PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

PSEB 12th Class Economics राष्ट्रीय आय का माप Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियाँ कौन सी हैं ?
उत्तर-

  • आय विधि
  • उत्पादन विधि
  • व्यय विधि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों को प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है जैसा कि उद्योग, निर्माण कार्य, गैस इत्यादि।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र में क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएँ शामिल की जाती हैं जैसा कि यातायात, बीमा, आवास इत्यादि।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि करने से होता है। मूल्य वृद्धि = उत्पाद के मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 6.
गैर साधन आगतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गैर साधन आगतें वह नाशवान वस्तुएं तथा सेवाएं होती हैं जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
मूल्य वृद्धि विधि का वैकल्पिक नाम क्या है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि को उत्पाद विधि भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक ही वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार गणना को दोहरी गणना कहा जाता है।

प्रश्न 9.
उत्पाद वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राष्ट्रीय आय के माप की उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में देश की घरेलू सीमा के भीतर उत्पादित की गई अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के योग को अन्तिम उत्पाद कहा जाता है। इसके बाज़ारी मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 10.
आय वृद्धि में साधन आय को कितने भागों में विभाजित किया जाता है ?
अथवा
साधन आय के मुख्य अंश बताएँ।
उत्तर-

  1. कर्मचारियों का मेहनताना
  2. परिचालन अधिशेष
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 11.
व्यय वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में सकल घरेलू उत्पाद पर किये गए अन्तिम खर्च को बाज़ारी कीमतों पर मूल्य ज्ञात करके योग किया जाए तो इसको व्यय वृद्धि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 12.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता

प्रश्न 13.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अन्तिम निवेश में-

  • कुल घरेलू स्थाई पूँजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 14.
पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होता है जिसका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है।

प्रश्न 15.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिन का प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 16.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग उपभोग के लिए अथवा पूंजी निर्माण के लिए किया जाता है।

प्रश्न 17.
घिसावट से क्या अभिप्राय है अथवा स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है उस को स्थिर पूँजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 18.
बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 19.
खली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध शेष विश्व के देशों से होता है।

प्रश्न 20.
स्टॉक में परिवर्तन अथवा माल सूची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक।

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प्रश्न 21.
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय का अभिप्राय है एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रचलित कीमतों पर मूल्य का माप।

प्रश्न 22.
स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य आधार वर्ष की कीमतों द्वारा मापते हैं तो इसको स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 23.
मौद्रिक राष्ट्रीय आय को वास्तविक राष्ट्रीय आय में परिवर्तित कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
वास्तविक राष्ट्रीय आय = img

प्रश्न 24.
मौद्रिक आय को अपस्फायक (deflate) करने का सूत्र बताएँ।
उत्तर-
GNP deflator = \(\frac{\text { Money value of GNP }}{\text { Real Value of GNP }} \times 100\)

प्रश्न 25.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
एक लेखा वर्ष में बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पादन पर किये गए अन्तिम उपभोग खर्च के माप को खर्च विधि कहा जाता है।

प्रश्न 26.
अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह खर्च जो कि अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च किया जाता है उसको अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

प्रश्न 27.
अन्तिम उपभोग खर्च में कौन-कौन सी मदें शामिल की जाती हैं ?
उत्तर-

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
  • अन्तिम निवेश खर्च
  • शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 28.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी परिवारों तथा निजी गैर लाभकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च के योग को निजी अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

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प्रश्न 29.
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य (-) …..
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 30.
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों और औज़ारों के मूल्य में जो कमी हो जाती है को ………………. कहते हैं।
उत्तर-
स्थिर पूँजी का उपभोग अथवा घिसावट।

प्रश्न 31.
अर्थव्यवस्था में जिस क्षेत्र का सम्बन्ध उद्योग, घरों के निर्माण, गैस आदि से होता है को ……. कहते हैं।
(क) प्राथमिक क्षेत्र
(ख) गौत्र क्षेत्र
(ग) टरशरी क्षेत्र
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) गौत्र क्षेत्र।

प्रश्न 32.
राष्ट्रीय आय का माप करते समय जिन वस्तुओं का मूल्य एक से अधिक बार जुड़ जाता है को ……………. गणना कहते हैं।
(क) बार-बार
(ख) दोहरी
(ग) सौ बार
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) दोहरी।

प्रश्न 33.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों से नहीं होता को ………………. कहा जाता
(क) बन्द अर्थव्यवस्था
(ख) खुली अर्थव्यवस्था
(ग) विश्व अर्थव्यवस्था
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) बन्द अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 34.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों के साथ होता है को … कहते हैं।
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 35.
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (-) ………….
उत्तर-
प्रारंभिक स्टॉक।

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प्रश्न 36.
अन्तिम उपभोग व्यय = निजी अन्तिम उपभोग व्यय + सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय + अन्तिम निवेश व्यय + ………
उत्तर-
शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 38.
एक वस्तु के मूल्य को बार-बार राष्ट्रीय आय में जोड़ने से बचने के लिए मध्यवर्ती वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 39.
उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग = मूल्य वृद्धि ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 40.
जो वस्तुएँ अन्तिम उपभोग वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है उनको मध्यवर्ती वस्तुएँ कहा जाता है।.
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
घिसावट को स्थिर पूँजी का उपभोग भी कहते हैं।
उत्तर-
सही।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां तीन हैं-

  1. आय विधि-इस विधि में एक वर्ष में उत्पादन के साधनों को सेवाओं के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसके जोड़ द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  2. उत्पादन विधि-उत्पादन विधि में एक लेखा वर्ष में देश के प्रत्येक उत्पादक द्वारा किए गए योगदान के जोड़ से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  3. खर्च विधि-इस विधि में एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर किए कुल अन्तिम खर्च का जोड़ किया जाता |

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • कृषि तथा पशु पालन
  • जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
  • मछली उद्योग
  • खनन।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है। इसके मुख्य उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • उद्योग
  • निर्माण कार्य
  • विद्युत्, गैस तथा जल आपूर्ति।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएं शामिल की जाती हैं जैसे कि-

  • यातायात, संचार तथा संग्रहण
  • बीमा तथा बैंक सेवाएं
  • व्यापार तथा होटल
  • आवास निर्माण
  • सरकारी प्रशासन तथा सुरक्षा
  • अन्य सेवाएं।

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को उत्पाद विधि द्वारा मापने के लिए मूल्य वृद्धि विधि अधिक उपयुक्त विधि है। इस विधि में देश में प्रत्येक उत्पादक द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाकर अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य को ज्ञात किया जाता है जिससे दोहरी गणना की समस्या स्वयं हल हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग (Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption)

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प्रश्न 6.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार की जाती है तो इसको दोहरी गणना कहा जाता है। जब एक वर्ष में एक देश में उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाए तो अन्तिम वस्तुओं का मूल्य प्राप्त हो जाता है। इससे दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

प्रश्न 7.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च का अर्थ एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता है जो कि निजी परिवारों तथा निजी गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 8.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में जो उत्पादन किया जाता है उसका सारा भाग उपभोग नहीं किया जाता बल्कि इसमें से कुछ भाग आने वाले समय में वस्तुओं के उत्पादन के लिए रख लिया जाता है जिसमें-

  • कुल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 9.
पूँजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूँजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होते हैं जिनका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है। इस हस्तान्तरण को प्राप्त करने वाला अपनी बचत तथा सम्पत्ति में इसको शामिल कर लेता है।

प्रश्न 10.
साधन आगतों तथा गैर-साधन आगतों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
साधन आगतों में उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम को शामिल किया जाता है। इनको प्राथमिक आगतें कहते हैं। गैर-साधन आगतों में गैर-टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं तथा सेवाओं को शामिल किया जाता है, जो कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह मध्यवर्ती वस्तुएँ होती हैं जिनको अन्तिम वस्तुओं के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
मध्यवर्ती तथा अन्तिम वस्तुओं में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ-वह वस्तुएँ होती हैं, जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है अथवा उनको दोबारा बिक्री के लिए प्रयोग किया जाता है। अन्तिम वस्तुएँ-वह वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन उनके उपभोग के लिए किया जाता है, अथवा इनका प्रयोग पूँजी निर्माण के लिए होता है।

प्रश्न 12.
घिसावट से क्या अभिप्राय है ? या स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
स्थिर भण्डार का प्रयोग करते समय इसके मूल्य में जो कमी हो जाती है उसको घिसावट कहा जाता है और वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है, उसको स्थिर पूंजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 13.
खुली तथा बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध अन्य देशों से होता है। यह एक व्यावहारिक धारणा है। इस अर्थव्यवस्था में आयात तथा निर्यात किया जाता है।

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प्रश्न 14.
स्टॉक में परिवर्तन या माल सची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्टॉक में परिवर्तन को माल सूची परिवर्तन भी कहा जाता है। एक फ़र्म द्वारा जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, वह सारा माल बिकता नहीं। उसका कुछ भाग बच जाता है। दूसरे वर्ष जब फ़र्म उत्पादन करती है तो पिछले वर्ष जो माल बच गया था उसको प्रारम्भिक स्टॉक कहा जाता है और साल के अन्त में जो माल बच जाता है उसको अन्तिम स्टॉक कहा जाता है।

स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक |

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए किस प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करने की तीन विधियां हैं। इन विधियों में निम्नलिखित प्रकार के आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
1. उत्पादन विधि या मूल्य वृद्धि-उत्पादन विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि में साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि के आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इनमें-

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • टरशरी क्षेत्र
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की सहायता से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

2. आय विधि-आय विधि में उत्पादन के साधनों की वित्त वर्ष में प्राप्त शुद्ध आय का जोड़ किया जाता है। इसमें

  • शुद्ध लगान
  • शुद्ध ब्याज
  • शुद्ध मज़दूरी
  • शुद्ध लाभ तथा
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आंकड़ों का जोड़ किया जाता है।

3. व्यय विधि-खर्च विधि में

  • निजी उपभोग खर्च
  • सरकारी उपभोग खर्च
  • सकल घरेलू पूँजी निर्माण
  • शुद्ध निर्यात
  • मूल्य ह्रास या घिसावट
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं –

प्राथमिक क्षेत्रमा गौण क्षेत्र
1. प्राथमिक क्षेत्र में प्रकृति अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है। 1. गौण क्षेत्र में मनुष्य अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है।
2. प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती हैं। 2. गौण क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादन वस्तुओं से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती है।
3. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है। 3. गौण क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है।
4. प्राथमिक क्षेत्र में भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। 4. गौण क्षेत्र में पूँजी तथा उद्यमी उत्पादन का मुख्य साधन होता है।

प्रश्न 3.
(i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) गौण क्षेत्र (iii) तीसरे क्षेत्र के उद्यमों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-

  • प्राथमिक क्षेत्र के उद्यम-इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। उद्यमी गेहूँ, चावल, कपास, मक्की आदि वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
  • गौण क्षेत्र के उद्यम-गौण क्षेत्र में उद्योगों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे-लकड़ी से मेज़ बनाना, सूत से कपड़ा बुनना आदि। यह वस्तुएं जीने के लिए आवश्यक होती हैं।
  • तीसरे क्षेत्र के उद्यम-तीसरा क्षेत्र सेवाओं का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बैंकिंग, बीमा, सेहत, शिक्षा आदि से सम्बन्धित सेवाएँ शामिल की जाती हैं। इन सेवाओं से मनुष्य का विकास होता है।

प्रश्न 4.
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
संक्षेप में उत्पादन इकाइयों के प्राथमिक, गौण तथा तीसरे क्षेत्र के वर्गीकरण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों को तीन भागों प्राथमिक, गौण तथा टरश्यरी क्षेत्र में विभाजित किया जाता है।

  1. प्राथमिक क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। उदाहरण के लिए कृषि उत्पादन, मछली उत्पादन, लट्ठा बनाना आदि।
  2. गौण क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। जैसा कि कपास से कपड़ा बनाना, लोहे से साइकिल, स्कूटर तथा कार का निर्माण करना।
  3. सेवाओं या तीसरे क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र से प्राथमिक तथा गौण क्षेत्र के उद्योगों को तीसरे क्षेत्र द्वारा सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। जैसा कि जहाज़रानी, बीमा, बैंकिंग आदि के उद्यम इस क्षेत्र में शामिल किए जाते

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
उत्पाद के मूल्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत पर मूल्य को उत्पादन का मूल्य कहते हैं । यदि उत्पादन की गई वस्तु की समस्त मात्रा बिक जाती है, तो उत्पाद का मूल्य बिक्री के मूल्य के समान होता है। यदि उत्पादन वस्तु की अधिक मात्रा बिक जाती है और कुछ भाग बिना बिक्री के कारण बच जाता है तो इसको माल सूची के रूप में रख लिया जाता है। माल सूची में परिवर्तन को स्टॉक में परिवर्तन कहा जाता है।

उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन स्टॉक में परिवर्तन का अर्थ है अन्तिम स्टॉक तथा प्रारम्भिक स्टॉक में अन्तर। इसलिए स्टॉक में परिवर्तन का माप करने के लिए हम अन्तिम स्टॉक में से प्रारम्भिक स्टॉक को घटा देते हैं। इस प्रकार उत्पाद के मूल्य का माप किया जाता है।

प्रश्न 6.
मूल्य वृद्धि को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ है, उत्पाद का मूल्य (-) मध्यवर्ती उपभोग। उदाहरण के लिए एक किसान 1000 रुपए की गेहूँ का उत्पादन करता है। उसने गेहूँ का उत्पादन करने के लिए 400 रुपए खर्च किए। यह गेहूँ आटा मिल वाला खरीद लेता है तथा इससे आटा बनाकर दुकानदारों को 1500 रुपए में बेच देता है। दुकानदार यह आटा उपभोगियों को 2000 रुपए में बेच देते हैं। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 1
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
=4500 – 29000
= ₹ 1600 उत्तर

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि का वर्णन करें।
उत्तर –
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए आय विधि एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इस विधि द्वारा भिन्न-भिन्न उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग किया जाता है। आय विधि की मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार हैं-
प्रथम अवस्था-सबसे पहले उत्पादन की इकाइयों की पहचान की जाती है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा सेवाएं क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

दूसरी अवस्था- इस अवस्था में उत्पादन के साधनों की आय का वर्गीकरण किया जाता है जिसमें निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • परिचालन अधिशेष
  • मिश्रित आय
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

3. तृतीय अवस्था-

  • उत्पादन के साधनों को किए गए भुगतान को घरेलू साधन आय कहा जाता है।
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  • सकल राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय + मूल्य घिसावट
  • बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इस प्रकार आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

प्रश्न 8.
आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखने की आवश्यकता है-

  1. गैर-कानूनी काम जैसे कि जुआ, तस्करी इत्यादि से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. आकस्मिक आय जैसे कि लॉटरी से प्राप्त आय तथा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  3. हस्तान्तरण आय जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  4. स्व-उपभोग के लिए रखी गई वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  5. पुरानी वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता परन्तु पुरानी वस्तुओं की बिक्री के कारण प्राप्त हुई दलाली अथवा कमीशन को शामिल किया जाता है।
  6. नए तथा पुराने शेयर, बाँड़ों को बेच कर प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  7. मकान मालिकों के मकान का आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  8. लाभ अथवा निगम कर लाभांश तथा अविभाजित लाभ तीनों ही लाभ के अंश होते हैं । इसलिए यदि लाभ दिया गया हो तो अन्य अंशों को शामिल नहीं करना चाहिए।
  9. व्यक्तिगत आय कर कर्मचारियों की मेहनत का ही भाग होते हैं इसलिए आय कर देने से पूर्व ही कर्मचारियों के मेहनताने को शामिल किया जाता है।
  10. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) जैसे कि बिक्री कर, उत्पादन कर, वस्तु की कीमत में शामिल होते हैं। बाज़ार कीमत और राष्ट्रीय आय का अनुपात लगाते समय इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य अवस्थाओं को स्पष्ट करें।
अथवा
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि का माप करते समय भिन्न-भिन्न अवस्थाओं की व्याख्या करें।
अथवा
एक उदाहरण की सहायता से मूल्य वृद्धि समझाइए।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाएं होती हैं
1. प्रथम अवस्था (First Step)- इस विधि में एक देश की घरेलू सीमा में उद्यमों की पहचान की जाती है, जिनको तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • तीसरा क्षेत्र।

2. द्वितीय अवस्था (Second Step)-शुद्ध मूल्य वृद्धि का अनुमान लगाने के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत को घटाया जाता है। इस प्रकार मूल्य वृद्धि = उत्पादन का मूल्य — मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत शुद्ध मूल्य वृद्धि = मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट

3. तृतीय अवस्था (Third Step)-इसमें घरेलू सीमा के भीतर शुद्ध मूल्य वृद्धि का पता लगाकर अन्य धारणाओं का अनुमान लगाया जाता है। इस विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय का माप इस प्रकार किया जाता हैराष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + सेवा क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि = सकल घरेलू मूल्य वृद्धि, बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होती है।

प्रश्न 10.
उत्पाद विधि में बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर राष्ट्रीय उत्पाद का माप करते समय अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है, जिसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं
बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं (C) + कुल घरेलू निजी निवेश (I) + सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं (G) + शुद्ध निर्यात (X – M) Gross National Product at Market Prices = C + I + G (X – M)

  • उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें टिकाऊ उपभोगी वस्तुएं, एक प्रयोग वाली उपभोगी वस्तुओं तथा उपभोगी सेवाएं शामिल की जाती हैं।
  • कुल घरेलू निजी निवेश-इसमें स्टॉक में निवेश, आवास निर्माण, सकल घरेलू निजी स्थिर पूंजी निर्माण को शामिल किया जाता है।
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें सरकारी निवेश तथा वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को शामिल किया जाता है।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात में से आयात का मूल्य घटा कर राष्ट्रीय आय का पता किया जाता है। यदि हम इन वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य बाज़ारी कीमतों पर ज्ञात करके जोड़ लेते हैं तो इसको बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 11.
मूल्य वृद्धि विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि में राष्ट्रीय आय का माप करते समय उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग को घटाया जाता है। इससे वस्तु की दो बार गणना की समस्या का हल हो जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जो घरेलू सीमा के भीतर प्रत्येक उत्पादक के उद्यम का माप करती है। इस विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक इस प्रकार होते हैं-
घरेलू साधन आय = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
जब हम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में बाज़ार कीमत पर कुल मूल्य वृद्धि का माप कर लेते हैं तो हमारे पास बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि अथवा सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है।

इसमें से मूल्य घिसावट घटाने से बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा शुद्ध घरेलू उत्पाद प्राप्त हो जाता है। यदि इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) घटा दिया जाए तो साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा घरेलू साधन आय प्राप्त हो जाती है। यदि हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो हम घरेलू साधन आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय का योग कर लेते हैं।

प्रश्न 12.
उत्पाद विधि की मुख्य सावधानियां बताएं।
अथवा
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य सावधानियों को स्पष्ट करें।
उत्तर-

  1. इस विधि में पुरानी वस्तुओं की खरीद अथवा बेच से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु पुरानी वस्तुओं की बेच से कमीशन अथवा दलाली को शामिल किया जाता है।
  2. स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के आरोपित मूल्य (Imputed Value) को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता।
  3. मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  4. जिन मकानों में मालिक स्वयं निवास करते हैं उनके आरोपित किराए (Imputed Rent) को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  5. सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों के मेहनताने को ही शामिल किया जाता है, जबकि इस क्षेत्र में लाभ, ब्याज, घिसावट के उचित आंकड़े प्राप्त न होने के कारण इनको शामिल नहीं किया जाता।
  6. मूल्य वृद्धि द्वारा घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है। यदि हम राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करना चाहते हैं तो इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 13.
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयों का वर्णन करें।
उत्तर-
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयां इस प्रकार हैं-

  • राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है, परन्तु साधारणतया दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।
  • कम विकसित देशों में वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter system) प्रचलित होती है। इसलिए राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।
  • वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य का माप बाज़ार में प्रचलित कीमतों द्वारा किया जाता है, परन्तु बाज़ार कीमतों में परिवर्तन होता रहता है, इसलिए राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
  • स्व-उपभोग की वस्तुओं का आरोपित मूल्य (Imputed Value) राष्ट्रीय आय के माप में शामिल किया जाता है, परन्तु आरोपित मूल्य का उचित अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित उचित आंकड़े प्राप्त नहीं होते क्योंकि लोग अशिक्षित तथा अज्ञानी होते हैं। इसलिए राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 14.
दोहरी गणना की समस्या पर नोट लिखें।
उत्तर-
उत्पाद विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य जोड़ा जाता है। मध्यवर्ती मूल्य को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे एक वस्तु का मूल्य एक से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल हो जाता है। इस प्रकार राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता, बल्कि इससे राष्ट्रीय आय अधिक नज़र आती है। इसको दोहरी गणना की समस्या कहते हैं। उदाहरणतया एक किसान 1,000 रुपए की कपास पैदा करता है तथा धागा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देता है।

धागा फैक्टरी इससे धागा बनाकर 1,800 रुपए में कपड़ा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देती है। कपड़ा फैक्टरी इसका कपड़ा बनाकर 5,000 रुपए में उपभोक्ताओं को बेच देती है। यदि हम तीनों उत्पादकों के मूल्य को जोड़ते हैं तो हमारे पास उत्पादन मूल्य 1,000 + 1,500 + 5,000 = 7,500 रुपए प्राप्त होता है।

परन्तु इसको शुद्ध उत्पाद नहीं कहा जाता। हम देखते हैं कि वास्तविक उत्पादन कपड़े का हुआ है जिसका मूल्य 5,000 रुपए है। इसलिए इसको ही राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए। यदि मध्यवर्ती वस्तुओं कपास तथा धागे के मूल्य को शामिल किया जाए तो इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है। इसका हल मूल्य वृद्धि विधि द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तृतीय विधि खर्च विधि है। इस विधि को उपभोग तथा निवेश विधि अथवा आय खर्च विधि भी कहा जाता है। इस विधि के अनुसार एक लेखा वर्ष में बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद पर किए गए अन्तिम खर्च का माप किया जाता है। अन्तिम खर्च दो प्रकार का होता है
(i) उपभोग खर्च (Consumption Expenditure)
(ii) निवेश खर्च (Investment Expenditure)

(i) उपभोग खर्च को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

(ii) निवेश खर्च को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार यदि हम अन्तिम उपभोग खर्च का योग कर लेते हैं तो बाज़ार कीमत पर कुल उत्पाद खर्च का मूल्य प्राप्त हो जाता है अर्थात्
+ सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + घरेलू निवेश खर्च (I)
+ शुद्ध विदेशी निवेश (X – M)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय का माप खर्च विधि द्वारा करते समय क्या सावधानियां प्रयोग करनी चाहिएं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय खर्च विधि में निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करना चाहिए

  1. सरकार द्वारा किए गए हस्तान्तरण भुगतान तथा खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. पुराने अथवा नए शेयर व बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  3. कुल खर्च का माप करते समय मध्यवर्ती खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  4. पुरानी वस्तुओं पर किए गए खर्च को कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  5. कुल खर्च में कुल निवेश को शामिल किया जाता है। इसमें घिसावट का खर्च भी शामिल होता है।
  6. निर्यात में देश-वासियों को विदेशों से प्राप्त ब्याज, लगान, लाभ तथा मज़दूरी शामिल किए जाते हैं। इसी प्रकार आयात में विदेशियों द्वारा हमारे देश में से प्राप्त लाभ, ब्याज, इत्यादि को शामिल किया जाता है। इस प्रकार शुद्ध निर्यात का माप निर्यात में से आयात घटा कर किया जाता है।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय आय मापने की विधियों की समानता पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप के लिए आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि का प्रयोग किया जाता है। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो प्राप्त नतीजे में समानता पाई जाती है क्योंकि तीनों विधियां राष्ट्रीय आय का माप भिन्न-भिन्न स्तरों पर करती हैं जैसे कि आय विधि में राष्ट्रीय आय का माप आय सृजन (Income Generation) के स्तर पर किया जाता है। उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का माप अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन स्तर (Production of final goods and services) द्वारा किया जाता है।

खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप उपभोग खर्च तथा निवेश खर्च (Consumption and Expenditure) के स्तर पर किया जाता है। इन विधियों में से किसी भी विधि का प्रयोग किया जाए, परिणाम समान निकलते हैं। इस कारण तीनों विधियों में समानता पाई जाती है अर्थात् सकल राष्ट्रीय आय = सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय खर्च।

प्रश्न 18.
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी देश के निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादन के साधन तथा सेवाएं प्रदान की जाती हैं जिसके बदले में उनको आय प्राप्त होती है। इस देश में गैर-निवासी भी साधन सेवाएं प्रदान करते हैं। इससे वह जो आय अर्जित करते हैं वह विदेशों को चली जाती है। इस देश के साधनों द्वारा प्राप्त की गई आय तथा विदेशियों द्वारा इस देश में से प्राप्त की गई आय के अन्तर को विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय कहा जाता है। विदेशों से शद्ध साधन आय धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकती है। जब किसी देश की घरेलू आय ज्ञात हो तथा हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो घरेलू आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है। घरेलू आय राष्ट्रीय आय से कम भी हो सकती है अथवा अधिक भी हो सकती है।

प्रश्न 19.
आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि के मुख्य घटक बताएं।
उत्तर-

  • आय विधि (Income Method) के मुख्य घटक बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।
  • उत्पाद विधि (Value Added Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर प्राथमिक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर गौण क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर तृतीय क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + विदेशों में शुद्ध साधन आय।
  • खर्च विधि (Expenditure Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 20.
आय विधि में घरेलू साधन आय के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
आय विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं
1. कर्मचारियों की मेहनत (Compensation of Employees)-कर्मचारियों की मेहनत से अभिप्राय उत्पादकों द्वारा अपने कर्मचारियों को काम के बदले में किए गए भुगतान से होता है। कर्मचारियों के वेतन तथा मजदूरी के मुख्य अंश इस प्रकार होते हैं

  • नकद मज़दूरी तथा वेतन
  • किस्म के रूप में आय
  • सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का योगदान।

2. परिचालन अधिशेष (Operating Surplus)-इसमें सम्पत्ति से प्राप्त आय तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है। परिचालन अधिशेष की मुख्य मदें इस प्रकार हैं

  • किराया तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + अविभाजित लाभ)।

3. मिश्रित आय (Mixed Income)-मिश्रित आय से अभिप्राय स्व-रोज़गार पर लगे लोगों की काम तथा सम्पत्ति दोनों से प्राप्त मिश्रित आय से होता है। उदाहरणतया किसान, दुकानदार, प्राइवेट डॉक्टर को प्राप्त होने वाली आय में उनकी मेहनत की मज़दूरी, पूंजी का ब्याज, भूमि अथवा मकान का किराया तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त लाभ इत्यादि शामिल होते हैं। इस कारण इस आय को मिश्रित आय कहा जाता है।

(A) मूल्य वृद्धि या उत्पाद विधि (Value Added Or Product Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न । (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ? इस विधि द्वारा राष्ट्रीय आय को मापने में जुड़ने वाले चरणों की रूप-रेखा स्पष्ट करें। मूल्य वृद्धि विधि की सावधानियां बताएं।
(Give an outline of the steps involved in the estimation of National Product by Value Added Method or Product Method. Explain the precautions in Value Added Method.)
उत्तर-
राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पाद विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि को शुद्ध उत्पाद विधि (Net Output Method) या औद्योगिक मूल्य विधि (Industrial Origin Method) भी कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जिसमें राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए एक देश में एक लेखा वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का दोहरी गणना के बिना माप होता है।
(Value Added Method or Product Method is the method of measurement of national income by adding the goods and services produced in the domestic territory of a country in a year without double counting.)

मूल्य वृद्धि विधि से राष्ट्रीय आय के माप की अवस्थाएं (Steps in measurement of National Income in Value Added Method)

1. प्रथम अवस्था (First Step)—इसमें सर्वप्रथम देश की उत्पादक इकाइयों का वर्गीकरण तीन क्षेत्रों में किया जाता है-
(i) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों के प्रयोग द्वारा उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) कृषि तथा पशुपालन
(b) जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
(c) मछली उद्योग
(d) खानों का उत्पादन।

(ii) गौण क्षेत्र (Secondary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) उद्योग
(b) निर्माण
(c) जल आपूर्ति, विद्युत् गैस इत्यादि।

(iii) तीसरा क्षेत्र (Tertiary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं—
(a) यातायात, संचार तथा संग्रहण
(b) व्यापार, होटल तथा जलपान गृह
(c) बैंक तथा बीमा
(d) स्थिर सम्पत्ति, मकानों की मालकी तथा व्यापारिक सेवाएं
(e) सार्वजनिक प्रशासन तथा सुरक्षा
(f) अन्य सेवाएं।

2. दूसरी अवस्था (Second Step)-दूसरी अवस्था में हर एक उत्पादन इकाई के मूल्य का माप किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य निकाल दिया जाए तो हमारे पास कुल मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption

(A) उत्पाद का मूल्य-वह मूल्य है जोकि एक फ़र्म द्वारा एक साल में वस्तुओं तथा सेवाओं को बाज़ार में प्रचलित कीमत पर गुणा करने से प्राप्त होता है। फ़र्म द्वारा एक वर्ष में जो उत्पादन किया जाता है इसका कुछ भाग बिक जाता है तथा कुछ भाग स्टॉक के रूप में बच जाता है। इसलिए उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन
Value of Output = Sales + Change in Stock
स्टॉक में परिवर्तन प्रारम्भिक स्टॉक में से अन्तिम स्टॉक को घटाने से प्राप्त होता है।
स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक
Change in Stock = Closing Stock – Opening Stock

(B) मध्यवर्ती उपभोग-उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल पर जो खर्च किया जाता है उसको मध्यवर्ती उपभोग कहा जाता है। इसमें उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यमकर्ता की लागत को शामिल नहीं किया जाता। इस प्रकार मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाया जाता है। इस विधि में राष्ट्रीय आय की दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

उदाहरण के लिए एक किसान ₹ 1000 के मूल्य की कपास पैदा करता है। उसने कच्चे माल के रूप में ₹ 300 खर्च किए हैं। किसान को हम फ़र्म A कहते हैं। फर्म A ने यह कपास फ़र्म B को बेच दी जोकि धागे का उत्पादन करती है तथा फ़र्म B ने ₹ 1500 मूल्य का धागा बनाकर फर्म C को बेच दिया। फ़र्म C ने इस धागे से कपड़ा बनाकर उपभोगियों को ₹ 2500 में बेच दिया। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा –

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 2
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 5000 – 2800 = ₹ 2200
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = 1000 – 300 = ₹ 700
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = 1500 – 1000 = ₹ 500
फ़र्म C द्वारा मूल्य वृद्धि = 2500 – 1500 = ₹ 1000
कुल मूल्य वृद्धि Gross Value Added = ₹ 2200
इसको बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

3. तीसरी अवस्था (Third Step)-अब राष्ट्रीय आय की धारणाओं का अध्ययन करते हैं। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित मदों को ध्यान में रखना चाहिए

  • मूल्य ह्रास या घिसावट (Depreciation)
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes = Indirect Taxes – Subsidies)
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from Abroad) राष्ट्रीय आय का माप करते समय मूल्य वृद्धि से सम्बन्धित निम्नलिखित धारणाएं होती हैं

1. कुल मूल्य वृद्धि = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद Gross Value Added = Gross Domestic Product at Market Prices
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य होता है।
2. बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट
Gross Domestic Product at Market Prices = GDPMP – Depreciation
3. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
Net Domestic Product at Factor Cost = NDPMP – Net Indirect Taxes
4.साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
Net National Product at Factors Cost = NDPFC + Net Factor Income from Abroad
अथवा
5. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा लाभ + लगान + ब्याज + मिश्रित आय
NNPFC = N.I. = Compensation of Employees + Rent + Interest + Profit + Mixed Income.

प्रश्न 2.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि की सावधानियां बताएं। (Explain the Precautions of Value Added Method or Product Method.)
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को शामिल किया जाता है तथा कुछ मदों को शामिल नहीं किया जाता।
कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए (Which Items should be Excluded)-

  • पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय-पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह चालू वर्ष में उत्पादन नहीं की गईं।
  • गैर-कानूनी कामों से आय-गैर-कानूनी काम जैसा कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य-मध्यवर्ती वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • स्व-उपभोग की सेवाएं-स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता जैसा कि पिता द्वारा पुत्र को पढ़ाना, इत्यादि क्योंकि इनके सेवा फल का अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • कम्पनी द्वारा ब्रान्ड की बिक्री-किसी कम्पनी द्वारा ब्रान्डस की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में _शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह वित्तीय लेन-देन है।

कौन-सी मदों को मूल्य वृद्धि में शामिल करना चाहिए
(Which Items should be Included in Value Added)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली-पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए क्योंकि यह वर्तमान सेवा का फल है।
  • उत्पादकों द्वारा स्व-उपभोग-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह उत्पादन बाज़ार में बिक्री के लिए नहीं आता इसलिए इस उत्पादन का आरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
  • मकान मालिकों का आरोपित किराया-जिन मकानों में मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया, राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों का मेहनताना-सरकारी क्षेत्र में राष्ट्रीय आय का माप करते समय सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है। लगान, ब्याज तथा लाभ को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनके आंकड़े प्राप्त नहीं होते।
  • पूंजी का स्व-लेखा उत्पादन-सरकारी, निगमित तथा पारिवारिक क्षेत्र में उत्पन्न की गई अचल पूंजी को भी राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • अन्तिम वस्तुओं का मूल्य-उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय केवल अन्तिम वस्तुओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
दोहरी माप की समस्या से क्या अभिप्राय है ? राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरे माप की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
दोहरी माप की समस्या का अर्थ (Meaning of Problem of Double Counting) उत्पादन विधि द्वारा जब राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो इसमें केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही शामिल किया जाता है। कई बार मध्यवर्ती वस्तुओं की गणना भी हो जाती है जिससे दोहरी गणना की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। दोहरी गणना का अर्थ किसी वस्तु के मूल्य को एक बार से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल करने से होता है परन्तु सब वस्तुएं अन्तिम वस्तुएं नज़र आती हैं जबकि उनका प्रयोग मध्यवर्ती वस्तुओं के रूप में होता है। इसको हम एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते हैं मान लीजिए एक किसान गेहूं उत्पन्न करता है तथा एक आटा मिल वाले को 1000 रुपए की बेच देता है।

आटा मिल वाले के लिए गेहूं अन्तिम मध्यवर्ती वस्तु है जिसको वह आटे में बदलकर बेकरी वाले को 1500 रुपए में बेच देता है। आटा मिल के लिए आटा अन्तिम वस्तु है पर बेकरी वाले के लिए यह मध्यवर्ती वस्तु है क्योंकि बेकरी वाला इससे बिस्कुट बनाकर अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए में बेच देता है। यदि हम प्रत्येक आदान-प्रदान को राष्ट्रीय आय में शामिल कर लेते हैं तो उससे वस्तु का उत्पादन मूल्य बहुत अधिक हो जाता है जबकि मूल्य वृद्धि इस बात को प्रकट करती है कि वस्तु के मूल्य में कितनी वृद्धि हुई है, उसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए।

यदि हम कुल उत्पाद का मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं तो इसमें एक वस्तु का मूल्य कई बार जुड़ जाता है। इसलिए दोहरी गणना से बचने के लिए अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को राष्ट्रीय में जोड़ना चाहिए जैसे कि बेकरी वाले ने अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए के बिस्कुट बेचे हैं जिसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए। लेकिन इस विधि में ग़लती होने की सम्भावना होती है तथा किसी मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य इसमें जुड़ जाए तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

दोहरी गणना की समस्या का हल (Solution of the Problem of Double Counting) – राष्ट्रीय आय का माप करते समय यदि हम मूल्य वृद्धि (Value Added) की विधि को अपनाते हैं, तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती। इसको निम्नलिखित सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है|
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 3
उत्पादन का मूल्य = ₹4500
मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य = ₹ 2500
मूल्य वृद्धि = ₹ 2000
इस प्रकार यदि हम उत्पादन का मूल्य शामिल करते हैं तो ₹ 4500 का उत्पादन किया गया है। परन्तु इसमें से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य 2500 भी शामिल है। यदि हम उत्पाद मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा देते हैं तो इससे अन्तिम वस्तु का मूल्य प्राप्त हो जाता है जिसको मूल्य वृद्धि कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

याद रखें मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Value Added Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 4

  1. प्राथमिक क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  2. गौण क्षेत्र में बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  3. तीसरे क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  4. मूल्य ह्रास या मूल्य घिसावट
  5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
  6. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय।

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों का आंकलन करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 5
हल (Solution):
फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 6
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 110 + (-15) – 80
= ₹ 15 लाख उत्तर

फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 90 + (-10) – 50
= ₹ 30 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म x तथा फ़र्म Y द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों को ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 7
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 8
फ़र्म X द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + भण्डार में परिवर्तन – खरीद
= 300 + 20 – 70
= ₹ 250 लाख उत्तर
फ़र्म Y द्वारा मूल्य वृद्धि = 500 + 10 – 450 = ₹ 60 लाख उत्तर

प्रश्न 3.
निम्न आंकड़ों द्वारा फ़र्म A तथा फ़र्म B की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 9
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 10
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 11
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 450 लाख
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 170 लाख उत्तर

प्रश्न 4.
निम्न आंकड़ों के आधार पर C उद्योग की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 12
हल (Solution) :
उद्योग A, B, C तथा D द्वारा कुल बिक्री = ₹ 130 लाख

  • उद्योग, A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री – खरीद = ₹ 20 – 0 = 20 लाख
  • उद्योग B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 40 लाख
  • उद्योग D द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 30 लाख
  • उद्योग A, B तथा D द्वारा मूल्य वृद्धि = 20 + 40 + 30 = ₹ 90 लाख
  • उद्योग C द्वारा मूल्य वृद्धि = 130 – 90 = ₹ 40 लाख उत्तर

(A, B, C, D द्वारा मूल्य वृद्धि – ABD द्वारा मूल्य-वृद्धि)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 13
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 14
हल (Solution) :
साधनं लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग — बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 1000 + 80 – 40 – 640 – 30 + 10 – 100 = ₹ 280 लाख उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा फर्म A की बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 15
हल (Solution) :
बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – घिसावट – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 700 + 40 – 80 – 400 = ₹ 260 हज़ार उत्तर

प्रश्न 7.
फ़र्म A ने ₹500 गैर-साधन आगतों (Inputs) पर खर्च किए और ₹ 900 के मूल्य की वस्तुओं का उत्पादन किया। इसने ₹ 600 के मूल्य की वस्तुएं फ़र्म B तथा ₹ 300 के मूल्य की वस्तुएं उपभोक्ताओं को बेचीं। फ़र्म A की सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
हल (Solution):
फ़र्म A द्वारा सकल मूल्य वृद्धि = उत्पादन वस्तुओं का मूल्य – ग़ैर-साधन आगतों पर खर्च  = 900 (600 + 300) – 500 = ₹400 उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 16
हल (Solution):
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मूल्य घिसावट – उत्पादन कर – मध्यवर्ती उपभोग ।
= 200 + 10 – 15 – 12 – 20 – 48 = ₹ 115 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(क) उत्पादन का मूल्य
(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 17
हल-
(क) उत्पादन का मूल्य – बिक्री + स्टॉक में वृद्धि
= 27,560 + 1,690
= ₹ 29,250 करोड़ उत्तर

(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – अप्रत्यक्ष कर – स्थाई पूंजी का उपभोग + आर्थिक सहायता = 27,560 + 1,690 – 3,575 – 2,000 – 1,345 + 1,550
= ₹ 23,880 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए।
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(ग) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 18
हल (Solution) :
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + साल के अन्त में स्टॉक – साल के आरम्भ में स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 25,000 – 5,000 – 10,000 = ₹ 80,000 लाख उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट लागत = 80,000 – 1,000 = ₹ 79,000 लाख उत्तर
(ग) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता = 79,000 – 300 + 100 = ₹ 78,800 लाख उत्तर

(B) आय विधि (Income Method)
IV. दीर्घ उरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की आय विधि की व्याख्या करें।
(Explain the Income Method for measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का अर्थ एक वर्ष में एक देश के साधारण निवासियों द्वारा उत्पादित आय के साधनों के रूप में कार्य करने से जो आय मज़दूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा (The sum of incomes accuring to the factors of Production supplied by the norma! Residents of a country during a year is called National Income.) एक वर्ष में उत्पादन के साधनों श्रम, पूंजी, भूमि तथा उद्यम को कार्य करने के बदले में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में जो आप प्राप्त हाती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। आय विधि को साधन भुगतान विधि (Factor Paynient Method) अथवा वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि (Distributed Share Method) भी कहा जाता।

उत्पादन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आय का सृजन होता है। उत्पादन के समय जो आय उत्पादन के साधनों को प्राप्त होती है उसको उद्यमियों की साधन लागत तथा उत्पादन के साधनों की आय कहा जाता है। आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाओं में से निकलना पड़ता है-
1. प्रथम अवस्था (First Stage)-इस विधि में सबसे पहले देश की घरेलू सीमा के भीतर आने वाली इकाइयों का पता किया जाता है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा तृतीय क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage)-इसके पश्चात् उत्पादन इकाइयों को दिए जाने वाले भुगतान का अनुमान लगाया जाता है जैसे कि-
(a) कर्मचारियों की मेहनत-मज़दूरी तथा वेतन + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन।
(b) परिचालन अधिशेष-इसमें सम्पत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है जिसमें निम्नलिखित आय शामिल होती है

  • किराया अथवा लगान तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)

(c) मिश्रित आय-इसमें स्व-रोज़गार पर लगे लोगों के कार्य तथा सम्पत्ति से प्राप्त आय शामिल होती है। यदि हम ऊपर दी गई आय का योग कर लेते हैं तो इसको शुद्ध घरेलू आय कहा जाता है।

(d) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय-एक देश के लोगों द्वारा विदेशों में प्रदान की गई साधन सेवाओं के बदले में प्राप्त होने वाली आय तथा एक देश की घरेलू सीमा के भीतर गैर-निवासियों द्वारा सेवाओं के बदले में दी जाने वाली आय के अन्तर को शुद्ध विदेशी साधन आय कहा जाता है। यदि हम शुद्ध घरेलू आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय (National Income) कहते हैं।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage)-इस अवस्था में साधन आय का अनुमान लगाया जाता है। विभिन्न धारणाओं को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  • शुद्ध घरेलू आय (NDPFC) कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय अथवा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट अथवा शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • सकल राष्ट्रीय आय या साधन लागतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय-कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर अथवा = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

प्रश्न 2.
आय विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियों का वर्णन करें। (Explain the Precautions regarding Income Method.)
अथवा
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में कौन-सी मदों को शामिल किया जाता है तथा कौन-सी मदों को शामिल नहीं किया जाता ?
(Which items should be included in National Income and which items should not be included in National Income while calculating National Income in Income Method ?)
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जबकि कुछ अन्य मदों को शामिल नहीं किया जाता। निम्नलिखित मदों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा (Items to be included in National Income)
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में उन स्रोतों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जोकि उत्पादक होती हैं तथा जिन क्रियाओं को करने की सरकार आज्ञा देती है अर्थात् कानूनी (Legal) तथा उत्पादक (Productive) क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आय का सृजन करती है।

  1. गायक, डान्सर तथा अभिनेताओं की आय राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  2. सरकार द्वारा निःशुल्क इलाज पर खर्च, सड़कों, नहरों तथा रोशनी पर खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता
  3. सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला मेडिकल भत्ता राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  4. भविष्य निधि में श्रमिकों का योगदान राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. मूल्य घिसावट को कुल उत्पादन में शामिल किया जाता है परन्तु शुद्ध उत्पादन में शामिल नहीं किया जाता।
  6. निगम कर, लाभांश तथा अविभाजित लाभ, यह लाभ के भाग होते हैं इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु यदि लाभ दिया गया हो तो यह तीनों भाग उसमें शामिल होते हैं। इसलिए इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  7. मज़दूरी, किस्म के रूप में मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा, भविष्य निधि इत्यादि कर्मचारियों के मेहनताने के भाग होते हैं। यदि कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है तो इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  8. जिन मकानों में मकान मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  9. पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर दी जाने वाली दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

अग्रलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (Items not to be Included in National Income)-

  • हस्तान्तरण भुगतान जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गैर-कानूनी कामों जैसे कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से प्राप्त आय को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  • स्व-उपभोग सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता जबकि स्व-उपभोग वस्तुओं को इसमें शामिल किया जाता है।
  • पुरानी वस्तुओं जैसे कि पुराना मकान, पुरानी पुस्तकों इत्यादि की बिक्री से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाता।
  • शेयर, बांड इत्यादि को बेचने से प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • आकस्मिक लाभ अथवा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर साधन लागत पर, राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं होते परन्तु बाज़ार कीमत पर यह शामिल किए जाते हैं।
  • मृत्यु कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय शामिल होने वाली मदों तथा न शामिल होने वाली मदों को ध्यान में रखना चाहिए।

याद रखें आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Income Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 19

  1. कर्मचारियों का मेहनताना (नकद मज़दूरी + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन)
  2. परिचालन अधिशेष (किराया अथवा लगान तथा रायल्टी + ब्याज + लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  5. मूल्य घिसावट अथवा स्थिर पूंजी का उपयोग
  6. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) घरेलू आय
(ii) राष्ट्रीय आय की गणना करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 20
हल (Solution) :
(i) घरेलू आय = मज़दूरी + किराया + ब्याज + लाभांश + मिश्रित आय + अविभाजित आय + निगम कर + सामाजिक सुरक्षा में योगदान = 50,000 + 10,000 + 1000 + 5000 + 1500 + 500 + 400 + 600 = ₹ 69,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = 69,000 + 3000 = ₹72,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 22
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = लगान + ब्याज + लाभांश + स्व-नियोजकों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना = 80 + 100 + 210 + 250 + 500 = ₹ 1140 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1140 + (-20) = ₹ 1120 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों से राष्ट्रीय आय ज्ञात करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 23
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = स्व-नियोजितों की मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + मज़दूरी तथा वेतन + मालिकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान
= 200 + 900 + 500 + 50 = ₹ 1650 करोड़
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1650 + (-10) = ₹ 1640 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 4.
संमत 1982-83 में भारत देश के लिए निम्नलिखित आंकड़े दिए गए हैं :मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 24
हल (Solution):
(i) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा + किराया + ब्याज + लाभ + मिश्रित आय = 49651 + 10209 + 4794 + 6926 + 50416 = ₹ 1,21,996 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + निवल विदेशी साधन आय = 1,21,996 + (-7) = ₹ 1,21,989 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा किसी फ़र्म की
(i) उत्पाद विधि
(ii) आय विधि से राष्ट्रीय आय में योगदान ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 25
हल (Solution) :
(i) उत्पाद विधि राष्ट्रीय आय = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – मूल्य ह्रास – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 16000 + 4000 -5000 – 500 – 500 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर
(ii) आय विधि राष्ट्रीय आय = मजदूरी तथा वेतन + ब्याज + किराया + लाभ = 10,000 + 400 + 600 + 3000 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि से बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 26
हल (Solution) :
उत्पादन विधि बाजार कीमत पर सकल घरेलू आय = (प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + द्वितीयक क्षेत्र का उत्पादन + तृतीय क्षेत्र का उत्पादन) – (प्राथमिक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + द्वितीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + तृतीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग)
= (1000 + 900 + 700) – (500 + 400 + 300) = ₹ 1400 करोड़

आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों का वेतन + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + स्थाई पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 400 + 650 + 300 + 40 + 10 = ₹ 1400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 27
हल (Solution) :
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii) – (iv) – (v) + (vi) – (vii) = 1000 – 200 – 200 – 30 – 20 + 50 -100 = ₹ 500 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें। मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 28
हल (Solution):
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii)– (iv) – (v)
= 1200 – 60 – 40 – 450 – 50 = ₹ 600 Crores उत्तर

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 29
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (v)
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi) = 1,35,000 + 15,000 = ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 30
उत्तर-
घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (1)
= 75,000 + 18.000 + 22.500 + 27,000 + 60,000
= ₹ 2,02,500
करोड़ उत्तर राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi)
= 2,02,500 + 22,500 = ₹ 2,25,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 31उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय-कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
(i) ब्याज
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय-घरेलू साधन आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 1,35,000 + 15,000
= ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्न आंकड़ों से कुल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर (GDPMP) और शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद साधन लागतों पर (NNPFC) ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 32
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थाई पूँजी का उपभोग + लगान + लाभ + ब्याज + रायल्टी + मज़दूरी और वेतन + सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का अंशदान।= 38 + 35 + 10 + 27 + 23 + 20 + 150 + 25
= ₹ 328 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर — स्थाई पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त साधन आय
= 328 – 38 – 35 + (-5)
= ₹ 250 करोड़ उत्तर

(C) खर्च विधि (Expenditure Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की खर्च विधि की व्याख्या करें। (Explain the Expenditure Method for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीसरी विधि खर्च विधि है जिसको उपभोग तथा निवेश विधि (Consumption and Investment Method) भी कहा जाता है। इस विधि को स्पष्ट करते हुए कुजनेटस ने कहा है, “राष्ट्रीय आय, एक वर्ष में एक देश की उत्पादक प्रणाली में जो वस्तुएं तथा सेवाएं अन्तिम उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग की जाती हैं अथवा देश के पूंजीगत पदार्थों में शुद्ध वृद्धि करती हैं, उनका योग है।”

खर्च विधि की मुख्य अवस्थाएं-खर्च विधि में मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार होती हैं –
1. प्रथम अवस्था-सबसे पहले उन इकाइयों की पहचान की जाती है जो अन्तिम उपभोग खर्च करते हैं तथा जिनको खर्च विधि में शामिल किया जाता है।
A. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)
B. उत्पादक क्षेत्र (Production Sector)
C. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)
D. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)

2. दूसरी अवस्था-इस अवस्था में अन्तिम खर्च का वर्गीकरण किया जाता है। अन्तिम खर्च के वर्गीकरण को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 33

अन्तिम खर्च के मुख्य अंश इस प्रकार हैं –
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण
(i) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(a) व्यावसायिक स्थाई निवेश
(b) सरकारी स्थाई निवेश
(c) परिवारों द्वारा मकानों के निर्माण पर निवेश
(ii) स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात (निर्यात – आयात)
तीसरी अवस्था

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च- इसमें व्यक्तियों, परिवारों तथा गैर-लाभकारी निजी संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए व्यय को शामिल किया जाता है।
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च-इसमें सरकार के खर्च को शामिल करते हैं।
  • सकल घरेलू पूंजी निर्माण-इसमें निवेश व्यय शामिल करते हैं जोकि स्थाई निवेश तथा माल सूची निवेश पर किया जाने वाला व्यय शामिल करते हैं।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात वस्तुओं तथा सेवाओं में से आयात वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य घटाने से शुद्ध निर्यात ज्ञात होता है।
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय-कुछ अर्थ-शास्त्री शुद्ध निर्यात के स्थान पर शुद्ध विदेशी निवेश की धारणा का प्रयोग करते हैं। इसमें आयात तथा निर्यात के अन्तर के अतिरिक्त विदेशों से शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

यदि हम खर्च विधि द्वारा विभिन्न धारणाओं का माप करना चाहते हैं तो इसके लिए निम्न विधि प्रयोग की जाती है-

  1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = निजी अन्तिम उपाभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल स्थिर पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात।
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
  3. बाज़ार कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद-मूल्य घिसावट
  4. शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर |

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय सावधानियां बताएं। (Mention the Precautions while measuring National Income with Expenditure Method.)
उत्तर-
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करने की आवश्यकता होती है

  1. पुरानी वस्तुओं पर किए जाने वाले खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वर्तमान वर्ष में उत्पादित वस्तुओं पर नहीं किया जाता बल्कि पहले से ही उत्पादित वस्तुओं पर किया जाता है।
  2. कुल खर्च का माप करते समय केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  3. अन्तिम खर्च में मध्यवर्ती खर्च को शामिल नहीं किया जाता।
  4. पुराने तथा नए शेयर तथा बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च नहीं होता।
  5. सरकार द्वारा दिए गए हस्तान्तरण भुगतान पर खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि जिन व्यक्तियों द्वारा हस्तान्तरण भुगतान प्राप्त किया जाता है उनके द्वारा इसके बदले में कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  6. स्व-उपभोग पर किए गए खर्च को अन्तिम उपभोग में शामिल किया जाता है क्योंकि यह खर्च वर्तमान उत्पादन में से होता है।
  7. इस विधि द्वारा बाजार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन मूल्य का पता चलता है। यदि हम साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय का पता करना चाहते हैं तो इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा स्थाई पूंजी का उपभोग घटा देना चाहिए।
  8. कुल खर्च विधि में सकल घरेलू पूंजी निर्माण की धारणा में सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन का योग होता है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय खर्च में समानता को स्पष्ट करें। (Establish the Equality of National Income, National Product and National Expenditure.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीन विधियां हैं-आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का योग एक-दूसरे के समान होता है क्योंकि जब उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन के साधनों को कार्य पर लगाया जाता है तो श्रम, भूमि, पूंजी तथा उद्यमी मिलकर उत्पादन करते हैं। इन उत्पादन के साधनों को कार्य करने के बदले में मेहनताना दिया जाता है अर्थात् कर्मचारियों को कार्य करने के लिए मज़दूरी तथा वेतन, भूमि का लगान, पूंजी का ब्याज तथा उद्यमी को लाभ प्राप्त होता है। यदि हम उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग कर लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसमें स्व-रोज़गार पर लगे मनुष्यों की मिश्रित आय भी शामिल होती है। इसलिए आय विधि के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है |

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन देश में जो उत्पादन करते हैं, उसके योग को बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। उत्पादन के साधन अर्थ व्यवस्था के तीन क्षेत्रों में कार्य करते हैं—प्राथमिक क्षेत्र जिसमें कृषि, जंगल, खानों इत्यादि से प्राप्त उत्पादन को शामिल किया जाता है। गौण क्षेत्र में उद्योग, निर्माण, विद्युत्, गैस, जल आपूर्ति इत्यादि के उत्पादन को शामिल करते हैं। तीसरे क्षेत्र में सेवाओं को शामिल किया जाता है जैसे कि यातायात, संचार, व्यापार, होटल, बैंक, बीमा इत्यादि। यदि हम इन तीन क्षेत्रों में अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन का योग कर लेते हैं जिसको मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) द्वारा मापा जाता है। इससे हम सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात कर सकते हैं।

उत्पादन विधि (Production Method) के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है-
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + गौण क्षेत्र का उत्पादन + तीसरे अथवा सेवा क्षेत्र का उत्पादन + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन कार्य करने के पश्चात् जो आय प्राप्त करते हैं उनको निजी उपभोग अथवा निवेश पर खर्च किया जाता है। देश की घरेलू सीमा के भीतर निजी अन्तिम उपभोग खर्च, सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च, कुल स्थिर पूंजी निर्माण, स्टॉक में परिवर्तन तथा शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है जिससे हमारे पास सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है। खर्च विधि (Expenditure Method) द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है

बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात । इस प्रकार यदि हम राष्ट्रीय आय को मापने के लिए भिन्न-भिन्न विधियों को देखते हैं तो स्पष्ट होता है कि परिभाषा के आधार पर इनमें समानता पाई जाती है।
अर्थात् राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय खर्च
इसमें चिह्न = समानता को प्रकट करता है।
इससे स्पष्ट होता है कि यह तीनों धारणाएं एक-दूसरे के समान होती हैं। इनमें समानता को एक रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 34

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय की तीन विधियों का संक्षेप में वर्णन करें। (Describe briefly the three methods for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियां हैं
1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि (Value Added Method or Production Method)
2. आय विधि (Income Method)
3. खर्च विधि (Expenditure Method)

1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि- इसमें प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा तीसरे क्षेत्र में निम्नलिखित मदों का योग किया जाता है

  • उपभोगी वस्तुएं
  • निवेश वस्तुएं
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं

शुद्ध निर्यात। इस क्षेत्र में अन्तिम उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है परन्तु दोहरी गणना की समस्या के हल के लिए मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) का प्रयोग किया जाता है अर्थात् उत्पादित मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य तथा मूल्य घिसावट को घटाकर शुद्ध मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार शुद्ध मूल्य वृद्धि के अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना इस प्रकार की जाती है राष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

1. आय विधि (Income Method)-आय विधि में प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र में साधन आय का योग होता है जिसके मुख्य अंग इस प्रकार हैं-

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • ग़ैर-मज़दूरी आय
  • परिचालन अधिशेष
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

2. खर्च विधि (Expenditure Method) खर्च विधि में पारिवारिक क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र तथा शेष विश्व क्षेत्र के अन्तिम खर्च का योग किया जाता है। अन्तिम खर्च का वर्गीकरण इस प्रकार होता है(i) अन्तिम उपभोग खर्च
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च ।

(ii) अन्तिम निवेश खर्च
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप निम्नलिखित विधि के अनुसार किया जाता है –

राष्ट्रीय आय = निजी अन्तिम उपभोग खर्च (C) + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + अन्तिम निवेश खर्च (I) + शुद्ध निर्यात (X – M)
इस प्रकार राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियों द्वारा इसका माप किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 35

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय के माप में कौन-सी मदों को शामिल किया जाना चाहिए और कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए ?
(Which Items should be included in National Income and which items should not be included ?)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय बहुत-सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह जानकारी जरूरी है कि किन मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाना चाहिए अथवा किन मदों को शामिल नहीं करना चाहिए।
निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है (The following items are included in National Income) –

  1. स्वयं उपभोग की वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि उन्हें बाज़ार में बेचा नहीं जाता।
  2. सेवानिवृत्ति पेन्शन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह पहले की गई सेवा का फल है।
  3. स्वयं के व्यवसाय में लगे व्यक्तियों की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह मिश्रित आय होती है।
  4. मालिकों द्वारा भविष्य निधि कोष में अंशदान को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान की गई सेवाओं पर व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह सरकार द्वारा किये गए खर्च का अंश होता है।
  6. सरकार द्वारा सुरक्षा पर किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। क्योंकि यह अन्तिम प्रदान की सेवाओं का अंश होता है।
  7. दलाली का कमीशन जोकि पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर प्राप्त होता है उसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान आय होती है।
  8. कलाकार जैसे कि गायक, अभिनेता आदि की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आर्थिक सेवाएं होती हैं।
  9. लाभांश को राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं क्योंकि यह निवेश से प्राप्त आय होती है।
  10. विदेशों से लाभ-विदेशों से इस देश के बैंकों द्वारा प्राप्त किया लाभ राष्ट्रीय आय का भाग होता है क्योंकि यह विदेशों से प्राप्त साधन आय है।
  11. विदेशों से किराया जो एक देश के नागरिक प्राप्त करते हैं। यह राष्ट्रीय आय का भाग होता है।
  12. विदेशी दूतावासों से भारतीय कर्मचारियों को प्राप्त मज़दूरी राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  13. स्टॉक में परिवर्तन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  14. मालिकों का खुद मालकी के मकानों पर किराया राष्ट्रीय आय का अंश होता है।
  15. भारतीय विशेषज्ञों द्वारा विदेशों से कमाई आमदन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (The Following Items are not included in National Income)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही राष्ट्रीय आय में शामिल होता है।
  • गैर-कानूनी क्रियाएं जैसे कि जुआ, समगलिंग आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • काला धन वह धन होता है जिस पर कर (Tax) नहीं दिया जाता। इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • वित्तीय सौदे जैसा कि शेयर, बान्ड्स, डिबैनचर आदि की क्रय-विक्रय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अनार्थिक क्रियाएं-जैसा कि बच्चे को दिया गया जेब खर्च घरेलू कार्य आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गृहणियों द्वारा किये गए घरेलू कार्य को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर से प्राप्त आय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • छात्रवृत्ति द्वारा प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इसके बदले में कोई सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  • पूंजीगत लाभ तथा अचानक लाभ को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। जैसा कि शेयर की कीमत में वृद्धि से आय अथवा लाटरी से प्राप्त आय।
  • वृद्धावस्था पेन्शन जोकि हस्तान्तरण भुगतान होता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करते।
  • विदेशों से प्राप्त उपहार तथा सहायता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • बेरोज़गारी भत्ता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती उपभोग जोकि अन्तिम वस्तुओं के उत्पाद के लिए प्रयोग किया जाता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अन्वेषण के काम पर प्रयोग होने वाली वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह मध्यवर्ती वस्तुएं होती हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएं जैसा कि बाढ़, भूकम्प, सुनामी आदि समय किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 36
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण =

  • सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात = (निर्यात – आयात)
4. मूल्य घिसावट अथवा मूल्य ह्रास
5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
6. विदेशों से शुद्ध साधन आय

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा GNP, GDP, NNP, NDP, बाज़ार कीमत (Market Price) तथा साधन लागत (Factor Cost) पर ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 37
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + सकल निवेश + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय ।
= 700 + 180 + 200 + 20 + (-10) = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

(iii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

(iv) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1100 – 30 = ₹ 1070 करोड़ उत्तर

(v) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1090 – 10 = ₹ 1080 करोड़ उत्तर

(vi) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1080 – 30 = ₹ 1050 करोड़ उत्तर

(vii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1100 – 10 = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(viii) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) = साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से व्यय विधि द्वारा
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 38
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + निजी निवेश खर्च + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
= 700 + (20 + 60 + 40 + 60) + 200 + (40 – 20) + (-10)
= ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित द्वारा सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 39
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद = निजी उपभोग खर्च + सरकारी उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थिर निवेश + माल सूची में वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात
= 45000 + 5000 + 5000 + 1000 + 6000 – 7000
= ₹ 55000 उत्तर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(i) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 40
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय
24 + 24 + (-4) + 161 + (-1) = ₹ 204 करोड़।
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 204 – 23 – 22 = ₹ 159 करोड़

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि द्वारा बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 42
उत्तर-
(a) उत्पाद विधि (Production Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य) – (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग)
= (300 + 200 + 100) – (100 + 50 + 50) = ₹400 करोड़ उत्तर

(b) आय विधि (Income Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों की मज़दूरी + मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ।
= 150 + 50 + 100 + 40 + 60 = ₹400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात करें
(a) मूल्य वृद्धि विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 43
उत्तर-
(a) मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method)
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरा क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थिर पूंजी का उपभोग
= (1000 – 500) + (900 – 400) + (500 – 200) -110 + 20 – 30 – 90
= 500 + 500 + 300 – 110 + 20 – 30 – 90 = ₹ 1090 करोड़।

(b) खर्च विधि (Expenditure Method) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (GDPFC)= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – स्थिर पूंजी का उपभोग – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 1000 + 200 + 350 + (- 60) – 90 – 110 + 20 = ₹ 1310 करोड़।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(a) आय विधि द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 44
उत्तर-
(a) आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = ब्याज, लगान तथा लाभ + रायल्टी + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + अप्रत्यक्ष कर — सहायता + स्थिर पूंजी का उपभोग
= 900 + 20 + 60 + 370 + 120 – 20 + 60 = ₹ 1510 करोड़ उत्तर

(b) खर्च विधि साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 100 + 800 + 620 + (-10) – 120 + 20 – 60 + (-10) = ₹ 1340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा सकल राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 45
उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मेहनताना – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से प्राप्त साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + अन्तिम निजी उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग
‘खर्च = 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(a) आय विधि
(b) खर्च विधि से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 46
उत्तर-
आय विधि (Income Method) –
बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थिर पूंजी का उपभोग + लाभ + लगान + ब्याज
SET-I = 400 + 500 + (-20) + 100 + 120 + 350 + 100 + 150 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 300 + 400 + (-10) + 60 + 100 + 250 + 80 + 70 = ₹ 1250 करोड़
SET-III = 500 + 600 + (-15) + 150 + 115 + 450 + 200 + 250 = ₹ 2250 करोड़

खर्च विधि (Expenditure Method)-
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
SET-I = 900 – 20 + 120 + 280 – 30 + 450 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 700 + 10 + 100 + 120 – 10 + 350 = ₹ 1270 करोड़
SET-III = 1100 – 15 + 115 + 375 – 25 + 700 = ₹ 2250 करोड़

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) आय विधि
(ii) व्यय विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 47PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 48

उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + लाभ + लगान + ब्याज + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय
SET-I = 1200 + (-20) + 800 + 400 + 620 + 700 = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 600 + (-10) + 400 + 200 + 310 + 350 = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 500 + (-10) + 220 + 90 + 100 + 400 = ₹ 1300 करोड

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध साधन आय
SET-I = 2000 + 1100 + 770 + (-30) – 120 + (-20) = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 1000 + 550 + 385 + (-15) – 60 + (-10) = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 900 + 400 + 200 + (-25) -165 + (-10) = ₹ 1300 करोड़

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर सकल राष्ट्रीय आय की गणना
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा करें

उत्तर-
आय विधि (Income Method)-
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

खर्च विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + निजी अन्तिम उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
= 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़े x फ़र्म के सम्बन्ध में दिये गए हैं। इस फ़र्म द्वारा साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 50
उत्तर –
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) + सहायता – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 500 + (20 – 30) + 40 – 300 = ₹ 230 हजार उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 51
उत्तर –
बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद – घिसावट
SET-I = 700 + 40 – 400 – 80 = ₹ 260 हज़ार
SET-II = 300 + (-10) – 150 -20 = ₹ 120 हज़ार उत्तर

प्रश्न 14.
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 52
उत्तर
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग – बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 500 + (40-20)- 320 – 15 +5 -50 = ₹ 140 लाख उत्तर

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों से बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 53
उत्तर
बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = प्राथमिक क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – प्राथमिक क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + गौण क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – गौण क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग
= 2000 – 1000 + 1800 – 800 + 1400 – 600 = ₹ 2800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आंकड़ों से साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 54
उत्तर-
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – कच्चे माल की खरीद + आर्थिक सहायता
= 180 + 15 – 100 + 10 = ₹ 105 लाख उत्तर

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आंकड़ों से आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 55
उत्तर
राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1900 + 720 + (-20) = ₹ 2600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 18.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 56
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 75,000 + 15,550 + 4,500 + 6,000 – 9,000 – 650
= ₹ 91,400 करोड़ उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय
= बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 91,400 – 600 = ₹ 90,800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 19.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 58
उत्तर-
(क) बाज़ार. कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध राष्ट्रीय आय
= 85000 + 10550 + 2500 + 4000 – 8000 – 750 = ₹ 93,300 करोड़ उत्तर
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 93300 – 500 = ₹ 92,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 59
उत्तर
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन
= 65000 + 20550 + 6500 + 2000 – 7000 – 550 = 86500 ₹ करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 86500 – 400 = ₹ 86100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 21.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 60
उत्तर-
(क) राष्ट्रीय आय = परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 10,000 + 15350 + 7366 + (-) 110 = ₹ 32606 करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद
= परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित + मिश्रित आय + अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक अनुदान + स्थायी पूंजी का उपभोग
= 10,000 + 15350 + 7366 + 5598-2655 + 4135
= ₹39794 करोड़ उत्तर

प्रश्न 22.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 61
उत्तर-
राष्ट्रीय आय व्यय = 1 + 2 + 4 + 5 + 7 + 8-3-6 = 18557 + 20510 + 9860 + 13720 + 2560 – 2000 -110 – 15000 = ₹ 48097 करोड़ उत्तर
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद = 1 + 2 + 4 + 8 + 5 -6 = 18557 + 20510 + 4860 + 2560 + 13720 – 15000
= ₹ 50207 करोड़ उत्तर

प्रश्न 23.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय .
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 62
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 1,00,000 + 12,500 + 2,500 + 6,000 – 9,000 + 750 = ₹ 1,12,750 उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन
= 1,12,750 – 400 = ₹ 1,12,350 उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 24.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क)बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 63
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) -(v) + (vi)
1,50,000 + 18,750 + 3,750 + 9,000 – 12,000 + 1,125 = ₹ 1,70,625

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – (vii)
= 1,70,625 – 600 = ₹ 1,70,025 उत्तर

प्रश्न 25.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 64
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 2,00,000 + 25,000 + 5,000 + 12,000 – 18,000 + 1,500
= ₹ 2,25,500 उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध रीष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्य ह्रास
= 2,25,500 – 800 = ₹ 2,24,700 उत्तर

प्रश्न 26.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 65
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
= 5000 + 500 + 600 + 800 + 3000 = ₹ 9900 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 9900 + 1000 = ₹ 10,900 करोड़ उत्तर

प्रश्न 27.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 66
उत्तर-
SET-B
(क) घरेलू साधन आय = i + ii + iii + iv + v
= 10,000 + 1000 + 1200 + 1600 + 6000
= ₹ 19,800 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 19,800 + 2000
= ₹ 21,800 करोड़ उत्तर

SET-C
(क) घरेलू साधन आय =i+ii + iii + iv + v
= 15000 + 1500 + 1800 + 2400 + 9000
= ₹ 29,700 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 29,700 + 3000 = ₹ 32,700 करोड़ उत्तर

प्रश्न 28.
निम्नलिखित की गणना करें ।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 67
उत्तर-
SET-B
(i) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक-साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती
उपभोग = 140000 + 40000 (50,000 – 10,000) – 20,000
= ₹ 1,60,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (-) घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (प्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)
= 1,60,000 – 2000 – 400 (600 – 200)
= ₹ 1,57,600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 29.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 68
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक – साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 20000 (25,000 – 5000) – 10,000
= ₹ 80,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय – घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) = 80,000 – 1000 – 200 (300 -100) = ₹ 78,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 30.
नीचे दिये गए आंकड़ों के आधार पर बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 69
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थाई पूँजी निर्माण + स्टॉक में शुद्ध वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थाई पूँजी का उपभोग।
= 510 + 70 + 130 + 30 + 48 – 56 + (-3) – 40 = ₹ 689 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 689 – 90 + 18
= ₹ 617 करोड़ उत्तर

प्रश्न 31.
निम्नलिखित आंकड़ों से मुख्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 70
उत्तर-
मुल्य वृद्धि = उत्पादन का मुल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 10000 – 2555 = ₹ 7445 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

PSEB 12th Class Economics राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन आय से अभिप्राय उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में आय, लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
हस्तान्तरण आय (Transfare Payments) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हस्तान्तरण भुगतान वह भुगतान है जो बिना किसी सेवा प्रदान किए ही दिए जाते हैं। जैसे कि बुढ़ापा पैन्शन, बेरोज़गारी भत्ता, इत्यादि।

प्रश्न 3.
घरेलू साधन आय को परिभाषित करो।
उत्तर-
घरेलू साधन आय एक देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसको घरेलू साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 4.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPAP) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत के मूल्य को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 5.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPL) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादन वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार कीमत पर मूल्य के योग को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है, यदि इसमें से मशीनों की मूल्य घिसावट घटा दी जाए तो इसको बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) कहते हैं।

प्रश्न 6.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद का अर्थ उत्पादन के साधनों को सेवाएं प्रदान करने के बदले में लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होने वाली आय का योग होता है। इसमें मशीनों की घिसावट का मूल्य भी शामिल होता है।

प्रश्न 7.
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (NNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
अथवा
राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा एक वर्ष में जो लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त की जाती है, उसके योग में से यदि मशीनों की घिसावट (Depreciation) को घटा दिया जाए तो इसको साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 8.
घरेलू साधन आय में क्या शामिल किया जाए जिससे राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन उत्पादन देश के निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की गई आय होती है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल कर लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन आय में उत्पादन के साधनों द्वारा लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। यदि हम घरेलू साधन आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। घरेलु साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होगी, यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 10.
सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद के समान कब होता है ?
उत्तर-
देश की घरेलू सीमा में निवासियों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के योग को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाए तो सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है। सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद के समान होता है, जब विदेशों से प्राप्त साधन आय शून्य होती है।

प्रश्न 11.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
जब विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है तो घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होती है।

प्रश्न 12.
हरे सकल घरेलू उत्पाद (Green GNP) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि से निर्धनता तथा प्रदूषण नहीं फैलता तथा जब सकल राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि प्राकृतिक वातावरण के दुरुपयोग तथा विकास के लाभों का समान वितरण करता है तो इसको अर्थशास्त्री हरे सकल घरेलू उत्पादन (Green GNP) का नाम देते हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 13.
कौन सी मदें हैं जो सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.) में से बाहर निकाली जाती हैं ?
उत्तर-
निम्नलिखित मदें सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं की जाती :

  • घर की गृहिणी द्वारा घर का काम करना
  • पिता का अपने पुत्र को पढ़ाना
  • गैर-कानूनी क्रियाएं (समगलिंग, जुआ इत्यादि)।

प्रश्न 14.
गैर-बाज़ार क्रियाओं का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
गैर-बाज़ार क्रियाओं में उन सेवाओं को शामिल किया जाता है, जो बाज़ार में बिकने के लिए नहीं आती।

प्रश्न 15.
आराम (Leisure) को सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में शामिल नहीं किया जाता है। कारण बताओ।
उत्तर-
आराम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि(i) आराम (Leisure) द्वारा आय की सृजना नहीं होती। (ii) ऐसी क्रिया के मूल्य का माप नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 16.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) लॉटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना।
(ii) नई कार की खरीद।
उत्तर-
(i) लाटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।
(ii) नई कार की खरीद-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 17.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) स्वयं-उपभोग के लिए रखा उत्पादन।
(ii) बुढ़ापा पैन्शन।
उत्तर-
(i) स्वयं उपभोग के लिए रखा उत्पादन- इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
(ii) बुढ़ापा पैन्शन-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।

प्रश्न 18.
क्या निम्नलिखित आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ?
(i) विदेशी बैंक द्वारा भारत में से प्राप्त आय।
(ii) शेयरों की बिक्री से आय।
उत्तर
(i) विदेशी बैंक द्वारा भारत में से प्राप्त आय-इस बैंक द्वारा प्राप्त आय को भारत की राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह ब्रांच भारत में स्थित है।
(ii) शेयरों की बिक्री से आय-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि शेयरों की बिक्री से वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन नहीं होता।

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
घरेलू आय देश के साधारण निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की साधन आय लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ का योग है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन जोड़ लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है। राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय|

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प्रश्न 20.
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय तथा स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब राष्ट्रीय आय का माप प्रचलित कीमतों पर किया जाता है तो इसको चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है। जब राष्ट्रीय आय का माप स्थिर कीमतों पर किया जाता है तो इसको वास्तविक आय कहा जाता है।

प्रश्न 21.
सकल राष्ट्रीय उत्पादन के बढ़े मूल्य को घटाने से क्या उद्देश्य है ?
उत्तर-
चालू कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन को वास्तविक कीमतों (आधार वर्ष की कीमतों) के मापने को सकल राष्ट्रीय उत्पादन के बढ़े मूल्य को घटाना (GNP deflator) कहा जाता है।
GNP deflator = \(\frac{\text { Nominal GNP }}{\text { Real GNP }} \times 100\)

प्रश्न 22.
परिभाषित करो
(a) मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
उत्तर-
(a) मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Nominal G.N.P.)-यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद का माप चालू बाज़ार की कीमत पर किया जाता है तो इसको मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।
(b) वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Real GNP)-सकल राष्ट्रीय उत्पाद को स्थिर कीमतों पर मापा जाता है तो इसको वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 23.
घिसावट (Depreciation) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
स्थिर पूंजी के उपभोग से क्या अभिप्राय है ? इसके मुख्य अंश बताओ।
उत्तर-
घिसावट को स्थिर पूंजी का उपभोग भी कहा जाता है, जब स्थिर भण्डारों का प्रयोग किया जाता है तो इनके मूल्य की कमी को घिसावट कहा जाता है। घिसावट में-

  • साधारण टूट-फूट पर घिसाई
  • नई तकनीकों के आविष्कार से पुरानी मशीनों का प्रयोग न होना
  • मशीनों का खराब होना शामिल होता है।

प्रश्न 24.
अंतिम वस्तुओं तथा मध्यवर्ती वस्तुओं में क्या अन्तर होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Goods)- यह वह वस्तुएं होती हैं, जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है।
अन्तिम वस्तुएं (Final Goods)-वह वस्तुएं होती हैं जो अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि होटल वाले के लिए आटा मध्यवर्ती वस्तु है तथा परिवारों के लिए आटा अन्तिम वस्तु है।

प्रश्न 25.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश के साधारण निवासियों द्वारा एक वर्ष में एक देश में जो साधन आय का योग होता है, उसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। राष्ट्रीय आय में यदि हम शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण शामिल कर लेते हैं तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय कहा जाता है।

प्रश्न 26.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय व्यय योग्य आय एक देश के साधारण निवासियों को एक वर्ष में सभी साधनों द्वारा प्राप्त आय होती है, जिसको वह उपभोग अथवा बचत कर सकते हैं। बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में शेष विश्व से अन्य चालू हस्तान्तरण योगकर राष्ट्रीय व्यय योग्य आय प्राप्त होती है।
National Disposable Income = NNP Mp + Other Current Transfers from the rest of the World
अथवा
Gross National Disposable Income = GNP Mp + Other Current Transfers from the rest of the World.

प्रश्न 27.
निजी आय (Private Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी क्षेत्र को सभी साधनों द्वारा जो कुल आय प्राप्त होती है, जिसमें चालू हस्तान्तरण आय को भी शामिल किया जाए तो इसके योग को निजी आय कहा जाता है।
प्राइवेट आय =
(i) शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त निजी क्षेत्र की आय + (ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय + (iii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + (iv) सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण +(v) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण।

प्रश्न 28.
चालू हस्तान्तरण तथा पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  • चालू हस्तान्तरण (Current Transfers)-चालू हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होती है, जो अदा करने वाले द्वारा चालू आय में से उपभोग व्यय के लिए लोगों को दी जाती है।
  • पूंजी हस्तान्तरण (Capital Transfers)-पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण है जो अदा करने वाले द्वारा धन अथवा बचत में से प्राप्त करने वाले के धन अथवा बचत के लिए दी जाती है।

प्रश्न 29.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत आय वह आय है, जोकि व्यक्तियों द्वारा साधन आय के रूप में अथवा चालू हस्तान्तरण के रूप में सभी साधनों से प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 30.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय = निजी आय (-) निगम कर-निगम बचत अथवा निगमों के अनवितरण लाभ। इससे ज्ञात होता है कि निजी आय विशाल धारणा है, जबकि व्यक्तिगत आय इसका भाग है। निजी आय में से निगम कर तथा निगम बचत घटाकर व्यक्तिगत आय प्राप्त की जाती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 31.
वह नागरिक जो एक देश में रहते हैं और उनके हित उस देश से जुड़े होते हैं, को ……… कहते हैं।
(क) विदेशी नागरिक
(ख) प्रवासी नागरिक
(ग) साधारण नागरिक
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) साधारण नागरिक।

प्रश्न 32.
अप्रत्यक्ष कर और आर्थिक सहायता के अन्तर को …….. कहते हैं।
(क) सकल अप्रत्यक्ष कर
(ख) प्रत्यक्ष कर
(ग) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 33.
उपभोग के लिए अन्तिम वस्तुओं के उपभोग को ………. कहते हैं।
(क) निवेश व्यय
(ख) उपभोग व्यय
(ग) राष्ट्रीय आय
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) उपभोग व्यय।

प्रश्न 34.
अप्रत्यक्ष कर तथा आर्थिक सहायता के अन्तर को …………. कहते हैं।
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 35.
व्यक्तियों को सभी स्रोतों से असल में प्राप्त आय और हस्तातरण भुगतान के योग को ……….. कहते हैं।
उत्तर-
निजी आय।

प्रश्न 36.
वह भुगतान जो किसी बगैर किसी सेवा के प्रदान किए जाते हैं, को ….. कहते हैं।
उत्तर-
हस्तांतरण भुगतान।

प्रश्न 37.
बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) में है। …….. किया जाए तो बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है।
(क) घिसावट
(ख) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 38.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) ………… = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP).
उत्तर-
घिसावट।

प्रश्न 39.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMD)………….. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC)
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 40.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPM) (-) ………….. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) अथवा राष्ट्रीय आय (Material Income)
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 41.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPR) (-) ……….. = राष्ट्रीय आय (National Income)
उत्तर-
घिसावट।

प्रश्न 42.
निजी आय (-) निगमकर (-) निगमों को आबंटित लाभ ……….
उत्तर-
व्यक्तिगत आय।

प्रश्न 43.
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग और वस्तुओं के उत्पादन अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है को ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ।

प्रश्न 44.
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए किया जाता है, को …….. कहते हैं।
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन आय से अभिप्राय उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में आय, लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है। उत्पादन प्रक्रिया में सेवाएं प्रदान करने के बदले में प्राप्त होने वाली आय को साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 2.
हस्तान्तरण आय (Transfer Payments) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हस्तान्तरण भुगतान वह भुगतान है जो बिना किसी सेवा प्रदान किए ही दिए जाते हैं। यह एक-तरफा भुगतान होते हैं, जैसे कि बुढ़ापा पैन्शन, बेरोज़गारी भत्ता, इत्यादि।

प्रश्न 3.
घरेलू साधन आय को परिभाषित करो।
उत्तर-
घरेलू साधन आय एक देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसको घरेलू साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 4.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPL) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत के मूल्य को बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 5.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPM) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादन वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के योग को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है, यदि इसमें से मशीनों की मूल्य घिसावट घटा दी जाए तो इसको बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) कहते हैं।
NNPMP = GNPMP – Depreciation

प्रश्न 6.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद का अर्थ उत्पादन के साधनों को सेवाएं प्रदान करने के बदले में लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होने वाली आय का योग होता है। इसमें मशीनों की घिसावट का मूल्य भी शामिल होता है।

प्रश्न 7.
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (NNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
अथवा
राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा एक वर्ष में जो लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त की जाती है, उसके योग में से यदि मशीनों की घिसावट (Depreciation) को घटा दिया जाए तो इसको साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 8.
घरेलू साधन आय में क्या शामिल किया जाए जिससे राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाए ?
उत्तर-
घरेलू साधन उत्पादन देश के निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की गई आय होती है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल कर लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन आय में उत्पादन के साधनों द्वारा लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। यदि हम घरेलू साधन आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होगी, यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 10.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) लॉटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना।
(ii) नई कार की खरीद।
उत्तर-
(i) लाटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।।
(ii) नई कार की खरीद-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 11.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) स्वयं-उपभोग के लिए रखा उत्पादन
(ii) बुढ़ापा पैन्शन।
उत्तर-
(i) स्वयं उपभोग के लिए रखा उत्पादन
(ii) बुढ़ापा पैन्शन-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।

प्रश्न 12.
घिसावट (Depreciation) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
स्थिर पूंजी के उपभोग से क्या अभिप्राय है ? इसके मुख्य अंश बताओ।
उत्तर-
घिसावट को स्थिर पूंजी का उपभोग भी कहा जाता है, जब स्थिर भण्डारों का प्रयोग किया जाता है तो इनके मूल्य की कमी को घिसावट कहा जाता है। घिसावट में-

  • साधारण टूट-फूट पर घिसाई
  • नई तकनीकों के आविष्कार से पुरानी मशीनों का प्रयोग न होना
  • मशीनों का खराब होना शामिल होता है।

प्रश्न 13.
अंतिम वस्तुओं तथा मध्यवर्ती वस्तुओं में क्या अन्तर होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Goods)-यह वह वस्तुएं होती हैं, जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है। अन्तिम वस्तुएं (Final Goods)-वह वस्तुएं होती हैं जो अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि होटल वाले के लिए आटा मध्यवर्ती वस्तु है तथा परिवारों के लिए आटा अन्तिम वस्तु है।

प्रश्न 14.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश के साधारण निवासियों द्वारा एक वर्ष में एक देश में जो साधन आय का योग होता है, उसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। राष्ट्रीय आय में यदि हम शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण शामिल कर लेते हैं तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय कहा जाता है।

प्रश्न 15.
निजी आय (Private Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी क्षेत्र को सभी साधनों द्वारा जो कुल आय प्राप्त होती है, जिसमें चालू हस्तान्तरण आय को भी शामिल किया जाए तो इसके योग को निजी आय कहा जाता है।
प्राइवेट आय = (i) शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त निजी क्षेत्र की आय + (ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय + (iii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + (iv) सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण + (v) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 16.
चालू हस्तान्तरण तथा पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  • चालू हस्तान्तरण (Current Transfers)-चालू हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होती है, जो अदा करने वाले द्वारा चालू आय में से उपभोग व्यय के लिए लोगों को दी जाती है।
  • पूंजी हस्तान्तरण (Capital Transfers)-पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण है जो अदा करने वाले द्वारा धन अथवा बचत में से प्राप्त करने वाले के धन अथवा बचत के लिए दी जाती है।

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत आय वह आय है, जोकि व्यक्तियों द्वारा साधन आय के रूप में अथवा चालू हस्तान्तरण के रूप में सभी साधनों से प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 18.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय = निजी आय (-) निगम कर-निगम बचत अथवा निगमों के अनवितरण लाभ। इससे ज्ञात होता है कि निजी आय विशाल धारणा है, जबकि व्यक्तिगत आय इसका भाग है। निजी आय में से निगम कर तथा निगम बचत घटाकर व्यक्तिगत आय प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 19.
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय वह आय है जोकि एक देश के व्यक्ति तथा परिवार उपभोग पर व्यय कर सकते हैं अथवा बचत कर सकते हैं। निजी व्यय योग्य आय तथा निजी आय में अन्तर इस प्रकार है व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय-व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर-सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने।

प्रश्न 20.
बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में देश के साधारण निवासियों द्वारा जो अन्तिम वस्तुएं तथा सेवाएं प्रदान की जाती हैं उसके बाज़ार मूल्य को बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद (GDP at market Price) कहा जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय के अंश बताओ।
उत्तर-
साधन आय के अंश इस प्रकार हैं-

  1. कर्मचारियों का मेहनताना-उद्यमियों द्वारा कर्मचारियों को नकद मज़दूरी तथा वेतन अथवा बोनस में मेहनताना दिया जाता है तथा इन कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा योजना में पाए गए योगदान को कर्मचारियों का मेहनताना कहते हैं। इसको साधन आय में शामिल किया जाता है।
  2. प्रचालन बेशी-इसमें जायदाद से आय तथा उद्यमवृत्ति से आय को शामिल किया जाता है। इसमें लगान,ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। (लाभ = लाभांश + निगम कर + अवितरित लाभ)
  3. मिश्रित आय–निजी इकाइयों द्वारा प्राप्त लाभ तथा स्वयं नियोजता की आय को मिश्रित आय कहते हैं। इनके जोड़ से साधन आय प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 2.
घरेलू साधन आय के अंश बताओ। राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए इसमें क्या शामिल किया जाता है तथा क्यों ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा में साधनों की आय के योग को घरेलू साधन आय कहा जाता है। घरेलू साधन आय =
(1) कर्मचारियों का मेहनताना + (2) प्रचालन बेशी + (3) मिश्रित आय।
राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए घरेलू साधन आय प्राप्त करने के लिए विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को घरेलू साधन आय में जोड़ा जाता है| राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = विदेशी शहरों द्वारा एक देश में से प्राप्त की साधन आय–इस देश के साधारण शहरियों द्वारा विदेशों से प्राप्त की गई साधन आय।

प्रश्न 3.
बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(-) घिसावट
(-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(+) विदेशों से शुद्ध साधन आय।

अन्तर का आधार बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP Market Price) साधन लागत परशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP Factor Cost)
1. घिसावट इसमें स्थित पूंजी की घिसावट शामिल होती है। इसमें घिसावट शामिल नहीं होती।
2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर-सबसिडी) शामिल होती है। इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होते।
3. विदेशों से शुद्ध साधन आय इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल नहीं होती। इसमें देश के साधारण निवासियों तथा विदेशियों द्वारा घरेलू क्षेत्र की पैदावार को जोड़ते हैं। इसमें देश के साधारण निवासियों द्वारा घरेलू क्षेत्र अथवा विदेशी क्षेत्र में उत्पादकता को जोड़ते हैं।

प्रश्न 4.
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद तथा बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)
(-) घिसावट (+) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(+) विदेशों से शुद्ध साधन आय

अन्तर का आधार बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC)
1. घिसावट इसमें घिसावट शामिल नहीं होती। इसमें घिसावट शामिल होती है।
2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल होते | इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं
होते।
3. विदेशों से शुद्ध साधन आय इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल होती है। इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल नहीं होती।

प्रश्न 5.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य तथा बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NDI) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध साधन आय (NNPMP) + शेष विश्व से चालू हस्तान्तरण
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 1
कुल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GNPL) + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (Gross National Disposable Income)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निजी व्यय योग्य आय तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर-

व्यक्तिगत व्यय योग्य आय राष्टीय व्यय योग्य आय
1. यह देश के व्यक्तियों तथा परिवारों की व्यय योग्य आय होती है। 1. यह देश की व्यय योग्य आय होती है।
2. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत उपभोग + व्यक्तिगत बचतें। 2. राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (उपहार, उपभोगी सामान, फ़ौजी सामान तथा नकद मुद्रा)

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में अन्तर इस प्रकार है-

अन्तर का आधार राष्ट्रीय आय निजी आय
(1) क्षेत्र इसमें सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है। इसमें केवल निजी क्षेत्र से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है।
(2) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज राष्ट्रीय आय में राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को शामिल नहीं किया जाता। निजी आय में राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को शामिल किया जाता है।
(3) हस्तान्तरण आय राष्ट्रीय आय में किसी किस्म की हस्तान्तरण आय को शामिल नहीं किया जाता। इसमें केवल साधन आय को जोड़ते हैं। निजी आय में सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण तथा शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण को जोड़ते हैं। इसमें साधन आय भी जोड़ी जाती है।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-

अन्तर का आधार राष्ट्रीय आय (National Income) व्यक्तिगत आय (Personal Income)
(1) हस्तान्तरण आय राष्ट्रीय आय में केवल साधन आय को शामिल किया जाता है, हस्तान्तरण आय को शामिल नहीं किया जाता। व्यक्तिगत आय में साधन आय तथा हस्तान्तरण आय दोनों को ही शामिल किया जाता है।
(2) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। इसको व्यक्तिगत आय में शामिल किया जाता है।
(3) निगम कर तथा बचतें निगम कर तथा बचतों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। निगम कर तथा बचतों को व्यक्तिगत आय में शामिल नहीं किया जाता।
(4) सरकारी क्षेत्र की आय सरकारी क्षेत्र में काम करके उद्योगों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। सरकारी क्षेत्र की आय को व्यक्तिगत आय में शामिल नहीं किया जाता।

प्रश्न 9.
व्यक्तिगत आय तथा व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय-व्यक्तियों तथा परिवारों को साधन आय तथा हस्तान्तरण आय के योग को व्यक्तिगत आय कहा जाता है। यह व्यय योग्य आय से विशाल धारणा है। व्यय योग्य आय-जो आय व्यक्तियों तथा परिवारों के पास प्रत्यक्ष निजी कर जैसे कि आय कर तथा हाऊस कर देने के पश्चात् तथा सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने देने के उपरान्त लोगों के पास रह जाती है, उसको व्यय योग्य आय कहा जाता है। व्यय योग्य आय का उपभोग किया जा सकता है अथवा बचत की जा सकती है। व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय-प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने।

प्रश्न 10.
वह तीन धारणाएं बताओ जो सकल तथा शुद्ध बाज़ार कीमत तथा साधन लागत, घरेलू तथा राष्ट्रीय धारणाओं में अन्तर स्पष्ट करती है ।
उत्तर-

  1. घिसावट (Depreciation)सकल तथा शुद्ध आय में अन्तर को घिसावट द्वारा स्पष्ट किया जाता है। सकल आय अथवा उत्पाद = शुद्ध आय अथवा उत्पाद + घिसावट
  2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes) बाज़ार कीमत तथा साधन लागत पर राष्ट्रीय आय की धारणाओं को शुद्ध अप्रत्यक्ष करों द्वारा सम्बन्धित किया जाता है। शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर-सबसिडी साधन लागत पर आय = बाज़ार कीमत पर आय-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
  3. विदेशों से शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from Abroad)-जब हम घरेलू तथा राष्ट्रीय आय की धारणाओं में अन्तर करते हैं तो विदेशों से शुद्ध साधन आय द्वारा इनमें सम्बन्ध स्थापित होता है। घरेलू आय = राष्ट्रीय आय–विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (National Disposable Income) से अभिप्राय उस शुद्ध आय से है जोकि उस देश को खर्च करने के लिए उपलब्ध होती है। राष्ट्रीय प्रयोज्य आय को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है| राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण राष्ट्रीय आय से अभिप्राय साधन लागत पर शुद्ध घरेलू आय और विदेशों से शुद्ध साधन आय का योग होता है। इस प्रकार राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा राष्ट्रीय आय में अन्तर इस प्रकार होता है राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय प्रयोज्य आय-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर-शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण

प्रश्न 12.
सकल प्रयोज्य आय तथा शुद्ध प्रयोज्य आय में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
सकल प्रयोज्य आय वह आय है जोकि देश के निवासियों को सभी स्रोतों से उपभोग तथा बचत के लिए प्राप्त होती है। सकल प्रयोज्य आय में अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत शामिल होती है। अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत को हम पुनः स्थानापन्न लागत भी कहते हैं। इस प्रकार किसी देश में सकल प्रयोज्य आय उस देश की राष्ट्रीय आय, शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा बाकी विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण का जोड़ होता है। यदि इसमें से पुनःस्थापन लागत या घिसावट लागत कम कर दी जाए तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय कहा जाता है। शुद्ध प्रयोज्य आय = सकल राष्ट्रीय आय-चालू पुनः स्थापन लागत अथवा घिसावट लागत

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन की विभिन्न धारणाएं कौन-कौन सी हैं ? इनके सम्बन्ध को स्पष्ट करो। (What are the different concepts of National Product or Income ? Show their relationship.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन की मुख्य धारणाएं निम्नलिखित हैं-

  1. बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
  3. बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)
  4. बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP)
  5. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा घरेलू साधन आय (NDPFC)
  6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू आय (GDPFC)
  7. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा सकल राष्ट्रीय आय (GNPFC)
  8. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय (NNPFC or National Income)
  9. सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (Gross Disposable National Income)
  10. शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (Net Disposable National Income) इन धारणाओं के बिना राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण धारणाएं इस प्रकार हैं
  11. निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय
  12. निजी आय (Private Income)
  13. व्यक्तिगत आय (Personal Income)
  14. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) इन धारणाओं के परस्पर सम्बन्ध को एक तालिका द्वारा निम्नलिखित रेखाचित्र 1 अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 3

राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय की धारणाओं का सम्बन्ध इस प्रकार है-

  1. बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) –  तथा सेवाओं का बाज़ार कीमत पर मूल्य।
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  3. बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) घिसावट (Depreciation)
  4. बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)- विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  5. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा शुद्ध घरेलू आय (NDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP)-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.)
  6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) + घिसावट (Depreciation)
  7. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा सकल राष्ट्रीय आय (GNPFC) = साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू आय (GDPFC) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  8. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNPFC or National Income) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) – घिसावट (Depreciation)
  9. सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GDNI) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) + शेष विश्व से चालू हस्तान्तरण।
  10. शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NDNI) = सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GDNI) (-) घिसावट (Depreciation)

अथवा व्यक्तियों तथा परिवारों की व्यय योग्य आय का योग इन धारणाओं के बिना कुछ अन्य धारणाएं इस प्रकार हैं, जिनका सम्बन्ध 5वीं धारणा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPRO) से आरम्भ करते हैं।

  1. निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद-सरकारी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय। 1. गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें 2. विभागीय उद्यमों को सम्पत्ति तथा उद्यम श्रमिक से आय)
  2.  निजी आय (Private Income) = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय (+) विदेशों से शुद्ध साधन आय (+) सरकारी क्षेत्र से हस्तान्तरण आय (+) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण (+) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज।
  3. व्यक्तिगत आय (Personal Income) = निजी क्षेत्र-निगम कर-निगम बचतें निगमों के अवितरित लाभ
  4. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = व्यक्तिगत आय-व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां (फीस तथा जुर्माने)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 2.
निम्नलिखित धारणाओं में अन्तर बताओ
(i) GDPMP and GNPMP
(ii) GDPMP and NNPMP
(iii) GDP at FC and NNP at MP
(iv) GNP at FC and NNP at FC
(v) GDP and NNP
(vi) GNP at FC and GNP at MP
(vii) GNP at MP and NDP at FC
(viii) GDP at MP and NNP at FC.
उत्तर-
राष्ट्रीय आय की धारणाओं का सम्बन्ध-रेखाचित्र 2 अनुसार-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 4
बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)-एक वर्ष में एक देश में देश के साधारण निवासियों द्वारा जो अन्तिम वस्तुएं तथा सेवाएं उत्पादन की जाती हैं, उसके बाज़ार मूल्य को बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। यदि अकेला GDP दिया हो तो इससे अभिप्राय कीमत पर होता है।

बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from abroad (NFYA) को सम्मिलित किया जाए तो बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाता है। यदि अकेला GNP दिया हो तो यह बाज़ार कीमत पर होता है।

(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) (+) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(ii) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) घिसावट (Depreciation)

(iii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पादन (GDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) + घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(iv) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP at FC) + घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(v) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) (-) घिसावट (Depreciation)

(vi) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) (+) घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(vii) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(viii) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NFPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(ix) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) (-) घिसावट (Depreciation) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

प्रश्न 3.
भारत की अर्थव्यवस्था के 1982-83 के आंकड़े चालू कीमतों अनुसार दिए गए हैं। इनसे
(i) NNPFC
(ii) NNPMP
(iii) GNPMP
(iv) GDPMP
(v) GNPFC
(vi) NDPMP
(vii) GDPFC ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 5
उत्तर-
बेकरमैन के चित्र रेखाचित्र 2 के अनुसार
(i) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 1,33,151 + (-) 681 = ₹ 1,32,470 करोड़

(ii) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) = 1,32,470 + 19,183 = ₹ 1,51,653 करोड़

(iii) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) + faturala (Depreciation) = 1,51,653 + 11,242 = ₹ 1,62,895 करोड

(iv) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) – विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 1,62,895 – (-681) = ₹ 1,63,576 करोड़

(v) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.) = 1,62,895 – 19,183 = ₹ 1,43,712 करोड़

(vi) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) घिसावट (Depreciation) = 1,63,576 – 11,242 = ₹ 1,52,334 करोड़

(vii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPR) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.) = 1,63,576 – 19,183 = ₹ 1,44,393 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा ज्ञात करो।
(a) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(b) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 6
उत्तर-
बैकरमैन का चित्र बनाओ –
(a) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) +घिसावट (Depreciation) = 74905 + 4486 = ₹ 79391 करोड़ उत्तर
(b) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) (+) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 74905 – 8344 + (-232) = ₹ 66329 करोड़ उत्तर।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

V. सरख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों से शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) ज्ञात करो
₹ करोड़
(1) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = 97503
(2) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = (-) 201
(3) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 10,576
(4) स्थिर पूंजी का उपभोग = 5,699
उत्तर-
बेकरमैन का चित्र –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 7
नोट : इस चित्र में D = Depreciation (घिसावट अथवा मूल्य घसाई)
NIT = Net Indirect Taxes (शुद्ध अप्रत्यक्ष कर)
NFYA = Net Factor Income from abroad (विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय)
बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (-) स्थिर पूंजी का उपभोग अथवा घिसावट
= 97503 (-) (-) 201 (-) 5699
= 97503 + 201 – 5699 = ₹ 92005 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 2.
एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था का बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ₹ 1,20,000 करोड़ है। यदि देश का पूंजी भण्डार ₹ 3,00,000 करोड़ है तथा इसकी वार्षिक घिसावट 20% है। अप्रत्यक्ष कर ₹ 30,000 करोड़ तथा सबसिडी ₹ 15,000 करोड़ है। राष्ट्रीय आय कितनी होगी?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) – मशीनों की घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ₹ करोड़ बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = 1,20,000
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 8

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों से निजी आय ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 9
उत्तर-
निजी आय (Private Income) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (-) गैर विभागीय सरकारी उद्यमों की बचतें (-) सरकारी प्रबन्धकीय उद्यमों को जायदाद तथा उद्यमवृत्ति से आय ” (+) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों से चालू हस्तान्तरण (+) शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (+) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज निजी आय = 473 – 1 – 9 + 18 + 4 + 28 = ₹ 513 करोड़
नोट-विदेशों से शुद्ध साधन आय, साधन लागत तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में शामिल होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से निजी आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 10
उत्तर-
निजी आय = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय (+) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (+) विदेशों से शुद्ध साधन आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण निजी आय (Private Income) = 500 + 40 + (-20) + 60 + 50 = ₹ 630 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 11
उत्तर-
निजी आय (Private Income)-राष्ट्रीय आय (-) विभागीय उद्यमों की सम्पत्ति तथा उद्यमवृत्ति से आय (-) गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें + सरकारी क्षेत्र से हस्तान्तरण आय + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
(i) निजी आय = 5000 – 70 – 60 + 55 + 25 + 20 = ₹ 4970 करोड़ उत्तर
(ii) व्यक्तिगत आय = निजी आय-निगम कर-निगम बचतें = 4970 – 100 – 200 = ₹ 4670 करोड़ उत्तर
(iii) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय (-) व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 4670 – 20 – 10 = ₹ 4640 करोड उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत आय ज्ञात करोPSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 12
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 13
उत्तर-
व्यक्तिगत आय (Personal Income)-निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकारी क्षेत्र से प्राप्त हस्तान्तरण + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण – निगम कर – निगमों के अवितरित लाभ व्यक्तिगत आय = 270 + 5 + 10 + 8 – 10 – 2
= ₹ 281 करोड़ उत्तर ।

प्रश्न 7.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) ज्ञात करो यदि
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 14
उत्तर-
व्यक्तिगत आय (Personal Income) =निजी आय (-) निगम कर – निगमों के अवितरित लाभ व्यक्तिगत आय = 300 – 20 – 50 = ₹ 230 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत व्यय योग्य आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 15
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगमों की बचतें (-) प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 200 – 20 – 30 – 10 – 5 = ₹ 135 करोड़ उत्तर

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत व्यय योग्य आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 16
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगमों के अवितरित लाभ (-) प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 500 – 20 – 15 -5 – 2 = ₹ 458 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करो :
(a) व्यक्तिगत आय (Personal Income)
(b) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 17
उत्तर:
(a) व्यक्तिगत आय (Personal Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगम बचतें व्यक्तिगत आय = 45000 – 1000 – 2000 = ₹ 42000 करोड़
(b) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = व्यक्तिगत आय-प्रत्यक्ष कर = 42000 – 300 = ₹ 41700 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों से सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय ज्ञात करें-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 18
उत्तर-

  • सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शेष विश्व से निवल (शुद्ध) चालू हस्तान्तरण + स्थायी (अचल) पूंजी का उपभोग + निवल शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 2000 + 200 + 100 + 250 = ₹ 2550 करोड़ उत्तर
  • शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – स्थायी (अचल) पूंजी का उपभोग = 2550 – 100 = ₹ 2450 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़ों से शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 19
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण-घिसावट
= 100 (+) 50 (-) 20 = ₹ 130 करोड़ उत्तर

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 20
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NIINDI) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर के शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण – स्थिर पूंजी का उपभोग (अथवा घिसावट) NNDI = 800 + 70 + 50 – 60 = ₹ 860 करोड़ उत्तर

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आंकड़ों से सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 21
उत्तर-
सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) = राष्ट्रीय आय (NNPFC) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थिर पूंजी का उपभोग + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) = 2000 + 250 + 100 + 200 = ₹ 2550 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आय तथा शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण उदाहरण
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 22
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण
= 1864292 + 202036 + 57821 = ₹ 21,241,49 करोड़ उत्तर
अथवा
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण = 2066328 + 57821
= ₹ 21,24,149 करोड़ उत्तर

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद की धारणाओं के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद के सम्बन्ध को बेकरमैन के अग्रलिखित चार्ट की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है:-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 23

इसमें

  •  D = घिसावट (Depreciation)
  • NIT = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes = Indirect Taxes – Subsidies)
  • NFYA = विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
    ↓ जब ऐरो नीचे को जाता है तो घटाओ
    ↑ जब ऐरो ऊपर को जाता है तो जोड़ो
  • शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण (Other Current Transfer from the rest of the World) = (उपहार, उपभोगी वस्तुएं, जंगी सामान, नकदी)

नोट-इस चार्ट की सहायता से राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पादन की धारणाओं का आसानी से माप किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय की धारणाओं के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
निजी आय (Private Income) तथा व्यक्तिगत आय (Personal Income) की धारणाओं के सम्बन्ध को अग्रलिखित चार्ट द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 24
नोट-इस चार्ट की सहायता से निजी आय तथा व्यक्तिगत आय का माप आसानी से किया जा सकता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

PSEB 12th Class Economics आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन, आय और व्यय के प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के नाम बताओ जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-

  • उत्पादन क्षेत्र
  • पारिवारिक क्षेत्र
  • वित्तीय क्षेत्र
  • सरकारी क्षेत्र
  • शेष विश्व क्षेत्र।

प्रश्न 3.
बंद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें आयात और निर्यात नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
खुली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था, वह अर्थव्यवस्था होती है जिसमें देश द्वारा बाकी विश्व से आयात और निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 5.
मौद्रिक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है तो इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब अर्थव्यवस्था में लेन-देन वस्तुओं तथा सेवाओं के रूप में किया जाता है तो उसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 7.
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त यह है कि विभिन्न क्षेत्रों के भुगतान तथा प्राप्तियां एक-दूसरे के समान होती हैं।

प्रश्न 8.
आय के चक्रीय प्रवाह का कोई एक महत्त्व बताएं।
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से राष्ट्रीय आय में उपभोग, बचत और निवेश का ज्ञान प्राप्त होता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 9.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं, उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 10.
तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र, वित्तीय क्षेत्र में बचत करते हैं तथा उधार लेते हैं, तो इस अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 11.
चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. पारिवारिक क्षेत्र
  2. उत्पादक क्षेत्र
  3. वित्तीय क्षेत्र
  4. सरकारी क्षेत्र।

प्रश्न 12.
वापसी अथवा रिसाव (Leakage) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
परिवार और फ़मैं अपनी आय का जो भाग बचत के रूप में रख लेते हैं, उसको वापसी अथवा रिसाव कहा जाता है।

प्रश्न 13.
समावेश (Injection) की परिभाषा दें।
उत्तर-
परिवार और फ़र्मों द्वारा बचत का जो भाग निवेश किया जाता है उसको समावेश कहा जाता है।

प्रश्न 14.
आय के चक्रीय प्रवाह की तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-

  • उत्पादन,
  • आय,
  • व्यय।

प्रश्न 15.
उत्पादन, आय और व्यय को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 16.
एक अर्थव्यवस्था के पाँच क्षेत्रों के नाम ………….
(1) उत्पादन क्षेत्र
(2) पारिवारिक क्षेत्र
(3) वित्तीय क्षेत्र
(4) सरकारी क्षेत्र
(5) बाकी विश्व क्षेत्र है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 18.
परिवार तथा फ़र्मों की आय का जो भाग बचत के रूप में रख लिया जाता है, उसको ……….. कहते हैं।
(a) पूँजी
(b) रिसाव
(c) भविष्य निधि
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) रिसाव।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 19.
एक देश में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है, उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 20.
एक देश में लेन-देन वस्तुओं और सेवाओं के रूप में किया जाता है और उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 21.
वस्तओं तथा सेवाओं के प्रवाह को ………… …. कहते हैं :
(a) मौद्रिक प्रवाह
(b) आर्थिक प्रवाह
(c) वास्तविक प्रवाह
(d) उपरोक्त में से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) वास्तविक प्रवाह।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मुद्रा आय के चक्रीय रूप में प्रवाह से होता है। एक क्षेत्र का व्यय दूसरे क्षेत्र की आय होती है। दूसरा क्षेत्र आय को अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करता है तो शेष क्षेत्रों को आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बताओ, जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्गीकरण निम्नलिखित अनुसार है

  1. उत्पादन क्षेत्र (Production Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector)- यह क्षेत्र बचत जमा करता है तथा उधार देता है।
  4. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा व्यय करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात करता है।

प्रश्न 3.
बन्द अर्थव्यवस्था तथा खुली अर्थव्यवस्था में अन्तर बताओ।
उत्तर–
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें आयात तथा निर्यात नहीं किया जाता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें विदेशों से वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात किया जाता है तथा विदेशों को वस्तुएं तथा सेवाएं निर्यात की जाती हैं।

प्रश्न 4.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब उत्पादन के साधन कार्य करते हैं तथा उनको लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है, जिसको वह साधन अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करते हैं तो इससे उत्पादन क्षेत्र को आय प्राप्त होती है, इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। वास्तविक प्रवाह (RealFlow) से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की सेवाओं का प्रवाह उत्पादन क्षेत्र की ओर जाता है तथा उत्पादन क्षेत्र को वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 5.
भण्डार (Stock) तथा प्रवाह (Flow) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भण्डार वह मात्रा होती है जो निश्चित समय के बिन्दु (Point of Time) पर मापी जाती है। जैसे कि मनुष्य के पास धन अथवा पूंजी का भण्डार। प्रवाह वह मात्रा होती है, जो समय अवधि (Period of Time) में मापी जाती है, जैसे कि परिवार की आय तथा व्यय इत्यादि।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से वास्तविक प्रवाह की व्याख्या करें।
उत्तर-
वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई सेवाओं (भूमि श्रम, पूंजी, उद्यम) के बदले में जब उत्पादन क्षेत्र द्वारा वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं। इसको रेखाचित्र 1 द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 1

प्रश्न 7.
मौद्रिक प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से मौद्रिक प्रवाह की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मौद्रिक प्रवाह वह प्रवाह है जिसमें आय तथा व्यय मुद्रा के रूप में किया जाता है। उत्पादन क्षेत्र में फर्मे पारिवारिक क्षेत्र को काम करने के बदले में साधन भुगतान (लगाना, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ) करते हैं। पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर खर्च कर देते हैं। इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। जो कि दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में किया जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 2

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन, आय तथा व्यय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या उद्देश्य है ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह के लिए किस प्रकार के आंकड़े अनिवार्य हैं ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह का क्या अर्थ है ? इससे सम्बन्धित तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-
मुद्रा आय के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। उत्पादन, आय अथवा व्यय के चक्रीय प्रवाह को आय प्रवाह कहा जाता है, जब किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाता है तो उत्पादन के साधन मिलकर यह उत्पादन करते हैं। इसलिए साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है। उत्पादन के साधन इस आय को आवश्यकताओं की पूर्ति पर व्यय करते हैं। इससे उत्पादन की वस्तुओं तथा सेवाओं की खपत हो जाती है। मानवीय आवश्यकताओं का कभी अन्त नहीं होता, इसलिए उत्पादन के साधन फिर कार्य करने लग जाते हैं। इस प्रकार उत्पादन, आय तथा व्यय चक्रीय प्रवाह में चलते रहते हैं।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 3

प्रश्न 2.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में दो क्षेत्र, परिवार क्षेत्र तथा फ़में दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का प्रवाह (उत्पादन क्षेत्र हैं) परिवार क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूंजी तथा संगठन कार्य करने के लिए फर्मों में जाते हैं। इससे वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है। फ़र्मों द्वारा उत्पादन के साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है तथा फ़र्मों को लाभ होता है। उत्पादन के साधन अपनी आय
पारिवारिक क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इससे फ़र्मों को आय होती है तथा उनकी उत्पादन वस्तुएं बिक जाती हैं। इसको एक रेखाचित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

पारिवारिक क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी की सेवाएं उत्पादन क्षेत्र को दी जाती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 4

  • उत्पादन क्षेत्र साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज का भुगतान करता है तथा फ़र्म को लाभ प्राप्त होता है।
  • पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करता है।
  • उत्पादन क्षेत्र में से वस्तुएं तथा सेवाएं पारिवारिक क्षेत्र में आ जाती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? एक अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (What is Circular Flow of Income? Explain the Circular Flow of Income in an Economy.)
अथवा
बन्द अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (Explain Circular Flow of Income in Closed Economy.)
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का अर्थ (Meaning of Circular Flow of Income)-आय के चक्रीय प्रवाह को समझने के लिए अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों की जानकारी अनिवार्य होती है। आय की ओर से अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. उत्पादन क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग किया जाता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में बचत जमा करवाई जाती है तथा उधार दिया जाता है।
  4. सरकारी क्षेत्र-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा सहायता प्रदान करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात से सम्बन्धित होता है।

आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आय के चक्र में बहाव की प्रक्रिया को कहा जाता है। (Circular flow of income means the flow of money income in different sectors of an economy.)

आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow Of Income) जब आय तथा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अन्तर-निर्भरता को रेखाचित्र द्वारा दिखाया जाता है तो यह आय का चक्रीय प्रवाह है, इसको दो तरह की अर्थव्यवस्था में स्पष्ट किया जा सकता है
(A) बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)
(B) खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)।

A. बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)-वह अर्थव्यवस्था जिसमें आयात-निर्यात नहीं किया जाता, उसको बन्द अर्थव्यवस्था कहा जाता है।ऐसी अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है-
1. दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income in two sectors of an Economy)-पहले हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था लेते हैं जिसमें दो क्षेत्र

  • उत्पादन क्षेत्र तिम वस्तुए तथा सेवा
  • पारिवारिक क्षेत्र हैं। इस अर्थव्यवस्था में पूरी आय उत्पादन क्षेत्र व्यय की जाती है। बचत नहीं की जाती, कर नहीं पारिवारिक क्षेत्र
    (फ़र्में) लगते, आयात-निर्यात नहीं किया जाता। इस अर्थव्यवस्था में दो प्रवाह हैं

(a) वास्तविक प्रवाह (Real Flow)-साधन सेवाएं, भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम पारिवारिक क्षेत्र से फ़र्मों में कार्य करते हैं तथा अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करते हैं। इसको वास्तविक प्रवाह कहा जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 5

(b) मुद्रा प्रवाह (Money Flow)-फ़र्मे साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ में भुगतान करती हैं तथा परिवार अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इसको मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। रेखाचित्र अनुसार,

  • फ़र्मों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल उत्पादन = पारिवारिक क्षेत्र द्वारा कुल वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग।
  • फ़र्मों द्वारा साधन भुगतान = पारिवारिक क्षेत्र में साधन आय।
  • पारिवारिक क्षेत्र का उपभोग व्यय = पारिवारिक क्षेत्र की आय।
  • फ़र्मे तथा परिवारों का उत्पादन तथा उपभोग का वास्तविक प्रवाह = फ़र्मों तथा परिवारों की आय तथा व्यय का मौद्रिक प्रवाह।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

वित्तीय बाज़ार में आय का चक्रीय प्रवाह-परिवार तथा फ़र्मे अपनी मौद्रिक आय व्यय नहीं करतीं। इसमें से कुछ भाग की बचत की जाती है। यह बचत बैंकों (वित्तीय बाज़ार) में जमा करवाई जाती है। बैंक इस राशि को फ़र्मों तथा परिवारों को उधार दे देते हैं तथा मुद्रा के चक्रीय प्रवाह में कोई फर्क नहीं पड़ता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उन सभी चीज़ों को वस्तु कहते हैं जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं तथा जिन्हें मानव प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 2.
सेवाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सेवाएं अभौतिक वस्तु हैं जिन्हें छुआ, देखा या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
भौतिक वस्तु कौन-सी वस्तु को कहते हैं ?
उत्तर-
भौतिक वस्तु वह वस्तु है जिसे छुआ जा सकता है, देखा जा सकता है तथा जिसका हस्तान्तरण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम बताइये।
उत्तर-
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम सेवाएं है जैसे डॉक्टर की सेवा, अध्यापक की सेवा आदि।

प्रश्न 5.
आर्थिक वस्तुएं क्या हैं ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो सीमित होती हैं, जिनमें उपयोगिता होती है तथा हस्तान्तरणीयता होती है।

प्रश्न 6.
अनार्थिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अनार्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनकी पूर्ति मांग से बहुत अधिक होने के कारण दुर्लभ नहीं होती और निःशुल्क उपलब्ध होती हैं जैसे सूर्य का प्रकाश, हवा आदि।

प्रश्न 7.
आगत (Input) क्या है ?
उत्तर-
उत्पादन-प्रक्रिया की दृष्टि से एक उत्पादकीय फर्म द्वारा जो भी वस्तुएं एवं सेवाएँ खरीदी जाती हैं, उन्हें आगत कहते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तु के लिए कीमत देनी पड़ती है जबकि अनार्थिक वस्तु के लिए कीमत नहीं देनी पड़ती।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

प्रश्न 9.
उपभोक्ता वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं।

प्रश्न 10.
पूंजीगत वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होती हैं।

प्रश्न 11.
गैर टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं कौन सी हैं ?
उत्तर-
गैर-टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक बार उपभोग करने के बाद समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 12.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
चाय, ब्रैड, मक्खन, बिस्कुट आदि ।

प्रश्न 13.
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग प्रायः एक वर्ष की अवधि तक किया जा सकता है जैसे कमीज़, फर्नीचर, परदे, क्राकरी आदि।

प्रश्न 14.
टिकाऊ उपभोग वस्तुओं के तथ्य को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग बार-बार किया जा सकता है जैसे टी०वी०, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि।

प्रश्न 15.
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की क्रिया में केवल एक बार ही प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे ईंधन, कच्चा माल आदि।

प्रश्न 16.
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी वस्तुएँ हैं ?
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
उपभोग वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में भेद का क्या आधार है ?
उत्तर-
इनमें अन्तर का आधार इनके उपभोग का उद्देश्य है।

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प्रश्न 18.
मध्यवर्ती उपभोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है उत्पादन के लिए गैर टिकाऊ वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग।

प्रश्न 19.
फर्मों का मध्यवर्ती उपभोग क्या है ?
उत्तर-
उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है गैर टिकाऊ वस्तुओं और सेवाओं, विज्ञापन, अनुसन्धान तथा विकास आदि पर किया गया व्यय।

प्रश्न 20.
गैर वित्तीय निगमित उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग के उदाहरण दें।
उत्तर-
कच्चा माल और ईंधन।

प्रश्न 21.
टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जाता है जैसे मशीन।

प्रश्न 22.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जो पुनः बिक्री के लिए खरीदे जाते हैं।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ किसे कहते हैं ? Distinguish between material and non-material goods.)
उत्तर-
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों में अग्रलिखित अंतर हैं –

भौतिक वस्तुएँ अभौतिक वस्तुएँ
1. इनका भौतिक स्वरूप होता है अर्थात् इन्हें देखा जा सकता है, छुआ जा सकता है। 1. इनका भौतिक स्वरूप नहीं होता।
2. इनके उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर होता है। 2. इनका उत्पादन और उपभोग साथ-साथ होता है।
3. इनका संग्रह किया जा सकता है। 3. इनका संग्रह नहीं किया जा सकता ।
4. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित किया जा सकता
है।
4. इन्हें हस्तान्तरति नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुएँ किसे कहते हैं ? (Distinguish between economic and non economic goods.) उत्तर-
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में निम्न अन्तर पाया जाता है-

आर्थिक वस्तुएँ अनार्थिक वस्तुएँ
1. इनकी पूर्ति सीमित होती है। 1. इनकी पूर्ति सीमित नहीं होती।
2. इनके लिए कीमत देनी पड़ती है। 2. ये निःशुल्क प्राप्त होती हैं।
3. इनका उत्पादन सीमित साधनों द्वारा किया जाता हैं जैसे हवा और धूप। 3. ये वस्तुएँ प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं तथा टिकाऊ उपभोग वस्तुओं पर एक टिप्पणी लिखिए। (Write a note on single use consumer goods and consumer durables.)
उत्तर-
कई वस्तुएं एक ही बार प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे फल, ईंधन, दूध, आटा, बिजली आदि। इन वस्तुओं का तुष्टिगुण एक बार के प्रयोग से समाप्त हो जाता है। ऐसी वस्तुओं को एकल प्रयोग वस्तुएँ अथवा गैर-टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं। सेवायें भी इसी श्रेणी में आती हैं। इन वस्तुओं की मांग निरन्तर रूप से की जाती रहती है। कई वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें निरन्तर रूप से कई वर्षों तक प्रयोग में लाया जा सकता है जैसे टेलीविज़न, फ्रिज, कार आदि। ऐसी वस्तुएँ टिकाऊ कहलाती हैं।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? (What do you mean by intermediate goods ?)
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं प्रायः गैर टिकाऊ होती हैं। सभी गैर-साधन आगत (non factor inputs) मध्यवर्ती वस्तुएँ होते हैं। गैर साधन आगतों में साधन आगतों (factor inputs) को छोड़कर उत्पादन में काम आने वाले अन्य साधन शामिल हैं। साधन आगत टिकाऊ होते हैं। वर्ष के दौरान खरीदा गया माल भण्डार यदि वर्ष के दौरान प्रयोग में आ जाता है तो यह मध्यवर्ती वस्तु कहलाता है। मध्यवर्ती वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में पुनः प्रयोग में आती हैं और इनका सम्बन्ध उपभोग और निवेश के लिए नहीं होता। ये वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा के अन्दर होती हैं। मध्यवर्ती वस्तुएँ राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होतीं, केवल अन्तिम वस्तुओं का मूल्य आंका जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Very Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? इसके दो उदाहरण दें। (What do you mean by final goods ? Give two examples of final goods.)
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका या तो अन्तिम उपभोग के लिए या पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी पुनः बिक्री नहीं होती। अन्तिम वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा से बाहर निकलकर अन्तिम प्रयोग के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए सोफा सेट, कपड़ा बनाने की मशीनें, स्कूटर, पंखे आदि अन्तिम वस्तुओं के उदाहरण हैं। अन्तिम वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं-

  1. उपभोक्ता वस्तुएँ (वे अन्तिम वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को प्रत्यक्षरूप से सन्तुष्ट करती हैं जैसे टेलीविज़न (टिकाऊ वस्तु), कमीज, फर्नीचर (अर्द्ध टिकाऊ वस्तु) और गैर टिकाऊ वस्तुएँ (फल, सब्जी, दूध आदि) तथा
  2. पूंजीगत वस्तुएँ वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं जैसे कार, ट्रक, इमारतें, वायुयान, मशीनें, सड़कें, पुल आदि।

प्रश्न 2.
उत्पादन के मूल्य तथा मूल्य वृद्धि में अन्तर बताइये। (Explain the difference between value of output and value added.)
उत्तर-
उत्पादक फर्मे एक लेखा वर्ष के दौरान वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चा-माल (मध्यवर्ती वस्तुएँ) और साधन आगतों (factor inputs) का प्रयोग करती हैं। विभिन्न फर्मे एवं उत्पादन इकाइयां भिन्न-भिन्न वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। इस उत्पादन का मौद्रिक मूल्य, उत्पादन मूल्य (value of output) कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल होता है। इसलिए यह राष्ट्रीय आय की गणना का आधार नहीं हो सकता क्योंकि यहाँ दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।

एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, जिसमें चालू कार्य में शुद्ध वृद्धि और स्व लेखा (own account) पर उत्पादित वस्तुएँ भी शामिल हैं, उत्पादन मूल्य कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल है जिन्हें उत्पादित फर्म ने अन्य फर्मों से प्राप्त किया। यदि उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा दिया जाये तो उसे मूल्य वृद्धि कहते हैं। उत्पादन मूल्य = फर्म द्वारा बिक्री + माल भण्डार में वृद्धि मूल्य वृद्धि = उत्पादन मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग प्रवाह में योगदान डाला जाता है। राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आंकड़े-राष्ट्रीय आय लेखा विधि में अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, बांट तथा कुल उपभोग सम्बन्धी आंकड़ों की जानकारी दी गई होती है।

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प्रश्न 3.
बाजार से खरीदे गये रेफ्रिजरेटर के कौन-कौन से उपयोग हो सकते हैं ? (Explain the different uses of Refrigerator.)
उत्तर-
एक उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से अपनी आवश्यकता सन्तुष्ट करने के लिए फ्रिज खरीदता है तो यह प्रयोग घरेलू प्रयोग होगा। अतः यह उपभोक्ता वस्तु होगी और क्योंकि इसका प्रयोग बार-बार किया जायेगा, अत: यह टिकाऊ वस्तु होगी। सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाने वाला फ्रिज मध्यवर्ती वस्तु (Intermediate good) है। एक होटल द्वारा ठण्डा कोला बेचे जाने के लिए खरीदा फ्रिज पूंजीगत वस्तु है। वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं। एक दवाई विक्रेता यदि फ्रिज दुकान के लिए खरीदता है तो वह पूंजीगत टिकाऊ वस्तु है।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती उपभोग की मांग को स्पष्ट कीजिये। (Explain the demand for intermediate consumption.)
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग की मांग अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों द्वारा की जाती है। सभी उद्यमी दो प्रकार के आगतों (Inputs) का प्रयोग करके वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करते हैं। अर्थात् साधन आगत या प्राथमिक आगत (Factor inputs or primary inputs) तथा गैर साधन आगत या द्वितीयक आगत (Non-factor inputs or secondary inputs)। मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है सभी उत्पादक क्षेत्रों तथा सरकार द्वारा उत्पादन के लिए गैरसाधन आगतों का प्रयोग करना।

1.उद्यमियों का मध्यवर्ती उपभोग = उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली गैर टिकाऊ वस्तुएँ व सेवायें (Non durable goods and services) + पूंजीगत स्टॉक की मरम्मत तथा रख-रखाव (Repair and maintenance of capital goods) + अनुसंधान तथा विकास पर व्यय (expenditure on research and development) + व्यावसायिक यात्राओं आदि पर व्यय (expenditure on business tours) + अन्य व्यय (परिवारों के मकान, दुकान, गोदाम, कारखानों की इमारतों के रख-रखाव पर व्यय)।

2. सामान्य सरकार का मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption of General Government) = गैर टिकाऊ वस्तुएँ (Non durable goods) + टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods) + मरम्मत एवं रख-रखाव पर खर्च (expenditure on Repair and Maintenance) + विदेशों से उपहार तथा हस्तान्तरण (Gifts and Transfers from foreign governments)- विदेशों से प्राप्त जो वस्तुएँ बिना किसी परिवर्तन के उपभोक्ता परिवारों में वितरित कर दी जाती हैं उन्हें मध्यवर्ती वस्तु नहीं माना जाता। सरकार द्वारा खरीदी गई टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ तथा विदेशी सरकारों से प्राप्त वस्तुओं का शुद्ध मूल्य निकालने के लिए उनके क्रय मूल्य से सरकार द्वारा पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त रकम को घटा दिया जाता है।

प्रश्न 5.
स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। (Explain the nature of goods produced for self-consumption.)
उत्तर-
प्रत्येक देश में अनेक उदाहरण ऐसे मिलते हैं जहां उत्पादक उत्पादन का एक भाग अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रखते हैं और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो भी अधिशेष उत्पादन बचता है उसे बाज़ार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। यह बात केवल वस्तुओं पर ही लागू नहीं होती बल्कि सेवाओं पर भी लागू होती है। पारिवारिक स्नेह या उत्तरदायित्व के कारण जब कोई व्यक्ति अपनी सेवाएं प्रदान करता है तो वे सेवाएं स्व-उपभोग सेवाएं कहलाती हैं।

उदाहरण के लिए गृहिणी परिवार में अनेक बहुमूल्य सेवाएं प्रदान करती है। परिवार के लिए भोजन बनाना, परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े सीना, अस्वस्थ होने पर नर्स का कार्य करना, घर में बच्चों को शिक्षा देना, कढ़ाई-बुनाई आदि। यदि ये सेवाएं हम पारिश्रमिक द्वारा प्राप्त करना चाहें तो सम्भवतः प्राप्त न हों क्योंकि हम मुद्रा द्वारा भोजन तो प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उस भोजन में जो भाव होता है उसे कहाँ से लाया जाए ? जब तक अध्यापक अपने बच्चे को घर पर पढ़ाता है, नर्स अपने बच्चे की देखभाल करती हैं, एक कलाकार अपने घर के लिए चित्र बनाता है, एक डॉक्टर अपनी पत्नी का इलाज करता है आदि ये सभी स्व-उपभोग सेवाओं के उदाहरण हैं।

एक किसान अपने उपभोग के लिए कुल उत्पादन में से गेहूँ का एक भाग रख लेता है, एक जुलाहा अपने उत्पादन में से घर के लिए कपड़ा बचा लेता है, एक मोची अपने उत्पादन में से जूते अपने लिए रख लेता है, ये सभी स्व-उपभोग के उदाहरण हैं। हम कह सकते हैं कि स्व-उपभोग के लिए उपयोग में लाई गई वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्यांकन नहीं होता जबकि ये वस्तुएँ और सेवाएं मौद्रिक मूल्य रखती हैं।

प्रश्न 6.
स्टॉक तथा प्रवाह में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्टॉक तथा प्रवाह में अन्तरस्टॉकया ।

स्टॉक प्रवाह
1. स्टॉक का माप समय के बिन्दु पर किया जाता 1. प्रवाह का माप समय की अवधि में किया जाता
है।
2. स्टॉक का समय काल नहीं होता। 2. स्टॉक का समय काल होता है जैसे प्रति घण्टा, प्रति महीना आदि।
3. प्रवाह एक परिवर्तनशील धारणा है। 3. स्टॉक एक स्थिर धारणा है।
4. प्रवाह देश में स्टॉक को प्रभावित करता है। 4. स्टॉक देश में प्रवाह को निर्धारित करता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का वर्णन कीजिए। (What is meant by goods ? Mention the different types of goods.)
उत्तर-
मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। वस्तुएं भौतिक होती हैं तथा सेवाएं अभौतिक होती हैं। पदार्थ वे वस्तुएं हैं जिन्हें मनुष्य प्राप्त करना चाहता है। वे सब वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं, पदार्थ कहलाती हैं। (Goods are desirable things. All things that satisfy human wants are called goods-Marshall). राष्ट्रीय आय लेखांकन में मनुष्य द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं को कई वर्गों में बांट दिया जाता है।
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1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer Goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता वस्तुएं अन्तिम उपभोग के लिए प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए कमीज़, चाय, पैप्सी, कोला, पैन आदि।

(A) एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं (Single Use Consumer Goods)-एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं वे जिनका उपभोग केवल एक बार ही किया जाता है अर्थात् जो एक बार उपयोग करने के साथ ही समाप्त हो जाती हैं। जैसे रोटी, चाय, कॉफी, आदि।

(B) टिकाऊ उपभोग वस्तुएं (Durable Consumer Goods)-टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुए हैं जिनका काफी लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है। जैसे-रेडियो, कार, स्कूटर, वाशिंग मशीन, टेलीविज़न आदि टिकाऊ उपभोग वस्तुएं हैं।

2. पूंजीगत पदार्थ या उत्पादक वस्तुएं (Capital or Producer’s Goods)-पूंजीगत पदार्थ वे पदार्थ हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। ये वस्तुएं प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं करतीं। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के फलस्वरूप पूंजी का निर्माण होता है। पूंजीगत वस्तुओं को भी दो भागों में बांटा जा सकता है।

(A) एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं (Single use Capital Goods)-एक प्रयोग पूंजीगत उत्पादक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उत्पादन की एक ही क्रिया में समाप्त हो जाती हैं। जैसे-कच्चा माल।

(B) टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ (Durable Capital Goods)-टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मशीनें, यन्त्र, फैक्ट्री, ट्रैक्टर आदि।

प्रश्न 2.
आर्थिक वस्तुओं तथा अनार्थिक वस्तुओं में अन्तर बताइये। (Distinguish between economic goods and non-economic goods.)
उत्तर-
उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत अनेक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। इसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों को शामिल किया जाता है। भौतिक पदार्थों को वस्तुएं कहते हैं जबकि अभौतिक पदार्थों को सेवायें कहा जाता है। वस्तुओं के उत्पादन तथा उपभोग में समय अन्तर होता है, जबकि सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर नहीं होता।

आर्थिक पदार्थ (Economic Goods)-ये वे पदार्थ हैं जो मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कीमत देकर प्राप्त किए जाते हैं। ऐसी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए हमें आर्थिक कार्य करने पड़ते हैं जिससे आर्थिक साधनों को प्राप्त किया जा सके। इन्हें प्राप्त करने के लिए या तो मुद्रा अथवा अन्य वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है।

अनार्थिक पदार्थ (Non-Economic Goods)-अनार्थिक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त हो जाती हैं। इनके लिए साधनों का त्याग नहीं किया जाता। ये लागतहीन वस्तुएं होती हैं। जैसे-हवा, धूप, रोशनी, रेत आदि। आर्थिक और अनार्थिक वस्तुओं के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती। उदाहरण के लिए गांवों में पानी एक अनार्थिक वस्तु हैं, क्योंकि यह नि:शुल्क प्राप्त होता है परन्तु शहरों में पानी एक आर्थिक वस्तु है, क्योंकि इसके लिए मूल्य चुकाना पड़ता है।

इन दोनों प्रकार के पदार्थों में आधारभूत अन्तर पदार्थ की दुर्लभता (Scarcity) है। यहां दुर्लभता का प्रयोग तुलनात्मक (relative) अर्थों में किया जाता है। इनका सम्बन्ध वस्तुओं की निरपेक्ष (absolute) मात्रा से नहीं है। दुर्लभता का पता करने के लिए हमें मांग या पूर्ति की तुलना करनी पड़ती है। उस वस्तु को दुर्लभ कहते हैं जिसकी मांग, पूर्ति से अधिक हो। जिस वस्तु की मांग पूर्ति से बहुत कम हो वह वस्तु दुर्लभ नहीं होती, जैसे-गन्दे अण्डे, सड़े हुए टमाटर आदि। इसी कारण ये पदार्थ नि:शुल्क प्राप्त होते हैं। कोई वस्तु अथवा सेवा आर्थिक पदार्थ है या नहीं, इसका निर्णय उसके मूल्य पर निर्भर करता है। नि:शुल्क प्राप्त पदार्थ का वर्गीकरण न तो निश्चित है और न ही स्थायी। संसार में विकास के साथ-साथ नि:शुल्क पदार्थों का क्षेत्र कम हो रहा है तथा आर्थिक पदार्थों का क्षेत्र बढ़ रहा है।

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प्रश्न 3.
वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्तिम उपभोग का वर्गीकरण कीजिए। (Classify the final consumption of goods and services.) उत्तर-
अन्तिम उपभोग के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता गृहस्थ एवं सामान्य सरकार दोनों ही उपभोक्ता वस्तुओं की मांग करते हैं। उपभोक्ता वस्तु टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ हो सकती है। उपभोक्ता गृहस्थों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली उपभोक्ता वस्तुओं में कार, रेफ्रिजरेटर, स्कूटर, टी.वी., वी.सी. आर. वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर आदि को शामिल किया जाता है। अर्द्ध टिकाऊ वस्तुओं (semi durables) में फर्नीचर, पर्दे आदि को शामिल किया जाता है जो सामान्यतः एक वर्ष तक चलते हैं। टिकाऊ वस्तुओं का उपयोग सामान्य सरकार द्वारा भी किया जाता है और ये सामान्य सरकार के अन्तिम उपभोग व्यय में शामिल होती हैं। इसी प्रकार गृहस्थों तथा सामान्य सरकार द्वारा उपभोग की गई गैर-टिकाऊ वस्तुओं में खाद्य पदार्थ,पेय-पदार्थ, दवाइयां, पेट्रोल, पेन्सिल, कागज़, स्याही, साबुन, तेल आदि शामिल होते हैं। ये वस्तुएं भी उनके अन्तिम उपभोग व्यय का हिस्सा होती हैं।

2. मध्यवर्ती वस्तुएं (Intermediate Goods)-मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। सामान्यतः सरकार द्वारा वाहनों, हवाई जहाज़ों, सैनिक सामान के गोदामों, रेफ्रिजरेटर्स आदि का उपभोग मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग के उदाहरण हैं। इसी प्रकार गैर टिकाऊ वस्तुएं एवं सेवायें जैसे कि स्टेशनरी, कपड़ा, पेट्रोल, तेल आदि जिनका उपयोग निगमित उद्यमों एवं सरकार द्वारा उत्पादन के दौरान किया जाता है, मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती हैं। परन्तु यदि इन्हीं वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग यदि गृहस्थों द्वारा किया जाता है तो इन्हें उपभोक्ता वस्तुएँ कहेंगे।

3. पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods)-भावी उत्पादन के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है उन्हें पूंजीगत वस्तुएं कहते हैं। फैक्ट्री की इमारत, मशीनें, प्लांट, उपस्कर, सड़क, बांध, नहरें, हवाई जहाज़, ट्रक आदि टिकाऊ पूंजीगत वस्तुओं के उदाहरण हैं। पूंजीगत वस्तुओं में कच्चे माल के स्टॉक, अर्ध निर्मित वस्तुओं के स्टॉक तथा अन्तिम वस्तुओं के स्टॉक भी शामिल किए जाते हैं। पूंजीगत वस्तुओं का उपभोग अर्थव्यवस्था के केवल उत्पादक क्षेत्र के द्वारा ही किया जाता है। एक वस्तु जो एक श्रेणी के उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता वस्तु हैं, दूसरी श्रेणी के लिए मध्यवर्ती वस्तु और तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता के लिए पूंजीगत वस्तु कहलाती है। सरकार द्वारा उपभोग की गई सभी मध्यवर्ती वस्तुएँ उसके अन्तिम उपभोग का अंग है।

प्रश्न 4.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है ? सकल घरेलू पूंजी निर्माण तथा सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण में अन्तर बताइये। (Explain the meaning of capital formation. Distinguish between Gross Domestic capital formation and Gross Domestic fixed capital formation.)
उत्तर-
एक वित्तीय वर्ष में उपभोग की तुलना में उत्पादन के आधिक्य (surplus) को जिसे भविष्य में उत्पादन में प्रयोग किया जाता है, पंजी निर्माण कहते हैं। एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन के योग को सकल घरेलू पूंजी निर्माण कहते हैं। सकल घरेलू पूंजी निर्माण = सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन। सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण एक वित्तीय वर्ष में नई परिसम्पत्तियों तथा पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों के शुद्ध क्रय का जोड़ है।

सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण = नई परिसम्पत्तियां + पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों का शुद्ध क्रय। नई परिसम्पत्तियों को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-

  • बाज़ार में उत्पादन इकाइयों से क्रय करके तथा
  • स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन द्वारा। उदाहरण के लिए सरकार पैराशूट बनाने के लिए धागा या कपड़ा निजी उद्यमों से बाज़ार में खरीद सकती है या स्वयं के उपयोग हेतु इसका उत्पादन कर सकती है। नई परिसम्पत्तियों को विदेशों से भी आयात किया जा सकता है। निजी एवं सार्वजनिक उद्यम दोनों ही आयातित परिसम्पत्तियों को प्राप्त कर सकते हैं।

ये परिसम्पत्तियां निम्न हैं

  1. सड़कें एवं पुल
  2. इमारतें,
  3. विनिर्माण क्रिया (Construction Activity)
  4. परिवहन उपस्कर (Transport Equipment) तथा
  5. मशीनें, प्लांट एवं अन्य उपस्कर (Machinery, Plants and other Equipments)।

पुरानी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय (Purchase and sale of old assets)-पुरानी परिसम्पत्तियों के क्रयविक्रय को भी स्थिर घरेलू पूंजी निर्माण में शामिल किया जाता है। तकनीकी परिवर्तनों के साथ अपने उद्यम को समन्वित करने के उद्देश्य से अपनी पुरानी और अप्रचालित भौतिक परिसम्पत्तियों को बेचकर नई परिसम्पत्तियां प्राप्त करते हैं।

स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock or Inventories)-स्टॉक के भौतिक मूल्य में निम्न रूपों में परिवर्तन हो सकते हैं –
(क) उत्पादक गृहस्थों तथा उद्यमों के पास कच्चे माल, अर्द्ध-निर्मित माल तथा निर्मित माल के स्टॉक में परिवर्तन।
(ख) सरकार के स्वामित्व में सामरिक महत्त्व (Strategic importance) के तथा खाद्यान्नों के स्टॉक में परिवर्तन।
(ग) उद्यमों द्वारा बूचड़खानों (Slaughter houses) में काम आने वाले पशुओं के स्टॉक में परिवर्तन। स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (Closing Stock)-आरम्भिक स्टॉक (Opening Stock)।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है।

प्रश्न 2.
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चुनाव की समस्या दुर्लभता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।

प्रश्न 4.
पदार्थों की माँग जब पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है ?
अथवा
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 5.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र एक गृहस्थी, एक फ़र्म तथा एक उद्योग से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोगों में से चुनाव करने की समस्या को आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक गृहस्थी की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को कौन-सा अर्थशास्त्र कहा जाता है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 9.
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनाव अथवा साधन के बंटवारे की समस्याओं का अध्ययन किस अर्थशास्त्र में किया जाता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थ शास्त्र।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध दुर्लभता के कारण, चयन की समस्या से होता है, जिस द्वारा व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 11.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं। कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को चयन करना पड़ता है, जिस द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सके, इसलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 12.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।

प्रश्न 13.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
दोनों है।

प्रश्न 14.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं ?
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक प्रो० एडम स्मिथ हैं।

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प्रश्न 15.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
कीमत सिद्धान्त।

प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र को और क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
रोज़गार सिद्धान्त।

प्रश्न 17.
पूंजीवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन निजी लोगों के हाथ में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 18.
समाजवाद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समाजवाद में उत्पादन के साधन सरकार के हाथ में होते हैं और उत्पादन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से किया जाता है।

प्रश्न 19.
समष्टि आर्थिक चरों की उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सकल उत्पादन, कुल निवेश, समग्र रोज़गार आदि समष्टि अर्थशास्त्र के चर हैं।

प्रश्न 20.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है और समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक इकाइयों का अध्ययन करता है।

प्रश्न 21.
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन, समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है ?
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है।

प्रश्न 22.
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन कहां केन्द्रित रहता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन, आय तथा रोज़गार निर्धारण पर केन्द्रित रहता है।

प्रश्न 23.
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में कब जागृत हुई है ?
उत्तर-
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में केन्जीय क्रान्ति (Keynesian Revolution) के बाद ही जागृत हुई है।

प्रश्न 24.
आर्थिक सिद्धान्त का कौन-सा भाग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार की समस्याओं से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 25.
जे० एम० केन्ज़ की महत्त्वपूर्ण पुस्तक का क्या नाम है ? वह कौन-से वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर-
“जनरल थ्यौरी ऑफ एंपलायमैंट इंटरैस्ट एंड मनी’ जोकि 1936 में प्रकाशित हुई।

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प्रश्न 26.
विश्व में पहली महामंदी (Great Depression) कब आई थी ?
उत्तर-
पहली महामंदी 1929-30 में आई थी।

प्रश्न 27.
मानवीय आवश्यकताएँ ………… हैं।
(a) सीमित
(b) असीमित
(c) दुर्लभ
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) असीमित।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा से लिया गया है ?
(a) फ्रेंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र के पितामह कौन है ?
(a) मार्शल
(b) रोबिन्ज़
(c) एडम स्मिथ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) एडम स्मिथ।

प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र प्रबन्ध का विज्ञान है ?
(a) सीमित साधन
(b) असीमित आवश्यकताओं
(c) विकल्प प्रयोगों
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।
उत्तर-
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।

प्रश्न 31. अर्थशास्त्र का विषय ………………
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) न विज्ञान और न कला।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 32.
व्यष्टि अर्थशास्त्र को …………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) रोज़गार सिद्धान्त
(c) आय सिद्धान्त
(d) कृषि सिद्धान्त।
उत्तर-
(a) कीमत सिद्धान्त।

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प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र को ………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) आर्थिक विकास सिद्धान्त
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त।

प्रश्न 34.
एक व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने को …………. कहा जाता है ।
(a) पारिवारिक अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 35.
सामूहिक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन को …….. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
(a) व्यष्टि
(b) समष्टि
(c) अन्तर्राष्ट्रीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) समष्टि।

प्रश्न 36.
दुर्लभता से अभिप्राय उस अवस्था से होता है जब साधनों की पूर्ति माँग से कम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 37.
समष्टि अर्थशास्त्र में एक व्यक्ति की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 38.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसका सम्बन्ध राष्ट्रीय आय तथा रोजगार से होता है उसको समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 39.
अर्थशास्त्र केवल शुद्ध विज्ञान है ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 40.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का नाम रैगनर फरिस्च ने दिया।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
जिस क्रिया में मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह दोनों होते हैं उसको आर्थिक क्रिया कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं; कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 43.
ग़रीबी तथा दुर्लभता में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
ग़रीबी का अर्थ है बहुत कम वस्तुओं का होना, दुर्लभता का अर्थ है वस्तुओं की मात्रा की तुलना में वस्तुओं की आवश्यकताओं का अधिक होना।

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प्रश्न 44.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके मनुष्य की इच्छाओं की सन्तुष्टि करना होता है को ……. कहते हैं।
(a) आर्थिक क्रिया
(b) अनार्थिक क्रिया
(c) सोचने की क्रिया
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आर्थिक क्रिया।

प्रश्न 45.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध बस्तुओं की खरीद-बेच से होता है को ………. कहते हैं।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) विनिमय।

प्रश्न 46.
वह अर्थव्यवस्था जिस ऊपर सरकार का लगभग पूर्ण नियन्त्रण होता है को ………अर्थव्यवस्था कहते हैं।
उत्तर-
समाजवादी।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक प्रणाली का रूप नहीं है ?
(a) लोकतन्त्र
(b) पूंजीवाद
(c) समाजवाद
(d) मिश्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर-
(a) लोकतन्त्र।

प्रश्न 48.
दुर्लभता से संबंधित अर्थशास्त्र की परिभाषा किसने दी ?
उत्तर-
राबिन्ज़ ने।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर-
साधारण लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध रुपये-पैसे (Money) कमाने तथा उसका प्रबन्ध करने से होता है। परन्तु यह धारणा ग़लत है। अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता | (Economics is about making choice due to scarcity.)

प्रश्न 2.
व्यष्टि अथवा व्यक्तिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आर्थिक समस्या की लघु इकाइयों से होता है, जब हम आर्थिक समस्या को छोटेछोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन करते हैं तो इस विधि को व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था तथा उसके समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, रोज़गार, साधारण कीमत स्तर, कुल उपभोग, कुल बचत इत्यादि सामूहिक समस्याओं का हल किया जाता है।

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प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं के समुच्चयों तथा औसतों का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन की दो विधियां हैं।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ? आर्थिक क्रियाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
जिस क्रिया का सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुर्लभ साधनों के उपयोग से होता है उसको आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया में मुद्रा प्रवाह तथा सेवाओं का प्रवाह होता है। अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएं हैं-

  • उत्पादन (Production)
  • उपभोग (Consumption)
  • निवेश (Investment)
  • विनिमय (Exchange)
  • वितरण (Distribution)
  • वित्त (Finance).

प्रश्न 7.
दुर्लभता और चुनाव अर्थशास्त्र के सार हैं। स्पष्ट करें।
अथवा
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
दुर्लभता के कारण चुनाव होता है। चुनाव से अभिप्राय है निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसका सम्बन्ध सीमित साधनों का इस प्रकार से प्रयोग होता है जिससे उपभोगी को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो, उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा राष्ट्र का अधिकतम विकास हो। इसलिए दुर्लभता और चुनाव को अलग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
आर्थिक संगठन या प्रणालियों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक संगठन या प्रणालियां तीन प्रकार की हैं –

  1. पूंजीवाद-इस प्रणाली में लोगों को उपभोग, उत्पादन, विनिमय करने की स्वतन्त्रता होती है। आर्थिक क्रियाओं का संचालन कीमत यंत्र द्वारा होता है।
  2. समाजवाद-इस प्रणाली में उपभोग उत्पादन, विनिमय का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। कीमत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था-इस प्रणाली में कुछ आर्थिक क्रियाएं निजी लोगों द्वारा तथा कुछ आर्थिक क्रियाएं सरकार द्वारा संचालन की जाती हैं। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करते हैं। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट करें।
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र की प्रकृति से अभिप्राय है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है। अर्थशास्त्र वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है और कला भी है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है क्योंकि इसमें विज्ञान के नियम हैं। अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि क्या होना चाहिए। अर्थशास्त्र कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें। अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई चार अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर को नीचे दिए सची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
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प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व

  1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझाना है कि अर्थव्यवस्था कार्य करती है।
  2. आर्थिक नीतियों का निर्माण व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साधनों के उचित विभाजन के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान डालती है।
  3. आर्थिक निर्णय-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं; जैसे कि एक वस्तु की कीमत का निर्धारण, फ़र्म की लागत तथा लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
  4. आर्थिक कल्याण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का आधार है। इससे उपभोग तथा उत्पादन की स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. भविष्यवाणी-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा भविष्यवाणियां की जाती हैं, जैसे कि एक वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी।

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प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर-

  • अर्थव्यवस्था का अध्ययन-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था का ज्ञान होता है।
  • आर्थिक विकास-समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक देश के आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • कीमत स्तर का अध्ययन-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है। इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा होती है।
  • आर्थिक नीतियों का निर्माण-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं के समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  • भुगतान सन्तुलन-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है, जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं। इससे समूची अर्थव्यवस्था को सन्तुलन में रखने के लिए सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है-
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  1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त (Theory of National Income)-समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, इसके माप तथा धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
  2. रोज़गार का सिद्धान्त (Theory of Employment)-समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण तथा बेरोज़गारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
  3. मुद्रा का सिद्धान्त (Theory of Money)-मुद्रा का अर्थ, मुद्रा के प्रभाव तथा कार्यों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मुद्रा बाज़ार तथा पूँजी बाज़ार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  4. आर्थिक विकास का सिद्धान्त (Theory of Economic Development)- आर्थिक विकास का अर्थ किसी देश की प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि से होता है। यह भी समष्टि अर्थशास्त्र का एक भाग माना जाता है।
  5. कीमत स्तर का सिद्धान्त (Theory of Price Level)-एक देश में कीमत स्तर बढ़ने के क्या कारण होते हैं तथा मुद्रा स्फीति को कैसे रोका जा सकता है, यह भी समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में शामिल है।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त (Theory of International Trade)-विभिन्न देशों में होने वाले व्यापार का भी अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आता है।

IV. दीर्य उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र क्या है ? इसका क्षेत्र स्पष्ट करो। (What is Economics ? Discuss its Scope.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र क्या है? (What is Economics ?)-अर्थशास्त्र दूसरे समाज शास्त्रों से एक नया विज्ञान है। एडम स्मिथ (Adam Smith) को अर्थशास्त्र का पिता माना जाता है; जिन्होंने 1776 में अपनी पुस्तक (Wealth of Nations) लिखी। इसमें उन्होंने कहा ‘अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।’ परन्तु इस परिभाषा से अर्थशास्त्र बदनाम हो गया। प्रो० मार्शल (Marshall) ने कहा कि अर्थशास्त्र मनुष्यों का विज्ञान है, जिसमें मानवीय भलाई को अधिकतम करने का अध्ययन किया जाता है। प्रो० रोबिन्ज़ (Robbins) ने अर्थशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा दी। उनके अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसका सम्बन्ध अधिक आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित साधनों से होता है। प्रो० सेम्यूलसन (Samulson) के अनुसार अर्थशास्त्र व्यक्तिगत सन्तुष्टि तथा सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित है। अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में हम यह कह सकते हैं, “अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है,

जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।” (“Economics is a science of human behaviour which studies problems of choice arising out of scarcity, so the individuals and society can maximise their social welfare.”) अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)-अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)-अर्थशास्त्र की विषय सामग्री अर्थव्यवस्था की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या से सम्बन्धित है। देश में बेरोज़गारी, कीमत वृद्धि, निर्धनता, असमानता इत्यादि बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दो तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत आर्थिक विश्लेषण तथा सामूहिक आर्थिक विश्लेषण की सहायता से कीमत नीति, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति तथा आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह अर्थशास्त्र का मुख्य विषय आर्थिक समस्याओं की जांच पड़ताल करके इन समस्याओं के हल के लिए सुझाव देना है।

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics)-अर्थशास्त्र की प्रकृति में हम देखते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला।
(i) अर्थशास्त्र विज्ञान है (Economics is a Science)-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जबकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री आदि प्राकृतिक विज्ञान हैं। अर्थशास्त्र का क्रमवार अध्ययन किया जाता है, इसके वैज्ञानिक नियम हैं तथा ये नियम सर्वव्यापी हैं। इस कारण अर्थशास्त्र विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते
(a) वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध क्या है? (What is Positive Science) से होता है। मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित हैं। यह वास्तविक सच्चाई है कि साधनों के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं, जिस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है।
(b) आदर्शमय विज्ञान (Normative Science)-आदर्शमय विज्ञान वह विज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध “क्या होना चाहिए” (What ought to be) से होता है। अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि कीमत में स्थिरता होनी चाहिए। निर्धन लोगों पर कम कर लगाए जाएं। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है।

(ii) अर्थशास्त्र कला है (Economics is an Art)-किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सिद्धान्तिक ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को कला कहा जाता है। भारत में कीमतें निरन्तर तीव्रता से बढ़ रही हैं। इन कीमतों की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार आर्थिक नीति तथा राजकोषीय नीति का प्रयोग करके कीमतों को नियन्त्रण में रखने का प्रयत्न करती है। इससे स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।

प्रश्न 2.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करो। (Explain the difference between Micro and Macro Economics.)
उत्तर-
व्यक्तिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यटि गत आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि एक मनुष्य, एक फ़र्म, एक उद्योग अथवा एक बाज़ार की समस्याएँ। सामूहिक अर्थशास्त्र (Macro Economics)-सामूहिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग तथा साधारण कीमत स्तर का अध्ययन सामूहिक अर्थशास्त्र द्वारा किया जाता है। प्रो० शेपीरो के शब्दों में, “सामूहिक अर्थशास्त्र समूची अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता से सम्बन्धित होता है।” (Macro Economics deals with the functioning of the economy as a Whole.-Shapiro)

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर – (Difference between Micro & Macro Economics)
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व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर्निर्भरता (Inter-dependence of Micro and Macro Economics)-
चाहे व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत स्तर पर कमी तथा चयन की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था के स्तर पर इन समस्याओं सम्बन्धी अध्ययन करते हैं, परन्तु यह दोनों एकदूसरे पर अन्तर्निर्भर हैं।
1. व्यक्तिगत अर्थशास्त्र सामूहिक अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Micro depends on Macro Economics) यदि हम व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की किसी आर्थिक समस्या का हल करना चाहते हैं तो सामहिक अर्थशास्त्र के बगैर यह संभव नहीं होता। जैसे कि एक फ़र्म द्वारा वस्तु की कीमत निर्धारण करते समय ध्यान में रखना पड़ेगा कि बाकी की वस्तुओं की कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है। यदि बाकी वस्तुओं की कीमतें दो गुणा बढ़ गई हैं तो फ़र्म अपनी वस्तु की कीमत दो गुणा कर देगी।

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2. सामूहिक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Macro depends on Micro Economics) यदि हम राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो यह सामूहिक अर्थशास्त्र की समस्या है। इस उद्देश्य के लिए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की आय का पता किया जाएगा। जब एक मनुष्य की आय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की समस्या बन जाती है। इस प्रकार यह दोनों विधियाँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रो० सैम्यूलसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई अंतर नहीं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आप पूरी तरह शिक्षित नहीं होंगे यदि आपको एक का ज्ञान है तथा दूसरी विधि सम्बन्धी अज्ञानी हों।”

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के महत्त्व और आर्थिक प्रणाली की किस्मों का वर्णन कीजिये। (Describe the Importance of Economics and types of economic system)
उत्तर-
अर्थशास्त्र का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थशास्त्र का अध्ययन-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसका सम्बन्ध एक अर्थवयवस्था में दुर्लभ संसाधनों का इस प्रकार बंटवारा करना है कि समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।

2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-अर्थशास्त्र का महत्त्व आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी देखा जा सकता है। देश में क्या उत्पादन किया जाए? कैसे उत्पादन किया जाए ? किसके लिये उत्पादन किया जाए ? वस्तुओं की कितनी कीमत होनी चाहिये। जोकि अर्थशास्त्र की सहायता से निर्माण को जाती हैं।

3. आर्थिक कल्याण में सहायक-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।

4. आर्थिक प्रबन्ध में सहायक-अर्थशास्त्र विभिन्न फ़र्मों के लिये आर्थिक प्रबन्ध में सहायक होता है। वस्तु की लागत, बिक्री, कीमत आदि प्रबन्धक निर्णय लेने के लिए अर्थशास्त्र सहायक होता है।

5. भविष्यवाणियों में सहायक-अर्थशास्त्र का ज्ञान भविष्यवाणी करने के लिये भी सहायक होता है। देश का उत्पादन देश में ही प्रयोग किया जाए अथवा इसको विदेशों में बेचा जाए। विदेशों में बेचने से लाभ होगा अथवा हानि होगी। अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण के आदर्श की प्राप्ति के लिये भी महत्त्वपूर्ण होता है। अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसका महत्त्व प्रत्येक क्षेत्र में नज़र आता है और यह प्रत्येक के लिये अनिवार्य है।

आर्थिक प्रणाली की किस्में (Types of Economic Systems)-आर्थिक प्रणाली की मुख्य तीन किस्में हैं –
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)-अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन-निजी लोगों के अधिकार में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी मुख्य आर्थिक निर्णय लोगों द्वारा लिए जाते हैं और जो बिना सरकारी हस्तक्षेप के बाज़ारी दशाओं द्वारा निर्धारित और नियन्त्रित किये जाते हैं। बाज़ारी दशाओं से हमारा अभिप्राय पदार्थों, सेवाओं की मांग व पूर्ति की दशाओं, उनकी कीमतों व उत्पादन लागतों, लाभ व हानि आदि से है। ये बाज़ारी दशाएं कीमत प्रणाली को जन्म देती हैं जिनके संकेत पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था संचालित होती है।

2. समाजवादी अर्थवयवस्था (Socialistic Economy)-समाजवाद से अभिप्राय है उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, सरकार द्वारा नियोजन तथा आय का पुनर्वितरण । अर्थात् समाजवाद वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साथन समाज के अधिकार में होते हैं और जिसमें धन का उत्पादन, थोड़े से व्यक्तियों के निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक भलाई के विचार से किया जाता है। बाजार में कीमतें सरकार द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें कुछ आर्थिक निर्णय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भांति लोगों द्वारा निजी लाभ के लिये जाते हैं और कुछ आर्थिक निर्णय समाजवादी अर्थव्यवस्था की भांति राज्य द्वारा लिए जाते हैं। इसमें पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणाली, दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रकार इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच सुनहरी रास्ता (Mixed Mean) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताएँ। (Explain the Importance of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है –
1. अर्थव्यवस्था का अध्ययन (Study of Economy)-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. राष्ट्रीय आय का अध्ययन (Study of National Income)-राष्ट्रीय आय से ही विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों की तुलना की जा सकती है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा राष्ट्रीय आय का अध्ययन करके विश्व में एक देश की आर्थिक प्रगति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. आर्थिक नीतियों का निर्माण (Formulation of Economic Policies)-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं का हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।

4. कीमत स्तर का अध्ययन (Study of Price Level)-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है, इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा प्राप्त होती है।

5. भुगतान सन्तुलन (Balance of Payment)-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं।

6. व्यापार चक्रों का अध्ययन (Study of Trade Cycles).-व्यापार चक्र अर्थव्यवस्था बुरा प्रभाव डालते हैं। इनका अध्ययन भी समष्टि अर्थशास्त्र में ही सम्भव है।

7. आर्थिक विकास (Economic Development)-आर्थिक विकास प्राप्त करना प्रत्येक देश का मुख्य लक्ष्य बन गया है। इस महत्त्व के लिए आर्थिक नीतियों का निर्माण करके आर्थिक विकास तेज़ी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ बताएँ। (Explain the Limitations of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
1. समष्टि विरोधाभास (Macro Paradoxes)-समष्टि अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा दोष यह है कि व्यक्तिगत निष्कर्ष जब समूहों में लागू किए जाते हैं तो वह गलत सिद्ध होते हैं। इसे ही समष्टि विरोधाभास कहते हैं। कीमतों में वृद्धि अमीर लोगों के लिए इतनी कष्टमय नहीं होती जितनी के गरीब लोगों के लिए होती है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र की अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions of Macro Economics) समष्टि अर्थशास्त्र की पाँच मुख्य मान्यताएँ हैं-

  • अल्पकाल
  • बंद अर्थव्यवस्था
  • पूर्ण प्रतियोगिता
  • अल्परोज़गार सन्तुलन
  • मुद्रा संचय का कार्य भी करती है।

यह मान्यताएँ अर्थव्यवस्था के सभी समूहों पर लागू नहीं होती क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी समूह एक समान होते और उनमें विभिन्नता भी पाई जाती है।

3. गलत नीतियाँ (Wrong Policies)- समष्टि अर्थव्यवस्था के अध्ययन से कई बार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । इसलिए आर्थिक नीति में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार बहुत-सी नीतियाँ गलत बनाई जा सकती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

4. माप में कठिनाई (Difficulty in Measurement)-समष्टि अर्थशास्त्र की एक सीमा यह भी है कि इसके चरों जैसा कि कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल आय आदि का माप करना आसान नहीं होता।

5. व्यक्तिगत इकाइयों पर निर्भर (Dependence on Individual Units)-समष्टि अर्थशास्त्र के बहुत-से नतीजे व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं, परन्तु वह ठीक नहीं। जो नतीजे व्यक्तियों पर लागू होते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह समूहों पर भी ठीक लागू हों। इसको संरचना का भुलेखा (Fallacy of Composition) भी कहा जाता है।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਸ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖ ਨੇ ਨੌਵੀਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ਦੀ ਭਾਲ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ? (Name the sincere Sikh who searched for the Ninth Guru and why ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨੇ ਲੱਭਿਆ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ? (Who found Guru Tegh Bahadur Ji and why ?)

ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਭਾਲ ਕਿਸ ਨੇ ਅਤੇ ਕਿਵੇਂ ਕੀਤੀ ? (Who discovered the ninth Guru Tegh Bahadur Ji and how ?)
ਉੱਤਰ-
1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਇਸ਼ਾਰਾ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਗਲਾ ਗੁਰੂ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਪਹੁੰਚੀ ਤਾਂ 22 ਸੋਢੀਆਂ ਨੇ ਉੱਥੇ ਆਪਣੀਆਂ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਈਆਂ । ਹਰ ਕੋਈ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਖਵਾਉਣ ਲੱਗਾ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ਨਾਮੀ ਇੱਕ ਸਿੱਖ ਨੇ ਇਸ ਦਾ ਹੱਲ ਲੱਭਿਆ । ਉਹ ਇੱਕ ਵਪਾਰੀ ਸੀ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਜਦੋਂ ਉਸ ਦਾ ਜਹਾਜ਼ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੂਫ਼ਾਨ ਵਿੱਚ ਘਿਰ ਕੇ ਡੁੱਬਣ ਲੱਗਾ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਸੱਚੇ ਮਨ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਅੱਗੇ ਅਰਦਾਸ ਕੀਤੀ ਕਿ ਜੇ ਉਸ ਦਾ ਜਹਾਜ਼ ਕਿਨਾਰੇ ਲੱਗ ਜਾਏ ਤਾਂ ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ 500 ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰੇਗਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਕਿਰਪਾ ਨਾਲ ਉਸ ਦਾ ਜਹਾਜ਼ ਬਚ ਗਿਆ । ਮੰਨਤ ਅਨੁਸਾਰ ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ 500 ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਇੱਥੇ ਉਹ 22 ਗੁਰੂਆਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ ।

ਉਸ ਨੇ ਅਸਲੀ ਗੁਰੂ ਨੂੰ ਲੱਭਣ ਦੀ ਇੱਕ ਵਿਉਂਤ ਬਣਾਈ । ਉਹ ਵਾਰੋ-ਵਾਰੀ ਹਰ ਗੁਰੂ ਕੋਲ ਗਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੋ-ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਦਾ ਗਿਆ ਝੂਠੇ ਗੁਰੁ ਦੋ-ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਲੈ ਕੇ ਖੁਸ਼ ਹੋ ਗਏ । ਜਦੋਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਅਖੀਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਜਾ ਕੇ ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀਆਂ ਤਾਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਜਹਾਜ਼ ਡੁੱਬਣ ਸਮੇਂ ਤਾਂ ਤੂੰ 500 ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਨ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਹੁਣ ਤੂੰ ਸਿਰਫ ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਹੀ ਭੇਟ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਂ।” ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਹ ਇੱਕ ਮਕਾਨ ਦੀ ਛੱਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਜ਼ੋਰ-ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ, ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ’ ਭਾਵ ਗੁਰੂ ਮਿਲ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਗੁਰੂ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give a brief account of the travels of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the travels of Guru Tegh Bahadur Ji ?).
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੇ ਸਮੇਂ (1664-75 ਈ.) ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਅਗਿਆਨਤਾ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਲਾ, ਘੁੱਕੇਵਾਲੀ, ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ, ਗੋਇੰਦਵਾਲ, ਤਰਨ ਤਾਰਨ, ਖੇਮਕਰਨ, ਕੀਰਤਪੁਰ ਅਤੇ ਬਿਲਾਸਪੁਰ ਆਦਿ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਖੇਤਰਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ।

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਕਲ ਪਏ । ਆਪਣੀ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਸੈਫ਼ਾਬਾਦ, ਧਮਧਾਨ, ਦਿੱਲੀ, ਮਥੁਰਾ, ਬ੍ਰਿਦਾਬਨ, ਆਗਰਾ, ਕਾਨਪੁਰ, ਪ੍ਰਯਾਗ, ਬਨਾਰਸ, ਗਯਾ, ਪਟਨਾ, ਢਾਕਾਂ ਅਤੇ ਆਸਾਮ ਆਦਿ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਗਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਇਹ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਬੜੀਆਂ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਿੱਧ ਹੋਈਆਂ। ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਕਿਸੇ ਛੇ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give a brief account of any six travels of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਣ ਤੋਂ ਛੇਤੀ ਮਗਰੋਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੱਚ ਤੇ ਪ੍ਰੇਮ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦੇਣਾ ਸੀ ।

1. ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਆਰੰਭ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਕੀਤਾ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦਾ ਪੋਤਰਾ, ਹਰਜੀ ਮੀਣਾ ਕੁਝ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰੀ ਮਸੰਦਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਆਪ ਗੁਰੂ ਬਣੀ ਬੈਠਾ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਆਉਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਾਰੇ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤਾ । ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਇੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ ਤਾਂ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਵੇਖ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਨੇੜੇ ਸਥਿਤ ਇਕ ਰੁੱਖ ਥੱਲੇ ਜਾ ਬਿਰਾਜੇ । ਹੁਣ ਇੱਥੇ ਇਕ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ‘ਥੰਮ ਸਾਹਿਬ ਕਹਿੰਦੇ’ ਹਨ ।

2. ਵੱਲਾ ਤੇ ਘੁਕੇਵਾਲੀ – ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਵੱਲਾ ਨਾਮੀ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਗਏ । ਇੱਥੇ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੀ ਅਣਥੱਕ ਸੇਵਾ ਤੋਂ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਕਿਹਾ, “ਮਾਈਆਂ ਰੱਬ ਰਜਾਈਆਂ, ਭਗਤੀ ਲਾਈਆਂ ।” ਵੱਲਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਘੁਕੇਵਾਲੀ ਪਿੰਡ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਸ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਲੱਗੇ ਬੇਸ਼ੁਮਾਰ ਰੁੱਖਾਂ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ’ ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਗ਼’ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਬਨਾਰਸ – ਪ੍ਰਯਾਗ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਬਨਾਰਸ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਸੁਣਨ ਲਈ ਹਾਜ਼ਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਇਹ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ ਕਿ ਕਰਮਨਾਸ਼ ਨਦੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਸਭ ਚੰਗੇ ਕਰਮ ਨਾਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ ਇਸ ਨਦੀ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨਦੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਜਿਹੋ ਜਿਹੇ ਮਨੁੱਖ ਕਰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਉਹੋ ਜਿਹਾ ਹੀ ਫਲ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

4. ਪਟਨਾ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ 1666 ਈ. ਵਿੱਚ ਪਟਨਾ ਵਿਖੇ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਬੜੀ ਗਰਮ ਜੋਸ਼ੀ ਨਾਲ ਸਵਾਗਤ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ‘ਤੇ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਅਤੇ ਪਟਨਾ ਨੂੰ ‘ਗੁਰੁ ਦਾ ਘਰ’ ਕਹਿ ਕੇ ਨਿਵਾਜਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਛੱਡਿਆ ਅਤੇ ਆਪ ਮੁੰਘੇਰ ਲਈ ਰਵਾਨਾ ਹੋ ਗਏ ।

5. ਮਥੁਰਾ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਿੱਲੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮਥੁਰਾ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤੇ । ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਬਣ ਗਏ ।

6. ਢਾਕਾ – ਢਾਕਾ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੇਂਦਰ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਸਦਕਾ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇੱਥੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਜਾਤਪਾਤ ਦੇ ਬੰਧਨਾਂ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਣ ਤੇ ਨਾਮ ਸਿਮਰਨ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਿਹਨਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਹੋਈ ? (What were the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study the causes responsible for the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਕਾਰਨ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ – 1605 ਈ. ਤਕ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਚਲੇ ਆ ਰਹੇ ਸਨ । ਪਰ ਜਦੋਂ 1606 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਜਹਾਂਗੀਰ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਤਾਂ ਇਹ ਸੰਬੰਧ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਗਏ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਵਾਧਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ ।

2. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਕੱਟੜਤਾ – ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਧਾਰਮਿਕ ਕੱਟੜਤਾ ਵੀ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ 1658 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦਾ ਨਵਾਂ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹਰ ਪਾਸੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਦਾ ਬੋਲ ਬਾਲਾ ਵੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਤਲਵਾਰ ਦੇ ਜ਼ੋਰ ‘ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ।

3. ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ‘ ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ – ਕੱਟੜ ਸੁੰਨੀ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀ ਸੰਪਰਦਾਇ ਦਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾਇ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਸ਼ੁਹਰਤ ਅਸਹਿ ਸੀ । ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਖ਼ਤਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਧਰੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਇਸਲਾਮ ਲਈ ਕੋਈ ਗੰਭੀਰ ਵੰਗਾਰ ਨਾ ਬਣ ਜਾਏ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਭੜਕਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

4. ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ – ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਸਿੱਖ ਪ੍ਰਚਾਰਕ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਸੰਗਠਨ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਲਈ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਸੀ ।

5. ਰਾਮ ਰਾਏ ਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣੀ – ਰਾਮ ਰਾਏ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰਗੱਦੀ ਦਾ ਅਸਲ ਹੱਕਦਾਰ ਸਮਝਦਾ ਸੀ । ਪਰ ਜਦੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੂੰ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲੀ ਤਾਂ ਉਹ ਇਹ ਸਹਾਰ ਨਾ ਸਕਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ ।

6. ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਪੁਕਾਰ – ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ‘ਤੇ ਘੋਰ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕੀਤੇ । ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੇ ਬਚਾਅ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਤਾ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ ਮਈ, 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਫਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਪੰਡਤਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਜਾ ਕੇ ਮੁਗ਼ਲ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਸਾਫ਼-ਸਾਫ਼ ਦੱਸ ਦੇਣ ਕਿ ਜੇ ਉਹ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲੈਣ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਰੇ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲੈਣਗੇ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਵਿੱਚ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਦੀ ਸਮੀਖਿਆ ਕਰੋ । (Discuss the role played by Naqshbandis in the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਨਕਸ਼ਬੰਦੀ ਕੱਟੜ ਸੁੰਨੀ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸੰਪਰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾ ਦਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਸ਼ੁਹਰਤ, ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਵੱਧ ਰਿਹਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦਾ ਗੁਰੂ ਘਰ ਪ੍ਰਤੀ ਵੱਧ ਰਿਹਾ ਰੁਝਾਨ ਅਸਹਿਣਸ਼ੀਲ ਸੀ । ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਧਰੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਆ ਰਹੀ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਇਸਲਾਮ ਲਈ ਕੋਈ ਗੰਭੀਰ ਚੁਣੌਤੀ ਨਾ ਬਣ ਜਾਏ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਿਮ ਸਮਾਜ ਦੀਆਂ ਜੜਾਂ ਹਿਲ ਸਕਦੀਆਂ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਭੜਕਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਸ ਕਾਰਵਾਈ ਨੇ ਬਲਦੀ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।

ਉਸ ਸਮੇਂ ਸ਼ੇਖ਼ ਮਾਸੂਮ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਨੇਤਾ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਸ਼ੇਖ਼ ਅਹਿਮਦ ਸਰਹਿੰਦੀ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਕੱਟੜ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਜੇਕਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਛੇਤੀ ਦਮਨ ਨਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਿਮ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਨੀਂਹ ਹਿੱਲ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਵਿਰੁੱਧ ਕਦਮ ਚੁੱਕਣ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕੀਤਾ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਅਸੀਂ ਇਹ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਵਿੱਚ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਤੱਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ? (What was the immediate cause of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਿਉਂ ਕੀਤੀ ? (Why did Guru Tegh Bahadur Ji help the Kashmiri Brahmins ?)
ਉੱਤਰ-
ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਦਾ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਹਿੰਦੂ ਬਹੁਤ ਆਦਰ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਸੋਚਿਆ ਕਿ ਜੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਾਕੀ ਹਿੰਦੂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰ ਲੈਣਗੇ । ਇਸੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਉਸ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੂੰ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਤਲਵਾਰ ਦੀ ਨੋਕ ‘ਤੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ । ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੇ ਬਚਾਅ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਤਾ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ ਮਈ, 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਫਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ।

ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੌਂਗਟੇ ਖੜੇ ਕਰ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਸੁਣੀ ਤਾਂ ਉਹ ਕੁਝ ਸੋਚੀਂ ਪੈ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁਖ ’ਤੇ ਗੰਭੀਰਤਾ ਵੇਖ ਕੇ ਬਾਲਕ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਨੇ ਜੋ ਉਸ ਸਮੇਂ 9 ਵਰ੍ਹਿਆਂ ਦੇ ਸਨ, ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਕਿਸੇ ਮਹਾਂਪੁਰਸ਼ ਨੂੰ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਨੇ ਝੱਟ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ, “ਪਿਤਾ ਜੀ, ਤੁਹਾਡੇ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਮਹਾਂਪੁਰਸ਼ ਹੋਰ ਕੌਣ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।” ਬਾਲਕ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ਇਹ ਉੱਤਰ ਸੁਣ ਕੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦੇਣ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪੰਡਤਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਜਾ ਕੇ ਮੁਗ਼ਲ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਦੱਸ ਦੇਣ ਕਿ ਜੇ ਉਹ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲੈਣ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਰੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲੈਣਗੇ । ਜਦੋਂ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਇਹ ਗੱਲ ਪਤਾ ਲੱਗੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਬੁਲਾ ਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Evaluate the historical importance of martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਛੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਤੀਜੇ ਦੱਸੋ । (Explain six significant results of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਛੇ ਸਿੱਟੇ ਕੀ ਸਨ ? (What were the six results of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਲਾਸਾਨੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਘਟਨਾ ਨਾ ਕੇਵਲ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਸਗੋਂ ਸਮੁੱਚੇ ਵਿਸ਼ਵ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਘਟਨਾ ਹੈ । ਇਸ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਪੰਜਾਬ ਬਲਕਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਦੂਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ।

  • ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਘਟਨਾ – ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਵਧੇਰੇ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਮਨੁੱਖਤਾ ਅਤੇ ਸੱਚ ਲਈ ਆਪਣਾ ਸੀਸ ਦਿੱਤਾ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ, ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇਹ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਉਦਾਹਰਨ ਸੀ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ‘ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਾਰੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਪ੍ਰਤੀ ਗੁੱਸੇ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ । ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰਨ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕੀਤਾ ।
  • ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਵੱਧ ਰਹੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਨੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਨੂੰ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਇੱਕ ਭਾਰੀ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇ ਕੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੂੰ ਲੋਪ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਿਆ ।
  • ਖ਼ਾਲਸਾ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਹੁਣ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਗਠਿਤ ਹੋਣਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ । ਨੇ 1699 ਈ. ਵਿੱਚ ਵਿਸਾਖੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਕੀਤੀ । ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਨੇ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਬਹਾਦਰ ਕੌਮ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ ਜਿਸ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਨਾਮੋ-ਨਿਸ਼ਾਨ ਮਿਟਾ ਦਿੱਤਾ ।
  • ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜਾਈਆਂ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਇੱਕ ਲੰਬਾ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਅਡੋਲ ਰਹੇ । ਆਪਣੇ ਸੀਮਿਤ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਸਦਕਾ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀਆਂ ਨੀਹਾਂ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।
  • ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਦਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣਾ – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਖ਼ਾਤਰ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਦੇਣ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਈ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ, ਚਾਰ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦੇ, ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਅਤੇ ਸੈਂਕੜੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਪਾ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਨਸਲਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਉਦਾਹਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਉੱਪਰ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a comprehensive note on Bhai Mati Das and Bhai Sati Das.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਪਰ ਜੋ ਲਾਸਾਨੀ ਸ਼ਹਾਦਤਾਂ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਉਸ ਦੀ ਕੋਈ ਹੋਰ ਮਿਸਾਲ ਮਿਲਣੀ ਬਹੁਤ ਔਖੀ ਹੈ । ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਦੋਵੇਂ ਭਰਾ ਸਨ । ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਸਨ ਜਦਕਿ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਲੇਖਕ ਸਨ । ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਆਪਣੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕੀਤਾ ਤਾਂ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਹੋ ਗਏ । ਜਦੋਂ ਹਾਕਮਾਂ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨਾਲ ਬਦਸਲੂਕੀ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਇਹ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਨਾ ਕਰ ਸਕੇ ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ ਕਿ ਜੇਕਰ ਉਹ ਆਗਿਆ ਦੇਣ ਤਾਂ ਮੁਗ਼ਲ ਹਕੂਮਤ ਨੂੰ ਤਹਿਸ-ਨਹਿਸ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਸਭ ਕੁਝ ਉਸ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੇ ਹੁਕਮ ਅਨੁਸਾਰ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਤੁਸੀਂ ਫ਼ਿਕਰ ਨਾ ਕਰੋ । ਪਰਮਾਤਮਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਸਜ਼ਾ ਦੇਵੇਗਾ । ਜ਼ਾਲਮ ਕਾਜ਼ੀ ਨੇ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਕਬੂਲਣ ਲਈ ਬਥੇਰੇ ਲਾਲਚ ਦਿੱਤੇ, ਪਰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਸਿਦਕ ਤੋਂ ਨਾ ਡੋਲੇ । ਅਖੀਰ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਆਰਿਆਂ ਨਾਲ ਦੋਫਾੜ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਰੂੰ ਵਿੱਚ ਲਪੇਟ ਕੇ ਅੱਗ ਲਗਾ ਕੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਨਵੇਂ ਪੂਰਨੇ ਪਾਏ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਜੀਵਨ ( (Early Career of Guru Tegh Bahadur Ji)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief description of the early life of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਗੁਰੂ ਕਾਲ 1664 ਈ. ਤੋਂ 1675 ਈ. ਤਕ ਰਿਹਾ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਯੁੱਗ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ-

1. ਜਨਮ ਅਤੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ (Birth and Parentage) – ਗੁਰੁ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਜਨਮ 1 ਅਪਰੈਲ, 1621 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਖੇ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦੇ ਪੰਜਵੇਂ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟੇ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਆਪ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਦਾ ਨਾਂ ਨਾਨਕੀ ਸੀ । ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਆਪ ਦੇ ਜਨਮ ‘ਤੇ ਇਹ ਭਵਿੱਖਬਾਣੀ ਕੀਤੀ ਕਿ ਇਹ ਬਾਲਕ ਸੱਚਾਈ ਤੇ ਧਰਮ ਦੇ ਰਾਹ ‘ਤੇ ਚੱਲੇਗਾ ਅਤੇ ਜ਼ੁਲਮ ਤੇ ਜਬਰ ਦਾ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰੇਗਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਇਹ ਬੋਚਨ ਸੱਚ ਨਿਕਲੇ ।

2. ਬਚਪਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਆ (Childhood and Education) – ਬਚਪਨ ਵਿੱਚ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਤਿਆਗ ਮਲ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਆਪ ਪੰਜ ਵਰਿਆਂ ਦੇ ਹੋਏ ਤਾਂ ਆਪ ਨੇ ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਆਪ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀ, ਬਿਜ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ, ਇਤਿਹਾਸ, ਦਰਸ਼ਨ ਸ਼ਾਸਤਰ, ਗਣਿਤ ਅਤੇ ਸੰਗੀਤ ਆਦਿ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ । ਆਪ ਨੂੰ ਘੋੜਸਵਾਰੀ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਚਲਾਉਣ ਦੀ ਵੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਆਪ ਦੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ, ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ ਦਾ ਨਾਂ ਤਿਆਗ ਮਲ ਤੋਂ ਬਦਲ ਕੇ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਵਿਆਹ (Marriage) – ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਨਿਵਾਸੀ, ਲਾਲ ਚੰਦ ਦੀ ਧੀ ਗੁਜਰੀ ਨਾਲ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਦੇ ਘਰ 1666 ਈ. ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਪੁੱਤਰ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ । ਇਸ ਬਾਲਕ ਦਾ ਨਾਂ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਜਾਂ ਗੋਬਿੰਦ ਦਾਸ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ।

4. ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿਖੇ ਨਿਵਾਸ (Settlement at Baba Bakala) – ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੋਤਰੇ ਹਰਿ ਰਾਇ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਗੁਜਰੀ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਨਾਨਕੀ ਜੀ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲੇ ਜਾਣ ਦਾ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ । ਇੱਥੇ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ 20 ਵਰੇ ਰਹੇ ।

5. ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ (Assumption of Guruship) – ਆਪਣੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਇਸ਼ਾਰਾ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਅਗਲਾ ਗੁਰੂ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਪਹੁੰਚੀ, ਤਾਂ 22 ਸੋਢੀਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਈਆਂ । ਹਰ ਕੋਈ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਖਵਾਉਣ ਲੱਗਾ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ਨਾਮੀ ਇੱਕ ਸਿੱਖ ਨੇ ਇਸ ਦਾ ਹੱਲ ਲੱਭਿਆ । ਉਹ ਇੱਕ ਵਪਾਰੀ ਸੀ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਜਦੋਂ ਉਸ ਦਾ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜਹਾਜ਼ ਡੁੱਬ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਸੱਚੇ ਮਨ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਅੱਗੇ ਅਰਦਾਸ ਕੀਤੀ ਕਿ ਜੇ ਉਸ ਦਾ ਜਹਾਜ਼ ਡੁੱਬਣ ਤੋਂ ਬਚ ਜਾਏ ਤਾਂ ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ 500 ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰੇਗਾ । ਉਸ ਦਾ ਜਹਾਜ਼ ਕਿਨਾਰੇ ਲੱਗ ਗਿਆ । ਮੰਨਤ ਅਨੁਸਾਰ ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ 500 ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਨ ਲਈ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਪਹੁੰਚਿਆ ।

ਇੱਥੇ ਉਹ 22 ਗੁਰੂਆਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ । ਅਸਲੀ ਗੁਰੂ ਨੂੰ ਲੱਭਣ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਵਾਰੋ-ਵਾਰੀ ਹਰ ਗੁਰੂ ਨੂੰ ਦੋਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀਆਂ । ਝੂਠੇ ਗੁਰੂ ਦੋ-ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਲੈ ਕੇ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਗਏ । ਜਦੋਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਅਖ਼ੀਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀਆਂ ਤਾਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕਿਹਾ, ‘ਜਹਾਜ਼ ਡੁੱਬਣ ਸਮੇਂ ਤਾਂ ਤੂੰ 500 ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਨ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਹੁਣ ਤੂੰ ਸਿਰਫ਼ ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਹੀ ਭੇਟ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਂ ?” ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਇੱਕ ਮਕਾਨ ਦੀ ਛੱਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਜ਼ੋਰ-ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ, ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ” ਭਾਵ ਗੁਰੂ ਮਿਲ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਗੁਰੂ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ 1664 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1675 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ ।

6. ਧੀਰ ਮਲ ਦਾ ਵਿਰੋਧ (Opposition of Dhir Mal) – ਧੀਰ ਮਲ, ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਭਰਾ ਸੀ । ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿਖੇ ਸਥਾਪਿਤ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਧੀਰ ਮਲ ਦੀ ਵੀ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਧੀਰ ਮਲ ਨੂੰ ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਕਿ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਗੁਰੂ ਮੰਨ ਲਿਆ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਕੁਝ ਗੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਜੀ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਘਟਨਾ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਬੜੇ ਗੁੱਸੇ ਵਿੱਚ ਆਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਧੀਰ ਮਲ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਪਾਸ ਲਿਆਂਦਾ । ਧੀਰ ਮਲ ਦੁਆਰਾ ਮਾਫ਼ੀ ਮੰਗਣ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮੁਆਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ (Travels of Guru Tegh Bahadur Ji)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਧਰਮ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief account of the religious tours of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਧਰਮ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Narrate the travels undertaken by Guru Tegh Bahadur Ji for preaching Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਣ ਤੋਂ ਛੇਤੀ ਮਗਰੋਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੱਚ ਤੇ ਪ੍ਰੇਮ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦੇਣਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਸੰਬੰਧੀ ਲਿਖਦੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਐੱਸ. ਐੱਸ. ਜੌਹਰ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ,
“ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਨਵਾਂ ਜੀਵਨ ਦੇਣ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅੰਦਰ ਨਵੀਂ ਰੂਹ ਫੂਕਣ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਿਆ ।” 1

I. ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ (Travels of the Punjab)

1. ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ (Amritsar) – ਗੁਰੁ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਆਰੰਭ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਕੀਤਾ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦਾ ਪੋਤਰਾ, ਹਰਜੀ ਮੀਣਾ ਕੁਝ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰੀ ਮਸੰਦਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਆਪ ਗੁਰੂ ਬਣੀ ਬੈਠਾ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਆਉਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਾਰੇ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤਾ । ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਇੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ ਤਾਂ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਵੇਖ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਨੇੜੇ ਸਥਿਤ ਇੱਕ ਰੁੱਖ ਥੱਲੇ ਜਾ ਬਿਰਾਜੇ । ਹੁਣ ਇੱਥੇ ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ‘ਥੰਮ ਸਾਹਿਬ’ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

2. ਵੱਲਾ ਤੇ ਘੁਕੇਵਾਲੀ (Walla and Chikewali) – ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਵੱਲਾ ਨਾਮੀ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਗਏ । ਇੱਥੇ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੀ ਅਣਥੱਕ ਸੇਵਾ ਤੋਂ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਕਿਹਾ, “ਮਾਈਆਂ ਰੱਬ ਰਜਾਈਆਂ, ਭਗਤੀ ਲਾਈਆਂ ।” ਵੱਲਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਘੁਕੇਵਾਲੀ ਪਿੰਡ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਸ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਲੱਗੇ ਬੇਸ਼ੁਮਾਰ ਰੁੱਖਾਂ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ ‘ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਗ਼’ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ, ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ, ਤਰਨ ਤਾਰਨ, ਖੇਮਕਰਨ ਆਦਿ (Khadur Sahib, Goindwal Sahib, Tarn Taran, Khemkaran etc.) – ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੇ ਅਗਲੇ ਪੜਾਅ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ, ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਤਰਨ ਤਾਰਨ ਸਨ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੇਮ ਅਤੇ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਖੇਮਕਰਨ ਗਏ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਚੌਧਰੀ ਰਘੁਪਤ ਰਾਏ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਇੱਕ ਘੋੜੀ ਭੇਟ ਕੀਤੀ ।

4. ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਬਿਲਾਸਪੁਰ (Kiratpur Sahib and Bilaspur) – ਮਾਝਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਪਹੁੰਚੇ । ਉਹ ਰਾਣੀ ਚੰਪਾ ਦੇ ਸੱਦੇ ‘ਤੇ ਬਿਲਾਸਪੁਰ ਪਹੁੰਚੇ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਇੱਥੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਠਹਿਰੇ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਰਾਣੀ ਨੂੰ 500 ਰੁਪਏ ਦੇ ਕੇ ਮਾਖੋਵਾਲ ਵਿਖੇ ਕੁਝ ਜ਼ਮੀਨ ਖ਼ਰੀਦੀ ਅਤੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ, ਜਿਸਦਾ ਨਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ‘ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ | ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਹ ਸਥਾਨ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ।

II. ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ (Travels of Eastern India)

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

5. ਸੈਫ਼ਾਬਾਦ ਅਤੇ ਧਮਧਾਨ (Saifabad and Dhamdhan) – ਆਪਣੀ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸੈਫ਼ਾਬਾਦ ਅਤੇ ਧੂਮਧਾਨ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਕੀਤੀ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਆਉਂਦੇ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਇਸ ਵਧਦੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਚਾਰ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਕੈਦ ਕਰ ਲਿਆ ।

6. ਮਥੁਰਾ ਤੇ ਬ੍ਰਿਦਾਬਨ (Mathura and Brindaban) – ਅੰਬਰ ਦੇ ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਹਿਣ ਤੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਰਿਹਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਰਿਹਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਿੱਲੀ ਤੋਂ ਮਥੁਰਾ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਦਾਵਨ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤੇ ।

7. ਆਗਰਾ ਤੇ ਪ੍ਰਯਾਗ (Agra and Paryag) – ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਅਗਲਾ ਪੜਾਅ ਆਗਰਾ ਸੀ । ਇੱਥੇ ਉਹ ਇੱਕ ਬਜ਼ੁਰਗ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਮਾਈ ਜੱਸੀ ਜੀ ਦੇ ਘਰ ਠਹਿਰੇ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਪ੍ਰਯਾਗ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸੰਨਿਆਸੀਆਂ, ਸਾਧੂਆਂ ਤੇ ਜੋਗੀਆਂ ਨੂੰ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ ਫਰਮਾਇਆ, ‘ਸਾਧੋ ਮਨ ਕਾ ਮਾਨ ਤਿਆਗੋ’

8. ਬਨਾਰਸ (Banaras) – ਪ੍ਰਯਾਗ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਬਨਾਰਸ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਸੁਣਨ ਲਈ ਹਾਜ਼ਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਇਹ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ ਕਿ ਕਰਮਨਾਸ਼ ਨਦੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਸਭ ਚੰਗੇ ਕਰਮ ਨਾਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ ਇਸ ਨਦੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨਦੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਜਿਹੋ ਜਿਹੇ ਮਨੁੱਖ ਕਰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਉਹੋ ਜਿਹਾ ਹੀ ਫਲ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

9. ਸਸਰਾਮ ਅਤੇ ਗਯਾ (Sasram and Gaya) – ਬਨਾਰਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਸਸਰਾਮ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖ ‘ਮਸੰਦ ਫੰਗੂ ਸ਼ਾਹ’ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬੜੀ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਗਯਾ ਪਹੁੰਚੇ । ਇਹ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਸੀ । ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੱਚ ਅਤੇ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।

10. ਪਟਨਾ (Patna) – ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ 1666 ਈ. ਵਿੱਚ ਪਟਨਾ ਵਿਖੇ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਬੜੀ ਗਰਮਜੋਸ਼ੀ ਨਾਲ ਸਵਾਗਤ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ‘ਤੇ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਅਤੇ ਪਟਨਾ ਨੂੰ “ਗੁਰੂ ਦਾ ਘਰ’ ਕਹਿ ਕੇ ਨਿਵਾਜਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਛੱਡਿਆ ਅਤੇ ਆਪ ਮੁੰਘੇਰ ਲਈ ਰਵਾਨਾ ਹੋ ਗਏ ।

11. ਢਾਕਾ (Dhaka) – ਢਾਕਾ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੇਂਦਰ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਸਦਕਾ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇੱਥੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਜਾਤਪਾਤ ਦੇ ਬੰਧਨਾਂ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਣ ਤੇ ਨਾਮ ਸਿਮਰਨ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।

12. ਆਸਾਮ (Assam) – ਢਾਕਾ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੇ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਅੰਬਰ ਦੇ ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਦੀ ਬੇਨਤੀ ‘ਤੇ ਆਸਾਮ ਗਏ । ਆਸਾਮੀ ਲੋਕ ਜਾਦੂ-ਟੂਣਿਆਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਮਾਹਿਰ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਕਾਰਨ ਜਾਦੂ-ਟੂਣੇ ਪ੍ਰਭਾਵਹੀਨ ਹੋਣ ਲੱਗੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਲੋਹਾ ਮੰਨਣਾ ਪਿਆ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਆਉਣ ਲੱਗੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਭੁੱਲ ਲਈ ਮੁਆਫ਼ੀ ਮੰਗੀ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਪੰਜਾਬ ਵਾਪਸ ਆ ਗਏ ਤੇ ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਵਿਖੇ ਰਹਿਣ ਲੱਗ ਪਏ ।

III. ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ (Tours of Malwa and Bangar Region)

1673 ਈ. ਦੇ ਮੱਧ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਵਾਰ ਯਾਤਰਾ ਕੀਤੀ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਸੈਫ਼ਾਬਾਦ, ਮਲੋਵਾਲ, ਢਿਲਵਾਂ, ਭੂਪਾਲੀ, ਖੀਵਾ, ਖਿਆਲਾ, ਤਲਵੰਡੀ, ਬਠਿੰਡਾ ਅਤੇ ਧੂਮਧਾਨ ਆਦਿ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਗਏ । ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਦੁੱਖ-ਤਕਲੀਫ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਵੱਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਖੋਲ੍ਹੇ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜੀ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਘਰ-ਘਰ ਪਹੁੰਚਾਇਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਰਬਪੱਖੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਲੋਕ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਬਣ ਗਏ ।

ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਹਰਬੰਸ ਸਿੰਘ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ,
“ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਤੁਫ਼ਾਨ ਲੈ ਆਂਦਾ । ਇਹ ਨਾ ਤਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿਹਾ ਦੇਸ਼ ਰਿਹਾ ਅਤੇ ਨਾ ਉਹ ਲੋਕ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਨਵੀਂ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਆ ਚੁੱਕੀ ਸੀ” । 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give an account of the early career and travels of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 1 ਅਤੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 2 ਦਾ ਉੱਤਰ ਸਾਂਝੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਲਿਖਣ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਗੁਰ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵ (Martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji and its Importance)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਆਲੋਚਨਾਤਮਕ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । ਇਸ ਦੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦੀ ਵੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Critically examine the circumstances leading to the martyrdom of the 9th Guru. Also discuss its results.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss the causes and results of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the causes and significance of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹਾਲਤਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the circumstances which led to the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ? (Describe the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji. What were the effects of his martyrdom ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? ਇਸ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What were the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ? What is its importance ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅਤਿ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਹੈ । ਧਰਮ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖਤਾ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣਾ ਨਾਂ ਰਹਿੰਦੀ ਦੁਨੀਆ ਤਕ ਅਮਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਅੱਗੇ ਦਿੱਤਾ ਹੈ-
PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ 1

I. ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨ (Causes of Martyrdom)

ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਕਾਰਨ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ (Enmity between the Mughals and the Sikhs) – 1605 ਈ. ਤਕ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਚਲੇ ਆ ਰਹੇ ਸਨ । ਪਰ ਜਦੋਂ 1606 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਜਹਾਂਗੀਰ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਤਾਂ ਇਹ ਸੰਬੰਧ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਅਪਣਾਈ ਗਈ ਨਵੀਂ ਨੀਤੀ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੁਆਰਾ ਦੋ ਵਰ੍ਹਿਆਂ ਤਕ ਗਵਾਲੀਅਰ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਜ਼ਰਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ ਦੇ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਨਾਲ ਚਾਰ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜਨੀਆਂ ਪਈਆਂ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਵਾਧਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ ।

2. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਕੱਟੜਤਾ (Fanaticism of Aurangzeb) – ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਧਾਰਮਿਕ ਕੱਟੜਤਾ ਵੀ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ 1658 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦਾ ਨਵਾਂ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹਰ ਪਾਸੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਦਾ ਬੋਲ ਬਾਲਾ ਵੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਮੰਦਰਾਂ ਨੂੰ ਤਬਾਹ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਮਸਜਿਦਾਂ ਬਣਵਾ ਦਿੱਤੀਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਅਤੇ ਰਸਮਾਂ-ਰਿਵਾਜਾਂ ‘ਤੇ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਉਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨਕਾਲ ਵਿੱਚ ਤਲਵਾਰ ਦੇ ਜ਼ੋਰ ‘ਤੇ ਗੈਰ-ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ।

3. ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ (Impact of Naqshbandis on Aurangzeb) – ਕੱਟੜ ਸੁੰਨੀ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀ ਸੰਪਰਦਾਇ ਦਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾਇ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਸ਼ੁਹਰਤ ਅਸਹਿ ਸੀ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਖ਼ਤਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਧਰੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਇਸਲਾਮ ਲਈ ਕੋਈ ਗੰਭੀਰ ਵੰਗਾਰ ਨਾ ਬਣ ਜਾਏ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਭੜਕਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

4. ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ (Spread of Sikhism) – ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਸਿੱਖ ਪ੍ਰਚਾਰਕ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਸੰਗਠਨ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਲਈ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਸੀ ।

5. ਰਾਮ ਰਾਏ ਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣੀ (Enmity of Ram Rai) – ਰਾਮ ਰਾਏ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਭਰਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲ ਗਈ ਤਾਂ ਉਹ ਇਹ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਨਾ ਕਰ ਸਕਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕੋਝੇ ਹੱਥਕੰਡੇ ਅਪਣਾਉਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਜਦੋਂ ਉਸ ਦੇ ਸਾਰੇ ਯਤਨ ਅਸਫਲ ਰਹੇ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਕੰਨ ਭਰਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ।

6. ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਪੁਕਾਰ (Call of Kashmiri Pandits) – ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਬਾਰੇ ਬਹੁਤ ਦ੍ਰਿੜ ਸਨ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਆਦਰ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਸੋਚਿਆ ਕਿ ਜੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਾਕੀ ਹਿੰਦੂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਨੂੰ ਕਬੂਲ ਕਰ ਲੈਣਗੇ । ਉਸ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੂੰ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ’ਤੇ ਘੋਰ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕੀਤੇ । ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੇ ਬਚਾਅ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਤਾ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ 25 ਮਈ, 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਫਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ਤੇ ਗੰਭੀਰਤਾ ਵੇਖ ਕੇ ਬਾਲਕ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਨੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ ।

ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਕਿਸੇ ਮਹਾਂਪੁਰਸ਼ ਨੂੰ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਨੇ ਝੱਟ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ, “ਪਿਤਾ ਜੀ, ਤੁਹਾਡੇ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਮਹਾਂਪੁਰਸ਼ ਹੋਰ ਕੌਣ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ?” ਬਾਲਕ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ਇਹ ਉੱਤਰ ਸੁਣ ਕੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਡਤਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਜਾ ਕੇ ਮੁਗਲ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਸਾਫ਼-ਸਾਫ਼ ਦੱਸ ਦੇਣ ਕਿ ਜੇ ਉਹ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲੈਣ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਰੇ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲੈਣਗੇ ।

II. ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੋਈ ? (How was Guru Martyred ?)

ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਬੁਲਾਉਣ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਆਪਣੇ ਤਿੰਨ ਸਾਥੀਆਂ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ, ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਅਤੇ ਭਾਈ ਦਿਆਲਾ ਜੀ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ 11 ਜੁਲਾਈ, 1675 ਈ. ਨੂੰ ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ (ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਦਿੱਲੀ ਵੱਲ ਰਵਾਨਾ ਹੋਏ । ਮੁਗ਼ਲ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਰੋਪੜ ਨੇੜੇ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ 4 ਮਹੀਨਿਆਂ ਤਕ ਸਰਹਿੰਦ ਦੇ ਜੇਲ੍ਹਖਾਨੇ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ 6 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ. ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਜਾਂ ਮੌਤ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਨੂੰ ਕਬੂਲ ਕਰਨ ਦੀ ਪੇਸ਼ਕਸ਼ ਕੀਤੀ । ਪਰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਤਿੰਨਾਂ ਸਾਥੀਆਂ ਨੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਨੂੰ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰਨ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਨਾਂਹ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਡਗਮਗਾਉਣ ਲਈ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਤਿੰਨਾਂ ਸਾਥੀਆਂ ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ, ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਦਿਆਲਾ ਜੀ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਕੋਈ ਚਮਤਕਾਰ ਵਿਖਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ, ਪਰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ, 11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ. ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਚਾਂਦਨੀ ਚੌਂਕ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਸੀਸ ਧੜ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਹਰਬੰਸ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਐੱਲ. ਐੱਮ. ਜੋਸ਼ੀ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ,

‘‘ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਦਿਲ ਹਿਲਾ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਅਤੇ ਕੰਬਾਉਣ ਵਾਲੀ ਘਟਨਾ ਸੀ ।’’ 1
ਜਿਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਉਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੀਸ ਗੰਜ ਦੀ ਉਸਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਭਾਈ ਲੱਖੀ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਗੱਡੇ ਵਿੱਚ ਛਿਪਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲੈ ਆਂਦਾ | ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਅੰਤਿਮ ਸੰਸਕਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਘਰ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਰਕਾਬ ਗੰਜ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

III. ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ (Significance of the Martyrdom)

ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਲਾਸਾਨੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਘਟਨਾ ਨਾ ਕੇਵਲ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ, ਸਗੋਂ ਸਮੁੱਚੇ ਵਿਸ਼ਵ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਘਟਨਾ ਹੈ । ਇਸ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਪੰਜਾਬ ਬਲਕਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ’ਤੇ ਦੂਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਮਹਾਨ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਪਤਨ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਿਆ । ਡਾਕਟਰ ਤਰਲੋਚਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ,
‘‘ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਮਹਾਨ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਅਤੇ ਦੂਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ !’ ) 1

1. ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਘਟਨਾ (A Unique Event of History) – ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਵਧੇਰੇ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਮਨੁੱਖਤਾ ਅਤੇ ਸੱਚ ਲਈ ਆਪਣਾ ਸੀਸ ਦਿੱਤਾ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ, ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇਹ ਇੱਕ ਅਦੁੱਤੀ ਉਦਾਹਰਨ ਸੀ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ “ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

2. ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ (Feeling of revenge among the Sikhs) – ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਾਰੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਪ੍ਰਤੀ ਗੁੱਸੇ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ । ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰਨ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕੀਤਾ ।

3. ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ (Protection of Hinduism) – ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਦਿਨੋ-ਦਿਨ ਵੱਧ ਰਹੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਨੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਨੂੰ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਇੱਕ ਭਾਰੀ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇ ਕੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੂੰ ਲੋਪ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਿਆ । ਇਸ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਸੁੱਤੀ ਪਈ ਹਿੰਦੂ ਕੌਮ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ । ਉਹ ਹੁਣ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਏ ।

4. ਖ਼ਾਲਸਾ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ (Creation of the Khalsa) – ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ, ਕਿ ਹੁਣ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਗਠਿਤ ਹੋਣਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ 1699 ਈ. ਵਿੱਚ ਵਿਸਾਖੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਕੀਤੀ । ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਨੇ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਬਹਾਦਰ ਕੌਮ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ ਜਿਸ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚੋਂ ਨਾਮੋ-ਨਿਸ਼ਾਨ ਮਿਟਾ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਦਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣਾ (Beginning of the tradition of Sacrifices) – ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਖ਼ਾਤਰ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਦੇਣ ਦੀ ਇੱਕ ਪਰੰਪਰਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਰਸਤੇ ‘ਤੇ ਚਲਦਿਆਂ ਹੋਇਆਂ ਆਪ ਅਨੇਕਾਂ ਕਸ਼ਟ ਸਹਿਣ ਕੀਤੇ । ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿੰਦਾ ਨੀਹਾਂ ਵਿੱਚ ਚਿਣਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਵੱਡੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਸੈਂਕੜੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਅੱਗੇ ਹੱਸ-ਹੱਸ ਕੇ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਨਸਲਾਂ ਵਾਸਤੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਦਾ ਸੋਮਾ ਸਿੱਧ ਹੋਈ ।

6. ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜਾਈਆਂ (Battles between the Sikhs and the Mughals) – ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਇੱਕ ਚੌਥਾ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਚੱਟਾਨ ਵਾਂਗ ਅਡੋਲ ਰਹੇ । ਆਪਣੇ ਸੀਮਿਤ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਸਦਕਾ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀਆਂ ਨੀਂਹਾਂ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ । ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ
ਐੱਸ. ਐੱਸ. ਜੌਹਰ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ,
‘‘ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘੇ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ।’ 1″

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬੜੇ ਦੂਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ । (The martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji had far-reaching consequences on Sikh history. Discuss.)
ਉੱਤਰ-
ਨੋਟ-ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 4 ਦਾ ਭਾਗ III ਦੇਖਣ ।

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਸ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖ ਨੇ ਨੌਵੀਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ਦੀ ਭਾਲ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ? (Name the sincere Sikh who searched for the Ninth Guru and Why ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਭਾਲ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਤੇ ਕਿਉਂ ? (Who found Guru Tegh Bahadur Ji and why ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਇਸ਼ਾਰਾ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਗਲਾ ਗੁਰੂ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ 22 ਸੋਢੀਆਂ ਨੇ ਉੱਥੇ ਆਪਣੀਆਂ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਈਆਂ । ਹਰ ਕੋਈ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਖਵਾਉਣ ਲੱਗਾ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ਆਪਣੀ ਮੰਨਤ ਅਨੁਸਾਰ ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਜਦੋਂ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਜਾ ਕੇ ਦੋ ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀਆਂ ਤਾਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਜਹਾਜ਼ ਡੁੱਬਣ ਸਮੇਂ ਤਾਂ ਤੂੰ 500 ਮੋਹਰਾਂ ਭੇਟ ਕਰਨ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।” ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਇੱਕ ਮਕਾਨ ਦੀ ਛੱਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਜ਼ੋਰ-ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ, ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ” ਭਾਵ ਗੁਰੂ ਮਿਲ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give a brief account of the travels of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the travels of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੇ ਸਮੇਂ (1664-75 ਈ.) ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਅਨੇਕਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਅਤੇ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਅਨੇਕਾਂ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਬਹੁਤ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਕਾਰਨ ਕਿਹੜੇ ਸਨ ? (What were the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (Highlight the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study the causes responsible for the martyrodom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਤਿੰਨ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (List three causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? (What were the causes of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮੁੱਖ ਯੋਗਦਾਨ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਧਾਰਮਿਕ ਕੱਟੜਤਾ ਸੀ ।
  2. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਸਾਰ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਕਰਨ ਨੂੰ ਤਿਆਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ।
  3. ਰਾਮ ਰਾਏ ਨੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਵਿਰੁੱਧ ਭੜਕਾਇਆ ।
  4. ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਪੁਕਾਰ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਤਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਵਿੱਚ ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਦੀ ਸਮੀਖਿਆ ਕਰੋ । (Discuss the role played by Naqshbandis in the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਨਕਸ਼ਬੰਦੀ ਕੱਟੜ ਸੁੰਨੀ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਸੰਪਰਦਾਇ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾਇ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੇਂਦਰ ਸਰਹਿੰਦ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਪਰਦਾਇ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਸ਼ੁਹਰਤ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਵੱਧ ਰਿਹਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਸਹਿ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਕੰਨ ਭਰਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੇ ਬਲਦੀ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਵਿਰੁੱਧ ਕਦਮ ਚੁੱਕਣ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਤੱਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ? (What was the immediate cause of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਿਉਂ ਕੀਤੀ ? (Why did Guru Tegh Bahadur Ji help the Kashmiri Brahmans ?)
ਉੱਤਰ-
ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਬਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਤਲਵਾਰ ਦੀ ਨੋਕ ‘ਤੇ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ । ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੌਂਗਟੇ ਖੜ੍ਹੇ ਕਰ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਸੁਣੀ ਤਾਂ ਉਹ ਕੁਝ ਸੋਚੀਂ ਪੈ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ‘ਤੇ ਗੰਭੀਰਤਾ ਵੇਖ ਕੇ ਬਾਲਕ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਨੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦੀ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦੇਣ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Evaluate the historical importance of martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਤਾ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the historical importance of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What is the significance of the martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਦੱਸੋ । (Explain the importance of martyrdom of Guru Tegh Bahadur Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਾਰਨ ਸਾਰਾ ਪੰਜਾਬ ਗੁੱਸੇ ਅਤੇ ਬਦਲੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਭੜਕ ਉੱਠਿਆ । ਇਸ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਜਦੋਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਕਾਇਮ ਰਹੇਗਾ ਤਦ ਤਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਵੀ ਕਾਇਮ ਰਹਿਣਗੇ ।ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਮੁਗਲਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ 1699 ਈ. ਵਿੱਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਇੱਕ ਲੰਬੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਹੋਈ । ਇਸ ਸੰਘਰਸ਼ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਡਾਵਾਂਡੋਲ ਕਰਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one Word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿੱਥੇ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1 ਅਪਰੈਲ, 1621 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਾਨਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿਆਗ ਮਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
‘ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ’ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਲਵਾਰ ਦਾ ਧਨੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਜਾਂ ਗੋਬਿੰਦ ਦਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਬਾਬਾ ਬਕਾਲਾ ਵਿੱਚ ਸੱਚੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨੇ ਲੱਭਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
‘ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ, ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ’ ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸ ਨੇ ਕਹੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ |

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰਗੱਦੀ ਕਾਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
1664 ਈ. ਤੋਂ 1675 ਈ. ਤਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਥਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਸ ਦੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਯਾਤਰਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਦਿੱਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਥਾਨ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਸ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਾਖੋਵਾਲ ਜਾਂ ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਤਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਫਰਿਆਦ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਉਸ ਮੁਗਲ ਸੂਬੇਦਾਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਸ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਪੰਡਤਾਂ ‘ਤੇ ਭਾਰੀ ਜੁਲਮ ਕੀਤੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਕਿਸ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਿਲਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿੱਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿੱਥੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿੱਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਨੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਵਾਇਆ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਿਸ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੋਈ ?
ਜਾਂ
ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਸਮੇਂ ਕਿਸ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੀ ਹਕੂਮਤ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਦੋਂ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨਾਲ ਕਿਹੜੇ ਤਿੰਨ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ,
  2. ਭਾਈ ਸਤੀ ਦਾਸ ਜੀ,
  3. ਭਾਈ ਦਿਆਲਾ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦੀ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਕਿਹੜਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੀਸ ਗੰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੀਸ ਗੰਜ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿੱਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਬਿੱਟਾ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦਾ ਇੱਕ ਲੰਬਾ ਅਧਿਆਇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ‘ਰੰਗਰੇਟੇ ਗੁਰੂ ਕੇ ਬੇਟੇ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸ ਲਈ ਵਰਤੇ ?
ਉੱਤਰ-ਭਾਈ ਜੈਤਾ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
‘ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ’ ਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਜਾਂ
‘ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ’ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।

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ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ-

1. ……………… ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ)

2. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ………………………………. ਵਿਖੇ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ)

3. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ……………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ)

4. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ………………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਨਾਨਕੀ)

5. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ ਦਾ ਨਾਂ ……………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਤਿਆਗ ਮੱਲ)

6. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਨਾਂ …………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ)

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7. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਭਾਲ ………………….. ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ)

8. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ …………………… ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1664 ਈ.)

9. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ……………………. ਤੋਂ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ)

10. ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ………………. ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੁ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ)

11. ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨਾਂ …………………….. ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
(ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ)

12. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ …………………….. ਹਿੰਦੂਆਂ ਤੇ ਮੁੜ ਜਜ਼ੀਆ ਕਰ ਲਗਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(1679 ਈ. )

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13. ਰਾਮ ਰਾਏ ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ …………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪੁੱਤਰ)

14. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ …………………… ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ)

15. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ …………………… ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
(11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ.)

16. ਜਿਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਉੱਥੇ …………………… ਦੀ ਉਸਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੀਸ ਗੰਜ)

17. ‘ਰੰਗਰੇਟੇ ਗੁਰੂ ਕੇ ਬੇਟੇ’ ਕਹਿ ਕੇ ………………………… ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਗਲ ਨਾਲ ਲਗਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਭਾਈ ਜੈਤਾ ਜੀ)

18. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਜੱਲਾਦ ਦਾ ਨਾਂ …………………. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜਲਾਲੁਉੱਦੀਨ)

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19. ……………….. ਨੂੰ ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਗੁਰੁ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

2. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਖੇ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 1621 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

4. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

5. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

6. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਤਿਆਗ ਮੱਲ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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7. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਨਾਂ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

8. ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਭਾਲ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

9. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

10. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੌਰਾਨ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪਹੁੰਚੇ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

11. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਆਰੰਭ 1666 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

12. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਨਾਂ ਦੇ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

13. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਹਿੰਦੂਆਂ ‘ਤੇ ਮੁੜ ਜਜ਼ੀਆ ਕਰ ਲਗਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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14. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

16. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ 11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ. ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

17. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਜਿਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਉਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਰਕਾਬ ਗੰਜ ਦੀ ਉਸਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
(i) 1601 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1621 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1631 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1656 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1621 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਬਚਪਨ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਹਰੀ ਮਲ ਜੀ
(ii) ਤਿਆਗ ਮਲ ਜੀ
(iii) ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ
(iv) ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਤਿਆਗ ਮਲ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ
(iv) ਬਾਬਾ ਗੁਰਦਿੱਤਾ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਕਿੰਨਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਨ ?
(i) ਪਹਿਲੇ
(ii) ਪੰਜਵੇਂ
(iii) ਤੀਸਰੇ
(iv) ਛੇਵੇਂ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਛੇਵੇਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਗੁਜਰੀ ਜੀ
(ii) ਸੁਲੱਖਣੀ ਜੀ
(iii) ਨਾਨਕੀ ਜੀ
(iv) ਗੰਗਾ ਦੇਵੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਨਾਨਕੀ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) ਨਿਹਾਲ ਕੌਰ ਜੀ ਨਾਲ
(ii) ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਨਾਲ
(iii) ਸੁਲੱਖਣੀ ਜੀ ਨਾਲ
(iv) ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਜੀ ਨਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਂਦੇਵ
(ii) ਅਰਜਨ ਦੇਵ
(iii) ਰਾਮ ਰਾਏ
(iv) ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਨਾਂਦੱਸੋ ਜਿਸ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੋ ਸਕਿਆ ਕਿ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਅਸਲੀ ਗੁਰੂ ਸਨ ?
(i) ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਮਸਤੂਆਣਾ
(ii) ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ
(iii) ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ
(iv) ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗੁਰੂ ਲਾਧੋ ਰੇ ਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸ ਨੇ ਕਹੇ ਸਨ ?
(i) ਲੱਖੀ ਸ਼ਾਹ ਵਣਜਾਰਾ
(ii) ਭਾਈ ਨੰਦ ਲਾਲ
(iii) ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ
(iv) ਭਾਈ ਮਤੀ ਦਾਸ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਬਾਣਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ?
(i) 1661 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1664 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1665 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1666 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸਮੇਂ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕਿੱਥੇ ਨਿਵਾਸ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ ?
(i) ਦਿੱਲੀ
(ii) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ
(iii) ਮਾਖੋਵਾਲ
(iv) ਬਕਾਲਾ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਬਕਾਲਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਆਪਣੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦੌਰਾਨ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ ?
(i) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
(iv) ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
ਉੱਤਰ-
(iii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
1665 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਕਿਸ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ
(ii) ਬਿਲਾਸਪੁਰ
(iii) ਸਾਹਨੇਵਾਲ
(iv) ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ?
(i) ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਚਮਕੌਰ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਤੱਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਕੱਟੜਤਾ
(ii) ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਪੁਕਾਰ
(iii) ਨਕਸ਼ਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ
(iv) ਰਾਮ ਰਾਇ ਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦੀ ਪੁਕਾਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਕਿੱਥੇ ਆਏ ?
(i) ਪਟਨਾ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ
(iv) ਸ੍ਰੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਕਿਸ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
(i) ਜਹਾਂਗੀਰ
(ii) ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ
(iii) ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ
(iv) ਬਹਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਪਹਿਲਾ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿੱਥੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
(i) ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ
(ii) ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ
(iii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਖੇ
(iv) ਪਟਨਾ ਵਿਖੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਦੋਂ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
(i) 1661 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1664 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1665 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਜਿਸ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਉੱਥੇ ਕਿਹੜਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
(i) ਸੀਸ ਗੰਜ
(ii) ਰਕਾਬ ਗੰਜ
(iii) ਬਾਲਾ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸੀਸ ਗੰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
‘ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ’ ਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ‘ਰੰਘਰੇਟਾ ਗੁਰੂ ਕਾ ਬੇਟਾ ਕਿਸਨੂੰ ਕਿਹਾ ਸੀ ?
(i) ਭਾਈ ਸੰਗਤ ਸਿੰਘ
(ii) ਭਾਈ ਮਹਾਂ ਸਿੰਘ
(iii) ਭਾਈ ਜੀਵਨ ਸਿੰਘ
(iv) ਭਾਈ ਬਚਿੱਤਰ ਸਿੰਘ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਭਾਈ ਜੀਵਨ ਸਿੰਘ ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੌਵੇਂ ਗੁਰੂ ਸਨ । ਉਹ 1664 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1675 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਫੈਲੇ ਅੰਧ-ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਅਨੇਕ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਸੀ । ਉਹ ਬੜਾ ਕੱਟੜ ਸੁੰਨੀ ਮੁਸਲਮਾਨ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਆਤੰਕ ਫੈਲਾ ਰੱਖਿਆ ਸੀ । ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤ ਉਸ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਏ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਧਰਮ ਦੀ ਰਾਖੀ ਲਈ 11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈ. ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦਿੱਤੀ ।

ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਇਸ ਲਾਸਾਨੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦੇ ਬੜੇ ਡੂੰਘੇ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ । ਇਸ ਨੇ ਨਾ ਸਿਰਫ ਪੰਜਾਬ ਬਲਕਿ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਯੁੱਗ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਚਿੰਗਾਰੀ ਸੁਲਗਾਈ ਜਿਸ ਨੇ ਬਹੁਤ ਛੇਤੀ ਭਾਂਬੜ ਦਾ ਰੂਪ ਅਖਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ ਤੇ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਸੜ ਕੇ ਸੁਆਹ ਹੋ ਗਿਆ । ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ‘ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਵੀ ਯਾਦ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

1. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ?
2. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀਆਂ ਯਾਤਰਾਵਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਕੀ ਸੀ ?
3. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਸ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਨੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਨ ਦਾ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ?
4. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿੱਥੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
(i) ਲਾਹੌਰ
(ii) ਦਿੱਲੀ
(iii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
(iv) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
5. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ 1664 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
2. ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ।
3. ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
4. ਦਿੱਲੀ ।
5. ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ ਇਸ ਲਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦਿੱਤੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 9 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ

2. ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਬਾਰੇ ਬਹੁਤ ਦ੍ਰਿੜ੍ਹ ਸਨ । ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਹਿੰਦੂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਆਦਰ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਸੋਚਿਆ ਕਿ ਜੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਾਕੀ ਹਿੰਦੂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਨੂੰ ਕਬੂਲ ਕਰ ਲੈਣਗੇ ।ਇਸੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਉਸ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੂੰ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਨੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਕਬੂਲ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ । ਇਨਕਾਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਬਾਹਮਣਾਂ ਉੱਤੇ ਭਾਰੀ ਜ਼ੁਲਮ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਲੱਗੇ ਅਤੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕਤਲ ਕੀਤਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ । ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੇ ਬਚਾਅ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਤਾ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ 16 ਮੈਂਬਰਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ 25 ਮਈ, 1675 ਈ. ਵਿੱਚ ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਫਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ।

1. ਸ਼ੇਰ ਅਫਗਾਨ ਕੌਣ ਸੀ ? .
1 2. ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਕਿਉਂ ਬਦਨਾਮ ਸੀ ?
3. ਕਿਸ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ-ਭਰੀ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ?
4. ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਪੰਡਤ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿੱਥੇ ਮਿਲੇ ?
(i) ਲਾਹੌਰ
(ii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
(iii) ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ
(iv) ਜਲੰਧਰ ।
5. ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਨਾਂ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਸ਼ੇਰ ਅਫ਼ਗਾਨ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਸੀ ।
2. ਉਸ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ‘ਤੇ ਭਾਰੀ ਜ਼ੁਲਮ ਕੀਤੇ ।
3. ਪੰਡਤ ਕਿਰਪਾ ਰਾਮ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਪੰਡਤਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਦਲ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਕੋਲ ਆਪਣੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ।
4. ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ।
5. ਚੱਕ ਨਾਨਕੀ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਨਾਂ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Map Questions

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Map Questions Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB 12th Class History Map Questions

ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ (Battles of Guru Gobind Singh Ji:)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਪੂਰਵ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਏ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab, show the four places of battles of the Pre-Khalsa and Post-Khalsa period of Guru Gobind Singh.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on these battles.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਮੁੱਖ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਿਕ | ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show the four important places of Guru Gobind Singh Ji’s battles.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on the battles as shown in the map.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਟਿੱਪਣੀ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four important places where the battles of Guru Gobind Singh Ji were fought.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on these battles.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ-
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four places of Guru Gobind Singh Ji’s battles.
(b) Explain in about 20-25 words each the places given in the map.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਦਿਓ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four places of the battles of Guru Gobind Singh Ji.
(b) Explain these places in about 20-25 words on each.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਨਦੀਆਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਦਿਖਾਏ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab showing the rivers depict four places of the battles of Sri Guru Gobind Singh Ji.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on the places of the battles shown in the map.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਲੜਨਾ ਪਿਆ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਪੁਰਵ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

I. ਪੂਰਵ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ (Battles of Pre-Khalsa Period)

1. ਭੰਗਾਣੀ ਦੀ ਲੜਾਈ 1688 ਈ. (Battle of Bhangani 1688 A.D.) – ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜੀ ਤਿਆਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਕਹਿਲੂਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਭੀਮ ਚੰਦ ਅਤੇ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਫ਼ਤਿਹ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਇੱਕ ਗਠਜੋੜ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ । 22 ਸਤੰਬਰ, 1688 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਭੰਗਾਣੀ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਢੋਰਾ ਦੇ ਪੀਰ ਬੁੱਧੂ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਸਮੇਤ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜੋਸ਼ ਅੱਗੇ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜੇ ਨਾ ਟਿਕ ਸਕੇ । ਉਹ ਮੈਦਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਭੱਜਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਗਏ । ਇਸ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ।

2. ਨਾਦੌਣ ਦੀ ਲੜਾਈ 1690 ਈ. (Battle of Nadaun 1690 A.D.) – ਭੰਗਾਣੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਾਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਕਰ ਲਈ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨੂੰ ਸਾਲਾਨਾ ਖਿਰਾਜ ਕਰ ਭੇਜਣਾ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਆਲਿਫ਼ ਖ਼ਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਇੱਕ ਫ਼ੌਜ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਭੇਜੀ ਗਈ । ਉਸ ਨੇ 20 ਮਾਰਚ, 1690 ਈ. ਨੂੰ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਦੇ ਨੇਤਾ ਭੀਮ ਚੰਦ ਦੀ ਸੈਨਾ ‘ਤੇ ਨਾਦੌਨ ਵਿਖੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਭੀਮ ਚੰਦ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਸਾਂਝੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ | ਆਲਿਫ਼ ਖ਼ਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਨੱਸਣਾ ਪਿਆ |
PSEB 12th Class History Map Questions 1
II. ਉੱਤਰ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ (Battles of Post-Khalsa Period)

3. ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ 1701 ਈ. (First Battle of Sri Anandpur Sahib 1701 A.D.) – 1699 ਈ. ਵਿੱਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਨਾ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗੇ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਇਸ ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਕਹਿਰ ਦੇ ਰਾਜਾ ਭੀਮ ਚੰਦ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਕਿਲ੍ਹਾ ਖ਼ਾਲੀ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਇਨਕਾਰ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਭੀਮ ਚੰਦ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ 1701 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਕਿਲੇ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਪਰ ਸਫਲਤਾ ਨਾ ਮਿਲਣ ਕਾਰਨ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨਾਲ ਸੰਧੀ ਕਰ ਲਈ ।

4. ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ 1704 ਈ. (Second Battle of Sri Anandpur Sahib 1704 A.D.) – ਪਹਾੜੀ ਰਾਜੇ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਤੋਂ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦੇ ਅਪਮਾਨ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ 1704 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ‘ਤੇ ਦੁਸਰੀ ਵਾਰ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਅੰਦਰੋਂ ਇਸ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ । ਘੇਰਾ ਲੰਬਾ ਹੋ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ਕਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਰਸਦ ਥੁੜਨੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕੁਝ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚੋਂ ਭੱਜ ਨਿਕਲਣ ਦੀ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਇਨਕਾਰ ਕਰਨ ‘ਤੇ 40 ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਕੇ ਚਲੇ ਗਏ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਫਲਤਾ ਨਾ ਮਿਲਦੀ ਵੇਖ ਕੇ ਸ਼ਾਹੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਚਾਲ ਚੱਲੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਝੂਠੀਆਂ ਕਸਮਾਂ ਖਾ ਕੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜੇਕਰ ਉਹ ਕਿਲ੍ਹਾ ਛੱਡ ਦੇਣ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕਿਹਾ ਜਾਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਕਿਲ੍ਹਾ ਛੱਡਣ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ।

5. ਸ਼ਾਹੀ ਟਿੱਬੀ ਦੀ ਲੜਾਈ 1704 ਈ. (Battle of Shahi Tibbi 1704 A.D.) – ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਖ਼ਾਲੀ ਕੀਤਾ ਤਾਂ ਸ਼ਾਹੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ‘ਤੇ ਟੁੱਟ ਪਈਆਂ । ਸਿੱਟੇ ਵੱਜੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਗਦੜ ਮਚ ਗਈ । ਸ਼ਾਹੀ ਟਿੱਬੀ ਵਿਖੇ ਹੋਈ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਉਧੈ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ 50 ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ਾਹੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਅੰਤ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਪਾ ਗਏ ।

6. ਚਮਕੌਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਲੜਾਈ 1704 ਈ. (Battle of Chamkaur Sahib 1704 A.D.) – ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਆਪਣੇ 40 ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ 21 ਦਸੰਬਰ, 1704 ਈ. ਨੂੰ ਚਮਕੌਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਗੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚੇ । ਇੱਥੇ 22 ਦਸੰਬਰ, 1704 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾ ਲਿਆ । ਇੱਥੇ ਬੜੀ ਘਮਸਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਵੱਡੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਜੁਝਾਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇ ਉਹ ਜੌਹਰ ਵਿਖਾਏ ਕਿ ਮੁਗ਼ਲ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਏ । ਉਹ ਅੰਤ ਲੜਦੇ-ਲੜਦੇ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਗਏ । ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਇੱਥੋਂ ਬਚ ਨਿਕਲਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋ ਗਏ ।

7. ਖਿਦਰਾਣਾ ਦੀ ਲੜਾਈ 1705 ਈ. (Battle of Khidrana 1705 A.D.) – 29 ਦਸੰਬਰ, 1705 ਈ. ਨੂੰ ਸਰਹਿੰਦ ਦੇ ਮੁਗ਼ਲ ਫ਼ੌਜਦਾਰ ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਨੇ ਖਿਦਰਾਣਾ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਅਦੁੱਤੀ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤੇ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ 40 ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਜੋ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਗਏ ਹਨ, ਨੇ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾ ਮਹਾਂ ਸਿੰਘ ਦੀ ਬੇਨਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਕਤੀ ਦਾ ਵਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਖਿਦਰਾਣਾ ਦਾ ਨਾਂ ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ਪੈ ਗਿਆ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਆਖਰੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Map Questions

ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਮਹਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ (Important Battles of Banda Singh Bahadur)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
(ੳ) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੇ ਸੈਨਿਕ ਕਾਰਨਾਮਿਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਏ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show the four places of military exploits of Banda Singh Bahadur.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on the places of battles shown in the map.
ਜਾਂ
(ੳ) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਟਿੱਪਣੀ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, fill places of four important battles of Banda Singh Bahadur.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on the places shown in the map.
ਜਾਂ
(ਉ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਟਿੱਪਣੀ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four places of the battles ‘ of Banda Singh Bahadur.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on the places shown in the map.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਸੈਨਿਕ ਮੁਹਿੰਮਾਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਦਿਓ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four places of military exploits of Banda Singh Bahadur.
(b) Explain these places in about 20-25 words each.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਨਦੀਆਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਦਿਓ ।
(a) On the given outline map of Punjab showing the rivers depict the four battle places of Banda Singh Bahadur.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on the places of the battle shown in the map.
ਉੱਤਰ-
ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ 1709 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਤੋਂ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਲੈ ਕੇ ਨੰਦੇੜ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਰਵਾਨਾ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਨੂੰ ਅਜਿਹਾ ਸਬਕ ਸਿਖਾਇਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦਿਨੇ ਤਾਰੇ ਨਜ਼ਰ ਆ ਗਏ । ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :-

1. ਸੋਨੀਪਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ (Attack on Sonepat) – ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਨਵੰਬਰ, 1709 ਈ. ਵਿੱਚ 500 ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਸੋਨੀਪਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ | ਸੋਨੀਪਤ ਦਾ ਫ਼ੌਜਦਾਰ ਬਿਨਾਂ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤੇ ਦਿੱਲੀ ਵੱਲ ਭੱਜ ਗਿਆ । ਇਸ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ।

2. ਸਮਾਣਾ ਦੀ ਜਿੱਤ (Conquest of Samana) – ਸਮਾਣਾ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੂੰ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਜੱਲਾਦ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਸਮਾਣਾ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਅਨੇਕਾਂ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਿੱਤ ਸੀ ।

3. ਕਪੂਰੀ ਦੀ ਜਿੱਤ (Conquest of Kapuri) – ਕਪੂਰੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਕ ਕਦਮਉੱਦੀਨ ਹਿੰਦੂਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਕਪੂਰੀ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਕਦਮਉੱਦੀਨ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਪੂਰੀ ’ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

4. ਸਢੋਰਾ ਦੀ ਜਿੱਤ (Conquest of Sadhaura) – ਸਢੌਰਾ ਦਾ ਸ਼ਾਸਕ ਉਸਮਾਨ ਖ਼ਾ ਬੜਾ ਜ਼ਾਲਮ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਪੀਰ ਬੁੱਧੂ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਇਸ ਲਈ ਤਸੀਹੇ ਦੇ ਕੇ ਕਤਲ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਨੇ ਭੰਗਾਣੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਸਢੋਰਾ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਸਥਾਨ ਦਾ ਨਾਂ ਕਤਲਗੜੀ ਪੈ ਗਿਆ ।

5. ਸਰਹਿੰਦ ਦੀ ਜਿੱਤ (Conquest of Sirhind) – ਸਰਹਿੰਦ ਦੇ ਫ਼ੌਜਦਾਰ ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਜ਼ੋਰਾਵਰ ਸਿੰਘ ਤੇ ਫ਼ਤਿਹ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕੰਧ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿੰਦਾ ਚਿਣਵਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਅਪਮਾਨ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ 12 ਮਈ, 1710 ਈ. ਨੂੰ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਚੱਪੜਚਿੜੀ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਹਮਲੇ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਵਾਧੂ ਆਹੂ ਲਾਹੇ । ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਨੂੰ ਯਮਲੋਕ ਪਹੁੰਚਾ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਲਾਸ਼ ਨੂੰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਨਾਲ ਲਟਕਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਜਿੱਤ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ।

6. ਰਾਹੋਂ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Rahon) – ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਫ਼ੌਜਦਾਰ ਸ਼ਮਸ ਖ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਜ਼ਿਹਾਦ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਤੋਂ ਸਹਾਇਤਾ ਮੰਗੀ | ਅਕਤੂਬਰ, 1710 ਈ.
PSEB 12th Class History Map Questions 2
ਵਿੱਚ ਰਾਹੋਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਅਤੇ ਸ਼ਮਸ ਖ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਜੇਤੂ ਰਹੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਸਾਰੇ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

7. ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦਾ ਲੋਹਗੜ੍ਹ ’ਤੇ ਹਮਲਾ Attack of Mughals on Lohgarh) – ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀ ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਹੋਏ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਬਹਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ਮੁਨੀਮ ਖ਼ਾਂ ਅਧੀਨ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਫ਼ੌਜ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਲਈ ਭੇਜੀ । ਇਸ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਲੋਹਗੜ੍ਹ ਵਿਖੇ ਅਚਾਨਕ ਘੇਰ ਲਿਆ । ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਤਕ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਨਾਲ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚੋਂ ਬਚ ਨਿਕਲਣ ਵਿੱਚ ਕਾਮਯਾਬ ਹੋ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੁਗ਼ਲ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਨਾ ਕਰ ਸਕੇ ।

8. ਗੁਰਦਾਸ ਨੰਗਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Gurdas Nangal) – ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ 1715 ਈ. ਵਿੱਚ ਬਹਿਰਾਮਪੁਰ, ਬਟਾਲਾ ਤੇ ਕਲਾਨੌਰ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ‘ਤੇ ਦੁਬਾਰਾ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਇਸ ‘ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਵੇਂ ਬਣੇ ਸੂਬੇਦਾਰ ਅਬਦੁਸ ਸਮਦ ਖ਼ਾਂ ਨੇ ਗੁਰਦਾਸ ਨੰਗਲ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੁਨੀ ਚੰਦ ਦੀ ਹਵੇਲੀ ਵਿੱਚ ਘਿਰ ਗਿਆ । ਇਹ ਘੇਰਾ 8 ਮਹੀਨਿਆਂ ਤਕ ਚਲਦਾ ਰਿਹਾ । ਅੰਤ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਮੰਨਣੀ ਪਈ । 9 ਜੂਨ, 1716 ਈ. ਨੂੰ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।

PSEB 12th Class History Map Questions

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸਾਮਰਾਜ (Kingdom of Maharaja Ranjit Singh)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੀ ਹਰੇਕ ਲੜਾਈ ਸੰਬੰਧੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four important places of battles of Maharaja Ranjit Singh.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words on each battles.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕੋਈ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਟਿੱਪਣੀ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show four places where Maharaja Ranjit Singh fought battles.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on these battles.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab, show four places of the battles of Maharaja Ranjit Singh.
(b) Explain these places in about 20-25 words each.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਨਦੀਆਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੋ ।
PSEB 12th Class History Map Questions 3
(a) On the given outline map of Punjab showing the rivers depict the four places of battles of Maharaja Ranjit Singh.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words eacg on the places of the battles shown in the map.
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜੇਤੁ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ (1797-1839) ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਇਸ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਉਸ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਜਿੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਜਿੱਤ 1799 ਈ. (Conquest of Lahore 1799 A.D.) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਜਿੱਤ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੀ । ਇੱਥੇ ਤਿੰਨ ਭੰਗੀ ਸਰਦਾਰਾਂ-ਸਾਹਿਬ ਸਿੰਘ, ਮੋਹਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਚੇਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਰਾਜ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਪਰਜਾ ਬੜੀ ਦੁਖੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਦਾ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਨੇ 7 ਜੁਲਾਈ, 1799 ਈ. ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

2. ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਜਿੱਤ 1805 ਈ. (Conquest of Amritsar 1805 A.D.) – ਧਾਰਮਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੱਕਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਪਾਰਿਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ । ਬਣਨ ਲਈ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਲਈ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ । 1805 ਈ. ਨੂੰ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਦੀ ਵਿਧਵਾ ਮਾਈ ਸੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

3. ਕਸੂਰ ਦੀ ਜਿੱਤ 1807 ਈ. (Conquest of Kasur 1807 A.D.) – ਕਸੂਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਕੁਤਬ-ਉਦ-ਦੀਨ ਨੇ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਅਧੀਨਤਾ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ 1807 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਸੂਰ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਕੁਤਬ-ਉਦ-ਦੀਨ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕਸੂਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

4. ਕਾਂਗੜਾ ਦੀ ਜਿੱਤ 1809 ਈ. (Conquest of Kangra 1809 A.D.) – 1809 ਈ. ਵਿੱਚ ਕਾਂਗੜਾ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਸੰਸਾਰ ਚੰਦ ਕਟੋਚ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਗੋਰਖਿਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸਹਾਇਤਾ ਮੰਗੀ । ਇਸ ਦੇ ਬਦਲੇ ਉਸ ਨੇ ਕਾਂਗੜਾ ਦਾ ਕਿਲ੍ਹਾ ਦੇਣ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ । ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਗੋਰਖਿਆਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ | ਪਰ ਹੁਣ ਸੰਸਾਰ ਚੰਦ ਨੇ ਕਿਲਾ ਦੇਣ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਟਾਲ-ਮਟੋਲ ਕੀਤੀ । ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਅਨੁਰੋਧ ਨੂੰ ਕੈਦ ਕਰ ਲਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਸ ਨੇ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ ਕਿਲ੍ਹਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਜਿੱਤ 1818 ਈ. (Conguest of Multan 1818 A.D.) – ਮੁਲਤਾਨ ਸ਼ਹਿਰ ਵਪਾਰਿਕ ਅਤੇ ਭੁਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ 7 ਵਾਰ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ । ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਸ਼ਾਸਕ ਮੁਜੱਫਰ ਖ਼ਾਂ ਹਰ ਵਾਰੀ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਨਜ਼ਰਾਨਾ ਦੇ ਕੇ ਟਾਲ ਦਿੰਦਾ ਰਿਹਾ । 1818 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਫ਼ੌਜ ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ਦੇ ਅਧੀਨ ਭੇਜੀ । ਘਮਸਾਨ ਦੇ ਯੁੱਧ ਮਗਰੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

6. ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੀ ਜਿੱਤ 1819 ਈ. (Conquest of Kashmir 1819 A.D.) – ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੀ ਘਾਟੀ ਆਪਣੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਕਾਰਨ ਬੜੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੀ । ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਜਿੱਤ ਤੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬੜਾ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ 1819 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਫ਼ੌਜ ਕਸ਼ਮੀਰ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਲਈ ਭੇਜੀ । ਇਸ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਜ਼ਬਰ ਖਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

7. ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਦੀ ਜਿੱਤ 1834 ਈ. (Conquest of Peshawar 1834 A.D.) – ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਦਾ ਇਲਾਕਾ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀ । 1823 ਈ. ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੇ ਵਜ਼ੀਰ ਮੁਹੰਮਦ ਆਜ਼ਿਮ ਸ਼ਾਂ ਨੇ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਨੌਸ਼ਹਿਰਾ ਵਿਖੇ ਹੋਈ ਇੱਕ ਘਮਸਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਰਾ ਕੇ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਨੂੰ 1834 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

PSEB 12th Class History Map Questions

ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ (First Anglo-Sikh War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆਤਮਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show the four places of the First Anglo-Sikh War.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on the above.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(a) Show any four places of First Anglo Sikh War on the given map of Punjab.
(b) Write in about 20-25 words each about the spots shown on map.
ਜਾਂ
(ੳ) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab, show four places of First Anglo Sikh War.
(b) Explain these places in about 20-25 words each.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਨਦੀਆਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab showing the rivers depict four places of First Anglo Sikh War.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words each on the places of the battles shown in the map.
PSEB 12th Class History Map Questions 4
ਉੱਤਰ-
1845-46 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪਹਿਲਾ ਯੁੱਧ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । ਇਹ ਯੁੱਧ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁੱਖ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਲੜਿਆ ਗਿਆ-

1. ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Mudki) – ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਤੋਂ 20 ਮੀਲ ਦੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਮੁਦਕੀ ਨਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਭਾਵੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਸੌਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

2. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Ferozeshah) – 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਵਿਖੇ ਦੁਸਰੀ ਲੜਾਈ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹਿਊਗ ਗਫ਼, ਜਾਂਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਵਰਗੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ । ਪਰ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਮੁੜ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ ।

3. ਬੱਦੋਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Baddowal) – ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਤੀਜੀ ਲੜਾਈ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋਂ 18 ਮੀਲ ਦੂਰ ਬੱਦੋਵਾਲ ਵਿਖੇ 21 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਸਰਦਾਰ ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਮਜੀਠੀਆ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੈਰੀ ਸਮਿਥ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਛੱਡਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋਣਾ ਪਿਆ ।

4. ਅਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Aliwal) – ਹੈਰੀ ਸਮਿਥ ਬੱਦੋਵਾਲ ਵਿਖੇ ਹੋਈ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ 28 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਅਲੀਵਾਲ ਵਿਖੇ ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਅਧੀਨ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਬੜੀ ਭਿਆਨਕ ਸੀ । ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ।

5. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Sobraon) – ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਿਮ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵਰਗੇ ਗੱਦਾਰ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹਿਊ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਵਰਗੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੈਨਾਪਤੀ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਾਪਤੀ ਜੋ ਅੰਦਰ ਖਾਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਰਲੇ ਹੋਏ ਸਨ, ਮੌਕਾ ਵੇਖ ਕੇ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਨੱਸ ਗਏ । ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕੀਤੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇ ਉਹ ਜੌਹਰ ਦਿਖਾਏ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਆ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਤ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ ।

PSEB 12th Class History Map Questions

ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ (Second Anglo-Sikh War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
(ਓ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਉੱਤੇ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of the Punjab, show the places of Second Anglo-Sikh War.
(b) Write an explanatory note on each in about 20-25 words on these battles.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦੂਜੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਵਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(a) Show four places of Second Anglo Sikh War on the given outline map of Punjab.
(b) Write in about 20-25 words on each about the spots shown in map.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਦਿਖਾਓ ।
(ਅ) ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਏ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਲਗਭਗ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਲਿਖੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab, show the four places of Second Anglo Sikh War.
(b) Explain these places in about 20-25 words each.
ਜਾਂ
(ਉ) ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਨਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਨਦੀਆਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨ ਭਰੋ ।
(ਅ) ਭਰੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਸਥਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ 20-25 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੋ ।
(a) On the given outline map of Punjab showing the rivers fill the places of battles of the Second Anglo Sikh War.
(b) Write an explanatory note in about 20-25 words on each the places of the battles shown in the map.
PSEB 12th Class History Map Questions 5
ਉੱਤਰ-
1848-49 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੂਸਰਾ ਯੁੱਧ ਹੋਇਆ । ਇਹ ਯੁੱਧ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁੱਖ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ਸੀ-

1. ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Ramnagar) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਰਾਮਨਗਰ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਹੋਈ | ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਭਾਰੀ ਜਾਨੀ ਅਤੇ ਮਾਲੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ।

2. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Chillianwala) – ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਕਮਾਂਡ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਕਮਾਂਡ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਕਰਾਰੀ ਹਾਰ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ 132 ਸੈਨਿਕ ਅਫ਼ਸਰ ਵੀ ਮਾਰੇ ਗਏ ਸਨ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਦੀ ਥਾਂ ਸਰ ਚਾਰਲਸ ਨੇਪੀਅਰ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ ਕਮਾਂਡਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

3. ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Multan) – ਮੁਲਤਾਨ ਵਿੱਚ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹੀਆਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਜਨਰਲ ਵਿਸ਼ ਅਧੀਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾਇਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਵੀ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨਾਲ ਆ ਰਲਿਆ ਸੀ । ਜਨਰਲ ਵਿਸ਼ ਨੇ ਚਲਾਕੀ ਨਾਲ ਜਾਅਲੀ ਚਿੱਠੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਵਿਚਾਲੇ ਫੁੱਟ ਪੁਆ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ । ਇਕੱਲਾ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਨਾ ਕਰ ਸਕਿਆ ਅਤੇ ਅੰਤ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ 22 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅੱਗੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ । ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਇਸ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਮੁੜ ਵੱਧ ਗਏ ।

4. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Gujarat) – ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਆਖਰੀ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ ‘ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਵੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਗੋਲਾ-ਬਾਰੂਦ ਛੇਤੀ ਹੀ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ 3,000 ਤੋਂ 5,000 ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕ ਮਾਰੇ ਗਏ ਸਨ । 10 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਹਥਿਆਰ ਜਨਰਲ ਗਿਲਬਰਟ ਅੱਗੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ।

29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਉਸਾਰੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਦੁਖਮਈ ਅੰਤ ਹੋਇਆ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਛੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain in brief the six causes of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੁਜੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? (What were the causes of Second Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਛੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸਨ ? (What were the six main causes for Second Anglo-Sikh War ?) ਉੱਤਰ-
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ – ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਨ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਦੀ ਇੱਛਾ – ਇਹ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੌਂਸਲੇ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੱਟ ਨਹੀਂ ਹੋਏ ਸਨ ।ਇਸ ਹਾਰ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾਵਾਂ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਗੱਦਾਰੀ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ‘ਤੇ ਪੂਰਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਹ ਇੱਛਾ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ ।

2. ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਅਸੰਤੁਸ਼ਟ – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ। ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਬਣਾਏ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੰਧੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਖੇਰੂੰ-ਖੇਰੂੰ ਹੁੰਦਾ ਦੇਖ ਕੇ ਸਹਿਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੋਰ ਯੁੱਧ ਲੜਨਾ ਪੈਣਾ ਸੀ ।

3. ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸੰਤੋਸ਼ – ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਪੈਦਲ ਤੇ 12,000 ਘੋੜਸਵਾਰ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਤੋਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਰੋਸ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕਰਨ ਲੱਗੇ ।

4. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਸਖ਼ਤ ਸਲੂਕ – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਵਿਧਵਾ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਜੋ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਵਿਵਹਾਰ ਕੀਤਾ, ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਫੈਲੇ ਰੋਸ ਨੂੰ ਹੋਰ ਭੜਕਾ ਦਿੱਤਾ । ਉਹ ਇਸ ਅਪਮਾਨ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

5. ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ 20 ਅਪਰੈਲ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਵਿੱਚ ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਵੈਨਸ ਐਗਨਿਯੂ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ਦੇ ਕਤਲਾਂ ਦੀ ਝੂਠੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਸਿਰ ਪਾਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲਣ ਲੱਗਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

6. ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਨੀਤੀ – 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਬਣਿਆ ਸੀ ।ਉਹ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਸੀ । ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਸੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿੱਚ ਸੀ । ਇਹ ਮੌਕਾ ਉਸ ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹਾਂ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on the revolt of Diwan Mool Raj.)
ਜਾਂ
ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਸੰਬੰਧੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ । (Give a brief account of the revolt of Diwan Mool Raj of Multan.)
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਲਗਭਗ 13\(\frac{1}{2}\) ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਲਗਾਨ ਵਜੋਂ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਹ ਰਕਮ ਵਧਾ ਕੇ ਲਗਭਗ 20 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਦਾ ਤੀਜਾ ਹਿੱਸਾ ਉਸ ਕੋਲੋਂ ਲੈ ਲਿਆ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਗਵਰਨਰੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ | ਮਾਰਚ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਨਵੇਂ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਫਰੈਡਰਿਕ ਹਰੀ ਨੇ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਉਸ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਐਗਨਿਯੂ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ਨੂੰ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ।

ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ 19 ਅਪਰੈਲ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਕਿਲ੍ਹੇ ਦੀਆਂ ਚਾਬੀਆਂ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਪਰ 20 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਦੋਨੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਮਲਰਾਜ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਸ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਉਸ ਨੂੰ ਫੈਲਣ ਦਿੱਤਾ ਤਾਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹਾਨਾ ਮਿਲ ਸਕੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the revolt of Chattar Singh of Hazara ?)
ਉੱਤਰ-
ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਲੜਕੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਮੰਗੀ ਹੋਈ ਸੀ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸ ਰਿਸ਼ਤੇ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਤਾਕਤ ਵੱਧ ਜਾਣੀ ਸੀ । ਇਹ ਤਾਕਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪਣ ਦੀ ਨੀਤੀ ਦੇ ਰਾਹ ਵਿੱਚ ਰੋੜਾ ਅਟਕਾ ਸਕਦੀ ਸੀ : ਕੈਪਟਨ ਐਬਟ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸਲਾਹਕਾਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਨੂੰ ਤਬਾਹ ਕਰਨ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਤਿਆਰ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੁਆਰਾ ਭੜਕਾਏ ਗਏ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ 6 ਅਗਸਤ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ਗਾਹ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਰਨਲ ਕੈਨੋਰਾ ਨੂੰ ਵਿਦਰੋਹੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ ।

ਕਰਨਲ ਕੈਨੋਰਾ ਜੋ ਕੈਪਟਨ ਐਬਟ ਨਾਲ ਮਿਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਨੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹੁਕਮ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਿਸਤੌਲ ਨਾਲ ਗੋਲੀਆਂ ਚਲਾ ਕੇ ਦੋ ਸਿੱਖ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਇੱਕ ਸਿੱਖ ਸਿਪਾਹੀ ਨੇ ਅੱਗੇ ਵੱਧ ਕੇ ਆਪਣੀ ਤਲਵਾਰ ਨਾਲ ਕੈਨੋਰਾ ਦਾ ਕੰਮ ਤਮਾਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਜਦੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਐਬਟ ਨੂੰ ਪਹੁੰਚੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਅੱਗ ਬਬੂਲਾ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਹਟਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਜ਼ਬਤ ਕਰ ਲਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਖ਼ੂਨ ਉਬਲ ਗਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗਾਵਤ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ‘ ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the battle of Chillianwala.)
ਉੱਤਰ-
ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਜੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਸੈਨਾਪਤੀ ਸੀ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਸੈਨਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਪਹੁੰਚਣ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਇਹ ਸੂਚਨਾ ਮਿਲੀ ਕਿ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅਟਕ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਲਿਆ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਭਾਰੀ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਹਿਉਗ ਗਫ਼ ਨੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਵਿਖੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਬੋਲ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਘਮਸਾਣ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਇੰਨਾ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ਕਿ ਇੰਗਲੈਂਡ ਵਿੱਚ ਵੀ ਹਾਹਾਕਾਰ ਮਚ ਗਈ ।ਇਸ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਹਾਰ ਕਾਰਨ ਸੈਨਾਪਤੀ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਦੇ ਸਨਮਾਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਧੱਕਾ ਲੱਗਿਆ। ਉਸ ਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਚਾਰਲਸ ਨੇਪੀਅਰ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਨਵਾਂ ਸੈਨਾਪਤੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਹੋਈ ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਸੀ ? (What is the importance of the battle of Gujarat in the Second Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਆਖਰੀ ਅਤੇ ਫੈਸਲਾਕੁੰਨ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 40,000 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਚਤਰ ਸਿੰਘ, ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਲਗਭਗ 68,000 ਸੀ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਦੋਹਾਂ ਪੱਖਾਂ ਵੱਲੋਂ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ਇਸ ਲਈ ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਬੜੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ । ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਗੋਲਾ-ਬਾਰੂਦ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ਅੰਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ।

ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਗਦੜ ਮਚ ਗਈ । ਚਤਰ ਸਿੰਘ, ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ਵੱਲ ਦੌੜ ਗਏ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਿੱਛਾ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 10 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ । ਬਾਕੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ 14 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅੱਗੇ ਆਪਣੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਜਿੱਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਰਾਜ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ? (What were the results of the Second Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਦੂਸਰੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study in brief the results of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਜੀ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਲੜਾਈ ਦੇ ਕੋਈ ਛੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ । (Explain the any six effects of Second Anglo-Sikh War.) ਉੱਤਰ-
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬੜੇ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  • ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਅੰਤ – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟਾ ਇਹ ਨਿਕਲਿਆ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖਾਤਮਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਆਖਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
  • ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ – ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਵੀ ਨਿਸ਼ਸਤਰ ਕਰ ਕੇ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦੇ ਧੰਦੇ ਵਿੱਚ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਕੁਝ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਭਰਤੀ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।
  • ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲੇ ਦੀ ਸਜ਼ਾ – ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਸ ਸਜ਼ਾ ਨੂੰ ਕਾਲੇਪਾਣੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਪਰ ਉਸ ਦੀ 11 ਅਗਸਤ, 1851 ਈ. ਨੂੰ ਕਲਕੱਤੇ (ਕੋਲਕਾਤਾ) ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ । ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇੱਥੇ ਉਸ ਦੀ 5 ਜੁਲਾਈ, 1856 ਈ. ਨੂੰ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।
  • ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਵੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਅਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਲਕੱਤੇ (ਕੋਲਕਾਤਾ) ਦੀਆਂ ਜੇਲ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । 1854 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਨਵਾਂ ਰਾਜ ਪ੍ਰਬੰਧ – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾ ਲੈਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਬੋਰਡ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ 1849 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1853 ਈ. ਤਕ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਲਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ 1857 ਈ. ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਰਹੇ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਾਲਾ ਸਲੂਕ – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪਟਿਆਲਾ, ਨਾਭਾ, ਜੀਂਦ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਫ਼ਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਕਪੂਰਥਲਾ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਬਣਾਈ ਰੱਖੀ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੂੰ ਅਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕੀ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ ? ਆਪਣੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ ? (Was it proper for Lord Dalhousie to annex Punjab to the British empire ? Give arguments in support of your answer.)
ਜਾਂ
ਕੀ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੰਯੋਜਨ ਨਿਆਂਸੰਗਤ ਸੀ ? ਆਪਣੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Was the annexation of Punjab by Lord Dalhousie justified ? Give reasons in your favour.)
ਜਾਂ
“ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਇੱਕ ਘੋਰ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀ ।” ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Annexation of Punjab was a violent breach of trust.” Explain.)
ਜਾਂ
ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੰਯੋਜਨ ਨਿਆਂ ਸੰਗਤ ਸੀ ? ਇਸ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਛੇ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਉ । (Was the annexation of Punjab justified ? Give six reasons for it.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਨਿਆਂਸੰਗਤ ਨਹੀਂ ਸੀ ।

1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ ਗਿਆ – ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ। ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਖੋਹ ਲਏ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਅਤੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਬਗ਼ਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗ਼ਾਵਤ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋਣਾ ਪਿਆ ।

2. ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਨਾ ਦਬਾਇਆ ਗਿਆ – ਜਦੋਂ ਮੁਲਤਾਨ ਵਿਚ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਅੱਗ ਭੜਕੀ ਤਾਂ ਉਸ ‘ਤੇ ਛੇਤੀ ਹੀ ਕਾਬੂ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਅੱਠ ਮਹੀਨਿਆਂ ਤਕ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਫੈਲਣ ਦੇਣ ਪਿੱਛੇ ਇਕ ਡੂੰਘੀ ਰਾਜਸੀ ਚਾਲ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਸੈਨਿਕ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹਾਨਾ ਮਿਲ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

3. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਕੇਵਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ, ਜਿਹੜੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਨਿਰਾ ਝੂਠ ਹੀ ਹੈ ।

4. ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਪੂਰਨ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ – ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਤਾਂ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਹੋਣ ਤਕ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਵਫ਼ਾਦਾਰੀ ਨਾਲ ਨਿਭਾਉਂਦਾ ਰਿਹਾ | ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਪੂਰਾ ਖ਼ਰਚਾ ਦੇ ਰਹੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਬਗ਼ਾਵਤਾਂ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸਹਿਯੋਗ ਵੀ ਦਿੱਤਾ

5. ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪਰ ਇਸ ਕਥਨ ਵਿੱਚ ਜ਼ਰਾ ਵੀ ਸੱਚਾਈ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕੇਵਲ ਮੁਲਤਾਨ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾ ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਬਹੁਤੀ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਅਤੇ ਲੋਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਰਹੇ।

6. ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀ – ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਇੱਕ ਘੋਰ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀ । 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਗੜ ਰਹੇ ਹਾਲਾਤਾਂ ਲਈ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੋਸ਼ੀ ਠਹਿਰਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੇ ਇਸ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਛੇ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ ਕਿ ਉਸ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ । (Give any six arguments in favour of Dalhousie’s annexation of the Punjab to the British empire.)
ਜਾਂ
ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ੇ ਦੀ ਨੀਤੀ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (Give arguments in favour of Dalhousie’s policy of the annexation of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਿਆ – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਿਆ ਹੈ । ਸਿੱਖ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਹ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦੇਣਗੇ । ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਵਿਦਰੋਹ ਫੈਲਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ । ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੀ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਜਾਤੀ ਦੀ ਬਗਾਵਤ ਦੱਸਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਗੜ ਰਹੇ ਹਾਲਾਤ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਉਣ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ ।

2. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਚੰਗਾ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਨਾ ਰਹਿਣਾ – ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਇਕ ਲਾਭਦਾਇਕ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਸਿੱਧ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਿਟਿਸ਼ ਰਾਜ ਨੂੰ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵੱਲੋਂ ਕਿਸੇ ਖ਼ਤਰੇ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਪਵੇਗਾ । ਪਰੰਤੂ ਉਸ ਦਾ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਗਲਤ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦੋਸਤੀ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਿਆ ।

3. ਕਰਜ਼ੇ ਦੀ ਅਦਾਇਗੀ ਨਾ ਕਰਨਾ – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਕਿ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ 22 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਦੇਣਾ ਸੀ । ਪਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਇੱਕ ਪਾਈ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ ।

4. ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨਾ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸੀ – ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਜਿੱਤ ਮਗਰੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਕੋਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਪਾਂਤ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਪਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਦੋ ਸਾਲ ਰਹਿਣ ਪਿੱਛੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਕਿ ਇਹ ਰਾਜ ਕਈ ਪੱਖਾਂ ਤੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪਣ ਦਾ ਪੱਕਾ ਨਿਸ਼ਚਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ – ਇਹ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿਰੁੱਧ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣਾ ਸੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੂਜੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਪੈ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਿਆ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਚੰਗਾ – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਦਲੀਲ ਇਹ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਅਜਿਹਾ ਕਰ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਚੰਗਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫ਼ੈਲੀ ਬਦਅਮਨੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ । ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਸੁੱਖ ਦਾ ਸਾਹ ਲਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Maharaja Dalip Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ । ਉਹ 15 ਸਤੰਬਰ, 1843 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਵਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਉਸ ਦੀ ਉਮਰ ਕੇਵਲ 5 ਸਾਲ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦਾ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਰਾਜ ਦਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਹੀਰਾ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਰਾਜ ਦਾ ਨਵਾਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਭਾਵੇਂ ਉਹ ਬੜਾ ਸਿਆਣਾ ਸੀ ਪਰ ਉਸ ਨੇ ਪੰਡਤ ਜੱਲਾ ਨੂੰ ਮੁਸ਼ੀਰ-ਏ-ਖ਼ਾਸ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰਾਜ ਦਰਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਾਰਾਜ਼ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ ।

1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੀਰਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਤਲ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਵਾਹਰ ਸਿੰਘ ਰਾਜ ਦਾ ਨਵਾਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣਿਆ ਪਰ ਉਹ ਬੜਾ ਹਠੀ ਅਤੇ ਅਯੋਗ ਸੀ । ਉਸ ਨੂੰ ਸਤੰਬਰ, 1845 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੰਵਰ ਪਿਸ਼ੌਰਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਤਲ ਕਾਰਨ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਉਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਉਹ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪਹਿਲੇ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਦੇਖਣਾ ਪਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ! 22 ਅਕਤੂਬਰ, 1893 ਈ. ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਪੈਰਿਸ ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਜਾਂ ਜਿੰਦ ਕੌਰ ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Maharani Jindan or Jind Kaur.)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Maharani Jindan ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ, ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਾਣੀ ਸੀ । ਜਦੋਂ 15 ਸਤੰਬਰ, 1843 ਈ. ਨੂੰ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਵਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦਾ ਸਰਪਸਤ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਸੀ ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਰੜਕਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ ਹੋਈ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਨੂੰ ਖੋਹ ਲਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਡੇਢ ਲੱਖ ਰੁਪਿਆ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਨਿਯਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਅਗਸਤ, 1847 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਰਾਣੀ ਨੂੰ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਜ਼ਰਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

ਮਈ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲਾ ਦੇ ਕੇ ਬਨਾਰਸ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਅਪਰੈਲ, 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਭੇਸ ਬਦਲ ਕੇ ਨੇਪਾਲ ਪਹੁੰਚਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋ ਗਈ । 1861 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਆਇਆ ਤਾਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਲਈ ਨੇਪਾਲ ਤੋਂ ਆਈ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇੰਗਲੈਂਡ ਲੈ ਗਿਆ ।ਇੱਥੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਨਾ ਰਹਿਣ ਦਿੱਤਾ | ਅੰਤ 1 ਅਗਸਤ, 1863 ਈ. ਨੂੰ ਉਹ ਇਸ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਚਲ ਵਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Bhai Maharaj Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੌਰੰਗਾਬਾਦ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੰਤ ਭਾਈ ਬੀਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚੇਲੇ ਸਨ । 1845 ਈ. ਵਿੱਚ ਉਹ ਭਾਈ ਬੀਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠੇ । ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪਿੰਡ-ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਜਾ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਪੱਤੀ ਜ਼ਬਤ ਕਰ ਲਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੇ ਨੂੰ 10,000 ਰੁਪਏ ਇਨਾਮ ਦੇਣ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨਿਡਰ ਹੋ ਕੇ ਆਪਣਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ, ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ ।

ਉਹ ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੁਆਰਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅੱਗੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟਣ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਉਹ ਜੰਮੂ ਚਲੇ ਗਏ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਾਬਲ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ 3 ਜਨਵਰੀ, 1850 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਦੀ ਇੱਕ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾਈ । ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਬਾਰੇ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਪਤਾ ਚਲ ਗਿਆਂ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਸ ਨੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ 28 ਦਸੰਬਰ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਕਲਕੱਤਾ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । ਇੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ 5 ਜੁਲਾਈ, 1856 ਈ. ਨੂੰ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕਰਨ (Causes of the Second Anglo-Sikh War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਉਨ੍ਹਾਂ ਪਰਿਸਥਿਤੀਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਰਕੇ ਦੂਜਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਿੱਥੋਂ ਤਕ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਸਨ ? (Discuss the circumstances leading to the Second Anglo-Sikh War. How far were the British responsible for it ?)
ਜਾਂ
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸਨ ? (What were the main causes of the Second Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਨਾਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (Explain important causes of the Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ ਲਿਖੋ । (Write the reasons of Second Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਵਿਹਾਰ ਅਤੇ ਥੋਪੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁੱਸਾ ਹੋਰ ਭੜਕ ਉੱਠਿਆ । ਇਸ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਦੁਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਨ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਦੀ ਇੱਛਾ (Sikh desir to avenge their defeat in the First Anglo-Sikh War) – ਇਹ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੱਟ ਨਹੀਂ ਹੋਏ ਸਨ । ਇਸ ਹਾਰ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾਵਾਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਗੱਦਾਰੀ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ‘ਤੇ ਪੂਰਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਹ ਤੀਵਰ ਇੱਛਾ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ ।

2. ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬੀ ਅਸੰਤੁਸ਼ਟ (Punjabis were dissatisfied with the Treaties of Lahore and Bhairowal) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੰਧੀਆਂ ਰਾਹੀਂ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਵਰਗੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਉਪਜਾਉ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ | ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਇਲਾਕਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਬਣਾਏ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਖੇਰੂੰ-ਖੇਰੂੰ ਹੁੰਦਾ ਦੇਖ ਕੇ ਸਹਿਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੋਰ ਯੁੱਧ ਲੜਨਾ ਪੈਣਾ ਸੀ ।

3. ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਰੋਸ (Resentment among the Sikh Soldiers) – ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਪੈਦਲ ਤੇ 12,000 ਘੋੜਸਵਾਰ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਤੋਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਰੋਸ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕਰਨ ਲੱਗੇ ।

4. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਸਖ਼ਤ ਸਲੂਕ (Harsh Treatment with. Maharani Jindan) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਵਿਧਵਾ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਜੋ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਵਿਵਹਾਰ ਕੀਤਾ ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਫੈਲੇ ਰੋਸ ਨੂੰ ਹੋਰ ਭੜਕਾ ਦਿੱਤਾ । ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਨਾਬਾਲਗ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਮੰਨਿਆ ਸੀ । ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਖੋਹ ਲਈਆਂ । 1847 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਨੂੰ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਜ਼ਰਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲਾ ਦੇ ਕੇ ਬਨਾਰਸ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ । ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਬਦਸਲੂਕੀ ਕਾਰਨ ਸਾਰੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਗੁੱਸੇ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ ।

5. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Diwan Moolraj) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ | ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਗ਼ਲਤ ਨੀਤੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਦਸੰਬਰ 1847 ਈ. ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਆਪਣਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰਦਾਰ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਮੁਲਰਾਜ ਤੋਂ ਚਾਰਜ ਲੈਣ ਲਈ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਨਾਲ ਭੇਜੇ ਗਏ ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਵੈਨਸ ਐਗਨਿਯੁ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ‘ਤੇ ਕੁਝ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ 20 ਅਪਰੈਲ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਤਲ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਮੁਲਰਾਜ ਦੇ ਸਿਰ ਪਾਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲਣ ਲੱਗਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਲਾਸ਼
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ਵਿੱਚ ਸੀ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ ਕਿ ਇਹ ਵਿਦਰੋਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਭੜਕ ਜਾਏ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲ ਜਾਏ । ਡਾਕਟਰ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਉਹ ਚੰਗਿਆੜੀ ਜਿਸ ਨੇ ਭਾਂਬੜ ਬਾਲਿਆ ਅਤੇ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੁਤੰਤਰ ਰਾਜ ਸੜ ਕੇ ਸੁਆਹ ਹੋ ਗਿਆ, ਮੁਲਤਾਨ ਤੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ ।’’ 1

6. ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Chattar Singh) – ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਪਾਹੀ ਨੇ ਇੱਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕੈਨੋਰਾ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ’ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਹਟਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਜ਼ਬਤ ਕਰ ਲਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗਾਵਤ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਚਾਰ-ਚੁਫ਼ੇਰੇ ਬਗਾਵਤ ਦੀ ਅੱਗ ਫੈਲ ਗਈ ।

7. ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Sher Singh) – ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਵਿਰੁੱਧ ਕੀਤੀ ਗਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਦਸਲੂਕੀ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਵੀ 14 ਸਤੰਬਰ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਦੀ ਅਪੀਲ ‘ਤੇ ਕਈ ਸਿੱਖ ਉਸ ਦੇ ਝੰਡੇ ਅਧੀਨ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਗਏ ।

8. ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਨੀਤੀ (Policy of Lord Dalhousie) – ਜਨਵਰੀ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਲੈਪਸ ਦੀ ਨੀਤੀ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ | ਕੇਵਲ ਪੰਜਾਬ ਹੀ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਰਾਜ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਲੇ ਤਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਕਿਸੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਲਾਸ਼ ਵਿੱਚ ਸੀ । ਇਹ ਮੌਕਾ ਉਸ ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਗਏ ਵਿਦਰੋਹਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਿਆ ।

ਜਦੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਅੱਗ ਭੜਕਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਈ ਤਾਂ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਵਿਦਰੋਹੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨ-ਚੀਫ਼ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ 16 ਨਵੰਬਰ ਨੂੰ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਦਰਿਆ ਚਨਾਬ ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ ।

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ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ (Events of the War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਏ ਦੂਜੇ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss in brief the events of the Second Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਚਲਾਕ ਨੀਤੀਆਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੋਰ ਯੁੱਧ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆ ਖੜਾ ਕੀਤਾ | ਮਲਰਾਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਹੋਏ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਲਈ ਭੇਜਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਦੂਜਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਘਟਨਾਵਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸਨ-

1. ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Ramnagar) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਰਾਮਨਗਰ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਹੋਈ | ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਉਸ ਅਧੀਨ 20,000 ਸੈਨਿਕ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਅਤੇ ਉਸ ਅਧੀਨ 15,000 ਸੈਨਿਕ ਸਨ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਾ ਦਿੱਤੇ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗ ਗਿਆ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨਾ ਆਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

2. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Chillianwala) – ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਇਹ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਕਿ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਸਮੇਤ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਪਹੁੰਚ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ 13 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਬਹੁਤ ਭਿਆਨਕ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੇ 695 ਸੈਨਿਕ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ 132 ਅਫ਼ਸਰ ਵੀ ਮਾਰੇ ਗਏ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ 4 ਤੋਪਾਂ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹੱਥ ਆ ਗਈਆਂ । ਸੀਤਾ ਰਾਮ ਕੋਹਲੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਜਦੋਂ ਦਾ ਭਾਰਤ ਉੱਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਭੈੜੀ ਹਾਰ ਸੀ ।’’ 1

ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹੋਏ ਭਾਰੀ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਾਰਨ ਇੰਗਲੈਂਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਹਾਹਾਕਾਰ ਮਚ ਗਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਬਦਲ ਕੇ ਸਰ ਚਾਰਲਸ ਨੇਪੀਅਰ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਸੈਨਾਪਤੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

3. ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Multan) – ਮੁਲਤਾਨ ਵਿਖੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਉਸ ਨਾਲ ਆ ਰਲਿਆ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਚਾਲ ਚੱਲੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਅਲੀ ਚਿੱਠੀਆਂ ਲਿਖ ਕੇ ਮਲਰਾਜ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਵਿਚਕਾਰ ਗ਼ਲਤ-ਫਹਿਮੀ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ । ਦਸੰਬਰ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਰਨਲ ਵਿਸ਼ ਨੇ ਮੁਲਰਾਜ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾ ਲਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸੁੱਟਿਆ ਇੱਕ ਗੋਲਾ ਅੰਦਰ ਪਏ ਬਾਰੂਦ ’ਤੇ ਆਣ ਡਿੱਗਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਬਾਰੂਦ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਗਿਆ ਅਤੇ ਮਲਰਾਜ ਦੇ 500 ਸੈਨਿਕ ਵੀ ਮਾਰੇ ਗਏ । ਇਸ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਕਾਰਨ ਮੁਲਰਾਜ ਲਈ ਮੁਕਾਬਲੇ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਣਾ ਬੜਾ ਔਖਾ ਹੋ ਗਿਆ ! ਅੰਤ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ 22 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅੱਗੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ । ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਇਸ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜੋ ਹੱਤਕ ਹੋਈ ਸੀ, ਉਸ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤਕ ਪੂਰਤੀ ਹੋ ਗਈ ।

4. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Gujarat) – ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਸਿੰਘ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਆ ਗਏ । ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੋਸਤ ਮੁਹੰਮਦ ਖ਼ਾਂ ਨੇ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ, 3,000 ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ ਭੇਜੀ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਕੁਲ ਫ਼ੌਜ 40,000 ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਹੀ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਕੋਲ 68,000 ਸੈਨਿਕ ਸਨ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਦੋਹਾਂ ਪਾਸਿਆਂ ਤੋਂ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਲੜਾਈ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ‘ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈਂ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।

ਇਹ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਤੋਪਾਂ ਦਾ ਬਾਰੂਦ ਛੇਤੀ ਮੁੱਕ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਤੋਪਾਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ‘ਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦਾ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ 3,000 ਤੋਂ 5,000 ਤਕ ਸੈਨਿਕ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਮਾਰੇ ਗਏ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਭਗਦੜ ਮੱਚ ਗਈ । 10 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ਦੇ ਨੇੜੇ ਜਨਰਲ ਗਿਲਬਰਟ ਅੱਗੇ ਆਪਣੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ।
ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਪਤਵੰਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਗੌਰਵਮਈ ਸਾਮਰਾਜ `ਤੇ ਪਰਦਾ ਪੈ ਗਿਆ ।’’ 2

ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ (Consequences of the War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss the main results of the Second Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬੜੇ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਅੰਤ (End of the Empire of Maharaja Ranjit Singh) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟਾ ਇਹ ਨਿਕਲਿਆ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖ਼ਾਤਮਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਆਖਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਛੱਡ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਇਜਾਜ਼ਤ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜਾਇਦਾਦ ’ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਹੋ ਗਿਆ | ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕੋਹਿਨੂਰ ਹੀਰਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਰਾਣੀ ਵਿਕਟੋਰੀਆ ਨੂੰ ਭੇਂਟ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਦੇ ਬਾਅਦ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇੰਗਲੈਂਡ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । 1893 ਈ. ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੈਰਿਸ ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

2. ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ (Sikh Army was Disbanded) – ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਵੀ ਨਿਸ਼ਸਤਰ ਕਰ ਕੇ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦੇ ਧੰਦੇ ਵਿੱਚ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਕੁਝ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਭਰਤੀ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

3. ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲੇ ਦੀ ਸਜ਼ਾ (Banishment of Diwan Moolraj and Bhai Maharaj Singh) – ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਸ ਸਜ਼ਾ ਨੂੰ ਕਾਲੇਪਾਣੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਪਰ ਉਸ ਦੀ 11 ਅਗਸਤ, 1851 ਨੂੰ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ | ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਦੀ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਨੂੰ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇੱਥੇ ਉਸ ਦੀ 5 ਜੁਲਾਈ, 1856 ਈ. ਨੂੰ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

4. ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ (Punishment to Chattar Singh and Sher Singh) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਵੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਦੀਆਂ ਜੇਲ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । 1854 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਨਵਾਂ ਰਾਜ ਪ੍ਰਬੰਧ (New Administration for the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾ ਲੈਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਬੋਰਡ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ 1849 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1853 ਈ. ਤਕ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਢਾਂਚੇ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਨਿਸ਼ਸਤਰੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਨਿਆਂ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸਸਤਾ ਅਤੇ ਛੇਤੀ ਨਿਆਂ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸੜਕਾਂ ਅਤੇ ਨਹਿਰਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਵਿਛਾਇਆ ਗਿਆ । ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਜਾਗੀਰਦਾਰੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਵਪਾਰ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਯਤਨ ਕੀਤੇ ਗਏ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪੱਛਮੀ ਢੰਗ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਲਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ 1857 ਈ. ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਰਹੇ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਾਲਾ ਸਲੂਕ (Friendly attitude towards Princely States of the Punjab) – ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪਟਿਆਲਾ, ਨਾਭਾ, ਜੀਂਦ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਫ਼ਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਕਪੂਰਥਲਾ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਬਣਾਈ ਰੱਖੀ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੋਏ ਦੁਸਰੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ ਬਿਆਨ ਕਰੋ । (Discuss the causes and results of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ-ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਅਤੇ ਪਰਿਣਾਮਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What were the causes and results of the 2nd Anglo-Sikh War ? Explain.)
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਵਿਹਾਰ ਅਤੇ ਥੋਪੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁੱਸਾ ਹੋਰ ਭੜਕ ਉੱਠਿਆ । ਇਸ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਦੁਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਨ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਦੀ ਇੱਛਾ (Sikh desir to avenge their defeat in the First Anglo-Sikh War) – ਇਹ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੱਟ ਨਹੀਂ ਹੋਏ ਸਨ । ਇਸ ਹਾਰ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾਵਾਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਗੱਦਾਰੀ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ‘ਤੇ ਪੂਰਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਹ ਤੀਵਰ ਇੱਛਾ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਬਣੀ ।

2. ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬੀ ਅਸੰਤੁਸ਼ਟ (Punjabis were dissatisfied with the Treaties of Lahore and Bhairowal) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਧੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੰਧੀਆਂ ਰਾਹੀਂ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਵਰਗੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਉਪਜਾਉ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ | ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਇਲਾਕਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਬਣਾਏ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਖੇਰੂੰ-ਖੇਰੂੰ ਹੁੰਦਾ ਦੇਖ ਕੇ ਸਹਿਣ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੋਰ ਯੁੱਧ ਲੜਨਾ ਪੈਣਾ ਸੀ ।

3. ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਰੋਸ (Resentment among the Sikh Soldiers) – ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਪੈਦਲ ਤੇ 12,000 ਘੋੜਸਵਾਰ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਤੋਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਰੋਸ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕਰਨ ਲੱਗੇ ।

4. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਸਖ਼ਤ ਸਲੂਕ (Harsh Treatment with. Maharani Jindan) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਵਿਧਵਾ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਜੋ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਵਿਵਹਾਰ ਕੀਤਾ ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਫੈਲੇ ਰੋਸ ਨੂੰ ਹੋਰ ਭੜਕਾ ਦਿੱਤਾ । ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਨਾਬਾਲਗ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਮੰਨਿਆ ਸੀ । ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਰਾਣੀ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਖੋਹ ਲਈਆਂ । 1847 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਨੂੰ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਜ਼ਰਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲਾ ਦੇ ਕੇ ਬਨਾਰਸ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ । ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਬਦਸਲੂਕੀ ਕਾਰਨ ਸਾਰੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਗੁੱਸੇ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੌੜ ਗਈ ।

5. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Diwan Moolraj) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ | ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਗ਼ਲਤ ਨੀਤੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਦਸੰਬਰ 1847 ਈ. ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਆਪਣਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰਦਾਰ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਮੁਲਰਾਜ ਤੋਂ ਚਾਰਜ ਲੈਣ ਲਈ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਨਾਲ ਭੇਜੇ ਗਏ ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਵੈਨਸ ਐਗਨਿਯੁ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ‘ਤੇ ਕੁਝ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ 20 ਅਪਰੈਲ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਤਲ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਮੁਲਰਾਜ ਦੇ ਸਿਰ ਪਾਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਖੂਨ ਖੌਲਣ ਲੱਗਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਲਾਸ਼
PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ 1
ਵਿੱਚ ਸੀ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ ਕਿ ਇਹ ਵਿਦਰੋਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਭੜਕ ਜਾਏ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲ ਜਾਏ । ਡਾਕਟਰ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਉਹ ਚੰਗਿਆੜੀ ਜਿਸ ਨੇ ਭਾਂਬੜ ਬਾਲਿਆ ਅਤੇ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੁਤੰਤਰ ਰਾਜ ਸੜ ਕੇ ਸੁਆਹ ਹੋ ਗਿਆ, ਮੁਲਤਾਨ ਤੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ ।’’ 1

6. ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Chattar Singh) – ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਪਾਹੀ ਨੇ ਇੱਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕੈਨੋਰਾ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ’ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਹਟਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਜ਼ਬਤ ਕਰ ਲਈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗਾਵਤ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਚਾਰ-ਚੁਫ਼ੇਰੇ ਬਗਾਵਤ ਦੀ ਅੱਗ ਫੈਲ ਗਈ ।

7. ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ (Revolt of Sher Singh) – ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਵਿਰੁੱਧ ਕੀਤੀ ਗਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਦਸਲੂਕੀ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਵੀ 14 ਸਤੰਬਰ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਦੀ ਅਪੀਲ ‘ਤੇ ਕਈ ਸਿੱਖ ਉਸ ਦੇ ਝੰਡੇ ਅਧੀਨ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਗਏ ।

8. ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਨੀਤੀ (Policy of Lord Dalhousie) – ਜਨਵਰੀ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਲੈਪਸ ਦੀ ਨੀਤੀ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ | ਕੇਵਲ ਪੰਜਾਬ ਹੀ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਰਾਜ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਲੇ ਤਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਕਿਸੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਲਾਸ਼ ਵਿੱਚ ਸੀ । ਇਹ ਮੌਕਾ ਉਸ ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਗਏ ਵਿਦਰੋਹਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਿਆ ।

ਜਦੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਅੱਗ ਭੜਕਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਈ ਤਾਂ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਵਿਦਰੋਹੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨ-ਚੀਫ਼ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ 16 ਨਵੰਬਰ ਨੂੰ ਫ਼ੌਜ ਲੈ ਕੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਦਰਿਆ ਚਨਾਬ ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ ।

ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬੜੇ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਅੰਤ (End of the Empire of Maharaja Ranjit Singh) – ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟਾ ਇਹ ਨਿਕਲਿਆ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖ਼ਾਤਮਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਆਖਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਛੱਡ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਇਜਾਜ਼ਤ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜਾਇਦਾਦ ’ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਹੋ ਗਿਆ | ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕੋਹਿਨੂਰ ਹੀਰਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਰਾਣੀ ਵਿਕਟੋਰੀਆ ਨੂੰ ਭੇਂਟ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਦੇ ਬਾਅਦ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇੰਗਲੈਂਡ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । 1893 ਈ. ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੈਰਿਸ ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

2. ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ (Sikh Army was Disbanded) – ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਵੀ ਨਿਸ਼ਸਤਰ ਕਰ ਕੇ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦੇ ਧੰਦੇ ਵਿੱਚ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਕੁਝ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਭਰਤੀ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

3. ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲੇ ਦੀ ਸਜ਼ਾ (Banishment of Diwan Moolraj and Bhai Maharaj Singh) – ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਸ ਸਜ਼ਾ ਨੂੰ ਕਾਲੇਪਾਣੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਪਰ ਉਸ ਦੀ 11 ਅਗਸਤ, 1851 ਨੂੰ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ | ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਦੀ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਨੂੰ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇੱਥੇ ਉਸ ਦੀ 5 ਜੁਲਾਈ, 1856 ਈ. ਨੂੰ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ।

4. ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ (Punishment to Chattar Singh and Sher Singh) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਵੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਲਕੱਤੇ ਕੋਲਕਾਤਾ) ਦੀਆਂ ਜੇਲ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । 1854 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਨਵਾਂ ਰਾਜ ਪ੍ਰਬੰਧ (New Administration for the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾ ਲੈਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਬੋਰਡ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ 1849 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1853 ਈ. ਤਕ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਢਾਂਚੇ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ । ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਨਿਸ਼ਸਤਰੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਨਿਆਂ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸਸਤਾ ਅਤੇ ਛੇਤੀ ਨਿਆਂ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸੜਕਾਂ ਅਤੇ ਨਹਿਰਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਵਿਛਾਇਆ ਗਿਆ । ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਜਾਗੀਰਦਾਰੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਵਪਾਰ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਯਤਨ ਕੀਤੇ ਗਏ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪੱਛਮੀ ਢੰਗ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤ ਲਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ 1857 ਈ. ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਰਹੇ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਾਲਾ ਸਲੂਕ (Friendly attitude towards Princely States of the Punjab) – ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪਟਿਆਲਾ, ਨਾਭਾ, ਜੀਂਦ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਫ਼ਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਕਪੂਰਥਲਾ ਦੀਆਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਬਣਾਈ ਰੱਖੀ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਆਸਤਾਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ (Annexation of the Punjab)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
“ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀਂ” । ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (“Annexation of Punjab was a violent breach of trust.” Discuss.)
ਜਾਂ
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਲਯ ਦਾ ਆਲੋਚਨਾਤਮਕ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Examine critically Lord Dalhousie’s annexation of Punjab.)
ਜਾਂ
‘‘ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਰਾਹੀਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਸਿਧਾਂਤਹੀਨ ਅਤੇ ਅਣਉੱਚਿਤ ਸੀ ।” ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਕਥਨ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ? ਆਪਣੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (“The annexation of Punjab by Lord Dalhousie to the British Empire was unprincipled and unjustified.” Do you agree to this view ? Give arguments in your favour.)
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਬਣ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ । ਉਹ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਾਰੇ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਨੀਤੀ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਣਾ ਪਿਆ । 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਲਾਹੌਰ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਹੌਰ ਕਿਲ੍ਹੇ ਤੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਝੰਡੇ ਨੂੰ ਉਤਾਰਿਆ ਗਿਆ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਝੰਡੇ ਨੂੰ ਲਹਿਰਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦਾ ਖ਼ਾਤਮਾ ਹੋ ਗਿਆ ।

I. ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਮਿਲਾਉਣ ਦੀ ਨੀਤੀ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ (Arguments in favour of Dalhousie’s Policy of Annexation)

ਡਬਲਿਊ. ਡਬਲਿਉ. ਹੰਟਰ, ਮਾਰਸ਼ਮੈਨ ਅਤੇ ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਲਤੀਫ ਆਦਿ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੇ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਹਨ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਿਆ (Sikhs had broken their Promises) – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਿਆ ਹੈ । ਸਿੱਖ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਹ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦੇਣਗੇ | ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਵਿਦਰੋਹ ਫੈਲਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ । ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਦੀ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਜਾਤੀ ਦੀ ਬਗਾਵਤ ਦੱਸਿਆ । ਉਸ ਅਨੁਸਾਰ ਇਹ ਬਗਾਵਤ ਦੁਬਾਰਾ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰ ਕੇ ਮੁਲਰਾਜ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਗੜ ਰਹੇ ਹਾਲਾਤ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਉਣ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ,
“ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਪੱਕਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੀ ਕਾਰਵਾਈ ਸਮੇਂ ਅਨੁਸਾਰ, ਨਿਆਂਪੂਰਨ ਅਤੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ ।’’ 1

2. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਚੰਗਾ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਨਾ ਰਹਿਣਾ (Punjab remained no more a useful Buffer State) – ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਇੱਕ ਲਾਭਦਾਇਕ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਸਿੱਧ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰਾਜ ਨੂੰ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵੱਲੋਂ ਕਿਸੇ ਖ਼ਤਰੇ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਪਵੇਗਾ | ਪਰੰਤੂ ਉਸ ਦਾ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਗ਼ਲਤ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦੋਸਤੀ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਿਆ ।

3. ਕਰਜ਼ੇ ਦੀ ਅਦਾਇਗੀ ਨਾ ਕਰਨਾ (Non-payment of the Loans) – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਕਿ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ 22 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਦੇਣਾ ਸੀ । ਪਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਇੱਕ ਪਾਈ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ ।

4. ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨਾ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸੀ (It was advantageous to annex Punjab) – ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਜਿੱਤ ਮਗਰੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਕੋਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਪ੍ਰਾਂਤ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਪਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਦੋ ਸਾਲ ਰਹਿਣ ਪਿੱਛੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਕਿ ਇਹ ਰਾਜ ਕਈ ਪੱਖਾਂ ਤੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪਣ ਦਾ ਪੱਕਾ ਨਿਸ਼ਚਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ (Advantageous for the people of Punjab) – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਵਰਦਾਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਅੱਡਾ ਬਣ ਚੁੱਕਿਆ ਸੀ । ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਫਾਇਦਾ ਉਠਾ ਕੇ ਚੋਰਾਂ, ਡਾਕੂਆਂ ਅਤੇ ਠੱਗਾਂ ਨੇ ਆਪਣਾ ਧੰਦਾ ਜ਼ੋਰਾਂ ‘ਤੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੀ ਮੁੜ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਪੁਲਿਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਨਿਆਂ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਕੁਸ਼ਲ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸੜਕਾਂ ਅਤੇ ਨਹਿਰਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਵਿਛਾਇਆ ਗਿਆ । ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪੱਛਮੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇਣ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ (Annexation of the Punjab was Inevitable)-ਇਹ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿਰੁੱਧ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣਾ ਸੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੂਜੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪੈ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਿਆ ।

II. ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਮਿਲਾਉਣ ਦੀ ਨੀਤੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਦਲੀਲਾਂ (Arguments against Dalhousie’s Policy of Annexation)

ਈਵਾਨਜ਼ ਬੈਂਲ, ਜਗਮੋਹਨ ਮਹਾਜਨ, ਗੰਡਾ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਖੁਸ਼ਵੰਤ ਸਿੰਘ ਆਦਿ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਏ ਜਾਣ ਵਿਰੁੱਧ ਅੱਗੇ ਲਿਖੀਆਂ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ ਗਿਆ (Sikhs were provoked to Revolt) – ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ । ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਖੋਹ ਲਏ ਸਨ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਸ ਦੇ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ‘ਤੇ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਪਿਆ। ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਅਤੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋਣਾ ਪਿਆ ।

2. ਬਗਾਵਤ ਨੂੰ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਨਾ ਦਬਾਇਆ ਗਿਆ (Revolt was not suppressed in Time) – ਜਦੋਂ ਮੁਲਤਾਨ ਵਿੱਚ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਅੱਗ ਭੜਕੀ ਤਾਂ ਉਸ ’ਤੇ ਛੇਤੀ ਹੀ ਕਾਬੂ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਸੀ | ਅੱਠ ਮਹੀਨਿਆਂ ਤਕ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਫੈਲਣ ਦੇਣ ਪਿੱਛੇ ਇੱਕ ਡੂੰਘੀ ਰਾਜਸੀ ਚਾਲ ਸੀ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਚਤਰ ਸਿੰਘ, ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਵੀ ਬਗ਼ਾਵਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਸੈਨਿਕ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹਾਨਾ ਮਿਲ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

3. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ (British had not fulfilled the terms of the Treaty) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਪਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਕੇਵਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ, ਜਿਹੜੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਨ ।ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਹ ਸ਼ਰਤ ਮੰਨੀ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਹੌਰ ਵਿੱਚੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਕੱਢ ਲੈਣਗੇ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਸਮਾਂ ਆਇਆ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਨਿਰਾ ਝੂਠ ਹੀ ਹੈ ।

4. ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਪੂਰਨ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ (Lahore Darbar gave full cooperation in fulfilling the terms of the Treaty) – ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਤਾਂ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਹੋਣ ਤਕ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਵਫ਼ਾਦਾਰੀ ਨਾਲ ਨਿਭਾਉਂਦਾ ਰਿਹਾ | ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਪੂਰਾ ਖ਼ਰਚਾ ਦੇ ਰਹੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ, ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਬਗਾਵਤਾਂ ਦੀ ਨਿੰਦਿਆ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬਗਾਵਤਾਂ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸਹਿਯੋਗ ਵੀ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਕਰਜ਼ੇ ਬਾਰੇ ਅਸਲੀਅਤ (Facts about Loan) – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਲਗਾਇਆ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਕਿ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਕਰਜ਼ੇ ਦੀ ਇੱਕ ਪਾਈ ਵੀ ਵਾਪਸ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਤੱਥਾਂ ਦੇ ਬਿਲਕੁਲ ਉਲਟ ਸੀ। ਲਾਹੌਰ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਫ਼ਰੈਡਰਿਕ ਕਰੀ ਨੇ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੀ ਸੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਸੀ ਕਿ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ 13,56,837 ਰੁਪਏ ਦੇ ਮੁੱਲ ਦਾ ਸੋਨਾ ਜਮਾਂ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਜੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਆਪਣਾ ਸਾਰਾ ਕਰਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਮੋੜਿਆ ਤਾਂ ਇਸ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਉੱਤੇ ਆਉਂਦੀ ਸੀ ।

6. ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ (The whole Sikh Army and the People did not Revolt) – ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪਰ ਇਸ ਕਥਨ ਵਿੱਚ ਜ਼ਰਾ ਵੀ ਸੱਚਾਈ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕੇਵਲ ਮੁਲਤਾਨ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾ ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਹੋਇਆ ਸੀ | ਬਹੁਤੀ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਅਤੇ ਲੋਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਰਹੇ ।

7. ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀ (Annexation of the Punjab was a Breach of Trust) – ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਾਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਲੈ ਲਿਆ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅਮਨ-ਅਮਾਨ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਲਾਹੌਰ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵੀ ਰੱਖ ਲਈ ਸੀ । ਅਜਿਹੀ ਹਾਲਤ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਦੀ ਸੀ । ਜੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬਗਾਵਤਾਂ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਨਾਕਾਮ ਰਿਹਾ ਤਾਂ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਹੀ ਸੀ । ਆਪਣੇ ਕਸੂਰਾਂ ਲਈ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾ ਦੇਣਾ ਇੱਕ ਬੇਇਨਸਾਫ਼ੀ ਵਾਲੀ ਗੱਲ ਸੀ । ਇਹ ਇੱਕ ਘੋਰ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਹੋਰ ਕੀ ਸੀ ।
ਉੱਪਰ ਲਿਖਿਤ ਵੇਰਵੇ ਤੋਂ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਨੈਤਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਨਾਜਾਇਜ਼ ਸੀ । ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਮੇਜਰ ਈਵਾਨਜ਼ ਬੈੱਲ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ,
“ਇਹ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਜਿੱਤ ਨਹੀਂ ਬਲਕਿ ਘੋਰ ਵਿਸ਼ਵਾਸਘਾਤ ਸੀ ।” 1

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain in brief the causes of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe major causes of the Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਤਿੰਨ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸਨ ? (What were the three main causes for Second Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਿੱਖ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  2. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨਾਲ ਜੋ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ, ਉਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਭੜਕ ਉੱਠੇ ।
  3. ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।
  4. ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਛੇਤੀ ਤੋਂ ਛੇਤੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ ।
  5. ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੇ ਬਲਦੀ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on the revolt of Diwan Mool Raj.)
ਜਾਂ
ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਸੰਬੰਧੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ । (Give a brief account of the revolt of Diwan Mool Raj of Multan.)
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੂੰ 1844 ਈ. ਨੂੰ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਤੋਂ ਵਸੂਲ ਕੀਤਾ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਸਲਾਨਾ ਲਗਾਨ ਬਹੁਤ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਆਪਣੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । ਨਵੇਂ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨੇ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਐਗਨਿਯੁ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਤਲ ਦਾ ਝੂਠਾ ਇਲਜ਼ਾਮ ਮੂਲਰਾਜ ’ਤੇ ਪਾਇਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the revolt of Chattar Singh of Hazara ?)
ਉੱਤਰ-
ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ । ਕੈਪਟਨ ਐਬਟ ਦੁਆਰਾ ਭੜਕਾਏ ਗਏ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ 6 ਅਗਸਤ, 1848 ਈ. ਨੂੰ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ਗਾਹ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਰਨਲ ਕੈਨੋਰਾ ਨੂੰ ਵਿਦਰੋਹੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ ! ਕਰਨਲ ਕੈਨੋਰਾ ਨੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹੁਕਮ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਕੈਪਟਨ ਐਬਟ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੋਂ ਹਟਾ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਖੂਨ ਉਬਲ ਗਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗ਼ਾਵਤ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ। (Write a note on the battle of Chillianwala.)
ਜਾਂ
ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the battle of Chillianwala ?)
ਉੱਤਰ-
ਚਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਜੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਸੈਨਾਪਤੀ ਸੀ, ਨੂੰ ਇਹ ਸੂਚਨਾ ਮਿਲੀ ਕਿ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਨੇ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਵਿਖੇ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਬੋਲ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਘਮਸਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਹੋਈ ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਸੀ ? (What was the importance of the battle of Gujarat in the Second Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਆਖਰੀ ਅਤੇ ਫੈਸਲਾਕੁੰਨ ਲੜਾਈ ਸੀ ।ਇਹ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 40,000 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਚਤਰ ਸਿੰਘ, ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਲਗਪਗ 68,000 ਸੀ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ? (What were the results of Second Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain any three effects of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਨਤੀਜੇ ਦੱਸੋ । (Explain any three results of Second Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ? (What were the results of Second Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟਾ ਇਹ ਨਿਕਲਿਆ ਕਿ 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।
  2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਅੰਤਿਮ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ 50,000 ਪੌਂਡ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਦੇ ਕੇ ਗੱਦੀਓਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
  3. ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
  4. ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਨਿਕਾਲੇ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।
  5. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਬੋਰਡ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕੀ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ ? ਆਪਣੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (Was it proper of Lord Dalhousie to annex Punjab to the British Empire ? Give arguments in support of your answer.)
ਜਾਂ
“ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਇੱਕ ਘੋਰ ਵਿਸ਼ਵਾਘਾਤ ਸੀ ।” ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Annexation of Punjab was a violent breach of trust.” Explain.)
ਜਾਂ
ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੰਯੋਜਨ ਨਿਆਂ ਸੰਗਤ ਸੀ ? ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
ਜਾਂ
ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸੰਯੋਜਨ ਨਿਆਂ ਸੰਗਤ ਸੀ ? ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵੀ ਉੱਚਿਤ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਖੋਹ ਲਏ । ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਰੋਸ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਦਰੋਹ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ ਤਾਂ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਬਹਾਨਾ ਬਣਾ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਬਜ਼ੇ ਵਿੱਚ ਕਰ ਸਕਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੇ ਇਸ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ ਕਿ ਉਸ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ । (Give arguments in favour of Dalhousie’s annexation of the Punjab to the British empire.)
ਜਾਂ
ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ੇ ਦੀ ਨੀਤੀ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (Give arguments in favour of Dalhousie’s policy of the annexation of Punjab.)
ਜਾਂ
ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਉੱਚਿਤ ਸੀ ? ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Was the annexation of Punjab justified ? Give reasons.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਿਆ ਸੀ ।
  2. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗ਼ਾਵਤ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
  3. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲਾਉਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੀ ।
  4. ਪੰਜਾਬ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਲਈ ਇੱਕ ਖ਼ਤਰਾ ਬਣ ਸਕਦਾ ਸੀ ।
  5. ਪੰਜਾਬ ’ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Maharaja Dalip Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ । ਉਹ 15 ਸਤੰਬਰ, ‘ 1843 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਵਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਬਣਿਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਪਰ ਉਹ ਗੱਦਾਰ ਨਿਕਲਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪਹਿਲੇ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਦੇਖਣਾ ਪਿਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ । 22 ਅਕਤੂਬਰ, 1893 ਈ. ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਪੈਰਿਸ ਵਿਖੇ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਜਾਂ ਜਿੰਦ ਕੌਰ ‘ਤੇ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Maharani Jindan or Jind Kaur.)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Maharani Jindan ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ, ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਾਣੀ ਸੀ ਉਸ ਨੂੰ 15 ਸਤੰਬਰ, 1843 ਈ. ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਵੇਂ ਨਿਯੁਕਤ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਨੂੰ ਖੋਹ ਲਿਆ ਸੀ । ਅਪਰੈਲ, 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਭੇਸ ਬਦਲ ਕੇ ਨੇਪਾਲ ਪਹੁੰਚਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋ ਗਈ । ਅੰਤ 1 ਅਗਸਤ, 1863 ਈ. ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਇੰਗਲੈਂਡ ਵਿੱਚ ਇਸ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਅਲਵਿਦਾ ਕਹਿ ਗਈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Bhai Maharaj Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੌਰੰਗਾਬਾਦ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੰਤ ਭਾਈ ਬੀਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚੇਲੇ ਸਨ । ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਜ, ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਝੰਡਾ ਬੁਲੰਦ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ 5 ਜੁਲਾਈ, 1856 ਈ. ਨੂੰ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one Word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
1848-49 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਕਾਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਆਪਣੀ ਹਾਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ (ਜਿੰਦ ਕੌਰ) ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਗਵਰਨਰ ਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੁਆਰਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਰਨ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਵੱਲੋਂ ਵਸੂਲ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਸਾਲਾਨਾ ਲਗਾਨ ਦੀ ਰਕਮ ਕਾਫ਼ੀ ਵਧਾ ਦਿੱਤੀ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਾਵਨ ਮਲ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦਾ ਪਿਤਾ ਅਤੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਜ਼ਾਰਾ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸਰਦਾਰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗਾਵਤ ਦਾ ਝੰਡਾ ਕਿਉਂ ਬੁਲੰਦ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਸਦੇ ਪਿਤਾ ਨਾਲ ਕੀਤੇ ਗਏ ਦੁਰਵਿਹਾਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਨੌਰੰਗਾਬਾਦ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੰਤ ਸਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਿਸ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ?
ਜਾਂ
ਕਿਸ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੇ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਆਖਰੀ ਲੜਾਈ ਕਿਹੜੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਲੜੀ ਗਈ ਉਸ ਲੜਾਈ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟਾ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਕਦੋਂ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਕਦੋਂ ਮਿਲਾਇਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਦਲੀਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਵਿਰੁੱਧ ਦਿੱਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਦਲੀਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਬਗਾਵਤ ਲਈ ਭੜਕਾਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਨੌਰੰਗਾਬਾਦ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੰਤ ਭਾਈ ਬੀਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਚੇਲਾ ਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1856 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਿੱਥੇ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿੰਘਾਪੁਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਆਖ਼ਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਆਖ਼ਰੀ ਸਿੱਖ ਸ਼ਾਸਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਅੰਤਿਮ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਿੱਥੇ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੈਰਿਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1893 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਦੀ ਮੌਤ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1863 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਪਤਨ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਨਿਕਲੇ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

1. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ …………………… ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(1848-49)

2. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ ਜਨਰਲ …………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ)

3. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ …………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ)

4. ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ……………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ)

5. 1844 ਈ. ਵਿੱਚ …………………………. ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ)

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6. ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ………………………… ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਹਜ਼ਾਰਾ)

7. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਦਾ ਨਾਂ ……………………… ਦੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਰਾਮਨਗਰ)

8. ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ …………………………. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ.)

9. ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ …………………………. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.)

10. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ………………………… ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਤੋਪਾਂ)

11. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ………………………….. ਨੂੰ ਮਿਲਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ.)

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ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਦੁਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ 1848-49 ਈ. ਵਿੱਚ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

2. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

4. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

5. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਬਣਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

6. ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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7. ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ 12 ਨਵੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

8. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

9. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਕਰਾਰੀ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

10. ਦੁਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

11. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

12. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ 29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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13. ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਵਾਗਡੋਰ ਸੰਭਾਲੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

14. ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਆਖਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਅੰਤਿਮ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ?
(i) 1844-45 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1845-46 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1847-48 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1848-49 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1848-49 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਲਾਰਡ ਲਿਟਨ
(ii) ਲਾਰਡ ਰਿਪਨ
(iii) ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ
(iv) ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦੁਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ
(iv) ਮਹਾਰਾਜਾ ਖੜਕ ਸਿੰਘ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਖੜਕ ਸਿੰਘ ਦੀ ਭੈਣ
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਪਤਨੀ
(iv) ਰਾਜਾ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਦੀ ਪੁੱਤਰੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਗੁਜਰਾਤ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ
(ii) ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ
(iii) ਕਸ਼ਮੀਰ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ
(iv) ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ
ਉੱਤਰ-
(ii) ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਦਰੋਹ ਕਦੋਂ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
(i) 1844 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1845 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1846 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਕਿੱਥੋਂ ਦਾ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸੀ ?
(i) ਹਜ਼ਾਰਾ
(ii) ਮੁਲਤਾਨ
(iii) ਕਸ਼ਮੀਰ
(iv) ਪਿਸ਼ਾਵਰ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਹਜ਼ਾਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਿਸ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ
(ii) ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ
(iii) ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ
(iv) ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) 12 ਨਵੰਬਰ, 1846 ਈ.
(ii) 15 ਨਵੰਬਰ, 1847 ਈ.
(iii) 17 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ.
(iv) 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
(i) 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ.
(ii) 3 ਜਨਵਰੀ, 1848 ਈ.
(iii) 10 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(iv) 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ ?
(i) 22 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(ii) 23 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(ii) 24 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(iv) 25 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(i) 22 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਿਸ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ ?
ਜਾਂ
ਉਸ ਲੜਾਈ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਹੜੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ‘ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ?
(i) ਮੁਲਤਾਨ ਦੀ ਲੜਾਈ
(ii) ਰਾਮਨਗਰ ਦੀ ਲੜਾਈ
(iii) ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ
(iv) ਚਿਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 22 ਨਵੰਬਰ, 1848 ਈ.
(ii) 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(iii) 22 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ.
(iv) 21 ਫਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 21 ਫਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਕਦੋਂ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
(i) 1849 ਈ.
(ii) 1850 ਈ.
(iii) 1848 ਈ.
(iv) 1947 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(i) 1849 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਆਖ਼ਰੀ ਸਿੱਖ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਖੜਕ ਸਿੰਘ
(iv) ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) 1857 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1893 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1849 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1892 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1893 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਕਿੱਥੇ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) ਪੰਜਾਬ
(ii) 1893 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) ਨੇਪਾਲ
(iv) ਲੰਡਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1893 ਈ. ਵਿੱਚ ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਨੂੰ ਆਰੰਭ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਮੁਲਤਾਨ ਸਿੱਖ-ਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਸੂਬਾ ਸੀ । 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਨਾਜ਼ਿਮ (ਗਵਰਨਰ) ਸਾਵਨ ਮਲ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਸੂਬੇ ਦੁਆਰਾ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਸਾਲਾਨਾ ਲਗਾਨ 13,47,000 ਰੁਪਏ ਤੋਂ ਵਧਾ ਕੇ 19,71,500 ਰੁਪਏ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਵਧਾ ਕੇ 30 ਲੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਵਿੱਚ ਵਿਕਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕੁਝ ਜ਼ਰੂਰੀ ਵਸਤਾਂ ਤੋਂ ਕਰ ਹਟਾ ਲਿਆ ਅਤੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ 1/3 ਹਿੱਸਾ ਵੀ ਵਾਪਸ ਲੈ ਲਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਵਧਿਆ ਹੋਇਆ ਲਗਾਨ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਉਸ ਨੇ ਬਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਕਈ ਵਾਰ ਕਿਹਾ ਪਰ ਉਹ ਨਾ ਮੰਨੀ । ਅੰਤ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ ਦਸੰਬਰ, 1847 ਈ. ਨੂੰ ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਆਪਣਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । ਮਾਰਚ, 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਨਵੇਂ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਫ਼ਰੈਡਰਿਕ ਕਰੀ ਨੇ ਸਰਦਾਰ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਮੂਲਰਾਜ ਤੋਂ ਚਾਰਜ ਲੈਣ ਲਈ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਨਾਲ ਦੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫਸਰਾਂ ਵੈਨਸ ਐਗਨਿਯੂ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ਨੂੰ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ । ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਚੰਗਾ ਸਵਾਗਤ ਕੀਤਾ 19 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਮੁਲਰਾਜ ਨੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਦੀਆਂ ਚਾਬੀਆਂ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ | ਪਰ ਅਗਲੇ ਦਿਨ 20 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਮੂਲਰਾਜ ਦੇ ਕੁਝ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਦੋਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫਸਰਾਂ ਨੂੰ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ । ਫ਼ਰੈਡਰਿਕ ਕਰੀ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਮੁਲਰਾਜ ਦੇ ਸਿਰ ਪਾਈ ।

1. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ ਕਦੋਂ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
2. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਨ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਅਸਤੀਫ਼ਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ?
3. 1848 ਈ. ਵਿੱਚ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਫ਼ਰੈਡਰਿਕ ਕਰੀ ਨੇ ਕਿਸ ਨੂੰ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ?
4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਦੇ ਕਤਲ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਦੀਵਾਨ ਮੁਲਰਾਜ ’ਤੇ ਪਾਈ ?

5. ਫ਼ਰੈਡਰਿਕ ਕਰੀ ਨੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਵਿਦਰੋਹ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ …………………. ਦੇ ਸਿਰ ਪਾਈ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਦੀਵਾਨ ਮੂਲਰਾਜ ਨੂੰ 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਲਤਾਨ ਦਾ ਨਵਾਂ ਨਾਜ਼ਿਮ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
2. ਉਸ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਸਲਾਨਾ ਲਗਾਨ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਵਾਧਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
3. ਸਰਦਾਰ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ।
4. ਵੈਨਸ ਐਗਨਿਯੂ ਅਤੇ ਐਂਡਰਸਨ ।
5. ਮੁਲਰਾਜੇ ।

2. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਵਿਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਦਾ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਕੋਲ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਫ਼ੌਜ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਵਧੇਰੇ ਸੈਨਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਪਹੁੰਚਣ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰਨ ਲੱਗਾ । ਜਦੋਂ ਗਫ਼ ਨੂੰ ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ ਕਿ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਸਮੇਤ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਪਹੁੰਚ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ 13 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਬਹੁਤ ਭਿਆਨਕ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਤਬਾਹੀ ਮਚਾ ਦਿੱਤੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ 695 ਸੈਨਿਕ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ 132 ਅਫ਼ਸਰ ਸਨ, ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਮਾਰੇ ਗਏ ਅਤੇ 1651 ਹੋਰ ਸੈਨਿਕ ਜ਼ਖ਼ਮੀ ਹੋਏ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ 4 ਤੋਪਾਂ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਹੱਥ ਆ ਗਈਆਂ ।

1. ਦੁਸਰੇ-ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ ਕਿਹੜੀ ਸੀ ?
2. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
3. ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ?
4. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ?
5. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰ ਮਾਰੇ ਗਏ ਸਨ ?
(i) 132
(ii) 142
(iii) 695
(iv) 1651.
ਉੱਤਰ-
1. ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ।
2. ਇਹ ਲੜਾਈ 13 ਜਨਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
3. ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਹਜ਼ਾਰਾ ਦੇ ਨਾਜ਼ਿਮ ਸਰਦਾਰ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ ।
4. ਚਿਲਿਆਂਵਾਲਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।
5. 132.

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 23 ਦੂਸਰਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ, ਸਿੱਟੇ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਿਲਾਉਣਾ

3. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਚਤਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨਾਲ ਆਣ ਮਿਲੇ ਸਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ । ਭਾਈ ਮਹਾਰਾਜ ਸਿੰਘ ਵੀ ਗੁਜਰਾਤ ਪਹੁੰਚ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੋਸਤ ਮੁਹੰਮਦ ਖ਼ਾਂ ਨੇ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰ ਅਕਰਮ ਖਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ 3,000 ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ ਭੇਜੀ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਫ਼ੌਜ 40,000 ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਅਜੇ ਵੀ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗ ਹੀ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਸਰ ਚਾਰਲਸ ਨੇਪੀਅਰ ਅਜੇ ਭਾਰਤ ਨਹੀਂ ਪੁੱਜਾ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਕੋਲ 68,000 ਸੈਨਿਕ ਸਨ ।

ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਦੋਹਾਂ ਪਾਸਿਆਂ ਤੋਂ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਲੜਾਈ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ‘ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਇਹ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਸਵੇਰੇ 7.30 ਵਜੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਤੋਪਾਂ ਦਾ ਬਾਰੂਦ ਛੇਤੀ ਮੁੱਕ ਗਿਆ । ਜਦੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਤੋਪਾਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ‘ਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਤਲਵਾਰਾਂ ਕੱਢ ਲਈਆਂ ਪਰ ਉਹ ਤੋਪਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਿੰਨਾ ਕੁ ਚਿਰ ਕਰਦੇ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦਾ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ।

1. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ …………………… ਲੜਾਈ ਸਿੱਧ ਹੋਈ ।
2. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
3. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕੌਣ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ?
4. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
5. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕੌਣ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਨਿਰਣਾਇਕ ।
2. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1849 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ।
3. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ।
4. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਇਸ ਕਰਕੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੋਹਾਂ ਪਾਸਿਆਂ ਤੋਂ ਭਾਰੀ ਤੋਪਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।
5. ਗੁਜਰਾਤ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ । (Write the causes of the First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਛੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸਨ ? (What were the six main causes of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਛੇ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Briefly describe the six main causes of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss the causes responsible for the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

1. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾਉਣ ਦੀ ਨੀਤੀ – ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਾਫ਼ੀ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਵੇਖ ਰਹੇ ਸਨ । 1809 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਰਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਦੇ ਪਾਰ ਵੱਲ ਵਧਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । 1835-36 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । 1835 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । 1838 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿੱਚ ਫ਼ੌਜੀ ਛਾਉਣੀ ਕਾਇਮ ਕਰ ਲਈ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਜੰਗ ਨੂੰ ਟਾਲਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

2. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਹੋਈ ਬਦਅਮਨੀ – ਜੂਨ, 1839 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਦਅਮਨੀ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ । ਰਾਜਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । 1839 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1845 ਈ. ਦੇ 6 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ 5 ਸਰਕਾਰਾਂ ਬਦਲੀਆਂ । ਡੋਗਰਿਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਖ਼ਾਨਦਾਨ ਨੂੰ ਬਰਬਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸ ਸੁਨਹਿਰੀ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਫਾਇਦਾ ਉਠਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

3. ਪਹਿਲੇ ਅਫ਼ਗਾਨ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹਾਰ – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰੀ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ (1839-42 ਈ. ) ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹੋਏ ਭਾਰੀ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਮਾਣ-ਸਨਮਾਨ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵੱਲ ਆਪਣਾ ਰੁਖ ਕੀਤਾ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਬਹੁਤ ਡਾਵਾਂਡੋਲ ਸੀ ।

4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਸਿੰਧ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ – ਸਿੰਧ ਦਾ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ, ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਤਣਾਉ ਹੋਰ ਵੱਧ ਗਿਆ ।

5. ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ – ਨਵੰਬਰ, 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੂੰ ਮਿਸਟਰ ਕਲਾਰਕ ਦੀ ਥਾਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦਾ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਕੱਟੜ ਦੁਸ਼ਮਣ ਸੀ ਉਸ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਾਰਵਾਈਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਭੜਕ ਉੱਠੇ ।

6. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸੈਨਿਕ ਤਿਆਰਿਆਂ – ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦਾ ਅਹੁਦਾ ਸੰਭਾਲਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਢੰਗ ਨਾਲ ਜੰਗੀ ਤਿਆਰੀਆਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਉਂ ਘੇਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਨੇ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਵਿਸਫੋਟਕ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on the battle of Mudki.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਦਕੀ ਵਿਖੇ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚੋਂ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5,500 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਹਰਾ ਦੇਣਗੇ, ਪਰ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹਫੜਾ-ਦਫੜੀ ਫੈਲ ਗਈ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਘਬਰਾ ਗਿਆ । ਉਹ ਤਾਂ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਮਰਵਾਉਣ ਆਇਆ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਉਲਟ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਪਾਸਾ ਪੁੱਠਾ ਪੈਂਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਕੁਝ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਸਿੱਖ ਫੇਰ ਵੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਦੇ ਰਹੇ । ਪਰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਅਤੇ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਕਾਰਨ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ । ਇਹ ਜਿੱਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਮਹਿੰਗੀ ਪਈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਯੋਧਾ ਮਾਰੇ ਗਏ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੂਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the battle of Ferozshah or Pherushaher ?)
ਉੱਤਰ-
21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੂਸ਼ਹਿਰ ਨਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਇੱਕ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਲੜਾਈ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 17 ਹਜ਼ਾਰ ਸੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ 69 ਤੋਪਾਂ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼, ਜਾਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਵਰਗੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 25-30 ਹਜ਼ਾਰ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ 100 ਤੋਪਾਂ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵਰਗੇ ਗੱਦਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਅਜਿਹੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਆ ਗਈ ।ਉਹ ਬਿਨਾਂ ਸ਼ਰਤ ਸਿੱਖਾਂ ਅੱਗੇ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟਣ ਬਾਰੇ ਸੋਚਣ ਲੱਗੇ । ਪਰ ਕਿਸਮਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਸੀ ।22 ਦਸੰਬਰ ਨੂੰ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਅੰਤ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਭਾਰੀ ਜਾਨੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the battle of Sobraon.)
ਉੱਤਰ-
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਿਮ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਹ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮੁਕੰਮਲ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹਿਉਗ ਗਫ਼, ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਰਨੈਲ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਗੱਦਾਰਾਂ ਨੇ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ਸੀ ।ਇਸ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ ਦੰਦ ਖੱਟੇ ਕੀਤੇ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਭੱਜ ਨਿਕਲੇ ਤੇ ਜਾਂਦੇ-ਜਾਂਦੇ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ‘ਤੇ ਬਣਾਏ ਕਿਸ਼ਤੀਆਂ ਦੇ ਪੁਲ ਨੂੰ ਵੀ ਤੋੜ ਗਏ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਭਾਰੀ ਜਾਨੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਅੰਤ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ (9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ.) ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । [Write a brief note on the Treaty of Lahore (9th March, 1846).]
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਕਾਰ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਇੱਕ ਸੰਧੀ ਹੋਈ । ਇਹ ਸੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੈ । ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਇਹ ਸਨ :-

  • ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡਣਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  • ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਾਰੇ ਮੈਦਾਨੀ ਤੇ ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕੇ ਅਤੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ।
  • ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ।
  • ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਘਟਾ ਕੇ ਪੈਦਲ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।
  • ਜਦ ਕਦੇ ਲੋੜ ਪਵੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਰੁਕਾਵਟ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚੋਂ ਦੀ ਲੰਘ ਸਕਣਗੀਆਂ ।
  • ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼, ਯੂਰਪੀਅਨ ਜਾਂ ਅਮਰੀਕਨ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਨੌਕਰੀ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਰੱਖੇਗਾ ।
  • ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਂਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਸੰਬੰਧੀ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the Treaty of Bhairowal ?)
ਜਾਂ
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the Treaty of Bhairowal.)
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਸੰਧੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਾਲੇ 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ ਪਰਿਵਾਰ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰਕੇ ਉਸ ਦੀ 1 ਲੱਖ ਰੁ: ਪੈਨਸ਼ਨ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਇੱਕ ਅੱਠ ਮੈਂਬਰੀ ਕੌਂਸਲ ਬਣਾਈ ਗਈ ।ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਅਤੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਰੱਖਣ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਸੈਨਾ ਦੇ ਖ਼ਰਚ ਲਈ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ 22 ਲੱਖ ਰੁ: ਸਾਲਾਨਾ ਲਗਾਨ ਦੇਣਾ ਮੰਨਿਆ ।ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੇ ਬਾਲਗ ਹੋਣ ਤਕ ਭਾਵ 4 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਤਕ ਲਾਗੂ ਰਹਿਣੀਆਂ ਸਨ । ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਭਾਵੇਂ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਸ਼ਕਤੀਹੀਨ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਬਣ ਗਏ ਸਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਕੇਵਲ ਨਾਂ-ਮਾਤਰ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ? (What were the results of First Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ? (What were the effects of First Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ । ਇਹ ਯੁੱਧ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ :-

  1. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡਣਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  2. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ।
  3. ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਘਟਾ ਕੇ ਪੈਦਲ ਸੈਨਾ 20,000 ਤਕ ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ 12,000 ਤਕ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।
  4. ਜਦ ਕਦੇ ਲੋੜ ਪਵੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਰੁਕਾਵਟ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚੋਂ ਦੀ ਲੰਘ ਸਕਣਗੀਆਂ ।
  5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।

16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਇਹ ਨਿਰਣਾ ਲਿਆ ਗਿਆ ਕਿ :

  1. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਿਭਾਗਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰੇਗੀ ।
  2. ਜਦ ਤਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨਾਬਾਲਗ ਰਹੇਗਾ (ਭਾਵ ਸਤੰਬਰ 1853 ਈ. ਤਕ) ਰਾਜ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅੱਠ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਕੌਂਸਲ ਆਫ਼ ਰੀਜੈਂਸੀ ਦੁਆਰਾ ਚਲਾਇਆ ਜਾਏਗਾ ।
  3. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ-ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਇਹ ਫੈਸਲਾ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ 1. ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਮਿਲੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Sham Singh Attariwala.)
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇੱਕ ਅਣਖੀਲੇ ਯੋਧੇ ਸਨ । ਉਹ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਅਟਾਰੀ ਪਿੰਡ ਦੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਿਤਾ ਸਰਦਾਰ ਨਿਹਾਲ ਸਿੰਘ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਨੌਕਰੀ ਵਿੱਚ ਸਨ । 18 ਵਰਿਆਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਭਰਤੀ ਹੋ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਅਨੇਕਾਂ ਸੈਨਿਕ ਮੁਹਿੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਬਦਅਮਨੀ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪਣ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਂ ਕਾਰਨ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਦੇ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਠੇਸ ਪਹੁੰਚੀ । ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਵੀ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ ।

ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਜੋ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ ਅਤੇ ਜੋ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲੇ ਹੋਏ ਸਨ ਅਚਾਨਕ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਤੋਂ ਨੱਸ ਤੁਰੇ । ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਤੋਂ ਬਗ਼ੈਰ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਘਾਬਰ ਉੱਠੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਬਿਖਰਨ ਲੱਗ ਪਈ । ਅਜਿਹੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅੱਗੇ ਆਏ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਲਲਕਾਰਿਆ ਤੇ ਕਿਹਾ, “ਜਿੱਤੋ ਜਾਂ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਜਾਓ ।” ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਤਲਵਾਰਾਂ ਧੂਹ ਲਈਆਂ ਤੇ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਦੇ ਜੈਕਾਰੇ ਗਜਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਵੈਰੀ ‘ਤੇ ਟੁੱਟ ਪਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਗਾਜਰ-ਮੂਲੀਆਂ ਵਾਂਗ ਕੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇਖ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਵੀ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਏ ਸਨ । ਅੰਤ ਉਹ ਲੜਦੇ-ਲੜਦੇ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪਾ ਗਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਪਿੱਛੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ? (Why the British did not annex the Punjab to their empire after the First AngloSikh War ?)
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਭਾਵੇਂ ਸਭਰਾਉਂ ਦੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਪਰ ਹਾਲੇ ਵੀ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਕਈ ਹਜ਼ਾਰ ਸੈਨਿਕ ਆਪਣੇ ਅਸਲੇ ਸਮੇਤ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਸਨ । ਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਇਸ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਤਾਂ ਇਹ ਸੈਨਿਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਸਿਰਦਰਦੀ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਬਣ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਾ ਕਰਨ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸੀ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਰਹੇ । ਜੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਤਾਂ ਉਸ ਦੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤਕ ਵੱਧ ਜਾਣੀਆਂ ਸਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਕਈ ਨਵੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਣੀਆਂ ਸਨ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨਾਲ ਨਜਿੱਠਣ ਲਈ ਅਜੇ ਤਿਆਰ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਤੀਸਰਾ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਹੇਠ ਰੱਖਣ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ ਪੈਣਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਖ਼ਰਚੇ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਹੋ ਜਾਣਾ ਸੀ । ਚੌਥਾ, ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਪ੍ਰਾਂਤ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਿੱਧ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ।ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਥਾਂ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਸੋਮਾ ਸਮਝਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Mention main causes of the Sikhs’ defeat in the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-

  • ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਸੀ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਸੀ ਜਦ ਕਿ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਮੁੱਖ ਸੈਨਾਪਤੀ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਨੇਤਾ ਆਪਣੇ ਸੁਆਰਥਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਜਾ ਰਲੇ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕ ਤਾਂ ਭਾਵੇਂ ਇਸ ਪੂਰੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਬੜੀ ਬਹਾਦਰੀ ਅਤੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਲੜੇ ਪਰ ਨੇਤਾਵਾਂ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਡੁੱਬੀ ।
  • ਆਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ।
  • ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਜਿਹੜੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਅਫ਼ਸਰ ਭਰਤੀ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ ਉਹ ਅੰਦਰਖਾਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲੇ ਹੋਏ ਸਨ ਉਹ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭੇਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦਿੰਦੇ ਰਹੇ ।
  • ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਤਾਕਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ । ਕੁਦਰਤੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਧਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਨ ।
  • ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਬੜਾ ਤਜਰਬਾ ਸੀ ।ਉਹ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਪੂਰੀ ਈਮਾਨਦਾਰੀ ਅਤੇ ਲਗਨ ਨਾਲ ਲੜੇ । ਅਜਿਹੀ ਹਾਲਤ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਣੀ ਲਾਜ਼ਮੀ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ (Causes of First Anglo-Sikh War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the causes of the First Anglo-Sikh War between British and Sikhs.).
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? (What were the causes of First Anglo-Sikh War ?)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the causes of First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਘੇਰਾਓ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਣ-ਬੁੱਝ ਕੇ ਅਜਿਹੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਅਪਣਾਈਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅੰਤ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

1. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾਉਣ ਦੀ ਨੀਤੀ (British Policy of Encircling the Punjab) – ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਾਫ਼ੀ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਵੇਖ ਰਹੇ ਸਨ । 1809 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਰਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਦੇ ਪਾਰ ਵੱਲ ਵਧਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । 1835-36 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । 1835 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ 1838 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿੱਚ ਫ਼ੌਜੀ ਛਾਉਣੀ ਕਾਇਮ ਕਰ ਲਈ ਸੀ । ਇਸੇ ਸਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ਵੱਲ ਵੱਧਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪ ਕਰਨਾ ਹੁਣ ਕੁਝ ਹੀ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਰਹਿ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਜੰਗ ਨੂੰ ਟਾਲਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

2. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਹੋਈ ਬਦਅਮਨੀ (Anarchy in the Punjab) – ਜੂਨ, 1839 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਦਅਮਨੀ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ । ਰਾਜਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । 1839 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1845 ਈ. ਦੇ 6 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ 5 ਸਰਕਾਰਾਂ ਬਦਲੀਆਂ । ਡੋਗਰਿਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਸਾਜ਼ਸਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਖ਼ਾਨਦਾਨ ਨੂੰ ਬਰਬਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸ ਸੁਨਹਿਰੀ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਫਾਇਦਾ ਉਠਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

3. ਪਹਿਲੇ ਅਫ਼ਗਾਨ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹਾਰ (Defeat of the British in the First Afghan War) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰੀ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ (1839-42 ਈ.) ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹੋਏ ਭਾਰੀ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਮਾਣ-ਸਨਮਾਨ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਆਪਣੀ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਹਾਰ ਦੀ ਬਦਨਾਮੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਧੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਜਿੱਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਮਿਲ ਸਕਦੀ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਬਹੁਤ ਡਾਵਾਂਡੋਲ ਸੀ ।

4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਮਿਲਾਉਣਾ (Annexation of Sind by the British) – ਸਿੰਧ ਦਾ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ, ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਤਣਾਉ ਹੋਰ ਵੱਧ ਗਿਆ ।

5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸੈਨਿਕ ਤਿਆਰੀਆਂ (Military preparations by the Britishers-1844) – ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦਾ ਅਹੁਦਾ ਸੰਭਾਲਣ ਮਗਰੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਜੰਗੀ ਤਿਆਰੀਆਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਨੇ ਕਰਨਲ ਰਿਚਮੋਂਡ ਦੀ ਥਾਂ ਲੜਾਕੂ ਸੁਭਾਅ ਰੱਖਣ ਵਾਲੇ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੂੰ ਉੱਤਰਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਦਾ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਲਾਰਡ ਗਫ਼ ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨਚੀਫ਼ ਸੀ ਨੇ ਅੰਬਾਲੇ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਹੈਡਕੁਆਰਟਰ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਿਆ । ਮਾਰਚ, 1845 ਈ. ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸੈਨਿਕ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ, ਲੁਧਿਆਣਾ ਅਤੇ ਅੰਬਾਲਾ ਭੇਜੇ ਗਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਜੰਗ ਲਾਜ਼ਮੀ ਹੋ ਗਈ ।

6. ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ (Appointment of Major Broadfoot) – ਨਵੰਬਰ, 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੂੰ ਮਿਸਟਰ ਕਲਾਰਕ ਦੀ ਥਾਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦਾ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਕੱਟੜ ਦੁਸ਼ਮਣ ਸੀ । ਉਹ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਲੈ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ‘ਤੇ ਆਇਆ ਸੀ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ । ਡਾਕਟਰ ਫ਼ੌਜਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਲੁਧਿਆਣਾ ਵਿੱਚ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਵਜੋਂ ਨਿਯੁਕਤੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਗਿਣੀ-ਮਿਥੀ ਚਾਲ ਸੀ ਜਿਹੜੀ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਛੇਤੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਰੱਖ ਕੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।” 1
ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਾਰਵਾਈਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਭੜਕ ਉੱਠੇ ।

7. ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵੱਲੋਂ ਲੜਾਈ ਲਈ ਉਕਸਾਹਟ (Incitement for War by Lal Singh and Teja Singh) – ਜਵਾਹਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਜ਼ੀਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਰਾ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਅੰਦਰ ਖਾਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਚੁੱਕੀ ਸੀ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਇਸ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਵਾ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ | ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਹੀ ਉਹ ਆਪਣੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਕਾਇਮ ਰਹਿ ਸਕਣਗੇ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਭੜਕਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭੜਕਾਉਣ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੇ 11 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕੀਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਉਡੀਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ 13 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ‘ਤੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਯੁੱਧ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਖੇਤਰਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ (Events and Results of the War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਸਨ ? ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ? ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What were the main events of the First Anglo-Sikh War ? Briefly explain the consequences of this War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study the events and results of the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਕ ਨੀਤੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ 11 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸੇ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਾੜ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਅਤੇ 13 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਯੁੱਧ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਦੁਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ । ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

(ਉ) ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ, (Events of the War)

1. ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Mudki) – ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਦਕੀ ਵਿਖੇ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5,500 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਜੜ ਪੈ ਗਈ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਕੁਝ ਸੈਨਿਕ ਲੈ ਕੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਸੀਤਾ ਰਾਮ ਕੋਹਲੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਇਸ ਵੱਧ ਰਹੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਨੂੰ ਗਲਤ ਸਾਬਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀ ਹੈ ।” 1

2. ਫਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Ferozeshah) – ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੂਸਰੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਲੜਾਈ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੂ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹਿਊ ਗਫ਼, ਜਾਂਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜਾਂ ਦੇ ਅਜਿਹੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ ਕਿ ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਆ ਗਈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਬਿਨਾਂ ਸ਼ਰਤ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟਣ ਬਾਰੇ ਵਿਚਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਠੀਕ ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਗੱਦਾਰੀ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਉਹ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਰਣਭੂਮੀ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਤੀ ਹੋਈ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਹਾਰ ਗਈ । ਜਨਰਲ ਹੈਵਲਾਕ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ,
“ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਲੜਾਈ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਦੇਵੇਗੀ ।” 1

3. ਬੱਦੋਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Baddowal) – ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਨਿਰਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ 10,000 ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋਂ 18 ਮੀਲ ਦੂਰ ਸਥਿਤ ਬੱਦੋਵਾਲ ਪੁੱਜਾ । 21 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਬੱਦੋਵਾਲ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਹੋਈ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਬੜੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਲੜੇ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਥਿਆਰ ਅਤੇ ਖ਼ੁਰਾਕ ਸਾਮਗਰੀ ਵੀ ਲੁੱਟ ਲਈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਹਾਰ ਕੇ ਲੁਧਿਆਣਾ ਵੱਲ ਨੱਸ ਗਏ ।

4. ਅਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Aliwal) – ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਅਲੀਵਾਲ ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ | ਅਲੀਵਾਲ ਵਿਖੇ ਸਿੱਖ ਹਾਲੇ ਆਪਣੇ ਮੋਰਚੇ ਲਗਾ ਰਹੇ ਸਨ ਕਿ ਅਚਾਨਕ 28 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਹੈਰੀ ਸਮਿਥ ਅਧੀਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਬੜੀ ਭਿਆਨਕ ਸੀ । ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ ।

5. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Sobraon) – 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਲੀ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 30,000 ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕ ਸਭਰਾਉਂ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੇ ਸਨ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਕੁਲ ਗਿਣਤੀ 15,000 ਸੀ । ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਇਸ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਐਨ ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਬਣਾਈ ਯੋਜਨਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਮੈਦਾਨੋਂ ਨੱਸ ਤੁਰੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਖਿੰਡਰਨ ਲੱਗ ਪਈ । ਅਜਿਹੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅੱਗੇ ਆਏ । ਉਸ ਦੀ ਬਹਾਦਰੀ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਦੇਖ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਵੀ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਏ ਸਨ | ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਟੁੱਟ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਤ ਇਸ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜੇਤੂ ਰਹੇ | ਐੱਚ. ਐੱਸ. ਭਾਟੀਆ ਅਤੇ ਐੱਸ. ਆਰ. ਬਖ਼ਸ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹਰੇਕ ਪੱਖੋਂ ਨਿਰਣਾਇਕ ਸੀ ।” 2

(ਅ) ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ (Results of the War)

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਕਾਰ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਹੋਈ ।

ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ (Treaty of Lahore)

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਈ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਨ-

  1. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਸਦਾ ਸ਼ਾਂਤੀ ਤੇ ਮਿੱਤਰਤਾ ਬਣੀ ਰਹੇਗੀ ।
  2. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡਣਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  3. ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਾਰੇ ਮੈਦਾਨੀ ਤੇ ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕੇ ਅਤੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ।
  4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜ਼ਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ । ਇੰਨੀ ਰਕਮ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ਵਿੱਚੋਂ ਨਹੀ ਮਿਲ ਸਕਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਇੱਕ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੇ ਬਦਲੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੱਤੇ ।
  5. ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੀ ਪੈਦਲ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।
  6. ਜਦ ਕਦੇ ਲੋੜ ਪਵੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਰੁਕਾਵਟ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚੋਂ ਦੀ ਲੰਘ ਸਕਣਗੀਆਂ ।
  7. ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼, ਯੂਰਪੀਅਨ ਜਾਂ ਅਮਰੀਕਨ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਨੌਕਰੀ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਰੱਖੇਗਾ ।
  8. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  9. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਮਾਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦਖ਼ਲ ਨਹੀਂ ਦੇਵੇਗੀ ਪਰ ਜਿੱਥੇ ਕਿਤੇ ਜ਼ਰੂਰੀ : ਹੋਇਆ ਉੱਥੇ ਲੋੜੀਂਦੀ ਸਲਾਹ ਦੇਵੇਗੀ ।
  10. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਆਗਿਆ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਆਪਣੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਵਿੱਚ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਨਹੀਂ ਕਰੇਗੀ ।

ਸਹਾਇਕ ਸੰਧੀ (Supplementary Treaty)

ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਭਾਵ 11 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਇਸ ਸੰਧੀ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਸਹਾਇਕ ਸ਼ਰਤਾਂ ਜੋੜੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  1. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੀ ਲੋੜੀਂਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ 1846 ਈ. ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਸੈਨਾ ਲਾਹੌਰ ਵਿੱਚ ਰਹੇਗੀ ।
  2. ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਕਿਲ੍ਹਾ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗਾ । ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰੇਗੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦਾ ਸਾਰਾ ਖ਼ਰਚਾ ਦੇਵੇਗੀ ।
  3. ਦੋਨੋਂ ਸਰਕਾਰਾਂ ਆਪਣੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਮੁਕਰਰ ਕਰਨ ਲਈ ਛੇਤੀ ਹੀ ਆਪਣੇ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨਗੀਆਂ ।

ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ (Treaty of Bhairowal)

ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਸੰਧੀ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਸੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਅੱਗੇ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਨ-

  1. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਿਭਾਗਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰੇਗੀ ।
  2. ਜਦ ਤਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨਾਬਾਲਿਗ ਰਹੇਗਾ ਰਾਜ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅੱਠ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਕੌਂਸਲ ਆਫ਼ ਰੀਜੈਂਸੀ ਦੁਆਰਾ ਚਲਾਇਆ ਜਾਏਗਾ ।
  3. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ-ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਇਹ ਫੈਸਲਾ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ 1 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਮਿਲੇਗੀ ।
  4. ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਰਹੇਗੀ !
  5. ਜੇ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝੇ ਤਾਂ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਿਕ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕਿਲ੍ਹੇ ਜਾਂ ਸੈਨਿਕ ਛਾਉਣੀ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਸਕਣਗੇ ।
  6. ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਦੇ ਖ਼ਰਚ ਲਈ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ 22 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਵੇਗਾ ।
  7. ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੇ ਬਾਲਿਗ ਹੋਣ ਤਕ ਅਰਥਾਤ 4 ਸਤੰਬਰ, 1854 ਈ. ਤਕ ਲਾਗੂ ਰਹਿਣਗੀਆਂ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਲੇਖਕ ਡਾਕਟਰ ਜੀ. ਐੱਸ. ਛਾਬੜਾ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ,
    “ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਦੀ ਘੰਟੀ ਵਜਾ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਇਸ ਸੰਧੀ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਅਸਲ ਸ਼ਾਸਕ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ।” 1

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ Causes and Results of the First Anglo-Sikh War)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ ਦੱਸੋ । (Discuss the causes and results of the First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਅਤੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Briefly describe the causes and the results of the First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the causes and results of the First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਸਨ ? ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ? (What were the causes of the First Anglo-Sikh War ? What were the consequences of this war ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਘੇਰਾ ਪਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।
  2. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਸਥਿਰਤਾ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ ।
  3. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਆਪਣੀ ਬਦਨਾਮੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  4. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਵਾ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  5. 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਨੇ ਬਲਦੀ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।

ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਦਕੀ ਵਿਖੇ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਹਰਾ ਦੇਣਗੇ, ਪਰ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹਫੜਾ-ਦਫੜੀ ਫੈਲ ਗਈ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕਾਰਨ, ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss in brief the causes, events and results of the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਘੇਰਾਓ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਣ-ਬੁੱਝ ਕੇ ਅਜਿਹੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਅਪਣਾਈਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅੰਤ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

1. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਘੇਰਾ ਪਾਉਣ ਦੀ ਨੀਤੀ (British Policy of Encircling the Punjab) – ਅੰਗਰੇਜ਼ ਕਾਫ਼ੀ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਵੇਖ ਰਹੇ ਸਨ । 1809 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਰਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਦੇ ਪਾਰ ਵੱਲ ਵਧਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । 1835-36 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । 1835 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ 1838 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿੱਚ ਫ਼ੌਜੀ ਛਾਉਣੀ ਕਾਇਮ ਕਰ ਲਈ ਸੀ । ਇਸੇ ਸਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ਵੱਲ ਵੱਧਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੜੱਪ ਕਰਨਾ ਹੁਣ ਕੁਝ ਹੀ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਰਹਿ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਜੰਗ ਨੂੰ ਟਾਲਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ਸੀ ।

2. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਹੋਈ ਬਦਅਮਨੀ (Anarchy in the Punjab) – ਜੂਨ, 1839 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਦਅਮਨੀ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ । ਰਾਜਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਸਾਜ਼ਸ਼ਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । 1839 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1845 ਈ. ਦੇ 6 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ 5 ਸਰਕਾਰਾਂ ਬਦਲੀਆਂ । ਡੋਗਰਿਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਸਾਜ਼ਸਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਖ਼ਾਨਦਾਨ ਨੂੰ ਬਰਬਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸ ਸੁਨਹਿਰੀ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਫਾਇਦਾ ਉਠਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

3. ਪਹਿਲੇ ਅਫ਼ਗਾਨ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹਾਰ (Defeat of the British in the First Afghan War) – ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰੀ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ (1839-42 ਈ.) ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹੋਏ ਭਾਰੀ ਵਿਨਾਸ਼ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਮਾਣ-ਸਨਮਾਨ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਆਪਣੀ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਹਾਰ ਦੀ ਬਦਨਾਮੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਜਿੱਤ ਨਾਲ ਧੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਜਿੱਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਮਿਲ ਸਕਦੀ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਬਹੁਤ ਡਾਵਾਂਡੋਲ ਸੀ ।

4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਮਿਲਾਉਣਾ (Annexation of Sind by the British) – ਸਿੰਧ ਦਾ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ, ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਤਣਾਉ ਹੋਰ ਵੱਧ ਗਿਆ ।

5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸੈਨਿਕ ਤਿਆਰੀਆਂ (Military preparations by the Britishers-1844) – ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦਾ ਅਹੁਦਾ ਸੰਭਾਲਣ ਮਗਰੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਜੰਗੀ ਤਿਆਰੀਆਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਨੇ ਕਰਨਲ ਰਿਚਮੋਂਡ ਦੀ ਥਾਂ ਲੜਾਕੂ ਸੁਭਾਅ ਰੱਖਣ ਵਾਲੇ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੂੰ ਉੱਤਰਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਦਾ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਲਾਰਡ ਗਫ਼ ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨਚੀਫ਼ ਸੀ ਨੇ ਅੰਬਾਲੇ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਹੈਡਕੁਆਰਟਰ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਿਆ । ਮਾਰਚ, 1845 ਈ. ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸੈਨਿਕ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ, ਲੁਧਿਆਣਾ ਅਤੇ ਅੰਬਾਲਾ ਭੇਜੇ ਗਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕ ਤਿਆਰੀਆਂ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਜੰਗ ਲਾਜ਼ਮੀ ਹੋ ਗਈ ।

6. ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ (Appointment of Major Broadfoot) – ਨਵੰਬਰ, 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੂੰ ਮਿਸਟਰ ਕਲਾਰਕ ਦੀ ਥਾਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦਾ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਕੱਟੜ ਦੁਸ਼ਮਣ ਸੀ । ਉਹ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਲੈ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ‘ਤੇ ਆਇਆ ਸੀ ਕਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ । ਡਾਕਟਰ ਫ਼ੌਜਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਲੁਧਿਆਣਾ ਵਿੱਚ ਪੁਲੀਟੀਕਲ ਏਜੰਟ ਵਜੋਂ ਨਿਯੁਕਤੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਗਿਣੀ-ਮਿਥੀ ਚਾਲ ਸੀ ਜਿਹੜੀ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਛੇਤੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਰੱਖ ਕੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।” 1
ਬਰਾਡਫੁਟ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਾਰਵਾਈਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਭੜਕ ਉੱਠੇ ।

7. ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵੱਲੋਂ ਲੜਾਈ ਲਈ ਉਕਸਾਹਟ (Incitement for War by Lal Singh and Teja Singh) – ਜਵਾਹਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਜ਼ੀਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਰਾ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਅੰਦਰ ਖਾਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਚੁੱਕੀ ਸੀ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਇਸ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਵਾ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ | ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਹੀ ਉਹ ਆਪਣੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਕਾਇਮ ਰਹਿ ਸਕਣਗੇ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਭੜਕਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭੜਕਾਉਣ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੇ 11 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕੀਤਾ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਮੌਕੇ ਦੀ ਉਡੀਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ 13 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ‘ਤੇ ਇਹ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਯੁੱਧ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਖੇਤਰਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ।

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਕ ਨੀਤੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ 11 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸੇ ਮੌਕੇ ਦੀ ਤਾੜ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਲਗਾਇਆ ਅਤੇ 13 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਯੁੱਧ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਦੁਰਗਾਮੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ । ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

(ਉ) ਯੁੱਧ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ, (Events of the War)

1. ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Mudki) – ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਦਕੀ ਵਿਖੇ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5,500 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਜੜ ਪੈ ਗਈ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਕੁਝ ਸੈਨਿਕ ਲੈ ਕੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਸੀਤਾ ਰਾਮ ਕੋਹਲੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਇਸ ਵੱਧ ਰਹੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਨੂੰ ਗਲਤ ਸਾਬਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀ ਹੈ ।” 1

2. ਫਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Ferozeshah) – ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੂਸਰੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਲੜਾਈ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੂ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹਿਊ ਗਫ਼, ਜਾਂਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜਾਂ ਦੇ ਅਜਿਹੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ ਕਿ ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਆ ਗਈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਬਿਨਾਂ ਸ਼ਰਤ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟਣ ਬਾਰੇ ਵਿਚਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਠੀਕ ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਗੱਦਾਰੀ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਉਹ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਰਣਭੂਮੀ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਤੀ ਹੋਈ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਹਾਰ ਗਈ । ਜਨਰਲ ਹੈਵਲਾਕ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ,
“ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਲੜਾਈ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਦੇਵੇਗੀ ।” 1

3. ਬੱਦੋਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Baddowal) – ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਨਿਰਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ 10,000 ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋਂ 18 ਮੀਲ ਦੂਰ ਸਥਿਤ ਬੱਦੋਵਾਲ ਪੁੱਜਾ । 21 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਬੱਦੋਵਾਲ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਹੋਈ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਬੜੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਲੜੇ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਥਿਆਰ ਅਤੇ ਖ਼ੁਰਾਕ ਸਾਮਗਰੀ ਵੀ ਲੁੱਟ ਲਈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਹਾਰ ਕੇ ਲੁਧਿਆਣਾ ਵੱਲ ਨੱਸ ਗਏ ।

4. ਅਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Aliwal) – ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਅਲੀਵਾਲ ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ | ਅਲੀਵਾਲ ਵਿਖੇ ਸਿੱਖ ਹਾਲੇ ਆਪਣੇ ਮੋਰਚੇ ਲਗਾ ਰਹੇ ਸਨ ਕਿ ਅਚਾਨਕ 28 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਹੈਰੀ ਸਮਿਥ ਅਧੀਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਲੜਾਈ ਬੜੀ ਭਿਆਨਕ ਸੀ । ਰਣਜੋਧ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ ।

5. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ (Battle of Sobraon) – 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਲੀ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 30,000 ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕ ਸਭਰਾਉਂ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੇ ਸਨ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਕੁਲ ਗਿਣਤੀ 15,000 ਸੀ । ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਇਸ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਐਨ ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਬਣਾਈ ਯੋਜਨਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਮੈਦਾਨੋਂ ਨੱਸ ਤੁਰੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਖਿੰਡਰਨ ਲੱਗ ਪਈ । ਅਜਿਹੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅੱਗੇ ਆਏ । ਉਸ ਦੀ ਬਹਾਦਰੀ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਦੇਖ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਵੀ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਏ ਸਨ | ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਟੁੱਟ ਗਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਤ ਇਸ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜੇਤੂ ਰਹੇ | ਐੱਚ. ਐੱਸ. ਭਾਟੀਆ ਅਤੇ ਐੱਸ. ਆਰ. ਬਖ਼ਸ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹਰੇਕ ਪੱਖੋਂ ਨਿਰਣਾਇਕ ਸੀ ।” 2

(ਅ) ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ (Results of the War)

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹੋਏ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਕਾਰ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਹੋਈ ।

ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ (Treaty of Lahore)

ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਈ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਨ-

  1. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਸਦਾ ਸ਼ਾਂਤੀ ਤੇ ਮਿੱਤਰਤਾ ਬਣੀ ਰਹੇਗੀ ।
  2. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡਣਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  3. ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਾਰੇ ਮੈਦਾਨੀ ਤੇ ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕੇ ਅਤੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ।
  4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜ਼ਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ । ਇੰਨੀ ਰਕਮ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ਵਿੱਚੋਂ ਨਹੀ ਮਿਲ ਸਕਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਇੱਕ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੇ ਬਦਲੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੱਤੇ ।
  5. ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੀ ਪੈਦਲ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 20,000 ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰ ਸੈਨਾ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 12,000 ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।
  6. ਜਦ ਕਦੇ ਲੋੜ ਪਵੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਰੁਕਾਵਟ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚੋਂ ਦੀ ਲੰਘ ਸਕਣਗੀਆਂ ।
  7. ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼, ਯੂਰਪੀਅਨ ਜਾਂ ਅਮਰੀਕਨ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਨੌਕਰੀ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਰੱਖੇਗਾ ।
  8. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  9. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਮਾਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦਖ਼ਲ ਨਹੀਂ ਦੇਵੇਗੀ ਪਰ ਜਿੱਥੇ ਕਿਤੇ ਜ਼ਰੂਰੀ : ਹੋਇਆ ਉੱਥੇ ਲੋੜੀਂਦੀ ਸਲਾਹ ਦੇਵੇਗੀ ।
  10. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਆਗਿਆ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਆਪਣੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਵਿੱਚ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਨਹੀਂ ਕਰੇਗੀ ।

ਸਹਾਇਕ ਸੰਧੀ (Supplementary Treaty)

ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਭਾਵ 11 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਇਸ ਸੰਧੀ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਸਹਾਇਕ ਸ਼ਰਤਾਂ ਜੋੜੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  1. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੀ ਲੋੜੀਂਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ 1846 ਈ. ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਸੈਨਾ ਲਾਹੌਰ ਵਿੱਚ ਰਹੇਗੀ ।
  2. ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਕਿਲ੍ਹਾ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗਾ । ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰੇਗੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦਾ ਸਾਰਾ ਖ਼ਰਚਾ ਦੇਵੇਗੀ ।
  3. ਦੋਨੋਂ ਸਰਕਾਰਾਂ ਆਪਣੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਮੁਕਰਰ ਕਰਨ ਲਈ ਛੇਤੀ ਹੀ ਆਪਣੇ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨਗੀਆਂ ।

ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ (Treaty of Bhairowal)

ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਨਾਲ 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਸੰਧੀ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਸੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਅੱਗੇ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਨ-

  1. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਿਭਾਗਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰੇਗੀ ।
  2. ਜਦ ਤਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨਾਬਾਲਿਗ ਰਹੇਗਾ ਰਾਜ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅੱਠ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਕੌਂਸਲ ਆਫ਼ ਰੀਜੈਂਸੀ ਦੁਆਰਾ ਚਲਾਇਆ ਜਾਏਗਾ ।
  3. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ-ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਇਹ ਫੈਸਲਾ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ 1 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਮਿਲੇਗੀ ।
  4. ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਰਹੇਗੀ !
  5. ਜੇ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝੇ ਤਾਂ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਿਕ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕਿਲ੍ਹੇ ਜਾਂ ਸੈਨਿਕ ਛਾਉਣੀ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਸਕਣਗੇ ।
  6. ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਦੇ ਖ਼ਰਚ ਲਈ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ 22 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਵੇਗਾ ।
  7. ਇਸ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਦੇ ਬਾਲਿਗ ਹੋਣ ਤਕ ਅਰਥਾਤ 4 ਸਤੰਬਰ, 1854 ਈ. ਤਕ ਲਾਗੂ ਰਹਿਣਗੀਆਂ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਲੇਖਕ ਡਾਕਟਰ ਜੀ. ਐੱਸ. ਛਾਬੜਾ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ,
    “ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਦੀ ਘੰਟੀ ਵਜਾ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਇਸ ਸੰਧੀ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਅਸਲ ਸ਼ਾਸਕ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ।” 1

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨਾਂ ਦੇ ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief description of the main causes of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਕਾਰਨਾਂ ਬਾਰੇ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Describe the three main causes of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Briefly describe the three causes of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਕਾਰਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Discuss the causes responsible for the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਘੇਰਾ ਪਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।
  2. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਸਥਿਰਤਾ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ ।
  3. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਆਪਣੀ ਬਦਨਾਮੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  4. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨੇਤਾ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਵਾ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  5. 1844 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਨੇ ਬਲਦੀ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ‘ ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on the battle of Mudki.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈ 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਮੁਦਕੀ ਵਿਖੇ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਹਰਾ ਦੇਣਗੇ, ਪਰ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹਫੜਾ-ਦਫੜੀ ਫੈਲ ਗਈ । ਇਹ ਵੇਖ ਕੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੁਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the battle of Ferozshah or Pherushahar ?)
ਉੱਤਰ-
-ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੁਸ਼ਹਿਰ ਨਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਇੱਕ ਜ਼ਬਰਦਸਤ ਲੜਾਈ ਹੋਈ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼, ਜਾਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਵਰਗੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ | ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਵਰਗੇ ਗੱਦਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਅੰਤ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਹੋਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on the battle of Sobraon.)
ਉੱਤਰ-
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੜੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਿਮ ਲੜਾਈ ਸੀ । ਇਹ ਲੜਾਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫੌਜ਼ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ | ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ ਦੰਦ ਖੱਟੇ ਕੀਤੇ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਸੰਬੰਧੀ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the Treaty of Lahore ?)
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਕਾਰ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਹੋਈ । ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਇਹ ਸਨ-

  1. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ।
  2. ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਾਰੇ ਇਲਾਕੇ ਅਤੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ।
  3. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ।
  4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਸੰਬੰਧੀ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the Treaty of Bhairowal ?)
ਜਾਂ
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on the Treaty of Bhairowal.)
ਜਾਂ
ਭੈਰੋਵਾਲ ਸੰਧੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤਾਂ ਲਿਖੋ । (Write the main clauses of the Treaty of Bhairowal.)
ਉੱਤਰ-
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚਾਲੇ 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਇੱਕ ਅੱਠ ਮੈਂਬਰੀ ਕੌਂਸਲ ਬਣਾਈ ਗਈ । ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਸਨ ਵਿਵਸਥਾ ਤੋਂ ਅਲੱਗ ਕਰਕੇ ਉਸ ਦੀ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਨਿਸਚਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਅਤੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਇੱਕ ਬਿਟਿਸ਼ ਸੈਨਾ ਰੱਖਣ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਰਾਹੀਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਸ਼ਕਤੀਹੀਨ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ।

ਪਸ਼ਨ 7.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study in brief the results of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give in brief the results of First Anglo-Sikh War.)
ਜਾਂ
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ ? (What were the results of the First Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਛੱਡਣਾ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  2. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਹਰਜਾਨੇ ਵਜੋਂ 1.50 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ।
  3. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ, ਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਤੇ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸਵੀਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ।
  4. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਿਭਾਗਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰੇਗੀ ।
  5. ਮਹਾਰਾਣੀ ਜਿੰਦਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ-ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ 1 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਸਾਲਾਨਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Sham Singh Attariwala.)
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇੱਕ ਅਣਖੀਲੇ ਯੋਧੇ ਸਨ । 18 ਵਰਿਆਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਵੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਭਰਤੀ ਹੋ ਗਏ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਵੀ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਜੋ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ ਅਚਾਨਕ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਨੱਸ । ਤੁਰੇ । ਅਜਿਹੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਅੱਗੇ ਆਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਲਲਕਾਰਿਆ ਤੇ ਕਿਹਾ, “ਜਿੱਤੋ ਜਾਂ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਜਾਓ” ਅੰਤ ਉਹ ਲੜਦੇ-ਲੜਦੇ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪਾ ਗਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਪਿੱਛੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ? (Why the British did not annex the Punjab to their empire after the First Anglo-Sikh War ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਇਸ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਤਾਂ ਇਹ ਸੈਨਿਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਸਿਰਦਰਦੀ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਬਣ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  2. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਮੱਧਵਰਤੀ ਰਾਜ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਰਹੇ ।
  3. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਹੇਠ ਰੱਖਣ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ ਪੈਣਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਖ਼ਰਚੇ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਹੋ ਜਾਣਾ ਸੀ ।
  4. ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਸੀ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਪ੍ਰਾਂਤ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਿੱਧ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ।
  5. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਬਜਾਏ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਸੋਮਾ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ । (Mention five causes of the Sikhs’ defeat in the First Anglo-Sikh War.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਪਹਿਲੇ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਸੀ ।
  2. ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਜਿਹੜੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਅਫ਼ਸਰ ਭਰਤੀ ਕੀਤੇ ਹੋਏ ਸਨ ਉਹ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭੇਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦਿੰਦੇ ਸਨ ।
  3. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੁਨੀਆਂ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਤਾਕਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ ।
  4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਾਧਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਨ ।
  5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਬੜਾ ਤਜਰਬਾ ਸੀ ।

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ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one Word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਕਿਸ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਕਦੋਂ ਤਕ ਰਾਜ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
1843 ਈ. ਤੋਂ 1849 ਈ. ਤਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਹਿਲੇ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ।

ਪਸ਼ਨ 4.
ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸੈਨਾਪਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ?
ਜਾਂ
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪਹਿਲਾ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਜਾਂ
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1845-46 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ !.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਕੋਈ ਇੱਕ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਉਂ ਘੇਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
8 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੁਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਨੇਤਾ ਬਹਾਦਰੀ ਨਾਲ ਲੜਦਾ ਹੋਇਆ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 22 ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ : ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਟੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਿਹੜੀ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪਹਿਲਾ ਯੁੱਧ ਕਿਹੜੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
9 ਮਾਰਚ , 1846 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
16 ਦਸੰਬਰ , 1846 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਦੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਸ਼ਰਤ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਵਿਭਾਗਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਇੱਕ ਬਿਟਿਸ਼ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਟ ਕਰੇਗਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਕਿਸ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਨੇਤਾ ਗੱਦਾਰ ਸਨ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ –

1. 1839 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ………………………… ਬਣਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਖੜਕ ਸਿੰਘ)

2. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ……………………… ਵਿੱਚ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
(1843 ਈ.)

3. ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ………………………. ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(1845-46 ਈ.)

4. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ …………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ)

5. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਸੈਨਾਪਤੀ ……………………. ਸੀ
ਉੱਤਰ-
(ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ)

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6. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਲ ਸਿੰਘ)

7. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਸਰਵ-ਉੱਚ ਕਮਾਂਡਰ ……………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗ਼ਫ)

8. ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ……………………. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.)

9. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ………………………… ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.)

10. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ …………………….. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ.)

11. ਪਹਿਲੇ ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦਾ ਅੰਤ …………………….. ਦੀ ਲੜਾਈ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸਭਰਾਉਂ)

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12. ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ……………………. ਦੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਹੌਰ)

13. ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ …………………….. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ.)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ 1947 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

2. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

3. ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਐਲਨਬਰੋ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗਵਰਨਰ ਜਨਰਲ ਬਣਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

4. ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨ-ਚੀਫ਼ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

5. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਸੈਨਾਪਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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6. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

7. ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

8. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

9. ਅਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਜਨਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

10. ਅਲੀਵਾਲ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੈਰੀ ਸਮਿਥ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

11. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

12. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਜੇਤੂ ਰਹੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

13. ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

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14. ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪਹਿਲੇ ਜਾਂ ਦੂਜੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਖੜਕ ਸਿੰਘ
(iv) ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
ਉੱਤਰ-
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ
(ii) ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ
(iii) ਲਾਰਡ ਰਿਪਨ
(iv) ਲਾਰਡ ਡਫ਼ਰਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਹਿਲਾ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਕਦੋਂ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ?
(i) 183940 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1841-42 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 184344 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1845-46 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1845-46 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਲਾਹੌਰ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਅਹੁੱਦੇ ‘ਤੇ ਸੀ ?
(i) ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ
(ii) ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ
(iii) ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ
(iv) ਦੀਵਾਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਸੈਨਾਪਤੀ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ
(iii) ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ
(iv) ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਕਦੋਂ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ ?
(i) 1842 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1843 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1844 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1845 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗਵਰਨਰ ਜਨਰਲ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ?
(i) 1848 ਈ.
(ii) 1849 ਈ.
(iii) 1865 ਈ.
(iv) 1845 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1845 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਹਿਲੇ ਜਾਂ ਦੂਸਰੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਕਮਾਂਡਰ-ਇਨ-ਚੀਫ਼ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਲਾਰਡ ਹਿਊ ਗਫ਼
(ii) ਲਾਰਡ ਡਫ਼ਰਨ
(iii) ਮੇਜਰ ਬਰਾਡਫੁਟ
(iv) ਰਾਬਰਟ ਕਸਟ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਲਾਰਡ ਹਿਊ ਗਫ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮੁਦਕੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 12 ਦਸੰਬਰ, 1844 ਈ.
(ii) 12 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(iii) 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(iv) 18 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 18 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(ii) 19 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(iii) 20 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(iv) 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ.
(ii) 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ.
(iii) 15 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ.
(iv) 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1847 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪਹਿਲਾ ਯੁੱਧ ਕਿਹੜੀ ਸੰਧੀ ਨਾਲ ਸਮਾਪਤ ਹੋਇਆ ?
(i) ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ
(ii) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸੰਧੀ
(iii) ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ
(iv) ਤੈ-ਪੱਖੀ ਸੰਧੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਲਾਹੌਰ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1845 ਈ.
(ii) 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ.
(iii) 7 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ.
(iv) 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਦੇ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਕਿਸ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ?
(i) ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(ii) ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(iii) ਹੀਰਾ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(iv) ਹਰੀ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਭੈਰੋਵਾਲ ਦੀ ਸੰਧੀ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) 9 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ.
(ii) 11 ਮਾਰਚ, 1846 ਈ.
(iii) 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ.
(iv) 26 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 16 ਦਸੰਬਰ, 1846 ਈ. ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. 1842 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਾਰਡ ਆਕਲੈਂਡ ਦੀ ਥਾਂ ਲਾਰਡ ਐਲਨਬਰੋ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਵਾਂ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਲਾਰਡ ਐਲਨਬਰੋ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੀ ਹਾਰ ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਹੋਈ ਬਦਨਾਮੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਸਿੰਧ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਇਹ ਇਲਾਕਾ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀ । ਸਿੰਧ ਦੇ ਅਮੀਰ ਭਾਵੇਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪੱਕੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਸਨ, ਪਰ ਐਲਨਬਰੋ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ‘ਤੇ ਝੂਠੇ ਇਲਜ਼ਾਮ ਲਗਾ ਕੇ ਸਿੰਧ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਾਈ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖ ਸਿੰਧ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਕੁੜੱਤਣ ਹੋਰ ਵੱਧ ਗਈ ।

1. ਲਾਰਡ ਐਲਨਬਰੋ ਕੌਣ ਸੀ?
2. ਲਾਰਡ ਐਲਨਬਰੋ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਕਦੋਂ ਬਣਿਆ ?
(i) 1812 ਈ.
(ii) 1822 ਈ.
(iii) 1832 ਈ.
(iv) 1842 ਈ. ।
3. ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਿਉਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ?
4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਕਦੋਂ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ?
5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿੰਧ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ੇ ਦਾ ਕੀ ਸਿੱਟਾ ਨਿਕਲਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਲਾਰਡ ਐਲਨਬਰੋ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਸੀ ।
2. 1842 ਈ. ।
3. ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੰਧ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀ ।
4. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਿੰਧ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ ।
5. ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿੰਧ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ੇ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਵਿੱਚ ਤਨਾਅ ਆ ਗਿਆ ।

2. ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੂਸਰੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਲੜਾਈ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਜਾਂ ਫੇਰੂ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ । ਇਹ ਸਥਾਨ ਮੁਦਕੀ ਤੋਂ 10 ਮੀਲ ਦੇ ਫਾਸਲੇ ‘ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਇਸ ਲੜਾਈ ਲਈ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤਿਆਰ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ, ਅੰਬਾਲਾ ਅਤੇ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੂੰ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਬੁਲਾ ਲਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 17,000 ਸੀ । ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਬੜੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਅਤੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਸੈਨਾਪਤੀ ਹਿਊਗ ਗਫ਼, ਜਾਂਨ ਲਿਟਲਰ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 25,000 ਤੋਂ 30,000 ਦੇ ਲਗਭਗ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ

ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਪੂਰਾ ਯਕੀਨ ਸੀ ਕਿ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਦੀ ਗੱਦਾਰੀ ਕਾਰਨ ਉਹ ਇਸ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਜਿੱਤ ਲੈਣਗੇ । ਪਰ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਅਜਿਹੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਵਾਏ ਕਿ ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਡਾਵਾਂਡੋਲ ਹੁੰਦਾ ਨਜ਼ਰ ਆਇਆ ।

1. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
2. ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਕੌਣ ਸੀ?
3. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਿਸਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
4. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ …………………….. ਸੀ ।
5. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ 21 ਦਸੰਬਰ, 1845 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
2. ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੈਨਾਪਤੀ ਸੀ ।
3. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
4. 17,000.
5. ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।

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3. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਦੀ ਅੰਤਲੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ।ਇਹ ਲੜਾਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 30,000 ਸਿੱਖ ਸੈਨਿਕ ਸਭਰਾਉਂ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਮੋਰਚੇ ਤਿਆਰ ਕਰਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਸਨ । ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਜੋ ਕਿ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ ਮਿੰਟ-ਮਿੰਟ ਦੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪਹੁੰਚਾ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਵੀ ਚੰਗੀ ਤਿਆਰੀ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਕੁੱਲ ਗਿਣਤੀ 15,000 ਸੀ । ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼ ਅਤੇ ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ਇਸ ਸੈਨਾ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਜਵਾਬੀ ਕਾਰਵਾਈ ਕਾਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਪਿੱਛੇ ਹਟਣਾ ਪਿਆ | ਐਨ ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਬਣਾਈ ਯੋਜਨਾ ਅਨੁਸਾਰ ਪਹਿਲਾਂ ਲਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਫਿਰ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਮੈਦਾਨੋਂ ਨੱਸ ਤੁਰੇ ਤੇਜਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਨੱਸਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬਾਰਦ ਨਾਲ ਭਰੀਆਂ ਬੇੜੀਆਂ ਡੁਬੋ ਦਿੱਤੀਆਂ ਅਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਬੇੜੀਆਂ ਦੇ ਬਣੇ ਪੁਲ ਨੂੰ ਵੀ ਤੋੜ ਦਿੱਤਾ ।

1. ਪਹਿਲੇ ਐਂਗਲੋ-ਸਿੱਖ ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਕਿਹੜੀ ਲੜਾਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਅੰਤਲੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ?
2. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
3. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ …………………….. ਅਤੇ …………………….. ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
4. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ?
5. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਸਿੱਖ ਆਗੂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇ ਜੌਹਰ ਵਿਖਾਏ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪਹਿਲੇ-ਐਂਗਲੋ ਸਿੱਖ-ਯੁੱਧ ਸਮੇਂ ਲੜੀ ਗਈ ਅੰਤਲੀ ਲੜਾਈ ਸੀ ।
2. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ 10 ਫ਼ਰਵਰੀ, 1846 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ਸੀ ।
3. ਲਾਰਡ ਹਿਊਗ ਗਫ਼, ਲਾਰਡ ਹਾਰਡਿੰਗ ।
4. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ।
5. ਸਭਰਾਉਂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਸਰਦਾਰ ਸ਼ਾਮ ਸਿੰਘ ਅਟਾਰੀਵਾਲਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਬਹਾਦਰੀ ਦੇ ਜੌਹਰ ਵਿਖਾਏ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਵਰਣਨ ਕਰੋਗੇ ? (How do you describe about Maharaja Ranjit Singh as a man ?)
ਜਾਂ
ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Ranjit Singh as a Man ?)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਬਾਰੇ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write about the character and personality of Maharaja Ranjit Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਭਾਵੇਂ ਅਨਪੜ੍ਹ ਸੀ ਪਰ ਉਹ ਬੜੀ ਤੀਖਣ ਬੁੱਧੀ ਦੇ ਮਾਲਕ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਜ਼ਬਾਨੀ ਯਾਦ ਸੀ ।ਉਹ ਜਿਸ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਾਰ ਵੇਖ ਲੈਂਦੇ ਸਨ ਉਸ ਨੂੰ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਮਗਰੋਂ ਵੀ ਪਛਾਣ ਲੈਂਦੇ ਸਨ ! ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਬੜਾ ਦਿਆਲੂ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਪਰਜਾ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨਾਲ ਕਦੇ ਵੀ ਜ਼ਾਲਮਾਨਾ ਵਰਤਾਓ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਕਦੇ ਵੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅਪਰਾਧੀ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਸੀ ।

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਸੱਚੇ ਸੇਵਕ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦੇ ਸਨ ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ ਅਤੇ ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ ਨਾਂ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਦਾਨ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਵੱਲ ਵਤੀਰਾ ਬੜਾ ਸਤਿਕਾਰ ਭਰਿਆ ਸੀ । ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਬਰਾਬਰੀ ਵਾਲਾ ਸਲੂਕ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਰਸਮਾਂ-ਰਿਵਾਜਾਂ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੀ | ਮਹਾਰਾਜਾ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਦਾਨ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਛੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਕੀ ਸਨ ? (What were the six features of Maharaja Ranjit Singh as a Man ?)
ਉੱਤਰ-

  • ਸ਼ਕਲ ਸੂਰਤ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਸੂਰਤ ਬਹੁਤੀ ਖਿੱਚ ਭਰਪੂਰ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਕੱਦ ਦਰਮਿਆਨਾ ਅਤੇ ਜਿਸਮ ਪਤਲਾ ਸੀ | ਬਚਪਨ ਵਿੱਚ ਚੇਚਕ ਨਿਕਲ ਆਉਣ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅੱਖ ਵੀ ਮਾਰੀ ਗਈ ਸੀ । ਪਰ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੇ ਵਿਅਕਤਿੱਤਵ ਵਿੱਚ ਇੰਨੀ ਖਿੱਚ ਸੀ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਵਿਅਕਤੀ ਉਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਬਿਨਾਂ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦਾ ਸੀ ।
  • ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬੜਾ ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਸਵੇਰ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਰਾਜ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਰੁੱਝਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਰਾਜ ਦੇ ਵੱਡੇ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਕੰਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਛੋਟੇ ਤੋਂ ਛੋਟੇ ਕੰਮ ਵੱਲ ਨਿੱਜੀ ਧਿਆਨ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ।
  • ਸਾਹਸੀ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਾਹਸੀ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰ ਵਿਅਕਤੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੂੰ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਯੁੱਧਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਣ, ਸ਼ਿਕਾਰ ਖੇਡਣ, ਤਲਵਾਰ ਚਲਾਉਣ ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰੀ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ੌਕ ਸੀ । ਉਹ ਖ਼ਤਰਨਾਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵੀ ਬਿਲਕੁਲ ਘਬਰਾਉਂਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਅਤੇ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਹੋ ਕੇ ਲੜਦਾ ਸੀ ।
  • ਦਿਆਲੂ ਸੁਭਾਅ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਦਿਆਲਤਾ ਕਾਰਨ ਪਰਜਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੇ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਕਦੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨਾਲ ਜ਼ਾਲਮਾਨਾ ਵਰਤਾਓ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਉਹ ਗ਼ਰੀਬਾਂ, ਦੁਖੀਆਂ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ ।
  • ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਪੈਰੋਕਾਰ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ‘ਤੇ ਅਟੱਲ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਘਰ ਦਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਦਾ ‘ਕੂਕਰ’ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ‘ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਅਤੇ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ‘ਦਰਬਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਜੀ’ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।
  • ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਸਰਪ੍ਰਸਤ – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪ ਭਾਵੇਂ ਅਨਪੜ੍ਹ ਸੀ ਪਰ ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਸਕੂਲ ਖੋਲੇ । ਆਪ ਨੇ ਫ਼ਾਰਸੀ, ਅਰਬੀ, ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਗੁਰਮੁਖੀ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਅਨੁਦਾਨ ਅਤੇ ਜਾਗੀਰਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਦਿਆਲੂ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ । ਕਿਵੇਂ ? (Maharaja Ranjit Singh was a kind ruler. How ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਦਿਆਲਤਾ ਕਾਰਨ ਪਰਜਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੇ ਸਨ । ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਿਸਲਦਾਰਾਂ, ਰਾਜਪੂਤ ਰਾਜਿਆਂ, . ਪਠਾਣ ਹਾਕਮਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨ ਬਾਦਸ਼ਾਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਕਰਕੇ ਜਿੱਤਿਆ । ਕਮਾਲ ਦੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਕਦੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨਾਲ ਜ਼ਾਲਮਾਨਾ ਵਰਤਾਓ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਕਾਬਲ ਤੇ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਜੋ ਤਾਜਾਂ ਦੇ ਮਾਲਕ ਬਣਦੇ ਰਹੇ, ਨਾ ਕੇਵਲ ਆਪਣੇ ਨਜ਼ਦੀਕੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਅਤੇ ਦਾਅਵੇਦਾਰਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਨਾਲ ਖੇਡਦੇ ਰਹੇ ਸਗੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਰਸਾਂ ਨੂੰ ਗਲੀ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਭੀਖ ਮੰਗਿਆਂ ਦੀ ਹਾਲਤ ਵਿੱਚ ਦਰ-ਬ-ਦਰ ਰੁਲਣ ਲਈ ਛੱਡਦੇ ਰਹੇ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਇਸ ਸ਼ਾਸਕ ਨੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੂੰ ਮੈਦਾਨੇ ਜੰਗ ਵਿੱਚ ਹਰਾਇਆ ਨਾ ਕੇਵਲ ਗਲਵੱਕੜੀ ਲਾਇਆ ਸਗੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਔਲਾਦ ਨੂੰ ਵੀ ਜਾਗੀਰਾਂ ਤੇ ਖਿਲਅਤਾਂ ਨਾਲ ਨਿਵਾਜਿਆ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅਪਰਾਧੀ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਉਹ ਗ਼ਰੀਬਾਂ, ਦੁਖੀਆਂ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਦਿਆਲਤਾ ਦੀਆਂ ਕਈ ਕਹਾਣੀਆਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਪੈਰੋਕਾਰ ਸੀ । ਆਪਣੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (Maharaja Ranjit Singh was a devoted follower of Sikhism. Give arguments in your favour.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ‘ਤੇ ਅਟੱਲ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦਾ ਸੀ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਇੱਕ ਕਲਗੀ ਆਪਣੇ ਤੋਸ਼ੇਖ਼ਾਨੇ ਵਿੱਚ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਸੀ ਜਿਸ ਦੀ ਛੋਹ ਨੂੰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਲਈ ਬੜਾ ਵਡਭਾਗਾ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਸੱਚੇ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਦੀ ਮਿਹਰ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਿੱਤਾਂ ਲਈ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਉਹ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਜਾ ਕੇ ਭਾਰੀ ਚੜ੍ਹਾਵਾ ਚੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਘਰ ਦਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ‘ਕੂਕਰ’ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ‘ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।

ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਖਵਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ‘ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ’ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਕਿਆਂ ‘ਤੇ ‘ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ’ ਅਤੇ ‘ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ’ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਉੱਤੇ ‘ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਸੈਨਾ ਵਿੱਚ “ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖ਼ਾਲਸਾ ਅਤੇ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਹਿ’ ਦਾ ਜੈਕਾਰਾ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਸਰਕਾਰੀ ਕਾਰਜ ਲਈ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਹੁੰ ਚੁਕਾਈ ਜਾਂਦੀ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਇਮਾਰਤਾਂ ਬਣਵਾਈਆਂ ਅਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਵੱਡੀਆਂ-ਵੱਡੀਆਂ ਜਾਗੀਰਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ । ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਉਹ ਤਨੋ ਮਨੋ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਸੱਚੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਧਰਮ-ਨਿਰਪੇਖ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ । ਕਿਵੇਂ ? (Maharaja Ranjit Singh was a secular ruler. How ?)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਵੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਪੱਕਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੂੰ ਸਤਿਕਾਰ ਭਰੀ ਨਜ਼ਰ ਨਾਲ ਵੇਖਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਧਾਰਮਿਕ ਪੱਖਪਾਤ ਅਤੇ ਫਿਰਕੂਪੁਣੇ ਤੋਂ ਕੋਹਾਂ ਦੂਰ ਸੀ । ਉਹ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਸੀ ਕਿ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਅਤੇ ਚਿਰਸਥਾਈ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਲਈ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਨੌਕਰੀਆਂ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਉੱਚ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਸਲਮਾਨ, ਡੋਗਰੇ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਸ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ਫਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼ਉੱਦੀਨ ਮੁਸਲਮਾਨ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਡੋਗਰਾ, ਵਿੱਤ ਮੰਤਰੀ ਦੀਵਾਨ ਭਵਾਨੀਦਾਸ ਅਤੇ ਸੈਨਾਪਤੀ ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ਹਿੰਦੂ ਸਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਨਰਲ ਵੈਂਤੂਰਾ, ਕੋਰਟ, ਗਾਰਡਨਰ ਆਦਿ ਯੂਰਪੀਅਨ ਸਨ । ਦਾਨ ਦੇਣ ਦੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਕਿਸੇ ਧਰਮ ਦੇ ਨਾਲ ਕੋਈ ਵਿਤਕਰਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਮੰਦਰਾਂ ਅਤੇ ਮੁਸਲਿਮ ਮਸੀਤਾਂ ਅਤੇ ਮਕਬਰਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਧਨ ਦਿੱਤਾ ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਰਸਮਾਂ-ਰਿਵਾਜਾਂ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਲੇਖ ਕਰੋ । (Describe Maharaja Ranjit Singh as an administrator.)
ਜਾਂ
ਇੱਕ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Maharaja Ranjit Singh as an administrator ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਕਈ ਯੋਗ ਅਤੇ ਈਮਾਨਦਾਰ ਮੰਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਚਾਰ ਵੱਡੇ ਸੂਬਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟੀ ਇਕਾਈ ਮੌਜਾ ਜਾਂ ਪਿੰਡ ਸੀ ।ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਕਦੇ ਦਖ਼ਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਪਰਜਾ ਦੇ ਹਿੱਤਾਂ ਨੂੰ ਕਦੇ ਅੱਖੋਂ ਉਹਲੇ ਨਹੀਂ ਹੋਣ ਦਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਰਾਜ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਇਹ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਯਤਨ ਕਰਨ । ਪਰਜਾ ਦੀ ਹਾਲਤ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਕਸਰ ਭੇਸ ਬਦਲ ਕੇ ਰਾਜ ਦਾ ਦੌਰਾ ਕਰਿਆ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਜ਼ਾਵਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ । ਕਿਸਾਨਾਂ ਅਤੇ ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ ਵੱਲੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪਰਜਾ ਬੜੀ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
“ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜਰਨੈਲ ਅਤੇ ਜੇਤੂ ਸੀ ।” ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Maharaja Ranjit Singh was a great general and conqueror.” Explain.)
ਜਾਂ
“ਇੱਕ ਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਜਰਨੈਲ” ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Ranjit Singh as a Soldier and a General ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜਰਨੈਲ ਸੀ । ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਜਿੰਨੀਆਂ ਵੀ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜੀਆਂ, ਉਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਨਹੀਂ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ । ਉਹ ਭਾਰੀ ਤੋਂ ਭਾਰੀ ਔਕੜ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਵੀ ਕਦੇ ਘਬਰਾਉਂਦੇ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਆਪਣੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੀ ਭਲਾਈ ਦਾ ਪੂਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦਾ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ ਵੀ ਮਹਾਰਾਜੇ ਲਈ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਮਹਾਨ ਜਰਨੈਲ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜੇਤੁ ਵੀ ਸੀ । 1797 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸ਼ੁਕਰਚੱਕੀਆ ਮਿਸਲ ਦੀ ਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਅਧੀਨ ਬਹੁਤ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਇਲਾਕਾ ਸੀ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਸਦਕਾ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ।

ਲਾਹੌਰ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਕਸੂਰ, ਸਿਆਲਕੋਟ, ਕਾਂਗੜਾ, ਗੁਜਰਾਤ, ਜੰਮੂ, ਅਟਕ, ਮੁਲਤਾਨ, ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਵਰਗੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਇਲਾਕਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕਈ ਭਿਆਨਕ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜਨੀਆਂ ਪਈਆਂ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦਾ ਸਾਮਰਾਜ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਲੱਦਾਖ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ਤਕ ਅਤੇ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ “ਸ਼ੇਰੇ ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why is Maharaja Ranjit Singh called Sher-i-Punjab ?)
ਜਾਂ
ਤੁਸੀਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਸਥਾਨ ਦਿਉਗੇ ? ਉਸ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰੇ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (What place would you assign in history to Ranjit Singh ? Why is he called Sher-iPunjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਭਾਰਤ ਬਲਿਕ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮਹਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ, ਮਰਾਠਾ ਸ਼ਾਸਕ ਸ਼ਿਵਾਜੀ, ਮਿਸਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਮਹਿਮਤ ਅਲੀ ਅਤੇ ਫ਼ਰਾਂਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨੈਪੋਲੀਅਨ ਆਦਿ ਨਾਲ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਨਿਰਪੱਖ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਤੋਂ ਕਿਤੇ ਵੱਧ ਸਨ । ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠਾ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਸਿਰਫ਼ ਨਾਂ ਦਾ ਰਾਜ ਸੀ ! ਪਰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਇਸ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਸੁਪਨੇ ਨੂੰ ਸਾਕਾਰ ਕੀਤਾ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਬਹੁਤ ਹੀ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਪਰਜਾ ਦੇ ਦੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਨੌਕਰੀਆਂ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਲਸਮਾਨ, ਯੂਰੋਪੀਅਨ ਆਦਿ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਉੱਚੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਅਪਣਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸੂਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਨਿਆ । ਉਹ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਦਾਨੀ ਵੀ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਵਿਸਥਾਰ ਲਈ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਵੀ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਦਾ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਭ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅੱਜ ਵੀ ਲੋਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ‘ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਗੌਰਵਮਈ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਚਰਿੱਤਰ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ haracter and Personality of Maharaja Ranjit Singh)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain in detail the character and personality of Maharaja Ranjit Singh.)
ਜਾਂ
ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe Ranjit Singh as a man.)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Give a character estimate of Maharaja Ranjit Singh.)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ, ਇੱਕ ਜਰਨੈਲ, ਇੱਕ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ ਅਤੇ ਇੱਕ ਰਾਜਨੀਤੀਵਾਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ , ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Discuss Maharaja Ranjit Singh as a man, a general, a ruler and a diplomat.)
ਜਾਂ
ਤੁਸੀਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਥਾਂ ਦਿਉਗੇ ? ਉਸ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (What place would you assign to Ranjit Singh in the history ? Why is he called Sher-i-Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਗੋਂ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮਹਾਨ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਬਹੁਪੱਖੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਮਾਲਕ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਠੀਕ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸ਼ੇਰੇ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

(ਉ) ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ (As a Man)

1. ਸ਼ਕਲ ਸੂਰਤ (Appearance) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਸੂਰਤ ਬਹੁਤੀ ਖਿੱਚ ਭਰਪੂਰ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਕੱਦ ਦਰਮਿਆਨਾ ਅਤੇ ਜਿਸਮ ਪਤਲਾ ਸੀ । ਬਚਪਨ ਵਿੱਚ ਚੇਚਕ ਨਿਕਲ ਆਉਣ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅੱਖ ਵੀ ਮਾਰੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਵਿੱਚ ਇੰਨੀ ਖਿੱਚ ਸੀ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਵਿਅਕਤੀ ਉਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਬਿਨਾਂ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਕਿਸਮ ਦਾ ਤੇਜ ਅਤੇ ਜਲਾਲ ਟਪਕਦਾ ਸੀ ।

2. ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ (Hardworking and Active) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬੜਾ ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਸੀ । ਉਹ ਇਸ ਗੱਲ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਦਾ ਸੀ ਕਿ ਵੱਡੇ ਆਦਮੀਆਂ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਮਿਹਨਤੀ ਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਸਵੇਰ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਰਾਜ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਰੁੱਝਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਰਾਜ ਦੇ ਵੱਡੇ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਕੰਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਛੋਟੇ ਤੋਂ ਛੋਟੇ ਕੰਮ ਵੱਲ ਨਿਜੀ ਧਿਆਨ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ।

3. ਸਾਹਸੀ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰ (Courageous and Brave) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਾਹਸੀ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰ ਵਿਅਕਤੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੂੰ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਯੁੱਧਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਣ, ਸ਼ਿਕਾਰ ਖੇਡਣ, ਤਲਵਾਰ ਚਲਾਉਣ ਅਤੇ ਘੋੜਸਵਾਰੀ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ੌਕ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਛੋਟੇ ਹੁੰਦਿਆਂ ਹੀ ਹਸ਼ਮਤ ਖ਼ਾਂ ਚੱਠਾ ਦਾ ਸਿਰ ਵੱਢ ਕੇ ਆਪਣੀ ਬਹਾਦਰੀ ਦਾ ਸਬੂਤ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਉਹ ਖ਼ਤਰਨਾਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵੀ ਬਿਲਕੁਲ ਘਬਰਾਉਂਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਅਤੇ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਹੋ ਕੇ ਲੜਦਾ ਸੀ ।

4. ਅਨਪੜ੍ਹ ਪਰ ਸਿਆਣਾ (Illiterate but Intelligent) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿੱਚ ਦਿਲਚਸਪੀ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਹ ਅਨਪੜ੍ਹ ਹੀ ਰਿਹਾ । ਅਨਪੜ੍ਹ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਉਹ ਬਹੁਤ ਤੀਖਣ ਬੁੱਧੀ ਅਤੇ ਅਦਭੁਤ ਯਾਦ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਮਾਲਕ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਜ਼ਬਾਨੀ ਯਾਦ ਸੀ । ਉਹ ਜਿਸ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਾਰ ਦੇਖ ਲੈਂਦੇ ਸਨ ਉਸ ਨੂੰ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਮਗਰੋਂ ਵੀ ਪਛਾਣ ਲੈਂਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਇੰਨੀ ਸੀ ਕਿ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਆਏ ਯਾਤਰੀ ਵੀ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਸਨ ।

5. ਦਿਆਲੂ ਸੁਭਾਅ (Kind Hearted) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਦਿਆਲਤਾ ਕਾਰਨ ਪਰਜਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੇ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਕਦੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨਾਲ ਜ਼ਾਲਮਾਨਾ ਵਰਤਾਓ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਇਸ ਸ਼ਾਸਕ ਨੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੂੰ ਮੈਦਾਨੇ ਜੰਗ ਵਿੱਚ ਹਰਾਇਆ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਕੇਵਲ ਗਲਵੱਕੜੀ ਲਾਇਆ ਸਗੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਔਲਾਦ ਨੂੰ ਵੀ ਜਾਗੀਰਾਂ ਤੇ ਖਿਲਅਤਾਂ ਨਾਲ ਨਿਵਾਜਿਆ । ਉਹ ਗ਼ਰੀਬਾਂ, ਦੁਖੀਆਂ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਦਿਆਲਤਾ ਦੀਆਂ ਕਈ ਕਹਾਣੀਆਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ । ਉੱਘੇ ਲੇਖਕ ਫ਼ਕੀਰ ਸੱਯਦੇ ਵਹੀਦਉੱਦੀਨ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਲੋਕ ਦਿਲਾਂ ਵਿੱਚ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀ ਤਸਵੀਰ ਇੱਕ ਜੇਤੂ ਨਾਇਕ ਜਾਂ ਇੱਕ ਬਲਵਾਨ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਨਾਲੋਂ ਇੱਕ ਦਿਆਲੂ ਪਿਤਾਮਾ ਵਜੋਂ ਵਧੇਰੇ ਉਕਰਿਤ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ ਤਿੰਨੇ ਗੁਣ ਸਨ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਦਿਆਲਤਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਨ-ਸ਼ਾਨ ਤੇ ਰਾਜ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਪਿੱਛੇ ਛੱਡ ਆਈ ਹੈ ਅਤੇ ਅਜੇ ਤਕ ਜੀਵਿਤ ਹੈ ”1

6. ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਪੈਰੋਕਾਰ (A devoted follower of Sikhism) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ‘ਤੇ ਅਟੱਲ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਲਈ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਜਾ ਕੇ ਭਾਰੀ ਚੜ੍ਹਾਵਾ ਚੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਘਰ ਦਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਦਾ ‘ਕੂਕਰ’ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ‘ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਅਤੇ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਦਰਬਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਕਿਆਂ ‘ਤੇ ‘ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ’ ਅਤੇ ‘ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ’ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਉੱਤੇ ‘ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਇਮਾਰਤਾਂ ਬਣਵਾਈਆਂ । ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਗੁੰਬਦ ਉੱਤੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਕੰਮ ਕਰਵਾਇਆ । ਸੰਖੇਪ . ਵਿੱਚ ਉਹ ਤਨੋਂ-ਮਨੋਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਸੱਚੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਨ ।

7. ਸਹਿਣਸ਼ੀਲ (Tolerant) – ਭਾਵੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਪੰਥ ਦਾ ਪੱਕਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਦਾ ਪੂਰਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਧਾਰਮਿਕ ਪੱਖਪਾਤ ਅਤੇ ਫਿਰਕੂਪੁਣੇ ਤੋਂ ਕੋਹਾਂ ਦੂਰ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਉੱਚ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਸਲਮਾਨ, ਡੋਗਰੇ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਸ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ਫ਼ਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼ਉੱਦੀਨ ਮੁਸਲਮਾਨ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਡੋਗਰਾ ਅਤੇ ਸੈਨਾਪਤੀ ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ਹਿੰਦੂ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਰਸਮਾਂਰਿਵਾਜਾਂ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੀ । ਡਾਕਟਰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਜਾਂ ਮੱਧਕਾਲੀਨ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਸ਼ਾਸਕ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਬਰਾਬਰੀ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ।”

(ਅ) ਇੱਕ ਜਰਨੈਲ ਅਤੇ ਜੇਤੂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ (As a General and a Conqueror)

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮਹਾਨ ਜਰਨੈਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਜਿੰਨੀਆਂ ਵੀ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜੀਆਂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵਿੱਚ ਵੀ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਨਹੀਂ ਵੇਖਣਾ ਪਿਆ । ਉਹ ਵੱਡੀ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਔਕੜ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਵੀ ਕਦੇ ਘਬਰਾਉਂਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ 1823 ਈ. ਵਿੱਚ ਨੌਸ਼ਹਿਰਾ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਆਪਣੇ ਹੌਸਲੇਂ ਛੱਡ ਦਿੱਤੇ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੌੜ ਕੇ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਜੋਸ਼ ਭਰਿਆ ।

ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜੇਤੂ ਵੀ ਸੀ । 1797 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸ਼ੁਕਰਚੱਕੀਆ ਮਿਸਲ ਦੀ ਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਅਧੀਨ ਬਹੁਤ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਇਲਾਕਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਸਦਕਾ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਕਸੂਰ, ਸਿਆਲਕੋਟ, ਕਾਂਗੜਾ, ਗੁਜਰਾਤ, ਜੰਮੂ, ਅਟਕ, ਮੁਲਤਾਨ, ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਵਰਗੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦਾ ਸਾਮਰਾਜ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਲੱਦਾਖ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ਤਕ ਅਤੇ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾਕਟਰ ਗੰਡਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ‘‘ਉਹ (ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ) ਭਾਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਨਾਇਕਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ ।” 2

(ੲ) ਇੱਕ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ (As An Administrator)

ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਕ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਕਈ ਯੋਗ ਅਤੇ ਈਮਾਨਦਾਰ ਮੰਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਚਾਰ ਵੱਡੇ ਸਬਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟੀ ਇਕਾਈ ਮੌਜਾ ਜਾਂ ਪਿੰਡ ਸੀ । ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਪਰਜਾ ਦੀ ਹਾਲਤ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਕਸਰ ਭੇਸ ਬਦਲ ਕੇ ਰਾਜ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਹਿੱਸਿਆਂ ਦਾ ਦੌਰਾ ਕਰਿਆ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਕਿਸਾਨਾਂ ਅਤੇ ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ ਵੱਲੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪਰਜਾ ਬੜੀ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ ਸੀ ।

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਵੀ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਸੀ ਕਿ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਹੋਣਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਉਹ ਪਹਿਲਾ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ ਜਿਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੈਨਾ ਨੂੰ ਯੂਰਪੀਅਨ ਢੰਗ ਨਾਲ ਸਿਖਲਾਈ ਦੇਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ । ਉਸ ਨੇ ਪੈਦਲ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਤੋਪਖ਼ਾਨੇ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਦਿੱਤਾ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਨਿਜੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਆਪ ਫ਼ੌਜ ਦਾ ਨਿਰੀਖਣ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦਾ ਹੁਲੀਆ ਰੱਖਣ ਅਤੇ ਘੋੜੇ ਦਾਗਣ ਦਾ ਰਿਵਾਜ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ । ਸੈਨਿਕਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਰਾਜ ਵੱਲੋਂ ਪੂਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਡਾਕਟਰ ਐੱਚ. ਆਰ. ਗੁਪਤਾ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ, ‘‘ਉਹ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਚੰਗੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ ।’’1

(ਸ) ਇੱਕ ਰਾਜਨੀਤੀਵੇਤਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ (As a Diplomat)

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਸਫਲ ਰਾਜਨੀਤੀਵਾਨ ਸੀ । ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਮਿਸਲ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਕਮਜ਼ੋਰ ਮਿਸਲਾਂ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਧ ਗਈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਮਿਸਲਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਕਰ ਲਿਆ । ਉਹ ਜਿਹੜੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾਉਂਦਾ ਸੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁਜ਼ਾਰੇ ਲਈ ਜਾਗੀਰਾਂ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜੇ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ਸਨ | ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕੂਟਨੀਤੀ ਸਦਕਾ ਜਹਾਂਦਾਦ ਖ਼ਾਂ ਤੋਂ ਅਟਕ ਦਾ ਕਿਲਾ ਬਿਨਾਂ ਲੜੇ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ 1835 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦਾ ਸ਼ਾਸਕ ਦੋਸਤ ਮੁਹੰਮਦ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਆਇਆ ਤਾਂ ਮਹਾਂਰਾਜੇ ਨੇ ਅਜਿਹੀ ਚਾਲ ਚਲੀ ਕਿ ਉਹ ਬਿਨਾਂ ਲੜੇ ਹੀ ਲੜਾਈ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿੱਚੋਂ ਦੌੜ ਗਿਆ ।

1809 ਈ. ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਦਾ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦੀ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਡੂੰਘੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੂਝ ਅਤੇ ਦੂਰਦਰਸ਼ਤਾ ਦੀ ਨਿਸ਼ਾਨੀ ਸੀ । ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਸੰਬੰਧੀ ਨੀਤੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਨੇ ਡੂੰਘੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਦਾ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤਾ । ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਨਾ ਕਰਨਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸਿਆਣਪ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਸਬੂਤ ਸੀ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾਕਟਰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ‘‘ਕੂਟਨੀਤੀ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੂੰ ਹਰਾਉਣਾ ਕੋਈ ਆਸਾਨ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸੀ ।” 2

(ਹ) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਦਾ ਸਥਾਨ (His Place in the History of the Punjab)

ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾ ਸਿਰਫ ਭਾਰਤ ਬਲਕਿ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮਹਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ, ਮਰਾਠਾ ਸ਼ਾਸਕ ਸ਼ਿਵਾਜੀ, ਮਿਸਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਮਹਿਮਤ ਅਲੀ ਅਤੇ ਫ਼ਰਾਂਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨੈਪੋਲੀਅਨ ਆਦਿ ਨਾਲ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਨਿਰਪੱਖ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਤੋਂ ਕਿਤੇ ਵੱਧ ਸਨ । ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠਾ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਸਿਰਫ ਨਾਂ ਦਾ ਰਾਜ ਸੀ । ਪਰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਲਤਾ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਸੁਪਨੇ ਨੂੰ ਸਾਕਾਰ ਕੀਤਾ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਬਹੁਤ ਹੀ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਪਰਜਾ ਦੇ ਦੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਨੌਕਰੀਆਂ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ ।

ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਸਲਮਾਨ, ਯੂਰਪੀਅਨ ਆਦਿ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਉੱਚੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਅਪਣਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸੂਤਰ ਵਿੱਚ ਬੰਨ੍ਹਿਆ । ਉਹ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਦਾਨੀ ਵੀ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਵਿਸਥਾਰ ਲਈ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਵੀ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਦਾ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਭ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅੱਜ ਵੀ ਲੋਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਨ ।ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਗੌਰਵਮਈ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ ।
ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਡਾਕਟਰ ਐੱਚ. ਆਰ. ਗੁਪਤਾ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ,
“ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ, ਯੋਧਾ, ਜਰਨੈਲ, ਜੇਤੂ, ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ, ਹਾਕਮ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤੀਵੇਤਾ ਵਜੋਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਮਹਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ ।”

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਵਰਣਨ ਕਰੋਗੇ ? (How do you describe about Maharaja Ranjit Singh as a Man ?)
ਜਾਂ
ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Ranjit Singh as a Man ?)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਬਾਰੇ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write about the character and personality of Maharaja Ranjit Singh.)
ਜਾਂ
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਤੇ ਮੁੱਖ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੱਸੋ । (Mention the three characteristics of the character and personality of Maharaja Ranjit Singh.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਭਾਵੇਂ ਅਨਪੜ੍ਹ ਸੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਅਦੁੱਤੀ ਯਾਦ ਸ਼ਕਤੀ ਅਤੇ ਹੌਸਲੇ ਦਾ ਵਰਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਬੜਾ ਦਿਆਲੂ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਪਰਜਾ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਕਦੇ ਵੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅਪਰਾਧੀ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਧਰਮ ਦੇ ਸੱਚੇ ਸੇਵਕ ਸਨ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਵੱਲ ਵਤੀਰਾ ਬੜਾ ਸਤਿਕਾਰ ਭਰਿਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਦਿਆਲੂ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ । ਕਿਵੇਂ ? (Maharaja Ranjit Singh was a kind ruler. How ?)
ਉੱਤਰ-ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਦਿਆਲਤਾ ਕਾਰਨ ਪਰਜਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੇ ਸਨ । ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੂੰ ਮੈਦਾਨੇ ਜੰਗ ਵਿੱਚ ਹਰਾਇਆ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਾਗੀਰਾਂ ਤੇ ਖਿਲਅਤਾਂ ਨਾਲ ਨਿਵਾਜਿਆ । ਮਹਾਰਾਜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਕਾਲ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਕਿਸੇ ਵੀ ਅਪਰਾਧੀ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਉਹ ਗ਼ਰੀਬਾਂ, ਦੁਖੀਆਂ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਦਿਆਲਤਾ ਦੀਆਂ ਕਈ ਕਹਾਣੀਆਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਪੈਰੋਕਾਰ ਸੀ । ਆਪਣੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਦਲੀਲਾਂ ਦਿਓ । (Maharaja Ranjit Singh was a devoted follower of Sikhism. Give arguments in your favour.)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦਾ ਸੀ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਆਪਣੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਸੱਚੇ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਦੀ ਮਿਹਰ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਘਰ ਦਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ‘ਕੂਕਰ’ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ‘ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਅਖਵਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ‘ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਕਿਆਂ ‘ਤੇ ‘ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ’ ਅਤੇ ‘ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ’ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਬਣਵਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਧਰਮ-ਨਿਰਪੇਖ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ । ਕਿਵੇਂ ? (Maharaja Ranjit Singh was a secular ruler. How ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਭਾਵੇਂ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਪੱਕਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੂੰ ਸਤਿਕਾਰ ਭਰੀ ਨਜ਼ਰ ਨਾਲ ਵੇਖਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਨੌਕਰੀਆਂ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਉੱਚ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਸਲਮਾਨ, ਡੋਗਰੇ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਰਸਮਾਂ-ਰਿਵਾਜਾਂ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਲੇਖ ਕਰੋ । (Describe Maharaja Ranjit Singh as an administrator.)
ਜਾਂ
ਇਕ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Maharaja Ranjit Singh as an administrator ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾ ਕੇਵਲ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜੇਤੂ, ਸਗੋਂ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਵੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਯੋਗ ਅਤੇ ਇਮਾਨਦਾਰ ਮੰਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ | ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟੀ ਇਕਾਈ ਮੌਜਾ ਜਾਂ ਪਿੰਡ ਸੀ । ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਪਰਜਾ ਦੀ ਹਾਲਤ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਮਹਾਰਾਜਾ ਭੇਸ ਬਦਲ ਕੇ ਰਾਜ ਦਾ ਦੌਰਾ ਵੀ ਕਰਿਆ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਕਿਸਾਨਾਂ ਅਤੇ ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਨੂੰ ਰਾਜ ਵੱਲੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਵਿਸਤਾਰ ਲਈ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸੈਨਾ ਦਾ ਵੀ ਗਠਨ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
“ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਜਰਨੈਲ ਅਤੇ ਜੇਤੂ ਸੀ ।” ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Maharaja Ranjit Singh was a great general and conqueror.” Explain.)
ਜਾਂ
ਇੱਕ ਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਜਰਨੈਲ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Ranjit Singh as a Soldier and a General ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸੈਨਾਪਤੀ ਅਤੇ ਜੇਤੂ ਸੀ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਬਹਾਦਰੀ ਸਦਕਾ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਸਿਆਲਕੋਟ, ਗੁਜਰਾਤ, ਜੰਮੂ, ਮੁਲਤਾਨ, ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਵਰਗੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਸਨ | ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦਾ ਸਾਮਰਾਜ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਲੱਦਾਖ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਕਾਰਪੁਰ ਤਕ ਅਤੇ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਸਤਲੁਜ ਨਦੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why Maharaja Ranjit Singh is called Sher-i-Punjab ?)
ਜਾਂ
ਤੁਸੀਂ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਸਥਾਨ ਦਿਉਗੇ ? ਉਸ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (What place would you assign in History to Ranjit Singh ? Why is he called Sher-iPunjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਸਫਲ ਜੇਤੂ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਕੁਸ਼ਲ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਵੀ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਪਰਜਾ ਦੀ ਭਲਾਈ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਪਤੀ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਅਪਣਾਈ ਹੋਈ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਫ਼ੌਜ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਬਣਾਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਕਰਕੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾਈ ਰੱਖਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਗੁਣਾਂ ਕਾਰਨ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one Word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਬੜਾ ਦਿਆਲੂ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕਿਸ ਘੋੜੇ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲਗਾਉ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਲੈਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਪੈਰੋਕਾਰ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਹਿੰਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿ ਕੇ ਬੁਲਾਉਂਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
‘ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਕੁਕਰ’ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 21 ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਆਚਰਣ ਅਤੇ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ਕੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
‘ਦਰਬਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਜੀ’।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਇੱਕ ਗੈਰ-ਸਿੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫ਼ਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼-ਉੱਦ-ਦੀਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸੈਨਾ ਨਾਇਕ ਕਿਉਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਸਫਲ ਕੂਟਨੀਤੀਵਾਨ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਨਾ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਸਿਆਣਪ ਦਾ ਸਬੂਤ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਹੜੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਅਤੇ ਉੱਚ ਕੋਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਨੂੰ ਪਾਰਸ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਪਰਜਾ ਦਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦਾ ਸੀ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ –

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਸੂਰਤ ………………….. ਨਹੀਂ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਖਿੱਚ ਭਰਪੂਰ)

2. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ………………………. ਨਾਂ ਦੇ ਘੋੜੇ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲੈਲੀ)

3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ………………………. ਸਮਝਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਕੁਕਰ)

4. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ …………. ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ)

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5. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ……………………. ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦਰਬਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਜੀ)

6. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸ਼ਰਾਬ ਦੇ ਬਹੁਤ ……………………….. ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ਼ੌਕੀਨ)

7. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ …………………… ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬੜਾ ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

2. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲੈਲੀ ਨਾਂ ਦੇ ਘੋੜੇ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਕੁਕਰ ਸਮਝਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

4. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

5. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕੇਵਲ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

6. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸ਼ਰਾਬ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਨਫ਼ਰਤ ਕਰਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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7. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਮਹਾਨ ਜੇਤੂ ਸੀ ਸਗੋਂ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਵੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

8. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਲੋਕ ਸ਼ੇਰ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੱਕ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਸੀ ?
(i) ਉਹ ਬੜਾ ਮਿਹਨਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਸੀ
(ii) ਉਸ ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਬਹੁਤ ਦਿਆਲੂ ਸੀ
(iii) ਉਹ ਅਨਪੜ ਪਰ ਸਿਆਣਾ ਸੀ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਕਿਸ ਘੋੜੇ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਸੀ ?
(i) ਲੈਲੀ
(ii) ਸੈਲੀ
(iii) ਚੇਤਕ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਲੈਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿ ਕੇ ਬੁਲਾਉਂਦੇ ਸਨ ?
(i) ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਆਮ.
(ii) ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਸ
(iii) ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ
(iv) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ‘ਤੇ ਕਿਹੜੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ ?
(i) ਫ਼ਤਿਹ ਧਰਮ
(ii) ਅਕਾਲ ਸਹਾਏ
(iii) ਫ਼ਤਿਹ ਦਰਸ਼ਨ
(iv) ਨਾਨਕ ਸਹਾਏ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਅਕਾਲ ਸਹਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਤੇ ਕਿਹੜੇ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਸਨ ?
(i) ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ
(ii) ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ
(iii) ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ
(iv) ਤੇਗ਼ ਸਹਾਇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਿਦਵਾਨ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
(i) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੁਰੀ
(ii) ਫ਼ਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼-ਉੱਦ-ਦੀਨ
(iii) ਰਾਜਾ ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ
(iv) ਦੀਵਾਨ ਮੋਹਕਮ ਚੰਦ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੁਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਹੜੇ ਸ਼ਾਸਕ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰੇ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਯਾਦ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(ii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਦਲੀਪ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(iii) ਮਹਾਰਾਜਾ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਨੂੰ
(iv) ਮਹਾਰਾਜਾ ਖੜਕ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ‘ਤੇ ਅਟੱਲ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਇੱਕ ਕਲਗੀ ਆਪਣੇ ਤੋਸ਼ੇਖ਼ਾਨੇ ਵਿੱਚ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਸੀ ਜਿਸ ਦੀ ਛੋਹ ਨੂੰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਲਈ ਬੜਾ ਵਡਭਾਗਾ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਸੱਚੇ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਦੀ ਮਿਹਰ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਿੱਤਾਂ ਲਈ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਉਹ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਜਾ ਕੇ ਭਾਰੀ ਚੜ੍ਹਾਵਾ ਚੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਘਰ ਦਾ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ‘ਕੂਕਰ’ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ‘ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਅਤੇ ਦਰਬਾਰ ਨੂੰ ‘ਦਰਬਾਰ ਖ਼ਾਲਸਾ’ ਜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਖਵਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ‘ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ’ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਕਿਆਂ ‘ਤੇ ‘ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ’ ਅਤੇ ‘ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ’ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਉੱਤੇ ‘ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ’ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਹੋਏ ਸਨ ।

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਅਟਲ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸੀ । ਕੋਈ ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
2. ‘ਕੂਕਰ’ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ?
3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ?
4. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਉੱਤੇ ਕਿਹੜੇ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਹੋਏ ਸਨ ?
5. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਿੱਕਿਆਂ ‘ਤੇ …………………….. ਤੇ …………………… ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਉਹ ਆਪਣਾ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦੇ ਸਨ ।
2. ਕੁਕਰ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਦਾਸ ਜਾਂ ਨੌਕਰ ।
3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ-ਏ-ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।
4. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਮੋਹਰ ਉੱਤੇ ‘ਅਕਾਲ ਸਹਾਇ’ ਸ਼ਬਦ ਉਕਰੇ ਹੋਏ ਸਨ ।
5. ਨਾਨਕ ਸਹਾਇ, ਗੋਬਿੰਦ ਸਹਾਇ ।

2. ਭਾਵੇਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਪੱਕਾ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਹੋਰਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੂੰ ਸਤਿਕਾਰ ਭਰੀ ਨਜ਼ਰ ਨਾਲ ਵੇਖਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਧਾਰਮਿਕ ਪੱਖਪਾਤ ਅਤੇ ਫਿਰਕੂਪੁਣੇ ਤੋਂ ਕੋਹਾਂ ਦੂਰ ਸੀ । ਉਹ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਸੀ ਕਿ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਅਤੇ ਚਿਰਸਥਾਈ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਲਈ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਨੀਤੀ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਨੌਕਰੀਆਂ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਉੱਚ ਅਹੁਦਿਆਂ ਤੇ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਮੁਸਲਮਾਨ, ਡੋਗਰੇ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਸ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ਫ਼ਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼ਉੱਦੀਨ ਮੁਸਲਮਾਨ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਡੋਗਰਾ, ਵਿੱਤ ਮੰਤਰੀ ਦੀਵਾਨ ਭਵਾਨੀਦਾਸ ਅਤੇ ਸੈਨਾਪਤੀ ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ਹਿੰਦੂ ਸਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਨਰਲ ਵੈਂਤੂਰਾ, ਕੋਰਟ, ਗਾਰਡਨਰ ਆਦਿ ਯੂਰਪੀਅਨ ਸਨ ।

1. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਇੱਕ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲ ਸ਼ਾਸਕ ਸੀ ? ਕਿਵੇਂ ?
2. ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਡੋਗਰਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ਕੌਣ ਸੀ ?
4. ਦੀਵਾਨ ਭਵਾਨੀਦਾਸ ਕੌਣ ਸੀ ?
5. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਸੈਨਾਪਤੀ ………………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਉਹ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦਾ ਸੀ ।
2. ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਡੋਗਰਾ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸੀ ।
3. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ ਮੰਤਰੀ ਫ਼ਕੀਰ ਅਜ਼ੀਜ਼ਉੱਦੀਨ ਸੀ ।
4. ਦੀਵਾਨ ਭਵਾਨੀਦਾਸ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਵਿੱਤ ਮੰਤਰੀ ਸੀ ।
5. ਮਿਸਰ ਦੀਵਾਨ ਚੰਦ ।