PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Avikari Shabd (Avyay) अविकारी शब्द (अव्यय) Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 1.
अव्यय किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
जिन शब्दों का लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई रूप नहीं बदलता उन्हें अव्यय कहते हैं। अव्यय का दूसरा नाम अविकारी शब्द है।
अव्यय चार प्रकार के होते हैं-
(1) क्रिया विशेषण
(2) सम्बन्ध बोधक
(3) समुच्चय बोधक
(4) विस्मयादि बोधक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

1. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण का लक्षण (परिभाषा) लिखकर उसके भेदों का वर्णन करो।
अथवा
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
वे शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करें, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, यहाँ से, कल, आज, ऊँचे से ऊँचाई आदि। क्रिया विशेषण के चार भेद हैं
1. कालवाचक :
जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने का समय सूचित करते हैं उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-आज, कल, परसों, जब, तब, कब, साय, प्रात: आदि।
उदाहरण :
(i) मैं प्रातः व्यायाम करता हूँ।
(ii) आजकल वर्षा हो रही है।
(iii) परसों मेला देखने चलेंगे।

2. स्थानवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान या दिशा के विषय में बोध कराएँ उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे–यहाँ, वहाँ, आगे, पीछे, मध्य, ऊपर, नीचे, इधर, किधर, दाहिने, बाएँ, सामने आदि।
उदाहरण :
(i) इधर-उधर मत देखो।
(ii) भीतर जा कर पढ़ो।
(ii) यहाँ बैठो।

3. परिमाणवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के परिमाण को प्रकट करें उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-अधिक, जितना, थोड़ा, बहुत, कम आदि।
उदाहरण :
(i) कम बोलो, अधिक सोचो।
(ii) तनिक हँसो भी।
(iii) चाय में दूध काफी है, चीनी थोड़ी है।

4. रीतिवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया की रीति या विधि का बोध कराएँ उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, जल्दी, शीघ्र, तेज़ आदि।
उदाहरण :
(i) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
(ii) मैं तो ठीक पढ़ रहा था।
(iii) क्या तुम पैदल चलोगे ?

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

2. संबंध बोधक

प्रश्न 1.
संबंध बोधक अव्यय किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जो संज्ञा और सर्वनाम के आगे-पीछे आ कर वाक्यों के दूसरे शब्दों से उसका सम्बन्ध बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक अव्यय कहा जाता है; जैसे-ऊपर, भीतर, आगे, पीछे, ऊँचे, नीचे, समीप, दूर, बाहर, सहित आदि।
उदाहरण:
(i) डर के मारे उसका चेहरा पीला पड़ गया।
(ii) मेरा घर विद्यालय के पीछे है।

3. समुच्चय बोधक

प्रश्न 1.
समुच्चय बोधक अथवा योजक अव्यय किसे कहते हैं ?
अथवा
योजक की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक या योजक अव्यय कहते हैं; जैसे-और, भी, तथा, कि, अथवा, अतः, किन्तु, परन्तु, इसलिए, मानो आदि।
उदाहरण :
(i) मोहन ने कहा कि मैं आपकी प्रतीक्षा करूँगा।
(ii) मैंने तो बहुत कहा किन्तु वह नहीं माना।

4. विस्मयादि बोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादि बोधक किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो शब्द विस्मय हर्ष, शोक, घृणा आदि भावों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादि बोधक कहते हैं; जैसे-ओहो, आह, हाय, बाप रे, खूब, वाह-वाह, धन्य, अरे, अजी इत्यादि।
उदाहरण :
(i) हाय ! मैं मारा गया।
(ii) वाह ! क्या फिल्म थी।
(iii) धन्य ! गुरुदेव जो आप यहाँ पधारे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

आति लघत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया विशेषण शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) रवि आज भोजन नहीं करेगा।
(ख) धीरे-धीरे चलो।
(ग) इतना मत पढ़ो।
(घ) वहाँ घोर अंधेरा है।।
(ङ) उस दिन वर्षा सुबह से हो रही थी।
(च) गुफा में रुक-रुक कर पानी टपक रहा था।
(छ) धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
(ज) शेषनाग नामक स्थान पर रात भर टिकना अनिवार्य होता है।
(झ) वीर पुरुष किसी से नहीं डरता।
(ज) मोहन आज भोजन नहीं करेगा।
उत्तर:
(क) आज
(ख) धीरे-धीरे
(ग) इतना
(घ) वहाँ
(ङ) सुबह
(च) रुक-रुक
(छ) धीरे-धीरे
(ज) रात भर
(झ) किसी से
(ज) आज।

2. निम्नलिखित वाक्यों में से सम्बन्ध बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) तुम्हारे अतिरिक्त यहाँ कोई नहीं है।
(ख) गाँव से परे मठ में एक पुजारी रहता था।
(ग) मैं अध्यापक के विरुद्ध गवाही नहीं दूंगा।
(घ) पेड़ के नीचे छाया का आनंद लो।
उत्तर:
(क) तुम्हारे अतिरिक्त,
(ख) परे,
(ग) के विरुद्ध
(घ) नीचे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

3. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चय बोधक (योजक) शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) नित्य भजन कीजिए, ताकि मन शांत रहे।
(ख) योगेश और अवधेश दोनों साथी हैं।
(ग) रवि गाता ही नहीं, अपितु नाचता भी है।
(घ) यदि इस समय ओले पड़े, तो फसल नष्ट हो जाएगी।
(ङ) जो करेगा सो भरेगा।
(च) मेरे लिए जैसा रमेश वैसे ही तुम।
उत्तर:
(क) ताकि,
(ख) और,
(ग) अपितु,
(घ) यदि, तो,
(ङ) जो, सो,
(च) जैसा, वैसे।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से विस्मयादि बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) छिः छिः मोहिनी ! तुम कितनी गन्दी हो।
(ख) ओह, कितना बड़ा साँप है।
(ग) हाय ! हाय ! दुष्ट पुत्र ने मुझे बर्बाद कर दिया।
(घ) शाबाशं ! कैप्टन तुम्हारी टीम जीत गई।
(ङ) वाह! कितना सुन्दर दृश्य है।
उत्तर:
(क) छिः छिः
(ख) ओह !
(ग) हाय ! हाय !
(घ) शाबाश
(ङ) वाह!

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 2.
‘ओह’ शब्द को विस्मयादिबोधक वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
ओह ! यह क्या हुआ।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Hindi Guide for Class 12 PSEB शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘चलना हमारा काम है’ कविता आशा और उत्साह की कविता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने गतिशीलता को ही जीवन माना है। स्थिरता को उसने मृत्यु समान माना है। गतिशील जीवन ही जीवन पथ में आने वाली बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत रखता है। जब व्यक्ति के पैरों में चलने की शक्ति है तो वह किनारे पर खड़ा क्यों देखता रहे । जीवन में सुख-दुःख, आशा-निराशा तो आते ही रहते हैं किन्तु जीवन रुकना नहीं चाहिए। स्पष्ट है कि कविता में आशा और उत्साह बनाए रखने की बात कही गई है।

प्रश्न 2.
‘चलना हमारा काम है’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में गतिशीलता को जीवन और स्थिरता को मृत्यु बताया गया है। गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत होती है। कवि कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की शक्ति है तो मैं दूर खड़ा क्यों देखता रहूँ। जब तक मैं अपनी मंज़िल न पा लूँ मैं रुकूँगा नहीं। जीवन में सुख-दुःख तो आते ही रहते हैं किन्तु भाग्य को दोष देकर मुझे रुकना नहीं है चलते ही जाना है। भले ही जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग रास्ते से ही लौट गए किंतु जीवन तो निरंतर चलता ही रहता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 3.
‘मानव बनो, मानव ज़रा’ कविता का शीर्षक क्या सन्देश देता है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता का शीर्षक यह सन्देश देता है कि मानव कल्याण के लिए जियो अथवा अपना जीवन लगाओ ताकि मानवता तुम पर गर्व कर सके।

प्रश्न 4.
‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता का सार लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में मनुष्य को आत्मनिर्भर होने की बात कही गई है। कवि का कहना है प्यार करना और उसमें खुशामद करना तथा किसी दूसरे का आश्रय ग्रहण करना तुम्हारी भूल है, इससे कोई लाभ न होगा। न ही आँसू बहाने और न ही किसी के आगे हाथ फैलाने से कोई लाभ होगा। कष्टों में हाय तौबा करना या कराहना तुम्हें शोभा नहीं देता। अपने इन आँसुओं का सदुपयोग करते हुए विश्व के कण-कण को सींच कर हरा-भरा कर देना है। अब पछताओ मत बल्कि यदि तुम्हें जलना ही है तो अपनी भस्म से इस धरती को उपजाऊ बनाओ।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया।
जो बंद कर पलकें सहज
दो घूट हँस कर पी गया।
जिसमें सुधा मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है
चलना हमारा काम है।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

प्रश्न 6.
उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

PSEB 12th Class Hindi Guide शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ ने उच्च शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
उत्तर:
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से।

प्रश्न 2.
सुमन जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
मिट्टी की बारात पर।

प्रश्न 3.
कवि के विचार से जीवन और मृत्यु क्या है?
उत्तर:
कवि के विचार से गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु है।

प्रश्न 4.
इन्सान को अपने जीवन में शक्ति की प्राप्ति किससे होती है?
उत्तर:
इन्सान को गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने से शक्ति प्राप्त होती है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 5.
कवि के सामने तय करने के लिए कैसा रास्ता पड़ा है ?
उत्तर:
लंबा रास्ता।

प्रश्न 6.
जीवन की राह को किस तरह आसानी से काटा जा सकता है?
उत्तर:
एक-दूसरे से सुख-दुख को बांटते हुए जीवन की राह को आसानी से काटा जा सकता है।

प्रश्न 7.
जीवन की राह पर बढ़ते हुए इन्सान सदा किस से घिरा रहता है?
उत्तर:
वह निराशा से घिरा रहता है।

प्रश्न 8.
इन्सान का मूल कार्य क्या है?
उत्तर:
जीवन की राह में आगे बढ़ते जाना।

प्रश्न 9.
कवि ने दुनिया को क्या कहा है?
उत्तर:
सुंदर संसार रूपी सागर।

प्रश्न 10.
संसार में सभी को क्या सहने ही पड़ते हैं ?
उत्तर:
संसार में सभी को दु:ख सहने ही पड़ते हैं।

प्रश्न 11.
कवि पूर्णता की खोज में कहाँ-कहाँ भटकता रहा?
उत्तर:
कवि पूर्णता की खोज में दर-दर भटकता रहा।

प्रश्न 12.
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति किसे होती है?
उत्तर:
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति निरंतर आगे बढ़ने वालों को ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 13.
कवि ने इन्सान को क्या न करने की सलाह दी है?
उत्तर:
कवि ने इन्सान को कष्टों से डरने, व्यर्थ पछताने, रोने-पीटने और निराशावादी न बनने की सलाह दी है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
जब तक न मंजिल पा सकूँ…………
उत्तर:
तब तक न मुझे विराम है।

प्रश्न 15.
इस विशद विश्व प्रवाह में,
उत्तर:
किसको नहीं बहना पड़ा।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 16.
कर दो धरा को उर्वरा,
उत्तर:
मानव बनो, मानव बनो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
अपने हृदय की राख से धरती को उपजाऊ बना दो।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
कवि जीवन की पूर्णता के लिए दर-दर भटकता फिरा।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
कवि अपूर्ण जीवन लेकर कवि सब कुछ प्राप्त करता रहा।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 20.
आपस में कहने-सुनने से बोझ कम नहीं होता।
उत्तर:
नहीं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सुमन को ‘मिट्टी की बारात’ कृति पर कौन सा पुरस्कार मिला ?
(क) साहित्य अकादमी
(ख) पद्मश्री
(ग) पद्मभूषण
(घ) पद्मविभूषण
उत्तर:
(क) साहित्य अकादमी

2. कवि को देव पुरस्कार किस काव्य संग्रह पर मिला ?
(क) आपका विश्वास
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया
(ग) विश्वास
(घ) धूप
उत्तर:
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया

3. कवि के अनुसार गतिशीलता क्या है ?
(क) जीवन
(ख) भाव
(ग) भावना
(घ) चलना
उत्तर:
(क) जीवन

4. कवि के अनुसार स्थिरता क्या है ?
(क) ठहरना
(ख) मृत्यु
(ग) जीवन
(घ) जीवन-मृत्यु
उत्तर:
(ख) मृत्यु

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

5. कवि के अनुसार संसार में वह किसकी खोज में दर-दर भटकता है ?
(क) पूर्णता
(ख) अपूर्णता
(ग) ईश्वर
(घ) शांति
उत्तर:
(क) पूर्णता

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ सप्रसंग व्याख्या

चलना हमारा काम है !

1. गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर-दर खड़ा,
है रास्ता इतना पड़ा।
जब तक न मंज़िल पा सकूँ, तब तक न मुझे विराम है,
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
गति = चाल। प्रबल = बलशाली, ज़ोर की। मंज़िल = ठिकाना, लक्ष्य। विराम = रुकना, आराम।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु । गतिशील जीवन में बाधाओं को लाँघते हुए आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जीवन चलते रहने का नाम है रुकने का नहीं। इसी तथ्य की व्याख्या करते हुए वे कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की बलशाली शक्ति है तो फिर मैं क्यों जीवन-पथ पर जगह-जगह रुकता रहूँ। जब मैं यह जानता हूँ कि मेरे सामने बड़ा लम्बा रास्ता पड़ा है तो फिर मैं क्यों रुकूँ। मुझे तो तब तक चलना होगा जब तक मैं अपनी मंज़िल, अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लूँ। मुझे रुकना नहीं है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. कवि का मानना है जब तक मनुष्य को अपना लक्ष्य न प्राप्त हो जाए, उसे निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण है।
  3. उद्बोधनात्मक शैली है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया,
कुछ बोझ अपना बँट गया।
अच्छा हुआ तुम मिल गई,
कुछ रास्ता ही कट गया।
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है।
चलना हमारा काम है!

कठिन शब्दों के अर्थ:
राही = रास्ते पर चलने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि जीवन की डगर पर चलते समय अपनी जीवन संगिनी का साथ होने की बात कह रहे हैं। कवि कहते हैं कि जीवन का रास्ता तब कटता है जब साथी मुसाफिरों से व्यक्ति कुछ अपने दिल की बात या दु:ख दर्द की बात कहे और कुछ उनके दुःख दर्द की बात सुने। इस तरह रास्ता आसानी से कट जाता है। जीवन यात्रा में मनुष्य यदि दूसरों से सुख-दुःख बाँटता हुआ चले तो रास्ता आसानी से कट जाता है। कवि अपनी प्रियतमा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गईं, तुम्हारे साथ के कारण मेरा रास्ता तो सुखपूर्वक कट गया। क्या रास्ते में ही मैं अपना परिचय तुम्हें दूँ ? मेरा परिचय तो बस इतना ही समझ लो कि मैं भी तुम्हारी तरह रास्ता चलने वाला एक राही हूँ। हमें तो बस चलते ही जाना है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवन-संघर्ष में साथी के मिल जाने से डगर सहज हो जाती है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

3. जीवन अपूर्ण लिए हुए,
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी,
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अपूर्ण जीवन = अधूरा जीवन । पाना = प्राप्त करना। खोना = गँवाना। गति-मति = चाल और बुद्धि। अवरुद्ध = रुका हुआ, बन्द। आठो याम = आठों पहर-दिन के चौबीस घंटों में आठ पहर होते हैं, हर समय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अधूरा जीवन लेकर मनुष्य कभी कुछ प्राप्त कर लेता है और कभी कुछ खो देता है। वह सदा आशा-निराशा से घिरा रहता है। कभी वह हँसता है तो कभी रोता है अर्थात् कभी उसके जीवन में खुशियाँ आती हैं तो कभी दुःख आते हैं। इन सब के होते हुए यदि आठों पहर इस बात का ध्यान रहे कि कहीं हमारी चाल या हमारी बुद्धि में कोई रुकावट न आए तभी हम जीवन रूपी मार्ग पर अच्छी तरह चल सकेंगे। क्योंकि चलते रहना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण है। ओज गुण प्रेरक स्वर है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. इस विशद विश्व प्रवाह में,
किस को नहीं बहना पड़ा।
सुख-दुःख हमारी ही तरह
किस को नहीं सहना पड़ा।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ;‘मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
विशद = स्वच्छ, सुन्दर। विश्व-प्रवाह = संसार रूपी सागर का बहाव। व्यर्थ = बेकार में। विधाता = भाग्य। वाम = उलटा, विपरीत। – प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि इस सुन्दर संसार रूपी सागर के स्वच्छ प्रवाह में किस को नहीं बहना पड़ा अर्थात् जिसने संसार में जन्म लिया है उसे संसार के दुःख-सुख तो भोगने ही पड़े हैं। हमारी तरह हर किसी को दुःख सहने पड़े हैं। फिर मैं ही बेकार में यह कहता फिरूँ कि भाग्य मेरे विपरीत है अर्थात् मेरा मन्द भाग्य है। हमारा काम तो चलते ही रहना है।

विशेष:

  1. संसार में सबको सुख-दुःख सहना पड़ता है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। रूपक तथा अनुप्रास अलंकार है।

5. मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा,
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा,
पर हो निराशा क्यों मुझे ? जीवन इसी का नाम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
दर-दर भटकना = जगह-जगह मारे-मारे फिरना। पग = कदम। रोड़ा अटकना = बाधा पड़ना, रुकावट पड़ना। निराश = आशा छोड़ना, ना उम्मीद होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो जीवन की पूर्णता की खोज में जगह-जगह मारा-मारा फिरता रहा। तब मैंने पाया कि मुझे हर कदम पर कुछ न कुछ रुकावटें आती रहीं, परन्तु इन रुकावटों से विघ्न बाधाओं से क्या मुझे निराश हो जाना चाहिए ? अर्थात् कभी नहीं क्योंकि जीवन तो इसी का नाम है। अतः हमें विघ्न बाधाओं से निराश नहीं होकर जीवन में सदा चलते रहना चाहिए क्योंकि जीवन तो चलते रहने का नाम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार हैं।

6. कुछ साथ में चलते रहे,
कुछ बीच ही से फिर गये,
पर गति न जीवन की रुकी,
पर जो गिर गये सो गिर गये
चलता रह शाश्वत, उसी की सफलता अभिराम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
फिर गये = लौट गये। शाश्वत = निरन्तर। अभिराम = सुन्दर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग साथ-साथ चलते रहे, कुछ बीच से ही निराश-हताश होकर लौट गये परन्तु जीवन की गति कभी रुकी नहीं। जीवन-यात्रा तो निरन्तर चलती रही जो लोग मार्ग में गिर गये वह समझो गिर गये, नष्ट हो गये। किन्तु जो निरन्तर चलता रहा है उसी की सफलता सुन्दर कहलाती है। अत: चलते जाओ क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवनपथ पर साथी से मिलते-बिछड़ते रहते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है।

7. मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
जो बन्दकर पलकें सहज
दो घूट हँसकर पी गया
जिसमें सुधा-मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
फ़कत = केवल। सहज = स्वाभाविक रूप से। सुधा = अमृत। गरल = विष। साकिया = शराब परोसने वाली लड़की। जाम = प्याला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

विशेष:

  1. कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जीवन में सुख-दुःख को सहज भाव से लेता है। उसी का जीवन है।
  2. भाषा उर्दू शब्दों युक्त भावपूर्ण है।

मानव बनो, मानव ज़रा

1. है भूल करना प्यार भी
है भूल यह मनुहार भी
पर भूल है सबसे बड़ी
करना किसी का आसरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मनुहार = खुशामद, चापलूसी। आसरा = सहारा, आश्रय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘मानव बनो, मानव जरा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को आत्म-निर्भर होने की बात कही है। कवि का मानना है कि आँसू बहाने, किसी का आश्रय ग्रहण करने या किसी के सामने हाथ फैलाने का कोई लाभ नहीं है। अगर जलना ही है तो धरती के कल्याण के लिए जलो।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का संदेश देते हुए कहते हैं कि प्यार करना भी भूल है और किसी की खुशामद करना भी भूल है। परन्तु इन सबसे बड़ी भूल है किसी दूसरे का आश्रय लेना अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. कवि ने आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

2. अब अश्रु दिखलाओ नहीं
अब हाथ फैलाओ नहीं
हुंकार कर दो एक जिससे
थरथरा जाए धरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
हुँकार = गर्जन। धरा = पृथ्वी।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो जरा’ से ली गई हैं, जिसमे कवि ने. मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का सन्देश देते हुए कहता है कि अब तुम आँसू बहा कर मत दिखाओ और न ही किसी के सामने हाथ फैलाओ बल्कि ऐसी गर्जना करो कि जिस से पृथ्वी काँप उठे। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बनकर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
  2. भाषा सरल भावपूर्ण हैं।

3. उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उफ़ हाय करना = कष्ट में कराह उठना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को दुःख में धैर्य धारण करना चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. अब हाथ मत अपने मलो
जलना अगर ऐसे जलो
अपने हृदय की भस्म से
कर दो धरा को उर्वरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उर्वरा = उपजाऊ। हाथ मलना = पछताना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद को संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अब पछताने से कोई लाभ न होगा। तुम्हें यदि जलना ही है तो अपने हृदय की भस्म से धरती को उपजाऊ बना दो अर्थात् धरती के कल्याण के लिए जलो जिस से मानवता तुम पर गर्व कर सके। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बनकर तो देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को लोककल्याण करने की प्रेरणा दे रहा है।
  2. भाषा सरल मुहावरेदार है। उद्बोधनात्मक स्वर है।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Summary

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जीवन परिचय

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर गाँव में 16 अगस्त, सन् 1916 ई० को हुआ था। आप की आरम्भिक शिक्षा रीवां और ग्वालियर में हुई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी विषय में एम० ए० और डी० लिट० की उपाधियां प्राप्त की। इन्होंने हाई स्कूल के अध्यापक पद से लेकर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति पद पर कार्य किया। सन् 1956-61 तक आपने नेपाल में भारत सरकार के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया। आपको ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ काव्य संग्रह पर देव पुरस्कार, ‘पर आँखें नहीं भरीं’ पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीन पुरस्कार, ‘मिट्टी की बारात’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, तथा सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इनकी अन्य रचनाएँ हिल्लोक, प्रणय सृजन, जीवन के गान हैं।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कविताओं का सार

चलना हमारा काम है कविता ने मनुष्य को सांसारिक जीवन में आने वाले सुख-दुःखों को समभाव से ग्रहण करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है क्योंकि कठिनाइयों का सामना करना ही जीवन है। कुछ साथी मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे-परन्तु उत्साह और हिम्मत से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता में कवि ने मनुष्य को आंसू बहाने, पराश्रित होने घबरा जाने के स्थान पर आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है तथा संसार को संवेदनापूर्ण बनाकर लोककल्याण का मार्ग अपनाने पर बल दिया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

Hindi Guide for Class 12 PSEB सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘साँप’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता आधुनिक नागरिक सभ्यता पर एक तीखा व्यंग्य है। कवि के अनुसार आज का सभ्य नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो चुकी है कि उसकी सहज मानवीयता पूरी तरह लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होने लगा है।

प्रश्न 2.
‘साँप’ कविता तथाकथित सभ्य व नगर समाज पर एक करारी चोट है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर:
हम कवि से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि नगर में रहने वाला तथाकथित सभ्य समाज आज इतना स्वार्थी और आत्म केन्द्रित हो गया है कि उसे किसी दुःख दर्द की परवाह ही नहीं। भौतिकवाद और नकली चेहरे का मुखौटा ओढ़े हुए वह भीतर से इतना विषैला हो गया है जितना जंगल में रहने वाला साँप वह दूसरों को उसमें से चोट पहुँचाने में जरा भी नहीं हिचकता।

प्रश्न 3.
‘जो पुल बनाएँगे’ कविता में कवि ने प्राचीन प्रतीकों के माध्यम से आज के युग सत्य को प्रकट किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने प्राचीन प्रतीकों नल-नील, श्रीराम और रावण के प्रतीकों द्वारा आज के इस सत्य का उद्घाटन किया है कि पुल बनाने वाले मजदूरों का नाम नहीं होता, नाम होता है इंजीनियर का। लड़ती सेना है नाम सरदार का होता है। वास्तविक निर्माता इतिहास के पन्नों में मिट कर रह जाता है। इतिहास में उसका कोई उल्लेख नहीं होता। नींव की ईंट की भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया जाता है और उस नींव पर खड़े भवन को याद किया जाता है। लोग ताजमहल को याद करते हैं उसे बनाने वाले मजदूरों, कारीगरों को नहीं, बस यही कहते हैं कि इसे शाहजहाँ ने बनवाया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4.
‘साँप’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया गया है। आधुनिक सभ्यता में व्यक्ति स्वार्थी हो गया है जिसके कारण वह जंगली साँप की तरह एक-दूसरे को काटने और निगल जाने पर उतारू हो गया है। कवि के अनुसार इस प्रवृत्ति का आधार वर्तमान पूँजी व्यवस्था है और शोषण उसे सुरक्षित रखता है।

प्रश्न 5.
‘जो पुल बनाएँगे’ कविता का भाव अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में इतिहास के एक सत्य का उद्घाटन किया है कि इतिहास का वास्तविक निर्माता अनाम ही रह जाता है। नींव की ईंट की भूमिका को इतिहास नज़रअन्दाज कर देता है। ‘लड़े फौज नाम हो सरदार का’ वाली बात हो जाती

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
साँप ! तुम सभ्य तो हुए नहीं……विष कहाँ पाया ?”
उत्तर:
कवि साँप को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि तुम तो जंगली हो अर्थात् जंगलों में रहने वाले प्राणी हो अतः तुम अभी तक अपने को सभ्य नहीं कह सकते क्योंकि तुम्हें नगरों में बसना नहीं आया और नगरों में बसने वाले ही अपने आप को सभ्य कहलाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के केन्द्र नगर में साँप पूरी तरह सभ्य नहीं हो सका अर्थात् साँप ने अभी तक नागरिक सभ्यता को स्वीकार नहीं किया। .. कवि साँप से पूछता है तुम सभ्य भी नहीं हुए, नगरों में बसना भी तुम्हें नहीं आया। फिर तुमने विष कहाँ से पाया है और कहाँ से दूसरों को काटने की कला सीखी ? क्योंकि ये गुण तो सभ्य कहलाने वाले शहरियों में हैं। तात्पर्य यह है कि नागरिक सभ्यता को स्वीकार किये बिना उसने कैसे शहरी जीवन की पूंजीवादी शोषण की प्रवृत्ति को पहचान लिया।

प्रश्न 7.
जो पुल बनाएँगे……..बन्दर कहलाएँगे।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि जो लोग पुल बनाएँगे वे अवश्य ही पीछे रह जाएँगे। सेनाएँ उस पुल से पार हो जाएँगी और रावण मारे जाएँगे तथा श्रीराम विजयी होंगे। परन्तु पुल का निर्माण करने वाले नल और नील इतिहास में बन्दर ही कहलाएँगे। कवि का संकेत रामेश्वरम् में समुद्र पर बनाए गए पुल की ओर है जिसको पार कर श्रीराम की सेना ने रावण पर विजय प्राप्त की। किन्तु इतिहास में पुल निर्माता अनाम ही रह गए।

PSEB 12th Class Hindi Guide सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अज्ञेय जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
7 मार्च, सन् 1911 ई० को बिहार के जिला देवरिया के ‘कसया’ में।

प्रश्न 2.
अज्ञेय जी का देहावसान कब हुआ था?
उत्तर:
4 अप्रैल, सन् 1987 में।

प्रश्न 3.
अज्ञेय का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सच्चिदानन्द हीरानंन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4.
अज्ञेय के द्वारा रचित चार रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
कितनी नावों में कितनी बार, हरी घास पर क्षणभर, बावरा अहेरी, पूर्वा।

प्रश्न 5.
अज्ञेय के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नदी के द्वीप, शेखर एक जीवनी।

प्रश्न 6.
‘साँप’ कविता कैसी है?
उत्तर:
प्रयोगवादी-छोटी कविता।

प्रश्न 7.
‘साँप’ कविता की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
प्रतीकात्मक भाषा, व्यंग्यात्मक शैली।

प्रश्न 8.
कवि ने साँप के प्रतीक से क्या व्यक्त करने की कोशिश की है?
उत्तर:
आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव-मूल्यों पर खेद की अभिव्यक्ति।

प्रश्न 9.
कवि ने व्यंग्य से किसे पहचानने की तरफ संकेत किया है?
उत्तर:
कवि ने शहरी जीवन की पूँजीवादी शोषण प्रवृत्ति को पहचानने की तरफ संकेत किया है।

प्रश्न 10.
अपने आप को सभ्य कौन कहलाना चाहता है?
उत्तर:
नगरवासी।

प्रश्न 11.
पूर्ण रूप से आत्मकेंद्रित कौन हो चुके हैं ?
उत्तर:
स्वार्थ भावों से भरे हुए नगरवासी।

प्रश्न 12.
कवि ने ‘साँप’ कविता में किस शैली का प्रयोग किया है?
उत्तर:
व्यंग्यात्मक शैली।

प्रश्न 13.
‘जो पुल बनायेंगे’ के रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
अज्ञेय जी।

प्रश्न 14.
कवि ने ‘जो पुल बनायेंगे’ कविता में किन के प्रति अपने हृदय की पीड़ा को व्यक्त किया है?
उत्तर:
मज़दूरों और शोषितों के प्रति।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 15.
तब कैसे सीखा डसना…………
उत्तर:
विष कहां पाया?

प्रश्न 16.
सेनाएं हो जाएंगी पार………….
उत्तर:
मारे जायेंगे रावन।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 17.
जो निर्माता रहे………….
उत्तर:
इतिहास में बंदर कहलायेंगे।]

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
साँप ने डसना और विष प्राप्त करना सीख लिया है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
पुल बनाने वाले अवश्य ही पीछे रह जाएंगे।
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
साँप कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

प्रश्न 2.
कवि अज्ञेय का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. अज्ञेय को ‘कितनी नावों में कितनी बार’ कविता पर पुरस्कार मिला ?
(क) ज्ञानपीठ
(ख) साहित्य अकादमी
(ग) पद्मश्री
(घ) पद्मभूषण।
उत्तर:
(क) ज्ञानपीठ

2. अज्ञेय किस काल के कवि माने जाते हैं ?
(क) प्रयोगवाद के
(ख) प्रगतिवाद के
(ग) छायावाद के
(घ) निराशावाद के।
उत्तर:
(क) प्रयोगवाद के

3. ‘सांप’ किस भाषा पर आधारित कविता है ?
(क) आशावाद
(ख) निराशावाद
(ग) व्यंग्य
(घ) हास्य।
उत्तर:
(ग) व्यंग्य

4. अज्ञेय को किसका प्रवर्तक कवि माना जाता है ?
(क) प्रगतिवाद का
(ख) प्रयोगवाद का
(ग) तार सप्तक का
(घ) छायावाद का।
उत्तर:
(ग) तार सप्तक का

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

5. ‘नदी के द्वीप’ किस विधा की रचना है ?
(क) काव्य
(ख) गद्य
(ग) उपन्यास
(घ) कहानी।
उत्तर:
(ग) उपन्यास

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ सप्रसंग व्याख्या

साँप

साँप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया
एक बात पूछू-(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डसना
विष कहाँ पाया?

प्रसंग:
‘साँप’ कविता प्रयोगवादी कविता के प्रवर्तक अज्ञेय जी की एक छोटी कविता है जो उनके काव्य संग्रह ‘इन्द्र धनुष रौंदे हुए’ में संकलित है। इस कविता में अज्ञेय जी ने आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया है। शहरी जीवन में आधुनिकता की विकृति सभ्यता के नाम पर व्यक्ति को अकेला छोड़ती हुई, पछाड़ती हुई तेजी से फैल रही है। आज का समाज भी उसी को नवीन संस्कृति मान कर प्राचीन संस्कारों, मूल्यों और आदर्शों को नकार रहा है।
साँप का प्रतीक लेकर नये व्यक्ति की व्याख्या में अज्ञेय जी ने आधुनिक नागरिक सभ्यता की प्रवृत्ति को स्पष्ट किया है जिसका आधार पूँजीवादी व्यवस्था है और शोषण उसे सुरक्षित रखने का आधार।

व्याख्या:
कवि साँप को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि तुम तो जंगली हो अर्थात् जंगलों में रहने वाले प्राणी हो अतः तुम अभी तक अपने को सभ्य नहीं कह सकते क्योंकि तुम्हें नगरों में बसना नहीं आया और नगरों में बसने वाले ही अपने आप को सभ्य कहलाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के केन्द्र नगर में साँप पूरी तरह सभ्य नहीं हो सका अर्थात् साँप ने अभी तक नागरिक सभ्यता को स्वीकार नहीं किया। .. कवि साँप से पूछता है तुम सभ्य भी नहीं हुए, नगरों में बसना भी तुम्हें नहीं आया। फिर तुमने विष कहाँ से पाया है और कहाँ से दूसरों को काटने की कला सीखी ? क्योंकि ये गुण तो सभ्य कहलाने वाले शहरियों में हैं। तात्पर्य यह है कि नागरिक सभ्यता को स्वीकार किये बिना उसने कैसे शहरी जीवन की पूंजीवादी शोषण की प्रवृत्ति को पहचान लिया।

विशेष:

  1. कवि के कहने का भाव यह है कि अपने आप को सभ्य कहलाने वाला नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो गयी है कि उसकी सहज मानवीयता पूर्ण रूप से लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे तो दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होता है। इस तरह कवि ने आधुनिक सभ्यता के ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया है।
  2. भाषा प्रतीकात्मक तथा भावपूर्ण है। शैली व्यंग्यात्मक है।

जो पुल बनायेंगे

जो पुल बनायेंगे
वे अनिवार्यतः
पीछे रह जायेंगे।
सेनाएं हो जायेंगी पार
मारे जायेंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे,
इतिहास में
बन्दर कहलायेंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अनिवार्यतः = अवश्य ही, यकीनन। जयी = विजेता। निर्माता = बनाने वाले।

प्रसंग:
‘जो पुल बनायेंगे’ कविता प्रयोगवादी कवि अज्ञेय जी के काव्य संग्रह ‘पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने इतिहास के निर्माता अर्थात् नींव की ईंट के अनाम रह जाने की त्रासदी का उल्लेख किया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जो लोग पुल बनाएँगे वे अवश्य ही पीछे रह जाएँगे। सेनाएँ उस पुल से पार हो जाएँगी और रावण मारे जाएँगे तथा श्रीराम विजयी होंगे। परन्तु पुल का निर्माण करने वाले नल और नील इतिहास में बन्दर ही कहलाएँगे। कवि का संकेत रामेश्वरम् में समुद्र पर बनाए गए पुल की ओर है जिसको पार कर श्रीराम की सेना ने रावण पर विजय प्राप्त की। किन्तु इतिहास में पुल निर्माता अनाम ही रह गए।

विशेष:

  1. आधुनिक युग की भी यही त्रासदी है कि नींव की ईंट अर्थात् इतिहास निर्माता अनाम ही रह जाता है। आधुनिक युग में पुल बनाने वाले मजदूरों का कहीं नाम नहीं होता, नाम होता है तो इंजीनियर का।
  2. भाषा प्रतीकात्मक तथा भावपूर्ण है।

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Summary

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जीवन परिचय

‘अज्ञेय’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

करतारपुर के भणोत सारस्वत ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले सच्चिदानंद का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 ई० को बिहार के जिला देवरिया के ‘कसया’ नामक स्थान पर हुआ। वहाँ इनके पिता हीरानन्द शास्त्री पुरातत्व विभाग में काम करते थे। पिता के साथ इन्होंने अनेक प्रदेशों का भ्रमण किया। इन्होंने सन् 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक पास करके यहीं से सन् 1929 में बी० एससी० की परीक्षा पास की। एम० ए० अंग्रेज़ी में दाखिला लिया किन्तु स्वतन्त्रता युद्ध में कूद पड़ने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और क्रान्तिकारी साथियों के साथ पकड़े गए।

इस अवधि में ये चार वर्ष तक जेल में भी रहे और यहीं से आपने अपना साहित्यिक जीवन आरम्भ किया। अपने जीवन में आपने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया और अनेक नौकरियाँ की और छोड़ी तथा देश-विदेश की कई यात्राएँ कीं।

इन्हें इनकी काव्यकृति ‘आंगन के पार. द्वार’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, ‘कितनी नावों में कितनी बार’ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा इंटरनेशनल पोएट्री एवार्ड से सम्मानित किया गया था। 4 अप्रैल, सन् 1987 को अज्ञेय जी का निधन हो गया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ, हरी घास पर क्षणभर, बाबरा अहेरी, पूर्वा इन्द्रधनुष रौंदे हुए तारसप्तक हैं। शेखर एक जीवनी तथा नदी के द्वीप उनके प्रमुख उपन्यास हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

Hindi Guide for Class 12 PSEB हरिवंशराय बच्चन Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘पौधों की पीढ़ियाँ’ में छोटे-छोटे सुशील और विनम्र पौधों का क्या कहना है ?
उत्तर:
बड़े बरगद के पेड़ की छत्र-छाया में रहने वाले छोटे-छोटे पौधे अपने को किस्मत वाला मानते हैं जो उन्हें बड़े पेड़ का संरक्षण मिला है। उन्हें किसी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं है क्योंकि गर्मी, सर्दी या बरसात की सब मुसीबतें बरगद का पेड़ अपने ऊपर झेल लेता है। उसी के आसरे हम दिन काट रहे हैं। हम निश्चित हैं और सुखी हैं।

प्रश्न 2.
‘बरगद का पेड़’ किसका प्रतीक है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
बरगद का पेड़ बड़े-बुजुर्गों का प्रतीक है जो अपने से छोटों को, अपने परिवार को संरक्षण प्रदान करते हैं तथा उनकी मुसीबतें अपने ऊपर झेल लेते हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 3.
‘पौधों की पीढ़ियाँ’ युग सत्य को उद्भासित करती हैं, स्पष्ट करें।
उत्तर:
नई और पुरानी पीढ़ी में युगों से विचार भेद रहा है किंतु वर्तमान युग का सत्य यह है कि नई पीढ़ी ने विद्रोह दर्शाने के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी के अस्तित्व को ही नकारना शुरू कर दिया है। उसे पुरानी पीढ़ी का अस्तित्व असहय लगने लगा है। इसी कारण वह पुरानी पीढ़ी को समूल नष्ट करने पर तुल गई है। युग की इस भयावह स्थिति का यथार्थ चित्र कवि ने प्रस्तुत कविता में चित्रित किया है।

प्रश्न 4.
‘मधु पात्र टूटने’ तथा ‘मंदिर के ढहने’ के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
‘मधुपात्र टूटने’ के द्वारा कवि कहना चाहता है कि यदि किसी कारण से तुम्हारी कोई बहुमूल्य वस्तु खो जाती है तो उस को लेकर दु:खी होने की बजाए जो कुछ शेष बचा है उसी को काम में लाते हुए नए सिरे से निर्माण करना चाहिए। नए संसार की रचना करनी चाहिए। यही बात कवि ने मंदिर के ढहने के द्वारा कही है कि यदि तुम्हारी कल्पना, तुम्हारी भावनाओं, तुम्हारे सपनों से बना हुआ मंदिर ढह जाता है तो निराश न होकर शेष बचे ईंट, पत्थर और कंकर एकत्र कर एक नए संसार, नये मंदिर का निर्माण करना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘अंधेरे का दीपक’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता बच्चन जी का एक आशावादी गीत है। कवि मनुष्य को यह सन्देश देना चाहता है कि कल्पना के असफल हो जाने पर, भावनाओं और स्वप्नों के टूट जाने पर तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि जो कुछ भी तुम्हारे पास बचा है उसे ही संजोकर नवनिर्माण करना चाहिए। रात भले ही अन्धेरी है पर दीपक जलाकर उस अन्धकार को दूर करने से तुम्हें किस ने रोका है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
कल्पना के हाथ से कमनीय …. था ।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि माना कि रात अँधेरी है परन्तु इस अँधेरी रात में प्रकाश फैलाने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किस ने रोका है? मान लो कि तुम ने कल्पना में जिस सुंदर महल का निर्माण किया था और अपनी भावनाओं से जो तंबू तान दिए थे जिन्हें तुमने अपने स्वप्नों से अपनी पसंद के अनुसार सजाया था, और जो स्वर्ग में भी कठिनाई से प्राप्त अर्थात् दुर्लभ रंगों से लिप्त था। यदि वह महल, ढह जाए अर्थात् तुम्हारी कल्पना साकार नहीं होती, तुम्हारे सपने अधूरे रह जाते हैं, तो ढहे हुए उस महल के ईंट, पत्थर और कंकड़ों को जोड़ कर एक शांतिदायक कुटिया बनाना भी कब मना है ? माना कि रात अँधेरी है और अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें कौन रोकता है ?

प्रश्न 7.
नहीं वक्त का जुल्म हमेशा ….. इसे समूचा।
उत्तर:
कवि वर्तमान पीढ़ी द्वारा बड़ों को समूल नष्ट करने की बात का उल्लेख करता हुआ कहता है कि हम समय के अत्याचार को सदा इसी प्रकार सहन नहीं करते जाएँगे। हम तो काँटों की आरी और कुल्हाड़ी तैयार करेंगे। फिर आप जब यहाँ आएँगे तो बरगद की डाली-डाली कटी हुई पाएँगे और यह बरगद का पेड़ जो अपने आपको बड़ा समझता है डालियों और पत्तों से रहित एक सूखे पेड़ की तरह नंगा बूचा रह जाएगा। हम इसे सारे का सारा निगल जाएँगे।

PSEB 12th Class Hindi Guide हरिवंशराय बच्चन Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हरिवंशराय बच्चन’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
27 नवंबर, सन् 1907 को इलाहाबाद में।

प्रश्न 2.
बच्चन को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
‘दो चट्टानों’ पर।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 3.
हरिवंशराय बच्चन की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
मधुशाला, मधुबाला, निशा निमंत्रण, दो चट्टानें।

प्रश्न 4.
हरिवंशराय बच्चन’ का देहावसान कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 2002 में।

प्रश्न 5.
‘पौधों की पीढ़ियों’ में कवि ने किस-किस के बीच अंतर दर्शाया है?
उत्तर:
पुरानी और नई पीढ़ी की विचारधारा के बीच।

प्रश्न 6.
‘बरगद का पेड़’ किसका प्रतीक है?
उत्तर:
पुरानी पीढ़ी का।

प्रश्न 7.
नई पीढ़ी के प्रतीक कौन-से हैं ?
उत्तर:
बरगद के नीचे उगे छोटे-छोटे असंतुष्ट और रुष्ट कुछ पौधे।

प्रश्न 8.
कवि के अनुसार नई पीढ़ी किस स्वभाव की है?
उत्तर:
उग्र, विद्रोही और निरादर के भाव से भरी हुई।

प्रश्न 9.
‘अंधेरे का दीपक’ कविता में कवि का स्वर कैसा है?
उत्तर:
आशावादी।

प्रश्न 10.
‘अंधेरी रात’ किसकी प्रतीक है?
उत्तर:
गरीबी, निराशा, पीड़ा, हताशा और दुःख।

प्रश्न 11.
कवि की भाषा में कैसे शब्दों के प्रयोग की अधिकता है?
उत्तर:
तत्सम और तद्भव शब्दों की।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 12.
कवि ने ‘बरगद का पेड़’ कविता के माध्यम से क्या व्यक्त किया है?
उत्तर:
वर्तमान युग की भयावह स्थिति की यथार्थता।।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
छोटे-छोटे कुछ पौधे…….
उत्तर:
बड़े सुशील-विनम्र।

प्रश्न 14.
हमको बौना बना रखा..
उत्तर:
हम बड़े दुःखी हैं।

प्रश्न 15.
और निगल जाएँगे……
उत्तर:
तन हम इसे-इसे समूचा।

प्रश्न 16.
है अंधेरी रात………………………।
उत्तर:
पर दीवा जलाना कब मना है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
‘अंधेरे का दीपक’ एक निराशावादी कविता है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 18.
नई-पुरानी पीढ़ियों में सदा ही भेद रहा है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
बरगद का पेड़ बड़े-बुजुर्गों का प्रतीक है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत सरकार ने बच्चन को किस मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ नियुक्त किया ?
(क) भारत
(ख) स्वदेश
(ग) विदेश
(घ) श्रम
उत्तर:
(ग) विदेश

2. ‘दो चट्टानों’ पर कवि को कौन सा पुरस्कार मिला?
(क) साहित्य
(ख) साहित्य अकादमी
(ग) ज्ञानपीठ
(घ) पद्मभूषण
उत्तर:
(ख) साहित्य अकादमी

3. श्री हरिवंशराय बच्चन ने आत्मकथा कितने भागों में लिखी ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(घ) चार

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

4. बच्चन को भारत सरकार ने किस अलंकार से अलंकृत किया ?
(क) पद्मभूषण
(ख) पद्मविभूषण
(ग) पद्मश्री
(घ) ज्ञानपीठ
उत्तर:
(ख) पद्मविभूषण

5. ‘अंधेरे का दीप’ कविता किस प्रकार की कविता है ?
(क) आशावादी
(ख) निराशावादी
(ग) प्रयोगवादी
(घ) प्रगतिवादी
उत्तर:
(क) आशावादी

हरिवंशराय बच्चन सप्रसंग व्याख्या

पौधों की पीढ़ियाँ कविता का सार

‘पौधों की पीढ़ियाँ’ कविता में कवि ने पुरानी और नई पीढ़ी की विचारधारा के अन्तर को स्पष्ट किया है। प्राचीन समय में बुजुर्गों की छत्रछाया को वरदान माना जाता था, जो आज अभिशाप बन गई है। बरगद के पेड़ के नीचे उगे छोटे-छोटे पौधे स्वयं को उस की छत्रछाया में समस्त विपत्तियों से सुरक्षित मानकर सौभाग्यशाली मानते हैं। इसके बाद की पीढ़ी बरगद के नीचे के पौधे स्वयं को बदकिस्मत कहते हैं क्योंकि बरगद की छाया ने उन्हें बौना बनाकर खतरों का सामना नहीं करने दिया। इसके भी बाद की पीढ़ी उदंडतापूर्वक बरगद पर आरोप लगाती है कि उन्हें छोटा रखकर ही वह बड़ा बना हुआ है, यदि वे पहले जन्म लेते तो बरगद के बड़े भाई होते। इस प्रकार वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपने अंग्रेजों के प्रति विद्रोह को कवि ने उचित नहीं माना है।

1. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है।
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
बड़े सुशील-विनम्र
लगे मुझसे यों कहने,
“हम कितने सौभाग्यवान् हैं।
आसमान से आग बरसे, पानी बरसे,
आँधी टूटे, हमको कोई फिकर नहीं है ।
एक बड़े की वरद छत्र-छाया के नीचे
हम अपने दिन बिता रहे हैं
बड़े सुखी हैं !”

कठिन शब्दों के अर्थ:
सुशील = अच्छे स्वभाव वाले। विनम्र = विनीत, झुके हुए। आगी = आग। वरद = वर देने वाला। छत्र-छाया = आश्रय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश छायावादोत्तर युग के कवि डॉ० हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा लिखित काव्यकृति ‘बहुत दिन बीते’ में संकलित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की सोच में अन्तर को स्पष्ट किया है। नई पीढ़ी अपने बड़ों की छत्र-छाया में सुख का अनुभव करती थी जबकि नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के प्रति विद्रोह करती है, उसके अस्तित्व को नकारते हुए उन्हें समूल नष्ट करने पर उतारू है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैंने देखा कि एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है। उसके नीचे कुछ छोटे-छोटे पौधे उगे हैं जो बड़े अच्छे स्वभाव और विनीत भाव के थे। वे छोटे-छोटे पौधे कवि से कहने लगे कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि आसमान से चाहे आग बरसे या पानी अर्थात् गर्मी की ऋतु हो या वर्षा ऋतु , आँधी तूफान आए पर हमें कोई चिंता नहीं है। क्योंकि हम एक बड़े बरगद के वृक्ष की छत्र-छाया में रह कर अपने दिन बिता रहे हैं और बड़े सुखी हैं। बरगद उन की रक्षा करता है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार पुराने समय में लोग किसी बड़े के आश्रय में रह कर सुख एवं सुरक्षा का आभास करते थे क्योंकि उनका मानना था कि बड़े उनकी हर हाल में रक्षा करेंगे और सुख सुविधा का ध्यान रखेंगे और रखते हैं। बड़ों के संरक्षण में रह कर वे संतुष्ट थे। छोटे बड़ों के सामने विनम्र और विनीत भाव से खड़े रहते थे तथा उनका आदर करते थे।
  2. भाषा अत्यन्त सरल तथा प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

2. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है;
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
असंतुष्ट और रुष्ट।
देखकर मुझको बोले,
“हम भी कितने बदकिस्मत हैं!
जो खतरों का नहीं सामना करते
कैसे वे ऊपर को उठ सकते हैं !”
इसी बड़े की छाया ने तो
हमको बौना बना रखा
हम बड़े दुःखी हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:
रुष्ट = नाराज़। बौना = छोटे कद का।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की बुजुर्गों के प्रति विचारधारा का विश्लेषण किया है।

व्याख्या:
कवि बदले परिवेश में नई पीढ़ी के मनोभावों को व्यक्त करता हुआ कहता है कि मैंने देखा कि बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है जिसके नीचे कुछ छोटे-छोटे पौधे थे जो असंतुष्ट और नाराज़ थे। कवि कहता है कि मुझे देखकर वे छोटे-छोटे पौधे कहने लगे कि हम कितने बदकिस्मत हैं जो खतरों का सामना नहीं कर सकते क्योंकि हमारे स्थान पर यह बड़ा बरगद का पेड़ सब कुछ सह लेता है। बिना संघर्ष किए तथा खतरों का सामना करके हम कैसे उन्नति कर सकते हैं, क्योंकि इसी बड़े बरगद के पेड़ की छाया ने हमें छोटे कद का बना रखा है। अतः हम बड़े दुःखी हैं क्योंकि हम कुछ नहीं कर सकते।

विशेष:

  1. कवि का भाव यह है कि नई पीढ़ी अपने बुजुर्गों से बड़ी नाराज़ है क्योंकि उन्हें लगता है कि बड़ों का संरक्षण उन की उन्नति एवं विकास में बाधक बन रहा है। बड़ों के संरक्षण में वे संघर्ष करने, खतरों का सामना करने से वंचित रह जाते हैं। कवि ने यहाँ दूसरी पीढ़ी की बात की है जो बड़ों के संरक्षण से असंतुष्ट और नाराज़ है।
  2. भाषा सरल तथा प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

3. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
तने हुए उद्दण्ड।
देखकर मुझको गरजे,
“हमको छोटा रखकर ही
यह बड़ा बना है,
जन्म अगर हम पहले पाते
तो हम इसके अग्रज होते,
हम इसके दादा कहलाते,
इस पर छाते।”

कठिन शब्दों के अर्थ:
तने हुए = अकड़ कर खड़े हुए। उदंड = गुस्ताख, जिसके स्वर में विद्रोह झलकता हो, किसी की न मानने वाला। अग्रज = बड़े। छाते = छाया प्रदान करते।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की विचारधारा का अन्तर प्रस्तुत किया है।

व्याख्या:
कवि वर्तमान पीढ़ी की अपने बड़ों के प्रति उदंडता का वर्णन करता हुआ कहता है कि मैंने देखा कि बरगद का बड़ा पेड़ खड़ा है, उसके नीचे छोटे-छोटे पौधे कुछ अकड़े हुए विद्रोही स्वभाव के बने हुए हैं । वे कवि को देखकर गरज कर बोले कि यह बरगद का पेड़ हमें छोटा बना कर ही बड़ा बना है। यदि हमारा जन्म भी इससे पहले हुआ होता तो हम इस के बड़े भाई अर्थात् बुजुर्ग या बड़े होते। तब हम इसके दादा कहलाते और इसे अपनी छाया प्रदान करते अर्थात् यह हमारे संरक्षण में रहता।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वर्तमान पीढ़ी अपने बड़ों का आदर करना तो दूर रहा वह उनके प्रति विद्रोह की भावना रखती है। उसे बड़ों का होना असह्य लगने लगा है।
  2. भाषा सरल किन्तु प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।

4. नहीं वक्त का जुल्म हमेशा
हम यों ही सहते जाएँगे।
हम काँटो की
आरी और कुल्हाड़ी अब तैयार करेंगे,
फिर जब आप यहाँ आएँगे,
बरगद की डाली-डाली कटती पाएँगे।
ठूठ-मात्र यह रह जाएगा
नंगा-बूचा,
और निगल जाएँगे तन हम इसे समूचा।”

कठिन शब्दों के अर्थ:
जुल्म = अत्याचार । हमेशा = सदा। ढूंठ मात्र = डालियों और पत्तों से रहित सूखा पेड़। समूचा = सारा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें नई और पुरानी पीढ़ी के विचारों का अन्तर स्पष्ट किया गया है।

व्याख्या:
कवि वर्तमान पीढ़ी द्वारा बड़ों को समूल नष्ट करने की बात का उल्लेख करता हुआ कहता है कि हम समय के अत्याचार को सदा इसी प्रकार सहन नहीं करते जाएँगे। हम तो काँटों की आरी और कुल्हाड़ी तैयार करेंगे। फिर आप जब यहाँ आएँगे तो बरगद की डाली-डाली कटी हुई पाएँगे और यह बरगद का पेड़ जो अपने आपको बड़ा समझता है डालियों और पत्तों से रहित एक सूखे पेड़ की तरह नंगा बूचा रह जाएगा। हम इसे सारे का सारा निगल जाएँगे।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वर्तमान पीढ़ी अपने बड़ों का निरादर करने पर ही नहीं तुली है बल्कि वह उन्हें समूल नष्ट करना भी चाहती है। इसीलिए वह अपनी पूर्व पीढी के प्रति विद्रोह की भावना रखती है।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।
  3. मानवीकरण, अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

अन्धेरे का दीपक कविता का सार

‘अन्धेरे का दीपक’ कविता में कवि का स्वर आशावादी है। वह कहता है कि यदि जीवन में तुमने कोई मधुर कल्पना की है और एक अत्यन्त सुन्दर महल बना लिया है, यदि वह टूट भी जाए तो निराश होने के स्थान पर उसी महल के ईंट, पत्थर जोड़कर नई झोंपड़ी तो बना ही सकते हो। यदि तुम्हारा बनाया सुन्दर मदिरापान का पात्र टूट जाए तो तुम अपनी ओर से निर्मल झरने का जल तो पी ही सकते हो। अन्धेरी रात में प्रकाश लाने के लिए दिया जलाने से तुम्हें कौन रोक सकता है ? इसलिए असफलताओं से निराश होने के स्थान पर फिर से प्रयास करना चाहिए। सफलता अवश्य ही मिलेगी।

1. है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?
कल्पना के हाथ से कमनीय
जो मन्दिर बना था,
भावना के हाथ ने जिसमें
वितानों को तना था,
स्वप्न ने अपने करों से
था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों
से, रसों से जो सना था।
ढह गया वह तो जुटाकर
ईंट, पत्थर कंकड़ों को।
एक अपनी शांति की
कुटिया बनाना कब मना है?
है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
कमनीय = कोमल, सुंदर। वितान = तंबू, खेमा। करों से = हाथों से। रुचि = पसंद। दुष्प्राप्य = कठिनाई से प्राप्त होने वाला। सना = लिप्त।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश छायावादोत्तर युग के कवि डॉ० हरिवंश राय बच्चन’ जी की काव्यकृति ‘सतरंगिनी’ में संकलित कविता ‘अंधेरे का दीपक’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने यह संदेश दिया है कि दुःख और अवसादपूर्ण क्षणों में भी मनुष्य को आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि माना कि रात अँधेरी है परन्तु इस अँधेरी रात में प्रकाश फैलाने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किस ने रोका है? मान लो कि तुम ने कल्पना में जिस सुंदर महल का निर्माण किया था और अपनी भावनाओं से जो तंबू तान दिए थे जिन्हें तुमने अपने स्वप्नों से अपनी पसंद के अनुसार सजाया था, और जो स्वर्ग में भी कठिनाई से प्राप्त अर्थात् दुर्लभ रंगों से लिप्त था। यदि वह महल, ढह जाए अर्थात् तुम्हारी कल्पना साकार नहीं होती, तुम्हारे सपने अधूरे रह जाते हैं, तो ढहे हुए उस महल के ईंट, पत्थर और कंकड़ों को जोड़ कर एक शांतिदायक कुटिया बनाना भी कब मना है ? माना कि रात अँधेरी है और अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें कौन रोकता है ?

विशेष:

  1. कवि के अनुसार सुंदर सपनों के महल के ढह जाने पर निराश और हताश होकर नहीं बैठ जाना चाहिए। असफलता से निराश न होकर नव निर्माण का पुनः संकल्प करके जीवन को नए ढंग से जीना चाहिए।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, सरस तथा भावपूर्ण है।
  3. प्रश्न अलंकार तथा उद्बोधनात्मक स्वर है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

2. बादलों के अश्रु में धोया
गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधु
पात्र मनमोहक, मनोरम,
प्रथम ऊषा की किरण को
लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती
नव घनों में चंचला, सम,
वह अगर टूटा मिलाकर
हाथ की दोनों हथेली,
एक निर्मल स्रोत से
तृष्णा बुझाना कब मना है ?
है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
अश्रु = आँसू। मधुपात्र = शराब पीने का प्याला। मनमोहक = मन को मोहने वाला। मनोरम = सुंदर। मदिरा = शराब। चंचला = बिजली। निर्मल= साफ, स्वच्छ । स्रोत = चश्मा, धारा। तृष्णा = प्यास।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘अन्धेरे का दीपक’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होने का सन्देश दिया है।

व्याख्या:
कवि निराशा या असफलता मिलने पर भी निराश न होकर उत्साहित होकर फिर से नवनिर्माण की प्रेरणा देता हुआ कहता है कि यदि तुम ने बादलों के आँसुओं से धुले नीले आकाश जैसे बहुमूल्य नीलम पत्थर से बना शराब पीने का प्याला बनाया था, जो अत्यन्त मन को लुभाने वाला और सुंदर बन पड़ा था, उस प्याले में उषा की पहली किरण जैसी लाललाल शराब डाली थी; जो उस प्याले में पड़ी चमचमा रही थी जैसे नए बादलों में बिजली चमकती हो, वह प्याला यदि किसी कारणवश टूट भी जाए तो अपनी दोनों हाथों की हथेलियों की ओक बनाकर किसी साफ चश्मे से अपनी प्यास बुझाने की तो मनाही नहीं है ? माना कि रात अँधेरी है किंतु रात के अंधेरे को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किसने रोका

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि व्यक्ति को अपनी बहुमूल्य वस्तु के नष्ट होने पर दुःखी होने की बजाए जो कुछ भी पास बचा है उसी के भरोसे जिंदगी जीने का प्रयास करना चाहिए। जो कुछ नष्ट हो गया वह तो वापस नहीं आएगा अतः दुःखी न होकर पूरे उत्साह और लग्न से जीवन जीने के नए रास्ते की खोज करनी चाहिए।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, सरस तथा भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास, उपमा तथा मानवीकरण अलंकार है।

हरिवंशराय बच्चन Summary

हरिवंशराय बच्चन जीवन परिचय

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय दीजिए।

श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर, सन् 1907 ई० को इलाहाबाद में हुआ। इन्होंने यहीं से अंग्रेज़ी में एम०ए० किया तथा यहीं अंग्रेजी साहित्य पढ़ाते रहे। इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच०डी० की उपाधि प्राप्त की थी। इन्हें विदेश मन्त्रालय में हिन्दी-विशेषज्ञ के रूप में भारत सरकार ने नियुक्त किया था। ये राज्य सभा के भी सदस्य रहे थे। इन्हें काव्यकृति ‘दो चट्टानों’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से अलंकृत किया। सन् 2002 में इनका निधन हो गया था।

बच्चन जी की प्रमुख रचनाएँ मधुशाला, मधुकलश, मधुबाला, मिलन यामिनी, निशा-निमन्त्रण, सतरंगिनी, दो चट्टानें हैं।

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Conjunctions Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with appropriate Connectors :

1. Ram would have helped her ……….. he had enough money.
2. Wisdom is better ………….. riches.
3. Sita had been waiting for two hours ……….. the train arrived.
4. Many are called, ………… few are chosen.
5. I ran fast, ………… I missed the train.
6. I would rather suffer …………. apologize.
7. Wait ……………… I come back
8. Let us go to bed ………….. it is twelve.
9. I would rather die ……….. tell a lie.
10. I like her …………… she is beautiful.
Answer:
1. if 2. than 3. when 4. but 5. yet 6. than 7. until 8. as 9. than 10. because / for.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with appropriate Connectors :

1. We eat ………… we may live.
2. Men will reap ………….. they sow.
3. He ran …………. he had been shot.
4. He is …………. a rogue ……….. a fool.
5. ………….. you sow, …………. shall you reap.
Answer:
1. so that 2. what 3. though 4. either, or 5. As, so.

Rewrite each of these pairs of simple sentences as one sentence, using the Connectors given in the brackets :

1. You must start early. You will catch the train.
2. They batted badly. They won the match.
3. Their house is small. It is comfortable.
4. Sign these papers. You’ll get the loan.
5. Tell me the truth. I shall punish you.
Answer:
1. If you start early, you will catch the train.
2. Although they batted badly, they won the match.
3. Their house is small, still it is comfortable.
4. If you sign these papers, you’ll get the loan.
5 Unless you tell me the truth, I shall punish you.

Fill in the blanks with suitable Connectors given in the brackets :

1. I would have gone to the party ……….. I had been invited. (so that, although, if)
2. She went to the doctor ……. she might be cured. (therefore, because, so that)
3. I shall wait for you ……….. you return. (unless, until)
4. She is a fine player ………… she is so small. (because, although, unless)
5. The teacher punished him ………. he had broken the windowpane. (as, though)
Answer:
1. if 2. so that 3. until 4. although 5. as.

Fill in the blanks with suitable Connectors :

1. She is beautiful ………. not vain.
2. Though he is poor, ………….. he is honest.
3. He is neither an idler ……….. a gambler.
4. He had scarcely reached the school ………… it began to rain.
5. A month has passed ……….. he came here.
6. Give me water to drink ………… I shall die of thirst.
7. She is a fine player …………. she is so small.
8. I was so tired …………. I at once fell asleep.
9. Make hay ………. the sun shines.
10. He is neither hard-working ………… intelligent.
Answer:
1. but 2. yet 3. nor 4. when 5. since 6. or 7. though 8. that 9. while 10. nor.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Pick out the Subordinate Conjunctions from the following sentences :

1. Let us go to bed as it is late now.
2. He studied hard in order that he might pass.
3. He carried a stick in his hand lest he should stumble.
4. He threatened to dismiss him unless he confessed his guilt.
5. He remained silent when he heard that.
6. We never understood why he behaved in that silly way.
7. We shall leave the class as soon as you start speaking.
8. He wished to know whether I was ready to accompany him.
9. If he is here, I shall call on him.
10. He was alarmed lest he should be taken in.
Answer:
1. as 2. in order that 3. lest 4. unless 5. when 6. why. 7. as soon as 8. whether 9. If 10. lest.

Combine the following sets of sentences by using suitable Connectors :

1. It may rain. Take an umbrella.
2. Do not go out in this rain. You may catch a cold.
3. Work hard. Otherwise, you will fail.
4. It was raining hard. I stayed at home.
5. I eat. I am hungry.
6. You say so. I must believe it.
7. He is very poor. He is contented.
8. I am going to Delhi. I am expecting a merry time.
9. I did not listen to him. I failed badly.
10. You will succeed. You should work hard.
Answer:
1. Take an umbrella, as it may rain.
2. Do not go out in this rain or you may catch cold.
3. Work hard or you will fail.
4. As it was raining hard, I stayed at home.
5. I eat when I am hungry.
6. I must believe it because you say so.
7. Though he is very poor, he is contented.
8. I am going to Delhi where I expect a merry time.
9. As I did not listen to him, I failed badly.
10. If you work hard, you will succeed.

Choose the correct Conjunction given in brackets :

1. He tried hard (and, but) could not succeed.
2. He will not come (if, unless) you do not invite him.
3. He had died (before, after) the doctor came.
4. You will be late (if, unless) you hurry up.
5. You must see me (before, when) you leave for Delhi.
6. He worked hard (and, yet) he failed.
7. He is as clever (as, so) his father.
8. (Though, Even if he is my friend, I will not help him in this matter.
Answer:
1. but 2. if 3. before 4. unless 5. before 6. yet 7. as 8. Though.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. I leave my bed ………… the sun rises.
2. ……… you say so, I shall proceed in the matter.
3. ………. you walk fast, you will catch the train.
4. Work hard ……….. you may pass.
5. Walk carefully …….. you should slip.
6. She is not so wise ………. you think.
7. ……….. fast you may run, you cannot beat me in the race.
8. Though she worked hard, ……….. she could not top the list.
9. As you sow, ……… shall you reap.
10. He speaks ………… he were my officer.
Answer:
1. before 2. As 3. If 4. so that 5. lest 6. as 7. However 8. yet 9. so 10. as if.

Fill in the blanks, selecting suitable words from those given in brackets :

1. The book …………. you sent to me, is really interesting. (that, who)
2. The Chief Minister ……….. is very popular with the masses, commands a great respect. (that, who)
3. This is the lady ………. purse had been stolen. (whom, whose)
4. This is the house …….. we want to purchase. (that, who)
5. The pen ………. I like the most has been sold out. (which, who)
6. Varanasi ………. is a city of temples is a place of pilgrimage for the Hindus. (whose, which)
7. The man …………….. she disliked came to her help in her hour of misery. (who, whom)
8. The bird ……… sweet voice you heard every morning is no more.. (whose, whom)
9. Can you identify the person …….. abused you ? (whom, who)
10. The prayer song ……….. we sing every day has been composed by my father. (that, who)
Answer:
1. that 2. who 3. whose 4. that 5. which 6. which 7. whom 8. whose 9. who 10. that.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. It is a week …….. the holidays began.
2. The crops will die ………… the rains fall.
3. Work hard ……….. you should fail.
4. You will fail ……. you do not put in proper efforts.
5. I shall be surprised ……….. you fail.
6. He took medicine ………… he might get well.
7. You may not go out ………. your work is done.
8. You can stay here ……… you wish.
9. Wait here ………. I return.
10. He went to the doctor ………. he was ill.
Answer:
1. since 2. before 3. lest 4. if 5. if 6. so that 7. until 8. as long as 9. until 10. because.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Leave the room ……. you will be caught.
2. Wise men love truth ……… fools shun it.
3. She was found guilty and ……. she was punished.
4. He received a prize ……. his brother was punished.
5. Don’t make a noise ……… I shall punish you.
6. He is a liar ….. a cheat.
7. Trust in God ……. do the right.
8. ……… he is wrong ……. I am wrong.
9. Ashok had no hope of success, ………. he tried.
10. John was naughty; ……. I punished him.
Answer:
1. otherwise’ 2. while 3. therefore 4. while 5. or 6. and / as well as 7. and 8. Either, or 9. yet 10. so.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks selecting the proper Subordinative Conjunctions from those given in brackets :

1. Tell me ……… he has gone. (as, nowhere, because, where)
2. ……… he satisfies me, he cannot get promotion. (unless, if, because)
3. The thief ran …….. he saw the owner of the house. (as soon as, as long as, how)
4. Make hay ……. the sun shines. (while, before)
5. He was late …….. it was raining cats and dogs. (as, how, when)
6. Let us take lunch ……… it is already twelve. (as, so, while)
7. He works hard ……. he may win some position. (in order that, lest, as)
8. He is studying very hard ……… he may top the list this time. .(so that, lest, as)
9. We eat …….. we may live. (so that, because, as if )
10. He walked with care ………… he should stumble. (so that, lest, as)
Answer:
1. where 2. Unless 3. as soon as 4. while 5. as 6. as 7. in order that 8. so that 9. so that 10. lest.

Fill in the blanks with Subordinative Conjunctions :

1. He will join the meeting ……….. he is allowed to do so.
2. ……….. it was quite cold, yet she did not light a fire.
3. We eat …….. we may live.
4. The sun will shine ……. the world lasts.
5. He continued gambling ……. he lost all his money.
6. She is extremely happy …….. she has been engaged to a boy of her choice.
7. He will not pass ………… he works hard.
8. The thief was caught red-handed ……….. he was stealing a jewellery box.
Answer:
1. if 2. Though 3. so that 4. as long as 5. until 6. because 7. unless 8. when.

Join the following pairs of sentences into single sentences, using the Subordinative Conjunctions given in the brackets :

1. You must leave the room. (whether) :
You may wish it or not.

2. He is honest. (though)
He is a poor man.

3. You wish it. (since)
I shall help him.

4. He talked so much. (that)
He made himself hoarse.

5. He will succeed. (because)
He is working hard.

6. We called at his house. (as)
The clock struck four.

7. There is a will. (where)
There is a way.

8. He returned home. (after)
The rain had stopped.

9. The patient had died. (before)
The doctor came.

10. I called on him. (when)
He was at home.
Answer:
1. You must leave the room whether you wish it or not.
2. He is honest. though he is a poor man.
3. Since you wish it, I shall help him.
4. He talked so much that he made himself hoarse.
5. He will succeed because he is working hard.
6. As we called at his house, the clock struck four.
7. Where there is a will, there is a way.
8. He returned home after the rain had stopped.
9. The patient had died before the doctor came.
10. When I called on him, he was at home.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Hardly had he gone there ……….. it started raining.
2. He is both a painter ……….. a singer.
3. Life is such a puzzle ………. cannot be solved.
4. I am so tired ….. I cannot walk.
5. He is as tired …….. you are.
6. Not only is he rich but generous ………..
7. He is not only anxious to acquire knowledge …….. eager to display it.
8. His action was either just ………. unjust.
9. Hardly had I reached the station ……… the train started.
10. Scarcely had I arrived there …….. all the visitors dispersed.
Answer:
1. when 2. and 3. as 4. that 5. as 6. also 7. but also 8. or 9. when 10. when.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Wait here ……… I come back.
2. I like him ……. he is honest.
3. We must eat ……. we shall die.
4. You will never pass …….. you do not work hard.
5. He failed ……….. he did not work hard.
6. He is very wise ……… he is young.
7. Either take it ……….. leave it.
8. Work hard ……….. you will fail.
9. I would rather die …….. yield.
10. I know ……… he will come.
Answer:
1. until 2. because 3. or 4. if 5. because 6. though 7. or 8. or 9. than 10. that.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Pinky was happy …….. she passed the test.
2. You can do much better …….. you try harder.
3. Always brush your teeth ……….. a meal.
4. I will not let you go …… you confess.
5. The children waited ……. their mother came.
6. I have been living here ……… 1990.
7. Make hay. …….. the sun shines.
8. He failed ………. he tried again.
9. Walk quickly ……….. you will miss the train.
10. Cats can climb trees …….. dogs cannot.
Answer:
1. when 2. if 3. after 4. until 5. until 6. since 7. while 8. yet 9. or / otherwise 10. while

Conjunction-

दो शब्दों, वाक्यांशों (Phrases) अथवा वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द को conjection कहा जाता है जैसे
1. The teacher taught Mohan and Abdul.
2. I want some pen or pencil.
3. He will take tea, but I will take milk.
4. I will try to come as soon as I can.

Conjunctions of years on lait :
1. Co-ordinate Conjunctions.
2. Correlative Conjunctions.
3. Subordinate Conjunctions.

Co-ordinate Conjunctions-समान स्थिति वाले तथा स्वतन्त्र शब्दों । वाक्यांशों । वाक्यों को मिलाने वाले शब्दों को Co-ordinate Conjunctions कहा जाता है। जैसे

1. Noun को Noun से
2. Verb को Verb से ।
3. Adjective को Adjective से
4. Adverb को Adverb से
5. Phrase को Phrase से
6. Sentence को Sentence से
Mohan as well as Sohan came to my house.
We worked and played together.
He is sad but hopeful.
He spoke loudly and clearly.
He met me in the bazaar and again at the railway station.
He worked hard, yet he failed.

साधारण प्रयोग में आने वाले कुछ Co-ordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 3

Correlative Conjunctions – जोड़ों के रूप में प्रयुक्त होने वाले Conjunctions को Correlative Conjunctions कहा जाता है; जैसे

1. He worked so hard that he fell ill.
2. He could neither sit nor stand.
3. He is both kind and honest.
4. Either Mohan or Sohan has done it.
5. She is not only proud but also mean

साधारण प्रयोग में आने वाले कुछ Co-ordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 4

Subordinate Conjunctions-जो शब्द एक या अधिक आश्रित (Subordinate) वाक्यों को प्रधान (Principal) वाक्य से जोड़े, उन्हें Subordinate Conjunctions कहा जाता है। जैसे

Principal Clause Subordinate Clause
1. I don’t think
2. I know
3. I was away
4. Tell me
5. He is the boy
if he would pass.
why he has come here.
when Radha came here.
where he lives
who beat my brother

साधारण प्रयोग में आने वाली मुख्य Subordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 5

The Use Of Some Conjunctions

(1) No sooner, hardly, scarcely.
No sooner के बाद सदा than का प्रयोग किया जाता है। Scarcely और Hardly के बाद when का प्रयोग किया जा सकता है।
1. No sooner did we reach the station than the train started.
2. She had hardly / scarcely heard the news when she began to weep.

(2) Unless, if.
Unless के साथ not का प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि unless = if not.
If के साथ (यदि आवश्यकता हो तो) not का प्रयोग किया जा सकता है।
1. Unless you work very hard, you can’t pass.
2. If you do not work very hard, you can’t pass.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

(3) Until (till), as long as (so long as), while.
Until (till) = उस समय तक जबकि = up to the time when
(ये शब्द point of time की ओर संकेत करते हैं।)
As long as = जितने समय तक
So long as, while = during the time that
(ये शब्द period of time की ओर संकेत करते हैं।)
यदि till | until का सम्बन्ध पहले वाक्य से हो तो प्रायः until का प्रयोग किया जाता है।
यदि till / until का सम्बन्ध पिछले वाक्य से हो तो प्रायः till का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु till | until के प्रयोग में कोई विशेष अन्तर नहीं समझा जाता है।
1. Go straight on until you come to the post office and then turn left.
2. Until you told me, I had heard nothing of it.
3. She won’t go away till you promise to help her.
4. Let us wait till the rain stops.
5. While there is life, there is hope.
As long as there is life, there is hope.
So long as there is life, there is hope.

(4) Because, so that (in order that).
Because का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी बात का कारण (reason) बताना हो।
In order that अथवा so that का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी उद्देश्य (Purpose) का वर्णन करना हो।
1. He failed because he did not work hard.
2. He worked hard so that he might win a scholarship.

(5) Since, before.
जब Since का प्रयोग एक Conjunction के रूप में किया जाए तो
(i) इससे पूर्व आने वाले वाक्य में कभी भी Past Indefinite Tense का प्रयोग नहीं किया जा सकता
(ii) इसके बाद आने वाले वाक्य में सदा ही Past Indefinite Tense का प्रयोग किया जाता है।

1. Two months have passed since he came here.
2. It is two weeks since my examinations were over.
Before, if, until, unless, while, when, आदि समय-वाचक योजकों (Temporal Conjunctions) के बाद कभी भी Future Tense का प्रयोग नहीं किया जाता है यद्यपि मुख्य वाक्य (Principal Clause) Future Tense में ही हो।
1. I will help him if he comes to me.
2. The crops will die before the rains fall.
3. I shall not let you go until you pay back my money.
4. I shall give him your message when he comes here.

(6) No other तथा rather के साथ than का प्रयोग किया जाता है, न कि but का।
1. No other than Mohan did this mischief.
2. I would rather die than beg.

(7) As to = about, concerning = के सम्बन्ध में।
इसका प्रयोग वाक्य के आरम्भ में ही किया जाना चाहिए और वह भी केवल तब जब किसी बात पर बल डालना हो।
As to your brother, I will deal with him later.
निम्नलिखित वाक्य में इसका प्रयोग ग़लत है
I don’t know as to why he failed.
हमें कहना चाहिए
I don’t know why he failed.

(8) Neither …………….. nor तथा Either …………… or.
1. This book is neither useful nor cheap.
2. Either you or your friend has stolen my book.
3. You can either play or work.
4. Mona can neither see nor hear.

(9) Not only ……………… but also.
1. She is not only beautiful but intelligent also.
2. The cruel master not only lashed his servant but also got him arrested.

(10) Though ………….. yet.
1. Though he worked hard, yet he failed.
2. Though he is rich, yet he is not mean.

(11) Both …. …………. and
1. Ramesh is both handsome and sensible.
2. Both Hema and her sister were absent.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

(12) So …………………… that.
1. He worked so hard that he won a scholarship.
2. He is so mean that you cannot expect any help from him.

(13) Such …………… as.
1. Raman is such a fool as no one likes.
2. I love such students as are hard-working.

(14) Whether ………………… or.
1. You must leave the room whether you wish it or not.
2. I am going ahead with my plans whether I succeed or fail.

(15) The same ………….. as / that.
1. It is the same kind of pen as mine.
2. This is the same man that came to my help.

(16) निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखिए

1. That का प्रयोग Direct Narration में नहीं किया जा सकता है और न ही इस का प्रयोग
Indirect Narration में किसी प्रश्न-वाचक वाक्य से पूर्व किया जा सकता है।

2. Lest के साथ auxiliary के रूप में सदा should का प्रयोग किया जाता है।
(Walk fast lest you should miss the train.)

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

3. Like (= जैसा) का प्रयोग कभी भी as (= जैसा) के स्थान पर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि
इस अर्थ में like एक Preposition है जबकि as एक Conjunction है।
1. He is like your brother.
2. He did as your brother did.

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

Hindi Guide for Class 8 PSEB कोई नहीं बेगाना Textbook Questions and Answers

(क) भाषा ज्ञान

I. शब्दार्थ

उत्तर:
गर्जना = तीव्र आवाज़, गरजने की क्रिया।
वीर बाँकुरे = बहादुर जवान।
मशक = भेड़ या बकरी की खाल की सिलाई कर के बनाया हुआ थैला जिस में भिश्ती पानी ढोते हैं।
समदृष्टि = सब को बराबर समझना।
बेगाना = पराया, अनजान।
माहेर = क्रुपा
सेवारात = सेवा में लीन।

II. अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

घमसान, उपहार, समदृष्टि, उपकार, उपचार, दुःख हरना, जीवनदान देना, जान बचाना।
उत्तर:
(i) घमसान = आज के युग में किसी भी तरीके से धन इकट्ठा करने का घमसान मचा हुआ है, जो उचित नहीं है।
(ii) उपहार = मेरे जन्मदिन पर मम्मी-पापा ने मुझे उपहार में एक सुन्दर घड़ी दी है।
(ii) समदृष्टि = सभी की समदृष्टि ही समाज को ऊँचा उठा सकती है।
(iv) उपकार = आप के उपकार का मूल्य मैं कभी नहीं चुका सकता।
(v) उपचार = हमारे नगर में घायल पक्षियों के उपचार का सुन्दर प्रबन्ध किया गया
(vi) दुःख हरना = सभी प्राणियों के दुःख हरना तो ईश्वर के हाथ में ही है।
(vii) जीवनदान देना = डॉक्टरों के परिश्रम ने रोगी को जीवन दान देना लगभग निश्चित कर दिया था।
(viii) जान बचाना = अब रोगी की जान बचाना डॉक्टरों के लिए सम्भव है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

(ख) विचार बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
भाई कन्हैया कौन था ?
उत्तर-भाई कन्हैया गुरु गोबिन्द सिंह जी के शिष्य थे और वे गुरु घर के एक सेवादार थे।

प्रश्न (ख)
वह घायलों की सेवा किस प्रकार करता था ?
उत्तर:
भाई कन्हैया प्यास से परेशान घायल लोगों को पानी पिला कर सेवा करता था।

प्रश्न (ग)
वह अपने और बेगाने का भेदभाव क्यों नहीं करता था ?
उत्तर:
उन्हें सभी इन्सानों में ईश्वर दिखाई देता था, इसलिए वह अपने और बेगाने में भेदभाव नहीं करता था।

प्रश्न (घ)
विरोधियों ने दशमेश पिता से उसकी क्या शिकायत की ?
उत्तर:
विरोधियों ने गुरु जी से शिकायत की थी कि वह युद्धभूमि में घायल पड़े मुसलमान सैनिकों को भी पानी पिलाता था जिससे वे जीवन दान पा जाते थे जिससे सिख वीरों की मेहनत बेकार हो जाती थी। वह बेगानों की सहायता करता है।

प्रश्न (ङ)
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का उत्तर देते हुए कहा था कि उसे सभी में गुरु जी का रूप दिखता था। उसके लिए कोई पराया नहीं था।

प्रश्न (च)
गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम क्यों दी ?
उत्तर:
गुरु जी भाई कन्हैया के इन्सानियत से भरे स्वभाव से खुश हो गए थे और उन्होंने उसे मरहम दी थी जिससे वह युद्धभूमि में घायल पड़े सैनिकों की पीड़ा और कष्टों को भी कम कर सके। वे किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं करते थे।

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II. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

“अव्वल अल्ला नूर वही है, कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का, कौन भले कौन मन्दे।”
उत्तर:
भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के समक्ष कहा था कि मैंने तो गुरुवाणी का केवल इतना ही अर्थ समझा है कि मुझे हर प्राणी में परम पिता परमात्मा ही दिखाई देते हैं। मुझे सभी अपने लगते हैं और कोई भी पराया नहीं लगता। वह परमात्मा ही तो सबसे श्रेष्ठ हैं, प्रमुख हैं, सर्वोपरि है। इस सृष्टि की ज्योति वही है और सारे इन्सान, सारे प्राणी उसी परमात्मा की कुदरत से उत्पन्न हुए हैं। सारे संसार में उसी का तेज फैला हुआ है। केवल वही है जिससे सारी सृष्टि बनी है। जब सभी उस परमात्मा की सन्तान हैं तो फिर कौन अच्छा है और कौन बुरा ? अर्थात् न कोई बुरा है और न अच्छा, न कोई छोटा है और न कोई बड़ा। सारे मानव एक-दूसरे के समान हैं। भाव है कि हमें धर्म और जाति के आधार पर मानव को नहीं बांटना चाहिए।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. ‘उप’ और ‘बे’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें :

उप + हार = उपहार
उप + वास = ………………..
उप + नयन = ………………..
उप + हास = ………………..
उप + कार = ………………..
बे + रहम = ………………..
बे + कायदा = ………………..
बे + कसूर = ………………..
बे + मेल = ………………..
बे + रोक = ………………..
बे + मिसाल = ………………..
उत्तर:
उप + हार = उपहार
उप + वास = उपवास
उप + नयन = उपनयन
उप + हास = उपहास
उप + कार = उपकार
बे + रहम = बेरहम
बे + कायदा = बेकायदा
बे + कसूर = बेकसूर
बे + मेल = बेमेल
बे + रोक = बेरोक
बे + मिसाल = बेमिसाल।

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II. ‘गुरु’ लगाकर नये शब्द बनायें जैसे-गुरुवाणी

उत्तर:
गुरुकृपा, गुरुशिक्षा, गुरुप्रदत्त, गुरुदक्षिणा, गुरुदास, गुरुप्रशंसा, गुरुनिष्ठा, गुरुपद, गुरुपाद, गुरुगौरव, गुरुकुल, गुरुदीक्षा, गुरुप्रेम।

III. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

शत्रु = …………..
युद्ध = …………..
धरती = …………..
पानी = …………..
गर्मी = …………..
उपहार = …………..
गुरु दुःख = …………..
बेगाना = …………..
मेहर = …………..
कृपा = …………..
नूर = …………..
हाथ = …………..
घाव = …………..
उत्तर:
शत्रु = दुश्मन , अरि।
युद्ध = लड़ाई , रण।
धरती = अवनि , पृथ्वी।
पानी = जल , नीरज।
गर्मी = ग्रीष्म , निदाघ।
उपहार = भेंट , सौगात।
गुरु = शिक्षक , बड़ा।
दुःख = पीड़ा , कष्ट।
बेगाना = पराया , अन्य।
मेहर = कृपा , दया।
कृपा = दया , करुणा।
नूर = प्रकाश , चमक।
हाथ = हस्त , कर।
घाव = चोट , जख्म।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

IV. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें:

युद्ध = ……………
दुःख = …………..
गुरु = …………..
मुश्किल = …………..
धरती = …………..
शत्रु = …………..
प्यास = …………..
शिकायत = …………..
उत्तर:
युद्ध = शान्ति
दुःख = सुख
गुरु = चेला (शिष्य)
मुश्किल = आसान
धरती = आकाश
शत्रु = मित्र
प्यास = तृप्ति/तृप्त
शिकायत = रजा/सुलह।

PSEB 8th Class Hindi Guide कोई नहीं बेगाना Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित. प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘कोई नहीं बेगाना’ कविता के कवि कौन हैं ?
(क) डॉ० योगेन्द्र बख्शी
(ख) डॉ० बच्चन
(ग) डॉ० रघुवंश ।
(घ) डॉ० संसार चन्द्र।
उत्तर:
डॉ. योगेन्द्र बख्शी।

प्रश्न 2.
कहाँ घमासान युद्ध हुआ था ?
(क) अमृतसर
(ख) पटना साहिब
(ग) आनन्दपुर साहिब
(घ) बंगला साहिब।
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब।

प्रश्न 3.
दशमेश गुरु कौन हैं ?
(क) गुरु नानक देव जी
(ख) गुरु तेग बहादुर जी
(ग) गुरु गोबिन्द सिंह जी
(घ) गुरु रामदास जी।
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

प्रश्न 4.
कन्धे पर मशक उठाए पानी कौन पिला रहा था ?
(क) भाई बंदा
(ख) भाई कन्हैया
(ग) भाई रमैया
(घ) भाई सतनाम।
उत्तर:
भाई कन्हैया।

प्रश्न 5.
‘देखू हर प्राणी में प्रभुवर’ किसका मतलब है ?
(क) गुरुवाणी का
(ख) कन्हैया का
(ग) योगेन्द्र बख्शी का
(घ) रमैया का।
उत्तर:
गुरुवाणी का।

कोई नहीं बेगाना सप्रसंग व्याख्या

1. आनन्दपुर साहब के बाहर
जब हुआ युद्ध घमसान,
दशमेश गुरु का हर सिख
लड़ो हथेली पर रख जान।
तोपों की गर्जना भयंकर
‘सत श्री अकाल’ का गान,
अल्ला हू अकबर के नारे
बहरे कर देते थे कान।

शब्दार्थ:
घमसान = भयंकर, बहुत ज़ोर से। दशमेश = दशम् गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी। हर = प्रत्येक। गर्जना = तीव्र आवाज़, गरजने की क्रिया।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० योगोन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘कोई नहीं बेगाना’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने आनन्दपुर साहब के बाहर सिखों और मुसलमानों के बीच हुए भयंकर युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जब आनन्दपुर साहब के बाहर सिख-सैनिकों के साथ मुसलमानों की लड़ाई हुई थी तब दशम गुरु गोबिन्द सिंह की सेना का प्रत्येक सिख सिपाही मरने का डर छोड़ कर जी-जान से लड़ा था। तोपों की भयंकर आवाज़, सिख वीरों के द्वारा किया गया ‘सत श्री अकाल’ का गान और मुसलमान सैनिकों के ‘अल्ला हु अकबर’ के नारे कानों को बहरा कर रहे थे। भाव है कि दोनों पक्षों के सैनिक अति वीरता और साहस से एक-दूसरे के सामने अपनी-अपनी जीत के लिए डटे हुए थे।

विशेष:

  1. कवि ने सिख सैनिकों और मुसलमानों के बीच हुई लड़ाई की भयंकरता को प्रकट किया है।
  2. कवि की भाषा सरल और सरस है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

2. वीर बाँकुरे डटकर लड़ते
धरती पर बिछ-बिछ जाते,
गिरते-गिरते फिर उठते
पानी-पानी चिल्लाते।
गर्मी का यह कठिन महीना
उन वीरों पर भारी था,
जलते तपते मैदानों में
युद्ध अभी तक जारी था।

शब्दार्थ: वीर बाँकुरे = बहादुर जवान। कठिन = कठोर, मुश्किल। जारी = चलना, होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने सिखों और मुसलमान वीरों के बीच गर्मियों के मौसम में हुए भयंकर युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि सिख और मुसलमान सेनाओं के बहादुर जवान एकदूसरे के विरुद्ध डट कर लड़ रहे थे। वे एक-दूसरे के आघात से घायल होकर धरती पर गिरते जाते थे। वे गिर कर फिर लड़ने के लिए उठ जाते थे और अपनी प्यास बुझाने के लिए ‘पानी-पानी’ चिल्लाते थे। गर्मी का बहुत कष्टकारी महीना था। युद्ध लड़ने वाले दोनों तरफ के बहादुरों के लिए गर्मी का महीना बहुत भारी पड़ रहा था। सूर्य की गर्मी से मैदान तप रहे थे, दहक रहे थे लेकिन उनके कारण लड़ाई बन्द नहीं हो रही थी। दोनों पक्षों के बीच लड़ाई अभी तक बिना रुके हुए चल रही थी। भाव है कि सूर्य की तेज गर्मी और तपे हुए मैदान भी दोनों पक्षों की लड़ाई को रोकने में असफल रहे थे।

विशेष:

  1. कवि ने सिख और मुस्लिम सैनिकों के बीच हुई भयंकर लड़ाई का वर्णन किया है जिसे विपरीत परिस्थितियां भी रोक नहीं पा रही थीं।
  2. भाषा, सरल-सरस और जोश से भरी हुई है। |

3. जलती-तपती दोपहरी में
गुरुघर का इक सेवादार,
कन्धे पर इक मशक उठाए
देता पानी का उपहार।
संगत की सेवा करता
भाई कन्हैया उस का नाम
गुरुवाणी का भक्त अनोखा
करता जनसेवा का काम।

शब्दार्थ:
जलती-तपती = गर्मी से जली और तपी हुई। दोपहरी = दोपहर का समय। इक = एक। मशक = भेड़ या बकरी की खाल की सिलाई कर के बनाया हुआ थैला जिस में भिश्ती पानी ढोते हैं। उपहार = भेंट। अनोखा = अद्भुत ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसमें कवि ने सब मानव एक समान है का संदेश दिया है।

व्याख्या:
तेज गर्मी के कारण दोपहर का समय जल-सा रहा था; दहक रहा था। उस गर्मी में गुरुघर का एक सेवादार अपने कन्धे पर भेड़-बकरी की खाल से बनी एक मशक उठा कर सभी सैनिकों को पानी की भेंट दे रहा था। वह घायल और प्यासे सैनिकों को पानी पिला रहा था। सभी लोगों की समान रूप से सेवा करने वाले उस व्यक्ति का नाम भाई कन्हैया था। वह गुरुवाणी का अनूठा और अद्भुत भक्त था। वह लोगों की सेवा करने का काम करता था। भावार्थ है कि दोपहर की तेज गर्मी में अपनी तपन को भुला कर भाई कन्हैया सभी भेद- भावों से दूर रह लोगों की सेवा करता था। वह सच्चा सेवादार था।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानी गुण को प्रकट किया है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

4. सब में गुरु का रूप देखता
सबकी सेवा करता था,
हर प्यासे की प्यास बुझाता
दुःख सभी के हरता था।
समदृष्टि थी शत्रु मित्र में
दोनों उसको एक समान,
हर घायल को पानी देना
होता उसका पहला काम।

शब्दार्थ: दुःख = कष्ट, पीड़ा। हरता = दूर करता, मिटाता। समदृष्टि = सब को बराबर समझना। शत्रु = दुश्मन। समान = बराबर ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानियत के भावों और सेवा-भाव को व्यक्त किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि भाई कन्हैया सभी लोगों में अपने गुरु का रूप देखता था और उन सब की एक समान सेवा करता था। वह हर प्यासे की प्यास बुझाता था और गर्मी से उत्पन्न सभी के दुखों को मिटाता था। उसकी नज़र में न कोई शत्रु था और न कोई मित्र था। शत्रु और मित्र दोनों ही उसके लिए एक बराबर थे। युद्धभूमि में हर घायल व्यक्ति को पानी देना उसका पहला काम था। भाव है कि सच्चे इन्सान के मन में किसी के लिए अपनेपराये का भेदभाव नहीं होता।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानियत और बड़प्पन के भावों को प्रकट किया है जिसके लिए सारे इन्सान एक बराबर थे।
  2. कवि की भाषा सरल और सरस है।

5. हुई साँझ तो सिख वीरों ने
छेड़ी एक विरोधी तान,
जिनको मुश्किल से हम मारे
उनको देता जीवन दान।
लगता गुरुवर ! भाई कन्हैया
का दुश्मन से नाता है।
घायल शत्रु को जल देता,
उसकी जान बचाता है।

शब्दार्थ: साँझ = शाम, संध्या। वीरों = बहादुरों। तान = स्वर, आवाज़। मुश्किल = कठिनाई। नाता = सम्बन्ध।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में दी गई कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। भाई कन्हैया बिना किसी भेदभाव के घायल सिख और मुसलमान सैनिकों को पानी पिलाकर जीवन दान दिया करता था। सिख सैनिकों को यह अच्छा नहीं लगता था।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जैसे ही शाम हुई और लड़ाई बन्द हुई वैसे ही सिख बहादुरों ने एक ही आवाज़ में भाई कन्हैया के विरोध में ऊँची आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि जिन मुसलमान सैनिकों को वे मुश्किल से घायल करते थे उन्हें भी पानी पिला कर वह उन्हें नया जीवन-दान दे देता था। हे गुरु जी! हमें लगता है कि इसका दुश्मनों से कोई सम्बन्ध है। यह दुश्मन के घायल सिपाहियों को युद्ध भूमि में पानी पिलाता है और उनकी जान बचाता है। भाव है कि सिख वीरों को भाई कन्हैया का इन्सानियत का भाव भी दुश्मनी से भरा हुआ प्रतीत होता है क्योंकि वहाँ वह सिख वीरों को ही नहीं बल्कि मुसलमान सैनिकों को भी युद्धभूमि में पानी पिलाता था।

विशेष:

  1. सिख वीरों के मन में उत्पन्न स्वार्थी भावों के कारण भाई कन्हैया पर दोषारोपण किया गया है।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

6. हँस कर बोले दशम पिता फिर
क्यों भाई क्या कहते हो,
ठीक शिकायत क्या सिखों की
सबकी सेवा करते हो ?
हाथ जोड़ कर चरण छुए
नतमस्तक हो वचन कहे,
गुरुवर ! सब को जल देता हूँ
मानो सब में आप रहे।

शब्दार्थ: दशम पिता = दशम गुरु गोबिन्द सिंह जी। चरण = पैर। नतमस्तक = सिर झुका कर प्रणाम करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। सिख वीरों ने भाई कन्हैया पर आरोप लगाया था कि वे युद्धभूमि में मुस्लिम सैनिकों की पानी पिला कर सहायता करते थे। वे उनसे मिले हुए थे।

व्याख्या:
सिख वीरों के द्वारा लगाए गए आरोप को सुन कर दशम् गुरु गोबिन्द सिंह जी ने हँसते हुए भाई कन्हैया से पूछा कि क्यों भाई ! क्या सिखों की यह शिकायत ठीक थी कि वह सब की सेवा करते था। यह सुन कर भाई कन्हैया ने हाथ जोड़कर गुरु जी के पाँव छुए और सिर झुका कर ये शब्द कहे कि गुरुवर! मैं तो सभी को ऐसे पानी देता हूँ जैसे सब में आप ही विद्यमान हों। मुझे तो सब में आप ही दिखाई देते हैं। भाव है कि भाई कन्हैया को गुरु जी के प्रति अपार भक्ति के कारण सभी में वही दिखाई देते थे। उन्हें कोई भी पराया नहीं लगता था।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया की अपार गुरु-भक्ति को सरल शब्दों में प्रकट कर दिया है।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

7. गुरुवाणी का मतलब मैंने
केवल बस इतना जाना,
देखें हर प्राणी में प्रभुवर
कोई नहीं है बेगाना।
अव्वल अल्ला नूर वही है
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।

शब्दार्थ:
मतलब = अर्थ। बेगाना = पराया, अनजान। अव्वल = प्रथम, पहला। अल्ला = ईश्वर। नर = ज्योति, प्रकाश, तेज, परमात्मा का नाम। कुदरत = प्रकृति । बन्दे = इन्सान । भले = अच्छे। मन्दे = बुरे।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रश्न का उत्तर देते हुए माना था कि उनके लिए कोई भी प्राणी न तो छोटा है और न ही बड़ा। वे सभी बराबर हैं जिनमें परमात्मा बसता है।

व्याख्या:
भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के समक्ष कहा था कि मैंने तो गुरुवाणी का केवल इतना ही अर्थ समझा है कि मुझे हर प्राणी में परम पिता परमात्मा ही दिखाई देते हैं। मुझे सभी अपने लगते हैं और कोई भी पराया नहीं लगता। वह परमात्मा ही तो सबसे श्रेष्ठ हैं, प्रमुख हैं, सर्वोपरि है। इस सृष्टि की ज्योति वही है और सारे इन्सान, सारे प्राणी उसी परमात्मा की कुदरत से उत्पन्न हुए हैं। सारे संसार में उसी का तेज फैला हुआ है। केवल वही है जिससे सारी सृष्टि बनी है। जब सभी उस परमात्मा की सन्तान हैं तो फिर कौन अच्छा है और कौन बुरा ? अर्थात् न कोई बुरा है और न अच्छा, न कोई छोटा है और न कोई बड़ा। सारे मानव एक-दूसरे के समान हैं। भाव है कि हमें धर्म और जाति के आधार पर मानव को नहीं बांटना चाहिए।

विशेष:

  1. भाई कन्हैया के माध्यम से सृष्टि का रहस्य प्रकट किया गया है और उसी के आधार पर सब को एक समान माना गया है।
  2. भाषा सरस और भावपूर्ण है। उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है। |

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

8. दशम पिता गदगद हो बोले,
सच्चे सिख ! गुरु मेहर करे,
भेदभाव बिन सेवारत जो
उसके सिर प्रभु हाथ धरे।
यह मरहम भी ले लो मुझ से
तुम सबका उपकार करो,
हर घायल में प्रभु को देखो
घावों का उपचार करो।

शब्दार्थ:
गद्गद् = प्रसन्न। मेहर = कृपा। भेदभाव = अंतर; ऊँच-नीच का भाव। सेवारत = सेवा में लीन। हाथ धरे = कृपा करे। उपकार = भला, कल्याण। घावों = घाव, चोट, जख्म। उपचार = इलाज।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसकी रचना डॉ० योगेन्द्र बख्शी ने की है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने भाई कन्हैया के उत्तर को सुनकर उसे आशीर्वाद दिया था और उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहने की प्रार्थना की थी।

व्याख्या:
भाई कन्हैया के उत्तर को सुन कर दशम पिता गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो गए, खुशी से भर उठे। उन्होंने उसे सम्बोधित करते हुए कहा कि हे सच्चे सिख ! ईश्वर तुम पर कृपा बनाये रखे। जो व्यक्ति बिना भेदभाव किए हुए समाज में रहते हुए सबकी सेवा करता रहता है, ईश्वर उसके सिर पर अपनी कृपा का हाथ सदा बनाए रखें। तुम मुझ से यह मरहम भी ले लो और बिना जात-पात और धर्म का ध्यान रखे हुए सब का भला करो, सब की सेवा करो। तुम हर घायल व्यक्ति में ईश्वर को देखो, सबको एक समान समझो और सब के घावों का ईलाज करो, उन्हें कष्टों से मुक्त करो। भाव है कि गुरु जी ने अपने मानवतावादी भावों से सबका कल्याण करने की बात सदा ही सबसे कही थी।

विशेष:

  1. गुरु गोबिन्द सिंह जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव का विरोध करते हुए सबको एक समान ईश्वर की सन्तान माना था।
  2. भाषा सरल और सरस है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

कोई नहीं बेगाना Summary

कोई नहीं बेगाना कविता का सार

डॉ० योगेन्द्र बख्शी के द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ मानवतावादी कविता है। इन्सान वही अच्छा होता है जो किसी में भी भेदभाव न करे। आनन्दपुर साहब के बाहर गुरु गोबिन्द सिंह जी की सेना की मुसलमानों से भयंकर लड़ाई हो रही थी। गर्मियों के दिन थे। सूर्य की गर्मी से सारे मैदान दहक-से रहे थे। युद्ध में हर वीर अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ रहा था। तोपें गरज रहीं थीं। दोनों सेनाओं के सैनिक पूरे जोश में भरे हुए थे। सिख सैनिक ‘सत श्री अकाल’ का जयघोष कर रहे थे तो मुसलमान सैनिक ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे लगा रहे थे। दोनों तरफ के सैनिक घायल हो-होकर धरती पर गिर रहे थे। वे तड़प रहे थे और प्यास के कारण पानी-पानी चिल्ला रहे थे। गुरुघर का एक सेवादार भाई कन्हैया कन्धे पर एक मशक लिए हुए सिखों और मुसलमानों को पानी पिला रहा था। उसे उन सभी घायल सैनिकों में गुरु का ही रूप दिखाई दे रहा था। वह अपने और पराये का कोई भेद नहीं कर रहा था। जब शाम हुई तो सिख सैनिकों ने गुरु जी से शिकायत की कि जिन मुसलमान सैनिकों को हम काट कर नीचे गिराते हैं उन्हें ही भाई कन्हैया पानी पिलाता है। उनकी जान बचा कर वह दुश्मन का काम कर रहा था। गुरु जी ने हँस कर भाई कन्हैया से इस शिकायत के बारे में पूछा। उसने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छू कर अपना सिर झुकाते हुए कहा कि वह सभी को एक समान पानी पिलाता था क्योंकि उसे उन सभी में आप ही दिखाई दे रहे थे। गुरुबाणी के अनुसार तो उसे हर प्राणी में भगवान् ही दिखता था। कोई भी तो पराया नहीं। इस संसार के हर प्राणी में परमात्मा का ही तो नूर हैचाहे वह अच्छा है या बुरा। दशम गुरु ने प्रसन्न होकर कहा कि अरे सच्चे सिख, ईश्वर तुम पर कृपा करे। तुम मुझ से मरहम भी लो और इसे सभी घायलों के घावों पर लगाओ। तुम सभी से एक-सा व्यवहार करो।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Hindi Guide for Class 9 PSEB शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी कौन थे ?
उत्तर:
शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे।

प्रश्न 2.
मोरोपंत कौन था ?
उत्तर:
मोरोपंत एक पेशवा थे।

प्रश्न 3.
आवाजी सोनदेव कौन था ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव शिवाजी का एक सेनापति था।

प्रश्न 4.
शिवाजी के सच्चा स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना किस समय की है ?
उत्तर:
इस पाठ की घटना सन् 1648 ई० की संध्या की है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

प्रश्न 5.
मोरोपंत शिवाजी को आकर क्या शुभ समाचार देता है ?
उत्तर:
मोरोपंत शिवाजी को आकर यह शुभ समाचार देता है कि सेनापति आवाजी सोनदेव ने कल्याण प्रांत को जीत कर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आ गए हैं।

प्रश्न 6.
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को सबसे बड़े तोहफे के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को बताया कि सबसे बड़े तोहफे के रूप में वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंद करके लाया है।

प्रश्न 7.
शिवाजी की प्रसन्नता एकाएक लुप्त क्यों हो गयी थी ?
उत्तर:
अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति लेकर आया है, यह सुनकर शिवाजी की प्रसन्नता लुप्त हो गई। उन्हें अपने सेनापति के कार्य पर लज्जा आई थी।

प्रश्न 8.
शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू की सुरक्षा करते हुए उसे क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर:
शिवाजी ने उसे आश्वासन दिया कि उसे आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और खबरदारी के साथ उसके शौहर के पास बिना देरी के पहुँचा दिया जाएगा।

प्रश्न 9.
शिवाजी पर-स्त्री को किसके समान मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी पर-स्त्री को माता के समान मानते थे।

प्रश्न 10.
शिवाजी ने अंत में क्या घोषणा की ?
उत्तर:
शिवाजी ने अंत में घोषणा की कि यदि कोई भविष्य में ऐसा काम करेगा तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी ने अपने सेनापति की ग़लती पर सूबेदार की पुत्र-वधू से किस प्रकार माफी मांगी ?
उत्तर:
शिवाजी ने कहा कि माँ, शिवा अपने सेनापति की इस हरकत पर आपसे माफी मांगता है। आप एक माँ के समान पूजनीय हैं। यदि मेरी माँ आप जैसी सुंदर होती तो मैं भी सुंदर होता। मैं आपकी सुंदरता का हिंदू विधि से पूजन करना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
शिवाजी ने अपने सेनापति को किस प्रकार डाँट फटकार लगायी ?
उत्तर:
शिवाजी ने सेनापति को फटकारते हुए कहा कि उसने ऐसा घृणित काम किया है जो शायद क्षमा नहीं किया जा सकता। तुम शिवा को नजदीक से जानते थे फिर भी ऐसा दुस्साहस किया। शिवा ने आज तक किसी मस्जिद की दीवार में बाल के बराबर दरार नहीं आने दी। सदा कुरान का सम्मान किया।

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प्रश्न 3.
शिवाजी किस तरह सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे ?
उत्तर:
शिवाजी ऐसे सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे जहां सुख-शांति एवं भाईचारा हो। जहाँ पर-स्त्री का भी माँ के जैसा सम्मान हो। हिंदू-मुस्लिम सभी धर्म समान हों। मंदिर-मस्जिद दोनों का सम्मान हो। कोई भी आततायी न हो।

प्रश्न 4.
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग क्यों मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग इसलिए मानते थे, क्योंकि शील जीवन का मूल आधार है। इसी से जीवन महान् बनता है। यदि शिवा में शील नहीं तो सरदार और सेनापति में शील नहीं हो सकता है। बिना शील के हम लुटेरों, डाकुओं के समान हैं। इसके बिना जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ के आधार पर शिवाजी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
(1) वीर-शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे। उनकी वीरता चारों तरफ बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने अपनी वीरता के बल पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और उन्हें खदेड़ दिया।
(2) चरित्रवान्-शिवाजी एक महान् चरित्रवान् राजा थे। उनकी शीलता बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने कभी भी किसी स्त्री को नहीं सताया था। यहां तक कि वह मुस्लिम स्त्रियों को भी पूजनीय मानता था।
(3) नारी का सम्मान करने वाला-शिवाजी नारी का पूरा सम्मान करते थे। वे पर-स्त्री को अपनी माँ के समान पूजनीय मानते थे। इसीलिए उन्होंने कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा जीतने के बाद भी सम्मान सहित क्षमा मांग कर वापिस भिजवा दिया था।
(4) साहसी-शिवाजी एक साहसी वीर थे। उनमें साहस कूट-कूट भरा था। इसी साहस के बल पर उन्होंने अनेक आंतकियों को मार भगाया था।
(5) सभी धर्मों का सम्मान करने वाले-शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। उन का मानना था कि सभी धर्म श्रेष्ठ और पूजनीय होते हैं। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण रूप से सम्मान करते थे और किसी भी स्थिति में उस का निरादर करने की बात सोचते तक नहीं थे।

प्रश्न 2.
इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पर-स्त्री को सदा माँ के समान पूजनीय समझना चाहिए। उसका सदा आदर करना चाहिए। कभी भी वीरता का घमंड नहीं करना चाहिए। धैर्यवान् एवं चरित्रवान् बनना चाहिए। दूसरों का सदा सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों एवं लोगों को समान भाव से देखना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

प्रश्न 3.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी की अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रम का चित्रण किया है। वे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने धर्मान्ध विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदू स्वराज्य की स्थापना की, जो धर्मनिरपेक्ष था। उनका स्वराज्य मानव-मूल्यों की आधारशिला पर टिका हुआ था। जिसमें प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवनयापन के अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी शीलवान और चरित्रवान् पुरुष थे। उनमें राजगद्दी का कोई अभिमान नहीं था। वे नारी जाति का पूर्ण सम्मान करते थे। शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक वंदनीय थी। यही कारण है कि सेनापति द्वारा शत्रु पत्नी को बंदी बनाकर लाने पर वे उनसे क्षमायाचना की थी तथा उन्हें सकुशल पति के पास भेजने का आश्वासन दिया था। उनका मानना था कि शिवा में शील होना आवश्यक था क्योंकि उनमें शील होने पर ही सेनापति तथा सरदारों में शील हो सकता था। बिना सच्चरित्र के लुटेरों, डाकुओं और हममें कोई अंतर नहीं। ऐसी अवस्था में जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एकांकी का यह नाम बिल्कुल सार्थक है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
आवाजी, क्या तुम मेरी परीक्षा लेना चाहते थे ? इसलिए तो तुमने यह कार्य किया ?
उत्तर:
जब आवाजी कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर शिवाजी के सामने लाया तो शिवाजी ने उसको फटकार लगाई कि क्या वह उसकी परीक्षा लेना चाहता था। शायद इसलिए तुमने यह कार्य किया है।।

प्रश्न 2.
पेशवा, यह…… यह मेरे …. मेरे एक सेनापति ने ….. मेरे एक सेनापति ने क्या…. क्या कर डाला। लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा ….. कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा ?
उत्तर:
शिवाजी अपने सेनापति द्वारा किए गए घृणित कार्य से बहुत लज्जित हुए। उनकी अंर्तात्मा उन्हें दुत्कारने लगी तो वे अंदर ही अंदर क्षमा याचना करते हैं कि पर-स्त्री को बंदी बनाने का घृणित कार्य उनके सेनापति ने किया है। उसके सेनापति ने कैसा लज्जापूर्ण कार्य कर डाला। आज लज्जा से मेरा सिर पृथ्वी में नहीं बल्कि पाताल में धंसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

अशुद्ध – शुद्ध
दलान – ………………
सुसजित – ………………
वेषभूशा – ………………
गबराहट – ………………
हिंदू – ………………
मसजिद – ………………
श्रेसकर – ………………
सेनापती – ………………
उपसथित – ………………
मुसकुराना – ………………
खुबसूरती – ………………
सुराजय – ………………
घृणीत – ………………
प्राशचित – ………………
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
दलान – दालान
सुसजित – सुसज्जित
वेषभूशा – वेषभूषा
गबराहट – घबराहट
हिंदू – हिंदु
मसजिद – मस्जिद
श्रेसकर – श्रेयस्कर
सेनापती – सेनापति
उपसथित – उपस्थित
मुसकुराना – मुस्कुराना
खुबसूरती – खूबसूरती
सुराजय – स्वराज्य
घृणीत – घृणित
प्राशचित – प्रायश्चित

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

  • मुहावर – अर्थ – वाक्य
  • भृकुटि चढ़ना – क्रोध आना – ………………
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) –
    दाँतों के नीचे आना – क्रोध आना – ………………
  • सिर पर चढ़ाना – सम्मान करना, आदर-भाव से ग्रहण करना – ……………
  • बाल बराबर दरार न आने देना – ज़रा भी नुकसान न होने देना, एक समान भाव रखना, समानता रखना – …………….

उत्तर:

  • भृकुटि चढ़ना (क्रोध आना) – दुर्योधन को देखकर अर्जुन की भृकुटि चढ़ गई।
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दाँतों के नीचे आना (क्रोध आना) – दुश्मन को देखकर सिपाही का (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दांतों के नीचे आ गया।
  • सिर पर चढ़ाना (सम्मान करना) – प्रताप से सभी प्रेम करते हैं इसलिए वह सबके सिर चढ़ा रहता है।
  • बाल बराबर दरार न आने देना (ज़रा भी नुकसान न होने देना एक समान भाव रखना अथवा समानता रखना)-शिवाजी ने कभी भी मस्जिदों में बाल बराबर दरार नहीं आने दी।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ में लेखक क्या कहना चाहता है ? क्या लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल हुआ है ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखक शिवाजी की मानवतावादी एवं मानव कल्याण की भावना को उजागर करना चाहता है। शिवाजी शक्ति, शौर्य और पराक्रम की साक्षात मूर्ति थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। ऐसा स्वराज्य स्थापित किया जो धर्म-निरपेक्ष था। जो मानव मूल्यों की आधारशिला पर टिका था। उसमें प्रत्येक नागरिक को आदरपूर्वक जीवनयापन करने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु-पत्नी माँ से भी अधिक वंदनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले उन्हें बहुत प्रिय थे। उनके स्वराज्य में सभी धर्मों का सम्मान होता है, कहीं भी मस्जिद, कुरान का अपमान नहीं होता। इसीलिए वह कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उनसे क्षमायाचना करता है और उन्हें आदर सहित उनके पति के पास भेजता है। इस घृणा योग्य कार्य से वह बहुत लज्जित होता है। इस तरह लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह से सफल हुआ है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

प्रश्न 2.
यदि आप शिवाजी की जगह होते तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उसकी नामाकूल हरकत के लिए क्या सज़ा देते ?
उत्तर:
यदि मैं शिवाजी की जगह होता तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उनकी दुष्टतापूर्ण हरकत के लिए कड़ी से कड़ी सजा देता। उसे इस कार्य के लिए बिल्कुल माफ़ न करता। उसे आजीवन कारावास में डाल देता।

प्रश्न 3.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात् जहाँ नारी का पूजा (सम्मान) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं-क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी प्रकृति और उस परमात्मा का दूसरा रूप है। परमात्मा हर जगह विराजमान नहीं हो सकता था। इसलिए उसने संसार में अपने अनेक रूपों में नारी को बनाया। प्रकृति और प्रभु पूजनीय एवं श्रद्धा-योग्य हैं इसलिए नारी भी पूजनीय एवं श्रद्धेय है। अतः हमें नारी का सदा सम्मान करना चाहिए। उसकी सदा पूजा करनी चाहिए। जहां नारी की पूजा होती है वहां सदा सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है। वहां कभी अशुभ नहीं हो सकता। इसलिए सदा नारी का आदर सम्मान करना चाहिए। उसकी पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
स्त्री को छेड़ने/अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती। असली बहादुरी तो स्त्री रक्षा/ सुरक्षा में है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि स्त्री को छेड़ने या अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती बल्कि असली बहादुरी तो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करने में होती है। स्त्री को छेड़ना या अपहरण करना एक लज्जापूर्ण शिवाजी का सच्चा स्वरूप एवं घृणा योग्य कार्य है। इस कार्य को करने से समाज में बदनामी मिलती है। मान-सम्मान नष्ट हो जाता है। समाज ऐसे लोगों से घृणा करने लगता है। उनसे लोग अपना सामाजिक रिश्ता तोड़ लेते हैं। किंतु जो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करता है लोग उसे बहादुर कहकर उसका आदर सम्मान करते हैं। समाज में उसकी इज्जत बढ़ने लगती है। उसकी एक श्रेष्ठ होने की पहचान बन जाती है। इसलिए हमें सदा स्त्रियों की रक्षा या सुरक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
नारी के उत्थान के लिए अनेक समाज सुधारकों/कवियों/लेखकों/महापुरुषों ने कार्य किये हैं। आप किससे प्रभावित हुए हैं ? नारी-उत्थान में उनके योगदान को उजागर करते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
मैं हिंदी-साहित्य के प्रसिद्ध लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से प्रभावित हुआ हूँ। उन्होंने नारी-उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने अपने साहित्य में भारतीय नारी को विशेष स्थान दिया। उन्होंने नारी को सबसे श्रेष्ठ माना है। उन्होंने विधवा नारी को इष्टदेव के मंदिर की पूजा के समान बताया है। उन्होंने नारी पूजनीय एवं श्रद्धेय माना है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से एकांकी खेलें।

प्रश्न 2.
अपने स्कूल/शहर/गाँव के पुस्तकालय से शिवाजी से सम्बन्धित पुस्तक लेकर उनके अन्य जीवन प्रसंग पढ़िए। प्रेरक प्रसंगों की जानकारी इंटरनेट से भी प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
नारी अबला नहीं, सबला है-इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद आयोजित करें। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
पक्ष : यह कथन सत्य है कि नारी अबला नहीं, सबला है। नारी शक्ति का दूसरा नाम है। नारी को दुर्गा शक्ति का अवतार माना जाता है। नारी किसी भी रूप में पुरुषों से पीछे नहीं है। 21वीं सदी को तो नारी सदी के नाम से ही पुकारा गया है। आज नारी ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे नारी नहीं कर सकती। वह जीवन की हर कठिनाई एवं मुसीबत का बढ़-चढ़कर मुकाबला कर सकती है।

विपक्ष : नारी अबला है, सबला नहीं। नारी जीवन में केवल सहज कार्य ही कर सकती है वह केवल घर को संभालने में ही लगी रहती है। इतना ही नहीं वह किसी भी मुसीबत का मुकाबला नहीं कर सकती। वह हर जगह पुरुषों पर निर्भर रहती है।

(ङ ) ज्ञान-विस्तार

शिवाजी के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानिए

  • पूरा नाम : शिवाजी राजे भोसले
  • जन्म तिथि : 19 फरवरी, 1630
  • जन्म भूमि : शिवनेरी (महाराष्ट्र)
  • पिता : शाह जी भोंसले
  • माता : जीजाबाई
  • पत्नी : साइबाई निम्बालकर
  • सन्तान : शम्भा जी
  • उपाधि : छत्रपति
  • युद्ध : मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध
  • निर्माण : अनेक क़िलों का निर्माण व पुनरुद्धार
  • सुधार परिवर्तन : हिन्दू राज्य की स्थापना
  • राजघराना : मराठा साम्राज्य
  • वंश : भोंसले
  • मृत्यु : 3 अप्रैल, सन् 1680

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

PSEB 9th Class Hindi Guide शिवाजी का सच्चा स्वरूप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति आवाजी सोनदेव ने किस पर विजय प्राप्त की ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 2.
किनका काम कल्याण पर विजय में प्रशंसनीय रहा ?
उत्तर:
कल्याण विजय में पैदल सेना के अधिपति नायब, हवलदार, जुमलादार, एकहजारी, घुड़सवारों में अधिपति हवलदार, जुमलदार तथा सूबेदार का काम प्रशंसनीय रहा।

प्रश्न 3.
सेनापति ने किसका खजाना लूटा ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण का खजाना लूटा।

प्रश्न 4.
कल्याण का सूबेदार कौन था ?
उत्तर:
कल्याण का सूबेदार अहमद था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति द्वारा अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर लाने की बात सुनकर शिवाजी पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
शिवाजी की सारी प्रसन्नता अचानक लुप्त हो गई। उनकी भौहें चढ़ गईं थी। नीचे का होंठ ऊपर के दांतों के नीचे आ गया। उन्हें क्रोध आ गया।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एकांकी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक सेठ गोबिन्द दास ने शिवाजी के शील, शौर्य, पराक्रम एवं मानव मूल्यों का वर्णन किया है। इसमें शिवाजी का सच्चा स्वरूप उभरकर सामन आया है। वे हमारे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। यह एक धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था जो मानव मूल्यों का आधारशिला पर खड़ा था। यहां प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक पूजनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले बहुत प्रिय थे। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण सम्मान करते थे। इसलिए उन्होंने कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उससे क्षमा याचना की थी तथा उसे वापिस भेजने का आश्वासन दिया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए सभी धर्म पूज्य थे ? कैसें ?
उत्तर:
शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। यही कारण है कि उनकी सेना में हिंदु-मुसलमान दोनों थे। उन्होंने किसी मस्जिद की दीवार को कभी आंच नहीं आने दी। उन्हें कभी कुरान शरीफ़ मिली तो उसे आदर सहित मौलवी साहब की सेवा में भेजा था। उनके लिए हिंदू-मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं था। इसीलिए उन्होंने धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य की स्थापना की थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवाजी के लिए सभी धर्म पूजनीय थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी किसकी रचना है ?
उत्तर:
सेठ गोबिन्द दास की।

प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए शत्रु की पत्नी कैसी है ?
उत्तर:
माँ से भी अधिक वंदनीय है।

प्रश्न 3.
सेनापति आवाजी सोनदेव कहाँ का खज़ाना लूट कर लाए हैं ?
उत्तर:
कल्याण प्रांत का।

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प्रश्न 4.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी में किस स्थान और समय की घटना का वर्णन है ?
उत्तर:
रायगढ़ दुर्ग के एक प्लान में सन् 1648 ई० की संध्या का।

प्रश्न 5.
पेशवा का क्या नाम है ?
उत्तर:
मोरोपंत।

प्रश्न 6.
श्रीमंत सरकार शिवाजी को कौन संबोधित करता है ?
उत्तर:
पेशवा मोरोपंत और आवाजी सोनदेव सेनापति।

हां-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
अहमद की पुत्र-वधू को मोरोपंत ने बंदी बनाया था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 8.
अहमद की पुत्रवधू की आँखों में आँसू छलछला आए।
उत्तर:
हाँ।

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सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 9.
मोरोपंत शिवाजी की परिवर्तित मुद्रा देखकर घबरा सा जाता है।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 10.
माँ, आपको आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और ख़बरदारी के साथ आपके शौहर के पास पहुँचा दिया जायेगा।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 11.
आवाजी, तुमने ऐसा …… किया है, जो ……. क्षमा नहीं किया जा सकता।
उत्तर:
आवाजी, तुमने ऐसा काम किया है, जो कदाचित् क्षमा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 12.
तब तो ये ………… ये ……. घृणित …….. है।
उत्तर:
तब तो ये रक्तपात, ये लूटमार घृणित कृतियाँ हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 13.
मसनत के सहारे शिवाजी किस आसन में बैठे हैं ?
(क) वज्रासन
(ख) सुखासन
(ग) वीरासन
(घ) पद्मासन।
उत्तर:
(ग) वीरासन।

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प्रश्न 14.
आवाजी सोनदेव शिवाजी का क्या है ?
(क) सैनिक
(ख) मंत्रि
(ग) पेशवा
(घ) सेनापति।
उत्तर:
(घ) सेनापति।

प्रश्न 15.
द्वार पर शस्त्रों से सुसज्जित कितने मावली रक्षक खड़े हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 16.
“लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है”-कथन किसका है ?
(क) मोरोपंत
(ख) सोनदेव
(ग) शिवाजी
(घ) अहमद की पुत्रवधू।
उत्तर:
(ग) शिवाजी।

कठिन शब्दों के अर्थ

मावली = शिवाजी के खास सैनिक। दुर्ग = किला। निस्तब्धता = चुप्पी। हम्माल = मज़दूर, कुली। मेणा = बंद पालकी। पेशवा = सरदार। वृत्त = इतिहास, वृत्तांत। भृकुटि = भौंह। तोहफा = भेंट, उपहार। सिपहसालार = सेनापति। श्रीमंत = श्रीमान्। नामाकूल हरकत = अनुचित व्यवहार, मूर्खतापूर्ण व्यवहार, बेहूदा शरारत। इबादत = पूजा। कमखाब = रंगीन बूटीदार। = रेशमी कपड़ा। अभिवादन = सत्कार। सदृश = समान। हिफाज़त = सुरक्षा। ख़बरदारी = सावधानीपूर्ण, होशियारी से। पर-स्त्री = पराई स्त्री। शौहर = पति। दालान = बरामदा। कदाचित् = शायद, कभी। घृणित = घृणा के योग्य। आततायी = सताने वाले। स्तंभ = खंभा। क्षति = नुकसान।। रक्तपात = खून बहाना। मसनद् = गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया। उदारचेता = खुले विचारों वाला। शील = चरित्र। श्रेयस्कर = कल्याणकारी। वीरासन में बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों आदि द्वारा अपनाया जाता है। इन्द्रियलोलुप = भोगविलास की इच्छा रखने वाला। प्रायश्चित्त = पछतावा। कनखी = तिरछी नज़र। अजीबो गरीब = विचित्र। संवाद = परस्पर बातचीत। सत्ता का अपहरण = राज्य छीनना।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

शिवाजी का सच्चा स्वरुप Summary

शिवाजी का सच्चा स्वरुप जीवन-परिचय

जीवन परिचय-सेठ गोबिन्ददास हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1896 ई० में हुआ। वे लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
रचनाएँ-सेठ जी ने साहित्य के सभी क्षेत्रों में लेखन कार्य किया है। परंतु नाटक-एकांकी के क्षेत्र में इन्होंने महान् ख्याति प्राप्त की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैंनाटक एकांकी-अलबेला, कर्ण, कर्त्तव्य, प्रकाश, विकास, शाप और वर, सच्चा जीवन, सेवापथ अशोक, हर्ष।
साहित्यिक विशेषताएँ-सेठ गोबिन्ददास साहित्य और राजनीति का संगम थे। इन्हें देश-प्रेम संस्कारों में मिला था। यही उनके जीवन तथा साहित्य का प्रमुख स्वर रहा है। इनके साहित्य में देश-प्रेम की भावना का वर्णन हुआ है। इन्होंने अपने नाटक एकांकियों में सामाजिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जीवन की अनेक समस्याओं को उठाया है। इनमें भारतीय संस्कृति, देश-प्रेम तथा गांधी-दर्शन का प्रकाश उजागर किया गया है।

शिवाजी का सच्चा स्वरुप एकांकी का सार

‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ सेठ गोबिन्ददास की प्रमुख एकांकी है। इसमें लेखक ने शिवाजी महाराज के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया है। शिवाजी हमारे राष्ट्रीय गौरव का महान् ध्वज हैं। वे अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रमी थे। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर ‘हिन्दी स्वराज्य’ की स्थापना की। यह धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था। इन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से निरंतर लोहा लिया। इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी के इसी पवित्र चरित्र का वर्णन किया गया है। शिवाजी, मोरोपंत तथा आवाजी सोनदेव इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर, मोरोपंत पेशवा तथा सोनदेव शिवाजी एक सेनापति थे। यह एकांकी सन् 1648 ई० की संध्या को राजगढ़ दुर्ग के दालान पर घटित होती है। दालान में मसनद् के सहारे शिवाजी आसन पर बैठे थे। राजगढ़ दुर्ग के दालान पर शस्त्रों के साथ सुदृढ़ शरीर वाले मावली रक्षक खड़े हुए हैं और बायीं तरफ से मोरोपंत पिगंले का प्रवेश हुआ। उसने शिवाजी सरकार को नमस्कार किया। उसने बताया कि सेनापति सोनदेव कल्याण प्रांत को जीतकर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आए हैं। यह शुभ समाचार सुनकर शिवाजी बड़े खुश हुए। कुछ समय पश्चात् सेनापति आवाजी सोनदेव ने शिवाजी के सामने आकर अभिवादन किया। शिवाजी ने उसे इस जीत की बधाई दी तथा सेनापति ने शिवाजी को बधाई दी। दोनों में इस युद्ध के विषय में खूब चर्चा हुई। सेनापति ने जीत के साथ-साथ कल्याण के लूटे हुए खजाने के बारे में बताया तथा उसने बताया कि वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को भी बंद कर आपकी सेवा में लाया है। यह सुनकर अचानक शिवाजी की मुद्रा बदल जाती है। सेनापति भी घबरा उठता है। क्रोधित स्वर में शिवाजी तुरंत मेणा को अपने सामने लाने के लिए कहा। आवाजी उसी समय एक बंद पालकी महाराज के सामने ले आए। उसमें से बहुत सुंदर युवती (अहमद की पुत्रवधु) बाहर निकल चुपचाप एक तरफ खड़ी हो जाती है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

शिवाजी उसे माँ कहकर अपने सेनापति के लिए माफी मांगते हैं, उन्होंने कहा कि वे तो उसके सौंदर्य का हिंदू विधि से पूजन करना चाहते हैं । इसके बाद शिवाजी क्रोधावेश में आकर सेनापति पर बरस पड़े कि तूने ऐसा घृणित कार्य किया। शिवा ने आजतक किसी मस्जिद में बाल बराबर भी दरार नहीं आने दी। उसने तो कुरान को भी सर माथे लगाया। उसका सम्मान किया। इस्लाम उसके लिए पूज्य है। इस्लाम के पवित्र स्थान तथा पवित्र ग्रंथ उनके लिए सम्माननीय हैं। शिवाजी की सेना में हिंदु ही नहीं मुस्लिम भी सैनिक थे। वह देश में हिंदू राज्य नहीं सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वह आक्रमणकारियों से सत्ता लेकर उदार लोगों को देना चाहते थे। वह तो स्त्री को माता के समान पूजनीय मानता था। शिवाजी सेनापति के बुरे कार्य के लिए फटकारते रहे। वे बार-बार अपने सेनापति के इस बुरे कर्म की वजह से पश्चाताप करने लगे। उन्होंने उसी समय घोषणा की कि यदि आगे कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा। यह कहकर शिवाजी का सिर नीचे झुक गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Hindi Guide for Class 9 PSEB प्रकृति का अभिशाप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव को किस ग्रह की चिंता थी ?
उत्तर:
सूर्यदेव को पृथ्वी ग्रह की चिंता थी।

प्रश्न 2.
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कौन विषाक्त बना रहा है ?
उत्तर:
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषण विषाक्त बना रहा है।

प्रश्न 3.
पवनदेव ने ऑक्सीजन कम होने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
कारखानों, इंजनों में आग का प्रयोग होने से ऑक्सीजन कम हो रही है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

प्रश्न 4.
वनदेवी ने अपने घटने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
वनदेवी ने अपने घटने का कारण कार्बन-डाइऑक्साइड को बताया।

प्रश्न 5.
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर:
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य में आँतों की बीमारियाँ उत्पन्न करती हैं। तपेदिक जैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन परत क्या है ?
उत्तर:
जो परत सूर्य द्वारा विसर्जित पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है उसे ओज़ोन परत कहते हैं।

प्रश्न 7.
ओज़ोन की परत को कौन नष्ट कर रहा है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल में पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े-बड़े हवाई जहाज ओज़ोन की परत को नष्ट कर रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात किसने सूर्यदेव से की ?
उत्तर:
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात बुद्धिदेवी ने सूर्यदेव से की।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का क्या हाल होता ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता। पृथ्वी पर प्राणी जीवित नहीं रह पाते। पृथ्वी पर अनेक संकट आ जाते। अतंरिक्ष की उलकाएँ पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी में धरातल भी चंद्रमा के समान बड़ेबड़े गड्ढों में बदल जाता।

प्रश्न 2.
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ‘ऑक्सीजन का कारखाना’ क्यों कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना इसलिए कहा है क्योंकि हरी पत्तियां भोजन और ऑक्सीजन बनाती हैं। इस कारखाने में कभी कोई हड़ताल नहीं होती। ये प्रकाश-संश्लेषण क्रिया से कार्बन-डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में विश्लेषित करती हैं और कार्बन स्वयं शोषित कर ऑक्सीजन को वायु में छोड़ देती

प्रश्न 3.
वनदेवी ने गुस्से में आकर रश्मिदेवी को क्या कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने रश्मिदेवी को गुस्से में आकर कहा कि मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगलों को अंधाधुध काट रहा है। इससे वायु को शुद्ध करने की मेरी क्षमता नष्ट हो रही है। प्रदूषण बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
वन किस प्रकार हमारे लिए लाभकारी हैं ?
उत्तर:
वन हमारे लिए बहुत लाभकारी हैं। वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। वन वर्षा लाने में सहायक हैं। इससे अनेक उपयोगी वनस्पतियाँ और औषधियां मिलती हैं।

प्रश्न 5.
रेडियोधर्मिता क्या है ? मनुष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
परमाणु-परीक्षण के लिए जिन यूरेनियम जैसे तत्वों को प्रयोग करने से हानिकारक प्रभाव वायुमंडल में फैलते हैं उसे रेडियोधर्मिता कहते हैं। मनुष्य पर उसका अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे मानव भयंकर बीमारियों से पीड़ित हो जाता है। उसके कुप्रभाव से अगली पीढ़ी को तो पहचानना भी संभव नहीं रह सकेगा।

प्रश्न 6.
बुद्धिदेवी ने मानव-रक्षा के लिए सूर्यदेव को क्या भरोसा दिलाया ?
उत्तर:
बुद्धिदेवी ने मानव रक्षा के लिए सूर्यदेव को यह भरोसा दिलाया कि वह मानव-कल्याण का कार्य करेगी। वह प्रदूषण दैत्य को जड़ से समाप्त कर देगी जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था। किंतु उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया। आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है। आप लेखक की बात से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं लेखक की बात से पूरी तरह से सहमत हूँ क्योंकि प्रदूषण ने वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज प्राणियों का सांस लेना भी कठिन हो रहा है। आज पृथ्वी ग्रह पर जीवन संकटों से भरा है। वायु भी दूषित हो गई है जिससे प्राणी सांस भी नहीं ले रहा। आज प्रदूषण ने सारी पृथ्वी पर कब्जा कर लिया है।

प्रश्न 2.
जल, वायु और ध्वनि-प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं। इनसे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। जल प्रदूषण से हैजा, पेचिश जैसी बीमारियाँ होती हैं। वायु प्रदूषण से दमा, खांसी तथा सांस के अन्य रोग होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग, फेफड़ों के अनेक रोग फैल रहे हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

  • यह दैत्य ऐसा ही है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को विषाक्त बना रहा है।

उत्तर:
इस कथन का आशय है कि वर्तमान समय में चारों तरफ प्रदूषण फैलता जा रहा है। यह एक राक्षस की तरह फैला है। यह एक ऐसा राक्षस है जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे इसके प्रभाव से वातावरण ज़हरीला बना रहा है। प्रदूषण के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है जो अनेक बीमारियों का कारण है।

  • मैं हूँ मानव का महाकाल, प्रगति का अभिशाप, औद्योगिक प्रगति का विष-वृक्ष, मैं हूँ मानव का अदृश्य शत्रु-प्रदूषण दैत्य। समझे…प्रदूषण दैत्य।

उत्तर:
आज प्रदूषण एक राक्षस के समान चारों तरफ फैला है। वह अत्यंत भयानक एवं खतरनाक है। वह वनदेवी को अपने खतरे को बताते हुए कहता है कि मैं मानव का महाकाल हूँ। अर्थात् मैं मनुष्य को मारने वाला हूँ। मैं प्रगति के रास्ते में बाधक हूँ। मैं औद्योगिक प्रगति को नष्ट करने वाला हूँ। मैं मानव का अदृश्य शत्रु हूँ अर्थात् मैं मानव-जाति के लिए विनाशकारी प्रगति के लिए अभिशाप हूँ। मैं औद्योगिक विकास का विष वृक्ष हूँ। सबको निरंतर नष्ट कर रहा हूँ।

  • आप लोग चिंता न करें, मुझ पर भरोसा रखें। आदि मानव विनाशकारी अग्नि से भयभीत हो गया था। फिर उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया और आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है। मैं इस प्रदूषण दैत्य को ही जड़ से समाप्त कर दूँगी। संसार में इसका उन्मूलन करना परमावश्यक है।

उत्तर:
बुद्धिदेवी मानव कल्याण के लिए सूर्यदेव को आश्वासन देती है वह कहती है कि मानव कल्याण के लिए आप चिंता न करें। इसके लिए आप मुझ पर भरोसा रखें। जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था किंतु बाद में उसने अग्नि को अपने अधीन कर लिया इसलिए आज अग्नि मानव के लिए कल्याणकारी है। इसी तरह मैं इस प्रदूषण रूपी राक्षस को जड़ से खत्म कर दूंगी। आज संसार में इसको मिटाना बहुत ज़रूरी है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एक-वचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए :

एकवचन – बहुवचन
पत्ता – ……………….
पुत्री – ……………….
आँत – ……………….
बहरा – ……………….
नज़र – ……………….
गड्ढा – ……………….
पृथ्वी – ……………….
किरण – ……………….
साड़ी – ……………….
परत – ……………….
नीला – ……………….
पत्ती – ……………….
पीला – ……………….
लकड़ी – ……………….
गैस – ……………….
देवी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
पत्ता – पत्ते
पुत्री – पुत्रियाँ
आँत – आँतें
बहरा – बहरे
नज़र – नज़रें
गड्ढा – गड्ढे
पृथ्वी – पृथ्वियाँ
किरण – किरणें
साड़ी – साड़ियाँ
परत – परतें
नीला – नीले
पत्ती – पत्तियाँ
पीला – पीले
लकड़ी – लकड़ियाँ
गैस – गैसें
देवी – देवियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति – ……………. – …………….
असत्य – ……………. – …………….
प्रगति – ……………. – …………….
प्रत्येक – ……………. – …………….
आगमन – ……………. – …………….
प्रदूषण – ……………. – …………….
अत्यधिक – ……………. – …………….
दुष्प्रभाव – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति -उत् – नति
असत्य – अ – सत्य
प्रगति -प्र – गति
प्रत्येक – प्रतिएक – दुष्प्रभाव
आगमन – आ – गमन
प्रदूषण – प्र – दूषण
अत्यधिक – अति – अधिक
दुः – प्रभाव

3. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिएशब्द … मूल शब्द प्रत्यय

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – ……………. – …………….
उपयोगी – ……………. – …………….
उपहार – ……………. – …………….
तीव्रता – ……………. – …………….
विषैला – ……………. – …………….
ज़हरीला – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – प्रसन्न – ता
तीव्रता – तीव्र – ता
उपयोग – उपयोग – ई
विषैला – विष – ऐला
उपहार – उप – हार

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4. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – ……………….
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – ……………….
• नाक में दम करना – तंग करना – ……………….
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – ……………….
• लोहा लेना – युद्ध करना – ……………….
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – ……………….
उत्तर:
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – समय बीत जाने पर हमारे पास कार्य सिद्धि का कोई चारा नहीं रहता।
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – अंग्रेजों ने शहीदों पर बहुत गज़ब ढाए।
• नाक में दम करना – तंग करना – शरारती बच्चों ने सबकी नाक में दम कर दिया
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – डाकुओं ने यात्री को घुला-घुला कर मार डाला।
• लोहा लेना – युद्ध करना – शिवाजी ने विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया।
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – डरपोक लोग विपत्ति काल में तिनके के समान होते हैं।

5. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
सफेद – ……………….
पीला – ……………….
चाँद – ……………….
सूरज – ……………….
करोड़ – ……………….
समुन्दर – ……………….
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
सफेद – शुभ्र
पीला – पीत
चाँद – चंद्र
सूरज – सूर्य
करोड़ – कोटि
समुन्दर – समुद्र

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

6. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए

(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री पृथ्वी
(ii) कौन रश्मि तुम मेरी बातें सुन रही थीं
(iii) हाँ तुमने ठीक पहचाना
(iv) सिंहासन से उठकर आखिर बात क्या है
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए शक्ति दीजिए कि मैं लोग कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ
उत्तर:
(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री-पृथ्वी।
(ii) कौन रश्मि! तुम मेरी बातें सुन रही थीं।
(iii) हाँ! तुमने ठीक पहचाना।
(iv) सिंहासन से उठकर- आखिर बात क्या है?
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए, शक्ति दीजिए कि मैं लोग-कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
(1) प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) वनों के कटाव पर रोक लगानी चाहिए।
(3) जंगलों को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
(4) अपने आस-पास गंदा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
(5) व्यर्थ में पानी नहीं बहाना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट कूड़ादान में ही डालना चाहिए।

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प्रश्न 2.
क्या सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है ? स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
हाँ, सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि से विचार करें तो वह प्रदूषण को पूर्ण रूप से नष्ट कर सकता है और इस प्रकृति को और अधिक सुंदर बना सकता है। वातावरण को साफ, स्वच्छ एवं सुंदर और मनमोहक बना सकता है।

प्रश्न 3.
आपकी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर-हमारी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए
(1) सरकारों को कारखाने, फेक्ट्रियां शहरों से दूर लगवाने चाहिए।
(2) कारखानों का गंदा पानी नदियों में नहीं डालना चाहिए।
(3) पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगवाने चाहिए।
(4) जंगलों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर-अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से प्रदूषण-उन्मूलन-रैली का आयोजन हो तो इन नारों से समाज को प्रदूषण से मुक्ति के लिए जाग्रत करें।
उत्तर-
(1) प्रदूषण मिटाओ, देश बचाओ।
(2) प्रदूषण भगाओ स्वास्थ्य बचाओ।
(3) पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण मिटाओ।

प्रश्न 3.
इस एकांकी को स्कूल में उचित अवसर पर मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
अपने जन्मदिन के अवसर पर एक गमले में बढ़िया-सा पौधा लगाकर उसे स्कूल को भेंट करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से प्रदूषण के भयंकर परिणामों से सम्बन्धित चित्र इकट्ठे करके उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 6.
वैज्ञानिक प्रगति ही प्रदूषण का मुख्य कारण हैइस विषय पर स्कूल में वाद-विवाद आयोजित कीजिए। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 7.
अपने विज्ञान-अध्यापक की मदद से विज्ञान-प्रयोगशाला में जाकर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया को समझें।
उत्तरं:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने हेतु पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें, कागज़ का प्रयोग कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी अधिक खराब सामग्री रिसाइकिल होगी, उतना ही पृथ्वी का कूड़ा कचरा भी कम होगा।
उत्तर:
स्वयं समझें एवं करें।

प्रश्न 9.
स्कूल में आयोजित होने वाले विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) तथा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) में सक्रिय रूप से भाग लें और पर्यावरण स्वच्छता व सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करें।
उत्तर:
स्वयं करें।

प्रश्न 10.
यदि आप देखें कि किसी फैक्टरी/कारखाने द्वारा किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो अपने बड़ों/अध्यापकों आदि की मदद से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सम्बन्धित विभाग में शिकायत करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 11.
विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओज़ोन दिवस आदि अवसरों पर लेख, नाटक, कविता, निबन्ध नारे लेखन, भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. खर : रावण का सौतेला भाई जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

2. दूषण : रावण की सेना का नायक जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

3. त्रेता : हिन्दू मान्यतानुसार चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग) में से दूसरा युग।

4. प्रकाश-संश्लेषण : सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश-संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्तियों द्वारा सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा पृथ्वी से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं।

5. कार्बनडाइऑक्साइड : यह एक रासायनिक यौगिक है जिसका निर्माण ऑक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। पृथ्वी के सभी जीव अपनी श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं।

6. ऑक्सीजन : यह रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। जीवित प्राणियों के लिए यह गैस अति आवश्यक है। इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं।

7. सीसा : सीसा एक धातु एवं तत्व है। आयुर्वेद में इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग इमारतें बनाने, बंदूक की गोलियाँ तथा वज़न आदि बनाने में भी होता है। यह भी जानें कि पेट्रोल और पेंट (रंग) को सक्षम बनाने के लिए जब सीसा का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग होता है तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

8. रेडियोधर्मिता : किसी पदार्थ के परमाणु में से अपने आप विकिरणों के कणों का निकलना रेडियोधर्मिता कहलाता है। रेडियम, यूरेनियम तथा थोरियम रेडियोधर्मी पदार्थ हैं। विकिरणों से त्वचा का कैंसर और अन्य रोगाणुजनक रोग हो सकते हैं।

9. ओज़ोन परत : पृथ्वी की सतह से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओज़ोन की परत है। यह ऊँचाई के साथ-साथ मोटी होती जाती है। यह समतल मंडल में 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर सबसे अधिक मोटी है। यह परत पराबैंगनी किरणों को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकने के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करती है। इसके न होने अथवा नष्ट होने से हानिकारक पराबैंगनी किरणों दवारा लोगों में त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जायेगा।

10. महत्वपूर्ण दिवस विश्व जल दिवस : 22 मार्च विश्व स्वास्थ्य दिवस : 07 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस : 22 अप्रैल विश्व पर्यावरण दिवस : 05 जून . विश्व ओज़ोन दिवस : 16 सितम्बर विश्व प्रकृति दिवस : 03 अक्टूबर

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PSEB 9th Class Hindi Guide प्रकृति का अभिशाप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव की वेषभूषा कैसी है ?
उत्तर:
सूर्यदेव चमकदार पीले वस्त्र तथा चमचमाता सुनहरा मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 2.
रश्मिदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
रश्मिदेवी चमकदार पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी ओढ़े हैं।

प्रश्न 3.
वनदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
वनदेवी फूल और पत्तों से चित्रित हरी साड़ी पहने हैं। सिर पर पत्तों का मुकुट है।

प्रश्न 4.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलदेवी मछलियों आदि जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग के मुकुट पहने है।

प्रश्न 5.
बुद्धि देवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
बुद्धि देवी रूपहली किनारी लगी हुई सफेद साड़ी तथा रूपहला झिलमिलाता मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी किसकी पुत्री है ?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य की पुत्री है।

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प्रश्न 7.
सौरजगत विशाल कुटुंब में कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के विशाल कुटुंब में नौ ग्रह हैं। पृथ्वी इनमें से एक है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अनोखा कौन हैं ? कैसे ?
उत्तर:
पृथ्वी पर अनोखा मानव है। वह अपने मस्तिष्क के बल पर अनोखा है।

प्रश्न 9.
सौरजगत के अधिपति कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के अधिपति सूर्य हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक कौन है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक पवन है। इसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है।

प्रश्न 2.
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए अनेक लाभ हैं
(1) वायुमंडल के कारण पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं।
(2) वायुमंडल अनेक प्रकार के संकटों से पृथ्वी की रक्षा करता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल पृथ्वी की सुरक्षा कैसे करता है ?
उत्तर:
अंतरिक्ष में अनेक उल्काएँ प्रत्येक क्षण पृथ्वी की ओर आकृष्ट होती हैं, किंतु वे वायुमंडल के घर्षण के कारण मार्ग में ही नष्ट हो जाती हैं। यदि वायुमंडल न होता तो उल्काएं पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी का धरातल भी चंद्रमा के समान बड़े-बड़े गड्ढों से युक्त होता है।

प्रश्न 2.
आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का क्या योगदान है ?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की सहायता से हरी पत्तियाँ कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से कार्बन और आक्सीजन में विश्लेषित करती हैं। हरी पत्तियां कार्बन का पोषण कर लेती हैं और ऑक्सीजन को पुन: वायु में छोड़ देती हैं। इस प्रकार आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का महान् योगदान है।

प्रश्न 3.
एक नागरिक होने के नाते हम प्रदूषण को किस प्रकार दूर कर सकते हैं ?
उत्तर:
(1) हमें नागरिक होने के नाते अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
(3) वनों, पेड़-पौधों को काटने नहीं देना चाहिए।
(4) व्यर्थ में ही पानी नहीं बहाना चाहिए।
(5) लाऊड स्पीकरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट एवं गंदा पानी नदी-नालों एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द परि+आवरण के योग से बना है। परि का अर्थ है-चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ढकने वाला अर्थात् जो हमें चारों ओर फैलकर ढके हुए हैं। जो हमारी चारों तरफ से सुरक्षा कर रहा है। उसे पर्यावरण कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश इन पाँचों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
श्रीपाद विष्णु कानाडे।

प्रश्न 2.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी किसका संदेश देता है ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण का।

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प्रश्न 3.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग का मुकुट।

प्रश्न 4.
सूर्यदेव को किस ग्रह की अधिक चिंता है ?
उत्तर:
पृथ्वी की।

प्रश्न 5.
मानव सबसे अनोखा जीव अपनी किस वस्तु के कारण है ?
उत्तर:
मस्तिष्क के।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
‘मानव ने अपने मस्तिष्क के सहारे उन्नति की है’-यह कथन रश्मि देवी का है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
‘अब कार्बनडाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है’-पवन देव ने कहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 8.
‘मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं’-वनदेवी ने कहा।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
प्राणदायिनी ऑक्सीजन को कार्बन स्वयं रखकर पवन देव भेजता है।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दैत्य ……. तो मुझे ………. कर ही रहा है।
उत्तर:
दैत्य प्रदूषण तो मुझे परेशान कर ही रहा है।

प्रश्न 11.
ये कण …. से मिलकर जल और …….. को भी …….. करते हैं।
उत्तर:
ये कण कीटाणुओं से मिलकर जल और वनस्पतियों को भी दूषित करते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
चमचमाता सुनहरा मुकुट कौन पहने हुए हैं ?
(क) सूर्यदेव
(ख) रश्मिदेवी
(ग) वनदेवी
(घ) पवन देव।
उत्तर:
(क) सूर्य देव।

प्रश्न 13.
पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी कौन ओढ़े हैं ?
(क) बुद्धि देवी
(ख) जल देवी
(ग) वनदेवी
(घ) रश्मि देवी।
उत्तर:
(घ) रश्मि देवी।

प्रश्न 14.
एकांकी में प्रदूषण दैत्य कहाँ है ?
(क) जल में
(ख) वन में
(ग) नेपथ्य में
(घ) नभ में।
उत्तर:
(ग) नेपथ्य में।

प्रश्न 15.
गंधकयुक्त औषधियां कैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं ?
(क) तपेदिक
(ख) कैंसर
(ग) हृदय
(घ) नेत्र।
उत्तर:
(क) तपेदिक।

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कठिन शब्दों के अर्थ

पार्श्वभूमि = आस-पास की ज़मीन। क्षुब्ध = क्रोध मिश्रित दु:ख। अनायास = अचानक। महादैत्य = महाराक्षस। औद्योगिक = उद्योग सम्बन्धी। कुटुंब = परिवार। अंतरिक्ष = आकाश। धरातल = पृथ्वी की सतह। विसर्जित = छोड़ना। यथोचित = जैसा चाहिए वैसा, समुचित। अथाह = गहरा। आत्मघात = अपनी हत्या। विश्लेषित = अलगअलग किया हुआ। अपार = अत्यधिक, जिसका पार न पाया जा सके। तीव्र = तेज। चंगुल = पकड़, अधिकार। निःसंदेह = बेशक, बिना शक के। बला = मुसीबत। विकृति = विकार, खराबी (विकार के बाद प्राप्त रूप)। भ्रमण = घूमना। नेपथ्य = परदे के पीछे। सौरमंडल = सूर्य और उसके ग्रहों का समूह । खर-दूषण = त्रेतायुग के दो राक्षस। अट्टालिका = महल, इमारत। रश्मि = किरण। मस्तिष्क = दिमाग। समक्ष = सामने। विषाक्त = ज़हरीला। अधिपति = स्वामी, मालिक। कोटि-कोटि = करोड़ों। खिन्न = दु:खी, उदास। प्रादुर्भाव = प्रकट होना, उत्पत्ति। आच्छादित = ढका हुआ। गर्त = गड्ढा। उल्काएँ = लौह मिश्रित पत्थर के टुकड़े जो अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। अस्तित्व = हस्ती, सत्ता, विद्यमान होना। ह्रास = कमी, गिरावट। जलीय = जल संबंधी। अनोखा = अनूठा। प्रत्यक्षतः = प्रत्यक्ष रूप से। वायुमंडल = वातावरण। खिन्न = उदास। अनादिकाल = आरम्भ से ही। बलबूते = ताक़त, ज़ोर। उन्मूलन = उखाड़ फेंकना, जड़ से ख़त्म कर देना।

प्रकृति का अभिशाप Summary

प्रकृति का अभिशाप जीवन-परिचय

श्रीपाद विष्णु कानाडे एकांकी-साहित्य के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका साहित्य का विकास करने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये एक आधुनिक साहित्यकार हैं। एकांकी साहित्य के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।
‘प्रकृति का अभिशाप’ इनकी अत्यंत प्रभावशाली एवं लोकप्रिय एकांकी है। इसके साथ-साथ इन्होंने अनूठा साहित्य रचा है। कानाडे का एकांकी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी एकांकियों में एकांकी के प्रमुख तत्वों कथानक, पात्र तथा चरित्र-चित्रण, संकलनत्रय वातावरण, संवाद, उद्देश्य एवं अभिनेयशीलता का सफल निर्वाह हुआ है।
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने सूर्यदेव, वनदेवी, जलदेवी, रश्मिदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी एवं प्रदूषण पात्रों के द्वारा मानव को वातावरण के प्रति जागृत रहने की प्रेरणा दी है। मानव को प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी रखने का संदेश दिया है अन्यथा इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश निश्चित है।

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प्रकृति का अभिशाप एकांकी का सार

‘प्रकृति का अभिशाप’ नामक एकांकी श्रीपाद विष्णु कानाडे द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने प्रकृति के अभिशाप का वर्णन किया है। इसमें लेखक ने सूर्यदेव, रश्मिदेवी, वनदेवी, जलदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी तथा प्रदूषण (दैत्य) पात्रों के माध्यम से मानव को सावधान किया है कि यदि मनुष्य प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी नहीं रखेगा तो इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश भी निश्चित है। मंच पर एक विशाल सुनहरे सिंहासन पर सूर्यदेव विराजमान हैं। रश्मिदेवी सिंहासन के पीछे खड़ी है। सूर्यदेव चिंतित मुद्रा सौर जगत् के विशाल कुटुंब में पृथ्वी ग्रह के प्रति चिंता करता है। वह कहता है कि उसने अपनी पुत्री पृथ्वी को अधिक योग्य बनाना है। इसकी गोद में अनेक जीव-जंतु पेड़-पौधे पनप सकते हैं। इतना ही नहीं मानव भी पृथ्वी पर ही रहता है। यह अपने मस्तिष्क के बल पर पृथ्वी का स्वामी और अनोखा है। रश्मिदेवी सूर्य को कोई चिंता न करने का आग्रह करती है। उसे सौर-जगत् में पृथ्वी एक नंदनवन जैसी लगती है। वह सूर्य को बताती है वह पृथ्वी का भ्रमण करके आई है। उसका हाल अच्छा है। मानव ने बहुत प्रगति कर ली है। उसने बड़े-बड़े नगर बसा लिए हैं। वह उन्नति के शिखर पर पहुँच गया है। तभी पवनदेव का प्रवेश हुआ। उसने बताया कि पृथ्वी पर मानव ने उन्नति नहीं की है, बल्कि वह तो पतन के गड्ढे में गिरने वाला है। जलदेवी आकर कहती है कि ऐसी उन्नति का कोई लाभ नहीं है जिससे उसे अशुद्ध जल पीकर बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। वनदेवी प्रवेश करती है। वह बताती है कि असाधारण प्रगति के कारण मानव के समक्ष विषैला भोजन खाकर आत्मघात करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। सूर्यदेव सबके चेहरे को देखता है।

पवनदेव उनसे हाथ जोड़ कर क्षमा मांगते हैं। पवनदेव उनको नमन करता है। उसके बाद जलदेवी, वनदेवी सभी उनको प्रणाम करते हैं। सूर्य उनसे अचानक आने का कारण पूछते हैं। पवनदेव, जलदेवी, आदि सभी सूर्यदेव को बताते हैं कि पृथ्वी संकट में हैं। वनदेवी ने बताया कि प्रदूषण रूपी महादैत्य हम लोगों के पीछे लगा हुआ है। सूर्यदेव सभी से इस दैत्य के बारे में पूछता है। पवनदेव उन्हें बताते हैं कि यह ऐसा दैत्य है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को ज़हरीला बना रहा है। वनदेवी ने बताया कि इस राक्षस का जन्म औद्योगिक क्रांति से हुआ है। पवनदेव ने बताया कि उसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है। सूर्यदेव कहता है वायुमंडल के कारण ही पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं। वायुमंडल ही पृथ्वी को अंतरिक्ष की उल्काओं से बचाता है। अन्यथा पृथ्वी भी नष्ट हो जाती। सूर्यदेव कहता है कि शुद्ध वायु देने के लिए ही उसने पृथ्वी को वायु के अथाह समुद्र में डुबो दिया है। इस सागर का – भाग ऑक्सीजन है। मानव इसका प्रत्यक्ष उपयोग करता है। पवनदेव कहता है पृथ्वी पर प्रत्येक जीव ऑक्सीजन का उपयोग करता है और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ता है। किंतु कारखानों, इंजनों से कार्बन-डाइऑक्साइड अधिक उत्पन्न हो रही है। सूर्यदेव बताता है कि उसने कार्बन-डाइऑक्साइड से पुनः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए ही वनस्पति पृथ्वी को प्रदान की है। वनदेवी कहती है कि सूर्य में तेज़ प्रकाश से ही उसकी हरी पत्तियां कार्बन-डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से कार्बन तथा ऑक्सीजन में विश्लेषित करती है। मैं स्वयं के पोषण के लिए कार्बन रखकर ऑक्सीजन को पुनः वायु में छोड़ देती हूँ। किंतु आज कार्बन-डाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है। मानव की तरक्की तथा उद्योगों के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगल काट रहा है। शहरीकरण के लिए जंगल काटे जा रहे हैं। इसका मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सूर्यदेव वनदेवी से उन नुकसानों के बारे में पूछते हैं। वनदेवी उन्हें बताती है कि वनों की कमी से वर्षा नहीं होती। जिससे वनस्पतियाँ नहीं उगती। वनस्पतियों के अभाव में वायु शद्ध नहीं रहती। पवनदेव अपने अशुद्ध होने का नमूना औद्योगिक प्रगति बताते हैं। रश्मिदेवी प्रगति को प्रदूषण का कारण सुनकर चकित होती है। पवनदेव उन्हें बताता है कि उद्योगों के कारण अनेक गैसें आती हैं, जिनका जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

गंधकयुक्त औषधियों से आंतों की बीमारियां बढ़ती हैं। तपेदिक जैसे रोग बढ़ते हैं। वनों का भी विकास रुक जाता है। पवनदेव अपने दूषित होने के कारण बताते हैं कि कारखानों से असंख्य सूक्ष्मकण उसे दूषित करते हैं। पेट्रोल को सक्षम बनाने के लिए प्रयुक्त सीसा वायु को विषैला बना देता है। किंतु प्रदूषण रूपी राक्षस के हाथ अभी गाँवों तक नहीं पहुँचे हैं, इसलिए लोगों को गांवों में रहना अच्छा लगता है। सीसा मिश्रित पेट्रोल के कारण ओजोन परत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है। पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े हवाई जहाज़ इस परत को नष्ट कर रहे हैं।

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वनदेवी आँसू पोंछते हुए सूर्यदेव को बताती है कि प्रदूषण उसे भी परेशान कर रहा है। साथ ही कीटनाशक रसायन भी उसे हानि पहुँचा रहे हैं। जलदेवी कहती है कि ये कीटनाशक रसायन वर्षा के जल में घुलकर नदी तालाबों को दूषित करते हैं। इससे जलीय वनस्पतियों तथा जीवों को बहुत नुकसान होता है। कारखानों का दूषित तेल और विषैले पदार्थ भी नदियों में बहाने पर उसे हानि पहुँचा रहे हैं।
सबकी बातें सुनकर सूर्यदेव चिंतित होकर कहते हैं कि यह सब बहुत घातक है। इससे सभी को अपने अस्तित्व का खतरा होने लगता है। इसलिए रश्मिदेवी सूर्य को पृथ्वी पर न जाने को कहती है किंतु सूर्य उसे ऐसा न करने को कहते हैं। तभी दैत्य प्रदूषण डरावनी हंसी से कहता है कि वह बहुत खुश है कि उसने वायु, जल तथा वनस्पति की नाक में दम कर दिया है। सूर्य उसके बारे में पूछता है तो प्रदूषण बताता है कि वह अदृश्य होकर ही सबको सताता है। वह मनुष्य के विनाश का कारण बनने वाला है। वही मानव का महाकाल है। औद्योगिक प्रगति का विष वृक्ष है। रश्मिदेवी को अपनी चिंता होने लगती है। किंतु प्रदूषण उसे कहता है कि वह उसे हानि नहीं पहुंचाएगा। वह तो केवल पृथ्वी पर रहने वाले जीवों का ही विनाश करना चाहता है। इसके बाद सभी सूर्यदेव से प्रदूषण से अपनी-अपनी रक्षा करने के लिए कहने लगे।

तभी पर्दे पर मधुर संगीत के साथ बुद्धिदेवी का प्रवेश होता है। वह सूर्यदेव को कहती है कि इस दैत्य से पृथ्वी को बचाने के लिए उन्हें कष्ट करने की ज़रूरत नहीं है। वह पृथ्वीवासियों के जीवन को सुखी बनाने वाली जल, वायु और वनस्पति देवियों की रक्षा करेगी। वह सभी की रक्षा का आश्वासन देती है। बुद्धिदेवी प्रदूषण को मानव द्वारा विनाश होने की बात कहती है। तभी दैत्य प्रदूषण बताता है कि उसके अनेक सहायक हैं। रेडियोधर्मिता उसका नया सहायक है। रश्मिदेवी के पूछने पर वनदेवी बताती है कि रेडियोधर्मिता यूरेनियम जैसे तत्वों के परमाणु परीक्षण द्वारा पैदा होती है। दैत्य प्रदूषण इसकी हानियाँ बताता है कि रेडियोधर्मिता से मानव स्वयं घुट-घुटकर मरेगा। उसकी अगली पीढ़ी को वह पहचान भी नहीं पाएगा। उसका दूसरा साथी ध्वनि प्रदूषण है। जो बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े जहाज़ों, वाहनों, लाऊडस्पीकरों आदि से उत्पन्न होती है। जो थोड़े ही दिन में लाखों को बहरा बना देगी। वह बुद्धि को चुनौती देते हैं। बुद्धि उसकी चुनौती स्वीकार करती है और सूर्य देव, पवन देव आदि सभी को मानव कल्याण एवं पृथ्वी की सुरक्षा करने का आश्वासन देती है कि वह इस प्रदूषण को जड़ से ही समाप्त कर देगी। संसार से इसका उन्मूलन करना परम आवश्यक है। सूर्य देव भी लोक-कल्याण के कार्य में सफल होने का आशीर्वाद देते हैं। सभी खुश हो जाते हैं और पर्दा गिर जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Hindi Guide for Class 9 PSEB कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उत्पादक किस तरह ग्राहकों को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक लुभावने विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में कौन-सा कानून लागू किया ?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया।

प्रश्न 3.
ग्राहकों को किस तरह अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है ?
उत्तर:
रेडियो तथा टेलीविज़न पर विज्ञापनों के द्वारा ग्राहकों को जागरूक किया जाता है।

प्रश्न 4.
कितने रुपये तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है ?
उत्तर:
बीस लाख रुपए तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है।

प्रश्न 5.
20 लाख रुपए से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए ?
उत्तर:
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में दर्ज करवानी चाहिए।

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प्रश्न 6.
एक करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत कितने वर्षों के भीतर करनी चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत दो वर्षों के भीतर करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए फ़ीस अदा करनी पड़ती है ?
उत्तर:
ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई फीस अदा नहीं करनी पड़ती।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता अधिकांश तौर पर सामान खरीदते समय बिल क्यों नहीं लेते ?
उत्तर:
उपभोक्ता वैट बचाने के लिए सामान खरीदते समय बिल नहीं लेते।

प्रश्न 10.
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
उत्तर:
1800-11-4000.

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी वस्तु अथवा सेवा को पाने के बदले धन का भुगतान करता है उसे उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 के अनुसार उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
उपभोक्ता के निम्नलिखित अधिकार हैं
(1) सुरक्षा का अधिकार,
(2) जानकारी होने का अधिकार,
(3) उत्पाद चुनने का अधिकार
(4) शिकायत निवारण का अधिकार,
(5) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है तो उसे क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है, तो उसे इसकी शिकायत उपभोक्ता संरक्षण आयोग में करनी चाहिए। उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता अपनी शिकायत ऑनलाइन किस तरह दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवाने के लिए www.core.nic.in पर लॉग इन करना चाहिए। उपभोक्ता रजिस्ट्रेशन पर एक क्लिक द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता को ऑनलाइन ही शिकायत क्रमांक प्राप्त हो जाता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के किस-किस तरह के मामले आते हैं ?
उत्तर:
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के निम्न तरह के मामले सामने आते हैं
(1) कंपनियां आकर्षक ब्याज दर या कुछ समय में धन दोगुना करने की स्कीम का भ्रामक विज्ञापन देती है तथा उपभोक्ता उनके जाल में फंस जाता है।
(2) एक ही फ्लैट दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया जाता है।
(3) बैंक बिना कारण ग्राहक का खाता फ्रीज कर देते हैं। इससे ग्राहक को वित्तीय लेन-देन में दिक्कत होती है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) उपभोक्ता को एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए।
(2) उत्पाद का बैच नंबर अवश्य जाँचना चाहिए।
(3) पैंकिंग और एक्सपायरी की तारीख अवश्य देखनी चाहिए।
(4) उत्पाद का वज़न देखना चाहिए।
(5) प्रयोग की विधि अवश्य देखनी चाहिए।
(6) उत्पादक का नाम और पता ज़रूर देखना चाहिए।
(7) सामान का बिल अवश्य लेना चाहिए।
(8) पैकेट बंद होने चाहिएँ।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिएअशुद्ध

शुद्ध – अशुद्ध
दूकान – ………………..
व्यकती – ………………..
नाममातर – ………………..
अरोप – ………………..
गराहक – ………………..
विगयापन – ………………..
पीड़त – ………………..
उलंघन – ………………..
उत्तर:
दूकान – दुकान
व्यकती – व्यक्ति
नाममातर – नाममात्र
अरोप – आरोप
गराहक – ग्राहक
विगयापन – विज्ञापन
पीड़त – पीड़ित
उलंघन – उल्लंघन

2. निम्नलिखित शब्दों का वर्णविच्छेद कीजिए

शुद्ध – वर्ण विच्छेद

उपभोक्ता – ………………..
चिकित्सक. – ………………
विज्ञापन – ……………….
शिकायत – ……………
ग्राहक – ………………
उत्पादक – ……………
आकर्षक – ………………..

उत्तर:
उपभोक्ता = उ + प् + अ + भ् + ओ + क् + त् + आ
चिकित्सक. = च् + इ + क् + इ + त् + स + अ + क् + अ
विज्ञापन = व् + इ + ज + ञ् + आ + प् + अ + न् + अ
शिकायत = श् + इ + क् + आ + य् + अ + त् + अ
ग्राहक = ग् + र् + आ + ह + अ + क् + अ
उत्पादक = उ + त् + प् + आ + द् + अ + क् + अ
आकर्षक = आ + क् + अ + र् + ष + अ + क् + अ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप यह पाठ पढ़ने से पूर्व उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण के बारे में क्या जानते थे ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
क्या कभी आपके अधिकारों का हनन/उल्लंघन हुआ है ? यदि हाँ, तो आपने उस स्थिति में क्या किया ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
स्कूल में खोले गए लीगल लिटरेसी क्लब के सदस्य बनें एवं कानून से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से इस क्लब के बारे में जानें।

प्रश्न 2.
मैगज़ीनों/अखबारों में आए उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी लेख/विज्ञापन पढ़ें। जब भी आप कोई ऐसा लेख पढ़ें जिसमें उपभोक्ता को शिकायत के बाद उचित न्याय व मुआवज़ा मिला हो तथा उत्पादक/ दुकानदार आदि को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया हो तो ऐसी खबर को कॉपी में चिपकायें और यदि संभव हो तो संक्षेप में स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाएँ।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया।

2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गई। नैडर के आन्दोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, सन् 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन० एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।

3. एम०आर०पी० (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)-हिन्दी में इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर०पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर०पी० का निर्धारण सरकार करती है। जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ–उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं
(i) जिला उपभोक्ता फोरम-उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है या किराये पर लेता है और वह सामान खराब निकलता है या सेवा में कमी रहती है तो उसकी शिकायत सबसे पहले जिला उपभोक्ता फोरम में की जाती है। हर राज्य में जिला उपभोक्ताओं का गठन किया गया है।
(ii) राज्य उपभोक्ता आयोग-ज़िला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के खिलाफ संबंधित राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की जा सकती है।
(iii) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग-राष्ट्रीय स्तर पर गठित की गई सर्वोच्च संस्था दिल्ली में है। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है।
(iv) टोल फ्री नम्बर-1800-11-4000-(समय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक (सभी कार्य दिवसोंसोमवार से शनिवार)।

5. उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी मैगज़ीनें-कंज्यूमर वॉयस, कंज्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

PSEB 9th Class Hindi Guide कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एम०आर०पी० क्या होता है ?
उत्तर:
एम०आर०पी० का अर्थ है-अधिकतम खुदरा मूल्य।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद कब तक आगे कार्यवाही शुरू हो जाती है ?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद 72 घंटे के भीतर ही आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूसरे पक्ष को कितने दिन के भीतर उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं।
उत्तर:
चौदह दिन के भीतर।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन या चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
एक ताजा अध्ययन के अनुसार कितने उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं ?
उत्तर:
एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ग्राहकों ने इसे सुना है कि ऐसा कोई कानून भी होता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को कौन-सी ठगी व धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी के उपभोक्ताओं को निम्नलिखित धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है
(1) दवाइयों की दुकान पर एक्सपायर दवा दे दी जाती है।
(2) खरीदे गए उत्पाद पर गारंटी के बावजूद भी सर्विस नहीं दी जाती है।
(3) कभी उत्पाद पर लिखे वज़न से कम वज़न का सामान मिलता है।
(4) डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता।
(5) उत्पादक लुभावने विज्ञापनों से ग्राहकों को प्रभावित करते हैं तथा उत्पाद के बारे में ग़लत जानकारी देते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में सादे कागज़ पर निम्न जानकारी देकर शिकायत कर सकता है
(1) शिकायतकर्ता और विपक्ष का नाम तथा पता लिखना चाहिए।
(2) शिकायत से संबंधित तथ्य देने चाहिएं।
(3) शिकायत में लगाए गए आरोपों के समर्थन में ज़रूरी दस्तावेज़ देने चाहिए।
(4) शिकायतकर्ता को राहत अथवा हरजाने का उल्लेख देना चाहिएं। (5) कागज़ पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर ज़रूर होने चाहिएं।
को (it) उपभोक्ता के अधिकारों का हनन कब होता है। उत्तर-उपभोक्ता के अधिकारों का हनन निम्न प्रकार से होता है(1) जब दुकानदार अपने उत्पाद पर लेबल या स्टिकर लगाकर उसे बाज़ार भाव से अधिक कीमत पर बेचता है।
(2) जब रेलवे स्टेशन, ट्रेन, हवाई अड्डे या बस स्टैंड पर किसी सामान को एम०आर०पी० से अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
ललिता गोयल की।

प्रश्न 2.
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
ठगी और धोखाधड़ी का।

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प्रश्न 3.
दवा की दुकान पर कैसी दवा दे दी जाती है ?
उत्तर:
ऐक्सपायरी डेट की।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण कानून कब से लागू किया गया ?
उत्तर:
सन् 1986 ई० से।

प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण कानून से अवगत हैं ?
उत्तर:
मात्र 20%

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
उत्पाद खरीदते समय पैकेट खुले या फटे होने की चिंता नहीं करें।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
बीस लाख रुपए तक के क्लेम जिला स्तर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता शिकायत अधिकारों के हनन के पाँच वर्षों के भीतर करें।
उत्तर:
गलत।

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प्रश्न 9.
कोई भी सामान खरीदते समय बिल लेना आवश्यक नहीं है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

10. उपभोक्ता ……… वही ……… खरीदें जिस पर ……… का लोगो हो।
उत्तर:
उपभोक्ता केवल वही उत्पाद खरीदें जिस पर एगमार्क का लोगो हो।

प्रश्न 11.
उपभोक्ता को …….. के ज़रिए …… कार्यवाही से भी …….. कराया जाता है।
उत्तर:
उपभोक्ता को ईमेल के ज़रिए संपादित कार्यवाही से भी अवगत कराया जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
उपभोक्ता कंज्यूमर टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
(क) 1800112000
(ख) 1800113000
(ग) 1800114000
(घ) 1800115000.
उत्तर:
(ग) 1800114000.

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प्रश्न 13.
बीस लाख रुपए से अधिक के क्लेम कहाँ करने होते हैं ?
(क) जिला आयोग में
(ख) राज्य आयोग में
(ग) राष्ट्रीय आयोग में
(घ) उच्चतम-न्यायालय में।
उत्तर:
(ख) राज्य आयोग में।

प्रश्न 14.
शिकायत कितने वर्षों के अन्दर करनी होती है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 15.
बी० पी० एल० कार्डधारक को शिकायत दर्ज कराने के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है ?
(क) दस रुपए
(ख) पचास रुपए
(ग) सौ रुपए
(घ) कुछ नहीं।
उत्तर:
(घ) कुछ नहीं।

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कठिन शब्दों के अर्थ

रोजमर्रा = प्रतिदिन की, हर रोज़ की। उपभोक्ता = किसी वस्तु को खरीदने वाला। डेट = तिथि। सही = उचित। चिकित्सक = डॉक्टर। खामियाजा = हानि। संरक्षण = सुरक्षा। मसलन = उदाहरण के तौर पर। अंततः = अंत में। शिकायतकर्ता = शिकायत करने वाला। हनन = नष्ट होना, दबाना। एयरपोर्ट = हवाई अड्डा। एम० आर० पी० = अधिकतम मूल्य । फ्लैट = घर। अकाऊंट = खाता। फ्रीज = बंद करना। आकर्षक = लुभावना। तथ्य = यथार्थ, सच। भ्रामक = भ्रम में डालने वाला। शुल्क = फीस। राहत = आराम। दस्तावेज़ = विविध लेख।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Summary

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से जीवन-परिचय

श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, सन् 1973 ई० को हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) तथा एम०ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख रही हैं। इनके लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं। वर्तमान में ये दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रही हैं।
लेखिका की समाज को जागरूक करने में विशेष भूमिका रही है। इस पाठ में इन्होंने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जगाने का प्रयास किया है। इसके साथ उन अधिकारों को पाने के प्रति जागरूक बनाया है। लेखिका ने बड़े सहज भाव से आज के उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए सचेत रहने की प्रेरणा दी है। लेखिका की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। उसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिकता से हुआ है।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से पाठ का सार

‘कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ लेखिका ललिता गोयल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए.जागरूक एवं एकजुट भी किया है। उपभोक्ताओं को हर रोज़ ठगी तथा धोखाधड़ी का शिकार बनना पड़ता है। कभी कोई उन्हें पुरानी दवा दे देता है तो कभी उत्पादों पर उन्हें गारंटी होने पर भी सर्विस नहीं दी जाती। कभी कोई सामान लिखे हुए वज़न से कम निकलता है। कभी डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता। कोई उन्हें ग़लत जानकारी देता है जिसकी हानि उपभोक्ताओं को होती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने सन् 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। यह कानून प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, जानकारी, उत्पाद चुनना, शिकायत करना आदि अनेक अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों को पाने के लिए ग्राहकों को जागना चाहिए। एक सर्वे के अनुसार आज तक देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ने ही इसे सुना है। जबकि इसके लिए कोई भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है। कोई भी शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत भेज सकता है। बीस लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर के आयोग में तथा इससे अधिक राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है। एक करोड़ से अधिक क्लेम पाने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत की जाती है। शिकायत केवल अधिकारों के हनन के दो वर्ष के अंदर ही हो सकती है। अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता को वकील करने की ज़रूरत भी नहीं होती।

दुकानदार द्वारा उत्पाद पर लेबल अथवा स्टिकर लगाकर बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। किसी भी सामान को अधिकतम मूल्य से ज्यादा में बेचना ग़लत होता है। इसकी शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन के अनेक प्रकार के मामले सामने आते हैं। कई बार एक ही घर दो-दो को आबंटित कर दिया जाता हैं। बैंक द्वारा बिना कारण के खाता बंद कर देना। इनसे उपभोक्ता केवल जागरूक बनकर ही बच सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को केवल एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए। बैच नंबर को देखना चाहिए। पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न आदि को देखना चाहिए। खरीदी गई वस्तु का बिल अवश्य लेना चाहिए। गारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवाएँ। उपभोक्ता इंटरनेट के द्वारा भी अपनी शिकायत कर सकता है। इस पर 72 घंटे के भीतर ही कार्यवाही शुरू हो जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर ही उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। यही नहीं उपभोक्ता 1800-11-4000 राष्ट्रीय उपभोक्ता सहायता नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

 

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 16 बचेंद्री पाल

Hindi Guide for Class 9 PSEB बचेंद्री पाल Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बद्री पाल ने बचपन में क्या दृढ़ निश्चय कर लिया था ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने बचपन में यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह परिवार में किसी से पीछे नहीं रहेगी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के माता-पिता किस बात से दुःखी थे ?
उत्तर:
बद्री पाल के माता-पिता अपने बच्चों की सपनों की दुनिया से दुःखी थे।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने किन मैदानी खेलों में कप जीते ?
उत्तर:
बद्री पाल ने गोला फेंक, डिस्क फेंक तथा लंबी दौड़ में कप जीते।

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प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने कब अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्पित किया?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्मित किया।

प्रश्न 5.
‘रैपलिंग’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
रैपलिंग का अर्थ है-ऊँची चट्टान अथवा हिमखंड से एक नाइलोन की रस्सी के सहारे कुछ ही क्षणों में नीचे आना।

प्रश्न 6.
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी ने बर्फ काटने के लिए किस चीज़ का इस्तेमाल किया ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी के बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया।

प्रश्न 7.
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला कौन है ?
उत्तर:
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला बचेंद्री पाल है।

प्रश्न 8.
एवरेस्ट पर आनन्द के क्षणों में बचेंद्री पाल को किन का ध्यान आया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर आनंद में क्षणों में बचेंद्री पाल को अपने माता-पिता का ध्यान आया।

प्रश्न 9.
बचेंद्री पाल को कौन-कौन से पुरस्कार दिए गए ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक पुरस्कार दिए गए।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल निडर और स्वतंत्र कैसे बन गई थी ?
उत्तर:
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर प्रायः अकेली घूमती थी। वह प्रकृति के साथ स्वंतत्र होकर खेलती थी। प्रकृति के साथ इस खुलाव से निडर तथा स्वतंत्र बन गई।

प्रश्न 2.
बद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही कौन-कौन सी दौड़ का अभ्यास करना शुरू कर देती थी ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही तीन टॅगडी, सूई धागे वाली दौड, बोरा दौड तथा सिर पर पानी भरा मटका रखकर होने वाली दौड़ आदि का अभ्यास करना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने अपनी शिक्षा कैसे प्राप्त की ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल दिन के समय केवल अपने हिस्से का ही नहीं बल्कि कहीं अधिक काम करती थी। वह अपने मित्रों से किताबें उधार लेकर देर रात तक पढ़ती थी। उसने सिलाई-कढ़ाई का काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया।

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में क्या-क्या सीखा ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में बर्फ और चट्टानों पर चढ़ने के तरीके सीखे। रैपलिंग करना सीखा। अभियान को आयोजित करने का प्रशिक्षण भी लिया।

प्रश्न 5.
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तर:
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में कहा कि तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हे तो शिखर पर पहले की प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठ कर क्या किया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठकर बर्फ पर अपना माथा लगाया और सागर माथे के ताज का चुंबन लिया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला। उन्हें लाल कपड़े में लपेटकर छोटीसी पूजा की तथा बर्फ में दबा दिया।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल के चमौली जिले में बंपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हंसादेई नेगी ततथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। वह बचपन से ही निडर तथा साहसी थी। वह बहुत बड़ी स्वप्न दुष्टा थी। वह दृढ़ निश्चयी थी। उसने बचपन में ही अपने परिवार में किसी से पीछे न रहने का निश्चय कर लिया था। उसने एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना देखा और कठिन परिश्रम से उसे पूरा किया। वह प्रतियोगिता में पूरे परिश्रम से भाग लेती थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने 1 मई, सन् 1984 तक एवरेस्ट पर जाने की योजना की सही तैयारी कर ली थी। 8 मई को साउथ कोल पहुँच कर 9 मई को चोटी पर पहुँचने का प्रयास करना था। उसने 9 मई को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया। 16 मई प्रातः 8 बजे तक दूसरे कैंप में पहुँच गई। अगली सुबह: 6:20 पर उसने अंग दोरजी के साथ बिना रस्सी के चढ़ाई शुरू की। उन्होंने चट्टानों पर चढ़ते हुए बर्फ को काटने के लिए फावड़े का प्रयोग किया। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप पर पहुँच गए। इस प्रकार निरंतर बढ़ते हुए वह 23 मई, सन् 1984 को एवरेस्ट चोटी पर पहुँच गई।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन

एकवचन – बहुवचन
किताब – ………….
क़मीज़ – ………….
चट्टान – ………….
तकनीक – ………….
चादर – ………….
साँस – ………….
लड़की – ………….
मटका – ………….
धागा – ………….
परीक्षा – ………….
इच्छा – ………….
श्रेणी – ………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
किताब – किताबें
क़मीज़ – कमीजें
चट्टान – चट्टानें
तकनीक – तकनीकियाँ
चादर – चादरें
साँस – साँसें
लड़की – लड़कियाँ
मटका – मटके
धागा – धागे
परीक्षा – परीक्षाएँ
इच्छा – इच्छाएँ
श्रेणी – श्रेणियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – …………. – ………….
पाशिक्षण – …………. – ………….
प्रशिक्षक – …………. – ………….
परिवार – …………. – ………….
परिश्रम – …………. – ………….
अभियान – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – प्र – वासी
प्रशिक्षण – प्र – शिक्षण
प्रशिक्षक – प्र – शिक्षक
परिवार – परि – वार
परिश्रम – परि – श्रम
अभियान – अभि – यान

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – …………. – ………….
चढ़ाई – …………. – ………….
न्यूनतम – …………. – ………….
बचपन – …………. – ………….
सफलता – …………. – ………….
कठिनाई – …………. – ………….
सुरक्षित – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – ऊँच – आई
चढ़ाई – चढ़ – आई
न्यूनतम – न्यून – तम
बचपन – बच्चा – पन
सफलता – सफल – ता
कठिनाई – कठिन – आई
सुरक्षित – सुरक्षा – इत

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिये कि आप पर्वतारोहण के लिए गये हैं। अपने मित्र को पत्र लिखकर पर्वतारोहण का अनुभव बताइए।
उत्तर:
108, विकास नगर,
नई दिल्ली ।
4 मई, 20…
प्रिय मित्र,
नमस्कार।

मैं पिछले सप्ताह अपने मित्र के साथ हिमालय पर्वतारोहण के लिए गया हुआ था। हमने कठिन संघर्ष करके अनेक चट्टानों को पार किया। हमने अपनी मंजिल पर जाने से पहले चार पड़ाव डाले। इसके लिए हमें चार दिन का समय लगा। हम अपने साथ ज़रूरत का सारा सामान लिए हुए थे। अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए अतंतः हम पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर मैंने प्रभु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। वहाँ से अगले दिन हमने उतरना शुरू किया और इस तरह तीन-दिन में हम नीचे कुशल से आ गए। इस यात्रा में मैंने खूब आनंद उठाया।

आपका प्रिय,
विक्रम

प्रश्न 2.
आपने अपने भविष्य के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है ? ।
उत्तर:
मैं एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ। मैं इसलिए अध्यापक बनना चाहता हूँ ताकि अपने देश की सच्ची सेवा कर सकूँ। मैं एक आदर्श अध्यापक बनकर बच्चों को आदर्श नागरिक बनाना चाहता हूँ। मैं उन्हें समाज, संस्कृति, धर्म की शिक्षा देना चाहता हूँ। मैं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना चाहता हूँ। मैं जीवन भर स्वयं शिक्षा से जुड़कर देश के कर्णधारों को शिक्षा प्रदान करना चाहता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में होने वाले खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्थान प्राप्त करने वाली भारतीय महिलाओं के चित्र चार्ट पर लगाकर कक्षा में टाँगे।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. एवरेस्ट पर्वत : एवरेस्ट पर्वत (नेपाली में सागरमाथा अर्थात् स्वर्ग का शीर्ष, संस्कृत में देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 8848 मीटर है।
2. तेनजिंग नॉरगे : तेनजिंग नॉरगे एक नेपाली पर्वतारोही थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मांऊट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इस मिशन में न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी उनके साथ थे। 29 मई, सन् 1953 को सातवें प्रयास में उन्हें इस मिशन में सफलता मिली।
3. भारत की प्रथम महिला :
(i) भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी
(ii) भारत की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजिनी नायडू
(iii) भारत की प्रथम विश्व सुंदरी – कु० रीता फारिया
(iv) भारत की प्रथम मिस यूनिवर्स – सुष्मिता सेन ।
(v) यूनाइटेड नेशन जनरल एसेम्बली की प्रथम भारतीय महिला और अध्यक्ष – विजय लक्ष्मी पंडित
(vi) किसी उच्च न्यायालय (केरल उच्च न्यायालय) की प्रथम भारतीय महिला जज – अन्ना चान्डी
(vii) भारतीय पुलिस सेवा (आई० पी० एस०) में भर्ती होने वाली प्रथम महिला – किरण बेदी
(viii) माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला – बचेंद्री पाल
(ix) भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रथम महिला जज – न्यायमूर्ति एम० फातिमा बीबी
(x) अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला – कल्पना चावला
(xi) भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा पाटिल
(xii) लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष – मीरा कुमार

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PSEB 9th Class Hindi Guide बचेंद्री पाल Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की कौन-सी संतान है ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की तीसरी संतान है।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र किसने बनाया ?
उत्तर:
प्रकृति के साथ उसके खुलाव ने बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र बना दिया।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में कौन आनंद लेता था ?
उत्तर:
परिवार के छोटे सदस्य बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में आनंद लेते थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल किसमें विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी?
उत्तर:
बचेंद्री पाल हर तरह की बाहरी क्रीड़ा में विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी। वह विशेष रूप से लडकों के साथ होने वाली प्रतियोगिताओं में विशिष्टता चाहती थीं।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के जीवन का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के जीवन का पहला उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना था। उसका दूसरा उद्देश्य पवर्तरोहण था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
अपने आप को मजबूत बनाने के लिए बचेंद्री पाल ने क्या किया ?
उत्तर:
अपने आप को मज़बूत बनाने के लिए बद्री पाल घास चारे तथा सूखी लकड़ी के भारी गट्ठर घर लाने लगी। वह रोज़ आने-जाने का रास्ता बदलने लगी। वह अधिक दुर्गम रास्तों और घाटियों से होकर निकलने लगी। यह जानबूझकर पत्थरों के ऊपर से चलती थी। वह सीधी खड़ी ढलान चट्टानों से नीचे उतरने लगी थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर कौन प्रभावित हुए और कैसे ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर परिवार का प्रत्येक आदमी बहुत प्रभावित हुआ। उसकी माता तथा बहन कमला ने उसे पढ़ाने के लिए पिता से वकालत की। इससे उसे नौवीं कक्षा में दाखिले की अनुमति मिल गई।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘बचेंद्रीपाल’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
बचेंद्रीपाल।

प्रश्न 2.
बद्रीपाल कैसी लड़की थी ?
उत्तर:
वह एक स्वप्न दृष्टा लड़की थी।

प्रश्न 3.
पर्वतारोही कोर्स के लिए बचेंद्रीपाल ने कहाँ आवेदन किया ?
उत्तर:
नेहरू संस्थान में।

प्रश्न 4.
बचेंद्रीपाल एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँची ?
उत्तर:
23 मई, सन् 1984 को दोपहर 1 बजे।

प्रश्न 5.
शिखर पर बचेंद्रीपाल ने कितना समय व्यतीत किया ?
उत्तर:
43 मिनट।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बचेंद्रीपाल दस वर्ष की आयु में ही पहाड़ी ढलानों पर घूमती थी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7. बचेंद्रीपाल सिलाई करके दस-बीस रुपए रोज़ कमाने लगी।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
इंडियन माउन्टेनियरिंग फाउंडेशन ने सन् 1984 ई० के एवरेस्ट अभियान के लिए बचेंद्रीपाल को चुना।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बचेंद्रीपाल शिखर कैंप पर दो घंटे से अधिक समय में पहुँची।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
तुम्हें तो ……. पर पहले ही …….. में ……. जाना चाहिए।
उत्तर:
तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
एवरेस्ट ……. में मेरी …….. इच्छाओं की ……. हुई है।
उत्तर:
एवरेस्ट चढ़ाई से मेरी हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
बद्रीपाल का जन्म कब हुआ था ?
(क) 24 मई, 1954
(ख) 24 मई, 1955
(ग) 24 मई, 1956
(घ) 24 मई, 1958.
उत्तर:
(क) 24 मई, 1954.

प्रश्न 13.
बचेंद्रीपाल ने आठवीं की परीक्षा लगभग कितने वर्षों की आयु में उत्तीर्ण की थी ?
(क) 11
(ख) 12
(ग) 13
(घ) 14.
उत्तर:
(ग) 13.

प्रश्न 14.
आरोहण योजना की पूरी तैयारी कब तक हो गई थी ?
(क) मई 1980 तक
(ख) मई 1982 तक
(ग) मई 1984 तक
(घ) मई, 1986 तक।
उत्तर:
(ग) मई, 1984 तक।

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प्रश्न 15.
कैम्प दो तक बचेंद्रीपाल कब पहुँची ?
(क) 8 मई
(ख) 9 मई
(ग) 15 मई
(घ) 16 मई।
उत्तर:
(घ) 16 मई।

प्रश्न 16.
‘मैं बहुत खुश हूँ’-कथन किसका है ?
(क) बचेंद्री का
(ख) दोरजी का
(ग) तेनजिंग का
(घ) कमला का।
उत्तर:
(ख) दोरजी का।

कठिन शब्दों के अर्थ

स्वप्नदृष्टा = स्वप्न देखने वाला। प्रवासी = दूसरे स्थान का निवासी। बेहतर = अच्छा। न्यूनतम = सब से कम, कम से कम। साकार = आकार युक्त। शिखर = चोटी। क्रीड़ा = खेल। इस्तेमाल = प्रयोग। विशिष्टता = विशेषता। प्रतियोगिता = मुकाबला। बर्दाश्त = सहन करने की शक्ति। साऊथ = दक्षिण। पर्वतारोहण = पर्वतों पर चढ़ना। प्रारंभिक = शुरू का। पर्वतारोही = पहाड़ पर चढ़ने वाला। रोमांच = रोंगटे खड़े होना। आश्चर्यचकित = हैरान। हिमखंड = बर्फ का टुकड़ा। प्रशिक्षण = नियमित रूप से दी जाने वाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग। संस्तुति = प्रशंसा। इंतजार = प्रतीक्षा। प्रशिक्षक = प्रशिक्षण देने वाला। प्रोत्साहन = किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाना। दुर्गम = जहाँ पहुँचना कठिन हो। स्वर्ण = सोना। क्रिया-कलाप = किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम। रैपलिंग = ऊँची चट्टान से रस्सी द्वारा नीचे उतरना। दक्ष = निपुण, कुशल। शिखर = पहाड़ की चोटी। आरोहण = ऊपर की ओर चढ़ना। प्रस्थान = जाना, रवानगी। बरफ = बर्फ़। आरोही = चढ़ने या ऊपर जाने वाला। एवरेस्ट = हिमालय की सबसे ऊँची चोटी। उपस्कर = सामान। फावड़ा = कुदाल। प्रतिष्ठित = सम्मानित।

बचेंद्री पाल Summary

बचेंद्री पाल जीवन-परिचय

बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के चमौली जिले में बपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हँसादेई नेगी तथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनका बचपन ग़रीबी में व्यतीत हुआ। इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। इसलिए बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठाना पड़ा। इसके लिए उसने सिलाई-कढ़ाई शुरू की। इन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए एम०ए० (संस्कृत), बी०एड० की शिक्षा प्राप्त की।
इनको पहाड़ों पर चढ़ने का बचपन से ही शौक था। सन् 1984 ई० में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। तब तक दुनिया में केवल चार महिलाएँ ही चढ़ाई में सफल हो पाई थीं। सन् 1984 ई० में बचेंद्री पाल का एवरेस्ट चढ़ाई अभियान में चयन हुआ। इन्होंने 7 महिलाओं और 11 पुरुषों के साथ एवरेस्ट चढ़ाई शुरू की। 23 मई, सन् 1984 ई० को 1 बजकर, 7 मिनट पर इन्होंने एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक कदम रखा। ऐसा करने वाली वे भारत की पहली तथा संसार की पांचवीं महिला पर्वतारोही बन गई।
बचेंद्री पाल एक श्रेष्ठ पर्वतारोही महिला हैं। उन्होंने एवरेस्ट विजय अभियान का रोचक वर्णन किया है। उन्होंने पर्वतारोहण यात्रा के अनेक सजीव चित्र खींचे हैं। उनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।

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बचेंद्री पाल पाठ का सार

‘बद्री पाल’ यात्रा वृत्तांत पर्वतारोही बचेंद्री पाल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय अभिमान की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इसमें इन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा तथा पर्वतारोहण यात्रा का वर्णन किया है। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने लड़की होकर भी कुछ अलग करने का निश्चय कर लिया था। वह बहुत बड़े-बड़े सपने देखा करती थी। वह दस वर्ष की उम्र में ही जंगलों तथा पहाड़ी ढलानों पर अकेली निडर होकर घूमा करती थी। उसका बचपन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हुआ। किंतु उसने बचपन में ही माता-पिता को कुछ अलग करने को कहा, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। खेलकूद में भी बहुत श्रेष्ठ- उसने गोला फेंक, डिस्क फेंक और लंबी कूद में अनेक कप जीते। आठवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। आगे की पढ़ाई सिलाईकढ़ाई का काम करके जारी रखी क्योंकि उसके पिता ने आगे पढ़ने से मना कर दिया था। लगातार कठोर मेहनत करके उसने एम०ए०, बी० एड० की पढ़ाई की। घर में खाली बैठने की बजाय उसने नेहरू संस्थान के आरंभिक पर्वतरोही कोर्स में प्रवेश ले लिया। यहाँ बर्फ तथा चट्टानों पर चढ़ने के तरीकों का अध्ययन किया।

रैपलिंग के रोमांच का अनुभव किया। यहाँ अभियान को आयोजित करने का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद काला नाग 6387 मीटर की चढ़ाई की। इस चढ़ाई में उसे ‘ए’ ग्रेड मिला। यहाँ से अन्य अभियानों में भाग लेने की अनुमति मिल गई। सन् 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया। इसके लिए 9 मई, सन् 1984 ई० को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया गया। 16 मई को प्रात: आठ बजे तक अभियान के दूसरे कैंप तक साथियों के साथ पहुँच गई। यहाँ से अगले दिन सुबह चढ़ाई शुरू की। यहाँ से बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के साथ बिना रस्सी के ही चढ़ाई शुरू की। वह अंग दोर जी के साथ निश्चित गति से ऊपर चढ़ती गई। जमी बर्फ से सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त एवं भुरभुरी थीं। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप में पहुंच गए। अंतत: 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई। उसने घुटनों के बल बैठकर सागरमाथे के ताज का चुंबन किया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला तथा लाल कपड़े में लपेटकर छोटी-सी पूजा अर्चना की। आनंद के उस क्षण में माता-पिता का ध्यान आया। उसने हाथ जोड़ कर दोरजी के प्रति आदर प्रकट किया। वह बहुत खुश थी। उस शिखर पर उसने 43 मिनट बिताए। चोटी के समीप के खुले स्थान से पत्थरों के कुछ नमूने लेकर वापस यात्रा शुरू की। इस यात्रा के पर्वतारोहण में श्रेष्ठता के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ ने उसे प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक दिया तथा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार दिए। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार दिया गया।