछ नहीं कर सकते। दूसरी ओर समझ क्षमता वाले लोग जीवन में बहुत प्रगति करते हैं। इस को सभी के जीवन में समझने की कला कहते हैं।

प्रश्न 6.
रचनात्मकता के विकास की व्याख्या करो।
उत्तर-
रचनात्मकता का अर्थ कुछ नया, अनोखा और मौलिक बनाना या करना है। रचनात्मकता दिमाग वाले लोग, हमेशा नए विचारों के बारे में सोचते हैं और वे हमेशा ऐसे विचारों को अनोखे तरीके से व्यक्त करने की कोशिश करते हैं। विभिन्न व्यक्तियों के अलग-अलग गुण और लक्षण होते हैं। रचनात्मक दिमाग वाला व्यक्ति इस गुण का इस्तेमाल खुद को विकसित करने के लिए करता है और इसीलिए उसे सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है। इस प्रकार की सोच किसी भी क्षेत्र यानि कला, साहित्य, विज्ञान इत्यादि से जुड़ी हो सकती है। यदि छात्रों में इस तरह की सक्रियता विकसित की जाएगी, तो हम नए विचारों को बनाने के लिए उनकी ऊर्जा का सही उपयोग कर सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अध्याय में दी गई कहानी का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
एक बार मंगत नाम का एक व्यक्ति एक दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह न तो दाएं-बाएं देख सकता था और न ही हिल-जुल सकता था। अस्पताल में अगले बिस्तर पर विशाल नाम का एक और मरीज था। मंगत रोज़ विशाल की बातें सुनने लगा। वह मंगत को इसके अलावा खिड़की के माध्यम से देखा जाने वाला प्रकृति का सौंदर्य बताता था। मंगत ने उसकी बात सुनी और खिड़की से परे प्रकृति की सुंदरता की कल्पना करना शुरू कर दिया। जल्द ही, वह एक महीने में दुर्घटना से उबरने लगा। अंत में उसे थोड़ा हिलने दिया गया और उसे दूसरे बिस्तर पर ले जाया गया, जिस पर विशाल लेटा हुआ था। अब वह खिड़की से देखने की स्थिति में था। अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि विशाल का कल रात निधन हो गया। जब उसने खिडकी से देखने की कोशिश की, तो उस दीवार पर कोई खिडकी नहीं थी। अधिकारियों ने उन्हें यह भी बताया कि विशाल अंधा था। उन्होंने हमेशा मंगत को उम्मीद दी कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसके बाद मंगत ने महसूस किया कि मददगार व्यक्ति उनकी मदद करने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए दूसरों का समर्थन करते हैं। अपने स्वयं के दुखों के बावजूद वे खुशी फैलाने की कोशिश करते हैं।

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रचनात्मक सोच PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • यह दुनिया बहुत सुंदर है, लेकिन यह देखने वाले पर निर्भर करता है कि वह किसी विशेष चीज़ को कैसे देखता है। यदि हम अच्छाई खोजना चाहते हैं, तो सब कुछ अच्छा है या यदि हम बुरा खोजना चाहते हैं, तो सब कुछ बुरा है।
  • हम दूसरों से बहुत उम्मीदें रखते हैं और सोचते हैं कि हमारी उम्मीदों को पूरा करेंगे। यदि उम्मीद अच्छी है, तो यह निश्चित रूप से पूरी होगी। इस तरह हम एक-दूसरे की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और खुश रहेंगे।
  • हमें एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। हमें दूसरों के साथ अच्छा समय बिताना चाहिए और हर संभव तरीके से सहयोग करना चाहिए। इससे प्यार और सहयोग बढ़ेगा और हम खुशी से काम कर सकते हैं।
  • परिवार, स्कूल और समाज सदैव सदस्यों के आपसी सहयोग से आगे बढ़ते हैं। यदि उनके सदस्य एक दूसरे की मदद नहीं करेंगे तो वे प्रगति नहीं करेंगे और विनाश के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे।
  • हमें अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें समय देना चाहिए। इससे वह अकेलापन महसूस नहीं करेंगे। हमें उनके पिछले अनुभवों को सुनना चाहिए ताकि हम उन गलतियों को न दोहराएं जो उन्होंने शायद की थीं।
  • हर किसी में चीज़ों को समझने की क्षमता होती है। समझ के बिना जीवन पूरा नहीं हो सकता। खेल खेलने के लिए दूसरों के साथ संवाद करने के लिए समाज में रहने के लिए, हमें समझ की आवश्यकता है।
  • रचनात्मक मानसिकता होना भी ज़रूरी है। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति के भीतर कुछ नया करने की इच्छा। जिनके पास ऐसी क्षमता है, वे सामाजिक प्रगति में योगदान करते हैं। यह स्वयं के विकास में मदद करता है और व्यक्ति के लिए सामाजिक प्रतिष्ठा भी लाता है।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules.

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. कुश्ती के मैट का आकार = गोल
  2. मैट का साइज = 4.50 अर्ध व्यास
  3. घेरे का रंग = लाल
  4. प्लेटफार्म से मैट की ऊंचाई = 1.10 मीटर
  5. कार्नर के रंग = लाल और नीला
  6. कुश्ती का समय = 6 मिनट (2, 2, 2 मिनट के तीन हाफ)
  7. पुरुषों के कुल भार = 9, तीन आफ
  8. स्त्रियों के कुल भार = 7
  9. जुनियर के भार = 10
  10. अधिकारी = मैट लेयर मैच, 2 रैफरी, 3 जज
  11. मैट के आस-पास का खाली स्थान = 1.50 मीटर
  12. राऊण्ड के पश्चात् आराम का समय = 30 सैकेण्ड

फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन कुश्तियों की संक्षेप रूपरेखा
(Brief outline of Free Style and Greeco Roman Wrestling

  1. कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने वाला प्रतियोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए। वह किसी छूत की बीमारी का शिकार नहीं होना चाहिए।
  2. कुश्तियों में भाग लेने वालों के नाखून अच्छी तरह से कटे होने चाहिएं। वे अपने शरीर पर तेल आदि चिकने पदार्थ नहीं मल सकते।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के लिए 4.50 मीटर अर्द्ध-व्यास मैट का घेरा होता है।
  4. ओलम्पिक खेलों तथा विश्व चैम्पियनशिप मैचों के लिए मैट का आकार 4.50 मीटर अर्द्ध-व्यास मैट का घेरा होता है।
  5. कुश्ती का समय 6 मिनट होता है।
  6. कुश्ती करते समय विरोधी खिलाड़ी के बाल, मांस, कान या गुप्त अंगों को खींचना फाऊल है।
  7. मैट का मुखिया ‘विनर कलर’ को ऊंचा उठाकर विजेता की घोषणा करता है।
  8. यदि रैफरी किसी खिलाड़ी को तीन बार चेतावनी दे दे तो उसे हारा हुआ माना जाता है।
  9. कुश्ती लड़ने वाले खिलाड़ी की दाढ़ी कटी हुई या शेव ताज़ी होनी चाहिए।
  10. कुश्ती लड़ने वाला कड़ा या अंगूठी नहीं पहन सकता।
  11. कुश्तियों के मध्य किसी भी अधिकारी को बदला नहीं जा सकता है।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
स्कूल स्तर पर विभिन्न भारों के कुश्ती मुकाबलों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्कूल स्तर पर प्रतियोगिताएं (Competitions at School Level)—
स्कूल स्तर पर निम्नलिखित भारों के आधार पर प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं—
प्रत्येक प्रतियोगी प्रतियोगिता में अपने शरीर के भार अनुरूप वाले वर्ग में भाग ले सकता है।
आयुवर्ग
(Age Group)

  1. स्कूली लड़के = 14-15 वर्ष
  2. कैडेट = 16-17 वर्ष
  3. जूनियर = 18-20 वर्ष
  4. सीनियर = 19-20 वर्ष

20 वर्ष से अधिक आयु के लिए
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2

17 वर्ष से 20 की आयु के लिए
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3

15 वर्ष से 16 वर्ष की आयु के लिए
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4

13 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के लिए सब-जूनियर लड़के
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5

प्रत्येक प्रतियोगी प्रतियोगिता में अपने शरीर के भार अनुसार वाले वर्ग में भाग ले सकता है।
फ्री स्टाइल कुश्तियां (Free Style Wrestling) —फ्री स्टाइल कुश्तियों में शरीर के किसी भी भाग से पकड़ा जा सकता है और कोई भी तकनीक लगाई जा सकती है परन्तु बाल, कान और लंगोटा पकड़ना मना है।

ग्रीको रोमन कुश्तियां (Greeco Roman Wrestling) ग्रीको रोमन कुश्तियों में टांगों का प्रयोग वर्जित है। शरीर के ऊपरी भाग (Waist Line) से ऊपर किसी भी प्रकार की तकनीक लगाई जा सकती है परन्तु इन कुश्तियों में भी बाल, कान और लंगोटा आदि पकड़ना मना है। शेष सभी नियम फ्री स्टाइल वाले ही होते हैं।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने वालों के लिए भार तोलने सम्बन्धित नियमों और उनके युगल बनाने की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
भार तोलना (Weighing)—

  1. प्रतियोगी निर्वस्त्र होकर भार देंगे। तोल से पूर्व उनका डॉक्टरी परीक्षण किया जाएगा, किसी छूत के रोग से ग्रस्त प्रतियोगी को डॉक्टर कुश्ती में भाग लेने से रोक देगा।
  2. खिलाड़ियों की शारीरिक दशा सन्तोषजनक होनी चाहिए। उनके नाखून खूब अच्छी तरह कटे होने चाहिएं।
  3. भार तोलने का काम पहले दिन कुश्तियां आरम्भ होने से कम-से-कम एक दिन पहले आरम्भ होगा।
  4. आगामी दिनों में भार तोलने का काम कम-से-कम दो घण्टे पहले आरम्भ होगा और पहली कुश्ती से एक घण्टा पहले समाप्त हो जाएगा।
  5. यदि जोड़े बनाते समय एक स्थान के दो-दो खिलाड़ी जोड़े में आ जाएं तो वे पहले राऊण्ड में एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ेंगे।

पोशाक (Costume)—प्रतियोगी अखाड़े में एक टुकड़े वाली बनियान, जांघिया या जर्सी (लाल या नीली) में उतरेंगे और उसके नीचे वे एक लंगोटी या पेटी पहनेंगे। खिलाड़ी स्पोर्ट जूते पहनेंगे जो टखनों से अच्छी तरह बंधे होंगे। वे ऐड़ी वाले या कीलों से जड़े तले वाले जूते नहीं पहन सकते। प्रतियोगियों की दाढ़ी ताज़ी मुंडी हो या कई महीनों की बढ़ी हुई हो। निम्नलिखित बातें वर्जित हैं—

  1. बिना किसी चोट के कलाई, भुजाओं या टखनों पर पट्टियां लपेटना।
  2. कलाई घड़ी बांधना
  3. शरीर पर किसी चिकनी चीज़ का मलना।
  4. पसीने से तर होकर अखाड़े में उतरना।
  5. अंगूठी, हार, कड़ा आदि पहनना।

मैट (Mat)-मैट का आकार 4.50 मीटर अर्द्ध व्यास के गोल घेरा का होगा जिसके बाहर 50 सें०मी० का गोल घेरा लाल रंग की रेखा से अंकित होगा। दुर्घटना से बचने के लिए मैट के इर्द-गिर्द 2-2 मीटर जगह छोड़नी चाहिए। मैट को 1.10 मीटर ऊंचे प्लेटफार्म पर बिछाया जाएगा। मैट के कोने लाल या नीले रंग से चिन्हित होंगे तथा मैट के मध्य में वृत्त अंकित किया जाएगा।
कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6

कुश्ती का आरम्भ और अवधि
(Start and Duration of Wrestling Bout)

  1. प्रत्येक कुश्ती का कुल समय 5 मिनट होता है।
  2. कुश्ती उस समय तक जारी रहेगी जब तक कोई एक खिलाड़ी गिर नहीं जाता या फिर यह 5 मिनट तक जारी रहेगी।

यदि कोई खिलाड़ी अपना नाम पुकारे जाने के पश्चात् 5 मिनटों के अन्दर-अन्दर मैट पर नहीं पहुंचता तो उसे गिरा हुआ माना जाएगा और मुकाबले से बाहर निकाला हुआ माना जाएगा।

कुश्ती की समाप्ति
(End of Bout)
घंटी बजने पर कुश्ती समाप्त हो जाएगी। रैफरी की सीटी पर भी कुश्ती रुक जाती है, घंटी बजने और रैफरी की सीटी के बीच कोई भी कार्य उचित नहीं माना जाता है। मैट का मुखिया विनिंग कलर दिखा कर विजेता की सूचना देता है। रैफरी विजेता का बाजू खड़ा करके फैसला बताता है। यदि कुश्ती बराबर हो तो तीन मिनट का समय और दिया जाता है: कुश्ती कभी भी बरबर नहीं रहती। यदि आठ मिनट में अंक बराबर रहे तो मैट चेयरमैन और जज ठीक लड़ने वाले पहलवान को विजेता करार दे देते हैं अथवा जिस पहलवान को कम चेतावनी दी गई हो उसे विजयी घोषित किया जाता है।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
कुश्ती में फाऊल पकड़े कौन-कौन सी होती हैं ?
उत्तर-
फाऊल पकड़ें
(Foul Holds)
निम्नलिखित फाऊल पकड़े हैं—

  1. बालों या मांस, कान, पोशाक इत्यादि को खींचना।
  2. अंगुलियों को मरोड़ना, लड़ाई-झगड़ा करना, धक्का देना।
  3. इस तरह पकड़ करनी कि वह विरोधी खिलाड़ी के लिए जान का भय बन जाए या यह भय हो कि विरोधी खिलाड़ी के अंगों पर चोट लग जाएगी अथवा उसे कष्ट दे, पीड़ा करें ताकि दूसरा खिलाड़ी विवश होकर खेल छोड़ जाए।
  4. विरोधी खिलाड़ी के पांवों पर अपने पांव रखना।
  5. विरोधी खिलाड़ी के चेहरे (आंखों की भवों से लेकर ठोड़ी तक) को स्पर्श करना।
  6. गले से पकड़ना।
  7. खड़ी स्थिति में पकड़ करनी।
  8. विरोधी को उठाना जबकि वह ‘ब्रिज़-पोजीशन’ में हो और फिर उसे मैट पर गिराना।
  9. सिर की ओर से धक्का देकर ब्रिज को तोड़ना।
  10. विरोधी खिलाड़ी के बाजू को 90° के कोण से अधिक मोड़ देना।
  11. दोनों हाथों से सिर को पकड़ना।
  12. कोहनी या घुटने को विरोधी खिलाड़ी के पेट में धकेलना।
  13. विरोधी के बाजू को पीछे की ओर मोड़ना और दबाना।
  14. किसी तरह से सिर को काबू करना।
  15. शरीर को या सिर को टांगों द्वारा कैंची मारना।
  16. मैट को पकड़े रखना।
  17. एक-दूसरे से बातें करनी और हानिकारक आक्रमण करना या गिराना।

चेतावनियां (Precautions) निम्नलिखित स्थिति में चेतावनी दी जा सकती है—
(क) स्थायी रुकावटें
(ख) फाऊल पकड़ें
(ग) कुश्ती समय अनुशासनहीनता
(घ) नियमों का उल्लंघन।

  1. ये चेतावनियां खेल के समय किए गए दूसरे फाऊलों के साथ गिनी जाएंगी।
  2. तीन सावधानियों अथवा चेतावनियों के बाद बिना कारण बताए खिलाड़ी को . पराजित घोषित किया जा सकता है।
  3. किसी बड़े उल्लंघन करने के दोष में किसी खिलाड़ी को खेल से निकाला जा सकता है।

स्थायी रुकावटें(Permanent Obstacles)—

  1. पेट के बल लेटे रहना।
  2. जान-बूझ कर मैट से बाहर जाना।
  3. विरोधी के दोनों हाथ पकड़े रखना ताकि वह खेल न सके।
  4. मैट के बाहर जाने की दशा में खिलाड़ी को चेतावनी दी जा सकती है।

कुश्तियों में रुकावट (Obstacles in Bout)
नाक में खून बहने, सिर के बाल गिरने या किसी अन्य कारण से अधिक-से-अधिक पांच मिनटों के लिए खेल को रोका जा सकता है। खेल की यह रुकावट एक या दो अवधियों में अधिक-से-अधिक पांच मिनट के लिए प्रत्येक खिलाड़ी के लिए हो सकती है।

प्रश्न
कुश्ती में स्कोर की गणना किस प्रकार होती है और निर्णय किस प्रकार दिया जाता है ?
उत्तर-
स्कोर (Score)

  1. एक अंक (प्वाइंट)-
    • उस खिलाड़ी को जो विरोधी खिलाड़ी को मैट पर गिराता है और उस पर नियन्त्रण स्थापित कर लेता है।
    • उस खिलाड़ी को जोकि नीचे से निकल कर ऊपर आ जाता है और विरोधी खिलाड़ी पर नियन्त्रण स्थापित करता है।
    • जो खिलाड़ी ठीक पकड़ लगाता है और विरोधी खिलाड़ी के सिर और कन्धों को मैट पर नहीं लगने देता।
    • एक चेतावनी का विरोधी के लिए एक प्वाऊंट होगा।
  2. दो अंक (प्वाइंट)-
    • उस खिलाड़ी को, जो ठीक पकड़ करता है और विरोधी खिलाड़ी को कुछ समय के लिए अपने अधीन रखता है (5 सैकिण्ड से कम समय के लिए)।
    • उस खिलाड़ी को, जिसका विरोधी शीघ्र ही गिर जाता है या लुढ़कता हुआ गिर जाता है।
      कुश्तियां फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 7
  3. तीन अंक (प्वाइंट)-
    • जो खिलाड़ी अपने विरोधी को खतरे में रखता है (कंधे मैट से पांच सैकिण्ड तक 90° से कम कोण बनाते हों।)
    • कई बार लुढ़कते हुए गिर जाने की स्थिति या 5 सैकिण्ड निरन्तर तीन की संख्या तक ब्रिज की स्थिति।

निर्णय (Decision)-जब विरोधी खिलाड़ियों का अन्तर एक अंक (प्वाइंट) से कम हो तो मैच बराबर रहता है, यदि कोई भी अंक न बना हुआ हो या अंक बराबर हों तो भी कुश्ती बराबर हो जाएगी। यदि एक से अधिक नम्बरों का अन्तर हो तो अधिक नम्बरों वाला खिलाड़ी विजयी होगा।
गिरना (Fall)

  1. पूरी तरह गिर जाने के लिए खिलाड़ी के कंधे और मैट का सम्पर्क ही पर्याप्त है।
  2. मैट के किनारे पर ठीक गिर जाने के लिए इतना ही काफ़ी है कि गिरने पर सिर और कंधे मैट को छू जाएं।
  3. यदि जज कोई आपत्ति न करे तो गिर जाना ठीक माना जाता है।

अंकों (प्वाइंटों) पर जीतना—
यदि 5 मिनटों में फाऊल न हो तो फैसला अंकों (प्लाइंटों) पर किया जाता हो, अधिक अंक प्राप्त करने वाला खिलाड़ी विजयी होगा।

फाइनल के लिए नियम
(Rules of Final)

  1. फाइनल दो खिलाड़ियों में होगा।
  2. जब तीन खिलाड़ी 6 पैनेल्टी अंक से फाइनल में पहुंच जाएं तो प्राप्त किए अंक समाप्त हो जाते हैं।
  3. यदि पहलवान पहले मुकाबला कर चुके हो तो फिर कुश्ती नहीं होती।
  4. फाइनल में खेलने वाले तीन खिलाड़ियों के पैनल्टी अंकों की गणना अवश्य ध्यान में रखी जाएगी।
  5. यदि तीन में से प्रत्येक खिलाड़ी ने पहले ही 6 पैनल्टी अंक प्राप्त कर लिए हों तो वे पहले लिखे अनुसार अंक खो देंगे।
  6. यदि फाइनल में पहुंचे तीनों खिलाड़ियों ने पहले ही 6 अंक लिए हों तो उसे तीसरा स्थान प्राप्त होगा, शेष दो प्रथम स्थिति के लिए कुश्ती करेंगे और पहले पैनल्टी प्वाइंट खो देते हैं।
  7. विजयी वह होगा जो अन्तिम तीनों कुश्तियों के समय कम-से-कम पैनल्टी अंक प्राप्त करें।
  8. यदि फाइनल के खिलाड़ियों के पैनल्टी अंक बराबर हों तो उनकी स्थिति इस तरह होगी। कुश्ती लड़ने पर इन्कार करने वाले पहलवान को काशन दिया जाता है और विरोधी पहलवान को एक अंक।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman)

प्रश्न 1.
कुश्तियों के भारों का वर्णन करो।
उत्तर-
कुश्तियों के भार निम्नलिखित हैं—
WRESTLING WEIGHT CATEGORIES WOMEN

MEN WOMEN JUNIOR
50 kg 44 kg 42 kg
54 kg 48 kg 46 kg
58 kg 52 kg 50 kg
63 kg 56 kg 54 kg
69 kg 61 kg 58 kg
76 kg 66 kg 63 kg
85 kg +66 kg 69 kg
97 kg 76 kg
130 kg 85 kg
100 kg

Men = Total of Nine Categories
Women = Total of Seven Categories
Junior = Total of Ten Categories

प्रश्न 2.
कुश्तियों का समय बताइए।
उत्तर-
कुश्तियों का समय 6 मिनट होता है।

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प्रश्न 3.
कुश्तियों के मैट की लम्बाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
कुश्तियों के मैट 4.50 अर्द्धव्यास मीटर के होने चाहिएं। ओलिम्पिक खेलों में विश्व चैम्पियनशिप मैचों में मैट का आकार 4.50 अर्द्धव्यास मीटर होता है।

प्रश्न 4.
रैफ़री एक खिलाड़ी को किनती बार चेतावनी दे सकता है ?
उत्तर-
यदि रैफ़री किसी खिलाड़ी को तीन बारी चेतावनी दे दे तो उसको हारा हुआ माना जाता है।

प्रश्न 5.
कुश्ती लड़ने वाले खिलाड़ी के लिए किस तरह का पहरावा होना चाहिए ?
उत्तर-
कुश्ती लड़ने वाले खिलाड़ी के लिए एक पीस का लाल या पीले रंग का पटका होना चाहिए। पोशाक शरीर के साथ चिपकी हुई होनी चाहिए। खिलाड़ी एड़ी और कीलों वाले बूट नहीं पहन सकता।

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प्रश्न 6.
कुश्ती में हार-जीत का निर्णय किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
कुश्तियों में गिर जाने पर या अधिक अंक ले जाने वाले को विजयी करार दिया जाता है।

प्रश्न 7.
कश्तियों में स्कोर कैसे गिने जाते हैं ?
उत्तर-

  1. प्वाईंट स्कोर (Point Score)—यह उस खिलाड़ी को दिया जाता है – अपने विरोधी खिलाड़ी को मैट पर गिराकर उस पर अपना पूरा अधिकार कर लेता है। उस खिलाड़ी को भी जो दूसरे खिलाड़ी के नीचे से निकल कर ऊपर आकर उस पर अधिक प्राप्त कर लेता है।
    उस खिलाड़ी को भी जो कि ठीक पकड़ करता है, सावधानी (Caution) का एक प्वाईंट विरोधी को दिया जाता है।
  2. Points-उस खिलाड़ी को जो अपने विरोधी को ठीक पकड़ द्वारा कुछ समय (पांच सैकिंड) के लिए विकट स्थिति में रखता है।
  3. Points-उस खिलाड़ी को जो अपने विरोधी को (मैट के साथ) कंधों से 90° से कम कोण बनाते हुए, विकट स्थिति (In danger) में पांच सैंकिंड तक रखता है।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 8.
कुश्तियों का निर्णय किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
निर्णय (Decision) जब दो विरोधी खिलाड़ियों के स्कोर का अन्तर एक प्वाईंट से कम हो तो कुश्ती को बराबर घोषित (Declare a draw) किया जाता है।
जब एक बार या एक से अधिक प्वाईंट (Points) का अन्तर हो तो अधिक प्वाईंट प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को विजयी घोषित किया जाएगा।
यदि स्कोर शीट पर कोई भी प्वाईंट दर्ज न हो या दोनों खिलाड़ियों के प्वाईंट बराबर हों तो कुश्ती को बराबर घोषित किया जाएगा।

प्रश्न 9.
कुश्तियों के अधिकारियों के बारे में बताओ।
उत्तर-
कुश्तियों में जितनी भी प्रतियोगिताएं होती हैं, उनमें तीन अधिकारी होते हैं।

  1. मैट चेयरमैन (Mat Chairman)
  2. रैफरी (Referee)
  3. जज (Judge)

कुश्ती के मध्य किसी भी अधिकारी को बदला नहीं जा सकता है।

प्रश्न 10.
कुश्तियों के भार तोलने सम्बन्धी कुछ नियम बताओ।
उत्तर-

  1. भार तोलने का काम कुश्तियों के मुकाबले के आरम्भ होने के चार घण्टे पहले शुरू किया जाएगा।
  2. प्रत्येक प्रतियोगी (Competitor) अपने बराबर भार वाले के साथ कुश्ती लड़ सकता है।
  3. प्रतियोगी (Competitor) किसी छूत की बीमारी का रोगी नहीं होना चाहिए। वह पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए।
  4. प्रतियोगी (Competitors) नंगे तोले जाएंगे।
  5. उनके नाखून (Nails) छोटे काटे हुए होने चाहिएं। यह भार तोलते समय चैक किए जाएंगे।

कुश्तियां : फ्री स्टाइल एवं ग्रीको रोमन (Wrestling : Free Style and Greeco Roman) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 11.
कुश्तियों में फाऊल पकड़ें कौन-कौन सी होती हैं ?
उत्तर-
फाऊल पकड़ें (Foul Holds)—

  1. बाल, मांस, कान और गुप्त अंगों को खींचना।
  2. अंगुलियां मरोड़ना, गल दबाना और जीवन के लिए घातक दूसरी तरह की पकड़ें।
  3. अपने विरोधी के बाजू को 90° के कोण से अधिक मोड़ना।
  4. कैंची (Scissors grip) मार कर सिर या शरीर को पकड़ना।
  5. विरोधी के जांघिए (कपड़े) को पकड़ना।
  6. कुश्ती करने वालों का आपस में बातचीत करना।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 2 घर

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 2 घर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 घर

PSEB 10th Class Home Science Guide घर Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की आवश्यकता के दो मुख्य कारण बताएं।
अथवा
घर की आवश्यकता किन कारणों से होती है?
उत्तर-

  1. घर सुरक्षा प्रदान करता है-घर की चार दीवारी में रहकर हम धूप, वर्षा, सर्दी, चोरों और जंगली जानवरों से सुरक्षित महसूस करते हैं।
  2. शिक्षा-मानव की शिक्षा घर से आरम्भ होती है। घर में ही हम भाषा और अच्छे सामाजिक गुण हासिल करते हैं।

प्रश्न 2.
आय के हिसाब से भारत में घरों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
आय के हिसाब से भारत में घरों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. कम आय वाले घर जिनमें सिर्फ एक या दो कमरे ही होते हैं।
  2. मध्य वर्गीय घर जिनमें कम-से-कम तीन या चार कमरे होते हैं।
  3. अमीर घर, ये घर उच्च वर्ग के लोगों के होते हैं जिनके कमरों की संख्या कई दर्जनों तक हो सकती है। यह घर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस होते हैं।

प्रश्न 3.
घर बनाने के लिए कैसी भूमि अच्छी होती है?
अथवा
मकान बनाने के लिए हमें किस प्रकार की मिट्टी वाली भूमि चाहिए?
उत्तर-
घर बनाने के लिए मैदानी और सख्त भूमि अच्छी होती है। रेतीले, गड्ढों और निचली जगह वाली भूमि पर घर नहीं बनाना चाहिए।

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प्रश्न 4.
घर के लिए क्षेत्र का चुनाव क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
घर का चुनाव करते समय क्षेत्र के चुनाव का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
घर के लिए जगह का चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मकान को बारबार बनाना मुश्किल काम है। इसलिए मकान बनाने के लिए जगह का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. जगह सरकार द्वारा प्रमाणित हो।
  2. साफ़-सुथरी हो और ऊँचाई पर हो।
  3. फैक्टरियों के नज़दीक न हो।
  4. आवश्यक सुविधाएं नज़दीक हों।

प्रश्न 5.
घर में वायु के आवागमन से आप क्या समझते हो?
अथवा
घर में हवा की आवाजाही से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
वायु के बिना जीवन सम्भव नहीं है और साफ़-सुथरी हवा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। घर में वायु के आवागमन का अर्थ है कि ताजी वायु घर के अन्दर आ सके और गन्दी वायु घर से बाहर जा सके। घर में खिड़कियां और रोशनदान इस काम के लिए रखे जाते हैं।

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प्रश्न 6.
घर में प्रकाश का उचित प्रबन्ध कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-
घर में उचित रोशनी का प्रबन्ध अति आवश्यक है इसलिए घर की दिशा और खिड़कियों, दरवाज़ों का सही दिशा में होना आवश्यक है। यदि हो सके तो घर की दिशा ऐसी होनी चाहिए कि सुबह के समय सूर्य की किरणें घर के अन्दर दाखिल हों और सारा दिन घर में रोशनी रहे।

प्रश्न 7.
घर बनाने के लिए कौन-सी एजेन्सियों से धन/कर्जा लिया जा सकता है? किन्हीं चार के नाम लिखो।
उत्तर-
घर बनाने या खरीदने के लिए कर्जा/पैसा निम्नलिखित एजेन्सियों से लिया जा सकता है

  1. जीवन बीमा कम्पनियां
  2. बैंक
  3. ट्रस्ट
  4. मकान विकास निगम
  5. सहकारी मकान निर्माण- सभाएं
  6. सरकारी और गैर-सरकारी मोर्टगेज कम्पनियां।

प्रश्न 8.
सरकारी कर्मचारी आमतौर पर कहां से कर्जा लेते हैं और क्यों?
उत्तर-
सरकारी कर्मचारी प्राय: सरकार से कर्जा लेते हैं जिस पर उनको बहुत कम ब्याज देना पड़ता है। यह राशि प्रत्येक महीने उनके वेतन में से आसान किश्तों पर काटी जाती है। इसके अतिरिक्त कर्मचारी प्रोविडेण्ट फण्ड में से कर्जा ले लेते हैं जिसको वापिस करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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प्रश्न 9.
घर बनाते समय प्रभाव डालने वाले दो कारकों के बारे में बताएं।
उत्तर-
घर बनाते समय निम्नलिखित कारक प्रभाव डालते हैं

  1. आर्थिक स्थिति-पैसा मकान बनाने के मामले में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। मकान का साइज़, जगह और स्तर पैसे पर ही निर्भर करता है।
  2. पेशा – घर का साइज़ या उसको योजना पर घर के मुखिए के पेशे का भी प्रभाव पड़ता है। यदि घर किसी वकील या डॉक्टर ने बनाना हो तो उसके घर का नक्शा इस तरह का होगा, जिसमें उसका दफ्तर या क्लीनिक भी बन सकें।

प्रश्न 10.
कार्य के आधार पर घर को मुख्य कितने क्षेत्रों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
काम के आधार पर घर को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  1. एकान्त क्षेत्र (Private Area)-जैसे सोने का कमरा, बाथरूम और पूजा का कमरा।
  2. काम करने वाला क्षेत्र (Work Area)-जैसे रसोई, बरामदा, आंगन आदि।
  3. मन बहलावे वाला क्षेत्र वह भाग है जहां परिवार के सदस्य मिल-जुल कर बैठते हैं। गप-शप मारते, टी० वी० देखते हैं। मेहमानों का स्वागत किया जाता है। जैसे लॉबी या ड्राईंग रूम।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 11.
घर के लिए जगह (स्थान) का चुनाव करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
अथवा
आप घर के स्थान का चुनाव कैसे करेंगे?
उत्तर-
घर की जगह का चुनाव सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मकान बारबार नहीं बनाए जाते। इसलिए घर की जगह का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. जगह सरकार की इजाजत वाली हो।
  2. घर का इर्द-गिर्द साफ़-सुथरा हो।
  3. मकान की जगह कुछ ऊँची हो।
  4. घर रोशनी और हवा वाली जगह पर हो।
  5. घर रेलवे लाइन और बड़ी सड़क के नज़दीक नहीं होना चाहिए।
  6. रोजाना सुविधाएं नज़दीक होनी चाहिएं।

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प्रश्न 12.
घर के लिए जगह का चुनाव करते समय भूमि की किस्म के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
घर की जगह का चुनाव करते समय भूमि की किस्म के बारे में जानकारी होनी इसलिए आवश्यक है क्योंकि मकान की सुरक्षा भूमि की किस्म पर निर्भर करती है। यदि भूमि रेतीली या नरम मिट्टी की होगी तो मकान किसी समय भी जमीन में धस सकता है और भूकम्प का थोड़ा-सा झटका नहीं सहार सकता। यदि मकान सख्त, मिट्टी वाली जगह पर बना हो तो वह सुरक्षित रहेगा।

प्रश्न 13.
घर बनाते समय अच्छा क्षेत्र तथा ज़रूरतों का पास होना क्यों ज़रूरी है? घर के लिये क्षेत्र का चुनाव क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
घर की जगह का चुनाव इलाका देखकर करना चाहिए। उस इलाके का चुनाव करना चाहिए जहां अपने सामाजिक स्तर के लोग रहते हों। इससे सामाजिक मेलजोल की कोई मुश्किल नहीं होगी ! इसके अतिरिका हमें रोजाना आवश्यकताओं को पूर्ति नज़दीकी इलाके से होनी चाहिए जैसे बाज़ार, स्कूल, मन्दिर, हस्पताल आदि। इससे समय और शक्ति की बचत होती है।

प्रश्न 14.
स्वास्थ्य का सफ़ाई से तथा सफ़ाई का घर से सीधा सम्बन्ध है, कैसे?
उत्तर-
सफ़ाई का स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है इसलिए सफ़ाई का होना अति आवश्यक है और सफ़ाई घर से होनी चाहिए। यदि सभी लोग अपने घर साफ़-सुथरे रखें तो वातावरण साफ़ करने में सहायता मिल सकती है। घर की सफ़ाई का अर्थ घर के अन्दर की सफ़ाई नहीं बल्कि घर के इर्द-गिर्द की सफ़ाई भी है। इससे बहुत-सी बीमारियों जैसे मलेरिया, हैजा, टी० बी० आदि से छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य, सफ़ाई और घर एक दूसरे से सम्बन्धित हैं।

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प्रश्न 15.
घर बनाते समय वायु का आवागमन तथा पानी का उचित प्रबन्ध क्यों होना चाहिए?
उत्तर-
हवा और पानी मानव की दो महत्त्वपूर्ण प्रारम्भिक आवश्यकताएं हैं। इनके बिना जीवन सम्भव नहीं है। मानवीय स्वास्थ्य साफ़-सुथरी हवा और पानी पर निर्भर है इसलिए घर में साफ़ पानी और हवा का प्रबन्ध होना चाहिए। इसलिए घर वहां बनाना चाहिए जहां हवा स्वच्छ हो और साफ पानी का प्रबन्ध हो सके। केवल इस स्थिति में ही परिवार के सदस्य तन्दुरुस्त रह सकते हैं। इसलिए गंदे इलाकों में कभी भी घर नहीं बनाना चाहिए।

प्रश्न 16.
वित्तीय प्रबन्ध से आप क्या समझते हो? घर बनाते समय इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-
घर बनाने या खरीदने के लिए काफ़ी अधिक धन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि घर बनाने के लिए सामान की कीमत, जगह की कीमत, मजदूरी, आर्कीटैक्ट के लिए काफ़ी पैसा चाहिए। कई बार मकान बनाते समय बजट बढ़ जाता है। इसलिए घर के लिए आवश्यक वित्तीय प्रबन्ध आवश्यक है। यह प्रबन्ध अपनी बचत, प्रोविडेण्ट फण्ड और कर्जे द्वारा किया जा सकता है। आजकल बहुत-सी बैंकों और अन्य संस्थाओं ने मकान बनाने के लिए ब्याज दरें कम कर दी हैं और सरकार भी ऐसे कर्जे पर आय – कर की छूट देती है। इसलिए आजकल मकान बनाने के लिए वित्त का प्रबन्ध पहले से आसान है।

प्रश्न 17.
वित्तीय प्रबन्ध कौन-कौन सी एजेन्सियों से किया जा सकता है?
उत्तर-
घर बनाने या खरीदते समय बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है। क्योंकि घर बनाने के लिए जगह की कीमत, इमारत बनाने के लिए सामान की कीमत, मजदूरी और आर्कीटैक्ट आदि के लिए पैसा चाहिए। वैसे भी मकान बनाते समय कई बार कीमतें इतनी बढ़ जाती हैं कि खर्चा बजट से बाहर चला जाता है । यदि यह सारा धन इकट्ठा करके घर खरीदना हो तो हो सकता है आदमी की यह इच्छा कभी भी पूरी न हो, इसलिए धन का प्रबन्ध करने के लिए कर्जा लेना पड़ सकता है। यह कर्जा निम्नलिखित एजेन्सियों से लिया जा सकता है

  1. बैंक
  2. ट्रस्ट
  3. लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनियां
  4. सरकारी सोसायटियां
  5. गैर सरकारी सोसायटियां
  6. सरकारी और गैर सरकारी मोर्टगेज़ कम्पनियां आदि।

प्रश्न 18.
घर बनाते समय कौन-कौन से कारक प्रभाव डालते हैं?
उत्तर-
इसके लिए देखें प्रश्न नं० १ का उत्तर।

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प्रश्न 19.
अपना घर बनाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
हर कोई अपना घर बनाना चाहता है क्योंकि इसके निम्नलिखित लाभ हैं

  1. अपना घर होना एक सामाजिक गर्व वाली बात है।
  2. हर महीने किराया नहीं देना पड़ता।
  3. घर एक पक्की जायदाद है, इसकी कीमत बढ़ती रहती है।
  4. अपने घर में हम अपनी इच्छा से परिवर्तन कर सकते हैं।
  5. घर आदमी को सुरक्षा की भावना प्रदान करता है।
  6. मालिक मकान से कभी झगड़ा नहीं होता।

प्रश्न 20.
अपना घर बनाने के क्या नुकसान हैं?
उत्तर-

  1. घर बनाते समय सारी बचत समाप्त हो जाती है और यदि कोई संकट आ जाए तो बहुत मुश्किल होती है।
  2. यदि पड़ोसी अच्छा न हो तो सारी जिंदगी का क्लेश रहता है।
  3. घर की मुरम्मत करवानी पड़ती है।
  4. घर बनाकर आदमी एक जगह से बन्ध जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 21.
घर के लिए कमरों का आयोजन कैसे करेंगे तथा कौन-कौन से कमरे ज़रूरी हैं?
उत्तर-
घर इन्सान की प्रारम्भिक आवश्यकताओं में एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। घर को मानवीय सभ्यता का आधार भी कहा जा सकता है। घर में परिवार के सदस्य इकट्ठे होकर अपनी-अपनी समस्याओं का हल ढूंढकर जीवन को सुखदायी बनाते हैं और सुरक्षित महसूस करते हैं । घर में ही मानव के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का आरम्भ होता है। घर को अस्तित्व में लाने के लिए मकान का होना आवश्यक है। मकान में एक छत के नीचे एक घर अस्तित्व में आता है। मकान का ढांचा परिवार की आवश्यकताओं और आर्थिक स्रोतों के अनुसार ही होना चाहिए। एक मध्यवर्गीय परिवार के मकान के लिए कमरों की योजनाबन्दी निम्नलिखित अनुसार होनी चाहिए

1. बैठक (Living Room) — घर जैसे भी हो उसमें एक कमरा ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी घर के व्यक्ति आराम से बैठ सकें और अपना-अपना काम जैसे स्वैटर बुनना, पेंटिंग करनी, समाचार-पत्र पढ़ना, टेलीविज़न देखना आदि कार्य कर सकें। बैठक में ही बाहर से आए नज़दीकी मेहमानों को बिठाकर उनकी खातिरदारी की जाती है। इसलिए कमरे में रोशनी और हवा के आने जाने का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए। यह कमरा घर के बाहर की ओर होना चाहिए ताकि मेहमानों को इस कमरे तक ले जाने के लिए और कमरों से न गुज़रना पड़े। यह कमरा कम-से-कम 15×15 फुट का होना चाहिए और आवश्यकता अनुसार बढ़ाया घटाया भी जा सकता है।

2. खाना खाने का कमरा (Dining Room) — खाना खाने का कमरा बैठक और रसोई के निकट होना चाहिए ताकि पकाया हुआ खाना वहां आसानी से लाया जा सके
और जूठे बर्तनों को रसोई में ले जाया जा सके। इस कमरे में रसोई सीधी नज़र नहीं आनी चाहिए। रसोई और खाना खाने के कमरे में एक खिड़की (Service Window) भी रखी जा सकती है। इस कमरे के दरवाजे और खिड़कियां जाली वाले होने चाहिएं ताकि मक्खी-मच्छर अन्दर न आ सकें। इस कमरे के निकट यदि कोई बरामदा या रास्ता हो तो वहां हाथ धोने के लिए टूटी (Wash basin) लगानी चाहिए ताकि खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोए जा सकें। कमरे में हवा और धूप का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए।

3. सोने का कमरा (Bed Room) — सोने वाले कमरे घर के पीछे होने चाहिएं। यदि इन कमरों का रुख उत्तर-पूर्व (North-East) की ओर हो तो ज्यादा बेहतर है ताकि चढ़ते सूर्य की धूप आ सके और दोपहर के समय कमरे अधिक गरम न हों और गर्मियों में वहां आराम से सोया जा सके । ये कमरे आरामदायक होने – चाहिएं। इनके निकट शोर नहीं होना चाहिए। इन कमरों में धूप, हवा का ठीक प्रबन्ध । होना चाहिए।

4. बच्चों का कमरा (Children’s Room) — यह कमरा माता-पिता के कमरे के । निकट होना चाहिए। इसमें बच्चों के खेलने के लिए खाली जगह होनी चाहिए। दीवारों पर लगे फट्टे (Shelves) नीचे होने चाहिए ताकि बच्चे अपने खिलौने और किताबें वहां से आसानी से उतार सकें। बिजली के प्लग ऊँचे होने चाहिएं। इस कमरे में रोशनी और हवा का योग्य प्रबन्ध होना चाहिए। इस कमरे की दीवारों के ऊपर पेंट करवा दिया जाए तो अच्छा रहता है ताकि बच्चों द्वारा खराब की दीवारों को पानी से धोकर साफ़ किया जा सके। इस कमरे में फ़र्नीचर नीचा होना चाहिए ताकि बच्चे उसको आसानी से प्रयोग कर सकें।

5. पढ़ने का कमरा (Reading Room) -जिस घर में बच्चे स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले हों या घर की मालकिन और मालिक पढ़ने-पढ़ाने का व्यवसाय करते हों वहां पढ़ने वाला कमरा होना आवश्यक है। इसमें हवा और रोशनी का प्रबन्ध होना आवश्यक है। बच्चों की आयु के अनुसार मेज़ और कुर्सियों की ऊँचाई और आकार होना चाहिए। इस कमरे में किताबों की अलमारी का होना भी आवश्यक है। पढ़ने के मेज़ पर रोशनी बाईं ओर से आनी चाहिए।

6. स्टोर (Store) -इस कमरे का आकार 10 x 6 फुट होना चाहिए। इसमें 2 x 2 फुट की चौड़ी सलैब (Shelf) होनी चाहिए जिस पर टरंक आदि टिकाए जा सकें। इसका दरवाज़ा सोने वाले कमरे में खुलना चाहिए। इसमें घर का फालतू और ज़रूरी सामान इस ढंग से रखना चाहिए ताकि उसको निकालने में कोई मुश्किल न हो।

7. रसोई (Kitchen) — एक साधारण गृहिणी अपना अधिकतर समय रसोई में ही गुज़ारती है। इसलिए रसोई साफ़-सुथरी, खूबसूरत और आरामदायक होनी चाहिए। इसमें काम करने के क्षेत्र और हौदी इस प्रकार बनी होनी चाहिए कि गृहिणी को रसोई में कम-से-कम चलना पड़े। रसोई का डिजाइन कई तरह का हो सकता है यू-आकार (U-Shape), एल-आकार (L-Shape), वी-आकार (V-Shape) हो सकता है। आजकल रेडिमेड रसोई का रिवाज भी बढ़ता जा रहा है पर कीमत अधिक होने के कारण इस तरह की रेडिमेड रसोई सिर्फ उच्च आय वर्ग ही बना सकते हैं। साधारण रसोई में काम करने वाले काऊंटर और हौदी की ऊँचाई फ़र्श से 30 से 32 इंच होनी चाहिए ताकि बिना झुके काम आसानी से किया जा सके। इस काऊंटर के नीचे गैस का सिलिण्डर, आटे वाला ड्रम और बर्तन रखने के लिए शैल्फ होने चाहिएं। रसोई के दरवाज़े और खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए और रसोई में धूप और हवा का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। इसका आकार कम-से-कम 80 वर्ग फुट होना चाहिए।

8. गुसलखाना (Bathroom) — आजकल बड़े शहरों में जहां फ्लश सिस्टम का प्रबन्ध है। गुसलखाना और पाखाना इकट्ठे ही बनाए जाते हैं। यदि हो सके तो गुसलखाना प्रत्येक सोने वाले कमरे के साथ जुड़ा हुआ होना चाहिए। इसमें नल और फव्वारे का प्रबन्ध होना चाहिए और एक और हौदी (Sink) भी होनी चाहिए। सर्दियों में पानी का प्रबन्ध भी ज़रूरी है। इसका फर्श पक्का और आसानी से साफ़ होने वाला चाहिए। इसकी ढलान नाली की ओर होनी चाहिए ताकि पानी जल्दी निकल सके। गुसलखाने की दीवारें कम-से-कम 3 फुट ऊँचाई तक ऐसी होनी चाहिएं जो आसानी से साफ़ हो सकें, यहां एक शैल्फ का होना आवश्यक है जहां साबुन, तेल और अन्य प्रयोग करने की वस्तु को रखा जा सके।

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प्रश्न 22.
घर में बैठक का क्या महत्त्व है ? बड़े और छोटे घरों में बैठक कैसी होती है?
उत्तर-
घर में बैठक (Living Room) एक महत्त्वपूर्ण जगह होती है। इसको घर का दिल भी कहा जाता है। घर में यह एक ऐसी जगह होती है जिससे घर की धड़कन का पता लगता है। इस जगह में बैठ कर परिवार के सभी सदस्य अपने आप को घर के साथ जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और सामूहिक रूप में मेहमानों का स्वागत करते हैं। घर में बैठक (Living Room) का निम्नलिखित महत्त्व होता है —

  1. परिवार की साझी जगह — बैठक सारे परिवार की साझी जगह होती है। इस जगह सभी सदस्य बैठकर अपने आपको परिवार से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। संयुक्त परिवारों में इस जगह का महत्त्व और भी अधिक होता है क्योंकि यह जगह बड़े परिवारों के सदस्यों की एक दूसरे से अपने दुःख साझे करने वाली जगह होती है।
  2. मेहमान का स्वागत करने वाली जगह — बैठक में बाहर से आए मेहमानों को बिठाया जाता है और उनका स्वागत किया जाता है। इस जगह पर परिवार के सभी सदस्य मेहमानों को मिलते हैं और बातचीत करते हैं।
  3. आराम करने वाली जगह — बैठक परिवार के सदस्यों के लिए आराम करने वाली जगह भी होती है। यहाँ बैठकर परिवार के सदस्य अखबार पढ़ते हैं, टी०वी० देखते हैं, स्वैटर बुनते हैं और आपस में छोटी-छोटी बातें करते हुए अपने आपको आराम देते हैं। इससे परिवार का वातावरण स्वस्थ रहता है।
  4. घर की समस्याओं को विचारने वाली जगह — बैठक में परिवार के सभी सदस्य बैठकर परिवार या परिवार के किसी भी सदस्य की समस्या के बारे विचार करते हैं। मिल बैठकर परिवार के सदस्यों में निकटता और हमदर्दी बढ़ती है संचार की भी कोई मुश्किल नहीं आती। इस जगह पर घर के प्रत्येक सदस्य अपनी राय दे सकता है और प्रत्येक सदस्य को सुना जाता है।

उपरोक्त कारणों के कारण बैठक की प्रत्येक घर में एक विशेष जगह और महत्ता होती है। बैठक की रौनक से ही परिवार के सदस्यों के आपसी सम्बन्धों के बारे जानकारी मिल जाती है। एक खुश परिवार की बैठकों में रौनकें ही रहती हैं।

प्रश्न 23.
(A) घर का चयन करते समय हमें कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
अथवा
घर बनाते समय हमें किन-किन बातों के बारे में सोचना चाहिए? विस्तार से लिखें।
अथवा
घर बनाते समय असर डालने वाले तत्त्वों के बारे में बताएं।
(B) घर का निर्माण करते समय पानी प्रबंधन कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
(A) घर बनाना परिवार के लक्ष्यों में से एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य होता है। प्रत्येक गृहिणी के मन में अपने घर का एक सपना होता है जिसकी पूर्ति करके उसको बेमिसास सन्तुष्टि और खुशी प्राप्त होती है। इसलिए घर बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों को सलाह और सोच-विचार करनी चाहिए ताकि एक ऐसा घर बनाया जाए जहां परिवार के सभी सदस्यों का बहुपक्षीय विकास हो सके। इसलिए घर बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है — घर के लिए जगह का चुनाव (Selection of Site)—घर के लिए जगह का चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण काम है क्योंकि घर बार-बार नहीं बनाए जाते और जगह के चुनाव के समय लिया ग़लत फैसला जीवन भर दुःख का कारण बन सकता है। घर बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए

  1. जगह सरकार की ओर से प्रमाणित हो।
  2. घर का आस-पास साफ़-सुथरा हो और वातावरण को गन्दा करने वाली कोई वस्तु न हो जैसे छप्पड़, फैक्टरी आदि।
  3. मकान की जगह थोड़ी ऊंची हो ताकि वर्षा का पानी एक दम बाहर निकल जाए और घर के पानी के निकास की भी कोई समस्या न हो।
  4. भट्ठा, शैलर, बस स्टैंड, फैक्टरियां, रेलवे स्टेशन के निकट घर नहीं बनाना चाहिए।
  5. परिवार के लिए काम आने वाली सुविधाएं भी निकट हों जैसे कि स्कूल, अस्पताल, बाज़ार आदि।
  6. घनी जनसंख्या वाले इलाके में भी घर नहीं बनाना चाहिए।
  7. घर रेलवे लाइन या बड़ी सड़क के निकट भी नहीं होना चाहिए।
  8. जगह का चुनाव अपने आर्थिक और सामाजिक स्तर अनुसार ही करना चाहिए।

घर की जगह का चुनाव अग्रलिखित कारणों पर भी निर्भर करता है —

  1. मिट्टी की किस्म (Kind of Soil) — मकान बनाने के लिए समतल और सख्त भूमि की आवश्यकता होती है। इसलिए रेतीली और पथरीली जगह पर मकान नहीं बनाया जा सकता । गड्ढों को भरकर बराबर की हुई जगह पर भी मकान बनाना ठीक नहीं रहता।
  2. इलाका (Locality) — मकान बनाने के लिए ऐसे इलाके का चुनाव करना चाहिए जहां अपने सामाजिक स्तर के लोग रहते हों। इस तरह से बच्चों और बूढ़ों को ठीक संगति मिल सकेगी और सामाजिक मेल-जोल बढ़ेगा। इस तरह के इलाके में ही व्यक्ति अपना सामाजिक पद प्राप्त कर सकेगा। यदि कोई ग़रीब व्यक्ति किसी अमीर कालोनी पर घर बना ले तो उसका जीवन सुखदायक नहीं हो सकता।
  3. पानी का प्रबन्ध (Water Supply) — पानी हमारी प्रारम्भिक आवश्यकताओं में से एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। घर के काम सुचारू रूप से करने के लिए साफ़-स्वच्छ और खुला पानी बहुत आवश्यक है। घर की जगह का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि साफ़-स्वच्छ पानी की . सप्लाई ठीक हो। पानी न होने की सूरत में घर के सभी कार्य जैसे नहाना, कपड़े धोना, खाना बनाना आदि रुक जाते हैं और साफ़-स्वच्छ पानी की कमी हमारा स्वास्थ्य खराब कर सकती है।
  4. हवा और रोशनी का आना-जाना (Ventilation and Light) — घर की जगह का चुनाव करते समय हवा के आने-जाने और रोशनी का ध्यान रखना अति आवश्यक है। इसलिए घनी जनसंख्या वाले इलाके और बहुमंजिली इमारतों वाली कालोनी में घर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि इन इलाकों में ताज़ी और साफ हवा और रोशनी आवश्यकता अनुसार नहीं मिल सकती।
  5. मूल्य (Value of Land) — मकान के लिए खरीदी जाने वाली जमीन का मूल्य अपनी क्षमता अनुसार होना चाहिए। व्यापारिक इलाकों में घर बनाने से गुरेज़ करना चाहिए क्योंकि वहां ज़मीन की कीमत बहुत अधिक होती है और यदि जगह खरीद ली जाए तो मकान बनाने के लिए पैसे नहीं बचते।
    उपरोक्त चर्चा के पश्चात् यह नतीजा निकाला जा सकता है कि मकान के लिए जगह का चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण फैसला है और यह फैसला ऊपरलिखित बातों को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

(B) देखें भाग (A)

प्रश्न 24.
घर बनाने का आर्थिक स्थिति से सीधा सम्बन्ध कैसे है? आप कैसे क्षेत्र में रहना पसन्द करोगे और क्यों?
उत्तर-
घर बनाना परिवार के महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक मुख्य लक्ष्य होता है। प्रत्येक गृहिणी के लिए उसकी मनपसन्द के घर का बनना एक सपना होता है। घर बनाने के लिए कई बातें महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे जगह का चुनाव और पैसा। पैसा मकान बनाने की पहली आवश्यकता है क्योंकि पैसे के बिना घर का सपना साकार नहीं हो सकता। पैसे की उपलब्धि घर की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। जगह खरीदने और मकान बनाने के लिए काफ़ी पैसा आवश्यक होता है। बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी आय या बचत में से मकान बना सकते हैं शेष लोगों को मकान बनाने के लिए पैसे का प्रबन्ध करना पड़ता है। आजकल के महंगाई के ज़माने में मकान बनाने वाले सामान पर बहुत खर्च होता है। आधुनिक मकान बनाने के लिए उसमें सभी सुविधाओं का होना आवश्यक समझा जाता है। प्रत्येक घर में बिजली, पानी, आधुनिक रसोई, बढ़िया बाथरूम, कूलर, एअर कंडीशनर, फर्नीचर आदि आवश्यक हो गया है। इसलिए मकान बनाने का अर्थ सिर्फ छत बनाना ही नहीं होता बल्कि उसमें सभी आधुनिक सुविधाओं को उपलब्ध करवाना होता है। इसलिए घर बनाने के लिए बहुत-सा पैसा चाहिए इसलिए, घर का स्तर, बनाने वाले की आर्थिक स्थिति से जुड़ा होता है। यद्यपि आज कल बहुतसे सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं से आसान और सस्ता ऋण मिलता है पर उस ऋण को उतारने के लिए घर की आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए।

घर बनाने के लिए उपयुक्त इलाका जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि घर बनाने का फैसला व्यक्ति की ज़िन्दगी का एक महत्त्वपूर्ण फैसला होता है और फैसला बड़ा सोच-विचार कर करना चाहिए।

घर बनाने के लिए जगह या इलाके का चुनाव एक अति महत्त्वपूर्ण फैसला है। हर समझदार व्यक्ति अपने घर के लिए ऐसे इलाके का चुनाव करेगा जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हों

  1. मकान बनाने के लिए जगह सरकार के द्वारा मंजूरशुदा हो-मकान बनाने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जो सरकार द्वारा मंजूरशुदा हो, नहीं तो मकान का नक्शा पास कराने और बिजली कुनैक्शन लेने में मुश्किल आएगी। गैर-मंजूरशुदा इलाके में बना मकान कई बार सरकार तोड़ देती है।
  2. आस-पास साफ़-सुथरा हो-मकान हमेशा ऐसे इलाके में बनाना चाहिए जो साफ़-सुथरा हो क्योंकि इर्द-गिर्द की गन्दगी बीमारियां फैला सकती है। इसलिए कभी भी मकान गन्दगी, स्टोर करने वाली जगह, छप्पड़, कारखानों और हड्डा रेढ़ी के निकट नहीं बनाना चाहिए।
  3. मकान की जगह ऊँची होनी चाहिए-कभी भी मकान नीची जगह में नहीं बनाना चाहिए क्योंकि थोड़ी वर्षा से भी ऐसे इलाकों में पानी भर जाता है जिससे मकान का नुकसान होता है और वातावरण दूषित हो जाता है। इसलिए मकान बनाने के लिए ऊँची जगह का चुनाव करना चाहिए।
  4. रेलवे लाइन या मुख्य सड़क से घर दूर होना चाहिए-मकान बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रेलवे लाइनों और मुख्य सड़क पास से गुज़रती न हो। क्योंकि इससे शोर प्रदूषण और हवा प्रदूषण बढ़ जाता है।
  5. रोज़ाना सुविधाएं निकट होनी चाहिएं-मकान ऐसी जगह बनाना चाहिए जहाँ बाज़ार, स्कूल, अस्पताल, बस अड्डा निकट पड़ते हों। इससे घर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समय और शक्ति दोनों ही बचते हैं। गृहिणी और परिवार के सदस्यों को सुख मिलता है।

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर जो व्यक्ति मकान बनाएगा उसको ज़िन्दगी में सुख और सन्तुष्टि प्राप्त होगी।

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Home Science Guide for Class 10 PSEB घर Important Questions and Answers

अति लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
आय के अनुसार भारतीय घरों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
तीन भागों में।

प्रश्न 2.
मध्यवर्गीय घरों में कितने कमरे होते हैं?
उत्तर-
ऐसे घरों में कम-से-कम तीन अथवा चार कमरे होते हैं।

प्रश्न 3.
घर में खिड़कियां तथा रोशनदान क्यों रखे जाते हैं?
उत्तर-
ताकि अच्छी वायु आ सके।

प्रश्न 4.
घर बनाने के लिए ऋण लेने के लिए कौन-सी एजेंसियां हैं?
उत्तर-
बैंक, जीवन बीमा कम्पनी, मकान विकास निगम आदि।

प्रश्न 5.
घर बनाते समय प्रभावित करने वाले दो कारकों के नाम बताओ।
उत्तर-
आर्थिक हालात, व्यवसाय।

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प्रश्न 6.
कार्य के आधार पर घर को कौन-कौन से क्षेत्रों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
एकान्त क्षेत्र, कार्य करने वाले क्षेत्र, मनोरंजन वाले क्षेत्र।

प्रश्न 7.
घर बनाने के लिए भूमि रेतीली या नर्म मिट्टी की क्यों नहीं होनी चाहिए?
उत्तर-
ऐसी भूमि पर घर नीचे धंस सकता है।

प्रश्न 8.
अपना घर बनाने का एक लाभ बताओ।
उत्तर-
घर एक पक्की जायदाद है इसकी कीमत बढ़ती रहती है।

प्रश्न 9.
बैठक का आकार कम-से-कम कितना होना चाहिए?
उत्तर-
15 फुट × 15 फुट, परन्तु आवश्यकता अनुसार कम-अधिक हो सकता है।

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प्रश्न 10.
घर बनाने की एक हानि बताओ।
उत्तर-
यदि पड़ोसी अच्छे न हों तो सदा के लिए क्लेश रहता है।

प्रश्न 11.
रसोई का डिजाईन कैसा हो सकता है?
उत्तर-
यू आकार, ऐल आकार आदि।

प्रश्न 12.
जिन इलाकों में घर बनाना है वहां लोगों का सामाजिक स्तर कैसा हो?
उत्तर-
अपने सामाजिक स्तर से मेल खाता हो।

प्रश्न 13.
रसोई का कम-से-कम आकार कितना हो?
उत्तर-
80 वर्ग फुट।

प्रश्न 14.
घर कैसे स्थान के पास नहीं होना चाहिए?
उत्तर-
बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, भट्ठा आदि के पास न हो।

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प्रश्न 15.
वायु का आवागमन और रोशनी के लिए घर में क्या होना चाहिए?
उत्तर-
खिड़कियां तथा रोशनदान।

प्रश्न 16.
आपके अनुसार हस्पताल घर के पास होना चाहिए या नहीं?
उत्तर-
होना चाहिए, इस प्रकार बीमारी की स्थिति में इलाज का प्रबन्ध शीघ्रता से हो जाता है।

लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
शिक्षा सम्बन्धी घर की आवश्यकता के बारे में बताएं।
उत्तर-
मनुष्य घर से ही अच्छे गुण, अच्छा व्यवहार, अच्छे संस्कार प्राप्त करता है। शिक्षा घर से ही शुरू होती है। शिक्षा के महत्त्व को समझने वाले घरों में बच्चे अधिक तथा ऊँची शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं।

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प्रश्न 2.
घर के लिए स्थान का चयन करते समय आस-पास क्या नहीं होना चाहिए?
उत्तर-
रेलवे लाइन या बड़ी सड़क नहीं होनी चाहिए, बहुत ऊँचे वृक्ष नहीं होने चाहिएं, भट्ठियां, बस स्टैंड, फैक्टरियां आदि भी नहीं होने चाहिएं। घर के आसपास छप्पड़, नाला या वातावरण को हानि पहुंचाने वाला कुछ नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 3.
अमीर लोगों के घर के बारे में बताएं।
उत्तर-
अमीर आदमियों के घर बड़े होते हैं तथा इनमें बहुत से कमरे होते हैं। इन घरों के पीछे नौकरों के रहने के लिए कमरे भी होते हैं।

प्रश्न 4.
घर बनाते समय वहां के इलाके और सफ़ाई का ध्यान कैसे रखना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 5.
घर बनाते समय वहां के स्थान और पानी के प्रबन्ध का ध्यान कैसे रखना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 6.
रसोई और बच्चों के कमरे का आयोजन किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 7.
घर के लिए जगह का चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण कैसे है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 8.
घर के लिए स्थान का चयन कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 9.
घर का चुनाव करते समय पानी का प्रबन्ध और जरूरतों का नज़दीक होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दो या एक कमरे वाले घरों के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
शहरों में जगह कम होती जा रही है तथा इसलिए कई परिवारों को एक या दो कमरों वाले घर में ही गुज़ारा करना पड़ रहा है। कई बार लोग किराये के घर में रहते हैं जो कि एक या दो कमरों वाले होते हैं।

दो कमरों वाले घर में बाहर वाले कमरे का प्रयोग बैठक, खाने तथा पढ़ने वाले कमरे के रूप में होता है। अन्दर वाला कमरा सोने तथा तैयार होने के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि घर में अधिक सदस्य हों तो बाहर वाले कमरे को रात के समय सोने के लिए प्रयोग किया जाता है। जब घर एक कमरे वाला हो तो उस कमरे में लकड़ी आदि का प्रयोग करके कमरे के दो भाग कर लिए जाते हैं तथा बाहरी भाग में पढ़ने, बैठने, खाने वाले कार्य किए जाते हैं। अन्दर वाले भाग में खाना पकाया जा सकता है। बैठक की तरफ पुस्तकें तथा सजावट का सामान रखा जाता है तथा सोने वाले भाग की तरफ वस्त्र या अन्य छोटा सजावटी सामान रखा जाता है। स्थान की कमी हो तो पर्दा टांग कर भी भाग किए जाते हैं। यदि कमरा अधिक छोटा हो तो दोहरे मन्तव्य वाला फर्नीचर प्रयोग में लाना चाहिए। जैसे सोफा जो कि रात को खोल कर बैड बन जाता है, दीवान दिन के समय बैठने तथा रात में सोने के काम आ जाता है।

प्रश्न 2.
अपना घर बनाने के क्या लाभ तथा हानियां हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 3.
बैठक तथा खाना खाने वाले कमरों का आयोजन कैसे करोगे?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 4.
व्यक्ति के पेशे के अनुसार घर किस प्रकार का बनाना चाहिए?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 5.
घर का चयन करते समय पानी का प्रबन्ध तथा आवश्यकता का नज़दीक होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 6.
घर बनाते समय प्रभाव डालने वाले तीन तत्वों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 7.
अपना घर बनाने के क्या नुकसान (हानियाँ) हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. आय के हिसाब से (अनुसार) घरों को …………. भागों में बांटा जा सकता है।
  2. घर बनाने के लिए समतल तथा ………………… भूमि अच्छी रहती है।
  3. बैठक का आकार कम-से-कम ………………. … फुट होना चाहिए।
  4. घर बनाना परिवार के महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक ……………… लक्ष्य है।
  5. रसोई का कम-से-कम आकार ……… वर्ग फुट होना चाहिए।

उत्तर-

  1. तीन,
  2. ठोस,
  3. 15 x 15,
  4. मुख्य,
  5. 80.

II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. घर बनाने के लिए समतल भूमि अच्छी होती है।
  2. साफ़-शुद्ध वायु स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
  3. घर, प्रकाशमान तथा वायु वाले स्थान पर हो।
  4. घर बनाने के लिए ऋण नहीं मिल सकता।
  5. मध्यमवर्गीय घरों में तीन या चार कमरे होते हैं।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आय के अनुसार भारतीय घरों को कितने भागों में बांटा जा सकता है
(क) दो
(ख) तीन
(ग) पांच
(घ) सात।
उत्तर-
(क) दो

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में ठीक है
(क) अपना घर होना सामाजिक मान का कारक है
(ख) माह के बाद किराया नहीं देना पड़ता
(ग) घर आदमी को सुरक्षा प्रदान करता है
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
घर बनाने के लिए ऋण देने वाली ऐजंसियां हैं
(क) बैंक
(ख) जीवन बीमा कम्पनी
(ग) सरकारी सोसायटियां
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

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घर PSEB 10th Class Home Science Notes

  1. घर के बिना मानव सुरक्षित नहीं रह सकता।
  2. घर मानवीय जीव को इन्सान बनाता है।
  3. आय के हिसाब से समाज में ग़रीब, मध्य वर्ग और अमीर वर्ग के लोग रहते हैं।
  4. घर के लिए बढ़िया सख्त भूमि और अच्छे साफ़-सुथरे इलाके का चुनाव करना चाहिए।
  5. घर में रोशनी, हवा और पानी का प्रबन्ध होना चाहिए।
  6. आ. मकान बनाने के लिए बहुत-सी संस्थाओं से सस्ता ऋण मिल जाता है।
  7. मकान बनाते समय आरकीटैक्ट की सलाह अवश्य लें।
  8. मकान परिवार के सदस्यों की आवश्यकता अनुसार बनाना चाहिए।
  9. अपना मकान बनाने से आदमी का सामाजिक स्तर ऊँचा होता है।
  10. मकान बनाने से उचित धन राशि का प्रबन्ध पहले करना चाहिए।

घर एक ऐसी जगह है जहां इन्सान अपनी मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। वास्तव में घर ही मनुष्य को एक जीव से इन्सान में परिवर्तित करता है। इसलिए घर को सामाजिक गुणों का पालना भी कहा जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

SST Guide for Class 10 PSEB भारत में कृषि विकास Textbook Questions and Answers

I. अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दो

प्रश्न 1.
“भारत में कृषि रोजगार का मुख्य साधन है।” इस पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
हमारी अर्थ-व्यवस्था में कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत है। 2014-15 में कार्यशील जनसंख्या का 46.2% भाग कृषि कार्यों में लगा हुआ है।

प्रश्न 2.
भारत के मुख्य भूमि सुधार कौन-से हैं ? कोई एक लिखो।
उत्तर-

  1. ज़मींदारी प्रथा को समाप्त कन्ना।
  2. काश्तकारी प्रथा में सुधार
  3. भूमि की जोतों पर उच्चतम सीमा का निर्धारण
  4. भूमि की पूरे देश में चकबंदी की गई है।
  5. सहकारी खेती
  6. भूदान यज्ञ का आरम्भ।

प्रश्न 3.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
हरित क्रान्ति से आशय कृषि उत्पादन विशेष रूप से गेहूँ तथा चावल के उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि में अधिक उपज वाले 4 जों के प्रयोग की नई तकनीक अपनाने के कारण सम्भव हुई।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति भारत की खाद्य समस्या के समाधान में किस प्रकार सहायक हुई है?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के कारण 1967-68 और उसके बाद के वर्षों में फसलों के उत्पादन में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई। वर्ष 1967-68 में, जिसे हरित क्रान्ति का वर्ष माना जाता है, अनाज का उत्पादन बढ़कर 950 लाख टन हो गया था। 2017-18 में अनाज का उत्पादन 2775 लाख टन था।

II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थ-व्यवस्था में कृषि के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था के लिए कृषि का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार है —

  1. आजीविका का प्रमुख स्त्रोत — इस व्यवसाय में भारत की कुल जनसंख्या का 46.2% भाग प्रत्यक्ष रूप से संलग्न है। अतः कृषि भारतीयों की आजीविका का प्रमुख साधन है।
  2. राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान — कृषि राष्ट्रीय आय में एक बड़ा भाग प्रदान करती है। राष्ट्रीय आय का लगभग 15.3% भाग कृषि से ही प्राप्त होता है।
  3. रोज़गार का साधन — भारतीय कृषि भारत की श्रम संख्या के सर्वाधिक भाग को रोज़गार प्रदान करती है और करती रहेगी।
  4. उद्योगों का योगदान — भारत के अनेक उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर ही आधारित हैं, जैसे-सूती वस्त्र, जूट, चीनी, तिलहन, हथकरघा, वनस्पति घी इत्यादि सभी उद्योग कृषि पर ही तो आधारित हैं।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में योगदान — भारत अपने कुल निर्यात का प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 18% भाग कृषि उपजों से बने पदार्थों के रूप में निर्यात करता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

PSEB 10th Class Social Science Guide भारत में कृषि विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
कृषि क्या है?
उत्तर-
फसलों को उगाने की कला व विज्ञान है।

प्रश्न 2.
भारत का कोई एक भूमि पुधार बताएं।
उत्तर-
काश्तकारी प्रथा में सुधार।

प्रश्न 3.
दालों का अधिकतम उत्पादक देश कौन-सा है?
उत्तर-
भारत।

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प्रश्न 4.
व्यावसायिक कृषि का एक उपकरण बताएं।
उत्तर-
आधुनिक तकनीक।

प्रश्न 5.
भारतीय कृषि विकास के लिए एक उपाय बताएं।
उत्तर-
सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि।

प्रश्न 6.
भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण बताएं।
उत्तर-
खेतों का छोटा आकार।

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प्रश्न 7.
हरित क्रान्ति का श्रेय किसे दिया जाता है?
उत्तर-
डॉ० नॉरमेन वेरलोग तथा डॉ० एम० एन० स्वामीनाथन।

प्रश्न 8.
भारत में हरित क्रान्ति के लिए उत्तरदायी एक तत्त्व बताएं।
उत्तर-
आधुनिक कृषि यन्त्रों का प्रयोग।

प्रश्न 9.
हरित क्रान्ति का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि।

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प्रश्न 10.
हरित क्रान्ति का एक दोष बताएं।
उत्तर-
कुछ फसलों तक सीमित।

प्रश्न 11.
हरित क्रान्ति कब आई थी?
उत्तर-
1967-68 में।

प्रश्न 12.
भारत में सिंचाई का मुख्य साधन क्या है?
उत्तर-
भूमिगत जल।

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प्रश्न 13.
भारतीय राष्ट्रीय आय में कृषि का मुख्य अंश कितना है?
उत्तर-
17.4 प्रतिशत।

प्रश्न 14.
2007-08 में जी० डी० पी० में कृषि का योगदान कितना था?
उत्तर-
15.3 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति क्या है?
उत्तर-
एक कृषि नीति जिसका उपयोग फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 16.
भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या अब जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है?
उत्तर-
लगभग 49 प्रतिशत।

प्रश्न 17.
भारत में हरित क्रान्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
किसानों की दशा में सुधार।

प्रश्न 18.
औद्योगिक विकास में कृषि के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों को कच्चा माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त कृषि बहुत-सी औद्योगिक वस्तुओं के लिए बाजार का स्रोत है।

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प्रश्न 19.
भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव से तात्पर्य है कि प्रति वर्ष आने वाली नई श्रम शक्ति को रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता है जिससे वे कृषि पर निर्भर हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
आधुनिक कृषि तकनीक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
आधुनिक कृषि तकनीक से अभिप्राय रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाइयों, उत्तम बीजों व समय पर सिंचाई के उपयोग से सम्बन्धित है।

प्रश्न 21.
भारत में कृषि के पिछड़ेपन के दो कारण लिखिए।
उत्तर-

  1. सिंचाई सुविधाओं की कमी
  2. अच्छे बीजों और रासायनिक उर्वरकों की कमी।

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प्रश्न 22.
भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के दो उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. वैज्ञानिक कृषि का प्रसार ।
  2. भूमि सुधार।

प्रश्न 23.
चकबन्दी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
चकबन्दी वह क्रिया है जिसके द्वारा किसानों को इस बात के लिए मनाया जाता है कि वे अपने इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में उसी किस्म और कुल उतने ही आकार के एक या दो खेत ले लें।

प्रश्न 24.
भारत में किए गए तीन भूमि सुधारों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. मध्यस्थों का उन्मूलन
  2. भूमि की चकबन्दी
  3. भूमि की अधिकतम हदबन्दी।

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प्रश्न 25.
जोतों की उच्चतम सीमा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जोतों की उच्चतम सीमा से अभिप्राय यह है कि भूमि-क्षेत्र की एक ऐसी सीमा निश्चित करना जिससे अधिक भूमि पर किसी व्यक्ति अथवा परिवार का अधिकार न रहे।

प्रश्न 26.
कृषि क्षेत्र को पर्याप्त साख-सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से भारत सरकार की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए किसानों को कम ब्याज पर उचित मात्रा में कर्ज दिलाने के लिए सहकारी साख समितियों का विकास किया गया है।

प्रश्न 27.
भारत में हरित क्रान्ति लाने का श्रेय किन व्यक्तियों को जाता है?
उत्तर-
भारत में हरित क्रान्ति लाने का श्रेय डॉ० नोरमान वरलोग तथा डॉ० एम० एन० स्वामीनाथन को जाता है।

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प्रश्न 28.
भारत में हरित क्रान्ति के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. उन्नत बीजों का प्रयोग
  2. रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग।

प्रश्न 29.
हरित क्रान्ति के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर-

  1. खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि
  2. किसानों के जीवन स्तर में वृद्धि।

प्रश्न 30.
हरित क्रान्ति के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर-

  1. क्षेत्रीय असमानताओं में वृद्धि
  2. केवल बड़े कृषकों को लाभ।

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प्रश्न 31.
हरित क्रान्ति किसे कहते हैं?
उत्तर-
हरित क्रान्ति एक कृषि नीति है जिसका प्रयोग फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 32.
HYV का विस्तार रूप बताएँ।
उत्तर-
High Yielding Variety Seeds.

प्रश्न 33.
कौन-सा देश दालों का सबसे अधिक उत्पादक है?
उत्तर-
भारत।

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प्रश्न 34.
व्यावसायिक खेती के आगतों के नाम बताएं।
उत्तर-
आधुनिक तकनीकी, HYV बीज।

प्रश्न 35.
कृषि में निम्न भूमि उत्पादकता क्यों है?
उत्तर-
क्योंकि इसमें उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न 36.
पुरातन कृषि की निर्भरता के दो तत्त्व बताएं।
उत्तर-
मानसून और प्राकृतिक उत्पादकता।

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प्रश्न 37.
भारत में कितने प्रतिशत संख्या अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है?
उत्तर-
लगभग 48.9 प्रतिशत।

प्रश्न 38.
तीन क्रियाओं के नाम बताइए जो कृषि सेवक से सम्बन्धित हैं।
उत्तर-

  1. पशुपालन,
  2. वानिकी,
  3. मत्स्यपालन।

प्रश्न 39.
वर्ष 2011-12 में कृषि का GDP में कितना हिस्सा था?
उत्तर-
लगभग 13.9 प्रतिशत।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. फसलों को उगाने की कला व विज्ञान ……….. है। (कृषि/विनिर्माण)
  2. भारत में हरित क्रान्ति का उद्भव ………… में हुआ। (1948-49/1966-67)
  3. वर्ष 1950-51 में कृषि का भारत की राष्ट्रीय आय में योगदान ………… प्रतिशत था। (48/59)
  4. ……….. दालों का उत्पादक सबसे बड़ा देश है। (पाकिस्तान/भारत)
  5. ………… भारत में सिंचाई का मुख्य साधन है। (भूमिगत जल/ट्यूबवैल)
  6. भारत में हरित क्रान्ति का श्रेय ……….. को दिया जाता है। (जवाहर लाल नेहरू/डॉ० नारमन वरलोग)
  7. वर्तमान में कृषि भारत की राष्ट्रीय आय में ……….. प्रतिशत का योगदान दे रही है। (14.6 / 15.3)

उत्तर-

  1. कृषि,
  2. 1966-67,
  3. 59,
  4. भारत,
  5. भूमिगत जल,
  6. डॉ० नारमन वरलोग,
  7. 15.3.

III. बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
भारत का एक भूमि सुधार बताएं।
(A) चकबन्दी
(B) मध्यस्थों का उन्मूलन
(C) भूमि की उच्चतम सीमा
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 2.
वर्ष 2007-08 के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का क्या योगदान था?
(A) 14.6
(B) 15.9
(C) 17.1
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(A) 14.6

प्रश्न 3.
कौन-सा देश दालों का अधिकतम उत्पादक देश है?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) श्रीलंका
(D) नेपाल।
उत्तर-
(A) भारत

प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति का उद्भव कब हुआ?
(A) 1966-67
(B) 1969-70
(C) 1985-86
(D) 1999-2000
उत्तर-
(A) 1966-67

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प्रश्न 5.
वर्तमान में कषि का भारत की राष्ट्रीय आय में क्या योगदान है?
(A) 12.6
(B) 15.3
(C) 14.2
(D) 15.8.
उत्तर-
(B) 15.3

प्रश्न 6.
HYV का अर्थ है
(A) Haryana Youth Variety
(B) Huge Yeild Variety
(C) High Yeilding Variety
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(C) High Yeilding Variety

IV. सही/गलत

  1. हरित क्रान्ति भारत में वर्ष 1947 में आई।
  2. भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है।
  3. भारत में हरित क्रान्ति का जनक डा० नारमन बरलोग है।
  4. चकबन्दी भूमि सुधार का एक प्रकार है।

उत्तर-

  1. गलत
  2. सही
  3. सही
  4. सही।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
“कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।” इस कथन का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर-
कृषि का भारतीय अर्थ-व्यवस्था में एक केन्द्रीय स्थान हैं। कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था में रोजगार की दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। इससे राष्ट्रीय आय में 15.3% की प्राप्ति होती है। कृषि क्षेत्र में कार्यशील जनसंख्या का 46.2% भाग प्रत्यक्ष रूप से लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त बहुत-से व्यक्ति कृषि पर निर्भर व्यवसायों में कार्य करके जीविका प्राप्त करते हैं। यह औद्योगिक विकास में भी सहायक है। कृषि जनसंख्या की भोजन आवश्यकताओं को पूरा करती है। यह व्यापार, यातायात व अन्य सेवाओं के विकास में भी सहायक है। वास्तव में, हमारी अर्थ-व्यवस्था की सम्पन्नता कृषि की सम्पन्नता पर निर्भर करती है। अत: यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।

प्रश्न 2.
भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन प्रमुख कारकों की व्याख्या करें।
उत्तर-

  1. भूमि पर जनसंख्या के दबाव में वृद्धि-भूमि पर जनसंख्या दबाव में वृद्धि के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति भू-उपलब्धता में कमी हुई है, जिससे कृषि में आधुनिक तरीकों को अपनाने में कठिनाई आती है।
  2. कृषकों का अशिक्षित होना-भारत में अधिकांश कृषक अशिक्षित हैं। अत: उन्हें कृषि के उन्नत तरीके सिखाने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  3. साख, विपणन, भण्डारण आदि सेवाओं की कमी-इन सेवाओं की कमी के कारण किसानों को बाध्य होकर अपनी फसल को कम कीमत पर बेचना पड़ता है।

प्रश्न 3.
“कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं न कि प्रतिद्वन्द्वी।” इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
कृषि और उद्योग एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी नहीं बल्कि पूरक हैं । कृषि द्वारा उद्योगों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। उद्योग श्रमिकों की पूर्ति करते हैं। कई प्रकार के अनेक उद्योगों को कच्चे माल की पूर्ति कृषि द्वारा ही की जाती है, जैसे-कच्ची कपास, जूट, तिलहन, गन्ना ऐसे ही कृषि उत्पाद हैं जो उद्योगों को कच्चे माल के रूप में दिए जाते हैं। दूसरी ओर भारतीय कृषि हमारे औद्योगिक उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण खरीददार है, कृषि के लिए कृषि उपकरण जैसे-ट्रैक्टर, कम्बाइन, ड्रिल, हार्वेस्टर इत्यादि उद्योगों से प्राप्त होते हैं। कृषि को डीज़ल, बिजली, पेट्रोल उद्योगों से ही तो प्राप्त होते हैं। अतः हम देखते हैं कि कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।

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प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अभिप्राय कृषि उत्पादन में उस तेज़ वृद्धि से है जो थोड़े समय में उन्नत किस्म के बीजों तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के फलस्वरूप हुई है। हरित क्रान्ति योजना को कृषि की नई नीति भी कहा जाता है। इसे 1966 में शुरू किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनाज का उत्पादन बढ़ाकर आत्म-निर्भर होना है। भारत जैसी घनी जनसंख्या और समय-समय पर अनाज की कमी वाले देश में इस योजना का बहुत ही अधिक महत्त्व है।
इस योजना के अधीन विभिन्न राज्यों में कुल बोए जाने वाले क्षेत्र के चुने हुए भागों में गेहूँ तथा चावल की नई , किस्में तथा देश में विकसित अधिक उपज देने वाली मक्का, ज्वार, बाजरा की किस्मों का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही बहु-फसली कार्यक्रम, सिंचाई की व्यवस्था व पानी का ठीक प्रबन्ध तथा सूखे क्षेत्रों का योजनाबद्ध विकास किया गया जिससे अनेक फसलों का उत्पादन बढ़ा।
यह क्रान्ति पंजाब और हरियाणा में आश्चर्यजनक रूप से सफल हुई।

प्रश्न 5.
भारत में जोतों की चकबन्दी के लाभ बताइए।
उत्तर-
भारत में चकबन्दी के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

  1. चकबन्दी के पश्चात् वैज्ञानिक ढंग से खेती की जा सकती है।
  2. एक खेत से दूसरे खेत में जाने से जो समय नष्ट होता है वह बच जाता है।
  3. किसान को अपनी भूमि की उन्नति के लिए कुछ रुपया व्यय करने का साहस हो जाता है।
  4. चकबन्दी के कारण खेती की मुंडेर बनाने के लिए भूमि बेकार नहीं करनी पड़ती है।
  5. सिंचाई अच्छी प्रकार से की जाती है।
  6. नई प्रकार की खेती करने से व्यय कम होता है और आय बढ़ जाती है।
  7. गांव में मुकद्दमेबाज़ी कम हो जाती है।
  8. चकबन्दी के बाद जो फालतू भूमि निकलती है, उसमें बगीचे, पंचायत, घर, सड़कें, खेल के मैदान बनाए जा सकते हैं।

संक्षेप में चकबन्दी के द्वारा विखण्डन की समस्या सुलझ जाती है। खेतों का आकार बड़ा हो जाता है। इससे कृषि उपज बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।

प्रश्न 6.
हरित क्रान्ति को सफल बनाने के लिए सुझाव दें।
उत्तर-

  1. सहकारी साख समितियों को सुदृढ़ बनाना चाहिए तथा कृषकों को साख उत्पादन क्षमता के आधार पर प्रदान करनी चाहिएं।
  2. सेवा सहकारिताओं द्वारा उर्वरक, दवाइयां, उन्नत बीज, सुधरे हुए कृषि यन्त्र तथा अन्य उत्पादन की आवश्यकताएं उपलब्ध करानी चाहिएं। साख कृषकों को सरलता से प्राप्त होनी चाहिए।
  3. चावल, गेहूं और मोटे अनाजों के लिए प्रेरणादायक मूल्य दो वर्ष पूर्व घोषित किए जाने चाहिएं।
  4. कृषि उपज के विपणन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. प्रत्येक गांव को सघन कृषि के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उनकी शैक्षणिक, तकनीकी और फार्म प्रबन्ध से सम्बन्धित सहायता करनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
सिंचाई किसे कहते हैं? यह आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
सिंचाई से अभिप्राय प्रायः मानवकृत स्रोतों के उपयोग से है, जिससे भूमि को जल प्रदान किया जाता है। सिंचाई के साधनों का कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। कृषि की नई नीति के अनुसार खाद, उन्नत बीजों का प्रयोग तभी सम्भव हो सकता है जब सिंचाई की व्यवस्था हो। भारत में अभी तक केवल 35% कृषि क्षेत्रफल पर सिंचाई की व्यवस्था है। इसे बढ़ाने के लिए प्रत्येक योजना में विशेष रूप से प्रयत्न किया गया है। सिंचाई के फलस्वरूप देश में बहुफसली खेती सम्भव होगी।

प्रश्न 8.
भारत में सिंचाई के प्रमुख स्रोत लिखें।
उत्तर-
सिंचाई के स्रोत-सिंचाई के लिए जल दो मुख्य साधनों से प्राप्त होता है —

  1. भूमि के ऊपर का जलयह जल नदियों, नहरों, तालाबों, झीलों आदि से प्राप्त होता है।
  2. भूमिगत जल-यह जल भूमि के अन्दर से कुएं या ट्यूबवैल आदि खोद कर प्राप्त होता है। अतएव कुएं, तालाब, नहरें आदि सिंचाई के साधन कहलाते हैं। भारत में सिंचाई के साधनों को तीन भागों में बांटा गया है —
    1. बड़ी सिंचाई योजनाएं-बड़ी योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 10 हज़ार हैक्टेयर से अधिक कृषि योग्य व्यापक क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
    2. मध्यम सिंचाई योजनाएं-मध्यम योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 2 हज़ार से 10 हज़ार हैक्टेयर तक भूमि पर सिंचाई की जाती है।
    3. लघु सिंचाई योजनाएं-अब लघु योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 2 हज़ार हैक्टेयर से कम भूमि पर सिंचाई की जाती है।

प्रश्न 9.
क्या हम उत्पादन को अधिकतम करने में सफल हुए हैं विशेषकर खाद्यान्न के उत्पादन को?
उत्तर-
कृषि के विकास में योजनाओं का योगदान दो प्रकार का है, एक तो कृषि में भूमि सुधार किए गए हैं। इन भूमि सुधारों ने उन्नत खेती के लिए वातावरण तैयार किया है। दूसरे 1966 से कृषि के तकनीकी विकास पर जोर दिया गया है। इसके फलस्वरूप हरित क्रान्ति हो चुकी है। योजनाओं की अवधि में खाद्यान्न का उत्पादन तिगुना बढ़ा है। 1951-52 में अनाज का उत्पादन 550 लाख टन हुआ था जबकि 1995-96 में यह खाद्यान्न का उत्पादन बढ़कर 1851 लाख टन हो गया और 2017-18 में यह उत्पादन बढ़कर 2775 लाख टन हो गया। अतः हम कह सकते हैं कि हम उत्पादन को बढ़ाने में काफ़ी हद तक सफल हुए हैं।

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प्रश्न 10.
हरित क्रान्ति के बाद भी 1990 तक हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में ही क्यों लगी रही?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के बाद भी 1990 तक हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में ही इसलिए लगी रही क्योंकि उद्योग क्षेत्र और सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की अत्यधिक मात्रा को नहीं खपा सके। बहुत से अर्थशास्त्री इसे 1950-1990 के दौरान अपनाई गई नीतियों की असफलता मानते हैं।

प्रश्न 11.
विक्रय अधिशेष क्या है?
उत्तर-
एक देश में किसान अगर अपने उत्पादन को बाज़ार में बेचने के स्थान पर स्वयं ही उपभोग कर लेता है तो उसका अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता है और अगर किसान पर्याप्त मात्रा में अपना उत्पादन बाजार में बेच देता है तो अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। किसानों द्वारा उत्पादन का बाज़ार में बेचा गया अंश ही ‘विक्रय अधिशेष’ कहलाता है।

प्रश्न 12.
कृषि क्षेत्रक में लागू किए गए भूमि सुधारों की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय देश की भू-धारण पद्धति में ज़मींदार-जागीरदार आदि का स्वामित्व था। यह खेतों में बिना कोई कार्य किए केवल लगान वसूलते थे। भारतीय कृषि क्षेत्र की निम्न उत्पादकता के कारण भारत को यू० एस० ए० से अनाज आयात करना पड़ता था। कृषि में समानता लाने के लिए भू-सुधारों की आवश्यकता हुई जिसका मुख्य उद्देश्य जोतों के स्वामित्व में परिवर्तन करना था।
भूमि सुधारों के प्रकार —

  1. ज़मींदारी उन्मूलन
  2. काश्तकारी खेती
  3. भूमि की उच्चतम सीमा निर्धारण
  4. चकबंदी इत्यादि।

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प्रश्न 13.
हरित क्रान्ति क्या है ? इसे क्यों लागू किया गया और इससे किसानों को कैसे लाभ पहुँचा? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हरित क्रान्ति-भारत में यन्त्रीकरण के फलस्वरूप सन् 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी वृद्धि किसी क्रान्ति से कम नहीं थी। इसलिए अर्थशास्त्रियों ने इसे हरित क्रान्ति का नाम दिया।
कारण-इसे लागू करने का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में अच्छे किस्म के बीज, रासायनिक खाद, आधुनिक यन्त्रों का प्रयोग करने कृषि उत्पादन को बढ़ाना था ताकि देश को खाद्यान्न पदार्थों के लिए विदेशों के आयात पर निर्भर न रहना पड़े।
लाभ-

  1. इससे उत्पादन में भारी वृद्धि हुई और किसानों का जीवन स्तर ऊँचा उठा।
  2. किसानों को आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई।
  3. हरित क्रान्ति के कारण सरकार, पर्याप्त खाद्यान्न प्राप्त कर सुरक्षित स्टॉक बन सकी।
  4. इसमें किताबों को अच्छे किस्म के बीज, खाद आदि का प्रयोग करने की प्रेरणा दी गई।

प्रश्न 14.
भूमि की उच्चतम सीमा क्या है?
उत्तर-
भूमि की उच्चतम सीमा (Ceiling on Land Holding)-भूमि की उच्चतम सीमा का अर्थ है, “एक व्यक्ति या परिवार अधिक-से-अधिक कितनी खेती योग्य भूमि का स्वामी हो सकता है। उच्चतम सीमा से अधिक भूमि भू-स्वामियों से ले ली जाएगी। उन्हें इसके बदले मुआवजा दिया जाएगा।” इस प्रकार जो भूमि ली जाएगी उसे छोटे किसानों, काश्तकारों या भूमिहीन कृषि मजदूरों में बांट दिया जाएगा। भूमि की उच्चतम सीमा का उद्देश्य भूमि के समान तथा उचित प्रयोग को प्रोत्साहन देना है।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति भारत की खाद्य समस्या के समाधान में किस प्रकार सहायक हुई है?
उत्तर-
इसके मुख्य कारण हैं —

  1. उत्पादन में वृद्धि-हरित क्रान्ति के फलस्वरूप 1967-68 और उसके बाद के वर्षों में फसलों में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
  2. फसलों के आयात में कमी-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप भारत में खाद्यान्न के आयात पहले की अपेक्षा कम होने लगे हैं।

इसका मुख्य कारण देश में उत्पादन का अधिक होना है। – (ii) व्यापार में वृद्धि-हरित क्रान्ति के फलस्वरूप उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। इससे कृषि उत्पादों को बाज़ार पूर्ति में वृद्धि हुई है, इससे घरेलू व विदेशी व्यापार बढ़ा है। बढ़ा हुआ कृषि उत्पादन निर्यात भी किया जाने लगा है।

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प्रश्न 16.
भारतीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिये सरकार का क्या योगदान रहा है?
उत्तर-
भारतीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं —

  1. भूमि सुधार
  2. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार
  3. वितरण प्रणाली में सुधार
  4. कृषि अनुसंधान एवं विकास
  5. कृषि योग्य भूमि का विकास
  6. कृषि विपणन में सुधार
  7. साख सुविधाओं का विस्तार आदि।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कृषि क्षेत्र की क्या समस्याएं हैं?
उत्तर-
कृषि क्षेत्र की निम्न समस्याएं हैं —

  1. विपणन की समस्या (Problem of Marketing) — भारत में कृषि उत्पादन की बिक्री व्यवस्था ठीक नहीं है जिसके कारण किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। यातायात के साधन विकसित न होने के कारण किसानों को अपनी फसल गांवों में ही कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।
  2. वित्त सुविधाओं की समस्या (Problem of Credit Facilities) — भारत के किसानों के सामने वित्त की समस्या भी एक मुख्य समस्या है। उन्हें बैंकों तथा अन्य सहायक समितियों से समय पर साख उपलब्ध नहीं हो पाती है जिससे उन्हें महाजनों से अत्यधिक ब्याज पर ऋण लेना पड़ता है। अतः वित्त की समस्या भारतीय कृषि की एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
  3. ग्रामीण ऋणग्रस्तता की समस्या (Problem of Rural Indebtness) — भारतीय कृषि में ऋणग्रस्तता भी एक महत्त्वपूर्ण समस्या है। भारतीय किसान जन्म से ही ऋण में दबा होता है। एम० एस० डार्लिंग के अनुसार, “भारतीय किसान कर्ज़ में जन्म लेता है, उसमें ही रहता है तथा उसमें ही मर जाता है।”
  4. कीमत अस्थिरता की समस्या (Problem of Price Instability) — हरित क्रांति के फलस्वरूप एक और समस्या कृषि क्षेत्र में आ गई है जिससे अधिक उत्पादन होने के फलस्वरूप कीमतों में कमी आने की समस्या आ गई है। जिससे किसानों को अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरणा कम मिलती है। कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव भी कृषि क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
  5. सिंचाई व्यवस्था की समस्या (Problem of Irrigation Facility) — भारतीय कृषि में सिंचाई की व्यवस्था भी एक समस्या है। भारत में केवल 20 प्रतिशत कृषि पर ही सिंचाई की उचित सुविधा है। बाकी कृषि मानसून के भरोसे होती है। अगर मानसून सही समय पर आए और बारिश हो तो फसल अच्छी होगी अन्यथा नहीं।
  6. छोटे जोतों की समस्या (Problem of small holding) — भारतीय कृषि में जोतों का आकार बहुत छोटा है और यह छोटे-छोटे जोत बिखरे पड़े हुए हैं। इनका आकार छोटा होने के कारण इन पर आधुनिक मशीनों का प्रयोग संभव नहीं हो पाता है जिससे कि उत्पादकता कम रहती है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

प्रश्न 2.
कृषि क्षेत्र में लागू किए गए भूमि सुधारों की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की भू-धारण पद्धति में ज़मींदार-जागीरदार आदि का स्वामित्व था। यह खेतों में बिना कोई कार्य किए केवल लगान वसूलते थे। भारतीय कृषि क्षेत्र की निम्न उत्पादकता के कारण भारत को यू० एस० ए० से अनाज आयात करना पड़ता था। कृषि में समानता लाने के लिए भू-सुधारों की आवश्यकता हुई जिसका मुख्य उद्देश्य जोतों के स्वामित्व में परिवर्तन करना था।
भूमि सुधारों के प्रकार —

  1. ज़मींदारी उन्मूलन
  2. काश्तकारी खेती
  3. भूमि की उच्चतम सीमा निर्धारण
  4. चकबंदी इत्यादि।

बिचौलियों के उन्मूलन का नतीजा यह था कि लगभग 200 लाख किसानों का सरकार से सीधा संपर्क हो गया तथा वे ज़मींदारों के द्वारा किए गये शोषण से मुक्त हो गये।

भारत में कृषि विकास PSEB 10th Class Economics Notes

  1. कृषि-एक खेत में फसलों व पशुओं के उत्पादन सम्बन्धी कला या विज्ञान को कृषि कहते हैं।
  2. कृषि का महत्त्व-राष्ट्रीय आय में योगदान, खाद्य पूर्ति का साधन, रोज़गार का माध्यम, उद्योग का आधार, जीवन का साधन, कृषि व विदेशी व्यापार, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, यातायात के लिए आधार, सरकारी आय तथा पूंजी निर्माण आदि में कृषि महत्त्वपूर्ण है।
  3. कृषि की समस्याएं-मानवीय समस्याएं जैसे भूमि पर जनसंख्या का दबाव, सामाजिक वातावरण, संस्थागत समस्याएं जैसे जोतों का छोटा आकार, काश्तकारी व्यवस्था। तकनीकी समस्याएं जैसे सिंचाई की कम सुविधाएं, पुराने कृषि उपकरण, पुरानी उत्पादन तकनीकें, अच्छे बीजों का अभाव, खाद की समस्या, त्रुटिपूर्ण कृषि बाज़ार व्यवस्था, फसलों की बीमारियां व कीड़े-मकौड़े, साख सुविधाओं का अभाव तथा कमज़ोर पशु आदि कृषि की समस्याएं हैं।
  4. हरित क्रांति-हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादन विशेष रूप से गेहूँ तथा चावल के उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि में अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग की नई तकनीक अपनाने से सम्भव हुई है।
  5. हरित क्रांति की सफलता के मुख्य तत्त्व-अधिक उपज वाले बीज, रसायन खादें, सिंचाई, आधुनिक कृषि यंत्रीकरण, साख-सुविधाएं, कृषि की नई तकनीक, पौध संरक्षण, कीमत सहयोग, ग्रामीण विद्युतीकरण, भू-संरक्षण, बाज़ार सुविधाएं आदि हरित क्रांति की सफलता के मुख्य तत्त्व हैं।
  6. भूमि सुधार-भूमि सुधार से अभिप्राय मनुष्य तथा भूमि में पाए जाने वाले संबंध के योजनात्मक तथा संस्थागत पुनर्गठन से है।
  7. कृषि नीति-कृषि नीति से अभिप्राय संस्थागत सुधारों को अपनाने से है जिससे कृषि का सर्वांगीण विकास हो सके।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

SST Guide for Class 10 PSEB भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दो

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार, लोकतन्त्र लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन होता है।

प्रश्न 2.
भारतीय लोकतन्त्र की एक विशेषता बताओ।
उत्तर-

  1. लोकतान्त्रिक संविधान
  2. नागरिकों के अधिकार
  3. वयस्क मताधिकार
  4. संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 3.
चुनाव विधियां कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर-
चुनाव विधियां दो प्रकार की होती हैं-प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली तथा अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

प्रश्न 4.
लोकमत से आपका क्या भाव है?
उत्तर-
लोकमत से हमारा अभिप्राय जनता की राय अथवा मत से है।

प्रश्न 5.
स्वस्थ लोकमत के निर्माण में किसी एक बाधा का नाम लिखें।
उत्तर-
निरक्षर नागरिक।

प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म कब तथा किन नेताओं के नेतृत्व में हुआ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म 1885 ई० में एक अंग्रेज़ अधिकारी मि० ए० ओ० ह्यम तथा अन्य देशभक्त नेताओं के नेतृत्व में हुआ।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

(ख) निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें

  1. भारत में धर्म-निरपेक्षता
  2. शिरोमणि अकाली दल की प्रमुख विचारधारा
  3. भारत के किसी एक राष्ट्रीय दल पर संक्षिप्त नोट लिखें।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा
  5. भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा

उत्तर-

  1. भारत में धर्म-निरपेक्षता-भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है क्योंकि भारत में किसी धर्म को राज्य धर्म स्वीकार नहीं किया गया।
  2. शिरोमणि अकाली दल की प्रमुख विचारधारा
    1. निर्धनता, अभाव तथा भुखमरी को दूर करना।
    2. अनपढ़ता, छुआछूत तथा जातीय भेदभाव को दूर करना।
    3. शारीरिक आरोग्यता के उपाय।
  3. भारत का एक राष्ट्रीय दल-बहुजन समाज पार्टी की स्थापना 1948 में कासी राम ने की थी। यह पार्टी जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियां और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल है, उनके लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास करती है तथा उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। यह दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दे उठाती है।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा-
    1. धर्म-निरपेक्ष और समाजवादी राष्ट्र की स्थापना।
    2. गुट-निरपेक्षता।
    3. औद्योगिक क्षेत्र में सुधार।
    4. कृषि का आधुनिकीकरण।
  5. भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा-
    1. समान सिविल कोड
    2. धारा 370 की समाप्ति
    3. निर्धनता तथा बेरोज़गारी की समाप्ति
    4. गुट-निरपेक्ष विदेश नीति।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारतीय लोकतन्त्र की चुनाव प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न सोपानों का वर्णन इस प्रकार है

  1. उम्मीदवार का चयन-निर्वाचन के कुछ दिन पूर्व विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों का चयन करते हैं।
  2. नामांकन-पत्र दाखिल करना-उम्मीदवारों के चयन के बाद उन्हें अपना नामांकन-पत्र दाखिल करना पड़ता है। नामांकन-पत्र दाखिल करने की अन्तिम तिथि घोषित कर दी जाती है। इसके बाद नामांकन-पत्रों की जाँच की जाती है। यदि कोई उम्मीदवार अपना नाम वापस लेना चाहे तो वह निश्चित तिथि तक ऐसा कर सकता है।
  3. चुनाव अभियान-निर्वाचन प्रक्रिया का आगामी चरण चुनाव अभियान है। इसके लिए पोस्टर लगाना, सभाएं करना, भाषण देना, जुलूस निकालना आदि कार्य किये जाते हैं।
  4. मतदान-निश्चित तिथि को मतदान होता है। मतदाता मतदान कक्ष में जाते हैं और गुप्त मतदान द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
  5. मतगणना-मतदान समाप्त होने पर मतों की गिनती की जाती है। जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 2.
लोकमत की भूमिका बताओ।
उत्तर-
लोकमत अथवा जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की आत्मा होता है, क्योंकि लोकतान्त्रिक सरकार अपनी शक्ति लोकमत से ही प्राप्त करती है। ऐसी सरकार का सदा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र लोगों का राज्य होता है। ऐसी सरकार जनता की इच्छाओं और आदेशों के अनुसार कार्य करती है। प्राय: यह देखा गया है कि आम चुनाव काफ़ी लम्बे समय के पश्चात् होते हैं जिसके फलस्वरूप जनता का सरकार से भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप सम्पर्क टूट जाता है और सरकार के निरंकुश बन जाने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है। इससे लोकतन्त्र का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की सफलता का मूल आधार बन जाता है।

(घ) निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखो

प्रश्न 1.
शिरोमणि अकाली दल के मूल उद्देश्य।
उत्तर-
शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 1920 में हुई थी। 2 सितम्बर, 1974 को शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति ने इस दल का एक विधान स्वीकार किया। इस विधान में निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन है

  1. गुरुद्वारों के प्रबन्ध में सुधार और उनकी सेवा सम्भाल के लिए प्रयत्न करना।
  2. सिक्खों में यह विश्वास बनाए रखना कि उनके पंथ का आज़ाद अस्तित्व है।
  3. निर्धनता, अभाव तथा भुखमरी को दूर करना, आर्थिक प्रबन्ध को अधिक न्यायकारी बनाना और निर्धन तथा धनी के अन्तर को दूर करना।
  4. निरक्षरता, छुआछूत तथा जातीय भेदभाव को दूर करना।
  5. शारीरिक आरोग्यता तथा स्वारशः रक्षा के लिए उपाय करना।

प्रश्न 2.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विदेश नीति पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी। यह दल आज भी भारतीय राजनीति में सक्रिय है। इस दल की नीतियों और प्रोग्रामों का वर्णन इस प्रकार है

  1. लोकतन्त्र और धर्म-निरपेक्षता में दृढ़ विश्वास।
  2. समाजवाद के साथ-साथ आर्थिक उदारवाद को बढ़ावा।
  3. कृषि को उद्योग का दर्जा देना, किसानों को कम ब्याज पर ऋण देना, उत्पादन का उचित मूल्य दिलवाना इत्यादि।
  4. उद्योगों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त करना और इन्स्पेक्टरी राज को समाप्त करना तथा पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देना।
  5. निर्धनता को कम करने के लिए बेरोज़गारों को रोज़गार देना, मज़दूरों की स्थिति में सुधार करना तथा पिछड़े और कमजोर वर्गों की धन से सहायता करना।
  6. अल्पसंख्यकों तथा स्त्रियों की दशा में सुधार।
  7. गुट-निरपेक्षता के आधार पर विदेश नीति। सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी आर्थिक उत्थान तथा विश्व शान्ति की पक्षधर है।

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प्रश्न 3.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1925 में गठित हुई थी। इस पार्टी की मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्म-निरपेक्षता और लोकतंत्र में आस्था है। 1964 में इसमें फूट पड़ गई तथा माकपा इससे अलग हो गई। इसका आधार केरल, पश्चिमबंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में है। यह अलगाववादी और सांप्रदायिक ताकतों की विरोधी है।

प्रश्न 4.
जनता दल की नीतियां एवं प्रोग्राम।
उत्तर-

  1. कृषि श्रमिकों और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के कल्याण के लिए उचित कदम उठाना।
  2. खेती और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता।
  3. कृषि और उद्योगों के उत्पादों के मूल्यों में न्यायपूर्ण सन्तुलन।
  4. कृषि कार्य के दौरान मृत्यु होने पर किसान के परिवार को पचास हजार रुपये क्षति पूर्ति देने का प्रावधान करेगी।
  5. पंचायती राज प्रणाली को सुदृढ़ करना।
  6. लघु, कुटीर तथा कृषि पर आधारित उद्योगों को प्राथमिकता देना।
  7. उदारीकरण की नीति।
  8. सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार।
  9. देश के लिए आत्म-निर्भरता।
  10. शहरी पुनरुत्थान और विकास।
  11. पर्यावरण का उचित ध्यान।
  12. रोज़गार के अवसरों का विस्तार।

प्रश्न 5.
विरोधी दल की भूमिका।
उत्तर-
लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में विरोधी-दल की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है

  1. विरोधी दल सदन के भीतर तथा बाहर सरकार की नीतियों की आलोचना करता है।
  2. विरोधी दल महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों तथा रचनात्मक कार्यों में सरकार को सहयोग देता है।
  3. विरोधी दल भाषणों, गोष्ठियों तथा समाचार-पत्रों के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक मामलों की जानकारी देता है और उनमें राजनीतिक चेतना जागृत करता है।
  4. विरोधी दल स्वस्थ लोकमत का निर्माण करता है।
  5. विरोधी दल सरकार को सत्ता का दुरुपयोग नहीं करने देता और इस प्रकार उसे निरंकुश होने से रोकता है।
  6. यह जनता की शिकायतों को सरकार तक पहुंचाता है।
  7. समय आने पर विरोधी दल स्वयं सरकार का गठन करता है और सरकार की बागडोर सम्भालता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र को सफल बनाने की शर्ते।
उत्तर-
हमारे देश में लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं

  1. शिक्षा का प्रसार-सरकार को शिक्षा के प्रसार के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। गांव-गांव में स्कूल खोलने चाहिए, स्त्री शिक्षा का उचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए तथा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  2. पाठ्यक्रमों में परिवर्तन-देश के स्कूलों तथा कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन लाना चाहिए। बच्चों को राजनीति शास्त्र से अवगत कराना चाहिए। शिक्षा केन्द्रों में प्रजातान्त्रिक सभाओं का निर्माण करना चाहिए जिनमें बच्चों को चुनाव तथा शासन चलाने का प्रशिक्षण मिल सके।
  3. चुनाव-प्रणाली में सुधार-देश में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि चुनाव एक ही दिन में सम्पन्न हो जाएं और उनके परिणाम भी. उसी दिन घोषित हो जाएं।
  4. न्याय-प्रणाली में सुधार-देश में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि मुकद्दमों का निपटारा जल्दी हो सके। निर्धन व्यक्तियों के लिए सरकार की ओर से वकीलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता-देश में समाचार-पत्रों को निष्पक्ष विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए।
  6. आर्थिक विकास-सरकार को नये-नये उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए। उसे लोगों के लिए अधिक-सेअधिक रोजगार जुटाने चाहिएं। ग्रामों में कृषि के उत्थान के लिए उचित पग उठाने चाहिएं।

प्रश्न 7.
भारतीय लोकतन्त्र की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं।
उत्तर-
भारतीय लोकतन्त्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. भारत का संविधान लोकतान्त्रिक है। यहां संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। देश का मुखिया राष्ट्रपति है। परन्तु उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री करता है।
  2. समानता का मूल अधिकार भारतीय संविधान की एक विशेषता है। यह सिद्धान्त लोकतन्त्र की आत्मा है।
  3. स्वतन्त्रता भी लोकतन्त्र का मूल सिद्धान्त है। भारतीय संविधान में नागरिकों को अनेक प्रकार की स्वतन्त्रताएं प्रदान की गई हैं।
  4. लोकतन्त्र में बन्धुत्व की भावना संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट झलकती है।
  5. भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार का प्रावधान लोकतन्त्र की आत्मा है।
  6. भारत की संयुक्त चुनाव प्रणाली सभी धर्मों, नस्लों, भाषाओं के लोगों को चुनाव में समानता प्रदान करती है।
  7. भारत द्वारा स्थापित स्वतन्त्र न्यायपालिका, धर्म-निरपेक्षता और गणराज्य प्रणाली लोकतन्त्र की नींव को दृढ़ करते हैं।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
आधुनिक लोकतन्त्र प्रतिनिधि लोकतन्त्र (या अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र) क्यों है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्य की जनसंख्या इतनी अधिक है कि देश के सभी नागरिक शासन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं ले सकते।

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प्रश्न 2.
चुनाव घोषणा-पत्र क्या होता है?
उत्तर-
चुनाव के समय किसी राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न क्यों प्रदान किए जाते हैं?
उत्तर-
भारत में राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न इसलिए प्रदान किए जाते हैं ताकि अशिक्षित व्यक्ति भी चुनाव चिह्न को देखकर अपनी इच्छा से उम्मीदवार का चुनाव कर सकें।

प्रश्न 4.
गुप्त मतदान का क्या अर्थ है?
उत्तर-
गुप्त मतदान से अभिप्राय नागरिक द्वारा अपने मत का प्रयोग गुप्त रूप से करने से है ताकि किसी दूसरे व्यक्ति को इस बात का पता न चल सके कि उसने अपना मत किस उम्मीदवार को दिया है।

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प्रश्न 5.
कानून का शासन क्या है?
उत्तर-
‘कानून का शासन’ से अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शासक अपनी इच्छानुसार नहीं बल्कि एक निश्चित संविधान के अनुसार शासन करता है।

प्रश्न 6.
साम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
साम्प्रदायिकता का अर्थ है-संकीर्ण धार्मिक विचार रखना।

प्रश्न 7.
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली किन्हीं दो बाधाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली दो बाधाएं हैं-निरक्षरता तथा निर्धनता।

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प्रश्न 8.
राजनीतिक दलों का कोई एक कार्य बताओ।
उत्तर-
बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल देश का शासन चलाता है।

प्रश्न 9.
सत्ता प्राप्त करने के पश्चात् भी सरकार जनमत की अवहेलना क्यों नहीं कर सकती?
उत्तर-
यदि सरकार जनमत की अवहेलना करेगी तो अगले चुनाव में उसे सत्ता से भी वंचित होना पड़ सकता है।

प्रश्न 10.
मताधिकार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
लोगों द्वारा मतदान करने तथा अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं।

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प्रश्न 11.
लोकतन्त्र में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष चुनावों का क्या महत्त्व है? कोई एक बिंदु।
उत्तर-
स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष चुनावों से ही जनता की पसन्द के प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से हमारा अभिप्राय है बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार प्राप्त हो।

प्रश्न 13.
‘डैमोक्रेसी’ (लोकतंत्र) शब्द कौन-से दो शब्दों के मेल से बना है?
उत्तर-
‘डैमोक्रेसी’ शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘डिमोस’ तथा ‘क्रेतिया’ से मिलकर बना है।

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प्रश्न 14.
‘डैमोक्रेसी’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर-
डैमोक्रेसी का शाब्दिक अर्थ है-लोगों का शासन।

प्रश्न 15.
लिंकन के अनुसार लोकतन्त्र क्या होता है?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार लोकतन्त्र लोगों का लोगों के लिए लोगों द्वारा शासन होता है।

प्रश्न 16.
किस प्रकार के लोकतन्त्र को प्रतिनिधि लोकतान्त्रिक सरकार कहा जाता है?
उत्तर-
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को प्रतिनिधि लोकतान्त्रिक सरकार कहा जाता है।

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प्रश्न 17.
लोकतन्त्र के दो मूल सिद्धांत कौन-से हैं?
उत्तर-
लोकतन्त्र के दो मूल सिद्धान्त समानता तथा स्वतन्त्रता है।

प्रश्न 18.
भारत में कम-से-कम कितनी आयु के नागरिक को मताधिकार प्राप्त है?
उत्तर-
18 वर्ष।

प्रश्न 19.
कौन-से अधिकार लोकतन्त्र का प्राण माने जाते हैं?
उत्तर-
राजनीतिक अधिकार।

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प्रश्न 20.
ग्राम पंचायत से लेकर संसद् तक चुनाव लड़ने वाले नागरिक की आयु कम-से-कम कितनी होनी चाहिए?
उत्तर-
25 वर्ष।

प्रश्न 21.
संविधान विरोधी कानूनों को रद्द करने का अधिकार किसे प्राप्त है?
उत्तर-
संविधान विरोधी कानूनों को रद्द करने का अधिकार उच्चतम न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।

प्रश्न 22.
भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुए थे?
उत्तर-
1952 ई० में।

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प्रश्न 23.
भारत में विधानमंडलों का चुनाव किस चुनाव प्रणाली द्वारा होता है?
उत्तर-
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

प्रश्न 24.
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव किस विधि द्वारा होता है?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव विधि द्वारा होता है।

प्रश्न 25.
भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों (निर्वाचन) की ज़िम्मेदारी किस की है?
उत्तर-
चुनाव आयोग की।

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प्रश्न 26.
चुनाव अभियान के किन्हीं दो साधनों के नाम बताइए।
उत्तर-
पोस्टर लगाना तथा सभाएं करना।

प्रश्न 27.
चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
राष्ट्रपति द्वारा।

प्रश्न 28.
चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कितने वर्षों के लिए की जाती है?
उत्तर-
6 वर्ष।

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प्रश्न 29.
“जनता की आवाज़ परमात्मा की आवाज़ है। इसे अनसुना करना खतरे से खाली नहीं।” ये शब्द किसके हैं?
उत्तर-
रूसो।

प्रश्न 30.
लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति का कोई एक साधन बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक सभाएं/चुनाव/राजनीतिक दल।

प्रश्न 31.
लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति का कोई एक विद्युत्-चालित साधन बताओ।
उत्तर-
रेडियो/दूरदर्शन।

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प्रश्न 32.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में एक अंग्रेज अधिकारी ए० ओ० ह्यूम द्वारा की गई।

प्रश्न 33.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में सर सैयद अहमद तथा आगा खां के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 34.
हिन्दू महासभा की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1907 में।

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प्रश्न 35.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1924 में।

प्रश्न 36.
भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1934 में।

प्रश्न 37.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दो टुकड़े कब हुए?
अथवा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कब अस्तित्व में आई?
उत्तर-
1964 में।

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प्रश्न 38.
(i) भारतीय जनता पार्टी का गठन कब हुआ?
(ii) इसका पहला प्रधान किसे चुना गया?
उत्तर-
(i) 6 अप्रैल, 1980 को
(ii) श्री अटल बिहारी वाजपेयी को।

प्रश्न 39.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
श्री मनविंद्र नाथ राज के।

प्रश्न 40.
रूस की क्रांति कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
रूस की क्रांति 1917 में लेनिन के नेतृत्व में हुई।

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प्रश्न 41.
जनसंघ पार्टी के जनक कौन थे?
उत्तर-
डॉ० श्यामा प्रसाद मुकर्जी।

प्रश्न 42.
गुरुद्वारों की पवित्रता तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सम्मान को बनाए रखने के लिए किस राजनीतिक दल ने विशाल आंदोलन चलाया?
उत्तर-
शिरोमणि अकाली दल ने।

प्रश्न 43.
गुरुद्वारों के प्रबंध के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1926 में।

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प्रश्न 44.
भाषा के आधार पर पंजाब राज्य का पुनर्गठन कब हुआ?
उत्तर-
नवंबर 1966 में।

प्रश्न 45.
जिस राजनीतिक दल का शासन पर नियन्त्रण होता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
सत्तारूढ़ दल।

प्रश्न 46.
जो राजनैतिक दल सत्ता में नहीं होता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
विरोधी दल।

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प्रश्न 47.
राजनीतिक दल क्या होता है?
उत्तर-
लोगों का वह समूह जो एक समान राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया जाता है, उसे राजनीतिक दल कहते हैं।

प्रश्न 48.
एकदलीय प्रणाली, द्विदलीय प्रणाली और बहुदलीय प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
एकदलीय प्रणाली में केवल एक ही राजनीतिक दल का प्रभुत्व होता है। द्विदलीय प्रणाली के अन्तर्गत देश में दो प्रमुख राजनीतिक दल होते हैं जैसे-इंग्लैण्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका में। बहुदलीय प्रणाली के अन्तर्गत किसी देश में दो से अधिक राजनीतिक दल सक्रिय होते हैं, जैसे-भारत में।

प्रश्न 49.
भारत में किस प्रकार की दल प्रणाली है?
उत्तर-
बहुदलीय।

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प्रश्न 50.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं?
उत्तर-
क्षेत्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव पूरे देश में न होकर कुछ निश्चित क्षेत्रों में होता है।

प्रश्न 51.
क्षेत्रीय दलों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अकाली दल तथा तेलगू देशम्।

प्रश्न 52.
चुनाव चिह्न से क्या भाव है?
उत्तर-
चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक विशेष चिह्न निश्चित होता है जिसे चुनाव चिह्न कहते हैं।

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प्रश्न 53.
साधारण बहुमत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
साधारण बहुमत वह व्यवस्था है जिसमें सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले प्रत्याशी (उम्मीदवार) को विजयी घोषित किया जाता है।

प्रश्न 54.
कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
हाथ।

प्रश्न 55.
भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
कमल का फूल।

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प्रश्न 56.
बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
हाथी।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. साम्प्रदायिकता का अर्थ है, संकीर्ण ………… विचार रखना।
  2. समानता तथा स्वतंत्रता ………… के दो मूल सिद्धांत हैं।
  3. डेमोक्रेसी का शाब्दिक अर्थ है ………… का शासन है।
  4. भारत में कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु के नागरिक को मताधिकार प्राप्त होता है।
  5. चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति …………… वर्ष के लिए होती है।
  6. भारत में प्रथम आम चुनाव ………….. में हुए थे।
  7. भाषा के आधार पर पंजाब का पुनर्गठन …………….. में हुआ था।
  8. चुनावों में विजयी वह दल जो सत्ता में नहीं आता ………….. दल कहलाता है।
  9. संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ………….. में द्वि-दलीय राजनीतिक प्रणाली है।
  10. पंजाब का ………….. क्षेत्रीय राजनीतिक दल है।

उत्तर-

  1. धार्मिक,
  2. लोकतंत्र,
  3. लोगों,
  4. 18,
  5. छः,
  6. 1952,
  7. 1966,
  8. विपक्षी,
  9. इंग्लैंड,
  10. अकाली दल।

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा बिंदु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा का नहीं है?
(A) धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना
(B) धारा 370 की समाप्ति
(C) गुट निरपेक्षता
(D) औद्योगिक क्षेत्र में सुधार ।
उत्तर-
(B) धारा 370 की समाप्ति

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प्रश्न 2.
लोकमत के निर्माण में बाधक है
(A) निरक्षरता
(B) पक्षपाती समाचार-पत्र
(C) भ्रष्ट राजनीति
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
भारत में किस प्रकार की दल प्रणाली है?
(A) बहुदलीय
(B) द्वि-दलीय
(C) एकदलीय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) बहुदलीय

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति का चुनाव किस चुनाव विधि द्वारा होता है?
(A) प्रत्यक्ष
(B) अप्रत्यक्ष
(C) हाथ उठा कर
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(B) अप्रत्यक्ष

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प्रश्न 5.
निम्न राजनीतिक दल राष्ट्रीय दल है
(A) इंडियन नेशनल कांग्रेस
(B) भारतीय जनता पार्टी
(C) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. भारत में प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  2. भारत गुट-निरपेक्षता का विरोधी है।
  3. चुनाव के समय किसी राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं।
  4. भारत में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति की होती है।
  5. भाषा के आधार पर पंजाब का पुनर्गठन नवम्बर 1966 में हुआ।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

1. लोकतंत्र — राष्ट्रीय दल
2. स्वस्थ लोकमत — सरकार की निरंकुशता पर रोक
3. भारतीय जनता पार्टी — साक्षर नागरिक
4. विरोधी दल लोगों का अपना शासन।

उत्तर-

1. लोकतंत्र — लोगों का अपना शासन,
2. स्वस्थ लोकमत — साक्षर नागरिक,
3. भारतीय जनता पार्टी — राष्ट्रीय दल,
4. विरोधी दल — सरकार की निरंकुशता पर रोक।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आधुनिक काल में लोकतन्त्र (प्रजातन्त्र) का क्या अर्थ है?
अथवा
आधुनिक लोकतन्त्र में शासन की सर्वोच्च शक्ति किसके हाथ में होती है? ऐसे शासन में कानून कौन बनाता है?
उत्तर-
आधुनिक युग लोकतन्त्र का युग है। लोकतन्त्र से हमारा अभिप्राय उस शासन से है जिसमें शासन की सर्वोच्च शक्ति जनता के हाथ में होती है। जनता प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में भाग लेती है। जनता के प्रतिनिधि विधानमण्डलों में कानूनों का निर्माण करते हैं। वे पूर्ण रूप से जनता के कल्याण तथा हित का ध्यान रखते हैं। यदि कोई प्रतिनिधि ठीक कार्य न करे तो जनता ऐसे प्रतिनिधि को उसके पद से हटा सकती है।

प्रश्न 2.
राजनीतिक समता के सिद्धान्त से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
राजनीतिक समता से अभिप्राय यह है कि सभी लोकतान्त्रिक अधिकार कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित रहने की बजाय सभी को समान रूप से उपलब्ध होने चाहिएं। इस सिद्धान्त के अनुसार हम नागरिकों को प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी में नहीं बांट सकते। अर्थात् ऐसा नहीं हो सकता कि कुछ व्यक्ति अधिकारयुक्त हों और कुछ अधिकारहीन हों। अतः स्पष्ट है कि राजनीतिक समता का यह अर्थ है कि सभी नागरिक कानून की दृष्टि में समान हैं और वे अपनी योग्यता के आधार पर उच्च से उच्च पद पर पहुंच सकते हैं। धर्म, जाति, रंग और लिंग-भेद को कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होती।

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प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में क्या अन्तर है?
उत्तर-
लोकतन्त्र दो प्रकार का हो सकता है

  1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र
  2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र।

1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र–प्रत्यक्ष लोकतन्त्र वह शासन है जिसमें सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में भाग लेते हैं। प्रत्येक नागरिक कानून बनाने, बजट बनाने, नया टैक्स लगाने, सार्वजनिक नीतियों आदि का निर्धारण करने में भाग लेते हैं। यहां तक कि जनता उन प्रतिनिधियों को भी पदमुक्त कर सकती है जो ठीक रूप से कार्य नहीं करते।
2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र-अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन कार्यों में भाग नहीं लेती अपितु वह कुछ प्रतिनिधि चुनती है। ये निर्वाचित प्रतिनिधि जनता की ओर से शासन-कार्य को चलाते हैं।

प्रश्न 4.
लोकमत का निर्माण व उसकी अभिव्यक्ति किस प्रकार होती है?
अथवा
लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति के तीन साधनों का वर्णन करो।
उत्तर-
आधुनिक युग प्रजातन्त्र का युग है। प्रजातन्त्र का मूल आधार जनमत है। एक दृढ़ एवं प्रभावशाली जनमत का निर्माण अपने-आप नहीं होता है बल्कि इस उद्देश्य के लिए राजनीतिक दलों, शासकों एवं जन-नेताओं को प्रयत्न करने पड़ते हैं। जनमत के निर्माण तथा अभिव्यक्ति के लिए अग्रलिखित साधनों का प्रयोग किया जाता है-

  1. सार्वजनिक सभाओं में राजनीतिक दलों के नेता अपने विचार प्रकट करते हैं। वे अपने दल की नीतियां स्पष्ट करते हैं। इससे अधिक लोग देश की समस्याओं से परिचित होते हैं।
  2. प्रेस जनमत की अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है। समाचार-पत्रों द्वारा लोग अपने निष्पक्ष तथा स्वतन्त्र विचार प्रस्तुत कर सकते हैं।
  3. आकाशवाणी, दूरदर्शन, साहित्य, सिनेमा, शिक्षा संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं आदि जनमत का निर्माण करने में सहायता देते हैं।

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प्रश्न 5.
क्या ‘लोकमत’ वास्तव में ‘लोकमत’ होता है?
उत्तर-
‘लोकमत’ को प्रायः निर्वाचन के परिणामों से आंका जाता है। जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, लोकमत उसी के पक्ष में जाता है। यदि ध्यान से देखा जाए तो लोकमत वास्तव में लोकमत नहीं होता। चुनाव में बहुमत दल को कई बार 40% से भी कम मत प्राप्त होते हैं जबकि अन्य 60% मत अन्य दलों में बंट जाते हैं। इस प्रकार वास्तव में ‘लोकमत’ विरोधी दलों के पक्ष में होता है। परन्तु विरोधी दलों में मतों का विभाजन हो जाने के कारण वे अपनी सरकार बनाने के अधिकारी नहीं होते।

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता है? किन्हीं दो उपायों का वर्णन करो।
उत्तर-
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली बाधाओं को अग्रलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है —

  1. शिक्षा का प्रसार-शिक्षित तथा योग्य नागरिक ही प्रजातन्त्र को सफल बना सकते हैं। अत: सरकार को शिक्षा का अधिक-से-अधिक प्रसार करना चाहिए। प्राइमरी तक शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए ताकि अधिक-से-अधिक जनता शिक्षा प्राप्त कर सके।
  2. स्वतन्त्र एवं ईमानदार प्रेस-प्रजातन्त्र जनमत पर आधारित है। जनमत को बनाने तथा व्यक्त करने के लिए समाचार-पत्र एक अच्छा साधन है। इसलिए ईमानदार और निष्पक्ष प्रेस का होना प्रजातन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक है। सरकार को प्रेस पर अंकुश नहीं लगाना चाहिए।

प्रश्न 7.
आधुनिक लोकतन्त्र अप्रत्यक्ष क्यों होते हैं?
उत्तर-
आधुनिक राज्य बड़े विशाल हैं जिनमें मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है। इन सभी मतदाताओं द्वारा किसी देश का शासन चलाना सम्भव नहीं हो सकता। शासन चलाने के लिए किसी भीड़ की नहीं अपितु एक व्यवस्थित संस्था की आवश्यकता होती है। अत: शासन को व्यवस्थित करने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है जिसके अनुसार जनता अपने प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा एवं विधानसभाओं में भेजे। इन प्रतिनिधियों की संख्या अधिक नहीं होती। अतः उनके लिए शासन चलाना सुगम होता है। यही कारण है कि आधुनिक लोकतन्त्र प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष है।

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प्रश्न 8.
लोकतन्त्र में प्रतिनिधित्व का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
आज के युग में लोकतन्त्रीय सरकारों का मुख्य कार्य प्रतिनिधित्व करना है। वास्तव में आज प्रतिनिधित्व पर ही सब कुछ निर्भर है। आज संसार के सभी देशों में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ गई है। अतः आधुनिक लोकतन्त्र में सभी नागरिक शासन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं ले सकते। केवल उनके प्रतिनिधि ही शासन कार्यों में भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधित्व की विविध प्रणालियों के द्वारा ही सरकार जनता की इच्छाओं के अनुसार कार्य करती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकतन्त्र में प्रतिनिधित्व का बहुत अधिक महत्त्व है।

प्रश्न 9.
उत्तरदायी सरकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
उत्तरदायी सरकार से तात्पर्य उन सरकारों से है जो इंग्लैण्ड तथा फ्रांस की क्रान्तियों के पश्चात् स्थापित की गई थीं। ये उत्तरदायी सरकारें अपनी मनमानी नहीं कर सकती थीं। इन्हें कुछ निश्चित नियमों का पालन करना पड़ता था। इन सरकारों के विषय में एक विशेष बात यह है कि ये आज की लोकतंत्रीय सरकारों से बिल्कुल भिन्न थीं। आधुनिक लोकतन्त्रीय सरकार में देश के सभी नागरिकों को मत देने का अधिकार होता है, परन्तु उस समय की उत्तरदायी सरकारों के चुनाव में सारी जनता भाग नहीं लेती थी। ये सरकारें कुछ ही लोगों द्वारा चुनी जाती थीं।

प्रश्न 10.
चुनाव घोषणा-पत्र क्या है? उसका क्या उपयोग है?
उत्तर-
चुनाव घोषणा-पत्र से अभिप्राय किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम से है। यह कार्यक्रम चुनाव के समय मतदाताओं के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इसके द्वारा प्रायः निम्नलिखित बातों का स्पष्टीकरण किया जाता है —

  1. देश की आन्तरिक तथा बाह्य नीतियों के विषय में उस दल के क्या विचार हैं।
  2. यदि उस दल की सरकार बनी तो वह लोगों की भलाई के लिए कौन-कौन से कार्य करेगी।
  3. चुनाव लड़ने वाले दल विरोधी दलों से किस प्रकार भिन्न हैं।

इसके विपरीत विरोधी दल वाले अपने घोषणा-पत्र में यह बताते हैं कि वे सरकार से क्यों असहमत हैं। इस प्रकार चुनाव घोषणा-पत्र का बड़ा ही महत्त्व है। वास्तव में दलों की परख भी इसी से होती है।

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प्रश्न 11.
साधारण बहुमत से अन्तर्निहित विरोधाभास को स्पष्ट करो।
उत्तर-
साधारण बहुमत से अभिप्राय ऐसी निर्वाचन पद्धति से है जिसमें सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार (प्रत्याशी) को विजयी घोषित किया जाता है। इस प्रणाली में स्पष्ट बहुमत न मिलने पर भी किसी प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है। लोकतन्त्र की भावना के अनुसार किसी प्रत्याशी को आधे से अधिक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। परन्तु कई बार आधे से भी कम वोट लेने वाला प्रत्याशी निर्वाचित हो जाता है। ऐसे प्रतिनिधि को हम वास्तविक प्रतिनिधि नहीं कह सकते। कई बार तो अधिक मत प्राप्त करने पर भी कोई दल विधानपालिका में विरोधी दल का स्थान ग्रहण करता है और अल्पमत का प्रतिनिधित्व करने वाला दल सत्ता में आ जाता है।

प्रश्न 12.
चुनाव अभियान का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
लोकतन्त्र में चुनाव अभियान का बड़ा महत्त्व है। इस प्रकार के अभियान द्वारा साधारण जनता को देश अथवा राज्य की विभिन्न समस्याओं का पता चलता है। राजनीतिक दल इन अभियानों द्वारा जनता को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करते हैं। विरोधी दल जनता को अपने कार्यक्रमों के विषय में सूचित करते हैं। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि सरकार की नीतियों में क्या कमी है। वे जनता को आश्वासन देते हैं कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे जनता की सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखेंगे। इसी प्रकार सरकार जनता को अपनी सफलताओं तथा आगे की योजनाओं के विषय में बताती है। इन सभी बातों से स्पष्ट है कि चुनाव अभियान का बड़ा महत्त्व है।

प्रश्न 13.
लोकतन्त्र में चुनाव का क्या महत्त्व है? चुनावों में राजनीतिक दल क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर-
लोकतन्त्र में चुनावों का महत्त्व इस प्रकार है

  1. चुनाव द्वारा जनता राज्य तथा केन्द्रीय विधानमण्डलों के सदस्यों का चुनाव करती है।
  2. चुनाव के कारण शासन-प्रणाली में स्थिरता आती है।
  3. चुनाव के द्वारा जनता सरकार पर नियन्त्रण रखती है और उसे निरंकुश बनने से रोकती है।
  4. चुनावों द्वारा जनता सरकार को बदल सकती है।

चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दल राष्ट्रीय समस्याओं को जनता के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं। वे यह भी बताते हैं कि सत्ता में आने पर वे इन समस्याओं को कैसे हल करेंगे। वे जनता को राजनीतिक शिक्षा देते हैं और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागृत करते हैं।

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प्रश्न 14.
निर्वाचन में ‘साधारण बहुमत’ के दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक लोकतन्त्र में प्रतिनिधियों का चुनाव साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है। साधारण बहुमत से अभिप्राय यह है कि जो व्यक्ति अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी से अधिक मत प्राप्त कर लेता है, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। परन्तु यह एक दोषपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित व्यक्ति को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं होता। इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए तीन उम्मीदवारों के लिए 100 वैध मत डाले गए हैं। इनमें 25 मत एक उम्मीदवार को, 35 मत दूसरे उम्मीदवार को तथा 40 मत तीसरे उम्मीदवार को मिले हैं। ऐसी अवस्था में तीसरा उम्मीदवार विजयी होगा, जबकि उसे 100 में से आधे मत भी प्राप्त नहीं हुए हैं। इस प्रकार साधारण बहुमत लेकर कोई एक दल सत्ता में आ जाता है, भले ही वह आधे मतदाताओं का प्रतिनिधित्व भी नहीं करता।

प्रश्न 15.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लिए कौन-सी दो प्रणालियां अपनाई जाती हैं?
उत्तर-
आनुपातिक प्रतिनिधित्व से हमारा अभिप्राय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अथवा वर्ग के लोगों को उनके अनुपात में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। आनुपातिक प्रतिनिधित्व को लागू करने के लिए दो प्रणालियां अपनाई जाती हैं

  1. एकल संक्रमणीय मत प्रणाली।
  2. सूची प्रणाली।

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 16.
प्रतिनिधियों के चयन के लिए कौन-कौन सी दो चुनाव प्रणालियां अपनाई गई हैं?
उत्तर-
प्रतिनिधियों के चयन के लिए निम्नलिखित चुनाव प्रणालियां अपनाई गई हैं

  1. प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली
  2. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

1. प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली-प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में मतदाता स्वयं अपने मत का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। उदाहरण के लिए भारत में लोकसभा का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। प्रत्येक स्त्री-पुरुष, जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, मत का प्रयोग कर सकता है।
2. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली-कुछ प्रतिनिधियों का चुनाव मतदाता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करते। इनका चुनाव मतदाताओं द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। इस प्रणाली को अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहा जाता है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली द्वारा होता है।

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प्रश्न 17.
गुप्त मतदान प्रणाली का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
गुप्त मतदान प्रणाली निष्पक्ष और स्वतन्त्र चुनाव की दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। इसमें मतदाता किसी भी उम्मीदवार के दबाव में नहीं आ सकता और न ही उसे अपने मत का प्रयोग करने के बाद इस बात का भय रहता है कि कोई उम्मीदवार उसे विरोधी पक्ष को मत देने के लिए तंग करेगा। वह अपने मत का प्रयोग बिना किसी भय के स्वतन्त्र रूप से कर सकता है। गुप्त मतदान प्रणाली के महत्त्व को देखते हुए आज विश्व के अनेक देशों ने इस प्रणाली को अपनाया है।

प्रश्न 18.
लोकतन्त्रीय सरकार में दलों का इतना अधिक महत्त्व क्यों माना जाता है?
उत्तर-
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों का विशेष महत्त्व है। ये दल निम्नलिखित कार्य करते हैं

  1. सभी राजनीतिक दल अपना राजनीतिक कार्यक्रम तैयार करते हैं। वे अपना-अपना चुनाव घोषणा-पत्र (Manifesto) तैयार करते हैं जिनके द्वारा वे देश की समस्याओं को जनता के सामने रखते हैं। वे इस बात को भी स्पष्ट करते हैं कि वे इन समस्याओं का समाधान कैसे करेंगे ?
  2. जनमत का निर्माण करने में भी ये दल विशेष भूमिका निभाते हैं।
  3. ये दल प्रजातन्त्र के सिद्धान्त के अनुसार चुनाव भी लड़ते हैं।
  4. आम चुनावों के पश्चात् बहुमत प्राप्त करने वाला दल सरकार का निर्माण करता है।
  5. जो दल चुनावों में बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता, वह विरोधी दल का निर्माण करता है।
  6. लोगों को राजनीतिक शिक्षा देने में भी राजनीतिक दलों का हाथ होता है।

प्रश्न 19.
द्वि-दलीय प्रणाली के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
द्वि-दलीय प्रणाली के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

  1. स्थिर सरकार-द्वि-दलीय प्रणाली में स्थिर सरकार का निर्माण होता है। ऐसी सरकार जनमत की इच्छानुसार शासन चलाती है।
  2. स्पष्ट चनाव-इस प्रणाली के अन्तर्गत नवीन चुनावों के बाद घटित होने वाली बात के विषय में अधिक अनिश्चितता नहीं होती। मतदाता यह जानते हैं कि यदि एक दल हटता है तो दूसरा दल ही सत्तारूढ़ होगा।
  3. सुदृढ़ विरोधी दल-इस प्रणाली में विरोधी दल भी बड़ा सुदृढ़ होता है। वह हर समय सक्रिय रहता है एवं सत्तारूढ़ दल की गलत नीतियों की तीव्र आलोचना करता है।
  4. निश्चित उत्तरदायित्व-द्वि-दलीय प्रणाली में बहुमत दल की सरकार होती है। सरकार की बुराइयों के लिए सत्तारूढ़ दल को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

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भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप PSEB 10th Class Civics Notes

  • लोकतन्त्र के प्रकार-लोकतन्त्र प्रत्यक्ष भी हो सकता है और अप्रत्यक्ष भी। प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता स्वयं अपने शासन का संचालन करती है। अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन चलाने का कार्य जनता के प्रतिनिधि करते हैं।
  • लोकमत-प्रजातन्त्र की सफलता के लिए लोकमत अथवा जनमत की भूमिका अति अनिवार्य है। स्वस्थ जनमत राजनीतिक दलों पर नियन्त्रण रखता है। जनमत के निर्माण में अनेक संस्थाओं का योगदान होता है-समाचार-पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, राजनीतिक दल तथा अन्य समाज सेवी समूह।
  • जनमत की अभिव्यक्ति-जनमत निर्माण के साधन जनमत की अभिव्यक्ति भी करते हैं। राजनीतिक दल लोगों की राय की अभिव्यक्ति करते हैं।
  • आधुनिक लोकतन्त्र-प्रतिनिधि लोकतन्त्र-आधुनिक लोकतन्त्र प्रतिनिधि लोकतन्त्र है। इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्यों का आकार बहुत बड़ा है और उनकी जनसंख्या बहुत अधिक है।
  • मताधिकार-नागरिकों के मत देने तथा मतदान द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। भारत में ‘एक व्यक्ति-एक वोट’ के आधार पर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है।
  • गुप्त मतदान-आह्यधुनिक लोकतान्त्रिक देशों में मतदान गुप्त प्रक्रिया से किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक नागरिक अपने प्रतिनिधि के चुनाव के लिए स्वेच्छा से मतदान करता है। वह किसी को बताने के लिए बाध्य नहीं कि उसने अपना मत किसके पक्ष में डाला है।
  • चुनाव प्रक्रिया-चुनावों की व्यवस्था तथा देख-रेख चुनाव आयोग करता है। इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के मुख्य चरण हैं-चुनावों की तिथि की घोषणा, नामांकन-पत्र भरना, नामांकन-पत्रों की जांच, नाम वापिस लेना, चुनाव अभियान, मतदान, मतगणना तथा परिणामों की घोषणा।
  • चुनाव चिह्न-प्रत्येक राजनीतिक दल का अपना विशेष चुनाव चिह्न होता है। निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। इन चिह्नों से उम्मीदवारों की पहचान करना सरल हो जाता है। ये चिह्न चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
  • चुनाव अभियान-यह चुनाव की समस्त प्रक्रिया का सबसे निर्णायक भाग है। जनसभाओं का आयोजन, चुनाव घोषणा-पत्र द्वारा जनता को दल की नीतियों की जानकारी देना, विभिन्न प्रकार के वाहनों तथा पोस्टरों द्वारा चुनाव प्रचार किया जाता है।
  • चुनाव घोषणा-पत्र-चुनाव के समय प्रत्येक राजनीतिक दल जनता को यह बताता है कि यदि वह सत्ता में आ गया तो वह क्या-क्या करेगा। राजनीतिक दलों के इस कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। इसी के आधार पर राजनीतिक दलों की परख होती है।
  • राजनीतिक दल-एक समान राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मिल कर कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूह को राजनीतिक दल कहते हैं। जनमत का निर्माण, राजनीतिक शिक्षा, चुनाव लड़ना, सरकार का निर्माण, सरकार की आलोचना, जनता और सरकार में सम्पर्क स्थापित करना राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य हैं।
  • एक दलीय, द्विदलीय तथा बहुदलीय प्रणाली-जिस राज्य में एक ही राजनीतिक दल हो उसे एक दलीय, जिस राज्य में दो दल हों, उसे द्विदलीय तथा जिस राज्य में दो से अधिक दल हों, उसे बहुदलीय प्रणाली कहते हैं। भारत में बहुदलीय प्रणाली है।
  • भारत के प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल-इण्डियन नेशनल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, साम्यवादी दल, साम्यवादी (मार्क्सवादी), एन० सी० पी०, तृणमूल कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।
  • भारत के प्रमुख क्षेत्रीय दल-तमिलनाडु में ए० आई० ए० डी० एम० के०, आन्ध्र में तेलगू देशम्, जम्मूकश्मीर में नेशनल कान्फ्रैंस, पंजाब में अकाली दल, असम में असम गण परिषद् प्रमुख क्षेत्रीय दल हैं।
  • विपक्षी दलों की भूमिका-सत्ता में न होने के बावजूद विपक्षी दल का अपना महत्त्व होता है। विपक्षी दल सरकार की नीतियों की आलोचना द्वारा सरकार पर अंकुश रखता है। इस प्रकार वह सरकार को मनमानी करने से रोकता है।

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Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 3 राज्य सरकार

SST Guide for Class 10 PSEB राज्य सरकार Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दें

प्रश्न 1.
राज्य विधानमण्डल के कितने सदन होते हैं?
उत्तर-
दो सदन-विधानसभा तथा विधानपरिषद्।

प्रश्न 2.
राज्य विधानसभा के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं हैं?
(ii) इसके कम-से-कम या अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
(iii) साधारण विधेयक को कानून बनने के लिए किन चरणों या पड़ावों में से गुजरना पड़ता है?
(iv) विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु कितनी है?
(v) अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
(i) राज्य विधानसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु कम-से-कम 25 वर्ष हो।
  3. वह पागल या दिवालिया न हो।
  4. वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभप्रद पद पर न हो। (कोई एक लिखो)

(ii) सदस्य संख्या-मूल संविधान के अनुसार राज्य विधानसभा के अधिक-से-अधिक 500 और कम-से-कम 60 सदस्य हो सकते हैं।
(iii) साधारण विधेयक के चरण-

  1. प्रस्तुति और परिचय
  2. विधेयक की प्रत्येक धारा पर बहस
  3. विधेयक पर समग्र रूप से मतदान
  4. विधेयक दूसरे सदन में।

(iv) विधानसभा सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु-25 वर्ष।
(v) अध्यक्ष का चुनाव-विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।

प्रश्न 3.
राज्य की विधान परिषद् के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें (i) विधान परिषद् के कितने सदस्य हो सकते हैं? (ii) विधान परिषद् का कार्यकाल कितना है ?
उत्तर-
(i) विधान परिषद् की सदस्य संख्या-विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के एक तिहाई सदस्यों से अधिक नहीं होनी चाहिए और कम-से-कम संख्या 40 होनी चाहिए।
(ii) विधान परिषद् का कार्यकाल-विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।

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प्रश्न 4.
राज्य विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखना।
  2. कर लगाने, कर संशोधन करने या बजट पास करने का अधिकार।
  3. राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना।
  4. सदन की मर्यादा भंग करने वालों को दण्ड देने का अधिकार। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 5.
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

प्रश्न 6.
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।

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प्रश्न 7.
संवैधानिक संकट के समय राज्यपाल की क्या स्थिति होती है?
उत्तर-
संवैधानिक संकट के समय राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है और राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल का कार्यकाल कितना है?
उत्तर-
राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें

(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना है?
(ii) इसकी योग्यताएं क्या हैं?
(ii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी होती है?
(iv) लोक अदालतों से आप क्या समझते हैं ?
(v) क्या आपके राज्य में दो सदनी विधानपालिका है?
उत्तर-
(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
(ii) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह दस वर्ष तक किसी अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश रह चुका हो।
  3. उसने दस वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत की हो।

(iii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या-उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। इनकी संख्या निश्चित नहीं होती है। इनकी संख्या राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर है।
(iv) लोक अदालतें-निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए कुछ समय पूर्व देश में लोक अदालतें स्थापित की गईं। 6 अक्तूबर, 1985 को पहली लोक अदालत दिल्ली में बैठी थी। इसमें 150 दुर्घटना सम्बन्धी विवादों को निपटाया गया था।
(v) नहीं। हमारे राज्य पंजाब में दो सदनी विधानपालिका नहीं है।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. राज्य का सारा शासन प्रबन्ध उसी के नाम पर चलता है।
  2. राज्य में शान्ति एवं सुरक्षा बनाए रखना उसका उत्तरदायित्व है। इसमें उसकी सहायता करने तथा परामर्श देने के लिए मुख्यमन्त्री सहित मन्त्रिपरिषद् का प्रावधान है।
  3. वह विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है।
  4. वह राज्य के समस्त उच्च पदाधिकारियों को नियुक्त करता है। वह राज्य के महाधिवक्ता तथा राज्य सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों को नियुक्त करता है।
  5. वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। (कोई तीन लिखें!)

प्रश्न 2.
मुख्यमंत्री, मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति का वर्णन करें।
उत्तर-
केन्द्र की भान्ति राज्यों में भी शासन की संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। राज्यपाल नाममात्र का अध्यक्ष होता है। इसकी सहायता एवं परामर्श के लिए मुख्यमन्त्री एवं उसका मन्त्रिमण्डल होता है। मन्त्रिमण्डल राज्य की वास्तविक कार्यपालिका होती है। राज्यपाल विधानसभा के बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। राज्यपाल मुख्यमन्त्री द्वारा दी गई सूची में न तो अपनी इच्छा से कोई नाम जोड़ सकता है और न ही सूची में दिए गए नामों में से किसी नाम को काट सकता है।

प्रश्न 3.
विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
विधानमण्डल की शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है

  1. वैधानिक शक्तियां-विधानमण्डल राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
  2. कार्यपालिका शक्तियां-
    1. राज्य की मन्त्रिपरिषद् विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होती है।
    2. वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकता है।
    3. इसके सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
    4. इसके सदस्य विभिन्न प्रस्ताव पेश करके भी मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखते हैं।
  3. वित्तीय शक्तियां-विधानमण्डल राज्य के आय-व्यय पर नियन्त्रण रखता है। वह राज्य का वार्षिक बजट पास करता है। इसकी स्वीकृति के बिना न तो कोई कर लगाया जा सकता है और न ही कुछ व्यय किया जा सकता है।
  4. विविध शक्तियां-
    1. विधानमण्डल के निम्न सदन (विधानसभा) के चुने हुए सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
    2. विधानसभा के सदस्य विधान परिषद् के 1/3 सदस्यों का निर्वाचन करते हैं।
    3. विधानसभा राज्य में विधानपरिषद् की स्थापना अथवा समाप्ति का प्रस्ताव पास करती है।

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प्रश्न 4.
राज्यपाल की ऐच्छिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की स्थिति वैसी नहीं है जैसी केन्द्र में राष्ट्रपति की है। केन्द्र में यह संवैधानिक प्रावधान है कि राष्ट्रपति को मन्त्रिपरिषद् के परामर्श के अनुसार ही कार्य करना पड़ता है। इसके विपरीत राज्यपाल कुछ परिस्थितियों में अपने विवेक के अनुसार कार्य कर सकता है। राज्यपाल की इस शक्ति को स्व-विवेक की शक्ति अथवा ऐच्छिक शक्ति कहते हैं।
राज्यपाल निम्नलिखित परिस्थितियों में अपने स्वविवेक से कार्य कर सकता है

  1. यदि विधानसभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो वह स्वविवेक से मुख्यमन्त्री की नियुक्ति कर सकता है।
  2. वह राष्ट्रपति को संवैधानिक यन्त्र के विफल हो जाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
  3. राज्य में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा करने के लिए।
  4. राज्य विधानमण्डल द्वारा पास किए गए किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने के लिए।

प्रश्न 5.
मन्त्रिमण्डल के चार कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मन्त्रिमण्डल के तीन कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. नीति-निर्माण-राज्य मन्त्रिमण्डल का मुख्य कर्त्तव्य राज्य के लोगों की समस्याओं का समाधान करना होता है। इसके लिए वह आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक तथा कृषि सम्बन्धी नीति का निर्माण करता है।
  2. प्रशासन-प्रत्येक मन्त्री राज्य के किसी विभाग का अध्यक्ष होता है। वह विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की सहायता से अपने विभाग का प्रशासन चलाता है।
  3. वैधानिक शक्तियां-राज्य विधानमण्डल में अधिकतर बिल मन्त्रियों द्वारा पेश किए जाते हैं। मन्त्रिपरिषद् की इच्छा के विरुद्ध कोई भी बिल पास नहीं हो सकता। राज्य विधानमण्डल की बैठकें राज्यपाल मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही बुलाता है। मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही वह विधानसभा को भंग कर सकता है तथा अध्यादेश जारी करता है।
  4. वित्तीय शक्तियां-राज्य का वार्षिक बजट मन्त्रिमण्डल तैयार करता है। वित्तमन्त्री इसे विधानमण्डल में प्रस्तुत करता है। मन्त्रिमण्डल ही यह निर्णय करता है कि कौन-से नए कर लगाए जायें, किन करों को घटाया या बढ़ाया जाए तथा धन का प्रयोग किस प्रकार से किया जाए। (कोई तीन लिखें)

प्रश्न 6.
संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

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प्रश्न 7.
लोक अदालतों के कार्यों/शक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर-
लोक अदालतें न्याय करने के लिए बिल्कुल नवीन व्यवस्था है। इसके जनक न्यायमूर्ति पी० एन० भगवती माने जाते हैं। इसका मुख्य कार्य निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाना है। हमारे न्यायालयों में काम का बड़ा बोझ है। लाखों विवाद फाइलों में बन्द पड़े हैं। लोक अदालतों में आपसी सहमति द्वारा सैंकड़ों अभियोगों का निपटारा किया जाता है। अत: लोक अदालतों में लम्बे समय से लम्बित पड़े मुकद्दमे शीघ्रता से निपट जाएंगे और न्यायालयों का कार्य भार हल्का हो जाएगा। 1987 में लोक अदालतों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई।

PSEB 10th Class Social Science Guide राज्य सरकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संघ में कितने प्रकार की इकाइयां हैं? नाम बताइए।
उत्तर-
भारतीय संघ में दो प्रकार की इकाइयां हैं-राज्य तथा केन्द्र शासित क्षेत्र।

प्रश्न 2.
(i) राज्यों का वर्गीकरण किस आधार पर किया गया है?
(ii) राज्यों को भाषायी राज्य क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
(i) भारत में राज्यों का वर्गीकरण भाषा के आधार पर किया गया है।
(ii) राज्यों का गठन भाषा के आधार पर होने के कारण इन्हें भाषायी राज्य कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
केन्द्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर-
केन्द्र शासित प्रदेश वह प्रशासनिक इकाई है जिसका शासन केन्द्र सरकार के अधीन होता है।

प्रश्न 4.
दो केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम लिखो।
उत्तर-
पाण्डिचेरी और चण्डीगढ़।

प्रश्न 5.
(i) राज्य सरकार किस सूची के विषयों पर कानून बना सकती है?
(ii) राज्य सूची में कौन-कौन से विषय हैं?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
(ii) कृषि, भूमि, सिंचाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि राज्य सूची के विषय हैं।

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प्रश्न 6.
(i) धन सम्बन्धी विधेयक राज्य विधानमण्डल के किस सदन में पेश किए जा सकते हैं?
(ii) विधानसभा द्वारा भेजे गए विधेयक को विधान परिषद कितने समय तक रोक सकती है?
उत्तर-
(i) धन सम्बन्धी विधेयक विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं।
(ii) विधानसभा द्वारा परामर्श के लिए भेजे गए विधेयक को विधान परिषद् अधिक-से-अधिक 14 दिनों तक रोक सकती है।

प्रश्न 7.
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान (कार्याध्यक्ष) कौन होता है?
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान मुख्यमन्त्री होता है।
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल के पद के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
35 वर्ष।

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प्रश्न 9.
(i) राज्य विधानसभा के एक वर्ष में कितने अधिवेशन होना आवश्यक है?
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में कम-से-कम कितने समय का अन्तर होना चाहिए?
उत्तर-
(i) राज्य विधानमण्डल के एक वर्ष में दो अधिवेशन होना आवश्यक है।
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में 6 मास से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 10.
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता मुख्यमन्त्री होता है।

प्रश्न 11.
भारत में कितने राज्य (राज्य सरकारें) हैं?
उत्तर-
28.

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प्रश्न 12.
भारत में कितने संघीय क्षेत्र हैं?
उत्तर-
8.

प्रश्न 13.
दो राज्यों के नाम बताओ जहां द्विसदनीय विधानमण्डल हैं।
उत्तर-
महाराष्ट्र तथा कर्नाटक।

प्रश्न 14.
पंजाब में कितने सदनीय विधानमण्डल/विधानपालिका हैं?
उत्तर-
एक सदनीय।

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प्रश्न 15.
विधानपरिषद् के सदस्यों की कम-से-कम कितनी संख्या निश्चित की गई है?
उत्तर-
40.

प्रश्न 16.
विधानसभा का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
25 वर्ष।

प्रश्न 17.
विधानपरिषद् का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
30 वर्ष।

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प्रश्न 18.
विधानपरिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
6 वर्ष।

प्रश्न 19.
विधानपरिषद् में राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-
12.

प्रश्न 20.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

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प्रश्न 21.
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 22.
राज्य में अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 23.
राज्यपाल अपनी कौन-सी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है?
उत्तर-
विवेकशील।

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प्रश्न 24.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त हो जाती हैं?
उत्तर-
संसद् को।

प्रश्न 25.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी है?
उत्तर-
26.

प्रश्न 26.
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश कितनी आयु तक अपने पद पर रह सकता है?
अथवा
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

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प्रश्न 27.
पंजाब और हरियाणा का संयुक्त उच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर-
चंडीगढ़ में।

प्रश्न 28.
जिला न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 29.
लोक अदालतों की धारणा का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर-
पी० एन० भगवती को।

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प्रश्न 30.
संघ सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
97.

प्रश्न 31.
राज्य सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
66.

प्रश्न 32.
समवर्ती सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
47.

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प्रश्न 33.
संघ सूची के कोई दो विषय बताओ।
उत्तर-
रेलवे तथा रक्षा।

प्रश्न 34.
समवर्ती सूची का कोई एक विषय बताइए।
उत्तर-
मजदूर कल्याण।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. भारत में ……….. राज्य हैं।
  2. भारत में …………… संघीय (केंद्र शासित) क्षेत्र हैं।
  3. पंजाब में ……………. सदनीय विधानमंडल है।
  4. विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  5. संवैधानिक संकट के समय …………. राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।
  6. राज्य के सबसे बड़े न्यायालय को ……….. न्यायालय कहते हैं।
  7. राज्यपाल अपनी ………….. शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से कर सकता है।
  8. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश …………. वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।
  9. राज्यपाल की नियुक्ति ………… करता है।।
  10. विधान परिषद् में ………….. सदस्य राज्यपाल मनोनीत करता है।

उत्तर-

  1. 28,
  2. 8,
  3. एक,
  4. 25,
  5. राज्यपाल,
  6. उच्च,
  7. विवेकशील,
  8. 62
  9. राष्ट्रपति,
  10. 1/6.

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III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधान मंडल है
(A) बिहार
(B) महाराष्ट्र
(C) उत्तर प्रदेश
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधानमंडल/विधान परिषद् नहीं है
(A) पंजाब/हरियाणा
(B) झारखंड
(C) जम्मू और कश्मीर
(D) कर्नाटक।
उत्तर-
(A) पंजाब/हरियाणा

प्रश्न 3.
विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव होता है
(A) राज्यपाल द्वारा
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा
(C) मुख्यमन्त्री द्वारा
(D) विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा।
उत्तर-
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा

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प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा केंद्र शासित (संघीय) क्षेत्र नहीं है?
(A) राजस्थान
(B) दिल्ली
(C) चंडीगढ़
(D) पांडिचेरी।
उत्तर-
(A) राजस्थान

प्रश्न 5.
राज्य विधानमंडल के कौन-कौन से दो सदन होते हैं?
(A) लोकसभा तथा विधानसभा
(B) विधानसभा तथा राज्यसभा
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद
(D) लोकसभा तथा राज्यसभा।
उत्तर-
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद

प्रश्न 6.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त होती हैं?
(A) विधानपरिषद् को
(B) संसद् को
(C) प्रधानमन्त्री को
(D) राज्यसभा को।
उत्तर-
(B) संसद् को

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प्रश्न 7.
शक्तियों के बंटवारे के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(A) संघ सूची 47 विषय; राज्य सूची 97 विषय; समवर्ती सूची 66 विषय
(B) संघ सूची 66 विषय; राज्य सूची 47 विषय; समवर्ती सूची 97 विषय
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय

प्रश्न 8.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
(A) राज्यपाल
(B) मुख्यमन्त्री
(C) विधानसभा अध्यक्ष
(D) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(A) राज्यपाल

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।
  2. विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।
  3. मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  4. पंजाब तथा हरियाणा केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  5. राज्य में मुख्यमंत्री ही अध्यादेश जारी कर सकता है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✗).

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V. उचित मिलान

  1. मुख्यमन्त्री द्वि-सदनीय विधानमंडल
  2. राज्यपाल एक सदनीय विधानमंडल
  3. पंजाब राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान
  4. बिहार राज्य का संवैधानिक मुखिया

उत्तर-

  1. मुख्यमन्त्री-राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान,
  2. राज्यपाल-राज्य का संवैधानिक मुखिया,
  3. पंजाबएक सदनीय विधानमंडल,
  4. बिहार-द्वि-सदनीय विधानमंडल।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विधानसभा की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
विधानसभा के सदस्यों की संख्या राज्य के आकार तथा वहां की जनसंख्या पर निर्भर करती है। परन्तु संविधान के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा में अधिक-से-अधिक 500 सदस्य हो सकते हैं। इनका चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा किया जाता है। विधानसभा का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति की आयु 25 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए। विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
विधानसभा की कार्यवाही का संचालन करने के लिए एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष होता है। इनका चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से ही करते हैं।

प्रश्न 2.
विधान परिषद् की रचना कैसी होती है?
उत्तर-
किसी राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों के एक-तिहाई भाग से अधिक नहीं हो सकती। इस सदन की रचना इस प्रकार होती है —

  1. इसके एक-तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं।
  2. इसके अन्य एक-तिहाई सदस्य राज्य की विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं।
  3. सदस्य संख्या का बारहवां भाग स्नातकों द्वारा निर्वाचित होता है।
  4. एक अन्य बारहवां भाग सैकेण्डरी स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है।
  5. शेष 1/6 सदस्यों को राज्य का राज्यपाल मनोनीत करता है। ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन या सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त होते हैं।

विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। प्रत्येक दो वर्ष के पश्चात् इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नये सदस्य चुन लिए जाते हैं। इस प्रकार विधान परिषद् एक स्थायी सदन है।

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प्रश्न 3.
केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकारी होता है, परन्तु वह केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपना कार्य करता है। निम्नलिखित तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं —

  1. वह केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच कड़ी (Link) का काम करता है। वह विधायिका द्वारा पारित किसी बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  2. राज्यपाल द्वारा राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता की सूचना मिलने पर राष्ट्रपति सम्बन्धित राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ लागू कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्य की विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् को भंग अथवा स्थगित कर दिया जाता है और राज्य का प्रशासन राज्यपाल के अधीन हो जाता है। ऐसे समय पर राज्यपाल राष्ट्रपति का व्यावहारिक प्रतिनिधि बन जाता है। वह राज्य का प्रशासन कुछ सलाहकारों की सहायता से चलाता है।

प्रश्न 4.
जिन आधारों पर राज्यपाल अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल निम्नलिखित आधारों पर अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है —

  1. जब राज्य का शासन संविधान के अनुसार चलाने में बाधा पड़ रही हो।
  2. जब राज्यपाल के लिए यह निश्चित करना कठिन हो जाए कि विधानसभा में किस राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।

प्रश्न 5.
केन्द्र शासित क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत में 8 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। ये जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटे प्रदेश हैं। इसीलिए उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है। वे स्वायत्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों का प्रशासन केन्द्र के अधीन है तथा इन्हें उसके नियन्त्रण में चलाया जाता है। केन्द्र शासित क्षेत्र के प्रशासन का प्रधान उप-राज्यपाल, मुख्य आयुक्त अथवा प्रशासक होता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संसद् कानून बना कर किसी क्षेत्र के लिए विधानसभा की स्थापना भी कर सकती है। ऐसे क्षेत्र का शासन मुख्यमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् चलाती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में यही व्यवस्था है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार

प्रश्न 6.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं बताइए।
उत्तर-
भारत में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र तथा राज्य दोनों संसदीय कार्यपालिकाएं हैं।
  2. केन्द्र और राज्यों में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका है।
  3. केन्द्र में विधानमण्डल (संसद्) के दो सदन हैं। इसी प्रकार कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में भी दो-दो सदन हैं।

प्रश्न 7.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख विषमताएं बताइए।
उत्तर-
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन विषमताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र में निर्वाचित राष्ट्रपति होता है जबकि राज्यों में मनोनीत राज्यपाल होते हैं।
  2. केन्द्र की संसद् के दो सदन हैं, परन्तु अधिकांश राज्यों में एक सदनीय विधानमण्डल है।
  3. राज्य में भारत के उप-राष्ट्रपति के समान स्तर का कोई पद नहीं है।

प्रश्न 8.
राज्य विधानमण्डलों के चार गैर-विधायी कार्य बताइए।
उत्तर-
राज्य विधानमण्डलों के निम्नलिखित चार गैर-विधायी कार्य हैं

  1. विधानमण्डल के सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
  2. विधानमण्डल राज्य के मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास के प्रस्ताव पर विचार करता है।
  3. राज्य विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव करते हैं।
  4. विधानमण्डल का प्रत्येक सदन अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव करता है।

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प्रश्न 9.
राज्यपाल की तीन प्रमुख विधायी शक्तियां बताइए।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन विधायी शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. वह राज्य विधानमण्डल की बैठक बुला सकता है और उसे सम्बोधित कर सकता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित किए गए विधेयकों को स्वीकार कर सकता है, पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है अथवा राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  3. वह राज्य विधानमण्डल के अवकाश काल में अध्यादेश जारी कर सकता है।

प्रश्न 10.
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां बताएं।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. वह मुख्यमंत्री का चयन करता है तथा मुख्यमन्त्री की सलाह से राज्य मन्त्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा एडवोकेट जनरल की नियुक्ति करता है।
  3. वह अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।

प्रश्न 11.
राज्य सरकारों के चार प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर-
मान्य सरकारें चार प्रमुख कार्य करती हैं —

  1. वे अपने राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कानून बनाती हैं और उन्हें लागू करती हैं।
  2. वे अपने राज्य में आवश्यक वस्तुएं लोगों को लगातार उपलब्ध करने के कार्य करती हैं।
  3. वे अपने राज्य में शिक्षा का प्रसार तथा अन्य कल्याणकारी कार्य करती हैं।
  4. वे अपने राज्य में कृषि को प्रोत्साहन देती हैं।

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प्रश्न 12.
मुख्यमन्त्री की चार शक्तियों तथा स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की शक्तियां-मुख्यमन्त्री की शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. मन्त्रियों की नियुक्ति-मुख्यमन्त्री अपने मन्त्रियों की सूची तैयार करके राज्यपाल को भेजता है। राज्यपाल उन्हीं सदस्यों को मन्त्री पद की शपथ दिलाता है।
  2. विभागों का बंटवारा-मुख्यमन्त्री मन्त्रियों में विभाग बांटता है।
  3. मन्त्रियों को हटाना-वह किसी भी मन्त्री से त्याग-पत्र मांग सकता है। यदि वह त्याग-पत्र देने से इन्कार कर दे तो मुख्यमन्त्री उसे राज्यपाल से कह कर हटा सकता है।
  4. मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष-मुख्यमन्त्री मन्त्रिपरिषद् की बैठक का कार्यक्रम निश्चित करता है तथा इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है।

मुख्यमन्त्री की स्थिति-सच तो यह है कि मुख्यमन्त्री राज्य का एक महत्त्वपूर्ण तथा शक्तिशाली अधिकारी है। राज्य प्रशासन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं होता जिस पर उसका नियन्त्रण न हो। कोई भी मन्त्री मुख्यमन्त्री की इच्छा के बिना मन्त्री पद पर नहीं रह सकता। वह ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का प्रशासन चक्कर काटता है।

प्रश्न 13.
उच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार का वर्णन करो।
उत्तर-
मूल रूप से उच्च न्यायालय एक अपीलें सुनने वाला न्यायालय होता है। यह अपने अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध विभिन्न दीवानी और फ़ौजदारी मामलों में अपीलें सुन सकता है। उदाहरण के लिए किसी अपराधी को तब तक फांसी नहीं लगाई जा सकती. जब तक कि सैशन न्यायालय द्वारा दिये गये फांसी के निर्णय का उच्च न्यायालय अनुमोदन नहीं करता। यदि उच्च न्यायालय फांसी के दण्ड को उचित घोषित करता है, तभी मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।

प्रश्न 14.
उच्च न्यायालय के प्रशासकीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उच्च न्यायालय को निम्नलिखित प्रशासकीय अधिकार प्राप्त हैं —
(क) अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करना तथा उन पर नियन्त्रण रखना।
(ख) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में राज्यपाल को परामर्श देना।
(ग) न्यायाधीशों की पदोन्नति इत्यादि के मामले।

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प्रश्न 15.
जिला न्यायालय पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
न्यायिक प्रशासन के लिए प्रत्येक राज्य को विभिन्न जिलों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक जिला एक जिला न्यायाधीश के अधीन कार्य करता है। जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के परामर्श से राज्यपाल नियुक्त करता है, उन्हीं व्यक्तियों को जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जा सकता है जो कि कम-से-कम सात वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुके हों या जो कि संघ या राज्य सरकार की सेवा में अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हों। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जज स्वतन्त्रतापूर्वक न्याय कर सकें और जनता का न्यायपालिका में विश्वास दृढ़ हो।

प्रश्न 16.
भारतीय संघ की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर-
भारतीय संघ में संघीय ढांचे की भान्ति केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर अलग सरकारें हैं। शक्तियों का विभाजन : भी तीन सूचियों-संघ, राज्य तथा समवर्ती में किया गया है। स्वतन्त्र न्यायालय की भी व्यवस्था है, परन्तु भारतीय संघ में केन्द्र अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। सभी महत्त्वपूर्ण विषय केन्द्रीय-सची में रखे गए हैं। केन्द्र साझी सूची पर भी कानून बना सकता है। आपात्काल में इसे राज्य-सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। इस देश में सभी को इकहरी नागरिकता प्राप्त है। भारतीय संघ अमेरिका की भान्ति एक संघ नहीं है।

प्रश्न 17.
संघ और राज्य के मध्य वैधानिक अधिकारों का विभाजन किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
संघीय शासन से हमारा अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शक्तियां संघ तथा उसकी इकाइयों में बांट दी जाती है। संक्षेप में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार होता है —

  1. संघीय-सूची-संघीय सरकार को उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय महत्त्व के होते हैं। सुरक्षा, डाक-तार, मुद्रा आदि सभी संघीय विषय होते हैं।
  2. राज्य-सूची-राज्य-सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य विधानमण्डलों को कानून बनाने का अधिकार होता है। बिक्री-कर, राज्य-वित्त, कृषि आदि राज्य सूची के विषय हैं। यदि कोई राज्य-सूची का विषय राष्ट्रीय महत्त्व धारण कर ले तो एक विशेष प्रक्रिया द्वारा संघीय सरकार को उस विशेष विषय पर कानून बनाने के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
  3. समवर्ती-सूची-इस सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं, परन्तु यदि किसी एक ही विषय पर राज्य तथा केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून में विरोध हो तो केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून को ही मान्य समझा जाता है।

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प्रश्न 18.
राज्यपाल और मन्त्रिपरिषद् का सम्बन्ध बतलाओ।
उत्तर-
राज्यपाल भारतीय संघ में राज्य का मुखिया होता है, परन्तु वह नाममात्र का ही मुखिया है। उसे राज्य की मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से कार्य करना पड़ता है। फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में वह राज्य का वास्तविक मुखिया भी होता है। वह राज्य के मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है। अन्य मन्त्री भी उसी के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के निर्णयों के विषय में मुख्यमन्त्री से पूछताछ कर सकता है, परन्तु मुख्यमन्त्री तथा अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करते समय राज्यपाल अपनी इच्छा से काम नहीं ले सकता है। वह केवल राज्य विधानसभा के बहुमत दल के नेता को ही मुख्यमन्त्री नियुक्त कर सकता है। अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति वह मुख्यमन्त्री के परामर्श से करता है।

प्रश्न 19.
राज्यपाल के क्या अधिकार हैं?
उत्तर-
राज्यपाल को अनेक वैधानिक, कार्यकारी, धन सम्बन्धी तथा न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं।

  1. वह मन्त्रिपरिषद् का गठन करता है तथा राज्य लोक-सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित बिलों को स्वीकृति दे कर कानून बनाता है तथा अप्रैल से पूर्व वित्तमन्त्री से बजट पेश करवाता है।
  3. वह उच्च न्यायालयों के जजों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  4. वह अपने विवेकानुसार किसी बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रख सकता है।
  5. वह राष्ट्रपति को राज्य में शासन-तन्त्र की विफलता की सूचना अपने विवेकानुसार दे सकता है।

प्रश्न 20.
राज्य की व्यवस्थापिका में वित्तीय-विधेयक किस प्रकार पारित होता है?
उत्तर-
वित्तीय विधेयक मन्त्रियों द्वारा रखे जाते हैं। ये विधेयक केवल विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं। जिन राज्यों में दो सदन होते हैं, वहां विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक विधान परिषद् में भेजा जाता है। विधान परिषद् इसे चौदह दिन तक रोक सकती है। तत्पश्चात् यह विधेयक को विधानसभा को सुझावों या बिना सुझावों के भेज देती है। विधानसभा इन सुझावों को अस्वीकार भी कर सकती है। इस प्रकार पारित विधेयक राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की अनुमति मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है।

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राज्य सरकार PSEB 10th Class Civics Notes

  • राज्य विधानमण्डल-कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में दो सदन हैं तथा अन्य में केवल एक ही सदन है। द्विसदनीय विधानमण्डल में निम्न सदन को विधानसभा तथा उच्च सदन को विधानपरिषद् कहते हैं। एक सदनीय विधानमण्डल में केवल विधानसभा होती है।
  • विधानसभा-विधानसभा की सदस्य संख्या राज्य की जनसंख्या के आधार परअधिक-से-अधिक 500 सदस्य। चुनाव के लिए योग्यताएं-25 वर्ष या इससे अधिक आयु तथा लाभप्रद सरकारी पद पर न हो। इसका कार्यकाल 5 वर्ष है।
  • विधानपरिषद्-राज्य का उच्च तथा स्थायी सदन। एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष पश्चात् सेवानिवृत्त। इसके एक तिहाई सदस्य विधानसभा द्वारा, एक तिहाई नगर पालिकाओं तथा परिषदों द्वारा, बारहवां भाग स्नातकों द्वारा, एक अन्य बारहवां भाग स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है। शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं।
  • राज्य कार्यपालिका-राज्यपाल, मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्।
  • राज्यपाल-राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है। राज्य की सारी कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित हैं, परन्तु उनका वास्तविक प्रयोग मुख्यमन्त्री करता है। सारी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल के नाम पर की जाती हैं। राज्यपाल के हस्ताक्षर के पश्चात् ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है। वह अध्यादेश भी जारी कर सकता है। उसके पास स्वविवेक शक्तियां भी हैं।
  • राष्ट्रपति शासन-राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट मिलने पर वहां संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है। इस अवधि में राज्य की सभी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल करता है।
  • मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद-राज्यपाल विधानसभा में बहमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है और. उसकी सिफ़ारिश से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् संयुक्त रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • उच्च न्यायालय-प्रत्येक राज्य के शिखर पर.उच्च न्यायालय होता है। कभी-कभी दो या दो से अधिक राज्यों का साझा उच्च न्यायालय भी हो सकता है।
  • उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार-आरम्भिक, अपील सम्बन्धी तथा प्रशासकीय क्षेत्राधिकार।
  • आरम्भिक क्षेत्राधिकार- इसमें संविधान की व्याख्या तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सम्बन्धी मामले आते हैं।
  • अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-इसके अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करना आता है।
  • प्रशासकीय क्षेत्राधिकार-इस क्षेत्राधिकार में उच्च न्यायालय राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करता है तथा उन पर कड़ा नियन्त्रण रखता है।
  • अधीनस्थ न्यायालय-उच्च न्यायालय के अधीन अधीनस्थ न्यायालय आते हैं। इसमें जिले के न्यायालय तथा उससे नीचे के न्यायालय शामिल हैं।
  • लोक अदालत-निर्धन तथा पिछड़े वर्ग के लोगों को शीघ्र तथा कम खर्चीला न्याय दिलाने के लिए लोक अदालतों की व्यवस्था है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life उद्धरण संबंधी प्रश्न

स्रोत आधास्त प्रश्न

(1)

दिए गए स्रोत को पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें —
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जैसा कि कहा जाता है कि ‘बहता पानी कभी वापिस नहीं होता। मानव का स्वभाव भी उसी की तरह है। यदि किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण विशाल नहीं है, तो वह समय के साथ खुद को कभी भी अनुकूलित नहीं कर सकता। संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति कभी खुश नहीं रहता। ऐसा व्यक्ति चारों ओर विषाक्त हो जाता है और नकारात्मकता फैलाता है। इसके बिना वह व्यक्ति दूसरों के साथ संबंध बनाए रखने में विफल रहता है क्योंकि वह दूसरों की विचारधारा, दृष्टिकोण और, आलोचना का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, एक लचीला दृष्टिकोण व्यक्तिगत रूप से विकसित करना बहुत ही आवश्यक लक्षण है।
प्रश्न-

  1. मानव स्वभाव क्या है?
  2. संकीर्ण मानसिकता का नुकसान क्या है?
  3. एक संकीर्ण दिमाग वाला व्यक्ति कैसे रिश्ता बनाए रखता है?
  4. हमें किस प्रकार की सोच रखनी चाहिए?
  5. लचीले दृष्टिकोण की क्या आवश्यकता है?

उत्तर-

  1. मानव स्वभाव परिवर्तनशील है जो समय के साथ बदलता रहता है।
  2. संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति हर जगह नकारात्मकता फैलाता है और कभी भी खुश नहीं रहता।
  3. एक संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति रिश्ते को अच्छी तरह से नहीं निभा सकता और दूसरों के विचारों को मानने के लिए तैयार नहीं होता।
  4. उसे संकीर्ण विचारधारा के साथ नहीं रहना चाहिए बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीना
    चाहिए।
  5. लचीले दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति दूसरों के साथ स्वस्थ समायोजन करते हैं और उनके साथ कभी-कभी भी खट्टे-मीठे रिश्ते नहीं रखते।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(2)

आधुनिक सूचना क्रांति के युग में संचार के साधनों और उनकी भूमिका में अत्यधिक वृद्धि हुई है। सूचना, ज्ञान और मनोरंजन इन माध्यमों से प्राप्त होते हैं। लेकिन इन संसाधनों को चलाने वाली अधिकांश कंपनियों, संस्थानों या संगठनों का मुख्य उद्देश्य भी पैसा कमाना है। ऐसी स्थिति में वह सभी प्रकार की सामग्री प्रदान करवा रहे हैं भले ही यह मानवता की भलाई के लिए है या नहीं। वर्तमान युग में प्रत्येक मनुष्य के पास इंटरनेट और संचार के साधनों का प्रयोग करने की क्षमता है। इसलिए हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने ज्ञान को विकसित करने के लिए इन संसाधनों का उचित प्रयोग करें। बच्चों में सही/ग़लत खोजने की क्षमता कम होती है और इसलिए यह डर इंटरनेट या संचार के अन्य साधनों के दुरुप्रयोग के कारण बना रहता है। इस गतिविधि आधारित पाठ का मुख्य उद्देश्य है छात्रों में अभिरूचि का विकास करना ताकि समझ सके कि इन उपकरणों का सही प्रयोग कैसे किया जाए।
प्रश्न-

  1. किस प्रकार का युग वर्तमान युग है और क्यों?
  2. आधुनिक युग में किसका महत्त्व बढ़ गया है?
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  4. हमारा कर्त्तव्य क्या है?
  5. गतिविधि आधारित पाठ्यों का क्या लाभ है?

उत्तर-

  1. वर्तमान युग को सूचना क्रांति के युग के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने दुनिया में दूरी को काफी कम कर दिया है।
  2. आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व बढ़ गया है।
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना और लाभ कमाना है।
  4. संचार के साधनों का समुचित उपयोग करना और अपने ज्ञान का विकास करना हमारा कर्तव्य है।
  5. यह छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि औज़ारों का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाए और समझने के लिए उनमें एक आदत विकसित की जाए।

(3)

मैडम कमला ने लड़कियों की बताया कि उनके मन में बहुत सी गलत धारणाएं हैं जिनसे बचने की ज़रूरत है। जैसा कि कुछ लोग रात तक जागने के लिए दवा लेते हैं। कुछ अपने शरीर को और अधिक शक्तिशाली और सुडौल बनाने के लिए खतरनाक उत्पाद ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट युवा पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं। दरअसल यह विज्ञापन जो कंपनियों द्वारा प्रचारित किए जाते हैं और वह टी०वी० चैनल का हिस्सा नहीं होते हैं। उन पर डिस्कलेमर विज्ञापन लिखा हुआ होता है। इसीलिए हमें आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। इस तरह के विज्ञापन के बारे में हमें गंभीर रूप से सोचना चाहिए। इसलिए संक्षेप में हमें कड़ी मेहनत और घर के बने स्वस्थ आहार पर विश्वास करना चाहिए जो सरल और संतुलित आहार होना चाहिए। मैडम ने मिल्खा सिंह, पी.टी उषा, दीपिका करमाकर, लिएंडर पेस, मैरीकॉम और कई अन्य खिलाड़ियों की उदाहरणे दी जिन्होंने साधारण या ग़रीब परिवार से उठकर और दुनिया में अच्छी तरह से नाम कमाया।
प्रश्न-

  1. लोग किस प्रकार की गलत धारणाएं बनाते हैं?
  2. क्या हमें कंपनियों के विज्ञापनों पर भरोसा करना होगा?
  3. खेल व्यक्तियों के कुछ उदाहरण दें जिन्होंने केवल कड़ी मेहनत के साथ महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया है।
  4. महान ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
  5. विज्ञापनों पर डिस्कलेमर क्यों लिखा जाता है?

उत्तर-

  1. लोग गलत धारणा बनाते हैं कि दवा और टॉनिक के सेवन से हम स्वस्थ और मज़बूत बन सकते हैं।
  2. हमें कंपनी के विज्ञापनों पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें इसके बारे में गंभीर रूप से सोचना चाहिए।
  3. मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा, दीपिका करमाकर, लिंएडर पेस, मैरीकॉम और अन्य खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत के साथ महान ऊँचाईयों को हासिल किया।
  4. ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और दवा और टॉनिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. क्योंकि टी०वी० चैनल केवल निर्माता की ओर से विज्ञापन दिखा रहे हैं। विनिर्माण या दोषपूर्ण उत्पादों से उनका कोई लेना देना नहीं है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(4)

हमारे संबंधों के बारे में कुछ सामाजिक सीमाएं है। वह हमें बताते हैं कि हमें अपने संबंधों को किस सीमा तक रखना चाहिए। हमें इन सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। हमारे परिवार या पड़ोसी, स्कूल, कॉलेज के शिक्षक, छात्र, दोस्त, दुनिया में लगभग हर व्यक्ति हमें जीवन के हर चरण में सामाजिक रूप से अच्छी प्रकार से परिभाषित सीमाओं और रिश्तों की सीमाओं का एहसास कराता है। इसलिए हमें तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन करना चाहिए। हमें ऐसी सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए अन्यथा हमें किसी अन्य रिश्ते की हत्या करनी पड़ सकती है। तो एक सीमा है जो एक सामाजिक अनुग्रह का प्रतीक है। जैसा कि कुछ संबंधों को घर पर रखा जाता है। दूसरी ओर कुछ हमारे कार्यालय या किसी अन्य कार्यस्थल तक सीमित हैं। इसलिए हमारे बाहरी रिश्तों (कार्यस्थल संबंधों या पेशेवर संबंधों) को हमारे घर पर लाना और इसके विपरीत करना बुद्धिमानी नहीं है। कुछ रिश्ते रक्त से संबंधित हैं जो हमारे बहुत करीब से जाने जाते हैं लेकिन यह हमेशा एक जैसा नहीं होता है। कभीकभी, एक रिश्ता जो रक्त से संबंधित नहीं है, हमारी अधिक मदद करता है और रक्त संबंधों की तुलना में हमारे करीब है।
प्रश्न-

  1. हमारे रिश्तों की सीमा कौन-तय करता है?
  2. हमें सामाजिक सीमाओं के साथ क्या करना चाहिए?
  3. हम करीबी और दूर के रिश्तों की पहचान कैसे कर सकते हैं?
  4. रिश्तों की सीमा क्या है?
  5. बाहरी रिश्तों को हमारे घर में लाना बुद्धिमानी क्यों नहीं है?

उत्तर-

  1. समाज हमारे रिश्तों की सीमा को तय करता है कि हमें किसी भी रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत है।
  2. हमें एक तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन और निरीक्षण करना चाहिए। हमें सामाजिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
  3. करीबी और दूर के रिश्तों को हमारी सरलता, स्वाभाविकता और संवेदनशीलता से पहचाना जा सकता है।
  4. हमेशा हर रिश्ते की सीमा होती है कि हमें हर रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत हैं। इसलिए हमें आपकी सीमा को समझना चाहिए और बेहतर जीवन जीना चाहिए।
  5. हमें अपने घर में बाहरी या अधिकारी संबंधों को नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह हमारे अन्य रिश्तों में समस्याएं पैदा कर सकता है। परिवार के सदस्य इसका विरोध कर सकते हैं और हमारे घरेलू रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

(5)

जीवन में हर व्यक्ति कई रिश्तों के साथ रहता है। कुछ रिश्ते लंबे होते हैं। लेकिन कुछ को काट दिया जाता है या कुछ रिश्ते समय और परिस्थितियों के प्रभाव से टूट जाते हैं। तो यह जीवन भर हमारे मन के किसी भी कोने में एक स्मृति के रूप में अच्छा या बुरा रहता है। दूर जाने के कारण, गुस्से-शिकवे बढ़ने के कारण, नए सिरे से जीवन लड़ी शुरू करने के चक्कर में या परिवार, समाज किसी की तरफ से रोक लगाने पर कई बार हमें कोई रिश्ता छोड़ना पड़ता है। कभी-कभी हमें लगता है कि हम किसी और के साथ लंबे समय तक नहीं रह सकते, इसलिए हमें अपना रिश्ता तोड़ रचनात्मक रूप से समाप्त करना चाहिए। कई रिश्ते छोड़ने के बाद हम दोबारा फिर से उनको नहीं मिलते परंतु बिछड़ने का सलीका होना चाहिए।
प्रश्न-

  1. क्या सभी रिश्ते जीवन भर चलते हैं?
  2. हमें रिश्तों को क्यों छोड़ना पड़ता है?
  3. हमें रिश्ते कैसे छोड़ने चाहिएं?
  4. रिश्ते याददाशत में क्यों रहते हैं?
  5. हम क्यों महसूस करते हैं कि कुछ रिश्ते लंबे समय तक नहीं रह सकते?

उत्तर-

  1. नहीं, सभी रिश्ते जीवन भर नहीं रहते।
  2. कुछ रिश्तों को बीच में ही छोड़ दिया जाना चाहिए। क्रोध, सामाजिक प्रतिबंधों के डर से या किसी अन्य स्थान पर एक नया जीवन शुरू करने के लिए कुछ रिश्तों को छोड़ना पड़ता है।
  3. अगर हमें कोई रिश्ता छोड़ने की आवश्यकता है, तो हमें रचनात्मक और सुंदर तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। ताकि यदि उसे दोबारा जोड़ना पड़े तो जोड़ सकें।
  4. हम एक विशेष संबंध को खत्म कर देते हैं लेकिन वह किसी अच्छे या बुरे क्षण के कारण स्मृति में बने रहते हैं।
  5. क्योंकि जीवन के एक पड़ाव पर, हमें यह एहसास होने लगता है कि ऐसे रिश्ते वफादार नहीं होते हैं और लंबे समय तक निभाने के बजाय उस रिश्ते को खत्म करना बेहतर होता है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(6)

यदि हम सभी के साथ उचित तरीके से व्यवहार करना चाहते हैं तो समझो कि हमारे अंदर संवेदनशीलता का गुण है। हमें सभी को इसे प्रेम और सम्मान के साथ समानता की नज़र से देखना होगा। इसलिए लड़कों और लड़कियों, पुरुषों और महिलाओं को एक-दूसरे के साथ उचित और समानता का व्यवहार करना होगा। जिस प्रकार, ‘दर्द’ शब्द का अर्थ सीमित है,-किसी का अपना दर्द। उसी प्रकार ‘संवेदना का अर्थ है-सभी के सामूहिक दर्द को समझना। अगर हम अपने घर को देखें तो भाई-बहनों को अक्सर यह शिकायत होती है कि उनके माता-पिता अपनी बहनों और भाइयों से बेहतर व्यवहार करते हैं। स्कूल में भी लड़के अक्सर इस बात की शिकायत करते हैं कि लड़कियों को क्लास का मॉनिटर क्यों बनाया जाता है? इस लिए इस तरह के मुद्दे वास्तव में हमारी लैंगिक संवेदनशीलता की कमी का संकेत हैं।
प्रश्न-

  1. संवेदनशील का गुण कौन-सा है?
  2. दर्द और संवेदना का क्या अर्थ है?
  3. घर में हमें अपने भाई-बहनों से क्या शिकायत है?
  4. हम कैसे ठीक से व्यवहार करना चाहिए?
  5. हमें दूसरों का आदर क्यों करना चाहिए?

उत्तर-

  1. समाज में रहते हुए हम सभी के साथ उचित और सम्मानजनक तरीके से पेश आते हैं। यह संवेदनशीलता का गुण है।
  2. दर्द का सीमित अर्थ है किसी का अपना दर्द और सहानुभूति का अर्थ है सभी के सामूहिक दर्द को समझना।
  3. हमें अक्सर भाई बहनों के बारे में शिकायत होती है कि माता-पिता उनसे ज्यादा प्यार करते हैं और हमसे कम प्यार करते हैं।
  4. हमें सभी को सम्मान देना चाहिए और उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए।

(7)

प्रिय छात्रो ज़रूरतों और इच्छाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है, लेकिन उन्हें अपनी सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। वह इतने अधिक नहीं होने चाहिए कि हमारी सभ्य सामाजिक सीमा को पार कर जाएं। जीवन जीने के लिए भोजन, कपड़ा और मकान बुनियादी जरूरतें है, उसी प्रकार एक अच्छी जीवन शैली का भी उतना ही महत्त्व है। आइए हम देखें कि हमारी ज़रूरतें और इच्छाएं किस प्रकार की हैं ? क्या वे सीमित हैं या बहुत अधिक हैं और सभी साधनों और स्रोतों से अधिक हैं ? क्या ये हमारे माता-पिता को तंग कर रहें हैं या नहीं?
प्रश्न-

  1. जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है?
  2. किस हद तक इच्छाओं को रखा जाना चाहिए?
  3. जीवन जीने के लिए कौन-सी चीजें आवश्यक हैं?
  4. इच्छाओं को रखते हुए हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?
  5. जीवन में ज़रूरतें और इच्छाएं क्यों ज़रूरी हैं?

उत्तर-

  1. ज़रूरतें और इच्छाएं जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। हम इनके बिना नहीं रह सकते।
  2. इच्छाओं को सामाजिक सीमा में रखा जाना चाहिए ताकि वह आसानी से पूरी हो सकें।
  3. जीवन जीने के लिए भोजन, वस्त्र और आश्रय की आवश्यकता होती है क्योंकि हम उनके बिना नहीं रह सकते।
  4. इच्छा रखने के दौरान हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि वह हमारे माता-पिता को तंग न करें। इस मामले में, वह हमारे माता-पिता पर बोझ बन जाएंगे।
  5. क्योंकि हर किसी को जीवन जीने के लिए कुछ चीज़ों की आवश्यकता होती है जो एक खुशहाल जीवन जीने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(8)

दुनिया का हर इंसान अलग है। हम उसी प्रकार कई मायनों में एक-दूसरे से अलग है। जैसे कि हर किसी का एक अलग व्यक्तित्व होता है। आपसी सम्मान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे के साथ एक ही प्रकार से व्यवहार करें। स्वीकार करें कि उनका व्यक्तित्व रिश्ते के लिए अलग है जो एक आशीर्वाद है। हम अक्सर देखते हैं कि दो अच्छे दोस्तों के व्यक्तित्व अक्सर अलग होते हैं। एक वक्ता और दूसरा श्रोता, इस प्रकार से, हमारी विविधता एक-दूसरे की पूरक है। जब हम एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं तो हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। अगर हम खुद को सही मानते हैं और दूसरों को गलत मानते हैं, तो हम अकेले रह जाएंगे। विद्यार्थी जीवन में मित्रता विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होती है। मित्र को उसके पूर्ण रूप में स्वीकार करो। इस स्थिति में हर किसी की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। जब कक्षा में एक छात्र को अध्यापक द्वारा टोका जाता है, तो उसे अपने तरीकों में बदलाव करना चाहिए। कोई और गुस्से में आ जाता है और जानबूझकर गलत व्यवहार करता है जबकि कोई पूरी तरह से चुप रहता हैं। हमारी समस्या यह है कि हम चाहते हैं कि हर कोई बदल जाए। यह ठीक नहीं है। सभी अलग तरीके से व्यवहार करते हैं।
प्रश्न-

  1. विद्यार्थी जीवन में क्या बहुत महत्त्व रखता है?
  2. दुनिया में हर कोई एक-दूसरे से अलग कैसे है?
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए क्या आवश्यक है?
  4. हमारे जीवन में विभिन्नताओं का क्या महत्त्व है?
  5. दो अच्छे दोस्तों का व्यक्तित्व एक-दूसरे से अलग क्यों है?

उत्तर-

  1. विद्यार्थी जीवन में दोस्ती का बहुत महत्त्व हैं क्योंकि वह बिना किसी स्वार्थ के हमारे साथ बने रहते हैं और हम उन्हें जीवन भर याद रखते हैं।
  2. हर कोई शारीरिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे से अलग है। उनकी आदतें, व्यक्तित्व और क्षमताएं भी अलग-अलग होती हैं। इसलिए हर कोई एक-दूसरे से अलग है।
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए, यह होना चाहिए कि हम दूसरों को वैसा ही स्वीकार करें जैसे वे हैं और उनका व्यक्तित्व है। यह समानता के संबंधों को बनाए रखने में मदद करता हैं।
  4. विभिन्नताओं का बहुत महत्त्व है। हर कोई एक-दूसरे से अलग है और हम स्वीकार करते हैं। वह जैसे भी हैं, कई मतभेद होने के बाद भी, हम उनके साथ भेदभाव नहीं करते हैं।
  5. हालांकि वह अच्छे दोस्त हैं, लेकिन उनके दृष्टिकोण, विचार, आदतें, जीने के तरीके एक-दूसरे से अलग हैं। इसलिए उनके व्यक्तित्व भी अलग हैं।

(9)

रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है। रचनात्मक मानसिकता वाले इंसान में हमेशा नए विचार आते हैं और उन विचारों को व्यक्त करने का तरीका भी अनोखा होता है। विभिन्न मनुष्यों में अलग-अलग लक्षण और गुण होते हैं। एक रचनात्मक मानसिकता वाला व्यक्ति इस गुण का उपयोग खुद को विकसित करने के लिए करता है और सामाजिक सम्मान भी प्राप्त करता है। रचनात्मक ध्यान न केवल कला या साहित्य के क्षेत्र में बल्कि किसी भी क्षेत्र से जुड़े लोगों में भी पाया जा सकता है। छात्रों में इस दृष्टिकोण को विकसित करके, उनके व्यक्तित्व को परिष्कृत किया जाना चाहिए और उनकी प्रकृति को उनकी ऊर्जा का उचित उपयोग करके रचनात्मक बनाया जाना चाहिए।
प्रश्न-

  1. रचनात्मक सोच का क्या अर्थ है?
  2. रचनात्मक सोच का क्या फायदा है?
  3. क्या यह रचनात्मक सोच किसी भी क्षेत्र में हो सकती है?
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करने से क्या फायदा है?
  5. सभी को रचनात्मक सोच क्यों रखनी चाहिए?

उत्तर-

  1. रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है।
  2. रचनात्मक सोच के साथ एक व्यक्ति खुद का विकास करता है और सामाजिक सम्मान हासिल करता हैं। वह कुछ नया करने की कोशिश करता है।
  3. हाँ, रचनात्मक सोच कला, साहित्य, विज्ञान, इत्यादि किसी भी क्षेत्र में हो सकती है।
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करके उनके व्यक्तित्व का विकास किया जा सकता है। उनकी ऊर्जा का उचित प्रयोग करके उनके स्वभाव को रचनात्मक बनाया जा सकता हैं।
  5. हर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अधिक रचनात्मक है। वह हमेशा कुछ अनोखा बनाना चाहता है। कुछ अनोखा बनाने के लिए रचनात्मक सोच बहुत आवश्यक है।

(10)

यदि हम कभी-कभी दुखी, डरे हुए, घबराए हुए, बेचैन, क्रोधित, ईष्यालु या परेशान महसूस करते हैं तो यह सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा अक्सर होता है, तो इन भावनाओं पर नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। यदि हमारी भावनाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो यह हानिकारक साबित हो सकती हैं और हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए सीखना चाहिए कि अत्यधितः भावनात्मक होने और फिर बाद में पछतावा होने पर गलतियों से बचने के लिए हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करते हैं। इनको अच्छी प्रकार से समझदार और इन पर सही तरीके से अमल करके, उज्ज्वल और सफल छात्र हो सकते हैं क्योंकि भावनाओं का संतुलन हमारे जीवन में हमारे शारीरिक कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक संबंधों के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। सभी भावनात्मक संतुलन से जुड़े हैं। भावनाओं को संतुलित करने का अर्थ है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए। हमें एक सीमा निर्धारित करनी चाहिए कि हम अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त कर सकते हैं।
प्रश्न-

  1. हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण क्यों रखना चाहिए?
  2. हम कैसे सफल छात्र बन सकते हैं?
  3. भावनाओं के संतुलन से क्या अभिप्राय है?
  4. भावनाओं को काबू में रखने के बारे में हमें क्यों सीखना चाहिए?
  5. जब हम उदास, घबराए हुए, गुस्सा इत्यादि महसूस करते हैं, तो यह सामान्य क्यों है?

उत्तर-

  1. हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है जैसे कि क्रोध, ईर्ष्या, डर नहीं तो यह हमारे लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
  2. हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करके, इनको ठीक से समझकर और इन्हें सही तरीके से समझकर सफल छात्र बन सकते हैं।
  3. भावनाओं को संतुलित करने का मतलब यह है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए।
  4. हमें भावनाओं को नियंत्रण में रखने के बारे में सीखना चाहिए ताकि भावनाओं के प्रभाव में हम कोई गलती कर बैठें जो बाद में एक समस्या बन सकती है।
  5. यह मानव स्वभाव के कारण है जो अलग-अलग समय पर महसूस होता है। दुखी, घबराया हुआ, क्रोधित, ईर्ष्या या हमेशा के लिए परेशान। यह हमारे मन पर भी निर्भर करता है जिसके अनुसार हमारे भीतर विभिन्न भावनाएं होती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार

SST Guide for Class 10 PSEB केन्द्रीय सरकार Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/ एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दें

प्रश्न 1.
(i) लोकसभा का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।

प्रश्न 1.
(ii) लोकसभा के कुल कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर-
लोकसभा के अधिक-से-अधिक 550 सदस्य हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
(iii) लोकसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-लोकसभा अपने सदस्यों में से ही अध्यक्ष का चुनाव करती है।

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प्रश्न 1.
(iv) अविश्वास प्रस्ताव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
यदि लोकसभा प्रधानमंत्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दे तो इन्हें अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।

प्रश्न 1.
(v) लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

प्रश्न 1.
(vi) राष्ट्रपति लोकसभा में कब और कितने ऐंग्लो-इण्डियन मनोनीत कर सकता है?
उत्तर-
जब ऐंग्लो-इण्डियन समुदाय को लोकसभा में उचित प्रतिनिधित्व न मिले तो राष्ट्रपति लोकसभा में दो ऐंग्लो-इण्डियन सदस्य मनोनीत करता है।

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प्रश्न 2.
राज्यसभा के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) राज्यसभा के कुल कितने सदस्य हो सकते हैं?
(ii) राष्ट्रपति किन क्षेत्रों में से कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है?
(iii) राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता कौन करता है?
(iv) राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
(v) राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है?
(vi) राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
(i) राज्यसभा के अधिक-से-अधिक 250 सदस्य हो सकते हैं।
(ii) राष्ट्रपति विज्ञान, कला, साहित्य एवं समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त 12 व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
(iii) भारत का उप-राष्ट्रपति।
(iv) राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
(v) राज्यसभा एक स्थायी सदन है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
(vi) राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(i) महाभियोग
(ii) मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व या व्यक्तिगत उत्तरदायित्व
(iii) राष्ट्रपति-शासन या नाममात्र अध्यक्ष
(iv) राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव मण्डल।
उत्तर-
(i) महाभियोग-संविधान की अवहेलना करने पर राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाता है और दोषी पाए जाने पर उसे निश्चित अवधि से पूर्व पदमुक्त किया जा सकता है।
(ii) मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व या व्यक्तिगत उत्तरदायित्व-सामूहिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक मन्त्री अपने विभाग के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी तो है ही, साथ में उसका उत्तरदायित्व प्रत्येक विभाग की नीति से भी होता है।
(iii) राष्ट्रपति शासन या नाममात्र अध्यक्ष-राष्ट्रपति देश का नाममात्र अध्यक्ष है क्योंकि व्यवहार में उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिपरिषद् करता है।
(iv) राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव मण्डल-राष्ट्रपति का चुनाव एक चुनाव मण्डल द्वारा किया जाता है। जिसमें संसद् (लोकसभा तथा राज्यसभा) तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर दें
(i) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है?
(ii) राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां कितने प्रकार की होती हैं?
(iii) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है?
(iv) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
(i) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति-राष्ट्रपति संसद् में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है।
(ii) राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां- राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां तीन प्रकार की होती हैं

  1. राष्ट्रीय संकट, विदेशी आक्रमण तथा आन्तरिक विद्रोह,
  2. राज्य का संवैधानिक संकट,
  3. वित्तीय संकट।

(iii) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति-उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है।
(iv) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल-उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित की व्याख्या 50-60 शब्दों में करो
(i) स्वतन्त्र न्यायपालिका
(ii) परामर्श सम्बन्धी अधिकार क्षेत्र
उत्तर-
(i) स्वतन्त्र न्यायपालिका-नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और न्याय के लिए स्वतन्त्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है जो लोभ, भय, दबाव या पक्षपात रहित न्याय कर सके। इसलिए संविधान ने (शक्तियों के अलगाव के सिद्धान्त द्वारा) न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग कर दिया है। इसके अतिरिक्त न्यायाधीशों को पदों से हटाने की प्रक्रिया बड़ी कठिन है।
(ii) परामर्श सम्बन्धी अधिकार क्षेत्र-भारत का राष्ट्रपति किसी कानून अथवा संवैधानिक मामले पर उच्चतम न्यायालय से परामर्श ले सकता है। पांच जजों पर आधारित बैंच ऐसा परामर्श दे सकती है जिसे मानना या न मानना राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
संसद् में विधेयक कानून कैसे बनता है?
उत्तर-
विधेयक दो प्रकार के होते हैं-वित्त विधेयक तथा साधारण विधेयक। वित्त विधेयक किसी मन्त्री द्वारा केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। परन्तु साधारण विधेयक किसी मन्त्री या संसद् के किसी सदस्य द्वारा किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। साधारण विधेयक को कानून बनने से पहले निम्नलिखित अवस्थाओं में से गुजरना पड़ता है
पहला पड़ाव अथवा वाचन-इस अवस्था में विधेयक पर बहस नहीं होती। इसके केवल मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं।
द्वितीय पड़ाव अथवा वाचन-द्वितीय वाचन में विधेयक की प्रत्येक धारा पर विस्तार से बहस होती है तथा कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो विधेयक प्रवर समिति को सौंपा जा सकता है। तृतीय पड़ाव अथवा वाचन-इस पड़ाव में समग्र रूप से विधेयक पर मतदान होता है। यदि विधेयक पास हो जाए तो इसे दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
विधेयक दूसरे सदन में-दूसरे सदन में भी विधेयक को पहले सदन की भान्ति उन्हीं पड़ावों से गुजरना पड़ता है। यदि दूसरा सदन भी इसे पारित कर दे तो विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है।
राष्ट्रपति की स्वीकृति-राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाने पर विधेयक कानून बन जाता है।

प्रश्न 2.
संसद् की शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
संसद् की चार प्रमुख शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. वैधानिक शक्तियां-संसद् संघीय और समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यह राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकती है।
  2. कार्यपालिका शक्तियां-संसद् अविश्वास प्रस्ताव पारित करके मन्त्रिपरिषद् को हटा सकती है। इसके अतिरिक्त संसद् के सदस्य प्रश्न पूछकर, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव द्वारा, स्थगन प्रस्ताव तथा निंदा प्रस्ताव द्वारा मन्त्रिपरिषद् को नियन्त्रण में रखते हैं।
  3. वित्तीय शक्तियां-संसद् का राष्ट्रीय धन पर अधिकार होता है। यह नए कर लगाती है, पुराने करों में संशोधन करती है और बजट पारित करती है।
  4. संवैधानिक संशोधन-संसद् एक विशेष संवैधानिक विधि से संविधान में संशोधन कर सकती है।
    (विद्यार्थी कोई तीन लिखें।)

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प्रश्न 3.
लोकसभा के अध्यक्ष की भूमिका के बारे लिखें।
उत्तर-
लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) का चुनाव सदस्य अपने में से ही करते हैं। लोकसभा अध्यक्ष के चार कार्य निम्नलिखित हैं

  1. कार्यवाही का संचालन-वह लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है। बहुमत दल का सदस्य होने के बावजूद वह यही प्रयास करता है कि सदन की कार्यवाही के संचालन में निष्पक्षता हो।
  2. अनुशासन-वह सदन में अनुशासन बनाए रखता है। वह अनुशासन भंग करने वाले सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश दे सकता है।
  3. विधेयक के स्वरूप का निर्णय-अध्यक्ष इस बात का निर्णय करता है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है अथवा साधारण विधेयक।
  4. संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता-यदि किसी विधेयक पर दोनों सदनों में असहमति हो जाए तो राष्ट्रपति लोकसभा तथा राज्यसभा का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है। इस संयुक्त अधिवेशन का सभापतित्व लोकसभा का अध्यक्ष करता है।

प्रश्न 4.
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में कितने प्रकार के मन्त्री होते हैं?
उत्तर-
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में चार प्रकार के मन्त्री होते हैं-कैबिनेट मन्त्री, राज्य मन्त्री, उप-मन्त्री तथा संसदीय सचिव। –

  1. कैबिनेट मन्त्री-कैबिनेट मन्त्री सबसे उच्च स्तर के मन्त्री होते हैं। ये मन्त्रिपरिषद् की अन्तरिम कमेटी के सदस्य होते हैं। ये प्रशासकीय विभागों के स्वतन्त्र अध्यक्ष होते हैं।
  2. राज्य-मन्त्री-राज्य-मन्त्री निचले स्तर के मन्त्री होते हैं। वे कैबिनेट मन्त्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किए जाते हैं। राज्य मन्त्री को कभी-कभी किसी विभाग का स्वतन्त्र कार्यभार भी सौंप दिया जाता है।
  3. उप-मन्त्री-उप-मन्त्री कैबिनेट मन्त्रियों तथा राज्य मन्त्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
  4. संसदीय सचिव-संसदीय सचिव वास्तव में मन्त्री नहीं होते। उनका मुख्य कार्य महत्त्वपूर्ण विभागों के मन्त्रियों की संसद् में सहायता करना होता है।

प्रश्न 5.
प्रधानमंत्री के कोई चार कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का धुरा होता है।

  1. वह मन्त्रियों की नियुक्ति करता है और वही उनमें विभागों का बंटवारा करता है।
  2. वह जब चाहे प्रशासन की कार्यकुशलता के लिए मन्त्रिमण्डल का पुनर्गठन कर सकता है। इसका अभिप्राय यह है कि वह पुराने मन्त्रियों को हटा कर नए मन्त्री नियुक्त कर सकता है। वह मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है। यदि प्रधानमन्त्री त्याग-पत्र दे दे तो पूरा मन्त्रिमण्डल भंग हो जाता है।
  3. यदि कोई मन्त्री त्याग-पत्र देने से इन्कार करे तो वह त्याग-पत्र देकर पूरे मन्त्रिमण्डल को भंग कर सकता है। पुनर्गठन करते समय वह उस मन्त्री को मन्त्रिमण्डल से बाहर रख सकता है।
  4. वह मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उनकी तिथि, समय तथा स्थान निश्चित करता है।

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प्रश्न 6.
भारत के उप-राष्ट्रपति की पदवी का संक्षिप्त में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत के उप-राष्ट्रपति के दो महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं

  1. भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह नियमों के अनुसार राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।
  2. वह राष्ट्रपति के अस्वस्थ होने पर या उसके विदेश जाने पर अथवा किसी अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर राष्ट्रपति का कार्यभार सम्भालता है। राष्ट्रपति के त्याग-पत्र देने अथवा मृत्यु हो जाने की स्थिति में वह नये राष्ट्रपति के चुनाव होने तक राष्ट्रपति का कार्यभार सम्भालता है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन निम्नलिखित है

  1. राष्ट्रीय संकट-जब राष्ट्रपति के अनुसार देश पर बाहरी आक्रमण, युद्ध या हथियार-बन्द विद्रोह के कारण देश की एकता एवं अखण्डता पर संकट उत्पन्न हो गया हो तो वह देश में संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
  2. राज्य का संवैधानिक संकट-यदि राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट या किसी अन्य साधन से राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि किसी राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो राष्ट्रपति उस राज्य में संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
  3. वित्तीय संकट-यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि देश की आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई है जिससे आर्थिक स्थिरता या साख को खतरा है तो राष्ट्रपति वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है।

PSEB 10th Class Social Science Guide केन्द्रीय सरकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संसद् से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
भारत में केन्द्रीय विधानपालिका को संसद् अथवा पार्लियामेण्ट कहते हैं।

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प्रश्न 2.
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कौन-कौन सी योग्यता होनी चाहिए? (कोई एक)
उत्तर-
वह भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 3.
लोकसभा के अध्यक्ष का एक कार्य लिखो।
उत्तर-
लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।

प्रश्न 4.
साधारण विधेयक तथा धन विधेयक में क्या अन्तर होता है
उत्तर-
साधारण विधेयक संसद् के किसी भी सदन में पेश किए जा सकते हैं। जबकि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं और वे भी केवल किसी मन्त्री द्वारा।

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प्रश्न 5.
राष्ट्रपति की किसी विधेयक के सम्बन्ध में क्या शक्तियां हैं?
उत्तर-
प्रायः राष्ट्रपति हस्ताक्षर करके विधेयक की स्वीकृति दे देता है अथवा वह उसे संसद् के दोनों सदनों के पास पुनर्विचार के लिए भी भेज सकता है परन्तु दूसरी बार राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है।

प्रश्न 6.
संसद् द्वारा कार्यपालिका पर नियन्त्रण की कोई एक विधि बताइए।
उत्तर-
संसद् अविश्वास का प्रस्ताव प्रस्तुत करके सरकार को हटा सकती है।

प्रश्न 7.
संसदीय प्रणाली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली से अभिप्राय शासन की उस प्रणाली से है, जिसमें संसद् राज्य की सर्वोच्च संस्था होती है।

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प्रश्न 8.
धन संकट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
देश में आर्थिक अस्थिरता।

प्रश्न 9.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डलों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डल में संसद् तथा विधानसभाओं के सदस्य सम्मिलित होते हैं, जबकि उप-राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डल में केवल संसद् के ही सदस्य सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 10.
उप-राष्ट्रपति का एक कार्य लिखो।
उत्तर-
वह राज्यसभा के सभापति के रूप में उसकी कार्यवाही का संचालन करता है।

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प्रश्न 11.
मन्त्रिपरिषद् में कौन-कौन से प्रकार के मन्त्री होते हैं?
उत्तर-
मन्त्रिमण्डल स्तर के मन्त्री, राज्यमन्त्री, उपमन्त्री तथा संसदीय सचिव।

प्रश्न 12.
विधेयक के वाचन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संसद् में किसी विधेयक की प्रस्तुति के पश्चात् दोनों सदनों में होने वाले विचार-विमर्श को विधेयक का वाचन कहते हैं।

प्रश्न 13.
काम रोको प्रस्ताव क्या होता है?
उत्तर-
काम रोको प्रस्ताव द्वारा संसद् के सदस्य निश्चित कार्यक्रम के स्थान पर सरकार का ध्यान किसी गम्भीर घटना की ओर दिलाने का प्रयास करते हैं।

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प्रश्न 14.
प्रश्नोत्तर काल का अर्थ बताइए।
उत्तर-
संसद् के दोनों सदनों में प्रतिदिन पहला एक घण्टा प्रश्नोत्तर काल कहलाता है।

प्रश्न 15.
संसद् कौन-सी सूचियों के विषयों पर कानून बना सकती है?
उत्तर-
संसद् संघ सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।

प्रश्न 16.
राज्यसभा की सदस्यता के लिए कोई एक योग्यता लिखो।
उत्तर-
राज्यसभा की सदस्यता के लिए नागरिक की आयु तीस वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।

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प्रश्न 17.
संसद् का कोई एक महत्त्वपूर्ण कार्य लिखो।
उत्तर-
संसद् का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य देश के लिए कानून बनाना है।
अथवा
वह बजट और वित्त-विधेयकों के सम्बन्ध में अपने अधिकारों के माध्यम से सरकार के व्यय पर नियन्त्रण करती है।

प्रश्न 18.
संसद् का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर-
संसद् का मुख्य कार्य देश के लिए कानून बनाना है।

प्रश्न 19.
विधेयक किसे कहते हैं?
उत्तर-
प्रस्तावित कानून को विधेयक कहते हैं।

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प्रश्न 20.
कोई विधेयक ‘धन विधेयक’ है या नहीं – इसका निर्णय कौन करता है?
उत्तर-
कोई विधेयक ‘धन विधेयक’ है या नहीं-इसका निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष करता है।

प्रश्न 21.
धन विधेयक कौन पेश कर सकता है?
उत्तर-
धन विधेयक केवल कोई मन्त्री ही पेश कर सकता है।

प्रश्न 22.
विधेयक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
विधेयक दो प्रकार के होते हैं-साधारण विधेयक तथा धन सम्बन्धी विधेयक।

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प्रश्न 23.
लोकसभा द्वारा पारित धन-बिल को राज्यसभा कितने समय तक रोक सकती है?
उत्तर-
लोकसभा द्वारा पारित धन बिल को राज्यसभा 14 दिन तक रोक सकती है।

प्रश्न 24.
क्या लोकसभा के लिए धन-बिल पर राज्यसभा द्वारा दिए गए सुझावों को मानना अनिवार्य होता है?
उत्तर-
लोकसभा के लिए धन बिल पर राज्यसभा द्वारा दिए गए सुझावों को मानना अनिवार्य नहीं होता है।

प्रश्न 25.
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष होता है।

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प्रश्न 26.
राष्ट्रपति को कितना मासिक वेतन मिलता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति को 5,00,000 रुपए मासिक वेतन मिलता है।

प्रश्न 27.
राष्ट्रपति का एक कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकार लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री को नियुक्त करता है तथा उसकी सलाह से मन्त्रिपरिषद् की रचना करता है।
अथवा
वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राजदूतों को भी नियुक्त करता है।

प्रश्न 28.
भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं का प्रधान कौन होता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

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प्रश्न 29.
प्रधानमन्त्री किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 30.
अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?
उत्तर-
यदि संसद् का अधिवेशन न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।

प्रश्न 31.
अध्यादेश अधिक-से-अधिक कब तक जारी रहता है?
उत्तर-
अध्यादेश अधिक से अधिक संपद् का अगला अधिवेशन आरम्भ होने से छ: सप्ताह बाद तक जारी रहता है।

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प्रश्न 32.
राष्ट्रपति का एक विधायी अधिकार लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है।
अथवा
संसद् द्वारा जो विधेयक पारित किया जाता है वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद ही कानून बनता है।

प्रश्न 33.
राष्ट्रपति का एक वित्तीय अधिकार बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष बजट तैयार करवा कर उसे संसद् में प्रस्तुत करवाता है।
अथवा
राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई भी वित्त विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 34.
राष्ट्रपति का एक न्यायिक अधिकार लिखो।
उत्तर-
उच्च न्यायालय तथा देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
अथवा
राष्ट्रपति किसी भी अपराधी के दण्ड को कम कर सकता है अथवा उसे क्षमादान भी दे सकता है।

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प्रश्न 35.
केन्द्र सरकार का वास्तविक अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर-
केन्द्र सरकार का वास्तविक अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होता है।

प्रश्न 36.
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
35 वर्ष या उससे अधिक।

प्रश्न 37.
प्रधानमन्त्री का कोई एक अधिकार लिखो।
उत्तर-
प्रधानमन्त्री सरकार की नीति का निर्धारण करता है।
अथवा
वह मन्त्रियों में परिवर्तन कर सकता है तथा उनके विभागों को बदल भी सकता है।

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प्रश्न 38.
भारत के सबसे बड़े न्यायालय का नाम क्या है?
उत्तर-
भारत के सबसे बड़े न्यायालय का नाम सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय है।

प्रश्न 39.
सर्वोच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर-
यह नई दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 40.
उच्चतम न्यायालय में कुल कितने न्यायाधीश हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में कुल 34 न्यायाधीश हैं।

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प्रश्न 41.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या घटाने या बढ़ाने का अधिकार किसे है?
उत्तर-
इनकी संख्या घटाने अथवा बढ़ाने का अधिकार संसद् को प्राप्त है।

प्रश्न 42.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कौन-सी एक योग्यता आवश्यक है?
उत्तर-
वह भारत का नागरिक हो तथा वह किसी उच्च न्यायालय में पांच वर्षों तक न्यायाधीश के पद पर रह चुका हो।
अथवा वह किसी एक अथवा अधिक उच्च न्यायालयों में 10 वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुका हो।

प्रश्न 43.
उच्चतम न्यायालय में कौन-कौन से अधिकार क्षेत्र हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में तीन अधिकार क्षेत्र हैंआरम्भिक क्षेत्र अधिकार, अपीलीय क्षेत्र अधिकार तथा परामर्श देने सम्बन्धी क्षेत्र अधिकार।

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प्रश्न 44.
हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय को हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक माना जाता है।

प्रश्न 45.
सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के संबंध में कौन-सा लेख (रिट) जारी कर सकता है?
उत्तर-
यह परमादेश नामक लेख जारी कर सकता है।

प्रश्न 46.
अपील किसे कहते हैं?
उत्तर-
किसी छोटे न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध ऊंची-अदालत में प्रार्थना करने की प्रक्रिया को अपील कहते हैं।

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प्रश्न 47.
कौन-कौन से तीन मामलों में अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में लाई जा सकती हैं?
उत्तर-
संवैधानिक प्रश्नों, दीवानी मुकद्दमों तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों सम्बन्धी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में लाई जा सकती हैं।

प्रश्न 48.
उच्चतम न्यायालय के एक अधिकार का वर्णन करो।
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय मौलिक अधिकार सम्बन्धी मुकद्दमों का निर्णय कर सकता है।
अथवा
उच्च न्यायालय द्वारा संवैधानिक मामलों में दिए गए निर्णयों के विरुद्ध यह अपील सुन सकता है।

प्रश्न 49.
भारतीय संसद् के निम्न सदन का नाम बताओ।
उत्तर-
लोकसभा।

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प्रश्न 50.
भारत में मतदाता की न्यूनतम आयु कितनी है?
उत्तर-
18 वर्ष।

प्रश्न 51.
लोकसभा में अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर-
550.

प्रश्न 52.
पंजाब राज्य से लोकसभा में कितने सदस्य हैं?
उत्तर-
13.

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प्रश्न 53.
लोकसभा में अधिकतम सदस्य किस राज्य से हैं?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 54.
राज्यसभा में अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर-
250.

प्रश्न 55.
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा कितने सदस्य मनोनीत किये जाते हैं?
उत्तर-
12.

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प्रश्न 56.
संसद् के सदस्य मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण किस प्रकार रखते हैं?
उत्तर-
अविश्वास प्रस्ताव द्वारा, स्थगन प्रस्ताव द्वारा तथा प्रश्न पूछ कर।

प्रश्न 57.
कानून सम्बन्धी प्रस्ताव को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
विधेयक।

प्रश्न 58.
लोकसभा में पारित विधेयक (बिल) को राज्यसभा अपनी सिफ़ारिशों के लिए अधिकतम कितने दिनों के लिए रोक सकती है?
उत्तर-
14 दिन तक।

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प्रश्न 59.
भारत में वास्तविक कार्यपालिका कौन-सी है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिपरिषद।

प्रश्न 60.
सजा प्राप्त अपराधी के दंड को कम अथवा क्षमादान कौन कर सकता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 61.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
5 वर्ष के लिए।

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प्रश्न 62.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति का चुनाव किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर-
एक निर्वाचक मंडल द्वारा।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. संसदीय प्रणाली में ……………… राज्य की सर्वोच्च संस्था होती है।
  2. राज्यसभा का सभापति …………… होता है।
  3. राष्ट्रपति का कार्यकाल ………….. होता है।
  4. प्रधानमंत्री की नियुक्ति …………… द्वारा की जाती है।
  5. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या घटाने-बढ़ाने का अधिकार ……. को प्राप्त है।
  6. पंजाब राज्य से लोकसभा में ………….. सदस्य हैं।
  7. लोकसभा में अधिक-से-अधिक ……… सदस्य हो सकते हैं।
  8. लोकसभा का कार्यकाल ………….. वर्ष होता है।
  9. संसद् में पेश किए गए प्रस्तावित कानून को …………….. कहते हैं।
  10. संसद् के उच्च सदन को …………. कहते हैं।

उत्तर-

  1. संसद्,
  2. उपराष्ट्रपति,
  3. पांच वर्ष,
  4. राष्ट्रपति,
  5. संसद्,
  6. 13,
  7. 550,
  8. पांच,
  9. विधेयक,
  10. राज्य सभा।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं का प्रधान होता है
(A) रक्षा मंत्री
(B) राष्ट्रपति
(C) प्रधानमंत्री
(D) गृहमंत्री।
उत्तर-
(B) राष्ट्रपति

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प्रश्न 2.
राष्ट्रपति लोकसभा में कितने ऐंग्लो-इंडियन सदस्य मनोनीत कर सकता है?
(A) दो
(B) बारह
(C) पांच
(D) छः।
उत्तर-
(A) दो

प्रश्न 3. .
राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव होता है-
(A) प्रधानमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् द्वारा
(B) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा
(C) राज्यों की पंचायतों द्वारा
(D) लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा।
उत्तर-
(B) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

प्रश्न 4.
हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक है
(A) प्रधानमन्त्री की मन्त्रिपरिषद्
(B) लोकसभा
(C) सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय
(D) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(C) सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय

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प्रश्न 5.
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है?
(A) तीन वर्ष
(B) चार वर्ष
(C) पांच वर्ष
(D) छः वर्ष।
उत्तर-
(D) छः वर्ष।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. लोकसभा का कार्यकाल छ: वर्ष होता है।
  2. लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  3. राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसके सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष होता है।
  4. राष्ट्रपति संसद में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।
  5. लोकसभा की कार्यवाही का संचालन लोकसभा का कोई भी नवनिर्वाचित सदस्य कर सकता है।
  6. सर्वोच्च न्यायालय प्रत्येक राज्य की राजधानी में होता है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗),
  6. (✗).

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V. उचित मिलान

  1. महाभियोग — अस्थायी कानून
  2. अध्यादेश — राष्ट्रपति को पद से हटाना।
  3. अविश्वास प्रस्ताव — सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय
  4. प्रारंभिक अधिकार क्षेत्र — मंत्रिमंडल का त्यागपत्र

उत्तर-

  1. महाभियोग — राष्ट्रपति को पद से हटाना,
  2. अध्यादेश — अस्थायी कानून,
  3. अविश्वास प्रस्ताव — मंत्रिमंडल का त्याग-पत्र,
  4. प्रारंभिक अधिकार क्षेत्र — सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संसद् की सर्वोच्चता से आप क्या समझते हैं?
अथवा
चार तर्कों द्वारा सिद्ध कीजिए कि देश में संसद् की सर्वोच्चता है।
उत्तर-
संसद् की सर्वोच्चता का यह अर्थ है कि देश में कानून बनाने की अन्तिम शक्ति संसद् के हाथ में ही है। संसद् द्वारा पारित कानून पर राष्ट्रपति को अवश्य ही हस्ताक्षर करना पड़ता है। यह संघ सूची और समवर्ती सूची पर कानून बना सकती है। यह उस प्रक्रिया में भी भाग लेती है जिसके द्वारा राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का चुनाव होता है। यह सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने के लिए सरकार से प्रार्थना कर सकती है। सरकारी आयव्यय पर भी इसी का नियन्त्रण रहता है। एक विशेष प्रक्रिया द्वारा इसे संविधान में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त यह सरकार की शक्तियों के प्रयोग पर नियन्त्रण रखती है। अतः स्पष्ट है कि संसद वास्तव में ही देश की सर्वोच्च संस्था है।

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प्रश्न 2.
प्रधानमन्त्री का संविधान में क्या स्थान है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री का संविधान में बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। राष्ट्रपति देश का केवल कार्यकारी मुखिया है। उसकी सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री करता है। वह मन्त्रियों तथा महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है। देश की बाहरी तथा भीतरी नीति का निर्माण भी वही करता है। वह सरकार के कई महत्त्वपूर्ण विभाग अपने हाथ में रखता है और उनका उचित संचालन करता है। इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वास्तव में वह सारे राष्ट्र का नेता होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रधानमन्त्री को संविधान में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
भारत में संसदीय सरकार होने के कारण संविधान में प्रधानमन्त्री की स्थिति राष्ट्रपति से अधिक महत्त्वपूर्ण है। यह सत्य है कि राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है और उसका पद बहुत ही गौरव का है। परन्तु उसकी शक्ति नाममात्र है। वह अपनी शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिपरिषद् की ‘सहायता और परामर्श’ से ही करता है। क्योंकि प्रधानमन्त्री मन्त्रिपरिषद् का नेता होता है, इसलिए राष्ट्रपति की शक्तियां वास्तव में प्रधानमन्त्री की ही शक्तियां हैं। वह देश की वास्तविक कार्यपालिका है। वह मन्त्रिपरिषद् तथा राष्ट्रपति के बीच कड़ी (Link) का कार्य करता है। वही देश के लिए. नीति-निर्माण करता है। इस प्रकार प्रधानमन्त्री पूरे राष्ट्र का वास्तविक नेता है।

प्रश्न 4.
प्रधानमन्त्री के मुख्य कार्य (शक्तियाँ) का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के प्रधानमन्त्री के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं —

  1. राष्ट्रपति को सहायता तथा परामर्श देना।
  2. मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों को चुनना।
  3. मन्त्रियों में विभागों का बंटवारा करना।
  4. सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों तथा विभागों की नीतियों में तालमेल बनाए रखना।
  5. संसद् में सरकार के प्रमुख प्रवक्ता का कार्य करना।
  6. भारत के योजना आयोग तथा राष्ट्रीय विकास परिषद के पदेन अध्यक्ष का कार्य करना।

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प्रश्न 5.
उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कौन-सी योग्यताएं हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में निम्नलिखित योग्यताओं वाले व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है —

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में पांच वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो।
    वह कम-से-कम 10 वर्ष तक एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में वकालत कर चुका हो।
    या वह राष्ट्रपति की दृष्टि में कोई विधि विशेषज्ञ हो।

प्रश्न 6.
राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कब की जाती है?
उत्तर-
भारत के किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति यह घोषणा वहां के राज्यपाल की सिफ़ारिश पर करता है। यह घोषणा उस स्थिति में की जाती है, जब राष्ट्रपति को राज्यपाल या किसी अन्य भरोसेमंद सूत्र द्वारा प्राप्त सूचना से यह पता चले कि उस राज्य का शासन संविधान की धाराओं के अनुसार नहीं चलाया जा सकता। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल राज्य का वास्तविक अध्यक्ष बन जाता है. तथा राज्य की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं। ऐसी स्थिति में राज्य के लिए कानून संसद् द्वारा बनाए जाते हैं।

राज्य में आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) प्रायः छः मास के लिए होता है, परन्तु संसद् इसे छः मास तक और बढ़ा । सकती है। यदि यह समय एक वर्ष से अधिक बढ़ाना पड़े, तो इसके लिए संविधान में संशोधन किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
भारत में संसद् और न्यायालय के सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में संसद और न्यायालयों के बीच गहरा सम्बन्ध है। संसद् देश के लिए कानून बनाती है और न्यायालय उन कानूनों की रक्षा करते हैं। यदि कोई व्यक्ति इन कानूनों को भंग करे तो न्यायालय उसे दण्ड देता है। संसद् सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने के लिए राष्ट्रपति से निवेदन कर सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायाधीशों के अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का निर्धारण भी संसद् के कानूनों और संविधान द्वारा ही होता है।

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प्रश्न 8.
लोकसभा के सदस्यों के चुनाव की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
लोकसभा भारतीय संसद् का निम्न सदन है। इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। भारत का प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, लोकसभा के चुनाव में मतदान कर सकता है। लोकसभा में कुछ स्थान पिछड़ी जातियों के लिए सुरक्षित किए गए हैं। यदि राष्ट्रपति यह अनुभव करे कि चुनाव में ऐंग्लो-इण्डियन को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया तो वह लोकसभा में उस जाति के दो सदस्यों को मनोनीत कर सकता है। लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। चुनाव के लिए सारे देश को बराबर जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बांट दिया जाता है। यही कारण है कि जद राज्यों से लाकराणा के लिए अधिक सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 9.
लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) पद के लिए किसे तथा कैसे निर्वाचित किया जाता है?
उत्तर-
लोकसभा के सदस्य अपने में से ही किसी एक को अध्यक्ष चुनते हैं। चुनावों के पश्चात् लोकसभा की पहली बैठक में सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को सदन की अध्यक्षता करने के लिए कहा जाता है। उसकी अध्यक्षता में लोकसभा के विभिन्न दलों के सदस्य अपने-अपने उम्मीदवार का नाम प्रस्तुत करते हैं और सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को लोकसभा का स्पीकर चुन लिया जाता है। परन्तु प्रायः किसी ऐसे व्यक्ति को स्पीकर बनाने का प्रयास किया जाता है जो सभी दलों को मान्य हो। चुने जाने के पश्चात् लोकसभा अध्यक्ष राजनीतिक दल से अलग हो जाता है।

प्रश्न 10.
संसद् से क्या अभिप्राय है ? इसके दोनों सदनों के नाम बताओ और उनका कार्यकाल लिखो।
उत्तर-
संसद् से अभिप्राय केन्द्रीय विधान-मण्डल से है। इसके दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। यह ऐसी संस्था है जो राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर कानून बनाती है। संसद् द्वारा बनाए गए कानून पूरे देश को प्रभावित करते हैं।

  1. लोकसभा की अवधि-लोकसभा के सदस्यों का चुनाव 5 वर्ष के लिए किया जाता है। परन्तु राष्ट्रपति इसे 5 वर्ष से पहले भी भंग कर सकता है और चुनाव दोबारा करा सकता है। संकटकाल में लोकसभा की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।
  2. राज्यसभा का कार्यकाल-राज्यसभा एक स्थायी सदन है, परन्तु हर दो वर्ष के पश्चात् इसके 1/3 सदस्य बदल जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक सदस्य अपने पद पर 6 वर्ष तक रहता है।

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प्रश्न 11.
संक्षेप में भारत के राष्ट्रपति के अधिकारों का विवेचन कीजिए।
अथवा
भारत के राष्ट्रपति के कार्यकारी, वैधानिक तथा अन्य अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है

  1. कार्यकारी अधिकारी-
    1. सभी कानून राष्ट्रपति के नाम पर लागू होते हैं।
    2. वह प्रधानमन्त्री तथा उसके परामर्श से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है।
    3. वह युद्ध तथा सन्धि की घोषणा करता है।
    4. वह विदेशों में अपने राजदूत नियुक्त करता है तथा विदेशों से आने वाले राजदूतों को मान्यता देता है।
  2. वैधानिक अधिकार-
    1. उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी बिल कानून नहीं बन सकता।
    2. वह प्रधानमन्त्री की सलाह से लोकसभा को निश्चित समय से पहले भंग कर सकता है।
    3. वह राज्यसभा के लिए 12 तथा लोकसभा के लिए 2 सदस्य मनोनीत करता है।
  3. वित्तीय अधिकार-कोई भी धन-बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।
  4. न्याय सम्बन्धी अधिकार-
    1. राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
    2. वह कैदियों की सज़ा कम या माफ कर सकता है।
  5. संकटकालीन शक्तियां-राष्ट्रपति बाह्य आक्रमण या आन्तरिक सशस्त्र विद्रोह, आर्थिक संकट और राज्य सरकार के ठीक न चलने पर संकटकाल की घोषणा कर सकता है।

प्रश्न 12.
संसद् सदस्यों के लिए छः अनिवार्य योग्यताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसद् सदस्यों के लिए निम्नलिखित छः अनिवार्य योग्यताएं हैं

  1. उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. उसे शपथ लेनी चाहिए कि वह संविधान का पालन और आदर करेगा तथा भारत की प्रभुसत्ता तथा अखण्डता को बनाए रखेगा।
  3. राज्यसभा के लिए न्यूनतम 30 वर्ष और लोकसभा के लिए 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  4. वह पागल घोषित नहीं होना चाहिए।
  5. उसे लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
  6. उसे दिवालिया नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 13.
किस आधार पर राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है?
उत्तर-
भारत का राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत कर सकता है। वह उन व्यक्तियों को मनोनीत करता है जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान अथवा समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान तथा अनुभव हो।

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प्रश्न 14.
संसद् के तीन विधायी तथा तीन गैर-विधायी कार्य बताइए।
उत्तर-
विधायी कार्य-

  1. यह साधारण विधेयक पास करती है।
  2. वह वित्त विधेयक पास करती है।
  3. यह राष्ट्रपति द्वारा संसद् के अवकाश काल में जारी किए गए अध्यादेशों का अनुमोदन करती है।

गैर-विधायी कार्य-

  1. संसद् सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछते हैं तथा मन्त्री इन प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
  2. राष्ट्रपति द्वारा की गई आपातकालीन घोषणा पर निश्चित अवधि के भीतर संसद् का अनुमोदन प्राप्त करना पड़ता है।
  3. संसद् मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए अविश्वास के प्रस्ताव पर विचार करती है।

प्रश्न 15.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की योग्यताएं, कार्यकाल तथा वेतन बताइए।
उत्तर-
योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह या तो कम-से-कम पांच साल तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो या कम-से-कम दस वर्ष तक उच्च न्यायालय का वकील रहा हो या राष्ट्रपति की राय में कानून विशेषज्ञ हो।

निश्चित कार्यकाल-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल नियुक्ति के बाद निश्चित है। वे अपने पद पर उस समय तक बने रहते हैं जब तक वे 65 वर्ष के न हो जाएं।
निश्चित वेतन-मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रु० महीना तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रु० महीना वेतन मिलता है।

प्रश्न 16.
संविधान के वे चार प्रमुख उपबन्ध बताइए जो सर्वोच्च न्यायालय को स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष बनाते हैं।
अथवा
भारतीय संविधान स्वतन्त्र न्यायपालिका की रक्षा कैसे करता है?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय को स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष बनाने के लिए संविधान में निम्नलिखित उपबन्ध दिए गए हैं

  1. राज्य-नीति का एक निर्देशक सिद्धान्त न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतन्त्र करने का आदेश देता है।
  2. मुख्य तथा अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्धारित न्यायिक अथवा कानूनी योग्यताओं के आधार पर की । जाती है।
  3. उन्हें सम्माननीय वेतन दिया जाता है।
  4. उनका कार्यकाल निश्चित है।

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प्रश्न 17.
निम्नलिखित की व्याख्या करें-

  1. भारतीय संसद में संगम प्रस्ताव
  2. भारतीय संसद में ध्यानार्थ प्रस्ताव
  3. भारतीय संसद् के सदनों को राष्ट्रपति का अभिभाषण और सन्देश
  4. साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव
  5. लोकसभा को भंग करना
  6. धन विधेयक

उत्तर-

  1. भारतीय संसद में स्थगन प्रस्ताव-सदन में बहस के दौरान किसी सार्वजनिक महत्त्व के विषय पर बहस करने के लिए रखे गए प्रस्ताव को स्थगन प्रस्ताव कहते हैं।
  2. भारतीय संसद में ध्यानार्थ प्रस्ताव-सरकार का ध्यान किसी आवश्यक घटना की और दिलाने के लिए रखे गए प्रस्ताव को ध्यानार्थ अथवा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कहते हैं।
  3. भारतीय संसद के सदनों को राष्ट्रपति का अभिभाषण और संन्देश-जब राष्ट्रपति संसद् का अधिवेशन बुलाता है तो दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को अभिभाषण से आरम्भ करता है। अपने अभिभाषण में वह संसद को सरकार की नीतियों की रूप रेखा के बारे में सन्देश देता है।
  4. साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव-साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव हैं-विधेयकं की प्रस्तुति और वाचन, विधेयक की प्रत्येक धारा पर बहस । यदि आवश्यक हो तो बिल को विचार-विमर्श के लिए विशेष समिति को सौंपा जाना, विधेयक पर समग्र रूप से मतदान, पास्ति बिल दूसरे सदन में, राष्ट्रपति की स्वीकृति।
  5. लोकसभा को भंग करना-राष्ट्रपति लोकसभा को इसकी अवधि पूरी होने से पहले भी भंग कर सकता है। परन्तु ऐसा वह केवल मन्त्रिपरिषद् की सिफारिश पर ही कर सकता है।
  6. धन विधेयक-धावह होता है जिसका सम्बन्ध सरकार के व्यय, कर लगाने, उनमें संशोधन करने, समाप्त करने आदि से होती है। धन विधेयक किसी मन्त्री द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।

केन्द्रीय सरकार PSEB 10th Class Civics Notes

  • संसद्-भारतीय संसद् के दो सदन-लोकसभा तथा राज्यसभा हैं। लोकसभा निम्न सदन है। इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है। राज्यसभा स्थाई सदन है। हर दो वर्ष के बाद इसके 1/3 सदस्य सेवा-निवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। इसके सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
  • लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा का सभापति-लोकसभा का अध्यक्ष स्पीकर कहलाता है। इसका चुनाव स्वयं सदस्य अपने में से करते हैं। वह सदन की कार्यवाही चलाता है और उनमें अनुशासन बनाए रखता है। भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  • विधायी प्रक्रिया-विधेयक को कानून बनने के लिए इन अवस्थाओं में से गुज़रना पड़ता है-विधेयक का सदन में पेश किया जाना-प्रथम वाचन, द्वितीय वाचन (प्रवर समिति के पास), तृतीय वाचन, राष्ट्रपति की स्वीकृति। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति पद की योग्यताएं तथा निर्वाचन-वही व्यक्ति राष्ट्रपति बन सकता है जो लोकसभा के लिए निर्धारित योग्यताएं पूरी करता हो, वह कम-से-कम 35 वर्ष का हो तथा किसी लाभ के सरकारी पद पर आसीन न हो। राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल करता है। राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा उसकी अवधि (कार्यकाल) पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति की कार्य-पालिका शक्तियां-राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा उसकी सलाह से वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। वह राज्यपालों, भारत के महान्यायवादी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक-सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा विदेशों में राजदूतों की नियुक्तियां भी करता है।
  • न्यायिक शक्तियां-राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उसके परामर्श से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है । वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। वह किसी अपराधी को क्षमादान दे सकता है।
  • संकटकालीन शक्तियां- राष्ट्रपति (i) बाहरी आक्रमण, (ii) आन्तरिक विद्रोह तथा किसी राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता और (iii) वित्तीय संकट के समय संकटकाल की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन उप-राष्ट्रपति करता है।
  • संविधान में प्रधानमन्त्री की स्थिति-सभी महत्त्वपूर्ण शक्तियां राष्ट्रपति में निहित हैं, परन्तु व्यवहार में इन सारी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् द्वारा होता है। इस प्रकार राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है, जबकि प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका है।
  • उप-राष्ट्रपति-उसका कार्यकाल पांच वर्ष है। वह राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है।
  • प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्-राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और उसकी सलाह से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • उच्चतम न्यायालय-संविधान में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था की गई है। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं। आरम्भिक क्षेत्राधिकार के साथ-साथ इसका अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है।