PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ Change is an act by which a thing becomes different from its previous one.

→ We see many changes around us and every change is important in a positive or negative way.

→ Changes can be grouped together by finding similarities and differences between them.

→ All the changes can be broadly divided into two types i.e. natural and manmade.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ Changes that occur in nature and do not require our involvement are called natural changes. These are never ending changes.

→ Examples of natural changes include melting of snow, falling of leaves from trees, etc.

→ Changes occurring due to the efforts of human beings are called artificial or manmade changes.

→ Examples of manmade changes include preparing chapattis from wheat flour, cooking vegetables, etc.

→ Based on the speed, we can classify changes into two categories. These are slow changes and fast changes.

→ Slow changes are those which take more time to happen. For example, growing of tree, a baby becoming an adult, etc.

→ Fast changes are those that happen very fast. For example, burning of match sticks, bursting of crackers, etc.

→ Out of all the changes around us, only a few changes can be reversed. These are called reversible changes.

→ The changes which cannot be reversed are called irreversible changes.

→ A change in a substance is called reversible if we can get the substance in its original form by changing the conditions.

→ For example, ice changes to water on melting and water can be changed into ice by cooling, is a reversible change.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ A change in a substance is called irreversible if we cannot get the substance in its original form by changing the conditions.

→ For example, roti once prepared on Tawa, cannot be changed back to dough again.

→ Some changes are periodic whereas others are non-periodic.

→ Changes that are repeated after regular intervals of time are called periodic changes.

→ For example, change of day and night, swinging of pendulum of a clock, the beating of heart, change of seasons.

→ Changes that are not repeated after a regular interval of time are called non-periodic changes.

→ For example, the occurrence of earthquakes, the occurrence of rain, etc.

→ We have classified changes into physical and chemical changes.

→ Any temporary change in which no new substance is formed and the chemical composition of the original substance remains the same is known as physical change.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ During physical changes, physical properties like colour, shape, size, state, etc. may change. Therefore, we can say that Physical change is a reversible change.

→ Any permanent change in which new substances are formed. These have physical and chemical properties completely different from those of the original substance.

→ Physical changes are mostly reversible in nature whereas chemical changes are mostly irreversible changes.

→ Expansion and contraction are physical changes that are very useful in our daily life.

→ In the expansion the dimensions of the substance increase and in contraction the dimensions of the substance decrease.

→ Change: An act by which a thing becomes different from its previous one.

→ Natural changes: Changes that are occurring naturally and are never-ending are called natural changes.

→ Manmade changes: Changes that are occurring due to the efforts of human beings are called manmade changes.

→ Periodic change: Changes that are repeated after regular intervals of time are called periodic changes.

→ For example, change of day and night, swinging of pendulum of a clock, beating of heart, change of seasons.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ Non-periodic changes: Changes that are not repeated after regular intervals of time are called non-periodic changes.

→ For example, the occurrence of earthquakes, the occurrence of rain, etc.

→ Reversible change: The changes which take place in a substance and can be reversed to their original state are called Reversible changes.

→ Irreversible change: The changes which cannot be reversed to the original substances are called Irreversible changes.

→ Physical Change: Physical change is a temporary change in which no new substance is formed and the chemical composition of the original substance remains the same.

→ Chemical change: Chemical change is a permanent change in which new substances are formed whose physical and chemical properties are completely different from those of the original substance.

→ Expansion: When a substance increases its size on heating then the change is called expansion.

→ Thermal expansion: When the expansion is due to an increase in temperature it is called thermal expansion.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 6 Changes Around Us

→ Contraction: When a substance decreases its size on cooling then the change, is called contraction.

→ Evaporation: When a liquid changes into the gaseous form on heating or on decreasing pressure then the process is known as evaporation.

→ Melting: When a solid changes into liquid form on heating or on increasing pressure then the process is known as melting.

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar anuched lekhan अनुच्छेद-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class Hindi Grammar अनुच्छेद-लेखन

1. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
संकेत बिंदु: (i) जन्म से कोई मूर्ख या विद्वान् नहीं (ii) अभ्यास से विशेष योग्यता व कुशलता की प्राप्ति (iii) कोई उदाहरण (iv) अभ्यास से असाध्य कार्य को भी साध्य बनाना।

यह सत्य है कि जन्म से कोई भी मनुष्य मूर्ख या विद्वान् नहीं होता। प्रत्येक मनुष्य का जन्म एक समान होता है। प्रकृति ने हर प्राणी को एक जैसा मस्तिष्क, बुद्धि और हृदय प्रदान किया है। मनुष्य विद्वान् तो बड़ा होकर बनता है जिसके लिए उसे अभ्यास की आवश्यकता होती है। नियमित अभ्यास करने से कोई भी मनुष्य विशेष योग्यता और कुशलता प्राप्त कर सकता है। इतना ही नहीं अभ्यास करने से तो मूर्ख भी धीरे-धीरे विद्वान् बन जाता है।

जैसे विद्यार्थी जीवन में पाणिनी बहुत मूर्ख था। वह एक ही कक्षा में जब अनेक बार असफल हुआ तो उनके गुरु ने उन्हें अपने आश्रम से मूर्ख कहकर निकाल दिया था। जब वह जंगल से गुजर रहा थे तो वह एक कुँए पर अपनी प्यास बुझाने के लिए गए। वहाँ उन्होंने देखा कि पानी खींचने की रस्सी से कुएँ की मेड़ पर भी निशान पड़ रहे थे। उसी समय उन्होंने संकल्प कर लिया कि वह अब लगातार प्रयोग से एक कठोर वस्तु पर भी निशान पड़ सकते हैं तो फिर वह भी मूर्ख से विद्वान् बन सकता। यह निश्चय कर वे वापस अपने गुरु की शरण में चले गए। वही पाणिनी आगे चलकर महान् विद्वान् महर्षि पाणिनी बने। अभ्यास करने से संसार में कोई असाध्य कार्य भी साध्य बन जाता है। अभ्यास असंभव को भी संभव बना देता है। इसीलिए यह सच कहा गया है कि-
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

2. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं
संकेत बिंदु : (i) पराधीनता एक अभिशाप (ii) पराधीनता प्रगति में बाधक (iii) स्वाधीनता जन्मसिद्ध अधिकार (iv) स्वाभिमान और आत्मविश्वास से स्वाधीनता प्राप्त होती है।

इस संसार में पराधीनता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। जो मनुष्य दूसरों के अधीन रहता है वह नरक से बुरा जीवन भोगता है। उसके जीवन में कोई रस नहीं होता और न ही वह जीना चाहता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी का जीवन भी कठिन है। पराधीनता मनुष्य जीवन की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करती है क्योंकि दूसरे के अधीन रहकर मनुष्य कभी भी उन्नति नहीं कर सकता वह अपनी इच्छा से कोई भी काम नहीं कर सकता। उसका खान-पान, रहन-सहन सब कुछ दूसरों पर ही आश्रित होता है। स्वाधीनता प्रत्येक प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस सृष्टि में प्रत्येक प्राणी प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र है। प्रकृति ने सबको अपनी इच्छा के अनुसार जीवनयापन करने का जन्मसिद्ध अधिकार दिया है। वह कहीं भी आ-जा सकता है; घूम सकता है। स्वाभिमान और आत्मविश्वास से स्वाधीनता को प्राप्त किया जा सकता है। जो मनुष्य स्वाभिमानी होता है वह कभी भी दूसरों के अधीन रहना पसंद नहीं करता। आत्मविश्वास के बल पर ही स्वाधीनता प्राप्त की जा सकती है। इसलिए हमें सदा स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी बनना चाहिए। पराधीन होकर जीवन में कोई रस नहीं रहता। इस जीवन में सुख की कल्पना भी नहीं कर सकते। अत: यह सत्य है कि पराधीन व्यक्ति को तो सपने में भी सुख की अनुभूति नहीं होती।

3. नारी शिक्षा का महत्त्व
संकेत बिंदु: (i) सभी का शिक्षित होना आवश्यक (ii) स्त्री शिक्षित तो समाज शिक्षित (iii) संकीर्णता को छोड़कर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना (iv) लड़कियों के लिए विशेष सहूलतें होना।

समाज में प्रत्येक मनुष्य का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। समाज में जितने ज्यादा लोग शिक्षित होंगे समाज उतना ही सभ्य एवं सुसंस्कृत होता है। पुरुषों की अपेक्षा समाज में नारी शिक्षा की अधिक महता है। यदि स्त्री शिक्षित होगी तो समाज अपने आप ही शिक्षित हो जाएगा क्योंकि एक स्त्री दो परिवारों की देख-रेख करती है। वैसे भी नारी को ही समाज का निर्माण करने वाली होती है। नारी ही समाज का मूल आधार होती है। इसलिए नारी शिक्षित होगी तो सारा समाज शिक्षित तो बन ही जाएगा। वर्तमान युग में इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अपनी संकीर्ण विचारों को छोड़ देना चाहिए। उन्हें अपनी संकीर्णता को त्याग कर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पुरुषों को नारी को किसी भी रूप में कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि नारी का स्थान सबसे बड़ा होता है। समाज में लड़कियों को विशेष लाभ मिलना चाहिए। यदि लड़कियों को विशेष दर्जा दिया जाएगा तो समाज में वे आगे बढ़ सकेंगी। इतना ही नहीं समाज के हर क्षेत्र में उनका विकास होगा। लड़कियों के लिए विशेष शिक्षा दी जानी चाहिए। यदि लड़कियां शिक्षित होंगी तभी समाज का कल्याण होगा। लड़कियों को सुशिक्षित होने से ही समाज सभ्य सुसंस्कृत और संस्कारवान बन पाएगा। इसलिए समाज में नारी शिक्षा का बहुत महत्त्व है।

4. व्यायाम का महत्त्व
संकेत बिंदु: (i) व्यायाम की ज़रूरत (ii) व्यायाम का स्वरूप (iii) व्यायाम के लाभ (iv) व्यायाम करने में नियमितता।

हमारे जीवन में व्यायाम की बहुत आवश्यकता होती है। नियमित व्यायाम करने से ही व्यक्ति का शरीर स्वस्थ और सुडौल बन सकता है। जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते उनके शरीर में अनेक रोग लग जाते हैं। वे जल्दी ही बूढ़े हो जाते हैं। उनमें चुस्ती-फुर्ती गायब हो जाती है। उनके जीवन में आलस्य छा जाता है। व्यायाम अनेक प्रकार के होते हैं। सैर करना, योगा, भागदौड़, टहलना आदि व्यायाम के ही रूप होते हैं। सुबह शाम सैर करनी चाहिए, योगाभ्यास करना चाहिए। अनुलोम-विलोम, सूर्य नमस्कार आदि नियमित रूप से करने चाहिए। जीवन में व्यायाम के अनेक लाभ हैं। व्यायाम करने से शरीर चुस्त रहता है। व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ और रोग रहित रहता है। शरीर में चुस्ती-फुर्ती आ जाती है। आलस्य गायब हो जाता है। चेहरे पर चमक आ जाती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। नियमित व्यायाम करने से ही अधिक लाभ होता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति आती है। शरीर का पूर्ण विकास होने लगता है।

5. यदि मैं अध्यापक होता
संकेत बिंदु: (i) मन की इच्छा कि अध्यापक होता (ii) स्कूल में विद्यमान कमियों को दूर करने की तरफ ध्यान (iii) पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाओं, खेल तथा सम्पूर्ण शिक्षा स्तर के उत्थान पर बल।

संसार में प्रत्येक मनुष्य कुछ न कुछ बनना चाहता है। यहाँ प्रत्येक मनुष्य की इच्छा अलग-अलग होती है। मेरे मन की इच्छा है कि मैं एक अध्यापक बनूँ। यदि मैं एक अध्यापक होता तो अपने समाज के विकास में योगदान देता। सदा शिक्षा क्षेत्र में आई कमियों को दूर करने का प्रयास करता। बच्चों को चहुँमुखी विकास में उनका मार्गदर्शन करता। सदा बच्चों की भलाई करता। मैं अपने स्कूल की कमियों को दूर करने का प्रयास करता। छोटी-छोटी कमियों को ढूंढकर उन्हें दूर करने का प्रयास करता। मैं पुस्तकालय, विज्ञान, प्रयोगशालाओं, खेल आदि के उत्थान के प्रयास अवश्य करता। खेलों को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को जागरूक बनाता। मैं सदा संपूर्ण शिक्षा स्तर के उत्थान पर बल देता। शिक्षा का स्तर बच्चों के जीवन को विकसित कर सके ऐसे प्रयास करता। मैं एक अध्यापक होने के नाते सदा ईमानदारी, सत्यनिष्ठ एवं कर्त्तव्य भावना से अपना कर्म करता।

6. आँखों देखी रेल दुर्घटना
संकेत बिंदु: (i) घर के पास से रोज़ ट्रेन का गुज़रना (ii) खेलकूद में मस्त (iii) अचानक ट्रेन का पटरी से उतरना (iv) भयानक दृश्य : अनेक यात्रियों का मौत के मुँह में जाना (v) स्थानीय लोगों द्वारा मौके पर मदद (vi) सदमा पहुँचाने वाली दुर्घटना।

मेरा घर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के बिल्कुल पास है। मेरे घर के पास से ही पटरी गुज़र रही है। प्रतिदिन घर के पास से अनेक गाड़ियाँ गुजरती हैं। अब मैं गाड़ियों के शोर से अभ्यस्त हो गया हूँ। एक दिन मैं दोपहर के समय खेलकूद में दोस्तों के साथ मस्त था। हम सभी फुटबाल खेल रहे थे। अचानक देखा कि एक ट्रेन पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना से चारों तरफ हाहाकार मच गया। ट्रेन में बैठे यात्री चिल्लाने लगे। पटरी से उतरकर ट्रेन अनेक घरों को तोड़ती-रौंदती हुई एक गहरे गड्ढे में जा गिरी उसके बाद घटनास्थल पर अनेक लोग जमा हो गए। रेलवे पुलिस के अनेक जवान आ गए। आग बुझाने वाली गाड़ियां आ गईं। इस दुर्घटना में अनेक यात्रियों की मौत हो गई। यह एक भयानक दृश्य था। इस भयानक दृश्य को देखकर मन डर गया। स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुँच कर यात्रियों की मदद की। फँसे यात्रियों को बाहर निकाला। उन्हें पानी पिलाया। कुछ खाने की वस्तुएं दीं। इस भयानक दृश्य को देखकर हर व्यक्ति सहम गया। यात्रियों की लाशें देखकर मुझे सदमा लगा। यह दृश्य मेरे मन में बैठ गया।

7. जैसा करोगे वैसा भरोगे
संकेत बिंदु : (i) कर्म करना बीज बोने के समान (ii) कोई कहावत जैसे-बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाए (iii) अच्छे काम का अच्छा फल (iv) बुरे काम का बुरा फल (v) अच्छे कर्म करने पर बल।

जीवन में प्रत्येक मनुष्य को कर्म करना पड़ता है। कर्म करना व्यक्ति का स्वभाव है। कर्म ही मनुष्य जीवन का आधार है। जीवन में कर्म करना खेत में बीज बोने के समान है। जिस प्रकार किसान अपने खेत में जैसा बीज बोता है उसे वैसी ही फसल मिलती है। ठीक उसी तरह मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। यह प्रसिद्ध कहावत है कि बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाए अर्थात् यदि हम बबूल का पेड़ बोएँगे तो हमें कांटे ही मिलेंगे। उससे कभी मीठे आम प्राप्त नहीं होंगे। यह सच ही है मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे संसार में वैसा ही फल भोगना पड़ता है। कर्मफल का यही सिद्धांत है जो कभी भी निष्फल नहीं होता। इसीलिए इस संसार में जो मनुष्य अच्छे काम करता है उसे अच्छा फल मिलता है। जो बुरे काम करता है उसे बुरा फल ही मिलता है। फल की प्राप्ति मनुष्य के कर्मों पर निर्भर करती है। इसलिए मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करने चाहिए। उसे जीवन में कभी भूलकर भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि बुरे कर्म करने पर मनुष्य सदा पश्चात्ताप करता है।

8. सच्चा मित्र
संकेत बिंदु : (i) सच्चा मित्र : एक खज़ाना (ii) सुख-दुःख का साथी (i) मार्गदर्शक और प्रेरक (iv) परख और सही चुनाव।

जीवन में सच्चा मित्र एक अनूठे खजाने के समान होता है। जिस तरह किसी व्यक्ति को कोई खज़ाना मिलने से उसके जीवन में अपार खुशियाँ आ जाती हैं। उसके जीवन में धन, संपदा की कोई कमी नहीं रहती। ठीक उसी तरह सच्चा मित्र मिलने से भी जीवन खुशियों से भर जाता है। सच्चा मित्र मिलने से जीवन सुखमय बन जाता है। जीवन के बुरे गुण अच्छे गुणों में बदल जाते हैं। एक सच्चा मित्र ही जीवन में सुख-दुःख का सच्चा साथी होता है। सच्चा मित्र केवल सुख में ही नहीं बल्कि दुःख में भी सहयोग देता है। वह भयंकर समय में भी हमारा साथ नहीं छोड़ता। सच्चा मित्र एक मार्गदर्शक प्रेरक होता है। वह एक गुरु के समान हमारा सच्चा मार्गदर्शन करता है। वह सदा अच्छाई की ओर प्रेरित करता है। वह सदा सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। सद्कर्म करने की प्रेरणा देता है। हमें सद्मार्ग पर चलने का सुझाव देता है। इसलिए जीवन में हमें एक मित्र का चुनाव सोच-समझकर और परखकर करना चाहिए। बुरे लोगों को कभी भी अपना मित्र नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये अपना ही नहीं बल्कि दूसरों का भी जीवन बर्बाद कर देते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

9. जब मैं स्टेज पर बोलने के लिए पहली बार चढ़ा

संकेत बिंदु : (i) अध्यापक द्वारा पंद्रह अगस्त पर बोलने की ज़िम्मेदारी (ii) स्टेज पर बोलने में झिझक और तनाव (ii) अध्यापक और माता-पिता की प्रेरणा से झिझक और तनाव दूर (iv) बोलने की तैयारी (1) अभ्यास करने से अच्छी तरह बोला गया (vi) आत्मविश्वास बड़ा। . मैं नौवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। एक बार हमारे विद्यालय में पंद्रह अगस्त का समारोह मनाया गया। मेरे हिंदी–अध्यापक श्री सुभाष कपूर ने मुझे इस समारोह में स्टेज पर बोलने की ज़िम्मेवारी दी। मैं इससे पहले कभी स्टेज पर नहीं बोला था इसलिए मुझे स्टेज पर बोलने में झिझक और तनाव हो रहा था। मुझे मन ही मन डर लग रहा था। तब मेरे हिंदी अध्यापक ने मुझे बहुत समझाया। मेरे माता-पिता ने भी मुझे समझाया और मुझे बोलने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार अपने अध्यापक और माता-पिता की प्रेरणा से मेरे अंदर की झिझक और तनाव दूर हो गया। फिर मैंने बोलने की खूब तैयारी की। मेरे अध्यापक ने भी कक्षा में लगातार सात दिन तैयारी करवाई। धीरे-धीरे मेरे अंदर आत्मविश्वास बढ़ता गया। फिर पंद्रह अगस्त के समारोह में मैं स्टेज पर बोलने के लिए गया। मैंने सभी का अभिवादन करते हुए बोलना शुरू किया। मैं लगातार पंद्रह मिनट तक भाषण देता रहा। इस प्रकार अभ्यास करने से स्टेज पर अच्छी तरह बोला गया। स्टेज पर बोलने से मेरे अंदर और आत्मविश्वास बढ़ गया।

10. जब मैं पुस्तक मेला देखने गयी

संकेत बिंदु : (i) अपने शहर में पुस्तक मेला (ii) 100 से अधिक प्रकाशकों की भागीदारी (iii) खरीददारी में छूट और लुभावनी योजनाएँ (iv) मनपसंद पुस्तकें खरीदना (v) यादगार पुस्तक मेला।

इस बार सितंबर में हमारे शहर चंडीगढ़ में पुस्तक मेला लगा। पुस्तक मेला ‘रोज़ गार्डन’ में लगाया गया। इस मेले के लिए आयोजकों ने पार्क को खूब सजाया। चारों तरफ चमकदार पर्दे लगाए। सतरंगी लाइटें लगाई गईं। इसके साथसाथ बच्चों के मनोरंजन के लिए अनेक खेलों का भी आयोजन किया गया। इस पुस्तक मेले में सौ से अधिक प्रकाशकों ने भाग लिया। इनमें दिव्य प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, कमल प्रकाशन, अजय पुस्तक प्रकाशन, ऐम०बी०डी० प्रकाशन चंडीगढ़ प्रकाशन आदि प्रमुख थे। सभी प्रकाशकों ने अपनी-अपनी दुकानों को खूब सजाया हुआ था। सभी ने अपनी दुकानों पर किताबों को सजाकर लगाया हुआ था। प्रत्येक प्रकाशक ने खरीददारी के लिए आकर्षक छूट तथा लुभावनी योजनाएँ चला रखी थीं। कोई दो पुस्तकें खरीदेने पर एक पुस्तक मुफ्त तो कोई एक लक्की ड्रा नं० दे रहा था। कई प्रकाशक पुस्तक मूल्य पर पचास प्रतिशत की छूट दे रहे थे। मैंने इस मेले में अपनी मनपसंद पुस्तकें खरीदीं जिनमें रामायण, गोदान, पंचतंत्र की कथाएँ, संत कबीर के दोहे, रामचरितमानस, कुरुक्षेत्र आदि प्रमुख हैं। यह मेरे लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर के लिए एक यादगार मेला था। इसका आयोजन भव्य तरीके से किया गया था।

परीक्षोपयोगी अन्य अनुच्छेद

1. प्रदर्शनी में एक घंटा
पिछले महीने मुझे दिल्ली में अपने किसी मित्र के पास जाने का अवसर प्राप्त हुआ। संयोग से उन दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी चल रही थी। मैंने अपने मित्र के साथ इस प्रदर्शनी को देखने का निश्चय किया। शाम को लगभग पाँच बजे हम प्रगति मैदान पर पहुँचे। प्रदर्शनी के मुख्य द्वार पर हमें यह सूचना मिल गई कि इस प्रदर्शनी में लगभग 30 देश भाग ले रहे हैं। हमने देखा की सभी देशों ने अपने-अपने पंडाल बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं। उन पंडालों में उन देशों की निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था। अनेक भारतीय कम्पनियों ने भी अपने-अपने पंडाल सजाए हुए थे। प्रगति मैदान किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था। प्रदर्शनी में सजावट और रोशनी का प्रबन्ध इतना शानदार था कि अनायास ही मन से वाह निकल पड़ती थी। प्रदर्शनी देखने आने वालों की काफ़ी भीड़ थी। हमने प्रदर्शनी के मुख्य द्वार से टिकट खरीद कर भीतर प्रवेश किया।

सबसे पहले हम जापान के पंडाल में गए। जापान ने अपने पंडाल में कृषि, संचार, कम्प्यूटर आदि से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया था। हमने वहाँ इक्कीसवीं सदी में टेलीफोन एवं दूर संचार सेवा कैसी होगी इस का एक छोटा-सा नमूना देखा। जापान ने ऐसे टेलीफोन का निर्माण किया है जिसमें बातें करने वाले दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की फोटो भी देख सकेंगे। सारे पंडाल का चक्कर लगाकर हम बाहर आए। उसके बाद हमने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के पंडाल देखे। उस प्रदर्शनी को देखकर हमें लगा कि अभी भारत को उन देशों का मुकाबला करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी। हमने वहाँ भारत में बनने वाले टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि का पंडाल भी देखा। वहाँ यह जानकारी प्राप्त करके मन बहुत खुश हुआ कि भारत दूसरे बहुत-से देशों को ऐसा सामान निर्यात करता है। भारतीय उपकरण किसी भी हालत विदेशों में बने सामान से कम नहीं थे। कोई घंटा भर प्रदर्शनी में घूमने के बाद हमने प्रदर्शनी में ही बने रेस्टोरेंट में चाय-पान किया और इक्कीसवीं सदी में दुनिया में होने वाली प्रगति का नक्शा आँखों में बसाए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक जानकारी प्राप्त करके घर वापस आ गए।

2. परीक्षा शुरू होने से पहले
वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है किन्तु विद्यार्थी इससे विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना ज़रूरी है, नहीं तो जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएँगे। ऐसी चिन्ताएँ हर विद्यार्थी को रहती हैं। परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक्-धक् कर रहा था। परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहाँ पहुँच गया था। मैं सोच रहा था कि सारी रात जाग कर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्नपत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता मैं अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था। परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था। परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिल्कुल बेफिक्र लग रहे थे। वे आपस में ठहाके मारमारकर बातें कर रहे थे। कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों या नोट्स से चिपके हुए थे। कुछ विद्यार्थी आपस में नकल करने के तरीकों पर विचार कर रहे थे। मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था।

क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए। सारे साल का पढ़ा हुआ भूल नहीं जाता, यदि आपने कक्षा में अध्यापक को ध्यान से सुना हो। वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात को जल्दी सोने की भी सलाह देते हैं, ताकि सवेरे उठकर विद्यार्थी ताज़ा दम होकर परीक्षा देने जाए न कि थका-थका महसूस करे। परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं। उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानो परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं। उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था। इसी आत्मविश्वास के कारण तो लड़कियाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। दूसरे लड़कियाँ कक्षा में दत्तचित्त होकर अध्यापक का भाषण सुनती हैं जबकि लड़के शरारतें करते रहते हैं। थोड़ी ही देर में घंटी बजी। यह घण्टी परीक्षा भवन में प्रवेश की घण्टी थी। इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया। हँसते हुए चेहरों पर भी अब गंभीरता आ गई थी। परीक्षा भवन के बाहर अपना रोल नंबर और सीट नंबर देखकर मैं परीक्षा भवन में दाखिल हुआ और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे। मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न-पत्र बँटने की प्रतीक्षा करने लगा।

3. छुट्टी का दिन
छुट्टी के दिन की हर किसी को प्रतीक्षा होती है। विशेषकर विद्यार्थियों को तो इस दिन की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री से होती है। उस दिन न तो जल्दी उठने की चिन्ता होती है, न स्कूल जाने की। स्कूल में भी छुट्टी की घंटी बजते ही विद्यार्थी कितनी प्रसन्नता से छुट्टी ओए’ का नारा लगाते हुए कक्षाओं से बाहर आ जाते हैं। अध्यापक महोदय के भाषण का आधा वाक्य ही उनके मुँह में रह जाता है और विद्यार्थी कक्षा छोड़कर बाहर की ओर भाग जाते हैं। और जब यह पता चलता है कि आज दिनभर की छुट्टी है तो विद्यार्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। छुट्टी के दिन का पूरा मज़ा तो लड़के ही उठाते हैं। वे उस दिन खूब जी भर कर खेलते हैं, घूमते हैं। कोई सारा दिन क्रिकेट के मैदान में बिताता है तो कोई पतंगबाजी में सारा दिन बिता देते हैं। सुबह के घर से निकले शाम को ही घर लौटते हैं। कोई कुछ कहे तो उत्तर मिलता है कि आज तो छुट्टी है। परन्तु हम लड़कियों के लिए छुट्टी का दिन घरेलू कामकाज का दिन होता है। हाँ, यह ज़रूर है कि उस दिन पढ़ाई से छुट्टी होती है।

छुट्टी के दिन मुझे सुबह सवेरे उठ कर अपनी माता जी के साथ कपड़े धोने में सहायता करनी पड़ती है। मेरी माता जी एक स्कूल में पढ़ाती हैं अत: उनके पास कपड़े धोने के लिए केवल छुट्टी का दिन ही उपयुक्त होता है। कपड़े धोने के बाद मुझे अपने बाल धोने होते हैं बाल धोकर स्नान करके फिर रसोई में माता जी का हाथ बंटाना पड़ता है। छुट्टी के दिन ही हमारे घर में विशेष व्यंजन पकते हैं। दूसरे दिनों में तो सुबह सवेरे तो सब को भागम-भाग लगी होती है किसी को स्कूल जाना होता है तो किसी को दफ्तर। दोपहर के भोजन के पश्चात् थोड़ा आराम करते हैं। फिर माता जी मुझे लेकर बैठ जाती हैं। कुछ सिलाई, बुनाई या कढ़ाई की शिक्षा देने। उनका मानना है कि लड़कियों को ये सब काम आने चाहिए। शाम होते ही शाम की चाय का समय हो जाता है। छुट्टी के दिन शाम की चाय में कभी समोसे कभी पकौड़े बनाये जाते हैं। चाय पीने के बाद फिर रात के खाने की चिंता होने लगती है और इस तरह छुट्टी का दिन एक लड़की के लिए छुट्टी का नहीं अधिक काम का दिन होता है। सोचती हूँ काश मैं लड़का होती तो मैं भी छुट्टी के दिन का पूरा आनंद उठाती।।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

4. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा
जून का महीना था। सूर्य अंगारे बरसा रहा था। धरती तप रही थी। पशु पक्षी तक गर्मी के मारे परेशान थे। हमारे यहाँ तो कहावत प्रचलित है कि ‘जेठ हाड़ दियां धुपां पोह माघ दे पाले’। जेठ अर्थात् ज्येष्ठ महीना हमारे प्रदेश में सबसे अधिक तपने वाला महीना होता है। इसका अनुमान तो हम जैसे लोग ही लगा सकते हैं। मजदूर और किसान ही इस तपती गर्मी को झेलते हैं, पंखों, कूलरों या एयर कंडीशनरों में बैठे लोगों को इस गर्मी की तपश का अनुमान नहीं हो सकता। ज्येष्ठ महीना बीता, आषाढ़ महीना शुरू हुआ इस महीने में ही वर्षा ऋतु की पहली वर्षा होती है। सब की दृष्टि आकाश की ओर उठती है। किसान लोग तो ईश्वर से प्रार्थना के लिए अपने हाथ ऊपर उठा देते हैं। सहसा एक दिन आकाश में बादल छा गये। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर अपनी मधुर आवाज़ में बोलने लगे। हवा में भी थोड़ी शीतलता आ गई। मैं अपने कुछ साथियों के साथ वर्षा ऋतु की पहली वर्षा का स्वागत करने की तैयारी करने लगा। धीरे-धीरे हल्की-हल्की बूंदा-बांदी शुरू हो गयी। हमारी मंडली की खुशी का ठिकाना न रहा। मैं अपने साथियों के साथ गाँव की गलियों में निकल पड़ा। साथ ही हम नारे लगाते जा रहे थे, ‘कालियां इट्टां काले रोड़, मीह बरसा दे जोरो जोर।’

कुछ साथी गा रहे थे ‘बरसो राम धड़ाके से, बुढ़िया मर गई फाके से’। किसान लोग भी खुश थे। उसका कहना था’बरसे सावन तो पाँच के हो बावन’ नववधुएँ भी कह उठीं ‘बरसात वर के साथ’ और विरहिणी स्त्रियाँ भी कह उठीं कि ‘छुट्टी लेके आजा बालमा, मेरा लाखों का सावन जाए।’ वर्षा तेज़ हो गयी थी। हमारी मित्र मण्डली वर्षा में भीगती गलियों से निकल खेतों की ओर चल पड़ी। खुले में वर्षा में भीगते, नहाने का मज़ा ही कुछ और है। हमारी मित्र मण्डली में गाँव के और बहुत से लड़के शामिल हो गये थे। वर्षा भी उस दिन कड़ाके से बरसी। मैं उन क्षणों को कभी भूल नहीं सकता। सौंदर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी न किया था। जैसे वह सौंदर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो। मैं उसे छू सकता था, देख सकता था और पी सकता था। मुझे अनुभव हुआ कि कवि लोग क्योंकर ऐसे दृश्यों से प्रेरणा पांकर अमर काव्य का सृजन करते हैं। वर्षा में भीगना, नहाना, नाचना, खेलना उन लोगों के भाग्य में कहाँ जो बड़ीबड़ी कोठियों में एयरकंडीशनड कमरों में रहते हैं।

5. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य
एक दिन संयोग से मुझे अपने बड़े भाई को लेने रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ा। मैं प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन के अन्दर गया। पूछताछ खिड़की से पता लगा कि दिल्ली से आने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नं० 4 पर आएगी। मैं रेलवे पुल पार करके प्लेटफार्म नं0 4 पर पहुँच गया। वहाँ यात्रियों की काफ़ी बड़ी संख्या मौजूद थी। कुछ लोग मेरी तरह अपने प्रियजनों को लेने के लिए आए थे तो कुछ लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराने के लिए आए हुए थे। जाने वाले यात्री अपने-अपने सामान के पास खड़े थे। कुछ यात्रियों के पास कुली भी खड़े थे। मैं भी उन लोगों की तरह गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगा। इसी दौरान मैंने अपनी नज़र रेलवे प्लेटफार्म पर दौड़ाई। मैंने देखा कि अनेक युवक और युवतियाँ अत्याधुनिक पोशाक पहने इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ युवक तो लगता था यहाँ केवल मनोरंजन के लिए ही आए थे। वे आने जाने वाली लड़कियों, औरतों को अजीब-अजीब नज़रों से घूर रहे थे। ऐसे युवक दो-दो, चारचार के ग्रुप में थे। कुछ यात्री टी-स्टाल पर खड़े चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, परन्तु उनकी नज़रें बार-बार उस तरफ उठ जाती थीं, जिधर से गाड़ी आने वाली थी।

कुछ यात्री बड़े आराम से अपने सामान के पास खड़े थे, लगता था कि उन्हें गाड़ी आने पर जगह प्राप्त करने की कोई चिंता नहीं। उन्होंने पहले से ही अपनी सीट आरक्षित करवा ली थी। कुछ फेरी वाले भी अपना माल बेचते हुए प्लेटफार्म पर घूम रहे थे। सभी लोगों की नज़रें उस तरफ थीं जिधर से गाड़ी ने आना था। तभी लगा जैसे गाड़ी आने वाली हो। प्लेटफार्म पर भगदड़-सी मच गई। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाकर तैयार हो गए। कुलियों ने सामान अपने सिर पर रख लिया। सारा वातावरण उत्तेजना से भर गया। देखते ही देखते गाड़ी प्लेटफार्म पर आ पहुँची। कुछ युवकों ने तो गाड़ी के रुकने की भी प्रतीक्षा न की। वे गाड़ी के साथ दौड़ते-दौड़ते गाड़ी में सवार हो गए। गाड़ी रुकी तो गाड़ी में सवार होने के लिए धक्कम-पेल शुरू हो गयी। हर कोई पहले गाड़ी में सवार हो जाना चाहता था। उन्हें दूसरों की नहीं अपनी केवल अपनी चिन्ता थी। मेरे भाई मेरे सामने वाले डिब्बे में थे। उनके गाड़ी से नीचे उतरते ही मैंने उनके चरण स्पर्श किए और उनका सामान उठाकर स्टेशन से बाहर की ओर चल पड़ा। चलते-चलते मैंने देखा जो लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराकर लौट रहे थे उनके चेहरे उदास थे और मेरी तरह जिनके प्रियजन गाड़ी से उतरे थे उनके चेहरों पर रौनक थी, खुशी थी।

6. बस अड्डे का दृश्य
आजकल पंजाब में लोग अधिकतर बसों से ही यात्रा करते हैं। पंजाब का प्रत्येक गाँव मुख्य सड़क से जुड़ा होने के कारण बसों का आना-जाना अब लगभग हर गाँव में होने लगा है। बस अड्डों का जब से प्रबन्ध पंजाब रोडवेज़ के अधिकार क्षेत्र में आया है बस अड्डों का हाल दिनों-दिन बुरा हो रहा है। हमारे शहर का बस अड्डा भी उन बस अड्डों में से एक है जिसका प्रबन्ध हर दृष्टि से नाकारा है। इस बस अड्डे के निर्माण से पूर्व बसें अलग-अलग स्थानों से अलगअलग अड्डों से चला करती थीं। सरकार ने यात्रियों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी बस अड्डे एक स्थान पर कर दिए। शुरू-शुरू में तो लोगों को लगा कि सरकार का यह कदम बड़ा सराहनीय है किन्तु ज्यों-ज्यों समय बीतता गया जनता की कठिनाइयाँ, परेशानियाँ बढ़ने लगीं। हमारे शहर के बस अड्डे पर भी अन्य शहरों की तरह अनेक दुकानें बनाई गई हैं, जिनमें खान-पान, फल, सब्जियों आदि की दुकानों के अतिरिक्त पुस्तकों की, मनियारी आदि की भी अनेक दुकानें हैं। हलवाई की दुकान से उठने वाला धुआँ सारे यात्रियों की परेशानी का कारण बनता है। चाय पान आदि की दुकानों की साफ़-सफ़ाई की तरफ कोई ध्यान नहीं देता।

वहाँ माल भी महँगा मिलता है और गन्दा भी। बस अड़े में अनेक फलों की रेहड़ी वालों को भी माल बेचने की आज्ञा दी गई है। ये लोग काले लिफ़ाफे रखते हैं जिनमें वे सड़े-गले फल पहले से ही तोल कर रखते हैं और लिफ़ाफा इस चतुराई से बदलते हैं कि यात्री को पता ही नहीं चलता। घर पहुँच कर ही पता चलता है कि उन्होंने जो फल (सेब या आम) चुने थे वे बदल दिए गए हैं। अड्डा इन्चार्ज इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं करते। बस अड्डे की शौचालय की साफ़-सफ़ाई न होने के बराबर है। यात्रियों को टिकट देने के लिए लाइन नहीं लगवाई जाती। बस आने पर लोग भाग-दौड़ कर बस में सवार होते हैं। औरतों, बच्चों और वृद्ध लोगों का बस में चढ़ना कठिन होता है। बहुत बार देखा गया है कि जितने लोग बस के अन्दर होते हैं उतने ही बस के ऊपर चढ़े होते हैं। पंजाब में एक कहावत प्रसिद्ध है कि ‘रोडवेज़ की लारी न कोई शीशा न बारी’ पर बस अड्डों का हाल तो उनसे भी बुरा है। जगह-जगह खड्डे, कीचड़, मक्खियाँ, मच्छर और न जाने क्या क्या। आज यह बस अड्डे जेबकतरों और नौसर बाजों के अड्डे बने हुए हैं। हर यात्री को अपने-अपने घर पहुँचने की जल्दी होती है इसलिए कोई भी बस अड्डे की इस दुर्दशा की ओर ध्यान नहीं देता।

7. भूचाल का दृश्य
गर्मियों की रात थी। मैं अपने भाइयों के साथ मकान की छत पर सो रहा था। रात लगभग आधी बीत चुकी थी। गर्मी के मारे मुझे नींद नहीं आ रही थी। तभी अचानक कुत्तों के भौंकने का स्वर सुनाई पड़ा। यह स्वर लगातार बढ़ता ही जा रहा था और लगता था कि कुत्ते तेज़ी से इधर-उधर भाग रहे हैं। कुछ ही क्षण बाद हमारी मुर्गियों ने दरबों में फड़फड़ाना शुरू कर दिया। उनकी आवाज़ सुनकर ऐसा लगता था कि जैसे उन्होंने किसी साँप को देख लिया हो। मैं बिस्तर पर लेटा-लेटा कुत्तों के भौंकने के कारण विचार करने लगा। मैंने समझा कि शायद वे किसी चोर को या संदिग्ध व्यक्ति को देखकर भौंक रहे हैं। अभी मैं इन्हीं बातों पर विचार कर ही रहा था कि मुझे लगा जैसे मेरी चारपाई को कोई हिला रहा है अथवा किसी ने मेरी चारपाई को झुला दिया हो। क्षण भर में ही मैं समझ गया कि भूचाल आया है। यह झटका भूचाल का ही था। मैंने तुरंत अपने भाइयों को जगाया और उन्हें छत से शीघ्र नीचे उतरने को कहा। छत से उतरते समय हमने परिवार के अन्य सदस्यों को भी जगा दिया। तेजी से दौड़कर हम सब बाहर खुले मैदान में आ गए। वहाँ पहुँच कर हमने शोर मचाया कि भूचाल आया है।

सब लोग घरों से बाहर आ जाओ। सभी गहरी नींद सोए पड़े थे हड़बड़ाहट में सभी बाहर की ओर दौड़े। मैंने उन्हें बताया कि भूचाल के झटके कभी-कभी कुछ मिनटों के बाद भी आते हैं अतः हमें सावधान रहना चाहिए। अभी यह बात मेरे मुँह में ही थी कि भूचाल का एक ज़ोरदार झटका और आया। सारे मकानों की खिड़कियाँ-दरवाज़े खड़-खड़ा उठे। हमें धरती हिलती मालूम हुई। हम सब धरती पर लेट गए। तभी पड़ोस के दो मकान ढहने की आवाज़ आई। साथ ही बहुत से लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें भी आईं। हम में से कोई भी डर के मारे अपनी जगह से नहीं हिला। कुछ देर बाद जब हमने सोचा कि जितना भूचाल आना था आ चुका, हम उन जगहों की ओर बढ़े। निकट जाकर देखा तो काफ़ी मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। ईश्वर कृपा से जान माल की कोई हानि न हुई थी। किन्तु वह रात सारे गाँववासियों ने पुनः भूचाल के आने की आशंका में घरों से बाहर रह कर ही रात बितायी।

8. रेल यात्रा का अनुभव
हमारे देश में रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जो यात्रियों को टिकट देकर सीट की गारंटी नहीं देता। रेल का टिकट खरीद कर सीट मिलने की बात तो बाद में आती है पहले तो गाड़ी में घुस पाने की भी समस्या सामने आती है। और यदि कहीं आप बाल-बच्चों अथवा सामान के साथ यात्रा कर रहे हों तो यह समस्या और भी विकट हो उठती है। कभीकभी तो ऐसा भी होता है कि टिकट पास होते हुए भी आप गाड़ी में सवार नहीं हो पाते और ‘दिल की तमन्ना दिल में रह गयी’ गाते हुए या रोते हुए घर लौट आते हैं। रेलगाड़ी में सवार होने से पूर्व गाड़ी की प्रतीक्षा करने का समय बड़ा कष्टदायक होता है। मैं भी एक बार रेलगाड़ी में मुंबई जाने के लिए स्टेशन पर गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहा था। गाड़ी कोई दो घंटे लेट थी। यात्रियों की बेचैनी देखते ही बनती थी। गाड़ी आई तो गाड़ी में सवार होने के लिए जोर आजमाई शुरू हो गयी। किस्मत अच्छी थी कि मैं गाड़ी में सवार होने में सफल हो सका। गाडी चले अभी घंटा भर ही हुआ था कि कुछ यात्रियों के मुख से मैंने सुना कि यह डिब्बा जिसमें मैं बैठा था अमुक स्थान पर कट जाएगा। यह सुनकर मैं तो दुविधा में पड़ गया।

गाड़ी रात के एक बजे उस स्टेशन पर पहुँची जहाँ हमारा वह डिब्बा मुख्य गाड़ी से कटना था और हमें दूसरे डिब्बे में सवार होना था। उस समय अचानक तेज़ वर्षा होने लगी। स्टेशन पर कोई भी कुली नज़र नहीं आ रहा था। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाए वर्षा में भीगते हुए दूसरे डिब्बे की ओर भागने लगे। मैंने भी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का स्मरण करते हुए अपना सामान स्वयं ही उठाने का निर्णय करते हुए अपना सामान गाड़ी से उतारने लगा। मैं अपना अटैची लेकर उतरने लगा कि एक दम से वह डिब्बा चलने लगा। मैं गिरते-गिरते बचा और अटैची मेरे हाथ से छूट कर प्लेटफार्म पर गिर पड़ा और पता नहीं कैसे झटके के साथ खुल गया। मेरे कपड़े वर्षा में भीग गए। मैंने जल्दी-जल्दी अपना सामान समेटा और दूसरे डिब्बे की ओर बढ़ गया। गर्मी का मौसम और उस डिब्बे के पंखे बंद। खैर गाड़ी चली तो थोड़ी हवा लगी और कुछ राहत मिली। बड़ी मुश्किल से मैं मुम्बई पहुंचा।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

9. बस यात्रा का अनुभव
पंजाब में बस-यात्रा करना कोई आसान काम नहीं है। एक तो पंजाब की बसों के विषय में पहले ही कहावत प्रसिद्ध है कि ‘रोडवेज़ की लारी न कोई शीशा न कोई बारी’ दूसरे 52 सीटों वाली बस में ऊपर-नीचे कोई सौ-सवा सौ आदमी सवार होते हैं। ऐसे अवसरों पर कंडक्टर महाशय की तो चाँदी होती है। वे न किसी को टिकट देते हैं और न किसी को बाकी पैसे। मुझे भी एक बार ऐसी ही बस में यात्रा करने का अनुभव हुआ। मैं बस अड्डे पर उस समय पहुँचा जब बस चलने वाली ही थी अतः मैं टिकट खिड़की की ओर न जाकर सीधा बस की ओर बढ़ गया। बस ठसा-ठस भरी हुई थी। मुझे जाने की जल्दी थी इसलिए मैं भी उस बस में घुस गया। बड़ी मुश्किल से खड़े होने की जगह मिली। मेरे बस में सवार होने के बाद भी बहुत-से यात्री बस में चढ़ना चाहते थे। कंडक्टर ने उन्हें बस की छत के ऊपर चढ़ने के लिए कहा। पुरुष यात्री तो सभी छत्त पर चढ़ गए परन्तु स्त्रियाँ और बच्चे न चढ़े। बस चली तो लोगों ने सुख की सांस ली।

थोड़ी देर में बस कंडक्टर टिकट काटता हुआ मेरे पास आया। मुझे लगा उसने शराब पी रखी है। मुझ से पैसे लेकर उसने बकाया मेरी टिकट के पीछे लिख दिया और आगे बढ़ गया। मैंने अपने पास खड़े एक सज्जन से कंडक्टर के शराब पीने की बात कही तो उन्होंने कहा कि शाम के समय ये लोग ऐसे ही चलते हैं। हराम की कमाई है शराब में नहीं उड़ाएँगे तो और कहाँ उड़ाएँगे। थोड़ी ही देर में एक बूढ़ी स्त्री का उस कंडक्टर से झगड़ा हो गया। कंडक्टर उसे फटे हुए नोट बकाया के रूप में वापिस कर रहा था और बुढ़िया उन नोटों को लेने से इन्कार कर रही थी। कंडक्टर कह रहा था ये सरकारी नोट हैं हमने कोई अपने घर तो बनाए नहीं। इसी बीच उसने उस बुढ़िया को कुछ अपशब्द कहे। बुढ़िया ने उठ कर उसको. गले से पकड़ लिया। सारे यात्री कंडक्टर के विरुद्ध हो गए। कंडक्टर बजाए क्षमा माँगने के और भी गर्म हो रहा था। अभी उनमें यह झगड़ा चल ही रहा था कि मेरे गाँव का बस स्टॉप आ गया। बस रुकी और मैं जल्दी से उतर गया। बस क्षण भर रुकने के बाद आगे बढ़ गयी। मेरी साँस में साँस आई। जैसे मुझे किसी ने शिकंजे में दबा रखा हो। इसी घबराहट में मैं कंडक्टर से अपने बकाया पैसे लेना भी भूल गया।

10. परीक्षा भवन का दृश्य
मार्च महीने की पहली तारीख थी। उस दिन हमारी वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही थीं। परीक्षा शब्द से वैसे सभी मनुष्य घबराते हैं परन्तु विद्यार्थी वर्ग इस शब्द से विशेष रूप से घबराता है। मैं जब घर से चला तो मेरा दिल भी धक्-धक् कर रहा था। रातभर पढ़ता रहा। चिन्ता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न-पत्र में न आया तो क्या होगा। परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिन्तित से नज़र आ रहे थे। कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर अब भी उनके पन्ने उलटपुलट रहे थे। कुछ बड़े खुश-खुश नज़र आ रहे थे। लड़कों से ज़्यादा लड़कियाँ अधिक गम्भीर नज़र आ रही थीं। कुछ लड़कियाँ तो बड़े आत्मविश्वास से भरी दिखाई पड़ रही थीं। मानों कह रही हों परीक्षक जो भी कुछ पूछ ले हमें सब आता है। लड़कियाँ इसी आत्मविश्वास के कारण ही शायद हर परीक्षा में लड़कों से बाज़ी मार जाती हैं। मैं अपने सहपाठियों से उस दिन के प्रश्न-पत्र के बारे में बात कर ही रहा था कि परीक्षा भवन में घंटी बजनी शुरू हो गई। यह संकेत था कि हमें परीक्षा भवन में प्रवेश कर जाना चाहिए। सभी विद्यार्थियों ने परीक्षा भवन में प्रवेश करना शुरू कर दिया। भीतर पहुँच कर हम सब अपने-अपने रोल नं० के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए।

थोड़ी ही देर में अध्यापकों द्वारा उत्तर-पुस्तिकाएँ बाँट दी गईं और हमने उस पर अपना-अपना रोल नं० आदि लिखना शुरू कर दिया। ठीक नौ बजते ही एक घण्टी बजी और अध्यापकों ने प्रश्न-पत्र बाँट दिए। कुछ विद्यार्थी प्रश्न-पत्र प्राप्त करके उसे माथा टेकते देखे गए। मैंने भी ऐसा ही किया। माथा टेकने के बाद मैंने प्रश्न-पत्र पढ़ना शुरू किया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि प्रश्न-पत्र के सभी प्रश्न मेरे पढ़े हुए या तैयार किए हुए प्रश्नों में से थे। मैंने किए जाने वाले प्रश्नों पर निशान लगाए और कुछ क्षण तक यह सोचा कि कौन-सा प्रश्न पहले करना चाहिए और फिर उत्तर लिखना शुरू कर दिया। मैंने देखा कुछ विद्यार्थी अभी बैठे सोच ही रहे थे शायद उनके पढ़े में से कोई प्रश्न न आया हो। तीन घण्टे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा। परीक्षा भवन से बाहर आकर ही मुझे पता चला कि कुछ विद्यार्थियों ने बड़ी नकल की परन्तु मुझे इसका कुछ पता नहीं चला। मेज़ से सिर उठाता तो पता चलता। मैं प्रसन्न था कि उस दिन मेरा पर्चा बहुत अच्छा हुआ था।

11. मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना
आज मैं नवमी कक्षा में हो गया हूँ। माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गये हो। मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। हाँ, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनन्द विभोर हो उठता हूँ। घटना कुछ इस तरह से है। कोई दो-तीन साल पहले की घटना है। मैंने एक दिन देखा कि हमारे आँगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है। मैं उस बच्चे को उठा कर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किन्तु मेरा मन कहता था कि इस चिड़िया के बच्चे को बचाया जा सकता है। मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया। मुँह में पानी जाते ही बेहोश से पड़े बच्चे ने पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये। यह देख कर मैं प्रसन्न हुआ। मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टाँग में चोट आई है।

मैंने अपने छोटे भाई को माँ से मरहम की डिबिया लाने के लिए कहा। वह तुरन्त मरहम की डिबिया ले आया। उस में से थोड़ी सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई। मरहम लगते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई। वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था। मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेर कर खुश हो रहा था। कोई घंटा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा। मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था। मैंने छोटे भाई से एक रोटी मँगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी। वह उसे खाने लगा। हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे। मैंने उसे तब अपनी पढ़ाई की मेज़ पर रख दिया। रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई। दूसरे दिन मैंने देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है। वह मुझे देख चींची करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था। एक दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया। वह उड़ गया। मुझे उस चिड़िया के बच्चे के प्राणों की रक्षा करके जो आनन्द प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा।

12. आँखों देखा हॉकी मैच
भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा किन्तु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों-दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यन्त रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला। यह मैच नामधारी एकादश और रोपड़ हॉक्स की टीमों के बीच रोपड़ के खेल परिसर में खेला गया। दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए पंजाब भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी भाग ले रहे थे। रोपड़ हॉक्स की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी। इसलिए उसने नामधारी एकादश को मैच के आरम्भिक दस मिनटों में दबाए रखा। उसके फारवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किए। परन्तु नामधारी एकादश का गोलकीपर बहुत चुस्त और होशियार था उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। तब नामधारी एकादश ने तेजी पकड़ी और देखते ही देखते रोपड़ हॉक्स के विरुद्ध एक गोल दाग दिया।

गोल होने पर रोपड़ हॉक्स की टीम ने भी एक जुट होकर दो-तीन बार नामधारी एकादश पर कड़े आक्रमण किए परन्तु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा। इसी बीच रोपड़ हॉक्स को दो पेनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। नामधारी एकादश ने कई अच्छे मूव बनाए उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलम्पियन की याद दिला रहा था। इसी बीच नामधारी एकादश को भी एक पेनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी हताश हो गए। रोपड़ के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यान्तर के समय नामधारी एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यान्तर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ। रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दायें कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर नामधारी एकादश पर एक गोल कर दिया। इस गोल से रोपड़ हॉक्स के जोश में ज़बरदस्त वृद्धि हो गई। उन्होंने अगले पांच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देखकर आनन्द आ गया।

13. आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य
पहले रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह-सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आये हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दम्पति को अपने छोटे बच्चे को बच्चा गाड़ी में बिठा कर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक टांगा आता हुआ दिखाई पड़ा उसमें चार-पाँच सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चा गाड़ी वाले दम्पति ने टांगे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस टाँगे से टकरा गई। टांगा चलाने वाला और दो सवारियाँ बुरी तरह से घायल हो गए थे। बच्चा गाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चा गाड़ी छूट गई किन्तु इस से पूर्व कि वह बच्चे समेत टांगे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँच कर उनसे टकरा जाती मेरे साथी ने भागकर उस बच्चा गाड़ी को सम्भाल लिया। कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उसकी कार को कोई खास क्षति नहीं पहुंची थी।

माल रोड पर गश्त करने वाली पुलिस के तीनचार सिपाही तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच गए। उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और हस्पताल को फोन किया। कुछ ही मिनटों में वहाँ एम्बूलेंस गाड़ी आ गई। हम सब ने घायलों को उठा कर एम्बूलैंस में लिटाया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरंत वहाँ पहुँच गए। उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था। इस सैर सपाटे वाली सड़क पर वह 100 कि०मी० की स्पीड से कार चला रहा था और तांगा सामने आने पर ब्रेक न लगा सका। दूसरी तरफ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुर्ती और चुस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दम्पति ने उसका विशेष धन्यवाद किया। बाद में हमें पता चला कि तांगा चालक ने हस्पताल में जाकर दम तोड़ दिया। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह दु:खी हुए बिना न रह सका।

14. कैसे मनाई हमने पिकनिक
पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एक दम स्फूर्ति ला देता है। मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी। परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था अतः उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवर्क्स पर जाकर पिकनिक मनायी जाए। अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गए। माधोपुर हैडवर्क्स हमारे शहर से लगभग 10 कि०मी० दूरी पर था अतः हम सबने अपने-अपने साइकिलों पर जाने का निश्चय किया। पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया क्योंकि उस दिन वहाँ बड़ी रौनक रहती है। रविवार वाले दिन हम सब ने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बॉक्स तैयार किए तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकिलों पर रख लिया। मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी उसने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मनपसंद गानों की टेप भी रख ली। हम सब अपनी-अपनी साइकिल पर सवार हो, हँसते गाते एकदूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले। लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गए।

वहाँ हम ने प्रकृति को अपनी सम्पूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे शीतल और मन्द-मन्द हवा बह रही थी। हमने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी। हमने वहाँ एक दरी, जो हम साथ लाए थे, बिछा दी। साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गए थे अतः हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया। हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फोटो उतारी। थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकॉर्डर चला दिया और उसके गीतों की धुन पर मस्ती में भरकर नाचने लगे। कुछ देर तक हमने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा लिया। दोपहर को हम सब ने अपने-अपने टिफ़न खोले और सबने मिल बैठ कर एक-दूसरे का भोजन बाँट कर खाया। उसके बाद हमने वहां स्थित कैनाल रेस्ट हाऊस रेस्टोरां में जाकर चाय पी। चाय पान के बाद हमने अपने स्थान पर बैठ कर ताश खेलनी शुरू की। साथ में हम संगीत भी सुन रहे थे। ताश खेलना बन्द करके हमने एक-दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आप बीती हँसी-मज़ाक की बातें बताईं। हमें समय कितनी जल्दी बीत गया इसका पता ही न चला। जब सूर्य छिपने को आया तो हमने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े। सच ही वह दिन हम सबके लिए एक रोमांचकारी दिन रहा।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

15. पर्वतीय स्थान की यात्रा
आश्विन महीने के नवरात्रों में पंजाब के अधिकतर लोग देवी दुर्गा माता के दरबार में हाज़िरी लगवाने और माथा टेकने जाते हैं। पहले हम हिमाचल प्रदेश में स्थित माता चिंतापूर्णी और माता ज्वाला जी के मंदिरों में माथा टेकने जाया करते थे। इस बार हमारे मुहल्लेवासियों ने मिलकर जम्मू क्षेत्र में स्थित वैष्णों देवी के दर्शनों को जाने का निर्णय किया। हमने एक बस का प्रबंध किया था जिसमें लगभग पचास के करीब बच्चे बूढे और स्त्री पुरुष सवार होकर जम्मू के लिए रवाना हुए। सभी परिवारों ने अपने साथ भोजन आदि सामग्री भी ले ली थी। पहले हमारी बस पठानकोट पहुँची वहाँ कुछ रुकने के बाद हमने जम्मू क्षेत्र में प्रवेश किया। हमारी बस टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्ते को पार करती हुई जम्मू-तवी पहुँच गई। सारे रास्ते में दोनों तरफ अद्भुत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिले जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न हो उठा। बस में सवार सभी यात्री माता की भेंटें गा रहे थे और बीच में माँ शेरां वाली का जयकारा भी बुला रहे थे। लगभग 6 बजे हम लोग कटरा पहुँच गए। वहाँ एक धर्मशाला में हमने अपना सामान रखा और विश्राम किया और वैष्णों देवी जाने के लिए टिकटें प्राप्त की। दूसरे दिन सुबह सवेरे हम सभी माता की जय पुकारते हुए माता के दरबार की ओर चल पड़े। कटरा से भक्तों को पैदल ही चलना पड़ता है। कटरे से माता के दरबार तक जाने के दो मार्ग हैं। एक सीढ़ियों वाला मार्ग तथा दूसरा साधारण।

हमने साधारण मार्ग को चुना। इस मार्ग पर कुछ लोग खच्चरों पर सवार होकर भी यात्रा कर रहे थे। यहाँ से लगभग 14 किलो मीटर की दूरी पर माता का मंदिर है। मार्ग में हमने बाण गंगा में स्नान किया। पानी बर्फ-सा ठंडा था फिर भी सभी यात्री बड़ी श्रद्धा से स्नान कर रहे थे। कहते हैं यहाँ माता वैष्णों देवी ने हनुमान जी की प्यास बुझाने के लिए बाण चलाकर गंगा उत्पन्न की थी। यात्रियों को बाण गंगा में नहाना ज़रूरी माना जाता है अन्यथा कहते हैं कि माता के दरबार की यात्रा सफल नहीं होती। चढ़ाई बिल्कुल सीधी थी। चढ़ाई चढ़ते हुए हमारी सांस फूल रही थी परन्तु सभी यात्री माता की भेंटें गाते हुए और माता की जय जयकार करते हुए बड़े उत्साह से आगे बढ़ रहे थे। सारे रास्ते में बिजली के बल्ब लगे हुए थे और जगह-जगह पर चाय की दुकानें और पीने के पानी का प्रबन्ध किया गया था। कुछ ही देर में हम आदक्वारी स्थान पर पहुँच गये। मंदिर के निकट पहुँच कर हम दर्शन करने वाले भक्तों की लाइन में खड़े हो गये। अपनी बारी आने पर हम ने माँ के दर्शन किये। श्रद्धापूर्वक माथा टेका और मंदिर से बाहर आ गए। आजकल मंदिर का सारा प्रबन्ध जम्मू कश्मीर की सरकार एवं एक ट्रस्ट की देख-रेख में होता है। सभी प्रबन्ध बहुत अच्छे एवं सराहना के योग्य थे। घर लौटने तक हम सभी माता के दर्शनों के प्रभाव को अनुभव करते रहे।

16. जिसकी लाठी उसकी भैंस
संसार का यह विचित्र नियम है कि समर्थ और शक्तिशाली व्यक्ति चाहे कितनी ही बड़ी भूल क्यों न कर बैठे समाज उसे दोष नहीं देता। जबकि वही भूल कोई दुर्बल व्यक्ति करता है तो समाज उसे तरह-तरह के दण्ड देता है। समाज में शान्ति और व्यवस्था बनाये रखने के लिए शासन को तथा समाज को अनेक कानून या नियम बनाने पड़ते हैं। किन्तु देखने में आता है कि यह सब नियम या कानून जनसाधारण के लिए होते हैं, समर्थ और शक्ति सम्पन्न लोगों के लिए नहीं। एक पटवारी या क्लर्क सौ पचास रुपये रिश्वत लेता हुआ पकड़ा जाता है तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। किन्तु लाखों करोड़ों का घपला करने वाले अफ़सर और नेता खुले आम घूमते-फिरते हैं। समाचार-पत्रों में उनके विरुद्ध प्रत्यक्ष प्रमाण जुटा देने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती।

यह आज की बात नहीं है सदियों पुरानी बात है। श्री राम जी ने भी बाली का वध छल से किया था। अर्जुन ने भी भीष्म पितामह को शिखंडी आगे खड़ा करके मारा था। परन्तु कोई भी न ही तो श्रीराम को दोष देता है तथा न ही अर्जुन को। समाज की इस नीति के कारण समाज में अनेक भयानक समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं, जिनमें सबसे बड़ी आज राजनीति का अपराधीकरण बनी हुई है। इसी नीति के अनुसार बड़े-बड़े बाहुबली न केवल संसद् सदस्य बने हुए हैं, बल्कि मन्त्रिपदों को भी सुशोभित कर रहे हैं। इसीलिए गोस्वामी जी ने ठीक कहा है कि-समरथ को नहिं दोष गोसाईं।

17. करत-करत अभ्यास को जड़मति होत सुजान
प्रसिद्ध कवि वृन्द जी का नीति सम्बन्धी एक दोहा है-
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरि आवत-जात ते, सिल पर परत निसान॥
उपर्युक्त दोहे का भाव यह है कि जिस प्रकार कुएँ की जगत के पत्थर पर कोमल रस्सी की बार-बार रगड़ से निशान पड़ जाता है अर्थात् पत्थर घिस जाता है, उसी प्रकार निरन्तर अभ्यास करते रहने वाला मूढ़ व्यक्ति भी एंक-न-एक दिन सुजान अर्थात् पंडित हो जाता है। निरंतर अभ्यास वही व्यक्ति कर सकता है जिसमें परिश्रम करने की लग्न होती है। परिश्रम और अभ्यास मिलकर ही व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाने में सहायक होते हैं। निरंतर अभ्यास ही व्यक्ति को सफल कवि, गायक, मूर्तिकार, चित्रकार आदि बना सकता है। आज हम देखते हैं कि किसी भी बीमारी से ग्रसित आदमी किसी भी अनुभवी डॉक्टर के पास जाना पसन्द करता है। क्योंकि निरन्तर अभ्यास के कारण उसमें विशेष गुण आ गए होते हैं। कहना न होगा कि निरंतर अभ्यास से ही व्यक्ति में निपुणता आती है। सभी जानते हैं कि पत्थर में आग होती है और तिलों में तेल होता है। इस आग और तेल को प्राप्त करने के लिए पत्थर और तिलों को निरंतर रगड़ना पड़ता है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति निरंतर अपनी बुद्धि को रगड़ता रहता है तो एक दिन पंडित हो जाता है। महाकवि कालिदास का उदाहरण हमारे सामने है। विद्यार्थी जीवन में तो अभ्यास का बहुत महत्त्व है। परीक्षा में सफलता के लिए परिश्रम के साथ-साथ अभ्यास की भी ज़रूरत होती है तभी सफलता मिलती है।

18. शक्ति अधिकार की जननी है
यह संसार शक्ति का लोहा मानता है। शक्ति के बल पर ही मनुष्य अपने अधिकार प्राप्त करता है। शक्ति के बल पर ही सिकंदर महान् विश्व विजय करने के लिए घर से निकला था। शक्ति के बल पर ही मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारत में मुस्लिम साम्राज्य का आरम्भ किया था। शक्ति दो प्रकार की होती है एक शारीरिक, एक मानसिक। मानसिक शक्ति का भी अपने विशेष महत्त्व होता है। यदि शारीरिक और मानसिक शक्ति का संयोग हो जाए तो संसार की बड़ी-से-बड़ी शक्ति को भी घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। शक्ति होते हुए भी अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इतिहास साक्षी है कि दुर्योधन ने पांडवों का अधिकार देने से साफ़ इन्कार कर दिया था।

हालांकि श्री कृष्ण ने अधिकार स्वरूप पाँच गाँव ही माँगे थे। अन्ततः पांडवों को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए युद्ध करना पड़ा। भारत को सैंकड़ों वर्षों की पराधीनता से मुक्ति भी शक्ति प्रदर्शन से ही मिली। चाहे वह शक्ति प्रदर्शन नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज़ की शक्ति प्रदर्शन से थी अथवा महात्मा गाँधी के सत्य और अहिंसा की शक्ति प्रदर्शन से। कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अतः व्यक्ति हो या राष्ट्र को उसे अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना ही पड़ता है। कहा भी है कि क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो। शक्ति के द्वारा ही हिंसा का पालन किया जा सकता है, सत्य का अनुसरण किया जा सकता है। अत्याचार और अनाचार को रोका जा सकता है एवं अपने अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है।

19. अंत भला सो भला
किसी ने सच कहा है कि कर भला, हो भला, अंत भला सो भला। किन्तु विद्वान् आज तक जैसे पाप और पुण्य में यह निर्णय नहीं कर पाए हैं कि कौन-सी बात पाप है और क्या पुण्य ? इसी तरह विद्वान् भला क्या है और बुरा क्या है इस विषय पर एक मत नहीं हैं। कोई एक कार्य जो किसी का भला करने वाला हो वही किसी दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। परन्तु हमें इस कथन में निहित भाव को समझना होगा। इस कथन का आशय यह है कि मनुष्य समाज में रहते हुए ऐसा कर्म करें जिसका परिणाम अच्छा निकले। भले ही शुरू-शुरू में वह कार्य कुछ लोगों को बुरा ही लगे। व्यक्ति को कर्म करते समय अपनी इच्छा और अपनी आकांक्षा के साथ-साथ समाज का भी ध्यान रखना चाहिए। कहावत है कि आँवले का स्वाद और सियानों की कही बात का बाद में ही पता चलता है।

इसी कारण आँवले को अमृत फल और सियानों के वचनों को अमृत वचन कहा जाता है। शुरू-शुरू में जो बात हमें कड़वी प्रतीत होती है उसका फल अन्त में मीठा या अच्छा निकलता है। कर भला हो भला कथन में एक दूसरा भाव भी निहित है। जिसका आशय यह है कि हमें सदा दूसरों की भलाई ही करने या सोचने की बात करनी चाहिए। भले ही दूसरा उसका बदला भलाई से न दें। क्योंकि अच्छे कर्म का फल ईश्वर सदा अच्छा ही देता है। गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने भी यही बात कही है कि तुम केवल कर्म करो फल मेरे हाथ छोड़ दो। ईश्वर कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं करता। अत: ईश्वरीय दंड से बचने के लिए हमें दूसरों का भला करना चाहिए। स्वर्ग पाने का भी यही उपाय है।

20. जब आवै सन्तोष धन, सब धन धूरि समान
साईं इतना दीजिए जा में कुटुम्ब समाए।
मैं भी भूखा न रहूँ साधु न भूखा जाए।

विचारवान् लोगों ने ठीक ही कहा है कि, “जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान”। अर्थात् जिस व्यक्ति के पास सन्तोष रूपी धन आ जाता है उसके लिए अन्य सभी धन मिट्टी के समान प्रतीत होते हैं। आजकल संतोष की कमी के कारण ही जीवन में भागम-भाग लगी हुई है। पैसा कमाने की दौड़ में हर कोई आगे निकल जाना चाहता है। पैसे की इस दौड़ में लोगों ने सारे नियम, सिद्धान्त, शिष्टाचार आदि ताक पर रख दिए हैं। नैतिक मूल्यों का तो दिनों-दिन इतना ह्रास हो रहा है कि कहते नहीं बनता। आज के युग में कबीर जी की तरह कहने वाला कोई विरला ही मिलेगा। वास्तव में संतोष एक मनोवृत्ति है। मनुष्य का मन तो स्वभाव से चंचल है। उसका मन अनेक प्रकार की इच्छाओं की जन्मस्थली है।

सब कुछ पा लेने पर भी मनुष्य का मन नहीं भरता। वह और पाने की इच्छा करता है। ऐसे में सन्तोष कहाँ से आ सकता है। आजकल रूखा-सूखा खाकर ठंडा पानी पीने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आज के मनुष्य के जीवन में दुःख ही दुःख हैं। असंतुष्ट व्यक्ति अपनी इच्छाओं का गुलाम होता है और अपनी इच्छापूर्ति के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार होता है। चाहे देश से गद्दारी ही क्यों न करनी पड़े। इसके विपरीत संतोषी व्यक्ति दयालु, परोपकारी और स्वावलम्बी होता है। समय पड़ने पर देश और जाति के लिए सब कुछ बलिदान करने को वह सदा तैयार रहता है। व्यक्ति को संतोष का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि यह परमधन है और परमधर्म भी।

21. अक्ल बड़ी कि भैंस
हम सब जानते हैं कि शारीरिक शक्ति से बड़ी दिमागी शक्ति होती है। हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम शारीरिक रूप से भले ही हृष्ट-पुष्ट न हों किन्तु बौद्धिक रूप से वे महान् हैं। इसी तरह महात्मा गाँधी का लोहा भी सारी दुनिया मानती है। उस दुबले-पतले महापुरुष ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को केवल अहिंसा के हथियार से लड़ा। जिस काम को शारीरिक बल न कर सका उसे बुद्धि बल ने कर दिखाया। कहावत है-अक्ल बड़ी कि भैंस ? जी हाँ अक्ल ही बड़ी है। माना कि युद्ध भूमि में भीम जैसे विशालकाय और उसके पुत्र घटोत्कच जैसे व्यक्तियों का अपना महत्त्व था किन्तु उन दोनों की वीरता या शक्ति को दिशा-निर्देश देने वाली श्री कृष्ण की बुद्धि ही थी।

इतिहास को नया मोड़ देने वाले नेपोलियन, लेनिन और मुसोलिनी जैसे व्यक्तियों ने अपनी बुद्धि के बल पर ही सभी सफलताएँ प्राप्त की। हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री शरीर से न तो हट्टे-कट्टे थे और न ही लंबे-चौड़े पर उन्होंने पाकिस्तान को युद्ध में छठी का दूध याद दिलवा दिया था। पंचतंत्र की एक कहानी के अनुसार एक छोटे से खरगोश ने जंगल के राजा शेर को कुएं में कूदने को विवश कर दिया था। पाकिस्तान से होने वाली लडाइयों में भारत की विजय में उसकी बौद्धिक शक्ति का बहुत बड़ा हाथ है। उपर्युक्त उदाहरणों से यह भली-भांति सिद्ध हो … जाता है कि बुद्धि बल शारीरिक बल से सदा ही बड़ा होता है। भैंस नहीं अक्ल ही बड़ी होती है।

22. आदर्श मित्र
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका अस्तित्व समाज में ही है। वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। कहते हैं कि अकेला तो रुख (वृक्ष) भी न हो। मनुष्य अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए समाज में कुछ व्यक्तियों से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित कर लेता है। जिनके साथ वह अपने दुःख-सुख बाँटना चाहता है। प्रत्येक मनुष्य की कुछ ऐसी समस्याएँ भी होती हैं जिन्हें वह अपने माता-पिता, भाई-बहन अथवा सगे-सम्बन्धियों से नहीं कर पाता। ऐसी समस्याओं का उल्लेख वह जिस व्यक्ति से करता है या कर सकता है, उसे मित्र कहा जा सकता है। मित्र के बिना मनुष्य का जीवन नीरस प्रतीत होता है। किन्तु संसार में ऐसे गिने-चुने सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं जिन्हें आदर्श और सच्चे मित्र की प्राप्ति होती है।

मित्रता श्रीकृष्ण और सुदामा में जैसी थी वैसी होनी चाहिए। मित्रता मछली और जल जैसी होनी चाहिए। मछली पानी से अलग होते ही प्राण त्याग देती है। सच्चा मित्र व्यक्ति के मुसीबत के समय काम आता है। सच्चा मित्र व्यक्ति को कुमार्ग पर जाने से रोकता है। सच्चा मित्र दुःख और ग़रीबी आने पर साथ नहीं छोड़ता है। सच्चा मित्र संवेदनशील, सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। उसमें अपने मित्र को सच्ची और कड़वी बात कहने का साहस होना चाहिए। कहते हैं कि व्यक्ति के पास भले ही धन और शक्ति का अभाव हो किन्तु वह एक सच्चे नि:स्वार्थ मित्र के सम्पर्क में हो तो उसे संसार की सबसे अमूल्य वस्तु प्राप्त होती है। सियानों ने कहा है कि मित्रता सोच-समझ कर करनी चाहिए और जब मित्रता हो जाए तो लाख मुसीबतें आने पर भी उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

23. पराधीन सपनेहूं सुख नाहिं
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वतन्त्रता की महत्ता दर्शाने के लिए यह उक्ति लिखी थी-‘पराधीन सपनेहं सुख नाहिं’। ग़रीबी का स्वतंत्र जीवन अमीरी के परतंत्र जीवन से कहीं अच्छा है। इसीलिए कोई भी पक्षी सोने के पिंजरे का निवास पसन्द नहीं करता क्योंकि इससे उसकी स्वतंत्रता नष्ट होती है। परतंत्र व्यक्ति कोई भी काम अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकता। यहाँ तक कि वह अपनी इच्छानुसार सोच भी नहीं सकता। भारत की संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा आदि में आए बदलाव का कारण नौ सौ वर्षों तक की परतंत्रता है। यह अलग बात है कि, “कुछ बात है हस्ती मिटती नहीं हमारी” के अनुसार हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचा पाने में सफल हुए।

किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजों ने जो शिक्षा-पद्धति लागू की उसके कारण स्वतंत्र होने के इतने वर्ष बाद भी हम अंग्रेजों के गुलाम बने हुए हैं। हर कोई व्यक्ति स्वतंत्रता की नमक रोटी को छोड़कर पराधीनता की दूध मलाई खाना नहीं चाहेगा। दुःखों, कष्टों अभावों के रहते हुए भी स्वतन्त्र होने पर वह सुखपूर्वक जी लेता है। उसे उन्नति और विकास के पूर्ण अवसर प्राप्त होते रहते हैं। पराधीन मनुष्य का जीवन पशुवत् होता है। वह दूसरों पर आश्रित होता है। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि मनुष्य को अपनी इच्छाओं का गुलाम नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें अपना गुलाम बनाकर रखना चाहिए किसी ने सच कहा है-
कोई कहीं है चाहता परतन्त्र जीवन भी भला।
है कौन चाहे पहनना दासता की श्रृंखला॥
सच है कि पराधीन को सपनेहूं सुख नाहिं।

अनुच्छेद-लेखन गद्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। किसी सूक्ति, विचार, दृश्य, घटना आदि को संक्षिप्त किंतु सारगर्भित एवं सुसंगठित रूप से यदि लिखा जाए तो उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

निबंध और अनुच्छेद लेखन में अंतर होता है। निबंध और अनुच्छेद-लेखन में वही अंतर है जो उपन्यास और कहानी में या नाटक और एकांकी में होता है। अनुच्छेद लेखन निबंध से भिन्न विधा है। निबंध में जहां विषय से संबंधित विचारों को समग्रता से बांधा जाता है। वहीं अनुच्छेद में विषय को सटीक एवं संतुलित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें छोटेछोटे वाक्य एवं कसावट इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

अनुच्छेद-लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें: अनुच्छेद-लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. अनुच्छेद-लेखन में आरंभ से अंत तक एक ही अनुच्छेद होना चाहिए।
  2. अनुच्छेद-लेखन में कसावट होनी चाहिए।
  3. इसमें छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  4. इसमें भूमिका अथवा उपसंहार की आवश्यकता नहीं होती इसलिए इसे सीधे विषय से ही शुरू करना चाहिए।
  5. इसमें वाक्यों का परस्पर संबंध होना चाहिए।
  6. इसमें अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
  7. इसकी भाषा सरल, सहज, विषयानुरूप एवं भावपूर्ण होनी चाहिए।
  8. इसमें प्रत्येक बात व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध होनी चाहिए।
  9. विचार प्रधान अनुच्छेदों में तर्क की प्रधानता होनी चाहिए।
  10. भावात्मक अनुच्छेदों में अनुभूति की प्रधानता होनी चाहिए।

1. नए स्कूल में मेरा पहला दिन
मेरे नए स्कूल का नाम शहीद भगत सिंह मॉडल स्कूल है। मैंने इसी वर्ष इस स्कूल में प्रवेश लिया है। मैं नौवीं कक्षा का छात्र हूँ। मुझे इस स्कूल में पढ़ते हुए आठ महीने हो गए हैं किंतु मुझे आज भी स्कूल में पहला दिन अच्छी तरह याद है। नए स्कूल में मेरा पहला दिन बड़ा ही रोमांचक एवं यादगार था। मेरे पिता जी ने मुझे नई ड्रैस, बैग और किताबें खरीद कर दी। मैं पहली बार बस में बैठकर स्कूल गया। पहली बार बस में बैठकर मुझे बहुत अच्छा लगा। स्कूल जाते ही हम प्रार्थना सभा में पहुँच गए। प्रार्थना सभा में स्कूल के प्रधानाचार्य ने नए छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने हमें जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी। इसके बाद स्कूल के पुराने छात्रों ने नए छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने हमें पुस्तकालय, कंप्यूटर कक्ष, कैंटीन तथा खेल का मैदान दिखाया। पहले दिन ही कक्षा में नए मित्र बन गए। मैंने उनके साथ कैंटीन में चाय पी। खेल के पीरियड में मैंने अपने मित्रों के साथ क्रिकेट मैच खेला। छुट्टी होने पर पंक्तिबद्ध होकर बस में बैठ गए और हँसते-हँसते घर चले गए। सचमुच नए स्कूल में मेरा पहला दिन बहुत यादगार है।

2. मोबाइल फोन और विद्यार्थी
आज का युग संचार-क्रांति का युग है। इस युग में मोबाइल हम सब की जिंदगी का प्रमुख हिस्सा बन गया है। आज मोबाइल ने प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका लाभ उठा रहा है। आज विद्यार्थी वर्ग में मोबाइल अधिक प्रसिद्ध है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय हर स्तर के विद्यार्थी की पहली पसंद मोबाइल है। आज मोबाइल का प्रयोग केवल परस्पर बातचीत के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि विद्यार्थी इसका प्रयोग इंटरनेट, ईमेल, चैटिंग, आदि के लिए भी करते हैं। इससे घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से संसार के किसी भी कोने की जानकारी ले सकते हैं। विद्यार्थी अपनी मनचाही सामग्री को डाउनलोड भी कर सकते हैं। इससे प्रिंट भी निकाल सकते हैं। आज मोबाइल जीवन के लिए जितना उपयोगी है उतना हानिकारक भी है। कुछ विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो मोबाइल का दुरुपयोग भी करते हैं ये व्यर्थ में ही घंटों गप्पें हांकते रहते हैं। एक-दूसरे को संदेश भेजने में समय गंवाते हैं। वे चैट करके अपना समय नष्ट करते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को मोबाइल की उपादेयता समझनी चाहिए। इसका दुरुपयोग न करके केवल सदुपयोग करना चाहिए।

3. पुस्तकालय के लाभ
पुस्तकालय ज्ञान का अद्भुत भंडार है। पुस्तकालय ज्ञान का वह मंदिर होता है जहां हम विभिन्न विद्वानों, महापुरुषों, लेखकों, साहित्यकारों आदि के विचारों को पढ़कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। जिस तरह जीवन के लिए शुद्ध हवा, भोजन, जल की ज़रूरत होती है उसी तरह ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्तम पुस्तकों की आवश्यकता होती है। पुस्तकालय में अनेक विषयों की पुस्तकें होती हैं। पुस्तकालय का मानव-जीवन में बहुत लाभ है। इससे हम धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इससे व्यावहारिक ज्ञान ले सकते हैं। इससे बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ सकते हैं। इससे संत कबीर, सूरदास, तुलसीदास, दादूदयाल आदि कवियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे हमें भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास का ज्ञान होता है। पुस्तकालय से हमें अपनी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता एवं परंपराओं का ज्ञान मिल सकता है। इससे कला संस्कृति की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है। यदि हम पुस्तकालय का सदुपयोग करें तो यह हमारे जीवन में वरदान सिद्ध हो सकता है। हमें पुस्तकालय में शांत होकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

4. स्वास्थ्य और व्यायाम
यह बात सच है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है। स्वास्थ्य और व्यायाम का अटूट संबंध है क्योंकि स्वास्थ्य व्यायाम पर ही आधारित होता है। अच्छा स्वास्थ्य केवल नियमित व्यायाम से ही प्राप्त होता है। मनुष्य जीवन में व्यायाम का बहुत महत्त्व होता है। जवानी में ही नहीं बल्कि बुढ़ापे में भी शरीर को व्यायाम से स्वस्थ रख सकते हैं। स्वस्थ शरीर सदा निरोगी रहता है। व्यायाम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। नियमित व्यायाम से शरीर सुंदर और शक्तिशाली बनता है। इससे तनमन में कभी आलस्य नहीं आता। सदा चुस्ती-फुती बनी रहती है। हमें अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। सुबह-शाम सैर करनी चाहिए। योगा भी करना चाहिए। संभवत: अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम बहुत ज़रूरी है। स्वस्थ शरीर का व्यायाम ही मूल आधार है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है।

5. रामलीला देखने का अनुभव
इस बार मैं रामलीला ग्राऊंड में रामलीला देखने गया था। मेरे साथ मेरे मित्र अरुण और दीपक थे। मैंने अपने मित्रों के साथ इस रामलीला का आनंद उठाया। रामलीला रात नौ बजे शुरू होती थी किंतु हम प्रतिदिन साढ़े आठ बजे ही मैदान में जाकर बैठ जाते थे। रामलीला के पहले दिन श्रवण कुमार तथा श्रीराम जन्म उत्सव के दृश्य दिखाए गए जो बहुत अच्छे थे। दूसरी रात राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के बालरूप के मनोरम दृश्य तथा अयोध्या के अनेक प्राकृतिक दृश्य दिखाए। तीसरी रात राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की शिक्षा-दीक्षा का दृश्य दिखाया। चौथी रात सीता स्वयंवर तथा लक्ष्मण-परशुराम संवाद के दृश्य दिखाए। पांचवीं रात राम वनवास तथा भरत-राम मिलाप को दिखाया गया। भरत और राम के मिलन के दृश्य बहुत ही मार्मिक थे। उन्हें रोता देखकर मेरी आँखों में भी आँसू आ गए थे। छठी रात सीता हरण, राम का सुग्रीव तथा हनुमान जी से मिलन दिखाया गया। सातवीं रात राम द्वारा बाली वध, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन के दृश्य दिखाए गए। आठवीं रात रावण-अंगद संवाद में अंगद की वीरता दिखाई गई। लक्ष्मण मूर्छा तथा राम का सामान्य आदमी की तरह विलाप दिखाया गया। अंतिम रात में राम-रावण युद्ध के दृश्य दिखाए गए। तभी यह घोषणा की गई कि श्री राम द्वारा रावण वध दशहरा ग्राऊंड में किया जाएगा। रामलीला के ये आठ दिन बहुत खुशी में बीते। रामलीला का यह अनुभव बहुत अच्छा लगा।

6. मधुर वाणी
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होय।।
संत कबीरदास ने कहा है कि हमें सदा मीठी वाणी बोलनी चाहिए। मीठी वाणी केवल सुनने वालों को ही शीतलता नहीं देती बल्कि वक्ता को भी शीतल बना देती हैं। जीवन में मधुर वाणी के अनेक लाभ हैं। कड़वी वाणी दूसरों को अपना शत्रु बना देती है। ऐसे व्यक्ति से कोई भी बात करना पसंद नहीं करता। वह धीरे-धीरे अकेला पड़ जाता है। इतना ही मनुष्य के जीवन में अनेक अवगुण पैदा हो जाते हैं। किंतु मधुर वाणी सदा लाभ ही लाभ देती है। मधुर वाणी बोलने वाले मनुष्य के सभी लोग मित्र बन जाते हैं। सभी उसको सुनना पसंद करते हैं। वह सबका प्रिय बन जाता है। उसका जीवन गुणों से भरपूर बन जाता है। वह सदा तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है। इसलिए व्यक्ति को सदा मधुर वाणी बोलनी चाहिए। इसीलिए भर्तृहरि ने कहा है- कि मधुर वाणी मनुष्य का सच्चा आभूषण है।

7. हिंदी भाषा की उपयोगिता
हिंदी भाषा भारतवर्ष की राष्ट्र भाषा है। यह भाषा केवल स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का ही माध्यम नहीं हैं अपितु यह भारत के जन-जन की भाषा है। यह देश के लोगों के व्यवहार की भाषा है। आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंदी भाषा की बहुत उपयोगिता है। हिंदी की उपयोगिता प्रतिदिन बढ़ रही है। यह हमारी राष्ट्रभाषा है। यह राजकाज की भाषा है। इसमें ही बैंकों, आयोगों विभिन्न मंत्रालयों तथा संस्थाओं द्वारा प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। यह जनसंचार का प्रमुख माध्यम है। यह मीडिया, दूरदर्शन, सिनेमा, शिक्षा जनसंचार आदि क्षेत्रों की प्रमुख भाषा है। आज इस भाषा में अनूठा साहित्य उपलब्ध है। इसमें कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, यात्रावृत्त, रेखाचित्र, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में श्रेष्ठ साहित्य लिखा जा रहा है। इसमें विदेशों में भी साहित्य लिखा जा रहा है। क्लर्क से लेकर आई० ए० एस० तक की परीक्षाएं हिंदी माध्यम में ली जाती हैं। वैश्वीकरण के युग में हिंदी की उपयोगिता भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण संसार में है।

8. जब मेरी माँ बीमार पड़ गयीं
माँ प्रकृति की सर्वोत्तम रचना है। माँ के आंचल में अनूठा स्नेह समाया हुआ है। वह संसार की सबसे बड़ी पीड़ा सहन कर बच्चे को जन्म देती हैं और उसका पालन-पोषण करती है। घर में सुबह-सवेरे सबसे पहले जागकर सभी काम करती हैं और रात में सबसे बाद में सोती है। पर जब मेरी माँ बीमार पड़ गयीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे पूरा का पूरा घर ठहर गया हो। घर की सारी खुशियाँ कहीं गुम-सी हो गई। माँ का स्वभाव है कि घर के सभी लोगों का पूरा ध्यान रखती है। वह स्वस्थ ही नहीं बल्कि बीमार होकर भी सभी का ध्यान रखती है। ऐसी स्थिति में भी लगता है कि माँ हर सदस्य का पूरा ध्यान रखती है। जब मैं सुबह चलने लगा तो माँ मेरा टिफिन तथा नाश्ता बनाकर ले आई। उन्होंने मेरा बैग ठीक करके दिया। उन्होंने सभी के लिए नाश्ता बनाया। दोपहर में स्कूल से आया तो माँ को देखा कि वे उठ भी नहीं पा रही थीं। तब पिता जी ने खाना बनाया लेकिन वह बिलकुल कच्चा पक्का था। उनके खाने में कोई स्वाद नहीं आया। घर के प्रत्येक सदस्य ने मन मारकर खाया। रात को दूध गर्म किया तो उसमें हम चीनी डालना भूल गए। आज माँ के बिना पूरा घर अस्त-व्यस्त लग रहा था। चारों तरफ सामान बिखरा पड़ा था। सभी बहुत उदास हो गये। मैंने प्रभु से माँ के लिए जल्दी स्वस्थ होने की प्रार्थना की। प्रभु कृपा से अगले दिन माँ बिल्कुल स्वस्थ हो गई। उन्हें सुबह काम में लगा देखकर सभी का हृदय गद्-गद् हो उठा। ऐसा लग रहा था कि हमारे घर की खुशियाँ लौट आईं।

9. मैंने गर्मियों की छुट्टियाँ कैसे बितायीं
हमारे स्कूलों में हर साल जून में गर्मियों की छुट्टियाँ होती हैं। इन छुट्टियों में हर बच्चा खूब आनंद और मौज-मस्ती करता है। मुझे भी गर्मियों की छुट्टी अच्छी लगती हैं। मैं इन गर्मियों की छुट्टियों में माँ के साथ देहरादून घूमने गया। वहां मेरा ननिहाल है। वहां मेरे नाना-नानी तथा मामा-मामी रहते हैं। वहाँ जाते हुए मैं अपना स्कूल बैग भी साथ लेकर गया। मैं सुबह अपना गृह कार्य करता। मेरे मामा जी मेरा कार्य करवाते थे। मैं रोज़ शाम को अपने मामा जी के साथ बाहर घूमने जाता था। एक दिन मैं अपने मामा जी के साथ शिव मंदिर, साईं मंदिर तथा विष्णु मंदिर देखने गया। वहां के मंदिर बहुत सुंदर थे। इसके एक सप्ताह बाद मैं मसूरी घूमने गया। मेरे मामा जी भी मेरे साथ थे। हम वहाँ बस से गये। जाते हुए रास्ते में शिव मंदिर पर रुककर मंदिर को देखा। उसके बाद मसूरी पहुँचे। वहाँ जाकर मैंने बर्फ से ढके पहाड़ों का खूब आनंद उठाया। मैंने वहाँ के प्रसिद्ध कैंप की फॉल को देखा। ऊँचाई से नीचे गिरता झरना मन को मोह लेता है। उसमें अपने मामा के साथ कंपनी बाग देखा। तीसरे सप्ताह मैं ऋषिकेश घूमने गया। मैंने वहाँ बहती गंगा को समीप से देखा। बहती गंगा बहुत सुंदर लग रही थी। छुट्टियों खत्म होने से दो दिन पहले हम वहाँ से लौट आए। सचमुच इन गर्मियों की छुट्टियों का मैंने खूब आनंद लिया।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

10. जब मैं मॉल में शॉपिंग करने गयी
पिछले सप्ताह हमारे शहर में दून शॉपिंग मॉल खुला। मैं अपनी सखी के साथ वहां शॉपिंग करने गई। मैं जैसे ही उनके द्वार पर पहुँची तो उसकी बड़ी और सुंदर ईमारत को देखकर हैरान रह गई। उसमें पाँच मंज़िलें थीं। प्रत्येक मंजिल पर विशेष खरीददारी का सामान सजा हुआ था, वहाँ ग्राऊंड फ्लोर पर रसोई का सारा सामान था। दूसरी मंजिल पर आधुनिक युग के रेडिमेड कपड़े सजे हुए थे। तीसरी मंजिल पर कास्मैटिक्स का सामान सजा हुआ था। चौथी मंजिल पर इलेक्ट्रॉनिक्स तथा पाँचवीं मंज़िल पर आभूषण का सामान था। मैंने इस शॉपिंग मॉल को अच्छी तरह देखा। मैं इस मॉल में एक पार्टी ड्रैस तथा जूते खरीदने गई थी। लेकिन वहाँ अलग-अलग प्रकार की ड्रैस देखकर मैं समझ ही नहीं पाई कि कौन-सी खरीदूं। फिर भी मैंने वहाँ से अपने लिए एक ड्रैस खरीदी। अपने मम्मी-पापा के लिए भी एक-एक ड्रैस खरीदी। मैंने अपनी छोटी बहन के लिए कुछ खिलौने भी लिए। इसके बाद हमने वहाँ घूमकर खूब आनंद लिया।

11. ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’
‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ इस सूक्ति का अर्थ है कि इस संसार में दूसरों को उपदेश देने वाले बहुत हैं किंतु अपने को उपदेश देने वाले कम हैं। मनुष्य का स्वभाव है कि उसे केवल दूसरों को अवगुण नज़र आते हैं किंतु उसे अपने दोष भी गुण दिखाई देते हैं। इस तरह नज़रअंदाज करने से उसके दोष पक जाते हैं। ऐसे लोगों में अनेक तरह के दोष होते हैं लेकिन वे लंबे-चौड़े भाषण देकर उन्हें छिपा लेते हैं। वे इस बात को भूल जाते हैं कि जो अवगुण हम दूसरों में ढूँढ़ रहे हैं उससे.कहीं ज़्यादा हमारे अंदर भी छिपे हैं। हमें दूसरों को उपदेश देने के नहीं बल्कि स्वयं अपने आपको देना चाहिए। जब ऐसे लोगों का पर्दाफाश होता है तब सच्चाई सामने आती है। तब उनके सामने पछतावे के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं रहता। इस संसार में जो स्वयं में झांककर देखते हैं जो अपने अवगुण देखकर उन्हें गुणों में बदल लेते हैं वहीं लोग महान् बनते हैं। इसलिए हमें दूसरों को नहीं बल्कि स्वयं को उपदेश देना चाहिए। हमें दूसरों का नहीं अपना उपदेशक बनना चाहिए। हमें दीपक की तरह बनना चाहिए।

12. परीक्षा से एक दिन पूर्व
विद्यार्थी जीवन में परीक्षा का बहुत महत्त्व है। इस जीवन में प्रतिवर्ष ही नहीं बल्कि विद्यार्थी की हर पल परीक्षा होती है। जो विद्यार्थी इस परीक्षा में हर पल सफल होता है वही ऊँचाइयों को छूता है। कुछ विद्यार्थी परीक्षा से डर जाते हैं। इस बार परीक्षा से एक दिन पूर्व मैं भी थोड़ा-सा डर गया था। यद्यपि मैंने अपनी परीक्षा की पूरी तैयारी की थी किंतु फिर भी एक दिन पूर्व मुझे थोड़ी-सी घबराहट अवश्य हो रही थी। मुझे लग रहा था कि शायद मुझे सब कुछ याद नहीं है। मेरी माता जी एवं पिता जी ने मेरा धैर्य बंधाया और मुझे इस परीक्षा में पास होने का आशीर्वाद दिया। उनका आशीर्वाद लेकर मेरा आत्मविश्वास जाग उठा। तब मुझे लगा कि मैं तो आज तक किसी भी परीक्षा में असफल नहीं हुआ। पिता जी ने कहा कि उन्हें मुझ पर गर्व हैं क्योंकि मैं सदा स्कूल में प्रथम रहा। इतना ही नहीं पिता जी ने मेरे साथ बैठकर मेरी दोहराई करवाई फिर मुझे कोई डर नहीं लगा। इसके बाद मैं अपना पैन, पैंसिल, रोल नंबर आदि सब चीजें बैग में रखकर शांत होकर सो गया।

13. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
दुख-सुख सब कहूँ परत है पौरुष तजहु न मीत।
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।।
अर्थात् जीवन में सुख-दुःख सब पर आते हैं किंतु हमें अपना पुरुषार्थ नहीं छोड़ना चाहिए। मनुष्य की हार-जीत तो मन पर निर्भर करती है जिसका मन हार गया तो हार है और यदि मन जीत गया तो उसकी सदा विजय ही होती है। जो मनुष्य जीवन में दुखों और मुसीबतों से डर जाता है उसे दुःख और मुसीबतें जकड़ लेती हैं। जो कठिन मुसीबतों में भी हार नहीं मानता और हिम्मत से उनका सामना करता है। वह सदा विजयी होता है। ऐसे व्यक्ति के सामने मुसीबतें भी घुटने टेक देती हैं। इस प्रकार मन ही मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। हमें अपने मन की शक्ति को समझना चाहिए। अपने मन में कभी भी नकारात्मक सोच नहीं लानी चाहिए। हमें सदैव सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। जो मनुष्य सदा सकारात्मक सोचता है वह कभी भी हार नहीं मानता। उसे हर जगह विजय ही मिलती है। इसलिए हमें मन को अपने काबू में रखकर उसे मज़बूत बनाना चाहिए। यदि मन कमज़ोर पड़ गया तो हार और मजबूत हुआ तो अवश्य ही जीत होगी।

14. दहेज प्रथा : एक सामाजिक कलंक
हमारे समाज में विवाह के शुभ अवसर पर वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को जो संपत्ति उपहार के रूप में दी जाती है, उसे दहेज कहा जाता है। दहेज की यह प्रथा हमारे देश में बहुत प्राचीन है। पहले माता-पिता अपनी कन्या को कुछ वस्तुएं अपनी इच्छा से उपहार के रूप में देते थे किंतु आजकल यह प्रथा एक बुरा रूप धारण कर चुकी है। यह हमारे समाज पर कलंक बन गई है। आजकल वर पक्ष वाले वधू पक्ष से मुँह खोलकर बड़ी-बड़ी वस्तुओं और बड़े दहेज की मांग करने लगे हैं। अनेक लोग तो अपने बच्चों की बोली तक लगाने लगे हैं। उन्हें अपने लड़कों की बोली लगाने में कोई शर्म नहीं आती। यदि वधू पक्ष वर पर की मांगों को पूरा नहीं करता तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कुछ लोग तो वधुओं को अनेक कठोर यातनाएँ भी देते हैं। यहाँ तक सास अपनी बहुओं को जलाकर मार देती हैं। इसी से तंग आकर कुछ लड़कियाँ आत्महत्या तक भी कर लेती है। इस प्रकार दहेज प्रथा एक सामाजिक कलंक का रूप धारण कर चुकी है। इस सामाजिक.कलंक को मिटाने के लिए. युवाओं को आगे आना चाहिए। उन्हें प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि वे बिना दहेज ही शादी करेंगे। जब हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस बात को कहेगा कि न हम दहेज देंगे और न लेंगे तभी इस समस्या को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

15. जल के प्रयोग में व्यावहारिकता
‘जल ही जीवन है’ यह बात बिल्कुल सच है क्योंकि बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस संसार में जल का कोई विकल्प नहीं है। यह प्रकृति की अनूठी भेंट है। हवा के बाद जल ही जीवन रक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है। पर आजकल हम जल की हरपल बर्बादी कर रहे हैं। हम इस बात को नहीं समझ रहे कि यह जल की बर्बादी नहीं बल्कि इससे हमारा जीवन ही बर्बाद हो रहा है। इसलिए हमें जल का प्रयाग सोच-समझकर करना चाहिए। नहाते समय ज़रूरत के अनुसार जल गिराना चाहिए। नहाने के लिए सीधे नल न खोलकर बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए। हाथ-पैर धोते समय व्यर्थ पानी नहीं बहाना चाहिए। कपड़े धोने के लिए कम-से-कम जल का प्रयोग करना चाहिए। अपने घर, स्कूल आदि के नल कभी भी खुले नहीं छोड़ने चाहिए। अपनी गाड़ियाँ धोने के लिए अमूल्य जल को नष्ट नहीं करना चाहिए। बाग-बगीचे में पाईप की अपेक्षा फव्वारे से पानी देना चाहिए। रसोईघर में बर्तन साफ करने और सब्जियां धोते समय व्यर्थ जल नहीं बहाना चाहिए। घर का फर्श धोते समय जल को नहीं बहाना चाहिए। किसी भी जगह पर नल को खुला चलते देखकर उसे बंद कर देना चाहिए अथवा उसकी सूचना तुरंत नज़दीकी जल विभाग से देनी चाहिए। अपने नल खराब होने पर उसी समय ठीक करवाने चाहिए। इस प्रकार हमें सदा जल का सदुपयोग करना चाहिए।

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ Substances around us can be pure substances or impure substances. Impure substances are also known as mixtures.

→ A pure substance is made up of only one type of atom or molecule, e.g. water. It has definite composition and properties.

→ Some mixtures have some desired substances and undesired substances.

→ We must separate undesired substances from desired substances.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ The process of separating different substances from a mixture is known as separation.

→ The separation must be done if it has undesired substances. This is because undesired substances in the mixture can be harmful to us.

→ Separation is important in those cases where we need a particular component in a pure state.

→ We have many methods for separating components of a mixture.

→ These are based upon differences in the properties of substances present in the mixture.

→ Different methods of separation are Hand-picking, Threshing, Winnowing, Sieving, Sedimentation, Decantation, Filtration, Evaporation, etc.

→ Hand-picking is used to separate the components of a mixture if we can see these with f naked eye and these are large in size.

→ The combine is used for both the harvesting and threshing process.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ Threshing is the separation of grains from the chaff. It can be done using any one method out of the three i.e.

  • manual
  • with the help of Animals
  • using machines

→ Winnowing is a method to separate heavier and lighter components of a mixture by wind or by blowing air.

→ Methods like decantation, sedimentation, filtration, evaporation are used to separate mixtures of solids and liquids.

→ The process of settling down heavier, insoluble particles from a mixture is called sedimentation.

→ The substance that settles at the bottom is called sediment.

→ This method is used to separate insoluble heavier particles from a liquid.

→ The process of transferring the clear liquid without disturbing sediment is known as decantation.

→ The process of separating an insoluble solid from a liquid bypassing the liquid through a filter paper or muslin cloth is known as filtration.

→ The process of separating differently sized particles of a mixture using a sieve is called sieving.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ The process of converting a liquid into its vapours by heating is called evaporation.

→ Sometimes we can or need more than one method for separating components of a mixture.

→ When a mixture of two or more substances appears like a single substance or pure substance it is called a solution.

→ In a solution, the substance present in a larger amount is called the solvent and the substance present in a smaller amount is called the solute.

→ A saturated solution is a solution in which no more solute can be dissolved at a particular temperature.

→ An unsaturated solution is a solution in which more solute can be dissolved at a particular temperature.

→ Water dissolves different amounts of substances in it and the solubility of most substances increases when the solution is heated.

→ Evaporation and condensation are opposite of each other.

→ Pure substance: If a substance is made up of only one type of component (atoms or molecules) it is called a pure substance. It must have definite composition and properties.

→ Impure substance: An impure substance is one that consists of a mixture of different types of molecules.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ Mixture: A substance made up of two or more elements or compound mixed together in any ratio without any chemical reaction is called a mixture.

→ Solution: When a mixture of two or more substances appears like a single substance or pure substance it is called a solution.

→ Solvent: In a solution, the substance present in a larger amount is called the solvent.

→ Solute: In a solution, the substance present in smaller amounts is called the solute.

→ Saturated solution: A solution in which no more solute can be dissolved at a particular temperature is called a saturated solution.

→ Unsaturated solution: A solution in which more solute can be dissolved at a particular temperature is called a saturated solution.

→ Distillation: The process in which a liquid is converted into vapours by boiling it and the vapours so formed are condensed by cooling to give pure liquid is called distillation.

→ Hand-picking: The method of separating undesirable solid substances or impurities from useful solids by hand is known as handpicking.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ Winnowing: When the particles of impurities are light or when light and heavy particles from a mixture then the winnowing method is used to separate them.

→ Threshing: The process of separating grains from the stalks is called threshing. In this method, we beat stalks to free the seeds.

→ Sieving: Sieving is a method in which smaller solid particles are separated from bigger and larger solid particles by passing through a sieve.

→ Sedimentation: In this process, the liquid mixture is placed undisturbed for some time. Solid heavy insoluble particles settle down and lighter particles float in the liquid.

→ Decantation: The process of transferring the liquid from the mixture without disturbing sediments is known as decantation.

→ Churning: The process of separation of lighter particles from a liquid mixture is churning.

→ Evaporation: Evaporation is a process in which liquid is converted into its vapours by heating.

→ Condensation: The process of converting water vapours into their liquid form is called condensation.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 5 Separation of Substances

→ Filtrate: The clean liquid obtained during filtration is known as filtrate.

→ Residue: The sand and mud left on the filter paper is known as the residue.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

→ The matter is defined as anything that has mass and takes up space.

→ All material around us is matters because all materials occupy space and have mass.

→ Feelings of love or sadness, signals received by radio and television, different forms of energy do not matter.

→ Some of these substances are made up of one material whereas others are made up of more than one material.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

→ Atom is the smallest part that is found in all types of matter.

→ We are surrounded by different substances having different shapes, sizes, colours, and uses.

→ Some articles can be made from different materials. There are certain different articles that are made up of the same materials.

→ Due to the large variety of objects, it is better if we classify these. We can classify these different bases i.e. shape, the material used, use, etc.

→ Objects made from one material have simple composition. Objects made from many materials have complex compositions.

→ Materials are used to make objects depending upon their properties and the purpose for which the objects are to be used.

→ Some materials have similar and some have dissimilar properties.

→ Some substances completely disappear when dissolved in water. These are called soluble substances.

→ Substances that do not mix with water or do not disappear in water even after stirring for a long time are called insoluble substances.

→ Some materials have a shining appearance. These are called lustrous.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

→ The substances which have a dull appearance are called non-lustrous substances.

→ Some materials are hard. These are called rigid substances.

→ We can see across certain substances these are called transparent substances.

→ We cannot see across certain substances. These are called opaque substances.

→ We can see only up to a certain extent across some substances. These are called translucent substances.

→ Liquids that completely mix with each other are called miscible liquids.

→ Liquids that do not mix with each other are called immiscible liquids.

→ Liquids that partially mix with each other are called partially miscible liquids.

→ The mass per unit volume of a substance is known as density.

→ If an insoluble substance has a density higher than water then it will sink.

→ If an insoluble substance has a density lower than water then it will float.

→ Out of a pair of immiscible liquids, the one with the higher density will form the lower layer and the one with the lower density will form the upper layer.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

→ Miscible: The liquids which mix completely are called miscible liquids.

→ Immiscible: The liquids which do not mix with each other are called miscible liquids.

→ Soluble: The solid substance that on dissolving in water or any other liquid completely disappear is called a soluble substance.

→ Insoluble: The solid substance that on dissolving in water or any other liquid that does not disappear is called an insoluble substance.

→ Transparent: The substances through which one can see, are called transparent.

→ Opaque: The substances through which one cannot see are called opaque.

→ Translucent: The substances through which one can see partially but not clearly, are called translucent.

→ Lustre: The shining that we see on a substance is called lustre.

→ Atom: The smallest part of the matter is known as an atom.

→ Texture: It means how we feel upon touching the surface of a substance.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 4 Sorting Materials into Groups

→ Rigid: It means whether a substance can be compressed or not.

→ Density: The mass per unit volume of a substance is known as density.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

→ Clothes are important as they

  • protect us from sunlight, wind, cold, heat, rain, etc.
  • help us to feel comfortable in different weather conditions and to look smart.

→ People commonly wear different types of clothes like sari, coat-pent, suits, jeans,I shirts, T-shirts. Turban, kurta-pajama, salwar-kameez, lungi, dhoti, etc.

→ Cotton, silk, wool, and polyester are different variety of clothing materials, called fabrics.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

→ Bedsheets, blankets, towels, curtains, duster, floor mats, our school bags, belts, socks, ties are made up of different kinds of fabric. Thus, different kinds of fabrics are used! to make different types of clothes.

→ Yarn is a thin thread used for making different fabrics. It is made from fibre.

→ Fibres are of two types:

  • natural
  • man-made (Synthetic).

→ Fibres that are obtained from nature are called natural fibre.

→ Natural fibres can be obtained from plants and animals.

→ Fibres obtained from plants are called plant fibres.

→ Similarly, fibres obtained from animals are called animal fibres.

→ Cotton, Jute, and coir are examples of plant fibres whereas wool, silk, etc. are examples of animal fibres.

→ Ginning, spinning, weaving, knitting, etc. are some processes that are used to make fabric or clothing material from cotton fibre.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

→ The fibres made by man from, chemicals are called synthetic fibers.

→ Nylon, acrylic, and Polyester are examples of synthetic fibres.

→ Synthetic fibre is used to make socks, toothbrush bristles, car seat belts, carpets, ropes, school bags, etc.

→ Jute fibre is obtained from the stem of the jute plant by the process of retting.

→ Synthetic fibres dry easily, have lesser air spaces between them, are stronger and wrinkle-free.

→ Synthetic fibres do not absorb water, so these fibres are not suitable for hot and humid weather.

→ Cotton clothes are good for humid and hot weather. It absorbs water easily.

→ The process of separating cotton fibres from the seeds by combing is called ginning Removing of wool from sheep using clippers is called shearing.

→ The rearing of silkworms to produce silk.

→ The process of arranging two sets of yarn together to make a fabric is called weaving.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

→ In contrast, a single yam is used to make a piece of fabric in knitting.

→ Knitting is done by hands or by machines.

→ Yarn: Yarn is a thin thread used for making different fabrics.

→ Fibres: Yarn is made up of very small strands called fibres.

→ Jute: Jute is strong and rough, the necktie is smooth and shiny as it is made up of silk.

→ Plant Fibres: The Fibres obtained from plants are called plant fibres.
For example cotton, jute, coir.

→ Animal fibres: The fibres obtained from animals are called animal fibres.
For example wool, silk.

→ Synthetic Fibres: Fibres prepared by a man using chemicals and other materials are called synthetic fibres.

→ Ginning: The separation of cotton from its seeds by steel combs is called ginning.

→ Sericulture: The rearing of silkworms to produce silk.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 3 Fibre to Fabric

→ Retting: Formation of jute fibre from the stem of the jute plant by the process of retting.

→ Shearing: Removing wool from sheep using clippers.

→ Spinning: The process of making yarn from fibres is called spinning.

→ Weaving and Knitting: The process of arranging two sets of yarn together to make a fabric is called weaving.

→ In contrast, a single yarn is used to make a piece of fabric in knitting.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ Nutrients are the substances that are needed for the proper growth and development of the body.

→ Carbohydrates, proteins, fats, minerals, and vitamins are the main nutrients in our food.

→ In addition to these, our body needs water and roughage.

→ Carbohydrates are made up of carbon, hydrogen, and oxygen. These are instant sources of energy and are called energy-giving food.

→ Bajra, jowar, rice, wheat, jaggery, mango, banana, and potato are the main sources of carbohydrates.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ We have two types of carbohydrates. These are simple carbohydrates and complex hydrates.

→ Examples of simple carbohydrates are glucose, fructose, sucrose, lactose, etc.

→ Examples of complex carbohydrates are starch, cellulose, glycogen, etc.

→ Carbohydrates sweet in taste are called sugars.

→ Sucrose is known as table sugar.

→ Fructose is called fruit sugar.

→ Lactose is called milk sugar.

→ Starch is tasteless and insoluble in water. It is made up of many glucose units.

→ The main sources of starch are potatoes, wheat, rice, maize, etc.

→ During digestion, starch is first converted into glucose and finally into carbon dioxide and water. So, starch is not an instant source of energy.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ Starch detection can be done by an iodine test. It gives a blue-black colour with iodine.

→ Proteins are made up of carbon, hydrogen, oxygen, and nitrogen. They are called body-building foods.

→ The growth and repair of body cells is the main function of proteins. These also protect us from many diseases.

→ Plants and animals both are sources of proteins.

→ Proteins from plants are called plant proteins and proteins from animals are called animal proteins.

→ Beans like soybeans, peas, and pulses like gram and moon are sources of plant proteins.

→ We also get proteins from spinach, mushroom, broccoli, etc.

→ Mean, fish, poultry, milk, and milk products are the main sources of proteins.

→ Some proteins speed up various reactions occurring in our bodies. These are known as enzymes.

→ Enzymes are proteins that speed up various activities inside the body of a living organism.

→ Proteins when added to a solution of copper sulphate and caustic soda gives blue colour. This reaction is used for detecting the proteins.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ Fats also give us energy. They give larger amounts of energy in comparison to carbohydrates. They do not release energy instantly.

→ Fats are known as the richest source of energy. Carbohydrates are known as instant sources of energy.

→ Important plant sources of fats are vegetable oils like mustard oil, coconut oil, and sunflower oil.

→ Other sources of fats are cashew, almonds, groundnut, and sesame seeds.

→ Important animal sources of fat are meat, eggs, fish, milk, and milk products like butter, ghee, etc.

→ Fats give energy, prevent heat loss from the body.

→ The presence of an oily patch on paper confirms the presence of fat in any food item.

→ Our bodies also need minerals. Calcium, iron, iodine, and phosphorus are important minerals. These do not give us energy.

→ Iron is needed for the formation of haemoglobin and calcium is needed for forming bones.

→ Phosphorus provides strength to bones and teeth.

→ Iodine is needed for the normal functioning of the thyroid gland.

→ Vitamins are essential for the proper functioning of our body.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ We have different vitamins like A, B, C, D, E, and K.

→ Sources of vitamin A are eggs, meat, milk, cheese, green leafy vegetables, carrot, papaya, etc. It is needed for healthy eyes and skin.

→ Sources of vitamin B are milk, green vegetables, peas, eggs, cereals, mushrooms, etc. It is needed for normal growth and proper functioning of the central nervous system and digestive system.

→ Sources of vitamin C are citrus fruits (lemon, orange, etc.), amla, tomato, broccoli, etc. It is needed for fighting against diseases.

→ Sources of vitamin D are dairy products, fish liver oil, exposure to sunlight, etc. It is needed for healthy bones and teeth.

→ Sources of vitamin E are almonds, peanuts, sunflower oil, soyabean oil, leafy vegetables. It is needed for protecting cells from damage and helping our body to lower different problems.

→ Sources of vitamin K are green leafy vegetables, fish meat, eggs, cereals, etc. It is needed for the clotting of blood.

→ Nutrients: are the substances that are needed for the proper growth and development of the body.

→ Balance diet: The diet that contains an adequate amount of all the essential nutrients, roughage, and water for proper growth and development of the body is called a Balanced diet

→ Deficiency Diseases: The disease which is caused due to shortage of nutrients in our diet for a long time is called deficiency disease.

→ Goiter: A deficiency disease caused due to deficiency of iodine and its main symptom is an enlargement of the gland in the neck.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 2 Components of Food

→ Scurvy: It is a disease caused by deficiency of vitamin C and its main symptoms include bleeding gums.

→ Beri-Beri: It is a disease caused by a deficiency of vitamin-B.

→ Rickets: It is a disease caused by deficiency of vitamin D and its main symptoms include softening and bending of bones.

→ Anaemia: It is a disease caused by deficiency of iron and its main symptoms include weakness, fatigue, and pale skin.

→ Roughage: The fibrous indigestible material present in food is termed roughage.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Question 1.
How will you describe the position of a table lamp on your study table to another person?
Answer:
First of all. I will explain that the study table is the first quadrant of the Cartesian plane, the edge nearer to me as the positive direction of the x-axis and the edge on my left Is the positive direction of the y-axis. Now, I will measure the distance of the table lamp from the edge nearer to me. Suppose that distance is y cm. Now, I will measure the distance of the table lamp from the edge on my left. Suppose that distance is x cm. Now, I can describe the position of the table lamp that it is y cm away from the edge nearer to me and x cm away from the edge on my left. In this manner, I can describe the position of any object lying on the table with two independent informations.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Question 2.
(Street Plan) : A city has two main roads which cross each other at the centre of the city. These two roads are along the North-South direction and East-West direction.

All the other streets of the city run parallel to these roads and are 200 m apart. There are 5 streets in each direction. Using 1 cm = 200 m, draw a model of the city on your notebook. Represent the roads/streets by single lines.

There are many cross-streets in your model. A particular cross-street is made by two streets, one running in the North South direction and another in the East West direction. Each cross-street is referred to in the following manner:

If the 2nd street running in the North South direction and 5th in the East-West direction meet at some crossing. then we will call this cross-street (2, 5). Using this convention, find:
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1 1

(i) how many cross-streets can be referred to as (4, 3).
Answer:
One and only one cross-street can be referred to as (4, 3) because it is the intersection of 4th street running in the North-South direction and the 3rd street running in the East-West direction. As we are using two independent references, each cross-street (X, y) will be referred uniquely.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

(ii) how many cross-streets can be referred to as (3, 4).
Answer:
One and only one cross-street can be referred to as (3, 4) because it is the intersection of the 3rd street running in the North-South direction and the 4th street running in the East-West direction.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

This PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From will help you in revision during exams.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ All living beings need the energy to carry out their daily activities.

→ Food is needed by living beings for their growth, getting energy for doing work, replacement and repair of their damaged body parts, and protection against diseases.

→ Different varieties of food like fruits, vegetables, milk products, sweets, eggs, meat, chapati, and bakery products are present in nature.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ The materials needed to prepare food items are called ingredients. Food materials can be made of one or two or many ingredients.

→ Plants are the chief source of food for us and other animals. However, few food materials are also obtained from animals.

→ Green plants can prepare their own food by using sunlight, carbon dioxide, and water to prepare their food. This process is called photosynthesis.

→ Every part of a plant where the food is stored is edible i.e. seed, flower, stem, root, leaf.

→ The plant parts which are used by us as food are called edible parts.

→ We eat roots of carrot, radish, turnip, sweet potato, etc. We also use stems of certain plants.

→ Some stems like those of ginger, potato, onion, turmeric grow underground and store food.

→ Stems of ginger and turmeric are used as spices.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ The stem of sugarcane is used to make juice, sugar, and jaggery.

→ We eat different types of fruits like apple, mango, guava, papaya, orange, etc.

→ All these fruits are eaten raw i.e. without cooking. We make jams and pickles from some fruits.

→ Fruits are essential for good health as these are important sources of vitamins and minerals.

→ We use leaves of various plants like mustard, spinach, cabbage, coriander, mint, etc.

→ We use seeds of many plants as food like wheat, rice, maize, gram, peas, kidney beans and green gram (moong), etc.

→ Seeds of some crops like gram, peas, kidney beans, and green gram (moong) are known as pulses whereas seeds of wheat, rice, and maize are known as cereals.

→ We get milk, honey, meat, eggs, oil, etc. from animals.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ Honey contains sugar, water, minerals, enzymes, and vitamins. Nectar of flowers is a source of honey.

→ On the basis of the food taken by animals, there are three categories of the animals:

  • Herbivores
  • Carnivores
  • Omnivores

→ Herbivores are the animals that eat only plants and plant products are called herbivores, e.g. cows, goats, rabbits, sheep, deer, elephants, etc.

→ Carnivores are the animals which eat other animals are called carnivores, e.g. lions, tigers, lizards, snakes, etc.

→ Omnivores are the animals which eat both plants and animals are called omnivores. e.g. Crow, bear, dog, and rat, man, etc.

→ Milk contains proteins, sugar, fats, and vitamins.

→ It is used worldwide as food that can be converted into dairy products like cheese, butter, curd, cream, etc.

→ People eat the meat of goats, sheep, chicken, fish, and sea animals like prawns, crab.

→ Meat is also used as food and it contains a great number of proteins and fats.

→ People eat eggs of hen and duck and other birds.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ The white part of the egg is called albumen and the yellow part of the egg is called yolk.

→ Albumen is rich in proteins and you are rich in fats.

→ Food: Substances providing energy to do work, maintain body heat, protect us from diseases, etc. is called food.

→ Balance diet: A diet that contains all the nutrients needed by the body is called a balanced diet.

→ Edible: The substances/materials which are safe for eating are called edible substances.

→ Ingredients: Materials needed to prepare food Items.

→ Pulses: Seeds of some crops like gram, peas, moong.

→ Cereals: Seeds of grass crops e.g. wheat, rice, maize

→ Albumin: White part of the egg.

→ Yolk: Yellow part of the egg

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 1 Food Where Does it Come From

→ Nectar: Sugary fluid present in flowers

→ Herbivores: Plant-eating animals are called herbivores.

→ Nectar: Sugary fluid present in flowers

→ Autotrophs: Organisms that can prepare their own food by photosynthesis.

→ Heterotrophs: Organisms that depend on other organisms for food

→ Herbivores: Organisms that eat only plants and plant products

→ Carnivores: Animals eating other animals are called carnivores.

→ Omnivores: Animals that eat both plants and animals are called omnivores.

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 2 Polynomials MCQ Questions with Answers.

PSEB 9th Class Maths Chapter 2 Polynomials MCQ Questions

Multiple Choice Questions and Answer

Answer each question by selecting the proper alternative from those given below each question to make the statement true:

Question 1.
The value of p(x) = x3 + x2 – 3x – 3 at x = – 1 is ………….. .
A. 1
B. – 1
C. 0
D. – 3
Answer:
C. 0

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 2.
For the polynomial p(x), If p(2) = 0. then …………….. is a factor of p(x).
A. (x – 2)
B. (x + 2)
C. (x2 – 2)
D. (x2 + 2)
Answer:
A. (x – 2)

Question 3.
Dividing 2x3 + 6x2 + x + 5 by (x + 3), the remainder is ………………. .
A. 2
B. 3
C. 1
D. 0
Answer:
A. 2

Question 4.
……………. should be subtracted from x3 + 3x2 + 2x + 10, so that the result is exactly divisible by (x + 3).
A. 1
B. 2
C. 3
D. 4
Answer:
D. 4

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 5.
………………… should be added to x3 – 5x2 + x – 8, so that the result Is exactly divisible by (x – 5).
A. 2
B. – 2
C. – 3
D. 3
Answer:
D. 3

Question 6.
…………………. is one of the zeros of the polynomial x3 – 6x2 + 2x – 12.
A. 2
B. – 2
C. 6
D. – 6
Answer:
C. 6

Question 7.
If x + 3 is a factor of x3 + 6x2 + 11x + k, then k = ……………….. .
A. 2
B. 3
C. 4
D. 6
Answer:
D. 6

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 8.
………………….. should be added to x2 – 8, so that the result is exactly divisible by (x + 3).
A. 1
B. – 1
C. 3
D. – 3
Answer:
B. – 1

Question 9.
If x – 1 is a factor of 4x3 + 3x2 – 4x + k, then k = ………… .
A. 4
B. 1
C. 3
D. – 3
Answer:
D. – 3

Question 10
………………. is one of the factors of 2x4 + x3 – 14x2 – 19x – 6.
A. (x – 1)
B. (x + 1)
C. (x + 3)
D. (x – 2)
Answer:
B. (x + 1)

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 11.
When x3 + 64 is divided by x + 4, the quotient is ………………. .
A. (x – 4)
B. (x + 8)
C. (x + 16)
D. x2 – 4x + 16
Answer:
D. x2 – 4x + 16

Question 12.
x3 + 3x2 + 3x + 2 = (x + 2) (……………..)
A. x – 2
B. x2 + 1
C. x2 – x – 1
D. x2 + x + 1
Answer:
D. x2 + x + 1

Question 13.
The factors of x2 – x – 12 are .
A.(x + 6) and (x – 2)
B. (x – 4) and (x – 3)
C. (x + 4) and (x + 3)
D. (x – 4) and (x + 3)
Answer:
D. (x – 4) and (x + 3)

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 14.
The factors of x2 – 100 are ………………. .
A. (x – 20) and (x – 5)
B. (x – 25) and (x – 4)
C. (x – 10)2
D. (x + 10) and (x – 10)
Answer:
D. (x + 10) and (x – 10)

Question 15.
x2 – 2 + \(\frac{1}{x^{2}}\) = ………………………
A. \(\left(x+\frac{1}{x}\right)\left(x-\frac{1}{x}\right)\)
B. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{2}\)
C. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{3}\)
D. \(\left(x+\frac{1}{2}\right)^{2}\)
Answer:
B. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{2}\)

Question 16.
If x2 + mx – 28 = (x – 7) (x + 4), then m = ………………….. .
A. 3
B. – 3
C. 11
D. – 11
Answer:
B. – 3

Question 17.
105 × 95 = ………………. .
A. 9500
B. 10,500
C. 9925
D. 9975
Answer:
D. 9975

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 18.
(110)3 = …………………… .
A. 330
B. 3300
C. 33.000
D. 13,31,000
Answer:
D. 13,31,000

Question 19.
(15)3 – (9)3 – (6)3 = ………………….
A. 1215
B. 2430
C. – 810
D. 810
Answer:
B. 2430

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 20.
If x + 3 is one of the factors x3 + 2x2 – ax – 18, then a = …………………. .
A. 3
B. – 3
C. 9
D. – 9
Answer:
C. 9

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 12 Electricity and Circuits

This PSEB 6th Class Science Notes Chapter 12 Electricity and Circuits will help you in revision during exams.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 12 Electricity and Circuits

→ An electric cell is a source of electric energy.

→ The electric cell has two terminals: one positive terminal (+) and the other negative terminal (-).

→ The electric bulb has one filament which is connected to its terminals.

→ On passing the electric current, the bulb begins to glow.

→ In a closed electric circuit, the electric current passes from one terminal of the electric cell to the other terminal.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 12 Electricity and Circuits

→ The switch is a simple device that is used to either break the electric circuit or to complete it.

→ Materials that allow an electric current to pass through them, are called conductors.

→ Materials that do not allow an electric current to pass through them are called insulators.

→ Light-emitting thin wire of the bulb is called filament of the bulb.

→ On the breaking of filament, the bulb becomes fused.

→ The complete path of electric current is called an Electric circuit.

→ Bulb: It is a simple device that gives out light on passing an electric current through it.

→ Electric conductor: Materials that allow current to pass through them are called electric conductors.

→ Electric cell: Electric cell is a source of electricity. The chemicals stored in it produce an electric current.

PSEB 6th Class Science Notes Chapter 12 Electricity and Circuits

→ Electric circuit: The path of current from one terminal to another terminal, through a switch, bulb, and switch, is called an electric circuit.

→ Filament: A small thin metallic wire (Tungsten) inside a bulb that glows when current is allowed to pass through it, is called a filament.

→ Insulators: Materials that do not allow current to pass current through them are called insulators.

→ Switch: A simple device that is used to break or complete a circuit is called a switch.

→ Terminal: The point of entering or exit of electric current is called terminal.

→ An electric cell has two terminals:

  • Positive terminal
  • Negative terminal.