PSEB 12th Class History Solutions Chapter 19 महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 19 महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 19 महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति

निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध (Ranjit Singh’s Relations with Afghanistan)

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानों के साथ संबंधों का संक्षिप्त वर्णन करें। (Briefly describe Maharaja Ranjit Singh’s relations with the Afghans.)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंधों के मुख्य चरणों का संक्षिप्त विवरण दें।
(Give a brief account of the main stages of relations of Maharaja Ranjit Singh with Afghanistan.)
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानों के साथ संबंधों को चार चरणों में बाँटा जा सकता है—
(क) सिख-अफ़गान संबंधों का प्रथम चरण 1797-1812 ई०
(ख) सिख-अफ़गान संबंधों का द्वितीय चरण 1813-1834 ई०
(ग) सिख-अफ़गान संबंधों का तृतीय चरण 1834-1837 ई० (घ) सिख-अफ़गान संबंधों का चतुर्थ चरण 1838-1839 ई० ।

(क) सिख-अफ़गान संबंधों का प्रथम चरण 1797-1812 ई० (First Stage of Sikh-Afghan Relations 1797-1812 A.D)
1. रणजीत सिंह तथा शाह ज़मान (Ranjit Singh and Shah Zaman)-जब 1797 ई० में रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल की बागडोर संभाली उस समय अफ़गानिस्तान का बादशाह शाह ज़मान था। वह पंजाब पर अपना पैतृक स्वामित्व समझता था। इसका कारण यह था कि इस पर उसके दादा अहमद शाह अब्दाली ने 1752 ई० में अधिकार किया था। अतः शाह ज़मान ने 27 नवंबर, 1798 ई० को लाहौर पर अधिकार कर लिया। भंगी सरदार शाह ज़मान का सामना किए बिना शहर छोड़कर भाग गए। उसी समय अफ़गानिस्तान में हुए विद्रोह के कारण शाह ज़मान को काबुल जाना पड़ा। इस पर भंगी सरदारों ने जनवरी, 1799 ई० को लाहौर पर पुनः अधिकार कर लिया। रणजीत सिंह ने भंगी सरदारों को पराजित करके 7 जुलाई , 1799 ई० को लाहौर पर अपना अधिकार कर लिया। इसके पश्चात् रणजीत सिंह ने शाह ज़मान की 12 अथवा 15 तोपें जो जेहलम नदी में गिर पड़ी थीं, निकलवाकर काबुल भेजी । इस पर प्रसन्न होकर शाह ज़मान ने रणजीत सिंह द्वारा लाहौर पर किए गए अधिकार को मान्यता प्रदान कर दी।

2. अफ़गानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता (Political instability in Afghanistan)-1800 ई० में काबुल में राज्य सिंहासन की प्राप्ति के लिए एक गृह युद्ध आरंभ हो गया। शाह ज़मान को सिंहासन से उतार दिया गया तथा शाह महमूद अफ़गानिस्तान का नया सम्राट् बना। 1803 ई० में शाह शुजा ने शाह महमूद से सिंहासन छीन लिया। वह बहुत अयोग्य शासक सिद्ध हुआ। इस कारण अफ़गानिस्तान में अशांति फैल गई। यह स्वर्ण अवसर देखकर अटक, कश्मीर, मुलतान व डेराजात इत्यादि के अफ़गान सूबेदारों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। महाराजा रणजीत सिंह ने भी काबुल सरदार की दुर्बलता का पूरा लाभ उठाया तथा कसूर, झंग, खुशाब तथा साहीवाल नामक अफ़गान प्रदेशों पर अधिकार कर लिया।

(ख) सिख-अफ़गान संबंधों का द्वितीय चरण 1813-1834 ई० (Second Stage of Sikh-Afghan Relations 1813–1834 A.D.)
1. रणजीत सिंह व फ़तह खाँ में समझौता 1813 ई० (Alliance between Ranjit Singh and Fateh Khan 1813 A.D.)-1813 ई० में अफ़गान वज़ीर फ़तह खाँ ने कश्मीर विजय की योजना बनाई। उसी समय पंजाब का महाराजा रणजीत सिंह भी कश्मीर को विजित करने की योजनाएँ बना रहा था। इसलिए 18 अप्रैल, 1813 ई० को रोहतासगढ़ में महाराजा रणजीत सिंह तथा फ़तह खाँ के बीच एक समझौता हो गया। इस समझौते के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह तथा फ़तह खाँ की संयुक्त सेनाओं ने 1813 ई० में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। शेरगढ़ में हुई लड़ाई में कश्मीर के शासक अत्ता मुहम्मद खाँ की पराजय हुई। इस विजय के पश्चात् फ़तह खाँ अपने वायदे से मुकर गया तथा उसने महाराजा रणजीत सिंह को न तो कश्मीर का कोई प्रदेश दिया तथा न ही लूट के माल में से कोई भाग।

2. अटक पर अधिकार 1813 ई० (Occupation of Attock 1813 A.D.)-महाराजा रणजीत सिंह ने फ़तह खाँ द्वारा किए गए कपट के कारण उसे पाठ पढ़ाने का निर्णय किया । उसकी कूटनीति के फलस्वरूप अटक के शासक जहाँदद खाँ ने एक लाख रुपये की जागीर के स्थान पर अटक का क्षेत्र महाराजा के सुपुर्द कर दिया। जब फ़तह खाँ को इसके संबंध में ज्ञात हुआ तो वह अटक में से सिखों को निकालने के लिए चल दिया। 13 जुलाई, 1813 ई० को हज़रो अथवा हैदरो के स्थान पर हुई लड़ाई में महाराजा रणजीत सिंह ने फ़तह खाँ को एक कड़ी पराजय दी। यह अफ़गानों एवं सिखों के मध्य लड़ी गई प्रथम लड़ाई थी। इसमें सिखों की विजय के कारण सिखों के मान-सम्मान में बहुत वृद्धि हुई।

3. कश्मीर की विजय 1819 ई० (Conquest of Kashmir 1819 A.D.)-महाराजा रणजीत सिंह ने 1819 ई० में कश्मीर को विजित करने की योजना बनाई। मुलतान के विजयी मिसर दीवान चंद के अधीन एक विशाल सेना कश्मीर की ओर भेजी गई। यह सेना कश्मीर के शासक ज़बर खाँ को पराजित करने तथा कश्मीर पर अधिकार करने में सफल रही। इस महत्त्वपूर्ण विजय के कारण अफ़गान शक्ति को एक और कड़ी चोट लगी।

4. नौशहरा की लड़ाई 1823 ई० (Battle of Naushera 1823 A.D.) शीघ्र ही फ़तह खाँ के भाई अज़ीम खाँ ने अयूब खाँ को अफ़गानिस्तान का नया सम्राट् बनाया तथा स्वयं उसका वज़ीर बन गया। अफ़गानिस्तान में फैली अराजकता का लाभ उठाकर महाराजा रणजीत सिंह ने 1818 ई० में पेशावर पर आक्रमण कर दिया। पेशावर के शासकों ने महाराजा रणजीत सिंह का आधिपत्य स्वीकार कर लिया। अज़ीम खाँ यह कभी सहन नहीं कर सकता था। परिणामस्वरूप 14 मार्च, 1823 ई० को नौशहरा अथवा टिब्बा टेहरी के स्थान पर दोनों सेनाओं में एक निर्णायक युद्ध हुआ। यह युद्ध बहुत भयंकर था। इस युद्ध में सिखों ने अफ़गानों को लोहे के चने चबवा दिए। डॉक्टर बी० जे० हसरत के अनुसार, “नौशहरा में सिखों की विजय ने सिंध नदी की दूसरी ओर अफ़गानों की सर्वोच्चता सदा के लिए समाप्त कर दी।”1

5. सैय्यद अहमद का विद्रोह 1827-31 ई० (Revolt of Sayyed Ahmad 1827-31 A.D.)-1827 ई० से 1831 ई० के मध्य सैय्यद अहमद नामक एक व्यक्ति ने अटक तथा पेशावर के प्रदेशों में सिखों के विरुद्ध विद्रोह किए रखा था। उसका कहना था अल्लाह ने उसे अफ़गान प्रदेशों से सिखों को निकालकर उन्हें समाप्त करने के लिए भेजा है। उसकी बातों में आकर अनेक अफ़गान सरदार उसके अनुयायी बन गए। उसे सिख सेनाओं ने पहले सैदू के स्थान पर तथा फिर पेशावर में पराजित किया था, परंतु वह बच निकलने में सफल रहा। आखिर 1831 ई० में वह बालाकोट में शहज़ादा शेर सिंह से लड़ता हुआ मारा गया। इस प्रकार सिखों की एक बड़ी सिरदर्दी दूर हुई।

6. शाह शुजा से संधि 1833 ई० (Treaty with Shah Shuja 1833 A.D.)-12 मार्च, 1833 ई० को महाराजा रणजीत सिंह तथा शाह शुज़ा के मध्य एक संधि हुई। इसके अनुसार शाह शुजा ने महाराजा रणजीत सिंह द्वारा सिंधु नदी के उत्तर पश्चिम में विजित सभी प्रदेशों पर महाराजा के अधिकार को स्वीकार कर लिया। इसके बदले महाराजा रणजीत सिंह ने दोस्त मुहम्मद खाँ के विरुद्ध लड़ने के लिए शाह शुजा को सहायता दी।

7. पेशावर का लाहौर राज्य में विलय 1834 ई० (Annexation of Peshawar to Lahore Kingdom 1834 A.D.)-महाराजा रणजीत सिंह ने 1834 ई० में पेशावर को लाहौर राज्य में शामिल करने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से शहज़ादा नौनिहाल सिंह, हरी सिंह नलवा तथा जनरल वेंतूरा के नेतृत्व में एक विशाल सेना पेशावर भेजी गई। 6 मई, 1834 ई० को पेशावर को सिख राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। हरी सिंह नलवा को वहाँ का पहला गवर्नर नियुक्त किया गया।

1. “The Sikh victory at Naushera sounded the deathknell of Afghan supremacy beyond the river Indus.” Dr. B.J. Hasrat, Life and Times of Ranjit Singh (Hoshiarpur : 1977) p. 121.

(ग) सिख-अफ़गान संबंधों का तीसरा चरण 1834-37 ई० (Third Stage of Sikh-Afghan Relations 1834-37 A.D.)
1. दोस्त महम्मद खाँ द्वारा पेशावर वापिस लेने के यत्न 1835 ई०(Efforts to Recapture Peshawar by Dost Muhammad Khan 1835 A.D.)-1834 ई० में जब महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया तो दोस्त मुहम्मद खाँ क्रोधित हो उठा। बहुसंख्या में अफ़गान कबीले उसके झंडे तले एकत्रित हो गए। उसने अपने भाई सुल्तान मुहम्मद को भी अपने साथ मिला लिया। महाराजा रणजीत सिंह ने फकीर अजीजुद्दीन तथा हरलान को बातचीत करने के लिए काबुल भेजा। इस मिशन का एक अन्य उद्देश्य दोस्त मुहम्मद खाँ तथा सुल्तान मुहम्मद खाँ में फूट डालना था। यह मिशन अपने उद्देश्यों में सफल रहा। जब दोनों सेनाएँ आमने-सामने पहुंची तो सुल्तान मुहम्मद अपने सैनिकों सहित सिख सेनाओं के साथ जा मिला। यह देखकर दोस्त मुहम्मद खाँ बिना युद्ध किए ही 11 मई, 1835 ई० को अपने सैनिकों सहित वापिस काबुल भाग गया। इस प्रकार महाराजा रणजीत सिंह ने बिना युद्ध किए ही एक शानदार विजय प्राप्त की।

2. जमरौद की लड़ाई 1837 ई० (Battle of Jamraud 1837 A.D-हरी सिंह नलवा ने अफ़गानों के आक्रमणों को रोकने के लिए जमरौद में एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण आरंभ करवाया। हरी सिंह नलवा की कार्यवाई को रोकने के लिए दोस्त मुहम्मद खाँ ने अपने पुत्र मुहम्मद अकबर तथा शमसुद्दीन के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी। इस सेना ने 28 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद दुर्ग पर आक्रमण कर दिया। इस लड़ाई में यद्यपि हरि सिंह नलवा शहीद हो गया किंतु सिखों ने अफ़गान सेनाओं को ऐसी कड़ी पराजय दी कि उन्होंने स्वप्न में भी कभी पेशावर का नाम न लिया।

(घ) सिख-अफ़गान संबंधों का चतुर्थ चरण 1838-39 ई० (Fourth Stage of Sikh-Afghan Relations 1838-39 A.D.)

त्रिपक्षीय संधि 1838 ई० (Tripartite Treaty 1838 A.D.)-1837 ई० में रूस बहुत तीव्रता के साथ एशिया की ओर बढ़ रहा था। रूस के किसी संभावित आक्रमण को रोकने के लिए अंग्रेजों ने अफ़गानिस्तान के शासक दोस्त मुहम्मद खाँ के साथ मैत्री के लिए बातचीत की। यह बातचीत असफल रही। अब अंग्रेजों ने शाह शुज़ा को अफ़गानिस्तान का नया शासक बनाने की योजना बनाई। अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह को इस समझौते में शामिल होने के लिए विवश किया। इस प्रकार 26 जून, 1838 ई० को अंग्रेजों, शाह शुजा तथा महाराजा रणजीत सिंह में एक त्रिपक्षीय संधि हुई।
त्रिपक्षीय संधि की मुख्य शर्ते थीं—

  1. शाह शुजा को अंग्रेज़ों एवं महाराजा रणजीत सिंह के सहयोग से अफ़गानिस्तान का सम्राट् बनाया जाएगा।
  2. शाह शुजा ने महाराजा रणजीत सिंह द्वारा विजित किए समस्त अफ़गान क्षेत्रों पर उसका अधिकार मान लिया।
  3. सिंध के संबंध में अंग्रेजों व महाराजा रणजीत सिंह के मध्य जो निर्णय होंगे, शाह शुज़ा ने उन्हें मानने का वचन दिया।
  4. शाह शुज़ा अंग्रेज़ों एवं सिखों की आज्ञा लिए बिना विश्व की किसी अन्य शक्ति के साथ संबंध स्थापित नहीं करेगा।
  5. एक देश का शत्रु दूसरे दो देशों का भी शत्रु माना जाएगा।
  6. शाह शुजा को सिंहासन पर बिठाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह 5,000 सैनिकों सहित सहायता करेगा तथा शाह शुज़ा इसके स्थान पर महाराजा को 2 लाख रुपए देगा।

त्रिपक्षीय संधि रणजीत सिंह की एक और कूटनीतिक पराजय थी। इस संधि ने रणजीत सिंह की सिंध एवं शिकारपुर पर अधिकार करने की सभी इच्छाओं पर पानी फेर दिया था।
त्रिपक्षीय संधि के अनुसार जनवरी, 1839 ई० में सिखों एवं अंग्रेज़ों की संयुक्त सेनाओं ने अफ़गानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। दोस्त मुहम्मद खाँ के विरुद्ध अभी कार्यवाई जारी ही थी कि 27 जून, 1839 ई० को महाराजा रणजीत सिंह स्वर्ग सिधार गया।
इस प्रकार हम देखते हैं कि सिख-अफ़गान संबंधों में महाराजा रणजीत सिंह का पलड़ा हमेशा भारी रहा। उसने अजेय कहे जाने वाले अफ़गानों को कई निर्णायक लड़ाइयों में पराजित किया। इन शानदार विजयों के कारण महाराजा के मान-सम्मान में भी भारी वृद्धि हुई।

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महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति (North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh)

प्रश्न 2.
रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का वर्णन कीजिए।
(Discuss the North-West Frontier Policy of Ranjit Singh.)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमांत नीति की मुख्य विशेषताओं का निरीक्षण करें। इसका क्या महत्त्व था ?
[Examine the main features of the North-West (N.W.) Frontier Policy of Ranjit Singh. What was its significance ?]
अथवा
रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा से संबंधित नीति की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए। उसकी यह नीति किस सीमा तक सफल रही ?
(Critically examine the North-West Frontier Policy of Ranjit Singh. To what extent was his policy successful ?)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की व्याख्या करो। (Explain the North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh.)
उत्तर-
पश्चिमी सीमा की समस्या पंजाब तथा भारत के शासकों के लिए सदैव एक सिरदर्दी का कारण बनी रही है। इसका कारण यह.था कि इस ओर से विदेशी आक्रमणकारी पंजाब तथा भारत में आकर विनाशलीला करते रहे। इसके अतिरिक्त इस प्रदेश के खूखार कबीले स्वभाव से ही अनुशासन के विरोधी थे। महाराजा रणजीत सिंह ऐसा प्रथम शासक था जिसने अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ द्वारा इन कबीलों पर विजय प्राप्त की।
उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की मुख्य विशेषताएँ (Main Features of the North-West Frontier Policy)
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—

1. उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों की विजयें (Conquests of North-Western Territories)-महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों की विजयों के दो चरण थे। उसने अटक, मुलतान तथा कश्मीर की विजयों के पश्चात् दरिया सिंध के आसपास के प्रदेशों की ओर ध्यान दिया । उसने 1818 ई० में पेशावर, 1820 ई० में बहावलपुर तथा 1821 ई० में डेरा इस्माइल खाँ तथा मनकेरा नामक प्रदेशों पर विजय प्राप्त की। महाराजा रणजीत सिंह ने सूझ-बूझ से काम लेते हुए इन प्रदेशों को वार्षिक कर के बदले में मुसलमानों के अधीन ही रहने दिया। 1827 ई० से 1831 ई० तक महाराजा रणजीत सिंह की शक्ति बहुत बढ़ गई थी। इसलिए उसने इन प्रदेशों को अपने राज्य में सम्मिलित करने का निर्णय किया। अतः महाराजा ने 1831 ई० में डेरा गाजी खाँ, 1832 ई० में टंक, 1833 ई० में बन्नू, 1834 ई० में पेशावर और 1836 ई० में डेरा इस्माइल खाँ को अपने राज्य में शामिल कर लिया।

2. अफ़गानिस्तान पर अधिकार न करने का निर्णय (Decision of not conquering Afghanistan)महाराजा रणजीत सिंह बड़ा सूझवान था। इसलिए उसने अफ़गानिस्तान पर अधिकार करने का कभी कोई निर्णय न किया। उत्तर-पश्चिमी सीमा के क्षेत्रों में ही उसे बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसी स्थिति में वह अफ़गानिस्तान पर अधिकार करके अपने लिए कोई नई सिरदर्दी मोल नहीं लेना चाहता था। संभवतः एक बार ही उसने गंभीरता से अफ़गानिस्तान पर आक्रमण करने के संबंध में सोचा था। यह विचार अपने महान् योद्धा हरी सिंह नलवा की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए किया था, परंतु शीघ्र ही उसने अफ़गानिस्तान पर आक्रमण करने का विचार त्याग दिया। यह सही है कि महाराजा जून, 1838 ई० की त्रिपक्षीय संधि में शामिल हुआ था। परंतु वह इस संधि में इसलिए शामिल हुआ था ताकि अंग्रेजों की ओर से उसके हितों को कोई क्षति न पहुँचे।

3. कबीलों को कुचलने के प्रयत्न (Efforts to Crush the Tribes)-महाराजा रणजीत सिंह के अधीन उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में अनेक अफ़गान कबीले रहते थे। उनका मुख्य धंधा लूटपाट करना था। वे कभी भी किसी के अधीन नहीं रह सकते थे। 1827 ई० से 1831 ई० के मध्य सैय्यद अहमद ने इन प्रदेशों में रहने वाले कबीलों को सिखों के विरुद्ध भड़काया। महाराजा रणजीत सिंह ने इन कबाइलियों के दमन के लिए कई सैनिक अभियान भेजे। सैय्यद अहमद 1831 ई० में बालाकोट के स्थान पर शहज़ादा शेर सिंह से लड़ता हुआ अपने 500 साथियों सहित मारा गया था। 1834 ई० में जब पेशावर को सिख राज्य में शामिल कर लिया गया तो हरी सिंह नलवा को वहाँ का गवर्नर नियुक्त किया गया। हरी सिंह नलवा ने इन कबीलों के दमन के लिए बहुत कड़ी नीति धारण की।

4. उत्तर-पश्चिमी सीमा की सुरक्षा के लिए पग (Measures for the defence of the North-West Frontiers)-महाराजा रणजीत सिंह ने उत्तर-पश्चिमी सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण पग उठाए। उसने कई नए दुर्गों जैसे अटक, खैराबाद, जहाँगीरा, जमरौद तथा फतेहगढ़ इत्यादि का निर्माण करवाया। इनके अतिरिक्त पुराने दुर्गों को मज़बूत किया गया। इन दुर्गों में विशेष प्रशिक्षित सेना रखी गई। गश्ती दस्ते स्थापित किए गए जो विद्रोही कबीलों के विरुद्ध कार्यवाई करते थे। इन दस्तों ने अफ़गान कबीलों में इतना भय उत्पन्न कर दिया था कि वे धीरे-धीरे बग़ावत करना भूल गए।

5. उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेश का शासन प्रबंध (Administration of North-West Frontier Territories)-इन प्रदेशों में बसे कबीलों को नियंत्रण में रखने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने वहाँ सैनिक गवर्नरों की नियुक्ति की। उसने इस प्रदेश के शासन प्रबंध में कोई परिवर्तन न किया। उसने प्रचलित कानूनों तथा रस्म-रिवाजों को बनाए रखा। प्रत्येक खाँ अपने कबीले के लोगों से कर एकत्र करता था। उसे लाहौर सरकार की सर्वोच्चता को स्वीकार करना तथा कर संबंधी माँगों को पूरा करना होता था। कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में नहरें बनवाई गईं तथा कुएँ खुदवाए गए। भू-राजस्व की दरों को काफ़ी कम किया गया। यातायात के साधनों का विकास किया गया। इन सभी प्रयत्नों से महाराजा ने यहाँ के लोगों का विश्वास प्राप्त करने का यत्न किया। गड़बड़ी करने वाले कबीलों के विरुद्ध कड़े पग उठाए गए।

उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का महत्त्व (Importance of N.W.F. Policy)
महाराजा रणजीत सिंह अपनी उत्तर-पश्चिमी सीमा की नीति में काफ़ी सीमा तक सफल रहा था। यह सचमुच ही महाराजा रणजीत सिंह की महान् उपलब्धियों में से एक थी। महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान, कश्मीर, पेशावर इत्यादि के प्रदेशों पर कब्जा करके वहाँ अफ़गानिस्तान के प्रभाव को समाप्त कर दिया था। उसने उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेशों में होने वाले विद्रोहों को कुचल कर वहाँ शाँति की स्थापना की। कृषि को उन्नत करने के लिए विशेष पग उठाए गए। परिणामस्वरूप न केवल वहाँ के लोग आर्थिक दृष्टि से संपन्न हुए, अपितु महाराजा रणजीत सिंह के व्यापार को एक नया प्रोत्साहन मिला। डॉक्टर जी० एस० नय्यर का यह कथन बिल्कुल ठीक है,
“अनंगपाल के पश्चात् प्रथम बार उत्तर-पश्चिमी सीमा से होने वाले आक्रमणों को रोका तथा कबाइलों पर शासन किया जा सका।”2

2. “It was the first time after Anangpal that the series of invasions from the North-West were checked and the tribesmen were ruled.” Dr. G.S. Nayyar, Life and Achievements of Sardar Hari Singh Nalwa (Amritsar : 1997) p. 42.

संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हज़रो अथवा हैदरो अथवा छछ की लड़ाई के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दें। (Give a brief account of the battle of Hazro or Haidro or Chachh.)
उत्तर-
मार्च, 1813 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने जहाँदाद खाँ से एक लाख रुपये के बदले अटक का किला प्राप्त कर लिया था। जब फ़तह खाँ को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो वह भड़क उठा। वह एक विशाल सेना लेकर कश्मीर से अटक की ओर चल पड़ा। महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ की सेनाओं में 13 जुलाई, 1813 ई० को हज़रो अथवा हैदरो अथवा छछ के स्थान पर भारी युद्ध हुआ। इस युद्ध में रणजीत सिंह की सेनाओं ने फ़तह खाँ को कड़ी पराजय दी।

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प्रश्न 2.
शाह शुजा तथा महाराजा रणजीत सिंह के संबंधों पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Give a brief account of Shah Shuja’s relations with Maharaja Ranjit Singh.)
अथवा
शाह शुजा पर एक नोट लिखें।
(Write a note om Shah Shuja.)
उत्तर-
शाह शुज़ा 1803 ई० से 1809 ई० तक अफ़गानिस्तान का बादशाह रहा। 1809 ई० में शाह महमूद ने उससे गद्दी छीन ली। शाह शुजा को कश्मीर के अफ़गान सूबेदार अत्ता मुहम्मद खाँ ने 1812 ई० में गिरफ्तार कर लिया। 1813 ई० में महाराजा रणजीत सिंह की सेना ने शाह शुजा को रिहा करवा दिया। 26 जून, 1838 ई० को अंग्रेज़ों, शाह शुज़ा और महाराजा रणजीत सिंह के मध्य त्रिपक्षीय संधि हुई। इस संधि के अनुसार शाह शुजा को अफ़गानिस्तान का सम्राट् बनाने का निश्चय किया गया किंतु यह प्रयास विफल रहा।

प्रश्न 3.
महाराजा रणजीत सिंह के दोस्त मुहम्मद के साथ संबंधों का संक्षेप वर्णन करें।
(Give a brief account of the relations between Maharaja Ranjit Singh and Dost Mohammad.)
उत्तर-
दोस्त मुहम्मद खाँ 1826 ई० में अफ़गानिस्तान का शासक बना था। वह महाराजा रणजीत सिंह के उत्तर-पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में बढ़ते हुए प्रभाव से परेशान था। महाराजा रणजीत सिंह ने 6 मई, 1834 ई० को पेशावर पर विजय प्राप्त कर ली थी। दोस्त मुहम्मद खाँ ने 1837 ई० में अपने पुत्र अकबर के अधीन एक विशाल सेना भेजी। जमरौद के स्थान पर हुई एक भयंकर लड़ाई में यद्यपि हरी सिंह नलवा वीरगति को प्राप्त हुआ था तथापि सिख सेना विजयी हुई। इसके पश्चात् दोस्त मुहम्मद खाँ ने पेशावर की ओर फिर कभी मुख नहीं किया।

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प्रश्न 4.
सैय्यद अहमद पर एक संक्षेप नोट लिखो। (Write a brief note on Sayyed Ahmad.)
अथवा
सैय्यद अहमद के धर्म युद्ध पर एक नोट लिखो।
[Write a note on the ‘Jihad’ (Religious War) of Sayyed Ahmad.]
उत्तर-
सैय्यद अहमद ने 1827 ई० से 1831 ई० के समय अटक तथा पेशावर के प्रदेशों के विरुद्ध जिहाद कर रखा था। वह बरेली का रहने वाला था। उसका कहना था, “अल्ला ने मुझे पंजाब और हिंदुस्तान को विजय करने और अफ़गान प्रदेशों में से सिखों को निकालकर खत्म करने के लिए भेजा है।” उसकी बातों में आकर कई अफ़गान उसके शिष्य बन गए। उसने एक बहुत बड़ी सेना संगठित कर ली। 1831 ई० में वह बालाकोट में शहज़ादा शेर सिंह से लड़ते हुए मारा गया।

प्रश्न 5.
अकाली फूला सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a brief note on Akali Phula Singh.)
अथवा
अकाली फूला सिंह की सैनिक सफलताओं पर एक नोट लिखो। (Write a note on the achievements of Akali Phula Singh.)
उत्तर-
अकाली फूला सिंह ने महाराजा रणजीत सिंह के काल में सिख राज्य की नींव को मजबूत करने तथा उसका विस्तार करने में बहुमूल्य योगदान दिया। 1807 ई० में महाराजा ने आपके सहयोग से कसूर पर विजय प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। 1818 ई० में मुलतान की विजय के समय भी आपने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1819 ई० में कश्मीर की विजय के समय भी वह महाराजा रणजीत सिंह के साथ थे। वह 14 मार्च, 1823 ई० को अफ़गानों के साथ हुई नौशहरा की भयंकर लड़ाई में वारगति को प्राप्त हुए।

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प्रश्न 6.
जमरौद की लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a short note on the battle of Jamraud.)
उत्तर-
हरी सिंह नलवा ने जमरौद में एक शक्तिशाली किले का निर्माण करवाया था। अफ़गानिस्तान के शासक दोस्त मुहम्मद खाँ के लिए यह एक चुनौती थी। उसने अपने पुत्र अकबर खाँ के नेतृत्व में एक विशाल सेना जमरौद की ओर भेजी। उसकी सेना ने 28 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद के किले को घेरा डाल दिया। हरी सिंह नलवा ने अफ़गानों पर तीव्र आक्रमण किया, परंतु अचानक दो गोलियाँ लगने से उसकी मृत्यु हो गई। इसके बावजूद सिखों ने अफ़गानों को 30 अप्रैल, 1837 ई० में एक करारी हार दी। इसके बाद अफ़गान सेनाओं ने पेशावर को पुनः जीतने का कभी साहस न किया।

प्रश्न 7.
हरी सिंह नलवा पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a brief note on Hari Singh Nalwa.)
अथवा
हरी सिंह नलवा के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about Hari Singh Nalwa ?)
अथवा
सरदार हरी सिंह नलवा पर संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a note on Sardar Hari Singh Nalwa.)
उत्तर-
हरी सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह के एक महान् योद्धा तथा सेनापति थे। हरी सिंह नलवा ने महाराजा रणजीत सिंह के अनेक सैनिक अभियानों में भाग लिया। वह 1820-21 में कश्मीर तथा 1834 ई० से 1837 ई० तक पेशावर के नाज़िम रहे। इस पद पर कार्य करते हुए हरी सिंह नलवा से न केवल इन प्रांतों में शांति की स्थापना की अपितु अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार लागू किए। वह 30 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद के स्थान पर अफ़गानों से मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

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प्रश्न 8.
रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमांत नीति की मुख्य विशेषताओं के बारे में लिखिए।
(Write down main features of the North-West Frontier Policy of Ranjit Singh.) .
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की कोई तीन विशेषताएँ बताएँ।
(Describe any three features of North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh.)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की तीन मुख्य विशेषताओं के बारे में लिखें।
(Write down the three main features of the North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh.)
उत्तर-

  1. महाराजा रणजीत सिंह ने उत्तर-पश्चिमी सीमा को सुरक्षित करने के लिए कई नये किलों का निर्माण किया तथा पुराने किलों को मजबूत करवाया।
  2. विद्रोहियों को कुचलने के लिए चलते-फिरते दस्ते कायम किए गए।
  3. महाराजा ने इस प्रदेश में प्रचलित रस्म-रिवाजों को कायम रखा।
  4. कबाइली लोगों के मामलों में अनुचित दखल न दिया गया।
  5. शासन प्रबंध की देख-रेख के लिए सैनिक गवर्नर नियुक्त किए गए।

प्रश्न 9.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का क्या महत्त्व है ?
(What is the significance of North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh ?)
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति से महाराजा की कूटनीति तथा राजनीतिक योग्यता का प्रमाण मिलता है। महाराजा ने मुलतान, कश्मीर, पेशावर इत्यादि के प्रदेशों पर कब्जा करके वहाँ अफ़गानिस्तान के प्रभाव को समाप्त कर दिया था। उसने इन प्रदेशों में होने वाले विद्रोहों को कुचल कर वहाँ शाँति की स्थापना की। वहाँ यातायात के साधनों को विकसित किया गया। कृषि को उन्नत करने के लिए विशेष प्रयास किए गए। इनके अतिरिक्त महाराजा अपने साम्राज्य को अफ़गानों के आक्रमणों से सुरक्षित रखने में भी सफल रहा।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence) .

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल के समय अफ़गानिस्तान के किसी एक सम्राट् का नाम बताएँ।
उत्तर-
शाह शुजा।

प्रश्न 2.
किन्हीं दो बरकज़ाई भाइयों के नाम बताएँ।
उत्तर-
दोस्त मुहम्मद खाँ तथा यार मुहम्मद खाँ।

प्रश्न 3.
शाह ज़मान कौन था ?
अथवा
शाह शुजा कौन था ?
उत्तर-
अफ़गानिस्तान का सम्राट्।

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प्रश्न 4.
शाह ज़मान ने लाहौर पर कब अधिकार किया था ?
उत्तर-
27 नवंबर, 1798 ई०।।

प्रश्न 5.
शाह ज़मान के लाहौर पर 1798.ई० में अधिकार करने के समय किसका शासन था ?
उत्तर-
तीन भंगी सरदारों का।

प्रश्न 6.
फ़तह खाँ कौन था ?
उत्तर-
अफ़गानिस्तान के सम्राट् शाह महमूद का वज़ीर।

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प्रश्न 7.
महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के मध्य समझौता कब हुआ था ?
उत्तर-
1813 ई० में।

प्रश्न 8.
कश्मीर पर अधिकार करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के बीच समझौता कहाँ पर हुआ था ?
उत्तर-
रोहतास।

प्रश्न 9.
हज़रो अथवा हैदरो की लड़ाई कब हुई थी ?
उत्तर-
13 जुलाई, 1813 ई०।

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प्रश्न 10.
हज़रो की लड़ाई का कोई एक महत्त्व बताएँ।
उत्तर-
अफ़गानों की शक्ति को गहरा आघात पहुँचा।

प्रश्न 11.
महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को कब अपने अधिकार में किया ?
उत्तर-
1819 ई०।

प्रश्न 12.
नौशहरा की लड़ाई कब लड़ी गई थी ?
उत्तर-
14 मार्च, 1823 ई०।

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प्रश्न 13.
नौशहरा की लड़ाई में किसकी पराजय हुई ?
उत्तर-
आज़िम खाँ।

प्रश्न 14.
अकाली फूला सिंह कौन था ?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह का एक प्रसिद्ध सेनापति।

प्रश्न 15.
अकाली नेता फूला सिंह किस लड़ाई में शहीद हुआ ?
अथवा
उस लड़ाई का नाम लिखें जिसमें अकाली फूला सिंह मारा गया।
उत्तर-
नौशहरा की लड़ाई में।

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प्रश्न 16.
सैय्यद अहमद कौन था?
उत्तर-
सैय्यद अहमद स्वयं को मुसलमानों का खलीफा कहलाता था।

प्रश्न 17.
सैय्यद अहमद ने कब सिखों के विरुद्ध विद्रोह किया था ?
उत्तर-
1827 ई० में से 1831 ई० के समय के दौरान।

प्रश्न 18.
महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर को कब अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया ?
उत्तर-
1834 ई०

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प्रश्न 19.
महाराजा रणजीत सिंह ने किसे पेशावर का प्रथम गवर्नर नियुक्त किया ?
उत्तर-
हरी सिंह नलवा।

प्रश्न 20.
जमरौद की लड़ाई कब हुई ?
उत्तर-
1837 ई०।

प्रश्न 21.
हरी सिंह नलवा कौन था?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह का प्रसिद्ध सेनापति।

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प्रश्न 22.
त्रिपक्षीय संधि कब हुई थी ?
उत्तर-
26 जून, 1838 ई०।

प्रश्न 23.
त्रिपक्षीय संधि की कोई एक मुख्य शर्त क्या थी ?
उत्तर-
शाह शुजा को अफ़गानिस्तान का सम्राट् बनाया जाए।

प्रश्न 24.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा के संबंध में किसी एक समस्या का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पश्चिमी क्षेत्रों के कबीलों से निपटने की समस्या।

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प्रश्न 25.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की कोई एक मुख्य विशेषता बताएँ।
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह ने अफ़गानिस्तान पर अधिकार करने का कभी प्रयास न किया।

प्रश्न 26.
महाराजा रणजीत सिंह के समय उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों में स्थित किसी एक बर्बर कबीले का नाम बताएँ।
उत्तर-
यूसुफजई।

प्रश्न 27.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का कोई एक प्रभाव बताएँ।
उत्तर-
इस कारण उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेशों में शांति की स्थापना हुई।

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(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के सिंहासन पर बैठने समय अफ़गानिस्तान का शासक……………..था।
उत्तर-
(शाह जमान)

प्रश्न 2.
1800 ई० में……….अफ़गानिस्तान का नया शासक बना।
उत्तर-
(शाह महमूद)

प्रश्न 3.
1813 ई० में महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के मध्य……………..में समझौता हुआ।
उत्तर-
(रोहतास)

प्रश्न 4.
महाराजा रणजीत सिंह ने 1813 ई० में जहाँदाद खाँ से…………………का प्रदेश प्राप्त किया।
उत्तर-
(अटक)

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प्रश्न 5.
महाराजा रणजीत सिंह और अफ़गानों के मध्य नौशहरा की लड़ाई……………..में हुई।
उत्तर-
(1823 ई०)

प्रश्न 6.
महाराजा रणजीत सिंह पेशावर को………………में सिख साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
उत्तर-
(1834 ई०)

प्रश्न 7.
1838 ई० में महाराजा रणजीत सिंह, अंग्रेजों और………………के मध्य त्रिपक्षीय संधि हुई थी।
उत्तर-
(शाह शुजा)

प्रश्न 8.
हरी सिंह नलवा की मृत्यु……..में हुई।
उत्तर-
(1837 ई०

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(iii) ठीक अथवा गलत (True or False)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के सिंहासन पर बैठते समय अफ़गानिस्तान का शासक शाह ज़मान था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 2.
शाह महमूद 1805 ई० में अफ़गानिस्तान का नया शासक बना।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 3.
महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के बीच 1813 ई० में रोहतास में समझौता हुआ।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 4.
हज़रो की लड़ाई 13 जुलाई, 1813 ई० में हुई।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 5.
1818 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान पर कब्जा कर लिया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 6.
महाराजा रणजीत सिंह ने 1819 ई० में कश्मीर पर विजय प्राप्त की थी।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 7.
1820 ई० में हरी सिंह नलवा को. कश्मीर का नया गवर्नर नियुक्त किया गया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 8.
सरदार हरी सिंह नलवा को जफरजंग का खिताब दिया गया था।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 9.
नौशहरा की लड़ाई 14 मार्च, 1828 ई० में हुई थी।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 10.
महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर को 1834 ई० में अपने साम्राज्य में शामिल किया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 11.
जमरौद की लड़ाई 1838 ई० में हुई थी।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 12.
महाराजा रणजीत सिंह उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्याओं को हल करने में काफी हद तक सफल रहा था।
उत्तर-
ठीक

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(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—

प्रश्न 1.
शाह ज़मान ने लाहौर पर कब अधिकार कर लिया था ?
(i) 1796 ई० में
(ii) 1797 ई० में
(iii) 1798 ई० में
(iv) 1799 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 2.
फ़तह खाँ कौन था ?
(i) अफ़गानिस्तान का वज़ीर
(ii) रणजीत सिंह का वज़ीर
(ii) ईरान का वज़ीर
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 3.
कश्मीर पर अधिकार करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के बीच समझौता कब हुआ ?
(i) 1803 ई० में
(ii) 1805 ई० में
(ii) 1809 ई० में
(iv) 1813 ई० में।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 4.
महाराजा रणजीत सिंह और फ़तह खाँ के बीच समझौता कहाँ हुआ था ?
(i) रोहतास में
(ii) रोहतांग में
(iii) सुपीन में
(iv) हज़रो में।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 5.
अकाली फूला सिंह अफ़गानों के साथ लड़ते हुए कब शहीद हो गया ?
(i) 1813 ई० में
(ii) 1815. ई० में
(iii) 1819 ई० में
(iv) 1823 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 6.
सैय्यद अहमद ने कौन-से प्रदेशों में सिखों के विरुद्ध विद्रोह किया था ?
(i) अटक और पेशावर
(ii) पेशावर और कश्मीर
(iii) कश्मीर और मुलतान
(iv) मुलतान और अटक।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 7.
सैय्यद अहमद ने सिखों के विरुद्ध कब विद्रोह किया था ?
(i) 1823 ई० में
(ii) 1825 ई० में
(iii) 1827 ई० में
(iv) 1831 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 8.
महाराजा रणजीत सिंह ने पेशावर को कब अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया था ?
(i) 1823 ई० में
(ii) 1831 ई० में
(iii) 1834 ई० में
(iv) 1837 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 9.
हरी सिंह नलवा किस प्रसिद्ध लड़ाई में मारा गया था ?
(i) जमरौद की लड़ाई
(ii) नौशहरा की लड़ाई
(iii) हज़रो की लडाई
(iv) सुपीन की लड़ाई।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 10.
त्रिपक्षीय संधि के अनुसार किसको अफ़गानिस्तान का नया बादशाह बनाने की योजना बनाई ?
(i) शाह ज़मान
(ii) शाह शुजा
(iii) शाह महमूद
(iv) दोस्त मुहम्मद खाँ।
उत्तर-
(ii)

Long Answer Type Question

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह ने अटक पर कैसे विजय प्राप्त की ? इस विजय का महत्त्व भी बताएँ। (How did Maharaja Ranjit Singh conquer Attock ? What was its significance ?)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की अटक विजय तथा हजरो की लड़ाई का संक्षेप में वर्णन करें।
(Give a brief account of Maharaja Ranjit Singh’s conquest of Attock and the battle of Hazro.)
उत्तर-
अटक का किला भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण था। महाराजा रणजीत सिंह के समय यहाँ अफ़गान गवर्नर जहाँदाद खाँ का शासन था। कहने को तो वह काबुल सरकार के अधीन था, परंतु वास्तव में वह स्वतंत्र रूप से शासन कर रहा था। 1813 ई० में जब काबुल के वज़ीर फ़तह खाँ ने कश्मीर पर आक्रमण करके उसके भाई अता मुहम्मद खाँ को पराजित कर दिया तो वह घबरा गया। उसे यह विश्वास था कि फ़तह खाँ का अगला आक्रमण अटक पर होगा। इसलिए उसने एक लाख रुपए की वार्षिक जागीर के बदले अटक का किला महाराजा रणजीत सिंह को सौंप दिया। जब फ़तह खाँ को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो वह आग-बबूला हो गया। उसने अटक के किले पर अधिकार करने के लिए अपनी सेना के साथ अटक की ओर कूच किया। 13 जुलाई, 1813 ई० को हजरो अथवा हैदरो के स्थान पर हुई एक भयंकर लड़ाई में महाराजा रणजीत सिंह की सेनाओं ने फ़तह खाँ को कड़ी पराजय दी। यह अफ़गानों तथा सिखों में लड़ी गई पहली लड़ाई थी। इस विजय के कारण जहाँ अटक पर रणजीत सिंह का स्थायी अधिकार हो गया, वहाँ उसकी ख्याति भी दूर-दूर तक फैल गई।

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प्रश्न 2.
हज़रो अथवा हैदरो अथवा छछ की लड़ाई के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दें। (Give a brief account of the battle of Hazro or Haidro or Chuch.)
उत्तर-
मार्च, 1813 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने जहाँदाद खाँ से एक लाख रुपये के बदले अटक का किला प्राप्त कर लिया था। यह किला भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण था। जब फ़तह खाँ को इस संबंध में ज्ञात हुआ तो वह भड़क उठा। वह एक विशाल सेना लेकर कश्मीर से अटक की ओर चल पड़ा। उसने सिखों के विरुद्ध धर्म युद्ध का नारा लगाया। फ़तह खाँ की सहायता के लिए अफ़गानिस्तान से कुछ सेना भेजी गई। दूसरी ओर महाराजा रणजीत सिंह ने भी अटक के किले की रक्षा के लिए एक विशाल सेना अपने विख्यात सेनापतियों-हरी सिंह नलवा, जोध सिंह रामगढ़िया और दीवान मोहकम चंद के नेतृत्व में भेजी। 13 जुलाई, 1813 ई० को हजरो अथवा हैदरो अथवा छछ के स्थान पर दोनों सेनाओं में भारी युद्ध हुआ। इस युद्ध में रणजीत सिंह की सेनाओं ने फ़तह खाँ को कड़ी पराजय दी। इस कारण जहाँ अटक पर रणजीत सिंह का अधिकार पक्का हो गया, वहाँ उसकी ख्याति दूरदूर तक फैल गई।

प्रश्न 3.
शाह शुजा तथा महाराजा रणजीत सिंह के संबंधों पर एक संक्षेप नोट लिखें। (Give a brief account of Shah Shuja’s relations with Maharaja Ranjit Singh.)
उत्तर-
शाह शुजा अफ़गानिस्तान का बादशाह था। उसने 1803 ई० से 1809 ई० तक शासन किया। वह बड़ा अयोग्य शासक सिद्ध हुआ। 1809 ई० में वह सिंहासन छोड़कर भाग गया। उसे कश्मीर के अफ़गान सूबेदार अता मुहम्मद खाँ ने गिरफ्तार कर लिया। 1813 ई० में कश्मीर के पहले अभियान के दौरान महाराजा रणजीत सिंह की सेना शाह शुजा को रिहा करवा कर लाहौर ले आई थी। इसके बदले में महाराजा रणजीत सिंह ने शाह शुजा की पत्नी वफ़ा बेगम से विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा प्राप्त किया था। 1833 ई० में शाह शुजा ने सिंहासन फिर प्राप्त करने के उद्देश्य से महाराजा के साथ एक संधि की, परंतु शाह शुजा को अपने इन यत्नों में सफलता नहीं मिली। 26 जून, 1838 ई० को अंग्रेजों, शाह शुजा और महाराजा रणजीत सिंह के मध्य त्रिपक्षीय संधि हुई। इस संधि के अनुसार शाह शुजा को अफ़गानिस्तान का सम्राट् बनाने का निश्चय किया गया। अंग्रेजों के यत्नों से 1839 ई० में शाह शुजा अफ़गानिस्तान का सम्राट् तो बन गया, परंतु जल्दी ही उसके विरुद्ध विद्रोह हो गया जिसमें शाह शुजा मारा गया।

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प्रश्न 4.
महाराजा रणजीत सिंह के दोस्त मुहम्मद के साथ संबंधों का संक्षेप वर्णन करें।
(Give a brief account of the relations between Maharaja Ranjit Singh and Dost Mohammad.)
उत्तर-
दोस्त मुहम्मद खाँ 1826 ई० में अफगानिस्तान का शासक बना था। वह महाराजा रणजीत सिंह के उत्तर-पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में बढ़ते हुए प्रभाव को कभी सहन करने के लिए तैयार न था। पेशावर के मामले पर दोनों के परस्पर मतभेदों में अधिक दरार आ गई थी। 1833 ई० में अफ़गानिस्तान के भूतपूर्व शासक शाह शुजा तथा दोस्त मुहम्मद के मध्य राजगद्दी को प्राप्त करने के लिए युद्ध आरंभ हो गया था। इस स्थिति का लाभ उठाकर महाराजा रणजीत सिंह ने 6 मई, 1834 ई० को पेशावर पर सहजता से विजय प्राप्त कर ली थी। शाह शुजा को पराजित करने के पश्चात् दोस्त मुहम्मद खाँ ने पेशावर पर पुनः अधिकार करने का प्रयास किया पर उसे सफलता प्राप्त न हुई। 1837 ई० में दोस्त मुहम्मद खाँ ने अपने पुत्र अकबर के अधीन एक विशाल सेना पेशावर की ओर भेजी। जमरौद के स्थान पर हुई एक भयंकर लड़ाई में यद्यपि हरी सिंह नलवा वीरगति को प्राप्त हुआ तथापि सिख सेना इस लड़ाई में विजयी हुई। इसके पश्चात् दोस्त मुहम्मद खाँ ने पेशावर की ओर फिर कभी मुँह नहीं किया।

प्रश्न 5.
सैय्यद अहमद पर एक संक्षेप नोट लिखो। (Write a brief note on Sayyad Ahmed.)
अथवा
सैय्यद अहमद के धर्म युद्ध पर एक नोट लिखो। [Write a note on the ‘Zihad’ (Religious War) of Sayyad Ahmed.]
उत्तर-
1827 ई० से 1831 ई० के समय में सैय्यद अहमद ने अटक तथा पेशावर के प्रदेशों में सिखों के विरुद्ध जिहाद कर रखा था। वह बरेली का रहने वाला था। उसका कहना था, “अल्ला ने मुझे पंजाब और हिंदुस्तान को विजय करने और अफ़गान प्रदेशों में से सिखों को निकाल कर खत्म करने के लिए भेजा है।” उसकी बातों में आकर कई अफ़गान सरदार उसके शिष्य बन गए। कुछ ही समय में उसने एक बहुत बड़ी सेना संगठित कर ली। यह महाराजा रणजीत सिंह की शक्ति के लिए एक चुनौती थी। उसको सिख सेनाओं ने पहले सैद्र में और फिर पेशावर में पराजित किया था, परंतु भाग्यवश वह दोनों बार बच निकलने में सफल हुआ। इन पराजयों के बावजूद भी सैय्यद अहमद ने सिखों के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा। अंत में 1831 ई० में वह बालाकोट में शहज़ादा शेर सिंह से लड़ते हुए मारा गया। इस तरह सिखों की एक बहुत बड़ी सिरदर्दी दूर हुई।

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प्रश्न 6.
अकाली फूला सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a brief note on Akali Phula Singh.)
अथवा
अकाली फूला सिंह की सैनिक सफलताओं पर एक नोट लिखो। (Write a note on the achievements of Akali Phula Singh.)
उत्तर-
अकाली फूला सिंह सिख राज्य के एक फौलादी स्तंभ थे। उन्होंने सिख राज्य की नींव को मज़बूत करने तथा उसकी सीमा का विस्तार करने में बहुमूल्य योगदान दिया। आपकी शूरवीरता, निर्भीकता, पंथ से प्यार तथा उज्वल चरित्र के कारण महाराजा रणजीत सिंह आपका बहुत सम्मान करता था। 1807 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने अकाली फूला सिंह के सहयोग से कसूर पर विजय प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। इसी वर्ष अकाली फला सिंह ने झंग को अपने अधीन कर लिया। आपके सहयोग के कारण 1816 ई० में मुलतान तथा बहावलपुर में मुसलमानों द्वारा सिख राज्य के विरुद्ध की गई बगावतों का दमन किया जा सका। 1818 ई० में मुलतान की विजय के समय भी अकाली फूला सिंह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी वर्ष पेशावर पर आक्रमण के समय भी महाराजा रणजीत सिंह ने अकाली फूला सिंह की सेवाएँ प्राप्त की। 1819 ई० में कश्मीर की विजय के समय भी वह महाराजा रणजीत सिंह की सेना के साथ थे। वह 14 मार्च, 1823 ई० को नौशहरा में अफ़गानों के साथ हुई एक भयंकर लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए। निस्संदेह अकाली फूला सिंह सिख राज्य के एक महान् रक्षक थे।

प्रश्न 7.
जमरौद की लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a short note on the Battle of Jamraud.)
उत्तर-
दोस्त मुहम्मद खाँ 1835 ई० में सिखों के हाथों हुए अपने अपमान का प्रतिशोध लेना चाहता था। दूसरी ओर सिख भी पेशावर में अपनी स्थिति को दृढ़ करने में व्यस्त थे। हरी सिंह नलवा ने अफ़गानों के आक्रमणों को रोकने के लिए जमरौद में एक शक्तिशाली दुर्ग का निर्माण करवाया। दोस्त मुहम्मद खाँ सिखों की पेशावर में बढ़ती हुई शक्ति को सहन नहीं कर सकता था। इसलिए उसने अपने पुत्र मुहम्मद अकबर तथा शमसुद्दीन के अधीन 20,000 सैनिकों को जमरौद पर आक्रमण करने के लिए भेजा। इस सेना ने 28 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद पर आक्रमण कर दिया। सरदार महा सिंह ने दो दिन तक अपने केवल 600 सैनिकों सहित अफ़गान सेनाओं का डट कर सामना किया। उस समय हरी सिंह नलवा पेशावर में बहुत बीमार पड़ा हुआ था। जब उसे अफ़गान आक्रमण का समाचार मिला तो वह शेर की भाँति गर्जना करता हुआ अपने 10,000 सैनिकों को साथ लेकर जमरौद पहुँच गया। उसने अफ़गान सेनाओं के छक्के छुड़ा दिए। अचानक दो गोले लग जाने से 30 अप्रैल, 1837 ई० को हरी सिंह नलवा शहीद हो गए। इस बलिदान का प्रतिशोध लेने के लिए सिख सेनाओं ने अफ़गान सेनाओं पर इतना शक्तिशाली आक्रमण किया कि वे गीदड़ों की भाँति काबुल की ओर भाग गये। इस प्रकार सिख जमरौद की इस निर्णयपूर्ण लड़ाई में विजयी रहे। जब महाराजा रणजीत सिंह को अपने महान् जरनैल हरी सिंह नलवा की मृत्यु के विषय में ज्ञात हुआ तो उनकी आँखों से कई दिन तक आँसू बहते रहे। जमरौद की लड़ाई के पश्चात् दोस्त मुहम्मद खाँ ने कभी भी पेशावर पर पुनः आक्रमण करने का यत्न न किया। उसे विश्वास हो गया कि सिखों से पेशावर लेना असंभव है।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 19 महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति

प्रश्न 8.
हरी सिंह नलवा पर एक संक्षिप्त नोदे लिखो। (Write a brief note on Hari Singh Nalwa.)
अथवा
हरी सिंह नलवा के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखें। (What do you know about Hari Singh Nalwa ? Give a brief account.)
उत्तर-
हरी सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह का सबसे महान् तथा निर्भीक सेनापति था। घुड़सवारी, तलवार चलाने तथा निशाना लगाने में वे बहुत दक्ष थे। महान् योद्धा होने के साथ-साथ वह एक कुशल शासन प्रबंधक भी थे। उनकी वीरता से प्रभावित होकर महाराजा रणजीत सिंह ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती कर लिया था। बहुत शीघ्र वह उन्नति करते हुए सेनापति के उच्च पद पर पहुँच गए। एक बार हरी सिंह ने एक शेर को जिसने उन पर आक्रमण कर दिया था अपने हाथों से मार डाला जिस कारण महाराजा ने उन्हें ‘नलवा’ की उपाधि से सम्मानित किया। वह इतने वीर थे कि दुश्मन उनके नाम से ही थर-थर काँपते थे। हरी सिंह नलवा ने महाराजा रणजीत सिंह के अनेक सैनिक अभियानों में भाग लिया तथा प्रत्येक अभियान में सफलता प्राप्त की। वह 1820-21 ई० में कश्मीर तथा 1834 से 1837 ई० तक पेशावर के नाज़िम (गवर्नर) रहे। इस पद पर कार्य करते हुए हरी सिंह नलवा ने न केवल इन प्रांतों में शांति की स्थापना की अपितु अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार भी लागू किए। वह 30 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद के स्थान पर अफ़गानों से मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उसकी मृत्यु से महाराजा रणजीत सिंह को इतना गहरा धक्का लगा कि वह उसकी याद में कई दिनों तक आँसू बहाते रहे। निस्संदेह महाराजा रणजीत सिंह के राज्य को शक्तिशाली बनाने तथा उसका विस्तार करने में हरी सिंह नलवा ने बहुमूल्य योगदान दिया।

प्रश्न 9.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमांत क्षेत्र की नीतियों की विशेषताएँ बताएँ।
(Explain the features of the North-west Frontier policy of Maharaja Ranjit Singh.)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति की कोई पाँच विशेषताएँ बताएँ।
(Describe any five features of North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh.)
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा संबंधी नीति की पाँच विशेषताएँ लिखें।
(Describe the five features of North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh.)
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह ने अटक, मुलतान, कश्मीर, डेरा गाज़ी खाँ, डेरा इस्माइल खाँ, पेशावर आदि उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेशों पर विजय प्राप्त की और इन्हें अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया। महाराजा रणजीत सिंह ने दूर-दृष्टि से काम लेते हुए कभी अफ़गानिस्तान पर अपना अधिकार करने की कोशिश न की। उन्हें पहले ही उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेश में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए वह अफ़गानिस्तान पर कब्जा करके कोई नई सिरदर्दी मोल लेना नहीं चाहता था। महाराजा रणजीत सिंह ने उत्तर-पश्चिमी सीमा को सुरक्षित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाये। उसने कई नये किलों का निर्माण करवाया तथा कई पुराने किलों को मजबूत करवाया। इन किलों में बड़ी प्रशिक्षित सेना रखी गई। विद्रोहियों को कुचलने के लिए चलते-फिरते दस्ते कायम किये गये। महाराजा ने इस प्रदेश का शासन प्रबंध बड़ी सूझ-बूझ से किया। उसने इस प्रदेश में प्रचलित रस्म-रिवाजों को कायम रखा। कबाइली लोगों के मामलों में अनुचित दखल न दिया गया। शासन प्रबंध की देख-रेख के लिए सैनिक गवर्नर नियुक्त किए गए।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 19 महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति

प्रश्न 10.
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का क्या महत्त्व है ? (What is the significance of North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh ?)
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति का पंजाब के इतिहास में विशेष महत्त्व है। इससे महाराजा की दूर-दृष्टि, कूटनीति तथा राजनीतिक योग्यता का प्रमाण मिलता है। उसने मुलतान, कश्मीर, पेशावर इत्यादि के प्रदेशों पर कब्जा करके वहाँ अफ़गानिस्तान के प्रभाव को समाप्त कर दिया था। यह रणजीत सिंह की एक महान् सफलता थी कि उसने उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेशों में होने वाले विद्रोहों को कुचल कर वहाँ शाँति की स्थापना की। महाराजा रणजीत सिंह ने कबीलों के प्रचलित कानूनों तथा रस्म-रिवाजों को बनाए रखा। वह अकारण उनके मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता था। महाराजा रणजीत सिंह ने वहाँ यातायात के साधनों को विकसित किया। कृषि को उन्नत करने के लिए विशेष पग उठाए गए। परिणामस्वरूप न केवल वहाँ के लोग आर्थिक दृष्टि से संपन्न हुए अपितु महाराजा रणजीत सिंह के व्यापार को एक नया उत्साह मिला। इनके अतिरिक्त महाराजा रणजीत सिंह अपने साम्राज्य को अफ़गानों के आक्रमणों से सुरक्षित रखने में सफल रहा। इस प्रकार महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति काफी सफल रही।

Source Based Questions

नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
1
1800 ई० में काबुल में राज्य सिंहासन की प्राप्ति के लिए गृह युद्ध आरंभ हो गया। शाह ज़मान को सिंहासन से उतार दिया गया तथा शाह महमूद अफ़गानिस्तान का नया सम्राट् बना। उसने केवल तीन वर्ष (1800-03) तक शासन किया। 1803 ई० में शाह शुज़ा ने शाह महमूद से सिंहासन छीन लिया। उसने 1809 ई० तक शासन किया। वह बहुत अयोग्य शासक सिद्ध हुआ। इस कारण अफ़गानिस्तान में अशांति फैल गई। यह स्वर्ण अवसर देखकर अटक, कश्मीर, मुलतान व डेराजात इत्यादि के अफ़गान सूबेदारों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। महाराजा रणजीत सिंह ने भी काबुल सरदार की दुर्बलता का पूरा लाभ उठाया तथा कसूर, झंग, खुशाब तथा साहीवाल नामक अफ़गान प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। 1809 ई० में शाह शुज़ा को सिंहासन से उतार दिया गया तथा उसके स्थान पर शाह महमूद अफ़गानिस्तान का दुबारा सम्राट बना। क्योंकि राज्य-सिंहासन प्राप्त करने में शाह महमूद को फ़तह खाँ ने प्रत्येक संभव सहायता दी थी, इसलिए उसे शाह महमूद ने अपना वज़ीर (प्रधानमंत्री) नियुक्त कर लिया।

  1. …………… में काबुल में राज्य सिंहासन की प्राप्ति के लिए गृह युद्ध आरंभ हो गया था।
  2. शाह महमूद अफ़गानिस्तान का पहली बार बादशाह कब बना ?
  3. शाह शुजा कैसा शासक था ?
  4. फ़तह खाँ कौन था ?
  5. शाह शुजा को कब गद्दी से उतारा गया था ?

उत्तर-

  1. 1800 ई०।
  2. शाह महमूद पहली बार 1800 ई० में अफगानिस्तान का बादशाह बना था।
  3. शाह शुजा एक अयोग्य शासक था।
  4. फ़तह खाँ शाह महमूद का वज़ीर था।
  5. शाह शुज़ा को 1809 ई० में गद्दी से उतार दिया गया था।

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2
महाराजा रणजीत सिंह ने फ़तह खाँ द्वारा किए गए कपट के कारण उसे माठ पढ़ाने का निर्णय किया। उसने शीघ्र ही फ़कीर अजीजुद्दीन को अटक पर अधिकार करने के लिए भेजा। अटक के शासक जहाँदाद खाँ ने एक लाख रुपये की जागीर के स्थान पर अटक का क्षेत्र महाराजा के सुपुर्द कर दिया। जब फ़तह खाँ को इसके संबंध में ज्ञात हुआ तो वह आग बबूला हो उठा। उसने कश्मीर की शासन व्यवस्था अपने भाई आज़िम खाँ को सौंप दी तथा स्वयं एक विशाल सेना लेकर अटक में से सिखों को निकालने के लिए चल दिया। 13 जुलाई, 1813 ई० को हज़रो अथवा हैदरो के स्थान पर हुई एक घमासान की लड़ाई में महाराजा रणजीत सिंह की सेनाओं ने फ़तह खाँ को एक कड़ी पराजय दी। यह अफ़गानों एवं सिखों के मध्य लड़ी गई प्रथम लड़ाई थी। इस लड़ाई में सिखों की विजय के कारण अफ़गानों की शक्ति को एक ज़बरदस्त धक्का लगा तथा सिखों के मान-सम्मान में बहुत वृद्धि हुई।

  1. फ़तह खाँ कौन था ?
  2. महाराजा रणजीत सिंह के समय अटक का शासक कौन था ?
  3. सिखों तथा अफ़गानों के मध्य लड़ी गई पहली लड़ाई कौन-सी थी ?
  4. हज़रो की लड़ाई कब हुई थी ?
    • 1811 ई०
    • 1812 ई०
    • 1813 ई०
    • 1814 ई०
  5. हज़रो की लड़ाई में कौन विजयी रहा ?

उत्तर-

  1. फ़तह खाँ अफ़गानिस्तान के शासक शाह महमूद का वज़ीर था।
  2. महाराजा रणजीत सिंह के समय अटक का शासक जहाँदाद खाँ था।
  3. सिखों तथा अफ़गानों के मध्य लड़ी गई पहली लड़ाई हज़रों की थी।
  4. 1813 ई०।
  5. हज़रो की लड़ाई में सिख विजयी रहे।

3
1827 ई० से 1831 ई० के मध्य सैय्यद अहमद नामक एक व्यक्ति ने अटक तथा पेशावर के प्रदेशों में सिखों के विरुद्ध विद्रोह किए रखा था। वह बरेली का रहने वाला था। उसका कहना था अल्लाह ने मुझे पंजाब तथा हिंदुस्तान को विजित करने तथा अफ़गान प्रदेशों से सिखों को निकाल कर उन्हें समाप्त करने के लिए भेजा है। उसकी बातों में आकर अनेक अफ़गान सरदार उसके अनुयायी बन गए। कुछ ही अवधि में उसने एक बहुत बड़ी सेना संगठित कर ली। यह महाराजा रणजीत सिंह की शक्ति के लिए एक चुनौती थी। उसे सिख सेनाओं ने पहले सैदू के स्थान पर तथा फिर पेशावर में पराजित किया था, परंतु वह दोनों बार बच निकलने में सफल रहा। इन पराजयों के बावजूद सैय्यद अहमद ने सिखों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा। आखिर 1831 ई० में वह बालाकोट में शहज़ादा शेर सिंह से लड़ता हुआ मारा गया। इस प्रकार सिखों की एक बड़ी शिरोवेदना समाप्त हो गई।

  1. सैय्यद अहमद कौन था ?
  2. सैय्यद अहमद कहाँ का रहने वाला था ?
  3. सिख फौजों ने सैय्यद अहमद को किन दो स्थानों से पराजित किया था ?
  4. सैय्यद अहमद कहाँ तथा किस प्रकार लड़ते हुए मारा गया था ?
  5. सैय्यद अहमद कब मारा गया था ?
    • 1813 ई०
    • 1821 ई०
    • 1827 ई०
    • 1831 ई०।

उत्तर-

  1. सैय्यद अहमद मुसलमानों का एक धार्मिक नेता था।
  2. सैय्यद अहमद बरेली का रहने वाला था।
  3. सिख फ़ौजों ने सैय्यद अहमद को सैदू तथा पेशावर से पराजित किया।
  4. सैय्यद अहमद बालाकोट में शहज़ादा शेर सिंह के साथ लड़ते हुए मारा गया था।
  5. 1831 ई०।

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4
दोस्त मुहम्मद खाँ सिखों के हाथों हुए अपने अपमान का प्रतिशोध लेना चाहता था। दूसरी ओर सिख भी पेशावर में अपनी स्थिति को दृढ़ करना चाहते थे। हरी सिंह नलवा ने अफ़गानों के आक्रमणों को रोकने के लिए जमरौद में एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण आरंभ करवाया। हरी सिंह नलवा की कार्यवाई को रोकने के लिए दोस्त मुहम्मद खाँ ने अपने पुत्र मुहम्मद अकबर तथा शमसुद्दीन के नेतृत्व में 20,000 सैनिकों की एक विशाल सेना भेजी। इस सेना ने 28 अप्रैल, 1837 ई० को जमरौद दुर्ग पर आक्रमण कर दिया। हरी सिंह नलवा उस समय पेशावर में बहुत बीमार पड़ा था। जब उसे अफ़गानों के इस आक्रमण का समाचार मिला तो उन्हें पाठ पढ़ाने के लिए अपने 10,000 सैनिकों को साथ लेकर जमरौद में अफ़गानों पर आक्रमण कर दिया। इस लड़ाई में यद्यपि हरी सिंह नलवा शहीद हो गया किंतु सिखों ने अफ़गान सेनाओं का ऐसा विनाश किया कि उन्होंने पुनः कभी पेशावर की ओर अपना मुख न किया।

  1. दोस्त मुहम्मद खाँ कौन था ?
  2. जमरौद किले का निर्माण किसने करवाना था ?
  3. जमरौद दुर्ग पर आक्रमण ……………… को किया गया।
  4. जमरौद की लड़ाई में महाराजा रणजीत सिंह का कौन-सा जरनैल शहीद हुआ ?
  5. जमरौद की लड़ाई में कौन विजयी रहा ?

उत्तर-

  1. दोस्त मुहम्मद खाँ पेशावर का शासक था।
  2. जमरौद किले का निर्माण सरदार हरी सिंह नलवा ने करवाया था।
  3. 28 अप्रैल, 1837 ई०।
  4. जमरौद की लड़ाई में महाराजा रणजीत सिंह का जरनैल हरी सिंह नलवा शहीद हुआ था।
  5. जमरौद की लड़ाई में सिख विजयी रहे।

महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति PSEB 12th Class History Notes

  • महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंध (Maharaja Ranjit Singh’s Relations with Afghanistan)-महाराजा रणजीत सिंह के अफ़गानिस्तान के साथ संबंधों को चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है—
    • प्रथम चरण (First Stage) यह चरण 1797 से 1812 ई० तक चला-जब रणजीत सिंह ने 1797 ई० में शुकरचकिया मिसल की बागडोर संभाली तो उस समय अफ़गानिस्तान का बादशाह शाह जमान था-रणजीत सिंह ने उसकी जेहलम नदी में गिरी तोपें वापिस भेज दी–प्रसन्न होकर उसने रणजीत सिंह के लाहौर अधिकार को मान्यता दे दी-1803 ई० में शाह शुजा अफ़गानिस्तान का शासक बना-उसकी अयोग्यता का लाभ उठाते हुए महाराजा रणजीत सिंह ने कसूर, झंग तथा साहीवाल आदि प्रदेशों पर अधिकार कर लिया।
    • दूसरा चरण (Second Stage)—यह चरण 1813-1834 ई० तक चला-1813 ई० में रोहतासगढ़ में हुए समझौते के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह और अफ़गान वज़ीर फ़तह खाँ की संयुक्त सेनाओं ने कश्मीर पर आक्रमण किया-फ़तह खाँ ने महाराजा के साथ छल किया-13 जुलाई, 1813 ई० को हज़रो के स्थान पर अफ़गानों तथा सिखों के मध्य प्रथम लड़ाई हुई-इसमें फ़तह खाँ पराजित हुआमहाराजा के पेशावर अधिकार के परिणामस्वरूप 14 मार्च, 1823 ई० को नौशहरा की भयंकर लड़ाई हुई-इसमें भी अफ़गान पराजित हुए-6 मई, 1834 ई० को पेशावर पूर्ण रूप से सिख राज्य में सम्मिलित कर लिया गया।
    • तीसरा चरण (Third Stage)—यह चरण 1834 से 1837 ई० तक चला-महाराजा के पेशावर अधिकार से अफ़गानिस्तान का शासक दोस्त मुहम्मद खाँ क्रोधित हो उठा-परिणामस्वरूप उसने जेहाद की घोषणा कर दी-परंतु रणजीत सिंह की कूटनीति के कारण उसे बिना युद्ध किए वापिस जाना पड़ा-1837 ई० को सिखों तथा अफ़गानों के मध्य जमरौद की लड़ाई हुई-इस लड़ाई में सिख विजयी हुए परंतु हरि सिंह नलवा शहीद हो गया इसके बाद अफ़गान सेनाओं ने पुनः कभी पेशावर की ओर मुख न किया।
    • चौथा चरण (Fourth Stage) यह चरण 1838 से 1839 ई० तक चला-रूस के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए अंग्रेजों ने शाह शुजा को अफ़गानिस्तान का नया शासक बनाने की योजना बनाई26 जून, 1838 ई० को अंग्रेज़ों, शाह शुजा तथा महाराजा रणजीत सिंह के मध्य त्रिपक्षीय संधि हुई27 जून, 1839 ई० को महाराजा रणजीत सिंह स्वर्ग सिधार गया-इस प्रकार सिख-अफ़गान संबंधों में महाराजा रणजीत सिंह का पलड़ा हमेशा भारी रहा।
  • महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति (North-West Frontier Policy of Maharaja Ranjit Singh) उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या पंजाब तथा भारत के शासकों के लिए सदैव एक सिरदर्द बनी रही-यहीं से विदेशी आक्रमणकारी भारत आते रहे-यहाँ के खंखार कबीले सदा ही अनुशासन के विरोधी रहे -महाराजा ने 1831 ई० से 1836 ई० के दौरान डेरा गाजी खाँ, टोंक, बन्नू और पेशावर आदि प्रदेशों पर अधिकार कर लिया-महाराजा ने अफ़गानिस्तान पर कभी भी अधिकार करने का प्रयास नहीं किया-खूखार अफ़गान कबीलों के विरुद्ध अनेक सैनिक अभियान भेजे गए-उत्तर-पश्चिमी सीमा पर कई नए दुर्ग बनाए गए-वहाँ पर विशेष प्रशिक्षित सेना रखी गई-सैनिक गवर्नरों की नियुक्ति की गई-कबीलों की भलाई के लिए विशेष प्रबंध किए गए-महाराजा रणजीत सिंह की उत्तर-पश्चिमी सीमा. नीति काफ़ी सीमा तक सफल रही।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Physical Education Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

PSEB 11th Class Physical Education Guide स्वास्थ्य शिक्षा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषा लिखें।
(Define Health Education.)
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषाएं
(Definitions of Health Education) डॉ० थॉमस वुड के शब्दों में, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का योग है जो व्यक्ति, समुदाय या सामाजिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, दृष्टिकोण और ज्ञान को ठीक तरह प्रभावित करते हैं।”
(In the words of Dr. Thomas Wood, “Health Education is the sum of experience which favourably influence habit, attitude and knowledge relating to individual, community and social health.”)
ग्राउंट की दृष्टि में, “स्वास्थ्य शिक्षा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से स्वास्थ्य विषयक जानकारी को व्यक्ति और सामाजिक व्यवहार के नमूनों में अनूदित करना है।”
(In the views of Grount. “Health Education is the translation of what is known about health into desirable individual and community behaviour pattern by means of educational process.”)
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, “स्वास्थ्य से अभिप्राय है-शरीर या मन की नीरोगता। यह वह स्थिति है जिसमें शरीर और मन के कार्य सुचारु रूप से हों।”
(According to Oxford dictionary, “Health refers to a disease free body and mind. It is such a condition in which the work of body and mind is accomplished in the best way.”)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1984 ई० में स्वास्थ्य की परिभाषा इस प्रकार दी है, “शरीर केवल रोग और निर्बलता से मुक्त ही न हो बल्कि उसका मानसिक तथा भावनात्मक शक्तियों का पूर्ण विकास भी हो तथा साथ ही सामाजिक रूप से वह एक कुशल व्यक्ति हो।”
(In 1984, WHO defined the word health in the following words, “Health is a dynamic state of complete physical, mental, social and spiritual well being and not merely the absence of disease or infirmity.”)
जॉन लॉक के अनुसार, “स्वस्थ मन एक स्वस्थ शरीर में ही रह सकता है।”
(John Lock says, “healthy mind can live in a healthy body.”)

प्रश्न 2.
W.H.O. से क्या अभिप्राय है ?
(What is the meaning of W.H.O.?)
उत्तर-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation)

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा की कितनी किस्में हैं ?
(How many types of Health Education are there?)
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा की किस्में—

  1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health)
  2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
  3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health)
  4. आत्मिक स्वास्थ्य (Spiritual Health)
  5. वातावरणीय स्वास्थ (Environmental Health)

प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा की किस्मों को विस्तारपूर्वक लिखें।
(Give detailed description of various types of Health Education.)
उत्तर-
1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health)-स्वास्थ्य कुल शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। इसमें शरीर के अलग-अलग भाग जैसे कि चमड़ी, बाल, दांत, आँखें, कान, हाथ, पैर, आराम और नींद, कसरत, मनोरंजन तथा मुद्रा, साँस, कार्डियोवैस्कुलर और शरीर के दूसरे भागों की देखभाल कैसे रखी जाए, के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। ये हमें ये भी सिखाता है कि सर्वोत्तम स्वास्थ्य के राज्य को कैसे बना के रखा जा सकता है।

2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)–ये स्वास्थ्य के कुल भाग का हिस्सा है। मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ मानसिक बिमारी के रोग की पहचान और इलाज से नहीं है, बल्कि एक अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बना के रखना चाहिए, के बारे में भी सिखाता है। मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों का आपस में गहरा सम्बन्ध है। एक मशहूर कहावत के अनुसार स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निकास होता है। मानसिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति आत्म विश्वास शांत और खुशहाल, व्यवस्थित, स्वै-नियन्त्रित और भावनात्मक होता है। वह डर, गुस्से, प्यार, ईर्ष्या, द्वेष या चिन्ताओं से आसानी से प्रभावित नहीं होता और वह हर प्रकार की मुश्किलों का सामना आसानी से कर लेता है।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health)—मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है प्रत्येक मानव समाज में अपनी अच्छी पहचान बनाने के लिए भरसक प्रयास करता है। एक व्यक्ति की समाज में पहचान उसके सामाजिक सम्बन्धों पर निर्भर करती है। वह अपनी क्रियाओं और बौद्धिक सामर्थ्य के साथ समाज में अपनी पहचान बनाता है। वह समाज द्वारा बनाए नियमों का पालन करते हुए अपने तालमेल को समुचित रखने के लिए यत्नशील रहता है। यदि किसी व्यक्ति का समाज के साथ तालमेल ठीक न हो तो उसे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

4. आत्मिक स्वास्थ्य (Spritual Health)- इसे एक धार्मिक विश्वास, संस्कार, विश्वास, नैतिकता के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। यह मनुष्यों में माफी और सुलह जैसे भाव पैदा करता है। यह व्यक्तियों के जीवन में प्रतिदिन आने वाली चुनौतियों को पूरा करने में भी लाभदायक होता है। मनुष्य के जीवन में अलग-अलग पक्षों में बढ़ रहे दबाव के कारण व्यक्तिगत स्वार्थ तथा कई तरह की त्रुटियां पैदा हुई हैं जिसे आत्मिक स्वास्थ मनुष्य को दुबारा उसके स्वै-चिन्तन से जोड़ता है। यह हमारी जागरूकता को खोलता तथा हमें उसे महसूस करने की समर्था प्रदान करता है।

5. वातावरणीय स्वास्थ्य (Environmental Health)-स्वास्थ्य शिक्षा हमें वातावरण तथा स्वस्थ जीवन के महत्त्व के बारे में सिखाती है। कई तरह की खराब आदतें हमें बिमारी की तरफ ले जाती हैं। प्रदूषित पानी का प्रयोग, मिट्टी, कूड़ा-कर्कट, मल-निकास, खराब रहन-सहन, वास्तव में कई बिमारियों के लिए बहुत ज़िम्मेदार है। स्वास्थ्यवर्धक वातावरण का ज्ञान रोगों की रोकथाम, व्यक्तिगत और समाज के स्वास्थ्य को उत्साहित करने में सहायक सिद्ध होता है।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धांत के बारे में विस्तारपूर्वक लिखें।
(Give detailed account of the principles of Health Education.)
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धान्त
(Principles of Health Education)

1. स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्रत्येक नागरिक में उच्च स्तर का स्वास्थ्य लाभ बनाए रखता है ताकि वह स्वस्थ होने के साथ-साथ अपने जीवन की दैनिक क्रियाओं को ठीक ढंग से कर सकें।

2. अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ स्वास्थ्य सुधार का कार्यक्रम भी आवश्यक रूप में चलाना चाहिए जिसके द्वारा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हो।

3. स्वास्थ्य सुधार का कार्यक्रम बच्चों की रुचि, आवश्यकता, सामर्थ्य एवं वातावरण के अनुकूल होना चाहिए ताकि बच्चे स्वास्थ्य शिक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त कर सकें और प्राप्त किये गये ज्ञान का प्रयोग अपने जीवन में प्रयुक्त करें।

4. प्रयोगात्मक शिक्षा अधिक प्रभावशाली होती है और इससे अधिक लाभ पहुंच सकता है। इस तरह के कार्यक्रम का प्रबन्ध होना आवश्यक है जिसमें सभी बच्चों को भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सके।

5. प्रत्येक बच्चे में कुछ-न-कुछ गुण मौजूद होते हैं। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम इस प्रकार का होना चाहिए जिसमें बालक को अपने अन्दर मौजूद गुणों को विकसित करने का अवसर मिल सके जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व बढ़े।

6. स्वास्थ्य शिक्षा को पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए अपितु इसकी ठोस उपलब्धियों के लिए कार्यक्रम चलाने चाहिए।

7. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रमों को केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए अपितु घर-घर जाकर समाज के प्रत्येक अंग विशेषकर माता-पिता को इसकी शिक्षा से प्राप्त होने वाले लाभों तथा लापरवाही से होने वाली हानियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करनी चाहिए ताकि वह अपने परिवार के प्रति लापरवाही न बरतें और सदा जागरूक रहें।

8. स्वास्थ्य से सम्बन्धित कार्यक्रमों में इस प्रकार की समस्याएं शामिल की जानी चाहिए जिनसे वह कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकें और इसके साथ-साथ उनका मनोरंजन भी हो सके।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई दो उपाय लिखें।
(Write about any two Health measures.)
उत्तर-
बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी उपाय निम्नलिखित है :

  1. योग (Yoga)—बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए योग का बहुत महत्व है, इसीलिए इसका निरन्तर अभ्यास करवाना चाहिए। योग के द्वारा शरीर की बाहरी तथा आंतरिक अशुद्धियों से छुटकारा मिल जाता है। योग व्यक्ति के मानसिक तथा भावनात्मक पहलुओं को प्रभावित करता है।
  2. साफ़-सुथरा वातावरण (Healthy Environment)-स्कूल में बच्चों को साफ़-सुथरा वातावरण प्रदान करना चाहिए। ताकि उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़े और वह साफ़-सुथरे वातावरण में पढ़ सकें।
  3. संतुलित भोजन (Balanced diet)
  4. शुद्ध हवा, पानी और प्रकाश (Pure Air, Water and Light)
  5. समुचित फर्नीचर (Adequate Furniture)
  6. बच्चों की चिकित्सीय जांच (Medical examination of children)

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

प्रश्न 7.
स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दीजिए।
(Give detailed account of the area of Health Education.)
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र
(Scope of Health Education)
स्वास्थ्य प्रकृति की तरफ से दिया गया मनुष्य को एक वरदान है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए और स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा रखने के लिए अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। केवल एक मनुष्य को ही नहीं बल्कि सारे अकेले-अकेले और सारे मिल कर समाज के सेहत का स्तर ऊंचा उठाने के लिए उपाय करें तो हम जीवन की खुशियां और आनन्द ले सकते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। इनको चार भागों में बांटा जा सकता है

1. शारीरिक बनावट और शारीरिक क्रिया का प्राथमिक ज्ञान
(Elementary Knowledge of Anatomy and Physiology)
हर एक मनुष्य को अपने शरीर की बनावट के बारे में पूरा ज्ञान होना चाहिए कि उसके शरीर की बनावट कैसी है और शरीर के अलग-अलग अंग अपनी शारीरिक क्रियाएं किस तरह कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपको साइकिल की बनावट का पता होगा तो आप उसको ठीक कर सकते हैं या किसी साइकिल ठीक करने वाले को इसकी खराबी को बता कर ठीक करवा लेंगे। लेकिन अगर साइकिल की क्रिया में कोई खराबी हो जाए जैसे कि साइकिल के कुत्ते मर जाएं तो हम साइकिल पर बैठ कर उसके पैडल को पैरों से अवश्य घुमाएंगे लेकिन साइकिल अपना आगे जाने का काम नहीं करेगा, क्योंकि उस साइकिल की क्रिया में खराबी आ गई है। इसलिए साइकिल आगे नहीं जाता। लेकिन अकेले पैडल ही घूमता रहता है। इस तरह अगर साइकिल की क्रिया के बारे में जानकारी होगी तब ही उसको साइकिल के कारीगर के पास ले जा कर उसको फ्राइबल के नए कुत्ते डलवा लेंगे नहीं तो वहां खड़े हो कर पैडल मार-मार कर बिना वजह परेशान होते रहेंगे। इसलिए साइकिल की तरह मनुष्य को भी अपनी सेहत की बनावट और शारीरिक क्रिया के बारे में पूरा ज्ञान होना चाहिए। जैसे शरीर में रक्त संचार कैसे हो रहा है। हम आगे-पीछे कैसे आते-जाते हैं, हिलतेडुलते कैसे हैं। इसमें हमारी मांसपेशियों का क्या काम है। हम भोजन कैसे खाते हैं। वह कैसे हमारी शरीर को ताकत देता है और किस तरह हमारे भोजन से ताकत निकल कर बाकी का मल-त्याग और कैसे किन-किन हालतों में निकल कर बाहर आता है।

इस तरह अगर हमारे शरीर की बनावट और शारीरिक क्रिया का ज्ञान हमें होगा तो हम अपने शरीर को निरोग रखने में सफल हो सकते हैं, अपने स्वास्थ्य का ऊंचा स्तर कायम कर सकते हैं, जिससे हमारे काम करने की क्षमता बढ़ेगी। हम अपना जीवन काल खुशियों भरा बिता सकेंगे, परन्तु दूसरी तरफ यदि हमें अपने शरीर की बनावट और शारीरिक क्रिया के बारे में पता नहीं होगा तो हम अपने साइकिल की तरह अन्धेरे में ही रहेंगे और शान्त, सुखी और आनन्दमय जीवन नहीं बिता सकेंगे। इसलिए अब प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है। इसके ज्ञान की ज़रूरत प्रत्येक प्राणी महसूस कर रहा है।

2. स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश
(Instruction Regarding Health)
स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशों का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि उसको अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान और स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश की जानकारी हो तो वह उन निर्देशों को अपनी सेहत को बनाए रखने के लिए अपना कर्त्तव्य समझेगा और अपने आप में अच्छा सेहत बनाए रखने की आदतें डालेगा जैसे प्रातः समय पर उठना और रात को समय पर सोना तथा रात को पूरी नींद लेना। प्रात: उठकर ब्रुश करना और प्रतिदिन स्नान करना, अपने आपकी सफ़ाई रखना, अपने घर, मुहल्ले और गांव की सफ़ाई की तरफ ध्यान देना, नालियों की सफ़ाई रखना, कूड़े के ढेर अपनी गली, मुहल्ले में जमा नहीं होने देना। उनको शीघ्र उठवा देना या ज़मीन में खोद कर उसमें दबा देना। यह सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश हैं। इनकी तरफ पूरा-पूरा ध्यान देना चाहिए।

अपने स्वास्थ्य का डॉक्टर से साल में दो बार निरीक्षण करवाना, बच्चों को बी० सी० जी०, पोलियो, डी० पी० टी० इत्यादि के समय पर टीके लगवाए जिससे वह छूत आदि बीमारियों से बच सके। पूरा पका हुआ भोजन खाना और सन्तुलित भोजन खाना, साफ़ पानी पीना, साफ़-सुथरे और स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण में रहना। इन सभी निर्देशों और आदतों पर चल कर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा कर सकता है और अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रत्येक खुशी और आनन्द प्राप्त कर सकता है। इस तरह स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशों को ध्यान में रख कर मनुष्य अपनी आदतें इस तरह की बना लेता है जिससे वह अपने आप स्वास्थ्यवर्द्धक बन जाता है। यह स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र का एक अंग बन गए हैं।

3. स्वास्थ्य सेवाएं
(Health Services)
स्वास्थ्य सेवा से भाव यह है कि स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएं जो हम किसी अच्छे पढ़े-लिखे योग्य व्यक्ति से. अपनी सेहत का स्तर ऊंचा करने के लिए प्राप्त करते हैं उनको हम स्वास्थ्य सेवाएं कहते हैं। जैसे-डॉक्टर, नर्स, कम्पाऊंडर और हकीम हमारे स्वास्थ्य का निरीक्षण करके आवश्यकतानुसार हमें दवाई देते हैं। वह उनकी हमारे प्रति स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएं हैं।

आम जनता को स्वास्थ्य सेवाएं अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, स्वास्थ्य केन्द्रों एवं डॉक्टरों के निजी दवाखानों से प्राप्त हो जाती हैं। जब कोई व्यक्ति अपने आपको ठीक न समझे या बीमार हो जाए तो वह उन केन्द्रों से स्वास्थ्य सेवा करवाता है। डॉक्टर इस बीमारी को ठीक करने के लिए दवाई देता है और कुछ निर्देश देता है। जैसे-कोई वस्तु खाने से बीमारी बढ़ जाती है। इस तरह की वस्तुओं का सेवन करने से मना करता है और उन वस्तुओं को खाने का परामर्श देता है जो उसको जल्दी बीमारी से ठीक होने में सहायक हों।

बच्चों के स्वास्थ्य का निरीक्षण स्कूल के डॉक्टर द्वारा किसी क्षण भी किया जाता है। यह सुविधा अभी तक अंग्रेज़ी स्कूलों में ही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है। वर्ष में दो बार प्रत्येक बच्चे का निरीक्षण किया जाना चाहिए। यदि बच्चे में बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो उनके माता-पिता को उसके रोग के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे समय पर बीमारी का इलाज हो सके। इस तरह यह स्वास्थ्य सेवाएं स्वास्थ्य शिक्षा के केन्द्र का अभिन्न अंग बन गई हैं।

4. स्वास्थ्यवर्द्धक वातावारण
(Healthful Atmosphere)
जैसे व्यक्ति की बोलचाल, बातचीत करने के ढंग से उसकी योग्यता पहचानी जाती है, उसी तरह ही व्यक्ति के स्वास्थ्य से पता चल जाता है कि वह कैसे वातावरण में रहता है। अगर उसका स्वास्थ्य अच्छा है तो वह अच्छे वातावरण में रह रहा होगा लेकिन यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो उससे पता चल जाएगा कि वह किसी साफ़-सुथरे वातावरण में नहीं रह रहा है।

अच्छी सेहत के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण बहुत ज़रूरी है। यदि हम स्वयं अपनी सफ़ाई रखें तथा अपने आसपास की भी जैसे घर, गली, मुहल्ला, गांव, कस्बा और शहर तो हम एक स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण कायम करने में सफल अवश्य हो जाएंगे। जैसे-हम स्कूल की सफ़ाई करके कूड़ा-कर्कट दूर फेंक कर, कमरों की प्रतिदिन सफ़ाई करके, अपनी कुर्सियां, मेज़ साफ़ करके, स्कूल के बच्चों और स्टाफ के लिए बनाए गए शौचालय की सफ़ाई रखें और स्कूल में वृक्ष लगाएं तथा फूल लगा कर स्कूल का वातावरण स्वास्थ्यवर्द्धक ही नहीं बल्कि सुन्दर भी बनाने में सफल हो जाएंगे। इस तरह ही हमें अपने घर व समाज के वातावरण को स्वास्थ्यवर्द्धक बनाने के लिए उसकी तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण में ही अपने स्वास्थ्य को तन्दुरुस्त और आरोग्य बना सकते हैं। इसलिए स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण स्वास्थ्य के क्षेत्रों में एक है।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा

Physical Education Guide for Class 11 PSEB स्वास्थ्य शिक्षा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
“स्वास्थ्य शिक्षा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से स्वास्थ्य जानकारी को व्यक्ति और सामाजिक व्यवहार के नमूने में अनुदित करना है।” किसका कथन है ?
उत्तर-
ग्राउंट का।

प्रश्न 2.
“शरीर केवल रोग तथा निर्बलता से मुक्त ही न हो बल्कि उसकी मानसिक तथा भावनात्मक शक्तियों का पूर्ण विकास भी हो तथा साथ ही सामाजिक रूप से वह एक कुशल व्यक्ति हो।” कथन किसका है ?
उत्तर-
विश्व स्वास्थ्य संगठन।

प्रश्न 3.
‘यह एक वह स्थिति है जिसमें मनुष्य अपनी बौधिक तथा भावनात्मक विशेषताओं द्वारा अपनी दैनिक ज़िन्दगी को हरकत में लाने के समर्थ हो।” किसका कथन है ?
उत्तर-
इनसाइक्लोपीडिया।

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प्रश्न 4.
“स्वस्थ मन एक स्वस्थ शरीर में ही रह सकता है।” यह किसका कथन है ?
(a) जानॅ लॉक
(b) डॉ० थामस वुड
(c) ग्राउंट
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन।
उत्तर-
(a) जॉन लॉक।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा की किस्में हैं।
(a) शारीरिक स्वास्थ्य
(b) मानसिक स्वास्थ्य
(c) सामाजिक स्वास्थ्य
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य क्या है ?
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य लोगों के स्वास्थ्य के स्तर को ऊँचा करना है।

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प्रश्न 7.
स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धांत हैं
(a) बच्चे में विशेष गुण होने चाहिए।
(b) स्वास्थ्य शिक्षा की प्राप्तियों के लिए प्रोग्राम होने चाहिए।
(c) स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम को केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए।
(d) स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों में इस तरह की समस्याएं शामिल की जानी चाहिए जिनसे वे कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकें।
उत्तर-
(d) स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों में इस तरह की समस्याएं शामिल की जानी चाहिए जिनसे वे कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकें।

प्रश्न 8.
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र है
(a) शारीरिक बनावट और शारीरिक क्रिया का प्राथमिक ज्ञान
(b) स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश
(c) स्वास्थ्य सेवाएं
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा वह ज्ञान है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के उच्च स्तर को बनाने के लिए आवश्यक है।

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प्रश्न 10.
“स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का योग है जो व्यक्ति, समुदाय या सामाजिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, दृष्टिकोण और ज्ञान को ठीक तरह प्रभावित करते हैं।” किसका कथन है ?
(a) डॉ० थामस वुड
(b) ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी
(c) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(d) जॉन लॉक।
उत्तर-
(a) डॉ० थामस वुड।

प्रश्न 11.
स्वास्थ्य शिक्षा के दो उद्देश्य लिखो।
उत्तर-

  1. लोगों के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना।
  2. शारीरिक विकास में वृद्धि।

प्रश्न 12.
“स्वास्थ्य से भाव है शरीर या मन की निरोगता। यह वह स्थिति है जिसमें शरीर तथा मन के कार्य सम्पूर्ण तथा सुचारू रूप से पूर्ण हों।” यह किसका कथन है ?
उत्तर-
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी।

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प्रश्न 13.
“स्वास्थ्य केवल बीमारियों या शारीरिक योग्यताओं की हाजरी नहीं बल्कि पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तन्दरुस्ती की हालत है।” किसकी परिभाषा है ?
उत्तर-
विश्व स्वास्थ्य संगठन की।

अति छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा के बारे में स्वामी विवेकानन्द के विचार लिखो।
उत्तर-
स्वामी विवेकानन्द ने शरीर के बारे में इस तरह लिखा है, “कमज़ोर मनुष्य अगर शरीर से हो या मन से हो, कभी भी आत्मा को प्राप्त नहीं कर सकता।”

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा की कौन-सी किस्में हैं ?
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा की चार किस्में हैं—

  1. शारीरिक स्वास्थ्य
  2. मानसिक स्वास्थ्य
  3. सामाजिक स्वास्थ्य
  4. आत्मिक स्वास्थ्य।
  5. वातावरणीय स्वास्थ्य

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प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बताओ।
उत्तर-

  1. शारीरिक बनावट और शारीरिक शिक्षा का अधिक ज्ञान।
  2. स्वास्थ्य सम्बन्धी हिदायतें, स्वास्थ्य सेवाएं और वातावरण।

प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा के कोई दो उपाय लिखो।
उत्तर-

  1. बच्चों की चिकित्सा जांच (Medical Examination of Children)
  2. समुचित फर्नीचर (Adequate Furniture)

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य और लक्ष्य क्या है ?
उत्तर-

  1. लोगों की सेहत का स्तर ऊंचा करना (To raise the standard of health of people)
  2. शारीरिक विकास में वृद्धि (Physical Development)
  3. अच्छी आदतों और मनोवृत्तियों का विकास (Development of Good habits and Attitude.)
  4. स्वास्थ्य सम्बन्धी लोगों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को पैदा करना। (To create a spirit of civic responsibility among people about health.)
  5. स्वास्थ्य सम्बन्धी अनपढ़ लोगों को ज्ञान देना। (To educate Illiterate people about health.)
  6. रोगों की रोकथाम और उन पर नियन्त्रण पाना। (Prevention and Control Disease.)

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प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा का कोई एक उद्देश्य विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
शारीरिक विकास में वृद्धि (Physical Development)-शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्र के प्रत्येक पक्ष का एक साथ विकास करना है। स्वास्थ्य शिक्षा जहां व्यक्ति के मानसिक विकास में वृद्धि करती है वहां वह उसके शारीरिक विकास में वृद्धि करने में बहुत योगदान देती है। क्योंकि प्रत्येक पक्ष की वृद्धि एक सन्तुलन में होनी चाहिए। शारीरिक विकास में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थी अथवा मनुष्य को अच्छे आदर्शों और आदतों पर चलने के लिए प्रेरित करती है और अच्छी सन्तुलित खुराक खाने का ज्ञान देती है, जिससे मनुष्य के शारीरिक विकास में वृद्धि होती है तो वह स्वस्थ तथा शक्तिशाली बन जाता है।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा के कोई चार सिद्धान्त लिखो।
उत्तर-

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्रत्येक नागरिक में उच्च स्तर का स्वास्थ्य लाभ बनाए रखता है ताकि वह स्वस्थ्य होने के साथ-साथ अपने जीवन की दैनिक क्रियाओं को ठीक ढंग से कर सकें।
  2. अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ स्वास्थ्य सुधार का कार्यक्रम भी आवश्यक रूप में चलाना चाहिए जिसके द्वारा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हो।
  3. स्वास्थ्य सुधार का कार्यक्रम बच्चों की रुचि, आवश्यकता, सामर्थ्य एवं वातावरण के अनुकूल होना चाहिए ताकि बच्चे स्वास्थ्य शिक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त कर सकें और प्राप्त किये गये ज्ञान का प्रयोग अपने जीवन में प्रयुक्त करें।
  4. प्रयोगात्मक शिक्षा अधिक प्रभावशाली होती है और इससे अधिक लाभ पहुंच सकता है। इस तरह के कार्यक्रम का प्रबन्ध होना आवश्यक है जिसमें सभी बच्चों को भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सके।

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प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र के बारे में लिखो।
उत्तर-
स्वास्थ्य प्रकृति की तरफ से दिया गया मनुष्य को एक वरदान है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए और स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा रखने के लिए अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। केवल एक मनुष्य को ही नहीं बल्कि सारे अकेले-अकेले और सारे मिल कर समाज की सेहत का स्तर ऊंचा उठाने के लिए उपाय करें तो हम जीवन की खुशियां और आनन्द ले सकते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। इनको चार भागों में बांटा जा सकता है :—

  1. शारीरिक बनावट और शारीरिक क्रिया का प्राथमिक ज्ञान (Elementary Knowledge of Anatomy and Physiology.)
  2. स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देश (Instruction Regarding Health)
  3. स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services)
  4. स्वास्थ्यवर्द्धक वातावरण (Healthful Atmosphere)

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न-
स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-
स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य और लक्ष्य
(Aim and Objectives of Health Education)
स्वास्थ्य शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य व लक्ष्य निम्नलिखित हैं—

1. लोगों की सेहत का स्तर ऊंचा करना (To Raise the Standard of Health of People)
स्वास्थ्य शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा करना है। उनको अपनी सेहत को तन्दरुस्त तथा हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए ज्ञान देना जिससे लोगों के स्वास्थ्य का स्तर अच्छा हो और उनकी काम करने की क्षमता बढ़े। अधिक देर तक लगातार काम करने पर भी उन्हें थकावट नहीं होगी या बहुत कम होगी तो वह भी ज्यादा काम करने के योग्य ही नहीं हो जाएंगे बल्कि करेंगे भी। इस तरह ज्यादा काम करने के साथ उनको ज्यादा पैसे मिलेंगे तो वह अपनी खुराक पर आवश्यकता से अधिक पैसा खर्च करने के योग्य हो जाएंगे। वह अच्छी सन्तुलित खुराक खाएंगे जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा बनेगा जिसके फलस्वरूप उनकी सेहत का स्तर ऊंचा होगा जो कि स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य गिना जाता है, वह पूरा हो जाएगा।

2. शारीरिक विकास में वृद्धि
(Physical Development)
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्र के प्रत्येक पक्ष का एक साथ विकास करना है। स्वास्थ्य शिक्षा जहां व्यक्ति के मानसिक विकास में वृद्धि करती है वहां वह उसके शारीरिक विकास में भी वृद्धि करने में बहुत योगदान देती है, क्योंकि प्रत्येक पक्ष की वृद्धि एक सन्तुलन में होनी चाहिए। शारीरिक विकास में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थी अथवा मनुष्य को अच्छे आदर्शों और आदतों पर चलने के लिए प्रेरित करती है और अच्छी सन्तुलित खुराक खाने का ज्ञान देती है जिससे मनुष्य के शारीरिक विकास में वृद्धि होती है तो वह स्वस्थ तथा शक्तिशाली बन जाता

3. अच्छी आदतें और मनोवृत्तियों का विकास
(Development of Good Habits and Attitude)
स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा विद्यार्थी और लोगों में अच्छी आदतें ग्रहण करने में मदद मिलती है। जैसे अपने शरीर की सफ़ाई रखना, प्रतिदिन दांत साफ़ रखना, नाखून काटकर रखना, प्रतिदिन स्नान करना, आंखों को प्रतिदिन साफ़ पानी से धोना, बालों को प्रति दिन साफ़-सुथरा रखना और कंघी करना इत्यादि आदतें स्वास्थ्य को सुधारने में योगदान देती हैं। अंग्रेजी की एक कहावत स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत प्रचलित है जो स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों को बताती है“Early to bed, early to rise makes a man healthy, wealthy and wise.” “समय पर सोने और समय पर उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, धनवान् और समझदार होता है।” इस तरह अच्छी आदतें और प्रवृत्तियां स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य पूरा करने में बहुत सहायक होती हैं।

4. स्वास्थ्य सम्बन्धी लोगों में सामाजिक ज़िम्मेदारी की भावना को पैदा करना :
(To Create a Spirit of Civic Responsibility among People about Health)
गन्दगी सभी बीमारियों की जननी मानी गई है, क्योंकि गन्दगी वाले ढेर या स्थान से बीमारियां अथवा रोगों के कीटाण पैदा होते हैं। मक्खियां, मच्छर या अन्य कीड़े-मकौड़ों के द्वारा यह कीटाणु हम लोगों तक पहुंचते हैं और हम लोगों के शरीर में बीमारी फैलाने का मुख्य स्थान बनाते हैं।

इसलिए सभी लोगों के स्वास्थ्य को सामने रखकर अपने आप में ज़िम्मेदारी की भावना पैदा करनी चाहिए जिससे हम अपनी और अपने आस-पास की सफ़ाई रखें। जैसे-सार्वजनिक स्थान, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, पार्क और सार्वजनिक शौचालय। इस तरह के स्थानों को साफ़-सुथरा रखना अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए और इन उपायों से समाज की सेवा की भावना पैदा करनी चाहिए जिससे स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रखने में पूरा हो सकता है।

5. स्वास्थ्य सम्बन्धी अनपढ़ लोगों को ज्ञान देना
(To Educate Iliterate People about Health)
हमारे समाज में जो लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं उनको स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान इस तरह से दिया जाए ताकि वह स्वास्थ्य के ज्ञान को आसानी से जल्दी समझ सकें। जैसे-तस्वीरों के द्वारा, चार्ट बनाकर, मॉडल बनाकर, उनके आवासों में जा कर उनको स्वास्थ्य सम्बन्धी भाषण देकर, अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा होने वाले लाभों को बता कर, बीमारी को किस तरह रोकना और स्वास्थ्य सम्बन्धी कई तरह के निर्देश देकर उन लोगों को स्वास्थ्य का ज्ञान देना जिससे वह अपने स्वास्थ्य में सुधार ही न ला सकें बल्कि एक अच्छी सेहत का स्तर प्राप्त करने में सफल हो जाएं।

6. रोगों की रोकथाम और उन पर नियन्त्रण पाना
(Prevention and Control of Diseases)
जब भयानक रोग हों तो उन रोगों या बीमारियों का लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा का एक यह भी उद्देश्य है कि किस तरह से भयानक बीमारियों जैसे मलेरिया, हैजा, प्लेग, चेचक आदि को फैलने से रोकने के उपाय किए. जाएं। यदि कोई बीमारी फैल गई है तो उस पर नियन्त्रण किया जाए जिससे अन्य लोगों में बीमारी को फैलने से रोका जाए। इस तरह की बीमारियों को रोकने के लिए पहले से ही टीके लगवाए जाएं। जैसेछोटे बच्चों को टीके छोटी उम्र में ही लगाए जाते हैं। पहले निर्देशों के अनुसार दवाई खाई जाए ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। अगर यह भी पता लग जाए कि यह बीमारी किस तरह फैलती है तो इस बीमारी के फैलने को ठीक समय पर रोकने की कोशिश की जाए तभी हम स्वास्थ्यवर्द्धक और हृष्ट-पुष्ट जीवन व्यतीत कर सकते हैं और स्वास्थ्य शिक्षा का यह उद्देश्य पूरा हो सकता है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग

SST Guide for Class 6 PSEB पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
ब्रह्माण्ड का क्या अर्थ है? ब्रह्माण्ड प्रतिरूपों की सूची तैयार करो।
उत्तर-
सभी तारों, ग्रहों, उपग्रहों, धूलकणों और गैसों के समूह को ब्रह्माण्ड कहते हैं। ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि इसके आकार का अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता।
ब्रह्माण्ड प्रतिरूप-

  1. गेलैक्सी अथवा आकाश गंगा
  2. सूर्य
  3. ग्रह तथा उपग्रह
  4. क्षुद्रग्रह अथवा छोटे ग्रह
  5. पुच्छल तारे अथवा धूमकेतु
  6. उल्का तथा उल्का पिण्ड।

प्रश्न 2.
ग्रह और उपग्रह में क्या अन्तर है?
उत्तर-
ग्रह तथा उपग्रह सौर परिवार के सदस्य हैं। इनमें निम्नलिखित अंतर हैं
ग्रह:

  1. ये खगोलीय पिण्ड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
  2. सूर्य परिवार के ग्रहों की संख्या आठ है।

उपग्रह:

  1. ये खगोलीय पिण्ड अपने-अपने ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
  2. सूर्य परिवार के उपग्रहों की संख्या बहुत अधिक है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग

प्रश्न 3.
सूर्य परिवार (सौर मण्डल) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
सूर्य, उसके ग्रह, ग्रहों के उपग्रह, क्षुद्रग्रह आदि मिलकर एक परिवार बनाते हैं। इसी परिवार को सूर्य परिवार अथवा सौरमण्डल कहते हैं। सूर्य इस परिवार के केन्द्र में स्थित है। ग्रह अपने-अपने उपग्रहों सहित सूर्य के चारों ओर घूमते रहते हैं।

प्रश्न 4.
भिन्न-भिन्न ग्रहों की सूर्य से दूरी की सूची तैयार करो और बताओ कि कौन-सा ग्रह (सबसे) दूर है और कौन-सा ग्रह (सबसे) निकट है?
उत्तर-

  1. बुध-580 लाख कि० मी०
  2. शुक्र-1080 लाख कि० मी०
  3. पृथ्वी-1490 लाख कि० मी०
  4. मंगल-2270 लाख कि० मी०
  5. बृहस्पति-7780 लाख कि० मी०
  6. शनि-14260 लाख कि० मी०
  7. यूरेनस-28700 लाख कि० मी०
  8. नेपच्यून-44970 लाख कि० मी०

नेपच्यून ग्रह सूर्य से सबसे दूर है और बुध सबसे निकट है।

प्रश्न 5.
आकार के अनुसार ग्रहों की सूची तैयार करो और बताओ कि कौन-सा ग्रह सबसे बड़ा है?
उत्तर-
घटते आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है-बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून, पृथ्वी, शुक्र, मंगल तथा बुध।
बृहस्पति ग्रह सबसे बड़ा है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग

प्रश्न 6.
आप ऐसे कौन-से तथ्य जानते हो जिनके द्वारा आप पृथ्वी की आकृति और आकार के बारे में बता सकते हो?
उत्तर-
(1) अन्तरिक्ष से पृथ्वी के जो चित्र लिए गए हैं, उनमें यह गोल दिखाई देती है।

(2) पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले नाविकों ने भी यह सिद्ध किया था कि पृथ्वी गोल है। परन्तु पृथ्वी पूरी तरह गोल नहीं है। ध्रुवों पर यह कुछ चपटी है।

(3) आकार के अनुसार पृथ्वी का ग्रहों में पांचवां स्थान है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर नोट लिखो-उपग्रह, उल्का, गोलार्द्ध, भूमध्य रेखा, पुच्छल तारा, अक्ष, छोटे ग्रह, चन्द्र-ग्रहण।
उत्तर-
1. उपग्रह-उपग्रह वे आकाशीय गोले हैं जो अपने-अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं। उदाहरण के लिए चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। यह पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

2. उल्का-उल्काएं सौर मण्डल के छोटे-छोटे पदार्थ हैं जिनके पीछे प्रकाश की एक लकीर सी दिखाई देती है। यह लकीर तब बनती है जब इनमें से कोई पदार्थ पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है और रगड़ खाकर जलने लगता है। इसे टूटा हुआ तारा भी कहते हैं।

3. गोलार्द्ध- भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है। ये भाग गोलार्द्ध कहलाते हैं। उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहा जाता है।

4. भूमध्य रेखा-0° अक्षांश रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं। यह पृथ्वी के बीचों-बीच गुजरती है और पूर्वी तथा पश्चिमी किनारों को मिलाती है। यह पृथ्वी को दो समान भागों में बांटती है।

5. पुच्छल तारा-पुच्छल तारा गैसीय पदार्थ से बना होता है। सूर्य के निकट आने पर यह चमकने लगता है और इसकी पूंछ विकसित हो जाती है।

6. अक्ष-अक्ष पृथ्वी के मध्य से गुजरने वाली एक काल्पनिक रेखा है। यह उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को आपस में मिलाती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर ही सूर्य के सामने घूमती है। अक्ष को पृथ्वी का धुरा भी कहते हैं।

7. छोटे ग्रह-मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के बीच अनेक छोटे-छोटे पिण्ड पाये जाते हैं। इन्हें छोटे ग्रह कहा जाता है।

8. चन्द्र-ग्रहण-पृथ्वी सूर्य के गिर्द घूमती है और चन्द्रमा पृथ्वी के गिर्द घूमता है। घूमते हुए जब कभी पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच आ जाती है। ऐसी अवस्था में पृथ्वी की परछाई चन्द्रमा पर पड़ती है। इसे चन्द्र-ग्रहण कहते हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग

II. निम्नलिखित में रिक्त स्थान भरो

  1. हमारी पृथ्वी चपटा गोला है, इसे ………….. कहते हैं।
  2. पृथ्वी का घेरा लगभग ………….. किलोमीटर है।
  3. पृथ्वी का भूमध्य रेखा पर व्यास ………….. किलोमीटर है और ध्रुवों पर इसका व्यास ………….. किलोमीटर कम है।

उत्तर-

  1. स्थल-गोला
  2. 40,000
  3. 12,756, 44.

PSEB 6th Class Social Science Guide पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्य के आठ उपग्रह हैं? घटते आकार के अनुसार पृथ्वी किन दो उपग्रहों के बीच आती है?
उत्तर-
नेप्चयून तथा शुक्र।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पूरी तरह गोल नहीं है। यह अपने किस भाग में कुछ चपटी है?
उत्तर-
ध्रुवों पर।

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प्रश्न 3.
सभी-खगोलीय पिंडों को मिलाकर आप एक सामूहिक नाम देना चाहते हैं। वह क्या होगा?
उत्तर-
ब्रह्माण्ड।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपग्रह किस आकाशीय पिंड के गिर्द घूमते हैं?
(क) सूर्य
(ख) अपने ग्रह
(ग) पुच्छल तारा।
उत्तर-
(ख) अपने ग्रह

प्रश्न 2.
दर्शाए गए चित्र में पृथ्वी के साथ एक छोटा खगोलीय पिंड दर्शाया गया है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है। बताइए यह क्या है?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी सूर्य परिवार का अंग 1
(क) यह पृथ्वी की परछाई है।
(ख) यह पृथ्वी का उपग्रह चाँद है।
(ग) यह पृथ्वी. पर गिरा एक उल्का पिंड है।
उत्तर-
(ख) यह पृथ्वी का उपग्रह चाँद है

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प्रश्न 3.
स्थल की अधिकता के कारण आकाशीय पिंड को कहा जाता है?
(क) पृथ्वी
(ख) चांद
(ग) उल्का पिंड।
उत्तर-
(क) पृथ्वी

प्रश्न 4.
किस खगोलीय पिंड के पीछे प्रकाश की एक लकीर होती है?
(क) ग्रह
(ख) उल्का
(ग) पृथ्वी का धुरा।
उत्तर-
(ख) उल्का

सही (✓) या गलत (✗) कथन

  1. उल्का पिंड के गिरने से पृथ्वी पर बहुत बड़े गड्ढे बन जाते हैं।
  2. पृथ्वी के अपने धुरे पर घूमने से दिन-रात बनते हैं।
  3. पृथ्वी का अक्ष बिल्कुल सीधा है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)

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सही जोड़े

(1) शनि – (क) 88 दिन में परिक्रमा
(2) हैले का पुच्छल तारा – (ख) दूसरा सबसे बड़ा ग्रह
(3) बुध – (ग) उपग्रह
(4) चाँद – (घ) 76 वर्ष।
उत्तर-
(1) शनि-दूसरा सबसे बड़ा ग्रह,
(2) हैले का पुच्छल तारा-76 वर्ष,
(3) बुध-88 दिन में परिक्रमा,
(4) चाँद-उपग्रह।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तारामण्डल (नक्षत्रमण्डल) किसे कहते हैं?
उत्तर-
एक विशेष आकृति वाले तारा-समूह को तारामण्डल कहते हैं।

प्रश्न 2.
सप्तऋषि क्या है?
उत्तर-
सप्तऋषि एक तारामण्डल है जो सात तारों का समूह है।

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प्रश्न 3.
सप्तऋषि तारामण्डल की आकृति कैसी है?
उत्तर-
सप्तऋषि की आकृति एक बड़े रीछ जैसी है।

प्रश्न 4.
खगोल विज्ञान क्या है?
उत्तर-
तारों, ग्रहों तथा अन्य आकाशीय पिण्डों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को खगोल विज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 5.
प्राचीन लोग दिशाओं की जानकारी कैसे प्राप्त करते थे?
उत्तर-
प्राचीन लोग दिशाओं की जानकारी ध्रुव तारे को देखकर प्राप्त करते थे। यह तारा उत्तर दिशा को बताता है।

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प्रश्न 6.
हमारा सौरमण्डल किस ग्लैक्सी का सदस्य है?
उत्तर-
आकाशगंगा।

प्रश्न 7.
नेबुला (Nebula) का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-
वैज्ञानिकों का मत है कि सूर्य तथा ग्रहों की उत्पत्ति गैसों के बादलों से हुई है। . इन बादलों को नेबुला कहते हैं।

प्रश्न 8.
क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर-
मुख्य ग्रहों के अतिरिक्त अनेक छोटे-छोटे पिण्ड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन्हें क्षुद्रग्रह कहते हैं।

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प्रश्न 9.
उल्का पिण्ड क्या है?
उत्तर-
क्षुद्रग्रह कभी-कभी आपस में टकरा कर टूट जाते हैं और इनके टुकड़े पृथ्वी पर आ गिरते हैं। इन्हें उल्का पिण्ड कहा जाता है।

प्रश्न 10.
सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग कितने समय में पहुंचता है?
उत्तर-
लगभग 8 मिनट में।

प्रश्न 11.
‘ग्रह’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर-
‘ग्रह’ शब्द यूनानी शब्द प्लेनटाई (Planetai) से निकला है। इसका अर्थ हैघूमने वाला।

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प्रश्न 12.
हमारी पृथ्वी सूर्य से कितनी दूर है?
उत्तर-
हमारी पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ कि० मी० दूर है।

प्रश्न 13.
सूर्य की किस शक्ति ने ग्रहों को नियन्त्रित किया हुआ है?
उत्तर-
सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने ग्रहों को नियन्त्रित किया हुआ है।

प्रश्न 14.
ग्रह की ‘कक्षा’ अथवा ‘ग्रह-पथ’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सभी ग्रह एक निश्चित मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ग्रह का यह मार्ग उसकी कक्षा अथवा ग्रह-पथ कहलाता है।

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प्रश्न 15.
किस ग्रह के उपग्रहों की संख्या सबसे अधिक है?
उत्तर-
शनि।

प्रश्न 16.
आकार की दृष्टि से पृथ्वी ग्रहों में कौन-सा स्थान रखती है?
उत्तर–
पाँचवाँ।

प्रश्न 17.
पृथ्वी को अद्वितीय ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर-
आठ ग्रहों में से केवल पृथ्वी पर ही जीवन पाया जाता है। इसलिए पृथ्वी को अद्वितीय ग्रह कहा जाता है।

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प्रश्न 18.
चन्द्रमा को पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लगता
उत्तर-
27 दिन, 7 घण्टे।

प्रश्न 19.
हमें चन्द्रमा का सदा एक ही भाग क्यों दिखाई देता है?
उत्तर-
चन्द्रमा अपनी धुरी पर चक्कर लगाने तथा पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करने में एक समान समय लेता है। इसलिए हमें चन्द्रमा का सदा एक ही भाग दिखाई देता है।

प्रश्न 20.
चन्द्रमा तथा पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग कितनी है?
उत्तर-
लगभग 384,400 कि० मी०।

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प्रश्न 21.
चन्द्रमा का अपना प्रकाश नहीं है, फिर भी यह हमें चमकता हुआ क्यों दिखाई देता है?
उत्तर-
चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करता है।

प्रश्न 22.
प्रकाश वर्ष (साल) क्या होता है?
उत्तर-
प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करता है, उसे प्रकाश वर्ष कहते हैं।

प्रश्न 23.
सौरमण्डल के ग्रहों के नाम सूर्य से उनकी दूरी के क्रम में लिखिए।
उत्तर-
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेपच्यून। बुध सूर्य के सबसे निकट तथा नेपच्यून सबसे दूर है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्य तथा ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर-
वैज्ञानिकों का मत है कि सूर्य तथा ग्रहों का निर्माण घूमते हुए गैसों के एक बादल से हुआ। इस बादल को नेबुला (Nebula) कहा जाता है। यह क्रिया सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण हुई।

प्रश्न 2.
क्या कारण है कि भिन्न-भिन्न ग्रह सूर्य के गिर्द एक चक्कर पूरा करने में भिन्न समय लेते हैं?
उत्तर-
सभी ग्रह अपने-अपने निश्चित मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। उनकी कक्षा की लम्बाई तथा उनकी गति अलग-अलग है। इसी कारण वे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में अलग-अलग समय लेते हैं।

प्रश्न 3.
ग्रह क्या हैं?
उत्तर-
ग्रह सूर्य के गिर्द चक्कर लगाने वाले आकाशीय पिण्ड हैं। ये एक निश्चित मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनका अपना ताप और प्रकाश नहीं होता। ये सूर्य से ताप और प्रकाश प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 4.
पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
पृथ्वी का केवल एक तिहाई भाग स्थल है। इसका शेष दो-तिहाई भाग जल से ढका हुआ है। जल की अधिकता के कारण अन्तरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीली दिखाई देती है। इसलिए पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ कहा जाता है।

प्रश्न 5.
उपग्रह किस प्रकार तारे से भिन्न होता है?
उत्तर-
उपग्रह:

  1. उपग्रह अपने ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
  2. उपग्रहों का अपना ताप और प्रकाश नहीं होता।
  3. उपग्रहों की संख्या सीमित है।
  4. उपग्रह टिमटिमाते नहीं हैं।

तारे:

  1. तारे केवल अपनी धुरी पर घूमते हैं।
  2. तारों का अपना ताप और प्रकाश होता है।
  3. तारों की संख्या असीमित है।
  4. तारे टिमटिमाते हैं।

प्रश्न 6.
ग्लैक्सी किसे कहते हैं?
उत्तर-
आकाश में कुछ ऐसे तारा-मण्डल हैं जो हम से 200 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर हैं। इन तारामण्डलों को ग्लैक्सी कहते हैं। एक ग्लैक्सी में लगभग एक लाख मिलियन तारे तथा ग्रह होते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सौरमण्डल का वर्णन कीजिए। चित्र भी बनाएं।
उत्तर-
सौरमण्डल की रचना-सूर्य (तारा) के परिवार को सौरमण्डल (सौर परिवार) कहते हैं। सौरमण्डल में स्वयं सूर्य, उसके 8 ग्रह, उनके उपग्रह, अनेक क्षुद्रग्रह, धूमकेतु तथा उल्काएं शामिल हैं। सौरमण्डल के विभिन्न सदस्यों का वर्णन इस प्रकार है

सूर्य-सूर्य सौरमण्डल का सबसे बड़ा सदस्य है। यह हमारी पृथ्वी से लगभग तेरह लाख गुना बड़ा है। इसकी पृथ्वी से दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। यह जलती हुई गैसों का एक विशाल गोला है। यह सौरमण्डल के लिए प्रकाश तथा ताप का स्रोत है। इसका प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुंचता है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी सूर्य परिवार का अंग 2

ग्रह-सौरमण्डल में आठ ग्रह हैं। इनके नाम क्रमशः ये हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेपच्यून। बुध सबसे छोटा तथा बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है। शनि ग्रह सबसे सुन्दर है। इसके चारों ओर कई छल्ले हैं। ग्रह अपना ताप और प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं और उसी के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं।

उपग्रह-उपग्रह अपने-अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं। ग्रहों की भाँति उपग्रह भी अपना ताप और प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं। शनि के सबसे अधिक उपग्रह हैं। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है।

क्षुद्रग्रह-ये किसी टूटे हुए ग्रह के टुकड़े हैं जो मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के बीच घूमते रहते हैं।

अन्य सदस्य-सूर्य, ग्रहों तथा उपग्रहों के अतिरिक्त सौरमण्डल के अन्य सदस्य हैंधूमकेतु, उल्काएँ और क्षुद्रग्रह। धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहा जाता है। धूमकेतु कई सालों में एक बार ही दिखाई देता है। टूटते तारों को उल्काएं कहते हैं।

प्रश्न 2.
चन्द्रमा की संक्षिप्त जानकारी दीजिए तथा इसकी कलाओं (बदलते चेहरों) की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है। यह हमारी पृथ्वी से लगभग 3 लाख, 84 हज़ार, 400 कि० मी० दूर है। इस पर जीवन नहीं पाया जाता।

चन्द्र-कलाएं-चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। ऐसा करते हुए सूर्य के सन्दर्भ में इसकी स्थिति हर रात बदलती रहती है। परिणामस्वरूप हमें ऐसा प्रतीत होता है कि चन्द्रमा की आकृति बदल रही है। चन्द्रमा की बदलती हुई आकृतियों को ही चन्द्र-कलाएं कहा जाता है। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. नया चन्द्रमा अथवा अमावस्या-जब चन्द्रमा का दूर वाला भाग भी सूर्य के सामने होता है, तब चंद्रमा चमकता तो है, परंतु यह हमें चमकता हुआ दिखाई नहीं देता। अतः हमें चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। इस स्थिति को ‘नया चन्द्रमा’ अथवा ‘अमावस्या’ कहते हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 1 पृथ्वी सूर्य परिवार का अंग 3

2. पूर्ण चन्द्रमा अथवा पूर्णिमा-धीरे-धीरे चन्द्रमा एक पतली-सी चाप की भांति दिखाई देने लगता है। 15 दिन तक बढ़ते-बढ़ते यह गोलाकार रूप धारण कर लेता है। इस स्थिति को पूर्ण चन्द्रमा अथवा पूर्णिमा कहते हैं। इसके बाद चन्द्रमा घटने लगता है और पुनः अमावस्या की स्थिति में पहुंच जाता है। ये दोनों चरण पूरे करने में चन्द्रमा 29 दिन 12 घंटे का समय लेता है।

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पृथ्वी : सूर्य परिवार का अंग PSEB 6th Class Social Science Notes

  • ब्रह्माण्ड – ब्रह्माण्ड बहुत ही विशाल है। सभी तारे, ग्रह, उपग्रह, ब्रह्माण्ड का भाग हैं। इसमें अनेक धूलकण तथा गैसें भी शामिल हैं।
  • खगोल – खगोल शब्द से अभिप्राय आकाश अथवा अंतरिक्ष से हैं।
  • खगोलीय पिण्ड – आकाश में उपस्थित सूर्य (तारे), ग्रह, उपग्रह तथा अन्य सभी पिण्ड खगोलीय पिण्ड कहलाते हैं।
  • प्रकाश साल – प्रकाश एक साल में जितनी दूरी तय करता है, उसे प्रकाश साल कहते हैं।
  • तारा – वह खगोलीय पिण्ड जिसका अपना ताप और प्रकाश होता है, तारा कहलाता है। हमारा सूर्य भी एक तारा है।
  • ग्रह – ग्रह वह खगोलीय पिण्ड है जो सूर्य की परिक्रमा करता है और उससे ताप तथा प्रकाश प्राप्त करता है।
  • उपग्रह – उपग्रह वह खगोलीय पिण्ड है जो अपने ग्रह की परिक्रमा करता है।
  • सौरमण्डल (सूर्य) – सूर्य और उसके ग्रह मिलकर सौरमण्डल या सौर (सूर्य) परिवार बनाते हैं। इसमें ग्रहों के अतिरिक्त कुछ अन्य सदस्य भी हैं।
  • सूर्य – सूर्य सौर परिवार के केन्द्र में स्थित है। यह सौर परिवार का सबसे बड़ा सदस्य है।
  • क्षुद्रग्रह अथवा छोटे ग्रह – मंगल और बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच में छोटे-छोटे पिण्डों के अनेक झण्ड हैं। ये सभी सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं। इन्हें क्षुद्रग्रह कहते हैं।
  • धुरा – यह धरती के मध्य से गुजरने वाली एक काल्पनिक रेखा है जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव की ओर जाती है।
  • पृथ्वी – पृथ्वी हमारा ग्रह है। सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों में इसका तीसरा स्थान है। आकार की दृष्टि से ग्रहों में पृथ्वी का स्थान पांचवां है।
  • चन्द्रमा – चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है।
  • भूमध्य रेखा – यह रेखा पृथ्वी के मध्य से गुज़रती है तथा पृथ्वी के पूर्वी किनारे को पश्चिमी किनारे से मिलाती है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

Punjab State Board PSEB 6th Class Agriculture Book Solutions Chapter 2 भूमि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Agriculture Chapter 2 भूमि

PSEB 6th Class Agriculture Guide भूमि Textbook Questions and Answers

(क) इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों में दीजिए –

प्रश्न 1.
किस प्रकार की भूमि में कम पानी लेने वाली फसलों की पैदावार की जा जाती है ?
उत्तर-
रेतीली भूमि में।

प्रश्न 2.
किस प्रकार की मिट्टी नदियों और नहरों के पानी द्वारा बिछाए गए मिट्टी के कणों से बनती है ?
उत्तर-
कछारी मिट्टी।

प्रश्न 3.
सेम की समस्या पंजाब के किस भाग में अधिक पाई जाती है ?
उत्तर-
केन्द्रीय पंजाब में।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 4.
कपास किस प्रकार की मिट्टी में अधिक पैदा की जाती है ?
उत्तर-
काली मिट्टी में।

प्रश्न 5.
किस प्रकार की भूमि में अधिक पानी सोखने की क्षमता होती है ?
उत्तर-
रेतीली भूमि।

प्रश्न 6.
धरती की कौन-सी पर्त पौधों के फलने-फूलने में सहायक होती है ?
उत्तर-
धरती की ऊपरी सतह।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 7.
भूमि की सबसे ऊपरी पर्त को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
‘ऐ’ होरीजन।

प्रश्न 8.
किस प्रकार की भूमि में बड़े कणों की मात्रा अधिक होती है ?
उत्तर-
रेतीली भूमि में।

प्रश्न 9.
किस प्रकार की मिट्टी अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है ?
उत्तर-
लैटराइट मिट्टी।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 10.
सेम, खारेपन और लवण की समस्या पंजाब के किन क्षेत्रों में पाई जाती
उत्तर-
केन्द्रीय क्षेत्र जैसे-संगरूर, लुधियाना, बरनाला आदि।

(ख) इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए

प्रश्न 1.
भूमि की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
धरती की ऊपरी सतह जिसमें खेती हो सकती है। यह चट्टानों के बारीक कणों तथा अन्य जैविक तथा अजैविक वस्तुओं का मिश्रण है।

प्रश्न 2.
भूमि की संरचना में कौन-कौन से कारक सहायता करते हैं ?
उत्तर-
भूमि की रचना में चट्टानें तथा जलवायु के कारक सहायता करते हैं।

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प्रश्न 3.
भूमि को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं ?
उत्तर-
हवा, वर्षा, तापमान भूमि को प्रभावित करने वाले कारक हैं।

प्रश्न 4.
भूमि होरीजन (Soil Horizen) के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
भूमि की भिन्न-भिन्न पर्तों को भूमि होरीजन कहा जाता है। इन पर्तों का रंग, बनावट तथा रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। सबसे ऊपरी पर्त को ‘ऐ’ होरीजन कहा जाता है। इस पर्त में मल्लड़ की मात्रा अधिक होने के कारण इसका रंग गहरा होता है।

प्रश्न 5.
रेतीली और डाकर मिट्टी में क्या अंतर है ?
उत्तर –
रेतीली मिट्टी –

  1. इसमें कणों का आकार बड़ा होता है।
  2. इसके कणों में हवा अधिक होती है।
  3. इसमें पानी जल्दी रिस जाता है

डाकर मिट्टी –

  1. इसमें छोटे कणों की मात्रा अधिक होती है।
  2. इसमें हवा की मात्रा कम होती है।
  3. इसमें पानी की मात्रा को रोकने की अधिक समर्था होती है।

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प्रश्न 6.
मल्लड़ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पौधों के अवशेष, पत्तों आदि का भूमि में गल-सड़ जाना तथा अन्य जैविक पदार्थों का भूमि में होना इसको मल्लड़ कहते हैं।

प्रश्न 7.
भूमि की विभिन्न पर्ते एक-दूसरे से किस आधार पर भिन्न होती हैं ?
उत्तर-
भूमि की भिन्न-भिन्न पर्ते एक-दूसरे से रंग, बनावट (texture) तथा रासायनिक दृष्टिकोण से भिन्न होती हैं।

प्रश्न 8.
मैरा भूमि कृषि के दृष्टिकोण से बेहतर क्यों मानी जाती है ?
उत्तर-
मैरा भूमि कृषि के दृष्टिकोण से बेहतर इसलिए मानी जाती है क्योंकि इसमें पानी सोखने की समर्था अधिक होता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 9.
भूमि की ऊपरी सतह का रंग गहरा क्यों होता है ?
उत्तर-
भूमि की ऊपरी सतह का रंग इसलिए गहरा होता है क्योंकि इसमें मल्लड़ तथा खनिजों की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 10.
समय के साथ-साथ मिट्टी से सम्बन्धित कौन-सी समस्याएं सामने आ रही हैं ?
उत्तर-
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होना, भूमि कटाव तथा सेम आदि समस्याएं सामने आ रही हैं।

(ग) इन प्रश्नों के उत्तर पाँच या छः वाक्यों में दीजिए –

प्रश्न 1.
भूमि में मौजूद कणों के आकार के आधार पर इसको कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ? विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
भूमि में मौजूद कणों के आकार के आधार पर भूमि को तीन भागों में बांटा जा सकता है
1. रेतीली भूमि (Sandy Soil)—इसमें बड़े आकार के कण अधिक होते हैं। इस भूमि में हवा अधिक होती है तथा पानी जल्दी समा जाता है।

2. डाकर चिकनी भूमि (Clay Soil)-इस भूमि में छोटे कणों की अधिक मात्रा होती है। इसमें पानी सोखने का सार्थय अधिक होता है तथा इसमें हवा की मात्रा कम होती है। इसको भारी भूमि भी कहा जाता है।

3. मैरा भूमि (Loam Soil)—इस भूमि में रेत, डाकर तथा सिल्ट के कण होते हैं। इस तरह यह इनका मिश्रण है। यह भूमि कृषि के दृष्टिकोण से अच्छी मानी जाती है क्योंकि इनमें पानी को सोखने का सार्थय अधिक होता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 2.
पंजाब प्रांत को कौन-कौन से भागों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर-
भूमि की किस्म के अनुसार पंजाब प्रांत को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
1. दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब-इस भाग में रेतीली भूमि होती है। यह साधारणतः रेतीली मैरा तथा सिल्ट कणों से बनी होती है। इस भूमि में नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश की कमी होती है। पंजाब के फ़ाजिल्का, मानसा, बठिण्डा, फिरोज़पुर तथा मुक्तसर के कुछ हिस्से इस क्षेत्र में आते हैं। इन क्षेत्रों में हवा द्वारा भूमि कटाव मुख्य समस्या है। यह भूमि गेहूँ, धान, कपास आदि फसलों के लिए उचित है।

2. केन्द्रीय पंजाब-इस भूमि में रेतीली मैरा तथा चिकनी मिट्टी मिलती है। पंजाब के केन्द्रीय ज़िले जैसे लुधियाना, बरनाला, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब आदि इस हिस्से में आते हैं। यहां कई भागों में सेम, खारापन तथा लवण आदि समस्याएं होती हैं। यह गेहूँ, सब्जी, धान आदि फसलों के लिए उपयोगी है।

3. उत्तर-पूर्वी-इस क्षेत्र में अर्ध-पर्वतीय क्षेत्र जैसे गुरदासपुर के पूर्वी भाग, होशियारपुर तथा रोपड़ के क्षेत्र आते हैं। इनमें मैरा तथा चिकनी मिट्टी मिलती है। यहां पानी द्वारा भूमि कटाव की समस्या अधिक है। यह गेहूँ, मक्का, धान, फलों आदि के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 3.
भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है ?
उत्तर-
भारत में मिट्टी की भिन्न-भिन्न किस्में हैं-
1. लैटराइट मिट्टी (Laterite Soil)-यह अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है जैसे-दक्षिणी महाराष्ट्र, उड़ीसा, केरल, असम आदि। इनमें तेज़ाबी मादा अधिक होता है।

2. काली मिट्टी (Black Soil)-इसको कपास मिट्टी भी कहा जाता है। यह महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश में मिलती है। इसका रंग गहरा काला इसलिए होता है क्योंकि इसमें मल्लड़ की मात्रा तथा लवण की मात्रा अधिक होती है।

3. पठारी मिट्टी (Mountain Soil)—यह मिट्टी उत्तरी भारत के ठण्डे तथा शुष्क क्षेत्रों में होती है।

4. कछारी मिट्टी (Alluvial Soil)-यह नदियों तथा नहरों द्वारा बिछाई गई मिट्टी की पों से बनती है। यह उत्तरी भारत के क्षेत्रों में जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि में मिलती है।

5. रेतीली मिट्टी (Desert Soil) यह राजस्थान तथा इससे लगते पंजाब तथा हरियाणा में मिलती है।

6. लाल मिट्टी (Red Soil)-यह मिट्टी कम वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे कर्नाटक के कुछ भाग, दक्षिणी पूर्वी महाराष्ट्र, पूर्वी आंध्र प्रदेश में मिलती है। इसमें आयरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 2 भूमि

प्रश्न 4.
भूमि से सम्बन्धित कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ?
उत्तर-
भूमि एक प्राकृतिक स्रोत है परन्तु इसका बेसमझी से उपयोग करने के कारण कई समस्याएं पैदा हो रही हैं ; जैसे इसकी उपजाऊ शक्ति का कम होना, हवा, पानी के कारण भूमि कटाव होना, सेम की समस्या आदि। अधिक उपज लेने के लिए मिट्टी में आवश्यकता से अधिक रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी में विषैले पदार्थों की मात्रा बढ़ती जा रही है जो मिट्टी द्वारा हमारे खाने-पीने की वस्तुओं में शामिल हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
भूमि के प्रकार के आधार पर इसमें होने वाली फसलों के बारे में बताओ।
उत्तर-
भूमि के प्रकार के आधार पर इनमें होने वाली फसलें हैं –

  1. लैटराइट मिट्टी-चाय, नारियल।
  2. कछारी मिट्टी-गेहूँ, धान, गन्ना, कपास आदि।
  3. लाल मिट्टी-गेहूँ, कपास, तंबाकू, धान आदि।
  4. काली मिट्टी -गेहूँ, कपास, अलसी।
  5. रेतीली मिट्टी-गेहूँ, मक्की, जौ, कपास।
  6. पठारी मिट्टी-गेहूँ, मक्का, बाजरा, फलदार पौधे, चाय, कोको।

Agriculture Guide for Class 6 PSEB भूमि Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
होरीजन ‘ऐ’ का रंग गहरा क्यों होता है ?
उत्तर-
मल्लड़ तथा खनिजों की मात्रा अधिक होने के कारण।

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प्रश्न 2.
भूमि में मौजूद कणों के आधार पर भूमि कितने प्रकार की है ?
उत्तर–
तीन प्रकार की।

प्रश्न 3.
भारी भूमि किस को कहा जाता है ?
उत्तर-
डाकर चिकनी भूमि को।

प्रश्न 4.
ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे उड़ीसा में किस तरह की भूमि होती है ?
उत्तर-
लैटराइट मिट्टी।

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प्रश्न 5.
आयरन आक्साइड की मात्रा कौन-सी मिट्टी में अधिक है ?
उत्तर-
लाल मिट्टी में।

प्रश्न 6.
हिमालय के क्षेत्र में कौन-सी मिट्टी मिलती है ?
उत्तर-
पठारी मिट्टी।

प्रश्न 7.
भूमि की किस्म के अनुसार पंजाब को कितने भागों में बांटा गया है ?
उत्तर-
तीन भागों में।

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प्रश्न 8.
काली मिट्टी देश के लगभग कितने भाग में मिलती है ?
उत्तर-
16.6 प्रतिशत।

प्रश्न 9.
कछारी मिट्टी देश के लगभग कितने हिस्से में मिलती है ?
उत्तर-
45 प्रतिशत।

प्रश्न 10.
कणों के आकार के आधार पर मिट्टी कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
चिकनी मिट्टी, रेतीली या मैरा मिट्टी।

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प्रश्न 11.
मैरा रेतीली भूमि में कितने प्रतिशत रेत होती है ?
उत्तर-
इसमें 70-85 प्रतिशत रेत होती है।

प्रश्न 12.
भूमि के भौतिक गुण कौन-से हैं ?
उत्तर-
भूमि की बनावट, भूमि में पानी सोखने की शक्ति तथा भूमि में पानी रोकने की शक्ति आदि भूमि के भौतिक गुण हैं।

प्रश्न 13.
कौन-सी भूमि में जैविक मादा अधिक होता है ?
उत्तर-
मैरा भूमि में।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मैरा भूमि के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
यह भूमि रेतीली, डाकर तथा सिल्ट कणों के मिश्रण से बनती है। यह भूमि कृषि के लिए अच्छी मानी जाती है। इसमें पानी सोखने की समर्था अधिक होती है।

प्रश्न 2.
कपास मिट्टी के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
काली मिट्टी को कपास की मिट्टी कहा जाता है। यह महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश में मिलती है। देश के लगभग 16.6 प्रतिशत हिस्से में यह मिट्टी मिलती है। इस मिट्टी में मल्लड़ तथा लवण की मात्रा अधिक होती है। इसलिए इसका रंग काला होता है।

प्रश्न 3.
रेतीली भूमि कम उपजाऊ क्यों होती है ?
उत्तर-
रेतीली भूमि में मोटे कणों की मात्रा 85 प्रतिशत से अधिक होती है। चिकनी मिट्टी तथा मल्लड़ 15 प्रतिशत से कम होते हैं। इसमें पोषक तत्त्व, पानी रोकने की शक्ति तथा जैविक पदार्थ भी कम होते हैं। इसलिए रेतीली भूमि कम उपजाऊ होती है।

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प्रश्न 4.
समय के साथ मिट्टी से संबंधित कौन-सी समस्याएँ सामने आ रही हैं ?
उत्तर-
यह समस्याएँ हैं- उपजाऊ शक्ति का कम होना, भूमि क्षरण तथा सेम आदि। मिट्टी में रसायनों के प्रयोग के कारण यह जहरीले पदार्थ हमारे खाने में भी आ चुके हैं।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
जीवांश क्या होता है ? संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
धरती पर उगे वृक्ष तथा पौधों के पत्तों, शाखाओं तथा घास आदि गल-सड़ कर धरती में मिल जाते हैं। इसी प्रकार अन्य जीव-जन्तु अपना जीवन चक्र पूरा करके धरती में ही गल कर मिल जाते हैं। वनस्पति तथा जीव जंतुओं के इस गले-सड़े हुए अंश को जीवांश कहते हैं।

किसी भी भूमि में जीवांश की मात्रा वहां की हवा, पानी तथा वातावरण पर निर्भर करती है। घास वाले मैदानों तथा घने जंगलों वाले क्षेत्रों में भूमि के अन्दर जीवांश की मात्रा अधिक होती है, परन्तु मरुस्थल तथा गर्म शुष्क क्षेत्रों की भूमि में बहुत कम जीवांश होता है।

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भूमि PSEB 6th Class Agriculture Notes

  • धरती की ऊपरी सतह जिसमें खेती की जाती है, को भूमि कहा जाता है।
  • भूमि की भिन्न-भिन्न परतों को भूमि होरीजन कहा जाता है।
  • भूमि की ऊपरी पर्त को ‘ऐ’ होरीजन कहा जाता है।
  • कणों के आकार के अनुसार भूमि रेतीली, डाकर या चिकनी तथा मैरा होती है।
  • भारत में लैटराइट मिट्टी अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में होती है ; जैसे महाराष्ट्र, केरल, असम।
  • कछारी मिट्टी उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में होती है ; जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा।
  • काली मिट्टी को कपास मिट्टी भी कहा जाता है। यह गुजरात, कर्नाटक आदि में होती है।
  • लाल मिट्टी कम वर्षा वाले क्षेत्रों पूर्वी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भागों आदि में है।
  • पठारी मिट्टी हिमालय के क्षेत्रों में होती है।
  • रेतीली मिट्टी राजस्थान तथा इसके साथ लगते क्षेत्रों में मिलती है।
  • भूमि की किस्म के अनुसार पंजाब को तीन भागों में बांटा गया है।
  • यह तीन भाग हैं दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, केन्द्रीय पंजाब, उत्तर-पूर्वी पंजाब ।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 प्रभावशाली संचार

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 9 प्रभावशाली संचार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 9 प्रभावशाली संचार

PSEB 10th Class Welcome Life Guide प्रभावशाली संचार Textbook Questions and Answers

गतिविधि – I

स्थान: कक्षा का कमरा, सामग्री-एक पानी का आधा भरा गिलास। छात्र अपनी नोटबुक में इस भरे हुए गिलास पर एक वाक्य लिखें।
प्रश्न-क्या आपने यह लिखा है कि —
1. पानी का गिलास आधा खाली है?
उत्तर-नहीं, हमने यह नहीं लिखा है।
2. पानी का गिलास आधा भरा है?
उत्तर-जी हाँ, हमने यह लिखा है।
3. क्या आपने कुछ अलग लिखा है?
उत्तर-नहीं।

सोचिए और बताएं

प्रश्न 1.
कक्षा में आपका सबसे प्रिय दोस्त कौन है?
उत्तर-
कक्षा के अन्य सभी छात्रों में रितेश चोपड़ा मेरा सबसे प्रिय मित्र है।

प्रश्न 2.
आपका प्यारा मित्र आपको कौन से गुणों के कारण अच्छा लगता है?
उत्तर-
मेरे दोस्त का व्यवहार काफी अच्छा है। वह दूसरों के साथ नरमी से बात करता है। कभी भी गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं करता है। हमेशा दूसरों के साथ सहयोग करता है और जब भी मुझे उसकी आवश्यकता होती है, वह मेरे साथ खड़ा होता हैं। इसलिए मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ।

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प्रश्न 3.
कौन है जिसे आप पसंद नहीं करते?
उत्तर-
मुझे नील पसंद नहीं है, क्योंकि वह हमेशा दूसरों का मज़ाक बनाता है।

पाठ पर आधारित प्रश्न

गतिविधि-I

इंटरव्यू कक्षा के सामने होगी। कुछ इस तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे

प्रश्न 1.
यदि आप कक्षा के C.R./मानीटर होंगे, तो आप क्या करेंगे?
उत्तर-
यदि मुझे कक्षा का C.R./मानीटर बनाया जाएगा, तो मैं कक्षा के अनुशासन को सही करूँगा क्योंकि मुझे पता है कि कई बच्चे कक्षा के अनुशासन को खराब करते हैं। इसके साथ ही मैं कक्षा की स्वच्छता का ध्यान रखूगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि कोई भी विद्यार्थी कक्षा में कचरा न फेंके। कक्षा को सुंदर बनाने के लिए मैं अन्य छात्रों की मदद लूँगा और कई प्रयत्न करूंगा।

प्रश्न 2.
आप अपने आप में कौन-सा सुधार लाना चाहते हैं?
उत्तर-
सबसे पहले मैं खुद को अनुशासन में लाऊंगा ताकि दूसरे बच्चे मुझसे शिक्षा ले सकें। यदि कक्षा का मानीटर अनुशासन में नहीं रहेगा, तो अन्य छात्र अनुशासन में कैसे रहेंगे। मैं अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए कठिन अध्ययन करूंगा और अपने शिक्षकों और माता-पिता को खुश करूंगा।

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प्रश्न 3.
आप कक्षा में कैसे सुधार करेंगे?
उत्तर-

  1. मैं लगातार विद्यार्थियों को अनुशासन में रहने की याद दिलाऊंगा।
  2. मैं उन्हें कक्षा को साफ रखने के फायदे बताऊंगा और गंदी कक्षा होने के नुकसान बताऊंगा।
  3. मैं लगातार छात्रों को कठिन अध्ययन करने और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित करूँगा।

Welcome Life Guide for Class 10 PSEB प्रभावशाली संचार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
…………. का अर्थ है अपने विचारों, भावनाओं इत्यादि को व्यक्त करना।
(a) अभिव्यक्ति
(b) साक्षात्कार
(c) प्रशंसा
(d) व्यक्तित्व।
उत्तर-
(a) अभिव्यक्ति।

प्रश्न 2.
अभिव्यक्ति से हम अपने ………….
(a) विचार
(b) भावनाएं
(c) पक्ष
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 3.
खुद को सही तरीके से पेश नहीं करने से ……….. प्रभाव पड़ता है।
(a) सकारात्मक
(b) नकारात्मक
(c) दुख वाला
(d) सुख वाला।
उत्तर-
(b) नकारात्मक।

प्रश्न 4.
मेहनत करने से ही
(a) शाबाश मिलती है
(b) लक्ष्य प्राप्त होते हैं
(c) कामयाबी मिलती है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने में विद्यार्थी क्यों संकोच करते हैं?
(a) आत्मविश्वास की कमी
(b) सवाल का जवाब नहीं जानते
(c) पता नहीं कैसे जवाब देना है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 6.
नौकरी देने से पहले सवाल पूछने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(a) इंटरव्यू
(b) अनुसूची
(c) प्रश्नावली
(a) अवलोकन।
उत्तर-
(a) इंटरव्यू।

प्रश्न 7.
किसी के साथ बात करते समय …………. का बहुत महत्त्व है।
(a) व्यक्तित्व
(b) कपड़े
(c) भाषा
(a) हाव-भाव।
उत्तर-
(c) भाषा।

प्रश्न 8.
दूसरों को प्रभावित करने के लिए क्या आवश्यक है?
(a) आवाज़
(b) चेहरे के हाव-भाव
(c) शरीर की मुद्रा
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 9.
कैसे व्यावहारिक जीवन में कुशल बनें?
(a) निरंतर अभ्यास से
(b) बोलने के बेहतर तरीकों के साथ
(c) शारीरिक हाव-भाव का सही इस्तेमाल
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

(ख) खाली स्थान भरें

  1. अभिव्यक्ति से हमारे ……………. का अन्दाज़ा हो जाता है।
  2. शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर न देने का मुख्य कारण ………. की कमी है।
  3. हर किसी के पास चीज़ों को देखने का अपना ………… होता है।
  4. व्यक्ति को हमेशा ……………… सोच रखनी चाहिए।
  5. ……… देने का हमेशा उचित तरीका होता है।
  6. बोलने वाले की ……….. का बहुत महत्त्व है।

उत्तर-

  1. व्यक्तित्व,
  2. आत्मविश्वास,
  3. दृष्टिकोण,
  4. सकारात्मक,
  5. इंटरव्यू,
  6. भाषा।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. यदि हम अपने आप को सही तरीके से पेश नहीं कर सकते तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  2. अभिव्यक्ति के उचित तरीके से हमारी कई समस्याओं को हल किया जा सकता है।
  3. अन्य चीजों को देखने के लिए सभी का दृष्टिकोण समान है।
  4. हमारा दृष्टिकोण ही हमारे आस-पास को परिभाषित करता है।
  5. आशावादी लोगों को हर जगह पसंद किया जाता है।

उत्तर-

  1. ग़लत,
  2. सही,
  3. ग़लत,
  4. सही,
  5. सही।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) संचार — (i) मधुरता
(b) हानि — (ii) परीक्षण
(c) अभिव्यक्ति — (iii) बोलने का तरीका
(d) चैकिंग — (iv) प्रगटावा
(e) आवाज़ — (v) क्षति।
उत्तर-
कॉलम ए — कॉलम बी
(a) संचार — (iii) बोलने का तरीका
(b) हानि — (v) क्षति।
(c) अभिव्यक्ति — (iv) प्रगटावा
(d) चैकिंग — (ii) परीक्षण
(e) आवाज़ — (i) मधुरता

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर-
अभिव्यक्ति का अर्थ है अपने भावों, विचारों और अपने पक्ष को किसी के सामने पेश करना।

प्रश्न 2.
हम किसी पर नकारात्मक प्रभाव कब डालते हैं?
उत्तर-
जब हम खुद को उस व्यक्ति के सामने व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।

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प्रश्न 3.
बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करने का क्या फायदा है?
उत्तर-
इससे व्यक्ति जीवन में बहुत उन्नति करता है।

प्रश्न 4.
मास्टर जी ने छात्रों से किस राज्य के ज़िले लिखने के लिए कहा?
उत्तर-
उन्होंने छात्रों से पंजाब के जिलों को लिखने के लिए कहा।

प्रश्न 5.
रविंदर ने किससे कॉपी मांगी थी?
उत्तर-
रविंदर ने परगट से अपना काम करने के लिए कॉपी मांगी।

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प्रश्न 6.
सभी जिलों के नाम सही तरीके से किसने बताएँ?
उत्तर-
परगट सिंह ने सभी जिलों के नाम सही ढंग से बताएँ और उसको शिक्षक की तरफ से शाबाशी भी मिली।

प्रश्न 7.
परगट को डांट पड़ने का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर-
परगट को डांट पड़ने का मुख्य कारण उसमें अपना पक्ष न रख सकने की असमर्थता थी।

प्रश्न 8.
परेशानी से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें परेशानी से बचने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखना आना चाहिए।

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प्रश्न 9.
छात्र शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं? क्यों?
उत्तर-
क्योंकि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है, जवाब नहीं जानते या खुद को व्यक्त करने का तरीका नहीं जानते।

प्रश्न 10.
छात्रों में आत्म अभिव्यक्ति का कौशल कैसे विकसित किया जा सकता है?
उत्तर-
उन्हें इस कौशल को विकसित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए कहा जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
किसी के व्यक्तित्व के बारे में कैसे जाना जा सकता है?
उत्तर-
किसी वस्तु को देखने के दृष्टिकोण से हम आसानी से किसी के व्यक्तित्व के बारे में जान सकते हैं।

प्रश्न 12.
मनुष्य का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
मनुष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।

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प्रश्न 13.
हमारे शिक्षक हमसे क्या उम्मीद करते हैं?
उत्तर-
वे हमसे सकारात्मक दृष्टिकोण की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 14.
नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
वे हमेशा दूसरों में कमियां और दोष खोजने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 15.
आशावादी होने का व्यक्ति को क्या फायदा है?
उत्तर-
आशावादी व्यक्ति का सभी सम्मान करते हैं और वह सभी के बीच लोकप्रिय हो जाते हैं।

प्रश्न 16.
साक्षात्कार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जब किसी से किसी मुद्दे पर कुछ सवाल पूछे जाते हैं और वह उन सवालों का जवाब देता है, तो उसे साक्षात्कार (इंटरव्यू) कहते है।

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प्रश्न 17.
आपके सामने बोलने वाले व्यक्ति को क्या प्रभावित करता है?
उत्तर-
हमारी भाषा आपके सामने बोलने वाले व्यक्ति को बहुत प्रभावित करती है।

प्रश्न 18.
किसी को प्रभावित करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
हमारी भाषा और शरीर की भाषा अर्थात् हाव-भाव का।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिव्यक्ति के महत्त्व पर नोट लिखो।
उत्तर-
अभिव्यक्ति का अर्थ है अपने विचारों और भावनाओं को किसी के सामने व्यक्त करना। हमारी अभिव्यक्ति का तरीका हमारे व्यक्तित्व के बारे में बताता है। यदि हम अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाना चाहते है, तो स्वयं में क्षमता होना आवश्यक है। कई बार, यह गुण स्वयं में होता है लेकिन हम इसके बारे में शायद ही जानते हैं और इसलिए हम स्वयं को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। व्यक्ति अभिव्यक्ति के बेहतर तरीके बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए हमारे जीवन में अभिव्यक्ति का बहुत महत्त्व है।

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प्रश्न 2.
आमतौर पर छात्र शिक्षकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं। इसके क्या कारण हैं?
उत्तर-

  1. आत्म-विश्वास की कमी-छात्रों में आत्म-विश्वास की कमी हो सकती है और वे अपने विचार व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।
  2. सही उत्तर नहीं जानते-हो सकता है कि छात्रों ने अध्याय नहीं पढ़ा हो और सही उत्तर नहीं जानते।
  3. खुद को अभिव्यक्त कर ना नहीं जानते-हो सकता है कि वह जवाब जानता हो, लेकिन खुद को व्यक्त करने का तरीका शायद ही जानता हो। इसलिए वह जवाब नहीं देता।

प्रश्न 3.
सकारात्मक दृष्टिकोण पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
हर किसी के पास चीज़ों को देखने का अपना नजरिया होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु को पसंद करता है और उसमें कई गुण ढूंढ लेता है तो इसे सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है। लेकिन यदि वह वस्तु में कमियां देखता है और उसे पसंद नहीं करता है, तो उसे नकारात्मक रवैया कहा जाता है। जिस तरह से एक व्यक्ति किसी वस्तु को देखता है वह उसके व्यक्तित्व का वर्णन करता है। यदि किसी व्यक्ति का नकारात्मक रवैया है, तो वह जीवन में प्रगति नहीं कर सकता है। लेकिन यदि जीवन के बारे में उसका दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो वह निश्चित रूप से जीवन में प्रगति करेगा।

प्रश्न 4.
“हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है।” टिप्पणी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जाता है कि हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है। उदाहरण के लिए एक गिलास पानी आधा खाली है या आधा भरा हुआ है। यह एक व्यक्ति के दृष्टिकोण को निर्धारित करता है। यदि कोई व्यक्ति आधा खाली गिलास देखता है, तो वह एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति है। लेकिन यदि गिलास आधा भरा हुआ है, तो वह एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति है। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों में गुणों को पाता है लेकिन एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों के बीच कमियों को खोजने की कोशिश करता है। यह सही या गलत व्यक्तित्व के विकास में मदद करता है और हम उसी के अनुसार प्रगति करते हैं या नहीं करते हैं।

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प्रश्न 5.
हमारे सकारात्मक या नकारात्मक रवैये का परिणाम क्या है?
उत्तर-
हमारे सकारात्मक या नकारात्मक रवैये के कारण हम कुछ लोगों को पसंद या नापसंद करते हैं। यदि हमारे पास सकारात्मक दृष्टिकोण है, तो हमें दूसरों में गलतियाँ नहीं मिलती और हम तुच्छ मुद्दों की भी अनदेखी करते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों में गलतियां खोजने की कोशिश करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग हमेशा सम्मानित होते हैं, लोकप्रिय होते हैं और जीवन में प्रगति करते हैं।

प्रश्न 6.
हमारी भाषा दूसरे लोगों को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर-
जब हम दूसरों के साथ संवाद करते हैं, तो हमारी भाषा दूसरों को प्रभावित करती हैं। यदि हम अपने व्यक्तित्व का अच्छा प्रभाव चाहते हैं तो हमें बहुत ही नरमी वाले शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। हमारी आवाज़ में मधुरता, कोमलता और मिठास होनी चाहिए। यह सब हमारे व्यक्तित्व के विकास पर बहुत प्रभाव डालते हैं। हमारी बात करने का तरीका हमारे व्यक्तित्व और दूसरों के साथ संबंधों को प्रभावित करता हैं।

प्रश्न 7.
प्रभावी ढंग से संवाद करने के दो प्रभावी तरीके क्या हैं?
उत्तर-

  1. भाषा-दूसरों के साथ संवाद स्थापित करने में भाषा सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हमारी भाषा में कोमलता है तो निश्चित रूप से दूसरे लोग प्रभावित होंगे। लेकिन यदि हमारी भाषा ग़लत है, तो दूसरे हमसे नफरत करेंगे।
  2. शारीरिक भाषा-प्रभावी संचार में हमारी शारीरिक भाषा भी महत्त्वपूर्ण है। हम दूसरों से बात करते समय किस प्रकार के चेहरे के भाव रखते हैं। हम किस प्रकार के इशारे करते हैं हम कैसे इशारों से चीज़ों को समझाते हैं इसका भी दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-इंटरव्यू करते समय किन प्रभावी तरीकों का इस्तेमल करना चाहिए?
उत्तर-
इंटरव्यू के समय निम्नलिखित चरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए

  1. प्रश्न सरल और स्पष्ट होना चाहिए।
  2. प्रश्न की भाषा सरल होनी चाहिए और सवाल दोबारा न बोले जाएं।
  3. यदि इंटरव्यू नौकरी के लिए है, तो नौकरी से संबंधित गुणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  4. प्रश्न करते समय सम्मान दिया जाना चाहिए।
  5. उत्तर विश्वास के साथ देना चाहिए।
  6. उत्तर हल्की मुस्कुराहट से दिए जाएं।
  7. टिककर सीधा बैठे।
  8. विनम्रता से बात करें और जाते समय धन्यवाद कहें।
  9. यदि आपको उत्तर नहीं पता, तो विनम्रता से बताएं कि आपको उत्तर नहीं पता।

प्रभावशाली संचार PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • अभिव्यक्ति का अर्थ है अपनी भावनाओं, विचारों या दृष्टिकोण किसी के सामने रखना या बताना। हमारी अभिव्यक्तियों का तरीका हमारे व्यक्तित्व के बारे में बताता है। बेहतर अभिव्यक्ति का तरीका हमें सफल बना सकता है।
  • यदि किसी में किसी मामले को सही तरीके से दूसरों के सामने रखने की क्षमता नहीं है, तो वह व्यक्ति जीवन में असफलताओं का सामना भी कर सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने आप में अपने विचारों का सही तरीके से अभिव्यक्त करने का गुण विकसित करें।
  • प्रत्येक व्यक्ति के पास कुछ देखने का एक अलग दृष्टिकोण होता है और यह नज़रिया ही उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बताता है। यदि किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो किसी भी चीज़ पर उसका दृष्टिकोण अच्छा होगा। इसीलिए किसी व्यक्ति का सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए।
  • हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है क्योंकि सकारात्मक विचार वाले व्यक्ति का दृष्टिकोण सब कुछ बेहतर बनाता है।
  • हमारे दृष्टिकोण के कारण ही कुछ लोगों को हम पसंद करते हैं और कुछ हमें बुरे लगते हमसे नफरत करते हैं। कभी-कभी हम दूसरों की गलतियों को नज़र अंदाज कर देते हैं क्योंकि हम उनमें दोष नहीं देखते है। इस आशावादी सोच के कारण लोग उनका सम्मान करते हैं।
  • कैरियर बनाने या नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए हमारे पास बोलने की क्षमता होनी चाहिए ताकि हम उस व्यक्ति को प्रभावित कर सके जो इंटरव्यू ले रहा है।
  • हमारी भाषा का दूसरों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि हमारी भाषा में मिठास और कोमलता है तो निश्चित रूप से दूसरे लोग बहुत प्रभावित होंगे। इसलिए हमारी भाषा हमारे व्यक्तित्व के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करती है।
  • प्रत्येक छात्र को अपनी आवाज़, चेहरे के हाव-भाव और इशारों, शरीर की मुद्रा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे वे दूसरों को आसानी से प्रभावित कर सकेंगे। इसे बॉडी लैंग्वेज के नाम से जाना जाता है।

PSEB 11th Class Practical Geography Chapter 2 पैमाना

Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Practical Geography Chapter 2 पैमाना.

PSEB 11th Class Practical Geography Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 1.
पैमाना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पैमाना (Scale)-पैमाना नक्शे और धरती के बीच एक अनुपात है। नक्शे पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी और धरती पर स्थित उन्हीं दो स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात को पैमाना कहते हैं।

(The scale of a map is the ratio of a distance on the map to the corrosponding distance on the ground.)
उदाहरण (Example)–यदि किसी नक्शे का पैमाना 1 सैं०मी० : 5 किलीमीटर है, तो इसका अर्थ है कि नक्शे पर 1 सैं०मी० की दूरी धरती के 5 किलोमीटर की दूरी को प्रकट करती है।।

प्रश्न 2.
पैमाने की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
पैमाने की आवश्यकता-

  • हर नक्शे के लिए पैमाना ज़रूरी होता है। पैमाने के बिना नक्शा एक स्कैच (Sketch) या रेखाचित्र (Diagram) ही रह जाता है। पैमाने के बिना अलग-अलग स्थानों की दूरी का अनुमान नहीं हो सकता।
  • धरती का वास्तविक विस्तार बहुत बड़ा है। नक्शे पर इसका विस्तार वास्तविक विस्तार से कम होता है, इसलिए बड़े क्षेत्र को छोटे रूप में दिखाने के लिए पैमाने का प्रयोग जरूरी होता है।
  • अलग-अलग स्थानों के नक्शे पर सापेक्ष स्थिति दिखाने के लिए पैमाना ज़रूरी होता है।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 3.
छोटे पैमाने और बड़े पैमाने में अंतर बताएँ।
उत्तर-
छोटे पैमाने (Small Scale)-

  1. इस पैमाने में 1 सैं०मी० के द्वारा एक से अधिक किलोमीटर की दूरी प्रकट की जाती है।
  2. उदाहरण के रूप में 1 सैं०मी० : 10 कि०मी० 1 इंच : 60 मील।
  3. Small Scales are Scales of miles to the inch.
  4. एटलस नक्शे, दीवारी नक्शे छोटे पैमाने पर बनाए जाते हैं।
  5. इन नक्शों पर अधिक वर्णन नहीं दिखाए जा सकते।
  6. नक्शे पर दिखाई दूरी कम होने के कारण इन्हें छोटे पैमाने के नक्शे कहा जाता है।

बड़ा पैमाना (Large Scale)-

  1. इस पैमाने में 1 किलोमीटर की दूरी एक से अधिक सैंटीमीटरों के द्वारा प्रकट की जाती है।
  2. उदाहरण के रूप में 10 सैं०मी० : 1 कि०मी० 6 इंच : 1 मील।
  3. Large Scales are scales of inches to the mile.
  4. जायदाद के नक्शे बड़े पैमाने पर बनाए जाते हैं।
  5. इन नक्शों पर अधिक वर्णन दिखाया जा सकता है।
  6. इन नक्शों पर दिखाई गई दूरी तुलना में अधिक होने के कारण इन्हें बड़े पैमाने के नक्शे कहा जाता है।

प्रश्न 4.
पैमाने के महत्त्व का उल्लेख करें।
उत्तर-
पैमाने का महत्त्व (Importance of Scale)-पैमाना मानचित्र कला (Cartography) का एक ज़रूरी अंग है-

  1. पैमाना एक उपयोगी तकनीक है, जिसके द्वारा बड़े क्षेत्र को संक्षेप रूप में दिखाया जा सकता है।
  2. पैमाने के बिना कोई भी नक्शा एक स्कैच (Sketch) या तस्वीर ही होता है।
  3. पैमाने की मदद से दो स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी का पता लगता है।
  4. किसी नक्शे का क्षेत्रफल पैमाने की सहायता से पता लगाया जा सकता है।
  5. पैमाने की सहायता से एक ही क्षेत्र के नक्शे छोटे (Reduce) या बड़े (Enlarge) किए जा सकते हैं।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 5.
पैमाने की विधियों का वर्णन करें।
उत्तर-
पैमाना (Scale)-साधारण शब्दों में दो स्थानों के बीच की नक्शे पर दूरी (Map Distance) और धरती पर वास्तविक दूरी (Actual Distanc) के अनुपात को पैमाना कहा जाता है। नक्शे पर पैमाना नीचे लिखे तीन रूपों में दिखाया जाता है-

  1. कथनीय पैमाना या वर्णनात्मक पैमाना (Statement Scale)
  2. प्रतिनिधि भिन्न (Representative Fraction)
  3. रेखीय पैमाना या साधारण पैमाना (Linear Scale or Plain Scale)

1. कथनीय पैमाना (Statement Scale)-पैमाना प्रकट करने का यह सबसे आसान तरीका है। इससे पैमाने को शब्दों में प्रकट किया जाता है, इसलिए इसे शाब्दिक या वर्णनात्मक पैमाना भी कहते हैं।

जैसे-1 सैं०मी० : 5 कि०मी० ।
नोट-कथनीय पैमाना सदा अनुपात (:) के द्वारा ही लिखा जाता है, बराबर (=) का प्रयोग नहीं होता। 1 इंच : 6 मील।

गुण (Merits)—

  1. यह सबसे आसान और सरल तरीका है, जिसे एक साधारण मनुष्य भी समझ सकता है।
  2. इससे तुरंत ही स्पष्ट हो जाता है कि एक इंच कितने मील की दूरी नक्शे पर प्रकट करता है।
  3. यह पैमाने का संक्षिप्त रूप है।
  4. इसका अभ्यास जल्दी हो जाता है।

दोष (Demerits)-

  1. इस तरीके से माप की एक ही इकाई का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. इस पैमाने को केवल उसी देश के लोग ही समझ सकते हैं, जिस देश की माप प्रणाली नक्शे पर प्रयोग की गई हो।
  3. इस पैमाने के द्वारा नक्शे पर दूरी नापी जा सकती है।

2. प्रतिनिधि भिन्न (Representative Fraction) -पैमाने को नक्शे पर प्रकट करने के लिए एक भिन्न का प्रयोग किया जाता है, जिसे प्रतिनिधि भिन्न या अनुपाती भिन्न या प्रदर्शक भिन्न कहा जाता है। इसे संक्षिप्त रूप में R.F. लिखा जाता है। प्रतिनिधि भिन्न एक ऐसी भिन्न होती है, जिसका अंश (Numerator) सदा एक ही होता है और वह नक्शे पर दूरी (Map Distance) को प्रकट करता है, परंतु उसका हर Denominator धरती पर वास्तविक दूरी (Ground Distance) को प्रकट करता है। इसको नीचे लिखे नियम (Rule) द्वारा लिखा जाता है-

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 1

उदाहरण (Example) यदि किसी नक्शे की प्रतिनिधि भिन्न 1/50,000 है, तो इसका अर्थ है कि नक्शे पर दूरी की एक इकाई, धरती पर 50,000 इकाइयों की दूरी को प्रकट करती है। नक्शे पर 1 सैं०मी० की दूरी धरती पर 50,000 सैं०मी० की दूरी को दर्शाती है।

नियम (Rule) –

  1. प्रतिनिधि भिन्न का अंश सदा एक होना चाहिए।
  2. अंश और प्रत्येक दूरी की माप इकाई सदा एक होनी चाहिए और छोटी-से-छोटी हो।

गुण (Merits)-

  • इस पैमाने में एक इकाई कई इकाइयों को प्रकट करती है, इसलिए इसे प्रतिनिधि भिन्न कहा जाता है।
  • इस पैमाने को संख्यक पैमाना (Numerical Scale) भी कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक पैमाना (Natural Scale)
  • प्रतिनिधि भिन्न में दूरी की किसी भी इकाई (Unit) का प्रयोग किया जा सकता है। दूरी इंच या सैंटीमीटरों में भी लिखी जा सकती है। (R.F. is independent of units.)
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय पैमाना (International Scale) है। इसका प्रयोग विश्व के सभी देशों में किया जा सकता है। यदि किसी नक्शे का कथनीय पैमाना 1″ = 1 मील हो, तो इसे केवल इंग्लैंड के लोग ही समझ सकते हैं। परंतु यदि इस पैमाने को प्रतिनिधि भिन्न के रूप में लिखा जाए, तो R.E. = 1/63,360 होगा। इसे मीट्रिक प्रणाली में भारत और फ्रांस के लोग आसानी से समझ सकते हैं कि नक्शे पर 1 सैं०मी० की दूरी धरती पर 63,360 सैं०मी० की दूरी प्रकट करती है।
  • प्रतिनिधि भिन्न को कथनीय पैमाने में बदला जा सकता है।

दोष (Demerits)-

  • इस पैमाने से नक्शे पर सीधी दूरियाँ नहीं मापी जा सकतीं।
  • गणित के प्रयोग के कारण इसे साधारण मनुष्य नहीं समझ सकता।
  • रेखीय पैमाना (Linear Scale)-इस पैमाने को रेखीय पैमाना या साधारण पैमाना (Plain Scale) या ग्राफिक पैमाना (Graphic Scale) भी कहा जाता है। इसमें एक सरल रेखा को मुख्य भागों और उपभागों में विभाजित करके पैमाने को प्रकट किया जाता है। इसकी लंबाई 15 सैं०मी० या 6 इंच होती है। इस रेखा को समान मुख्य भागों (Primary Division) और उपभागों (Secondary Divisions) में बाँटा जाता है। कुल संख्या एक पूर्ण अंक (Round Number) होती है, जिसके आसानी से उपभाग किए जा सकते हैं।

गुण (Merits)-

  1. इस पैमाने से सीधे रूप में दूरी मापी जा सकती है।
  2. दूरी मापने के लिए किसी हिसाब की ज़रूरत नहीं होती।
  3. नक्शे को फोटोग्राफी की विधि से बड़ा या छोटा करने पर पैमाने की रेखा उसी अनुपात में छोटी या बड़ी हो जाती है।
  4. इस पैमाने के प्रयोग के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

पैमाने का परिवर्तन
(CONVERSION OF SCALE)
कथनीय पैमाने से प्रतिनिधि भिन्न ज्ञात करना ।

प्रश्न 1.
यदि कथनीय पैमाना 1 सैंटीमीटर : 3 किलोमीटर हो, तो प्रतिनिधि भिन्न बताएँ। (If the statement of scale is 1 cm : 3 km, find out the R.F.)
उत्तर-
PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 2

\(\frac{1}{3,00,000}\)(दोनों तरफ माप इकाई समान होनी चाहिए, इसलिए किलोमीटर के सैंटीमीटर बनाएँ)
अथवा 1 : 3,00,000
नोट-प्रतिनिधि भिन्न केवल भिन्न होती है। इसके अंश या हरेक के साथ सैंटीमीटर या इंच आदि माप नहीं लिखे जाते।

प्रश्न 2.
यदि कथनीय पैमाना 1 सैंटीमीटर : 50 मीटर हो, तो प्रतिनिधि भिन्न बताएँ। (If the statement of the scale is 1 cm = 50 m, find out the R.F.)
उत्तर-
कथनीय पैमाना = 1 cm = 50 m.
PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 3
\(\frac{1}{5000}\) या 1 : 5000.

प्रश्न 3.
यदि कथनीय पैमाना 1 इंच : 2 मील हो, तो प्रतिनिधि भिन्न बताएँ। (If the statement of scale is 1 inch : 2 miles, find out the R.F.)
उत्तर-
कथनीय पैमाना = 1 inch = 2 railes.
PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 4
(दोनों तरफ माप इकाई समान होनी चाहिए, इसलिए मीलों के इंच बनाएँ)
= \(\frac{1}{1,26,720}\) या 1 : 1,26,720.

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 4.
यदि कथनीय पैमाना 6 इंच : 1 मील हो, तो प्रतिनिधि भिन्न बताएँ। (If the statement of scale is 6 inches : 1 mile, find out the R.F.)
उत्तर-
कथनीय पैमाना = 6 inch : 1 miles.
PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 5
= \(\frac{1}{10,560}\) या 1 : 10,560.
नोट-प्रतिनिधि भिन्न का अंश सदा (1) होता है।

QUESTIONS TYPE-II

प्रतिनिधि भिन्न से कथनीय पैमाना ज्ञात करना

प्रश्न 5.
यदि प्रतिनिधि भिन्न 1/5,00,000 हो, तो कथनीय पैमाना किलोमीटरों में बताएँ। (If R.F. of a map is 1/5,00,000, find out the statement of the scale in kilometers.)
उत्तर-
प्रतिनिधि भिन्न (R.F.) = \(\frac{\text { Map Distance }}{\text { Ground Distance }}\)
R.F. = \(\frac{1}{5,00,000}\)
∴ 1 cm : 5,00,000 (क्योंकि किलोमीटर दूरी की मूल इकाई सैंटीमीटर होती है।)
1 cm : \(\frac{5,00,000}{1,00,000}\) km (क्योंकि 1 km = 1,00,000 cm)
कथनीय पैमाना = 1 cm = 5 km.

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 6.
यदि प्रतिनिधि भिन्न 1/1,90,080 हो, तो कथनीय पैमाना मीलों में बताएँ। (If R.F. of a map is 1/1,90,080, find out the statement scale in miles.)
उत्तर-
प्रतिनिधि भिन्न (R.F.) = \(\frac{\text { Map Distance }}{\text { Ground Distance }}\)
R.F. = \(\frac{1}{1,90,080}\)
1 inch = 1,90,080 inches (क्योंकि मीलों की मूल इकाई इंच होती है।)
1 inch = \(\frac{1,90,080}{63,360}\) miles
= 3 miles (क्योंकि 1 मील = 63,360 इंच)
कथनीय पैमाना = 1 inch : 3 miles.

प्रश्न 7.
यदि प्रतिनिधि भिन्न 1/1,000,000 हो, तो कथनीय पैमाना मीलों में और किलोमीटरों में बताएं।
(If R.F. of a map is 1/1,000,000, find out the statement of the scale in both miles and kilometres.)
उत्तर-
(i) मीलों में (In miles)
R.F. = \(\frac{\text { Map Distance }}{\text { Ground Distance }}\)
R.F. = \(\frac{1}{1,000,000}\)
1 inch = 1,000,000 inches
1 inch = \(\frac{1,000,000}{63,360}\) miles (∵1 mile = 63,360 inches)
= 15.78 miles approximately
कथनीय पैमाना = 1 inch : 15.78 miles.

(ii) किलोमीटरों में (In kms)
R.F. = \(\frac{1}{1,000,000}\)
1 cm. = 1,000,000 cms.
1.cm. = \(\frac{1,000,000}{1,00,000}\)
= 10 kms.
कथनीय पैमाना = 1 cm : 10 km.

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

QUESTIONS TYPE III

प्रतिनिधि भिन्न और वास्तविक दूरी ज्ञात करना

प्रश्न 8.
दो स्थानों के बीच वास्तविक दूरी 40 kms है और नक्शे पर यह दूरी 5 cm रेखा से प्रकट की गई है। नक्शे की प्रतिनिधि भिन्न बताएँ।
उत्तर-
नक्शे पर 5 सैं.मी. दूरी प्रकट करती है = 40 कि०मी० भूमि पर दूरी
नक्शे पर 1 सें.मी. दरी प्रकट करती है = \(\frac{40 \times 1,00,000 \mathrm{~cm}}{5}\)
= 8,00,000 cm
= \(\frac{1}{8,00,000}\)
अथवा दूसरे ढंग से R.F. = \(\frac{\text { Map Distance }}{\text { Ground Distance }}\)
= \(\frac{5 \mathrm{cms}}{40,00,000 \mathrm{~cm}}\)
= \(\frac{1}{8,00,000}\)

प्रतिनिधि भिन्न के नियम-

  • R.F. का अंश सदा एक (1) होना चाहिए।
  • अंश और हरेक की दूरी एक ही इकाई में होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
दो स्थानों की नक्शे पर आपसी दूरी 5 सें.मी. है। नक्शे की प्रतिनिधि भिन्न 1/200,000 है। उन दो स्थानों की भूमि पर वास्तविक दूरी बताएँ।
उत्तर-
प्रतिनिधि भिन्न (R.F.) = \(\frac{1}{2,00,000}\)
नक्शे पर 1 सैं०मी० की दूरी प्रकट करता है = 2,00,000 सैं.मी. भूमि पर
नक्शे पर 5 सैं०मी० की दूरी प्रकट करता है = \(\frac{2,00,000 \times 5}{1,00,000}\) kms
= 10 kms.

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

QUESTIONS TYPE IV

रेखीय पैमाने की रचना-विधि (Drawing of a Linear or Plain Scale)

इस विधि में नक्शे की दूरी को एक सरल रेखा के द्वारा प्रकट किया जाता है। इस रेखा को कुछ मुख्य समान भागों (Primary Divisions) में बाँटा जाता है। प्रत्येक मुख्य भाग को गौण भागों (Secondary Divisions) में बाँटा जाता है।

पहली विधि-मान लो कि किसी सरल रेखा AB को पाँच समान भागों में बाँटना है। A बिंदु पर एक न्यून कोण (Acute angle) ∠OAB बनाएँ। रेखा AO पर A से 0 की ओर बराबर दूरी पर पाँच बिंदु a, b, c, d, e लगाएँ। बिंदु e और b को एक सरल रेखा से मिलाएँ। सैट स्कवैर की सहायता से बिंदु d, c, b और a से समानांतर रेखाएँ खींचें। ये रेखाएँ AB को पाँच बराबर भागों में बांटती हैं।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 6

दूसरी विधि-मान लो कि किसी सरल रेखा AB को पाँच बराबर भागों में बाँटना है। AB रेखा के दोनों सिरों A और B पर विपरीत दिशा में दो लंब कोण बनाएँ। अब बिंदु A से बराबर दूरी पर A से C की ओर पाँच चिहन 1, 2, 3,4,5 लगाएँ। इसी प्रकार बिंदु B से पाँच बराबर चिह्न D की ओर लगाएँ। चित्र के अनुसार इन बिंदुओं को मिलाकर समानांतर रेखाएँ खींचे। ये रेखाएँ AB रेखा को पाँच बराबर भागों में बाँटेंगी।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 7

सावधानियाँ-
1. सरल रेखा की लंबाई-सरल रेखा की आदर्श लंबाई लगभग 6 इंच या 15 सें.मी. हो, ताकि मुख्य भाग और उपभाग आसानी से पढ़े जा सकें।

2. पूर्ण अंक-रेखीय पैमाने के मुख्य भाग और उपभाग पर दिखाई गई दूरी पूर्ण अंक (Round Number) में होनी चाहिए, जैसे-5, 10, 15, 20.

3. मुख्य भाग और उपभाग-रेखीय भाग को मुख्य भाग और उपभाग में बाँटा जाए।

4. कथनीय और प्रतिनिधि भिन्न-रेखीय पैमाने के ऊपर कथनीय पैमाना और सरल रेखा के नीचे प्रतिनिधि भिन्न लिखना चाहिए।

5. पैमाने का शून्य (जीरो)-सरल रेखा पर दायीं ओर मुख्य भाग और बायीं ओर उपभाग शुरू होते हैं। बायीं ओर के पहले भाग से ज़ीरो शुरू होता है।

6. माप इकाई-रेखीय पैमाने पर दूरी अंकों में लिखी जाती है और माप इकाई शब्दों में जैसे-किलोमीटर या मील।

7. शेड करना-पैमाने के आधे भाग पर एक सरल रेखा खींच कर पैमाने के दो भाग हो जाते हैं। एक भाग को छोड़कर ऊपर नीचे शेड किया जाता है।

QUESTIONS TYPE-V

कथनीय पैमाने से रेखीय पैमाना बनाना

प्रश्न 10.
यदि कथनीय पैमाना 1 सैं.मी. : 10 कि.मी. हो, तो रेखीय पैमाना बनाएँ।
(Draw a plain scale for a map whose scale is 1 cm: 10 km.)
उत्तर-
नक्शे पर 1 cm दूरी भूमि पर प्रकट करती है = 10 km.
नक्शे पर 15 cm दूरी भूमि पर प्रकट करती है = 10 x 15
= 150 km.
∴ सरल रेखा की दूरी 15 cm. चाहिए।
(नोट – 150 km. एक पूर्ण अंक है।)
PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 8

रचना (Construction)-15 सैं०मी० लंबी रेखा के 15 मुख्य भाग करें। हर मुख्य भाग 10 कि०मी० की दूरी प्रकट करता है। सबसे बायीं ओर की तरफ मुख्य भाग को दो उपभागों में बाँटें, तो हर एक उपभाग 5 कि०मी० दूरी को दर्शाएगा।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 11.
1 सैं०मी० : 7 कि०मी० के कथनीय पैमाने के लिए रेखीय पैमाना बनाएँ।
(Draw a plain scale for a map whose scale is 1 cm. : 7 km.)
उत्तर-
कथनीय पैमाने से स्पष्ट है
1 सैं०मी० प्रकट करता है = 7 कि०मी० दूरी
15 सैं०मी० प्रकट करता है = 7 x 15
= 105 कि०मी०
परंतु 105 पूर्ण अंक नहीं है। इसके निकट की पूर्ण संख्या 100 कि०मी० है। इसलिए 100 कि०मी० की दूरी पर नक्शे की दूरी खोजें।
7 कि०मी० की दूरी प्रकट की जाती है = 1 सैं०मी० से
1 कि०मी० की दूरी प्रकट की जाती है = 1/7 सैं०मी० से.
100 कि०मी० की दूरी प्रकट की जाती है = 100/7 सैं०मी० से = 14.3 सैं०मी० (लगभग)

रचना (Construction)-14.3 सैं०मी० लंबी रेखा लेकर इसे पाँच मुख्य भागों में बाँटें । हर मुख्य भाग 20 कि०मी० की दूरी प्रकट करता है सबसे बायीं ओर वाले मुख्य भाग को चार उपभागों में बाँटें, तो हर एक उपभाग 5 कि०मी० की दूरी को दर्शाएगा।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 9

प्रश्न 12.
4 इंच : 1 मील के कथनीय पैमाने के लिए रेखीय पैमाना बनाएँ, जिस पर गज दिखाए जा सकें।
(Draw a plain scale to show yards for a map whose scale is 4 inches : 1 mile)
उत्तर-
4 इंच की दूरी प्रकट करती है = 1 मील
= 1760 गज
1 इंच की दूरी प्रकट करती है = \(\frac{1760}{4}\) गज
6 इंच की दूरी प्रकट करती है = \(\frac{1760}{4}\) x 6
= 2640 गज परंतु 2640 पूर्ण अंक नहीं हैं। इसके निकट की पूर्ण संख्या 3000 गज हैं।
1760 गज की दूरी प्रकट की जाती है = 4 इंच
1 गज की दरी प्रकट की जाती है = \(\frac{4}{1760}\)
3000 गज की दूरी प्रकट की जाती है = \(\frac{4}{1760}\) x 3000
= 6.8 इंच

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 10

रचना (Construction) : 6.8 इंच लंबी रेखा को 6 मुख्य भागों में बाँटें। हर एक मुख्य भाग 500 गज की दूरी प्रकट करेगा। बायीं ओर वाले मुख्य भाग को पाँच उपभागों में बाँटे। हर एक उपभाग 100 गज की दूरी को प्रकट करेगा।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

QUESTIONS TYPE VI

प्रतिनिधि भिन्न से रेखीय पैमाना बनाना

प्रश्न 13.
यदि प्रतिनिधि भिन्न \(\frac{1}{100000}\) हो, तो रेखीय पैमाना बनाएँ।
(Draw a plain scale to show kilometers for a map whose R.F. is \(\frac{1}{100000}\)).
उत्तर-
1 सैं०मी० प्रकट करता है = 1,00,000 सैं०मी०
= 1 कि०मी०
15 सैं०मी० प्रकट करता है = 15 कि०मी०

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 11

रचना (Construction)-15 सैं०मी० रेखा को पाँच मुख्य भागों में बाँटें। हर-एक मुख्य भाग 3 कि०मी० की दूरी को प्रकट करेगा। बायीं ओर वाले मुख्य भाग को तीन उपभागों में बाँटें। हर-एक उपभाग 1 कि०मी० की दूरी को प्रकट करेगा।

प्रश्न 14.
यदि प्रतिनिधि भिन्न \(\frac{1}{50000}\) हो, तो रेखीय पैमाना बनाएँ, जिसमें कि०मी० और मी० प्रकट किए जा सकें। इस पैमाने पर 4 कि०मी० और 600 मीटर की दूरी प्रकट करें।
(Draw a plain scale to show kilometers and meters for a map. Whose scale is \(\frac{1}{50000}\))
Show a distance of 4 km. and 60 meters on this scale.)
उत्तर-
1 सैं०मी० की दूरी प्रकट करता है = 50,000 सैं०मी०
= \(\frac{50000}{100000}\)
= \(\frac{1}{2}\)कि०मी०
16 सै०मी० की दूरी प्रकट करता है = \(\frac{1}{2}\) x 16
= 8 कि०मी०

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 12

रचना (Construction)-16 सैं०मी० लंबी रेखा लें। इसे 8 मुख्य भागों में बाँटें। हर एक भाग 1 कि०मी० को प्रकट करेगा। बायीं ओर वाले मुख्य भाग को पाँच उपभागों में बाँटें। हर एक भाग 200 मीटर को प्रकट करेगा ।
रेखीय पैमाने पर 4 कि०मी० और 600 मी० की दूरी = 4 कि०मी० + 600 मी०
= 4 मुख्य भाग + 3 उपभाग
चिह्न लगाकर यह दूरी चित्र के अनुसार दिखाएँ।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना

प्रश्न 15.
अमृतसर और जालंधर की वास्तविक दूरी 78 कि०मी० है, जिसे नक्शे पर 5.2 सैं०मी० द्वारा दर्शाया गया है। नक्शे का पैमाना बताएँ।
(The distance between Amritsar and Jalandhar is 78 km. It is shown by a distance of 5.2 cm. on the map. Find out the scale of the map.)
उत्तर-
\(\frac{52}{10}\)
1 सैं॰मी॰ दूरी प्रकट करती है =\(\frac{78 \times 10}{52}\)
= 15 कि०मी०
इसलिए पैमाना = 1 cm. : 15 कि०मी०

प्रश्न 16.
यदि प्रतिनिधि भिन्न \(\frac{1}{100000}\) हो, तो रेखीय पैमाना (मीलों में) बनाएँ।
(Draw a plain scale to show miles for a map whose R.F. is \(\frac{1}{100000}\))
उत्तर-
1 इंच दूरी प्रकट करती है = 1,000,000 इंच
\(\frac{100000}{63,360}\) मील
6 इंच दूरी प्रकट करती है =
\(\frac{100000}{63,360}\) x 6
= \(\frac{100,000}{1056}\)
= \(\frac{12500}{132}\)
= \(\frac{3125}{33}\) मील
= 94.69 मील

परंतु \(\frac{3125}{33}\) या 94.69 मील पूर्ण अंक नहीं है।
इसके निकट की पूर्ण संख्या 100 मील है। 100 मील के लिए नक्शे पर दूरी बताएँ। \(\frac{100000}{63360}\)
मील प्रकट किए जाते हैं = 1 इंच से
1 मील प्रकट किया जाता है = \(\frac{63,360 \times 1}{1,000,000}\) इंच
100 मील प्रकट किए जाते हैं = \(\frac{63,360 \times 100}{1,000,000}\)
= \(\frac{6336}{1000}\)
= 6.336 इंच
= 6.3 इंच (लगभग)

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 2 पैमाना 13

रचना (Construction)–6.3 इंच सरल रेखा लें। इसको 10 भागों में बाँटें। हर एक मुख्य भाग 10 मील की दूरी को प्रकट करता है। बायीं ओर वाले मुख्य भाग को 5 उपभागों में बाँटें। हर एक उपभाग 2 मील की दूरी को प्रकट करता है।

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules.

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

मुक्केबाजी में याद रखने योग्य बातें

  1. रिंग का आकार = वर्गाकार
  2. एक भुजा की लम्बाई = 20 फुट
  3. रस्सों की संख्या = तीन अथवा पांच
  4. भारों की संख्या = 11
  5. पट्टी की लम्बाई = 8’4″
  6. पट्टी की चौड़ाई = \(1 \frac{1}{4}\)
  7. रिंग की फर्श से ऊंचाई = 3’4″
  8. सीनियर प्रतियोगिता का समय = 3-1-3-1-3
  9. जुनियर के लिए समय = 2-1-2-2
  10. अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए समय = 2-1-2-1-2-1–2-1-2
  11. कोर्नर का रंग = लाल और नीला
  12. अधिकारी = 1 रैफरी, 3 या 5 जज

खेल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी

  1. बाक्सिग में रिंग का आकार वर्गाकार और एक भुजा की लम्बाई 20 फुट होती है।
  2. रिंग में रस्सों की गिनती तीन होती है और साइडों का रंग एक नीला तथा दूसरा लाल होता है।
  3. बाक्सिग के लिए भार के वर्गों की गिनती 12 होती है।
  4. दस्तानों का भार 10 औंस से अधिक नहीं होना चाहिए।
  5. पट्टी की लम्बाई 8 फुट 4 इंच और चौड़ाई \(1 \frac{3}{4}\) इंच 4.4 सैं० मी० होनी चाहिए।
    बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में भार अनुसार कितने प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं ?
उत्तर-
मुक्केबाज़ी के भारों का वर्गीकरण
(Weight Categories in Boxing)

  1. लाइट फलाई वेट (Light Fly Weight) = 48 kg
  2. फलाई वेट (Fly Weight) = 51 kg
  3. बैनटम वेट (Bentum Weight) = 54 kg
  4. फ़ैदर वेट (Feather Weight) = 57 kg
  5. लाइट वेट (Light Weight) = 60 kg
  6. लाइट वैल्टर वेट (Light Welter Weight) = 63.5 kg
  7. वैल्टर वेट (Welter Weight) = 67 kg
  8. लाइट मिडल वेट (Light Middle Weight) = 71 kg
  9. मिडल वेट (Middle Weight) = 75 kg
  10. लाइट हैवी वेट (Light Heavy Weight) = 81 kg से 91 kg तक
  11. हैवी वेट (Heavy Weight) = 91 kg से अधिक 100 kg तक
  12. सुपर हैवी वेट (Super Heavy Weight) = 100 kg से ऊपर

प्रश्न
बाक्सिग में रिंग, रस्सा, प्लेटफ़ार्म, अंडर-कवर, पोशाक और पट्टियों के बारे में लिखें।
उत्तर-
रिंग (Ring)-सभी प्रतियोगिताओं में रिंग का आन्तरिक माप 12 फुट से 20 फुट (3 मी० 66 सैं० मी० से 6 मी० 10 सैं० मी०) वर्ग में होगा। रिंग की सतह से सबसे ऊपरी रस्से की ऊंचाई 16”, 28”, 40”, 50” होगी।
रस्सा (Rope)-रिंग चार रस्सों के सैट से बना होगा जोकि लिनन या किसी नर्म पदार्थ से ढका होगा।

प्लेटफ़ार्म (Platform)-प्लेटफार्म सुरक्षित रूप में बना होगा। यह समतल तथा बिना किसी रुकावटी प्रक्षेप के होगा। यह कम-से-कम 18 इंच रस्सों की लाइन से बना रहेगा उस पर चार कार्नर पोस्ट लगे होंगे जो इस प्रकार बनाए जाएंगे कि कहीं चोट न लगे।
अंडर-कवर (Under-cover)-फर्श एक अण्डर-कवर से ढका होगा जिस पर कैनवस बिछाई जाएगी।

पोशाक (Costumes)-प्रतियोगी एक बनियान (Vest) पहन कर बाक्सिग करेंगे जोकि पूरी तरह से छाती और पीठ ढकी रखेगी। शार्ट्स उचित लम्बाइयों की होगी जोकि जांघ के आधे भाग तक जाएगी। बूट या जूते हल्के होंगे। तैराकी वाली पोशाक पहनने की आज्ञा नहीं दी जाएगी। प्रतियोगी उन्हें भिन्न-भिन्न दर्शाने वाले रंग धारण करेंगे जैसे कि कमर के गिर्द लाल या नीले कमर-बन्द, दस्ताने (Gloves) स्टैंडर्ड भार के होंगे। प्रत्येक दस्ताना 8 औंस (227 ग्राम) भारी होगा।

पट्टियां (Bandages)-एक नर्म सर्जिकल पट्टी जिसकी लम्बाई 8 फुट 4 इंच (2.5 मी०) से अधिक तथा चौड़ाई \(1 \frac{3}{4}\) इंच (4.4 सैं० मी०) से अधिक न हो या एक वैल्यियन टाइप पट्टी जो 6 फुट 6 इंच से अधिक लम्बी तथा \(1 \frac{3}{4}\) इंच (4.4 सैं० मी०) से अधिक चौड़ी नहीं होगी, प्रत्येक हाथ पर पहनी जा सकती है।
अवधि (Duration)-सीनियर मुकाबलों तथा प्रतियोगिताओं के लिए खेल की अवधि निम्नलिखित होगी—
बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
प्रतियोगिताएं (Competitions)—
Senior National Level 3-1-3-1-3 तीन-तीन मिनट के तीन राऊण्ड
Junior National Level
2-1-2-1-2 दो-दो मिनट के तीन राऊण्ड
International Level
2-1-2-1-2-1-2 दो-दो मिनट के पांच राऊण्ड

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में ड्रा, बाई, वाक ओवर के बारे में लिखें।
उत्तर-
ड्रा, बाई, वाक ओवर (The Draw, Byes and Walk-over)

  1. सभी प्रतियोगिताओं के लिए भार तोलने तथा डॉक्टरी निरीक्षण के बाद ड्रा किया जाएगा।
  2. वे प्रतियोगिताओं में जिनसे चार से अधिक प्रतियोगी हैं, पहली सीरीज़ में बहुतसी बाई निकाली जाएंगी ताकि दूसरी सीरीज़ में प्रतियोगियों की संख्या कम रह जाए।
  3. पहली सीरीज़ में जो मुक्केबाज़ (Boxer) बाई में आते हैं वे दूसरी सीरीज़ में पहले बाक्सिग करेंगे। यदि बाइयों की संख्या विषय हो तो अन्तिम बाई का बाक्सर दूसरी सीरीज़ में पहले मुकाबले के विजेता के साथ मुकाबला करेगा।
  4. कोई भी प्रतियोगी पहली सीरीज़ में बाई ओर दूसरी सीरीज़ में वाक ओवर नहीं प्राप्त कर सकता या दो प्रतियोगियों के नाम ड्रा निकाला जाएगा जोकि अब भी मुकाबले में हों। इसका अर्थ इन प्रतियोगियों के लिए विरोधी प्रदान करना है जोकि पहली सीरीज़ में पहले ही वाक ओवर ले चुके हैं।

सारणी-बाऊट से बाइयां निकालना
बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
प्रतियोगिता की सीमा (Limitation of Competitors)-किसी भी प्रतियोगिता में 4 से लेकर 8 प्रतियोगियों को भाग लेने की आज्ञा है। यह नियम किसी ऐसोसिएशन द्वारा आयोजित किसी चैम्पियनशिप पर लागू नहीं होता। प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली क्लब को अपना एक सदस्य प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मनोनीत करने का अधिकार है, परन्तु शर्त यह है कि वह सदस्य प्रतियोगिता में सम्मिलित न हो।

नया ड्रा (Fresh Draw)–यदि किसी एक ही क्लब के दो सदस्यों का पहली सीरीज़ में ड्रा निकल जाए तो उनमें एक-दूसरे के पक्ष में प्रतियोगिता से निकलना चाहे तो नया ड्रा किया जाएगा।
वापसी (Withdrawl)-ड्रा किए जाने के बाद यदि प्रतियोगी बिना किसी सन्तोषजनक कारण के प्रतियोगिता से हटना चाहे तो इन्चार्ज अधिकारी इन दशाओं में एसोसिएशन को रिपोर्ट करेगा।

रिटायर होना (Retirement)-यदि कोई प्रतियोगी किसी कारण प्रतियोगिता से रिटायर होना चाहता है तो उसे इन्चार्ज अधिकारी को सूचित करना होगा।
बाई (Byes)—पहली सीरीज़ के बाद उत्पन्न होने वाली बाइयों के लिए निश्चित समय के लिए वह विरोधी छोड़ दिया जाता है जिससे इन्चार्ज अधिकारी सहमत हो।
सैकिण्ड (Second)—प्रत्येक प्रतियोगी के साथ एक सैकिण्ड (सहयोगी) होगा तथा राऊंड के दौरान वह सैकिण्ड प्रतियोगी को कोई निर्देश या कोचिंग नहीं दे सकता।
केवल पानी की आज्ञा (Only water allowed)–बाक्सर को बाऊट से बिल्कुल पहले या मध्य में पानी के अतिरिक्त कोई अन्य पीने वाली चीज़ नहीं दी जा सकती।

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में बाऊट को नियन्त्रण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
बाऊट का नियन्त्रण
(Bout’s Control)

  1. सभी प्रतियोगिताओं के मुकाबले एक रैफ़री, तीन जजों, एक टाइम कीपर द्वारा निश्चित किए जाएंगे। रैफ़री रिंग में होगा। जब तीन से कम जज होंगे तो रैफ़री स्कोरिंग पेपर को पूरा करेगा। प्रदर्शनी ब्राऊट एक रैफ़री द्वारा कण्ट्रोल किए जाएंगे।
  2. रैफ़री एक स्कोर पैड या जानकारी सलिप का प्रयोग बाक्सरों के नाम तथा रंगों का रिकार्ड रखने के लिए करेगा। इन सब स्थितियों को जब बाऊट चोट लगने के कारण या किसी अन्य कारणवश स्थगित हो जाए तो रैफ़री इस पर कारण रिपोर्ट करके इंचार्ज अधिकारी को देगा।
  3. टाइम कीपर रिंग के एक ओर बैठेगा तथा जज अन्य तीन ओर बैठेंगे। सीटें इस प्रकार की होंगी कि वे बाक्सिग को सन्तोषजनक ढंग से देख सकें। ये दर्शकों से अलग होंगी। रैफ़री बाऊट को नियमानुसार कण्ट्रोल करने के लिए अकेला ही उत्तरदायी होगा तथा जज स्वतन्त्रतापूर्वक प्वाइंट देंगे।
  4. प्रमुख टूर्नामैंट में रैफ़री सफेद कपड़े धारण करेगा। प्वाईंट देना (Awarding of Points)
    • सभी प्रतियोगिताओं में जज प्वाईंट देगा।
    • प्रत्येक राऊंड के अन्त में प्वाईंट स्कोरिंग पेपर पर लिखे जाएंगे तथा बाऊंट के अन्त में जमा किए जाएंगे, भिन्नों का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
    • प्रत्येक जज को विजेता मनोनीत करना होगा या उसे अपने स्कोरिंग पेपर पर हस्ताक्षर करने होंगे। जज का नाम बड़े अक्षरों (Block Letters) में लिखा जाएगा। उसे स्कोरिंग स्लिपों पर हस्ताक्षर करने होंगे।

प्रश्न
बाक्सिग में स्कोर कैसे मिलते हैं ?
उत्तर-
स्कोरिंग (Scoring)

  1. जो बाक्सर अपने विरोधी को सबसे अधिक मुक्के मारेगा उसे प्रत्येक राऊंड के अन्त में 20 प्वाईंट दिए जाएंगे। दूसरे बाक्सर को उसी अनुपात में अपने स्कोरिंग मुक्कों में कम प्वाईंट मिलेंगे।
  2. जब जज यह देखता है कि दोनों बाक्सरों ने एक जितने मुक्के मारे हैं तो प्रत्येक प्रतियोगी को 20 प्वाईंट दिए जाएंगे।
  3. यदि बाक्सरों को मिले प्वाईंट बाऊट के अन्त में बराबर हों तो जज अपना निर्णय उस बाक्सर के पक्ष में देगा जिसने अधिक पहल दिखाई हो, परन्तु यदि समान हो उस बाक्सर के पक्ष में जिसने बेहतर स्टाइल दिखाया हो। यदि वह सोचे कि वह इन दोनों पक्षों में बराबर हैं तो वह अपना निर्णय उस बाक्सर के पक्ष में देगा जिसने अच्छी सुरक्षा (Defence) का प्रदर्शन किया हो।

परिभाषाएं (Definitions)-उपर्युक्त नियम निम्नलिखित परिभाषाओं द्वारा लागू होता है—

  1. स्कोरिंग मुक्के या प्रहार (Scoring Blows)-वे मुक्के जो किसी भी दस्ताने के नक्कल से रिंग के सामने या साइड की ओर या शरीर के बैल्ट के ऊपर मारे जाएं।
  2. नान-स्कोरिंग मुक्के (Non-Scoring Blows)
    • नियम का उल्लंघन करके मारे गए मुक्के।
    • भुजाओं या पीठ पर मारे गए मुक्के।
    • हल्के मुक्के या बिना ज़ोर की थपकियां।
  3. पहल करना (Leading Off)-पहला मुक्का मारना या पहला मुक्का मारने की कोशिश करना। नियमों का उल्लंघन पहल करने के स्कोरिंग मूल्य को समाप्त कर देता है।
  4. सुरक्षा (Defence)–बाक्सिग, पैरिंग, डकिंग, गार्डिंग, साइड स्टैपिंग द्वारा प्रहरों से बचाव करना।.

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में कोई दस त्रुटियां लिखें।
उत्तर-
त्रुटियां (Fouls)-जजों या रैफ़री का फ़ैसला अन्तिम होगा। रैफ़री को निम्नलिखित कार्य करने पर बाक्सर को चेतावनी देने या अयोग्य घोषित करने का अधिकार है—

  1. खुले दस्ताने से चोट करना, हाथ के आन्तरिक भाग या बट के साथ चोट करना, कलाइयों से चोट करना या बन्द दस्ताने के नक्कल वाले भाग को छोड़कर किसी अन्य भाग से चोट करना।
  2. कुलनी से मारना।
  3. बैल्ट के नीचे मारना।
  4. किडनी पंच (Kidney Punch) का प्रयोग करना।
  5. पिवट ब्लो (Pivot Blow) का प्रयोग करना।
  6. गर्दन या सिर के नीचे जानबूझ कर चोट करना।
  7. नीचे पड़े प्रतियोगी को मारना।
  8. पकड़ना।
  9. सिर या शरीर के भार लेटना।
  10. बैल्ट के नीचे किसी ढंग से डकिंग (Ducking) करना जोकि विरोधी के लिए खतरनाक हो।
  11. बाक्सिग का सिर पर खतरनाक प्रयोग। (12) रफिंग (Roughing)
  12. कन्धे मारना।
  13. कुश्ती करना।
  14. बिना मुक्का लगे जान-बूझ कर गिरना।
  15. निरन्तर ढक कर रखना।
  16. रस्सों का अनुचित प्रयोग करना।
  17. कानों पर दोहरी चोट करना।

ब्रेक (Break) जब रैफ़री दोनों प्रतियोगियों को ब्रेक (To Break) की आज्ञा देता है तो दोनों बाक्सरों को पुनः बाक्सिग शुरू करने से पहले एक कदम पीछे हटना ज़रूरी है। ‘ब्रेक’ के समय एक बाक्सर को विरोधी को मारने की आज्ञा नहीं होती।
डाऊन तथा गिनती (Doun and Count)-एक बाक्सर को डाऊन (Doun) समझा जाता है जब शरीर का कोई भाग सिवाए उसके पैरों के फर्श पर लग जाता है या जब वह रस्सों से बाहर या आंशिक रूप में बाहर होता है या वह रस्सी पर लाचार लटकता है।
बाऊट रोकना (Stopping the Bout)—

  1. यदि रैफ़री के मतानुसार एक बाक्सर चोट लगने के कारण खेल जारी नहीं रख सकता या वह बाऊट बन्द कर देता है तो उसके विरोधी को विजेता घोषित कर दिया जाता है। यह निर्णय करने का अधिकार रैफ़री को होता है जोकि डॉक्टर का परामर्श ले सकता है।
  2. रैफ़री को बाऊट रोकने का अधिकार है यदि उसकी राय में प्रतियोगी को मात हो गई है या वह बाऊट जारी रखने के योग्य नहीं है।

बाऊट पुनः शुरू करने में असफल होना (Failure to resume Bout) सभी बाऊटों में यदि कोई प्रतियोगी समय कहे जाने पर बाऊट को पुनः शुरू करने में असमर्थ होता है तो वह बाऊट हार जाएगा।

नियमों का उल्लंघन (Breach of Rules)-बाक्सर या उसके सैकिण्ड (Second) द्वारा इन नियमों के किसी भी उल्लंघन से उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। एक प्रतियोगी जो अयोग्य घोषित किया गया हो उसे कोई ईनाम नहीं मिलेगा।

शंकित फाऊल (Suspected Foul)–यदि रैफ़री को किसी फ़ाऊल का सन्देह हो जाए जिसे उसने स्वयं साफ नहीं देखा, वह जजों की सलाह ले सकता है तथा उसके अनुसार अपना फैसला दे सकता है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 7 राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 7 राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 7 राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान

PSEB 6th Class Physical Education Guide राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय गान ‘जन-गण-मन’ लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन –
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब, सिन्ध, गुजरात, मराठा
द्राविड़, उत्कल, बंग,
विन्ध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तब शुभ नामे जागे
तब शुभ आशिष मांगे
गाये तब जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय, जय, जय हे।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।
सुजलां, सुफलां, मलयज शीतलां, शस्य श्यामला, मातरम्।
वन्दे मातरम्।।
शुभ्र ज्योत्सना पुलकित यामिनीम्, फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनिम्।
सुहासिनी सुमधुर भाषिणीम्, सुखदां वरदां मातरम्।
वन्दे मातरम्। सप्तकोटि कंठ कलकल निनाद कराले, द्वि सप्तकोटि भुजैधुतखर कर वाले, अमला केनो मां एतो भले।
बहु भलधारिणी, नमामि तारिणी, रिपुदलवारिणी, मातरम्।
वन्दे मातरम्।
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि हृदि तुमि मर्म, त्वंहिं प्राणाः शरीरे।
बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारह प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे।
त्वंहि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी, कमला-कमल-दल विहारिणी, वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वां, निमामि कमलाम्, अमलां अतुलाम्, सुजलां, सुफलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।

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प्रश्न 3.
जन-गण-मन गान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जन-गण-मन का अर्थ-हे ईश्वर त असंख्य लोगों के मन का स्वामी है और भारत का भाग्य बनाने वाला है। हमारे प्रान्तों पंजाब, सिन्ध, गुजरात, महाराष्ट्र उड़ीसा, बंगाल और द्रविड़ के लोग, हमारे पहाड़ विन्ध्याचल, हिमालय और पवित्र नदियां, गंगा, यमुना और विशाल समुद्र से उठने वाली लहरें तुम्हारे नाम का जाप करती हैं। हम तुम्हारे शुभ आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं और तुम्हारे अनन्त गुणों की महिमा के गीत गा रहे हैं।
हे ईश्वर ! तू सब लोगों को सुख देने वाला है। तुम्हारी सदा ही जय हो। तू ही भारत का भाग्य बनाने वाला है। हम सदा ही तुम्हारे गुण गाते हैं।

प्रश्न 4.
‘वन्दे मातरम्’ गीत का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
हे भारत माता ! हम तुम्हें नमस्कार करते हैं। तेरा पानी बहुत पवित्र है। तू सुन्दर फूलों से लदी हुई है। दक्षिण की ठण्डी हवा हमारे मन को मोहित करती है। हे मातृभूमि ! मैं तुझे बार-बार नमस्कार करता हूं।

हे मां ! तेरी रातें चंद्रमा के समान सफेद खिले हुए प्रकाश से शोभित होती हैं और हम इससे प्रसन्नता प्राप्त करते हैं। तू पूरे खिले हुए फूलों से लदी हुई है और हरे-भरे वृक्षों के कारण बहुत शोभा दे रही है। तेरी मुस्कान और वाणी हमें मिठास और वरदान देती है। तुझे हम बार-बार नमस्कार करते हैं।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित रिक्त स्थान भरो –
(क) जन-गण-मन ……… ने लिखा है। (महात्मा गांधी, रवीन्द्र नाथ टैगोर, सुभाष चन्द्र बोस) .
(ख) वन्दे मातरम् ………. ने लिखा है। (सरोजिनी नायडू, जवाहर लाल नेहरू, बंकिम चन्द्र चटर्जी)
उत्तर-
(क) रवीन्द्र नाथ टैगोर
(ख) बंकिम चन्द्र चटर्जी।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय गान की धुन किन-किन अवसरों पर बजाई जाती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय गान की धुन निम्नलिखित अवसरों पर बजाई जाती है –

  1. 15 अगस्त को राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय।
  2. 26 जनवरी को राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय।
  3. राष्ट्रपति तथा राज्यपाल को सलामी देते समय।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय खेल मुकाबलों में विजयी भारतीय खिलाड़ियों को पुरस्कार देते समय।
  5. किसी विशाल राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के समय।

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Physical Education Guide for Class 6 PSEB राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे दो राष्ट्रीय गीत कौन-से हैं ?
उत्तर-
जन-गण-मन और ‘वन्दे मातरम्’।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन की रचना किसने की थी ?
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन की रचना प्रसिद्ध कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने की थी।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना किसने की थी ?
उत्तर-
बंकिम चन्द्र चटर्जी।

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प्रश्न 4.
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् कब और कौन-सी पुस्तक में छपा था ?
उत्तर-
1882, आनन्द मठ।

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् की संगीत रचना किस ने की थी ?
उत्तर-
रवीन्द्र नाथ टैगोर ने।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन सबसे पहले कब गाया गया ?
उत्तर-
27 दिसम्बर, 1911 ई० को।

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प्रश्न 7.
जन-गण-मन को राष्ट्रीय गान की मान्यता कब प्राप्त हुई ?
उत्तर-
26 जनवरी, 1950 को।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् सबसे पहले किस वर्ष कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया था ?
उत्तर-
1896 ई० में।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् पर संक्षेप नोट लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी ने की थी। यह गीत 1982 ई० में उनकी पुस्तक आनन्द मठ में छपा। 1896 ई० में यह सबसे पहले इण्डियन नैशनल कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया। इसकी संगीत रचना श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर ने की।

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प्रश्न 2.
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन पर संक्षेप नोट लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन की रचना प्रसिद्ध कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने की। यह 27 दिसम्बर, 1911 ई० को कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया। इसे 24 जनवरी, 1950 ई० को संविधान ने राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी। इस गीत के पूरे पाठ में 48 सैकिण्ड से 52 सैकिण्ड का समय लगना चाहिए। इसके संक्षेप पाठ में 20 सैकिण्ड से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय गीत अथवा इसकी धुन बजाते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
उत्तर-

  1. हमें सावधान अवस्था में खड़े रहना चाहिए।
  2. हिलना-डुलना व बातें नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ पर संक्षेप नोट लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ की रचना श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी ने की। यह गीत 1882 में उनकी पुस्तक ‘आनन्द मठ’ में छपा। 1896 ई० में यह सबसे पहले इण्डियन नैशनल कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया। इसकी संगीत रचना श्री रविन्द्र नाथ टैगोर ने की।

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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन पर संक्षेप नोट लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन की रचना प्रसिद्ध कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने की। यह 27 दिसम्बर, 1911 ई० को कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया। इसे 24 जनवरी, 1950 ई० को संविधान ने राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी। इस गीत के पूरे पाठ में 48 सैकिण्ड से 52 सैकिण्ड का समय लगना चाहिए। इसके संक्षेप पाठ में 20 सैकिण्ड से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।

रिक्त स्थानों की पूर्ति –

प्रश्न-
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठकों में दिए गए शब्दों से करो –

  1. राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ ………. नाटक पुस्तक में छपा। (गोदान, आनन्द मठ)
  2. 1896 ई० में कांग्रेस अधिवेशन में ……… पहली बार गाया गया। (वन्दे मातरम्, जन-गण-मन)
  3. ‘जन-गण-मन’ को ………. की संविधान द्वारा राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। (15 अगस्त, 1947, 24 जनवरी, 1950)
  4. राष्ट्रीय गीत ‘जन-गण-मन’ ……… को कांग्रेस की राजनीतिक सभा में गाया गया। (26 जनवरी, 1950, 27 दिसम्बर, 1911)
  5. जन-गण-मन के पूरे गीत को ………. में गाया जाना चाहिए। (20-48 सैकिण्ड, 48-52 सैकिण्ड)
  6. जन-गण-मन के संक्षेप पाठ को ………. नहीं लगाने चाहिए। (20 सैकिण्ड से अधिक/ 25 सैकिण्ड से अधिक)
  7. राष्ट्रीय गीत गाने और सुनने वालों को …….. खड़ा होना चाहिए। (सावधान, आराम से)
  8. जन-गण-मन की संगीत रचना ………. ने की। (आर० डी० बर्मन, रवीन्द्रनाथ टैगोर)

उत्तर-

  1. आनन्द मठ
  2. वन्दे मातरम्
  3. 24 जनवरी, 1950
  4. 27 दिसम्बर, 1911
  5. 48-52 सैकिण्ड
  6. 20 सैकिण्ड से अधिक
  7. सावधान
  8. रवीन्द्रनाथ टैगोर।

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(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखें

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के बाद कौन उसका उत्तराधिकारी बना?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के बाद खड़क सिंह उसका उत्तराधिकारी बना।

प्रश्न 2.
मुदकी की लड़ाई में सिक्खों की हार क्यों हुई?
उत्तर-
(1) सिक्ख सरदार लाल सिंह ने गद्दारी की और युद्ध के मैदान से भाग निकला।
(2) अंग्रेजों की तुलना में सिक्ख सैनिकों की संख्या कम थी।

प्रश्न 3.
सभराओं की लड़ाई कब हुई और इसका परिणाम क्या निकला?
उत्तर-
सभराओं की लड़ाई 10 फरवरी, 1846 ई० को हुई। इसमें सिक्ख पराजित हुए और अंग्रेजी सेना बिना किसी बाधा के सतलुज नदी को पार कर गई।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

प्रश्न 4.
सुचेत सिंह के खजाने का मामला क्या था?
उत्तर-
डोगरा सरदार सुचेत सिंह द्वारा छोड़े गए ख़ज़ाने पर लाहौर सरकार अपना अधिकार समझती थी, परन्तु अंग्रेज़ी सरकार इस मामले को अदालती रूप देना चाहती थी।

प्रश्न 5.
गौओं सम्बन्धी झगड़े के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
21 अप्रैल, 1846 ई० को गौओं के एक झुंड पर एक यूरोपियन तोपची ने तलवार चला दी जिससे हिन्दू और सिक्ख अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठे।

प्रश्न 6.
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में कब शामिल किया गया ? (P.B. 2014) उस समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में 1849 ई० में सम्मिलित किया गया। उस समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड डल्हौज़ी था।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-50 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
भैरोंवाल की सन्धि क्यों की गई?
उत्तर-
लाहौर की संधि के अनुसार महाराजा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाहौर में एक वर्ष के लिए अंग्रेजी सेना रखी गई थी। अवधि समाप्त होने पर लॉर्ड हार्डिंग ने इस सेना को वहां स्थायी रूप से रखने की योजना बनाई। परन्तु महारानी जिंदां को यह बात मान्य नहीं थी। इसलिए 15 दिसम्बर, 1846 ई० को लाहौर दरबार के मंत्रियों और सरदारों की एक विशेष सभा बुलाई गई। इस सभा में गवर्नर जनरल की केवल उन्हीं शर्तों का उल्लेख किया गया जिनके आधार पर सिक्ख 1846 ई० के बाद लाहौर में अंग्रेजी सेना रखने के लिए सहमत हुए थे। इस प्रकार महारानी जिंदा तथा प्रमुख सिक्ख सरदारों ने 16 दिसंबर, 1846 को भैरोंवाल के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।

प्रश्न 2.
भैरोंवाल की सन्धि की कोई चार धाराएं बताओ।
उत्तर-
भैरोंवाल की संधि की चार मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. लाहौर में एक ब्रिटिश रैजीडेंट रहेगा जिसकी नियुक्ति गवर्नर जनरल करेगा।
  2. महाराजा दलीप सिंह के बालिग (वयस्क) होने तक राज्य का शासन प्रबन्ध आठ सरदारों की कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी द्वारा चलाया जाएगा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी ब्रिटिश रैजीडेंट के परामर्श से प्रशासन का कार्य करेगी।
  4. महारानी जिंदां को राज्य प्रबंध से अलग कर दिया गया। उसे डेढ़ लाख रुपये वार्षिक पेंशन दे दी गई।

प्रश्न 3.
भैरोंवाल की सन्धि का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भैरोंवाल की संधि पंजाब और भारत के इतिहास में बड़ा महत्त्व रखती है

  1. इस सन्धि द्वारा अंग्रेज़ पंजाब के स्वामी बन गए। लाहौर राज्य के प्रशासनिक मामलों में ब्रिटिश रैजीडेंट को असीमित अधिकार तथा शक्तियाँ प्राप्त हो गईं। हैनरी लारेंस को पंजाब में पहला रैजीडेंट नियुक्त किया गया।
  2. इस सन्धि द्वारा महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। पहले उसे शेखुपुरा भेज दिया गया। परन्तु बाद में उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया।

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प्रश्न 4.
पहले आंग्लो-सिक्ख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने पंजाब को अपने कब्जे में क्यों नहीं किया? कोई दो कारण बताओ।
उत्तर-
पहले आंग्ल-सिक्ख युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने निम्नलिखित कारणों से पंजाब पर अपना अधिकार नहीं किया

  1. सिक्ख मुदकी, फिरोजशाह और सभराओं की लड़ाइयों में अवश्य पराजित हुए थे, परन्तु लाहौर, अमृतसर, पेशावर आदि स्थानों पर अभी भी सिक्ख सैनिक तैनात थे। यदि अंग्रेज़ उस समय पंजाब पर अधिकार करते तो उन्हें इन सैनिकों का सामना भी करना पड़ता।
  2. अंग्रेजों को पंजाब में शान्ति व्यवस्था स्थापित करने के लिए आय से अधिक व्यय करना पड़ता।
  3. सिक्ख राज्य अफ़गानिस्तान तथा ब्रिटिश साम्राज्य के बीच मध्यस्थ राज्य का कार्य करता था। इसलिए अभी पंजाब पर अधिकार करना अंग्रेजों के लिए उचित नहीं था।
  4. लॉर्ड हार्डिंग पंजाबियों के साथ एक ऐसी संधि करना चाहता था, जिससे पंजाब कमजोर हो जाए, ताकि वे जब चाहे पंजाब पर अधिकार कर सकें। इसलिए उन्होंने लाहौर सरकार के साथ केवल ऐसी सन्धि की जिसके कारण लाहौर (पंजाब) राज्य आर्थिक और सैनिक दृष्टि से कमजोर हो गया। (कोई दो लिखें)

प्रश्न 5.
भैरोंवाल की सन्धि के पश्चात् अंग्रेजों ने रानी जिंदां के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर-
भैरोंवाल की सन्धि के अनुसार महारानी जिंदां को सभी राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। उसका लाहौर के राज्य प्रबंध से कोई संबंध न रहा। यही नहीं उसे अनुचित ढंग से कैद कर लिया गया और उसे शेखुपुरा के किले में भेज दिया गया। उसकी पेंशन डेढ़ लाख से घटा कर 48 हज़ार रु० कर दी गई। तत्पश्चात् उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया। इस प्रकार महारानी जिंदां से बहुत ही बुरा व्यवहार किया गया। परिणामस्वरूप पंजाब के देशभक्त सरदारों की भावनाएं अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठीं।

प्रश्न 6.
महाराजा दलीप सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह पंजाब (लाहौर राज्य) का अंतिम सिक्ख शासक था। प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के समय वह नाबालिग था। अत: 1846 ई० की भैरोंवाल की सन्धि के अनुसार लाहौर-राज्य के शासन प्रबन्ध के लिए एक कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी की स्थापना की गई। इसे महाराजा के बालिग होने तक कार्य करना था। परन्तु दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध में सिक्ख पुनः पराजित हुए। परिणामस्वरूप महाराजा दलीप सिंह को राजगद्दी से उतार दिया गया और उसकी 4-5 लाख रु० के बीच वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गई। पंजाब अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन गया।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
अंग्रेजों और सिक्खों की पहली लड़ाई के कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजों तथा सिक्खों के बीच पहली लड़ाई 1845-46 ई० में हुई। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे

  1. अंग्रेजों की लाहौर राज्य को घेरने की नीति — अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के जीवन काल से ही लाहौर राज्य को घेरना आरम्भ कर दिया था। इसी उद्देश्य से उन्होंने 1835 ई० में फिरोजपुर पर अधिकार कर लिया। 1838 ई० में उन्होंने वहां एक सैनिक छावनी स्थापित कर दी। लाहौर दरबार के सरदारों ने अंग्रेजों की इस नीति का विरोध किया।
  2. पंजाब में अशांति और अराजकता — महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् पंजाब में अशांति और अराजकता फैल गई। इसका कारण यह था कि उसके उत्तराधिकारी खड़क सिंह, नौनिहाल सिंह, रानी जिंदां कौर, शेर सिंह आदि निर्बल थे। अत: लाहौर दरबार में सरदारों ने एक दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचने आरम्भ कर दिये। अंग्रेज़ इस स्थिति का लाभ उठाना चाहते थे।
  3. प्रथम अफ़गान युद्ध में अंग्रेजों की कठिनाइयां और असफलताएं — प्रथम ऐंग्लो-अफ़गान युद्ध के समाप्त होते ही अफ़गानों ने दोस्त मुहम्मद खां के पुत्र मुहम्मद अकबर खां के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। अंग्रेज़ विद्रोहियों को दबाने में असफल रहे। अंग्रेज सेनानायक बर्नज़ और मैकनाटन को मौत के घाट उतार दिया गया। वापस जा रहे अंग्रेज सैनिकों में से केवल एक सैनिक ही बच पाया। अंग्रेजों की इस असफलता को देखकर सिक्खों का अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के लिए उत्साह बढ़ गया।
  4. अंग्रेजों द्वारा सिन्ध को अपने राज्य में मिलाना — 1843 ई० में अंग्रेजों ने सिन्ध पर आक्रमण करके उसे अपने राज्य में मिला लिया। इस घटना ने उनकी महत्त्वाकांक्षा को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया। सिक्खों ने यह जान लिया कि साम्राज्यवादी अंग्रेज़ सिन्ध की भान्ति पंजाब के लिए भी काल बन सकते हैं। वैसे भी पंजाब पर अधिकार किए बिना सिन्ध पर अंग्रेजी नियन्त्रण बने रहना असम्भव था। फलतः सिक्ख अंग्रेजों के इरादों के प्रति और भी चौकन्ने हो गए।
  5. ऐलनबरा की पंजाब पर अधिकार करने की योजना — सिन्ध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लेने के पश्चात् लॉर्ड ऐलनबरा ने पंजाब पर अधिकार करने की योजना बनाई। इस योजना को वास्तविक रूप देने के लिए उसने सैनिक तैयारियां आरम्भ कर दी। इसका पता चलने पर सिक्खों ने भी युद्ध की तैयारी आरम्भ कर दी।
  6. लॉर्ड हार्डिंग की गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति — जुलाई, 1844 ई० में लॉर्ड ऐलनबरा के स्थान पर लॉर्ड हार्डिंग भारत का गवर्नर जनरल बना। वह एक कुशल सेनानायक था। उसकी नियुक्ति से सिक्खों के मन में यह शंका उत्पन्न हो गई कि हार्डिंग को जान-बूझकर भारत भेजा गया है, ताकि वह सिक्खों से सफलतापूर्वक युद्ध कर सके।
  7. अंग्रेजों की सैनिक तैयारियां — पंजाब में फैली अराजकता ने अंग्रेजों को पंजाब पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने सैनिक तैयारियां करनी आरम्भ कर दीं। शीघ्र ही अंग्रेज़ी सेनाएं सतलुज नदी के आस-पास इकट्ठी होने लगीं। उन्होंने सिन्ध में भी अपनी सेनाओं की वृद्धि कर ली तथा सतलुज को पार करने के लिए एक नावों का पुल बना लिया। अंग्रेजों की ये गतिविधियां प्रथम सिक्ख युद्ध का कारण बनीं।
  8. सुचेत सिंह के खजाने का मामला — डोगरा सरदार सुचेत सिंह लाहौर दरबार की सेवा में था। अपनी मृत्यु से पूर्व वह 15 लाख रुपये की धन राशि छोड़ गया था। परंतु उसका कोई पुत्र नहीं था। इसलिए लाहौर सरकार इस राशि पर अपना अधिकार समझती थी। दूसरी ओर अंग्रेज़ इस मामले को अदालती रूप देना चाहते थे। इससे सिक्खों को अंग्रेजों की नीयत पर संदेह होने लगा।
  9. मौड़ा गांव का मामला — मौड़ा गांव नाभा प्रदेश में था। वहां के भूतपूर्व शासक ने यह गांव महाराजा रणजीत सिंह को दिया था जिसे महाराजा ने धन्ना सिंह को जागीर में दे दिया। परन्तु 1843 ई० के आरम्भ में नाभा के नये शासक तथा धन्ना सिंह में मतभेद हो जाने के कारण नाभा के शासक ने यह गांव वापस ले लिया। जब लाहौर सरकार ने इस पर आपत्ति की तो अंग्रेजों ने नाभा के शासक का समर्थन किया। इस घटना ने अंग्रेजों तथा लाहौर दरबार एवं सिक्ख सेना के आपसी सम्बन्धों को और भी बिगाड़ दिया।
  10. ब्राडफुट की सिक्ख विरोधी गतिविधियां — नवम्बर, 1844 ई० में मेजर ब्राडफुट लुधियाना का रैजीडेंट नियुक्त हुआ। वह सिक्खों के प्रति घृणा-भाव रखता था। उसने सिक्खों के विरुद्ध कुछ ऐसे कार्य किए जिससे सिक्ख अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।
  11. लाल सिंह और तेज सिंह का सेना को उकसाना — सितम्बर, 1845 ई० में लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमन्त्री बना। उसी समय तेज सिंह को प्रधान सेनापति बनाया गया। अब तक सिक्ख सेना की शक्ति काफ़ी बढ़ चुकी थी। अत: लाल सिंह और तेज सिंह सिक्ख सेना से भयभीत थे। अपनी सुरक्षा के लिए ये दोनों गुप्त रूप से अंग्रेज़ी सरकार से मिल गए। सिक्ख सेना को कमजोर करने के लिए उन्होंने सिक्ख सेना को अंग्रेज़ों के विरुद्ध भड़काया।
    युद्ध का वातावरण तैयार हो चुका था। 13 दिसम्बर, 1845 ई० को लॉर्ड हार्डिंग ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न 2.
पहले आंग्लो-सिक्ख युद्ध की घटनाएं लिखो।
उत्तर-
सिक्ख सेना ने लाहौर से प्रस्थान किया और 11 दिसम्बर, 1845 ई० को सतलुज नदी को पार करना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज़ तो पहले ही इसी ताक में थे कि सिक्ख सैनिक कोई ऐसा पग उठाएं जिससे उन्हें सिक्खों के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का अवसर मिल सके। अत: 13 दिसम्बर को लॉर्ड हार्डिंग ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की मुख्य घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. मुदकी की लड़ाई-अंग्रेज़ी सेना फिरोज़शाह से 15-16 कि० मी० की दूरी पर मुदकी के स्थान पर आ पहुंची। जिसका नेतृत्व सरहयूग गफ्फ कर रहा था। 18 दिसम्बर, 1845 ई० के दिन अंग्रेज़ों व सिक्खों में इसी स्थान पर पहली . लड़ाई हुई। यह एक खूनी युद्ध था। योजना के अनुसार लाल सिंह ने अपनी सेना के साथ विश्वासघात किया और सैनिकों . को अकेला छोड़ कर रणक्षेत्र से भाग निकला। तेज सिंह ने भी ऐसा ही किया। परिणामस्वरूप सिक्ख पराजित हुए।
  2. बद्दोवाल की लड़ाई-21 जनवरी, 1846 ई० को फिरोजशाह की लड़ाई के पश्चात् अंग्रेज सेनापति लॉर्ड गफ… ने अम्बाला तथा देहली से सहायक सेनाएं बुला भेजीं। जब खालसा सेना को अंग्रेज़ सेनाओं के आगमन की सूचना मिली. तो रणजोध सिंह तथा अजीत सिंह लाडवा ने 8000 सैनिकों तथा 70 तोपों सहित सतलुज नदी को पार किया और : लुधियाना से 7 मील की दूरी पर बरां हारा के स्थान पर डेरा डाल दिया। उन्होंने लुधियाना की अंग्रेज़ चौकी में आग लगा दी। सर हैरी स्मिथ (Harry Smith) को फिरोजपुर से लुधियाना की सुरक्षा के लिए भेजा गया। बद्दोवाल के स्थान पर दोनों पक्षों में एक भयंकर युद्ध हुआ। रणजोध सिंह व अजीत सिंह ने अंग्रेजी सेना के पिछले भाग पर धावा बोल कर उनके शस्त्र तथा खाद्य सामग्री लूट ली। फलस्वरूप यहां अंग्रेजों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
  3. अलीवाल की लड़ाई-28 जनवरी, 1846 को बुद्दोवाल की विजय के पश्चात् रणजोध सिंह ने उस गांव को. खाली करा लिया तथा सतलुज के मार्ग से जंगरांव, घुगरांना इत्यादि पर आक्रमण करके अंग्रेज़ों के मार्ग को रोकना चाहा। इसी बीच हैरी स्मिथ ने बुद्दोवाल पर अधिकार कर लिया। इतने में फिरोजपुर से भी एक सहायक सेनाःस्मिथ की सहायता के लिए आ पहुंची। सहायता पाकर उसने सिक्खों पर धावा बोल दिया। 28 जनवरी, 1846 ई० के दिन अलीवाल के स्थान पर एक भीषण लड़ाई हुई जिसमें सिक्खों की पराजय हुई।
  4. सभराओं की लड़ाई-अलीवाल की पराजय के कारण लाहौर दरबार की सेनाओं को अपनी सुरक्षा की चिन्ता पड़ गई। आत्म रक्षा के लिए उन्होंने सभराओं के स्थान पर खाइयां खोद लीं। परन्तु यहां उन्हें 10 फरवरी, 1846 ई० के दिन एक बार फिर शत्रु का सामना करना पड़ा। यह खूनी लड़ाई थी। कहते हैं कि यहां वीरगति को प्राप्त होने वाले सिक्ख सैनिकों के रक्त से सतलुज का पानी भी लाल हो गया। अंग्रेजों की सभराओं विजय निर्णायक सिद्ध हुई। डॉ० स्मिथ के अनुसार, इस विजय से अंग्रेज़ सबसे वीर और सबसे सुदृढ़ शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध की गम्भीर स्थिति में अपमानित होने से बच गए। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजी सेनाओं ने सतलुज को पार (13 फरवरी, 1846 ई०) किया और 20 फरवरी, 1846 ई० को लाहौर पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 3.
लाहौर की पहली संधि की धाराएं लिखो।
उत्तर-
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के घातक परिणाम निकले। सभराओं के युद्ध में तो इतना खून बहा कि. संतलुज नदी का पानी भी लाल हो गया। इस विजय के पश्चात् यदि लॉर्ड हार्डिंग चाहता तो पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला सकता था, परन्तु कई कारणों से उसने ऐसा न किया। 9 मार्च, 1846 ई० को अंग्रेज़ों तथा सिक्खों के बीच एक सन्धि हो गई जो लाहौर की पहली सन्धि कहलाती है। इसकी मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच के सारे मैदानी तथा पर्वतीय प्रदेश पर अंग्रेज़ों का अधिकार मान लिया गया।
  2. युद्ध की क्षति पूर्ति के रूप में लाहौर दरबार ने अंग्रेज़ी सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये की धन राशि देना स्वीकार किया।
  3. दरबार की सैनिक संख्या 20,000 पैदल तथा 12,000 घुड़सवार सैनिक निश्चित कर दी गई।
  4. लाहौर दरबार ने युद्ध में अंग्रेजों से छीनी गई सभी तोपें तथा 36 अन्य तोपें अंग्रेजी सरकार को देने का वचन दिया।
  5. सिक्खों ने ब्यास तथा सतलुज के बीच दोआब के समस्त प्रदेश तथा दुर्गों पर से अपना अधिकार छोड़ दिया और उन्हें अंग्रेज़ी सरकार के हवाले कर दिया।
  6. लाहौर राज्य ने यह वचन दिया कि वह अपनी सेना में किसी भी अंग्रेज़ अथवा अमरीकन को भर्ती नहीं करेगा।
  7. लाहौर राज्य अंग्रेज़ सरकार की पूर्व स्वीकृति लिये बिना अपनी सीमाओं में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करेगा।
  8. कुछ विशेष प्रकार की परिस्थितियों में अंग्रेज़ सेनाएं लाहौर राज्य के प्रदेशों से बिना रोकथाम के गुज़र सकेंगी।
  9. सतलुज के दक्षिण पूर्व में स्थित लाहौर राज्य के प्रदेश ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिए गए।
  10. अवयस्क दलीप सिंह को महाराजा स्वीकार कर लिया गया। रानी जिन्दां उसकी प्रतिनिधि बनी और लाल सिंह प्रधानमन्त्री बना।
  11. अंग्रेजों ने यह विश्वास दिलाया कि वे लाहौर राज्य के आन्तरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। परन्तु अवयस्क महाराजा की रक्षा के लिए लाहौर में एक विशाल ब्रिटिश सेना की व्यवस्था की गई। सर लारेंस हैनरी को लाहौर में ब्रिटिश रैजीडेन्ट नियुक्त किया गया।

प्रश्न 4.
भैरोंवाल की सन्धि के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
लाहौर की सन्धि के अनुसार महाराजा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाहौर में एक वर्ष के लिए अंग्रेज़ी सेना रखी गई थी। अवधि समाप्त होने पर लॉर्ड हार्डिंग ने इस सेना को वहां स्थायी रूप से रखने की योजना बनाई। इसी उद्देश्य से उन्होंने लाहौर सरकार से भैरोंवाल की सन्धि की। इस संधि पत्र पर महारानी जिंदां तथा प्रमुख सरदारों ने 16 दिसम्बर, 1846 को हस्ताक्षर कर दिए।
धाराएं-भैरोंवाल की सन्धि की मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. लाहौर में एक ब्रिटिश रैजीडेंट रहेगा जिसकी नियुक्ति गवर्नर जनरल करेगा।
  2. महाराजा दलीप सिंह के बालिग (वयस्क) होने तक राज्य का शासन प्रबन्ध आठ सरदारों की कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी द्वारा चलाया जाएगा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी ब्रिटिश रैजीडेंट के परामर्श से प्रशासन का कार्य करेगी।
  4. महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। उसे डेढ़ लाख रुपये वार्षिक पेंशन दे दी गई।
  5. महाराजा की सुरक्षा तथा लाहौर राज्य में शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए ब्रिटिश सेना लाहौर में रहेगी।
  6. यदि गवर्नर जनरल आवश्यक समझे तो उसके आदेश पर ब्रिटिश सरकार लाहौर राज्य के किसी किले या सैनिक छावनी को अपने अधिकार में ले सकती है।
  7. ब्रिटिश सेना के व्यय के लिए लाहौर राज्य ब्रिटिश सरकार को 22 लाख रुपये वार्षिक देगी।
  8. इस सन्धि की शर्ते महाराजा दलीप सिंह के वयस्क होने (4 सितम्बर, 1854 ई०) तक लागू रहेंगी।

महत्त्व-भैरोंवाल की सन्धि पंजाब और भारत के इतिहास में बड़ा महत्त्व रखती है —

  1. इस सन्धि द्वारा अंग्रेज़ पंजाब के स्वामी बन गए। लाहौर राज्य के प्रशासनिक मामलों में ब्रिटिश रैजीडेंट को असीमित अधिकार तथा शक्तियां प्राप्त हो गईं। हैनरी लारेंस (Henery Lawrence) को पंजाब में पहला रैजीडेंट नियुक्त किया गया।
  2. इस सन्धि द्वारा महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। पहले उसे शेखुपुरा भेज दिया गया। परन्तु बाद में उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

प्रश्न 5.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध के कारण बताओ।
उत्तर-
दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1848-49 ई० में हुआ। इसमें भी अंग्रेजों को विजय प्राप्त हुई और पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिला लिया गया। इस युद्ध के कारण निम्नलिखित थे —

  1. सिक्खों के विचार–पहले आंग्ल-सिक्ख युद्ध में सिक्खों की पराजय अवश्य हुई थी परन्तु उनके साहस में कोई कमी नहीं आई थी। उनको अब भी अपनी शक्ति पर पूरा विश्वास था। उनका विचार था कि वे पहली लड़ाई में अपने साथियों की गद्दारी के कारण हार गए थे। अतः अब वे अपनी शक्ति को एक बार फिर आज़माना चाहते थे।
  2. अंग्रेज़ों की सुधार नीति-अंग्रेज़ों के प्रभाव में आकर लाहौर दरबार ने अनेक प्रगतिशील पग (Progressive measures) उठाये। एक घोषणा द्वारा सती प्रथा, कन्या वध, दासता, बेगार तथा ज़मींदारी प्रथा की घोर निन्दा की गई। पंजाब के लोग अपने धार्मिक तथा सामाजिक जीवन में इस प्रकार के हस्तक्षेप को सहन न कर सके। अत: उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठा लिये।
  3. रानी जिन्दां तथा लाल सिंह से कठोर व्यवहार-रानी जिंदां का सिक्ख बड़ा आदर करते थे, परन्तु अंग्रेजों ने उसे षड्यन्त्रकारिणी उहराया और उसे निर्वासित करके शेखपुरा भेज दिया। अंग्रेजों के इस कार्य से सिक्खों के क्रोध की सीमा न रही। इसके अतिरिक्त वे अपने प्रधानमन्त्री लाल सिंह के विरुद्ध अंग्रेजों के कठोर व्यवहार को भी सहन न कर सके और उन्होंने अपनी रानी तथा अपने प्रधानमन्त्री के अपमान का बदला लेने का निश्चय कर लिया।
  4. अंग्रेज़ अफसरों की उच्च पदों पर नियुक्ति-भैंरोवाल की सन्धि से पंजाब में अंग्रेजों की शक्ति काफ़ी बढ़ गई थी। अब उन्होंने पंजाब को अपने नियन्त्रण में लेने के लिए धीरे-धीरे सभी उच्च पदों पर अंग्रेज़ अफसरों को नियुक्त करना आरम्भ कर दिया था। सिक्खों को यह बात बहुत बुरी लगी और वे पंजाब को अंग्रेजों से मुक्त कराने के विषय में गम्भीरता से सोचने लगे।
  5. सिक्ख सैनिकों की संख्या में कमी-लाहौर की सन्धि के अनुसार सिक्ख सैनिकों की संख्या घटा कर 20 हज़ार पैदल तथा 12 हजार घुड़सवार निश्चित कर दी गई थी। इसका परिणाम यह हुआ कि हजारों सैनिक बेकार हो गए। बेकार सैनिक अंग्रेजों के घोर विरोधी हो गए। इसके अतिरिक्त अंग्रेजों ने उन सैनिकों के भी वेतन घटा दिये जो कि सेना में काम कर रहे थे। परिणामस्वरूप उन में भी असन्तोष फैल गया और वे भी अंग्रेज़ों को पंजाब से बाहर निकालने के लिए तैयारी करने लगे।
  6. मुलतान के दीवान मूलराज का विद्रोह-मूलराज मुल्तान का गवर्नर था। अंग्रेजों ने उसके स्थान पर काहन सिंह को मुलतान का गवर्नर नियुक्त कर दिया। इस पर मुलतान के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और मूलराज ने फिर मुलतान पर अधिकार कर लिया। धीरे-धीरे इस विद्रोह की आग सारे पंजाब में फैल गई।
  7. भाई महाराज सिंह का विद्रोह-भाई महाराज सिंह नौरंगबाद के संत भाई वीर सिंह का शिष्य था। उसने सरकार-ए-खालसा को बचाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। अतः ब्रिटिश रैजीडेंट हैनरी.लारेंस ने उसे बंदी बनाने के आदेश जारी किए। परन्तु उसे पकड़ा न जा सका। उसने अपने अधीन सैंकड़ों लोग इकट्ठे कर लिए। मूलराज की प्रार्थना पर वह उसकी सहायता के लिए 400 घुड़सवारों सहित मुलतान भी गया। परन्तु अनबन हो जाने के कारण वह मूलराज को छोड़ कर चतर सिंह अटारीवाला तथा उसके पुत्र शेर सिंह से जा मिला।
  8. हज़ारा के चतर सिंह का विद्रोह-चतर सिंह अटारीवाला को हज़ारा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। उसकी सहायता के लिए कैप्टन ऐबट को रखा गया था। परन्तु ऐबट के अभिमानपूर्ण व्यवहार के कारण चतर सिंह को अंग्रेजों पर संदेह होने लगा। इसी बीच कैप्टन ऐबट ने चतर सिंह पर यह आरोप लगाया कि उसकी सेनाएं मुलतान के विद्रोहियों से जा मिली हैं। चतर सिंह इसे सहन न कर सका और उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
  9. शेर सिंह का विद्रोह-जब शेर सिंह को यह पता चला कि उसके पिता चतर सिंह को हज़ारा के नाज़िम (गवर्नर) के पद से हटा दिया गया है, तो उसने भी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। वह अपने सैनिकों सहित मूलराज के साथ जा मिला। शेर सिंह ने एक घोषणा के अनुसार ‘सब अच्छे सिक्खों’ से अपील की कि वे अत्याचारी और धोखेबाज़ फिरंगियों को पंजाब से बाहर कर दें। अतः अनेक पुराने सैनिक अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में शामिल हो गए।
  10. पंजाब पर अंग्रेजों का हमला-मूलराज, चतर सिंह और शेर सिंह द्वारा विद्रोह कर देने के बाद लॉर्ड डल्हौज़ी ने अपनी पूर्व निश्चित योजना को कार्यकारी रूप देना आरम्भ कर दिया। डल्हौज़ी के आदेश पर ह्यूग गफ (Hugh Gough) के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेना नवम्बर, 1848 ई० को लाहौर पहुंच गई। यह सेना आते ही विद्रोहियों का दमन करने में जुट गई।
    यह द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध का आरम्भ था।

प्रश्न 6.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध की घटनाएं बताओ।
उत्तर-
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध नवम्बर, 1848 ई० में अंग्रेज़ी सेना द्वारा सतलुज नदी को पार करने के पश्चात् आरम्भ हुआ। इस युद्ध की प्रमुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. रामनगर की लड़ाई-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध में अंग्रेज़ों तथा सिक्खों के बीच पहली लड़ाई रामनगर की थी। अंग्रेज़ सेनापति जनरल गफ (General Gough) ने 16 नवम्बर, 1848 ई० के दिन रावी नदी पार की तथा 22. नवम्बर को रामनगर पहुंचा। वहां पहले से ही शेर सिंह अटारीवाला के नेतृत्व में सिक्ख सेना एकत्रित थी। रामनगर के स्थान पर दोनों सेनाओं में युद्ध हुआ, परन्तु इसमें हार-जीत का कोई फैसला न हो सका।
  2. चिलियांवाला की लड़ाई-13 जनवरी, 1849 ई० को जनरल गफ के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेनाएं चिलियांवाला गांव में पहुँची जहां सिक्खों की एक शक्तिशाली सेना थी। जनरल गफ ने आते ही अंग्रेज सेनाओं को शत्रु पर आक्रमण करने का आदेश जारी कर दिया। दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ परन्तु हार-जीत का कोई फैसला इस बार भी न हो सका। इस युद्ध में अंग्रेजों के 602 व्यक्ति मारे गए तथा 1651 घायल हुआ। सिक्खों के भी बहुत-से लोग मारे गए और उन्हें 12 तोपों से हाथ धोना पड़ा।
  3. मुलतान की लड़ाई-अप्रैल 1848 में दीवान मूलराज ने मुलतान पर दोबारा अधिकार कर लिया था। इस पर अंग्रेजों ने एक सेना भेज कर मुलतान को घेर लिया। मूलराज ने डट कर मुकाबला किया परन्तु एक दिन अचानक एक गोले के फट जाने से उसके सारे बारूद में आग लग गई। परिणामस्वरूप मूलराज और अधिक दिनों तक अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध जारी न रख सका। 22 जनवरी, 1849 ई० को उसने हथियार डाल दिए। मुलतान की विजय से अंग्रेजों का काफ़ी मान बढ़ा।
  4. गुजरात की लड़ाई-अंग्रेज़ों और सिक्खों के बीच निर्णायक लड़ाई गुजरात में हुई। इस लड़ाई से पहले शेर सिंह और चतर सिंह आपस में मिल गए। महाराज सिंह तथा अफ़गानिस्तान के अमीर दोस्त मुहम्मद ने भी सिक्खों का साथ दिया। परंतु गोला बारूद समाप्त हो जाने तथा शत्रु की भारी सैनिक संख्या के कारण सिक्ख पराजित हुए।

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प्रश्न 7.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध के परिणाम लिखो।
उत्तर-
दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध लाहौर के सिक्ख,राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। इसके निम्नलिखित परिणाम निकले —

  1. पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय-युद्ध में सिक्खों की पराजय के पश्चात् 29 मार्च, 1849 ई० को गवर्नर जनरल लॉर्ड डल्हौज़ी ने एक आदेश जारी किया। इसके अनुसार पंजाब राज्य को समाप्त कर दिया गया। महाराजा दलीप सिंह को गद्दी से उतार दिया गया और पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
  2. मूलराज और महाराज सिंह को दण्ड-मूलराज को ऐग्न्यु और ऐंडरसन नामक अंग्रेज़ अफसरों के वध के अपराध में काले पानी की सज़ा दी गई। 29 दिसम्बर, 1849 ई० में महाराज सिंह को भी बंदी बना लिया गया। उसे आजीवन कारावास का दंड देकर सिंगापुर भेज दिया गया।
  3. खालसा सेना को भंग करना-खालसा सेना को भंग कर दिया गया। उससे सभी शस्त्र छीन लिए गए। नौकरी से हटे सिक्ख सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भर्ती कर लिया गया।
  4. प्रमुख सरदारों की शक्ति का दमन-लॉर्ड डल्हौज़ी के आदेश से जॉन लारेंस ने पंजाब में प्रमुख सरदारों की शक्ति को समाप्त कर दिया। फलस्वरूप वे सरदार जो पहले धनी ज़मींदार थे और सरकार में ऊंचे पदों पर थे, अब साधारण लोगों के समान हो गए।
  5. पंजाब में अंग्रेज अफसरों की नियुक्ति-दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप राज्य के उच्च पदों पर सिक्खों, हिन्दुओं या मुसलमानों के स्थान पर अंग्रेजों तथा यूरोपियनों को नियुक्त किया गया। उन्हें भारी वेतन तथा भत्ते भी दिए गए।
  6. उत्तरी-पश्चिमी सीमा को शक्तिशाली बनाना-पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित करने के बाद अंग्रेजों ने उत्तरी-पश्चिमी सीमा को शक्तिशाली बनाने के लिए सड़कों तथा छावनियों का निर्माण किया। सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण किलों की मुरम्मत की गई। कई नए किले भी बनाए गए। उत्तरी-पश्चिमी कबीलों को नियंत्रित करने के लिए विशेष सैनिक दस्ते भी बनाए गए।
  7. पंजाब के राज्य प्रबन्ध की पुनर्व्यवस्था-पंजाब पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाने के पश्चात् प्रशासन समिति (Board of Administration) की स्थापना की गई। इसका प्रधान हैनरी लारेंस था। पंजाब प्रांत के प्रबन्धकीय ढाँचे को पुनः संगठित किया गया। न्याय प्रणाली, पुलिस प्रबन्ध और भूमि कर प्रणाली में सुधार किए गए। डाक का समुचित प्रबन्ध किया गया।
  8. पंजाब की देशी रियासतों के प्रति नीति में परिवर्तन-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध में पटियाला, जींद, नाभा, कपूरथला तथा फरीदकोट के राजाओं ने अंग्रेजों की सहायता की थी। बहावलपुर तथा मलेरकोटला के नवाबों ने भी अंग्रेज़ों का साथ दिया था। अतः अंग्रेजों ने प्रसन्न होकर इनमें से कई देशी शासको का पुरस्कार दिए। उन्होंने देशी रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित न करने का निर्णय भी किया।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा कैसे किया?
उत्तर-
1839 ई० में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात् सिक्खों का नेतृत्व करने वाला कोई योग्य नेता न रहा। शासन की सारी शक्ति सेना के हाथ में आ गई। अंग्रेजों ने इस अवसर का लाभ उठाया और सिक्खों से दो युद्ध किये। दोनों युद्धों में सिक्ख सैनिक बड़ी वीरता से लड़े, परन्तु अपने अधिकारियों की गद्दारी के कारण वे पराजित हुए। 1849 ई० में दूसरे सिक्ख युद्ध की समाप्ति पर लॉर्ड डल्हौजी ने पूरे पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
अंग्रेज़ों की पंजाब विजय का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

  1. पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध-अंग्रेज़ काफ़ी समय से पंजाब को अपने राज्य में मिलाने का प्रयास कर रहे थे। रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेज़ों को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर मिल गया। उन्होंने सतलुज के किनारे अपने किलों को मजबूत करना आरम्भ कर दिया। सिक्ख नेता अंग्रेज़ों की सैनिक तैयारियों को देखकर भड़क उठे। अतः 1845 ई० में सिक्ख सेना सतलुज को पार करके फिरोजपुर के निकट आ डटी। कुछ ही समय पश्चात् अंग्रेज़ों और सिक्खों में लड़ाई आरम्भ हो गई। इसी समय सिक्खों के मुख्य सेनापति तेज सिंह और वज़ीर लाल सिंह अंग्रेजों से मिल गये। उनके इस विश्वासघात के कारण मुदकी तथा फिरोजशाह के स्थान पर सिक्खों की हार हुई।
    सिक्खों ने साहस से काम लेते हुए 1846 ई० में सतलुज को पार करके लुधियाना के निकट अंग्रेज़ों पर धावा बोल दिया। यहाँ अंग्रेज़ बुरी तरह से पराजित हुए और उन्हें पीछे हटना पड़ा। परन्तु गुलाब सिंह के विश्वासघात के कारण अलीवाल और सभराओं के स्थान पर सिक्खों को एक बार फिर हार का मुँह देखना पड़ा। मार्च, 1846 ई० में गुलाब सिंह के प्रयत्नों से सिक्खों और अंग्रेजों के बीच एक सन्धि हो गई। सन्धि के अनुसार सिक्खों को अपना काफ़ी सारा प्रदेश और डेढ़ करोड़ रुपया अंग्रेजों को देना पड़ा। दिलीप सिंह के युवा होने तक पंजाब में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक अंग्रेज़ी सेना रख दी गई।
  2. दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध और पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय-1848 ई० में अंग्रेजों और सिक्खों में पुनः युद्ध छिड़ गया। अंग्रेजों ने मुलतान के लोकप्रिय गवर्नर दीवान मूलराज को ज़बरदस्ती हटा दिया था। यह बात वहाँ के नागरिक सहन न कर सके और उन्होंने अनेक अंग्रेज अफसरों को मार डाला। अत: लॉर्ड डल्हौजी ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयाँ रामनगर (22 नवम्बर, 1848 ई०), मुलतान (दिसम्बर, 1848 ई०) चिलियांवाला। (13 जनवरी, 1849 ई०) और गुजरात (फरवरी, 1849 ई०) में लड़ी गईं। रामनगर की लड़ाई में कोई निर्णय न हो सका। परन्तु मुलतान, चिलियांवाला और गुजरात के स्थान पर सिक्खों की हार हुई। सिक्खों ने 1849 ई० में पूरी तरह अपनी पराजय स्वीकार कर ली। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

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(घ) मानचित्र संबंधी प्रश्न

  1. मुदकी, फिरोजपुर, बद्दोवाल, अलीवाल और सभराओं को पंजाब के मानचित्र में अंकित करो (पहला आंग्लो-सिक्ख युद्ध)
  2. पंजाब के मानचित्र में दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध की लड़ाइयों के स्थानों को प्रदर्शित करो।
    उत्तर-विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

अन्य परीक्षा शैली प्रश्न (OTHER EXAMINATION STYLE QUESTIONS)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
प्रथम सिक्ख युद्ध की चार प्रमुख लड़ाइयां कहां-कहां लड़ी गईं?
उत्तर-
प्रथम सिक्ख युद्ध की चार लड़ाइयां मुदकी, फिरोज़शाह, अलीवाल तथा सभराओं में लड़ी गईं।

प्रश्न 2.
(i) प्रथम सिक्ख युद्ध किस सन्धि के परिणामस्वरूप समाप्त हुआ?
(ii) यह सन्धि कब हुई?
उत्तर-
(i) प्रथम सिक्ख युद्ध लाहौर की सन्धि के परिणामस्वरूप समाप्त हुआ।
(ii) यह सन्धि मार्च, 1846 ई० को हुई।

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प्रश्न 3.
द्वितीय सिक्ख युद्ध की चार प्रमुख घटनाएं कौन-कौन सी थीं?
उत्तर-
(i) रामनगर की लड़ाई
(ii) मुलतान की लड़ाई
(iii) चिलियांवाला की लड़ाई
(iv) गुजरात की लड़ाई।

प्रश्न 4.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया?
उत्तर-
29 मार्च, 1849 ई० को।

प्रश्न 5.
पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध कब हुआ?
उत्तर-
1845-46 में।

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प्रश्न 6.
अंग्रेजों ने फिरोजपुर पर कब कब्जा किया?
उत्तर-
1835 ई० में।

प्रश्न 7.
अकबर खां के नेतृत्व में अफ़गान विद्रोहियों ने किन दो अंग्रेज सेनानायकों को मौत के घाट उतारा?
उत्तर-
बर्नज़ तथा मैकनाटन।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने सिंध पर कब अधिकार किया?
उत्तर-
1843 ई० में।

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प्रश्न 9.
लार्ड हार्डिंग को भारत का गवर्नर जनरल कब नियुक्त किया गया?
उत्तर-
1844 ई० में।

प्रश्न 10.
लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमन्त्री कब बना?
उत्तर-
1845 ई० में।

प्रश्न 11.
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध की किस लड़ाई में सिक्खों की जीत हुई?
उत्तर-
बद्दोवाल की लड़ाई में।

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प्रश्न 12.
बद्दोवाल की लड़ाई में सिक्ख सेना का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर-
सरदार रणजोध सिंह मजीठिया ने।

प्रश्न 13.
लाहौर की पहली सन्धि कब हुई?
उत्तर-
9 मार्च, 1846 को।

प्रश्न 14.
लाहौर की दूसरी सन्धि कब हुई?
उत्तर-
11 मार्च, 1846 को।

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प्रश्न 15.
भैरोंवाल की सन्धि कब हुई?
उत्तर-
26 दिसम्बर, 1846 को।

प्रश्न 16.
दूसरा अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध कब हुआ?
उत्तर-
1848-49 में।

प्रश्न 17.
महारानी जिंदां को देश निकाला देकर कहां भेजा गया?
उत्तर-
बनारस।

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प्रश्न 18.
लार्ड डल्हौज़ी भारत का गवर्नर जनरल कब बना?
उत्तर-
जनवरी 1848 में।

प्रश्न 19.
दीवान मूलराज कहां का नाज़िम था?
उत्तर-
मुलतान का।

प्रश्न 20.
राम नगर की लड़ाई ( 22 नवम्बर, 1848) में किस की हार हुई?
उत्तर-
अंग्रेजों की।

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प्रश्न 21.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध की अन्तिम तथा निर्णायक लड़ाई कहां लड़ी गई?
उत्तर-
गुजरात में।

प्रश्न 22.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया?
उत्तर-
1849 ई० में।

प्रश्न 23.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में किसने मिलाया?
उत्तर-
लार्ड डल्हौज़ी ने।

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प्रश्न 24.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक कौन था?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह।

प्रश्न 25.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप कौन-सा बहुमूल्य हीरा अंग्रेजों के हाथ लगा?
उत्तर-
कोहिनूर।

प्रश्न 26.
पंजाब विजय के बाद अंग्रेज़ों ने वहां का प्रशासन किसे सौंपा?
उत्तर-
हैनरी लारेंस को।

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प्रश्न 27.
अंग्रेजों ने पंजाब से प्राप्त कोहिनूर हीरा किसके पास भेजा?
उत्तर-
इंग्लैंड की महारानी के पास।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अकबर खां के नेतृत्व में अफ़गान विद्रोहियों ने …………. और ……………. अंग्रेज़ सेनानायकों को मौत के घाट उतार दिया।
  2. अंग्रेजों ने ………. ई० में सिंध पर अधिकार कर लिया।
  3. ………….. ई० में लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमंत्री बना।
  4. बद्धोवाल की लड़ाई में सिक्खों का नेतृत्व ……… ने किया।
  5. ………. ई० से ……….. ई० तक दूसरा अंग्रेज़ सिक्ख युद्ध हुआ।
  6. दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक …………. था।
  7. दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप …………. हीरा अंग्रेजों को मिला।

उत्तर-

  1. बर्नज़, मैकनाटन,
  2. 1843,
  3. 1845,
  4. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया,
  5. 1848; 1849,
  6. महाराजा दलीप सिंह,
  7. कोहिनूर।

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह का उत्तराधिकारी बना-
(A) मोहर सिंह
(B) चेत सिंह
(C) खड़क सिंह
(D) साहिब सिंह।
उत्तर-
(C) खड़क सिंह

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प्रश्न 2.
मुदकी की लड़ाई में किस सिक्ख सरदार ने गद्दारी की?
(A) चेत सिंह
(B) लाल सिंह ने
(C) साहिब सिंह
(D) मोहर सिंह।
उत्तर-
(B) लाल सिंह ने

प्रश्न 3.
सभराओं की लड़ाई हुई
(A) 10 फरवरी, 1846 ई०
(B) 10 फरवरी, 1849 ई०
(C) 20 फरवरी, 1846 ई०
(D) 10 फरवरी, 1830 ई०
उत्तर-
(A) 10 फरवरी, 1846 ई०

प्रश्न 4.
पंजाब को 1849 ई० में अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल करने वाला भारत का गवर्नर जनरल था
(A) लॉर्ड कर्जन
(B) लॉर्ड डल्हौज़ी
(C) लॉर्ड वैलजली
(D) लॉर्ड माउंटबेटन।
उत्तर-
(B) लॉर्ड डल्हौज़ी

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प्रश्न 5.
प्रथम अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप लाहौर की संधि हुई
(A) मार्च, 1849 ई० में
(B) मार्च, 1843 ई० में
(C) मार्च, 1846 ई० में
(D) मार्च, 1835 ई० में।
उत्तर-
(C) मार्च, 1846 ई० में

प्रश्न 6.
पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध हुआ
(A) 1843-44 ई० में
(B) 1847-48 ई० में
(C) 1830-31 ई० में
(D) 1845-46 ई० में।
उत्तर-
(D) 1845-46 ई० में।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. 1849 में पंजाब को लार्ड हेस्टिंग्ज़ ने अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाया।
  2. अंग्रेजों को पंजाब विजय के लिए सिखों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी लाहौर राज्य का शासन चलाने के लिए बनाई गई थी।
  4. मुदकी की लड़ाई में सिख सरदार लाल सिंह ने सिखों से गद्दारी की।
  5. दूसरे आंग्ल-सिख युद्ध में सिखों ने पंजाब को अंग्रेजों से मुक्त करवा लिया।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗)

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V. उचित मिलान

  1. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया गुजरात
  2. दीवान मूलराज दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक
  3. दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई – बद्दोवाल की लड़ाई
  4. महाराजा दलीप सिंह – मुलतान।

उत्तर-

  1. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया-बद्दोवाल की लड़ाई,
  2. दीवान मूलराज-मुलतान,
  3. दूसरे आंग्लसिक्ख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई-गुजरात,
  4. महाराजा दलीप सिंह-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रथम सिक्ख युद्ध का वर्णन करें।
उत्तर-
रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजों ने अपनी सैनिक तैयारियों की गति तीव्र कर दी। इस बात पर सिक्खों का भड़कना स्वाभाविक था। 1845 ई० में फिरोज़पुर के निकट सिक्खों और अंग्रेजों में लड़ाई आरम्भ हो गई। सिक्खों के मुख्य सेनापति तेज सिंह और वज़ीर लाल सिंह के विश्वासघात के कारण मुदकी तथा फिरोज़शाह नामक स्थान पर सिक्खों की हार हुई। 1846 ई० में सिक्खों ने लुधियाना के निकट अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया। परन्तु गुलाब सिंह के विश्वासघात के कारण अलीवाल और सभराओं नामक स्थान पर सिक्खों को एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। मार्च, 1846 ई० में गुलाब सिंह के प्रयत्नों से सिक्खों और अंग्रेजों के बीच एक सन्धि हो गई। सन्धि के अनुसार सिक्खों को अपना बहुत-सा प्रदेश और डेढ़ करोड़ रुपये अंग्रेजों को देने पड़े। दिलीप सिंह के युवा होने तक पंजाब में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक अंग्रेजी सेना रख दी गई।

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प्रश्न 2.
द्वितीय सिक्ख युद्ध पर नोट लिखें।
उत्तर-
1848 ई० में अंग्रेज़ों और सिक्खों में पुनः युद्ध छिड़ गया। अंग्रेजों ने मुलतान के लोकप्रिय गवर्नर दीवान मूलराज को ज़बरदस्ती हटा दिया था। यह बात वहां के नागरिक सहन न कर सके और उन्होंने अनेक अंग्रेज़ अफसरों को मार डाला। अत: लॉर्ड डल्हौजी ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयां रामनगर (22 नवम्बर, 1848 ई०), मुलतान (दिसम्बर, 1848 ई०), चिलियांवाला (13 जनवरी, 1849 ई०) और गुजरात (पंजाब) (फरवरी, 1849 ई०) में लड़ी गईं। रामनगर की लड़ाई में कोई निर्णय न हो सका। परन्तु मुलतान, चिलियांवाला और गुजरात (पंजाब) नामक स्थानों पर सिक्खों की हार हुई। सिक्खों ने 1849 ई० में पूरी तरह अपनी पराजय स्वीकार कर ली। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 3.
पंजाब विलय पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
1839 ई० में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात् सिक्खों का नेतृत्व करने वाला कोई योग्य नेता न रहा। शासन की सारी शक्ति सेना के हाथ में आ गई। अंग्रेजों ने इस अवसर का लाभ उठाया और सिक्ख सेना के प्रमुख अधिकारियों को लालच देकर अपने साथ मिला लिया। इसके साथ-साथ उन्होंने पंजाब के आस-पास के इलाकों में अपनी सेनाओं की संख्या बढ़ानी आरम्भ कर दी और सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की तैयारी करने लगे। उन्होंने सिक्खों से दो युद्ध किये। दोनों युद्धों में सिक्ख सैनिक बड़ी वीरता से लड़े। परन्तु अपने अधिकारियों की गद्दारी के कारण वे पराजित हुए। प्रथम युद्ध के बाद अंग्रेजों ने पंजाब का केवल कुछ भाग अंग्रेज़ी राज्य में मिलाया और वहां सिक्ख सेना के स्थान पर अंग्रेज़ सैनिक रख दिये गये। परन्तु 1849 ई० में दूसरे सिक्ख युद्ध की समाप्ति पर लॉर्ड डल्हौजी ने पूरे पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 4.
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के चार कारण लिखें।
उत्तर-

  1. खालसा सेना की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि रानी जिन्दां और लाल सिंह इस सेना का ध्यान अंग्रेज़ों की ओर आकर्षित करना चाहते थे।
  2. लाल सिंह और रानी जिन्दां ने खालसा सेना को यह समझाने का प्रयास किया कि सिन्ध विलय के पश्चात् अंग्रेज़ पंजाब को अपने राज्य में मिलाना चाहते हैं।
  3. अंग्रेजों ने सतलुज के पार 35000 से भी अधिक सैनिक एकत्रित कर लिए थे।
  4. अंग्रेजों ने सिन्ध में भी अपनी सेना में वृद्धि की और सिन्धु नदी पर एक पुल बनाया। इन उत्तेजित कार्यों से प्रभावित होकर सिक्ख सेना ने सतलुज नदी पार की और प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध आरम्भ किया।

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प्रश्न 5.
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर-

  1. दोआब बिस्त जालन्धर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
  2. दिलीप सिंह को महाराजा बनाया गया और एक कौंसिल स्थापित की गई जिसमें आठ सरदार थे।
  3. सर हैनरी लारेंस को लाहौर का रैजीडेंट नियुक्त कर दिया गया।
  4. सिक्खों को 1 करोड़ रुपया दण्ड के रूप में देना था, लेकिन उनके कोष में केवल 50 लाख रुपया था। बाकी रुपया उन्होंने जम्मू और कश्मीर का प्रान्त गुलाब सिंह को बेच कर पूरा किया।
  5. लाहौर में एक अंग्रेज़ी सेना रखने की व्यवस्था की गई। इस सेना के 22 लाख रुपया वार्षिक खर्चे के लिए खालसा दरबार उत्तरदायी था।
  6. सिक्ख सेना पहले से घटा दी गई। अब उसकी सेना में केवल 20 हज़ार पैदल सैनिक रह गये थे।

प्रश्न 6.
द्वितीय सिक्ख युद्ध के चार कारण लिखो।
उत्तर-

  1. लाहौर और भैरोंवाल की सन्धि ने सिक्खों के सम्मान पर एक करारी चोट की। वे अंग्रेजों से इस अपमान का बदला लेना चाहते थे।
  2. 1847 और 1848 ई० में ऐसे सुधार किए गए जो सिक्खों के हितों के विरुद्ध थे। सिक्ख इस बात से बड़े उत्तेजित हुए।
  3. जिन सिक्ख सैनिकों को सेना से निकाल दिया गया वे अपने वेतन तथा अन्य भत्तों से वंचित हो गए थे। अतः वे भी अंग्रेजों से बदला लेने का अवसर खोज रहे थे।
  4. युद्ध का तात्कालिक कारण मुलतान के गवर्नर मूलराज का विद्रोह था।

प्रश्न 7.
द्वितीय सिक्ख युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर-
इस युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले

  1. 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया और इसके शासन प्रबन्ध के लिए तीन अधिकारियों का एक बोर्ड स्थापित किया गया।
  2. दिलीप सिंह की पचास हज़ार पौंड वार्षिक पेंशन नियत कर दी गई और उसे इंग्लैंड भेज दिया गया।
  3. मूल राज पर मुकद्दमा चला कर उसे काला पानी भिजवा दिया गया।

सच तो यह है कि द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का सबसे प्रबल शत्रु पंजाब उनके साम्राज्य का भाग बन गया। अब अंग्रेज़ नि:संकोच अपनी नीतियों को कार्यान्वित कर सकते थे और भारत के लोगों को दासता के चंगुल में जकड़ सकते थे।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

प्रश्न 8.
पंजाब में सिक्ख राज्य के पतन के चार कारण लिखो।
उत्तर-

  1. महाराजा रणजीत सिंह का शासन स्वेच्छाचारिता पर आधारित था। इस शासन को चलाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जैसे योग्य व्यक्ति की ही आवश्यकता थी। अतः महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् इस राज्य को कोई भी न सम्भाल सका।
  2. महाराजा रणजीत सिंह की दुर्बल नीति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का साहस बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे अंग्रेज़ पंजाब की स्थिति को पूरी तरह समझ गए और अन्ततः उन्होंने पंजाब पर अधिकार कर लिया।
  3. महाराजा रणजीत सिंह का शासन शक्तिशाली सेना पर आधारित था। उसकी मृत्यु के पश्चात् यह सेना राज्य की वास्तविक शक्ति बन बैठी। अतः सिक्ख सरदारों ने इस सेना को समाप्त करने के अनेक प्रयास किए।
  4. पहले तथा दूसरे सिक्ख युद्ध में ऐसे अनेक अवसर आये जब अंग्रेज़ पराजित होने वाले थे, परन्तु अपने ही साथियों के कारण सिक्खों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य PSEB 10th Class History Notes

  1. महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी-महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी खड़क सिंह, नौनिहाल सिंह, रानी जिंदां कौर, शेर सिंह आदि थे। ये सभी शासक निर्बल एवं अयोग्य सिद्ध हुए।
  2. ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-अंग्रेजों ने सिक्ख (लाहौर) राज्य की कमजोरी का लाभ उठाते हुए सिक्खों से तो युद्ध किए और अंततः पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
  3. प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-यह युद्ध 1845-46 ई० में हुआ। इसमें सिक्खों की हार हुई और अंग्रेजों ने उनसे जालन्धर दोआब का क्षेत्र छीन लिया। अंग्रेजों ने कश्मीर का प्रदेश अपने एक मित्र गुलाब सिंह को 10 लाख पौंड के बदले दे दिया।
  4. दूसरा ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-दूसरा ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध 1848-1849 ई० में हुआ। इस युद्ध में भी सिक्ख पराजित हुए और पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य (1849 ई०) में मिला लिया गया।
  5. महाराजा दलीप सिंह-महाराजा दलीप सिंह लाहौर राज्य का अंतिम सिक्ख शासक था। दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के पश्चात् उसे राजगद्दी से उतार दिया गया।
  6. महारानी जिंदां-महारानी जिंदां महाराजा दलीप सिंह की संरक्षिका थी। भैरोंवाल की सन्धि (16 दिसम्बर, 1846) के अनुसार उससे सभी राजनीतिक अधिकार छीन लिए गए। इसके पश्चात् अंग्रेजों ने महारानी से बहुत बुरा व्यवहार किया।
  7. लाल सिंह तथा तेज सिंह-लाल सिंह महारानी जिंदां का प्रधानमंत्री था। तेज सिंह सिक्ख सेना का प्रधान सेनापति था। इन दोनों के विश्वासघात के कारण ही सिक्खों को अंग्रेजों के विरुद्ध पराजय का मुंह देखना पड़ा।

योग (Yoga) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions योग (Yoga) Game Rules.

योग (Yoga) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
योग का इतिहास और नियम लिखें।
उत्तर-
योग का इतिहास
(History of Yoga)
‘योग’ का इतिहास वास्तव में बहुत पुराना है। योग के उद्भव के बारे में दृढ़तापूर्वक व स्पष्टता से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। केवल यह कहा जा सकता है कि योग का उद्भव भारतवर्ष में हुआ था। उपलब्ध तथ्य यह दर्शाते हैं कि योग सिन्धु घाटी सभ्यता से सम्बन्धित है। उस समय व्यक्ति योग किया करते थे। गौण स्रोतों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि योग का उद्भव भारतवर्ष में लगभग 3000 ई० पू० हुआ था। 147 ई० पू० पतंजलि (Patanjali) के द्वारा योग पर प्रथम पुस्तक लिखी गई थी। वास्तव में योग संस्कृत भाषा के ‘युज्’ शब्द से लिया गया है। जिसका अभिप्राय है ‘जोड़’ या ‘मेल’। आजकल योग पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुका है। आधुनिक युग को तनाव, दबाव व चिंता का युग कहा जा सकता है। इसलिए अधिकतर व्यक्ति खुशी से भरपूर व फलदायक जीवन नहीं गुजार रहे हैं। पश्चिमी देशों में योग जीवन का एक भाग बन चुका है। मानव जीवन में योग बहुत महत्त्वपूर्ण है।

यौगिक व्यायाम के नये नियम
(New Rules of Yogic Exercise)

  1. यौगिक व्यायाम करने का स्थान समतल होना चाहिए। ज़मीन पर दरी या कम्बल डाल कर यौगिक व्यायाम करने चाहिए।
  2. यौगिक व्यायाम करने का स्थान एकान्त, हवादार और सफाई वाला होना चाहिए।
  3. यौगिक व्यायाम करते हुए श्वास और मन को शान्त रखना चाहिए।
  4. भोजन करने के बाद कम-से-कम चार घण्टे के पश्चात् यौगिक आसन करने चाहिए।
  5. यौगिक आसन धीरे-धीरे करने चाहिए और अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
  6. अभ्यास प्रतिदिन किसी योग्य प्रशिक्षक की देख-रेख में करना चाहिए।
  7. दो आसनों के मध्य में थोड़ा विश्राम शव आसन द्वारा कर लेना चाहिए।
  8. शरीर पर कम-से-कम कपड़े पहनने चाहिए, लंगोट, निक्कर, बनियान आदि, और सन्तुलित भोजन करना चाहिए।

बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम में निम्नलिखित यौगिक व्यायाम सम्मिलित किए गए हैं जिनके दैनिक अभ्यास द्वारा एक साधारण व्यक्ति का स्वास्थ्य बना रहता है—

  1. ताड़ासन
  2. अर्द्धचन्द्रासन
  3. भुजंगासन
  4. शलभासन
  5. धनुरासन
  6. अर्द्धमत्स्येन्द्रासन
  7. पश्चिमोत्तानासन
  8. पद्मासन
  9. स्वास्तिकासन
  10. सर्वांगासन
  11. मत्स्यासन
  12. हलासन
  13. योग मुद्रा
  14. मयूरासन
  15. उड्डियान
  16. प्राणायाम : अनुलोम विलोम
  17. सूर्य नमस्कार
  18. शवासन

योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
ताड़ासन और भुजंगासन की विधि बताकर इनके लाभ लिखें।
उत्तर-
ताड़ासन (Tarasan) इस आसन में खड़े होने की स्थिति में धड़ को ऊपर की ओर खींचा जाता है।
ताड़ासन की स्थिति (Position of Tarasan)—इस आसन में स्थिति ताड़ के वृक्ष जैसी होती है।
ताड़ासन की विधि (Technique of Tarasan)-खड़े होकर पांव की एड़ियों और अंगुलियों को जोड़ कर भुजाओं को ऊपर सीधा करें। हाथों की अंगुलियां एक-दूसरे हाथ में फंसा लें। हथेलियां ऊपर और नज़र सामने हो। अपना पूरा सांस अन्दर की ओर खींचें। एड़ियों को ऊपर उठा कर शरीर का सारा भार पंजों पर ही डालें। शरीर को ऊपर की ओर खींचे। कुछ समय के बाद सांस छोड़ते हुए शरीर को नीचे लाएं। ऐसा दस पन्द्रह बार करो।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
ताड़ासन ताड़ासन के लाभ (Advantages of Tarasan)-

  1. इससे शरीर का मोटापा दूर होता है।
  2. इससे कब्ज दूर होती है।
  3. इससे आंतों के रोग नहीं लगते।
  4. प्रतिदिन ठण्डा पानी पी कर इस आसन को करने से पेट साफ रहता है।

भुजंगासन (Bhujangasana)-इसमें चित्त लेट कर धड़ को ढीला किया जाता है।
भुजंगासन की विधि (Technique of Bhujangasana)-इसे सर्पासन भी कहते हैं। इसमें शरीर की स्थिति सर्प के आकार जैसी होती है। सासन करने के लिए भूमि पर पेट के बल लेटें। दोनों हाथ कन्धों के बराबर रखो। धीरे-धीरे टांगों को अकड़ाते हुए हथेलियों के बल छाती को इतना ऊपर उठाएं कि भुजाएं बिल्कुल सीधी हो जाएं। पंजों को अन्दर की ओर करो और सिर को धीरे-धीरे पीछे की ओर लटकाएं। धीरे-धीरे पहली स्थिति में लौट आएं। इस आसन को तीन से पांच बार करें।
लाभ (Advantages)—

  1. भुजंगासन से पाचन शक्ति बढ़ती है।
  2. जिगर और तिल्ली के रोगों से छुटकारा मिलता है।
  3. रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं।
  4. कब्ज दूर होती है।
  5. बढ़ा हुआ पेट अन्दर को धंसता है।
  6. फेफड़े शक्तिशाली होते हैं।
    योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
    भुजंगासन

योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
धनुरासन, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन और पश्चिमोत्तानासन की विधि और लाभ लिखें।
उत्तर-
धनुरासन (Dhanurasana)-इसमें चित्त लेट कर और टांगों को ऊपर खींच कर पांवों को हाथों से पकड़ा जाता है।
धनुरासन की विधि (Technique of Dhanurasana)-इससे शरीर की स्थिति कमान की तरह होती है। धनुरासन करने के लिए पेट के बल भूमि पर लेट जाएं। घुटनों को पीछे की ओर मोड़ कर रखें। टखनों के समीप पांवों को हाथ से पकड़ें। लम्बी सांस
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
धनुरासन
लेकर छाती को जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं। अब पांव अकड़ायें जिससे शरीर का आकार कमान की तरह बन जाए। जितने समय तक सम्भव हो ऊपर वाली स्थिति में रहें। सांस छोड़ते समय शरीर को ढीला रखते हुए पहले वाली स्थिति में आ जाएं। इस आसन को तीन-चार बार करें। भुजंगासन और धनुरासन दोनों ही आसन बारी-बारी करने चाहिए।
लाभ (Advantages)—

  1. इस आसन से शरीर का मोटापा कम होता है।
  2. इससे पाचन शक्ति बढ़ती है।
  3. गठिया और मूत्र रोगों से छुटकारा मिलता है।
  4. मेहदा तथा आंतें अधिक ताकतवर बनती हैं।
  5. रीढ़ की हड्डी तथा मांसपेशियां मज़बूत और लचकीली बनती हैं।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन (Ardhmatseyandrasana)-इसमें बैठने की स्थिति में धड़ को पाश्र्यों की ओर धंसा जाता है।
विधि-ज़मीन पर बैठकर बाएं पांव की एड़ी को दाईं ओर नितम्ब के पास ले जाओ। जिससे एड़ी का भाग गुदा के निकट लगे। दायें पांव को ज़मीन पर बायें पांव के घुटने के निकट रखो फिर वक्षस्थल के निकट बाईं भुजा को लाएं, दायें पांव के घुटने के नीचे अपनी जंघा पर रखें, पीछे की ओर से दायें हाथ द्वारा कमर को लपेट कर नाभि को स्पर्श करने का यत्न करें। फिर पांव बदल कर सारी क्रिया को दोहराएँ।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन
लाभ—

  1. इस आसन द्वारा मांसपेशियां और जोड़ अधिक लचीले रहते हैं और शरीर में शक्ति आती है।
  2. यह आसन वायु विकार और मधुमेह दूर करता है तथा आन्त उतरने (Hernia) में लाभदायक है।
  3. यह आसन मूत्राशय, अमाशय, प्लीहादि के रोगों में लाभदायक है।
  4. इस आसन के करने से मोटापा दूर रहता है।
  5. छोटी तथा बड़ी आन्तों के रोगों के लिए बहुत उपयोगी है।।

पश्चिमोत्तानासन (Paschimotanasana)—इसमें पांवों के अंगूठों को अंगुलियों से पकड़ कर इस प्रकार बैठा जाता है कि धड़ एक ओर ज़ोर से चला जाए।
पश्चिमोत्तानासन की स्थिति (Position of Paschimotanasana)-इस आसन में सारे शरीर को फैला कर मोड़ा जाता है।
पश्चिमोत्तानासन की विधि (Technique of Paschimotansana)—दोनों टांगें आगे की ओर फैला कर भूमि पर बैठ जाएं। दोनों हाथों से पांवों के अंगूठे पकड़ कर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए घुटनों को छूने की कोशिश करो। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए सिर को ऊपर उठाएं और पहले वाली स्थिति में आ जाएं। यह आसन हर रोज़ 10-15 बार करना चाहिए।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5
पश्चिमोत्तानासन

लाभ (Advantages)—

  1. इस आसन से जंघाओं को शक्ति मिलती है।
  2. नाड़ियों की सफाई होती है।
  3. पेट के अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।
  4. शरीर की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
  5. पेट की गैस समाप्त होती है।

प्रश्न
पद्मासन, मयूरासन, सर्वांगासन और मत्स्यासन की विधि और लाभ बताएं।
उत्तर-
1. पद्मासन (Padamasana)—इसमें टांगों की चौंकड़ी लगा कर बैठा जाता है।
पद्मासन की विधि (Technique of Padamasana)-चौकड़ी मार कर बैठने के बाद दायां पांव बाईं जांघ पर इस तरह रखें कि दायें पांव की एड़ी बाईं जांघ पर पेड्र हड्डी को छुए। इसके पश्चात् बायें पांव को उठा कर उसी प्रकार दायें पांव की जांघ पर रख लें। रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए। बाजुओं को तान कर हाथों को घुटनों पर रखो। कुछ दिनों के अभ्यास द्वारा इस आसन को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6
पद्मासन
लाभ (Advantages)—

  1. इस आसन में पाचन शक्ति बढ़ती है।
  2. यह आसन मन की एकाग्रता के लिए सर्वोत्तम है।
  3. कमर दर्द दूर होता है।
  4. दिल के तथा पेट के रोग नहीं लगते।
  5. मूत्र के रोगों को दूर करता है।

2. मयूरासन (Mayurasana)
विधि (Technique)—पेट के बल ज़मीन पर लेट कर दोनों पांवों के पंजों को मिलाओ। दोनों कहनियों को आपस में मिला कर ज़मीन पर ले जाओ। सम्पूर्ण शरीर का भार कुहनियों पर दे कर घुटनों और पैरों को जमीन से उठाए रखो।
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मयूरासन

लाभ (Advantages)—

  1. यह आसन फेफड़ों की बीमारी दूर करता है। चेहरे को लाली प्रदान करता है।
  2. पेट की सभी बीमारियां इससे दूर होती हैं और बांहों तथा हाथों को बलवान बनाता है।
  3. इस आसन से आंखों की नज़र पास की व दूर की ठीक रहती है।
  4. इस आसन से मधुमेह रोग नहीं होता यदि हो जाए तो दूर हो जाता है।
  5. यह आसन रक्त संचार को नियमित करता है।

3. सर्वांगासन (Sarvangasana)—इसमें कन्धों पर खड़ा हुआ जाता है।
सर्वांगासन की विधि (Technique of Sarvangasana)-सर्वांगासन में शरीर की स्थिति अर्द्ध हल आसन की भान्ति होती है। इस आसन के लिए शरीर को सीधा करके पीठ के बल ज़मीन पर लेट जाएं। हाथों को जंघाओं के बराबर रखें। दोनों पांवों को एक बार उठा कर हथेलियों द्वारा पीठ को सहारा देकर कुहनियों को ज़मीन पर टिकाएँ। सारे
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 8
सर्वांगासन
शरीर को सीधा रखें। शरीर का भार कन्धों और गर्दन पर रहे। ठोडी कण्ठकूप से लगी रहे। कुछ समय इस स्थिति में रहने के पश्चात् धीरे-धीरे पहली स्थिति में आएं। आरम्भ में आसन का समय बढ़ा कर 5 से 7 मिनट तक किया जा सकता है। जो व्यक्ति किसी कारण शीर्षासन नहीं कर सकते उन्हें सर्वांगासन करना चाहिए।
लाभ (Advantages)—

  1. इस आसन से कब्ज दूर होती है, भूख खूब लगती है।
  2. बाहर को बढ़ा हुआ पेट अन्दर धंसता है।
  3. शरीर के सभी अंगों में चुस्ती आती है।
  4. पेट की गैस नष्ट होती है।
  5. रक्त का संचार तेज़ और शुद्ध होता है।
  6. बवासीर के रोग से छुटकारा मिलता है।

4. मत्स्यासन (Matsyasana)-इसमें पद्मासन में बैठकर Supine लेते हुए और पीछे की ओर arch बनाते हैं।
विधि (Technique)—पद्मासन लगा कर सिर को इतना पीछे ले जाओ जिससे सिर की चोटी का भाग ज़मीन पर लग जाए और पीठ का भाग ज़मीन से ऊपर उठा हो। दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ें।
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मत्स्यासन
लाभ (Advantages)—

  1. वह आसन चेहरे को आकर्षक बनाता है। चर्म रोग को दूर करता है।
  2. यह आसन टांसिल, मधुमेह, घुटनों तथा कमर दर्द के लिए लाभदायक है। शुद्ध रक्त का निर्माण तथा संचार करता है।
  3. इस आसन द्वारा मेरूदण्ड में लचक आती है, कब्ज दूर होती है, भूख बढ़ती है, पेट की गैस को नष्ट करके भोजन पचाता है।
  4. यह आसन फेफड़ों के लिए लाभदायक है, श्वास सम्बन्धी रोग जैसे खांसी, दमा, श्वास नली की बीमारी आदि दूर करता है। नेत्र दोषों को दूर करता है।
  5. यह आसन टांगों और भुजाओं की शक्ति को बढ़ाता है और मानसिक दुर्बलता को दूर करता है।

योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
हलासन और शवासन की विधि और लाभ बताएं।
उत्तर-
हलासन (Halasana)—इसमें Supine लेते हुए, टांगें उठा कर और सिर से परे रखी जाती हैं।
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हलासन
विधि (Technique)-दोनों टांगों को ऊपर उठाएं, सिर को पीछे रखें और दोनों पांवों को सिर के पीछे ज़मीन पर रखें। पैरों के अंगूठे जमीन को छू लें। यह स्थिति जब तक हो सके रखें। इसके पश्चात् अपनी टांगें पहले वाले स्थान पर लाएं जहां से आरम्भ किया था।
लाभ (Advantages)—

  1. हल आसन औरतों और मर्दो के लिए हर आयु में लाभदायक है।
  2. यह आसन रक्त के दबाव अधिक और कम के लिए भी फायदेमंद है। जिस व्यक्ति को दिल की बीमारी हो उसके लिए भी लाभदायक है।
  3. रक्त का दौरा नियमित हो जाता है।
  4. इस आसन को करने से व्यक्ति की वसा कम हो जाती है और कमर व पेट पतले हो जाते हैं।
  5. रीढ़ की हड्डी लचकदार हो जाती है।

शवासन (Shavasana)-चित्त लेट कर मीटर को ढीला छोड़ दें।
शवासन की विधि (Technique of Shavasana)-शवासन में पीठ के बल सीधा लेट कर शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ा जाता है। शवासन करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाओ और शरीर के अंगों को ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे लम्बे सांस लो। बिल्कुल चित्त लेट कर सारे शरीर के अंगों को ढीला छोड़ दो। दोनों पांवों के बीच एक डेढ़ फुट की दूरी होनी चाहिए। हाथों की हथेलियों को आकाश की ओर करके शरीर से दूर रखो। आंखें बन्द कर अन्तर्ध्यान हो कर सोचो कि शरीर ढीला हो रहा है। अनुभव करो कि शरीर विश्राम की स्थिति में है। यह आसन 3 से 5 मिनट तक करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास प्रत्येक आसन के शुरू या अन्त में करना ज़रूरी है।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 11
शवासन
महत्त्व (Importance)—

  1. शवासन से उच्च रक्त चाप और मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
  2. यह दिल और दिमाग को ताज़ा करता है।
  3. इस आसन द्वारा शरीर की थकावट दूर होती है।

योग मुद्रा (Yog Mudra)—इसमें व्यक्ति पद्मासन में बैठता है, धड़ को झुकाता है और भूमि पर सिर को विश्राम देता है।
मयूरासन (Mayurasana)-इसमें शरीर को क्षैतिज रूप में कुहनियों पर सन्तुलित किया जाता है। हथेलियां भूमि पर टिकाई होती हैं।
उड्डियान (Uddiyan)-पांवों को अलग-अलग करके खड़ा होकर धड़ को आगे की ओर झुकाएं। हाथों को जांघों पर रखें। सांस बाहर निकालें और पसलियों के नीचे अन्दर को सांस खींचने की नकल करें।
प्राणायाम : अनुलोम विलोम (Pranayam : Anulom Vilom)-बैठकर निश्चित अवधि के लिए बारी-बारी सांस को अन्दर खींचें, ठोडी की सहायता से सांस रोकें और सांस बाहर निकालें।
लाभ (Advantages—प्राणायाम आसन द्वारा रक्त, नाड़ियों और मन की शुद्धि होती है।
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar)—सूर्य नमस्कार के 16 अंग हैं परन्तु 16 अंगों वाला सूर्य सम्पूर्ण सृष्टि के लय होने के समय प्रकट होता है। साधारणतया इसके 12 अंगों का ही अभ्यास किया जाता है।
लाभ (Advantages)—यह श्रेष्ठ यौगिक व्यायाम है। इससे व्यक्ति को आसन, मुद्रा और प्राणायाम के लाभ प्राप्त होते हैं। अभ्यासी का शरीर सूर्य के समान चमकने लगता है। चर्म सम्बन्धी रोगों से बचाव होता है। कोष्ठ बद्धता दूर होती है। मेरूदण्ड और कमर लचकीली होती है। गर्भवती स्त्रियों और हर्निया के रोगियों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न
वज्रासन, शीर्षासन, चक्रासन, और गरुड़ासन की विधि एवं लाभ लिखें।
उत्तर-
वज्रासन (Vajur Asana)-पैरों को पीछे की ओर मोड़ कर बैठना और हाथों को घुटनों पर रखना इसकी स्थिति है।
विधि (Technique)—

  1. घुटने मोड़ कर पैरों को पीछे की ओर करके पैरों के तलुओं के भार बैठो।
  2. नीचे पैर इस प्रकार हों कि पैर के अंगूठे एक दूसरे से मिले हों।
  3. दोनों घुटने भी मिले हों और कमर तथा पीठ दोनों एकदम सीधे रहें।
  4. दोनों हाथों को तान कर घुटनों के पास रखो।
  5. सांसें लम्बी-लम्बी और साधारण हों।
  6. यह आसन प्रतिदिन 3 मिनट से लेकर 20 मिनट तक करना चाहिए।

लाभ (Advantages)—
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 12
वज्रासन

  1. शरीर में स्फूर्ति आती है।
  2. शरीर का मोटापा दूर हो जाता है।
  3. शरीर स्वस्थ रहता है।
  4. मांसपेशियां मज़बूत होती हैं।
  5. इससे स्वप्न दोष दूर हो जाता है।
  6. पैरों का दर्द दूर हो जाता है।
  7. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. मनुष्य निश्चिंत हो जाता है।
  9. इससे मधुमेह की बीमारी में लाभ पहुंचता है।
  10. पाचन क्रिया ठीक रहती है।

शीर्षासन (Shirsh Asana)-इस आसन में सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर होते
विधि (Technique)—

  1. एक दरी या कम्बल बिछा कर घुटनों के भार बैठो।
  2. दोनों हाथों की अंगुलियां कस कर बांध लो। दोनों हाथों को कोणदार बना कर कम्बल या दरी पर रखो।
  3. सिर का सामने वाला भाग हाथों में इस प्रकार जमीन पर रखो कि दोनों अंगूठे सिर के पिछले हिस्से को दबाएं।
  4. टांगों को धीरे-धीरे अन्दर की ओर मोड़ते हुए शरीर को सिर और दोनों हाथों के सहारे आसमान की ओर उठाओ।
  5. पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाओ। पहले एक यंग को सीधा करो, फिर दूसरी को।
  6. शरीर को बिल्कुल सीधा रखो।
  7. शरीर का सारा भार बांहों और सिर पर बराबर पड़े।
  8. दीवार या साथी का सहारा लो।

लाभ (Advantages)—
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 13
शीर्षासन

  1. यह आसन भूख बढ़ाता है।
  2. इससे स्मरण-शक्ति बढ़ती है।
  3. मोटापा दूर हो जाता है।
  4. जिगर ठीक प्रकार से कार्य करता है।
  5. पेशाब की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
  6. बवासीर आदि बीमारियां दूर हो जाती हैं।
  7. इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से कई मानसिक बीमारियां दूर हो जाती हैं।

सावधानियां (Precautions)-

  1. जब आंखों में लाली आ जाए तो बन्द कर दो।
  2. सिर चकराने लगे तो आसन बन्द कर दें।
  3. कानों में सां-सां की ध्वनि सुनाई दे तो शीर्षासन बन्द कर दें।
  4. नाक बन्द हो जाए तो यह आसन बन्द कर दें।
  5. यदि शरीर भार सहन न कर सके तो आसन बन्द कर दें।
  6. पैरों व बांहों में कम्पन होने लगे तो आसन बन्द कर दो।
  7. यदि दिल घबराने लगे तो भी आसन बन्द कर दो।
  8. शीर्षासन सदैव एकान्त स्थान पर करना चाहिए।
  9. आवश्यकता होने पर दीवार का सहारा लेना चाहिए।
  10. यह आसन केवल एक मिनट से पांच मिनट तक करो। इससे अधिक शरीर के लिए हानिकारक है।

चक्रासन (Chakar Asana) की स्थिति-इस आसन में शरीर को गोल चक्र जैसा बनाना पड़ता है।
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 14
चक्रासन
विधि (Technique)—

  1. पीठ के भार लेट कर, घुटनों को मोड़ कर, पैरों के तलवों को ज़मीन से लगाओ। दोनों पैरों के बीच में एक से डेढ़ फुट का अन्तर रखो।
  2. हाथों को पीछे की ओर ज़मीन पर रखो। तलवों और अंगुलियों को दृढ़ता के साथ ज़मीन से लगाए रखो।
  3. अब हाथ-पैरों के सहारे पूरे शरीर को चक्रासन या चक्र की शक्ल में ले जाओ।
  4. सारे शरीर की स्थिति गोलाकार होनी चाहिए।
  5. आंखें बन्द रखो ताकि श्वास की गति तेज़ हो सके।

लाभ (Advantages)—

  1. शरीर की सारी कमजोरियां दूर हो जाती हैं।
  2. शरीर के सारे अंगों को लचीला बनाता है।
  3. हर्निया तथा गुर्दो के रोग दूर करने में लाभदायक होता है।
  4. पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
  5. पेट की वायु विकार आदि बीमारियां दूर हो जाती हैं।
  6. रीढ़ की हड्डी मज़बूत हो जाती है।
  7. जांघ तथा बाहें शक्तिशाली बनती हैं।
  8. गुर्दे की बीमारियां घट जाती हैं।
  9. कमर दर्द दूर हो जाता है।
  10. शरीर हल्कापन अनुभव करता है।

गरुड़ आसन (Garur Asana) की स्थिति- गरुड़ आसन में शरीर की स्थिति गरुड़ पक्षी की भांति पैरों पर सीधे खड़ा होना होता है।
विधि (Technique)—
योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 15
गरुड़ासन

  1. सीधे खड़े होकर बायें पैर को उठा कर दाहिनी टांग में बेल की तरह लपेट लो।
  2. बाईं जांघ दाईं जांघ पर आ जायेगी तथा बाईं जांघ पिंडली को ढांप देगी।
  3. शरीर का सारा भार एक ही टांग पर कर दो।
  4. बाएं बाजू को दायें बाजू से दोनों हथेलियों को नमस्कार की स्थिति में ले जाओ।
  5. इसके बाद बाईं टांग को थोड़ा सा झुका कर शरीर को बैठने की स्थिति में ले जाओ। इस प्रकार शरीर की नसें खिंच जाती हैं। अब शरीर को सीधा करो और सावधान की स्थिति में हो जाओ।
  6. अब हाथों और पैरों को बदल कर पहली वाली स्थिति में पुनः दोहराओ।

लाभ (Advantages)—

  1. शरीर के सभी अंगों को शक्तिाली बनाता है।
  2. शरीर स्वस्थ हो जाता है।
  3. यह बांहों को ताकतवर बनाता है।
  4. यह हर्निया रोग से मनुष्य को बचाता है।
  5. टांगें शक्तिशाली हो जाती हैं।
  6. शरीर हल्कापन अनुभव करता है।
  7. रक्त संचार तेज़ हो जाता है।
  8. गरुड़ आसन करने से मनुष्य बहुत-सी बीमारियों से बच जाता है।

योग (Yoga) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
प्राणायाम क्या है ? प्राणायाम के भेद और करने की विधियां लिखें।
उत्तर-
प्राणायाम
(Pranayama)
प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है “प्राण” का अर्थ है ‘जीवन’ और ‘याम’ का अर्थ है, ‘नियन्त्रण’ जिससे अभिप्राय है जीवन पर नियन्त्रण अथवा सांस पर नियन्त्रण।
प्राणायाम वह क्रिया है जिससे जीवन की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है और इस पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
मनु-महाराज ने कहा है, “प्राणायाम से मनुष्य के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और कमियां पूरी हो जाती हैं।”

प्राणायाम के आधार
(Basis of Pranayama)
सांस को बाहर की ओर निकालना तथा फिर अन्दर की ओर करना और अन्दर ही कुछ समय रोक कर फिर कुछ समय के बाद बाहर निकालने की तीनों क्रियाएं ही प्राणायाम का आधार हैं।
रेचक-सांस बाहर को छोड़ने की क्रिया को ‘रेचक’ कहते हैं।
पूरक-जब सांस अन्दर खींचते हैं तो इसे पूरक कहते हैं।
कुम्भक-सांस को अन्दर खींचने के बाद उसे वहां ही रोकने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं।

प्राण के नाम
(Name of Prana)
व्यक्ति के सारे शरीर में प्राण समाया हुआ है। इसके पांच नाम हैं—

  1. प्राण-यह गले से दिल तक है। इसी प्राण की शक्ति से सांस शरीर में नीचे जाता है।
  2. अप्राण-नाभिका से निचले भाग में प्राण को अप्राण कहते हैं। छोटी और बडी आन्तों में यही प्राण होता है। यह टट्टी, पेशाब और हवा को शरीर में से बाहर निकालने के लिए सहायता करता है।
  3. समान-दिल और नाभिका तक रहने वाली प्राण क्रिया को समान कहते हैं। यह प्राण पाचन क्रिया और एडरीनल ग्रन्थि की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।
  4. उदाना- गले से सिर तक रहने वाले प्राण को उदान कहते हैं। आंखों, कानों, नाक, मस्तिष्क इत्यादि अंगों का काम इसी प्राण के कारण होता है।
  5. ध्यान-यह प्राण शरीर के सभी भागों में रहता है और शरीर का अन्य प्राणों से मेल-जोल रखता है। शरीर के हिलने-जुलने पर इसका नियन्त्रण होता है।

प्राणायाम के भेद
(Kinds of Pranayama)
शास्त्रों में प्राणायाम कई प्रकार के दिये गए हैं, परन्तु प्राय: यह आठ होते हैं—

  1. सूर्य-भेदी प्राणायाम
  2. उजयी प्राणायाम
  3. शीतकारी प्राणायाम
  4. शीतली प्राणायाम
  5. भस्त्रिका प्राणायाम
  6. भ्रमरी प्राणायाम
  7. मुर्छा प्राणायाम
  8. कपालभाती प्राणायाम

प्राणायाम करने की विधि
(Technique of doing Pranayama)
प्राणायाम श्वासों पर नियन्त्रण करने के लिए किया जाता है। इस क्रिया से श्वास अन्दर की ओर खींच कर रोक लिया जाता है और कुछ समय रोकने के बाद फिर छोड़ा जाता है। इस प्रकार सांस धीरे-धीरे नियन्त्रण करने के समय को बढ़ाया जा सकता है। अपनी दाईं नासिका को बन्द करके, बाईं से आठ गिनते समय तक सांस खींचो। फिर नौ और दस गिनते हुए सांस रोको। इससे पूरा सांस बाहर निकल जाएगा। फिर दाईं नासिका से गिरते हुए सांस खींचो। नौ-दस तक रोके। फिर दाईं नासिका बन्द करके बाईं से आठ तक गिनते हुए सांस बाहर निकालो तथा नौ-दस तक रोको।