PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 8 पाजेब

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 पाजेब Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 पाजेब

Hindi Guide for Class 9 PSEB पाजेब Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मुन्नी के लिए पाजेब कौन लाया?
उत्तर:
मुन्नी के लिए पाजेब उसकी बुआ लाई थी।

प्रश्न 2.
मुन्नी को पाजेब मिलने के बाद आशुतोष भी किस चीज़ के लिए ज़िद्द करने लगा?
उत्तर:
मुन्नी को पाजेब मिलने के बाद आशुतोष साइकिल के लिए ज़िद्द करने लगा।

प्रश्न 3.
लेखक की पत्नी को पाजेब चुराने का संदेह सबसे पहले किस पर हुआ?
उत्तर:
लेखक की पत्नी को पाजेब चुराने का संदेश सबसे पहले घर के नौकर बंशी पर हुआ।

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प्रश्न 4.
आशुतोष को किस चीज़ का शौक था?
उत्तर:
आशुतोष को पतंग उड़ाने तथा साइकिल का शौक था।

प्रश्न 5.
वह शहीद की भाँति पिटता रहा था। रोया बिल्कुल नहीं था उपर्युक्त संदर्भ में बताइए कि कौन पिटता रहा?
उत्तर:
आशुतोष पिटता रहा।

प्रश्न 6.
गुम हुई पाजेब कहाँ से मिली?
उत्तर:
गुम हुई पाजेब बुआ के पास से मिली।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक को आशुतोष पर पाजेब चुराने का संदेह क्यों हुआ?
उत्तर:
लेखक को आशुतोष पर पाजेब चुराने का संदेह इसलिए हुआ क्योंकि उसे अपने नौकर बंशी पर पूर्ण विश्वास था कि वह पाजेब नहीं चुरा सकता। लेखक का शक तब यकीन में बदल गया जब उसे पता चला कि शाम को आशुतोष पतंग और डोर का पिन्ना लाया है।

प्रश्न 2.
पाजेब चुराने का संदेह किस-किस पर किया गया?
उत्तर:
पाजेब चुराने का सर्वप्रथम संदेह कथाकार की पत्नी ने घर के नौकर बंशी पर किया। इसके बाद संदेह आशुतोष पर किया गया। उसी से बातचीत में छुन्नू का नाम सामने आया और छुन्नू पर भी पाजेब की चोरी का शक किया गया।

प्रश्न 3.
आशुतोष ने चोरी नहीं की थी फिर भी उसने चोरी का अपराध स्वीकार किया। इसका क्या कारण हो सकता है ?
उत्तर:
आशुतोष ने चोरी नहीं की थी, यह बात पूर्ण रूप से सच है किंतु घर के सभी सदस्य पाजेब चुराने का शक उसी पर कर रहे थे। उसे कोठरी में भी बंद किया गया। माता-पिता दोनों उस पर क्रोधित थे। दोनों ही आशुतोष पर झल्ला रहे थे। बार-बार उससे एक ही सवाल पूछा जा रहा था कि पाजेब किसने ली है?बार-बार के प्रश्नों से बचने के लिए तथा घर में शांति स्थापित करने के लिए आशुतोष ने चोरी न करने पर भी पाजेब की चोरी का अपराध स्वीकार कर लिया होगा।

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प्रश्न 4.
पाजेब कहाँ और कैसे मिली ?
उत्तर:
पाजेब आशुतोष की बुआ के पास मिली। जब आशुतोष की बुआ घर आई और उसने आशुतोष से कहा कि जो कागज़ात वह माँग रहे थे, वे सभी इसी बॉक्स में हैं। तभी उसने अपनी बॉस्केट की जेब में हाथ डालकर पाजेब निकाली और कहने लगी कि उस दिन भूल से यह पाजेब उसके साथ ही चली गई थी।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
आशुतोष का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
कहानी में आशुतोष एक प्रमुख पात्र है। सारी कहानी उसी के चारों ओर घूमती है। वह एक बच्चा है। मुन्नी की जिद्द पूरी होने पर वह भी साइकिल लेने की जिद्द ठान लेता है। वह पाजेब पहनी हुई मुन्नी को बाहर घुमाने में गर्व महसूस करता है। चोरी का इल्ज़ाम आशुतोष पर लगने के कारण वह हठी और उदंड बन जाता है। वह झुठ भी बोलता है। उसमें अपना दोष दूसरों पर डालने का विकार भी है। उसका चरित्र पूर्णत: मनोविज्ञान से प्रभावित है।

प्रश्न 2.
आशुतोष के माता-पिता ने बिना किसी मनोवैज्ञानिक सूझबूझ के आशुतोष के प्रति जो व्यवहार कियाउसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
आशुतोष के माता-पिता ने उसके साथ बिल्कुल भी अच्छा व्यवहार नहीं किया था। उन्होंने तो यह तक भी सोचने का प्रयास नहीं किया कि बच्चों के साथ कैसे पेश आना चाहिए। सर्वप्रथम आशुतोष के पिता ने उस पर चोरी करने का शक किया। उसे डराया, धमकाया तथा उसके कान भी खींचे। आशुतोष की माँ ने भी उसे मारा-पीटा तथा धमकाया। आशुतोष के गाल भी सूज गये थे। वह पूरी तरह से डरा हुआ था। उसे कोठरी में बंद करके तो अत्याचार की सारी सीमाएँ ही लाँघ दी जाती हैं। अंत में जब बुआ उन्हें पाजेब देती है तो आशुतोष के पिता अपना सा मुँह लेकर रह जाते हैं। ये सब बातें दर्शाती हैं कि आशुतोष के माता-पिता ने बिना किसी मनोवैज्ञानिक सूझबूझ के आशुतोष के प्रति जो व्यवहार किया वह एकदम अनुचित था।

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प्रश्न 3.
आशुतोष के किन कथनों और कार्यों से संकेत मिलता है कि. उसने पाजेब नहीं चुराई थी?
उत्तर:
आशुतोष के निम्नलिखित कथनों तथा कार्यों से संकेत मिलता है कि उसने पाजेब नहीं चुराई थी
1. जब आशुतोष के पिता ने उसकी माँ से पूछा था कि उसने आशुतोष से पूछा तो माँ ने कहा, ‘हाँ’, वो तो स्वयं उसकी ट्रंक और बॉक्स के नीचे घुस-घुसकर ढूंढ़ने में उसकी मदद कर रहा था।
2. पिता के कहने पर आशुतोष का कमरे के कोने-कोने में पाजेब को ढूँढ़ना।
3. छुन्नू के पास जाने से इन्कार करना।
4. यह कहना कि छुन्नू के पास होगी तो देखना।
5. किसी भी बात का हाँ और ना में ठीक से उत्तर न देना।

प्रश्न 4.
“प्रेम से अपराध वृत्ति को जीता जा सकता है, आतंक से उसे दबाना ठीक नहीं है ….” इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस वाक्य का आशय है कि अपराधवृत्ति को दबाने के लिए दण्ड का सहारा उचित नहीं। दंड व्यक्ति को उदंड बनाने का काम करता है। उसमें जिद्दीपन तथा हट्ठीपन लाता है। इसके विपरीत प्यार व्यक्ति के भावों को समझने का काम करता है। प्यार से व्यक्ति दूसरे के दिल को पिघला कर मोम कर लेता है। उसके अंदर की बातों को जान लेता है तथा उसकी अपराध वृत्ति को अपने प्यार के कोमल हथियार से जीत लेता है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त स्थान पर उचित विराम चिह्न का प्रयोग कीजिए

प्रश्न 1.
बुआ ने कहा छी-छी तू कोई लड़की है
उत्तर:
बुआ ने कहा, “छी-छी तू कोई लड़की है ?”

प्रश्न 2.
मैंने कहा छोड़िए भी बेबात की बात बढ़ाने से क्या फायदा
उत्तर:
मैंने कहा, “छोड़िए भी। बेबात की बात बढ़ाने से क्या फायदा!”

प्रश्न 3.
मैंने कहा क्यों रे तू शरारत से बाज नहीं आयेगा
उत्तर:
मैंने कहा, “क्यों रे, तू शरारत से बाज़ नहीं आयेगा ?”

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाकय
खुशी का ठिकाना न रहना – बहुत प्रसन्न होना – ………………..
टस से मस न होना – अपनी ज़िद्द पर अड़े रहना – ………………..
• चैन की सांस लेना – राहत महसूस करना – ……………..
• मुँह फुलाना – रूठ जाना, नाराज़ होना – ……………..
उत्तर:
आद्या को जब उसकी मनपसंद फ्रॉक मिल गई तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
• नरेश अपनी बात से तनिक-सा भी टस से मस नहीं हुआ।
• जब रेखा ने सब सच-सच बता दिया तो उसकी माँ ने चैन की सांस ली।
• अपने ऊपर चोरी का इल्ज़ाम लगने पर मोहन मुँह फुलाकर बैठ गया।

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3. निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

(i) मान गेट डे निभा टी वृभा उप्ली गप्टी ।
(ii) मॅच वरिट हिँउ पाठा ठी सापीर ।
(iii) ਉਸ ਦਿਨ ਭੁੱਲ ਨਾਲ ਇਹ ਇੱਕ ਪਜੇਬ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਚਲੀ ਗਈ ਸੀ ।
(iv) घतात हिर प्टॅिव ठहीं उतां टी पोप उली ।
उत्तर:
(i) संध्या होने पर बच्चों की बुआ चली गई।
(ii) सच कहने में घबराना नहीं चाहिए।
(iii) उस दिन भूल से यह एक पाजेब मेरे साथ गई थी।
(iv) बाज़ार में एक नई प्रकार की पाजेब चली है।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
पाजेब कहानी के लेखक के स्थान पर यदि आप होते तो आशुतोष के साथ कैसा व्यवहार करते ?
उत्तर:
‘पाजेब’ कहानी के लेखक के स्थान पर यदि हम होते तो आशुतोष से बड़े प्यार से पेश आते। उसके साथ खेल-खेल में बात जानने की कोशिश करते। तरह-तरह की बातों में लगा कर उससे बात ही बात में मतलब की बात जान लेते। किसी भी प्रकार से उस पर हाथ नहीं उठाते। न ही उसे डाँटते, धमकाते तथा कोठरी में बंद करते। उसे बड़े ही प्यार और दुलार से समझाते तथा स्थिति को सही करने का प्रयास करते।

प्रश्न 2.
यदि कभी बिना किसी पुष्टि के आप पर चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया जाए तो आपकी स्थिति कैसी होगी?
उत्तर:
यदि कभी बिना किसी पुष्टि के हम पर चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया जाए तो हमारी स्थिति अत्यंत दयनीय होगी। हमारी यकायक नींद उड़ जाएगी। शरीर काँपने लगेगा। मन में तरह-तरह के विचार आने लगेंगे कि लोगों को पता चलेगा तो वह हमारे बारे में क्या सोचेंगे।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

1. बालमन से संबंधित खेल (जैनेंद्र कुमार), ईदगाह (प्रेमचंद) आदि कहानियों को पढ़िए।
2. ‘पाजेब’ कहानी को अध्यापक की सहायता से एकांकी के रूप में मंचित कीजिए।
3. कहानी को पढ़ने के पश्चात् आपको अपने माता-पिता से जुड़े कुछ प्रसंग याद आए होंगे-उन्हें डायरी में लिखिए।
4. मार, डाँट और भय से बच्चों को सुधारा जा सकता है-इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद कीजिए।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. आना : पुरानी मुद्रा में आना’ (इकन्नी), दुअन्नी, चवन्नी आदि मुद्राएँ चलती थीं। पुरानी मुद्रा के अनुसार आना’ से अभिप्राय था एक रुपये का सोलहवाँ हिस्सा।
2. गिल्ली डंडा : गिल्ली डंडा पूरे भारत में काफ़ी प्रसिद्ध खेल है। इसे सामान्यत: एक बेलनाकार लकड़ी से खेला जाता है जिसकी लंबाई बेसबॉल या क्रिकेट के बल्ले के बराबर होती है। इसी की तरह की छोटी बेलनाकार लकड़ी को गिल्ली कहते हैं जो किनारों से थोड़ी नुकीली या घिसी हुई होती है।
खेल का उद्देश्य डंडे से गिल्ली को मारना है। गिल्ली को ज़मीन पर रखकर डंडे से किनारों पर मारते हैं जिससे गिल्ली हवा में उछलती है। विरोधी खिलाड़ी को गिल्ली को पकड़ना होता है। यदि वह इसमें सफल हो जाता है तो पहला खिलाड़ी आऊट हो जाता है। यदि वह गिल्ली को न पकड़ पाए तो उसे उस गिल्ली को पहले खिलाड़ी के डंडे पर मारना होता है। इस तरह खेल इसी क्रम में जारी रहता है।

PSEB 9th Class Hindi Guide पाजेब Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मुन्नी की माँ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
कहानी में मुन्नी की माँ का चरित्र एक सामान्य नारी के समान है। वह बिना किसी प्रमाण के घर के नौकर बंशी पर पाजेब चुराने का शक करती है। इसके बाद बिना सच्चाई को जाने परखे वह छुन्न की माँ से भी जा लड़ती है। वह अपने विवेक से काम न लेकर तनाव से काम लेती है। मुन्नी की माँ भी अन्य नारियों की भाँति आभूषणों को चाहने वाली है। वह मुन्नी की पाजेब पर मोहित होकर उसी तरह की पाजेब अपने पति से लाने को कहती है।

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प्रश्न 2.
‘पाजेब’ कहानी क्या एक घटना है या और कुछ है?
उत्तर:
‘पाजेब’ कहानी एक घटना है, जो मनोविज्ञान पर आधारित है। यह घटना प्रधान होने के बाद भी अपनी सच्चाई से बड़ी ही मार्मिक बन पड़ी है। कहानी में बच्चों की अदालत में बड़ों को कसूरवार ठहराया गया है। कहानी. घर के बड़ों को संदेश देती है कि उन्हें अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने पर बाध्य होना पड़ेगा।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘पाजेब’ कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
जैनेन्द्र कुमार।

प्रश्न 2.
मुन्नी ने बाबू जी से कैसी पाजेब लाने के लिए कहा?
उत्तर:
जैसी रूकमन और शीला पहनती है।

प्रश्न 3.
‘नौकर को शह जोर बना रखा है’ किसने किसे कहा?
उत्तर:
मुन्नी की मम्मी ने मुन्नी के पापा को।

प्रश्न 4.
“यह कुलच्छनी औलाद जाने कब मिटेगी”-किसने किसके लिए कहा?
उत्तर:
छुन्नू की माँ ने छुन्नू के लिए।

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प्रश्न 5.
गुम हुई पाजेब किससे मिली?कैसे?
उत्तर:
बुआ से। वह धोखे से इसे अपने साथ ले गई थी।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
आशुतोष बंसी का भाई है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
आशुतोष बाईसिकिल लेने की हठ करने लगा।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
इतवार को बुआ आई और पाजेब ले आई।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
प्रकाश छुन्नू के पिता हैं।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

प्रश्न 10.
आखिर …. .. पर ….. को ……. हुआ।
उत्तर:
आखिर समझाने पर जाने को तैयार हुआ।

प्रश्न 11.
पैसे उसने …….. करके ……… को कहे हैं।
उत्तर:
पैसे उसने थोड़े-थोड़े करके देने को कहे हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
मुन्नी की माँ ने पाजेब की चोरी का दोष किस पर लगाया?
(क) छुन्नू
(ख) बंसी
(ग) मन्नू
(घ) रघू।
उत्तर:
(ख) बंसी।

प्रश्न 13.
मुन्नी के पिता के लिए पाजेब से बढ़कर क्या है?
(क) प्रेम
(ख) विश्वास
(ग) शांति
(घ) चोर।
उत्तर:
(ग) शांति।

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प्रश्न 14.
आशुतोष कितने वर्ष का है?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर:
(घ) आठ।

प्रश्न 15.
बुआ आशुतोष के लिए क्या लाई थी
(क) केले और मिठाई
(ख) बाईसिकिल
(ग) चाकलेट
(घ) सेब और अंगूर।
उत्तर:
(क) केले और मिठाई।

कठिन शब्दों के अर्थ

निज = अपना। पाजेब = नुपूर, पायल। आलोचना = गुण-दोष विवेचन। इतवार = रविवार। टखना = पिंडली एवं एड़ी के बीच की दोनों ओर उभरी हड्डी। बलैया लेना = बलिहारी जाना। हर्ष = प्रसन्नता, बरस = वर्ष। प्रतीत = ज्ञात। सुघड़ = सुडौल, सुंदर। सुपुर्द = सौंपना। घडीभर = थोड़े समय के लिए। मनसूबा = इरादा। गुस्ताख़ी = अशिष्टता, उदंडता। टटोलना = ढूँढ़ना। शहजोर = बलवान। प्रतिकार = कार्य आदि को रोकने के लिए किया जाने वाला प्रयत्न। स्नेह = प्यार। फ़रिश्ता = देवदूत । मुरौव्वत = उदारता। इल्ज़ाम = दोष । रोष = क्रोध। प्रतिरोध = विरोध। औलाद = संतान। आतंक = डर। उद्यत = तैयार। प्रण = प्रतिज्ञा। भयावह = भयानक। रत्ती-रत्ती = थोड़ी-थोड़ी। लाचारी = विवशता।

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पाजेब Summary

जैनेंद्र कुमार लेखक-परिचय

जीवन-परिचय:
श्री जैनेंद्र कुमार हिंदी-साहित्य के सुप्रसिद्ध कथाकार हैं। उनको मनोवैज्ञानिक कथाधारा का प्रवर्तक माना जाता है। इसके साथ-साथ वे एक श्रेष्ठ निबंधकार भी हैं। उनका जन्म सन् 1905 ई० को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के कौड़ियागंज नामक स्थान पर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हस्तिनापुर के जैन गुरुकुल में हुई। उन्होंने वहीं पढ़ते हुए दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश लिया लेकिन गाँधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और वे गाँधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। वे गाँधी जी से अत्यधिक प्रभावित हुए। गाँधी जी के जीवन-दर्शन का प्रभाव उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखाई देता है। सन् 1984 ई० में उनको साहित्य-सेवा की भावना के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में भारत-भारती सम्मान से सुशोभित किया। उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवाओं के कारण पद्मभूषण अलंकृत किया। सन् 1990 ई० में ये महान् साहित्य सेवी संसार से सदा के लिए विदा हो गए।

रचनाएँ:
जैनेंद्र कुमार जी एक कथाकार होने के साथ प्रमुख निबंधकार भी थे। उन्होंने उच्च कोटि के निबंधों की भी रचना की है। हिंदी कथा साहित्य को उन्होंने अपनी लेखनी से समृद्ध किया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

उपन्यास:
परख, अनाम स्वामी, सुनीता, कल्याणी, त्यागपत्र, जयवर्द्धन, मुक्तिबोध, विवर्त। कहानी संग्रह-वातायन, एक रात, दो चिड़िया, फाँसी, नीलम देश की राज कन्या, पाजेब। निबंध संग्रह-जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, संस्मरण, इतस्ततः, प्रस्तुत प्रश्न, सोच विचार, समय और हम।

साहित्यिक विशेषताएँ:
हिंदी-कथा साहित्य में प्रेमचंद के पश्चात् जैनेंद्र जी प्रतिष्ठित कथाकार माने जाते हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों का विषय भारतीय गाँवों की अपेक्षा नगरीय वातावरण को बनाया है। उन्होंने नगरीय जीवन की मनोवैज्ञानिक समस्याओं का चित्रण किया है। इनके परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी में नारी-पुरुष के प्रेम की समस्या का मनोवैज्ञानिक धरातल पर अनूठा वर्णन किया है।

जैनेंद्र जी ने अपनी कहानियों में दार्शनिकता को अपनाया है। कथा-साहित्य में उन्होंने मानव-मन का विश्लेषण किया है। यद्यपि जैनेंद्र का दार्शनिक विवेचन मौलिक है लेकिन निजीपन के कारण पाठक में ऊब उत्पन्न नहीं करता। इनकी कहानियों में जीवन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का उल्लेख किया गया है। उन्होंने समाज, धर्म, राजनीति, अर्थनीति, दर्शन, संस्कृति, प्रेम आदि विषयों का प्रतिपादन किया है तथा सभी विषयों से संबंधित प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास किया है।

जैनेंद्र जी का साहित्य गाँधीवादी चेतना से अत्यंत प्रभावित है जिसका सुष्ठु एवं सहज उपयोग उन्होंने अपने साहित्य में किया है। उन्होंने गाँधीवाद को हृदयगम करके सत्य, अहिंसा, आत्मसमर्पण आदि सिद्धांतों का अनूठा चित्रण किया है। इससे उनके कथा साहित्य में राष्ट्रीय चेतना का भाव भी मुखरित होता है। लेखक ने अपने समाज में फैली कुरीतियों, शोषण, अत्याचार, समस्याओं का डटकर विरोध किया है।

भाषा शैली:
जैनेंद्र जी एक मनोवैज्ञानिक कथाकार हैं। उनकी कहानियों की भाषा शैली अत्यंत सरल, सहज एवं भावानुकूल है। इनके निबंधों में भी सहज, सरल एवं स्वाभाविक भाषा शैली को अपनाया गया है। इनके साहित्य में संक्षिप्त कथानक संवाद, भावानुकूल भाषा शैली आदि विशेषताएँ सर्वत्र विद्यमान हैं।

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पाजेब कहानी का सार

जैनेंद्र कुमार द्वारा रचित ‘पाजेब’ कहानी को मध्यवर्गीय परिवार की घटनाओं पर आधारित कहानियों में रखा जा सकता है। यह कहानी सन् 1944 में लिखी गई थी।
कहानीकार की दो संतानें थीं। एक लड़का और दूसरी लड़की थी। लड़का लड़की से आयु में बड़ा था। उसका नाम आशुतोष था। लड़की का नाम मुन्नी था और उस की आयु चार वर्ष थी।
बाज़ार में इस समय एक नए प्रकार की पाजेब चल पड़ी थी। पैरों में पहनने के बाद वह पाजेब बहुत ही अच्छी लगने लगती थी। उस पाजेब की खास बात यह थी कि उसकी कड़ियाँ आपस में लचक के साथ जुड़ी रहती थीं। वह जिस किसी के भी पाँव पड़ जाती थी, वहीं सुंदर लगने लगती थी। जैसे उसका अपना कोई व्यक्तित्व ही नहीं था। आस-पड़ोस में रहने वाली सभी छोटी बड़ी लड़कियाँ वह पाजेब पहने घूम रही थीं। पहले किसी एक ने पहनी, फिर उसे देख दूसरी ने, तीसरी ने इस प्रकार पाजेब को पहनने का चलन बढ़ गया। मुन्नी, जो कहानीकार की पुत्री थी। वह भी जिद्द करने लगी कि वह भी अपने पैरों में पाजेब पहनेगी। पिता ने पूछा कि कैसी पाजेब पहनेगी तो उसने कहा कि जैसी पाजेब रुक्मन और शीला पहनती हैं, वह वैसी ही पाजेब पहनना चाहती है।

पिता ने पाजेब लाने की हामी भर दी। कुछ देर तो मुन्नी पाजेब की बात भूलकर किसी काम में लग गई लेकिन बाद में फिर उसे पाजेब की याद आ गई। उसकी बुआ भी दोपहर बाद आ गई। मुन्नी ने पाजेब लाने का प्रस्ताव अपनी बुआ के सामने भी रखा। बुआ ने मुन्नी को मिठाई खिलाई और उसे गोद में उठाते हुए कहा कि वह रविवार को अवश्य ही उसके लिए पाजेब लाएगी। जब रविवार आया तो मुन्नी की बुआ उसके लिए पाजेब लेकर आई। देखने में पाजेब बहुत सुंदर थी। वह चाँदी की थी जिसमें दो-तीन लड़ियाँ-सी लिपटी हुई थीं। पाजेब पाकर मुन्नी की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने यह पाजेब अपनी सहेलियों को भी दिखाई। मुन्नी का बड़ा भाई आशुतोष उसे पाजेब सहित दिखाने के लिए आस-पास ले गया। अब आशुतोष भी जिद्द करने लगा कि उसे भी साइकिल चाहिए। बुआ ने उसे समझाते हुए कहा कि उसके जन्म-दिन पर वह उसे साइकिल दिला देगी। सारा दिन बीत जाने के बाद शाम को पाजेब निकाल कर रख दी गई । पाजेब पर बारीक काम होने की वजह से वह महँगी भी थी-पाजेब की सुंदरता और बनावट को देखकर कथाकार की पत्नी का मन भी उस पाजेब को लेने का कर गया। रात को जब कथाकार अपनी मेज़ के पास बैठे थे, तब उनकी पत्नी ने उन्हें बताया कि मुन्नी की पाजेब नहीं मिल रही है। उन्होंने पाजेब जिस स्थान पर रखी थी, अब पाजेब वहाँ नहीं है। सारे घर में पाजेब की तलाशी का काम शुरू हो गया।

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घर में एक नौकर था। उसका नाम बंशी था। पत्नी को घर के नौकर बंशी पर शक था कि उसने ही पाजेब चुराई होगी। पाजेब रखते समय वह वहाँ मौजूद था। कथाकार को नौकर पर तनिक भी शक नहीं था। जब उन्होंने अपने पुत्र आशुतोष के बारे में जाँच-पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि वह शाम को पतंग और डोर का नया पिन्ना लाया है। कथाकार का शक उस पर गहराता जा रहा था। सुबह होते ही उन्होंने आशुतोष को अपने पास बुलाकर बड़े ही प्यार से पाजेब के बारे में पूछा। किंतु पाजेब को उठाने की बात आशुतोष ने कबूल नहीं की। उस समय कथाकार के मन में तरह-तरह के विचार घूमने लगे कि-अपरांध के प्रति करुणा ही होनी चाहिए। रोष का अधिकार नहीं। प्रेम से ही अपराध वृत्ति को जीता जा सकता है। आशुतोष किसी भी प्रकार से अपराध कबूल नहीं रहा था। उसने सिर हिलाते हुए क्रोध से अस्थिर और तेज आवाज़ में कहा कि उसने कोई पाजेब नहीं ली है। उस समय कथाकार को लगा कि उग्रता दोष का लक्षण है। आशुतोष को बहलाने का बहुत प्रयत्न किया गया अंत में उसके दोस्त छुन्नू का नाम भी चोरी की इस घटना में आ गया। आशुतोष ने हाँ में सिर हिला दिया। जब उससे पाजेब माँग लाने को कहा गया तब आशुतोष कहने लगा कि छुन्नू के पास यदि पाजेब नहीं हुई तो वह कहाँ से लाकर देगा।

बात बढ़ते-बढ़ते छुन्नू की माँ तक पहुँच गई। छुन्नू की माँ मानने को तैयार नहीं थी कि उसके लड़के ने पाजेब ली है। आशुतोष ने जिद्द बाँधते हुए कहा कि पाजेब छुन्नू ने ही ली है। इस पर छुन्नू की माँ ने उसे खूब पीटा। किंतु मामले का निपटारा नहीं हो सका। छुन्नू से सवाल जवाब करने पर उसने कहा कि पाजेब उसने आशुतोष के हाथ में देखी थी। उसने वह पाजेब पतंग वाले को दे दी है। __ झमेला इतना अधिक बढ़ गया था कि अगले दिन कथाकार समय पर अपने दफ़्तर भी नहीं पहुंच पाया था। जाते समय कथाकार अपनी पत्नी से कह गया था कि बच्चे को अधिक धमकाना नहीं। प्यार से काम लेना। धमकाने से बच्चे बिगड़ जाते हैं और हाथ कुछ नहीं लगता। शाम के समय जब कथाकार दफ्तर से वापस आया तो उसकी पत्नी ने उसे बताया कि आशुतोष ने सारी बात सच-सच बता दी है। ग्यारह आने में उसने पतंग वाले को पाजेब बेच दी है। पैसे उसने थोड़े-थोड़े करके देने को कहा है। उसने जो पाँच आने दिए वे छुन्नू के पास हैं। पता चलने के बाद छुन्नू से पैसे माँगने की बात होने लगी। लेकिन वह किसी भी प्रकार से पैसे माँगने को तैयार नहीं था। तब आशुतोष के पिता ने ज़ोर से उसके कान खींचें और अपने नौकर से कहा कि इसे ले जाकर कमरे में बंद कर दो। नौकर बंशी ने आशुतोष को कमरे में ले जाकर बंद कर दिया। कुछ देर बाद आशुतोष से पतंग वाले के बारे में पूछा गया और उसे चाचा और बंशी के साथ पतंग वालों के पास भेज दिया गया। पाजेब लेने से दोनों पतंग वालों ने पूरी तरह से नकार दिया। आशुतोष से दुबारा पूछताछ होने लगी। इसी बीच आशुतोष की बुआ भी आ गई। कुछ देर बातचीत करने के बाद, वह एक बक्से को सरकाते हुए बोली कि इनमें वह कागज़ है जो तुमने माँगे थे। तभी बुआ ने अपनी बॉस्केट की जेब में हाथ डालकर पाजेब निकाली और बोली कि दिन में भूल से यह पाजेब उसके साथ चली गई थी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 7 पंच परमेश्वर

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 पंच परमेश्वर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 7 पंच परमेश्वर

Hindi Guide for Class 9 PSEB पंच परमेश्वर Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिये

प्रश्न 1.
जुम्मन शेख की गाढ़ी मित्रता किसके साथ थी?
उत्तर:
जुम्मन शेख की गाढ़ी मित्रता अलगू चौधरी के साथ थी।

प्रश्न 2.
रजिस्ट्री के बाद जुम्मन का व्यवहार ख़ाला के प्रति कैसा हो गया था?
उत्तर:
रजिस्ट्री के बाद जुम्मन का व्यवहार ख़ाला के प्रति अत्यंत निष्ठुर हो गया था। वह ख़ाला का तनिक भी ध्यान नहीं रखता था।

प्रश्न 3.
ख़ाला ने जुम्मन को क्या धमकी दी?
उत्तर:
ख़ाला ने जुम्मन को पंचायत में जाने की धमकी दी।

प्रश्न 4.
बूढ़ी ख़ाला ने पंच किसको बनाया था?
उत्तर:
बूढ़ी ख़ाला ने पंच अलगू चौधरी को बनाया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 7 पंच परमेश्वर

प्रश्न 5.
अलगू के पंच बनने पर जुम्मन को किस बात का पूरा विश्वास था?
उत्तर:
अलगू के पंच बनने पर जुम्मन को पूर्ण विश्वास था कि फैसला उसी के पक्ष में आएगा।

प्रश्न 6.
अलगू ने अपना फैसला किसके पक्ष में दिया?
उत्तर:
अलगू के अपना फैसला बूढ़ी मौसी के पक्ष में दिया।

प्रश्न 7.
एक बैल के मर जाने पर अलगू ने दूसरे बैल का क्या किया?
उत्तर:
एक बैल के मर जाने पर अलगू ने दूसरे बैल को बेच दिया।

प्रश्न 8.
समझू साहू ने बैल का कितना दाम चुकाने का वादा किया?
उत्तर:
समझू साहू ने बैल का दाम डेढ़ सौ रुपये चुकाने का वादा किया था।

प्रश्न 9.
पंच परमेश्वर की जय-जयकार किस लिए हो रही थी?
उत्तर:
पंच परमेश्वर की जय-जयकार इसलिए हो रही थी क्योंकि अलगू चौधरी ने निष्पक्ष रूप से फैसला सुनाया था।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिये

प्रश्न 1.
जुम्मन और उसकी पत्नी द्वारा ख़ाला की ख़ातिरदारी करने का क्या कारण था?
उत्तर:
जुम्मन और उसकी पत्नी इसलिए खाला की खातिरदारी कर रहे थे क्योंकि ख़ाला के पास कुछ जायदाद थी। वे दोनों उस जायदाद को पाना चाहते थे। ख़ाला का निकट संबंधी भी कोई नहीं था। ख़ाला की सेवा करके तथा उसे अपना प्यार दिखाकर जुम्मन तथा उसकी पत्नी ख़ाला की सारी धन-सम्पत्ति अपने नाम करवा लेना चाहते थे।

प्रश्न 2.
बूढ़ी ख़ाला ने पंचों से क्या विनती की?
उत्तर:
ख़ाला ने बड़े ही विनम्र भाव से पंचों से कहा कि तीन वर्ष पहले उसने अपनी सारी जायदाद अपने भानजे जुम्मन के नाम लिख दी थी। इसके बदले जुम्मन ने उम्र भर उसे रोटी, कपड़ा देने का वादा किया था। साल भर किसी तरह रो-धोकर दिन बिताए हैं। अब जुम्मन के साथ नहीं रहा जाता क्योंकि न वह पेट भर भोजन देता है और न ही तन ढकने को कपड़ा देता है। मैं विधवा कचहरी नहीं जा सकती। मुझे आप पंचों के फैसले पर पूर्ण विश्वास है।

प्रश्न 3.
अलगू ने पंच बनने के झमेले से बचने के लिए बूढ़ी ख़ाला से क्या कहा?
उत्तर:
अलगू जुम्मन का मित्र था। दोनों में गहरी दोस्ती थी। वह अपनी दोस्ती में सरपंच बनकर खटास नहीं लाना चाहता था। इसलिए बूढी ख़ाला से कहा कि “ख़ाला, तुम जानती हो कि मेरी जम्मन से गाढी दोस्ती है।”

प्रश्न 4.
अलगू चौधरी ने अपना क्या फैसला सुनाया?
उत्तर:
अलगू चौधरी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें नीति और न्याय-संगत ज्ञान होता है कि बूढ़ी ख़ाला को माहवार खर्च दिया जाए। ख़ाला की जायदाद से इतना लाभ अवश्य ही होता है कि माहवार खर्च दिया जा सके। यदि जुम्मन को फैसला नामंजूर हो तो संपत्ति की वह रजिस्ट्री रद्द समझी जाए।

प्रश्न 5.
अलगू चौधरी से खरीदा हुआ समझू साहू का बैल किस कारण मरा?
उत्तर:
समझू साहू ने अलगू चौधरी से बैल खरीदकर उसे अपनी इक्का गाड़ी में खूब जोतने लगे। पहले जहाँ वह दिन में सामान की एक खेप लाते थे, अब वह तीन-तीन, चार-चार खेप लाने लगे थे। बैलों के चारे तथा पानी की तरफ उनका कोई ध्यान नहीं था। भोजन, पानी के अभाव में बैल कमज़ोर होता जा रहा था। एक दिन अधिक बोझ उठाने के कारण वह रास्ते में ही मर गया।

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प्रश्न 6.
सरपंच बनने पर भी जुम्मन शेख अपना बदला क्यों नहीं ले सका?
उत्तर:
सरपंच बनने पर जुम्मन शेख अपना बदला इसलिए नहीं ले सके क्योंकि जब वह सरपंच बने तो उनके दिल में सरपंच के उच्च स्थान की ज़िम्मेदारी का भाव उत्पन्न हो गया। उनके मुख से निकलने वाला प्रत्येक वाक्य देव-वाक्य होगा। ऐसे में कुटिल विचारों का कदापि समावेश नहीं होना चाहिए। ये सभी बातें उनके मन में घर कर गई जिस कारण वह अलगू से अपना बदला न ले सके।

प्रश्न 7.
जुम्मन ने क्या फैसला सुनाया?
उत्तर:
जुम्मन ने अलगू के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि जब समझू ने अलगू से बैल खरीदा था, उस समय बैल एकदम स्वस्थ था। यदि उसी समय बैल के दाम दे दिए होते तो आज यह दिन न देखना पड़ता, बैल की मृत्यु बीमारी से न होकर अपितु अत्यधिक परिश्रम से हुई है। अतः समझू साहू को अलगू को बैल की कीमत देनी ही होगी।

प्रश्न 8.
‘मित्रता की मुरझाई हुई लता फिर हरी हो गई’-इस वाक्य का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इस वाक्य का अभिप्राय है कि जुम्मन और अलगू की मित्रता जो दुश्मनी की कड़वाहट से मुरझा गई थी वह अब मन-मुटाव समाप्त हो जाने के बाद फिर से दोस्ती में बदल गईं। दोनों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति जो ग़लत फहमियाँ थीं वे दूर हो गईं। इसलिए प्यार और सौहार्द से मित्रता रूपी लता फिर से हरी हो गई।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिये

प्रश्न 1.
‘पंच परमेश्वर’ कहानी का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
पंच परमेश्वर’ कहानी एक आदर्शवादी कहानी है। इस कहानी में लेखक ने समाज में इस आदर्शवादी धारणा को प्रस्तुत करना चाहा है कि पंच में परमेश्वर का वास होता है। पंच के मुख से निकलने वाला प्रत्येक वाक्य एवं शब्द परमात्मा का शब्द होता है। पंच की कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति किसी का दोस्त, दुश्मन तथा हितैषी नहीं होता। वह तो केवल न्याय का हितैषी होता है। उसे न्याय तथा अपने कर्तव्य पालन की चिंता रहती है। अतः स्पष्ट है कि कहानी हमें न्याय संगत होने तथा कभी भी स्वार्थी न बनकर निष्पक्ष भाव से रहने तथा निर्णय लेने को कहती है।

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प्रश्न 2.
अलगू, जुम्मन और ख़ाला में से आपको कौन-सा पात्र अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
अलगू, जुम्मन और ख़ाला में से मुझे अलगू अच्छा लगा क्योंकि ‘पंच परमेश्वर’ कहानी में वह एक ऐसा पात्र है जो पूर्णत: स्थिर है। वह एक सच्चा मित्र है। मित्र धर्म का पालन करना उसे आता है लेकिन कर्त्तव्यपरायणता के रास्ते में वह दोस्ती की परवाह न करते हुए फैसला बूढी ख़ाला के पक्ष में सुनाता है। वह अपने अधिकारों के प्रति सचेत है। वह अपने बैल की कीमत समझू साहू से लेने के लिए पंचायत तक करता है। वह अपने गुणों तथा कर्मों के कारण इस कहानी का एक आदर्श पात्र है। उसमें कर्त्तव्य का पालन तथा अपने उत्तरदायित्व को निभाने की पूर्ण योग्यता है, इसी कारण वह कहानी के अन्य पात्रों से एक दम अलग है।

प्रश्न 3.
दोस्ती होने पर भी अलगू ने जुम्मन के खिलाफ फैसला क्यों दिया और दुश्मनी होने पर भी जुम्मन ने अलगू के पक्ष में फैसला क्यों दिया?
उत्तर:
अलग चौधरी कहानी में जम्मन शेख का परम मित्र है किंतु जब वह न्याय करने के लिए सरपंच चुन लिया जाता है तो वह दोस्ती को भलकर सरपंच के कर्त्तव्य का पालन करता है। वह निष्पक्ष भाव से फैसला बढी ख़ाला के पक्ष में सुना देता है। जब से अलगू ने जुम्मन के विरोध में फैसला सुनाया तब से दोनों में मटमुटाव बढ़ता जा जुम्मन बदला लेना चाहता था। एक दिन जब वह अलगू और समझू साहू के झगड़े का निपटारा करने के लिए सरपंच बना तो सहसा उसे सरपंच के पद तथा कर्त्तव्य का ज्ञान हो आया। वह सोचने लगा कि सरपंच के मुख से निकलने वाला प्रत्येक वाक्य देववाणी के समान होता है। अत: वह सत्य के पथ से तनिक भी नहीं हटेगा। अन्ततः जुम्मन ने निष्पक्ष भाव से फैसला अलगू के पक्ष में सुना दिया।

प्रश्न 4.
अलगू के पंच बनने पर जुम्मन के प्रसन्न होने और जुम्मन के पंच बनने पर अलगू के निराश होने का क्या कारण था?
उत्तर:
बूढ़ी ख़ाला तथा जुम्मन शेख के झगड़े का निपटारा करने के लिए जब बूढी ख़ाला ने अलगू चौधरी को सरपंच चुना तो जुम्मन मारे खुशी के फूला न समा रहा था, क्योंकि अलगू चौधरी जुम्मन शेख का परम मित्र था। अब उसे पूर्ण विश्वास हो गया था कि फैसला उसी के पक्ष में आएगा। कहानी के अंत में जब जुम्मन समझू साहू और अलगू चौधरी के झगड़े का निपटारा करने के लिए सरपंच चुना गया तो अलगू चौधरी इसलिए निराश हो गए क्योंकि उन्होंने पहले जुम्मन के विरोध में फैसला सुनाया था। उन्हें महसूस हो रहा था कि आज जुम्मन अवश्य ही उनसे बदला लेगा और फैसला समझू साहू के पक्ष में सुनाएगा।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
मुख – …………………
पंच – …………………
मित्र – …………………
ग्राम – …………………
उच्च – …………………
गृह – …………………
मृत्यु – …………………
संध्या – …………………
मास – …………………
निष्ठुर – …………………
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
मुख – मुँह
पंच – पाँच
मित्र – मीत
ग्राम – गाँव
उच्च – ऊँचा
गृह – घर
मृत्यु – मौत
संध्या – शाम
मास – महीना
निष्ठुर – निठुर (कठोर)

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2. विराम चिह्न

प्रेमचंद ने ठीक ही कहा है, “खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ते रहने की लगन का।” उपर्युक्त वाक्य में हिंदी विराम चिह्नों में से ‘उद्धरण चिह्न’ का प्रयोग हुआ है।
किसी के द्वारा कहे गए कथन या किसी पुस्तक की पंक्ति या अनुच्छेद को ज्यों का त्यों उद्धृत करते समय दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है।
पूर्ण विराम तथा अल्प विराम पिछली कक्षाओं में करवाए गए हैं।

निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त स्थान पर उचित विराम चिह्न लगाएँ

  • जुम्मन ने क्रोध से कहा अब इस वक्त मेरा मुँह न खुलवाओ
  • ख़ाला ने कहा बेटा क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ..
  • अलगू बोले ख़ाला तुम जानती हो कि मेरी जुम्मन से गाढ़ी दोस्ती है
  • उन्होंने पान इलायची हुक्के तंबाकू आदि का प्रबंध भी किया था।

उत्तर:

  • जुम्मन ने क्रोध से कहा, “अब इस वक्त मेरा मुँह न खुलवाओ”।
  • ख़ाला ने कहा, “बेटा क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?”
  • अलगू बोले, “ख़ाला तुम जानती हो कि मेरी जुम्मन से गाढ़ी दोस्ती है”
  • उन्होंने पान, इलायची, हुक्के-तंबाकू आदि का प्रबंध भी किया था।

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3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य

  • राह निकालना – युक्ति निकालना – ……………..
  • मौत से लड़कर आना – मृत्यु न होना – ……………
  • कमर झुककर कमान होना – बूढ़ा हो जाना – ……………….
  • दुःख के आँसू बहाना – दुःख के कारण रोना – ………….
  • मुँह न खोलना – चुप रहना – ………………….
  • रात दिन का रोना – दु:खी रहना (हर पल का कष्ट) – ………
  • राह निकालना – युक्ति निकालना – ………………..
  • हुक्म सिर माथे पर चढ़ाना – बात मानना – …………..
  • मुँह खुलवाना – बात उगलवाना – ………………
  • कन्नी काटना – बचना – …………..
  • ईमान बेचना – बेईमान होना – ……………
  • मन में कोसना – मन में बुरा-भला कहना – ……………….
  • जड़ खोदना – बात को बार-बार कुरेदना – ……………
  • सन्नाटे में आना – स्तब्ध या सुन्न हो जाना – ……………..
  • दूध का दूध पानी का पानी – पूरा-पूरा न्याय करना – ……………….
  • जड़ हिलाना – नष्ट करना/अति कमजोर करना – …………………..
  • तलवार से ढाल मिलना – शत्रुता के भाव से मिलना – ………………
  • आठों पहर खटकना – हमेशा बुरा लगना – ……………….
  • मन लहराना – खुशी होना – ………………
  • लाले पड़ना – मुश्किल में पड़ना – ………………
  • मोल तोल करना – कीमत तय करना – ………………
  • लहू सूखना – अत्यधिक डर लगना – ………………
  • नींद को बहलाना – जाग-जाग कर रात काटना – ………………
  • हाथ धो बैठना – गँवा बैठना – ………………
  • कलेजा धक-धक् करना – व्याकुल होना – ………………
  • फूले न समाना – अत्यंत प्रसन्न होना – ………………
  • गले लिपटना – आलिंगन करना – ………………
  • मैल धुलना – दुश्मनी खत्म होना – ………………

उत्तर:

  • रुक्साना अपनी ख़ाला को कोसते हुए कहती थी कि वह मौत लड़कर आई है।
  • गाँव-गाँव घूमने के कारण बूढ़ी ख़ाला की कमर झुककर कमान हो गई थी।
  • गाँव में शायद ही कोई बचा था जिसके सामने रघू चाचा ने दुःख के आँसू न बहाए हों।
  • रमेश ने कहा कि वह पंचायत में आएगा तो अवश्य लेकिन मुँह न खोलेगा।
  • गुप्ता परिवार का अत्याचार अब बूढ़ी नौकरानी के लिए दिन-रात का रोना हो गया था।
  • झगड़े को समाप्त करने के लएि पंचायत करने की राह निकाली गई।
  • रोहन और राखी ने पंचायत के हुक्म को सिर माथे चढ़ा लिया।
  • लोग तरह-तरह के प्रश्न करके नरेश का मुँह खुलवाना चाहते थे।
  • पापा आगरा जाने से कन्नी काट रहे थे।
  • बूढ़ी ख़ाला ने कहा कि दोस्ती के लिए ईमान बेचना ठीक बात नहीं।
  • जब बूढ़ी ख़ाला ने अलगू चौधरी को सरपंच चुना तो राम धन और अन्य लोग उसे मन ही मन कोसने लगे।
  • सब को हैरानी थी कि राघव उसकी जड़ क्यों खोद रहा है।
  • अपने विरोध में फैसला सुनने के बाद मोहन सन्नाटे में आ गया।
  • न्यायमंत्री ने अपना फैसला सुनाकर दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
  • गाँववासियों ने नेता जी की जड़ हिलाने की ठान ली थी।
  • पंचायत के बाद जब कही राम और शाम मिलते थे तो वे ऐसे मिलते थे जैसे तलवार से ढाल मिल रही हो।
  • माँ को नौकर अब आठों पहर खटकने लगा था।
  • वह घोड़ा देखकर डाकू का मन उस पर लहरा उठा था।
  • नेता जी को एक-एक खेप के लाले पड़ रहे थे।
  • बातचीत करने के बाद कोठी का मोल-तोल कर लिया गया।
  • भूखा-प्यासा नौकर जब जूठे बर्तनों का ढेर देखता तो उसका लहू सूख जाता था।
  • मार्ग में बैल के मर जाने के कारण जगदीश सेठ अपनी नींद को बहला रहे थे।
  • रात में सो जाने के कारण गुप्ता जी को धन की थैली से हाथ धो बैठना पड़ा।
  • डाकुओं के देख सबका कलेजा धक्-धक् करने लगा था। पत्र के न्यायाधीश बनते ही पिता फला न समा रहा था।
  • अपनी गलती का अहसास होने पर नरेश अपने मित्र के गले लिपट गया।
  • उन की आँखों से गिरने वाले आँसुओं ने दोनों के दिलों के मैल को धो दिया।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि अलगू जुम्मन के पक्ष में फैसला सुना दता तो ख़ाला पर क्या गुज़रती?
उत्तर:
यदि अलगू जुम्मन के पक्ष में फैसला सुना देता तो ख़ाला का पंचायत के ऊपर से विश्वास उठ जाता। वह सोचती कि गरीब की सुनने वाला कोई नहीं होता। प्रत्येक पद तथा व्यक्ति अपने हितैषियों के लिए काम करता है।

प्रश्न 2.
यदि जुम्मन शेख-समझू साहू के पक्ष में फैसला सुना देता तो अलगू क्या सोचता?
उत्तर:
यदि जुम्मन शेख-समझू साहू के पक्ष में फैसला सुना देता तो अलगू चौधरी को लगता कि जुम्मन ने अलगू द्वारा उसके विरोध में किए फैसले का बदला लिया है।

प्रश्न 3.
‘दूध का दूध पानी का पानी’ पर कोई घटना या कहानी लिखें।
उत्तर:
एक व्यक्ति दो महीने के लिए किसी दूसरे नगर जा रहा था। उसने अपने घर के सोने-चांदी सभी बर्तन एक बड़े थैले में भर कर अपने मित्र को दे दिए। उसने उसे कहा कि जब वह वापस आएगा तो वह उन्हें उससे ले लेगा। सने घर में उन्हें रखने से उसे चोरी का डर लगा ही रहेगा। मित्र ने उन्हें ले लिया। बहुमूल्य बर्तनों को देख उसकी नीयत खराब हो गई। दो महीने जब उसका मित्र वापस आया। उसने अपने बर्तन वापस मांगे तो मित्र ने उदासी का नाटक करते हुए कहा कि उसने बर्तनों से भरा थैला कमरे में रख दिया था। उसने आज सुबह ही देखा था कि उन सभी बर्तनों को चूहे खा गए थे। मित्र कुछ देर उसके उदास चेहरे को देखता रहा। वह उससे बोला कि कोई बात नहीं। जो भगवान को स्वीकार था वही हुआ। अब रोने धोने से बर्तन तो वापस नहीं आएंगे। कुछ घंटे बाद उसने अपने मित्र से पूजा करने के लिए मंदिर जाने की बात कही। जब वह बाहर निकलने ही लगा था कि मित्र के चार-पांच वर्ष आयु के पुत्र न उस उँगली पकड़ ली। उसने जिद्द की कि वह भी उसके साथ मंदिर जाएगा। मित्र के आग्रह पर वह उसके पुत्र को मंदिर ले गया। लगभग एक घंटे बाद मित्र घबराया हुआ वापस आया। उसने बताया कि जब वह मंदिर के तालाब में स्थान कर रहा था तो एक बड़ा-सा बाज उसके पुत्र को अपनी चोंच में उठा कर उड़ गया। बहुत ढूंढने पर भी वह नहीं मिला। उसका मित्र क्रोध में भर कर बोला कि क्या कभी बाज इतने बड़े बच्चे को चोंच में उठा कर उड़ सकता था उसके मित्र ने कहा कि यदि चूहे सोने-चांदी के बर्तन खा सकते थे तो बाज भी इतने बड़े बच्चे को उठा सकता था। उस का मित्र एक दम ही उस का आशय समझ गया। वह अपने घर के भीतर गया और उसका बर्तनों से भरा थैला ले आया। उस का मित्र भी मंदिर गया और वहां छिपाए हुए लड़के को वापस लौटाते हुए बोला कि यह लो वापस अपना पुत्र। अब हुआ दूध का दूध और पानी का पानी।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

1. अपने गाँव में लगने वाली ग्राम पंचायत के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
2. सरपंच बनकर फैसला करते समय आप अपने मित्र को महत्त्व देते या फिर न्याय व्यवस्था को इस पर अपने विचार कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
3. यदि आप ख़ाला की जगह होते तो क्या आप भी न्याय के लिए इतनी ही हिम्मत और साहस दिखाते या अन्याय सहते-इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
4. पुस्तकालय में प्रेमचंद के कहानी-संग्रह ‘मानसरोवर’ में से ‘मित्र’, ‘नशा’, ‘नमक का दारोगा’ आदि कहानियाँ पढ़िए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. हज : हज एक इस्लामी तीर्थ यात्रा और मुस्लिमों के लिए सर्वोच्च इबादत है। हज यात्रियों के लिए काबा पहुँचना जन्नत के समान है। काबा शरीफ मक्का में है। हज मुस्लिम लोगों का पवित्र शहर मक्का में प्रतिवर्ष होने वाला विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है।

2. उर्दू में रिश्तों के नाम
अम्मी (माता) – अब्बू (पिता)
वालिदा (माता) – वालिद (पिता)
वालिदेन – माता-पिता दोनों के लिए
बीवी (पत्नी) – शौहर (पति)
ख़ाला (मौसी) – ख़ालू (मौसा)
ख़ालाजाद – मौसी के बच्चे
मुमानी (मामी) – मामू (मामा)
सास – ससुर
भाबी – भाई
बहन – बहनोई
बेटी – दामाद

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 7 पंच परमेश्वर

PSEB 9th Class Hindi Guide पंच परमेश्वर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
अलगू चौधरी के बैल की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
अलगू चौधरी ने बैल बटेसर से खरीदे थे। उनके बैलों की जोड़ी बहुत अच्छी थी। बैल पछाही जाति के थे। उनके सींग बड़े-बड़े थे, जो देखने में बहुत ही सुंदर लगते थे। महीनों तक आसपास के गाँव के लोग उनके दर्शन करने के लिए आते रहे थे। बैल शरीर से भी हृष्ट-पुष्ट थे। उन्हें जो देखे वह देखता ही रह जाता था।

प्रश्न 2.
समझू साहू बैल के साथ कैसा बर्ताव करता था?
उत्तर:
समझू साहू एक व्यापारी था। उसे केवल अपने मुनाफे से मतलब था। वह बैल को एक जानवर ही समझता था। वह उसे जब चाहे तब काम में दौड़ाए रहना चाहता था। उसे अपने पेट की तो चिंता रहती थी लेकिन वह बैल . की भूख प्यास का ध्यान नहीं रखता था। वह न तो बैल को समय पर चारा देता था और न ही पानी पिलाता था। कभी कभी सूखा भूसा बैल के सामने डाल दिया करता था। थकान के कारण जब कभी बैल धीरे चलने लगता था तो समझू साहू उसे चाबुक से मारता भी था।

प्रश्न 3.
लेखक ने कहानी के बैल की घटना का वर्णन किस लिए किया है?
उत्तर:
लेखक केवल कथा लिखने वाला नहीं होता। वह एक समाज सुधारक तथा समाज को नवीन दिशा देने वाला होता है। अपनी इसी सोच के कारण लेखक ने समाज में जानवरों के प्रति होने वाले अत्याचार को उजागर के है। मानव अपने स्वार्थ में इतना अधिक रम चुका है कि उसे किसी की संवेदना से कोई लेना-देना नहीं। जानवर मानव का सदैव हितकारी रहा लेकिन एक मनुष्य है जो उसके प्रति अपनी दुर्भावना को समाप्त ही नहीं करना चाहता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 7 पंच परमेश्वर

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘पंच परमेश्वर’ कहानी के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर:
मुंशी प्रेमचंद।

प्रश्न 2.
अलगू चौधरी की किसके साथ गाढ़ी मित्रता थी?
उत्तर:
जुम्मन शेख के साथ।

प्रश्न 3.
बूढ़ी खाला की कमर को क्या हो गया था?
उत्तर:
बूढी खाला की कमर झुककर कमान हो गई थी।

प्रश्न 4.
अलगू चौधरी के नीति-परायण फैसले की किसने प्रशंसा की?
उत्तर:
रामधनमिश्र तथा अन्य पंचों ने।

प्रश्न 5.
कितने रुपयों से हाथ धो लेना अलगू चौधरी के लिए आसान नहीं था?
उत्तर:
डेढ़ सौ रुपए से।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधार होता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
रामधन ने कहा-“समझू के साथ कुछ रिआयत होनी चाहिए।”
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
पंच की जुबान से खुदा बोलता है।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बूढी खाला अलगू चौधरी को गालियाँ देने लगी-“निगोड़े ने ऐसा कुलच्छनी बैल दिया कि जन्म-भर की कमाई लुट गई।”
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
समझू साहू ने नया ……… पाया, तो लगे उसे ………….।
उत्तर:
समझू साहू ने नया बैल पाया, तो लगे उसे रगेदने।

प्रश्न 11.
क्या ……….. के डर से ……. की बात न कहोगे?
उत्तर:
क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
बूढ़ी खाला ने किसे सरपंच बनाया?
(क) अलगू चौधरी को
(ख) रामधनमिश्र को
(ग) समझू साहू को
(घ) झगड़ साहू को।
उत्तर:
(क) अलगू चौधरी को।

प्रश्न 13.
समझू साहू का नया बैल एक दिन में कितनी खेप में जोतने से मर गया?
(क) पहली
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) चौथी।
उत्तर:
(घ) चौथी।

प्रश्न 14.
अलगू चौधरी पूरा कानूनी आदमी था क्योंकि उसे हमेशा किससे काम पड़ता था?
(क). पुलिस
(ख) नेता
(ग) कचहरी
(घ) कमेटी।
उत्तर:
(ग) कचहरी।

प्रश्न 15.
जुम्मन की पत्नी का क्या नाम था?
(क) करीमन
(ख) ज़रीना
(ग) सकीना
(घ) महज़ीन।
उत्तर:
(क) करीमन।

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कठिन शब्दों का अर्थ

गाढ़ी = गहरी, बहुत मेहनत से। आदर-सत्कार = मान सम्मान। अटल = दृढ़, पक्का। मिलकियत = संपत्ति। रजिस्ट्री = ज़मीन-जायदाद बेचने-खरीदने के लिए की जाने वाली कानूनी लिखा-पढ़ी। नित्य = प्रतिदिन। ख़ातिरदारी = सत्कार। सालन = साग आदि की मसालेदार तरकारी। निष्ठुर = कठोर। ऊसर = बंजर। बघारी = तड़का, छौंक। दखल देना = हस्तक्षेप करना। कन्नी काटना = बचकर निकलना। नम्रता = कोमलता से, आराम से। प्यार से। कोसना = भला-बुरा कहना। गृहस्वामिनी = घर की मालकिन। निर्वाह = गुज़ारा। धृष्टता = ढिठाई, ढीठपन। अनुग्रह = कृपा। ऋणी = कर्जदार। फ़रिश्ता = देवदूत। बिरला = बहुत कम मिलने वाला। गौर से = ध्यान से। भला आदमी = अच्छा आदमी। सांत्वना देना = ढाढ़स देना। ललकारना = चुनौती देना। दीन वत्सल = दीनों से प्रेम करने वाले। दमभर = पल भर। ईमान = अच्छी नीयत । ता-हयात = जीवन भर। क़बूल = स्वीकार। बेकस = निस्सहाय। बेवा = जिसका पति मर चुका हो। दीख पड़े = दिखाई दिए। वैमनस्य = वैर, विरोध। असामी = किसी महाजन या दुकानदार से लेन-देन रखने वाला। वक्त = समय। मुग्ध = मोहित। अर्ज़ = प्रार्थना, बाज़ी = दाँव, बारी। ख़िदमत = सेवा। फ़र्ज़ = कर्त्तव्य। मुनाफा = लाभ। जिरह = बहस। चकित = हैरान। कसर निकालना = बदला लेना। कायापलट = बहुत बड़ा परिवर्तन। संकल्प-विकल्प = सोच-विचार में। नीति संगत = नीति के अनुरूप। माहवार = महीने भार का। नीति परायणता = नीति का पालन करना। रसातल = पाताल। बालू = रेत। शिष्टाचार = सभ्य व्यवहार। आवभगत = आदर-सत्कार। चित्त = हृदय। कुटिलता = धोखेबाज़ी, दुष्टता। दैवयोग = भाग्य से। चित्त = हृदय, दगाबाजी = छल बाज़ी, धोखा। सब्र = सहन, धैर्य। नेक-बद = भला-बुरा। बेखटके = बिना संकोच के बेधड़क। खेप = एक फेरा, एक बार में ढोया जाने वाला बोझ। गरज = मतलब। रगेदने = भगाना, दौड़ाना। रतजगा = रातभर जागना। नदारद = गायब, लुप्त। सुनावनी = ख़बर, सूचना। बर्राना = क्रोध में बोलना। परामर्श = सलाह। ताड़ जाना = भाँप जाना, लहु = खून। पग = पाँव। दूभर = मुश्किल। झल्ला उठना = क्रोधित होना। अशुभ चिंतक = किसी का बुरा सोचने वाले। उक़ा = आपत्ति, एतराज । संकुचित = तंग। पथ प्रदर्शक = राह दिखाने वाला। सर्वोच्च = सबसे ऊँचा। देववाणी = देवताओं की वाणी। सदृश = समान, तुल्य! भलमनसी = सज्जनता। सराहना = प्रशंसा, प्राण घातक = जाने लेने वाला। दिलासा = ढाढस बाँधना। हामी भरना = स्वीकार करना। टलना = हटना।

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पंच परमेश्वर Summary

मुंशी प्रेमचन्द लेखक-परिचय

जीवन परिचय:
मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी-साहित्य के ऐसे प्रथम कलाकार हैं जिन्होंने साहित्य का नाता जन-जीवन से जोड़ा। उन्होंने अपने कथा-साहित्य को जन-जीवन के चित्रण द्वारा सजीव बना दिया है। वे जीवन भर आर्थिक अभाव की विषमं चक्की में पिसते रहे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त आर्थिक एवं सामाजिक विषमता को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि जीवन की यथार्थ अभिव्यक्ति का सजीव चित्रण उनके उपन्यासों एवं कहानियों में उपलब्ध होता है।

प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई, सन् 1880 ई० में वाराणसी जिले के लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय था। आरम्भ में वे नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे। युग के प्रभाव ने उनको हिन्दी की ओर आकृष्ट किया। प्रेमचन्द जी ने कुछ पत्रों का सम्पादन भी किया। उन्होंने सरस्वती प्रेस के नाम से अपनी प्रकाशन संस्था भी
स्थापित की।

जीवन में निरन्तर विकट परिस्थितियों का सामना करने के कारण प्रेमचन्द जी का शरीर जर्जर हो रहा था। देशभक्ति के पथ पर चलने के कारण उनके ऊपर सरकार का आतंक भी छाया रहता था, पर प्रेमचन्द जी एक साहसी सैनिक के समान अपने पथ पर बढ़ते रहे। उन्होंने वही लिखा जो उनकी आत्मा ने कहा। वे बम्बई (मुम्बई) में पटकथा लेखक के रूप में अधिक समय तक कार्य नहीं कर सके क्योंकि वहाँ उन्हें फ़िल्म निर्माताओं के निर्देश के अनुसार लिखना पड़ता था। उन्हें स्वतन्त्र लेखन ही रुचिकर था। निरन्तर साहित्य साधना करते हुए 8 अक्तूबर, सन् 1936 को उनका स्वर्गवास हो गया। :

रचनाएँ: प्रेमचन्द की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

उपन्यास: वरदान, सेवा सदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान एवं मंगलसूत्र (अपूर्ण)।

कहानी संग्रह: प्रेमचन्द जी ने लगभग 400 कहानियों की रचना की। उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं।

नाटक: कर्बला, संग्राम और प्रेम की वेदी। निबन्ध संग्रह- कुछ विचार।

साहित्यिक विशेषताएँ:
प्रेमचन्द जी प्रमुख रूप से कथाकार थे। उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह जन-जीवन का मुँह बोलता चित्र है। वे आदर्शोन्मुखी-यथार्थवादी कलाकार थे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया पर निर्धन, पीड़ित एवं पिछड़े हुए वर्ग के प्रति उनकी विशेष सहानुभूति थी। उन्होंने शोषक एवं शोषित दोनों वर्गों का बड़ा विशद् चित्रण किया है। ग्राम्य जीवन के चित्रण में प्रेमचन्द जी सिद्धहस्त थे।

भाषा शैली:
हिन्दी कथा साहित्य में कथा सम्राट के नाम से प्रसिद्ध प्रेमचन्द ने अपना समस्त साहित्य बोलचाल की हिन्दुस्तानी भाषा में लिखा है जिसमें लोक-प्रचलित उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत भाषाओं के सभी शब्दों का मिश्रित रूप दिखायी देता है। इनकी शैली वर्णनात्मक है जिसमें कहीं-कहीं संवादात्मक, विचारात्मक, चित्रात्मक, पूर्वदीप्ति आदि शैलियों के दर्शन भी हो जाते हैं। कहीं-कहीं इनकी शैली काव्यात्मक भी हो जाती है।

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पंच परमेश्वर कहानी का सार/परिपाद्य

‘पंच-परमेश्वर’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक सुविख्यात कहानी है जिसका प्रकाशन सन् 1915 में हुआ था। हिन्दी साहित्य जगत में कुछ आलोचक पंच परमेश्वर’ कहानी को हिन्दी की प्रथम कहानी मानते हैं। सच्चे अर्थों में यह कहानी एक आदर्शवादी कहानी है।
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी दोनों में बचपन से बहुत गहरी मित्रता थी। दोनों मिलकर साझे में खेती करते थे। दोनों को एक-दूसरे पर गहरा विश्वास था। दोनों एक-दूसरे के भरोसे अपना घर, सम्पत्ति छोड़ देते थे। उनकी मित्रता का मूल मंत्र उनके आपसी विचारों का मिलना था। जुम्मन शेख की एक बूढ़ी मौसी थी। मौसी के पास उसके अपने नाम से थोड़ी-सी ज़मीन थी। किंतु उसका कोई निकट संबंधी नहीं था। जुम्मन ने मौसी से लम्बे-चौड़े वादे किए और ज़मीन को अपने नाम लिखवा लिया। जब तक ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं हुई थी तब तक जुम्मन तथा उसके परिवार ने मौसी का खूब आदर-सत्कार किया। मौसी को तरह-तरह के पकवान खिलाए जाते थे। जिस दिन से रजिस्ट्री पर मोहर लगी, उसी समय से सभी प्रकार की सेवाओं पर भी मोहर लग गई। जुम्मन की पत्नी अब मौसी को रोटियां देने के साथ साथ कड़वी बातों के कुछ तेज सालन भी देने लगी थी। बात-बात में वह मौसी को कोसती रहती थी। जुम्मन शेख भी मौसी का कोई ध्यान नहीं रखते थे। सभी बूढ़ी मौसी के मरने का इंतजार कर रहे थे। एक दिन जब मौसी से सहा नहीं गया तो उसने जुम्मन से कहा कि वह उसे रुपये दे दिया करे ताकि वह स्वयं अपना भोजन पकाकर खा सके। उसके परिवार के साथ अब उसका निर्वाह नहीं हो सकेगा। जब जुम्मन ने मौसी की बात को नकार दिया तो मौसी ने पंचायत करने की धमकी दे डाली। जुम्मन पंचायत करने की धमकी का स्वर सुनकर मन ही मन खूब प्रसन्न था। उसे पूर्ण विश्वास था कि पंचायत में उसी की जीत होगी।

सारा इलाका उसका ऋणी था, इसलिए उसे फैसले की तनिक भी चिंता न थी। वह पूर्णत: आश्वस्त था कि फैसला उसी के पक्ष में होगा। बूढ़ी मौसी कई दिनों तक लकड़ी का सहारा लिए गाँव-गाँव घूमती रही, वह सभी को अपनी दुःख भरी कहानी सुनाती रही। गाँव में दीन-हीन बुढ़िया का दुखड़ा सुनने वाले और उसे सांत्वना देने वाले लोग बहुत ही कम थे। सारे गाँव में घूमने के बाद अंत में घूमते-घूमते मौसी अलगू चौधरी के पास जाकर उसे पंचायत में आने का निमंत्रण देने लगी। अलगू चौधरी पंचायत में आने को तैयार हो गया। उसने मौसी से कहा कि जुम्मन उसका पक्का मित्र है इसलिए वह उसके विरोध में कुछ नहीं बोलेगा, वह वहाँ चुप चाप बैठा रहेगा। मौसी ने प्रतिवार करते हुए कहा कि-“क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे ?” मौसी द्वारा कहे गए इन शब्दों का अलगू के पास कोई उत्तर नहीं था। आखिरकार एक दिन शाम के समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी। जुम्मन शेख ने पहले से ही फ़र्श बिछाया हुआ था। पंचायत में आने वाले सभी लोगों के सत्कार का उसने पूरा प्रबंध कर रखा था। उनके खाने के लिए पान, इलायची, हुक्के-तंबाकू आदि का पूर्ण प्रबंध कर रखा था।

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पंचायत में जब कोई आता था तो वह दबे हुए सलाम के साथ उनका आदर-सत्कार करते हुए स्वागत करता था। पंचों के बैठने के बाद बूढ़ी मौसी अपनी करुण कहानी सुनाते हुए कहने लगी कि तीन वर्ष पहले उसने अपनी सारी जायदाद जुम्मन शेख के नाम लिखी थी। जुम्मन शेख ने भी उसे उम्र भर रोटी कपड़ा देना स्वीकार किया था। साल भर तो किसी तरह रो-पीट कर दिन निकाल लिए लेकिन अब अत्याचार नहीं सहे जाते। आप पंचों का जो भी आदेश होगा वह मैं स्वीकार करूँगी। सभी ने मिलकर अलगू चौधरी को सरपंच बना दिया। अलगू के सरपंच बनते ही जुम्मन आनंद से भर गए। उन्होंने अपने भाव अपने मन में रखते हुए कहा कि उन्हें अलगू का सरपंच बनना स्वीकार है। अलगू के सरपंच बनने पर रामधन मिश्र और जुम्मन के अन्य विरोधी-जन बुढ़िया को अपने मन ही मन कोसने लगे। जुम्मन को अब फैसला अपनी तरफ आता दिखाई दे रहा था। पं द्वारा पूछा गया एक-एक प्रश्न जुम्मन को हथौड़े की एक-एक चोट के समान लग रहा था। अंततः अलगू चौधरी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बूढ़ी मौसी की जायदाद से इतना लाभ अवश्य होगा कि उसे महीने का खर्च दिया जा सके। इसलिए जुम्मन को मौसी को महीने का खर्च देना ही होगा। यदि जुम्मन को फैसला अस्वीकार है तो जायदाद की रजिस्ट्री रद्द समझी जाए। सभी ने अलगू के फैसले को खूब सराहा। फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गए।

अलगू के इस फैसले ने जुम्मन के साथ उसकी दोस्ती की जड़ों को पूरी तरह से हिला दिया था। जुम्मन दिन-रात बदला लेने की सोचता रहता था। शीघ्र ही जुम्मन की कुटिल सोच की प्रतिक्षा समाप्त हुई। – अलगू चौधरी पिछले वर्ष ही बटेसर से बैलों की एक जोड़ी मोल खरीद लाया था। बैल पछाही जाति के थे। दुर्भाग्यवश पंचायत के एक महीने बाद अलगू का एक बैल मर गया। अब अकेला बैल अलगू के किसी काम का नहीं था। उसने बैल समझू साहू को बेच दिया। बैल की कीमत एक महीने बाद देने की बात निश्चित हुई। अब समझू साहू दिन में नया बैल मिलने से तीन-तीन, चार-चार खेपे करने लगे। उन्हें केवल काम से मतलब था। बैलों की देख-रेख तथा चारे से उन्हें कोई लेना-देना नहीं था। भोजन-पानी के अभाव में एक दिन सामान लाते हुए रास्ते में बैल ने दम तोड़ दिया। समझू साहू को मार्ग में ही रात बितानी पड़ी। सुबह जब वह उठे तो उनकी धन की थैली तथा तेल के कुछ कनस्तर चोरी हो चुके थे। समझू साहू रोते-पीटते घर पहुँचे। काफी दिनों के बाद अलगू चौधरी अपने बैल की कीमत लेने समझू साहू के घर गए, किंतु साहू ने पैसे देने के स्थान पर अलगू को भला बुरा कहना शुरू कर दिया। अंतत: पंचायत बैठी। सरपंच जुम्मन शेख को चुना गया। सरपंच के रूप जुम्मन ने न्याय संगत फैसला सुनाया। उसने समझू साहू को कसूरवार मानते हुए अलगू को बैल की कीमत लेने का हकदार बताया। क्योंकि जिस समय समझू साहू ने बैल खरीदा था। उस समय वह पूर्णत: स्वस्थ था। बैल की मृत्यु का कारण बीमारी न होकर अधिक परिश्रम करना था, जुम्मन के फैसले को सुनकर चारों तरफ ‘पंच परमेश्वर की जय’ का उद्घोष होने लगा। अलगू ने जुम्मन को गले से लगा लिया। दोनों के नेत्रों से गिरते आँसुओं ने दोनों के दिलों के मैल को धो दिया। दोनों की दोस्ती रूपी लता जो कभी मुरझा गई थी वह अब हरी-भरी हो गई थी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 पाँच मरजीवे

Hindi Guide for Class 9 PSEB पाँच मरजीवे Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
कवि ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग इस कविता में किया है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के लिए खालस महामानव, युग-द्रष्टा तथा युग-स्रष्टा विशेषणों का प्रयोग किया है। कवि ने दशमेश को तेज का पुंज भी कहा है।

प्रश्न 2.
कविता में ‘दशम् नानक’ किसे कहा गया है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में सिक्खों के दशम् गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी को ‘दशम् नानक’ कहा गया है।

प्रश्न 3.
सन् 1699 ई० में विशाल मेला कहाँ लगा था ?
उत्तर:
सन् 1699 ई० में विशाल मेला आनन्दपुर साहिब में लगा था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

प्रश्न 4.
‘मरजीवा’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मरजीवा का अर्थ है मरने को तैयार। मरजीवा का एक अर्थ मर कर जीवित अर्थात् अमर होने वाले को भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
अकाल पुरुष का फ़रमान क्या था ?
उत्तर:
अकाल पुरुष का फ़रमान था कि अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए तथा धर्म की रक्षा करने के लिए एक व्यक्ति का बलिदान चाहिए।

प्रश्न 6.
पाँचों मरजीवों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पाँचों मरजीवों के नाम हैं-लाहौर का दयाराम (भाई दया सिंह), हस्तिनापुर का धर्मराय (भाई धर्म सिंह), द्वारिका का मोहकम चंद (भाई मोहकम सिंह), बिदर का साहब चंद (भाई साहिब सिंह) तथा पुरी का हिम्मत राय (भाई हिम्मत सिंह)।

प्रश्न 7.
जो व्यक्ति न्याय के लिए बलिदान देता है, धर्म की रक्षा के लिए शीश कटा लेता है, उसे हम क्या कह कर पुकारते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति न्याय के लिए बलिदान देता है, धर्म की रक्षा के लिए शीश कटा कर बलिदान देता है, उसे हम मरजीवा कहते हैं।

प्रश्न 8.
गुरु जी ने वीरों की पहचान क्या बताई ?
उत्तर:
गुरु जी के अनुसार शुभाचरण करते हुए जीवन पथ पर निर्भय होकर बलिदान देना ही वीरों की पहचान है।

प्रश्न 9.
‘धर्म-अधर्म के संघर्ष की रात’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ यह है कि वह रात धर्म की रक्षा और अधर्म अर्थात् अन्याय से मुक्ति के उपाय सोचने की रात थी।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1.
तेज पुंज गुरु गोबिन्द के हाथों में
है नंगी तलवार
लहराती हवा में बारम्बार
“अकाल पुरुष का है फरमान
अभी तुरन्त चाहिये एक बलिदान
अन्याय से मुक्ति दिलाने को
धर्म बचाने, शीश कटाने को
मरजीवा क्या कोई है तैयार ?
मुझे चाहिये शीश एक उपहार !
जिसका अद्भुत त्याग देश की
मरणासन्न चेतना में कर दे नवरक्त संचार।”
उत्तर:
कवि कहता है कि दिव्य ज्योति से प्रकाशमान गुरु गोबिन्द सिंह जी के हाथों में नंगी तलवार थी, जिसे बार-बार हवा में लहराते हुए उन्होंने कहा’अकाल पुरुष की यह आज्ञा है कि अभी तुरन्त एक व्यक्ति का बलिदान चाहिए, जो अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए, धर्म की रक्षा करने के लिए अपना सिर कटाने को तैयार हो। है कोई ऐसा व्यक्ति जो मरने को तैयार हो ? मुझे एक सिर भेंट स्वरूप चाहिए जिसका अनोखा त्याग देश की दयनीय दशा में नया खून भर दे।’

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प्रश्न 2.
लीला से पर्दा हटा गुरु प्रकट हुए
चकित देखते सब पांचों बलिदानी संग खड़े
गुरुवर बोले “मेरे पांच प्यारे सिंघ
साहस, रूप, वेश, नाम में न्यारे सिंघ
दया सिंघ, धर्म सिंघ और मोहकम सिंघ
खालिस जाति खालसा के साहब सिंघ व हिम्मत सिंघ
शुभाचरण पथ पर निर्भय देंगे बलिदान ।
अब से पंथ “खालसा” मेरा ऐसे वीरों की पहचान।”
उत्तर:
कवि कहते हैं कि पाँचों मरजीवों को भीतर ले जाकर उनके सिर काटने की लीला करने के बाद गुरु जी इस लीला से पर्दा हटा कर बाहर आए। उनके साथ पाँचों मरजीवों को खड़ा देख कर सभी हैरान रह गये। तब गुरु जी बोले-‘ये मेरे पाँच प्यारे सिंह हैं। ये सिंह साहस, रूप, वेश और नाम से अलग ही सिंह हैं अर्थात् विशेष सिंह हैं। गुरु जी ने उनके नामों के साथ सिंह शब्द जोड़ते हुए कहा कि खालिस जाति खालसा पंथ से सम्बन्धित ये दया सिंह, धर्म सिंह, मोहकम सिंह, साहब सिंह एवं हिम्मत सिंह हैं, जो अपने अच्छे आचरण के रास्ते पर चलते हुए निडर होकर बलिदान देंगे। आज से मेरा खालसा पंथ ऐसे वीरों द्वारा ही पहचाना जाएगा।’

(ख) भाषा-बोध

1. शब्दांश + मूल शब्द (अर्थ) – नवीन शब्द (अर्थ)
अ + न्याय (इन्साफ़) – अन्याय (इन्साफ़ के विरुद्ध कार्य)
वि + श्वास (साँस) – विश्वास (भरोसा)

उपर्युक्त मूल शब्द (न्याय) में ‘अ’ शब्दांश लगाने से ‘अन्याय’ तथा ‘श्वास में ‘वि’ शब्दांश लगाने से ‘विश्वास’ नवीन शब्द बने हैं तथा उनके अर्थ में भी परिवर्तन आ गया है। ये ‘अ’ तथा ‘वि’ उपसर्ग हैं। अतएव जो शब्दांश किसी शब्द के शुरू में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं।

निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

प्रश्न 1.
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अधर्म – अ – धर्म
अतिरिक्त – ………. – ……..
उपहार – ………….. – ………….
प्रकट – ………….. – ………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अतिरिक्त – अति – रिक्त
उपहार – उप – हार
प्रकट – प्र – कट

प्रश्न 2.
मूल शब्द (अर्थ) + शब्दांश = नवीन शब्द (अर्थ)
सन्न (स्तब्ध, चुप) + आटा. = सन्नाटा (स्तब्धता, चुप्पी)
कायर (डरपोक) + ता = कायरता (डरपोकपन)
उपर्युक्त मूल शब्द ‘सन्न’ में ‘आटा’ लगाने से ‘सन्नाटा’ तथा ‘कायर’ शब्द में ‘ता’ लगाने से ‘कायरता’ नवीन शब्द बने हैं तथा उनके अर्थ में भी परिवर्तन आ गया है। ये ‘आटा’ तथा ‘ता’ प्रत्यय हैं। अतएव जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।

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निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
वैशाखी – ………. – …………
निवासी – ………. – …………
बलिदानी – ………… – ………….
बलिहारी – …………. – …………..
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
वैशाखी – वैशाख – ई
निवासी – निवास – ई
बलिदानी – बलिदान – ई
बलिहारी – बलिहार – ई

(ग) पाठेत्तर सक्रियता

1. स्कूल की प्रार्थना सभा में खालसा पंथ की साजना, वैसाखी पर्व तथा श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के जन्म दिवस के अवसर पर प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत कीजिए।

2. श्री आनन्दपुर साहिब के ऐतिहासिक महत्त्व के बारे में अपने पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़िए अथवा इंटरनेट से जानकारी प्राप्त कीजिए।

3. अपने माता-पिता के साथ श्री आनन्दपुर साहिब के ऐतिहासिक गुरुद्वारे के दर्शन कीजिए और अन्य स्थलों का भ्रमण कीजिए।

4. श्री आनन्दपुर साहिब के ऐतिहासिक स्थलों के चित्र एकत्रित कीजिए। उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें।

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(घ) ज्ञान-विस्तार

1. आनन्दपुर साहिब : आनन्दपुर साहिब पंजाब प्रदेश के रूपनगर जिले में स्थित है। यह स्थान चंडीगढ़ से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1664 ई० में सिक्खों के नौवें गुरु तेग़ बहादुर ने की थी। आनन्दपुर साहिब में स्थित प्रसिद्ध गुरुद्वारे तख्त श्री केसगढ़ साहिब की बहुत महानता है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है।

2. अन्य प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल : सेंट्रल किला श्री आनन्दगढ़ साहिब, लोहगढ़ किला, होलगढ़ किला, फतेहगढ़ किला एवं तारागढ़ किला। इसके अतिरिक्त आनन्दपुर साहिब में बना ‘विरासत-ए-खालसा’ संग्रहालय भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थल है। इसमें श्री गुरु नानक देव जी से लेकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना तक सिक्ख धर्म के विकास को बखूबी दर्शाया गया है।

PSEB 9th Class Hindi Guide पाँच मरजीवे Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरु जी ने संगत के सम्मुख मरजीवे की माँग क्यों रखी ?
उत्तर:
गुरु जी ने संगत के सम्मुख किसी मरजीवे के बलिदान की भारत के लोगों को मुग़ल शासकों के अत्याचार और अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए माँग की। वे धर्म की रक्षा करना चाहते थे। उनका मानना था कि मरजीवे के त्याग और बलिदान से मरणासन्न हिन्दू लोगों में नए खून का संचार होगा।

प्रश्न 2.
गुरु जी ने पाँच सिंहों की किन विशेषताओं पर प्रकाश डाला है ?
उत्तर:
गुरु जी ने पाँच सिंह साहिबान को साहस, रूप, वेश और नाम से न्यारे सिंह कहा। ये पाँचों सिंह शुभाचरण के मार्ग पर चलते हुए निर्भय होकर बलिदान देंगे।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

प्रश्न 3.
‘जूझना ही जीवन है-जीवन से मत भागो’ इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ है कि संघर्ष करना ही जीवन की निशानी है। अत: हमें जीवन सुखपूर्वक बिताने के लिए संघर्ष करना चाहिए और संघर्ष करने से कभी भी मुँह नहीं मोड़ना चाहिए। संघर्ष करने से जी चुराना जीवन से भागने के बराबर होगा।

प्रश्न 4.
सन् सोलह सौ निन्यानवे की वैशाखी का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है ?
उत्तर:
सन् सोलह सौ निन्यानवे की वैशाखी का ऐतिहासिक महत्त्व यह है कि इस दिन गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आनन्दपुर साहिब में अपने शिष्यों का एक विशाल मेला आयोजित किया और हाथ में नंगी तलवार लेकर पाँच बार एक-एक मरजीवे के शीश की माँग की । बलिदान के लिए तैयार पाँच शिष्यों ने आपकी माँग पूरी की। इस तरह गुरु जी ने पाँच बलिदानियों की तलवार पर परीक्षा करके खालसा पंथ की नींव रखी और उसको निराला रूप देते हुए कहा कि उनके सिंह अच्छे आचरण पर चलते हुए निडर होकर बलिदान देंगे। इसके बाद गुरु जी के सारे शिष्य सिंह बन गये और उन्होंने कुर्बानियाँ देकर ज़ालिम मुग़ल शासकों और अधर्म का नाश कर दिया। सन् 1699 ई० की वैशाखी के पवित्र पर्व पर ‘खालसा’ का सृजन पाँच प्यारों के रूप में किया। यह घटना धर्म की रक्षा और गरीब को अभयदान देने का कारण बनी। इसी दिन से गुरु जी ने अपने शिष्यों को अपने नाम के साथ ‘सिंह’ शब्द लगाने का आदेश दिया और उन्हें शुद्ध आचरण करते सदा निर्भय होकर बलिदान देने के लिए तैयार रहने का आदेश भी दिया।

प्रश्न 5.
पाँच प्यारों के चुनाव की घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
सन् 1699 की वैशाखी का दिन था। आनन्दपुर साहिब नामक स्थान पर गुरु गोबिन्द सिंह जी के शिष्य और भक्त बहुत बड़ी संख्या में एकत्रित हुए थे। गुरु जी ने संगत से धर्म की रक्षा तथा अन्याय से मुक्ति पाने के लिए अपने शीश का बलिदान देने वाले एक मरजीवे की माँग की। संगत में चुप्पी छा गयी। तभी लाहौर के खत्री दया राम ने अपने आप को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। गुरु जी उसे एक तम्बू में ले गए और लोगों ने सिर कटने की आवाज़ सुनी। थोडी देर बाद गुरु जी ने और बलिदान की माँग की। इस बार हस्तिनापुर का जाट धर्मराय आगे बढ़ा। गुरु जी उसे भी भीतर ले गये। इसी तरह द्वारिका के मोहकम चन्द धोबी, बिदर के साहब चंद नाई और पुरी के हिम्मतराय ने भी स्वयं को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। थोड़ी देर बाद लोगों ने उन पाँचों को गुरु जी के साथ तम्बू के बाहर जीवित खड़े देखा तो लोग हैरान रह गए। लोग गुरु जी की लीला को समझ न सके।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘पाँच मरजीवे’ किस कवि की रचना है ?
उत्तर:
योगेन्द्र बख्शी की।

प्रश्न 2.
‘सप्तसिन्धु’ किस प्रदेश का वैदिक काल में नाम था ?
उत्तर:
पंजाब का।

प्रश्न 3.
‘दशम नानक’ किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी को दशम गुरु कहते हैं।

प्रश्न 4.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के हाथ में क्या लहरा रही थी ?
उत्तर:
नंगी तलवार।

प्रश्न 5.
‘मरजीवा’ कौन होता है ?
उत्तर:
जो मरने के लिए तैयार हो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
धर्मराय लाहौर का निवासी था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
द्वारिका का बलिदानी मोहकम चंद धोबी था।
उत्तर;
हाँ।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पाँच मरजीवों को पांच प्यारे’ कहा।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
लोहड़ी के अवसर पर आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखी गई।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
……. जब …….. की ….. से भागी।
उत्तर:
कायरता जब सप्तसिन्धु की धरती से भागी।

प्रश्न 11.
अब से पंथ …….. मेरा ऐसे …… की पहचान।
उत्तर:
अब से पंथ खालसा मेरा ऐसे वीरों की पहचान।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

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प्रश्न 12.
साहब चंद नाई कहाँ का निवासी था
(क) पुरी
(ख) द्वारिका
(ग) लाहौर
(घ) बिदर।
उत्तर:
(घ) बिदर।

प्रश्न 13.
आनन्दपुर साहिब में किस वर्ष खालसा पंथ की नींव रखी गई ?
(क) 1691
(ख) 1695
(ग) 1699
(घ) 1697.
उत्तर:
(ग) 1699 में।

प्रश्न 14.
अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए गुरु जी ने किसकी मांग की ?
(क) तलवार की
(ख) बलिदानियों की
(ग) सेना की
(घ) गोला-बारूद की।
उत्तर:
(ख) बलिदानियों की।

प्रश्न 15.
किसकी बांह थाम कर “दशमेश खिल उठे” ?
(क) दयाराम की
(ख) धर्मराय की
(ग) साहब चंद की
(घ) मोहकम चंद की।
उत्तर:
(क) दयाराम की।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

‘पाँच मरजीवे सप्रसंग व्याख्या

1. एक सुबह आनन्दपुर साहिब में जागी,
कायरता जब सप्तसिन्धु की धरती से भागी।
धर्म-अधर्म के संघर्ष की रात।
एक खालस महामानव।
युग द्रष्टा-युग स्रष्टा।
साहस का ज्वलन्त सूर्य ले हाथ
आह्वान कर रहा
जागो वीरो जागो
जूझना ही जीवन है-जीवन से मत भागो।

शब्दार्थ:
सुबह = प्रातः । सप्तसिन्धु = सात नदियाँ (वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिन्धु कहा जाता था, क्योंकि यहाँ सात नदियाँ बहती थीं।)। खालस = शुद्ध। महामानव = महापुरुष। युग द्रष्टा = ज़माने को देखने वाला। युग स्रष्टा = ज़माने का निर्माण करने वाला। ज्वलन्त = जलता हुआ, प्रकाशमान। आह्वान करना = बुलाना। जूझना = संघर्ष करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की नींव रखे जाने के समय पंच प्यारों के साहस और आत्मबलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि आनन्दपुर साहिब में एक दिन सूर्योदय के साथ ही सात नदियों की धरती से कायरता भाग गई। बीती रात धर्म और अधर्म के संघर्ष की रात थी। उस दिन एक शुद्ध महापुरुष ने, जो युग को देखने वाला अर्थात् युग की चिन्ता करने वाला तथा युग का निर्माण करने वाला था, साहस का प्रकाशमान सूर्य हाथ में लेकर बुला रहा था और कह रहा था हे वीरो, जागो। संघर्ष करना ही जीवन है इसलिए तुम संघर्ष से कभी नहीं घबराओ और जीवन से मत भागो।

विशेष:

  1. गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा आनन्दपुर साहिब में संगत को आत्म-बलिदान के लिए प्रेरित करने का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, भावपूर्ण तथा ओज गुण से युक्त है।

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2. सन् सोलह सौ निन्यानवे की
वैशाखी की पावन बेला है
दशम नानक के द्वारे-आनन्दपुर में
दूर-दूर से उमड़े भक्तों-शिष्यों का
विशाल मेला है।

शब्दार्थ:
पावन = पवित्र। दशम नानक = सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी। द्वारे = घर पर, पास। विशाल = बहुत बड़ा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रंचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की नींव रखे जाने के समय पंच प्यारों के साहस और आत्मबलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि सन् 1699 की वैशाखी के पवित्र समय दशम नानक गुरु गोबिन्द सिंह जी के द्वार पर आनन्दपुर साहिब में दूर-दूर से गुरु जी के भक्त और शिष्य एकत्र हुए और वहाँ एक बहुत बड़ा मेला सज गया।

विशेष:

  1. वैशाखी पर आनन्दपुर साहिब में लगे मेले का वर्णन है।
  2. भाषा सहज, सरल है। अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार हैं।

3. तेज पुंज गुरु गोबिन्द के हाथों में
है नंगी तलवार
लहराती हवा में बारम्बार
“अकाल पुरुष का है फरमान
अभी तुरन्त चाहिये एक बलिदान
अन्याय से मुक्ति दिलाने को
धर्म बचाने, शीश कटाने को
मरजीवा क्या कोई है तैयार ?
मुझे चाहिये शीश एक उपहार !
जिसका अद्भुत त्याग देश की
मरणासन्न चेतना में कर दे नवरक्त संचार।”

शब्दार्थ:
तेज पुंज = दिव्य ज्योति का समूह। फरमान = आज्ञा। अकाल पुरुष = ईश्वर, वाहेगुरु। मरजीवा = बलिदानी, मर कर भी जीवित होने वाला, मरने को तैयार । शीश = सिर। उपहार = भेंट, सौगात। अद्भुत = विचित्र, अनोखा। मरणासन्न = मरने के निकट, जो मर रहा हो। चेतना = बुद्धि-विवेक से काम लेना, सोच-विचार। नवरक्त = नया खून। संचार = बहा देना।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने सन् 1699 में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि दिव्य ज्योति से प्रकाशमान गुरु गोबिन्द सिंह जी के हाथों में नंगी तलवार थी, जिसे बार-बार हवा में लहराते हुए उन्होंने कहा’अकाल पुरुष की यह आज्ञा है कि अभी तुरन्त एक व्यक्ति का बलिदान चाहिए, जो अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए, धर्म की रक्षा करने के लिए अपना सिर कटाने को तैयार हो। है कोई ऐसा व्यक्ति जो मरने को तैयार हो ? मुझे एक सिर भेंट स्वरूप चाहिए जिसका अनोखा त्याग देश की दयनीय दशा में नया खून भर दे।’

विशेष:

  1. गुरु जी द्वारा संगत को बलिदान के लिए प्रेरित करने का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, भावपूर्ण तथा ओज गुण से युक्त है। अनुप्रास तथा प्रश्न अलंकार हैं। वीर रस है।

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4. सन्नाटा छा गया मौन हो रही सभा
सब भयभीत नहीं कोई हिला
फिर लाहौर निवासी खत्री दयाराम आगे बढ़ा
“कृपाकर सौभाग्य मुझे दीजिए
धर्म-रक्षा के लिए-भेंट है शीश गुरुवर !
प्राण मेरे लीजिए।”

शब्दार्थ:
सन्नाटा = चुप्पी, खामोशी, निस्तब्धता। मौन = चुप। भयभीत = डरे हुए। गुरुवर = हे गुरु श्रेष्ठ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ. योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि गुरु जी द्वारा एक व्यक्ति के सिर का बलिदान माँगने की बात सुन कर सारी सभा में खामोशी छा गयी और सभी भयभीत और चुप रह गये। सभी डरे हुए थे। कोई भी अपनी जगह से न हिला। तभी लाहौर निवासी खत्री दयाराम आगे बढ़ा और उसने गुरु जी से निवेदन किया कि हे गुरु श्रेष्ठ! धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर भेंट करने का सौभाग्य कृपा करके मुझे मेरे प्राण ले लीजिए।

विशेष:

  1. दयाराम द्वारा अपना बलिदान देने का वर्णन किया है।
  2. भाषा सहज तथा भावपूर्ण है।

5. खिल उठे दशमेश उसकी बांह थाम
ले गये भीतर, बन गया काम
उभरा स्वर शीश कटने का और फिर गहरा विराम !
भयाकुल चकित चेहरे सभा के
रह गये दिल थाम !

शब्दार्थ:
खिल उठना = प्रसन्न हो जाना। दशमेश = दशम् गुरु गोबिन्द सिंह जी। थाम = पकड़कर। काम बन जाना = काम पूरा होना। विराम = मौन, चुप्पी। भयाकुल = डर से घबराये हुए। चकित = हैरान। दिल थाम कर रह जाना = धैर्य धारण करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ. योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि लाहौर के खत्री दयाराम द्वारा बलिदान के लिए अपने आप को प्रस्तुत करने की बात सुन दशम् पातशाह गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो उठे। वे दयाराम की बाँह पकड़ कर भीतर ले गये। उन्होंने जान लिया कि वे जो चाहते थे वह हो गया है। तभी भीतर से सिर कटने का स्वर उभरा और फिर एक गहरी खामोशी छा गई। सभा में मौजूद लोगों के चेहरे हैरान होकर डर से घबरा गये। उन्होंने बड़ी कठिनता से धैर्य धारण किया।

विशेष:

  1. दयाराम के बलिदान देने का वर्णन है।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है। मुहावरों का सहज रूप से प्रयोग किया गया है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 6 पाँच मरजीवे

6. रक्त रंजित फिर लिये तलवार
आ गये गुरुवर पुकारे बारम्बार
एक मरजीवा अपेक्षित और है
बढ़े आगे कौन है तैयार !

शब्दार्थ:
रक्त-रंजित = खून से लथपथ, खून से भीगी। मरजीवा = मरने को तैयार। अपेक्षित = चाहिए, जिसकी आवश्यकता हो।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि दयाराम खत्री के बलिदान के बाद गुरु जी हाथ में खून से लथपथ तलवार लिए हुए बाहर आये और उन्होंने बार-बार यह पुकारा कि अभी एक और मरने को तैयार व्यक्ति की आवश्यकता है। जो इस बलिदान के लिए तैयार हो, वह आगे बढ़े।

विशेष:

  1. गुरु जी द्वारा एक और बलिदानी की आवश्यकता का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा सरल, सहज और भावपूर्ण है।

7. प्राण के लाले पड़े हैं
सभी के मन स्तब्ध से मानो जड़े हैं।
किन्तु फिर धर्मराय बलिदान-व्रत-धारी
जाट हस्तिनापुर का खड़ा करबद्ध
गुरुचरण बलिहारी !
हर्षित गुरु ले गये भीतर उसे भी
लीला विस्मयकारी !

शब्दार्थ:
प्राण के लाले पड़ना = जीना कठिन हो जाना, अपनी जान की चिंता होना। स्तब्ध से = संज्ञाहीन, हैरान। जड़े = जड़, निर्जीव, बेजान, स्तब्ध। करबद्ध = हाथ जोड़ कर। बलिहारी = न्यौछावर। हर्षित = प्रसन्न। विस्मयकारी = हैरान कर देने वाली।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि गुरु जी द्वारा दूसरी बार एक और व्यक्ति के बलिदान की आवश्यकता की बात सुन कर वहाँ उपस्थित लोगों को अपने प्राणों की चिंता होने लगी अर्थात् वे घबरा गये और सारी सभा के लोगों के मन हैरान होकर जड़वत अर्थात् स्तब्ध से हो गये। किन्तु तभी बलिदान के व्रत को धारण करने वाला हस्तिनापुर का जाट धर्मराय हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। उसने कहा मैं गुरु चरणों पर न्यौछावर होने को तैयार हूँ। उसकी बात सुनकर गुरु जी प्रसन्न होकर उसे भीतर ले गये। उनकी यह लीला हैरान कर देने वाली थी।

विशेष:

  1. गुरु जी के आह्वान पर धर्मराय अपना बलिदान देने के लिए तैयार हो गया।
  2. भाषा सहज तथा भावपूर्ण है। मुहावरे का प्रयोग है।

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8. टप टप टपक रहे रक्त बिन्दु
गहरी लाल हुई चम चम तलवार-
मांग रही बलि बारम्बार ।
गुरुवर की लीला अपरम्पार।

शब्दार्थ:
रक्त बिन्दु = खून की बूंदें। चम चम = चमकती हुई। अपरम्पार = जिसका कोई पार न हो, जिसकी कोई सीमा न हो-असीम। . प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश डॉ. योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि दो मरजीवों को बलिदान के लिए तम्बू के भीतर ले जाने के बाद गुरु जी जब बाहर आए तो उनकी चमकती हुई तलवार गहरी लाल हो गई थी और उनसे खून की बूंदें टप-टप टपक रही थीं। गुरु जी की तलवार बार-बार बलिदान माँग रही थी अर्थात् अभी और बलिदान के लिए मरजीवों का आह्वान कर रही थी। कवि कहते हैं कि गुरु जी की लीला का कोई पार नहीं पाया जा सकता।
विशेष:

  1. गुरु जी द्वारा लिए गए. बलिदानों के बाद उनकी तलवार से टपकती रक्त बूंदों का सजीव वर्णन है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं चित्रात्मक है। अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

9. बलिदानों के क्रम में एक एक कर शीश कटाने
बढ़ा आ रहा द्वारिका का मोहकम चन्द धोबी
बिदर का साहब चन्द नाई, पुरी का हिम्मतराय कहार
पांच ये बलिदान अद्भुत चमत्कार !

शब्दार्थ:
क्रम = सिलसिला, कार्य, कृत्य। अदभुत चमत्कार = अनोखी बात, विचित्र करामात।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि बलिदानों का सिलसिला चलता रहा। दयाराम और धर्मराय के बाद गुरु जी की माँग पर एक-एक कर अपना सिर कटवाने के लिए क्रमशः द्वारिका का मोहकम चन्द धोबी, बिदर का साहब चंद नाई और जगन्नाथ पुरी का हिम्मतराय कहार आगे आए। इस तरह पाँच बलिदानियों ने अपना बलिदान दिया। इन पाँचों का बलिदान एक अनोखी करामात थी । यह तो अद्भुत चमत्कार के समान था; करिश्मा था।

विशेष:

  1. पाँच पियारों के अद्भुत बलिदान का वर्णन है।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है।

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10. लीला से पर्दा हटा गुरु प्रकट हुए
चकित देखते सब पांचों बलिदानी संग खड़े
गुरुवर बोले “मेरे पांच प्यारे सिंघ
साहस, रूप, वेश, नाम में न्यारे सिंघ
दया सिंघ, धर्म सिंघ और मोहकम सिंघ
खालिस जाति खालसा के साहस सिंघ व हिम्मत सिंघ
शुभाचरण पथ पर निर्भय देंगे बलिदान
अब से पंथ “खालसा” मेरा ऐसे वीरों की पहचान।” ।

शब्दार्थ:
चकित = हैरान। संग = साथ। न्यारे = अलग, अनोखे। खालिस = शुद्ध। खालसा = सिक्ख पंथ। शुभाचरण = अच्छा व्यवहार। पथ = रास्ता। निर्भय = निडर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘पाँच मरजीवे’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने सन् 1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि पाँचों मरजीवों को भीतर ले जाकर उनके सिर काटने की लीला करने के बाद गुरु जी इस लीला से पर्दा हटा कर बाहर आए। उनके साथ पाँचों मरजीवों को खड़ा देख कर सभी हैरान रह गये। तब गुरु जी बोले-‘ये मेरे पाँच प्यारे सिंह हैं। ये सिंह साहस, रूप, वेश और नाम से अलग ही सिंह हैं अर्थात् विशेष सिंह हैं। गुरु जी ने उनके नामों के साथ सिंह शब्द जोड़ते हुए कहा कि खालिस जाति खालसा पंथ से सम्बन्धित ये दया सिंह, धर्म सिंह, मोहकम सिंह, साहब सिंह एवं हिम्मत सिंह हैं, जो अपने अच्छे आचरण के रास्ते पर चलते हुए निडर होकर बलिदान देंगे। आज से मेरा खालसा पंथ ऐसे वीरों द्वारा ही पहचाना जाएगा।’

विशेष:

  1. खालसा पंथ की स्थापना का अति प्रभावशाली वर्णन है।
  2. भाषा भावपूर्ण है। संवादात्मक शैली है।

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‘पाँच मरजीवे Summary

योगेन्द्र बख्शी कवि-परिचय

जीवन परिचय:
डॉ. योगेन्द्र बख्शी का जन्म सन् 1939 ई० में जम्मू तवी में हुआ था। इन्होंने हिन्दी-साहित्य में एम०ए० करने के बाद पीएच०डी० की उपाधि प्राप्त की थी। अध्यापक के साथ-साथ इनका लेखन कार्य भी चलता रहा। राजकीय महेन्द्रा कॉलेज, पटियाला के स्नातकोत्तर हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त होकर भी ये साहित्यसाधना में लीन हैं।

रचनाएँ:
काव्य रचनाएँ-सड़क का रोग, खुली हुई खिड़कियाँ, कि सनद रहे, आदमीनामा : सतसई, गज़ल के .. रूबरू।

आलोचना:
प्रसाद का काव्य तथा कामायनी, हिन्दी तथा पंजाबी उपन्यास का तुलनात्मक अध्ययन। संपादित पुस्तकें-निबंध परिवेश, काव्य विहार, गैल गैल, आओ हिन्दी सीखें : आठ । बाल साहित्य-बंदा बहादुर, मैथिलीशरण गुप्त। अनुवाद-पैरिस में एक भारतीय- एस०एस० अमोल के यात्रा वृत्तांत का अनुवाद । विशेषताएँ-इनके काव्य में आस-पास के जीवन की घटनाओं का अत्यंत यथार्थ चित्रण प्राप्त होता है। ‘पाँच मरजीवे’ कविता में कवि ने खालसा पंथ की नींव की ऐतिहासिक घटना का अत्यंत स्वाभाविक चित्रण किया है।

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‘पाँच मरजीवे कविता का सार

कविता का सार कवि ‘योगेन्द्र बख्शी’ जी ने ‘पाँच मरजीवे’ कविता में खालसा पंथ की नींव की ऐतिहासिक घटना का प्रभावशाली ढंग से चित्रण किया है। औरंगज़ेब के जुल्मों से दुःखी हिन्दुओं में नई चेतना जागृत करने के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आन्नदपुर साहिब में सन् 1699 ई० में बैसाखी वाले दिन लोगों से धर्म की रक्षा के लिए एक ऐसे पुरुष की मांग जो धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर सके। उनकी यह मांग सुनकर चारों ओर सन्नाटा छा गया। अचानक भीड़ में से लाहौर निवासी खत्री दयाराम आगे आया और धर्म की बेदी पर बलिदान होने के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी के पास चला गया। गुरु गोबिन्द सिंह जी उसे लेकर अन्दर गए और बाहर खड़े लोगों ने सिर कटने की आवाज़ सुनी। इस प्रकार गुरु गोबिन्द सिंह ने बारी-बारी और चार व्यक्ति मांगे। हस्तिनापुर का जाट धर्मराय, द्वारिका के मोहकम चन्द धोबी, बिदर के साहब चन्द नाई और पुरी के हिम्मतराय ने भी अपने को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। थोड़ी देर बाद लोगों ने उन पाँचों को गुरु जी के साथ तम्बू के बाहर जीवित खड़े देखा तो लोग हैरान रह गए। उस दिन उन पाँच लोगों के आत्मबलिदान की मांग करके उन्होंने खालसा पंथ की नींव डाली। उस खालसा पंथ ने हिन्दुओं के लिए औरंगजेब के अत्याचारों का विरोध किया। बाद में इसी खालसा पंथ ने सिक्ख सम्प्रदाय रूप में अपनी पहचान भी स्थापित की।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion

PSEB 9th Class Science Guide Force and Laws of Motion Textbook Questions and Answers

Question 1.
An object experiences a net zero external unbalanced force. Is it possible for the object to be travelling with a non-zero velocity? If yes, state the conditions that must be placed on the magnitude and direction of the velocity. If no, provide a reason.
Answer:
Yes, it is possible for an object to move with non-zero velocity even when net zero unbalanced force is experienced by it. In this situation the magnitude of velocity and direction will be same. As for example, in case of a rain drop falling freely with constant velocity, the weight of the drop is balanced by upthrust so to say the net unbalanced force on drop is zero.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 2.
When a carpet is beaten with a stick, the dust comes out of it? Explain.
Answer:
When a carpet is beaten with a stick, the carpet is set into motion while the dust particles due to inertia tend to remain at rest. In this way dust particles get detached from the carpet and come out of it.

Question 3.
Why is it advised to tie any luggage kept on the roof of a bus with rope?
Answer:
When a fast-moving bus suddenly takes a turn round a sharp bend then the luggage placed on the roof of a bus gets displaced. The reason for this is that the luggage tends to remain with linear motion while an unbalanced force is applied by the engine to change the direction of the bus so that the luggage kept at the roof of the bus gets displaced. So it is advised to tie the luggage with a rope on the roof of bus.

Question 4.
A batsman hits a cricket ball when then rolls on a level ground. After covering short distance, the ball comes to rest. The ball comes to a stop because
(a) the batsman did not hit the ball hard enough.
(b) velocity is proportional to the force exerted on the ball.
(c) there is a force on the ball opposing the motion.
(d) there is no unbalanced force on the ball so that ball would want to come to rest.
Answer:
(c) is correct. There is a force of friction on the ball in direction opposite to that of motion.

Question 5.
A truck starts from rest and rolls down a hill with constant acceleration. It travels a distance of 400 m in 20 s. Find its acceleration. Find the force on it if its mass is 7 metric tonnes. (1 tonne = 100 kg)
Solution:
Here initial velocity (u) = 0
Time (t) = 20 s
Distance (s) = 400 m
S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
400 = 0 × 30 + \(\frac{1}{2}\) × a × (20)2
400 = 0 + \(\frac{1}{2}\) × a × 20 × 20
400 = \(\frac{1}{2}\) × 20 × 20 × a
400 = 200 × a
or a = \(\frac{400}{200}\)
∴ a = 2ms-2
Now mass of the truck(m) = 7 tonne
= 7 × 1000 kg
Acceleration (a) = 2ms-2
But Force, F = m × a
= 7000 kg × 2 ms-2
= 14000 kg – ms-2
= 14000 N

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 6.
A stone of 1 kg is thrown with a velocity of 20 m s-1 across the frozen surface of a lake and comes to rest after travelling a distance of 50 m. What is the force of friction between the stone and the ice?
Solution:
Here, mass of stone (m) = 1 kg
Initial velocity of stone (u) = 20 ms-1
Distance travelled by the stone (S) = 50 m
Final velocity of stone (υ) = 0 (at rest)
Force of friction between the stone and ice (F) = ?
Using υ2 – u2 = 2aS, we have
(0)2 – (20)2 = 2 × (a) × 50
– 20 × 20 = 100 × a
a = \(\frac{-20 \times 20}{100}\)
a = – 4 ms-2
F = ma = 1 × (- 4)
F = – 4 N
Minus sign shows the force of friction is in direction opposite to direction of motion of stone.

Question 7.
A 8,000 kg engine pulls a train of 5 wagons, each of 2,000 kg along a horizontal track. If the engine exerts a force of 40,000 N and track offers a force of friction of 35,000 N, then calculate the
(a) net accelerating force;
(b) acceleration of the train; and
(c) force of wagon 1 on wagon 2.
Solution:
Mass of the engine = 8000 kg
Mass of 5 wagons = 5 × 2000 kg = 10,000 kg
∴ Total mass of engine and 5 wagons = 8000 kg + 10,000 kg = 18,000 kg
Total force of engine = 40,000 N
Frictional force offered by the track= 5000 N
(a) ∴ Net Accelerating Force (F) = Total force of engine – Frictional force of track
= 40,000 N – 5000 N = 35,000 N

(b) Acceleration of the train (a) = \(\frac{Accelerating force on rail(F)}{Mass of the train(m)}\)
= \(\frac{35000}{18000}\)
= \(\frac{35}{18}\)m-2
= 1.94ms-2

(c) Force exerted by wagon 1 on wagon 2 = Net Accelerating Force – Mass of wagon × Acceleration
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 1
= 35000 – 2000 × \(\frac{35}{18}\)
= 35000 – 3888.8
= 31111.2 N

Question 8.
An automobile vehicle has mass of 1,500 kg. What must be the force between vehicle and the road if vehicle is to be stopped with negative acceleration of 1.7 ms-2?
Solution:
Here the mass of automobile (m) = 1500 kg
Acceleration of vehicle (a) = -1.7ms-2
Frictional Force between road and vehicle (F) = ?
We know, F = m x a
= 15000 x (- 1.7)
= – 2550 N
∴ Backward frictional force (F) = 2550 N

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 9.
What is the momentum of an object of mass m moving with velocity υ?
(a) (mυ)2; (b) mυ2; (c) \(\frac{1}{2}\)mυ2, (d) mυ.
Answer:
(d) is correct. Momentum = mυ.

Question 10.
Using a horizontal force of 200 N, we intend to move a wooden cabinet across a floor with constant velocity. What is the friction force that will be exerted on the cabinet?
Answer:
When no acceleration is to be produced (i.e. body is to be moved with constant velocity), the net force has to be zero. Force of friction should be equal and opposite to the force applied i.e., force of friction has to be 200 N.

Question 11.
Two objects, each of mass 1.5 kg, are moving in the same straight line but in the opposite directions. The velocity of each object is 2.5 ms-1 before the collision during which they stick together. What will be the velocity of combined object after collision?
Solution:
Given, mass of the lirst object (m1) – 1.5 kg
, and mass of the second object (m2) = m1 = 1.5 kg
Initial velocity of the first object (u1) = 2.5 ms-1
Initial velocity of the second object (u2) = – 2.5 ms-1
(Since both the objects move in the direction opposite to each other therefore velocity of first object will be taken as positive and that of the other as negative.)
Suppose after collision the velocity of the combination of two objects is ‘υ’
∴ According to the law of conservation of momentum,
Total momentum before collision = Total momentum after collision
m1u1 + m2u2 = m1υ + m2υ
1.5 × 2.5 + 1.5 × (-2.5) = (1.5 × υ + 1.5 × υ)
1.5 [2.5 + (-2.5)] = (1.5 + 1.5) × υ
1.5 [2.5 – 2.5] = 3 × υ
1.5 × 0 = 3 × υ
0 = 3 × υ
∴ υ = 0 ms-1
i. e. Both the objects will come to rest after collision.

Question 12.
According to the third law of motion when we push on an object, the object pushes back on us with an equal and opposite force. If the object is a massive truck parked along the road side, it will probably not move. A student justifies by answering that the two forces cancel each other. Comment on the logic and explain why the truck does not move.
Answer:
Student is justified. Friction is equal and opposite to force applied till the force applied crosses the force of limiting friction. When he applies a force slightly more than force of limiting friction, the truck will move. Till the truck moves uniformly, the force applied is exactly equal to force of friction at that instant.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 13.
A hockey ball of mass 200 g travelling at 10 ms-1 is struck by a hockey stick so as to return it along its original path with a velocity at 5 ms-1. Calculate the change in momentum occurred in the motion of hockey ball by the force applied by hockey stick.
Sol. Mass of the ball (m) = 200 g
= \(\frac{200}{1000}\)kg = 0.2 kg
Initial velocity of the ball (u) = 10 ms-1
Final velocity of the ball (v) = – 5ms-1
[∵ the direction of the ball is opposite to the first direction]
Change in momentum of the ball = Final momentum – Initial momentum.
= mυ – mu
= m (υ – u)
= 0.2 (- 5 – 10)
= 0.2 × (- 15)
= – 3.0 kg – ms-1

Question 14.
A bullet of mass 10 kg travelling horizontally with a velocity of 150 ms-1 strikes a stationary wooden block and come to rest in 0.03 s. Calculate the distance of penetration of the bullet into the block. Calculate the magnitude of force exerted by the wood in block in the bullet.
Solution:
Here, mass of the bullet (m) = 10 g = 0.01 kg
Initial velocity of the bullet (u) = 150 ms-1
Final velocity of the bullet (υ) = 0
Time (t) = 0.03 s
We know, acceleration of the bullet (a) = \(\frac{v-u}{t}\)
= \(\frac{0-150}{0.03}\)
= – 5000 ms-2

(a) Net force exerted by the wooden block on the bullet (F) = m × a
= 0.01 × (- 5000)
= 1 × (-50)
= -50N
∴ Magnitude of force = 50 N

(b) Distance covered by the bullet after penetration in the wooden block (S) = ?
using S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
= 15 × 0.03 + \(\frac{1}{2}\) × (- 5000) × (0.03)2
= 4.5 + (- 2.25)
= 4.5 – 2.25
S = 2.25 m

Question 15.
An object of mass 1 kg travelling in straight line with a velocity of 10 ms-1 collides with it and sticks to a stationary wooden block of mass 5 kg. Then both move off together in the same straight line. Calculate the total momentum before the impact and just after the impact. Also calculate the velocity of combined object.
Solution:
Mass of the object (m1) = 1 kg
Initial velocity of the object (u1) = 10 ms-1
Mass of the wooden block (m2) = 5 kg
Initial velocity of the wooden block (u2) = 0 [Wooden block at rest]
Suppose ‘υ’ is the velocity of the combination of the object and wooden block after collision
∴ Before collision total momentum of the object and block
= m1u1 + m2u2
= 1 × 10 + 5 × 0
= 10 + 0
= 10kg ms-1 ……………… (i)
After collision. Total momentum of the object and block = m1υ + m2υ
= (m1 + m2) × υ
= (1 + 5) × υ
= 6υ kg m – ms ……… (ii)
According to the law of conservation of momentum,
Total momentum of the combinations before collision = Total momentum of the combination after collision 10 = 6υ
υ = \(\frac{10}{6}\)
∴ υ = \(\frac{5}{3}\) ms-1
= 1.67 ms-1
Substituting the value of υ in (ii) above
∴ Total momentum of the combination (after collision) = 6υ
= 6 × \(\frac{5}{3}\)
= 10kg – ms-1

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 16.
An object of mass 100 kg is accelerated uniformly from a velocity of 5 ms-1 to 8 ms-1 in 6s. Calculate the initial and final momentum of the object. Also find the force exerted on the object.
Solution:
Here, mass of the object (m) = 100kg
Initial velocity of the object (u) = 5ms-1
Final velocity of the object (v) = 8ms-1
Time interval (t) = 6s
Initial momentum of the object (p1) = m × u
= 100 × 5 = 500 kg – ms-1
Final momentum of the object (p2) = m × υ
= 100 × 8 = 800 kg – ms-1
Force acting on the object (F) = \(\frac{p_{2}-p_{1}}{t}\)
= \(\frac{(800-500) \mathrm{kg}-\mathrm{ms}^{-1}}{6 \mathrm{~s}}\)
= 50kg – ms-2 = 50N

Question 17.
Akhtar, Kiran and Rahul were riding in a motor car that was moving with a high velocity on an express-way when an insect hit the windshield and got struck on wind-screen. Akhtar and Kiran started pondering over the situation. Kiran suggested that the insect suffered a greater change in momentum as compared to the change in momentum of motor car (because change in the velocity of insect was much more than that of motor car). Akhtar said that since the motor car was moving with a larger velocity, it exerted a larger force on the insect. As a result, the insect died. Rahul while putting in entirely new explanation said that both the motor car and the insect experienced the same force and same change in their momentum. Comment on these suggestions.
Answer:
I agree with Rahul’s explanation. According to law of conservation of momentum, during collision, the momentum of the system (insect and motor car) remains conserved. Therefore, both insect and motor car experience the same force and hence same change in momentum. The insect having smaller mass would suffer greater change in velocity as a result of this, it will crush the insect while the motor car does not suffer any noticeable change in velocity.

Question 18.
How much momentum will a dumbbell of mass 10 kg transfer to the floor if it falls from a height of 80 cm? Take its downward acceleration to be 10 ms-2.
Solution:
Here, momentum of the dumb-bell (m) = 10 kg
Initial velocity of the bell (u) = 0 (at rest)
Distance covered by the bell (S) = (h) = 80 cm
= 0.80 m
Acceleration of the ball (a) = 10 ms-2 (downward direction)
Let υ be the final velocity of the bell on reaching the ground.
Using υ2 – u2 = 2aS
υ2 – (0)2 = 2 × 10 × 0.80
υ2 = 2 × 10 × 0.80
or υ2 = 16
∴ Final velocity of the bell (υ) = \(\sqrt{16}\) = 4ms
Momentum transferred by the bell to the floor (p) = m × υ
= 10 × 4 = 40 kg – ms-1

Science Guide for Class 9 PSEB Force and Laws of Motion InText Questions and Answers

Question 1.
Which of the following has more inertia:
(a) rubber ball and a stone of the same size?
(b) a bicycle and a train?
(c) a five rupees coin and a one-rupee coin?
Answer:
We know that mass of an object is the measure of its inertia. The more is the mass of an object, the more is its inertia hence.
(a) a stone of the same size has more inertia than a rubber ball.
(b) a train has more inertia than a bicycle.
(c) a ₹ 5 coin has more inertia than ₹ 1 coin because a ₹ 5 coin has more mass than a ₹ 1 coin.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 2.
In the following example, try to identify the number of times the velocity of the ball changes:
“A football player kicks a football to another player of his team who kicks the football towards the goal-keeper. The goal-keeper of opposite team collects the football and kicks it towards a player of his own team”. Also identify the agent supplying the force in each case.
Answer:
To push, to strike or to pull, all these activities act as a force for changing the velocity or for changing the direction of motion of the object. Therefore, in the above given example the velocity of ball changes four times.

  1. First time the football player of first-team kicks the football to another player of his team and thus changes the velocity of the football.
  2. In second time velocity changes when the second player kicks the football towards the goal-keeper of the opposite team and applies force on the ball.
  3. Third time the goal-keeper pushes the ball and reduces its velocity to zero by applying force.
  4. The goal-keeper now applies a force by kicking the football towards player of his team. In this case the force increases the velocity of the football.

Question 3.
Explain why some of the leaves may get detached from the tree if we vigorously shake its branch.
Answer:
Before shaking, the branch of the tree, both the branch and leaves were at rest. When we shake the branch of the tree, branch moves but the leaves remain at rest due to inertia of rest and get detached from the branch.

Question 4.
Why do you fall in the forward direction when a moving bus brakes to a stop and falls backward when it accelerates from rest?
Answer:
When the bus is moving, whole of our body is moving forward. When brakes are applied, the lower part of our body touching the bus (e.g., feet etc.) comes to rest and upper part of the body not touching the bus continue move forward due to inertia of motion and fall in forward direction.

When the bus suddenly starts and accelerates from rest, the lower part of our body starts moving forward (accelerating) along with the bus while upper part of our body tends to remain at rest due to inertia of rest and we fall backward.

Question 5.
If action is always equal to reaction, explain how a horse can pull a cart?
Answer:
According to Newton’s third law of motion “Action and Reaction are equal and opposite.”
The horse pulls (Action) the cart with some force in the forward direction and the cart applies equal force on the cart in the backward direction (Reaction). These two forces balance each other. When the horse pushes the ground with its feet in the backward direction with force P along OP it gets reaction R due to ground along OR in the upward direction.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 2
This force of reaction can be resolved into two rectangular components.
1. Vertical component ‘V’ which balances the weight mg of the horse and cart in the downward direction.
The horizontal component ‘H’ which helps to move the cart in the forward direction. The force of friction between wheels and ground acts in the backward direction but the horizontal component ‘H’ acts in the forward direction is more than the backward force of friction, it succeeds to move the cart forward.

Question 6.
Explain why is it difficult for a fireman to hold a hose, which ejects large amount of water at a high velocity?
Answer:
Water is ejected from rubber hose in forward direction with a force (action), it exerts an equal reaction on the hose in backward direction. Due to backward reaction, fire man finds it difficult to hold the hose.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion

Question 7.
From a rifle of mass 4 kg, a bullet df> mass 50 g is fired with an initial velocity of 35 m s-1. Calculate the recoil velocity of the rifle.
Solution:
Mass of the bullet (m1) = 50 g = 0.05 kg
Mass of the rifle (m2) = 4 kg
Initial velocity of the bullet (u1) = 0
Initial velocity of the rifle (u2) = 0
Final velocity of the bullet (υ1) = 35 m s-1
Final velocity of the rifle (υ2) = ?
According to the law of conservation of momentum,
Total initial momentum of bullet and rifle = Total final momentum of the bullet and rifle.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 3
∴ Negative sign indicates that the rifle moves in a direction opposite to the direction of motion of the bullet.

Question 8.
Two objects of masses 100 g and 200 g are moving along the same line and direction with velocities of 2 ms-1 and 1ms-1 respectively. They collide and after the collision, the first object moves with a velocity of 1.67 m s-1. Determine the velocity of the second object.
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 4
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 5
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 9 Force and Laws of Motion 6

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

Hindi Guide for Class 9 PSEB मैंने कहा, पेड़ Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
पेड़ आँधी-पानी में भी किस तरह से अपनी जगह खड़ा है?
उत्तर:
पेंड आँधी-पानी में भी अपनी जगह मिट्टी के कारण खड़ा है जिसमें उसकी जड़ें दूर-दूर तक फैली हुई हैं। मिट्टी उन्हें जकड़ कर पेड़ को स्थिरता और मज़बूती प्रदान करती है। मिट्टी पेड़ को जल और पोषण भी देती है।

प्रश्न 2.
सूरज, चाँद, मेघ और ऋतुओं के क्या-क्या कार्य-कलाप हैं?
उत्तर:
सूरज धरती को प्रकाश और गर्मी प्रदान करता है जिनके कारण पेड़-पौधे अन्य सभी प्राणी अपना-अपना जीवन सुख से बिता सकते हैं। सूर्य ही जीवन का वास्तविक आधार है। चाँद स्वयं घटता-बढ़ता है और धरती को रात्रि के समय हल्का उजाला देता है और ज्वार-भाटा का कारण बनता है। मेघ (बादल) वर्षा लाते हैं। वे ही जीवन के आधार जल को सबके लिए धरती पर बरसाते हैं। पेड़-पौधे तक अन्य सभी प्राणी उन्हीं से जीवन प्राप्त करते हैं। ऋतुएँ बदलबदल कर धरती को भिन्न-भिन्न गर्म-सर्द आदि वातावरण प्रदान करती हैं जो जीवन के लिए आवश्यक होती हैं।

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प्रश्न 3.
पेड़ में सहनशक्ति के अतिरिक्त और कौन-कौन से गुण हैं?
उत्तर:
पेड़ में सहनशक्ति के अतिरिक्त अत्यंत मज़बूती, लंबी आयु, विपरीत परिस्थितियों का आसानी से सामना करने की क्षमता, समझदारी, दूरदृष्टि और कृतज्ञता प्रकट करने के गुण हैं।

प्रश्न 4.
पेड़ के बढ़ने और जड़ों के धरती में समाने का क्या संबंध है?
उत्तर:
पेड़ के बढ़ने और जड़ों के धरती में समाने का आपस में गहरा संबंध है। जैसे-जैसे पेड़ की जड़ें धरती में बढ़ती जाती हैं; फैलती जाती हैं वैसे-वैसे पेड़ की ऊँचाई और फैलावट भी बढ़ती जाती है क्योंकि जड़ें ही उसे पोषण देती हैं और वे ही उसे स्थिरता प्रदान करती हैं।

प्रश्न 5.
पेड़ मिट्टी के अतिरिक्त और किस-किस को श्रेय देता है?
उत्तर:
पेड़ मिट्टी के अतिरिक्त सूर्य, चंद्रमा, बादलों और ऋतुओं को श्रेय देता है।

प्रश्न 6.
पेड़ ने क्या सीख प्राप्त की है?
उत्तर:
पेड़ ने सीख प्राप्त की है कि ‘जो मरण-धर्मा हैं वे ही जीवनदायी हैं।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1.
सूरज उगता-डूबता है, चाँद मरता-छीजता है
ऋतुएँ बदलती हैं, मेघ उमड़ता-पसीजता है,
और तुम सब सहते हुए
सन्तुलित शान्त धीर रहते हुए
विनम्र हरियाली से ढंके, पर भीतर ठोठ कठैठ खड़े हो।
उत्तर:
कवि कहता है कि उसने पेड़ से पूछा कि अरे पेड़, तुम इतने बड़े हो, इतने सख्त और मज़बूत हो। पता नहीं कि कितने सौ बरसों से खड़े हो। तुम ने सैंकड़ों वर्ष की आँधी-तूफ़ान, पानी को अपने ऊपर झेला है पर फिर भी अपनी जगह पर सिर ऊँचा करके वहीं रुके हुए हो। प्रातः सूर्य निकलता है और शाम को फिर डूब जाता है। रात के

प्रश्न 2.
काँपा पेड़, मर्मरित पत्तियाँ
बोली मानो, नहीं, नहीं, नहीं, झूठा
श्रेय मुझे मत दो !
मैं तो बार-बार झुकता, गिरता, उखड़ता
या कि सूखा दूंठा हो के टूट जाता,
श्रेय है तो मेरे पैरों-तले इस मिट्टी को
जिसमें न जाने कहाँ मेरी जड़ें खोयी हैं
उत्तर:
जैसे ही कवि ने सैंकड़ों वर्ष पुराने, मज़बूत और हरे-भरे पेड़ की प्रशंसा की वैसे ही पेड़ काँपा और उसकी हरी-भरी पत्तियाँ मर्मर ध्वनि करती हुई मानो बोल पड़ीं। उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं। मेरी लंबी आयु और मज़बूती का झूठा यश मुझे मत दो। मैं कब का नष्ट हो चुका होता। मैं तो बार-बार झुकता, गिरता, उखड़ कर नष्ट होता या सूख कर पूरी तरह ढूंठ बन कर टूट चुका होता। पर ऐसा हुआ नहीं- इसका श्रेय तो मेरे पैरों के नीचे की उस मिट्टी को है जिसमें मेरी जड़ें खोयी हुई हैं; न जाने कहाँ-कहाँ तक वे दूर तक फैली हुई हैं। मैं तो उन्हीं की आशा में उतना ही ऊपर उठा जितनी दूरी तक मेरी जड़ें नीचे मिट्टी में समायी हुई हैं; फैली हुई हैं। पेड़ ने कहा कि उसकी मज़बूती और हरे-भरेपन का कोई श्रेय उसको नहीं है। इसका श्रेय तो केवल उस नामहीन मिट्टी को है जिसमें वह उगा था; अब खड़ा हुआ है।

(ख) भाषा-बोध

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1. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए

शब्द – वर्ण-विच्छेद
पेड़ – ———–
चाँद – ———–
मेघ – ———–
मिट्टी – ———–
सूरज – ———–
ऋतुएँ – ———–
पत्तियाँ – ———–
जीवनदायी – ———–
उत्तर:
शब्द – वर्ण-विच्छेद
पेड़ – प् + ए + डू + अ
चाँद – च् + आ + द् + अ
मेघ – म् + ऐ + घ् + अ
मिट्टी – म् + इ + ट् + ट् + ई
सूरज – स् + ऊ + र् + अ + ज् + अ
ऋतुएँ – ऋ + त् + उ + एँ
पत्तियाँ – प् + अ + त् + त् + इ + य् + आं
जीवनदायी – ज् + ई + व् + अ + न् + अ + द् + आ + य् + ई।

2. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
मिट्टी – ———–
सूरज – ———–
सिर – ———–
पानी – ———–
चाँद – ———–
पत्ता – ———–
सीख – ———–
सूखा – ———–
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
मिट्टी – मृतिका
सूरज – सूर्य
सिर – शिरः (शिरस्)
पानी – वारि
चाँद – चंद्र
पत्ता – पत्र
सीख – शिक्ष
सूखा – शुष्क।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
‘पेड़ लगाओ’ इस विषय पर चार्ट पर स्लोगन लिखकर कक्षा में लगाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
प्रत्येक विद्यार्थी अपने जन्म-दिन पर अपने विद्यालय में पौधा लगाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
भिन्न-भिन्न पौधों की जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
‘पेड़ धरा का आभूषण, करता दूर प्रदूषण’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

(घ) ज्ञान-विस्तार

1. भारत का राष्ट्रीय पेड़ बरगद है।

2. एक साल में एक पेड़ इतनी कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेता है जितनी एक कार से 26,000 मील चलने के बाद निकलती है।

3. एक एकड़ में फैला जंगल सालभर में 4 टन ऑक्सीजन छोड़ता है जो 18 लोगों के लिए एक साल की ज़रूरत

4. एक व्यक्ति द्वारा जीवन भर में फैलाए गए प्रदूषण को खत्म करने के लिए 300 पेड़ों की ज़रूरत होती है।

5. 25 फुट लम्बा पेड़ एक घर के सालाना बिजली खर्च को 8 से 12 फीसदी तक कम कर देता है।

6. सबसे चौड़ा पेड़ : दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ 14,400 वर्ग मीटर में फैला है। कोलकाता में आचार्य जगदीशचंद्र बोस बोटेनिकल गार्डन में लगा यह बरगद का पेड़ 250 वर्ष से अधिक समय में इतने बड़े क्षेत्र में फैल गया है। दूर से देखने में यह अकेला बरगद का पेड़ एक जंगल की तरह नज़र आता है। दरअसल बरगद के पेड़ की शाखाओं से जटाएँ पानी की तालाश में नीचे ज़मीन की ओर बढ़ती हैं। ये बाद में जड़ के रूप में पेड़ को पानी और सहारा देने लगती हैं। फिलहाल इस बरगद की 2800 से अधिक जटाएँ जड़ का रूप ले चुकी हैं।

PSEB 9th Class Hindi Guide मैंने कहा, पेड़ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘अज्ञेय’ का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

प्रश्न 2.
पाठ्यक्रम में संकलित अज्ञेय के द्वारा रचित कविता का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘मैंने कहा, पेड़’।

प्रश्न 3. ‘मैंने कहा, पेड़’ नामक कविता में वर्णित पेड़ आयु में कितना बड़ा था?
उत्तर:
सौ वर्ष से अधिक।

प्रश्न 4.
कवि ने पेड़ से क्या प्रश्न किया था?
उत्तर:
कवि ने पेड़ से प्रश्न किया था कि वह कितने ही सौ बरसों से अधिक आयु का था। सब तरह की कठोर प्राकृतिक कठिनाइयों को झेलने के बाद भी वह बाहर से हरा-भरा और भीतर से इतना कठोर कैसे था?

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

प्रश्न 5.
पेड़ ने किसे श्रेय देने से कवि को रोका था?
उत्तर:
पेड ने कवि को उसे (पेड़ को) श्रेय देने से रोका था।

प्रश्न 6.
पेड़ ने अपने जीवन के लिए मुख्य रूप से श्रेय किसे और क्यों दिया था?
उत्तर:
पेड ने अपने जीवन के लिए मिट्टी को मुख्य रूप से श्रेय दिया था क्योंकि उसकी जड़ों को मिट्टी ने मज़बूती से जकड़ रखा था । दूर-दूर तक फैली उसकी जड़ें यदि मिट्टी में मजबूती से जकड़ी हुई न होती तो वह धूप में सूख जाता या आंधियों के वेग से उखड़ जाता। वह अब तक ढूँठ में बदल चुका होता।

प्रश्न 7.
पेड़ को बाहर से किसने ढका हुआ था?
उत्तर:
पेड़ को बाहर से ‘विनम्र हरियाली’ ने ढका हुआ था।

प्रश्न 8.
पेड़ ने उस मिट्टी को कौन-सा विशेषण दिया था जिसमें उसकी जड़ें दबी हुई थी?
उत्तर:
पेड़ ने उस मिट्टी को ‘नामहीन’ विशेषण दिया था।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दें

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

प्रश्न 1.
‘मैंने कहा, पेड़’ किस कवि की रचना है?
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की।

प्रश्न 2.
कौन उगता-डूबता है?
उत्तर:
सूरज।

प्रश्न 3.
कवि ने मरता-छीजता किसे बताया है?
उत्तर:
चाँद को।

प्रश्न 4.
पेड़ अपनी मज़बूती का श्रेय किसे देता है?
उत्तर:
उस नामहीन मिट्टी को, जिसमें उसकी जड़ें दबी हुई हैं।

प्रश्न 5.
‘जो मरण-धर्मा हैं वे ही जीवनदायी हैं’ कथन किसका है?
उत्तर:
पेड़ का।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
पेड़ न जाने कितने सौ बरसों से सिर ऊँचा किए खड़ा है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
ऋतुएँ बदलती नहीं हैं, मेघ उमड़ता-पसीजता नहीं है।
उत्तर:
नहीं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
पेड़ संतुलित, शांत, धीर रहता है।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
विनम्र हरियाली से ढका होने पर भी पेड़ भीतर से खोखला है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
या कि………. दूंठ हो के ……. जाता।
उत्तर:
या कि सूखा दूंठ हो के टूट जाता।

प्रश्न 11.
जो …………. हैं वे ही ……. हैं।
उत्तर:
जो मरणधर्मा हैं वे ही जीवनदायी हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

प्रश्न 12.
पेड़ की आयु कितने वर्षों से अधिक है
(क) दस
(ख) बीस
(ग) पचास
(घ) सौ।
उत्तर:
(घ) सौ।

प्रश्न 13.
‘कठैठ’ का अर्थ है
(क) खोखला
(ख) मज़बूत
(ग) लकड़ी का
(घ) लट्ठ।
उत्तर:
(ख) मज़बूत।

प्रश्न 14.
पेड़ के काँपने पर पत्तियों की क्या दशा थी?
(क) हर्षित
(ख) हरियाली
(ग) मर्मरित
(घ) फड़फड़ाती।
उत्तर:
(ग) मर्मरित।

प्रश्न 15.
मेघ क्या करता है?
(क) उगता-डूबता है
(ख) मरता-छीजता है
(ग) शांत-धीर है
(घ) उमड़ता-पसीजता है।
उत्तर:
(घ) उमड़ता-पसीजता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

मेने कहा, पेड़ सप्रसंग व्याख्या

1. मैंने कहा, “पेड़, तुम इतने बड़े हो,
इतने कड़े हो,
न जाने कितने सौ बरसों के आँधी-पानी में
सिर ऊँचा किये अपनी जगह अड़े हो।
सूरज उगता-डूबता है, चाँद मरता-छीजता है
ऋतुएँ बदलती हैं, मेघ उमड़ता-पसीजता है,
और तुम सब सहते हुए
सन्तुलित शान्त धीर रहते हुए
विनम्र हरियाली से ढंके, पर भीतर ठोठ कठैठ खड़े हो।

शब्दार्थ:
कड़ा = सख्त, कठोर। अड़े = रुके हुए। बरसों = वर्षों, सालों। छीजता = नष्ट होता। मेघ = बादल। पसीजता = दया भाव उमड़ता। सहते = झेलते। सन्तुलित = समान भाव वाला। धीर = शांत स्वभाव वाला। विनम्र = विनीत। ठोठ = ठेठ, निरा, बिना बिगड़े हुए। कठैठ = सख्त, मज़बूत।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अज्ञेय के द्वारा रचित कविता ‘मैंने कहा, पेड़’ से ली गई हैं। कवि किसी मज़बूत और बहुत बड़े पेड़ को देख कर उसकी मज़बूती के बारे में जानना चाहता है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि उसने पेड़ से पूछा कि अरे पेड़, तुम इतने बड़े हो, इतने सख्त और मज़बूत हो। पता नहीं कि कितने सौ बरसों से खड़े हो। तुम ने सैंकड़ों वर्ष की आँधी-तूफ़ान, पानी को अपने ऊपर झेला है पर फिर भी अपनी जगह पर सिर ऊँचा करके वहीं रुके हुए हो। प्रातः सूर्य निकलता है और शाम को फिर डूब जाता है। रात के

समय चाँद निकलता है-वह कभी नष्ट होता है तो कभी उसका आकार कम होता है। लगातार ऋतुएँ बदलती रहती हैं। कभी आकाश में बादल उमड़-घुमड़ कर आ जाते हैं और कभी वे बरसने के बाद अपना दया-भाव प्रकट कर देते हैं। ऋतुएँ आती हैं; अपने रंग दिखा कर चली जाती हैं लेकिन तुम उन सबको अपने ऊपर सह लेते हो। विपरीत स्थितियों को तुम अत्यंत धैर्य से शांत रह कर झेल लेते हो। तुम अपने आपको विनीत और धैर्यवान बन कर हरे-भरे पत्तों रूपी हरियाली से ढके रहते हो, लेकिन भीतर से मज़बूत हो; कठोर हो।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ की कठोरता और सहनशीलता की प्रशंसा की है।
  2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है जिसमें तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों का सहज-स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है।
  3. मुक्त छंद है।

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2. काँपा पेड़, मर्मरित पत्तियाँ
बोली मानो, नहीं, नहीं, नहीं, झूठा
श्रेय मुझे मत दो !
मैं तो बार-बार झुकता, गिरता, उखड़ता
या कि सूखा दूंठ हो के टूट जाता,
श्रेय है तो मेरे पैरों-तले इस मिट्टी को
जिसमें न जाने कहाँ मेरी जड़ें खोयी हैं :
ऊपर उठा हूँ. उतना ही आश
में जितना कि मेरी जड़ें नीचे दूर धरती में समायी हैं।
श्रेय कुछ मेरा नहीं, जो है इस नामहीन मिट्टी का।

शब्दार्थ:
मर्मरित = मर्मर ध्वनि करता हुआ ; हल्की आवाज़ करता हुआ। श्रेय = यश। दूंठ = पेड़ का बचा हुआ हिस्सा ; सूखा हुआ पेड़। पैरों-तले = पैरों के नीचे। आश = उम्मीद । नामहीन = नाम के बिना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अज्ञेय के द्वारा रचित कविता ‘मैंने कहा, पेड़’ से ली गई हैं। कवि ने पेड़ की मज़बूती और धैर्य की प्रशंसा की थी लेकिन पेड़ अपना बड़प्पन दिखाते हुए इसका श्रेय उस मिट्टी को देता है जिसमें उसकी जड़ें दबी हुई हैं।

व्याख्या:
जैसे ही कवि ने सैंकड़ों वर्ष पुराने, मज़बूत और हरे-भरे पेड़ की प्रशंसा की वैसे ही पेड़ काँपा और उसकी हरी-भरी पत्तियाँ मर्मर ध्वनि करती हुई मानो बोल पड़ीं। उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं। मेरी लंबी आयु और मज़बूती का झूठा यश मुझे मत दो। मैं कब का नष्ट हो चुका होता। मैं तो बार-बार झुकता, गिरता, उखड़ कर नष्ट होता या सूख कर पूरी तरह ढूंठ बन कर टूट चुका होता। पर ऐसा हुआ नहीं- इसका श्रेय तो मेरे पैरों के नीचे की उस मिट्टी को है जिसमें मेरी जड़ें खोयी हुई हैं; न जाने कहाँ-कहाँ तक वे दूर तक फैली हुई हैं। मैं तो उन्हीं की आशा में उतना ही ऊपर उठा जितनी दूरी तक मेरी जड़ें नीचे मिट्टी में समायी हुई हैं; फैली हुई हैं। पेड़ ने कहा कि उसकी मज़बूती और हरे-भरेपन का कोई श्रेय उसको नहीं है। इसका श्रेय तो केवल उस नामहीन मिट्टी को है जिसमें वह उगा था; अब खड़ा हुआ है।

विशेष:

  1. पेड़ ने अपनी लम्बाई-ऊँचाई और मज़बूती का श्रेय उस मिट्टी को प्रदान किया है जिसमें उसकी जड़ें धंसी हुई हैं।
  2. खड़ी बोली का प्रयोग है।
  3. तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुक्त छंद है।

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3. और, हाँ, इन सब उगने-डूबने, भरने-छीजने,
बदलने, गलने, पसीजने,
बनने-मिटने वालों का भी;
शतियों से मैंने बस एक सीख पायी है;
जो मरण-धर्मा हैं वे ही जीवनदायी हैं।”

शब्दार्थ:
छीजने = नष्ट होना। पसीजने = दया भाव उमड़ना। शतियों = सैंकड़ों वर्षों। सीख = शिक्षा। मरणधर्मा = नष्ट होने वाले। जीवनदायी = जीवन देने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘मैंने कहा, पेड़’ नामक कविता से ली गई हैं जिसके रचयिता अज्ञेय जी हैं। कवि ने पेड़ से जब पूछा था कि उसकी मज़बूती और लंबी आयु का कारण क्या था तो पेड ने इसका श्रेय मिट्टी को दिया था जिसमें उसकी जड़ें दूर-दूर तक फैली हुई थीं। उसने प्रकृति को भी अपने होने का कारण माना था।

व्याख्या:
पेड़ कवि से कहता है कि मिट्टी के अतिरिक्त उन सब को भी श्रेय देता है जिनके कारण वह लंबी आयु और सुदृढ़ता प्राप्त कर पाया था। वह सूर्य को भी यश देता है जो सुबह होते ही उगता है; उसे धूप के रूप में प्रकाश और गर्मी देता है और फिर सांझ होते ही डूब जाता है। वह चंद्रमा को भी श्रेय देता है जो रात्रि के अंधकार में कभी मरता है तो कभी छीजता है। वह सभी ऋतुओं को भी श्रेय देता है जो लगातार बदलती रहती है; बादल उमड़ते-घुमड़ते हुए आते हैं और अपनी दया के कारण पानी बरसाते हैं। वह उन बनने-मिटने वाले बादलों की देन को स्वीकार करता है। पेड़ कहता है कि मैंने अपने पिछले सैंकड़ों वर्षों से यही एक शिक्षा प्राप्त की है कि जो मरण-धर्मा है, वे ही सच्चे जीवन देने वाले हैं। वे आते हैं, दूसरों का भला करते हैं और चले जाते हैं। उन्हीं के कारण अन्य जीवन के सुखों को प्राप्त करते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने पेड़ के माध्यम से जीवन के सुखों का कारण प्रस्तुत किया है। प्रकृति ही प्राणियों के लिए वास्तविक सुखों की आधार है।
  2. तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज प्रयोग किया जाता है।
  3. छंद मुक्त रचना है जिसमें लय नहीं है।

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मेने कहा, पेड़ Summary

अज्ञेय कवि-परिचय

जीवन-परिचय:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ हिंदी-साहित्य के प्रसिद्ध कवि, कथाकार, ललित निबंधकार, संपादक और सफल अध्यापक के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। आप हिंदी-साहित्य के प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रवर्तक माने जाते हैं। आपका जन्म 7 मार्च, सन् 1911 ई० में देवरिया जिले में स्थित कुशीनगर (कसया पुरातत्व खुदाई शिविर) में हुआ था। आपके पिता पंडित हीरानंद शास्त्री पुरातत्व विभाग में थे और स्थान-स्थान पर घूमते रहते थे। इनका बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर में हुई थी। इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इन्होंने लाहौर से सन् 1929 में बीएस०सी० की परीक्षा पास की थी और फिर अंग्रेजी विषय में एम०ए० करने के लिए प्रवेश लिया था लेकिन क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण इनकी पढ़ाई बीच में छूट गई थी। इन्हें सन् 1936 तक अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी थी। ‘चिंता’ और ‘शेखर : एक जीवनी’ नामक पुस्तकों को इन्होंने जेल में लिखा था। इन्होंने जापानी हाइफू कविताओं का अनुवाद किया था। साहित्यकार होने के साथ-साथ यह अच्छे फ़ोटोग्राफर और पर्यटक भी थे।

अज्ञेय ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से लेकर जोधपुर विश्वविद्यालय तक पढ़ाया था। यह ‘दिनमान’ और ‘नवभारत टाइम्स’ के संपादक भी रहे थे। इन्हें सन् 1964 में ‘आंगन के पार द्वार’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार और ‘कितनी नावों में कितनी बार’ पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इनका देहांत 4 अप्रैल, सन् 1987 में हो गया था।

रचनाएँ:
अज्ञेय ने अपने जीवन में निम्नलिखित रचनाओं को रचा था-

काव्य:
‘भग्नदूत’, ‘चिन्ता’, ‘इत्यलम्’, ‘हरी घास पर क्षण-भर’, ‘बावरा अहेरी’, ‘इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये’, ‘अरी ओ करुणा प्रभामय’, ‘आँगन के पार द्वार’, ‘पूर्वी’, ‘सुनहरे शैवाल’, ‘कितनी नावों में कितनी बार’, ‘क्योंकि मैं उसे पहचानता हूँ’, ‘सागर मुद्रा’, ‘सन्नाटा बुनता हूँ।

नाटक : ‘उत्तर प्रियदर्शी’।

कहानी संग्रह : ‘विपथगा’, ‘परम्परा’, ‘ये तेरे प्रतिरूप’, ‘कोठरी की बात’, ‘शरणार्थी’, ‘जिज्ञासा और अन्य कहानियाँ।

उपन्यास : शेखर एक जीवनी’ (दो भागों में), ‘नदी के द्वीप’, ‘अपने-अपने अजनबी’।

भ्रमण : वृत्त-‘अरे यायावर रहेगा याद’, ‘एक बूंद सहसा उछली’ ।

निबन्ध : संग्रह-‘त्रिशंकु ‘, ‘सबरंग’, ‘आत्मनेपद’, ‘हिंदी साहित्यः एक आधुनिक परिदृश्य सब रंग और ‘कुछ राग आलवाल’ ।

अनुदित:
श्रीकांत’, (शरत्चंद्र का उपन्यास), टू इज़ हिज़ स्ट्रेंजर (अपने-अपने अजनबी)।

विशेषताएँ:
अज्ञेय ने अपने साहित्य में विश्व भर की पीड़ा को समेटने का प्रयत्न किया था। वे अहंवादी नहीं थे। उन्होंने प्रेम और विद्रोह को एक साथ प्रस्तुत करने की कोशिश की थी। वे मानते थे कि प्रेम ऐसे पेड़ के रूप में है जो जितना ऊपर उठता है उतनी ही उसकी गहरी जड़ें ज़मीन में धंसती जाती हैं। उन्होंने छोटी-छोटी कविताओं के द्वारा जीवन की गहरी बातों को प्रकट करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने साहित्य में गरीब लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट की थी। उनकी कविता में प्रकृति के सुंदर रंगों की शोभा विद्यमान है। इनके साहित्य में परिवार, समाज, जीवन मूल्यों की गिरावट, राजनीतिक पैंतरेबाजी, जीवन की विषमता आदि को स्थान दिया गया है।

लेखक की भाषा अनगढ़ नहीं है पर वह इतनी सहज है कि बोझिल महसूस नहीं होती। इनकी कविता में लोक शब्दों का प्रयोग हुआ है। इसमें प्रवाहात्मकता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 5 मैंने कहा, पेड़

मेने कहा, पेड़ कविता का सार

‘मैंने कहा, पेड़’ नामक कविता में पेड़ की सहनशीलता और मज़बूती को प्रकट किया गया है। पेड़ तरह-तरह की मुसीबतें झेलता है पर फिर भी शांत खड़ा रहता है। कवि ने पेड़ की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वह बहुत बड़ा है। वह मज़बूत भी बहुत है। न जाने कितने सैंकड़ों वर्ष से वह अपनी जगह पर खड़ा है। तरह-तरह की ऋतुएँ उस पर अपना प्रभाव दिखाती हैं। गर्मी-सर्दी-वर्षा सब उस पर अपने रंग दिखाती हैं पर फिर भी वह उनसे अप्रभावित ही बना रहता है। यह सुनकर पेड़ की पत्तियाँ कांपती हुई बोली कि ऐसा नहीं है। मुझे इस मज़बूती का श्रेय मत दो। मैं गिरता, झुकता, उखड़ता और अब तक तो मैं ढूँठ बन कर टूट गया होता। मेरे इस प्रकार खड़े रहने का श्रेय तो मेरे नीचे की मिट्टी को है जिस में मेरी जड़ें धंसी हुई हैं। मैं जितना ऊँचा उठा हुआ हूँ उतनी ही गहराई में मेरी जड़ें समायी हुई हैं। श्रेय तो केवल इस मिट्टी को ही है। अपने सैंकड़ों वर्ष लंबे जीवन में मैंने बस इतना ही सीखा है कि जो मरण-धर्मा हैं वे ही जीवनदायी हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

Hindi Guide for Class 9 PSEB झाँसी की रानी की समाधि पर Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
समाधि में छिपी राख की ढेरी किसकी है?
उत्तर:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की है। राख की ढेरी समाधि में छिपी हुई है।

प्रश्न 2.
किस महान् लक्ष्य के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया?
उत्तर:
अंग्रेजों से देश में स्वतंत्र कराने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया था।

प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने ‘मरदानी’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई को ‘मरदानी’ इसलिए कहा है क्योंकि मर्दो के समान शत्रु से युद्ध किया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 4.
रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का क्या बढ़ जाता है?
उत्तर:
रण में वीरगति को प्राप्त करने पर वीर का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 5.
कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि क्यों प्रिय है?
उत्तर:
कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि इसलिए प्रिय है क्योंकि इससे उसे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। वैसे भी सोने से अधिक सोने की भस्म कीमती होती है। उसी प्रकार रानी से अधिक उसकी समाधि मूल्य वाली है।

प्रश्न 6.
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि का ही गुणगान कवि क्यों करते हैं?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि का ही गुणगान कवि इसलिए करते हैं क्योंकि इसकी कहानी चिरस्थाई है जो कभी मिट नहीं सकती। उन्हें रानी के प्रति आदर, स्नेह और श्रद्धा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :

प्रश्न 1.
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी॥
सहे वार पर वार अन्त तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी॥
उत्तर:
कवयित्री लिखती है कि इसी स्थान के आस-पास वे एक टूटी हुई विजय की माला के समान बिखर गई थी अर्थात् यहीं उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियाँ उसी समाधि में एकत्र करके रखी गई हैं। यह उनकी याद की स्थली है। उन्होंने शत्रुओं के वार पर वार अंत समय तक सहन किए थे। वे एक वीरांगना के समान लड़ी थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति के समान गिर कर चिता पर चढ़ गईं और एक ज्वाला के समान चमक उठीं।

प्रश्न 2.
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से॥
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी॥
उत्तर:
कवयित्री कहती है कि जब कोई वीर युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान दे देता है तो उसका आदर-सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है जैसे सोने की भस्म सोने से भी अधिक कीमती होती है। इसलिए कवयित्री को अब रानी से भी अधिक रानी की यह समाधि प्यारी है क्योंकि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा रूपी चिंगारी छिपी हुई है।

प्रश्न 3.
इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते॥
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी॥
उत्तर:
कवयित्री के अनुसार इस समाधि से सुंदर समाधियाँ हमें इस संसार में मिलती हैं। उनके संबंध में जो भी कथा होगी उसे आधी रात को तुच्छ जीव ही गाते हैं। परन्तु कवियों की अमर वाणी में इस झाँसी की रानी की समाधि की तो कभी भी न गिरने वाली अमर कहानी कही जाती है जिसे वीर अपने स्वर में अत्यंत श्रद्धा और स्नेहपूर्वक गाते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन बहुवचन

एकवचन – बहुवचन
रानी – रानियाँ
समाधि – ————
ढेरी – ————
प्यारी – ————
चिनगारी – ————
कहानी – ————
माला – ————
शाला – ————
चिता – ————
ज्वाला – ————
बाला – ————
गाथा – ————
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
रानी – रानियाँ
समाधि – समाधियाँ
ढेरी – ढेरियाँ
प्यारी – प्यारियाँ
चिनगारी – चिनगारियाँ
कहानी – कहानियाँ
माला – मालाएँ
शाला – शालाएँ
चिता – चिताएँ
ज्वाला – ज्वालाएँ
बाला – बालाएँ
गाथा – गाथाएँ

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

2. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

अशुद्ध – शुद्ध
सुतंत्रता – स्वतंत्रता
लघू – ————
भगन – ————
मुल्यवती – ————
कशुद्र – ————
श्रधा – ————
आरति – ————
स्थलि – ————
आहूति – ————
भसम – ————
कवीयों – ————
जंतू – ————
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
सुतंत्रता – स्वतंत्रता
लघू – लघु
भगन – भग्न
मुल्यवती – मूल्यवती
कशुद्र – कशुद्र
श्रधा – श्रद्धा
आरति – आरती
स्थलि – स्थली
आहूति – आहुति
भसम – भस्म
कवीयों – कवियों
जंतू – जंतु

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(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
रानी लक्ष्मीबाई की पूरी जीवनी पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
रानी लक्ष्मीबाई के अतिरिक्त दर्गाभाभी (क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा की धर्मपत्नी), झलकारी बाई, सनीति चौधरी, सुहासिनी गांगुली, विमल प्रतिभा देवी (भारत नौजवान सभा, बंगाल शाखा की अध्यक्ष) आदि की जीवनियों के बारे में पुस्तकों/इंटरनेट से जानकारी ग्रहण करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता सेनानियों से सम्बन्धित डाक टिकटों/सिक्कों अथवा चित्रों का संग्रह करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 4.
पंजाब के अमर शहीदों जैसे लाला लाजपतराय, भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, मदनलाल ढींगरा आदि के बारे में पढ़ें व इनके जीवन से देशभक्ति की प्रेरणा लें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
झाँसी की आधिकारिक वेबसाइट (www. jhansi.nic.in) पर झाँसी/रानी झाँसी से सम्बन्धित दुर्लभ चित्रों का अवलोकन करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(घ) ज्ञान-विस्तार

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

1. झाँसी : झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। यह उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह शहर बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है।

2. झाँसी के दर्शनीय स्थल : झाँसी-किला, रानी-महल, झाँसी-संग्रहालय, महालक्ष्मी मंदिर, गणेश-मंदिर व गंगाधर राव की छतरी।

3. रानी लक्ष्मीबाई :
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर, सन् 1828 ई० को काशी (बाद में बनारस और अब वाराणसी) के भदैनी नगर में हुआ। लक्ष्मीबाई की जन्म तिथि के बारे में इतिहासकारों/विद्वानों की एक राय नहीं है। कुछ विद्वान् इनका जन्म 19 नवम्बर, सन् 1835 को मानते हैं। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था। लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था किन्तु सभी इसे प्यार से मनु कहते थे। मनु का विवाह झाँसी के महाराज गंगाधर राव से हुआ था। विवाह के बाद मनु का नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। इस तरह मनु झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गई। सन् 1851 को रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया किन्तु कुछ ही महीने बाद गंभीर रूप से बीमार होने पर इस बालक की चार महीने की उम्र में ही मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् महाराज बीमार रहने लगे और उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया। इस बालक का नाम दामोदर राव रखा गया। किन्तु महाराज का स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था अत: कहते हैं कि पुत्र गोद लेने के दूसरे ही दिन महाराज की भी मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने गोद लिए हुए पुत्र को राजा मानने से इन्कार कर दिया। वे झाँसी को अपने अधीन करना चाहते थे किन्तु रानी ने अंग्रेजों को घोषणा की कि मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी। तत्पश्चात् रानी और अंग्रेज़ों में भयंकर युद्ध हुआ और 18 जून, सन् 1858 को रानी अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। (कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि रानी 17 जून, सन् 1858 को शहीद हुई थीं अतः जन्म तिथि की ही भाँति इनकी शहादत की तिथि पर भी मतभेद है।)

4. रानी लक्ष्मीबाई पर डाक टिकट :
भारत सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई पर वर्ष 1957 को पंद्रह पैसे का एक डाक टिकट जारी किया। इसके बाद वर्ष 1988 को भारत सरकार ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के प्रमुख सेनानियों के लिखे नामों (रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, नाना साहब, मंगल पांडे, बहादुर शाह ज़फर) का डाक टिकट जारी किया जिसमें रानी लक्ष्मीबाई का नाम सबसे ऊपर दर्ज है।

5. झलकारी बाई :
रानी लक्ष्मीबाई की सेना की महिला शाखा ‘दुर्गा दल’ की सेनापति थी-झलकारी बाई। इसकी वीरता के किस्से भी झाँसी में प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि रानी की हमशक्ल होने के कारण इसने कई बार अंग्रेज़ों को धोखा दिया। मैथिलीशरण गुप्त ने झलकारी बाई की बहादुरी पर लिखा है

“जाकर रण में ललकारी थी, वह तो झाँसी की झलकारी थी
गोरों से लड़ना सिखा गई, है इतिहास में झलक रही
वह तो भारत की ही नारी थी।”
भारत सरकार ने 22 जुलाई, सन् 2001 को झलकारी बाई का चार रुपए का डाक टिकट जारी किया।

6. बुदेलखंड :
बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। यूं तो बुंदेलखंड क्षेत्र दो राज्यों-उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में विभाजित है परन्तु भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़ा है। रीतिरिवाजों, भाषा और विवाह सम्बन्धों के कारण इसकी एकता और भी मज़बूत हुई है। बुंदेली इस क्षेत्र की बोली है। इतिहासकारों के अनुसार बुंदेलखंड में 300 ई० पूर्व मौर्य शासन काल के साक्ष्य उपलब्ध हैं। इसके बाद वाकाटक शासन, गुप्त, कलचुरी, चंदेल, बुंदेल शासन, मराठा शासन और अंग्रेज़ों का शासन रहा।

7. बुंदेले हरबोले : बुंदेले हरबोले बुंदेलखंड की एक जाति विशेष है। इस जाति के लोग राजा-महाराजाओं के यश का गुणगान करने के लिए जाने जाते हैं।

8. बुंदेलखंड की अमर विभूतियाँ विशिष्ट व्यक्तित्व

  • आल्ह-ऊदल : आल्ह और ऊदल ये दो भाई थे। ये बुंदेलखंड (महोबा) के वीर योद्धा थे। इनकी वीरता की कहानी उत्तर भारत में गायी जाती है।
  • कवि पद्माकर : रीतिकालीन कवि।
  • रानी लक्ष्मीबाई : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अमर सेनानी।
  • मैथिलीशरण गुप्त : राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के देदीप्यमान नक्षत्र हैं। इनका जन्म झाँसी (उत्तर प्रदेश) के चिरगांव में हुआ।
  • डॉ० हरिसिंह गौर : डॉ० हरिसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षा शास्त्री, ख्याति प्राप्त विधिवेत्ता, समाज सुधारक, साहित्यकार, महान् दानी व देशभक्त थे। ये दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के उपकुलपति भी रहे हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

PSEB 9th Class Hindi Guide झाँसी की रानी की समाधि पर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका ने समाधि में किस के छिपे होने की बात कही है?
उत्तर:
लेखिका ने समाधि में राख की एक ढेरी के दबे होने की बात कही है। वह राख झाँसी की रानी की मृतक देह की है। रानी ने सारे देश में स्वतंत्रता की प्राप्ति की आग सुलझा दी थी।

प्रश्न 2.
रानी का देहांत कहाँ हुआ था और कैसे?
उत्तर:
रानी का देहांत उनकी समाधि के आस-पास ही किसी जगह पर हुआ था। वह अंग्रेजों से युद्ध लड़ते हुए विजय की माला के समान वहाँ बिखर गई थी। उसने अपने शरीर पर शत्रु की तलवारों के अनेक वार झेले थे और अंत में आहुति की तरह वहीं चिता पर भस्म हो गई थी।

प्रश्न 3.
वीरों का मान किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
वीरों का मान युद्ध भूमि में अपना जीवन देश के लिए अर्पित कर देने से बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य कैसा होता है?
उत्तर:
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य सोने की भस्म से भी अधिक होता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

प्रश्न 5.
कवि के अनुसार अब हमें रानी की समाधि कैसी लगती है और क्यों?
उत्तर:
कवि के अनुसार अब हमें रानी की समाधि रानी से भी अधिक प्यारी लगती है क्योंकि उसमें हमारे देश की स्वतंत्रता की चिंगारी छिपी हुई है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में वीर देशभक्तों की बानी कैसे गाई जाती है?
उत्तर:
हमारे देश में वीर देशभक्तों की बानी अत्यंत स्नेह और श्रद्धा से गाई जाती हैं।

प्रश्न 7.
कवयित्री ने झाँसी की रानी की कहानी किससे सुनी थी?
उत्तर:
कवयित्री ने झाँसी की रानी की कहानी बुंदेल हरबोलों के मुख से सुनी थी।

प्रश्न 8.
कवयित्री ने ‘मरदानी’ किसे कहा है?
उत्तर:
कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई को ‘मरदानी’ कहा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ कविता किस के द्वारा रचित है?
उत्तर:
सुभद्राकुमारी चौहान।

प्रश्न 2.
‘झाँसी की रानी’ का क्या नाम था?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई।

प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने क्या कहकर संबोधित किया है?
उत्तर:
लक्ष्मी मरदानी।

प्रश्न 4.
वीर का मान कब बढ़ जाता है?
उत्तर:
जब वह रणभूमि में शहीद हो जाता है।

प्रश्न 5.
कवयित्री ने किनके मुख से झाँसी की रानी की कहानी सुनी थी?
उत्तर:
बुंदेलों के।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बलिदानी वीरों की राख का मूल्य सोने की भस्म से भी अधिक होता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
रानी से भी अधिक हमें अब यह समाधि है प्यारी।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
रानी लक्ष्मीबाई ने अंत तक वार नहीं सहे थे।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
रानी लक्ष्मीबाई के फूल इस समाधि में संचित हैं।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
यहाँ ….. है ….. की, ……. की चिनगारी।
उत्तर:
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।

प्रश्न 11.
स्नेह और ……… से गाती है, …….. की बानी।
उत्तर:
स्नेह और श्रद्धा से गाती है, वीरों की बानी।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
रानी लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की दिव्य आरती कैसे फेरी थी-
(क) जलकर
(ख) चलकर
(ग) गाकर
(घ) तपकर।
उत्तर:
(क) जलकर।

प्रश्न 13.
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को कवयित्री ने कौन-सी स्थली बताया है?
(क) क्रीड़ा
(ख) लीला
(ग) जीवन
(घ) संघर्ष।
उत्तर:
(ख) लीला।

प्रश्न 14.
रानी लक्ष्मीबाई चिता पर आहुति-सी गिरकर कैसी चमकी?
(क) चिंगारी-सी
(ख) ज्वाला-सी
(ग) बिजली-सी
(घ) चाँदनी-सी।
उत्तर:
(ख) ज्वाला-सी।

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प्रश्न 15.
कवियों की ‘गिरा’ में रानी की समाधि की कैसी कहानी है?
(क) अमर
(ख) अनाम
(ग) अमिट
(घ) अनंत।
उत्तर:
(ग) अमिटी

झाँसी की रानी की समाधि पर सप्रसंग व्याख्या

1. इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जलकर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी॥
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की॥

शब्दार्थ:
समाधि = किसी की चिता पर बनाए जाने वाले स्मारक। दिव्य = अलौकिक। लघु = छोटी-सी। अंतिम = आखिरी। लीला-स्थली = कार्य करने का स्थान। मरदानी = मर्दो जैसी।

प्रसंग:
यह काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को स्मरण किया है।

व्याख्या:
कवयित्री का मानना है कि इस झाँसी की रानी की समाधि में एक राख की ऐसी ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जलकर स्वतंत्रता की अलौकिक आरती फेरी थी। यह समाधि, यह जो छोटी-सी समाधि है, वह झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके युद्ध क्षेत्र का अंतिम स्थान है, यह उस मों जैसी लक्ष्मीबाई की समाधि है।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के बलिदान से देश में स्वतंत्रता प्राप्त करने की लहर उत्पन्न हो गई थी।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

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2. यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी॥
सहे वार पर वार अन्त तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी॥

शब्दार्थ:
भग्न = टूटी हुई। विजय-माला = जीत की माला। फूल = अस्थियाँ। संचित = एकत्र किए हुए, जमा। स्मृति = याद। बाला = युवती। ज्वाला = आग की लपट।

प्रसंग;
प्रस्तुत काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री लिखती है कि इसी स्थान के आस-पास वे एक टूटी हुई विजय की माला के समान बिखर गई थी अर्थात् यहीं उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियाँ उसी समाधि में एकत्र करके रखी गई हैं। यह उनकी याद की स्थली है। उन्होंने शत्रुओं के वार पर वार अंत समय तक सहन किए थे। वे एक वीरांगना के समान लड़ी थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति के समान गिर कर चिता पर चढ़ गईं और एक ज्वाला के समान चमक उठीं।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के अंतिम समय तक शत्रुओं से युद्ध कर आत्म-बलिदान देने का वर्णन है।
  2. भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण है। अनुप्रास तथा उपमा अलंकार है।

3. बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से॥
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी॥

शब्दार्थ:
मान = सम्मान, आदर। रण = युद्ध । मूल्यवती = कीमती। यथा = जैसे। निहित = छिपी हुई।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री कहती है कि जब कोई वीर युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान दे देता है तो उसका आदर-सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है जैसे सोने की भस्म सोने से भी अधिक कीमती होती है। इसलिए कवयित्री को अब रानी से भी अधिक रानी की यह समाधि प्यारी है क्योंकि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा रूपी चिंगारी छिपी हुई है।

विशेष:

  1. कवयित्री को इस समाधि से भविष्य में स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
  2. भाषा भावपूर्ण सरस तथा सरल है। उदाहरण अलंकार है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

4. इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते॥
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी॥

शब्दार्थ:
जग = संसार। गाथा = कथा, कहानी। निशीथ = आधी रात। क्षुद्र = तुच्छ, छोटे। गिरा = बाणी। अमिट = कभी न मिटने वाली।।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री के अनुसार इस समाधि से सुंदर समाधियाँ हमें इस संसार में मिलती हैं। उनके संबंध में जो भी कथा होगी उसे आधी रात को तुच्छ जीव ही गाते हैं। परन्तु कवियों की अमर वाणी में इस झाँसी की रानी की समाधि की तो कभी भी न गिरने वाली अमर कहानी कही जाती है जिसे वीर अपने स्वर में अत्यंत श्रद्धा और स्नेहपूर्वक गाते हैं।

विशेष:

  1. झाँसी की रानी के बलिदान की अमर गाथा कवि और वीर आज भी श्रद्धापूर्वक गाते हैं।
  2. भाषा सरल, सरस, भावपूर्ण है।

5. बुंदेले हर बोलों के मुख, हमने सुनी कहानी।
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी॥
यह समाधि यह चिर समाधि है, झाँसी की रानी की।
अन्तिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।

शब्दार्थ:
बुंदेले = बुंदेलखंड के। हर बोलों = चारण, भाट, यशगान गाने वाले। चिर = सदा रहने वाली, स्थाई।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ से ली गई हैं। इसमें कवयित्री ने झाँसी की रानी के बलिदान के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं।

व्याख्या:
कवयित्री कहती है कि हमने बुंदेलखंड के यशोगान करने वालों के मुख से यह कहानी सुनी है कि वह मरदानी खूब डट कर लड़ी थी, वह झाँसी वाली रानी थी। यह उनकी लंबे समय तक बनी रहने वाली समाधि है। यह झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके अंतिम युद्ध क्षेत्र की स्थली है। लक्ष्मीबाई वास्तव में ही मरदानी वीरांगना थीं। .

विशेष:

  1. रानी लक्ष्मीबाई का वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए बलिदान देना उनकी इस समाधि के रूप में सदा स्मरण रहेगा।
  2. भाषा सरल, सहज भावपूर्ण है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

झाँसी की रानी की समाधि पर Summary

झाँसी की रानी की समाधि पर कवि-परिचय

जीवन-परिचय:
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1904 ई० की नागपंचमी के दिन प्रयाग में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म सन् 1905 ई० में मानते हैं। इनके पिता का नाम ठाकुर राम नाथ सिंह था। इनकी शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हुई थी। जब ये आठवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तब इनका विवाह स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण सिंह से हो गया था। स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भाग लेने के कारण इन्हें भी कई बार जेल जाना पड़ा था। इनका समग्र जीवन संघर्षमय रहा था। सन् 1948 ई० की बसंत पंचमी के दिन इनका निधन हो गया था।

रचनाएँ:
इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ हैं। इनकी ‘झाँसी की रानी’ कविता भाषा, भाव, छंद की दृष्टि से सुप्रसिद्ध वीर गीत है। इनकी अन्य प्रसिद्ध कविताएँ ‘वीरों का कैसा हो वसंत’, ‘राखी की चुनौती’, ‘जलियाँवाला बाग में बसंत’ आदि हैं। इन्होंने अनेक यथार्थवादी मार्मिक कहानियाँ भी लिखी हैं।

विशेषताएँ:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं में राष्ट्रप्रेम, वीरों के प्रति श्रद्धा, तत्कालीन परिस्थितियों का यथार्थ अंकन प्राप्त होता है। उनकी मान्यता थी कि “परीक्षाएँ जब मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को क्षत-विक्षत कर डालती हैं, तब उनमें उत्तीर्ण होने-न-होने का कोई मूल्य नहीं रह जाता।” उनके मन का गंभीर, ममता-सजल और वीरभाव है वह उनकी कविताओं में झलकता है। जीवन के प्रति ममता भरा विश्वास ही उनके काव्य का प्राण माना जाता है

“सुख भरे सुनहले बादल, रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास प्रेम साहस है, जीवन के साथी मेरे।”

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 4 झाँसी की रानी की समाधि पर

झाँसी की रानी की समाधि पर कविता का सार

‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ कविता में कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अंग्रेज़ी सेना के साथ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में युद्ध करते हुए अपने प्राणों का आहुति देने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है। उनके अनुसार इस समाधि में एक ऐसी राख की ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जल कर भारत की स्वतंत्रता की चिंगारी को भड़काया था। इसी स्थल पर युद्ध करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस प्रकार युद्ध क्षेत्र में अपने प्राणों का बलिदान देने से वीरों का आदर-सत्कार बढ़ जाता है। इसलिए अब हमें रानी से भी अधिक उनकी समाधि प्रिय है क्योंकि यह हमें भविष्य में स्वतंत्रता दिलाने की आशा दिलाती है। संसार. में इससे भी सुंदर समाधियाँ होंगी परन्तु कवियों ने अपनी वाणी से इस समाधि की अमर गाथा गाई है। कवयित्री ने बुंदेलखंड के यशोगान गायकों से झाँसी की रानी की मर्यों के समान युद्ध करने की गाथा सुनी थी। यह उसी रानी की सदा रहने वाली समाधि है जो उनके युद्ध क्षेत्र का अंतिम स्थल था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 कर्मवीर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 3 कर्मवीर

Hindi Guide for Class 9 PSEB कर्मवीर Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
जीवन में बाधाओं को देखकर वीर पुरुष क्या करते हैं ?
उत्तर:
जीवन में बाधाओं को देखकर वीर पुरुष घबराते नहीं हैं, बल्कि कठिन से कठिन काम भी कर लेते हैं।

प्रश्न 2.
कठिन से कठिन काम के प्रति कर्मवीर व्यक्ति का दृष्टिकोण कैसा होता है ?
उत्तर:
कठिन से कठिन कार्य करते हुए भी कर्मवीर व्यक्ति उकताते अथवा तंग नहीं होते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

प्रश्न 3.
सच्चे कर्मवीर व्यक्ति समय का सदुपयोग किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर:
सच्चे कर्मवीर आज का काम आज कर के समय का सदुपयोग करते हैं, वे व्यर्थ की बातों में अपना समय नहीं गवाते हैं।

प्रश्न 4.
मुश्किल काम कर के वे दूसरों के लिए क्या बन जाते हैं ?
उत्तर:
मुश्किल काम कर के वे दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
कवि ने कर्मवीर व्यक्ति के कौन-कौन से गुण इस कविता में बताए गए हैं ?
उत्तर:
कवि ने कर्मवीर व्यक्ति को परिश्रमी, निडर, समय पर काम करने वाला, कठिन से कठिन स्थिति का सामना करने वाला तथा अपनी सहायता स्वयं कर के सफल होने वाला बताया है।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1.
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।
उत्तर:
कवि कर्मशील व्यक्तियों के गुणों का वर्णन करते हुए लिखता है कि कर्मशील लोग आज जो कार्य करना है उसे आज ही करते हैं, वे जो कुछ सोचते हैं उसे करके भी दिखाते हैं । वे सदा सब की सुनते हैं और मानते भी हैं। वे इस संसार में अपनी सहायता स्वयं करते हैं। वे भूले से भी किसी दूसरे की सहायता नहीं लेते। ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वे कर नहीं सकते अर्थात् वे सभी कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं।
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।।
उत्तर:
कवि का कथन है कि कर्मशील व्यक्ति अपना समय व्यर्थ में गंवाते नहीं हैं। वे काम करने के स्थान पर केवल बातें नहीं बनाते हैं। वे अपना दिन आज-कल अथवा टाल-मटोल के व्यतीत नहीं करते हैं। वे मेहनत करने से कभी भी इन्कार नहीं करते हैं। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो वे नहीं कर सकते, वे तो स्वयं ही कार्य करके दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं।

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(ख) भाषा-बोध

‘क’ (संस्कृत भाषा के शब्द) – ‘ख’ (हिंदी भाषा के शब्द)
कर्म – काम
मुख – मुँह

उपर्युक्त ‘क’ भाग में ‘कर्म’ और ‘मुख’ शब्द संस्कृत भाषा के शब्द हैं। इनका हिंदी भाषा में भी ज्यों का त्यों प्रयोग होता है। इन शब्दों को ‘तत्सम’ शब्द कहते हैं। तत् + सम अर्थात् इसके समान। ‘इसके समान’ से अभिप्राय है-‘स्रोत भाषा के समान’। हिंदी की ‘स्रोत भाषा’ संस्कृत है, अत: जो शब्द संस्कृत भाषा से हिंदी में ज्यों के त्यों अर्थात् बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं उन्हें तत्सम’ शब्द कहते हैं। जैसे : कर्म, मुख।

उपर्युक्त ‘ख’ भाग में ‘कर्म’ के लिए ‘काम’ और ‘मुख’ के लिए ‘मुँह’ शब्दों का प्रयोग किया गया है। ये शब्द (काम, मुँह) संस्कृत से हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आए हैं। इन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। तद् + भव अर्थात् ‘उससे होने वाले’ से अभिप्राय है-संस्कृत भाषा से विकसित होने वाले। अतः ‘वे’ संस्कृत शब्द जो हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आते हैं-उन्हें ‘तद्भव’ शब्द कहते हैं। जैसे-काम, मुँह।

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1. पाठ में आए निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
भाग – ——-
आठ – ——–
पहर – ———-
आग – ———
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
भाग – अंश
आठ – अष्ट
पहर – प्रहर
आग – अग्नि।

2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
1. एक ही आन में – तुरंत, शीघ्र ही —————–
2. फूलना फलना – सम्पन्न होना —————–
3. मुँह ताकना – दूसरों पर निर्भर रहना —————
4. बातें बनाना – गप्पें मारना ——————-
5. जी चुराना – काम से बचना ——————
6. नमूना बनना – आदर्श/उदाहरण बनना ———————–
7. कलेजा काँपना- भय से विचलित होना, दिल दहल जाना —————–

उत्तर:
1. एक ही आन में – तुरंत, शीघ्र ही
वाक्य – सिमरन एक ही आन में चाय बनाकर ले आई।

2. फूलना फलना – सम्पन्न होना
वाक्य – राम का कारोबार आजकल खूब फल-फूल रहा है।
वाक्य

3. मुँह ताकना – दूसरों पर निर्भर रहना
वाक्य – अपना काम स्वयं करना चाहिए न कि किसी का मुँह ताकते रहना चाहिए।

4. बातें बनाना – गप्पें मारना
वाक्य – नरेन्द्र कुछ करता तो है नहीं बस वह बातें बनाना जानता है।

5. जी चुराना – काम से बचना
वाक्य – मुकेश सदा काम से जी चुराता रहता है।

6. नमूना बनना – आदर्श/उदाहरण बनना
वाक्य – हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पूरे देश के लिए सादगी के नमूना थे।

7. कलेजा काँपना – भय से विचलित होना, दिल दहल जाना
वाक्य – नाग को देखते ही मेरा कलेजा काँपने लगा था।

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(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
आपके अंदर कौन-सी ऐसी खूबियाँ हैं जो आपको दूसरों से अलग करती हैं ? उनकी सूची बनाइए। इन खूबियों को पुष्ट करते रहें तथा जीवन में इनसे कभी न डगमगाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपके अंदर क्या कमियाँ हैं ? उनकी सूची बनाइए और अपने अध्यापकों/अभिभावकों/बड़ों की मदद से उन्हें दूर करने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अपनी दिनचर्या स्वयं बनाएँ जिसमें पढ़ने, खेलने/व्यायाम करने, खाने-पीने और सोने का समय निश्चित हो। (नोट : दिनचर्या बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दिनचर्या कठोर न होकर लचीली हो) छुट्टी वाले दिन/दिनों की विशेष दिनचर्या बनाएँ जिसमें पढ़ने के अधिक घंटे हों। लाल बहादुर शास्त्री तथा अब्दुल कलाम जैसे सच्चे कर्मवीर एवं दृढ़ संकल्पशील नेताओं की जीवनियाँ पढ़ें एवं उनसे प्रेरणा लें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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(घ) ज्ञान-विस्तार

गीता में कर्मयोग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कर्मठ व्यक्ति के लिए यह योग अधिक उपयुक्त है। गीता में स्वयं श्रीकृष्ण कहते हैं-

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूमा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। 2-47॥

अर्थात् तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फल में कभी नहीं। इसलिए कर्मों के फल में तेरी वासना (इच्छा) न हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो। अतः कर्मयोग हमें सिखाता है कि कर्म के लिए कर्म करो, आसक्तिरहित होकर कर्म करो। कर्मयोगी इसलिए कर्म करता है कि कर्म करना उसे अच्छा लगता है और उसके परे उसका कोई हेतु नहीं है। कर्मयोगी कर्म का त्याग नहीं करता, वह केवल कर्मफल का त्याग करता है और कर्मजनित दुःखों से मुक्त हो जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Guide कर्मवीर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
कर्मवीर किस से कभी नहीं घबराते ?
उत्तर:
कर्मवीर जीवन की राह में आने वाली तरह-तरह की बाधाओं को देख कर कभी नहीं घबराते।

प्रश्न 2.
कर्मवीर को कभी भी पछताना क्यों नहीं पड़ता ?
उत्तर:
कर्मवीर कभी किसी काम में दूसरों के भरोसे पर नहीं रहते। वे अपना काम स्वयं करते हैं। इसलिए उन्हें कभी भी पछताना नहीं पड़ता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

प्रश्न 3.
कर्मवीर किससे कभी नहीं डरते ?
उत्तर:
कर्मवीर कठिन से कठिन काम स्वयं परिश्रमपूर्वक करते हैं और काम की अधिकता से कभी नहीं डरते।

प्रश्न 4.
कर्मवीर को अपने परिश्रम का क्या फल प्राप्त होता है?
उत्तर:
कर्मवीर अपने परिश्रम से बुरे दिनों को भी अच्छे दिनों में बदल देते हैं। वह हर स्थिति में फलते-फूलते रहते हैं; सुख प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 5.
कर्मवीर की काम करने की क्षमता क्यों अधिक प्रतीत होती है?
उत्तर:
कर्मवीर कभी भी आज का काम कल पर नहीं डालते। वे आज का काम आज ही पूरा करते हैं। वे जो सोचते हैं उसे पूरा करते हैं। वे सबकी बात सुनते हैं उसे मानते हैं और दूसरों की सदा सहायता करते हैं। वे सहायता के लिए दूसरों का सहारा नहीं लेते। कोई भी तो ऐसा काम नहीं जिसे वे न कर सकते हों। वे अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाते।

प्रश्न 6.
कर्मवीर किस-किस प्रकार के कष्टों को झेलते हुए कर्म करते रहते हैं?
उत्तर:
कर्मवीर कठोर परिश्रम करते हैं। वे सब प्रकार की भीषण से भीषण समस्याओं का सामना करते हुए परिश्रम में जुटे रहते हैं। वे आकाश को छूते ऊँचे-दुर्गम पर्वतों के शिखरों को भी डटकर पार कर जाते हैं। वे घने जंगलों, गरजते समुद्रों और दहकती लपटों का भी सामना करने में भी डरते नहीं। वे कर्म की राह में आने वाली सभी बाधाओं के पार निकल जाने की हिम्मत रखते हैं।

प्रश्न 7.
‘कर्मवीर’ कविता के आधार पर कर्मवीरों की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के द्वारा रचित कविता ‘कर्मवीर’ के आधार पर कर्मवीरों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं.
1. निर्भय – कर्मवीर सदा निडर होते हैं। वे अपनी राह में आने वाली किसी भी स्थिति से टकराने के लिए सदा तैयार रहते हैं। विघ्न-बाधाएँ उनके रास्ते का रोड़ा नहीं बन पाती।
2. आत्मबल से संपन्न – कर्मवीर भाग्य के भरोसे पर नहीं रहते। उनमें अपार आत्मबल होता है। वे अपने भाग्य के भरोसे कभी नहीं रहते। वे किसी भी काम को करते हुए आत्मबल से उससे टकराते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
3. स्थिर बुद्धि – कर्मवीर चंचल स्वभाव के नहीं होते। वे स्थिर बुद्धि होते हैं। उनका ध्यान इधर-उधर व्यर्थ नहीं भटकता। वे अपने इस गुण से अपने बुरे दिनों को भी अच्छा बना लेते हैं।
4. निष्ठावान – कर्मवीर निष्ठावान होते हैं। वे आज का काम कल पर नहीं डालते। वे जो सोच लेते हैं उसे पूरा करते हैं। वे दूसरों से सहायता लेने की इच्छा कभी नहीं करते।
5. विश्वास से भरे हुए – कर्मवीर स्वयं पर विश्वास करते हैं। वे सब की बात सुनते हैं और अपने आत्मिक बल से उसे पूरा करने की योग्यता रखते हैं। वे दूसरों की सहायता से अपना काम नहीं करते बल्कि अपनी शक्ति से उसे संपन्न करते हैं।
6. कर्मठ – वे अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाते। वे कभी भी परिश्रम से जी नहीं चुराते। अपनी कर्मठता से वे सबके आदर्श बन जाते हैं।
7. धैर्यवान – कर्मवीर अपार धैर्यवान होते हैं। ऊँचे पर्वत, गहरे सागर, दहकती अग्नि, डरावने जंगल आदि भी उनका रास्ता नहीं रोक पाते। वे हर स्थिति में उन पर विजय प्राप्त कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘कर्मवीर’ कविता किस कवि के द्वारा रचित है ?
उत्तर:
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’।

प्रश्न 2.
कर्मवीर किस से कभी नहीं घबराते ?
उत्तर:
जीवन में आने वाली बाधाओं से।

प्रश्न 3.
भाग्य के भरोसे कौन नहीं रहते हैं ?
उत्तर:
कर्मवीर।

प्रश्न 4.
‘व्योम’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
आकाश।

प्रश्न 5.
मुश्किल काम करके कर्मवीर दूसरों के लिए क्या बन जाते हैं ?
उत्तर:
आदर्श बन जाते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
हो गए एक आन में उनके भले दिन भी बुरे।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी ताकते नहीं।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
आजकल करते हुए जो दिन गंवाते हैं।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
आग की …….. फैली ……. में लपट।
उत्तर:
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट।

प्रश्न 11.
जो …………. करते हैं ……….. इस जगत में आप ही।
उत्तर:
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें-

प्रश्न 12.
कठिन काम को देखकर कर्मवीर क्या नहीं करते-
(क) घबराते
(ख) पछताते
(ग) उकताते
(घ) शर्माते।
उत्तर:
(ग) पछताते।

प्रश्न 13.
कर्मवीरों के एक आन में दिन कैसे हो जाते हैं
(क) बुरे
(ख) भले
(ग) गर्म
(घ) सर्द।
उत्तर:
(ख) भले।

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प्रश्न 14.
कर्मवीर की मदद कौन करता है-
(क) पड़ोसी
(ख) शासन
(ग) स्वयं
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) स्वयं।

प्रश्न 15.
कर्मवीर समय का क्या करते हैं
(क) सदुपयोग
(ख) दुरुपयोग
(ग) व्यर्थ गंवाना
(घ) सोते रहना।
उत्तर:
(क) सदुपयोग।

कर्मवीर सप्रसंग व्याख्या

1. देख कर बाधा विविध, बहु विज घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उबताते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।

शब्दार्थ:
बाधा = रुकावट, संकट। विविध = अनेक प्रकार की। बहु = बहुत। विज = बाधा। भाग = भाग्य। उबताते = उकताना, तंग आना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘कर्मवीर’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
इन पंक्तियों में कवि कर्मशील व्यक्तियों की विशेषताओं का वर्णन करते हुए लिखता है कि कर्मशील व्यक्ति अपने मार्ग में आने वाली अनेक प्रकार की रुकावटों और बहुत सारे विघ्नों को देखकर घबराते नहीं हैं। वे भाग्य के भरोसे रहकर दुःख भोगते हुए पछताते नहीं हैं। उन्हें चाहे कितना भी कठिन कार्य करना पड़े वे वह कार्य करते हुए तंग नहीं होते। वे भीड़ में फंस कर चंचल बन कर अपनी वीरता नहीं दिखलाते हैं। उनकी मेहनत से उनके बुरे दिन भी भले दिन बन जाते हैं। वे सभी स्थानों तथा सभी समय में सदा प्रसन्न तथा सुखी दिखाई देते हैं।

विशेष:

  1. कर्मशील व्यक्ति अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं से कभी नहीं घबराते तथा कठिन-से-कठिन कार्य करके सदा प्रसन्न दिखाई देते हैं।
  2. भाषा तत्सम, तद्भव शब्दों से युक्त भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

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2. आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।

शब्दार्थ:
कही = कहना, बात। मदद = सहायता। मुँह ताकना = किसी की मदद लेना।

प्रसंग:
यह पद्यांश अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘कर्मवार’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने कर्मशील व्यक्तियों की विशेषताओं का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कर्मशील व्यक्तियों के गुणों का वर्णन करते हुए लिखता है कि कर्मशील लोग आज जो कार्य करना है उसे आज ही करते हैं, वे जो कुछ सोचते हैं उसे करके भी दिखाते हैं । वे सदा सब की सुनते हैं और मानते भी हैं। वे इस संसार में अपनी सहायता स्वयं करते हैं। वे भूले से भी किसी दूसरे की सहायता नहीं लेते। ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वे कर नहीं सकते अर्थात् वे सभी कार्य कर सकते हैं।

विशेष:

  1. कर्मशील व्यक्ति किसी काम को टालते नहीं तथा जो कहते हैं कर के दिखाते हैं। वे अपनी सहायता स्वयं करते हैं तथा सभी कार्य कर सकते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण तथा मुहावरे से युक्त है।

3. जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।

शब्दार्थ:
यल = प्रयत्न, कोशिश, मेहनत। नमूना = उदाहरण, आदर्श, मिसाल।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘कर्मवीर’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने कर्मशील व्यक्तियों के गुणों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि का कथन है कि कर्मशील व्यक्ति अपना समय व्यर्थ में गंवाते नहीं हैं। वे काम करने के स्थान पर केवल बातें नहीं बनाते हैं। वे अपना दिन आज-कल अथवा टाल-मटोल के व्यतीत नहीं करते हैं। वे मेहनत करने से कभी भी इन्कार नहीं करते हैं। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो वे नहीं कर सकते, वे तो स्वयं ही कार्य करके दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं।

विशेष:

  1. कर्मशील व्यक्ति केवल बातें ही नहीं बनाते बल्कि काम करके दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण, मुहावरों से युक्त तथा अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

4. व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर
गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कँपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

शब्दार्थ:
व्योम = आकाश। दुर्गम = कठिन, जहाँ जाना मुश्किल हो। शिखर = चोटी। तम = अंधेरा। आठों पहर = हर समय। भयदायिनी = डर पैदा करने वाली। नाकाम = असफल।

प्रसंग:
यह काव्यांश अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘कर्मवीर’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कर्मशील व्यक्तियों के गुणों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कर्मशील लोगों की विशेषताओं का वर्णन करते हुए लिखता है कि कर्मशील व्यक्ति अपने परिश्रम से आकाश की ऊँचाइयों को छू लेते हैं। वे पर्वतों की कठिन चोटियों पर भी चढ़ जाते हैं। वे उन घने जंगलों को भी पार कर जाते हैं जहाँ हर समय अंधेरा रहता है। गर्जना करते हुए सागर की ऊँची-ऊँची लहरों तथा आग की भय पैदा करने वाली चारों दिशाओं में फैली लपटों का भी वे सामना कर सकते हैं। इनसे उनका हृदय कभी भी काँपता नहीं है। वे भूल से भी कभी असफल नहीं होते हैं।

विशेष:

  1. कर्मशील व्यक्ति हर कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहता है तथा किसी भी दशा में घबराता नहीं है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

कर्मवीर Summary

कर्मवीर कवि-परिचय

जीवन परिचय:
द्विवेदी युग के सबसे बड़े कवि श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म 15 अप्रैल, सन् 1865 ई० में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के निज़ामाबाद नामक कस्बे में हुआ। इनके वंश में गुरुदयाल उपाध्याय ने सिक्ख धर्म में दीक्षा ले ली थी इसी कारण ब्राह्मण होकर भी उपाध्याय वंश के लड़के अपने नाम के साथ सिंह लगाने लगे। अयोध्या सिंह जी के पिता का नाम भोला सिंह उपाध्याय तथा माता का नाम रुक्मिणी देवी था। मिडिल की परीक्षा पास करके आप निज़ामाबाद के तहसीली स्कूल में अध्यापक नियुक्त हो गए थे। इन्हें बंगला, अंग्रेजी, गुरुमुखी, उर्दू, फ़ारसी एवं संस्कृत का ज्ञान था। सन् 1889 में आप कानूनगो बन गये और 32 वर्ष तक इसी पद पर आसीन रहे। रिटायर होने के बाद पं० मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से आप ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सन् 1941 तक पढ़ाया। 16 मार्च, सन् 1947 को इनका स्वर्गवास हो गया था। इन्हें ‘मंगला प्रसाद’, पुरस्कार प्राप्त हुआ था। साहित्य सम्मेलन ने इन्हें ‘विद्यावाचस्पति’ की उपाधि प्रदान की थी।

रचनाएँ:
उपाध्याय जी ने अपने जीवन काल में लगभग 45 ग्रंथों की रचना की थी। इनमें से प्रमुख काव्य ग्रंथ हैंप्रिय प्रवास, पद्य प्रसून, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, बोलचाल, पारिजात, रस-कलश तथा वैदेही वनवास। ‘प्रिय-प्रवास’ इनका लोकप्रिय महाकाव्य है।

विशेषताएँ:
इनके काव्य में कृष्ण भक्ति की प्रमुखता है। प्रिय-प्रवास’ कृष्ण के वियोग में संतप्त गोपियों की गाथा है। इन्होंने कृष्ण काव्य को राष्ट्र भक्ति तथा समाज सुधार से जोड़ा है। स्वदेश प्रेम तथा कर्म करने की प्रेरणा देना इनकी काव्य की प्रमुख विशेषता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में खड़ी बोली का प्रयोग किया है जिसमें तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग भी देखा जा सकता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

कर्मवीर कविता का सार

‘कर्मवीर’ कविता में ‘हरिऔध’ जी ने कर्मशील व्यक्तियों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया है कि वे कभी भी विघ्न, बाधाओं को देख कर घबरातें नहीं हैं तथा कठिन से कठिन कार्य भी मन लगा कर पूरा करते हैं। अपनी मेहनत से वे अपने बुरे दिनों को भी भला बना लेते हैं। वे कभी भी किसी काम को कल पर टालते हैं। वे जो कुछ सोचते हैं, वही कर के भी दिखाते हैं। वे अपना कार्य स्वयं करते हैं तथा कभी किसी से सहायता नहीं मांगते। वे अपने समय को अमूल्य समझकर व्यर्थ की बातों में गंवाते नहीं हैं। वे न तो काम से जी चुराते हैं और न ही टाल-मटोल करते हैं। वे तो दूसरों के लिए आदर्श हैं। अपनी मेहनत से वे आकाश की ऊँचाइयों को छू लेते हैं तथा दुर्गम पर्वतों की चोटियों को भी जीत लेते हैं। उन्हें घने जंगलों के अंधकार, गर्जते सागर की लहरों, आग की लपटों आदि भी विचलित नहीं करती तथा वे सदा अपने कार्यों में सफल रहते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 सूरदास के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 2 सूरदास के पद

Hindi Guide for Class 9 PSEB सूरदास के पद Textbook Questions and Answers

(क) विषय बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
यशोदा श्री कृष्ण को किस प्रकार सुला रही है?
उत्तर:
यशोदा श्रीकृष्ण को पालने में झूला झूलाते हुए, दुलारते हुए, पुचकारते हुए तथा कुछ गाते हुए सुला रही है।

प्रश्न 2.
यशोदा श्रीकृष्ण को दूर क्यों नहीं खेलने जाने देती है?
उत्तर:
यशोदा श्रीकृष्ण को दूर खेलने इसलिए नहीं जाने देती कि कहीं किसी की गाय उन्हें मार न दे।

प्रश्न 3.
यशोदा श्रीकृष्ण को दूध पीने के लिए क्या प्रलोभन देती है ?
उत्तर:
यशोदा श्री कृष्ण को कहती है कि यदि वे दूध पी लेंगे तो उनकी चोटी भी बलराम की चोटी के समान लंबी-मोटी हो जाएगी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

प्रश्न 4.
श्री कृष्ण यशोदा से क्या खाने की माँग करते हैं ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण यशोदा से खाने के लिए माखन-रोटी की माँग करते हैं।

प्रश्न 5.
अंतिम पद में श्रीकृष्ण अपनी माँ से क्या हठ कर रहे हैं ?
उत्तर:
अंतिम पद में श्रीकृष्ण अपनी माँ से गाय चराने जाने की हठ कर रहे हैं। वे अपने हाथों से तोड़ कर फल खाना चाहते हैं।

2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1.
मैया कबहुं बढ़ेगी चोटी।
किती बेर मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूं है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यों, हवै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुईं लोटी।
काचो दूध पियावति पचि पचि, देति न माखन रोटी।।
सूरदास चिरजीवौ दोउ भैया, हरि हलधर की जोटी ।।
उत्तर:
भक्त सूरदास श्रीकृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि-बालक कृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि-माँ मेरी यह चोटी कब बड़ी होगी? दूध पीते हुए मुझे कितना समय हो गया है, लेकिन यह अभी भी वैसी के वैसी छोटी है। माँ तुम तो कहती हो कि मेरी ये चोटी बलराम भैया की चोटी की भाँति मोटी और लंबी हो जाएगी। इसे निकालते हुए, (कंघी करते हुए) गुंथते और नहाते हुए यह नागिन की भाँति धरती पर लोटने लगेगी। अपनी माँ से शिकायत करते हुए वे कहते हैं कि हे मैया ! तुम बार-बार मुझे कच्चा दूध पीने के लिए देती हो, लेकिन माखन रोटी खाने के लिए नहीं देती हो। पद के अंत में भक्त सूरदास कहते हैं कि बलराम और कृष्ण की यह जोड़ी सदा के लिए बनी रहे।

प्रश्न 2.
आजु मैं गाइ चरावन जैहौं।
बृन्दावन के भांति भांति फल अपने कर मैं खेहौँ ।।
ऐसी बात कहौ जनि बारे, देखौ अपनी भांति।
तनक तनक पग चलिहौ कैसें, आवत वै है. अंति राति।
प्रात जात गैया लै चारन घर आवत हैं सांझ।
तुम्हारे कमल बदन कुम्हिलैहे, रेंगति घामहि मांझ।
तेरी सौं मोहिं घाम न लागत, भुख नहीं कछु नेक।
सूरदास प्रभु कयौ न मानत, पर्यो आपनी टेक।।
उत्तर:
सूरदास जी कहते हैं कि बाल कृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते हैं कि वे आज गाय चराने जाएंगे। इस प्रकार वे वृंदावन के अनेक प्रकार के फल भी अपने हाथ से तोड़ कर खाएँगे। इस पर माता यशोदा उन्हें मना करते हुए कहती हैं कि ऐसी बात मत करो ज़रा अपने को देखो कि तुम अपने छोटे-छोटे कदमों से किस प्रकार चलोगे क्योंकि आते हुए बहुत रात हो जाएगी। सुबह-सुबह गायों को चराने ले जाते हैं तो संध्या के समय घर आते हैं। तुम्हारा कमल जैसा कोमल मुख धूप में भटकने से मुरझा जाएगा। इस पर बाल कृष्ण कहते हैं कि हे माँ ! तुम्हारी कसम मुझे धूप नहीं लगती है और कुछ विशेष भूख भी नहीं है। सूरदास जी कहते हैं कि प्रभु बाल कृष्ण अपनी माता का कहना नहीं मानते और अपनी ज़िद्द अड़े हुए है कि उन्हें गाय चराने जाना है।

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(ख) भाषा-बोध

1.नीचे दिए गए सूरदास के पदों में प्रयुक्त ब्रज भाषा के शब्दों के लिए खड़ी बोली हिंदी के शब्द लिखिए

प्रश्न 1.
ब्रज भाषा – खड़ी बोली
के शब्द – हिंदी के शब्द
कुछ – कुछ
तोको – …………………..
कबहुँक – …………………..
किति – …………………..
अरु – …………………..
निंदरिया – …………………..
कान्ह – …………………..
इहिं – …………………..
भुई – …………………..
तुम्हरे – …………………..
उत्तर:
ब्रज भाषा – खड़ी बोली
के शब्द – हिंदी के शब्द
कछु – कुछ
तोको – तुमको
कबहुँक – कभी
किति – कितनी
अरु – और
निंदरिया – नींद
कान्ह – कृष्ण
इहिं – यहाँ
भुई – भूमि
तुम्हरे – तुम्हारे

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2. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए

एकवचन – बहुवचन
पलक – ……………………
नागिन – ……………………
ग्वाला – ……………………
गोपी – ……………………
चोटी – ……………………
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
पलक – पलकें
नागिन – नागिने
ग्वाला – ग्वाले
गोपी – गोपियाँ
चोटी – चोटियाँ
रोटी – रोटियाँ

(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं के चित्र इकट्ठे करके अपनी कॉपी में चिपकाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में जाकर श्रीकृष्ण की बाल-लीला से सम्बन्धित झाँकियों का अवलोकन कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में बच्चों द्वारा श्रीकृष्ण की बाल-लीला से सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उनमें भाग लीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
जन्माष्टमी के अवसर पर रात को श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनाई जाती है। वहाँ जाइए और कथा श्रवण कर रसास्वादन कीजिए अथवा टेलीविज़न/इंटरनेट से श्रीकृष्ण की जन्म-कथा को सुनिए/देखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 5.
आप भी बचपन में दूध आदि किसी पदार्थ को नापसंद करते होंगे। आपके माता-पिता आपको यह पदार्थ खिलाने-पिलाने में कितने लाड-प्यार से यत्न करते होंगे। अपने माता-पिता से पूछिए और लिखिए। उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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(घ) ज्ञान-विस्तार

हिंदी-साहित्य के भक्तिकाल (सन् 1318-1643 तक) की कृष्ण-भक्ति-शाखा के प्रमुख कवि सूरदास माने जाते हैं। इनके अतिरिक्त कृष्णदास, नन्ददास, रसखान जैसे प्रसिद्ध कवियों तथा कवयित्री मीराबाई ने भी श्रीकृष्ण को आधार बनाकर उत्कृष्ट काव्य की रचना की है। श्रीकृष्ण की भक्ति से ओत-प्रोत रसखान के सवैयों को तो विद्वानों ने सचमुच रस की खान ही कहा है। मीराबाई का हिंदी की कवयित्री में अप्रतिम स्थान है। मीरा द्वारा रचित श्रीकृष्ण-भक्ति के सुन्दर और मधुर गीत जगत प्रसिद्ध हैं।

मीरा :
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो !
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, करि किरपा अपणायौ!
जन्म-जन्म की पूँजी पाई, जग में सबै खोवायो!
खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायौ !
सत की नाव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तरि आयो!
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरखि-हरखि जस गायौ!

रसखान :
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मंझारन।।
पाहन हौं तो वही गिरी को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धास।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं नित कलिंदी कूल कदंब की डारन ।।

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PSEB 9th Class Hindi Guide सूरदास के पद Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
यशोदा माता श्री कृष्ण को पालने (झूले) में झुलाती हुई क्या-क्या करती है ?
उत्तर:
यशोदा माता श्री कृष्ण को पालने में झुलाते हुए उन्हें दुलारती है; पुचकारती है। उसके मन में जो कुछ भी आता है वह उसे गाती है। वह नींद को श्री कृष्ण के पास जल्दी-जल्दी आने के लिए बुलाती है।

प्रश्न 2.
यशोदा माता श्री कृष्ण को सुलाते समय अपनी सखियों से किस प्रकार बात करती है ?
उत्तर:
यशोदा माता श्री कृष्ण को सुलाते समय अपनी सखियों से बिना बोले कुछ केवल इशारों से बात करती है; कुछ बातें समझाती है।

प्रश्न 3.
यशोदा माता इशारों से अपनी सखियों को क्या बताती है ?
उत्तर:
यशोदा माता इशारों से अपनी सखियों को बताती है कि कृष्ण अब सोने ही वाले हैं। वह उन्हें सुलाने के बाद उनके के पास आ जाएगी।

प्रश्न 4.
वह कौन-सा सुख था जो ऋषि-मुनियों को न मिल यशोदा माता को ही मिला था ?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने मानव रूप में धरती पर जन्म लिया था। माँ के रूप में उनका पालन-पोषण करने का जो सुख तपस्या करने वाले ऋषि-मुनियों को नहीं मिला था वह यशोदा माता को मिला था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

प्रश्न 5.
यशोदा माता बाल कृष्ण को क्या-क्या नहीं करने के लिए कहती है ?
उत्तर:
यशोदा माता बाल कृष्ण को पुकारते हुए कहती है कि खेलने के लिए घर से दूर न जाए ताकि कहीं किसी की गाय उसे अपने सींग न मार दे।

प्रश्न 6.
श्री कृष्ण की सुंदरता को देखकर गाँव में क्या-क्या प्रतिक्रिया होती है ?
उत्तर:
श्री कृष्ण की सुंदरता को देख कर सभी गोप-गोपियाँ आश्चर्य व्यक्त करते हैं। वे प्रसन्न होते हैं और घरघर में बधाइयाँ दी जाती हैं।

प्रश्न 7.
श्री कृष्ण अपनी माँ से अपनी चोटी की लंबाई से संबंधित क्या शिकायत करते हैं ?
उत्तर:
श्री कृष्ण अपनी माँ से अपनी चोटी की लंबाई से संबंधित शिकायत करते हैं कि उसकी लंबाई छोटी है। वह बलराम की चोटी जैसी लंबी-मोटी नहीं है। वह उसे लंबा करने के लिए कितनी बार दूध पी चुके हैं पर फिर भी बढ़ती ही नहीं।

प्रश्न 8.
यशोदा माता को कृष्ण को गौवें चराने के लिए जाने से क्या-क्या कह कर रोकती हैं ?
उत्तर:
यशोदा माता श्री कृष्ण से कहती है कि वे अभी बहुत छोटे हैं। वे अपने छोटे-छोटे कदमों से जंगल में नहीं जा पाएंगे। गौएं चराने का काम कठिन होता है। सुबह जाकर शाम को घर वापस लौटना होता है। तेज धूप कष्ट देती है। धूप में इधर-उधर भटकने से उनका कमल-सा चेहरा मुरझा जाएगा।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
बालक कृष्ण को सोया हुआ जान कर यशोदा कैसे बातें करती है?
उत्तर:
इशारों से।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

प्रश्न 2.
सोते-सोते जब बालक कृष्ण अकुला उठते हैं तो यशोदा क्या करती है?
उत्तर:
यशोदा मधुर स्वर में गाने लगती है।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण माता यशोदा से किसके बढ़ने के लिए पूछते हैं ?
उत्तर:
अपनी चोटी के।

प्रश्न 4.
गाय चराने कब जाना पड़ता है ?
उत्तर:
प्रात:काल के समय।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 5.
बालक कृष्ण गाय चराने जाने की जिद्द पर अड़े हुए हैं।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 6.
यशोदा बालक कृष्ण को दूर खेलने जाने देती है।
उत्तर:
नहीं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
बालक कृष्ण की चोटी बहुत लम्बी और मोटी है।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 8.
बालक कृष्ण को गाय चराते हुए धूप और भूख नहीं लगती।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 9.
इहिं अंतर ……… उठे हरि, ……. मधुरै गावै।
उत्तर:
इहिं अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।

प्रश्न 10.
काढ़त गुहत ……… जैहै …… सी भुई लोटी।
उत्तर:
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै नागिन सी भुई लोटी।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 11.
यशोदा श्रीकृष्ण को किसमें सुला रही है-
(क) पालने में
(ख) गोद में
(ग) पलंग पर
(घ) कंधे पर।
उत्तर:
(क) पालने में।

प्रश्न 12.
सोते हुए श्रीकृष्ण क्या फड़काते हैं-
(क) पलक
(ख) अधर
(ग) हाथ
(घ) पाँव।
उत्तर:
(ख) अधर।

प्रश्न 13.
हलधर किसे कहा गया है
(क) कृष्ण को
(ख) नंद को
(ग) बलराम को
(घ) ग्वालों को।
उत्तर:
(ग) बलराम को।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

प्रश्न 14.
बालक कृष्ण क्या नहीं खाना-पीना चाहते-
(क) दूध
(ख) माखन
(ग) रोटी
(घ) माखन-रोटी।
उत्तर:
(क) दूध।

प्रश्न 15.
श्रीकृष्ण गाय चराने कहाँ जाना चाहते हैं-
(क) गोवर्धन
(ख) वृंदावन
(ग) कालिंदी तट
(घ) गोकुल।
उत्तर:
(ख) वृंदावन।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

सूरदास के पद सप्रसंग व्याख्या

1. जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछू गावै।
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहै न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोको कान्ह बुलावै।
कबहुँक पलक हरि नूदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन है रहि रहि, करि करि सैन बतावै।
इहिं अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनि पावै॥

शब्दार्थ:
हरि = श्री कृष्ण। पालना = झूला। हलरावै = हिलाती है। मल्हावै = पुचकारती है। निंदरिया = नींद। बेगिहि = शीघ्रता से। तोको = तुझे। अधर = होंठ। मौन = चुप। सैन = संकेत, इशारे। नंद-भामिनि = नन्द की पत्नी, यशोदा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित ‘सूरदास के पद’ से लिया गया है, जिसमें यशोदा माता अपने पुत्र कृष्ण जी को झूले में झुला कर सुलाने का प्रयास कर रही है। कवि ने अत्यन्त मनोहारी ढंग से माता की विभिन्न क्रियाओं को अंकित किया है।

व्याख्या:
सूरदास जी कहते हैं कि यशोदा माता बाल कृष्ण को झूले (पालना) में झुला रही है। वह झूले को हिलाती है, पुत्र को दुलारती है, पुचकारती है और जो कुछ मन में आता है, गाती है। वह गाते हुए कहती है, “ओ री नींद ! तू मेरे लाल के पास आ। तू आकर इसे सुलाती क्यों नहीं है? तुम्हें कब से कन्हैया बुला रहा है।”कृष्ण कभी पलकों को बन्द कर लेते हैं और कभी ओठों को फड़काते हैं। उन्हें सोया हुआ जानकार यशोदा चुप हो जाती है और दूसरों को इशारे से ही कुछ बातें समझाती है। इसी बीच कृष्ण अकुला उठते हैं और यशोदा फिर से मधुर स्वर में गाने लगती है। सूरदास कहते हैं कि नंद की पत्नी यशोदा को जो सुख प्राप्त हो रहा है, वह देवता और मुनियों को भी प्राप्त नहीं होता।

विशेष:

  1. सूर ने अन्धे होते हुए भी छोटे बच्चे के सोने और माँ की वात्सल्यमयी क्रियाओं का सुन्दर अंकन किया है।
  2. अनुप्रास और पुनरुक्ति अलंकार, ब्रजभाषा, वात्सल्य रस का प्रयोग किया गया है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

2. कहन लागे मोहन मैया मैया।
नंद महर सों बाबा बाबा, अरु हलधर सों भैया।
ऊंचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया।
दूरि खेलन जनि जाहु लला रे, मारैगी काहु की गैया।
गोपी ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कों, चरननि की बलि जैया।

शब्दार्थ:
मोहन = श्री कृष्ण। महर = मुखिया। हलधर = बलराम (श्री कृष्ण के बड़े भाई)। जनि = मत, न। जाहु = जाना। लला रे = हे पुत्र, हे लाल। कौतूहल = आश्चर्य, हैरानी। बधैया = बधाइयाँ। दरस = दर्शन। बलि जैया = निछावर हूँ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद सूरदास जी द्वारा रचित ‘सूरदास के पद’ में से लिया गया है, जिसमें सूरदास जी ने श्री कृष्ण के बाल-रूप का वर्णन करते हुए उनके बोलने का वर्णन किया है।

व्याख्या:
सूरदास जी कहते हैं कि श्री कृष्ण अब कुछ बड़े हो गये हैं। अब वे यशोदा माता को मैया-मैया कहने लगे हैं तथा ग्वालों के मुखिया नंद जी को बाबा-बाबा और बड़े भाई बलराम जी को भैया-भैया कहने लगे हैं। बालक कृष्ण को बाहर खेलने के लिए जाता हुआ देखकर यशोदा माता घर की छत के ऊपर चढ़ कर श्री कृष्ण का नाम लेकर पुकारती हुई कहती हैं कि हे लाल ! दूर खेलने मत जाओ। तुम्हें किसी की गाय मार देगी। सूरदास जी कहते हैं कि श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य पर गोप-गोपियाँ सभी आश्चर्य करते हैं; प्रसन्न होते हैं और घर-घर में बधाइयाँ दी जाती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि हे प्रभु, तुम्हारे दर्शन के लिए, मैं तुम्हारे चरणों पर बलिहारी जाता हूँ।

विशेष:

  1. बालक कृष्ण द्वारा बोलना प्रारम्भ करने का स्वाभाविक वात्सल्य रस चित्रण है।
  2. ब्रज भाषा, संवादात्मकता वात्सल्य रस, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग किया गया है।

3. मैया कबहुँ बढ़ेगी चोटी।
किती बेर मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यों, हवै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुईं लोटी।
काचो दूध पियावति पचि पचि, देति न माखन रोटी।
सूरदास चिरजीवी दोउ भैया, हरि हलधर की जोटी।

शब्दार्थ:
कबहुँ = कब। पियत = पी लिया है। अजहूँ = अब भी। बल = बलराम। बेनी = चोटी। काढ़त = खोलते हुए। गुहत = चोटी बनाते हुए। भुईं = धरती। पचि-पचि = बार-बार। हरि-हलधर = कृष्ण-बलराम।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित ‘सूरदास के पद’ से अवतरित है। यहाँ सूरदास ने कृष्ण के बाल-सुलभ रूप का अनोखा वर्णन करते हुए कृष्ण द्वारा यशोदा को उलाहना देने की बात की है।

व्याख्या:
भक्त सूरदास श्रीकृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि-बालक कृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं कि-माँ मेरी यह चोटी कब बड़ी होगी? दूध पीते हुए मुझे कितना समय हो गया है, लेकिन यह अभी भी वैसी के वैसी छोटी है। माँ तुम तो कहती हो कि मेरी ये चोटी बलराम भैया की चोटी की भाँति मोटी और लंबी हो जाएगी। इसे निकालते हुए, (कंघी करते हुए) गुंथते और नहाते हुए यह नागिन की भाँति धरती पर लोटने लगेगी। अपनी माँ से शिकायत करते हुए वे कहते हैं कि हे मैया ! तुम बार-बार मुझे कच्चा दूध पीने के लिए देती हो, लेकिन माखन रोटी खाने के लिए नहीं देती हो। पद के अंत में भक्त सूरदास कहते हैं कि बलराम और कृष्ण की यह जोड़ी सदा के लिए बनी रहे।

विशेष:

  1. सूरदास ने बाल कृष्ण द्वारा मैया यशोदा को शिकायत करने का स्वाभाविक वर्णन किया है।
  2. पद में गेयता, अनुप्रास, उपमा तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार हैं। ब्रज भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

4. आजु मैं गाइ चरावन जैहौं।
बृन्दावन के भांति भांति फल अपने कर मैं खेहौं।
ऐसी बात कहौ जनि बारे, देखौ अपनी भांति।
तनक तनक पग चलिहौ कैसें, आवत हवै है अति राति।
प्रात जात गैया लै चारन घर आवत हैं सांझ।
तुम्हारे कमल बदन कुम्हिलैहे, रेंगति घामहिं मांझ।
तेरी सौं मोहिं घाम न लागत, भूख नहीं कछु नेक।
सूरदास प्रभु कहयौ न मानत, पर्यो आपनी टेक॥

शब्दार्थ:
चरावन = चरवाने के लिए। जैहौं = जाऊँगा। कर = हाथ। खेहौं = खाऊँगा। जनि = मत। बारे = बालक। चलिहौ = चलोगे। घामहि = धूप। सौं = कसम। टेक = हठ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित ‘सूरदास के पद’ से लिया गया है जिसमें कवि ने बाल कृष्ण की गौ चराने की जिद्द तथा माता यशोदा का उन्हें रोकने का वर्णन किया है।

व्याख्या:
सूरदास जी कहते हैं कि बाल कृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते हैं कि वे आज गाय चराने जाएंगे। इस प्रकार वे वृंदावन के अनेक प्रकार के फल भी अपने हाथ से तोड़ कर खाएँगे। इस पर माता यशोदा उन्हें मना करते हुए कहती हैं कि ऐसी बात मत करो ज़रा अपने को देखो कि तुम अपने छोटे-छोटे कदमों से किस प्रकार चलोगे क्योंकि आते हुए बहुत रात हो जाएगी। सुबह-सुबह गायों को चराने ले जाते हैं तो संध्या के समय घर आते हैं। तुम्हारा कमल जैसा कोमल मुख धूप में भटकने से मुरझा जाएगा। इस पर बाल कृष्ण कहते हैं कि हे माँ ! तुम्हारी कसम मुझे धूप नहीं लगती है और कुछ विशेष भूख भी नहीं है। सूरदास जी कहते हैं कि प्रभु बाल कृष्ण अपनी माता का कहना नहीं मानते और अपनी ज़िद्द अड़े हुए है कि उन्हें गाय चराने जाना है।

विशेष:

  1. कवि ने बाल हठ का सजीव वर्णन किया है। कृष्ण भी अपनी हठ पर अड़े हुए हैं।
  2. ब्रज भाषा, गेयता, संवादात्मकता, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास तथा उपमा अलंकार का प्रयोग सराहनीय है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

सूरदास के पद Summary

सूरदास के पद कवि परिचय।

जीवन परिचय:
मध्यकालीन सगुणोपासक एवं कृष्णभक्त कवि सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई० में दिल्ली के निकट सीही ग्राम में एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कुछ विद्वान् इन्हें जन्म से ही अन्धा मानते हैं तो कुछ मानते हैं कि यह किसी कारणवश बाद में अन्धे हो गए लेकिन इसका कोई भी साक्ष्य नहीं मिलता। सूरदास जी महाप्रभु वल्लभाचार्य जी द्वारा वल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षित हुए और उन्हीं की प्रेरणा से ब्रज में श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन करने लगे। इनका देहांत सन् 1583 ई० में मथुरा के निकट पारसौली नामक गाँव में हृया था।

रचनाएँ:
सूरदास जी रचित तीन रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली और साहित्य लहर। हैं। सूरसागर की रचना श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर की गई है। इनका काव्य ब्रजभाषा में रचित, गीतात्मक, माधुर्य गुण से युक्त तथा अलंकारपूर्ण है। . विशेषताएँ-इनके काव्य में श्रृंगार और वात्सल्य का बहुत सहज और स्वाभाविक चित्रण प्राप्त होता है। शृंगार के वियोग पक्ष में इन्होंने गोपियों के कृष्ण के विरह के संतप्त हृदय का मार्मिक चित्रण किया है। श्रीकृष्ण लीलाओं में इनकी बाललीलाओं का वर्णन बेजोड़ है। सूरदास जी की भक्ति भावना सख्य भाव की है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 2 सूरदास के पद

सूरदास के पद पदों का सार

सूरदास के इन पदों में वात्सल्य रस का मोहक चित्रण किया गया है। पहले पद में यशोदा श्रीकृष्ण को पालने में झूला झुलाकर और लोरी देकर सुला रही है। श्रीकृष्ण कभी पलकें मूंद लेते हैं तो कभी व्याकुल हो उठ जाते हैं। यशोदा उन्हें लोरी गा कर फिर से सुला देती है। दूसरे पद में यशोदा श्रीकृष्ण को दूर खेलने जाने के लिए मना करती है। तीसरे पद में माँ यशोदा श्रीकृष्ण को चोटी बढ़ने का लालच देकर बहाने से दूध पिलाती है परंतु श्रीकृष्ण चोटी न बढ़ने से चिंतित हो कर माखन रोटी खाने के लिए देने के लिए कहते हैं। चौथे पद में श्रीकृष्ण माँ से गायें चराने जाने के लिए हठ करते हैं। परन्तु उनकी बाल-अवस्था देखकर यशोदा उन्हें जाने से रोकना चाहती है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 कबीर दोहावली

Hindi Guide for Class 9 PSEB कबीर दोहावली Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कबीर के अनुसार ईश्वर किसके हृदय में वास करता है?
उत्तर:
कबीर के अनुसार ईश्वर सच्चे व्यक्ति के हृदय में वास करता है।

प्रश्न 2.
कबीर ने सच्चा साधु किसे कहा है?
उत्तर:
कबीर ने सच्चा साधु उसे कहा है जो भावों का भूखा होता है और उसे धन-दौलत का लालच नहीं होता है।

प्रश्न 3.
संतों के स्वभाव के बारे में कबीर ने क्या कहा है?
उत्तर:
संत अपनी सजनता कभी नहीं छोड़ते चाहे उन्हें कितने भी बुरे स्वभाव के व्यक्तियों से मिलना पड़े अथवा उन के साथ रहना पड़ा। उन पर बुराई का प्रभाव नहीं होता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

प्रश्न 4.
कबीर ने वास्तविक रूप से पंडित/विद्वान किसे कहा है?
उत्तर:
कबीर के अनुसार जिसे व्यक्ति ने प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ लिए हैं वही वास्तविक रूप से पंडित/विद्वान् है।

प्रश्न 5.
धीरज का संदेश देते हुए कबीर ने क्या कहा है?
उत्तर:
कबीर जी ने कहा है कि सभी कार्य धैर्य धारण करने से होते हैं, इसलिए मनुष्य को धीरज रखना चाहिए, जैसे ऋतु आने पर वृक्ष पर फल अपने आप आ जाते हैं उसी प्रकार समय आने पर मनुष्य के सभी कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
कबीर ने सांसारिक व्यक्ति की तुलना पक्षी से क्यों की है?
उत्तर:
कबीर ने सांसारिक व्यक्ति की तुलना पक्षी से इसलिए की है क्योंकि जैसे पक्षी आकाश में इधर-उधर उड़ता रहता है वैसे मनुष्य चंचल मन भी उसके शरीर को कहीं भी भटकाता रहता है।

प्रश्न 7.
कबीर ने समय के सदुपयोग पर क्या संदेश किया है?
उत्तर:
कबीर जी का कहना है कि मनुष्य को अपना काम कल पर नहीं टालना चाहिए बल्कि तुरंत कर लेना चाहिए क्योंकि कल का पता नहीं होता कि कल क्या होगा।

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2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

(i) जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।।
(ii) बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
(iii) जाति ना पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।
(iv) अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।
(v) माला तो कर में फिरै, जीभ फिरै मुख मांहि।
मनुवा तौ चहुँ दिशि फिरै, यह तो सुमिरन नांहि॥
उत्तर:
(i) कबीरदास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति जैसा भोजन खाता है, उसका मन भी वैसा ही हो जाता है तथा जैसा वह पानी पीता है वैसे ही उसकी वाणी से शब्द निकलते हैं। भाव यह है कि कि सात्विक खान-पान के व्यक्ति का मन-वाणी शुद्ध होती तथा तामसिक भोजन-जल का पान करने वाले व्यक्ति का मन और वाणी भी अशुद्ध होगी।

(ii) कबीरदास जी कहते हैं कि मैं जब इस संसार में किसी बुरे व्यक्ति को तलाश करने के लिए निकला तो ढूंढने पर भी मुझे कोई भी बुरा नहीं मिला। जब मैंने अपने दिल को टटोल कर देखा तो मुझे पता चला कि इस संसार में मुझ से बुरा कोई भी नहीं है।

(iii) कबीरदास जी कहते हैं कि मैं जब इस संसार में किसी बुरे व्यक्ति को तलाश करने के लिए निकला तो ढूंढने पर भी मुझे कोई भी बुरा नहीं मिला। जब मैंने अपने दिल को टटोल कर देखा तो मुझे पता चला कि इस संसार में मुझ से बुरा कोई भी नहीं है।

(iv) कबीरदास जी कहते हैं कि हमें किसी साधु की जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि उसका ज्ञान जानना चाहिए क्योंकि उसके ज्ञान से ही हमें लाभ हो सकता है। जैसे तलवार लेते समय तलवार का मूल्य किया जाता है, म्यान का नहीं-उसी प्रकार से ज्ञानी साधु का सम्मान होता है, उसकी जाति का नहीं।

(v) कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर का भजन या स्मरण करते समय हाथ में माला फिरती रहती है और जीभ मुँह में घूमती रहती है लेकिन व्यक्ति का मन चारों दिशाओं में भटकता रहता है। यह तो किसी भी प्रकार से प्रभु का स्मरण नहीं है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

(ख) भाषा-बोध

निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
प्रश्न 1.
शब्द – वर्ण-विच्छेद बराबर
बराबर – ब् + अ + र् + आ + ब् + अ + र् + अ
भोजन – ————
पंडित – ————
ग्यान – ————
बरसना – ————
उत्तर:
शब्द – वर्ण-विच्छेद बराबर
बराबर – ब् + अ + र् + आ + ब् + अ + र् + अ
भोजन – भ् + ओ + ज् + अ + न् + अ
पंडित – प् + अं+ ड् + इ + त् + अ म्यान
ग्यान – म् + य् + आ + न् + अ बरसना
बरसना – ब् + अ + र् + अ + स् + अ + न् + आ

(ग) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
पुस्तकालय से कबीर के दोहों की पुस्तक लेकर प्रेरणादायक दोहों का संकलन कीजिए।
उत्तर:

  • बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि
    हिय तराजू तोल के, तब मुख बाहर आनि॥
  • निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
    बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
  • दोस पराये देखि करि, चला हँसत-हँसत।
    अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत ॥
  • जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।
    या आपको डारि दे, दया करै सब कोय॥
  • आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
    कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक॥

प्रश्न 2.
कबीर के दोहों की ऑडियो या वीडियो सी० डी० लेकर अथवा इंटरनेट से प्रात:काल/संध्या के समय दोहों का श्रवण कर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कैलेण्डर से देखें कि इस बार कबीर-जयंती कब है। स्कूल की प्रातः कालीन सभा में कबीर-जयंती के अवसर पर कबीर साहिब के बारे में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 4.
एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा कबीर पर निर्मित फ़िल्म देखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
मेरी नज़र में : सच्ची भक्ति’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

(घ) ज्ञान-विस्तार

कबीर के अतिरिक्त रहीम, बिहारी तथा वृन्द ने भी इनके दोहों की रचना की है जो कि बहुत ही प्रेरणादायक हैं। इनके द्वारा रचित नीति के दोहे तो विश्व प्रसिद्ध हैं और हमारे लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं। इन्हें पढ़ने से एक ओर जहाँ मन को शांति मिलती है वहीं दूसरी ओर हमारी बुद्धि भी प्रखर होती है।
उत्तर:

रहीम :

  • रहिमन धागा प्रेम का मत तोर्यो चटकाय।
    टूटे से फिरि न जुड़े, जुड़े गांठ परि जाई॥
  • छमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात।
    का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात ।।

बिहारी :

  • दीरघ सांस न लेहि दुख, सुख साईंहि न भूलि।
    दई-दई क्यों करतु है, दई-दई सो कबूलि।।
  • नर की अरु नल नीर की गति एकै करि जोइ।
    जेतौ नीचो वै चले, तैतो ऊँचो होइ॥

वंद :

  • बड़े न हजै गुनन बिन, बिरद बड़ाई पाय।
    कहत धतूरे सौ कनक, गहनों घड़ो न जाय।।
  • सुरसती के भंडार की बड़ी अपूरव बात।
    ज्यों खरचें त्यों-त्यों बड़े बिन खरचे घटि जात॥

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

PSEB 9th Class Hindi Guide कबीर दोहावली Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
परमात्मा के संबंध में कबीर की क्या विचारधारा थी?
उत्तर:
कबीर निर्गुणी थे। वे मानते थे कि परमात्मा सब जगह है। वह जन्म-मरण से परे है। उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता। वह चाहे हर जगह है पर उसे देखा नहीं जा सकता। उसका कोई रंग-रूप नहीं है।

प्रश्न 2.
कबीर ने सच बोलने के विषय में क्या कहा है?
उत्तर:
कबीर ने सच बोलने के विषय में कहा है कि उससे बढ़ कर कोई तप नहीं है। जिस प्राणी के हृदय में सच बसता है उसी के भीतर परमात्मा का वास होता है।

प्रश्न 3.
कबीर के अनुसार जो व्यक्ति धन का लोभी होता है उसमें किस जैसे गुण नहीं होते?
उत्तर:
कबीर जी के अनुसार जो व्यक्ति लालची होता है वह किसी भी स्थिति में साधु कहलाने के योग्य नहीं होता। साधु भाव के भूखे होते हैं, न कि धन दौलत के।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

प्रश्न 4.
कबीर जी के अनुसार हमारा खान-पान हमें कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
हम जैसा खाते या पीते हैं वैसा ही हमारा मन बन जाता है। बुरा खाने-पीने वाले का मन बुरा बन जाता है तो सात्विक खाने-पीने वाले का स्वभाव भी वैसा ही सात्विक हो जाता है।

प्रश्न 5.
कबीर जी के अनुसार कैसी पढ़ाई इन्सान को पंडित बनाने के योग्य होती है?
उत्तर:
कबीर जी के अनुसार धार्मिक ग्रंथों के पढ़ने से ही इन्सान पंडित बन सकता है। वे ग्रंथ ही इन्सान को परमात्मा को प्राप्त करने की राह दिखाते हैं और उसे संसार के छल-कपट से दूर करते हैं।

प्रश्न 6.
कबीर जी के अनुसार संतों पर किस का कोई प्रभाव नहीं पड़ता?
उत्तर:
कबीर जी के अनुसार संतों पर बुरे लोगों का भी प्रभाव नहीं पड़ता। वे सदा अच्छे बने रहते हैं-ठीक वैसे ही जैसे चंदन के पेड़ पर चाहे साँप लिपटे रहें पर उनके ज़हर का चंदन के पेड़ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 7.
कबीर जी ने धैर्य के महत्त्व को किस प्रकार व्यक्त किया है?
उत्तर:
कबीर जी धैर्य को महत्त्व देते हुए मानते हैं कि समय से पहले कभी कुछ नहीं होता। जैसे कोई माली सैंकड़ों पानी से भरे घड़ों से पेड़-पौधों को सींचता रहे लेकिन उन पर फल तो मौसम आने पर ही लगेगा। इसी प्रकार मनुष्य चाहे कितनी भी कोशिश कर ले पर उसके कार्य तो उचित समय आने पर ही होते हैं ; समय से पहले नहीं।

प्रश्न 8.
कबीर जी ने साधुओं की जाति के विषय में क्या विचार व्यक्त किया है?
उत्तर:
कबीर जी ने माना है कि साधुओं की जाति कभी नहीं पूछनी चाहिए। उनकी पहचान उनकी भक्ति और ज्ञान होता है। जिस प्रकार तलवार खरीदते समय उसी का दाम पूछा जाता है न कि उस म्यान का-जिस में रखी जाती है, उसी प्रकार साधु की महत्ता उसकी भक्ति और ज्ञान से होती है, न कि उस की जाति-पाति और रंग-रूप से।

प्रश्न 9.
कबीर जी ने इन्सान के मन की चंचलता को किस प्रकार व्यक्त किया है?
उत्तर:
कबीर जी ने इन्सान के मन को अति चंचल मानते हुए कहा है कि वह जो चाहता है उसका शरीर वैसा ही करता है। सब अच्छे-बुरे काम इन्सान के द्वारा अपने मन की इच्छा के कारण किए जाते हैं। जो व्यक्ति जैसी अच्छी या बुरी संगति करता है उसे वैसे ही. फल की प्राप्ति होती है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

प्रश्न 10.
कबीर जी किसी भी काम की अधिकता को कैसा मानते हैं?
उत्तर:
कबीर जी का मानना है कि किसी भी काम की अधिकता बुरी होती है। न तो आवश्यकता से अधिक बोलना चाहिए और न ही चुप रहना चाहिए। न अधिक वर्षा अच्छी होती है और न ही अत्यधिक गर्मी-हर वस्तु और काम संतुलित-सा होना चाहिए। किसी की भी अति अच्छी नहीं होती।

प्रश्न 11.
कबीर जी ने मन की चंचलता के विषय में क्या विचार व्यक्त किया है?
उत्तर:
कबीर मानते हैं कि इन्सान का मन बहुत चंचल होता है। वह पल भर भी कहीं टिकता नहीं है। जब वह भक्ति करने लगता है तो माला उस के हाथ में घूमती रहती है और जीभ मुँह में हिल-हिल कर ईश्वर का नाम लेती है लेकिन उसका मन दुनिया भर की अच्छी-बुरी बातें सोचता है। मन की चंचलता उसे ईश्वर के नाम में डूबने ही नहीं देती। चंचलता से भरा मन तो इन्सान से भक्ति करने का नाटक ही कराता है।

प्रश्न 12.
कबीर जी ने इन्सान को अपना काम सदा समय पर करने की शिक्षा कैसे दी है?
उत्तर:
कबीर जी ने इन्सान को शिक्षा देते हुए कहा है कि उसे सदा अपने काम को समय से करना चाहिए। जो काम कल करना है उसे आज ही करो और आज का काम अभी करो। यह संसार तो नाशवान है। यदि अगले ही पल प्रलय हो गई अर्थात् तुम नहीं रहे तो अपना काम फिर कैसे करोगे। अपने काम को अगले दिन पर मत छोड़ो।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कबीर ने किस के बराबर ‘तप नहीं’ बताया है?
उत्तर:
सत्य के।

प्रश्न 2.
कबीर के अनुसार कौन साधु नहीं होता?
उत्तर:
जो धन का भूखा होता है।

प्रश्न 3.
कबीर के अनुसार कौन ‘संतई’ नहीं छोड़ता?
उत्तर:
संत।

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प्रश्न 4.
कबीर के अनुसार क्या पढ़ने से कोई विद्वान् हो जाता है?
उत्तर:
ढाई आखर प्रेम का पढ़ने से विद्वान् हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
कबीर ने सबसे बुरा किसे कहा है?
उत्तर:
स्वयं को।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
धैर्य रखने से धीरे-धीरे सब कार्य सफल होते हैं।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
साधु की जात पूछनी चाहिए, ज्ञान नहीं पूछना चाहिए।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
जो जैसी संगति करता है, उसे वैसा फल नहीं मिलता।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
किसी भी कार्य की ‘अति’ ठीक नहीं होती।
उत्तर:
सही।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

प्रश्न 10.
(i) मोल करो ……………. का, पड़ा ……………. दो म्यान।
उत्तर:
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

(ii) पोथी पढ़ि पढ़ि ……………. मुवा ……………. हुआ न कोय।
उत्तर:
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा पंडित हुआ न कोय।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 11.
माला किस में फिरती है
(क) मन में
(ख) कर में
(ग) तन में
(घ) मुख में।
उत्तर:
(ख) कर में।

प्रश्न 12.
आज का काम कब करना चाहिए
(क) आज
(ख) कल
(ग) परसों
(घ) कभी भी।
उत्तर:
(क) आज।

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प्रश्न 13.
कैसे व्यक्ति के हृदय में ईश्वर निवास करता है
(क) तपस्वी
(ख) वाचाल
(ग) सच्चे
(घ) पोथियों का ज्ञानी।
उत्तर:
(ग) सच्चे।

प्रश्न 14.
कबीर ने सांसारिक व्यक्ति की तुलना किससे की है
(क) पशु से
(ख) पक्षी से
(ग) जलचर से
(घ) सागर से।
उत्तर:
(ख) पक्षी से।

प्रश्न 15.
संत अपनी क्या नहीं छोड़ते
(क) आन
(ख) बान
(ग) शान
(घ) संतई।
उत्तर:
(घ) संतई।

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कबीर दोहावली सप्रसंग व्याख्या

1. साच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदे साच है, ताके हिरदे आप॥

शब्दार्थ:
साच = सत्य। हिरदे = हृदय। आप = परमात्मा।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसे कबीरदास जी ने रचा है। इस दोहे में कवि ने सत्य की महिमा का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि सत्य के समान संसार में कोई तपस्या नहीं है तथा झूठ के बराबर कोई पाप नहीं है। जिनके हृदय में सत्य का निवास होता है उनके हृदय में आप अर्थात् स्वयं परमात्मा का निवास होता है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार सत्यवादी व्यक्ति के मन में सदा परमात्मा का निवास होता है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा भावपूर्ण सधुक्कड़ी है। दोहा छंद है।

2. साधु भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं।
धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।

शब्दार्थ:
भाव = भावना, सत्कार। भूखा = लालची, कुछ चाहने की इच्छा करने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने सच्चे साधु के गुणों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि साधु तो केवल भावनाओं का भूखा होता है, वह धन का भूखा कभी नहीं होता। यदि कोई साधु धन के लालच में मारा-मारा फिरता है तो वह साधु कहलाने के योग्य नहीं है।

विशेष:

  1. सच्चा साधु भावनाओं का भूखा होता है, धन का नहीं।
  2. सधुक्कड़ी, भाषा दोहा छंद तथा अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 1 कबीर दोहावली

3. जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय॥

शब्दार्थ:
वाणी = बोलना, बोल। होय = होता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसके कवि कबीरदास हैं। इस दोहे में अन्न-जल का मानव मन और तन पर प्रभाव चित्रित किया गया है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति जैसा भोजन खाता है, उसका मन भी वैसा ही हो जाता है तथा जैसा वह पानी पीता है वैसे ही उसकी वाणी से शब्द निकलते हैं। भाव यह है कि कि सात्विक खान-पान के व्यक्ति का मन-वाणी शुद्ध होती तथा तामसिक भोजन-जल का पान करने वाले व्यक्ति का मन और वाणी भी अशुद्ध होगी।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार मनुष्य के जीवन पर उसके खान-पान का बहुत प्रभाव पड़ता है।
  2. भाषा सधुक्कड़ी, दोहा छंद तथा अनुप्रास अलंकार है।

4. संत न छाडै संतई, जो कोटिक मिलैं असंत।
चंदन भुवँगा बैठिया, तउ सीतलता न तजंत॥

शब्दार्थ:
संत = साधु, सज्जन पुरुष। संतई = साधु-स्वभाव, सज्जनता। कोटिक = करोड़ों। असंत = दुष्ट या बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति। भुवँगा = साँप। बैठिया = बैठना, लिपटे रहना। तउ = फिर भी।।

प्रसंग:
यह दोहा संत कबीरदास’ द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है। इसमें कबीर जी ने साधु-स्वभाव के विषय में कहा है कि किसी भी अवस्था में अपने साधु-स्वभाव अर्थात् सज्जनता को नहीं छोड़ते हैं। व्याख्या-कबीर जी कहते हैं कि साधु अर्थात् कोई भी सज्जन कभी अपने साधु स्वभाव अर्थात् सज्जनता को नहीं छोड़ता है, चाहे उसे कितने ही बहुत बुरे स्वभाव वाले व्यक्ति मिलें अथवा उनके साथ रहना पड़े। जिस प्रकार चंदन कबीर दोहावली के वृक्ष से अनेक विष भरे साँप लिपटे रहने पर भी चंदन का वृक्ष अपनी शीतलता का परित्याग कभी नहीं करता। उसके गुण ज्यों के त्यों बने रहते हैं।

विशेष:

  1. साधु लोगों पर बुरे लोगों की संगति का कभी भी कोई असर नहीं पड़ता। वे सदा अपने साधु-स्वभाव को बनाए रखते हैं।
  2. उदाहरण अलंकार, सरल भावपूर्ण भाषा तथा दोहा छंद विद्यमान है।

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5. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा पंडित हुआ न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सु पंडित होय।

शब्दार्थ:
पोथी = पुस्तक, ग्रंथ। पंडित = विद्वान्। मुवा = मर गए। आखर = अक्षर।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीर दास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने ईश्वरीय प्रेम की महिमा का वर्णन किया है। व्याख्या-कबीरदास जी कहते हैं कि संसार के लोग अनेक धर्म ग्रंथों को पढ़-पढ़ कर मर गए परंतु कोई भी विद्वान् न बन सका। कवि का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति प्रभु-प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ कर समझ लेगा तो वह विद्वान् अथवा ज्ञानी हो जाएगा।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार केवल पुस्तकीय ज्ञान से कोई विद्वान् नहीं बन सकता, उसे तो परमात्मा से प्रेम करना आना चाहिए तभी ज्ञानी बन सकता है।
  2. भाषा सहज, सरल, सधुक्कड़ी, दोहा छंद, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग किया गया है।

6. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

शब्दार्थ:
मिलिया = मिला। खोजा = ढूँढ़ा, तलाश किया।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने बताया है कि दूसरों में बुराई देखने से पहले अपने अंदर झाँक कर देखो।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि मैं जब इस संसार में किसी बुरे व्यक्ति को तलाश करने के लिए निकला तो ढूंढने पर भी मुझे कोई भी बुरा नहीं मिला। जब मैंने अपने दिल को टटोल कर देखा तो मुझे पता चला कि इस संसार में मुझ से बुरा कोई भी नहीं है।

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि बुराई मनुष्य के अपने अंदर होती है। उसे बाहर कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं है।
  2. भाषा सधुक्कड़ी और दोहा छंद है।

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7. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥

शब्दार्थ:
मना = मन। सींचे = सींचना। सौ = सैंकड़ा। ऋतु = मौसम। प्रसंग-प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने इन्सान को अपने मन में धैर्य रखने पर बल दिया है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि हे मेरे मन। धैर्य रखो क्योंकि धीरे-धीरे सब काम हो जाते हैं। जिस प्रकार माली सैंकड़ों घड़ों पानी से वृक्षों को सींचता है और उस वृक्ष पर फल मौसम के आने पर ही आते हैं उससे पहले नहीं, इसी प्रकार से मनुष्य के कार्य भी समय आने पर होते हैं।

विशेष:

  1. यहाँ कवि ने ‘सहज पके सो मीठा’ के अनुसार ‘सब्र का फल मीठा’ माना है और सदा धैर्य से कार्य करने का उपदेश दिया है।
  2. सधुक्कड़ी भाषा, दोहा छंद, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग किया गया है।

8. जाति ना पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥

शब्दार्थ:
ज्ञान = विद्वता। तरवार = तलवार। म्यान = तलवार का खोल।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने ज्ञानी साधु का सम्मान करने के लिए कहा है न कि उसकी जाति का।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि हमें किसी साधु की जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि उसका ज्ञान जानना चाहिए क्योंकि उसके ज्ञान से ही हमें लाभ हो सकता है। जैसे तलवार लेते समय तलवार का मूल्य किया जाता है, म्यान का नहीं-उसी प्रकार से ज्ञानी साधु का सम्मान होता है, उसकी जाति का नहीं।

विशेष:

  1. कवि ने साधु का सम्मान उसके ज्ञान से करने के लिए कहा है न कि जाति से।
  2. भाषा सधुक्कड़ी, दोहा छंद है।

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9. कबीर तन पंछी भया, जहाँ मन तहां उड़ी जाइ।
जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ।

शब्दार्थ:
तन = शरीर। पंछी = पक्षी। प्रसंग-प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने मन की चंचलता का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि यह शरीर पक्षी हो गया है, जिसे मन जहाँ चाहे वहीं उड़ा कर ले जाता है, अर्थात् शरीर मन के वश में होकर उसके अनुसार आचरण करता है। वास्तव में, जो जिस संगति में रहता है, उसे उसी प्रकार का फल भी मिलता है।

विशेष:

  1. मन की चंचलता के कारण शरीर भी उसी के इशारों पर चलता है, अत: मन को वश में करना चाहिए।
  2. भाषा सधुक्कड़ी है और दोहा छंद, अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

10. अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप॥

शब्दार्थ:
अति = बहुत अधिक। चूप = खामोशी, मौन । बरसना = वर्षा, बारिश।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने ‘अति सर्वत्र वर्जते के अनुसार किसी भी कार्य में अति को निंदनीय माना है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि बहुत अधिक बोलना अथवा बहुत अधिक मौन रहना अच्छा नहीं होता है। बहुत बारिश का होना और बहुत अधिक गर्मी का पड़ना भी अच्छा नहीं होता। इस प्रकार किसी भी कार्य में अति हानिकारक होती है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए।
  2. भाषा सधुक्कड़ी और दोहा छंद है।

11. माला तौ कर में फिरै, जीभ फिरै मुख मांहि।
मनुवा तौ चहुँ दिशि फिरै, यह तो सुमिरन नांहि॥

शब्दार्थ:
कर = हाथ। मनुवा = मन । सुमिरन = ईश्वर का भजन करना, स्मरण करना।।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीर जी द्वारा लिखित ‘साखी’ है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ईश्वर भजन में किसी प्रकार के आडम्बर या दिखावे से बचने की बात कही है। व्याख्या-कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर का भजन या स्मरण करते समय हाथ में माला फिरती रहती है और जीभ मुँह में घूमती रहती है लेकिन व्यक्ति का मन चारों दिशाओं में भटकता रहता है। यह तो किसी भी प्रकार से प्रभु का स्मरण नहीं है।

विशेष:

  1. भाव है कि ईश्वर का स्मरण करते समय मनुष्य का मन एकाग्र होना चाहिए तभी सही ढंग से ईश्वर का स्मरण होगा।
  2. अनुप्रास अलंकार, सरल भाषा, दोहा छंद तथा उपदेशात्मक शैली है।

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12. काल्ह करै सो आज कर, आज करै सौ अब्ब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करैगो कब्ब।

शब्दार्थ:
काल्ह = कल। अब्ब = अभी। परलै = विनाश, मृत्यु। बहुरि = फिर। कब्ब = कब।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ से लिया गया है, जिसमें कवि ने किसी कार्य को टालने की निंदा की है।

व्याख्या:
कबीरदास जी कहते हैं कि हे मनुष्य ! तुमने जो कार्य कल करना है उसे आज ही कर लो और जो आज करना है उसे अभी कर लो क्योंकि पता नहीं कभी भी पलभर में विनाश अथवा मृत्यु हो सकती है, यदि ऐसा हो गया तो फिर अपना कार्य कब करोगे।

विशेष:

  1. आज का कार्य कल पर नहीं टालना चाहिए क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है।
  2. भाषा सधुक्कड़ी, दोहा छंद, अनुप्रास अलंकार है।

कबीर दोहावली Summary

कबीर दोहावली कवि परिचय।

कवि-परिचय संत कबीर हिंदी-साहित्य के भक्तिकाल की महान् विभूति थे। उन्होंने अपने बारे में कुछ न कह कर भक्त, सुधारक और साधक का कार्य किया था। उनका जन्म सन् 1398 ई० में काशी में हुआ था तथा उनकी मृत्यु सन् 1518 में काशी के निकट मगहर नामक स्थान पर हुई थी। उनका पालन-पोषण नीरु और नीमा नामक एक जुलाहा दंपति ने किया था। कबीर विवाहित थे। उनकी पत्नी का नाम लोई था। उनका एक पुत्र कमाल और एक पुत्री कमाली थे।।

रचनाएँ:
कबीर निरक्षर थे पर उनका ज्ञान किसी विद्वान् से कम नहीं था। वे मस्तमौला, फक्कड़ और लापरवाह फकीर थे। वे जन्मजात विद्रोही, निर्भीक, परम संतोषी और क्रांतिकारक सुधारक थे। कबीर की एकमात्र प्रामाणिक रचना ‘बीजक’ है, जिसके तीन भाग-साखी, सबद और रमैणी हैं। उनकी इस रचना को उनके शिष्यों ने संकलित किया था।

विशेषताएँ:
कबीर निर्गुणी थे। उनका मानना था कि ईश्वर इस विश्व के कण-कण में विद्यमान है। वह फूलों की सुगंध से भी पतला, अजन्मा और निर्विकार है। कबीर ने गुरु को परमात्मा से भी अधिक महत्त्व दिया है क्योंकि परमात्मा की कृपा होने से पहले गुरु की कृपा का होना आवश्यक है। कबीर ने विभिन्न अंधविश्वासों, रूढ़ियों और आडंबरों का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने जाति-पाति और वर्ग-भेद का विरोध किया। वे शासन, समाज, धर्म आदि समस्त क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन चाहते थे।

कबीर की भाषा जन-भाषा के बहुत निकट थी। उन्होंने साखी, दोहा, चौपाई की शैली में अपनी वाणी प्रस्तुत की थी। उनकी भाषा में अवधी, ब्रज, खड़ी बोली, पूर्वी हिंदी, फारसी, अरबी, राजस्थानी, पंजाबी आदि के शब्द बहुत अधिक हैं। इसलिए इनकी भाषा को खिचड़ी या सधुक्कड़ी भी कहते हैं।

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कबीर दोहावली दोहों का सार

कबीरदास द्वारा रचित ‘कबीर दोहावली’ के बारह दोहों में नीति से संबंधित बात कही गई है। इनमें संत कवि ने सत्य-आचरण, सच्चे साधु की पहचान तथा अन्न-जल के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव आदि का वर्णन किया है। कवि के अनुसार सच्चे व्यक्ति के हृदय में प्रभु निवास करते हैं। सच्चा साधु भाव का भूखा होता है तथा जैसा हम अन्नजल ग्रहण करते हैं वैसा ही हमारा आचरण होता है। सज्जन व्यक्ति बुरे लोगों के साथ रहकर भी अपनी अच्छाई नहीं छोड़ता। संसार में अपने अतिरिक्त कोई बुरा नहीं होता। धैर्य से ही सब कार्य होते हैं। साधु की जाति नहीं ज्ञान देखना चाहिए। सभी इन्सानों को अपने मन की चंचलता को वश में करना चाहिए। किसी भी बात की अति सदा हानिकारक होती है तथा ईश्वर का स्मरण एकाग्र भाव से करना चाहिए। कभी भी आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए क्योंकि मृत्यु के बाद तो वह काम हमारे द्वारा फिर कभी भी नहीं हो सकेगा।।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 8 Motion Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 8 Motion

PSEB 9th Class Science Guide Motion Textbook Questions and Answers

Question 1.
An athelete completes one round of circular track of diameter 200 m in 40 s. What will be the distance covered and the displacement at the end of 2 min 20 s?
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 1
Diameter of circular track (d) = 200m
Radius of circular track (r) = \(\frac{d}{2}\) = \(\frac{200m}{2}\) = 100m
Length of circular track (circumference) = 2πr = 2 × \(\frac{22}{7}\) × 100
= \(\frac{4400}{7}\)m
Time taken to complete 1 round (t) = 40 s
Total time = 2 minutes 20 seconds
= (2 × 60 + 20) seconds
= (120 + 20) seconds
= 140 s.
Distance covered in 40 s = \(\frac{4400}{7}\) m = (Circumference of 1 complete circular track)
Distance covered in 1 s = \(\frac{4400}{7×40}\) m
Distance covered in 140 s = \(\frac{4400}{7×40}\) × 140 = 2200 m
An athelete starting from A and going in clockwise direction returns to point A in 3 rounds and reaches point B in 3.5 rounds.
∴ Displacement in 3.5 rounds = AB = shortest distance between initial and final position = 200 m from A to B.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 2.
Joseph jogs from end A to the other end B of a straight 300 m road in 2 minutes 50 seconds and then turns around and jogs 100 m back to point C in another 1 minute. What are Joseph’s average speeds and velocities in jogging (a) from A to B (b) from A to C?
Solution:
(a) Length between end point A and end point B (AB) = 300 m
Time taken (t) = 2 min. 30 s
= (2 × 60 + 30) s
= (120 + 30) s
= 150 s.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 2
Average speed = Average velocity
= \(\frac{Total distance between A and B(AB)}{Total time(t)}\)
= \(\frac{300m}{150s}\)
= 2ms-1

(b) Length from end A to end B + Length on return from B to point C.
= AB + BC
= 300 m + 100 m
= 400 m
Total Time = 2 min 30 s + 1 min
= 3 min 30 s
= (3 × 60 + 30) s
= (180 + 30) s
= 210 s
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 3

Question 3.
Abdul while driving to school, computes the average speed for his trip to be 20 km h-1. On his trip along the same route, there is less traffic and average speed is 40 km h-1. What is the average speed for Abdul’s trip?
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 4
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 5

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 4.
A motorboat starting from rest on a lake accelerates in a straight line at a constant rate of 3.0 m s-2 for 8.0 s. How far does the boat travel during this time?
Solution:
Here, initial velocity of motorboat (u) = 0 [Starting from rest]
Acceleration (a) = 3.0 m s-2
Time (t) = 8.0 s
Distance covered by the motorboat (S) =?
We know, S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
= 0 × 8 + \(\frac{1}{2}\) × 3 × (8)2
= 0 + \(\frac{1}{2}\) × 3 × 8 × 8
∴ S = 96 m.
In other words, the motorboat covers a distance (S) = 96 m.

Question 5.
A driver of a car travelling at 52 kmh-1 applies the brakes and accelerates uniformly in opposite direction. The car stops in 5 s. Another driver going at 3 km h-1 applies his brakes slowly and stops in 10 s. On the same graph paper plot the speed versus time graph for the two cars. Which of the two cars travelled farther after the brakes were applied?
Solution:
In the figure AB and CD represent velocity-time graphs of two cars which have their speeds 52 kmh-1 and 30 kmh-1 respectively.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 6
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 7
In this way, after applying brakes the second car would cover more distance than the first car.

Question 6.
Fig shows the distance-time graphs of three objects A, B and C. Study the graph and answer the following questions:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 8
(a) Which of the three is travelling the fastest?
(b) Are all three ever at the same point on the road?
(c) How far has C travelled when B passes A?
(d) How far has B travelled by the time it passes C?
Solution:
(a) Velocity of A = Slope of PN
\(\frac{10-6}{1.1-0}\)
\(\frac{40}{11}\) = 3.63 kmh-1
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 9
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 10
Because slope of object B is maximum of all therefore, it is moving fastest.
(b) Since all the three graphs do not intersect at any point therefore, all the three do not meet ever at the same point on the road.
(c) When the object B passes A at point E (at 1.4 hr) then at that time the object C will be at F i.e. 9.3 km away from the origin O.
(d) B passes C at G after covering 8 km.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 7.
A ball is gently dropped from a height of 20 m. If its velocity increases uniformly at the rate of 10 m s-2, with what velocity it will strike the ground?After what time will it strike the ground?
Solution:
u = 0 ms-1
S = 20 m
a = 10 ms-2
υ = ?
t = ?

Using υ2 – u2 = 2as
υ2 – (0)2 = 2 × 10 × 20
υ2 = 4000
∴ υ = \(\sqrt{400}\)
= \(\sqrt{20 \times 20}\)
= 20 m s-1
Now υ = u + at
20 = 0 + 10 × t
or t = \(\frac{20}{10}\)
∴ t = 2 s

Question 8.
Speed-time graph for a car is shown in the fig.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 11
(a) Find how far the car travelled in first 4 s. Shade the area on the graph that represents the distance travelled by car during this period.
(b) Which part of the graph represents uniform motion of the car?
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 12
(a) 5 small squares of x axis = 2s
3 small squares of y axis = 2 ms-1
Area of 15 small squares = 2s × 2 ms-1 = 4m
∴ Area of 1 small square = \(\frac{4}{15}\)
Area of velocity-time graph under 0 to 5s = 57 complete small squares + \(\frac{1}{2}\) × 6 small squares.
= (57 + 3) small squares
= 60 small squares.
Distance covered by car in 4 s = 60 × \(\frac{4}{15}\) m
= 16 m

(b) After 6 s the car has uniform motion.

Question 9.
State which of the following situations are possible and give an example for each of these.
(a) an object with a constant acceleration but with zero velocity.
(b) an object moving in a certain direction with an acceleration in the perpendicular direction.
Answer:
(a) Yes, this situation is possible.
Example: When an object is projected upwards, its velocity at the maximum height is zero although acceleration on it is 9.8 ms-2 i.e. equal to g.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 13

(b) Yes, at the maximum height of projection the velocity is in the horizontal direction and its acceleration is perpendicular to the direction of motion as shown in figure.

Question 10.
An artificial satellite is moving in a circular path orbit of radius 42,250 km. Calculate its speed if it takes 24 hours to revolve around the earth.
Solution:
Radius of circular path of artificial satellite (r) = 42,250 km
Angle formed (subtended) at the centre of earth (θ) = 2π radian
Time taken by the satellite to complete 1 revolution (t) = 24hrs
= 24 × 3600s
= 86400 s
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 14

Science Guide for Class 9 PSEB Motion InText Questions and Answers

Question 1.
An object has moved through a distance. Can it have zero displacements? If yes,support your answer with an example.
Answer:
Yes, a body can have zero displacement, if fhis body While moving occupies its final position coinciding with its initial position.
Example: Suppose a body starting its motion from initial position O covers some distance and reaches a position A. If this body while moving returns to its initial position O then in that situation its displacement will be zero.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 15
But distance covered by the body = OA + AO
= 60 km + 60 km
= 120 km

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 2.
A farmer moves along the boundary of a square field of side 10 m in 40 s. What will be the magnitude of displacement of the farmer at the end of 2 minutes 20 seconds?
Solution:
Total distance round the boundary of field once (i.e. circumference)
= AB + BC + CD + DA
= 10 m + 10 m + 10 m + 10 m = 40 m
Time taken to go round the field once = 40 s
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 16
Total time taken = 2minutes 20 seconds
= (2 × 60 + 20) seconds
= (120 + 20) seconds
= 140 seconds.
Time taken by fanner to complete 3 rounds of field = 3 × 40 s = 120 s
Time left after completing 3 rounds of field = (140 – 120)s = 20 s
∴ Distance covered by farmer in 40 s = 40 m
∴ Distance covered in 1 s = 1 m
Distance that would be covered in 20 s = 20 m
In other words farmer starting from point A and while going along the boundary of the field and after completing 3 rounds in 2 min 20 s would reach the point C.
∴ Displacement = AC
(the shortest distance between initial and final position)
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 17

Question 3.
Which of the following is true for displacement?
(a) It cannot be zero
(b) Its magnitude is greater than the distance travelled by the object.
(c) Its magnitude is less than or equal to distance travelled by the object.
Answer:
(c) Its magnitude is less than or equal to distance travelled by the object.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 4.
Distinguish between speed and velocity.
Answer:
Distinction between Speed and Velocity:

Speed Velocity
1. It is defined as the rate of a change of a position of a body i.e. the distance covered by a body per unit time. It is defined as the rate of change of displacement of a body. i.e. it is the speed in a particular direction.
2. It is a scalar quantity and can be completely represented by its magnitude only. It is a vector quantity. To represent it completely it requires both magnitude and direction.
3. Speed of an object is always positive. Velocity of an object can be both positive and negative.

Question 5.
Under what condition(s) is the magnitude of average velocity of an object is equal to its average speed?
Answer:
We know, Average speed = Total distance travelled / Total time taken
and Average velocity = Displacement /Total time
When a body travels in a straight line with variable motion in the same direction then total distance covered and displacement are equal in magnitude. In this case the average speed and average velocity are equal.

Question 6.
What does the odometer of an automobile measure?
Answer:
The odometer of an automobile measures the distance covered by it.

Question 7.
What does the path of an object look like when it is in uniform motion?
Answer:
When an object is in uniform motion, it moves along a straight line. But an object can also move with uniform motion along a circular path.

Question 8.
During an experiment, a signal from a spaceship reached the ground station in five minutes. What was the distance of the spaceship from the ground station?The signal travels at a speed of light that is 3 × 10s ms-1.
Solution:
Time taken by the signal to reach the ground station from spaceship (t) = 5 min = 5 × 60 s = 300 s
Speed of Signal (υ) = Speed of light = 3 × 108 ms-1
Distance of the spaceship from earth (s) = ?
Distance of spaceship from ground (s) = speed of signal (υ) × Time (t)
= 3 × 108 × 300
= 3 × 108 × 3 × 102
= 9 × 108 × 102
= 9 × 1010 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 9.
When will you say a body is in:
1. uniform acceleration?
2. non-uniform acceleration?
Answer:
1. Uniform Acceleration. When a body travels in a straight line and its velocity changes by equal amounts in equal intervals of time then it is said to travel with uniform acceleration.
2. Non-Uniform Acceleration. When the velocity of a body changes by unequal amounts in equal intervals of time then the body is said to travel with non-uniform acceleration.

Question 10.
A bus decreases its speed from 80 km h-1 to 60 km h-1 in 5 s. Find the acceleration of the bus.
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 18
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 19
Hence, the bus has negative acceleration (retardation).

Question 11.
A train starting from a railway station and moving with uniform acceleration attains a speed 40 km h-1 in 10 minutes. Find its acceleration.
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 20

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 12.
What is the nature of the distance-time graphs (x – t) for uniform and non-uniform motion of an object?
Answer:
When a body covers equal distances in equal intervals of time, then it is said to travel with uniform motion. In this situation, the distance covered by the body is directly proportional to the time taken. Therefore, distance-time (x – t) graph for uniform motion is a straight line.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 21
Distance – time (x – t) graph for non-uniform motion may be a curved graph of any shape because a body travels unequal distances in equal intervals of time.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 22

Question 13.
What can you say about the motion of object whose distance – time graph is a straight line parallel to time axis?
Answer:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 23
The object whose distance-time (x – t) graph is a straight line parallel to the time axis will be at rest with respect to the surroundings.

Question 14.
What can you say about the motion of an object if its speed-time graph is a straight line parallel to time axis?
Answer:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 24
The object whose speed – time (u – t) graph is a straight line parallel to time axis shows that it is in motion with uniform speed.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 15.
What is the quantity which is measured by the area occupied below velocity-time graph?
Answer:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion 25
The area occupied below velocity-time graph measures displacement of the body.

Question 16.
A bus starting from rest moves with a uniform acceleration of 0.1 ms-2 for two minutes. Find (a) the speed acquired (b) the distance travelled.
Solution:
(a) Initial speed of the bus (u) = 0 (Starting from Rest)
Acceleration of the bus (a) = 0.1 m s-2
Time taken (t) = 2 minutes
= 2 × 60 s
= 120 s
Final speed of the bus (υ) = ?
Distance travelled by the bus (S) =?
We know, υ = u + at
υ = 0 + 0.1 × 120
υ = 1 × 12
υ = 12 ms-1

(b) Again, using S = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
S = 0 × 120 + \(\frac{1}{2}\) × 0.1 × (120)2
= 0 + \(\frac{1}{2}\) × 0.1 × 120 × 120
= \(\frac{1}{2}\) × 1 × 12 × 120
= 720 m/s

Question 17.
A train is travelling at a speed of 90 km h-1. Brakes are applied so as to produce a uniform acceleration of -0.5 ms-2. Find how far the train will move before it is brought to rest?
Solution:
Initial speed of train (υ) = 90km h-1
= 90 × \(\frac{5}{18}\) m s-1
= 5 × 5 ms-1
= 25 ms-1
Uniform acceleration (a) = – 0.5m s-2
Final speed of the train (υ) = 0
Distance moved by the train (S) =?
We know, υ2 – u2 = 2as
(0)2 – (25)2 = 2 × (-0.5) × S
– 25 × 25 = -1 × S
∴ S = 625 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 8 Motion

Question 18.
A trolley, while going down an inclined plane has an acceleration of 2 cm s~2. What will be its velocity 3 s after the start?
Solution:
Here initial velocity of trolley (u) = 0 [∵ starting from rest]
Acceleration (a) = 2cm s-2
Time (t) = 3 s
Final velocity of trolley (υ ) = ?
We know, υ = u + at
υ = 0 + 2 × 3
∴ Final velocity of trolley (υ) = 6 cm s-1 Ans.

Question 19.
A racing car has uniform acceleration of 4 ms-2. What distance will it cover in 10 s after start?
Solution:
Acceleration of racing car (a) = 4 ms-2
Initial velocity of racing car (u) = 0
Time (t) = 10 s
Distance covered by the car (S) = ?
We know, S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
S = 0 × 10 + \(\frac{1}{2}\) × 4 × (10)2
S = 0 + 2 × 10 × 10
∴ Distance covered by racing car (S) = 200 m

Question 20.
A stone is thrown in a vertically upward direction with a velocity of 5 m s-1. If the acceleration of the stone during its motion is 10 m s-2 in the downw ard direction. What will be the height attained by the stone and how much time will it take to reach there?
Solution:
Here, initial velocity (u) = 5 m s-1
Acceleration (a) = – 10 ms-2
[∵ it moves upward against the gravity]
Final velocity of stone (υ) = 0 [At the highest point it is brought to rest]
Height attained (S = h) = ?
Time taken (t) =?
We know,
υ = u + at
0 = 5 + (-10) × t
0 = 5 – 10 × t
10 × t = 5
or t = \(\frac{5}{10}\)
∴ Time taken (t) = 0.5 s
Again, using υ2 – u2 = 2as
(0)2 – (5)2 = 2 × -10 × h
– 5 × 5 = – 20 × h
or h = \(\frac{-25}{-20}\) = \(\frac{5}{4}\)
∴ Height attained (h) – 1.25 m