PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

SST Guide for Class 10 PSEB भारत में कृषि विकास Textbook Questions and Answers

I. अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दो

प्रश्न 1.
“भारत में कृषि रोजगार का मुख्य साधन है।” इस पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
हमारी अर्थ-व्यवस्था में कृषि रोज़गार का मुख्य स्रोत है। 2014-15 में कार्यशील जनसंख्या का 46.2% भाग कृषि कार्यों में लगा हुआ है।

प्रश्न 2.
भारत के मुख्य भूमि सुधार कौन-से हैं ? कोई एक लिखो।
उत्तर-

  1. ज़मींदारी प्रथा को समाप्त कन्ना।
  2. काश्तकारी प्रथा में सुधार
  3. भूमि की जोतों पर उच्चतम सीमा का निर्धारण
  4. भूमि की पूरे देश में चकबंदी की गई है।
  5. सहकारी खेती
  6. भूदान यज्ञ का आरम्भ।

प्रश्न 3.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
हरित क्रान्ति से आशय कृषि उत्पादन विशेष रूप से गेहूँ तथा चावल के उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि में अधिक उपज वाले 4 जों के प्रयोग की नई तकनीक अपनाने के कारण सम्भव हुई।

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प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति भारत की खाद्य समस्या के समाधान में किस प्रकार सहायक हुई है?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के कारण 1967-68 और उसके बाद के वर्षों में फसलों के उत्पादन में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई। वर्ष 1967-68 में, जिसे हरित क्रान्ति का वर्ष माना जाता है, अनाज का उत्पादन बढ़कर 950 लाख टन हो गया था। 2017-18 में अनाज का उत्पादन 2775 लाख टन था।

II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थ-व्यवस्था में कृषि के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था के लिए कृषि का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार है —

  1. आजीविका का प्रमुख स्त्रोत — इस व्यवसाय में भारत की कुल जनसंख्या का 46.2% भाग प्रत्यक्ष रूप से संलग्न है। अतः कृषि भारतीयों की आजीविका का प्रमुख साधन है।
  2. राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान — कृषि राष्ट्रीय आय में एक बड़ा भाग प्रदान करती है। राष्ट्रीय आय का लगभग 15.3% भाग कृषि से ही प्राप्त होता है।
  3. रोज़गार का साधन — भारतीय कृषि भारत की श्रम संख्या के सर्वाधिक भाग को रोज़गार प्रदान करती है और करती रहेगी।
  4. उद्योगों का योगदान — भारत के अनेक उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर ही आधारित हैं, जैसे-सूती वस्त्र, जूट, चीनी, तिलहन, हथकरघा, वनस्पति घी इत्यादि सभी उद्योग कृषि पर ही तो आधारित हैं।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में योगदान — भारत अपने कुल निर्यात का प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 18% भाग कृषि उपजों से बने पदार्थों के रूप में निर्यात करता है।

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PSEB 10th Class Social Science Guide भारत में कृषि विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
कृषि क्या है?
उत्तर-
फसलों को उगाने की कला व विज्ञान है।

प्रश्न 2.
भारत का कोई एक भूमि पुधार बताएं।
उत्तर-
काश्तकारी प्रथा में सुधार।

प्रश्न 3.
दालों का अधिकतम उत्पादक देश कौन-सा है?
उत्तर-
भारत।

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प्रश्न 4.
व्यावसायिक कृषि का एक उपकरण बताएं।
उत्तर-
आधुनिक तकनीक।

प्रश्न 5.
भारतीय कृषि विकास के लिए एक उपाय बताएं।
उत्तर-
सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि।

प्रश्न 6.
भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण बताएं।
उत्तर-
खेतों का छोटा आकार।

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प्रश्न 7.
हरित क्रान्ति का श्रेय किसे दिया जाता है?
उत्तर-
डॉ० नॉरमेन वेरलोग तथा डॉ० एम० एन० स्वामीनाथन।

प्रश्न 8.
भारत में हरित क्रान्ति के लिए उत्तरदायी एक तत्त्व बताएं।
उत्तर-
आधुनिक कृषि यन्त्रों का प्रयोग।

प्रश्न 9.
हरित क्रान्ति का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि।

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प्रश्न 10.
हरित क्रान्ति का एक दोष बताएं।
उत्तर-
कुछ फसलों तक सीमित।

प्रश्न 11.
हरित क्रान्ति कब आई थी?
उत्तर-
1967-68 में।

प्रश्न 12.
भारत में सिंचाई का मुख्य साधन क्या है?
उत्तर-
भूमिगत जल।

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प्रश्न 13.
भारतीय राष्ट्रीय आय में कृषि का मुख्य अंश कितना है?
उत्तर-
17.4 प्रतिशत।

प्रश्न 14.
2007-08 में जी० डी० पी० में कृषि का योगदान कितना था?
उत्तर-
15.3 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति क्या है?
उत्तर-
एक कृषि नीति जिसका उपयोग फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 16.
भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या अब जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है?
उत्तर-
लगभग 49 प्रतिशत।

प्रश्न 17.
भारत में हरित क्रान्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
किसानों की दशा में सुधार।

प्रश्न 18.
औद्योगिक विकास में कृषि के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों को कच्चा माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त कृषि बहुत-सी औद्योगिक वस्तुओं के लिए बाजार का स्रोत है।

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प्रश्न 19.
भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव से तात्पर्य है कि प्रति वर्ष आने वाली नई श्रम शक्ति को रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता है जिससे वे कृषि पर निर्भर हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
आधुनिक कृषि तकनीक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
आधुनिक कृषि तकनीक से अभिप्राय रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाइयों, उत्तम बीजों व समय पर सिंचाई के उपयोग से सम्बन्धित है।

प्रश्न 21.
भारत में कृषि के पिछड़ेपन के दो कारण लिखिए।
उत्तर-

  1. सिंचाई सुविधाओं की कमी
  2. अच्छे बीजों और रासायनिक उर्वरकों की कमी।

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प्रश्न 22.
भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के दो उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. वैज्ञानिक कृषि का प्रसार ।
  2. भूमि सुधार।

प्रश्न 23.
चकबन्दी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
चकबन्दी वह क्रिया है जिसके द्वारा किसानों को इस बात के लिए मनाया जाता है कि वे अपने इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में उसी किस्म और कुल उतने ही आकार के एक या दो खेत ले लें।

प्रश्न 24.
भारत में किए गए तीन भूमि सुधारों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. मध्यस्थों का उन्मूलन
  2. भूमि की चकबन्दी
  3. भूमि की अधिकतम हदबन्दी।

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प्रश्न 25.
जोतों की उच्चतम सीमा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जोतों की उच्चतम सीमा से अभिप्राय यह है कि भूमि-क्षेत्र की एक ऐसी सीमा निश्चित करना जिससे अधिक भूमि पर किसी व्यक्ति अथवा परिवार का अधिकार न रहे।

प्रश्न 26.
कृषि क्षेत्र को पर्याप्त साख-सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से भारत सरकार की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कृषि के विकास के लिए किसानों को कम ब्याज पर उचित मात्रा में कर्ज दिलाने के लिए सहकारी साख समितियों का विकास किया गया है।

प्रश्न 27.
भारत में हरित क्रान्ति लाने का श्रेय किन व्यक्तियों को जाता है?
उत्तर-
भारत में हरित क्रान्ति लाने का श्रेय डॉ० नोरमान वरलोग तथा डॉ० एम० एन० स्वामीनाथन को जाता है।

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प्रश्न 28.
भारत में हरित क्रान्ति के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. उन्नत बीजों का प्रयोग
  2. रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग।

प्रश्न 29.
हरित क्रान्ति के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर-

  1. खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि
  2. किसानों के जीवन स्तर में वृद्धि।

प्रश्न 30.
हरित क्रान्ति के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर-

  1. क्षेत्रीय असमानताओं में वृद्धि
  2. केवल बड़े कृषकों को लाभ।

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प्रश्न 31.
हरित क्रान्ति किसे कहते हैं?
उत्तर-
हरित क्रान्ति एक कृषि नीति है जिसका प्रयोग फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 32.
HYV का विस्तार रूप बताएँ।
उत्तर-
High Yielding Variety Seeds.

प्रश्न 33.
कौन-सा देश दालों का सबसे अधिक उत्पादक है?
उत्तर-
भारत।

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प्रश्न 34.
व्यावसायिक खेती के आगतों के नाम बताएं।
उत्तर-
आधुनिक तकनीकी, HYV बीज।

प्रश्न 35.
कृषि में निम्न भूमि उत्पादकता क्यों है?
उत्तर-
क्योंकि इसमें उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न 36.
पुरातन कृषि की निर्भरता के दो तत्त्व बताएं।
उत्तर-
मानसून और प्राकृतिक उत्पादकता।

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प्रश्न 37.
भारत में कितने प्रतिशत संख्या अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है?
उत्तर-
लगभग 48.9 प्रतिशत।

प्रश्न 38.
तीन क्रियाओं के नाम बताइए जो कृषि सेवक से सम्बन्धित हैं।
उत्तर-

  1. पशुपालन,
  2. वानिकी,
  3. मत्स्यपालन।

प्रश्न 39.
वर्ष 2011-12 में कृषि का GDP में कितना हिस्सा था?
उत्तर-
लगभग 13.9 प्रतिशत।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. फसलों को उगाने की कला व विज्ञान ……….. है। (कृषि/विनिर्माण)
  2. भारत में हरित क्रान्ति का उद्भव ………… में हुआ। (1948-49/1966-67)
  3. वर्ष 1950-51 में कृषि का भारत की राष्ट्रीय आय में योगदान ………… प्रतिशत था। (48/59)
  4. ……….. दालों का उत्पादक सबसे बड़ा देश है। (पाकिस्तान/भारत)
  5. ………… भारत में सिंचाई का मुख्य साधन है। (भूमिगत जल/ट्यूबवैल)
  6. भारत में हरित क्रान्ति का श्रेय ……….. को दिया जाता है। (जवाहर लाल नेहरू/डॉ० नारमन वरलोग)
  7. वर्तमान में कृषि भारत की राष्ट्रीय आय में ……….. प्रतिशत का योगदान दे रही है। (14.6 / 15.3)

उत्तर-

  1. कृषि,
  2. 1966-67,
  3. 59,
  4. भारत,
  5. भूमिगत जल,
  6. डॉ० नारमन वरलोग,
  7. 15.3.

III. बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
भारत का एक भूमि सुधार बताएं।
(A) चकबन्दी
(B) मध्यस्थों का उन्मूलन
(C) भूमि की उच्चतम सीमा
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 2.
वर्ष 2007-08 के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का क्या योगदान था?
(A) 14.6
(B) 15.9
(C) 17.1
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(A) 14.6

प्रश्न 3.
कौन-सा देश दालों का अधिकतम उत्पादक देश है?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) श्रीलंका
(D) नेपाल।
उत्तर-
(A) भारत

प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति का उद्भव कब हुआ?
(A) 1966-67
(B) 1969-70
(C) 1985-86
(D) 1999-2000
उत्तर-
(A) 1966-67

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प्रश्न 5.
वर्तमान में कषि का भारत की राष्ट्रीय आय में क्या योगदान है?
(A) 12.6
(B) 15.3
(C) 14.2
(D) 15.8.
उत्तर-
(B) 15.3

प्रश्न 6.
HYV का अर्थ है
(A) Haryana Youth Variety
(B) Huge Yeild Variety
(C) High Yeilding Variety
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(C) High Yeilding Variety

IV. सही/गलत

  1. हरित क्रान्ति भारत में वर्ष 1947 में आई।
  2. भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है।
  3. भारत में हरित क्रान्ति का जनक डा० नारमन बरलोग है।
  4. चकबन्दी भूमि सुधार का एक प्रकार है।

उत्तर-

  1. गलत
  2. सही
  3. सही
  4. सही।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
“कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।” इस कथन का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर-
कृषि का भारतीय अर्थ-व्यवस्था में एक केन्द्रीय स्थान हैं। कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था में रोजगार की दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। इससे राष्ट्रीय आय में 15.3% की प्राप्ति होती है। कृषि क्षेत्र में कार्यशील जनसंख्या का 46.2% भाग प्रत्यक्ष रूप से लगा हुआ है। इसके अतिरिक्त बहुत-से व्यक्ति कृषि पर निर्भर व्यवसायों में कार्य करके जीविका प्राप्त करते हैं। यह औद्योगिक विकास में भी सहायक है। कृषि जनसंख्या की भोजन आवश्यकताओं को पूरा करती है। यह व्यापार, यातायात व अन्य सेवाओं के विकास में भी सहायक है। वास्तव में, हमारी अर्थ-व्यवस्था की सम्पन्नता कृषि की सम्पन्नता पर निर्भर करती है। अत: यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।

प्रश्न 2.
भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन प्रमुख कारकों की व्याख्या करें।
उत्तर-

  1. भूमि पर जनसंख्या के दबाव में वृद्धि-भूमि पर जनसंख्या दबाव में वृद्धि के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति भू-उपलब्धता में कमी हुई है, जिससे कृषि में आधुनिक तरीकों को अपनाने में कठिनाई आती है।
  2. कृषकों का अशिक्षित होना-भारत में अधिकांश कृषक अशिक्षित हैं। अत: उन्हें कृषि के उन्नत तरीके सिखाने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  3. साख, विपणन, भण्डारण आदि सेवाओं की कमी-इन सेवाओं की कमी के कारण किसानों को बाध्य होकर अपनी फसल को कम कीमत पर बेचना पड़ता है।

प्रश्न 3.
“कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं न कि प्रतिद्वन्द्वी।” इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
कृषि और उद्योग एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी नहीं बल्कि पूरक हैं । कृषि द्वारा उद्योगों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। उद्योग श्रमिकों की पूर्ति करते हैं। कई प्रकार के अनेक उद्योगों को कच्चे माल की पूर्ति कृषि द्वारा ही की जाती है, जैसे-कच्ची कपास, जूट, तिलहन, गन्ना ऐसे ही कृषि उत्पाद हैं जो उद्योगों को कच्चे माल के रूप में दिए जाते हैं। दूसरी ओर भारतीय कृषि हमारे औद्योगिक उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण खरीददार है, कृषि के लिए कृषि उपकरण जैसे-ट्रैक्टर, कम्बाइन, ड्रिल, हार्वेस्टर इत्यादि उद्योगों से प्राप्त होते हैं। कृषि को डीज़ल, बिजली, पेट्रोल उद्योगों से ही तो प्राप्त होते हैं। अतः हम देखते हैं कि कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।

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प्रश्न 4.
हरित क्रान्ति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
हरित क्रान्ति का अभिप्राय कृषि उत्पादन में उस तेज़ वृद्धि से है जो थोड़े समय में उन्नत किस्म के बीजों तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के फलस्वरूप हुई है। हरित क्रान्ति योजना को कृषि की नई नीति भी कहा जाता है। इसे 1966 में शुरू किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनाज का उत्पादन बढ़ाकर आत्म-निर्भर होना है। भारत जैसी घनी जनसंख्या और समय-समय पर अनाज की कमी वाले देश में इस योजना का बहुत ही अधिक महत्त्व है।
इस योजना के अधीन विभिन्न राज्यों में कुल बोए जाने वाले क्षेत्र के चुने हुए भागों में गेहूँ तथा चावल की नई , किस्में तथा देश में विकसित अधिक उपज देने वाली मक्का, ज्वार, बाजरा की किस्मों का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही बहु-फसली कार्यक्रम, सिंचाई की व्यवस्था व पानी का ठीक प्रबन्ध तथा सूखे क्षेत्रों का योजनाबद्ध विकास किया गया जिससे अनेक फसलों का उत्पादन बढ़ा।
यह क्रान्ति पंजाब और हरियाणा में आश्चर्यजनक रूप से सफल हुई।

प्रश्न 5.
भारत में जोतों की चकबन्दी के लाभ बताइए।
उत्तर-
भारत में चकबन्दी के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

  1. चकबन्दी के पश्चात् वैज्ञानिक ढंग से खेती की जा सकती है।
  2. एक खेत से दूसरे खेत में जाने से जो समय नष्ट होता है वह बच जाता है।
  3. किसान को अपनी भूमि की उन्नति के लिए कुछ रुपया व्यय करने का साहस हो जाता है।
  4. चकबन्दी के कारण खेती की मुंडेर बनाने के लिए भूमि बेकार नहीं करनी पड़ती है।
  5. सिंचाई अच्छी प्रकार से की जाती है।
  6. नई प्रकार की खेती करने से व्यय कम होता है और आय बढ़ जाती है।
  7. गांव में मुकद्दमेबाज़ी कम हो जाती है।
  8. चकबन्दी के बाद जो फालतू भूमि निकलती है, उसमें बगीचे, पंचायत, घर, सड़कें, खेल के मैदान बनाए जा सकते हैं।

संक्षेप में चकबन्दी के द्वारा विखण्डन की समस्या सुलझ जाती है। खेतों का आकार बड़ा हो जाता है। इससे कृषि उपज बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।

प्रश्न 6.
हरित क्रान्ति को सफल बनाने के लिए सुझाव दें।
उत्तर-

  1. सहकारी साख समितियों को सुदृढ़ बनाना चाहिए तथा कृषकों को साख उत्पादन क्षमता के आधार पर प्रदान करनी चाहिएं।
  2. सेवा सहकारिताओं द्वारा उर्वरक, दवाइयां, उन्नत बीज, सुधरे हुए कृषि यन्त्र तथा अन्य उत्पादन की आवश्यकताएं उपलब्ध करानी चाहिएं। साख कृषकों को सरलता से प्राप्त होनी चाहिए।
  3. चावल, गेहूं और मोटे अनाजों के लिए प्रेरणादायक मूल्य दो वर्ष पूर्व घोषित किए जाने चाहिएं।
  4. कृषि उपज के विपणन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. प्रत्येक गांव को सघन कृषि के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उनकी शैक्षणिक, तकनीकी और फार्म प्रबन्ध से सम्बन्धित सहायता करनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
सिंचाई किसे कहते हैं? यह आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
सिंचाई से अभिप्राय प्रायः मानवकृत स्रोतों के उपयोग से है, जिससे भूमि को जल प्रदान किया जाता है। सिंचाई के साधनों का कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। कृषि की नई नीति के अनुसार खाद, उन्नत बीजों का प्रयोग तभी सम्भव हो सकता है जब सिंचाई की व्यवस्था हो। भारत में अभी तक केवल 35% कृषि क्षेत्रफल पर सिंचाई की व्यवस्था है। इसे बढ़ाने के लिए प्रत्येक योजना में विशेष रूप से प्रयत्न किया गया है। सिंचाई के फलस्वरूप देश में बहुफसली खेती सम्भव होगी।

प्रश्न 8.
भारत में सिंचाई के प्रमुख स्रोत लिखें।
उत्तर-
सिंचाई के स्रोत-सिंचाई के लिए जल दो मुख्य साधनों से प्राप्त होता है —

  1. भूमि के ऊपर का जलयह जल नदियों, नहरों, तालाबों, झीलों आदि से प्राप्त होता है।
  2. भूमिगत जल-यह जल भूमि के अन्दर से कुएं या ट्यूबवैल आदि खोद कर प्राप्त होता है। अतएव कुएं, तालाब, नहरें आदि सिंचाई के साधन कहलाते हैं। भारत में सिंचाई के साधनों को तीन भागों में बांटा गया है —
    1. बड़ी सिंचाई योजनाएं-बड़ी योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 10 हज़ार हैक्टेयर से अधिक कृषि योग्य व्यापक क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
    2. मध्यम सिंचाई योजनाएं-मध्यम योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 2 हज़ार से 10 हज़ार हैक्टेयर तक भूमि पर सिंचाई की जाती है।
    3. लघु सिंचाई योजनाएं-अब लघु योजनाएं उन योजनाओं को कहा जाता है जिनके द्वारा 2 हज़ार हैक्टेयर से कम भूमि पर सिंचाई की जाती है।

प्रश्न 9.
क्या हम उत्पादन को अधिकतम करने में सफल हुए हैं विशेषकर खाद्यान्न के उत्पादन को?
उत्तर-
कृषि के विकास में योजनाओं का योगदान दो प्रकार का है, एक तो कृषि में भूमि सुधार किए गए हैं। इन भूमि सुधारों ने उन्नत खेती के लिए वातावरण तैयार किया है। दूसरे 1966 से कृषि के तकनीकी विकास पर जोर दिया गया है। इसके फलस्वरूप हरित क्रान्ति हो चुकी है। योजनाओं की अवधि में खाद्यान्न का उत्पादन तिगुना बढ़ा है। 1951-52 में अनाज का उत्पादन 550 लाख टन हुआ था जबकि 1995-96 में यह खाद्यान्न का उत्पादन बढ़कर 1851 लाख टन हो गया और 2017-18 में यह उत्पादन बढ़कर 2775 लाख टन हो गया। अतः हम कह सकते हैं कि हम उत्पादन को बढ़ाने में काफ़ी हद तक सफल हुए हैं।

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प्रश्न 10.
हरित क्रान्ति के बाद भी 1990 तक हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में ही क्यों लगी रही?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के बाद भी 1990 तक हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र में ही इसलिए लगी रही क्योंकि उद्योग क्षेत्र और सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की अत्यधिक मात्रा को नहीं खपा सके। बहुत से अर्थशास्त्री इसे 1950-1990 के दौरान अपनाई गई नीतियों की असफलता मानते हैं।

प्रश्न 11.
विक्रय अधिशेष क्या है?
उत्तर-
एक देश में किसान अगर अपने उत्पादन को बाज़ार में बेचने के स्थान पर स्वयं ही उपभोग कर लेता है तो उसका अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता है और अगर किसान पर्याप्त मात्रा में अपना उत्पादन बाजार में बेच देता है तो अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। किसानों द्वारा उत्पादन का बाज़ार में बेचा गया अंश ही ‘विक्रय अधिशेष’ कहलाता है।

प्रश्न 12.
कृषि क्षेत्रक में लागू किए गए भूमि सुधारों की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय देश की भू-धारण पद्धति में ज़मींदार-जागीरदार आदि का स्वामित्व था। यह खेतों में बिना कोई कार्य किए केवल लगान वसूलते थे। भारतीय कृषि क्षेत्र की निम्न उत्पादकता के कारण भारत को यू० एस० ए० से अनाज आयात करना पड़ता था। कृषि में समानता लाने के लिए भू-सुधारों की आवश्यकता हुई जिसका मुख्य उद्देश्य जोतों के स्वामित्व में परिवर्तन करना था।
भूमि सुधारों के प्रकार —

  1. ज़मींदारी उन्मूलन
  2. काश्तकारी खेती
  3. भूमि की उच्चतम सीमा निर्धारण
  4. चकबंदी इत्यादि।

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प्रश्न 13.
हरित क्रान्ति क्या है ? इसे क्यों लागू किया गया और इससे किसानों को कैसे लाभ पहुँचा? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हरित क्रान्ति-भारत में यन्त्रीकरण के फलस्वरूप सन् 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी वृद्धि किसी क्रान्ति से कम नहीं थी। इसलिए अर्थशास्त्रियों ने इसे हरित क्रान्ति का नाम दिया।
कारण-इसे लागू करने का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में अच्छे किस्म के बीज, रासायनिक खाद, आधुनिक यन्त्रों का प्रयोग करने कृषि उत्पादन को बढ़ाना था ताकि देश को खाद्यान्न पदार्थों के लिए विदेशों के आयात पर निर्भर न रहना पड़े।
लाभ-

  1. इससे उत्पादन में भारी वृद्धि हुई और किसानों का जीवन स्तर ऊँचा उठा।
  2. किसानों को आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई।
  3. हरित क्रान्ति के कारण सरकार, पर्याप्त खाद्यान्न प्राप्त कर सुरक्षित स्टॉक बन सकी।
  4. इसमें किताबों को अच्छे किस्म के बीज, खाद आदि का प्रयोग करने की प्रेरणा दी गई।

प्रश्न 14.
भूमि की उच्चतम सीमा क्या है?
उत्तर-
भूमि की उच्चतम सीमा (Ceiling on Land Holding)-भूमि की उच्चतम सीमा का अर्थ है, “एक व्यक्ति या परिवार अधिक-से-अधिक कितनी खेती योग्य भूमि का स्वामी हो सकता है। उच्चतम सीमा से अधिक भूमि भू-स्वामियों से ले ली जाएगी। उन्हें इसके बदले मुआवजा दिया जाएगा।” इस प्रकार जो भूमि ली जाएगी उसे छोटे किसानों, काश्तकारों या भूमिहीन कृषि मजदूरों में बांट दिया जाएगा। भूमि की उच्चतम सीमा का उद्देश्य भूमि के समान तथा उचित प्रयोग को प्रोत्साहन देना है।

प्रश्न 15.
हरित क्रान्ति भारत की खाद्य समस्या के समाधान में किस प्रकार सहायक हुई है?
उत्तर-
इसके मुख्य कारण हैं —

  1. उत्पादन में वृद्धि-हरित क्रान्ति के फलस्वरूप 1967-68 और उसके बाद के वर्षों में फसलों में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
  2. फसलों के आयात में कमी-हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप भारत में खाद्यान्न के आयात पहले की अपेक्षा कम होने लगे हैं।

इसका मुख्य कारण देश में उत्पादन का अधिक होना है। – (ii) व्यापार में वृद्धि-हरित क्रान्ति के फलस्वरूप उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है। इससे कृषि उत्पादों को बाज़ार पूर्ति में वृद्धि हुई है, इससे घरेलू व विदेशी व्यापार बढ़ा है। बढ़ा हुआ कृषि उत्पादन निर्यात भी किया जाने लगा है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

प्रश्न 16.
भारतीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिये सरकार का क्या योगदान रहा है?
उत्तर-
भारतीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं —

  1. भूमि सुधार
  2. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार
  3. वितरण प्रणाली में सुधार
  4. कृषि अनुसंधान एवं विकास
  5. कृषि योग्य भूमि का विकास
  6. कृषि विपणन में सुधार
  7. साख सुविधाओं का विस्तार आदि।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कृषि क्षेत्र की क्या समस्याएं हैं?
उत्तर-
कृषि क्षेत्र की निम्न समस्याएं हैं —

  1. विपणन की समस्या (Problem of Marketing) — भारत में कृषि उत्पादन की बिक्री व्यवस्था ठीक नहीं है जिसके कारण किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। यातायात के साधन विकसित न होने के कारण किसानों को अपनी फसल गांवों में ही कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।
  2. वित्त सुविधाओं की समस्या (Problem of Credit Facilities) — भारत के किसानों के सामने वित्त की समस्या भी एक मुख्य समस्या है। उन्हें बैंकों तथा अन्य सहायक समितियों से समय पर साख उपलब्ध नहीं हो पाती है जिससे उन्हें महाजनों से अत्यधिक ब्याज पर ऋण लेना पड़ता है। अतः वित्त की समस्या भारतीय कृषि की एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
  3. ग्रामीण ऋणग्रस्तता की समस्या (Problem of Rural Indebtness) — भारतीय कृषि में ऋणग्रस्तता भी एक महत्त्वपूर्ण समस्या है। भारतीय किसान जन्म से ही ऋण में दबा होता है। एम० एस० डार्लिंग के अनुसार, “भारतीय किसान कर्ज़ में जन्म लेता है, उसमें ही रहता है तथा उसमें ही मर जाता है।”
  4. कीमत अस्थिरता की समस्या (Problem of Price Instability) — हरित क्रांति के फलस्वरूप एक और समस्या कृषि क्षेत्र में आ गई है जिससे अधिक उत्पादन होने के फलस्वरूप कीमतों में कमी आने की समस्या आ गई है। जिससे किसानों को अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरणा कम मिलती है। कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव भी कृषि क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
  5. सिंचाई व्यवस्था की समस्या (Problem of Irrigation Facility) — भारतीय कृषि में सिंचाई की व्यवस्था भी एक समस्या है। भारत में केवल 20 प्रतिशत कृषि पर ही सिंचाई की उचित सुविधा है। बाकी कृषि मानसून के भरोसे होती है। अगर मानसून सही समय पर आए और बारिश हो तो फसल अच्छी होगी अन्यथा नहीं।
  6. छोटे जोतों की समस्या (Problem of small holding) — भारतीय कृषि में जोतों का आकार बहुत छोटा है और यह छोटे-छोटे जोत बिखरे पड़े हुए हैं। इनका आकार छोटा होने के कारण इन पर आधुनिक मशीनों का प्रयोग संभव नहीं हो पाता है जिससे कि उत्पादकता कम रहती है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 3 भारत में कृषि विकास

प्रश्न 2.
कृषि क्षेत्र में लागू किए गए भूमि सुधारों की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की भू-धारण पद्धति में ज़मींदार-जागीरदार आदि का स्वामित्व था। यह खेतों में बिना कोई कार्य किए केवल लगान वसूलते थे। भारतीय कृषि क्षेत्र की निम्न उत्पादकता के कारण भारत को यू० एस० ए० से अनाज आयात करना पड़ता था। कृषि में समानता लाने के लिए भू-सुधारों की आवश्यकता हुई जिसका मुख्य उद्देश्य जोतों के स्वामित्व में परिवर्तन करना था।
भूमि सुधारों के प्रकार —

  1. ज़मींदारी उन्मूलन
  2. काश्तकारी खेती
  3. भूमि की उच्चतम सीमा निर्धारण
  4. चकबंदी इत्यादि।

बिचौलियों के उन्मूलन का नतीजा यह था कि लगभग 200 लाख किसानों का सरकार से सीधा संपर्क हो गया तथा वे ज़मींदारों के द्वारा किए गये शोषण से मुक्त हो गये।

भारत में कृषि विकास PSEB 10th Class Economics Notes

  1. कृषि-एक खेत में फसलों व पशुओं के उत्पादन सम्बन्धी कला या विज्ञान को कृषि कहते हैं।
  2. कृषि का महत्त्व-राष्ट्रीय आय में योगदान, खाद्य पूर्ति का साधन, रोज़गार का माध्यम, उद्योग का आधार, जीवन का साधन, कृषि व विदेशी व्यापार, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, यातायात के लिए आधार, सरकारी आय तथा पूंजी निर्माण आदि में कृषि महत्त्वपूर्ण है।
  3. कृषि की समस्याएं-मानवीय समस्याएं जैसे भूमि पर जनसंख्या का दबाव, सामाजिक वातावरण, संस्थागत समस्याएं जैसे जोतों का छोटा आकार, काश्तकारी व्यवस्था। तकनीकी समस्याएं जैसे सिंचाई की कम सुविधाएं, पुराने कृषि उपकरण, पुरानी उत्पादन तकनीकें, अच्छे बीजों का अभाव, खाद की समस्या, त्रुटिपूर्ण कृषि बाज़ार व्यवस्था, फसलों की बीमारियां व कीड़े-मकौड़े, साख सुविधाओं का अभाव तथा कमज़ोर पशु आदि कृषि की समस्याएं हैं।
  4. हरित क्रांति-हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादन विशेष रूप से गेहूँ तथा चावल के उत्पादन में होने वाली उस भारी वृद्धि से है जो कृषि में अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग की नई तकनीक अपनाने से सम्भव हुई है।
  5. हरित क्रांति की सफलता के मुख्य तत्त्व-अधिक उपज वाले बीज, रसायन खादें, सिंचाई, आधुनिक कृषि यंत्रीकरण, साख-सुविधाएं, कृषि की नई तकनीक, पौध संरक्षण, कीमत सहयोग, ग्रामीण विद्युतीकरण, भू-संरक्षण, बाज़ार सुविधाएं आदि हरित क्रांति की सफलता के मुख्य तत्त्व हैं।
  6. भूमि सुधार-भूमि सुधार से अभिप्राय मनुष्य तथा भूमि में पाए जाने वाले संबंध के योजनात्मक तथा संस्थागत पुनर्गठन से है।
  7. कृषि नीति-कृषि नीति से अभिप्राय संस्थागत सुधारों को अपनाने से है जिससे कृषि का सर्वांगीण विकास हो सके।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

SST Guide for Class 10 PSEB भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दो

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार, लोकतन्त्र लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन होता है।

प्रश्न 2.
भारतीय लोकतन्त्र की एक विशेषता बताओ।
उत्तर-

  1. लोकतान्त्रिक संविधान
  2. नागरिकों के अधिकार
  3. वयस्क मताधिकार
  4. संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 3.
चुनाव विधियां कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर-
चुनाव विधियां दो प्रकार की होती हैं-प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली तथा अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

प्रश्न 4.
लोकमत से आपका क्या भाव है?
उत्तर-
लोकमत से हमारा अभिप्राय जनता की राय अथवा मत से है।

प्रश्न 5.
स्वस्थ लोकमत के निर्माण में किसी एक बाधा का नाम लिखें।
उत्तर-
निरक्षर नागरिक।

प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म कब तथा किन नेताओं के नेतृत्व में हुआ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म 1885 ई० में एक अंग्रेज़ अधिकारी मि० ए० ओ० ह्यम तथा अन्य देशभक्त नेताओं के नेतृत्व में हुआ।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

(ख) निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें

  1. भारत में धर्म-निरपेक्षता
  2. शिरोमणि अकाली दल की प्रमुख विचारधारा
  3. भारत के किसी एक राष्ट्रीय दल पर संक्षिप्त नोट लिखें।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा
  5. भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा

उत्तर-

  1. भारत में धर्म-निरपेक्षता-भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है क्योंकि भारत में किसी धर्म को राज्य धर्म स्वीकार नहीं किया गया।
  2. शिरोमणि अकाली दल की प्रमुख विचारधारा
    1. निर्धनता, अभाव तथा भुखमरी को दूर करना।
    2. अनपढ़ता, छुआछूत तथा जातीय भेदभाव को दूर करना।
    3. शारीरिक आरोग्यता के उपाय।
  3. भारत का एक राष्ट्रीय दल-बहुजन समाज पार्टी की स्थापना 1948 में कासी राम ने की थी। यह पार्टी जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियां और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल है, उनके लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास करती है तथा उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। यह दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दे उठाती है।
  4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा-
    1. धर्म-निरपेक्ष और समाजवादी राष्ट्र की स्थापना।
    2. गुट-निरपेक्षता।
    3. औद्योगिक क्षेत्र में सुधार।
    4. कृषि का आधुनिकीकरण।
  5. भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा-
    1. समान सिविल कोड
    2. धारा 370 की समाप्ति
    3. निर्धनता तथा बेरोज़गारी की समाप्ति
    4. गुट-निरपेक्ष विदेश नीति।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारतीय लोकतन्त्र की चुनाव प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न सोपानों का वर्णन इस प्रकार है

  1. उम्मीदवार का चयन-निर्वाचन के कुछ दिन पूर्व विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों का चयन करते हैं।
  2. नामांकन-पत्र दाखिल करना-उम्मीदवारों के चयन के बाद उन्हें अपना नामांकन-पत्र दाखिल करना पड़ता है। नामांकन-पत्र दाखिल करने की अन्तिम तिथि घोषित कर दी जाती है। इसके बाद नामांकन-पत्रों की जाँच की जाती है। यदि कोई उम्मीदवार अपना नाम वापस लेना चाहे तो वह निश्चित तिथि तक ऐसा कर सकता है।
  3. चुनाव अभियान-निर्वाचन प्रक्रिया का आगामी चरण चुनाव अभियान है। इसके लिए पोस्टर लगाना, सभाएं करना, भाषण देना, जुलूस निकालना आदि कार्य किये जाते हैं।
  4. मतदान-निश्चित तिथि को मतदान होता है। मतदाता मतदान कक्ष में जाते हैं और गुप्त मतदान द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
  5. मतगणना-मतदान समाप्त होने पर मतों की गिनती की जाती है। जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 2.
लोकमत की भूमिका बताओ।
उत्तर-
लोकमत अथवा जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की आत्मा होता है, क्योंकि लोकतान्त्रिक सरकार अपनी शक्ति लोकमत से ही प्राप्त करती है। ऐसी सरकार का सदा यह प्रयत्न रहता है कि लोकमत उनके पक्ष में रहे। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र लोगों का राज्य होता है। ऐसी सरकार जनता की इच्छाओं और आदेशों के अनुसार कार्य करती है। प्राय: यह देखा गया है कि आम चुनाव काफ़ी लम्बे समय के पश्चात् होते हैं जिसके फलस्वरूप जनता का सरकार से भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप सम्पर्क टूट जाता है और सरकार के निरंकुश बन जाने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है। इससे लोकतन्त्र का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में जनमत लोकतान्त्रिक सरकार की सफलता का मूल आधार बन जाता है।

(घ) निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखो

प्रश्न 1.
शिरोमणि अकाली दल के मूल उद्देश्य।
उत्तर-
शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 1920 में हुई थी। 2 सितम्बर, 1974 को शिरोमणि अकाली दल की कार्य समिति ने इस दल का एक विधान स्वीकार किया। इस विधान में निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन है

  1. गुरुद्वारों के प्रबन्ध में सुधार और उनकी सेवा सम्भाल के लिए प्रयत्न करना।
  2. सिक्खों में यह विश्वास बनाए रखना कि उनके पंथ का आज़ाद अस्तित्व है।
  3. निर्धनता, अभाव तथा भुखमरी को दूर करना, आर्थिक प्रबन्ध को अधिक न्यायकारी बनाना और निर्धन तथा धनी के अन्तर को दूर करना।
  4. निरक्षरता, छुआछूत तथा जातीय भेदभाव को दूर करना।
  5. शारीरिक आरोग्यता तथा स्वारशः रक्षा के लिए उपाय करना।

प्रश्न 2.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विदेश नीति पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी। यह दल आज भी भारतीय राजनीति में सक्रिय है। इस दल की नीतियों और प्रोग्रामों का वर्णन इस प्रकार है

  1. लोकतन्त्र और धर्म-निरपेक्षता में दृढ़ विश्वास।
  2. समाजवाद के साथ-साथ आर्थिक उदारवाद को बढ़ावा।
  3. कृषि को उद्योग का दर्जा देना, किसानों को कम ब्याज पर ऋण देना, उत्पादन का उचित मूल्य दिलवाना इत्यादि।
  4. उद्योगों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त करना और इन्स्पेक्टरी राज को समाप्त करना तथा पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देना।
  5. निर्धनता को कम करने के लिए बेरोज़गारों को रोज़गार देना, मज़दूरों की स्थिति में सुधार करना तथा पिछड़े और कमजोर वर्गों की धन से सहायता करना।
  6. अल्पसंख्यकों तथा स्त्रियों की दशा में सुधार।
  7. गुट-निरपेक्षता के आधार पर विदेश नीति। सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी आर्थिक उत्थान तथा विश्व शान्ति की पक्षधर है।

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प्रश्न 3.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना पर नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1925 में गठित हुई थी। इस पार्टी की मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्म-निरपेक्षता और लोकतंत्र में आस्था है। 1964 में इसमें फूट पड़ गई तथा माकपा इससे अलग हो गई। इसका आधार केरल, पश्चिमबंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में है। यह अलगाववादी और सांप्रदायिक ताकतों की विरोधी है।

प्रश्न 4.
जनता दल की नीतियां एवं प्रोग्राम।
उत्तर-

  1. कृषि श्रमिकों और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के कल्याण के लिए उचित कदम उठाना।
  2. खेती और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता।
  3. कृषि और उद्योगों के उत्पादों के मूल्यों में न्यायपूर्ण सन्तुलन।
  4. कृषि कार्य के दौरान मृत्यु होने पर किसान के परिवार को पचास हजार रुपये क्षति पूर्ति देने का प्रावधान करेगी।
  5. पंचायती राज प्रणाली को सुदृढ़ करना।
  6. लघु, कुटीर तथा कृषि पर आधारित उद्योगों को प्राथमिकता देना।
  7. उदारीकरण की नीति।
  8. सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार।
  9. देश के लिए आत्म-निर्भरता।
  10. शहरी पुनरुत्थान और विकास।
  11. पर्यावरण का उचित ध्यान।
  12. रोज़गार के अवसरों का विस्तार।

प्रश्न 5.
विरोधी दल की भूमिका।
उत्तर-
लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में विरोधी-दल की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है

  1. विरोधी दल सदन के भीतर तथा बाहर सरकार की नीतियों की आलोचना करता है।
  2. विरोधी दल महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों तथा रचनात्मक कार्यों में सरकार को सहयोग देता है।
  3. विरोधी दल भाषणों, गोष्ठियों तथा समाचार-पत्रों के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक मामलों की जानकारी देता है और उनमें राजनीतिक चेतना जागृत करता है।
  4. विरोधी दल स्वस्थ लोकमत का निर्माण करता है।
  5. विरोधी दल सरकार को सत्ता का दुरुपयोग नहीं करने देता और इस प्रकार उसे निरंकुश होने से रोकता है।
  6. यह जनता की शिकायतों को सरकार तक पहुंचाता है।
  7. समय आने पर विरोधी दल स्वयं सरकार का गठन करता है और सरकार की बागडोर सम्भालता है।

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प्रश्न 6.
लोकतन्त्र को सफल बनाने की शर्ते।
उत्तर-
हमारे देश में लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं

  1. शिक्षा का प्रसार-सरकार को शिक्षा के प्रसार के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। गांव-गांव में स्कूल खोलने चाहिए, स्त्री शिक्षा का उचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए तथा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन देना चाहिए।
  2. पाठ्यक्रमों में परिवर्तन-देश के स्कूलों तथा कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन लाना चाहिए। बच्चों को राजनीति शास्त्र से अवगत कराना चाहिए। शिक्षा केन्द्रों में प्रजातान्त्रिक सभाओं का निर्माण करना चाहिए जिनमें बच्चों को चुनाव तथा शासन चलाने का प्रशिक्षण मिल सके।
  3. चुनाव-प्रणाली में सुधार-देश में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि चुनाव एक ही दिन में सम्पन्न हो जाएं और उनके परिणाम भी. उसी दिन घोषित हो जाएं।
  4. न्याय-प्रणाली में सुधार-देश में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि मुकद्दमों का निपटारा जल्दी हो सके। निर्धन व्यक्तियों के लिए सरकार की ओर से वकीलों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता-देश में समाचार-पत्रों को निष्पक्ष विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए।
  6. आर्थिक विकास-सरकार को नये-नये उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए। उसे लोगों के लिए अधिक-सेअधिक रोजगार जुटाने चाहिएं। ग्रामों में कृषि के उत्थान के लिए उचित पग उठाने चाहिएं।

प्रश्न 7.
भारतीय लोकतन्त्र की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं।
उत्तर-
भारतीय लोकतन्त्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. भारत का संविधान लोकतान्त्रिक है। यहां संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। देश का मुखिया राष्ट्रपति है। परन्तु उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री करता है।
  2. समानता का मूल अधिकार भारतीय संविधान की एक विशेषता है। यह सिद्धान्त लोकतन्त्र की आत्मा है।
  3. स्वतन्त्रता भी लोकतन्त्र का मूल सिद्धान्त है। भारतीय संविधान में नागरिकों को अनेक प्रकार की स्वतन्त्रताएं प्रदान की गई हैं।
  4. लोकतन्त्र में बन्धुत्व की भावना संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट झलकती है।
  5. भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार का प्रावधान लोकतन्त्र की आत्मा है।
  6. भारत की संयुक्त चुनाव प्रणाली सभी धर्मों, नस्लों, भाषाओं के लोगों को चुनाव में समानता प्रदान करती है।
  7. भारत द्वारा स्थापित स्वतन्त्र न्यायपालिका, धर्म-निरपेक्षता और गणराज्य प्रणाली लोकतन्त्र की नींव को दृढ़ करते हैं।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
आधुनिक लोकतन्त्र प्रतिनिधि लोकतन्त्र (या अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र) क्यों है?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्य की जनसंख्या इतनी अधिक है कि देश के सभी नागरिक शासन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं ले सकते।

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प्रश्न 2.
चुनाव घोषणा-पत्र क्या होता है?
उत्तर-
चुनाव के समय किसी राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न क्यों प्रदान किए जाते हैं?
उत्तर-
भारत में राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न इसलिए प्रदान किए जाते हैं ताकि अशिक्षित व्यक्ति भी चुनाव चिह्न को देखकर अपनी इच्छा से उम्मीदवार का चुनाव कर सकें।

प्रश्न 4.
गुप्त मतदान का क्या अर्थ है?
उत्तर-
गुप्त मतदान से अभिप्राय नागरिक द्वारा अपने मत का प्रयोग गुप्त रूप से करने से है ताकि किसी दूसरे व्यक्ति को इस बात का पता न चल सके कि उसने अपना मत किस उम्मीदवार को दिया है।

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प्रश्न 5.
कानून का शासन क्या है?
उत्तर-
‘कानून का शासन’ से अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शासक अपनी इच्छानुसार नहीं बल्कि एक निश्चित संविधान के अनुसार शासन करता है।

प्रश्न 6.
साम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
साम्प्रदायिकता का अर्थ है-संकीर्ण धार्मिक विचार रखना।

प्रश्न 7.
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली किन्हीं दो बाधाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली दो बाधाएं हैं-निरक्षरता तथा निर्धनता।

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प्रश्न 8.
राजनीतिक दलों का कोई एक कार्य बताओ।
उत्तर-
बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल देश का शासन चलाता है।

प्रश्न 9.
सत्ता प्राप्त करने के पश्चात् भी सरकार जनमत की अवहेलना क्यों नहीं कर सकती?
उत्तर-
यदि सरकार जनमत की अवहेलना करेगी तो अगले चुनाव में उसे सत्ता से भी वंचित होना पड़ सकता है।

प्रश्न 10.
मताधिकार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
लोगों द्वारा मतदान करने तथा अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं।

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प्रश्न 11.
लोकतन्त्र में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष चुनावों का क्या महत्त्व है? कोई एक बिंदु।
उत्तर-
स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष चुनावों से ही जनता की पसन्द के प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से हमारा अभिप्राय है बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार प्राप्त हो।

प्रश्न 13.
‘डैमोक्रेसी’ (लोकतंत्र) शब्द कौन-से दो शब्दों के मेल से बना है?
उत्तर-
‘डैमोक्रेसी’ शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘डिमोस’ तथा ‘क्रेतिया’ से मिलकर बना है।

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प्रश्न 14.
‘डैमोक्रेसी’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर-
डैमोक्रेसी का शाब्दिक अर्थ है-लोगों का शासन।

प्रश्न 15.
लिंकन के अनुसार लोकतन्त्र क्या होता है?
उत्तर-
लिंकन के अनुसार लोकतन्त्र लोगों का लोगों के लिए लोगों द्वारा शासन होता है।

प्रश्न 16.
किस प्रकार के लोकतन्त्र को प्रतिनिधि लोकतान्त्रिक सरकार कहा जाता है?
उत्तर-
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को प्रतिनिधि लोकतान्त्रिक सरकार कहा जाता है।

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प्रश्न 17.
लोकतन्त्र के दो मूल सिद्धांत कौन-से हैं?
उत्तर-
लोकतन्त्र के दो मूल सिद्धान्त समानता तथा स्वतन्त्रता है।

प्रश्न 18.
भारत में कम-से-कम कितनी आयु के नागरिक को मताधिकार प्राप्त है?
उत्तर-
18 वर्ष।

प्रश्न 19.
कौन-से अधिकार लोकतन्त्र का प्राण माने जाते हैं?
उत्तर-
राजनीतिक अधिकार।

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प्रश्न 20.
ग्राम पंचायत से लेकर संसद् तक चुनाव लड़ने वाले नागरिक की आयु कम-से-कम कितनी होनी चाहिए?
उत्तर-
25 वर्ष।

प्रश्न 21.
संविधान विरोधी कानूनों को रद्द करने का अधिकार किसे प्राप्त है?
उत्तर-
संविधान विरोधी कानूनों को रद्द करने का अधिकार उच्चतम न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।

प्रश्न 22.
भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुए थे?
उत्तर-
1952 ई० में।

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प्रश्न 23.
भारत में विधानमंडलों का चुनाव किस चुनाव प्रणाली द्वारा होता है?
उत्तर-
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

प्रश्न 24.
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव किस विधि द्वारा होता है?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव विधि द्वारा होता है।

प्रश्न 25.
भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों (निर्वाचन) की ज़िम्मेदारी किस की है?
उत्तर-
चुनाव आयोग की।

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प्रश्न 26.
चुनाव अभियान के किन्हीं दो साधनों के नाम बताइए।
उत्तर-
पोस्टर लगाना तथा सभाएं करना।

प्रश्न 27.
चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
राष्ट्रपति द्वारा।

प्रश्न 28.
चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कितने वर्षों के लिए की जाती है?
उत्तर-
6 वर्ष।

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प्रश्न 29.
“जनता की आवाज़ परमात्मा की आवाज़ है। इसे अनसुना करना खतरे से खाली नहीं।” ये शब्द किसके हैं?
उत्तर-
रूसो।

प्रश्न 30.
लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली में लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति का कोई एक साधन बताओ।
उत्तर-
सार्वजनिक सभाएं/चुनाव/राजनीतिक दल।

प्रश्न 31.
लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति का कोई एक विद्युत्-चालित साधन बताओ।
उत्तर-
रेडियो/दूरदर्शन।

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प्रश्न 32.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में एक अंग्रेज अधिकारी ए० ओ० ह्यूम द्वारा की गई।

प्रश्न 33.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में सर सैयद अहमद तथा आगा खां के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 34.
हिन्दू महासभा की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1907 में।

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प्रश्न 35.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1924 में।

प्रश्न 36.
भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1934 में।

प्रश्न 37.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दो टुकड़े कब हुए?
अथवा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कब अस्तित्व में आई?
उत्तर-
1964 में।

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प्रश्न 38.
(i) भारतीय जनता पार्टी का गठन कब हुआ?
(ii) इसका पहला प्रधान किसे चुना गया?
उत्तर-
(i) 6 अप्रैल, 1980 को
(ii) श्री अटल बिहारी वाजपेयी को।

प्रश्न 39.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
श्री मनविंद्र नाथ राज के।

प्रश्न 40.
रूस की क्रांति कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर-
रूस की क्रांति 1917 में लेनिन के नेतृत्व में हुई।

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प्रश्न 41.
जनसंघ पार्टी के जनक कौन थे?
उत्तर-
डॉ० श्यामा प्रसाद मुकर्जी।

प्रश्न 42.
गुरुद्वारों की पवित्रता तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सम्मान को बनाए रखने के लिए किस राजनीतिक दल ने विशाल आंदोलन चलाया?
उत्तर-
शिरोमणि अकाली दल ने।

प्रश्न 43.
गुरुद्वारों के प्रबंध के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1926 में।

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प्रश्न 44.
भाषा के आधार पर पंजाब राज्य का पुनर्गठन कब हुआ?
उत्तर-
नवंबर 1966 में।

प्रश्न 45.
जिस राजनीतिक दल का शासन पर नियन्त्रण होता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
सत्तारूढ़ दल।

प्रश्न 46.
जो राजनैतिक दल सत्ता में नहीं होता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
विरोधी दल।

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प्रश्न 47.
राजनीतिक दल क्या होता है?
उत्तर-
लोगों का वह समूह जो एक समान राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया जाता है, उसे राजनीतिक दल कहते हैं।

प्रश्न 48.
एकदलीय प्रणाली, द्विदलीय प्रणाली और बहुदलीय प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
एकदलीय प्रणाली में केवल एक ही राजनीतिक दल का प्रभुत्व होता है। द्विदलीय प्रणाली के अन्तर्गत देश में दो प्रमुख राजनीतिक दल होते हैं जैसे-इंग्लैण्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका में। बहुदलीय प्रणाली के अन्तर्गत किसी देश में दो से अधिक राजनीतिक दल सक्रिय होते हैं, जैसे-भारत में।

प्रश्न 49.
भारत में किस प्रकार की दल प्रणाली है?
उत्तर-
बहुदलीय।

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प्रश्न 50.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं?
उत्तर-
क्षेत्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव पूरे देश में न होकर कुछ निश्चित क्षेत्रों में होता है।

प्रश्न 51.
क्षेत्रीय दलों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अकाली दल तथा तेलगू देशम्।

प्रश्न 52.
चुनाव चिह्न से क्या भाव है?
उत्तर-
चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक विशेष चिह्न निश्चित होता है जिसे चुनाव चिह्न कहते हैं।

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प्रश्न 53.
साधारण बहुमत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
साधारण बहुमत वह व्यवस्था है जिसमें सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले प्रत्याशी (उम्मीदवार) को विजयी घोषित किया जाता है।

प्रश्न 54.
कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
हाथ।

प्रश्न 55.
भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
कमल का फूल।

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प्रश्न 56.
बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर-
हाथी।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. साम्प्रदायिकता का अर्थ है, संकीर्ण ………… विचार रखना।
  2. समानता तथा स्वतंत्रता ………… के दो मूल सिद्धांत हैं।
  3. डेमोक्रेसी का शाब्दिक अर्थ है ………… का शासन है।
  4. भारत में कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु के नागरिक को मताधिकार प्राप्त होता है।
  5. चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति …………… वर्ष के लिए होती है।
  6. भारत में प्रथम आम चुनाव ………….. में हुए थे।
  7. भाषा के आधार पर पंजाब का पुनर्गठन …………….. में हुआ था।
  8. चुनावों में विजयी वह दल जो सत्ता में नहीं आता ………….. दल कहलाता है।
  9. संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ………….. में द्वि-दलीय राजनीतिक प्रणाली है।
  10. पंजाब का ………….. क्षेत्रीय राजनीतिक दल है।

उत्तर-

  1. धार्मिक,
  2. लोकतंत्र,
  3. लोगों,
  4. 18,
  5. छः,
  6. 1952,
  7. 1966,
  8. विपक्षी,
  9. इंग्लैंड,
  10. अकाली दल।

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा बिंदु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा का नहीं है?
(A) धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना
(B) धारा 370 की समाप्ति
(C) गुट निरपेक्षता
(D) औद्योगिक क्षेत्र में सुधार ।
उत्तर-
(B) धारा 370 की समाप्ति

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प्रश्न 2.
लोकमत के निर्माण में बाधक है
(A) निरक्षरता
(B) पक्षपाती समाचार-पत्र
(C) भ्रष्ट राजनीति
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
भारत में किस प्रकार की दल प्रणाली है?
(A) बहुदलीय
(B) द्वि-दलीय
(C) एकदलीय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) बहुदलीय

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति का चुनाव किस चुनाव विधि द्वारा होता है?
(A) प्रत्यक्ष
(B) अप्रत्यक्ष
(C) हाथ उठा कर
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(B) अप्रत्यक्ष

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प्रश्न 5.
निम्न राजनीतिक दल राष्ट्रीय दल है
(A) इंडियन नेशनल कांग्रेस
(B) भारतीय जनता पार्टी
(C) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. भारत में प्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  2. भारत गुट-निरपेक्षता का विरोधी है।
  3. चुनाव के समय किसी राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं।
  4. भारत में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति की होती है।
  5. भाषा के आधार पर पंजाब का पुनर्गठन नवम्बर 1966 में हुआ।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

1. लोकतंत्र — राष्ट्रीय दल
2. स्वस्थ लोकमत — सरकार की निरंकुशता पर रोक
3. भारतीय जनता पार्टी — साक्षर नागरिक
4. विरोधी दल लोगों का अपना शासन।

उत्तर-

1. लोकतंत्र — लोगों का अपना शासन,
2. स्वस्थ लोकमत — साक्षर नागरिक,
3. भारतीय जनता पार्टी — राष्ट्रीय दल,
4. विरोधी दल — सरकार की निरंकुशता पर रोक।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आधुनिक काल में लोकतन्त्र (प्रजातन्त्र) का क्या अर्थ है?
अथवा
आधुनिक लोकतन्त्र में शासन की सर्वोच्च शक्ति किसके हाथ में होती है? ऐसे शासन में कानून कौन बनाता है?
उत्तर-
आधुनिक युग लोकतन्त्र का युग है। लोकतन्त्र से हमारा अभिप्राय उस शासन से है जिसमें शासन की सर्वोच्च शक्ति जनता के हाथ में होती है। जनता प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में भाग लेती है। जनता के प्रतिनिधि विधानमण्डलों में कानूनों का निर्माण करते हैं। वे पूर्ण रूप से जनता के कल्याण तथा हित का ध्यान रखते हैं। यदि कोई प्रतिनिधि ठीक कार्य न करे तो जनता ऐसे प्रतिनिधि को उसके पद से हटा सकती है।

प्रश्न 2.
राजनीतिक समता के सिद्धान्त से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
राजनीतिक समता से अभिप्राय यह है कि सभी लोकतान्त्रिक अधिकार कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित रहने की बजाय सभी को समान रूप से उपलब्ध होने चाहिएं। इस सिद्धान्त के अनुसार हम नागरिकों को प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी में नहीं बांट सकते। अर्थात् ऐसा नहीं हो सकता कि कुछ व्यक्ति अधिकारयुक्त हों और कुछ अधिकारहीन हों। अतः स्पष्ट है कि राजनीतिक समता का यह अर्थ है कि सभी नागरिक कानून की दृष्टि में समान हैं और वे अपनी योग्यता के आधार पर उच्च से उच्च पद पर पहुंच सकते हैं। धर्म, जाति, रंग और लिंग-भेद को कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होती।

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प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में क्या अन्तर है?
उत्तर-
लोकतन्त्र दो प्रकार का हो सकता है

  1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र
  2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र।

1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र–प्रत्यक्ष लोकतन्त्र वह शासन है जिसमें सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में भाग लेते हैं। प्रत्येक नागरिक कानून बनाने, बजट बनाने, नया टैक्स लगाने, सार्वजनिक नीतियों आदि का निर्धारण करने में भाग लेते हैं। यहां तक कि जनता उन प्रतिनिधियों को भी पदमुक्त कर सकती है जो ठीक रूप से कार्य नहीं करते।
2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र-अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन कार्यों में भाग नहीं लेती अपितु वह कुछ प्रतिनिधि चुनती है। ये निर्वाचित प्रतिनिधि जनता की ओर से शासन-कार्य को चलाते हैं।

प्रश्न 4.
लोकमत का निर्माण व उसकी अभिव्यक्ति किस प्रकार होती है?
अथवा
लोकमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति के तीन साधनों का वर्णन करो।
उत्तर-
आधुनिक युग प्रजातन्त्र का युग है। प्रजातन्त्र का मूल आधार जनमत है। एक दृढ़ एवं प्रभावशाली जनमत का निर्माण अपने-आप नहीं होता है बल्कि इस उद्देश्य के लिए राजनीतिक दलों, शासकों एवं जन-नेताओं को प्रयत्न करने पड़ते हैं। जनमत के निर्माण तथा अभिव्यक्ति के लिए अग्रलिखित साधनों का प्रयोग किया जाता है-

  1. सार्वजनिक सभाओं में राजनीतिक दलों के नेता अपने विचार प्रकट करते हैं। वे अपने दल की नीतियां स्पष्ट करते हैं। इससे अधिक लोग देश की समस्याओं से परिचित होते हैं।
  2. प्रेस जनमत की अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है। समाचार-पत्रों द्वारा लोग अपने निष्पक्ष तथा स्वतन्त्र विचार प्रस्तुत कर सकते हैं।
  3. आकाशवाणी, दूरदर्शन, साहित्य, सिनेमा, शिक्षा संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं आदि जनमत का निर्माण करने में सहायता देते हैं।

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प्रश्न 5.
क्या ‘लोकमत’ वास्तव में ‘लोकमत’ होता है?
उत्तर-
‘लोकमत’ को प्रायः निर्वाचन के परिणामों से आंका जाता है। जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, लोकमत उसी के पक्ष में जाता है। यदि ध्यान से देखा जाए तो लोकमत वास्तव में लोकमत नहीं होता। चुनाव में बहुमत दल को कई बार 40% से भी कम मत प्राप्त होते हैं जबकि अन्य 60% मत अन्य दलों में बंट जाते हैं। इस प्रकार वास्तव में ‘लोकमत’ विरोधी दलों के पक्ष में होता है। परन्तु विरोधी दलों में मतों का विभाजन हो जाने के कारण वे अपनी सरकार बनाने के अधिकारी नहीं होते।

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता है? किन्हीं दो उपायों का वर्णन करो।
उत्तर-
लोकतन्त्र के मार्ग में आने वाली बाधाओं को अग्रलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है —

  1. शिक्षा का प्रसार-शिक्षित तथा योग्य नागरिक ही प्रजातन्त्र को सफल बना सकते हैं। अत: सरकार को शिक्षा का अधिक-से-अधिक प्रसार करना चाहिए। प्राइमरी तक शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए ताकि अधिक-से-अधिक जनता शिक्षा प्राप्त कर सके।
  2. स्वतन्त्र एवं ईमानदार प्रेस-प्रजातन्त्र जनमत पर आधारित है। जनमत को बनाने तथा व्यक्त करने के लिए समाचार-पत्र एक अच्छा साधन है। इसलिए ईमानदार और निष्पक्ष प्रेस का होना प्रजातन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक है। सरकार को प्रेस पर अंकुश नहीं लगाना चाहिए।

प्रश्न 7.
आधुनिक लोकतन्त्र अप्रत्यक्ष क्यों होते हैं?
उत्तर-
आधुनिक राज्य बड़े विशाल हैं जिनमें मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है। इन सभी मतदाताओं द्वारा किसी देश का शासन चलाना सम्भव नहीं हो सकता। शासन चलाने के लिए किसी भीड़ की नहीं अपितु एक व्यवस्थित संस्था की आवश्यकता होती है। अत: शासन को व्यवस्थित करने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है जिसके अनुसार जनता अपने प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा एवं विधानसभाओं में भेजे। इन प्रतिनिधियों की संख्या अधिक नहीं होती। अतः उनके लिए शासन चलाना सुगम होता है। यही कारण है कि आधुनिक लोकतन्त्र प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष है।

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प्रश्न 8.
लोकतन्त्र में प्रतिनिधित्व का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
आज के युग में लोकतन्त्रीय सरकारों का मुख्य कार्य प्रतिनिधित्व करना है। वास्तव में आज प्रतिनिधित्व पर ही सब कुछ निर्भर है। आज संसार के सभी देशों में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ गई है। अतः आधुनिक लोकतन्त्र में सभी नागरिक शासन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं ले सकते। केवल उनके प्रतिनिधि ही शासन कार्यों में भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधित्व की विविध प्रणालियों के द्वारा ही सरकार जनता की इच्छाओं के अनुसार कार्य करती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकतन्त्र में प्रतिनिधित्व का बहुत अधिक महत्त्व है।

प्रश्न 9.
उत्तरदायी सरकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
उत्तरदायी सरकार से तात्पर्य उन सरकारों से है जो इंग्लैण्ड तथा फ्रांस की क्रान्तियों के पश्चात् स्थापित की गई थीं। ये उत्तरदायी सरकारें अपनी मनमानी नहीं कर सकती थीं। इन्हें कुछ निश्चित नियमों का पालन करना पड़ता था। इन सरकारों के विषय में एक विशेष बात यह है कि ये आज की लोकतंत्रीय सरकारों से बिल्कुल भिन्न थीं। आधुनिक लोकतन्त्रीय सरकार में देश के सभी नागरिकों को मत देने का अधिकार होता है, परन्तु उस समय की उत्तरदायी सरकारों के चुनाव में सारी जनता भाग नहीं लेती थी। ये सरकारें कुछ ही लोगों द्वारा चुनी जाती थीं।

प्रश्न 10.
चुनाव घोषणा-पत्र क्या है? उसका क्या उपयोग है?
उत्तर-
चुनाव घोषणा-पत्र से अभिप्राय किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल के लिखित कार्यक्रम से है। यह कार्यक्रम चुनाव के समय मतदाताओं के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इसके द्वारा प्रायः निम्नलिखित बातों का स्पष्टीकरण किया जाता है —

  1. देश की आन्तरिक तथा बाह्य नीतियों के विषय में उस दल के क्या विचार हैं।
  2. यदि उस दल की सरकार बनी तो वह लोगों की भलाई के लिए कौन-कौन से कार्य करेगी।
  3. चुनाव लड़ने वाले दल विरोधी दलों से किस प्रकार भिन्न हैं।

इसके विपरीत विरोधी दल वाले अपने घोषणा-पत्र में यह बताते हैं कि वे सरकार से क्यों असहमत हैं। इस प्रकार चुनाव घोषणा-पत्र का बड़ा ही महत्त्व है। वास्तव में दलों की परख भी इसी से होती है।

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प्रश्न 11.
साधारण बहुमत से अन्तर्निहित विरोधाभास को स्पष्ट करो।
उत्तर-
साधारण बहुमत से अभिप्राय ऐसी निर्वाचन पद्धति से है जिसमें सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार (प्रत्याशी) को विजयी घोषित किया जाता है। इस प्रणाली में स्पष्ट बहुमत न मिलने पर भी किसी प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है। लोकतन्त्र की भावना के अनुसार किसी प्रत्याशी को आधे से अधिक मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। परन्तु कई बार आधे से भी कम वोट लेने वाला प्रत्याशी निर्वाचित हो जाता है। ऐसे प्रतिनिधि को हम वास्तविक प्रतिनिधि नहीं कह सकते। कई बार तो अधिक मत प्राप्त करने पर भी कोई दल विधानपालिका में विरोधी दल का स्थान ग्रहण करता है और अल्पमत का प्रतिनिधित्व करने वाला दल सत्ता में आ जाता है।

प्रश्न 12.
चुनाव अभियान का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
लोकतन्त्र में चुनाव अभियान का बड़ा महत्त्व है। इस प्रकार के अभियान द्वारा साधारण जनता को देश अथवा राज्य की विभिन्न समस्याओं का पता चलता है। राजनीतिक दल इन अभियानों द्वारा जनता को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करते हैं। विरोधी दल जनता को अपने कार्यक्रमों के विषय में सूचित करते हैं। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि सरकार की नीतियों में क्या कमी है। वे जनता को आश्वासन देते हैं कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे जनता की सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखेंगे। इसी प्रकार सरकार जनता को अपनी सफलताओं तथा आगे की योजनाओं के विषय में बताती है। इन सभी बातों से स्पष्ट है कि चुनाव अभियान का बड़ा महत्त्व है।

प्रश्न 13.
लोकतन्त्र में चुनाव का क्या महत्त्व है? चुनावों में राजनीतिक दल क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर-
लोकतन्त्र में चुनावों का महत्त्व इस प्रकार है

  1. चुनाव द्वारा जनता राज्य तथा केन्द्रीय विधानमण्डलों के सदस्यों का चुनाव करती है।
  2. चुनाव के कारण शासन-प्रणाली में स्थिरता आती है।
  3. चुनाव के द्वारा जनता सरकार पर नियन्त्रण रखती है और उसे निरंकुश बनने से रोकती है।
  4. चुनावों द्वारा जनता सरकार को बदल सकती है।

चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दल राष्ट्रीय समस्याओं को जनता के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं। वे यह भी बताते हैं कि सत्ता में आने पर वे इन समस्याओं को कैसे हल करेंगे। वे जनता को राजनीतिक शिक्षा देते हैं और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागृत करते हैं।

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प्रश्न 14.
निर्वाचन में ‘साधारण बहुमत’ के दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक लोकतन्त्र में प्रतिनिधियों का चुनाव साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है। साधारण बहुमत से अभिप्राय यह है कि जो व्यक्ति अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी से अधिक मत प्राप्त कर लेता है, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। परन्तु यह एक दोषपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित व्यक्ति को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं होता। इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए तीन उम्मीदवारों के लिए 100 वैध मत डाले गए हैं। इनमें 25 मत एक उम्मीदवार को, 35 मत दूसरे उम्मीदवार को तथा 40 मत तीसरे उम्मीदवार को मिले हैं। ऐसी अवस्था में तीसरा उम्मीदवार विजयी होगा, जबकि उसे 100 में से आधे मत भी प्राप्त नहीं हुए हैं। इस प्रकार साधारण बहुमत लेकर कोई एक दल सत्ता में आ जाता है, भले ही वह आधे मतदाताओं का प्रतिनिधित्व भी नहीं करता।

प्रश्न 15.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लिए कौन-सी दो प्रणालियां अपनाई जाती हैं?
उत्तर-
आनुपातिक प्रतिनिधित्व से हमारा अभिप्राय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अथवा वर्ग के लोगों को उनके अनुपात में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। आनुपातिक प्रतिनिधित्व को लागू करने के लिए दो प्रणालियां अपनाई जाती हैं

  1. एकल संक्रमणीय मत प्रणाली।
  2. सूची प्रणाली।

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 16.
प्रतिनिधियों के चयन के लिए कौन-कौन सी दो चुनाव प्रणालियां अपनाई गई हैं?
उत्तर-
प्रतिनिधियों के चयन के लिए निम्नलिखित चुनाव प्रणालियां अपनाई गई हैं

  1. प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली
  2. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली।

1. प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली-प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में मतदाता स्वयं अपने मत का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। उदाहरण के लिए भारत में लोकसभा का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। प्रत्येक स्त्री-पुरुष, जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, मत का प्रयोग कर सकता है।
2. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली-कुछ प्रतिनिधियों का चुनाव मतदाता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करते। इनका चुनाव मतदाताओं द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। इस प्रणाली को अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहा जाता है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली द्वारा होता है।

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प्रश्न 17.
गुप्त मतदान प्रणाली का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
गुप्त मतदान प्रणाली निष्पक्ष और स्वतन्त्र चुनाव की दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। इसमें मतदाता किसी भी उम्मीदवार के दबाव में नहीं आ सकता और न ही उसे अपने मत का प्रयोग करने के बाद इस बात का भय रहता है कि कोई उम्मीदवार उसे विरोधी पक्ष को मत देने के लिए तंग करेगा। वह अपने मत का प्रयोग बिना किसी भय के स्वतन्त्र रूप से कर सकता है। गुप्त मतदान प्रणाली के महत्त्व को देखते हुए आज विश्व के अनेक देशों ने इस प्रणाली को अपनाया है।

प्रश्न 18.
लोकतन्त्रीय सरकार में दलों का इतना अधिक महत्त्व क्यों माना जाता है?
उत्तर-
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों का विशेष महत्त्व है। ये दल निम्नलिखित कार्य करते हैं

  1. सभी राजनीतिक दल अपना राजनीतिक कार्यक्रम तैयार करते हैं। वे अपना-अपना चुनाव घोषणा-पत्र (Manifesto) तैयार करते हैं जिनके द्वारा वे देश की समस्याओं को जनता के सामने रखते हैं। वे इस बात को भी स्पष्ट करते हैं कि वे इन समस्याओं का समाधान कैसे करेंगे ?
  2. जनमत का निर्माण करने में भी ये दल विशेष भूमिका निभाते हैं।
  3. ये दल प्रजातन्त्र के सिद्धान्त के अनुसार चुनाव भी लड़ते हैं।
  4. आम चुनावों के पश्चात् बहुमत प्राप्त करने वाला दल सरकार का निर्माण करता है।
  5. जो दल चुनावों में बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता, वह विरोधी दल का निर्माण करता है।
  6. लोगों को राजनीतिक शिक्षा देने में भी राजनीतिक दलों का हाथ होता है।

प्रश्न 19.
द्वि-दलीय प्रणाली के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
द्वि-दलीय प्रणाली के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

  1. स्थिर सरकार-द्वि-दलीय प्रणाली में स्थिर सरकार का निर्माण होता है। ऐसी सरकार जनमत की इच्छानुसार शासन चलाती है।
  2. स्पष्ट चनाव-इस प्रणाली के अन्तर्गत नवीन चुनावों के बाद घटित होने वाली बात के विषय में अधिक अनिश्चितता नहीं होती। मतदाता यह जानते हैं कि यदि एक दल हटता है तो दूसरा दल ही सत्तारूढ़ होगा।
  3. सुदृढ़ विरोधी दल-इस प्रणाली में विरोधी दल भी बड़ा सुदृढ़ होता है। वह हर समय सक्रिय रहता है एवं सत्तारूढ़ दल की गलत नीतियों की तीव्र आलोचना करता है।
  4. निश्चित उत्तरदायित्व-द्वि-दलीय प्रणाली में बहुमत दल की सरकार होती है। सरकार की बुराइयों के लिए सत्तारूढ़ दल को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 4 भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप

भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप PSEB 10th Class Civics Notes

  • लोकतन्त्र के प्रकार-लोकतन्त्र प्रत्यक्ष भी हो सकता है और अप्रत्यक्ष भी। प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता स्वयं अपने शासन का संचालन करती है। अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन चलाने का कार्य जनता के प्रतिनिधि करते हैं।
  • लोकमत-प्रजातन्त्र की सफलता के लिए लोकमत अथवा जनमत की भूमिका अति अनिवार्य है। स्वस्थ जनमत राजनीतिक दलों पर नियन्त्रण रखता है। जनमत के निर्माण में अनेक संस्थाओं का योगदान होता है-समाचार-पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, राजनीतिक दल तथा अन्य समाज सेवी समूह।
  • जनमत की अभिव्यक्ति-जनमत निर्माण के साधन जनमत की अभिव्यक्ति भी करते हैं। राजनीतिक दल लोगों की राय की अभिव्यक्ति करते हैं।
  • आधुनिक लोकतन्त्र-प्रतिनिधि लोकतन्त्र-आधुनिक लोकतन्त्र प्रतिनिधि लोकतन्त्र है। इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्यों का आकार बहुत बड़ा है और उनकी जनसंख्या बहुत अधिक है।
  • मताधिकार-नागरिकों के मत देने तथा मतदान द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। भारत में ‘एक व्यक्ति-एक वोट’ के आधार पर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है।
  • गुप्त मतदान-आह्यधुनिक लोकतान्त्रिक देशों में मतदान गुप्त प्रक्रिया से किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक नागरिक अपने प्रतिनिधि के चुनाव के लिए स्वेच्छा से मतदान करता है। वह किसी को बताने के लिए बाध्य नहीं कि उसने अपना मत किसके पक्ष में डाला है।
  • चुनाव प्रक्रिया-चुनावों की व्यवस्था तथा देख-रेख चुनाव आयोग करता है। इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के मुख्य चरण हैं-चुनावों की तिथि की घोषणा, नामांकन-पत्र भरना, नामांकन-पत्रों की जांच, नाम वापिस लेना, चुनाव अभियान, मतदान, मतगणना तथा परिणामों की घोषणा।
  • चुनाव चिह्न-प्रत्येक राजनीतिक दल का अपना विशेष चुनाव चिह्न होता है। निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। इन चिह्नों से उम्मीदवारों की पहचान करना सरल हो जाता है। ये चिह्न चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
  • चुनाव अभियान-यह चुनाव की समस्त प्रक्रिया का सबसे निर्णायक भाग है। जनसभाओं का आयोजन, चुनाव घोषणा-पत्र द्वारा जनता को दल की नीतियों की जानकारी देना, विभिन्न प्रकार के वाहनों तथा पोस्टरों द्वारा चुनाव प्रचार किया जाता है।
  • चुनाव घोषणा-पत्र-चुनाव के समय प्रत्येक राजनीतिक दल जनता को यह बताता है कि यदि वह सत्ता में आ गया तो वह क्या-क्या करेगा। राजनीतिक दलों के इस कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। इसी के आधार पर राजनीतिक दलों की परख होती है।
  • राजनीतिक दल-एक समान राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मिल कर कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूह को राजनीतिक दल कहते हैं। जनमत का निर्माण, राजनीतिक शिक्षा, चुनाव लड़ना, सरकार का निर्माण, सरकार की आलोचना, जनता और सरकार में सम्पर्क स्थापित करना राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य हैं।
  • एक दलीय, द्विदलीय तथा बहुदलीय प्रणाली-जिस राज्य में एक ही राजनीतिक दल हो उसे एक दलीय, जिस राज्य में दो दल हों, उसे द्विदलीय तथा जिस राज्य में दो से अधिक दल हों, उसे बहुदलीय प्रणाली कहते हैं। भारत में बहुदलीय प्रणाली है।
  • भारत के प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल-इण्डियन नेशनल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, साम्यवादी दल, साम्यवादी (मार्क्सवादी), एन० सी० पी०, तृणमूल कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।
  • भारत के प्रमुख क्षेत्रीय दल-तमिलनाडु में ए० आई० ए० डी० एम० के०, आन्ध्र में तेलगू देशम्, जम्मूकश्मीर में नेशनल कान्फ्रैंस, पंजाब में अकाली दल, असम में असम गण परिषद् प्रमुख क्षेत्रीय दल हैं।
  • विपक्षी दलों की भूमिका-सत्ता में न होने के बावजूद विपक्षी दल का अपना महत्त्व होता है। विपक्षी दल सरकार की नीतियों की आलोचना द्वारा सरकार पर अंकुश रखता है। इस प्रकार वह सरकार को मनमानी करने से रोकता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 3 राज्य सरकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 3 राज्य सरकार

SST Guide for Class 10 PSEB राज्य सरकार Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दें

प्रश्न 1.
राज्य विधानमण्डल के कितने सदन होते हैं?
उत्तर-
दो सदन-विधानसभा तथा विधानपरिषद्।

प्रश्न 2.
राज्य विधानसभा के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं हैं?
(ii) इसके कम-से-कम या अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
(iii) साधारण विधेयक को कानून बनने के लिए किन चरणों या पड़ावों में से गुजरना पड़ता है?
(iv) विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु कितनी है?
(v) अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
(i) राज्य विधानसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु कम-से-कम 25 वर्ष हो।
  3. वह पागल या दिवालिया न हो।
  4. वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभप्रद पद पर न हो। (कोई एक लिखो)

(ii) सदस्य संख्या-मूल संविधान के अनुसार राज्य विधानसभा के अधिक-से-अधिक 500 और कम-से-कम 60 सदस्य हो सकते हैं।
(iii) साधारण विधेयक के चरण-

  1. प्रस्तुति और परिचय
  2. विधेयक की प्रत्येक धारा पर बहस
  3. विधेयक पर समग्र रूप से मतदान
  4. विधेयक दूसरे सदन में।

(iv) विधानसभा सदस्य बनने के लिए कम-से-कम आयु-25 वर्ष।
(v) अध्यक्ष का चुनाव-विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।

प्रश्न 3.
राज्य की विधान परिषद् के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें (i) विधान परिषद् के कितने सदस्य हो सकते हैं? (ii) विधान परिषद् का कार्यकाल कितना है ?
उत्तर-
(i) विधान परिषद् की सदस्य संख्या-विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के एक तिहाई सदस्यों से अधिक नहीं होनी चाहिए और कम-से-कम संख्या 40 होनी चाहिए।
(ii) विधान परिषद् का कार्यकाल-विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।

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प्रश्न 4.
राज्य विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखना।
  2. कर लगाने, कर संशोधन करने या बजट पास करने का अधिकार।
  3. राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना।
  4. सदन की मर्यादा भंग करने वालों को दण्ड देने का अधिकार। (कोई एक लिखें)

प्रश्न 5.
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-
राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए की जाती है।

प्रश्न 6.
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।

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प्रश्न 7.
संवैधानिक संकट के समय राज्यपाल की क्या स्थिति होती है?
उत्तर-
संवैधानिक संकट के समय राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है और राज्यपाल राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल का कार्यकाल कितना है?
उत्तर-
राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें

(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना है?
(ii) इसकी योग्यताएं क्या हैं?
(ii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी होती है?
(iv) लोक अदालतों से आप क्या समझते हैं ?
(v) क्या आपके राज्य में दो सदनी विधानपालिका है?
उत्तर-
(i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
(ii) उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह दस वर्ष तक किसी अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश रह चुका हो।
  3. उसने दस वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत की हो।

(iii) उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या-उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। इनकी संख्या निश्चित नहीं होती है। इनकी संख्या राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर है।
(iv) लोक अदालतें-निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए कुछ समय पूर्व देश में लोक अदालतें स्थापित की गईं। 6 अक्तूबर, 1985 को पहली लोक अदालत दिल्ली में बैठी थी। इसमें 150 दुर्घटना सम्बन्धी विवादों को निपटाया गया था।
(v) नहीं। हमारे राज्य पंजाब में दो सदनी विधानपालिका नहीं है।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. राज्य का सारा शासन प्रबन्ध उसी के नाम पर चलता है।
  2. राज्य में शान्ति एवं सुरक्षा बनाए रखना उसका उत्तरदायित्व है। इसमें उसकी सहायता करने तथा परामर्श देने के लिए मुख्यमन्त्री सहित मन्त्रिपरिषद् का प्रावधान है।
  3. वह विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है।
  4. वह राज्य के समस्त उच्च पदाधिकारियों को नियुक्त करता है। वह राज्य के महाधिवक्ता तथा राज्य सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों को नियुक्त करता है।
  5. वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। (कोई तीन लिखें!)

प्रश्न 2.
मुख्यमंत्री, मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति का वर्णन करें।
उत्तर-
केन्द्र की भान्ति राज्यों में भी शासन की संसदीय प्रणाली अपनाई गई है। राज्यपाल नाममात्र का अध्यक्ष होता है। इसकी सहायता एवं परामर्श के लिए मुख्यमन्त्री एवं उसका मन्त्रिमण्डल होता है। मन्त्रिमण्डल राज्य की वास्तविक कार्यपालिका होती है। राज्यपाल विधानसभा के बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। राज्यपाल मुख्यमन्त्री द्वारा दी गई सूची में न तो अपनी इच्छा से कोई नाम जोड़ सकता है और न ही सूची में दिए गए नामों में से किसी नाम को काट सकता है।

प्रश्न 3.
विधानमण्डल की चार शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
विधानमण्डल की शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है

  1. वैधानिक शक्तियां-विधानमण्डल राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
  2. कार्यपालिका शक्तियां-
    1. राज्य की मन्त्रिपरिषद् विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होती है।
    2. वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकता है।
    3. इसके सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
    4. इसके सदस्य विभिन्न प्रस्ताव पेश करके भी मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखते हैं।
  3. वित्तीय शक्तियां-विधानमण्डल राज्य के आय-व्यय पर नियन्त्रण रखता है। वह राज्य का वार्षिक बजट पास करता है। इसकी स्वीकृति के बिना न तो कोई कर लगाया जा सकता है और न ही कुछ व्यय किया जा सकता है।
  4. विविध शक्तियां-
    1. विधानमण्डल के निम्न सदन (विधानसभा) के चुने हुए सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
    2. विधानसभा के सदस्य विधान परिषद् के 1/3 सदस्यों का निर्वाचन करते हैं।
    3. विधानसभा राज्य में विधानपरिषद् की स्थापना अथवा समाप्ति का प्रस्ताव पास करती है।

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प्रश्न 4.
राज्यपाल की ऐच्छिक शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राज्यपाल की स्थिति वैसी नहीं है जैसी केन्द्र में राष्ट्रपति की है। केन्द्र में यह संवैधानिक प्रावधान है कि राष्ट्रपति को मन्त्रिपरिषद् के परामर्श के अनुसार ही कार्य करना पड़ता है। इसके विपरीत राज्यपाल कुछ परिस्थितियों में अपने विवेक के अनुसार कार्य कर सकता है। राज्यपाल की इस शक्ति को स्व-विवेक की शक्ति अथवा ऐच्छिक शक्ति कहते हैं।
राज्यपाल निम्नलिखित परिस्थितियों में अपने स्वविवेक से कार्य कर सकता है

  1. यदि विधानसभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो वह स्वविवेक से मुख्यमन्त्री की नियुक्ति कर सकता है।
  2. वह राष्ट्रपति को संवैधानिक यन्त्र के विफल हो जाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
  3. राज्य में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा करने के लिए।
  4. राज्य विधानमण्डल द्वारा पास किए गए किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने के लिए।

प्रश्न 5.
मन्त्रिमण्डल के चार कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मन्त्रिमण्डल के तीन कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. नीति-निर्माण-राज्य मन्त्रिमण्डल का मुख्य कर्त्तव्य राज्य के लोगों की समस्याओं का समाधान करना होता है। इसके लिए वह आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक तथा कृषि सम्बन्धी नीति का निर्माण करता है।
  2. प्रशासन-प्रत्येक मन्त्री राज्य के किसी विभाग का अध्यक्ष होता है। वह विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की सहायता से अपने विभाग का प्रशासन चलाता है।
  3. वैधानिक शक्तियां-राज्य विधानमण्डल में अधिकतर बिल मन्त्रियों द्वारा पेश किए जाते हैं। मन्त्रिपरिषद् की इच्छा के विरुद्ध कोई भी बिल पास नहीं हो सकता। राज्य विधानमण्डल की बैठकें राज्यपाल मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही बुलाता है। मन्त्रिमण्डल की सलाह से ही वह विधानसभा को भंग कर सकता है तथा अध्यादेश जारी करता है।
  4. वित्तीय शक्तियां-राज्य का वार्षिक बजट मन्त्रिमण्डल तैयार करता है। वित्तमन्त्री इसे विधानमण्डल में प्रस्तुत करता है। मन्त्रिमण्डल ही यह निर्णय करता है कि कौन-से नए कर लगाए जायें, किन करों को घटाया या बढ़ाया जाए तथा धन का प्रयोग किस प्रकार से किया जाए। (कोई तीन लिखें)

प्रश्न 6.
संवैधानिक संकट की घोषणा का राज्य प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति में राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति राज्य में संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि सम्बद्ध राज्य की विधानसभा को भंग अथवा निलम्बित कर दिया जाता है। राज्य की मन्त्रिपरिषद् को भी भंग कर दिया जाता है। राज्य का शासन राष्ट्रपति अपने हाथ में ले लेता है। इसका अर्थ यह है कि कुछ समय के लिए राज्य का शासन केन्द्र चलाता है। व्यवहार में राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने की वास्तविक शक्तियां सौंप देता है। विधानमण्डल की समस्त शक्तियां अस्थाई रूप से केन्द्रीय संसद् को प्राप्त हो जाती हैं।

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प्रश्न 7.
लोक अदालतों के कार्यों/शक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर-
लोक अदालतें न्याय करने के लिए बिल्कुल नवीन व्यवस्था है। इसके जनक न्यायमूर्ति पी० एन० भगवती माने जाते हैं। इसका मुख्य कार्य निर्धन और शोषित लोगों को शीघ्र न्याय दिलाना है। हमारे न्यायालयों में काम का बड़ा बोझ है। लाखों विवाद फाइलों में बन्द पड़े हैं। लोक अदालतों में आपसी सहमति द्वारा सैंकड़ों अभियोगों का निपटारा किया जाता है। अत: लोक अदालतों में लम्बे समय से लम्बित पड़े मुकद्दमे शीघ्रता से निपट जाएंगे और न्यायालयों का कार्य भार हल्का हो जाएगा। 1987 में लोक अदालतों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई।

PSEB 10th Class Social Science Guide राज्य सरकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संघ में कितने प्रकार की इकाइयां हैं? नाम बताइए।
उत्तर-
भारतीय संघ में दो प्रकार की इकाइयां हैं-राज्य तथा केन्द्र शासित क्षेत्र।

प्रश्न 2.
(i) राज्यों का वर्गीकरण किस आधार पर किया गया है?
(ii) राज्यों को भाषायी राज्य क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
(i) भारत में राज्यों का वर्गीकरण भाषा के आधार पर किया गया है।
(ii) राज्यों का गठन भाषा के आधार पर होने के कारण इन्हें भाषायी राज्य कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
केन्द्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर-
केन्द्र शासित प्रदेश वह प्रशासनिक इकाई है जिसका शासन केन्द्र सरकार के अधीन होता है।

प्रश्न 4.
दो केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम लिखो।
उत्तर-
पाण्डिचेरी और चण्डीगढ़।

प्रश्न 5.
(i) राज्य सरकार किस सूची के विषयों पर कानून बना सकती है?
(ii) राज्य सूची में कौन-कौन से विषय हैं?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
(ii) कृषि, भूमि, सिंचाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि राज्य सूची के विषय हैं।

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प्रश्न 6.
(i) धन सम्बन्धी विधेयक राज्य विधानमण्डल के किस सदन में पेश किए जा सकते हैं?
(ii) विधानसभा द्वारा भेजे गए विधेयक को विधान परिषद कितने समय तक रोक सकती है?
उत्तर-
(i) धन सम्बन्धी विधेयक विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं।
(ii) विधानसभा द्वारा परामर्श के लिए भेजे गए विधेयक को विधान परिषद् अधिक-से-अधिक 14 दिनों तक रोक सकती है।

प्रश्न 7.
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान (कार्याध्यक्ष) कौन होता है?
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-
(i) राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान मुख्यमन्त्री होता है।
(ii) मुख्यमन्त्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।

प्रश्न 8.
राज्यपाल के पद के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
35 वर्ष।

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प्रश्न 9.
(i) राज्य विधानसभा के एक वर्ष में कितने अधिवेशन होना आवश्यक है?
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में कम-से-कम कितने समय का अन्तर होना चाहिए?
उत्तर-
(i) राज्य विधानमण्डल के एक वर्ष में दो अधिवेशन होना आवश्यक है।
(ii) राज्य विधानमण्डल के दो अधिवेशनों में 6 मास से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 10.
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल का प्रमुख परामर्शदाता मुख्यमन्त्री होता है।

प्रश्न 11.
भारत में कितने राज्य (राज्य सरकारें) हैं?
उत्तर-
28.

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प्रश्न 12.
भारत में कितने संघीय क्षेत्र हैं?
उत्तर-
8.

प्रश्न 13.
दो राज्यों के नाम बताओ जहां द्विसदनीय विधानमण्डल हैं।
उत्तर-
महाराष्ट्र तथा कर्नाटक।

प्रश्न 14.
पंजाब में कितने सदनीय विधानमण्डल/विधानपालिका हैं?
उत्तर-
एक सदनीय।

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प्रश्न 15.
विधानपरिषद् के सदस्यों की कम-से-कम कितनी संख्या निश्चित की गई है?
उत्तर-
40.

प्रश्न 16.
विधानसभा का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
25 वर्ष।

प्रश्न 17.
विधानपरिषद् का सदस्य बनने के लिए नागरिक की कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
30 वर्ष।

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प्रश्न 18.
विधानपरिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
6 वर्ष।

प्रश्न 19.
विधानपरिषद् में राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-
12.

प्रश्न 20.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

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प्रश्न 21.
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 22.
राज्य में अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 23.
राज्यपाल अपनी कौन-सी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है?
उत्तर-
विवेकशील।

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प्रश्न 24.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त हो जाती हैं?
उत्तर-
संसद् को।

प्रश्न 25.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी है?
उत्तर-
26.

प्रश्न 26.
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश कितनी आयु तक अपने पद पर रह सकता है?
अथवा
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

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प्रश्न 27.
पंजाब और हरियाणा का संयुक्त उच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर-
चंडीगढ़ में।

प्रश्न 28.
जिला न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राज्यपाल।

प्रश्न 29.
लोक अदालतों की धारणा का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर-
पी० एन० भगवती को।

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प्रश्न 30.
संघ सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
97.

प्रश्न 31.
राज्य सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
66.

प्रश्न 32.
समवर्ती सूची में कितने विषय शामिल हैं?
उत्तर-
47.

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प्रश्न 33.
संघ सूची के कोई दो विषय बताओ।
उत्तर-
रेलवे तथा रक्षा।

प्रश्न 34.
समवर्ती सूची का कोई एक विषय बताइए।
उत्तर-
मजदूर कल्याण।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. भारत में ……….. राज्य हैं।
  2. भारत में …………… संघीय (केंद्र शासित) क्षेत्र हैं।
  3. पंजाब में ……………. सदनीय विधानमंडल है।
  4. विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम ……….. वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  5. संवैधानिक संकट के समय …………. राज्य का वास्तविक कार्याध्यक्ष बन जाता है।
  6. राज्य के सबसे बड़े न्यायालय को ……….. न्यायालय कहते हैं।
  7. राज्यपाल अपनी ………….. शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से कर सकता है।
  8. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश …………. वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।
  9. राज्यपाल की नियुक्ति ………… करता है।।
  10. विधान परिषद् में ………….. सदस्य राज्यपाल मनोनीत करता है।

उत्तर-

  1. 28,
  2. 8,
  3. एक,
  4. 25,
  5. राज्यपाल,
  6. उच्च,
  7. विवेकशील,
  8. 62
  9. राष्ट्रपति,
  10. 1/6.

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III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधान मंडल है
(A) बिहार
(B) महाराष्ट्र
(C) उत्तर प्रदेश
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
निम्न राज्य में द्वि-सदनीय विधानमंडल/विधान परिषद् नहीं है
(A) पंजाब/हरियाणा
(B) झारखंड
(C) जम्मू और कश्मीर
(D) कर्नाटक।
उत्तर-
(A) पंजाब/हरियाणा

प्रश्न 3.
विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव होता है
(A) राज्यपाल द्वारा
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा
(C) मुख्यमन्त्री द्वारा
(D) विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा।
उत्तर-
(B) विधानसभा के सदस्यों द्वारा

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प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा केंद्र शासित (संघीय) क्षेत्र नहीं है?
(A) राजस्थान
(B) दिल्ली
(C) चंडीगढ़
(D) पांडिचेरी।
उत्तर-
(A) राजस्थान

प्रश्न 5.
राज्य विधानमंडल के कौन-कौन से दो सदन होते हैं?
(A) लोकसभा तथा विधानसभा
(B) विधानसभा तथा राज्यसभा
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद
(D) लोकसभा तथा राज्यसभा।
उत्तर-
(C) विधानसभा तथा विधान परिषद

प्रश्न 6.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की वैधानिक शक्तियां किसे प्राप्त होती हैं?
(A) विधानपरिषद् को
(B) संसद् को
(C) प्रधानमन्त्री को
(D) राज्यसभा को।
उत्तर-
(B) संसद् को

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प्रश्न 7.
शक्तियों के बंटवारे के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(A) संघ सूची 47 विषय; राज्य सूची 97 विषय; समवर्ती सूची 66 विषय
(B) संघ सूची 66 विषय; राज्य सूची 47 विषय; समवर्ती सूची 97 विषय
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) संघ सूची 97 विषय; राज्य सूची 66 विषय; समवर्ती सूची 47 विषय

प्रश्न 8.
राज्य का संवैधानिक मुखिया कौन होता है?
(A) राज्यपाल
(B) मुख्यमन्त्री
(C) विधानसभा अध्यक्ष
(D) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(A) राज्यपाल

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से करते हैं।
  2. विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छः वर्ष होता है।
  3. मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  4. पंजाब तथा हरियाणा केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  5. राज्य में मुख्यमंत्री ही अध्यादेश जारी कर सकता है।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✗).

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V. उचित मिलान

  1. मुख्यमन्त्री द्वि-सदनीय विधानमंडल
  2. राज्यपाल एक सदनीय विधानमंडल
  3. पंजाब राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान
  4. बिहार राज्य का संवैधानिक मुखिया

उत्तर-

  1. मुख्यमन्त्री-राज्य सरकार का वास्तविक प्रधान,
  2. राज्यपाल-राज्य का संवैधानिक मुखिया,
  3. पंजाबएक सदनीय विधानमंडल,
  4. बिहार-द्वि-सदनीय विधानमंडल।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विधानसभा की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
विधानसभा के सदस्यों की संख्या राज्य के आकार तथा वहां की जनसंख्या पर निर्भर करती है। परन्तु संविधान के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा में अधिक-से-अधिक 500 सदस्य हो सकते हैं। इनका चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा किया जाता है। विधानसभा का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति की आयु 25 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए। विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
विधानसभा की कार्यवाही का संचालन करने के लिए एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष होता है। इनका चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने में से ही करते हैं।

प्रश्न 2.
विधान परिषद् की रचना कैसी होती है?
उत्तर-
किसी राज्य की विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों के एक-तिहाई भाग से अधिक नहीं हो सकती। इस सदन की रचना इस प्रकार होती है —

  1. इसके एक-तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं।
  2. इसके अन्य एक-तिहाई सदस्य राज्य की विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं।
  3. सदस्य संख्या का बारहवां भाग स्नातकों द्वारा निर्वाचित होता है।
  4. एक अन्य बारहवां भाग सैकेण्डरी स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है।
  5. शेष 1/6 सदस्यों को राज्य का राज्यपाल मनोनीत करता है। ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन या सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त होते हैं।

विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। प्रत्येक दो वर्ष के पश्चात् इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नये सदस्य चुन लिए जाते हैं। इस प्रकार विधान परिषद् एक स्थायी सदन है।

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प्रश्न 3.
केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकारी होता है, परन्तु वह केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपना कार्य करता है। निम्नलिखित तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं —

  1. वह केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच कड़ी (Link) का काम करता है। वह विधायिका द्वारा पारित किसी बिल को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  2. राज्यपाल द्वारा राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता की सूचना मिलने पर राष्ट्रपति सम्बन्धित राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ लागू कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्य की विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् को भंग अथवा स्थगित कर दिया जाता है और राज्य का प्रशासन राज्यपाल के अधीन हो जाता है। ऐसे समय पर राज्यपाल राष्ट्रपति का व्यावहारिक प्रतिनिधि बन जाता है। वह राज्य का प्रशासन कुछ सलाहकारों की सहायता से चलाता है।

प्रश्न 4.
जिन आधारों पर राज्यपाल अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राज्यपाल निम्नलिखित आधारों पर अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है —

  1. जब राज्य का शासन संविधान के अनुसार चलाने में बाधा पड़ रही हो।
  2. जब राज्यपाल के लिए यह निश्चित करना कठिन हो जाए कि विधानसभा में किस राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।

प्रश्न 5.
केन्द्र शासित क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत में 8 केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। ये जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटे प्रदेश हैं। इसीलिए उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है। वे स्वायत्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों का प्रशासन केन्द्र के अधीन है तथा इन्हें उसके नियन्त्रण में चलाया जाता है। केन्द्र शासित क्षेत्र के प्रशासन का प्रधान उप-राज्यपाल, मुख्य आयुक्त अथवा प्रशासक होता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संसद् कानून बना कर किसी क्षेत्र के लिए विधानसभा की स्थापना भी कर सकती है। ऐसे क्षेत्र का शासन मुख्यमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् चलाती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में यही व्यवस्था है।

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प्रश्न 6.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं बताइए।
उत्तर-
भारत में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख समानताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र तथा राज्य दोनों संसदीय कार्यपालिकाएं हैं।
  2. केन्द्र और राज्यों में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका है।
  3. केन्द्र में विधानमण्डल (संसद्) के दो सदन हैं। इसी प्रकार कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में भी दो-दो सदन हैं।

प्रश्न 7.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन प्रमुख विषमताएं बताइए।
उत्तर-
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच रचना सम्बन्धी तीन विषमताएं निम्नलिखित हैं —

  1. केन्द्र में निर्वाचित राष्ट्रपति होता है जबकि राज्यों में मनोनीत राज्यपाल होते हैं।
  2. केन्द्र की संसद् के दो सदन हैं, परन्तु अधिकांश राज्यों में एक सदनीय विधानमण्डल है।
  3. राज्य में भारत के उप-राष्ट्रपति के समान स्तर का कोई पद नहीं है।

प्रश्न 8.
राज्य विधानमण्डलों के चार गैर-विधायी कार्य बताइए।
उत्तर-
राज्य विधानमण्डलों के निम्नलिखित चार गैर-विधायी कार्य हैं

  1. विधानमण्डल के सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
  2. विधानमण्डल राज्य के मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास के प्रस्ताव पर विचार करता है।
  3. राज्य विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव करते हैं।
  4. विधानमण्डल का प्रत्येक सदन अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव करता है।

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प्रश्न 9.
राज्यपाल की तीन प्रमुख विधायी शक्तियां बताइए।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन विधायी शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. वह राज्य विधानमण्डल की बैठक बुला सकता है और उसे सम्बोधित कर सकता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित किए गए विधेयकों को स्वीकार कर सकता है, पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है अथवा राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
  3. वह राज्य विधानमण्डल के अवकाश काल में अध्यादेश जारी कर सकता है।

प्रश्न 10.
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां बताएं।
उत्तर-
राज्यपाल की तीन प्रमुख कार्यकारी शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. वह मुख्यमंत्री का चयन करता है तथा मुख्यमन्त्री की सलाह से राज्य मन्त्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा एडवोकेट जनरल की नियुक्ति करता है।
  3. वह अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।

प्रश्न 11.
राज्य सरकारों के चार प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर-
मान्य सरकारें चार प्रमुख कार्य करती हैं —

  1. वे अपने राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कानून बनाती हैं और उन्हें लागू करती हैं।
  2. वे अपने राज्य में आवश्यक वस्तुएं लोगों को लगातार उपलब्ध करने के कार्य करती हैं।
  3. वे अपने राज्य में शिक्षा का प्रसार तथा अन्य कल्याणकारी कार्य करती हैं।
  4. वे अपने राज्य में कृषि को प्रोत्साहन देती हैं।

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प्रश्न 12.
मुख्यमन्त्री की चार शक्तियों तथा स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मुख्यमन्त्री की शक्तियां-मुख्यमन्त्री की शक्तियां निम्नलिखित हैं —

  1. मन्त्रियों की नियुक्ति-मुख्यमन्त्री अपने मन्त्रियों की सूची तैयार करके राज्यपाल को भेजता है। राज्यपाल उन्हीं सदस्यों को मन्त्री पद की शपथ दिलाता है।
  2. विभागों का बंटवारा-मुख्यमन्त्री मन्त्रियों में विभाग बांटता है।
  3. मन्त्रियों को हटाना-वह किसी भी मन्त्री से त्याग-पत्र मांग सकता है। यदि वह त्याग-पत्र देने से इन्कार कर दे तो मुख्यमन्त्री उसे राज्यपाल से कह कर हटा सकता है।
  4. मन्त्रिपरिषद् का अध्यक्ष-मुख्यमन्त्री मन्त्रिपरिषद् की बैठक का कार्यक्रम निश्चित करता है तथा इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है।

मुख्यमन्त्री की स्थिति-सच तो यह है कि मुख्यमन्त्री राज्य का एक महत्त्वपूर्ण तथा शक्तिशाली अधिकारी है। राज्य प्रशासन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं होता जिस पर उसका नियन्त्रण न हो। कोई भी मन्त्री मुख्यमन्त्री की इच्छा के बिना मन्त्री पद पर नहीं रह सकता। वह ऐसी धुरी है जिसके चारों ओर राज्य का प्रशासन चक्कर काटता है।

प्रश्न 13.
उच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार का वर्णन करो।
उत्तर-
मूल रूप से उच्च न्यायालय एक अपीलें सुनने वाला न्यायालय होता है। यह अपने अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध विभिन्न दीवानी और फ़ौजदारी मामलों में अपीलें सुन सकता है। उदाहरण के लिए किसी अपराधी को तब तक फांसी नहीं लगाई जा सकती. जब तक कि सैशन न्यायालय द्वारा दिये गये फांसी के निर्णय का उच्च न्यायालय अनुमोदन नहीं करता। यदि उच्च न्यायालय फांसी के दण्ड को उचित घोषित करता है, तभी मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।

प्रश्न 14.
उच्च न्यायालय के प्रशासकीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उच्च न्यायालय को निम्नलिखित प्रशासकीय अधिकार प्राप्त हैं —
(क) अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करना तथा उन पर नियन्त्रण रखना।
(ख) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति में राज्यपाल को परामर्श देना।
(ग) न्यायाधीशों की पदोन्नति इत्यादि के मामले।

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प्रश्न 15.
जिला न्यायालय पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
न्यायिक प्रशासन के लिए प्रत्येक राज्य को विभिन्न जिलों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक जिला एक जिला न्यायाधीश के अधीन कार्य करता है। जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के परामर्श से राज्यपाल नियुक्त करता है, उन्हीं व्यक्तियों को जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जा सकता है जो कि कम-से-कम सात वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुके हों या जो कि संघ या राज्य सरकार की सेवा में अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हों। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जज स्वतन्त्रतापूर्वक न्याय कर सकें और जनता का न्यायपालिका में विश्वास दृढ़ हो।

प्रश्न 16.
भारतीय संघ की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर-
भारतीय संघ में संघीय ढांचे की भान्ति केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर अलग सरकारें हैं। शक्तियों का विभाजन : भी तीन सूचियों-संघ, राज्य तथा समवर्ती में किया गया है। स्वतन्त्र न्यायालय की भी व्यवस्था है, परन्तु भारतीय संघ में केन्द्र अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। सभी महत्त्वपूर्ण विषय केन्द्रीय-सची में रखे गए हैं। केन्द्र साझी सूची पर भी कानून बना सकता है। आपात्काल में इसे राज्य-सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। इस देश में सभी को इकहरी नागरिकता प्राप्त है। भारतीय संघ अमेरिका की भान्ति एक संघ नहीं है।

प्रश्न 17.
संघ और राज्य के मध्य वैधानिक अधिकारों का विभाजन किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
संघीय शासन से हमारा अभिप्राय ऐसे शासन से है जिसमें शक्तियां संघ तथा उसकी इकाइयों में बांट दी जाती है। संक्षेप में शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार होता है —

  1. संघीय-सूची-संघीय सरकार को उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जो राष्ट्रीय महत्त्व के होते हैं। सुरक्षा, डाक-तार, मुद्रा आदि सभी संघीय विषय होते हैं।
  2. राज्य-सूची-राज्य-सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य विधानमण्डलों को कानून बनाने का अधिकार होता है। बिक्री-कर, राज्य-वित्त, कृषि आदि राज्य सूची के विषय हैं। यदि कोई राज्य-सूची का विषय राष्ट्रीय महत्त्व धारण कर ले तो एक विशेष प्रक्रिया द्वारा संघीय सरकार को उस विशेष विषय पर कानून बनाने के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
  3. समवर्ती-सूची-इस सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं, परन्तु यदि किसी एक ही विषय पर राज्य तथा केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून में विरोध हो तो केन्द्र द्वारा बनाए गए कानून को ही मान्य समझा जाता है।

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प्रश्न 18.
राज्यपाल और मन्त्रिपरिषद् का सम्बन्ध बतलाओ।
उत्तर-
राज्यपाल भारतीय संघ में राज्य का मुखिया होता है, परन्तु वह नाममात्र का ही मुखिया है। उसे राज्य की मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से कार्य करना पड़ता है। फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में वह राज्य का वास्तविक मुखिया भी होता है। वह राज्य के मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है। अन्य मन्त्री भी उसी के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। वह राज्य मन्त्रिपरिषद् के निर्णयों के विषय में मुख्यमन्त्री से पूछताछ कर सकता है, परन्तु मुख्यमन्त्री तथा अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करते समय राज्यपाल अपनी इच्छा से काम नहीं ले सकता है। वह केवल राज्य विधानसभा के बहुमत दल के नेता को ही मुख्यमन्त्री नियुक्त कर सकता है। अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति वह मुख्यमन्त्री के परामर्श से करता है।

प्रश्न 19.
राज्यपाल के क्या अधिकार हैं?
उत्तर-
राज्यपाल को अनेक वैधानिक, कार्यकारी, धन सम्बन्धी तथा न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं।

  1. वह मन्त्रिपरिषद् का गठन करता है तथा राज्य लोक-सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है।
  2. वह राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित बिलों को स्वीकृति दे कर कानून बनाता है तथा अप्रैल से पूर्व वित्तमन्त्री से बजट पेश करवाता है।
  3. वह उच्च न्यायालयों के जजों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  4. वह अपने विवेकानुसार किसी बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रख सकता है।
  5. वह राष्ट्रपति को राज्य में शासन-तन्त्र की विफलता की सूचना अपने विवेकानुसार दे सकता है।

प्रश्न 20.
राज्य की व्यवस्थापिका में वित्तीय-विधेयक किस प्रकार पारित होता है?
उत्तर-
वित्तीय विधेयक मन्त्रियों द्वारा रखे जाते हैं। ये विधेयक केवल विधानसभा में पेश किए जा सकते हैं। जिन राज्यों में दो सदन होते हैं, वहां विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक विधान परिषद् में भेजा जाता है। विधान परिषद् इसे चौदह दिन तक रोक सकती है। तत्पश्चात् यह विधेयक को विधानसभा को सुझावों या बिना सुझावों के भेज देती है। विधानसभा इन सुझावों को अस्वीकार भी कर सकती है। इस प्रकार पारित विधेयक राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की अनुमति मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है।

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राज्य सरकार PSEB 10th Class Civics Notes

  • राज्य विधानमण्डल-कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में दो सदन हैं तथा अन्य में केवल एक ही सदन है। द्विसदनीय विधानमण्डल में निम्न सदन को विधानसभा तथा उच्च सदन को विधानपरिषद् कहते हैं। एक सदनीय विधानमण्डल में केवल विधानसभा होती है।
  • विधानसभा-विधानसभा की सदस्य संख्या राज्य की जनसंख्या के आधार परअधिक-से-अधिक 500 सदस्य। चुनाव के लिए योग्यताएं-25 वर्ष या इससे अधिक आयु तथा लाभप्रद सरकारी पद पर न हो। इसका कार्यकाल 5 वर्ष है।
  • विधानपरिषद्-राज्य का उच्च तथा स्थायी सदन। एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष पश्चात् सेवानिवृत्त। इसके एक तिहाई सदस्य विधानसभा द्वारा, एक तिहाई नगर पालिकाओं तथा परिषदों द्वारा, बारहवां भाग स्नातकों द्वारा, एक अन्य बारहवां भाग स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है। शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं।
  • राज्य कार्यपालिका-राज्यपाल, मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्।
  • राज्यपाल-राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है। राज्य की सारी कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित हैं, परन्तु उनका वास्तविक प्रयोग मुख्यमन्त्री करता है। सारी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल के नाम पर की जाती हैं। राज्यपाल के हस्ताक्षर के पश्चात् ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है। वह अध्यादेश भी जारी कर सकता है। उसके पास स्वविवेक शक्तियां भी हैं।
  • राष्ट्रपति शासन-राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट मिलने पर वहां संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है। इस अवधि में राज्य की सभी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल करता है।
  • मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद-राज्यपाल विधानसभा में बहमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है और. उसकी सिफ़ारिश से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् संयुक्त रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • उच्च न्यायालय-प्रत्येक राज्य के शिखर पर.उच्च न्यायालय होता है। कभी-कभी दो या दो से अधिक राज्यों का साझा उच्च न्यायालय भी हो सकता है।
  • उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार-आरम्भिक, अपील सम्बन्धी तथा प्रशासकीय क्षेत्राधिकार।
  • आरम्भिक क्षेत्राधिकार- इसमें संविधान की व्याख्या तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सम्बन्धी मामले आते हैं।
  • अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-इसके अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करना आता है।
  • प्रशासकीय क्षेत्राधिकार-इस क्षेत्राधिकार में उच्च न्यायालय राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करता है तथा उन पर कड़ा नियन्त्रण रखता है।
  • अधीनस्थ न्यायालय-उच्च न्यायालय के अधीन अधीनस्थ न्यायालय आते हैं। इसमें जिले के न्यायालय तथा उससे नीचे के न्यायालय शामिल हैं।
  • लोक अदालत-निर्धन तथा पिछड़े वर्ग के लोगों को शीघ्र तथा कम खर्चीला न्याय दिलाने के लिए लोक अदालतों की व्यवस्था है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life उद्धरण संबंधी प्रश्न

स्रोत आधास्त प्रश्न

(1)

दिए गए स्रोत को पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें —
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जैसा कि कहा जाता है कि ‘बहता पानी कभी वापिस नहीं होता। मानव का स्वभाव भी उसी की तरह है। यदि किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण विशाल नहीं है, तो वह समय के साथ खुद को कभी भी अनुकूलित नहीं कर सकता। संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति कभी खुश नहीं रहता। ऐसा व्यक्ति चारों ओर विषाक्त हो जाता है और नकारात्मकता फैलाता है। इसके बिना वह व्यक्ति दूसरों के साथ संबंध बनाए रखने में विफल रहता है क्योंकि वह दूसरों की विचारधारा, दृष्टिकोण और, आलोचना का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, एक लचीला दृष्टिकोण व्यक्तिगत रूप से विकसित करना बहुत ही आवश्यक लक्षण है।
प्रश्न-

  1. मानव स्वभाव क्या है?
  2. संकीर्ण मानसिकता का नुकसान क्या है?
  3. एक संकीर्ण दिमाग वाला व्यक्ति कैसे रिश्ता बनाए रखता है?
  4. हमें किस प्रकार की सोच रखनी चाहिए?
  5. लचीले दृष्टिकोण की क्या आवश्यकता है?

उत्तर-

  1. मानव स्वभाव परिवर्तनशील है जो समय के साथ बदलता रहता है।
  2. संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति हर जगह नकारात्मकता फैलाता है और कभी भी खुश नहीं रहता।
  3. एक संकीर्ण सोच वाला व्यक्ति रिश्ते को अच्छी तरह से नहीं निभा सकता और दूसरों के विचारों को मानने के लिए तैयार नहीं होता।
  4. उसे संकीर्ण विचारधारा के साथ नहीं रहना चाहिए बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीना
    चाहिए।
  5. लचीले दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति दूसरों के साथ स्वस्थ समायोजन करते हैं और उनके साथ कभी-कभी भी खट्टे-मीठे रिश्ते नहीं रखते।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(2)

आधुनिक सूचना क्रांति के युग में संचार के साधनों और उनकी भूमिका में अत्यधिक वृद्धि हुई है। सूचना, ज्ञान और मनोरंजन इन माध्यमों से प्राप्त होते हैं। लेकिन इन संसाधनों को चलाने वाली अधिकांश कंपनियों, संस्थानों या संगठनों का मुख्य उद्देश्य भी पैसा कमाना है। ऐसी स्थिति में वह सभी प्रकार की सामग्री प्रदान करवा रहे हैं भले ही यह मानवता की भलाई के लिए है या नहीं। वर्तमान युग में प्रत्येक मनुष्य के पास इंटरनेट और संचार के साधनों का प्रयोग करने की क्षमता है। इसलिए हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने ज्ञान को विकसित करने के लिए इन संसाधनों का उचित प्रयोग करें। बच्चों में सही/ग़लत खोजने की क्षमता कम होती है और इसलिए यह डर इंटरनेट या संचार के अन्य साधनों के दुरुप्रयोग के कारण बना रहता है। इस गतिविधि आधारित पाठ का मुख्य उद्देश्य है छात्रों में अभिरूचि का विकास करना ताकि समझ सके कि इन उपकरणों का सही प्रयोग कैसे किया जाए।
प्रश्न-

  1. किस प्रकार का युग वर्तमान युग है और क्यों?
  2. आधुनिक युग में किसका महत्त्व बढ़ गया है?
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  4. हमारा कर्त्तव्य क्या है?
  5. गतिविधि आधारित पाठ्यों का क्या लाभ है?

उत्तर-

  1. वर्तमान युग को सूचना क्रांति के युग के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने दुनिया में दूरी को काफी कम कर दिया है।
  2. आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व बढ़ गया है।
  3. संचार के साधन चलाने वालों का मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना और लाभ कमाना है।
  4. संचार के साधनों का समुचित उपयोग करना और अपने ज्ञान का विकास करना हमारा कर्तव्य है।
  5. यह छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि औज़ारों का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाए और समझने के लिए उनमें एक आदत विकसित की जाए।

(3)

मैडम कमला ने लड़कियों की बताया कि उनके मन में बहुत सी गलत धारणाएं हैं जिनसे बचने की ज़रूरत है। जैसा कि कुछ लोग रात तक जागने के लिए दवा लेते हैं। कुछ अपने शरीर को और अधिक शक्तिशाली और सुडौल बनाने के लिए खतरनाक उत्पाद ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट युवा पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं। दरअसल यह विज्ञापन जो कंपनियों द्वारा प्रचारित किए जाते हैं और वह टी०वी० चैनल का हिस्सा नहीं होते हैं। उन पर डिस्कलेमर विज्ञापन लिखा हुआ होता है। इसीलिए हमें आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। इस तरह के विज्ञापन के बारे में हमें गंभीर रूप से सोचना चाहिए। इसलिए संक्षेप में हमें कड़ी मेहनत और घर के बने स्वस्थ आहार पर विश्वास करना चाहिए जो सरल और संतुलित आहार होना चाहिए। मैडम ने मिल्खा सिंह, पी.टी उषा, दीपिका करमाकर, लिएंडर पेस, मैरीकॉम और कई अन्य खिलाड़ियों की उदाहरणे दी जिन्होंने साधारण या ग़रीब परिवार से उठकर और दुनिया में अच्छी तरह से नाम कमाया।
प्रश्न-

  1. लोग किस प्रकार की गलत धारणाएं बनाते हैं?
  2. क्या हमें कंपनियों के विज्ञापनों पर भरोसा करना होगा?
  3. खेल व्यक्तियों के कुछ उदाहरण दें जिन्होंने केवल कड़ी मेहनत के साथ महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया है।
  4. महान ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
  5. विज्ञापनों पर डिस्कलेमर क्यों लिखा जाता है?

उत्तर-

  1. लोग गलत धारणा बनाते हैं कि दवा और टॉनिक के सेवन से हम स्वस्थ और मज़बूत बन सकते हैं।
  2. हमें कंपनी के विज्ञापनों पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें इसके बारे में गंभीर रूप से सोचना चाहिए।
  3. मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा, दीपिका करमाकर, लिंएडर पेस, मैरीकॉम और अन्य खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत के साथ महान ऊँचाईयों को हासिल किया।
  4. ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और दवा और टॉनिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. क्योंकि टी०वी० चैनल केवल निर्माता की ओर से विज्ञापन दिखा रहे हैं। विनिर्माण या दोषपूर्ण उत्पादों से उनका कोई लेना देना नहीं है।

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(4)

हमारे संबंधों के बारे में कुछ सामाजिक सीमाएं है। वह हमें बताते हैं कि हमें अपने संबंधों को किस सीमा तक रखना चाहिए। हमें इन सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। हमारे परिवार या पड़ोसी, स्कूल, कॉलेज के शिक्षक, छात्र, दोस्त, दुनिया में लगभग हर व्यक्ति हमें जीवन के हर चरण में सामाजिक रूप से अच्छी प्रकार से परिभाषित सीमाओं और रिश्तों की सीमाओं का एहसास कराता है। इसलिए हमें तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन करना चाहिए। हमें ऐसी सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए अन्यथा हमें किसी अन्य रिश्ते की हत्या करनी पड़ सकती है। तो एक सीमा है जो एक सामाजिक अनुग्रह का प्रतीक है। जैसा कि कुछ संबंधों को घर पर रखा जाता है। दूसरी ओर कुछ हमारे कार्यालय या किसी अन्य कार्यस्थल तक सीमित हैं। इसलिए हमारे बाहरी रिश्तों (कार्यस्थल संबंधों या पेशेवर संबंधों) को हमारे घर पर लाना और इसके विपरीत करना बुद्धिमानी नहीं है। कुछ रिश्ते रक्त से संबंधित हैं जो हमारे बहुत करीब से जाने जाते हैं लेकिन यह हमेशा एक जैसा नहीं होता है। कभीकभी, एक रिश्ता जो रक्त से संबंधित नहीं है, हमारी अधिक मदद करता है और रक्त संबंधों की तुलना में हमारे करीब है।
प्रश्न-

  1. हमारे रिश्तों की सीमा कौन-तय करता है?
  2. हमें सामाजिक सीमाओं के साथ क्या करना चाहिए?
  3. हम करीबी और दूर के रिश्तों की पहचान कैसे कर सकते हैं?
  4. रिश्तों की सीमा क्या है?
  5. बाहरी रिश्तों को हमारे घर में लाना बुद्धिमानी क्यों नहीं है?

उत्तर-

  1. समाज हमारे रिश्तों की सीमा को तय करता है कि हमें किसी भी रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत है।
  2. हमें एक तार्किक दृष्टिकोण के साथ उनका पालन और निरीक्षण करना चाहिए। हमें सामाजिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
  3. करीबी और दूर के रिश्तों को हमारी सरलता, स्वाभाविकता और संवेदनशीलता से पहचाना जा सकता है।
  4. हमेशा हर रिश्ते की सीमा होती है कि हमें हर रिश्ते में कितनी दूर जाने की ज़रूरत हैं। इसलिए हमें आपकी सीमा को समझना चाहिए और बेहतर जीवन जीना चाहिए।
  5. हमें अपने घर में बाहरी या अधिकारी संबंधों को नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह हमारे अन्य रिश्तों में समस्याएं पैदा कर सकता है। परिवार के सदस्य इसका विरोध कर सकते हैं और हमारे घरेलू रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

(5)

जीवन में हर व्यक्ति कई रिश्तों के साथ रहता है। कुछ रिश्ते लंबे होते हैं। लेकिन कुछ को काट दिया जाता है या कुछ रिश्ते समय और परिस्थितियों के प्रभाव से टूट जाते हैं। तो यह जीवन भर हमारे मन के किसी भी कोने में एक स्मृति के रूप में अच्छा या बुरा रहता है। दूर जाने के कारण, गुस्से-शिकवे बढ़ने के कारण, नए सिरे से जीवन लड़ी शुरू करने के चक्कर में या परिवार, समाज किसी की तरफ से रोक लगाने पर कई बार हमें कोई रिश्ता छोड़ना पड़ता है। कभी-कभी हमें लगता है कि हम किसी और के साथ लंबे समय तक नहीं रह सकते, इसलिए हमें अपना रिश्ता तोड़ रचनात्मक रूप से समाप्त करना चाहिए। कई रिश्ते छोड़ने के बाद हम दोबारा फिर से उनको नहीं मिलते परंतु बिछड़ने का सलीका होना चाहिए।
प्रश्न-

  1. क्या सभी रिश्ते जीवन भर चलते हैं?
  2. हमें रिश्तों को क्यों छोड़ना पड़ता है?
  3. हमें रिश्ते कैसे छोड़ने चाहिएं?
  4. रिश्ते याददाशत में क्यों रहते हैं?
  5. हम क्यों महसूस करते हैं कि कुछ रिश्ते लंबे समय तक नहीं रह सकते?

उत्तर-

  1. नहीं, सभी रिश्ते जीवन भर नहीं रहते।
  2. कुछ रिश्तों को बीच में ही छोड़ दिया जाना चाहिए। क्रोध, सामाजिक प्रतिबंधों के डर से या किसी अन्य स्थान पर एक नया जीवन शुरू करने के लिए कुछ रिश्तों को छोड़ना पड़ता है।
  3. अगर हमें कोई रिश्ता छोड़ने की आवश्यकता है, तो हमें रचनात्मक और सुंदर तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। ताकि यदि उसे दोबारा जोड़ना पड़े तो जोड़ सकें।
  4. हम एक विशेष संबंध को खत्म कर देते हैं लेकिन वह किसी अच्छे या बुरे क्षण के कारण स्मृति में बने रहते हैं।
  5. क्योंकि जीवन के एक पड़ाव पर, हमें यह एहसास होने लगता है कि ऐसे रिश्ते वफादार नहीं होते हैं और लंबे समय तक निभाने के बजाय उस रिश्ते को खत्म करना बेहतर होता है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(6)

यदि हम सभी के साथ उचित तरीके से व्यवहार करना चाहते हैं तो समझो कि हमारे अंदर संवेदनशीलता का गुण है। हमें सभी को इसे प्रेम और सम्मान के साथ समानता की नज़र से देखना होगा। इसलिए लड़कों और लड़कियों, पुरुषों और महिलाओं को एक-दूसरे के साथ उचित और समानता का व्यवहार करना होगा। जिस प्रकार, ‘दर्द’ शब्द का अर्थ सीमित है,-किसी का अपना दर्द। उसी प्रकार ‘संवेदना का अर्थ है-सभी के सामूहिक दर्द को समझना। अगर हम अपने घर को देखें तो भाई-बहनों को अक्सर यह शिकायत होती है कि उनके माता-पिता अपनी बहनों और भाइयों से बेहतर व्यवहार करते हैं। स्कूल में भी लड़के अक्सर इस बात की शिकायत करते हैं कि लड़कियों को क्लास का मॉनिटर क्यों बनाया जाता है? इस लिए इस तरह के मुद्दे वास्तव में हमारी लैंगिक संवेदनशीलता की कमी का संकेत हैं।
प्रश्न-

  1. संवेदनशील का गुण कौन-सा है?
  2. दर्द और संवेदना का क्या अर्थ है?
  3. घर में हमें अपने भाई-बहनों से क्या शिकायत है?
  4. हम कैसे ठीक से व्यवहार करना चाहिए?
  5. हमें दूसरों का आदर क्यों करना चाहिए?

उत्तर-

  1. समाज में रहते हुए हम सभी के साथ उचित और सम्मानजनक तरीके से पेश आते हैं। यह संवेदनशीलता का गुण है।
  2. दर्द का सीमित अर्थ है किसी का अपना दर्द और सहानुभूति का अर्थ है सभी के सामूहिक दर्द को समझना।
  3. हमें अक्सर भाई बहनों के बारे में शिकायत होती है कि माता-पिता उनसे ज्यादा प्यार करते हैं और हमसे कम प्यार करते हैं।
  4. हमें सभी को सम्मान देना चाहिए और उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए।

(7)

प्रिय छात्रो ज़रूरतों और इच्छाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है, लेकिन उन्हें अपनी सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। वह इतने अधिक नहीं होने चाहिए कि हमारी सभ्य सामाजिक सीमा को पार कर जाएं। जीवन जीने के लिए भोजन, कपड़ा और मकान बुनियादी जरूरतें है, उसी प्रकार एक अच्छी जीवन शैली का भी उतना ही महत्त्व है। आइए हम देखें कि हमारी ज़रूरतें और इच्छाएं किस प्रकार की हैं ? क्या वे सीमित हैं या बहुत अधिक हैं और सभी साधनों और स्रोतों से अधिक हैं ? क्या ये हमारे माता-पिता को तंग कर रहें हैं या नहीं?
प्रश्न-

  1. जीवन जीने के लिए क्या आवश्यक है?
  2. किस हद तक इच्छाओं को रखा जाना चाहिए?
  3. जीवन जीने के लिए कौन-सी चीजें आवश्यक हैं?
  4. इच्छाओं को रखते हुए हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?
  5. जीवन में ज़रूरतें और इच्छाएं क्यों ज़रूरी हैं?

उत्तर-

  1. ज़रूरतें और इच्छाएं जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। हम इनके बिना नहीं रह सकते।
  2. इच्छाओं को सामाजिक सीमा में रखा जाना चाहिए ताकि वह आसानी से पूरी हो सकें।
  3. जीवन जीने के लिए भोजन, वस्त्र और आश्रय की आवश्यकता होती है क्योंकि हम उनके बिना नहीं रह सकते।
  4. इच्छा रखने के दौरान हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि वह हमारे माता-पिता को तंग न करें। इस मामले में, वह हमारे माता-पिता पर बोझ बन जाएंगे।
  5. क्योंकि हर किसी को जीवन जीने के लिए कुछ चीज़ों की आवश्यकता होती है जो एक खुशहाल जीवन जीने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions उद्धरण संबंधी प्रश्न

(8)

दुनिया का हर इंसान अलग है। हम उसी प्रकार कई मायनों में एक-दूसरे से अलग है। जैसे कि हर किसी का एक अलग व्यक्तित्व होता है। आपसी सम्मान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे के साथ एक ही प्रकार से व्यवहार करें। स्वीकार करें कि उनका व्यक्तित्व रिश्ते के लिए अलग है जो एक आशीर्वाद है। हम अक्सर देखते हैं कि दो अच्छे दोस्तों के व्यक्तित्व अक्सर अलग होते हैं। एक वक्ता और दूसरा श्रोता, इस प्रकार से, हमारी विविधता एक-दूसरे की पूरक है। जब हम एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं तो हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। अगर हम खुद को सही मानते हैं और दूसरों को गलत मानते हैं, तो हम अकेले रह जाएंगे। विद्यार्थी जीवन में मित्रता विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होती है। मित्र को उसके पूर्ण रूप में स्वीकार करो। इस स्थिति में हर किसी की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। जब कक्षा में एक छात्र को अध्यापक द्वारा टोका जाता है, तो उसे अपने तरीकों में बदलाव करना चाहिए। कोई और गुस्से में आ जाता है और जानबूझकर गलत व्यवहार करता है जबकि कोई पूरी तरह से चुप रहता हैं। हमारी समस्या यह है कि हम चाहते हैं कि हर कोई बदल जाए। यह ठीक नहीं है। सभी अलग तरीके से व्यवहार करते हैं।
प्रश्न-

  1. विद्यार्थी जीवन में क्या बहुत महत्त्व रखता है?
  2. दुनिया में हर कोई एक-दूसरे से अलग कैसे है?
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए क्या आवश्यक है?
  4. हमारे जीवन में विभिन्नताओं का क्या महत्त्व है?
  5. दो अच्छे दोस्तों का व्यक्तित्व एक-दूसरे से अलग क्यों है?

उत्तर-

  1. विद्यार्थी जीवन में दोस्ती का बहुत महत्त्व हैं क्योंकि वह बिना किसी स्वार्थ के हमारे साथ बने रहते हैं और हम उन्हें जीवन भर याद रखते हैं।
  2. हर कोई शारीरिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे से अलग है। उनकी आदतें, व्यक्तित्व और क्षमताएं भी अलग-अलग होती हैं। इसलिए हर कोई एक-दूसरे से अलग है।
  3. आपसी अच्छे संबंधों के लिए, यह होना चाहिए कि हम दूसरों को वैसा ही स्वीकार करें जैसे वे हैं और उनका व्यक्तित्व है। यह समानता के संबंधों को बनाए रखने में मदद करता हैं।
  4. विभिन्नताओं का बहुत महत्त्व है। हर कोई एक-दूसरे से अलग है और हम स्वीकार करते हैं। वह जैसे भी हैं, कई मतभेद होने के बाद भी, हम उनके साथ भेदभाव नहीं करते हैं।
  5. हालांकि वह अच्छे दोस्त हैं, लेकिन उनके दृष्टिकोण, विचार, आदतें, जीने के तरीके एक-दूसरे से अलग हैं। इसलिए उनके व्यक्तित्व भी अलग हैं।

(9)

रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है। रचनात्मक मानसिकता वाले इंसान में हमेशा नए विचार आते हैं और उन विचारों को व्यक्त करने का तरीका भी अनोखा होता है। विभिन्न मनुष्यों में अलग-अलग लक्षण और गुण होते हैं। एक रचनात्मक मानसिकता वाला व्यक्ति इस गुण का उपयोग खुद को विकसित करने के लिए करता है और सामाजिक सम्मान भी प्राप्त करता है। रचनात्मक ध्यान न केवल कला या साहित्य के क्षेत्र में बल्कि किसी भी क्षेत्र से जुड़े लोगों में भी पाया जा सकता है। छात्रों में इस दृष्टिकोण को विकसित करके, उनके व्यक्तित्व को परिष्कृत किया जाना चाहिए और उनकी प्रकृति को उनकी ऊर्जा का उचित उपयोग करके रचनात्मक बनाया जाना चाहिए।
प्रश्न-

  1. रचनात्मक सोच का क्या अर्थ है?
  2. रचनात्मक सोच का क्या फायदा है?
  3. क्या यह रचनात्मक सोच किसी भी क्षेत्र में हो सकती है?
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करने से क्या फायदा है?
  5. सभी को रचनात्मक सोच क्यों रखनी चाहिए?

उत्तर-

  1. रचनात्मक सोच का अर्थ है कि हमारे पास कुछ नया, अनूठा और मूल करने की प्रवृत्ति है।
  2. रचनात्मक सोच के साथ एक व्यक्ति खुद का विकास करता है और सामाजिक सम्मान हासिल करता हैं। वह कुछ नया करने की कोशिश करता है।
  3. हाँ, रचनात्मक सोच कला, साहित्य, विज्ञान, इत्यादि किसी भी क्षेत्र में हो सकती है।
  4. छात्रों में रचनात्मक सोच विकसित करके उनके व्यक्तित्व का विकास किया जा सकता है। उनकी ऊर्जा का उचित प्रयोग करके उनके स्वभाव को रचनात्मक बनाया जा सकता हैं।
  5. हर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अधिक रचनात्मक है। वह हमेशा कुछ अनोखा बनाना चाहता है। कुछ अनोखा बनाने के लिए रचनात्मक सोच बहुत आवश्यक है।

(10)

यदि हम कभी-कभी दुखी, डरे हुए, घबराए हुए, बेचैन, क्रोधित, ईष्यालु या परेशान महसूस करते हैं तो यह सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा अक्सर होता है, तो इन भावनाओं पर नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। यदि हमारी भावनाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो यह हानिकारक साबित हो सकती हैं और हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए सीखना चाहिए कि अत्यधितः भावनात्मक होने और फिर बाद में पछतावा होने पर गलतियों से बचने के लिए हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करते हैं। इनको अच्छी प्रकार से समझदार और इन पर सही तरीके से अमल करके, उज्ज्वल और सफल छात्र हो सकते हैं क्योंकि भावनाओं का संतुलन हमारे जीवन में हमारे शारीरिक कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक संबंधों के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। सभी भावनात्मक संतुलन से जुड़े हैं। भावनाओं को संतुलित करने का अर्थ है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए। हमें एक सीमा निर्धारित करनी चाहिए कि हम अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त कर सकते हैं।
प्रश्न-

  1. हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण क्यों रखना चाहिए?
  2. हम कैसे सफल छात्र बन सकते हैं?
  3. भावनाओं के संतुलन से क्या अभिप्राय है?
  4. भावनाओं को काबू में रखने के बारे में हमें क्यों सीखना चाहिए?
  5. जब हम उदास, घबराए हुए, गुस्सा इत्यादि महसूस करते हैं, तो यह सामान्य क्यों है?

उत्तर-

  1. हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता है जैसे कि क्रोध, ईर्ष्या, डर नहीं तो यह हमारे लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
  2. हम अपनी भावनाओं का आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करके, इनको ठीक से समझकर और इन्हें सही तरीके से समझकर सफल छात्र बन सकते हैं।
  3. भावनाओं को संतुलित करने का मतलब यह है कि हमें कब और कितना व्यक्त करना है, इसके बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए।
  4. हमें भावनाओं को नियंत्रण में रखने के बारे में सीखना चाहिए ताकि भावनाओं के प्रभाव में हम कोई गलती कर बैठें जो बाद में एक समस्या बन सकती है।
  5. यह मानव स्वभाव के कारण है जो अलग-अलग समय पर महसूस होता है। दुखी, घबराया हुआ, क्रोधित, ईर्ष्या या हमेशा के लिए परेशान। यह हमारे मन पर भी निर्भर करता है जिसके अनुसार हमारे भीतर विभिन्न भावनाएं होती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार

SST Guide for Class 10 PSEB केन्द्रीय सरकार Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/ एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में दें

प्रश्न 1.
(i) लोकसभा का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।

प्रश्न 1.
(ii) लोकसभा के कुल कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर-
लोकसभा के अधिक-से-अधिक 550 सदस्य हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
(iii) लोकसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर-लोकसभा अपने सदस्यों में से ही अध्यक्ष का चुनाव करती है।

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प्रश्न 1.
(iv) अविश्वास प्रस्ताव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
यदि लोकसभा प्रधानमंत्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दे तो इन्हें अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।

प्रश्न 1.
(v) लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

प्रश्न 1.
(vi) राष्ट्रपति लोकसभा में कब और कितने ऐंग्लो-इण्डियन मनोनीत कर सकता है?
उत्तर-
जब ऐंग्लो-इण्डियन समुदाय को लोकसभा में उचित प्रतिनिधित्व न मिले तो राष्ट्रपति लोकसभा में दो ऐंग्लो-इण्डियन सदस्य मनोनीत करता है।

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प्रश्न 2.
राज्यसभा के बारे में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) राज्यसभा के कुल कितने सदस्य हो सकते हैं?
(ii) राष्ट्रपति किन क्षेत्रों में से कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है?
(iii) राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता कौन करता है?
(iv) राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम कितनी आयु होनी चाहिए?
(v) राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है?
(vi) राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
(i) राज्यसभा के अधिक-से-अधिक 250 सदस्य हो सकते हैं।
(ii) राष्ट्रपति विज्ञान, कला, साहित्य एवं समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त 12 व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
(iii) भारत का उप-राष्ट्रपति।
(iv) राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए कम-से-कम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
(v) राज्यसभा एक स्थायी सदन है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
(vi) राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(i) महाभियोग
(ii) मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व या व्यक्तिगत उत्तरदायित्व
(iii) राष्ट्रपति-शासन या नाममात्र अध्यक्ष
(iv) राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव मण्डल।
उत्तर-
(i) महाभियोग-संविधान की अवहेलना करने पर राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाता है और दोषी पाए जाने पर उसे निश्चित अवधि से पूर्व पदमुक्त किया जा सकता है।
(ii) मन्त्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व या व्यक्तिगत उत्तरदायित्व-सामूहिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक मन्त्री अपने विभाग के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी तो है ही, साथ में उसका उत्तरदायित्व प्रत्येक विभाग की नीति से भी होता है।
(iii) राष्ट्रपति शासन या नाममात्र अध्यक्ष-राष्ट्रपति देश का नाममात्र अध्यक्ष है क्योंकि व्यवहार में उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिपरिषद् करता है।
(iv) राष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव मण्डल-राष्ट्रपति का चुनाव एक चुनाव मण्डल द्वारा किया जाता है। जिसमें संसद् (लोकसभा तथा राज्यसभा) तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर दें
(i) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति कैसे होती है?
(ii) राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां कितने प्रकार की होती हैं?
(iii) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है?
(iv) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
(i) प्रधानमन्त्री की नियुक्ति-राष्ट्रपति संसद् में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है।
(ii) राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां- राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां तीन प्रकार की होती हैं

  1. राष्ट्रीय संकट, विदेशी आक्रमण तथा आन्तरिक विद्रोह,
  2. राज्य का संवैधानिक संकट,
  3. वित्तीय संकट।

(iii) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति-उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है।
(iv) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल-उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित की व्याख्या 50-60 शब्दों में करो
(i) स्वतन्त्र न्यायपालिका
(ii) परामर्श सम्बन्धी अधिकार क्षेत्र
उत्तर-
(i) स्वतन्त्र न्यायपालिका-नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और न्याय के लिए स्वतन्त्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है जो लोभ, भय, दबाव या पक्षपात रहित न्याय कर सके। इसलिए संविधान ने (शक्तियों के अलगाव के सिद्धान्त द्वारा) न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग कर दिया है। इसके अतिरिक्त न्यायाधीशों को पदों से हटाने की प्रक्रिया बड़ी कठिन है।
(ii) परामर्श सम्बन्धी अधिकार क्षेत्र-भारत का राष्ट्रपति किसी कानून अथवा संवैधानिक मामले पर उच्चतम न्यायालय से परामर्श ले सकता है। पांच जजों पर आधारित बैंच ऐसा परामर्श दे सकती है जिसे मानना या न मानना राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
संसद् में विधेयक कानून कैसे बनता है?
उत्तर-
विधेयक दो प्रकार के होते हैं-वित्त विधेयक तथा साधारण विधेयक। वित्त विधेयक किसी मन्त्री द्वारा केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। परन्तु साधारण विधेयक किसी मन्त्री या संसद् के किसी सदस्य द्वारा किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। साधारण विधेयक को कानून बनने से पहले निम्नलिखित अवस्थाओं में से गुजरना पड़ता है
पहला पड़ाव अथवा वाचन-इस अवस्था में विधेयक पर बहस नहीं होती। इसके केवल मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं।
द्वितीय पड़ाव अथवा वाचन-द्वितीय वाचन में विधेयक की प्रत्येक धारा पर विस्तार से बहस होती है तथा कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो विधेयक प्रवर समिति को सौंपा जा सकता है। तृतीय पड़ाव अथवा वाचन-इस पड़ाव में समग्र रूप से विधेयक पर मतदान होता है। यदि विधेयक पास हो जाए तो इसे दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
विधेयक दूसरे सदन में-दूसरे सदन में भी विधेयक को पहले सदन की भान्ति उन्हीं पड़ावों से गुजरना पड़ता है। यदि दूसरा सदन भी इसे पारित कर दे तो विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है।
राष्ट्रपति की स्वीकृति-राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाने पर विधेयक कानून बन जाता है।

प्रश्न 2.
संसद् की शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
संसद् की चार प्रमुख शक्तियां निम्नलिखित हैं

  1. वैधानिक शक्तियां-संसद् संघीय और समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यह राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकती है।
  2. कार्यपालिका शक्तियां-संसद् अविश्वास प्रस्ताव पारित करके मन्त्रिपरिषद् को हटा सकती है। इसके अतिरिक्त संसद् के सदस्य प्रश्न पूछकर, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव द्वारा, स्थगन प्रस्ताव तथा निंदा प्रस्ताव द्वारा मन्त्रिपरिषद् को नियन्त्रण में रखते हैं।
  3. वित्तीय शक्तियां-संसद् का राष्ट्रीय धन पर अधिकार होता है। यह नए कर लगाती है, पुराने करों में संशोधन करती है और बजट पारित करती है।
  4. संवैधानिक संशोधन-संसद् एक विशेष संवैधानिक विधि से संविधान में संशोधन कर सकती है।
    (विद्यार्थी कोई तीन लिखें।)

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प्रश्न 3.
लोकसभा के अध्यक्ष की भूमिका के बारे लिखें।
उत्तर-
लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) का चुनाव सदस्य अपने में से ही करते हैं। लोकसभा अध्यक्ष के चार कार्य निम्नलिखित हैं

  1. कार्यवाही का संचालन-वह लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है। बहुमत दल का सदस्य होने के बावजूद वह यही प्रयास करता है कि सदन की कार्यवाही के संचालन में निष्पक्षता हो।
  2. अनुशासन-वह सदन में अनुशासन बनाए रखता है। वह अनुशासन भंग करने वाले सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश दे सकता है।
  3. विधेयक के स्वरूप का निर्णय-अध्यक्ष इस बात का निर्णय करता है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है अथवा साधारण विधेयक।
  4. संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता-यदि किसी विधेयक पर दोनों सदनों में असहमति हो जाए तो राष्ट्रपति लोकसभा तथा राज्यसभा का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है। इस संयुक्त अधिवेशन का सभापतित्व लोकसभा का अध्यक्ष करता है।

प्रश्न 4.
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में कितने प्रकार के मन्त्री होते हैं?
उत्तर-
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में चार प्रकार के मन्त्री होते हैं-कैबिनेट मन्त्री, राज्य मन्त्री, उप-मन्त्री तथा संसदीय सचिव। –

  1. कैबिनेट मन्त्री-कैबिनेट मन्त्री सबसे उच्च स्तर के मन्त्री होते हैं। ये मन्त्रिपरिषद् की अन्तरिम कमेटी के सदस्य होते हैं। ये प्रशासकीय विभागों के स्वतन्त्र अध्यक्ष होते हैं।
  2. राज्य-मन्त्री-राज्य-मन्त्री निचले स्तर के मन्त्री होते हैं। वे कैबिनेट मन्त्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किए जाते हैं। राज्य मन्त्री को कभी-कभी किसी विभाग का स्वतन्त्र कार्यभार भी सौंप दिया जाता है।
  3. उप-मन्त्री-उप-मन्त्री कैबिनेट मन्त्रियों तथा राज्य मन्त्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
  4. संसदीय सचिव-संसदीय सचिव वास्तव में मन्त्री नहीं होते। उनका मुख्य कार्य महत्त्वपूर्ण विभागों के मन्त्रियों की संसद् में सहायता करना होता है।

प्रश्न 5.
प्रधानमंत्री के कोई चार कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का धुरा होता है।

  1. वह मन्त्रियों की नियुक्ति करता है और वही उनमें विभागों का बंटवारा करता है।
  2. वह जब चाहे प्रशासन की कार्यकुशलता के लिए मन्त्रिमण्डल का पुनर्गठन कर सकता है। इसका अभिप्राय यह है कि वह पुराने मन्त्रियों को हटा कर नए मन्त्री नियुक्त कर सकता है। वह मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है। यदि प्रधानमन्त्री त्याग-पत्र दे दे तो पूरा मन्त्रिमण्डल भंग हो जाता है।
  3. यदि कोई मन्त्री त्याग-पत्र देने से इन्कार करे तो वह त्याग-पत्र देकर पूरे मन्त्रिमण्डल को भंग कर सकता है। पुनर्गठन करते समय वह उस मन्त्री को मन्त्रिमण्डल से बाहर रख सकता है।
  4. वह मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उनकी तिथि, समय तथा स्थान निश्चित करता है।

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प्रश्न 6.
भारत के उप-राष्ट्रपति की पदवी का संक्षिप्त में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत के उप-राष्ट्रपति के दो महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं

  1. भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह नियमों के अनुसार राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।
  2. वह राष्ट्रपति के अस्वस्थ होने पर या उसके विदेश जाने पर अथवा किसी अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर राष्ट्रपति का कार्यभार सम्भालता है। राष्ट्रपति के त्याग-पत्र देने अथवा मृत्यु हो जाने की स्थिति में वह नये राष्ट्रपति के चुनाव होने तक राष्ट्रपति का कार्यभार सम्भालता है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन निम्नलिखित है

  1. राष्ट्रीय संकट-जब राष्ट्रपति के अनुसार देश पर बाहरी आक्रमण, युद्ध या हथियार-बन्द विद्रोह के कारण देश की एकता एवं अखण्डता पर संकट उत्पन्न हो गया हो तो वह देश में संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
  2. राज्य का संवैधानिक संकट-यदि राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट या किसी अन्य साधन से राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि किसी राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो राष्ट्रपति उस राज्य में संकटकाल की घोषणा कर सकता है।
  3. वित्तीय संकट-यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि देश की आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई है जिससे आर्थिक स्थिरता या साख को खतरा है तो राष्ट्रपति वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है।

PSEB 10th Class Social Science Guide केन्द्रीय सरकार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संसद् से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
भारत में केन्द्रीय विधानपालिका को संसद् अथवा पार्लियामेण्ट कहते हैं।

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प्रश्न 2.
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कौन-कौन सी योग्यता होनी चाहिए? (कोई एक)
उत्तर-
वह भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 3.
लोकसभा के अध्यक्ष का एक कार्य लिखो।
उत्तर-
लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।

प्रश्न 4.
साधारण विधेयक तथा धन विधेयक में क्या अन्तर होता है
उत्तर-
साधारण विधेयक संसद् के किसी भी सदन में पेश किए जा सकते हैं। जबकि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं और वे भी केवल किसी मन्त्री द्वारा।

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प्रश्न 5.
राष्ट्रपति की किसी विधेयक के सम्बन्ध में क्या शक्तियां हैं?
उत्तर-
प्रायः राष्ट्रपति हस्ताक्षर करके विधेयक की स्वीकृति दे देता है अथवा वह उसे संसद् के दोनों सदनों के पास पुनर्विचार के लिए भी भेज सकता है परन्तु दूसरी बार राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है।

प्रश्न 6.
संसद् द्वारा कार्यपालिका पर नियन्त्रण की कोई एक विधि बताइए।
उत्तर-
संसद् अविश्वास का प्रस्ताव प्रस्तुत करके सरकार को हटा सकती है।

प्रश्न 7.
संसदीय प्रणाली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली से अभिप्राय शासन की उस प्रणाली से है, जिसमें संसद् राज्य की सर्वोच्च संस्था होती है।

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प्रश्न 8.
धन संकट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
देश में आर्थिक अस्थिरता।

प्रश्न 9.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डलों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डल में संसद् तथा विधानसभाओं के सदस्य सम्मिलित होते हैं, जबकि उप-राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी निर्वाचक मण्डल में केवल संसद् के ही सदस्य सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 10.
उप-राष्ट्रपति का एक कार्य लिखो।
उत्तर-
वह राज्यसभा के सभापति के रूप में उसकी कार्यवाही का संचालन करता है।

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प्रश्न 11.
मन्त्रिपरिषद् में कौन-कौन से प्रकार के मन्त्री होते हैं?
उत्तर-
मन्त्रिमण्डल स्तर के मन्त्री, राज्यमन्त्री, उपमन्त्री तथा संसदीय सचिव।

प्रश्न 12.
विधेयक के वाचन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संसद् में किसी विधेयक की प्रस्तुति के पश्चात् दोनों सदनों में होने वाले विचार-विमर्श को विधेयक का वाचन कहते हैं।

प्रश्न 13.
काम रोको प्रस्ताव क्या होता है?
उत्तर-
काम रोको प्रस्ताव द्वारा संसद् के सदस्य निश्चित कार्यक्रम के स्थान पर सरकार का ध्यान किसी गम्भीर घटना की ओर दिलाने का प्रयास करते हैं।

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प्रश्न 14.
प्रश्नोत्तर काल का अर्थ बताइए।
उत्तर-
संसद् के दोनों सदनों में प्रतिदिन पहला एक घण्टा प्रश्नोत्तर काल कहलाता है।

प्रश्न 15.
संसद् कौन-सी सूचियों के विषयों पर कानून बना सकती है?
उत्तर-
संसद् संघ सूची तथा समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।

प्रश्न 16.
राज्यसभा की सदस्यता के लिए कोई एक योग्यता लिखो।
उत्तर-
राज्यसभा की सदस्यता के लिए नागरिक की आयु तीस वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।

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प्रश्न 17.
संसद् का कोई एक महत्त्वपूर्ण कार्य लिखो।
उत्तर-
संसद् का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य देश के लिए कानून बनाना है।
अथवा
वह बजट और वित्त-विधेयकों के सम्बन्ध में अपने अधिकारों के माध्यम से सरकार के व्यय पर नियन्त्रण करती है।

प्रश्न 18.
संसद् का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर-
संसद् का मुख्य कार्य देश के लिए कानून बनाना है।

प्रश्न 19.
विधेयक किसे कहते हैं?
उत्तर-
प्रस्तावित कानून को विधेयक कहते हैं।

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प्रश्न 20.
कोई विधेयक ‘धन विधेयक’ है या नहीं – इसका निर्णय कौन करता है?
उत्तर-
कोई विधेयक ‘धन विधेयक’ है या नहीं-इसका निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष करता है।

प्रश्न 21.
धन विधेयक कौन पेश कर सकता है?
उत्तर-
धन विधेयक केवल कोई मन्त्री ही पेश कर सकता है।

प्रश्न 22.
विधेयक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
विधेयक दो प्रकार के होते हैं-साधारण विधेयक तथा धन सम्बन्धी विधेयक।

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प्रश्न 23.
लोकसभा द्वारा पारित धन-बिल को राज्यसभा कितने समय तक रोक सकती है?
उत्तर-
लोकसभा द्वारा पारित धन बिल को राज्यसभा 14 दिन तक रोक सकती है।

प्रश्न 24.
क्या लोकसभा के लिए धन-बिल पर राज्यसभा द्वारा दिए गए सुझावों को मानना अनिवार्य होता है?
उत्तर-
लोकसभा के लिए धन बिल पर राज्यसभा द्वारा दिए गए सुझावों को मानना अनिवार्य नहीं होता है।

प्रश्न 25.
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष होता है।

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प्रश्न 26.
राष्ट्रपति को कितना मासिक वेतन मिलता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति को 5,00,000 रुपए मासिक वेतन मिलता है।

प्रश्न 27.
राष्ट्रपति का एक कार्यपालिका सम्बन्धी अधिकार लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री को नियुक्त करता है तथा उसकी सलाह से मन्त्रिपरिषद् की रचना करता है।
अथवा
वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राजदूतों को भी नियुक्त करता है।

प्रश्न 28.
भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं का प्रधान कौन होता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

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प्रश्न 29.
प्रधानमन्त्री किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 30.
अध्यादेश कौन जारी कर सकता है?
उत्तर-
यदि संसद् का अधिवेशन न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।

प्रश्न 31.
अध्यादेश अधिक-से-अधिक कब तक जारी रहता है?
उत्तर-
अध्यादेश अधिक से अधिक संपद् का अगला अधिवेशन आरम्भ होने से छ: सप्ताह बाद तक जारी रहता है।

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प्रश्न 32.
राष्ट्रपति का एक विधायी अधिकार लिखो।
उत्तर-
राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है।
अथवा
संसद् द्वारा जो विधेयक पारित किया जाता है वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद ही कानून बनता है।

प्रश्न 33.
राष्ट्रपति का एक वित्तीय अधिकार बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष बजट तैयार करवा कर उसे संसद् में प्रस्तुत करवाता है।
अथवा
राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई भी वित्त विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 34.
राष्ट्रपति का एक न्यायिक अधिकार लिखो।
उत्तर-
उच्च न्यायालय तथा देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
अथवा
राष्ट्रपति किसी भी अपराधी के दण्ड को कम कर सकता है अथवा उसे क्षमादान भी दे सकता है।

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प्रश्न 35.
केन्द्र सरकार का वास्तविक अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर-
केन्द्र सरकार का वास्तविक अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होता है।

प्रश्न 36.
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए कितनी आयु होनी चाहिए?
उत्तर-
35 वर्ष या उससे अधिक।

प्रश्न 37.
प्रधानमन्त्री का कोई एक अधिकार लिखो।
उत्तर-
प्रधानमन्त्री सरकार की नीति का निर्धारण करता है।
अथवा
वह मन्त्रियों में परिवर्तन कर सकता है तथा उनके विभागों को बदल भी सकता है।

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प्रश्न 38.
भारत के सबसे बड़े न्यायालय का नाम क्या है?
उत्तर-
भारत के सबसे बड़े न्यायालय का नाम सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय है।

प्रश्न 39.
सर्वोच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर-
यह नई दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 40.
उच्चतम न्यायालय में कुल कितने न्यायाधीश हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में कुल 34 न्यायाधीश हैं।

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प्रश्न 41.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या घटाने या बढ़ाने का अधिकार किसे है?
उत्तर-
इनकी संख्या घटाने अथवा बढ़ाने का अधिकार संसद् को प्राप्त है।

प्रश्न 42.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कौन-सी एक योग्यता आवश्यक है?
उत्तर-
वह भारत का नागरिक हो तथा वह किसी उच्च न्यायालय में पांच वर्षों तक न्यायाधीश के पद पर रह चुका हो।
अथवा वह किसी एक अथवा अधिक उच्च न्यायालयों में 10 वर्ष तक वकील के रूप में कार्य कर चुका हो।

प्रश्न 43.
उच्चतम न्यायालय में कौन-कौन से अधिकार क्षेत्र हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में तीन अधिकार क्षेत्र हैंआरम्भिक क्षेत्र अधिकार, अपीलीय क्षेत्र अधिकार तथा परामर्श देने सम्बन्धी क्षेत्र अधिकार।

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प्रश्न 44.
हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय को हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक माना जाता है।

प्रश्न 45.
सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के संबंध में कौन-सा लेख (रिट) जारी कर सकता है?
उत्तर-
यह परमादेश नामक लेख जारी कर सकता है।

प्रश्न 46.
अपील किसे कहते हैं?
उत्तर-
किसी छोटे न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध ऊंची-अदालत में प्रार्थना करने की प्रक्रिया को अपील कहते हैं।

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प्रश्न 47.
कौन-कौन से तीन मामलों में अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में लाई जा सकती हैं?
उत्तर-
संवैधानिक प्रश्नों, दीवानी मुकद्दमों तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों सम्बन्धी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में लाई जा सकती हैं।

प्रश्न 48.
उच्चतम न्यायालय के एक अधिकार का वर्णन करो।
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय मौलिक अधिकार सम्बन्धी मुकद्दमों का निर्णय कर सकता है।
अथवा
उच्च न्यायालय द्वारा संवैधानिक मामलों में दिए गए निर्णयों के विरुद्ध यह अपील सुन सकता है।

प्रश्न 49.
भारतीय संसद् के निम्न सदन का नाम बताओ।
उत्तर-
लोकसभा।

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प्रश्न 50.
भारत में मतदाता की न्यूनतम आयु कितनी है?
उत्तर-
18 वर्ष।

प्रश्न 51.
लोकसभा में अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर-
550.

प्रश्न 52.
पंजाब राज्य से लोकसभा में कितने सदस्य हैं?
उत्तर-
13.

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प्रश्न 53.
लोकसभा में अधिकतम सदस्य किस राज्य से हैं?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 54.
राज्यसभा में अधिक-से-अधिक कितने सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर-
250.

प्रश्न 55.
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा कितने सदस्य मनोनीत किये जाते हैं?
उत्तर-
12.

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प्रश्न 56.
संसद् के सदस्य मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण किस प्रकार रखते हैं?
उत्तर-
अविश्वास प्रस्ताव द्वारा, स्थगन प्रस्ताव द्वारा तथा प्रश्न पूछ कर।

प्रश्न 57.
कानून सम्बन्धी प्रस्ताव को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
विधेयक।

प्रश्न 58.
लोकसभा में पारित विधेयक (बिल) को राज्यसभा अपनी सिफ़ारिशों के लिए अधिकतम कितने दिनों के लिए रोक सकती है?
उत्तर-
14 दिन तक।

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प्रश्न 59.
भारत में वास्तविक कार्यपालिका कौन-सी है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिपरिषद।

प्रश्न 60.
सजा प्राप्त अपराधी के दंड को कम अथवा क्षमादान कौन कर सकता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 61.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-
5 वर्ष के लिए।

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प्रश्न 62.
राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति का चुनाव किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर-
एक निर्वाचक मंडल द्वारा।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. संसदीय प्रणाली में ……………… राज्य की सर्वोच्च संस्था होती है।
  2. राज्यसभा का सभापति …………… होता है।
  3. राष्ट्रपति का कार्यकाल ………….. होता है।
  4. प्रधानमंत्री की नियुक्ति …………… द्वारा की जाती है।
  5. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या घटाने-बढ़ाने का अधिकार ……. को प्राप्त है।
  6. पंजाब राज्य से लोकसभा में ………….. सदस्य हैं।
  7. लोकसभा में अधिक-से-अधिक ……… सदस्य हो सकते हैं।
  8. लोकसभा का कार्यकाल ………….. वर्ष होता है।
  9. संसद् में पेश किए गए प्रस्तावित कानून को …………….. कहते हैं।
  10. संसद् के उच्च सदन को …………. कहते हैं।

उत्तर-

  1. संसद्,
  2. उपराष्ट्रपति,
  3. पांच वर्ष,
  4. राष्ट्रपति,
  5. संसद्,
  6. 13,
  7. 550,
  8. पांच,
  9. विधेयक,
  10. राज्य सभा।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं का प्रधान होता है
(A) रक्षा मंत्री
(B) राष्ट्रपति
(C) प्रधानमंत्री
(D) गृहमंत्री।
उत्तर-
(B) राष्ट्रपति

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प्रश्न 2.
राष्ट्रपति लोकसभा में कितने ऐंग्लो-इंडियन सदस्य मनोनीत कर सकता है?
(A) दो
(B) बारह
(C) पांच
(D) छः।
उत्तर-
(A) दो

प्रश्न 3. .
राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव होता है-
(A) प्रधानमन्त्री तथा उसकी मन्त्रिपरिषद् द्वारा
(B) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा
(C) राज्यों की पंचायतों द्वारा
(D) लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा।
उत्तर-
(B) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

प्रश्न 4.
हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक है
(A) प्रधानमन्त्री की मन्त्रिपरिषद्
(B) लोकसभा
(C) सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय
(D) राष्ट्रपति।
उत्तर-
(C) सर्वोच्च अथवा उच्चतम न्यायालय

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प्रश्न 5.
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितना होता है?
(A) तीन वर्ष
(B) चार वर्ष
(C) पांच वर्ष
(D) छः वर्ष।
उत्तर-
(D) छः वर्ष।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. लोकसभा का कार्यकाल छ: वर्ष होता है।
  2. लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  3. राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसके सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष होता है।
  4. राष्ट्रपति संसद में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।
  5. लोकसभा की कार्यवाही का संचालन लोकसभा का कोई भी नवनिर्वाचित सदस्य कर सकता है।
  6. सर्वोच्च न्यायालय प्रत्येक राज्य की राजधानी में होता है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗),
  6. (✗).

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V. उचित मिलान

  1. महाभियोग — अस्थायी कानून
  2. अध्यादेश — राष्ट्रपति को पद से हटाना।
  3. अविश्वास प्रस्ताव — सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय
  4. प्रारंभिक अधिकार क्षेत्र — मंत्रिमंडल का त्यागपत्र

उत्तर-

  1. महाभियोग — राष्ट्रपति को पद से हटाना,
  2. अध्यादेश — अस्थायी कानून,
  3. अविश्वास प्रस्ताव — मंत्रिमंडल का त्याग-पत्र,
  4. प्रारंभिक अधिकार क्षेत्र — सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संसद् की सर्वोच्चता से आप क्या समझते हैं?
अथवा
चार तर्कों द्वारा सिद्ध कीजिए कि देश में संसद् की सर्वोच्चता है।
उत्तर-
संसद् की सर्वोच्चता का यह अर्थ है कि देश में कानून बनाने की अन्तिम शक्ति संसद् के हाथ में ही है। संसद् द्वारा पारित कानून पर राष्ट्रपति को अवश्य ही हस्ताक्षर करना पड़ता है। यह संघ सूची और समवर्ती सूची पर कानून बना सकती है। यह उस प्रक्रिया में भी भाग लेती है जिसके द्वारा राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का चुनाव होता है। यह सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने के लिए सरकार से प्रार्थना कर सकती है। सरकारी आयव्यय पर भी इसी का नियन्त्रण रहता है। एक विशेष प्रक्रिया द्वारा इसे संविधान में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त यह सरकार की शक्तियों के प्रयोग पर नियन्त्रण रखती है। अतः स्पष्ट है कि संसद वास्तव में ही देश की सर्वोच्च संस्था है।

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प्रश्न 2.
प्रधानमन्त्री का संविधान में क्या स्थान है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री का संविधान में बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। राष्ट्रपति देश का केवल कार्यकारी मुखिया है। उसकी सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री करता है। वह मन्त्रियों तथा महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है। देश की बाहरी तथा भीतरी नीति का निर्माण भी वही करता है। वह सरकार के कई महत्त्वपूर्ण विभाग अपने हाथ में रखता है और उनका उचित संचालन करता है। इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वास्तव में वह सारे राष्ट्र का नेता होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रधानमन्त्री को संविधान में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
भारत में संसदीय सरकार होने के कारण संविधान में प्रधानमन्त्री की स्थिति राष्ट्रपति से अधिक महत्त्वपूर्ण है। यह सत्य है कि राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है और उसका पद बहुत ही गौरव का है। परन्तु उसकी शक्ति नाममात्र है। वह अपनी शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिपरिषद् की ‘सहायता और परामर्श’ से ही करता है। क्योंकि प्रधानमन्त्री मन्त्रिपरिषद् का नेता होता है, इसलिए राष्ट्रपति की शक्तियां वास्तव में प्रधानमन्त्री की ही शक्तियां हैं। वह देश की वास्तविक कार्यपालिका है। वह मन्त्रिपरिषद् तथा राष्ट्रपति के बीच कड़ी (Link) का कार्य करता है। वही देश के लिए. नीति-निर्माण करता है। इस प्रकार प्रधानमन्त्री पूरे राष्ट्र का वास्तविक नेता है।

प्रश्न 4.
प्रधानमन्त्री के मुख्य कार्य (शक्तियाँ) का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के प्रधानमन्त्री के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं —

  1. राष्ट्रपति को सहायता तथा परामर्श देना।
  2. मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों को चुनना।
  3. मन्त्रियों में विभागों का बंटवारा करना।
  4. सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों तथा विभागों की नीतियों में तालमेल बनाए रखना।
  5. संसद् में सरकार के प्रमुख प्रवक्ता का कार्य करना।
  6. भारत के योजना आयोग तथा राष्ट्रीय विकास परिषद के पदेन अध्यक्ष का कार्य करना।

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प्रश्न 5.
उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कौन-सी योग्यताएं हैं?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय में निम्नलिखित योग्यताओं वाले व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है —

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में पांच वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो।
    वह कम-से-कम 10 वर्ष तक एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में वकालत कर चुका हो।
    या वह राष्ट्रपति की दृष्टि में कोई विधि विशेषज्ञ हो।

प्रश्न 6.
राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कब की जाती है?
उत्तर-
भारत के किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति यह घोषणा वहां के राज्यपाल की सिफ़ारिश पर करता है। यह घोषणा उस स्थिति में की जाती है, जब राष्ट्रपति को राज्यपाल या किसी अन्य भरोसेमंद सूत्र द्वारा प्राप्त सूचना से यह पता चले कि उस राज्य का शासन संविधान की धाराओं के अनुसार नहीं चलाया जा सकता। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल राज्य का वास्तविक अध्यक्ष बन जाता है. तथा राज्य की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं। ऐसी स्थिति में राज्य के लिए कानून संसद् द्वारा बनाए जाते हैं।

राज्य में आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) प्रायः छः मास के लिए होता है, परन्तु संसद् इसे छः मास तक और बढ़ा । सकती है। यदि यह समय एक वर्ष से अधिक बढ़ाना पड़े, तो इसके लिए संविधान में संशोधन किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
भारत में संसद् और न्यायालय के सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में संसद और न्यायालयों के बीच गहरा सम्बन्ध है। संसद् देश के लिए कानून बनाती है और न्यायालय उन कानूनों की रक्षा करते हैं। यदि कोई व्यक्ति इन कानूनों को भंग करे तो न्यायालय उसे दण्ड देता है। संसद् सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने के लिए राष्ट्रपति से निवेदन कर सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायाधीशों के अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का निर्धारण भी संसद् के कानूनों और संविधान द्वारा ही होता है।

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प्रश्न 8.
लोकसभा के सदस्यों के चुनाव की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
लोकसभा भारतीय संसद् का निम्न सदन है। इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। भारत का प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, लोकसभा के चुनाव में मतदान कर सकता है। लोकसभा में कुछ स्थान पिछड़ी जातियों के लिए सुरक्षित किए गए हैं। यदि राष्ट्रपति यह अनुभव करे कि चुनाव में ऐंग्लो-इण्डियन को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया तो वह लोकसभा में उस जाति के दो सदस्यों को मनोनीत कर सकता है। लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। चुनाव के लिए सारे देश को बराबर जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बांट दिया जाता है। यही कारण है कि जद राज्यों से लाकराणा के लिए अधिक सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 9.
लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) पद के लिए किसे तथा कैसे निर्वाचित किया जाता है?
उत्तर-
लोकसभा के सदस्य अपने में से ही किसी एक को अध्यक्ष चुनते हैं। चुनावों के पश्चात् लोकसभा की पहली बैठक में सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को सदन की अध्यक्षता करने के लिए कहा जाता है। उसकी अध्यक्षता में लोकसभा के विभिन्न दलों के सदस्य अपने-अपने उम्मीदवार का नाम प्रस्तुत करते हैं और सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को लोकसभा का स्पीकर चुन लिया जाता है। परन्तु प्रायः किसी ऐसे व्यक्ति को स्पीकर बनाने का प्रयास किया जाता है जो सभी दलों को मान्य हो। चुने जाने के पश्चात् लोकसभा अध्यक्ष राजनीतिक दल से अलग हो जाता है।

प्रश्न 10.
संसद् से क्या अभिप्राय है ? इसके दोनों सदनों के नाम बताओ और उनका कार्यकाल लिखो।
उत्तर-
संसद् से अभिप्राय केन्द्रीय विधान-मण्डल से है। इसके दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। यह ऐसी संस्था है जो राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर कानून बनाती है। संसद् द्वारा बनाए गए कानून पूरे देश को प्रभावित करते हैं।

  1. लोकसभा की अवधि-लोकसभा के सदस्यों का चुनाव 5 वर्ष के लिए किया जाता है। परन्तु राष्ट्रपति इसे 5 वर्ष से पहले भी भंग कर सकता है और चुनाव दोबारा करा सकता है। संकटकाल में लोकसभा की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।
  2. राज्यसभा का कार्यकाल-राज्यसभा एक स्थायी सदन है, परन्तु हर दो वर्ष के पश्चात् इसके 1/3 सदस्य बदल जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक सदस्य अपने पद पर 6 वर्ष तक रहता है।

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प्रश्न 11.
संक्षेप में भारत के राष्ट्रपति के अधिकारों का विवेचन कीजिए।
अथवा
भारत के राष्ट्रपति के कार्यकारी, वैधानिक तथा अन्य अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है

  1. कार्यकारी अधिकारी-
    1. सभी कानून राष्ट्रपति के नाम पर लागू होते हैं।
    2. वह प्रधानमन्त्री तथा उसके परामर्श से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है।
    3. वह युद्ध तथा सन्धि की घोषणा करता है।
    4. वह विदेशों में अपने राजदूत नियुक्त करता है तथा विदेशों से आने वाले राजदूतों को मान्यता देता है।
  2. वैधानिक अधिकार-
    1. उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी बिल कानून नहीं बन सकता।
    2. वह प्रधानमन्त्री की सलाह से लोकसभा को निश्चित समय से पहले भंग कर सकता है।
    3. वह राज्यसभा के लिए 12 तथा लोकसभा के लिए 2 सदस्य मनोनीत करता है।
  3. वित्तीय अधिकार-कोई भी धन-बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।
  4. न्याय सम्बन्धी अधिकार-
    1. राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
    2. वह कैदियों की सज़ा कम या माफ कर सकता है।
  5. संकटकालीन शक्तियां-राष्ट्रपति बाह्य आक्रमण या आन्तरिक सशस्त्र विद्रोह, आर्थिक संकट और राज्य सरकार के ठीक न चलने पर संकटकाल की घोषणा कर सकता है।

प्रश्न 12.
संसद् सदस्यों के लिए छः अनिवार्य योग्यताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसद् सदस्यों के लिए निम्नलिखित छः अनिवार्य योग्यताएं हैं

  1. उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. उसे शपथ लेनी चाहिए कि वह संविधान का पालन और आदर करेगा तथा भारत की प्रभुसत्ता तथा अखण्डता को बनाए रखेगा।
  3. राज्यसभा के लिए न्यूनतम 30 वर्ष और लोकसभा के लिए 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
  4. वह पागल घोषित नहीं होना चाहिए।
  5. उसे लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
  6. उसे दिवालिया नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 13.
किस आधार पर राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है?
उत्तर-
भारत का राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत कर सकता है। वह उन व्यक्तियों को मनोनीत करता है जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान अथवा समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान तथा अनुभव हो।

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प्रश्न 14.
संसद् के तीन विधायी तथा तीन गैर-विधायी कार्य बताइए।
उत्तर-
विधायी कार्य-

  1. यह साधारण विधेयक पास करती है।
  2. वह वित्त विधेयक पास करती है।
  3. यह राष्ट्रपति द्वारा संसद् के अवकाश काल में जारी किए गए अध्यादेशों का अनुमोदन करती है।

गैर-विधायी कार्य-

  1. संसद् सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछते हैं तथा मन्त्री इन प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
  2. राष्ट्रपति द्वारा की गई आपातकालीन घोषणा पर निश्चित अवधि के भीतर संसद् का अनुमोदन प्राप्त करना पड़ता है।
  3. संसद् मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए अविश्वास के प्रस्ताव पर विचार करती है।

प्रश्न 15.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की योग्यताएं, कार्यकाल तथा वेतन बताइए।
उत्तर-
योग्यताएं-

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह या तो कम-से-कम पांच साल तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो या कम-से-कम दस वर्ष तक उच्च न्यायालय का वकील रहा हो या राष्ट्रपति की राय में कानून विशेषज्ञ हो।

निश्चित कार्यकाल-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल नियुक्ति के बाद निश्चित है। वे अपने पद पर उस समय तक बने रहते हैं जब तक वे 65 वर्ष के न हो जाएं।
निश्चित वेतन-मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रु० महीना तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रु० महीना वेतन मिलता है।

प्रश्न 16.
संविधान के वे चार प्रमुख उपबन्ध बताइए जो सर्वोच्च न्यायालय को स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष बनाते हैं।
अथवा
भारतीय संविधान स्वतन्त्र न्यायपालिका की रक्षा कैसे करता है?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय को स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष बनाने के लिए संविधान में निम्नलिखित उपबन्ध दिए गए हैं

  1. राज्य-नीति का एक निर्देशक सिद्धान्त न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतन्त्र करने का आदेश देता है।
  2. मुख्य तथा अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्धारित न्यायिक अथवा कानूनी योग्यताओं के आधार पर की । जाती है।
  3. उन्हें सम्माननीय वेतन दिया जाता है।
  4. उनका कार्यकाल निश्चित है।

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 2 केन्द्रीय सरकार

प्रश्न 17.
निम्नलिखित की व्याख्या करें-

  1. भारतीय संसद में संगम प्रस्ताव
  2. भारतीय संसद में ध्यानार्थ प्रस्ताव
  3. भारतीय संसद् के सदनों को राष्ट्रपति का अभिभाषण और सन्देश
  4. साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव
  5. लोकसभा को भंग करना
  6. धन विधेयक

उत्तर-

  1. भारतीय संसद में स्थगन प्रस्ताव-सदन में बहस के दौरान किसी सार्वजनिक महत्त्व के विषय पर बहस करने के लिए रखे गए प्रस्ताव को स्थगन प्रस्ताव कहते हैं।
  2. भारतीय संसद में ध्यानार्थ प्रस्ताव-सरकार का ध्यान किसी आवश्यक घटना की और दिलाने के लिए रखे गए प्रस्ताव को ध्यानार्थ अथवा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कहते हैं।
  3. भारतीय संसद के सदनों को राष्ट्रपति का अभिभाषण और संन्देश-जब राष्ट्रपति संसद् का अधिवेशन बुलाता है तो दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को अभिभाषण से आरम्भ करता है। अपने अभिभाषण में वह संसद को सरकार की नीतियों की रूप रेखा के बारे में सन्देश देता है।
  4. साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव-साधारण विधेयक पारित करने के पड़ाव हैं-विधेयकं की प्रस्तुति और वाचन, विधेयक की प्रत्येक धारा पर बहस । यदि आवश्यक हो तो बिल को विचार-विमर्श के लिए विशेष समिति को सौंपा जाना, विधेयक पर समग्र रूप से मतदान, पास्ति बिल दूसरे सदन में, राष्ट्रपति की स्वीकृति।
  5. लोकसभा को भंग करना-राष्ट्रपति लोकसभा को इसकी अवधि पूरी होने से पहले भी भंग कर सकता है। परन्तु ऐसा वह केवल मन्त्रिपरिषद् की सिफारिश पर ही कर सकता है।
  6. धन विधेयक-धावह होता है जिसका सम्बन्ध सरकार के व्यय, कर लगाने, उनमें संशोधन करने, समाप्त करने आदि से होती है। धन विधेयक किसी मन्त्री द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।

केन्द्रीय सरकार PSEB 10th Class Civics Notes

  • संसद्-भारतीय संसद् के दो सदन-लोकसभा तथा राज्यसभा हैं। लोकसभा निम्न सदन है। इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है। राज्यसभा स्थाई सदन है। हर दो वर्ष के बाद इसके 1/3 सदस्य सेवा-निवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। इसके सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
  • लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा का सभापति-लोकसभा का अध्यक्ष स्पीकर कहलाता है। इसका चुनाव स्वयं सदस्य अपने में से करते हैं। वह सदन की कार्यवाही चलाता है और उनमें अनुशासन बनाए रखता है। भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  • विधायी प्रक्रिया-विधेयक को कानून बनने के लिए इन अवस्थाओं में से गुज़रना पड़ता है-विधेयक का सदन में पेश किया जाना-प्रथम वाचन, द्वितीय वाचन (प्रवर समिति के पास), तृतीय वाचन, राष्ट्रपति की स्वीकृति। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति पद की योग्यताएं तथा निर्वाचन-वही व्यक्ति राष्ट्रपति बन सकता है जो लोकसभा के लिए निर्धारित योग्यताएं पूरी करता हो, वह कम-से-कम 35 वर्ष का हो तथा किसी लाभ के सरकारी पद पर आसीन न हो। राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल करता है। राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा उसकी अवधि (कार्यकाल) पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति की कार्य-पालिका शक्तियां-राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा उसकी सलाह से वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। वह राज्यपालों, भारत के महान्यायवादी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक-सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा विदेशों में राजदूतों की नियुक्तियां भी करता है।
  • न्यायिक शक्तियां-राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उसके परामर्श से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है । वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। वह किसी अपराधी को क्षमादान दे सकता है।
  • संकटकालीन शक्तियां- राष्ट्रपति (i) बाहरी आक्रमण, (ii) आन्तरिक विद्रोह तथा किसी राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता और (iii) वित्तीय संकट के समय संकटकाल की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन उप-राष्ट्रपति करता है।
  • संविधान में प्रधानमन्त्री की स्थिति-सभी महत्त्वपूर्ण शक्तियां राष्ट्रपति में निहित हैं, परन्तु व्यवहार में इन सारी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् द्वारा होता है। इस प्रकार राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है, जबकि प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका है।
  • उप-राष्ट्रपति-उसका कार्यकाल पांच वर्ष है। वह राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है।
  • प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्-राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और उसकी सलाह से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • उच्चतम न्यायालय-संविधान में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था की गई है। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं। आरम्भिक क्षेत्राधिकार के साथ-साथ इसका अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

SST Guide for Class 10 PSEB स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखें

प्रश्न 1.
1857 ई० के स्वतन्त्रता संग्राम के समय पंजाब की किन-किन छावनियों में विद्रोह हुआ?
उत्तर-
1857 ई० के स्वतन्त्रता संग्राम के समय पंजाब की लाहौर, फिरोजपुर, पेशावर, अम्बाला, मियांवाली आदि छावनियों में विद्रोह हुआ।

प्रश्न 2.
सरदार अहमद खां खरल ने आजादी की लड़ाई में क्या योगदान दिया?
उत्तर-
सरदार अहमद खां खरल ने कई स्थानों पर अंग्रेजों से टक्कर ली और अंत में वह पाकपटन के निकट अंग्रेज़ों का विरोध करते हुए शहीद हो गया।

प्रश्न 3.
श्री सतगुरु राम सिंह जी ने अंग्रेज़ सरकार का असहयोग क्यों किया?
उत्तर-
क्योंकि श्री सतगुरु राम सिंह जी विदेशी सरकार, विदेशी संस्थाओं तथा विदेशी माल के कट्टर विरोधी थे।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

प्रश्न 4.
ग़दर लहर क्यों असफल रही?
उत्तर-
क्योंकि अमृतसर के एक सिपाही कृपाल सिंह के धोखा देने के कारण गदर लहर की योजना की पोल समय से पहले ही खुल गई और अंग्रेज़ सरकार तुरन्त सक्रिय हो उठी।

प्रश्न 5.
अकाली लहर के अस्तित्व में आने के दो कारण बताओ।
उत्तर-
गुरुद्वारों को चरित्रहीन महंतों से मुक्त करवाना तथा गुरुद्वारों के प्रबन्ध में सुधार लाना।

प्रश्न 6.
चाबियाँ वाला मोर्चा क्यों लगाया गया?
उत्तर-
अंग्रेजी सरकार ने दरबार साहिब अमृतसर की गोलक की चाबियां अपने पास दबा रखी थीं जिन्हें प्राप्त करने के लिए सिक्खों ने चाबियों वाला मोर्चा लगाया।

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प्रश्न 7.
‘गुरु का बाग’ मोर्चे का कारण बताओ।
उत्तर-
सिक्खों ने गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ (जिला अमृतसर) को महंत सुन्दर दास के अधिकार से मुक्त कराने के लिए गुरु का बाग मोर्चा लगाया।

प्रश्न 8.
साइमन कमीशन कब भारत आया और इसका बहिष्कार क्यों किया गया?
उत्तर-
साइमन कमीशन 1928 में भारत आया। इसमें एक भी भारतीय सदस्य सम्मिलित नहीं था जिसके कारण भारत में इसका बहिष्कार किया गया।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-50 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
श्री सतगुरु राम सिंह जी की कैसी गतिविधियों से अंग्रेजों को डर लगता था?
उत्तर-

  1. श्री सतगुरु राम सिंह जी जहां भी जाते, उनके साथ घुड़सवारों की टोली अवश्य जाती थी। इससे अंग्रेज़ सरकार यह सोचने लगी कि नामधारी किसी विद्रोह की तैयारी कर रहे हैं। .
  2. अंग्रेज़ श्री सतगुरु राम सिंह जी के डाक प्रबन्ध को संदेह की दृष्टि से देखते थे।
  3. श्री सतगुरु राम सिंह जी ने प्रचार की सुविधा को सम्मुख रखकर पंजाब को 22 प्रांतों में बांटा हुआ था। प्रत्येक प्रांत का एक सेवादार होता था जिसे सूबेदार कहा जाता था। नामधारियों की यह कार्यवाही भी अंग्रेजों को डरा रही थी।
  4. 1869 ई० में नामधारियों या कूकों ने कश्मीर के शासक के साथ सम्पर्क स्थापित किया। उन्होंने नामधारियों (कूकों) को फौजी प्रशिक्षण देना भी आरम्भ कर दिया।

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प्रश्न 2.
नामधारियों और अंग्रेजों के मध्य मलेरकोटला में हुई दुर्घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
नामधारी लोगों ने गौ-रक्षा का कार्य आरम्भ कर दिया था। गौ-रक्षा के लिए वे कसाइयों को मार डालते थे। जनवरी, 1872 को 150 कूकों (नामधारियों) का एक जत्था कसाइयों को दण्ड देने मालेरकोटला पहुंचा। 15 जनवरी, 1872 ई० को ककों और मालेरकोटला की सेना के बीच घमासान लड़ाई हुई। दोनों पक्षों के अनेक व्यक्ति मारे गए। अंग्रेजों ने कूकों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए अपनी विशेष सेना मालेरकोटला भेजी। 68 कूकों ने स्वयं अपनी गिरफ्तारी दी। उनमें से 49 कूकों को 17 जनवरी, 1872 ई० को तोपों से उड़ा दिया गया। सरकारी मुकद्दमों के पश्चात् 16 कूकों को मृत्यु दण्ड दिया गया। बाबा राम सिंह को देश निकाला देकर रंगून भेज दिया गया।

प्रश्न 3.
पंजाब में आर्य समाज द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
पंजाब में आर्य समाज ने निम्नलिखित कार्य किए

  1. इसने पंजाबियों की राष्ट्रीय भावना को जागृत किया।
  2. इसने लाला लाजपत राय, सरदार अजीत सिंह, श्रद्धानंद, भाई परमानंद तथा लाला हरदयाल जैसे महान् देशभक्तों को उभारा।
  3. इसने पंजाब में शिक्षा का विस्तार किया।
  4. इसने पंजाब में स्वदेशी लहर को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 4.
ग़दर पार्टी ने पंजाब में आजादी के लिए क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर-
ग़दर पार्टी द्वारा पंजाब में आजादी के लिए किए गए कार्यों का वर्णन इस प्रकार है

  1. रास बिहारी बोस ने लाहौर, फिरोजपुर, मेरठ, अम्बाला, मुलतान, पेशावर तथा कई अन्य छावनियों में अपने प्रचारक भेजे। इन प्रचारकों ने सैनिकों को विद्रोह के लिए तैयार किया।
  2. करतार सिंह सराभा ने कपूरथला के लाला रामसरन दास के साथ मिल कर ‘गदर’ नामक साप्ताहिक पत्र को छापने का प्रयास किया। परन्तु वह सफल न हो सका। फिर भी वह ‘गदर-गूंज’ प्रकाशित करता रहा।
  3. सराभा ने फरवरी, 1915 में फिरोजपुर में सशस्त्र विद्रोह करने का यत्न किया। परन्तु कृपाल सिंह नामक एक सिपाही की धोखेबाज़ी के कारण उसका भेद खुल गया।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

प्रश्न 5.
बाबा गुरदित्त सिंह ने कैनेडा जाने वाले लोगों के लिए क्या क्या कार्य किए?
उत्तर-
पंजाब के अनेक लोग रोजी-रोटी की खोज में कैनेडा जाना चाहते थे। परन्तु कैनेडा सरकार की भारत विरोधी गतिविधियों के कारण कोई भी जहाज़ उन्हें कैनेडा ले जाने को तैयार न था। 1913 में जिला अमृतसर के बाबा गुरदित्त सिंह ने ‘गुरु नानक नेवीगेशन’ नामक कम्पनी स्थापित की। 24 मार्च, 1914 को उसने ‘कामागाटामारू’ नामक एक जहाज़ किराये पर लिया और इसका नाम ‘गुरु नानक जहाज़’ रखा। इस जहाज़ में उसने कैनेडा जाने के इच्छुक लोगों को कैनेडा ले जाने का प्रयास किया। परन्तु वहां पहुंचते ही उन्हें वापिस जाने का आदेश दे दिया गया।

प्रश्न 6.
जलियांवाला बाग़ की दुर्घटना के क्या कारण थे?
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ की दुर्घटना निम्नलिखित कारणों से हुई

  1. रौलेट बिल-1919 में अंग्रेज़ी सरकार ने ‘रौलेट बिल’ पास किया। इस के अनुसार पुलिस को जनता के दमन के लिए विशेष शक्तियां दी गईं। अत: लोगों ने इनका विरोध किया।
  2. डॉ० सत्यपाल तथा डॉ० किचलू की गिरफ्तारी-रौलेट बिल के विरोध में पंजाब तथा अन्य स्थानों पर हड़ताल हुई। कुछ नगरों में दंगे भी हुए। अतः सरकार ने पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं डॉ० सत्यपाल तथा डॉ० किचलू को गिरफ्तार कर लिया। इससे जनता और भी भड़क उठी।
  3. अंग्रेजों की हत्या-भड़के हुए लोगों पर अमृतसर में गोली चलाई गई। जवाब में लोगों ने पांच अंग्रेजों को मार डाला। अत: नगर का प्रबन्ध जनरल डायर को सौंप दिया गया।
    इन सब घटनाओं के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में एक आम सभा हुई जहां भीषण हत्याकांड हुआ।

प्रश्न 7.
सरदार ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग़ दुर्घटना का बदला कैसे लिया?
उत्तर-
सरदार ऊधम सिंह पक्का देश भक्त था। जलियांवाला बाग़ में हुए नरसंहार से उसका युवा खून खौल उठा। उसने इस घटना का बदला लेने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उसे यह अवसर 21 वर्ष पश्चात् मिला। उस समय वह इंग्लैण्ड में था। वहां उसने सर माइकल ओडायर (लैफ्टिनेंट गवर्नर) को गोली से उड़ा दिया। जलियांवाला बाग़ हत्याकाण्ड के लिए यही अधिकारी उत्तरदायी था।

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प्रश्न 8.
खिलाफ़त लहर पर नोट लिखो।
उत्तर-
खिलाफ़त आन्दोलन प्रथम विश्व-युद्ध के पश्चात् मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चलाया। युद्ध में तुर्की की पराजय हुई और विजयी राष्ट्रों ने तुर्की साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर डाला। इससे मुस्लिम जनता भड़क उठी क्योंकि तुर्की के साथ उसकी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई थीं। इसी कारण मुसलमानों ने खिलाफ़त आन्दोलन आरम्भ कर दिया। परन्तु यह आन्दोलन भारत के राष्ट्रवादी आन्दोलन का एक अंग बन गया और इसमें कांग्रेस के भी अनेक नेता सम्मिलित हुए। उन्होंने इसे पूरे देश में फैलाने में सहायता दी।

प्रश्न 9.
बब्बरों की गतिविधियों का वर्णन करो।
उत्तर-
बब्बरों का मुख्य उद्देश्य सरकारी पिठुओं तथा मुखबिरों का अंत करना था। इसे वे ‘सुधार करना’ कहते थे। इसके लिए उन्हें शस्त्रों की आवश्यकता थी और शस्त्रों के लिए उन्हें धन चाहिए था। अतः उन्होंने सरकारी पिठ्ठओं से धन तथा हथियार भी छीने। उन्होंने पंजाबी सैनिकों से अपील की कि वे शस्त्रों की सहायता से स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए कार्य करें। अपने कार्यों के विस्तार के लिए उन्होंने ‘बब्बर अकाली दुआबा’ नामक समाचार-पत्र निकाला। उन्होंने अनेक सरकारी पिळुओं को मौत के घाट उतार दिया। उन्होंने अपना बलिदान देकर पंजाबियों को स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए अपनी जान पर खेल जाने का पाठ पढ़ाया।

प्रश्न 10.
नौजवान भारत सभा पर नोट लिखो।
उत्तर-
नौजवान भारत सभा की स्थापना सरदार भगत सिंह ने 1925 ई० में लाहौर में की। वह स्वयं इसका जनरल सचिव बना। इस संस्था ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला लिया तथा नवयुवकों को जागृत किया। इसे गर्म दल के कांग्रेसी नेताओं का भी समर्थन प्राप्त था। शीघ्र ही यह संस्था क्रांतिकारियों का केन्द्र बन गई। समय समय पर यह संस्था लाहौर में सभा करके मार्क्स और लेनिन के विचारों पर वाद-विवाद करती थी। यह सभा दूसरे देशों में घटित हुई क्रान्तियों पर भी विचार करती थी।

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प्रश्न 11.
साइमन कमीशन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1928 ई० में एक सात सदस्यीय कमीशन भारत में आया। इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। इस कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। इसी कारण भारत में इसका स्थान-स्थान पर विरोध किया गया। यह कमीशन जहां भी गया वहीं इसका स्वागत काली झण्डियों से किया गया। स्थान-स्थान पर ‘साइमन कमीशन वापिस जाओ’ के नारे लगाये गये। जनता के इस शान्त प्रदर्शन को सरकार ने बड़ी कठोरता से दबाया। लाहौर में इस कमीशन का विरोध करने के कारण लाला लाजपतराय पर लाठियाँ बरसायी गईं जिससे वह शहीदी को प्राप्त हुए।

प्रश्न 12.
प्रजामंडल के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
पंजाब प्रजामण्डल तथा रियासती प्रजामण्डल ने सेवा सिंह ठीकरी वाला की अध्यक्षता में जन-जागृति के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

  1. इसने किसानों तथा साधारण लोगों की समस्याओं पर विचार करने के लिए सभाएं कीं।
  2. इसने रियासत पटियाला में हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई।
  3. इसने बाबा हीरा सिंह महल, तेजा सिंह स्वतन्त्र, बाबा सुंदर सिंह तथा अन्य कई मरजीवड़ों के सहयोग से रियासती शासन तथा अंग्रेजी साम्राज्य का डटकर विरोध किया।

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
श्री सतगुरु राम सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर-
श्री सतगुरु राम सिंह एक महान् देश भक्त थे। उन्होंने बाबा बालक सिंह के पश्चात् पंजाब में नामधारी अथवा कूका लहर का नेतृत्व किया। बाबा राम सिंह ने 1857 ई० में कुछ लोगों को अमृत छका कर नामधारी लहर को संगठित रूप प्रदान किया। भले ही इस लहर का मुख्य उद्देश्य धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के लिए कार्य करना था, तो भी इसने अंग्रेजी शासन का विरोध किया और उसके प्रति असहयोग की नीति अपनाई।
बाबा राम सिंह की गतिविधियां-

  1. बाबा राम सिंह जहां भी जाते, उनके साथ घुड़सवारों की टोली अवश्य जाती थी। इससे अंग्रेज़ सरकार यह सोचने लगी कि नामधारी किसी विद्रोह की तैयारी कर रहे हैं।
  2. अंग्रेज़ बाबा राम सिंह के डाक प्रबन्ध को सन्देह की दृष्टि से देखते थे।
  3. बाबा राम सिंह ने प्रचार की सुविधा को सम्मुख रख कर पंजाब को 22 प्रांतों में बांटा हुआ था। प्रत्येक प्रांत का एक सेवादार होता था जिसे सूबेदार कहा जाता था। नामधारियों की यह कार्यवाही भी अंग्रेजों को डरा रही थी।
  4. 1869 में नामधारियों या कूकों ने कश्मीर के शासक के साथ सम्पर्क स्थापित किया। उन्होंने नामधारियों (कूकों) को सैनिक प्रशिक्षण देना भी आरम्भ कर दिया।
  5. नामधारी लोगों ने गौ-रक्षा का कार्य आरम्भ कर दिया था। गौ-रक्षा के लिए वे कसाइयों को मार डालते थे। 1871 ई० में उन्होंने रायकोट (अमृतसर) के कुछ बूचड़खानों पर आक्रमण करके कई कसाइयों को मार डाला।
  6. जनवरी, 1872 में 150 कूकों (नामधारियों) का एक जत्था कसाइयों को दण्ड देने मालेरकोटला पहुंचा। 15 जनवरी, 1872 ई० को कूकों और मालेरकोटला की सेना के बीच घमासान लड़ाई हुई ! दोनों पक्षों के अनेक व्यक्ति मारे गए। अंग्रेजों ने कूकों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए अपनी विशेष सेना मालेरकोटला भेजी। 68 कूकों ने स्वयं अपनी गिरफ्तारी दी। उनमें से 49 कूकों को 17 जनवरी, 1872 ई० को तोपों से उड़ा दिया गया। सरकारी मुकद्दमों के पश्चात् 16 कूकों को मृत्यु दण्ड दिया गया। बाबा राम सिंह को देश निकाला देकर रंगून भेज दिया गया।
    सच तो यह है कि बाबा राम सिंह के नेतृत्व में नामधारी अपने प्राणों की परवाह न करते हुए अपने उद्देश्य पर डटे रहे।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

प्रश्न 2.
आर्य समाज ने पंजाब में स्वतन्त्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
उत्तर-
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती (1824-1883) थे। इसकी स्थापना उन्होंने 1875 ई० में की। 1877 ई० में उन्होंने आर्य समाज की एक शाखा लाहौर में खोली।
स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान-आर्य समाज ने जहां सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में अपना योगदान दिया वहीं इसने स्वतन्त्रता लहर में भी बहुमूल्य भूमिका निभाई। स्वतन्त्रता संग्राम में इसके योगदान का वर्णन इस प्रकार है —

  1. राष्ट्रीय भावना जागृत करना-स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज के माध्यम से पंजाबियों की राष्ट्रीय भावना को जागृत किया और उन्हें स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए तैयार किया।
  2. महान् देशभक्तों का उदय-स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीयों को अपने देश और सभ्यता पर गर्व करने को शिक्षा दी। इस बात का प्रभाव पंजाबियों पर भी पड़ा। लाला लाजपतराय, सरदार अजीत सिंह और श्रद्धानंद जैसे महान् देशभक्त आर्य समाज की ही देन थे। भाई परमानंद और लाला हरदयाल भी प्रसिद्ध आर्य समाजी थे।
  3. असहयोग आन्दोलन में भाग-इस संस्था ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। इसने स्कूल तथा कॉलेज खोलकर स्वदेशी लहर को बढ़ावा दिया।
  4. सरकारी विरोध का सामना-आर्य समाजियों की राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने उन पर कड़ी नज़र रखनी आरम्भ कर दी। जो आर्य समाजी सरकारी नौकरी में थे, उन्हें सन्देह की दृष्टि से देखा जाने लगा। यहाँ तक कि उन्हें वांछित तरक्कियां भी न दी गईं। फिर भी उन्होंने अपना कार्य जारी रखा।
    1892 ई० में आर्य समाज दो भागों में बंट गया-कॉलेज पार्टी और गुरुकुल पार्टी। इनमें से कॉलेज पार्टी के नेता लाला लाजपतराय तथा महात्मा हंसराज थे। वे वेदों की शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी विज्ञान की शिक्षा देने के भी पक्ष में थे। इस कारण अंग्रेजों और आर्य समाजियों के बीच तनाव लगभग समाप्त हो गया। फिर भी आर्य समाजी देश में स्वतन्त्रता सेनानियों को अपना पूरा सहयोग देते रहे। आर्य समाजियों के समाचार-पत्र भी पंजाब की स्वतन्त्रता लहर में पूरी तरह सक्रिय रहे।

प्रश्न 3.
ग़दर पार्टी ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए क्या क्या यत्न किए?
उत्तर-
ग़दर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में सान फ्रांसिस्को (अमेरिका) में हुई। इसका प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना थे। लाला हरदयाल इसके मुख्य सचिव तथा कांशी राम सचिव एवं खजांची थे।
इस संस्था ने सान फ्रांसिस्को से उर्दू में एक साप्ताहिक पत्र ‘ग़दर’ निकालना आरम्भ किया। इसका सम्पादन कार्य करतार सिंह सराभा को सौंपा गया। उसके परिश्रम से यह समाचार-पत्र हिंदी, पंजाबी, पश्तो, नेपाली आदि अनेक भाषाओं में प्रकाशित होने लगा। इस समाचार-पत्र के नाम पर ही इस संस्था का नाम ग़दर पार्टी रखा गया।
उद्देश्य-ग़दर पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत को सशस्त्र क्रांति द्वारा स्वतन्त्र करवाना था। इसलिए इस पार्टी ने अग्रलिखित कार्यों पर बल दिया

  1. सेना में विद्रोह का प्रचार
  2. सरकारी पिट्ठओं की हत्या
  3. जेलें तोड़ना
  4. सरकारी खज़ाने और थाने लूटना
  5. क्रान्तिकारी साहित्य छापना और बांटना
  6. अंग्रेजों के शत्रुओं की सहायता करना
  7. शस्त्र इकट्ठे करना
  8. बम बनाना
  9. डाक-तार व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करना तथा रेल मार्गों की तोड़-फोड़ करना।
  10. क्रान्तिकारियों का झंडा फहराना
  11. क्रान्तिकारी नवयुवकों की सूची तैयार करना।
    स्वतन्त्रता प्राप्ति के प्रयास-कामागाटामारू की घटना के पश्चात् काफ़ी संख्या में भारतीय अपने देश वापिस आ गए। वे ग़दर द्वारा अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना चाहते थे। अंग्रेजी सरकार भी बड़ी सतर्क थी। बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की छान-बीन होती थी। संदेह होने पर व्यक्ति को नज़रबंद कर दिया जाता था। परन्तु जो व्यक्ति बच निकलता था, वह क्रान्तिकारियों से मिल जाता था। – भारत में ग़दर पार्टी और विदेश से लौटे क्रान्तिकारियों का नेतृत्व रास बिहारी बोस ने किया। अमेरिका से वापिस आए करतार सिंह सराभा ने भी बनारस में श्री रास बिहारी बोस के गुप्त अड्डे का पता लगाकर उनसे सम्पर्क स्थापित किया। ग़दर पार्टी द्वारा आज़ादी के लिए किए गए कार्य-ग़दर पार्टी द्वारा पंजाब में आज़ादी के लिए किए गए कार्यों का वर्णन इस प्रकार है

    1. रास बिहारी बोस ने लाहौर, फिरोज़पुर, मेरठ, अम्बाला, मुलतान, पेशावर तथा कई अन्य छावनियों में अपने प्रचारक भेजे। इन प्रचारकों ने सैनिकों को विद्रोह के लिए तैयार किया।
    2. करतार सिंह सराभा ने कपूरथला के लाला रामसरन दास के साथ मिल कर ‘ग़दर’ नामक साप्ताहिक पत्र को छापने का प्रयास किया परन्तु वह सफल न हो सका। फिर भी वह ‘ग़दर-गूंज’ प्रकाशित करता रहा।
    3. ग़दर पार्टी ने लाहौर तथा कुछ अन्य स्थानों पर बम बनाने का कार्य भी आरम्भ किया।
    4. ग़दर दल ने स्वतन्त्र भारत के लिए एक झंडा तैयार किया। करतार सिंह सराभा ने इस झंडे को स्थान-स्थान पर लोगों में बांटा।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 9 स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान

प्रश्न 4.
कामागाटामारू दुर्घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
पृष्ठभूमि-अंग्रेजी सरकार के आर्थिक कानूनों से पंजाबियों की आर्थिक दशा बहुत शोचनीय हो गई थी। अत: 1905 ई० में कुछ लोग रोजी-रोटी की खोज में विदेशों में जाने लगे। इनमें से कई पंजाबी लोग कैनेडा जा रहे थे। परन्तु कैनेडा सरकार ने 1910 ई० में एक कानून पास किया। इसके अनुसार केवल वही भारतीय कैनेडा में प्रवेश कर सकते थे, जो अपने देश की किसी बंदरगाह से बैठकर सीधे कैनेडा जाते थे। परंतु 24 जनवरी, 1913 ई० को कैनेडा के हाई कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया। यह समाचार पाकर पंजाब के बहुत से लोग कैनेडा जाने के लिए कलकत्ता (कोलकाता), सिंगापुर तथा हांगकांग की बंदरगाहों पर पहुँच गए। परन्तु कैनेडा सरकार द्वारा भारतीयों से किए जाने वाले दुर्व्यवहार को देखते हुए कोई भी जहाज़ कम्पनी उन्हें कैनेडा पहुँचाने के लिए तैयार न हुई।

बाबा गुरदित्त सिंह के प्रयास-अमृतसर निवासी बाबा गुरदित्त सिंह सिंगापुर तथा मलाया में ठेकेदारी करता था। उसने 1913 ई० में ‘गुरु नानक नेवीगेशन कम्पनी’ स्थापित की। 24 मार्च, 1914 ई० को इस कम्पनी ने कामागाटामारू नामक एक जहाज़ किराये पर ले लिया जिसका नाम ‘गुरु नानक जहाज़’ रखा गया। उसे हांगकांग से 500 यात्री भी मिल गए। परन्तु हांगकांग की अंग्रेजी सरकार इस बात को सहन न कर सकी। उसने बाबा गुरदित्त सिंह को बंदी बना लिया। भले ही उसे अगले दिन रिहा कर दिया, फिर भी विघ्न पड़ जाने के कारण यात्रियों की संख्या घटकर केवल 135 रह गई।

गुरु नानक जहाज़ 23 मई, 1914 ई० को वेनकुवर (कैनेडा) की बंदरगाह पर पहुंचा, परन्तु यात्रियों को बंदरगाह पर न उतरने दिया गया। बाबा गुरदित्त सिंह प्रीवी कौंसिल में अपील करना चाहता था। परन्तु अंत में भारतीयों ने वापिस आना ही मान लिया। कामागाटामारू की दुर्घटना-23 जुलाई, 1914 ई० को जहाज़ वेनकुवर से वापिस भारत की ओर चल पड़ा। जब जहाज़ हुगली नदी में पहुंचा, तो लाहौर का डिप्टी कमिश्नर पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गया। यात्रियों की तलाशी लेने के पश्चात् जहाज़ को 27 किलोमीटर दूर बजबज घाट पर खड़ा कर दिया गया। यात्रियों को यह बताया गया कि उन्हें वहां से रेलगाड़ी द्वारा पंजाब ले जाया जाएगा। यात्री कलकत्ता (कोलकाता) में ही कोई काम धंधा करना चाहते थे। परन्तु उनकी किसी ने एक न सुनी और उन्हें जहाज़ से नीचे उतार दिया गया। शाम के समय रेलवे स्टेशन पर इन यात्रियों की पुलिस से मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने गोली चला दी। इस गोलीकांड में 40 व्यक्ति शहीद हो गए तथा बहुत से घायल हुए।

बाबा गुरदित्त सिंह बचकर पंजाब पहुंच गया। 1920 ई० में उसने गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर ननकाना साहिब में स्वयं को पुलिस के हवाले कर दिया। उसे 5 वर्ष के कारावास का दंड दिया गया।

प्रश्न 5.
जलियांवाला बाग़ दुर्घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ अमृतसर (पंजाब) में है। यहां 13 अप्रैल, 1919 को एक निर्मम हत्याकाण्ड हुआ। इसका वर्णन इस प्रकार है —
पृष्ठभूमि-1919 ई० में केन्द्रीय विधान परिषद ने दो बिल पास किए। इन्हें रौलेट बिल (Rowlatt Bill) कहते हैं। इन बिलों द्वारा पुलिस और मैजिस्ट्रेट को षड्यन्त्र आदि को दबाने के लिए विशेष शक्तियां दी गईं। इनके विरुद्ध 13 मार्च, 1919 ई० को महात्मा गाँधी ने हड़ताल कर दी। परिणामस्वरूप अहमद नगर, दिल्ली और पंजाब के कुछ नगरों में दंगे आरम्भ हो गए। स्थिति को सम्भालने के लिए.पंजाब के दो प्रसिद्ध नेताओं डॉ० सत्यपाल तथा डॉ० किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में नगर में हड़ताल कर दी गई। प्रदर्शनकारियों का एक दल शान्तिपूर्वक ढंग से डिप्टी कमिश्नर की कोठी की ओर चल दिया। परन्तु उन्हें हाल दरवाज़े के बाहर ही रोक लिया गया। सैनिकों ने उन पर गोली भी चलाई। परिणामस्वरूप कुछ लोग मारे गए तथा अनेक घायल हो गए। नगरवासियों ने क्रोध में आकर पाँच अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। एक अंग्रेज़ महिला कुमारी शेरवुड भी नगरवासियों के क्रोध का शिकार हो गई। इस पर सरकार ने नगर का प्रबन्ध जनरल डायर को सौंप दिया।

जलियांवाला बाग़ में सभा तथा हत्याकाण्ड-अशांति और क्रोध के इस वातावरण में अमृतसर नगर तथा आस-पास के गाँवों के लगभग 25,000 लोग 13 अप्रैल, 1919 ई० को (वैसाखी वाले दिन) जलियांवाला बाग़ में सभा करने के लिए एकत्रित हुए। जनरल डायर ने ऐसे जुलूसों को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था और अपने 150 सैनिकों सहित जलियांवाला बाग़ के दरवाजे के आगे आ डटा। बाग़ में आने-जाने के लिए एक ही तंग मार्ग था। जनरल डायर ने लोगों को तीन मिनट के अन्दर-अन्दर तितर-बितर हो जाने का आदेश दिया। इतने कम समय में लोगों के लिए वहां से निकल पाना असम्भव था। तीन मिनट के पश्चात् जनरल डायर ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस गोलीकाण्ड में लगभग 1000 लोग मारे गए और 1500 से भी अधिक लोग घायल हो गए।
महत्त्व-जलियांवाला बाग़ की घटना ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया। इससे पहले यह संग्राम गिने चुने लोगों तक ही सीमित था। अब यह जनता का संग्राम बन गया। इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। दूसरे, इसके साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में नया जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।

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प्रश्न 6.
अकाली लहर ने स्वतन्त्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
उत्तर-
अकाली लहर का जन्म अकाली लहर में से हुआ। इसका संस्थापक किशन सिंह गड़गज था। इसका उदय गुरुद्वारों में बैठे चरित्रहीन महंतों का सामना करने के लिए हुआ। सरकार के पिठुओं से टक्कर लेने के लिए ‘चक्रवर्ती’ जत्था बनाया गया। कुछ समय के पश्चात् अकालियों ने ‘बब्बर अकाली’ नामक समाचार-पत्र निकाला। तभी से इस लहर का नाम बब्बर अकाली पड़ गया। महंतों के साथ अन्य सरकारी पिटाओं से निपटना भी इसका उद्देश्य था।
स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान-बब्बर अकालियों ने मुखबिरों तथा सरकारी पिठुओं का अंत करने की योजना बनाई। बावरों की भरमा इस ‘सुधार करना कहते थे। बब्बरो को विश्वास था कि यदि सरकारी मुखाबरों का सफाया कर दिया जाये तो अंग्रेजी सरकार असफल हो जाएगी और भारत छोड़कर चली जायेगी। उनकी मुख्य गतिविधियों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. शस्त्रों की प्राप्ति– बब्बर अकाली अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शस्त्र प्राप्त करना चाहते थे। उनके अपने सदस्य भी शस्त्र बनाने का यत्न कर रहे थे। शस्त्रों के लिए धन की आवश्यकता थी। धन इकट्ठा करने के लिए बब्बरों ने सरकारी पिठ्ठओं से धन और शस्त्र छीने।
  2. सैनिकों से अपील-बब्बरों ने पंजाबी सैनिकों से अपील की कि वे अपने शस्त्र धारण करके स्वतन्त्रता प्राप्ति का प्रयास करें।
  3. समाचार-पत्र-बब्बरों ने साइक्लोस्टाइल मशीन की सहायता से अपना समाचार-पत्र ‘बब्बर अकाली दुआबा’ निकाला। इस समाचार-पत्र का चंदा यह था कि इसे पढ़ने वाला, इस समाचार-पत्र को आगे पाँच अन्य व्यक्तियों को पढ़ाता था।
  4. सरकारी पिठुओं की हत्या-बब्बरों ने अपने समाचार-पत्रों में उन 179 व्यक्तियों की सूची प्रकाशित की जिनका उन्हें ‘सुधार’ करना था। सूची में सम्मिलित जिस व्यक्ति का अंतिम समय आ जाता, उसके बारे में वे अपने समाचार-पत्र द्वारा ही उस व्यक्ति को सूचित कर देते थे। दो-तीन बब्बर उस व्यक्ति के गाँव जाते और उसे मौत के घाट उतार देते। वे खुलेआम वध करने की जिम्मेवारी भी लेते थे। उन्होंने पुलिस से भी डटकर टक्कर ली।
  5. सरकारी अत्याचार–सरकार ने भी बब्बरों को समाप्त करने का निश्चय कर लिया। उनका पीछा किया जाने लगा। उनमें से कुछ को पकड़ लिया गया और कुछ मारे गए ! सौ से भी अधिक बब्बरों पर मुकद्दमा चलाया गया। 27 फरवरी, 1926 ई० को जत्थेदार किशन सिंह, बाबू संता सिंह, धर्म सिंह हयातपुरा तथा कुछ अन्य बब्बरों को फांसी का दण्ड दिया गया।
    इस प्रकार बब्बर लहर अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में असफल रही। फिर भी इस लहर ने पंजाबियों को देश की स्वतन्त्रता के लिए अपनी जान पर खेल जाने का पाठ पढ़ाया।

प्रश्न 7.
जैतों के मोर्चे का वर्णन करो।
उत्तर-
जैतों का मोर्चा 1923 ई० में हुआ। इसके कारणों तथा घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है —
कारण-नाभा का महाराजा सरदार रिपुदमन सिंह सिक्खों का बहुत बड़ा हितैषी था। इससे न केवल सिक्खों में अपितु पूरे देश में उसका सम्मान होने लगा। यह बात अंग्रेज़ सरकार को अच्छी न लगी। अतः अंग्रेज़ सरकार किसी न किसी बहाने उसे अपमानित करना चाहती थी। अंग्रेजों को यह अवसर प्रथम विश्व युद्ध के समय मिला। क्योंकि इस युद्ध में महाराजा ने अपनी सेना भेजने से इन्कार कर दिया। उधर पटियाला के महाराजा भूपेन्द्र सिंह और रिपुदमन सिंह के बीच झगड़ा उठ खड़ा हुआ। स्थिति का लाभ उठाते हुए अंग्रेजों ने महाराजा पटियाला की सहायता से रिपुदमन सिंह पर अनेक मुकद्दमे दायर कर दिए और झूठे आरोप लगा कर उसे गद्दी से उतार दिया।

घटनाएं-सिक्ख महाराजा के साथ हुए इस दुर्व्यवहार के कारण क्रोधित हो उठे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी के नेतृत्व में सिक्खों ने रोष दिवस मनाने का निर्णय किया। परन्तु पुलिस ने अनेक लोगों को बन्दी बना लिया और जैतों के गुरुद्वारे गंगसर पर अधिकार कर लिया। उस समय गुरुद्वारे में अखंड पाठ चल रहा था। पुलिस कार्यवाही के कारण पाठ खंडित हो गया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे और उन्होंने अंग्रेज़ों से टक्कर लेने के लिए वहां अपना मोर्चा लगा लिया।

15 सितम्बर, 1923 ई० को 25 सिक्खों का एक जत्था जैतों भेजा गया। इसके पश्चात् छ: महीने तक 25-25 सिक्खों के जत्थे लगातार जैतों जाते रहे। सरकार इन जत्थों पर अत्याचार करती रही। मोर्चा लम्बा होता देखकर शिरोमणि कमेटी ने 500-500 के जत्थे भेजने का कार्यक्रम बनाया। 500 सिक्खों का पहला जत्था जत्थेदार ऊधम सिंह के नेतृत्व में अकाल तख्त से चला। हज़ारों लोग जत्थे के साथ माझे और मालवे से होते हुए नाभा रियासत की सीमा पर जा पहुंचे। __यह जत्था अभी गुरुद्वारा गंगसर से एक फलाँग की दूरी पर ही था कि अंग्रेज़ी सरकार की मशीनगनों ने सिक्खों पर गोलियां बरसानी आरम्भ कर दीं। परन्तु सिक्ख गोलियों की बौछार की परवाह न करते हुए अपने मोर्चे पर डटे रहे। इसी गोलीबारी में अनेक सिक्ख शहीद हो गए।

जैतों का मोर्चा दो वर्ष तक चलता रहा। 500-500 में जत्थे आते रहे और अपना बलिदान देते रहे। पंजाब से बाहर कलकत्ता (कोलकाता), शंघाई और हांगकांग से भी जत्थे जैतों पहुंचे। अन्त में विवश होकर पुलिस ने गुरुद्वारा से पहरा हटा लिया और 1925 ई० में सरकार को गुरुद्वारा एक्ट पास करना पड़ा। अत: अकालियों ने जैतों का मोर्चा समाप्त कर दिया।

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प्रश्न 8.
आजाद हिन्द फ़ौज पर विस्तारपूर्वक नोट लिखो।
उत्तर-
आजाद हिन्द सेना की स्थापना की पृष्ठभूमि-आजाद हिन्द सेना की स्थापना रास बिहारी बोस ने जापान में की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान ब्रिटिश सेना को पराजित करके बहुत-से सैनिकों को कैदी बना कर जापान ले गया था। उनमें अधिकांश सैनिक भारतीय थे। इन सैनिकों को लेकर रास बिहारी बोस ने कैप्टन मोहन सिंह की सहायता से ‘आज़ाद हिन्द सेना’ बनाई।

रास बिहारी बोस आज़ाद हिन्द सेना का नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस को सौंपना चाहते थे। उस समय सुभाष जी जर्मनी में थे। अतः रास बिहारी बोस ने उन्हें जापान आने का आमन्त्रण दिया। जापान पहुंचने पर सुभाष बाबू ने आज़ाद हिन्द सेना का नेतृत्व सम्भाला। तभी से वह नेताजी सुभाषचन्द्र के नाम से लोकप्रिय हुए।
आज़ाद हिन्द सेना का स्वतन्त्रता संघर्ष-

  1. 21 अक्तूबर, 1943 को नेता जी ने सिंगापुर में ‘आज़ाद हिन्द सरकार’ की स्थापना की। उन्होंने भारतीयों का ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ कह कर आह्वान किया। शीघ्र ही उन्होंने अमेरिका तथा इंग्लैंड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
  2. नवम्बर, 1943 ई० में जापान ने अन्दमान निकोबार नामक भारतीय द्वीपों को जीत कर आजाद हिन्द सरकार को सौंप दिया। नेता जी ने इन द्वीपों के नाम क्रमशः ‘शहीद’ और ‘स्वराज्य’ रखे।
  3. इस सेना ने 1 मार्च, 1944 ई० को असम स्थित मावडॉक चौकी को जीत लिया। इस प्रकार उसने भारत की धरती पर पाँव रखे और वहां आज़ाद हिन्द सरकार का ध्वज फहराया।
  4. तत्पश्चात् असम की कोहिमा चौकी पर भी आज़ाद हिन्द सेना का अधिकार हो गया।
  5. अब आज़ाद हिन्द सेना ने इम्फाल की महत्त्वपूर्ण चौकी जीतने का प्रयास किया, परन्तु वहाँ की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण उसे सफलता न मिल सकी।
    आजाद हिन्द सेना की असफलता (वापसी)-आजाद हिन्द सेना को जापान से मिलने वाली सहायता बन्द हो गई । सैन्य सामग्री के अभाव के कारण आज़ाद हिन्द सेना को पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ा। पीछे हटने पर भी आजाद हिन्द सेना का मनोबल कम नहीं हुआ। परन्तु 18 अगस्त, 1945 ई० को फार्मोसा में एक विमान दुर्घटना में नेता जी का निधन हो गया। अगस्त, 1945 ई० में जापान ने भी आत्म-समर्पण कर दिया। इसके साथ ही आज़ाद हिन्द सेना द्वारा प्रारम्भ किया गया स्वतन्त्रता का संघर्ष समाप्त हो गया।
    आज़ाद हिन्द सेना के अधिकारियों की गिरफ्तारी एवं मुकद्दमा-ब्रिटिश सेना ने आजाद हिन्द सेना के कुछ अधिकारियों तथा सैनिकों को इम्फाल के मोर्चे पर पकड़ लिया। पकड़े गए तीन अधिकारियों पर दिल्ली के लाल किले में देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया। न्यायालय ने निर्णय दिया कि तीनों दोषियों को फांसी के तख्ते पर चढ़ाया जाए, परन्तु जनता के जोश को देख कर सरकार घबरा गई। अतः उन्हें बिना कोई दण्ड दिये रिहा कर दिया गया। यह रिहाई भारतीय राष्ट्रवाद की एक महान् विजय थी।

PSEB 10th Class Social Science Guide स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Ouestions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
(i) ग़दर विद्रोह का मुखिया कौन था?
(ii) उसने ‘कामागाटामारू’ घटना के बाद कहां मीटिंग बुलाई?
उत्तर-
(i) ग़दर विद्रोह दल का मुखिया सोहन सिंह भकना था।
(ii) उसने कामागाटामारू घटना के बाद अमेरिका में एक विशेष मीटिंग बुलाई।

प्रश्न 2.
19 फरवरी, 1915 के आन्दोलन में पंजाब में शहीद होने वाले चार ग़दरियों के नाम लिखो।
उत्तर-
करतार सिंह सराभा, जगत सिंह, बलवंत सिंह और अरूढ़ सिंह।

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प्रश्न 3.
पंजाब में अकाली आन्दोलन किस वर्ष शुरू हुआ और कब समाप्त हुआ?
उत्तर-
पंजाब में अकाली आन्दोलन 1921 ई० में शुरू हुआ और 1925 ई० में समाप्त हुआ।

प्रश्न 4.
(i) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी की स्थापना कब हुई?
(ii) इसके सदस्यों की संख्या कितनी थी?
उत्तर-
(i) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी की स्थापना 1920 में हुई।
(ii) इसके सदस्यों की संख्या 175 थी।

प्रश्न 5.
लोगों ने इसे (रौलेट एक्ट) को किस नाम से पुकारा?
उत्तर-
लोगों ने इसे “काले कानून” कह कर पुकारा।

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प्रश्न 6.
(i) लाहौर में ‘साइमन कमीशन’ के विरोध में किए गए प्रदर्शन में किस महान् नेता पर लाठी के भीषण प्रहार हुए?
(ii) इसके लिए कौन-सा अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी ज़िम्मेदार था?
उत्तर-
(i) लाहौर में ‘साइमन कमीशन’ के विरोध में किए गए प्रदर्शन में लाला लाजपत राय पर लाठी के भीषण प्रहार हुए।
(ii) इसके लिए अंग्रेज़ पुलिस अफ़सर सांडर्स ज़िम्मेदार था।

प्रश्न 7.
(i) नामधारी लहर के संस्थापक कौन थे?
(ii) उन्होंने अपने धार्मिक विचारों का प्रचार पंजाब के कौन-से दोआब में किया?
उत्तर-
(i) नामधारी लहर के संस्थापक बाबा बालक सिंह जी थे।
(ii) इन्होंने अपने धार्मिक विचारों का प्रचार पंजाब के सिन्ध सागर दोआब में किया।

प्रश्न 8.
नामधारियों ने मलेरकोटला पर हमला कब किया?
उत्तर-
1872 ई० में।

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प्रश्न 9.
पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव कब और क्यों पास किया गया?
उत्तर-
पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव 31 दिसम्बर, 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पास हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं० जवाहर लाल नेहरू थे। इस प्रस्ताव के परिणामस्वरूप 26 जनवरी, 1930 का दिन पूर्ण स्वराज्य दिवस के रूप में मनाया गया।

प्रश्न 10.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम की पहली लड़ाई कब और कहां से शुरू हुई?
उत्तर-
10 मई को मेरठ से।

प्रश्न 11.
नामधारी या कूका लहर की नींव कब पड़ी?
उत्तर-
12 अप्रैल, 1857 को।

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प्रश्न 12.
श्री सतगुरु राम सिंह जी ने अंतर्जातीय विवाह की कौन-सी नई नीति चलाई?
उत्तर-
आनन्द कारज।

प्रश्न 13.
आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती।

प्रश्न 14.
आर्य समाज की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
1875 ई० में।

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प्रश्न 15.
देश भक्ति के प्रसिद्ध गीत ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ के लेखक कौन थे?
उत्तर-
बांके दयाल।

प्रश्न 16.
ग़दर पार्टी का जन्म कब और कहां हुआ?
उत्तर-
1913 ई० में सॉन फ्रांसिस्को में।

प्रश्न 17.
ग़दर लहर के साप्ताहिक पत्र ‘ग़दर’ का सम्पादक कौन था?
उत्तर-
करतार सिंह सराभा।

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प्रश्न 18.
‘कामागाटामारू’ नामक जहाज़ किसने किराए पर लिया था?
उत्तर-
बाबा गुरदित्त सिंह ने।

प्रश्न 19.
जलियांवाला बाग़ की घटना कब घटी?
उत्तर-
13 अप्रैल, 1919 को।

प्रश्न 20.
जलियांवाला बाग़ में गोलियां किसने चलवाईं?
उत्तर-
जनरल डायर ने।

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प्रश्न 21.
माइकल ओ’डायर की हत्या किसने की और क्यों?
उत्तर-
माइकल ओ’डायर की हत्या शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग़ हत्याकाण्ड का बदला चकाने के लिए की।

प्रश्न 22.
बब्बर अकाली जत्थे की स्थापना कब हुई?
उत्तर-
अगस्त 1922 ई० में।

प्रश्न 23.
सरदार रिपुदमन सिंह कहां का महाराजा था?
उत्तर-
नाभा का।

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प्रश्न 24.
साइमन कमीशन कब भारत आया?
उत्तर-
1928 में।

प्रश्न 25.
साइमन कमीशन का प्रधान कौन था?
उत्तर-
सर जॉन साइमन।

प्रश्न 26.
लाला लाजपत राय कब शहीद हुए?
उत्तर-
17 नवम्बर, 1928 को।

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प्रश्न 27.
‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना कब और कहां हुई?
उत्तर-
1925-26 में लाहौर में।

प्रश्न 28.
भगत सिंह और उसके साथियों को फांसी कब दी गई?
उत्तर-
23 मार्च, 1931 को।

प्रश्न 29.
पूर्ण स्वराज प्रस्ताव के अनुसार भारत में पहली बार स्वतन्त्रता दिवस कब मनाया गया?
उत्तर-
26 जनवरी, 1930 को।

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प्रश्न 30.
आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर-
1943 में सुभाष चन्द्र बोस ने।

प्रश्न 31.
‘आप मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा किसने दिया?
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस ने।

प्रश्न 32.
आज़ाद हिन्द फ़ौज के अधिकारियों पर मुकद्दमा कहां चलाया गया?
उत्तर-
दिल्ली के लाल किले में।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. सरदार अहमद खां खरल अंग्रेजों के हाथों ……….. के निकट शहीद हुआ।
  2. गदर लहर अमृतसर के एक सिपाही ………… के धोखा देने के कारण असफल हो गई।
  3. साइमन कमीशन …………. ई० में भारत आया।
  4. गदर विद्रोह दल का मुखिया …………….. था।
  5. लोगों ने रौलेट एक्ट को ………………. के नाम से पुकारा।
  6. पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव ……………. ई० को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पास हुआ।

उत्तर-

  1. पाकपटन,
  2. कृपाल सिंह,
  3. 1928,
  4. सोहन सिंह भकना,
  5. काले कानून,
  6. 31 दिसंबर, 1929।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
19 फरवरी, 1915 के आंदोलन में पंजाब में शहीद होने वाला गदरिया था
(A) करतार सिंह सराभा
(B) जगत सिंह
(C) बलवंत सिंह
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की स्थापना हुई
(A) 1920 ई० में
(B) 1921 ई० में
(C) 1915 ई० में
(D) 1928 ई० में।
उत्तर-
(A) 1920 ई० में

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प्रश्न 3.
लाहौर में ‘साइमन कमीशन’ के विरोध में किए गए प्रदर्शन के परिणामस्वरूप किस भारतीय नेता को अपनी जान गंवानी पड़ी?
(A) बांके दयाल
(B) लाला लाजपत राय
(C) भगत सिंह
(D) राज गुरु।
उत्तर-
(B) लाला लाजपत राय

प्रश्न 4.
पूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव के अनुसार पहली बार कब पूर्ण स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया?
(A) 31 दिसंबर, 1929
(B) 15 अगस्त, 1947
(C) 26 जनवरी, 1930
(D) 15 अगस्त, 1857
उत्तर-
(C) 26 जनवरी, 1930

प्रश्न 5.
देश भक्ति के प्रसिद्ध गीत ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ के लेखक थे
(A) बांके दयाल
(B) भगत सिंह
(C) राज गुरु
(D) अजीत सिंह।
उत्तर-
(A) बांके दयाल

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प्रश्न 6.
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया
(A) शहीद भगत सिंह ने
(B) शहीद उधम सिंह ने
(C) शहीद राजगुरु ने
(D) सुभाष चंद्र बोस ने।
उत्तर-
(D) सुभाष चंद्र बोस ने।

IV. सत्य-असत्य कथन ।

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. गदर लहर सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में नहीं थी।
  2. 1857 का विद्रोह 10 मई को मेरठ से आरम्भ हुआ।
  3. 1913 में स्थापित गुरु नानक नेवीगेशन कम्पनी के संस्थापक सरदार वरियाम सिंह थे।
  4. 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता पं० जवाहर लाल नेहरू ने की।
  5. पंजाब सरकार के 1925 के कानून द्वारा सभी गुरुद्वारों का प्रबन्ध सिखों के हाथ में आ गया।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✗),
  4. (✓),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

  1. ग़दर विद्रोह दल का मुखिया — श्री सतगुरु राम सिंह जी
  2. नामधारी लहर के संस्थापक — बांके दयाल
  3. आनंद कारज — बाबा बालक सिंह जी
  4. पगड़ी संभाल जट्टा — सोहन सिंह भकना।

उत्तर-

  1. ग़दर विद्रोह दल का मुखिया — सोहन सिंह भकना,
  2. नामधारी लहर के संस्थापक — बाबा बालक सिंह जी,
  3. आनंद कारज — श्री सतगुरु राम सिंह जी,
  4. पगड़ी संभाल जट्टा — बांके दयाल।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘कामागाटामारू’ की घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
कामागाटामारू एक जहाज़ का नाम था। इस जहाज़ को एक पंजाबी वीर नायक बाबा गुरदित्त सिंह ने किराए पर ले लिया। बाबा गुरदित्त सिंह के साथ कुछ और भारतीय भी इस जहाज़ में बैठ कर कैनेडा पहुंचे, परन्तु उन्हें न तो वहां उतरने दिया गया और न ही वापसी पर किसी नगर हांगकांग, शंघाई, सिंगापुर आदि में उतरने दिया। कलकत्ता (कोलकाता) पहुंचने पर यात्रियों ने जुलूस निकाला। जुलूस के लोगों पर पुलिस ने गोली चला दी जिससे 40 व्यक्ति शहीद हुए और बहुत से घायल हुए। इस घटना से विद्रोहियों को विश्वास हो गया कि राजनीतिक क्रान्ति ला कर ही देश का उद्धार हो सकता है। इसीलिए उन्होंने ग़दर नाम की पार्टी बनाई और क्रान्तिकारी आन्दोलन आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 2.
रास बिहारी बोस के ग़दर आन्दोलन में योगदान का वर्णन करो।
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन से सम्बन्धित नेताओं को पंजाब पहंचने के लिए कहा गया। देश के अन्य क्रान्तिकारी भी पंजाब में पहुंचे। इनमें बंगाल के रास बिहारी बोस भी थे। उन्होंने स्वयं पंजाब में ग़दर आन्दोलन की बागडोर सम्भाली। उनके द्वारा घोषित क्रान्ति दिवस का सरकार को पता चल गया। अनेक विद्रोही नेता पुलिस के हाथों में आ गए। कुछ को प्राण दण्ड दिया गया। रास बिहारी बोस बच कर जापान पहुंच गए।

प्रश्न 3.
ग़दर आन्दोलन के भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर-
यद्यपि ग़दर आन्दोलन को सरकार ने कठोरता के साथ दबा दिया परन्तु इसका प्रभाव हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन पर अधिक पड़ा। ग़दर आन्दोलन के कारण कांग्रेस के दोनों दलों में एकता आई। कांग्रेस-मुस्लिम लीग समझौता हुआ। इसके अतिरिक्त इस आन्दोलन ने सरकार को अन्ततः भारतीय समस्या के विषय में सहानुभूतिपूर्वक सोचने के लिए विवश कर दिया। 1917 ई० में बर्तानवी शासन के भारत-मन्त्री लॉर्ड मान्टेग्यू ने इंग्लैंड की भारत सम्बन्धी नीति की घोषणा की, जिसमें उन्होंने प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी पर बल दिया।

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प्रश्न 4.
गुरुद्वारों से सम्बन्धित सिक्खों तथा अंग्रेज़ों में बढ़ते रोष पर नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ गुरुद्वारों के महंतों को प्रोत्साहन देते थे। यह बात सिक्खों को प्रिय नहीं थी। महंत सेवादार के रूप में गुरुद्वारों में प्रविष्ट हुए थे। परन्तु अंग्रेज़ी राज्य में वे यहां के स्थायी अधिकारी बन गए। वे गुरुद्वारों की आय को व्यक्तिगत सम्पत्ति समझने लगे। महंतों को अंग्रेज़ों का आशीर्वाद प्राप्त था। इसलिए उन्हें विश्वास था कि उनकी गद्दी सुरक्षित है। अतः वे ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे। सिक्ख इस बात को सहन नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 5.
‘जलियांवाला बाग़ की घटना’ कब, क्यों और कैसे हुई? एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ की दुर्घटना अमृतसर में 1919 ई० में बैसाखी वाले दिन हुई। इस दिन अमृतसर की जनता जलियांवाला बाग़ में एक सभा कर रही थी। यह सभा अमृतसर में लागू मार्शल ला के विरुद्ध की जा रही थी। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के इस शान्तिपूर्ण सभा पर गोली चलाने की आज्ञा दे दी। इससे सैकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जानें गईं और अनेक लोग घायल हुए। परिणामस्वरूप सारे देश में रोष की लहर दौड़ गई और स्वतन्त्रता संग्राम ने एक नया मोड़ ले लिया। अब यह सारे राष्ट्र की जनता का संग्राम बन गया।

प्रश्न 6.
जलियांवाला बाग़ की घटना ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को कैसे नया मोड़ दिया?
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ की घटना (13 अप्रैल, 1919 ई०) के कारण कई लोग शहीद हुए। इस घटना में हुए रक्तपात ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया। यह संग्राम इससे पहले गिने-चुने लोगों तक ही सीमित था। अब यह जनता का संग्राम बन गया। इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। दूसरे, इसके साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।

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प्रश्न 7.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी तथा शिरोमणि अकाली दल किस प्रकार अस्तित्व में आए?
उत्तर-
पंजाब में पहले गुरुद्वारों के ग्रन्थी भाई मनी सिंह जैसे चरित्रवान् तथा महान् बलिदानी व्यक्ति हुआ करते थे। परन्तु 1920 ई० तक ये गुरुद्वारे चरित्रहीन महन्तों के अधिकार में आ गए। ये महंत अंग्रेज़ी सरकार के पिठू थे। महन्तों की अनैतिक कार्यवाहियों से तंग आकर लोग गुरुद्वारों के प्रबन्ध में सुधार लाना चाहते थे। इस कार्य में उन्होंने अंग्रेजी सरकार की सहायता लेनी चाही, परन्तु असफल रहे। नवम्बर, 1920 ई० को सिक्खों ने यह निर्णय लिया कि गुरुद्वारों की देखभाल के लिए सिक्खों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाई जाये। फलस्वरूप 16 नवम्बर, 1920 ई० को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी अस्तित्व में आई और 14 दिसम्बर, 1920 ई० को शिरोमणि अकाली दल की स्थापना हुई।

प्रश्न 8.
अखिल भारतीय किसान सभा पर नोट लिखो।
उत्तर-
अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना 11 अप्रैल, 1936 को लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुई। 1937 में इस संगठन की शाखाएं देश के अन्य प्रान्तों में फैल गईं। इसके अध्यक्ष स्वामी सहजानंद थे। इसके दो मुख्य उद्देश्य थे

  1. किसानों को आर्थिक शोषण से बचाना।
  2. ज़मींदारी तथा ताल्लुकेदारी प्रथा का अंत करना।

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इसने ये मांगें की-

  1. किसानों को आर्थिक संरक्षण दिया जाए।
  2. भू-राजस्व में कटौती की जाए।
  3. किसानों के ऋण स्थगित किए जाएं।
  4. सिंचाई की उत्तम व्यवस्था की जाए तथा
  5. खेतिहर श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की जाए।

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न
पंजाब में गुरुद्वारा सुधार के लिए अकालियों द्वारा किए गए संघर्ष पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
अकाली आन्दोलन किन कारणों से आरम्भ हुआ? इसके बड़े-बड़े मोर्चों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन के बाद पंजाब में अकाली आन्दोलन चला। यह 1921 ई० में आरम्भ हुआ और 1925 ई० तक चलता रहा। इसके प्रमुख कारण अग्रलिखित थे —

  1. गुरुद्वारों का प्रबन्ध महंतों के हाथ में था। वे अंग्रेजों के पिट्ठ थे। वे गुरुद्वारों की आय को ऐश्वर्य में उड़ा रहे थे। सिक्खों को यह बात स्वीकार नहीं थी।
  2. अंग्रेज़ों ने ग़दर सदस्यों पर बड़े अत्याचार किए थे। इनमें से 99% सिक्ख थे। इसलिए सिक्खों में अंग्रेजों के प्रति रोष था।
  3. 1919 ई० के कानून से भी सिक्ख असन्तुष्ट थे। इसमें जो कुछ उन्हें दिया गया वह उनकी आशा से बहुत था।

इन बातों के कारण सिक्खों ने एक आन्दोलन आरम्भ कर दिया जिसे अकाली आन्दोलन कहा जाता है। प्रमुख घटनाएं अथवा प्रमुख मोर्चे

  1. ननकाना साहिब की घटना-ननकाना साहिब का महंत नारायण दास बड़ा ही चरित्रहीन व्यक्ति था। उसे गुरुद्वारे से निकालने के लिए 20 फरवरी, 1921 ई० के दिन एक शान्तिमय जत्था ननकाना साहिब पहुंचा। महंत ने जत्थे के साथ बड़ा बुरा व्यवहार किया। उसके पाले हुए गुण्डों ने जत्थे पर आक्रमण कर दिया। जत्थे के नेता भाई लक्ष्मणदास तथा उसके साथियों को जीवित जला दिया गया।
  2. हरमंदर साहिब के कोष की चाबियों की समस्या-हरमंदर साहिब के कोष की चाबियां अंग्रेजों के पास थीं। शिरोमणि कमेटी ने उनसे गुरुद्वारे की चाबियां माँगी, परन्तु उन्होंने चाबियां देने से इन्कार कर दिया। अंग्रेजों के इस कार्य के विरुद्ध सिक्खों ने बहुत-से प्रदर्शन किए। अंग्रेजों ने अनेक सिक्खों को बन्दी बना लिया। कांग्रेस तथा खिलाफ़त कमेटी ने भी सिक्खों का समर्थन किया। विवश होकर अंग्रेजों ने कोष की चाबियां शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को सौंप दीं।
  3. ‘गुरु का बाग’ का मोर्चा-गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महंत सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। उन्होंने और अधिक संख्या में जत्थे भेजने आरम्भ कर दिए। इन जत्थों के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया। इनके सदस्यों को लाठियों से पीटा गया। परंतु अंत में सिक्खों ने गुरु का बाग मोर्चा शांतिपूर्ण ढंग से जीत लिया।
  4. पंजा साहिब की घटना-‘गुरु का बाग’ गुरुद्वारा आन्दोलन में भाग लेने वाले एक जत्थे को अंग्रेज़ों ने रेलगाड़ी द्वारा अटक जेल में भेजने का निर्णय किया। इस गाड़ी को हसन अब्दाल स्टेशन से गुज़रना था। पंजा साहिब के सिक्खों ने सरकार से प्रार्थना की कि रेलगाड़ी को हसन अब्दाल में रोका जाए ताकि वे जत्थे के सदस्यों को भोजन दे सकें। परन्तु सरकार ने जब सिक्खों की इस प्रार्थना को स्वीकार न किया तो भाई कर्म सिंह तथा भाई प्रताप सिंह नामक दो सिक्ख रेलगाड़ी के आंगे लेट गए और शहीदी को प्राप्त हुए। यह घटना 30 अक्तूबर, 1922 ई० की है।
  5. जैतों का मोर्चा-जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेजों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। शिरोमणि कमेटी तथा अन्य सभी देश-भक्त सिक्खों ने सरकार के विरुद्ध गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) में बड़ा भारी जलसा करने का निर्णय किया। 21 फरवरी, 1924 ई० को पाँच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उसका सामना अंग्रेज़ी सेना से हुआ। सिक्ख निहत्थे थे। फलस्वरूप 100 से भी अधिक सिक्ख शहीदी को प्राप्त हुए और 200 के लगभग सिक्ख घायल हुए।
    सिक्ख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 ई० में पंजाब सरकार ने सिक्ख गुरुद्वारा कानून पास कर दिया। इसके अनुसार गुरुद्वारों का प्रबन्ध और उनकी देखभाल सिक्खों के हाथ में आ गई। धीरे-धीरे बन्दी सिक्खों को मुक्त कर दिया गया।
    इस प्रकार अकाली आन्दोलन के अन्तर्गत सिक्खों ने महान् बलिदान दिए। एक ओर तो उन्होंने गुरुद्वारों जैसे पवित्र स्थानों से अंग्रेजों के पिट्ठ महंतों को बाहर निकाला और दूसरी ओर सरकार के विरुद्ध एक ऐसी अग्नि भड़काई जो स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जलती रही।

स्वतन्त्रता संघर्ष में पंजाब का योगदान PSEB 10th Class History Notes

  • पंजाब में 1857 के विद्रोह के केन्द्र-1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के समय पंजाब की . लाहौर, फिरोजपुर, पेशावर, अम्बाला, मियांवाली आदि छावनियों में विद्रोह हुआ। सरदार अहमद खां खरल का इस विद्रोह में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
  • नामधारी या कूका लहर-नामधारी या कूका लहर एक ऐसी लहर थी जिसने बाबा बालक सिंह के बाद बाबा राम सिंह के नेतृत्व में महान् कार्य किया। उन्होंने बूचड़खानों पर आक्रमण करके कई गौ हत्यारों (कसाइयों) को मार डाला।
  • आर्य समाज-आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती थे। इसकी स्थापना उन्होंने 1875 ई० में की। आर्य समाज ने जहां सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में अपना योगदान दिया, वहीं इसने स्वतन्त्रता लहर में भी बहुमूल्य भूमिका निभाई।
  • ग़दर आन्दोलन-ग़दर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में सान फ्रांसिस्को (अमेरिका) में हुई। इसका प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना को बनाया गया। इस संस्था ने रास बिहारी बोस तथा करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति द्वारा अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने का प्रयास किया।
  • नौजवान सभा-नौजवान सभा की स्थापना 1925-26 ई० में सरदार भगत सिंह ने की। नौजवान सभा का मुख्य उद्देश्य था-बलिदान, देश-भक्ति तथा क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करना। .
  • अकाली लहर अथवा गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन-अंग्रेजों के समय पंजाब के गुरुद्वारों का प्रबंध भ्रष्ट महंतों के हाथ में था। सिक्ख इन महंतों से अपने धार्मिक स्थानों को मुक्त कराना चाहते थे। इसलिए उन्होंने गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन का आरम्भ किया।
  • बब्बर अकाली लहर-कई सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे। उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित कर के होशियारपुर तथा जालंधर में अंग्रेजी पिटुओं के दमन के विरुद्ध प्रचार किया।
  • खिलाफ़त लहर-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने तुर्की के सुल्तान के साथ अच्छा व्यवहार न किया। विरोध में भारतीय मुसलमानों ने अपने प्रिय नेता के लिए खिलाफ़त आन्दोलन चलाया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी उनका साथ दिया।
  • रौलेट बिल-भारतीयों में बढ़ती हुई राष्ट्रीयता की भावना को रोकने के लिए अंग्रेजों ने 1919 ई० में रौलेट बिल पास किया। इसके अन्तर्गत सरकार केवल संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती थी।
  • जलियांवाला बाग का हत्याकांड-जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 ई० को हुआ। इस दिन लगभग 25,000 व्यक्ति शांतिपूर्ण ढंग से एक सभा के रूप में जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए। जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिए लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। परिणामस्वरूप लगभग 1000 लोग मारे गये और 3000 से भी अधिक लोग घायल हुए।
  • पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव-दिसम्बर, 1929 ई० के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्ति की शपथ ली। इस अधिवेशन की अध्यक्षता पं. जवाहरलाल नेहरू ने की।
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन-यह आन्दोलन 1930 ई० में गांधी जी ने डाँडी मार्च के साथ आरम्भ किया। यह
    आन्दोलन 1934 में समाप्त हुआ। सरकार ने भारतीय जनता पर बड़े अत्याचार किए।
  • भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन तथा द्वितीय विश्व-युद्ध-सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी युद्ध में धकेल दिया। विरोध में कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने त्याग-पत्र दे दिये।
  • क्रिप्स मिशन का आगमन-दूसरे महायुद्ध (1939-45) में अंग्रेजों की दशा शोचनीय होती जा रही थी। जापान बर्मा (आधुनिक म्यनमार) तक बढ़ आया था। भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए 1942 ई० में सर स्टैफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा गया। उन्होंने भारतीय नेताओं से बातचीत की और भारत को ‘डोमीनियन स्टेट्स’ देने का प्रस्ताव रखा। परन्तु कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने यह प्रस्ताव स्वीकार न किया।
  • भारत छोड़ो आन्दोलन-जापान के आक्रमण का भय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। अतः महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का सुझाव दिया और कहा कि हम जापान से अपनी रक्षा स्वयं कर लेंगे। 9 अगस्त, 1942 ई० को उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ आरम्भ कर दिया। आन्दोलन बड़े वेग से चला। गांधी जी तथा दूसरे नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
  • आजाद हिन्द सेना-आज़ाद हिन्द सेना का पुनर्गठन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में हुआ। इस सेना ने भारत पर आक्रमण किया और इम्फाल के प्रदेश पर अधिकार कर लिया। परन्तु द्वितीय महायुद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिन्द सेना की शक्ति कम हो गयी। कुछ समय पश्चात् एक वायुयान दुर्घटना में नेताजी का देहान्त हो गया।
  • एटली की घोषणा, 1945 ई०-1945 ई० में इंग्लैण्ड में सत्ता ‘लेबर पार्टी’ के हाथ आ गयी। नए प्रधानमन्त्री एटली ने सितम्बर, 1945 में भारत के स्वाधीनता के अधिकार को स्वीकार कर लिया। भारतीयों को सन्तुष्ट करने के लिए ‘कैबिनेट मिशन’ को भारत में भेजा गया। इस मिशन ने सिफ़ारिश की कि भारत में संघीय सरकार की व्यवस्था की जाए, संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा बनाई जाए तथा संविधान बनने तक देश में अन्तरिम सरकार की स्थापना की जाए।
  • साम्प्रदायिक झगड़े-1946 ई० में संविधान सभा के लिए चुनाव हुए। कांग्रेस को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। ईर्ष्या के कारण मुस्लिम लीग ने अन्तरिम सरकार में शामिल होने से इन्कार कर दिया। उसने फिर पाकिस्तान की मांग की और ‘सीधी कार्यवाही करने का निश्चय किया। फलस्वरूप स्थान-स्थान पर साम्प्रदायिक झगड़े आरम्भ हो गए।
  • फरवरी की घोषणा-20 फरवरी, 1947 ई० को प्रधानमन्त्री एटली ने एक महत्त्वपूर्ण घोषणा की। इस घोषणा में यह कहा गया कि “अंग्रेजी सरकार जून, 1948 तक भारत छोड़ जाएगी।” इस उद्देश्य से वायसराय के पद पर लॉर्ड माऊण्टबेटन की नियुक्ति की गयी।
  • देश का विभाजन-लॉर्ड माऊण्टबेटन के प्रयत्नों से जुलाई, 1947 ई० में भारत स्वतन्त्रता कानून पास कर दिया गया। इसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 ई० को देश को भारत तथा पाकिस्तान नामक दो स्वतन्त्र राज्यों में बाँट दिया गया। इस प्रकार भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया।

तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules.

तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
तालमयी क्रियाओं के नाम लिखो।
उत्तर-
तालमयी क्रियाओं में निम्नलिखित क्रियाएं सम्मिलित हैं!
तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1

  1. लोक नृत्य (Folk Dance)
  2. रस्सी कूदना (Skipping)
  3. डम्बल्ज़ (Dumbles)
  4. पी० टी० कसरतें (Calesthenics)
  5. लेज़ियम (Lezium)
  6. टिपरी (Tipri)

तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
लोक नृत्य के नाम लिखें।
उत्तर-
लोक नृत्य
(Folk Dances)
लोक नृत्यों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है—
1. प्रादेशिक लोक नृत्य (Regional Folk Dances)-जैसे—

  1. गुजराती टिपरी नृत्य गुजरात
  2. महाराष्ट्र का मछुआ नृत्य
  3. राजस्थानी नृत्य पकी फसल की कटाई पर किया जाता है।
  4. कुम्भी
  5. तमिल का कोलाहम नृत्य
  6. बंगाल देश का प्रशंसा नृत्य
  7. पंजाब का भंगड़ा और गिद्दा ।

2. पश्चिमी लोक नृत्य (Western Folk Dances)

  1. कुछ कदम (Few steps) जैसे—
    • Do sido
    • Heal Toe-steps
    • हाप (Hop)
    • पोलका (Polka)
    • स्लाइड इत्यादि (Slide)
  2. कुछ नृत्य (Few Dances) जैसे—
    • जेसीया पोलका (Jessia Polka)
    • नयोम (Nayim)
    • मिकोल ओराडिया (Mechol Oradya)
    • शू-मेकर (Shoemaker)
    • वे-डेविड नृत्य (Ve-David Dance)।

तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
लेज़ियम क्या है ?
उत्तर-
लेज़ियम (Lezium)—इसमें 15″ से 18″ लकड़ी का एक लम्बा हैंडल होता है जिसके हाथ लोहे की चेन लगी होती है जो लकड़ी के दोनों सिरों से जुड़ी होती है। बीच में 15″ की छड़ होती है जिसको पकड़ कर लेज़ियम से तालयुक्त झंकार व ध्वनि उत्पन्न की जा सकती है। इसका भार लगभग एक किलोग्राम होता है।
लेजियम का भारतवर्ष के ग्रामीण क्षेत्र में प्रयोग तालयुक्त क्रिया के लिए किया जाता है। इसके साथ ढोल पर ताल दी जाती है। स्कूलों के बच्चे इसमें बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। इसलिए लेज़ियम से बच्चों का मनोरंजन बहुत अधिक होता है। शारीरिक व्यायाम के रूप में भी लेज़ियम का बहुत महत्त्व है क्योंकि इसमें भाग लेने वालों को काफ़ी व्यायाम करना पड़ता है।

प्रश्न
लेज़ियम की मूलभूत अवस्थाएं लिखो।
उत्तर-
मूलभूत अवस्थाएं
(Fundamental Positions)

  1. लेज़ियम स्कन्ध
  2. पवित्र
  3. आराम
  4. होशियार
  5. चार आवाज़
    तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
    लेजियम
  6. एक जगह
  7. आधी लगाओ
  8. आरम्भिक अवस्था पवित्र
  9. दो रुख
  10. आगे फलाग
  11. पीछे फलाग
  12. (12) आगे को झुकना।

तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
निम्नलिखित पर नोट लिखो—
(क) डम्बल
(ख) टिपरी
(ग) रस्सी कूदना।
उत्तर-डम्बल (Dumble)—यह दो तरह के होते हैं-लोहे के तथा लकड़ी के। इसमें एक हैंडल होता है। इसके दोनों सिरे गोल और मोटे होते हैं। हैंडल से पकड़ कर दोनों सिरों को टकराया जाता है जिससे काफ़ी ऊंची आवाज़ पैदा होती है। इसमें पहली अवस्था, दूसरी अवस्था, तीसरी अवस्था और चौथी अवस्था की जाती है।
तालमयी क्रियाएँ (Rhythmic Activities) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
डम्बल
टिपरी (Tipri) यह 15 से 18 इंच लम्बाई का लकड़ी का डंडा होता है। इसकी मोटाई 20 से 25 सैं० मी० होती है। इसका भार 100 ग्राम होता है। इसको दोनों हाथों में पकड़कर संगीत की धुनों पर टकराया और नाचा जाता है।
रस्सी कूदना (Skipping)—सूत की तीन मीटर लम्बी रस्सी होती है। उसकी मोटाई 20 मि० मी० तक हो सकती है। इसको दोनों हाथों में पकड़कर या अलग-अलग सिरे से पकड़कर घुमाया जाता है और ज़मीन से टकराया जाता है। उसी समय इस को कूदा जाता है।

  1. एक आदमी एक रस्सी को पकड़कर आगे पीछे कूदना,
  2. साथी के साथ रस्सी कूदना,
  3. स्टंट करना,
  4. रस्सी के दोनों सिरों को पकड़कर कूदना,
  5. अन्दर जाना, बाहर आना,
  6. एक पैर पर रस्सी कूदना।
  7. स्कैट पुजीशन में रस्सी कूदना।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 9 प्रभावशाली संचार

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 9 प्रभावशाली संचार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 9 प्रभावशाली संचार

PSEB 10th Class Welcome Life Guide प्रभावशाली संचार Textbook Questions and Answers

गतिविधि – I

स्थान: कक्षा का कमरा, सामग्री-एक पानी का आधा भरा गिलास। छात्र अपनी नोटबुक में इस भरे हुए गिलास पर एक वाक्य लिखें।
प्रश्न-क्या आपने यह लिखा है कि —
1. पानी का गिलास आधा खाली है?
उत्तर-नहीं, हमने यह नहीं लिखा है।
2. पानी का गिलास आधा भरा है?
उत्तर-जी हाँ, हमने यह लिखा है।
3. क्या आपने कुछ अलग लिखा है?
उत्तर-नहीं।

सोचिए और बताएं

प्रश्न 1.
कक्षा में आपका सबसे प्रिय दोस्त कौन है?
उत्तर-
कक्षा के अन्य सभी छात्रों में रितेश चोपड़ा मेरा सबसे प्रिय मित्र है।

प्रश्न 2.
आपका प्यारा मित्र आपको कौन से गुणों के कारण अच्छा लगता है?
उत्तर-
मेरे दोस्त का व्यवहार काफी अच्छा है। वह दूसरों के साथ नरमी से बात करता है। कभी भी गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं करता है। हमेशा दूसरों के साथ सहयोग करता है और जब भी मुझे उसकी आवश्यकता होती है, वह मेरे साथ खड़ा होता हैं। इसलिए मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ।

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प्रश्न 3.
कौन है जिसे आप पसंद नहीं करते?
उत्तर-
मुझे नील पसंद नहीं है, क्योंकि वह हमेशा दूसरों का मज़ाक बनाता है।

पाठ पर आधारित प्रश्न

गतिविधि-I

इंटरव्यू कक्षा के सामने होगी। कुछ इस तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे

प्रश्न 1.
यदि आप कक्षा के C.R./मानीटर होंगे, तो आप क्या करेंगे?
उत्तर-
यदि मुझे कक्षा का C.R./मानीटर बनाया जाएगा, तो मैं कक्षा के अनुशासन को सही करूँगा क्योंकि मुझे पता है कि कई बच्चे कक्षा के अनुशासन को खराब करते हैं। इसके साथ ही मैं कक्षा की स्वच्छता का ध्यान रखूगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि कोई भी विद्यार्थी कक्षा में कचरा न फेंके। कक्षा को सुंदर बनाने के लिए मैं अन्य छात्रों की मदद लूँगा और कई प्रयत्न करूंगा।

प्रश्न 2.
आप अपने आप में कौन-सा सुधार लाना चाहते हैं?
उत्तर-
सबसे पहले मैं खुद को अनुशासन में लाऊंगा ताकि दूसरे बच्चे मुझसे शिक्षा ले सकें। यदि कक्षा का मानीटर अनुशासन में नहीं रहेगा, तो अन्य छात्र अनुशासन में कैसे रहेंगे। मैं अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए कठिन अध्ययन करूंगा और अपने शिक्षकों और माता-पिता को खुश करूंगा।

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प्रश्न 3.
आप कक्षा में कैसे सुधार करेंगे?
उत्तर-

  1. मैं लगातार विद्यार्थियों को अनुशासन में रहने की याद दिलाऊंगा।
  2. मैं उन्हें कक्षा को साफ रखने के फायदे बताऊंगा और गंदी कक्षा होने के नुकसान बताऊंगा।
  3. मैं लगातार छात्रों को कठिन अध्ययन करने और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित करूँगा।

Welcome Life Guide for Class 10 PSEB प्रभावशाली संचार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
…………. का अर्थ है अपने विचारों, भावनाओं इत्यादि को व्यक्त करना।
(a) अभिव्यक्ति
(b) साक्षात्कार
(c) प्रशंसा
(d) व्यक्तित्व।
उत्तर-
(a) अभिव्यक्ति।

प्रश्न 2.
अभिव्यक्ति से हम अपने ………….
(a) विचार
(b) भावनाएं
(c) पक्ष
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 3.
खुद को सही तरीके से पेश नहीं करने से ……….. प्रभाव पड़ता है।
(a) सकारात्मक
(b) नकारात्मक
(c) दुख वाला
(d) सुख वाला।
उत्तर-
(b) नकारात्मक।

प्रश्न 4.
मेहनत करने से ही
(a) शाबाश मिलती है
(b) लक्ष्य प्राप्त होते हैं
(c) कामयाबी मिलती है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने में विद्यार्थी क्यों संकोच करते हैं?
(a) आत्मविश्वास की कमी
(b) सवाल का जवाब नहीं जानते
(c) पता नहीं कैसे जवाब देना है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 6.
नौकरी देने से पहले सवाल पूछने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(a) इंटरव्यू
(b) अनुसूची
(c) प्रश्नावली
(a) अवलोकन।
उत्तर-
(a) इंटरव्यू।

प्रश्न 7.
किसी के साथ बात करते समय …………. का बहुत महत्त्व है।
(a) व्यक्तित्व
(b) कपड़े
(c) भाषा
(a) हाव-भाव।
उत्तर-
(c) भाषा।

प्रश्न 8.
दूसरों को प्रभावित करने के लिए क्या आवश्यक है?
(a) आवाज़
(b) चेहरे के हाव-भाव
(c) शरीर की मुद्रा
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 9.
कैसे व्यावहारिक जीवन में कुशल बनें?
(a) निरंतर अभ्यास से
(b) बोलने के बेहतर तरीकों के साथ
(c) शारीरिक हाव-भाव का सही इस्तेमाल
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

(ख) खाली स्थान भरें

  1. अभिव्यक्ति से हमारे ……………. का अन्दाज़ा हो जाता है।
  2. शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर न देने का मुख्य कारण ………. की कमी है।
  3. हर किसी के पास चीज़ों को देखने का अपना ………… होता है।
  4. व्यक्ति को हमेशा ……………… सोच रखनी चाहिए।
  5. ……… देने का हमेशा उचित तरीका होता है।
  6. बोलने वाले की ……….. का बहुत महत्त्व है।

उत्तर-

  1. व्यक्तित्व,
  2. आत्मविश्वास,
  3. दृष्टिकोण,
  4. सकारात्मक,
  5. इंटरव्यू,
  6. भाषा।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. यदि हम अपने आप को सही तरीके से पेश नहीं कर सकते तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  2. अभिव्यक्ति के उचित तरीके से हमारी कई समस्याओं को हल किया जा सकता है।
  3. अन्य चीजों को देखने के लिए सभी का दृष्टिकोण समान है।
  4. हमारा दृष्टिकोण ही हमारे आस-पास को परिभाषित करता है।
  5. आशावादी लोगों को हर जगह पसंद किया जाता है।

उत्तर-

  1. ग़लत,
  2. सही,
  3. ग़लत,
  4. सही,
  5. सही।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) संचार — (i) मधुरता
(b) हानि — (ii) परीक्षण
(c) अभिव्यक्ति — (iii) बोलने का तरीका
(d) चैकिंग — (iv) प्रगटावा
(e) आवाज़ — (v) क्षति।
उत्तर-
कॉलम ए — कॉलम बी
(a) संचार — (iii) बोलने का तरीका
(b) हानि — (v) क्षति।
(c) अभिव्यक्ति — (iv) प्रगटावा
(d) चैकिंग — (ii) परीक्षण
(e) आवाज़ — (i) मधुरता

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर-
अभिव्यक्ति का अर्थ है अपने भावों, विचारों और अपने पक्ष को किसी के सामने पेश करना।

प्रश्न 2.
हम किसी पर नकारात्मक प्रभाव कब डालते हैं?
उत्तर-
जब हम खुद को उस व्यक्ति के सामने व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।

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प्रश्न 3.
बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करने का क्या फायदा है?
उत्तर-
इससे व्यक्ति जीवन में बहुत उन्नति करता है।

प्रश्न 4.
मास्टर जी ने छात्रों से किस राज्य के ज़िले लिखने के लिए कहा?
उत्तर-
उन्होंने छात्रों से पंजाब के जिलों को लिखने के लिए कहा।

प्रश्न 5.
रविंदर ने किससे कॉपी मांगी थी?
उत्तर-
रविंदर ने परगट से अपना काम करने के लिए कॉपी मांगी।

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प्रश्न 6.
सभी जिलों के नाम सही तरीके से किसने बताएँ?
उत्तर-
परगट सिंह ने सभी जिलों के नाम सही ढंग से बताएँ और उसको शिक्षक की तरफ से शाबाशी भी मिली।

प्रश्न 7.
परगट को डांट पड़ने का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर-
परगट को डांट पड़ने का मुख्य कारण उसमें अपना पक्ष न रख सकने की असमर्थता थी।

प्रश्न 8.
परेशानी से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें परेशानी से बचने के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखना आना चाहिए।

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प्रश्न 9.
छात्र शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं? क्यों?
उत्तर-
क्योंकि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है, जवाब नहीं जानते या खुद को व्यक्त करने का तरीका नहीं जानते।

प्रश्न 10.
छात्रों में आत्म अभिव्यक्ति का कौशल कैसे विकसित किया जा सकता है?
उत्तर-
उन्हें इस कौशल को विकसित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए कहा जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
किसी के व्यक्तित्व के बारे में कैसे जाना जा सकता है?
उत्तर-
किसी वस्तु को देखने के दृष्टिकोण से हम आसानी से किसी के व्यक्तित्व के बारे में जान सकते हैं।

प्रश्न 12.
मनुष्य का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
मनुष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।

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प्रश्न 13.
हमारे शिक्षक हमसे क्या उम्मीद करते हैं?
उत्तर-
वे हमसे सकारात्मक दृष्टिकोण की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 14.
नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
वे हमेशा दूसरों में कमियां और दोष खोजने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 15.
आशावादी होने का व्यक्ति को क्या फायदा है?
उत्तर-
आशावादी व्यक्ति का सभी सम्मान करते हैं और वह सभी के बीच लोकप्रिय हो जाते हैं।

प्रश्न 16.
साक्षात्कार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
जब किसी से किसी मुद्दे पर कुछ सवाल पूछे जाते हैं और वह उन सवालों का जवाब देता है, तो उसे साक्षात्कार (इंटरव्यू) कहते है।

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प्रश्न 17.
आपके सामने बोलने वाले व्यक्ति को क्या प्रभावित करता है?
उत्तर-
हमारी भाषा आपके सामने बोलने वाले व्यक्ति को बहुत प्रभावित करती है।

प्रश्न 18.
किसी को प्रभावित करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
हमारी भाषा और शरीर की भाषा अर्थात् हाव-भाव का।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिव्यक्ति के महत्त्व पर नोट लिखो।
उत्तर-
अभिव्यक्ति का अर्थ है अपने विचारों और भावनाओं को किसी के सामने व्यक्त करना। हमारी अभिव्यक्ति का तरीका हमारे व्यक्तित्व के बारे में बताता है। यदि हम अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाना चाहते है, तो स्वयं में क्षमता होना आवश्यक है। कई बार, यह गुण स्वयं में होता है लेकिन हम इसके बारे में शायद ही जानते हैं और इसलिए हम स्वयं को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। व्यक्ति अभिव्यक्ति के बेहतर तरीके बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए हमारे जीवन में अभिव्यक्ति का बहुत महत्त्व है।

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प्रश्न 2.
आमतौर पर छात्र शिक्षकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं। इसके क्या कारण हैं?
उत्तर-

  1. आत्म-विश्वास की कमी-छात्रों में आत्म-विश्वास की कमी हो सकती है और वे अपने विचार व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।
  2. सही उत्तर नहीं जानते-हो सकता है कि छात्रों ने अध्याय नहीं पढ़ा हो और सही उत्तर नहीं जानते।
  3. खुद को अभिव्यक्त कर ना नहीं जानते-हो सकता है कि वह जवाब जानता हो, लेकिन खुद को व्यक्त करने का तरीका शायद ही जानता हो। इसलिए वह जवाब नहीं देता।

प्रश्न 3.
सकारात्मक दृष्टिकोण पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
हर किसी के पास चीज़ों को देखने का अपना नजरिया होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु को पसंद करता है और उसमें कई गुण ढूंढ लेता है तो इसे सकारात्मक दृष्टिकोण कहा जाता है। लेकिन यदि वह वस्तु में कमियां देखता है और उसे पसंद नहीं करता है, तो उसे नकारात्मक रवैया कहा जाता है। जिस तरह से एक व्यक्ति किसी वस्तु को देखता है वह उसके व्यक्तित्व का वर्णन करता है। यदि किसी व्यक्ति का नकारात्मक रवैया है, तो वह जीवन में प्रगति नहीं कर सकता है। लेकिन यदि जीवन के बारे में उसका दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो वह निश्चित रूप से जीवन में प्रगति करेगा।

प्रश्न 4.
“हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है।” टिप्पणी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जाता है कि हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है। उदाहरण के लिए एक गिलास पानी आधा खाली है या आधा भरा हुआ है। यह एक व्यक्ति के दृष्टिकोण को निर्धारित करता है। यदि कोई व्यक्ति आधा खाली गिलास देखता है, तो वह एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति है। लेकिन यदि गिलास आधा भरा हुआ है, तो वह एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति है। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों में गुणों को पाता है लेकिन एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों के बीच कमियों को खोजने की कोशिश करता है। यह सही या गलत व्यक्तित्व के विकास में मदद करता है और हम उसी के अनुसार प्रगति करते हैं या नहीं करते हैं।

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प्रश्न 5.
हमारे सकारात्मक या नकारात्मक रवैये का परिणाम क्या है?
उत्तर-
हमारे सकारात्मक या नकारात्मक रवैये के कारण हम कुछ लोगों को पसंद या नापसंद करते हैं। यदि हमारे पास सकारात्मक दृष्टिकोण है, तो हमें दूसरों में गलतियाँ नहीं मिलती और हम तुच्छ मुद्दों की भी अनदेखी करते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों में गलतियां खोजने की कोशिश करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग हमेशा सम्मानित होते हैं, लोकप्रिय होते हैं और जीवन में प्रगति करते हैं।

प्रश्न 6.
हमारी भाषा दूसरे लोगों को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर-
जब हम दूसरों के साथ संवाद करते हैं, तो हमारी भाषा दूसरों को प्रभावित करती हैं। यदि हम अपने व्यक्तित्व का अच्छा प्रभाव चाहते हैं तो हमें बहुत ही नरमी वाले शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। हमारी आवाज़ में मधुरता, कोमलता और मिठास होनी चाहिए। यह सब हमारे व्यक्तित्व के विकास पर बहुत प्रभाव डालते हैं। हमारी बात करने का तरीका हमारे व्यक्तित्व और दूसरों के साथ संबंधों को प्रभावित करता हैं।

प्रश्न 7.
प्रभावी ढंग से संवाद करने के दो प्रभावी तरीके क्या हैं?
उत्तर-

  1. भाषा-दूसरों के साथ संवाद स्थापित करने में भाषा सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हमारी भाषा में कोमलता है तो निश्चित रूप से दूसरे लोग प्रभावित होंगे। लेकिन यदि हमारी भाषा ग़लत है, तो दूसरे हमसे नफरत करेंगे।
  2. शारीरिक भाषा-प्रभावी संचार में हमारी शारीरिक भाषा भी महत्त्वपूर्ण है। हम दूसरों से बात करते समय किस प्रकार के चेहरे के भाव रखते हैं। हम किस प्रकार के इशारे करते हैं हम कैसे इशारों से चीज़ों को समझाते हैं इसका भी दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-इंटरव्यू करते समय किन प्रभावी तरीकों का इस्तेमल करना चाहिए?
उत्तर-
इंटरव्यू के समय निम्नलिखित चरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए

  1. प्रश्न सरल और स्पष्ट होना चाहिए।
  2. प्रश्न की भाषा सरल होनी चाहिए और सवाल दोबारा न बोले जाएं।
  3. यदि इंटरव्यू नौकरी के लिए है, तो नौकरी से संबंधित गुणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  4. प्रश्न करते समय सम्मान दिया जाना चाहिए।
  5. उत्तर विश्वास के साथ देना चाहिए।
  6. उत्तर हल्की मुस्कुराहट से दिए जाएं।
  7. टिककर सीधा बैठे।
  8. विनम्रता से बात करें और जाते समय धन्यवाद कहें।
  9. यदि आपको उत्तर नहीं पता, तो विनम्रता से बताएं कि आपको उत्तर नहीं पता।

प्रभावशाली संचार PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • अभिव्यक्ति का अर्थ है अपनी भावनाओं, विचारों या दृष्टिकोण किसी के सामने रखना या बताना। हमारी अभिव्यक्तियों का तरीका हमारे व्यक्तित्व के बारे में बताता है। बेहतर अभिव्यक्ति का तरीका हमें सफल बना सकता है।
  • यदि किसी में किसी मामले को सही तरीके से दूसरों के सामने रखने की क्षमता नहीं है, तो वह व्यक्ति जीवन में असफलताओं का सामना भी कर सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने आप में अपने विचारों का सही तरीके से अभिव्यक्त करने का गुण विकसित करें।
  • प्रत्येक व्यक्ति के पास कुछ देखने का एक अलग दृष्टिकोण होता है और यह नज़रिया ही उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बताता है। यदि किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो किसी भी चीज़ पर उसका दृष्टिकोण अच्छा होगा। इसीलिए किसी व्यक्ति का सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए।
  • हमारा दृष्टिकोण हमारे परिवेश को परिभाषित करता है क्योंकि सकारात्मक विचार वाले व्यक्ति का दृष्टिकोण सब कुछ बेहतर बनाता है।
  • हमारे दृष्टिकोण के कारण ही कुछ लोगों को हम पसंद करते हैं और कुछ हमें बुरे लगते हमसे नफरत करते हैं। कभी-कभी हम दूसरों की गलतियों को नज़र अंदाज कर देते हैं क्योंकि हम उनमें दोष नहीं देखते है। इस आशावादी सोच के कारण लोग उनका सम्मान करते हैं।
  • कैरियर बनाने या नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए हमारे पास बोलने की क्षमता होनी चाहिए ताकि हम उस व्यक्ति को प्रभावित कर सके जो इंटरव्यू ले रहा है।
  • हमारी भाषा का दूसरों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि हमारी भाषा में मिठास और कोमलता है तो निश्चित रूप से दूसरे लोग बहुत प्रभावित होंगे। इसलिए हमारी भाषा हमारे व्यक्तित्व के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करती है।
  • प्रत्येक छात्र को अपनी आवाज़, चेहरे के हाव-भाव और इशारों, शरीर की मुद्रा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे वे दूसरों को आसानी से प्रभावित कर सकेंगे। इसे बॉडी लैंग्वेज के नाम से जाना जाता है।

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules.

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

मुक्केबाजी में याद रखने योग्य बातें

  1. रिंग का आकार = वर्गाकार
  2. एक भुजा की लम्बाई = 20 फुट
  3. रस्सों की संख्या = तीन अथवा पांच
  4. भारों की संख्या = 11
  5. पट्टी की लम्बाई = 8’4″
  6. पट्टी की चौड़ाई = \(1 \frac{1}{4}\)
  7. रिंग की फर्श से ऊंचाई = 3’4″
  8. सीनियर प्रतियोगिता का समय = 3-1-3-1-3
  9. जुनियर के लिए समय = 2-1-2-2
  10. अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए समय = 2-1-2-1-2-1–2-1-2
  11. कोर्नर का रंग = लाल और नीला
  12. अधिकारी = 1 रैफरी, 3 या 5 जज

खेल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी

  1. बाक्सिग में रिंग का आकार वर्गाकार और एक भुजा की लम्बाई 20 फुट होती है।
  2. रिंग में रस्सों की गिनती तीन होती है और साइडों का रंग एक नीला तथा दूसरा लाल होता है।
  3. बाक्सिग के लिए भार के वर्गों की गिनती 12 होती है।
  4. दस्तानों का भार 10 औंस से अधिक नहीं होना चाहिए।
  5. पट्टी की लम्बाई 8 फुट 4 इंच और चौड़ाई \(1 \frac{3}{4}\) इंच 4.4 सैं० मी० होनी चाहिए।
    बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में भार अनुसार कितने प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं ?
उत्तर-
मुक्केबाज़ी के भारों का वर्गीकरण
(Weight Categories in Boxing)

  1. लाइट फलाई वेट (Light Fly Weight) = 48 kg
  2. फलाई वेट (Fly Weight) = 51 kg
  3. बैनटम वेट (Bentum Weight) = 54 kg
  4. फ़ैदर वेट (Feather Weight) = 57 kg
  5. लाइट वेट (Light Weight) = 60 kg
  6. लाइट वैल्टर वेट (Light Welter Weight) = 63.5 kg
  7. वैल्टर वेट (Welter Weight) = 67 kg
  8. लाइट मिडल वेट (Light Middle Weight) = 71 kg
  9. मिडल वेट (Middle Weight) = 75 kg
  10. लाइट हैवी वेट (Light Heavy Weight) = 81 kg से 91 kg तक
  11. हैवी वेट (Heavy Weight) = 91 kg से अधिक 100 kg तक
  12. सुपर हैवी वेट (Super Heavy Weight) = 100 kg से ऊपर

प्रश्न
बाक्सिग में रिंग, रस्सा, प्लेटफ़ार्म, अंडर-कवर, पोशाक और पट्टियों के बारे में लिखें।
उत्तर-
रिंग (Ring)-सभी प्रतियोगिताओं में रिंग का आन्तरिक माप 12 फुट से 20 फुट (3 मी० 66 सैं० मी० से 6 मी० 10 सैं० मी०) वर्ग में होगा। रिंग की सतह से सबसे ऊपरी रस्से की ऊंचाई 16”, 28”, 40”, 50” होगी।
रस्सा (Rope)-रिंग चार रस्सों के सैट से बना होगा जोकि लिनन या किसी नर्म पदार्थ से ढका होगा।

प्लेटफ़ार्म (Platform)-प्लेटफार्म सुरक्षित रूप में बना होगा। यह समतल तथा बिना किसी रुकावटी प्रक्षेप के होगा। यह कम-से-कम 18 इंच रस्सों की लाइन से बना रहेगा उस पर चार कार्नर पोस्ट लगे होंगे जो इस प्रकार बनाए जाएंगे कि कहीं चोट न लगे।
अंडर-कवर (Under-cover)-फर्श एक अण्डर-कवर से ढका होगा जिस पर कैनवस बिछाई जाएगी।

पोशाक (Costumes)-प्रतियोगी एक बनियान (Vest) पहन कर बाक्सिग करेंगे जोकि पूरी तरह से छाती और पीठ ढकी रखेगी। शार्ट्स उचित लम्बाइयों की होगी जोकि जांघ के आधे भाग तक जाएगी। बूट या जूते हल्के होंगे। तैराकी वाली पोशाक पहनने की आज्ञा नहीं दी जाएगी। प्रतियोगी उन्हें भिन्न-भिन्न दर्शाने वाले रंग धारण करेंगे जैसे कि कमर के गिर्द लाल या नीले कमर-बन्द, दस्ताने (Gloves) स्टैंडर्ड भार के होंगे। प्रत्येक दस्ताना 8 औंस (227 ग्राम) भारी होगा।

पट्टियां (Bandages)-एक नर्म सर्जिकल पट्टी जिसकी लम्बाई 8 फुट 4 इंच (2.5 मी०) से अधिक तथा चौड़ाई \(1 \frac{3}{4}\) इंच (4.4 सैं० मी०) से अधिक न हो या एक वैल्यियन टाइप पट्टी जो 6 फुट 6 इंच से अधिक लम्बी तथा \(1 \frac{3}{4}\) इंच (4.4 सैं० मी०) से अधिक चौड़ी नहीं होगी, प्रत्येक हाथ पर पहनी जा सकती है।
अवधि (Duration)-सीनियर मुकाबलों तथा प्रतियोगिताओं के लिए खेल की अवधि निम्नलिखित होगी—
बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
प्रतियोगिताएं (Competitions)—
Senior National Level 3-1-3-1-3 तीन-तीन मिनट के तीन राऊण्ड
Junior National Level
2-1-2-1-2 दो-दो मिनट के तीन राऊण्ड
International Level
2-1-2-1-2-1-2 दो-दो मिनट के पांच राऊण्ड

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में ड्रा, बाई, वाक ओवर के बारे में लिखें।
उत्तर-
ड्रा, बाई, वाक ओवर (The Draw, Byes and Walk-over)

  1. सभी प्रतियोगिताओं के लिए भार तोलने तथा डॉक्टरी निरीक्षण के बाद ड्रा किया जाएगा।
  2. वे प्रतियोगिताओं में जिनसे चार से अधिक प्रतियोगी हैं, पहली सीरीज़ में बहुतसी बाई निकाली जाएंगी ताकि दूसरी सीरीज़ में प्रतियोगियों की संख्या कम रह जाए।
  3. पहली सीरीज़ में जो मुक्केबाज़ (Boxer) बाई में आते हैं वे दूसरी सीरीज़ में पहले बाक्सिग करेंगे। यदि बाइयों की संख्या विषय हो तो अन्तिम बाई का बाक्सर दूसरी सीरीज़ में पहले मुकाबले के विजेता के साथ मुकाबला करेगा।
  4. कोई भी प्रतियोगी पहली सीरीज़ में बाई ओर दूसरी सीरीज़ में वाक ओवर नहीं प्राप्त कर सकता या दो प्रतियोगियों के नाम ड्रा निकाला जाएगा जोकि अब भी मुकाबले में हों। इसका अर्थ इन प्रतियोगियों के लिए विरोधी प्रदान करना है जोकि पहली सीरीज़ में पहले ही वाक ओवर ले चुके हैं।

सारणी-बाऊट से बाइयां निकालना
बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
प्रतियोगिता की सीमा (Limitation of Competitors)-किसी भी प्रतियोगिता में 4 से लेकर 8 प्रतियोगियों को भाग लेने की आज्ञा है। यह नियम किसी ऐसोसिएशन द्वारा आयोजित किसी चैम्पियनशिप पर लागू नहीं होता। प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली क्लब को अपना एक सदस्य प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मनोनीत करने का अधिकार है, परन्तु शर्त यह है कि वह सदस्य प्रतियोगिता में सम्मिलित न हो।

नया ड्रा (Fresh Draw)–यदि किसी एक ही क्लब के दो सदस्यों का पहली सीरीज़ में ड्रा निकल जाए तो उनमें एक-दूसरे के पक्ष में प्रतियोगिता से निकलना चाहे तो नया ड्रा किया जाएगा।
वापसी (Withdrawl)-ड्रा किए जाने के बाद यदि प्रतियोगी बिना किसी सन्तोषजनक कारण के प्रतियोगिता से हटना चाहे तो इन्चार्ज अधिकारी इन दशाओं में एसोसिएशन को रिपोर्ट करेगा।

रिटायर होना (Retirement)-यदि कोई प्रतियोगी किसी कारण प्रतियोगिता से रिटायर होना चाहता है तो उसे इन्चार्ज अधिकारी को सूचित करना होगा।
बाई (Byes)—पहली सीरीज़ के बाद उत्पन्न होने वाली बाइयों के लिए निश्चित समय के लिए वह विरोधी छोड़ दिया जाता है जिससे इन्चार्ज अधिकारी सहमत हो।
सैकिण्ड (Second)—प्रत्येक प्रतियोगी के साथ एक सैकिण्ड (सहयोगी) होगा तथा राऊंड के दौरान वह सैकिण्ड प्रतियोगी को कोई निर्देश या कोचिंग नहीं दे सकता।
केवल पानी की आज्ञा (Only water allowed)–बाक्सर को बाऊट से बिल्कुल पहले या मध्य में पानी के अतिरिक्त कोई अन्य पीने वाली चीज़ नहीं दी जा सकती।

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में बाऊट को नियन्त्रण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
बाऊट का नियन्त्रण
(Bout’s Control)

  1. सभी प्रतियोगिताओं के मुकाबले एक रैफ़री, तीन जजों, एक टाइम कीपर द्वारा निश्चित किए जाएंगे। रैफ़री रिंग में होगा। जब तीन से कम जज होंगे तो रैफ़री स्कोरिंग पेपर को पूरा करेगा। प्रदर्शनी ब्राऊट एक रैफ़री द्वारा कण्ट्रोल किए जाएंगे।
  2. रैफ़री एक स्कोर पैड या जानकारी सलिप का प्रयोग बाक्सरों के नाम तथा रंगों का रिकार्ड रखने के लिए करेगा। इन सब स्थितियों को जब बाऊट चोट लगने के कारण या किसी अन्य कारणवश स्थगित हो जाए तो रैफ़री इस पर कारण रिपोर्ट करके इंचार्ज अधिकारी को देगा।
  3. टाइम कीपर रिंग के एक ओर बैठेगा तथा जज अन्य तीन ओर बैठेंगे। सीटें इस प्रकार की होंगी कि वे बाक्सिग को सन्तोषजनक ढंग से देख सकें। ये दर्शकों से अलग होंगी। रैफ़री बाऊट को नियमानुसार कण्ट्रोल करने के लिए अकेला ही उत्तरदायी होगा तथा जज स्वतन्त्रतापूर्वक प्वाइंट देंगे।
  4. प्रमुख टूर्नामैंट में रैफ़री सफेद कपड़े धारण करेगा। प्वाईंट देना (Awarding of Points)
    • सभी प्रतियोगिताओं में जज प्वाईंट देगा।
    • प्रत्येक राऊंड के अन्त में प्वाईंट स्कोरिंग पेपर पर लिखे जाएंगे तथा बाऊंट के अन्त में जमा किए जाएंगे, भिन्नों का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
    • प्रत्येक जज को विजेता मनोनीत करना होगा या उसे अपने स्कोरिंग पेपर पर हस्ताक्षर करने होंगे। जज का नाम बड़े अक्षरों (Block Letters) में लिखा जाएगा। उसे स्कोरिंग स्लिपों पर हस्ताक्षर करने होंगे।

प्रश्न
बाक्सिग में स्कोर कैसे मिलते हैं ?
उत्तर-
स्कोरिंग (Scoring)

  1. जो बाक्सर अपने विरोधी को सबसे अधिक मुक्के मारेगा उसे प्रत्येक राऊंड के अन्त में 20 प्वाईंट दिए जाएंगे। दूसरे बाक्सर को उसी अनुपात में अपने स्कोरिंग मुक्कों में कम प्वाईंट मिलेंगे।
  2. जब जज यह देखता है कि दोनों बाक्सरों ने एक जितने मुक्के मारे हैं तो प्रत्येक प्रतियोगी को 20 प्वाईंट दिए जाएंगे।
  3. यदि बाक्सरों को मिले प्वाईंट बाऊट के अन्त में बराबर हों तो जज अपना निर्णय उस बाक्सर के पक्ष में देगा जिसने अधिक पहल दिखाई हो, परन्तु यदि समान हो उस बाक्सर के पक्ष में जिसने बेहतर स्टाइल दिखाया हो। यदि वह सोचे कि वह इन दोनों पक्षों में बराबर हैं तो वह अपना निर्णय उस बाक्सर के पक्ष में देगा जिसने अच्छी सुरक्षा (Defence) का प्रदर्शन किया हो।

परिभाषाएं (Definitions)-उपर्युक्त नियम निम्नलिखित परिभाषाओं द्वारा लागू होता है—

  1. स्कोरिंग मुक्के या प्रहार (Scoring Blows)-वे मुक्के जो किसी भी दस्ताने के नक्कल से रिंग के सामने या साइड की ओर या शरीर के बैल्ट के ऊपर मारे जाएं।
  2. नान-स्कोरिंग मुक्के (Non-Scoring Blows)
    • नियम का उल्लंघन करके मारे गए मुक्के।
    • भुजाओं या पीठ पर मारे गए मुक्के।
    • हल्के मुक्के या बिना ज़ोर की थपकियां।
  3. पहल करना (Leading Off)-पहला मुक्का मारना या पहला मुक्का मारने की कोशिश करना। नियमों का उल्लंघन पहल करने के स्कोरिंग मूल्य को समाप्त कर देता है।
  4. सुरक्षा (Defence)–बाक्सिग, पैरिंग, डकिंग, गार्डिंग, साइड स्टैपिंग द्वारा प्रहरों से बचाव करना।.

बाक्सिंग (मुक्केबाज़ी) (Boxing) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
बाक्सिग में कोई दस त्रुटियां लिखें।
उत्तर-
त्रुटियां (Fouls)-जजों या रैफ़री का फ़ैसला अन्तिम होगा। रैफ़री को निम्नलिखित कार्य करने पर बाक्सर को चेतावनी देने या अयोग्य घोषित करने का अधिकार है—

  1. खुले दस्ताने से चोट करना, हाथ के आन्तरिक भाग या बट के साथ चोट करना, कलाइयों से चोट करना या बन्द दस्ताने के नक्कल वाले भाग को छोड़कर किसी अन्य भाग से चोट करना।
  2. कुलनी से मारना।
  3. बैल्ट के नीचे मारना।
  4. किडनी पंच (Kidney Punch) का प्रयोग करना।
  5. पिवट ब्लो (Pivot Blow) का प्रयोग करना।
  6. गर्दन या सिर के नीचे जानबूझ कर चोट करना।
  7. नीचे पड़े प्रतियोगी को मारना।
  8. पकड़ना।
  9. सिर या शरीर के भार लेटना।
  10. बैल्ट के नीचे किसी ढंग से डकिंग (Ducking) करना जोकि विरोधी के लिए खतरनाक हो।
  11. बाक्सिग का सिर पर खतरनाक प्रयोग। (12) रफिंग (Roughing)
  12. कन्धे मारना।
  13. कुश्ती करना।
  14. बिना मुक्का लगे जान-बूझ कर गिरना।
  15. निरन्तर ढक कर रखना।
  16. रस्सों का अनुचित प्रयोग करना।
  17. कानों पर दोहरी चोट करना।

ब्रेक (Break) जब रैफ़री दोनों प्रतियोगियों को ब्रेक (To Break) की आज्ञा देता है तो दोनों बाक्सरों को पुनः बाक्सिग शुरू करने से पहले एक कदम पीछे हटना ज़रूरी है। ‘ब्रेक’ के समय एक बाक्सर को विरोधी को मारने की आज्ञा नहीं होती।
डाऊन तथा गिनती (Doun and Count)-एक बाक्सर को डाऊन (Doun) समझा जाता है जब शरीर का कोई भाग सिवाए उसके पैरों के फर्श पर लग जाता है या जब वह रस्सों से बाहर या आंशिक रूप में बाहर होता है या वह रस्सी पर लाचार लटकता है।
बाऊट रोकना (Stopping the Bout)—

  1. यदि रैफ़री के मतानुसार एक बाक्सर चोट लगने के कारण खेल जारी नहीं रख सकता या वह बाऊट बन्द कर देता है तो उसके विरोधी को विजेता घोषित कर दिया जाता है। यह निर्णय करने का अधिकार रैफ़री को होता है जोकि डॉक्टर का परामर्श ले सकता है।
  2. रैफ़री को बाऊट रोकने का अधिकार है यदि उसकी राय में प्रतियोगी को मात हो गई है या वह बाऊट जारी रखने के योग्य नहीं है।

बाऊट पुनः शुरू करने में असफल होना (Failure to resume Bout) सभी बाऊटों में यदि कोई प्रतियोगी समय कहे जाने पर बाऊट को पुनः शुरू करने में असमर्थ होता है तो वह बाऊट हार जाएगा।

नियमों का उल्लंघन (Breach of Rules)-बाक्सर या उसके सैकिण्ड (Second) द्वारा इन नियमों के किसी भी उल्लंघन से उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। एक प्रतियोगी जो अयोग्य घोषित किया गया हो उसे कोई ईनाम नहीं मिलेगा।

शंकित फाऊल (Suspected Foul)–यदि रैफ़री को किसी फ़ाऊल का सन्देह हो जाए जिसे उसने स्वयं साफ नहीं देखा, वह जजों की सलाह ले सकता है तथा उसके अनुसार अपना फैसला दे सकता है।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 8 अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य

SST Guide for Class 10 PSEB अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखें

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह के बाद कौन उसका उत्तराधिकारी बना?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के बाद खड़क सिंह उसका उत्तराधिकारी बना।

प्रश्न 2.
मुदकी की लड़ाई में सिक्खों की हार क्यों हुई?
उत्तर-
(1) सिक्ख सरदार लाल सिंह ने गद्दारी की और युद्ध के मैदान से भाग निकला।
(2) अंग्रेजों की तुलना में सिक्ख सैनिकों की संख्या कम थी।

प्रश्न 3.
सभराओं की लड़ाई कब हुई और इसका परिणाम क्या निकला?
उत्तर-
सभराओं की लड़ाई 10 फरवरी, 1846 ई० को हुई। इसमें सिक्ख पराजित हुए और अंग्रेजी सेना बिना किसी बाधा के सतलुज नदी को पार कर गई।

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प्रश्न 4.
सुचेत सिंह के खजाने का मामला क्या था?
उत्तर-
डोगरा सरदार सुचेत सिंह द्वारा छोड़े गए ख़ज़ाने पर लाहौर सरकार अपना अधिकार समझती थी, परन्तु अंग्रेज़ी सरकार इस मामले को अदालती रूप देना चाहती थी।

प्रश्न 5.
गौओं सम्बन्धी झगड़े के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
21 अप्रैल, 1846 ई० को गौओं के एक झुंड पर एक यूरोपियन तोपची ने तलवार चला दी जिससे हिन्दू और सिक्ख अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठे।

प्रश्न 6.
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में कब शामिल किया गया ? (P.B. 2014) उस समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में 1849 ई० में सम्मिलित किया गया। उस समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड डल्हौज़ी था।

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(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-50 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
भैरोंवाल की सन्धि क्यों की गई?
उत्तर-
लाहौर की संधि के अनुसार महाराजा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाहौर में एक वर्ष के लिए अंग्रेजी सेना रखी गई थी। अवधि समाप्त होने पर लॉर्ड हार्डिंग ने इस सेना को वहां स्थायी रूप से रखने की योजना बनाई। परन्तु महारानी जिंदां को यह बात मान्य नहीं थी। इसलिए 15 दिसम्बर, 1846 ई० को लाहौर दरबार के मंत्रियों और सरदारों की एक विशेष सभा बुलाई गई। इस सभा में गवर्नर जनरल की केवल उन्हीं शर्तों का उल्लेख किया गया जिनके आधार पर सिक्ख 1846 ई० के बाद लाहौर में अंग्रेजी सेना रखने के लिए सहमत हुए थे। इस प्रकार महारानी जिंदा तथा प्रमुख सिक्ख सरदारों ने 16 दिसंबर, 1846 को भैरोंवाल के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।

प्रश्न 2.
भैरोंवाल की सन्धि की कोई चार धाराएं बताओ।
उत्तर-
भैरोंवाल की संधि की चार मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. लाहौर में एक ब्रिटिश रैजीडेंट रहेगा जिसकी नियुक्ति गवर्नर जनरल करेगा।
  2. महाराजा दलीप सिंह के बालिग (वयस्क) होने तक राज्य का शासन प्रबन्ध आठ सरदारों की कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी द्वारा चलाया जाएगा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी ब्रिटिश रैजीडेंट के परामर्श से प्रशासन का कार्य करेगी।
  4. महारानी जिंदां को राज्य प्रबंध से अलग कर दिया गया। उसे डेढ़ लाख रुपये वार्षिक पेंशन दे दी गई।

प्रश्न 3.
भैरोंवाल की सन्धि का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भैरोंवाल की संधि पंजाब और भारत के इतिहास में बड़ा महत्त्व रखती है

  1. इस सन्धि द्वारा अंग्रेज़ पंजाब के स्वामी बन गए। लाहौर राज्य के प्रशासनिक मामलों में ब्रिटिश रैजीडेंट को असीमित अधिकार तथा शक्तियाँ प्राप्त हो गईं। हैनरी लारेंस को पंजाब में पहला रैजीडेंट नियुक्त किया गया।
  2. इस सन्धि द्वारा महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। पहले उसे शेखुपुरा भेज दिया गया। परन्तु बाद में उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया।

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प्रश्न 4.
पहले आंग्लो-सिक्ख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने पंजाब को अपने कब्जे में क्यों नहीं किया? कोई दो कारण बताओ।
उत्तर-
पहले आंग्ल-सिक्ख युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने निम्नलिखित कारणों से पंजाब पर अपना अधिकार नहीं किया

  1. सिक्ख मुदकी, फिरोजशाह और सभराओं की लड़ाइयों में अवश्य पराजित हुए थे, परन्तु लाहौर, अमृतसर, पेशावर आदि स्थानों पर अभी भी सिक्ख सैनिक तैनात थे। यदि अंग्रेज़ उस समय पंजाब पर अधिकार करते तो उन्हें इन सैनिकों का सामना भी करना पड़ता।
  2. अंग्रेजों को पंजाब में शान्ति व्यवस्था स्थापित करने के लिए आय से अधिक व्यय करना पड़ता।
  3. सिक्ख राज्य अफ़गानिस्तान तथा ब्रिटिश साम्राज्य के बीच मध्यस्थ राज्य का कार्य करता था। इसलिए अभी पंजाब पर अधिकार करना अंग्रेजों के लिए उचित नहीं था।
  4. लॉर्ड हार्डिंग पंजाबियों के साथ एक ऐसी संधि करना चाहता था, जिससे पंजाब कमजोर हो जाए, ताकि वे जब चाहे पंजाब पर अधिकार कर सकें। इसलिए उन्होंने लाहौर सरकार के साथ केवल ऐसी सन्धि की जिसके कारण लाहौर (पंजाब) राज्य आर्थिक और सैनिक दृष्टि से कमजोर हो गया। (कोई दो लिखें)

प्रश्न 5.
भैरोंवाल की सन्धि के पश्चात् अंग्रेजों ने रानी जिंदां के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर-
भैरोंवाल की सन्धि के अनुसार महारानी जिंदां को सभी राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। उसका लाहौर के राज्य प्रबंध से कोई संबंध न रहा। यही नहीं उसे अनुचित ढंग से कैद कर लिया गया और उसे शेखुपुरा के किले में भेज दिया गया। उसकी पेंशन डेढ़ लाख से घटा कर 48 हज़ार रु० कर दी गई। तत्पश्चात् उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया। इस प्रकार महारानी जिंदां से बहुत ही बुरा व्यवहार किया गया। परिणामस्वरूप पंजाब के देशभक्त सरदारों की भावनाएं अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठीं।

प्रश्न 6.
महाराजा दलीप सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह पंजाब (लाहौर राज्य) का अंतिम सिक्ख शासक था। प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के समय वह नाबालिग था। अत: 1846 ई० की भैरोंवाल की सन्धि के अनुसार लाहौर-राज्य के शासन प्रबन्ध के लिए एक कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी की स्थापना की गई। इसे महाराजा के बालिग होने तक कार्य करना था। परन्तु दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध में सिक्ख पुनः पराजित हुए। परिणामस्वरूप महाराजा दलीप सिंह को राजगद्दी से उतार दिया गया और उसकी 4-5 लाख रु० के बीच वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गई। पंजाब अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन गया।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
अंग्रेजों और सिक्खों की पहली लड़ाई के कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजों तथा सिक्खों के बीच पहली लड़ाई 1845-46 ई० में हुई। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे

  1. अंग्रेजों की लाहौर राज्य को घेरने की नीति — अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के जीवन काल से ही लाहौर राज्य को घेरना आरम्भ कर दिया था। इसी उद्देश्य से उन्होंने 1835 ई० में फिरोजपुर पर अधिकार कर लिया। 1838 ई० में उन्होंने वहां एक सैनिक छावनी स्थापित कर दी। लाहौर दरबार के सरदारों ने अंग्रेजों की इस नीति का विरोध किया।
  2. पंजाब में अशांति और अराजकता — महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् पंजाब में अशांति और अराजकता फैल गई। इसका कारण यह था कि उसके उत्तराधिकारी खड़क सिंह, नौनिहाल सिंह, रानी जिंदां कौर, शेर सिंह आदि निर्बल थे। अत: लाहौर दरबार में सरदारों ने एक दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचने आरम्भ कर दिये। अंग्रेज़ इस स्थिति का लाभ उठाना चाहते थे।
  3. प्रथम अफ़गान युद्ध में अंग्रेजों की कठिनाइयां और असफलताएं — प्रथम ऐंग्लो-अफ़गान युद्ध के समाप्त होते ही अफ़गानों ने दोस्त मुहम्मद खां के पुत्र मुहम्मद अकबर खां के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। अंग्रेज़ विद्रोहियों को दबाने में असफल रहे। अंग्रेज सेनानायक बर्नज़ और मैकनाटन को मौत के घाट उतार दिया गया। वापस जा रहे अंग्रेज सैनिकों में से केवल एक सैनिक ही बच पाया। अंग्रेजों की इस असफलता को देखकर सिक्खों का अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के लिए उत्साह बढ़ गया।
  4. अंग्रेजों द्वारा सिन्ध को अपने राज्य में मिलाना — 1843 ई० में अंग्रेजों ने सिन्ध पर आक्रमण करके उसे अपने राज्य में मिला लिया। इस घटना ने उनकी महत्त्वाकांक्षा को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया। सिक्खों ने यह जान लिया कि साम्राज्यवादी अंग्रेज़ सिन्ध की भान्ति पंजाब के लिए भी काल बन सकते हैं। वैसे भी पंजाब पर अधिकार किए बिना सिन्ध पर अंग्रेजी नियन्त्रण बने रहना असम्भव था। फलतः सिक्ख अंग्रेजों के इरादों के प्रति और भी चौकन्ने हो गए।
  5. ऐलनबरा की पंजाब पर अधिकार करने की योजना — सिन्ध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लेने के पश्चात् लॉर्ड ऐलनबरा ने पंजाब पर अधिकार करने की योजना बनाई। इस योजना को वास्तविक रूप देने के लिए उसने सैनिक तैयारियां आरम्भ कर दी। इसका पता चलने पर सिक्खों ने भी युद्ध की तैयारी आरम्भ कर दी।
  6. लॉर्ड हार्डिंग की गवर्नर जनरल के पद पर नियुक्ति — जुलाई, 1844 ई० में लॉर्ड ऐलनबरा के स्थान पर लॉर्ड हार्डिंग भारत का गवर्नर जनरल बना। वह एक कुशल सेनानायक था। उसकी नियुक्ति से सिक्खों के मन में यह शंका उत्पन्न हो गई कि हार्डिंग को जान-बूझकर भारत भेजा गया है, ताकि वह सिक्खों से सफलतापूर्वक युद्ध कर सके।
  7. अंग्रेजों की सैनिक तैयारियां — पंजाब में फैली अराजकता ने अंग्रेजों को पंजाब पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने सैनिक तैयारियां करनी आरम्भ कर दीं। शीघ्र ही अंग्रेज़ी सेनाएं सतलुज नदी के आस-पास इकट्ठी होने लगीं। उन्होंने सिन्ध में भी अपनी सेनाओं की वृद्धि कर ली तथा सतलुज को पार करने के लिए एक नावों का पुल बना लिया। अंग्रेजों की ये गतिविधियां प्रथम सिक्ख युद्ध का कारण बनीं।
  8. सुचेत सिंह के खजाने का मामला — डोगरा सरदार सुचेत सिंह लाहौर दरबार की सेवा में था। अपनी मृत्यु से पूर्व वह 15 लाख रुपये की धन राशि छोड़ गया था। परंतु उसका कोई पुत्र नहीं था। इसलिए लाहौर सरकार इस राशि पर अपना अधिकार समझती थी। दूसरी ओर अंग्रेज़ इस मामले को अदालती रूप देना चाहते थे। इससे सिक्खों को अंग्रेजों की नीयत पर संदेह होने लगा।
  9. मौड़ा गांव का मामला — मौड़ा गांव नाभा प्रदेश में था। वहां के भूतपूर्व शासक ने यह गांव महाराजा रणजीत सिंह को दिया था जिसे महाराजा ने धन्ना सिंह को जागीर में दे दिया। परन्तु 1843 ई० के आरम्भ में नाभा के नये शासक तथा धन्ना सिंह में मतभेद हो जाने के कारण नाभा के शासक ने यह गांव वापस ले लिया। जब लाहौर सरकार ने इस पर आपत्ति की तो अंग्रेजों ने नाभा के शासक का समर्थन किया। इस घटना ने अंग्रेजों तथा लाहौर दरबार एवं सिक्ख सेना के आपसी सम्बन्धों को और भी बिगाड़ दिया।
  10. ब्राडफुट की सिक्ख विरोधी गतिविधियां — नवम्बर, 1844 ई० में मेजर ब्राडफुट लुधियाना का रैजीडेंट नियुक्त हुआ। वह सिक्खों के प्रति घृणा-भाव रखता था। उसने सिक्खों के विरुद्ध कुछ ऐसे कार्य किए जिससे सिक्ख अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।
  11. लाल सिंह और तेज सिंह का सेना को उकसाना — सितम्बर, 1845 ई० में लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमन्त्री बना। उसी समय तेज सिंह को प्रधान सेनापति बनाया गया। अब तक सिक्ख सेना की शक्ति काफ़ी बढ़ चुकी थी। अत: लाल सिंह और तेज सिंह सिक्ख सेना से भयभीत थे। अपनी सुरक्षा के लिए ये दोनों गुप्त रूप से अंग्रेज़ी सरकार से मिल गए। सिक्ख सेना को कमजोर करने के लिए उन्होंने सिक्ख सेना को अंग्रेज़ों के विरुद्ध भड़काया।
    युद्ध का वातावरण तैयार हो चुका था। 13 दिसम्बर, 1845 ई० को लॉर्ड हार्डिंग ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न 2.
पहले आंग्लो-सिक्ख युद्ध की घटनाएं लिखो।
उत्तर-
सिक्ख सेना ने लाहौर से प्रस्थान किया और 11 दिसम्बर, 1845 ई० को सतलुज नदी को पार करना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज़ तो पहले ही इसी ताक में थे कि सिक्ख सैनिक कोई ऐसा पग उठाएं जिससे उन्हें सिक्खों के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का अवसर मिल सके। अत: 13 दिसम्बर को लॉर्ड हार्डिंग ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की मुख्य घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. मुदकी की लड़ाई-अंग्रेज़ी सेना फिरोज़शाह से 15-16 कि० मी० की दूरी पर मुदकी के स्थान पर आ पहुंची। जिसका नेतृत्व सरहयूग गफ्फ कर रहा था। 18 दिसम्बर, 1845 ई० के दिन अंग्रेज़ों व सिक्खों में इसी स्थान पर पहली . लड़ाई हुई। यह एक खूनी युद्ध था। योजना के अनुसार लाल सिंह ने अपनी सेना के साथ विश्वासघात किया और सैनिकों . को अकेला छोड़ कर रणक्षेत्र से भाग निकला। तेज सिंह ने भी ऐसा ही किया। परिणामस्वरूप सिक्ख पराजित हुए।
  2. बद्दोवाल की लड़ाई-21 जनवरी, 1846 ई० को फिरोजशाह की लड़ाई के पश्चात् अंग्रेज सेनापति लॉर्ड गफ… ने अम्बाला तथा देहली से सहायक सेनाएं बुला भेजीं। जब खालसा सेना को अंग्रेज़ सेनाओं के आगमन की सूचना मिली. तो रणजोध सिंह तथा अजीत सिंह लाडवा ने 8000 सैनिकों तथा 70 तोपों सहित सतलुज नदी को पार किया और : लुधियाना से 7 मील की दूरी पर बरां हारा के स्थान पर डेरा डाल दिया। उन्होंने लुधियाना की अंग्रेज़ चौकी में आग लगा दी। सर हैरी स्मिथ (Harry Smith) को फिरोजपुर से लुधियाना की सुरक्षा के लिए भेजा गया। बद्दोवाल के स्थान पर दोनों पक्षों में एक भयंकर युद्ध हुआ। रणजोध सिंह व अजीत सिंह ने अंग्रेजी सेना के पिछले भाग पर धावा बोल कर उनके शस्त्र तथा खाद्य सामग्री लूट ली। फलस्वरूप यहां अंग्रेजों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
  3. अलीवाल की लड़ाई-28 जनवरी, 1846 को बुद्दोवाल की विजय के पश्चात् रणजोध सिंह ने उस गांव को. खाली करा लिया तथा सतलुज के मार्ग से जंगरांव, घुगरांना इत्यादि पर आक्रमण करके अंग्रेज़ों के मार्ग को रोकना चाहा। इसी बीच हैरी स्मिथ ने बुद्दोवाल पर अधिकार कर लिया। इतने में फिरोजपुर से भी एक सहायक सेनाःस्मिथ की सहायता के लिए आ पहुंची। सहायता पाकर उसने सिक्खों पर धावा बोल दिया। 28 जनवरी, 1846 ई० के दिन अलीवाल के स्थान पर एक भीषण लड़ाई हुई जिसमें सिक्खों की पराजय हुई।
  4. सभराओं की लड़ाई-अलीवाल की पराजय के कारण लाहौर दरबार की सेनाओं को अपनी सुरक्षा की चिन्ता पड़ गई। आत्म रक्षा के लिए उन्होंने सभराओं के स्थान पर खाइयां खोद लीं। परन्तु यहां उन्हें 10 फरवरी, 1846 ई० के दिन एक बार फिर शत्रु का सामना करना पड़ा। यह खूनी लड़ाई थी। कहते हैं कि यहां वीरगति को प्राप्त होने वाले सिक्ख सैनिकों के रक्त से सतलुज का पानी भी लाल हो गया। अंग्रेजों की सभराओं विजय निर्णायक सिद्ध हुई। डॉ० स्मिथ के अनुसार, इस विजय से अंग्रेज़ सबसे वीर और सबसे सुदृढ़ शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध की गम्भीर स्थिति में अपमानित होने से बच गए। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजी सेनाओं ने सतलुज को पार (13 फरवरी, 1846 ई०) किया और 20 फरवरी, 1846 ई० को लाहौर पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 3.
लाहौर की पहली संधि की धाराएं लिखो।
उत्तर-
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के घातक परिणाम निकले। सभराओं के युद्ध में तो इतना खून बहा कि. संतलुज नदी का पानी भी लाल हो गया। इस विजय के पश्चात् यदि लॉर्ड हार्डिंग चाहता तो पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला सकता था, परन्तु कई कारणों से उसने ऐसा न किया। 9 मार्च, 1846 ई० को अंग्रेज़ों तथा सिक्खों के बीच एक सन्धि हो गई जो लाहौर की पहली सन्धि कहलाती है। इसकी मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच के सारे मैदानी तथा पर्वतीय प्रदेश पर अंग्रेज़ों का अधिकार मान लिया गया।
  2. युद्ध की क्षति पूर्ति के रूप में लाहौर दरबार ने अंग्रेज़ी सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये की धन राशि देना स्वीकार किया।
  3. दरबार की सैनिक संख्या 20,000 पैदल तथा 12,000 घुड़सवार सैनिक निश्चित कर दी गई।
  4. लाहौर दरबार ने युद्ध में अंग्रेजों से छीनी गई सभी तोपें तथा 36 अन्य तोपें अंग्रेजी सरकार को देने का वचन दिया।
  5. सिक्खों ने ब्यास तथा सतलुज के बीच दोआब के समस्त प्रदेश तथा दुर्गों पर से अपना अधिकार छोड़ दिया और उन्हें अंग्रेज़ी सरकार के हवाले कर दिया।
  6. लाहौर राज्य ने यह वचन दिया कि वह अपनी सेना में किसी भी अंग्रेज़ अथवा अमरीकन को भर्ती नहीं करेगा।
  7. लाहौर राज्य अंग्रेज़ सरकार की पूर्व स्वीकृति लिये बिना अपनी सीमाओं में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करेगा।
  8. कुछ विशेष प्रकार की परिस्थितियों में अंग्रेज़ सेनाएं लाहौर राज्य के प्रदेशों से बिना रोकथाम के गुज़र सकेंगी।
  9. सतलुज के दक्षिण पूर्व में स्थित लाहौर राज्य के प्रदेश ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिए गए।
  10. अवयस्क दलीप सिंह को महाराजा स्वीकार कर लिया गया। रानी जिन्दां उसकी प्रतिनिधि बनी और लाल सिंह प्रधानमन्त्री बना।
  11. अंग्रेजों ने यह विश्वास दिलाया कि वे लाहौर राज्य के आन्तरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। परन्तु अवयस्क महाराजा की रक्षा के लिए लाहौर में एक विशाल ब्रिटिश सेना की व्यवस्था की गई। सर लारेंस हैनरी को लाहौर में ब्रिटिश रैजीडेन्ट नियुक्त किया गया।

प्रश्न 4.
भैरोंवाल की सन्धि के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
लाहौर की सन्धि के अनुसार महाराजा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाहौर में एक वर्ष के लिए अंग्रेज़ी सेना रखी गई थी। अवधि समाप्त होने पर लॉर्ड हार्डिंग ने इस सेना को वहां स्थायी रूप से रखने की योजना बनाई। इसी उद्देश्य से उन्होंने लाहौर सरकार से भैरोंवाल की सन्धि की। इस संधि पत्र पर महारानी जिंदां तथा प्रमुख सरदारों ने 16 दिसम्बर, 1846 को हस्ताक्षर कर दिए।
धाराएं-भैरोंवाल की सन्धि की मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. लाहौर में एक ब्रिटिश रैजीडेंट रहेगा जिसकी नियुक्ति गवर्नर जनरल करेगा।
  2. महाराजा दलीप सिंह के बालिग (वयस्क) होने तक राज्य का शासन प्रबन्ध आठ सरदारों की कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी द्वारा चलाया जाएगा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी ब्रिटिश रैजीडेंट के परामर्श से प्रशासन का कार्य करेगी।
  4. महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। उसे डेढ़ लाख रुपये वार्षिक पेंशन दे दी गई।
  5. महाराजा की सुरक्षा तथा लाहौर राज्य में शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए ब्रिटिश सेना लाहौर में रहेगी।
  6. यदि गवर्नर जनरल आवश्यक समझे तो उसके आदेश पर ब्रिटिश सरकार लाहौर राज्य के किसी किले या सैनिक छावनी को अपने अधिकार में ले सकती है।
  7. ब्रिटिश सेना के व्यय के लिए लाहौर राज्य ब्रिटिश सरकार को 22 लाख रुपये वार्षिक देगी।
  8. इस सन्धि की शर्ते महाराजा दलीप सिंह के वयस्क होने (4 सितम्बर, 1854 ई०) तक लागू रहेंगी।

महत्त्व-भैरोंवाल की सन्धि पंजाब और भारत के इतिहास में बड़ा महत्त्व रखती है —

  1. इस सन्धि द्वारा अंग्रेज़ पंजाब के स्वामी बन गए। लाहौर राज्य के प्रशासनिक मामलों में ब्रिटिश रैजीडेंट को असीमित अधिकार तथा शक्तियां प्राप्त हो गईं। हैनरी लारेंस (Henery Lawrence) को पंजाब में पहला रैजीडेंट नियुक्त किया गया।
  2. इस सन्धि द्वारा महारानी जिंदां को राज्य प्रबन्ध से अलग कर दिया गया। पहले उसे शेखुपुरा भेज दिया गया। परन्तु बाद में उसे देश निकाला देकर बनारस भेज दिया गया।

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प्रश्न 5.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध के कारण बताओ।
उत्तर-
दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1848-49 ई० में हुआ। इसमें भी अंग्रेजों को विजय प्राप्त हुई और पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिला लिया गया। इस युद्ध के कारण निम्नलिखित थे —

  1. सिक्खों के विचार–पहले आंग्ल-सिक्ख युद्ध में सिक्खों की पराजय अवश्य हुई थी परन्तु उनके साहस में कोई कमी नहीं आई थी। उनको अब भी अपनी शक्ति पर पूरा विश्वास था। उनका विचार था कि वे पहली लड़ाई में अपने साथियों की गद्दारी के कारण हार गए थे। अतः अब वे अपनी शक्ति को एक बार फिर आज़माना चाहते थे।
  2. अंग्रेज़ों की सुधार नीति-अंग्रेज़ों के प्रभाव में आकर लाहौर दरबार ने अनेक प्रगतिशील पग (Progressive measures) उठाये। एक घोषणा द्वारा सती प्रथा, कन्या वध, दासता, बेगार तथा ज़मींदारी प्रथा की घोर निन्दा की गई। पंजाब के लोग अपने धार्मिक तथा सामाजिक जीवन में इस प्रकार के हस्तक्षेप को सहन न कर सके। अत: उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठा लिये।
  3. रानी जिन्दां तथा लाल सिंह से कठोर व्यवहार-रानी जिंदां का सिक्ख बड़ा आदर करते थे, परन्तु अंग्रेजों ने उसे षड्यन्त्रकारिणी उहराया और उसे निर्वासित करके शेखपुरा भेज दिया। अंग्रेजों के इस कार्य से सिक्खों के क्रोध की सीमा न रही। इसके अतिरिक्त वे अपने प्रधानमन्त्री लाल सिंह के विरुद्ध अंग्रेजों के कठोर व्यवहार को भी सहन न कर सके और उन्होंने अपनी रानी तथा अपने प्रधानमन्त्री के अपमान का बदला लेने का निश्चय कर लिया।
  4. अंग्रेज़ अफसरों की उच्च पदों पर नियुक्ति-भैंरोवाल की सन्धि से पंजाब में अंग्रेजों की शक्ति काफ़ी बढ़ गई थी। अब उन्होंने पंजाब को अपने नियन्त्रण में लेने के लिए धीरे-धीरे सभी उच्च पदों पर अंग्रेज़ अफसरों को नियुक्त करना आरम्भ कर दिया था। सिक्खों को यह बात बहुत बुरी लगी और वे पंजाब को अंग्रेजों से मुक्त कराने के विषय में गम्भीरता से सोचने लगे।
  5. सिक्ख सैनिकों की संख्या में कमी-लाहौर की सन्धि के अनुसार सिक्ख सैनिकों की संख्या घटा कर 20 हज़ार पैदल तथा 12 हजार घुड़सवार निश्चित कर दी गई थी। इसका परिणाम यह हुआ कि हजारों सैनिक बेकार हो गए। बेकार सैनिक अंग्रेजों के घोर विरोधी हो गए। इसके अतिरिक्त अंग्रेजों ने उन सैनिकों के भी वेतन घटा दिये जो कि सेना में काम कर रहे थे। परिणामस्वरूप उन में भी असन्तोष फैल गया और वे भी अंग्रेज़ों को पंजाब से बाहर निकालने के लिए तैयारी करने लगे।
  6. मुलतान के दीवान मूलराज का विद्रोह-मूलराज मुल्तान का गवर्नर था। अंग्रेजों ने उसके स्थान पर काहन सिंह को मुलतान का गवर्नर नियुक्त कर दिया। इस पर मुलतान के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और मूलराज ने फिर मुलतान पर अधिकार कर लिया। धीरे-धीरे इस विद्रोह की आग सारे पंजाब में फैल गई।
  7. भाई महाराज सिंह का विद्रोह-भाई महाराज सिंह नौरंगबाद के संत भाई वीर सिंह का शिष्य था। उसने सरकार-ए-खालसा को बचाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। अतः ब्रिटिश रैजीडेंट हैनरी.लारेंस ने उसे बंदी बनाने के आदेश जारी किए। परन्तु उसे पकड़ा न जा सका। उसने अपने अधीन सैंकड़ों लोग इकट्ठे कर लिए। मूलराज की प्रार्थना पर वह उसकी सहायता के लिए 400 घुड़सवारों सहित मुलतान भी गया। परन्तु अनबन हो जाने के कारण वह मूलराज को छोड़ कर चतर सिंह अटारीवाला तथा उसके पुत्र शेर सिंह से जा मिला।
  8. हज़ारा के चतर सिंह का विद्रोह-चतर सिंह अटारीवाला को हज़ारा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। उसकी सहायता के लिए कैप्टन ऐबट को रखा गया था। परन्तु ऐबट के अभिमानपूर्ण व्यवहार के कारण चतर सिंह को अंग्रेजों पर संदेह होने लगा। इसी बीच कैप्टन ऐबट ने चतर सिंह पर यह आरोप लगाया कि उसकी सेनाएं मुलतान के विद्रोहियों से जा मिली हैं। चतर सिंह इसे सहन न कर सका और उसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
  9. शेर सिंह का विद्रोह-जब शेर सिंह को यह पता चला कि उसके पिता चतर सिंह को हज़ारा के नाज़िम (गवर्नर) के पद से हटा दिया गया है, तो उसने भी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। वह अपने सैनिकों सहित मूलराज के साथ जा मिला। शेर सिंह ने एक घोषणा के अनुसार ‘सब अच्छे सिक्खों’ से अपील की कि वे अत्याचारी और धोखेबाज़ फिरंगियों को पंजाब से बाहर कर दें। अतः अनेक पुराने सैनिक अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में शामिल हो गए।
  10. पंजाब पर अंग्रेजों का हमला-मूलराज, चतर सिंह और शेर सिंह द्वारा विद्रोह कर देने के बाद लॉर्ड डल्हौज़ी ने अपनी पूर्व निश्चित योजना को कार्यकारी रूप देना आरम्भ कर दिया। डल्हौज़ी के आदेश पर ह्यूग गफ (Hugh Gough) के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेना नवम्बर, 1848 ई० को लाहौर पहुंच गई। यह सेना आते ही विद्रोहियों का दमन करने में जुट गई।
    यह द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध का आरम्भ था।

प्रश्न 6.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध की घटनाएं बताओ।
उत्तर-
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध नवम्बर, 1848 ई० में अंग्रेज़ी सेना द्वारा सतलुज नदी को पार करने के पश्चात् आरम्भ हुआ। इस युद्ध की प्रमुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. रामनगर की लड़ाई-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध में अंग्रेज़ों तथा सिक्खों के बीच पहली लड़ाई रामनगर की थी। अंग्रेज़ सेनापति जनरल गफ (General Gough) ने 16 नवम्बर, 1848 ई० के दिन रावी नदी पार की तथा 22. नवम्बर को रामनगर पहुंचा। वहां पहले से ही शेर सिंह अटारीवाला के नेतृत्व में सिक्ख सेना एकत्रित थी। रामनगर के स्थान पर दोनों सेनाओं में युद्ध हुआ, परन्तु इसमें हार-जीत का कोई फैसला न हो सका।
  2. चिलियांवाला की लड़ाई-13 जनवरी, 1849 ई० को जनरल गफ के नेतृत्व में अंग्रेज़ी सेनाएं चिलियांवाला गांव में पहुँची जहां सिक्खों की एक शक्तिशाली सेना थी। जनरल गफ ने आते ही अंग्रेज सेनाओं को शत्रु पर आक्रमण करने का आदेश जारी कर दिया। दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ परन्तु हार-जीत का कोई फैसला इस बार भी न हो सका। इस युद्ध में अंग्रेजों के 602 व्यक्ति मारे गए तथा 1651 घायल हुआ। सिक्खों के भी बहुत-से लोग मारे गए और उन्हें 12 तोपों से हाथ धोना पड़ा।
  3. मुलतान की लड़ाई-अप्रैल 1848 में दीवान मूलराज ने मुलतान पर दोबारा अधिकार कर लिया था। इस पर अंग्रेजों ने एक सेना भेज कर मुलतान को घेर लिया। मूलराज ने डट कर मुकाबला किया परन्तु एक दिन अचानक एक गोले के फट जाने से उसके सारे बारूद में आग लग गई। परिणामस्वरूप मूलराज और अधिक दिनों तक अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध जारी न रख सका। 22 जनवरी, 1849 ई० को उसने हथियार डाल दिए। मुलतान की विजय से अंग्रेजों का काफ़ी मान बढ़ा।
  4. गुजरात की लड़ाई-अंग्रेज़ों और सिक्खों के बीच निर्णायक लड़ाई गुजरात में हुई। इस लड़ाई से पहले शेर सिंह और चतर सिंह आपस में मिल गए। महाराज सिंह तथा अफ़गानिस्तान के अमीर दोस्त मुहम्मद ने भी सिक्खों का साथ दिया। परंतु गोला बारूद समाप्त हो जाने तथा शत्रु की भारी सैनिक संख्या के कारण सिक्ख पराजित हुए।

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प्रश्न 7.
दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध के परिणाम लिखो।
उत्तर-
दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध लाहौर के सिक्ख,राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। इसके निम्नलिखित परिणाम निकले —

  1. पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय-युद्ध में सिक्खों की पराजय के पश्चात् 29 मार्च, 1849 ई० को गवर्नर जनरल लॉर्ड डल्हौज़ी ने एक आदेश जारी किया। इसके अनुसार पंजाब राज्य को समाप्त कर दिया गया। महाराजा दलीप सिंह को गद्दी से उतार दिया गया और पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
  2. मूलराज और महाराज सिंह को दण्ड-मूलराज को ऐग्न्यु और ऐंडरसन नामक अंग्रेज़ अफसरों के वध के अपराध में काले पानी की सज़ा दी गई। 29 दिसम्बर, 1849 ई० में महाराज सिंह को भी बंदी बना लिया गया। उसे आजीवन कारावास का दंड देकर सिंगापुर भेज दिया गया।
  3. खालसा सेना को भंग करना-खालसा सेना को भंग कर दिया गया। उससे सभी शस्त्र छीन लिए गए। नौकरी से हटे सिक्ख सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भर्ती कर लिया गया।
  4. प्रमुख सरदारों की शक्ति का दमन-लॉर्ड डल्हौज़ी के आदेश से जॉन लारेंस ने पंजाब में प्रमुख सरदारों की शक्ति को समाप्त कर दिया। फलस्वरूप वे सरदार जो पहले धनी ज़मींदार थे और सरकार में ऊंचे पदों पर थे, अब साधारण लोगों के समान हो गए।
  5. पंजाब में अंग्रेज अफसरों की नियुक्ति-दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप राज्य के उच्च पदों पर सिक्खों, हिन्दुओं या मुसलमानों के स्थान पर अंग्रेजों तथा यूरोपियनों को नियुक्त किया गया। उन्हें भारी वेतन तथा भत्ते भी दिए गए।
  6. उत्तरी-पश्चिमी सीमा को शक्तिशाली बनाना-पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित करने के बाद अंग्रेजों ने उत्तरी-पश्चिमी सीमा को शक्तिशाली बनाने के लिए सड़कों तथा छावनियों का निर्माण किया। सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण किलों की मुरम्मत की गई। कई नए किले भी बनाए गए। उत्तरी-पश्चिमी कबीलों को नियंत्रित करने के लिए विशेष सैनिक दस्ते भी बनाए गए।
  7. पंजाब के राज्य प्रबन्ध की पुनर्व्यवस्था-पंजाब पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाने के पश्चात् प्रशासन समिति (Board of Administration) की स्थापना की गई। इसका प्रधान हैनरी लारेंस था। पंजाब प्रांत के प्रबन्धकीय ढाँचे को पुनः संगठित किया गया। न्याय प्रणाली, पुलिस प्रबन्ध और भूमि कर प्रणाली में सुधार किए गए। डाक का समुचित प्रबन्ध किया गया।
  8. पंजाब की देशी रियासतों के प्रति नीति में परिवर्तन-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध में पटियाला, जींद, नाभा, कपूरथला तथा फरीदकोट के राजाओं ने अंग्रेजों की सहायता की थी। बहावलपुर तथा मलेरकोटला के नवाबों ने भी अंग्रेज़ों का साथ दिया था। अतः अंग्रेजों ने प्रसन्न होकर इनमें से कई देशी शासको का पुरस्कार दिए। उन्होंने देशी रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित न करने का निर्णय भी किया।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा कैसे किया?
उत्तर-
1839 ई० में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात् सिक्खों का नेतृत्व करने वाला कोई योग्य नेता न रहा। शासन की सारी शक्ति सेना के हाथ में आ गई। अंग्रेजों ने इस अवसर का लाभ उठाया और सिक्खों से दो युद्ध किये। दोनों युद्धों में सिक्ख सैनिक बड़ी वीरता से लड़े, परन्तु अपने अधिकारियों की गद्दारी के कारण वे पराजित हुए। 1849 ई० में दूसरे सिक्ख युद्ध की समाप्ति पर लॉर्ड डल्हौजी ने पूरे पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
अंग्रेज़ों की पंजाब विजय का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

  1. पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध-अंग्रेज़ काफ़ी समय से पंजाब को अपने राज्य में मिलाने का प्रयास कर रहे थे। रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेज़ों को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर मिल गया। उन्होंने सतलुज के किनारे अपने किलों को मजबूत करना आरम्भ कर दिया। सिक्ख नेता अंग्रेज़ों की सैनिक तैयारियों को देखकर भड़क उठे। अतः 1845 ई० में सिक्ख सेना सतलुज को पार करके फिरोजपुर के निकट आ डटी। कुछ ही समय पश्चात् अंग्रेज़ों और सिक्खों में लड़ाई आरम्भ हो गई। इसी समय सिक्खों के मुख्य सेनापति तेज सिंह और वज़ीर लाल सिंह अंग्रेजों से मिल गये। उनके इस विश्वासघात के कारण मुदकी तथा फिरोजशाह के स्थान पर सिक्खों की हार हुई।
    सिक्खों ने साहस से काम लेते हुए 1846 ई० में सतलुज को पार करके लुधियाना के निकट अंग्रेज़ों पर धावा बोल दिया। यहाँ अंग्रेज़ बुरी तरह से पराजित हुए और उन्हें पीछे हटना पड़ा। परन्तु गुलाब सिंह के विश्वासघात के कारण अलीवाल और सभराओं के स्थान पर सिक्खों को एक बार फिर हार का मुँह देखना पड़ा। मार्च, 1846 ई० में गुलाब सिंह के प्रयत्नों से सिक्खों और अंग्रेजों के बीच एक सन्धि हो गई। सन्धि के अनुसार सिक्खों को अपना काफ़ी सारा प्रदेश और डेढ़ करोड़ रुपया अंग्रेजों को देना पड़ा। दिलीप सिंह के युवा होने तक पंजाब में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक अंग्रेज़ी सेना रख दी गई।
  2. दूसरा आंग्ल-सिक्ख युद्ध और पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय-1848 ई० में अंग्रेजों और सिक्खों में पुनः युद्ध छिड़ गया। अंग्रेजों ने मुलतान के लोकप्रिय गवर्नर दीवान मूलराज को ज़बरदस्ती हटा दिया था। यह बात वहाँ के नागरिक सहन न कर सके और उन्होंने अनेक अंग्रेज अफसरों को मार डाला। अत: लॉर्ड डल्हौजी ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयाँ रामनगर (22 नवम्बर, 1848 ई०), मुलतान (दिसम्बर, 1848 ई०) चिलियांवाला। (13 जनवरी, 1849 ई०) और गुजरात (फरवरी, 1849 ई०) में लड़ी गईं। रामनगर की लड़ाई में कोई निर्णय न हो सका। परन्तु मुलतान, चिलियांवाला और गुजरात के स्थान पर सिक्खों की हार हुई। सिक्खों ने 1849 ई० में पूरी तरह अपनी पराजय स्वीकार कर ली। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

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(घ) मानचित्र संबंधी प्रश्न

  1. मुदकी, फिरोजपुर, बद्दोवाल, अलीवाल और सभराओं को पंजाब के मानचित्र में अंकित करो (पहला आंग्लो-सिक्ख युद्ध)
  2. पंजाब के मानचित्र में दूसरे आंग्लो-सिक्ख युद्ध की लड़ाइयों के स्थानों को प्रदर्शित करो।
    उत्तर-विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

अन्य परीक्षा शैली प्रश्न (OTHER EXAMINATION STYLE QUESTIONS)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
प्रथम सिक्ख युद्ध की चार प्रमुख लड़ाइयां कहां-कहां लड़ी गईं?
उत्तर-
प्रथम सिक्ख युद्ध की चार लड़ाइयां मुदकी, फिरोज़शाह, अलीवाल तथा सभराओं में लड़ी गईं।

प्रश्न 2.
(i) प्रथम सिक्ख युद्ध किस सन्धि के परिणामस्वरूप समाप्त हुआ?
(ii) यह सन्धि कब हुई?
उत्तर-
(i) प्रथम सिक्ख युद्ध लाहौर की सन्धि के परिणामस्वरूप समाप्त हुआ।
(ii) यह सन्धि मार्च, 1846 ई० को हुई।

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प्रश्न 3.
द्वितीय सिक्ख युद्ध की चार प्रमुख घटनाएं कौन-कौन सी थीं?
उत्तर-
(i) रामनगर की लड़ाई
(ii) मुलतान की लड़ाई
(iii) चिलियांवाला की लड़ाई
(iv) गुजरात की लड़ाई।

प्रश्न 4.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया?
उत्तर-
29 मार्च, 1849 ई० को।

प्रश्न 5.
पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध कब हुआ?
उत्तर-
1845-46 में।

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प्रश्न 6.
अंग्रेजों ने फिरोजपुर पर कब कब्जा किया?
उत्तर-
1835 ई० में।

प्रश्न 7.
अकबर खां के नेतृत्व में अफ़गान विद्रोहियों ने किन दो अंग्रेज सेनानायकों को मौत के घाट उतारा?
उत्तर-
बर्नज़ तथा मैकनाटन।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने सिंध पर कब अधिकार किया?
उत्तर-
1843 ई० में।

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प्रश्न 9.
लार्ड हार्डिंग को भारत का गवर्नर जनरल कब नियुक्त किया गया?
उत्तर-
1844 ई० में।

प्रश्न 10.
लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमन्त्री कब बना?
उत्तर-
1845 ई० में।

प्रश्न 11.
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध की किस लड़ाई में सिक्खों की जीत हुई?
उत्तर-
बद्दोवाल की लड़ाई में।

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प्रश्न 12.
बद्दोवाल की लड़ाई में सिक्ख सेना का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर-
सरदार रणजोध सिंह मजीठिया ने।

प्रश्न 13.
लाहौर की पहली सन्धि कब हुई?
उत्तर-
9 मार्च, 1846 को।

प्रश्न 14.
लाहौर की दूसरी सन्धि कब हुई?
उत्तर-
11 मार्च, 1846 को।

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प्रश्न 15.
भैरोंवाल की सन्धि कब हुई?
उत्तर-
26 दिसम्बर, 1846 को।

प्रश्न 16.
दूसरा अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध कब हुआ?
उत्तर-
1848-49 में।

प्रश्न 17.
महारानी जिंदां को देश निकाला देकर कहां भेजा गया?
उत्तर-
बनारस।

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प्रश्न 18.
लार्ड डल्हौज़ी भारत का गवर्नर जनरल कब बना?
उत्तर-
जनवरी 1848 में।

प्रश्न 19.
दीवान मूलराज कहां का नाज़िम था?
उत्तर-
मुलतान का।

प्रश्न 20.
राम नगर की लड़ाई ( 22 नवम्बर, 1848) में किस की हार हुई?
उत्तर-
अंग्रेजों की।

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प्रश्न 21.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध की अन्तिम तथा निर्णायक लड़ाई कहां लड़ी गई?
उत्तर-
गुजरात में।

प्रश्न 22.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया?
उत्तर-
1849 ई० में।

प्रश्न 23.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में किसने मिलाया?
उत्तर-
लार्ड डल्हौज़ी ने।

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प्रश्न 24.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक कौन था?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह।

प्रश्न 25.
दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप कौन-सा बहुमूल्य हीरा अंग्रेजों के हाथ लगा?
उत्तर-
कोहिनूर।

प्रश्न 26.
पंजाब विजय के बाद अंग्रेज़ों ने वहां का प्रशासन किसे सौंपा?
उत्तर-
हैनरी लारेंस को।

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प्रश्न 27.
अंग्रेजों ने पंजाब से प्राप्त कोहिनूर हीरा किसके पास भेजा?
उत्तर-
इंग्लैंड की महारानी के पास।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अकबर खां के नेतृत्व में अफ़गान विद्रोहियों ने …………. और ……………. अंग्रेज़ सेनानायकों को मौत के घाट उतार दिया।
  2. अंग्रेजों ने ………. ई० में सिंध पर अधिकार कर लिया।
  3. ………….. ई० में लाल सिंह लाहौर राज्य का प्रधानमंत्री बना।
  4. बद्धोवाल की लड़ाई में सिक्खों का नेतृत्व ……… ने किया।
  5. ………. ई० से ……….. ई० तक दूसरा अंग्रेज़ सिक्ख युद्ध हुआ।
  6. दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक …………. था।
  7. दूसरे अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप …………. हीरा अंग्रेजों को मिला।

उत्तर-

  1. बर्नज़, मैकनाटन,
  2. 1843,
  3. 1845,
  4. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया,
  5. 1848; 1849,
  6. महाराजा दलीप सिंह,
  7. कोहिनूर।

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह का उत्तराधिकारी बना-
(A) मोहर सिंह
(B) चेत सिंह
(C) खड़क सिंह
(D) साहिब सिंह।
उत्तर-
(C) खड़क सिंह

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प्रश्न 2.
मुदकी की लड़ाई में किस सिक्ख सरदार ने गद्दारी की?
(A) चेत सिंह
(B) लाल सिंह ने
(C) साहिब सिंह
(D) मोहर सिंह।
उत्तर-
(B) लाल सिंह ने

प्रश्न 3.
सभराओं की लड़ाई हुई
(A) 10 फरवरी, 1846 ई०
(B) 10 फरवरी, 1849 ई०
(C) 20 फरवरी, 1846 ई०
(D) 10 फरवरी, 1830 ई०
उत्तर-
(A) 10 फरवरी, 1846 ई०

प्रश्न 4.
पंजाब को 1849 ई० में अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल करने वाला भारत का गवर्नर जनरल था
(A) लॉर्ड कर्जन
(B) लॉर्ड डल्हौज़ी
(C) लॉर्ड वैलजली
(D) लॉर्ड माउंटबेटन।
उत्तर-
(B) लॉर्ड डल्हौज़ी

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प्रश्न 5.
प्रथम अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप लाहौर की संधि हुई
(A) मार्च, 1849 ई० में
(B) मार्च, 1843 ई० में
(C) मार्च, 1846 ई० में
(D) मार्च, 1835 ई० में।
उत्तर-
(C) मार्च, 1846 ई० में

प्रश्न 6.
पहला आंग्ल-सिक्ख युद्ध हुआ
(A) 1843-44 ई० में
(B) 1847-48 ई० में
(C) 1830-31 ई० में
(D) 1845-46 ई० में।
उत्तर-
(D) 1845-46 ई० में।

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. 1849 में पंजाब को लार्ड हेस्टिंग्ज़ ने अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाया।
  2. अंग्रेजों को पंजाब विजय के लिए सिखों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।
  3. कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी लाहौर राज्य का शासन चलाने के लिए बनाई गई थी।
  4. मुदकी की लड़ाई में सिख सरदार लाल सिंह ने सिखों से गद्दारी की।
  5. दूसरे आंग्ल-सिख युद्ध में सिखों ने पंजाब को अंग्रेजों से मुक्त करवा लिया।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗)

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V. उचित मिलान

  1. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया गुजरात
  2. दीवान मूलराज दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक
  3. दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई – बद्दोवाल की लड़ाई
  4. महाराजा दलीप सिंह – मुलतान।

उत्तर-

  1. सरदार रणजोध सिंह मजीठिया-बद्दोवाल की लड़ाई,
  2. दीवान मूलराज-मुलतान,
  3. दूसरे आंग्लसिक्ख युद्ध की अंतिम तथा निर्णायक लड़ाई-गुजरात,
  4. महाराजा दलीप सिंह-दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध के समय पंजाब का शासक।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रथम सिक्ख युद्ध का वर्णन करें।
उत्तर-
रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजों ने अपनी सैनिक तैयारियों की गति तीव्र कर दी। इस बात पर सिक्खों का भड़कना स्वाभाविक था। 1845 ई० में फिरोज़पुर के निकट सिक्खों और अंग्रेजों में लड़ाई आरम्भ हो गई। सिक्खों के मुख्य सेनापति तेज सिंह और वज़ीर लाल सिंह के विश्वासघात के कारण मुदकी तथा फिरोज़शाह नामक स्थान पर सिक्खों की हार हुई। 1846 ई० में सिक्खों ने लुधियाना के निकट अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया। परन्तु गुलाब सिंह के विश्वासघात के कारण अलीवाल और सभराओं नामक स्थान पर सिक्खों को एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। मार्च, 1846 ई० में गुलाब सिंह के प्रयत्नों से सिक्खों और अंग्रेजों के बीच एक सन्धि हो गई। सन्धि के अनुसार सिक्खों को अपना बहुत-सा प्रदेश और डेढ़ करोड़ रुपये अंग्रेजों को देने पड़े। दिलीप सिंह के युवा होने तक पंजाब में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक अंग्रेजी सेना रख दी गई।

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प्रश्न 2.
द्वितीय सिक्ख युद्ध पर नोट लिखें।
उत्तर-
1848 ई० में अंग्रेज़ों और सिक्खों में पुनः युद्ध छिड़ गया। अंग्रेजों ने मुलतान के लोकप्रिय गवर्नर दीवान मूलराज को ज़बरदस्ती हटा दिया था। यह बात वहां के नागरिक सहन न कर सके और उन्होंने अनेक अंग्रेज़ अफसरों को मार डाला। अत: लॉर्ड डल्हौजी ने सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयां रामनगर (22 नवम्बर, 1848 ई०), मुलतान (दिसम्बर, 1848 ई०), चिलियांवाला (13 जनवरी, 1849 ई०) और गुजरात (पंजाब) (फरवरी, 1849 ई०) में लड़ी गईं। रामनगर की लड़ाई में कोई निर्णय न हो सका। परन्तु मुलतान, चिलियांवाला और गुजरात (पंजाब) नामक स्थानों पर सिक्खों की हार हुई। सिक्खों ने 1849 ई० में पूरी तरह अपनी पराजय स्वीकार कर ली। इस विजय के पश्चात् अंग्रेजों ने पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 3.
पंजाब विलय पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
1839 ई० में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात् सिक्खों का नेतृत्व करने वाला कोई योग्य नेता न रहा। शासन की सारी शक्ति सेना के हाथ में आ गई। अंग्रेजों ने इस अवसर का लाभ उठाया और सिक्ख सेना के प्रमुख अधिकारियों को लालच देकर अपने साथ मिला लिया। इसके साथ-साथ उन्होंने पंजाब के आस-पास के इलाकों में अपनी सेनाओं की संख्या बढ़ानी आरम्भ कर दी और सिक्खों के विरुद्ध युद्ध की तैयारी करने लगे। उन्होंने सिक्खों से दो युद्ध किये। दोनों युद्धों में सिक्ख सैनिक बड़ी वीरता से लड़े। परन्तु अपने अधिकारियों की गद्दारी के कारण वे पराजित हुए। प्रथम युद्ध के बाद अंग्रेजों ने पंजाब का केवल कुछ भाग अंग्रेज़ी राज्य में मिलाया और वहां सिक्ख सेना के स्थान पर अंग्रेज़ सैनिक रख दिये गये। परन्तु 1849 ई० में दूसरे सिक्ख युद्ध की समाप्ति पर लॉर्ड डल्हौजी ने पूरे पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 4.
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के चार कारण लिखें।
उत्तर-

  1. खालसा सेना की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि रानी जिन्दां और लाल सिंह इस सेना का ध्यान अंग्रेज़ों की ओर आकर्षित करना चाहते थे।
  2. लाल सिंह और रानी जिन्दां ने खालसा सेना को यह समझाने का प्रयास किया कि सिन्ध विलय के पश्चात् अंग्रेज़ पंजाब को अपने राज्य में मिलाना चाहते हैं।
  3. अंग्रेजों ने सतलुज के पार 35000 से भी अधिक सैनिक एकत्रित कर लिए थे।
  4. अंग्रेजों ने सिन्ध में भी अपनी सेना में वृद्धि की और सिन्धु नदी पर एक पुल बनाया। इन उत्तेजित कार्यों से प्रभावित होकर सिक्ख सेना ने सतलुज नदी पार की और प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध आरम्भ किया।

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प्रश्न 5.
प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर-

  1. दोआब बिस्त जालन्धर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
  2. दिलीप सिंह को महाराजा बनाया गया और एक कौंसिल स्थापित की गई जिसमें आठ सरदार थे।
  3. सर हैनरी लारेंस को लाहौर का रैजीडेंट नियुक्त कर दिया गया।
  4. सिक्खों को 1 करोड़ रुपया दण्ड के रूप में देना था, लेकिन उनके कोष में केवल 50 लाख रुपया था। बाकी रुपया उन्होंने जम्मू और कश्मीर का प्रान्त गुलाब सिंह को बेच कर पूरा किया।
  5. लाहौर में एक अंग्रेज़ी सेना रखने की व्यवस्था की गई। इस सेना के 22 लाख रुपया वार्षिक खर्चे के लिए खालसा दरबार उत्तरदायी था।
  6. सिक्ख सेना पहले से घटा दी गई। अब उसकी सेना में केवल 20 हज़ार पैदल सैनिक रह गये थे।

प्रश्न 6.
द्वितीय सिक्ख युद्ध के चार कारण लिखो।
उत्तर-

  1. लाहौर और भैरोंवाल की सन्धि ने सिक्खों के सम्मान पर एक करारी चोट की। वे अंग्रेजों से इस अपमान का बदला लेना चाहते थे।
  2. 1847 और 1848 ई० में ऐसे सुधार किए गए जो सिक्खों के हितों के विरुद्ध थे। सिक्ख इस बात से बड़े उत्तेजित हुए।
  3. जिन सिक्ख सैनिकों को सेना से निकाल दिया गया वे अपने वेतन तथा अन्य भत्तों से वंचित हो गए थे। अतः वे भी अंग्रेजों से बदला लेने का अवसर खोज रहे थे।
  4. युद्ध का तात्कालिक कारण मुलतान के गवर्नर मूलराज का विद्रोह था।

प्रश्न 7.
द्वितीय सिक्ख युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर-
इस युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले

  1. 29 मार्च, 1849 ई० को पंजाब अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया और इसके शासन प्रबन्ध के लिए तीन अधिकारियों का एक बोर्ड स्थापित किया गया।
  2. दिलीप सिंह की पचास हज़ार पौंड वार्षिक पेंशन नियत कर दी गई और उसे इंग्लैंड भेज दिया गया।
  3. मूल राज पर मुकद्दमा चला कर उसे काला पानी भिजवा दिया गया।

सच तो यह है कि द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का सबसे प्रबल शत्रु पंजाब उनके साम्राज्य का भाग बन गया। अब अंग्रेज़ नि:संकोच अपनी नीतियों को कार्यान्वित कर सकते थे और भारत के लोगों को दासता के चंगुल में जकड़ सकते थे।

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प्रश्न 8.
पंजाब में सिक्ख राज्य के पतन के चार कारण लिखो।
उत्तर-

  1. महाराजा रणजीत सिंह का शासन स्वेच्छाचारिता पर आधारित था। इस शासन को चलाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जैसे योग्य व्यक्ति की ही आवश्यकता थी। अतः महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् इस राज्य को कोई भी न सम्भाल सका।
  2. महाराजा रणजीत सिंह की दुर्बल नीति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का साहस बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे अंग्रेज़ पंजाब की स्थिति को पूरी तरह समझ गए और अन्ततः उन्होंने पंजाब पर अधिकार कर लिया।
  3. महाराजा रणजीत सिंह का शासन शक्तिशाली सेना पर आधारित था। उसकी मृत्यु के पश्चात् यह सेना राज्य की वास्तविक शक्ति बन बैठी। अतः सिक्ख सरदारों ने इस सेना को समाप्त करने के अनेक प्रयास किए।
  4. पहले तथा दूसरे सिक्ख युद्ध में ऐसे अनेक अवसर आये जब अंग्रेज़ पराजित होने वाले थे, परन्तु अपने ही साथियों के कारण सिक्खों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

अंग्रेजों और सिक्खों के युद्ध और पंजाब पर अंग्रेजों का आधिपत्य PSEB 10th Class History Notes

  1. महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी-महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी खड़क सिंह, नौनिहाल सिंह, रानी जिंदां कौर, शेर सिंह आदि थे। ये सभी शासक निर्बल एवं अयोग्य सिद्ध हुए।
  2. ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-अंग्रेजों ने सिक्ख (लाहौर) राज्य की कमजोरी का लाभ उठाते हुए सिक्खों से तो युद्ध किए और अंततः पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
  3. प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-यह युद्ध 1845-46 ई० में हुआ। इसमें सिक्खों की हार हुई और अंग्रेजों ने उनसे जालन्धर दोआब का क्षेत्र छीन लिया। अंग्रेजों ने कश्मीर का प्रदेश अपने एक मित्र गुलाब सिंह को 10 लाख पौंड के बदले दे दिया।
  4. दूसरा ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध-दूसरा ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध 1848-1849 ई० में हुआ। इस युद्ध में भी सिक्ख पराजित हुए और पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य (1849 ई०) में मिला लिया गया।
  5. महाराजा दलीप सिंह-महाराजा दलीप सिंह लाहौर राज्य का अंतिम सिक्ख शासक था। दूसरे ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के पश्चात् उसे राजगद्दी से उतार दिया गया।
  6. महारानी जिंदां-महारानी जिंदां महाराजा दलीप सिंह की संरक्षिका थी। भैरोंवाल की सन्धि (16 दिसम्बर, 1846) के अनुसार उससे सभी राजनीतिक अधिकार छीन लिए गए। इसके पश्चात् अंग्रेजों ने महारानी से बहुत बुरा व्यवहार किया।
  7. लाल सिंह तथा तेज सिंह-लाल सिंह महारानी जिंदां का प्रधानमंत्री था। तेज सिंह सिक्ख सेना का प्रधान सेनापति था। इन दोनों के विश्वासघात के कारण ही सिक्खों को अंग्रेजों के विरुद्ध पराजय का मुंह देखना पड़ा।