PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Hindi Guide for Class 9 PSEB कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उत्पादक किस तरह ग्राहकों को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक लुभावने विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में कौन-सा कानून लागू किया ?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया।

प्रश्न 3.
ग्राहकों को किस तरह अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है ?
उत्तर:
रेडियो तथा टेलीविज़न पर विज्ञापनों के द्वारा ग्राहकों को जागरूक किया जाता है।

प्रश्न 4.
कितने रुपये तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है ?
उत्तर:
बीस लाख रुपए तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है।

प्रश्न 5.
20 लाख रुपए से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए ?
उत्तर:
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में दर्ज करवानी चाहिए।

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प्रश्न 6.
एक करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत कितने वर्षों के भीतर करनी चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत दो वर्षों के भीतर करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए फ़ीस अदा करनी पड़ती है ?
उत्तर:
ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई फीस अदा नहीं करनी पड़ती।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता अधिकांश तौर पर सामान खरीदते समय बिल क्यों नहीं लेते ?
उत्तर:
उपभोक्ता वैट बचाने के लिए सामान खरीदते समय बिल नहीं लेते।

प्रश्न 10.
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
उत्तर:
1800-11-4000.

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी वस्तु अथवा सेवा को पाने के बदले धन का भुगतान करता है उसे उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 के अनुसार उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
उपभोक्ता के निम्नलिखित अधिकार हैं
(1) सुरक्षा का अधिकार,
(2) जानकारी होने का अधिकार,
(3) उत्पाद चुनने का अधिकार
(4) शिकायत निवारण का अधिकार,
(5) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है तो उसे क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है, तो उसे इसकी शिकायत उपभोक्ता संरक्षण आयोग में करनी चाहिए। उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता अपनी शिकायत ऑनलाइन किस तरह दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवाने के लिए www.core.nic.in पर लॉग इन करना चाहिए। उपभोक्ता रजिस्ट्रेशन पर एक क्लिक द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता को ऑनलाइन ही शिकायत क्रमांक प्राप्त हो जाता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के किस-किस तरह के मामले आते हैं ?
उत्तर:
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के निम्न तरह के मामले सामने आते हैं
(1) कंपनियां आकर्षक ब्याज दर या कुछ समय में धन दोगुना करने की स्कीम का भ्रामक विज्ञापन देती है तथा उपभोक्ता उनके जाल में फंस जाता है।
(2) एक ही फ्लैट दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया जाता है।
(3) बैंक बिना कारण ग्राहक का खाता फ्रीज कर देते हैं। इससे ग्राहक को वित्तीय लेन-देन में दिक्कत होती है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) उपभोक्ता को एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए।
(2) उत्पाद का बैच नंबर अवश्य जाँचना चाहिए।
(3) पैंकिंग और एक्सपायरी की तारीख अवश्य देखनी चाहिए।
(4) उत्पाद का वज़न देखना चाहिए।
(5) प्रयोग की विधि अवश्य देखनी चाहिए।
(6) उत्पादक का नाम और पता ज़रूर देखना चाहिए।
(7) सामान का बिल अवश्य लेना चाहिए।
(8) पैकेट बंद होने चाहिएँ।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिएअशुद्ध

शुद्ध – अशुद्ध
दूकान – ………………..
व्यकती – ………………..
नाममातर – ………………..
अरोप – ………………..
गराहक – ………………..
विगयापन – ………………..
पीड़त – ………………..
उलंघन – ………………..
उत्तर:
दूकान – दुकान
व्यकती – व्यक्ति
नाममातर – नाममात्र
अरोप – आरोप
गराहक – ग्राहक
विगयापन – विज्ञापन
पीड़त – पीड़ित
उलंघन – उल्लंघन

2. निम्नलिखित शब्दों का वर्णविच्छेद कीजिए

शुद्ध – वर्ण विच्छेद

उपभोक्ता – ………………..
चिकित्सक. – ………………
विज्ञापन – ……………….
शिकायत – ……………
ग्राहक – ………………
उत्पादक – ……………
आकर्षक – ………………..

उत्तर:
उपभोक्ता = उ + प् + अ + भ् + ओ + क् + त् + आ
चिकित्सक. = च् + इ + क् + इ + त् + स + अ + क् + अ
विज्ञापन = व् + इ + ज + ञ् + आ + प् + अ + न् + अ
शिकायत = श् + इ + क् + आ + य् + अ + त् + अ
ग्राहक = ग् + र् + आ + ह + अ + क् + अ
उत्पादक = उ + त् + प् + आ + द् + अ + क् + अ
आकर्षक = आ + क् + अ + र् + ष + अ + क् + अ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप यह पाठ पढ़ने से पूर्व उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण के बारे में क्या जानते थे ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
क्या कभी आपके अधिकारों का हनन/उल्लंघन हुआ है ? यदि हाँ, तो आपने उस स्थिति में क्या किया ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
स्कूल में खोले गए लीगल लिटरेसी क्लब के सदस्य बनें एवं कानून से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से इस क्लब के बारे में जानें।

प्रश्न 2.
मैगज़ीनों/अखबारों में आए उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी लेख/विज्ञापन पढ़ें। जब भी आप कोई ऐसा लेख पढ़ें जिसमें उपभोक्ता को शिकायत के बाद उचित न्याय व मुआवज़ा मिला हो तथा उत्पादक/ दुकानदार आदि को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया हो तो ऐसी खबर को कॉपी में चिपकायें और यदि संभव हो तो संक्षेप में स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाएँ।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया।

2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गई। नैडर के आन्दोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, सन् 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन० एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।

3. एम०आर०पी० (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)-हिन्दी में इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर०पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर०पी० का निर्धारण सरकार करती है। जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ–उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं
(i) जिला उपभोक्ता फोरम-उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है या किराये पर लेता है और वह सामान खराब निकलता है या सेवा में कमी रहती है तो उसकी शिकायत सबसे पहले जिला उपभोक्ता फोरम में की जाती है। हर राज्य में जिला उपभोक्ताओं का गठन किया गया है।
(ii) राज्य उपभोक्ता आयोग-ज़िला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के खिलाफ संबंधित राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की जा सकती है।
(iii) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग-राष्ट्रीय स्तर पर गठित की गई सर्वोच्च संस्था दिल्ली में है। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है।
(iv) टोल फ्री नम्बर-1800-11-4000-(समय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक (सभी कार्य दिवसोंसोमवार से शनिवार)।

5. उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी मैगज़ीनें-कंज्यूमर वॉयस, कंज्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)।

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PSEB 9th Class Hindi Guide कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एम०आर०पी० क्या होता है ?
उत्तर:
एम०आर०पी० का अर्थ है-अधिकतम खुदरा मूल्य।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद कब तक आगे कार्यवाही शुरू हो जाती है ?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद 72 घंटे के भीतर ही आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूसरे पक्ष को कितने दिन के भीतर उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं।
उत्तर:
चौदह दिन के भीतर।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन या चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
एक ताजा अध्ययन के अनुसार कितने उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं ?
उत्तर:
एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ग्राहकों ने इसे सुना है कि ऐसा कोई कानून भी होता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को कौन-सी ठगी व धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी के उपभोक्ताओं को निम्नलिखित धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है
(1) दवाइयों की दुकान पर एक्सपायर दवा दे दी जाती है।
(2) खरीदे गए उत्पाद पर गारंटी के बावजूद भी सर्विस नहीं दी जाती है।
(3) कभी उत्पाद पर लिखे वज़न से कम वज़न का सामान मिलता है।
(4) डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता।
(5) उत्पादक लुभावने विज्ञापनों से ग्राहकों को प्रभावित करते हैं तथा उत्पाद के बारे में ग़लत जानकारी देते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में सादे कागज़ पर निम्न जानकारी देकर शिकायत कर सकता है
(1) शिकायतकर्ता और विपक्ष का नाम तथा पता लिखना चाहिए।
(2) शिकायत से संबंधित तथ्य देने चाहिएं।
(3) शिकायत में लगाए गए आरोपों के समर्थन में ज़रूरी दस्तावेज़ देने चाहिए।
(4) शिकायतकर्ता को राहत अथवा हरजाने का उल्लेख देना चाहिएं। (5) कागज़ पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर ज़रूर होने चाहिएं।
को (it) उपभोक्ता के अधिकारों का हनन कब होता है। उत्तर-उपभोक्ता के अधिकारों का हनन निम्न प्रकार से होता है(1) जब दुकानदार अपने उत्पाद पर लेबल या स्टिकर लगाकर उसे बाज़ार भाव से अधिक कीमत पर बेचता है।
(2) जब रेलवे स्टेशन, ट्रेन, हवाई अड्डे या बस स्टैंड पर किसी सामान को एम०आर०पी० से अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
ललिता गोयल की।

प्रश्न 2.
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
ठगी और धोखाधड़ी का।

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प्रश्न 3.
दवा की दुकान पर कैसी दवा दे दी जाती है ?
उत्तर:
ऐक्सपायरी डेट की।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण कानून कब से लागू किया गया ?
उत्तर:
सन् 1986 ई० से।

प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण कानून से अवगत हैं ?
उत्तर:
मात्र 20%

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
उत्पाद खरीदते समय पैकेट खुले या फटे होने की चिंता नहीं करें।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
बीस लाख रुपए तक के क्लेम जिला स्तर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता शिकायत अधिकारों के हनन के पाँच वर्षों के भीतर करें।
उत्तर:
गलत।

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प्रश्न 9.
कोई भी सामान खरीदते समय बिल लेना आवश्यक नहीं है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

10. उपभोक्ता ……… वही ……… खरीदें जिस पर ……… का लोगो हो।
उत्तर:
उपभोक्ता केवल वही उत्पाद खरीदें जिस पर एगमार्क का लोगो हो।

प्रश्न 11.
उपभोक्ता को …….. के ज़रिए …… कार्यवाही से भी …….. कराया जाता है।
उत्तर:
उपभोक्ता को ईमेल के ज़रिए संपादित कार्यवाही से भी अवगत कराया जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
उपभोक्ता कंज्यूमर टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
(क) 1800112000
(ख) 1800113000
(ग) 1800114000
(घ) 1800115000.
उत्तर:
(ग) 1800114000.

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प्रश्न 13.
बीस लाख रुपए से अधिक के क्लेम कहाँ करने होते हैं ?
(क) जिला आयोग में
(ख) राज्य आयोग में
(ग) राष्ट्रीय आयोग में
(घ) उच्चतम-न्यायालय में।
उत्तर:
(ख) राज्य आयोग में।

प्रश्न 14.
शिकायत कितने वर्षों के अन्दर करनी होती है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 15.
बी० पी० एल० कार्डधारक को शिकायत दर्ज कराने के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है ?
(क) दस रुपए
(ख) पचास रुपए
(ग) सौ रुपए
(घ) कुछ नहीं।
उत्तर:
(घ) कुछ नहीं।

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कठिन शब्दों के अर्थ

रोजमर्रा = प्रतिदिन की, हर रोज़ की। उपभोक्ता = किसी वस्तु को खरीदने वाला। डेट = तिथि। सही = उचित। चिकित्सक = डॉक्टर। खामियाजा = हानि। संरक्षण = सुरक्षा। मसलन = उदाहरण के तौर पर। अंततः = अंत में। शिकायतकर्ता = शिकायत करने वाला। हनन = नष्ट होना, दबाना। एयरपोर्ट = हवाई अड्डा। एम० आर० पी० = अधिकतम मूल्य । फ्लैट = घर। अकाऊंट = खाता। फ्रीज = बंद करना। आकर्षक = लुभावना। तथ्य = यथार्थ, सच। भ्रामक = भ्रम में डालने वाला। शुल्क = फीस। राहत = आराम। दस्तावेज़ = विविध लेख।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Summary

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से जीवन-परिचय

श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, सन् 1973 ई० को हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) तथा एम०ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख रही हैं। इनके लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं। वर्तमान में ये दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रही हैं।
लेखिका की समाज को जागरूक करने में विशेष भूमिका रही है। इस पाठ में इन्होंने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जगाने का प्रयास किया है। इसके साथ उन अधिकारों को पाने के प्रति जागरूक बनाया है। लेखिका ने बड़े सहज भाव से आज के उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए सचेत रहने की प्रेरणा दी है। लेखिका की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। उसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिकता से हुआ है।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से पाठ का सार

‘कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ लेखिका ललिता गोयल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए.जागरूक एवं एकजुट भी किया है। उपभोक्ताओं को हर रोज़ ठगी तथा धोखाधड़ी का शिकार बनना पड़ता है। कभी कोई उन्हें पुरानी दवा दे देता है तो कभी उत्पादों पर उन्हें गारंटी होने पर भी सर्विस नहीं दी जाती। कभी कोई सामान लिखे हुए वज़न से कम निकलता है। कभी डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता। कोई उन्हें ग़लत जानकारी देता है जिसकी हानि उपभोक्ताओं को होती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने सन् 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। यह कानून प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, जानकारी, उत्पाद चुनना, शिकायत करना आदि अनेक अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों को पाने के लिए ग्राहकों को जागना चाहिए। एक सर्वे के अनुसार आज तक देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ने ही इसे सुना है। जबकि इसके लिए कोई भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है। कोई भी शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत भेज सकता है। बीस लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर के आयोग में तथा इससे अधिक राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है। एक करोड़ से अधिक क्लेम पाने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत की जाती है। शिकायत केवल अधिकारों के हनन के दो वर्ष के अंदर ही हो सकती है। अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता को वकील करने की ज़रूरत भी नहीं होती।

दुकानदार द्वारा उत्पाद पर लेबल अथवा स्टिकर लगाकर बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। किसी भी सामान को अधिकतम मूल्य से ज्यादा में बेचना ग़लत होता है। इसकी शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन के अनेक प्रकार के मामले सामने आते हैं। कई बार एक ही घर दो-दो को आबंटित कर दिया जाता हैं। बैंक द्वारा बिना कारण के खाता बंद कर देना। इनसे उपभोक्ता केवल जागरूक बनकर ही बच सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को केवल एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए। बैच नंबर को देखना चाहिए। पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न आदि को देखना चाहिए। खरीदी गई वस्तु का बिल अवश्य लेना चाहिए। गारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवाएँ। उपभोक्ता इंटरनेट के द्वारा भी अपनी शिकायत कर सकता है। इस पर 72 घंटे के भीतर ही कार्यवाही शुरू हो जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर ही उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। यही नहीं उपभोक्ता 1800-11-4000 राष्ट्रीय उपभोक्ता सहायता नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

 

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 16 बचेंद्री पाल

Hindi Guide for Class 9 PSEB बचेंद्री पाल Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बद्री पाल ने बचपन में क्या दृढ़ निश्चय कर लिया था ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने बचपन में यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह परिवार में किसी से पीछे नहीं रहेगी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के माता-पिता किस बात से दुःखी थे ?
उत्तर:
बद्री पाल के माता-पिता अपने बच्चों की सपनों की दुनिया से दुःखी थे।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने किन मैदानी खेलों में कप जीते ?
उत्तर:
बद्री पाल ने गोला फेंक, डिस्क फेंक तथा लंबी दौड़ में कप जीते।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने कब अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्पित किया?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्मित किया।

प्रश्न 5.
‘रैपलिंग’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
रैपलिंग का अर्थ है-ऊँची चट्टान अथवा हिमखंड से एक नाइलोन की रस्सी के सहारे कुछ ही क्षणों में नीचे आना।

प्रश्न 6.
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी ने बर्फ काटने के लिए किस चीज़ का इस्तेमाल किया ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी के बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया।

प्रश्न 7.
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला कौन है ?
उत्तर:
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला बचेंद्री पाल है।

प्रश्न 8.
एवरेस्ट पर आनन्द के क्षणों में बचेंद्री पाल को किन का ध्यान आया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर आनंद में क्षणों में बचेंद्री पाल को अपने माता-पिता का ध्यान आया।

प्रश्न 9.
बचेंद्री पाल को कौन-कौन से पुरस्कार दिए गए ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक पुरस्कार दिए गए।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल निडर और स्वतंत्र कैसे बन गई थी ?
उत्तर:
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर प्रायः अकेली घूमती थी। वह प्रकृति के साथ स्वंतत्र होकर खेलती थी। प्रकृति के साथ इस खुलाव से निडर तथा स्वतंत्र बन गई।

प्रश्न 2.
बद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही कौन-कौन सी दौड़ का अभ्यास करना शुरू कर देती थी ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही तीन टॅगडी, सूई धागे वाली दौड, बोरा दौड तथा सिर पर पानी भरा मटका रखकर होने वाली दौड़ आदि का अभ्यास करना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने अपनी शिक्षा कैसे प्राप्त की ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल दिन के समय केवल अपने हिस्से का ही नहीं बल्कि कहीं अधिक काम करती थी। वह अपने मित्रों से किताबें उधार लेकर देर रात तक पढ़ती थी। उसने सिलाई-कढ़ाई का काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया।

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में क्या-क्या सीखा ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में बर्फ और चट्टानों पर चढ़ने के तरीके सीखे। रैपलिंग करना सीखा। अभियान को आयोजित करने का प्रशिक्षण भी लिया।

प्रश्न 5.
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तर:
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में कहा कि तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हे तो शिखर पर पहले की प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठ कर क्या किया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठकर बर्फ पर अपना माथा लगाया और सागर माथे के ताज का चुंबन लिया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला। उन्हें लाल कपड़े में लपेटकर छोटीसी पूजा की तथा बर्फ में दबा दिया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल के चमौली जिले में बंपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हंसादेई नेगी ततथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। वह बचपन से ही निडर तथा साहसी थी। वह बहुत बड़ी स्वप्न दुष्टा थी। वह दृढ़ निश्चयी थी। उसने बचपन में ही अपने परिवार में किसी से पीछे न रहने का निश्चय कर लिया था। उसने एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना देखा और कठिन परिश्रम से उसे पूरा किया। वह प्रतियोगिता में पूरे परिश्रम से भाग लेती थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने 1 मई, सन् 1984 तक एवरेस्ट पर जाने की योजना की सही तैयारी कर ली थी। 8 मई को साउथ कोल पहुँच कर 9 मई को चोटी पर पहुँचने का प्रयास करना था। उसने 9 मई को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया। 16 मई प्रातः 8 बजे तक दूसरे कैंप में पहुँच गई। अगली सुबह: 6:20 पर उसने अंग दोरजी के साथ बिना रस्सी के चढ़ाई शुरू की। उन्होंने चट्टानों पर चढ़ते हुए बर्फ को काटने के लिए फावड़े का प्रयोग किया। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप पर पहुँच गए। इस प्रकार निरंतर बढ़ते हुए वह 23 मई, सन् 1984 को एवरेस्ट चोटी पर पहुँच गई।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन

एकवचन – बहुवचन
किताब – ………….
क़मीज़ – ………….
चट्टान – ………….
तकनीक – ………….
चादर – ………….
साँस – ………….
लड़की – ………….
मटका – ………….
धागा – ………….
परीक्षा – ………….
इच्छा – ………….
श्रेणी – ………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
किताब – किताबें
क़मीज़ – कमीजें
चट्टान – चट्टानें
तकनीक – तकनीकियाँ
चादर – चादरें
साँस – साँसें
लड़की – लड़कियाँ
मटका – मटके
धागा – धागे
परीक्षा – परीक्षाएँ
इच्छा – इच्छाएँ
श्रेणी – श्रेणियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – …………. – ………….
पाशिक्षण – …………. – ………….
प्रशिक्षक – …………. – ………….
परिवार – …………. – ………….
परिश्रम – …………. – ………….
अभियान – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – प्र – वासी
प्रशिक्षण – प्र – शिक्षण
प्रशिक्षक – प्र – शिक्षक
परिवार – परि – वार
परिश्रम – परि – श्रम
अभियान – अभि – यान

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – …………. – ………….
चढ़ाई – …………. – ………….
न्यूनतम – …………. – ………….
बचपन – …………. – ………….
सफलता – …………. – ………….
कठिनाई – …………. – ………….
सुरक्षित – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – ऊँच – आई
चढ़ाई – चढ़ – आई
न्यूनतम – न्यून – तम
बचपन – बच्चा – पन
सफलता – सफल – ता
कठिनाई – कठिन – आई
सुरक्षित – सुरक्षा – इत

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिये कि आप पर्वतारोहण के लिए गये हैं। अपने मित्र को पत्र लिखकर पर्वतारोहण का अनुभव बताइए।
उत्तर:
108, विकास नगर,
नई दिल्ली ।
4 मई, 20…
प्रिय मित्र,
नमस्कार।

मैं पिछले सप्ताह अपने मित्र के साथ हिमालय पर्वतारोहण के लिए गया हुआ था। हमने कठिन संघर्ष करके अनेक चट्टानों को पार किया। हमने अपनी मंजिल पर जाने से पहले चार पड़ाव डाले। इसके लिए हमें चार दिन का समय लगा। हम अपने साथ ज़रूरत का सारा सामान लिए हुए थे। अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए अतंतः हम पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर मैंने प्रभु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। वहाँ से अगले दिन हमने उतरना शुरू किया और इस तरह तीन-दिन में हम नीचे कुशल से आ गए। इस यात्रा में मैंने खूब आनंद उठाया।

आपका प्रिय,
विक्रम

प्रश्न 2.
आपने अपने भविष्य के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है ? ।
उत्तर:
मैं एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ। मैं इसलिए अध्यापक बनना चाहता हूँ ताकि अपने देश की सच्ची सेवा कर सकूँ। मैं एक आदर्श अध्यापक बनकर बच्चों को आदर्श नागरिक बनाना चाहता हूँ। मैं उन्हें समाज, संस्कृति, धर्म की शिक्षा देना चाहता हूँ। मैं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना चाहता हूँ। मैं जीवन भर स्वयं शिक्षा से जुड़कर देश के कर्णधारों को शिक्षा प्रदान करना चाहता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में होने वाले खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्थान प्राप्त करने वाली भारतीय महिलाओं के चित्र चार्ट पर लगाकर कक्षा में टाँगे।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. एवरेस्ट पर्वत : एवरेस्ट पर्वत (नेपाली में सागरमाथा अर्थात् स्वर्ग का शीर्ष, संस्कृत में देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 8848 मीटर है।
2. तेनजिंग नॉरगे : तेनजिंग नॉरगे एक नेपाली पर्वतारोही थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मांऊट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इस मिशन में न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी उनके साथ थे। 29 मई, सन् 1953 को सातवें प्रयास में उन्हें इस मिशन में सफलता मिली।
3. भारत की प्रथम महिला :
(i) भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी
(ii) भारत की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजिनी नायडू
(iii) भारत की प्रथम विश्व सुंदरी – कु० रीता फारिया
(iv) भारत की प्रथम मिस यूनिवर्स – सुष्मिता सेन ।
(v) यूनाइटेड नेशन जनरल एसेम्बली की प्रथम भारतीय महिला और अध्यक्ष – विजय लक्ष्मी पंडित
(vi) किसी उच्च न्यायालय (केरल उच्च न्यायालय) की प्रथम भारतीय महिला जज – अन्ना चान्डी
(vii) भारतीय पुलिस सेवा (आई० पी० एस०) में भर्ती होने वाली प्रथम महिला – किरण बेदी
(viii) माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला – बचेंद्री पाल
(ix) भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रथम महिला जज – न्यायमूर्ति एम० फातिमा बीबी
(x) अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला – कल्पना चावला
(xi) भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा पाटिल
(xii) लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष – मीरा कुमार

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PSEB 9th Class Hindi Guide बचेंद्री पाल Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की कौन-सी संतान है ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की तीसरी संतान है।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र किसने बनाया ?
उत्तर:
प्रकृति के साथ उसके खुलाव ने बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र बना दिया।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में कौन आनंद लेता था ?
उत्तर:
परिवार के छोटे सदस्य बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में आनंद लेते थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल किसमें विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी?
उत्तर:
बचेंद्री पाल हर तरह की बाहरी क्रीड़ा में विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी। वह विशेष रूप से लडकों के साथ होने वाली प्रतियोगिताओं में विशिष्टता चाहती थीं।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के जीवन का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के जीवन का पहला उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना था। उसका दूसरा उद्देश्य पवर्तरोहण था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
अपने आप को मजबूत बनाने के लिए बचेंद्री पाल ने क्या किया ?
उत्तर:
अपने आप को मज़बूत बनाने के लिए बद्री पाल घास चारे तथा सूखी लकड़ी के भारी गट्ठर घर लाने लगी। वह रोज़ आने-जाने का रास्ता बदलने लगी। वह अधिक दुर्गम रास्तों और घाटियों से होकर निकलने लगी। यह जानबूझकर पत्थरों के ऊपर से चलती थी। वह सीधी खड़ी ढलान चट्टानों से नीचे उतरने लगी थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर कौन प्रभावित हुए और कैसे ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर परिवार का प्रत्येक आदमी बहुत प्रभावित हुआ। उसकी माता तथा बहन कमला ने उसे पढ़ाने के लिए पिता से वकालत की। इससे उसे नौवीं कक्षा में दाखिले की अनुमति मिल गई।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘बचेंद्रीपाल’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
बचेंद्रीपाल।

प्रश्न 2.
बद्रीपाल कैसी लड़की थी ?
उत्तर:
वह एक स्वप्न दृष्टा लड़की थी।

प्रश्न 3.
पर्वतारोही कोर्स के लिए बचेंद्रीपाल ने कहाँ आवेदन किया ?
उत्तर:
नेहरू संस्थान में।

प्रश्न 4.
बचेंद्रीपाल एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँची ?
उत्तर:
23 मई, सन् 1984 को दोपहर 1 बजे।

प्रश्न 5.
शिखर पर बचेंद्रीपाल ने कितना समय व्यतीत किया ?
उत्तर:
43 मिनट।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बचेंद्रीपाल दस वर्ष की आयु में ही पहाड़ी ढलानों पर घूमती थी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7. बचेंद्रीपाल सिलाई करके दस-बीस रुपए रोज़ कमाने लगी।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
इंडियन माउन्टेनियरिंग फाउंडेशन ने सन् 1984 ई० के एवरेस्ट अभियान के लिए बचेंद्रीपाल को चुना।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बचेंद्रीपाल शिखर कैंप पर दो घंटे से अधिक समय में पहुँची।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
तुम्हें तो ……. पर पहले ही …….. में ……. जाना चाहिए।
उत्तर:
तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
एवरेस्ट ……. में मेरी …….. इच्छाओं की ……. हुई है।
उत्तर:
एवरेस्ट चढ़ाई से मेरी हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
बद्रीपाल का जन्म कब हुआ था ?
(क) 24 मई, 1954
(ख) 24 मई, 1955
(ग) 24 मई, 1956
(घ) 24 मई, 1958.
उत्तर:
(क) 24 मई, 1954.

प्रश्न 13.
बचेंद्रीपाल ने आठवीं की परीक्षा लगभग कितने वर्षों की आयु में उत्तीर्ण की थी ?
(क) 11
(ख) 12
(ग) 13
(घ) 14.
उत्तर:
(ग) 13.

प्रश्न 14.
आरोहण योजना की पूरी तैयारी कब तक हो गई थी ?
(क) मई 1980 तक
(ख) मई 1982 तक
(ग) मई 1984 तक
(घ) मई, 1986 तक।
उत्तर:
(ग) मई, 1984 तक।

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प्रश्न 15.
कैम्प दो तक बचेंद्रीपाल कब पहुँची ?
(क) 8 मई
(ख) 9 मई
(ग) 15 मई
(घ) 16 मई।
उत्तर:
(घ) 16 मई।

प्रश्न 16.
‘मैं बहुत खुश हूँ’-कथन किसका है ?
(क) बचेंद्री का
(ख) दोरजी का
(ग) तेनजिंग का
(घ) कमला का।
उत्तर:
(ख) दोरजी का।

कठिन शब्दों के अर्थ

स्वप्नदृष्टा = स्वप्न देखने वाला। प्रवासी = दूसरे स्थान का निवासी। बेहतर = अच्छा। न्यूनतम = सब से कम, कम से कम। साकार = आकार युक्त। शिखर = चोटी। क्रीड़ा = खेल। इस्तेमाल = प्रयोग। विशिष्टता = विशेषता। प्रतियोगिता = मुकाबला। बर्दाश्त = सहन करने की शक्ति। साऊथ = दक्षिण। पर्वतारोहण = पर्वतों पर चढ़ना। प्रारंभिक = शुरू का। पर्वतारोही = पहाड़ पर चढ़ने वाला। रोमांच = रोंगटे खड़े होना। आश्चर्यचकित = हैरान। हिमखंड = बर्फ का टुकड़ा। प्रशिक्षण = नियमित रूप से दी जाने वाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग। संस्तुति = प्रशंसा। इंतजार = प्रतीक्षा। प्रशिक्षक = प्रशिक्षण देने वाला। प्रोत्साहन = किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाना। दुर्गम = जहाँ पहुँचना कठिन हो। स्वर्ण = सोना। क्रिया-कलाप = किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम। रैपलिंग = ऊँची चट्टान से रस्सी द्वारा नीचे उतरना। दक्ष = निपुण, कुशल। शिखर = पहाड़ की चोटी। आरोहण = ऊपर की ओर चढ़ना। प्रस्थान = जाना, रवानगी। बरफ = बर्फ़। आरोही = चढ़ने या ऊपर जाने वाला। एवरेस्ट = हिमालय की सबसे ऊँची चोटी। उपस्कर = सामान। फावड़ा = कुदाल। प्रतिष्ठित = सम्मानित।

बचेंद्री पाल Summary

बचेंद्री पाल जीवन-परिचय

बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के चमौली जिले में बपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हँसादेई नेगी तथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनका बचपन ग़रीबी में व्यतीत हुआ। इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। इसलिए बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठाना पड़ा। इसके लिए उसने सिलाई-कढ़ाई शुरू की। इन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए एम०ए० (संस्कृत), बी०एड० की शिक्षा प्राप्त की।
इनको पहाड़ों पर चढ़ने का बचपन से ही शौक था। सन् 1984 ई० में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। तब तक दुनिया में केवल चार महिलाएँ ही चढ़ाई में सफल हो पाई थीं। सन् 1984 ई० में बचेंद्री पाल का एवरेस्ट चढ़ाई अभियान में चयन हुआ। इन्होंने 7 महिलाओं और 11 पुरुषों के साथ एवरेस्ट चढ़ाई शुरू की। 23 मई, सन् 1984 ई० को 1 बजकर, 7 मिनट पर इन्होंने एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक कदम रखा। ऐसा करने वाली वे भारत की पहली तथा संसार की पांचवीं महिला पर्वतारोही बन गई।
बचेंद्री पाल एक श्रेष्ठ पर्वतारोही महिला हैं। उन्होंने एवरेस्ट विजय अभियान का रोचक वर्णन किया है। उन्होंने पर्वतारोहण यात्रा के अनेक सजीव चित्र खींचे हैं। उनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

बचेंद्री पाल पाठ का सार

‘बद्री पाल’ यात्रा वृत्तांत पर्वतारोही बचेंद्री पाल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय अभिमान की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इसमें इन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा तथा पर्वतारोहण यात्रा का वर्णन किया है। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने लड़की होकर भी कुछ अलग करने का निश्चय कर लिया था। वह बहुत बड़े-बड़े सपने देखा करती थी। वह दस वर्ष की उम्र में ही जंगलों तथा पहाड़ी ढलानों पर अकेली निडर होकर घूमा करती थी। उसका बचपन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हुआ। किंतु उसने बचपन में ही माता-पिता को कुछ अलग करने को कहा, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। खेलकूद में भी बहुत श्रेष्ठ- उसने गोला फेंक, डिस्क फेंक और लंबी कूद में अनेक कप जीते। आठवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। आगे की पढ़ाई सिलाईकढ़ाई का काम करके जारी रखी क्योंकि उसके पिता ने आगे पढ़ने से मना कर दिया था। लगातार कठोर मेहनत करके उसने एम०ए०, बी० एड० की पढ़ाई की। घर में खाली बैठने की बजाय उसने नेहरू संस्थान के आरंभिक पर्वतरोही कोर्स में प्रवेश ले लिया। यहाँ बर्फ तथा चट्टानों पर चढ़ने के तरीकों का अध्ययन किया।

रैपलिंग के रोमांच का अनुभव किया। यहाँ अभियान को आयोजित करने का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद काला नाग 6387 मीटर की चढ़ाई की। इस चढ़ाई में उसे ‘ए’ ग्रेड मिला। यहाँ से अन्य अभियानों में भाग लेने की अनुमति मिल गई। सन् 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया। इसके लिए 9 मई, सन् 1984 ई० को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया गया। 16 मई को प्रात: आठ बजे तक अभियान के दूसरे कैंप तक साथियों के साथ पहुँच गई। यहाँ से अगले दिन सुबह चढ़ाई शुरू की। यहाँ से बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के साथ बिना रस्सी के ही चढ़ाई शुरू की। वह अंग दोर जी के साथ निश्चित गति से ऊपर चढ़ती गई। जमी बर्फ से सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त एवं भुरभुरी थीं। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप में पहुंच गए। अंतत: 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई। उसने घुटनों के बल बैठकर सागरमाथे के ताज का चुंबन किया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला तथा लाल कपड़े में लपेटकर छोटी-सी पूजा अर्चना की। आनंद के उस क्षण में माता-पिता का ध्यान आया। उसने हाथ जोड़ कर दोरजी के प्रति आदर प्रकट किया। वह बहुत खुश थी। उस शिखर पर उसने 43 मिनट बिताए। चोटी के समीप के खुले स्थान से पत्थरों के कुछ नमूने लेकर वापस यात्रा शुरू की। इस यात्रा के पर्वतारोहण में श्रेष्ठता के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ ने उसे प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक दिया तथा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार दिए। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Hindi Guide for Class 9 PSEB एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी क्या कुछ लुटा देता है ?
उत्तर:
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।

प्रश्न 2.
व्यसन या ड्रग एडिक्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब आदमी का मन और शरीर दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं और वह नशे बिना नहीं रहता तो इसे व्यसन

प्रश्न 3.
नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में कौन फँस जाता है ?
उत्तर:
मन का सन्तुलन खोजता आदमी नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

प्रश्न 4.
कोकेन के सेवन से क्या नुकसान होता है ?
उत्तर:
कोकेन के सेवन से त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगने का आभास होता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन नष्ट हो जाता है। अपनों का प्यार और साथ खो जाता है। वह दुनिया में अकेला रह जाता है।

प्रश्न 6.
नशा करने से आर्थिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से आर्थिक समस्याएँ दिनों-दिन बढ़ती जाती हैं।

प्रश्न 7.
कौन-कौन सी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं ?
उत्तर:
सरकारी, गैर-सरकारी, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशे की भूल-भुलैया में लोग क्यों फँस जाते हैं ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में लोग इसलिए फंस जाते हैं ताकि वे अपने जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ सके।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किस तरह के लोग नशे के शिकार होते हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार कोई गम दूर करने, तो कोई शून्य, स्नेहरिक्त, जीवन में रस लाने के लिए, कोई उत्सुकतावश तो कोई फैशनेबल दिखाने के लिए नशे के शिकार होते हैं।

प्रश्न 3.
लोगों में नशे के बारे में किस तरह की ग़लतफहमी है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लोगों में नशे के बारे में ग़लतफहमी है कि नशा कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता बढ़ाता है।

प्रश्न 4.
नशा करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ जाता है ?
उत्तर:
नशा करने वाले व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है। उस पर आलस्य छा जाता है। वह शंकालु बन जाता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से कौन-कौन-सी भयंकर बीमारियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशा करने से एड्स, हेपेटाइटिस, वातस्फीति, दमा, खांसी आदि भंयकर बीमारियाँ होती हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशा करने का एक बार का अनुभव आगे चलकर व्यसन में बदल जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशे की शुरुआत आदमी अपने किसी दोस्त या साथी के कहे में आकर करता है। धीरे-धीरे उसका यह अनुभव व्यसन में बदल जाता है। वह इसका आदी बन जाता है। उसे नशे के बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता। नशा न मिलने पर वह छटपटाने लगता है। उसका शरीर और मन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
नशेड़ी व्यक्ति का जीवन अंतत: नीरस हो जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशेडी व्यक्ति के जीवन में कुछ भी शेष नहीं रहता। उसका शरीर ही नहीं बल्कि मन भी रोगों का शिकार बन जाता है। उसका सामाजिक स्तर टूट जाता है। कोई उससे बात करना भी पसंद नहीं करता। न उसके पास धन रहता है और न यौवन। अनेक बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं। इस प्रकार नशेड़ी व्यक्ति का जीवन नीरस बन जाता है।

प्रश्न 3.
नशामुक्ति के क्या-क्या उपाय किए जाते हैं ?
उत्तर:
नशामुक्ति के लिए निम्न उपाय किए जाते हैं
(1) नशामुक्ति के लिए मनोरोग विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं।
(2) डॉक्टर नशे की खुराक को घटते हुए देकर धीरे-धीरे बंद कर देते हैं।
(3) ऐसी दवाएँ दी जाती हैं जिससे तन-मन की छटपटाहट काबू हो जाती है।
(4) रोगी को अस्पताल भी भर्ती कर सकते हैं।
(5) रोगी के मानसिक एवं सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
(6) अनेक संस्थाओं द्वारा मदद ली जाती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि मन को कमज़ोर बनाने वाली स्थितियाँ भी नशे की ओर धकेल सकती हैं। मन का संतुलन खोजना आदमी एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि आदमी के जीवन में किसी प्रकार का दुःख, तनाव, असफलता आदि हो तो वे भी उसके मन को कमजोर बना देती हैं जिसके कारण आदमी नशे की ओर चला जाता है। वह नशा करने लगता है। वह इसमें अपने मन का संतुलन बनाना चाहता है लेकिन धीरे-धीरे एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

प्रश्न 5.
किंतु अच्छाई इसी में है कि इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल आज़ाद ही रखें। कोई कुछ भी कहें, न तो नशों के साथ एक्सपेरिमेंट करना अच्छा है, न ऐसी संगत में रहना ठीक है जहाँ लोग उसके चंगुल में कैद हों।
उत्तर:
लेखक नशे से बचने का सुझाव देता है कि अस्थाई इसी बात में है कि नशे के चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल स्वतन्त्र रखना चाहिए। हमें कभी भी नशे का शिकार नहीं होना चाहिए। चाहे कोई कुछ भी कहे न तो नशों के साथ परीक्षण करना अच्छा होता है और न ही ऐसी संगित में रहना जहाँ लोग उसके शिकार होते हैं।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – …………… – …………….
दुष्प्रभाव – …………… – …………….
बेचैन – …………… – …………….
बेरोज़गार – …………… – …………….
उत्खनन – …………… – …………….
विवश – …………… – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – निर – बुद्धि
दुष्प्रभाव – दुः – प्रभाव
बेचैन – बे – चैन
बेरोज़गार – बे – रोज़गार
उत्खनन – उत् – खनन
विवश – वि – वश

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
निर्भरता – …………… – …………….
पुरातात्विक – …………… – …………….
मानसिक – …………… – …………….
विफलता – …………… – …………….
शारीरिक – …………… – …………….
मनोवैज्ञानिक – …………… – …………….
कल्पनाशीलता – …………… – …………….
चिकित्सीय – …………… – …………….
सृजनात्मकता – …………… – …………….
सरकारी – …………… – …………….
उत्तर:
निर्भरता – निर्भर – ता
पुरातात्विक – पुरातत्व – इक
मानसिक – मानस – इक
विफलता – विफल – ता
शारीरिक – शरीर – इक
मनोवैज्ञानिक – मनोविज्ञान – इक
कल्पनाशीलता – कल्पनाशील – ता
चिकित्सीय – चिकित्सा – ईय
सृजनात्मकता – सृजनात्मक – ता
सरकारी – सरकार – ई

3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना – ……………….
  • रग-रग में फैलना – सब जगह फैलना – ……………….
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना – ……………….
  • सुध न रहना – याद न रहना – ………………..
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना – …………….
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना – ……………..

उत्तर:

  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना
    वाक्य – विद्यार्थियों को आलस्य से सदा मुँह मोड़ना चाहिए।
  • रग – रग में फैलना-सब जगह फैलना
    वाक्य – साँप का ज़हर किसान की रग-रग में अब तक फैल चुका होगा।
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना
    वाक्य – कवि को उस के पिता ने ऐसा समझाया कि यह बात उस में घर कर गई है।
  • सुध न रहना – याद न रहना
    वाक्य – परीक्षा निकट आते ही विद्यार्थियों को खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती।
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना
    वाक्य-अरे ! मेहनत करो गम ग़लत करने से कुछ नहीं होगा।
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना
    वाक्य – संते और बंते का नाता टूट चुका है।

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4. निम्नलिखित पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
ਗੀਲੀ ਗੀਲੀ ਤਵ ਤੀ ਭਉਤਾ ਦੀ ਹੈਪੀ ਸਾਂਤੀ
उत्तर:
धीरे-धीरे खुराक की मात्रा भी बढ़ती जाती है।

प्रश्न 2.
ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਦੋਸਤ ਜਾਂ ਸਾਥੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे की शुरुआत आमतौर पर किसी दोस्त या साथी के कहने में आ कर होती है।

प्रश्न 3.
ਨਸ਼ੇੜੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਮਨ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ।
उत्तर:
नशेड़ी व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता।

प्रश्न 4.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਲਤ ਤੋਂ ਮੁਕਤੀ ਪਾਉਣਾ ਅਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
उत्तर:
नशीले पदार्थों की आदत से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 5.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਅਜ਼ਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे से हमें स्वयं को सदा आज़ाद रखना चाहिए।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘घर में बड़ों को नशा करते देखकर भी कुछ किशोर और युवा गुमराह हो जाते हैं। क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? यदि हाँ, तो चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं लेखक की इस उक्ति से सहमत हूँ। जब किशोर और युवा अपने घर में बड़ों को नशा करते हुए देखते हैं तो वे भी गुमराह हो जाते हैं क्योंकि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं। बड़े ही बच्चों का आइना होते हैं। घर में बड़े जैसा व्यवहार और काम करते हैं बच्चे वैसा ही करते चले जाते हैं। इसलिए घर में बड़ों को संयम में रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
यदि आपको कोई नशा करने के लिए उकसाए तो आप किस तरह उसे मना करेंगे ?
उत्तर:
यदि कोई मुझे नशा करने के लिए उकसाएगा तो मैं उसे साफ शब्दों में मना कर दूंगा। उसके लाख प्रयास करने पर भी मैं उसे न ही कहूँगा। मैं उसे समझाऊंगा कि नशा हमारे जीवन के लिए बहुत हानिकारक है। इससे धीरेधीरे हमारा शरीर कमज़ोर बनता है और एक दिन नष्ट हो जाता है इसलिए तुझे भी नशा छोड़ देना चाहिए। यदि वह मेरा मित्र हुआ तो मैं उस से अपनी मित्रता भी सदा के लिए छोड़ दूंगा।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
कक्षा अध्यापक की सहायता से स्वयं बनाएं।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से नशा-उन्मूलन रैली का आयोजन किया जाए तो इन नारों से समाज को नशों से दूर रहने के लिए जागृत करें।
उत्तर:
1. नशा उन्मूलन सम्बन्धी नारें1. नशा जीवन की बर्बादी है।
2. नशा छोड़ो-जीवन जोड़ो।
3. नशा भगाओ जीवन खुशहाल बनाओ।
4. नशा है एक कुल्हाड़ी, काटे जीवन की गाड़ी।
5. नशा भगाओ, खुशियाँ लाओ।
6. नशा भगाओ, सबका प्रेम पाओ।

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प्रश्न 3.
नशों के घातक परिणामों से सम्बन्धित चित्र अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से इकट्ठे कीजिए और उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी कोई एकांकी ढूँ अथवा अपने मित्रों/अध्यापकों की मदद से छोटी-सी नाटिका लिखें और उसे बाल-सभा में मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
जब भी कभी आपके स्कूल में नशों के विरोध में कोई आयोजन हो तो उस अवसर पर ‘नशामुक्ति’/ ‘नशाबंदी’ विषय पर छात्रों का एक समूह मिलकर एक प्रदर्शनी का आयोजन करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 6.
स्कूल में नशा-उन्मूलन विषय पर आयोजित होने वाली विभिन्न क्रियाओं जैसे ‘निबन्ध’, ‘भाषण’, ‘वादविवाद’ तथा ‘पोस्टर बनाना’ आदि प्रतियोगिताओं में सक्रिय भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

प्रश्न 7.
1 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ‘विश्व एड्स दिवस’ के अवसर पर स्कूल में आयोजित होने वाली कार्यशाला में भाग लें। इस अवसर पर अध्यापकों, रिसोर्स पर्सन्स, चिकित्सकों आदि के “एड्स’ विषय पर बहुमूल्य विचार सुनें एवं इस अवसर पर आयोजित ‘प्रश्नोत्तरी काल’ में ‘एड्स’ से सम्बन्धित प्रश्न पूछ कर अपनी सभी जिज्ञासाओं को शान्त करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. कोकेन-यह भी एक खतरनाक ड्रग है। इसकी लत में दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक और नैतिक पतन हो जाता है। भारत सहित अनेक देशों में इसके उपयोग और बिक्री पर रोक है।

2. एल० एस० डी० (लाइसर्जिक एसिड डाई-ऐथाइलामाइड)-तेज़ मादक पदार्थ जिसे लेने से मानसिक व्यवहार और शारीरिक क्रिया-कलापों पर गहरा असर पड़ता है। मन व्यग्रता से घिर उठता है, मतिभ्रम और दृष्टिभ्रम होने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और तरह-तरह की मानसिक विकृतियाँ दिलोदिमाग पर हावी हो जाती हैं।

3. पीसीपी (फेनसाइक्लीडिन)-कई नामों जैसे एंजल डस्ट, पीस पिल (शाँति की गोली) और सेरनिल के नाम से बिकने वाली नशे की गोली जिसे लेने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और मन-मस्तिष्क में कई तरह के भ्रम-विभ्रम उठ खड़े होते हैं।

4. कैनाविस-देश के कई हिस्सों में उगने वाली बूटी, जिसके विभिन्न हिस्सों से मादक पदार्थ भांग, गांजा और चरस प्राप्त किए जाते हैं। इनका नशे करने से मतिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके चलते छोटी-सी चीजें बहुत बड़ी दिखने लग सकती हैं, कानों में आवाजें सुनाई देने लग सकती हैं, और नशे की इस हालात में आदमी कई प्रकार से अपना बुरा कर सकता है। लंबे समय तक इनके सेवन से तन-मन दोनों पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं।

5. एम्फेटामिन दवाएँ-मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाली शक्तिशाली दवाओं का एक खास वर्ग। अक्सर इन दवाओं का दुरुपयोग एकाग्रता और मानसिक सतर्कता में वृद्धि लाने के लिए होता है। युवा पीढ़ी में ‘स्पीड’ के नाम से लोकप्रिय ये दवाएँ नींद भगाने, थकान मिटाने और सुखबोध उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं, किंतु उनके सेवन से तनमन पर अनेक दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। ये दवाएँ अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कनों की गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर में वृद्धि पैदा करती हैं, आदमी को नशाखोर बनाती हैं और दिल पर बुरा असर डाल मौत की नींद सुला सकती हैं।

6. एच० आई० वी० (ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएन्सी वायरस)-यह एक विषाणु है जिसके साथ एड्स फैलता है।

7. एड्स-यह अंग्रेजी के अक्षर ए० आई० डी० एस० से बना है अर्थात् एक्वायर्ड इम्यून डैफिशिएन्सी सिन्ड्रोम। वास्तव में यह कोई रोग नहीं है अपितु एक शारीरिक अवस्था है जिसमें मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते-होते लगभग खत्म ही हो जाती है तथा मनुष्य फिर साधारण रोग-कीटाणुओं द्वारा फैलने वाली सामान्य बीमारियों से भी अपने आप को बचा नहीं पाता। इस तरह फिर वह प्राणघातक संक्रामक रोगों कई तरह के कैंसर आदि से ग्रस्त हो सकता है।

8. तपेदिक (क्षयरोग) T.B. (Tubercle bacillus)-यह एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। यह हवा के माध्यम से तब फैलती है जब वे लोग जो टी.बी. संक्रमण से ग्रसित हैं और छींक, खांसी या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपनी लार संचारित कर देते हैं।

9. हेपेटाइटस बी/यकृतशोथ-यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

PSEB 9th Class Hindi Guide एक अंतहीन चक्रव्यूह Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
नशा किसको अपना गुलाम बना लेता है ?
उत्तर:
नशा मन के बाद शरीर को अपना गुलाम बना लेता है।

प्रश्न (ii)
कौन-सी स्थितियाँ आदमी को नशों की ओर धकेल सकती हैं ?
उत्तर:
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि स्थितियाँ आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है।

प्रश्न (iii)
नशे की वास्तविकता क्या है ?
उत्तर:
नशे की वास्तविकता यह है कि नशा करने से मनन क्षमता क्षीण हो जाती है तथा व्यक्ति अपना स्वास्थ्य भी गंवा सकता है।

प्रश्न (iv)
मादक पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद दूसरा चरण क्या है ?
उत्तर:
दूसरे चरण में रोगी के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
आदमी की नशे की निर्भरता कितने प्रकार की होती हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
आदमी की नशे की निर्भरता दो प्रकार की होती है
(1) पहली निर्भरता में आदमी को नशा न मिलने पर मन बेचैन होने लगता है, परन्तु शारीरिक लक्षण नहीं उभरते।
(2) दूसरा नशे में मन के बाद शरीर भी धीरे-धीरे उसका गुलाम बन जाता है।

प्रश्न (ii)
व्यक्तित्व की कौन-सी कमियाँ व्यक्ति को नशे में डुबो सकती हैं ?
उत्तर:
थोड़ी-सी बात पर चिन्ता, तनाव, अवसाद तथा मन में हीन भावना घर करना सभी व्यक्तित्व की कमियाँ आदमी को नशे में डुबो सकती हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न (i)
नशे से आदमी के जीवन में क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशे से आदमी के जीवन में निम्नलिखित हानियाँ होती हैं
(1) आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।
(2) आदमी का मन और तन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।
(3) मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
(4) सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
(5) आदमी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
(6) एड्स, हेपेटाइटिस बी, वातस्फीति, दमा, टी० बी० आदि भंयकर रोग हो जाते हैं।

प्रश्न (ii)
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है
(1) यह आदमी का मनन-क्षमता तथा स्मरण शक्ति को कमजोर बना देता है।
(2) रोगी पर आलस्य छाया रहता है।
(3) वह पोस्ती हो जाता है।
(4) आदमी का किसी कमा-काज में मन नहीं लगता।
(5) आदमी का स्वास्थ्य चिड़चिड़ा हो जाता है।
(6) वह झूठ बोलने लगता है।
(7) वह शंकालु बन जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० यतीश अग्रवाल।

प्रश्न 2.
पाषाण-युग में किस नशीली वस्तु का सेवन होता था ?
उत्तर:
अफ़ीम।

प्रश्न 3.
जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ने वाले लोग किसमें खो जाते थे ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में खो जाते थे।

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प्रश्न 4.
व्यसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब नशे की खुराक नहीं मिलने पर व्यक्ति छटपटाने लगता है तो इसे व्यसन कहते हैं।

प्रश्न 5.
नशे की शुरूआत कैसे होती है ?
उत्तर:
किसी दोस्त या साथी के कहने से होती है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
नशा करने से मननक्षमता क्षीण हो जाती है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
नशीले पदार्थों के सेवन से भूख नहीं मरती।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
हर नशा मन की दुनिया पर कोई असर नहीं डालता।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
कैनाबिस लेने के बाद मन प्रमत्त हो उठता है।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
मादक पदार्थों के ……… से मुक्ति पाना …… नहीं होता।
उत्तर:
मादक पदार्थों के व्यसन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 11.
यह …… परिवारजनों और …… के सच्चे … … से ही पूरा हो सकता है।
उत्तर:
यह पुनर्वास परिवारजनों और प्रियजनों के सच्चे सहयोग से ही पूरा हो सकता है।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
किसके सेवन से कभी यह आभास होता है कि मानो त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगे हैं ?
(क) कैनाबिस
(ख) कोकेन
(ग) एल. एस. डी.
(घ) पी.सी.पी.
उत्तर:
(ख) कोकेन।

प्रश्न 13.
कैसी दवाएँ विभ्रम पैदा करती हैं
(क) एंटीबायोटिक
(ख) एंटीफलेमिटरी
(ग) एंफेटामिन
(घ) एस्थेटिक।
उत्तर:
(ग) एंफेटामिन।

प्रश्न 14.
फेफड़े का कैंसर किसके सेवन से होता है ?
(क) कॉफी
(ख) चाय
(ग) तंबाकू
(घ) दूध।
उत्तर:
(ग) तंबाकू।

प्रश्न 15.
नशे के चंगुल से मुक्त कराने में कौन-से विशेषज्ञ विशेष रूप से मदद करते हैं-
(क) हृदय रोग
(ख) नेत्र रोग
(ग) मनोरोग
(घ) बाल रोग।
उत्तर:
(ग) मनोरोग।

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कठिन शब्दों के अर्थ

दुष्प्रभाव = बुरा प्रभाव। आलस्य = सुस्ती। अंकुर = बीज। कौतूहलवश = उत्सुकता के कारण। अंतहीन = जिसका अन्त न हो। पुरातात्विक = पुरातत्व (प्राचीन वस्तुओं की खोज एवं अध्ययन) से सम्बन्धित। रसास्वादन = स्वाद लेना। चक्रव्यूह = चक्र के रूप में सेना की स्थापना। उत्खनन = ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई। पाषाण = पत्थर। मायावी = माया से युक्त; जादूई। नागफनी = साँप के फन के आकार का गूदेदार पौधा। कोकेन = कोका की पत्तियों से तैयार किया गया द्रव्य, जिसे लगने से अंग सुन्न हो जाता है। उत्तरार्द्ध = पिछला आधा भाग। साइकलोजिकल = मनोवैज्ञानिक। भ्रामक = भ्रम उत्पन्न करने वाला, बहलाने वाला। दुर्बल = कमजोर। चिलम = मिट्टी की बनी हुई नली जिस में तंबाकू जलाकर पीते हैं। ग़म ग़लत करना = दु:ख भूलने के लिए नशा करना। स्नेहरिक्त = स्नेह से रहित। ज़रा-सी बात = थोड़ी-सी बात। व्यसन = लत। सेवन करना = लेना (खाना या पीना)। बेवजह % बिना कारण। ड्रग एडिक्शन = नशीले पदार्थ पर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भरता। अवसाद = सुस्ती, थकावट, उदासी। विफलता = असफलता। हताशा = निराशा, दुःख। एकाग्रता = ध्यान। कल्पनाशीलता = मन की कल्पना शक्ति। सृजनात्मकता = मौलिकता, रचनात्मक शक्ति। भ्राँति = भ्रम, संदेह। बेहतर = उचित। हीनभावना = अपने को तुच्छ समझने की भावना। तपेदिक = क्षय रोग, टी० बी० (Tubercle bacillus)। मतली = मिचली, जी मचलने की अवस्था। नशा मुक्ति = नशों से आज़ादी। विवश = मजबूर। ऊ = वमन, उल्टी करना। रुग्ण = बीमार, दूषित। शंकालु = शंका करने वाला। यकृतशोध = जिगर की सूजन। एड्स = (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक विशेष तरह के वापरत से उत्पन्न एक रोग जिसमें शरीर की रोग-बचाव प्रणाली बेअसर हो जाती है। निरपट = बिल्कुल। दिनोंदिन = दिन-प्रतिदिन। आसक्तता = लिप्तता। अंधियारा = अंधेरा। पुनर्वास = बीमारी आदि के कारण उजड़े/बर्बाद हुए लोगों का उपचार करके उन्हें फिर से बसाना। एक्सपेरिमैंट = प्रयोग। स्वयंसेवी = अपने आप सेवा करने वाली।

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एक अंतहीन चक्रव्यूह Summary

एक अंतहीन चक्रव्यूह जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-डॉ० यतीश अग्रवाल का जन्म 20 जून, सन् 1959 ई० में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक श्रेष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर, लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल ये सफदरजंग हॉस्पिटल तथा बी० एम० मैडिकल कॉलेज नई दिल्ली में प्रोफेसर एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं।
रचनाएँ-डॉ० यतीश अग्रवाल बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें प्रमुख रचनाएं हैं-मन के रंग, नेत्र रोग, नारी स्वास्थ्य और सौन्दर्य, हृदय रोग, तुरन्त उपचार, स्वस्थ खाए तन मन जगाएं, सबके लिए स्वास्थ्य, दांपत्य जीवन, दवाइयां और हम, ब्लड प्रेश, जितना संयत उतना स्वस्थ आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-अग्रवाल स्वास्थ्य तथा चिकित्सा विज्ञान के प्रति तीन दशकों से लोगों में जागृति फैला रहे हैं। देश के अनेक प्रमुख समाचार-पत्रों में इनके लेख छपते रहते हैं। इनके लेख सरल, सरस एवं प्रभावशाली होते हैं। लेखक की भाषा-शैली बहुत सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इसमें अंग्रेजी शब्दावली की अधिकता है।

एक अंतहीन चक्रव्यूह निबन्ध का सार

‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ निबन्ध डॉ० यतीश अग्रवाल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने वर्तमान युग में युवाओं में फैल रही नशे की भयंकर समस्या तथा घातक परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि आज युवा किस तरह नशे के जाल में पड़कर अपना जीवन अंधकार बना रहे हैं। वैसे तो नशा मानव-जीवन के साथ ही शुरू हो गया था। इन्सान ने पेड़ पौधों से प्राप्त नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। नशे का इतिहास बहुत पुराना है। 3000 वर्ष ईसा पूर्व इसके प्रयोग के उल्लेख मिलते हैं किन्तु 19वीं सदी में नशा युवाओं तक फैलने लगा। युवा जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ने के लिए नशे में खो जाते थे। किन्तु वर्तमान समय में तो मज़दूर, किसान, रिक्शा-चालक बेरोज़गार आदि सभी वर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। ये लोग अपने गम को भुलाने, आनंद उठाने तो कोई फैशन दिखाने के चक्कर में नशे के नरक में धंसता जा रहा है। शुरू में तो युवा अपने किसी दोस्त या साथी के कहने पर नशे की शुरुआत करते हैं किंतु धीरे-धीरे वे इसके आदी बन जाते हैं। वे इसमें इतने डूब जाते हैं कि अपने जीवन को ही र्बाद कर लेते हैं।
इस समय कुछ गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। अवसाद, तनाव, असफलता, निराशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियाँ आदमी को नशे की तरफ धकेल देती हैं। धीरे-धीरे मन का संतुलन खोजता आदमी नशे के एक अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है। नशा करने से आदमी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे से उसकी सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। _ नशे के लगातार सेवन से आदमी की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। वह आलसी बन जाता है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कोई काम करने को मन नहीं करता। वह झूठ बोलने लगता है। वह शंका करने लगता है। इससे भूख मर जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण शरीर में तपेदिक, एड्स, दमा, खांसी, टी० बी०, हैपेटाइटिस बी०, वातस्फीति आदि भयंकर बीमारियाँ हो जाती हैं। ये बीमारियाँ जानलेवा होती हैं। नशेड़ी आदमी इनसे छुटकारा नहीं पा सकता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

नशा करने वाले आदमी का शरीर रोगी ही नहीं बनता बल्कि उसका परिवार और समाज भी उसे दुत्कार देता है। उसे कोई प्यार नहीं करता। वह दुनिया में बिल्कुल अकेला रह जाता है। मित्र, सगे-सम्बन्धी छूट जाते हैं। आर्थिक : समस्याएँ बढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे आदमी दल-दल में फंसता जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता। नशे से मुक्ति दिलाने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष मदद कर सकते हैं। नशा मुक्ति के लिए वे अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रयोग में लाते हैं। दूसरे चरण में रोगी के मानसिक तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

आज हमारे देश में अनेक सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशा मुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। सबसे अच्छा यही है कि आदमी इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल दूर रहें। हमें ऐसी संगत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। युवाओं को नशे तथा नशा करने वालों से सदा दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें पड़ कर आदमी का जीवन नष्ट हो जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

Hindi Guide for Class 9 PSEB हिम्मत और जिंदगी Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सुख का स्वाद किन लोगों को अधिक प्राप्त है ?
उत्तर:
सुख का स्वाद उन लोगों को अधिक प्राप्त होता है जो सुख का मूल्य पहले चुकाते हैं।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किन लोगों के लिए आराम ही मौत है ?
उत्तर:
जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है उन लोगों के लिए आराम ही मौत है।

प्रश्न 3.
‘त्यक्तेन भुंजीथाः’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
जीवन का भोग त्याग के साथ करो।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी

प्रश्न 4.
अकबर ने कितने वर्ष की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को हराया था ?
उत्तर:
अकबर ने तेरह वर्ष की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को हराया था।

प्रश्न 5.
महाभारत का युद्ध किन-किन के मध्य हुआ था ?
उत्तर:
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य हुआ था।

प्रश्न 6.
महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत का क्या कारण था ?
उत्तर:
महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने लाक्षाग्रह की मुसीबत झेली थी और बनवास का संकट झेला था। उन्होंने कौरवों के द्वारा दिए गए कष्टों को झेला था।

प्रश्न 7.
साहसी व्यक्ति की पहली पहचान क्या है ?
उत्तर:
(1) साहसी व्यक्ति तमाशा देखने वालों की चिंता नहीं करता।
(2) वह उन सपनों में भी रस लेता है जिनके कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं होते।

प्रश्न 8.
लेखक के अनुसार साधारण जीव कौन-से लोग हैं ?
उत्तर:
जो आस-पड़ोस को देखकर चलते हैं वे साधारण जीव होते हैं।

प्रश्न 9.
लेखक ने किन्हें क्राँति करने वाले लोग कहा है ?
उत्तर:
जो लोग अपने उद्देश्य की तुलना पड़ोसी के उद्देश्य से नहीं करते।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार नींद तथा भोजन का वास्तविक आनन्द किन्हें मिलता है ?
उत्तर:
नींद का वास्तविक आनंद उन्हें मिलता है जो दिनभर धूप में थक कर वापस लौटता है तथा भोजन का आनंद उन्हें मिलता है जो कुछ दिन बिना खाये भी रह सकता है।

प्रश्न 2.
जीवन में असफलताएँ मिलने पर भी साहसी मनुष्य क्या करता है ?
उत्तर:
साहसी मनुष्य असफलताओं से घबराता नहीं। उनका साहस के साथ मुकाबला करता है और आगे ही आगे बढ़ता रहता है।

प्रश्न 3.
महान् निश्चय व बड़े मौके पर कायरता दिखाने वाले व्यक्ति का जीवन कैसा होता है ?
उत्तर:
जो व्यक्ति महान् निश्चय और किसी बड़े मौके पर कायरता दिखाता है, वह कभी भी सुखी नहीं रहता। तभी उसकी आत्मा उसे फटकारती रहती है।

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प्रश्न 4.
जिंदगी में जोखिम से बचने के कारण क्या हानि होती है ?
उत्तर:
जिंदगी में जोखिम से बचने के कारण निम्नलिखित हानि होती है
(1) वह अपने ही जीवन के व्यर्थ फ़ेरों के बीच कैद हो जाता है।
(2) उसे जिंदगी का कोई मज़ा नहीं मिलता।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
साहसी व्यक्ति के कोई पाँच गुण लिखिए।
उत्तर:
साहसी व्यक्ति के गुण इस प्रकार हैं
(1) साहसी व्यक्ति इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
(2) वह उन सपनों में भी रस लेता है जिनका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं होता।
(3) वह कभी भी सपने उधार नहीं लेता।
(4) वह सदा अकेला ही अपनी राह पर चलता है।
(5) वह कठिनाइयों से नहीं डरता।
(6) वह पूर्णरूप से निडर होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए :

(i) जो लोग पाँव भीगने के ख़ौफ़ से पानी से बचते रहते हैं, समुद्र में डूब जाने का खतरा उन्हीं के लिए है। लहरों में तैरने का जिन्हें अभ्यास है वे मोती लेकर बाहर आयेंगे।
उत्तर:
लेखक कहता है कि इस संसार में जिन लोगों को अपने पांव भीगने का डर होता है उन्हें ही समुद्र में डूबने का खतरा होता है अर्थात् जो लोग कठिन परिस्थितियों को देखकर डर जाते हैं और उनसे संघर्ष नहीं करते वे जीवन में कभी भी सफल नहीं होते। जिसे डरपोक लोगों को असफलता ही मिलती है। किंतु जिन लोगों को लहरों में तैरने का अभ्यास होता है अर्थात् जो परिस्थितियों का निडर और साहसी बनकर सामना करते हैं उन्हें ही सफलता मिलती है वे लोग ही समुद्र से मोती निकाल सकते हैं।

(ii) अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही हो है।
उत्तर:
लेखक आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है कि यदि जीवन में रास्ता आगे की तरफ निकलता है तो आंतरिक आनंद आगे बढ़ते जाने में ही है। भाव है कि यदि जीवन में आगे की तरफ कोई रास्ता निकलता हो तो हमें आगे बढ़ते जाना चाहिए। उस रास्ते पर आगे बढ़ने से ही असली आनंद प्राप्त होगा।

(iii) अरे ओ जीवन के साधको! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों में ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक-कोष को कौन बाहर लाएगा ?
उत्तर:
लेखक जीवन के साधकों को संबोधित कर उन्हें प्रेरणा देता है कि, हे जीवन के साधको! यदि तुम्हें किनारे पर मरी हुई सीपियों में ही संतोष मिल जाए तो समुद्र के बीच में छिपे हुए मोतियों के खजाने को कौन बाहर निकालेगा। भाव यह है कि तुम्हें केवल सीपियों से ही संतोष नहीं करना चाहिए बल्कि कठिन परिश्रम करते हुए समुद्र के बीच जाकर मोतियों का खजाना ढूंढकर लाना चाहिए।

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(iv) कामना का अंचल छोटा मत करो। जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचौड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।
उत्तर:
लेखक साधकों को प्रेरणा दे रहा है कि हे साधको ! तुम अपनी इच्छाओं के आंचल को छोटा मत करो। तुम अपनी जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो। इसमें से रस की नदी तुम्हारे द्वारा भी बह सकती है। भाव यह है कि यदि तुम मेहनत करो और अपनी इच्छाएँ बड़ी रखो तो तुम्हें अवश्य फल की प्राप्ति होगी।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
पुष्प – …………….
ओष्ठ – …………….
मृत्यु – …………….
हस्त – …………….
रात्रि – …………….
गृह – …………….
लाक्षा – …………….
कर्म – …………….
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
पुष्प – फूल
ओष्ठ – होठ
मृत्यु – मौत
हस्त – हाथ
रात्रि – रात
गृह – घर
लाक्षा – लाख
कर्म – काम

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2. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

दाँव पर लगाना – कोई वस्तु बाज़ी पर लगाना।
पाँव बढ़ाना – चाल तेज़ करना, जल्दी-जल्दी चलना, आगे बढ़ना।
उत्तर:
दाँव पर लगाना – कोई वस्तु बाज़ी पर लगाना।
वाक्य – युधिष्ठिर ने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था।
पाँव बढ़ाना – चाल तेज़ करना, जल्दी-जल्दी चलना, आगे बढ़ना।
वाक्य – हमें सदा सफलता की ओर पाँव बढ़ाना चाहिए।

3. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

रेगीस्तान, सन्तुश्ट, आतमा, ज़रुरत, अवाज़, सवाद, खुशबुदार, संजम, चुनोती, निरझरी।
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
रेगीस्तान – रेगिस्तान
सन्तुश्ट – संतुष्ट
आतमा – आत्मा
ज़रुरत – ज़रूरत
अवाज़ – आवाज़
सवाद – स्वाद
खुशबुदार – खुशबूदार
संजम – संयम
चुनोती – चुनौती
निरझरी – निर्झरी।

4. निम्नलिखित वाक्यों में सही विराम चिह्न लगाइए

प्रश्न 1.
झुंड में चरना यह भैंस और भेड़ का काम है
उत्तर:
झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है।

प्रश्न 2.
यह आवाज़ उसे बराबर कहती रहती है तुम साहस नहीं
दिशा सके तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए
उत्तर:
यह आवाज़ उसे बराबर कहती रहती है। तुम साहस नहीं दिखा सके। तुम कायर की तरह भाग खड़े हुए। (ii) अरे ओ जीवन के साधको तुम निचली डाल का फल तोड़कर लौटे जा रहे हो तो फिर फुनगी का वह लाल लाल आम किसके वास्ते है उत्तर- अरे ओ जीवन के साधको ! तुम निचली डाल का फल तोड़कर लौटे जा रहे हो, तो फिर फुनगी का वह लाल आम किसके वास्ते हैं।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
“बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास पाती हैं। बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पल कर दुनिया पर क़ब्जा करती हैं।” पाठ में आईं इन पंक्तियों के आधार पर किसी महापुरुष, विद्वान्, आविष्कारक, योद्धा आदि में से किसी एक व्यक्तित्व पर अपने विचार लिखें जिसने बड़ी मुसीबतों का सामना करते हुए शीर्ष पर पहुँचकर नाम कमाया हो।
उत्तर:
अर्जुन एक महान् योद्धा था। वह पाण्डु का पुत्र था। उसकी माता का नाम कुंती था। यह पाँच पांडवों में सबसे श्रेष्ठ धनुषधारी माना जाता है। इसने अपने भाइयों के साथ बचपन से ही अनेक कष्ट सहन किए। इसने लाक्षागृह की आग को सहन किया। कौरवों द्वारा दिया गया वनवास झेला और बार-बार कौरवों के द्वारा अपमान झेला किंतु अंत तक अपनी हार नहीं मानी। अंततः महाभारत के युद्ध में अर्जुन की ही विजय हुई।

प्रश्न 2.
“आदमी के अन्य सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं।” आप लेखक के इस विचार से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
यह बात सच है कि हिम्मत सभी गुणों से श्रेष्ठ है क्योंकि हिम्मती अर्थात् साहसी आदमी में अन्य सभी गुण अपने आप ही आ जाते हैं। साहसी, निडर, परिश्रमी और संयमी होता है। साहसी आदमी ही कठिन परिश्रम कर सकता है। वही जीवन की बाधाओं का सामना कर सकता है। वह किसी भी बाधा और संकट से नहीं घबराता वह जीवन की कठिनाइयों का हँसते-हँसते मुकाबला करता है। वह सदा. अपनी दृष्टि अपने लक्ष्य की तरफ रखता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आदमी के अन्य सारे गुण उसके हिम्मती. होने से ही पैदा होते हैं।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
हिम्मत बढ़ाने वाली कुछ प्रेरणादायक कविताओं/कहानियों का चयन कीजिए और उन्हें अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
उन महापुरुषों/देशभक्तों/समाज सुधारकों/योद्धाओं के चित्रों का संकलन कीजिए जिन्होंने हिम्मत की जिंदगी को जिया है।
उत्तर:
अध्यापकों की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 3.
आपने अथवा आपके किसी मित्र/परिचित ने किसी संकट के समय अदम्य साहस का परिचय दिया हो तो उस प्रसंग को अपनी कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
स्टेशनरी की दुकान से एक स्टिक लाख लें और अध्यापक से जानें कि किस तरह ज़रूरी दस्तावेजों को सीलबंद करने में इसका उपयोग होता है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें। 5. आपके घर में लकड़ी के दरवाजे/खिड़कियाँ पॉलिश करते समय लाख के दाने का प्रयोग होता है। उस समय पेंटर से जानें कि किस तरह वह इसका पॉलिश में प्रयोग करता है। उत्तर- स्वयं कीजिए।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. महाभारत : ‘महाभारत’ भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनुपम महाकाव्य है, जिसकी रचना (माना जाता है कि) वेदव्यास जी ने की। इस ग्रंथ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद भी माना जाता है। कहा जाता है कि ‘महाभारत’ का वास्तविक नाम ‘जय’ था। तत्पश्चात् इसे ‘भारत’ नाम से भी पुकारा गया तथा भरतवंश की गाथा होने के कारण बाद में यह ‘महाभारत’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

2. कौरव : कौरव महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे। ये गिनती में सौ थे तथा राजा कुरु के वंशज थे। सभी कौरवों में दुर्योधन सबसे बड़ा था जो कि बहुत ही ज़िद्दी था।

3. पांडव : पाँडव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाँडव पाँच भाई थे- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। पाँडवों के पिता का नाम पाण्डु था। पाण्डु की दो पत्नियाँ थीं-कुन्ती तथा माद्री। युधिष्ठिर, भीम तथा अर्जुन की माता कुन्ती थी और नकुल एवं सहदेव माद्री के पुत्र थे।

4. लाक्षागृह : दुर्योधन के मामा शकुनि ने लाक्ष (लाख) के बने हुए घर (लाक्षागृह) में पांडवों को भेजकर उन्हें जलाकर मारने का प्रयत्न किया किन्तु अपने काका विदुर की मदद व समझबूझ से वे उस जलते हुए गृह से बच निकले।

5. अकबर : तैमूरी वंशावली के मुग़ल वंश का तीसरा शासक अकबर था। इसके पिता का नाम हुमायूँ तथा दादा का नाम बाबर था।

6. विन्स्टन चर्चिल : ये एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे और सन् 1940-1945 के समय इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री थे। इसके अतिरिक्त वे इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे। वे एकमात्र प्रधानमंत्री थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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PSEB 9th Class Hindi Guide हिम्मत और जिंदगी Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कौन-सी जिंदगी सबसे बड़ी होती है ?
उत्तर:
साहस से भरी जिंदगी सबसे बड़ी होती है।

प्रश्न 2.
साहसी जिंदगी कैसी होती है ?
उत्तर:
साहसी जिंदगी सब प्रकार से निडर और बेखौफ होती है।

प्रश्न 3.
मनुष्यता को प्रकाश किस आदमी से मिलता है ?
उत्तर:
जो आदमी जनमत की अपेक्षा करके जीता है उसी आदमी से मनुष्यता को प्रकाश मिलता है।

प्रश्न 4.
जिंदगी की कितनी सूरतें हैं ?
उत्तर:
जिंदगी की दो सूरते हैं।

प्रश्न 5.
जिंदगी का असली मजा किनके लिए नहीं है ?
उत्तर:
जो फूलों के नीचे खेलते और सोते हैं उनके लिए जिंदगी का असली मजा नहीं है।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
जिंदगी का असली मजा किनको मिलता है ?
उत्तर:
जिंदगी का असली मजा उनको मिलता है जो दूर रेगिस्तान से आते हैं जिनके कंठ सूखे, होंठ फटे तथा बदन पसीने से तर-तर होता है। वे कष्ट उठाते हैं। दूसरों के भरोसे नहीं रहते। वे अपना मार्ग स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न 2.
चाँदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद कौन मनुष्य लेता है ?
उत्तर:
चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद वह मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थककर लौटता है। जिसके शरीर को ठंड की ज़रूरत महसूस होती है तथा जिसका मन इस बात से संतुष्ट होता है कि उसने आज के दिन का पूरा समय अच्छे काम में लगाया है। जिसने डट कर काम किया है। जो दूसरों के भरोसे नहीं रहा।

प्रश्न 3.
चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद किसको नहीं मिलता ?
उत्तर:
जो आदमी दिनभर खिड़कियाँ बंद कर पंखों के नीचे बैठा रहता है और रात में चांदनी में सेज लगाता है उसे चांदनी की ताज़गी और शीतलता का आनंद नहीं मिलता। जो परिश्रम नहीं करता उसे आनंद नहीं मिलता।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
हिम्मत और जिंदगी पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिम्मत और जिंदगी श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रमुख निबंध है। इसमें लेखक ने बताया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। हिम्मत, परिश्रम साहस, कर्मठता आदि तत्व ही सफलता के आधार हैं। मनुष्य को जीवन में हिम्मत, साहस का परिचय देना चाहिए। साहस की जिंदगी सबसे श्रेष्ठ होती है।

प्रश्न 2.
इस निबंध के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
इस निबंध के माध्यम से लेखक ने हमें साहसपूर्ण जिंदगी जीने का संदेश दिया है। उन्होंने बताया है कि जीवन में सदा साहस और हिम्मत से परिश्रम करना चाहिए। कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिए। उनका साहस के साथ डटकर मुकाबला करना चाहिए। जीवन में हर चुनौती स्वीकार करनी चाहिए। सुख-दुःख, सफलता-असफलता, खुशीगम को समान दृष्टि से देखना चाहिए।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘हिम्मत और ज़िदगी’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
रामधारी सिंह दिनकर।

प्रश्न 2.
जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है उनके लिए आराम क्या है ?
उत्तर:
मौत।

प्रश्न 3.
समुद्र में से मोती लेकर बाहर कौन आता है ?
उत्तर:
जिन्हें लहरों में तैरने का अभ्यास होता है।

प्रश्न 4.
साहस की जिंदगी कैसी होती है ?
उत्तर:
साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है।

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प्रश्न 5.
किसका अंचल छोटा नहीं करना चाहिए ?
उत्तर:
कामना का।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 6.
झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
सिंह बिल्कुल अकेला होने पर उदास हो जाता है।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास नहीं पाती हैं।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उपवास और ……… ये ………… के साधन नहीं हैं।
उत्तर:
उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नहीं हैं।

प्रश्न 11.
जिन्दगी को ……. से जीना हमेशा ही ……… झेलना है।
उत्तर:
जिन्दगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
“ज़िन्दगी का सबसे बड़ा गुण हिम्मत है” यह कथन किसका है ?
(क) अर्नाल्ड बेनेट
(ख) विन्स्टन चर्चिल
(ग) अब्राहम लिंकन
(घ) स्टालिन।
उत्तर:
(ख) विन्स्टन चर्चिल।

प्रश्न 13.
महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर किनके पक्ष में थे ?
(क) पाँडवों
(ख) कौरवों
(ग) कैकेय
(घ) विदेह।
उत्तर:
(ख) कौरवों।

प्रश्न 14.
क्रांति करने वाले किस चाल से चलते हैं ?
(क) पड़ोसी की
(ख) शासन की
(ग) अपनी
(घ) विरोधी की।
उत्तर:
(ग) अपनी।

प्रश्न 15.
चाँदनी की ताज़गी और शीतलता का आनन्द कैसा मनुष्य लेता है ?
(क) अमीर
(ख) सुस्त
(ग) चतुर
(घ) परिश्रमी।
उत्तर:
(घ) परिश्रमी।

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कठिन शब्दों के अर्थ

कंठ = गला । खौफ़ = डर। उपवास = व्रत। जनमत = लोगों की राय। अंतराल = बीच, मध्य । जोखिम = खतरा, संकट। परास्त = पराजित, हार। अंततः = अंत में, आखिरकार। लाक्षाग्रह = लाख का बना घर। मौक्तिक-कोष = मोतियों का खजाना। साधक = साधना करने वाला। कामना = इच्छा। निर्झरी = नहीं। खुशबू = सुगंध। परमार्थ = परोपकार। कस्तूरी = एक सुगंधित पदार्थ जो कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है। गोधूलि = गायों के खुरों से उठने वाली धूल।

हिम्मत और जिंदगी Summary

जीवन-परिचय

जीवन परिचय-रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका जन्म सन् 1908 ई० में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा गांव में हुई। इन्होंने बी०ए० की शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की। ये भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। सन् 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। कई वर्ष तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी रहे। सन् 1974 ई० में इनकी मृत्यु हो गई।
प्रमुख रचनाएँ-दिनकर बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार माने जाते हैं। इन्होंने अनेक प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं
काव्य-रेणुका, हुँकार, कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रसवंती, परशुराम की प्रतीक्षा आदि। गद्य-संस्कृति के चार अध्याय, काव्य की भूमिका, अर्द्धनारीश्वर, मिट्टी की ओर आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-दिनकर की रचनाओं में राष्ट्रीयता तथा विश्वबंधुत्व की भावना के दर्शन होते हैं। इन्होंने अपने साहित्य में समाज, संस्कृति धर्म का यथार्थ वर्णन किया है। रामधारी सिंह दिनकर की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इनकी भाषा प्रौढ़ एवं प्रांजल है। इस निबंध की भाषा शैली सरल एवं सहज है। इसमें तत्सम शब्दावली की अधिकता है।

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हिम्मत और जिंदगी निबंध का सार

हिम्मत और जिंदगी रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित एक प्रमुख निबंध है। इसमें लेखक ने उस सत्य का वर्णन किया है जिसके अनुसार हिम्मत, परिश्रम, साहस, कर्मठता आदि तत्व हमारी सफलता के आधार बिंदु हैं। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जिंदगी का असली मज़ा फूलों के नीचे खेलने और सोने वालों के लिए नहीं बल्कि दूर रेगिस्तान से आने वालों के लिए होता है। पानी के अमृत तक को केवल वही जानता है जो धूप में सूख चुका है। सुखों का असली आनंद उनका मूल्य चुकाने पर ही मिलता है। पानी से बचने वालों के लिए ही समुद्र में डूबने का खतरा होता है। लहरों पर तैरने वाले तो मोती लेकर ही बाहर निकलते हैं। जीवन में चांदनी की ताज़गी और शीतलता का मजा वही मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थककर लेटा है। घर के अंदर पंखे के नीचे सोने वाला मनुष्य इसका आनंद नहीं ले सकता। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह लेता है।

जीवन का भोग त्याग के साथ करो यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है। संयमी व्यक्ति को ही योग का आनंद प्राप्त होता है। संसार में बड़ी चीजें बड़े संकटों में ही विकसित होती हैं। ठीक वैसे बड़े लोग बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करते हैं, अकबर ने तेरह वर्ष में ही अपने पिता के दुश्मन को हरा दिया था। महाभारत में देश के अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे किन्तु फिर भी जीत पांडवों की हुई क्योंकि उन्होंने लाक्षाग्रह की मुसीबत झेली और बनवास में कष्ट उठाया था। जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो आदमी को असफलताओं से न घबराते हुए उनका सामना करते हुए अपने उद्देश्य को पाने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी आदमी को उन ग़रीबों का साथी बन जाना चाहिए जो केवल दुःख पाते हैं। साहस की जिंदगी सबसे श्रेष्ठ होती है। यह बिल्कुल निडर और बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य कभी भी तमाशा देखने वालों की चिंता नहीं करता। वह केवल अपना कर्म करता है। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी ही दुनिया की असली शक्ति है। दूसरों के पीछे चलना एक सामान्य आदमी का काम होता है। क्रांतिकारी कभी अपने उद्देश्यों की तुलना दूसरों से नहीं करते। वे केवल अपना कार्य करते हैं। साहसी व्यक्ति कभी सपने उधार नहीं लेता। वह तो अपने सपने देखता है। समूह में तो भैंस और भेड़ चलती हैं, शेर तो सदा अकेला चलता है।

जिंदगी में सदा खतरे बने रहते हैं। जिंदगी जीते समय अनेक खतरे बने रहते हैं। असली जिंदगी इन खतरों का साहस से मुकाबला करने में होती है। संकटों का सामना करना जिंदगी की पूंजी होती है। अंत में लेखक ने जीवन के साधकों को साहसपूर्ण जिंदगी तथा खतरों का सामना करने का संदेश दिया है। उन्हें उद्देश्य को प्राप्त करने की प्रेरणा दी है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Hindi Guide for Class 9 PSEB महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० को हुआ था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा को लाहौर कॉलेज की पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को अपनी देशभक्ति की भावना और उग्र विचारों के कारण लाहौर कॉलेज की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

प्रश्न 3.
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने अपना गुज़ारा कैसे किया ?
उत्तर:
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने कारखाने में मजदूरी की। रिक्शा तथा तांगा चलाया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

प्रश्न 4.
वे इंग्लैंड में कौन-सी पढ़ाई करने गए थे ?
उत्तर:
वे इंग्लैंड में यांत्रिकी अभियांत्रिकी (मकैनिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई करने गए थे।

प्रश्न 5.
मदन लाल ढींगरा किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा अभिनव भारत क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने।

प्रश्न 6.
कर्जन वायली कौन था ?
उत्तर:
कर्जन वायली स्टेट ऑफ इंडिया का सचिव सलाहकार था।

प्रश्न 7.
मदन लाल ढींगरा को फाँसी की सज़ा कब दी गयी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को 17 अगस्त, सन् 1909 ई० को फाँसी की सज़ा दी गई।

प्रश्न 8.
शहीद मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ भारतभूमि कब लायी गयीं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को भारतभूमि लाई गईं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेजों से बदला लेने की क्यों ठानी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेज़ों से बदला लेने की इसलिए ठानी क्योंकि अग्रेज़ों ने खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त, सतिन्दरपाल और कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को मृत्युदंड दे दिया था।

प्रश्न 2.
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगस ने क्यों मारा ?
उत्तर:
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगरा ने इसलिए मारा क्योंकि उनका मानना था कि ऐसे अधिकारियों ने हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया तथा बिना कारण के ही मार दिया।

प्रश्न 3.
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने क्या कहा था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने कहा था कि ढींगरा की शहीदी उन राजपूतों और सिक्खों की कुर्बानियों का स्मृति पुंज है जिसके कारण शहादत अमर बन जाती है। अंग्रेज़ सोचते होंगे कि उन्होंने मदन लाल ढींगरा को फांसी देकर सदा के लिए स्वतंत्रता की आवाज़ को दबा दिया है परन्तु वास्तविकता यह है कि यही आवाज़ भारत को स्वतंत्र बनाएगी।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा एक साहसी एवं निडर देशभक्त थे। वे शुरू से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। देशभक्ति के कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा। लंदन में रहते हुए उन्होंने सावरकर तथा कृष्ण वर्मा जैसे देशभक्तों के संपर्क में आए। खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त तथा कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को शहादत के बदले भारतीय राष्ट्रीय संस्था के वार्षिक दिवस में कर्जन वायली को मार दिया। उन्होंने बंग-भंग आंदोलन के समय लंदन की गलियों में वंदे मातरम् गुंजाया। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। अपनी हर पुस्तक पर वे काम न लिखकर वंदे मातरम् लिखते थे। अंततः कर्जन वायली को गोली मारने पर उन्हें 17 अगस्त, सन् 1909 को मदन लाल ढींगरा को पेंटोविले की जेल में फांसी दी गई। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे।

प्रश्न 2.
आपको शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहिए। हमें आत्मविश्वास, निडरता एवं साहस के साथ मुसीबतों का सामना करना चाहिए। देश की आजादी के लिए हर कीमत चुका देनी चाहिए। हमें अपने राष्ट्र की सच्ची पूजा करनी चाहिए।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखें

अशुद्ध – शुद्ध
शरेय = ……………
देशभगती = ………………..
गोर्वान्वित = ………………..
सथापना = ………………..
आजादी = ………………..
लवारिस = ………………..
आतमविश्वास = ………………..
यांतरिकी = ………………..
परशिक्शण = ………………..
मृत्यूदंड = ………………..
मातरिभुमि = ………………..
अस्थीयाँ = ………………..
कालज = ………………..
अध्यन = ………………..
क्रांतीकारी = ………………..
हजार = ………………..
स्मरिति = ………………..
प्रापत = ………………..
उत्तर:
शरेय = श्रेय
देशभगती = देशभक्ति
गोर्वान्वित = गोवांन्वित
सथापना = स्थापना
आजादी = आज़ादी
मातरिभुमि = मातृभूमि
कालज = कॉलेज
क्रांतीकारी = क्रांतिकारी
स्मरिति = स्मृति
लवारिस = लावारिस
आतमविश्वास = आत्मविश्वास
यांतरिकी = यांत्रिकी
परशिक्शण = प्रशिक्षण
मृत्यूदंड = मृत्युदंड
अस्थीयाँ = अस्थियाँ
अध्यन = अध्ययन
हजार = हज़ार
प्रापत = प्राप्त

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग करें

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – …………….
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना – …………….
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – ………………..
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – ……………..
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – ……………….

उत्तर:

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – प्रत्येक व्यक्ति को तर्क के तराजू में तौल कर अपना-अपना कार्य करना चाहिए।
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना-अरे – तुम्हें तो अब तक पूरी तरह से नेता जी के रंग में रंगा जाना चाहिए था।
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – वह देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतारना कोई पाप नहीं समझता।
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – सेना के वीर सैनिकों ने पलभर में आतंक वादियों को ढेर कर दिया था।
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – साहसी व्यक्ति की आवाज़ को कोई नहीं दबा सकता।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आप मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होते तो क्या परिवार वालों के विरोध के बावजूद स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ते ?
उत्तर:
यदि मैं मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होता तो परिवार वालों के विरोध के बावजूद भी स्वतंत्रता की लड़ाई में अवश्य कूद पड़ता। मैं लाख विरोध करने पर भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई में जाता क्योंकि देश परिवार से कहीं बढ़कर है। देश बचेगा तभी परिवार सुरक्षित रह सकेगा। देश हर नागरिक के लिए सर्वोपरि है। देश सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। अतः हमें हर पल देश पर मर मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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प्रश्न 2.
भारत की स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है। कैसे ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। उनकी शहादत से क्रांतिकारियों में आत्मविश्वास, साहस, निडरता एवं देश पर मर मिटने की भावना बढ़ने लगी। देशभक्तों में एक जोश पैदा होने लगा। वीरेन्द्र चट्टोपाध्याय ने उनकी स्मृति में मदन तलवार पत्रिका निकाली जो क्रांतिकारियों की आवाज़ बनी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ में मदन लाल ढींगरा का जोशभरा वक्तव्य छपा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए अन्य क्रांतिकारियों जैसे विनायक दामोदर सावरकर, श्याम जी कृष्ण वर्मा, खुदीराम बोस, लाला हरदयाल आदि की जीवनियाँ पढ़ें।
उत्तर:
अध्यापक के सहयोग से करें।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा की पुण्य तिथि पर इनके बारे में अपने विचार स्कूल की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

  • यांत्रिक अभियांत्रिकी ( मकैनिकल इंजीनियरिंग): यह भिन्न-भिन्न तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है।
  • विनायक दामोदर सावरकर : (जन्म 28 मई, सन् 1883; मृत्यु 26 फरवरी, सन् 1966) : ये भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। इन्हें प्रायः ‘वीर सावरकर’ नाम से सम्बोधित किया जाता है। ये स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता व दूरदर्शी राजनेता भी थे।
  • श्याम जी कृष्ण वर्मा : अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को गतिशीलता प्रदान करने में इन्होंने मुख्य भूमिका निभायी। ऐसा कहा जाता है कि वे पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें ऑक्सफोर्डसे एम०ए० और बैरिस्टर की उपाधियाँ मिलीं। क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे।
  • अभिनव भारत : इसकी स्थापना स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने सन् 1904 में की थी। यह संगठन अंग्रेज़ी हकूमत से लड़ने के लिए बनाया गया था।
  • इंडिया हाउस : यह लंदन में स्थित एक अनौपचारिक भारतीय राष्ट्रवादी संस्था थी जिसकी स्थापना ब्रिटेन के भारतीय छात्रों में राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार करने के लिए श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में की गयी।
  • खुदीराम बोस (जन्म-सन् 1889-मृत्यु- सन् 1908): इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए 19 वर्ष की आय में फाँसी पर चढ़कर इतिहास रचा।
  • वंदे मातरम् : बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
  • एनी बेसेंट : अग्रणी थियोसोफिस्ट। महिला अधिकारों की समर्थक, लेखिका, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। इनके पिता अंग्रेज़ थे किन्तु इन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना की तथा प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ कहा। महिलाओं और शोषितों के लिए वह आजीवन संघर्ष करती रहीं।
  • आयरिश लोग : आयरलैंड के लोगों को आयरिश लोग कहा जाता है।
  • लाला हरदियाल : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी लाला हरदियाल ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। 4 मार्च, सन् 1939 को अमरीका से भारत आते समय रहस्यमयी परिस्थितियों में इनकी मृत्यु हो गयी।
  • वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (सन् 1880 – सन् 1937) : ये भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और योरुप में भारतीय विद्यार्थियों को भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए प्रेरित करते थे। मदन लाल ढींगरा के जन्म के सम्बन्ध में मतभेद : कुछ विद्वान् इनकी जम्म तिथि 18 सितम्बर, सन् 1883 मानते हैं।

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PSEB 9th Class Hindi Guide महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा के पिता का क्या नाम था? ।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता का नाम साहिब गुरदित्ता मल था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से क्या थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे।

प्रश्न 3.
मदन लाल बचपन से कैसे थे ?
उत्तर:
मदन लाल बचपन से ही स्वतंत्रता की प्राप्ति चाहने वाले थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचपन की कौन-सी घटनाएँ मदन लाल ढींगरा के आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे बचपन से ही अपने देश को आजाद होते देखना चाहते थे। वे हर बात को तर्क की तराजू में तोल कर देखते थे। यही घटनाएँ उनके आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं।

प्रश्न 2.
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद किसने की ?
उत्तर:
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद उनके बड़े भाई ने की। उनकी सहायता के कारण ही वे इंग्लैण्ड गए और उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। इसके साथ ही इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं ने भी उनकी आर्थिक मदद की।

प्रश्न 3.
लंदन में रहते हुए मदन लाल किन राष्ट्रवादी नेताओं के संपर्क में आए ?
उत्तर:
लंदन में रहते हुए मदन लाल ढींगरा भारत के प्रखर राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए। वे इनकी देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए।

प्रश्न 4.
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में क्या मानना था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में मानना था कि ऐसे नीच अधिकारियों ने ही हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया था। उन्हें बिना किसी कारण मौत के घाट उतारा था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
इस पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘महान् देशभक्त : मदन लाल ढींगरा’ निबंध में लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति, निडरता, आत्मविश्वास का वर्णन किया है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। कर्जन वायली को मारकर क्रांतिकारियों और देशभक्तों में आजादी की लहर पैदा की। इससे देशवासियों में आत्मविश्वास एवं निडरता की भावना ने जन्म लिया।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सच्चे देशभक्त-मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। इसी कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने अपने देश के लिए अपने को हँसते-हँसते कुर्बान कर दिया।
2. निडर-मदन लाल ढींगरा बहुत निडर थे। इसीलिए लंदन में रहते हुए भी वंदे मातरम् गलियों में गुंजाते थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। इतना ही नहीं उन्होंने कर्जन वायली को भरी सभा में गोलियों से भून दिया था।
3. आत्मविश्वासी-मदन लाल ढींगरा बहुत आत्मविश्वासी थे। उनमें आत्मविश्वास की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
4. विवेकी-मदन लाल ढींगरा एक विवेकशील देशभक्त थे। वे बचपन से प्रत्येक बात को तर्क के तराजू पर तोल कर देखते थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘महान् राष्ट्रभक्त : मदनलाल ढींगरा’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० हरमहेन्द्र सिंह बेदी।

प्रश्न 2.
मदनलाल ढींगरा के पिता कौन और क्या थे ?
उत्तर:
साहिब गुरदितामल, गुरदासपुर में सिविल सर्जन।

प्रश्न 3.
लाहौर कॉलेज में पढ़ते हुए मदनलाल ढींगरा ने कॉलेज क्यों छोड़ा ?
उत्तर:
देशभक्ति के कार्यों में भाग लेने के लिए।

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प्रश्न 4.
इंग्लैण्ड के किस कॉलेज में और किस विषय में मदनलाल ढींगरा ने प्रवेश लिया ?
उत्तर:
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में, मकैनिकल इंजीनियरिंग में।

प्रश्न 5.
लन्दन में मदनलाल ढींगरा किसके संपर्क में आए ?
उत्तर:
लन्दन में वे विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मदनलाल ढींगरा सन् 1906 ई० में इंग्लैण्ड शिक्षा प्राप्त करने गए।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
आयरिश लोगों ने मदनलाल ढींगरा की हिम्मत को नहीं सराहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
1 जुलाई, 1909 को भारतीय राष्ट्रीय संस्था में उपस्थित कर्जन वायली पर पिस्टल से सात गोलियां चलाकर मार दिया था।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
घर में केवल उनकी माँ ही उनकी बात सुनती और समझती थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दुनिया के हर ………. को अपनी ……. स्वतंत्र कराने का ………. है।
उत्तर:
दुनिया के हर नागरिक को अपनी मातृभूमि स्वतंत्र कराने का अधिकार है।

प्रश्न 11.
……. राष्ट्र ……… का …….. है।
उत्तर:
गुलामी राष्ट्र देवता का अपमान है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
शहीद मदनलाल ढींगरा की अस्थियाँ कब भारत लाई गईं ?
(क) 17 अगस्त, 1909 को
(ख) 22 जुलाई, 1909 को
(ग) 13 दिसम्बर, 1974 को ।
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।
उत्तर:
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।

प्रश्न 13.
मदनलाल ढींगरा को कब फांसी दी गई ?
(क) 17 अगस्त, 1919 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 17 अगस्त, 1921 को
(घ) 17 अगस्त, 1976 को।
उत्तर:
(ख) 17 अगस्त, 1909 को।

प्रश्न 14.
मदनलाल ढींगरा पर अभियोग कब चलाया गया ?
(क) 1 जुलाई, 1909 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 22 जुलाई, 1909 को |
(घ) 17 अगस्त, 1976 को
उत्तर:
(ग) 22 जुलाई, 1909 को

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प्रश्न 15.
मदनलाल ढींगरा को किस जेल में फाँसी दी गई ?
(क) अंडेमन
(ख) पेंटोविले
(ग) गोआ
(घ) तिहाड़।
उत्तर:
(ख) पेंटोविले।

प्रश्न 16.
मदनलाल ढींगरा वीर सावरकर की किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
(क) भारतीय राष्ट्रीय संस्था
(ख) इंडिया हाउस
(ग) अभिनव भारत
(घ) मदन तलवार।
उत्तर:
(ग) अभिनव भारत।

प्रश्न 17.
“हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक मदनलालों की आवश्यकता है।” यह कथन किसका है ?
(क) ऐनी बेसेंट
(ख) वी० एस० बलंट
(ग) श्याम जी कृष्णवर्मा
(घ) वीर सावरकर।
उत्तर:
(क) ऐनी बेसेंट।

कठिन शब्दों के अर्थ

आत्मविश्वास = अपने ऊपर विश्वास। समेत = सहित। जोशभरा = जोश से युक्त। सम्पन्न = खुशहाल। अग्नि = आग। अध्ययन = पढ़ाई। गौरवान्वित = महिमा से युक्त। प्रशिक्षण = सिखलाई, ट्रेनिंग। साक्ष्य = सबूत। अनुपालन = रक्षण। स्वतंत्र = आजाद। अभियोग = मुकद्दमा। स्मृति पुंज = यादों का समूह। संवाहक = आगे ले जाने वाली। वक्तव्य = कथन। अनथक = बिना थके। अस्थियाँ = हड्डियाँ। राष्ट्रवादी = देशभक्त । नफ़रत = घृणा। अभियोग = मुकद्दमा। लावारिस = जिसका कोई वारिस न हो।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा Summary

महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा जीवन-परिचय

जीवन परिचय-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का जन्म 12 मार्च, सन् 1950 ई० को पंजाब के मुकेरियां (होशियारपुर) में हुआ था। ये समकालीन हिन्दी-कविता के प्रसिद्ध कवि हैं। इन्होंने पंजाब के हिन्दी-साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कनाडा, नार्वे तथा पाकिस्तान की यात्राएँ की हैं। इन्हें पंजाब के मध्यकालीन हिन्दी-साहित्य को गुरुमुखी लिपि में लाने का श्रेय प्राप्त है। इन्होंने एम०ए०, पीएच०डी० तथा डी०लिट की उच्च उपाधियाँ प्राप्त की है।
प्रमुख रचनाएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने हिन्दी एवं पंजाबी में छत्तीस ग्रंथों की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-गर्म लोहा (सन् 1982 ई०), पहचान की यात्रा (सन् 1987 ई०), किसी और दिन (सन् 1999 ई०), फिर से फिर (सन् 2011 ई०) आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का पंजाब हिन्दी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी रचनाओं में देशभक्ति की झलक दिखाई देती है। इन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा युवाओं को राष्ट्रभक्ति का सन्देश दिया है। प्रस्तुत निबंध में लेखक ने महान् देशभक्त मदनलाल ढींगरा की देशभक्ति एवं निडरता का परिचय दिया है। भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय मदनलाल ढींगरा को जाता है। लेखक ने इस देशभक्त की सच्ची देशभक्ति एवं साहस का परिचय दिया है। इनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इनके साहित्य में तत्सम, तद्भव, अंग्रेज़ी एवं पंजाबी के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा निबन्ध का सार

मदन लाल ढींगरा प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध निबन्ध है। इसमें लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति साहस एवं निडरता का परिचय दिया है। लेखक ने बताया है कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय इसी सच्चे देशभक्त को जाता है। मदनलाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० में पंजाब के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता साहिब गुरुदित्ता मल गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे। मदनलाल बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे हर बात को तराजू में तोलकर देखते थे। उनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था। उन्हें देशभक्ति के कारण लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने कारखाने की मज़दूरी की। अपने गुज़ारे के लिए रिक्शा तथा टांगा तक भी चलाया। उनके घर में केवल बड़े भाई ही उनकी बात समझते थे। उनके कारण ही वे उच्च शिक्षा के लिए सन् 1906 में इंग्लैंड चले गए। वहां उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। लंदन में वे भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आए। इसके बाद वे अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था के सदस्य बन गए। यहाँ उन्होंने हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। लंदन में श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में भारतीय छात्रों में देशभक्ति की भावना फैलाने के लिए इंडिया हाउस की स्थापना की। उन दिनों खुदीराम बोस तथा कांशीराम जैसे अनेक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दे दिया था। इन घटनाओं ने मदन लाल ढींगरा और सावरकर जैसे देशभक्तिों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफ़रत तथा बदले की भावना ने जन्म दिया।

1 जुलाई, सन् 1909 ई० को भारतीय राष्ट्रीय संस्था के सदस्य वार्षिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए। इसमें कर्ज़न वायली सपरिवार आया। ढींगरा ऐसे लोगों से नफ़रत करते थे। इसी कारण उन्होंने कर्जन वायली को वहीं मार दिया। वे वहाँ से डरकर नहीं भागे बल्कि साहस और निडरतापूर्वक वहीं खड़े रहे। यह अंग्रेजों के लिए पहली चेतावनी थी। ढींगरा ने बंग-भंग आंदोलन के समय भी लंदन में वंदेमातरम के नारे लगाए थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। उन्होंने अपनी हर पुस्तक के ऊपर वंदे मातरम् लिखा था। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 22 जुलाई, सन् 1909 ई० को अभियोग चलाया। उन्होंने अदालत में गर्व से कहा था कि वह अपना जीवन भारत माँ को सौंप रहा है। 12 अगस्त, सन् 1909 ई० को उन्हें पेंटोविले (लंदन) की जेल में फांसी की सज़ा दी गई। आयरिश लोगों ने इनकी हिम्मत को सराहा था। लाला हरदयाल को भी उनकी शहादत पर गर्व हुआ। उन्हें विश्वास था कि मदनलाल ढींगरा की कुर्बानी भारत को आजाद कराएगी। श्रीमति ऐनी बेसेंट ने भी उनकी शहादत की सराहना की थी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ समाचार-पत्र में ढींगरा का जोशभरा भाषण छपा। ब्रिटिश सरकार ने मदन लाल ढींगरा के शरीर को लावारिस समझ कर दफना दिया। फिर सावरकर ने ढींगरा की देह को प्राप्त करने के अनेक प्रयास किए कितु वे सफल नहीं हुए। अनेक वर्षों बाद 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को जब शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत लाई गईं तभी मदनलाल ढींगरा की अस्थियों को भी मातृभूमि का स्नेह मिला।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 नींव की ईंट Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 12 नींव की ईंट

Hindi Guide for Class 9 PSEB नींव की ईंट Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बतायें कि दुनिया क्या देखती है ?
उत्तर:
दुनिया इमारत की चमक-दमक देखती है। उसका ऊपर का आवरण देखती है।

प्रश्न 2.
इमारत का होना न होना किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
इमारत का न होना इमारत की नींव की ईंट तथा उसकी मज़बूती पर निर्भर करता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने नींव की ईंट किसे बताया है ?
उत्तर:
जो ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ती है और इमारत की पहली ईंट बनती है। इसी ईंट पर इमारत की मज़बूती तथा होना न होना निर्भर करता है। लेखक ने इसे ही नींव की ईंट कहा है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 12 नींव की ईंट

प्रश्न 4.
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व क्यों विलीन कर दिया ?
उत्तर:
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया ताकि यह संसार एक सुंदर सृष्टि देख सके।

प्रश्न 5.
ईसा की शहादत ने किस धर्म को अमर बना दिया ?
उत्तर:
ईसा की शहादत ने इसाई धर्म को अमर बना दिया।

प्रश्न 6.
किसकी हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया ?
उत्तर:
महर्षि दधीचि की हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य की प्राप्ति कब होती है ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार जब हम कठोरता और भद्देपन दोनों का सामना करते हैं तब. सत्य की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 8.
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ तथा ‘वृत्रासुर’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?
उत्तर:
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ शब्द शहीदों तथा ‘वृत्रासुर’ विदेशी आक्रमणकारी के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नींव की ईंट और कँगरे की ईंट दोनों क्यों वँदनीय हैं ?
उत्तर:
नींव की ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे गडकर इमारत की पहली ईंट बनती है। इसकी मज़बूती पर ही इमारत निर्भर करती है। कंगूरे की ईंट कट-छंटकर कँगूरे पर चढ़ती है तथा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है इसलिए दोनों ईंटें वंदनीय हैं।

प्रश्न 2.
नींव की ईंट पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा ही शिवम् होता है पर वह सदा सुंदरम् हो यह आवश्यक नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं तथा एक साथ जीते हैं।

प्रश्न 3.
देश को आजाद करवाने में किन लोगों का योगदान रहा ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
देश को आजाद करवाने में अनेक लोगों का योगदान रहा। यह केवल उन लोगों के बलिदान से ही आजाद नहीं हुआ जिनका इतिहास में नाम लिखा है। इसमें उनका भी योगदान है जिन्होंने चुपचाप अपना बलिदान दिया। जो आज़ादी की नींव बने।

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प्रश्न 4.
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ क्यों मची हुई है ?
उत्तर:
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ इसलिए मची हुई है क्योंकि उनमें नींव की ईंट बनने की इच्छा नहीं रही। उनमें देशभक्ति, बलिदान तथा त्याग की कामना खो गई है। वे केवल बाहरी दिखावे के प्रतीक बनना चाहते हैं।

प्रश्न 5.
नये समाज के निर्माण के लिए किस चीज़ की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
नये समाज के निर्माण के लिए नींव की ईंट चीज़ की आवश्यकता है। ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो समाज के नवनिर्माण के लिए अपना बलिदान दें और नींव की ईंट बने।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बताएं कि समाज की आधारशिला क्या होती है ?
उत्तर:
शहादत और मौन-मूक समाज की आधारशिला होती है। जिस शहादत को समाज में ख्याति तथा जिस बलिदान को अधिक प्रसिद्धि मिल जाती है वह समाज की आधारशिला नहीं होती। वह तो केवल इमारत का कँगूरा अथा मंदिर के कलश के समान हो सकती है। वह नींव की ईंट कभी नहीं होती। वास्तव में समाज की आधारशिला वही लोग बनते हैं जो चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर देते हैं और जिन्हें कोई नहीं जानता।

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प्रश्न 2.
आज देश को कैसे नौजवानों की ज़रूरत है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
आज देश को ऐसे नौजवानों की ज़रूरत है जो अपने देश पर चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर दें। जो एक नई प्रेरणा से प्रेरित हों। उनमें एक नई चेतना का भाव हो जिन्हें किसी की शाबाशी की ज़रूरत न हो। जिनमें न तो कंगूरा बनने की इच्छा हों और न कलश कहलाने की इच्छा हो। वे सभी इच्छाओं एवं आशाओं से बिल्कुल दूर हों।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को
मौन-मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि समाज का सुंदर निर्माण होना चाहिए। इसके लिए समाज के कुछ अग्रणी लोगों को चुपचाप बिना किसी प्रसिद्धि से मुक्त होकर अपना बलिदान एवं त्याग करना होगा। इसमें कवि ने चुपचाप बलिदान देने की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 4.
हम जिसे देख नहीं सके, वह सत्य नहीं है, यह है मूढ़
धारणा। ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों
की ओर ध्यान देना ही हमारा काम है, हमारा धर्म है।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि हम जिसको देख नहीं सके वह बिल्कुल सत्य नहीं है- यह एक मूर्ख धारणा है। इसमें सत्य की प्राप्ति नहीं होती। सत्य तो केवल ढूँढ़ने से ही मिलता है। हमें कँगूरे की तरफ नहीं बल्कि इमारत की नींव की ईंटों की तरफ ध्यान देना चाहिए। यही हमारा कर्म है और यही धर्म है।

प्रश्न 5.
उदर के लिए आतुर समाज चिल्ला रहा है
हमारी नींव की ईंट किधर है ?
देश के नौजवानों को यह चुनौती है।
उत्तर:
इसमें लेखक ने नौजवानों में समाज के प्रति कर्त्तव्यहीन भावना की ओर संकेत किया है। आज समाज उन्नति के लिए नौजवानों का इन्तजार कर रहा है किंतु कोई उन्नति एवं उदय की आधारशिला बनने को तैयार नहीं है। देश के नौजवानों के लिए यही बड़ी चुनौती है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – …………… – ……………
प्रचार – …………… – ……………
बेतहाशा – …………… – ……………
प्रसिद्धि – …………… – ……………
अभिभूत – …………… – ……………
अनुप्राणित – …………… – ……………
आकृष्ट – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – प्र – ताप
प्रचार – प्र – चार
बेतहाशा – बे – तहाशा
प्रसिद्धि – प्र – सिद्धि
अभिभूत – अभि – भूत
अनुप्राणित – अनु – प्राणित
आकृष्ट – आ – कृष्ट

2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – …………… – ……………
पायदारी – …………… – ……………
विदेशी – …………… – ……………
चमकीली – …………… – ……………
पुख्तापन – …………… – ……………
कारख़ाना – …………… – ……………
सुनहली – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – भद्दा – पन
पायदारी – पाय – दारी
विदेशी – विदेश – ई
चमकीली – चमक – ईली
पुख्तापन – पुख्ता – पन
कारख़ाना – कार – खाना
सुनहली – सुनहल – ई

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3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना – ………………….
शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति – ………………….
सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना – ………………….
खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना – ………………….
फलना-फूलना – सुखी और सम्पन्न होना – ………………….
खपा देना – किसी काम में लग जाना,उपयोग में आना – ………………….
उत्तर:
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना
वाक्य-आज देश के प्रत्येक युवक को नींव की ईंट बनने का संकल्प लेना चाहिए।

शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति
वाक्य-भगत सिंह देश की स्वतंत्रता के लिए शहादत के लाल थे।

सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना
वाक्य – सुभाष चंद्र बोस ने देश की आज़ादी के लिए सेहरा पहन लिया था।

खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना
वाक्य – कर्महीन लोग सदा खाक छानते रहते हैं।

फलना – फूलना-सुखी और सम्पन्न होना
वाक्य – यदि फलना-फूलना चाहते हो तो परिश्रम किया करो।

खपा देना – किसी काम में लग जाना, उपयोग में आना
वाक्य – विद्यार्थी को पढ़ाई-लिखाई में स्वयं को खपा देना चाहिए।

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4. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए

(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ
(ii) हाँ शहादत और मौन मूक समाज की आधारशिला यही होती है
(ii) अफसोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा होड़ी मची है नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है
उत्तर:
(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम, “आइए, अब नींव के गीत गाएँ।”
(ii) हाँ, शहादत और मौन मूक ! समाज की आधारशिला यही होती है।
(iii) अफसोस ! कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है ?

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप नींव की ईंट या कँगूरे की ईंट में से कौन-सी ईंट बनना चाहेंगे और क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं नींव की ईंट और कँगूरे की ईंट में से नींव की ईंट बनना चाहूँगा। मैं नींव की ईंट इसलिए बनना चाहूँगा क्योंकि नींव की ईंट ही समाज की आधारशिला होती है। इस पर ही समाज की इमारत खड़ी होती है। यही इमारत का आधार होती है। इसके हिलने मात्र से ही पूरी इमारत नीचे ढह सकती है। नींव की ईंट बनना
अपने आप में गर्व का विषय है। यही धन्य है।

प्रश्न 2.
लेखक इस पाठ में नींव की ईंट के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
लेखक इस पाठ के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि व्यक्ति को अपने समाज तथा देश की तरक्की और कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत की कंगूरा अथवा मंदिर का कलश नहीं बल्कि नींव की ईंट बनने की इच्छा करनी चाहिए। युवाओं को नि:स्वार्थ भाव से अपने देश पर अपना त्याग एवं बलिदान कर देना चाहिए। कभी भी प्रसिद्धि एवं तरक्की की कामना नहीं रखनी चाहिए।

प्रश्न 3.
आपकी नज़र में ऐसा कौन-सा व्यक्तित्व है जिसने देश और जमा के उत्थान में नींव की ईंट के समान कार्य किया है उसके योगदान को बताते हुए अपनी बात स्पष्ट करें।
उत्तर:
हमारी नज़र में सुभाष चन्द्र बोस एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने देश पर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने आज़ादी के लिए महान् योगदान दिया। उन्होंने विदेश में जाकर ‘आज़ाद हिंद फौज’ बनाई तथा भारत के युवाओं को देश पर मर-मिटने तथा आजादी पर कुर्बान होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने स्कूल/आस-पड़ोस कहीं भी यदि किसी नयी इमारत का निर्माण हो रहा हो तो वहाँ जाकर कारीगर से जानकारी प्राप्त करें कि इमारत की नींव रखने के लिए किस प्रकार जमीन की खुदाई की जाती है और कैसे उस खुदी हुई जमीन पर सुंदर और विशाल इमारत खड़ी करने से पूर्व नींव की ईंटें रखी जाती हैं।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘हमारे देश की नींव’ शीर्षक के अन्तर्गत कुछ ऐसे देशभक्तों और महापुरुषों के नाम एक चार्ट पर लिखकर स्कूल/कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

दधीचि : एक प्रसिद्ध ऋषि जिसने अपने शरीर की हड्डियाँ देवताओं को अर्पित कर दी थीं और स्वयं मरने को तैयार हो गया था। इन हड्डियों से देवताओं के शिल्पी-विश्वकर्मा ने एक वज्र का निर्माण किया था। वृत्रासुर : एक राक्षस। ऋषि दधीचि की हड्डियों से निर्मित वज्र से इन्द्र ने वृत्रासुर और अन्य राक्षसों को मार गिराया था।
सफलता की नींव : हम लोग किसी सफल व्यक्ति की सफलता से प्रभावित होते हैं, उससे प्रेरणा लेते हैं किंतु सफल व्यक्ति की सफलता की नींव को जानने का प्रयास कितने लोग करते हैं ? दरअसल सफल व्यक्ति की कामयाबी की कहानी में त्याग, निष्ठा, मेहनत, अनुशासन, समर्पण और यहाँ तक कि अनेक असफलताएँ भी छिपी होती हैं। यही सब कुछ उनकी आज की सफलता की नींव बनती हैं।

PSEB 9th Class Hindi Guide नींव की ईंट Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को क्या प्रेरणा दी है ?
उत्तर:
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 2.
हमें सदा किस कार्य के लिए तैयार रहना चाहिए ?
उत्तर:
हमें सदा अपने देश और समाज के कल्याण एवं तरक्की के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
आज देश को कैसे नवयुवकों की आवश्यकता है ?
उत्तर:
आज देश को ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए अपना कर्म करें।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर सत्य, शिवं तथा सुंदरम् को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा शिव होता है। किंतु सदा सुंदरम् हो यह जरूरी नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ उत्पन्न होते हैं। हम कठोरता एवं भद्देपन से सदा भागते रहते हैं। इसलिए सत्य से भी भागते हैं।

प्रश्न 2.
कौन-सी ईंट सबसे धन्य होता है ? क्यों ?
उत्तर:
नींद की ईंट सबसे धन्य होती है क्योंकि वह ज़मीन के सात हाथ नीचे गढ़ती है। वही इमारत की पहली ईंट बनती है। वही इमारत की आधारशीला होती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिएप्रश्न

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ निबंध का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नींव की ईंट श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। बड़े दुःख की बात है कि आज लोग भवन की नींव या ईंट नहीं बनाना चाहते अपितु वे कंगूरा बनना चाहते हैं। सभी में कँगूरे को पाने की होड़ मची है। उन्हें यह नहीं पता कि कँगूरा नींव की ईंट पर ही खड़ा होता है। ईंट हिलाने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाएगा। अतः नवयुवकों को प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए।

प्रश्न 2.
इस पाठ के माध्यम से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए। अपने देश पर नि:स्वार्थ त्याग और बलिदान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत का कँगूरा ही नहीं बल्कि नींव की ईंट बननी चाहिए। अपने देश पर चुपचाप कुर्बान हो जाना ही श्रेष्ठ है। हमारे अंदर एक नई प्रेरणा तथा चेतना होनी चाहिए।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 2.
दुनिया क्या देखना पसंद करती हैं ?
उत्तर:
बाहरी चमक-दमक।

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प्रश्न 3.
इमारत की पायदारी किस पर मुनहसिर होती है ?
उत्तर:
नींव की ईंट पर।

प्रश्न 4.
समाज की आधारशिला क्या है ?
उत्तर:
मौन-मूक शहादत।

प्रश्न 5.
मूढ़ धारणा क्या है ?
उत्तर:
जिस सत्य को हम देख नहीं सके, यह मूढ़ धारणा है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त नहीं हो रही।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बना दिया।
उत्तर:
सही।

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प्रश्न 9.
वह ईंट धन्य नहीं है जो कट-छंट कर कँगूरे पर चढ़ती है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
हम ……. से भागते हैं, ……. से मुख मोड़ते हैं।
उत्तर:
हम कठोरता से भागते हैं, भद्देपन से मुख मोड़ते हैं।

प्रश्न 11.
जिनकी ……. के दान ने ही विदेशी ……. का नाश किया।
उत्तर:
जिनकी हड्डियों के दान ने ही विदेशी वृत्रासुर का नाश किया।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें.

प्रश्न 12.
ठोस सत्य सदा ही क्या होता है…
(क) शिवम्
(ख) सुखद
(ग) शुभम्
(घ) सरल।
उत्तर:
(क) शिवम्।

प्रश्न 13.
लोक-लोचनों को अपनी ओर किसकी ईंट आकर्षित करती है ?
(क) नींव की
(ख) खम्बे की
(ग) कोर्निस की
(घ) कँगूरे की।
उत्तर:
(घ) कँगूरे की।

प्रश्न 14.
वृत्रासुर के नाश के लिए किसने अपनी हड्डियों का दान दिया ?
(क) विश्वामित्र
(खे) दधीचि
(ग) अत्री
(घ) कश्यप।
उत्तर:
(ख) दधीचि।

प्रश्न 15.
कितने लाख गाँवों के नव-निर्माण की बात लेखक ने की है ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर:
(ग) सात।

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कठिन शब्दों के अर्थ

चमकीली = चमकदार। आवरण = पर्दा। भद्दा = बदसूरत। सुघड़ = सुडौल। पायदारी = मजबूत। आकृष्ट = आकर्षित। शिवम् = कल्याणकारी। अंधकूप = अंधा कुआँ। विलीन = अदृश्य। कँगूरा = चोटी, शिखर, बुर्ज। अस्तित्व = हस्ती। शुहरत = प्रसिद्धि । शहादत = बलिदान। उत्सर्ग = बलिदान । मूढ़ = मूर्ख। आधारशिला = नींव का पत्थर। लुप्त = गायब। वासना = इच्छा, आतुर = व्याकुल, उतावला, अनुप्राणित = प्रेरित। होड़ा-होड़ी = प्रतिस्पर्धा। एक-दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास।

नींव की ईंट Summary

नींव की ईंट जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी गद्य-साहित्य में अद्भुत योगदान है। इनका जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इनके माँ-बाप की मृत्यु हो गई थी। इन्होंने अनेक कष्ट सहकर दसवीं तक की पढ़ाई की। सन् 1920 ई० में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित 7 सितंबर, सन् 1968 ई० को मृत्यु हो गई।

रचनाएं-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं
(i) कहानी-चिता के फल
(ii) उपन्यास-पतितों के देश में
(iii) नाटक-आम्रपाली
(v) जंजीरें और दीवारें-रेखाचित्र।

साहित्यिक विशेषताएँ- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उनका गद्य-साहित्य बहुत श्रेष्ठ है। इनके निबंधों में देशभक्ति की भावना का अनूठा वर्णन हुआ है। इन्होंने देश के युवाओं को देश एवं समाज पर बलिदान एवं त्याग करने के लिए प्रेरित किया है। इन्होंने समाज में फैली बुराइयों का सच्चा वर्णन किया है। इनकी भाषा सहज, सरल एवं स्वाभाविक है जिसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में निखार आ गया है।

निबंध का सार

‘नींव की ईंट’ लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का अत्यंत रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक ने मनुष्य को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है। प्रत्येक मनुष्य को अपने देश तथा समाज के कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। लेखक को इस बात का दुःख है कि आजकल हर आदमी भवन के कँगूरे की तरह बनना चाहता है। उसकी नींव की ईंट कोई बनना नहीं चाहता। लेखक चमकीली सुंदर एवं मज़बूत इमारत की नींव को ध्यान देने को कहता है। उसे दुःख है कि आज दुनिया केवल चमक-दमक देखती है किंतु उसके नीचे ठोस सत्य को कोई नहीं देखता। ठोस सत्य सदा शिवम् होता है किंतु वह सदा सुंदर हो यह जरूरी नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं। लोग सदा कठोरता से भागते हैं। भद्देपन से मुँह मोड़ते हैं इसलिए वे सत्य से दूर जाते हैं।
कँगूरे पर चढ़ने वाली ईंट धन्य है जो लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करती है किंतु इमारत की नींव की ईंट धन्य होती है जिसके ऊपर इमारत खड़ी होती है। इस ईंट के हिलने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाता है इसलिए हमें कँगूरे की ईंट को नहीं बल्कि नींव की ईंट के गीत गाने चाहिए। यह ईंट इमारत की शोभा बढ़ाने के लिए सदा ज़मीन के अंदर दबी रहती है और अपना त्याग एवं बलिदान करती है। इसी प्रकार जो समाज के लिए अपना बलिदान देते हैं वही समाज का आधार होते हैं। ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बनाया। वास्तव में ईसाई धर्म को अमर तो उन अनाम लोगों ने बनाया जिन्होंने इसका प्रचार करने में चुपचाप अपना बलिदान किया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Exercise Questions and Answers.

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Hindi Guide for Class 9 PSEB वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग क्यों घटने लगी है ?
उत्तर:
मोबाइल फ़ोन में अलार्म उपलब्ध रहने के कारण बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग घटने लगी है।

प्रश्न 2.
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में कौन-सी घड़ी मिली थी ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में अलार्म घड़ी मिली थी।

प्रश्न 3.
लेखक को कविताओं में डूबे रहना कैसे लगता था ?
उत्तर:
लेखक को कविताओं में डूबे रहना स्वर्ग में जीने जैसा लगता था।

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प्रश्न 4.
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी किसकी तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी ?
उत्तर:
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी सुमित्रानंदन पंत की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी।

प्रश्न 5.
लेखक अपनी कौन-सी दुनिया में खोया रहता था कि चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था ?
उत्तर:
लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया रहता था इसी कारण वह चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था।

प्रश्न 6.
लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी कौन थी ?
उत्तर:
‘लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी चिड़िया थी।

प्रश्न 7.
चिड़िया ने लेखक को कौन-सा रत्न दिया था ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक को ‘ऊषा सुंदरी’ रूपी रत्न दिया था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पहले किन-किन अवसरों पर घड़ी देने की परंपरा थी ?
उत्तर:
पहले कलाई पर बाँधने के लिए अथवा पहनने के लिए घड़ी एक उपहार हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी उपहार के रूप में दी जाती थी। कॉलेज में दाखिल होने पर बच्चों को घड़ी दिलवाई जाती थी। शादी में दूल्हे को ससुराल वाले घड़ी अवश्य ही देते थे। कई सरकारी विभागों में सेवा-निवृत्ति पर भी घड़ी देने की परंपरा थी।

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प्रश्न 2.
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब उनके पिता जी क्या कहा करते थे ?
उत्तर:
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब लेखक के पिता जी उससे कहा करते थे कि तुम्हें सुबह जितने बजे भी उठना हो, तुम अपने तकिये से यह कह कर सो जाओ कि मुझे सुबह जल्दी उठा देना। इतना कहने के बाद तुम्हारी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करेगी। लेखक द्वारा तकिये से कहने पर उसकी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करती थी।

प्रश्न 3.
शाम को चिड़िया लेखक के कमरे में कैसे पधार जाती थी ?
उत्तर:
लेखक दिनभर दफ्तर में काम करने के बाद शाम को पढ़ने-लिखने के लिए अपने कमरे का दरवाज़ा खोल कर बैठ जाता था। वह लिखते-पढ़ते समय अपनी किताबों की दुनिया में इतना खोया हुआ होता था कि कमरे में और क्या हो रहा है उसे पता ही नहीं चलता। चिड़िया लेखक के कमरे का दरवाज़ा खुला होने के कारण तथा उसके किताबों में रमे होने के कारण कमरे में पधार जाती थी।

प्रश्न 4.
रोज़ सुबह-सुबह चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती क्यों थी ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक के कमरे की दीवार पर टंगे सुमित्रानंदन पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना रखा था। वह प्रतिदिन शाम को दरवाज़े के अंदर से आकर अपने घोंसले में बैठ जाया करती। लेखक देर रात तक पढ़ता और लिखता रहता था। इसी कारण वह सुबह देर से उठता था। चिड़िया को सुबह कमरे के बाहर जाना होता था, इसलिए चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती थी कि लेखक कमरे का दरवाज़ा खोल दे और वह बाहर चली जाए।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से क्यों की है ?
उत्तर:
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से इसलिए की है क्योंकि लेखक के बचपन में उसकी माँ चिड़िया की ही भाँति बड़े ही प्यार से जगाती थी। जब लेखक देर तक सोया रहता था तब उसकी माँ चिड़िया की भाँति ही बड़ी ही झुंझलाहट से लेखक को जगा दिया करती थी। आज लेखक को चिड़िया द्वारा स्वयं को जगाना माँ की तरह जगाना लग रहा था। इसलिए लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से की है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…

3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक ने मनुष्य की आदत में आने वाले बदलाव का संदेश दिया है। लेखक का मानना है कि मानव की आदत कभी नहीं बदलती। किंतु कभी-कभी कुछ ऐसे कारण भी बन जाते हैं जिनके कारण व्यक्ति को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है। यह बदलाव व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा बदल देता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाला यह बदलाव अमूक-चूक परिवर्तन लाता है। कहानी में लेखक ने सवेरे के समय को सोते हुए बिताना बेकार बताया है। लेखक का मानना है कि सुबह-सवेरे का समय एक स्वर्णिम आभा का समय होता है जो व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार करता है।

प्रश्न 2.
चिड़िया द्वारा लेखक को जगाए जाने के प्रयास को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
चिड़िया प्रतिदिन शाम को लेखक के कमरे में बने अपने घोंसले में आकर आराम करती थी। वह सुबह जल्दी उठकर बाहर जाना चाहती थी। किंतु लेखक सुबह के समय सोया हुआ होता था, तब चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर एक अलग प्रकार की झुंझलाहट से भरी चीं-ची, चीं-चीं किया करती थी ताकि लेखक अपनी नींद से उठ जाए। वह बार-बार पलंग के सिरहाने आकर फुदकती और अपनी तेज़ आवाज़ से सारे कमरे को गुंजायमान कर देती थी। कई बार चिड़िया लेखक की रज़ाई का कोना अपनी चोंच से पकड़ कर खींचने लगती थी। वह लेखक के सीने पर पड़ी रजाई के ऊपर बैठकर लेखक को अपनी चहचहाहट से जगाने का प्रयास करती थी।

प्रश्न 3.
लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार क्यों मानता है ?
उत्तर:
लेखक वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार इसलिए मानता है क्योंकि चिड़िया ने एक माँ की भाँति उसे प्यार दिया। माँ की भाँति गीत-संगीत अपनी चहचहाहट में सुनाया। लेखक की सुबह देर तक सोने की आदत को भी एक माँ की भांति अपनी चहचहाहट रूपी डाँट से दूर किया। लेखक को सुबह जल्दी उठना सिखाया। लेखक को समय के महत्त्व तथा सवेरे की स्वर्णिम आभा का अवलोकन कराया। सुबह की शीतलता तथा प्रकाश से लेखक को अवगत कराया। अपने मधुर संगीत तथा मूल्यवान समय का ज्ञान कराया। इसी कारण लेखक सुबह जल्दी उठना सीख गया। सुबह-सवेरे का आनंद, जो वह बचपन से खोता आ रहा था, अब वह पाने लगा था। इसलिए लेखक अपने जीवन में आए बदलाव को वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार मानता है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए

एकवचन – बहुवचन
घोंसला – ……………….
कमरा – ……………….
दरवाज़ा – ……………….
बच्चा – ……………….
दूल्हा – ……………….
चिड़िया – ……………….
डिबिया – ……………….
घड़ी – ……………….
खिड़की – ……………….
छुट्टी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
घोंसला – घोंसले
कमरा – कमरे
दरवाज़ा – दरवाजे
बच्चा – बच्चे
दूल्हा – दूल्हे
चिड़िया – चिड़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
घड़ी – घड़ियाँ
खिड़की – खिड़कियाँ
छुट्टी – छुट्टियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – ………………. – ……………….
उपस्थित – ………………. – ……………….
उपलब्ध – ………………. – ……………….
उपकार – ………………. – ……………….
अभिभूत – ………………. – ……………….
सुमंगल – ………………. – ……………….
अनुभूति – ………………. – ……………….
बेख़बर – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – उप – हार
उपस्थित – उप – स्थित
उपलब्ध – उप – लब्ध
उपकार – उप – कार
अभिभूत – अभि – भूत
सुमंगल – सु – मंगल
अनुभूति – अनु – भूति
बेख़बर – बे – खबर

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – ………………. – ……………….
झुंझलाहट – ………………. – ……………….
रोशनदान – ………………. – ……………….
कृतज्ञता – ………………. – ……………….
सघनता – ………………. – ……………….
मानवीय – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – चहचह – आहट
झुंझलाहट – झुंझला – आहट
रोशनदान – रोशन – दान
कृतज्ञता – कृतज्ञ – ता
सघनता – सघन – ता
मानवीय – मानव – ईय

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4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
रात्रि – ……………….
आश्रय – ……………….
कृपा – ……………….
गृह – ……………….
सूर्य – ……………….
सच – ……………….
नींद – ……………….
मोती – ……………….
चिड़िया – ……………….
माँ – ……………….
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
रात्रि – रात
आश्रय – आसरा
कृपा – किरपा
गृह – घर
सूर्य – सूरज
सच – सत्य
नींद – निद्रा
मोती – मुक्ता
चिड़िया – खग
माँ – मातृ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आपके घर में भी किसी चिड़िया ने घोंसला बनाया है तो उसके क्रियाकलाप को ध्यान से देखिए और अपना अनुभव लिखिए।
उत्तर:
हाँ, मेरे घर में भी एक मादा पक्षी ने अपना घोंसला बनाया हुआ है। वह देखने में बहुत सुंदर है। देर शाम को वह अपने घोंसले में आ जाती है। सुबह सूर्य की प्रथम किरण के साथ वह उठ जाती है। उसकी ची-चीं की ध्वनि पूरे घर में गूंजने लगती है। वह पंखों को फड़फड़ाते हुए इधर से उधर, उधर से इधर चक्कर काटने लगती है। उसका घोंसला घास के तिनकों से बना है। घोंसले में उसके दो बच्चे भी हैं। उनके लिए वह दाना चुग कर लाती है और बच्चों की चोंच में चोंच मिलाकर उन्हें खिलाती है। बच्चों के साथ उसका चोंच लड़ाना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।

प्रश्न 2.
यदि किसी पशु-पक्षी के कारण आपके जीवन में भी परिवर्तन आया है तो वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक बार मैं अपनी गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव सोनपुर गया हुआ था। हमारे घर के पास एक आम का बाग था। बाग में बहुत से आम के पेड़ थे। उन पेड़ों पर बहुत-से पक्षियों ने अपने घोंसले बना रखे थे। एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ बाग में गुलेल लेकर घूमने गया था। वहाँ मैंने एक वृक्ष पर एक गौरैया पक्षी को बैठा देखा। तभी मैंने एक निशाना लगाकर उस गैरैया पक्षी को मार गिराया। वह पक्षी तड़पता हुआ नीचे धरती पर आ गिरा। गैरैया पक्षी का दर्द मुझसे देखा नहीं गया। मैंने उसे उठाकर उसका उपचार किया। तब से मेरे मन में पक्षियों के प्रति प्रेम उत्पन्न हो गया है। उसके बाद से मैं दूरबीन लेकर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की खोज करता रहता हूं।

प्रश्न 3.
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त आप और क्या नाम देंगे और क्यों ?
उत्तर:
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त ‘स्वर-कोकिला’ नाम दे सकते हैं, क्योंकि चिड़िया का स्वर कौए की भाँति कर्कश न होकर कोयल की भाँति मीठा और सरस लगता है। उसकी ची-ची में अपनापन-सा झलकता है। उसकी चहचहाहट माँ की डांट और प्यार के समान लगती है तथा उस चहचहाहट में संगीत के सभी सुरों का आनंद एक साथ सुनाई देता है। इसलिए चिड़िया को ‘स्वर कोकिला’ नाम देना उचित ही जान पड़ता है।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रातःकाल में प्रकृति को ध्यानपूर्वक निहारिए और कक्षा में सभी को अपना अनुभव बताइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के पक्षियों की आवाज़ों, उनके स्वभाव और उनके घोंसले के बारे में सामग्री जुटाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ पढ़िए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
कहानी पढ़कर आपके सामने चिड़िया का जो चित्र उभरता है, उस चित्र को बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
चिड़िया और प्रातःकालीन सौंदर्य पर कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री है। हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ की छायावादी कविता में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। छायावाद की प्रायः रहस्यवादी, प्रकृति-चित्रण, काव्य-वेदना आदि सभी विशेषताएँ इनके काव्य में मिलती हैं। कवयित्री के साथ-साथ ये उत्कृष्ट लेखिका के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘काव्य-संग्रह’ तथा ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के राही’, ‘मेरा परिवार’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

पंत : पंत जी का पूरा नाम ‘सुमित्रानंदन पंत’ है। इन्हें प्रकृति के रंग-भीने वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित व प्रेरित किया। इनकी कविताओं में प्रकृति की अनुपम छटा के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार (कोमल) कवि कहा जाता है। ‘उच्छ्वास’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘चिदम्बरा’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

निराला : निराला जी का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। हिन्दी-साहित्य में छायावादी काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रसाद के बाद दूसरे कवि हैं। छायावादी कविता में वेदना का जो चित्रण व्यापक परिवेश में हुआ है, वह इनकी कविताओं में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त रहस्यवाद तथा प्रकृति चित्रण भी इनके काव्य की विशेषता है।

तुलसीदास : भक्तिकालीन हिंदी-साहित्य में रामभक्त कवियों में तुलसीदास का स्थान सब से ऊपर है। यद्यपि इनके अतिरिक्त कई अन्य कवियों ने भी राम काव्य से सम्बन्धित रचनाएँ लिखीं किंतु तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ जैसी अभूतपूर्व सफलता किसी को नहीं मिली। इन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम कथा को घर-घर तक पहुँचाने का अनुपम कार्य किया।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 7 मई, सन् 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था। वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान-जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान-आमार सोनार बाँग्ला । इन्हें ‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त, सन् 1941 को इनका निधन हो गया।
लोकोक्तियों में पक्षी

  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
  • खग ही जाने खग ही की भाषा।
  • घर की मुर्गी दाल बराबर।
  • कौआ चला हंस की चाल।
  • जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?
  • आधा तीतर, आधा बटेर।
  • झूठ बोले कौआ काटे।
  • अंधे के हाथ लगा. बटेर।
  • आधा बगुला आधा बटेर।

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PSEB 9th Class Hindi Guide वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
सेवानिवृत्ति के स्थान पर लेखक व्यक्ति को घड़ी देने की बात कब करता है ?
उत्तर:
घड़ी मानव को उसका जीवन समय पर चलाने का काम करती है। मानव जीवन में समय की उपयोगिता समझाती है। हर काम को समय पर करने की बात बताती है। इसलिए लेखक कहता था कि सेवानिवृत्ति के बजाय नौकरी लगने पर विभाग द्वारा पहले ही कर्मचारी को एक घड़ी भेंट में दी जानी चाहिए ताकि वह समय पर अपने काम तथा दफ्तर में उपस्थित हो जाया करे।

प्रश्न 2.
“वहं चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….” कहानी में लेखक ने मानवीय मन की संवेदना का खेल किसे कहा है ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता में मिली अलार्म घड़ी की ध्वनि अत्यधिक प्रिय थी। उस ध्वनि का नशा और स्वाद अब महंगे-से-महंगे मोबाइल फ़ोन से भी नहीं मिलता। संवेदना का स्तर जीवन में सदा एक जैसा नहीं रहता। यह परिवर्तित होता रहता है। कभी इसकी सघनता कम हो जाती है तो कभी बढ़ जाती है। सघनता घट जाने पर बड़ी-बड़ी बातें पहले जैसा स्वाद एवं रस नहीं देती। मानव-मन में होने वाला यह परिवर्तन मानवीय-मन की संवेदना का खेल है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
गोबिन्द कुमार गुंजन की।

प्रश्न 2.
अब किसमें अलार्म की सुविधा है ?
उत्तर:
मोबाइल फोन में।

प्रश्न 3.
पहले दूल्हे को ससुराल पक्ष वाले शादी में क्या अवश्य देते थे ?
उत्तर:
घड़ी।

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प्रश्न 4.
लेखक को पहली बार कलाई घड़ी कब मिली थी ?
उत्तर:
कॉलेज में प्रवेश लेने पर।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया को अलार्म घड़ी क्यों कहा है ?
उत्तर:
चिड़िया अपनी चहचहाहट से उसे जगाती थी।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मुझे सुबह-सुबह उठकर पढ़ना रास नहीं आता था।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
मेरे कमरे में सिर्फ एक दरवाजा, एक खिड़की और एक रोशनदान था।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
पड़ोसी कृपा करके दरवाजा खटखटाते तो नींद खुलती।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
पलंग के सिरहाने बैठी वह चिड़िया मुझे प्यार से देख रही थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उस सुबह ……. खुलने पर …….. ही लगा, जैसे किसी ने ……. का गीत गाया हो।
उत्तर:
उस सुबह पलकें खुलने पर ऐसा ही लगा, जैसे किसी ने जागृति का गीत गाया हो।

प्रश्न 11.
मैं उस …… चिड़िया के उस ………… को बहुत …… से महसूस करता हूँ।
उत्तर:
मैं उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता हूँ।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
लेखक की नई-नई नौकरी किस दशक में लगी थी
(क) साठवें
(ख) पचासवें
(ग) अस्सीवें
(घ) नब्बेवें।
उत्तर:
(ग) अस्सीवें।

प्रश्न 13.
लेखक को पहली अलार्म घड़ी कहाँ से मिली थी ?
(क) कॉलेज से
(ख) पिता से
(ग) दफ्तर से
(घ) मित्र से।
उत्तर:
(क) कॉलेज से।

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प्रश्न 14.
किस वृत्ति के कारण लेखक का सुबह जल्दी उठना मुश्किल हो जाता ?
(क) यायावरी
(ख) लेखकीय
(ग) निशाचरी
(घ) भ्रमरी।
उत्तर:
(ग) निशाचरी।

प्रश्न 15.
दरवाज़ा खुलवाने के लिए चिड़िया किसके सिरहाने बैठकर चहचहाती थी ?
(क) पलंग
(ख) कुर्सी
(ग) मेज़
(घ) कार्निस।
उत्तर:
(क) पलंग।

कठिन शब्दों के अर्थ

सिरहाने = सिर के पास। ख्याल = विचार। अव्यवस्थित = बिगड़ जाना, बिना किसी व्यवस्था के, ऊबड़-खाबड़। बेख़बर = जिसे कुछ न पता हो। [जाना = किसी आवाज़ से शोर करना। सुहाता = अच्छा लगना। वाणी = आवाज़। स्पर्श = छूना। सहसा = अचानक। उषा = सुबह। सरिता = नदी। गृह = घर। भोर = प्रात:काल। उपहार = भेंट। सेवा-निवृत्ति = रिटायरमेंट, कार्यकाल समाप्त होना। उपस्थित = हाज़िर। संवेदना = अनुभूति। कौतूहल = उत्सुकता। निशाचरी = रात को जागने वाली, राक्षसी। व्यसन = बुरी आदत। व्यवधान = बाधा। अभिनंदन = स्वागत। सृष्टि = संसार। व्यर्थ = बेकार। स्पंदन = कंपन, हिलना। नभचारिणी = आकाश में घूमने वाली। सौरभ = खुशबू। स्वर्णिम = सोने जैसी। अभिभूत = प्रभावित किया हुआ। शय्या = बिस्तर। अप्रतिम = अनोखा। वात्सल्य = प्यार। अवतरित = उतरती हुई। कृतज्ञता = अहसान। स्मृति = याद।

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Summary

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। उनका जन्म 28 अगस्त, सन् 1956 ई० में मध्य प्रदेश प्रांत के सनवाद में हुआ था। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० की परीक्षा पास की। इनकी साहित्य-प्रतिभा तथा साहित्य-साधना को देखते हुए सन् 1994 में प्रथम समानांतर नवगीत अलंकार, सन् 2002 में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी निबंध हेतु इन्हें सन् 2002 में निर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 2007 में इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार देकर अलंकृत किया गया। रचनाएँ-रुका हुआ संवाद (कविता संग्रह), समकालीन हिन्दी गजलें (सहयोगी प्रकाशन), कपास के फूल, सभ्यता की तितली, पंखों पर आकाश, ज्वाला भी जलधारा भी।
साहित्यिक विशेषताएँ-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक संवेदना से ओत-प्रोत साहित्यकार हैं। गुंजन जी के लेखन की महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के मध्य उनकी भिन्न-भिन्न रचनाएँ लोकप्रिय हैं। मानवता उनके साहित्य की प्राण तत्व हैं। गुंजन जी के साहित्य में आधुनिक युग की विसंगतियों, समस्याओं, मूल्यहीनता आदि का सुन्दर चित्रण हुआ है। अनेक स्थलों पर इनका साहित्य अत्यन्त मार्मिक बन पड़ा है। ‘गुंजन’ जी श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ ललित निबन्धकार हैं। कहानी लेखन में गुंजन जी पूर्णतः सिद्धहस्त हैं।
भाषा-शैली-‘गुंजन’ जी एक श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ श्रेष्ठ गद्यकार भी हैं। उनके गद्य लेखन में सहजता और आत्मीयता है। वे बड़ी-से-बड़ी बात को भी बातचीत की शैली में कहते हैं और सीधे पाठकों के मन को छ लेते हैं। लेखक ने मुख्यतः खड़ी बोली भाषा का सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है।

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वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. कहानी का सार

“वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…….” गोविंद कुमार गुंजन द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से मनुष्य की आदत पर प्रकाश डालना चाहा है। लेखक ने कहानी में बताया है कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती किंतु कभी-कभी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जिनके कारण मानव को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है।
बाज़ार में पहले अलार्म घड़ियाँ खूब बिका करती थीं। वर्तमान समय में मोबाइल फ़ोन में अलार्म रहने के कारण इनकी माँग लगातार कम होती जा रही है। पुराने समय में अलार्म घड़ी का अपना विशेष महत्त्व हुआ करता था। बच्चों की परीक्षा के समय अलार्म घड़ी उन्हें सुबह-सवेरे उठाने का काम करती थी। सुबह किसी यात्रा में जाना होता था तो अलार्म घड़ी सुबह जल्दी उठाने का काम करती थी। जिस प्रकार आज सभी के पास मोबाइल फ़ोन हैं, उसी प्रकार पहले सभी के पास अलार्म घड़ियाँ नहीं हुआ करती थीं। घड़ी उपहार में देने की वस्तु हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी दी जाती थी। कॉलेज में प्रवेश लेने पर तथा ससुराल पक्ष वालों की तरफ से घड़ी अवश्य दी जाती थी। कई सरकारी विभागों में भी सेवा-निवृत्ति पर घड़ी देने की परंपरा थी। लेखक को पहली बार हाथ घड़ी उस समय मिली थी, जब उसने कॉलेज में प्रवेश लिया था। उसे पहली अलार्म घड़ी भी कॉलेज में एक बिनंध प्रतियोगिता में भाग लेने पर मिली थी।

लेखक को उस अलार्म घड़ी की आवाज़ अत्यंत मनमोहक लगती थी। आज महँगे-महँगे मोबाइल फ़ोन की आवाज़ उसे पहले के समान मधुर नहीं लगती। लेखक के बचपन में जब उसके पास घड़ी नहीं थी तो उसके पिता जी उससे कहा करते थे कि यदि तुम्हें सुबह जल्दी उठना हो तो अपने तकिए से कह दिया करो वह तुम्हें जल्दी उठा दिया करेगा। लेखक पिता द्वारा दी सीख का पालन करता था और तकिया उसे सुबह जल्दी उठा देता था। लेखक को सुबह जल्दी उठना पसंद नहीं था। वह देर रात तक पढ़ता था और सुबह देर से उठता था। उसने सुबह की सुंदरता का अनुभव कविताओं में किया था। आज दशकों बाद भी लेखक के पास वह अलार्म घड़ी है। अब घड़ी ठीक होने योग्य नहीं बची। लेखक भी अपनी आदत में कहाँ सुधार कर पाया। अस्सी के दशक में पहली बार लेखक की नौकरी लगी थी। पहली बार लेखक घर से बाहर आया था। उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। कमरे में उसने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा तुलसी दास जी की तस्वीरें फ्रेम करवा कर टाँगी हुई थीं। रात में देर तक जागकर कविता लिखना लेखक को स्वर्ग में जीना लगता था। रात में देर तक जागने के कारण उसे सुबह जल्दी उठना अत्यंत कठिन होने लगा था। वह अक्सर देर से दफ्तर पहुँचता था। लेखक ने जो कमरा किराए पर लिया था उसमें मात्र एक दरवाज़ा था। कमरे में हवा आने-जाने का दरवाज़े के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा रास्ता न था। पहले की तरह तकिया – अब लेखक की बात नहीं सुनता था।

लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया इतना बेख़बर था कि एक चिड़िया ने कब उसके कमरें में टंगी पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना लिया उसे पता ही नहीं चला। देर शाम को चिड़िया दरवाज़ा खुला पाकर कमरे में आ जाया करती थी। एक सुबह चिड़िया लेखक के सिरहाने बैठ कर चीं-चीं की ध्वनि कर उसे उठाने का प्रयास कर रही थी। उसकी ध्वनि में लेखक को गुस्सा नज़र आ रहा था। वह चाहती थी कि लेखक उठकर दरवाज़ा खोले और वह बाहर जाए। दूसरे दिन लेखक की नींद फिर देर से खुली। इस बार फिर चिड़ियाँ की झुंझलाहट भरी चहचहाहट ने उसे जगा दिया। पलंग के सिरहाने बैठी चिड़िया उसे देखकर नाराज़ हो रही थी कि वह अभी तक क्यों सोया है ? तब चिड़िया ने अपनी चोंच से लेखक की रज़ाई का एक कोना पकड़ उसे उठाने का प्रयास किया। ऐसा करने से चिड़िया को तनिक भी डर नहीं लग रह था। चिड़िया द्वारा इस प्रकार से जगाने पर लेखक को अपनी माँ की याद आ जाती थी। उसकी माँ भी इसी प्रकार सुबह-सवेरे जल्दी उठाती थी। अब लेखक ने वास्तव में सुबह सवेरे का सुंदर दृश्य अपनी आँखों से महसूस किया। उसने अब चिड़िया के साथ जल्दी उठना सीख लिया था। आज भी लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता जिसने उसे सुबह की मनोरम तथा मनमोहक छवि के दर्शन कराए और उपहार में ओस के मोती तथा नए खिलने वाले फूल दिखाए।

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 10 Gravitation Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation

PSEB 9th Class Science Guide Gravitation Textbook Questions and Answers

Question 1.
How does the force of gravitation between two objects change when the distance between them is reduced to half?
Answer:
Let m1 and m2 be the masses of the two objects A and B respectively and ‘r’ be the distance between their centres. Therefore, according to the law of Gravitation, the force of attraction between them is given ahead:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 1
Therefore, force of attraction will become four times when the distance between the two objects is reduced to half.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 2.
Gravitational force acts on all objects in proportion to their masses. Why then, a heavy object does not fall faster than a light object?
Solution:
Suppose F is the gravitational force that acts on an object of mass’m’.
∴ F = G. \(\frac{\mathrm{M} m}{r^{2}}\) …………….. (i)
and F = mg ………………….. (ii)
From (i) and (ii)
F = \(\frac{\mathrm{GM} m}{r^{2}}\) = mg
It is clear that F ∝ m but acceleration due to gravity ‘g’ does not depend upon mass ‘m’. Hence all objects (light or heavy) fall with the same speed when there is no air resistance.

Question 3.
What is magnitude of gravitational force between the earth and a 1 kg object on its surface? Take mass of earth to be 6 × 1024 kg and radius of the earth is 6.4 × 106 m. G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2.
Solution:
Here, mass of the object (m) = 1 kg
Mass of the earth (M) = 6 × 1024 kg
Radius of the earth (R) = 6.4 × 106 m
The magnitude of force of gravitation between object of mass 1 kg and the earth
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 2

Question 4.
The earth and the moon are attracted to each other by gravitational force. Does the earth attracts the moon with a force that is greater than or smaller than or the same as the force with which the moon attracts the earth? Why?
Answer:
The earth attracts the moon with the same force as the force with which the moon attracts the earth. According to Newton’s third law., these two forces are equal and opposite.

Question 5.
If the moon attracts the earth, why does the earth not move towards the moon?
Answer:
According to Newton’s third law, the moon also attracts earth with a force equal to that with which the earth attracts the moon. But the earth is much larger than the moon. So, the acceleration produced in the earth (a ∝ 1/m) is very less and is not noticeable.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 6.
What happens to the force between two objects, if

  1. the mass of one object is doubled?
  2. the distance between the objects is doubled and tripled?
  3. the masses of both objects are doubled?

Answer:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 3
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 4
i.e. the force becomes four times the original force.

Question 7.
What is the importance of universal law of gravitation?
Answer:
Importance of universal law of gravitation:

  1. The gravitational force between the sun and the earth makes the earth move around the sun with a uniform speed.
  2. The gravitational force between the earth and the moon makes the moon move around the earth with uniform speed.
  3. The high and low tides are formed in sea due to the gravitational pull exerted by the sun and the moon on the surface of water.
  4. It is the gravitational pull of the earth, which holds our atmosphere in place.
  5. The gravitational pull of earth keeps us and other bodies firmly on the ground.

Question 8.
What is the acceleration of free fall?
Answer:
It is the acceleration produced when a body falls under the influence of the force of gravitation of the earth alone. Near the surface of the earth, its value is 9.8 m s-2.

Question 9.
What do we call the gravitational force between the earth and an object?
Answer:
The gravitational force between the earth and an object is called weight of the object.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 10.
A person ‘A’ buys few grams of gold at poles as per the instruction of one of his friends. He hands over the same when he meets him at the equator. Will the friend agree with the weight of gold bought? If not, why?
[Hint: The value of g is greater at the poles than at the equator.]
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 5
Answer:
The value of g at the equator is less than that at the poles. Hence, the few gm of gold at poles will measure less when taken to the equator. Therefore, the friend will not agree with the weight of the gold bought.

Question 11.
Why will a sheet of paper fall slower than one
Answer:
The sheet of paper will experience a larger air resistance due to its large surface area than that of its ball form.
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 6
Increased force of friction will reduce the forward driving force due to gravity. Hence sheet of paper falls slower than one that is crumbled into a ball.

Question 12.
Gravitational force on the surface of moon is 1/6th as strong as gravitational force on the earth. What is the weight in newton of a 10 kg object on moon and on the earth?
Solution:
Mass of the object on moon = 10 kg
Mass of the object on the earth = 10 kg
Acceleration due to gravity on the earth (g) = 9.8 m s-2
Weight of the object on the earth (W) = m × g
= 10 × 9.8
= 98 N
Now weight of the object on moon’s surface = \(\frac {1}{6}\) × weight of the object on earth
= \(\frac {1}{6}\) × 98N
= 16.3 N

Question 13.
A ball is thrown vertically upwards with a velocity of 49 m s-1. Calculate :
1. The maximum height to which it rises
2. The total time it takes to return to the surface of earth.
Solution:
1. Here initial velocity of the ball (u) = 49 m s-1
[At maximum height the ball comes to rest]
Final velocity of the ball (υ) = 0
Acceleration due to gravity (g) = – 9.8 m s2 [in the upward direction]
Time to reach the maximum height (t) =?
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 7
∴ Total time taken to return to earth = Time for upward journey + Time for downward journey
= t + t
= 2 t
= 2 × t
= 2 × 5 s
= 10 s

Question 14.
A stone is released from the top of a tower of height 19.6 m. Calculate the final velocity just before touching the ground.
Solution:
Here, the height of the tower, (h) = 19.6 m
Initial velocity of stone, (u) = 0
Acceleration due to gravity, (g) = + 9.8 m s-1
Final velocity of the stone, (υ) = ?
Using equation of motion, υ2 – u2 = 2gh
υ2 – (0)2 = 2 × 9.8 × 19.6
υ2 = 19.6 × 19.6
υ = \( \sqrt{{19.6 × 19.6}} \)
or υ = 19.6 ms-1

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 15.
A stone is thrown vertically upward with an initial velocity of 40 m s-1. Taking g = 10 m s-2, find the maximum height reached by the stone. What is the net displacement and the total distance covered by the stone?
Solution:
Initial velocity of the stone, (w) = 40 ms-1,
Final velocity of the stone on reaching maximum height (υ) = 0 [At rest]
Acceleration due to gravity, (g) = – 10 m s2 [upward direction]
Maximum height reached, (h) = ?
We know υ2 – u2 = 2gh
(0)2 – (40)2 = 2 × (- 10) × h
– 40 × 40 = – 2 × 10 × h
∴ h = \(\frac {-40×40}{-2×10}\)
= 80 m
Since stone goes 80 m upwards and then returns to the point of throw by moving 80 m downward.
∴ Total distance travelled by stone = h + h
= 2 h
= 2 × 80 m
= 160 m
As the stone returns to the initial point of throw, therefore, net displacement is zero (0)

Question 16.
Calculate the force of gravitation between the earth and the sun, given the mass of earth = 6 × 1024 kg and of the sun = 2 × 1030 kg. Average distance between the two is 1.5 × 1011 m.
Solution:
Given, mass of the earth (m1) = 6 × 1024 kg
Mass of the sun, (m2) = 2 × 1030 kg
Average distance between the earth and the sun (d) = 1.5 × 10-11 m
G = 6.7 × 10-11 N – m2 /kg2
Force of gravitation (F) = ?
According to the universal law of gravitation,
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 8

Question 17.
A stone is allowed to fall from the top of the tower 100 m high and at the same time another stone is projected vertically upwards from the ground with a velocity of 25 m s-1. Calculate when and where the two stones will meet? (g = 10 ms-2)
Solution:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 9
Height of the tower = 100 m
Suppose a stone is allowed to fall from point A at the top of tower and another stone is projected vertically upward from point C. Let us suppose that these two stones meet at point B after ‘t’ seconds.
Distance covered by first stone (AB) = x
∴ Distance covered by second stone (CB) = (100 – x)
Downward Journey of first stone
u = 0
g = + 10 m s-2
(S) = x metres
using S = ut + \(\frac {1}{2}\)gt2
x = 0 × t + \(\frac {1}{2}\) × 10 × t2
x = 0 + 5 × t2
⇒ t2 = \(\frac {x}{5}\) …………..(1)
Upward journey of second stone
u = 25 ms-1
(S) = (100 – x) metres
g = – 10 m s-2
using S = ut + \(\frac {1}{2}\)gt2
(100 – x) = 25 × t + \(\frac {1}{2}\)(-10) × t2
(100 – x) = 25t – 5t2
or 5t2 = 25t – 100 + x
From (1) and (2)
\(\frac {x}{5}\) = \(\frac {25t-100+x}{5}\)
or x = 25t – 100 + x
0 = 25t – 100
25t = 100
∴ t = \(\frac {100}{25}\) = 4s
Now substituting the value of t = 4s in (1)
(4)2 = \(\frac {x}{5}\)
16 = \(\frac {x}{5}\)
∴ x = 16 × 5 = 80 m
i.e. the first stone will cover a distance of 80 m in the downward direction, and second stone will cover upward distance = 100 – x
= 100 – 80
= 20 m

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 18.
A ball thrown up vertically returns to the thrower after 6 s. Find

  1. Velocity with which it was thrown up,
  2. the maximum height it reached; and
  3. its position after 4 s.

Solution:
Total time taken (t) = 6 s
Time taken by the ball for upward joumey= Time taken by the ball for downward journey
= \(\frac {6s}{2}\)
= 3 s
(i) Suppose the ball is thrown upwards with initial velocity u
g = – 9.8 m/s2
t = 3 s
υ = 0 [the ball stops on reaching the maximum height]
Maximum height(S) = h
using υ = u + gt
0 = u + (-9.8) × 3
0 = u – 29.4
∴ u = 29.4 ms-1

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 10
∴ Height of the ball from the thrower = (44.1 – 4.9) m
= 39.2 m

Question 19.
In what direction does the buoyant force on an object immersed in a liquid act.
Answer:
If an object is immersed in a liquid then the buoyant force due to displaced liquid acts on the object in vertically upward direction.

Question 20.
Why does a block of plastic immersed under water come to the surface of water?
Or
Give reason why, a block of plastic when immersed underwater comes up to the surface of water.
Answer:
As density of plastic is less than the density of water. The upward thrust applied by displaced water on the plastic will be more than the weight of the plastic. So plastic block will float on water.

Question 21.
The volume of 50 g of a substance is 20 cm3. If the density of water is 1 g cm-3, will the substance float or sink?
Solution:
Here, density of water, pw = 1gm cm-3
Mass of substance, m = 50g
Volume of substance, V = 20cm3
We know, density of substance, ρ = \(\frac {m}{v}\)
= \(\frac{500 \mathrm{~g}}{350 \mathrm{~cm}^{3}}\)
= 2.5 g cm-3
As the density of the substance is greater than the density of water, the given substance will sink in water.

Question 22.
The volume of 500 g sealed packet is 350 cm3. Will the packet float or sink in water if the density of water is 1 g cm-3 ? What will be the mass of the water displaced by this packet?
Solution:
Here, mass of the packet (m) = 500 g
Volume of packet (V) = 350 cm3
∴ Density of sealed packet ρ = \(\frac {m}{v}\)
= \(\frac{500 \mathrm{~g}}{350 \mathrm{~cm}^{3}}\)
= 1.43 gcm-3
But Density of water ρw = 1 g cm-3
As density of sealed packet is more than that of water, the sealed packet will sink in water.
∴ Volume of sealed packet immersed in water = V = 350 cm3
Weight of water displaced by the packet = Vρw
= 350 × 1
= 350g.

Science Guide for Class 9 PSEB Gravitation InText Questions and Answers

Question 1.
State the universal law of gravitation.
Answer:
Newton’s universal law of gravitation. This law states that every object in the universe attracts every other object with a force which is proportional to the product of their masses and inversely proportional to the square of the distance between them. This force always acts along the line joining their centres.

If m1 and m2 are the masses of two objects lying distance d apart, then force F between them is:
F = \(\frac{\mathrm{Gm}_{1} m_{2}}{d^{2}}\)
where G is a constant, called universal gravitational constant.

Question 2.
Write the formula to find the magnitude of gravitational force between the earth and an object on the surface of the earth.
Answer:
PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation 11
Let ‘m’ be the mass of object on the earth and the mass of earth be ‘M’. If ‘R’ is the radius of the earth, then the formula for gravitational force between earth and object is:
F = \(\frac{\mathrm{Gm} M}{R^{2}}\)
Since the size of the object is very small as compared to that of the earth, therefore distance between centre of object and centre of the earth is taken to be equal to radius of the earth.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 3.
What is meant by Free Fall?
Answer:
Free Fall: An object is said to be in a state of free fall when it falls towards the earth under the influence of gravitational force between the object and the earth. There is no change in the direction of motion of the body but value of velocity keeps changing due to attraction of earth.
It falls towards earth with an acceleration of 9.8 m s-2.

Question 4.
What is meant by acceleration due to gravity?
Answer:
Acceleration due to gravity: The acceleration produced in the motion of a body falling under the force of gravity is called acceleration due to gravity. It is denoted by ‘g’.

Question 5.
What is the difference between the mass of an object and its weight?
Answer:
Difference between mass and weight:

Mass Weight
1. Mass is the quantity of matter contained in a body and is the measure of its inertia. Weight of a body is the force with which a body is attracted towards the centre of the earth.
2. Mass of a body remains constant at all places. Weight of a body (W = mg) changes from place to place due to the change in the value of acceleration due to gravity ‘g’.
3. Mass is a scalar quantity. Weight is a vector quantity.
4. Mass is measured by a pan balance. Weight of a body is measured by a spring balance.
5. Mass of a body is never zero. Weight of a body is zero at the centre of the earth.
6. The unit of mass is kg. The unit of weight is newton or kg-wt.

Question 6.
Why is the weight of the object on moon -th of its weight on the earth?
Answer:
We know that, Mass of earth (Me) = 100 × Mass of moon (Mm)
Radius of earth (Re) = 4 × Radius of moon (Rm)
Since the mass and radius of moon is less than that of the earth therefore, moon exerts lesser \(\frac {1}{6}\)th force of attraction on the object. Hence the weight of the object on moon is \(\frac {1}{6}\)th of the weight of the same object on earth.

Question 7.
Why is it difficult to hold a school bag having a strap made of thin and strong string? (Imp.)
Answer:
We know force per unit area is called pressure i.e. P = \(\frac {F}{A}\). Now for the constant force, the pressure experienced is inversely proportional to area. Now, when the string is thin, it has less area of cross-section and hence, exerts greater pressure on the hand for the given weight of school bag. Thus, it becomes difficult to hold the school bag.

PSEB 9th Class Science Solutions Chapter 10 Gravitation

Question 8.
What do you mean by buoyancy?
Answer:
Buoyancy means upward thrust acting in a body when the body is completely or partly immersed in a fluid (i.e. liquid or a gas).

Question 9.
Why does an object float or sink when placed on the surface of water?
Answer:
When the object has density less than the density of water i.e. 1 gm/cm3 then it, floats on the surface of water, because, it displaces more weight of water than its own weight. The upward force applied by displaced water is called buoyant force. As buoyant force is more than its own weight, therefore, it floats.

When the object has a density of more than 1 gem-3, then it sinks in water, because, it always displaces less weight of water than its own weight. As buoyant force is less than its own weight, therefore, it sinks.

Question 10.
You find your mass to be 42 kg on a weighing machine. Is your mass more or less than 42 kg?
Answer:
With a weighing machine, we find weight and not mass, Your weight as noted by the machine is 42 kg f (or 42 kg wt) and not 42 kg. The actual weight is more than 42 kg. since you have displaced some air when weighed in it. However, the mass will remain the same in all cases.

Question 11.
You have a bag of cotton and an iron bar, each indicating a mass of 100 kg when measured on a weighing machine. In reality, one is heavier than the other. Can you say which one is heavier and why?
Answer:
The bag of cotton will actually be heavier than the iron bar. Cotton is bulky and has more area as compared to the area of the iron bar. Due to more area occupied by cotton bags, it experiences more upthrust because of the displaced volume of air. This upthrust reduces the downward pull and hence its weight as recorded by the weighing machine will be lesser.

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 साए Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 साए

Hindi Guide for Class 9 PSEB साए Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
परिवार वाले हर रोज़ किसकी राह देखते थे?
उत्तर:
परिवार वाले हर रोज़ घर के मुखिया की राह देखते थे।

प्रश्न 2.
घर का मुखिया कारोबार करने कहाँ गया हुआ था?
उत्तर:
घर का मुखिया कारोबार करने के लिए अफ्रीका गया हुआ था।

प्रश्न 3.
अज्जू बड़ा होकर क्या बनना चाहता था?
उत्तर:
अज्जू बड़ा होकर इन्जीनियर बनना चाहता था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

प्रश्न 4.
अजू को नैरोबी में मिला वृद्ध व्यक्ति कौन था?
उत्तर:
अज्जू को नैरोबी में मिला वृद्ध व्यक्ति उसके मृत पिता का दोस्त था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नैरोबी के अस्पताल से आए पत्र को पढ़कर पत्नी परेशान क्यों हो गई?
उत्तर:
नैरोबी से आए पत्र को पढ़कर पत्नी इसलिए परेशान हो गई क्योंकि वह पत्र उसके पति का था। उसका पति बहुत बीमार था। उसके शरीर का रोग काबू से बाहर होता जा रहा था। रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन अस्पताल में जगह मिलने में भी बहुत कठिनाई उठानी पड़ी थी। काफ़ी कुछ कहने कहलवाने के बाद उसे अस्पताल में जगह मिल पाई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी। अब उसके बचने के आसार बहुत ही कम थे। ऐसे समय में उसे अपने बच्चे और पत्नी बहुत याद आ रहे थे।

प्रश्न 2.
घर से जाने वाले पत्र में अज्जू और तनु के बारे में क्या-क्या लिखा था?
उत्तर:
घर से अफ्रीका जाने वाले पत्र में अजू और तनु के बारे में लिखा था कि-बच्चे अपने पिता को बहुत याद करते हैं। उन्हें देखने के लिए तरसते रहते हैं। उनके द्वारा दी गई सभी हिदायतों का पालन करते हैं। पढ़ने में बहुत मेहनत करते हैं। अज्जू तो बड़ा होकर पापा की तरह अफ्रीका जाना चाहता है। वह इन्जीनियर बनना चाहता है। वह बारह वर्ष का हो गया है। वह छठी कक्षा में प्रथम स्थान पर आया है। तनु अठारह वर्ष की हो गई है। उसका विवाह करना हैआदि बातें लिखी होती थीं।

प्रश्न 3.
तनु के लिए वर सहज रूप से मिल जाने का क्या कारण था?
उत्तर:
तनु के लिए वर सहज रूप से मिल जाने का कारण तनु के पिता का अफ्रीका में काम करना था। लड़के वालों को लंगा कि पिता विदेश में है। खूब धन कमा रहा होगा। लड़की की शादी में धन की कोई कमी न रहेगी। शादी खूब धूम-धाम से होगी। दहेज की भी उन्हें कोई चिंता न थी। इसलिए जल्दी ही एक खाते-पीते घर का लड़का मिल गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

प्रश्न 4.
अज्जू के लिए अफ्रीका से क्या-क्या आया था?
उत्तर:
अजू जब हाई स्कूल की परीक्षा में जिले भर में प्रथम आया तो उसने इसकी सूचना अपने पिता को अफ्रीका भेजी। उसने बहुत-से सर्टिफ़िकेटों तथा खेल-कूद में भी मिलने वाली वस्तुओं के फ़ोटो अपने पिता जी को भेजे। पिता ने भी वहाँ से अज्जू के लिए एक कीमती कैमरा भेजा। गर्म सूट का कपड़ा भेजा। सुन्दर-सी एक घड़ी भेजी तथा इसके साथ ही मर्मस्पर्शी एक लम्बा पत्र भी भेजा।

प्रश्न 5.
पढ़ाई पूरी करने के बाद अज्जू ने अफ्रीका जाने का निर्णय किन-किन कारणों से किया?
उत्तर:
पढ़ाई पूरी करने के बाद अजू नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। उसे नौकरी कहीं नहीं मिल रही थी। उसके मन में पिता से मिलने की लालसा बढ़ती जा रही थी। बचपन से उसने अपने पिता को नहीं देखा था। वह उसने मिलना चाहता था। प्यार से बातें करना चाहता था। पिता के प्यार को पाना चाहता था। इसके लिए उसने अचानक पिता के पास जाने का निर्णय किया ताकि वह अपने पिता के सामने अचानक पहुँच कर उन्हें चौंका सके।

प्रश्न 6.
अज्जू को अंत में पिता के जिगरी दोस्त ने भरे गले से क्या बताया?
उत्तर:
अज्जू को उसके पिता के जिगरी दोस्त ने बताया कि अजू के पिता तो उसके बचपन में ही मर गए थे। अज्जू के पिता ने और उसने साझे में कारोबार शुरू किया था। उनके हिस्से का रुपया वह लगातार भेजे जा रहे थे। उन्हें वर्षों से अजू के आने का इंतजार था ताकि वह अपने पिता का कारोबार संभाल सके। उसने अपने दोस्त को जो वचन दिया था उसे पूरा कर दिया। उनके परिवार को बिखरने नहीं दिया।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
वृद्ध व्यक्ति का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
कहानी में वृद्ध व्यक्ति का चरित्र एक सज्जन और अच्छे मित्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वृद्ध व्यक्ति मित्रता का सच्चा और जीता जागता उदाहरण है। उसने अपने मरते मित्र को उसके परिवार का पालन-पोषण करने का जो वचन दिया था, वह उसे आजीवन निभाता है। वह नियमित रूप से मृत मित्र के घरवालों को रुपये भेजता था। तनु के विवाह के लिए रुपये, जेवर तथा कपड़े भेजे। समय-समय पर उपहार भेझे। सांत्वना और दिलासा देने के पत्र निरन्तर परिवार को लिखता रहा। परिवार और बच्चों को दुःख न हो इसके लिए उसने परिवार वालों से दोस्त मृत्यु का दु:खद समाचार नहीं बाँटा। दोस्त के बच्चों को अपने ही बच्चों के समान प्यार और स्नेह दिया। अजू को पिता के बारे में पता न चले इसलिए उसने अज्जू को अफ्रीका आने से मना कर रखा था। सही अर्थों में वृद्ध व्यक्ति एक सच्चा मित्र, अच्छा इन्सान और विवेकशील व्यक्ति था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

प्रश्न 2.
वृद्ध व्यक्ति ने अजू और उसके परिवार की देखभाल में क्या भूमिका निभाई और क्यों?
उत्तर:
वृद्ध व्यक्ति ने अज्जू और उसके परिवार की देखभाल में बड़ी ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह लगातार परिवार के सम्पर्क में रहा। उसने परिवार की प्रत्येक आवश्यकता का ध्यान रखा। समय-समय पर परिवार की धन आदि से सहायता की। पत्रों के माध्यम से जीवन जीने की प्रेरणा दी। तनु का विवाह स्वदेश में ही करने की सलाह दी। विवाह में स्वयं न जाकर रुपए, जेवर तथा कपड़े भेजे। बच्चों की सच्चाई न बताकर उन्हें एक सफल तथा ज़िम्मेदार व्यक्ति बनाया। वृद्ध व्यक्ति ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उसने अपने मृत मित्र को वचन दिया था कि वह उसके परिवार का ध्यान रखेगा। परिवार को टूटने या बिखरने नहीं देगा। बच्चों की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ेगा।

प्रश्न 3.
‘साए’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिस प्रकार माँ-बाप अपने बच्चे का नाम रखने में सतर्कता रखते हैं ठीक उसी प्रकार लेखक हिमांशु जोशी ने भी अपनी कहानी ‘साए’ का नामकरण करते समय पूरी सावधानी रखी है। उसने कहानी के नामकरण में मौलिकता, संक्षिप्ता तथा जिज्ञासावर्धक तत्वों को समाहित किया है। आकर्षक और उपयुक्त ‘साए’ नाम वाली रचना पाठक एवं आलोचक को स्वयं ही आकर्षित कर लेती है। ‘साए’ कहानी में नामकरण घटना या चरित्र पर आधारित न होकर प्रतीकात्मकता का सहारा लिए हुए हैं। कहानी का शीर्षक प्रतीक रूप में अपनी सार्थकतापूर्ण किए हुए। वृद्ध व्यक्ति का अपना मित्र धर्म पालन करना एक उदाहरण है। दूसरा उदाहरण बच्चों का अपने पिता के आने तथा उनके होने का जो आसरा सदैव बना रहता है वह ‘साए’ शीर्षक की सार्थकता को पूर्णतः सार्थक सिद्ध करता है। अतः कहानी का शीर्षक ‘साए’ मित्रता, ईमानदारी तथा भाईचारे की भावना को हृदय तक पहुँचाने में पूर्ण समर्थ है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

4. निम्नांकित कथनों के भावार्थ स्पष्ट करो

  • • “तिनकों के सहारे तो हर कोई जी लेता है लेकिन कभी-कभी हम तिनकों के साए मात्र के आसरे भंवर से निकलकर किनारे पर आ लगते हैं।”
  • “हम दुर्बल होते हुए, असहाय, अकेले होते हुए भी कितने-कितने बीहड़ वनों को पार कर जाते हैं, आसरे की एक अदृश्य डोर के सहारे……”

उत्तर:

  • लेखक ने उक्त पंक्तियों के माध्यम से मनुष्य को यह समझाना चाहा है कि किसी सहारे या आसरे के साथ तो प्रत्येक मानव जीवन जी ही लेता है लेकिन कभी-कभी जब वह सहारा या आसरा समाप्त हो जाता है तब हम उसकी छाया या साए को ही सहारा समझ कर जीवन की भँवर पार लग जाते हैं। हमें अपना जीवन जीने में कोई कठिनाई नहीं होती। जीवन सरल लगने लगता है। जीवन में आने वाली बाधाएँ सरलता से पार होने लगती हैं। जीवन बोझ की बजाए प्यारा और सुगम लगने लगता है।
  • उक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि जब व्यक्ति के पास कोई उम्मीद या उस उम्मीद से जुड़ी हुई हल्की-सी भी रोशनी होती है तो वह सारी रुकावटों को पार करता हुआ जीवन क्षेत्र में आगे बढ़ता जाता है। उसे रोकने वाला तब कोई नहीं होता। वह कमज़ोर, हताश, निराश, परेशान होते हुए भी एक न दिखने वाली उम्मीद एवं सहारे के आसरे विषम से विषम स्थितियों को पार करता चला जाता है। जीवन की समस्त कठिनाइयाँ सरलता से उसके अनुकूल होती जाती हैं। कठिनाई सुगमता में बदल जाती है।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलिए

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग
पति – ……………….
युवक – ……………….
वर – ……………….
बेटा – ……………….
बच्चा – ……………….
मज़दूर – ……………….
उत्तर:
पति – पत्नी
युवक – युवती
बेटा – बेटी
बच्चा – बच्ची
वर – वधु
मज़दूर – मज़दूरिन।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 10 साए

2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अबोध – ……….. – ………..
असहाय – ……….. – ………..
अदृश्य – ……………. – ………..
असुरक्षा – ………….. – ………..
अप्रवासी – ……………. – ………..
विलंब – …………….. – ………..
विलीन – ………………. – ………..
विमान – ………….. – ……………
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अबोध – अ – बोध
असहाय – अ – सहाय
अदृश्य – अ – दृश्य
असुरक्षा – अ – सुरक्षा
अप्रवासी – अ – प्रवासी
विलंब – वि – लंब
विलीन – वि – लीन
विमान – वि – मान

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मेहमानदारी – ……….. – ………….
भारतीय – ……….. – ………….
स्वाभाविक – ……….. – ………….
नियमित – ……….. – ………….
आसानी – ……….. – ………….
आवश्यकता – ……….. – ………….
उत्तर:
मेहमानदारी – मेहमान – दारी
भारतीय – भारत – ईय
स्वाभाविक – स्वभाव – इक
नियमित – नियम – इत
आसानी – आसान – ई
आवश्यकता – आवश्यक – ता

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4. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
ब्याह – ………………
बूढ़ा – ………………
भाई – ………………
हाथ – ………………
रात – ………………
घर – ………………
पाँव – ………………
आज – ………………
दो – ………………
मुख – ………………
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
ब्याह – विवाह
बूढ़ा – वृद्ध
भाई – भ्राता
हाथ – हस्त
रात – रात्रि
घर – गृह
पाँव – पाद
आज – अद्य
दो – द्वि
मुख – मुँह

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
वृद्ध व्यक्ति ने अपने मरते हुए जिगरी दोस्त को जो वचन दिया था उसे पूरा किया; यदि आप उस वृद्ध की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि ‘मैं’ उस वृद्ध व्यक्ति की जगह होता तो मैं भी उसी के समान अपने दिए हुए वचन का पालन करता। परिवार को किसी भी स्थिति में बिखरने न देता। कभी-कभार मित्र की ओर से बच्चों को मिलने अवश्य जाता। उनकी पारिवारिक दशा को अपनी आँखों से देख कर उनकी परेशानियों को दूर करने का प्रयत्न करता। मित्र की पुत्री में समस्त सामान के साथ उसे आशीर्वाद देने के लिए स्वयं उपस्थित होता।

प्रश्न 2.
परिवार को पिता की मृत्यु की सूचना न देकर पिता के जिगरी दोस्त ने अच्छा किया या बुरा। – अपने विचार लिखें।
उत्तर:
परिवार को पिता की मृत्यु की सूचना न देकर पिता के जिगरी दोस्त ने अच्छा किया। क्योंकि यदि परिवार को घर के मुखिया की मृत्यु की सूचना मिलती तो पत्नी अवश्य उनकी मृत्यु आघात सहन न कर पाती। वह मर जाती। बच्चे अनाथ हो जाते। उनका पालन-पोषण ठीक से न हो पाता। अज्जू उच्च शिक्षा न ग्रहण कर पाता। तनु का विवाह एक अच्छे परिवार में न होता। जीवन के सभी परिदृश्यों का ध्यान करते हुए पिता के जिगरी दोस्त ने पिता की मृत्यु का समाचार न देकर जो कार्य किया वह. परिस्थितियों के अनुसार अति उत्तम था।

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प्रश्न 3.
यदि पिता का मित्र पत्र और पैसे न भेजता तो परिवार की क्या हालत होती?
उत्तर:
यदि पिता का मित्र पत्र और पैसे न भेजता तो परिवार टूट जाता पारिवारिक स्थिति एक दम डगमगा जाती। घर में खाने के लाले पड़ जाते। बीमार माँ का इलाज न हो पाता। बच्चे अच्छे स्कूल में न पढ़ पाते। समाज में नाम और प्रतिष्ठा न मिल पाती। कोई भी अच्छा घर तनु के लिए रिश्ता लेकर न आता। परिवार का पिता के आने की उम्मीद तथा उनके साए का सहारा चकनाचूर हो जाता।

प्रश्न 4.
क्या पत्र की जगह फैक्स, ई-मेल, टैलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर:
बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित हुई है, लेकिन देहाती दुनिया आज भी पत्रों पर चल रही है। फैक्स, ई-मेल, टेलीफ़ोन तथा मोबाइल ने पत्रों को तेजी से रोका है, लेकिन देश का अभी भी बहुत बड़ा भाग पत्रों पर ही निर्भर और आश्रित है। आज व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है। भविष्य में फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन आदि चिट्ठियों की जगह ले सकते हैं।

प्रश्न 5.
आप भविष्य में क्या बनना चाहते हैं?
उत्तर:
‘मैं’ भविष्य में एक अध्यापक बनना चाहता हूँ। अध्यापक बनने के कई कारण हैं। अध्यापक सबसे पहले अनुशासन स्थापित करता है और अनुशासन ही राष्ट्र की नींव होती है। अध्यापक बनकर मैं अनुशासन स्थापित करने की योजना बनाऊँगा आज के बच्चे कल का नया भारत बनते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा देकर समाज को दृढ़ता प्रदान करूँगा। अपने आचरण को बेहतर बनाकर बच्चों के समझ उदाहरण प्रस्तुत करूँगा क्योंकि बच्चों में अनुकरण की प्रवृत्ति होती है। अत: वह मेरे आचरण और कार्यों को देखकर मुझसे प्रभावित होंगे। इसलिए ‘मैं’ अध्यापक बनना चाहता हूँ।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

1. ‘सच्ची मित्रता’ पर कुछ सूक्तियाँ चार्ट पर लिखकर कक्षा में लगाइए।
2. ‘जैसी कथनी वैसी करनी’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिये।
3. परोपकार और ईमानदारी विषय पर कहानियाँ पढ़िये।
4. पत्र-लेखन विधा के अनेक संग्रह और संकलन हैं जैसे :- “पिता के पत्र पुत्री के नाम’ – जवाहर लाल नेहरू, ‘गांधी जी के पत्र’-मोहन दास कर्मचंद गांधी, ‘सुभाष के पत्र’-नेता जी सुभाष चंद्र बोस आदि-इन्हें पढ़िए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. केन्या (कीनिया)-केन्या गणतन्त्र पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश है। भूमध्य रेखा पर हिन्द महासागर से सटे हुए इस देश की सीमा उत्तर में इथोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तन्जानिया, पश्चिम में युगांडा और विक्टोरिया झील और उत्तर पश्चिम में सूडान से मिलती है। देश की राजधानी नैरोबी है। राजभाषाएँ स्वाहिली और अंग्रेज़ी हैं।
2. भँवर : नदी के बहाव में वह स्थान जहाँ पानी चक्कर की तरह घूमता है।
3. पासपोर्ट : पासपोर्ट एक राष्ट्रीय सरकार द्वारा जारी एक दस्तावेज़ होता है जो अंतरर्राष्ट्रीय यात्रा के लिए उसके धारक की पहचान और राष्ट्रीयता को प्रमाणित करता है। पहचान स्थापित करने के लिए नाम, जन्मतिथि, लिंग और जन्म स्थान के विवरण इसमें प्रस्तुत किये जाते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति की राष्ट्रीयता और नागरिकता समान होती है।
4. वीज़ा : वीज़ा लैटिन शब्द कार्टा वीज़ा से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है , ‘वह कागज़ जो देखा गया हो’। वीज़ा इंगित करता है कि अमुक व्यक्ति वीजा जारी करने वाले देश में प्रवेश के लिए अधिकृत है। वीजा वह दस्तावेज़ होता है जो एक व्यक्ति को किसी अन्य देश में प्रवेश करने की अनुमति देता है। वीज़ा एक अलग दस्तावेज़ के रूप में भी हो सकता है लेकिन अधिकतर यह आवेदक के पासपोर्ट पर ही एक मोहर के रूप में पृष्ठांकित किया जाता है। वीजा जारी करने वाले देश आमतौर पर इसके साथ कई शर्ते जोड़ देता है जैसे वीजा की वैधता, वह अवधि जिसके दौरान एक व्यक्ति उस देश में रह सकता है, दिए गए वीज़ा पर व्यक्ति कितनी बार यात्रा कर सकता है, आदि।

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PSEB 9th Class Hindi Guide साए Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘साए’ कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘साए’ कहानी मित्रता और सद्भाव प्रधान कहानी है। कहानी का मूलभाव लोगों में मैत्री की भावना का प्रचार और प्रसार करना है। यह कहानी लोगों को प्रेरणा देती है कि हमें कठिनाई के समय मित्र का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। मित्र की ज़िम्मेदारियों को अपनी ज़िम्मेदारी समझना चाहिए। अपने दिए हुए वचन का पालन करना चाहिए। स्वार्थ लोलुपता से दूर रहना चाहिए। जिस प्रकार कहानी में वृद्ध व्यक्ति ने अपने मृतक मित्र के परिवार की यथोचित सहायता की, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में इसी प्रकार के भावों तथा विचारों को अपनाकर अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाना चाहिए।

प्रश्न 2.
सच्ची मित्रता की परख कैसी की जाए?
उत्तर:
लेखक का मत है कि एक सच्चे मित्र में वैद्य के समान कुशलता और परख होती है। जिस प्रकार एक वैद्य रोगी के रोग की परीक्षा करके और उचित दवाई देकर उसे रोग से मुक्त कर देता है, उसी प्रकार एक सच्चा मित्र अपने मित्र की दुर्बलताओं और त्रुटियों को ढूंढ़कर उन्हें दूर करने में सहायक होता है। एक सच्चे मित्र में माँ के गुण भी होते हैं। जिस प्रकार माँ स्नेह, कोमलता और धैर्य की प्रतीक होती है, उसी प्रकार सच्चा मित्र भी माता के समान स्नेह एवं धैर्य से अपने मित्र को बुरे मार्ग से हटाकर अच्छे मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न 3.
मित्र का चुनाव करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
लेखक ने मित्र को पथ-प्रदर्शक के समान माना है। हमारे जीवन की उन्नति तथा अवनति बहुत कुछ मित्र के चुनाव पर निर्भर करती है। अतः मित्र का चुनाव करते समय हमें विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए। ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए लाभकारी नहीं जो हम से अधिक दृढ़ संकल्प के हैं। ऐसे मित्र की हर बात हमें माननी पड़ती है। इससे हमारे चरित्र का स्वतन्त्र विकास नहीं हो सकता। ऐसे लोगों का साथ भी उचित नहीं जो हमारी ही बात को ऊपर रखें। मित्र ऐसा हो जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें। वह भाई के समान सहायक और हमारे प्रति सहानुभूति दिखाने वाला हो। जो गुण हम में नहीं, वह हमारे मित्र में होने चाहिए। गम्भीर प्रकृति वाले मनुष्य को विनोदी पुरुष का संग करना चाहिए और निर्बल को बलवान का तथा महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को किसी महान् व्यक्ति की मित्रता करना चाहिए। भाव यह है कि मित्र ऐसा चुनना चाहिए जिसके साथ हम अपने गुणों का आदान-प्रदान कर सकें।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘साए’ कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
हिमांशु जोशी।

प्रश्न 2.
घर का मुखिया कारोबार करने कहाँ गया था?
उत्तर:
अफ्रीका।

प्रश्न 3.
डाकिया भूल से भी इनके घर क्यों नहीं झाँकता था?
उत्तर:
महीनों से इनके घर कोई पत्र नहीं आया था।

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प्रश्न 4.
लम्बे अर्से के बाद पत्र कहाँ से आया था?
उत्तर:
नैरोबी के किसी अस्पताल से।

प्रश्न 5.
किसी अन्य व्यक्ति से पत्र लिखवाने का घर के मुखिया ने क्या कारण बताया?
उत्तर:
हाथ के आप्रेशन के कारण वह स्वयं पत्र नहीं लिख सकता।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
अजू छठी कक्षा में सबसे अव्वल आया।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
तनु के विवाह पर उसके पिता आए थे।
उत्तर:
नहीं।

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सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
अज्जू के पापा अमरीका में कारोबार करते थे।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
पहले की तरह किसी से बोल कर लिखवाया हुआ पत्र आया।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
जिसने …….. किया है, वह …….. भी करेगा।
उत्तरः
जिसने पैदा किया है, वह परवरिश भी करेगा।

प्रश्न 11.
अपने इस ……. में मेरा …….. बँटाओ।
उत्तर:
अपने इस कारोबार में मेरा हाथ बँटाओ।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
अजू के पापा का कहां के अस्पताल से पत्र आया?
(क) नाइजीरिया
(ख) नैरोबी
(ग) न्यूयार्क
(घ) नम्बीबिया।
उत्तर:
(ख) नैरोबी।

प्रश्न 13.
तनु अब क्या पार कर रही है?
(क) सोलह
(ख) अठारह
(ग) बीस
(घ) बाईस।
उत्तर:
(ख) अठारह।

प्रश्न 14.
कन्या का बाप कहां सोना बटोर रहा था?
(क) अदन में
(ख) दुबई में
(ग) अफ्रीका में
(घ) अमेरिका में।
उत्तर:
(ग) अफ्रीका में।

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प्रश्न 15.
हाई स्कूल की परीक्षा में जिले में प्रथम आने पर अज्जू को पिता की ओर से क्या मिला?
(क) घड़ी
(ख) कैमरा
(ग) स्कूटर
(घ) साइकिल।
उत्तर:
(ख) कैमरा।

कठिन शब्दों के अर्थ

रुग्ण = बीमार। सुदूर = बहुत दूर। विलम्ब = देरी। चन्द दिनों = थोड़े दिनों। परवरिश = पालन-पोषण। रुलाई भरी = आँसुओं से भरा। अबोध = अनजान, नासमझ। टाइपराइटर = टाइप करने की मशीन। स्वाभाविक = बिना किसी बनावट के। निपट अकेले = एक दम अकेले। अम्मा = माँ। हिदायतें = सीख। ब्याह = शादी, विवाह । अक्षरशः = ज्यों-का-त्यों। अड़चन = मुश्किल। अव्वल = प्रथम। विवशता = मजबूरी। स्थगित करना = टाल देना। वज़ीफ़ा = छात्र-वृत्ति। निगाहें = नज़रें। मर्मस्पर्शी = दिल को छू लेने वाला। स्थगित = कुछ समय के लिए रोक देना। अबाध = बाधा रहित, बिना रुकावट। आबोहवा = जलवायु। प्रत्युत्तर = जवाब में। अकस्मात् = सहसा, अचानक। उत्कंठा = प्रबल इच्छा। इंगित = इशारा। भँवर = लहरों का चक्कर। असमंजस = दुविधा। असुरक्षा = सुरक्षा का अभाव। बीहड़ = ऊबड़-खाबड़। सरसब्ज़ = हरा-भरा।

साए Summary

साए लेखक-परिचय

जीवन परिचय- श्री हिमांशु जोशी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हैं। उन्होंने गद्य की विविध विधाओं की रचना कर हिन्दी-साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त किया है। उनका जन्म कुमाऊँ के पर्वतीय अंचल में 4 मई, सन् 1935 ई० में हुआ। यहीं उनका बचपन व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा दीक्षा नैनीताल तथा दिल्ली में सम्पन्न हुई। बचपन से ही लेखन के प्रति उनकी रुचि थी। इसी रुचि के विकास ने उन्हें हिन्दी-साहित्य में ला खड़ा किया। उनकी पहली कहानी सन् 1954 ई० में प्रकाशित हुई। जोशी जी ने पत्रकारिता तथा स्वतन्त्र लेखन को अपनी जीविका को आधार बनाया। वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता के कार्यभार को सम्भाले हुए हैं।
रचनाएँ-जोशी जी ने कहानियाँ, उपन्यास, कविताएँ, यात्रा वृत्तान्त आदि गद्य की विभिन्न विधाओं तथा बाल साहित्य से सम्बन्धित लगभग 24 पुस्तकों की रचना की है। उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ निम्नलिखित हैंउपन्यास-अरण्य, महासागर, छाया मत छूना मन, कगार की आग, समय साक्षी है, तुम्हारे लिए, सु-राज।
कहानी-संग्रह-अंततः, रथचक्र, मनुष्य, चिन्ह, जलते हुए डैने, इस बार बर्फ गिरी तो, इकहत्तर कहानियाँ गंधर्व गाथा, हिमांशु जोशी की इक्यावन कहानियाँ आदि। विशिष्ट रचनाओं का संग्रह-उत्तर पूर्व।
बाल साहित्य-तीन तारे, बचपन की याद रही कहानियाँ, सुबह के सूरज, हिम का साथी, विश्व की श्रेष्ठ लोककथाएँ, नार्वेः सूरज चमके आधी रात, कालापानी।
कविता-संग्रह-अग्नि सम्भव, नील नदी का वृक्ष, एक आँखर की कविता।

साहित्यिक विशेषताएँ-सहजता, सरलता तथा स्वाभाविकता हिमांशु जोशी की रचनाओं की उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं। इन गुणों के कारण इनका साहित्य पाठकों की रुचि का विषय बन गया है। कुमाऊं का पर्वतीय अंचल इनकी रचनाओं में बड़े प्रभावशाली ढंग से चित्रित हुआ है। इनके उपन्यास सुराज पर कला फ़िल्म भी बन चुकी है। कगार की आग, कोई एक मसीहा, छाया मत छूना, मन का सफल मंचन भी हो चुका है। दिल्ली अकादमी ने उन्हें उनके कहानी-संग्रह पर पुरस्कृत किया है। हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश ने भी उन्हें छाया मत छूना मन, मनुष्य, चिह्न तथा अरण्य के लिए सम्मानित किया है। हिमांशु जी की कुछ रचनाओं का भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, चीनी, जापानी आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
भाषा-शैली-हिमांशु जोशी की भाषा सरल तथा सहज है। कहीं-कहीं नाटकीयता तथा जटिलता का भी समावेश है। संस्कृत के शब्दों के साथ-साथ उन्होंने आंचलिक शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है।

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कहानी का सार/प्रतिपाद्य

‘साए’ नामक कहानी कथा-शिल्पी हिमांशु जोशी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक चरित्र प्रधान कहानी है। यह कहानी अत्यंत मर्मस्पर्शी है। आधुनिक युग में धन लोलुपता के कारण तथा स्वार्थपरता के कारण आज मनुष्य अपने आदर्शों से हटता जा रहा है। किन्तु आज भी समाज में ऐसे बहुत-से लोग हैं जो स्वार्थपरता से कहीं ऊपर हैं। उन्हें आज भी आदर्श प्यारे हैं। मित्र को दिए वचन को निभाने के लिए सारा जीवन बिताने को तैयार हैं। एक बीमार शरीर अपने दो नन्हें-नन्हें बच्चों को लेकर उम्मीद भरी आँखों से प्रतिदिन डाकिए की प्रतीक्षा किया करती थी। वह अफ्रीका में गए अपने पति के पत्र की प्रतीक्षा में रोज़ पलकें बिछाए बैठी रहती थी। लेकिन डाकिया था कि आता ही नहीं था। बहुत दिनों के बाद एक पत्र आया जिस पर रंग-बिरंगी टिकटें लगी थीं। पत्र नैरोबी के एक अस्पताल से आया था। पत्र बड़ा ही अजीब था जो करुणा और दर्द से भरा हुआ था। पत्नी ने पत्र पढ़ना शुरू किया। पत्र उसके पति का था। पति ने पत्र में लिखा था कि रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन लोगों के अस्पताल में जगह नहीं मिल पाई। उसकी हालत काफ़ी गंभीर थी। इलाज में देरी के कारण रोग काबू से बाहर हो गया था। काफ़ी मेहनत तथा सिफ़ारिश लगवाने पर अस्पताल में भर्ती कर लिया गया हूँ। तुम्हारी और बच्चों की सोच दिन-रात सताती रहती है। पत्नी पत्र पढ़तेपढ़ते रोती जा रही थी। नन्हें अबोध बालक माँ को आँसू भरे नेत्रों से देखते जा रहे थे। पत्नी ने पति की सूचना के लिए कई पत्र तथा तार डाले। कुछ दिनों के बाद उन्हें केन्या की मोहर लगा एक विदेशी लिफाफा मिला। पत्र उसके पति का था।

अब उसकी हालत में काफ़ी सुधार था। पत्र के साथ उसने कुछ रुपए भी भेजे थे। बीमार पत्नी का स्वास्थ्य अब ठीक होने लगा था। बच्चों के मुरझाए चेहरे खिल उठे थे। पत्रों का आदान-प्रदान नियमित रूप से हो रहा था। पति की ओर से अब बड़े ही अच्छे पत्र आने लगे थे। सभी परिवार वाले खुश थे। घर वाले चाहते थे कि विदेश गया उनका पिता, पति कुछ समय के लिए स्वदेश आ जाए। बच्चे पिता को देखना चाहते थे। पत्नी-पति के दर्शन करना चाहती थी। पत्नी पत्र में पति को लिखकर बताती थी कि उनके द्वारा दी गई सभी नसीहतों को बच्चे अच्छे से मानते हैं। समय पर पढते हैं। पुत्र के बारे में बताते हुए वह कहती है कि अज्जू बड़ा होकर आपकी तरह ही अफ्रीका जाएगा। अब अजू पूरे बारह साल का हो गया है। तनु अठारह साल पूरे कर चुकी है। पति की ओर से पत्र आया। उसमें लिखा था कि वह अभी नहीं आ पाएगा। अगले वर्ष तनु की शादी पर ज़रूर आ जाएगा। उसने यह भी लिखा की स्वदेश में ही तनु के लिए वर की तलाश करना। वर ढूँढ़ने में अधिक कठिनाई नहीं हुई। शायद इसलिए कि वर पक्ष के लोगों को लग रहा था कि पिता अफ्रीका में है। रुपए पैसे की कोई परेशानी न होगी। आखिरकार शादी का दिन आ गया। शादी भी हो गई, किन्तु तनु के पिता जी नहीं आए। उन्होंने कपड़े, जेवर, रुपए भेज दिए थे। विवाह के बाद तनु के विवाह के चित्र अफ्रीका में भेज दिए गए। अजू ने भी इनाम में मिली सारी वस्तुओं के फोटो अपने पापा को अफ्रीका भेजे। पिता ने भी पत्र के उत्तर में एक कैमरा, एक गर्म सूट का कपड़ा तथा घड़ी भेज दी। पिता के स्वदेश न आने पर बच्चों ने इच्छा जताई की वे ही अफ्रीका आ जाएँ तब उत्तर यह मिला कि उनका कोई एक ठिकाना नहीं है इसलिए यहाँ आना बेकार है। एक दिन ऐसा भी आया जब अजू ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। वह नौकरी की तालाश में लग गया।

पिता के स्वदेश न आने पर उसने स्वयं अफ्रीका जाने का प्रबन्ध कर लिया। शीघ्र ही वह पत्र में लिखे पते पर अफ्रीका में जा पहुँचा। शाम को एक वृद्ध ने घर का ताला खोला। वृद्ध ने अज्जू से उसका परिचय पूछा और अज्जू को अपनी बाँहों में भर लिया। भोजन करने के बाद उन्होंने दीवार पर लगी एक तस्वीर दिखाई जिसे देखकर अजू ने कहा कि, वह उसकी अपनी फोटो है। यह सुनकर वृद्ध व्यक्ति ज़ोर से हँसा और बोला बेटा यह तुम इतने बड़े हो गए। अज्जू के चेहरे की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि-तुम शायद नहीं जानते, तुम्हारे पिता का मैं कितना जिगरी दोस्त हूँ। मैं और तुम्हारे पिता एक साथ रहते थे। हम दोस्त की तरह नहीं अपितु सगे भाइयों की तरह थे। उन्होंने ही मुझे हिन्दुस्तान से यहाँ अफ्रीका बुलाया था। कुछ देर मौन रहने के बाद वृद्ध ने अज्जू से कहा कि कभी-कभी हमें तिनको का सहारा छोड़कर उनके साए में जीना पड़ता है। वृद्ध ने खाँसते हुए अज्जू से बताया कि बेटा तुम ही सोचो कि आज तुम्हारे पिता की मृत्यु आज से 10-15 वर्ष पहले हो जाती तो तुम्हारा क्या होता। तुम अनाथ हो गए होते। तुम्हारी माँ मर चुकी होती। आज जो तुम हो वह न बन पाते। अजू को समझाते हुए वृद्ध ने कहा कि हम जीवन में कभी-कभी सहारे की एक अदृश्य डोर से अपना जीवन व्यतीत कर जाते हैं। इतना कहते ही उनका गला भर आया। उन्होंने अज्जू को बताया कि उसके पिता का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था। वह ही साझे के कारोबार से अज्जू के पिता के हिस्से के पैसे उन्हें लगातार भेजता रहा था। अब तुम बड़े हो चुके हो। अब तुम इस कारोबार को संभाल लो। मैंने तुम्हारे पिता को दिया अपना वचन पूरा कर दिया। इतना कहते हुए वृद्ध की आँखें आँसुओं से भर आईं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो हाथ

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 दो हाथ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 दो हाथ

Hindi Guide for Class 9 PSEB दो हाथ Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नीरू की दिनचर्या क्या थी ?
उत्तर:
नीरू की दिनचर्या में बर्तन साफ करना, रसोई का काम करना तथा कॉलेज की पढ़ाई करना था।

प्रश्न 2.
नीरू को प्रायः किसका अभाव खलता था ?
उत्तर:
नीरू को प्रायः अपनी माँ का अभाव खलता था, जो अब जीवित नहीं थी। ।

प्रश्न 3.
नीरू अपनी हम उमर सहेलियों को खेलते देखकर क्या सोचा करती थी ?
उत्तर:
नीरू सोचा करती थी कि आज अगर उसकी माँ जीवित होती तो वह भी बेफ़िक्र होकर अपनी सहेलियों के साथ खेलती।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो हाथ

प्रश्न 4.
पिता का दुलार पाकर नीरू क्या भूल जाती थी ?
उत्तर:
पिता का दुलार पाकर नीरू अपनी माँ की कमी को भूल जाती थी।

प्रश्न 5.
नीरू ने पढ़ाई के साथ अन्य कौन-से इनाम जीते थे ?
उत्तर:
नीरू ने पढ़ाई के साथ संगीत, चित्रकला और खेलों में भी खूब सारे इनाम जीते थे।

प्रश्न 6.
कॉलेज की लड़कियाँ हफ्तों से किस की सजावट में जुटी थीं ?
उत्तर:
कॉलेज की लड़कियाँ हफ़्तों से अपने नाखूनों की सजावट में जुटी थी।

प्रश्न 7.
सभापति ने कौन-सा निर्णय सुनाया ?
उत्तर:
सभापति ने निर्णय सुनाया कि नीरू के हाथ सबसे अधिक सुंदर हैं।

प्रश्न 8.
घर लौटते समय नीरू खुश क्यों थी ?
उत्तर:
घर लौटते समय नीरू इसलिए खुश थी क्योंकि आज उसके कटे-फटे, गंदे-भद्दे हाथों का सही रूप आँका गया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो हाथ

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
नीरू घर के कौन-कौन से काम किया करती थी ?
उत्तर:
नीरू अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। माँ की मृत्यु के बाद से वह माँ की सारी ज़िम्मेदारियाँ खुद ही उठाती थीं। वह रसोई के झूठे बर्तन धोती थी। साग-सब्जी काटती थी। चूल्हे की लिपाई करती थी। सारे घर में झाड़ लगाती थी। भोजन पकाती थी। चपातियाँ सेकती थीं। कपड़े धोती थी तथा घर के अन्य छोटे-बड़े काम किया करती थीं।

प्रश्न 2.
नीरू की माँ उसे काम करने से क्यों रोकती थी ?
उत्तर:
नीरू की माँ उसे काम करने से इसलिए रोकती थी क्योंकि नीरू बहुत कोमल तथा प्यारी थी। उसके हाथ बहुत ही सुंदर थे। घर के काम करने के बारे में वह नीरू को कहती थीं कि – “यह सब काम तेरे करने के नहीं। हम अनपढ औरतें तो जानवर होती हैं और माँ अपने हाथ खोलकर दिखाती। मोटी खुरदरी उंगलियाँ, कटी-फटी चमड़ी और टेढ़े-मेढ़े नाखून।” तेरे हाथ ककड़ी के समान हैं। इनकी पाँच उंगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी न कि तुझ से काम करवाऊँगी।

प्रश्न 3.
नीरू की सहेलियाँ उसका मज़ाक क्यों उड़ाती थीं ?
उत्तर:
नीरू की सहेलियाँ उसके गंदे हाथों को देखकर उसका मज़ाक उड़ाती थीं। नीरू के हाथ कहीं से कटे थे। कहीं से फटे थे। कहीं पर चपाती सेकते हुए जल भी गए थे। उसकी सहेलियाँ उसके गंदे-भद्दे हाथों को देखकर उस पर हँसती थी। वे सभी नीरू का मजाक उड़ाते हुए कहती थी कि -“तेरी शादी कभी नहीं होगी, तुझे कोई पसन्द नहीं करेगा। चेहरे के सौंदर्य के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण हाथों का सौंदर्य होता है।” सहेलियों की ये सभी बातें नीरू को बहुत दुःख देती थीं।

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प्रश्न 4.
नीरू को उसके पिता ने हाथों का क्या महत्त्व समझाया ?
उत्तर:
नीरू के पिता ने नीरू को हाथों का महत्त्व समझाते हुए कहा कि-न जाने कौन व्यर्थ की बातें तुम्हारे दिमाग में भरता रहता है। यह सब बातें करने वाली लड़कियाँ एक दम पगली हैं। काम करने वालों की शोभा उसके हाथों से ही आँकी जाती है। अपने हाथ से काम करने वाली लड़कियाँ शक्ति और सम्पन्नता का प्रतीक होती हैं। काम करने वाले दोनों हाथ मानव जीवन की शोभा हैं। भगवान् ने मानव के ये दोनों हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं। हाथ इतिहास, संस्कृति तथा साहित्य का निर्माण करते हैं। हाथ कर्म की गति के साथ सुंदर होते जाते हैं।

प्रश्न 5.
इनाम लेते समय नीरू को शर्म क्यों आ रही थी ?
उत्तर:
इनाम लेते समय नीरू को इसलिए शर्म आ रही थी क्योंकि उसके हाथ बहुत ही गंदे थे। देखने में उसके हाथ तनिक भी सुंदर नहीं थे। उसकी सहेलियाँ तो अक्सर उसके हाथों का मजाक उड़ाती थीं। उसे यह सोचकर और अधिक शर्म आ रही थी कि सभापति जब इनाम देते समय उसके हाथों को देखेंगे तो वह उसके बारे में क्या सोचेंगे।

प्रश्न 6.
कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है।’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उक्त पंक्ति के माध्यम से लेखक ने कहना चाहा है कि. हाथ कर्म करने के लिए होते हैं। हाथों के द्वारा ही समाज तथा राष्ट्र की उन्नति होती है। यही उन्नति हाथों की शोभा बन उसकी कर्मशीलता का उदाहरण प्रस्तुत करती है। हाथों के द्वारा किया गया प्रत्येक अच्छा कार्य उसकी शोभा का ही उदाहरण है। फिर चाहे साहित्य-रचना हो या फिर इतिहास और संस्कृति का निर्माण करना हो।

प्रश्न 7.
इनाम लेकर लौटते समय नीरू को अपने हाथ सुन्दर क्यों लग रहे थे ?
उत्तर:
इनाम लेकर लौटते समय नीरू इसलिए प्रसन्न थी कि आज उसके हाथों का मज़ाक नहीं उड़ाया गया न ही उसके हाथों पर किसी ने किसी भी प्रकार का कोई आक्षेप किया। इसके विपरीत आज सभापति ने नीरू के हाथों को कर्मशीलता का अपूर्व उदाहरण कहा। उसके हाथों को सर्जक कहते हुए हाथों की शोभा कर्मशीलता को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि नीरू के हाथ अपूर्व सौंदर्य का जीता जागता उदाहरण हैं। अपने हाथों की प्रसन्नता को सुनकर नीरू को अपने हाथ सुंदर लग रहे थे।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नीरू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
नीरू ‘दो हाथ’ कहानी की मुख्य पात्रा है। अपने सभी भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी है। वह सबसे समझदार तथा कर्तव्यपरायण है। घर की सारी ज़िम्मेदारी उसी के कंधों पर है। वह अपने भाई-बहनों का ध्यान रखती है। घर का सारा काम वह स्वयं अपने हाथों से करती है। खाना पकाती है। बर्तन धोती है। चूल्हा लीपती है। सब्जी काटती है। जब उसके भाई-बहन खेल रहे होते थे तब वह घर का काम करती थी। घर के संपूर्ण काम में दक्ष होने के साथ-साथ वह पढ़ाई, संगीत, चित्रकला तथा खेल में भी श्रेष्ठ थी। किसी भी क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं था। उसका शारीरिक रूप सौंदर्य भी अनुपम था। उसके हाथ उसकी कर्मशीलता का साक्षात् उदाहरण थे। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करती थी। उन्हें अक्सर याद करके वह रोती रहती थी।

प्रश्न 2.
नीरू ने कौन-सा अनोखा सपना देखा था ?
उत्तर:
नीरू कॉलेज में होने वाले वार्षिक उत्सव को लेकर काफ़ी परेशान थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी सहेलियाँ हफ्तों से अपने नाखूनों की सजावट में जुटी हुई थीं। रात के समय सोते हुए वह रह-रह कर जाग जाती थी। उसे एक अनोखा सपना दिखाई दिया, जिसमें दो हाथ-दो हाथ चारों तरफ़ सुंदर-सुंदर कमल के समान दिखाई दे रहे थे। सारा आकाश उन हाथों से भरा हुआ था। किंतु स्वप्न की अनोखी बात यह थी कि नीरू के मैले धब्बेदार, टेढ़े नाखूनों वाले, आटा लगे हाथों के उदित होते ही वातावरण जगमगा उठा, ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य के उदित होते ही रात्रि का अंधकार जगमगा उठता है। इसी के साथ सुंदर हाथ तारों के समान न जाने कहाँ खो गए थे। नीरू इस अनोखे स्वप्न को देखने के बाद दुबारा रातभर सो नहीं पाई।

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प्रश्न 3.
सभापति ने हाथों का वास्तविक सौन्दर्य क्या बताया ?
उत्तर:
सभापति ने हाथों का वास्तविक सौंदर्य बताते हुए कहा-सुंदर हाथ कर्म से सजते हैं। कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है। हाथ सर्जक हैं। उनका सौंदर्य कार्य करने की क्षमता में ही निहित है। हाथ मानव जीवन का बाह्य सौंदर्य न होकर आंतरिक सौंदर्य है। यह एक प्रकार का श्रृंगार भी है। वह हाथ सबसे सुंदर हैं जो कर्म साधना में अपनी भी सुध-बुध खो बैठते हैं। वह सदा दूसरों की सेवा में लगे रहते हैं। उन्हें अपना कोई होश नहीं रहता। वह सदा दूसरों की भलाई तथा कर्त्तव्यपरायणता में लगे रहते हैं। हाथों पर लगे आटे के निशान, काले-पीले जले निशान, स्थान-स्थान से कटे-फटे हाथ एक अद्वितीय अलौकिक सृष्टि का अपार सौंदर्य जान पड़ते हैं।

प्रश्न 4.
‘दो हाथ’ कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
दो हाथ’ कहानी मनोवैज्ञानिक धरातल पर रचित कहानी है जिसमें लेखक ने एक बिना माँ की बच्ची के द्वारा कर्मशीलता का संदेश दिया है। बच्ची माँ के अभाव में स्वयं को अकेला महसूस करती है। माँ की ज़िम्मेदारियाँ स्वयं उठाती है। वह अपने हाथों से सब्जी काटती है। बर्तन धोती है। कपड़े धोती है। लकड़ियाँ काटती है। कोयला तोड़ती है तथा अन्य सभी काम अपने हाथों से ही करती है। इन सब कार्यों को करने के कारण नीरू के हाथ कहीं से कट जाते हैं तो कहीं से फट जाते हैं। देखने में उसके वह हाथ एक दम मैले, गंदे, भद्दे तथा बदसूरत लगते थे, किंतु लेखक ने इन्हीं मैले गंदे हाथों में आम जनमानस को कर्मशीलता तथा नित्य कर्म करने का संदेश दिया है। हाथ में पड़ने वाले निशान व्यक्ति के कर्मशील होने का प्रमाण हैं।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
मन भर आना – भावुक होना – …………….
फूट-फूट कर रोना – बहुत ज्यादा रोना – …………………..
आँखें डबडबा आना – आँखों में आँसू आ जाना – …………….
दम घुटना – उकता जाना – ……………….
उत्तर:

  • पापा की याद आते ही राधा का मन भर आता था।
  • कभी-कभी अपने हाथों की दशा देखकर साधना फूट-फूट कर रोने लगती थी।
  • दादा का दुलार पाकर रेखा की आँखें डबडबा आईं।
  • रिश्तेदारों का उपहास सुनकर तमन्ना का दम घुटने लगा था।

2. निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त स्थान पर उचित विराम चिह्न का प्रयोग कीजिए

(i) पिता झट पूछते क्या बात है मेरी रानी बिटिया उदास क्यों है
(ii) पिता जी सिर पर हाथ फेरते हुए कहते शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया
(iii) वह उमंग से भर कहने लगी सच पिता जी आप ठीक कहते हैं
उत्तर:
(i) पिता झट पूछते, “क्या बात है, मेरी रानी बिटिया उदास क्यों है ?”
(ii) पिता जी सिर पर हाथ फेरते हुए कहते, “शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया।”
(iii) वह उमंग से भर कहने लगी, “सच पिता जी आप ठीक कहते हैं।”

3. निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

(i) ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਕਰਕੇ ਨੀਰੂ ਨੇ ਰਸੋਈ ਨੂੰ ਧੋਇਆ ਅਤੇ ਸਾਗ ਕੱਟਣ ਵਿੱਚ ਮਗਨ ਹੋ ਗਈ ।
(ii) माधठी ठे हैमप्ला मुटाप्टिमा ਤਾਂ ਸਾਰੇ ਹੈਰਾਨ । ताप्टे ।
(iii) ਭਗਵਾਨ ਨੇ ਇਹ ਦੋ ਹੱਥ ਕਰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਬਣਾਏ ਹਨ ।
उत्तर:
(i) बर्तन साफ करके नीरू ने रसोई को धोया और साग काटने में मग्न हो गई।
(ii) सभापति ने फैसला सुनाया तो सब हैरान हो गए।
(iii) भगवान ने ये दो हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या आप भी नीरू की तरह हर काम ज़िम्मेदारी से निभाते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ । मैं नीरू की तरह हर काम पूरी ज़िम्मेदारी से निभाता हूँ। घर के लिए सब्जी बाज़ार से खरीद कर लाता हूँ। छुट्टी वाले दिन घर के काम में माँ का हाथ बँटाता हूँ। प्रतिदिन भाई-बहनों को अपने साथ बैठाकर पढ़ता और उन्हें पढ़ाता हूँ। शाम को भाई-बहनों को लेकर पार्क में घूमने भी जाता हूँ। घर के लिए दूध, फल आदि लेकर आता हूँ।

प्रश्न 2.
अपने दैनिक कार्यों की सूची बनाइए और बताइए कि अपनी पसंद के कार्य के लिए आप किस तरह समय निकालते हैं ?
उत्तर:
सुबह सवेरे जल्दी उठकर व्यायाम करना, स्नान आदि से निवृत्त होकर स्कूल जाना, दोपहर को विद्यालय से वापस आना, शाम को पार्क में घूमने जाना, देर शाम को पढ़ने के लिए बैठना, घर के लिए दूध, फल, सब्जी लाना आदि मेरे दैनिक कार्य हैं। इसी बीच मैं शाम के समय कविता लिखने के लिए समय निकाल लेता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

1. कर्मशील व्यक्तियों के जीवन-चरित्र पढ़ें।
2. कर्मठ व्यक्तियों के चित्र एकत्रित करके एक छोटी-सी पत्रिका तैयार करें।
3. आप अपने घर अपनी माता जी की मदद किस प्रकार करते हैं ? क्या केवल लड़कियाँ ही मदद करती हैं या लड़के भी ? कक्षा में चर्चा करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

हाथ पर मुहावरे
हाथ धो कर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछा करना।
हाथ मलना – पछताना।
हाथ साफ करना – चोरी करना।
हाथ फैलाना – याचना करना।
हाथ पाँव फूल जाना – घबरा जाना।
हाथों हाथ बिकना – बहुत जल्दी बिकना।
हाथों के तोते उड़ना – बहुत व्याकुल होना।
हाथ धो बैठना – किसी वस्तु से वंचित होना, गँवा बैठना।
हाथ पैर मारना – कोशिश करना।
हाथ रंगना – खूब धन कमाना।
हाथ खींचना – सहायता बंद करना।
हाथ तंग होना – पैसों का अभाव।

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PSEB 9th Class Hindi Guide दो हाथ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘दो हाथ’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ० इन्दुबाली द्वारा रचित ‘दो हाथ’ कहानी एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने मानव के दो हाथों के माध्यम से सौन्दर्य के वास्तविक स्वरूप पर प्रकाश डाला है। लेखिका ने माना है कि हाथों की सुंदरता का रूप कर्म करने में विद्यमान हैं। अपने इसी संदेश से लेखिका ने लोगों की मानसिक कुंठा को दूर करने का प्रयास किया है। इस प्रकार लेखिका ‘कर्म के सौन्दर्य की अमूल्य कीमत’ का संदेश बच्चों तक पहुँचाने में पूर्णतः सफल रही ।

प्रश्न 2.
नीरू अपने छोटे भाई-बहनों से किस प्रकार भिन्न थी ?
उत्तर:
माँ की मृत्यु के बाद नीरू ने अपने भाई-बहनों को सम्भालने का सारा बोझ अपने ही कंधों पर उठा लिया था। वह अपने सभी भाई-बहनों से एक दम अलग थी। जब सभी छोटे भाई-बहन खेलने-खाने में मस्त रहते थे तब वह अपनी ही धुन में काम करती रहती थी। वह अपनी माँ के समान ही गंभीर थी। भाई-बहनों के समान उधम मचाना उसे अच्छा नहीं लगता था। वह पढ़ाई में भी सबसे आगे थी। घर के काम में व्यस्त उसके हाथ पढ़ने-लिखने में खूब चलते थे।

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एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. ‘दो हाथ’ कहानी किस के द्वारा रचित है ?
उत्तर:
डॉ० इन्दुबाली।

प्रश्न 2.
नीरू को किसका अभाव प्रायः खलता था ?
उत्तर:
माँ का।

प्रश्न 3.
नीरू को घर का काम कौन नहीं करने देता था ?
उत्तर:
नीरू को उसकी माँ घर का कोई काम नहीं करने देती थी।

प्रश्न 4.
काम करने वाले की शोभा किससे आँकी जाती है ?
उत्तर:
काम करने वाले की शोभा उसके हाथों से आँकी जाती है।

प्रश्न 5.
सुंदर हाथ किससे सजते हैं ?
उत्तर:
सुंदर हाथ कर्म करने से सजते हैं।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
नीरू घर का काम नहीं करती थी सिर्फ कॉलेज जाती थी।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
नीरू रोज़ कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ छाँटती थी।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
नीरू के छोटे बहन-भाई खेलने खाने में मस्त रहते।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
कॉलेज के वार्षिक उत्सव में नीरू को कोई पुरस्कार नहीं मिला।
उत्तर:
गलत।

दो हाथ रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उनका …….. भरा …….. बड़ा ………… लगता।
उत्तर:
उनका प्यार भरा स्पर्श बड़ा सुखद लगता।

प्रश्न 11.
ऐसे …… हाथ मैंने ……. कभी ……. देखे।
उत्तर:
ऐसे सुंदर हाथ मैंने पहले कभी नहीं देखे।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
किस पक्षी के पैर कुरूप होते हैं_
(क) कबूतर
(ख) तोता
(ग) मोर
(घ) चिड़िया।
उत्तर:
(ग) मोर।

प्रश्न 13.
नीरू के कॉलेज की सभी लड़कियाँ हफ्तों से किसकी सजावट में जुटी थीं ?
(क) पैरों
(ख) हाथों
(ग) चेहरे
(घ) नाखूनों।
उत्तर:
(घ) नाखूनों।

प्रश्न 14.
माँ को नीरू की उंगलियाँ किसकी तरह कोमल लगती थीं ?
(क) कमल
(ख) ककड़ी
(ग) गुलाब
(घ) चमेली।
उत्तर:
(ख) ककड़ी।

प्रश्न 15.
चेहरे के सौंदर्य के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण किसका सौंदर्य होता है ?
(क) आँखों का
(ख) हाथों का
(ग) होठों का
(घ) पैरों का।
उत्तर:
(ख) हाथों का।

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कठिन शब्दों के अर्थ

खला = दुःख होना ; बुरा महसूस होना, कष्ट होना। कुरूप = गंदा, भद्दा। चपाती = रोटी। स्पर्श करना = छूना। आँखें डब-डबाना = आँखों में आँसू भरना। उपहास = मज़ाक। प्रतीक = चिह्न । परत-दर-परत = एकएक करके। व्यस्त होना = काम में लगे होना। ढेरों = अत्यधिक। किस्मत = भाग्य। अभाव = कमी। टीस = कसक, सहसा रह-रह कर उठने वाली पीड़ा। स्पर्श = छूना। सौन्दर्य = सुन्दरता। स्निग्ध = कोमल। शोभा = सुन्दरता। रहस्य = गुप्त बात, राज। उद्वेलन = उछाल (भावों की उथल-पुथल)। कर्मशीलता = फल की इच्छा छोड़कर काम करना। सर्जक = रचना करने वाला। अद्वितीय = अनोखा। अलौकिक = जो इस लोक में न मिलता हो। सृष्टि = संसार । उपलब्धि = विशेष प्राप्ति।

दो हाथSummary

दो हाथ लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-हिन्दी-गद्य की प्रसिद्ध लेखिका डॉ० इन्दुबाली का साहित्य में अप्रतिम स्थान है। इनका जन्म सन् 1932 में लाहौर पाकिस्तान में हुआ। विभाजन के बाद इन्दुबाली भारत आ गई। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पहले लाहौर तथा विभाजन के बाद शिमला में हुई। इन्होंने उच्च शिक्षा लुधियाना तथा चंडीगढ़ से प्राप्त की। डॉ० इन्दुबाली ने साहित्य, दर्शन-शास्त्र तथा उपन्यासों का भी गंभीरता से अध्ययन किया है। अध्यापन को इन्होंने व्यवसाय के रूप में चुना। पंजाब के विभिन्न शहरों में इन्होंने प्राध्यापिका के रूप में अध्यापन कार्य किया। इन्होंने प्राचार्या के रूप में भी अनेक स्थानों पर कार्य किया। इनका सारा जीवन अध्यापन और अध्ययन के क्षेत्र में बीता। पंजाब प्रदेश के कहानीकारों में इनका विशिष्ट स्थान है। इनकी साहित्य सेवा को देखते हुए पंजाब के भाषा विभाग की ओर से इन्हें शिरोमणि साहित्यकार के सम्मान से अलंकृत किया। इसके अतिरिक्त इन्हें समय-समय पर और भी अनेक पुरस्कार मिलते रहे हैं। आजकल आप चंडीगढ़ में सेवानिवृत्त हो कर अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं।

रचनाएँ-डॉ० इन्दुबाली एक महान साहित्य सेवी हैं। वे बहमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार मानी जाती हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से अनेक साहित्यिक विधाओं का विकास किया है। इनकी लगभग पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
कहानी संग्रह-मन रो दिया, दो हाथ, मेरी तीन मौतें, दूसरी औरत होने का सुख, टूटती-जुड़ती, मैं खरगोश होना चाहती हूँ। – उपन्यास-बांसुरिया बज उठी, सोए प्यार की अनुभूति। इनकी प्रथम कहानी सन् 1964 में धर्मयुग में ‘मैं दूर से देखा करती हूँ” शीर्षक से प्रकाशित हुई।
साहित्यिक विशेषताएँ-डॉ० इन्दुबाली साहित्य सेवी और समाज सेवी दोनों रूप में प्रसिद्ध हैं। इनका गद्य साहित्य समाज केंद्रित है। इन्होंने अपने गद्य साहित्य में समाज का यथार्थ चित्रण किया है। समाज के सुख-दुःख, ग़रीबी, शोषण आदि का यथार्थ वर्णन किया है। इनकी कहानियों में राणाज में फैली गरीबी, कुरीतियों, जाति-पाति, विसंगतियों का यथार्थ के धरातल पर अंकन हुआ है। वे एक समाज सेवी लेखिका थी। अत: आज तक वह साहित्य सेवा के द्वारा समाज का उद्धार करने में लगी हुई हैं।

भाषा शैली-इनकी भाषा शैली अत्यंत सहज, सरल एवं प्रवाहपूर्ण है। इन्होंने अपने गद्य साहित्य में अनेक शैलियों को स्थान दिया है। इनकी भाषा में प्रवाहमयता और सजीवता है। इनकी भाषा पाठक के विषय से तारतम्य स्थापित कर . उसके हृदय पर अमिट छाप छोड़ देती है।

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दो हाथ कहानी का सार/प्रतिपाद्य

डॉ० इन्दुबाली द्वारा रचित कहानी ‘दो हाथ’ मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने एक बालिका की उस मानसिक दशा का चित्रण किया है, जिसमें वह अपने हाथों के सौंदर्य को लेकर चिंतित रहती है। इससे बालिका का समुचित विकास नहीं हो पाता। वह माँ की कमी को अक्सर महसूस करती है।
नीरू बिना माँ की एक मेहनती लड़की थी। उसे घर का सारा काम करना पड़ता था। वह कर्म करने में विश्वास करती थी। रसोई का सारा काम करना। घर की साफ-सफाई तथा कॉलेज की पढ़ाई करना बस यही उसका जीवन था। उसे अपने जीवन में माँ का अभाव प्रायः दुःख देता था। वह अक्सर सोचती थी कि यदि उसकी माँ आज जीवित होती तो वह भी बे-फिक्र होकर अपनी सहेलियों के साथ खेल सकती थी। किंतु वह अपना मन मसोसकर रह जाती थी।

वह अपने दुःख को घर के काम तथा पढ़ाई के बीच डालकर शांत करने का प्रयत्न करती थी। जब कभी पढ़ते और काम करते समय उसका ध्यान अपने हाथों की ओर जाता था तो वह अत्यंत निराश और हताश हो जाती थी। अपनी निराशा को छुपाने के लिए वह तरह-तरह के विचार करने लगती थी। वह सोचने लगती थी कि मोर के पैर भी तो कुरूप होते हैं लेकिन मोर फिर भी सुंदर है। इसी तरह क्या वह मोर से कम सुंदर है ? घर में सारा दिन काम करने के कारण उसके हाथ कट-फट चुके थे। कभी बर्तन मांजते हुए, कभी झाड़ लगाते हुए तो कभी रोटियाँ सेकते हुए। जब कभी नीरू के पिता प्यार और दुलार से उसके सिर पर अपना हाथ रख देते थे तो वह सभी अभावों को भूल कर सुखद आनंद का अनुभव करने लगती थी। जब कभी वह उदास हो जाती थी तो पिता जी उसकी उदासी का कारण पूछते तो वह अक्सर टाल दिया करती थी। पिता जी को पता चल जाता था कि उसे अपनी माँ की याद आ रही होगी शायद इसीलिए वह फूट-फूट कर रोने लगती थी। तब पिता जी ने नीरू से कहा कि शायद वह नीरू को पूरा प्यार नहीं दे पाते, तभी तो वह छुप-छुप कर रोती है। तभी नीरू को ध्यान आया कि अभी तो उसे रसोई का सारा काम करना है। झूठे बर्तन धोने हैं। चूल्हे की लिपाई करनी है। कल की रसोई के लिए कोयले तोड़ने हैं। उसे याद आता है कि पहले जब कभी वह अपनी मां का हाथ बँटाने की बात करती थी तो उसकी माँ उसे नहीं करने देती थी।

उसे कहती थी कि “तुम्हारी उंगलियाँ ककड़ी की तरह कोमल हैं, इन पाँच उंगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी, मेंहदी रचाऊँगी, कलाई को चूड़ियों से सजाऊँगी।” घर का सारा काम करते हुए उसे माँ की बातें याद आते ही उसकी आँखों से आँसू बहने लगते थे। वह अनजाने में अपने हाथ को साड़ी के पल्लू में छिपाने की अक्सर कोशिश करती थी। एक दिन नीरू ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। पिता के पूछने पर उसने बताया कि उसकी सभी सहेलियाँ उसके गंदे-भद्दे हाथों को देखकर उस पर हँसती हैं तथा कहती हैं कि तुझसे कोई शादी नहीं करेगा। तब पिता जी नीरू को समझाते हुए कहते हैं कि काम करने वाले की सुंदरता तो उसके हाथों में होती है। काम करने वाली लड़की तो शक्ति तथा सम्पन्नता की प्रतीक होती है। पुत्री को कर्म और शक्ति का उपदेश देते-देते वह गंभीर हो गए। पिता की बातों का नीरू पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उसमें एक नई जागृति आ गई और उमंग से भर गई। जब से नीरू की माँ का देहांत हुआ था, तभी से उसने अपने भाई बहनों की ज़िम्मेदारी का बोझ उठा रखा था। घर के काम में चलने वाले नीरू के हाथ पढ़ाई में भी खूब चलते थे।

अगले दिन कॉलेज में वार्षिक उत्सव था तथा नीरू को काफ़ी सारे इनाम भी मिलने वाले थे। नीरू ने पढ़ाई के साथ-साथ संगीत, चित्रकला तथा खेलों में बहुत-से इनाम जीते थे। वार्षिक उत्सव को लेकर नीरू काफी परेशानी में थी। वह सारी रात सो नहीं पाई थी। उसे अपने हाथों की चिंता सताए जा रही थी। सुबह का समय अत्यधिक व्यस्तता का समय होता है। सभी को जल्दी होती है। घर में कोई न कोई किसी-न-किसी चीज़ की पुकार में लगा ही होता है। नीरू घर का सारा काम निपटा कर कॉलेज में पहुँची। वह अपनी कुर्सी पर उदास एवं खोई हुई बैठी थी। इनाम देने के लिए नीरू का नाम बड़े सम्मान और तारीफ़ों के साथ लिया गया। इनाम लेने के लिए जैसे ही वह मंच पर पहुँची तो अपने हाथों को देखकर उसे बहुत शर्म आ रही थी। उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे। इनाम बँट जाने के बाद सभापति ने एक विशेष इनाम की घोषणा की। उन्होंने सबसे सुंदर हाथों को पुरस्कृत करने की बात कही। नीरू सभापति की बातों को सुनकर चुपचाप खड़ी थी। उसे लग रहा था कि अब मारे शर्म के वह धरती में ही गड़ जाएगी जब सभापति ने सुंदर हाथों का निर्णय सुनाया तो सभी चकित रह गए थे। उन्होंने कहा कि सबसे सुंदर हाथ नीरू के हैं क्योंकि कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होते हैं। नीरू के हाथ कर्मशीलता का साक्षात् उदाहरण थे। नीरू जब इनाम लेकर घर लौट रही थी तो वह धीर और गंभीर थी। आज उसे अपने गंदे, भद्दे हाथ बहुत सुंदर लग रहे थे। वह अपने हाथों को निरंतर देखती ही जा रही थी।