PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Physical Education Objective Questions and Answers.

PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

पाठ-1 : मनुष्य का शरीर

प्रश्न 1.
मानव शरीर को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर-
(क) दो

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कुल कितनी हड्डियां हैं ?
(क) 300
(ख) 250
(ग) 275
(घ) 206
उत्तर-
(घ) 206

प्रश्न 3.
शारीरिक ढाँचे के कार्य हैं
(क) सुरक्षा
(ख) आकार
(ग) गतिशीलता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
रक्त प्रवाह प्रणाली के अंग
(क) हृदय
(ख) धमनियां
(ग) शिराएं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में मुख्य प्रणालियां हैं
(क) मांसपेशी प्रणाली
(ख) रक्त प्रवाह प्रणाली
(ग) श्वास क्रिया प्रणाली
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-2 : शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

प्रश्न 1.
शारीरिक क्षमता के गुण
(क) गति
(ख) शक्ति
(ग) साहस (क्षमता), लचकता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
व्यायाम के लाभ हैं
(क) रोग दूर हो जाते हैं
(ख) शरीर में से व्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जाते हैं
(ग) मनुष्य की आयु बढ़ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
व्यायाम के और अधिक लाभ
(क) रक्त साफ रहता है
(ख) मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं
(ग) रक्त में सफेद रक्त के कण बढ़ जाते हैं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-3 : शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 1.
अच्छे शारीरिक ढांचे के लाभ हैं
(क) ढांचा सुन्दर लगता है
(ख) दौड़ना, चुस्ती, फुर्ती बनी रहती है
(ग) स्वास्थ्य ठीक रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
शारीरिक ढांचे की कुरूपताएं
(क) कूबड़ का निकलना
(ख) कुल्हों का आगे की ओर निकलना
(ग) रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
कूबड़ के निकलने के कारण
(क) नज़र का कमज़ोर होना
(ख) ऊंचा सुनाई देना
(ग) कम रोशनी में आगे की ओर झुक कर पढ़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
कूबड़पन दूर करने की विधियां
(क) उठते-बैठते और चलते समय ठोडी को ऊपर की ओर करना
(ख) पीठ के नीचे तकिया रखकर लेटना
(ग) दीवार से लगी सीढ़ी से लटकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कमर के अधिक आगे निकल जाने के कारण
(क) बच्चों में पेट आगे निकल कर चलने की आदत
(ख) ज़रूरत से ज्यादा भोजन करना ।
(ग) स्त्रियों का ज्यादा बच्चे पैदा करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
कमर की कुरूपता को दूर करने के उपाय
(क) सीधे खड़े होकर शरीर के ऊपरी भाग को आगे झुकाना और सीधा करना
(ख) पीठ के बल लेटकर उठना और फिर लेटना
(ग) सावधान अवस्था में खड़े होकर बार-बार पैरों को स्पर्श करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
चपटे पैर ठीक करने की कसरत
(क) पंजों के भार चलना
(ख) पंजों के बल साइकिल चलाना
(ग) डंडेदार सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-4 : रवेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 1.
प्रत्यक्ष चोटों की किस्में
(क) रगड़
(ख) त्वचा का फटना
(ग) गहरा घाव
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
जोड़ के उतरने का क्या भाव है ?
(क) हड्डी जोड़ से बाहर आ जाती है
(ख) जोड़ गति करना बंद कर देता है
(ग) खिलाड़ी खेलने में असमर्थ हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मोच के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द होता है
(ख) चोट वाले जोड़ पर सूजन आ जाती है
(ग) चोट वाले स्थान का रंग लाल हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेल में चोटें लगने के कारण
(क) खेल के प्रति कम जानकारी
(ख) असावधानी
(ग) शरीर को कम गर्माना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हड्डी के उतरने के लक्षण
(क) जोड़ का आकार बदल जाता है
(ख) अंग गति नहीं कर सकता
(ग) तीव्र दर्द होता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
खिंचाव के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर दर्द होता है
(ख) खिलाड़ी दौड़ नहीं सकता
(ग) चोटिल स्थान पर सूजन आ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-5 : योग

प्रश्न 1.
आसन की कितनी किस्में हैं ?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) एक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) तीन

प्रश्न 2.
योग का भाव बताएं
(क) जुड़ना
(ख) जोड़
(ग) आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
आसनों के सिद्धांत
(क) आसन करने के लिए आयु और लिंग का ध्यान रखना
(ख) आसन करते समय ज़ोर न लगाना
(ग) आसन धीरे-धीरे करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
योग की गलत धारणाएं
(क) योग को किसी विशेष धर्म से जोड़ना
(ख) योग केवल पुरुषों के लिए है
(ग) योग केवल रोगियों के लिए है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
आसन करने के सिद्धान्त
(क) आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव आवश्यक है
(ख) गर्भवती महिलाओं को और हृदय के मरीजों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
(ग) आसन कुदरत के सिद्धान्तों के अनुसार करने चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-6 : रवेलों का महत्त्व

प्रश्न 1.
बड़ी खेलों के नाम
(क) फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट, टेबल टेनिस
(ख) खो-खो, बॉस्कटबाल
(ग) बैडमिन्टन, कुश्ती और कबड्डी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
छोटी खेलों के नाम
(क) रूमाल उठाना, कोटला छपाकी, गुल्ली डण्डा
(ख) लीडर ढूंढ़ना, बिल्ली चूहा, तीन-तीन या चार-चार
(ग) राजा-रानी, मथौला घोड़ी, दायरे वाली खो-खो .
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मनुष्य की मूल कुशलताएं
(क) चलना
(ख) दौड़ना
(ग) कूदना और फैंकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेलने के लाभ
(क) वृद्धि और विकास
(ख) समय का उचित प्रयोग
(ग) भावनाओं पर काबू पाना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
खेलों से व्यक्ति में कौन-कौन से गुण पैदा होते हैं ?
(क) अच्छा स्वास्थ्य
(ख) सुडोल शरीर
(ग) तेज़ बुद्धि का विकास
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
राष्ट्र को खेलों के लाभ
(क) राष्ट्रीय एकता
(ख) सीमाओं की रक्षा
(ग) अच्छे और अनुभवी नेता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-7 : स्काऊटिंग और गाइडिंग

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग और गाइडिंग के लाभ
(क) बच्चों को ताकतवर और वफादार बनाते हैं
(ख) जात-पात और नफरत से दूरी
(ग) दूसरे प्रांतों के लोगों से मुलाकात
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
स्काऊटिंग के नियम
(क) स्काऊटिंग की आन विश्वसनीय
(ख) स्काऊटिंग वफादार होता है
(ग) स्काऊटिंग सभी का दोस्त
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
स्काऊटिंग शिक्षा के साथ बहुमुखी विकास
(क) यह बच्चों को ताकतवर, वफादार, देशभक्त बनाते हैं
(ख) स्काऊट रैलियों से अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध बनते हैं
(ग) स्काऊट अपने प्राध्यापक और सीनियर का आदेश मानते हैं और लोगों के प्रति प्यार बढ़ता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
स्काऊटिंग लहर का जन्मदाता कौन था ?
(क) लार्ड बैटन पावल
(ख) मार्क मिलन
(ग) माडलैस
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) लार्ड बैटन पावल

प्रश्न 5.
स्काऊटिंग लहर सबसे पहले कहां आरम्भ हुई ?
(क) बर्तानिया
(ख) होलैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बर्तानिया

पाठ-8 : नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 1.
नशीले पदार्थों के नाम बताएं
(क) शराब
(ख) तम्बाकू
(ग) भांग और अफीम
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
कोई दो प्रणालियों के नाम बताएं जिनका प्रभाव नशीले पदार्थों से होता है
(क) पाचन प्रणाली
(ख) रक्त संचार प्रणाली
(ग) मानसिक प्रणाली
(घ) हड्डी प्रणाली।
उत्तर-
(क) पाचन प्रणाली और (ख) रक्त संचार प्रणाली

प्रश्न 3.
खिलाड़ी पर पड़ने वाले नशीले पदार्थों के बुरे प्रभाव लिखें
(क) बेफिक्री
(ख) गैर-ज़िम्मेदार
(ग) चक्कर आना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बेफिक्री और (ख) गैर-ज़िम्मेदार

प्रश्न 4.
नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के ढंग लिखें
(क) प्रेरणा
(ख) कान्फ्रेंस
(ग) मनोचिकित्सक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
तम्बाकू पीने के बुरे प्रभाव
(क) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
(ख) तम्बाकू से टी०बी० हो सकती है
(ग) पेट खराब रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
शराब के हमारे स्वास्थ्य पर कुप्रभाव
(क) दिमाग पर बुरा प्रभाव
(ख) गुर्दे कमज़ोर हो जाते हैं
(ग) पाचन प्रणाली खराब हो सकती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

PSEB 7th Class Home Science Guide व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ त्वचा की क्या पहचान है?
उत्तर-
चिकनी, ठोस और जगह पर होती है।

प्रश्न 2.
स्वस्थ बाल कैसे होते हैं?
उत्तर-
चमकीले और साफ़।

प्रश्न 3.
आँखों को नीरोग रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों को धुआँ, धूल, धूप तथा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए।

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लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को अपनी चमड़ी ठीक रखने के लिए कौन-से ढंग प्रयोग में लाने चाहिएँ?
उत्तर-
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोने से पहले मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन
की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

प्रश्न 2.
अगर किसी की आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो उसका रूमाल क्यों प्रयोग नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों का दर्द या जुकाम एक छूत की बीमारी है। अगर आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो रोगी को अपना रूमाल अलग रखना चाहिए, नहीं तो यह रोग दूसरों में भी फैल जाएगा।

प्रश्न 3.
कान में कोई तीखी वस्तु क्यों नहीं घुमानी चाहिए?
उत्तर-
कान में कोई नुकीली वस्तु चलाने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट जाने का डर रहता है इसलिए कानों में कोई नुकीली वस्तु नहीं चलाना चाहिए।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई से क्या अभिप्राय है ? नाक, गले और चेहरे को कैसे साफ़ रखा जा सकता है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यक्तिगत सफ़ाई का अभिप्राय है अपने शरीर की सफ़ाई तथा अन्य बातों जैसे खुराक, व्यायाम, सोना या आराम करना आदि पर भी ध्यान देना, जिससे शरीर स्वस्थ और ठीक हालत में रह सके।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोज़ाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। गले की सफ़ाई-गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए। रात को सोने से पहले बच्चे का मुँह और गला साफ़ करना चाहिए। अगर बच्चे का गला खराब हो तो पानी उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिएँ। अगर गले में टोन्सिल होने का शक हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। लापरवाही करने से बच्चा बीमार रहता है और उसका शारीरिक विकास ठीक नहीं हो पाता है।

चेहरे की सफ़ाई-प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी के साथ दो-तीन बार धोना चाहिए। साबुन हमेशा हाथों पर मलकर मुँह पर लगाना चाहिए। इसके बाद मुँह को कई बार गुनगुने पानी से धोना चाहिए ताकि साबुन साफ़ हो जाए। इसके बाद साफ़ तौलिये से मुंह को अच्छी तरह पोंछना चाहिए ताकि रोम छिद्र खुल जाएँ।

प्रश्न 2.
सुन्दर दिखने के लिए चेहरे की सफ़ाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
सुन्दर दिखने के लिए प्रतिदिन दो-तीन बार एक बढ़िया साबुन से चेहरे को धोकर साफ़ तौलिये से पोंछना चाहिए। चेहरे को साफ़ करते समय आँखें, नाक, कान, गला, मुँह और दाँतों का ध्यान रखना चाहिए। इन अंगों को साफ़ करते समय जो रूमाल, तौलिया या और कोई अन्य वस्तु इस्तेमाल की जाए वह अच्छी तरह साफ़ और स्वच्छ होना
चाहिए।

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प्रश्न 3.
त्वचा गन्दी क्यों हो जाती है ? उसको कैसे साफ़ रखा जा सकता है ?
उत्तर-
भारतवर्ष जैसे गर्म देश में रहने वाले लोगों की त्वचा अधिक गन्दी होती है, क्योंकि यहाँ अधिक पसीना आता है। पसीना एक दूषित पदार्थ है और इसमें अनेक पदार्थ जैसे उपचर्म की टूटी-फूटी कोशिकाएँ, धूल के कण आदि के अलावा अनेक जीवाणु भी फँस जाते हैं तथा इन पदार्थों को सड़ाते हैं। इससे दुर्गन्ध आने लगती है। अनेक प्रकार के चर्म रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

त्वचा की सफाई के लिए प्रतिदिन ताजे या हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना आवश्यक है। इससे (वचा के छिद्र खुल जाते हैं और पसीना निकलता रहता है। त्वचा से गन्दगी हट जाने से बीमारियों की आशंका नहीं रहती है। स्नान करते समय शरीर को साबुन आदि से साफ़ करना अच्छा रहता है। शरीर को रगड़ना भी आवश्यक है ताकि इसकी मॉलिश हो सके।

प्रश्न 4.
आप अपने बालों की रक्षा कैसे करोगे?
उत्तर-
बालों की रक्षा
(i) सप्त एक बार बाल में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए।
(ii) बालों को धोने के बाद अच्छी तरह तौलिये से पोंछकर, फिर खुला छोड़कर सुखाना चाहिए।)
(iii) जब तक बाल अच्छी तरह सूख न जाएँ जूड़ा या चोटी नहीं बनानी चाहिए।
(iv) प्रतिदिन दो बार बालों में कंघी करना चाहिए।
(v) कंघी या ब्रुश को प्रत्येक सप्ताह धोकर अच्छी तरह धूप में सुखाना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Home Science Guide for Class 7 PSEB व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
WHO के विचार से स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर-
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के विचार से स्वास्थ्य में मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक कल्याण निहित है।

प्रश्न 2.
जीवन में सुखी रहने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर-
शरीर का स्वस्थ और शक्तिशाली होना।

प्रश्न 3.
त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
त्वचा से पसीना और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। यदि त्वचा को साफ़ नहीं किया जाए तो मैल जम जाता है जिसके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, इसलिए त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
दाँतों को साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर–
दाँतों को खोखले होने से, गिरने से, दर्द होने से बचने के लिए दाँतों को साफ़ करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
कानों में सलाई या तिनका क्यों नहीं फेरना चाहिए?
उत्तर-
कानों में सलाई या तिनका फेरने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट सकता है इसलिए कानों में सलाई नहीं फेरनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कान का संक्रमण होने पर इसका इलाज तुरन्त क्यों करवाना चाहिए?
उत्तर-
कान का संक्रमण होने पर यदि इसका इलाज न करवाया जाए तो यह दिमाग़ तक नुकसान पहुँचा सकता है इसलिए इसका इलाज तुरन्त करवा लेना चाहिए।

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प्रश्न 7.
नियमित व्यायाम व उत्तम आसन शरीर के लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर-
शरीर को सुन्दर, सुगठित व स्वस्थ रखने के लिए।

प्रश्न 8.
दाँतों को केरीज रोग से बचाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
उत्तर-

  1. भोजन के बाद कुल्ला करना चाहिए,
  2. दाँतों को अंगुली से साफ़ करना चाहिए।

प्रश्न 9.
दाँतों का केरीज रोग क्या होता है?
उत्तर-
दाँतों में कार्बोहाइड्रेट युक्त तथा मीठे पदार्थों के सड़ने से जीवाणुओं की क्रिया से एसिड बनता है जो दाँतों के एनेमल को क्षीण कर देता है।

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प्रश्न 10.
पायरिया रोग के लक्षण क्या हैं?
उत्तर-

  1. मसूड़े सूजने लगते हैं,
  2. मसूड़ों में पीड़ा होती है,
  3. मसूड़ों से दाँत अलग होने लगते हैं,
  4. मुँह से दुर्गन्ध आती है।

प्रश्न 11.
स्वस्थ आँखें कैसी होती हैं?
उत्तर-
चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन।

प्रश्न 12.
स्वस्थ नाक की क्या पहचान है?
उत्तर-
साफ़ और साँस लेती हुई होती है।

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प्रश्न 13.
स्वस्थ मुख और होंठ कैसे होते हैं?
उत्तर-
स्वस्थ मुख प्रसन्न और आनन्दित तथा स्वस्थ होंठ लाल और गीले होते हैं।

प्रश्न 14.
स्वस्थ गला किसे कहते हैं?
उत्तर-
साफ़, गीला तथा बाधा विहीन होता है।

प्रश्न 15.
स्वस्थ दाँत कैसे होते हैं?
उत्तर-
साफ़, सही और कष्टविहीन होते हैं।

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प्रश्न 16.
स्वस्थ मसूड़े कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर-
ठोस तथा लाल।

प्रश्न 17.
स्वस्थ तथा अस्वस्थ हाथ में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-
हाथ की हथेलियाँ लाल होने पर स्वस्थ तथा पीली होने पर अस्वस्थ मानी जाती।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यायाम शरीर के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
व्यायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए तथा शरीर को निरोग रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसके विभिन्न कारण हैं

  1. व्यायाम करने से भोजन शीघ्र पच जाता है तथा भूख खुलकर लगती है।
  2. व्यायाम करने से शरीर की गन्दगी शीघ्र बाहर निकल जाती है।
  3. व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियाँ मज़बूत हो जाती हैं जिससे शरीर मजबूत होता है।

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प्रश्न 2.
नियमित स्नान के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
नियमित स्नान से शरीर को निम्न लाभ होते हैं-

  1. त्वचा की स्वच्छता होती है।
  2. रोमकूपों के मुँह खुल जाते हैं।
  3. स्नान के बाद तौलिए से शरीर रगडने से रक्त संचरण उत्तम होता है।
  4. स्नान से हानिकारक पदार्थों तथा रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है।
  5. धुलकर बह जाने से पसीने की दुर्गन्ध जाती रहती है।

प्रश्न 3.
नाखूनों की सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? नाखूनों को किस प्रकार साफ़ करना चाहिए?
उत्तर-
नाखूनों के अन्दर किसी प्रकार की गन्दगी नहीं रहनी चाहिए क्योंकि भोजन के साथ इनमें उपस्थित रोगों के कीटाणु, जीवाणु आदि आहार-नाल में पहुँचकर विकार उत्पन्न करेंगे। नाखूनों को काटते रहना चाहिए अथवा ब्रुश इत्यादि से भली-भाँति साफ़ करना चाहिए।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई का स्वास्थ्य में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यह सर्वविदित मान्यता है कि स्वस्थ शरीर जीवन धारण के योग्य होता है। जिसका शरीर स्वस्थ नहीं वह जीवन धारण करने के बाद भी सांसारिक सुखों का उपभोग नहीं कर सकता। अस्वस्थ मनुष्य का जीवन दूसरों के लिए भार हो जाता है। अतः मनुष्य का स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करना, उसके अनुकूल चलना और बच्चों को भी उसी के अनुसार चलाना चाहिए। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अन्तर्गत स्वास्थ्य के नियमों के अतिरिक्त शारीरिक या शरीर के प्रत्येक अंग की सफ़ाई का बहुत अधिक महत्त्व है।
व्यक्तिगत सफ़ाई के अन्तर्गत निम्नलिखित की सफ़ाई आती है

  1. मुँह व दाँतों की सफ़ाई-इससे दाँत खोखले होने, गिरने तथा किसी प्रकार का रोग होने से बचे रहते हैं।
  2. आँखों की सफ़ाई-इससे आँखें चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन रहती हैं। आँखों की सफ़ाई रहने से आँखों के रोग नहीं होते।
  3. नाक की सफ़ाई-इससे श्वास-नली में संक्रमण नहीं होता।
  4. कानों की सफ़ाई-इससे कानों में दर्द व खुजली नहीं होती और जीवाणुओं का आक्रमण भी नहीं होता।
  5. त्वचा की सफ़ाई-त्वचा की सफ़ाई से त्वचा के रोग नहीं होते तथा शरीर में फुर्ती बनी रहती है।
  6. हाथों तथा नाखूनों की सफ़ाई-नाखूनों में गन्दगी जमा होने से कई रोगों के कीटाणु पनपने लगते हैं और हाथों से मुँह में चले जाते हैं।
  7. वस्त्रों में सफ़ाई-स्वच्छ व साफ़-सुथरे कपड़े पहनने से शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रहता है। गन्दे वस्त्रों में रोग के कीटाणु पनपते हैं जो शरीर को रोगी बनाने में सहायक होते है।

प्रश्न 2.
आँख और नाक को कैसे साफ़ रखा जा सकता है?
उत्तर-
आँखों की सफाई व सुरक्षा-आँखें हमारे शरीर में अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण अंग है। इनसे ही हम विभिन्न वस्तुओं को देख सकते हैं। इसलिए यह कहावत है कि ‘आँखें हैं तो जहान है’ कही जाती है। इनकी स्वच्छता तथा सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएं

  1. आँखों को बाहर की गन्दगी जैसे धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट, कीट-पतंगे आदि से बचाना चाहिए। कुछ धूल तथा जीवाणु तो आँख के द्वारा बाहर निकल जाते हैं यदि किसी कारण से आँखों में कुछ गिर जाए तो उसको नार्मल सेलाइन या साफ़ जल से धो डालना चाहिए।
  2. मुँह तथा आँखों को कई बार धोने तथा पोंछने से सफ़ाई होती है।
  3. गन्दे हाथों से अथवा गन्दे रूमाल से आँखों को नहीं पोंछना चाहिए, न ही इन्हें रगड़ना या मलना चाहिए।
  4. तौलिया, साबन, बाल्टी, मग तथा मँह पोंछने का कपडा जिनका उपयोग दसरे व्यक्ति करते हों, प्रयोग नहीं करना चाहिए, विशेषकर दुखती आँखों वाले व्यक्ति का।
  5. आँखों को तेज़ धूप, चकाचौंध अथवा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए। इसके लिए धूप के चश्मे आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  6. कम प्रकाश में लिखना-पढ़ना अथवा कोई महीन काम करना आँखों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
  7. आँखों की विभिन्न बीमारियों जैसे-रोहे इत्यादि से आँखों को बचाना चाहिए और यदि इनमें से कोई रोग हो तो तुरन्त ही नेत्र-विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोजाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान को ……….. वस्तु से साफ़ नहीं करना चाहिए।
उत्तर-
नुकीली।

प्रश्न 2.
त्वचा से पसीना तथा ………….. पदार्थ बाहर निकलते हैं।
उत्तर-
अपशिष्ट।

प्रश्न 3.
आँखों की एक बीमारी का नाम बताएं।
उत्तर-
रोहे।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 4.
नियमित स्नान से किसके मुँह खुल जाते हैं?
उत्तर-
रोमकूपों के।

प्रश्न 5.
…………. से आंखें नहीं पोछनी चाहिए।
उत्तर-
गंदे रूमाल से।

प्रश्न 6.
…………… बाल चमकीले तथा साफ़ होते हैं।
उत्तर-
स्वस्थ।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 7.
नियमित स्नान का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
त्वचा की सफाई हो जाती है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान PSEB 7th Class Home Science Notes

  • प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी से दो-तीन बार धोना चाहिए।
  • चेहरे की त्वचा को ठीक रखने के लिए रात को सोने से पहले मुँह को अच्छी तरह साबुन से धोने के बाद बेसन का उबटन मलना चाहिए और उसके बाद गुनगुने पानी से मुँह को धो लेना चाहिए।
  • नाक को प्रतिदिन साफ़ करना चाहिए ताकि नाक का रास्ता साफ़ हो जाए और अच्छी तरह साँस लिया जा सके।
  • गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए।
  • बच्चे का गला खराब हो तो पानी को उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिए।
  • बालों तथा सिर की सफ़ाई करने की उतनी ही आवश्यकता है जितनी चमड़ी की। सिर और बालों को सप्ताह में एक-दो बार अवश्य धोना चाहिए।
  • सप्ताह में एक बार सिर में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए, जिससे नाड़ियों को उत्तेजित किया जा सके।
  • प्रतिदिन पानी और साबन के साथ स्नान करना चाहिए और बाद में साफ़ तौलिए से पूरे शरीर को अच्छी तरह पोंछना चाहिए।
  • तेल के साथ मॉलिश करना और भाप के साथ स्नान करना स्वास्थ्य और ताज़गी के लिए अच्छे समझे जाते हैं।
  • खुश्क चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोते समय मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

SST Guide for Class 7 PSEB लोकतन्त्र तथा समानता Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में लिखें

प्रश्न 1.
लोकतंत्रीय सरकार से क्या भाव है ?
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) लोगों की अपनी सरकार होती है, अर्थात् वहां का शासन लोगों की इच्छानुसार चलाया जाता है। कानून के अनुसार भी शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है। प्रजातन्त्र में कानून का शासन (Rule of Law) होता है। प्रजातान्त्रिक सरकार लोगों द्वारा ही बनाई जाती है और वह लोगों के कल्याण के लिए ही कार्य करती है। अब्राहिम लिंकन के शब्दों में प्रजातान्त्रिक सरकार ‘लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए’ होती है।

प्रश्न 2.
‘कानून के शासन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
कानून के शासन से अभिप्राय यह है कि देश का शासन निश्चित कानूनों अथवा नियमों के अनुसार चलाया जाता है। सरकार इन नियमों की अवहेलना नहीं कर सकती। उसकी शक्ति का स्रोत कानून होते हैं।

प्रश्न 3.
मताधिकार का लोकतंत्र में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधि लोकतंत्र है। इसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो सरकार चलाते हैं और कानून बनाते हैं। इन प्रतिनिधियों का चुनाव वोट अथवा मताधिकार द्वारा किया जाता है। यदि सरकार अयोग्य हो, तो उसे भी मताधिकार द्वारा बदला जाता है। इसलिए लोकतंत्र में मताधिकार बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
प्रधानात्मक सरकार कौन-सी होती है ?
उत्तर-
कृपया इसके लिए 50-60 शब्दों वाला प्रश्न नं. 4 पढ़ें।

प्रश्न 5.
लोकतंत्र में लोकमत का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लोकमत से अभिप्राय लोगों की इच्छा से है। लोकतंत्र में नीतियों का निर्माण लोकमत के आधार पर ही होता है। लोकमत की उपेक्षा करने वाली सरकार को अगले चुनावों में बदल दिया जाता है। इस प्रकार लोकतन्त्र में लोकमत बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6.
कौन से देश में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है ?
उत्तर-
स्विट्ज़रलैण्ड में आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के अस्तित्व में आने संबंधी संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र (प्रजातन्त्र) का आरम्भ यूनान के शहर ऐथन्ज़ में हुआ। वहां का प्रजातन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यह प्रत्यक्ष (सीधा) लोकतंत्र था जिसमें सभी लोग मिलकर शासन चलाते थे। वे लोग वर्ष में कई बार एकत्रित होकर सभा किया करते थे। वहां पर लोगों द्वारा राज्य प्रबन्ध चलाने के निर्णय लिए जाते थे। उस समय सीधा लोकतंत्र इसलिए सम्भव था क्योंकि लोगों की संख्या कम थी और सभी एक स्थान पर बैठकर निर्णय ले सकते थे। सीधा प्रजातन्त्र इसलिए भी सम्भव था क्योंकि उस समय लोकतान्त्रिक देशों में स्त्रियों, विदेशियों और दासों को शासन में भाग लेने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता की धारणा के विकास के संबंध में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्वतन्त्रता लोकतन्त्र का मूल आधार है। इस धारणा का विकास 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड की शानदार क्रान्ति तथा 18वीं शताब्दी में फ्रांस की क्रान्ति के साथ हुआ। आरम्भ में मतदान का अधिकार केवल धनी लोगों को ही प्राप्त था। समय की आवश्यकता के अनुसार सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को मतदान का अधिकार दिया गया।

19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रजातन्त्र के समानता के अधिकार ने और ज़ोर पकड़ा। यह अधिकार पहले केवल राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित था। समय की आवश्यकता के अनुसार आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में भी समानता के अधिकार पर बल दिया जाने लगा। लोगों को कई प्रकार की स्वतन्त्रताएं भी दी गईं। इनमें विचारों की स्वतन्त्रता प्रमुख थी।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र सबसे पहले किस देश में स्थापित हुआ ?
उत्तर-
लोकतन्त्र सबसे पहले यूनान में स्थापित हुआ। वहां लोकतन्त्र का विकास ऐथन्स नगर में हुआ। वहां का लोकतन्त्र लगभग 2500 वर्ष पुराना है। ऐथन्स के लोग साल में कई बार इकट्ठे होते थे और सभा करते थे। इन सभाओं में वे मिलकर निर्णय लेते थे कि राज्य प्रबन्ध किस प्रकार चलाया जाए।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 4.
लोकतंत्रीय सरकार के चार भिन्न-भिन्न स्वरूपों का नाम लिखें।
उत्तर-
(1) प्रधानात्मक सरकार
(2) संसदीय सरकार
(3) एकात्मक सरकार
(4) संघात्मक सरकार।
1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार-प्रधानात्मक सरकार में राष्ट्रपति सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है। वह राज्य का वास्तविक शासक होता है। इसलिए राष्ट्रपति और मन्त्री एक ही राजनीतिक दल से नहीं होते। इस प्रकार की प्रधानात्मक लोकतान्त्रिक सरकार अमेरिका में है। वहां का राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है।

2. संसदीय सरकार-संसदीय अथवा संसदात्मक सरकार में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिए जाते हैं। इसलिए संसदात्मक सरकार में विधानपालिका एवं कार्यपालिका में तालमेल बना रहता है।

3. एकात्मक सरकार-एकात्मक प्रजातन्त्र में राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। परन्तु केन्द्र राज्यों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। हमारे भारत का संविधान भी संघात्मक है, परन्तु किसी आन्तरिक संकट के समय केन्द्रीय सरकार की शक्तियां बढ़ जाती हैं।

4. संघात्मक सरकार-संघात्मक सरकार में संविधान लिखित एवं कठोर होता है। राज्यों और केन्द्र के बीच शक्तियों का बंटवारा होता है। प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार होती है। भारत में भी संघात्मक सरकार है।

प्रश्न 5.
संसदीय लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संसदात्मकं अथवा संसदीय लोकतन्त्र में संसद् अधिक शक्तिशाली होती है। राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया होता है। राज्य की वास्तविक शक्ति प्रधानमन्त्री के पास होती है। मन्त्रिपरिषद् के सभी सदस्य संसद् अर्थात् विधानपालिका से ही लिये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार में विधानपालिका तथा कार्यपालिका के बीच तालमेल बना रहता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 6.
लोकतंत्रीय सरकार की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र को प्रजातंत्र भी कहा जाता है। आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार को सर्वश्रेष्ठ सरकार माना जाता है। सफल लोकतंत्र के लिए कुछ शर्तों का होना अनिवार्य है। लोकतन्त्र सरकार की विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है :–

1. सत्तेत नागरिक-प्रजातन्त्र सरकार का मूल आधार लोकमत है, जिसके आधार पर सरकार चलाई जाती है। इसलिए लोगों का सचेत होना बहुत आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि जनता राजनीतिक रूप से परिपक्व हो। ऐसे लोग ही अपने प्रतिनिधियों पर नियन्त्रण रख सकते हैं।

2. योग्य एवं सचेत नेतागण-यदि सरकार पढ़े-लिखे तथा सचेत नेताओं द्वारा चलाई जायेगी, तो सरकार योग्य होगी। केवल समझदार मतदाता (वोटर) ही ऐसे नेताओं को चुन सकते हैं।

3. अनुशासित नागरिक एवं राजनीतिक दल-प्रजातन्त्र में लोगों का अनुशासित होना बहुत आवश्यक है। तभी वे सरकार की गलत नीतियों और अनुचित कार्यों का विरोध करके सरकार को ठीक ढंग से कार्य करने पर विवश कर सकते हैं। लोगों में दूसरों के विचारों के प्रति आदर भी होना चाहिए। लोगों के राजनीतिक विचारों में भिन्नता के आधार पर राजनीतिक दल बनते हैं। लोगों के प्रतिनिधि चुनाव द्वारा चुने जाते हैं। चुनावों के लिए राजनीतिक दल बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक दल लोगों को सरकार के कार्यों के बारे सूचित करके लोक मत बनाने में सहायता करते हैं। इसलिए राजनीतिक दलों का सचेत और अनुशासित होना अति आवश्यक है।

4. सामाजिक एवं आर्थिक समानता-प्रजातन्त्र में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। यदि सभी नागरिक सामाजिक और आर्थिक रूप से समान नहीं होंगे तो प्रजातन्त्र सफल नहीं हो सकता। इसलिए समाज में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

5. सहनशीलता-लोकतन्त्र में बहुमत प्राप्त दल का शासन होता है। परन्तु दल का उदार होना आवश्यक है। विरोधी दल को भी शासक दल के प्रति सहनशील होना चाहिए। सहनशीलता प्रजातन्त्र की सफलता के लिए एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
नोट-विद्यार्थी कोई दो लिखें।

प्रश्न 7.
सामाजिक तथा आर्थिक समानता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक समानता-सामाजिक समानता का अर्थ है कि सामाजिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान हैं। किसी के साथ जन्म स्थान, रंग, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। सभी व्यक्ति समाज के उपयोगी अंग हैं। किसी व्यक्ति विशेष को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता।

आर्थिक समानता-आर्थिक समानता का अर्थ है कि देश में धनी एवं निर्धन का अन्तर नहीं होना चाहिए। समाज के किसी वर्ग का शोषण न हो। इसका अर्थ यह भी है कि उत्पादन के साधन कुछ एक व्यक्तियों के हाथों में सीमित न हों। सभी को रोज़ी कमाने के समान अवसर प्राप्त हों।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 8.
आधुनिक युग में लोकतंत्रीय सरकार अत्यधिक प्रिय क्यों है ?
उत्तर-
आज संसार के अधिकतर देशों में लोकतन्त्रीय सरकार है। ऐसी सरकार कल्याणकारी होती है और मानव अधिकारों एवं स्वतन्त्रता को विशेष महत्त्व देती है। लोकतन्त्र में कानून की दृष्टि में सभी बराबर माने जाते हैं। ये कानून भी लोगों के अपने प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं। लोकतन्त्र को लोकप्रिय बनाने वाले कई अन्य आधार भी हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :–

1. समानता-प्रजातन्त्र में अमीरी-गरीबी, धर्म या जाति के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि से सब समान होते हैं। इसलिए तानाशाही सरकार की अपेक्षा प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय

2. स्वतन्त्रता-प्रजातन्त्र में लोग हर पक्ष में स्वतन्त्र होते हैं। वे कोई भी व्यवसाय अपनाने, अपने विचारों को प्रकट करने और किसी भी क्षेत्र में रहने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। परन्तु तानाशाही राज्य में लोगों को तानाशाह राजा की आज्ञा अनुसार चलना पड़ता है।

3. निर्णय लेने की कार्य विधि-प्रजातन्त्र में राज्य प्रबन्ध चलाने के लिए निर्णय लेने का एक विशेष ढंग होता है, जोकि लोगों के हाथ में होता है। लोग अपने प्रतिनिधि चुनकर विधानपालिका में भेजते हैं। ये प्रतिनिधि शासन चलाने के लिए कानून बनाते हैं। विधानपालिका में बहमत दल सरकार बनाती है। सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य करती है। यदि सरकार लोगों की इच्छानुसार कार्य न करे, तो जनता, उसे अगले चुनावों में बदल सकती है।

4. नागरिकों की सक्रिय भागीदारी-प्रजातन्त्र में सभी मतदाता चुनाव लड़ सकते हैं या चुनाव में अपना मत इच्छानुसार दे सकते हैं। देश के शासन में सभी बराबर के भागीदार हैं। तानाशाही राज्यों में ऐसा नहीं होता। इसलिए आधुनिक समय में प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक लोकप्रिय है।

5. मतभेद दूर करना-प्रजातन्त्र में किसी पर भी अपना विचार थोपा नहीं जाता, बल्कि सभी के विचारों का आदर किया जाता है। शासक दल विरोधी दल के सुझावों पर उदारता से विचार करता है। दूसरी ओर विरोधी दल सरकार के कार्यों में उदारता से सहयोग देता है। इस प्रकार प्रजातन्त्र में वैचारिक मतभेदों को उदारतापूर्वक दूर किया जाता है। इसी कारण प्रजातान्त्रिक सरकार अधिक पसन्द की जाती है।

6. मानव गौरव (शान) में वृद्धि-स्वतन्त्रता, समानता तथा भाईचारा प्रजातन्त्र के मुख्य सिद्धान्त हैं। इनके आधार पर ही फ्रांस में प्रजातन्त्र का आरम्भ हुआ। प्रजातन्त्र में केवल राजनीतिक स्वतन्त्रता और समानता ही नहीं होती, अपितु सामाजिक तथा आर्थिक समानता भी होती है। इसके लिए सरकार सभी देशवासियों को रोज़ी कमाने के लिए समान अवसर प्रदान करती है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नौकरियों में स्थान आरक्षित किये जाते हैं। इस प्रकार प्रजातन्त्र में मानव गौरव और शान को बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयत्न किया जाता है।

(ग) खाली स्थान भरें

  1. भारत एक ………….. गणराज्य है।
  2. हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का प्रधान …………… है और राज्य सरकारों के मुख्य ……………. होते हैं।
  3. लोकतंत्र का आरम्भ ………………. के शहर ……………… में हुआ।
  4. ………………. ही ऐसा देश है जहां आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  5. लोकतंत्र का आरम्भिक सिद्धांत …………. तथा ……………. है।

उत्तर-

  1. लोकतंत्रीय,
  2. राष्ट्रपति, राज्यपाल,
  3. यूनान, एथेंस
  4. स्विट्ज़रलैण्ड
  5. स्वतन्त्रता तथा समानता।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

(घ) निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ

  1. भारत एक लोकतंत्रीय गणराज्य है।
  2. स्विट्ज़रलैण्ड ही ऐसा देश है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र चल रहा है।
  3. वोट डालने का अधिकार केवल कुछ बालिगों (वयस्कों) को ही प्राप्त है।
  4. लोकतंत्रीय देश में कानून का राज्य होता है।
  5. आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना पहले फ्रांस देश में हुई थी।

संकेत-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✗)

(ङ) बहु-वैकल्पिक प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर पर निशान लगाएं :–
प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक सरकार लोगों की, लोगों के लिए तथा लोगों के द्वारा-यह कथन है
(क) इब्राहिम लिंकन
(ख) लास्की
(ग) डेविड ईस्टन।
उत्तर-
(क) इब्राहिम लिंकन

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 2.
आधुनिक युग में किस सरकार को सर्वोत्तम माना जाता है ?
(क) तानाशाही सरकार
(ख) लोकतांत्रिक सरकार
(ग) सैनिक शासन।
उत्तर-
(ख) लोकतांत्रिक सरकार

प्रश्न 3.
लोकतांत्रिक सरकार वाले देशों में देश के मुखिया कितनी तरह के होते हैं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) दो।
उत्तर-
(ग) दो।

PSEB 7th Class Social Science Guide लोकतन्त्र तथा समानता Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) की दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. लोकतन्त्र में शासन चलाने की शक्ति लोगों के हाथ में होती है।
  2. लोकतन्त्र में सरकार की नीतियों का निर्णय लोगों की इच्छा के अनुसार लिया जाता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 2.
लोकतन्त्र कौन-कौन से दो प्रकार का होता है ?
उत्तर-

  1. प्रत्यक्ष अथवा सीधा लोकतन्त्र
  2. अप्रत्यक्ष अथवा प्रतिनिधि लोकतन्त्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र तथा अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन की नीतियों के निर्माण में सभी नागरिक सीधे रूप में भाग लेते हैं। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में नागरिक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो शासन की नीतियों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 4.
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के मुखिया कौन-कौन से दो प्रकार के होते हैं ? भारत से उदाहरण दें।
उत्तर-
लोकतन्त्रीय सरकार में देश के दो प्रकार के मुखिया होते हैं-नाममात्र मुखिया और वास्तविक मुखिया। हमारे देश की केन्द्रीय सरकार का नाममात्र का मुखिया राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल है जबकि केन्द्र में वास्तविक मुखिया प्रधानमन्त्री और राज्य में मुख्यमन्त्री होता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 5.
गणराज्य क्या होता है ?
उत्तर-
जिस देश का प्रमुख लोगों के द्वारा चुना जाता है उसे गणराज्य कहा जाता है।

प्रश्न 6.
हम भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
भारत एक लोकतन्त्र है। देश का मुखिया अर्थात् राष्ट्रपति लोगों द्वारा चुना जाता है। इसलिए भारत को लोकतान्त्रिक गणराज्य कहते हैं।

प्रश्न 7.
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र क्या होता है ? एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-
राजतन्त्रीय लोकतन्त्र में देश का मुखिया राजा या रानी होते हैं। वे लोगों द्वारा नहीं चुने जाते बल्कि उनका पद परम्परागत होता है। वे नाममात्र के मुखिया होते हैं। इंग्लैंड में राजतन्त्रीय लोकतन्त्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 8.
प्रजातन्त्र (लोकतन्त्र) का मुख्य सिद्धान्त क्या है ? यह किस बात पर आधारित है ?
उत्तर-
लोकतन्त्र का मुख्य सिद्धान्त कानून का शासन है। यह मानव की स्वतन्त्रता तथा समानता पर आधारित है।

प्रश्न 9.
व्यापक (सार्वभौम) वयस्क मताधिकार क्या होता है ?
उत्तर-
जब देश के सभी वयस्क स्त्री-पुरुषों को बिना किसी भेदभाव के मतं देने का अधिकार दिया जाता है, तो उसे सार्वभौम वयस्क मताधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 10.
कार्यपालिका तथा विधानपालिका के प्रभाव की दृष्टि से लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. प्रधानात्मक (अध्यक्षात्मक) सरकार
  2. संसदीय सरकार।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

प्रश्न 11.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन के आधार पर लोकतान्त्रिक सरकार कौन-कौन से दो प्रकार की होती है ?
उत्तर-

  1. एकात्मक सरकार
  2. संघात्मक सरकार।

प्रश्न 12.
“लोकतन्त्र अथवा प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं, अपितु एक जीवन-परीक्षण है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रजातन्त्र में समाज में किसी भी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। कानून की दृष्टि में अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष सब समान हैं। प्रत्येक को अपने व्यक्तित्व का विकास करने का अधिकार होता है। जाति या जन्म के आधार पर किसी को भी कोई विशेष सुविधा प्राप्त नहीं होती, क्योंकि प्रजातान्त्रिक समाज में इस प्रकार के भेद-भाव के लिए कोई स्थान नहीं होता। यदि आर्थिक एवं सामाजिक पक्ष से सभी स्त्री-पुरुष समान होंगे तभी सभी लोग राजनीतिक पक्ष से भी समान होंगे। इसीलिए प्रजातन्त्र राज्य सरकार का एक प्रकार नहीं अपितु एक जीवन परीक्षण है।

सही जोड़े बनाइए:

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – यूरोप
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – भारत
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – एथेंस (यूनान)
  4. संसदीय सरकार – अमेरिका

उत्तर-

  1. लोकतन्त्र का आरम्भ – एथेंस (यूनान)
  2. आधुनिक लोकतन्त्र की सबसे पहले स्थापना – यूरोप
  3. प्रधानात्मक लोकतन्त्र – अमेरिका
  4. संसदीय सरकार – भारत।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 18 लोकतन्त्र तथा समानता

लोकतन्त्र तथा समानता PSEB 7th Class Social Science Notes

  • लोकतन्त्र – लोकतन्त्र जनता का शासन होता है। इसमें शासन की सारी शक्ति जनता के पास होती है। शासन को कानून के अनुसार चलाया जाता है।
  • स्वतन्त्रता और समानता – स्वतन्त्रता और समानता लोकतन्त्र के मूल आधार हैं।
  • कानून का शासन – कानून के शासन से अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शासक अपनी इच्छानुसार नहीं बल्कि एक निश्चित संविधान के अनुसार शासन करता है। ऐसे शासन में राज्य का मुखिया जनता पर मनमानी नहीं कर सकता और जनता उससे पूछ सकती है कि उसने अमुक कार्य क्यों किया है। इस शासन प्रणाली को हम संवैधानिक शासन-प्रणाली भी कह सकते हैं।
  • प्रत्यक्ष लोकतन्त्र – प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता स्वयं अपने शासन का संचालन करती है। आज के युग में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सम्भावना नहीं है।
  • अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र – अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन चलाने का कार्य जनता के प्रतिनिधि करते हैं। अतः अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में प्रतिनिधियों के चयन का कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह कार्य निर्वाचनों के द्वारा किया जाता है।
  • प्रजातन्त्र तथा राजनैतिक दल – प्रजातन्त्र में राजनैतिक दलों का सरकार पर नियन्त्रण होता है। विपक्षी दल सरकार की आलोचना करते हैं और उसके कार्यों पर नियन्त्रण रखते हैं।
  • जनमत अथवा लोकमत – प्रजातन्त्र की सफलता के लिए जनमत की भूमिका अति अनिवार्य है। स्वस्थ जनमत राजनीतिक दलों पर नियन्त्रण रखता है।
  • लोकतन्त्र तथा चुनाव – लोकतन्त्र में चुनावों का विशेष महत्त्व है। लोग चुनावों द्वारा ही अपने प्रतिनिधि चुनते हैं और अयोग्य सरकार को बदलते हैं।
  • व्यापक वयस्क मताधिकार – जब सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार दिया जाता है तो उसे व्यापक वयस्क मताधिकार कहा जाता है। यह समानता के नियम पर आधारित है।
  • तानाशाही – तानाशाही राज्य में शासन की शक्ति एक या कुछ एक तानाशाह लोगों के हाथ में होती है। ऐसे देशों में चुनाव नहीं कराये जाते और न ही सरकार लोगों की इच्छा के आधार पर चलाई जाती है। केवल तानाशाह के पास ही शासन की सारी शक्ति होती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

SST Guide for Class 7 PSEB 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Textbook Questions and Answers

(क) निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में स्थापित हुई किन्हीं चार प्रादेशिक शक्तियों के नाम लिखें।
उत्तर-
दक्षिण भारत की शक्तियाँ-मराठे, हैदराबाद के निज़ाम तथा मैसूर में हैदरअली और टीपू सुल्तान। उत्तरी भारत की शक्तियाँ-बंगाल, अवध, बुंदेलखंड, मथुरा तथा पंजाब।

प्रश्न 2.
पाठ में उत्तरकालीन मुग़लों की सूची बनाएं।
उत्तर-
बहादुर शाह, जहांदार शाह, फरुख्सीयर, मुहम्मद शाह तथा बहादुरशाह जफ़र।

प्रश्न 3.
18वीं शताब्दी में अवध के उत्थान का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
सआदत खां-अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक सआदत खां था। वह 1722 ई० में मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह के अधीन अवध का सूबेदार बना था। उसने राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किए। उसने खेती-बाड़ी की ओर विशेष ध्यान दिया। 1739 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

सफदर जंग-सआदत खां की मृत्यु के पश्चात् सफदर जंग अवध का नया शासक बना। उसने 1754 ई० में रूहेलखण्ड के प्रदेश जीत लिये। 1775 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

शुजाउद्दौला तथा आसफुद्दौला-सफदर जंग के पश्चात् क्रमशः शुजाउद्दौला तथा आसफुद्दौला अवध के शासक बने। अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्ज़ ने आसफुद्दौला को फैजाबाद की संधि करने के लिए विवश कर दिया। उसने आसफुद्दौला को अवध में रखी गई अंग्रेजी सेना के बदले मिलने वाली धनराशि बढ़ाने के लिए भी मज़बूर किया। 1797 ई० में आसफुद्दौला की मृत्यु हो गई।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना

प्रश्न 4.
18वीं शताब्दी में सिक्ख किस प्रकार शक्तिशाली बने ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में मुग़लों तथा सिक्खों के बीच एक लंबा संघर्ष हुआ। इसी संघर्ष ने सिक्खों को शक्तिशाली बना दिया था।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के अधीन सिक्ख-मुग़लों ने सिक्खों पर बहुत अत्याचार किए थे। मुग़ल अत्याचारों का सामना करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को वीर योद्धा बनाने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से उन्होंने 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना की। इसके बाद मुग़लों तथा सिक्खों के बीच कई लड़ाइयां हुईं। इनमें आनंदपुर साहिब की पहली तथा दूसरी,लड़ाई, चमकौर साहिब की लड़ाई तथा खिदराना की लड़ाई प्रमुख थी। चमकौर साहिब की लड़ाई में गुरु साहिब के दो बड़े साहिबज़ादे अजीत सिंह तथा जुझार सिंह शहीद हो गए। 1706 ई० में गुरु साहिब ने खिदराना अथवा मुक्तसर की लड़ाई में मुग़लों को बुरी तरह हराया। 1708 ई० में गुरु साहिब ज्योति जोत समा गए। इससे पूर्व उन्होंने बंदा बहादुर को सिक्खों का नेतृत्व सौंप दिया था।

बंदा बहादुर के अधीन सिक्ख-बंदा बहादुर ने 1709 ई० में कैथल से अपनी विजयों की शुरुआत की। इसके पश्चात् उसने समाना, कपूरी तथा सढौरा पर विजय प्राप्त की। बंदा बहादुर ने श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के पुत्रों की शहीदी का बदला लेने के लिए जलालाबाद, करनाल, पानीपत, अमृतसर, गुरुदासपुर, कलानौर तथा पठानकोट पर विजय प्राप्त की। इस प्रकार उसने पंजाब में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उसने लौहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। 1715 ई० में मुग़लों ने बंदा बहादुर तथा उसके साथियों को बंदी बना लिया। उन्हें दिल्ली भेज दिया गया, जहां 9 जून, 1716 ई० को उन्हें शहीद कर दिया गया।

पंजाब के गवर्नरों द्वारा सिक्खों पर अत्याचार-
1. मुग़ल सम्राट् फरुख्सीयर ने 1716 ई० में अबदुसमन्द खां को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया। उसने अपने शासन- काल में अनगिनत सिक्खों का कत्ल किया। इस कारण मुग़ल बादशाह फरुख्सीयर ने उसे ‘राज्य की तलवार’ की उपाधि दी।

2. 1726 ई० में अबदुसमन्द खां के पुत्र जकरिया खां को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया गया। उसने सिक्खों का दमन करने के लिए कठोर नीति अपनाई। उसने बड़ी संख्या में सिक्खों को मरवा डाला। उसके शासनकाल में भाई मनी सिंह भाई, भाई मेहताब सिंह, भाई तारू सिंह तथा भाई हकीकत राय जैसे व्यक्तियों ने शहीदी दी। परंतु वह सिक्खों का पूरी तरह से दमन करने में असफल रहा।

3. 1745 ई० में जकरिया खां का पुत्र याहिया खां पंजाब का सूबेदार बना। उसने भी सिक्खों के प्रति दमनकारी . नीति जारी रखी। उसने काहनूवाल (गुरदासपुर) में सिक्खों पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले के दौरान 700 सिक्ख मारे गए तथा 3000 सिक्खों को बंदी बना लिया गया। इस घटना को छोटा घल्लूघारा कहा जाता है।

4. 1748 ई० में मीर मन्नू पंजाब का नया सूबेदार बना। उसने भी बड़ी संख्या में सिक्खों का कत्ल करवाया। परंतु वह सिक्खों की ओर पूरा ध्यान न दे सका। परिणामस्वरूप सिक्खों ने अपनी शक्ति को और अधिक संगठित कर लिया।

अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण तथा पंजाब में स्वतंत्र सिक्ख राज्य की स्थापना-अहमदशाह अब्दाली अफगानिस्तान का शासक था। उसने पंजाब पर आठ बार आक्रमण किया। 1765 ई० में सिक्खों ने लाहौर पर अधिकार करके अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। परंतु उनका कोई नेता न होने के कारण उन्होंने अपने आप को जत्थों (समूहों) में संगठित कर लिया। इन जत्थों को मिसलें कहा जाता था। ये संख्या में 12 थीं। प्रत्येक मिसल का एक सरदार होता था जो अपनी मिसल का शासन चलाता था। 18वीं सदी के अंत में शुकरचकिया मिसल के सरदार रणजीत सिंह ने सभी मिसलों को एकत्रित करके पंजाब में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।

प्रश्न 5.
हैदरअली तथा टीपू सुल्तान ने मैसूर को किस प्रकार एक शक्तिशाली राज्य बनाया ?
उत्तर-
हैदरअली तथा टीपू सुल्तान मैसूर के दो प्रसिद्ध शासक थे। उन्होंने अंग्रेजों से ज़बरदस्त टक्कर ली।

हैदरअली-हैदरअली 1761 में मैसूर का शासक बना। उसने अपने शासनकाल में मैसूर के शासन प्रबन्ध को कुशल बनाया। वह सभी धर्मों का सत्कार करता था। उसने बहुत-से हिंदुओं को ऊंचे पदों पर नियुक्त किया। उसने बहुत-से क्षेत्रों को जीत कर मैसूर को एक शक्तिशाली राज्य बनाया। उसने मराठों, हैदराबाद के निज़ाम, कर्नाटक के शासकों तथा अंग्रेजों के साथ अनेक लड़ाइयां लड़ी। हैदरअली तथा अंग्रेज़ों के बीच दो लड़ाइयां हुईं जिन्हें ऐंग्लो-मैसूर युद्ध कहा जाता है। प्रथम ऐंग्लो-मैसूर युद्ध में हैदरअली ने अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया। 1780 ई० में उनके बीच दूसरा युद्ध हुआ। यह युद्ध अभी चल ही रहा था कि हैदरअली की मृत्यु हो गई।

टीपू सुल्तान-हैदरअली की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का शासक बना। अपने पिता की भांति वह भी एक योग्य शासक था। उसने शासन प्रबन्ध में अनेक सुधार किए। उसे मैसूर का टाइगर कहा जाता है। वह एक महान् देशभक्त था। वह भारत में अंग्रेजों के अत्याचारी शासन का अन्त करना चाहता था। इसलिए उसने अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया और उसे आधुनिक शस्त्रों से लैस किया। उसने राज्य के उद्योग तथा व्यापार को उन्नत किया। वह 1799 ई० में अंग्रेजों के साथ मैसूर के चौथे युद्ध में लड़ते हुए मारा गया।

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प्रश्न 6.
शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की स्थापना करने में क्या योगदान दिया?
उत्तर-
शिवाजी एक महान् देशभक्त थे। वह भारत में मुसलमानों के अत्याचारी शासन को समाप्त करके एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना करना चाहते थे। उन्होंने निम्नलिखित विजयों द्वारा स्वतन्त्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की –
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आरम्भिक विजयें –
(1) शिवाजी की पहली विजय तोरण दुर्ग (1646 ई०) पर थी। 1648 ई० में उन्होंने सिंहगड, पुरन्धर तथा कोंकण के दुर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया।

(2) उन्होंने जावली के सरदार चन्दराव को मरवा कर जावली को भी अपने अधिकार में ले लिया।

(3) शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को देख कर बीजापुर का सुल्तान चिन्ता में पड़ गया। उसने शिवाजी के विरुद्ध अपने सेनापति अफ़जल खां को भेजा। अफ़जल खां ने धोखे से शिवाजी को मारने का प्रयत्न किया। परन्तु इस प्रयास में वह स्वयं मारा गया। अन्त में शिवाजी तथा बीजापुर के सुल्तान के बीच सन्धि हो गई।

मुगलों से टक्कर-शिवाजी ने अब मुग़लों के प्रदेशों पर आक्रमण करने आरम्भ कर दिए। औरंगज़ेब ने उनके विरुद्ध अपने मामा शाइस्ता खां को भेजा, परन्तु शिवाजी ने उसे पूना से मार भगाया।

अब औरंगजेब ने राजा जयसिंह और राजकुमार मुअज्जम को भेजा। जयसिंह ने शिवाजी से कई किले छीन लिए और उन्हें सन्धि करने के लिए मजबूर कर दिया। शिवाजी आगरा पहुंचे जहां उन्हें कैद कर लिया गया। परन्तु मौका पाकर शिवाजी आगरा से भाग निकले और अपने प्रदेश महाराष्ट्र पहुंचने में सफल हो गए।
1674 ई० में उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। उन्होंने मुग़लों से युद्ध जारी रखे। दक्षिण में उन्होंने जिंजी, बैलौर तथा कनारा के प्रदेश जीत लिए। 1680 ई० में उनका देहान्त हो गया।

(ख) रिक्त स्थान की पूर्ति करो

  1. मुहम्मद शाह ने …………. तक राज्य किया।
  2. मुर्शिद कुली खां ……….. था।
  3. हैदरअली …………. का शासक था।
  4. सआदत खां ………….. ई० में अवध का सूबेदार बना।
  5. शिवाजी …………. साम्राज्य का संस्थापक था।
  6. गोकुल …………… का नेता था।
  7. बन्दा बहादुर का वास्तविक नाम ……

उत्तर-

  1. 1719 से 1748 ई०
  2. बंगाल तथा उड़ीसा का सूबेदार
  3. मैसूर
  4. 1722
  5. मराठा
  6. जाटों
  7. लक्ष्मण दास।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिन्ह लगाएं

  1. फरुखसियर दिल्ली का शासक बना।
  2. मुर्शिद कुली खां अवध का सूबेदार था।
  3. निज़ाम-अल-मुल्क हैदराबाद रियासत का संस्थापक था।
  4. राजा राम शिवाजी का उत्तराधिकारी बना।
  5. 1740 ई० में बालाजी राव तीसरा पेशवा बना।
  6. बदन सिंह गोकुल का उत्तराधिकारी था।
  7. बंदा बहादुर ने पंजाब में सिक्ख राज्य की स्थापना की।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. (✓)

निम्नलिखित के ठीक जोड़े बनाओ

कॉलम ‘क’ – कॉलम ‘ख’

  1. बहादुर शाह की – 1739 ई० में मृत्यु हो गई।
  2. शुज्जाउद्दीन की – 20 अप्रैल, 1627 ई० को हुआ।
  3. हैदरअली की – 1712 ई० में मृत्यु हो गई।
  4. टीपू सुल्तान को – मैसूर का टाइगर कहा जाता था।
  5. शिवाजी का जन्म – 1782 ई० में मृत्यु हो गई।
  6. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने– 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ।
  7. बंदा बहादुर का जन्म – खालसा पन्थ की स्थापना 1699 ई० में की।

उत्तर-

  1. बहादुर शाह की 1712 ई० में मृत्यु हो गई।
  2. शुज्जाउद्दीन की 1739 ई० में मृत्यु हो गई।
  3. हैदरअली की 1782 ई० में मृत्यु हो गई।
  4. टीपू सुल्तान को मैसूर का टाइगर कहा जाता था।
  5. शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई० को हुआ।
  6. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पन्थ की स्थापना 1699 ई० में की।
  7. बंदा बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ।

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PSEB 7th Class Social Science Guide 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
उत्तरकालीन मुगल कौन थे ?
उत्तर-
औरंगज़ेब की मृत्यु के पश्चात् जिन मुग़ल शासकों ने राज्य किया उन्हें उत्तरकालीन मुग़ल कहा जाता है। वे इतने शक्तिहीन तथा अयोग्य थे कि साम्राज्य के दूर के प्रान्तों को इकट्ठा न रख सके।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में भारत में स्वतन्त्र राज्यों के उदय का एक कारण लिखो।
उत्तर-
1707 ई० में मुग़ल शासक औरंगजेब की मृत्यु हो गई तो उस के कमज़ोर उत्तराधिकारियों के शासनकाल में अनेक शक्तियों ने स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 3.
बंगाल में मुर्शिद कुली खां ने अपनी शक्ति को कैसे बढ़ाया ?
उत्तर-
मुर्शिद कुली खां ने बिहार तथा उड़ीसा को अपने राज्य में मिला लिया। इससे उसकी शक्ति का विस्तार हुआ।

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प्रश्न 4.
बंगाल के शासक मुर्शिद कुली खां के दो उत्तराधिकारियों के नाम लिखो।
उत्तर-
मुर्शिद कुली खां के दो सफल उत्तराधिकारी शुजाउद्दीन तथा अलीवर्दी खां थे।

प्रश्न 5.
अलीवर्दी खां कहां का शासक था ? उसने कितने समय तक शासन किया ?
उत्तर-
अलीवर्दी खां बंगाल का शासक था। उसने 1740 से 1756 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 6.
हैदराबाद में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
हैदराबाद में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना निज़ामुलमुल्क आसफजाह ने की। उसने इस राज्य की स्थापना 1724 ई० में की।

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प्रश्न 7.
हैदराबाद राज्य के संस्थापक निज़ामुल्मुल्क आसफजाह के कोई दो कार्य लिखो।
उत्तर-

  1. उसने राज्य में शान्ति व्यवस्था स्थापित की और शासन में महत्त्वपूर्ण सुधार किए।
  2. उसने हिन्दुओं तथा मुसलमानों से समान व्यवहार किया।

प्रश्न 8.
हैदराबाद राज्य के पतन का कोई एक कारण लिखो। .
उत्तर-
1748 ई० में हैदराबाद के शक्तिशाली शासक आसफजाह की मृत्यु हो गई। उसके उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। परिणामस्वरूप हैदराबाद राज्य का पतन आरम्भ हो गया।

प्रश्न 9.
अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक कौन था ? उसे कौन-सी पदवी मिली हुई थी ?
उत्तर-
अवध के स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक सआदत्त खां था। उसे बुरहानुउल मुल्क की पदवी मिली हुई थी।

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प्रश्न 10.
अवध के स्वतन्त्र शासक सआदत्त खां का कोई एक महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर-
अवध के शासक सआदत्त खां ने नई भू-नीति लागू की। इससे किसानों की दशा में बहुत सुधार हुआ।

प्रश्न 11.
सआदत्त खां (अवध का शासक)का उत्तराधिकारी कौन था ? उसकी किसी एक सफलता का वर्णन करो।
उत्तर-
सआदत्त खां का उत्तराधिकारी उसका भतीजा और दामाद सफदरजंग था। उसने इलाहाबाद क्षेत्र को अपने राज्य में मिलाया।

प्रश्न 12.
अठारहवीं शताब्दी के दो प्रसिद्ध विदेशी आक्रमणकारियों के नाम बताओ। उन्होंने भारत पर कबकब आक्रमण किए ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी के दो प्रसिद्ध आक्रमणकारी थे-नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली। नादिरशाह ने 1739 ई० में भारत पर आक्रमण किया। अहमदशाह अब्दाली ने 1748 से 1758 तक पांच बार भारत पर आक्रमण किया।

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प्रश्न 13.
‘मिसल’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में पंजाब में सिक्ख सरदारों ने अपने छोटे-छोटे स्वतन्त्र जत्थे बना लिए थे। इन्हें मिसल कहा जाता था। इनकी कुल संख्या 12 थी।

प्रश्न 14.
पंजाब में किस शासक ने मिसलों का अन्त किया ? उसका सम्बन्ध किस मिसल से था ?
उत्तर-
पंजाब में रणजीत सिंह ने मिसलों का अन्त करके एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। वह सुकरचकिया मिसल से सम्बन्ध रखता था।

प्रश्न 15.
मैसूर राज्य के दो स्वतन्त्र शासकों के नाम बताओ।
उत्तर-
मैसूर राज्य के दो स्वतन्त्र शासक हैदरअली और टीपू सुल्तान थे।

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प्रश्न 16.
पेशवा कौन थे ? सबसे पहला पेशवा कौन था ? .
उत्तर-
मराठा राज्य में प्रधानमन्त्री को पेशवा कहते थे। साहूजी के अधीन पेशवा मराठा राज्य के वास्तविक शासक बन गए। सबसे पहला पेशवा बालाजी विश्वनाथ था।

प्रश्न 17.
बालाजी विश्वनाथ कब पेशवा बना ? उसका कोई एक काम लिखो।
उत्तर-
बालाजी विश्वनाथ 1713 ई० में पेशवा बना। उसने साहूजी की माता को मुग़ल कैद से रिहा करवाया।

प्रश्न 18.
बालाजी विश्वनाथ के दो उत्तराधिकारियों के नाम बताओ।
उत्तर-
बालाजी विश्वनाथ के दो उत्तराधिकारी थे :–
बाजीराव प्रथम तथा बालाजी बाजीराव।

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प्रश्न 19.
पेशवा बाजीराव प्रथम का कोई एक कार्य लिखो।
उत्तर-
पेशवा बाजीराव प्रथम ने अनेक प्रदेश विजय किए। उसने मराठा राज्य का विस्तार दिल्ली तक कर दिया।

प्रश्न 20.
मराठों की किसी एक कमज़ोरी का वर्णन करो।
उत्तर-
मराठा सरदार आपस में ईर्ष्या और द्वेष रखते थे। यह कमज़ोरी बाद में उनके पतन का कारण बनी।

प्रश्न 21.
जाटों के नेताओं के नाम लिखो जिन्होंने मुगलों से संघर्ष किया।
उत्तर-
मुग़लों के साथ संघर्ष करने वाले मुख्य जाट नेता गोकुल, राजाराम तथा चूड़ामणि (चूड़ामन) थे।

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प्रश्न 22.
शिवाजी का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
शिवाजी का जन्म 1627 ई० में हुआ।

प्रश्न 23.
शाइस्ता खां कौन था ?
उत्तर-
शाइस्ता खां औरंगज़ेब का मामा था। वह एक योग्य सेनानायक था। औरंगज़ेब ने उसे दक्षिण का गवर्नर नियुक्त किया था।

प्रश्न 24.
पुरन्धर की सन्धि के बारे में लिखो।
उत्तर-
पुरन्धर की सन्धि मुग़ल सेनानायक मिर्जा राजा जयसिंह तथा शिवाजी के बीच हुई। इस सन्धि के अनुसार शिवाजी ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली। उन्हें अपने 23 किले मुग़लों को देने पड़े।

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प्रश्न 25.
शिवाजी के विरुद्ध भेजे गए बीजापुर के अधिकारी का क्या नाम था और उसे किसने भेजा था ?
उत्तर-
शिवाजी के विरुद्ध भेजे गए बीजापुर के अधिकारी का नाम अफ़जल खां था। उसे बीजापुर के सुल्तान ने भेजा था।

प्रश्न 26.
शिवाजी राजगद्दी पर कब बैठे और उन्होंने कौन-सी उपाधि धारण की ?
उत्तर-
शिवाजी 1674 ई० में राजगद्दी पर बैठे और उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की।

प्रश्न 27.
बन्दा बहादुर के समय में सरहिन्द का फौजदार कौन था और उसे बन्दा बहादुर ने किस लड़ाई में मारा ?
उत्तर-
बन्दा बहादुर के समय में सरहिन्द का फौजदार वज़ीर खां था। उसे बन्दा बहादुर ने चप्परचिड़ी के युद्ध में मारा।

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प्रश्न 28.
शिवाजी ने अफ़ज़ल खां का वध कैसे किया ?
उत्तर-
अफ़जल खां शिवाजी को धोखे से मारना चाहता था। इसलिए उसने शिवाजी को अकेले मिलने के लिए कहा और साथ ही यह भी कहा कि वह उनसे सन्धि करना चाहता है, परन्तु शिवाजी उसकी चाल भांप गए। वे अपने कपड़ों के नीचे कवच पहन कर तथा बिछुआ छिपा कर अफ़जल खां से मिलने जा पहुँचे। दोनों आपस में गले मिले।

अफ़जल खां ने धोखे से शिवाजी के पेट में छुरा घोंपने की कोशिश की, परन्तु शिवाजी ने शीघ्र ही अपना बिछुआ उसके पेट में घोंप कर उसे मार डाला।

प्रश्न 29.
शिवाजी का शाइस्ता खां के साथ टकराव का वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब शिवाज़ी की बढ़ती हुई शक्ति का दमन करना चाहता था। उसने अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने दो-तीन वर्षों में ही मराठों के कई दुर्ग विजय कर लिए और पूना पर अधिकार कर लिया। शाइस्ता खां को वर्षा के कारण कुछ समय पूना में व्यतीत करना पड़ा। शिवाजी ने अवसर का लाभ उठाते हुए 400 सैनिकों सहित एक बारात के रूप में पूना में प्रवेश किया। आधी रात के समय उन्होंने शाइस्ता खां के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में शाइस्ता खां का बेटा और उसके 40 सैनिक मारे गए। इस विजय से शिवाजी के सम्मान में बड़ी वृद्धि हुई।

प्रश्न 30.
पानीपत का तीसरा युद्ध कब और किस-किस के बीच हुआ ? इस युद्ध में किस की विजय हुई ?
उत्तर-
पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 ई० में अहमदशाह अब्दाली तथा मराठों के बीच हुआ। इस युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की विजय हुई।

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प्रश्न 31.
पानीपत के तीसरे युद्ध का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
मराठों ने उत्तरी भारत में पंजाब तक अपना विस्तार कर लिया था। अफ़गानिस्तान का शासक अहमदशाह अब्दाली पंजाब के अधिकांश क्षेत्र को अपने साम्राज्य का अंग मानता था। अतः उसने मराठों को दण्ड देने के लिए उनके साथ पानीपत के मैदान में युद्ध किया।

प्रश्न 32.
पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों की पराजय का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
युद्ध में मराठों की सैनिक व्यवस्था ठीक नहीं थी। अब्दाली की चतुराई से मराठों को दक्षिण दिशा से कोई सहायता न मिल पाई। अतः वे पराजित हुए।

प्रश्न 33.
पानीपत के तीसरे युद्ध का एक परिणाम लिखिए।
उत्तर-
इस युद्ध से मराठा शक्ति का अन्त हो गया। उनके अनेक वीर सैनिक तथा सेनापति मारे गए।

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प्रश्न 34.
पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु कब हुई ? उसकी मृत्यु का क्या कारण था ?
उत्तर-
पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु 1761 ई० में हुई। पानीपत के तीसरे युद्ध में मसठों की पराजय उसकी मृत्यु का मुख्य कारण था।

प्रश्न 35.
उत्तरकालीन मुग़लों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारी उत्तरकालीन मुग़ल कहलाते हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

बहादुर शाह प्रथम (1707-1712)-मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ने छ: वर्ष तक राज्य किया। परन्तु वह मराठों तथा सिक्खों पर काबू न पा सका। 1712 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

जहांदार शाह-बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जहांदार शाह राजगद्दी पर बैठा। उसने कुछ ही महीनों तक शासन किया। उसके राज्यकाल में दो सैयद भाई हुसैन अली तथा अब्दुल बहुत ही शक्तिशाली हो गए थे। वे जहांदार शाह को अपने हाथों की कठपुतली बनाना चाहते थे। परन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल न हो सके। अत: उन्होंने जहांदार शाह का वध कर दिया।

फरुख्सीयर (1713-1719 ई०)-जहांदार की मृत्यु के पश्चात् उसका भतीजा फरुख्सीयर शासक बना। वह केवल नाम मात्र का ही राजा था। राज्य का वास्तविक शासन हुसैन अली तथा अब्दुल के हाथ में ही था, जिन्हें सैयद भाई कहा जाता था। 1719 ई० में सैयद भाइयों ने उसका भी वध कर दिया।

मुहम्मदशाह-मुहम्मदशाह अगला प्रसिद्ध मुग़ल शासक था। उसने 1719 से 1748 ई० तक शासन किया। उसके शासनकाल में सैयद भाइयों का प्रभाव समाप्त हो गया। परन्तु उसने साम्राज्य को संगठित करने का प्रयास नहीं किया। अतः शक्तिशाली गवर्नरों ने देश के भिन्न-भिन्न भागों में अपने स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिए।

बहादुरशाह ज़फ़र-बहादुरशाह ज़फ़र अन्तिम मुग़ल बादशाह था। उसे 1858 ई० में अंग्रेज़ों ने गद्दी से उतार कर मुग़ल साम्राज्य का अन्त कर दिया।

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प्रश्न 36.
बंगाल राज्य के उत्थान और पतन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बंगाल मुग़ल साम्राज्य का एक समृद्ध प्रान्त था। यहां का सूबेदार मुर्शिद कुली खां था। औरंगज़ेब की मृत्यु के पश्चात् बंगाल पर मुगलों का नियन्त्रण कमज़ोर पड़ गया। अवसर का लाभ उठा कर मुर्शिद कुली खां ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया। विभिन्न शासकों के अधीन बंगाल राज्य के विकास का वर्णन इस प्रकार है –

1. मुर्शिद कुली खां-मुर्शिद कुली खां बंगाल राज्य का संस्थापक था। उसने 1714 से 1718 ई० के बीच बिहार तथा उड़ीसा को अपने राज्य में मिला कर अपनी शक्ति और भी बढ़ा ली।

2. अन्य शासक-बंगाल के अन्य प्रसिद्ध शासक शुजाउद्दीन (1727-39), सरफराज (1739) तथा अलीवर्दी खां (1740-56 ई०) थे। इन सभी शासकों ने राज्य में शान्ति व्यवस्था स्थापित की। उन्होंने कृषि, व्यापार और उद्योगों की उन्नति के लिए भी कार्य किया। इस प्रकार बंगाल राज्य काफ़ी समृद्ध हो गया।

3. राज्य का पतन-बंगाल के शासकों ने राज्य की समृद्धि के लिए कार्य अवश्य किए, परन्तु राज्य की सुरक्षा की ओर कोई ध्यान न दिया। परिणामस्वरूप बंगाल राज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 37.
हैदराबाद का स्वतन्त्र राज्य के रूप में उदय एवं विकास का वर्णन कीजिए। इस राज्य का पतन कैसे हुआ?
अथवा
हैदराबाद के शासक निजामुलमुल्क आसफजाह की प्रमुख सफलताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हैदराबाद मुग़ल साम्राज्य के अधीन दक्षिणी भारत का एक प्रान्त था। 1724 ई० में वहां निज़ामुलमुल्क आसफजाह ने स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। उसने तत्कालीन मुग़ल शासक मुहम्मद शाह के प्रति अपनी स्वामी भक्ति अवश्य दिखाई परन्तु यह सब कुछ दिखावा मात्र ही था।

आसफजाह की सफलताएं-आसफजाह एक सफल शासक था। उसने राज्य में शान्ति-व्यवस्था स्थापित की और शासन-प्रबन्ध में अनेक सुधार किए। उसने अपनी हिन्दू प्रजा के साथ अच्छा व्यवहार किया। उसने अपनी सेना को भी शक्तिशाली बनाया और शक्तिशाली मराठों से अपने राज्य की रक्षा की। 1748 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

राज्य का पतन-आसफजाह के उत्तराधिकारी बड़े कमज़ोर और अयोग्य थे। अत: वे अधिक समय तक अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा न कर सके।

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प्रश्न 38.
बन्दा बहादुर पर नोट लिखो।
उत्तर-
बन्दा बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को पुंछ (जम्मू) में हुआ था। उसका वास्तविक नाम लक्ष्मणदास था। वह दक्षिण में गुरु गोबिन्द सिंह जी के सम्पर्क में आया। गुरु जी से प्रभावित होकर वह स्वयं को गुरु जी का बन्दा कहने लगा। गुरु साहिब ने उसे ‘बहादुर’ की उपाधि दी। इस प्रकार वह बन्दा बहादुर कहलाने लगा। गुरु जी का आदेश पा कर वह पंजाब आया और उसने सिक्खों का नेतृत्व किया। उसने मुग़लों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया। उसने सरहिन्द के फौजदार वज़ीर खां से गुरु पुत्रों की हत्या का बदला लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया। वास्तव में उसने हर उस स्थान को जीतने का प्रयास किया जहां के शासकों ने गुरु जी को कष्ट देने का प्रयास किया था। परन्तु अन्त में वह पकड़ा गया। 9 जून, 1716 ई० में उसे तथा उसके 25 प्रमुख साथियों को दिल्ली में शहीद कर दिया गया। उसकी शहीदी पंजाब के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी।

प्रश्न 39.
औरंगजेब के शासनकाल में जाटों तथा राजपूतों के विद्रोह के बारे में लिखो।
उत्तर-
औरंगजेब का शासनकाल अत्यन्त अशान्तिपूर्ण रहा। इसका कारण था औरंगजेब की अनुचित नीतियों के कारण होने वाले विद्रोह। इन विद्रोहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. जाट-जाटों ने 1669 ई० में विद्रोह किया। उन्होंने मुग़ल फौजदार को मार डाला। सम्राट ने जाटों के विद्रोह को बड़ी कठोरता से दबाया। परन्तु जाट औरंगज़ेब के शासनकाल में उत्पात मचाते रहे और सम्राट् उन्हें न रोक सका।

2. राजपूत-अकबर के समय में राजपूतों और मुग़लों में मित्रतापूर्ण सम्बन्ध थे। परन्तु औरंगजेब ने अपनी कट्टर धार्मिक नीति के कारण उन्हें भी अपना विरोधी बना लिया। फलस्वरूप औरंगज़ेब को मेवाड़ और मारवाड़ के राजपूतों से एक लम्बे युद्ध में उलझना पड़ा। मारवाड़ के वीर दुर्गादास ने छापामार लड़ाई द्वारा मुग़लों को बड़ी क्षति पहुँचाई।

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प्रश्न 40.
मराठों (शिवाजी) की शासन व्यवस्था की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
शिवाजी ने एक स्वतन्त्रं मराठा राज्य स्थापित किया था। उन्होंने अपने राज्य में एक कुशल शासन-व्यवस्था की नींव रखी। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

1. राजा-सारे शासन का मुखिया राजा था। उसे ‘छत्रपति’ कहते थे। राजा के अनेक अधिकार थे। वह अपनी इच्छा से कोई भी शासन-सम्बन्धी कार्य कर सकता था। उसने अपनी सहायता के लिए अष्ट-प्रधान नामक परिषद् नियुक्त की हुई थी।

2. अष्ट-प्रधान-शिवाजी ने अपनी सहायता के लिए आठ मन्त्री नियुक्त किए हुए थे। इन मन्त्रियों के समूह को अष्ट-प्रधान कहा जाता था। सबसे बड़े मन्त्री को पेशवा कहते थे।

3. भूमि का प्रबन्ध-सैनिकों के वेतन तथा अन्य खर्चों के लिए शिवाजी ने नए सिरे से भूमि का प्रबन्ध किया। उन्होंने सारी भूमि को फिर से नपवाया और उपज के अनुसार भूमिकर निश्चित किया। मराठों की कर व्यवस्था में चौथ तथा सरदेशमुखी दो प्रमुख कर थे। चौथ नामक कर मुग़ल क्षेत्रों से लोगों की सुरक्षा के बदले वसूल किया जाता था।

4. न्याय प्रबन्ध-शिवाजी बड़े न्यायप्रिय थे। उन्होंने न्याय के लिए पंचायतों की व्यवस्था की।

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सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
मैसूर के शासक हैदरअली के उत्तराधिकारी को मैसूर का टाइगर’ कहा जाता है। उसका नाम बताइए।
(i) टीपू सुल्तान
(ii) शुजाउद्दौला
(iii) सफदरजंग।
उत्तर-
(i) टीपू सुल्तान।

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प्रश्न 2.
चित्र में दिखाए गए मराठा शासक की बढ़ती हुई शक्ति को नष्ट करने का प्रयास किसने किया?
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(i) अंग्रेजों ने
(ii) हैदर अली ने
(iii) औरंगजेब ने।
उत्तर-
(iii) औरंगजेब ने।

प्रश्न 3.
सवाई राजा जयसिंह ने निम्न में से क्या बनवाया?
(i) जंतर-मंतर
(ii) विशाल मन्दिर
(iii) सुन्दर राजदरबार।
उत्तर-
(i) जंतर-मंतर।

प्रश्न 4.
नीचे अन्तिम मुगल बादशाह का चित्र दिया गया है। इसका क्या नाम था ?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 17 18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना 4
(i) जहांदार शाह
(ii) बहादुर शाह ज़फ़र
(iii) मुहम्मद शाह।
उत्तर-
(i) बहादुर शाह जफ़र।

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18वीं शताब्दी में भारत में नए राज्यनीतिक शक्तियों की स्थापना PSEB 7th Class Social Science Notes

  • नवीन राज्यों का उदय – 18वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के खंडहरों पर अनेक नए राज्यों का उदय हुआ। इनमें से मुख्य राज्य थे-बंगाल, हैदराबाद, अवध, पंजाब, मैसूर तथा मराठा राज्य।
  • मराठा – मुग़लों के पतन के बाद भारत की सबसे शक्तिशाली जाति का नाम।
  • अष्ट प्रधान – शिवाजी के शासन काल के आठ मन्त्रियों की परिषद्।
  • पेशवा – अष्ट प्रधान का मुखिया।
  • पंजाब (सिक्ख) – पंजाब में दस गुरुओं ने सिक्ख पंथ का विकास किया। दसवें. गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा की स्थापना द्वारा उन्हें सैनिक रूप दिया। बाद में बंदा बहादुर ने पंजाब में सिक्ख राज्य की स्थापना की।
  • बंगाल – बंगाल में मुग़ल सूबेदार मुर्शिद कुली खां ने स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। अन्त में यह राज्य अंग्रेज़ों के अधीन हो गया।
  • अवध – अवध में स्वतन्त्र राज्य का संस्थापक सआदत खां था। अवध के नवाबों ने ‘लखनवी संस्कृति’ को जन्म दिया।
  • मैसूर – मैसूर में 1761 ई० में हैदरअली ने स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। उसने मैसूर के हिन्दू राजा नंजाराज से सत्ता छीनी।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

PSEB 7th Class Agriculture Guide फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
धान-गेहूँ फसली चक्र वाले खेतों में आने वाले किसी एक खरपतवार का नाम लिखो।
उत्तर-
गुल्ली डंडा।

प्रश्न 2.
गेहूँ में चौड़ी पत्ती वाला कौन-सा खरपतवार आता है ?
उत्तर-
मैना, मैनी, तकला, जंगली पालक।

प्रश्न 3.
धान में कौन-सा खरपतवार आता है ?
उत्तर-
सवांक, मोथा, घरिल्ला, सनी।

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प्रश्न 4.
फसल और खरपतवार उगने से पहले कौन-से खरपतवार-नाशक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
ट्रेफलान।

प्रश्न 5.
खड़ी फसल में जब खरपतवार उगे हों, तब कौन-से खरपतवार-नाशक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
टोपिक।

प्रश्न 6.
सुरक्षित हुड लगाकर कौन-से खरपतवार-नाशक का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
राऊंड अप।

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प्रश्न 7.
गुडाई में काम आने वाले दो खेती यंत्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
खुरपा, कसौला, व्हील हो, त्रिफाली।

प्रश्न 8.
खरपतवार को काबू करने के लिए उपयोग में आने वाले कोई एक काश्तकारी ढंग का नाम लिखो।
उत्तर-
फसलों की अदला-बदली।

प्रश्न 9.
खरपतवार-नाशकों के छिड़काव के लिए उपयोग में आने वाली नोज़ल का नाम लिखो।
उत्तर-
फ्लैट फैन या फ्लड जैट नोज़ल।

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प्रश्न 10.
क्या एक खेत में लगातार एक ही किस्म के खरपतवार-नाशक का छिड़काव करना चाहिए ?
उत्तर-
एक ही किस्म के खरपतवार-नाशकों का छिड़काव नहीं करना चाहिए।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
खरपतवार क्या होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य फसल में उगे अवांछित, पौधे जो फसल की काश्त के साथ उग जाते हैं तथा फसल का भोजन, पानी तथा प्रकाश खींच लेते हैं उन्हें खरपतवार कहा जाता है।

प्रश्न 2.
घास वाले खरपतवारों की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर-
घास वाले खरपतवारों के पत्ते लम्बे, पतले तथा नाडियां सीधी लम्बी-लम्बी होती हैं।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम

प्रश्न 3.
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर-
इन खरपतवारों के पत्ते चौड़े होते हैं तथा नाड़ियों का समूह होता है।

प्रश्न 4.
फसलों में खरपतवारों की किस्म और बहुलता किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
खरपतवारों की किस्म तथा बहुलता फसली चक्र, खादों की मात्रा, पानी के साधन, मिट्टी की किस्म पर निर्भर करती है।

प्रश्न 5.
गुडाई करने में कौन-सी मुश्किलें आती हैं ?
उत्तर-
गुडाई महंगी पड़ती है, समय भी अधिक लगता है, कई बार गुडाई करने के लिए मज़दूर नहीं मिलते तथा सावन की ऋतु में वर्षा के कारण गुडाई करनी संभव नहीं होती।

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प्रश्न 6.
खरीफ के खरपतवार बड़ी समस्या क्यों पैदा करते हैं ?
उत्तर-
खरीफ की फसलों के समय वर्षा अधिक होने के कारण पानी की कमी नहीं आती तथा खरपतवार बढ़िया ढंग से फलते-फूलते हैं, इसलिए एक बड़ी समस्या पैदा करते हैं।

प्रश्न 7.
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव कैसे मौसम में करना चाहिए ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव शांत मौसम वाले दिन करना चाहिए तथा जब हवा न चलती हो।

प्रश्न 8.
गेहूँ में गुल्ली डंडे की रोकथाम काश्तकारी ढंग से कैसे की जाती है ?
उत्तर-
गेहूँ में गुल्ली डंडे की रोकथाम काश्तकारी ढंग से की जा सकती है। इसमें फसलों की अदला-बदली कर के इस खरपतवार की रोकथाम की जा सकती है।

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प्रश्न 9.
रबी की फसलों में आने वाले खरपतवारों के नाम लिखो।
उत्तर-
रबी की फसलों में गुल्ली डंडा, जौंघर, जंगली जवी, मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, बटन बूटी, जंगली मटरी, बिल्ली बूटी, तकला, पित्त पापड़ा आदि।

प्रश्न 10.
खरपतवार फसलों से कौन-कौन से ऊर्जा-स्रोतों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं ?
उत्तर-
खरपतवार खादों, पानी, सूर्य के प्रकाश, भोजन आदि ऊर्जा स्रोतों के लिए फसलों से प्रतिस्पर्धा (मुकाबला) करते हैं।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
फसलों में खरपतवारों की रोकथाम करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
फसलों में कुछ अवांछित तथा अनावश्यक पौधे अपने आप उग पड़ते हैं जिन्हें खरपतवार कहा जाता है। इनका खेतों में मुख्य फसल के साथ उगना हानिकारक होता है। यह मुख्य फसल के साथ खादों, पानी, सूर्य के प्रकाश पोषक तत्त्वों को लेने के लिए मुकाबला करते हैं। खरपतवारों के कारण मुख्य फसलों की गुणवत्ता पर खराब प्रभाव पड़ता है तथा इसकी पैदावार भी कम हो जाती है। इसलिए फसलों में नदीनों (खरपतवारों) की रोकथाम करना ज़रूरी है।

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प्रश्न 2.
काश्तकारी ढंग से खरपतवारों को कैसे काबू किया जा सकता है ?
उत्तर-
खरपतवारों को काबू करने के लिए कई बार काश्तकारी ढंग का प्रयोग किया जाता है। कई खरपतवार एक ही फसल के बोने पर आते हैं, ऐसा इसलिए होता है कि खरपतवार की प्राथमिक आवश्यकताएं इसी मुख्य फसल से पूरी होती हैं। जैसे गेहूँ की फसल में गुल्ली डंडा। ऐसे खरपतवार की रोकथाम के लिए फसलों की अदला-बदली करके बुआई की जाती है। अधिक फैलने वाली फसलों को बोकर तथा उनकी दोहरी रौणी बोई जाए तो भी खरपतवार कम होते हैं। खाद को छींटा (छट्टा) की बजाय पोरा करने से, दोनों ओर बिजाई करने से, सियाड़ों में फासला घटाने से भी नदीनों पर काबू करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
खरपतवार-नाशक क्या होते हैं और इनके उपयोग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
यह रासायनिक दवाइयां होती हैं, जो खरपतवारों को मार देती हैं । यह खरपतवारों की रोकथाम का एक प्रभावशाली ढंग है। इसमें फसल में खरपतवार जमने से पहले ही मारे जा सकते हैं, इस तरह यह फसल के साथ खाद, हवा, पानी, प्रकाश, पोषक तत्त्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के योग्य नहीं रहते तथा इस तरह फसल की पैदावार भी बढ़ती है और गुणवत्ता भी परन्तु इन दवाइयों का अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 4.
उपयोग के समय के अनुसार खरपतवार-नाशकों की कितनी श्रेणियां हैं ?
उत्तर-
उपयोग के समय के अनुसार खरपतवार-नाशक की चार श्रेणियां होती हैं—

  1. बुआई के लिए खेत तैयार करके फसल बोने से पहले उपयोग
  2. फसल उगने से पहले उपयोग
  3. खड़ी फसल में उपयोग
  4. खाली स्थान पर उपयोग।

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प्रश्न 5.
खरपतवार-नाशकों का छिड़काव करते समय कौन-सी सावधानियां रखनी चाहिएं ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशक के छिड़काव के समय सावधानियां—

  1. खरपतवारों के प्रयोग के समय हाथों में दस्ताने अवश्य पहनने चाहिएं।
  2. खरपतवार दवाइयों के छिड़काव के लिए सदा फ्लैट फैन या फ्लड जैट नोज़ल का प्रयोग करना चाहिए।
  3. खरपतवार-नाशकों का प्रयोग शांत मौसम वाले दिन ही करना चाहिए।
  4. फसल उगने से पहले प्रयोग किए जाने वाले खरपतवार-नाशकों का प्रयोग सुबह या शाम के समय ही करना चाहिए, दोपहर के समय नहीं करना चाहिए।
  5. खरपतवार-नाशकों को बच्चों से दूर ताले में रखना चाहिए।
  6. खरपतवार-नाशकों को खरीदते समय दुकानदार से पक्का बिल अवश्य ही लें।
  7. खरपतवार-नाशकों का घोल छिड़काव वाले पम्प में डालने से पहले ही तैयार करना चाहिए।
  8. खरपतवार-नाशकों का छिड़काव सारी फसल के ऊपर एक जैसा करना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 7 PSEB फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घास वाले खरपतवारों में नाड़ियां कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर-
लम्बी तथा सीधी।

प्रश्न 2.
चौड़े पत्ते वाले खरपतवार की नाड़ियां कैसी होती हैं ?
उत्तर-
इनमें नाड़ियों का समूह होता है।

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प्रश्न 3.
खरीफ की फसल में खरपतवारों के कारण पैदावार कितनी कम हो जाती है ?
उत्तर-
20-25%.

प्रश्न 4.
कद् किए धान के खेत में कुछ खरपतवार बताओ।
उत्तर-
संवाक, मोथा, कनकी।

प्रश्न 5.
खरीफ की कुछ अन्य फसलों में खरपतवार बताएं।
उत्तर-
खब्बल घास, कौआ मक्की, सलारा, मकरा।

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प्रश्न 6.
धान फसली चक्र वाले खेतों में कौन-सा खरपतवार अधिक होता है ?
उत्तर-
गुल्ली डंडा/सिट्टी खरपतवार।

प्रश्न 7.
रबी में दूसरे फसली चक्रों में कौन-से खरपतवार होते हैं ?
उत्तर-
जौंधर/जंगली जई आदि।

प्रश्न 8.
गेहूँ में कौन-से खरपतवार देखे जा सकते हैं ?
उत्तर-
मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, तकला आदि।

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प्रश्न 9.
खरपतवारों की रोकथाम के लिए कितने ढंग हैं ?
उत्तर-
तीन, गुडाई, काश्तकारी ढंग, खरपतवार-नाशक दवाइयां।

प्रश्न 10.
खरपतवार पैदा होने से पहले प्रयोग किए जाने वाले खरपतवारनाशकों के नाम बताओ।
उत्तर-
ट्रेफ्लान।

प्रश्न 11.
बुवाई से 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर छिड़काव किए जाने वाले नदीननाशक बताओ।
उत्तर-
स्टोंप।

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प्रश्न 12.
खड़ी फसल में नदीनों के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
टोपिक।

प्रश्न 13.
सुरक्षित हुड्ड लगा कर कौन-सा खरपतवार-नाशक प्रयोग किया जाता
उत्तर-
राऊंड अप।

प्रश्न 14.
फसल उगने से पहले खरपतवार-नाशक किस समय छिड़कना चाहिए ?
उत्तर-
सुबह या शाम के समय।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
धान-गेहूँ फसली चक्र में गुल्ली डंडा के फलने-फूलने का क्या कारण
उत्तर-
धान-गेहूँ का फसली चक्र इसके फलने-फूलने के लिए अनुकूल परिस्थिति देता है।

प्रश्न 2.
खरपतवार की गुडाई करके काबू करने के लिए कौन-से यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
खुरपा, कसौला, व्हील हो, त्रिफाली या ट्रैक्टर से चलने वाले हल, टिल्लर।

प्रश्न 3.
खाद डालने का ढंग, बुआई का ढंग आदि से खरपतवारों की रोकथाम करने का क्या ढंग हैं ?
उत्तर-
खाद को छींटे के स्थान पर पोरे से डालना, दोनों तरफ बुआई करना, सियाडों में फासला कम करना आदि से खरपतवारों की रोकथाम की जा सकती है।

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प्रश्न 4.
खरपतवार-नाशक क्या हैं ?
उत्तर-
खरपतवार-नाशक रासायनिक दवाइयां हैं जो खरपतवारों को मार देती हैं, परन्तु मुख्य फसल को नुकसान नहीं करतीं।

प्रश्न 5.
खरपतवार-नाशकों का प्रयोग किसकी सिफ़ारिश से तथा कितना तथा कब करना चाहिए ?
उत्तर-
इन दवाइयों का प्रयोग पी०ए०यू० लुधियाना की सिफारिशों के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर तथा उचित मात्रा में समय पर ही करना चाहिए। इनके अनावश्यक उपयोग से बचना चाहिए।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
खरपतवारों की रोकथाम के दो ढंग विस्तारपूर्वक बताएं।
उत्तर-
खरपतवारों की रोकथाम के लिए गुडाई, काश्तकारी ढंग, खरपतवार-नाशकों का प्रयोग किया जाता है।
गुडाई-खरपतवारों को गुडाई करके समाप्त किया जा सकता है। इस कार्य के लिए खुरपा, कसौली, व्हील हो, त्रिफाली, ट्रैक्टर से चलने वाले हल का प्रयोग किया जाता है। परन्तु गुडाई सही समय तथा सही ढंग से करनी चाहिए। इस ढंग के कुछ नुकसान भी हैं; जैसे-कई बार गुडाई करने के लिए मज़दूर नहीं मिलते, वर्षा में गुडाई करनी मुश्किल होती है। यह ढंग महंगा है तथा समय भी अधिक लगता है।

खरपतवार-नाशकों का प्रयोग-ये रासायनिक दवाइयां हैं जो खरपतवारों को नष्ट कर देती हैं परन्तु मुख्य फसल को हानि नहीं पहुंचाते। भिन्न-भिन्न फसलों में भिन्न-भिन्न खरपतवारों के लिए तथा खरपतवारों के उगने के समय के अनुसार भिन्न-भिन्न खरपतवारनाशकों का प्रयोग किया जाता है। यह दवाइयां कुछ सीमा तक ज़हरीली होती हैं तथा इनका प्रयोग पी.ए.यू. लुधियाना की सिफारिशों के अनुसार ही आवश्यकता अनुसार करना चाहिए। एक ही खरपतवार-नाशक का एक ही खेत में लगातार प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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फसलों में खरपतवार और उनकी रोकथाम PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • मुख्य फसल में उगे अवांछित पौधे जो फसल की काश्त के साथ उगते हैं तथा भोजन खाते हैं, उन्हें खरपतवार कहते हैं।
  • खरपतवार के कारण फसल की पैदावार कम होती है तथा इसकी गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • खरपतवार को दो भागों में बांटा गया है।
  • घास वाले खरपतवार के पत्ते लम्बे, पतले तथा नाड़ियां सीधी तथा लम्बी होती
  • चौड़े पत्तों वाले खरपतवार के पत्ते चौड़े तथा नाड़ियों का समूह होता है।
  • सावन में वर्षा आम होती रहती है इसके कारण खरपतवार एक बड़ी समस्या पैदा करते हैं। इनको पानी की कोई कमी नहीं होती तथा अधिक फलते-फूलते हैं।
  • खरीफ ऋतु में कद्रू किए धान के खेत में खरपतवार हैं-घरिल्ला, सावंकी, सवांक, सनी, कनकी, मोंथा आदि।
  • खरीफ ऋतु के अन्य खरपतवार हैं-बलवती घास, कुत्ता घास, मकरा, मधाना, अरैकनी घास, खब्बल घास, कौआ मक्की, बरु, डिला, सलारा, माकरू बेल
    चौलाई, तांदला आदि।
  • रबी की फसलों में गुल्ली डंडा, जौंधर, जंगली जवी, मैना, मैनी, जंगली पालक, कंटीली पालक, बटन बूटी, जंगली मटरी, बिल्ली बूटी, तकला, पित्त पापड़ा आदि।
  • गुल्ली डंडा गेहूँ में बहुत नुकसान करता है।
  • खरपतवार की रोकथाम के ढंग हैं-गुडाई करना, फसलों की अदला-बदली, खरपतवार-नाशक दवाइयों का प्रयोग।
  • स्टौंप जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग बुवाई के 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर किया जाता है।
  • टोपिक जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग जब खड़ी फसल में खरपतवार उगे हों, तब किया जाता है।
  • राऊंड अप जैसे खरपतवारनाशक का प्रयोग नोज़ल को ढककर सीधे ही खरपतवार पर किया जाता है।
  • कई खरपतवारनाशक ज़हरीले होते हैं। इसलिए इनका प्रयोग करते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग

PSEB 7th Class Agriculture Guide कृषि में पानी का कुशल प्रयोग Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
पंजाब का कितना क्षेत्रफल कृषि के अधीन है ?
उत्तर-
41.58 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 2.
दरम्यानी जमीन में प्रति एकड़ कितने क्यारे होने चाहिए ?
उत्तर-
तीन से चार इंच वाले ट्यूबवैल के लिए 10 से 11 क्यारे प्रति एकड़।

प्रश्न 3.
धान लगाने के लिए कितने दिन पानी खेत में खड़ा रखना चाहिए ?
उत्तर-
15 दिन।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग

प्रश्न 4.
गेहूँ की काश्त के लिए पहले पानी कम लगाने के लिए कौन-सी ड्रिल का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
जीरो टिल ड्रिल की।

प्रश्न 5.
लेज़र लेवलर द्वारा फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि होती है ?
उत्तर-
25-30%.

प्रश्न 6.
खेतों में पानी की कार्यक्षमता कितनी नापी गई है ?
उत्तर-
35-40%.

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग

प्रश्न 7.
पंजाब की मुख्य फसलें कौन-सी हैं ?
उत्तर-
गेहूँ तथा धान।

प्रश्न 8.
धान में उचित सिंचाई के लिए कौन-से यंत्र का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
टैंशियोमीटर।

प्रश्न 9.
कम पानी लेने वाली किन्हीं दो फसलों के नाम लिखो।
उत्तर-
तेल बीज फसलें, कपास।

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प्रश्न 10.
फसलों पर पराली की परत बिछाने से वाष्पीकरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
वाष्पीकरण कम होता है।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
टैंशियोमीटर का प्रयोग कैसे करना चाहिए ?
उत्तर-
यह एक यन्त्र है जोकि कांच की पाइप से बना है, इसको फसल वाली भूमि में गाड़ दिया जाता है। इसमें पानी का स्तर जब हरी पट्टी से पीली पट्टी में पहुंच जाता है तो ही खेत में पानी दिया जाता है।

प्रश्न 2.
जीरो टिल डिल का क्या लाभ है ?
उत्तर-
जीरो टिल ड्रिल का प्रयोग करने से पहले हल्का पानी लगाने की आवश्यकता पड़ती है जिससे पानी की बचत हो जाती है।

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प्रश्न 3.
लेज़र लेवलर (कंप्यूटर कराहा) का क्या लाभ है ?
उत्तर-
इससे समतल किए खेत में 25-30% पानी की बचत होती है तथा उपज भी 15-20% बढ़ती है।

प्रश्न 4.
हमें कौन-सी फसलों की काश्त मेड़ों पर करनी चाहिए ?
उत्तर-
जिन फसलों में पौधे से पौधे का फासला अधिक होता है; जैसे-कपास, सूर्यमुखी, मक्का आदि। इन फसलों की खेती समतल खेत के स्थान पर मेड़ों पर करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
फव्वारा और बूंद-बंद सिंचाई के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
फव्वारा तथा बूंद-बूंद सिंचाई से पानी की बहुत बचत होती है तथा फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 6.
मल्चिग क्या होती है ?
उत्तर-
कई फसलें : जैसे-मक्का, गन्ना आदि में पराली की परत बिछाने से वाष्पीकरण कम हो जाता है, पानी का प्रयोग कम होता है तथा पानी की बचत हो जाती है। इस को मल्चिग कहा जाता है।
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग 1
चित्र-मल्चिग

प्रश्न 7.
सिंचाई के लिए प्रयोग में आने वाले भिन्न-भिन्न तरीकों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. खेतों में खुला पानी देना
  2. बूंद-बूंद (ड्रिप) सिंचाई
  3. फव्वारा सिंचाई
  4. बैड्ड बनाकर सिंचाई
  5. मेड़ या नाली बना कर सिंचाई।

प्रश्न 8.
सिंचाई वाले क्यारों का आकार किन बातों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
क्यारों का आकार, मिट्टी की किस्म, ज़मीन की ढलान, ट्यूबवैल के पानी का निकास आदि पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 9.
वर्षा के पानी को कैसे संरक्षित किया जा सकता है ?
उत्तर-
गांव में छप्पड़ (जौहड़) खोदने चाहिएं तथा जौहड़ का पानी सिंचाई आपूर्ति कृषि में पानी का कुशल प्रयोग के लिए प्रयोग करना चाहिए। सूखे पड़े नलकों तथा कुओं को भी वर्षा के पानी की आपूर्ति करने के लिए प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 10.
कृषि-विभिन्नता द्वारा पानी की बचत कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
पंजाब में सावनी की मुख्य फसल धान तथा आषाढ़ी की मुख्य फसल गेहूँ की खेती की जाती है तथा इन्हें पानी की बहुत मात्रा में आवश्यकता पड़ती है। यदि ऐसी फसलें जिनको कम पानी की आवश्यकता है, जैसे-मक्का, तेल बीज फसलें, दालें, बासमती, कपास, जौ आदि की कृषि की जाए तो भूमिगत जल लम्बे समय तक बचा रह सकता है।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें :

प्रश्न 1.
धान की काश्त में पानी की बचत कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
धान में पहले 15 दिन पानी खड़ा रखने के बाद 2-2 दिन के अन्तर । पर सिंचाई करने से लगभग 25% पानी बच सकता है। धान की सिंचाई के लिए टैंशियोमीटर का प्रयोग करने से भी पानी की बचत हो जाती है।
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग 2
चित्र-टॅशियोमीटर
यह एक कांच की पाइप से बना यंत्र है। इसको ज़मीन में गाड़ दिया जाता है। इसमें पानी का स्तर जब हरी पट्टी से पीली पट्टी में चला जाता है तभी पानी दिया जाता है।

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प्रश्न 2.
खेती में पानी के उचित प्रयोग के पाँच ढंग बताएं।
उत्तर-
खेती में पानी की बचत के ढंग—

  1. धान में टैंशियोमीटर यंत्र का प्रयोग करके पानी की बचत की जा सकती है।
  2. गेहूँ में जीरो टिल ड्रिल का प्रयोग करने से पहले हल्का पानी लगाने की आवश्यकता पड़ती है तथा पानी की बचत हो जाती है।
  3. लेज़र लेवलर से समतल किए खेत में 25-30% पानी की बचत हो जाती है तथा पैदावार 15-20% बढ़ती है।
  4. जिन फसलों में पौधे से पौधे का फासला अधिक होता है ; जैसे-कपास, सूर्यमुखी, मक्का आदि। इन फसलों को समतल खेत की जगह मेड़ों पर बोना चाहिए।
  5. फव्वारा तथा ड्रिप सिंचाई से पानी की बहुत बचत होती है तथा फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  6. कई फसलें जैसे-मक्का, गन्ना आदि में पराली की परत बिछाने से वाष्पीकरण कम होता है, पानी का प्रयोग कम होता है तथा पानी की बचत हो जाती है। इसको मल्चिंग कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अलग-अलग ज़मीन के लिए प्रति एकड़ कितने क्यारे बनाने चाहिएं ?
उत्तर-
यदि ट्यूबवैल का आकार 3-4 इंच हो तथा रेतली ज़मीन हो तो क्यारों की संख्या 17-18, दरम्यानी ज़मीन के लिए 10-11 तथा भारी जमीन के लिए 6-7 क्यारे प्रति एकड़ होने चाहिएं।

प्रश्न 4.
वर्षा के पानी के संरक्षण के लिए क्या उपाय कर सकते हैं ?
उत्तर-
मध्य पंजाब के 30% से अधिक क्षेत्र में पानी का स्तर 70 फुट से भी नीचे हो गया है तथा एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक यह स्तर 160 फुट से भी नीचे हो जाएगा। इसलिए वर्षा के पानी को बचाने की बहुत आवश्यकता है। इस काम के लिए आम लोग तथा सरकार को मिलकर काम करने की आवश्यकता भी है तथा अपने स्तर पर भी यह काम करना चाहिए। हमें गांव में जौहड़ खोदने चाहिएं। जौहड़ों के पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए करना चाहिए। हमें सूख चुके नलकों तथा कुओं को भी वर्षा के पानी की पूर्ति करने के लिए प्रयोग करना चाहिए।
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग 3
चित्र-पुराने सूखे कुओं द्वारा बारिश के पानी की पूर्ति

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प्रश्न 5.
कृषि-विभिन्नता से पानी की बचत पर संक्षेप नोट लिखो।
उत्तर-
यह समय की मांग है कि हम जिस तरह भी हो पानी को बचाएं क्योंकि भूमिगत पानी का स्तर 70 फुट नीचे तक पहुंच गया है जोकि एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक 160 फुट से भी नीचे पहुँच जाएगा। इसलिए पानी बचाने के उपाय करने चाहिएं। इन उपायों में एक है कृषि विभिन्नता।

पंजाब में मुख्य फसलें गेहूँ तथा धान ही रही हैं तथा इनको पानी की बहुत आवश्यकता रहती है। इसलिए अब ऐसी फसलें लगाने की आवश्यकता है जिन्हें कम पानी की आवश्यकता हो, जैसे-दालें, तेल बीज, जौ, मक्का, बासमती, कपास आदि। इस प्रकार कृषि विभिन्नता लाकर हम पानी की बचत कर सकते हैं तथा पानी को लम्बे समय तक बचा सकते हैं।

Agriculture Guide for Class 7 PSEB कृषि में पानी का कुशल प्रयोग Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कुल कृषि के अधीन क्षेत्रफल में से पंजाब में कितने प्रतिशत क्षेत्रफल सिंचित है ?
उत्तर-
98%.

प्रश्न 2.
पंजाब में फसल घनत्व को मुख्य रखते हुए वार्षिक औसतन पानी की आवश्यकता बताएं।
उत्तर-
4.4 मिलियन हैक्टेयर मीटर।

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प्रश्न 3.
पंजाब में आज कितने पानी की कमी है ?
उत्तर-
1.3 मिलियन हैक्टेयर मीटर।।

प्रश्न 4.
पंजाब में ट्यूबवैल से कितनी सिंचाई होती है ?
उत्तर-
तीन चौथाई के लगभग।

प्रश्न 5.
पंजाब में नहरों के द्वारा लगभग कितनी सिंचाई होती है ?
उत्तर-
लगभग एक चौथाई।

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प्रश्न 6.
मध्य पंजाब के 30% क्षेत्र में भूमिगत पानी का स्तर कहां पर है ?
उत्तर-
70 फुट से भी नीचे।

प्रश्न 7.
वर्ष 2023 तक भूमिगत जल का स्तर कितना हो जाने की उम्मीद है ?
उत्तर-
160 फुट से भी नीचे।

प्रश्न 8.
पानी का कुशलता से प्रयोग क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि पानी के स्रोत सीमित हैं।

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प्रश्न 9.
दरम्यानी भूमि में कितने क्यारे बनाने चाहिएं ?
उत्तर-
यदि ट्यूबवैल 3 से 4 इंच का हो तो 10 से 11 क्यारे प्रति एकड़ बनाने चाहिएं।

प्रश्न 10.
भारी भूमि में कितने क्यारे बनाने चाहिएं ?
उत्तर-
यदि ट्यूबवैल 3 से 4 इंच का हो तो 6-7 क्यारे प्रति एकड़ बनाने चाहिए।

प्रश्न 11.
कौन-सी फसलों को क्यारा विधि द्वारा पानी दिया जाता है ?
उत्तर-
गेहूँ तथा धान।

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प्रश्न 12.
ड्रिप सिंचाई प्रणाली कौन-से क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध होती जा रही है ?
उत्तर-
पानी की कमी तथा खराब पानी वाले क्षेत्रों में।

प्रश्न 13.
कौन-से बागों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
अनार, अंगूर, अमरूद, किन्न, बेर, आम आदि।

प्रश्न 14.
कौन-सी सब्ज़ियों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
गोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, तरबूज, खीरा आदि।

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प्रश्न 15.
फव्वारा सिंचाई प्रणाली कौन-सी भूमियों में प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
रेतली तथा टिब्बों वाली भूमि में।

प्रश्न 16.
क्यारा विधि का क्या नुकसान है ?
उत्तर-
पानी की खपत अधिक होती है।

प्रश्न 17.
बैड्ड प्लांटर से गेहूँ बोने पर कितने प्रतिशत पानी बच जाता है ?
उत्तर-
18-25%.

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प्रश्न 18.
कोई दो फसलों के उदाहरण दें जिनसे पानी की बचत होती है ?
उत्तर-
तेल बीज फसलें, जौ, मक्का, नरमा (कपास)।

प्रश्न 19.
लेज़र लेवलर के प्रयोग से कितनी पैदावार बढ़ती है ?
उत्तर-
25-30%.

प्रश्न 20.
टैंशियोमीटर क्या है ?
उत्तर-
काँच की पाइप से बना यन्त्र।

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प्रश्न 21.
मल्चिंग कौन-सी फसलों में की जाती है ?
उत्तर-
शिमला मिर्च तथा साधारण मिर्च आदि।

प्रश्न 22.
नहरों तथा खालों को पक्का करके कितना पानी बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
10-20%.

प्रश्न 23.
केवल वर्षा पर आधारित कषि को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
बारानी या मारू खेती।

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प्रश्न 24.
सिंचाई के मुख्य साधन बताएं।
उत्तर-
नहरी तथा ट्यूबवैल सिंचाई।

प्रश्न 25.
सिंचाई किसको कहते हैं ?
उत्तर–
बनावटी तरीकों से खेतों को पानी देने की क्रिया को सिंचाई कहते हैं।

प्रश्न 26.
ऐसा सिंचाई का कौन-सा साधन है, जिससे सिंचाई करने के लिए किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती ?
उत्तर-
नहर का पानी।

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प्रश्न 27.
पानी की कमी का पौधों पर क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर-
पानी की कमी से पत्ते मुरझा जाते हैं तथा सूख जाते हैं।

प्रश्न 28.
आप रौणी से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
खुले सूखे खेत को बुवाई के लिए तैयार करने के लिए सिंचाई करने को रौणी कहते हैं।

प्रश्न 29.
बीज कैसे अंकुरित होते हैं ?
उत्तर-
बीज भूमि में से पानी सोख कर फूल जाता है तथा अंकुरित हो जाता है।

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प्रश्न 30.
भूमि के अन्दर पानी कम हो जाए तो क्या होता है ?
उत्तर-
भूमि के अन्दर पानी आवश्यकता से कम हो जाए तो पौधे भूमि से अपने पोषक तत्त्व प्राप्त नहीं कर पाते।

प्रश्न 31.
पंजाब में कौन-सी नदियां हैं जिनमें से नहरें निकाल कर सिंचाई की जाती है ?
उत्तर-
सतलुज, ब्यास तथा रावी।

प्रश्न 32.
कछार क्या होता है ?
उत्तर-
नहरों के पानी में तैर रही बारीक मिट्टी को कछार कहते हैं।

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प्रश्न 33.
चरसा क्या है ?
उत्तर-
चरसा चमड़े का बड़ा बोका या थैला होता है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सिंचाई से क्या भाव है ?
उत्तर-
बनावटी तरीके से खेतों को पानी देने की क्रिया को सिंचाई कहते हैं।

प्रश्न 2.
सिंचाई की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
पौधे पानी के बिना फल-फूल नहीं सकते। खेतों में बोई फसल को वर्षा के पानी या फिर अन्य साधनों द्वारा प्राप्त किए पानी से सींचा जा सकता है। सिंचाई से पौधों को रूप तथा आकार मिल जाता है। पानी धरती में से ठोस तत्त्वों को घोल कर भोजन योग्य बना देता है। पानी पौधे के भोजन को तरल का रूप देकर हर भाग में जाने के योग्य बना देता है। पानी धरती तथा पौधे का तापमान एक समान रखता है। सिंचाई की आवश्यकता को देखते हुए सरकार बड़े-बड़े डैम बना रही है जिनमें से सिंचाई के लिए नहरें निकाली गई हैं।

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प्रश्न 3.
बारानी कृषि से क्या भाव है ?
उत्तर-
जब फसलों की सिंचाई का कोई भी साधन न हो तथा फसलें केवल वर्षा के पानी के आधार पर ही उगाई जाती हों तो इस तरह की खेती को बारानी या मारू खेती कहते है ।
बारानी कृषि केवल वर्षा पर निर्भर है इस प्रकार की कृषि वहीं संभव है जहां पर आवश्यकता अनुसार तथा समय पर वर्षा पड़ती हो।

प्रश्न 4.
नहरी सिंचाई से क्या भाव है ?
उत्तर-
खेती के लिए नहरों का पानी अच्छा समझा जाता है क्योंकि इसमें कछार होती है जो खेत को उपजाऊ बनाती है।
पंजाब में सतलुज, ब्यास तथा रावी तीन ऐसी नदियां हैं जिनसे नहरें निकाल कर सिंचाई की आवश्यकता को पूरा किया गया है। नहरी सिंचाई का प्रबंध सरकार के सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 5.
ट्यूबवैल के खराब पानी को सिंचाई योग्य कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर-
पंजाब के दक्षिणी से पश्चिमी भागों में ट्यूबवैल का पानी खराब या दरम्याना है। इस खराब पानी को विशेषज्ञों की सलाह से नहरों के पानी से मिला कर या इसमें जिपस्म डाल कर ठीक किया जा सकता है।

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प्रश्न 6.
पंजाब में कौन-सी नदियां हैं ? इनका पानी सिंचाई के लिए कैसे प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब में सतलुज, ब्यास तथा रावी तीन मुख्य नदियां हैं। इनसे नहरें निकाल कर सिंचाई की आवश्यकता को पूरा किया जाता है।

प्रश्न 7.
तालाबों द्वारा सिंचाई कहां होती है ? पंजाब में इसकी आवश्यकता क्यों नहीं पड़ती ?
उत्तर-
दक्षिण भारत में वर्षा का पानी तालाबों में एकत्र किया जाता है तथा इसको बाद में सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
पंजाब में नहरी पानी तथा कुएं काफ़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिए यहां तालाबों से सिंचाई नहीं की जाती।

प्रश्न 8.
कुएं में से पानी को सिंचाई के लिए निकालने के लिए प्रयोग होने वाले साधनों की सूची बनाओ।
उत्तर-
कुओं का पानी कई साधनों द्वारा निकाल कर सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी सूची आगे दी गई है

  1. हल्ट
  2. चरसा
  3. पम्प
  4. ट्यूबवैल।

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प्रश्न 9.
हल्ट क्या होता है ? इसके भागों के नाम लिखें।
उत्तर-
कुएं में से पानी निकालने के लिए हल्ट का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। इसके निम्नलिखित भाग हैं—

  1. चकला
  2. चकली
  3. वैड़
  4. माहल
  5. पाड़छा
  6. नसार
  7. लट्ठ
  8. टिंडा
  9. कुत्ता।

प्रश्न 10.
आवश्यकता से अधिक सिंचाई के क्या नुकसान हैं ?
उत्तर-
आवश्यकता से अधिक सिंचाई के नीचे लिखे नुकसान हो सकते हैं—

  1. अधिक पानी धरती के नीचे चला जाता है तथा इसका पौधों को कोई लाभ नहीं होता तथा यह अपने साथ पोषक तत्त्वों को भी घोल कर धरती के नीचे गहराई में ले जाता
  2. धरती के रोम बंद हो जाते हैं तथा हवा का आवागमन रुक जाता है।
  3. सेम की समस्या आ सकती है।
  4. मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों का विकास रुक जाता है।

प्रश्न 11.
पौधों में कितना पानी हो सकता है ?
उत्तर-
पौधों में साधारणतयः 50 से 80% तक पानी हो सकता है, परन्तु बहुत छोटे पौधे तथा केले में 90% पानी होता है।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब में सिंचाई की विधियों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
पंजाब में सिंचाई के लिए मुख्य तौर पर दो विधियों का प्रयोग किया जाता है—
(1) नहरी सिंचाई
(2) ट्यूबवैल द्वारा सिंचाई।

  1. नहरी सिंचाई-वर्षा के पानी को डैम में एकत्र करके नहरों, सूओं तथा खालों द्वारा आवश्यकता के अनुसार उसको खेतों तक पहुँचाया जाता है। इसको नहरी सिंचाई कहा जाता है।
  2. ट्यूबवैल द्वारा सिंचाई-वर्षा का पानी जब धरती में समा जाता है तथा धरती की सतह के नीचे एकत्र हो जाता है। आवश्यकता के समय पानी को ट्यूबवैल द्वारा निकाल कर प्रयोग किया जाता है। पंजाब में तीन चौथाई भूमि की सिंचाई ट्यूबवैलों से की जाती है। ट्यूबवैल का पानी धरती में नमक की मात्रा के हिसाब से अच्छा या बुरा हो सकता है।

प्रश्न 2.
पौधे के लिए पानी के महत्त्व के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
पौधों के लिए पानी का महत्त्व-सिंचाई की क्रिया जो पौधों के लिए पानी प्रदान करती है, पौधे के फलने-फूलने के लिए कई प्रकार से सहायक होते हैं—

  1. पानी एक अच्छा घोलक है तथा भूमि में घुल कर ही पौधे को प्राप्त होते हैं।
  2. जड़ों द्वारा सोखे जाने के बाद खुराक पानी द्वारा पौधे के दूसरे भागों में पहुंचती है। इस प्रकार पानी पौधे के एक भाग से दूसरे भाग तक खुराक ले जाने का काम करता है।
  3. पानी दो तत्त्वों ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन से मिल कर बना है। यह दोनों तत्त्व पौधे के भोजन के अंश हैं। इसलिए पानी खुद एक खुराक है।
  4. पानी पौधों तथा भूमि के तापमान को स्थिर रखता है। गर्मियों में पानी पौधों को ठण्डा रखता है तथा सर्दी में पौधों को सर्दी से बचाता है।
  5. पानी के बिना पौधे सूर्य की रोशनी में प्रकाश संश्लेषण क्रिया नहीं कर सकते। मतलब अपनी खुराक नहीं बना सकते।
  6. पानी भूमि को नर्म रखता है। यदि भूमि नर्म होगी तो जड़ें खुराक ढूंढ़ने के लिए इसके ऊपर आसानी से फैल सकेंगी।
  7. पानी से भूमि के अन्दर लाभदायक बैक्टीरिया अपना काम तेज़ी से कर सकते हैं।
  8. पानी भूमि में मौजूद कूड़ा-कर्कट, घास-फूस तथा अन्य जैविक पदार्थों को गलासड़ा कर भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में सहायता करता है।
  9. कई बार पानी में बारीक मिट्टी मिली होती है जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है।

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प्रश्न 3.
सिंचाई के भिन्न-भिन्न तरीकों के बारे में विस्तारपूर्वक बताएं।
उत्तर-
सिंचाई के भिन्न तरीके हैं—
(1) खेतों में खुला पानी देना (क्यारा विधि)
(2) बूंद-बूंद विधि (ड्रिप विधि)
(3) फव्वारा सिंचाई
(4) मेड़ या नाली बना कर सिंचाई
(5) बैड्ड बना कर सिंचाई।

1. खेतों में खुला पानी देना-पंजाब में इस ढंग का प्रयोग अधिक होता है। इस विधि से खेत को पानी एक मेड़ तोड़कर लगाया जाता है, इस प्रणाली में पानी की खपत अधिक होती है। क्यारे का आकार कई बातों पर निर्भर करता है; जैसे-मिट्टी की किस्म, खेत की ढलान, ट्यूबवैल के पानी का निकास आदि। यदि ट्यूबवैल का आकार 3-4 इंच हो तो रेतली भूमि में पानी लगाने के लिए क्यारों की संख्या 17-14, दरम्यानी भूमि में 1011 तथा भारी भूमि में 6-7 क्यारे प्रति एकड़ होनी चाहिए। गेहूँ तथा धान को पानी लगाने के लिए यही ढंग अपनाया जाता है।

2. बूंद-बूंद सिंचाई-इस प्रणाली को ड्रिप सिंचाई प्रणाली भी कहा जाता है। यह नए ज़माने की विकसित सिंचाई प्रणाली है। इससे पानी की बहुत बचत हो जाती है। इसको पानी की कमी तथा खराब पानी वाले क्षेत्रों में प्रयोग करना लाभकारी है।
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 4 कृषि में पानी का कुशल प्रयोग 4
चित्र-बूंद-बूंद सिंचाई
इस प्रणाली में प्लास्टिक की पाइपों के द्वारा पानी पौधों के नज़दीक दिया जाता है, परन्तु बूंद-बूंद (टपक-टपक) करके, इसीलिए इसका नाम टपक सिंचाई प्रणाली भी है। यह ढंग प्रायः बागों में जहाँ-नींब, अनार, अमरूद, पपीता, अंगूर, आम, किन्न आदि तथा सब्जियों में जैसे-टमाटर, गोभी, तरबूज, खीरा, बैंगन आदि में प्रयोग होता है।

3. फव्वारा विधि- यह एक अच्छी सिंचाई प्रणाली है। इसका प्रयोग रेतली तथा टिब्बों वाली ज़मीन में किया जाता है क्योंकि इस ज़मीन को समतल करने का खर्चा बहुत होता है। इस ढंग में पानी की बहुत बचत हो जाती है। यह तरीका अपनाने से फसल की पैदावार तो बढ़ती है तथा साथ में गुणवत्ता भी बढ़ती है। इस प्रणाली की प्राथमिक लागत अधिक होने के कारण इसको नकदी फसलों तथा बागों तक ही सीमित रखा जाता है।
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चित्र-फब्वारा विधि

4. मेड़ें या नाली बना कर सिंचाई- इस तरीके में मेड़ें बना कर या नाली बना कर सिंचाई की जाती है।
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चित्र–नाली बनाकर सिंचाई

5. बैड्ड बनाकर सिंचाई-इस ढंग में बैड्ड बनाकर सिंचाई की जाती है।
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चित्र-बैड्ड बनाकर सिंचाई

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कृषि में पानी का कुशल प्रयोग PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • पंजाब में कुल कृषि के अधीन क्षेत्रफल 41.58 लाख हैक्टेयर है।
  • कुल कृषि क्षेत्रफल का 98% सिंचित है।
  • पंजाब में फसल घनत्व को प्रमुख रखते हुए वार्षिक औसतन 4.4 मिलियन – हैक्टेयर मीटर पानी की आवश्यकता है।
  • पंजाब में आज लगभग 1.3 मिलियन हैक्टेयर मीटर पानी की कमी है।
  • मध्य पंजाब में 30% से अधिक क्षेत्र में पानी का स्तर 70 फुट से भी नीचे जा चुका है।
  • एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक पानी का स्तर 160 फुट से भी नीचे हो जाएगा।
  • सिंचाई के तरीके हैं-खेतों में खुला पानी देना, बूंद-बूंद सिंचाई, फव्वारा सिंचाई, मेड़ या नाली बनाकर सिंचाई, बैड्ड बनाकर सिंचाई।
  • पंजाब में अधिक प्रचलित क्यारा सिंचाई प्रणाली है।
  • बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली एक आधुनिक विकसित सिंचाई प्रणाली है जिसको ड्रिप (टपक) सिंचाई प्रणाली कहा जाता है।
  • फव्वारा प्रणाली भी एक बढ़िया सिंचाई प्रणाली है।
  • कम पानी की आवश्यकता वाली फसलें ; जैसे-दालें, मक्का, तेल बीज, बासमती, कपास आदि की खेती से पानी की बचत हो जाती है।
  • लेज़र लेवलर से 25-30% पानी की बचत हो रही है।
  • धान की सिंचाई के लिए टैंशियोमीटर का प्रयोग करके भी पानी की बचत हो जाती है।
  • मक्का, गन्ना की फसलों में पराली की तह बिछाने से पानी की बचत हो जाती है। इसको मल्चिंग कहते हैं।
  • नहरों तथा नालों को पक्का करने से 10-20% पानी की बचत हो जाती है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास

SST Guide for Class 7 PSEB प्रादेशिक संस्कृति का विकास Textbook Questions and Answers

(क) निम्न प्रश्नों के उत्तर दो :

प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग (800-1200) में उत्तरी भारत में कौन-सी भाषाओं का विकास हुआ?
उत्तर-
मध्यकालीन युग में उत्तरी भारत में कई भाषाओं जैसे गुजराती, बंगाली, मराठी आदि का बहुत विकास हुआ। इस विकास की गति उस समय और भी तेज़ हो गई, जब भक्ति लहर के महान् सन्तों ने भक्ति लहर का प्रचार क्षेत्रीय भाषाओं में किया।

प्रश्न 2.
दिल्ली सल्तनत काल दौरान प्रादेशिक भाषाओं का विकास क्यों हुआ?
उत्तर-
दिल्ली सल्तनत काल में भक्ति लहर के कारण हिन्दी, गुजराती, मराठी, तेलगु, तमिल, पंजाबी, कन्नड़ आदि क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ। बहुत-सी पवित्र धार्मिक पुस्तकों का संस्कृत भाषा से विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास

प्रश्न 3.
मुग़ल काल की साहित्यिक प्राप्तियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल शासक स्वयं भी महान् विद्वान् थे। इसलिए मुग़ल काल में साहित्य के क्षेत्र में बहुत अधिक विकास हुआ।
1. बाबर ने बाबर-नामा या तुजक-ए-बाबरी नामक प्रसिद्ध आत्मकथा लिखी। यह पुस्तक तुर्की भाषा में लिखी गई थी।

2. अकबर ने साहित्य को काफ़ी प्रोत्साहित किया। उसके दरबार में शेख़ मुबारक, अबुल फ़जल और फैज़ी जैसे महान् विद्वान थे। अबुल फज़ल ने आइन-ए-अकबरी और अकबरनामा नाम की पुस्तकें लिखीं। अकबर ने रामायण, महाभारत, राजतरंगिणी, पंच- तन्त्र आदि संस्कृत ग्रन्थों का फ़ारसी में अनुवाद कराया।

3. जहांगीर भी तुर्की, हिन्दी और फ़ारसी भाषाओं का महान् विद्वान् था। उसने फ़ारसी भाषा में तुजक-एजहांगीरी नाम की आत्मकथा लिखी। उसने विद्वानों को संरक्षण भी प्रदान किया। जहांगीर के दरबार के प्रसिद्ध हिन्दी लेखक राय मनोहर दास, भीष्म दास और केशव दास थे।

4. शाहजहां भी एक साहित्य प्रेमी सम्राट् था। उसके राज्य काल में अब्दुल हमीद लाहौरी ने ‘पादशाहनामा’ और मुहम्मद सदीक ने ‘शाहजहांनामा’ नामक प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं। शाहजहां ने हिन्दी साहित्य को भी संरक्षण प्रदान किया।

5. सम्राट औरंगजेब ने इस्लामी कानून पर आधारित ‘फ़तवा-ए-आलमगीरी’ नामक पुस्तक लिखवाई। उसके समय में खाफ़ी खां ने ‘मुतखिब-उल-लुबाब’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी।

प्रश्न 4.
चित्रकला के क्षेत्र में राजपूतों की प्राप्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राजपूत शासकों के राज्य काल में कागजों पर चित्र बनाये जाने लगे थे। इस युग में चित्रकला की पाल और अपभ्रंश शैली का प्रयोग किया जाता था। पाल शैली के चित्र बौद्ध धर्म के ग्रन्थों में मिलते हैं। इन चित्रों में सफ़ेद, काले, लाल और नीले रंगों का प्रयोग किया गया है। अपभ्रंश शैली के चित्रों में लाल और पीले रंगों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया गया है। इस शैली के चित्र जैन और पुराण ग्रन्थों में मिलते हैं।

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प्रश्न 5.
पंजाबी साहित्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
पंजाबी साहित्य के मूल अथवा संस्थापक बाबा फरीद शकरगंज थे। वह पंजाब के एक महान् सूफी संत थे।

प्रश्न 6.
भाई गुरदास ने कितनी वारों की रचना की?
उत्तर-
भाई गुरदास जी एक महान् कवि थे। उन्होंने पंजाबी भाषा में 39 वारों की रचना की। श्री गुरु अर्जन देव जी ने इन वारों को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की कुंजी कह कर सम्मानित किया।

प्रश्न 7.
चार प्रसिद्ध कवियों के नाम बताओ जिन्होंने पंजाबी साहित्य को महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर-
पंजाबी साहित्य को महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले चार प्रसिद्ध कवि शाह हुसैन, बुल्लेशाह, दामोदर तथा वारिस शाह थे।

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प्रश्न 8.
आदि ग्रंथ साहिब का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
आदि ग्रन्थ साहिब का संकलन श्री गुरु अर्जन देव जी ने 1604 ई० में किया। इस ग्रन्थ में श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु अंगद देव जी, श्री गुरु अमर दास जी, श्री गुरु रामदास जी और श्री गुरु अर्जन देव जी की वाणी को सम्मिलित किया गया। बाद में श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को भी इस में शामिल किया गया। सिख गुरु साहिबान के अतिरिक्त आदि ग्रन्थ साहिब में हिन्दू भक्तों और मुसलमान सन्तों और कुछ भाटों की वाणी को भी शामिल किया गया है। इस सारी वाणी में परमात्मा की प्रशंसा की गई है। आदि ग्रन्थ साहिब को पंजाबी साहित्य में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :

  1. ‘गीत गोबिन्द’ ………. द्वारा लिखी गयी थी।
  2. 1604 ई० में ………… द्वारा आदि ग्रन्थ साहिब की रचना की गई थी।
  3. पृथ्वी राज रासो ………… द्वारा लिखी गयी थी।
  4. कृष्ण राय संस्कृत तथा हिन्दी भाषाओं का प्रसिद्ध ……….. था।
  5. अमीर खुसरो एक ……….. संगीतकार तथा कवि था।

उत्तर-

  1. जयदेव,
  2. श्री गुरु अर्जन देव जी
  3. चन्दबरदाई
  4. कवि
  5. महान्।

(ग) प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिन्ह लगाएं।

  1. दिल्ली सल्तनत काल में रामानुज तथा जयदेव संस्कृत भाषा के दो प्रसिद्ध लेखक थे।
  2. अबुल फ़ज़ल ने आइन-ए-अकबरी नहीं लिखी थी।
  3. तानसेन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध गायक था।
  4. मुहम्मद तुग़लक का चित्र मध्यकाल की चित्रकला का प्रसिद्ध उदाहरण है।
  5. राजपूत काल दौरान संगीत का विकास नहीं हुआ था।

संकेत-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✓)
  5. (✗)

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(घ) मिलान करो

कॉलम ‘अ’ – कॉलम ‘ब’

  1. जयदेव – 1. विक्रमांक-देव-चरित
  2. कल्हण – 2. आइने-अकबरी
  3. बिल्हण – 3. राजतरंगिणी
  4. अबुल फजल – 4. गीत गोबिन्द
  5. औरंगजेब – 5. फ़तवा-ए-आलमगीरी। ।

उत्तर-

  1. जयदेव – गीत गोबिन्द
  2. कल्हण – राजतरंगिणी
  3. बिल्हण – विक्रमांक-देव-चरित
  4. अबुल फ़जलआइने – अकबरी
  5. औरंगजेब – फ़तवा-ए-आलमगीरी।

PSEB 7th Class Social Science Guide प्रादेशिक संस्कृति का विकास Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
उर्दू भाषा किस प्रकार अस्तित्व में आई?
उत्तर-
भारत में तुर्कों द्वारा फ़ारसी भाषा आरंभ की गई थी। समय बीतने के साथ हिन्दी और फ़ारसी भाषाओं के मेल से एक नई भाषा ‘उर्दू’ अस्तित्व में आई।

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प्रश्न 2.
मुगल काल (1526-1707 ई०) में होने वाले भाषाई विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मुगल काल में फ़ारसी भाषा का सबसे अधिक विकास हुआ। इसलिए मुग़ल काल को फ़ारसी भाषा का स्वर्ण युग कहा जाता है। फ़ारसी मुग़ल साम्राज्य की सरकारी भाषा थी। परिणामस्वरूप पंजाब में फ़ारसी भाषा को बहुत प्रोत्साहन मिला। अकबर ने रामायण और महाभारत का संस्कृत से फ़ारसी में अनुवाद कराया। मुग़ल काल में पंजाबी भाषा की भी बहुत उन्नति हुई। इसके अतिरिक्त एक महत्त्वपूर्ण भाषा होने के कारण हिन्दी ने बहुत उन्नति की। मुग़ल काल में उर्दू भाषा का भी विकास आरंभ हो गया था।

प्रश्न 3.
उत्तर भारत में राजपूत काल में साहित्य के विकास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उत्तर भारत में राजपूत शासकों के राज्यकाल में साहित्य का बहुत विकास हुआ। चन्दबरदाई ने पृथ्वी राज रासो नामक ग्रन्थ की रचना की। बंगाल के राज्य-कवि जयदेव ने गीत गोबिन्द नाम का प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा। जिसमें कृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन किया गया है। कल्हण ने एक ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘राजतरंगिणी’ की रचना की। इस ग्रन्थ में काश्मीर के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। बिल्हण ने ‘विक्रमांक-देव-चरित’ नाम का प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा। इसमें चालुक्य राजा विक्रमादित्य छठे के जीवन का वर्णन है। राजपूत काल में रचित कथा-सरित्सागर संस्कृत भाषा की एक शानदार रचना है। यह कथाओं का संग्रह है।

प्रश्न 4.
पंजाब के भाषा एवं साहित्य में निम्नलिखित के योगदान की चर्चा कीजिए –
1. बाबा फरीद शंकरगंज
2. श्री गुरु नानक देव जी
3. दामोदर
4. वारिस शाह
5. शाह मुहम्मद।
उत्तर-
1. बाबा फरीद शंकरगंज (1173-1265 ई०)-बाबा फरीद शंकरगंज पंजाब के प्रसिद्ध सूफी सन्त थे। उन्हें पंजाबी साहित्य का संस्थापक कहा जाता है। उन्होंने अपनी वाणी की रचना लहंदी या मुल्तानी भाषा में की जो आम लोगों की बोली थी। उनके 112 श्लोक और 4 शब्दों को श्री गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रन्थ साहिब में स्थान दिया।

2. श्री गुरु नानक देव जी (1469-1539 ई०)-श्री गुरु नानक देव जी ने पंजाबी साहित्य के एक नये युग का आरम्भ किया। उनके द्वारा रचा गया पंजाबी साहित्य सभी पक्षों से महान् है। उनके द्वारा रची गई वाणियों में जपुजी साहिब, आसा दी वार, बाबर-वाणी आदि महत्त्वपूर्ण हैं । वास्तव में श्री गुरु जी की वाणी पंजाबी साहित्य को एक अमर देन है।

3. दामोदर-दामोदर मुग़ल सम्राट अकबर का समकालीन था। उसने लहंदी या मुल्तानी पंजाबी बोली में हीर रांझा किस्से की रचना की। इसमें उसने अपने समय की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण किया है।

4. वारिस शाह (1710-1798 ई०)-वारिस शाह को पंजाबी किस्सा काव्य में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उन्होंने ‘हीर’ नामतः पंजाबी किस्से की रचना की जो कि पंजाबी साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण देन है।

5. शाह महम्मद ( 1782-1862 ई०)-आपने ‘जंग नामा’ की रचना लिखी। शाह मुहम्मद ने अपनी रचना में महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य के उत्कर्ष, जिसे उन्होंने अपनी आंखों से देखा था, की बहुत प्रशंसा की है। यह रचना पंजाबी साहित्य की अमूल्य निधि है।

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प्रश्न 5.
मध्यकाल में पंजाब में चित्रकला के क्षेत्र में क्या विकास हुआ?
उत्तर-
सिख गुरु साहिबान से सम्बन्धित मध्यकाल के अनेक चित्र पुराने ग्रन्थों, गुरुद्वारों की दीवारों तथा राज महलों में बने हुए मिले हैं। उदाहरण के लिए गोइन्दवाल में गुरु अमर दास जी के उन 22 सिखों के चित्र मिले हैं जिन्हें गुरु साहिन जी ने मंजी प्रथा के अधीन सिख धर्म के प्रचार के लिए नियुक्त किया था। ये चित्र उस समय की चित्रकला के विकास पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न 6.
पंजाबी भाषा एवं साहित्य के विकास में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी पंजाबी भाषा के एक महान् कवि एवं साहित्यकार थे। उनकी रचनाएं, जैसे कि जाप साहिब, बचित्तर नाटक, ज़फरनामा, चण्डी दी वार और अकाल उस्तत आदि बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। ये रचनाएँ दशम ग्रन्थ में दर्ज हैं। इनमें से ‘चण्डी दी वार’ पंजाबी साहित्य की एक अमर रचना मानी जाती है।

प्रश्न 7.
मुग़ल काल में चित्रकला के क्षेत्र में क्या विकास हुआ?
उत्तर-
मुग़ल शासक चित्रकला के महान् संरक्षक थे। अतः मुग़लों के राज्य-काल में इस कला का बहुत विकास हुआ।
1. बाबर और हुमायूं चित्रकला में बहुत रुचि रखते थे। बाबर ने अपनी आत्म-कथा को चित्रित करवाया था। हुमायूं दो प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुल सैयद और सैयद अली को ईरान से अपने साथ दिल्ली लाया था।

2. अकबर ने चित्रकला के विकास के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी। इस विभाग ने पुस्तकों को चित्रित करने के साथ-साथ मुग़ल शासकों के चित्र भी बनाये। दसवन्त और बासवान अकबर के दरबार के दो प्रसिद्ध चित्रकार थे।

3. जहांगीर भी एक अच्छा चित्रकार था। उसके शासन काल में सूक्ष्म चित्रकारी का विकास होने लगा। उस्ताद मन्सूर, अबुल हसन, फ़ारुख बेग, माधव आदि जहांगीर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे।

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प्रश्न 8.
मुग़ल काल में संगीत के क्षेत्र में होने वाले विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
औरंगजेब को छोड़ कर सभी मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे। इसलिए उनके शासन-काल में संगीत का बहुत विकास हुआ –
1. बाबर और हुमायूं संगीत के महान् प्रेमी थे। हुमायूं सप्ताह में दो दिन संगीत सुना करता था।

2. अकबर संगीत कला में बहुत रुचि रखता था। वह स्वयं भी एक गायक था। उसे संगीत के सुर और ताल का पूरा ज्ञान था। उस के दरबार में तानसेन जैसे उच्च कोटि के संगीतकार थे। तानसेन ने बहुत से रागों की रचना की। तानसेन के अतिरिक्त रामदास अकबर के दरबार का उच्च कोटि का गायक था।

3. जहांगीर और शाहजहां भी संगीत कला के प्रेमी थे। जहांगीर स्वयं एक अच्छा गायक था। उसने कई हिन्दी के गीत लिखे। शाहजहां ध्रुपद राग का बहुत शौकीन था।

4. मुग़ल काल में श्री गुरु अर्जन देव जी ने राग-रागनियों के अनुसार ‘आदि ग्रन्थ साहिब’ की रचना की थी।

सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सा काल फारसी भाषा का ‘सुनहरा युग’ कहलाता है ?
(i) सल्तनत काल
(ii) चोल काल
(iii) मुग़ल काल।
उत्तर-
(ii) मुग़ल काल।

प्रश्न 2.
‘अकबरनामा’ मुग़ल काल की एक पुस्तक है। इसका लेखक कौन था ?
(i) अबुल फ़ज़ल
(ii) खाफ़ी खां
(iii) बीरबल।
उत्तर-
(i) अबुल फ़ज़ल।

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प्रश्न 3.
‘आदि ग्रंथ साहिब’ का संकलन किसने किया ?
(i) वारिस शाह
(ii) श्री गुरु अर्जन देव जी
(iii) श्री गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(i) श्री गुरु अर्जन देव जी।

प्रादेशिक संस्कृति का विकास PSEB 7th Class Social Science Notes

  • भाषा तथा साहित्य (सल्तनत काल) – सल्तनत काल में भाषा तथा साहित्य में बहुत उन्नति हुई। हिन्दी तथा फ़ारसी के मेल से एक नई भाषा उर्दू का जन्म हुआ। कई मुसलमान विद्वानों ने हिन्दुओं के प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन किया। उन्होंने संस्कृत पुस्तकों का अनुवाद फ़ारसी भाषा में भी किया। इस काल में हिन्दी भाषा में कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखी गईं। चन्दबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’, मलिक मोहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ की रचना की। इस काल की संस्कृत की मुख्य पुस्तकें ‘गीत गोविन्द’ तथा ‘राजतरंगिणी’ हैं। इनकी रचना क्रमशः जयदेव तथा कल्हण ने की।
  • मुग़ल काल का साहित्य – मुग़ल काल की मुख्य साहित्यिक रचनाएँ तुज़के-बाबरी, हुमायूनामा अकबरनामा, आइन-ए-अकबरी, पादशाहनामा है।
  • पंजाबी साहित्य – मध्यकाल में गुरु साहिबान तथा अन्य कई पंजाबी कवियों ने पंजाबी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस काल की पंजाब साहित्य की प्रमुख रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब, दशम ग्रन्थ, भाई गुरदास की वारें आदि हैं।
  • चित्रकला – मुग़ल काल में चित्रकला में भी असाधारण उन्नति हुई। अब्दुसम्मद, मीर सैय्यद अली, सांवलदास, जगन्नाथ, ताराचन्द आदि अनेक चित्रकारों ने अपनी कला-कृतियों से इस कला का रूप निखारा। ये सभी चित्रकार अकबर के समय के प्रसिद्ध कलाकार थे। जहांगीर ने अनेक चित्रकारों को अपने दरबार में सम्मान दिया। उसके समय के चित्रकारों में मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, आगा रज़ा तथा मुहम्मद नादिर के नाम लिए जा सकते हैं।
  • संगीत कला – मुग़लकाल संगीत कला के क्षेत्र में भी पीछे नहीं रहा। बाबर एक बहुत अच्छा कवि था। उसने अनेक कविताओं तथा गीतों की रचना की थी। अकबर के समय में संगीत सम्राट तानसेन तथा बैजू बावरा ने संगीत कला का रूप निखारा। औरंगज़ेब को संगीत से बड़ी घृणा थी। उसके शासन-काल में इस कला का पतन हो गया।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

PSEB 7th Class Physical Education Guide नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
सिगरेट तथा बीड़ी ये दोनों नशे किस पदार्थ से बनते हैं ?
उत्तर-
सिगरेट और बीड़ी में तम्बाकू डाला जाता है। सिगरेट कागज़ में तम्बाकू डाल कर बनाई जाती है और बीड़ी किसी विशेष वृक्ष के पत्तों से बनती है। इस तरह तम्बाकू पीने के और भी ढंग हैं। जैसे-बीड़ी, सिगरेट पीना, हुक्का पीना और चिलम पीना आदि। इस तरह खाने के ढंग भी अलग-अलग हैं जैसे-तम्बाकू चूने में मिला कर सीधा मुँह में रख कर खाना। तम्बाकू में खतरनाक जहर निकोटीन होता है। इसके अतिरिक्त अमीनिया कार्बनडाइआक्साइड आदि भी होती है जिसका बुरा प्रभाव सिर पर पड़ता है जिससे सिर चकराने लग जाता है।

प्रश्न 2.
किस नशे के सेवन से जीभ, गले तथा मुंह का कैंसर होने का खतरा रहता है?
उत्तर-
तम्बाकू के प्रयोग से जीभ, गले और मुँह का कैंसर होने का खतरा रहता है। तम्बाकू में निकोटीन नाम का जहरीला पदार्थ होता है जिस कारण कैंसर की बीमारी लगने का डर बढ़ जाता है। खासतौर पर छाती और गले के कैंसर का डर रहता है।
तम्बाकू के नुकसान इस तरह हैं—

  1. तम्बाकू खाने या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है।
  2. इससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। दिल का रोग लग जाता है जो कि मृत्यु का कारण बना सकता है।
  3. आविष्कारों से पता लगा है कि तम्बाकू पीने या खाने से रक्त की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं।
  4. तम्बाकू शरीर के तन्तुओं को उत्तेजित रखता है, जिससे नींद नहीं आती और नींद न आने की बीमारी लग सकती है।
  5. तम्बाकू के प्रयोग से पेट खराब रहने लग जाता है।
  6. तम्बाकू के प्रयोग से खांसी लग जाती है जिससे फेफड़ों के टी० बी० होने का खतरा बढ़ जाता है।
  7. तम्बाकू के प्रयोग से खुराक नली, मुंह के कैंसर का डर भी रहता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 3.
शराब मनुष्य के लिए किस प्रकार हानिकारक है ?
उत्तर-
शराब का सेहत पर प्रभाव (Effect of Alcohol on Health)-शराब एक नशीला तरल पदार्थ है। शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बाज़ार में बेचने से पहले प्रत्येक शराब की बोतल पर यह लिखना ज़रूरी है। फिर भी बहुत-से लोगों को इस की लत (आदत) लगी हुई है जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर को कई तरह के रोग लग जाते हैं । फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं और व्यक्ति की आयु घट जाती है। ये शरीर के सभी अंगों पर बुरा प्रभाव डालती है। पहले तो व्यक्ति शराब को पीता है। कुछ समय पीने के बाद शराब आदमी को पीने लग जाती है। भाव शराब शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लग जाती है।
शराब पीने के नुकसान निम्नलिखित हैं—

  1. शराब का असर पहले दिमाग़ पर होता है। नाड़ी प्रबन्ध बिगड़ जाता है और दिमाग़ कमजोर हो जाता है। मनुष्य के सोचने की शक्ति घट जाती है।
  2. शरीर में गुर्दे कमजोर हो जाते हैं।
  3. शराब पीने से पाचन रस कम पैदा होना शुरू हो जाता है जिससे पेट खराब रहने लग जाता है।
  4. श्वास की गति तेज़ और सांस की अन्य बीमारियां लग जाती हैं।
  5. शराब पीने से रक्त की नाड़ियां फूल जाती हैं। दिल को अधिक काम करना पड़ता है और दिल के दौरे का डर बना रहता।
  6. लगातार शराब पीने से मांसपेशियों की शक्ति घट जाती है। शरीर बीमारियों का मुकाबला करने के योग्य नहीं रहता।
  7. आविष्कारों से पता लगा है कि शराब पीने वाला मनुष्य शराब न पीने वाले व्यक्ति से काम कम करता है। शराब पीने वाले व्यक्ति को बीमारियां भी जल्दी लगती हैं।
  8. शराब से घर, स्वास्थ्य, पैसा आदि बर्बाद होता है और यह एक सामाजिक बुराई है।

प्रश्न. 4.
विद्यार्थियों को नशों से किस प्रकार बचाया जा सकता है?
उत्तर-
1. विद्यार्थियों को इन नशीली वस्तुओं से जान पहचान करवानी चाहिए जिससे वह नशीली वस्तुओं से दूर रह सकते हैं।

2. विद्यार्थी किसी भी आयु के हों उनको इन नशीली वस्तुओं की तरफ झुकाव नहीं रखना चाहिए। उनका इरादा कमजोर नहीं होना चाहिए । वह दृढ़ इरादे वाला होना चाहिए।

3. माता पिता और अध्यापक द्वारा बच्चों को नशों से बचाने के लिए अच्छी पुस्तकें पढ़ने के लिए देनी चाहिए और उनको खेलों में भाग लेने, मनोरंजन क्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

Physical Education Guide for Class 7 PSEB नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो नशीली वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शराब
  2. हशीश

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुएं किन दो क्रियाओं पर अधिक प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर-

  1. पाचन क्रिया पर
  2. खेलने की शक्ति पर।

प्रश्न 3.
नशीली वस्तुओं के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर-

  1. चेहरा पीला पड़ जाता है।
  2. मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 4.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों पर कोई दो बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर-

  1. लापरवाई तथा बेफिक्री।
  2. खेल भावना का अन्त।

प्रश्न 5.
खेल में हार नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 6.
शराब का असर पहले दिमाग़ पर होता है। ठीक अथवा ग़लत
उत्तर-
ठीक

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 7.
तम्बाकू खाने से या पीने से नजर कमजोर हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 8.
तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ता है अथवा कम होता है ?
उत्तर-
डर बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
तम्बाकू के प्रयोग से खांसी नहीं लगती और टी० बी० भी नहीं हो सकती। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 10.
नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है। सही अथवा ग़लत
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुओं की सूची बनाएं और यह भी बताएं कि नशीली वस्तुएं पाचन क्रिया और सोचने की शक्ति पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
उत्तर-
मादक पदार्थ ऐसे नशीले पदार्थ हैं जिनके सेवन से किसी-न-किसी प्रकार की उत्तेजना या शिथिलता आ जाती है। मनुष्य के स्नायु संस्थान पर सभी किस्म के मादक पदार्थों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे कई प्रकार के विचार, कल्पनाएं तथा भावनाएं पैदा होती हैं। इससे व्यक्ति में घबराहट, गुस्सा और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने से व्यक्ति का अपने व्यवहार और शरीर पर नियन्त्रण नहीं रहता। नशीली वस्तुएं निम्नलिखित हैं—

  1. शराब
  2. अफीम
  3. तम्बाकू
  4. भांग
  5. हशीश
  6. चरस
  7. कोकीन
  8. एलडरविन।

पाचन क्रिया पर प्रभाव (Effects on Digestion)-नशीली वस्तुओं का पाचन क्रिया पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इनमें अम्लीय अंश बहुत अधिक होते हैं। इन अंशों के कारण आमाशय की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है और कई प्रकार के पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

सोचने की शक्ति पर प्रभाव (Effects on Thinking)-नशीली वस्तुओं के प्रयोग से व्यक्ति अच्छी तरह बोल नहीं सकता और वह बोलने के स्थान पर तुतलाने लगता है। वह अपने पर नियन्त्रण नहीं रख सकता। वह खेल में आई अच्छी स्थितियों के विषय में सोच नहीं सकता और न ही ऐसी स्थितियों से लाभ उठा सकता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 8 नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 2.
खेल में हार नशीली वस्तुएं के प्रयोग के कारण हो सकती है, कैसे ?
उत्तर-

  1. नशे में खेलते समय खिलाड़ी बहुत-से ऐसे काम कर जाता है जिससे टीम हार जाती है।
  2. नशे में खिलाड़ी विरोधी टीम की चालें नहीं समझ सकता और अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बनता है।
  3. यदि किसी खिलाड़ी को नशे में खेलते हुए पकड़ लिया जाए तो उसे खेल में से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि उसे इनाम मिलना है तो नहीं दिया जाता। इस प्रकार उसकी विजय पराजय में बदल जाती है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग

PSEB 7th Class Physical Education Guide स्काऊटिंग और गाइडिंग Textbook Questions and Answers

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग 1

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग और गाइडिंग के क्या लाभ हैं ? विस्तार से लिखो।
उत्तर-
स्काऊटिंग और गाइडिंग के निम्नलिखित लाभ हैं—

  1. स्काऊटिंग और गाइडिंग बच्चों को प्रसन्न, शक्तिशाली, निष्ठावान, देश-भक्त और जन-सहायक बनाती हैं।
  2. स्काऊटिंग और गाइडिंग बच्चों के मन से घृणा, ऊंच-नीच, जाति-पाति और ईर्ष्या की भावना दूर करती है।
  3. स्काऊटिंग और गाइडिंग से बच्चों को ‘न कोई वैरी, न ही बेगाना’ की शिक्षा मिलती है।
  4. स्काऊटिंग और गाइडिंग रैलियों से बच्चों को दूसरे प्रान्त और दूसरे देश के लोगों से प्यार करने की प्रेरणा मिलती है।
  5. भूकम्प, बाढ़, तूफान, बीमारी अथवा किसी अन्य कठिनाई के समय स्काऊट दुःखियों की सहायता करके उनका दुःख कम करते हैं।
  6. स्काऊटिंग और गाइडिंग से बच्चों को नियमों के अनुसार रहना, बड़ों-छोटों का सम्मान करना और सेवा-भाव की शिक्षा मिलती है।
  7. स्काऊटिंग और गाइडिंग से बच्चों को बहुत अच्छे नागरिक बनाया जाता है।
  8. स्काऊटिंग और गाइडिंग से बच्चे हर कठिनाई का साहस से सामना करना और हर स्थिति में प्रसन्न रहना सीखते हैं।

प्रश्न 2.
स्काऊटिंग और गाइडिंग के प्रण हमें क्या शिक्षा देते हैं ? संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
किसी भी धर्म या संस्था में प्रवेश करने के पश्चात् एक विशेष प्रकार का प्रण करना पड़ता है। यह प्रण पुलिस और सेना के जवानों को भी करना पड़ता है। स्काऊटिंग
और गाइडिंग में निम्नलिखित प्रण लिया जाता है—
मैं परमात्मा को प्रत्यक्ष मान कर प्रण करता हूं कि मैं

  1. परमात्मा और देश सम्बन्धी अपने कर्त्तव्य को निभाने
  2. दूसरों की सहायता करने और स्काऊटिंग नियमों का पालन करने में अधिक-से-अधिक ज़ोर लगाऊंगा।

उपर्युक्त प्रण हमें परमात्मा में विश्वास करना सिखलाता है। इस प्रकार का प्रण करने वाला मनुष्य नास्तिक नहीं होगा। यह प्रण मनुष्य में देश-भक्ति की भावना पैदा करता है। इसके साथ ही यह प्रण मनुष्य को कर्तव्य पालन की शिक्षा भी देता है।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग 2
इस प्रण से मनुष्य में सेवा-भाव पैदा होता है। मनुष्य प्रत्येक ज़रूरतमन्द मनुष्य की सहायता करने में प्रसन्नता का अनुभव करता है।
इस प्रण से बचपन से ही मनुष्य नियमानसुार | जीवन जीना सीख जाता है। मनुष्य को यह भी समझ आ जाता है कि प्रत्येक संस्था के कुछ नियम हैं। नियमों का पालन करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। अनियमित जीवन नीरस होता है। जो नियम के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं वे जीवन में सुखी रहते हैं।

यह प्रण मनुष्य को आदर्शवादी बनने और उन्नति करने की प्रेरणा देता है। ये प्रण स्काऊट को ऊंचा और सच्चे बनने में सहायक होते हैं। ऐसे प्रणों पर चलने वाले नागरिक अच्छे नागरिक बनते हैं। ऐसे मनुष्यों से विश्व-शान्ति की आशा रखी जा सकती है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग

प्रश्न 3.
स्काऊट नियमों की विस्तारपूर्वक व्याख्या करो।
उत्तर-
नियमों के बिना कोई संस्था या संगठन नहीं चल सकता। यह विश्व भी नियमों पर ही निर्भर है। स्काऊटिंग के भी अपने ही नियम हैं। ये निम्नलिखित प्रकार हैं—

1. स्काऊटिंग की आन विश्वसनीय होती है-स्काऊट सदैव सत्य बोलता है। वह अच्छे काम करके विश्वास पैदा करता है और सम्मान भी प्राप्त करता है।

2. स्काऊट निष्ठावान् होता है-स्काऊट अपने मित्रों, नेतागणों और देश से कभी विश्वासघात नहीं करता।

3. स्काऊट आस्तिक, देश-भक्त और जन सेवक होता है-स्काऊट परमात्मा को किसी-न-किसी रूप में मानता है। इससे उसका मन शुद्ध रहता है। वह अपने देश के प्रति निष्ठावान् होता है। वह संविधान का पूरा पालन करता है और देश की शान के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं सुनता। वह ज़रूरतमन्दों की दिल से सहायता करता है। वह दिन में एक अच्छा काम अवश्य करता है। इसे पूरा करने के लिए वह अपने गले में डाले हुए रूमाल को सवेरे एक गांठ दे देता है।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग 3

4. स्काऊट सबका मित्र, भाई और ऊंचनीच से ऊंचा होता है-स्काऊट में जाति-पाति, ऊंच-नीच, धर्म और नस्ल सम्बन्धी कोई भेदभाव नहीं होता है। हर धर्म, देश, जाति-पाति और नस्ल के स्काऊट आपस में मिलकर बैठते व काम करते हैं, मिलकर भोजन पकाते और खाते हैं। स्काऊट दूसरे स्काऊटों को भाई समझता है।

5. स्काऊट मीठा बोलने वाला होता हैस्काऊट हर मनुष्य से बड़े प्यार से बोलता है। वह मीठा बोल कर दूसरों का दिल जीत लेता है।

6. स्काऊट जीव-जन्तुओं का मित्र होता | है-स्काऊट किसी भी पक्षी या पशु को कभी हानि नहीं पहुंचाता। वह पशु-पक्षियों से प्यार करता है।

7. स्काऊट अनुशासित और आज्ञाकारी होता है-स्काऊट सदा ही नियमों का पालन करता है। वह मनमानी नहीं कर सकता। वह बड़ों का आदेश प्रसन्नता से स्वीकार करता है।

8. स्काऊट बहादुर और कठिनाई का सामना करने वाला होता है-स्काऊट दुःख के समय में कभी घबराता नहीं। वह हर कठिनाई का सामना साहस से करता है।

9. स्काऊट संयमी होता है-स्काऊट सदा ही संयमी होता है। वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संयम का प्रयोग करता है।

10. स्काऊट मन, वचन और कर्म से शुद्ध होता है-स्काऊट का मन पवित्र, वचन का पक्का और कर्म का शुद्ध होता है। वह किसी को भला-बुरा नहीं कहता। किसी की निन्दा नहीं करता। वह दु:ख के समय पूर्ण शक्ति लगा कर मानवता की सहायता करता है।

प्रश्न 4.
स्काऊटिंग में स्काऊट की क्या महत्ता है ? वर्णन करो।
उत्तर-
स्काऊटिंग लोगों की लहर होने के कारण बच्चों को देश-भक्त, आज्ञाकारी तथा स्वस्थ बनाती है। उनमें से ऊँच-नीच, जाति-पाति तथा ईर्ष्या को निकाल कर उनको अच्छे नागरिक बनाती है। उनको ‘न कोई वैरी न ही बिगाना’ का उद्देश्य देती है।

स्काऊटिंग से बच्चे एक-दूसरे के मित्र बनते हैं जिससे अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध अच्छे बनते हैं। संसार में शान्ति बनी रहती है। इस लहर से बच्चे सेवक, परोपकारी तथा दानी बन जाते हैं। बच्चे (स्काऊट) मेलों में सेवा करते हैं। कष्ट के समय बाढ़ों, भूकम्पों तथा बीमारियों से तबाह हुए गरीबों तथा अनाथों की हर प्रकार से मदद करते हैं। लड़ाई में घायलों की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। स्काऊटिंग से देश के प्रति सम्मान बढ़ जाता है तथा अपने हाथों से कार्य करने के गुण पैदा होते हैं। स्कूलों में पढ़ते समय स्काऊट हाथों से कार्य करके पैसे भी कमा लेते हैं, जिसे वह अपनी फीसों, पुस्तकों तथा ज़रूरतमंद वस्तुओं पर खर्च करते हैं।

स्काऊटिंग बच्चों का सर्वपक्षीय विकास करती है तथा एक मार्ग-दर्शक का कार्य करती है तथा बचपन से ही उनको अच्छे रास्तों पर चलना सिखाती है। इस शिक्षा से अनुशासन स्वयं ही आता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग

प्रश्न 5.
“स्काऊटिंग शिक्षा से बच्चे का चौमुखी विकास होता है।” अपने विचार दीजिए।
उत्तर-
स्काऊटिंग बच्चों को प्रसन्न, शक्तिशाली, देश-भक्त और आज्ञाकारी तथा जनसहायक बनाती है। उनमें से घृणा, जाति-पाति, ऊंच-नीच आदि की भावना दूर करती है। इससे बच्चों को ‘न कोई वैरी न ही बेगाना’ की शिक्षा मिलती है।

स्काऊट रैलियों से अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध अच्छे और दृढ़ होते हैं। विश्व में अशान्ति नहीं रहती। इस आन्दोलन से बच्चे परोपकारी, सेवक, सहायक और दानी बन जाते हैं। बच्चे मेलों और कठिनाइयों के समय लोगों की सेवा करते हैं।

स्काऊटिंग से बच्चे अपने स्काऊट मास्टर, अफसरों और माता-पिता का आदेश हँसते हुए मानते हैं। उनमें से अपने बड़ों के लिए ही नहीं अपितु छोटों के लिए भी निष्ठा भर जाती है।

स्काऊटिंग से देश के प्रति प्यार और सम्मान बढ़ जाता है। हाथ से काम करने का गुण पैदा होता है। बच्चे हाथ से परिश्रम करके पुस्तकें, कापियां और अन्य आवश्यक वस्तुएं खरीदते हैं।

स्काऊटिंग शिक्षा से बच्चों को कठिनाइयों में से सफल होकर निकलने का ढंग समझ आ जाता है। बच्चों में से हीन भावना निकल जाती है।

स्काऊटिंग बच्चों को अच्छे मार्ग पर डालती है। इस शिक्षा से अनुशासन अपने आप आ जाता है। उनमें आत्म-निर्भरता की भावना और अच्छे नागरिक के गुण पैदा होते हैं। इन बातों से पता चलता है कि स्काऊटिंग बच्चों का चहुंमुखी विकास करती है जिससे बच्चे का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास होता है।

प्रश्न 6.
स्काउट का आदर्श है ‘तैयार’। स्पष्ट करो।
उत्तर-
स्काऊट्स (बच्चे) परोपकारी, सेवक और सहायक होते हैं। कठिनाई, भूकम्प, तूफान, बाढ़, आंधी और बीमारी के समय स्काऊट्स दुःखियों की सेवा करते हैं। वे हर ज़रूरतमन्द की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। वे बड़ों की आज्ञा मानने के लिए तत्पर रहते हैं। वे हाथ से काम करने से जी नहीं चुराते, अपितु अपना काम अपने हाथ से करने के लिए तैयार रहते हैं। वे मार्ग भूले, माता-पिता से बिछुड़े बच्चों और ज़रूरतमन्दों की सेवा कराने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। वे हर कार्य तत्परता से करते हैं।

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प्रश्न 7.
“स्काऊट एक अच्छा नागरिक होता है।” व्याख्या करो।
उत्तर-
जो गुण एक अच्छे नागरिक में होने आवश्यक हैं वे एक स्काऊट को बचपन से ही सिखलाए जाते हैं। अच्छे नागरिक ही किसी देश का नाम रोशन करते हैं। स्काऊट्स को परमात्मा में विश्वास करने का प्रण लेना पड़ता है। इस प्रकार उसका धार्मिक विकास होता है। वह देश सेवा करने के लिए भी प्रण लेता है। उसे बड़ों का सम्मान करना और उनके आदेशों का प्रसन्नता से पालन करना भी सिखाया जाता है। उसे साथियों से प्यार करने की शिक्षा मिलती है। स्काऊट कैम्पों में विभिन्न प्रान्तों के बच्चों को आपस में मिलजुलकर बैठने का अवसर मिलता है। इस प्रकार उनमें राष्ट्रीय एकता की भावना आ जाती है। स्काऊट सम्मेलनों से बच्चों में विश्व-बन्धुत्व की भावना पैदा होती है।

स्काऊट्स को हर कठिनाई का सामना साहस से करने की शिक्षा दी जाती है। उन्हें हाथ से काम करना सिखलाया जाता है। वे अपना कार्य स्वयं करने के योग्य हो जाते हैं।

कठिनाई, बाढ़, तूफान या बीमारी के समय उन्हें मानवता की सेवा करनी सिखलायी जाती है। भूले भटकों को रास्ता दिखाना, बूढ़ों और बच्चों की यथा-योग्य सेवा करना उनका पहला कर्तव्य है।

उपर्युक्त गुणों वाले अच्छे नागरिक ही होते हैं। अत: यह कहना ठीक है कि स्काऊट एक अच्छा नागरिक होता है। स्काऊट में सहानुभूति, देश-प्रेम, साहस, अनुशासन, नम्रता, आत्म-निर्भरता आदि सभी गुण होते हैं। वह एक अच्छा ही नहीं अपितु आदर्श नागरिक होता है।

प्रश्न 8.
स्काऊट लहर को आरम्भ करने के लिए लॉर्ड बेडन की क्या देन है ?
उत्तर-
स्काऊट लहर के जन्मदाता लॉर्ड बेडन थे। उन्होंने फौज के उच्च पद को त्याग कर अपना सारा ध्यान इस ओर लगा दिया।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 7 स्काऊटिंग और गाइडिंग 4
उन्होंने पहला अमली प्रयोग बर्तानिया के एक टापू ब्राऊन-सी में 1907 ई० में लड़कों की एक छोटी टोली पर किया। लड़कों ने इस स्काऊटिंग शिक्षा कैम्प में पूरी दिलचस्पी दिखाई। 1908 ई० में बेडन पावल ने स्काऊटिंग फॉर बुआएज़ (Scouting for Boys) नामक पुस्तक प्रकाशित की और उसके साथ ही ‘दी स्काऊट’ (The Scout) नाम का एक साप्ताहिक समाचार-पत्र छापना भी शुरू किया। इस तरह पुस्तक और समाचार-पत्र द्वारा स्काऊटिंग का काफ़ी प्रचार हो गया। 1909 ई० में ‘क्रिस्टिल पैलेस’ (Crystal Palace) लन्दन में स्काऊटों की एक बड़ी रैली हुई। इस रैली । में हज़ारों की संख्या में दूर-दूर से आए स्काऊटों ने भाग लिया जिसमें स्काऊटों के हुनर , और कर्तव्यों की दर्शकों ने बहुत प्रशंसा की और उन्होंने अपने बच्चों को स्काऊट लहर में भाग लेने के लिए भेजना शुरू कर दिया। इस तरह यह लहर बहुत लोकप्रिय हो गई और धीरे-धीरे सारे संसार में फैल गई। बड़ी उम्र के बच्चों को स्काऊटिंग करते देख कर छोटे बच्चों में भी इस लहर में शामिल होने की इच्छा जागने लगी। इसके बाद बेडन पावल ने 7 से 12 साल की आयु वाले बच्चों के लिए कबिंग प्रारम्भ की और इस पर एक पुस्तक जिसका नाम ‘दी वुल्फ कब हैंड बुक’ (The Wolf Cub Hand Book) है, छापी और इस तरह बाद में बड़ी आयु वालों अर्थात् रोवर्ज़ के लिए रोवरिंग (Rovering) की संस्था शुरू की और उनके नेतृत्व के लिए एक पुस्तक ‘रोवरिंग टू सक्सैस’ (Rovering to Success) भी लिखी। बेडन पावल ने 1918 ई० में लड़कियों के लिए गाइडिंग शुरू की और इस लहर में चीफ गाइड उन्होंने अपनी पत्नी लेडी बेडन पावल को बनाया। उनकी मेहनत और अच्छे मार्ग दर्शन से ही यह लहर संसार में अत्यधिक सफल हुई।

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Physical Education Guide for Class 7 PSEB स्काऊटिंग और गाइडिंग Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग आन्दोलन का जन्म-दाता कौन था ?
उत्तर-
लॉर्ड बेडन पावल।

प्रश्न 2.
स्काऊटिंग आन्दोलन सबसे पहले कहां शुरू हुआ ?
उत्तर-
बर्तानिया में।

प्रश्न 3.
सर्वप्रथम स्काऊटिंग शिक्षा कैम्प कहां लगा ?
उत्तर-
ब्राऊन सी टापू (बर्तानिया) में।

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प्रश्न 4.
सबसे पहले लड़कियों की स्काऊटिंग का इन्चार्ज़ कौन था ?
उत्तर-
लेडी बेडन पावल।

प्रश्न 5.
भारत के स्काऊटों की रैली दिल्ली में कब हई ?
उत्तर-
1937 में।

प्रश्न 6.
स्काऊटों को विशेषतया क्या सिखाया जाता है ?
उत्तर-
अच्छे गुण।

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प्रश्न 7.
एक स्काऊट दूसरे स्काऊट को मिलते समय क्या करता है ?
उत्तर-
तीन अंगुलियों से सैल्यूट देता है।

प्रश्न 8.
एक स्काऊट के लिए कौन-सी बातों का पालन करना आवश्यक है ?
उत्तर-
स्काऊट नियमों का।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग आन्दोलन का प्रवर्तक कौन था ? सर्वप्रथम स्काऊटिंग आन्दोलन कहां आरम्भ हुआ ?
उत्तर-
स्काऊटिंग आन्दोलन के प्रवर्तक लॉर्ड बेडन पावल थे। उन्होंने बर्तानिया में स्काऊटिंग आन्दोलन आरम्भ किया। उन्होंने सर्वप्रथम स्काऊटिंग कैम्प 1907 में बर्तानिया के टापू ब्राऊन-सी में लगाया।

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प्रश्न 2.
बेडन पावल ने कौन-सी पुस्तकें लिखीं ?
उत्तर-
बेडन पावल ने ‘स्काऊटिंग फार बुआएज़’, ‘दी वुल्फ कब हैंड बुक’ और ‘रोवरिंग टू सक्सैस’ नामक तीन पुस्तकें लिखीं।

प्रश्न 3.
स्काऊटिंग रैलियों के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
स्काऊटिंग रैलियों से एक प्रान्त के बच्चों को दूसरे प्रान्त के बच्चों से मिलने और प्यार करने का अवसर मिलता है। एक देश के बच्चों को दूसरे देश के बच्चों से मिलने का अवसर मिलता है। इस प्रकार बच्चों में से ईर्ष्या भाव, रंग और नस्ल के भेदभाव दूर होते हैं। स्काऊटिंग रैलियां विश्व शान्ति की ओर एक प्रशंसनीय पग हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 15 धार्मिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 15 धार्मिक विकास

SST Guide for Class 7 PSEB धार्मिक विकास Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
मुग़ल काल में धार्मिक व्यवस्थाएं तथा सम्प्रदायों के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल काल में मुसलमान इस्लाम धर्म को मानते थे। उनका राज्य प्रबन्ध इस्लामी सिद्धान्तों पर आधारित था। परन्तु सम्राट अकबर ने धार्मिक सहनशीलता की नीति अपनाई। उसने गैर-मुसलमानों के धार्मिक स्थानों के निर्माण पर लगे प्रतिबन्धों को समाप्त कर दिया। कहा जाता है कि अकबर ने अमृतसर की यात्रा भी की थी। अकबर के अनुसार हर धर्म अच्छा होता है। वह सूफी सन्तों के उदारवादी विचारों से बहुत प्रभावित था। उसने 1575 ई० में फतेहपुर सीकरी में एक इबादत खाना (पूजा घर) बनवाया। वहां हर वीरवार शाम को एक सभा बुलाई जाती और धार्मिक मामलों पर विचार-विमर्श किया जाता था। उसका विचार था कि सत्य को कहीं भी प्राप्त किया जा सकता है। उसने पारसी, जैन, हिन्दू और ईसाई आदि सभी धर्मों के लोगों के लिए इबादत खाने के द्वार खोल दिए। 1579 ई० में उसने एक शाही फ़रमान जारी किया, जिसमें उसने अपने आपको धार्मिक मामलों का श्रेष्ठ निर्णायक होने की घोषणा की।

अकबर ने सभी धर्मों के मूल सिद्धान्तों को एकत्रित करके एक नये धर्म ‘दीने-इलाही’ की स्थापना की। उसकी मृत्यु के बाद जहांगीर और शाहजहां ने भी उसकी धार्मिक नीति को अपनाया, परन्तु औरंगजेब ने मुग़ल साम्राज्य की बहु-धार्मिक प्रणाली को बदल दिया। इसका मुग़ल साम्राज्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 2.
सूफ़ी लहर बारे तुम क्या जानते हो ? उसके मूल सिद्धांत कौन-से थे ?
उत्तर-
सूफी इस्लाम धर्म का रहस्यवादी रूप था। सूफ़ी सन्तों को शेख या पीर कहा जाता था। मध्य काल में उत्तरी भारत में सूफ़ी मत के बहुत से सिलसिले स्थापित हो गए थे। इनमें से चिश्ती और सुहरावर्दी सिलसिले बहुत ही लोकप्रिय थे।

चिश्ती सिलसिले की नींव अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ने तथा सुहरावर्दी सिलसिले की नींव मुलतान में 3 मख़दूम बहाउद्दीन जकरिया ने रखी। इन सिलसिलों के धार्मिक विश्वास भिन्न-भिन्न थे।
सूफी मत के मूल सिद्धान्त-

  1. सूफ़ी सन्त एक अल्लाह को मानते थे और किसी अन्य परमात्मा की पूजा नहीं करते थे।
  2. उनके अनुसार अल्लाह सर्वशक्तिमान और सर्वत्र है।
  3. अल्लाह को पाने के लिए वे प्रेम भावना पर बल देते थे।
  4. अल्लाह की प्राप्ति के लिए वे पीर या गुरु का होना भी अनिवार्य मानते थे।
  5. वे संगीत में विश्वास रखते थे और संगीत द्वारा अल्लाह को प्रसन्न करने का प्रयास करते थे।
  6. वे अन्य धर्मों का भी सत्कार करते थे।

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प्रश्न 3.
हिन्दू धर्म के बारे आप क्या जानते हो?
उत्तर-
दिल्ली सल्तनत काल में हिन्दू धर्म में अन्य बहुत से मत उत्पन्न हो गये थे। इनमें शैव मत, वैष्णव मत, जोगी आदि शामिल थे।

  1. शैव मत-9वीं सदी में भारत में शंकराचार्य ने शैव मत की स्थापना की। उनके अनुयायियों को शैव कहा जाता
  2. वैष्णव मत-वैष्णव मत के अनुयायी भगवान विष्णु के अवतारों श्री राम और श्री कृष्ण की पूजा करते थे। श्री राम की पूजा करने वालों में रामानन्द जी और श्री कृष्ण की पूजा करने वालों में चैतन्य महाप्रभु विख्यात थे।

प्रश्न 4.
भक्ति लहर सम्बन्धी आप क्या जानते हो? उसके मूल सिद्धान्तों सम्बन्धी लिखिए।
उत्तर-
मध्यकालीन भारत में भक्ति लहर नामक एक प्रसिद्ध धार्मिक लहर चली। इस लहर के सभी प्रचारक मुक्ति पाने के लिए प्रभु-भक्ति पर जोर देते थे। अतः इस लहर को भक्ति लहर कहा जाने लगा।
भक्ति लहर के मूल सिद्धान्त

  1. एक ही परमात्मा में विश्वास रखना।
  2. गुरु में श्रद्धा रखना।
  3. आत्म-समर्पण करना।
  4. जाति-पाति में विश्वास न रखना।
  5. खोखले रीति-रिवाजों से बचना।
  6. शुद्ध जीवन व्यतीत करना।

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प्रश्न 5.
श्री गुरु नानक देव जी के भक्ति लहर में योगदान संबंधी लिखें।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी भक्ति लहर के महान् सन्त थे। आप सिख धर्म के संस्थापक थे। आप का जन्म 1469 ई० में राय भोई की तलवण्डी में हुआ था। आजकल यह स्थान पाकिस्तान में स्थित है और इसे ननकाना साहिब कहा जाता है।

श्री गुरु नानक देव जी एक ही परमात्मा की भक्ति करने में विश्वास रखते थे। उनका विश्वास था कि परमात्मा सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी है। वह निराकार है और सबसे महान् है। गुरु नानक देव जी परमात्मा को ही सच्चा गुरु मानते थे।

गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अन्ध-विश्वास, मूर्ति-पूजा, जाति-पाति के भेदभाव, तीर्थ-यात्रा और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का विरोध किया। उनकी शिक्षाएं श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में अंकित हैं।

प्रश्न 6.
भारत के प्रमुख भक्ति लहर के संतों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. रामानुज
  2. रामानन्द
  3. संत कबीर
  4. श्री गुरु नानक देव जी
  5. नामदेव जी
  6. गुरु रविदास जी
  7. चैतन्य महाप्रभु
  8. मीराबाई।

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प्रश्न 7.
सिख पंथ के मुख्य नियमों के बारे में लिखो।
उत्तर-
सिख पंथ के मूल सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –

  1. परमात्मा एक है।
  2. परमात्मा सृष्टि की रचना करने वाला है।
  3. सभी मनुष्य समान हैं।
  4. परमात्मा सर्वशक्तिमान तथा सर्व-व्यापक है।
  5. ‘हउमै’ (अहंकार) का त्याग करें।
  6. गुरु महान् है।
  7. (सत) नाम का सिमरन करना चाहिए।
  8. खोखले रीति-रिवाज़ों में विश्वास नहीं रखना चाहिए।
  9. जाति-पाति का भेदभाव व्यर्थ है।
  10. मनुष्य को शुद्ध जीवन व्यतीत करना चाहिए।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

  1. …………… की शिक्षाएँ आदि ग्रन्थ साहिब में शामिल हैं।
  2. ………….. द्वारा एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की स्थापना की गई।
  3. सन्त कबीर …………….. के अनुयायी थे।
  4. भक्ति लहर के सन्तों ने लोगों की …………….. में प्रचार किया।
  5. श्री गुरु नानक देव जी सिख धर्म के …………… थे।
  6. हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन का जन्म …………… में हुआ।
  7. …………….. खालसा पंथ की स्थापना 1699 ई० में की।

उत्तर-

  1. श्री गुरु नानक देव जी
  2. अकबर
  3. सन्त रामानन्द
  4. भाषा
  5. संस्थापक
  6. मध्य एशिया
  7. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक(✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं

  1. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की नींव रखी थी।
  2. चिश्ती तथा सुहरावर्दी प्रमुख सूफी सिलसिले नहीं थे।
  3. निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह अजमेर में स्थित है।
  4. चैतन्य महाप्रभु तथा मीराबाई ने राम भक्ति को लोकप्रिय किया।
  5. आलवारों ने शैव मत के भक्ति गीतों को लोकप्रिय किया।
  6. श्री गुरु नानक देव जी ने लंगर प्रथा प्रचलित की।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)

(घ) निम्नलिखित का मिलान कीजिए

कालम ‘क’ – कालम ‘ख’

  1. रविदास जी का जन्म – 1. 570 ई० में मक्का में हुआ।
  2. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म – 2. इलाहाबाद में हुआ।
  3. रामानन्द जी का जन्म – 3. तमिल ब्राह्मण थे।
  4. रामानुज एक – 4. 1486 ई० में बंगाल के नदियां गांव में हुआ।
  5. चैतन्य महाप्रभु का जन्म – 5. बनारस में हुआ।
  6. पैगम्बर मुहम्मद का जन्म – 6. 15 अप्रैल, 1469 ई० को राय भोई की तलवंडी में हुआ था।

उत्तर-

  1. रविदास जी का जन्म – बनारस में हुआ।
  2. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म – 15 अप्रैल, 1469 ई० को राय भोई की तलवंडी में हुआ था।
  3. रामानन्द जी का जन्म – इलाहाबाद में हुआ।
  4. रामानुज एक – तमिल ब्राह्मण थे।
  5. चैतन्य महाप्रभु का जन्म – 1486 ई० में बंगाल के नदियां गांव में हुआ।
  6. पैगम्बर मुहम्मद का जन्म – 570 ई० में मक्का में हुआ।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

PSEB 7th Class Social Science Guide धार्मिक विकास Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मध्यकाल में उत्तरी भारत में हुए धार्मिक तथा साम्प्रदायिक विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मध्य युग में विशेष कर राजपूत लोग हिन्दू धर्म को मानते थे। इस धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी। राजपूत काल में इस धर्म ने बहुत उन्नति की।

उत्तरी भारत में शैवमत और वैष्णव मत दोनों ही बहुत लोकप्रिय थे। शैव मत को मानने वाले लोग भगवान् शिव और माता दुर्गा आदि की तथा वैष्णव मत को मानने वाले भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते थे। शक्ति मत के अनुयायी भी अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। वे देवी पार्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, चण्डी और अम्बिका आदि की पूजा करते थे।
इस काल में भारत में बौद्ध धर्म और जैन धर्म का प्रभाव बहुत कम हो गया था।

प्रश्न 2.
दक्षिणी भारत में धार्मिक व्यवस्था तथा सम्प्रदाय का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
मुख्य धर्म-मध्य काल में दक्षिण भारत में अधिकतर लोग हिन्दू धर्म को मानते थे। वे हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते थे। दक्षिण भारत के बहुत से राजा बौद्ध धर्म और जैन धर्म के संरक्षक थे। इस समय में भारत में ईसाई और इस्लाम धर्म भी प्रचलित थे।

धार्मिक सम्प्रदाय-इस काल में भारत में कई धार्मिक लहरों का जन्म हुआ। आलवार और नाइनार सन्तों ने अपनेअपने मत का प्रचार किया। नाइनार मत के अनुयायी शिवजी की प्रशंसा में भजन गाकर अपने मत का प्रचार करते थे, जबकि आलवार सन्त भगवान विष्णु के अनुयायी थे। वे विष्णु की प्रशंसा में भक्ति-गीत गाकर अपने मत का प्रचार करते थे।
सभी धार्मिक सम्प्रदायों में से लिंगायत सम्प्रदाय बहुत लोकप्रिय था। इस सम्प्रदाय के अनुयायी शिवलिंग की पूजा करते थे।

महान सन्त-मध्यकाल में भारत में कुछ महान् सन्त हुए। उन्होंने लोगों को मुक्ति की प्राप्ति के लिए ज्ञान मार्ग पर चलने का सन्देश दिया। उस समय के प्रसिद्ध सन्त शंकराचार्य ने अद्वैत दर्शन का सन्देश दिया, जिसका अर्थ है कि परमात्मा और उसकी रचना एक है। दक्षिण भारत में रामानुज भक्ति लहर के एक अन्य महान् सन्त थे। वे तमिल ब्राह्मण थे। उन्होंने अपने शिष्यों को भक्ति मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रभु की भक्ति करने के लिए प्रेम और श्रद्धा का होना बहुत आवश्यक है।

माधव दक्षिण भारत के कृष्ण-भक्ति के उपासक थे। उन्होंने 13वीं सदी में वैष्णव मत का प्रचार किया। उनका मानना था कि ज्ञान, कर्म एवं भक्ति मुक्ति प्राप्त करने के तीन महत्त्वपूर्ण साधन हैं। उन्होंने लोगों को पवित्र जीवन व्यतीत करने का उपेदश दिया।

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प्रश्न 3.
भक्ति लहर के प्रमुख सन्तों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
मध्यकाल में भारत के विभिन्न भागों में कई सन्तों का जन्म हुआ। इनमें से सन्त रामानुज, रामानन्द, कबीर, रविदास, श्री गुरु नानक देव जी और चैतन्य महाप्रभु आदि मुख्य हैं।
1. रामानुज-सन्त रामानुज दक्षिण भारत में वैष्णव मत के महान् प्रचारक थे। वे तमिल ब्राह्मण थे। वे अपने शिष्यों को विष्णु की पूजा करने का उपदेश देते थे। उन्होंने जाति-पाति का विरोध किया।

2. रामानन्द-रामानन्द जी का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। वह 14वीं सदी में रामभक्ति के प्रमुख प्रचारक थे। आप राघवानन्द के अनुयायी थे। आप ने राम और सीता की पूजा करने का उपदेश दिया। रामानन्द जी ने समाज में प्रचलित अन्ध-विश्वासों की निन्दा की। आप प्रथम भक्ति सुधारक थे, जिन्होंने महिलाओं को भी अपने मत में शामिल किया।

3. सन्त कबीर-सन्त कबीर भक्ति लहर के महान् प्रचारक थे। एक निर्धन जुलाहा परिवार में जन्म लेने के कारण कबीर जी उच्च शिक्षा प्राप्त न कर सके। अत: कबीर जी ने जुलाहे का व्यवसाय अपना लिया। आप महान् सन्त रामानन्द जी के अनुयायी थे। आप ने लोगों को एक ही परमात्मा की भक्ति और परस्पर भातृभाव पैदा करने का सन्देश दिया। आपने समाज में प्रचलित मूर्ति-पूजा, जाति-पाति, बाल-विवाह और सती-प्रथा की निन्दा की। कबीर जी के शब्द (दोहे) श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में भी विद्यमान हैं।

4. श्री गुरु नानक देव जी-श्री गुरु नानक देव जी पंजाब के प्रमुख भक्ति सन्त थे। आप जी ने एक परमात्मा की भक्ति करने तथा नाम सिमरन पर बल दिया। आपने बताया कि परमात्मा निराकार, सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी है।

5. नामदेव-नामदेव जी महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध सन्त थे। उन्होंने लोगों को सन्देश दिया कि परमात्मा निराकार, सर्वशक्तिमान् और सर्व-व्यापक है। उन्होंने लोगों को शुद्ध जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जाति-पाति, तीर्थयात्रा, मूर्ति-पूजा, यज्ञ, बलि और व्रत रखने का कड़ा विरोध किया। उनके भजनों को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में स्थान दिया गया है।

6. गुरु रविदास जी-गुरु रविदास जी का जन्म बनारस में हुआ था। आप एक परमात्मा की भक्ति में विश्वास रखते थे। आपने लोगों को बताया कि परमात्मा सर्व-व्यापक है। वह सबके हृदय में निवास करता है। आप ने नाम का जाप करने र मन की शुद्धि पर बल दिया। आप ने तीर्थ यात्रा, मूर्ति पूजा, व्रत रखने और जाति-पाति का खण्डन किया। आप की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और उपदेशों से प्रभावित होकर अनेक लोग गुरु रविदास जी के अनुयायी बन गए।

7. चैतन्य महाप्रभु-चैतन्य महाप्रभु एक महान् भक्ति सन्त थे। उनका जन्म 1486 ई० में बंगाल के नदिया नामक गांव में हुआ। वे एक परमात्मा की भक्ति करने में विश्वास रखते थे। जिसे वे कृष्ण जी कहते थे। उन्होंने जाति-पाति का खण्डन किया और लोगों को परस्पर भातृ-भाव और प्रेम का सन्देश दिया। उन्होंने कीर्तन प्रथा आरम्भ की। उन्होंने बंगाल, असम और उड़ीसा में वैष्णव मत का प्रचार किया।

8. मीराबाई-मीराबाई श्री कृष्ण जी की भक्त थी। वे भक्ति के गीत रचती थीं और गाती थीं। उन्होंने भगवान कृष्ण की प्रशंसा में बहुत-सी रचनाएं लिखी हैं। उन्होंने भजनों द्वारा कृष्ण-भक्ति का प्रचार किया।

प्रश्न 4.
सिख धर्म के उदय एवं विकास के बारे में बताइए।
उत्तर-
सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी थे। सिख दस सिख गुरुओं-श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु अंगद देव जी, श्री गुरु अमरदास जी, श्री गुरु रामदास जी, श्री गुरु अर्जन देव जी, श्री गुरु हरगोबिन्द जी, श्री गुरु हरिराय जी, श्री गुरु हरिकृष्ण जी, श्री गुरु तेग़ बहादुर जी तथा श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के अनुयायी हैं।

सिख गुरुद्वारों में पूजा करते हैं। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी उनका प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ है। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने सिखों को पांच ककार-केस, कंघा, कड़ा, कछहरा और किरपान-धारण करने का आदेश दिया। ज्योति-ज्योत समाने से पहले उन्होंने सिखों को आदेश दिया कि वे श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को ही अपना गुरु मानें।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखो –
(अ) श्री गुरु नानक देव जी की उदासियां या यात्राएं
(ब) इस्लाम धर्म के मूल सिद्धान्त।
उत्तर-
(अ) श्री गुरु नानक देव जी की उदासियां तथा यात्राएं-

  1. गुरु नानक देव जी ने ज्ञान-प्राप्ति के बाद भटकी हुई मानवता को सही मार्ग दिखाने के लिए अपनी यात्राएं (उदासियां) आरम्भ की। अपनी पहली उदासी में वह सय्यदपुर, तालुंबा, कुरुक्षेत्र, पानीपत, हरिद्वार, बनारस, गया, कामरूप, ढाका और जगन्नाथ पुरी आदि स्थानों पर गए।
  2. दूसरी उदासी में उन्होंने दक्षिण भारत और श्रीलंका की यात्रा की।
  3. तीसरी उदासी में गुरु साहिब कैलाश पर्वत, लद्दाख, हसन अब्दाल आदि की यात्रा करके लौट आए।
  4. चौथी उदासी में आप ने मक्का, मदीना, बगदाद तथा सय्यदपुर की यात्रा की।
    इसके बाद गुरु जी करतारपुर में आकर रहने लगे। अब वह बाहर जाने की बजाय पंजाब में ही धर्म-प्रचार करते रहे। कई इतिहासकारों ने इसे गुरु साहिब की पांचवीं उदासी कहा है।

(ब) इस्लाम धर्म के मूल सिद्धान्त-इस्लाम धर्म के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-

  1. अल्लाह के सिवा अन्य कोई परमात्मा नहीं है और मुहम्मद उसका पैगम्बर है।
  2. प्रत्येक मुसलमान को हर रोज़ पांच बार नमाज़ पढ़नी चाहिए।
  3. प्रत्येक मुसलमान को रमजान के महीने में रोज़े रखने चाहिएं।
  4. प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन काल में कम-से-कम एक बार मक्का की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
  5. प्रत्येक मुसलमान को अपनी नेक कमाई में से ज़कात (दान) देना चाहिए।

प्रश्न 6.
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन, शिक्षाओं तथा अन्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई० को राई-भोई की तलवण्डी में हुआ था। इसे आजकल ननकाना साहिब कहा जाता है। उनके पिता मेहता काल, राय भोई की तलवंडी के पटवारी थे। उनकी माता जी का नाम तृप्ता जी था, जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी। उनकी एक बहन थी, जिनका नाम नानकी था।

श्री गुरु नानक देव जी का आरम्भ से ही पढ़ाई और सांसारिक कार्यों में मन नहीं लगता था। इसलिए आप के पिता जी ने आप का विचार बदलने के लिए बटाला निवासी श्री मूल चन्द की पुत्री बीबी सुलक्खणी के साथ आप का विवाह कर दिया। उस समय आप की आयु 14 वर्ष की थी। आप के यहां दो पुत्रों ने जन्म लिया जिनके नाम श्री चन्द तथा लक्ष्मी दास थे।

विवाह के बाद गुरु नानक देव जी अपनी बहन नानकी जी के पास सुल्तानपुर चले गए। वहां उन्हें दौलत खान के मोदीखाने में नौकरी मिल गई। सुल्तानपुर में गुरु जी प्रतिदिन सुबह ‘वेई’ नदी में स्नान करने के लिए जाया करते थे। एक दिन जब वे वेईं में स्नान करने के लिए गये, तो तीन दिन तक नदी से बाहर ही नहीं निकले। इन तीन दिनों में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान-प्राप्ति के बाद गुरु जी ने ये शब्द कहे –

“न को हिन्दू न को मुसलमान”

उदासियां-गुरु नानक देव जी ने लोगों को धर्म का सही मार्ग दिखाने के लिए भारत के विभिन्न भागों की यात्राएं की। इन यात्राओं को उनकी उदासियां कहा जाता है। गुरु जी के सादा जीवन तथा सरल उपदेश से प्रभावित होकर अनेक लोग उनके अनुयायी बन गए।
शिक्षाएं-गुरु नानक देव जी की मुख्य शिक्षाएं इस प्रकार हैं –

  1. परमात्मा एक है। वह परमात्मा निर्गुण एवं सगुण है। वह परमात्मा सर्वशक्तिमान् एवं सर्व-व्यापक है।
  2. परमात्मा निराकार तथा दयालु है।
  3. मनुष्य को हउमैं (अहंकार) का त्याग कर देना चाहिए।
  4. नाम के जाप का जीवन में बहुत महत्त्व है।
  5. गुरु का स्थान बहुत ऊंचा है।
  6. भ्रातृ-भाव में विश्वास।
  7. मनुष्य को सदाचारी जीवन व्यतीत करना चाहिए।
  8. गुरु साहिब ने जाति-पाति तथा खोखले रीति-रिवाजों का खंडन किया।

श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर में-गुरु जी ने अपने जीवन के अन्तिम 18 साल करतारपुर में व्यतीत किए। उन्होंने 1539 ई० में ज्योति जोत समा जाने से पूर्व भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
वाणी-गुरु साहिब ने ‘जपुजी साहिब’, ‘वार मांझ’, ‘आसा दी वार’, ‘सिद्ध गोष्ट’, ‘वार मल्हार’, ‘बारह माह’ आदि प्रसिद्ध वाणियों की रचना की।

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सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे?
(i) अकबर
(ii) हज़रत मुहम्मद
(iii) कबीर जी।
उत्तर-
(ii) हज़रत मुहम्मद।

प्रश्न 2.
सूफी संतों में सबसे प्रसिद्ध एक चिश्ती शेख थे। निम्नलिखित में से उनका नाम क्या था?
(i) ख्वाजा मुइनुद्दीन
(ii) बाबा फ़रीद
(iii) निजामुद्दीन औलिया।
उत्तर-
(i) ख्वाजा मुइनुद्दीन।

प्रश्न 3.
दो सिक्ख गुरु शहीदी को प्राप्त हुए थे। इनमें से एक थे –
(i) श्री गुरु रामदास जी
(ii) श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
(iii) श्री गुरु तेग बहादुर जी।
उत्तर-
(iii) श्री गुरु तेग बहादुर जी।

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धार्मिक विकास PSEB 7th Class Social Science Notes

  • विश्व के प्रमुख धर्म – हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पारसी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम धर्म, सिख धर्म आदि संसार के प्रमुख धर्म हैं।
  • इस्लाम धर्म – इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद थे। मुहम्मद साहिब के उत्तराधिकारियों को खलीफ़ा कहा जाता था।
  • सिख धर्म – सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी थे। उनके पश्चात् 9 अन्य गुरु साहिबान ने सिख पंथ का विकास किया। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब इस धर्म का पवित्र ग्रन्थ है।
  • सूफी मत – सूफ़ी मत इस्लाम धर्म का उदार रूप था। इसके धार्मिक नेता पीर कहलाते थे। वे काले रंग के कम्बल का प्रयोग करते थे जिसे सूफ़ी कहा जाता है। इसलिए ये पीर सूफ़ी कहलाये। सूफ़ियों के कई सिलसिले थे।
  • भक्ति आन्दोलन – मध्य युग में भारत में धर्म सुधार की एक लहर चली जिसे भक्ति आन्दोलन का नाम दिया जाता है। इस आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसका प्रचार सारे भारत में किसी एक महापुरुष ने नहीं किया, बल्कि विभिन्न प्रदेशों में इसका प्रचार अलग-अलग सन्तों ने किया। परन्तु फिर भी भारत में भक्ति लहर के सिद्धान्त एक समान थे।
  • हिन्दू धर्म – हिन्दू धर्म के मुख्य धार्मिक मत शैवमत तथा वैष्णव मत थे। शैवमत की स्थापना 9वीं शताब्दी में शंकराचार्य ने की थी। वैष्णव मत के प्रमुख प्रचारक रामानन्द जी तथा चैतन्य महाप्रभु थे।