PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वन्य संपदा की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
उत्तर-
वन्य संपदा की सुरक्षा के उपाय-

  • वृक्षों को काटना बंद होना चाहिए।
  • केवल वे ही वृक्ष काटे जाएं तो सूख जाएं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी लग जाए और उनके स्थान पर नये वृक्ष लगाये जाने चाहिए।
  • वृक्षों की प्रति वर्ष गिनती की जानी चाहिए और वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहिए।
  • वन-महोत्सव मनाया जाना चाहिए। यह हमारे देश की वृक्षारोपण की परंपरा है जिसके अनुसार वनमहोत्सव सप्ताह में हज़ारों नये वृक्ष लगाये जाते हैं।
  • नये लगाए गए वृक्षों की देखभाल करनी चाहिए।
  • वनारोपण की नयी योजना लागू होनी चाहिए।
  • वन संपदा को जंगल की आग से बचाने के लिए उचित प्रबंध होना चाहिए।
  • वृक्षों को बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषण के घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव तथा पर्यावरण का आपस में गहरा तथा अटूट संबंध है। मानव ही पर्यावरण को स्वच्छ या प्रदूषित करता है तथा उसका प्रभाव मानव को ही उसी रूप में प्रभावित करता है। मानव समाज के लिए स्वच्छ तथा स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण अति आवश्यक है। परंतु पर्यावरण को स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनाना मनुष्यों पर ही निर्भर करता है।

मानव की क्रियाओं का अनियोजन होना पर्यावरण को उतनी ही अधिक हानि पहुंचाता है। महानगरों में ट्रकों तथा बसों से निकलता काला धुंआ, नदियों में नालों का गंदा पानी तथा सड़कों पर बिखरा कूड़ा-कर्कट आदि महानगरों के पर्यावरण को दूषित करते हैं। ये सभी क्रियाकलाप मिलजुल कर हमारे पर्यावरण के सभी घटकों जैसे-जल, वायु तथा मृदा के साथ-साथ हमें जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

जनसंख्या में लगातार वृद्धि पर्यावरण को प्रदूषित करने में मानव की प्रमुख भूमिका है। जनसंख्या के बढ़ने से आवास, वस्त्र तथा खाद्य पदार्थों की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संपदाओं की हानि होती है। जैसे जंगलों को अत्यधिक काटा जाना; भूमिगत जल का अनियंत्रित उपयोग, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग, औद्योगिकीकरण आदि। वे सभी किसी-न-किसी रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।

जब प्राकृतिक साधन पर्यावरण को पुनः स्वच्छता प्रदान नहीं कर सकते तो प्रदूषण होता है। औद्योगिक दुर्घटनाओं तथा बिना नियोजित लगाए गए कारखानों आदि से भी पर्यावरण प्रदूषित होता है। अत्यधिक रसायनों का उपयोग भी इसी का एक घटक है। प्राकृतिक संपदाओं का अतिशोषण भी पर्यावरण के प्रदूषण को बढ़ावा देता है। औद्योगिक क्रांति से वायु तथा जल प्रदूषण होता है। अम्लीय वर्षा, अंतः दहन इंजनों द्वारा प्रचलित वाहनों द्वारा अधिक मात्रा में सल्फर युक्त यौगिकों को वायु में मुक्त करने का परिणाम है। ऐरोसाल के उपयोग से ओजोन सतह की हानि हो रही है।

मानव के विभिन्न क्रियाकलापों के परिणाम से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे आगे हैं। ये अपशिष्ट पदार्थ अत्यंत घातक होते हैं तथा इनका प्रभाव दूर-दूर तक फैल जाता है। इनका निपटान आजकल विश्व की समस्या है। इनका पुन: चक्रण ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकता है। पर्यावरण को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका मनुष्य की है, इसके साथ-साथ इस प्रदूषित पर्यावरण का शिकार भी प्रमुख रूप से मानव ही है।

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प्रश्न 3.
कोयला एवं पेट्रोलियम का प्रयोग सावधानीपूर्वक क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
कोयला और पेट्रोलियम पेड़-पौधों तथा जीव जंतुओं से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर भी होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होती हैं। अपर्याप्त वायु में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्थान पर मोनो ऑक्साइड उत्पन्न होती है। इन उत्पादों में से नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोआक्साइड विषैली गैसें हैं। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है।

कोयला और पेट्रोलियम कार्बन के विशाल भंडार हैं। यदि इनकी संपूर्ण मात्रा का कार्बन न जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो गया तो पृथ्वी पर ऑक्सीजन की उपलब्धता तो अत्यंत हो जाएगी पर साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड से अधिकता वैश्विक ऊष्मण होने का कारण बन जाएगी। इसलिए इन संसाधनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

प्रश्न 4.
गंगा का प्रदूषण किस प्रकार हो रहा है ? इसकी सफाई योजना पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
गंगा हिमालय पर्वत में स्थित गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी तक लगभग 2500 किलोमीटर तक यात्रा करती है। वह विभिन्न राज्यों के सौ से अधिक नगरों और कस्बों से गुजरती है जिस कारण उसमें तरह-तरह की गंदगियों का मिलना स्वाभाविक है।

गंगा का प्रदूषण मुख्य रूप से अग्रलिखित प्रकार का है-

  • औद्योगिक कचरा।
  • अनौपचारित मल और अपशिष्ट।
  • मृत शरीरों को तटों पर जलाना, जल में बहाना और मृत शरीरों की राख और हड्डियों को गंगा के जल में डालना।
  • अंधविश्वास के कारण गंगा में नहाना। गंगा की सफाई योजना गंगा के जल में धार्मिक कारणों से अस्थि प्रवाह किया जाता है।

इसलिए इसके जल में, मानव आंत में पाया जाने वाला कोलिफार्म जीवाणु उपस्थित है और उसकी MPN (Most Probable Number) जल के अधोप्रवाह में बढ़ता जाता है। सन् 1985 में, गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिए गंगा सफाई योजना शुरू की गयी थी। जिसका बजट प्रथम चरण में 462 करोड़ रुपये और द्वितीय चरण में 416 करोड़ रुपये था। इस अभियान के अनुसार 873 मिलियन लीटर जल प्रतिदिन उपचारित करना था। वर्तमान में गंगा की सफाई योजना में तेजी लाए जाने की परम आवश्यकता है तभी इसमें निरंतर बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)-प्रकृति में पाए जाने वाले मनुष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। उदाहरण-वायु, जल, मिट्टी, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 2.
3R के सिद्धांत से आप क्या समझते हो ? वर्णन करो।
उत्तर-
पहले ‘R’ का अर्थ है Reduce अर्थात् कम करना। इसका यह अर्थ है कि हमें कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् के अपव्यय को रोक सकते हैं। इसी प्रकार कम-से-कम जल का उपयोग करके तथा लीक होने वाले नल तथा पाइप की मरम्मत करवा के भी हम जल के अपव्यय को रोक सकते हैं।

दूसरे ‘R’ का अर्थ है Recycle अर्थात् पुनः चक्रण। इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज़, काँच, धातु की वस्तुएँ आदि पदार्थों का पुनः चक्रण करके इनसे उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिएं। हमें ऐसी चीज़ों को कचरे के डिब्बे में नहीं डालना चाहिए बल्कि इन्हें अपने कचरे से अलग करना होगा ताकि यह दुबारा उपयोगी बनाई जा सकें।

तीसरा ‘R’ है Reuse अर्थात् पुन: उपयोग। यह पुन:चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण से भी कुछ न कुछ ऊर्जा व्यर्थ जाती है। पुन: उपयोग के तरीके में हम एक ही वस्तु का बार-बार उपयोग कर सकते हैं। उदाहरणविभिन्न खाद्य पदाथों के साथ आए डिब्बे तथा केन हम अन्य सामान रखने में प्रयोग कर सकते हैं।

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प्रश्न 3.
गंगा के जल प्रदूषण को किस प्रकार रोका जा सकता है ?
उत्तर-
गंगा के जल प्रदूषण को निम्नलिखित विधियों से रोका जा सकता है

  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को गंगा में गिरने से रोक कर।
  • नदी में मृत पशुओं को बहाने से रोक कर।
  • घरों-व्यापारिक संस्थानों से निकले कूड़े को नदी में न बहा कर।
  • नदी में कपड़े न धो कर।
  • जल स्रोतों के निकट मल-मूत्र को न त्याग कर।
  • नदी में राख और शवों को न बहा कर।

प्रश्न 4.
पुनः चक्रण क्या है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
पुनः चक्रण-पुरानी अखबारों, कॉपी-किताबों, धातु से बनी पुरानी-बेकार वस्तुओं, प्लास्टिक आदि को कुछ प्रक्रियाओं के द्वारा नए रूप में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे पुनः चक्रण कहते हैं। पुनः चक्रण के लिए हम अग्रलिखित कार्य कर सकते हैं-

  • ऐसी वस्तुएं खरीदें जिनका पुनः चक्रण संभव हो।
  • ऐसी वस्तुएं प्रयोग करें जो पुनः चक्रण से निर्मित हों।
  • पुन: चक्रण के लिए उपयुक्त वस्तुओं को खराब होने से पहले बेच दें।

प्रश्न 5.
‘चिपको आंदोलन’ ने सरकार तथा लोगों को क्या सिखाया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
चिपको आंदोलन-‘चिपको आंदोलन’ बहुत तेजी से विभिन्न समुदायों में फैल गया है। जन संचार माध्यमों ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने सरकार को यह सोचने पर विवश कर दिया कि वन संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए प्राथमिकता तय करने के लिए पुनर्विचार की आवश्यकता है। लोगों को अनुभव ने सिखा दिया है कि वनों के विनाश से केवल वन की उपलब्धता ही प्रभावित नहीं होती बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और जल स्रोत भी प्रभावित होते हैं। स्थानीय लोगों की भागीदारी निश्चित रूप से वनों के प्रबंधन में होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
भौम जल के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
भौम जल के लाभ-

  • यह जल वाष्पित होकर वायुमंडल में मिलता नहीं है।
  • इसमें जीव जंतु तथा पादपों का जनन नहीं हो पाता।
  • यह भौम स्तर में सुधार लाता है।
  • यह पौधों को नमी प्रदान करता है।
  • यह जीव-जंतुओं के कारण प्रदूषित और संदूषित नहीं हो पाता।

प्रश्न 7.
जीवाश्म ईंधन क्या हैं तथा किस प्रकार बनते हैं ? इसके दो उदाहरण बताओ।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जंतु तथा वनस्पति के अवशेष पृथ्वी की सतह में दबते रहे हैं जो धीरे-धीरे तलछट के नीचे दब कर एकत्रित होते जाते हैं। इस प्रकार उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती। तलछट के आवरण के नीचे न तो इनका ऑक्सीकरण होता है और न ही विघटन, परंतु इसी तलछट के भार के कारण इन अवशेषों से पानी तथा अन्य वाष्पीजन्य पदार्थ निचुड़ कर बाहर निकल जाते हैं। इन्हीं पदार्थों को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। जीवाश्म ईंधन ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु हैं जिनका निर्माण मूलत: सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया था। जीवाश्म ईंधन के उदाहरण कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हैं।

प्रश्न 8.
“जल जीवन के लिए आवश्यक है।” इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
जल निम्नलिखित कारणों से जीवन के लिए आवश्यक है

  • जल हमारे शरीर की सभी रासायनिक प्रक्रियाओं में भाग लेता है।
  • जल शरीर में तापमान को स्थिर रखता है।
  • जल पोषक पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
  • जल भल-मूत्र के विसर्जन में सहायता करता है।
  • जल पदार्थों के परिवहन में सहायता करता है।
  • कृषि, कारखानों तथा विद्युत् के लिए भी जल आवश्यक है।

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प्रश्न 9.
जल संरक्षण के कुछ प्रमुख उपाय लिखिए।
उत्तर-
जल के संरक्षण हेतु उपाय

  • जल को सिंचाई के लिए उपयोग करना।
  • बाढ़ नियंत्रण तथा हाइड्रोलोजिकल सर्वे और बाँध निर्माण करना।
  • भूमिगत जल की रिचार्जिंग तथा व्यय को रोकना।
  • अधिक जल तथा कम जल वाले स्थानों को स्थानांतरण करना।
  • मृदा अपरदन को रोकने के लिए बाह्य मृदा को बनाए रखना।

प्रश्न 10.
कुछ वायु प्रदूषकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
वायु के मुख्य प्रदूषक निम्नलिखित हैं-

  • कार्बन मोनोक्साइड
  • कार्बन डाइऑक्साइड
  • सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  • फ्लोराइडज के यौगिक
  • धातुएं तथा हाइड्रोकार्बन।

प्रश्न 11.
प्रदूषण नियंत्रण के पाँच उपाय बताओ।
उत्तर-
प्रदूषण को रोकने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएँ –

  • गोबर गैस का निर्माण करना चाहिए।
  • अजैव विघटनशील पदार्थों को गड्ढों में डालना चाहिए।
  • अपशिष्ट पदार्थों का चक्रीकरण करना चाहिए।
  • वाहित मल तथा उत्सर्जी पदार्थ आदि का सही ढंग से विसर्जन करना चाहिए।
  • आटोमोबाइल्स में सी० एन० जी० का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 12.
वनों के कटने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
यदि वृक्षों के कटने की दर उनकी वृद्धि से अधिक हो तो वृक्षों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाएगी। वृक्ष वाष्पण की क्रिया से बड़ी मात्रा में जल मुक्त करते हैं। इससे वर्षा वाले बादल आसानी से बनते हैं। जब वन कम हो जाते हैं तब उस क्षेत्र में वर्षा कम होती है। इससे वृक्ष कम संख्या में उग पाते हैं। इस प्रकार एक दुष्चक्र आरंभ हो जाता है और वह क्षेत्र रेगिस्तान भी बन सकता है। वृक्षों के बहुत अधिक मात्रा में कटने से जैव पदार्थों से समृद्ध मिट्टी की सबसे ऊपरी परत वर्षा के पानी के साथ बहकर लुप्त होने लगती है।

प्रश्न 13.
कोयला और पेट्रोलियम को किस प्रकार लंबे समय तक बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
कोयला पेट्रोलियम का उपयोग मशीनों की दक्षता पर भी निर्भर करता है। यातायात के साधनों में आंतरिक दहन-इंजन का प्रयोग होता है। लंबे समय से इसके उपयोग के लिए शोध किया जा रहा है कि इनमें ईंधन का पूर्ण दहन किस प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है। यह भी प्रयत्न किया जा रहा है कि इनकी दक्षता भी बढ़े तथा वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके और इन्हें लंबे समय तक बचाया जा सके।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य में अंतर लिखिए।
उत्तर-

राष्ट्रीय उद्यान जीव अभयारण्य
(1) चीता, गैंडा, शेर आदि विशेष वन्य जीवों को आवास प्रदान किया जाता है। (1) जीव-जंतुओं की सामान्य प्रजातियों को प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षा दी जाती है।
(2) क्षेत्र 100 वर्ग किलोमीटर से 500 वर्ग किलोमोटर तक होता है। (2) क्षेत्र 500 वर्ग किलोमीटर से 1000 वर्ग किलोमीटर तक होता है।
(3) चारों ओर पक्की दीवारें बनाई जाती हैं। (3) चारों ओर ऊँची जालीदार अस्थायी दीवारें बनाई जाती हैं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रदूषण क्या है?
उत्तर-
प्रदूषण-प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अथवा शुद्ध रूप में पाए जाने वाले पदार्थों में धूल कण तथा अन्य नुकसानदेह पदार्थों का मिश्रण प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 2.
किन्हीं पाँच प्राकृतिक संसाधनों के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. वन
  2. वन्य जीवन
  3. जल
  4. कोयला
  5. पेट्रोलियम।

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प्रश्न 3.
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन R. के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. Reduce (कम करो)
  2. Recycle (पुनः चक्रण)
  3. Reuse (पुनः प्रयोग)।

प्रश्न 4.
किन वस्तुओं को पुनः चक्रण द्वारा दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं?
उत्तर-
प्लास्टिक, काँच, कागज़ एवं धातु की वस्तुएँ।

प्रश्न 5.
CFC का पूरा नाम बताएँ।
उत्तर-
क्लोरो फलोरो कार्बन।

प्रश्न 6.
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला एवं पेट्रोलियम।

प्रश्न 7.
ऊर्जा के दो परंपरागत स्त्रोतों के नाम बताएँ।
उत्तर-
खनिज ईंधन और बहता हुआ पानी।

प्रश्न 8.
संसाधन यदि वर्तमान दर से प्रयोग में आते रहे तो यह कितने समय तक उपलब्ध रहेंगे ?
उत्तर-
पेट्रोलियम के संसाधन लगभग अगले 40 वर्षों तथा कोयले के संसाधन अगले 200 वर्षों तक उपलब्ध रह सकते हैं।

प्रश्न 9.
अपशिष्ट पदार्थों को किन दो वर्गों में रखा जा सकता है ? इनमें से कौन-सा अधिक घातक होता है ?
उत्तर-

  1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ।
  2. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ। इन दोनों में से जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ अधिक घातक हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इंदिरा गाँधी नहर से किस राज्य के बड़े क्षेत्र को हरा-भरा बनाने में सहायता मिली ?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) छत्तीसगढ़
(d) राजस्थान।
उत्तर-
(d) राजस्थान।

प्रश्न 2.
अमृता देवी बिश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है
(a) जीव संरक्षण हेतु
(b) वनोन्मूलन हेतु
(c) वनों के विनाश को रोकने हेतु
(d) जल संरक्षण हेतु।
उत्तर-
(a) जीव संरक्षण हेतु।

प्रश्न 3.
जल संग्रह की “कुल्ह” तकनीक प्रचलन में है
(a) राजस्थान में
(b) हिमाचल प्रदेश में
(c) उत्तराखंड में
(d) मध्यप्रदेश में।
उत्तर-
(b) हिमाचल प्रदेश में।

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प्रश्न 4.
1970 के प्रथम दशक में चिपको आंदोलन कहां आरंभ हुआ ?
(a) कुमायुं में
(b) गढ़वाल में
(c) हिमाचल प्रदेश में
(d) असम में।
उत्तर-
(b) गढ़वाल में।

प्रश्न 5.
गंगा सफाई योजना कब आरंभ हुई ?
(a) 1945 में
(b) 1965 में
(c) 1985 में
(d) 2005 में।
उत्तर-
(c) 1985 में।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय वन पॉलिसी बनाई गई थी ?
(a) 1988
(b) 1989
(c) 1990
(d) 1991.
उत्तर-
(a) 1988.

प्रश्न 7.
पुनः चक्रण किया जा सकता है
(a) प्लास्टिक
(b) पॉलिथीन
(c) धातु
(d) इन सभी का।
उत्तर-
(d) इन सभी का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) प्रकृति में मिलने वाले मनुष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधन

(ii) ……………………… समाप्त होने वाला प्राकृतिक संसाधन है।
उत्तर-
मिट्टी

(iii) ……………………………… न समाप्त होने वाला प्राकृतिक संसाधन है।
उत्तर-
सौर ऊर्जा

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(iv) किसी बड़े क्षेत्र में अधिक वृक्ष लगाकर जंगलों को विकसित करना ………………………… कहलाता है।
उत्तर-
वनीकरण

(v) CFC का पूरा नाम …………………………. है।
उत्तर-
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers.

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(i) पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवोम या बायोम।
(ii) आहार श्रृंखला तथा खाद्य जाल।
(iii) मांसाहारी और सर्वभक्षी।
उत्तर-
(i) पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवोम या बायोम –

पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) जीवोम या बायोम (Biome)
(1) यह जैव जगत् की स्वयंधारी (Self-Sustaining) इकाई है। (1) यह बहुत से पारिस्थितिक तंत्रों का समूह है।
(2) यह जैव जीवों और अजैव पर्यावरण से मिल क्षेत्र के अनेक पारिस्थितिक तंत्र होते हैं। (2) इसमें समान जलवायु वाले एक निश्चित भौगोलिक कर बना है।
(3) यह जैव जगत् की अपेक्षाकृत छोटी इकाई है। (3) यह जैव जगत् की एक बहुत बड़ी इकाई है।

(ii) आहार श्रृंखला तथा खाद्य जाल –

आहार श्रृंखला (Food Chain) खाद्य जाल (Food Web)
(1) यह किसी पारितंत्र में भोजन तथा ऊर्जा प्रवाह को प्रदर्शित करती है। (1) इसमें पोषण स्तर की खाद्य शृंखलाओं से जुड़े होते हैं।
(2) यह भोजन प्राप्त करने की क्रमबद्ध आहार श्रृंखला है। (2) इसमें एक खाद्य श्रृंखला के जीव किसी-न-किसी पोषण स्तर पर अन्य खाद्य श्रृंखलाओं से जुड़ कर खाद्य श्रृंखलाओं का जाल-सा बनाते हैं।
(3) इसमें पोषण स्तर सीमित है। (3) इसमें पोषण स्तर पारितंत्र में प्राकृतिक संतुलन को प्रकट करते हैं।
(4) यह सीमित और छोटी होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1
(4) यह कई खाद्य श्रृंखलाओं का जाल है।
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(iii) मांसाहारी और सर्वभक्षी

मांसाहारी (Carnivore) सर्वभक्षी (Omnivore)
(1) ये अन्य जीव-जंतुओं का मांस ही खाते हैं जैसे शेर, चीता आदि। (1) ये जीव-जंतुओं का मांस तथा पेड़-पौधों दोनों से अपना भोजन प्राप्त कर लेते हैं, जैसे मनुष्य, चील आदि।
(2) ये खाद्य श्रृंखला के तीसरे या उससे आगे के स्तर पर आते हैं। (2) ये प्रायः दूसरे पोषण स्तर पर होते हैं।
(3) ये प्राय: जंगलों में रहते हैं। (3) यह किसी भी स्थान पर रह सकते हैं।
(4) इनके कंतक दांत कम विकसित और कील दांत तथा नाखून अधिक विकसित होते हैं। (4) इनमें दोनों प्रकार के दांत और नाखून विकसित

प्रश्न 2.
आहार श्रृंखला छोटी कैसे हो जाती है ?
उत्तर-
ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा में होता है तथा उसका विभिन्न चरणों में स्थानांतरण होता रहता है। ऊर्जा के प्रत्येक स्थानांतरण पर ऊर्जा का 10% भाग रह जाता है। यदि आहार श्रृंखला में अधिक चरण हों तो ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा व्यर्थ हो जाएगी। ऊर्जा को बचाने के लिए प्रकृति में आहार श्रृंखलाएं छोटी हो जाती हैं। आहार श्रृंखला में ऊर्जा स्थानांतरण के दौरान उत्पादक स्तर पर अधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है। आहार श्रृंखला में दाहिने हाथ की ओर जाने पर ऊर्जा की उपलब्धता कम होती जाती है। उदाहरण : घास → टिड्डा → मेंढक → सांप → मोर

यदि इस श्रृंखला में मेंढक को समाप्त कर दिया जाये तो श्रृंखला प्रभावित हो जाएगी। इस अवस्था में निम्नलिखित परिवर्तन दिखायी देंगे

  • टिड्डों की संख्या बढ़ जाएगी।
  • मेंढक न मिलने के कारण सांपों की संख्या कम हो जाएगी।
  • सांपों की संख्या का मोरों की संख्या पर प्रभाव पड़ेगा।

मनुष्य के अवांछनीय अनेक कार्यों के कारण खाद्य शृंखला छोटी हो जाती है और उससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो जाता है।

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प्रश्न 3.
क्या आहार श्रृंखला में छः से अधिक स्तर हो सकते हैं? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर-
आहार श्रृंखला के प्रत्येक चरण में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है तथा ऊर्जा में लगातार कमी होती जाती है। तीन या चार चरणों के उपरांत ऊर्जा केवल नाम मात्र की ही रह जाती है। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा हरे पौधे सौर ऊर्जा का केवल 1% भाग ही अंतर्ग्रहण करते हैं तथा शेष वातावरण में ही व्यर्थ हो जाता है। दूसरे चरण में पौधों को शाकाहारी खाते हैं तो कैवल 10% ही ऊर्जा शाकाहारियों को प्राप्त होती है।

यदि हम सौर ऊर्जा से प्राप्त ऊर्जा को केवल 1000 J मान लें तो पौधे केवल 10 J ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं तथा शाकाहारी केवल 1 J ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार जब शाकाहारी को मांसाहारी भक्षण करते हैं तो उसे केवल 0.01 J ऊर्जा ही प्राप्त होगी। अतः ज्यों-ज्यों आहार श्रृंखला के चरण बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ही उपलब्ध ऊर्जा की मात्रा भी कम होती जाती है। इसी आधार पर यह परिणाम निकलता है कि किसी भी आहार श्रृंखला में छः या अधिक चरण संभव नहीं होते हैं। उत्पादक स्तर पर ऊर्जा अधिक उपलब्ध होती है तथा बाद में लगातार कम होती जाती है तथा अंतिम स्तर पर ऊर्जा अत्यधिक कम प्राप्त होती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पर्यावरण को परिभाषित करो। इसके प्रमुख घटकों के नाम लिखिए।
अथवा
पर्यावरण पदधति क्या होती है ? इसके कितने भाग होते हैं?
उत्तर-
पर्यावरण वह भौतिक एवं जैव संसार है जिसमें हम सभी रहते हैं। इसके प्रमुख घटक जैव और अजैव हैं। जैव घटक-समस्त जीव-जंतु, पौधे तथा मानव जैव घटक के वर्ग में आते हैं। अजैव घटक- भौतिक या अजैव घटकों में वायु, जल तथा स्थल हैं। वायु से श्वसन क्रिया होती है, जल को हम पीते हैं तथा स्थल पर हमारा निवास होता है। इनके अतिरिक्त मौसम संबंधी घटक हैं-सौर ऊर्जा, ताप, प्रकाश, वर्षा आर्द्रता, पवन-वेग इत्यादि।

प्रश्न 2.
जैव निम्नीकरण अपशिष्ट तथा अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट पदार्थों में अंतर बताओ। प्रत्येक के उचित उदाहरण भी दो।
उत्तर –

जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
(1) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानि रहित पदार्थों में तोड़ा जा सकता है जैसे-गोबर घास आदि। (1) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानिरहित पदार्थों में नहीं तोड़ा जा सकता है। जैसे-डी० डी० टी०, प्लास्टिक आदि।
(2) ये पदार्थ जीवाणुओं, बैक्टीरिया द्वारा अपघटित हो जाते हैं और इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाये रखते हैं। (2) ये पदार्थ बैक्टीरिया जैसे जीवाणुओं द्वारा अपघटित नहीं होते हैं।

प्रश्न 3.
जीवमंडल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
जीवमंडल-जीवमंडल का अर्थ है ‘जीव का क्षेत्र’। पृथ्वी पर स्थल, जल तथा वायु विद्यमान हैं जो पौधों तथा जंतुओं का जीवन बनाए रखने में सहायता करते हैं। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने वाले ये क्षेत्र आपस में मिल कर जीवमंडल का निर्माण करते हैं। पृथ्वी के स्थलमंडल,जलमंडल और वायुमंडल तथा उनमें रहने सभी पौधों तथा जंतुओं को इकट्ठे रूप से जीवमंडल (Biosphere) कहते हैं।

प्रश्न 4.
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं ? इसका जीवमंडल से क्या संबंध है ?
उत्तर –
पारिस्थितिक तन्त्र-जीवमंडल में ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान जैव एवं अजैव घटकों के बीच लगातार होता रहता है, इस तंत्र को ही पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। तालाब, झील, जंगल, खेत और मानव-निर्मित जीवशाला में जैव और अजैव घटक आपस में क्रियाएं करते रहते हैं जो एक पारिस्थितिक तंत्र को प्रकट करते हैं। जैव संख्या, जैव तथा अजैव पारिस्थितिक तंत्र के घटक हैं, जो इस तंत्र को संरचना तथा गतिशीलता प्रदान करते हैं। कोई तालाब, वन या घास का मैदान पारिस्थितिक तंत्र के उदाहरण हैं।

जीवमंडल का प्रत्येक घटक अपना विशिष्ट कार्य करता है। इनके कुल कार्यों का सारा योग जीवमंडल को स्थिरता प्रदान करता है। किसी भौगोलिक क्षेत्र में सारे पारिस्थितिक तंत्र एक साथ मिलकर बायोम बनाते हैं तथा समस्त बायोम मिलकर जीवमंडल बनाते हैं। अतः जीवमंडल का एक प्रमुख घटक पारिस्थितिक तंत्र है जो जीवमंडल को गतिशीलता प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
उत्पादक और उपभोक्ता में अंतर बताओ।
उत्तर-

उत्पादक (Producer) उपभोक्ता (Consumer)
(1) ऐसे जीव जो प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं उन्हें उत्पादक कहते हैं। (1) ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहते हैं।
(2) हरे पौधे उत्पादक जीव कहलाते हैं। (2) सारे जंतु उपभोक्ता कहलाते हैं।

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प्रश्न 6.
अपघटक क्या हैं ? जीवमंडल में अपघटकों का क्या महत्त्व है ?
अथवा
पदार्थों के पुन: चक्रण में अपघटकों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अपघटक-अपघटक वे सूक्ष्म जीव हैं जो मृत पौधों एवं जंतुओं के शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते हैं तथा उन्हें सरल यौगिकों और तत्वों में बदल देते हैं। ये सरल यौगिक तथा तत्व पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस चले जाते हैं। जीवमंडल में अपघटकों का महत्त्व-अपघटक जीव मृत पौधों और जंतुओं के मृत शरीरों के अपघटन में सहायता करते हैं तथा इस प्रकार वातावरण को स्वच्छ रखने का कार्य करते हैं। अपघटक जीव मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीरों में उपस्थित विभिन्न तत्वों को फिर से पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस पहुँचाने का कार्य भी करते हैं। पोषक तत्व पुनः प्राप्त हो जाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह मिट्टी बार-बार फ़सलों का पोषण करती रहती है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा की दृष्टि से कौन-सा व्यक्ति-शाकाहारी या मांसाहारी-अधिक लाभ प्राप्त करता है ? क्यों ?
उत्तर-
ऊर्जा की दृष्टि से शाकाहारी व्यक्ति अधिक लाभ प्राप्त करता है। कारण-पौधे प्रथम पोषी स्तर हैं। एक पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर को सामान्य रूप में लगभग 10% कम ऊर्जा का स्थानांतरण होता है। इससे स्पष्ट है कि मांसाहारी व्यक्ति को शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में कम ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रश्न 8.
पारिस्थितिक संतुलन किस प्रकार बना रहता है ?
उत्तर-
प्रकृति में खाद्य श्रृंखलाएँ जुड़ी होती हैं। कई बार उनमें से एक की कोई कड़ी किसी कारण समाप्त हो जाती है। तब उस आहार श्रृंखला का किसी अन्य श्रृंखला से संबंध जुड़ जाता है और खाद्य पदार्थों और ऊर्जा के प्रवाह का संतुलन बना रहता है। यदि ऐसे किसी जंगल में सारे हिरण समाप्त हो जायें तो इसकी पूर्ति करने के लिए जंगल का शेर किसी जंगली जानवर को मार कर कड़ी को पूरा कर लेता है। इस प्रकार पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।

प्रश्न 9.
कौन-से रसायन ओज़ोन छिद्र के लिए प्रमुख कारण बने हुए हैं ?
उत्तर-
ओज़ोन छिद्र के मुख्य कारण-

  1. एयरोसोल दहन
  2. आधुनिक अग्निशामक
  3. नाभिकीय विस्फोट
  4. हैलोजन
  5. सल्फेट एयरोसोल
  6. CFCs (क्लोरोफ्लोरो कार्बन), CBC (क्लोरो ब्रोमो कार्बन आदि जिनका प्रशीतकों में उपयोग किया जाता है।)

प्रश्न 10.
पारिस्थितिक पिरामिड जीवमंडल में पोषण रीति की संरचना को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर-
पारिस्थितिक पिरामिड आहार श्रृंखलाओं तथा उनके पोषी स्तरों का ग्राफीय निरूपण (graphical representation) करते हैं। पारिस्थितिक पिरामिड विभिन्न पोषी स्तरों को इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं; पारिस्थितिक पिरामिड का ‘आधार’ उत्पादक जीवों जैसे कि पौधों से प्रदर्शित करता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 3
पिरामिड के आधार (base) से जैसे-जैसे ऊपर जाते हैं, पिरामिड का आकार पतला होता जाता है तथा उच्चतर पोषी स्तरों को प्रकट करता है। पारिस्थितिक पिरामिड की चोटी सर्वोच्च मांसाहारी जीवों को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 11.
वायुमंडल में ओज़ोन किस प्रकार बनती है ? इसके रिक्तिकरण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से ओज़ोन 0, के अणु बनते हैं। सामान्य ऑक्सीजन के अणु में दो परमाणु होते हैं। ऑक्सीजन सभी प्रकार के वायविक प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है। पर ओज़ोन एक घातक विष है। वायुमंडल के ऊपरी स्तर में ओज़ोन अति आवश्यक कार्य पूरा करती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच तैयार करती है। पराबैंगनी विकिरण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। ये विकिरण त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती है।

वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी (UV) विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन बनती है। उच्च ऊर्जा वाले पराबैंगनी (UV) विकिरण ऑक्सीजन अणुओं (O2) को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाती हैं। ऑक्सीजन के यह स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओज़ोन बनाते हैं।
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प्रश्न 12.
भोजन श्रृंखला क्या होती है ? उदाहरण भी दो।
उत्तर-
भोजन श्रृंखला-उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक से मिलकर बनने वाली शृंखला भोजन श्रृंखला कहलाती है। भोजन श्रृंखला के उदाहरण-घास → टिड्डा → मेंढक → साँप → मोर।

प्रश्न 13.
विघटक क्या होते हैं ? पारितंत्र में विघटकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विघटक-जीवाणु तथा कवक जैसे सूक्ष्मजीव मृत जीवों के अवेशषों का विघटन करते हैं, जिन्हें विघटक कहते हैं। पारितंत्र में विघटक की भूमिका-विघटक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं जो मिट्टी में मिल जाते हैं तथा पौधों द्वारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘जैव निम्नीकरणीय’ पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित हो जाते हैं उन्हें ‘जैव निम्नीकरणीय’ कहते हैं।

प्रश्न 2.
किन्हीं चार जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सब्जी-फलों के छिलके, कागज, भूसा, चारा।

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प्रश्न 3.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित नहीं हो पाते उन्हें अजैव निम्नीकरणीय कहते हैं।

प्रश्न 4.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्लास्टिक, काँच।

प्रश्न 5.
पारितंत्र के अजैव कारकों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ताप, वर्षा, वायु, मिट्टी, खनिज आदि।

प्रश्न 6.
प्राकृतिक पारितंत्र के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
वन, तालाब, झील।

प्रश्न 7.
उत्पादक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ का निर्माण पर सकते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो जीव भोजन के लिए सीधे या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर आश्रित रहते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
मानव, शेर, बंदर, चिड़िया।

प्रश्न 10.
सूक्ष्मजीव अपमार्जक क्यों कहलाते हैं ?
उत्तर-
सूक्ष्मजीव जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में चले जाते हैं और पुनः पौधों के द्वारा उनका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
जीवमंडल किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्राकृतिक क्षेत्र तथा उसमें पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु परस्पर मिलकर जीवमंडल कहलाते हैं।

प्रश्न 12.
जीवमंडल के प्रमुख घटक लिखिए।
उत्तर-
जैव घटक तथा अजैव घटक जीवमंडल के प्रमुख घटक हैं।

प्रश्न 13.
सर्वभक्षी या सर्वाहारी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे जीव जो भोजन के लिए पौधे एवं जंतुओं दोनों का उपयोग करते हैं उन्हें सर्वभक्षी या सर्वाहारी कहते हैं, जैसे-मानव।

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प्रश्न 14.
किसी जलीय आहार श्रृंखला का उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
काई या शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली → बड़ी मछली।

प्रश्न 15.
जैव यौगिकीकरण क्या है ?
उत्तर-
जीवाणुओं तथा शैवाल द्वारा किए गए नाइट्रोजन स्थिरीकरण को जैव यौगिकीकरण कहते हैं।

प्रश्न 16.
जैव-निम्नीकरण कचरा क्या होता है ?
उत्तर-
जैव-निम्नीकरण कचरा-ऐसा कचरा जो जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाता है। ऐसा कचरा जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न हुए एन्जाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं ?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-
(a) (c) तथा (d)।

प्रश्न 2.
निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर-
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
घास स्थल परितंत्र में उत्पादक है –
(a) घास
(b) टिड्डा
(c) मेंढक
(d) साँप।
उत्तर-
(a) घास।

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प्रश्न 4.
जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है-
(a) कागज़
(b) मृतपादप
(c) पॉलिथीन
(d) कच्चे फल।
उत्तर-
(c) पॉलिथीन।

प्रश्न 5.
जीवमंडल में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है
(a) वायु
(b) सूर्य
(c) पौधे .
(d) परमाणु ऊर्जा।
उत्तर-
(b) सूर्य।

प्रश्न 6.
जीवमंडल में सम्मिलित है –
(a) वायुमंडल
(b) स्थलमंडल
(c) जलमंडल
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण नहीं करता है:
(a) राइज़ोबियम
(b) ई० कोलाई
(c) नाइट्रोसोमोनास
(d) नीले हरे शैवाल।
उत्तर-
(b) ई० कोलाई।

प्रश्न 8.
क्लोरो-फ्लुओरो-कार्बन्स (CFCs) का प्रयोग होता है
(a) रेफ्रिजरेटर में
(b) एयरकंडीशनर में
(c) गद्देदार फोम में
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) ……………………….. जैविक तथा अजैविक अवयवों के पूर्ण समन्वय से बनी व्यवस्था है।
उत्तर-
जैवमंडल

(ii) एक खाद्य श्रृंखला में …………………………. को छोड़कर सभी जीव उपभोक्ता हैं।
उत्तर-
उत्पादक

(iii) किसी भी खाद्य श्रृंखला में प्रायः प्रथम पोषक स्तर ……………………….. होते हैं।
उत्तर-
हरे पादप

(iv) अधिकतर खाद्य शृंखलाएँ …………………. से शुरू होती हैं।
उत्तर-
पौधों

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(v) ……………………….. अपशिष्ट पदार्थों तथा मृत जीवों के शरीर के भागों को सरल पदार्थों में तोड़कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
उत्तर-
अपघटक।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर कुक्कर की संरचना व कार्यविधि का वर्णन कीजिए।
अथवा
सौर कुक्कर का सिद्धांत, रचना और कार्यविधि अंकित चित्र द्वारा समझाओ।
अथवा
सौर परावर्तक और सौर संकेंद्रक क्या है ? यह कहाँ पर उपयोग किए जाते हैं ? एक बॉक्सनुमा सौरकुक्कर की कार्यविधि की व्याख्या करो।
अथवा
बॉक्सनुमा सौर कुक्कर की बनावट तथा कार्यविधि का एक साफ़ तथा लेबल किए हुए चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सौर परावर्तक-ये समतल दर्पण हैं जिनका प्रयोग सौर विकिरणों को परावर्तन करने के लिए किया जाता है। सौर परावर्तकों का प्रयोग उन यंत्रों में किया जाता है जहाँ मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है। यहाँ सौर-विकिरणों का परावर्तन समतल दर्पणों द्वारा किया जाता है और ये विकिरणें काले रंग के बर्तन पर पड़ती हैं। काली सतह वाले बर्तन विकिरणों को अवशोषित करके गर्म हो जाते हैं। यह आयोजन सौर कुक्करों और सौर-जल ऊष्मकों (हीटरों) में उपयोग किया जाता है।

सौर संकेंद्रक-ये प्रायः अभिसारी लेंस या दर्पण हैं जिनके द्वारा सौर विकिरणों को केंद्रित करके उच्चताप प्राप्त किया जाता है। इनका प्रयोग मुख्यतः सौर संकेंद्रक कुक्करों में जहाँ बेक करना या तलने की आवश्यकता हो, किया जाता है। इनमें परावर्तक अवतल या परावलयिक हैं। इस प्रकार ऊर्जा एक बड़े क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में संकेंद्रित की जाती है। इनके प्रयोग 1000 या अधिक लोगों के लिए आवश्यक रसोई घरों में भाप उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

बॉक्सनुमा सोलर कुक्कर- यह एक ऐसी युक्ति है, जिसमें सौर ऊर्जा का उपयोग करके भोजन को पकाया जाता है, इसलिए इसे सौर चूल्हा भी कहते हैं। चित्र में बॉक्सनुमा सौर कुक्कर को प्रदर्शित किया गया है। सिद्धांत-काली सतह अधिक ऊष्मा का अवशोषण करती है परंतु कुछ समय पश्चात् काली सतह इस अवशोषित ऊष्मा का विविकरण प्रारंभ कर देती है। ऊष्मा की इस हानि को रोकने के लिए काली पट्टी को किसी ऊष्मारोधी बाक्स में रखकर उसे काँच की पट्टी से ढक दिया जाता है। बाक्स की अंदर की दीवारों को काले रंग से पेंट कर दिया जाता है ताकि अधिक-से-अधिक ऊष्मा का अवशोषण हो सके तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा का नुकसान कम-से-कम हो।

संरचना-सामान्यत: यह एक लकड़ी का बक्सा A होता है जिसे बाहरी बक्सा भी कहते हैं। इस लकड़ी के बक्से के अंदर लोहे अथवा ऐलुमिनियम की चादर का बना एक और बक्सा होता है, इसे भीतरी बक्सा कहते हैं। भीतरी बक्से के अंदर की दीवारें तथा नीचे की सतह काली कर दी जाती है, जिससे कि सौर ऊर्जा का अधिक-सेअधिक अवशोषण हो तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा की कम-से-कम हानि हो। भीतरी बक्से तथा बाहरी बक्से के बीच
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 1
के खाली स्थान में थर्मोकोल अथवा काँच की रुई अथवा कोई भी ऊष्मारोधी पदार्थ भर देते हैं, इससे सौर कुक्कर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती। सौर कुक्कर के बक्से के ऊपर एक लकड़ी के फ्रेम में मोटे काँच का एक ढक्कन G लगा होता है, जिसे आवश्यकतानुसार खोला तथा बंद किया जा सकता है, तथा यह ग्रीन हाऊस प्रभाव पैदा करता है। सौर कुक्कर के बक्से में एक समतल दर्पण M भी लगा होता है जो कि परावर्तक तल का कार्य करता है।

कार्यविधि- पकाए जाने वाले भोजन को स्टील अथवा ऐलुमिनियम के एक बर्तन C में डालकर जिसकी बाहरी सतह काली पुती हो, सौर कुक्कर के अंदर रख देते हैं तथा ऊपर से शीशे के ढक्कन को बंद कर देते हैं। परावर्तक तल M अर्थात् समतल दर्पण को चित्रानुसार खड़ा करके सौर कुक्कर को धूप में रख देते हैं। जब सूर्य के प्रकाश की किरणें परावर्तक तल M पर गिरती हैं तो परावर्तक तल उन्हें तीव्र प्रकाश किरण पुंज के रूप में सौर कुक्कर के ऊपर डालता है।

सूर्य की ये किरणें काँच के ढक्कन में से गुज़रकर सौर कुक्कर के बक्से में प्रवेश कर जाती हैं तथा कुक्कर के अंदर की काली सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। अब यह सतहें ऊष्मा की पराबैंगनी विकिरणों के रूप में निकास करना आरंभ करती हैं परंतु ऊपर की सतह पर स्थापित काँच की पट्टी इन विकिरणों को बाहर नहीं जाने देती हैं। इसलिए बक्से के भीतर की ऊष्मा अंदर रह जाती है। कुक्कर का भीतरी तापमान 2-3 घंटे में 100°C से 140°C हो जाता है। जिन भोज्य पदार्थों को हल्की गर्मी की आवश्यकता होती है उन्हें इस सौर कुक्कर में सुगमता से पकाया जा सकता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 2.
एक नामांकित चित्र बनाकर सौर जल ऊष्मक की संरचना तथा कार्य-विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
सौर जल ऊष्मक- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें सौर ऊर्जा का उपयोग करके पानी गर्म किया जाता है। सौर जल ऊष्मक का नामांकित चित्र नीचे दर्शाया गया है :
सौर जल ऊष्मक में एक ऊष्मारोधी बक्सा B होता है जो अंदर से काला पेंट किया होता है। इसके अंदर काले रंग से पुती हुई तांबे की ट्यूबें T एक कुंडली के रूप में होती हैं। सौर जल ऊष्मक का बक्सा तथा तांबे की ट्यूबें काले रंग की इसलिए की जाती हैं कि वे अधिक दक्षता से सूर्य की ऊष्मीय किरणों को अवशोषित कर सकें। संवहन तथा विकिरण द्वारा ऊष्मा की हानि को रोकने के लिए बक्से के ऊपर शीशे का ढक्कन लगाया जाता है। सौर जल ऊष्मक की तांबे की ट्यूबों के दोनों सिरे जल भंडारण टैंक D से जुड़े होते हैं। सौर जल ऊष्मक के भंडारण टैंक को भवन की छत के ऊपर रखा जाता है ताकि उन्हें सूर्य का प्रकाश सारा दिन प्राप्त हो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 2
कार्य-विधि-ठंडा पानी पाइप P के रास्ते भंडारण टैंक D में प्रवेश होता है तथा वहां से पाइप Q के द्वारा जल ऊष्मक B तांबे की ट्यूबों T में चला जाता है। ये तांबे की ट्यूबें सौर ऊर्जा का अवशोषण करके गर्म हो जाती हैं। जब ठंडा जल इन गर्म तांबे की ट्यूबों में से गुज़रते हुए गर्म हो जाता है। यह गर्म जल तांबे की ट्यूब के दूसरे सिरे से निकल कर पाइप R की सहायता से भंडारण टैंक के ऊपरी भाग में चला जाता है। गर्म जल हल्का होने के कारण भंडारण टैंक के ऊपरी भाग में ही रहता है तथा पाइप S के द्वारा उपयोग के लिए बाहर निकाला जा सकता है। इस प्रकार सौर जल ऊष्मक के भंडारण टैंक का सारा जल काफ़ी गर्म हो जाता है।

प्रश्न 3.
(i) अंकित चित्र की सहायता से गुंबद आकार जैव गैस संयंत्र की रचना व कार्यविधि समझाओ।
(ii) तैरते हुए गैस होल्डर बायो गैस संयंत्र की रचना और कार्यविधि समझाओ।
अथवा
जैव अपशिष्ट से जैव गैस प्राप्त करने की विधि का विस्तृत वर्णन कीजिए। इस गैस को प्राप्त करने के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर-
जैव गैस का निर्माण-जैव गैस कई ईंधन गैसों का मिश्रण है। इसे ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों के अपघटन से प्राप्त किया जाता है। जैव गैस का मुख्य संघटक मेथेन (CH4) गैस है जो कि एक आदर्श ईंधन जैव गैस उत्पादन के लिए गोबर, वाहित मल, फल-सब्जियों तथा कृषि आधारित उद्योगों के अपशिष्ट आदि का प्रयोग किया जाता है। जैव गैस बनाने के लिए दो प्रकार के संयंत्रों का प्रयोग किया जाता है-

  • स्थायी गुंबद संयंत्र तथा
  • प्लावी (तैरती) गैस होल्डर वाला बायो गैस संयंत्र।

(i) स्थिर गुंबदाकार बायोगैस संयंत्र की कार्यविधि-गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा का घोल बनाकर टैंक M में लिया जाता है। गोबर तथा पानी के इस घोल को प्रवेश चैंबर I के रास्ते से संपाचक टैंक T में भेज दिया जाता है। संपाचक टैंक का काफ़ी भाग गोबर तथा पानी के मिश्रण से भर दिया जाता है परंतु उसके ऊपर का गुंबद D बायोगैस एकत्रित करने के लिए खाली छोड़ दिया जाता है। मिश्रण 50-60 दिन रखा रहने दिया गया है।

इस अवधि के दौरान गोबर का पानी की उपस्थिति में अनॉक्सी-सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनाने लगती है और धीरे-धीरे गुंबदाकार टंकी D में इकट्ठी होती रहती है। गुम्बर में इकट्ठी हुई बायोगैस को गैस निर्गम S से पाइपों द्वारा घरों तक पहुंचाया जाता है। बायोगैस की उपलब्धता लगातार बनाए रखने के लिए बायोगैस संयंत्र में नियमित रूप से घोल डाला जाता है। संपाचक टैंक में बायोगैस बनने के बाद शेष बचा गोबर का घोल, निर्गम चैंबर के रास्ते टैंक F में लाया जाता है। टैंक F से गोबर के अपयुक्त घोल या स्लरी को खेती में ले जाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 3

(ii) तैरते हुए गैस होल्डर वाले बायोगैस संयंत्र की कार्य-विधि-बायोगैस या जैव गैस बनाने के लिए आवश्यक पदार्थ हैं-पशुओं का गोबर तथा पानी। गोबर तथा पानी की बराबर मात्रा टैंक M में मिलाकर गोबर का घोल या स्लरी (slurry) बना लेते हैं। गोबर तथा पानी के इस घोल को प्रवेश पाइप I द्वारा संपाचक टैंक T में डाल दिया जाता है। धीरे-धीरे संपाचक टैंक को तो गोबर तथा पानी के मिश्रण से भर दिया जाता है, परंतु उसके ऊपर बायोगैस इकट्ठी करने के लिए तैरती हुई टंकी छोड़ दी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 4
गोबर तथा पानी के घोल को संपाचक टैंक में लगभग 60 दिन के लिए रखा रहने देते हैं। इस अवधि के दौरान गोबर का पानी की उपस्थिति में अनॉक्सी-सूक्ष्मीजीवों द्वारा निम्नीकरण होता है जिससे बायोगैस बनती है जो धीरेधीरे तैरती हुई टंकी H में इकट्ठी होती रहती है। तैरती हुई गैस टंकी में एकत्रित बायोगैस को निर्गम S से पाइपों द्वारा घरों तक पहुंचाया जाता है।

बायोगैस की उपलब्धता लगातार बनाये रखने के लिए बायोगैस संयंत्र में नियमित रूप से समय-समय पर गोबर का घोल डाला जाता है। संपाचक टैंक T में बायोगैस बनने के बाद बची हुई स्लरी, निर्गम पाइप 0 के रास्ते टैंक F में आ जाती है। टैंक F से गोबर के उपयुक्त घोल या स्लरी को खेतों में ले जाकर खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैव-गैस के लाभ- यह एक उत्तम ईंधन है जो बिना धुआँ दिए जलती है। इसको जलाने से राख जैसा कोई ठोस अपशिष्ट भी नहीं बचता है। इस प्रकार, जैव-गैस एक पर्यावरण हितैषी ईंधन है।

डाइजेस्टर में, जैव गैस प्राप्त करने के पश्चात् शेष स्लरी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिक प्रचुर मात्रा में होते हैं; अतः एक उत्तम खाद का कार्य करती है। इस प्रकार, जैव गैस प्राप्त करने की क्रिया में न केवल हमें एक उत्तम ईंधन प्राप्त होता है, साथ ही खेतों के लिए खाद भी प्राप्त होती है तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बच जाता है।

अवायुजीवी (अनॉक्सी) अपघटन-डाइजेस्टर में उपस्थित अवायुजीवी सूक्ष्मजीवों को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है; अतः ये ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ही स्लरी का अपघटन करते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाला इस प्रकार का अपघटन अवायुजीवी अथवा अनॉक्सी अपघटन कहलाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 4.
पवन चक्की का कार्य-सिद्धांत क्या है ? पवन चक्की का विवरण चित्र सहित समझाइए।
अथवा
पवन चक्की के कार्य-सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पवन चक्की का सिद्धांत, रचना, कार्य-विधि चित्र सहित समझाएं। पवन ऊर्जा के उपयोग तथा सीमाएँ भी लिखिए।
उत्तर-
पवन चक्की- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें पवन की गतिज ऊर्जा को घूर्णन गति द्वारा यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।
पवन चक्की की रचना-पवन चक्की की रचना को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें ऐलुमिनियम के पतले-चपटे आयताकार खंडों के रूप में, बहुत-सी पंखुड़ियाँ लोहे के पहिये पर लगी रहती हैं। यह पहिया एक ऊर्ध्वाधर स्तंभ के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है तथा अपने केंद्र से घूमने वाली शाफ्ट यांत्रिक बंधन गुजरने वाली लौह शाफ्ट (अक्ष) के परितः घूम सकता है। पहिये का तल स्वतः वायु की गति की ब्लेड दिशा के लंबवत् समायोजित हो जाता है, जिससे वायु सदैव पंखुड़ियों पर सामने से टकराती है। पहिये की अक्ष एक लोहे की फ्रैंक से जुड़ी रहती है। बैंक का दूसरा सिरा उस मशीन अथवा डायनमों से जुड़ा रहता है, जिसे पवन ऊर्जा द्वारा गति प्रदान करनी होती है।
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कार्यविधि-जब तीव्र गतिशील पवन, पवन-चक्की के ब्लेडों से टकराती है तो वह उन पर एक बल लगाती है, जिसके कारण पवन चक्की के ब्लेड घूमते लगने हैं। पवन चक्की के घूर्णन (rotation) का प्रभाव उसके ब्लेडों की विशेष बनावट के कारण होता है तो बिजली के पंखे के ब्लेडों के समान होती है। पवन चक्की को एक ऐसा बिजली का पंखा समझा जा सकता है जो विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो क्योंकि जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन बहती है परंतु जब पवन बहती है तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं। घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति के कारण पवन चक्की से गेहूं पीसने की चक्की को चलाना, जल-पंप चलाना, मिट्टी के बर्तन के चाक को घुमाना आदि कार्य किए जा सकते हैं। पवन चक्की ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ वायु लगभग पूरे वर्ष तीव्र गति से चलती रहती है।

चित्र में पवन चक्की द्वारा पानी खींचने की क्रिया का प्रदर्शन किया गया है। पवन चक्की की फ्रैंक एक जल-पंप की पिस्टन छड़ से जोड़ दी जाती है। जब वायु, पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो चक्की का पहिया घूमने लगता है, और पहिये से जुड़ी अक्ष घूमने लगती है। शाफट की घूर्णन गति के कारण फ्रैंक ऊपर-नीचे होने लगती है और जल-पंप की पिस्टन छड़ भी ऊपर-नीचे गति करने लगती है तथा जल-पंप से जल बाहर निकलने लगता है।
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पवन ऊर्जा के उपयोग

  • पाल-चालित नौकाओं को चलाने के लिए।
  • पवन चक्कियों से आटा-चक्कियाँ और जल पंप आदि को चलाने के लिए।
  • वायुयानों द्वारा उड़ान भरने के लिए।
  • विद्युत् उत्पन्न करने के लिए।

पवन ऊर्जा की हानियाँ (सीमाएँ) –
यद्यपि पवन ऊर्जा के अनेक लाभ हैं, परंतु इसमें कई बाधाएं भी हैं जैसे मान लो जब हमें ऊर्जा की आवश्यकता हो और उस समय पवन प्रवाह न हो रहा हो। इसके अतिरिक्त यह भी हो सकता है कि उस समय पवन-प्रवाह तीव्र न हो और यह चक्की को न चला सके। पवन-चक्की को स्थापित करने के लिए खुला क्षेत्र भी चाहिए। एक अन्य कमी यह भी है कि इसे स्थापित करने के लिए निर्माण के लिए लागत अत्याधिक आती है।

प्रश्न 5.
सौर सेल क्या होता है ? इनका क्या उपयोग है ?
अथवा
सौर सेल क्या होता है ? इसका क्या सिद्धांत है ? इसकी रचना चित्र बनाकर स्पष्ट करो। कोई चार उपयोग लिखें।
अथवा
सौर सेल क्या है ? सौर सेलों के विकास तथा उपयोगों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
सौर सेल-यह एक ऐसी युक्ति (या यंत्र) है जो सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है। चूंकि सौर ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा भी कहते हैं इसलिए हम भी कह सकते हैं कि “सौर सेल एक ऐसी युक्ति या (यंत्र) है जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।”

सौर सेल का विकास-आज से लगभग 100 वर्ष पहले यह खोज हो चुकी थी कि सेलीनियम की किसी पतली पर्त को सौर प्रकाश में रखने पर विद्युत् उत्पन्न होती है। यह भी ज्ञात था कि सेलेनियम के किसी टुकड़े पर आपतित सौर ऊर्जा का केवल 0.6% भाग ही विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित हो पाता है। चूँकि इस प्रकार के सौर सेल की दक्षता बहुत कम थी, इसलिए विद्युत् उत्पादन के लिए इस परिघटना का उपयोग करने के कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए।

प्रथम व्यावहारिक सौर सेल सन् 1954 में बनाया गया था। यह सौर सेल लगभग 1.0% सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता था। इस सौर सेल की दक्षता भी बहुत कम थी। अंतरिक्ष कार्यक्रमों द्वारा बढ़ती हुई माँग के कारण अधिक-से-अधिक दक्षता वाले सौर सेलों को विकसित करने की दर तेज़ी से बढ़ी है। सौर सेलों के निर्माण के लिए अर्धचालकों के उपयोग से सौर सेलों की दक्षता बहुत अधिक बढ़ गई है। सिलिकॉन, गैलियम तथा जर्मेनियम जैसे अर्धचालकों से बने हुए सौर सेलों की दक्षता 10 से 18% तक होती है। सेलेनियम से बने आधुनिक सौर सेलों की दक्षता 25% तक होती है।
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सौर सेलों के उपयोग-सौर सेलों का उपयोग दुर्गम तथा दूरस्थ स्थानों में विद्युत् ऊर्जा उपलब्ध कराने में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। सौर सेलों के महत्त्वपूर्ण उपयोग अग्रलिखित हैं-

(i) अंतरिक्ष में उपयोग-कृत्रिम उपग्रहों और अंतरिक्ष में भेजे गये अनुसंधान यंत्रों के लिए विद्युत् का प्रयोजन करने के लिए।

(ii) ग्रामीण विद्युतीकरण-विद्युत् का संग्रहण करके सौर सेल ग्रामीण क्षेत्रों को 24 घंटे बिजली दे सकते हैं।

(iii) गलियों को प्रकाशित करना-छोटे सौर पैनलों और स्टोरेज बैटरी के प्रयोग से बहुत से स्थानों पर स्ट्रीट लाइट का प्रबंध किया गया है। इनका प्रयोग समुद्र में स्थित प्रकाश स्तंभों (Light houses) में भी किया गया है।

(iv) जल खींचना-कृषि में सिंचाई कार्यों के लिए जलपंपों द्वारा धरती की गहराई से जल खींचने के लिए सौर सेलों भी प्रयोग किया जा चुका है।

(v) जल का खारापन दूर करने/शुद्ध करने वाले संयंत्र-अनेक स्थानों पर सौर सेलों द्वारा उत्पन्न शक्ति के आधार पर जल का शोधन करने के लिए उद्योग लगाये गये हैं।

(vi) हाइड्रोजन उत्पादन-सौर सेल विद्युत् उत्पन्न करते हैं जिससे जल का विद्युत् अपघटन करके हाइड्रोजन उत्पन्न की जाती है। इस हाइड्रोजन को साफ़ ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

(vii) शक्ति फ़ार्म-सौर सेलों के बड़े पैनलों को परस्पर जोड़ कर अधिक शक्ति उपलब्ध हो जाती है। उचित ढंग द्वारा इसे दिष्ट धारा (D.C.) से प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में परिवर्तित किया जाता है और फिर आगे शक्ति ग्रिड से जोड़ दिया जाता है।

(viii) अन्य उपयोग-उच्च सुयोग्यता वाले सेल इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां या केलक्यूलेटरों में भी देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 6.
सौर पैनल क्या हैं ? सौर पैनलों के उपयोग की व्याख्या करने के लिए एक ब्लॉक रेखाचित्र बनाओ।
उत्तर-
सौर सेल पैनल- यह अर्ध-चालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है। सूर्य की किरणें बनावटसौर सेल पैनल अनेक सौर सेलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सेलों के विशेष क्रम में सौर सेल व्यवस्थित करके सौर सेल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की सौर पैनल से डी० सी० आऊटपुट लाने वाली तारें व्यवस्था भी की जाती है।
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कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्ध-चालकों की सहायता से बनाये गए सौर सेलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पड़ती है तो अर्ध-चालक के दो भागों में विभवांतर स्टोरेज बैटरी उत्पन्न हो जाता है। चार वर्ग सेमी० के एक सौर सेल के द्वारा 60 मि० ली० ऐंपियर धारा लगभग 0.4 – 0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सेलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विदयुत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

उपयोग-

  • सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
  • कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत् का प्रबंध किया जाता है।

प्रश्न 7.
नाभिकीय (न्यूक्लीयर) विखंडन से आपका क्या तात्पर्य है ? नाभिकीय (न्यूक्लीयर) विखंडन का एक उदाहरण दो।
अथवा
नाभिकीय विखंडन से क्या अभिप्राय है ? इसको एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
न्यूक्लीयर विखंडन- यह वह क्रिया है जिसमें भारी परमाणु (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम या थोरियम) के नाभिक को निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी कराकर हल्के नाभिकों में तोड़ा जाता है जिसके फलस्वरूप विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया में थोड़े से द्रव्यमान (mass) की हानि होती है जो अत्यधिक ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है।

नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में मूल नाभिक तथा उत्पाद नाभिकों के द्रव्यमानों का अंतर Δm, ऊर्जा E में परिवर्तित हो जाता है। जो E = mc2 द्वारा नियंत्रित की जाती है, यहाँ c प्रकाश की निर्वात में चाल है। नाभिकीय ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन वोल्ट के मात्रक में व्यक्त किया जाता है।
1 eV = 1.602 x 10-19J

न्यूक्लीयर विखंडन का उदाहरण-यूरेनियम-235 में न्यूक्लीयर विखंडन की प्रक्रिया मंद गति से चलने वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी से होती है। जब यूरेनियम-235 परमाणुओं पर धीमी गति वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यूरेनियम का भारी नाभिक टूटकर दो मध्यम भार वाले परमाणु, बेरियम-139 तथा क्रिप्टॉन-94 बना देता है तथा तीन न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है। इस विखंडन प्रक्रिया के दौरान यूरेनियम का कुछ द्रव्यमान खो जाता है तथा इसके बदले ऊर्जा की गति विशाल मात्रा उत्पन्न होती है।
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इस नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 8.
नाभिकीय संलयन से क्या अभिप्राय है ? एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
न्यूक्लीयर संलयन से क्या तात्पर्य है ? इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
नाभिकीय संलयन- यह वह प्रक्रिया है जिसमें दो हल्के न्यूक्लियस (नाभिक) आपस में संयोग करके एक भारी न्यूक्लियस बनाते हैं तथा ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया में थोड़े से द्रव्यमान की हानि होती है जो ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है।
उदाहरण-भारी हाइड्रोजन जिसे ड्यूटीरियम भी कहा जाता है हाइड्रोजन तत्व का एक आइसोटोप है जिसे 12H संकेत से दर्शाया जाता है। जब ड्यूटीरियम के परमाणुओं को उच्च ताप तक गर्म किया जाता है तो ड्यूटीरियम के दो नाभिक परस्पर संयोग करके हीलियम का भारी नाभिक बना देते हैं तथा ऊर्जा की विशाल मात्रा मुक्त होती है इस अभिक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 10
सूर्य के भीतर भारी हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 9.
नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
न्यूक्लियर विखंडन तथा न्यूक्लीयर संलयन में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर–
नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में अंतर-

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)
(1) भारी नाभिक हल्के नाभिक में परिवर्तित होते हैं। (1) हल्के नाभिक भारी नाभिक में परिवर्तित होते हैं।
(2) इस अभिक्रिया के संपन्न होने के लिए ताप की आवश्यकता होती है। (2) इस अभिक्रिया के संपन्न होने के लिए ताप की आवश्यकता नहीं होती है।
(3) नाभिकीय विखंडन के उत्पाद साधारणतः रेडियोएक्टिव होते हैं और उन्हें प्रक्रिया के बाद निपटाने की समस्या होती है। (3) नाभिकीय संलयन के उत्पाद रेडियो एक्टिव नहीं होते हैं। अतः उन्हें निपटाने की समस्या नहीं होती है।
(4) यह एक नियंत्रित अभिक्रिया है। (4) यह एक अनियंत्रित अभिक्रिया है।
(5) इस प्रक्रिया में अपेक्षाकत कम ऊर्जा उत्पन्न है। (5) इस प्रक्रिया में विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती होती है।
(6) यह परमाणु बम बनाने का आधार होती है। (6) यह हाइड्रोजन बम बनाने का आधार होती है।
(7) इस प्रक्रिया में विखंडनीय ईंधन बहुत महंगा सस्ते तथा सुलभ प्राप्त हो जाते हैं। (7) इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने वाले पदार्थ बहुत होता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जीवाश्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म या फॉसिल (Fossils)-पौधों तथा जंतुओं के कठोर भाग या उनके चट्टानों पर बने हुए प्राचीन चिह्न जो हमें चट्टानों की खुदाई करते समय मिलते हैं, उनको जीवाश्म कहते हैं। फॉसिल लातीनी (Latin) भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ “खोदकर निकाली गई वस्तु” है। जैसे पशुओं की हड्डियों, उनके पिंजर, उनके पैरों के चिह्न, पंजे या पंजों के छपे निशान सभी जीवाश्म हैं। इनसे हमें जीव विकास के विषय में पता चलता है।

प्रश्न 2.
जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की परिभाषा दीजिए। उसकी उचित उदाहरण दीजिए। ऊर्जा संकट से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग के लिए ध्यान में रखने वाली दो सावधानियां बताइए।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जीव-जंतुओं के अवशेष जो भूमि के नीचे दबे रहे और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होकर ईंधन बने उन्हें जीवाश्म ईंधन कहते हैं। ऊर्जा संकट से बचने के लिए सावधानियां कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा स्रोतों के समाप्त होने के खतरे से निम्नलिखित ढंगों द्वारा बचा जा सकता है –

  • हमें जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग करते समय अत्यंत ध्यान रखना चाहिए और केवल उसी समय इस ईंधन का उपयोग करना चाहिए जब इसका कोई वैकल्पिक नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध न हो।
  • हमें नई वैकल्पिक टैक्नालॉजी का पता लगाना चाहिए ताकि हम ऊर्जा से भरपूर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे-बायोमास तथा सूर्य आदि से ऊर्जा प्राप्त कर सकें।
  • हमें ऊर्जा को व्यर्थ नष्ट नहीं होने देना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यधिक तीव्र दर से करें तो उसका परिणाम क्या होगा ? कारण सहित समझाएं।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन पृथ्वी के अंदर अत्यंत मंद गति से होने वाली असामान्य प्रक्रियाओं द्वारा बने हैं। दबे हुए पेड़-पौधों तथा जंतु अवशेषों से जीवाश्म ईंधन बनने की प्रक्रिया में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। जो जीवाश्म ईंधन हम आजकल पृथ्वी में से खोद कर निकाल रहे हैं, वे करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी में दबे जीव-जंतुओं से बने हैं। यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यंत तेज़ गति से करेंगे तो वे शीघ्र ही समय से पूर्व समाप्त हो जाएंगे।

प्रश्न 4.
L.P.G. को एक आदर्श ईंधन क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
L.P.G. एक आदर्श ईंधन-L.P.G. को निम्नलिखित विशेषताओं के कारण आदर्श ईंधन माना जाता है-

  • L.P.G. का कैलोरीमान अधिक है।
  • L.P.G. का ज्वलनाँक अधिक है।
  • L.P.G. के दहन के पश्चात् विषैले पदार्थों की उत्पत्ति बहुत कम होती है।
  • L.P.G. की दहन दर संतुलित होती है।
  • L.P.G. में अदाह्य पदार्थ की मात्रा कम होती है।

प्रश्न 5.
किसी अच्छे ईंधन की क्या विशेषताएँ हैं ?
अथवा
अच्छे ( आदर्श ) ईंधन की कम-से-कम 6 विशेषताएँ लिखो।
अथवा
उत्तम ईंधन के गुण लिखें।
उत्तर-
उत्तम ( आदर्श ) ईंधन के गुण-

  • इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
  • ईंधन का उचित ज्वलन ताप होना चाहिए।
  • ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात् न अधिक हो और न कम हो।
  • ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
  • ईंधन के पश्चात् विषैले पदार्थों की उत्पत्ति कम-से-कम होनी चाहिए।
  • ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
  • ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
  • ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 6.
पनविद्युत् कैसे उत्पन्न की जाती है ? इसके लाभ और हानि बताओ।
अथवा
जल-विद्युत् संयंत्र में विद्युत् कैसे पैदा की जाती है ? चित्र सहित समझाओ।
उत्तर –
पनविद्युत् उत्पन्न करने का मूल सिद्धांत-नदियों में बहते हुए पानी को बांध की सहायता से इकट्ठा कर लिया जाता है। अब बांध के उच्च स्तर से जल को पइपों द्वारा उसकी तली के पास लगाए विद्युत् जनित्र पर गिराया जाता है। इस प्रक्रम में जल की स्थितिज ऊर्जा गिरते पानी की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। यह गतिशील पानी टरबाइनों को घुमाता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत् जनित्र में लगी आरमेचर घूमती है जिससे विद्युत् ऊर्जा उत्पादित होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 11

लाभ-

  • वायुमंडल में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता क्योंकि इसमें किसी ईंधन को नहीं जलाया जाता।
  • पनविद्युत् की प्राप्ति के साथ-साथ नहरों से सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी को प्राप्ति हो जाती है।

हानियाँ-

  • वातावरण से संबंधित अनेक परिस्थितिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का प्राकृतिक वातावरण नष्ट हो जाता है।
  • सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। लोग अपनी धरती से अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
जीव द्रव्यमान क्या है ?
उत्तर-
जीव द्रव्यमान-पेड़-पौधों (या वनस्पतियों) तथा जंतुओं के शरीर में स्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान अथवा बायो-मास (Bio-mass) कहते हैं।

प्रश्न 8.
बायोगैस क्या है ? इसके कोई चार उपयोग लिखो।
उत्तर-
बायोगैस-जंतुओं तथा पौधों के अपशिष्ट का पानी की उपस्थिति तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन होने पर मीथेन (CH4 ) कार्बन डाइआक्सॉइड (CO2), हाइड्रोजन (H2) तथा नाइट्रोजन (N2) गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं। इसका मुख्य तत्त्व मीथेन है।
बायोगैस का संघटन मीथेन = 50% से 70%
कार्बन डाइऑक्साइड = 30% से 40%
हाइड्रोजन = 5% से 10%
नाइट्रोजन = 1% से 2%
तथा हाइड्रोजन सल्फाइड = कम मात्रा में।

बायोगैस के उपयोग (लाभ)-

  • यह भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • यह इंजन को चलाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • इसको सड़कों पर प्रकाश करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 9.
जब गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए ।
उत्तर-
जैव गैस प्लांट में गोबर के प्रयोग के कारण-

  1. गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ़-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अपशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  2. गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआं उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।

प्रश्न 10.
कारण बताइएबायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान क्यों समझे जाते हैं ? ..
उत्तर-
आधुनिक युग में बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वास्तव में एक वरदान है। इस संयंत्र द्वारा जंतुओं तथा वनस्पति के अपशिष्ट पदार्थों का सरलता से ऑक्सी-सूक्ष्म जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में निम्नीकरण किया जाता है। इस प्रक्रिया में बायोगैस (मीथेन, CO2, H2, H2S का मिश्रण) उत्पन्न होती है जो एक अत्यंत लाभदायक धुआं रहित ईंधन है। इस ईंधन का प्रयोग घरों में गैस स्टोव में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त शेष जो घोल बच जाता है उसमें नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस की मात्रा अत्यधिक होती है जिसे एक अच्छी अजैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।

इस सारी प्रक्रिया में वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता। बायोगैस का उपयोग करके किसान खेतों की सिंचाई करने के लिए पंप सैट के इंजन चलाते हैं। बायोगैस का उपयोग डीज़ल की अपेक्षा सस्ता होता है। इन उपयोगों के आधार पर कहा जाता है कि बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान है।

प्रश्न 11.
सामूहिक बायोगैस संयंत्र से क्या तात्पर्य है ? इन्हें लगाने के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर–
सामूहिक बायोगैस संयंत्र- बहुत से परिवारों द्वारा मिल कर लगाया गया बायोगैस संयंत्र सामूहिक बायोगैस संयंत्र कहलाता है। इस प्रकार के संयंत्र निम्नलिखित कारणों से लगाए जा रहे हैं-

  • अनेक परिवारों में संयंत्र को क्रियाशील रखने के लिए बड़ी मात्रा में जंतु नहीं होते।
  • कुछ परिवार आरंभ में होने वाला खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं।
  • अनेक संयंत्र लगाने की जगह सांझा एक ही संयंत्र लगाना सस्ता पड़ता है।

प्रश्न 12.
जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए ।
उत्तर-

  • गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ़-सुथरा ईंधन प्राप्त करने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआं उत्पन्न होता है जिसमें वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।

प्रश्न 13.
खाना पकाने के लिए उपलों का प्रयोग करने के स्थान पर गोबर को बायोगैस संयंत्र में प्रयोग करना क्यों अच्छा है ? इसके तीन कारण बताइए।
उत्तर-
जब गोबर जलता है तो यह काफ़ी धुआं उत्पन्न करता है जिससे वायु प्रदूषण होता है। गोबर का बायोगैस संयंत्र में प्रयोग निम्नलिखित बातों के कारण अच्छा समझा जाता है-

  1. बायोगैस बिना धुएं के जलती है।
  2. बायोगैस काफ़ी मात्रा में ऊष्मा पैदा करती है।
  3. संयंत्र में बचा हुआ व्यर्थ पदार्थ नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिकों से भरा हुआ होता है और इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
सूर्य की ऊर्जा का स्रोत क्या है ?
उत्तर-
सूर्य से ऊर्जा का विमोचन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया द्वारा होता है। सूर्य के क्रोड में हाइड्रोजन के नाभिक अत्यधिक तीव्र गति से गतिशील रहते हैं। जब ये नाभिक परस्पर संलयित होकर अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व के नाभिक बनाते हैं तब अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा हमें उस समय प्राप्त होती है जब पृथ्वी सूर्य के सामने होती है। सूर्य में उपस्थित हाइड्रोजन के भारी आइसोटोप ड्यूटीरियम के नाभिक सूर्य के अंदर परस्पर मिल कर हीलियम उत्पन्न करते हैं तथा इसके साथ-साथ ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। हाइड्रोजन के संलयन हेतु नाभिकों को उच्च वेग से टकराना आवश्यक होता है। यह तभी संभव होता है जब ताप लगभग 4000,000°C हो।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 15.
यद्यपि सूर्य ऊर्जा का विशाल स्रोत है फिर भी सौर ऊर्जा केवल सीमित रूप से उपयोग में क्यों लाई जा रही है ?
उत्तर-
सूर्य हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत है। यह ऊर्जा हम तक बहुत ही विसरित रूप में पहुंचती है। पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी भाग के प्रत्येक वर्ग मीटर द्वारा 1.36 kJ ऊर्जा प्रति सैकिंड प्राप्त की जाती है। इसका 47% भाग पृथ्वी तल के प्रत्येक वर्गमीटर तक एक सेकिंड में पहुंचता है। ऊर्जा की यह अल्प मात्रा भी समान रूप से उपलब्ध नहीं है। इसी कारण सौर ऊर्जा का केवल सीमित उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
सौर ऊर्जा का दैनिक कार्यों में प्रमुख पारंपरिक उपयोग बताओ।
उत्तर-
सौर ऊर्जा पारंपरिक रूप में निम्नलिखित दैनिक कार्यों के लिए. उपयोग की जा रही है-

  • कपड़े सुखाने में।
  • समुद्री जल से नमक बनाने में।
  • फसल काटने के बाद अनाज में से नमी की मात्रा कम करने में।
  • सब्जियाँ, फल और मछली सुखाने में।

प्रश्न 17.
सौर ऊर्जा का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से किस प्रकार दोहन किया जाता है ? बताओ।
अथवा
सौर ऊर्जा के चार उपयोग बताओ।
उत्तर-
सौर ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में इकट्ठा करके या विद्युत् में परिवर्तित करके इसका दोहन किया जा सकता है। पौधों में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल कर तथा सागरीय लहरों की ऊर्जा का दोहन करके सौर ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 18.
सौर ऊष्मक युक्तियों में कांच की पट्टी का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सौर ऊष्मक युक्तियों में कांच की पट्टी का महत्त्व-ऊष्मारोधी बाक्स में काली पट्टी की ऊपरी सतह को किसी कांच की पट्टी से ढक दिया जाता है। कांच की पट्टी का यह विशेष गुण है कि यह सौर प्रकाश में विद्यमान अवरक्त विकिरणों को अपने भीतर से गुज़रने देती है। कांच की पट्टी को पार करने के बाद उस की तैरंगदैर्ध्य अधिक हो तथा जिनका उत्सर्जन उन वस्तुओं से हो रहा हो जो तुलनात्मक रूप से निम्न ताप पर हैं।

प्रश्न 19.
सौर तापन युक्तियों की कोई दो परिसीमाएं लिखो।
उत्तर-
सौर तापन युक्तियों की परिसीमाएं-

  1. इन्हें सूर्य ऊर्जा से बहुत अल्प मात्रा में तथा विसरित रूप में प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार उच्च ताप प्राप्त करने में इन युक्तियों की क्षमता नहीं होती है। इसके अतिरिक्त एक ही स्थान पर सौर ऊर्जा समान रूप से प्राप्त नहीं होती बल्कि प्रतिदिन बदलती रहती है। ये युक्तियां वर्षा वाले दिन काम करने में असमर्थ होती हैं।
  2. सभी सौर तापन युक्तियों को सूर्य की दिशा में लगातार बदलना पड़ता है ताकि उन पर सौर किरणेंलंबरूप सीधी पड़े।

प्रश्न 20.
हमारी ऊर्जा की सभी आवश्यकताओं की आपूर्ति सौर-सेलों के उपयोग से क्यों नहीं हो सकती ? दो कारण लिखिए।
उत्तर-
यद्यपि सौर सेल किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाते और इसका प्रयोग भी बहुत सुविधाजनक है पर फिर भी इनका प्रयोग हम अपनी सभी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नहीं कर सकते। इसके प्रमुख कारण हैं-

  • सौर सेलों की कार्य-क्षमता केवल 20% होती है।
  • सौर सेल रात और आकाश में बादलों के समय काम नहीं करते।
  • सौर सेलों का निर्माण बहुत महंगा है।

प्रश्न 21.
उन चार क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ सौर सेलों को ऊर्जा-स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
उत्तर-
सौर सेलों का उपयोग-

  1. कृत्रिम भू-उपग्रहों और अंतरिक्ष अन्वेषकों में।
  2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में।
  3. सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था और दूर-स्थित क्षेत्रों में टेलीविज़न कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने में।
  4. समुद्रों में स्थित प्रकाश स्तंभों (light houses) तथा पेट्रोलियम प्राप्त करने वाले स्थलों पर।

प्रश्न 22.
यह समझाइये कि पिछले कुछ दशकों में सौर सेलों का महत्त्व क्यों बढ़ गया है ?
उत्तर-
सौर सेल में उपयोग किए जाने वाले तत्व अधिक मात्रा में कम दाब में उपलब्ध हैं तथा इनकी अधिक क्षमता है। सौर सेल के उपयोग से प्रदूषण नहीं होता। कृत्रिम उपग्रहों, सौर पैनलों, वैज्ञानिक उपकरणों, दूरसंचार साधनों आदि में इनका प्रयोग सरलता से किया जा सकता है। इन कारणों के फलस्वरूप सौर सेलों का महत्त्व पिछले कुछ दर्शकों में बढ़ गया है।

प्रश्न 23.
पवन ऊर्जा-फॉर्म केवल कुछ विशेष क्षेत्रों में ही क्यों स्थापित किए जा सकते हैं ? कारण लिखिए।
उत्तर-
पवन ऊर्जा की प्राप्ति सभी जगह पर नहीं हो सकती। यह केवल उन्हीं स्थानों पर संभव हो सकती है। जहाँ इसके लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हों। पवन ऊर्जा-फॉर्मों के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति होनी चाहिए-

  • पवन की गति 15 किमी/घंटा या इससे अधिक होनी चाहिए।
  • सारा वर्ष पवन को इसी गति से प्रतिदिन 12 घंटे या इससे अधिक समय के लिए बहना चाहिए। यदि वे शर्ते पूर्ण हो जाती हों तो पवन ऊर्जा फ़ार्मो की स्थापना की जा सकती है।

प्रश्न 24.
अर्ध-चालक क्या होते हैं ?
उत्तर-
अर्ध-चालक- अर्धचालक वे पदार्थ हैं जिनकी विद्युत् चालकता से कम परंतु रोधकों की अपेक्षा अधिक होती है। आमतौर पर प्रयोग किये जाने वाले अर्ध-चालक पदार्थ जर्मेनियम और सिलिकॉन हैं।

प्रश्न 25.
पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है ?
उत्तर-
पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं । पवन का चलना-धुव्रीय क्षेत्रों की तुलना में भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है। इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है। वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।

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प्रश्न 26.
ऐसे तीन कारक बताइये जो पवन को गतिशील करने के लिए उत्तरदायी हैं ।
उत्तर-
पवन को गतिशील करने के लिए निम्नलिखित तीन कारक उत्तरदायी हैं

  • सूर्य की स्थिति
  • वायु के तापमान का अंतर
  • वायु के दाब का अंतर।

प्रश्न 27.
किसी बाँध द्वारा उत्पन्न की गई जल-विद्युत् को सौर ऊर्जा का ही अन्य रूप माना जा सकता है। समझाइए।
उत्तर-
बहुत हुए जल से उत्पन्न विद्युत् को जल-विद्युत् कहते हैं। सौर ऊर्जा की ऊष्मा को समुद्र, वृक्षों के पत्तों तथा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल स्रोतों में से जल का वाष्पीकरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार उत्पादित जल वाष्प वायुमंडल में ऊपर उठते हैं। यह जल वाष्प ठंडे होकर वापिस वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं।

वर्षा का पानी तथा बर्फ के पिघलने तथा बर्फ से बना जल, जल-बांध में इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रकार सौर ऊर्जा जल की स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। इस पानी को तीव्र गति से प्रवाहित किया जाता है और इस प्रकार स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। जब यह तीव्र गति में बह रहा जल टरबाइन के ब्लेडों से टकराता है तो इसकी गतिज ऊर्जा टरबाइन की स्थानांतरित हो जाती है जिससे विद्युत् उत्पन्न होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जल विद्युत् सौर ऊर्जा का अन्य रूप है।

प्रश्न 28.
जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध (limitation) बताइए। इसका एक लाभ भी लिखें।
उत्तर-
जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध यह है कि पन-चक्की को चलाने के लिए बहता हुआ जल प्रत्येक स्थान पर अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए कार्य को करने के लिए जल ऊर्जा का उपयोग केवल उन्हीं स्थानों पर हो सकता है जहां बहता हुआ जल अधिक मात्रा में उपलब्ध हो। जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता।

प्रश्न 29.
समुद्र तापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर-
समुद्र तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy या OTE)-सागर ऊर्जा के बड़े भंडार हैं। यदि ऊर्जा के इस स्रोत को प्रयोग में लाया जा सके तो हमें बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध हो जाएगी। महासागरों की ‘सतह के जल’ तथा ‘1000m गहराई के जल’ के ताप में सदैव कुछ अंतर होता है। सागर में कई स्थानों पर तो ताप में यह अंतर 20°C तक भी होता है। महासागर की सतह के जल तथा गहराई के जल के ताप में अंतर के कारण उपलब्ध ऊर्जा को ‘सागरीय तापीय ऊर्जा’ कहते हैं।

प्रश्न 30.
सौर ऊर्जा महासागरों में किन दो रूपों में प्रकट होती है ? उनके नाम लिखिए ।
उत्तर-

  1. सौर ऊर्जा के प्रभाव से पवनें चलती हैं। समुद्र तल पर बहने वाली पवनें जल तरंगों को उत्पन्न करती हैं और उन्हें तटों की ओर निरंतर बहने के लिए गति प्रदान करती हैं जिससे जल को गतिज ऊर्जा उपयोगी कार्यों के करने में सहायक बनती है।
  2. सूर्य की गर्मी से समुद्रों का पानी गर्म होता है। उसकी लहरों का तापमान बदलता है जिस कारण सागर ऊष्मीय ऊर्जा (OTE) प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 31.
“महासागर ऊर्जा के विशाल भंडार हैं ।”-इस कथन को स्पष्ट करो ।
उत्तर-
महासागर ऊर्जा के विशाल भंडार- महासागर वास्तव में ही ऊर्जा के विशाल भंडार हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा उत्पत्ति के आधार निम्नलिखित हैं-

  • सागरों की लहरें गतिज ऊर्जा के कारण विद्युत् उत्पन्न करती हैं।
  • सागरों की विभिन्न सतहों के ताप के अंतर से विद्युत् ऊर्जा की उत्पत्ति की जा सकती है।
  • चंद्रमा और सूर्य के आकर्षण के कारण उत्पन्न ज्वार-भाटा से टरबाइन घुमाकर विद्युत् उत्पन्न की जा सकती है जो सागर तटों पर रहने वालों के लिए वरदान बन सकती है।
  • सागरों के विभिन्न स्थानों पर लवणों की सांद्रता अलग-अलग होने के कारण उनसे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  • समुद्री जीवन को ईंधन के रूप में प्रयुक्त करके पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 32.
भू-तापीय ऊर्जा क्या है ? इसके मुख्य उपयोग क्या हैं ?
उत्तर-
भू-तापीय ऊर्जा-पृथ्वी की सतह के निचले गर्म चट्टानों वाले स्रोत को भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है। भ-तापीय ऊर्जा का अस्तित्व पथ्वी के मध्य भाग के बहत अधिक गर्म होने के कारण है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सूर्य पर निर्भर नहीं। धरती के नीचे स्थित पिघली हुई चट्टानें, जिनको मैग्मा कहा जाता है, भू-तापीय ऊर्जा के स्रोत हैं। जब मैग्मा पृथ्वी की सतह के कुछ निकट आता है तो स्थान गर्म बन जाता है। इसके संपर्क में आने वाला जल गर्म हो जाता है और भाप में बदल जाता है।

यह भाप चट्टानों के बीच में फंस जाती है और बहुत उंचे दबाव पर होती है। जब पृथ्वी के अंदर इन गर्म स्थानों तक पाइप डाले जाते हैं तो भाप बहुत अधिक दबाव से बाहर निकलती है। इस भाप को टरबाइनों को चलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। टरबाइनों के चलने से विद्युत् उत्पन्न होती है।

  • सारा साल प्रतिदिन 24 घंटे तक विद्युत् चल सकती है।
  • क्योंकि इनमें कोई ईंधन नहीं जलाया जाता, अतः प्रदूषण नहीं होता है।
  • विद्युत् उत्पन्न करने में खर्च भी कम आता है।

प्रश्न 33.
विखंडन तथा संलयन में उत्पन्न होने वाली ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर-
विखंडन और संलयन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा में बहुत बड़ा अंतर है। जब एक ग्राम यूरेनियम को विखंडित किया जाता है तो लगभग 6.2 x 1010 J ऊर्जा उत्पन्न होती है। लेकिन जब 1 ग्राम ड्यूटीरियम को संलयित किया जाता है तो 2.3 x 1012 J ऊर्जा उत्पन्न होती है। परमाणु विखंडन को संलयन की अपेक्षा अधिक हानिकारक माना जाता है क्योंकि विखंडन प्रक्रिया से वातावरण में रेडियो सक्रियता बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप गुणसूत्रों और जीन में परिवर्तन आ जाता है। ल्यूकीरिया (blood cancer) हो जाता है तथा जैविक आधार पर अनेक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।

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प्रश्न 34.
ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोतों के बीच अंतर स्पष्ट करो ।
अथवा
ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय साधनों के बीच अंतर बताओ।
उत्तर-
हमारे घरों में मुख्य रूप से प्रयुक्त की जाने वाली ऊर्जा दो प्रकार की है-
अनवीकरणीय (Non-renewable)-ऊर्जा के वे स्रोत जिनकी खपत हो जाने के पश्चात् उन्हें दोबारा उत्पादित नहीं किया जा सकता, ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। खाना पकाने के लिए हम कोयला, मिट्टी का तेल, L.P.G. आदि का प्रयोग करते हैं । सर्दियों में लकड़ी का कोयला भी गर्मी प्राप्त करने के लिए जलाते हैं। एक बार प्रयुक्त हो जाने के पश्चात् पुनः इन की प्राप्ति नहीं हो सकती। पेड़-पौधों की लकड़ी को भी इसी के अंतर्गत लिया जाता है। यह स्रोत प्रदूषण फैलाते हैं। इसकी उपलब्धता सीमित है।

नवीकरणीय (Renewable)-ऊर्जा के वे स्रोत जिनका कुछ समय के पश्चात् पुनउत्पादन किया जा सकता है, नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत बहुत-से हैं। सूर्य, वायु, जल आदि कुछ नवीकरणीय स्रोत हैं। इनका प्रयोग करने से ये पुनउत्पादित हो जाते हैं। इन स्रोतों के उपयोग से प्रदूषण भी नहीं होता है। ये असीमित और साफ़ ऊर्जा के स्रोत हैं।

प्रश्न 35.
क्या ऊर्जा के सारे नवीकरणीय स्रोत प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते ? व्याख्या करो।
उत्तर-
ऊर्जा के अधिकांश नवीकरणीय स्रोत लगभग प्रदूषण रहित हैं, केवल जैव मात्रा (जैव अपशिष्ट पदार्थ) ऐसा नहीं है। ऊर्जा के अधिकांश नवीकरणीय स्रोत बहुत-से हैं। सूर्य, वायु, जल, कृषि के अपशिष्ट, लकड़ी और पशुओं का गोबर आदि। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है। जल से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जैव मात्रा जलाने वाली लकड़ी, पशुओं का गोबर, शहरों में उपलब्ध विघटनकारी अपशिष्ट पदार्थ, फसलों के अपशिष्ट पदार्थ आदि को जलाने पर यह ऊर्जा का कार्य करता है और उत्सर्जित हुआ धुआँ वायु का प्रदूषण करता है।

प्रश्न 36.
पवन चक्की क्या होती है ? इसके लाभ लिखो।
उत्तर-
पवन चक्की- यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें पवन की गतिज ऊर्जा को घूर्णन गति द्वारा यांत्रिक ऊर्जा और फिर विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है। पवन चक्की की रचना-पवन चक्की की रचना को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें ऐलुमिनियम के पतले-चपटे आयताकार खंडों के रूप में, बहुत-सी पंखुड़ियाँ लोहे के पहिये पर लगी रहती हैं। यह पहिया एक ऊर्ध्वाधर स्तंभ के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है तथा अपने केंद्र से घूमने वाली शाफ्ट यांत्रिक बंधन गुजरने वाली लौह शाफ्ट (अक्ष) के परितः घूम सकता है। पहिये का तल स्वतः वायु की गति की ब्लेड दिशा के लंबवत् समायोजित हो जाता है, जिससे वायु सदैव पंखुड़ियों पर सामने से टकराती है। पहिये की अक्ष एक लोहे की फ्रैंक से जुड़ी रहती है। बैंक का दूसरा सिरा उस मशीन अथवा डायनमों से जुड़ा रहता है, जिसे पवन ऊर्जा द्वारा गति प्रदान करनी होती है।
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कार्यविधि-जब तीव्र गतिशील पवन, पवन-चक्की के ब्लेडों से टकराती है तो वह उन पर एक बल लगाती है, जिसके कारण पवन चक्की के ब्लेड घूमते लगने हैं। पवन चक्की के घूर्णन (rotation) का प्रभाव उसके ब्लेडों की विशेष बनावट के कारण होता है तो बिजली के पंखे के ब्लेडों के समान होती है। पवन चक्की को एक ऐसा बिजली का पंखा समझा जा सकता है जो विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो क्योंकि जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन बहती है परंतु जब पवन बहती है तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं। घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति के कारण पवन चक्की से गेहूं पीसने की चक्की को चलाना, जल-पंप चलाना, मिट्टी के बर्तन के चाक को घुमाना आदि कार्य किए जा सकते हैं। पवन चक्की ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ वायु लगभग पूरे वर्ष तीव्र गति से चलती रहती है।

चित्र में पवन चक्की द्वारा पानी खींचने की क्रिया का प्रदर्शन किया गया है। पवन चक्की की फ्रैंक एक जल-पंप की पिस्टन छड़ से जोड़ दी जाती है। जब वायु, पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो चक्की का पहिया घूमने लगता है, और पहिये से जुड़ी अक्ष घूमने लगती है। शाफट की घूर्णन गति के कारण फ्रैंक ऊपर-नीचे होने लगती है और जल-पंप की पिस्टन छड़ भी ऊपर-नीचे गति करने लगती है तथा जल-पंप से जल बाहर निकलने लगता है।
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पवन ऊर्जा के उपयोग

  • पाल-चालित नौकाओं को चलाने के लिए।
  • पवन चक्कियों से आटा-चक्कियाँ और जल पंप आदि को चलाने के लिए।
  • वायुयानों द्वारा उड़ान भरने के लिए।
  • विद्युत् उत्पन्न करने के लिए।

पवन ऊर्जा की हानियाँ (सीमाएँ) –
यद्यपि पवन ऊर्जा के अनेक लाभ हैं, परंतु इसमें कई बाधाएं भी हैं जैसे मान लो जब हमें ऊर्जा की आवश्यकता हो और उस समय पवन प्रवाह न हो रहा हो। इसके अतिरिक्त यह भी हो सकता है कि उस समय पवन-प्रवाह तीव्र न हो और यह चक्की को न चला सके। पवन-चक्की को स्थापित करने के लिए खुला क्षेत्र भी चाहिए। एक अन्य कमी यह भी है कि इसे स्थापित करने के लिए निर्माण के लिए लागत अत्याधिक आती है।

प्रश्न 37.
सौर सैल पैनल कैसे तैयार किया जाता है ? चित्र सहित वर्णन करें।
उत्तर-
सौर सैल पैनल का निर्माण-सौर सेल पैनल अनेक सौर सैलों के सामूहिक रूप से निर्मित किया जाता है। यहाँ अनेक सौर सैलों को विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं, जिससे उसकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है।

सौर सेल पैनल- यह अर्ध-चालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है। सूर्य की किरणें बनावटसौर सेल पैनल अनेक सौर सेलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सेलों के विशेष क्रम में सौर सेल व्यवस्थित करके सौर सेल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की सौर पैनल से डी० सी० आऊटपुट लाने वाली तारें व्यवस्था भी की जाती है।
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कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्ध-चालकों की सहायता से बनाये गए सौर सेलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पड़ती है तो अर्ध-चालक के दो भागों में विभवांतर स्टोरेज बैटरी उत्पन्न हो जाता है। चार वर्ग सेमी० के एक सौर सेल के द्वारा 60 मि० ली० ऐंपियर धारा लगभग 0.4 – 0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सेलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विदयुत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है।

उपयोग-

  • सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
  • कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत् का प्रबंध किया जाता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ऊर्जा का अंतत: मुख्य स्रोत कौन-सा है ?
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 2.
ऊर्जा के स्रोतों को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोतों को दो भागों में बांटा जा सकता है-

  1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
  2. अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत।

प्रश्न 3.
बायोगैस के अवयव कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
CH4, CO2, H2, तथा H2S । इनमें से मीथेन 65% होती है।

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प्रश्न 4.
किन्हीं दो जीवाश्म ईंधनों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. कोयला,
  2. पेट्रोलियम।

प्रश्न 5.
एक कारण बताओ जिसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि बायोगैस एक अच्छा ईंधन है।
उत्तर-
इसका अधिक भाग मीथेन है जो स्वयं उत्तम ईंधन है।

प्रश्न 6.
बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
इसमें गैसीय ईंधन के अतिरिक्त स्लरी के रूप में खाद मिलती है।

प्रश्न 7.
L.P.G. के अवयव लिखिए।
उत्तर-
इथेन, प्रोपेन तथा ब्यूटेन। L.P.G. का मुख्य अवयव ब्यूटेन है, जिसे उच्च दाब पर तरल रूप में बदला जा सकता है।

प्रश्न 8.
अनवीकरणीय ईंधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  • कोयला,
  • पेट्रोलियम तथा
  • प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 9.
कोल गैस क्या है ?
उत्तर-
कोल गैस –यह हाइड्रोजन, मीथेन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण है।

प्रश्न 10.
जीव द्रव्यमान (biomass) क्या होता है ?
उत्तर–
जीव द्रव्यमान-पौधों तथा जंतुओं के शरीर में उपस्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान कहते हैं।

प्रश्न 11.
पवन ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
पवन ऊर्जा (Wind Energy)-वायु के विशाल द्रव्यमान की गतिशीलता से संबंधित गतिज ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 12.
ईंधन के रूप में गोबर की उपलों की कोई दो हानियां लिखो।
उत्तर-

  1. इनका दहन अपूर्ण होता है, जिससे धुआं उत्पन्न होता है।
  2. गोबर में उपस्थित लाभप्रद तत्व नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
बायोगैस का मुख्य स्त्रोत क्या हैं ?
उत्तर–
बायोगैस का मुख्य स्रोत गोबर है।

प्रश्न 14.
ईंधन के अतिरिक्त बायोगैस का एक उपयोग लिखिए ।
उत्तर-
बायोगैस का प्रयोग सड़कों का प्रकाश करने में होता है।

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प्रश्न 15.
बायोगैस संयंत्र की कौन-सी विभिन्न किस्में हैं ?
उत्तर-

  • स्थायी गुंबद संयंत्र
  • तैरती गैस टंकी संयंत्र।

प्रश्न 16.
सौर पैनल क्या है ?
उत्तर-
सौर पैनल- यह अर्ध-चालकों से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करता है।

प्रश्न 17.
किन्हीं चार अर्ध-चालकों के नाम बनाओ जिनसे सौर सैल बनाये जाते हैं।
अथवा
ऐसे दो पदार्थों के नाम बनाओ जिनका उपयोग सौर सैल के निर्माण में किया जाता है ?
उत्तर-
सिलिकॉन, गैलियम, सेलेनियम, जर्मेनियम।।

प्रश्न 18.
अर्ध-चालकों से निर्मित सौर सेलों की दक्षता कितनी है ?
उत्तर-
10%-18%.

प्रश्न 19.
सागरीय तापीय ऊर्जा को किस उपयोगी रूप में बदला जा सकता है ?
उत्तर-
विद्युत् में।

प्रश्न 20.
अर्ध-चालकों की चालकता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर-
अर्ध-चालकों की चालकता को विशेष अपद्रव्य (Impurity) मिलाकर बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 21.
पारंपरिक रूप से सौर ऊर्जा के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  • कपड़े सुखाने से,
  • समुद्र के पानी से नमक बनाने में।

प्रश्न 22.
सौर पैनेलों के दो लाभ लिखिए।
उत्तर-

  1. सड़कों पर प्रकाश करने,
  2. जल-पंप चलाने में।

प्रश्न 23.
कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत् ऊर्जा किस साधन से प्राप्त की जाती है ?
उत्तर-
सौर पैनलों से।

प्रश्न 24.
जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जीव-जंतुओं के अवशेष धरती के नीचे दबे रहे और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होकर ईंधन में परिवर्तित हो गए जिसे जीवाश्म ईंधन कहा जाता है। उदाहरण-कोयला, पेट्रोलियम ।

प्रश्न 25.
अनवीकरणीय ईंधनों के तीन उदाहरण दें।
उत्तर-

  1. कोयला
  2. मिट्टी का तेल
  3. L.P.G.

प्रश्न 26.
किन्हीं दो नवीनीकृत स्रोतों के नाम लिखो।
उत्तर-
नवीनीकृत स्रोतों के नाम (Names of Renewable Sources)-

  • जल
  • हवा।

प्रश्न 27.
बायोगैस किन पदार्थों से तैयार की जाती है ?
उत्तर-
बायोगैस-जंतुओं तथा पौधों के अपशिष्ट, जल की उपस्थिति तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन होने पर बायोगैस तैयार होती है।

प्रश्न 28.
समुद्र तापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर-
समुद्र तापीय ऊर्जा-समुद्र की सतह के जल तथा गहराई वाले जल के तापमान में अंतर के कारण प्राप्त हुई ऊर्जा को समुद्र तापीय ऊर्जा कहते हैं।

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प्रश्न 29.
शारीरिक कार्यों को करने के लिए किस ऊर्जा को आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
पेशीय ऊर्जा।

प्रश्न 30.
किस ईंधन के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया ?
उत्तर-
कोयले के उपयोग ने ।

प्रश्न 31.
जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के कैसे स्रोत हैं ?
उत्तर-
अनवीकरणीय स्रोत।

प्रश्न 32.
विद्युत् संयंत्रों में किस ईंधन को जलाकर प्रायः भाप बनाई जाती है ?
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन (कोयला) को।

प्रश्न 33.
जिन संयंत्रों में ईंधन को जलाकर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर-
तापीय विद्युत् संयंत्र।

प्रश्न 34.
जल विद्युत् संयंत्रों में स्थितिज ऊर्जा का परिवर्तन किस प्रकार की ऊर्जा में होता है ?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा।

प्रश्न 35.
पवन ऊर्जा फार्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब किसी विशाल क्षेत्र में अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तो उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।

प्रश्न 36.
किस देश को पवनों का देश कहा जाता है ?
उत्तर-
डेनमार्क को।

प्रश्न 37.
पवन ऊर्जा के लिए पवनों की चाल कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
15 Km/h से अधिक।

प्रश्न 38.
सौर कक्कर में कांच की शीट का ढक्कन क्यों लगाया जाता है ?
उत्तर-
ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करने के लिए।

प्रश्न 39.
सौर सेल सौर ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 40.
महासागरों में जल का स्तर किस कारण चढ़ता और गिरता है ?
उत्तर-
चंद्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण के कारण।

प्रश्न 41.
नाभिकीय ऊर्जा किस कारण उत्पन्न होता है ?
उत्तर-
नाभिकीय विखंडन से।

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प्रश्न 42.
भारी नाभिक तत्त्वों के तीन उदाहरण दीजिए ।
उत्तर-

  • यूरेनियम,
  • प्लूटोनियम,
  • थोरियम।

प्रश्न 43.
अल्बर्ट आइंस्टीन का नाभिकीय विखंडन संबंधी सूत्र लिखिए।
उत्तर-
E = Δ mc2 |

प्रश्न 44.
हमारे देश में नाभिकीय विद्युत् संयंत्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर-
तारापुर (महाराष्ट्र) राणा प्रताप सागर (राजस्थान), कलपाक्कम (तमिलनाडु), नरौरा (उत्तर प्रदेश), कटरापर (गुजरात) और कैगा (कर्नाटक) ।

प्रश्न 45.
C.N.G. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas).

प्रश्न 46.
ऊर्जा का अंततः मुख्य स्रोत कौन-सा है ?
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 47.
सौर सैल किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करता है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।।

प्रश्न 48.
विद्युत् उत्पादन करने के लिए किस ऊर्जा का उपयोग करने से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता ?
उत्तर-
पवन ऊर्जा।

प्रश्न 49.
सौर सैल क्या होते हैं ?
उत्तर-
सौर सैल एक ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करती है।

प्रश्न 50.
कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत् ऊर्जा किस साधन से प्राप्त की जाती है ?
उत्तर-
सौर पैनलों से।

प्रश्न 51.
चित्र में दर्शाए गए यंत्र में किस किस्म का दर्पण अधिक सही होता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 11
उत्तर-
समतल दर्पण।

प्रश्न 52.
नीचे दिए चित्र में दर्शाए गए यंत्र का नाम लिखो। इसमें क्या तैयार किया जा रहा है?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 12
उत्तर-
यंत्र का नाम-स्थिर गुम्बदाकार बायो गैस संयंत्र है। इस यंत्र में बायो गैस (जैव गैस) तैयार की जा रही है ।

प्रश्न 53.
नीचे दिए गये चित्र में 1 तथा 2 को अंकित करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत 13
उत्तर-
1. समतल दर्पण
2. बाहरी लकड़ी का बक्सा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनवीकरणीय स्रोत है
(a) सौर ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) प्राकृतिक गैस
(d) जल।
उत्तर-
(c) प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 2.
जल विद्युत् संयंत्र में प्रयोग की जाती है
(a) पवन ऊर्जा
(b) बहते जल की ऊर्जा
(c) कोयले के जलने से उत्पन्न हुई ऊर्जा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) बहते जल की ऊर्जा।

प्रश्न 3.
एक ताप विद्युत् संयंत्र में प्रयोग की जाती है
(a) पवन ऊर्जा
(b) बहते जल की ऊर्जा
(c) जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(c) जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

प्रश्न 4.
एक बॉक्सनुमा सौर कुक्कर को 2-3 घंटे सूर्य के प्रकाश में रखने पर उसका ताप परिसर होगा –
(a) 60°C से 80°C
(b) 80°C से 100°C
(c) 100°C से 140°C
(d) 140°C से 180°C.
उत्तर-
(c) 100°C से 140°C.

प्रश्न 5.
सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है-
(a) सौर जल ऊष्मक
(b) सौर सैल पैनल
(c) सौर भट्टी
(d) सौर कुक्कर।
उत्तर-
(b) सौर सैल पैनल।

प्रश्न 6.
सौर सैल बनाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है ?
(a) कार्बन
(b) सिलिकॉन
(c) सोडियम
(d) कोबाल्ट।
उत्तर-
(b) सिलिकॉन।

प्रश्न 7.
वह उपकरण जो ऊर्जा के एक रूप को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है क्या कहलाता है ?
(a) सौर कुक्कर
(b) सौर सैल
(c) इंजन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) इंजन।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है ?
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) कोयला
(d) नाभिकीय गैस।
उत्तर-
(d) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन ठोस ईधन नहीं है ?
(a) कोयला
(b) लकड़ी
(c) कोक
(d) किरोसीन।
उत्तर-
(d) किरोसीन।

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ?
(a) पवन ऊर्जा
(b) सौर ऊर्जा
(c) जीवाश्मी ईंधन
(d) जल ऊर्जा।
उत्तर-
(c) जीवाश्मी ईंधन।

प्रश्न 11.
ऊर्जा का वास्तविक एकमात्र स्रोत क्या है ?
(a) सूर्य
(b) जल
(c) यूरेनियम
(d) जीवाश्मी ईंधन।
उत्तर-
(a) सूर्य।

प्रश्न 12.
बायोगैस का मुख्य अवयव है
(a) CO2
(b) CH4
(c) H2
(d) H2S.
उत्तर-
(b) CH4

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) सोलर कुक्कर …………………. ऊर्जा को …………………………. ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
उत्तर-
प्रकाश, ऊष्मीय

(ii) टार्च का जलना ……………………………. ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण है।
उत्तर-
रासायनिक

(iii) ……………………… गैस, जैव गैस का मुख्य घटक है।
उत्तर-
मीथेन

(iv) पवन-चक्की में पवन की …………………………. ऊर्जा का उपयोग यांत्रिक कार्यों को करने में होता है।
उत्तर-
गतिज

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 14 ऊर्जा के स्रोत

(v) जल-विद्युत सयंत्रों में गिरते हुए जल की …………………………… ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
उत्तर-
स्थितिज।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
परिनालिका क्या होती है ? इसके चुंबकीय क्षेत्र में लोहे क्रोड का क्या प्रभाव है? परिनालिका में चुंबक को शक्तिशाली बनाने के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
उत्तर-
परिनालिका- यह एक कुंडली की आकृति की तार होती है जिसमें एक रोधित चालक तार के अनेक लपेट (वलय) होते हैं। इस कुंडली को किसी कोर (core) के गिर्द लपेटा जाता है। जब इस परिनालिका में से विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तो यह भी चुंबकीय गुणों का प्रदर्शन करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 1

परिनालिका के चुंबकीय क्षेत्र में लोह-क्रोड का प्रभाव-
जब परिनालिका में लोह-क्रोड रख दिया जाता है तो उस समय परिनालिका के तार में विद्युत् धारा की अपेक्षाकृत काफ़ी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है इसका ज्ञान चुंबकीय सूई के विक्षेपण से कर सकते हैं। विद्युत् धारा के कारण चुंबक बनने वाली लोह-क्रोड युक्त परिनालिका को ही विद्युत् चुंबक कहते हैं। . याद रखो कि नर्म लोहे के क्रोड (Core) वाला विद्युत् चुंबक स्टील क्रोड वाले चुंबक से अधिक शक्तिशाली होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 2
एक धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है-

  • परिनालिका में वलयों की संख्या-यदि परिनालिका में वलयों की संख्या अधिक होगी तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी।
  • परिनालिका में से प्रवाहित धारा-यदि परिनालिका में से प्रवाहित हो रही धारा अधिक होगी तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी।
  • कोर(कोड) के पदार्थ की प्रकृति जिस पर परिनालिका लिपटी होती है- यदि हम परिनालिका के भीतर नरम लोहे की छड़ रखें तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ जाती है।

परिनालिका की विशेषताएँ-

  • एक धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न हुए चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता वलयों की संख्या, प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा तथा कोर (कोड) के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।
  • कारखानों में भारी बोझ को उठाने के लिए क्रेन के रूप मे इसका उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् घंटी, टैलीग्राफ, मोटर आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
  • इसके उपयोग से शक्तिशाली चुंबक बनाया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
दिष्ट धारा (D.C.) जनित्र के सिद्धांत, रचना और कार्य को चित्र सहित संक्षेप में वर्णित कीजिए।
उत्तर-
विद्युत् जैनरेटर-जैनरेटर एक ऐसा यंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह केवल ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करता है। जैनरेटर में निवेश के रूप में यांत्रिक ऊर्जा दी जाती है और विद्युत् ऊर्जा उत्पादन के रूप में प्राप्त होती है।
सिद्धांत- जैनरेटर इस सिद्धांत पर आधारित है कि “जब कोई चालक चुंबकीय बल रेखाओं को काटता है, तो फैराडे के विद्युत्-चुंबकीय प्रेरण के नियमानुसार इसमें विद्युत् वाहक बल (Electro-motive force) प्रेरित हो जाता है जिससे परिपथ में धारा प्रवाहित होती है, जब चालक परिपथ को बंद कर दिया जाता है।”

रचना-दिष्ट धारा जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं-

  • आर्मेचर (Armature)-इसमें एक कुंडली ABCD होती है जिसमें मृदु लोहे पर तांबे की अवरोधी तार को बड़ी संख्या में लपेटे दिए जाते हैं। इसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो भाप, पानी या बहते पानी के बल से अपने चारों ओर घूम सकता है।
  • क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)-दो चुंबकों के शक्तिशाली ध्रुव जिन के बीच कुंडली को स्थापित किया जाता है तथा जिसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबकों का प्रयोग किया जाता है तथा बड़े जनित्रों में विद्युत्-चुंबक लगाए जाते हैं।
  • स्पिलिट रिंग्ज़ (Split Rings)-कुंडली के दोनों सिरों को तांबे के बने आधे रिंग्ज R1, और R2, के साथ जोड़ा जाता है। ये दोनों कंम्यूटेटरों का कार्य करते हैं।
  • कार्बन ब्रुश (Carbon Brush)-कार्बन के दो ब्रुश B1, और B2, दोनों आधे रिंग्ज R1, और R2, के साथ स्पर्श करते हैं। जब कुंडली घूमती है तो R1, और R2, बारी-बारी से B1, और B2, को छूते हैं। इनसे उत्पन्न विद्युत् धारा की प्राप्ति होती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 3

  • दोनों ब्रुशों B1, और B2, से विद्युत् धारा को लोड के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है जो दोनों ब्रुशों B1, और B2, पर लगाया जाता है। रेखांकन में इसके स्थान पर गैल्वनोमीटर को लगा हुआ दिखाया गया है।

कार्य विधि-जब कुंडली को अपने अक्ष पर घुमाया जाता है, तो भुजाओं AB और CD में विद्युत् वाहक बल प्रेरित होता है। फ्लेमिंग के दायां हस्त नियम द्वारा प्रेरित विद्युत् चुंबकीय बल की दिशा ज्ञात की जा सकती है। मान लो आरंभ में कुंडली उर्ध्वाधर स्थिति (Vertical Position) में है, इसकी भुजा AB नीचे की ओर और भुजा CD ऊपर की ओर है, जब कुण्डली को अपने अक्ष के चारों ओर घुमाया जाता है तो पहले अर्ध घूर्णन के दौरान भुजा AB ऊपर की ओर और भुजा CD नीचे की ओर गति करती है।

फ्लेमिंग के दायाँ हस्त नियम के अनुसार प्रेरित धारा की दिशा, भुजा AB में A में B की ओर और भुजा CD में C से D की ओर होती है। जब भुजा AB शीर्ष स्थिति पर पहुँचती है, तब यह नीचे की ओर गति करना आरम्भ करती है जिससे भुजा CD ऊपर की ओर गति करना आरम्भ करेगी। इसलिए इन भुजाओं से प्रेरित धारा की दिशा भी विपरीत हो जाती है। लोड (Load) में धारा की समान दिशा, रखने के लिए विभक्त वलयों (Split rings) का प्रयोग किया जाता है। कुंडली के दूसरे अर्ध घूर्णन के दौरान इनका सिरा A विभक्त वलय R1, के संपर्क में और सिरा D विभक्त वलय R2, के संपर्क में आ जाता है जिससे लोड में धारा की दिशा वही बनी रहती है।

प्रश्न 3.
यह दर्शाओ कि एक चुंबकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर एक बल क्रिया करता है। वह नियम बताओ जिससे बल की दिशा ज्ञात होती है।
उत्तर-
प्रयोग-किसी स्थिर सहारे से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्प्रिंग लगी एल्यूमीनियम की एक छड़ हार्स-शू (घोड़े की नाल) चुंबक के दोनों ध्रुवों के बीच लटकाओ जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। कुंजी K के द्वारा छड़ को बैटरी के टर्मिनल से जोड़ो। अब कुंजी K को दबा कर बंद करो। छड़ AB कागज़ के तल के समानांतर है। परंतु चुंबकीय क्षेत्र की दिशा (N से S की ओर) के अभिलंब रूप में है।

छड़ AB में धारा A से B की ओर प्रवाहित होती है। जैसे ही छड़ में से धारा प्रवाहित होगी छड़ एक बल महसूस करेगा और फ्लेमिंग के बायाँ हस्त नियम के अनुसार बल की दिशा नीचे की ओर होगी। इस तरह छड़ नीचे खिंच जाएगी और स्प्रिंग लंबे हो जाएंगे। यदि धारा की दिशा उल्टा दी जाये तो बल भी विपरीत दिशा में क्रिया करेगा। चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक पर क्रिया कर रहे बल की दिशा फ्लेमिंग का बायां हस्त नियम लगाकर पता की जा सकती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 4

फ्लेमिंग का बायाँ हस्त का नियम- इस नियम गति (बल) के अनुसार, अपने बायें हाथ की पहली अंगुली, मध्यमा अंगुली और अंगूठे को इस प्रकार फैलाओ ताकि ये तीनों एक-दूसरे पर लंबवत् रूप में हों जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अब अपने बायें हाथ को इस प्रकार गति (बल) रखो कि पहली अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में संकेत करे (N से S की ओर) और मध्यमा अंगुली धारा की दिशा में हो, तो अंगूठे की दिशा से हमें बल की दिशा पता चल जायेगी।
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प्रश्न 4.
एक क्रिया-कलाप का आयोजन करें जिससे यह स्पष्ट हो कि चुंबकीय क्षेत्र विद्युत् धारा उत्पन्न करता है।
उत्तर-
एक कुंडली XY लो जिसमें बहुत वलय हों। इस कुंडली के सिरों के बीच एक गेल्वेनोमीटर जोड़ो। इस आयोजन में विद्युत् धारा का कोई स्त्रोत नहीं लगाया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 6
अब चित्र (a) के अनुसार एक चुंबक को तीव्रता से कुंडली के निकट लाओ परंतु चुंबक कुंडली को स्पर्श न करे। आप देखेंगे कि गेल्वेनोमीटर में विक्षेपण हो गया है जो इस बात का प्रमाण है कि गेल्वेनोमीटर में से विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। विक्षेपण की दिशा नोट करो। अब चुंबक को पीछे की ओर ले जाओ, आप देखोगे कि गेल्वेनोमीटर में फिर विक्षेपण हुआ है परंतु अब यह पहले से विपरीत दिशा में है चित्र (b)। जब चुंबक स्थिर होता है तो गेल्वेनोमीटर में कोई विक्षेपण नहीं होता। इस क्रिया से यह स्पष्ट है कि जब चुंबक और कुंडली के मध्य सापेक्ष गति होती है तो परिपथ में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 5.
विद्युत् का उपयोग करते समय आप किन-किन सावधानियों का ध्यान रखोगे ?
उत्तर-
विद्युत् का उपयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखना आवश्यक है-

  • सभी जोड़ विद्युत् रोधी टेप से भली-भांति ढके होने चाहिए।
  • भू-तार का प्रयोग अवश्य होना चाहिए।
  • परिपथ में फ्यूज़ का प्रयोग होना आवश्यक है।
  • सभी पेंच अच्छी तरह से कसे हुए होने चाहिए।
  • परिपथ की मरम्मत करते समय रबड़ के दस्ताने और जूतों का प्रयोग करना चाहिए।
  • जब विद्युत् धारा उपकरण में से बह रही हो तो उपकरण के फ्रेम (धातु-आवरण) को नहीं छूना चाहिए।
  • पेचकस, प्लास, टैस्टर आदि उपकरणों पर विद्युत् रोधी आवरण होना चाहिए।
  • खराब और दोषपूर्ण स्विचों को शीघ्र ही बदल देना चाहिए।
  • आग लगने या दुर्घटना की स्थिति में परिपथ का स्विच शीघ्र ही बंद कर देना चाहिए।
  • प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में फ्यूज़ तथा स्विच विद्युन्मय तार में लगाने चाहिए।
  • उचित क्षमता का फ्यूज़ प्रयुक्त किया जाना चाहिए।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आप किस प्रकार सिद्ध करेंगे कि तांबे की तार में से प्रवाहित विद्युत् धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है।
उत्तर-
तांबे की एक मोटी तार में से विद्युत् धारा गुज़ारने पर दिक्सूचक सूई विक्षेपित हो जाती है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि तार से प्रवाहित विद्युत् धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
विद्युत् धारा के चुंबकीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं ? इस प्रभाव को समझने के लिए ओर्टेड का प्रयोग लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा का चुंबकीय प्रभाव-जब किसी चालक तार में से धारा प्रवाहित होती है तो उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। धारा के इस प्रभाव को विद्युत् धारा का चुंबकीय प्रभाव कहा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 7
ओर्टेड ने प्रदर्शित किया कि जब चुंबकीय सुई के ऊपर रखे चालक में से विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तो सूई का उत्तरी ध्रुव विक्षेपित होता है। इसी प्रकार यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो उत्तरी ध्रुव दूसरी दिशा की ओर विक्षेपित होता है। यदि सूई को तार के ऊपर रखा जाए तो सूई के उत्तरी ध्रुव की विक्षेपण दिशा पहले से उलट होगी। विक्षेपण की दिशा SNOW नियम द्वारा याद रखा जा सकता है। नोट-SNOW नियम यह बताता है कि यदि धारा S से N की ओर हो और सूई तार के ऊपर रखी गई हो तो उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर विक्षेपित होगा।

प्रश्न 3.
चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा दो और चुंबकीय बल रेखाओं के महत्त्वपूर्ण गुण लिखो।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic field)-
यह किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र है जिसमें चुंबक का प्रभाव (आकर्षण बल या प्रतिकर्षण बल) अनुभव किया जा सकता है। – चुंबकीय बल रेखाएं-जब एकांक उत्तरी ध्रुव गति करने के लिए स्वतंत्र हो तो जिस पथ पर उत्तरी ध्रुव गति करता है, उसे चुंबकीय बल रेखा कहा जाता है।

चुंबकीय बल रेखाओं के महत्त्वपूर्ण गुण (Important Properties of Magnetic lines of Forces)-

  • चुंबकीय बल रेखाएं चुंबक के उत्तरी ध्रुव से शुरू हो कर चुंबक के दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं।
  • कोई दो चुंबकीय बल रेखाएं एक-दूसरे को नहीं काटतीं यदि वे एक-दूसरे को काटें तो इसका अर्थ है कि उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं होंगी जो कि असंभव है।
  • किसी बिंदु पर चुंबकीय बल की दिशा चुंबकीय बल रेखा पर टैंजेन्ट (स्पर्श रेखा) की दिशा में होती है।

प्रश्न 4.
आप समान और असमान चुंबकीय क्षेत्र को कैसे प्रदर्शित करोगे ?
उत्तर-
समान चुंबकीय क्षेत्र को समान दूरी वाली समानांतर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा असमान चुंबकीय क्षेत्र को भिन्न-भिन्न दूरियों वाली समानांतर या फिर असमानांतर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 8

प्रश्न 5.
चित्र में दर्शाए गए चुंबक के इर्द-गिर्द की रेखाओं को क्या कहा जाता है ? इनके कोई दो गुण भी बताइए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 9
उत्तर-
रेखाओं को चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कहा जाता है।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण-

  • चुंबक के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुंबक के अंदर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हैं।
  • चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent) उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 6.
आप धारावाही चालक के द्वारा उत्पन्न की गई चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर-
धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा मैक्सवैल के दायें हाथ के नियम की सहायता से ज्ञात की जा सकती है। धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने के लिए, चालक को दायें हाथ में इस प्रकार पकड़ो ताकि आपका अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करे तो आपकी अंगुलियों की दिशा से चालक के चारों ओर क्षेत्रीय रेखाओं की दिशा ज्ञात हो जाती है।
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प्रश्न 7.
मैक्सवेल का दायाँ हस्त अंगष्ठ नियम क्या है ? इसका प्रयोग किस उददेश्य के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
मैक्सवेल का दायाँ हस्त अंगुष्ठ नियम- इस नियम के अनुसार “धारावाही सीधे चालक के इर्द-गिर्द चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए यदि चालक को दायें हाथ में इस प्रकार पकड़ा जाए कि आपका अंगूठा धारा की दिशा और आपकी अंगुलियों की दिशा, चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रीय बल रेखाओं की दिशा बताएगी।” इस नियम का प्रयोग धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है?
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र-चुंबक के आस-पास के क्षेत्र में जहां एक चुंबक के आकर्षण और विकर्षण के बल को अनुभव किया जा सकता है उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं-वह परिपथ जिस पर चुंबक का उत्तरी ध्रुव चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त अवस्था में आने पर गति करेगा उसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।

चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।
(i) लोह चूर्ण की सहायता से एक गत्ते पर चुंबक रखो और उस पर लोह-चूर्ण छिड़क कर गत्ते को धीरे-धीरे थपथपाओ। लोह चूर्ण अपने आप चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में चित्र के अनुसार व्यवस्थित हो जाएगा।
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(ii) एक छड़ चुंबक के इर्द-गिर्द बल रेखाओं का खींचनाक्रिया-कलाप-चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट एक चुंबकीय दिक्सूचक रखो। अब एक नुकीली पेंसिल से दिक्सूचक के ध्रुवों की स्थिति अंकित करो। अब दिक्सूचक को इस प्रकार चलाओ ताकि इसका दक्षिणी ध्रुव उसी स्थिति पर हो जहाँ पर पहले इसका उत्तरी ध्रुव था। इस स्थिति को अंकित करो। इस क्रिया-कलाप को दोहराओ ताकि आप चुंबक के दक्षिणी ध्रुव तक पहुँच जाओ। इन बिंदुओं को वक्र रेखा द्वारा मिलाओ; जो एक बल रेखा को प्रदर्शित करता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 12
इसी प्रकार छड़ चुंबक के निकट चुंबकीय दिक्सूचक की स्थितियाँ अंकित करो। आपको बल रेखाओं का एक नमूना (Pattern) प्राप्त हो जायेगा।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 13

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 9.
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि किसी चालक तार में से विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
उत्तर-
जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है तो चालक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। प्रयोग-एक समतल गत्ते का टुकड़ा लो। इस पर एक सफ़ेद कागज़ लगाकर उसे स्टैंड में क्षैतिज लगाओ। इसके बीचों-बीच एक तांबे की तार XY गुज़ारो। तार को एक सैल E तथा कुंजी K से जोड़कर तांबे की तार परिपथ पूरा करो। अब कुंजी K को दबाकर तार XY में से विद्युत् धारा गुज़ारो। तार के पास एक चुंबकीय सूई ले जाओ। चुंबकीय सूई विक्षेपित होने के पश्चात् एक विशेष दिशा में रुकती है। इस प्रकार इस प्रयोग से विद्युत् धारा द्वारा यह सिद्ध होता है कि किसी चालक तार में से विद्युत् धारा गुज़ारने पर चुंबकीय क्षेत्र इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। जैसे-जैसे तार में प्रवाहित विद्युत् धारा के परिमाण में वृद्धि होती है वैसे-वैसे किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण में भी वृद्धि होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 14

प्रश्न 10.
एक वृत्ताकार कुंडली के कारण चुंबकीय क्षेत्र की रूपरेखा खींचो।
उत्तर-
वृत्ताकार कुंडली में धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र-वृत्ताकार कुंडली में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करो प्रयोग- एक कुंडली के रूप में मुड़े हुए तार के टुकड़े को एक क्षितिजीय गत्ते में से गुजारो। अब कुंडली में शक्तिशाली विद्युत् धारा प्रवाहित करो तथा कार्ड पर लोह चूर्ण बिछा कर कार्ड को धीरे से थपथपाओ। आप देखोगे कि लोह चूर्ण एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित हो जाता है जो धारावाही कुंडली के कारण उत्पन्न बल रेखाओं को प्रदर्शित करता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 15
जैसे-जैसे हम कंडली से दूर जाते हैं उन वृत्तों के अद्र्धव्यास बढ़ते जाते हैं। जब हम कुंडली के केंद्र पर पहुंच जाते हैं तो क्षेत्रीय बल रेखाएं एक-दूसरे के समानांतर हो जाती हैं।

चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ाने के कारक-

  • कुंडली के वलयों की संख्या बढ़ाने से।
  • कुंडली में से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा बढ़ा कर।
  • कुंडली का अर्धव्यास कम करके।

प्रश्न 11.
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ? कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा अधिकतम कब होती है ?
उत्तर-
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण (Electro-magnetic induction)-किसी परिपथ से संबंधित चुंबकीय बल रेखाओं को परिवर्तित करके विद्युत्वाहक बल उत्पन्न करने की प्रक्रिया को विद्युत् चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है। इस प्रकार उत्पन्न हुए विद्युत्वाहक बल को प्रेरित विद्युत्वाहक बल कहते हैं। इसे किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत् धारा या तो उसे किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति कराकर अथवा उसके चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र को परिवर्तित करके उत्पन्न कर सकते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली को गति प्रदान कराकर प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना अधिक सुविधाजनक होता है। जब कुंडली की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है, तब कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा अधिकतम होती है।

प्रश्न 12.
हम कभी-कभी देखते हैं कि अचानक विद्युत् बल्ब सामान्य से कम अथवा अधिक तीव्रता से प्रकाश दे रहा है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर-
घरों में आने वाली विद्युत् धारा 220 वोल्ट की होती है। कभी-कभी जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से अधिक हो जाता है और जब इसकी मात्रा कम हो जाती है तो बल्ब का प्रकाश सामान्य से कम हो जाता है।

प्रश्न 13.
तांबे की तार की कुंडली किसी गेल्वेनोमीटर से जुड़ी है। क्या होगा यदि किसी छड़ चुंबक
(i) का उत्तरी ध्रुव कुंडली के अंदर डाला जाए।
(ii) को कुंडली के अंदर स्थिर रख दिया जाए।
(iii) को कुंडली के अंदर रखी स्थिति से बाहर खींच लिया जाए ?
उत्तर-
(i) गेल्वेनोमीटर की सूई विक्षेपित होगी, जिससे परिपथ में धारा के अस्तित्व का पता चलता है। यदि चुंबक को तीव्रता से चलाया जाए तो विक्षेपण और अधिक हो जाएगा।
(ii) यदि छड़ चुंबक को कुंडली के अंदर स्थिर रखा जाए तो गेल्वेनोमीटर कोई विक्षेपण नहीं दर्शाएगा।
(iii) यदि छड़ चुंबक को पुनः कुंडली से बाहर खींचा जाए तो गेल्वेनोमीटर में फिर विक्षेपण होगी किंतु विलोम दिशा में।

प्रश्न 14.
कुछ ऐसे विद्युत् उपकरण बताओ जिनमें विद्युत् मोटर प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर की सहायता से वे सभी उपकरण कार्य करते हैं, जिनमें घूर्णन गति उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है जैसे बिजली का पंखा, टेपरिकार्डर, मिक्सर आदि।

प्रश्न 15.
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर –
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर –

प्रत्यावर्ती धारा(Alternating Current) दिष्ट धारा (Direct Current)
(1) यह धारा एक समान नहीं होती। (1) यह धारा एक समान होती है।
(2) इस धारा का परिमाण एक समान बढ़ता रहता है। (2) इसका परिमाण सदा एक समान ही रहता है।
(3) इस धारा की दिशा एक विशेष समय के अंतराल के पश्चात् बदल जाती है। (3) इस धारा की दिशा नहीं बदलती|
(4) इस धारा का ग्राफ एक समान नहीं बल्कि वलयाकार होता है। (4) इस धारा का ग्राफ एक सीधी रेखा होता है।

प्रश्न 16.
फ्यूज़ क्या होता है ? इसके क्या लाभ हैं ?
उत्तर –
विद्युत् फ्यूज़- यह विद्युत् के परिपथों में प्रयोग किया जाने वाला एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत् के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से उपकरण को सुरक्षित रखता है। जिस मिश्र धातु का यह फ्यूज़ बना होता है उसका गलनांक बहुत कम होता है। लाभ-यदि विद्युत् परिपथ में किसी कारण से विद्युत् धारा की अधिक मात्रा प्रवाहित होने लगे तो यह फ्यूज़ पिघल कर परिपथ को तोड़ देता है तथा दुर्घटना टल जाती है।

प्रश्न 17.
फ्यूज़ की तार उच्च प्रतिरोध तथा निम्न पिघलाँक वाली क्यों होनी चाहिए ?
उत्तर-
फ्यूज़ की तार उच्च प्रतिरोध तथा लघु पिघलाँक वाली इसलिए होनी चाहिए ताकि जब ऐसी तार को परिपथ में शृंखलाबद्ध जोड़ा जाए तो यह अत्यधिक धारा बहने पर विद्युत् यंत्र को बिना कोई हानि पहुंचाए पिघल जाए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 18.
विद्युत् शॉक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
यदि हमारे शरीर का कोई भाग विद्युत् की नंगी तार को छू जाए तो हमारे तथा धरती के बीच विभवांतर स्थापित हो जाता है। ऐसा होने पर हमें झटका महसूस है। इस झटके को विद्युत् शॉक कहते हैं। कभी-कभी इन झटकों से मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है।

प्रश्न 19.
अतिभारण (Overloading) और लघुपथन (Short circuiting) से क्या भाव है ?
उत्तर-अतिभारण (Overloading)-परिपथ में प्रवाहित धारा इससे जुड़े उपकरणों की शक्ति दर पर निर्भर करती है। तारों का चयन इनमें से गुजरने वाली अधिकतम विद्युत् धारा के परिमाप पर निर्भर करता है। यदि सभी उपकरणों की शक्ति निश्चित सीमा से अधिक हो जाए तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचने लगते हैं। इसे अतिभारण (Overloading) कहते हैं।\

लघु पथन (Short Circuiting)-कभी-कभी विद्युन्मय और उदासीन तारें क्षतिग्रस्त होने के कारण परस्पर संपर्क में आ जाती हैं। ऐसा होने पर परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और इसमें से अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है। इसे लघु पथन कहते हैं। लघु पथन के समय तार अत्यधिक गर्म हो जाती है और उपकरणों को हानि पहुंचती है। इससे बचाव के लिए फ्यूज़ प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 20.
विद्युत् धारा के क्या-क्या संकट हो सकते हैं ? किन्हीं दो संकटों से बचने के उपाय लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा के कारण संकट तथा बचने के उपाय –

  • विद्युत् आघात लगने के कारण हमारे शरीर की कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं।
  • विद्युत् आघात लगने पर शरीर की मांसपेशियों पर बुरा प्रभाव पड़ने से इनकी हिल-जुल कम हो जाती है।
  • यदि विद्युत् आघात का प्रभाव हृदय की मांसपेशियों पर पड़े तो मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
  • यदि विद्युत् परिपथ में मोटी फ्यूज़ तार प्रयोग की जाए तो अधिक तीव्र धारा का प्रवाह होने पर यदि फ्यूज़ तार न पिघले तो आग लग सकती है और विद्युत् उपकरणों को हानि भी हो सकती है।

बचाव के उपायविद्युत् आघात से बचने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • जिस तार में से विद्युत् गुज़र रही हो, उसे गीले हाथ नहीं लगाने चाहिए।
  • घरों में प्रयोग किए जाने वाले उपकरण बढ़िया गुणवत्ता वाले तथा आई० एस० आई० द्वारा प्रमाणित होने चाहिए।
  • घरों में प्रयोग किए जाने वाले विद्युत् उपकरणों के साथ भू-तार अवश्य लगी होनी चाहिए।
  • खराब प्लग तथा स्विचों को तुरंत बदल देना चाहिए।

प्रश्न 21.
विद्युन्मय, उदासीन तथा भू-तारों को जोड़ने के लिए सामान्यतया किस-किस रंग के तार उपयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
पुरानी मान्यता के अनुसार विद्युन्मय के लिए लाल, उदासीन के लिए काली तथा भू-संपर्कित के लिए हरे रंग की तार प्रयुक्त होती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई मान्यता विद्युन्मय के लिए भूरी, उदासीन के लिए हल्की नीली और भू-संपति के लिए हरी या हरी-पीली तार का उपयोग होता है। भू-संपर्कित तार मोटी होती है ताकि यह शक्तिशाली धारा को सह सके। अन्य तारों की मोटाई उपकरण की दर पर निर्भर करती है। प्रत्येक तार धारा की सीमित मात्रा को सह सकती है। यदि धारा इस सीमा से अधिक हो जाए (अतिभारण या लघु पथन के कारण) तो अधिक तापन के कारण यह जल सकती है तथा आग भी लग सकती है।

प्रश्न 22.
हमारे देश में 220V की विद्युत् धारा घरों में प्रयोग के लिए दी जाती है जबकि अमेरिका जैसे विकसित और अमीर देशों में यह 110V की होती है। क्यों ?
उत्तर-
जब कोई व्यक्ति 220V की विद्युत् धारा को ले जाने वाली तार से छू जाता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है या वह बुरी तरह जल सकता है पर 110V पर यह घातक नहीं होती। कम वोल्टेज़ पर दी जाने वाली विद्युत् में संचार ह्रास (Transmission losses) बहुत अधिक होता है। इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर लगाने पड़ते हैं जो आर्थिक दृष्टि से अविकासशील देशों के लिए कठिन कार्य है। इसके लिए लंबी योजनाओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 23.
पृथ्वी एक बड़े चुंबक की भांति व्यवहार क्यों करती है ?
उत्तर-
पृथ्वी बहुत बड़े छड़ चुंबक के रूप में कार्य करती है। इसके चुंबकीय क्षेत्र को तल से 3 x 104 किमी० ऊंचाई तक अनुभव किया जा सकता है। वास्तव में पृथ्वी के तल के नीचे कोई चुंबक नहीं है।

चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं –

  • पृथ्वी के भीतर पिघली हुई अवस्था में विद्यमान धात्विक द्रव्य निरंतर घूमते हुए बड़े चुंबक की भांति व्यवहार करता है।
  • पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण इसका चुंबकत्व प्रकट होता है।
  • पृथ्वी के केंद्र की रचना लोहे और निक्कल से हुई है। पृथ्वी के निरंतर घूमने से इनका चुंबकीय व्यवहार प्रकट होता है।

प्रश्न 24.
पृथ्वी एक छड़ चुंबक की भांति किस प्रकार व्यवहार करती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 16
उत्तर-
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ऐसा है जैसे इसके भीतर एक बहुत बड़ा चुंबक है। इसका दक्षिणी ध्रुव कनाडा के उत्तरी गोलार्ध में 70.5° उत्तरी अक्षांश और 96° पश्चिमी रेखांश पर है। यह उत्तरी ध्रुव से लगभग 1600 किमी दूर है। इससे गुज़रता क्षैतिज तल भूगोलीय मीरिडियन कहलाता है। उत्तर और दक्षिण से गुजरता हुआ तल चुंबकीय मीरिडियन के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 25.
चित्र में किस नियम को दर्शाया गया है ? नियम की परिभाषा दो। इसका उपयोग किस यंत्र में किया जाता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 17
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम दर्शाया गया है। फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम (बायाँ हाथ नियम)- इस नियम के अनुसार, “अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हों (जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है)। यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा अंगुली चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा या चालक पर लग रहे बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इस नियम का उपयोग विद्युत मोटर बनाने के लिए किया जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 26.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा नियम दर्शाया गया है ? इस नियम के अनुसार 1 तथा 2 को अंकित कीजिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 18
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग का दायां हाथ का नियम दर्शाया गया है।
1 चुम्बकीय क्षेत्र
2 प्रेरित विद्युत धारा।

प्रश्न 27.
नीचे दिए गये चित्र में कौन-सा नियम दर्शाया गया है ? इस नियम के अनुसार 1 तथा 2 को अंकित करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 19
उत्तर-
चित्र में फ्लेमिंग के बाएं हाथ का नियम दर्शाया गया है।
1. चुंबकीय क्षेत्र
2. विद्युत् धारा।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी एक बड़ा चुंबक है। इसका चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव किस ओर स्थित होता है ?
उत्तर-
भौगोलिक उत्तरी ध्रुव की ओर।

प्रश्न 2.
तीन चुंबकीय पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
चुंबकीय पदार्थ-

  1. लोहा,
  2. कोबाल्ट तथा
  3. निक्कल।

प्रश्न 3.
चुंबक के किस भाग में आकर्षण बल अधिक प्रबल होता है ?
उत्तर-
सिरों (ध्रुवों) पर।

प्रश्न 4.
जब किसी चुंबक को मुक्त रूप से लटकाया जाता है तो यह किस दिशा में संकेत करता है ?
उत्तर-
उत्तर-दक्षिण दिशा में।

प्रश्न 5.
मुक्त रूप से लटकाये गए चुंबक का उत्तरी ध्रुव किस दिशा में संकेत करता है ?
उत्तर-
भौगोलिक उत्तर दिशा की ओर।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 6.
फ्यूज़ की तार का प्रतिरोध कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
अधिक प्रतिरोध ताकि गर्म होकर पिघल सके।

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होती है ?
उत्तर-
जो दिशा उस बिंदु पर रखी कम्पास सूई के दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर खींची गई रेखा की दिशा है।

प्रश्न 8.
यदि स्वतंत्रतापूर्वक लटकी रही परिनालिका में विद्युत्धारा की दिशा बदल दी जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
विद्युत्धारा की दिशा बदलने से परिनालिका 180° से घूम जायेगी।

प्रश्न 9.
उदासीन बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान बताओ।
उत्तर-
उदासीन बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान शून्य होता है।

प्रश्न 10.
धारावाही परिनालिका के समीप चुंबकीय सूई लाने पर क्या होगा ?
उत्तर-
चुंबकीय सूई विक्षेपित होकर सूई के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में ठहरेगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर तथा विद्युत् जनित्र में सैद्धांतिक क्या अंतर है ?
उत्तर-
विद्युत् मोटर में विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत् जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।

प्रश्न 12.
यदि छड़ चुंबक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के सामने सिरे से दूर ले जाया जाए तो इस सिरे में कौन-सा ध्रुव प्रेरित होगा ?
उत्तर-
दक्षिण ध्रुव।

प्रश्न 13.
दक्षिण हस्त अंगूठा नियम किसकी दिशा दर्शाता है ?
उत्तर-
धारावाही चालक के कारण चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाता है।

प्रश्न 14.
फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम में अंगूठा किसकी दिशा का सूचक होता है ?
उत्तर-
धारावाही चालक पर लगने वाले बल का।

प्रश्न 15.
चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान चालक में प्रेरित धारा की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 16.
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण की घटना की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
उत्तर-
माइकल फैराडे ने।

प्रश्न 17.
हमारे घरों में उपलब्ध मेन्स विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी होती है ?
उत्तर-
220 वोल्ट।

प्रश्न 18.
घरेलू परिपथ को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाने के लिए कौन-सी युक्ति प्रयोग में लायी जाती है ?
उत्तर-
फ्यूज़ तार।

प्रश्न 19.
भूसंपर्क तार का रंग कौन-सा होता है ?
उत्तर-
हरा।

प्रश्न 20.
धात्विक फ्रेम वाले विद्युत् उपकरणों को विद्युत् के झटके से बचने के लिए क्या सावधानी बरती जाती है ?
उत्तर-
फ्रेम को भूसंपर्कित किया जाता है।

प्रश्न 21.
धारावाही चालक के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
दाएं हाथ के अगूंठा नियम दवारा।

प्रश्न 22.
विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करने वाले यंत्र का नाम बताओ।
उत्तर-
विद्युत् मोटर।

प्रश्न 23.
MRI शब्द का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (Magnetic Resonance Imaging)।

प्रश्न 24.
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने वाले यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् जनित्र।

प्रश्न 25.
डायनमो किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करता है ?
उत्तर-
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 26.
डायनमों में उत्पन्न प्रेरित विद्युत्धारा की दिशा किस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम द्वारा।

प्रश्न 27.
50 साइकिल की प्रत्यावर्ती धारा का दोलनकाल बताओ।
उत्तर-
1/50 सेकंड।

प्रश्न 28.
एक प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्टस (Hz) है। बताइए एक सेकंड में इसकी दिशा कितनी बार बदलेगी ?
उत्तर-
100 बार।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 29.
दर्शाए गए चित्र में अँगूठा किस बात का संकेत देता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 20
उत्तर-
विद्युत् धारा की दिशा।

प्रश्न 30.
चित्र में कौन-सी विद्युत् प्रक्रिया के कारण ग्लवैनोमीटर की सूई विक्षेपित होती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 21
उत्तर-
विद्युत् चुंबकीय प्रेरण।

प्रश्न 31.
दो चुंबकों की चुंबकीय रेखाएं चित्र में दर्शाई गई हैं। इन दोनों चुंबकों के आमने-सामने वाले ध्रुवों के नाम लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 22
उत्तर-
दोनों उत्तरीय (N) ध्रुव हैं।

प्रश्न 32.
नीचे दिए गए चित्र में लौह चूर्ण एक विशेष पैटर्न में व्यवस्थित हो जाता है। यह पैटर्न क्या दर्शाता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 23
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ।

प्रश्न 33.
साधारण विद्युत् मोटर के दिए गए चित्र में P तथा 0 क्या दर्शाता है तथा इसका क्या कार्य है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव 24
उत्तर-
P तथा Q विभक्त विलय (स्पिलिट रिंग)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी चालक में विद्युत्धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करते हैं-
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से
(b) फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से
(d) फैराडे के नियम से।
उत्तर-
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से।

प्रश्न 2.
किसी तीव्र चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही कुंडली रखने पर उत्पन्न बल की दिशा ज्ञात करते हैं
(a) मैक्सवेल के दाएं हाथ के नियम से
(b) फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से
(d) फैराडे के नियम से।
उत्तर-
(c) फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से।

प्रश्न 3.
घरेलू परिपथ में प्रयुक्त उदासीन तार का रंग होता है
(a) काला
(b) लाल
(c) हरा
(d) कोई निश्चित नहीं।
उत्तर-
(a) काला।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

प्रश्न 4.
जब विद्युत् ले जाने वाली और उदासीन तार पर आपसी संपर्क होने पर अत्यधिक धारा प्रवाहित होने लगती है तो उस व्यवस्था को क्या कहते हैं?
(a) अतिभार
(b) लघु पथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) लघु पथन।

प्रश्न 5.
उच्च शक्ति वाले विद्युत् उपकरणों के धात्विक फ्रेम के घरेलू परिपथ को भूतार से जोड़ना क्या कहलाता है ?
(a) अतिभार
(b) लघु पथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) भू-संपति ।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन दिष्टधारा के स्त्रोत है ?
(a) शुष्क शैल
(b) बटन सैल
(c) लैड बैटरियां
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
विद्युत् धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) मोटर
(d) ऐमीटर।
उत्तर-
(a) जनित्र।

प्रश्न 8.
समान चुंबकीय ध्रुव क्या करते हैं ?
(a) प्रतिकर्षित
(b) आकर्षित
(c) दोनों प्रतिकर्षण तथा आकर्षण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) प्रतिकर्षित।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) वह युक्ति जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है …………………….. कहलाती है।
उत्तर-
जनित्र

(ii) फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम से …………………………… की दिशा ज्ञात करते हैं।
उत्तर-
प्रेरितधारा

(iii) मैक्सवैल के दाएँ हाथ के नियम से …………………………….. की दिशा ज्ञात की जाती है।
उत्तर-
चुंबकीय क्षेत्र की दिशा

(iv) …………………………. के क्रोड से अधिक शक्तिशाली विद्युत चुंबक बनता है।
उत्तर-
नरम लोहे

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

(v) पृथ्वी एक विशाल ……………………….. की भांति व्यवहार करता है।
उत्तर-
चुंबक।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
(क) विद्युत् धारा के ऊष्मन प्रभाव संबंधी नियम लिखें
(ख) विद्युतीय शक्ति की परिभाषा दें। इसकी इकाई की भी परिभाषा दें।
(ग) विद्युतीय ऊर्जा क्या है ? इसकी इकाइयों की परिभाषा लिखें।
उत्तर –
(क) ऊष्मन प्रभाव के नियम-जब भी किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है, तो यह गर्म हो जाता है। इसे जूल का ऊष्मन नियम (Joule’s Heating Effect) कहा जाता है। इस नियम के अनुसार जब चालक में से धारा प्रवाहित की जाती है तो उत्पन्न ताप

  • धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। H ∝ I2 (जब प्रतिरोध, R, समय न हो)
  • चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है H ∝ R (जब धारा I, समय न हो)
  • समय के समानुपाती होता है जितने समय के लिए धारा प्रवाहित की जाती है।

H∝ t (जब प्रतिरोध R तथा धारा I हो)
संयुक्त करने पर H ∝ I2Rt (समानुपाती नियतांक) का मान मात्रक की प्रणाली पर निर्भर करता है। S.I. प्रणाली में इसका मान ‘1’ है। अतः
H = I2Rt (जूल में)

(ख) विद्युत् शक्ति- विद्युतीय कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लें कि चालक के सिरों के मध्य V विभवांतर वाले चालक में धारा I गुज़ारी जाती है। समय t के लिए धारा I प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 1
= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\frac{\mathrm{VI} t}{t}\)
= V × I
P = V × I
∴ P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{V}{R}\) ]
और P = I2R

विद्युत् शक्ति की इकाई P = VI
यदि V वोल्ट तथा I एम्पियर में मापी जाए, तो शक्ति वाट में होगी।
वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति होगी यदि एक एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही हो। जब किसी चालक जिसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट

(ग) विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किए गए कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है। मान लें किसी चालक में से I एम्पियर की धारा समय 1 के लिए प्रवाहित होती है, जबकि इसके सिरों के बीच विभवांतर V होता है। तब प्रयुक्त ऊर्जा या किया गया कार्य इस प्रकार होता है-
W = VIt
विद्युत् ऊर्जा की मानक इकाई जूल या वाट-सेकंड है किंतु यह एक लघु (छोटी) इकाई है। विद्युत् ऊर्जा की वृहत् (बड़ी) इकाई वाट-घंटा है। वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x 1 एम्पियर x 1 घंटा
1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की बड़ी इकाई किलोवाट-घंटा है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 2.
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-देखें लघु उत्तरात्मक प्रश्न 14. चालक के प्रतिरोध की निर्भरता के कारक-देखें अध्याय के अंतर्गत प्रश्न 1 पृष्ठ 336.

प्रश्न 3.
प्रयोग द्वारा मालूम करें कि किसी चालक के लिए प्रतिरोध का मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर–
किसी धातु चालक का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है उसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है –
प्रयोग-एक बैटरी, एमीटर, प्रतिरोधक तार और स्विच की सहायता से विद्युत् परिपथ बनाओ। स्विच को दबा कर इसके परिपथ में से विद्युत् धारा प्रवाहित करें। एमीटर से विद्युत् धारा का मान नोट करें। अब इस तार के स्थान पर समान लंबाई और मोटाई की किसी अन्य धातु की तार द्वारा जोड़े तथा एमीटर द्वारा धारा का मान नोट करें। आप देखते हैं कि विद्युत् धारा का मान बदल जाता है। इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके स्वभाव पर निर्भर करता है। अर्थात् एक ही ताप पर समान लंबाई तथा मोटाई वाले भिन्न-भिन्न धातुओं के चालकों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 2
अब पहले तार के व्यास के बराबर तथा उसी धातु से बनी एक तार लो जिसकी लंबाई पहले तार से दुगनी हो। इस तार को परिपथ में जोड़ें और इसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित करो। आप देखेंगे कि यह माप पहले से अमर हो गया है या प्रतिरोध दुगुना हो गया है। इससे सिद्ध होता है कि प्रतिरोध लंबाई के समानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R और तार की लंबाई l हो तो
R α l ……………………..(1)
अब एक ही धातु की बनी दो तारें लीजिए जिनकी लंबाई एक समान हो परंतु अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (Areas of cross-section) अलग-अलग हों। पहले कम अनुप्रस्थ वाले तार को परिपथ में जोड़ो तथा बाद में अधिक अनुप्रस्थ काट वाले तार को परिपथ में जोड़ें। आप देखते हो कि तार में विद्युत् धारा का मान पहले की अपेक्षा अधिक प्रवाहित हो रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि दूसरे तार का प्रतिरोध पहले की अपेक्षा कम है। इससे सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R तथा तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है, तो
R α \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) ……………………………… (2)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
R α \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अथवा
R= ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
जहां पर ρ स्थिरांक है और इसे चालक का प्रतिरोधकता कहते हैं। इसका मान चालक के पदार्थ के स्वभाव पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
ओम का नियम क्या है? आप प्रयोगशाला में इसकी पुष्टि कैसे करोगे?
अथवा
ओम का नियम लिखो। चित्र बनाकर समझाइए कि इसकी प्रयोगशाला में व्याख्या कैसे की जाती है ?
अथवा
ओम का नियम लिखो। इसे प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध करने के लिए एक परिपथ चित्र बनाओ।
उत्तर-
ओम का नियम (Ohm’s Law)-ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा I का अनुपात सदा स्थिर रहता है, यदि चालक की भौतिक परिस्थितियां (ताप और दबाव आदि) न बदलें।
या
\(\frac{V}{I}\) = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को चालक का प्रतिरोध कहा (R) जाता है।
ओम के नियम की पुष्टि-दिए गए चालक PQ को बैटरी (B), एक धारा नियंत्रक (Rh), एक एममीटर (A) और एक कुंजी (K) को दिए गए परिपथ में जोड़ो। चालक PQ के सिरों के बीच में वोल्टमीटर V लगाओ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 3
अब कुंजी में प्लग लगाकर चालक PQ में प्रवाहित हो रही धारा I का मान एममीटर के पाठ्यांक और चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V का मान वोल्टमीटर पाठ्यांक से नोट करो।

अब V और I का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\right)\) मालूम करो। अब नियंत्रक की सहायता से परिपथ में धारा का मूल्य बदलो और वोल्टमीटर तथा एममीटर का नया पाठ्यांक नोट करो। दोबारा विभवांतर और धारा का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\right)\) का मूल्य निकालो। धारा नियंत्रक की स्थिति बदल कर इस प्रयोग को दोहराओ। मान लो इस बार एममीटर का पाठ्यांक I2 और वोल्टमीटर का पाठ्यांक V2 है। अब फिर \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) अनुपात ज्ञात करो। आप देखेंगे कि प्रत्येक बार विभवांतर और धारा का अनुपात स्थिर है।

अर्थात् \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}=\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) = ………………………. = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को प्रतिरोध कहा जाता है। इस प्रकार ओम के नियम की पुष्टि हो जाती है। अब चालक PQ के विभवांतर के भिन्न-भिन्न मूल्यों और इनके अनुसार धारा के भिन्न-भिन्न मूल्यों का ग्राफ खींचो। ‘ग्राफ का एक सीधी रेखा होना, ओम के नियम की पुष्टि करता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ग्राफ से पता चलता है कि जैसे-जैसे चालक का विभवांतर बढ़ता है, धारा में भी रैखिक वृद्धि होती है, जो ओम के नियम को सत्यापित करता है।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
श्रेणीक्रम में जोड़े गये प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होता है, इसके लिए एक संबंध व्युत्पन्न करो।
अथवा
श्रेणीक्रम में जोड़े गए प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा ? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
उत्तर-
जब प्रतिरोधकों को श्रेणीबद्ध किया जाता है तो संयोजन का प्रतिरोध पृथक्-पृथक् प्रतिरोधों के जोड़े के बराबर होता है।
श्रेणीबद्ध किये गये प्रतिरोधों को तथा उनका तुल्य प्रतिरोध के मध्य संबंध का व्युत्पन्न-
श्रेणीबद्ध (शृंखला) जुड़े तीन प्रतिरोधों r1,r2 और r3, पर विचार करो जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है। मान लो प्रत्येक में से धारा I प्रवाहित होती है। प्रतिरोध के पार विभवांतर इसके प्रतिरोध के समानुपाती है।
मान लो, V1 = r1, के सिरों के मध्य विभवांतर
V2= r2, के सिरों के मध्य विभवांतर
V3 = r3, के सिरों के मध्य विभवांतर

∴ V = V1 + V2 + V3 ……………………..(i)

मान लो Rs पूर्ण श्रृंखला का तुल्य प्रतिरोध है।
ओम-नियम के अनुसार
V = IRs
इसी प्रकार
V1 = IRs
V2 = Ir2
V3 = Ir3
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 5

(i) में मान प्रतिस्थापित करके
IRs = Ir1 + Ir2 + Ir3
IRs = I(r1 + r2 +r3)
Rs = r1 + r2 +r3
अतः जब प्रतिरोध शृंखलाबद्ध जोड़े जाते हैं तो इनका कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है।

प्रश्न 6.
जब तीन प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम में एक बैटरी से जोड़ा जाता है तो इनके तुल्य प्रतिरोध विद्युत् के लिए एक संबंध ज्ञात करो।
अथवा
समानांतर क्रम में जोड़े गए कुछ प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
अथवा
विद्युत् सर्किट में जब दो या अधिक प्रतिरोधों (R1,R2, R3, ………) को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध (R) प्राप्त करने के लिए पुटैंशल अंतर (V) तथा विद्युत् धारा (I) के लिए संबंध/सूत्र स्थापित करो। अंकित चित्र भी बनाओ।
उत्तर-
समानांतर क्रम में प्रतिरोधक-मान लो कि तीन प्रतिरोधक R1, R2, और R3, बिंदु A और B के मध्य समांतर क्रम में जोड़े गए हैं। अब यदि बिंदु A और B के मध्य विभवांतर लगाने पर मुख्य परिपथ में विद्युत् धारा I प्रवाहित हो रही हो तो बिंदु A पर यह विद्युत् धारा तीन भागों में बँट जाती है। मान लो प्रतिरोध R1, R2, R3, में से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा क्रमशः I1, I2, I3, है तो
I = I1 + I2, + I3
यदि दोनों सिरों के मध्य विभवांतर V है तो ओम के नियमानुसार
I1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}\),
I2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}\),
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) जहाँ र तुल्य (परिणामी) प्रतिरोध है|
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\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
\(\frac{V}{R}=V\left[\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\right]\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}} \)

प्रश्न 7.
विद्युत्-ऊर्जा और विद्युत्-शक्ति की परिभाषा दो और इनके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् शक्ति की परिभाषा लिखें। इसके मात्रक वाट की भी परिभाषा दें।
अथवा
विद्युत् ऊर्जा क्या है ? इनकी इकाई किलोवाट घंटा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विद्युत् शक्ति-विद्युत् द्वारा कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लो अपने सिरों के पार V विभवांतर वाले चालक में से I धारा गुज़ारी जाती है। 1 समय के लिए I धारा प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा-
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 7
= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\text { VIt }\)
= V x I
P = V x I

ओम-नियम के अनुसार
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) ]
और P = I2R [∵ V = IR]
विद्युत् शक्ति की इकाई
हम जानते हैं P = VI
यदि V वोल्ट में तथा I एम्पियर में मापी जाए तो शक्ति वाट में होगी।

वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति उस समय होती है, जब एक एम्पियर धारा किसी चालक में से प्रवाहित हो और इसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर स्थापित हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट
विद्युत् ऊर्जा- किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किये गये कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विद्युत् का हमारे दैनिक जीवन में क्या योगदान है?
उत्तर-
विद्युत् का हमारे जीवन में योगदान-विद्युत् का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। इससे जीवन में कई सुविधाएं मिलती हैं जैसे-रात को अंधेरा दूर करने के लिए इसका उपयोग विद्युत् बल्ब तथा ट्यूबलाइट में किया जाता है, गर्मियों में डेजर्ट कूलर, ऐयर कंडीशनर आदि से विद्युत् का उपयोग करके घरों को ठंडा और सर्दियों में हीटर आदि से गर्म किया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् का उपयोग करके टेलीविज़न, रेडियो, चलचित्र और संगीत आदि से मनोरंजन होता है। कृषि, परिवहन और उद्योग में मशीनों आदि को चलाने के लिए भी विद्युत् का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 2.
स्थिर वैद्युत् से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् (Static Electricity)- जब दो वस्तुओं को परस्पर एक-दूसरे के साथ रगड़ा जाता है तो उन दोनों में छोटी-छोटी ओर हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। रगड़ द्वारा उत्पन्न हुई वैद्युत् को घर्षण वैद्युत् या स्थिर वैद्युत् कहते हैं। स्थिर आवेशों के अध्ययन को इलैक्ट्रोस्टैटिक्स कहते हैं। उदाहरण-जब किसी प्लास्टिक के पैन को शुष्क बालों के साथ रगड़ा जाता है तो यह कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। ऐसा रगड़ द्वारा विद्युत् पैदा होने के कारण होता है।

प्रश्न 3.
धन तथा ऋण आवेश क्या होते हैं? यह कैसे पैदा होते हैं?
उत्तर –
धन आवेश (Positive Charge)-रेशम के कपड़े के साथ रगड़ने पर कांच की छड़ पर पैदा हुए आवेश को धन आवेश कहा जाता है। ऋण आवेश (Negative Charge)-बिल्ली की खाल से रगड़ने पर आबनूस की छड़ पर पैदा हुए आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
चालकों और रोधकों के बीच अंतर स्पष्ट करो।
अथवा
चालक और रोधक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
चालक और रोधक में अंतर-
चालक-चालकों में बहुत सारे स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन होते हैं जो विद्युत् धारा के प्रभाव अधीन गति करते हैं। जब चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो ये इलैक्ट्रॉन इसके धन टर्मिनल की ओर आकर्षित होते हैं और ऋण टर्मिनल से प्रतिकर्षित होते हैं। इसलिए चालक में इन इलैक्ट्रॉनों की गति के कारण आवेश का स्थानांतरण होता है। अत: चालक वे पदार्थ हैं जिनमें आसानी से विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है। उदाहरण-ताँबा, चाँदी, एल्यूमीनियम आदि।

रोधक-ऐसे पदार्थ जिनमें स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन बहुत कम होते हैं। इन पदार्थों में इलैक्ट्रॉन आसानी से गति नहीं कर सकते हैं अर्थात् जिनमें से विद्युत् धारा का प्रवाह नहीं होता रोधक कहलाते हैं। उदाहरण- रबड़, काँच, प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 5.
विद्युत् विभव का क्या अर्थ है ? धन विभव तथा ऋण विभव का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
विद्युत् विभव-यह चालक की एक विशेष विदयुतीय अवस्था है जो हमें यह बताती है कि किसी दूसरे चालक के संपर्क में आने पर विद्युत् आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा। किसी चालक का विभव पृथ्वी के सापेक्ष मापा जाता है। धन विभव-यदि धन आवेश वस्तु से पृथ्वी की ओर बहे या इलैक्ट्रॉन पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित हो तो उस वस्तु के विभव को धन विभव कहते हैं।

प्रश्न 6.
किसी सेल के विद्युत् वाहक बल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सेल का विद्युत् वाहक बल-एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित कराने में परिपथ में जुड़े सेल के द्वारा व्यय की जाने वाली ऊर्जा को सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित किया जाता है। विद्युत् वाहक बल का S.I. मात्रक वोल्ट है।

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प्रश्न 7.
स्थिर वैद्युत् से कूलॉम का नियम वर्णित करो और इसकी व्याख्या करो।
अथवा
स्थिर विद्युत् की में कूलॉम का नियम परिभाषित करो और इसकी व्याख्या करो।
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् में कूलॉम का नियम- कूलॉम के नियम के अनुसार दो सजातीय रूप से आवेशित वस्तुओं के मध्य प्रतिकर्षण बल या दो विजातीय आवेश वाली वस्तुओं के मध्य आकर्षण बल उन आवेशों की मात्रा के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 8
मान लो दो बिंदुओं पर आवेशों की मात्रा q1 और q2 है और इनके मध्य दूरी ‘d’ है। यदि इनके मध्य क्रिया कर रहा बल F हो तो F ∝q1 q2 ……………………………… (i)
और F ∝ \(\frac{1}{d^{2}}\) ………………………………….(ii)
समीकरण (i) और (ii) को मिलाकर,
F∝ \(\frac{q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
या F= \(\frac{\mathrm{K} q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
जहाँ K अनुपात अंक है जिसका मूल्य आवेशों के माध्यम पर निर्भर करता है। जब आवेशों को कूलॉम में और दूरी को मीटरों में लिया जाए तो वायु या निर्वात के लिए K = 9 x 109 है।
∴ F = \(9 \times 10^{9} \times \frac{q_{1} \times q_{2}}{d^{2}} \) न्यूटन

प्रश्न 8.
पुटैंशल अंतर (विभवांतर ) किसे कहते हैं ?
अथवा
विभांतर से क्या भाव है ? इसकी इकाई क्या है?
अथवा
विभावंतर क्या है ? इसका मात्रक बताओ।
उत्तर-
पुटैंशल अंतर (विभवांतर)- एक विद्युत् क्षेत्र में दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर उस क्षेत्र के कारण स्थिर विद्युत् बल के विपरीत एक इकाई धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य की मात्रा है। विभवांतर की इकाई वोल्ट है।

प्रश्न 9.
वोल्ट की परिभाषा लिखो। यह किस भौतिक राशि की इकाई है?
उत्तर-
वोल्ट-विद्युत् क्षेत्र के दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर एक वोल्ट होता है जब एक कूलॉम धन आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में एक जूल कार्य किया गया हो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 9
वोल्ट भौतिक राशि पुटैंशल अंतर (विभवांतर) इकाई है।

प्रश्न 10.
हम कैसे कह सकते हैं कि विद्युत् धारा आवेश के प्रवाह के कारण होती है ?
उत्तर-
यदि हम एक आवेशित विद्युत्दर्शी को तारों द्वारा अनावेशित विद्युत्दर्शी के साथ जोड़ें तो आवेश आवेशित विद्युत्दर्शी से अनावेशित विद्युत्दर्शी की ओर प्रवाहित करना आरंभ कर देगा। इससे अनावेशित विद्युत्दर्शी के पत्र फैलकर एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे अर्थात् खुल जाएंगे। धारा का यह प्रवाह उतनी देर तक चलता रहेगा जब तक कि इन दोनों विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान नहीं हो जाते। समानता आने पर विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान खुलेंगे। आवेश के इस प्रवाह को ही विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 11.
विद्युत् धारा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
विद्युत् धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् धारा (Electric Current)-जब दो बिंदु जो कि भिन्न-भिन्न विभव (पुटैंशल) पर हों, एक तांबे की तार द्वारा जोड़ दिया जाए तो आवेश उच्च विभव (पुटैंशल) से निम्न विभव (पुटैंशल) वाले बिंदु की ओर बहना शुरू कर देता है। यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों बिंदुओं का विभव (पुटैंशल) बराबर नहीं हो जाता। यदि दोनों बिंदुओं में विभवांतर (पुटैंशल अंतर) कायम रहे तो आवेश का बहना जारी रहता है। इस तरह आवेश के निरंतर प्रवाह को विद्युत् धारा कहते हैं।

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प्रश्न 12.
विद्युत् धारा किस प्रकार ऊष्मा उत्पन्न करती है?
उत्तर-
किसी धात्विक चालक में बहुत बड़ी संख्या में मुक्त इलैक्ट्रॉन यादृच्छिक गति करते हैं। जब चालक को विद्युत् स्रोत से जोड़ा जाता है, तो मुक्त इलैक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होते हैं, जिससे इलैक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण मुक्त इलैक्ट्रॉनों की गति ऊर्जा चालक के परमाणुओं में स्थानांतरित हो जाती है। परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है और इस कारण चालक के ताप में वृद्धि हो जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 13.
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा से उत्पन्न उष्मा का संबंध (सूत्र ) स्थापित करो।
उत्तर-
विद्युत् के ऊष्मीय प्रभाव का सूत्र-जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुजारी जाती है तो वह गर्म हो जाता है। सबसे पहले जूल नामक वैज्ञानिक ने हमें यह बताया था। इसलिए इसे जूल के ऊष्मीय प्रभाव का नियम कहते हैं।
क्योंकि चालक धारा के प्रवाह का प्रतिरोध करते हैं, इसलिए चालक में से लगातार विद्युत् धारा प्रवाहित करने के लिए कार्य करना पड़ता है। किसी R प्रतिरोध के चालक में 1 समय तक I विद्युत् धारा, V विभवांतर पर प्रवाहित हो रही है और 1 समय में I धारा Q आवेश के कारण हो तो
I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
या Q = It
और Q आवेश पर V विभवांतर पर किया गया कार्य
W = QV
= (It) V (∴ Q = It)
= (It) v (∴ V= IR)
= I2Rt
यदि यह उत्सर्जित ऊष्मा H द्वारा प्रकट की जाए तो H (जूल में) = I2 Rt

प्रश्न 14.
चालक के प्रतिरोध की परिभाषा दो। इसकी मात्रक बताओ।
अथवा
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? इसके मात्रक की परिभाषा दें।
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-किसी चालक के सिरों के बीच के विभवांतर और इसमें से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहा जाता है। इसे R से प्रदर्शित किया जाता है। यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और इसमें से गुज़र रही धारा की मात्रा l हो तो
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 10
प्रतिरोध का मात्रक-S.I. पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक ओम है।
ओम-किसी चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा यदि उसके सिरों के बीच का विभवांतर एक वोल्ट हो और इसमें से गुजर रही विद्युत् धारा की मात्रा एक एम्पियर हो। अर्थात् यह एक धातु के घन का प्रतिरोध है जिसकी प्रत्येक भुजा 1 मीटर है और धारा इसके आमने-सामने सम्मुख फलकों के लंबवत् प्रवाहित हो रही है।

प्रश्न 15.
प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिख कर महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
प्रतिरोधकता-किसी चालक तार की इकाई लंबाई और इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का प्रतिरोध उसकी प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका SI मात्रक Ω-m है।
महत्त्व-

  • यह तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, वे विद्युत् के न्यून/कम चालक होते हैं। उदाहरण-प्लास्टिक, रबड़, आदि।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता कम होती है, वे विद्युत् के अच्छे चालक होते हैं। उदाहरण-धातु, मिश्रधातु, आदि।
  • किसी मिश्रधातु की प्रतिरोधकता इसकी घटक घातुओं से अधिक होती है।

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प्रश्न 16.
तापन युक्तियों में धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग किस कारण किया जाता है ?
उत्तर-
उच्च प्रतिरोधकता के गुणों से संपन्न धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग तापन युक्ति में किया जाता है क्योंकि

  • ये अधिक तापमान पर ऑक्सीकृत नहीं होते।
  • ये अधिक प्रतिरोध प्रदान करते हैं।
  • ये उच्च तापमान पर भी जल्दी जलते नहीं हैं।

प्रश्न 17.
विद्युत् परिपथ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- यह एक बंद पथ होता है जिसमें इलैक्ट्रॉन (आवेश) बहुत तीव्रता से प्रवाहित होते हैं। जब किसी चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो इलैक्ट्रॉन बैटरी के ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं। परंतु धारा (I) की पारंपरिक दिशा इलैक्ट्रॉनों के वहन की दिशा से विपरीत ली जाती है।

प्रश्न 18.
विद्युत् धारा क्या है ? इसके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् करंट क्या है ? इसकी SI प्रणाली में इकाई की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा (Current)-यदि दो आवेशित वस्तुओं को परस्पर एक चालक से जोड़ा जाए तो इलैक्ट्रॉन (आवेश) एक वस्तु से दूसरी वस्तु की ओर प्रवाहित होते हैं। इलैक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर को, विदवत धारा (I) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इकाई समय में प्रवाहित हो रहे आवेश को विद्युत् धारा कहा जाता है।
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∴ I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
SI पद्धति में धारा का मात्रक एम्पियर (A) है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 12
जबकि 1 कूलॉम = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलैक्ट्रॉन
= 6.25 x 1018 इलैक्ट्रॉन
एम्पियर (Ampere)-जब किसी चालक में से सेकंड में एक कूलॉम आवेश प्रवाहित किया जाता है तो धारा की मात्रा को एक एम्पियर कहा जाता है। धारा की छोटी मात्रक मिली-एम्पियर है।
1 मिली-एम्पियर = \(\frac{1}{1000}\) एमम्पियर
=10-3 एम्पियर

प्रश्न 19.
धारा मापने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाता है ? परिपथ में इसे कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
परिपथ में प्रवाहित धारा मापने के लिए एममीटर का उपयोग किया जाता है। यह परिपथ में सदा इस विधि से जोड़ा जाता है कि संपूर्ण | धारा इसमें से प्रवाहित हो अर्थात् श्रृंखला क्रम में जोड़ा जाता है। एममीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है।
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प्रश्न 20.
विद्युत् ऊर्जा की इकाई की परिभाषा लिखो।
अथवा
एक वाट-घंटा की परिभाषा दें।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा की इकाई जूल/वाट-सेकंड (वाट-घंटा) है।
वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है तथा जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x एम्पियर x 1 घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की वृहत् इकाई को किलोवाट-घंटा कहते हैं।
1 किलोवाट-घंटा = 1000 वाट-घंटा।

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प्रश्न 21.
एक किलोवाट घंटे में कितने जूल होते हैं ?
अथवा
एक किलोवाट घंटा को परिभाषित करें।
उत्तर-
किलोवाट घंटा- यदि एक किलोवाट विद्युत् शक्ति को 1 घंटे तक प्रयोग किया जाये तो विद्युत्ऊर्जा एक किलोवाट घंटा (Kwh) होती है।
1 Kwh = 1 Kw x 1 घंटा
= 1000 वाट x 3600 सेकंड
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1 किलोवाट घंटा (1 Kwh) = 36 x 105 जूल

प्रश्न 22.
क्या कारण है कि विद्युत् वाहक तारों में बहुत कम ताप उत्पन्न होता है, जबकि विद्युत् बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है?
उत्तर-
विद्युत् बल्ब के तंतु का प्रतिरोध, विद्युत् वाहक तारों के प्रतिरोध की तुलना में बहुत अधिक होता है; अतः समान विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है, परंतु विद्युत् वाहक तारों में नहीं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए
(i) यदि आप अमीटर को समांतर-क्रम में जोड़ देते हैं तो अमीटर क्यों जल जाता है?
(ii) एक निश्चित ताप से नीचे कुछ पदार्थों की प्रतिरोधकता घटकर एकदम शून्य क्यों हो जाती है?
उत्तर-
(i) अमीटर के जलने का कारण-परिपथ की अन्य युक्तियों की तुलना में अमीटर का प्रतिरोध नगण्य होता है। जब अमीटर को परिपथ के समांतर-क्रम में जोड़ा जाता है तो परिपथ का कुल विभवांतर अमीटर के सिरों के बीच भी कार्य करता है, जिससे अमीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है और उसमें बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और अमीटर जल जाता है।
(ii) जब किसी चालक पदार्थ का ताप क्रांतिक ताप से कम हो जाता है तो पदार्थ अतिचालक में बदल जाता है, जिससे उसका प्रतिरोध घटकर एकदम शून्य हो जाता है।

प्रश्न 24.
विद्युत् उपकरणों के पार्यक्रम जोड़ने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
पार्यक्रम जोड़ने के लाभ

  • प्रतिरोधों को पार्यक्रम जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत् धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
  • ऐसा करने से सभी समानांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली की रेफ्रीजरेटर, रेडियो तथा टेलीविज़न आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 25.
प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है, यदि (i) तार की लंबाई बढ़ा दी जाए। (ii) काट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध तार की लंबाई के सीधा समानुपाती होता है। इसलिए तार की लंबाई बढ़ाने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है।
(ii) मोटे तार का प्रतिरोध बारीक तार की अपेक्षा कम होता है। इसलिए यदि तार का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए अर्थात् तार मोटी ली जाए तो प्रतिरोध कम हो जाता है।

प्रश्न 26.
संयोजक तारें ताँबे की क्यों बनाई जाती हैं? वे तारें मोटी क्यों होती हैं?
उत्तर-
तांबा विद्युत् का चाँदी के बाद अधिकतम सुचालक है। इसका प्रतिरोध कम होने के कारण इसमें से विद्युत् धारा सुगमता से प्रवाह कर सकती है। तारें मोटी रखी जाती हैं क्योंकि किसी तार का प्रतिरोध उसका मोटाई के विलोमानुपाती होता है। जो तार जितनी अधिक मोटी होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा। इसके परिणामस्वरूप विद्युत् धारा अधिक क्षमता से प्रवाहित हो सकेगी।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 27.
विद्युत चालक क्या होते हैं ? दो उदाहरण दो।
उत्तर-
विद्युत चालक-ऐसे पदार्थ जिनमें से विद्युत धारा का प्रवाह सुगम हो जाता है, विद्युत के चालक कहलाते हैं।
उदाहरण-

  • तांबा
  • एल्यूमीनियम,
  • अम्ल युक्त जल।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
दो छोटे आवेशित गोलों पर 2 x 10-7 कूलॉम और 3 x 10-7 कूलॉम के आवेश हैं और यह वायु में 30 cm. की दूरी पर रखे गये हैं। इनके मध्य बल पता करो।
हल : यहाँ पहले गोले पर आवेशq1 = 2 x 10-7 कूलॉम
दूसरे गोले पर आवेश q2 = 3 x 10-7 कूलॉम
गोलों के बीच की दूरी d = 30 सेमी०
= \(\frac{30}{100} \)
= 0.30 m
माध्यम वायु के लिए K = 9 x 109

दोनों गोलों के मध्य विद्युतीय बल F= ?
कूलॉम के नियमानुसार, F = K x \(\frac{q_{1} \times q_{2}}{d_{2}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 10^{-7} \times 3 \times 10^{-7}}{0.30 \times 0.30}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 3 \times 100 \times 100}{10^{7+7} \times 30 \times 30}\)
= \(\frac{9 \times 2 \times 3 \times 10^{13}}{10^{16} \times 9}\)
= \(\frac{6}{10^{3}}\) = 6 x 10-3 N उत्तर

प्रश्न 2.
एक चालक की लंबाई 3.0 m, परिक्षेत्रफल 0-02 mm2 और प्रतिरोध 2 ओम है। इसकी प्रतिरोधकता ज्ञात करो।
हल:
यहाँ चालक की लंबाई (l) = 3.0 m
चालक का परिक्षेत्रफल (a) = 0.02 mm2
= \(\frac{0.02}{10^{6}}\) m2
चालक का प्रतिरोध (R) = 2
ओम चालक की प्रतिरोधकता (ρ) = ?
हम जानते हैं, R = ρ × \(\frac{l}{a}\)
2 = ρ × \(\frac{3}{0.02 \times 10^{-6}}\)
∴ ρ = \( \frac{2 \times 0 \cdot 02 \times 10^{-6}}{3}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{4}{3} \times 10^{-8}\)
ρ = 1.33 x 10-8 ओम-मीटर उत्तर

प्रश्न 3.
30Ω, 50Ω और 80Ω के श्रेणीक्रम में जोड़े गए तीन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध पता करो।
हल : यहाँ,
r1 = 30Ω
r2 = 50Ω
r3 = 80 Ω
अब क्योंकि तीनों प्रतिरोधों, r1, r2 तथा r3 को श्रेणीबद्ध किया गया है इसलिए उनका तुल्य प्रतिरोध (R) तीनों के जोड़ के बराबर है।
∴ R = r1+r2 +r3
= 30Ω + 50Ω + 80Ω
R = 160Ω उत्तर

प्रश्न 4.
40Ω, 60Ω और 90Ω के तीन प्रतिरोधों को समानांतर श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध कितना है?
हल : यहाँ,
r1 = 40Ω
r2 = 60Ω
r3 = 90Ω
मान लो तीनों का तुल्य प्रतिरोध R है। क्योंकि तीनों प्रतिरोध समानांतर में संयोजित किये गए हैं,
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{40}+\frac{1}{60}+\frac{1}{90}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{9+6+4}{360}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{19}{360}\)
∴ R = \(\frac{360}{19}\) = 18.95 Ω उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
6Ω, 8Ω, और 10Ω के तीन प्रतिरोध श्रृंखलाबद्ध क्रम में जोड़े गए हैं। परिपथ का कुल प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल-
दिया है, R1 = 6Ω , R2 = 8Ω , R3 = 10Ω मान लो परिपथ का कुल प्रतिरोध R है, तो शृंखलाबद्ध क्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध, R=R1+ R2 + R3
= 6Ω + 8Ω + 10Ω
= 24Ω उत्तर

प्रश्न 6.
5Ω, 8Ω और 12Ω के तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े गए हों तो विद्युत परिपथ का परिणामी प्रतिरोध पता करो।
हल-
दिया है, R1 = 5Ω ,R2 = 8Ω , R3= 12Ω मान लो परिपथ का परिणामी प्रतिरोध R है, तो शृंखलाक्रम संयोजित परिपथ का परिणामी प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω उत्तर

प्रश्न 7.
4Ω, 8Ω, 12Ω और 24Ω के प्रतिरोधों को किस क्रम में जोड़ा जाए कि अधिक से अधिक प्रतिरोध प्राप्त हो ? परिपथ का परिणामी प्रतिरोध भी ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है, R1 = 4Ω R2= 8Ω , R3 = 12Ω , R4 = 24Ω मान लो परिणामी प्रतिरोध R है।

यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीबद्ध क्रम में संयोजित किया जाए तो अधिकतम परिणामी प्रतिरोध प्राप्त होगा। .:. परिणामी प्रतिरोध,
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 48Ω उत्तर

प्रश्न 8.
4Ω, 8Ω, 10Ω तथा 20Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को संयोजित करने से (1) अधिकतम (2) निम्नतम प्रतिरोध कितना और किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ?
हल:
(i) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = R1 + R2 + R3+ R4
= 4Ω + 8Ω + 10Ω + 20Ω
= 42Ω उत्तर

(ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु-यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को समानांतर (पार्श्व) क्रम में जोड़ा जाए तो कुल प्रतिरोध न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
∴ \( \frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{4}}\)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{10+5+4+2}{40}\)
∴ = \(\frac{21}{40}[/katex] Ω
Rp = [latex]\frac{40}{21}\) Ωउत्तर

प्रश्न 9.
बिजली के पाँच बल्बों को, जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध 400 ओम है, 220 V की आपूर्ति से जोड़ा जाता है।
(क) प्रत्येक लैंप की वोल्टेज
(ख) यदि बल्बों को प्रतिदिन 5 घंटे के लिए 30 दिनों तक जलाया जाये तो बिजली का बिल ज्ञात करो, यदि ऊर्जा की दर 3₹ प्रति यूनिट हो।
हल:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध 1 = 440 ओम
5 बल्ब समानांतर संयोजित किए गये हैं और उनका कुल प्रतिरोध (R) है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}\)
= \(\frac{1+1+1+1+1}{440}\)
⇒ R = \(\frac{440}{5}\)
∴ R = 88 ओम
विभवांतर V = 220 v

हम जानते हैं, P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220 \times 220}{88}\)
= \(\frac{5 \times 220}{2}\)
= 550w

∴ प्रत्येक बल्ब की वोल्टेज = \(\frac{550}{5}\) `= 110 वाट
समय = 30×5 घंटे
= 150 घंटे

ऊर्जा की खपत = Pxt
= 550 वाट x 150 घंटे
= 82500 वाट-घंटे
= \(\frac{82500}{1000}\) किलोवाट-घंटे
= \(\frac{825}{10}\) यूनिट
आपूर्ति की दर = ₹ 3 रु प्रति यूनिट
∴बिजली के बिल की रकम = \(\frac{825}{10} \times 3\)
= ₹ 247.50 उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 10.
दो तारों को समानांतर जोड़ने पर इनका प्रतिरोध 12 Ω और श्रेणी में जोड़ने पर प्रतिरोध 50Ω है। प्रत्येक प्रतिरोध का मूल्य पता करो।
हल : मान लो कि ये दो प्रतिरोध R1 और R2 हैं। जब इन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है तो कुल प्रतिरोध Rs = R1+ R2 = 50Ω ……………………………. (i)
समानांतर में श्रेणीबद्ध करने पर इनका समूचा प्रतिरोध RP = 12 Ω है।
RP = \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\) \(\left[\because \frac{1}{R_{p}}=\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\right]\)
12 = \(\frac{\mathrm{R}_{1} \mathrm{R}_{2}}{50} \) \(\left[\frac{1}{\mathrm{R}_{\mathrm{p}}}=\frac{\mathrm{R}_{2}+\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{1}+\mathrm{R}_{2}}\right]\)
या R1R2 = 12 × 50 = 600
∴ R2 = \(\frac{600}{R_{1}}\) ………………………………. (ii)

(i) और (ii) से हम प्राप्त करते हैं : R+\(\frac{600}{R_{1}}\) = 50
या R12 – 50 R1 + 600 = 0
या R12 – 30 R1 + 600 = 0
या R1 (R1 – 30) – 20 (R1 – 30) = 0
या (R1 – 30) (R1 – 20) = 0
इसलिए
R1 – 30 = 0 या R1 – 20 = 0
∴ R1 = 30 Ω या R2 = 20 Ω
इसलिए एक प्रतिरोध R1 = 30 Ω और दूसरा प्रतिरोध R2 = 20 Ω
या हम R1 को 20 Ω और R2 को 30 Ω ले सकते हैं।

प्रश्न 11.
एक परिपथ A आकार का है जिसमें 1 ओम प्रति सैंटीमीटर के पाँच प्रतिरोध लगे हुए हैं। इसकी दो भुजाएं 20 सेमी० हैं और बीच में लंबाई 10 सेंमी० है जबकि शीर्ष कोण 60° है इसके प्रतिरोध को ज्ञात कीजिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 15
हल : प्रश्न में दिया गया रेखांकन वास्तव में ऐसा है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 16
चित्र यहाँ DA और AE श्रेणीबद्ध हैं-
∴ DA और AE के जोड़े का तुल्य प्रतिरोध = 10 + 10 = 20Ω
यह DE के समानांतर है
∴ DAED का तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{2+1}{20}=\frac{3}{20}\)
r = \(\frac{20}{3}\) Ω

अब BD, DAED और EC क्रमबद्ध है
∴ B और C के बीच कुल प्रतिरोध = 10 + \(\frac{20}{3}\) + 10
= \(\frac{30+20+30}{3}\)
= \(\frac{80}{3}\)
= 26.67Ω उत्तर

प्रश्न 12.
एक बल्ब 200 V तथा 100 W का है। इसका प्रतिरोध क्या होगा? यह बल्ब 4 घंटे जलता है। इसने कितनी विद्युत् ऊर्जा का प्रयोग किया? इसका ₹ 2.50 प्रति यूनिट की दर से खर्च बताओ।
हल:
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
या R = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(200)^{2}}{100}\)
= \(\frac{200 \times 200}{100}\)
= 400 Ω

प्रयुक्त ऊर्जा = \(\frac{100 \times 4}{1000}\)
= \(\frac{400}{1000}\)
= 0.4kWh
कुल खर्च = 0.4 x 2.50 = ₹1

प्रश्न 13.
200 V के स्रोत को चार 40 w, 220 V के बल्बों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक से प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। यदि एक बल्ब फ्यूज हो जाए तो 220 V स्रोत से प्रवाहित हो रही धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल :
40 वाट के बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{(220)^{2}}{40}\)
श्रेणी क्रम में संयोजित किए गए 40 वाट के चार बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{4 \times(220)^{2}}{40}\)
= \(\frac{4 \times 220 \times 220}{40}\)
= 4840Ω
प्रवाहित धारा I = \(\frac{220}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220}{4840}\) = 0.045 उत्तर
एक बल्ब के फ्यूज होने से उसमें धारा का प्रवाह नहीं होगा। उत्तर

प्रश्न 14.
12 v विभवांतर के दो बिंदुओं के बीच 2 C आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है?
हल : विभवांतर V(= 12 वोल्ट) के दो बिंदुओं के बीच प्रवाहित आवेश का परिणाम Q (= 2 कूलॉम) है। इसलिए आवेश को स्थानांतरित करने में किया गया कार्य है
W = V x Q
= 12 V x 2c
= 24 J. उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 15.
एक विद्युत् लैंप, जिसका प्रतिरोध 20Ω है तथा एक 4Ω प्रतिरोध का चालक एक 6 V की बैटरी से चित्र के अनुसार जुड़े हैं। परिकलित कीजिए-(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध, (b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल : दिया है : लैंप का प्रतिरोध R1 = 20Ω
तथा चालक का प्रतिरोध R1 = 4Ω
बैटरी का विभवांतर V = 6 V
(a) ∵ दोनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2
= 20 Ω + 4Ω
= 24Ω
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 17

(b) ∵ परिपथ में लगा कुल विभवांतर V = 6 V
कुल प्रतिरोध R = 24 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{6 \mathrm{~V}}{24 \Omega}\)
= 0.25 A उत्तर

प्रश्न 16.
एक 42 के प्रतिरोधक में 100 J ऊष्मा प्रति सेकंड की दर से उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : उष्मा H = 100J, समय t = 1s, प्रतिरोध R = 4Ω
सूत्र H = I2Rt से,
प्रतिरोधक में विद्युत् धारा
I = \(\sqrt{\frac{\mathrm{H}}{\mathrm{R} t}}\)
= \(\sqrt{\frac{100 \mathrm{~J}}{4 \Omega \times 1 s}}\)
= 5A
परंतु सूत्र V = Ix R से,
∴ प्रतिरोधक के सिरों के मध्य विभवांतर, V = 5A x 4Ω
= 20 V उत्तर

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में R1 = 10 Ω, R2 = 40 Ω, R3 = 30Ω, R4 = 20 Ω तथा R5 = 60 Ω हैं तथा 12 v की एक बैटरी इस संयोजन से जुड़ी है। परिकलित कीजिए-
(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध तथा
(b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल:
(a) माना कि प्रतिरोधकों R1 व R2 के समानांतर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब
\(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\)
= \(\frac{1}{10}+\frac{1}{40}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 18

(b) \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{4+1}{40}\)
= \(\frac{5}{40}\)
= \(\frac{1}{8}\)
∴ R’ = 8Ω
अब R3, R4 तथा R5 समानांतर क्रम में हैं यदि R’ इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध है तो
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 19
स्पष्ट है R’ तथा R” दोनों श्रेणी क्रम में संयोजित हैं जिसका कुल प्रतिरोध R है तो
R = R’ + R”
= 8Ω + 10Ω
= 18Ω

(b) विभवांतर V = 12V
परिपथ का कुल प्रतिरोध R = 18 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{12 \mathrm{~V}}{18 \Omega}\)
= 0.67 A

प्रश्न 18.
जब एक विद्युत् हीटर किसी स्रोत से 4A की धारा लेता है तो इसके सिरों के बीच 60 V का
हल : प्रथम दशा में,
दिया है : विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I1 = 4 A
तथा विद्युत् हीटर के सिरों का विभवांतर V1 = 60 V
विद्युत् हीटर की कुंडली का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\)
= \(\frac{60 \mathrm{~V}}{4 \mathrm{~A}}\)
= 15Ω

ओम के नियम के अनुसार कुंडली का प्रतिरोध नियत रहेगा।
दूसरी दशा में, विभवांतर V2 = 120 V
तब ली गई धारा I2 = ?
∴ दूसरी दशा से, R = \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\)
∴ विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I2 = \(\frac{V_{2}}{R}\)
= \(\frac{120 \mathrm{~V}}{15 \Omega}\)
= 8 A उत्तर

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी बिंदु पर विद्युत् विभव क्या होता है?
उत्तर-
इकाई आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत् विभव कहते हैं।
W = QV
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 21

विभव को वोल्ट में मापते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन विद्युत् धारा की दिशा बदल कर किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कौन-से आवेश परस्पर आकर्षण करते हैं तथा कौन-से प्रतिकर्षण?
उत्तर-
समान आवेश परस्पर प्रतिकर्षण करते हैं तथा विजातीय (असमान) आवेश परस्पर आकर्षित करते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है

  • लंबाई के समानुपाती।
  • क्षेत्रफल के विलोमानुपाती।

प्रश्न 5.
किसका प्रतिरोध कम है : 100 W के बल्ब का या 60 W बल्ब का?
उत्तर-
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
क्योंकि
P ∝ \(\frac{1}{R}\)
∴ अधिक शक्ति वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।
इसलिए 100 W वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।

प्रश्न 6.
यदि तार की लंबाई दुगुनी तथा क्षेत्रफल आधा कर दिया जाए तो प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
R1 = ρ \(\frac{l_{1}}{\mathrm{~A}_{1}}\)
R2 = \(\frac{\rho_{2} l_{2}}{\mathrm{~A}_{2}}\)
= \(\frac{\rho \times 2 l_{1}}{\mathrm{~A}_{1} / 2}\)
= \(\frac{2 \times 2 \times \rho \times l_{1}}{A}\)
= 4R1
∴ प्रतिरोध चार गुना हो जाएगा।

प्रश्न 7.
विद्युत् विभव की इकाई क्या है ?
उत्तर-
वोल्ट।

प्रश्न 8.
प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 9.
विद्युत् शक्ति की इकाई क्या है?
उत्तर-
वाट।

प्रश्न 10.
आपको 40 W और 100 W के दो बल्ब A और B दिए गए हैं। किस बल्ब के तंतु का प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर-
100 W बल्ब का।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 11.
एक किलोवाट घंटा में कितने जूल होते हैं?
उत्तर-
1 किलोवाट घंटा (kwh) = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 12.
हमारे घरों में विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी है?
उत्तर-
220 V – 230 VI

प्रश्न 13.
ओम का नियम लिखिए तथा इसे गणितीय रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-
ओम का नियम-किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा (I) उसके सिरों के विभवांतर (V) के समानुपाती होती है।
गणितीय रूप में, V ∝ I अथवा \(\frac{V}{I}\) = R (चालक के लिए नियतांक)

प्रश्न 14. चाँदी की प्रतिरोधकता 1.6 x 10-82m है। इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इस कथन का यह अर्थ है कि चाँदी 1m लंबे तथा 1m2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध 1.6 x 10-8Ω होगा।

प्रश्न 15.
अमीटर को किसी परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
जिस विद्युत् परिपथ के अवयव से प्रवाहित होने वाली धारा का मापन होता है, अमीटर को उस अवयव के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

प्रश्न 16.
किसी का प्रतिरोध अधिक होगा-50 W के लैंप का अथवा 25 W के लैंप का और कितने गुना होगा?
उत्तर-
माना कि लैंपों के प्रतिरोध R1 व R2 हैं तथा लगाया गया विभवांतर V है, तो
P1 =50 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{1}}\) , तथा P2 = 25 = \( \frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{2}}\)
∴ \(\frac{P_{1}}{P_{2}}=\frac{50}{25}=\frac{V^{2}}{R_{1}} \times \frac{R_{2}}{V^{2}}\)
⇒ 2 = \(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\)
⇒ R2 = 2R1

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में कुंजी या स्विच (Plug) के चिह्न बताओ जब परिपथ (i) खुला हो (ii) बंद हो।
उत्तर-

  • खुले परिपथ में कुंजी या स्विच-()
  • बंद परिपथ में कुंजी या स्विच -( . )

प्रश्न 18.
दो विद्युत् सुचालकों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कॉपर
  2. एल्यूमिनियम।

प्रश्न 19.
विद्युत् ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा किए गए कार्य को विद्युत् ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 20.
विद्युत् सर्कट में वोल्ट मीटर को कैसे जोड़ा जाता है?
उत्तर-
समानांतर क्रम में।

प्रश्न 21.
धारा की इकाई बतायें।
उत्तर-
एम्पीयर।

प्रश्न 22.
विद्युत् शक्ति का बड़ा मात्रक क्या है?
उत्तर–
किलोवाट (Kw)।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 23.
धातुओं में विद्युत् धारा का प्रवाह किस परमाणु कण के कारण होता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन।

प्रश्न 24.
एक इलैक्ट्रॉन पर कितने कूलॉम का आवेश होता है?
उत्तर-
1.6 x 10-19 C

प्रश्न 25.
एक कूलॉम आवेश कितने इलैक्ट्रानों के आवेश के तुल्य है?
उत्तर-
6.25 x 10-18 इलैक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य।

प्रश्न 26.
विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालक का नाम बताइए।
उत्तर-
चाँदी।

प्रश्न 27.
ताँबे तथा लोहे में कौन-सी धातु विद्युत् की अच्छी चालक है?
उत्तर-
ताँबा।

प्रश्न 28.
विद्युत् बल्ब के तंतु किस धातु के बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
टंगस्टन धातु के।

प्रश्न 29.
विद्युत् इस्तरी तथा टोस्टर के तंतु किस पदार्थ के बने होते हैं?
उत्तर-
नाइक्रोम मिश्रधातु के।

प्रश्न 30.
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक बताइए।
उत्तर-
ऐम्पियर।

प्रश्न 31.
विद्युत् प्रतिरोध S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 32.
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
ओम-मीटर (Ω-m)

प्रश्न 33.
विद्युत् आवेश के S.I. मात्रक का नाम लिखिए।
उत्तर-
कूलॉम।

प्रश्न 34.
प्रतिरोध के श्रेणी संयोजन तथा समांतर संयोजन में किसका प्रतिरोध अधिकतम होता है तथा किसका न्यूनतम?
उत्तर-
श्रेणी संयोजन का अधिकतम तथा समांतर संयोजन का न्यूनतम प्रतिरोध होता है।

प्रश्न 35.
विद्युत् ऊर्जा की व्यापारिक इकाई क्या है?
उत्तर-
किलो वाट घंटा (kWh)।

प्रश्न 36.
1 kWh कितने जूल के बराबर होता है ?
उत्तर-
lkWh = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 37.
घरों में विद्युत् उपकरण किस व्यवस्था में जुड़े होते हैं?
उत्तर-
समांतर संयोजन व्यवस्था में।

प्रश्न 38.
दिष्ट धारा के एक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् सेल अथवा बैटरी।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 39.
विद्युत् सेल तथा बिना सन्धि के तार क्रासिंग के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
विद्युत् सेल का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 22
बिना सन्धि के तार क्रासिंग का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 23

प्रश्न 40.
(i) प्रतिरोध और
(ii) ऐम्मीटर के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध का संकेत :PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 24
(ii) ऐम्मीटर का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 25

प्रश्न 41.
विद्युत् के लिए बैटरी या सेलों के संयोजन और तार सन्धि के संकेत लिखो।
उत्तर-
(i) बैटरी या सेलों के संयोजन का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 26
(ii) तार सन्धि के लिए संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 27

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
V∝ I का नियम प्रतिपादित किया है
(a) फैराडे ने
(b) वाट ने
(c) ओम ने।
(d) कूलॉम ने।
उत्तर-
(c) ओम ने।

प्रश्न 2.
विभव का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट।
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(b) वोल्ट।

प्रश्न 3.
विद्युत शक्ति का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(d) वाट।

प्रश्न 4. \(\frac{1}{3}\) Ω के तीन प्रतिरोधकों को किसी भी प्रकार जोड़कर कितना अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त कर सकते हैं ?
(a) \(\frac{1}{3}\) Ω
(b) 1Ω
(c) \(\frac{1}{9}\) Ω
(d) 3Ω.
उत्तर-
(b) 1Ω.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
फ्यूज को युक्ति के साथ कौन-से क्रम में जोड़ा जाता है ?
(a) समांतर
(b) श्रेणी
(c) समांतर तथा श्रेणी दोनों में जोड़ा जा सकता है
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) श्रेणी।

प्रश्न 6.
विद्युत् आवेश का SI मात्रक है
(a) वाट
(b) किलोवाट
(c) कूलॉम
(d) ऐम्पीयर।
उत्तर-
(c) कूलॉम।

प्रश्न 7.
विद्युत् धारा को किस मात्रक के द्वारा व्यक्त किया जाता है ?
(a) कूलॉम
(b) ऐम्पीयर
(c) वाट
(d) किलोवाट।
उत्तर-
(b) ऐम्पीयर।

प्रश्न 8.
परिपथों की विद्युत धारा को किससे मापा जा सकता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत् मीटर।
उत्तर-
(a) ऐमीटर।

प्रश्न 9.
ऐमीटर को परिपथ में सदा कैसे संयोजित किया जाता है ?
(a) श्रेणी क्रम में
(b) पार्श्व क्रम में
(c) श्रेणी तथा समांतर क्रम दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) श्रेणी क्रम में।

प्रश्न 10. विभवांतर को किस यंत्र से मापा जाता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत मीटर।
उत्तर-
(b) वोल्टमीटर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) समानांतर क्रम में संयोजित प्रत्येक प्रतिरोधों में प्रवाहित विद्युत धारा …………………….. होगी।
उत्तर-
अलग-अलग

(ii) ओम के नियम अनुसार किसी चालक तार के लिए V तथा I के मध्य संबंध ……………………….. है।
उत्तर-
R

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

(iii) किसी विद्युत परिपथ में विभवांतर का मापन …………………………. द्वारा किया जाता है।
उत्तर-
वोल्ट मीटर

(iv) एक किलोवाट घंटा (kwh) ………………………. का मात्रक है।
उत्तर-
विद्युत ऊर्जा

(v) किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा को मापने वाला यंत्र ……………………… है।
उत्तर-
एमीटर।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक पूर्णांकित चित्र की सहायता से मनुष्य की आँख की बनावट और कार्यविधि की व्याख्या करो।
उत्तर-
आँख की रचना-सिर की खोपड़ी के आगे के भाग में दो कटोरियां-सी होती हैं जिनमें एक-एक गोलाकार आँख होती है। मनुष्य की आँख लगभग 2.5 सेमी० व्यास का गोला है। इसके निम्नलिखित प्रमुख भाग हैं-
दृढ़ीकृत स्कलेरॉटिक (Sclerotic)-यह आँख की सबसे बाहरी कठोर परत होती है इसलिए आँख को चोट आदि से बचाती है।

कार्निया (Cornea)-आँख के सामने का थोड़ा-सा भाग पारदर्शी तथा शेष भाग अपारदर्शी होता है। आँख के उभरे हुए पारदर्शी भाग को कार्निया (Cornea) कहते हैं।

कोरायड (Choroid)-यह आँख की स्कलेरॉटिक के नीचे आने वाली दूसरी परत है। यह अपारदर्शी तथा कठोर होती है। यह परत अंदर से काली होती है ताकि आने वाला प्रकाश न बिखरे।

आइरिस (Iris)-कोरायड के अगले भाग में एक पर्दा होता है, जिसे परितारिका या आइरिस (Iris) कहते हैं। आइरिस का रंग भूरा या काला होता है। आइरिस से ठीक मध्य में एक छिद्र होता है जिसे पुतली (Pupil) कहते हैं। पुतली का आकार कम या ज्यादा हो सकता है। अधिक प्रकाश में पुतली छोटी हो जाती है ताकि कम प्रकाश ही आँख के भीतर जाए।

आँखों का लैंस (Eyes Lens)-आँख का लेंस एक उभयोत्तल लैंस (Double Convex Lens) होता है। इसकी सहायता से प्रकाश के अपवर्तन द्वारा रेटिना पर प्रतिबिंब बनता है।

पक्ष्माभ माँसपेशियां (Ciliary Muscles)-पक्ष्माभ माँसपेशियां आँख के लैंस को जकड़कर रखती हैं। ये इस लैंस की फोकस दूरी परिवर्तित करने में सहायता करती हैं।

पुतली (Pupil) आइरिस के केंद्र में एक छिद्र होता है जिसमें से प्रकाश निकलकर लेंस पर रेटिना पड़ता है। इस छिद्र को पुतली कहा जाता है।

नेत्रोद या ऐक्विअस हमर (Aqueous पीत बिंदु Humour) कॉर्निया और आँख के लैंस का मध्य कार्निया अंध बिंदु भाग एक पारदर्शी द्रव से भरा होता है, जिसे ऐक्विअस ह्यमर कहते हैं।

काचाभ द्रव या विट्रियस ह्यूमर (Vitreous Humour)-आँख के लैंस और रेटिना के मध्य का मांसपेशी भाग जैली जैसे पारदर्शी द्रव से भरा होता है, जिसे विट्रियस ह्यूमर कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 1

रेटिना या दृष्टिपटल (Retina)-आँख की तीसरी परत रेटिना कहलाती है। यह आँख में पर्दे का कार्य करती है जिस पर वस्तुओं के प्रतिबिंब बनते हैं। रेटिना में प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं जो दृक् तंत्रिका । (Optic Nerve) से जुड़ी होती हैं।

दृक् तंत्रिका (Optic Nerve)-इसके द्वारा सूचना मस्तिष्क तक पहुंचाई जाती है। (xii) मुख्य अक्ष (Principal Axis)-काल्पनिक रेखा ry आँख के प्रकाशीय तंत्र का मुख्य अक्ष है।

अंध बिंदु (Blind Spot)-आँख का वह भाग, जिसमें दृक् तंत्रिका है, प्रकाश के प्रति बिलकुल भी संवेदनशील नहीं होती और इसे अंध-बिंदु कहा जाता है। यदि किसी वस्तु का प्रतिबिंब अंध-बिंदु पर बने तो यह दिखाई नहीं देता।

पीत बिंदु (Yellow Spot) रेटिना का केंद्रीय भाग, जो आँख के दृक् अक्ष पर होता है, प्रकाश के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होता है उसे पीत बिंदु कहा जाता है।

आँख की पलकें (Eve lids) – आँख की पलकें आँख पर पड़ रहे प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती हैं ! ये आँख की धूल आदि से भी रक्षा करती हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 2.
मनुष्य की आँख के दोष कौन-कौन से हैं ? ये कैसे दूर किये जा सकते हैं ? चित्रों द्वारा स्पष्ट करें।
अथवा
मानव आँख के कौन-कौन से दोष हैं ? इन्हें कैसे दूर किया जाता है ? चित्रों की सहायता से समझाओ।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।
1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
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2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
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3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

प्रश्न 3.
प्रिज्म किसे कहते हैं ? चित्र खींचकर प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन समझाइए।
उत्तर-
प्रिज्म-किसी पारदर्शी माध्यम का वह भाग जो किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच स्थित होता है, प्रिज्म कहलाता है। प्रिज्म के जिन पृष्ठों से अपवर्तन होता है उन पृष्ठों (सतहों) को अपवर्तक पृष्ठ (सतह) तथा इनके बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।
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प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन–मान लें PQR B काँच के एक प्रिज्म का मुख्य परिच्छेद है। मान लें एक प्रकाश किरण BC प्रिज्म के पृष्ठ PR के बिंदु C पर आपतित होती है। इस पृष्ठ पर अपवर्तन के पश्चात् यह प्रकाश किरण बिंदु C पर खींचे गए अभिलंब की ओर झुककर CD दिशा में चली जाती है। किरण CD दूसरे अपवर्तक पृष्ठ QR के बिंदु D पर आपतित होती है और अपवर्तन के पश्चात् बिंदु D पर खींचे गए अभिलंब से दूर हटकर DE दिशा में निर्गत हो जाती है; अत: प्रिज्म BC दिशा में आने वाली किरण को DE दिशा में विचलित कर देता है। इस प्रकार प्रिज्म, प्रकाश की दिशा में ‘कोणीय विचलन’ उत्पन्न कर देता है। आपतित किरण BC को आगे तथा निर्गत किरण DE को पीछे की तरफ बढ़ाने पर ये एक-दूसरे को बिंदु G पर काटती हैं। इन दोनों के बीच बना कोण FGD विचलन कोण कहलाता है। इसे (डेल्टा) से प्रदर्शित करते हैं।

विचलन कोण का मान प्रिज्म के पदार्थ के-

  • अपवर्तनांक तथा
  • आपतित किरण के आपतन कोण पर निर्भर करता है।

यदि प्रिज्म पर पड़ने वाली किरण के आपतन कोण i के मान को बढ़ाते जाएँ तो विचलन कोण δ का मान घटता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम हो जाता है। इस न्यूनतम विचलन कोण को अल्पतम विचलन कोण कहते हैं।
यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा किसी रंग की किरण के लिए अल्पतम विचलन कोण δm है तो

प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक µ = \(\frac{\sin \left(\frac{\mathrm{A}+\delta_{m}}{2}\right)}{\sin \frac{\mathrm{A}}{2}}\)

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प्रश्न 4.
प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से क्या तात्पर्य है ? आवश्यक चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए तथा वर्ण-विक्षेपण का कारण भी समझाइए।
अथवा
प्रकाश की एक किरण प्रिज्म से होकर गुजरती है और पर्दे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है –
(क) एक चित्र बनाइए जो श्वेत प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करता है।
(ख) स्पेक्ट्रम के सात रंगों का क्रम से नाम बताइए।
(ग) स्पेक्ट्रम के किस रंग का विचलन सबसे अधिक व किसका सबसे कम होता है ?
उत्तर-
वर्ण-विक्षेपण- श्वेत प्रकाश किरण का अपने अवयवी रंगों की प्रकाश किरणों में विभाजित होने की प्रक्रिया प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहलाता है।

(क) प्रिज्म द्वारा प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से प्राप्त स्पेक्ट्रम-जब सूर्य की श्वेत प्रकाश किरण किसी प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपवर्तन के कारण अपने मार्ग से परदा विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुककर विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित हो जाती है। इस प्रकार से उत्पन्न हुए विभिन्न रंगों के समूह को स्पेक्ट्रम (Spectrum) कहते हैं। इस स्पेक्ट्रम का एक सिरा लाल तथा दूसरा सिरा बैंगनी होता है।
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(ख) सामान्यतः हमारी आँख को स्पेक्ट्रम के रंग सात समूहों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। प्रिज्म के आधार की ओर से ये रंग बैंगनी (Violet), नीला (जम्बुकी नीला, Indigo), आसमानी (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा लाल (Red) के क्रम में होते हैं। रंगों के इस क्रम को अंग्रेज़ी के शब्द VIBGYOR (विबग्योर) से आसानी से याद रखा जा सकता है।

(ग) जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म में से गुज़रती है तो श्वेत प्रकाश में उपस्थित भिन्न-भिन्न रंगों की किरणों में प्रिज्म द्वारा उत्पन्न विचलन भिन्न-भिन्न होता है। लाल प्रकाश की किरण में विचलन सबसे कम तथा बैंगनी प्रकाश की किरण में विचलन सबसे अधिक होता है। अन्य रंगों की किरणों में विचलन लाल व बैंगनी किरणों के बीच में होता है। बैंगनी रंग की तरंगदैर्घ्य सबसे कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है।

प्रिज्म द्वारा प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण का कारण-किसी पारदर्शी पदार्थ जैसे काँच का अपवर्तनांक प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है। अपवर्तनांक लाल रंग के प्रकाश के लिए सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए सबसे अधिक होता है। जब कोई प्रकाश किरण काँच के प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने पथ से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है। चूंकि प्रकाश में उपस्थित भिन्न-भिन्न रंगों की किरणों में विचलन भिन्न-भिन्न होता है इसलिए लाल रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे अधिक झुकेगी।

इस प्रकार, श्वेत रंग के प्रकाश का प्रिज्म में से गुज़रने पर वर्णविक्षेपण हो जाता है। आयताकार स्लैब में श्वेत रंग के प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण नहीं होता, क्योंकि आयताकार स्लैब द्वारा प्रकाश किरणों का विचलन नहीं होता बल्कि पार्श्व विस्थापन होता है। स्लैब में आपतित किरण तथा निर्गत किरण परस्पर समांतर हो जाती हैं।

प्रश्न 5.
सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों के प्रकाश का सम्मिश्रण है। प्रयोग द्वारा इस तथ्य की पुष्टि कैसे की जा सकती है ?
अथवा
सूर्य का श्वेत प्रकाश विभिन्न रंगों के प्रकाश का सम्मिश्रण है।” प्रिज्म की सहायता से आवश्यक किरण आरेख खींचकर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
“सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों का सम्मिश्रण है”-प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्राप्त होने के निम्नलिखित दो संभव कारण हैं

  1. प्रिज्म अपने में से गुजरने वाले प्रकाश को स्वयं ही विभिन्न रंगों में विभक्त कर देता है।
  2. सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। प्रिज्म इन रंगों को विभक्त कर देता है।

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वास्तव में, दूसरा कारण सत्य है। इस कारण को निम्नांकित प्रयोग द्वारा सत्यापित किया जा सकता है। श्वेत प्रकाश का अवयवी सात रंगों के सम्मिश्रण का सत्यापन-प्रिज्म 1 तथा 2 अंधेरे कमरे में रखें। इन दोनों के बीच में परदा रखें, जिसमें एक बहुत छोटा-सा छिद्र बना हुआ हो। एक बारीक छिद्र H द्वारा प्रिज्म 1 पर सूर्य का प्रकाश डालें। प्रिज्म 1 के दूसरी ओर रखे परदे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त करते हैं। परदे के छिद्र द्वारा स्पेक्ट्रम के

किसी एक रंग जैसे हरे रंग के प्रकाश को प्रिज्म 2 पर डालते हैं तथा प्रिज्म 2 से निर्गत प्रकाश को देखते हैं। प्रिज्म 2 से नए रंग का प्रकाश प्राप्त नहीं होता है। इस प्रकार, परदे के छिद्र के द्वारा क्रमशः प्रत्येक रंग का प्रकाश प्रिज्म 2 पर डालने से प्रिज्म 2 से निर्गत प्रकाश उसी रंग का प्राप्त होता है, जिस रंग का प्रिज्म 2 पर डाला गया था। इससे निष्कर्ष निकलता है कि प्रिज्म प्रकाश को रंग नहीं देता है।

श्वेत प्रकाश श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम से श्वेत प्रकाश का पुनर्योजन-अब दूसरा सर्व सम प्रिज्म पहले प्रिज्म के सापेक्ष उल्टी स्थिति में रखो ताकि स्पेक्ट्रम के सभी वर्ण दूसरे प्रिज्म में से होकर गुज़रे। अब दूसरे प्रिज्म में से श्वेत प्रकाश का पुंज निर्गत हुआ। इससे सिद्ध हुआ कि कोई भी प्रकाश जो सूर्य के प्रकाश के समान स्पेक्ट्रम चित्र-श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम का पुनर्योजन बनाता है वह श्वेत प्रकाश है।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख को ईश्वर के श्रेष्ठतम उपहारों में से एक क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
कहा जाता है कि आँख है तो संसार है। ईश्वर से प्राप्त आँखों द्वारा ही मनुष्य देख पाता है अर्थात् वह अलग-अलग वस्तुओं की ठीक प्रकार से पहचान कर पाता है, रंगों की पहचान कर सकता है, बिना छुए छोटे-बड़े में अंतर कर सकता है, पढ़-लिख सकता है और संसार के सभी आश्चर्यों को जान सकता है। इसीलिए आँखों को ईश्वर के श्रेष्ठतम उपहारों में से एक माना जाता है।

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प्रश्न 2.
जब हम किसी अंधेरे कमरे में प्रविष्ट करते हैं तो हमें कुछ समय के लिए कुछ भी दिखाई नहीं देता और अंधेरे में देर तक रहने के बाद अचानक तेज़ प्रकाश में भी हमारी आँखें कुछ देख नहीं पातीं। क्यों ?
उत्तर-
कॉर्निया के पीछे आइरिस (Iris) होती है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करती हैं। इसके द्वारा आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता पर नियंत्रण रखा जाता है। जब हम किसी अंधेरे कमरे में प्रवेश करते हैं तो रेटिना पर बनने वाले बिंब के लिए अधिक प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसे आँख के भीतर प्रकाश भेजने के लिए कुछ फैलना पड़ता है जिसके लिए कुछ समय लगता है। उस समय हमें दिखाई नहीं देता। इसी प्रकार अंधेरे में बैठे रहने से पुतलियां फैल जाती हैं ताकि अधिक प्रकाश भीतर जा सके। अचानक तेज़ प्रकाश आ जाने की स्थिति में इसे सिकुड़ने में समय लगता है जिस कारण हम कुछ देख नहीं पाते।

प्रश्न 3.
नेत्र गोलक के आगे लगा लेंस कैसा होता है ? इसका मुख्य काम क्या है ?
उत्तर-
मानवीय आँख में नेत्र गोलक के आगे लगा लेंस रेशेदार जैली का बना हुआ उत्तल लैंस होता है। इसकी वक्रता सिलियरी मांसपेशियों द्वारा नियंत्रित होती है। कॉर्निया और एक्वस ह्यूमर प्रकाश की अधिकांश किरणों का अपवर्तन कर देती हैं। क्रिस्टलीय लेंस उनकी फोकस दूरी को सुनिश्चित उचित रूप प्रदान करता है ताकि वे रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिंब बना सकें।

प्रश्न 4.
दृष्टि पटल (Retina) का कार्य लिखिए।
उत्तर-
दृष्टिपटल (रेटिना) का कार्य-नेत्र के उचित कार्य के लिए दृष्टि पटल (Retina) अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ये नेत्र गोलक का भीतरी पर्दा है जिसका रूप अत्यंत कोमल झिल्ली के समान होता है। इस पर असंख्य प्रकाश संवेदी कोशिकाएं होती हैं। इस पर दंड (Rods) और शंकु (Cones) जैसी रचनाएं होती हैं जो प्रकाश और रंगों के प्रति संवेदनशील होती हैं। यही प्रकाश की संवेदना को संकेतों के रूप में मस्तिष्क तक दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से भेजती हैं जिससे हमें दिखाई देता है।

प्रश्न 5.
हम बहुत निकट से पढ़ने में कठिनाई क्यों अनुभव करते हैं ?
उत्तर-
नेत्र लेंस अपनी क्षमता और गुणों के कारण फोकस दूरी को कुछ सीमा तक बदलता है परंतु एक निश्चित सीमा से नीचे तक फोकस दूरी को नहीं बदल सकता। यदि कोई वस्तु आँख के बहुत निकट हो तो इसमें इतना परिवर्तन नहीं होता कि उसे ठीक-ठीक देखने में सहायता दे। इसीलिए हमें बहुत निकट से पढ़ने में कठिनाई अनुभव होती है। ऐसा करने से आँखों पर दबाव पड़ता है और धुंधला दिखाई देता है।

प्रश्न 6.
रेटिना से मस्तिष्क तक संकेत कैसे पहुंचते हैं ?
उत्तर-
पुतली से प्रकाश-किरणें नेत्र में प्रवेश कर अभिनेत्र लैंस के माध्यम से रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा, छोटा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनाती हैं। रेटिना पर बहुत बड़ी संख्या में प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जो सक्रिय होकर विद्युत् सिग्नल उत्पन्न करती हैं। ये सिग्नल दृक तंत्रिकाओं के द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं और मस्तिष्क उनकी व्याख्या कर लेता है।

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प्रश्न 7.
कभी-कभी कुछ लोग दूर या निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आँखें सिकोड़ कर देखते हैं। क्यों ?
उत्तर-
हमारी आँख का लैंस रेशेदार जेली जैसा होता है जिसकी वक्रता को कुछ सीमा तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा बदला जा सकता है। इसकी वक्रता में परिवर्तन से इसकी फोकस दूरी बदल जाती है। जब पेशियां शिथिल होती हैं तो लैंस पतला हो जाता है उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है और हमें दूर की वस्तु कुछ साफ़ दिखाई देने लगती है। पक्ष्माभी पेशियों को सिकोड़ लेने से अभिनेत्र लैंस की वक्रता बढ़ जाती है और यह मोटा हो जाता है जिस कारण लैंस की फोकस दूरी कम हो जाती है जिससे हम निकट रखी वस्तु को साफ-साफ देख सकते हैं।

प्रश्न 8.
वृद्ध लोगों को पढ़ने के लिए प्रायः चश्मा लगाना पड़ता है। क्यों ?
उत्तर-
लगभग साठ वर्ष की आयु में दृष्टि का निकट बिंदु 20 सेमी० हो जाता है जो युवावस्था सामान्य दृष्टि रखने वालों में 25 सेमी० होता है। ऐसा होने से पढ़ने में कठिनाई होती है और उत्तल लैंस का चश्मा लगाना पड़ता है।

प्रश्न 9.
हमें एक की अपेक्षा दो आँखों से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
हमें भगवान् ने एक आँख की बजाय दो आँखें देखने के लिए प्रदान की हैं। इसके हमें निम्नलिखित लाभ-

  1. हमारा दृष्टि-क्षेत्र विस्तृत हो जाता है।
  2. एक आँख होने की स्थिति में हमारा क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150° होता है, लेकिन दो आँखों के कारण यह लगभग 180° है।
  3. किसी मंद प्रकाशित वस्तु को देखने की क्षमता एक आँख की अपेक्षा दो आँखों से बढ़ जाती है।

प्रश्न 10.
मोतिया बिंद (Cataract) किसे कहते हैं ? इसका क्या उपचार होता है ?
उत्तर-
आँख के लैंस के पीछे अनेक कारणों से एक झिल्ली-सी जम जाती है जिस कारण पारदर्शी लैंस के पार प्रकाश की किरणों के गुज़रने में रुकावट उत्पन्न होती है। कभी-कभी लैंस पूरी तरह अपारदर्शी भी बन जाता है। शल्य चिकित्सा के द्वारा उस खराब लैंस को बाहर निकाल दिया जाता है। उसके स्थान पर उचित शक्ति का कान्टेक्ट लैंस लगाने या शल्य-चिकित्सा के बाद चश्मा लगाने से ठीक दिखाई देने लगता है।

प्रश्न 11.
चाक्षुष विकृति किस-किस कारण संभव हो सकती है ?
उत्तर-
नेत्र बहुत कोमल और संवेदनशील ज्ञानेंद्रिय है और यह दृष्टितंत्र के किसी भी भाग के क्षतिग्रस्त होने से सदा के लिए खराब हो सकते हैं। कॉर्निया, पुतली, अभिनेत्र लैंस, काचाभ द्रव, रेटिना, दृक तंत्रिका आदि किसी के भी क्षतिग्रस्त होने से चाक्षुष विकृति संभव हो सकती है।

प्रश्न 12.
नेत्रदान की क्या आवश्यकता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
नेत्रदान को महादान कहा जाता है। बिना आँखों के संसार का अंधेरा बहुत दुःखद है। इस संसार में लगभग 3.5 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं जिनमें से लगभग 45 लाख कॉर्निया अंधता से पीड़ित हैं। इन 45 लाख में 60% तो वे बच्चे हैं जिनकी आयु 12 वर्ष से भी कम है। ऐसे पीड़ित लोगों को कॉर्निया प्रतिरोपण से संसार का उजाला दिया जा सकता है। इसलिए मृत्यु के बाद हमें अपनी और अपनों की आँखें दान करने से किसी को रोशनी मिल सकती है।

प्रश्न 13.
नेत्रदान करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • मृत्यु के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर ही नेत्रदान हो जाना चाहिए।
  • नेत्रदान समीपवर्ती नेत्र बैंक को दिया जाना चाहिए। उनकी टीम दिवंगत व्यक्ति के घर या निकटवर्ती अस्पताल में 10-15 मिनट में नेत्र निकाल लेती है।
  • नेत्रदान एक सरल प्रक्रिया है और इससे किसी प्रकार का विरुपण नहीं होता।

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प्रश्न 14.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी-यदि वस्तु नेत्र के बहुत अधिक समीप हो तो वह स्पष्ट दिखाई नहीं देती; अतः वह निकटतम बिंदु जिस पर स्थित वस्तु को नेत्र अपनी अधिकतम समंजन-क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकता है, नेत्र का निकट बिंदु कहलाता है। नेत्र से निकट बिंदु तक की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। सामान्य नेत्र के लिए यह दूरी 25 cm होती है।

प्रश्न 15.
एक 14-वर्षीय बालक, उससे 5 मीटर दूर रखे हुए श्यामपट्ट पर लिखे प्रश्न को भली-भाँति नहीं देख पाता है।
(i) उस दृष्टि-दोष का नाम बताइए जिससे वह प्रभावित है।
(ii) एक नामांकित चित्र की सहायता से दिखाइए कि कैसे इस दोष का निवारण हो सकता है ?
उत्तर-
(i) वह निकट-दृष्टि दोष (Myopia) से पीड़ित है।
(ii)
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इसका संशोधन इस दोष के संशोधन के लिए उचित फोकस दूरी के अवतल लैंस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 16.
वर्षा के बाद आकाश में इंद्रधनुष क्यों और कैसे बनता है ? चित्र सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इंद्रधनुष वर्षा के बाद कभी-कभी दिखाई देने वाला सुंदर दृश्य है जो आकाश में अपने रंगों की अद्भुत छटा बिखरा देता है। यह प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है जो वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देता है। यह वायुमंडल में उपस्थित जल की छोटी-छोटी बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इंद्र धनुष हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है।

जल की सूक्ष्म बूंदें छोटे प्रिज्मों की तरह कार्य करती हैं। सूर्य के आपतित प्रकाश को ये बूंदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती हैं और फिर इसे आंतरिक परावर्तित करती हैं। जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती हैं। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आंतरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं। इसी को इंद्रधनुष कहते हैं।
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प्रश्न 17.
कारण दीजिए, सूर्य उसके वास्तविक उदय से दो मिनट पहले देखा जा सकता है।
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण, सूर्य से आने वाली किरणें वायुमंडल में प्रवेश करने पर अभिलंब की ओर झुक जाती हैं जिसके कारण सूर्य की वास्तविक स्थिति जब क्षितिज से नीचे होती है, सूर्य हमें दिखाई देने लगता है। इसी प्रकार सूर्यास्त के समय भी जब सूर्य क्षितिज से नीचे चला जाता है, सूर्य आभासी स्थिति में दिखाई देता है। इस प्रकार सूर्य वास्तविक सूर्योदय से 2 मिनट पूर्व एवं वास्तविक सूर्यास्त के 2 मिनट बाद तक दिखाई देता है।

प्रश्न 18.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी क्यों प्रतीत होती है ?
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण, सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद तक दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से अर्थ हैसूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। सूर्य की क्षितिज के सापेक्ष वास्तविक तथा आभासी स्थितियाँ चित्र में दर्शायी गयी हैं। वास्तविक सूर्यास्त और आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है। इसी परिघटना के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी प्रतीत होती है।
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प्रश्न 19.
टिंडल प्रभाव क्या है ? समझाइए।
उत्तर-
टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect)-जिस प्रकार अंधेरे कमरे में प्रकाश की किरण में, वायु में धूल के कण चमकते हुए दिखाई पड़ते हैं, उसी प्रकार लेसों से केंद्रित प्रकाश को कोलॉइडी विलयन में डालकर समकोण दिशा में रखे एक सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोलॉइडी कण अंधेरे में घूमते हुए दिखाई देते हैं। इस घटना के आधार पर वैज्ञानिक टिंडल ने कोलॉइडी विलयनों में एक प्रभाव का अध्ययन किया जिसे टिंडल प्रभाव कहा गया।
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अत: कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन (scattering of light) के कारण टिंडल प्रभाव होता है। कोलॉइडी कणों का  आकार प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (wavelength of light) से कम होता है। अतः प्रकाश की किरणों के कोलॉइडी कणों पर पड़ने पर वे प्रकाश की ऊर्जा का अवशोषण करके टिंडल प्रदीप्त शंक स्वयं आत्मदीप्त हो जाते हैं। अवशोषित ऊर्जा के पुनः छोटी तरंगों के प्रकाश के रूप में प्रकीर्णित होने से नीले रंग का एक शंकु दिखता है, जिसे टिंडल शंकु (Tyndall cone) कहते हैं और यह प्रभाव टिंडल प्रभाव कहलाती है।

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प्रश्न 20.
निकट दृष्टि दोष क्या होता है ? इस दोष वाले व्यक्ति की आंख में वस्तु का प्रतिबिंब कहां बनता है तथा यह दोष किस किस्म की ऐनकों से ठीक किया जा सकता है ?
अथवा
आँख के निकट दृष्टि दोष का कारण क्या है ? इसे कैसे ठीक किया जाता है ? चित्र की सहायता से वर्णन करें।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।
1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
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2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
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3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

प्रश्न 21.
दीर्घ दृष्टि दोष किस कारण होता है ? इसे कैसे ठीक किया जाता है ? अंकित चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।

1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
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2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
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3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

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प्रश्न 22.
नेत्र के जरा-दूरदर्शिता तथा वर्णांधता दोषों से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
1. जरा-दूरदर्शिता- कुछ व्यक्तियों में निकट-दृष्टि व दूर-दृष्टि दोनों दोष एक साथ होते हैं, इसे ज़रा-दूरदर्शिता कहते हैं। ऐसे व्यक्ति द्विफोकसी लैंस का प्रयोग करते हैं, जिसका ऊपरी भाग अवतल व नीचे का भाग उत्तल लैंस होता है। ऊपरी भाग दूर की वस्तुओं को देखने के लिए तथा निचला भाग समीप की वस्तुओं को देखने (पढ़ने आदि में) के लिए काम आता है।

2. वर्णांधता-यह दोष मनुष्य की आँख में शंक्वाकार कोशिकाओं की कमी के कारण होता है। इन कोशिकाओं की कमी के कारण मनुष्य की आँख कुछ निश्चित रंगों के लिए सुग्राही होती है। यह दोष मनुष्य की आँख में जन्मजात (आनुवंशिक) होता है तथा इसका कोई भी उपचार नहीं है। इस दोष वाले व्यक्ति सामान्यत: ठीक प्रकार से देख तो सकते हैं, परंतु रंगों में भेद करना उनके लिए संभव नहीं हो पाता। इस रोग को वर्णांधता कहते हैं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित परिभाषा दो : अनुकूलन शक्ति, दूरस्थ बिंदु, निकट बिंदु, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी, दृष्टि-स्थिरता।
उत्तर-
अनुकूलन शक्ति- हमारी आँख सभी दूर स्थित और निकट स्थित वस्तुओं को देख सकती है। आँख की इस विशेषता को जिसके द्वारा आँख अपने लैंस की शक्ति को परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न दूरी पर पड़ी वस्तुओं को देख सकती है, अनुकूलन शक्ति कहा जाता है।

दूरस्थ बिंदु (Far Point)-आँख से अधिकतम दूरी पर स्थित वह बिंदु जिस पर पड़ी हुई वस्तु को आँख स्पष्ट रूप से देख सकती है, दूरस्थ बिंदु कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए (Normal eye sight) दूरस्थ बिंदु अनंत पर होता है।

निकट बिंदु (Near Point)-आँख से न्यूनतम दूरी पर स्थित उस बिंदु को जिस पर पड़ी हुई वस्तु को आँख स्पष्ट रूप से देख सकती है, निकट बिंदु कहा जाता है।

स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (Least Distance of distinct vision)-दूरस्थ बिंदु और निकट बिंदु के मध्य एक ऐसा बिंदु जहां पर वस्तु को रखने से वस्तु बिलकुल स्पष्ट दिखाई देती है, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी० है।

दृष्टि-स्थिरता (Persistence of vision)-जब किसी वस्तु का प्रतिबिंब आँख के रेटिना पर बनता है तो वस्तु को हटा देने के बाद इस प्रतिबिंब का प्रभाव कुछ समय के लिए बना रहता है। इस प्रभाव को दृष्टि स्थिरता कहा जाता है।

प्रश्न 24.
आसमान का रंग नीला क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर-
आसमान का रंग नीला दिखाई देना-जब सूर्य का सफेद प्रकाश धरती के वातावरण में से गुज़रता है तो प्रकाश का वातावरण छोटे-छोटे अणुओं द्वारा परस्पर क्रिया होने के कारण उसके विभिन्न रंगों मे प्रकीर्णन होता है।
रैले नियम अनुसार, प्रकाश के प्रकीर्णन की तीव्रता Iα\(\frac{1}{\times 4}\) , जहां λ. प्रकाश की तरंग लंबाई (λ3) लाल रंग की तरंग लंबाई (λR) की तुलना में बहुत कम है, इसलिए हवा के अणुओं द्वारा नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश के मुकाबले अधिक होता है।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
एक निकट-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति अपनी आँख से 75 cm से अधिक दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाता है। दूर की वस्तुओं को देखने के लिए उसे किस प्रकार के तथा किस फोकस दूरी के लैंस की आवश्यकता होगी ?
हल-
∴ मनुष्य 75 cm से अधिक दूरी पर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता; इसलिए दूर (अनंत) की वस्तुओं को देखने के लिए उसे एक ऐसे लैंस की आवश्यकता होगी जो अनंत पर रखी हुई वस्तु का प्रतिबिंब 75 cm की दूरी पर बना दे।
यहां υ = -75 cm, u = – ∞, f = ?
लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) दवारा
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{75}+\frac{1}{\infty}\) द्वारा
अतः लैंस की फोकस दूरी (f) = – 75 cm
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि लैंस अवतल लैंस है।

प्रश्न 2.
एक दूर-दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति की आँख के लिए निकट-बिंदु की दूरी 0.50 m है। इस व्यक्ति के दृष्टि-दोष के निवारण हेतु चश्मे में प्रयुक्त लैंस की प्रकृति, फोकस दूरी एवं क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल : निकट बिंदु दूरी 0.50 m है। इसका अर्थ यह है कि मनुष्य 0.50 m से कम दूरी पर रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकता। उसे एक ऐसे लैंस की आवश्यकता होगी जो 25 cm दूरी पर रखी हुई वस्तु का प्रतिबिंब 0.50 m की दूरी पर बना दे।
यहां ν = -0.50 m, u = – 25 cm = – 0.25 m, f= ?
लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) से
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{0.50}+\frac{1}{0.25}\)
= \(\frac{-1+2}{0.50}=\frac{1}{0.50}\)
अत: लैंस की फोकस दूरी (f) = 0.50 m (उत्तल लैंस)
धनात्मक चिन्ह दर्शाता है कि लैंस उत्तल लैंस है।
लैंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
∴ P = \(\frac{1}{0.50}\) = 2 डायॉप्टर।

प्रश्न 3.
एक व्यक्ति 20 cm दूरी पर रखी पुस्तक पढ़ सकता है। यदि पुस्तक को 30 cm दूर रख दिया जाए तो व्यक्ति को चश्मा प्रयुक्त करना पड़ता है। गणना कीजिए
(i) प्रयुक्त लैंस की फोकस दूरी,
(ii) प्रयुक्त लैंस का प्रकार,
(iii) किरण-आरेख खींचकर नेत्र दोष स्पष्ट कीजिए।
हल :
दिया है, ν = – 20 cm, u = – 30 cm, f = ?
(i) लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) में मान रखने पर,
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{20}+\frac{1}{30}\)
= \(\frac{-3+2}{60}\)
= \(-\frac{1}{60}\)
अतः प्रयुक्त लैंस की फोकस दूरी (f) = – 60 cm

(ii) चूँकि फोकस दूरी ऋणात्मक है; इसलिए प्रयुक्त लैंस अवतल लैंस होगा।
(iii) नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है।
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प्रश्न 4.
एक निकट दृष्टि दोष से ग्रसित रोगी का दूर बिंद (Far Point) 40 सेमी. है। इसे किस प्रकार के लैंस का प्रयोग करना चाहिए कि दूर की वस्तुएं साफ़ दिखाई देने लगें। फोकस दूरी और लैंस की शक्ति भी ज्ञात करो।
हल :
यहां u = – ∝ ; ν = – 40 सेमी०; f = ?

लैंस सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) का प्रयोग करके
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{40}-\frac{1}{(-\propto)}\)
= \(-\frac{1}{40}\)
f = – 40 सेमी०
= – 0.4 मी०

अब लैंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{-0.4}\)
= – 2.5 D
रोगी को अवतल लैंस का प्रयोग करना चाहिए जिसकी शक्ति – 2.5 D हो।

प्रश्न 5.
एक निकट दृष्टि वाले व्यक्ति का दूर बिंदु 20 सेमी० है। उससे 2.5 मी० दूर रखे टेलीविज़न को देखने के लिए कितनी शक्ति का कौन-सा लैंस प्रयोग करना चाहिए ?
हल :
यहां u = – 2.5 मी०;
ν = – 20 सेमी० = – 0.2 मी०;
f= ?
लैंस सूत्र द्वारा
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{(-0.2)}-\frac{1}{(-2.5)}\)
\(\frac{1}{f}\) = -5+0.4
= – 4.6

पर P = \(\frac{1}{f}\)
∴P = – 4.6 D
f = \(-\frac{1}{4.6}\)
f = -0.2174 मी०
= 21.74 सेमी०
उसे – 4.6 D शक्ति का अवतल लैंस प्रयोग में लाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एक निकट दृष्टि वाले व्यक्ति का निकट बिंदु 50 सेमी० है। यदि वह 20 सेमी० दूर से अखबार पढ़ना चाहता है तो उसके चश्मे की शक्ति बताइए।
हल : यहां u = – 20 सेमी०, ν = – 50 सेमी०, f = ?
लैंस सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) द्वारा
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{50}-\frac{1}{(-20)}\)
= \(-\frac{1}{50}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{-2+5}{100}\)
= \(\frac{3}{100}\)
∴ f = \(\frac{100}{3}\) = 33.3 सेमी० = + 0.333 मी०
लैंस की शक्ति (P) = \(\frac{1}{f}=\frac{1}{+0.333}\) P = + 0.3 D
उसे + 0.3 D शक्ति का उत्तल लैंस प्रयोग में लाना चाहिए।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वस्थ नेत्र का निकट बिंदु कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर –
स्वस्थ नेत्र का निकट बिंदु नेत्र से 25 cm दूरी पर स्थित होता है।

प्रश्न 2.
स्वस्थ नेत्र का दूर बिंदु कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर-
स्वस्थ नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर स्थित होता है।

प्रश्न 3.
निकट-दृष्टि दोष के निवारण के लिए किस प्रकार के लैंस का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
निकट-दृष्टि दोष के निवारण के लिए अवतल लैंस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
दूर-दृष्टि दोष के निवारण के लिए किस प्रकार के लैंस का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
दूर-दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लैंस का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 5.
एक व्यक्ति के चश्मे में अवतल लैंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-सा दोष है ?
उत्तर-
व्यक्ति की आँख में निकट-दृष्टि दोष है।

प्रश्न 6.
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लैंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-सा दोष है ?
उत्तर-
व्यक्ति की आँख में दूर-दृष्टि दोष है।

प्रश्न 7.
एक व्यक्ति के चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लैंस तथा निचले भाग में उत्तल लैंस लगा है। मनुष्य की आँख में कौन-कौन से दोष हैं ?
उत्तर-
मनुष्य की आँख में निकट-दृष्टि एवं दूर-दृष्टि दोनों दोष (जरा-दूरदर्शिता दोष) है।

प्रश्न 8.
एक व्यक्ति को पुस्तक पढ़ने के लिए पुस्तक को आँख से 35 cm दूर रखना पड़ता है। उसकी दृष्टि में कौन-सा दोष है तथा इसका निवारण करने के लिए उसे किस प्रकार का लैंस प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
दूर-दृष्टि दोष है; अत: उसे उत्तल लैंस का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति की दृष्टि क्षमता को 25 सेमी० से अनंत तक बढ़ाने के लिए किस प्रकार के लैंस की आवश्यकता होगी ?
उत्तर-
एक व्यक्ति की दृष्टि क्षमता को 25 सेमी० से अनंत तक बढ़ाने के लिए अवतल लैंस की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 10.
प्रिज्म से निर्गत प्रकाश में किस रंग की किरण का विचलन कोण सबसे कम होता है ?
उत्तर-
लाल रंग की किरण का विचलन कोण सबसे कम होता है।

प्रश्न 11.
प्रिज्म से निर्गत प्रकाश में किस रंग की किरण का विचलन कोण सर्वाधिक होता है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग की किरण का विचलन कोण सर्वाधिक होता है।

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प्रश्न 12.
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण कितने वर्षों में होता है ?
उत्तर-
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण सात वर्णों-

  • बैंगनी (Violet),
  • नीला (Indigo),
  • आसमानी (Sky Blue),
  • हरा (Green),
  • पीला Yellow,
  • नारंगी (Orange) तथा
  • लाल (Red) में होता है।

प्रश्न 13.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम के किस रंग की तरंग-दैर्घ्य अधिकतम होती है ?
उत्तर-
लाल रंग की तरंग-दैर्घ्य अधिकतम होती है।

प्रश्न 14.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम के किस रंग की तरंग-दैर्घ्य न्यूनतम होती है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग की तरंग दैर्घ्य न्यूनतम होती है।

प्रश्न 15.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम में कौन-सा रंग प्रिज्म के आधार की ओर प्राप्त होता है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग का प्रकाश प्रिज्म के आधार की ओर प्राप्त होता है।

प्रश्न 16.
आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
नीले रंग के प्रकाश का अधिक प्रकीर्णन होने के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 17.
अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश का रंग कैसा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश का रंग काला दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 18.
मनुष्य की आँख में स्कलेरॉटिक का क्या कार्य है ?
उत्तर–
स्कलेरॉटिक आँख के भीतरी भाग की सुरक्षा करती है और आँख को आकार देती है।

प्रश्न 19.
मनुष्य की आँख में पक्ष्माभ माँसपेशियों का क्या कार्य है ?
उत्तर-
पक्ष्माभ मांसपेशियां आँख के लैंस को जकड़ कर रखती हैं तथा लैंस की फोकस दूरी को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने में सहायता करती हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 20.
चित्र में कौन-सी प्रकाशीय क्रिया दर्शाई गई है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 15
उत्तर–
प्रकाश के विक्षेपण।

प्रश्न 21.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सी प्रकाशीय प्रक्रिया के फलस्वरूप तारा अपनी स्थिति बदलता है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 16
उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन।

प्रश्न 22.
मानव आँख का दृष्टिदोष चित्र में दर्शाया गया है। बताओ यह कौन-सा दोष है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 17
उत्तर-
दीर्घ दृष्टि दोष।

प्रश्न 23.
नीचे दिए गए चित्र में अवतल लेंस द्वारा मानव आँख के किस दोष को ठीक किया जा रहा है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 18
उत्तर-
निकट दृष्टिदोष।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी होती है लगभग
(a) 35m
(b) 3.5m
(c) 25cm
(d) 2.5cm.
उत्तर-
(c) 25cm.

प्रश्न 2.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टि पटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा।
उत्तर-
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 3.
निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति 1.2m से दूरी की वस्तुओं को नहीं देख सकता। सुस्पष्ट दृष्टि के लिए वह संशोधक लैंस उपयोग करेगा –
(a) अवतल लैंस
(b) सिलिंडरी लैंस
(c) उत्तल लैंस
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) अवतल लैंस।

प्रश्न 4.
सामान्य मानव नेत्र का दूर बिंद –
(a) 25cm पर होता है
(b) 25mm पर होता है
(c) 25m पर होता है
(d) अनंत पर होता है।
उत्तर-
(a) 25cm पर होता है।

प्रश्न 5.
मानव नेत्र में वस्तु का प्रतिबिंब
(a) पुतली पर बनता है
(b) परितारिका पर बनता है
(c) कार्निया पर बनता है
(d) रेटिना पर बनता है।
उत्तर-
(d) रेटिना पर बनता है।

प्रश्न 6.
परितारिका नेत्र में किसके पीछे स्थित है ?
(a) पुतली
(b) रेटिना
(c) कॉर्निया
(d) नेत्र गोलक।
उत्तर-
(c) कॉर्निया।

प्रश्न 7.
जब नेत्र में प्रकाश किरणें प्रवेश करती हैं तब अधिक प्रकाश किससे अपवर्तित होता है ?
(a) क्रिस्टलीय लैंस
(b) कार्निया के बाहरी तल
(c) पुतली
(d) आयरिस।
उत्तर-
(b) कार्निया के बाहरी तल।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) मानव आँख में किसी वस्तु का प्रतिबिंब ………………………… पर बनता है।
उत्तर-
रेटिना

(ii) सामान्य दृष्टि के मनुष्य के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी लगभग ……………………….. होती है।
उत्तर-
25 cm

(iii) दूर-दृष्टि दोष का निवारण ………………………………….. के प्रयोग द्वारा किया जाता है।
उत्तर-
उत्तल लेंस

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(iv) तारों का टिमटिमाना तारों के प्रकाश का ………………………….. के कारण होता है।
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन

(v) वर्षा के बाद आकाश में इंद्रधनुष का दिखाई देना सूर्य प्रकाश के ………………….. तथा …………………………. के कारण होता है।
उत्तर-
परिक्षेपण, आंतरिक परावर्तन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के सम्मुख विभिन्न स्थितियों में रखी वस्तु के दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंबों की स्थिति, प्रकृति एवं आकार चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना-अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति एवं आकार दर्पण से वस्तु की दूरी पर निर्भर करती है।
(i) जब वस्तु अनंत दूरी पर है-मान लो अनंत दूरी पर रखी वस्तु AB से चलने वाली किरणें परस्पर समांतर होती हैं। एक किरण, जो फोकस F से होकर जाती है, परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है। दूसरी किरण, जो वक्रता केंद्र C से होकर आती है, परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग पर लौट जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के फोकस तल के बिंदु B पर मिलती हैं। अत : B’, B का प्रतिबिंब हैं तथा A का प्रतिबिंब A.’ फोकस F पर बनता है। इस प्रकार AB वस्तु का प्रतिबिंब A B’ बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

यह प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस पर स्थित है तथा वास्तविक, उल्टा एवं वस्तु से आकार में बहुत छोटा बनता है।
(ii) जब वस्तु अनंत एवं वक्रता केंद्र (C) के मध्य रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के सम्मुख उसकी वक्रता-त्रिज्या से अधिक दूरी पर रखी है। बिंदु A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AE, परावर्तन के पश्चात् फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण AG जो वक्रता केंद्र C से होकर जाती है परावर्तन के पश्चात उसी मार्ग से लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें A’ पर मिलती हैं, जो A का वास्तविक प्रतिबिंब है। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
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यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र C तथा मुख्य फोकस F के बीच में वास्तविक, उल्टा और वस्तु से छोटा बनता है।

(iii) जब वस्तु वक्रता-केंद्र (C) पर रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र C पर रखी है। A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली आपतित किरण AD, परावर्तित होकर फोकस F से होकर जाती है । दूसरी आपतित किरण AD’, फोकस F से में से होकर जाती है जो परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समांतर D’A’ बन जाती है। ये दोनों किरणें बिंदु A’ पर मिलती हैं। A’ का वास्तविक प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिंब हैं।
यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र पर वस्तु के समान आकार का, वास्तविक तथा उल्टा है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 3
(iv) जब वस्तु वक्रता केंद्र (C) तथा फोकस (F) के बीच रखी होमान लो वस्तु AB, दर्पण के मुख्य फोकस F तथा वक्रता केंद्र C के बीच में स्थित हैं। A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। दूसरी आपतित किरण AD’, जो मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें एक-दूसरे को A’ पर काटती हैं जो A का प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लम्ब A’,B’ वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 4
यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र तथा अनंत के बीच बनता है एवं वास्तविक उल्टा व वस्तु से बड़ा है।

(v) जब वस्तु मुख्य फोकस (F) पर रखी हो-मान लो वस्तु AB, मुख्य फोकस F पर स्थित है। A से मख्य अक्ष के समांतर चलने वाली आपतित किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। बिंदु A से चलने वाली दूसरी आपतित किरण AE जो पीछे बढ़ाने पर वक्रता केंद्र C से गुजरती है, दर्पण से परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें समांतर होने के कारण अनंत पर मिलती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 5
यह प्रतिबंब अनंत पर बनता है तथा वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा होता है।

(vi) जब वस्तु ध्रुव (P) तथा फोकस (F) के बीच रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के फोकस एवं ध्रुव के बीच स्थित है। इसमें A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण AE दर्पण पर लंबवत् गिरती हैं। जो यह परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे A’ से आती हुई प्रतीत होती हैं। अंत : A’, बिंदु A का आभासी प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब AB’ वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
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यह प्रतिबिंब दर्पण के पीछे, आभासी, सीधा व आकार में वस्तु से बड़ा होता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 2.
प्रकाश अपवर्तन किसे कहते हैं ? काँच की आयताकार स्लैब में प्रकाश अपवर्तन चित्र द्वारा समझाओ तथा यह दर्शाओ कि निर्गत किरण, आपतित किरण के समांतर होती है।
उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन- जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह दो माध्यमों के मिलन तल पर अपना पथ बदल लेती है। प्रकाश की इस प्रक्रिया को प्रकाश का अवपर्तन कहते हैं।
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एक आयताकार काँच की स्लैब PQRS को वायु में रखा गया है। AO आपतित किरण, 00′ अपवर्तित किरण और O’ B निर्गत किरण है। जब प्रकाश वायु में से काँच में प्रवेश करती है तो बिंदु 0 पर स्नैल के नियम का प्रयोग करने पर
\(\frac{\sin i_{1}}{\sin r_{1}}\) = aµb ……………….(1)
अब प्रकाश किरण काँच (सघन माध्यम) से वायु (विरल माध्यम) में जा रही है। बिंदु O’ पर स्नैल के नियम का प्रयोग करने पर
bµa= \(\frac{\sin i_{2}}{\sin r_{2}}=\frac{\sin r_{1}}{\sin r_{2}}\) ………………..(2)
(∵ ∠i2 = ∠r1 )
प्रकाश के उत्क्रमणीयता सिद्धांत (Principal of reversibility of light) के अनुसार
bµa = \(\frac{1}{a_{u_{b}}}\) …………………………….. (3)
समीकरण (2) और (3) से
aµb = \(\frac{\sin r_{2}}{\sin r_{1}}\) ………………………………………. (4)
समीकरण (1) और (4) की तुलना करने पर
\(\frac{\sin i_{1}}{\sin r_{1}}=\frac{\sin r_{2}}{\sin r_{1}}\)
या
sin i1 = sin r2
∴ i1 =r2
इसका अर्थ है कि आपतन कोण निर्गमन कोण के समान है । इसलिए जब प्रकाश एक आयताकार काँच की स्लैब से अपवर्तन होता है, तो निर्गत किरण और आपतित किरण समांतर होती हैं।

प्रश्न 3.
जब किसी वस्तु को एक उत्तल लेंस से (i) F और 2F के बीच (ii) 2F से परे (ii) F पर रखा जाता है तो चित्र की सहायता से इसके प्रतिबिंब की रचना दर्शाओ।
अथवा
एक वस्तु किसी उत्तल लेंस के F पर रखी हैं। चित्र की सहायता से उत्तल लेंस से बने प्रतिबिंब की स्थिति, आकार और स्वरूप ज्ञात कीजिए ।
उत्तर-
(i) जब वस्तु F और 2F के मध्य हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के F तथा 2F के मध्य रखी जाती है तो प्रतिबिंब लेंस के दूसरी तरफ 2F से परे बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा बड़े आकार का बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 8
(ii) जब वस्तु 2F से परे (दूर) पड़ी हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के सामने 2F से दूर रखी जाती है तो प्रतिबिंब लेंस के दूसरी तरफ F तथा 2F के मध्य बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा छोटे आकार का होता है।
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(iii) जब वस्तु F पर पड़ी हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के F पर पड़ी हो तो प्रतिबिंब लेंस को दूसरी तरफ अनंत पर बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बड़ा बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 10

प्रश्न 4.
चित्र में प्रकाश की कौन-सी क्रिया दर्शाई गई है ? इसकी परिभाषा दें तथा इसके नियम भी लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 11
उत्तर-
चित्र में प्रकाश अपवर्तन की क्रिया दर्शायी गई है।
प्रकाश का अपवर्तन—जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो यह अपने पहले पथ से विचलित (मुड़) हो जाता है। प्रकाश के इस पथ परिवर्तन को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। यदि प्रकाश किरण, प्रकाशीय विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह आपतन बिंदु पर बने अभिलंब की ओर मुड जाती है और यदि प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब से दूर मुड़ जाती है।

प्रकाश अपवर्तन के नियम –
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब सदा एक ही तल में होते हैं।
(ii) जब एक प्रकाश-किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती है तो आपतन कोण (∠i) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (∠r) की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है। इस नियतांक को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसे 1μ2 से प्रकट करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 12
प्रकाश के अपवर्तन के दूसरे नियम को स्नैल का नियम भी कहते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रकाश क्या है ? इसकी प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
(Light)-प्रकाश वह भौतिक साधन है जो हमें दूसरी वस्तुओं को देखने में सहायता करता है। प्रकाश स्वयं दिखाई नहीं देता। यह एक प्रकार की ऊर्जा है। प्रकाश वास्तव में विद्युत् चुंबकीय तरंगें हैं जो वायु अथवा निर्वात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सीधी रेखा में चलता है।

प्रश्न 2.
प्रकाश की प्रकृति की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • इन्हें संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।
  • यह विद्युत् चुंबकीय तरंगों के रूप में होता है।
  • इसकी चाल माध्यम की प्रकृति पर आधारित होती है।

प्रश्न 3.
प्रकाश के कृत्रिम स्रोत कौन-से हैं ? उदाहरण दें।
अथवा
मनुष्य द्वारा बनाए गए प्रकाश के स्त्रोत कौन-से हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर-
प्रकाश के कृत्रिम स्त्रोत (Artificial Sources of Light) – प्रकाश के मुख्य कृत्रिम स्रोत-अग्नि, विद्युत्, गैस, दीप तथा कुछ रासायनिक क्रियाएं हैं।

प्रश्न 4.
परावर्तक क्या होता है ?
उत्तर-
परावर्तक (Reflector)- ऐसी चिकनी और चमकीली (पॉलिश की गई) सतह जो प्रकाश किरणों को उसी माध्यम में लौटा देती है जिससे वे किरणें आ रही होती हैं, को परावर्तक (Reflector) कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 5.
प्रकाश परावर्तन से क्या अभिप्राय है ? प्रकाश परावर्तन के नियम लिखो।
अथवा
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) क्या है ? प्रकाश के परावर्तन के नियम लिखें।
उत्तर-
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-जब प्रकाश की किरणें किसी समतल और चमकदार सतह से टकराती हैं, तो विशेष दिशा में वापिस पहले माध्यम में ही लौट आती हैं। प्रकाश की इस प्रक्रिया को प्रकाश परावर्तन कहते हैं।

परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)-

  • आपतन कोण (∠i) और परावर्तन कोण (∠r) एक-दूसरे के बराबर होते हैं।
    अर्थात् ∠i = ∠r.
  • आपतित किरण परावर्तित किरण और आपतन बिंदु परावर्तित सतह आपतन बिंदु पर बना अभिलंब (normal) सभी दर्पण एक तल में होते हैं। चित्र में AB एक समतल परावर्तक सतह (दर्पण) है, PQ आपतित किरण, QR परावर्तित किरण और ON आपतन बिंदु पर अभिलंब हैं। चित्र से पता चलता है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब सभी कागज़ के तल में हैं।
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प्रश्न 6.
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो आपतन कोण कितना होता
उत्तर-
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो इस अवस्था में आपतन कोण शून्य अंश के बराबर होता है। (∠i = ∠0 °)

प्रश्न 7.
जब प्रकाश की किरण किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो यह किस कोण पर परावर्तित होती है?
उत्तर-
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है (∠i = 0°) तो यह परावर्तित होकर अभिलंब की दिशा में वापिस मुड़ आती है। इस अवस्था में परावर्तित (∠r = 0° ) शून्य अंश का होता है।

प्रश्न 8.
किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ रही किरण उसी पथ पर वापिस आ जाती है। क्यों ?
उत्तर–
किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ रही किरण उसी पथ पर वापिस आ जाती है। इस अवस्था में आपतन कोण (∠i = 20°) शून्य है, क्योंकि परावर्तन के नियमानुसार आपतन कोण ∠i = परावर्तन कोण Lr होता है, इसलिए परावर्तन कोण भी (∠r = 0°) शून्य होगा तथा प्रकाश किरण उसी पथ पर लौट आएगी।

प्रश्न 9.
इन पदों की परिभाषा दो : गोलीय दर्पण, अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण, द्वारक, वक्रता केंद्र, शीर्ष, मुख्य फोकस और फोकस-दूरी।
उत्तर-
(i) गोलीय दर्पण (Spherical Mirror) यदि दर्पण किसी खोखले गोले का भाग है जिसकी एक सतह पॉलिश की हुई हो और दूसरी सतह परावर्तक हो तो ऐसा दर्पण, गोलीय दर्पण कहलाता है।
गोलीय दर्पण दो प्रकार का होता है –

  • अवतल दर्पण तथा
  • उत्तल दर्पण

(ii) अवतल दर्पण (Concave Mirror)- एक ऐसा गोलीय दर्पण जिसकी परावर्तक सतह उस गोले के केंद्र की ओर होती है जिसका यह दर्पण एक भाग है, अवतल दर्पण कहलाता है। अवतल दर्पण की बाहरी मुख्य अक्ष सतह पॉलिश की हुई होती है तथा प्रकाश परावर्तन भीतरी सतह से होता है।
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(iii) उत्तल दर्पण (Convex Mirror)-एक ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तक सतह उस गोले के केंद्र से परे (दूर) होती है जिस गोले का दर्पण एक भाग होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है। उत्तल दर्पण की भीतरी सतह पॉलिश की हुई होती है तथा परावर्तन बाहरी सतह से होता है।
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(iv) द्वारक (Aperture)-दर्पण के उस भाग को, जिससे प्रकाश का परावर्तन होता है, दर्पण का द्वारक कहा जाता है। चित्र (a) और (b) में दूरी M1 M2 दर्पण का द्वारका कहलाता है।
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(v) वक्रता-केंद्र (Centre of Curvature)-दर्पण का वक्रता केंद्र उस खोखले गोले का केंद्र है जिसका दर्पण एक भाग होता है। नीचे चित्र (a) में C एक अवतल दर्पण का वक्रता केंद्र है और चित्र (b) में C एक उत्तल दर्पण का वक्रता केंद्र है।

(vi) शीर्ष या ध्रुव (Pole)-गोलीय दर्पण के मध्य बिंदु या केंद्र को इसका ध्रुव या शीर्ष (vertex) कहा जाता है। नीचे चित्र (a) और (b) में इसे P से दर्शाया गया है।

(vii) मुख्य फोकस (Principal Focus)-दर्पण का मुख्य फोकस, मुख्य अक्ष पर वह बिंदु होता है जहाँ पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणें दर्पण से परावर्तित होकर वास्तव में एक बिंदु पर आकर मिलें या इस बिंदु से अभिसरित होती हैं अथवा एक बिंदु से अपसरित होती हईं प्रतीत पडती हैं।
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(viii) फोकस दूरी (Focus Length)-गोलीय दर्पण के शीर्ष (ध्रुव) (P) और मुख्य फोकस (F) के मध्य की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहा जाता है। इसे द्विारा प्रदर्शित किया जाता है। चित्र में PF फोकस दूरी है। एस० आई० पद्धति में फोकस दूरी का मात्रक (unit) मीटर हैं।

प्रश्न 10.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी और वक्रता अर्धव्यास के मध्य क्या संबंध हैं ? समतल दर्पण की फोकस दूरी कितनी होती है ?
उत्तर-
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी उस दर्पण के वक्रता अर्धव्यास से आधी होती हैं। यदि अवतल दर्पण की फोकस दूरी f और वक्रता अर्धव्यास R हो, तो
f=\(\frac{1}{2}\) xR
समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है।

प्रश्न 11.
अवतल दर्पण का एक वास्तविक फोकस होता है। एक आरेख बनाकर इसकी व्याख्या करो।
उत्तर-
अवतल दर्पण का वास्तविक फोकस-क्योंकि अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आ रही सभी किरणें दर्पण से परावर्तित होकर वास्तव में फोकस में से गुज़रती हैं, इसलिए अवतल दर्पण का फोकस वास्तविक होता है।
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प्रश्न 12.
जब किसी अवतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब अनंत पर बनता है तो वस्तु कहाँ पर होती है ?
उत्तर-
जब वस्तु को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है तो प्रतिबिंब अनंत पर बनता है तथा यह प्रतिबिंब वास्तविक तथा वस्तु की अपेक्षा आकार में बड़ा बनता है। इस अवस्था में वस्तु से आ रही प्रकाश किरणें परावर्तन के पश्चात् समांतर हो जाती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 19

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 13.
किसी वस्तु को एक अवतल दर्पण के सामने कहाँ पर रखा जाये ताकि इसका प्रतिबिंब वास्तविक और वस्तु के समान आकार का बने ?
उत्तर-
अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब वास्तविक तथा वस्तु के समान आकार का प्राप्त करने के लिए वस्तु को अवतल दर्पण के सामने वक्रता-केंद्र पर रखना चाहिए। इस अवस्था में प्रतिबिंब भी वक्रता-केंद्र पर बनेगा तथा यह वास्तविक, उल्टा और आकार में वस्तु के आकार के बराबर होगा।
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प्रश्न 14.
अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब बड़ा और आभासी कब बनता है ? आरेख दवारा दर्शाओ।
उत्तर-
जब वस्तु अवतल दर्पण के शीर्ष (Pole) और फोकस के मध्य रखी जाती है तो उस अवस्था में वस्तु प्रतिबिंब का प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा आकार में वस्तु की अपेक्षा बड़ा बनता है।
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प्रश्न 15.
किसी दर्पण का उपयोग शेव करने के लिए किया जाता है और क्यों ? इसकी क्रिया को एक आरेख की सहायता से दर्शाओ।
उत्तर-
अवतल दर्पण का शेव करने वाले दर्पण के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि जब हम अपना चेहरा किसी अवतल दर्पण के निकट (शीर्ष और फोकस के मध्य) रखते हैं तो चेहरे का प्रतिबिंब आकार में बड़ा और सीधा बनता है, जिससे बारीक बाल भी दिखाई देते हैं, अर्थात् यह चेहरे की ठीक शेव (Shave) करने में सहायक होता है। इसलिए अवतल दर्पण को शेव करने वाले दर्पण के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
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प्रश्न 16.
कौन-सा दर्पण हमेशा आभासी, सीधा और वस्तु से छोटे आकार का प्रतिबिंब बनाता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण के लिए वस्तु की स्थिति यद्यपि कोई भी हो, प्रतिबिंब सदा आभासी, सीधा, उत्तल दर्पण वस्तु से छोटा और दर्पण के पीछे बनेगा।
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प्रश्न 17.
किस दर्पण की दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब सदा आभासी सीधा तथा वस्तु से छोटे आकार का और दर्पण के पीछे बनता है। दर्पण को वस्तु से दूर ले जाने पर पीछे की ओर के बड़े क्षेत्र में पड़ी वस्तुएं देखी जा सकती हैं। इस प्रकार इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा हो जाता है। अतः उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है।

प्रश्न 18.
किस दर्पण को ड्राइवर के दर्पण के रूप में पहल दी जाती है और क्यों ? आरेख बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
उत्तल दर्पण को ड्राइवर के दर्पण के रूप में पहल दी जाती है क्योंकि उत्तल दर्पण में बन रहा प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा तथा सीधा बनता है। इसलिए उत्तल दर्पण द्वारा पीछे आ रही ट्रैफिक का एक बड़ा भाग दिखाई देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 24

प्रश्न 19.
पीछे की ट्रैफिक देखने के लिए वाहनों में किस प्रकार के दर्पण का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
क्योंकि उत्तल दर्पण में पीछे आ रही ट्रैफिक का सीधा तथा छोटा प्रतिबिंब बनता है, इसलिए बड़े क्षेत्र में आ रहे वाहनों को देखने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग वाहनों के दर्पण के रूप में किया जाता है ।

प्रश्न 20.
समतल दर्पण, अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण को बिना छुए आप इनमें अंतर कैसे मालूम करोगे ?
उत्तर-
दर्पणों की पहचान करना प्रतिबिंब देखकर–प्रत्येक दर्पण में अपने चेहरे का प्रतिबिंब देखें। अब अपना चेहरा दर्पण से दूर ले जाओ और प्रतिबिंब का आकार नोट करो। आप देखेंगे कि समतल दर्पण में बन रहे प्रतिबिंब का आकार चेहरे के आकार के बराबर तथा अवतल दर्पण में बड़ा और उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब का आकार छोटा होगा। इस तरह हम बिना छुए समतल दर्पण, अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण में पहचान कर सकते हैं।

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प्रश्न 21.
एक गोलीय दर्पण के आवर्धन की परिभाषा दो। समतल दर्पण में आवर्धन कितना होता है?
अथवा
आवर्धन (Magnification) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवर्धन (Magnification)-गोलीय दर्पण का आवर्धन दर्पण द्वारा बनाये गए प्रतिबिंब के आकार या ऊँचाई (Size) और वस्तु के आकार या ऊँचाई (Size) के अनुपात के बराबर होता है। इसे m द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
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समतल दर्पण का आवर्धन-समतल दर्पण को एक ऐसे गोले का भाग माना जा सकता है जिसका अर्धव्यास अनंत है।
∴ दर्पण फार्मूला लगाकर \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{\infty}\)
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=0\)
u+v = 0
u = -v
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}=\frac{u}{u} \) = 1
अर्थात् वस्तु का आकार और प्रतिबिंब का आकार एक समान होते हैं।

प्रश्न 22.
एक समतल दर्पण के द्वारा बनाये गए प्रतिबिंब के लक्षण लिखो।
उत्तर-
समलत दर्पण में बने प्रतिबिंब के लक्षण (गुण)-

  • यह आभासी होता है, अर्थात् इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
  • यह सीधा होता है।
  • इसमें पार्श्व परावर्तन होता है, अर्थात् दायाँ हाथ दर्पण में बायाँ दिखाई देता है और बायाँ हाथ दायाँ दिखाई देता है।
  • समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी जाती है।

प्रश्न 23.
प्रतिबिंब से क्या तात्पर्य है ? आभासी तथा वास्तविक प्रतिबिंब में क्या अंतर है ?
उत्तर-
प्रतिबिंब-दर्पण के सामने रखी वस्तु की दर्पण में जो आकृति बन जाती है उस आकृति को वस्तु का प्रतिबिंब कहते हैं। प्रतिबिंब की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से दी जाती है – “जब प्रकाश की किरणें किसी बिंदु से चलकर परावर्तन के पश्चात् (दर्पण में) अथवा अपवर्तन के पश्चात् (लेंस में) किसी दूसरे बिंदु पर जाकर मिलती है अथवा दूसरी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तो इस दूसरे बिंदु को पहले बिंदु का प्रतिबिंब कहते हैं।”

वास्तविक तथा आभासी प्रतिबिंब में अंतर

एक वास्तविक प्रतिबिंब (Real Image) आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image)
(1) परावर्तन या अपवर्तन के बाद यदि प्रकाश की किरणें परस्पर मिलें तो प्रतिबिंब वास्तविक बनता है। (1) परावर्तन या अपवर्तन के बाद यदि प्रकाश की किरणें परस्पर न मिलें (पीछे को बढ़ाकर उन्हें मिलना पड़े) तो प्रतिबिंब आभासी बनता है।
(2) यह प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। (2) यह प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
(3) यह प्रतिबिंब हमेशा उल्टा बनता है। (3) यह प्रतिबिंब सीधा बनता है।

प्रश्न 24.
समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब की रचना चित्र सहित समझाएं।
अथवा
कैसे दर्शाओगे कि समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी उसके सामने पड़ी वस्तु की दर्पण से दूरी के बराबर होती है।
उत्तर-
समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब की लिमिट रचना-मान लो MM’ एक समतल दर्पण है और उसके सामने वस्तु 0 पड़ी है। OA और OB दो आपाती किरणें निकल रही हैं। AC और BD इनकी अनुसारी परावर्तित किरणें हैं, I प्रतिबिंब है। क्योंकि परावर्तित किरणें वास्तव में I पर नहीं मिलती | M aiyammiliauranizarrILM’ समतल दर्पण परंतु I पर मिलती हुई दिखाई देती हैं, इसलिए । वस्तु 0 का आभासी प्रतिबिंब है। मापने से पता चलता है कि NO = NI अर्थात् प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर दर्पण के सामने रखी रहती है।
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प्रश्न 25.
गोलीय दर्पण के मुख्य उपयोग लिखो।
उत्तर-
गोलीय दर्पण के उपयोग-गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं।
(1) अवतल दर्पण
(2) उत्तल दर्पण।

(1) अवतल दर्पण के उपयोग–

  • अवतल दर्पण, परावर्तक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। बड़े व्यास वाले दर्पणों को परावर्तक दूरदर्शी में प्रयुक्त किया जाता है।
  • एक अवतल दर्पण जिसके केंद्र में सुराख होता है, डॉक्टर के सिर के दर्पण (head mirror) के रूप में आँख, नाक, गले तथा कान के निरीक्षण के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • जब वस्तु को दर्पण के शीर्ष तथा फोकस के मध्य रखा जाता है तो यह सीधा, बड़ा तथा आभासी प्रतिबिंब बनाता है। इसलिए इसे शेव दर्पण के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • अवतल दर्पण कार की लैंप तथा सर्चलाइट में प्रयुक्त किया जाता है।

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(2) उत्तल दर्पण के उपयोग-
उत्तल दर्पण, ड्राइवरों द्वारा पीछे आ रहे ट्रैफिक का अधिक दृष्टि क्षेत्र में देखने के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इस दर्पण में प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी होता है।
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प्रश्न 26.
उत्तल दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब की रचना आरेख चित्र द्वारा समझाओ।
अथवा
किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब के प्रतिबिंब बनने का स्थान निर्धारित करने के लिए न्यूनतम कितनी किरणों की आवश्यकता होती है ? एक अवतल दर्पण द्वारा आभासी प्रतिबिंब का बनना एक किरण आरेख खींचकर दिखाइए।
उत्तर-
किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब के प्रतिबिंब बनने का स्थान निर्धारित करने के लिए न्यूनतम दो किरणों की आवश्यकता होती है। अवतल दर्पण द्वारा आभासी प्रतिबिंब की रचनाउत्तल दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब की रचना (Formation of Image by Convex Mirror)-मान लो एक वस्तु AB उत्तल दर्पण के सामने इसके मुख्य अक्ष पर पड़ी है। एक किरण AD, A बिंदु से चलकर दर्पण से
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परावर्तन के पश्चात् DE दिशा में जाती है जोकि मुख्य फोकस F में से आ रही दिखाई पड़ती है। एक अन्य आपतित किरण AC, वक्रता केंद्र C से परावर्तित होकर, वापिस मुड़ जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणे A’ पर मिलती हुई दिखाई दोती हैं जो A का आभासी प्रतिबिंब हैं। A’ पर बना लंब A B’ वस्तु AB का आभासी, सीधा तथा आकार में छोटा प्रतिबिंब है।

प्रश्न 27.
गोलीय दर्पणों के लिए नई कार्तीय चिह्न परंपराओं की चर्चा करो।
अथवा
गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए कौन-सी चिह्न परिपाटी का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
नई कार्तीय चिह्न प्रतिबिंब परंपराएं (New Cartesian Sign Conventions)

  • वस्तु (या बिंब) दर्पण से बायीं ओर होता है तथा वस्तु से चलने वाली आपतित किरणें बायीं ओर से दायीं ओर जाती हुई मानी गई हैं।
  • सभी दूरियां गोलीय दर्पण के शीर्ष (Pole) से मापी जाती हैं।
  • आपतित प्रकाश की दिशा में मापी जाने वाली दूरियों को धनात्मक और आपतित प्रकाश की दिशा से विपरीत दिशा में मापी जाने वाली दूरियों को ऋणात्मक माना जाता है।
  • दर्पणों के मुख्य अक्ष के समकोणीय ऊपर की ओर मापी जाने वाली ऊँचाइयों को धनात्मक और इसके विपरीत नीचे की ओर ऊँचाइयों को ऋणात्मक माना जाता है।

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प्रश्न 28.
प्रकाश की एक किरण समतल दर्पण के साथ 40° का कोण बनाती है। इसका परावर्तन कोण कितना होगा ?
उत्तर-
प्रकाश की किरण का समतल दर्पण के साथ बना कोण = 40°
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∴ अभिलंब आपतित तथा किरण के मध्य साथ बना कोण = ∠i = 90° – 40° = 50° ‘
∵ ∠i = ∠r
अत : r = 50°

प्रश्न 29.
दो समतल दर्पणों को किस प्रकार : व्यवस्थित किया जाए कि परावर्तित किरण के समानांतर हैं ?
उत्तर-
परावर्तित किरण सदैव आपतित किरण के समानांतर होगी यदि दो समतल दर्पण एक-दूसरे के लंबवत् व्यवस्थित किए जाएं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
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प्रश्न 30.
विसरित परावर्तन (Diffused Reflection) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
समानांतर किरणें किसी ऐसे तल से टकराती हैं जो असमतल (खुरदरा) हो तो प्रकाश की परावर्तित किरणों का एक बड़ा भाग टकराने के बाद अनियमित रूप से फैल जाता है, तो ऐसे परावर्तन को विसरित परावर्तन कहते हैं।
उदाहरण-पुस्तक के अक्षरों अथवा ब्लैक बोर्ड पर लिखे गए शब्दों का पढ़ जाना विसरित परावर्तन के विसतरित परावर्तन कारण ही संभव है।
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प्रश्न 31.
प्रकाशीय माध्यम किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
प्रकाशीय माध्यम-जिस भौतिक साधन में से प्रकाश सुगमता से गुज़र सकता है, उसे प्रकाशीय माध्यम कहते हैं; जैसे वायु, पानी, काँच आदि।
माध्यम निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं

  • पारदर्शी माध्यम-वह माध्यम जिसमें से प्रकाश की किरणें सुगमता से गुज़र सके और उसके दूसरी ओर पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई दें, पारदर्शी माध्यम कहलाता है; जैसे साफ पानी, काँच आदि।
  • अपारदर्शी माध्यम-जिस माध्यम में से प्रकाश की किरणें न गुज़र सकें और दूसरी ओर पड़ी हुई वस्तुएं दिखाई न दें, अपारदर्शी माध्यम कहलाता है ; जैसे ईंट, गत्ता, लोहे की चादर आदि।
  • पारभासी माध्यम-जिस माध्यम में से प्रकाश किरणे अल्प मात्रा में गुज़रे और दूसरी तरफ पड़ी हुई वस्तुएं धुंधली दिखाई दें, पारभासी माध्यम कहलाता है, जैसे धुंधला काँच, तेल लगा कागज़।

प्रश्न 32.
घनत्व की दृष्टि से माध्यम कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
घनत्व की दृष्टि से माध्यम दो प्रकार के होते हैं –

  • विरल माध्यम-कम घनत्व वाले माध्यम को विरल माध्यम कहते हैं। उदाहरण-वायु।
  • सघन माध्यम-अधिक घनत्व वाले माध्यम को सघन माध्यम कहते हैं। उदाहरण-काँच।

प्रश्न 33.
विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करते हुए माध्यम की अधिक सघनता का प्रकाश किरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ? सचित्र उदाहरण से इसे समझाइए ।
अथवा
अपवर्तन में माध्यम की सघनता का अपवर्तित किरण के झुकाव पर क्या प्रभाव पड़ता है ? चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
जब प्रकाश की किरण विरल से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर मुड़ जाती है। माध्यम जितना अधिक सघन होगा, किरण उतनी ही अधिक अभिलंब की ओर मुड़ेगी। आगे दिए गए चित्र में प्रकाश की किरण वायु से पानी में तथा वायु से कांच में प्रवेश करती दिखाई गई है। किरण का झुकाव पानी की अपेक्षा काँच में अधिक है क्योंकि काँच पानी की अपेक्षा अधिक सघन है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 34

प्रश्न 34.
जल से काँच में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर–
जल, काँच की अपेक्षा विरल माध्यम है। इसलिए प्रकाश जब जल से काँच में प्रवेश करता है तो प्रकाश की चाल कम हो जाती है तथा प्रकाश अभिलंब की ओर मुड़ जाता है। इस अवस्था में आपतन कोण (i) अपवर्तन कोण (r) से बड़ा होता है।

प्रश्न 35.
यदि प्रकाश की किरण काँच से जल में प्रवेश करें तो प्रकाश की किरणें अभिलंब की ओर मुड़ेंगी या अभिलंब से दूर हटेंगी ?
उत्तर-
इस अवस्था में प्रकाश सघन माध्यम (काँच) से जल (विरल माध्यम) में प्रवेश कर रही हैं जिससे अपवर्तन होने पर अभिलंब से दूर हटेंगी। इस अवस्था में आपतन कोण (i) अपवर्तन कोण (r) से कम होगा तथा जल में प्रकाश की चाल अधिक हो जायेगी।

प्रश्न 36.
वास्तविक और आभासी गहराई के संदर्भ में अपवर्तनांक ज्ञात करो।
उत्तर-
यह सामान्य ज्ञान है कि पानी की तालाब में गहराई अधिक प्रतीत होती है। उसका तल कुछ ऊपर उठा हुआ प्रतीत होता है। मान लो एक वस्तु तालाब की गहराई में A पर है। एक किरण AB तल से टकरा कर सामान्यत: BD की ओर अपवर्तित हो जाती है। A से एक अन्य किरण C पर आपतन Zi बना कर अभिलंब की ओर मुड़ जाती है। CE अपवर्तन Lr बनाती है और आँख तक पहुंचती है। इससे A अपने स्थान पर न रह कर A’ पर प्रतीत होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35
abω = \(\frac{1}{a_{b_{a}}}=\frac{1}{u}\)
\(\frac{\sin i}{\sin r}=a_{b_{\omega}}=\frac{1}{u}\)
\(\frac{\mathrm{BC} / \mathrm{AC}}{\mathrm{BC} / \mathrm{A}^{\prime} \mathrm{C}}=\frac{1}{\mu} \)

या µ = \(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{A}^{\prime} \mathrm{C}}\)
क्योंकि B और C बहुत निकट हैं
∴ AC लगभग AB और A’C लगभग A’B के बराबर है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 36

प्रश्न 37.
पानी में डूबी हुई लकड़ी मुड़ी हुई प्रतीत होती है। क्यों ?
उत्तर-
पानी में आंशिक रूप से एक सीधा लकड़ी का टुकडा (या पेंसिल) मुड़ा हुआ प्रतीत होता है। मान लो पानी में लकड़ी का एक सीधा टुकड़ा डुबोया गया है जो प्रकाश के अपवर्तन के कारण मुड़ा हुआ प्रतीत होगा। जैसे ही प्रकाश की किरणें बिंदु A से सघन माध्यम से विरल माध्यम में आती हैं तो वह लंब से परे मुड़ जाती हैं इस प्रकार बिंदु A बिंदु A के रूप में दिखाई देता है जिस कारण लकड़ी का टुकड़ा मुड़ा हुआ लगता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 37
इस प्रकार AO भाग A’ के रूप में दिखाई देता है तथा लकड़ी का टुकड़ा टेढ़ा प्रतीत होता है।

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प्रश्न 38.
क्या कारण है कि पानी से भरे टब में तल पर रखा सिक्का हमें ऊँचा उठा हुआ प्रतीत होता है ? चिन द्वारा दर्शाओ कि प्रकाश किरणें कैसे चलती हैं ?
उत्तर-
सिक्के का पानी में ऊपर उठा हुआ प्रतीत होना- इसका कारण प्रकाश का अपवर्तन है। जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से चलकर विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलंब से दूर हट जाती है जिसके कारण बाहर से देखने पर हमें सिक्का ऊपर उठा दिखाई देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 38

प्रश्न 39.
स्नेल के नियम की परिभाषा दो ।
उत्तर-
स्नेल का नियम (Snell’s Law)-अपवर्तन के दूसरे नियम को स्नेल का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार आपतन कोण के साइन (sine i) अर्थात् (sin (i) और अपवर्तन कोण के साइन (sine r) अर्थात (sin r) का अनुपात (ratio) स्थिरांक होता है।
∴ \(\frac{\sin i}{\sin r} \) = स्थिरक = aµb

प्रश्न 40.
अपवर्तनांक किसे कहते हैं ? इसका संख्यात्मक सूत्र भी लिखें।
उत्तर-
अपवर्तनांक (Refractive Index)-निर्वात में प्रकाश के वेग और किसी अन्य माध्यम में प्रकाश के वेग के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 39
aµb को माध्यम b का माध्यम a के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं अर्थात् प्रकाश माध्यम a से माध्यम b में प्रवेश करता है। अपवर्तनांक की कोई इकाई नहीं होती, क्योंकि यह दो एक जैसी राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 41.
लेंस की परिभाषा दो। भिन्न-भिन्न प्रकार के लेंस कौन-से हैं ?
उत्तर-
लेंस (Lens)- यह एक पारदर्शी अपवर्तन करने वाले माध्यम का भाग है जो दो गोलीय पृष्ठों या एक गोलीय पृष्ठ तथा दूसरा समतल पृष्ठ से घिरा होता है। लेंस दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लेंस
  2. अवतल लेंस।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 40

प्रश्न 42.
पद (1) प्रकाशिक केंद्र (2) मुख्य अक्ष (3) मुख्य फोकस का परिभाषा दो।
उत्तर-
1. प्रकाशिक केंद्र (Optical Centre)-लेंस के मध्य बिंदु को प्रकाशिक केंद्र कहा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 41
चित्र-अवतल लेंस चित्र (a) में C उत्तल लेंस का प्रकाशिक केंद्र है तथा चित्र (b) में C अवतल लेंस का प्रकाशिक केंद्र है। इस बिंदु में से गुजरने वाली प्रकाश किरण मुड़ती (विचलित) नहीं है।

2. मुख्य अक्ष (Principal Axis)- किसी लेंस का मुख्य अक्ष वह काल्पनिक रेखा है जो कि इसके प्रकाशिक केंद्र में से गुज़रती है और यह लेंस के दोनों गोलीय पृष्ठों पर अभिलंब होता है। चित्र (a) में EF उत्तल लेंस का तथा चित्र (b) में चित्र EF अवतल लेंस का मुख्य अक्ष हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 42

3. मुख्य फोकस (Principal Focus)-यह लेंस के मुख्य अक्ष पर वह बिंदु हैं जिस पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के पश्चात् रूप में मिलती हैं (उत्तल लेंस) या (अवतल लेंस) पीछे की तरफ बढ़ाने पर मिलती हुई प्रतीत होती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 43

प्रश्न 43.
उत्तल लेंस से अपवर्तन द्वारा प्रतिबिंब बनाने के लिए कौन-कौन से नियम हैं ?
उत्तर-
लेंस से अवपर्तन द्वारा प्रतिबिंब बनाने के लिए नियम (Rules for Image Formation after refraction through lens)-(i) मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद मुख्य फोकस से गुज़रती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 44
(ii) मुख्य फोकस में से गुज़र रही प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 45
(iii) लेंस के प्रकाशिक केंद्र में से गुजर रही प्रकाश किरण विचलित नहीं होती।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 46

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 44.
किसी अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब कैसे बनता है ? किरण आरेख खींच कर दिखाएं प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति कैसी होगी ?
उत्तर-
अवतल लेंस के सामने रखी किसी वस्तु के प्रतिबिंब का किरण आरेख चित्र में दिखाया गया है, अवतल लेंस द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब सदैव लेंस के प्रकाशित केंद्र तथा फोकस के बीच वस्तु की ओर ही बनता है। यह प्रतिबिंब सदैव आकार में छोटा, सीधा तथा आभासी होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 47

प्रश्न 45.
चित्र की सहायता से समझाइए कि उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस की प्रिज़्मों के समूह से निर्मित हुआ माना जाता है, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। क्योंकि प्रिज्म में से गुजरने वाली किरण इसके आधार की ओर मुड़ जाती है, इसलिए यह संयोजन प्रकाश को अभिसरित करने की क्षमता रखता है। अतः इसे अभिसारी लेंस कहते है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 48

प्रश्न 46.
चित्र की सहायता से समझाइए कि अवतल लेंस को अपसारी लेंस क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
अवतल लेंस के दो प्रिज्मों को जिनके शीर्षक कांच पट्टिका की आमने-सामने वाली फलकों से संपर्क किए हुए हों, के समान माना जाता है। क्योंकि प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद आधार की ओर मुड़ती हैं और अपसरित होती दिखाई देती हैं। यह व्यवस्था प्रकाश को अपसरित करने की क्षमता रखता है। इस लेंस को अपसारी लेंस कहा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 49

प्रश्न 47.
अवतल लेंस के लिए, यदि वस्तु अनंत पर हो तो प्रतिबिंब कहाँ बनेगा और इसकी प्रकृति क्या होगी ? चित्र बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
यदि वस्तु अनंत पर होगी तो उससे आने वाली सभी आपतित किरणें एक-दूसरे के समानांतर होंगी और अवतल लेंस में से गुज़रने (अपवर्तन) के पश्चात् अपसरित हो जायेंगी (अथवा फैल जाएगी) ये सभी अपवर्तित किरणें पीछे की ओर बढ़ाने पर एक बिंदु से आती हुई प्रतीत होंगी जहाँ प्रतिबिंब बनेगा। यह बिंदु फोकस कहलाता है। अतः प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आकार में छोटा होगा। चित्र में सभी आपतित किरणें अवतल लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर दर्शायी गई हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 50

प्रश्न 48.
उत्तल लेंस के लिए, वस्तु की स्थिति क्या होनी चाहिए, ताकि प्रतिबिंब फोकस पर बने और बहुत छोटा हो ? चित्र बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
उत्तल लेंस में प्रतिबिंब फोकस पर बनने और आकार में छोटा होने के लिए वस्तु को अनंत पर अर्थात् लेंस से बहुत अधिक दूरी पर होना चाहिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 51

प्रश्न 49.
लेंस सूत्र क्या है ? इसकी व्युत्पत्ति के लिए किन चिह्न परिपाटियों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
लेंस सूत्र (Lens Formula)–लेंस सूत्र वस्तु की दूरी (u), प्रतिबिंब की दूरी (v) तथा लेंस की फोकस दूरी (f) के बीच संबंध को प्रकट करता है।
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

चिह्न परिपाटी (Sign Conventions)-

  • सभी दूरियाँ लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापी जाती हैं तथा प्रकाश बाईं ओर से दाईं ओर आपतित होता है।
  • आपतित किरण की दिशा में मापी जाने वाली सभी दूरियाँ धन (+) मानी जाती हैं। आपतित किरण की विपरीत दिशा में मापी जाने वाली सभी दूरियाँ ऋण (-) मानी जाती हैं।
  • मुख्य अक्ष पर अभिलंब की दिशा में ऊपर की तरफ मापी जाने वाली दरियाँ धन तथा नीचे की तरफ मापी जाने वाली दूरियाँ ऋण मानी जाती हैं।

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प्रश्न 50.
प्रतिबिंब की किस स्थिति में एक उत्तल लेंस आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनाता है? एक किरण आरेख की सहायता से अपना उत्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उत्तल लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा फोकस के बीच स्थित बिंब का प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा बनता है, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। प्रतिबिंब की स्थिति लेंस के उसी ओर होती है जिस ओर बिंब है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 53

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 51.
आवर्धन की परिभाषा दो। आवर्धन का मात्रक क्या है ?
अथवा
रेखीय आवर्धन की परिभाषा दें। आवर्धन का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
आवर्धन (Magnification)–गोलीय लेंस का आवर्धन लेंस द्वारा बनाये गये प्रतिबिंब के आकार तथा वस्तु के आकार का अनुपात होता है। इसे m से प्रदर्शित किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 54
m का कोई मात्रक नहीं होता क्योंकि यह दो समरूप राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 52.
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर लिखिए।
उत्तर-
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर

उत्तल दर्पण अवतल दर्पण
(1) इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल अंदर बाहर को उभरा होता है। (1) इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल धंसा होता है।
(2) इसमें आभासी प्रतिबिंब बनता है। (2) इसमें वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं।
(3) इसमें सीधा प्रतिबिंब बनता है। (3) इसमें प्रतिबिंब उल्टा और सीधा दोनों बनते हैं।
(4) इसमें प्रतिबिंब छोटा बनता है। (4) इसमें प्रतिबिंब बड़ा, छोटा तथा वस्तु के आकार का, तीनों प्रकार का बनता है।

प्रश्न 53.
उत्तल तथा अवतल लेंस में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उत्तल तथा अवतल लेंस में अंतर –

उत्तल लेंस अवतल लेंस
(1) बीच में से मोटा तथा किनारों से पतला होता है। (1) बीच में से पतला तथा किनारों से मोटा होता है।
(2) अक्षर बड़े आकार के दिखाई देते हैं। (2) अक्षर छोटे आकार के दिखाई देते हैं।
(3) प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करता है। (3) प्रकाश-किरण पुंज को बिखेर देता है।
(4) वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक, आभासी तथा उल्टा बनता है। (4) वस्तु का प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा बनता है।
(5) इसकी फोकस दूरी धनात्मक होती है। (5) इसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 54.
परावर्तन और अपवर्तन में क्या अंतर हैं ?
उत्तर-
परावर्तन तथा अपवर्तन के अन्तर –

परावर्तन अपवर्तन
(1) किसी चमकीली सतह से टकराकर प्रकाश की किरण का वापस लौट जाना प्रकाश का परावर्तन कहलाता है। (1) पारदर्शक माध्यम से प्रकाश का एक-दूसरे पारदर्शक माध्यम में प्रवेश करने पर अपने पथ से विचलित हो जाना, प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है।
(2) इसमें आपतन कोण तथा परावर्तन कोण सदा समान होते हैं। (2) इसमें आपतन कोण और अपवर्तन कोण छोटे बड़े होते हैं।
(3) परावर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें पुनः उसी माध्यम में वापस लौट जाती हैं। (3) अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें दूसरे माध्यम में चली जाती हैं।

प्रश्न 55.
बिना स्पर्श किए हुए आप उत्तल लेंस, अवतल लेंस तथा काँच की वृत्ताकार पट्टिका को कैसे पहचानोगे ?
उत्तर-
उत्तल लेंस, अवतल लेंस व काँच की पट्टिका को मुद्रित अक्षरों के ऊपर रखकर आँखों की ओर लाने पर यदि अक्षरों का आकार बढ़ता दिखाई दे तो वह उत्तल लेंस होगा और यदि अक्षरों का आकार घटता दिखाई दे तो वह अवतल लेंस होगा, और यदि अक्षरों का आकार समान रहे तो वह काँच की वृत्ताकार पट्टिका होगी।

प्रश्न 56.
एक-दूसरे के संपर्क में रखे दो या अधिक पतले लेंसों की क्षमता के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
यदि अनेक पलते लेंस लेकर उन्हें एक-दूसरे से जोड़कर रखें तो इस लेंस के संयोजन की कुल क्षमता उन लेंसों की अलग-अलग क्षमताओं के योग के समान होती है। चश्मा बनाने वाले संशोधी लेंसों के अनेक लेंसों की सहायता से ही आवश्यक लेंस की क्षमता की गणना करते हैं।
∴ P = P1+ P2 + P3

प्रश्न 57.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा दर्पण दर्शाया गया है ? दर्पण की तुलना में वस्तु कहां रखी है ? बनते दिखाई देते प्रतिबिम्ब का एक लक्षण लिखें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 55
उत्तर-
चित्र में अवतल दर्पण दर्शाया गया है। चित्र में वस्तु AB दर्पण के सामने फोकस (F) तथा ध्रुव के मध्य रखी है। चित्र में बन रहा प्रतिबिंब A’B’ वस्तु की तुलना में बड़ा, सीधा तथा अभासी है।

प्रश्न 58.
गोलाकार दर्पणों के दो उपयोग लिखें।
उत्तर-
गोलाकार दर्पण दो प्रकार के होते हैं-

  • अवतल दर्पण
  • उत्तल दर्पण।

गोलाकार दर्पणों का उपयोग

  • अवतल दर्पण परार्वतक के रूप में परावर्तक दूरदर्शी में प्रयोग किया जाता है।
  • उत्तल दर्पण ड्राइवरों द्वारा पीछे आ रहे ट्रैफिक को विस्तृत दृष्टि से देखने के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें बन रहा प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी है।

प्रश्न 59.
नीचे दिए गये चित्र में कौन-सा दर्पण दिखाया गया है ? दर्पण की तुलना में वस्तु कहाँ रखी है ? बन रहे प्रतिबिम्ब के लक्षण लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 56
उत्तर-
चित्र में अवतल दर्पण दर्शाया गया है। वस्तु की दूरी दर्पण की तुलना में वक्रता केन्द्र (C) से दूर रखा गया है। इसलिए वस्तु AB से बना प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु के आकार से छोटा होगा।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Questions)

प्रश्न 1.
20 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण से एक वस्तु कितनी दूरी पर रखी जाये ताकि इसका प्रतिबिंब दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर बने ?
उत्तर-
f = -20 cm (अवतल दर्पण के लिए)
v = -40 cm (आपतित प्रकाश की दिशा के उल्ट दिशा में मापी गई प्रतिबिंब की दूरी)
u = ? (अवतल दर्पण से वस्तु की दूरी)
दर्पण फार्मूले से \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(-\frac{1}{40}+\frac{1}{u}=\frac{1}{-20}\)
या
\(\frac{1}{u}=\frac{-1}{20}+\frac{1}{40}\)
= \(\frac{-2+1}{40}\)
= \(\frac{-1}{40}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{-40}\)
या u = -40 cm.
अर्थात् वस्तु अवतल दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर रखी जाए। उत्तर

प्रश्न 2.
एक अवतल दर्पण का वक्रता अर्ध-व्यास 15 cm है और एक वस्तु को इसके शीर्ष से 20cm पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की प्रकृति और स्थिति मालूम करो।
हल- वक्रता अर्धव्यास (R) = -15cm (अवतल दर्पण के लिए)
फोकस दूरी (f) = \(\frac{-15}{2}\) cm
वस्तु की दर्पण के शीर्ष से दूरी (u) = -20 cm (आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापा गया)
प्रतिबिंब की शीर्ष से दूरी (v) = ?
आवर्धन (m) = ?
दर्पण फार्मूला से \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{-20}=\frac{1}{\frac{-15}{2}}\)
या \(\frac{1}{v}-\frac{1}{20}=\frac{-2}{15}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 57
∴ v = -12
अर्थात् प्रतिबिंब दर्पण के सामने 12 cm की दूरी पर बनता है।
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-(-12)}{-20}\)
= \(\frac{-12}{20}\)
= \(\frac{-3}{5}\) = -0.6
m < 1 क्योंकि आवर्धन का मान 1 से कम और ऋणात्मक है, इसलिए प्रतिबिंब वस्तु से आकार में छोटा, उल्टा और वास्तविक है।

प्रश्न 3.
एक 6 cm ऊँचाई वाली वस्तु को 18cm फोकस दूरी वाले एक दर्पण से 10 cm की दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति और आवर्धन ज्ञात करो।
हल –
u = -10 cm आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)
f = + 18 cm (उत्तल दर्पण के लिए)
h1 = + 6 cm (मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर मापने पर)
दर्पण फार्मूले से, \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{-10}=\frac{1}{18}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{18}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{18+10}{180}\)
= \(\frac{28}{180}\)
∴ v = + 6.4 cm
क्योंकि v धनात्मक है इसलिए प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6.4 cm की दूरी पर बनता है और आभासी है ।
अब आवर्धन m = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-6.4}{-10}\)
= 0.64 <1
m <1
क्योंकि m का मान एक से कम है, इसका अर्थ है कि प्रतिबिंब का आकार छोटा है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 4.
एक अवतल दर्पण का वक्रता अर्धव्यास 8 cm है और एक वस्तु इसके शीर्ष से 20 cm पर रखी जाती है। प्रतिबिंब का स्वरूप और स्थिति पता करो।
हल u = -20 cm (आपतित किरण के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)
R = -8 cm (अवतल दर्पण के लिए फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।)
प्रतिबिंब की स्थिति v = ?
क्योंकि R = 2f,
∴ f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{-8}{2}\) = -4 cm
दर्पण फार्मूले (सूत्र) से, \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 58
∴ v = -5 cm
ऋण चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के सामने 5 cm की दूरी पर बनता है। अतः यह प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा है।

प्रश्न 5.
7.5cm ऊँचाई की एक वस्तु 20cm अर्धव्यास वाले उत्तल दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर पड़ी है। प्रतिबिंब की दूरी, स्वभाव तथा आकार ज्ञात करो।
हल-हम जानते हैं,
f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{+20}{2}\) = 10 cm
u = -40 cm
(आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)

दर्पण फार्मूले से, \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{-40}+\frac{1}{v}=\frac{1}{10}\)
⇒ \(\frac{1}{-40}+\frac{1}{v}=\frac{1}{10}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{40}\)
= \(\frac{4+1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{5}{40}\)
= \(\frac{1}{8} \)
∴ V = + 8 cm

क्योंकि v धनात्मक है इसलिए प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी है और दर्पण के पीछे 8 cm की दूरी पर बनता है ।
अब आवर्धन
m = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-8}{-40}\)
= \(\frac{1}{5}\)
∴ m <1
क्योंकि m < 1 है, इसलिए प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार की अपेक्षा छोटा है।

प्रश्न 6.
एक वस्तु का आकार 6 से०मी० है । इस 15 से० मी० फोकस दूरी वाले एक उत्तल दर्पण से 9 से०मी० दूर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति ज्ञात करें।
हल- उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) = 15 से०मी०
वस्तु की दर्पण के शीर्ष से दूरी (u) = -9 से०मी०
वस्तु का आकार = 6 से०मी०

दर्पण फार्मूला
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 59
\(\frac{1}{v}=\frac{8}{45}\)
∴ v = \(\frac{45}{8}\)
= 5.62 से०मी०
प्रतिबिंब वस्तु की दूसरी ओर होगा। उत्तर

प्रश्न 7.
उस उत्तल लैंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता-त्रिज्या 32 cm है।
हल : उत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या, r = 32 cm
f = \(\frac{r}{2}\)
= \(\frac{32}{2}\)
= 16 cm

प्रश्न 8.
हम 20 cm फोकस दूरी के किसी पतले उत्तल लेंस द्वारा किसी वस्तु का वास्तविक, उल्टा तथा आकार में उस वस्तु के बराबर प्रतिबिंब प्राप्त करना चाहते हैं। वस्तु को कहां रखना चाहिए ? इस प्रकरण में प्रतिबिंब बनना दर्शाने के लिए प्रकाश किरण-आरेख खींजिए।
उत्तर-
20 सेमी० फोकस दूरी के उत्तल लेंस की सहायता से वास्तविक सीधा और समान आकार का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु को 2F पर रखा जाता है। उसका प्रतिबिंब भी दूसरी 2F पर बनता है। वस्तु को (2×20) = 40 सेमी० दूर रखा जाना चाहिए ताकि समान आकार का प्रतिबिंब लेंस की दूसरी ओर प्राप्त हो सके। वस्तु की लैंस से दूरी = 2f
= 2xf
= 2 x 20 cm
= 40 cm
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 60

प्रश्न 9.
4.0 cm ऊँचाई की एक वस्तु 15.0 cm फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण से 30.0 cm की दूरी पर रखी गई है। दर्पण से कितनी दूरी पर एक पर्दे को रखा जाए जिससे कि वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त हो सके ? प्रतिबिंब की प्रकृति तथा आकार भी ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है : वस्तु का आकार h = 4.0 cm
वस्तु की अवतल दर्पण से दूरी u = -30.0 cm
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f = -15.0 cm
प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी v = ?
प्रतिबिंब का आकार h’ = ?

दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से.
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 61
∴ v = -30.cm
अतः पर्दे को दर्पण के सामने 30.0 cm की दूरी पर रखना चाहिए।
प्रकृति-चूँकि प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त हो रहा है : अतः यह वास्तविक तथा उल्टा होगा।
आकार-दर्पण के आवर्धन सूत्र
m = \(\frac{h^{\prime}}{h}=-\frac{v}{u}\) से,
प्रतिबिंब का आकार h’ = \(-\frac{v}{u} \times h \)
= – \( \left(\frac{-30.0 \mathrm{~cm}}{-25.0 \mathrm{~cm}}\right) \times 4.0\) cm
= -4.0 cm

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 10.
3 cm ऊँचे बिंब को 18 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण के सामने 9 cm की दूरी पर रखा गया है। बने प्रतिबिंब की स्थिति तथा आकार ज्ञात कीजिए।
हल- दिया है : बिंब की अवतल दर्पण से दूरी, u = -9 cm
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f = -18 cm
वस्तु की ऊँचाई, h = 3 cm

दर्पण सत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
= \(-\frac{1}{18}+\frac{1}{9}\)
= \(\frac{-1+2}{18}\)
= \(\frac{1}{18}\)
⇒ v = + 18 cm

स्थिति-प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 18cm की दूरी पर बनेगा।
प्रकृति-प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी होगा।
आकार-दर्पण के लिए आवर्धन सूत्र m = \(\frac{h^{\prime}}{h}=\frac{v}{u}\) से,
प्रतिबिंब का आकार h = \(\frac{-v}{u} \times h\)
= – \(\left(\frac{18}{-9}\right) \times 3\) = 6 cm
∴ प्रतिबिंब की ऊँचाई 6 cm होगी।

प्रश्न 11.
18 cm फोकस दूरी के उत्तल लेंस से किसी बिंब को कितनी दूरी पर रखा जाना चाहिए कि उसका प्रतिबिंब लेंस से 24 cm की दूरी पर बने ? इस स्थिति में आवर्धन कितना होगा ?
हल- दिया है, लेंस की फोकस दूरी (f) = + 18 cm
प्रतिबिंब की लैंस से दूरी (v) = + 24 cm
बिंब की लैंस से दूरी (u) = ?

लेंस सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
या \(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{24}-\frac{1}{18}\)
= \(\frac{3-4}{72}\)
= \(-\frac{1}{72}\)
u = -72 cm

ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि वस्तु को लेंस के सामने 72 cm की दूरी पर रखना चाहिए।
आवर्धन = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-24}{-72} \)
= \(-\frac{1}{3}\)
प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु के आकार का \(-\frac{1}{3}\) होगा।
अतः प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बिंब का एक-तिहाई है।

प्रश्न 12.
एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 25cm है। बिंब की लेंस से दूरी का परिकलन कीजिए जबकि उसका प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर लेंस से 75 cm की दूरी पर बनता है। इस प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होगी?
हल- दिया है : f = +25 cm, v = + 75 cm, u = ?

लेंस के सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{75}-\frac{1}{25}\)
= \(\frac{1-3}{75}\)
= \(\frac{-2}{75}\)
⇒ u = \(-\frac{75}{2}\) = -37.5cm
बिंब लेंस के बाईं ओर लेंस से 37.5 cm की दूरी पर स्थित है।
∵ प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर है इसलिए यह वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 13.
वायु के सापेक्ष सघन फ्लिंट कांच का अपवर्तनांक 1.65 तथा एल्कोहल के लिए यह 1.36 है। एल्कोहल के सापेक्ष सघन फ्लिंट कांच का अपवर्तनांक क्या है ?
हल-
एल्कोहल के w.r.t. फ्लिंट काँच का अपवर्तनांक = img
= \(\frac{1.65}{1.36}\)
= \(\frac{165}{136}\)
= 1.21

प्रश्न 14.
एक वस्तु 20 सेमी० फोकस दूरी वाले एक अवतल लेंस के सामने 40 मी० की दूरी पर रखी गई है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा लेंस का आवर्धन ज्ञात करो।
हल : अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -20 सेमी०
वस्तु की लेंस से दूरी (u) = -40 सेमी०
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (स्थिति) (v) = ?

लेंस फार्मूले से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-40}=\frac{1}{-20}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{40}=-\frac{1}{20}\)
\(\frac{1}{v}=-\frac{1}{20}-\frac{1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{-2-1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{-3}{40}\)

∴ v = \(\frac{-40}{3}\) = -13.3 सेमी० प्रतिबिंब आभासी सीधा तथा लेंस के उसी तरफ बनता है।
आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-\left(\frac{-40}{3}\right)}{-40}\)
= \(\frac{40}{3 \times(-40)}\)
= \(\frac{-1}{3}\)
प्रतिबिंब आकार में छोटा होगा।

प्रश्न 15.
किसी माध्यम में प्रकाश का वेग 2 x 108 ms-1 है। एक आपतित किरण इसके सघन पक्ष के साथ 0° का कोण बनाती है। अपवर्तन कोण ज्ञात करो। निर्वात में प्रकाश का वेग 3 x 108 ms-1 है।
हल:
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 62
aμm = \(\frac{3 \times 10^{8}}{2 \times 10^{8}}\)
= \(\frac{3}{2}\)
aμm = \(\frac{1}{m_{\mu_{a}}}\)
\(\frac{3}{2}=\frac{1}{m_{u_{a}}}\)
mμa = \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
\(\frac{2}{3}=\frac{\sin 30^{\circ}}{\sin r}\)
\(\frac{2}{3}=\frac{0.5}{\sin r} \)
sin r = \(\frac{0.5}{2 / 3}\)
= \(\frac{0.5 \times 3}{2}\)
sin r = 0.7500
∴ अपवर्तन कोण, r = 48° 36′ उत्तर

प्रश्न 16.
5 cm ऊंची कोई वस्तु 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखी जाती है। प्रकाश-किरण आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
वस्तु की ऊँचाई, h1 = 5 cm
वस्तु की अभिसारी लेंस से दूरी u = -25 cm
ऋणात्मक होगा। अभिसारी लेंस की फोकस दूरी, f = + 10 cm (उत्तल लेंस)
v = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{(-25)}\)
= \(\frac{1}{10}-\frac{1}{25}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{5-2}{50}\)
= \(\frac{3}{50}\)
∴ v = \(\frac{50}{3}\) = 6.67 cm

अब लेंस का आवर्धन m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{50 / 3}{(-25)} \)
= \(\frac{-50}{3 \times 25}\)
m = \(\frac{-2}{3}\)

प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा और 16.67 cm दूर लेंस की दूसरी तरफ होगा।
m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}=\frac{-2}{3}\)
\(\frac{h_{2}}{5}=\frac{-2}{3}\)
h2 = \(\frac{-10}{3}\)
h2 = -3.33 cm
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 63

प्रश्न 17.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी वस्तु का लेंस से 10 cm दूरी पर प्रतिबिंब बनाता है। वस्तु लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है ? प्रकाश किरण-आरेख खींचिए।
हल :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 64
यहाँ f = -15 cm, v = –10 cm, u = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{(-10)}-\frac{1}{(-15)}\)
= \(\frac{-1}{10}+\frac{1}{15}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{-3+2}{30}\)
= \(\frac{-1}{30}\)
u = -30 cm
अतः वस्तु को अवतल लेंस से 30 cm दूर रखना चाहिए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 18.
एक वस्तु को 15 cm फोकस दूरी के एक अवतल लेंस से 30 cm पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति और आवर्धन क्या होगा ?
हल : यहां अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -15 cm (अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
वस्तु की अवतल लेंस से दूरी (u) = -30 cm (आपतित किरण की दिशा से विपरीत दिशा में मापी गई दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
प्रतिबंब की अवतल लेंस से दूरी (v) = ?
लेंस फार्मूले से \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-30}=\frac{1}{-15}\)
या \(\frac{1}{v}+\frac{1}{30}=\frac{1}{-15}\)
या \(\frac{1}{v}=-\frac{1}{15}-\frac{1}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-2-1}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-3}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-1}{10}\)
या v = -10 cm

v के ऋण चिह्न से पता चलता है कि प्रतिबिंब लेंस के उसी तरफ 10 cm की दूरी पर बनेगा जिस तरफ वस्तु पड़ी है। इसलिए प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा होगा।
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{-u}\)
= \(\frac{-(-10)}{-(-30)}\)
= \(\frac{10}{30}\)
= \(\frac{1}{3}\) = 0.33
क्योंकि m का मान धनात्मक है, इसलिए प्रतिबिंब सीधा है।
∵ | m | = \(\frac{1}{3}\) जोकि <1 है, इसलिए प्रतिबिंब आकार में वस्तु से छोटा है।

प्रश्न 19.
7 cm ऊँचाई की एक वस्तु को 20 cm फोकस-दूरी के एक उत्तल लेंस से 40 cm की दूरी पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और ऊँचाई ज्ञात करो।
हल : यहाँ पर वस्तु की ऊँचाई (h) = + 7 cm
उत्तल लेंस की फोकस दूरी (f) = + 20 cm (उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक मानी जाती है)
वस्तु की उत्तल लेंस से दूरी (u) = – 40 cm
(आपतित किरण की विपरीत दिशा में मापी गई दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (v) = ?

लेंस सूत्र से \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-40}=\frac{1}{+20}\)
या \(\frac{1}{v}+\frac{1}{40}=\frac{1}{20}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{1}{20}-\frac{1}{40}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{2-1}{40}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{1}{40}\)
∴ v = + 40 cm 1

v के धन चिह्न से पता चलता है कि प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा है और लेंस की दूसरी तरफ 40 cm की दूरी पर बनता है।

अब m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{40}{-40}\)
∴ m = -1
|m| = |-1| = 1
परंतु m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}\)
∴ h2 = h1
अर्थात् प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के समान है।

प्रश्न 20.
4 cm ऊँचाई की एक वस्तु को -10 डाइऑप्टर क्षमता वाले एक अवतल लेंस के सामने 15 cm की दूरी पर रखा जाता है। प्रतिबिंब का आकार और प्रकृति पता करो। हल : वहाँ वस्तु की ऊंचाई (h1) = + 4 cm
अवतल लेंस की क्षमता (P) = -10 डाइऑप्टर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 65
f = \( \frac{1}{-10} \times 100\)
= -10 cm
∴ अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -10 cm

वस्तु की लेंस से दूरी (u) = -15 cm
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (v) = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-15}=\frac{1}{-10}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{15}=\frac{-1}{10}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 66
∴ v = -6 cm

v के ऋण चिहन से पता चलता है कि प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा है और लेंस की तरफ 6 cm की दूरी पर बनता है।

अब m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{-6}{-15}\)
= \(\frac{2}{5}\)
∴ m = \(\frac{2}{5}\)

m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}\)
m = \(\frac{2}{5}\)
h2 = \(\frac{2 h_{1}}{5}\)
∴ = \(\frac{2}{5}\) × 4 cm
∴ h2 = \(\frac{8}{5}\) cm = 1.6 cm
अत: प्रतिबिंब का आकार 1.6 cm है।

प्रश्न 21.
5 मीटर फोकस दूरी वाले अवतल लेंस की शक्ति ज्ञात करो।
हल :
अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -5 m
अवतल लेंस की शक्ति (P) =?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 67
= \(\frac{1}{-5}\)
= -0.2 D उत्तर

प्रश्न 22.
4 मीटर फोकस दूरी के एक उत्तल लेंस की क्षमता कितनी होगी?
हल :
उत्तर लेंस की फोकस दूरी (f) = 4
मीटर उत्तल लेंस की क्षमता (P) = ?
हम जानते हैं कि लेंस की क्षमता
(P) = \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{4}\)
= 0.25 D उत्तर

प्रश्न 23.
2m फोकस दूरी वाले किसी उत्तल लेंस की शक्ति ज्ञात करो। लेंस की शक्ति की इकाई लिखो।
हल : उत्तल लेंस की फोकस दूरी (f) = 2m
उत्तल लेंस की क्षमता (P) = ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 68
= \(\frac{1}{2}\)
= 0.5 D (डाइऑप्टर) उत्तर

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दर्पण की फोकस दूरी की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
फोकस दूरी (Focal Length)-गोलीय दर्पण के ध्रुव (शीर्ष) तथा मुख्य फोकस के मध्य की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं। इसे द्विारा प्रदर्शित किया जाता है। S.I. पद्धति में फोकस दूरी का मात्रक मीटर है।

प्रश्न 2.
दर्पण के ध्रुव ( या शीर्ष) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
ध्रुव या शीर्ष (Pole)-गोलीय दर्पण के मध्य बिंदु या केंद्र को इसका ध्रुव या शीर्ष कहते हैं।

प्रश्न 3.
यदि कोई वस्तु समतल दर्पण से 10 मीटर की दूरी पर है तो वस्तु तथा उसके प्रतिबिंब के मध्य कितनी दूरी होगी ?
उत्तर-
वस्तु और प्रतिबिंब के मध्य दूरी = (10 + 10) मीटर = 20 मीटर।

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प्रश्न 4.
जब प्रकाश की किरण समतल दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो उसका आपतित कोण तथा परावर्तन कोण कितने-कितने अंश होता है?
उत्तर-
आपतन कोण (∠i) = (0°)
परावर्तन कोण (∠r) = 0°

प्रश्न 5.
ऊर्जा के किन्हीं तीन रूपों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. प्रकाश ऊर्जा
  2. ताप ऊर्जा
  3. ध्वनि ऊर्जा।

प्रश्न 6.
प्रकाशीय ऊर्जा की प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
विद्युत्-चुंबकीय तरंगें (Electro-Magnetic Waves)

प्रश्न 7.
वायु में प्रकाश की चाल कितनी है ?
उत्तर-
3 x 108 मीटर प्रति सैकिंड।

प्रश्न 8.
प्रकाश के एक प्रमुख प्राकृतिक स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 9.
दो मानव निर्मित प्रकाश स्रोतों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. मोमबत्ती,
  2. विद्युत् लैंप।

प्रश्न 10.
गोलीय दर्पण की दो किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. अवतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण।

प्रश्न 11.
आपतन कोण क्या होता है?
उत्तर-
आपतन कोण- आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच बने कोण को आपतन कोण ( ∠i) कहते हैं।

प्रश्न 12.
परावर्तन कोण क्या होता है ?
उत्तर-
परावर्तन कोण- परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर बने अभिलंब के मध्यवर्ती कोण को परावर्तन कोण ( ∠r) कहते हैं।

प्रश्न 13.
गोलीय दर्पण की परिभाषा दो।
उत्तर-
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)- यदि दर्पण किसी खोखले गोले का भाग हो जिसकी एक सतह पालिश की गई हो और दूसरी सतह परावर्तक हो तो ऐसा दर्पण गोलीय दर्पण कहलाता है।

प्रश्न 14.
समतल दर्पण में किस प्रकृति का प्रतिबिंब बनता है?
उत्तर-
आभासी, सीधा तथा समान आकार का।

प्रश्न 15.
किस गोलीय दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक मानी जाती है?
उत्तर-
उत्तल दर्पण की।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 16.
दर्पण फार्मला लिखो।
अथवा
किसी गोलीय दर्पण से परावर्तन के लिए सूत्र लिखो।
उत्तर-
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
.
प्रश्न 17.
अवतल दर्पण की किस सतह से परावर्तन होता है?
उत्तर-
वह भीतरी सतह जो दर्पण के वक्रता केंद्र की ओर होती है।

प्रश्न 18.
किस गोलीय दर्पण में सदैव प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा छोटा बनता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण में।

प्रश्न 19.
गोलीय दर्पण के वक्रता अर्धव्यास तथा फोकस दूरी में क्या संबंध है ?
उत्तर-
f= \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)

प्रश्न 20.
जिस दर्पण की फोकस दूरी -15 cm हो, उसकी प्रकृति कैसी होगी ?
उत्तर-
यह दर्पण अवतल होगा।

प्रश्न 21.
एक दर्पण का आवर्धन 0.4 है। यह दर्पण किस प्रकार का है ? इसका प्रतिबिंब कैसा होगा?
उत्तर-
यह दर्पण उत्तल होगा क्योंकि इसका आवर्धन धनात्मक है और यह 1 से कम है। प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी होगा।

प्रश्न 22.
आवर्धन की परिभाषा लिखो। इसकी इकाई क्या है?
उत्तर-
आवर्धन(Magnifications)-प्रतिबिंब के आकार तथा वस्तु के आकार के अनुपात को आवर्धन कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 69
आवर्धन (m) की कोई इकाई नहीं होती क्योंकि यह एक समान दो राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 23.
किसी दर्पण को अभिसारी तथा किस दर्पण को अपसारी कहा जाता है ?
उत्तर-
अभिसारी दर्पण-अवतल दर्पण अपसारी दर्पण-उत्तल दर्पण।।

प्रश्न 24.
सर्चलाइट में किस दर्पण का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
अवतल दर्पण का।

प्रश्न 25.
किस दर्पण को अपने से दूर ले जाने पर दर्पण का दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 26.
समतल दर्पण की कितनी फोकस दूरी होती है?
उत्तर-
अनंत।

प्रश्न 27.
किसी दर्पण की आवर्धन क्षमता 1 होती है ?
उत्तर-
समतल दर्पण की।

प्रश्न 28.
समतल दर्पण में बन रहे प्रतिबिंब के लिए वस्तु दूरी तथा प्रतिबिंब दूरी के मध्य संबंध लिखो।
उत्तर-
u= -v,

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 29.
वास्तविक प्रतिबिंब से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वास्तविक प्रतिबिंब- परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात् यदि प्रकाश की किरणें परस्पर एक बिंदु पर मिलें तो उस बिंदु पर वास्तविक प्रतिबिंब बनता है।

प्रश्न 30.
अवतल दर्पण के लिए जब वस्तु अनंत और वक्रता केंद्र (C) के बीच हो तो प्रतिबिंब की स्थिति बताओ।
उत्तर-
जब वस्तु अनंत और वक्रता केंद्र के C बीच हो तो अवतल दर्पण में प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस व वक्रता केंद्र के मध्य बनता है।

प्रश्न 31.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 24 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर-
दिया है, वक्रता त्रिज्या R = 24 cm
∴ फोकस दूरी f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\) = \(\frac{24}{2}\) = 12.0 cm

प्रश्न 32.
जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलंब के किस ओर झुकती है?
उत्तर-
ऐसी प्रकाश की किरण अभिलंब से दूर झुक जाती है।

प्रश्न 33.
जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है, तो अभिलंब के किस ओर झुकती है?
उत्तर-
प्रकाश की किरण अभिलंब की ओर झुक जाती है।

प्रश्न 34.
जब प्रकाश विरल से सघन माध्यम में जाता है, तो अपवर्तन कोण तथा आपतन कोण में से कौन-सा बड़ा होता है?
उत्तर-
आपतन कोण।

प्रश्न 35.
उत्तल लेंस द्वारा दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब कैसा बनता है ?
उत्तर-
वास्तविक, उल्टा तथा छोटा।

प्रश्न 36.
किस छपे हुए कागज़ पर अभिसारी लेंस रखने पर अक्षर कैसे दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
सीधे तथा बड़े।

प्रश्न 37.
पानी में रखा सिक्का उठा हुआ क्यों दिखाई देता है?
उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन के कारण।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 38.
मुख्य फोकस और प्रकाशिक केंद्र के बीच की दूरी को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
फोकस दूरी (1)।

प्रश्न 39.
किसी स्थिति में प्रतिबिंब, वस्तु के आकार के समान होता है?
उत्तर-
जब वस्तु 2f पर हो।

प्रश्न 40.
उत्तल लेंस से आभासी तथा बड़ा प्रतिबिंब कब बनता है? उत्तर-जब वस्तु मुख्य फोकस तथा प्रकाशिक केंद्र के बीच हो। प्रश्न 41. लेंस किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
लेंस- एक ऐसा पारदर्शक माध्यम जो दो वक्र तलों अथवा एक वक्र तल तथा दूसरा समतल सतह से घिरा हुआ हो तथा प्रकाश का अपवर्तन करता हो, लेंस कहलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लेंस
  2. अवतल लेंस।

प्रश्न 42.
लेंस के लिए दूरियाँ किस बिंदु से मापी जाती हैं ?
उत्तर-
प्रकाशिक केंद्र से।

प्रश्न 43.
किस लेंस को आवर्धन लेंस कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तल लेंस को।

प्रश्न 44.
लेंस सूत्र लिखिए।
उत्तर-
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

प्रश्न 45.
लेंस की क्षमता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
लेंस की क्षमता-किसी लेंस की क्षमता (शक्ति) इसकी मीटरों में फोकस दूरी का व्युत्क्रम होती है।
P = \(\frac{1}{f}\)

प्रश्न 46.
बिना शक्ति के चश्मे (Plane Glasses) की फोकस दूरी कितनी होती है?
उत्तर-
P= \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{0}\) = ∞
∴ अनंत फोकस दूरी।

प्रश्न 47.
किस लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं ?
उत्तर-
अवतल लेंस को।

प्रश्न 48.
लेंस की शक्ति तथा फोकस दूरी में संबंध लिखो।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 70

प्रश्न 49.
किस लेंस की शक्ति धन तथा किस लेंस की शक्ति ऋण होती है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस की शक्ति धन तथा अवतल लेंस की शक्ति ऋण होती है।

प्रश्न 50.
लेंस की फोकस दूरी की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
लेंस की फोकस दूरी (Focal Length of Lens)- किसी लेंस की फोकस दूरी उस लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी है।

प्रश्न 51.
अपवर्तनांक की परिभाषा दो।
उत्तर-
अपवर्तनांक (Refractive Index)-निर्वात में प्रकाश के वेग और किसी अन्य माध्यम में प्रकाश के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 71

प्रश्न 52.
दो विलयनों के अपवर्तनांक 1.36 तथा 1.54 हैं, कौन अधिक सघन है ?
उत्तर-
अधिक अपवर्तनांक 1.54 वाला विलयन सघन होगा।

प्रश्न 53.
लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिए।
उत्तर-
डाऑप्टर।

प्रश्न 54.
एक लेंस की क्षमता -2.5 D है। यह लेंस कैसा होगा ?
उत्तर-
अवतल।

प्रश्न 55.
संपर्क में रखे दो लेंसों की क्षमताएँ क्रमशः P1 तथा P2 हैं। संयुक्त लेंस की क्षमता क्या होगी ?
उत्तर-
क्षमता P = P1 + P2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 56.
घड़ीसाज, घड़ी के सूक्ष्म पुों को देखने के लिए कौन-सा लेंस प्रयोग करता है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस।

प्रश्न 57. हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है जबकि काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। दोनों में कौन अधिक प्रकाशीय सघन है ? किसमें प्रकाश की चाल अधिक होगी ?
उत्तर-
हीरे का अपवर्तनांक, काँच से अधिक है, इसलिए काँच की तुलना में हीरा प्रकाशीय सघन है।
∴ विरल माध्यम में प्रकाश की चाल सघन माध्यम की तुलना में अधिक होती है। इसलिए काँच में चाल अधिक होगी।

प्रश्न 58.
विचलन कोण (Angle of deviation) क्या है ?
उत्तर-
विचलन कोण-निर्गत किरण (Emergent ray) बनाने में आपतित किरण (Incident ray) जिस कोण पर मुड़ जाती है, उस कोण को विचलन कोण (Angle of deviation) कहा जाता है।

प्रश्न 59.
उत्तल लेंस के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
मुख्य फोकस-उत्तल लेंस का मुख्य फोकस लेंस के मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जिस पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद मिलती हैं।

प्रश्न 60.
गोलीय दर्पण की वक्रता-त्रिज्या की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
वक्रता-त्रिज्या-गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या उस खोखले गोले का अर्धव्यास है जिस का दर्पण एक भाग है। इसे R द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 61.
नीचे गोलीय दर्पण के रेखाचित्र
(a) तथा
(b) दिए गए हैं। दर्पण (a) तथा दर्पण (b) की किस्म बताओ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 72
उत्तर-
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण।

प्रश्न 62.
नीचे दिए गए चित्र किस प्रकाशीय प्रक्रिया को दर्शाते हैं।
imgPSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 73उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक उत्तल लेंस की क्षमता 2 डाइआप्टर है। इसकी फोकस दूरी होगी –
(a) 20 सें० मी०
(b) 40 सें० मी०
(c) 10 सें० मी०
(d) 50 सें० मी०।
उत्तर-
(d) 50 सें० मी०।

प्रश्न 2.
वस्तु का आभासी और बराबर आकार का प्रतिबिंब बनाता है
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) समतल दर्पण।

प्रश्न 3.
उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब बनता है, सदैव
(a) वास्तविक, उल्टा व वस्तु से छोटा
(b) आभासी, उल्टा तथा वस्तु से छोटा
(c) आभासी, सीधा तथा वस्तु से छोटा
(d) आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा।
उत्तर-
(c) आभासी, सीधा तथा वस्तु से छोटा।

प्रश्न 4.
मोटर वाहन में पीछे का दृश्य देखने के लिए प्रयोग करते हैं –
(a) अवतल दर्पण
(b) समतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) कोई भी गोलीय दर्पण।
उत्तर-
(c) उत्तल दर्पण।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 5.
Sini/Sinr में सम्बन्ध प्रतिपादित किया –
(a) न्यूटन ने
(b) रमन ने
(c) स्नैल ने
(d) फैराडे ने।
उत्तर-
(c) स्नैल ने।

प्रश्न 6.
किसी लैंस की फोकस दूरी निम्नलिखित में से किस सूत्र द्वारा व्यक्त की जाती है ?
(a) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)
(b) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
(c) f\(=\frac{1}{v}=\frac{1}{u}\)
(d) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}-\frac{1}{v}\)
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

प्रश्न 7. अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R तथा फोकस दूरी के बीच सम्बन्ध होता है
(a) f= R
(b) f= R/2
(c) R = f/2
(d) R = f/4.
उत्तर-
(b) f = R/2.

प्रश्न 8.
एक अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थापित वस्तु का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब कहाँ बनेगा ?
(a) F पर
(b) C पर
(c) C तथा F के बीच
(d) अनंत पर।
उत्तर-
(b) C पर।

प्रश्न 9.
दंत चिकित्सक द्वारा प्रायः उपयोग में लाए जाने वाला दर्पण –
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल और अवतल दर्पण
(d) समतल दर्पण।
उत्तर-
(b) अवतल दर्पण।

प्रश्न 10.
बड़ा तथा वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए उपयोग होने वाला दर्पण
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) अवतल दर्पण।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) निर्वात में प्रकाश की चाल ……………………… है।
उत्तर-
3 x 108 ms-1

(ii) प्रकाश ………………………. के कारण पानी में रखा हुआ सिक्का वास्तविक स्थिति से ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है।
उत्तर-
अपवर्तन

(iii) समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा, आभासी और …………………………. होता है।
उत्तर-
वस्तु के बराबर

(iv) कम फोकस दूरी वाले लेंसों की क्षमता अधिक दूरी वाले लेंसों की अपेक्षा ………………………………. होती है।
उत्तर-
अधिक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

(v) वस्तु के आकार का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु को उत्तल लैंस के सामने ……………………………… पर रखना चाहिए।
उत्तर-
2F

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मेंडल के द्वारा मटर के पौधों पर किए गए प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
मेंडल ने मटर के पौधे के विभिन्न विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया था। उन्होंने उनके बाहरी लक्षणों की ओर विशेष ध्यान दिया था। गोल/झुरींदार बीज, लंबे/बौने पौधे, सफेद/बैंगनी फूल आदि विभिन्न विकल्पी लक्षणों वाले पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। उन्होंने लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर प्राप्त संतति पीढ़ी में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 1
प्रथम संतति अथवा F1 में कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। इसका अर्थ था कि पहली पीढ़ी में दो लक्षणों में से केवल एक गंबा पीया लंबा पौधा लंबा पौधा लंबा पौधा लंबा पौधा बौना पौधा पैतृक लक्षण ही दिखाई देता है। उन दोनों का मिश्रित प्रभाव दिखाई नहीं देता। मेंडल ने अपने प्रयोगों में दोनों प्रकार के पैतृक पौधों एवं F1 पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण द्वारा उगाया। पैतृक पीढ़ी के लंबे पौधों से प्राप्त सभी संतति भी लंबे पौधों की थी। पर F1 पीढ़ी के लंबे पौधों की दूसरी पीढ़ी अर्थात् F2 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे नहीं थे। उनमें से एक चौथाई संतति बौने पौधे थे। इससे संकेत मिला कि F, पौधों द्वारा लंबाई एवं बौनेपन दोनों के विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई। केवल लंबाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया। इसलिए किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण के दो विकल्प की वंशानुगति होती है।

‘TT’ एवं ‘Tt’ दोनों ही लंबे पौधे हैं, लेकिन ‘tt’ बौने पौधे हैं। ‘T’ एक अकेला विकल्प ही पौधे को लंबा बनाने के लिए पर्याप्त है, जबकि संकरण बौनेपन के लिए ‘t’ के दोनों विकल्प ‘t’ ही होने चाहिएं। ‘T’ जैसे विकल्प ‘प्रभावी’ लक्षण कहलाते हैं जबकि जो लक्षण (Trait) ‘t’ की तरह स्वनिषेचन व्यवहार करते हैं, ‘अप्रभावी’ कहलाते हैं।

यदि गोल बीज वाले लंबे पौधों का झरींदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो F2 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे एवं गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबाई तथा गोल बीज ‘प्रभावी’ लक्षण हैं। परंतु जब F, P RR yy संतति के स्वपरागण से F2 पीढ़ी की संतति प्राप्त होती है। पहले प्रयोग के आधार पर F2 संतति के कुछ पौधे गोल बीज वाले लंबे पौधे होंगे तथा कुछ F1 झुर्रादार बीज वाले बौने पौधे। परंतु F2 की संतति के कुछ पौधे नए संयोजन प्रदर्शित करेंगे। उनमें से कुछ पौधे लंबे पर झुरींदार तथा कुछ पौधे बौने पर | गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबे/बौने लक्षण तथा गोल/झुरींदार लक्षण अनुपात स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 3

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 2.
डार्विन के विकास के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चार्ल्स राबर्ट डार्विन (1809-1882) ने निरंतर अनेक वर्ष तक विभिन्न जगहों पर एच० एम० एस० बीगल नामक समुद्री जहाज़ से घूम-घूम कर जीव-जंतुओं का अध्ययन करने के पश्चात् अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Origin of Species’ में जैव-विकास के सिद्धांतों की प्रतिपादता की थी जिन्हें डार्विनवाद के नाम से जाना जाता है।

डार्विन ने अपने मतों को निम्नलिखित आधारों पर स्थापित किया था-
(I) संतान उत्पन्न करने की अपार क्षमता (Enormous Fertility)-संसार में सभी प्राणियों के पास बहुत अधिक संतान उत्पन्न करने की क्षमता होती है। उनमें परिवार वृद्धि की भावना भी विद्यमान होती है।

(II) जीवन-संघर्ष (Struggle for Existence) सभी प्राणी उत्पन्न होते ही जीवन के लिए संघर्ष करते हैं। वे जीवित रहने के लिए पानी, हवा, भोजन, प्रकाश, सुरक्षित स्थान, तापमान आदि को प्राप्त करना चाहते हैं। अधिक संख्या में उत्पन्न प्राणियों में हर प्राणी अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। यह संघर्ष तीन प्रकार का होता है-अंतर्जातीय, अंतर-जातीय और वातावरणीय कारकों के बीच। अंतर्जातीय संघर्ष केवल एक ही जाति के प्राणियों के बीच होता है लेकिन अंतर-जातीय संघर्ष विभिन्न जातियों और प्राणियों के बीच होता है। जीवित रहने के लिए संघर्ष हवा, पानी, दबाव, तापमान आदि के बीच भी चलता है। जो प्राणी इनका विपरीत स्थितियों में सामना नहीं कर पाते, वे मर जाते हैं। जीवन-संघर्ष के लिए अनुकूलन की बहुत आवश्यकता होती है। जो अनुकूलन करने में सफल नहीं हो पाते वे कमज़ोर और असमर्थ होने के कारण नष्ट हो जाते हैं।

(III) नई जातियों की उत्पत्ति (Origin of New Species) – संसार में सभी प्राणियों में भिन्नता होती है। कोई भी प्राणी पूर्ण रूप से एक जैसा नहीं है। उनको गुणों-अवगुणों के भेद के कारण ही पहचाना जाता है। उपयोगी और श्रेष्ठ गुणों के कारण प्राणी सहजता से रह सकते हैं। प्राणियों के श्रेष्ठ गुण उनमें स्थायी बन जाते हैं। वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चलते हैं। इसी कारण नई जातियों की उत्पत्ति होती है।

(IV) योग्यतम की उत्तर जीविता (Survival of the fittest)-प्राणियों का जीवन संघर्ष निरंतर सारा जीवन चलता रहता है। जो प्राणी वातावरण में रहने के लिए अपने आपको श्रेष्ठ सिद्ध कर लेते हैं, वही रह पाते हैं। जो इस संसार में अपनी रहने योग्य श्रेष्ठता सिद्ध नहीं कर पाते, वे कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं। वातावरण में वहीं जीवित रह पाता है जो योग्यतम है, इसी को योग्यता की उत्तर जीविता कहते हैं। वातावरण में संघर्ष करते समय प्राणियों के जीवन में कुछ परिवर्तन भी आते हैं।

ये परिवर्तन विभिन्नताएँ कहलाती हैं और वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के पास पहुंचती हैं। अगली पीढ़ी के प्राणी पिछली पीढ़ी के प्राणियों की अपेक्षा अपने आप को वातावरण के प्रति अधिक अच्छी तरह ढालने की योग्यता रखते हैं। प्रकृति के प्रति अनुकूलन न करना और इन्हें न झेल कर नष्ट हो जाना प्राकृतिक वरण कहलाता है। प्राकृतिक वरण (Natural Selection) जीवन भर चलता रहता है। विभिन्नताओं की प्राप्ति करने से नई जातियाँ विकास करती हैं।

(V) वातावरण के प्रति अनुकूलन (Adaptation to the Environment)-सभी प्राणियों को भिन्न प्रकार के भौतिक वातावरण को झेलना पड़ता है। वे जीवन भर सर्दी-गर्मी, सूखा-बाढ़, भूकंप, तूफान आदि के द्वारा उत्पन्न संकटों का सामना करते हैं। जो प्राणी अपने आप को इनका सामना करने के योग्य बना पाते हैं, वही अपने जीवन संघर्ष में सफल हो पाते हैं। जो प्राणी स्वयं को वातावरण के प्रति अनुकूल नहीं बना पाते वे स्वयं के साथ नष्ट हो जाते हैं।

(VI) विभिन्नताएँ और आनुवंशिकता (Variations and Heredity)-एक जाति और एक ही माता-पिता की संतानों में समानताओं के बावजूद कई तरह के अंतर पाए जाते हैं। कोई भी दो प्राणी पूर्ण रूप से एक जैसे नहीं है। लाभकारी अंतर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
आनुवंशिकी की परिभाषा दीजिएं। जीव विज्ञान की इस शाखा में मेंडल के क्या योगदान हैं ?
उत्तर-
आनुवंशिकी जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत आनुवंशिकता और विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। मेंडल ने जीव विज्ञान की इस शाखा आनुवंशिकी को अति महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था इसीलिए उन्हें आनुवंशिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने मटर के दानों पर संकरण के तरह-तरह के प्रयोग किए थे और तीन नियमों को प्रतिपादित किया था।
(I) प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)-संकरण में भाग लेने वाले पौधों का प्रभावी गुण प्रकट होता है और अप्रभावी गुण छिप जाता है।

(II) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)-युग्मकों की रचना के समय कारकों (genes) के जोड़े के कारक अलग-अलग हो जाते हैं। इन दोनों में से केवल एक युग्मक के पास पहुँचता है। दोनों कारक कभी भी एक साथ युग्मक में नहीं जाते।

(III) अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-जीवों के गुण के कारक एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना अपने आप उन्मुक्त रूप से युग्मकों में जाते हैं और अपने आप को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, विसंकर क्रॉस की दूसरी पीढ़ी की संतानों में सभी कारकों के गुण अलग-अलग दिखाई देते हैं पर पहली पीढ़ी में अपने प्रभावी गुण ही प्रकट करते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सभी स्पीशीज़ में विभिन्नताओं में अस्तित्व की समान संभावना क्यों नहीं होती ?
उत्तर-
सभी स्पीशीज़ में विभिन्नताओं में अस्तित्व की समान संभावना नहीं होती। प्रकृति के विभिन्न आधारों के कारण जीवों को अलग-अलग लाभ हो सकते हैं। गर्मी को झेलने की क्षमता वाले जीवाणुओं के अधिक गर्मी में बचे ‘ रहने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण उत्तम परिवर्तन (Variants) का जैव विकास प्रक्रम पर प्रभाव डालता

प्रश्न 2.
मानवों में लक्षणों की वंशागति किस बात पर आधारित होती है ?
उत्तर-
मानवों में लक्षणों की वंशागति इस बात पर आधारित होती है कि माता-पिता दोनों अपनी संतान में समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ को स्थानांतरित करते हैं। संतान का प्रत्येक लक्षण पिता या माता के DNA से प्रभावित होता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 3.
F1 संतति और F2 संतति क्या है ?
उत्तर-
प्रथम संतति F1 कहलाती है जिसमें माता-पिता के दो लक्षणों में से एक केवल पैतृक लक्षण दिखाई देता है जिसका अर्थ है कि उन दोनों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई देता है। स्वपरागण की अवस्था में F2 संतति दोनों के विकल्पी लक्षणों को प्रकट करती है।
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प्रश्न 4.
जीन लक्षणों को कैसे नियंत्रित करते हैं ?
उत्तर-
कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक सूचना तंत्र होता है, DNA के जिस भाग में प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना होती है वह प्रोटीन का जीन कहलाता है। जीवों के लक्षण इसी हॉर्मोन पर निर्भर करते हैं। हॉर्मोन की मात्रा उस प्रक्रम की दक्षता पर निर्भर करती है जिसके द्वारा ये उत्पादित होते हैं। यदि विशिष्ट प्रोटीन दक्षता से कार्य करेगी तो हॉर्मोन पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न होगा और यदि प्रोटीन की दक्षता पर कुछ भिन्न प्रभाव पड़ता है तो कम दक्षता के कारण हॉर्मोन कम होगा। जीन ही लक्षणों को प्रभावित और नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 5.
जैव विविधता क्या है ?
उत्तर-
जैव विविधता-जैव विविधता या जीव भिन्नता पृथ्वी पर पाई जाने वाली विविध प्रकार की उन जैवीय प्रजातियों को कहते हैं जो अपने-अपने प्राकृतिक आवास क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इसमें पेड़-पौधे, सूक्ष्म जीव, पशुपक्षी आदि सभी प्राणी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 6.
जैव विविधता के विभिन्न स्तर कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  • आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)
  • प्रजाति विविधता (Species Diversity) ।
  • परिस्थितिगत विविधता (Ecosystem Diversity) |

प्रश्न 7.
आनुवंशिक विविधता क्या है ?
उत्तर-
आनुवंशिक विविधता–अलग-अलग जीन की उपस्थिति के कारण उत्पन्न विविधता को आनुवंशिक विविधता कहते हैं। मनुष्यों में यह विविधता मंगोल, नीग्रो आदि में देखी जा सकती है।

प्रश्न 8.
पक्षियों का विकास डायनोसॉर से क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
डायनोसॉर सरीसृप थे। उनके विभिन्न जीवाश्मों में अस्थियों के साथ पंखों की छाप भी स्पष्ट रूप से मिलती है। तब शायद वे सब इन पंखों की सहायता से उड़ नहीं पाते होंगे पर बाद में पक्षियों ने पंखों से उड़ना सीख लिया होगा। इसीलिए पक्षियों को डायनोसॉर से संबंधित मान लिया जाता है।

प्रश्न 9.
आनुवंशिकता क्या है ?
उत्तर-
आनुवंशिकता-सभी जीवधारियों में कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो उन्हें अपने से पहले पीढ़ियों से प्राप्त होते हैं। ये गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं। एक जीव से दूसरे जीव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी लक्षणों का आगे जाना आनुवंशिकता कहलाती है।

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प्रश्न 10.
लिंग गुण सूत्र क्या है ?
उत्तर-
लिंग गुण सूत्र-मानवों में कुल 23 जोड़े गुण सूत्र होते हैं जिनमें से अंतिम तेइसवाँ जोड़ा लिंग गुण सूत्र (Sex Chromosome) कहलाता है। इसी के कारण कोई मानव नर या मादा के रूप में जन्म लेता है। नर में XY लिंग गुण सूत्र होते हैं पर मादा में XX लिंग गुण सूत्र होते हैं।

प्रश्न 11.
समजात अंग (Homologous Organs) को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समजात अंग-जीव-जंतुओं के वे अंग, जिनकी उत्पत्ति और मूल संरचना में समानता होती है पर समय, परिस्थिति और कार्य के कारण उनकी बाहरी रचना में अंतर आ जाता है, उन्हें समजात अंग कहते हैं। उदाहरण-पक्षी के पंख, मेंढक की टाँगें, सील के फ्लीपर, चमगादड़ के पंख, घोड़े की अगली टाँगें और मनुष्य की बाजू की उत्पत्ति और संरचना समान है पर इनके कार्यों में अंतर है। ये इस बात को प्रमाणित करते हैं कि कभी सभी के पूर्वज एक जैसे ही थे। परिस्थितियों और समय ने उनमें परिवर्तन किए हैं।
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प्रश्न 12.
समरूप अंग क्या होते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समरूप अंगों-समरूप अंगों में कार्य की समानता होती है लेकिन उनकी उत्पत्ति और मूल संरचना में अंतर होता है। कीड़े, पक्षी चमगादड़ और चमगादड़ सभी पँखों का प्रयोग उड़ने के लिए करते हैं पर उनकी उत्पत्ति अलग-अलग ढंग से हुई थी।
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प्रश्न 13.
समजात अंग और समरूप अंग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

समजात अंग समरूप अंग
(i) इन अंगों की मूल रचना और उत्पत्ति समान नहीं होती। (i) इन अंगों की मूल रचना और उत्पत्ति एक एक समान होती है।
(ii) इनके कार्य समान नहीं होते हैं। उदाहरण-I. पक्षियों के पंख और मेंढक
II. मनुष्य की बाजू और घोड़े की अगली टांगें।
(ii) इनके कार्य समान होते हैं। उदाहरण-I. पक्षी और चमगादड़ के पंख। के अग्रपाद।
II. पक्षियों और कीटों के पंख।

प्रश्न 14.
मेंडल के आनुवंशिकता के प्रबलता के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रबलता का नियम-जब पौधों के विपरीत लक्षणों के बीच संकरण कराया जाता है जो उनकी संतति में उन लक्षणों में से एक लक्षण ही प्रभावी रहता जबकि दूसरा विपरीत लक्षण अप्रभावी रहता है। प्रभावी लक्षण संतान में दिखाई देता है जबकि अप्रभावी लक्षण विद्यमान होते हुए भी दिखाई नहीं देता।
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मेंडल के द्वारा किए गए मटरों के प्रयोग में पहली पीढ़ी में सभी पौधे शुद्ध लंबे थे परंतु दूसरी पीढ़ी में एक शुद्ध लंबा पौधा, दो संकरे लंबे तथा एक शुद्ध बौना पौधा था।

प्रश्न 15.
मेंडल के मटर के पौधों पर प्रयोग से क्या परिणाम निकले ?
उत्तर–
मेंडल के मटर के पौधों पर किए प्रयोग से निम्नलिखित परिणाम निकले

  • पौधों में लक्षण कुछ इकाइयों द्वारा नियंत्रित होते हैं। उन्हें कारक कहा जाता है। प्रत्येक लक्षण के लिए युग्मक में एक कारक होता है, जैसे लंबाई, फूल का रंग।
  • एक लक्षण को दो कारकों द्वारा ही व्यक्त किया जाता है, जैसे TT या tt |

प्रश्न 16.
युग्मकों की शुद्धता का नियम क्या है ?
उत्तर-
गुणसूत्रों पर जीन हमेशा जोड़े में विद्यमान होती हैं जैसे TT या tt । युग्मक में ये जीन अलग-अलग हो जाते हैं और अलग हुआ एक जीन एक गुण के लिए बिल्कुल शुद्ध होता है। युग्मक संयोग के बाद युग्मनज में एक जीन पिता से और एक जीन माता से (एक ही गुण वाले) समान जीन एकत्रित हो जाते हैं और ये दोनों जीन एक लक्षण के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते हैं।

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प्रश्न 17.
जीन कहाँ स्थित होते हैं ? इनकी रासायनिक प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
जीन-जीन आनुवंशिकता की अंतिम इकाई है जिसके द्वारा पैतृक गुण संतानों में स्थानांतरित होते हैं। यह DNA के खंड होते हैं। जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं। न्यूक्लियोटाइडस का विशिष्ट क्रम इसकी क्रियात्मक विशिष्टता को निर्धारित करता है। जीन को किसी विशेष एंजाइम से काटा जा सकता है और उसे किसी अन्य जीव के जीन के साथ जोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 18.
लिंग गुणसूत्रों और अलिंग गुणसूत्रों में अंतर लिखिए।
उत्तर-

लिंग गुणसूत्र अलिंग गुणसूत्र
(1) ये लिंग निर्धारण से संबंधित होते हैं। (1) ये लिंग निर्धारण से संबंधित नहीं होते।
(2) मनुष्य में केवल दो लिंग गुणसूत्र X और Y होते हैं। (2) मनुष्य में 44 अलिंग गुणसूत्र होते हैं।
(3) मानव नर में XY तथा मानव मादा में XX लिंग गुणसूत्र होते हैं। (3) इन गुण सूत्रों को 1 से 22 तक संख्या प्रदान की गई है।

प्रश्न 19.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता किस प्रकार बढ़ जाती है?
उत्तर-
लाभकारी विभिन्नताएं जीन को वातावरण की अवश्यकताओं के अनुकूल बनाती हैं। जो उसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाती है। ऐसा होने पर जीन की उस स्पीशीज़ की उत्तरजीविता में वृद्धि होती है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव नर और मादा में कितने जोड़े गुण सूत्र होते हैं ?
उत्तर-
23 जोड़े।

प्रश्न 2.
स्त्रियों में कौन-सा लिंग गुणसूत्र होता है ?
उत्तर-
‘XX’ गुणसूत्र।

प्रश्न 3.
पुरुषों में कौन-सा लिंग गुणसूत्र होता है ?
उत्तर-
‘XY’ गुणसूत्र।

प्रश्न 4.
बच्चे के लिंग का निर्धारण किसके गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
उत्तर-
पिता के ‘Y’ गुणसूत्र पर।

प्रश्न 5.
डार्विन ने किस सिद्धांत की परिकल्पना की थी ?
उत्तर-
प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास।

प्रश्न 6.
जीवाश्म क्या होते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म-जीवों के चट्टानों में परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकता किसे कहते हैं ?
उत्तर–
प्राणियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाले पूर्वजों के लक्षणों और गुणों को आनुवंशिकता कहते हैं।

प्रश्न 8.
विभिन्नता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समान माता-पिता और समान जाति होने पर भी संतानों में रंग-रूप, बुद्धिमता, कद आदि में अंतर पाया जाता है। इसी को विभिन्नता कहते हैं।

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प्रश्न 9.
मानव शरीर में लगभग कितनी जीन होती हैं ?
उत्तर-
30000 से 40000 तक।

प्रश्न 10.
जीन कहाँ विद्यमान होती हैं ?
उत्तर-
जीन गुणसूत्रों पर निश्चित स्थान पर विद्यमान होती हैं।

प्रश्न 11.
AIDS का वायरस HIV कैसा होता है ?
उत्तर-
रेट्रो वायरस।

प्रश्न 12.
जीन का क्या कार्य होता है ?
उत्तर-
आनुवंशिक लक्षणों का निर्धारण, नियंत्रण और वहन।

प्रश्न 13.
DNA तथा RNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
DNA = डी ऑक्सीरिबो न्यूक्लिक अम्ल।
RNA = रिबो न्यूक्लिक अम्ल।

प्रश्न 14.
ऑटोसोम्स किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मनुष्य में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। लिंग गुणसूत्रों का जोड़ा 23वां होता है। शेष 22 जोड़े ऑटोसोम्स कहलाते हैं।

प्रश्न 15.
समजात अंग क्या होते हैं ?
उत्तर–
समजात अंग –वे अंग जिनकी उत्पत्ति और मूल रचना समान हो पर उनके कार्य भिन्न हों।

प्रश्न 16.
समवृत्ति अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे अंग जिनके कार्यों में समानता है पर उनकी उत्पत्ति और मूल रचना भिन्न हो।

प्रश्न 17.
मानव शरीर में कौन-कौन से अवशेषी अंग हैं ?
उत्तर–
कर्ण पल्लव की पेशियाँ, कृमि रूप परिशेषिका, पुच्छ कशेरुक, निमेषक पटल।

प्रश्न 18.
बायोजेनेटिक नियम लिखिए।
उत्तर-
जीव जंतु भ्रूण-विकास के समय अपने पूर्वजों के जातीय विकास की उत्तरोतर अवस्थाओं को प्रकट करता है। इस नियम को ‘व्यक्ति वृत्त में जातिवृत्त की पुनरावृत्ति’ (Ontogeny Repeats Phylogeny) भी कहते हैं।

प्रश्न 19.
आनुवंशिक इंजीनियरी में कौन-सी क्रिया की जाती है ? ।
उत्तर-
DNA या जीन के एक टुकड़े को काटकर किसी दूसरे जीवधारी की DNA के साथ विशिष्ट एंजाइम की सहायता से जोड़ने की क्रिया आनुवंशिक इंजीनियरी में की जाती है।

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प्रश्न 20. ‘
फॉसिल डेटिंग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिसमें जीवाश्म में पाए जाने वाले किसी एक तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर जीवाश्म का समय निर्धारित किया जाता है उसे फॉसिल डेटिंग कहते हैं।

प्रश्न 21.
प्रभावी लक्षण क्या होते हैं ?
उत्तर-
प्रभावी लक्षण-वे विषय जो समयुग्म तथा विषम युग्मजी दोनों अवस्थाओं में प्रकट कर सकते हैं, प्रभावी लक्षण कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
चित्र में दर्शाए गए अंग किस प्रकार के अंगों को दर्शाते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 8
उत्तर-
समजात अंग।

प्रश्न 23.
नीचे दिए गये चित्र में जीव-विकास के दृष्टिकोण से चित्र में दिखाए अंग किस प्रकार के अंग हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 9
उत्तर-
दोनों के कार्य करने में समानता है परन्तु इनकी उत्पत्ति तथा मूल रचना में अंतर होता है, इसलिए इन्हें समरूप अंग (Analogous organ) कहते हैं।

प्रश्न 24.
नीचे दर्शाए गए चित्र में (क) और (ख) का लिंग लिखें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 10
उत्तर-
(क) मादा (ख) नर।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न | (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफ़ेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है, लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी –
(a) TTww
(b) TTww
(c) Tt ww
(d) Tt Ww.
उत्तर-
(c) TtWW.

प्रश्न 2.
समजात अंगों के उदाहरण हैं
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिंपैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु।
उत्तर-
(a) चीन के विद्यार्थी।

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प्रश्न 4.
‘AB’ रक्त वर्ग तथा ‘0’ रक्त वर्ग वाले माता-पिता की सन्तति हो सकती है
(a) ‘A’ रक्त वर्ग की
(b) ‘0’ रक्त वर्ग की
(c) ‘AB’ रक्त वर्ग की।
(d) ‘A’ या ‘B’ रक्त वर्ग की।
उत्तर-
(d) ‘A’ या ‘B’ रक्त वर्ग की।

प्रश्न 5.
अवशेषी अंग का उदाहरण नहीं है
(a) कीवी के पंख
(b) मनुष्य के रदनक दांत
(c) व्हेल का पाद
(d) सर्प की श्रेणी मेखला।
उत्तर-
(c) व्हेल का पाद।

प्रश्न 6.
समजात अंग का उदाहरण नहीं है
(a) मनुष्य के नाखून तथा बिल्ली के पंजे
(b) मनुष्य के हाथ और कुत्ते के अग्रपाद
(c) चिड़िया तथा चमगादड़ के पंख
(d) मनुष्य और हाथी के दाँत।
उत्तर-
(c) चिड़िया तथा चमगादड़ के पंख।।

प्रश्न 7.
कौन-सा एक टैस्ट क्रॉस को दर्शाता है ?
(a) TT x TT
(b) Tt x tt
(c) ttx tt
(d) Tt x Tt.
उत्तर-
(b) Tt x tt.

प्रश्न 8.
कोई लड़की अपने पिता से किस गुण-सूत्र को प्राप्त करती है ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) 0.
उत्तर-
(a) X.

प्रश्न 9.
कोई लड़का अपने पिता से किस गुण-सूत्र को प्राप्त करता है ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) O.
उत्तर-
(b) Y.

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) दो जीवों की अंग रचना एक समान परंतु कार्य अलग-अलग ……………………… हों तो उन्हें कहते हैं।
उत्तर-
समजात

(ii) प्राणियों में लक्षणों को ……………………… नियंत्रित करते हैं।
उत्तर-
जीन

(iii) हावी गुण को ………………………. तथा दब्बू गुण को ……………………… कहते हैं।
उत्तर-
प्रभावी, अप्रभावी

(iv) बच्चों के लिंग का निर्धारण ………………………. के गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
उत्तर-
पिता

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

(v) मेंडल ने अपने मठ के बगीचे में मटर के पौधों पर, लगभग ……………………………. प्रयोग किए।
उत्तर-
10,000

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पौधों में कायिक जनन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
पौधों में कायिक जनन मुख्य रूप से दो प्रकार से होता है
(i) प्राकृतिक और
(ii) कृत्रिम कायिक जनन।

(i) प्राकृतिक कायिक जनन-प्राकृतिक कायिक जनन निम्नवत् होता है –
(क) जड़ों द्वारा-कुछ पौधों की जड़ों, जैसे शकरकंद में कलिकाएं (आँक) मौजूद होती हैं। शकरकंद को भूमि में गाड़ देने से कलिकाओं के कोंपल फूटते हैं, जिससे नया पौधा बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 1
(ख) तने द्वारा- कुछ तनों से भी आँक या कलिकाएं मौजूद होती हैं जैसे आलू, अदरक आदि। इनको भूमि में बो देने से कलिकाओं से कोंपल निकल आती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 2
(ग) पत्तियों द्वारा-ब्रायोफिलम, बिगोनिया आदि की पत्तियों से पर्ण-कलिकाएं निकल आती हैं, जो पत्तियों से विलग होकर भूमि पर गिर कर नये पौधे को जन्म देती हैं।

(ii) कृत्रिम कायिक जनन-यह मुख्यत: निम्नलिखित प्रकार का होता है-
(क) लेयरिंग-कुछ पौधों की टहनियों को झुकाकर भूमि के भीतर मिट्टी में दबा देते हैं। कुछ दिन बाद मिट्टी में दबी टहनी में से कोंपल फूट आते हैं। उदाहरण-चमेली, अंगूर आदि।

(ख) कलम-गुलाब, गुड़हल, चमेली आदि की ऐसी शाखा काट लेते हैं जिनमें दो पर्व हों। इनको भूमि में गाड़ देने से पर्वो से अपस्थानिक जड़ें निकल आती हैं और कक्षकलिकाओं से कोंपल फूटने लगते हैं।

(ग) रोपण-इसमें एक वृक्ष की शाखा को काट कर उसमें ‘T’ के आकार का खांच बना लेते हैं, इसको स्टाक कहते हैं। अब उसी जाति को दूसरे वृक्ष की शाखा को काट कर स्टॉक के खांच के अनुरूप खांच बना लेते हैं, इसको सिऑन कहते हैं। सिऑन को स्टॉक में फिट कर देते हैं। खांच के चारों ओर मिट्टी लगा कर बाँध देते हैं। कुछ दिन बाद दोनों जुड़कर पौधा बन जाता है। उदाहरण-गन्ना, आम, अमरूद, लीची आदि।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

(घ) कलिका-इसमें एक वृक्ष की टहनी की छाल में ‘T’ की तरह खांच बना लेते हैं। किसी दूसरे चुने हुए पौधे की कलिका को लेकर स्टॉक के खांचे में घुसा देते हैं। इसको अच्छी तरह से बांधकर इसके ऊपर मिट्टी लपेट देते हैं। कुछ दिन बाद उस स्थान में कोंपल निकल आते हैं।
उदाहरण-नींबू, नारंगी आदि।

प्रश्न 2.
अंकित चित्र की सहायता से पुष्प के भागों का वर्णन करो।
उत्तर-
पुष्प-पुष्पी पौधों में पुष्प लैंगिक जनन में सहायता करता है। पुष्पों की सहायता से बीज बनते हैं। पुष्प में एक आधारी भाग होता है जिस पर पुष्प के सभी भाग लगे होते हैं। इसे पुष्पासन कहते हैं। पुष्प के मुख्य चार भाग होते हैं –
(i) बाह्य दलपुंज या हरी पत्तियाँ- यह पुष्प का सबसे बाहरी भाग होता है। यह हरी पत्तियों के रूप में परागकोष होता है जिन्हें बाह्य दल कहते हैं। यह पुष्प की रक्षा करता है।

(ii) दलपुंज या रंगीन पत्तियाँ- बाह्य दलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग पंखुड़ी या दल कहलाता है। इसका रंग विभिन्न पुष्पों में अलग-अलग होता है। इनका कार्य कीटों को आकर्षित करके परागण में सहायता करना है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 3

(iii) पुंकेसर-यह पुष्प का बाहर से तीसरा भाग है। इसके प्रत्येक अंग को पुंकेसर कहते हैं। पुंकेसर के मुख्य दो भाग होते हैं-पराग सूत्र एवं पुतंतु। पराग सूत्र भोजी द्वारा पराग कोष से जुड़ा होता है। पराग कोष के अंदर परागकण होते हैं। ये निषेचन के बाद बीज बनाते हैं।

(iv) स्त्रीकेसर-यह पुष्प का मादा भाग होता है। इसके प्रत्येक अंग को स्त्रीकेसर या गर्भ केसर कहते हैं। इसके तीन भाग होते हैं-

  1. वर्तिकाग्र
  2. वर्तिका
  3. अंडाशय।

अंडाशय के अंदर बीजाणु होते हैं।

प्रश्न 3.
परागण से आरंभ करके पौधों में बीज बनने तक सभी अवस्थाएं बताइए।
उत्तर-
परागकोश से परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है। फूल के पुंकेसर में परागकोश होते हैं, जो परागकण उत्पन्न करते हैं। स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं-अंडाशय, वर्तिका और वर्तिकाग्र। परागण के बाद परागकण से एक नली निकलती है जिसे परागनली कहते हैं। पराग नली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है। यह बीजांड के साथ संलयन करता है जिससे युग्मनज बनता है। दूसरा नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर प्राथमिक एंडोस्पर्म (भ्रूणकोष) केंद्रक बनाता है जिस से अंत में एंडोस्पर्म बनता है। इस प्रकार उच्चवर्गीय (एंजियोस्पर्मी) पौधे दोहरी निषेचन क्रिया प्रदर्शित करते हैं।
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निषेचन के बाद फूल की पंखुड़ियां, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्य दल सूख जाते हैं और अंडाशय पर लगे रहते हैं। अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इनमें स्थित कोशिकाएं विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरंभ हो जाता है। बीज में एक शिशु पौधा अथवा भ्रूण होता है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूल जड़), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र होते हैं। बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज सख्त होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रह सकता है। अंडाशय की दीवार भी सख्त हो सकती है और एक फली बन जाती है। निषेचन के बाद सारे अंडाशय को फल कहते हैं।

प्रश्न 4.
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन का क्या अर्थ है ? परनिषेचन तथा स्वनिषेचन में क्या अंतर है? इनमें से कौन-सी ज्यादा लाभदायक है?
उत्तर-
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन-जब नर और मादा अपने-अपने शुक्राणु तथा अंडे सारे शरीर से बाहर पानी में छोड़ देते हैं और शुक्राणु और अंडे का संयोग शरीर से बाहर होता है तो इस क्रिया को बाह्य निषेचन कहते हैं। जैसे मेंढक और मछलियों में। आंतरिक निषेचन में नर अपने शुक्राणु मादा के शरीर में विसर्जित करता है और शुक्राणु मादा के शरीर में अंडे से संयोग करता है। जैसे पक्षियों और स्तनधारियों में।

परनिषेचन और स्वनिषेचन-
परनिषेचन (Cross-Fertilization)-यह उन जीवों में होता है जहां नर और मादा अलग-अलग होते हैं। उभयलिंगी जंतुओं में यह हो सकता है यदि जनन अंग विभिन्न समय पर परिपक्व हों। इससे जीवों में विविधताएं आती हैं।

स्वनिषेचन (Self-Fertilization)-उभयलिंगी जीवों में जहां नर और मादा जनन अंग एक ही समय पर परिपक्व होते हैं, स्वनिषेचन होता है। इस विधि में पैतृक गुण पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहते हैं। परपरागण से जीवों में विविधताएँ उत्पन्न होती हैं जिससे जीवों में क्षमताएँ बढ़ती हैं। जीवन के नए युग्मक बनने में आनुवंशिक विविधता का विकास होता है।

प्रश्न 5.
अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
अलैंगिक जनन में जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां निम्नलिखित हैं
(i) विखंडन (Binary Fission)-द्विखंडन में जीव का शरीर लंबवत् अनुप्रस्थ खांच से दो बराबर भागों में विभाजित हो जाता है। प्रत्येक भाग जनक के समान हो जाता है। जनन की यह विधि प्रोटोज़ोआ (अमीबा, पैरामीशियम आदि) में होती है जिन में यही विधि आवश्यक रूप से कोशिका विभाजन की विधि है जिसके परिणामस्वरूप संतति कोशिकाओं का पृथक्करण होता है। बहुकोशिकीय जंतुओं में भी इस विधि को देखा गया है। जैसे-सी-ऐनीमोन में लंबवत् खंडन तथा प्लेनेरिया में अनुप्रस्थ खंडन।
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(ii) मुकुलन (Budding)-मुकुलन एक प्रकार की अलैंगिक जनन क्रिया है जिसमें नया जीव जो अपेक्षाकृत छोटे पुँज की कोशिकाओं से निकलता है, आरंभ में जनक जीव में मुकुल बनाता है। मुकुल अलग होने से पहले जनक का रूप धारण कर लेता है जैसे-बाह्य मुकुलन में या जनक से अलग होने के पश्चात् आंतरिक मुकुलन में। बाह्य मुकुलन स्पंज, सोलेंट्रेटा (जैसे हाइड्रा), चपटे कृमि और ट्यूनीकेट में मिलता है लेकिन कुछ सीलेंट्रेट जैसे ओबेलिया पोलिप की अपेक्षा मैडूयूसी पैदा करते हैं।

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(iii) खंडन (Fragmentation)-स्पाइरोगायरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतया दो या अधिक खंडों में टूट जाते हैं। ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। खंडन चपटे कृमि, रिबन कृमि
और एनेलिडा संघ के प्राणियों में भी होता है।

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(iv) बहुखंडन (Multiple Fission)-कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था को पुटी (सिस्ट) कहते हैं। पुटी के अंदर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएं बन जाती हैं। ऐसी प्रक्रिया को बहुखंडन कहते हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत-सी कोशिकाएं बाहर निकल जाती हैं।
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(v) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)-जब पौधे के किसी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ से नया पौधा उगाया जा सकता हो तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य में नर जनन तंत्र-नर मनुष्य (पुरुष) में जंघनास्थि क्षेत्र में एक मांसल संरचना शिश्न होता है जिसके बीच में मूत्रवाहिनी होती है। शिश्न के नीचे उसकी जड़ में एक मांसल थैली वृषण कोष होता है जिसमें अंडाकार संरचनाएं वृषण होते हैं। वृषण नर युग्मक शुक्राणु का निर्माण करते हैं। वृषण में एक विशिष्ट संरचना शुक्राशय पाया जाता है जिसमें शुक्राणु के पोषण के लिए चिपचिपा पदार्थ स्रावित होता है। चिपचिपे पदार्थ (वीर्य) के साथ शुक्राणु एक संकरी नली द्वारा मूत्र वाहिनी में पहुंचते हैं। जहाँ से शिश्न की सहायता से मादा की योनि में छोड दिए जाते हैं। शिश्न मूत्र एवं शुक्राणु युक्त वीर्य दोनों को बाहर निकालता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के मादा जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य के मादा जनन तंत्र के निम्नलिखित भाग हैं –
(i) अंडाशय (Ovary) – श्रोणीय गुहिका में दो अंडाशय होते हैं जो बहुत छोटे आकार के होते हैं। अंडाशय में अंडे बनते हैं। अंडाशय की अंदर की सतह पर एपीथीलियम कोशिकाओं की पतली परत होती है जिसे जनन एपीथीलियम कहते हैं। इसकी कोशिकायें विभाजित होकर फोलिकल तथा अंडा बनाती हैं। अंडाशय की गुहा में संयोजी ऊतक होते हैं जिन्हें स्ट्रोमा कहते हैं। प्रत्येक फोलिकल में एक जनन कोशिका होती है जिसके चारों ओर स्ट्रोमा की कोशिकाएं रहती हैं। अर्ध सूत्री विभाजन के फलस्वरूप जनन कोशिकाएं अंडे का निर्माण करती हैं। ओस्ट्रोजिन तथा प्रोजिस्ट्रॉन नामक दो हार्मोन अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं जो मादा में प्रजनन संबंधी विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।

(ii) फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube)-यह रचना में नलिका समान होती है। इसका एक सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है और दूसरा सिरा अंडाशय के पास खुला रहता है। इसके सिरे पर झालदार रचना होती है जिसे फिंब्री कहते हैं। अंडाशय से जब अंडा निकलता है तो फिंब्री की संकुचन क्रिया के कारण फैलोपियन नलिका में आ जाता है। यहाँ से गर्भाशय की ओर बढ़ता है। अंड निषेचन फैलोपियन नलिका में ही होता है। यदि अंडे का निषेचन नहीं होता यह गर्भाशय से होकर योनि में और ऋतु स्राव के समय योनि से बाहर निकल जाता है।
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(iii) गर्भाशय (Uterus)-यह मूत्राशय तथा मलाशय के बीच स्थित एक मांसल रचना है। फैलोपियन नलिकाएँ इसके दोनों ओर ऊपर के भागों में खुलती हैं। गर्भाशय का निचला सिरा कम चौड़ा होता है और योनि में खुलता है। गर्भाशय के अंदर की दीवार एंड्रोमीट्रियम की बनी होती है। गर्भाशय का मुख्य कार्य निषेचन अंडे को परिवर्धन काल में जब तक कि गर्भ विकसित होकर शिशु के रूप में जन्म न ले ले, आश्रय तथा भोजन प्रदान करना है।

(iv) योनि (Vagina)-यह मांसल नलिका समान रचना है। इसका पिछला भाग गर्भाशय की ग्रीवा में खुलता है। मादा में मूत्र निष्कासन के लिए अलग छिद्र होता है जो योनि में खुलता है।

(v) भग (Vulva)–योनि बाहर की ओर एक सुराख से खुलती है जिसे भग कहते हैं।

प्रश्न 8.
(क) परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
(ख) फूल के नर तथा मादा जनन अंगों का नामांकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
(क) परागण क्रिया तथा निषेचन क्रिया में अंतर-देखें “अध्याय के अंतर्गत प्रश्न’ शीर्षक के अधीन प्रश्न 1 पृष्ठ 201
(ख) फूल का नर जनन अंग : पुंकेसर
फूल का मादा जनन अंग : स्त्रीकेसर
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कायिक प्रवर्धन के लाभ बताइए।
उत्तर-

  • सभी नये पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं। इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उसके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं।
  • फलों द्वारा उत्पन्न सभी बीज समान नहीं होते परंतु कायिक जनन खरा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है।
  • कायिक जनन द्वारा नये पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं।
  • वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। केला, अंगूर, संतरे आदि की खेती इस प्रकार की जाती है।

प्रश्न 2.
पुनरुद्भवन (Regeneration) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पुनरुद्भवन-शरीर के कटे हुए किसी भाग में पूर्ण जीव बना लेने या उसे फिर से विकसित कर लेने की क्षमता को पुनर्जनन या पुनरुद्भवन कहते हैं। स्टार फिश कटी हुई भुजा को फिर से प्राप्त कर लेती है। स्पाइरोगायरा, हाइड्रा, प्लैनेरिया आदि इस विधि से जनन करते हैं।
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प्रश्न 3.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture)- इस विधि में पौधे के ऊतक का एक टुकड़ा काट लेते हैं। एक बीकर में पोषक तत्वों से युक्त माध्यम लेकर उसमें उचित परिस्थितियों में ऊतक के टुकड़े को रख देते हैं। इस चीकर के अंदर उस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिंड की तरह होती है जिसे कैलस कहा जाता है। कैलस का थोड़ा-सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिसमें पदपादक में विभेदन होता है। इस पदपादक को गमले या मिट्टी में रोपित कर देते हैं। इस प्रकार एक नया पौधा बनकर तैयार हो जाता है।

प्रश्न 4.
राइज़ोपस में बीजाणु समासंघ से नए जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं। नमी युक्त ब्रेड पर धागे के समान कुछ संरचनाएं विकसित होती हैं। वह राइजोपस का कवक जाल है। यह जनन के भाग नहीं हैं। इन उर्ध्व तंतुओं पर गोल सूक्ष्म गुच्छ (संरचनाएँ) जनन में भाग लेती हैं। यह गुच्छ बीजाणुधानी हैं जिसमें विशेष कोशिकाएँ अथवा बीजाणु होते हैं। यह बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगते हैं।
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प्रश्न 5.
मासिक धर्म के बंद होने का क्या कारण है ?
उत्तर–
गर्भाशय में भ्रूण की उपस्थिति में प्लेसैंटा बनता है। प्लेसैन्टा ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करता है जो मासिक धर्म को बंद कर देते हैं।

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प्रश्न 6.
गर्भधारण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भधारण-निषेचित अंडा बार-बार माइटोटिक विभाजन करता है जिससे कोशिकाओं का एक पुँज-सा बन जाता है जो अंडवाहिनी से गर्भाशय तक जाता है। यहाँ यह गर्भाशय की गर्भ दीवारों में धंस जाता है। इस क्रिया को गर्भाधारण करना कहते हैं।

प्रश्न 7.
मैनोपॉज (Menopause) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मैनोपॉज-मादा में प्राकृतिक मासिक धर्म की क्रिया के बंद होने को मैनोपॉज कहते हैं। मानव मादा में यह 45-50 वर्ष की अवस्था में होता है। इस मैनोपॉज के बंद होने के पश्चात् स्त्री बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।

प्रश्न 8.
एक लिंगी तथा उभयलिंगी की परिभाषा एक-एक उदाहरण देते हुए लिखिए।
उत्तर-
एक लिंगी-वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एक लिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण- मनुष्य। उभयलिंगी-जिन जीवों में नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें उभयलिंगी कहते हैं। उदाहरण-केंचुआ।

प्रश्न 9.
पुरुष तथा स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
किशोर अवस्था में लड़के तथा लड़कियों में आने वाले परिवर्तन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
(क) नर के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • आवाज़ में भारीपन आ जाता है।
  • दाढ़ी और मूंछे उग जाती हैं।
  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • शिश्न का आकार बढ़ जाता है और दिन या रात के सपनों में उसका स्तंभन बढ़ जाता है।
  • कंधे चौड़े हो जाते हैं। माँस पेशियाँ विकसित हो जाती हैं।
  • विपरीत लिंग की ओर आकर्षण बढ़ जाता है।

(ख) मादा के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • वक्षों का विकास हो जाता है। मांसलता आ जाती है।
  • रजोधर्म चक्र आरंभ हो जाता है।
  • कूल्हों के आस-पास वसा इकट्ठी हो जाती है।
  • विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है।
  • जनन अंगों का विकास हो जाता है।

प्रश्न 10.
अंडे और शुक्राणु में क्या अंतर है ?
उत्तर-

अंडा शुक्राणु
(1) यह नर जनन कोशिका है। (1) यह मादा जनन कोशिका है।
(2) यह अंडे की अपेक्षा आकार में छोटा होता है। (2) यह शुक्राणु की अपेक्षा आकार में बड़ा होता है।
(3) इसकी पूंछ नहीं होती। (3) इसकी पूंछ होती है।
(4) यह तैर नहीं सकते।
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(4) ये पूंछ की सहायता से तैर सकते हैं।
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प्रश्न 11.
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर बताओ।
उत्तर-
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर

लैंगिक जनन अलैंगिक जनन
(1). इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता नहीं होती। (1) इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता पड़ती है।
(2) इस प्रकार का जनन उच्च श्रेणी के जीवों में होता है। (2) यह निम्न श्रेणी के जीवों में होता है।
(3) लैंगिक जनन निषेचन क्रिया के बाद जीव बनना आरंभ करता है। (3) अलैंगिक जीव में निषेचन क्रिया नहीं होती।
(4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण विकसित सकते। (4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण नहीं आ हो सकते हैं।
(5) इस क्रिया में बीजाणु उत्पन्न नहीं होते। (5) इस क्रिया में एककोशिकीय बीजाणु (जैसे फफूंदी में) उत्पन्न हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
नर मानव में वृषण शरीर के बाहर क्यों स्थित होते हैं ?
उत्तर-
नर मानव में वृषण की स्थिति वृषण कोश में होती है जो उदर गुहिका के बाहर नीचे की ओर स्थित होता है। शुक्राणुओं के जनन के लिए निम्न ताप प्राप्ति के लिए ऐसा संभव होता है ताकि शुक्राणु देर तक सक्रिय रह सकें।

प्रश्न 13.
एड्स (AIDS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
एड्स (AIDS)-एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो-डेफिशिएंसी सिंड्रोम) नामक रोग एक ऐसे विषाणु (Virus) के कारण होता है जो शरीर के प्रतिरक्षण संस्थान को निष्क्रिय करता है जिसके कारण शरीर को कोई भी रोग सरलता से लग सकता है। इस के वायरस का नाम HIV है। एड्स के रोगी उनके कमज़ोर शरीर पर हुए अन्य आक्रमण के कारण मरते हैं। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने से फैलता है परंतु कभी-कभी इसके विषाणु सीधे ही रक्त में पहुँच जाते हैं।

ऐसा तब होता है जब रक्त आधान (खून चढ़ाना) द्वारा किया गया रक्त संक्रमित हो या टीका लगाने के लिए संक्रमित सुई का उपयोग किया गया हो यह आनुवंशिक भी होता है। इस रोग से संक्रमित माताओं के बच्चों से भी यह रोग माता के रक्त द्वारा पहुँच जाता है इसके उपचार का कोई भी टीका या औषधि अब तक उपलब्ध नहीं है। इस रोग का अधिक प्रकोप अफ्रीका तथा पश्चिमी देशों में है। अज्ञानता, ग़रीबी और अशिक्षा के कारण हमारा देश इस रोग के चंगुल में बहुत तेजी से आ रहा है।

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प्रश्न 14.
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित चित्र-
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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
DNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
डिऑक्सी राइबो न्यूक्लीक एसिड।

प्रश्न 2.
किन जीवों में एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजन होता है।
उत्तर-
मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम जैसे एक कोशिका जीव।

प्रश्न 3.
कैलस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन में जब कोशिकाएं विभाजित हो कर अनेक कोशिकाओं का छोटा समूह बनाती हैं तो उसे कैलस कहते हैं।

प्रश्न 4.
पुष्प के जनन भाग कौन-से हैं ?
उत्तर-
पुंकेसर और स्त्रीकेसर।

प्रश्न 5.
एकलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पपीता, तरबूज।

प्रश्न 6.
उभयलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
गुड़हल, सरसों।।

प्रश्न 7.
कलम एवं दाब लगाकर नये पौधे उत्पन्न करने के कौन-से दो मुख्य लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. सभी नए पौधे मूल या मातृ पौधे के समान होते हैं।
  2. नए पौधे थोड़े ही समय में तैयार हो जाते हैं।

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प्रश्न 8.
परागण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
परागण-पौधों में निषेचन क्रिया के पूर्व पराग कणों के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।

प्रश्न 9.
निषेचन क्रिया के पश्चात् युग्मनज में क्या बनता है ?
उत्तर-
भ्रूण।

प्रश्न 10.
नर तथा मादा युग्मकों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
शुक्राणु तथा अंडाणु।

प्रश्न 11.
फीटस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भ धारण के दो या तीन महीने बाद विकसित हो रहे बच्चे को फीटस कहते हैं।

प्रश्न 12.
वीर्य क्या है ?
उत्तर-
वीर्य में शुक्राणु और कुछ ग्रंथियों का स्राव होता है।

प्रश्न 13.
प्लेसेंटा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भवती माँ के गर्भाशय की दीवार तथा भ्रूण की झिल्ली के संयोजन की एक नाल की रचना होती है जिसे आँवल या गर्भनाल या प्लेसैंटा कहते हैं। प्लेसेंटा में पर्याप्त रुधिर कोशिकाएं होती हैं जिनके द्वारा माता का रुधिर भ्रूण या गर्भ के शरीर में आता जाता रहता है।

प्रश्न 14.
पुनर्जनन से उत्पन्न प्राणी का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्टारफिश।

प्रश्न 15.
यौवन की आयु क्या होती है ?
उत्तर-
लड़कों में 13-14 वर्ष, लड़कियों में 10-12 वर्ष।

प्रश्न 16.
मनुष्य की मादा में गर्भकाल कितना होता है ?
उत्तर-
लगभग नौ मास।

प्रश्न 17.
IUCD क्या है ?
उत्तर-
IUCD (इंटरायूटीरिन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) नारी गर्भाशय में लगाई जाने वाली एक युक्ति है जो गर्भ निरोधक का कार्य करती है।

प्रश्न 18.
STD क्या है ?
उत्तर-
STD (Sexually Transmitted Disease) यौन संक्रमित रोग।

प्रश्न 19.
दो यौन रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. गोनेरिया,
  2. सिफलिस।

प्रश्न 20.
नीचे दिए गए चित्र किस जीव के हैं तथा किस क्रिया को दर्शाते हैं ?
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उत्तर-
जीव का नाम : अमीबा। क्रिया पोषण क्रिया।

प्रश्न 21.
नीचे दिए चित्र में अमीबा की कौन-सी जीवन क्रिया दर्शायी गई है ?
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उत्तर-
जनन क्रिया की द्विखण्डन विधि।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेप्मानिया।
उत्तर-
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी।
उत्तर-
(c) शुक्रवाहिका।

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प्रश्न 3.
यीस्ट में अलैंगिक जनन प्रायः होता है
(a) मुकुलन द्वारा
(b) विखंडन द्वारा
(c) बीजाणु
(d) रोपण द्वारा।
उत्तर-
(a) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 4.
विखंडन द्वारा अलैंगिक जनन होता है –
(a) अमीबा में
(b) यीस्ट में
(c) स्पाइरोगाइरा में
(d) फर्न।
उत्तर-
(c) स्पाइरोगाइरा में।

प्रश्न 5.
हाइड्रा में अनुकूल परिस्थितियों में अलैंगिक जनन होता है –
(a) विखंडन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) बीजाणुओं द्वारा
(d) विखंडन द्वारा।
उत्तर-
(b) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 6.
कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) दूब घास में
(b) आलू में
(c) ब्राइओफिलम में
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
स्त्री में आर्तव चक्र पूर्ण होता है –
(a) 14 दिन में
(b) 21 दिन में
(c) 28 दिन में
(d) 30 दिन में।
उत्तर-
(b) 21 दिन में।

प्रश्न 8.
कौन-सा हॉर्मोन लड़कियों में यौवनावस्था के लक्षणों को नियंत्रित करता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) टेस्टोस्टेरॉन
(c) थायरॉक्सिन
(d) इंसुलिन।
उत्तर-
(a) एस्ट्रोजन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) नर तथा मादा जनन कोशिकाओं के मेल से बनी संरचना को ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
युग्मनज

(ii) प्रजनन अंगों में होने वाली कोशिका विभाजन से ………………………. कोशिकाएँ बनती हैं।
उत्तर-
जनन

(iii) मनुष्य का जीवन ………………………….. कोशिका से शुरू होता है।
उत्तर-
एक

(iv) जब वृद्धि एक निश्चित अनुपात में होती है तो इसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
परिवर्धन

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

(v) अमीबा में अलैंगिक जनन …………………. विधि द्वारा होता है।
उत्तर-
द्विखंडन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अंकित चित्र की सहायता से मानव मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न भागों का वर्णन करें।
उत्तर-
मस्तिष्क-मानव मस्तिष्क अत्यंत विकसित कोमल अंग है जो खोपड़ी की हड्डियों (Skull) में सुरक्षित रहता है। इसके चारों ओर तीन झिल्लियां होती हैं जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं। मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं –

  • अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)
  • मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)
  • पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)

(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)-पूरे मस्तिष्क का दो-तिहाई भाग अग्रमस्तिष्क ही होता है। यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग मध्य मस्तिष्क अग्र मस्तिष्क है। इसलिए कई लोग इसे बड़ा मस्तिष्क भी कहते हैं। इसके दो हिस्से हैं-प्रमस्तिष्क तथा डाइएन सिफेलॉन।

अग्रमस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्र हैं जो सुनने, सूंघने तथा देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत हैं। इसमें सहचर्य के क्षेत्र पृथक् होते हैं जहां इन संवेदी सूचनाओं, अन्य ग्राही से प्राप्त सूचना एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अर्थ लगाया जाता है। इस सब पर आधारित एक निर्णय लिया जाता है कि अनुक्रिया तथा अन्य सूचनाएं प्रेरिक क्षेत्र तक कैसे पहुंचाई जाएं जो ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं जैसे कि हमारी टाँगों की पेशियों की गतियाँ अग्रमस्तिष्क में मुख से संबंधित केंद्रित भी हैं।

अग्रमस्तिष्क के कार्य-

  • यह सभी संवेदी अंगों के संदेशों को प्राप्त करता है।
  • यह सभी पेशियों, ग्रंथियों, अंगों को उचित कार्यवाही का आदेश देता है।
  • यह उद्दीपनों और क्रियाओं के बीच संतुलन करता है।
  • यह पिछले अनुभव और स्मृतियों के आधार पर हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाता है।
  • यह सभी सूचनाओं और ज्ञान को प्राप्त करता है और उनका संग्रह कर लेता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

(ii) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)-यह मस्तिष्क का मध्य भाग है जो अग्रमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क को परस्पर जोड़ता है। साधारण प्रतिवर्ती क्रिया जैसे कि पुतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे कुर्सी खिसकाना के मध्य एक और पेशी गति का सेट है जिस पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। इन अनैच्छिक क्रियाओं में से कुछ मध्य-मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं।

(iii) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)-इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं। इसकी रचना करने वाले मेडूला ऑब्लाँगेटा तथा सेरीबेलम हैं। सेरीबेलम की रचना बहुत जटिल है। यह ठोस होता है। यह प्रमस्तिष्क के बिल्कुल नीचे होता है। यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है। हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना, नाचना आदि इसी के द्वारा नियंत्रित होता है। मस्तिष्क के पीछे के त्रिभुजाकार भाग को मेडूला ऑब्लाँगेटा कहते हैं। यह हृदय की धड़कन, श्वसन, पाचन आदि अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 2.
मेरुरज्जु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मेरुरज्जु (Spinal Cord)-मेडूला ऑब्लाँगेटा खोपड़ी के महारंध्र से निकल कर रीढ़ की हड्डी की कशेरूकाओं के बीच में से निकल कर नीचे तक फैली रहती है। इसी को मेरुरज्जु या रीढ़ रज्जु कहते हैं। इसके ऊपर ड्यूरामेटर, ऐरेक्रॉइड और पिओमेट नामक तीन झिल्लियां उसी प्रकार होती हैं जैसी मस्तिष्क में ऊपर होती हैं। आब्लांगेटा मेरुरज्जु से निश्चित दूरियों पर 31 जोड़े मेरू तंत्रिकाएँ निकलती हैं। इसकी लंबाई लगभग 45 सेमी होती है।

मेरुरज्जु मेरुरज्जु के कार्य-

  • यह साधारण प्रतिवर्ती क्रियाओं जैसे घुटने के झटके का प्रत्युत्तर, स्वयं चालित प्रतिक्रियाएं जैसे मूत्राशय का सिकुड़न आदि के समन्वय केंद्र का कार्य करती है।
  • यह मस्तिष्क और सुषुम्ना के मध्य संचार का कार्य करती है।

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प्रश्न 3.
प्रतिवर्ती क्रिया को उपयुक्त उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर-बाह्य परिवर्तनों अर्थात् उद्दीपनों के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएं दो प्रकार की होती हैं-ऐच्छिक (Voluntary) एवं अनैच्छिक (Involuntary) । अनैच्छिक क्रियाएं प्राणी की चेतना या इच्छा शक्ति के अधीन नहीं होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-स्वायत्त या स्वतंत्र तथा प्रतिवर्ती (Automatic & Reflex) |
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प्रतिवर्ती क्रियाएं दैहिक (Somatic) होती हैं अर्थात् रेखिक पेशियों एवं ग्रंथियों से संबंधित होती हैं। इस क्रिया में मेरुरज्जु भाग लेती हैं। यदि शरीर के किसी भाग में सुई चुभ जाए तो शरीर उस भाग को वहाँ से हटा लेता है।

प्रश्न 4.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में बाँटा गया है ? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर-
पौधे कुछ विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करते हैं जो पूरे पौधे के विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये रासायनिक पदार्थ पादप वृद्धि नियंत्रक या पादप हार्मोंस कहलाते हैं। इनको चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  • ऑक्सिन्ज
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन्स
  • वृद्धि रोधक ।

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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 5.
मनुष्य के शरीर के कुछ आवश्यक हॉर्मोनों की सारणी बनाइए।
उत्तर-
मनुष्य के कुछ आवश्यक हॉर्मोन-
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प्रश्न 6.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन ) के मध्य अन्तग्रथन (सिनैप्स ) में क्या होता है ?
उत्तर-
प्राणियों के दो न्यूरॉन एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं और सूचना आगे भेजते हैं। सूचना एक न्यूरॉन के डैडराइट की नोक द्वारा प्राप्त की जाती है तथा एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग ईंडराइट से कोशिकाओं तक पहुँचता है तथा कोशिकाओं में| से होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। कोशिकाओं के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायन पैदा करता है।

यह रसायन द्रुमिका अंतग्रथन या सिनैप्स को पार करके अगली तंत्रिका कोशिका की | डैडराइट पर उत्तेजना का विद्युत आवेग आरंभ करती हैं। यह शरीर तंत्रिका का में तंत्रिका आवेग की साधारण यात्रा का प्रबंध है। इसी प्रकार का एक सिनैप्स ऐसे आवेगों को न्यूरॉनों से अन्य कोशिकाओं जैसे | कोशिका काय पेशीय कोशिका या ग्रन्थियों (Glands) तक पहुँचाता है।
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प्रश्न 7.
नीचे दिए गये चित्र में 1 तथा 2 को अंकित करो।
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उत्तर-
1. वृषण (Testis),
2. थायराइड ग्रंथि (Throid Gland)।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हॉर्मोन किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
हॉर्मोन-जीव-जंतुओं के शरीर में अंतःस्रावी ग्रंथियों के द्वारा उत्पन्न होने वाले उन विशेष रासायनिक पदार्थों को हॉर्मोन कहते हैं जो प्राणियों के शरीर में रासायनिक समन्वयन करते हैं। बेलिस और स्टारलिंग ने हॉर्मोन शब्द का प्रयोग किया था।

हॉर्मोनों की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  • ये अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
  • ये सीधे रक्त में स्रावित होते हैं।
  • ये विशिष्ट रासायनिक संदेशवाहक का काम करते हैं।
  • ये केवल लक्ष्य अंग की कोशिकाओं की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
  • रासायनिक रूप से ये प्रोटीन, स्टीरॉएड और अमीनो अम्ल होते हैं।
  • ये कम अणुभार वाले जल में विलेय प्रकृति के होते हैं।
  • इनकी थोड़ी-सी मात्रा ही क्रिया को करा देती हैं।
  • ये कोशिका झिल्ली के आर-पार जा सकते हैं।
  • ये शरीर में संचित नहीं होते।
  • इनका संश्लेषण शरीर में लगातार होता रहता है।

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प्रश्न 2.
पीयूष ग्रंथी को मास्टर ग्रंथी क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथी एक छोटी गोल ग्रंथी है जो मस्तिष्क के आधार पर तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका की गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथी से प्रभावित न होता हो। इसी कारण से इसे मास्टर ग्रंथी भी कहते हैं। पीयूष ग्रंथी से निम्नलिखित हॉर्मोंस स्रावित होते हैं-

  1. ADH (एंटीडाइ यूरेटिक हॉर्मोन)
  2. ACTH
  3. FSH
  4. TSH
  5. वृद्धि हॉर्मोस।

प्रश्न 3.
इंसुलिन एवं थॉयराक्सिन की कमी तथा अधिकता से होने वाली एक-एक बीमारी का नाम लिखिए।
उत्तर-
इंसुलिन- कमी से होने वाला रोग
मधुमेह अधिकता से होने वाले रोग
हाइपोग्लाइसेमिया। थायरॉक्सिन- कमी से होने वाला रोग
सामान्य घेघा रोग। अधिकता से होने वाला रोग
एक्सोप्थैल्पिक गॉइटर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिएपौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि
उत्तर-
पौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि –

पौधों में वृद्धि जंतुओं में वृद्धि
(1) इनमें वृद्धि पूरे जीवन काल होती रहती है। (1) इनमें में वृद्धि एक निश्चित समय तक होती है।
(2) वृद्धि क्षेत्र जड़, तने और कैंबियम के अगले भाग होते हैं। (2) समान रूप से पूरे शरीर में वृद्धि होती है।
(3) पौधों में द्वितीयक वृद्धि होती है। (3) इनमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है।
(4) यह विभज्योतक ऊतकों के कारण होती है। (4) इनमें विभज्योतक नहीं होते हैं।
(5) वृद्धि सीमा रहित होती है। (5) वृद्धि सीमित होती है।

प्रश्न 5.
छींक आने में होने वाली घटनाओं का मार्ग बताइए।
उत्तर-
छींक आना किसी बाहरी अवांछनीय कणों के नाक में जाने से होता है। अवांछनीय कण संवेदक स्पर्शक को उद्दीप्त करते हैं। संवेदना एक प्रेरणा में बदल जाती है। यह प्रेरणा संवेदक तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु को ले जाई जाती है। संवेदना का उद्दीपन एक प्रेरणा के रूप में मोटर तंत्रिका द्वारा माँसपेशी को जाता है जहाँ कार्य होता है। नाक की माँसपेशियां सिकुड़ती हैं जिससे छींक आती है। इस क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं, जो तुरंत होती है और उसे मस्तिष्क से आदेश की आवश्यकता नहीं होती। छींकने के कार्य का मार्ग इस प्रकार हैउद्दीपन → ग्राही अंग → संवेदी तंत्रिका → मेरुरज्जु → प्रेरक तंत्रिका → पेशीय क्रिया → छींकना।

प्रश्न 6.
मस्तिष्क किस प्रकार रक्षित होता है ?
उत्तर-
मस्तिष्क हड्डियों के एक बॉक्स में स्थित होता है जिस के भीतर तरल पूरित गुब्बारे जैसी संरचना उसकी प्रघातों, झटकों और चोटों से रक्षा करती है। मस्तिष्क के चारों ओर तीन झिल्लियाँ सैरीब्रोस्पाइन नामक एक तरल पदार्थ से घिरी रहकर इसकी रक्षा करती है।

प्रश्न 7.
ऐच्छिक क्रियाओं और अनौच्छिक क्रियाओं में अंतर लिखिए।
उत्तर –

ऐच्छिक क्रियाएँ अनौच्छिक क्रियाएँ
(1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से ही चालित होती है। (1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से चालित नहीं होती।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित होती हैं।
उदाहरण-उठना, बैठना, चलना, खड़ा होना, बोलना, लेटना आदि।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित नहीं होती।
उदाहरण-सांस लेना, हृदय का धड़कना भोजन का पाचन आदि।

प्रश्न 8.
चित्र में पौधे द्वारा किस प्रकार का अनुवर्तन दर्शाया जा रहा है ? इसकी परिभाषा भी दो।
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उत्तर-
पौधे द्वारा गुरुत्वानुवर्तन दर्शाया जा रहा है। प्ररोह उपरिगामी वृद्धि करता है। (ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती) तथा जड़ें धरती ओर (धनात्मक गुरुत्वानुवर्ती) हैं। यह धरती के गुरुत्व या खिंचाव की अनुक्रिया है।

प्रश्न 9.
मानव उत्सर्जन प्रणाली के चित्र को लेबल करो।
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उत्तर-

  1. वृक्क
  2. मूत्र वाहिनी
  3. मूत्राश्य।

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प्रश्न 10.
पादप हार्मोन क्या हैं ? किन्हीं दो के नाम लिखो।
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-वे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं। पादप हॉर्मोन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-ऑक्सिन (Auxins), इथाइलीन (Ethylene), जिब्बेरेलिन (Gibberllins), साइटोकाइनिन (Cytokinins), एबसिसिक अम्ल (Abscisic Acid)।

प्रश्न 11.
नीचे दिए गए चित्र में 1 और 2 के नाम लिखें।
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उत्तर-
1. पीयूष ग्रंथि
2. अण्डाशय ग्रंथि।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कौन बनाते हैं ?
उत्तर-
मस्तिष्क और मेरुरज्जु।

प्रश्न 2.
ऐच्छिक क्रियाओं के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ताली बजाना, बात करना, लिखना, भागना।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क।

प्रश्न 4.
अग्रमस्तिष्क किस काम के लिए विशिष्टीकृत है ?
उत्तर-
सुनने, सूंघने, देखने आदि के लिए।

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प्रश्न 5.
मानव मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर के संतुलन एवं स्थिति को बनाए रखता है ?
उत्तर-
अनुमस्तिष्क।

प्रश्न 6.
मेरुरज्जु की रक्षा कौन करता है ?
उत्तर-
कशेरुक दंड।

प्रश्न 7.
बेलें तथा कुछ पौधे किसकी सहायता से बाड़ पर चढ़ते हैं ?
उत्तर-
प्रतान की सहायता से।

प्रश्न 8.
रसायनानुवर्तन का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना।

प्रश्न 9.
प्ररोह के अग्रभाग में कौन-सा हॉर्मोन संश्लेषित होता है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 10.
पादप की लंबाई में वृद्धि का कारण कौन-सा हॉर्मोन है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 11.
कोशिका विभाजन को कौन प्रेरित करता है ?
उत्तर-
साइटोकाइनिन।

प्रश्न 12.
पादपों की पत्तियां किसके प्रभाव से मुरझाती हैं ?
उत्तर-
एब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 13.
आयोडीन युक्त नमक किस रोग को रोकने में सहायक होता है ?
उत्तर-
गायटर।

प्रश्न 14.
वृद्धि हॉर्मोन कौन स्रावित करती है ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथि।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 15.
यौवन आरंभ होने पर कौन-से दो हॉर्मोन लड़कों और लड़कियों में स्रावित होते हैं ?
उत्तर-
लड़कों में टेस्टोस्टेरोन तथा लड़कियों में ऐस्ट्रोजन।

प्रश्न 16.
इंसुलिन का उत्पादन कहाँ होता है ?
उत्तर-
अग्न्याशय में।

प्रश्न 17.
तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त कौन-सा तंत्र नियंत्रण और समन्वय का काम करता है ?
उत्तर-
हॉर्मोंस तंत्र तथा अंतःस्रावी तंत्र।

प्रश्न 18.
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रसायन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पौधों मे जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप वृद्धि नियंत्रक (Plant Growth regulators) या पादप हॉर्मोंस (Plant Harmones) कहते हैं।

प्रश्न 19.
मनुष्य में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मनुष्य में निम्नलिखित अंत:स्रावी ग्रंथियाँ पाई जाती हैं

  1. पीयूष (Pituitary),
  2. थायरॉइड (Thyroid),
  3. पैराथाइरॉयड (Parathyroid),
  4. एड्रिनल (Adrenal),
  5. अग्नाशय (Pancreas),
  6. अंडाशय (Ovary),
  7. वृषण (Testes)।

प्रश्न 20.
रुधिर दाब तथा हृदय स्पंदन किस हॉर्मोन द्वारा बढ़ता है ?
उत्तर-
एड्रीनेलिन हॉर्मोन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन।
उत्तर-
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्जान
(d) आवेग।
उत्तर-
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 4.
वृद्धि हॉर्मोन स्रावित होता है –
(a) थाइरॉइड ग्रंथि से
(b) पीयूष ग्रंथि से
(c) थाइमस ग्रंथि से
(d) अग्न्याशय से।
उत्तर-
(b) पीयूष ग्रंथि से।

प्रश्न 5.
संकटकालीन हॉर्मोन कहलाता है
(a) एड्रीनलीन
(b) नॉरएड्रीनलीन
(c) वृद्धि हॉर्मोन
(d) थायरॉक्सिन।
उत्तर-
(a) एड्रीनलीन।

प्रश्न 6.
पादपों में हॉर्मोन किसे नियंत्रित करते हैं ?
(a) जल वृद्धि
(b) दिशिक वृद्धि
(c) जल नियंत्रण
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) दिशिक वृद्धि।

प्रश्न 7.
हमारे आहार में आयोडीन की कमी से क्या होता है ?
(a) गॉयटर
(b) मलेरिया
(c) टाइफॉइड
(d) मधुमेह।
उत्तर-
(a) गॉयटर।

प्रश्न 8.
10-12 वर्ष की उम्र में नर में कौन-से हॉर्मोन का स्रावण होता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) एड्रीनलीन
(c) टेस्टोस्टेरोन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) टेस्टोस्टेरोन।

प्रश्न 9.
मधुमेह के रोगी किसका इंजेक्शन लेते हैं ?
(a) इन्सुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) टेस्टोस्टेरॉन।
उत्तर-
(a) इन्सुलिन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) मस्तिष्क हमें …………………… की अनुमति देता है।
उत्तर-
सोचने

(ii) ………………………. तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
उत्तर-
जिबरेलिन

(iii) रक्त में शर्करा की मात्रा का नियंत्रण ………………………………. हार्मोन द्वारा होता है।
उत्तर-
इंसुलिन

(iv) सूचनाओं का आदान-प्रदान ………………………. कोशिका द्वारा होता है।.
उत्तर-
तंत्रिका

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(v) …………….. कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
उत्तर-
एब्सिसिक एसिड।