PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 पदावली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 5 पदावली

Hindi Guide for Class 11 PSEB पदावली Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरु तेग बहादुर जी के अनुसार गुरमुख में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर जी के अनुसार गुरमुख में ये गुण होने चाहिए कि वह मन का मान अहंकार त्याग दें, कामक्रोध और बुरे लोगों की संगति को भी त्याग दें, सुख-दुख को एक जैसा माने, हर्ष-शोक को भी समान माने, उसे प्रशंसा और निन्दा की चिंता नहीं होनी चाहिए। जो गुरमुख संसार में रहते हुए मान-अपमान में अन्तर न करते हुए इन्हें एक समान मानते हैं और विपरीत स्थितियों में अपने पथ से विचलित नहीं होते वे ही मुक्ति के अधिकारी होते हैं।

प्रश्न 2.
कहु नानक प्रभु बिरद पछानउ तब हउ पतित तरउ’ का भावार्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति का भाव यह है कि कोई विद्वान् पुरुष अथवा सद्गुरु का उपदेश ही मुझ पतित को इस संसार रूपी सागर से पार उतार सकता है। जन्म लेने के बाद गुरु का ज्ञान ही तो प्रभु से मिलने का रास्ता बताता है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

प्रश्न 3.
गुरु जी ने नाम सिमरन पर बल क्यों दिया है ?
उत्तर:
गुरु जी का कहना है कि यदि सिमरन से हाथी का कष्ट दूर हो गया था तो हमारा क्यों नहीं होगा। इसलिए अभिमान का त्याग कर मनुष्य को नाम सिमरन करना चाहिए। सिमरन से कुबुद्धि भी नष्ट हो जाती है और मनुष्य प्रभु को प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 4.
संकलित पदों के आधार पर गुरु तेग़ बहादुर जी की भक्ति भावना का वर्णन करें।
उत्तर:
गुरु जी की वाणी में नाम सिमरन की महत्ता पर बल दिया गया है क्योंकि नाम सिमरन से मुक्ति मिल सकती है तथा मनुष्य भव सागर से पार हो सकता है। गुरु जी ने मनुष्य को अभिमान त्याग कर, सुख-दुख को समान जानने का भी उपदेश दिया है। साथ ही उन्होंने अज्ञान के भ्रम को दूर कर मन को स्थिर करके, विषय वासना का त्याग कर प्रभु की शरण में जाने को कहा है।

प्रश्न 5.
गुरु तेग बहादुर जी ने अपने पदों में सांसारिक नश्वरता का संकेत किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर;
गुरुजी ने सांसारिक नश्वरता को ध्यान में रख कर मनुष्य को कहा है कि मनुष्य को बार-बार जन्म नहीं मिलता है। इसलिए उसे इस नश्वर संसार से पार पाने के लिए प्रभु का स्मरण करना चाहिए। मन, वचन, कर्म से परम सत्ता के प्रति स्वयं को लगा देना चाहिए। गुरु के ज्ञान से ईश्वर के नाम का परिचय मिल सकता है। आडम्बर रचने से ईश्वर कभी प्राप्त नहीं होता। मनुष्य का शरीर भी बार-बार प्राप्त नहीं होता। इसकी प्राप्ति सद्कर्मों से ही होती है। इसलिए अज्ञान के अन्धकार और मोह-ममता से दूर होकर ईश्वर के प्रति उन्मुख हो जाना चाहिए। गुरु के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही सांसारिक नश्वरता से मुक्ति पाई जा सकती है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

PSEB 11th Class Hindi Guide पदावली Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिक्ख गुरु-परम्परा में नौवें गुरु कौन हैं ?
उत्तर-गुरु तेग़ बहादुर जी।

प्रश्न 2.
गुरु तेग़ बहादुर जी का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1621 में अमृतसर में।

प्रश्न 3.
गुरु तेग बहादुर जी ने कौन-सा नगर बसाया था ?
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब।

प्रश्न 4.
आनन्दपुर साहिब बाद में किस नाम से प्रसिद्ध हुआ ?
उत्तर:
खालसा की जन्मभूमि।

प्रश्न 5.
गुरु तेग़ बहादुर गुरु पद पर कब शोभायमान हुए ?
उत्तर:
गुरु हरिकृष्ण के पद छोड़ने के बाद।

प्रश्न 6.
गुरु तेग़ बहादर जी ने औरंगजेब के अत्याचारों से किसे बचाया था ?
उत्तर:
कश्मीरी पंडितों को बचाया था।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

प्रश्न 7.
गुरु तेग़ बहादुर जी ने अपने पदों में किसकी संगति न करने पर बल दिया है ?
उत्तर:
दुष्टों की संगति।

प्रश्न 8.
गुरु जी ने किसकी स्थापना पर बल दिया था ?
उत्तर:
गुरु जी ने मानवीय मूल्यों की स्थापना पर बल दिया था।

प्रश्न 9.
गुरु जी ने किसे अनमोल बताया है ?
उत्तर:
गुरु जी ने मनुष्य जन्म को अनमोल बताया है।

प्रश्न 10.
संसार रूपी सागर को पार करने के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर:
संसार रूपी सागर को पार करने के लिए गुरु के उपदेश को पहचानना ज़रूरी है।

प्रश्न 11.
गुरु जी ने अपने पदों में किसे त्यागने की बात कही है ?
उत्तर:
अहंकार, काम, क्रोध और मोह-माया को।।

प्रश्न 12.
गुरु जी ने भक्तिभावना और …………….. की स्थापना पर बल दिया ।
उत्तर:
सांसारिक नश्वरता।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

प्रश्न 13.
किसे व्यर्थ में नहीं खोना चाहिए ?
उत्तर:
मानव जन्म।

प्रश्न 14.
गुरु जी के अनुसार सुख का आधार क्या है ?
उत्तर:
सांसारिक विषय-विकारों में निर्लिप्त रहना सुख का आधार है।

प्रश्न 15.
प्रभु को कौन पहचान सकता है ?
उत्तर:
कोई भी विद्वान् व्यक्ति।

प्रश्न 16.
गुरु जी ने …………. से अपने आप को शरण में लेने की प्रार्थना की है ।
उत्तर:
प्रभु।

प्रश्न 17.
मानव का मन ………… के अंधेरे में उलझा हुआ है ।
उत्तर:
महामोह और अज्ञान।

प्रश्न 18.
मानव ने अपना सारा जन्म ……………. में भटकते हुए बिता दिया ।
उत्तर:
भ्रम।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

प्रश्न 19.
मानव दिन-रात किसमें डूबा रहा ?
उत्तर:
विषय-वासनाओं में।

प्रश्न 20.
सिमरन से किसका कष्ट दूर हो गया था ?
उत्तर:
हाथी।

प्रश्न 21.
गुरु जी की वाणी में किसकी महत्ता पर बल दिया गया है ?
उत्तर:
नाम सिमरन पर।

प्रश्न 22.
सिमरन से क्या नष्ट हो जाती है ?
उत्तर:
कुबुद्धि।

प्रश्न 23.
पतित का उद्धार कौन करता है ?
उत्तर:
परमात्मा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

प्रश्न 24.
जन्म लेने के बाद …………… प्रभु से मिलन का रास्ता है ।
उत्तर:
गुरु का ज्ञान।

प्रश्न 25.
गुरु जी ने बाह्य आडम्बरों का विरोध किया था ?
उत्तर:
सत्य।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गुरु परंपरा में गुरु तेग बहादुर जी कौन-से स्थान पर आते हैं ?
(क) आठवें
(ख) नौंवें
(ग) दसवें
(घ) ग्यारहवें।
उत्तर:
(ख) नौंवें

प्रश्न 2.
गुरु तेग बहादुर जी ने कौन-सा नगर बसाया था ?
(क) आनन्दपुर साहिब
(ख) अमृतसर
(ग) जालंधर
(घ) फतेहगढ़ साहिब।
उत्तर:
(क) आनन्दपुर साहिब

प्रश्न 3.
गुरु जी ने किसको सर्वश्रेष्ठ माना है ?
(क) मानवतावाद
(ख) समाजवाद
(ग) प्रयोगवाद
(घ) प्रगतिवाद।
उत्तर:
(क) मानवतावाद।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

पदावली सप्रसंग व्याख्या

रागु गउड़ी महला 9

1. साधो मन का मानु तिआगउ ॥
कामु क्रोधु संगति दुरजन की ता ते अहनिसि भागउ ॥रहाउ॥
सुख दुख दोनों सम करि जानै अउरु मानु अपमाना ॥
हरख सोग ते रहै अतीता तिनि जगि ततु पछाना ॥1॥
उसतति निंदा दोऊ तिआगै खोजै पदु निरबाना ॥2॥
जनु नानक इहु खेलु कठनु है किनहू गुरमुखि जाना॥
                                      (राग गउड़ी महला-9)॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मानु = अहँकार ।तिआगउ = छोड़ो, त्यागो । कामु = काम वासना। अहनिसि = दिन-रात। भागउ = भागो, दूर रहो। सम = समान। हरख सोग = हर्ष और शोक। अतीता = दूर, पृथक् । तिनि = उन्होंने। जगि ततु = संसार का सार। उसतति = प्रशंसा । निरबाना = मोक्ष, मुक्ति। इह खेलु = यह खेल।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद श्री गुरु तेग बहादुर द्वारा रचित वाणी के अन्तर्गत ‘रागु गउड़ी महला-9’ से उद्धृत किया गया है। इसमें गुरु जी ने व्यक्ति को सांसारिक विकारों से दूर रहने तथा मोक्ष प्राप्ति का प्रयास करते रहने का उपदेश दिया है।

व्याख्या :
गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं–अरे सांसारिक लोगो ! अपने मन से अहंकार का भाव त्याग दो। काम, क्रोध तथा दुर्जन की संगति से रात-दिन दूर रहो। किसी भी दिन में किसी भी क्षण दुष्टों की संगति न करो। सुख-दुःख, मान तथा अपमान को समान रूप से जानो। जो हर्ष और शोक की भावना से दूर रहते हैं-उनसे प्रभावित नहीं होते, वे ही संसार के तत्व को तथा संसार की वास्तविकता को जान लेते हैं। जो व्यक्ति स्तुति और निन्दा को त्याग देते हैं भाव यह कि जो लोग विषम परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते, उन्हें ही मुक्ति प्राप्त होती है। नानक के जन, गुरु नानक के भक्त ! सुख-दुःख, मान-अपमान में समान रहने का यह खेल बड़ा कठिन है। सुख-दुःख आदि की अवस्थाओं में समान रहना बड़ा कठिन है। कोई ही अर्थात् बिरला गुरमुख (गुरु का चेला) व्यक्ति इस तत्व को पहचान सकता है।

विशेष :

  1. इन पंक्तियों में गुरु तेग बहादुर जी ने मानसिक विकारों से सदैव दूर रहने का उपदेश दिया है।
  2. सांसारिक विषय-विकारों से निर्लिप्त रहना ही सुख का आधार है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।
  4. सधुक्कड़ी शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. प्रसाद गुण है।
  7. शान्त रस है।
  8. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

धनासरी महला 9

2. अब मैं कउनु उपाय करउ ।
जह विधि मन को संसा चूकै भउनिधि पारि परउ ॥ रहाउ॥
जनमु पाइ कछु भलो न कीनो ता ते अधिक डरउ ॥
मन बच क्रम हरि गुन नहीं गाए यह जीअ सोच धरउ ॥
गुरमति सुनि कछु गिआनु न उपजिओ पसु जिउ उदरु भरउ ॥
कहु नानक प्रभ बिरद् पछानउ तब हउ पतित तरउ ॥1॥
                                                    (धनासरी महला)

कठिन शब्दों के अर्थ :
कउनु = कौन सा। जिह विधि = जिस तरीके से । संसा = संशय । चूकै = मिटे। भउनिधि = भवसागर। न कीनो = नहीं किया। ता ते = इस से, इसलिए। वच = वचन। क्रम = कर्म। गुरमति = गुरु के उपदेश। न उपजिओ = नहीं उत्पन्न हुआ। उदरु = पेट। विरद = विद्वान्।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी रागु धनासरी महला 9 में से लिया गया है। इसमें गुरु जी ने गुरु के उपदेश को संशय दूर करने वाला एवं संसार रूपी सागर से पार उतारने वाला बताया है।

व्याख्या:
गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं कि अब मैं कौन-सा उपाय करूँ, जिस से मेरे मन का संशय दूर हो या मिट जाए और मैं संसार रूपी सागर से पार उतर जाऊँ। मैंने मनुष्य जन्म प्राप्त करके भी शुभ कर्म नहीं किए इसी कारण मैं अधिक डर रहा हूँ। मैंने मन, वचन और कर्म से भगवान् के गुणों का गान नहीं किया। यही मेरे मन में विचार आ रहा है। गुरु के उपदेश को सुन कर भी मेरे मन में कुछ ज्ञान नहीं उत्पन्न हुआ। मेरा जीवन तो पशु समान ही रहा जो केवल पेट भरना ही जानता है। गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं कि प्रभु को कोई विद्वान् व्यक्ति ही पहचान सकता है। तभी मैं पतित तर सकता हूँ अर्थात् इस संसार रूपी सागर से पार जा सकता हूँ।

विशेष :

  1. संसार रूपी सागर को पार करने के लिए गुरु के उपदेश को पहचानना ज़रूरी है।
  2. भाषा सरल, सरस एवं सहज है।
  3. तद्भव, तत्सम एवं पंजाबी शब्दावली है।
  4. अनुप्रास तथा रूपक अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

3. सोरठि महलामन की मन ही माहि रही।
ना हरि भजे न तीरथ सेवे चोटी काल गही ॥ रहाउ॥
दारा मीत पूत रथ संपति धन पूरन सभ मही ॥
अवर सगल मिथिआ ए जानऊ भजनु राम को सही ॥
फिरत फिरत बहुते जुग हारिओ मानस देह लही॥
नानक कहत मिलन की बरीआ सिमरत कहा नहीं ।
                                            (सोरठि महला 9)

कठिन शब्दों के अर्थ :
चोटि = केश। काल = काल, मृत्यु। गही = पकड़ी।दारा = पत्नी। मीत = मित्र। मही = धरती। अबर = और, दूसरा। सकल = सारा, सब कुछ। सही = ठीक। जुग = समय। लही = ली, मिली। बरीआ = अवसर। सिमरत = स्मरण। कहा नहीं = क्यों नहीं।

प्रसंग : प्रस्तुत पद श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी रागु सोरठि महला 9 में से लिया गया है। इसमें गुरु जी ने मनुष्य को ईश्वर के नाम को स्मरण करने का उपदेश दिया है।

व्याख्या :
गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं कि मेरे मन की बात या इच्छा मन में ही रह गई। क्योंकि जीवन में मैंने ईश्वर का भजन नहीं किया और मृत्यु ने आकर मेरी चोटी (बाल) पकड़ ली। पत्नी, मित्र, पुत्र, रथ, संपत्ति धन आदि से धरती परिपूर्ण थी। मुझे सब कुछ प्राप्त था किन्तु मैंने ईश्वर का भजन नहीं किया। मैंने जाना कि अन्य सारी बातें तो मिथ्या हैं। ईश्वर का भजन ही ठीक है। मुझे भटकते-भटकते बहुत समय बीत गया जबकि मुझे मनुष्य देह मिली थी अर्थात् मनुष्य योनि में जन्म लेकर मुझे ईश्वर का भजन करना चाहिए था। गुरु जी कहते हैं कि ईश्वर से मिलने के लिए इस अवसर का (मनुष्य जन्म लेने का) लाभ उठाते हुए तुम ईश्वर के नाम का स्मरण क्यों नहीं करते।

विशेष :

  1. मनुष्य देह प्राप्त करके मनुष्य को ईश्वर का स्मरण, भजन अवश्य करना चाहिए।
  2. भाषा सरल है।
  3. शब्दावली मिश्रित है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शान्त रस।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

4. माई मैं किहि बिधि लखउ गुसाईं।
महा मोह अगिआन तिमरि मो मनु रहिओ उरझाई ॥ (रहाउ)
सगल जनम भरम ही भरम खोइओ नह असथिरु मति पाई ॥॥
बिखिआ सकत रहिओ निस बासुर नह छूटी अधमाई ॥
साध संगु कबहु नहीं कीना नह कीरति प्रभ गाई ॥
जन नानक मैं नाहिं कोऊ गुनु राखि लेहु सरनाई ॥2॥
                                               (सोरठि महला  9)

कठिन शब्दों के अर्थ :
माई = हे माँ। किहि बिधि = किस तरीके से।लखउ = दर्शन करूँ। गुसाईं = प्रभु। अगिआन = अज्ञान, अविद्या। तिमिर = अंधकार। खोइओ नह = नष्ट नहीं हुआ।मति = बुद्धि। बिखिआ सकत = विषय वासनाओं में डूबा हुआ।निस वासुर = दिन-रात । अधमाई = नीचता। कीरति = यश । रखिलेहु = रख लो। सरनाई = अपनी शरण में।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी रागु सोरठि महला-9 में से लिया गया है। इस पद में गुरु जी ने प्रभु से अपने आप को शरण में लेने की प्रार्थना की है।

व्याख्या :
गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं कि हे माँ! मैं किस तरीके से प्रभु के दर्शन पाऊँ। महामोह और अज्ञान के अन्धेरे में मेरा मन उलझा हुआ है। भटक रहा है। मैंने अपना सारा जन्म भ्रम में भटकते हुए बिता दिया। इस भ्रम का नाश नहीं किया जिससे मेरी बुद्धि अस्थिर ही रही। मैं दिन-रात विषय वासनाओं में ही डूबा रहा। मेरी नीचता दूर नहीं हुई। मैंने कभी भी या जीवन भर साधुओं की संगति नहीं की और न ही प्रभु के यश का गान किया। गुरु तेग बहादुर जी कहते हैं कि मुझ में कोई गुण नहीं है फिर भी प्रभु आप मुझे अपनी शरण में ले लो।

विशेष :

  1. मनुष्य प्रभु से कहता है कि वह कितना ही बुरा है फिर भी आप मुझे अपनी शरण में अवश्य ले लें।
  2. भाषा सरल, सरस एवं सहज है।
  3. पंजाबी, तत्सम, तद्भव शब्दावली का प्रयोग है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शान्त रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

5. साधो गोबिन्द के गुन गावह ।
मानस जनम अमोलक पाइओ बिरथा काहि गवावह ॥1॥ रहाउ॥
पतित पुनीत दीन बंध हरि सरनि ताहि तुम आवहु ॥
गज को त्रासु मिटिओ जिह सिमरत तुम काहे बिसरावहु ॥1॥
तजि अभिमान मोह माइआ फुनि भजन राम चितु लावऊ ॥
नानक कहत मुकति पंथ इहु गुरमुखि होइ तुम पावउ ॥ ॥2॥
                                                  (राग गाउड़ी, महला 9)

कठिन शब्दों के अर्थ :
गोबिन्द = ईश्वर। गावहु = गाओ। मानस जनमु = मनुष्य का जन्म । अमोलकु = अनमोल, अमूल्य। बिरथा = व्यर्थ। काहि = किस लिए। पतित = गिरा हुआ, भ्रष्ट। पुनीत = पवित्र। दीन-बन्धु = परमात्मा। सरनि = शरण में। गज = हाथी । त्रास = दुःख। बिसरावहु = भूलता है। फुनि = फिर। मुकति पंथ = मोक्ष का मार्ग। गुरमुखि = गुरु का शिष्य।

प्रसंग :’
प्रस्तुत पद श्री गुरु तेग बहादुर द्वारा रचित वाणी ‘गउड़ी महला 9’ से उद्धृत किया गया है। इसमें गुरु जी ने संसार के लोगों को सन्देश दिया है कि मानव-जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।

व्याख्या :
गुरु जी कहते हैं-हे ईश्वर भक्तो ! तुम ईश्वर के गुणों का गायन करो, ईश्वर का भजन करते रहो। यह मनुष्य-जन्म अनमोल है, इसको प्राप्त कर सांसारिक विषयों में पड़कर इसे व्यर्थ क्यों गंवा रहे हो। परम पावन ईश्वर पतित, गिरे हुए, भ्रष्ट लोगों का उद्धार करने वाला दीन बन्धु की शरण में तुम्हें जाना चाहिए। भगवान् का स्मरण करते ही उसने हाथी को मगरमच्छ के मुँह से छुड़ाकर उसका दुःख दूर कर दिया था। ऐसे पतित उद्वारक परमात्मा को तुम क्यों भुला रहे हो। अरे मानव ! तुम अहंकार एवं मोह-माया को छोड़कर फिर से भगवान् राम के स्मरण करने में अपने चित्त को लगा ले। श्री गुरु जी के अनुसार मुक्ति का मार्ग यही है इसलिए गुरु का शिष्य बन कर तुम इसे पा सकते हो।

विशेष :

  1. मनुष्य-जन्म सब प्राणियों से श्रेष्ठ है। यह अनमोल है। इसे सांसारिक विषय-वासना में फंस कर गँवाना अनुचित है।
  2. भाषा सरस, सहज एवं सरल है।
  3. पंजाबी, तत्सम और तद्भव शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है।
  6. शांत रस है।
  7. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 5 पदावली

पदावली Summary

पदावली 

गुरु-परम्परा में नवें गुरु तेग बहादुर जी को संयम, त्याग, सहनशीलता एवं करुणा के कारण अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मीरी और पीरी की तलवारें धारण करने वाले गुरु श्री हरगोबिन्द साहिब के घर माता नानकी जी के गर्भ से इनका जन्म सन् 1621 को अमृतसर में हुआ था। गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात् आप कई गुरु धामों की यात्रा करते हुए कीरतपुर साहिब पहुंचे। उन्होंने सन् 1666 ई० में पहाड़ी राजाओं से जमीन खरीदकर आनन्दपुर सहिब नामक नगर बसाया जो बाद में खालसा की जन्मभूमि’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा के साथ इन्होंने अध्यात्म-विद्या तथा शस्त्र-विद्या की शिक्षा ग्रहण की। गुरु हरिकृष्ण जी के बाद वे गुरु पद पर शोभायमान हुए। उस समय गुरु जी की आयु 43 वर्ष की थी।

गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगजेब के अत्याचारों से पीडित कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया था। यह बलिदान जिस जगह पर हुआ वह दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज के नाम से प्रसिद्ध है। गुरु जी अति महान् व्यक्तित्व के स्वामी और तपस्वी थे जिन्होंने निरंकार ईश्वर का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने 59 स्वर तथा 57 श्लोकों की रचना पंजाबी से प्रभावित ब्रजभाषा में की थी। इनकी रचनाओं में संसार की नश्वरता, सांसारिक व्यवहार में कटुता, राम-नाम की महिमा, बाह्य आडम्बरों का विरोध और सहजता की प्रत्यक्षता को महत्त्व दिया गया है। उन्होंने संयम, समभाव, ईश्वर प्रेम, सात्विक व्यवहार, मानवतावाद और शुद्ध चिन्तन को श्रेष्ठतम माना था।

पदावली का सार

प्रस्तुत पदावली में गुरु तेग बहादुर जी के श्रेष्ठ पदों को सम्मिलित किया गया है। गुरु जी ने अपने पदों में अहंकार, काम, क्रोध और मोह-माया को त्यागने के लिए कहा है। उन्होंने भक्ति भावना और सांसारिक नश्वरता के साथ-साथ गुरु जी ने मानवीय मूल्यों की स्थापना पर बल दिया है। मनुष्य सभी बन्धनों से मुक्त होकर साधु संगति में लीन होकर व्यक्ति प्रभु को पा सकता है। मानव जन्म संसार में बहुत दुर्लभ है। फिर इसको व्यर्थ में नहीं खोना चाहिए अपितु इसे सार्थक बनाने के लिए मन को प्रभु में लीन करना आवश्यक है। प्रभु भक्ति से ही मनुष्य संसार रूपी भवसागर से पार हो सकता है और यह सब तभी सम्भव है जब मनुष्य गुरु के बताए उपदेशों को अच्छी तरह समझे। मनुष्य यह समझे कि मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। यह अनमोल है इसे सांसारिक विषय-वासना में फंसा कर गंवाना अनुचित है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 सवैये Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 3 सवैये

Hindi Guide for Class 11 PSEB सवैये Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रसखान किस देवता की आराधना करना चाहते हैं और क्यों ?
उत्तर:
रसखान श्रीकृष्ण की आराधना करना चाहते हैं क्योंकि आप श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य पर मुग्ध थे। उनके साधन श्रीकृष्ण थे। वे ही उनके सभी मनोरथ पूरे करते थे। रसखान जी श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। वे कदापि नहीं चाहते थे कि किसी भी अवस्था में उनसे दूर रहकर वियोग पीड़ा को प्राप्त करते । वे सजीव या निर्जीव अवस्था में उनकी निकटता ही पाना चाहते थे।

प्रश्न 2.
रसखान के अनुसार भवसागर को किस प्रकार पार किया जा सकता है ?
उत्तर:
रसखान कवि कहते हैं कि व्रत, नियम और सच्चाई का पालन करने पर ही भवसागर पार किया जा सकता है। हमें किसी के प्रति राग-द्वेष नहीं रखना चाहिए। सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। ईश्वर का नाम लेने वाले साधुओं की संगत में रहकर पवित्र भावों से ईश्वर के नाम में लीन रहना चाहिए। प्रभु की भक्ति एकाग्र चित्त होकर करनी चाहिए तभी भवसागर को पार किया जा सकता है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

प्रश्न 3.
कवि प्राण, रूप, शीश, पैर, दूध और दही की सार्थकता किसमें समझता है ?
उत्तर:
रसखान प्राणों की सार्थकता इसी में समझते हैं जो श्रीकृष्ण पर रीझे रहें और रूप वही सार्थक है जो उन्हें रिझा सके। सिर वही सार्थक है जो सदा उनके कदमों में झुका रहे और पैर वहीं सार्थक हैं जिन्हें प्रभु श्री कृष्ण का स्पर्श हमेशा प्राप्त होता है। दूध वही सार्थक है जिसे श्रीकृष्ण ने दुहा है और दही वही सार्थक है जिसे श्रीकृष्ण ने ढरकाया है। कवि प्रत्येक उसी वस्तु को सार्थक मानता है जो श्रीकृष्ण की निकटता को प्राप्त कर चुकी थी।

प्रश्न 4.
कवि गोकुल गाँव, नन्द की धेनु, गोवर्धन पर्वत, कदम्ब की डालियों पर निवास क्यों करना चाहता है ?
उत्तर:
कवि अपने किसी भी जन्म में केवल उन्हीं वस्तुओं और स्थानों को पाना चाहता है जिनका सम्बन्ध श्रीकृष्ण से रहा है। गोकुल गाँव, नन्द बाबा की गउएँ, गोवर्धन पर्वत, कंद की डालियों आदि सभी का सम्बन्ध श्रीकृष्ण से था। कवि का अटूट विश्वास है कि ये सभी स्थान क्योंकि श्रीकृष्ण से सम्बन्धित है इसलिए वहां उनके दर्शनों का लाभ हो सकता है इसके लिए वे अगले जन्म में ग्वाला, गाय, पत्थर और पक्षी का जन्म पाने की कामना करता हैं।

प्रश्न 5.
गोपिका पूरा स्वाँग करने को तैयार है, परन्तु बाँसुरी को होंठों से लगाना क्यों नहीं चाहती ?
उत्तर:
गोपियां श्रीकृष्ण की ब्रज से अनुपस्थिति में उन जैसा व्यवहार करते हुए उनसे जुड़ी रहने की कामना करती थीं व सब वे कार्य करने को तैयार थीं जो श्रीकृष्ण की संयोगावस्था में किया करती थीं पर वे उनकी बांसुरी को अपने होठों पर लगाने को तैयार नहीं थी क्योंकि वह श्रीकृष्ण की होंठों लगी थी और सदा उनके साथ बनी रहती थी। सौतिया डाह के कारण गोपी श्रीकृष्ण का पूरा स्वांग करने को तैयार है पर बाँसुरी को अपने होंठों से नहीं लगाना चाहती। जिस प्रकार कोई भी नारी अपने जीवन में कभी भी सौत को नहीं पाना चाहती उसी प्रकार गोपियाँ भी बाँसुरी रूपी सौत को स्वीकार नहीं करना चाहतीं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

PSEB 11th Class Hindi Guide सवैये Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रसखान ने किस संप्रदाय से अपना संबंध जोड़ा था ?
उत्तर:
किसी से नहीं।

प्रश्न 2.
रसखान की भक्ति किस भाव की पर्याय बन गई थी ?
उत्तर:
माधुर्य भाव की।

प्रश्न 3.
रसखान ने किस कारण दिल्ली छोड़ कर ब्रजक्षेत्र की ओर गमन किया था ?
उत्तर:
राज विप्लव और दुर्भिक्ष के कारण।

प्रश्न 4.
रसखान के द्वारा रचित कितने ग्रंथ मिलते हैं ?
उत्तर:
तीन ग्रंथ।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

प्रश्न 5.
रसखान के द्वारा रचित ग्रंथों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सुजान रसखान, प्रेमवाटिका, दानलीला।

प्रश्न 6.
रसखान की रचनाओं का प्रतिपाद्य क्या है ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण की लीला माधुरी का अनुगान।

प्रश्न 7.
रसखान किस प्रकार की कथा कहते हैं ?
उत्तर:
अद्वैत प्रेम की कथा।

बहुविकल्पी पध्नोत्तर

प्रश्न 1.
रसखान किसके अनन्य भक्त थे ?
(क) श्री कृष्ण के
(ख) श्री राम के
(ग) शिव के
(घ) हनुमान के।
उत्तर:
(क) श्री कृष्ण के

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

प्रश्न 2.
रसखान का किस संस्कृति के प्रति विशेष अनुराग था ?
(क) मुस्लिम
(ख) हिंदू
(ग) सिक्ख
(घ) ईसाई।
उत्तर:
(ख) हिंदू

प्रश्न 3.
रसखान किस प्रेम की कथा कहते हैं ?
(क) द्वैत
(ख) अद्वैत
(ग) निर्गुण
(घ) सुमन।
उत्तर:
(ख) अद्वैत

प्रश्न 4.
गोपियों के अनुसार श्री कृष्ण किसके वश में रहते हैं ?
(क) बांसुरी के
(ख) राधा के
(ग) कृष्ण के
(घ) मोह के।
उत्तर:
(क) बांसुरी के।

सवैये  सप्रसंग व्याख्या

1. सेष सुरेस दिनेस गनेस प्रजेस धनेस महेस मनायौ ।
कोऊ भवानी भजौ, मन की सब आस सवै विधि जाइ पुरावौ॥
कोऊ रमा भजि लेहु महाधन, कोऊ कहूँ, मन वांछिति पायौ ।
पै रसखानि वही मेरे साधन, और त्रैलोक रहौ कि नसावो॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
सेष = शेषनाग। सुरेस = इन्द्र। दिनेस = सूर्य। गनेस = शिव पुत्र गणेश जी। प्रजेस = प्रजापति, ब्रह्मा जी। धनेस = धन के स्वामी-कुबेर । महेस = भगवान् शंकर । भवानी = दुर्गा माँ । सवै विधि = सब तरह से। पुरावौ = पूर्ण कर ले। रमा = लक्ष्मी जी। मनवांछित = मन चाहा। त्रैलोक = तीनों लोक।

प्रसंग :
प्रस्तुत सवैया कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा लिखित सवैयों से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में कवि रसखान श्री कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति प्रकट कर रहे हैं।

व्याख्या :
रसखान कवि कहते हैं कि कोई शेषनाग को, कोई इन्द्र देवता को, कोई सूर्य देवता को, कोई गणेश जी को, कोई प्रजापति ब्रह्मा जी को, कोई धन के देवता कुबेर को, कोई शंकर भगवान् को मनाता है। उनसे मन्नत माँगता है। कोई दुर्गा माँ का भजन करके अपने मन की सब इच्छाएँ सब प्रकार से पूर्ण करता है। कोई लक्ष्मी जी की पूजा करके बहुत-सा धन प्राप्त करता है। कोई कहीं और अपना मनचाहा प्राप्त करता है। परन्तु रसखान कवि कहते हैं कि तीनों लोकों में और कुछ रहे न रहे पर मेरे तो साधन श्री कृष्ण ही हैं- भाव यह है कि कवि के लिए तो श्रीकृष्ण ही मनोकामना पूर्ण करने वाले आधार हैं।

विशेष :

  1. प्रत्येक मनुष्य अपनी इच्छानुसार अपने आराध्यदेव को मानता है।
  2. रसखान जी के लिए उनके आराध्य देव श्रीकृष्ण हैं वही उनके सभी काम पूर्ण करते हैं।
  3. ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. प्रसाद गुण है, शांत रस है।
  6. भक्ति रस का सुन्दर परिपाक है।
  7. संगीतात्मकता विद्यमान है।
  8. सवैया छंद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

2. सुनिए सब की कहियै न कछु रहियै इमि या मन-बागर में ।
करियै ब्रत-नेम सचाई लियें, जिनतें तरिय, भव-सागर में।।
मिलियै सब सौं दुरभाव बिना, रहियै सतसंग उजागर में।
रसखानि गुवन्दिहिं यौं भजियै, जिमि नागरि को चित्त गागर में।

कठिन शब्दों के अर्थ :
इमि = इस प्रकार। मन-बागर = मन रूपी जाल । नेम = नियम। भवसागर = संसार रूपी समुद्र । दुरभाव = बुरी भावना। उजागर = दीप्तिमान, सात्विक। नागरि = स्त्री।

प्रसंग :
प्रस्तुत सवैया कृष्ण-भक्त कवि रसखान द्वारा रचित सवैयों में से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में कवि श्रीकृष्ण की भक्ति सच्चे हृदय से, एकाग्रचित होकर, करने के लिए कह रहे हैं।

व्याख्या :
कवि रसखान जी कहते हैं हमें सब की बात सुननी चाहिए परन्तु किसी को कुछ नहीं कहना चाहिए हमें ऐसे रहना चाहिए जैसे मन रूपी जाल में कोई बंद हो। हमें सच्चे हृदय से व्रत-नियम का पालन करना चाहिए जिससे हम इस संसार रूपी समुद्र से पार हो सके। सब से बुरी भावना के बिना मिलना चाहिए तथा सदा सात्विक सत्संग में रहना चाहिए। रसखान कवि कहते हैं कि श्रीकृष्ण का भजन ऐसे करना चाहिए जैसे गागर उठाने वाली स्त्री का मन गागर में ही रहता है। वह किसी भी अवस्था में कहीं और नहीं भटकता। श्री कृष्ण भक्ति हमें दत्तचित्त होकर सच्चे मन से करनी चाहिए जैसे गागर उठाने वाली स्त्री का ध्यान गागर में ही केन्द्रित रहता है कि कहीं उसमें भरा हुआ दूध गिर न जाए।

विशेष :

  1. एकाग्र मन से ही भक्ति करनी चाहिए।
  2. साफ और सच्चे मन का मनुष्य ही भवसागर से पार हो सकता है।
  3. ब्रज भाषा सरस तथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. सवैया छंद है।
  5. अनुप्रास तथा रूपक अलंकार है।
  6. प्रसाद गुण है।
  7. शांत रस है।
  8. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

3. प्राण वही जु रहैं रिझि वा पर रूप वही जिहि वाहि रिझायौ।
सीस वही जिन वे पद परसै पद अंक वही जिन वा परसायौ॥
दूध वही जू दुहायौ री वाही दही सु सही जु वही ढरकायौ।
और कहाँ लौ कहौं रसखानि री भाव वही जु वही मन भायौ।।

कठिन शब्दों के अर्थ :
रिझि = रीझ जाएँ. मोहित हो जाएँ। वा पर = उस पर (श्री कृष्ण पर)। जिहि = जिससे। वाहि = उसे (श्री कृष्ण को)। रिझायौ = प्रसन्न किया। परसे = छुए। अंक = गोद । वा = उनसे । परसायौ = स्पर्श कराना, सटाना, छू लेना। वाही = उनके लिए। ढरकरायौ = उंडेल दिया। मन भायौ = मन को अच्छा लगे, मन भावत।।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित सुजान रसखान में संकलित सवैयों से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में रसखान जी श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति एवं श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं।

व्याख्या :
कवि रसखान जी अपने मन में अभिलाषा करते हुए कहते हैं कि उसी व्यक्ति के प्राण सफल हैं जो उन श्रीकृष्ण पर प्रसन्न हो जाएँ तथा रूप वही सफल हैं जो उनको रिझा सके तथा अपने प्रति मोहित कर सके। सिर वही सफल है जो उनके चरणों का स्पर्श करता है और गोद वही सफल है जो उससे सटी रहती हैं। जिसे उनका स्पर्श प्राप्त होता है। दूध वही अच्छा है जो उन श्रीकृष्ण के लिए दुहाया जाता है और दही वही अच्छी है जिसे श्रीकृष्ण ढरकाते हैं एवं उंड़ेलते हैं। रसखान कवि कहते हैं कि और मैं कहाँ तक कहँ । बस वही भाव अच्छा है जो उनको पसंद आता है। भाव यह है कि जो बात श्रीकृष्ण को अच्छी लगती हो वही मैं करना चाहता हूँ।

विशेष :

  1. उसी मनुष्य का जन्म सफल है जिसे श्रीकृष्ण की कृपा मिल जाए।
  2. श्रीकृष्ण का भक्त वही करना चाहता है जो उन्हें प्रसन्न कर सकें।
  3. ब्रज भाषा तथा तद्भव शब्दावली है।
  4. प्रसाद गुण है।
  5. शांत रस है।
  6. सवैया छंद है।
  7. अनुप्रास अलंकार है।
  8. गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

4. मानुष हौं तो वही रसखानि, बसौ ब्रज-गोकुल-गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहां बसु मेरौ, चरौं नित नन्द की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन।
जो खग हौं तो बसेरों करौ, मिलि कालिंदी कूल-कदंब की डारन।।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मानुष = मनुष्य। ग्वारन = गवालों। पसु = पशु। बसु = बस। धेनु = गऊओं। मँझारन = बीच में । पाहन = पत्थर । गिरि = पर्वत । कर = हाथों का। छत्र = छतरी। पुरंदर = इंद्र । खग = पक्षी। कालिंदी कूल = यमुना नदी के किनारे । कदंब की डारन = कदंब वृक्ष की पक्तियों में।

प्रसंग :
प्रस्तुत सवैया श्री कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित ‘सुजान रसखान’ में संकलित सवैयों में से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में रसखान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति को प्रकट कर रहे हैं।

व्याख्या :
रसखान कवि कहते हैं कि अगले जन्म में यदि मैं मनुष्य ही बनूँ या मनुष्य के रूप में जन्म लूँ तो मेरी यह इच्छा है कि मैं गोकुल गाँव के ग्वालों के बीच ही बरौं। यदि पशु की योनि में जन्म मिला तो इस पर बस तो कोई नहीं है किन्तु मेरी यह इच्छा है कि मैं सदा नन्द बाबा की गौवों के बीच ही चरता रहूँ, जिन गायों को श्रीकृष्ण चराया करते थे। यदि मैं पत्थर बनूँ तो मेरी यही इच्छा है कि उसी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनूँ जिसे श्री कृष्ण ने इन्द्र के क्रोध से बचाने के लिए ब्रज वासियों के लिए छत्र बनाकर रक्षा की थी। यदि मेरा अगला जन्म पक्षी के रूप में हो तो मेरी यह इच्छा है कि मैं उन कदंब की डालियों पर बसेरा करूँ जो वृक्ष यमुना नदी के किनारे लगे हुए हैं। कवि हर अवस्था में श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं से संपर्क बनाए रखना चाहता है हर अवस्था में ब्रज के निकट ही बना रहना चाहता है।

विशेष :

  1. श्रीकृष्ण भक्त प्रत्येक स्थिति में अपने प्रभु से जुड़ी हर वस्तु , स्थान तथा व्यक्ति के समीप रहना चाहते हैं।
  2. श्रीकृष्ण भक्त अपनी भक्ति को प्रकट करने के लिए अगला जन्म ब्रजभूमि में लेना चाहते हैं।
  3. ब्रजभाषा है।
  4. तद्भव शब्दावली है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।
  6. प्रसाद गुण है।
  7. शांत रस है।
  8. गेयता का गुण विद्यमान है।
  9. सवैया छंद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

5. मोर पखा सिर ऊपर राखि हौं, गुंज की माल गरे पहरौंगी।
ओढि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।
भावतो वोहि मेरो रसखानि, सो तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।

कठिन शब्दों के अर्थ :
मोरपखा = मोर पंख । राखिहौं = धारण करके । गुंज = रत्तक रत्ती। गरे = गले। पितांबर = पीला वस्त्र। लकुटी = लकड़ी। गोधन = वन में गऊओं को चराने वाला गीत। संग = के साथ। भावतो = चाहा हुआ। मुरलीधर = श्री कृष्ण। अधरान धरी = होंठों पर रखी हुई अर्थात् उनकी जूठी। अधरा = होंठों पर। न धरौंगी= नहीं धारण करूँगी।

प्रसंग :
प्रस्तुत सवैया श्री कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा रचित ग्रन्थ ‘सुजान रसखान’ नामक रचना के सवैयों में से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में कवि ने श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के निश्छल तथा निस्वार्थ प्रेम का चित्रण किया है।

व्याख्या :
गोपियाँ श्री कृष्ण की भक्ति के वशीभूत होकर श्री कृष्ण का स्वांग भरने को तैयार हो जाती हैं। इस पर उस गोपी ने कहा कि मैं मोर पंख तो सिर पर धारण कर लूँगी और जंगली बेल पर लगने वाले लाल-काले रंग के गोल आकार के बीज रूपी रत्तियों की बनी माला भी गले में पहन लूँगी। पीले वस्त्र पहनकर गौवों को चराने के लिए लकड़ी हाथ में ले लूँगी। वन में गोधन गीत गाते हुए ग्वालों के साथ घूमूंगी। रसखान कवि कहते हैं जो भी उन्हें अच्छा लगता है वे सभी स्वांग मैं उनके कहे से करूँगी। पर उन श्रीकृष्ण की ओंठों पर धारण की गई इस मुरली को मैं अपने होंठों पर नहीं रखूगी। गोपी श्रीकृष्ण की बाँसुरी अपने होंठों से सौतिया डाह के कारण नहीं लगाना चाहती। गोपी को चिढ़ है कि बाँसुरी तो श्री कृष्ण के मुँह लगी है।

विशेष :

  1. गोपियों के श्रीकृष्ण के प्रति निश्छल प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है।
  2. गोपियों का श्रीकृष्ण का स्वांग भरना परन्तु मुरली को होंठों को न लगाना उनकी सौत के प्रति ईर्ष्या भाव को चित्रित करता है।
  3. ब्रज भाषा है। भाषा सरस तथा प्रवाहमयी है।
  4. अनुप्रास और यमक अलंकार है।
  5. सवैया छंद है।
  6. माधुर्य गुण है।
  7. श्रृंगार रस है।
  8. भक्ति रस का सुंदर परिपाक है।
  9. संगीतात्मकता विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 3 सवैये

सवैये Summary

सवैये जीवन-परिचय

हिन्दी के मुसलमान कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने मुस्लिम धर्मावलंबी होने पर भी श्रीकृष्ण के सौन्दर्य पर मुग्ध होकर अपने हृदय की शुद्धता और विशालता का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। रसखान का जन्म सन् 1558 के आस-पास दिल्ली के एक संपन्न पठान परिवार में हुआ था। इनका पठान बादशाहों के वंश से संबंध माना जाता है। इनके जन्म-समय, शिक्षा-दीक्षा, व्यवसाय एवं निधन के सम्बन्ध में प्रामाणिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। रसखान श्रीकृष्ण जी के अनन्य भक्त थे। श्रीकृष्ण जी की भक्ति इनका सर्वस्व था। ये मुसलमान थे और फ़ारसी के विद्वान थे फिर भी इनका हिन्दू संस्कृति के प्रति अत्यधिक अनुराग था। साधुओं के संगीत के कारण इन्होंने वेदों और शास्त्रों के सिद्धान्तों का अध्ययन किया। सन् 1616 के लगभग इनका स्वर्गवास हो गया।

इनकी रचनाओं को संपादकों ने अनेक रूपों में प्रस्तुत किया है। रसखान दोहावली, रसखान कवितावली, रसखानि ग्रंथावली, रसखान शतक, प्रेमवाटिका सुजान रसखान, रसखान पदावली, रत्नावली आदि इनके अनेक संकलन हैं। इनकी रचनाओं में कृष्ण की लीलाओं को बड़ी तन्मयता से प्रस्तुत किया गया है। इनमें प्रेम का मनोहारी चित्रण हुआ है।

सवैये का सार

रसखान हिन्दी के कृष्ण-भक्त कवियों में अपना अलग ही स्थान रखते हैं। प्रस्तुत सवैये ‘सुजान रसखान’ नामक रचना से लिए गए हैं। रसखान जी के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के अपने-अपने आराध्य देव होते हैं परन्तु उनके आराध्य देव श्रीकृष्ण हैं जो उनके सभी मनोरथ पूरे करते हैं। मनुष्य को सबकी सुननी चाहिए परन्तु उसे वही करना चाहिए जिसमें उसका हित निहित हो। कवि के अनुसार श्रीकृष्ण की भक्ति हमें एकाग्र होकर करनी चाहिए तभी हम संसार रूपी सागर से पार हो सकेंगे। कवि अपनी भक्ति में वह सब करना चाहता है जिससे श्रीकृष्ण जी प्रसन्न होकर उन्हें अपनी शरण में ले लें। कवि वही रहना चाहता है जहां कण-कण में श्रीकृष्ण का वास है। वह श्रीकृष्ण की निकटता के लिए कुछ भी करने या बनने को तैयार हैं। कवि गोपियों के श्रीकृष्ण प्रेम और बांसुरी के प्रति सौतिया ईर्ष्या का वर्णन किया है। गोपियां श्रीकृष्ण के प्रेम में उनका रूप धारण करती हैं परन्तु उनकी प्रिय बांसुरी को अपने होठों पर धारण नहीं करना चाहती।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 2 रामराज्य वर्णन

Hindi Guide for Class 11 PSEB रामराज्य वर्णन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
श्रीराम के राज्य में सामाजिक स्थिति किस प्रकार की थी ?
उत्तर:
राम-राज्य में राजनीति के दंड और भेद नहीं थे। दंड केवल संन्यासियों के हाथ में होता था तथा भेद केवल नाचने वालों के समाज में था। उनके राज्य में वनों में वृक्ष सदा फूल-फल से लदे रहते थे तथा हाथी और शेर अपने स्वाभाविक वैर को भुलाकर एक साथ रहते थे। पशु-पक्षी आपस में प्रेमपूर्वक रहते थे। भेद-भाव न होने के कारण सामान्य समाज बिना किसी लड़ाई-झगड़े के परस्पर प्रेमपूर्वक रहता था। निर्धनता और अभाव कहीं नहीं थे।

प्रश्न 2.
राम-राज्य में वनस्पति और पशु-पक्षियों की सुरक्षा का वर्णन करें।
उत्तर:
राम-राज्य में वनों में वृक्ष सदा फूल, फलों से लदे रहते थे। लताएँ और वृक्ष जितना माँगो उतना रस टपका देते थे। पक्षी सदा चहचहाते रहते थे और पशु निर्भय होकर वन में चरते थे और आनन्द मनाते थे। पशु और पक्षी सभीअपने सहज वैर को भुलाकर प्रेमपूर्वक रहते थे। सभी प्राणी और प्रकृति इस प्रकार एक-दूसरे के हितचिंतक बने हुए थे कि किसी का भी ह्रास नहीं होता था।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 3.
‘राम-राज्य’ में प्रकृति का राज्य की समृद्धि में क्या स्थान है?
उत्तर:
राम राज्य में प्रकृति भी राज्य की समृद्धि में पूरा योगदान देती थी। वनों में वृक्ष सदा फूलों और फलों से लदे रहते थे। सदा त्रिविध पवन शीतल, सुगन्धित एवं मंद, बहती रहती थी। लताएँ और वृक्ष जितना माँगो उतना रस टपका देते थे। नदियाँ सदा शीतल, निर्मल, स्वाद और सुख देने वाले जल से भरपूर बहती रहती थीं। पर्वत, विविध मणियों की खानों को अपने आप प्रकट कर देते थे तथा सागर भी सदा अपनी मर्यादा में रहता था।

प्रश्न 4.
चारिउ चरण धर्म जग माहीं’ में धर्म के किन चार चरणों का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
श्री राम जी के राज्य में चारों चरणों का पालन होता था। सत्य, शौच (शुद्धता), दया और दान धर्म के यह चार चरण माने जाते थे। कोई भी पाप नहीं करता था। सत्य का पालन करने के परस्पर झगड़े और क्लेश नहीं होते थे। शुद्धता से भरा आचरण मानसिक ताप को दूर करता था जिससे जीवन से हर तरह का क्लेश दूर हो जाता था। दया और दान एक-दूसरे से मिलकर कल्याण को बढ़ाता था जिससे अपनत्व का भाव बढ़ता था। चारों चरण परस्पर मिलकर सौहार्द बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते थे।

प्रश्न 5.
‘दण्ड जतिन्ह कर भेद जहँ, नर्तक नृत्य समाज’ में राम-राज्य की किस व्यवस्था का वर्णन है ?
उत्तर:
राजनीति में शत्रुओं एवं चोर-डाकुओं का दमन करने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद यह चार उपाय किए जाते थे। श्री राम चन्द्र के राज्य में दण्ड शब्द तो था, किन्तु वह संन्यासियों के हाथ में डंडे के स्वरूप में था। भेद तो थे किन्तु वह प्रजा के मन में न होकर नाचने वालों के समाज में स्वर एवं ताल के भेद के रूप में थे। राजा का कोई शत्रु न होने के कारण ‘जीत लो’ शब्द का प्रयोग लोग केवल मन को जीतने के लिए करते थे शत्रु को जीतने के लिए नहीं।

प्रश्न 6.
गोस्वामी तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ के राम-राज्य का आज की स्थिति में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
राम-राज्य का आज की स्थिति में विशेष महत्त्व है। महात्मा गाँधी ने देश की स्वतन्त्रता के पश्चात् जिस राम-राज्य का सपना देखा था, वह आज पूरी तरह से विफल हो चुका है। देश में आज भी ग़रीबी, भूख, भ्रष्टाचार, भाईभतीजावाद, आपसी मतभेद इस सीमा तक बढ़ गए हैं कि इनका समाधान करना कठिन हो रहा है। काश ! देश में रामराज्य जैसी स्थिति फिर से आ जाए जिसमें कोई दरिद्र न हो, कोई दु:खी न हो और कोई दीन न हो।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

PSEB 11th Class Hindi Guide रामराज्य वर्णन Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
तुलसीदास किस काव्य-धारा के कवि हैं ?
उत्तर:
तुलसीदास रामकाव्य धारा के कवि हैं।

प्रश्न 2.
तुलसीदास का जन्म और मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म विक्रम संवत् 1554 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गाँव में तथा मृत्यु विक्रम संवत् 1680 में काशी में हुई थी।

प्रश्न 3.
तुलसीदास किस नक्षत्र में पैदा हुए थे ?
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म अशुभ अमुक्तभूल नक्षत्र में हुआ था ।

प्रश्न 4.
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ कितनी और कौन-सी हैं ?
उत्तर:
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ बारह मानी गई हैं जो वैराग्य संदीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, रामाज्ञा प्रश्न, रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली, रामललानहछु गीतावली, कृष्णगीतावली, दोहावली तथा बरवै रामायण हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 5.
तुलसी परमात्मा के किस स्वरूप की उपासना करते हैं ?
उत्तर:
तुलसी परमात्मा के सगुण-स्वरूप की उपासना करते हैं। राम-सीता उनके आराध्य हैं।

प्रश्न 6.
तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य कौन-सा है ?
उत्तर:
रामचरितमानस तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य है।

प्रश्न 7.
तुलसीदास की काव्य-भाषा कौन-सी है ?
उत्तर:
तुलसीदास ने संस्कृत, अवधी तथा ब्रज भाषा में काव्य रचना की है।

प्रश्न 8.
रामचरितमानस की भाषा तथा मुख्य छंद कौन-से हैं ?
उत्तर:
रामचरितमानस की भाषा अवधी तथा मुख्य छंद दोहा-चौपाई है।

प्रश्न 9.
रामराज की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
राम-राज में किसी को दैहिक, दैविक तथा भौतिक संताप नहीं कष्ट देते।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 10.
धर्म के चार चरण कौन-से हैं ?
उत्तर:
धर्म के चार-चरण सत्य, शौच, दया और दान माने गए हैं।

प्रश्न 11.
‘नभगेस’ कौन है ?
उत्तर:
गरूड़ को नभगेस कहा जाता है।

प्रश्न 12.
श्रुति नीति क्या होती है ?
उत्तर:
वेद-शास्त्रों द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार जीवनयापन करना।

प्रश्न 13.
राम-राज्य के सुखों और संपत्ति का वर्णन कौन नहीं कर सकता ?
उत्तर:
राम-राज्य के सुखों और संपत्ति का वर्णन शेषनाग अपनों सहस्रों मुखों तथा सरस्वती भी अपनी वाणी से नहीं कर सकती।

प्रश्न 14.
राम-राज्य में किस युग की स्थिति बन गई है ?
उत्तर:
रामराज्य में सतयुग की स्थिति बन गई है ।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 15.
रामराज्य में वनों की क्या दशा है ?
उत्तर:
वन में हाथी-सिंह और पक्षी-पशु परस्पर मिल-जुल कर रहते हैं।

प्रश्न 16.
श्रीराम ने कौन-से यज्ञ किए थे ?
उत्तर:
श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ किए थे।

प्रश्न 17.
श्रीराम को कवि ने कैसा राजा कहा है ?
उत्तर:
श्रीराम वेदमार्ग का पालन करने वाले तथा धर्मानुसार चलने वाले थे।

प्रश्न 18.
राजा दशरथ के द्वार पर जाकर सखी ने क्या देखा ?
उत्तर:
राजा दशरथ बालक राम को गोद में लेकर बाहर आए थे।

प्रश्न 19.
सखी ने बालक राम को क्या कहा है ?
उत्तर:
सखी ने बालक राम को सोच-विमोचन कहा है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 20.
बालक राम की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
बालक राम ने पैरों में नूपुर तथा कलाई पर पहुँची बाँधी हुई है। उनके हृदय पर मणियों की माला तथा शरीर पर पीला अँगा सुशोभित हो रहा है।

प्रश्न 21.
श्रीराम के शरीर की कांति कैसी है ?
उत्तर:
श्रीराम के शरीर की कांति ‘स्याम सरोरूह’ की तरह है।

प्रश्न 22.
श्रीराम की आँखों में आँसू क्यों आए ?
उत्तर:
‘सीता जी की व्याकुलता तथा वन-मार्ग में चलने की कठिनाई के कारण श्रीराम की आँखों में आँसू आ गए थे।

प्रश्न 23.
राम-राज्य में वृक्ष सदा ……………… से लदे रहते थे ।
उत्तर:
फल तथा फूलों से।

प्रश्न 24.
राम-राज्य में गऊएँ ………….. देती थीं ।
उत्तर:
मनचाहा दूध।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 25.
श्रीराम के राज्य में दंड किसके हाथ में दिखाई देता था ?
उत्तर:
केवल संन्यासियों के।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
तुलसीदास की माता जी का नाम क्या था ?
(क) हुलसी
(ख) तुलसी
(ग) भोली
(घ) देवी।
उत्तर:
(क) हुलसी

प्रश्न 2.
तुलसीदास किस शाखा के प्रवर्तक माने जाते हैं ?
(क) कृष्ण भक्ति
(ख) रामभक्ति
(ग) निर्गुण भक्ति
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) रामभक्ति

प्रश्न 3.
‘रामराज्य वर्णन’ कविता रामचरितमानस के किस कांड में संकलित है ?
(क) अयोध्या कांड
(ख) लंका कांड
(ग) उत्तर कांड
(घ) सुंदर कांड।
उत्तर:
(ग) उत्तर कांड

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

प्रश्न 4.
रामचरितमानस किस भाषा में लिखित है।
(क) अवधी
(ख) अवधि
(ग) अवध
(घ) अयोध्या।
उत्तर:
(क) अवधी।

राम-राज्य वर्णन सप्रसंग व्याख्या

1. राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।
बयरु न कर काहु सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि व्यापा।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
त्रैलोका = तीनों लोक। हरषित भए = प्रसन्न हो गए। सोका = शोक । बयरू = वैर। काहूसन = किसी से भी। विषमता = भेदभाव। खोई = नष्ट हो गई। दैहिक = शारीरिक। दैविक = देवताओं द्वारा दिया गया। भौतिक = सांसारिक। तापा = कष्ट, दुःख। व्यापा = होना। प्रीती = प्रेम । स्वधर्म = अपने-अपने धर्म पर। निरत = लीन, लगे हुए, पालन करते थे। श्रुति नीति = वेद की बताई गई नीति (मर्यादा)।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरितमानस के उत्तर कांड के अन्तर्गत दिए गए ‘राम राज्य वर्णन’ प्रसंग में से लिया गया है। इसमें कवि ने राम-राज्य के गुणों एवं प्रभाव का वर्णन किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी राम-राज्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि श्री राम के राज्य सिंहासन पर बैठने पर तीनों लोकों के प्राणी प्रसन्न हो उठे और उनके सब शोक मिट गए। श्री राम के राज्य में कोई किसी से भी वैर नहीं करता था। श्री राम के प्रताप से सब का आंतरिक भेद-भाव मिट गया था। श्री राम के राज्य में किसी को भी शारीरिक, . देवताओं द्वारा दिया गया या सांसारिक कष्ट नहीं था। सभी मनुष्य आपस में प्रेमपूर्वक रहते थे और सदा अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए वेद द्वारा बताई गई नीति पर चलते थे।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास जी का भाव यह है कि श्री राम जी के राज्य में किसी को कोई कष्ट नहीं। सभी लोग वेदों द्वारा बताई गई नीतियों पर चलते थे।
  2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
  3. गेयता का गुण विद्यमान है, भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली है। चौपाई छंद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

2. चारिउ चरण धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं।
राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी॥
अल्प मृत्यु नहिं कवीनउ पीरा। सब सुन्दर सब बिरुज सरीरा।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छनहीना॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
चारिउ = चारों। माहीं = में। पूरि रहा = परिपूर्ण हो रहा है। अघ = पाप। रत = लीन। सकल = सभी। परम गति = मोक्ष पद। अल्प मृत्यु = छोटी अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होना। कवीनउ = किसी को भी। पीरा = दुःख। बिरुज = निरोग। दरिद्र = ग़रीब। अबुध = मूर्ख। लच्छनहीना = शुभ लक्षणों से रहित होना।

प्रसंग :
यह काव्यांश तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड के ‘राम राज्य वर्णन’ नामक प्रसंग से लिया गया है। इसमें कवि ने राम राज्य की विशेषताओं का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में धर्म अपने चारों चरणों-सत्य, शौच, दया और दान से जगत् में परिपूर्ण हो रहा था तथा सपने में भी कोई पाप नहीं करता था। सभी स्त्री-पुरुष श्री राम की भक्ति में लीन रहते थे, जो सभी मोक्ष पद (परमपद) को प्राप्त करने के अधिकारी थे।

श्री राम के राज्य में छोटी अवस्था में मृत्यु हो जाने की पीड़ा किसी को नहीं थी। सभी सुंदर थे और निरोग शरीर वाले थे। श्री राम के राज्य में न कोई ग़रीब था, न कोई दुःखी था और न कोई दीन था और न ही कोई मूर्ख था और न ही शुभ लक्षणों से रहित था।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश का भाव यह है कि श्री राम जी के राज्य में चारों ओर प्रभु भक्ति की भावना थी। इसीलिए चारों ओर स्वस्थ लोग निवास करते थे।
  2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
  3. भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।
  4. चौपाई छन्द है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

3. सब निर्दभ धर्मरत पुनी। नर अरु नारि चतुर सब गुणी।
सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी॥
दण्ड जतिन्ह कर भेद जहँ के नर्तक नृत्य समाज।
जीतह मनहिं सुनिअ अस रामचंद्र के राज॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
निर्दभ = अभिमान रहित। पुनी = पुण्यवान । चतुर = सयाने। गुणी = गुणवान् । सयानी = चतुर । दण्ड = डंडा, सज़ा। जतिन्ह = संन्यासियों। कर = हाथों में। भेद = अलगाव का भाव, नृत्य के भेद (तोड़े)। जीतहु = जीत लो। मनहिं = मन को। सुनिअ = सुनाई पड़ता है। अस = ऐसा।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड के ‘राम राज्य वर्णन’ प्रसंग से ली गई हैं, जिसमें कवि ने राम-राज्य की विशेषताओं का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में सभी स्त्री-पुरुष अभिमान रहित, धर्मपरायण और पुण्यवान थे। सभी सयाने और गुणवान थे। सभी गुणों को ग्रहण करने वाले, पंडित तथा ज्ञानी थे। सभी किए गए उपकार को मानने वाले तथा कपट करने में चतुर नहीं थे।

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में दंड (डंडा) केवल संन्यासियों के ही हाथ में दिखाई पड़ता था। दंड अथवा सज़ा देना शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता था। इसी प्रकार भेद केवल नाचने वालों के समाज में ही विद्यमान था। प्रजा में कोई आपसी भेदभाव नहीं था। ‘जीत लो शब्द मन को’-जीतने के लिए सुनाई पड़ता था। ऐसा रामचंद्र जी के राज्य में था।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास जी का भाव यह है कि श्री राम जी के राज्य में सभी लोग गुणवान थे। किसी भी व्यक्ति को दंड देने की आवश्यकता नहीं थी।
  2. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग है।
  3. गेयता का गुण विद्यमान है। भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली है।
  4. ‘सब निर्दभ …… सयानी’ में चौपाई छंद तथा ‘दण्ड …… राज’ में दोहा छंद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

4. फूलहिं फरहिं सदा तरु कानन। रहहिं एक संग गज पंचानन।
खग मृग सहज बयरु बिसराई। सबन्हि परस्पर प्रीति बढ़ाई।
कूजहिं खग मृग नाना बंदा। अभय चरहिं बन करहिं अनंदा।
सीतल सुरभि पवन बह मंदा। गुंजत अलि लै चलि मकरंदा॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
तरु = वृक्ष। कानन = वन । गज = हाथी। पंचानन = सिंह। खग = पक्षी। मृग = पशु। सहज = स्वाभाविक। बयरु = वैर। बिसराई = भूलकर। कूजहिं = चहचहाते हैं। बंदा = समूह। अभय = निडर होकर । सुरभि = सुगन्धित। मंदा = धीमी-धीमी। गुंजत = गुंजार करता हुआ। अलि = भंवरा। मकरंदा = फूलों का रस।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड के ‘राम राज्य वर्णन’ प्रसंग से ली गई हैं, जिसमें कवि ने राम-राज्य की विशेषताओं का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में वनों में वृक्ष फूलों और फलों से सदा लदे रहते थे। हाथी और सिंह भी अपने स्वाभाविक वैर को भुलाकर एक साथ रहते थे। पशु और पक्षी भी अपने स्वाभाविक वैर को भुलाकर आपस में प्रेमपूर्वक रहते थे। पक्षियों के अनेक समूह चहचहाते थे ! पशु निडर होकर चरते थे और वन में आनन्द मनाते थे। तीन तरह की वायु-शीतल, सुगन्धित और धीमी बहती थी और गुंजार करते हुए भँवरे फूलों के रस को लेकर चलते थे।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम जी के राज्य में पशु-पक्षी सभी आपसी भेदभाव भुलाकर प्यार से रहते थे। प्रकृति भी अपना भरपूर रूप बरसाती थी।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली है।
  4. चौपाई छन्द है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

5. लता बिटप मांगे मधु चवहीं। मनभावतो धेनु पय स्रवहीं॥
ससि संपन्न सदा रह धरणी। हतां मह कृतजुग कै करनी॥
प्रगटी गिरिन्ह बिबिध मनि खानी। जगदातमा भूप जग जानी।
सरिता सकल बहहिं बर बारी। सीतल अमल स्वाद सुख कारी॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
बिटप = वृक्ष। मधु = रस। मनभावतो = मनचाहा। धेनु = गाय। पय = दूध । स्त्रवहीं = देती हैं। ससि = फसल। संपन्न = भरी रहती है। धरणी = पृथ्वी। कृतयुग = सतयुग। गिरिन्ह = पर्वतों ने। बिबिध = अनेक प्रकार के। मनि खानी = मणियों की खानें, मणियों के भंडार। भूप = राजा। सरिता = नदियाँ। सकल = सारी। बर बारी = श्रेष्ठ जल। सीतल = ठंडा। अमल = निर्मल, स्वच्छ। सुखकारी = सुख देने वाला।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड के ‘राम राज्य वर्णन’ प्रसंग से ली गई हैं, जिसमें कवि ने राम-राज्य की विशेषताओं का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में लताएँ और वृक्ष जितना चाहो उतना रस टपका देते थे। गऊएँ भी मनचाहा दूध देती थीं। पृथ्वी भी सदा फसल से भरपूर रहती थी। इस तरह त्रेतायुग में भी सतयुग जैसी स्थिति आ गई थी। पर्वत अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर देते थे। राजा राम को जगत् की आत्मा समझकर सभी नदियाँ निर्मल जल से परिपूर्ण बहती थीं, जिनका जल ठंडा, निर्मल, स्वाद वाला था तथा सुख देने वाला था।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में तुलसी दास जी का भाव यह है कि श्री राम जी के राज्य में किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी। सभी पदार्थ भरपूर थे। जितनी जिसको आवश्यकता होती थी, उतनी वह प्राप्त कर लेता था।
  2. अनुप्रास अलंकार है। भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली है।
  3. गेयता का गुण विद्यमान है।
  4. चौपाई छन्द है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

6. सागर निज मरजादाँ रहहीं। डारहिं रत्न तटन्हि नर लहहिं।
सरसिज संकुल सकल तड़ागा। अति प्रसन्न दस दिसा बिभागा।
बिधु महि पूर मयूखन्हि रवि तप जेतनेहि काज।
मांगे बारिद देहिं जल, रामचंद्र के राज॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मरजादाँ = मर्यादा। डारहिं = डाल देता है। लहहिं = ले लेते हैं। सरसिज = कमल । संकुल = समूह में। तड़ागा = तालाब। विभागा = प्रदेश। बिधु = चन्द्रमा। महि = पृथ्वी। पूर = परिपूर्ण । मयूखन्हि = किरणें । रवि = सूर्य । तप = गर्मी । जेतनेहि = जितने की। काज = आवश्यकता होती है। बारिद = बादल।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकांड के ‘राम राज्य वर्णन’ प्रसंग से ली गई हैं, जिसमें कवि ने राम-राज्य के गुणों का वर्णन किया है।

व्याख्या :
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के राज्य में सागर सदा अपनी मर्यादा में रहता था। वह रत्नों को किनारे पर डाल देता था जिसे लोग ले लेते थे। सभी तालाबों में कमल के फूल समूह में खिले रहते थे तथा दसों दिशाओं के प्रदेश अत्यन्त प्रसन्न थे।

श्री रामचन्द्र जी के राज्य में चन्द्रमा अपनी किरणों से पृथ्वी को पूर्ण रखता था तथा सूर्य उतनी ही गर्मी देता था जितनी आवश्यकता होती थी। बादल भी माँगने पर जितना जल चाहिए उतना बरसा देते थे।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास जी का भाव यह है कि श्री राम जी के राज्य में प्रकृति मर्यादा में रहते हए सब का कल्याण करती थी।
  2. अनुप्रास अलंकार है। भाषा अवधी है। तत्सम शब्दावली है।
  3. गेयता का गुण विद्यमान है।
  4. ‘सागर …….. बिभागा’ में चौपाई छंद तथा ‘बिधु ……. राज’ मे दोहा छंद है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

राम-राज्य वर्णन Summary

राम-राज्य वर्णन जीवन परिचय

हिन्दी-साहित्य में गोस्वामी तुलसीदास का वर्णन एक महाकवि के रूप में किया जाता है। भक्तिकाल के रामभक्ति शाखा के कवियों में इनको सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इनका जन्म सन् 1532 ई० के आस-पास राजापुर में हुआ। इनके पिता का नाम आत्मा राम तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी दास जी का बाल्यकाल कठिनाइयों में बीता। इनका विवाह राजापुर में दीन बन्धु पाठक की कन्या रत्नावली के साथ हुआ । रत्नावली से विवाह के बाद वे उनके प्रेम में डूब गए। उन्हें उनके अतिरिक्त कहीं भी कुछ दिखाई नहीं देता था। एक दिन पत्नी की फटकार ने उनका मन बदल दिया और राम भक्ति की ओर अग्रसर हुए। इन की मृत्यु सन् 1623 ई० में काशी में हुई थी।

गोस्वामी जी एक भक्त, साधक एवं महाकवि थे, इनकी अनेक रचनाएँ उपलब्ध हैं जैसे-रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली रामाज्ञा प्रश्न, वैराग्य संदीपिनी, पार्वती-मंगल, रामलला नहछू, बरवै रामायण, कृष्णगीतावली तथा जानकी मंगल आदि है। तुलसीदास जी ने अपने काव्य की रचना अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में की है। उन्होंने अपने काव्य की रचना तत्कालीन युग में प्रचलित सभी शैलियों में की है। इनके प्रिय छन्द दोहा, चौपाई सोरठा, बरवै, कवित्त सवैया आदि हैं। अलंकारों में कवि ने रूपक, अनुप्रास, उपमा, उत्पेक्षा दृष्टान्त, उदाहरण, यमक आदि अलंकारों का अधिक प्रयोग किया है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 2 रामराज्य वर्णन

राम-राज्य वर्णन काव्यांश का सार

प्रस्तुत काव्यांश तुलसीदास जी कृत ‘रामचरितमानस’ के उत्तर कांड में संकलित ‘राम-राज्य वर्णन’ से लिया गया है। ‘रामराज्य’ सभी भारतीयों के लिए एक आदर्श है। सभी अपने राज्य में राम जी जैसा राज्य चाहते हैं। उनके राज्य में चारों ओर प्रसन्नता तथा उल्लास का वातावरण था। धर्म अपनी चरमसीमा पर था। उस समय अधर्म तथा पाप का नाम नहीं था। इसलिए उस समय आर्थिक अभाव, अल्पमृत्यु साम्प्रदायिक द्वेष, दारिद्रय तथा अविवेक नहीं था। मानव ही नहीं अपितु पशु-पक्षी तथा प्रकृति भी प्रेम पूर्वक रहते थे। प्रकृति मानव की आवश्यकतानुसार अपनी समस्त निधियाँ जन-कल्याण के लिए देती थी। समुद्र भी अपनी मर्यादा जानते थे, वे अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते थे। इसलिए मनुष्य प्राकृतिक प्रकोप से बचा रहता था।

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Punjab State Board PSEB 8th Class English Book Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 English Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Activity 1.

Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words and put them in your WORDS notebook.

1. Meaning of the words as used in the lesson (adjective/noun / verb, etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or a mobile phone for correct pronunciation.)
3. Spellings

recognize pavilion zest invasion
brutal procession irrigate melodious
shrine pilgrimage architect manufacture

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Vocabulary Expansion

Activity 2

Match the words under column A with their antonyms (विपरीतार्थक) under column B.

S. No. A B
1 exit fail
2 lead south
3 raise lower
4 order follow
5 broad slavery
6 north narrow
7 famous request
8 succeed disperse
9 freedom entrance
10 assemble notorious

Answer:
1. exist – entrance
2. lend – follow
3. raise – lower
4. Order – request
5. broad – narrow
6. north-south
7. famous – notorious
8. succeed – fail
9. freedom – slavery
10. assemble – disperse.

Activity 3.

The sentences given below have two blanks each. Two words are given in the brackets after each sentence.

Fill in the blanks choosing the correct word from the brackets.

1. With a …………… face she said, “My purse is ………………. (empty, black)
2. ………….. children have …………… hands. (small, little)
3. That ……………. young man has a ……………. wife. (handsome, beautiful)
4. The …………….. old man spoke in a ……………..voice. (feeble, weak)
5. The of ………….. of our school is a man of …………….. (principal, principles)
6. You should live in ……………. because …………… is strength. (union, unity)
7. He is a …………….. man with a round face and a …………….. forehead. (tall, high)
Answer:
1. blank, empty
2. little, small
3. handsome, beautiful
4. weak, feeble
5. principal, principles
6. unity, union
7. tall, high.

Learning to Read and Comprehend

Activity 4.

Answer each question briefly.

a.. What is special about Bhangra ?
भांगड़ा नृत्य के बारे में विशेष क्या है ?
Answer:
The Bhangra dance is full of energy. It shows the great zest for life of the Punjabis.

b. Why do you think that the Punjabis are self-respecting people ?
आप ऐसे क्यों सोचते हैं कि पंजाबी लोग स्वाभिमानी लोग हैं ?
Answer:
We can say that because Punjabis would never beg or show their back in battle field.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

c. What was Punjab’s role in the struggle for India’s Independence ?
भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाबियों का क्या योगदान था ?
Answer:
Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh, Sukhdev, Udham Singh, Kartar Singh Sarabha and many other Punjabis sacrificed their lives for the sake of their motherland.

d. What did General O’Dwyer do at the Jallianwala Bagh in Amritsar ?
जनरल ओ’डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में क्या किया ?
Answer:
On April 13, 1919 about 20,000 people had gathered here for a public meeting.General Dyer ordered his riflemen to fire at the crowd.

e. Which states have benefitted from the Bhakra-Nangal Project ?
भाखड़ा-नंगल परियोजना से किन राज्यों को लाभ पहुंचा है ?
Answer:
Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, Rajasthan and Gujarat have benefitted from this Project.

f. If. What is the religious importance of Anandpur Sahib ?
आनंदपुर साहिब का क्या धार्मिक महत्त्व है ?
Answer:
In Anandpur Sahib the Khalsa was founded by Guru Gobind Singh Ji. Lakhs of Sikhs gather here every year to celebrate the founding of the Khalsa.

g. Where is Chandigarh situated ? What is it known for ?
चंडीगढ़ कहां स्थित है ? यह किस लिए प्रसिद्ध है ?
Answer:
Chandigarh is situated at the foot of the Shivalik Hills. It is known for its “rose gardens.

h. What are Jalandhar and Ludhiana famous for ?
जालन्धर और लुधियाना किस बात के लिए प्रसिद्ध हैं ?
Answer:
Jalandhar is famous for its sports goods while Ludhiana is famous for its woollen hosiery industry.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

i. Who compiled the holy Sri Guru Granth Sahib ?
पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किसने किया ?
Answer:
Sri Guru Arjun Dev Ji, the fifth Guru of the Sikhs, compiled Sri Guru Granth Sahib.

j. What do you know about the holiest shrine of the Sikhs ?
आप सिक्खों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल के विषय में क्या जानते हैं ?
Answer:
Golden Temple of Amritsar is the holiest shrine of Sikhs. It is built in the middle of a tank. It has a golden dome on the top.

Activity 5

Write ‘true’ or ‘false’ for the following statements in the given space.

a. General O’Dwyer lived in Jallianwala Bagh. — False
b. Le Corbusier was a great Indian architect. — False
c. Bhagat Singh was hanged on 13 April 1919. — False
d. The Golden Temple has a tank all around it. — True
e. India became an independent country in 1947. — True
f. The Punjabis have faced many foreign invasions. — True
g. Guru Gobind Singh founded the Khalsa in 1669.– False
h. Lala Lajpat Rai is known as Shaheed-e-Azam of India .– False
i. The Bhakra Dam is 518 feet high and 740 feet wide. — False
j. Fifty per cent of India’s hosiery industry is in Ludhiana. — False
k. Dr. Rajendra Prasad was the President of India in 1953. — True
I. Chandigarh is situated on the left bank of the Sutlej River.– False

Activity 6

Tick (√) the correct choice to complete each sentence.

Question 1.
The Jallianwala Bagh massacre took place in ……
(a) 1919
(6) 1928
(c) 1947
(d) 1926.
Answer:
(a) 1919. (√)

Question 2.
The reorganisation of Punjab took place in …….
(a) 1947
(b) 1950
(c) 1966
(d). 1953.
Answer:
(c) 1966. (√)

Question 3.
Kulu and Manali are parts of …
(a) Haryana
(b) Himachal Pradesh
(c) Jammu and Kashmir
(d) Punjab.
Answer:
(b) Himachal Pradesh. (√)

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Question 4.
Sri Guru Arjun Dev was …………….. of the Sikhs.
(a) the fifth Guru
(b) the sixth Guru
(c) the fourth Guru
(d) the tenth Guru.
Hint :
(a) the fifth Guru. (√)

Learning Language

Subject-Verb Agreement

1. A verb must agree with its subject, number and person i.e. when the subject is singular, the verb must also be singular. When the subject is plural, the verb must be plural. For example :
1. He plays cricket.
2. They play cricket.
3. I am sad.
4. We are sad.
5. A girl is running.
6. Girls are running.
7. A list of boys was prepared.
8. One of my friends has gone to the USA.

Let us look at some more aspects of how the verb should agree with the subject in a sentence.

2. If the subject consists of two or more singular nouns or pronouns joined by ‘and, It take a plural verb.
For example :
(i) Jolly and John were two brothers.
(ii) The poet and the dramatist are being honoured. (Two separate persons).
(iii) Kolkata, Mumbai, Chennai and Delhi are the most important cities of India.
(iv) He and I were present.

Exceptions:
(a) If the nouns refer to the same person or thing or express one idea, the verb is singular.
For example :
(i) The poet and dramatist is being honoured. (same person – one only)
(ii) My friend, philosopher and guide was invited to preside over the function. (same person one only)
(iii) Rice and curry is his favourite dish.
(iv) Slow and steady wins the race.
(v) Bread and butter is wholesome food.

(b) If two singular subjects joined by ‘and are qualified by ‘each’ or ‘every they take a singular verb.
For example :
(i) Every man and every woman desires happiness.
(ii) Each hour and each minute is important.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

3. Sigular subjects connected by ‘or’, ‘either – or’ and ‘neither – nor,’ are following by singular verb.
For example :
(a) No prize or trophy was given to him.
(b) Either Minesh or Parag has won the prize.
(c) Neither Sanjeev nor Amit has gone to school today.

4. When the subjects connected by ‘or’ or ‘nor are of different numbers, the plural subject should be written in the last and it is followed by a plural verb.
For example :
(a) Either Raghu or his parents are to blame.
(b) Neither Parul nor her friends have joined the college.
(c) Neither the headmaster nor the teachers were present there.

5. When the subjects connected by ‘nor’ or ‘or’ ate of different persons, the verb agrees in person with the subject nearest to it.
For example :
(a) Neither you nor Rosy is responsible for our defeat.
(b) Neither you not Rahul seems to be interested in this plan.
(c) Neither Neelu nor I have any money to buy a house.

6. When the subject consists of two nouns or pronouns joined by ‘with’ or ‘as well as’, the verb agrees with the first of them.
For examples :
(a) All the students with their teacher, were present at the show.
(b) He with all his friends, was ready to do or die.
(c) They as well as I are sick of his behaviour.
(d) Good leaders as well as a responsible public are essential for the success of democracy

7. When two subjects are connected by ‘not only … ‘but also’, the verb agrees with the second subject.
For example :
(a) Not only the master but his servants have also been badly wounded.
(b) Not only the soldiers but the captain has also been arrested.

8. When the subject is the formal ‘there’, the verb agrees with the real subject that follows it.
For example :
(a) There is no hope of his success.
(b) There were many difficulties to be removed.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

9. ‘Either’, ‘neither’, ‘each, “.everyone’, ‘one of the take a singular verb.
For example :
(a) Neither of the two books was interesting.
(b) Everyone of these workers is an expert.
(c) One of the students is differently abled.
(d) Each of these two girls is intelligent.
(e) Either of these two boys is fit for this work.

10. Nouns which are plural. in form but singular in meaning should be followed by singular verbs.
For example :
(a) Mathematics is my favourite subject.
(b) Politics is a dirty game.
(c) The wages of sin is death.
(d) The news is too good to be true.
(e) Gulliver’s Travels’ is an interesting book.

11. Collective noun (crew, jury, committee) is followed by a singular verb when the group is thought of as a single unit. But when individual members of the group are referred to, the plural verb is used.
For example :
(a) A committee was appointed to suggest some reforms.
(b) The committee were divided on the issue.
(c) The jury was unanimous in its verdict.
(d) The jury were divided in their opinions.

12. When the subject of a verb is a relative pronoun, the verb agrees in number and person with the antecedent of the relative pronoun.
For example :
(a) The boy, who always stands first, is my son.
(b) The time, which is lost, is lost forever.
(c) I, who am your friend, will certainly help you.
(d) This is one of the most interesting books that have (not has) ever appeared.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

13. When the subject is a sum of money considered as a whole, a singular verb is used. If the subject is a sum of money and it refers to the notes or coins considered separately, a plural verb is used.
For example :
(a) Hundred rupees is not a small amount.
(b) Hundred rupees were found in his purse.
(c) Five thousand rupees is a good price for this camera.
(d) There were fifty rupees in his pocket.
(e) There are ten silver rupees in my box.

Activity 7.

Select the correct verb from the brackets to fill in the blanks.

1. The tallest of these boys ………………. next door to me. (live, lives)
2. All the players in my team ……………… done well. (has, have)
3. The toys that were bought by Anil … ………….. really useful. (are, is)
4. He ……………… regularly. (walk, walks).
5. Slow and steady …… ………… the race. (win, wins)
6. Time and tide ……………… for none. (wait, waits)
7. Oil and water ……………. mix. (does not, do not).
8. Tobacco and alcohol ……………. injurious to health. (is, are)
9. Either Ashok or Rakesh ………………. done this mischief. (has, have)
10. Either you or he ……………… mistaken. (is, are)
11. Neither the judge nor the witnesses ……………… him. (believe, believes)
12. Neither the Captain nor the soldiers …………… been arrested. (has, have)
13. Either he or I …………….. wrong. (am, are)
14. He as well as you ………………. innocent. (is, are)
15. Each day and each hour …………….. its own importance. (has, have)
16. Either of these two proposals ………………. acceptable to me. (is, are)
17. The jury ………………. divided in their opinion. (was, were)
18. The assembly ………………. in session. (is, are).
19. I am the one who ……………. always stood for justice. (has, have)
20. This is one of the most difficult lessons that ……. …….. been taught. (has, have)
Answer:
1. lives
2. have
3. are
4. walks
5. wins
6. wait
7. do not
8. are
9. has
10. is
11. believe
12. been arrested
13. am
14. is
15. has
16. is
17. were
18. is
19. have
20. has.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Activity 8.

Listen to the words spoken by your teacher. Each word will be spoken twice. You will repeat after her/him. The teacher must check the pronunciation from the dictionary.
Answer:
1. February
2. Wednesday
3. Clothes
4. Desk
5. Library
6. Suite
7. April
8. Arithmetic
9. Bear
10. Plumber
11. Cleanliness
12. Creature
13. Debris
14. Depot
15. Develop
16. Hotel
17. Photography
18. Democracy
19. Police
20. Tortoise

Learning to Write

Paragraph Writing

A paragraph is a group of sentences that are written on a topic. It requires unity, order, coherence amnd completeness of an idea. When we write a paragraph, we should focus on one idea. Let us write a paragraph on a ‘A Picnic’ we went for.

A School Picnic
Picnic — Look forward to — all excited — woke up early – packed food — reached in time — teachers accompanied — bus started — enjoyed – reached the spot – took swings – high spirits —- took lunch — great fun — journey back — reached home – a day worth – remembering.

Picnic is one thing that we all always look forward to. This time, it was announced that we would go on a school picnic to the local city garden. We were all very excited.

On the day of the picnic, I woke up early. My mother packed a lot of food items for me and my friends. We reached school in time to board the bus. Our English teacher and sports teacher were accompanying us. The bus started at 8 a.m. We enjoyed the journey and had great fun singing songs.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Finally, we reached the garden. It was very peaceful there. The weather was also very pleasant. We got busy on swings and started running and playing. We were all in high spirits. In the afternoon, we had lunch. We shared our food with each other. After lunch, our teachers made us play many games. It was fun. We laughed and enjoyed ourselves. Soon it was evening and time to go back. We boarded the bus again and reached home by 7. It was a memorable day and I am going to cherish it forever.

Activity 9.

Write a paragraph on Our School Library using the hints given below :
Answer:
School a temple of learning–library the most useful place a big library in my school – more than 50,000 books – kept subjectwise – story books and comics-newspapers and magazines – librarian very helpful and kind – enjoy going to the library

Our School Library

A school is a temple of learning. A library is an altar in it. My school too has a big library. It is housed in a cornor. It has about 50,000 books in it. The books are kept subject-wise. They are kept in almirahs with glass-panes. The library has a number of newspapers and magazines too.

They are in Punjabi, Hindi and English. We can borrow books from the library. But no student can keep a book for more than fifteen days. The librarian is very helpful, kind and gentle. But he is very strict. He maintains perfect silence and discipline in the library. We go to the library thrice a week. We read newspapers and magazines. The library is really very useful to all of us.

Activity 10.

Write a paragraph on ‘An Indian Farmer’ looking at the hints given below :
Answer:
India land of villages–agriculture major profession-agriculture is lifeline of Indian economy-keeps the Indian economy prospering – the citizens with food-grows food grains, vegetables and fruits-grows cotton – works from morning to evening-provides employment – 40% of Indian farmers – requires a lot of labour – difficult task requires discipline and patience-grows crops for our country – crop is his wealth – important place in society – backbone of India – very useful member of the society

An Indian Farmer India is a land of villages. Most of the villagers are farmers. Therefore agriculture plays the most important role in the Indian economy. It is called the lifeline of Indian economy. It keeps the economy of the country prospering. Agriculture provides the citizens with food. About 40% of Indian farmers get their livehood. It provides employment directly through farming to many other people also. On the whole Indian farmer and farming together keep our economy alive. Farmers work hard (Hera) labour in their fields and grow various crops. Therefore, Indian farmer enjoys an important place in the society. He is the backbone of India.

Comprehension of Passage

Read the following passage and answer the questions given below each :

(1) According to the history of Punjab, the Punjabis have faced all the foreign invasions boldly. During the struggle for India’s freedom, Punjab gave the country great heroes. They included patriots such as Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh, Sukhdev, Udham Singh, Kartar Singh Sarabha and many others. We call Lala Lajpat Rai Sher-e-Punjab and Bhagat Singh Shaheed-e-Azam. All these brave sons of Punjab sacrificed their lives for their country. Lala Lajpat Rai died as a result of the brutal lathi charge while he was leading a procession against the British in 1928. Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were hanged for raising their voice against the British cruelties. Bhagat Singh was just 26 years old then.

1. What led to Lala Lajpat Rai’s death?
लाला लाजपत राय की मृत्यु किस कारण हुई ?

2. Name three freedom fighters who were hanged.
तीन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताओ जिन्हें फांसी दी गई।

3. Choose true and false statements and write them in your answer-book :
(a) Bhagat Singh was 16 years old when he was hanged.
जब भगत सिंह को फांसी दी गई उस समय उनकी आयु केवल 16 साल थी।

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

(b) Lala Lajpat Rai died in 1928.
तीन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताओ जिन्हें फांसी दी गई

4. Complete the following sentences according to the meaning of the passage :
(a) Lala Lajpat Rai was leading a procession
(b) Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were hanged for ……….
Or
Match the words with their meanings :

(i) crueltics photographs
(ii) portraits patriots
atrocities

Answer:
1. The British lathi-charge on Lalaji led to his death.
2. Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru.
3.
(a) False
(b) True.
4.
(a) Lala Lajpat Rai was lending a procession against the British in 1928.
(b) Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were hanged for raising voice against the British cruelties.
Or
(i) cruelties – atrocities
(ii) portraits – photographs.

(2) Mr Mathew told Chinta. ‘This is the famous Jallanwala Bagh of Amritsar and these are Bullet marks. On 31 April 1919, a crowd of around 20,000 people had gathered for a public meeting here. They included men, women and children. The British General O’Dwyer came there with his armed soliders. He blocked all the exit point. Then he ordered his men to start firing without giving any warning to the people gathered there. About 1000 people were killed and more than 1500 were wounded.”

1. What happened in Jalliandwala Bagh on April 13, 1919 ?
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में क्या घटना घटी

2. For what purpose had the people gathered in Jallianwala Bagh ?
लोग जलियांवाला बाग में किस उद्देश्य से इकट्ठे हुए थे ?

3. Choose true and false statements and write them in your answer-book :

(a) The park had no exit.
पार्क से बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था।

(b) The British General O’Dwyer came there with his riflemen.
ब्रिटिश जनरल डायर अपने बंदूकधारियों के साथ वहां आया।

4. Complete the following sentence according to the meaning of the passage :
(a) Dyer blocked …………
(b) The crowd gathered at the Bagh included ………….
Or
Match the words with their meanings :

(i) blocked injured
(ii) wounded closed
killed

Answer:
1. On 13 April, 1919, the British General O’Dwyer ordered his riflemen to fire at the crowd. About 1000 people were killed and more than 1500 were wounded.
2. The people had gathered for a public meeting.
3.
(a) False
(b) True
4.
(a) Dyer blocked all the exist points.
(b) The crowd gathered at the Bagh included men, women and children.
Or
(i) blocked – closed
(ii) wounded – injured.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

(3) “Sir, they say this temple is surrounded by water”, said Chintu. “Yes, it is built in the middle of a square tank. To reach the temple, there is a 60-metre long marble path. This path has marble railings on both sides. The temple is double-storeyed. It has a golden dome on the top. The marble slabs used in the construction of the temple have on them fine artistic engravings. The inner walls are decorated with precious stones. They have on them priceless paintings and other works of art. On the ground floor, under the dome-shaped roof lies Sri Guru Granth Sahib. It is the holy book of the Sikhs.” explained Mr. Mathew. “Do you know it was Sri Guru Arjun Dev, the fifth Guru of the Sikhs, who compiled this holy book ?” asked Mr. Mathew.

1. How can the temple be reached ?
मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है ?

2. What lies on the ground floor, under the dome-shaped roof?
गुम्बदाकार छत के नीचे भूतल पर क्या विराजमान है ?

3. Choose true and false statements and write them in your answer-book
(a) Marble slabs have been used for the decoration of the temple.
मंदर की सजावट के लिए संगमरमर की पट्टिकाएं प्रयोग में लाई गई हैं।

(b) The path has a marble railing on one side.
मार्ग के एक ओर संगमरमर का जंगला है।

4. Complete the following sentences according to the meaning of the passage :
(a) Sri Guru Granth Sahib was compiled by ……..
(b) The inner walls of the temple are decorated with …………
Or
Match the words with their meanings :

(i) decorated destroyed
(ii) precious beautified
Costly

Answer:
1. It can be reached by a 60-metre long marble path.
2. Sri Guru Granth Sahib, the holy book of the Sikhs, lies on the ground floor under the dome-shaped roof.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) Sri Guru Granth Sahib was compiled by Sri Guru Arjun Dev, the fifth Guru of the Sikhs.
(b) The inner walls of the temple are decorated with precious stones.
Or
(i) decorated – beautified
(ii) precious – costly.

(4) Mr Mathew replied, “Yes, this is Chandigarh. This beautiful city is situated at the foot of the Shivalik Hills. It was designed by a famous French architect, Le Corbusier. Being very close to the hills, Chandigarh has a calm and pleasant atmosphere. The Rose Garden of Chandigarh is world famous. The city was formally declared open in October 1953 by Dr Rajendra Prasad, the former President of India.“

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

1. Where is Chandigarh situated ?
चण्डीगढ़ कहां स्थित है ?

2. When and by whom was it formally declared open ?
इसका औपचारिक रूप से शुभारम्भ कब और किसके द्वारा किया गया ?

3. Choose true and false statements and write them in your answer-book :
(a) Chandigarh has a calm and pleasant atmosphere.
चण्डीगढ़ का वातावाण शान्ति और सुटावाना है

(b) Stone gardens of Chandigarh are world famous. :
चण्डीगढ़ के पत्थर के बाग जगत् प्रसिद्ध हैं।

4. Complete the following sentences according to the meaning of the passage :
(a) Le Corbusier was
(b) Chandigarh is a ………….
Or
Match the words with their meanings :

(i) pleasant well-known
(ii) famous fine
helpful

Answer:
1. Chandigarh is situated at the foot of the Shivalik Hills.
2. It was formally declared open in October 1953 by the then President of India,Dr. Rajendra Prasad.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) Le Corbusier was a famous French architect.
(b) Chandigarh is a beautiful city.
Or
(i) pleasant-fine.
(ii) famous-well-known.

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Use‌ ‌of‌ ‌Words‌ ‌and‌ ‌Phrases‌ ‌in‌ ‌Sentences‌ ‌

1. alms (charity, small, amounts received by way of begging) – The beggar stretched his hand out for alms.
2. celebrate – (engage in festivities) – I celebrated my birthday in a hotel.
3. compile – (to collect and arrange into a book) -Sri Guru Granth Sahib was compiled by Sri Guru Arjun Dev Ji.
4. curb (put control or check on, obstruct) – His arrest curbed his liberty in a big way.
5. distributary-(a narrow waterway to distribute canal or river water for irrigation, छोटी नदी/वितरिका A network of distributaries irrigates the fields in this state
6. executed – (done to death/hanged,) – The murderer was executed on Sunday.
7. exuberance (lively spirit, ) – The Bhangra shows the exuberance of the people of Punjab.
8. invasion – (attack) -India faced many invasions by the foreigners.
9. mowed down – (killed,) – Hundreds of freedom fighters were mowed down in the firing.
10. prominent – (well known) – My uncle is a prominent political figure.
11. precious – (of great value) – Gold is a precious metal.
12. recognize – (identify/know somebody again) – Do you recognize this picture ?
13. successive – (continuously/one after the other) – He had to keep awake for three successive nights.
14. vigorous – (fast and active/full of spirit and movement) – He made vigorous efforts to achieve his goal.
15. vitality – (liveliness) – The dance was full of life and vitality.

Word Meanings

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab A Glimpse 1PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab A Glimpse 2

The Punjab: A Glimpse Summary in Hindi

Balle, Balle ! …………… in the pavilion.

बल्ले, बल्ले ! ओह् बल्ले बल्ले ! मि० मैथ्यू अपने छात्रों को अमृतसर की यात्रा पर ले गए। मि० मैथ्यू ने पंजाब पैवेलियन (पंडाल) के सामने भांगड़ा नर्तकों की ओर इशारा करते हुए कहा, “बच्चो, तुम पंजाब के इस प्रसिद्ध लोकनृत्य को अवश्य पहचान गए होंगे।”
बच्चों ने उत्तर दिया, “हाँ, श्रीमान् जी, हम यह लोक नृत्य इस वर्ष के गणतंत्र दिवस के समारोह में देख चुके हैं।” मि० मैथ्यू ने कहा, “यह नृत्य जोश से भरा है। यह पंजाबियों के जीवन के प्रति अति उत्साह को दर्शाता है। पंजाबी स्वाभिमानी और बहुत ही परिश्रमी लोग होते हैं। तुम इन्हें गलियों में भीख माँगते नहीं देखोगे। वे बहुत बहादुर लड़ाई के मैदान में कभी भी अपनी पीठ नहीं दिखाते।

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

पंजाब के इतिहास के अनुसार पंजाब के लोगों ने सभी विदेशी आक्रमणकारियों का दृढ़ता से सामना किया । भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब ने देश को महान नायक दिए। उनमें लाला लाजपत राय, भगत सिंह, सुखदेव, ऊधम सिंह, करतार सिंह सराभा जैसे तथा कई अन्य देशभक्त शामिल थे। हम लाला लाजपत राय को शेर-ए-पंजाब तथा भगत सिंह को शहीद-ए-आजम कहकर पुकारते हैं। पंजाब के इन सभी वीर पुत्रों ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। लाला लाजपत राय की मृत्यु 1928 में अंग्रेजों के विरुद्ध एक जलूस का नेतृत्व करते समय उन पर किए गए निर्दयतापूर्ण लाठीचार्ज के परिणामस्वरूप हुई। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाने पर फांसी पर लटका दिया गया। भगत सिंह उस समय केवल 26 वर्ष के थे। बच्चो! तुम पंडाल में इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र देखोगे।”

“Sir, what is ….. work of the Punjabis.”

चिंटू ने पूछा, ” श्रीमान् जी, यह भवन, कौन सा है जिसकी दीवारें पूरी तरह निशानों से भरी पड़ी हैं ?” मि० मैथ्यू ने चिंटू को बताया, “यह अमृतसर का प्रसिद्ध जलियाँवाला बाग़ है और ये गोलियों के निशान हैं। यहाँ 13 अप्रैल, 1919 को लगभग 20,000 लोगों की एक भीड़ सार्वजनिक सभा के लिए यहां एकत्रित हुई थी। इसमें स्त्री, पुरुष तथा बच्चे शामिल थे। ब्रिटिश जनरल ओ’डायर अपने बन्दूकधारियों के साथ वहाँ पहुँचा। उसने बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद कर दिए। बिना कोई चेतावनी दिए उसने अपने बंदूकधारियों को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लगभग एक हज़ार लोग मारे गए और पंद्रह सौ से अधिक लोग घायल हुए।”

मि० मैथ्यू ने अपने छात्रों को 1947 के बटवारे के बारे में बताया। उन्होंने बताया “पंजाब को 1947 में भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या के समय अनेक कष्ट उठाने पड़े। यहाँ भयंकर खून-खराबा हुआ। हज़ारों लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा और शरणार्थियों की तरह रहना पड़ा। फिर भी, वीर पंजाबियों ने कड़ा परिश्रम किया और जीवन की नये सिरे से शुरुआत की। उन्होंने राज्य के पुनर्निर्माण में एक महान् भूमिका निभाई। उन्होंने कड़ी मेहनत और कृषि कौशल से पंजाब को भारत का अन्न भण्डार बना दिया। वे देश में हरित क्रांति लाए। शीघ्र ही भारत एक विकासशील देश बन गया और इसका मुख्य कारण पंजाबियों का कड़ा परिश्रम है।

“Sir wasn’t Punjab. ………….. modern India.”

राजू ने पूछा, “श्रीमान् जी, क्या उस समय पंजाब का विभाजन फिर से नहीं किया गया था जब इसमें से हरियाणा राज्य का निर्माण किया गया था ?” मि० मैथ्यू ने बताया, “राजू, तुम ठीक कह रहे हो। 1966 में पंजाबी भाषा और हिन्दी भाषा के आधार पर पंजाब राज्य का पुनर्गठन किया गया। पंजाब के कुछ पहाड़ी क्षेत्र जैसे कि लाहौल-स्पीति, कुल्लू एवं मनाली की घाटियाँ, कांगड़ा, डल्हौज़ी और शिमला हिमाचल प्रदेश के साथ मिला दिए गए। चण्डीगढ़ को पंजाब एवं हरियाणा दोनों की सांझी राजधानी बना दिया गया। उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।”

“पुनर्गठित पंजाब नवंबर 1966 में अस्तित्व में आया। अब इसके पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में हरियाणा और राजस्थान हैं।”राजू ने कहा, “श्रीमान् जी, यहाँ एक बांध का मॉडल (नमूना) है। मेरे विचार से यह प्रसिद्ध भाखड़ा बांध है।”

मि० मैथ्यू ने कहा, “राजू, तुम ठीक कह रहे हो। यह बांध 740 फुट ऊँचा है। इसकी लम्बाई 518 मीटर है और यह 9 मीटर चौड़ा है। इसके जलाशय जिसे गोबिन्द सागर के नाम से जाना जाता है, इसमें 9 बिलियन क्यूषिक मीटर पानी इकट्ठा किया जा सकता है। इसका उपयोग हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा की 10 मिलियन एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए किया जाता है। भाखड़ा और नंगल विद्युत केंद्रों में पैदा होने वाली बिजली को हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात राज्यों को दिया जाता है। पंडित नेहरू ने भाखड़ा बांध को आधुनिक भारत का मंदिर कहा है।”

“Sir, I can ………………….. asked Mr. Mathew.?”

विक्की ने कहा, “श्रीमान् जी, मुझे गुरूवाणी के मधुर स्वर सुनाई दे रहे हैं। पास में अवश्य ही कोई गुरुद्वारा होगा।”मि० मैथ्यू ने कहा, “ठीक है, हम अमृतसर के श्री दरबार साहिब के निकट हैं। यह सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है।”
चिंटू ने कहा, “कहते हैं कि यह मंदर जल से घिरा हुआ है।” मि० मैथ्यू ने बताया, “हां, यह एक वर्गाकार सरोवर के बीच में बना है। मंदर में पहुँचने के लिए 60 मी० लम्बा संगमरमर का मार्ग बना हुआ है। इस मार्ग के दोनों ओर संगमरमर की रेलिंग (जंगला) है। मंदर दो मंजिला है। इसके शीर्ष पर एक सुनहरी गुंबद है। मंदर के निर्माण में लगाई गईं संगमरमर की पट्टिकाओं पर कलात्मक नक्काशी की गई है। अंदर की दीवारें कीमती पत्थरों से सुसज्जित हैं। उन पर अनमोल चित्रकारी और अन्य कलाकारियां की गई हैं। भूतल पर गुंबदाकार छत के नीचे ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ विराजमान हैं। यह सिक्खों का पवित्र ग्रंथ है। मि० मैथ्यू ने कहा, “क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र पुस्तक का संकलन सिखों के पाँचवें गुरु अर्जुन देव जी ने किया था ?”

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

“Anandpur Sahib ……… President of India.”

“आनंदपुर साहिब सिखों का एक अन्य तीर्थ-स्थल है। इसकी स्थापना श्री गुरु तेग बहादुर जी ने की थी। यह सतलुज नदी के बायें किनारे पर स्थित एक छोटा सा शहर है। यहां हर साल लाखों सिख ‘खालसा’ जिसकी स्थापना 1699 में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने की थी, का स्थापना दिवस मनाने के लिए इकट्ठे होते हैं।” राजू ने पूछा, “श्रीमान् जी, इधर देखो। यह सुन्दर ढंग से नियोजित एक शहर का नमूना है। इसमें बहुत से बाग़ हैं। क्या यह चण्डीगढ़ नहीं है ?”

मि० मैथ्यू ने उत्तर दिया, “हाँ, यह चण्डीगढ़ ही है। यह सुंदर शहर शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। इसका नमूना प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉरबुज़िअर ने तैयार किया था। पहाड़ियों के बहुत अधिक निकट होने के कारण चण्डीगढ़ का वातावरण शांत और सुहावना है। चण्डीगढ़ के रोज़ गार्डन्ञ् संसार भर में प्रसिद्ध हैं। इस नगर का औपचारिक रूप से शुभारंभ भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने अक्तूबर 1953 में किया था।”

“Sir, there are …………………….. on their faces.

” विक्की ने कहा, “श्रीमान जी, यहाँ खेलों का सामान बेचने वाली कुछ दुकानें हैं। मैं क्रिकेट का बल्ला और गेंद खरीदना चाहता हूँ।” मि० मैथ्यू ने कहा, “परन्तु खरीदने से पहले, क्या तुम मुझे बता सकते हो कि पंजाब के किस शहर में यह सामान बनाया जाता है ?” विक्की ने उत्तर दिया, “नहीं, श्रीमान् जी।” मि० मैथ्यू ने कहा, “अच्छा, तो सुनो, यह जालंधर है। यह देश में खेलों का सामान बनाने वाले प्रमुख केंद्रों में से एक है। वहां, दूसरी दुकान में ऊनी हौजरी का सामान है। वह लुधियाना से है। हमारे हौजरी उद्योग का 95 प्रतिशत भाग लुधियाना में है। क्या तुम हौजरी का कुछ सामान भी खरीदना पसंद करोगे ?” चिंटू ने कहा, “नहीं, श्रीमान् जी, क्या खरीदा जाये, मैं उसका निर्णय नहीं ले सकता। ऐसी खरीददारी मेरे मातापिता करते हैं।” मि० मैथ्यू ने मिठाई की दुकान की ओर बढ़ते हुए कहा, “अच्छा, बच्चो, शायद तुम अमृतसर की यह जलेबियाँ चखना पसंद करोगे।” सभी बच्चे अपने चेहरों पर मुस्कान बिखेरे उनके पीछे-पीछे चलने लगे।

PSEB 8th Class English Solutions Chapter 5 The Punjab: A Glimpse

Retranslation From English to Hindi

1. This dance is full of energy. — यह नृत्य जोश से भरा हुआ है।
2. The country was partitioned. — देश का बंटवारा कर दिया गया।
3. About 1000 people were killed. — लगभग 1000 लोग मारे गए।
4. Punjab suffered a lot. — पंजाब को बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी।
5. You are right. — आपकी बात ठीक है।
6. It is the holiest shrine of the Sikhs. — यह सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है।
7. This temple is surrounded by water. — यह मंदर जल से घिरा है।
8. It has a number of gardens. — इसमें कई बाग हैं।
9. The temple is double storeyed. — मंदर दो-मंजिला है।
10. They are from Ludhiana. — वे लुधियाना के रहने वाले हैं।
11. It is a small town. — यह एक छोटा सा शहर है।
12. I can hear the melodious strains of Gurbani.– मुझे गुरूवाणी के मधुर स्वर सुनाई दे रहे हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर वाणी

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 कबीर वाणी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 1 कबीर वाणी

Hindi Guide for Class 11 PSEB कबीर वाणी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कबीर जी के अनुसार मानव को जीवन में किन-किन गुणों को अपनाना चाहिए ?
उत्तर:
कबीर जी के अनुसार मानव को सदा ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो स्वयं को तो शीतल करेगी ही दूसरों को भी सुख पहुँचाएगी। हमें झूठा अभिमान नहीं करना चाहिए। अहम् को त्याग कर प्यार से रहना चाहिए। विनम्रता का व्यवहार करना चाहिए। जीवन में सत्कर्म रूपी धन का संचय करना चाहिए। भक्ति रूपी धन को जीवन में महत्त्व देना चाहिए। आडंबरों से दूर रह कर सच्चे मन से ईश्वर को पाने की चेष्टा करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
मानव को गर्व क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर:
मानव को गर्व इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि मानव जीवन नाशवान और क्षणभंगुर है। मौत हर वक्त सिर पर खड़ी रहती है। न जाने वह कब आ जाए। घर में या परदेश में। गर्व मानव के सिर को सदा नीचे करता है और उसे ईश्वर के नाम से दूर करता है। गर्व अपनों को भी दूर कर देता है। गर्व पतन का मूल कारण होता है इसलिए उससे सदा दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
कबीर ने किस प्रकार का धन संचय करने को कहा है ?
उत्तर:
कबीर जी ऐसे धन का संचय करने की बात कहते हैं जो मनुष्य के साथ परलोक में भी जाए। क्योंकि इस संसार में संचित किया गया धन तो संसार में ही रह जाता है। किसी को भी संचित धन की पोटली को सिर पर रखकर ले जाते नहीं देखा। मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही चला जाता है। ईश्वर का नाम ही वास्तविक धन है और उसी का संचय करना चाहिए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 4.
कबीर जी ने ईश्वर को माँ और स्वयं को बालक मानते हुए किस तर्क के आधार पर अपने अवगुणों को दूर करने को कहा है ?
उत्तर:
कबीर जी ने परमात्मा को माता रूप में मान कर अपने सारे अपराध क्षमा करने को कहा है। कबीर जी ने यह तर्क दिया है कि बालक चाहे कितने भी अपराध करे पर माता उसके प्रति अपने स्नेह को कभी नहीं त्यागती। चाहे वह उसके बाल खींचकर उसे चोट क्यों न पहुँचाए। जन्म देने वाला ही अपनी संतान का वास्तविक रक्षक और भला करने वाला हो सकता है। उस जैसा अन्य कोई नहीं हो सकता।

प्रश्न 5.
कबीर जी ने प्रभु को सर्वशक्तिमान मानते हुए क्या कहा है-रमैणी के आधार पर 40 शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर:
कबीर जी ने प्रभु को सर्वशक्तिमान मानते हुए उनके स्वरूप को परमप्रिय, स्वच्छ और उज्ज्वल कहा है। कबीर कहते हैं कि प्रभु की माया को कोई नहीं जान सका चाहे वह पीर-पैगंबर हो, जिज्ञासु शिष्य हो, काजी हो ; मुसलमान हो चाहे कोई देवी-देवता हो, मनुष्य, गण, गंधर्व या फिर आदि देव ब्रह्मा, विष्णु, महेश ही क्यों न हो। उसे सहजता से नहीं पाया जा सकता। उसे पाने के लिए सच्चे मन से उसका मनन करना चाहिए।

प्रश्न 6.
कबीर ने रूढ़ियों का खण्डन किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
कबीर जी ने मुंडी साधुओं के द्वारा बार-बार केश कटवाने की रूढ़ि का खण्डन करते हुए कहा है कि केशों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, उस मन को क्यों नहीं मूंडते जिसमें सैंकड़ों विषय विकार हैं। कबीर का मानना है कि मात्र धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती, उसे पाने के लिए सच्चे मन से उसका स्मरण करना चाहिए। वह आडंबरों से कभी प्राप्त नहीं कर सकता। रूढ़ियाँ इन्सान के मन को व्यर्थ ही इधर-उधर भटकाती हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

PSEB 11th Class Hindi Guide कबीर वाणी Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कबीरदास का जन्म और मृत्यु कहां और कब हुई थी ?
उत्तर:
कबीरदास का जन्म संवत् 1455 में काशी में और मृत्यु संवत् 1575 मगहर में मानी जाती है।

प्रश्न 2.
कबीरदास का पालन-पोषण किसने किया था ?
उत्तर:
कबीरदास का पालन-पोषण नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंपत्ति ने किया था।

प्रश्न 3.
कबीर किस काव्यधारा के कवि थे ?
उत्तर:
कबीर संत काव्यधारा के कवि थे।

प्रश्न 4.
कबीर की कितनी रचनाएँ मानी जाती हैं ?
उत्तर:
कबीर की 150 रचनाएँ मानी जाती हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 5.
कबीर की कविता कैसी कविता है ?
उत्तर:
कबीर की कविता गहरे जीवनानुभावों की कविता है।

प्रश्न 6.
कबीर का युग कैसा था ?
उत्तर:
कबीर का युग सामाजिक विषमताओं का युग था।

प्रश्न 7.
कबीर साहित्य किन तीन भागों में मिलता है ?
उत्तर:
कबीर साहित्य साखी, पद (सबद) और रमैणी तीन भागों में मिलता है।

प्रश्न 8.
कबीर के काव्य की भाषा कैसी है ?
उत्तर:
कबीर की भाषा जनभाषा है, जिसे सधुक्कड़ी भाषा कहते हैं।

प्रश्न 9.
कबीर ने सतगुरु की महिमा को कैसा माना है ?
उत्तर:
कबीर ने अनुसार की महिमा अनंत है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 10.
कबीर ने उनमनी अवस्था किसे माना है ?
उत्तर:
कबीर के अनुसार मन की शांत अवस्था ही उनमनी है, जिसे तुरीयावस्था, सहजावस्था, भागवती चेतना भी कहते हैं।

प्रश्न 11.
‘सतगुरु’ ने कबीर को क्या दिया ?
उत्तर:
‘सतगुरु’ ने कबीर को ज्ञान रूपी दीपक दिया।

प्रश्न 12.
कबीर ने माया और मनुष्य को क्या माना है ?
उत्तर:
कबीर ने माया को दीपक और मनुष्य को पतंगा बताया है, जो माया के आकर्षण में पड़कर अपना जीवन नष्ट कर बैठता है।

प्रश्न 13.
कबीर प्रभु स्मरण कैसे करने के लिए कहते हैं ?
उत्तर:
कबीर कहते हैं कि मन, वचन और कर्म से प्रभु का नाम स्मरण करना चाहिए।

प्रश्न 14.
कबीर ने किसके घर को बहुत दूर बताया है ?
उत्तर:
कबीर ने हरि के घर को बहुत दूर बताया है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 15.
कबीर विषय-विकारों की आग को कैसे बुझाने के लिए कहते हैं ?
उत्तर:
कबीर प्रभु नाम के स्मरण द्वारा विषय-विकारों की आग बुझाने के लिए कहते हैं।

प्रश्न 16.
विरहणि कौन है और वह किससे मिलना चाहती है ?
उत्तर:
विरहणि आत्मा है और वह परमात्मा से मिलना चाहती है।

प्रश्न 17.
कबीर ने विरह को क्या माना है ?
उत्तर:
कबीर ने विरह को सुल्तान माना है।

प्रश्न 18.
राम का नाम ले-लेकर कबीर की क्या दशा हो गई है ?
उत्तर:
राम का नाम पुकार-पुकार कर कबीर की जीभ पर छाले पड़ गए हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 19.
कबीर ने किस का गर्व नहीं करने के लिए कहा है ?
उत्तर:
कबीर ने संपत्ति का गर्व नहीं करने के लिए कहा है।

प्रश्न 20.
कबीर अपने प्रभु के दर्शन करने के लिए क्या करना चाहता है ?
उत्तर:
कबीर इस शरीर का दीपक बना कर, उस में आत्मा की बत्ती बनाकर तथा अपने रक्त का तेल बनाकर इस दीपक को जलाकर प्रभु का दर्शन करना चाहते हैं।

प्रश्न 21.
ईश्वर भक्ति को कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
अह्म त्याग कर।

प्रश्न 22.
मानव जीवन ……………… है ।
उत्तर:
नश्वर।

प्रश्न 23.
आजकल वास्तविक रूप में कौन जी रहा है ?
उत्तर:
जो भेद बुद्धि में नहीं पड़ता।

प्रश्न 24.
सत्संगति मनुष्य के दोषों को किस में बदलती है ?
उत्तर:
गुणों में।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 25.
कबीर के अनुसार विषय-वासनाओं को जड़ से काट कर ………. को स्वच्छ करना चाहिए।
उत्तर:
मन।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संत कबीर के गुरु कौन थे ?
(क) मस्तराम
(ख) भावानंद
(ग) रामानंद
(घ) रामदास।
उत्तर:
(ग) रामानंद

प्रश्न 2.
संत कबीर की समाधि कहां स्थित है ?
(क) मगहर में
(ख) काशी में
(ग) इलाहाबाद में
(घ) वाराणसी में।
उत्तर:
(क) मगहर में\

प्रश्न 3.
सतगुरु जी ने कबीर जी को कौन-सा दीपक प्रदान किया ?
(क) ज्ञान
(ख) ध्यान
(ग) प्राण
(घ) संज्ञान।
उत्तर:
(क) ज्ञान

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

प्रश्न 4.
संत कबीर किस भक्ति को मानते थे ?
(क) सगुण
(ख) निर्गुण
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) निर्गुण

प्रश्न 5.
संत कबीर ने परमात्मा को किसमें विराजमान बताया है ?
(क) घट-घट में
(ख) मन में
(ग) प्राण में
(घ) आत्मा में।
उत्तर:
(क) घट-घट में।

साखी सप्रसंग व्याख्या

1. मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारंबार।
तरवर थें फल झड़ि पड़या, बहुरि न लागै डार॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मनिषा = मानव का, मनुष्य का। दुर्लभ = आसानी से प्राप्त न होने वाला। देह = शरीर । तरवर = वृक्ष। बहरि = फिर से। डार = डाली।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने मनुष्य जन्म बार-बार न मिलने की बात कही है।

व्याख्या:
कबीर जी कहते हैं कि मनुष्य जन्म बड़ा दुर्लभ है। यह आसानी से प्राप्त होने वाला नहीं है (समाज में मान्यता है कि यह चौरासी लाख योनि भोगने के बाद मिलता है)। जैसे जब वृक्ष से फल झड़ जाता है तो वह फिर डाली से नहीं लगता है। उसी प्रकार एक बार मानव शरीर प्राप्त होने पर फिर नहीं मिलता है।

विशेष:

  1. इस साखी में कबीर जी कहते हैं कि मानव जन्म सरलता से प्राप्त नहीं होता, इसलिए उसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।
  2. भाषा सरल, सहज सधुक्कड़ी है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. दोहा छन्द का सुन्दर प्रयोग है। शैली उपदेशात्मक है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

2. कबीर कहा गरबियौ, काल गहै कर केस।
न जाणै कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस॥

कठिन शब्दों के अर्थ : कहा = क्या। गरबियौ = अभिमान करता है। काल = मृत्यु। गहै = पकड़ रखे हैं। कर = अपने हाथों में। केस = बाल।
प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में मानव जीवन की अनिश्चितता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि इस शरीर पर क्या अभिमान करते हो! यह तो क्षण भर में मिट जाने वाला है। यह मृत्यु को प्राप्त होने वाला है। मृत्यु ने जीव को बालों से पकड़ रखा है, पता नहीं वह उसे कहाँ मारेगी। उसके अपने घर में ही या फिर परदेस में। वह उसे कहीं भी मार सकती है।

विशेष :

  1. इस साखी में कबीर जी ने मनुष्य को जीवन की नश्वरता के विषय में बताया है। मानव जीवन नश्वर है उस पर अभिमान नहीं करना चाहिए।
  2. ‘काल’ का मानवीकरण किया गया है। अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा, सरल, सरस और स्वाभाविक है।
  4. माधुर्य गुण है। दोहा छन्द है। शैली उपदेशात्मक है।

3. प्रेम न खेतौं नीपजै, प्रेम न हाटि बिकाइ।
राजा प्रजा जिस रुचै, सिर दे सो ले जाइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ : प्रेम = ईश्वर भक्ति। नीपजै = पैदा होती है। हाटि = दुकान पर। रुचै = अच्छा लगे। सिर देना = अहं का त्यागना।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित साखी में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने अहं को त्यागने पर ही ईश्वर की भक्ति मिलने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि प्रेम अर्थात् ईश्वर भक्ति न तो खेतों में पैदा होती है और न ही दुकान पर बिकती है। राजा हो चाहे प्रजा, जिस किसी को भी यह प्रेम रूपी ईश्वर भक्ति चाहिए वह अपना सिर देकर तथा अपना अहं त्याग कर इसे प्राप्त कर सकता है। भाव यह है कि ईश्वर की भक्ति उसे ही प्राप्त होती है जो आत्म-त्याग करता है, अपने अहं को नष्ट कर देता है।

विशेष:

  1. इस साखी में कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति उसे ही प्राप्त होती है जो आत्म-त्याग करता है, अपने अहंकार को नष्ट करता है।
  2. भाषा सरल और भावपूर्ण है।
  3. माधुर्य गुण का प्रयोग किया गया है।
  4. दोहा छन्द है। शैली उपदेशात्मक है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

4. साइं सूं सब होत है बंदे थें कछु नांहि।
राई 3 परबत करै, परबत राई मांहि॥

कठिन शब्दों के अर्थ : साई = स्वामी, ईश्वर । बंदे = मनुष्य। परबत = पर्वत, पहाड़।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ईश्वर को सर्वशक्तिमान बताया है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर सब कुछ करने में समर्थ है क्योंकि वह सर्वशक्तिमान है, मनुष्य से कुछ नहीं हो सकता। ईश्वर चाहे तो राई को पर्वत बना सकता है और पर्वत को राई। भाव यह है कि ईश्वर छोटे या तुच्छ को बड़ा या महान् बनाने की शक्ति रखता है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है। सभी काम उनकी इच्छानुसार होता है।
  2. अनुप्रास अलंकार का सहज प्रयोग किया गया है।
  3. भाषा सरल सहज सधुक्कड़ी है। तत्सम शब्दावली की अधिकता है।
  4. दोहा छन्द है। माधुर्य गुण है। शैली उपदेशात्मक है।

5. ऐसी बाणी बोलिये, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन को सुख होई॥

कठिन शब्दों के अर्थ : आपा = अहंकार।खोइ = दूर कर, नष्ट करके। तन = शरीर। सीतल = ठंडा। औरन = दूसरों को।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित साखी में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में मधुर वाणी के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि मनुष्य को अपना अहंकार (अहं भाव) त्याग कर ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे मनुष्य के शरीर को तो शीतलता प्राप्त हो ही साथ में दूसरों को भी अर्थात् सुनने वालों को भी सुख मिले। भाव यह है कि मनुष्य को सदा मधुर वचन कहने चाहिएँ इनसे अपने को तथा दूसरों को सुख मिलता है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि मनुष्य को सदा मधुर वचन बोलने चाहिए। ऐसा करने से उसे स्वयं को तो सुख मिलता है साथ ही वह दूसरों को भी सुख प्रदान करते है।
  2. भाषा सरल, सहज सधुक्कड़ी है। तत्सम और तद्भव शब्दावली का प्रयोग है।
  3. दोहा छन्द का सुन्दर प्रयोग है।
  4. प्रसाद गुण अभिधा शब्द शक्ति और शांत रस ने कथन को सरलता और सहजता प्रदान की है। अर्थान्तरन्यास अलंकार हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

6. कबीर औगुण ना गहै गुण ही को ले बीनि।
घट-घट महु के मधुप ज्यों, पर आत्म ले चीन्हि ।।

कठिन शब्दों के अर्थ : औगुण = अवगुण, बुरी बातें। गहै = ग्रहण करें, ध्यान दें। बीनि = चुन लें, ग्रहण कर लें। घट-घट = प्रत्येक शरीर, फूल। महु = मधु, शहद। मधुप = भँवरा। चीन्हि = चुन लो, पहचान लो।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में गुणों का संग्रह कर, अहं को त्याग कर ईश्वर को पहचानने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी मनुष्य को सलाह देते हुए कहते हैं कि तुम अवगुणों को न ग्रहण करो। केवल गुणों को ही चुनो तथा उन्हें ही ग्रहण करो। जैसे भँवरा प्रत्येक फूल में से शहद प्राप्त करता है उसी प्रकार प्रत्येक शरीर में विद्यमान तुम उस ईश्वर को चुनो, पहचान लो। भाव यह है कि ईश्वर का आनंद स्वरूप मधु के समान है जिसे मनुष्य को जगत् के दुःखों एवं अहं से अलग कर पहचानना चाहिए।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी कहते है कि मनुष्य ईश्वर के स्वरूप को तभी पहचान सकता है जब वह अहं तथा मोह का त्याग करता है।
  2. अनुप्रास तथा उदाहरण अलंकारों का प्रयोग है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। तत्सम तथा तद्भव शब्दावली है।
  4. प्रसाद गुण और अभिधा शब्द शक्ति ने कथन को सरलता और सरसता प्रदान की है।

7. हिन्दू मूये राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, दुह में कदे न जाइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
मूये = नष्ट हो रहे हैं। सो जीवता = वही जी रहा है। दुह = दुविधा, भेद । कदे न = कभी नहीं।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने राम और खुदा में भेद न कर सच्चे ईश्वर को पहचानने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू अवतारी राम में आस्था रखकर और मुसलमान खुदा में आस्था रखकर नष्ट हो गए। कबीर जी कहते हैं वास्तव में वही व्यक्ति जीवित रहा है जो इस भेद-बुद्धि में नहीं पड़ता, जो राम और खुदा के भेद में न पड़ कर सच्चे ईश्वर को पहचानता है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि ईश्वर को पाने के लिए, पहचानने के लिए मनुष्य को राम खुदा के भेद से ऊपर उठना होगा।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव है कि परमात्मा घट-घट में समाया हुआ है वह केवल ‘राम’ या ‘अल्लाह’ नामों में छिपा हुआ नहीं है। उसे हर कोई प्राप्त कर सकता है।
  2. अनुप्रास अलंकार का सहज प्रयोग है।
  3. अभिधा शब्द शक्ति के प्रयोग ने कवि के कथन को सरलता और सहजता प्रदान की है।
  4. प्रसाद गुण और शांत रस विद्यमान है। गेयता का गुण है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

8. कबीर खाई कोट की, पाणी पिवै न कोई।
जाइ मिलै जब गंग मैं, तब सब गंगोदक होइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ : कोट = किला, दुर्ग। गंगोदक = गंगा-जल।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी के सत्संगति के प्रभाव का वर्णन किया है, जो व्यक्ति के अनेक दोषों को दूर कर देती है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि दुर्ग के चारों ओर बनी खाई का पानी कोई नहीं पीता। वह पानी अपवित्र माना जाता है। किन्तु वही पानी जब गंगा नदी में जा मिलता है तो गंगा-जल बन जाता है, पवित्र हो जाता है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि सत्संगति भी इसी तरह मनुष्य के दोषों को दूर कर उन्हें गुणों में बदल देती है।

विशेष :

  1. इस साखी में कबीर जी का भाव यह है कि सत्संगति मनुष्य के दोषों को दूर करके उसे गुणों में बदल देती है।
  2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सधुक्कड़ी है।
  4. प्रसाद गुण और शांत रस विद्यमान है।

9. केसौं कहा बिगाड़िया, जो मुंडै सौ बार।
मन को काहे न मुंडिए, जामैं विषै विकार॥

कठिन शब्दों के अर्थ : केसौं= बालों को। मूंडे = काटता है। विषै विकार = विषय वासनाएँ और उनके दोष। जामैं = जिसमें।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी मन में व्याप्त विषय वासनाओं को त्यागने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि इन बालों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो तुम इन्हें सौ बार-बार अर्थात् बार-बार काटते हो। काटना ही है तो अपने मन को काटो जिस में अनेक प्रकार की विषय वासनाएँ और उनके दोष भरे पड़े हैं। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि इन विषय वासनाओं को जड़ से काटकर अपने मन को स्वच्छ (निर्मल) क्यों नहीं करते। वास्तव में मन ही मूंडने के योग्य है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि मनुष्य को विषय-वासनाओं को समाप्त करके मन को साफ़ बनाना चाहिए।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. दोहा छन्द है। लाक्षणिकता ने भाव गहनता को प्रकट किया है।
  4. भाषा सरल, सहज एवं सधुक्कड़ी है। शांत रस है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

10. पर नारी पर सुन्दरी, विरला बचै कोइ।
खातां मीठी खाँड सी, अंति कालि विष होई॥

कठिन शब्दों के अर्थ :पर नारी = दूसरे की स्त्री। पर सुन्दरी = दूसरे की प्रेमिका। विरला = कोई-कोई। खातां = खाने में, भोगने में। अंति कालि = अंतिम समय में, परिणामस्वरूप।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने विषयी जीव के सहज स्वभाव का चित्रण किया है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि दूसरे की स्त्री और दूसरे की प्रेमिका की ओर आकृष्ट होने से कोई-कोई बच सकता है सभी उनकी ओर आकृष्ट होते हैं, किन्तु वह खाने में, भोग में खांड के समान मीठी अवश्य लगती है, पर अंतिम समय में (बाद में) वे विष के समान, घातक सिद्ध होती है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि विषयी जीव स्वाभाविक रूप से हानिकारक होते हैं।

विशेष :

  1. इस साखी में कबीर जी के कहने का है कि विषय-वासनाओं डूबे हुए व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हानिकारक होते हैं।
  2. उपमा अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सरल, सहज तथा सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण और शांत रस विद्यमान है।

11. कबीर सो धन संचियै, जो आगै कू होइ।
सीस.चढायै पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ : संचियै = जोड़िए, इकट्ठा कीजिए। आगे कू = आगे के लिए अर्थात् परलोक के लिए। चढ़ाये = चढ़ाकर, रख कर।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ऐसे धन को एकत्र करने के लिए कहा जो परलोक में भी काम आ सके।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि व्यक्ति को ऐसा धन एकत्र करना चाहिए जो परलोक में भी उसके काम आ सकेयह धन, ज्ञान और ईश्वर भक्ति का ही है। क्योंकि सांसारिक धन की पोटली को सिर पर रखकर तो किसी को ले जाते हुए नहीं देखा। यहाँ का धन यहीं रह जाता है जबकि ज्ञान और भक्ति रूपी धन व्यक्ति के साथ परलोक में भी जाता है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि हमें ज्ञान और भक्ति रूपी धन को जोड़ने का प्रयत्न करना चाहिए।

विशेष :

  1. इस साखी में कबीर जी के कहने का भाव यह है कि हमें सत्कर्म रूपी धन का संचय करना चाहिए। यह धन ही मनुष्य के साथ आगे जाएगा।
  2. रूपक अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा शांत रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

12. गोधन, गजधन, बाजिधन और रतन धन खान।
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
गोधन = गऊओं का धन । गजधन = हाथियों का धन। बाजिधन = घोड़ों का धन। खान – भंडार। धूरि समान = धूल के समान।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने संतोष रूपी धन को सब प्रकार के धनों से बड़ा बताया है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि व्यक्ति के पास गऊओं का धन भी हो सकता है, हाथियों और घोड़ों का धन भी हो सकता है तथा बहुत से रत्नों का भंडार भी हो सकता है किन्तु जब व्यक्ति के पास संतोष रूपी धन आ जाता है तो उपर्युक्त सभी धन धूल के समान व्यर्थ हो जाते हैं। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि संतोष रूपी धन के सामने संसार के दूसरे धन फीके पड़ जाते हैं।

विशेष :

  1. इस साखी में कबीर जी का भाव यह है कि जब मनुष्य के पास संतोष रूपी धन आ जाता है तो उसके सामने संसार के सभी धन फीके पड़ जाते हैं।
  2. रूपक अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा शांत रस विद्यमान है।

13.राम रसाइन प्रेम रस, पीवत अधिक रसाल।
कबीर पीवत दुर्लभ है, मांगै सीस कलाल॥

कठिन शब्दों के अर्थ : रसाइन = रसायन, रस। रसाल = मीठा। दुर्लभ = आसानी से प्राप्त न होने वाला। कलाल = शराब (रस) बेचने वाला—यहाँ भाव गुरु से है।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ईश्वर भक्ति के रस को सब रसों से श्रेष्ठ बताया है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर के प्रति प्रेम भक्ति का रस ऐसा रसायन है जो मनुष्य में आमूल परिवर्तन करके उसमें नवजीवन का संचार करता है। यह रस पीने में बहुत अधिक मीठा होता है किन्तु इस रस का मिलना आसान नहीं है। क्योंकि इस रस को बेचने वाला कलाल रूपी गुरु इस रस का मूल्य सिर माँगता है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि जब तक जीव गुरु रूपी कलाल के सामने अपने अहंकार आदि को त्याग कर पूर्ण रूप से उनके प्रति समर्पित नहीं करता तब तक गुरु उसे प्रेम रस का पान नहीं कराता अथवा जीव उस प्रेम रस का पान नहीं कर पाता।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि जब तक मनुष्य अपने गुरु के सामने अपना अहंकार त्याग कर पूर्ण रूप से समर्पित नहीं हो जाता तब उसे ईश्वर भक्ति का रस प्राप्त नहीं हो सकता।
  2. अनुप्रास तथा उदाहरण अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। तत्सम तथा तद्भव शब्दावली है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा शांत रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

14. सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥

कठिन शब्दों के अर्थ : सुखिया = सुखी। खावै = खाता है।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबार जी ने विषय वासना से दूर रहने पर अपने दुःखी होने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि विषय वासनाओं में लीन संसार सुखी है। वह खाता है और सो जाता है, हर प्रकार से निश्चित है। किन्तु मैं कबीर, जो विषय वासनाओं से दूर रहता हूँ, दुःखी हूँ और रोता हूँ। क्योंकि मुझे प्रभु के प्रति प्रेमरस की प्यास है। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि ईश्वर से विरह के कारण तो तड़पन है वह उन्हें दुःखी करती है और रुलाती है।

विशेष :

  1. कबीर जी का भाव यह है कि मोह-माया से दूर होकर भी कई बार दुःख का अनुभव होता है उसका कारण ईश्वर प्रेम को प्राप्त करना है।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा करुण रस विद्यमान है।

15. बासुरि सुख ना रैणि सुख, ना सुख सुपिनै, माहिं।
कबीर बिछुरया राम , न सुख धूप न छाँहिं॥

कठिन शब्दों के अर्थ : बासुरि = दिन। रैणि = रात । माहि = में।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने कहा है कि प्रभुभक्ति से विमुख व्यक्ति को कहीं भी सुख नहीं प्राप्त हो सकता।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर भक्ति से विमुख होने वाले व्यक्ति को न दिन में सुख मिल सकता है और न ही रात में। उसे तो सपने में भी सुख नहीं मिलता। कबीर जी कहते हैं कि राम से बिछुड़ने वाले जीव को न तो धूप में सुख मिलता है और न ही छाया में। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि ईश्वर भक्ति से विमुख व्यक्ति को संसार में कहीं भी सुख नहीं मिलता।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि प्रभु के बिना किसी को कहीं भी सुख प्राप्त नहीं होता है।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छंद है। प्रसाद गुण तथा करुण रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

16. पीछे लागा जाइ था, लोक बेद के साथि।
आगै थै सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि॥

कठिन शब्दों के अर्थ : लोक बेद = लोकाचार और वेदाचार, संसार और वेद द्वारा बताया मार्ग। दीया = दे दिया।

प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने सद्गुरु के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि मैं लोकाचार और वेदाचार को मानता हुआ, उनका अंधानुकरण करता हुआ अज्ञान के अंधकार में भटक रहा था, सौभाग्यवश आगे से (रास्ते में) मुझे सद्गुरु मिल गए, उन्होंने मुझ जिज्ञासु को ज्ञान रूपी दीपक हाथ में थमा दिया। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि गुरु ज्ञान के दीपक ने ही मुझे ईश्वर भक्ति की राह दिखाई।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी का भाव यह है कि गुरु ज्ञान के बिना ईश्वर भक्ति की प्राप्ति संभव नहीं है। इसीलिए मानव जीवन में गुरु का विशेष महत्त्व है।
  2. अनुप्रास तथा रूपक अलंकार का प्रयोग है।
  3. भाषा सरल, सहज तथा सधुक्कड़ी है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा शान्त रस विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

17. लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि।
चींटी लै सक्कर चली, हाथि से सिर धूरि॥

कठिन शब्दों के अर्थ : लघुता = छोटापन। प्रभुता = बड़प्पन । सक्कर = खांड। धूरि = धूल।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने छोटे बनने पर ही बड़प्पन को प्राप्त होने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि छोटा बनने पर ही बड़प्पन मिलता है जब बड़प्पन दर्शाने वाले व्यक्ति से प्रभु दूर ही रहते हैं। प्रभु छोटे, विनम्र व्यक्तियों को ही मिलते हैं जैसे चींटी छोटी होने पर भी खांड को लेकर चलती है और हाथी, जो अपने को बड़ा समझता है, उस के सिर में धूल पड़ती है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत साखी में कबीर जी के कहने का भाव यह है कि विनम्र स्वभाव वाले व्यक्ति को ही प्रभु भक्ति की प्राप्ति होती है और बड़प्पन दिखाने वाले व्यक्ति से प्रभु दूर ही रहते हैं।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। तत्सम तथा तद्भव शब्दावली की अधिकता है।
  4. दोहा छन्द है। प्रसाद गुण तथा शान्त रस है, गेयता का गुण विद्यमान है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

सबद सप्रसंग व्याख्या

1. हरि जननी मैं बालक तेरा।
काहे न औगुण बकसहु मेरा ॥ टेक॥
सुत अपराध करै दिन केते, जननी के चित रहें न तेते॥
कर गहि केस करै जो घाता, तऊ न हेत उतारै माता॥
कहै कबीर एक बुधि बिचारी, बालक दुखी दुखी महतारी॥

कठिन शब्दों के अर्थ :
हरि = परमात्मा। जननी = माता। औगुण = अवगुण । बकसहु = क्षमा करते हो। सुत = पुत्र । केते = कितने ही। तेते = किसी का भी। कर गहि = हाथों से पकड़ कर। घाता = चोट करता है। हेत = स्नेह। न उतारे = नहीं त्यागती।

प्रसंग :
प्रस्तुत सबद संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत सबद में परमात्मा को माता के रूप में मान कर अपने अपराध क्षमा करने की प्रार्थना की है।

व्याख्या :
कबीर जी परमात्मा को माता मानते हुए कहते हैं कि हे प्रभु! आप मेरी माता हैं और मैं आप का पुत्र हूँ। इसलिए आप मेरे अपराधों को क्षमा क्यों नहीं करते ? पुत्र चाहे कितने ही अपराध करे, माता का मन उनमें से किसी का भी बुरा नहीं मानता। भले ही हाथों से उसके बाल खींचकर पुत्र उसे चोट पहुँचाए तो भी माता पुत्र के प्रति अपने स्नेह को नहीं त्यागती। कबीर जी कहते हैं कि मेरे हृदय में यही विचार बैठ गया है कि यदि बालक को कोई भी कष्ट होता है तो माता अपने आप दुःखी हो जाती है। कबीर जी ने परमात्मा को माता इसलिए कहा है कि पिता की अपेक्षा माता से बालक अपनी बात जल्दी मनवा लेता है। माता का स्नेह पुत्र के प्रति पिता से अधिक होता है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत सबद में कबीर जी का भाव यह है कि परमात्मा माता का रूप है। पिता की अपेक्षा माता बालक की बात जल्दी मान जाती है तथा उस पर अपनी कृपा दृष्टि भी बनाए रखती है।
  2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
  3. तद्भव शब्दावली का प्रयोग अधिकता से किया है। लयात्मकता का गुण विद्यमान है।
  4. प्रसाद गुण, अभिधा शब्द शक्ति और शांत रस ने कथन को सरलता और सहजता प्रदान की है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 1 साखी

रमैणी सप्रसंग व्याख्या

1. तू सकल गहगरा, सफ सफा दिलदार दीदार।
तेरी कुदरति किनहुँ न जानीं, पीर मुरीद काजी मुसलमांनीं।
देवी देव सुर नर गण गंध्रप ब्रह्म देव महेसर।

कठिन शब्दों के अर्थ :
सकल गहगरा = सर्वशक्तिमान । सफ सफा = उज्ज्वल और स्वच्छ। दिलदार = प्रिय रूप। दीदार = स्वरूप। मुरीद = शिष्य, जिज्ञासु। काजी = न्यायकर्ता। गंध्रप = गंधर्व। महेसर = महादेव, शिवजी।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘रमैणी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में कबीर जी ने ईश्वर के सर्वशक्तिमान होने तथा उसकी माया को न समझ सकने की बात कही है।

व्याख्या :
कबीर जी कहते हैं कि हे ईश्वर! आप सर्वशक्तिमान हो। तुम्हारा स्वरूप परम प्रिय, स्वच्छ एवं उज्ज्वल है। किसी ने भी तुम्हारी माया को नहीं समझा। मुसलमानों में पीर, शिष्य, काजी (न्यायकर्ता) तथा हिन्दुओं के देवी-देवता मनुष्य, गण, गंधर्व, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव भी तुम्हारी माया को नहीं समझ सके। कबीर जी के कहने का भाव यह है कि कोई भी चाहे हिन्दू को चाहे मुसलमान ईश्वर की प्रकृति को समझ नहीं सका है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत रमैणी में कबीर जी ने कहा कि ईश्वर सर्व शक्तिमान है उसकी माया को चाहे हिन्दू हो या मुसलमान कोई भी समझ नहीं सका है।
  2. अनुप्रास अलंकार है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सधुक्कड़ी है।
  4. प्रसाद गुण तथा शान्त रस है। गेयता का गुण विद्यमान है।

कबीर वाणी Summary

कबीर वाणी जीवन परिचय

भक्ति-काल की निर्गुण भक्ति-धारा के सन्त कवियों में कबीरदास का नाम विशेष सम्मान से लिया जाता है। इनके जन्म सम्वत् तथा स्थान को लेकर मतभेद है। अधिकांश विद्वान् इनका जन्म सम्वत् 1455 ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (सन् 1398) को मानते हैं। इनका पालन-पोषण जुलाहा परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम नीरू तथा माता का नाम नीमा था। इन की पत्नी का नाम लोई था। इनके कमाल नामक पुत्र तथा कमाली नामक पुत्री थी। कबीर जी की शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई थी परन्तु इन्हें अन्तर्ज्ञान था। इनके गुरु का नाम स्वामी रामानन्द था। साधु-संगति, गुरु-महत्त्व तथा जीवन में सहज प्रेमानुभूति की विशेष स्थिति इनकी रचनाओं में मिलती है। इनका देहावसान सम्वत् 1575 (सन् 1518) में काशी के निकट मगहर में हुआ। इनके शिष्य हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। इसलिए काशी के निकट मगहर में इन की समाधि और मकबरा दोनों विद्यमान हैं।

कबीर ने स्वयं किसी ग्रन्थ की रचना नहीं की थी। इन की साखियों और पदों को इनके शिष्यों ने संकलित किया था। इनके उपदेश ‘बीजक’ नामक रचना में साखी, सबद और रमैणी तीन रूप में संकलित हैं। कबीर की कुछ उलटबांसियों का भी उल्लेख मिलता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में भी कबीर की वाणी सुशोभित है। कबीर को सधुक्कड़ी भाषा का कवि कहा जाता है। इन की भाषा में ब्रज, अवधी, खड़ी बोली, बुंदेलखंडी, भोजपुरी, पंजाबी तथा राजस्थानी भाषाओं के अनेक शब्द प्राप्त होते हैं। कबीर की शैली में एक सपाट-स्पष्ट सी बात करने की क्षमता है। अलंकारों की सहजता के साथ लोकानुभव की सूक्ष्मता, सत्यता, वचन-वक्रता और गेयता के गुण इनकी शैली में हैं।

साखी का सार

संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी आस्था के भावों को प्रकट करते हुए माना है कि मानव जन्म मिलना बहुत दुर्लभ है। यह शरीर नाशवान है इसलिए इस पर अहंकार नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अहं त्याग कर प्रेम से रहना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है वही सब कुछ करने वाला है। कबीर जी मनुष्य को मधुर वाणी बोलने का उपदेश देते हैं। हमें परमात्मा के नाम में भेदभाव करने से मना करते हैं क्योंकि परमात्मा का स्वरूप एक है। मनुष्य को अपने मन को साफ रखना चाहिए। उसे छोटे-बड़े में भेद नहीं करना चाहिए। कई बार बड़ी वस्तु की अपेक्षा छोटी वस्तु अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतीत होती है। मनुष्य को सत्कर्म रूपी धन का संचय करना चाहिए। यही धन मनुष्य के अंत समय में साथ जाता है। सदगुरु ही मनुष्य को सद्मार्ग दिखाते हैं। अहं का त्याग करना तथा गुरुओं की वाणी का आदर करना सिखाते है। जीवन में दुःख-सुख सभी आते-जाते रहते हैं परन्तु हमें प्रभु भक्ति को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।

सबद का सार

निर्गुण-भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि वे प्रभु के पुत्र हैं। वे प्रभु को माँ रूप में तथा स्वयं को पुत्र रूप में मानते हैं। इस सम्बन्ध से आत्मा-परमात्मा को अनन्य सम्बन्ध की सृष्टि की गई है। कबीर जी मानते हैं कि वे एक छोटे बालक हैं। माँ बच्चों के अपराध क्षमा कर देती है। माँ स्नेह का पात्र होती है जिसमें अपने बच्चों के लिए प्यार होता है। वह अपने बच्चों को कभी भी दु:खी नहीं देख सकती। इसलिए वह मेरे सभी अपराध क्षमा करके मुझे अपनी शरण में ले।

रमैणी का सार

निर्गुण भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि ईश्वर का कोई रूप नहीं है वह सर्वशक्तिमान है। उनके स्वरूप को किसी ने नहीं समझा है। हिन्दू और मुसलमान भी ईश्वर के साकार रूप में भटक रहे हैं। वे ईश्वर की माया को समझ नहीं पा रहे हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

Hindi Guide for Class 6 PSEB जाह्नवी की डायरी Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

शब्दार्थ

अद्धनारीश्वर = शिव का वह रूप जिसमें आधा भाग पार्वती का होता है, शिव-पार्वती का संयुक्त रूप
स्मरण = याद करना
विवरण = विस्तार से
मुख्यालय = मुख्य कार्यालय
शिलाखंड = चट्टान
सुशोभित = सुंदर लगना
विराजमान = विद्यमान
शिल्प = कला
गाइड = यात्रियों को किसी नगर के दर्शनीय स्थान दिखाने वाला
द्वीप = स्थल का वह भाग जिसके चारों ओर समुद्र हो
स्टीमर = भाप से चलने वाला छोटा जहाज़
म्यूज़ियम = अजायबघर, संग्रहालय
भव्यता = विशालता
कलात्मकता = बारीकी, महीनता
गौरवशाली = गौरवयुक्त, सम्मानित
रोमांचित = आनंदित
कुंड = तालाब-जैसा

लिंग बदलो

1. हाथी = …………….
2. राजा = …………..
3. भाई = ……………
4. चाचा = …………….
उत्तर:
1. हाथी = हथिनी।
2. राजा = रानी
3. भाई = भाभी।
4. चाचा = चाची।

वचन बदलो

1. रात = …………….
2. इमारत = …………….
3. गुफा = …………….
4. मूर्ति = …………….
5. स्थल = …………….
6. द्वीप = …………….
7. परिन्दा = …………….
8. लहर = …………….
9. हाथी = …………….
उत्तर:
1. रात = रातें।
2. इमारत = इमारतें।
3. गुफा = गुफ़ाएं।
4. मूर्ति = मूर्तियाँ।
5. स्थल = स्थलों।
6. द्वीप = द्वीपों।
7. परिन्दा = परिन्दें।
8. लहर … = लहरें।
9. हाथी = हाथियों।

विपरीतार्थक शब्द लिखो

1. पूर्व = ……………….
2. सोना = ……………….
3. रात = ……………….
4. उतार = ……………….
5. पीछे = ……………….
6. धीरे = ……………….
7. विशाल = ……………….
उत्तर:
1. पूर्व = पश्चात्।
2. सोना = जागना।
3. रात = दिन।
4. उतार = चढ़ाव।
5. पीछे = आगे।
6. धीरे = जल्दी।
7. विशाल = लघु।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

पयार्यवाची शब्द लिखो

1. चट्टान = …………
2. पर्वत = ……………..
3. परिंदा = …………….
4. लहर = ……………….
5. गंगा = …………
6. शिव = ……………….
7. पार्वती = …………….
उत्तर:
1. चट्टान = शिला।
2. पर्वत = पहाड़।
3.  परिंदा = पक्षी।
4. लहर = तरंग।
5. गंगा = भागीरथी।
6. शिव = महादेव।
7. पार्वती = उमा।

वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो

1. देखने योग्य …………….
2. आकाश को छूने वाला ……………..
3. जिसका पार न पाया जा सके ………………
4. मन मोहने वाला ……………….
5. जिस भवन में विचित्र चीज़ों का संग्रह किया जाता है ……………….
6. घूमने के शौकीन ……………….
7. कला से भरपूर ………………..
8. अन्दर जाने का द्वार …………………
9. मुख्य कार्यालय ……………….
10. ऐसा भूमिखण्ड जो चारों तरफ से समुद्र से घिरा हो ………………….
उत्तर:
1. देखने योग्य = दर्शनीय।
2. आकाश को छूने वाला = गगनचुम्बी।
3. जिसका पार न पाया जा सके =
4. मन मोहने वाला = मनमोहक।
5. जिस भवन में विचित्र चीजों का . संग्रह किया जाता है = अजायबघर।
6. घूमने के शौकीन = घुमक्कड़ / पर्यटक।
7. कला से भरपूर = कलात्मक।
8. अन्दर जाने का द्वार = प्रवेश द्वार।
9. मुख्य कार्यालय = मुख्यालय।
10. ऐसा भूमिखण्ड जो चारों तरफ से समुद्र से घिरा हो = द्वीप।

भाववाचक संज्ञा बनाओ

1. स्मरण = ………………
2. दर्शन = ………………
3. महान् = ………………
4. बैठना = …………………
5. लिखना = ………………….
6. चलना = ……………….
7. सूक्ष्म = ………………

उत्तर:
1. स्मरण = स्मरणीय।
2. दर्शन = दर्शनीय।
3. महान् = महानता।
4. बैठना = बैठक।
5. लिखना = लिखाई।
6. चलना = चल।
7. सूक्ष्म = सूक्ष्मता।

शुद्ध करो

1. मूरती = ………….
2. चंडीगड़ = ………………..
3. सुशोभीत= …………………
4. समाधी = ………………..
5. समरण = ……………..
6. रफतार = ……………
7. अर्धनारीश्वर = …………….
उत्तर-
1. मूरती = मूर्ति।
2. चंडीगड़ = चंडीगढ़।
3. सुशोभीत= सुशोभित।
4. समाधी = समाधि।
5. समरण = स्मरण।
6. रफतार = रफ्तार।
7. अर्धनारीश्वर =अर्द्धनारीश्वर।

वाक्यों में प्रयोग करो

द्वीप, मूर्ति, अतीत, खूबसूरत, अनूठा, द्वार, आनन्द, गुफा, समाधि, बुत।
उत्तर:
द्वीप – हम छुट्टियों में लक्षद्वीप घूमने गए थे।
मूर्ति – मन्दिर में विष्णु जी की विशाल मूर्ति है।
अतीत – हमें अपने अतीत से सबक सीखना चाहिए।
खूबसूरत – यह बागीचा बहुत खूबसूरत है।
अनूठा – हमने एक अनूठा कुंड देखा।
द्वार – ‘गेट वे ऑफ इंडिया’ भारत का प्रवेश द्वार कहलाता है।
आनन्द- आपसे मिलकर मुझे आनन्द आया।
गुफा- शेर गुफा में रहता था।
समाधि- यह वीरों का समाधिस्थल है।
बुत- गुफ़ाओं के मुख्य द्वार पर हाथियों के बुत बनाए गए थे।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

सर्वनाम किसे कहते हैं ? पुरुष वाचक सर्वनाम का परिचय दें। 
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। मैं, मेरा, हम, उन्हें, वह शब्द सर्वनाम हैं। उदाहरण-जाह्नवी ने अपनी चाची से कहा, मैं आपके यहाँ मुंबई आ रही हूँ।
इस वाक्य में जाह्नवी (संज्ञा) ने अपने लिए ‘मैं’ और अपनी चाची (संज्ञा) के लिए ‘आपके’ शब्द का प्रयोग किया है। अतः यहां मैं और आपके शब्द सर्वनाम हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम यहाँ पर बोलने वाला अपने लिए जैसे ‘मैं’ ‘मुझे’, (उत्तम पुरुष) सुनने वाले के लिए जैसे ‘तू’, ‘तुम’, ‘तुम्हें’ (मध्यम पुरुष) और अन्य के लिए ‘वह’, ‘वे’ ‘उसे’ ‘उन्हें’ आदि (अन्य पुरुष) सर्वनामों का प्रयोग करता है। अतः इन्हें पुरुष वाचक सर्वनाम कहते हैं।

विचार-बोध

(क)प्रश्न 1.
जाह्नवी को किसका शौक है ? वह प्रतिदिन सोने से पूर्व क्या करती
उत्तर:
जाह्नवी को डायरी लिखने का शौक है। वह प्रतिदिन सोने से पूर्व डायरी लिखती है।

प्रश्न 2.
जाह्नवी घूमी जगहों का वर्णन डायरी में क्यों करती है ?
उत्तर:
डायरी उसे यात्रा के हर पल का स्मरण कराती है, इसीलिए वह घूमी हुई जगहों का वर्णन अपनी डायरी में करती है।

प्रश्न 3.
वह मुंबई में कहाँ-कहाँ घूमी ?
उत्तर:
वह मुंबई में ग्लोरिया चर्च, मरीन ड्राईव, तारापोर वाला एक्वेरियम, गिरगाँव, चौपाटी, बूट हाउस, हैंगिग गार्डन, श्री महालक्ष्मी मन्दिर, हाजी अली, नेहरू सैंटर प्लेनेटेरियम, सिद्धि विनायक मन्दिर, जुहू बीच, इस्कान मन्दिर आदि स्थानों पर घूमी।

प्रश्न 4.
जाह्नवी को स्टीमर में बैठकर कैसा लग रहा था ?
उत्तर:
जाह्नवी को स्टीमर में बैठकर समुद्र मनमोहक लग रहा था।

प्रश्न 5.
एलीफेंटा द्वीप का नाम ‘एलीफेंटा’ कैसे पड़ा ?
उत्तर:
एलीफेंटा की गुफ़ाओं के मुख्य द्वार पर हाथियों के बुत बनाए गए थे। क्योंकि हाथी को अंग्रेज़ी में ‘एलीफेंट’ कहते हैं। इसीलिए पहले इन गुफ़ाओं का नाम और बाद में धीरे-धीरे इस द्वीप का नाम भी ऐलीफेंटा द्वीप पड़ गया।

प्रश्न 6.
एलीफेंटा गुफाओं में किन-किन की मूर्तियाँ हैं ?
उत्तर:
एलीफेंटा की गुफ़ाओं में शिव और पार्वती तथा रावण के कैलाश पर्वत को उठाने वाली मूतियाँ हैं।

(ख)प्रश्न 1.
जाहनवी की मुंबई यात्रा का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर:
जाह्नवी के चाचा जी ने मुंबई दर्शन के लिए ‘बाम्बे सफारी’ टूरिस्ट बस में बुकिंग करवा ली थी। इससे वह ग्लेरिया चर्च, हुतात्मा चौंक, जहाँगीर आर्ट गैलरी, प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, राजा भाई टावर, मरीन ड्राइव, तारापोर वाला एक्वेरियम, गिरगाँव चौपाटी, कमला नेहरू पार्क, बूट हाउस, हैंगिंग गार्डन, श्री महालक्ष्मी मन्दिर, हाजी अली, सिद्धि विनायक मन्दिर, जुहू बीच, इस्कान मन्दिर आदि स्थलों की यात्रा की। अगले दिन ऐलीफेंटा द्वीप देखने के लिए गई। इसके लिए उसे स्टीमर से जाना पड़ा। यहाँ पर उसने एलीफेंटा की गुफाएँ देखी। गुफ़ाओं की सुन्दर चित्रकारी तथा मूर्तियों ने जाहनवी को रोमांचित कर दिया। यहाँ पर उसने शिव तथा पार्वती की विवाह की मूर्तियों के साथ-साथ कैलाश पर्वत उठाते हुए रावण की मूर्ति भी देखी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

प्रश्न 2.
ऐलीफेंटा गुफाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
ऐलीफेंटा द्वीप में ऐलीफेंटा गुफ़ाएँ हैं। इस गुफ़ा की विशेष बात यह है कि इसमें प्रवेश द्वार कई हैं और छत एक ही है। इन गुफ़ाओं के मुख्य द्वार पर हाथियों के बुत बनाए गए थे, इसी कारण से इस द्वीप का नाम ऐलीफेंटा द्वीप पड़ गया। गफ़ाओं की दीवारों पर मूर्तियों और चित्रों को बड़ी कलात्मकता से बनाया गया है। यहाँ पर शिवपार्वती के विवाह की मूर्ति है तो इसके साथ-साथ गंगा के अवतरण, अर्द्धनारीश्वर, तथा कैलाश पर्वत उठाते रावण की मूतियाँ भी हैं। यहाँ पर एक ऐसा अनूठा जल कुंड भी है जो ऊपर से शान्त दिखता है पर अन्दर ही अन्दर चलता रहता है।

आत्म-बोध

1. जहाँ भी कहीं घूमने जायें वहाँ की प्रकृति, माहौल का आनन्द मनायें।
2. बड़ों को सहयोग दें। उनकी आज्ञा में रहें।
उत्तर:
(विद्यार्थी इन नियमों का पालन करें)

रचना-बोध

1. विभिन्न द्वीपों की जानकारी एकत्रित करें।
2. डायरी शैली में अपने किसी देखे स्थान को लिखने की कोशिश करें।
3. ‘समुद्र की यात्रा का अनुभव’ विषय पर कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक के सहयोग से इन्हें करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
जाह्नवी को क्या लिखने का शौक था ?
(क) डायरी
(ख) डेरी
(ग) पुस्तक
(घ) कविता
उत्तर:
(क) डायरी

प्रश्न 2.
जाह्नवी घूमने के लिए कहाँ गई ?
(क) दिल्ली
(ख) देहरादून
(ग) मुंबई
(घ) चेन्नई
उत्तर:
(ग) मुंबई

प्रश्न 3.
‘गेटवे ऑफ इंडिया’ कहां स्थित है ?
(क) दिल्ली
(ख) कोलकाता
(ग) मुंबई
(घ) गोआ
उत्तर:
(ग) मुंबई

प्रश्न 4.
‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पीछे कौन-सा सागर है ?
(क) अरब सागर
(ख) हिंद महासागर
(ग) काला सागर
(घ) सफेद सागर
उत्तर:
(क) अरब सागर

प्रश्न 5.
‘ऐलीफेंटा द्वीप’ किस सागर में है ?
(क) काला सागर में
(ख) अरब सागर
(ग) कैस्पियन सागर
(घ) हिंद महासागर
उत्तर:
(ख) अरब सागर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘पर्वत’ का पर्याय है ?
(क) पहाड़
(ख) दहाड़
(ग) ताड़
(घ) विहग
उत्तर:
(क) पहाड़

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 जाह्नवी की डायरी

प्रश्न 7.
निम्न में से कौन-सा शब्द ‘गंगा’ का पर्याय है ?
(क) यमुना
(ख) भागीरथी
(ग) विश्वनदी
(घ) गंगा नदी
उत्तर:
(ख) भागीरथी

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘शिव’ का पर्याय नहीं है ?
(क) महादेव
(ख) शंकर
(ग) भोलेनाथ
(घ) देव
उत्तर:
(घ) देव

जाह्नवी की डायरी Summary

जाह्नवी की डायरी पाठ का सार

जाह्नवी को डायरी लिखने का शौक है। वह प्रतिदिन सोने से पहले डायरी लिखती है। डायरी से पता चलता है कि 10 अक्तूबर, सन् 2010 को वह अपने चाचा के पास मुंबई आई हुई है और चाचा-चाची तथा अपने चचेरे भाई-बहन के साथ मुंबई घूम रही है। चाचा जी ने मुंबई दर्शन के लिए टूरिस्ट बस में बुकिंग करवा दी। सुबह आठ बजे ये सभी बस में सवार हो गए। बस से इन्होंने ग्लोरिया चर्च, जहांगीर आर्ट गैलरी, प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम, मरीन ड्राइव, तारापोर वाला एक्वेरियम, गिरगाँव, चौपाटी, हैंगिंग गार्डन, श्री महालक्ष्मी मन्दिर, हाजी अली, इस्कॉन मंदिर आदि स्थानों को देखा। रात को आठ बजे बस ने इन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के सामने उतार दिया। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को पहले विक्टोरिया टर्मिनस कहा जाता था। मुंबई बहुत ही भीड़-भाड़ वाला महानगर है। यहां के लोगों का जीवन तेज़ रफ्तार का है। यहां हर किसी को एक-दूसरे से आगे निकलने की तेजी है।

अगले दिन अर्थात् 11 अक्तूबर, सन् 2010 को इन्होंने ऐलीफेंटा द्वीप देखने जाना था। इसलिए सुबह जल्दी-जल्दी तैयार होकर वे ‘गेट वे ऑफ इंडिया’ पहुंच गए। गेट वे ऑफ इंडिया के पीछे ही अरब सागर है। इसी सागर में ऐलीफेंटा द्वीप है। द्वीप तर पहुँचने के लिए इन्हें स्टीमर पर जाना पड़ा। पौने घंटे की समुद्री यात्रा के पश्चात् ये लोग ऐलीमेंटा द्धीप पहुँच गए। इसी द्वीप (टापू) में एक किलोमीटर तक चलकर ये सभी ऐलीफेंटा की गुफ़ाओं तक पहुँच गए। इस गुफ़ा के कई प्रवेश द्वार हैं लेकिन छत एक ही है। इन गुफ़ाओं के मुख्य द्वार पर हाथियों की मूर्तियाँ बनाई गई थीं, इसी कारण इस स्थान और गुफा का नाम ऐलीफेंटा पड़ गया। धीरे-धीरे लोग इसे ऐलीफेंटा द्वीप के नाम से जानने लगे। इस स्थान की विशेष बात यह है कि एक ही चट्टान को काटकर विशाल गुफ़ाएं तैयार की गई हैं। गुफ़ाओं की दीवारों पर मूर्तियों और चित्रों को बड़ी कलात्मकता से बनाया गया है। गुफा के एक कोने में शिव-पार्वती की विवाह की मूर्ति है तो दूसरी जगह अर्द्धनारीश्वर की सुन्दर मूर्ति है। रावण के कैलाश पर्वत को उठाने वाली मूर्ति भी यहां पर है। आगे जाकर एक चट्टान के नीचे गंगा का एक अनूठा कुंड देखा जिसका जल ऊपर से शान्त दिखता है पर अन्दर ही अन्दर चलता रहता है। ऐलीफेंटा गुफ़ाओं की इस भव्य सुन्दरता को देखते हुए ये लोग बाहर आ गए। सचमुच ऐलीफेंटा द्वीप की ये गुफ़ाएं आज भी भारत के गौरवशाली अतीत को प्रस्तुत कर रही हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:

अर्द्धनारीश्वर = शिव का वह रूप जिस में आधा भाग पार्वती का होता है और आधा शिव का, यह रूप शिव-पार्वती का संयुक्त रूप है
प्रतिदिन = हर रोज़, रोज़ाना | पूर्व = पहले | स्मरण = याद | धूमिल = धूल में मिलना, धुंधला पड़ना | तसल्ली = संतुष्टि | भव्य = विशाल | इमारत = भवन |गगन चुम्बी = विशाल, ऊँची | सुकून = शांति, आराम | परिदों = पक्षियों | निहारना = देखना | म्यूज़ियम = अजायबघर | कलात्मकता = कला से भरपूर | शिलाखंड = चट्टान | सुशोभित = सुन्दर लगना | शिल्प = कारीगिरी, कला | रोमांचित = आनंदित | विराजमान = विद्यमान, उपस्थित | सूक्ष्मता = बारीकी |  स्टीमर = भाप से चलने वाला छोटा जलयान | हिलोरे = लहरें | निहारना = देखना | अनूठा = निराला | अतीत = भूतकाल, बीता हुआ समय

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 संगीत का जादू

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 संगीत का जादू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 संगीत का जादू

Hindi Guide for Class 6 PSEB संगीत का जादू Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

शब्दार्थ-

सौभाग्य = अच्छा भाग्य, खुशनसीबी
निर्णय = फैसला
क्रोध से लाल होना = बहुत अधिक गुस्सा आना
सम्पत्ति = धन, दौलत (विलोम = विपत्ति)
तत्काल = इसी समय, फिलहाल
कथन = बात
प्रशंसक = प्रशंसा करने वाला
श्रोता = सुनने वाला
ज्योत्स्ना = चाँदनी, चंद्रिका
अलापना = गाना, उचित उतार- चढ़ाव के साथ उच्चारण
गायक = गाने वाला
आत्मविभोर = आत्मदर्शन में लीन, आत्मानंद में मग्न
अहंकार = घमण्ड
कृत्य = कार्य (दैनिक कृत्य-प्रतिदिन करने योग्य कर्म)
निहाल = प्रसन्न, खुशहाल
अपराध = कसूर, खता, जुर्म
क्षमा= माफी।
दाता = दानी, देने वाला
मनोरंजन = मन बहलावा
सजीव = जीवंत, मार्मिक
विनम्र = नम्रतापूर्ण
व्याकुल = बेचैन
युक्ति =तरकीब, तरीका
सकपकाया = बेचैन-सा हुआ
पुरस्कार = इनाम
अवधि = समय सीमा, निश्चित समय

नीचे लिखे शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइएं

संगीतज्ञ = …………………………
सौभाग्य = ………………………..
अनुचर = …………………………
बुद्धिमान् = ……………………….
याचक = …………………………..
उत्तर:
संगीतज्ञ (संगीत जानने वाला) – तानसेन एक महान् संगीतज्ञ था।
सौभाग्य (अच्छी किस्मत) – सौभाग्य से ही व्यक्ति को अच्छा मित्र मिलता है।
अनुचर (सेवक) – राजा के अनुचर तुरन्त उपस्थित हो गए।
बुद्धिमान् (बुद्धि वाला) – बलवान् से बुद्धिमान् श्रेष्ठ माना जाता है।
याचक (माँगने वाला, भिखारी) – याचक बनकर घूमना अच्छा नहीं है।

संगीतज्ञ’ शब्द का अर्थ होता है-‘संगीत को जानने वाला।’ इसी प्रकार नीचे लिखे अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखो

1. धर्म को जानने वाला = …………………….
2. नीति को जानने वाला = ………………….
3. सब कुछ जानने वाला = ………………….
4. कुछ भी न जानने वाला = ……………………..
5. साहित्य की रचना करने वाला = ……………………
6. गीत लिखने वाला = …………………
7. चित्र बनाने वाला = ……………………..
8. मूर्तियाँ गढ़ने वाला = ……………………
उत्तर:
वाक्यांश के एक शब्द
1. धर्म को जानने वाला = धर्मज्ञ।
2. नीति को जानने वाला = नितिज्ञ।
3. सब कुछ जानने वाला = सर्वज्ञ।
4. कुछ भी न जानने वाला = अज्ञ।
5. साहित्य की रचना करने वाला = साहित्यकार।
6. गीत लिखने वाला= गीतकार।
7. चित्र बनाने वाला = चित्रकार।
8. मूर्तियाँ गढ़ने वाला = मूर्तिकार

वर्ण को समझते हुए शब्द बनाओ

1. अ + क् + अ + ब् + अ + र् + अ = अकबर
2. स् + आ + ध् + उ = ………………
3. त् + आ + न् + अ + स् + ए + न् + अ = ………………………
4. स् + अ + म् + प् + अ + त् + त + इ = ……………………
5. म् + अ + न् + त् + र् + ई = ……………………
उत्तर:
1.अकबर
2.साधु
3.तानसेन
4.सम्पत्ति
5.मन्त्री
(क) राजा अकबर के राज्य में एक साधु रहता था।
(ख) राजा का क्रोध शान्त हो चुका था।
(ग) तानसेन दरबारी गायक था।
(घ) सचमुच आनन्द आ गया।

ऊपर लिखे वाक्यों में राजा, अकबर, साधु, क्रोध, तानसेन, गायक, आनन्द आदि शब्द किसी व्यक्ति, जाति या भाव का बोध कराते हैं। ऐसे शब्दों को संज्ञा कहते हैं। ‘अकबर’, ‘तानसेन’, किसी व्यक्ति के नाम हैं। इसी प्रकार गायक, साधु किसी जाति के नाम हैं। क्रोध’, ‘आनन्द’, मन के भाव हैं, जिन्हें अनुभव किया जा सकता है। इसके आधार पर संज्ञा शब्द तीन प्रकार के हुए
1. व्यक्ति वाचक संज्ञा।
2. जाति वाचक संज्ञा।
3. भाववाचक संज्ञा।

आप अपनी कॉपी पर तीनों प्रकार की संज्ञाओं के पाँच-पाँच उदाहरण लिखो

उत्तर:
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा-मोहन, सुरेश, सुनीता, सुधा, राकेश।
2. जातिवाचक संज्ञा-लड़का, शेर, भिखारी, लड़की, मज़दूर।
3. भाववाचक संज्ञा-आनन्द, मिठास, कड़वा, बचपन, गर्म।

कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

(क) साधु बहुत …………………. था। (संगीतज्ञ/विद्वान्)
(ख) मन्त्री विद्वान् और ……………….. था। (धनवान्/बुद्धिमान्)
(ग) वह साधु तो सचमुच . ……………. का गन्धर्व है। (भूलोक/स्वर्ग)
(घ) कलाकार की शर्त बड़ी’……………….. थी। (अजीब/नवीन)
(ङ) साधु ने ………………. गाना शुरू कर दिया। (सखेद/सहर्ष)
(च) महाराज ! सचमुच …………………. आ गया। (आनन्द/पसीना)
उत्तर:
(क) संगीतज्ञ
(ख) बुद्धिमान
(ग) स्वर्ग
(घ) अजीब
(ङ) सहर्ष
(च) आनन्द

किसने कहा, किससे कहा और कब कहा ?

1. महाराज, आप क्रोध न करें।
2. आप उसके संगीत के याचक हैं।
3. “कोई ऐसी युक्ति सोचें जिससे साधु का संगीत सुन सकें।”
4. एक घण्टे तक भी मुझे ऐसा आनन्द नहीं मिला, जो आज लगातार आठ घण्टे तक मिला है।
5. कहिए अब आप मुझे क्या दे रहे हैं ?
उत्तर:
1. महाराज, आप क्रोध न करें।
यह वाक्य मन्त्री ने राजा अकबर से उस समय कहा जब साधु के न आने पर जब राजा उसे बुरा-भला कहने लगा।

2. आप उसके संगीत के याचक हैं।
मन्त्री ने राजा से कहा। जब राजा साधु को बुरा-भला कहने लगा।

3. कोई ऐसी युक्ति सोचें, जिससे साधु का संगीत सुन सकें।
राजा (अकबर) ने तानसेन से कहा। जब दोनों वेश बदलकर साधु की कुटिया पर पहुँचते हैं।

4. एक घंटे तक भी मुझे ऐसा आनन्द नहीं मिला, जो आज लगातार आठ घंटे तक मिला है।
यह कथन राजा (अकबर) का है। यह संगीतज्ञ साधु से कहा गया, जब साधु ने वीणा पर लगातार आठ घंटे तक संगीत से उसे भाव विभोर कर दिया।

5. कहिए, अब आप मुझे क्या दे रहे हैं ?
यह कथन संगीतज्ञ साधु ने राजा से उस समय कहा, जब साधु का संगीत सुनकर राजा आत्मविभोर हो उठा।

विचार-बोध

प्रश्न 1.
राजा के अनुचरों की दृष्टि में साधु कैसा था ?
उत्तर:
राजा के अनुचरों की दृष्टि में साधु मूर्ख था।

प्रश्न 2.
साधु ने अनुचरों को क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
साधु ने अनुचरों को उत्तर दिया कि जिस संगीत को राजा सुनना चाहता है, वह संगीत तो कभी-कभी संयोग से बन पड़ता है। प्रयत्न से पैदा किया संगीत राजा को प्रसन्न नहीं कर सकेगा। इसलिए मैं राजा को संगीत सुनाने नहीं जा सकता।

प्रश्न 3.
मन्त्री की दृष्टि में याचक कौन था और दाता कौन था ?
उत्तर:
मन्त्री की दृष्टि में याचक राजा था और दाता साधु था।

प्रश्न 4.
राजा साधु का संगीत सुनने के लिए किस वेश में दरबारी संगीतज्ञ के साथ चला ?
उत्तर:
राजा (अकबर) राजसी वेश उतार कर और मामूली कपड़े पहन कर दरबारी संगीतज्ञ के साथ चला।

प्रश्न 5.
वीणा की झंकार और राग का गलत अलाप सुनकर साधु ने क्या किया ?
उत्तर:
वीणा की झंकार और राग का गलत अलाप सुनकर साधु झोंपड़ी से निकलकर आया और कहा-यह गलत अलाप है। वीणा हाथ में लेकर साधु ने संगीत की सही तरकीब बताई।

प्रश्न 6.
साधु का संगीत सुनकर राजा ने क्या कहा ?
उत्तर:
साधु का संगीत सुनकर राजा ने आनन्द से भर कर कहा कि महाराज आपके पास बिताए इन आनन्द के क्षणों की तुलना में मेरा सारा राज्य भी तुच्छ है। मेरा अहंकार भी गल गया है।

(ख) इस कहानी का क्या संदेश है ? अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
यह कहानी संदेश देती है कि संगीत तथा कलाओं में मनुष्य को आत्मविभोर करने की शक्ति है। संगीत तथा कला को पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।

आत्म-बोध

1. संगीत एक ललित कला है। ललित कलाएँ पाँच होती हैं।
साहित्य कला, संगीत कला, चित्र कला, मूर्ति कला, वास्तु कला।
उत्तर:
विद्यार्थी पाँचों ललित कलाओं के नाम कण्ठस्थ करें और अपनी अभ्यासपुस्तिका (कॉपी) में लिखें।
* अकबर-एक मुगल बादशाह
* तानसेन – तानसेन राजा अकबर के दरबार में गायक था। तानसेन बचपन में नटखट प्रकृति का था। उनमें पशु-पक्षियों की आवाज़ का अनुकरण करने की प्रवृत्ति प्रबल थी। एक बार उन्होंने स्वामी हरिदास को शेर की आवाज़ निकाल कर हैरान कर दिया। उनकी शिक्षा स्वामी हरिदास की देख-रेख में हुई। सम्राट अकबर ने जब उनकी कीर्ति सुनी तो उन्होंने तानसेन को अपने दरबार में बुला लिया। उसके गायन से प्रभावित होकर अपने ‘नवरत्नों’ में सम्मिलित कर लिया। इनके गायन के प्रभाव से वर्षा होना, दीपक जलना और जल में उष्णता का संचार होना आदि अनेक चामत्कारिक उदाहरण मिलते हैं।

2. कुछ पाने के लिए अपने अहंकार को समाप्त करने का प्रयत्न करो।
3. हर बच्चे में कुछ जन्मजात विशेषता होती है। अध्यापक उस विशेषता को पहचानकर उसे उभारने का प्रयास करे।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से संज्ञा शब्द चुनें :
(क) सुधा
(ख) वह
(ग) तुम
(घ) सुंदर
उत्तर:
(क) सुधा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से संज्ञा शब्द चुनें :
(क) मिठास
(ख) कहाँ
(ग) उन्होंने
(घ) वे
उत्तर:
(क) मिठास

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से संज्ञा शब्द चुनें :
(क) गायक
(ख) बुद्धिमान
(ग) शान्त
(घ) यहाँ
उत्तर:
(क) गायक

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द जातिवाचक संज्ञा का उदाहरण नहीं है ?
(क) पर्वत
(ख) नदियां
(ग) कक्षा
(घ) आनन्द
उत्तर:
(घ) आनन्द

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द भाववाचक संज्ञा का उदाहरण नहीं है ?
(क) बचपन
(ख) कड़वा
(ग) मीठा
(घ) लड़का
उत्तर:
(घ) लड़का

प्रश्न 6.
राजा के अनुचरों की दृष्टि में साधु कैसा था ?
(क) मूर्ख
(ख) ज्ञानी
(ग) साधु
(घ) धनी
उत्तर:
(क) मूर्ख

प्रश्न 7.
राजा किसका संगीत सुनकर आनन्दित हो उठा ?
(क) संगीतज्ञ का
(ख) साधु का
(ग) मुनि का
(घ) वज़ीर का
उत्तर:
(ख) साधु का

प्रश्न 8.
साधु क्या बजाता था ?
(क) वीणा
(ख) तान
(ग) बाजा
(घ) मजीरा
उत्तर:
(क) वीणा

संगीत का जादू Summary

संगीत का जादू पाठ का सार

मुग़ल बादशाह अकबर के राज्य में एक बहुत अच्छा संगीत शास्त्र को जानने वाला साधु रहता था। अकबर के मन में उसका संगीत सुनने की इच्छा जागी। उसने तीन नौकरों को साधु को बुलाने के लिए भेजा। उन्होंने साधु को राजा के पास चलने को कहा। साधु ने उत्तर दिया कि जिस संगीत को राजा सुनना चाहता है, वह संगीत कभी-कभी संयोग से बन पड़ता है। इसलिए मैं नहीं जा सकता। जब नौकरों ने जाकर राजा को साधु का निर्णय सुनाया तो वह गुस्से से भर गया। इस पर राजा के एक मन्त्री ने कहा-महाराज ! आप क्रोध न करें। आप साधु को बुरा-भला न कहें। क्योंकि वह आपकी सम्पत्ति का याचक नहीं है। आप उसके संगीत के याचक हैं। यदि आपने संगीत सुनना है तो आप को ही साधु के पास जाना होगा। वैसे आपके मनोरंजन के लिए दरबारी गायक तानसेन की बुलवा भेजा है।

थोड़ी ही देर में तानसेन वहाँ आ गया। राजा ने तानसेन को साधु की बात बताई तो उसने कहा-“वह साधु तो सचमुच स्वर्ग का गन्धर्व है।” जैसे ही उसकी उंगलियाँ वीणा पर फिरती हैं, अमृत बरसने लगता है। वह हम जैसा भाड़े का टटू नहीं है।” इस पर राजा ने साधु के पास जाने का निर्णय कर लिया। राजा अकबर ने मन्त्री से कहा-मेरे और तानसेन के लिए दो घोड़े मँगवाए जाएं। तानसेन ने बीच में ही कहा-महाराज यदि आपने सच्चा संगीत सुनना है तो आपको यह बात भुला देनी होगी कि आप राजा हैं। आपको साधारण कपड़े पहन कर और पैदल ही नंगे पाँव वहाँ जाना होगा।

अकबर साधारण वेश में तानसेन के साथ उस संगीत का ज्ञान रखने वाले साधु के पास चल पड़ा। साधु की झोंपड़ी तक पहुँचते रात हो गई। कार्तिकं का महीना था। तानसेन ने अकबर को झोंपड़ी के बाहर बने चबूतरे पर बिठा दिया। स्वयं भी पास बैठ कर वीणा के तार मिलाने लगा और जान-बूझ कर गलत ढंग से राग अलापना शुरू कर दिया। साधु झोंपड़ी से बाहर निकला। राग की सही तरकीब बताने लगा। वी., वादक ने साधु से निवेदन किया कि महाराज ! इस राग को आप ‘ही गाएँ तो बडी कृपा होगी। साधु गाने लगा। गायक और श्रोता आनन्द में डूब गए। रात बीत गई। सूर्य निकल आया। साधु ने वीणा लौटाते हुए कहा-‘सचमुच आज तो आनन्द आ गया।’ इस पर अकबर ने कहा- ‘मैं आठ साल से राजा हूँ, मुझे एक घण्टा भर भी ऐसा आनन्द नहीं मिला, जो आज आठ घण्टे तक मिला है।”

साधु चकित-सा हुआ तो तानसेन ने सारी कहानी साधु को सुना दी। इस पर साधु ने राजा से कहा-“आप को संगीत पसंद आ गया है। कहिए आप मुझे क्या दे रहे हैं ?” इस पर अकबर ने उत्तर दिया-इन आनन्द के क्षणों की तुलना में मेरा सारा राज्य भी तुच्छ है। राजा की आँखें भर आईं । लुढ़क कर दो आँसू के मोती साधु के पैरों पर जा पड़े। यह साधु गुरु हरिदास था। इन्हीं से तानसेन ने गायन विद्या सीखी थी।

कठिन शब्दों के अर्थ:

संगीतज्ञ = संगीत जानने वाला, संगीत विद्या का ज्ञान रखने वाला | अनुचर = नौकर, पीछे चलने वाला | सौभाग्य = अच्छी किस्मत | निहाल = प्रसन्न, खुशहाल, धन्य | निर्णय = फैसला | क्रोध से लाल होना = बहुत गुस्सा आना | अपराध = जुर्म, कसूर | क्षमा = माफ़ी | सम्पत्ति = धन-दौलत | दाता = देने वाला, दानी | तत्काल = तुरन्त, उसी समय | मनोरंजन = मन बहलावा | कथन = कहना, बात | सजीव = सप्राण, जीवंत | प्रशंसक = प्रशंसा करने वाला | विनम्र = नम्रतापूर्वक | श्रोता = सुनने वाला | व्याकुल = बेचैन | ज्योत्स्ना = चाँदनी | युक्ति = ढंग, तरीका | अलापना = गाना, स्वरों का उतार-चढ़ाव | याचक = मांगने वाला | गायक = गाने वाला | आत्मविभोर = अपने आप में मस्त हो जाना, आत्मानन्द में मग्न | कृत्य = कार्य, रोज़ के काम | अवधि = समय सीमा | सकपकाया = बेचैन-सा, चकित-सा | पुरस्कार = इनाम | अहंकार = घमण्ड |  तुच्छ = मामूली | नाज = गर्व

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 वह आवाज़

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 वह आवाज़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 वह आवाज़

Hindi Guide for Class 6 PSEB वह आवाज़ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

शब्दार्थ:

निगाह = नज़र
तल्खी = तीखा स्वर
पीठ थपथपायी = शाबाशी देना

2.  आपको पढ़ते हुए ऐसा प्रतीत होता होगा कि कुछ शब्द पुरुष जाति का बोध कराते हैं और कुछ स्त्री जाति का। जो शब्द पुरुष जाति का बोध कराये उसे पुल्लिंग, जो स्त्री जाति का बोध कराये उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।

निम्न शब्दों के लिंग परिवर्तन करो

1. माता – पिता
2. मामा = …………………..
3. चाचा = ………………….
4. बहन = …………………
5. दादा = ………………….
6. बेटा = ………………..
उत्तर:
1. माता- पिता।
2. मामा – मामी।
3. चाचा – चाची।
4. बहन – बहनोई।
5. दादा – दादी।
6. बेटा – बेटी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 वह आवाज़

3. निम्न मुहावरों के अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयोग करें

1. चूहे कूदना = ……………………..
2. आँखों में झाँकना = …………………………..
3. खोए रहना = …………………………….
4. छाती में भरना : …………………………….
5. पसीना आना : ………………………….
6. चेहरा खिल उठना : ……………………………
7. पीठ थपथपाना : ……………………………
8. कहानी पर कहानी सुनाना : ………………………………….
उत्तर:
1. चूहे कूदना = (बहुत भूख लगना) – माँ, जल्दी से खाना लाओ, पेट में तो चूहे कूद रहे हैं।
2. आँखों में झाँकना = (व्यक्ति के आन्तरिक भावों को समझना) – माँ ने बेटे से कहा, “मेरी आँखों में झाँक कर देख, मैं तुझे बुरा कह रही हूँ।”
3. खोए रहना = (अपने विचारों में लीन रहना) – अरे मोहन ! कहाँ खोए रहते हो ? कब से तुम्हें पुकार रहा हूँ।”
4. छाती में भरना = (हृदय से लगाना) – देर से घर लौटे बेटे को माँ ने छाती में भर लिया।
5. पसीना आना = (घबराहट होना) – गणित का कठिन प्रश्न-पत्र देखते ही दिनेश को पसीना आने लगा था।
6. चेहरा खिल उठना = (प्रसन्न होना) – विदेश से लौटे अपने बेटे को देखते ही माँ का चेहरा खिल उठा।
7. पीठ थपथपाना = (शाबाशी देना) – परीक्षा में प्रथम आने पर अध्यापक ने प्रकाश की पीठ थपथपाई।।
8. कहानी पर कहानी सुनाना = (झूठ पर झूठ बोलना) – पिता जी ने बेटे को डाँटते हुए कहा, “तुम सच क्यों नहीं बता देते। क्यों कहानी पर कहानी सुनाए जा रहे हो ?”

(iv) जो शब्द एक होने का बोध कराये उसे एक वचन कहते हैं जो एक से अधिक का बोध कराये उसे बहुवचन कहते हैं। वचन बदलो :

1. दरवाज़ा = दरवाजे
2. खूटी = …………………..
3. बच्चा = …………………
4. मिठाई = …………………
5. रसगुल्ला = ………………
6. रसोई = ………………….
7. बस्ता = ………………….
8. चुहिया = ………………..
उत्तर:
एकवचन बहुवचन
1.  दरवाज़ा = दरवाज़े।
2.  खूटी = खूटियाँ।
3.  बच्चा = बच्चे।
4.  मिठाई = मिठाइयाँ।
5. रसगुल्ला = रसगुल्ले।
6. रसोई = रसोइयाँ।
7. बस्ता = बस्ते।
8. चुहिया = चुहियाँ।।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 वह आवाज़

विपरीतार्थक लिखो

1. सच = ………………….
2. अमीर = ………………
3. आज = ………………
4. भूख = ……………..
5. मेहनत = ………………..
6. होशियार = ……………….
7. उदास = ………………
उत्तर:
1. सच – झूठ।
2. अमीर – गरीब।
3. आज – कल।
4. भूख – तृप्त।
5. मेहनत – आलस्य।
6. होशियार – मूर्ख।
7. उदास – प्रसन्न।

वर्ण विच्छेद करो

बस्ता : ब् + अ + स् + त् + आ
दफ्तर : …… ……. + …… + …… + …… + ……+
रसोई …… + …… + …… + ……
उत्तर:
1. बस्ता : ब् + अ + स् + त् + आ।
2. दफ्तर : द् + अ + फ् + त् + अ + र् + अ।
3. रसोई : र + अ + स् + ओ + ई।

विचार-बोध

प्रश्न 1.
मंटू के घर मेज़ पर खाने का क्या-क्या सामान पड़ा था ?
उत्तर:
मंटू के घर मेज़ पर सेब, चीकू, सन्तरे, रसगुल्ले, दाल बीजी आदि सामान पड़े थे।

प्रश्न 2.
चोरी करने पर मंटू की अन्तरात्मा ने क्या आवाज़ दी ?
उत्तर:
चोरी करने पर मंटू की अन्तरात्मा ने आवाज़ दी-‘मंट तमने ठीक नहीं किया, यह चोरी है।’

प्रश्न 3.
मंटू के घर चाय पर कौन आने वाले थे ?
उत्तर:
मंटू के घर उसके चाचा अशोक चाय पर आने वाले थे।

प्रश्न 4.
मंटू ने क्या ग़लत काम किया था ?
उत्तर:
मंटू ने किसी से पूछे बिना चोरी से एक चीकू और रसगुल्ला मेज़ से उठा कर खा लिया था।

प्रश्न 5.
मंटू के हाथ से लोटा क्यों गिरा ?
उत्तर:
घबराहट के कारण मंटू के हाथ से लोटा गिर गया था।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 वह आवाज़

प्रश्न 6.
चित्र को देख कर आठ वाक्यों में उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चित्र देखते हुए विद्यार्थी इसे स्वयं लिखें।

प्रश्न 7.
मंटू की जगह यदि आप होते तो क्या करते ?
उत्तर:
मंटू की जगह यदि हम होते तो चोरी करके फल या मिठाई नहीं खाते बल्कि माँ से पूछ कर ही उन्हें लेते।

आत्म-बोध (प्रश्न)

प्रश्न 1.
मंटू की तरह अन्य छात्र भी माता-पिता एवं अध्यापकों से सदा सत्य बोलने का प्रयत्न करें।
उत्तर:
माता-पिता और गुरुजनों के समक्ष हमेशा सच बोलने का प्रण करें।

प्रश्न 2.
झूठ बोलने के बुरे फल जानकर झूठ बोलना छोड़ दें।
उत्तर:
झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है। अतः इसका परित्याग करें।

प्रश्न 3.
मंटू की तरह अपनी अन्तर की आवाज़ को सुनकर ठीक काम करें।
उत्तर:
हमेशा अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ को पहचानें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
मंटू के घर चाय पर कौन आने वाले थे ?
(क) पापा
(ख) मम्मी
(ग) चाचा
(घ) पम्मी
उत्तर:
(ग) चाचा

प्रश्न 2.
मंटू के हाथ से क्या गिर पड़ा ?
(क) नोट
(ख) वोट
(ग) लोटा
(घ) सोटा
उत्तर:
(ग) लोटा

प्रश्न 3.
मंटू की भूख क्या देखकर बढ़ गई ?
(क) फल
(ख) मिठाई
(ग) फल और मिठाई
(घ) धन
उत्तर:
(ग) फल और मिठाई

प्रश्न 4.
मंटू के गलती का आभास होने पर किसका चेहरा खिल उठा ?
(क) भाई का
(ख) पिता का
(ग) माँ का
(घ) चाचा का
उत्तर:
(ग) माँ का

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 वह आवाज़

वह आवाज़ Summary

वह आवाज़ पाठ का सार

स्कूल से लौटने पर मंटू हमेशा दरवाज़े में घुसते ही माँ को मुस्कुराते देखता था। आज उसकी माँ वहाँ नहीं थी। उसे बहुत अधिक भूख लगी थी। मंटू कुछ सोच कर कमरे में गया। तीन छोटी-छोटी मेजें जोड़कर उन पर चादर बिछी थी। मेज़ पर खाने की चीजें एवं फल पड़े थे। मंटू ने सोचा माँ रसोई घर में समोसे बना रही होगी। रामू बाज़ार गया होगा। पिता जी दफ्तर से नहीं आए होंगे। पम्मी भी स्कूल से नहीं आई थी। मंटू को लगा जैसे वह अकेला है। सामने फल और मिठाई देखकर उसकी भूख और बढ़ गई। वह मेज़ की तरफ जाने लगा लेकिन तभी उसे लगा जैसे उसे किसी ने पुकारा हो। उसने मुड़कर देखा पीछे कोई नहीं था। वह मेज़ के निकट पहुंच चुका था। उसने मेज़ से चीकू उठाया और एक रसगुल्ला लिया। इधर-उधर देखकर उसने दोनों चीजें खाईं। लेकिन उसे ऐसा लग रहा था, जैसे कोई उसका नाम लेकर पुकार रहा हो-मंटू तुमने ठीक काम नहीं किया। यह चोरी है। इतने में उसकी बड़ी बहन पम्मी आ गई। उसने पूछा तुम उदास क्यों हो ? मम्मी कहाँ हैं ? मंटू ने कहा- मैंने मम्मी को नहीं देखा।

पम्मी ने कहा-आज अशोक चाचा चाय पर आने वाले हैं। मम्मी समोसे बना रही होंगी। दोनों रसोई की ओर गए। मम्मी रसोई घर में नहीं थी। दोनों निराश हो गए। इतने में उनकी माँ आ गई। उसने कहा आज तुम्हारे चाचा अशोक आ रहे हैं। मैं बरफी लेने गई थी। बच्चे कपड़े बदलने के लिए चले गए। पम्मी कोई न कोई कहानी सुना रही थी। मंटू विचारों में खोया था। चाचा जी के आने पर भी उसकी उदासी दूर नहीं हुई। उसे खुश करने के लिए चाचा ने गीत सुनाए परन्तु वह नहीं हँसा। उस रात उसने एक सपना देखा-चीकू और रसगुल्ला उसके पेट में कूद रहे हैं और कह रहे हैं-“मंटू तुमने हमें अपनी मम्मी से बिना पूछे खाया था। यह ठीक काम नहीं किया।”

मंटू सवेरे उठा। अब भी वह खुश नहीं था। उसने स्कूल का काम भी मम्मी से कराया। स्कूल में अध्यापक ने उसकी पीठ थपथपाई क्योंकि उसके गणित के सभी सवाल ठीक थे। मंटू को लगा, जैसे कोई उसे कह रहा हो-‘मंटू तुमने फिर गलत काम किया है। सवाल तुमने अपनी मम्मी से कराए हैं।’ मंटू सोचने लगा कि यह आवाज़ कहाँ से आती है ? क्या यह मेरी अन्तरात्मा से आती है ? उसे पसीना आने लगा। वह अध्यापक की मेज़ के पास आकर बोला-सर, मैं आपको एक बात बताना भूल गया था। ये सवाल मैंने नहीं, मेरी मम्मी ने किए हैं। अध्यापक ने कहा-तो क्या हुआ, आज पूछ कर किए हैं, कल अपने आप कर लोगे। मुझे खुशी है तुमने सच बात बता दी।

मंटू बिल्कुल हल्का हो गया। उसे बहुत खुशी हुई। छुट्टी मिलने पर घर लौटा तो माँ दरवाज़े पर खड़ी मुस्करा रही थी। मंटू ने मम्मी को बताया कि कल मैंने बिना तुमसे पूछे एक चीकू और एक रसगुल्ला उठाकर खाया था। माँ ने कहा कोई बात नहीं। देर से ही सही तुमने मुझे बता दिया। परन्तु तुम्हें अपना अपराध स्वीकार करने के लिए किसने कहा ? मंटू ने उत्तर दिया-पता नहीं मम्मी ! तब से कोई मुझसे कहे जा रहा है-‘मंटू तुमने गलती की है।’ मम्मी का चेहरा खिल उठा। उसने कहा- ‘मंटू यह तुम्हारी अपनी ही आवाज़ है, जो बुरा काम करता है, उसे वह चेता देती है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

प्रवेश = दाखिला | पटका = फेंका | अचरज = हैरानी | निगाह = नज़र | मेहमान = अतिथि | तल्खी = कड़वाहट | क्षण = समय की सबसे छोटी इकाई |अपराध = दोष, कसूर | स्वीकार = मंजूर | चेता = सतर्क करना | पीठ थपथपाई = शाबाशी दी

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 प्रार्थना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 प्रार्थना

Hindi Guide for Class 6 PSEB प्रार्थना Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

शब्दों के अर्थ पहले दिए जा चुके हैं।

अन्तर्यामी = हृदय में रहने वाला
अमित = बहुत
तेजोमय = बहुत ज्योति वाला
विवेक = भले- बुरे की पहचान
ताप = कष्ट
सुप्रीत = प्रेम के साथ
कल्याण = भलाई, परोपकार
आगार = खजाना
आलोक = प्रकाश
तव = तेरा
रक्षक = रक्षा करने वाला
निर्भीक = निंडर
नूतन = नया

‘अ’ लगाकर विपरीत शब्द लिखो
सत्य = ………………
ज्ञान = ………………
विद्या = ……………..
संयम = ……………..
धीर = ………………..
विवेक = ………………
उत्तर:
सत्य = असत्य।
ज्ञान = अज्ञान।
विद्या = अविद्या।
संयम = असंयम।
धीर = अधीर।
विवेक = अविवेक।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

इन शब्दों के विपरीत शब्द अलग तरह से बनते हैं : जैसे

गुण = अवगुण
पाप = पुण्य
स्वामी = सेवक
सपूत = कपूत
उदार = अनुदार
जीवन = मृत्यु
अन्धकार = प्रकाश
अपराध = निरपराध
प्रेम = घृणा
निर्भीक = डरपोक
नूतन = पुरातन
वीर = कायर
वरदान = अभिशाप
उत्तर:
विद्यार्थी इन शब्दों को याद करें।

इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखो

1. ईश्वर = भगवान, परमात्मा
2. सिन्धु = ………………
3. भण्डार = ………………..
4. प्रकाश = ………………….
5. अन्धकार = …………………
6. वरदान = ………………
7. पिता = ……………….
8. गुरु = …………………
9. माता = …………………
उत्तर:
1. ईश्वर = भगवान, परमात्मा।
2. सिन्धु = सागर, जलधि।
3. भण्डार = खान, आगार।
4. प्रकाश = आलोक, रोशनी।
5. अन्धकार = तम, अन्धेरा।
6. वरदान = वर, मनोरथ।
7. पिता = तात, पितृ।
8. गुरु = स्वामी, ज्ञानदाता।
9. माता = मातृ, जननी।

नए शब्द बनाओ

1. शील + वान = ………….
2. पाप + मय = ……………
3. दया + वान = ………….
4. तेजो + मय = ………….
5. गाड़ी + वान = ………….
6. तपो + मय = ……………
उत्तर:
1. शील + वान = शीलवान।
2. पाप + मय = पापमय।
3. दया + वान = दयावान।
4. तेजो + मय = तेजोमय।
5. गाड़ी + वान = गाड़ीवान।
6. तपो + मय = तपोमय।

समझो

‘अन्तर्यामी’ में ‘र’ रेफ है। ‘प्रेम’ में ‘र’ पदेन है। ‘कृपा’ में ऋ की मात्रा : ‘ लगी है। इन शब्दों में रेफ, पदेन और ‘ऋ’ मात्रा पहचान कर लिखो।

1. प्रकाश = पदेन ‘र’
2. निर्भीक = ……………..
3. सुप्रीत = ……………….
4. कृपा = ………………..
5. प्रार्थना = ……………..
उत्तर:
1. प्रकाश = पदेन ‘र’।
2. निर्भीक = रेफ ‘र’।
3. सुप्रीत = पदेन ‘र’।
4. कृपा = ‘ऋ’।
5. प्रार्थना = पदेन ‘र’ और रेफ ‘र’।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

संयुक्त अक्षर से नए शब्द बनाओ

क् + ष = क्ष = रक्षक, ……………………
ग् + 1 = ज्ञ = ज्ञान …………………….
त् + र = त्र = मात्रा …………………….
उत्तर:
1. क्ष = रक्षक, भक्षक, तक्षक।
2. ज्ञ = ज्ञान, विज्ञान, संज्ञान।
3. त्र = मात्रा, यात्रा, पात्रा।

विचार-बोध या

प्रश्न 1.
प्रभु के लिए कविता में कौन-कौन से शब्द प्रयोग हुए हैं ?
उत्तर:
कविता में प्रभु के लिए ईश्वर, स्वामी, क्षमासिन्धु, अन्तर्यामी, ज्योति का आगार, भगवन्, तेजोमय, दया-निधान शब्द प्रयोग हुए हैं।

प्रश्न 2.
बच्चे प्रभु से क्या-क्या माँग रहे हैं ?
उत्तर:
बच्चे प्रभु से क्षमा, दया आदि अच्छे गुण माँग रहे हैं।

प्रश्न 3.
किसका प्रकाश फैलाने की प्रार्थना की है ?
उत्तर:
पुण्यों का प्रकाश फैलाने की प्रार्थना की गई है।

प्रश्न 4.
किन-किन की सेवा करने की बात कही गयी है ?
उत्तर:
माता-पिता तथा गुरुजनों की सेवा करने की बात कही गयी है।

प्रश्न 5.
प्रभु के कौन-कौन से गुण आपको प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
प्रभु के उदार, सत्य, ज्ञान और दया के भण्डार जैसे गुण हमें प्रभावित करते हैं।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. प्रार्थना को समझ कर याद कर लें।
2. प्रतिदिन सुबह उठकर और सोते समय प्रभु का स्मरण करें।
3. सदा प्रभु की कृपा अनुभव करते हुए नम्र बने रहें।
उत्तर:
उक्त तीनों बातें छात्र स्वयं करें।

4. प्रभु एक है। हम सबमें उसी की ज्योति विद्यमान है।
उत्तर:
ईश्वर एक है। भले ही हम उसे ईश्वर, भगवान्, अल्लाह, गॉड आदि नामों से स्मरण करें। इसमें कोई अन्तर नहीं पड़ता। रास्ते अनेक हैं, लक्ष्य एक ही है। हम सबमें उसी की ज्योति विद्यमान है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

रचना-बोध

प्रश्न 1.
इसी प्रकार का प्रार्थना गीत लिखो और प्रार्थना सभा में सुनाओ।
उत्तर:
इस जग का है स्वामी तू,
तू ही सबका पालन हार।
कितना प्यारा कितना सुंदर,
रचा है तूने यह संसार।
तेरी स्तुति नित्य करें हम,
हम में हों ज्ञान-प्रकाश।
इस जग का है स्वामी तू,
तू ही सबका पालनहार।

प्रश्न 1.
बच्चे प्रभु से क्या मांग रहे हैं ?
(क) दया
(ख) भाव
(ग) भय
(घ) निडरता
उत्तर:
(क) दया

प्रश्न 2.
प्रभु किसका खजाना है ?
(क) प्रेम का
(ख) दया का
(ग) धन का
(घ) ज्योति का
उत्तर:
(घ) ज्योति का

प्रश्न 3.
प्रभु का आलोक कैसा है ?
(क) कम
(ख) ज्यादा
(ग) अमित
(घ) नमित
उत्तर:
(ग) अमित

प्रश्न 4.
बच्चे किसका अंधकार भगाना चाहते हैं ?
(क) भय का
(ख) पाप का
(ग) राक्षस का
(घ) जुल्मों का
उत्तर:
(ख) पाप का

प्रश्न 5.
बच्चे प्रभु से किसका दान मांग रहे हैं ?
(क) धन का
(ख) विद्या का
(ग) भक्ति का
(घ) नेकी का
उत्तर:
(ग) भक्ति का

प्रश्न 6.
बच्चे किसके रक्षक बनना चाहते हैं ?
(क) देश के
(ख) घर के
(ग) स्कू ल के
(घ) समाज के
उत्तर:
(क) देश के

प्रश्न 7.
बच्चे किसकी सेवा करना चाहते हैं ?
(क) माता
(ख) पिता
(ग) गुरु
(घ) माता-पिता और गुरु
उत्तर:
(घ) माता-पिता और गुरु

प्रश्न 8.
बच्चे किसका कल्याण करना चाहते हैं ?
(क) जग का
(ख) घर का
(ग) सबका
(घ) रब का
उत्तर:
(क) जग का

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘ईश्वर’ का पर्याय है ?
(क) भगवान
(ख) दयावान
(ग) धनवान
(घ) परम ज्ञान
उत्तर:
(क) भगवान

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘गुरु’ का पर्याय है ?
(क) प्रभु
(ख) दयालु
(ग) धनी
(घ) शिक्षक
उत्तर:
(घ) शिक्षक

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘माता’ का पर्याय है ?
(क) जननी
(ख) महिनी
(ग) धनिनी
(घ) ज्ञानी
उत्तर:
(क) जननी

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द प्रकाश का पर्याय है ?
(क) अंधकार
(ख) अंधेरा
(ग) आलोक
(घ) सालोक
उत्तर:
(ग) आलोक

पद्यांशों के सरलार्थ

1. ईश्वर तू है सब का स्वामी
क्षमा सिन्धु तू अन्तर्यामी,
तेरे गुण पाएँ हम बच्चे,
काम करें सब अच्छे-अच्छे।

शब्दार्थ:
ईश्वर = परमात्मा। स्वामी = मालिक। सिन्धु = समुद्र । अन्तर्यामी = हृदय में रहने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित “प्रार्थना’ नामक कविता से लिया गया है। यह डॉ० धर्मपाल मैनी द्वारा रचित है। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! तू हम सब का मालिक है। तू क्षमाशील है। तू ही दया का सागर है। तू क्षमा का समुद्र है और सबके दिलों की बात को समझने और वहीं रहने वाला है। हम सब बच्चे तुम्हारे गुण (अच्छाइयाँ) प्राप्त करें। हम सब दुनिया में अच्छे काम करें।

भावार्थ:
कवि के द्वारा ईश्वर की कृपा पाकर गुणवान बनने की प्रार्थना की गई है।

2. तू है ज्योति का आगार
सत्य-ज्ञान दया भंडार,
अमित आलोक तेरा हम पाएँ,
मिल-जुल सब तेरे गुण गाएँ।

शब्दार्थ:
ज्योति = प्रकाश। आगार = खज़ाना, भंडार। सत्य = सच। अमित = बहुत। आलोक = रोशनी, प्रकाश। ।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० धर्मपाल मैनी द्वारा रचित ‘प्रार्थना’ कविता से लिया गया है। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! तू प्रकाश का खज़ाना है। तुम सच्चे ज्ञान और दया के भंडार हो। हे प्रभु ! तुम से हम बच्चे बहुत-सा ज्ञानरूपी प्रकाश प्राप्त करें। हम सब मिल-जुल कर तेरे गुणों का गान करें।

भावार्थ:
प्रभु से प्रार्थना की गई है कि वह हमें अज्ञान के अंधेरे से निकाल कर प्रकाश की ओर ले चले। हम हर बुराई से दूर हट कर अच्छाई की ओर बढ़ें।

3. भगवन् हम बनें उदार,
तेज-तप संयम भंडार,
पापमय अंधकार भगाएँ,
पुण्यों का प्रकाश फैलाएँ।

शब्दार्थ:
उदार = बड़े दिल वाले। तप = तपस्या। संयम = मन पर काबू करना। पापमय = पापों से भरा। अन्धकार = अन्धेरा। पुण्यों = अच्छे कामों, सत्कर्मों।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसके रचनाकार डॉ० धर्मपाल मैनी हैं। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! हम सब बच्चे उदार बनें। हम प्रतापी, तपस्वी और संयम के भंडार बनें। हम पापों से भरा अन्धेरा दूर भगाने में समर्थ हों। हम संसार में अच्छे कामों को करें और उन से प्राप्त पुण्यों का प्रकाश फैलाएँ।

भावार्थ:
हम सब बच्चे सदा संसार की बुराइयाँ दूर करें और सत्कर्म की राह पर चलते रहें।

4. तेजोमय तव रूप महान्,
दो हम को भक्ति का दान,
विद्या बुद्धि विवेक बढ़ा दो,
शीलवान और धीर बना दो।

शब्दार्थ:
तेजोमय = तेज से भरा। तव = तुम्हारा। भक्ति = ईश्वर की पूजा करना। विवेक = विशेष ज्ञान। शीलवान = अच्छे और नम्र स्वभाव वाला। धीर = धैर्यवाला। .

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसके रचनाकार डॉ० धर्मपाल मैनी हैं। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! तुम्हारा रूप तेजस्वी और महान् है। हमें तुम अपनी भक्ति का दान दो। हम में विद्या, बुद्धि, विवेक, ज्ञान जैसे गुण बढ़ा दो। हमें नम्र स्वभाव वाले और धैर्यवान् बना दो।

भावार्थ:
बच्चे प्रभु की कृपा से पढ़-लिख कर गुणवान बनना चाहते हैं।

5. हम बच्चे हों तेरा रूप,
देश के रक्षक, वीर सपूत,
भगवन् हमरे ताप मिटा दो,
जीवन के अपराध भुला दो।

शब्दार्थ:
रक्षक = रक्षा करने वाले, रखवाले। वीर = बहादुर। ताप = कष्ट, दुःख। अपराध = दोष, बुराइयाँ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसके रचनाकार डॉ० धर्मपाल मैनी हैं। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! हम बच्चे तुम्हारा रूप बन जाएँ। निर्मल चित्त वाले बन जाएँ। हम अपने देश के रखवाले और इसके वीर सपूत बनें। हे भगवन् ! आप हमारे दुःख-दर्द दूर कर दो। आप हमारे जीवन के सभी दोषों को भुला दो।

भावार्थ:
बच्चे चाहते हैं कि वे सब देशभक्त और अच्छे नागरिक बनें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

6. ईश्वर, हम हों सदा निर्भीक,
सेवें गुरु-पितु-मातु सुप्रीत,
मिले कृपा तेरी का दान,
पाएँ नित्य-नूतन वरदान।

शब्दार्थ:
निर्भीक = निडर। सेवें = सेवा करें। पितु-मातु = पिता-माता। सप्रीत = प्यार से, प्रेमपूर्वक। नित्य = सदा रहने वाला, हमेशा। नूतन = नया। वरदान = श्रेष्ठ दान।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसके रचनाकार डॉ० धर्मपाल मैनी हैं। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे ईश्वर ! हम सब बच्चे हमेशा निडर हों। हम कभी किसी से भी न डरे। हम सब गुरुजनों, माता-पिता की प्रेमपूर्वक सेवा करें। हमें तुम्हारी कृपा का दान मिलता रहे और हम तुम से सदा ही नया वरदान प्राप्त करते रहें।

भावार्थ:
बच्चे ईश्वर की कृपा से निर्भय और बड़ों का आदर-सत्कार करने वाले बनना चाहते हैं।

7. सब के पालक दया निधान,
प्रेम बढ़ा कर हरो अज्ञान,
पढ़-लिख कर सब बनें महान,
करें सदा जग का कल्याण।

शब्दार्थ:
पालक = पालन करने वाला। निधान = भण्डार, घर। कल्याण = भला।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० धर्मपाल मैनी द्वारा रचित ‘प्रार्थना’ कविता से लिया गया है। इसमें बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सरलार्थ:
हे दया के भण्डार परमात्मा ! तुम सबका पालन करने वाले हो। हम सबमें आपसी प्रेम भाव बढ़ा कर हमारा अज्ञान दूर कर दो। हम सब बच्चे पढ़-लिख कर महान् बनें और हमेशा संसार का भला करें।

भावार्थ:
बच्चे चाहते हैं कि सब मिल-जुल कर रहें और दुनिया का भला करते रहें।

प्रार्थना Summary

प्रार्थना कविता का सार

हे ईश्वर! तू हम सबका मालिक है। तू क्षमाशील है और हर एक के मन की बात को समझने वाला है। हम बच्चे तेरे ही गुणों को प्राप्त करें और अच्छे काम करें। तू ज्ञान रूपी ज्योति का भंडार है। हम तेरी दया को प्राप्त करें। तेरी कृपा से हम उदार बनें और अपने जीवन से पाप और अज्ञान को दूर करें। तू तेजवान है, महान् है। तू हमें विद्या, विवेक, शील और धैर्य प्रदान कर। तुम्हारी कृपा से हम देश के रक्षक वीर सपूत बनें। हम निडर बनें और अपने मातापिता तथा गुरुओं की सेवा करें। तू तो सब पर दया करने वाले हो। तुम हम पर भी दया करो और हमारे अज्ञान को मिटा दो। हम पढ़-लिख कर सदा संसार का कल्याण करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैं सबसे छोटी होऊँ

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 मैं सबसे छोटी होऊँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 मैं सबसे छोटी होऊँ

Hindi Guide for Class 6 मैं सबसे छोटी होऊँ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोधन

शब्दार्थ:

आँचल = साडी या दुपट्टा जैसे कपड़ों का किनारे का हिस्सा
मात = माता, माँ
कर = हाथ
सज्जित = सजाना
गात = शरीर

वचन बदलो

1. गोदी = …………………
2. परी = …………………..
3. खिलौना = ……………….
4. मैं = …………………
उत्तर:
1. गोदी = गोदियाँ।
2. परी = परियाँ।
3. खिलौना= खिलौने
4. मैं = हम।

विपरीत शब्द लिखो

1. दिन ………………
2. पकड़ना……………
3. छोटी ……………
4. सुखद ……………
उत्तर:
1. दिन = रात।
2. पकड़ना = छोड़ना।
3. छोटी = बड़ी।
4. सुखद = दुःखद।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

पर्यायवाची शब्द लिखो

1. माता = ……………………….
2. दिन = ……………………….
3. रात = ……………………….
4. मुख = ………………………
5. हाथ = …………………….
6. गात = ………………………
7. स्नेह = …………………….
उत्तर:
1. माता = जननी, माँ।
2. दिन = दिवस, वासर।
3. रात = निशा, रात्रि।
4. मुख = मुँह, आनन।
5. हाथ = कर, हस्त।
6. गात = तन, शरीर।
7. स्नेह = प्रेम, प्यार।

सर्वनाम शब्दों के रूप बनाओ

मैं मेरा . मेरी मेरे

तू ……….. , ……….., …………
आप ……….. , ……….., …………
हम ……….. , …………, …………
उत्तर:
मैं – मेरा, मेरी, मेरे।
तू – तेरा, तेरी, तेरे। आप – आपका, आपकी, … आपके।
हम – हमारा, हमारी, हमारें।

इन शब्दों में अन्तर बताओ

स्नेह = प्रेम
शान्ति = सन्नाटा
धूल = राख
ग्रह = गृह
उत्तर:
1. स्नेह – वात्सल्य भाव – माँ अपने बच्चे के प्रति स्नेह रखती है।
प्रेम – प्यार-राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम विश्वभर में प्रसिद्ध है।
2. शान्ति – मन की वह स्थिति जिसमें दुःख, चिन्ता न हो-ईश्वर की ओर ध्यान लगाने से मन को शान्ति मिलती है।
सन्नाटा -निर्जनता, एकान्तता-कप! लगने से शहर में सन्नाटा छा गया।
3. धूल – मिट्टी-बच्चा धूल से लथपथ था।
राख – भस्म-लकड़ी जल कर राख हो गई।
4. ग्रह -नक्षत्र:
1. हमारे सौर परिवार में नौ ग्रह हैं।
2. हमारी पृथ्वी एक ग्रह है।
गृह -घर- मैंने गृह-कार्य पूरा कर लिया है।

विचार-बोध

प्रश्न 1.
कविता में बच्ची सबसे छोटी होना क्यों चाहती है ?
उत्तर:
बच्ची बड़ी होकर माँ के प्यार को खोना नहीं चाहती है। वह बच्ची बनी रह कर माँ का साथ और प्यार पाना चाहती है। इसीलिए वह सबसे छोटी होना चाहती है।

प्रश्न 2.
बचपन में बच्चे अपनी माँ के निकट ही रहते हैं। कविता में निकट रहने की कौन-कौन सी स्थितियाँ बतायी गई हैं ?
उत्तर:
गोदी में सोना, आँचल पकड़कर पीछे-पीछे चलना, हाथ न छोड़ना आदि निकट रहने की स्थितियों का उल्लेख कविता में हुआ है।

प्रश्न 3.
माँ अपनी बच्ची के क्या-क्या काम करती है ?
उत्तर:
माँ अपनी बच्ची को अपने हाथों से खाना खिलाती, मुँह धुलाती, कपड़ों पर लगी मिट्टी पोंछ कर उसे सजाती-संवारती है)

प्रश्न 4.
यह क्यों कहा गया है कि माँ बच्चे को बड़ा बनाकर छलती है ?
उत्तर:
‘माँ बच्चे को बड़ा बनाकर छलती है’, ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि बच्चे को लगने लगता है कि अब माँ मुझे कैसा प्यार, लाड़-दुलार नहीं करती जैसा उसके छोटे होने पर करती थी।

सप्रसंग व्याख्या करो

बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात।
उत्तर:
व्याख्या के लिए विद्यार्थी पाठ के आरम्भ में व्याख्या नं० 2 देखें।

आत्म-बोध

1. कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और माँ का चित्र आपके मन में उभरता है। माँ और बच्चे का सम्बन्ध जीवन भर का है। अनुभव करें।
2. बड़े होने पर अपनी माँ के प्रति अपना कर्त्तव्य न भूलें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

रचनात्मक-अभिव्यक्ति

1. माँ और बच्ची का अपनी कल्पना से चित्र बनाओ और उस चित्र के आधार पर एक कहानी बनाओ।
2. माँ की दिनचर्या नियमित रहती है। परन्तु कुछ मौकों जैसे जन्मदिन, मेहमान आ जाने पर, किसी त्योहार के दिन, घर के किसी सदस्य के बीमार पड़ने पर उसकी दिनचर्या में बदलाव आ जाता है। किसी भी एक मौके पर अपनी माँ की दिनचर्या लिखो।
3. आप अपनी माँ को क्या सहयोग दे सकते हैं ? (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
लड़की क्या बनी रहना चाहती है ?
(क) सबसे बड़ी
(ख) सबसे छोटी
(ग) मध्यमा
(घ) पहली
उत्तर:
(ख) सबसे छोटी

प्रश्न 2.
लड़की किसका आँचल पकड़ना चाहती है ?
(क) माँ का
(ख) दादी का
(ग) चाची का
(घ) मौसी का
उत्तर:
(क) माँ का

प्रश्न 3.
बालिका क्या नहीं बनना चाहती ?
(क) बड़ी
(ख) छोटी
(ग) लघु
(घ) मध्यमा
उत्तर:
(क) बड़ी

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ‘माता’ का पर्याय है।
(क) माँ
(ख) पिता
(ग) नानी
(घ) पत्नी
उत्तर:
(क) माँ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में ‘रात’ का पर्याय है ?
(क) दिन
(ख) दिवस
(ग) रात्रि
(घ) दिवाचर
उत्तर:
(ग) रात्रि

प्रश्न 6.
निम्न में से सर्वनाम शब्द चुनें :
(क) राम
(ख) जाह्नवी
(ग) हमारी
(घ) माँ
उत्तर:
(ग) हमारी

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द पुरुष वाचक सर्वनाम का उदाहरण है ?
(क) मैं
(ख) क्या
(ग) कोई
(घ) कहाँ
उत्तर:
(क) मैं

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

पद्यांशों के सरलार्थ

1. मैं सबसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरा आँचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,
कभी न छोडूं तेरा हाथ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
गोदी = गोद। आँचल = पल्लू।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित सुमित्रानंदन पंत जी की कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि एक बालिका की मनोभावना को अभिव्यक्ति प्रदान करते हुए कहते हैं

व्याख्या:
एक बालिका अपनी माँ से कहती है कि मेरी इच्छा है कि मैं तेरी सबसे छोटी संतान बनूँ और माँ मैं तेरी गोदी में ही सोया करूँ। मैं तेरा आँचल पकड़कर तेरे साथसाथ फिरती रहूँ और कभी भी तेरा हाथ न छोडूं।

भावार्थ:
इन पंक्तियों में कवि ने बालिका की मनोगत भावनाओं की अभिव्यक्ति की है।

2. बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात।

कठिन शब्दों के अर्थ:
छलती = धोखा देती। मात = माता।

प्रसंग:
यह पद्यांश सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ नामक कविता से लिया गया है । इसमें कवि एक बालिका की मनोगत भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहता है कि

व्याख्या:
माँ मैं सबसे छोटी रहकर ही तेरा प्यार पाना चाहती हूँ। तू हमें बड़ा बनाकर बाद में हमसे धोखा करती है क्योंकि फिर तू हमारा हाथ पकड़कर दिन-रात हमारे साथ नहीं घूमती जैसा छोटे होने पर हमें अपने साथ हमारा हाथ पकड़कर घुमाया करती थी।

भावार्थ:
कवि ने एक छोटी लड़की के हृदय में अपनी माँ के प्रति प्रेम के भावों को प्रकट किया है।

3. अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:
कर = हाथ। सज्जित = सजाना, संवारना। गात = शरीर। सुखद = सुख देने वाली, खुशियाँ देने वाली। स्नेह = प्यार।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित सुमित्रानंदन पंत जी की कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ में से ली गई हैं। इसमें कवि ने एक बालिका की मनोगत भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान की है। कवि कहता है

व्याख्या:
बालिका अपनी माँ से आग्रह करती है कि मुझें बड़ा नहीं बनना है क्योंकि बड़ा हो जाने पर मुझे तुम उतना प्यार नहीं करती। अब तुम मुझे खाना अपने हाथ से नहीं खिलाती, मेरा मुँह धोकर, धूल पोंछ कर मुझे सजाती नहीं। तुम मुझे खिलौने देकर मुझे परियों की कहानियाँ नहीं सुनाती। ऐसे मैं बड़ी होना नहीं चाहती। मैं तेरा प्यार खोना नहीं चाहती।

भावार्थ:
बालिका अपनी माँ का प्यार कभी नहीं खोना चाहती और सदा उसके साथ बनी रहना चाहती है।

मैं सबसे छोटी होऊँ Summary

मैं सबसे छोटी होऊँ कविता का सार

एक लड़की अपनी माँ के सामने अपने हृदय की इच्छा व्यक्त करती है। वह चाहती है कि वह सदा सबसे छोटी बनी रहे। उसकी गोद में सोये। आँचल को पकड़ कर उसके पीछे-पीछे घूमती रहे और कभी उसके हाथ को न छोड़े। उसे माँ से शिकायत है कि वह अपने बच्चों को बड़ा करके उन्हें ठगती है। बच्चों के बड़े हो जाने के बाद वह उनके साथ दिन-रात नहीं घूमती। अपने हाथ से खिलाना, नहलाना-सजाना, परियों की कहानियाँ सुनाना आदि पहले की तरह नहीं करती। इसलिए लड़की माँ के प्यार को पहले की तरह पाने के लिए बड़ी नहीं होना चाहती।