PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 4 गुरु गोबिन्द सिंह

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 गुरु गोबिन्द सिंह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 4 गुरु गोबिन्द सिंह

Hindi Guide for Class 12 PSEB गुरु गोबिन्द सिंह Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘गुरु गोबिन्द सिंह ने वर याचना के अन्तर्गत क्या वर माँगा है ?
उत्तर:
गुरु जी ने पारब्रह्म की शक्ति से यह वर माँगा है कि वे अच्छे कर्म करने से कभी पीछे न हटें । निर्भय होकर : शत्रु के साथ जा भिड़ें और अपनी जीत को निश्चित करें। जब जीवन की अवधि समाप्त हो जाए अर्थात् मृत्यु निकट हो तो युद्ध भूमि में लड़ता हुआ मरूँ।

प्रश्न 2.
‘अकाल उस्तुति’ में गुरु जी ने ईश्वर के स्वरूप का वर्णन कैसे किया है ?
उत्तर:
गुरु जी ने ईश्वर के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा है कि वह रूप, रंग और आकृति से रहित है अर्थात् निर्गुण या निराकार है। वह जन्म-मरण के बन्धन से भी मुक्त है अर्थात् अजर-अमर है। वह आदि पुरुष है तथा धर्म-कर्म में कुशल है। उस पर जन्त्र, तन्त्र तथा मन्त्र का भी कोई असर नहीं होता अथवा वह इन से परे है। वह निराकार हाथी से लेकर चींटी तक के हृदय में बसता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 4 गुरु गोबिन्द सिंह

प्रश्न 3.
गुरु जी ने ‘सांसारिक नश्वरता’ के अन्दर किन-किन राजा, महाराजा, अभिमानी तथा बलि पुरुषों के उदाहरण दिये हैं-वर्णन करें।
उत्तर:
गुरु जी ने सांसारिक नश्वरता के प्रसंग में सतयुग के राजा मान्धाता, रघुकुल के रजा दिलीप, शाहजहाँ के बेटे दारा शिकोह तथा मानी दुर्योधन के उदाहरण दिये हैं जो अपनी मृत्यु न टाल सके और मिट्टी में मिल गए।

प्रश्न 4.
‘भक्ति भावना’ में गुरु जी ने मानव को प्रभु पर विश्वास रखने और अडिग रहने का क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
भक्ति भावना में गुरु जी ने मनुष्य को व्यर्थ के आडंबरों में भटकने से रोकते हुए उस सर्वपालक ईश्वर पर विश्वास रखने के लिए कहा है जो स्वयं सब प्रकार के विकारों से रहित है तथा सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का पोषक है। उसकी भक्ति ही मनुष्य को समस्त बंधनों से मुक्ति दिला सकती है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
काम न क्रोध न लोभ न मोह ……….. पति लै है।
उत्तर:
प्रस्तुत सवैया में गुरु गोबिन्द सिंह जी ईश्वर की विशेषताओं का परिचय देते हुए कहते हैं कि उस ईश्वर में काम, क्रोध, लोभ, मोह, रोग, शोक, भोग, भय आदि कुछ नहीं है अर्थात् वह इन विकारों से परे हैं। वह देह रहित है, सबसे स्नेह करने वाला है फिर भी विरक्त है। उसका कोई घर बार नहीं, वह सबसे अच्छा है। वह जानने वालों को भी देता है और अनजानों को भी देता है अथवा वह ज्ञानियों और अज्ञानियों दोनों को देता है, ज़मीन वाले को और बिना ज़मीन वाले को भी देता है अर्थात् अमीर हो या ग़रीब वह सब को देता है। अरे मूर्ख मनुष्य तू इधर उधर क्यों भटकता फिरता है तुम्हारी सुध तो सुंदर लक्ष्मीपति श्री विष्णु भगवान लेंगे।

प्रश्न 6.
देहि सिवा बर मोहि इहै ………. जूझ मरों॥
उत्तर:
गुरु जी परम शक्ति से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि मुझे ऐसा वरदान दो कि मैं कभी भी अच्छे कर्म करने से पीछे न हटूं। जब मैं युद्ध भूमि में जाऊँ तो मैं शत्रु से भयभीत न होऊँ, उससे भिड़ जाऊँ और अपनी विजय को निश्चित हिन्दी पुस्तक-12 बना दूं। मैं इस वीरता से लइँ कि मेरी जीत निश्चित हो जाए। मैं सदा मन से आपका ही शिष्य हूँ। इसी लालच से कि मैं आपके गुणों का गान कर रहा हूँ जब मेरी आयु की अवधि समाप्त हो जाए अर्थात् मेरी मृत्यु होने वाली हो तो मेरी यह इच्छा है कि मैं युद्ध भूमि में लड़ता हुआ मरूँ।

PSEB 12th Class Hindi Guide गुरु गोबिन्द सिंह Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
22 दिसम्बर, सन् 1666 को बिहार के पटना शहर में।

प्रश्न 2.
गुरु जी ने खालसा पंथ की स्थापना कब और कहाँ की थी?
उत्तर:
सन् 1699 ई० को वैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में।

प्रश्न 3.
गुरु जी ने किन भाषाओं में साहित्य रचना की थी?
उत्तर:
फ़ारसी और ब्रज भाषाओं में।

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प्रश्न 4.
‘वर याचना’ में किससे याचना की गई है?
उत्तर:
पारब्रह्म से।

प्रश्न 5.
गुरु जी के द्वारा निराकार-निर्गुण किसे कहा गया है?
उत्तर:
ईश्वर को।

प्रश्न 6.
किस का पार पाना अत्यंत कठिन है?
उत्तर:
आदि पुरुष का।

प्रश्न 7.
सतयुग में किन छत्रधारियों के अभिमान का उल्लेख किया गया है?
उत्तर:
राजा मान्धाता और रघुकुल के राजा दिलीप।

प्रश्न 8.
गुरु जी ने समदर्शी किसे कहा है?
उत्तर:
ईश्वर को।

प्रश्न 9.
गुरु जी के अनुसार परमात्मा में कौन-कौन से विकार नहीं होते?
उत्तर:
काम, क्रोध, लोभ, मोह, रोग, शोक, भोग, भय आदि।

प्रश्न 10.
गुरु जी ने परमात्मा से क्या-क्या मांगा था?
उत्तर:
अच्छे कर्म, निर्भयता और शक्ति।

प्रश्न 11.
गुरु जी कहाँ ज्योति-जोत समा गए थे?
उत्तर:
नांदेड़ (महाराष्ट्र)।

प्रश्न 12.
गुरु जी ने किन-किन अभिमानी और शक्तिशालियों के नाम उदाहरण स्वरूप दिए थे?
उत्तर:
राजा मान्धाता, दिलीप, दारा शिकोह और दुर्योधन।

प्रश्न 13.
‘चण्डी चरित्र’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी की।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
काहे को डोलत है तुमरी सुधि,..
उत्तर:
सुंदर सिरी पदमापति लै है।

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प्रश्न 15.
भोग-भोग भूम…………………… ।
उत्तर:
अन्त भूम मैं मिलत हैं।

प्रश्न 16.
रूप राग न रेख………
उत्तर:
न जन्म मरन बिहीन। हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
गुरु जी की वाणी ब्रजभाषा में नहीं है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 18.
गुरु जी ने निराकार ब्रह्म का चित्रण किया था।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
कवि ने नेताओं को किससे पीड़ित माना है?
उत्तर:
अहम् से पीड़ित।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. गुरु जी के अनुसार किसका पार पाना अत्यंत कठिन है ?
(क) आदि पुरुष का
(ख) प्रभु का ।
(ग) ईश्वर का
(घ) नदी का
उत्तर:
(क) आदि पुरुष का

2. गुरु जी ने समदर्शी किसे कहा है ?
(क) मन को
(ख) ईश्वर को
(ग) संसार को
(घ) धन को
उत्तर:
(ख) ईश्वर को

3. गुरु जी परम शक्ति से कौन से कार्य करने का वरदान मांगते हैं ?
(क) अच्छे कर्म
(ख) नित्य कर्म
(ग) सत्य कर्म
(घ) आदि कर्म
उत्तर:
(क) अच्छे कर्म

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4. रघुकुल के राजा कौन थे ?
(क) मान्धाता
(ख) दिलीप
(ग) अश्वात्थामा
(घ) महीप
उत्तर:
(ख) दिलीप

5. दुर्योधन जैसे बड़े-बड़े राजा किसके कारण नष्ट हो गए ?
(क) घमंड के
(ख) नमंड के
(ग) धन के
(घ) ईर्ष्या के
उत्तर:
(क) घमंड के

गुरु गोबिन्द सिंह सप्रसंग व्याख्या

देह सिवा, बर मोहि इहै, सुभ कर्मन ते कबहूँ न टरों।
न डरों अरि सों जब जाइ लरों, निसचे करि अपनी जीत करों।
अरु सिख हों अपने ही मन को, इह लालच हउ गुन तउ उचरों।
जब आव की अउध निदान बनै, अति ही रन में तब जूझ मरो॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
देह = प्रदान करो। इहै = यही। न टरों = न टलू, न हहूँ। अरि = शत्रु। सिख हों = शिष्य हूँ। आव = आयु। अउध = अवधि ।

प्रसंग:
प्रस्तुत सवैया गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित ‘वर याचना’ शीर्षक कविता से लिया गया है। प्रस्तुत सवैया में गुरु जी ने पारब्रह्म की शक्ति से वर देने की याचना की है।

व्याख्या:
गुरु जी परम शक्ति से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि मुझे ऐसा वरदान दो कि मैं कभी भी अच्छे कर्म करने से पीछे न हटूं। जब मैं युद्ध भूमि में जाऊँ तो मैं शत्रु से भयभीत न होऊँ, उससे भिड़ जाऊँ और अपनी विजय को निश्चित हिन्दी पुस्तक-12 बना दूं। मैं इस वीरता से लइँ कि मेरी जीत निश्चित हो जाए। मैं सदा मन से आपका ही शिष्य हूँ। इसी लालच से कि मैं आपके गुणों का गान कर रहा हूँ जब मेरी आयु की अवधि समाप्त हो जाए अर्थात् मेरी मृत्यु होने वाली हो तो मेरी यह इच्छा है कि मैं युद्ध भूमि में लड़ता हुआ मरूँ।

विशेष:

  1. कवि ने आदि शक्ति से अपनी विजय तथा उनकी कृपा की कामना की है।
  2. ब्रजभाषा, सवैया छंद, अनुप्रास अलंकार तथा वीर रस है।

अकाल उस्तुति

रूप राग न रेख रंग, न जन्म मरन बिहीन।
आदि नाथ अगाध पुरुख, सुधरम करम प्रबीन।
जन्त्र मन्त्र न तन्त्र जाको, आदि पुरख अपार।
हसत कीट बिखै बसै सब, ठउर मैं निरधार॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
रूप राग न = अरूप। रेख-रंग न = निराकार, आकृति रहित। बिहीन = रहित। अगाध पुरुख = अकाल पुरुष। अपार = असीम, जिसे पार न किया जा सके। बिखै = बीच। ठउर = स्थान।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यावतरण गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित ‘अकाल उस्तुति’ से अवतरित है। इसमें गुरु जी ने ईश्वर के स्वरूप का वर्णन किया है।

व्याख्या:
गुरु जी कहते हैं कि ईश्वर रूप, रंग और आकृति से रहित है अर्थात् वह निराकार, निर्गुण है। वह जन्म-मरण से भी परे है। वह अकाल पुरुष है; आदिनाथ है-जो धर्म और कर्म में कुशल है। उस पर जंत्र, तंत्र और मंत्र का कोई असर नहीं होता अथवा वह जंत्र, तंत्र और मंत्र से परे है। वह आदि पुरुष है जिसका पार पाना कठिन है। वह हाथी, कीड़े आदि सब में निराकार रूप से विद्यमान रहता है।

विशेष:

  1. कवि ने निराकार ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन किया है।
  2. ब्रज भाषा का प्रयोग है।
  3. शांत रस है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।

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सांसारिक नश्वरता

जोगी जती ब्रह्मचारी बड़े बड़े छत्रधारी,
छत्र ही की छाया कई कोस लौ चलत हैं।
बड़े बड़े राजन के दाबत फिरत देस,
बड़े बड़े राजनि के दर्प को दलत हैं।
मान से महीप औ दिलीप केसे छत्रधारी,
बड़ो अभिमान भुजदंड को करत है।
दारा से दिलीसर, दर्बोधन से मानधारी,
भोग-भोग भूम अन्त भूम मै मिलत हैं॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
जती = संन्यासी, तपस्वी। छत्रधारी = छत्र धारण करने वाले बड़े-बड़े महंत। कोस = दूरी का एक मापदंड-सवा मील का एक कोस होता है। दाबत फिरत = दबाते फिरते हैं, अधीन करते हैं । दर्प = घमंड। दलत हैं = कुचल देते हैं। मान से = सत युग के एक राजा-मान्धाता जैसे। महीप = राजा। दिलीप = रघुकुल के एक राजा-राजा दिलीप के पुत्र ही राजा रघु हुए जिनके नाम पर रघुकुल जाना जाता है। भुजदंड = भुजाओं की शक्ति, बाहुबल। दारा = शाहजहाँ का बेटा, औरंगज़ेब का बड़ा भाई। दिलीसर = दिल्ली का राजा। मानधारी = घमण्डी। भूम = भूमि।

प्रसंग:
प्रस्तुत कवित्त गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा लिखित ‘सांसारिक नश्वरता’ से लिया गया है, जिसमें गुरु जी ने सांसारिक नश्वरता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
गुरु जी कहते हैं कि योगी, यती अर्थात् संन्यासी या तपस्वी तथा बड़े-बड़े छत्रधारी महंत, जो छत्रधारण कर कई-कई कोस चला करते थे तथा बड़े-बड़े राजा जो दूसरे देशों को अपने अधीन करते थे और बड़े-बड़े राजाओं के घमंड को चूर करते थे। सतयुग के राजा मान्धाता और रघुकुल के राजा दिलीप जैसे छत्रधारी जो अपने बाहुबल पर बड़ा अभिमान करते थे तथा दारा जैसे दिल्ली के बादशाह और दुर्योधन जैसे घमंडी राजा धरती का भोग कर अन्त में धरती में ही मिल गए अर्थात् सभी शक्तिशाली और घमंडी राजा अपनी मृत्यु को न टाल सके अन्त में वे सब मिट्टी में मिल गए।

विशेष:

  1. गुरु जी के कहने का अभिप्राय यह है कि यह संसार अथवा यह मानव शरीर नाशवान् है अतः इस पर घमण्ड नहीं करना चाहिए।
  2. ब्रज भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है।
  3. कवित्त छंद एवं शांत रस है।
  4. अनुप्रास एवं पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

भक्ति भावना

काम न क्रोध न लोभ न मोह न रोग न सोग न भोग न भै है।
देह बिहीन सनेह सभो तन नेह बिरकत अगेह अछै है॥
जान को देत अजान को देत, जमीन को देत जमान को दै है।
काहे को डोलत है तुमरी सुधि, सुन्दर सिरी पदमापति लै है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
भोग = भोग विलास, ऐश्वर्य। सभी तन = सबसे। विरकत = विरक्त, उदासीन । अगेह = बिना घर-बार के। डोलत = भटकते। सुधि लैहे = ध्यान पदमापति = लक्ष्मी के पति, भगवान विष्णु।

प्रसंग:
प्रस्तुत सवैया गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा लिखित ‘भक्ति भावना’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने सहजभाव से परमात्मा पर आस्था रखने के लिए कहा है।

व्याख्या:
प्रस्तुत सवैया में गुरु गोबिन्द सिंह जी ईश्वर की विशेषताओं का परिचय देते हुए कहते हैं कि उस ईश्वर में काम, क्रोध, लोभ, मोह, रोग, शोक, भोग, भय आदि कुछ नहीं है अर्थात् वह इन विकारों से परे हैं। वह देह रहित है, सबसे स्नेह करने वाला है फिर भी विरक्त है। उसका कोई घर बार नहीं, वह सबसे अच्छा है। वह जानने वालों को भी देता है और अनजानों को भी देता है अथवा वह ज्ञानियों और अज्ञानियों दोनों को देता है, ज़मीन वाले को और बिना ज़मीन वाले को भी देता है अर्थात् अमीर हो या ग़रीब वह सब को देता है। अरे मूर्ख मनुष्य तू इधर उधर क्यों भटकता फिरता है तुम्हारी सुध तो सुंदर लक्ष्मीपति श्री विष्णु भगवान लेंगे।

विशेष:

  1. कवि ईश्वर को समदर्शी बताते हुए सब की सुध लेने वाला बताया है।
  2. ब्रजभाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है।
  3. सवैया छंद एवं शांत रस है।
  4. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

गुरु गोबिन्द सिंह Summary

गुरु गोबिन्द सिंह जीवन परिचय

गुरु गोबिन्द सिंह जी का जीवन परिचय दीजिए।

सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर, सन् 1666 ई० को बिहार प्रदेश के पटना शहर में हुआ। अपने पिता गुरु तेग़ बहादुर जी के हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने पर नौ वर्ष की अवस्था में ही आप गुरु गद्दी पर विराजमान हुए। गुरु जी ने अपने जीवन काल में मुग़ल शासकों के साथ अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं। इन लड़ाइयों में गुरु जी के बेटे भी शहीद हुए। सन् 1699 ई० की वैसाखी वाले दिन गुरु जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने न केवल अपना नाम गोबिन्द राय से गोबिन्द सिंह किया बल्कि प्रत्येक सिक्ख को अपने नाम के साथ सिंह शब्द जोड़ने का आदेश भी दिया।

गुरु जी ने अपने जीवन में अनेक साहित्यिक रचनाएँ भी की, जिनमें जाप साहिब, चंडी चरित्र, बिचित्तर नाटक, गोबिन्द गीता और गिआन प्रबोध प्रसिद्ध हैं। गुरु जी ने फ़ारसी और ब्रज भाषाओं में साहित्य रचा। 7 अक्तूबर, सन् 1708 ई० में नांदेड़ (महाराष्ट्र) में गुरु जी ज्योति-जोत समा गए।

गुरु गोबिन्द सिंह छंदों का सार

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित ‘वर याचना’ में कवि ने परमब्रह्म की शक्ति से शुभ कर्म करने, युद्धभूमि में वीरता से लड़ने की याचना की है। ‘अकाल उस्तुति’ में उन्होंने निराकार किन्तु कण-कण में व्याप्त अकाल पुरूष का वर्णन किया है। ‘सांसारिक नश्वरता’ में कवि ने मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान कराते हुए बताया है. कि सब ने एक दिन मिट्टी में मिल जाना है। ‘भक्ति भावना’ में कवि ने ईश्वर के सर्वपालक रूप का वर्णन करते हुए उन्हें संसार के प्रत्येक प्राणी का ध्यान रखने वाला बताया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 बिहारी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 बिहारी

Hindi Guide for Class 12 PSEB बिहारी Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
बिहारी के भक्तिपरक दोहों में श्रीकृष्ण के किस स्वरूप का चित्रण किया गया है ? वर्णन करें।
उत्तर:
बिहारी के भक्तिपरक दोहों में श्रीकृष्ण का जो स्वरूप चित्रण किया गया है उसमें उनके सिर पर मोर के पंख वाला मुकुट लगा है। कमर में उन्होंने तड़ागी पहन रखी है। उन्होंने हाथों में मुरली पकड़ रखी है और उन्होंने गले में वैजयंती माला पहन रखी है।

प्रश्न 2.
बिहारी के भक्तिपरक दोहों की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
बिहारी के भक्तिपरक दोहों में राधा वल्लभ सम्प्रदाय का अनुकरण करते हुए सतसई के आरम्भ में राधा जी की स्तुति की है। दूसरे सतसई में अधिकांश दोहे शृंगारपरक हैं अतः कवि ने शृंगार रस के मुख्य प्रवर्तक श्रीकृष्ण और राधा की युगल मूर्ति की स्तुति की है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

प्रश्न 3.
बिहारी के सौन्दर्य चित्रण में श्रीकृष्ण की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर:
बिहारी ने श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का चित्रण करते हुए कहा है कि श्रीकृष्ण साँवले शरीर वाले पीले वस्त्र ओढ़े हुए ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो नीलम की मणि के पर्वत पर प्रभात वेला के सूर्य का प्रकाश पड़ रहा हो।

प्रश्न 4.
बिहारी ने गुणों के महत्त्व को बड़प्पन के लिए आवश्यक बताते हुए क्या उदाहरण दिया है ? स्पष्ट
उत्तर:
बिहारी ने गुणों के महत्त्व को बड़प्पन के लिए आवश्यक बताते हुए धतूरे और सोने का उदाहरण दिया है। दोनों को ही कनक कहा जाता है किन्तु धतूरे से गहने नहीं गढ़वाये जा सकते। इसलिए महत्त्व गुणों का है न कि नाम का।

प्रश्न 5.
बिहारी के अनुसार लालची व्यक्ति का कैसा स्वभाव होता है ?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार लालची व्यक्ति ने चूंकि आँखों पर लोभ का चश्मा चढ़ाया होता है इसलिए वह प्रत्येक व्यक्ति के पास दीन बनकर भीख माँगने जाता है। लोभ का चश्मा पहनने के कारण उसे छोटा व्यक्ति भी बड़ा दिखाई देता है। वह यह नहीं देखता कि वह व्यक्ति उसे कुछ दे भी सकता है या नहीं।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
मेरी भव बाधा हरौ …………. दुति होइ।
उत्तर:
कवि कहता है कि जिस चतुर राधा के सुन्दर तन की झलक पड़ने मात्र से अर्थात् जिसके दर्शन मात्र से श्रीकृष्ण प्रसन्न हो उठते हैं, उसी राधा से मेरा निवेदन है कि मेरी सांसारिक मुसीबतों या दुःखों से मुझे मुक्ति दिलाएँ।

प्रश्न 7.
अति अगाधु ……………. प्यास बुझाइ।
उत्तर
जो वस्तु व्यक्ति के समय पर काम आए वही उसके लिए बड़ी होती है इसी तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ, सरोवर और बावड़ी चाहे कितने ही गहरे हों या उथले हों मनुष्य की प्यास जिस जलाशय से बुझती है वही उसके लिए सागर सिद्ध होता है।

PSEB 12th Class Hindi Guide बिहारी Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बिहारी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
ग्वालियर के निकट गाँव गोबिंदपुर और सन् 1595 में।

प्रश्न 2.
बिहारी सतसई में कुल कितने दोहे हैं?
उत्तर:
713 दोहे।

प्रश्न 3.
बिहारी किस संप्रदाय से संबंधित थे?
उत्तर:
राधा वल्लभ संप्रदाय से।

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प्रश्न 4.
नायिका के माथे पर लगी बिंदी उसकी सुंदरता को कितना बढ़ा देती है?
उत्तर:
असंख्य गुणा।

प्रश्न 5.
‘नीलमणि के पर्वत पर सुबह की पीली-पीली धूप’ के माध्यम से किसे व्यक्त किया गया है?
उत्तर:
श्री कृष्ण की शोभा को।

प्रश्न 6.
नीति के आधार पर अधिक धन जोड़ने को बिहारी ने कैसा माना है?
उत्तर:
अनुचित।

प्रश्न 7.
बिहारी के काव्य की प्रमुख भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
ब्रजभाषा। ।

प्रश्न 8.
लालची व्यक्ति का लालच कब समाप्त होता है?
उत्तर:
कभी भी नहीं।

प्रश्न 9.
बिहारी के अनुसार सबसे बड़ी वस्तु कौन-सी होती है?
उत्तर:
जो वस्तु समय पर काम आए वही सब से बड़ी होती है।

प्रश्न 10.
कोई भी व्यक्ति किससे गुणवान बनता है?
उत्तर:
अपने गुणों से।

प्रश्न 11.
श्री कृष्ण के गले में कौन-सी माला शोभा देती है?
उत्तर:
वैजयंती माला।

प्रश्न 12.
धतूरे और सोने को बिहारी ने किस एक ही नाम से व्यक्त किया है?
उत्तर:
कनक।

प्रश्न 13.
बढ़त-बढ़त संपति सलिल में किन दो अलंकारों का प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश ।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
खाए खरचे जो बचे, तो…..
उत्तर:
जोरियै करोरि।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

प्रश्न 15.
घर-घर डोलत दीन ह्वै…..
उत्तर:
जन-जन या चल जाइ।

प्रश्न 16.
घटत-घटत पुनि न घटै………….
उत्तर:
बरू समूल कुम्हिलाइ।

प्रश्न 17.
जा तनको झांई प..
उत्तर:
स्याम हरित-दुति होई।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
बिहारी की काव्य भाषा अवधी थी।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 19.
बिहारी ने अपने जीवन काल में एक ही पुस्तक की रचना की थी।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. बिहारी किस काल के कवि हैं ?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर:
(ग) रीतिकाल

2. बिहारी किस भाषा के कवि थे ?
(क) ब्रज
(ख) अवधी
(ग) खड़ी बोली
(घ) हिंदी
उत्तर:
(क) ब्रज

3. नायिका के माथे पर बिंदी लगाने से उसकी शोभा कितने गुणा बढ़ जाती है ?
(क) अनगिनत
(ख) गिनत
(ग) अत्यंत
(घ) अतीव
उत्तर:
(क) अनगिनत

4. संसार में व्यक्ति किससे गुणवान बनता है ?
(क) धन से
(ख) तन से
(ग) गुणों से
(घ) शिक्षा से
उत्तर:
(ग) गुणों से

बिहारी सप्रसंग व्याख्या

1. मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन को झाँई परें, स्यामु हरित-दुति होई॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
भव = संसार । बाधा = रुकावटें, विघ्न। भव बाथा = सांसारिक दुःख या कष्ट । झाँई = परछाईं, झलक,ध्यान। परै = पड़ते ही। स्यामु = श्रीकृष्ण, काले पदार्थ-दुःख दारिद्र आदि। हरित-दुति = हरे रंग वाला, हरा भरा।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि बिहारी द्वारा लिखित बिहारी सतसई में संकलित ‘भक्ति वर्णन’ शीर्षक दोहों में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कवि सतसई के मंगलाचरण के रूप में श्रीराधा जी की स्तुति कर रहा है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जिस चतुर राधा के सुन्दर तन की झलक पड़ने मात्र से अर्थात् जिसके दर्शन मात्र से श्रीकृष्ण प्रसन्न हो उठते हैं, उसी राधा से मेरा निवेदन है कि मेरी सांसारिक मुसीबतों या दुःखों से मुझे मुक्ति दिलाएँ।

विशेष:

  1. कवि बिहारी मूलतः राधा वल्लभीय सम्प्रदाय के अनुयायी थे इसी कारण उन्होंने राधा जी से मंगलाचरण में प्रार्थना की है।
  2. ब्रज भाषा का प्रयोग है।
  3. श्रृंगार रस एवं लक्षणा शब्द शक्ति का प्रयोग है।
  4. श्लेष, काव्यलिंग तथा अनुप्रास अलंकार हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

2. जप माला छापा तिलक सरै न एकौ काम।
मन काँचै नाचै वृथा, साँचे राँचै राम॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
जप माला = नाम जपने की माला। छापा = माथे पर लगाया जाने वाला छापा-तीन लकीरें । सरै = पूरा नहीं होता। काँचै = कच्चा, भक्ति रहित। वृथा = व्यर्थ में । राँचै = प्रसन्न होता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के भक्तिवर्णन’ प्रसंग से लिया गया है। जिसमें कवि ने सत्यनिष्ठ भाव से प्रभु भक्ति पर बल दिया है।

व्याख्या:
कवि भक्ति के क्षेत्र में आडम्बर का खंडन करता हुआ भक्ति में सच्ची निष्ठा को कसौटी मानते हुए कहता है कि भगवान् का नाम जपने वाली माला, माथे पर लगाया जाने वाला छापा और तिलक इन सभी से कोई भी काम पूरा नहीं होता क्योंकि यह सब तो दिखावा मात्र है। यदि व्यक्ति के मन में सच्ची भक्ति नहीं है तो वह अकारण ही (व्यर्थ ही) नाचता है। अर्थात् उछलकूद करके भगवान् का कीर्तन या भजन करता है किन्तु भगवान् तो सच्चे भक्त पर ही प्रसन्न होते हैं अर्थात् भगवान् को किसी प्रकार का आडम्बर पसन्द नहीं वह तो सच्ची निष्ठा ही पसन्द करते हैं।

विशेष:

  1. संत कबीर ने भी कहा है
    माला फेरत जग मुया गया न मन का फेर।
    कर का मनका डारिके मनका मनका फेर॥
    कवि ने आडंबरपूर्ण भक्ति का विरोध किया है।
  2. ब्रज भाषा हैं।
  3. दोहा छंद एवं संगीतात्मकता का प्रवाह है।
  4. अनुप्रास एवं यमक अलंकार है।

सौंदर्य वर्णन

3. सोहत औढ़े, पीत पटु,स्याम सलौने गात।
मनौ नीलमनि सैल पर, आतपु परयौ प्रभात॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
सोहत = शोभा पाते हैं। पीत पटु = पीले कपड़े। स्याम = साँवले। सलौने = सुन्दर।गात = शरीर। मनौ = मानो। नीलमनि सैल = नीलम मणि के पर्वत पर। आतपु = धूप। प्रभात = प्रातः, सुबह।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि बिहारी द्वारा लिखित ‘बिहारी सतसई’ में संकलित ‘सौंदर्य वर्णन’ शीर्षक दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने नायक के सांवले रूप-सौन्दर्य का चित्रांकन किया है।

व्याख्या:
नायिका की सखी नायक की अनुपम शोभा का वर्णन करके उसके चित्त में अनुराग उत्पन्न करने के लिए कहती है कि-हे सखी! नायक के साँवले वर्ण के सुन्दर शरीर पर पहने हुए वस्त्र ऐसे शोभा पा रहे हैं मानो नीलमणि के पर्वत पर सुबह के समय की पीली-पीली धूप पड़ रही हो।

विशेष:

  1. नायक के रूप-सौंदर्य का आकर्षक वर्णन किया गया है।
  2. ब्रजभाषा, दोहा छंद, अनुप्रास तथा उत्पेक्षा अलंकार हैं।

4. कहत सबै बेंदी दिए अंक दस गुनौ होत।
तिय लिलार बेंदी दिए अगनित बढ़तु उदोत॥

कठिन शब्दों के अर्थ:

बेंदी = बिंदी, बिन्दु, जीरो, सिफर। अंक = हिनसा, अंक, संख्यावाचक।तिय ललार = स्त्री के माथे पर। अगनित = असंख्य, अनगिनत। उदोत = काँति, शोभा, अंक की दृष्टि से मूल्य।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘सौंदर्य वर्णन’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने नायिका के सौंदर्य का वर्णन किया है।

व्याख्या:
नायिका ने अपने माथे पर बिन्दी लगा रखी है जिससे उसकी सुन्दरता और भी बढ़ गई है। नायिका के इस रूप को देख कर नायक मोहित हो जाता है। वह कहता है कि सभी कहते हैं कि बिन्दु लगाने से अंक दस गुना हो जाता हैजैसे एक को बिन्दु लगाने पर दस और दस को बिन्दु लगाने पर सौ हो जाता है उसका मूल्य दस गुना बढ़ जाता है किन्तु स्त्री के माथे पर बिन्दु लगाने से उसकी शोभा कई गुणा बढ़ जाती है।

विशेष:

  1. कवि के अंक ज्ञान का परिचय मिलता है। जिसे उसने नायिका की सौंदर्य वृद्धि में प्रयोग किया है।
  2. ब्रजभाषा है।
  3. दोहा छंद है।

नीति के दोहे

5. बड़े न हजै मनन बिन, विरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे सौ कनक, गहनो गढ़यो न जाय॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
न हजै = नहीं हो सकता। बिन = बिना। विरद बड़ाई = यश की प्रशंसा। धतूरा = एक नशीला पौधा। कनक = सोना।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि बिहारी द्वारा लिखित ‘बिहारी सतसई’ के ‘नीति’ शीर्षक दोहों में से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य के गुणों की महानता की अभिव्यक्ति की है।

व्याख्या:
गुणों के अभाव में केवल व्यर्थ की प्रशंसा के सहारे कोई बड़ा नहीं बन सकता। इसी तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कवि कहते हैं कि बिना गुणों के केवल व्यर्थ की प्रशंसा पाकर कोई बड़ा नहीं बन सकता, जिस प्रकार धतूरे को कनक भी कहते हैं जो सोने का पर्याय है किन्तु धतूरे से गहने नहीं गढ़े जा सकते अर्थात् धतूरे को कनक कह देने से उसमें सोने के गुण नहीं आ सकते। अतः महत्त्व गुणों का है न कि व्यर्थ की प्रशंसा का।।

विशेष:

  1. मनुष्य केवल गुणों से ही महान बन सकता है, झूठी प्रशंसा से नहीं।
  2. ब्रजभाषा का प्रयोग है।
  3. उपदेशात्मक शैली है।
  4. दोहा छंद है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

6. अति अगाधु, अति औथरौ, नदी, कूपु सुरु बाइ।
सो ताकौ सागरू, जहाँ जाकी प्यास बुझाइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
अगाधु = अथाह, गहरे। औथरौ = उथली, छिछला। कूपु = कुआँ। सरू = सरोवर। बाई = बावड़ी, बाऊली।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने समय पर काम आने वाली वस्तु को श्रेष्ठ माना है।

व्याख्या:
जो वस्तु व्यक्ति के समय पर काम आए वही उसके लिए बड़ी होती है इसी तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ, सरोवर और बावड़ी चाहे कितने ही गहरे हों या उथले हों मनुष्य की प्यास जिस जलाशय से बुझती है वही उसके लिए सागर सिद्ध होता है।

विशेष:

  1. वस्तु वही महान् होती है जो समय पर काम आए। यदि कोई छोटा व्यक्ति भी समय पर काम आता है या सहायता करता है तो वह व्यक्ति छोटा न होकर महान् कहलाता है।
  2. ब्रज भाषा सरल एवं सरस है।
  3. दोहा छंद है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।

7. जगत जनायौ जिहि सकलु सो हरि जान्यो नाहिं।
ज्यों आँखिन सब देखिये, आँख न देखी जाहिं॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
जनायौ = ज्ञान दिया गया। जिहि = जिस के द्वारा। सकलु = सम्पूर्ण । हरि = ईश्वर। देखियै = देखा जाता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने जीवनोपयोगी तथ्यों का निरूपण किया है।

व्याख्या:
कवि ने यह बताया है कि ईश्वर की सच्ची अनुभूति आत्मज्ञान से ही सम्भव है। कवि कहते हैं कि जिस ईश्वर द्वारा हमें सारे संसार का ज्ञान प्राप्त हुआ उसी ईश्वर को हम नहीं जान पाए। ईश्वर की कृपा के कारण ही हम इस संसार में जन्मे और संसार का ज्ञान प्राप्त कर सके किन्तु यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि हमारे लिए वही ईश्वर अपरिचित रहा अर्थात् हम उसे जान नहीं सके। हमारी स्थिति ठीक उस आँख की तरह है जो संसार भर को देख लेती है किन्तु अपने आप को नहीं देख पाती। मनुष्य की आँखें औरों को देख सकती हैं, अपने आप को नहीं।

विशेष:

  1. अज्ञानता के कारण मानव ईश्वर का साक्षात्कार नहीं कर पाता।
  2. ब्रज भाषा है।
  3. दोहा छंद का प्रयोग है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।

8. घर घर डोलत दीन द्वै, जन जन याचत जाइ।
दिये लोभ-चसमा चखनि, लघु पुनि बड़ो लखाइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
ह्वै = होकर। जन-जन = हर व्यक्ति। याचत जाइ = जा जाकर भीख माँगता है। लोभ-चसमा = लालच रूपी चश्मा। चखनि = आँखों पर। लघु = छोटा। पुनि = फिर। लखाइ = दिखाई देता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने जीवनोपयोगी तथ्यों का निरूपण किया है। प्रस्तुत दोहे में कवि लोभी व्यक्ति के व्यवहार की निन्दा कर रहे हैं।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि लोभी व्यक्ति अपनी आँखों पर लालच रूपी चश्मा चढ़ाकर और प्रकट रूप से दीन बन कर घर-घर जाता है और हर व्यक्ति से भीख माँगता है। लोभ का चश्मा चढ़ाये होने के फलस्वरूप उसे छोटा व्यक्ति भी बड़ा दिखाई पड़ता है अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति से कुछ-न-कुछ पाने की आस रखता है। लोभ का चश्मा चढ़ा होने के कारण वह यह भी नहीं देख पाता कि व्यक्ति भीख देने में समर्थ है भी या नहीं।

विशेष:

  • लालची व्यक्ति का लालच कभी कम नहीं होता है।
  • ब्रज भाषा सरल एवं सरस है।
  • दोहा छंद है।
  • अनुप्रास, रूपक एवं पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 3 बिहारी

9. बढ़त बढ़त संपति-सलिल, मन-सरोज बढ़ि जाइ।
घटत घटत पुनि न घटै, बरू समूल कुम्हिलाइ॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
संपति-सलिल = संपत्ति (धन) रूपी पानी। मन-सरोज = मन रूपी कमल। पुनि न = फिर नहीं। बरू = बल्कि। समूल = जड़ सहित, मूलधन सहित। कुम्हिलाइ = मुरझा जाता है, हानि हो जाती है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिस में कवि ने जीवनोपयोगी तथ्यों का निरूपण किया है।

व्याख्या:
कवि धन की प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए कवि कहते हैं कि मनुष्य जीवन में धन रूपी जल जैसे-जैसे बढ़ता जाता है उसका मन रूपी कमल भी विकसित होता रहता है अर्थात् उसके मन में अनेक प्रकार की सांसारिक इच्छाएँ उत्पन्न होती रहती हैं किन्तु जब यह धन रूपी जल धीरे-धीरे घटना शुरू होता है तो उसका मन रूपी कमल जड़सहित मुरझा जाता है अर्थात् वह धीरे-धीरे नहीं अपितु जड़सहित नष्ट हो जाता है। जैसे पानी घटने पर कमल एकदम मुरझा जाता है उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में जैसे-जैसे धन की वृद्धि होती.जाती है वैसे-वैसे उसकी इच्छाएँ भी बढ़ती जाती हैं और जब धन घटने लगता है तो उसके मन की इच्छाएँ भी समाप्त हो जाती हैं।.

विशेष:

  1. मन की कामनाएँ धन की वृद्धि अथवा कमी के अनुसार बढ़ती-घटती रहती हैं।
  2. ब्रज भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है।
  3. दोहा छंद है।
  4. अनुप्रास, रूपक एवं पुनरुक्ति प्रकाश की छटा है।

10. मीत न नीति गलीत हौ, जो धरियै धन जोरि।
खाए खरचे जो बचे, तो जोरियै करोरि॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
मीत = मित्र। न नीति = नीति नहीं है अर्थात् नीति की दृष्टि से उचित नहीं है। गलीत हौ = दुर्दशा में रहकर। धरियै = रखो। जोरि = जोड़कर।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिसमें कवि ने जीवनोपयोगी तथ्यों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि धन जोड़ने की नीति बताते हुए कहते हैं कि यदि अपनी दुर्दशा करके धन जोड़ा जाए तो यह नीति की दृष्टि से उचित नहीं है। यदि खाने-खर्चने के बाद अर्थात् आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करने के बाद यदि कुछ बचता है तो करोड़ों रुपए जोड़े जा सकते हैं। कहने का भाव यह है कि मन मार कर या आवश्यक वस्तुओं पर खर्च न करके धन जोड़ना उचित नहीं है, हाँ यदि खाने-खर्चने के बाद कुछ धन बच जाता है तो करोड़ों जोड़े जा सकते हैं।

विशेष:

  1. मनुष्य को धन-संग्रह अपनी भावनाओं को मार कर नहीं करना चाहिए।
  2. ब्रज भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
  3. ब्रजभाषा एवं संगीतात्मकता का समावेश है।
  4. दोहा छंद है।
  5. अनुप्रास अलंकार है।

11. गुनी गुनी सबकै कहैं निगुनी गुनी न होतु।
सुन्यौ कहूँ तरु अरक तें, अरक-समानु उदोतु॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
सबकै कहैं = सबके कहने पर। निगुनी = गुण विहीन। गुनी = गुणवान। अरक = आक (मदार) का पौधा। अरक-समानु = सूर्य जैसा। उदोतु = प्रकाश।।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित सतसई के ‘नीति के दोहे’ प्रसंग से लिया गया है, जिस में कवि ने जीवनोपयोगी तथ्यों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि ने बताया है कि मात्र प्रशंसा करने से कोई अमीर नहीं हो जाता। कवि कहते हैं कि यदि सभी लोग किसी गुण विहीन व्यक्ति को गुणवान कहकर पुकारने लगे तो वह कभी भी गुणवान नहीं हो सकता अर्थात् व्यक्ति गुणवान अपने गुणों से होता है, नाम से नहीं। क्या आक के पौधे से प्रकाश निकलता हुआ देखा है जबकि आक के पौधे और सूर्य दोनों को ही अरक कहा जाता है।

विशेष:

  1. मात्र प्रशंसा से कोई महान नहीं हो सकता।
  2. ब्रज भाषा सरस एवं प्रवाहमयी है।
  3. दोहा छंद है।
  4. अनुप्रास एवं उपमा अलंकार है।

बिहारी Summary

बिहारी जीवन परिचय

प्रश्न-कवि बिहारी लाल का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।

रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि बिहारी लाल का जन्म ग्वालियर के निकट गाँव बसुवा गोबिंदपुर में सन् 1595 को हुआ। इनके पिता केशव राय माथुर चौबे ब्राह्मण थे। सात-आठ वर्ष की अवस्था में आप अपने पिता के साथ ओरछा चले आए, इन्होंने यहीं केशवराय से काव्य की शिक्षा ली थी। विवाह के पश्चात् वे अपनी ससुराल मथुरा में रहने लगे थे। जयपुर नरेश जयसिंह ने इनकी प्रतिभा से प्रसन्न होकर इन्हें अपना राजकवि बना लिया था। यहीं पर इन्होंने ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘बिहारी सतसई’ की रचना की थी। उसके प्रत्येक दोहे पर इन्हें राजा ने एक स्वर्ण मुद्रा पुरस्कारस्वरूप प्रदान की थी। बिहारी सतसई में कुल 713 दोहे हैं। पत्नी का देहान्त होने पर बिहारी विरक्त होकर वृन्दावन आ गए। यहीं सन् 1663 में इनका निधन हो गया।

बिहारी दोहों का सार

बिहारी द्वारा रचित भक्ति के दोहों में राधा जी से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति प्रदान करने की याचना की गई है तथा आडंबरपूर्ण भक्ति को व्यर्थ बताया गया है। सौंदर्य-वर्णन में नायक और नायिका के सौंदर्य का आकर्षक चित्रण किया गया है तथा नीति के दोहों में व्यर्थ की प्रशंसा के स्थान पर गुणों को महत्त्व देने, समय पर काम आई वस्तु को श्रेष्ठ मानने, अज्ञानता के कारण ईश्वर को न जानने, लोभ के दुर्गुणों तथा उचित धन संग्रह के संबंधों में बताया गया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 मीराबाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 2 मीराबाई

Hindi Guide for Class 12 PSEB मीराबाई Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
मीराबाई ने ब्रज भूमि की पवित्रता व सुंदरता का कैसे बखान किया है ?
उत्तर:
ब्रज भूमि के घर-घर तुलसी और ठाकुर जी की पूजा होती है। यमुना नदी में निर्मल जल बहता है। वहाँ लोगों को दूध दही खाने को मिलता है और नित्य श्रीकृष्ण के दर्शन होते हैं । वहाँ श्रीकृष्ण तुलसी का मुकुट धारण कर रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान हैं। वहाँ गली-गली में राधा जी श्रीकृष्ण की बाँसुरी की ध्वनि सुनने के लिए घूमती है।

प्रश्न 2.
मीरा के विरह में अलौकिक प्रेम के दर्शन होते हैं-स्पष्ट करें।
उत्तर:
मीरा के विरह में अलौकिक प्रेम के दर्शन होते हैं । वे सूली ऊपर पिया की सेज और गगन मंडल में पिया की सेज कहकर अपने अलौकिक प्रेम की ओर संकेत करती हैं। विरह के कारण वियोगिनी ठीक से सो भी नहीं पाती क्योंकि एक तो सेज सूली के ऊपर है दूसरे वह गगन मंडल में स्थित है।

प्रश्न 3.
मीरा ने ‘वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु’ में किस अमूल्य वस्तु का वर्णन किया है ?
उत्तर:
मीरा ने सद्गुरु द्वारा दी गई रामनाम रूपी धन अर्थात् ईश्वर की भक्ति रूपी धन को अमूल्य वस्तु कहा है जिसे मीरा ने सांसारिक मोह माया और विषय वासनाओं को त्याग कर प्राप्त किया है। यह धन ऐसा है जो खर्चा नहीं जा सकता और न ही इसे चोर चुरा सकते हैं उलटे यह दिन प्रतिदिन सवाया होकर बढ़ता ही जाता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

प्रश्न 4.
पाठ्य-पुस्तक में संकलित पदों के आधार पर मीरा बाई की भक्ति भावना एवं विरह का चित्रण करें।
उत्तर:
मीरा बाई की भक्ति माधुर्य भाव से परिपूर्ण है। उनकी भक्ति में प्रेम की पीडा एवं पूर्ण समर्पण की भावना के दर्शन होते हैं। उनकी प्रेम की पीड़ा को मिटाने वाले उनके प्रियतम श्रीकृष्ण ही हैं। वे कहती है मीरा की प्रभु पीर मिटैगी जब वैद साँवलिया होई। अपने इष्ट को प्रसन्न करने के लिए वे लोक लाज त्याग कर पूर्ण शृंगार कर पैरों में घुघरू बाँध कर नाचती भी हैं। मीरा अपने को श्रीकृष्ण की गोपी, उनकी पत्नी मानती हैं। वे उनके वियोग में दीवानी हो गई है। वन-वन डोलती फिरती है किन्तु विरह व्यथा इतनी तीव्र है कि मिलन होना संभव नहीं हो पा रहा क्योंकि मीरा विरह में स्वयं गोपी बन जाती है और उन्हीं की भाँति तड़पती रहती है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो….।
उत्तर:
मीरा कहती है कि मैंने सद्गुरु की कृपा से रामनाम रूपी धन अर्थात् प्रभु भक्ति का धन प्राप्त किया है। मेरे सद्गुरु ने कृपा करके मुझे ऐसी अमूल्य वस्तु प्रदान की है जिसे मैंने अपना लिया है अर्थात् ग्रहण कर लिया है। प्रभु भक्ति पाकर ऐसे लगता है कि मैंने जन्म-जन्म की पूँजी पा ली हो भले ही मुझे जगत् की सभी सुख-सुविधाओं को गंवाना पड़ा है। मीरा यहाँ प्रभु भक्ति से सांसारिक विषय-वासनाओं और मोह-माया के नष्ट होने की बात कह रही हैं। यह राम नाम रूपी धन ऐसा है जो न खर्च किया जा सकता है और न कोई चोर इसे चुरा सकता है यह तो प्रतिदिन सवाया होकर बढ़ता जाता है। मीरा कहती हैं कि सत्य की नाव के जब खेवनहार स्वयं सद्गुरु हों, तो व्यक्ति संसार रूपी समुद्र से पार हो ही जाता है। मीरा कहती हैं कि मेरे तो प्रभु गिरिधर नागर अर्थात् श्री कृष्ण हैं जिनके यश का मैं उल्लसित होकर गान करती हूँ।

प्रश्न 6.
आली म्हाने लागै वृन्दावन नीको……. ।
उत्तर:
मीरा कहती है कि हे सखी ! मुझे वृन्दावन अच्छा लगता है। अच्छा लगने के कारणों पर प्रकाश डालती हुई कवयित्री कहती है कि यहाँ घर-घर में तुलसी और ठाकुर जी की पूजा होती है तथा यहाँ नित्य श्री कृष्ण के दर्शन होते हैं। यहाँ यमुना नदी में साफ-स्वच्छ जल बहता है तथा यहाँ दूध दही खाने को मिलता है अर्थात् यहाँ दूध-दही पर्याप्त मात्रा में मिलता है। यहाँ श्रीकृष्ण रत्न जड़ित सिंहासन पर स्वयं विराजमान हैं जिन्होंने तुलसी का बना मुकुट धारण कर रखा है। यहाँ की गलियों और वन-उपवन में राधा जी घूमती हैं और श्रीकृष्ण की बाँसुरी की ध्वनि सुनती हैं। मीरा कहती है कि मेरे तो स्वामी प्रभु श्रीकृष्ण हैं, उनके भजन के बिना मनुष्य का जन्म निस्सार है।

PSEB 12th Class Hindi Guide मीराबाई Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
सन् 1498 ई० में जोधपुर जिला के कुड़की गाँव में।

प्रश्न 2.
मीरा का विवाह किससे हुआ था ?
उत्तर:
राणा सांगा के बड़े पुत्र भोज राज से।

प्रश्न 3.
मीरा के द्वारा रचित कुल कितने ग्रंथ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
सात ग्रंथ।

प्रश्न 4.
मीरा ने सदा किसकी भक्ति की थी?
उत्तर:
श्री कृष्ण की।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

प्रश्न 5.
‘वैद साँबलिया’ किसे कहा गया है?
उत्तर
श्री कृष्ण को।

प्रश्न 6.
‘जौहरि की गति जौहरि जाने’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मृत पति के साथ जीवित जल जाने वाली ही कष्ट को समझती है।

प्रश्न 7.
मीरा की भाषा में किन दो भाषाओं का मिश्रण किया गया है?
उत्तर:
राजस्थानी और ब्रज भाषाओं का।

प्रश्न 8.
मीरा की किस कविता में कहा गया है कि जन्म बार-बार नहीं मिलता?
उत्तर:
उपदेश।

प्रश्न 9.
मीरा स्वयं को किसकी दासी मानती है?
उत्तर: श्री कृष्ण की।

प्रश्न 10.
ब्रजभूमि में किसकी घर-घर में पूजा होती है?
उत्तर:
तुलसी और ठाकुर जी की।

प्रश्न 11.
मीरा को अलौकिक प्रेम के दर्शन किसमें होते हैं?
उत्तर:
विरह में।

प्रश्न 12.
मीरा के अनुसार हमारा जीवन कैसा है ?
उत्तर:
क्षणभंगुर।

प्रश्न 13.
‘निरमल नीर बहत जमना में’–अलंकार का नाम चुन कर लिखिए।
उत्तर:
अनुप्रास।

वाक्य पूरा कीजिए

प्रश्न 1.
मीराँ के प्रभु जीर मिटैगी…………
उत्तर:
जब वैद साँवलिया होय। हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 2.
मीरा की सब से अधिक प्रचलित रचना का नाम ‘पदावली’ है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 3.
मीरा साधु-संतों के साथ भजन नहीं करती थी।
उत्तर:
नहीं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

प्रश्न 4.
मीरा के प्रभु श्री राम हैं।
उत्तर:
नहीं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. मीराबाई किसकी भक्ति करती थी ?
(क) श्री कृष्ण की
(ख) श्री राम की
(ग) श्री नन्द की
(घ) श्री चन्द की
उत्तर:
(क) श्री कृष्ण की

2. मीरा के अनुसार हमारा जीवन कैसा है ?
(क) सस्ता
(ख) क्षणभंगुर
(ग) क्षीणभंगुर
(घ) क्षणिक
उत्तर:
(ख) क्षणभंगुर

3. मीरा के अलौकिक प्रेम के दर्शन किसमें होते हैं ?
(क) जीवन में
(ख) प्रेम में
(ग) विरह में
(घ) दांपत्य में
उत्तर:
(ग) विरह में

4. मीरा के अनुसार भवसागर से कौन पार लगा सकते हैं ?
(क) सत्गुरु
(ख) प्रभु
(ग) कृण्ण
(घ) राम
उत्तर:
(क) सत्गुरु

5. मीरा के अनुसार संसार कैसा है ?
(क) नश्वर
(ख) अनश्वर
(ग) क्षणभंगुर
(घ) चलायमान
उत्तर:
(क) नश्वर

मीराबाई सप्रसंग व्याख्या

आली म्हाने लागे वृन्दावन नीको !
घर घर तुलसी ठाकुर पूजा, दरसन गोविंद जी को !
निरमल नीर बहत जमना में, भोजन दूध दही को !
रतन सिंघासन आप बिराजे, मुगट धर्यो तुलसी को !
कुंजन-कुंजन फिरत राधिका, सबद सुनत मुरली को!
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको !!

कठिन शब्दों के अर्थ:
आली = हे सखी। म्हाने = मुझे, मुझको। नीको = अच्छा। ठाकुर = श्रीकृष्ण, मंदिर में रखे पत्थरों को भी ठाकुर कहते हैं। दरसन = दर्शन । मुगट = मुकुट। फीको = व्यर्थ, रसहीन, अस्तित्वहीन, निस्सार।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन कृष्ण भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री मीरा बाई द्वारा लिखित पदावली में ब्रजभूमि के महात्म्य सम्बन्धी पद है। प्रस्तुत पद में कवयित्री ने वृन्दावन के महात्म्य पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
मीरा कहती है कि हे सखी ! मुझे वृन्दावन अच्छा लगता है। अच्छा लगने के कारणों पर प्रकाश डालती हुई कवयित्री कहती है कि यहाँ घर-घर में तुलसी और ठाकुर जी की पूजा होती है तथा यहाँ नित्य श्री कृष्ण के दर्शन होते हैं। यहाँ यमुना नदी में साफ-स्वच्छ जल बहता है तथा यहाँ दूध दही खाने को मिलता है अर्थात् यहाँ दूध-दही पर्याप्त मात्रा में मिलता है। यहाँ श्रीकृष्ण रत्न जड़ित सिंहासन पर स्वयं विराजमान हैं जिन्होंने तुलसी का बना मुकुट धारण कर रखा है। यहाँ की गलियों और वन-उपवन में राधा जी घूमती हैं और श्रीकृष्ण की बाँसुरी की ध्वनि सुनती हैं। मीरा कहती है कि मेरे तो स्वामी प्रभु श्रीकृष्ण हैं, उनके भजन के बिना मनुष्य का जन्म निस्सार है।

विशेष:

  1. कवयित्री ने ब्रजभूमि की पवित्रता का वर्णन किया है जिसके प्रति उसके हृदय में अगाध प्रेम है।
  2. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा है।
  3. संगीतात्मकता का समावेश है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

समर्पण

हे री मैं तो प्रेम-दिवाणी, मेरो दरद न जाने कोय !
घायल की गति घायल जाणै, कि जिन लाई होय !
जौहरि की गति जौहरि जाणै, की जिन जौहर होय !
सूली ऊपर सेज हमारी, किस विध सोणा होय।।
गगन-मंडल पै सेज पिया की, किस विध मिलणा होय।
दरद की मारी बन-बन डोलूँ, वैद मिल्या नहिं कोय।
मीराँ की प्रभु पीर मिटैगी, जब वैद सँवलिया होय !!

कठिन शब्दों के अर्थ:
हे री = ए री, अरी। दरद = पीड़ा। दिवाणी = पगली। घायल = ऐसा व्यक्ति जिसे घाव लगा हो । गति = दशा, हालत। जिन = जिसने। लाई होय = लगाई हो। जौहरि = मृतपति के साथ चिता पर जीवित जल जाने वाली नारी। जौहर = मृत पति के साथ पत्नी का जीवित अवस्था में जलना। सूली = मृत्यु दंड देने का एक उपकरण जो ऊपर से सूई की नोक की तरह तीखा होता है उस पर अपराधी को बिठा देते हैं और उसका शरीर चिर जाता है, यहाँ भाव काँटों से अथवा कंष्टों से है। किस विध = किस तरह । गगन मंडल = आकाश, शून्य । डोलूँ = भटकूँ। वैद = वैद्य, इलाज करने वाला। साँवलिया = श्रीकृष्ण।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन कृष्णभक्त कवयित्री मीरा बाई द्वारा रचित पदावली के ‘समर्पण’ अंश में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में मीरा श्रीकृष्ण के वियोग में अपनी विरह पीड़ा का वर्णन कर रही है।

व्याख्या:
मीरा कहती है कि हे री सखी ! मैं तो प्रेम की पीड़ा में पागल हो गई हँ अर्थात् मेरी सोचने समझने की शक्ति जाती रही है। मेरी इस पीड़ा को कोई नहीं जानता। प्रेम की चोट से घायल व्यक्ति की दशा कोई घायल ही जान सकता है या फिर जिसने कभी प्रेम की पीड़ा पाई हो। मृत पति के साथ जीवित अवस्था में (जौहर करने वाली) भस्म हो जाने वाली नारी ही जानती है कि जौहर क्या होता है अर्थात् कष्ट झेलने वाले को ही कष्ट के बारे में पता हो सकता है। तात्पर्य यह है कि मैं तो श्रीकृष्ण के प्रति पूरी तरह समर्पित हो चुकी हूँ। मेरे वास्तविक प्रेम की पीड़ा को श्रीकृष्ण ही जान सकते हैं। क्योंकि दोनों जौहरी हैं भक्त भी और भगवान् भी, प्रेमिका और प्रेमी भी, दोनों प्रेम भावना से युक्त हैं। मीरा कहती है कि हमारी शैय्या तो सूली के ऊपर बनी है अर्थात् वियोग के कारण अत्यंत दुःख पूर्ण है-काँटों भरी है अतः इस पर सोना कैसे हो सकता है। भाव यह कि वियोग के दुःख के कारण नींद कैसे आ सकती है। मेरे प्रियतम की शैय्या तो आकाश में बनी है अत: मेरा उनसे कैसे मिलन हो सकता है। मैं तो प्रेम की इस पीड़ा के कारण वन-वन भटकती फिरती हूँ मेरी इस पीड़ा को दूर करने वाला कोई वैद्य नहीं मिला। हे प्रभु ! मेरी यह पीड़ा तब ही मिटेगी जब वैद्य स्वयं भगवान् कृष्ण होंगे।

विशेष:

  1. मीरा ने प्रस्तुत पद में योग साधना की ओर भी संकेत किया है। गगन मंडल ब्रह्म रंध्र के समान है जहाँ तक पहुँचना कठिन है। ब्रह्मरंध्र में छ: दरवाज़े होते हैं, उन्हें कुण्डलिनी को जगाए बिना खोला नहीं जा सकता। कुण्डलिनी को जगाना बड़ा कठिन है। मीरा यही कहना चाहती है। गगन मंडल का अर्थ ब्रह्म रंध्र भी है। इसी ब्रह्मरंध्र में ब्रह्म का निवास है। योगी लोग प्राणायाम द्वारा वहाँ स्थित ब्रह्म की प्राप्ति करते हैं।
  2. ‘जौहरि की गति जौहरि जानै’ का एक अन्य अर्थ भी किया जा सकता है कि हीरे-जवाहरात के पारखी की दशा कोई जौहरी ही जानता है या फिर वह जानता है जिस के पास हीरे जवाहरात के समान कोई गुण हो।
  3. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार, गीतात्मकता, शृंगार का वियोग पक्ष है।
  4. कवयित्री ने राजस्थान में तब प्रचलित सती-प्रथा की ओर संकेत किया है।

सद्गुरु महिमा

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो !
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, करि किरपा अपणायौ !
जन्म-जन्म की पूँजी पाई, जग में सबै खोवायो।
खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायौ !
सत की नाव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तरि आयो !
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरखि-हरखि जस गायौ !!

कठिन शब्दों के अर्थ:
राम रतन धन = रामनाम रूपी रत्न का धन। अमोलक = अमूल्य, जिसका कोई मूल्य नहीं आंका जा सकता। पूँजी = सम्पत्ति, धन-दौलत। खोवायो = गंवा कर। संत = सत्य। खेवटिया = खेवनहार, मल्लाह। हरखि-हरखि = प्रसन्न होकर, उल्लसित होकर। जस = यश।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित पदावली का ‘सदगुरु महिमा ‘ अंश है। प्रस्तुत पद में कवयित्री ने सद्गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए गुरुकृपा से राम नाम रूपी धन प्राप्त होने की बात कही है।

व्याख्या:
मीरा कहती है कि मैंने सद्गुरु की कृपा से रामनाम रूपी धन अर्थात् प्रभु भक्ति का धन प्राप्त किया है। मेरे सद्गुरु ने कृपा करके मुझे ऐसी अमूल्य वस्तु प्रदान की है जिसे मैंने अपना लिया है अर्थात् ग्रहण कर लिया है। प्रभु भक्ति पाकर ऐसे लगता है कि मैंने जन्म-जन्म की पूँजी पा ली हो भले ही मुझे जगत् की सभी सुख-सुविधाओं को गंवाना पड़ा है। मीरा यहाँ प्रभु भक्ति से सांसारिक विषय-वासनाओं और मोह-माया के नष्ट होने की बात कह रही हैं। यह राम नाम रूपी धन ऐसा है जो न खर्च किया जा सकता है और न कोई चोर इसे चुरा सकता है यह तो प्रतिदिन सवाया होकर बढ़ता जाता है। मीरा कहती हैं कि सत्य की नाव के जब खेवनहार स्वयं सद्गुरु हों, तो व्यक्ति संसार रूपी समुद्र से पार हो ही जाता है। मीरा कहती हैं कि मेरे तो प्रभु गिरिधर नागर अर्थात् श्री कृष्ण हैं जिनके यश का मैं उल्लसित होकर गान करती हूँ।

विशेष:

  1. भक्तिकाल के सभी कवि गुरु के महत्त्व को स्वीकारते हैं क्योंकि गुरु ही ईश्वर भक्ति और ईश्वर मिलन का मार्ग दर्शाता है। मीरा ने भी इसी का समर्थन किया है।
  2. भाषा राजस्थानी मिश्रित ब्रज है।
  3. अनुप्रास, रूपक तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार विद्यमान है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 2 मीराबाई

उपदेश

नहिं ऐसो जनम बारंबार !
का जानें कछु पुण्य प्रगटे, मानुसा अवतार !
बढ़त छिन छिन घटत पल पल, जात न लागे बार !
बिरछ के ज्यूँ पात टूटे, बहुरि न लागे डार !
भौ सागर अति जोर कहिये, अनंत ऊंडी धार !
राम नाम का बाँध बेड़ा, उतर परले पार!
ज्ञान चौसर मँडी चौहटे, सुरत पासा सार !
यान दुनियाँ में रची बाजी, जीत भावै हार !
साधु संत महंत ज्ञानी, चलत करत पुकार !
दासी मीरा लाल गिरधर, जीवणा दिन चार !!

कठिन शब्दों के अर्थ:
कछु पुण्य प्रगटे = किसी पुण्य के प्रताप से। मानुसा अवतार = मनुष्य का शरीर, जन्म। छिन-छिन = हर क्षण, क्षण-क्षण। पल-पल = हर पल, हर समय। बार = देरी । बिरछ = वृक्ष । भौ सागर = भवसागर, संसार रूपी सागर । जोर = शक्तिमान, प्रबल । ऊंडी = ऊँची, गम्भीर, गहरी। परले = दूसरे। जीवणा = जीना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित पदावली का ‘उपदेश’ अंश है। प्रस्तुत पद में कवयित्री मानव जन्म के दुर्लभ होने और उसकी क्षणभंगुरता पर प्रकाश डालते हुए प्रभु भक्ति की सहायता से संसार रूपी सागर को पार करने का उपदेश दिया है।

व्याख्या:
मीरा कहती हैं कि मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। क्या मालूम कौन-से पुण्य के प्रताप से हमें यह मनुष्य का जन्म मिला है। यह मनुष्य शरीर प्रति क्षण बढ़ता जाता है किन्तु हर पल उसकी आयु घटती जाती है। उसे मरते समय ज़रा भी देर नहीं लगती। जिस प्रकार वृक्ष से टूटा हुआ पत्ता फिर डाली से नहीं लगता, उसी प्रकार मृत्यु होने पर जीव फिर मनुष्य योनि में नहीं लौटता। यह संसार रूपी सागर बड़ा प्रबल है, इसमें असंख्य ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं। यदि कोई राम नाम का जहाज़ बना लेता है तो वह ही इस संसार रूपी सागर के पार जा सकता है। ज्ञान की दुनिया में ऐसी बाजी की रचना हुई है कि यहाँ कोई जीत जाता है तो कोई हार जाता है। जितने भी साधु संत महंत और ज्ञानी हैं सभी मरते समय पुकार करते हैं कि यह संसार नश्वर है और जीव भी नश्वर है। मीरा कहती हैं कि मैं तो श्रीकृष्ण की दासी हूँ। मुझे यहाँ चार दिन ही जीना है अर्थात् मेरा जीवन बहुत छोटा है।

विशेष:

  1. मीरा ने मानव जीवन को क्षणभंगुर मानते हुए प्रभु के नाम स्मरण द्वारा संसार रूपी सागर से पार होने का उपदेश दिया है।
  2. राजस्थानी मिश्रित ब्रज भाषा है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा रूपक अलंकार हैं।
  4. प्रतीकात्मकता विद्यमान है।

मीराबाई Summary

मीराबाई जीवन परिचय

मीराबाई का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।

मीरा का जन्म सन् 1498 ई० में जोधपुर ज़िला के कुड़की गाँव में राठौर वंश में राव दादू जी के चौथे पुत्र रत्नसिंह के घर हुआ था। बचपन से ही इन्हें श्रीकृष्ण से प्रेम हो गया था और वे उन्हें अपना पति मानने लगी थीं। सोलह वर्ष की अवस्था में इनका विवाह राणा सांगा के बड़े पुत्र भोजराज से हो गया था। सन् 1518 में राणा भोजराज ने एक युद्ध में वीरगति प्राप्त की। विधवा मीरा ने अपना समय श्री कृष्ण की भक्ति में लगा दिया। राजघराने की होते हुए भी मीरा साधु-सन्तों के साथ भजन-कीर्तन करती रही। अन्त में वे घर-बार छोड़कर द्वारिका चली गईं। यहीं सन् 1573 में उनका देहान्त हो गया। मीरा द्वारा लिखित कुल सात ग्रन्थ उपलब्ध हैं जिनमें ‘पदावली’ सबसे प्रसिद्ध है। अन्य रचनाओं में नरसी रो माहेरो, गीत गोबिंद की टीका, राग गोबिंद तथा सोरठा के पद अधिक प्रसिद्ध हैं।

मीराबाई पदों का सार

मीराबाई द्वारा रचित चार पद संकलित हैं। प्रथम पद ‘ब्रजभूमि’ में वृंदावन की पवित्रता का वर्णन किया गया है जहाँ घर-घर में तुलसी और ठाकुर जी की पूजा होती है, कृष्ण जी के दर्शन होते हैं, यमुना जी बहती हैं तथा दूध-दही का भोजन है। वहाँ रत्नसिंहासन पर कृष्ण जी विराजते हैं तथा उनकी मुरली का शब्द सुन कर राधा कुंज-कुंज में विचरण करती है। दूसरा पद ‘समर्पण’ का है जिसमें मीरा स्वयं को श्रीकृष्ण के विरह में व्याकुल होकर उनसे मिलने की कामना कर रही है। तीसरे पद में सद्गुरु की महानता का वर्णन है, जिनकी कृपा से उसे संसार रूपी सागर से पार उतारने का अमूल्य मंत्र मिल गया है तथा चौथे पद ‘उपदेश’ में इस जीवन को क्षण भंगुर बताते हुए प्रभु के नाम स्मरण का उपदेश दिया गया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 1 सूरदास

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 सूरदास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 1 सूरदास

Hindi Guide for Class 12 PSEB सूरदास Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
विनय पद के आधार पर सूरदास की भक्ति भावना को 40 शब्दों में स्पष्ट करें।
उत्तर:
सूरदास जी की कृष्ण भक्ति का आधार प्रेम है। विनय भी इसी प्रेम के अन्तर्गत आता है। सूरदास जी भगवान् कृष्ण के करुणामय और समदर्शी रूप के कारण ही उनसे अपना उद्धार करने अर्थात् भवसागर से पार उतारने की प्रार्थना करते हैं। उनकी भक्ति माधुर्य भाव की भक्ति है आत्म-समर्पण और अनन्य भाव माधुर्य-भक्ति के लिए आवश्यक है। सर्वप्रमुख भगवान् श्रीकृष्ण का अनुग्रह ही है। अपने आराध्य की सामर्थ्य, भक्तवत्सलता और अपने अधम जीवन का उद्घाटन सूरदास ने इन विनय पदों में किया है।

प्रश्न 2:
‘खेलन अब मेरी जात बलैया’ में श्रीकृष्ण खेलने क्यों नहीं जाना चाहते हैं-संकलित पद के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
श्रीकृष्ण इसलिए खेलने नहीं जाना चाहते क्योंकि बड़े भैया बलराम उन्हें यह कर चिढ़ाते हैं कि उनके पिता वसुदेव और माता देवकी हैं। नन्द बाबा ने तो उन्हें कुछ दे दिला कर मोल लिया है। ऐसे ही दूसरे ग्वाल भी कह कर उन्हें चिढ़ाते हैं।

प्रश्न 3.
‘जिय तेरे कछु भेद उपजि है जान परायो जायो’ पंक्ति में श्रीकृष्ण माँ यशोदा से क्या कहना चाहते हैं-‘परायो जायो’ की व्याख्या करते हुए श्रीकृष्ण जन्म की घटना का वर्णन करो।
उत्तर:
श्रीकृष्ण माँ यशोदा से कहना चाहते हैं कि चूँकि मैं वसुदेव-देवकी का पुत्र हूँ इसलिए तुम मुझे किसी दूसरे का पुत्र समझ कर डाँट रही हो और दूसरों की बातों पर विश्वास कर रही हो कि कृष्ण ने माखन खाया है या चुराया है।

श्रीकृष्ण के जन्म की घटना

भादों महीने की अष्टमी थी। आधी रात का समय था। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस की जेल में हुआ। श्रीकृष्ण की जननी देवकी कंस की बहन थी। उसने बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को कैद कर रखा था। भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी की आठवीं सन्तान के हाथों उसका वध होगा। कंस ने आठवें की प्रतीक्षा न कर देवकी की पहली सात सन्तानों को मरवा डाला था। श्रीकृष्ण के जन्म से पूर्व ही वसुदेव ने ब्रज में अपने मित्र नन्द के साथ समझौता किया था कि जन्म लेते ही वे अपने पुत्र को उनके संरक्षण में सौंप देंगे। संयोग से उसी दिन यशोदा ने भी एक लड़की को जन्म दिया। श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सब द्वार अपने आप खुल गए और सभी कर्मचारी सो गए। वसुदेव श्रीकृष्ण को एक टोकरी में डाल यमुना पार कर तूफानी रात में नन्द के पास पहुँचे और बच्चों की अदला-बदली कर वापस जेल में पहुँच गए। दूसरे दिन कंस को देवकी द्वारा एक कन्या को जन्म देने का समाचार पहुँचा। निर्दयी कंस ने उस कन्या को भी मरवा दिया।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 1 सूरदास

प्रश्न 4.
सूरदास ने बाल-क्रीड़ा का मनोवैज्ञानिक रूप से कैसे वर्णन किया है ?
उत्तर:
सूरदास जी वात्सल्य का कोना-कोना झाँक आए थे। ऐसा अनेक विद्वानों ने माना है। वास्तव में सूरदास जी ने बाल मनोविज्ञान के अनुरूप ही वात्सल्य सम्बन्धी पदों की रचना की है। यथा पहले पद में श्रीकृष्ण का खेलने न जाने का एक कारण है।

जबहि मोहि देखत लरकिन संग तबहि खिझत बल भैया।।
मोसों कहत तात वसुदेव को देवकी तेरी मैया।।
कोई भी बालक इस बात को लेकर चिढ़ाए जाने पर खेलना पसन्द नहीं करेगा। दूसरे जब श्रीकृष्ण की शिकायत सुन कर नन्द बाबा बलराम को झिड़कते हैं तो बाल सुलभ प्रकृति के कारण श्रीकृष्ण भी मन में प्रसन्न हुए।
सूर नंद बलराम हिं घिरक्यो सुनि मन हरष कन्हैया।।
जिसकी शिकायत की जा रही हो उसे जब दण्ड मिलता है तो शिकायत करने वाला मन ही मन प्रसन्न होता ही है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
चरण कमल बन्दौ हरि राई ……. तिहि पाई॥
उत्तर:
सूरदास कहते हैं कि मैं भगवान् श्री कृष्ण के चरण-कमलों की वन्दना करता हूँ। जिनकी कृपा से लंगड़ा भी पर्वत लाँघ जाता है तथा अन्धे को भी सब कुछ दिखाई देने लगता है। बहरा सुनने लगता है, गूंगा फिर से बोलने लगता तथा निर्धन भी सिर पर छत्र धारण करवा कर चलता है अर्थात् सम्राट् बन जाता है। सूरदास कहते हैं कि मेरे स्वामी ऐसे दयालु हैं इसलिए मैं उन के चरणों की बार-बार वन्दना करता हूँ।

प्रश्न 6.
खेलन अब मेरी जात बलैया …… हरख कन्हैया॥
उत्तर:
सूरदास कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने शिकायत करते हुए कहा कि अब मेरी बला खेलने जाएगी अर्थात् अब मैं खेलने नहीं जाऊँगा। अपनी इस नाराज़गी का कारण बताते हुए बाल श्रीकृष्ण कहते हैं कि बलराम भैया जब भी मुझे लड़कों के साथ खेलता देखते हैं तब मुझे चिढ़ाते हैं। वे मुझ से कहते हैं कि वसुदेव तुम्हारे पिता और देवकी तुम्हारी माता है। बहुत यत्न करके कुछ दे-दिलाकर वसुदेव से तुम्हें खरीदा है। अब तुम नन्द बाबा और यशोदा को माँ कहकर पुकारते हो। इसी प्रकार कह कर सभी मुझे चिढ़ाते हैं। तब मैं खिसिया कर वहाँ से उठकर चला आता हूँ। बाल श्रीकृष्ण की ये बातें पीछे खड़े नन्द बाबा सुन रहे थे उन्होंने हँसते-हँसते श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया। सूरदास कहते हैं कि नन्द बाबा ने बलराम को झिड़का, जिसे सुनकर बाल श्रीकृष्ण मन ही मन प्रसन्न हो उठे।

प्रश्न 7.
कृष्ण यशोदा से अपने ग्वाल सखाओं की क्या शिकायत करते हैं ? कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कृष्ण यशोदा को अपने ग्वाल सखाओं की शिकायत करते हुए कहते हैं कि वे सभी मेरे दुश्मन बन गए हैं और उन्होंने ही ज़बरदस्ती मेरे मुख पर माखन लगा दिया है, मैंने माखन चुरा कर नहीं खाया है। आप भोली हैं, जो उनकी बातों में आ जाती हैं। श्रीकृष्ण की इन क्रोध से भरी बातों को सुनकर यशोदा हंस पड़ती है और कृष्ण को अपने गले लगा लेती है।

PSEB 12th Class Hindi Guide सूरदास Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूरदास किसकी भक्ति में विश्वास रखते थे?
उत्तर:
श्री कृष्ण की भक्ति में।

प्रश्न 2.
सूरदास का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
दिल्ली के निकट सीही ग्राम में सन् 1478 ई० में।

प्रश्न 3.
सूरदास किस संप्रदाय से जुड़े हुए थे?
उत्तर:
वल्लभ संप्रदाय से।

प्रश्न 4.
सूरदास के काव्य में किसका और कैसा चित्रण श्रेष्ठतम है?
उत्तर:
श्री कृष्ण के श्रृंगार और वात्सल्य का चित्रण।

प्रश्न 5.
सूरदास की रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 1 सूरदास

प्रश्न 6.
सूरदास की भाषा कौन-सी थी?
उत्तर:
ब्रजभाषा।

प्रश्न 7.
सूरदास का देहांत कब और कहां हुआ था?
उत्तर:
सन् 1583 ई० में, मथुरा के निकट पारसौली गांव में।

प्रश्न 8.
सूरदास ने श्री कृष्ण से किस तरफ ध्यान न देने की प्रार्थना की थी?
उत्तर:
सूरदास के दोषों की तरफ।

प्रश्न 9.
यह सारा संसार किसका भ्रमजाल है?
उत्तर:
मोह-माया का।

प्रश्न 10.
श्री कृष्ण के बचपन संबंधी पदों में सूरदास के काव्य में किस रस की प्रधानता है?
उत्तर:
वात्सल्य रस की।

प्रश्न 11.
श्री कृष्ण ने क्या नहीं खाने की बात कही थी?
उत्तर:
माखन।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 1.
……………..अब मेरी जात बलैया।
उत्तर:
खेलन।

प्रश्न 2.
मैया मेरी, मैं नहि………….।
उत्तर:
माखन खायो।

प्रश्न 3.
यह माया……………कहावत सूरदास सगरो।
उत्तर:
भ्रम जाल।

प्रश्न 4.
…………….सुनै…………….पुनि बोलै।
उत्तर:
बहिरो, मूक।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 5.
श्री कृष्ण राम भक्त थे।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 6.
सूरदास की भाषा का नाम अवधी था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
सूरदास ने ‘समदर्शी’ श्री कृष्ण को कहा है?
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सूरदास किस भक्ति के कवि थे ?
(क) राम
(ख) कृष्ण
(ग) बुद्ध
(घ) हरि
उत्तर:
(ख) कृष्ण

2. सूरदास किस संप्रदाय के साथ जुड़े थे ?
(क) वल्लभ
(ख) दल्लभ
(ग) शलभ
(घ) विलभ
उत्तर:
(क) वल्लभ

3. सूरदास की भाषा कौन सी थी ?
(क) सधुक्कड़ी
(ख) ब्रज
(ग) अवधी
(घ) हिंदी
उत्तर:
(ख) ब्रज

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 1 सूरदास

4. सूरदास के स्वामी कैसे हैं ?
(क) मधुर
(ख) विदुर
(ग) करुणामय
(घ) कारुणिक
उत्तर:
(ग) करुणामय

5. माँ से रूठने पर कृष्ण क्या खाने से मना करते हैं ?
(क) मक्खन
(ख) लस्सी
(ग) रोटी
(घ) भोजन
उत्तर:
(क) मक्खन

सूरदास सप्रसंग व्याख्या

1. चरण कमल बन्दौ हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे, अंधे को सब कछु दरसाई।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराई।
सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बन्दौं तिहिं पाई॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
हरि राई = भगवान् श्री कृष्ण । पंगु = लंगड़ा। मूक = गूंगा। रंक = निर्धन, फकीर। करुणामय = दयालु। पाई = चरण।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन प्रमुख कृष्ण भक्त कवि सूरदास द्वारा रचित ‘सूरसागर’ के ‘विनय पद’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में कवि की विनयशीलता और भक्ति भावना का परिचय मिलता है।

व्याख्या:
सूरदास कहते हैं कि मैं भगवान् श्री कृष्ण के चरण-कमलों की वन्दना करता हूँ। जिनकी कृपा से लंगड़ा भी पर्वत लाँघ जाता है तथा अन्धे को भी सब कुछ दिखाई देने लगता है। बहरा सुनने लगता है, गूंगा फिर से बोलने लगता तथा निर्धन भी सिर पर छत्र धारण करवा कर चलता है अर्थात् सम्राट् बन जाता है। सूरदास कहते हैं कि मेरे स्वामी ऐसे दयालु हैं इसलिए मैं उन के चरणों की बार-बार वन्दना करता हूँ।

विशेष:

  1. कवि ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को सर्वशक्तिमान स्वीकार करते हुए उनके चरणों की वंदना की है।
  2. ब्रजभाषा एवं गीति शैली है।
  3. रूपक अनुपात तथा पुनरक्ति प्रकाश अलंकार हैं।

2. प्रभु मोरे अवगुन चित्त न धरौ।।
समदरसी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करौ।।
इक नदिया इक नार कहावत, मैलोहि नीर भरौ।
जब दोनों मिलि एक बरन भये, सुरसरि नाम परौ॥
इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो।।
पारस गुन अवगुन नहिं चितवत कंचन करत खरो।
यह माया भ्रम जाल कहावत सूरदास सगरो।
अबकि बेर मोहिं पर उतारो नहिं प्रन जात टरो॥

कठिन शब्दों के अर्थ:
चित्त न धरौ = ध्यान न दो। समदरसी = सबको समान दृष्टि से देखने वाले। पार करो = उद्धार करो, भवसागर से पार करो। नार = नाला। वरन = रंग। सुरसरी = गंगा। बधिक = केसाई। पारस = एक पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा शुद्ध स्वर्ण में बदल जाता है। कंचन = सोना। खरो = शुद्ध। जात टरो = टला जाता है। सगरो = सारा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद सूरदास द्वारा रचित सूरसागर के ‘विनय पद’ से लिया गया है। इस पद में कवि ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को समदर्शी मानते हुए उनसे अपने अवगुणों को क्षमा करने की प्रार्थना करते हुए भवसागर से पार उतारने की विनती की है।

व्याख्या:
सूरदास प्रभु श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे प्रभु ! मेरे दोषों पर ध्यान न दें। आपका नाम समदर्शी है अर्थात् आप सब को एक जैसी नज़र से देखते हैं। आप की इसी विशेषता को ध्यान में रखकर मैं आप से प्रार्थना करता हूँ कि यदि आप चाहें तो मुझे इस भवसागर से पार कर दें अर्थात् मेरा उद्धार कर दें। जिस प्रकार स्वच्छ जल से भरी एक नदी है तथा मैले जल से भरा एक नाला है जब दोनों मिल जाते हैं तो एकाकार हो कर स्वच्छ हो जाते हैं और उनका नाम देव नदी गंगा पड़ जाता है। जिस प्रकार एक लोहा पूजा गृह में रखा जाता है तथा दूसरा कसाई के घर पड़ा होता है किन्तु पारस उनके गुण अवगुण को नहीं देखता अर्थात् उनमें भेद नहीं मानता, वह दोनों को ही शुद्ध सोने में बदल देता है। सूरदास कहते हैं यह सारा संसार माया का भ्रमजाल कहलाता है इसलिए हे प्रभु अबकी बार मुझे भव-सागर से अवश्य पार कर दो नहीं तो आप का समदर्शिता तथा पतित पावनता का प्रण टल जाएगा।

विशेष:

  1. कवि ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को समदर्शी तथा पतितपावन मानते हुए उनसे अपने उद्धार की प्रार्थना की है।
  2. कोमलकांत ब्रजभाषा का प्रयोग है।
  3. गीति शैली है।
  4. अनुप्रास तथा विनयोक्ति अलंकार हैं।

वात्सल्य भाव

1. खेलन अब मेरी जात बलैया।
जबहिं मोहि देखत लरिकन संग तबहिं खिझत बल मैया॥
मोसों कहत तात बसुदेव को देवकी तेरी मैया।
मोल लियो कछु दे बसुदेव को करि करि जतन बहैया।
अब बाबा कहि कहत नंद को जसुमति को कहै मैया
ऐसेहि कहि सब मोहिं खिजावत तब उठि चलौं खिसैया॥
पाछे नन्द सुनत हैं ठाढ़े हँसत हँसत उर लैया।
‘सूर’ नन्द बलरामहि धिरक्यो सुनि मन हरख कन्हैया।।

कठिन शब्दों के अर्थ:
बलैया = बला। बल भैया = बलराम भाई। तात = पिता। बहैया = बहुत। खिसैया = खिसिया कर, झेंपकर। धिरक्यो = झिड़कना। मन हरख = मन में प्रसन्न होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन प्रमुख कृष्ण भक्त कवि सूरदास द्वारा रचित ‘सूरसागर’ में आए वात्सल्य भाव के पदों में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में बाल श्री कृष्ण द्वारा बड़े भाई बलराम की शिकायत करने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या:
सूरदास कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने शिकायत करते हुए कहा कि अब मेरी बला खेलने जाएगी अर्थात् अब मैं खेलने नहीं जाऊँगा। अपनी इस नाराज़गी का कारण बताते हुए बाल श्रीकृष्ण कहते हैं कि बलराम भैया जब भी मुझे लड़कों के साथ खेलता देखते हैं तब मुझे चिढ़ाते हैं। वे मुझ से कहते हैं कि वसुदेव तुम्हारे पिता और देवकी तुम्हारी माता है। बहुत यत्न करके कुछ दे-दिलाकर वसुदेव से तुम्हें खरीदा है। अब तुम नन्द बाबा और यशोदा को माँ कहकर पुकारते हो। इसी प्रकार कह कर सभी मुझे चिढ़ाते हैं। तब मैं खिसिया कर वहाँ से उठकर चला आता हूँ। बाल श्रीकृष्ण की ये बातें पीछे खड़े नन्द बाबा सुन रहे थे उन्होंने हँसते-हँसते श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया। सूरदास कहते हैं कि नन्द बाबा ने बलराम को झिड़का, जिसे सुनकर बाल श्रीकृष्ण मन ही मन प्रसन्न हो उठे।

विशेष:

  1. बालसुलभ स्वभाव के कारण श्रीकृष्ण बड़े भाई को झिड़कियाँ दिलाकर प्रसन्न हुए। इसी तथ्य की ओर संकेत किया गया है।
  2. ब्रजभाषा की कोमलकांत पदावली का प्रयोग किया गया है।
  3. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  4. वात्सल्य रस है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 1 सूरदास

2. मैया मोरी, मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे मधुबन मोहिं पठायो।
चार पहर बंसीबट भटक्यो साँझ परे घर आयो।
मैं बालक बहियन को छोटो छींको केहि बिधि पायो।
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं बरबस मुख लपटायो।।
तू जननी मति की अति भोरी इनके कहे पतियायो।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है जान परायो जायो॥
यह ले अपनी लकुटि कमरिया बहुतहि नाच नचायो।
‘सूरदास’ तब बिहँसि जसोदा लै उर कण्ठ लगायो।

कठिन शब्दों के अर्थ:
भोर = सुबह। मधुबन = वृन्दावन। पठायो = भेजा। बहियन = भुजाओं से। विधि = तरीका। बरबस = ज़बरदस्ती। मति = बुद्धि। भोरी = भोली। पतियायो = विश्वास करना। लकुटि = (गऊएँ चराने वाली) लकड़ी। कमरिया = कंबली। बिहँसि = हँसकर।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद भक्तिकालीन प्रमुख कृष्ण भक्त कवि सूरदास द्वारा रचित ‘सूरसागर’ में आए वात्सल्य-भाव के पदों में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में बाल श्रीकृष्ण माखन चुराते पकड़े जाने पर माता से बहाने बनाकर माखन चुराने की बात का खण्डन कर रहे हैं।

व्याख्या:
बाल श्रीकृष्ण माखन चुराते पकड़े जाते हैं तो माता के पूछने पर वे कहते हैं कि हे माता, मैंने माखन नहीं खाया है। मैं कैसे माखन चुरा कर खा सकता हूँ। प्रातः होते ही तो तुमने मुझे गउओं के पीछे मधुवन भेज दिया था। चार पहर तक अर्थात् दिन भर तो मैं वन में भटकता रहा और संध्या होने पर ही घर लौटा हूँ। मैं तो बालक हूँ मेरी भुजाएँ भी छोटी-छोटी हैं अत: ऊँचा टँगा यह छींका मैं किस प्रकार पा सकता हूँ ? सभी ग्वाल बाल मेरे दुश्मन हैं, उन्होंने ज़बरदस्ती मेरे मुँह पर माखन लगा दिया। तू माता तो अक्ल की भोली है जो उनकी बातों पर विश्वास कर बैठी हो। ऐसा लगता है कि पराया जान कर या दूसरी स्त्री द्वारा जन्म दिए जाने के कारण मेरे प्रति तुम्हारे हृदय में कुछ भेद उत्पन्न हो गया है। यह लो अपनी लकड़ी-जिसे तूने गऊएँ चराने के लिए दिया है और यह लो अपनी कंबली-जिसे ओढ़ कर मैं गउएँ चराने जाता हूँ। तुम ने मुझे बहुत नाच नचाया है अर्थात् बहुत परेशान किया है। सूरदास कहते हैं कि श्रीकृष्ण के इन क्रोध भरे वचनों को सुनकर माता यशोदा हँस पड़ी और उन्होंने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया।

विशेष:

  1. कवि ने बाल कृष्ण के रूठने तथा आक्रोश करने का स्वाभाविक चित्रण किया है।
  2. ब्रजभाषा, गीतात्मकता एवं हाव-भाव का आकर्षक चित्रण है।
  3. अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है। वात्सल्य रस है।

सूरदास Summary

सूरदास जीवन परिचय

महाकवि सूरदास का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।

मध्यकालीन सगुणोपासक एवं कृष्णभक्त कवि सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई० में दिल्ली के निकट सीही ग्राम में एक सारस्वत,ब्राह्मण परिवार में हुआ। कुछ विद्वान् इन्हें जन्म से ही अन्धा मानते हैं तो कुछ मानते हैं कि यह किसी कारणवश बाद में अन्धे हो गए लेकिन इसका कोई भी साक्ष्य नहीं मिलता। सूरदास जी वल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षित हुए और उन्हीं की प्रेरणा से ब्रज में श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन करने लगे। इनके काव्य में श्रृंगार और वात्सल्य का बहुत सहज और स्वाभाविक चित्रण प्राप्त होता है। श्रृंगार के वियोग पक्ष में इन्होंने गोपियों के कृष्ण के विरह में संतप्त हृदय का मार्मिक चित्रण किया है। श्रीकृष्ण लीलाओं में उनकी बाललीलाओं का वर्णन बेजोड़ है। सूरदास जी की भक्ति भावना सख्य भाव की है।

सूरदास जी रचित तीन रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली और साहित्य लहरी हैं। सूरसागर की रचना श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर की गई है। इनका काव्य ब्रजभाषा में रचित, गीतात्मक, माधुर्य गुण से युक्त तथा अलंकारपूर्ण है। इनका देहान्त सन् 1583 ई० में मथुरा के निकट पारसौली गांव में हुआ था।

सूरदास पदों का सार

सूरदास द्वारा रचित प्रथम दो पद विनय से सम्बन्धित हैं, जिनमें कवि ने श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करते हुए उनके चरणकमलों की वन्दना करते हुए उन्हें करुणामय बताया है, जिनकी कृपा से लंगड़ा पर्वतों पर चढ़ सकता है, गूंगा बोल सकता है, बहरा सुन सकता है, अन्धा देख सकता है और निर्धन राजा बन सकता है। दूसरे पद में प्रभु से भवसागर से पार उतारने की प्रार्थना की गई है। वात्सल्य भाव के दो पदों में से प्रथम पद में श्रीकृष्ण की बाललीला का वर्णन करते हुए उन्हें माता यशोदा से बलराम द्वारा चिढ़ाने की शिकायत करते हुए चित्रित किया गया है, इस कारण वे खेलने भी नहीं जाना चाहते। दूसरे पद में श्रीकृष्ण माता यशोदा को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने माखन चुराकर नहीं खाया बल्कि ग्वाल-बालों ने ही ज़बरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया है।

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Determiners Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Jack was seven years old. His sister Jill was one year old. Their house was on …………. hill. One day Jack and Jill were playing with ………… ball. ………… ball rolled down ………. hill. Jack ran after it. Jill rolled down after Jack. There was ………… road at ……….. foot of ………… hill. ………… ball stopped there.

2. When Edison was 12 years old, he became ………… newsboy on ………… train that left Port Huron in ………… evening. Edison set up a laboratory in …………. baggage car of ………… train because he did not want to waste ………. time. Later, he bought …………. printing press and set it up in his laboratory on wheels. He published ……….. weekly paper, which he sold for three cents ………… copy. At …………. same time, Edison spent …………. of his free hours reading in …………. public library.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

3. The old man was left with only …………. money in the bank. He didn’t spend ………….. on himself. He wanted to save ………………… for his rainy days…. of his three sons bothered to care for him. He didn’t want to be dependent on …………. of them, either.
Answer:
1. a, a, The, the, a, the, the, The.
2. a, the, the, the, the, any, a, a, a, the, some, a.
3. a little, any a little, None, any.

Fill in the blanks with ‘few’, ‘a few’ or ‘the few :

1. …….. were the words Rama spoke.
2. ….. books she had were all destroyed.
3. He has read only ……………. poems.
4. ……………… friends she has are all insincere.
5. …………. men can resist this temptation.
6. …………… days’ rest will do you immense good.
7. ……………. suggestions he gave were all accepted.
8. ………….. people live to be 80.
9. He is a man of …………………. words.
10. ……….. words spoken in earnest will convince her to your side.
Answer:
1. Few
2. The few
3. a few
4. The few
5. Few
6. A few
7. The few
8. Few
9. few
10. A few.

Read the following passage. There is an error in each line. Underline the error and write your correction in your answer sheet.

Corrections There lived the poor weaver in the village. He had a daughter who was always lost in his day-dreams. One day she was walking along the road.

Errors Corrections
There lived the poor weaver in
the village. He had a daughter who
was always lost in his day-dreams. One
day she was walking along the road.
She had the basket of an eggs
on his head. She began to
dream of a riches she would earn.
Suddenly the cow hit her. His basket
of eggs fell down on a road.
All eggs were broken. She started crying. All the
a
a
her
a
a, the
her
the
a, Her
the

Fill in the blanks with suitable Determiners :

Why don’t you go and get (1) ………… medicine ? It is (2) ……… terrible disease. If you do not take (3) ……….. precautions, you will have to feel sorry. I know (4) ………. friend of mine who is (5) ……….. expert in treating (6) ……….. disease. He lives in (7)…………… house situated in the street opposite (8) ……….. Civil Hospital. Go and get (9) ……….. medicine before it is too late.
Answer:
1. some 2. a 3. any 4. a 5. an 6. this 7. a 8. the 9 the.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Have you got ………………….. butter?
2. Will you give me ………………….. sugar ?
3. There were hardly mistakes in her essay.
4. ……… man wishes to be happy.
5. You can go by …………………… road.
6. We haven’t ………… books.
7. How …………………. do you want ?
8. He will pay ………………. price you asked.
9. She has bought …………………. pens.
10. Has he ….. friends in the town?
Answer:
1. any
2. some I any I a little
3. any
4. Every
5. this
6. any
7. much
8. the
9. some
10. any

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

The day of (1)………… party drew near. Matilda said to (2) ……….. husband, “I haven’t (3) ………. jewellery to wear, not even (4) ………… brooch. I shall look like (5) ………… perfect beggar. I would prefer not to go to (6) ………… party.” “You can wear (7) ………. fresh flowers,” he suggested. But she was not convinced. “Why don’t you ask (8) ……… friend, Mrs. Forestier, to lend you (9) ………. jewellery ?”. he suggested. She at once went to (10) ………… friend’s house and returned home with (11) ……….. lovely necklace. She attended (12) ………… ball, and was (13) ……….. great success.
Answer:
1. the 2. her 3. any 4. a 5. a 6. the 7. some 8. your 9. some 10. her 11. a 12. the 13. a.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. He is a man of …………………… words.
2. ………… persons can keep a secret.
3. There are …………………. letters for you.
4. Give me a book; …………………. book will do.
5. What is ………………….. latest information ?
Answer:
1. few
2. Few
3. a few / some
4. any
5. the.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. ……….. doctor was called in to see ………… ailing old man. ………… doctor treated him so unskilfully that ……….. man died. Thereupon ………… family seized ………. doctor and tied him up to …………. post, intending to punish him.

2. But during ………… night, he got loose from ……….. cord that held him, and escaped by swimming across ………… Ganges. On reaching his home, ………. doctor found his son studying some medical books. “My son,” said he, “do not be in ……….. hurry to study ………… books. ………… first and ………… most important thing for …. doctor to do is to learn to swim.”
Answer:
1. A, an, The, the, the, the, a.
2. the, the, the, the, a, the, The, the, a. ..

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. ………… pen will do.
2. Did you see ……………….. girls there?
3. Are there ……………… pens in that drawer ?
4. She hasn’t ………….
5. How ……………….. pounds of sugar do you want ?
6. Delhi is farther from …… ……………. city than Surat.
7. The thief was taken to ………………. police station.
8. He does not sell………………….. than five kilograms of sugar.
9. He wasted ………………… money he had.
10. There are …………… books in the library.
Answer:
1. Any
2. any
3. any
4. any
5. many
6. this
7. the
8. more
9. the little
10. many.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with ‘Each”, “Every’, ‘Either’ or ‘Neither’ :

1. …………….. of the two boys was fined.
2. …………… seat in the hall was occupied.
3. ……… man wants to rise in the world.
4. …………….. accusation is true.
5. …………. soldier was at his post.
6. ………………. side has won.
7. …………. man has some duties to perform.
8. She visited us …………. three days.
9. Five boys stood in …………………… row.
10. You can take …………….. side.
Answer:
1. Neither
2. Each
3. Every
4. Every
5. Each
6. Neither
7. Every
8. every
9. each
10. either.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Gold is …………………. precious metal.
2. Ram is ………………….. pride of his parents.
3. Delhi is …………………… London of India.
4. Hari Das is ………………….. loyal servant.
5. Punjabi is ………………….. official language of Punjab.
6. He is ………….. man who stole my bicycle.
7. I have sent him ………… message.
8. …………….. umbrella is essential at ……… hill station.
9. I have ………………. Alsatian dog.
10. Gita is ………………….. intelligent girl.
Answer:
1. a
2. the
3. the
4. a
5. the
6. the
7. the
8. An, a
9. an
10. an.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. He is ……………….. one-eyed man.
2. Mumbai is ………………. biggest port in India.
3. He teaches me for ………………….. hour.
4. India wants peace all over …………………. world.
5. ……………. dog is …………………… faithful animal.
6. I bought ……….
7. I do not lend …………………. books to anyone.
8. ………………….. mother is a teacher.
9. One should do ………. duty
10. We love ……………….. motherland.
Answer:
1. a.
2. the
3. an
4. the
5. The, a
6. an
7. my
8. My
9. one’s
10. our.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Is there ………………. body in the house?
2. The players had …………..layers had ………………….. practice.
3. I have …………………… work to do.
4. He lent me …………… books.
5. ………… people sleep on the footpaths.
6. He gave me …………………… bananas he had.
7. June is the ……………….. month of the year.
8. He has ………………… wealth than his brother.
9. …….. little knowledge is ………………… dangerous thing.
10. I borrowed ………………. few books from him.
Answer:
1. any
2. much
3. much
4. some / many
5. Many
6. the few
7. sixth
8. more
9. A, a
10. a.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. …………. novel is more interesting than ………………… one.
2. My friend is …………………. teacher.
3. She is ……………….. M.L.A.
4. He will leave by ……… next train.
5. The Principal gave him ………………. warning
6. …….. sun rises in …….. east
7. …….. eagle is a bird of prey.
8. ……… of the girls were present.
9. He was too modest to tell ………………….. lie.
10. He went to call on ………………….. friends of his.
Answer:
1. This, that
2. a
3. an
4. the
5. a
6. The, the
7. The
8. Some
9. a
10. some.

किसी Noun (संज्ञा) से पूर्व-स्थित ऐसे शब्द को Determiner कहा जाता है जो उस Noun को निर्धारित करता हो; जैसे
A book, an inkpot, the Ramayana, some boys, any book, a few difficulties, a little rest, आदि।

Determiner एक प्रकार से विशेषण (Adjective) ही होता है। अन्तर केवल इतना है कि Adjective
किसी संज्ञा की व्याख्या करता है जबकि Determiner किसी संज्ञा को निर्धारित करता है।

अध्ययन की सुविधा के लिए Determiners को मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है:

Kinds Of Determiners

1. Possessive My, our, your, his, her, its, their.
2. Demonstrative Definite : The, this, that these, those such, same,
Indefinate : A, an, any, some, other, certain, etc
3. Quantitative Much, more, less, little, no, some, any,
enough, sufficient, all, whole, half, etc.
4. Numeral : One, two, three, first, second, third, etc.
: All, some, no, many, few, several, etc
: Both, each, every, neither, either, etc.
5. Articies Definite : The.
Indefinite : A, an.
6 Wh-Words What(ever), which(ever), whosoever, Whose.

The Use Of Some Determiners

Some तथा Any का प्रयोग

Some तथा Any ये दोनों शब्द मात्रा-वाचक भी हैं और संख्यावाचक भी।
Some का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाता है :

(a) Affirmative
वाक्यों में।
1.There are some children outside.
2. Some people say that money makes the mare go.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(b) Interrogative वाक्यों में
(किन्तु जब वक्ता को affirmative उत्तर की इच्छा अथवा आशा हो)।

1. Arent there some stamps in the drawer ?
2. Didn’t he give you some money ?

Any का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाता है :

(a) Negative वाक्यों में।
1. I didn’t buy any bread.
2. He has not solved any question.

(b) Interrogative वाक्यों में (किन्तु जब वक्ता को negative उत्तर की आशा हो)।
1. Have you any problem ?
2. Are there any stamps in my drawer ?

(c) ऐसे Affirmative वाक्यों में जिनमें निषेध अथवा मनाही अन्तर्भूत (Implied) हो।
इस तरह के वाक्यों में प्रायः निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग होता है :
Prevent (verb), Without (preposition), Hardly / Scarcely (adverb)
1. We did the work without any difficulty.
2. I have hardly any leisure nowadays.
3. Please try to prevent any loss of goods on the way:

(d) Any का प्रयोग निम्नलिखित अर्थ में भी किया जाता है :
no matter which’ = ‘चाहे किसी भी’ (in any case ; at any rate ; on any day ; at any hour.)
1. Come any day you like.
2. You can come to me at any hour of the day.

(e) Clauses of Condition (शर्तवाचक उपवाक्यों) में भी any का प्रयोग किया जाता है।
1. You can come to me in case of any difficulty.
2. I shall help you if you have any problem.

नोट : Not any = no
यह बात ध्यान रखने योग्य है कि not के साथ any का प्रयोग किया जा सकता है किन्तु no के साथ any का प्रयोग नहीं किया जाता है।
I bought no any apple. (✗)
I bought no apple. (✓)

Fill in the blanks with suitable determiners (some or any) :

1. I bought ………… honey.
2. He did not buy …………….. honey.
3. Did he buy ……………. honey?
4. He gave me ……………… money.
5. He did not give me ……………. money.
6. Did he give you …………….. money ?
7. ……………… girls were playing in the ground.
8. Have you read …………….. new novel ?
9. There is not …………… oil in the bottle.
10. Will you please give me …………… milk ?
11. We must find an excuse; ……………. excuse will do.
12. This bucket is useless; it hasn’t ……………. handle.
13. I must have this book at ……………. rate.
14. The railway station is at …………….. distance from the village.
15. I shall be away for …………….. time.
Answer:
1. some
2. any
3. any
4. some
5. any
6. any
7. Some
8. any
9. any
10. some
11. any
12. any
13. any
14. some
15. some.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Few तथा Little का प्रयोग

Few – यह एक संख्यावाचक शब्द है।
Few, a few, the few का प्रयोग :

1. Few-यह एक Negative विशेषण है।
Few = not many = अधिक नहीं।

2. A few—यह एक affirmative विशेषण है
A few = some at least = थोड़े-से।

3. The few-यह एक ऐसा विशेषण है जिससे negative तथा affirmative दोनों अर्थों का बोध होता
The few = the whole of any particular number = थोड़े बहुत जो भी हों।

उदाहरण :

1. He makes few mistakes. वह अधिक गलतियां नहीं करता है।
2. He makes a few mistakes. वह कुछ ग़लतियां कर देता है।
3. I corrected the few mistakes he had made. जो थोड़ी-बहुत ग़लतियां उसने की थीं, वे मौने ठीक कर दीं

नोट : वाक्य
(3) के अर्थ को दो भागों में बांटा जा सकता है –
(a) Negative तथा
(b) Affirmative.

(a) The mistakes he had made were not many.
(जो ग़लतियां उसने की थीं, वे अधिक नहीं थीं।)

(b) I corrected all the mistakes he had made.
(मैंने वे सारी ग़लतियां ठीक कर दी जो उसने की थीं).

Little, a little, the little का प्रयोग:

1. Little – यह एक Negative विशेषण है।
Little = not much = अधिक नहीं।

2. A little – यह एक affirmative विशेषण है।
A little = some at least = थोड़ा-सा।

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

3. The little – यह एक ऐसा विशेषण है जिससे negative तथा affirmative दोनों अर्थों का बोध होता
The little = the whole of any particular quantity = थोड़ा बहुत जो भी हो।
उदाहरण :

He had little milk. उसके पास अधिक दूध नहीं था।
He had a little milk. उसके पास थोड़ा-सा दूध था।
He drank the little milk I had. मेरे पास जो थोड़ा-बहुत दूध था, वह सी गया।

नोट : वाक्य (3) के अर्थ को दो भागों में बांटा जा सकता है-
(a) Negative तथा
(b) Affirmative.

(a) The milk I had was not much.
(मेरे पास जो दूध था वह अधिक नहीं था।)

(b) He drank all the milk I had.
(उसने सारा दूध पी लिया जो मेरे पास था।)

Fill in the blanks with suitable determiners

(few, a few, the few, little, a little, the little) :

1. …….. money is better than nothing.
2. I need ………………….. days’ rest.
3. His condition is so serious that there is ……………….. hope of his recovery.
4. …………… women can keep a secret.
5. ……………………… knowledge is a dangerous thing.
6. I want ……………………. sugar for tea.
7. He read ……………………. books he had.
8. He spent ……………….. money he had.
9. Only…………………….. boys were present in the meeting.
10. Hurry up! We have only …………………… time left.
11. You should stay here …. ……………….. days longer.
12. ……. remarks he made, were very meaningful.
13. He was very sorry to find that he had ……….. money left.
14. Bring me ………… water to drink.
15. He is a fool and has ………….
Answer:
1. A little
2. a few
3. little
4. Few
5. A little
6. a little
7. the few
8. the little
9. a few
10. a little
11. a few
12. The few
13. little
14. a little
15. little.

Much, many, many a, more, fewer तथा less का प्रयोग नोट :

(1) Much तथा less मात्रावाचक विशेषण हैं।
(2) Many तथा fewer संख्यावाचक विशेषण हैं।
(3) Much का प्रयोग uncountable nouns के साथ किया जाता है।
Many का प्रयोग countable nouns के साथ किया जाता है।

(4) Much और many का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाना चाहिए
(a) Negative वाक्यों में
(b) Interrogative वाक्यों में
(c) Affirmative वाक्यों में (किन्तु केवल तभी जब इन शब्दों का प्रयोग कर्ता अथवा कर्ता
की व्याख्या करने वाले शब्द के रूप में किया गया हो)। शेष सभी प्रकार के Affirmative वाक्यों में much तथा many की जगह निम्नलिखित phrases का प्रयोग किया जाना बेहतर समझा जाता हैa lot of, lots of, plenty of, a large number of, a large quantity of, a good (great) deal of, आदि।

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(5) Many a–कई बार ‘Many’ के साथ ‘a’ का प्रयोग किया जाता है।
अर्थ की दृष्टि से ‘many’ तथा ‘many a’ में कोई अन्तर नहीं है। अन्तर केवल इतना है कि

  • Many के साथ बहुवचन संज्ञा और बहुवचन क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • Many a के साथ एकवचन संज्ञा और एकवचन क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • Many a man = many x one man = Many men.

1. Many a boy is absent today.
2. Many boys are absent today.

(6) More का प्रयोग uncountable singular nouns के साथ तथा countable plural nouns के साथ किया जाता है।
1. I need some more water today.
2. More boys were called in to help.

(7) Fewer को few की comparative degree के रूप में प्रयोग किया जाता है; किन्तु
Less को little की comparative degree के रूप में बहुत कम प्रयोग किया जाता है।
यह एक स्वतन्त्र comparative है। वास्तव में इसकी कोई positive degree नहीं होती है।

Examples

Much (मात्रावाचक)

1. There is not much food in the house.(Negative)
2. Did you have much difficulty in finding it ? (Interrogative)
3. Much of what you say is true. (Affirmative)
4. He never eats much breakfast. (Negative)
5. Does your cow give much milk? (Interrogative)
6. Much of it is useless. (Affirmative)

Many (संख्यावाचक)
1. I don’t have many friends. (Negative)
2. Were there many people at the meeting ? (Interrogative)

3. Many people left early. (Affirmative)
4. He does not know many things. (Negative)
5. Have you done many sums? (Interrogative)
6. Many of them think so. (Affirmative)

Fewer
1. No fewer than twenty workers were absent.
2. There were fewer men than women.
3. Few know and fewer care.
4. Today I bought fewer eggs.

Less
1. Less size means less weight.
2. He had less difficulty with his work.
3. Don’t think it has less importance.
4. I have less money than you.

Fill in the blanks with suitable determiners

(much, many, fewer, less, many a) :

1. ……………. people came to see the fair.
2. The students made ……………… noise in their vacant period.
3. She knows …………… languages.
4. There aren’t …………….. schools in this town.
5. Don’t spend ………………. time in games.
6. There isn’t ……………….. sugar in the cup.
7. You must take ……………… meals a day.
8. This work is lighter, so I can do with …… manpower.
9. I don’t need ……………….. money.
10. …….. butter and ………………… eggs will serve the purpose today.
11. Did he make ……………….. mistakes in his essay ?
12. You will have to pay …… money for this house.
13. Were there ……………… boys in the playground ?
14. I have seen her ……………… time.
15. I had to face ……….. trouble.
Answer:
1. Many
2. much
3. many
4. many
5. much
6. much
7. fewer
8. less
9. much
10. Less, fewer
11. many
12. much
13. many
14. many a
15. much.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Each, Every, Neither, Either तथा Both का प्रयोग

नोट : (1) Each का प्रयोग ‘दो’ अथवा ‘दो से अधिक’ वस्तुओं में से प्रत्येक के लिए किया जाता है।
1. He was sitting with a child on each side of him.
2. I helped him on each occasion.

(2) Every का प्रयोग केवल ‘दो से अधिक’ वस्तुओं में से प्रत्येक के लिए किया जा सकता है।
1. Not every horse can run fast.
2. Every child likes sweets and chocolates.

(3) Every के प्रयोग से पूरे समूह पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है किन्तु Each के प्रयोग से
समूह की अलग-अलग इकाइयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
1. Every boy (All the boys) in the class passed the examination.
2. Each boy in the class was given three tries.

(4) Either का प्रयोग दो अर्थों में किया जा सकता है –
(a) दो में से कोई एक
(b) दो में से प्रत्येक, अर्थात् दोनों।
किन्तु Either का प्रयोग केवल उन्हीं दो चीज़ों के लिए किया जा सकता है जो एकदूसरी की पूरक हों।
1. You can take either side.
2. The river overflowed on either side.

(5) Neither का प्रयोग either के negative के रूप में किया जाता है। होता है – न यह , न वह
1. You should take neither side.
2. Neither house suits me.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(6) Both का प्रयोग बहुवचन nouns के साथ किया जाता है। इसका प्रयोग एक determiner तथा एक pronoun के रूप में भी किया जा सकता है | एक pronoun के रूप इसका इस्तेमाल किए जाने पर इसके बाद of लगाया जाता है।

1. My both sisters live in Delhi.
2. There are shops on both sides of the street.
3. Both of his brothers have failed. (pronoun)

Fill in the blanks with suitable determiners

(each, every, either, neither or both)

1. …………….. book is useful to me.
2. He is blind in ………………. eyes.
3. ………… answer is correct.
4. He has ………… third day off.
5. …………… the brothers have passed.
6. ………………. answer is worth 20 points.
7. …………….. team liked the arrangements.
8. They visit us ………………. other week.
9. ……………. player was given some prize.
10. The offices on ……………… side were empty.
11. I could hear …………… word they said.
12. …………….. of us could understand German.
13. ……………. day seems the same to me.
14. She knows ………………. student in the school.
15. You can park on ……………. side of the street.
16. There were trees on ……………… side of the road.
17. …………… Reena nor Pooja could comfort me.
18. We enjoyed …………….. day of our summer vacation.
19. There is a door at ……………… end of the corridor.
20. There are ten girls in this class. ……………… girl has this book.
Answer:
1. Either
2. both
3. Neither
4. every
5. Both
6. Each
7. Neither
8. every
9. Each
10. either
11. every
12. Neither
13. Every
14. every
15. either
16. each
17. Neither
18. every
19. either
20. Each.

Wh- शब्दों के कुछ उदाहरण

इन शब्दों का प्रयोग एक विशेषण अथवा एक योजक के रूप में किया जा सकता है। जैसे

1. Whose books are these ?
2. You can have whichever book you want.
3. Which book do you want ?
4. What books did you buy ?
5. I have read whatever book I had.

The Use Of Articles

अंग्रेजी भाषा में a, an तथा the को Articles कहा जाता है। The को प्रायः Definite Article कहा जाता है। A तथा an को Indefinite Articles कहा जाता है। Articles के प्रयोग सम्बन्धी नियम

(1) An का प्रयोग किसी स्वर (Vowel : a, e, i, o, u) से पूर्व अथवा silent b से पूर्व किया जाता है; जैसे
An apple; an egg; an ink pot; an ox; an umbrella;
An honest man; an M.A.; etc.

(2) A का प्रयोग किसी व्यंजन (consonant) से पूर्व किया जाता है। ऐसे स्वर जिनका उच्चारण किसी व्यंजन की भांति किया जाए, उनसे पूर्व भी a का ही प्रयोग किया जाता है; जैसे
A kite; a cart; a monkey; a unit; a useful thing;
a one-eyed man; a European country; etc.

(3) साधारण रूप से नियम यह है कि यदि कोई Common Noun एकवचन में हो, तो उससे पूर्व किसी
न किसी Article का प्रयोग किया जाना चाहिए; जैसे

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

1. I saw dog in street.
(यह वाक्य अशुद्ध है।)

2. I saw a dog in the street.
(यह वाक्य शुद्ध है।)

3. I saw the dog in a street.
(यह वाक्य भी. अशुद्ध है।)

The का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

1. किसी विशेष व्यक्ति अथवा पदार्थ का वर्णन करने के लिए।
(He is the man who beat me.)

2. नदियों के नामों के साथ।
(The Ganges ; the Yamuna.)

3. पर्वत-श्रृंखलाओं के नामों के साथ।
(The Himalayas ; the Vindhyas.)

4. समुद्रों के नामों के साथ।
(The Indian Ocean ; the Arabian Sea.)

5. प्रसिद्ध पुस्तकों के नामों के साथ।
(The Gita ; the Quran.)

6. प्रकृति की अद्वितीय रचनाओं के साथ।
(The sun ; the moon ; the earth.)

7. Superlative Degree के साथ।
(The best ; the noblest ; the youngest.)

8. किसी जाति अथवा वर्ग के नाम के साथ।
(The English ; the Indians ; the French.)

9. उस विशेषण से पूर्व जिसके साथ लगने वाली संज्ञा understood हो।
(The rich should help the poor.)

10. निम्नलिखित प्रकार के मुहावरों के साथ।
(The higher, the better. The deeper the well, the cooler the water.)

The का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में प्रायः नहीं किया जाता है

1. किसी नगर, शहर अथवा गाँव के नाम से पूर्व।
2. किसी देश के नाम से पूर्व।
3. किसी महाद्वीप के नाम से पूर्व।
4. किसी अकेले द्वीप के नाम से पूर्व।
5. किसी अन्तरीप (Cape) के नाम से पूर्व ।
(Cape Comorin, कुमारी अन्तरीप)
6. किसी झील के नाम से पूर्व।
7. किसी अकेली पहाड़ी के नाम से पूर्व।
8. किसी व्यक्तिवाचक (Proper) अथवा भाववाचक (Abstract) संज्ञा के साथ।

निम्नलिखित स्थितियों में किसी भी Article का प्रयोग नहीं किया जाता है

1. किसी नामलेख (title) के साथ।
(Queen Victoria ; King George.)

2. किसी सकर्मक (Transitive) क्रिया वाले मुहावरे में Verb के बाद लगे हुए Object के साथ।
(Send word ; shake hands ; catch fire.)

3. किसी मुहावरे में Preposition के बाद लगी हुई संज्ञा के साथ।
(By hand ; at sea ; by night.)

4. विशालतम अर्थ में प्रयोग की गई किसी संज्ञा के साथ।
(Man is mortal.)

5. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) के साथ।
(Iron is a very useful metal.)

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable articles

(a, an, the)

1. I heard …………………… loud noise in …………………… next house.
2. Ink is ……. useful article.
3. His brother is …………………… university professor.
4. Yesterday I saw …………………… European riding on ………………….. elephant.
5. He gave me … ………………. one-rupee note.
6. Have you read …………………… Ramayana?
7. He was struck by …………………. arrow.
8. ………………. Ganga is …………………. sacred river.
9. He drives …………………… motor car at …… uniform speed.
10. He is ………………… taller of ……………… two boys.
11. …………………. Taj Mahal is …………………. most beautiful building.
12. ……………… Bible is ………………. sacred book of Christians.
13. ………………. ewe is standing in ……………….. field.
14. He was …………………… African by birth, not …………………… European.
15. It was ………… unique sight.
Answer:
1. a, the
2. a
3. a
4. a, an
5. a
6. the
7. an
8. The, a
9. the, a
10. the, the
11. The, the
12. The, a, the
13. A, the
14. an, a
15. a.

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

Hindi Guide for Class 8 PSEB पदावली-सूरदास, मीराबाई Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ:

औगुन = अवगुण, बुराइयाँ, दोष। समदरसी = समदर्शी, सब को समान देखने वाला। नार = नाला। नीर = जल। बरन = रंग, एक रूप। बधिक = शिकारी। पारस = एक ऐसा पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है। कंचन = सोना। टरौ = टल जाएगा। दाऊ = बलदेव। खिझायौ = चिढ़ाता है। मोसौ = मुझसे। लीन्हौ = लिया है। कहा करौं = क्या करूँ या क्या कहूँ। रिस के मारे = गुस्से के मारे। पुनि-पुनि = बारबार। मात = माता। कत = किस लिए। स्यामल = काले रंग का। गात = शरीर। दाउहीं = बलदेव को। रिस = गुस्सा। चबाई = चुगलखोर। धूत = धूर्त। सौं = सौगन्ध । पूत = पुत्र। वसतु = वस्तु। अमोलक = अमूल्य। खरचै = खर्च करने पर। सत्त = सत्य। खेवटिया = मल्लाह, केवट। हरषि = प्रसन्न। जस = यश। पग = पैर। बावरी = पगली। न्यात = नातेदार, रिश्तेदार । कुलनासी = कुल का नाश करने वाली। पीवत = पीकर । सहज = आसानी से। अविनासी = सदा रहने वाला भगवान्।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

II. हिंदी रूप लिखें :

औगुन – ………………….
समदरसी – ………………….
बधिक – ………………….
बरन – ………………….
मोसों – ………………….
कान्ह – ………………….
मोहौं – ………………….
बसतु – ………………….
किरपा – ………………….
इक – ………………….
उत्तर:
औगुन – अवगुण ।
समदरसी – समदर्शी।
बधिक – वधिक।
बरन – वर्ण।
मोसों – मुझसे।
कान्ह – कृष्ण।
मोहौं –मुझे।
बसतु – वस्तु।
किरपा – कृपा।
इक – एक।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें

प्रश्न (क)
श्रीकृष्ण ने यशोदा से क्या शिकायत की है ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने यशोदा से यह शिकायत की कि बड़ा भाई बलराम उसे चिढ़ाता है। वह कहता है कि तुझे तो मोल लिया गया है। तू यशोदा का पुत्र नहीं है, क्योंकि नन्द बाबा भी गोरे हैं तथा यशोदा भी गोरी है। तू काले शरीर वाला है।

प्रश्न (ख)
माता ने श्रीकृष्ण को कैसे विश्वास दिलाया कि वह उसका पुत्र है ?
उत्तर:
माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को यह कह कर विश्वास दिलाया कि बलदेव तो जन्म काल से ही चुगलखोर और धूर्त है। मुझे गो-धन की सौगन्ध है कि तू मेरा पुत्र है और मैं तेरी माता हूँ।

प्रश्न (ग)
बलराम श्री कृष्ण को कैसे खिझाते थे ?
उत्तर:
बलराम श्रीकृष्ण को यह कहकर खिझाते थे-तू तो मोल लिया हुआ है। तू यशोदा का पुत्र नहीं है।

प्रश्न (घ)
मीरा ने राम रूपी रत्न-धन कैसे प्राप्त किया ?
उत्तर:
मीरा ने राम रूपी रत्न-धन अपने सतगुरु की कृपा से प्राप्त किया।

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प्रश्न (ङ)
‘सत की नाव’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
‘सत की नाव’ का अर्थ-सत्य स्वरूप परमात्मा। मीरा ने भगवान् के भजन को ‘सत्य की नौका’ कहा है जोकि इस भव सागर से पार उतारने वाला है।

प्रश्न (च)
मीरा को जहर क्यों दिया गया ?
उत्तर:
मीरा का देवर उसे कुल को बदनाम करने वाली मानता था। उसे मीरा द्वारा साधु-सन्तों की संगति पसन्द नहीं थी। इस कारण मीरा को जहर दिया गया।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें

प्रश्न (क)
तीसरे पद के आधार पर मीरा की भक्ति-भावना पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर:
मीरा ने अपने गुरु की कृपा से राम नाम का रत्न-धन प्राप्त कर लिया। मानो उसने जन्म-जन्म की पूँजी पा ली हो। पूँजी भी ऐसी, जो कभी खर्च करने से कम नहीं होती, बल्कि उत्तरोत्तर बढ़ती ही रहती है। मीरा भगवान् कृष्ण के रंग में पूरी तरह रंग गई।

प्रश्न (ख)
चौथे पद की प्रसंग सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
मीरा पैरों में घुघरू बाँध कर नाचती है और कहती है कि मैं तो अपने नारायण श्रीकृष्ण की स्वयं ही दासी बन गई हूँ। लोग कहते हैं कि मीरा पागल हो गई है और रिश्तेदार कहते हैं कि वह कुल का नाश करने वाली हो गई है। राणा जी ने मीरा को मारने के लिए विष का प्याला भेजा। उसे पीकर वह हँसने लगी। मीरा कहती है कि मेरे तो प्रभु चतुर गिरिधारी कृष्ण हैं, वे सदा रहने वाले भगवान् मुझे आसानी से मिल गए हैं। भाव है कि संसार के कष्टों को मीरा तुच्छ मानती है। उसे अब देह (शरीर) की चिन्ता नहीं रही। उस पर जहर के प्याले का भी कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि वह श्रीकृष्ण की शरण में चली गई है।

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(ग) व्यावहारिक व्याकरण

पर्यायवाची लिखें :

प्रभु – ………………….
कंचन – ………………….
जल – ………………….
गंगा – ………………….
माता – ………………….
पूत – ………………….
कृपा – ………………….
उत्तर:
1. प्रभु – ईश्वर, परमात्मा।
2. कंचन – सोना, स्वर्ण, हेम।
3. जल – पानी, नीर, वारि, तोय, आब, अंबू।
4. गंगा – जाह्नवी, सुरसरिता, मंदाकिनी, जाह्नवी।
5. माता – माँ, जननी, अम्बा।
6. पूत – पुत्र, तनय, सुत, तनुज।
7. कृपा – दया, अनुकम्पा, मेहरबानी, अनुग्रह।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

PSEB 8th Class Hindi Guide पदावली-सूरदास, मीराबाई Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘समदरसी’ किस का नाम है ?
(क) कवि का
(ख) भगवान का
(ग) प्रांत का
(घ) देश का।
उत्तर:
भगवान का।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण को कौन खिझाता है ?
(क) दाऊ
(ख) भाऊ
(ग) दमन
(घ) रमन।
उत्तर:
दाऊ।

प्रश्न 3.
‘चबाई’ कौन होता है ?
(क) खिलाड़ी
(ख) शैतान
(ग) संत
(घ) चुगलखोर।
उत्तर:
चुगलखोर।

प्रश्न 4.
मीरा ने कौन-सा ‘रत्न’ पाया है ?
(क) राम
(ख) श्याम
(ग) सीता
(घ) राधा।
उत्तर:
राम।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

प्रश्न 5.
मीरा किस नाव पर सवार है ?
(क) लकड़ी की
(ख) मन की
(ग) सत की
(घ) शरीर की।
उत्तर:
सत की।

प्रश्न 6.
राणा जी ने किस का प्याला भेजा था ?
(क) विष का
(ख) दूध का
(ग) शहद का
(घ) जल का।
उत्तर:
विष का।

प्रश्न 7.
‘न्यात’ का क्या अर्थ है ?
(क) न्यौता देना
(ख) नाते-रिश्तेदार
(ग) मना करना
(घ) स्नान करना।
उत्तर:
नाते रिश्तेदार।

प्रश्न 8.
गोवर्धन पर्वत किसने उठाया था ?
(क) राम ने
(ख) बलराम ने
(ग) कृष्ण ने
(घ) रावण ने।
उत्तर:
कृष्ण ने।

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सप्रसंग व्याख्या

1. हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ।
समदरसी है नाम तुम्हारी, सोई पार करौ॥
इक लोहा पूजा मैं राखत, इक घर बधिक परौ।
सो दुबिधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरौ॥
इक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरौ।
जब मिलि गए तब एक बरन है, गंगा नाम परौ॥
तन माया, ज्यौ ब्रह्म कहावत, सूर सु मिलि बिगरौ।
कै इनकौ निरधार कीजियै, कै प्रन जात टरौ॥

शब्दार्थ:
औगुन = अवगुण, बुराइयाँ, दोष। समदरसी = समदर्शी, सब को समान देखने वाला। नार = नाला। नीर = जल। बरन = रंग, एक रूप। बधिक = शिकारी। पारस = एक ऐसा पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है। कंचन = सोना। टरौ = टल जाएगा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पदावली’ से लिया गया है। प्रस्तुत पद में सूरदास जी भगवान् कृष्ण से प्रार्थना करते हुए कहते हैं

व्याख्या:
हे परमात्मा ! हमारी बुराइयों को अपने मन में न रखो। हमारे अवगुणों को क्षमा कर दो। आपका नाम तो समदर्शी है अर्थात् आप सब को समान दृष्टि से देखते हैं, इसलिए चाहो तो हमें भवसागर से पार उतार दो। एक लोहा पूजा में रखा जाता है और एक शिकारी के घर में तीर तलवार आदि के रूप में पड़ा होता है। पारस इस भेद को नहीं जानता। वह उन दोनों के गुण-दोष नहीं देखता बल्कि अपने संपर्क से दोनों को खरा सोना बना देता है। एक पवित्र जल वाली नदी कहलाती है। एक नाला कहलाता है, जिसमें गंदा पानी भरा होता है। जब ये दोनों मिल जाते हैं तब एक रूप हो जाते हैं और दोनों मिल कर बहते हुए गंगा नदी में मिल जाते हैं, उनका नाम गंगा पड़ जाता है। सूरदास जी कहते हैं कि यह सारा संसार माया और भ्रम के जाल से भरा हुआ कहलाता है। माया के इस भ्रम जाल को दूर कर दो। हे भगवान् ! मुझे इस बार संसार सागर से पार उतार दो, नहीं तो आपका पतित-पावन होने का प्रण टल जाएगा। कवि का भाव है कि भगवान् भले-बुरे सब का रक्षक है। वह पारस पत्थर के समान है, जो अच्छे-बुरे दोनों तरह के लोहे को सोना बना देता है।

विशेष:

  1. कवि ने ईश्वर की महिमा का वर्णन किया है।
  2. ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

2. मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौं कहत मोल को लीन्हौं, तू जसुमति कब जायौ।
कहा करौं, इहि रिस के मारै खेलन कै नहिं जात।
पुनि पुनि कहत कौन है माता, को है तेरौ तात॥
गोरे नन्द, जसोदा गोरी, तुम कत स्यामल गात।
चुटकी दे दे ग्वाल नचावत, हंसत सबै मुसकात॥
तू मोही कौं मारन सीखी, दाउहिं कबहुं न खीझे।
मोहन मुख रिस की ये बातें, जसुमति सुनि-सुनि रीझै॥
सुनहु कान्ह, बलभद्र चबाई, जनमत ही को धूत।
सूर स्याम मोहिं गोधन की सौं, हौं माता तू पूत॥

शब्दार्थ:
दाऊ = बलदेव। खिझायौ = चिढ़ाता है। मोसौ = मुझसे। लीन्हौ = लिया है। कहा करौं = क्या करूँ या क्या कहूँ। रिस के मारे = गुस्से के मारे। पुनि-पुनि = बारबार। मात = माता। कत = किस लिए। स्यामल = काले रंग का। गात = शरीर। दाउहीं = बलदेव को। रिस = गुस्सा। चबाई = चुगलखोर। धूत = धूर्त। सौं = सौगन्ध । पूत = पुत्र।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पदावली’ में से लिया गया है। यह पद सूरदास जी द्वारा रचित है। इसमें बाल-कृष्ण माता यशोदा से अपने बड़े भाई बलराम की शिकायत करते हुए कहते हैं

व्याख्या:
हे माता ! मुझे भाई बलराम बहुत चिढ़ाता है। वह मुझे कहता है कि तू मोल लिया गया है; तुझे तो खरीदा गया है। यशोदा ने तुझे कब जन्म दिया है? क्या कहूँ, इसी गुस्से के मारे मैं खेलने के लिए नहीं जाता। वह मुझे बार-बार कहता है कि कौन तुम्हारी माता है और कौन तुम्हारे पिता हैं ? क्योंकि नन्द गोरे रंग के हैं, यशोदा भी गोरे रंग की है, तू काले शरीर वाला किस लिए है। सभी ग्वालों को वह चुटकी बजा-बजा कर नचवाता है। सब हँसते और मुस्कुराते हैं। तू तो मुझे ही

मारना सीखी है, बलदेव को तो तू कभी भी गुस्से भी नहीं होती। कृष्ण के गुस्से से भरे मुख को देख कर तथा ये बातें बार-बार सुनकर यशोदा प्रसन्न होती है। यशोदा कहती है कि हे कृष्ण ! सुनो, बलदेव तो चुगलखोर है, जन्म से ही वह धूर्त है। सूरदास कहते हैं कि माता यशोदा कृष्ण से फिर कहती है कि मुझे गो धन (गऊओं) की सौगन्ध है-मैं तुम्हारी माता हूँ और तू मेरा पुत्र है। भाव है कि बालकृष्णं माता यशोदा से बड़े भैया बलराम की शिकायत करते हैं कि वह मुझे चिढ़ाता है कि तुझे मोल लिया गया है, तो माता यशोदा गऊओं की सौगन्ध खाकर कृष्ण को विश्वास दिलाती है। वह कहती है कि मैं तुम्हारी माता हूँ और तू मेरा पुत्र है।

विशेष:

  1. कवि ने यशोदा ममता और श्रीकृष्ण के प्रेम को वाणी प्रदान की है।
  2. ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है। |

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

3. मैंने राम रतन धन पायौ।
वसतु अमोलक दी मेरे सतगुरु, करि किरपा अपणायो।
जनम जनम की पूँजी पाई, जग में सबै खवायो।
खरचै नहिं कोई चोर न लवै, दिन-दिन बढ़त सवायौ।
सत्त की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तरि आयो।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरखि हरखि जस गायौ॥

शब्दार्थ:
वसतु = वस्तु। अमोलक = अमूल्य। खरचै = खर्च करने पर। सत्त = सत्य। खेवटिया = मल्लाह, केवट। हरषि = प्रसन्न। जस = यश।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पदावली’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में मीरा गुरु की महिमा का गुण-गान करती हुई कहती है

व्याख्या:
मैंने भगवान् के नाम का रत्न-धन प्राप्त कर लिया है। मेरे सच्चे गुरु ने मुझे अमूल्य वस्तु प्रदान की है। कृपा करके उन्होंने मुझे अपनी शरण में अपना लिया है। मैंने तो जन्म-जन्म की सम्पत्ति प्राप्त कर ली है। इस संसार में मेरे पास जो कुछ था उस सब को मैंने त्याग दिया है। मैंने सांसारिक मोह-माया को त्याग कर गुरु की शरण प्राप्त कर ली है। भगवान् के नाम रूपी रत्न धन को खर्च करने से भी वह कम नहीं होता। चोर इसे ले नहीं सकता। यह तो दिन-प्रतिदिन सवाया होकर बढ़ता जाता है। मीरा कहती है कि मैंने सत्य की नाँव बनाकर और सच्चे गुरु को मल्लाह बनाकर इस संसार रूपी सागर को पार कर लिया है। मेरे प्रभु गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले चतुर कृष्ण हैं। मैं हर्ष के साथ उन्हीं का यशोगान करती हूँ कि सच्चे गुरु की कृपा से भगवान् के नाम का रत्न धन प्राप्त किया जा सकता है।

विशेष:

  1. कवयित्री ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति-भावना को प्रकट किया है।
  2. भाषा में गेयता का गुण है।

4. पग धुंघरू बाँध मीरा नाची रे।
मैं तो अपने नारायण की, आपहि हो गई दासी रे।
लोग कहैं मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुलनासी रे।
विष का प्याला राणाजी भेज्या, पीवत मीरा हांसी रे।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, सहज मिले अविनासी रे।

शब्दार्थ:
पग = पैर। बावरी = पगली। न्यात = नातेदार, रिश्तेदार । कुलनासी = कुल का नाश करने वाली। पीवत = पीकर । सहज = आसानी से। अविनासी = सदा रहने वाला भगवान्।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पदावली’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पद में मीरा ने भगवान् कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति-भावना और आप बीती का वर्णन किया है।

व्याख्या:
मीरा पैरों में घुघरू बाँध कर नाचती है और कहती है कि मैं तो अपने नारायण श्रीकृष्ण की स्वयं ही दासी बन गई हूँ। लोग कहते हैं कि मीरा पागल हो गई है और रिश्तेदार कहते हैं कि वह कुल का नाश करने वाली हो गई है। राणा जी ने मीरा को मारने के लिए विष का प्याला भेजा। उसे पीकर वह हँसने लगी। मीरा कहती है कि मेरे तो प्रभु चतुर गिरिधारी कृष्ण हैं, वे सदा रहने वाले भगवान् मुझे आसानी से मिल गए हैं। भाव है कि संसार के कष्टों को मीरा तुच्छ मानती है। उसे अब देह (शरीर) की चिन्ता नहीं रही। उस पर जहर के प्याले का भी कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि वह श्रीकृष्ण की शरण में चली गई है।

विशेष:

  1. मीरा ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त किया है।
  2. गेयता का गुण है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 25 पदावली-सूरदास, मीराबाई

पदावली (सूरदास, मीराबाई) Summary

पदावली (सूरदास, मीराबाई) पदावली सार

सूरदास का ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास है कि वे सभी प्राणियों का कल्याण करते हैं। वे उनके अवगुणों की ओर ध्यान नहीं देते। जिस प्रकार पारस पत्थर मंदिर में रखे हुए लोहे को सोना बना देता है तो वह कसाई के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले लोहे के साधन को भी वह सोना ही बनाता है। वे उनमें कर्म के आधार पर भेद-भाव नहीं करता। गंदे नालोंनालियों का जल भी गंगा की धारा में मिल कर गंगा की पवित्रता को पा जाता है। हर अच्छे-बुरे का रक्षक ईश्वर ही है। श्रीकृष्ण साँवले रंग के थे। उनके बड़े भाई बलराम उन्हें चिढ़ाते थे कि उनका जन्म यशोदा माता से नहीं हुआ। उन्हें तो बाज़ार से खरीदा गया था। यशोदा माता ने गउओं की सौगंध खाकर कहा कि वह ही उनकी माँ थी। बलराम का कहना झूठ था क्योंकि वह तो जन्म से ही धूर्त था। मीराबाई कृष्ण भक्ति के विषय में कहती है कि उनकी भक्ति सबसे अच्छी है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, खर्च करने पर वह घटती नहीं बल्कि बढ़ती ही जाती है। वह सत्य की नौका को चलाने वाले हैं। उन्हीं का यश गागा कर वह प्रसन्नता प्राप्त करती है। वह अपने पाँवो में धुंघुरू बाँध कर उनके समक्ष नाचती है। लोग कहते हैं कि वह कुल का नाश कर रही थी पर वह उनकी परवाह नहीं करती। उसने राणा के द्वारा भेजा जहर का प्याला भी उनका प्रसाद समझ कर पी लिया था। वह तो केवल श्रीकृष्ण का है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 24 नेत्रदान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 24 नेत्रदान

Hindi Guide for Class 8 PSEB नेत्रदान Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ:

नसीब = भाग्य।
सहसा = अचानक।
आशैंका = सन्देह, शक।
हृदयआघात = दिल का दौरा।
चुहलबाजी = शरारती।
विलाप = रोना-धोना।
असहनीय = जिसे सहन न किया जा सके।
संकल्प = इच्छा, निश्चय।
सर्वोपरि = सबसे ऊपर।
स्वेच्छा = अपनी इच्छा।
आर्द्र = नमी युक्त।
शल्य = चीर-फाड़।
आश्वस्त = जिसे आश्वासन या भरोसा मिला हो।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

II. इन मुहावरों के अर्थ समझते हुए वाक्य बनायें

लुत्फ उठाना, मातम छाना, गले से लिपटकर रोना, किसी और दुनिया में जाना, जीवन प्रकाशमान होना, यज्ञ सफल होना, जीवन के मायने बदलना।

उत्तर:
1. लुत्फ उठाना – सभी बच्चों ने रीना की जन्मदिवस पार्टी में बहुत लुत्फ उठाया था।
2. मातम छाना – भरी सभा में नेता जी की हृदय गति रुक जाने के कारण मातम छा गया।
3. गले से लिपटकर रोना – विवाह के पश्चात् विदाई के समय रोहिणी अपनी मम्मी के गले से लिपट फूट-फूट कर रो रही थी।
4. किसी और दुनिया में जाना-हम सब को मर कर किसी और दुनिया में जाना ही
5. जीवन प्रकाशमान होना-भाई साहब ने अपनी सारी संपत्ति दीन-दुखियों को दान देकर समाज सेवा में लगकर अपने जीवन को प्रकाशमान कर लिया।
6. यज्ञ सफल होना-ग्यारह गरीब लड़कियों का आर्य समाज में विवाह कराने का काम कठिन था पर सब की कोशिश से यज्ञ सफल हो ही गया।
7. जीवन के मायने बदलना-बचपन से अपंग हो चुके राजेश ने जब से कृत्रिम पाँव प्राप्त किए हैं तब से उसके जीवन के मायने बदल गए हैं।

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें

प्रश्न (क)
नेत्रदान करने का संकल्प किस-किसने किया था ?
उत्तर;
नेत्रदान करने का संकल्प मृतका और उसकी सहेली ने किया था।

प्रश्न (ख)
हृदयाघात के कारण किसकी मृत्यु हो गई थी ?
उत्तर:
हृदयाघात के कारण लेखिका की सखी की मृत्यु हो गई थी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

प्रश्न (ग)
नेत्र संकल्प का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
नेत्र संकल्प का अर्थ है-मृत्यु के पश्चात् नेत्रों का दान।

प्रश्न (घ)
सहेली के परिवार वालों ने नेत्रदान करने का विरोध कैसे किया ?
उत्तर:
सहेली के परिवार वालों ने नेत्रदान करने का विरोध इसलिए किया था कि उन्हें उसके नेत्रदान के विषय में कुछ भी पता नहीं था।

प्रश्न (ङ) एक व्यक्ति की आँखें कितने लोगों को लगाई जाती हैं ?
उत्तर:
एक व्यक्ति की आँखें दो लोगों को लगाई जाती हैं।

प्रश्न (च)
हमारे देश में कितने लोग ऐसे हैं जिनका आँखों का पर्दा किसी न किसी कारण धुंधला हो जाता है ?
उत्तर:
हमारे देश में 25 लाख से अधिक लोगों की आँखों का पर्दा किसी न किसी कारण धुंधला हो जाता है।

प्रश्न (छ)
नेत्र बैंक की टीम के पहुंचने से पूर्व क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
नेत्र बैंक की टीम पहुँचने से पूर्व मृतक की दोनों आँखें बंद कर उन पर रूई में लपेट कर बर्फ रखनी चाहिए और पंखा बंद कर देना चाहिए।

प्रश्न (ज)
नेत्रदान करने में कितना समय लगता है ?
उत्तर:
नेत्रदान करने में 15-20 मिनट लगते हैं।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें

प्रश्न (क)
जीवित नेत्र संकल्प पत्र के बारे में आप क्या जानते हैं ? लिखें।
उत्तर:
जीवित नेत्र संकल्प पत्र एक प्रकार का शपथ-पत्र होता है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति शपथ लेता है कि जब वह मर जाएगा तो उसकी दोनों आँखें घर के लोग दान दे देंगे। उन आँखों को डॉक्टर किन्हीं दो ज़रूरतमंद लोगों को लगाएंगे जिससे वे इस संसार को देख सकें। नेत्रदान विशेष नेत्र-बैंकों के डॉक्टर ही ले सकते हैं।

प्रश्न (ख)
नेत्रदान के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
नेत्रदान एक ऐसा दान है जो किसी नेत्रहीन को फिर से संसार की सुन्दरता देखने के योग्य बना देता है। इससे एक साथ दो अंधे लोगों को देखने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। जिन मृतक आँखों को नष्ट होना ही था वे किसी को जीवन देने के योग्य बन जाती हैं। इससे मृतक शरीर को कोई क्षति नहीं होती।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. ‘अ’ लगाकर विपरीत शब्द बनायें

प्रिय = …………………
सहनीय = …………………
सहमति = …………………
सहयोग = …………………
सम्भव = …………………
उत्तर:
प्रिय = अप्रिय
सहनीय = असहनीय
सहमति = असहमति
सहयोग = असहयोग
सम्भव = असम्भव।

इन विपरीत अर्थ वाले शब्दों को भी समझें

अर्थ = अनर्थ
इच्छा = अनिच्छा
ठण्डक = तपन
कर्तव्य = अधिकार।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

II. लिंग बदलें

बेटा = …………………
पति = …………………
सास = …………………
माता = …………………
मौसी = …………………
दादी = …………………
साधु = …………………
उत्तर:
बेटा = बेटी
पति = पत्नी
सास = ससुर
माता = पति
मौसी = मौसा
दादी = दादा
साधु = साध्वी।

III. ‘बे’ लगाकर नये शब्द बनायें

बे + ख़बर = …………………
बे + सहारा = …………………
बे + शक = …………………
बे + मेल = …………………
+ रोक = …………………
उत्तर
बे + ख़बर = बेख़बर
बे + सहारा = बेसहारा
बे + शक = बेशक
बे + मेल = बेमेल
बे + रोक = बेरोक।

IV. ‘नेत्र’ शब्द के पर्यायवाची लिखें।

उत्तर:
नेत्र = आँख, दृग, लोचन, नयन, चक्षु, विलोचन, अक्षि।

योग्यता विस्तार

  • नेत्रदान किसी भी आय में मरणोपरान्त किया जा सकता है।
  • एक व्यक्ति की आँखें किन्हीं दो व्यक्तियों को प्रत्यारोपित की जाती हैं।
  • यह सूचना गुप्त रखी जाती है कि किस व्यक्ति को किसकी आँख लगी है।
  • नेत्रदान करने वाले को दानी (Donar) और नेत्र प्राप्त करने वाले को प्राप्त कर्ता (Donee) कहा जाता है।
  • नेत्र लेने के बाद इन्हें 24 से 36 घंटे तक रखा जाता है, जहाँ इनकी जाँच-पड़ताल की जाती है।
  • नेत्र बैंक में एक रजिस्टर लगा होता है जिसमें इच्छुक व्यक्तियों के नाम दर्ज होते हैं। क्रम अनुसार ही नेत्र प्रत्यारोपित किये जाते हैं।
  • नेत्र लगाने को ग्राफटिंग (Grafting) कहते हैं।
  • केवल आँख का पर्दा (Cornea) ही प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • नेत्र में रोशनी आने में तीन से चार माह लगते हैं।
  • कोर्निया के धुंधले होने के अनेक कारण जैसे आँख में संक्रमण, चोट, खान-पान में कमी और आप्रेशन में कोई बाधा आदि हैं।
  • जिस व्यक्ति का रेटिना खराब हो गया या पीलिया, कैंसर, एडज़, रेबीज जैसे संक्रामक रोग से पीड़ित मृतक के नेत्रदान के अयोग्य होते हैं।
  • नेत्र बैंक की टीम के पहुँचने तक मृत्यु के उपरान्त दोनों आँखें बन्द कर दें, पंखा न चलायें। बर्फ रुई में लपेटकर उसकी आँखों पर रख दें। तकिया लगाकर मृतक का सिर ऊँचा कर दें।

संकल्प

  • कोई भी जीवित व्यक्ति संकल्प पत्र भर सकता है।
  • संकल्प पत्र निकटवर्ती क्षेत्र बैंक को भेजा जाता है।
  • नेत्र बैंक से नेत्र दानी कार्ड (Eye Donar Card) मिलता है। इसे हमेशा अपने पास संभाल कर रखें।
  • संकल्प पत्र न भी भरा हो तो भी नेत्रदान हो सकता है। उत्तराधिकारी की सहमति आवश्यक है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

PSEB 8th Class Hindi Guide नेत्रदान Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
लेखिका को किसकी मृत्यु की सूचना मिली थी ?
(क) भाई
(ख) पिता
(ग) माता
(घ) सहेली।
उत्तर:
सहेली।

प्रश्न 2.
लेखिका को सहेली की मृत्यु की सूचना किस दिन मिली ?
(क) रविवार को
(ख) सोमवार को
(ग) मंगलवार को
(घ) बुधवार को।
उत्तर:
रविवार को।

प्रश्न 3.
एक व्यक्ति की आँखें कितने लोगों को लगाई जा सकती हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

प्रश्न 4.
लेखिका की सहेली को दिल का दौरा सुबह कब पड़ा था ?
(क) दो बजे
(ख) तीन बजे
(ग) चार बजे
(घ) पाँच बजे।
उत्तर:
चार बजे।

प्रश्न 5.
मृतका के नेत्रदान करने के संकल्प की किसने,सराहना की थी ?
(क) मौसा ने
(ख) ससुर ने
(ग) पति ने
(घ) मौसी सास ने।
उत्तर:
मौसी सास ने।

प्रश्न 6.
मौसी सास ने नेत्रदान का संकल्प पत्र कितने वर्ष पूर्व भरा था ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
चार।

प्रश्न 7.
क्या लगाने से न देख सकने वाले भी देख सकते हैं ?
(क) लैंस
(ख) ऐनक
(ग) कार्निया
(घ) सुरमा।
उत्तर:
कार्निया।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

प्रश्न 8.
नेत्रदान के लिए किस बैंक को सूचना देनी होती है ?
(क) ब्लड
(ख) नेत्र
(ग) सहकारी
(घ) सरकारी।
उत्तर:
नेत्र।

प्रश्न 9.
हमारे देश में कितने लाख से अधिक लोग देख नहीं सकते ?
(क) बीस
(ख) पच्चीस
(ग) तीस
(घ) पैंतीस।
उत्तर:
पच्चीस।

प्रश्न 10.
नेत्रदान करने में कितने मिनट का समय लगता है ?
(क) 10-12
(ख) 15-20
(ग) 8-10
(घ) 12-15.
उत्तर:
15-20.

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 24 नेत्रदान

नेत्रदान Summary

नेत्रदान पाठ का सार

प्रातः का समय था। ठंडी हवा चल रही थी। अपनी बात सुनाने वाली महिला घर के बगीचे में चाय पी रही थी कि फोन की घंटी बजी। उसकी बेटी फोन बाहर ही ले आई और उसने फोन अपनी मम्मी को दिया। फोन सुनते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी। पूछने पर पता लगा कि उसकी प्रिय सहेली हृदयघात से चल बसी थी। वह और उसका पति शीघ्रता से उसके घर को चले। घर से चलने से पहले उसने अपने नेत्रदान करने का संकल्प पत्र उठाया और फोन से नेत्र बैंक को सूचना दी। वहाँ पहुँचकर पता लगा कि सुबह चार बजे उसकी सहेली को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। महिला ने उसके पति को बताया कि उसकी मृतक पत्नी ने कुछ दिन पहले नेत्रदान करने का संकल्प किया था। पति ने बताया कि वह बाहर गया हुआ था और कल रात ही वापस लौटा था। उसने फोन पर इतना अवश्य बताया था कि वह मुझे कोई महत्त्वपूर्ण बात बताने वाली थी। महिला ने उसे अपना नेत्रदान पत्र दिखाया।

सहेली की सास और ससुर पहले तो अपनी बहू के नेत्रदान के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में वे इसके लिए मान गए। मृतका की मौसी सास ने तो बहू की इस काम के लिए सराहना की। उसने स्वयं भी चार वर्ष पहले नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था। उसका पोता देख नहीं सकता था और हो सकता था कि बहू की आँखों से वह देखने लगे। नेत्रदान किसे प्राप्त होगा यह बात गुप्त रखी जाती है और एक व्यक्ति को एक ही आँख दान में दी जाती है। हमारे देश में 25 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं जो देख नहीं सकते। आँख के सामने का कॉर्निया नामक पर्दा धुंधला हो जाने के कारण दिखाई नहीं देता। जब साफ कॉर्निया लगा दिया जाए तो न देख सकने वाले वे लोग भी देख सकते हैं। मृतका की सहेली शल्य चिकित्सकों के आने से पहले रूई में बर्फ लपेट कर मृत शरीर की आँखों पर रखती रही थी। डॉक्टरों ने 15 से 20 मिनट में आँखें लेकर मृतका को नकली आँखें लगा दी थीं ताकि उसका चेहरा सामान्य बना रह सके।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 23 फलों की चौपाल

Hindi Guide for Class 8 PSEB फलों की चौपाल Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ:

चौपाल = खुली मंडपाकार बैठक जहाँ गाँव के लोग बैठकर पंचायत आदि करते हों, छायादार बड़ा चबूतरा।
कफ़ सिरप = खांसी की दवा।
नेत्र ज्योति = आँखों की देखने की शक्ति।
इजाजत = आज्ञा
अवशेष = बचा हुआ।
विसर्जित = त्यागा हुआ, छोड़ा हुआ।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

(ख) विचार – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
अमरूद को कब खाना चाहिए ?
उत्तर:
अमरूद को अच्छी तरह धोकर दोपहर के समय खाना चाहिए।

प्रश्न (ख)
गाजर ने खाने से पहले अपने बारे में क्या हिदायत दी ?
उत्तर:
गाजर ने खाने से पहले अपने बारे में हिदायत दी कि मुझे खाने से पहले अच्छी तरह मल-मल कर धोना चाहिए और साफ करना चाहिए।

प्रश्न (ग)
उन दो सब्जियों के नाम लिखें जिन पर रोएं होते हैं ?
उत्तर:
गाजर और मूली पर रोएं होते हैं।

प्रश्न (घ)
अंगूर ने अपने क्या फायदे बताये ?
उत्तर:
अंगूर से खून बढ़ता है, खून साफ होता है, पाचन क्रिया ठीक होती है, नेत्र ज्योति बढ़ती है और कमजोर लोग स्वस्थ हो जाते हैं।

प्रश्न (ङ)
फलों को खाने से पहले धोना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर:
धूल-मिट्टी और हानिकारक बेक्टीरिया को दूर करने के लिए उन्हें धोना ज़रूरी है।

प्रश्न (च)
उन दो फलों के नाम लिखें जिन्हें खाने से पहले कुछ देर तक पानी में भिगोना चाहिए ?
उत्तर:
अंगूर और गाजर को खाने से पहले कुछ देर तक पानी में भिगोना चाहिए।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

प्रश्न (छ)
सेब के छिलके क्यों नहीं उतारने चाहिए ?
उत्तर:
सेब के छिलके के ठीक नीचे विटामिन ‘सी’ और ‘ए’ होते हैं जो उसे उतारने से नष्ट हो जाते हैं इसलिए उसका छिलका नहीं उतारना चाहिए।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
फलों को खाने से पहले क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर:
फलों को खाने से पहले साफ पानी से अच्छी तरह मल-मल कर धोना चाहिए। अंगूर, सेब, गाजर आदि को कुछ समय तक पानी में रखा जाना चाहिए। फलों का छिलका नहीं उतारना चाहिए। छिलकों के ठीक नीचे सेब जैसे फलों में विटामिन होते हैं जो छिलका उतर जाने से नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न (ख)
फलों को पकाने के लिए रसायनों का प्रयोग घातक है, क्यों ?
उत्तर:
अनेक फलों को पकाने के लिए कुछ लालची फल विक्रेता और व्यापारी उन्हें विशेष रसायनों में डुबो कर रखते हैं या उन पर रसायनों का छिड़काव करते हैं। आम जैसे फल की पेटी में कैल्शियम कार्बाइड का टुकड़ा रखते हैं जो नमी की अवस्था में एसीटीलीन गैस उत्पन्न करता है जिससे फल तो पक जाते हैं पर फल के माध्यम से वह मनुष्य के शरीर को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं। इससे शरीर को तरह-तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं।

प्रश्न (ग)
पीले रंग के फलों के नाम लिखें जिनमें विटामिन ‘ए’ की मात्रा अधिक होती है।
उत्तर:
पीले रंग के अनेक फलों में विटामिन ‘ए’ काफ़ी मात्रा में होता है लेकिन सभी पीले रंग के फल विटामिन ‘ए’ के भंडार नहीं होते। गाजर में विटामिन ‘ए’ पर्याप्त मात्रा में होता है जो चाहे बाहर से लाल और भीतर से पीली होती है। अंगूर और सेब भी विटामिन ‘ए’ से भरपूर होते हैं। आम में विटामिन ‘ए’ काफी मात्रा में होता है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

प्रश्न (घ)
खट्टे/रस वाले फलों के नाम लिखें जिनमें विटामिन ‘सी’ की मात्रा अधिक होती है।
उत्तर:
खट्टे/रस वाले फलों को सिटरिक परिवार के सदस्य कहते हैं। इनमें विटामिन ‘सी’ की मात्रा अधिक होती है। ये रोगों से लड़ने की क्षमता शरीर को देते हैं। संतरा, नींबू, मालटा, कीन, ग्रेफ्रूट, चकोतरा आदि फल इसी परिवार से जुड़े हुए हैं।

प्रश्न (ङ)
कौन-से ऐसे फल हैं जो यदि काटकर थोड़ी देर पड़े रहें तो काले हो जाते हैं ? उनमें भोजन का कौन-सा खनिज लवण होता है ?
उत्तर:
अनेक फल ऐसे हैं जिनमें लोहा नामक तत्व की मात्रा अन्य फलों की अपेक्षा अधिक होती है। जब इन्हें काटा जाता है तो इनमें उपस्थित लोहा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करता है और उससे लोहा ऑक्साइड बन जाता है। इस कारण वे गहरे भूरे या काले रंग को प्रकट करने लगते हैं। सेब, नाशपाती, अमरूद, आम आदि इस वर्ग के फल हैं। इनको खाने से रक्त में लोहा बढ़ता है जो शरीर को शक्ति प्रदान करता है।

प्रश्न (च)
फलों और सब्जियों पर प्रचलित मुहावरे/लोकोक्ति इकट्ठी करें। जैसे आम के आम गुठलियों के दाम।
उत्तर:
फलों और सब्जियों पर आधारित और समाज में प्रचलित अनेक मुहावरे और लोकोक्तियाँ हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं
(क) आम के आम गुठलियों के दाम
(ख) मिर्च का स्वभाव होना
(ग) एक अनार सौ बीमार
(घ) एक करेला दूसरा नीम चढ़ा
(ङ) थाली का बैंगन
(च) बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
(छ) किस खेत की मूली
(ज) गूलर का फूल होना
(झ) नमक-मिर्च लगाना
(ञ) गाजर-मूली के भाव बिकना

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

(छ) उन फलों के नाम लिखें जिन्हें छिलका सहित/छिलका रहित खाया जाता है।

उत्तर:
छिलका सहित खाये जाने वाले फल
सेब
नाशपाती
अंगूर
जामुन
अमरूद
चैरी
खुमानी
आडू
आलू बुखारा
रसभरी
स्ट्राबरी

छिलका रहित खाये जाने वाले फल
खरबूजा
आम
तरबूज
अनानास
केला
श्रीफल/सीताफल/शरीफ़ा
संतरा
मौसमी
कीनू
लीची
अनार

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन शब्दों में से मूल शब्द अलग करें

प्रतिनिधित्व = प्रतिनिधि
फायदेमंद = ……………….
लापरवाही = ……………….
स्पष्टीकरण = ……………….
महत्त्वपूर्ण = ……………….
गुणवान = ……………….
अधिकाँश = ……………….
विसर्जित = ……………….
उत्तर:
प्रतिनिधित्व = प्रतिनिधि
फायदेमंद = फायदा
लापरवाही = परवाह
स्पष्टीकरण = स्पष्ट
महत्त्वपूर्ण = महत्त्व
गुणवान = गण।
अधिकाँश = अधिक
विसर्जित = सर्जित

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

II. इन शब्दों के विपरीत शब्द लिखें

फायदा = ……………….
आवश्यक = ……………….
कमज़ोर = ……………….
रोगी = ……………….
ज़रूरी = ……………….
गुण = ……………….
महत्त्वपूर्ण = ……………….
विश्वास = ……………….
उपयोगी = ……………….
गुणवान = ……………….
विसर्जन = ……………….
उत्तर:
फायदा = घाटा
आवश्यक = अनावश्यक
कमज़ोर = शक्तिशाली
रोगी = निरोगी
ज़रूरी = गैर-ज़रूरी
गुण = अवगुण
महत्त्वपूर्ण = महत्त्वहीन
विश्वास = अविश्वास
उपयोगी = अनुपयोगी
गुणवान = गुणहीन
विसर्जन = सृजन।

III. उचित योजक शब्द लगाकर वाक्य पूरे करें

(i) …………… लोगों को ऐसे ही परेशान करोगे …………. तुम्हें भला कौन पूछेगा।
(ii) ………………. यह बात सच है कि बंटी को खाँसी मेरी वजह से ही हुई है ………………… इसमें मेरा रत्ती भर भी दोष नहीं।
(iii) दाँतों …………….. मसूड़ों के लिए भी मैं फायदेमंद हूँ।
(iv) इसको कई बार समझाया गया ……………….. यह अपनी आदत से बाज़ नहीं आ रही है।
(v) मेरे शरीर के रोओं में घातक जीवाणु होते हैं …………….. मुझे खाने से पहले खूब अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
(vi) आप ऐसा कोई उपाय बतायें ………………. लोग बीमार न पड़ें।
(vii) लोग हमें खाने का सही तरीका नहीं जानते ………………… हम लोग चाहते हुए भी पूरा फायदा नहीं पहुंचा पाते हैं।
उत्तर:
(i) अगर लोगों को ऐसे ही परेशान करोगे तो तुम्हें भला कौन पछेगा।
(ii) यद्यपि यह बात सच है कि बंटी को खाँसी मेरी वजह से ही हुई है तथापि इसमें मेरा रत्ती भर भी दोष नहीं।
(iii) दाँतों और मसूड़ों के लिए भी मैं फायदेमंद हूँ।
(iv) इसको कई बार समझाया गया लेकिन यह अपनी आदत से बाज़ नहीं आ रही है।
(v) मेरे शरीर के रोओं में घातक जीवाणु होते हैं अतः मुझे खाने से पहले खूब अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
(vi) आप ऐसा कोई उपाय बतायें ताकि लोग बीमार न पड़ें।
(vii) लोग हमें खाने का सही तरीका नहीं जानते इसलिए हम लोग चाहते हुए भी पूरा फायदा नहीं पहुंचा पाते हैं।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

योग्यता विस्तार

हमें स्वस्थ रहने के लिए संतुलित भोजन करना चाहिए। संतुलित भोजन वह है जिसमें सभी पोषक तत्व यथा-कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, जल और रेशे उचित मात्रा में हों। नीचे एक ओर फलों के नाम दिये गये हैं, दूसरी ओर विटामिनों के नाम हैं। जिस फल में जो विटामिन अधिक मात्रा में पाया जाता है उसके नीचे सही शिान अंकित करें।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल 1
उत्तर:
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल 2

अभिनय
इस एकाँकी का स्कूल के वार्षिक उत्सव पर अभिनय करवायें।

PSEB 8th Class Hindi Guide फलों की चौपाल Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
फलों का राजा किस फल को कहते हैं ?
(क) सेब को
(ख) आम को
(ग) केले को
(घ) अंगूर को।
उत्तर:
आम को।

प्रश्न 2.
क्या खाने से लड़के को खाँसी हो गई थी ?
(क) अनार
(ख) अमरूद
(ग) अंगूर
(घ) आम।
उत्तर:
अमरूद।

प्रश्न 3.
अमरूद कब खाना चाहिए ?
(क) रात को
(ख) दोपहर को
(ग) संध्या के समय
(घ) प्रभातकाल में।
उत्तर:
दोपहर को।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

प्रश्न 4.
गाजर के लम्बे बालों में कौन-से जीवाणु होते हैं ?
(क) अमीबा
(ख) एटामीबा
(ग) अक्टोबा
(घ) इकाबीमा।
उत्तर:
एटामीबा।

प्रश्न 5.
शरीर में खून बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान किस फल का होता है ?
(क) केला
(ख) अमरूद
(ग) सेब
(घ) अंगूर।
उत्तर:
अंगूर।

प्रश्न 6.
किस फल के छिलके नीचे विटामिन ए और सी होते हैं ?
(क) अनार
(ख) अमरूद
(ग) सेब
(घ) केला।
उत्तर:
सेब।

प्रश्न 7.
छिलका सहित खाने वाला फल कौन-सा है ?
(क) अनार
(ख) केला
(ग) आम
(घ) अंगूर।
उत्तर:
अंगूर।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 23 फलों की चौपाल

प्रश्न 8.
छिलका रहित खाया जाने वाला फल है ?
(क) सेब
(ख) अंगूर
(ग) केला
(घ) अमरूद।
उत्तर:
केला।

फलों की चौपाल Summary

फलों की चौपाल पाठ का सार

तरह-तरह के फलों की एक सभा बुलाई गई। छोटे लड़के-लड़कियों ने फलों के मुखौटे लगाकर फलों का अभिनय किया। फलों के राजा आम ने अन्य फलों से पूछताछ की। वह जानना चाहते थे कि लोग उन्हें खाने के बाद बीमार क्यों पड़ जाते थे। केले ने सभा को आरम्भ किया और अमरूद पर आरोप लगाया कि उसे खाने से एक लड़के को खांसी हो गई। शारीरिक परेशानी के साथ-साथ उसे इलाज के लिए पैसे भी खर्च करने पड़े। अमरूद ने अपना बचाव करते हुए कहा कि सर्दी के दिन शाम के समय उस लड़के ने उसे बिना धोये हुए खाना शुरू कर दिया था। यदि उसे दोपहर के समय खाया जाता तो वह हानिकारक नहीं होता। वह पाचन क्रिया को बढ़ाता है, पेट साफ रखता है, दाँतोंमसूड़ों के लिए अच्छा है, कब्ज़ और बवासीर में उपयोगी है और दिमाग की गर्मी को कम करता है। वह पागलपन दूर करने में भी सहायक होता है। बस, उसका इस्तेमाल ठीक ढंग से किया जाना चाहिए।

संतरे ने गाजर पर आरोप लगाया कि उसके कारण लोगों में दस्त और पेट की गड़बड़ी होने की शिकायतें आ रही थीं। गाजर ने अपने उत्तर में कहा कि लोग उसे धोए बिना खा लेते हैं। उस पर लम्बे-लम्बे बालों में एंटामीबा नामक जीवाणु होते हैं जो पेट में जाकर पाचन क्रिया को प्रभावित करते हैं। उसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘डी’ और ‘के’ काफ़ी मात्रा में होते हैं जिससे शरीर का विकास होता है। उसे अच्छी तरह धोने के बाद ही खाया जाना चाहिए। गाजर के बैठते ही मूली ने अपने बारे में स्वयं कहा कि उसे खाने से पहले धोया जाना चाहिए।

केले ने अंगूर पर आरोप लगाया कि उसे खाने से अनेक लोग बीमार पड़ जाते हैं। इसका कारण क्या था ? अंगूर ने बताया कि उसमें विटामिन ए, बी, सी, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा आदि होते हैं जिनसे शरीर में खून बढ़ता है, खून साफ होता है, पाचन क्रिया ठीक होती है और नेत्र ज्योति ठीक होती है। वह कमज़ोर और रोगियो के लिए बहुत उपयोगी होता है। लोगों की बीमारी का कारण वह नहीं है बल्कि लोग स्वयं हैं। वे रेडियों और ठेले वालों से उसे खरीदते हैं। उस पर पड़ी धूल-मिट्टी, मक्खियों की गन्दगी आदि की परवाह किए बिना उसे खा जाते हैं जिस कारण वे बीमार पड़ जाते हैं। उसे पकाने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग भी नहीं किया जाना चाहिए। उसे खाने से पहले अच्छी तरह धोया जाना चाहिए। अंगूर के बैठते ही सेब स्वयं खड़ा हो गया। उसने बताया कि उसे खाने के लिए लोग उसका छिलका उतार देते हैं। छिलके के ठीक नीचे विटामिन ए और सी होते हैं। इसलिए अच्छी तरह धोकर छिलके सहित खाना चाहिए। सबकी बात सुनकर आम ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों को फल सावधानी से खाने चाहिएं। उन्हें अच्छी तरह धोकर बिना छिलका उतारे ही खाना चाहिए।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

Hindi Guide for Class 8 PSEB उम्मीद का अन्तिम पत्ता Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

I. शब्दार्थ :

फुसफुसाना = धीमी, अस्फुट आवाज़ में बोलना।
लता = बेल।
आग्रह = किसी बात पर बार-बार ज़ोर देना।
खनिक = खोदने वाला।
ज्वर = बुखार, ताप।
सर्वश्रेष्ठ = सबसे उत्तम।
कलाकृति = कलामयी रचना।
निमोनिया = सर्दी से फेफड़े में श्लेष्मा के जमा हो जाने से होने वाली सूजन या प्रदाह ।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

II. इन शब्दों के अर्थ समझते हुए वाक्य बनायें :लता, आग्रह, अनचाहा, चित्र, मूर्ति, सर्वश्रेष्ठ, कलाकृति।

उत्तर:
लता-स्वीटपी की लता फूलों से लदी हुई थी। आग्रह-आप मेरे आग्रह को मत ठुकराइए और सभा में अवश्य आइए। अनचाहा-अनचाहा मेहमान किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चित्र-अनीता ने गांधी जी का सुंदर चित्र बनाया था। मूर्ति-गणेश जी की मूर्ति बहुत ही सुंदर है। सर्वश्रेष्ठ-प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ वक्ता को पुरस्कार दिया गया। कलाकृति-प्राचीन मंदिरों में अनेक कलाकृतियाँ बड़ी ही भव्य हैं।

(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
स्यू और जॉनसी कौन थीं ?
उत्तर;
स्यू और जॉनसी दोनों सहेलियाँ थीं और दोनों ही अच्छी कलाकार थीं।

प्रश्न (ख)
जॉनसी को क्या हो गया था ?
उत्तर;
जॉह्नसी को निमोनिया हो गया था।

प्रश्न (ग)
उसके मन में क्या बात बैठ गई थी ?
उत्तर:
उसके मन में बैठ गया था कि आईवीलता का आखिरी पत्ता गिर जाएगा तो वह भी मर जाएगी।

प्रश्न (घ)
जॉनसी का मन बहलाने के लिए स्यू ने क्या किया ?
उत्तर:
जॉनसी का मन बहलाने के लिए उसने फैशन और कपड़ों की बातें कीं और उनके कमरे में ही चित्र बनाने का कार्य किया।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

प्रश्न (ङ)
आईवी लता से गिरते पत्ते को देखकर उसने स्यू से क्या कहा ?
उत्तर:
आईवी लता के गिरते पत्ते को देखकर उसने स्यू से कहा कि उसके आखिरी पत्ते गिरने के बाद वह भी मर जाएगी।

प्रश्न (च)
बहरमैन कौन था ?
उत्तर:
बहरमैन साठ साल का बूढ़ा कलाकार था जो चित्र बनाया करता था।

प्रश्न (छ)
उसकी सर्वश्रेष्ठ कलाकृति क्या थी ?
उत्तर:
बहरमैन की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति वह हरे-पीले रंग का पत्ता था जिसे उसने आई वी लता पर लगाया था।

प्रश्न (ज)
अन्तिम पत्ते को लता पर लगा देखकर जॉनसी को क्या विश्वास हो गया था ?
उत्तर:
अन्तिम पत्ते को लता पर लगे देखकर जॉनसी को विश्वास हो गया था कि वह अभी नहीं मरेगी। वह अभी और जियेगी।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
जॉनसी में जीने की चाह क्यों नहीं थी ?
उत्तर:
जॉनसी को निमोनिया था। बिस्तर पर लेटे-लेटे उसने बाहर लगी आईवी लता से गिरते पत्ते देखे थे तो उसे वहम हो गया था कि जिस प्रकार पत्ते गिर रहे थे वह भी उसी तरह मौत की ओर जा रही थी। बेल के आखिरी पत्ते के गिरने के बाद वह भी मर जाएगी। निराशा और हताशा के कारण उसमें जीने की चाह नहीं रही थी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

प्रश्न (ख)
स्यू ने अपनी सहेली के लिए क्या-क्या काम किये ?
उत्तर:
स्यू ने अपनी सहेली के लिए वे सब काम किए जो कोई भी बहुत अच्छी सहेली कर सकती थी। उसने उसके मानसिक वहम को दूर करने के लिए उसे समझायाबुझाया। उसका ध्यान बदलने के लिए फैशन और वस्त्रों की बातें कीं। उसके कमरे में ही चित्रकला की। डॉक्टर और बहरमैन से उसके बारे में बातचीत की। उसे दुलारा, प्यार किया और सब प्रकार से उसकी सेवा-सुश्रुषा की।

प्रश्न (ग)
बहरमैन ने जॉनसी के लिए ऐसा क्या किया जिससे उसके मन में जीने की चाह उत्पन्न हो गई ?
उत्तर:
बहरमैन एक अच्छा चित्रकार था। जब उसे स्यू से पता चला कि जॉनसी के मन में एक वहम घर कर गया था कि लता पर लगा आखिरी-पत्ता जब गिर जाएगा तब वह भी मर जाएगी तो उसने आखिरी पत्ते के गिर जाने के बाद तूफ़ानी रात में एक पत्ता बनाकर बेल पर लगा दिया जो दूर से असली लगता था। उसे तुफ़ान में भी गिरता न देखकर उसके मन में जीने की चाह उत्पन्न हो गई थी।

(घ) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन शब्दों में से मूल शब्द अलग करके लिखें :

1. चिन्तित = ………………..
2. तूफ़ानी = ………………..
3. दिलचस्पी = ………………..
4. बर्फीली = ………………..
5. शान्ति = ………………..
6. स्वास्थ्य = ………………..
7. उत्सुकता = ………………..
8. परेशानी = ………………..
9. अन्तिम = ………………..
उत्तर:
मूल शब्द
1. चिन्ता
2. तूफ़ान
3. दिल
4. बर्फ
5. शान्त
6. स्वस्थ
7. उत्सुक
8. परेशान
9. अन्त।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

II. विपरीत शब्द लिखें :

स्वस्थ = ………………..
सहयोग = ………………..
अन्धेरा = ………………..
इच्छा = ………………..
निराश = ………………..
दुर्व्यवहार = ………………..
परेशानी = ………………..
उत्सुकता = ………………..
उत्तर:
स्वस्थ = अस्वस्थ
सहयोग = असहयोग
अन्धेरा = उजाला
इच्छा = अनिच्छा
निराश = आशावान
दुर्व्यवहार = सद्व्यवहार
परेशानी = आसानी
उत्सुकता = अनौत्सुकता

III. पर्यायवाची शब्द लिखें :

उम्मीद = ………………..
लता = …………………
बारिश = ………………..
पत्ता = ………………..
उत्तर:
उम्मीद = आशा , अपेक्षा
लता = बेल , वल्लरी।
बारिश = वर्षा , बरखा
पत्ता = पत्र , पर्ण

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

IV. ‘अनचाहा’ में ‘अन’ और दुर्व्यवहार में ‘दुर’ उपसर्ग है। ‘अन’ और ‘दुर’ लगाकर नये शब्द बनायें :

अन + जान = ………………..
अन + ……. = ………………..
अन + ………. = ………………..
दुर् + दशा = ………………..
दुर् + …………… = ………………..
दुर् + …………… = ………………..
उत्तर
अन + जान = अनजान
अन + होनी = अनहोनी
अन + मेल = अनमेल
दुर् + दशा = दुर्दशा
दुर् + भाग्य = दुर्भाग्य
दुर् + गम = दुर्गम।

(घ) रचना – बोध

आपको सहेली/मित्र का पत्र मिला है जिससे आपको मालूम हुआ कि उसके पिता/माता दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। उनकी स्थिति गम्भीर है। ऐसे में पत्र लिखकर उसका उत्साह बढ़ायें।

उत्तर:
810-प्रेम नगर,
पटियाला।
28 नवम्बर, 20……….
प्रिय नीरजा,

नमस्ते। मुझे अभी कुछ मिनट पहले ही पंजाब केसरी में छपे समाचार से पता लगा है कि तुम्हारे पापा दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। उनके बाईक को पीछे से एक कार वाले ने टक्कर मार दी। उनका नाम और घर का पता पढ़कर एक बार तो मैं सिर से पाँव तक काँप गई थी। मेरी आँखें सोचने मात्र से आँसुओं से भर गई थीं। मैं तुम्हारी और आंटी की स्थिति की कल्पना भलीभांति कर सकती हूँ। समाचार-पत्र में जिस अस्पताल का नाम छपा है वह अच्छा है और वहाँ के डॉक्टर भी बहुत कुशल हैं। ईश्वर अंकल को निश्चित रूप से ठीक करेंगे। ईश्वर बहुत दयालु हैं। वह गम्भीर से गम्भीर स्थिति को भी पल भर में ठीक कर देते हैं। तुम हौंसला बनाए रखना। अपनी मम्मी को सहारा देना। मैं भी अपने पापा के साथ शीघ्र तुम्हारे पास आऊंगी। तुम चिन्ता न करना। चाची जी को नमस्कार।
तुम्हारी सखी,
अनुराधा

चिन्तन एवं मनन :
जीवन में कई बार ऐसे क्षण आते हैं जब मन निराशा से भर जाता है। ऐसे क्षणों में भी हमें छोटी-छोटी चीजों में आशा की एक किरण दिखाई दे सकती है। अत: निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे सुख के छोटे-छोटे क्षण ढूंढें।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

PSEB 8th Class Hindi Guide उम्मीद का अन्तिम पत्ता Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
स्यू और जॉनसी छोटे से घर की किस मंजिल पर रहती थी ?
(क) पहली
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) चौथी।
उत्तर:
तीसरी।

प्रश्न 2.
जॉनसी को कौन-सी बीमारी थी ?
(क) निमोनिया
(ख) कैंसर
(ग) टी०वी०
(घ) डायरिया।
उत्तर:
निमोनिया।

प्रश्न 3.
स्यू और जॉनसी क्या थी ?
(क) कलाकार
(ख) डॉक्टर
(ग) नर्स
(घ) अध्यापक।
उत्तर:
कलाकार।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

प्रश्न 4.
जॉह्नसी किस लता को देख रही थी ?
(क) आईवी
(ख) सीवी
(ग) जीवी
(घ) ओवी।
उत्तर:
आईवी।

प्रश्न 5.
स्यू क्या बना रही थी ?
(क) सूप
(ख) चित्र
(ग) दवा
(घ) टीका।
उत्तर:
चित्र।

प्रश्न 6.
बहरमैन की उम्र कितनी थी ?
(क) पचास वर्ष
(ख) साठ वर्ष
(ग) पैंसठ वर्ष
(घ) चालीस वर्ष।
उत्तर;
साठ वर्ष।

प्रश्न 7.
बहरमैन ने आईवी लता पर क्या लगाया था ?
(क) झंडा
(ख) तूफ़ान से बचाने के लिए तिरपाल
(ग) हरे-पीले रंग का आईवी लता के पत्ते का चित्र
(घ) छतरी।
उत्तर:
हरे-पीले रंग का आईवी लता के पत्ते का चित्र।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 22 उम्मीद का अन्तिम पत्ता

प्रश्न 8.
बहरमैन कैसे मरा ?
(क) निमोनिया से
(ख) डायरिया से
(ग) कैंसर से
(घ) टी० वी० से।
उत्तर:
निमोनिया से।

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary

उम्मीद का अन्तिम पत्ता कहानी का सार

मन में उत्पन्न होने वाले आशा के भाव किसी में भी नया जीवन भर देने की ताकत रखते हैं। स्यू और जॉनसी दो सहेलियां थीं। वे कलाकार थीं और एक साथ एक पुराने मकान की तीसरी मंजिल पर रहती थीं। नवम्बर महीने में जॉनसी को निमोनिया हो गया था। वह बिना हिले-डुले बिस्तर पर लेटी रहती थी। डॉक्टर उसका इलाज कर रहा था पर उस पर दवाई का कोई असर ही नहीं हो रहा था। एक दिन डॉक्टर ने स्यू से कहा कि उसे लगता था कि उसकी सहेली ने अपने दिमाग में यह बात बिठा ली थी कि वह अब ठीक नहीं हो सकती थी। ऐसा होने के कारण दवाइयाँ उस पर असर नहीं कर रही थीं। स्यू ने अपनी सहेली के ध्यान बंटाने के लिए फैशन, वस्त्रों, चित्रकला आदि से जुड़ी हुई बातें कीं लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया। वह अपना ड्राइंग बोर्ड भी उसके कमरे में ले आई थी। एक दिन स्यू ने जॉनसी को खिड़की के बाहर लेटे-लेटे आइवी-लता के झड़ते पत्तों को गिनते देखा। वह बेल खिड़की के सामने ईंटों की दीवार के मध्य तक चढ़ी हुई थी।

बाहर लगातार बढ़ती ठंड के कारण बेल के पत्ते गिर रहे थे। जब स्यू ने उससे इस बारे में पूछा तो जानसी ने उत्तर दिया कि तीन दिन पहले वहाँ लगभग सौ पत्ते थे। अब केवल पाँच पत्ते शेष रह गए थे। जब अन्तिम पत्ता गिर जाएगा तो वह भी मर जाएगी। स्यू ने उसे समझाया कि झड़ते पत्तों का उसके जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं था लेकिन वह भी कुछ नहीं बोली। अब बेल पर केवल तीन पत्ते शेष रह गए थे। जाह्नसी अन्धेरा होने से पहले पके हुए अन्तिम पत्ते को भी गिरते हुए देखना चाहती थी और सोचती थी कि उसके बाद वह भी सदा के लिए सो जाएगी। स्यू ने उसे दुलारा, प्यार किया और उसे समझाया। उसने उससे कहा कि जब तक वह चित्र पूरा नहीं बना लेती तब तक वह खिड़की के बाहर उस पत्ते की ओर न देखे। वह बूढ़े खनिक का चित्र बनाने के लिए सबसे नीचे वाली मंजिल की ओर चली गई जहां बहरमैन नामक बूढ़ा चित्रकार रहता था। वह उसे अपने चित्र का मॉडल बनाना चाहती थी। वह बूढ़ा चित्रकार एक सर्वश्रेष्ठ कलाकृति बनाना चाहता था। स्य ने अपनी सहेली से सम्बन्धित सारी परेशानियाँ बहरमैन को बताईं। वे दोनों जब कमरे में आए तो जाह्नसी सो रही थी। बेल पर अब केवल एक पत्ता शेष बचा था, बाहर तेज़ बारिश हो रही थी और बर्फीली हवा चल रही थी, ऐसा लगता था कि आखिरी पत्ता भी गिर जाएगा। बहरमैन बिना कुछ बोले वापस अपने कमरे में चला गया।

अगली सुबह जब पर्दा हटाया तो तेज़ हवाओं के बावजूद आखिरी पत्ता नहीं गिरा था। वह काफी हरा और स्वस्थ लग रहा था। कुछ-कुछ देर बाद जाह्नसी अपनी आँखें खोलकर उस पत्ते की ओर देख लेती थी। शाम को एक बार फिर तूफ़ान आया वह पत्ता फिर भी नहीं गिरा। कुछ देर बाद उसने स्यू से कहा कि उसके विचार ठीक नहीं थे। वह जान गई थी कि मौत की चाह रखना पाप था। दोपहर बाद डॉक्टर साहब ने उसे जाँच कर कहा कि अब ठीक थी और शीघ्र पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। उसने यह भी बताया कि बहरमैन को भी निमोनिया हो गया था और कोई उम्मीद नहीं थी कि वह जिन्दा रह पाएगा। अगली सुबह स्यू ने जॉनसी को बताया कि बहरमैन की मृत्यु हो गई थी। उसे दो दिन से निमो िथा। चौकीदार ने बताया कि वह गीले कपड़े और गीले जूते पहने हुए बिस्तर पर पड़ा काँप रहा था। वह तूफ़ानी रात में बाहर निकला था। उसने आईवीलता का आखिरी पत्ता गिर जाने के बाद हरे-पीले रंगों का पत्ता बनाकर वहां लगाया था जो फड़फड़ाता नहीं था। वह उसकी सर्वश्रेष्ठ कलाकृति थी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 14 यूटा सागा

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 यूटा सागा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 यूटा सागा

Hindi Guide for Class 8 PSEB यूटा सागा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

I. शब्दार्थ:

चकाचौंध = आँखों का झपकना, चुंधियाने वाली चमक।
भूकम्प = भूचाल।
बेतहाशा = अचानक और वेगपूर्वक, बिना सोचे समझे।
आगोश = गोद में लेना।
महाप्रलय = सम्पूर्ण सृष्टि का नाश।
कर्मठता = काम में कुशलता, कर्मनिष्ठता।
क्षतिग्रस्त = हानिप्राप्त।
संभावना = हो सकने का भाव, मुमकिन होना।
आपूर्ति संयंत्र = यंत्रों, औज़ारों का समूह, कारखाना।
भाग्यशाली = खुशकिस्मत।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 14 यूटा सागा

(ख) विचार – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें-

(क) यूटा सागा अपने माता-पिता के साथ कहाँ रहता है ?
उत्तर:
यूटा सागा अपने माता-पिता के साथ मियागी प्रांत के तटवर्ती क्षेत्र सेंदई में रहता है।

(ख) यूटा सागा के माता-पिता का क्या नाम है तथा वे क्या कार्य करते हैं ?
उत्तर:
यूटा सागा की माता का नाम अयूमी ऑसूगा और पिता का नाम ओसामु दाज़ाई था। उसकी माता यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी और पिता फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में काम करते थे।

(ग) रेडियो पर सुनामी की क्या चेतावनी जारी होती है ?
उत्तर:
रेडियो पर सुनामी के तटीय क्षेत्रों में केवल बारह मिनट में पहुँचने और लोगों को तबाही से बच निकलने की चेतावनी जारी की गई थी।

(घ) सुनामी से बचने के लिए यूटा सागा व माँ कहाँ जाते हैं ?
उत्तर:
वे दोनों जूनियभद हाई स्कूल की ऊँची इमारत में जाते हैं।

(ङ) स्कूल पहुँच कर यूटा सागा और अयूमी ऑसूगा क्या देखते हैं ?
उत्तर:
स्कूल पहुँच कर उन्होंने स्कूल की सीढ़ियों पर बूढ़े-बुजुर्गों को बेबस पड़े हुए देखा था जो ऊपर नहीं चढ़ पा रहे थे। बाद में उन्होंने सुनामी की तबाही को देखा था।

(च) ओसामु दाज़ाई अपने परिवार को कहाँ-कहाँ तलाशते हैं ?
उत्तर:
वह अपने परिवार को अपने घर, आसपास घरों, शरण स्थलों में तलाशते हैं।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 14 यूटा सागा

(छ) रेडिएशन से किस प्रकार की बीमारियाँ फैल सकती हैं ?
उत्तर:
इससे त्वचा का जलना, ठंड लगना, आँखों में जलन, बुखार, अस्थमा, खाँसी, बोन तथा फेफड़ों का कैंसर फैल सकता है।

(ज) देश और दुनिया को खतरे से बचाने के लिए फुकुशिमा संयंत्र में कितने कर्मचारी किस तरह से काम कर रहे थे ?
उत्तर:
फुकुशिमा संयंत्र में 200 कर्मचारी चार शिफ्ट में 50-50 की टीम में काम कर रहे थे।

(झ) फुकुशिमा का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
उत्तर:
फुकुशिमा का शाब्दिक अर्थ है-भाग्यशाली द्वीप।

(ञ) यूटा प्लाँट पर जाने के लिए अपने पिता का साहस कैसे बढ़ाता है ?
उत्तर:
यूटा ने प्लांट पर जाने के लिए अपने पिता से कहा था कि परिवार से बड़ा देश होता है और देश से बड़ी दुनिया होती है। आप तो परमाणु योद्धा (न्यूक्लियर निंजा) हैं। आप जाइए……आप जाइए।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में दें

(क) डरे सहमे लोगों द्वारा देखे गए महाप्रलय (सुनामी) के मंजर का वर्णन करें।
उत्तर:
सुनामी के भयंकर तांडव को लोगों ने डर से काँपते हुए हृदय से देखा था। महाप्रलय का मंजर ऐसा भयावह था कि तीस-तीस फुट ऊँची सागर की लहरों ने किसी को कुछ सोचने-समझने-संभलने का मौका ही नहीं दिया था। सेंदुई एयरपोर्ट में खड़े हवाई जहाज़, यात्रियों से भरी पूरी रेलगाड़ी, कारें, लोग आदि सब एक साथ बहे जा रहे थे। पूरा शहर डूबता-सा दिखाई दे रहा था।

(ख) फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में विस्फोट कैसे हो गया ?
उत्तर:
फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट के कूलिंग सिस्टम सुनामी की हाहाकारी लहरों के कारण बिजली आपूर्ति से वंचित हो गए थे। इसमें परमाणु ईंधन को ठंडा नहीं रखा जा सका। रियेक्टरों का तापमान तेज़ी से बढ़ा। इससे उनमें विस्फोट हो गया।

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(ग) अयूमी पति ओसामु दाज़ाई का हौसला कैसे बढ़ाती है ?
उत्तर:
अयूमी ने अपने पति ओसामु दाज़ाई का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि जापानी भाषा में ‘फुकिशमा’ का शाब्दिक अर्थ ही ‘भाग्यशाली द्वीप’ होता है। वहाँ आई मुसीबत को दूर करने वाले वे तो भाग्यशाली थे। आपदाएँ तो एक अवसर की तरह आती हैं और फिर से उठ खड़ा होने की प्रेरणा देती हैं। आपदाएँ किसी भी प्रकार राष्ट्रीय चरित्र को नहीं तोड़ सकतीं-यही सबसे बड़ी सम्पत्ति है और यही देश प्रेम है।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. इन वाक्यों में सम्बन्ध बोधक अव्ययों को रेखांकित करें

1. तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के पास केवल 12 मिनट हैं।
2. यूटा व माँ घर से बाहर सड़क पर बेतहाशा भागे जा रहे हैं।
3. माँ, ज़िन्दगी और मौत के बीच केवल तीन मंज़िलों का फर्क है।
4. लोग सीढ़ियों से ऊपर नहीं चढ़ पा रहे हैं।
5. यूटा सागा माँ सहित तीसरी मंजिल पर पहुँच जाता है।
उत्तर:
1. तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के पास केवल 12 मिनट हैं।
2. यूटा व माँ घर से बाहर सड़क पर बेतहाशा भागे जा रहे हैं।।
3. माँ, ज़िन्दगी और मौत के बीच केवल तीन मंज़िलों का फर्क था।
4. लोग सीढ़ियों से ऊपर नहीं चढ़ पा रहे हैं।
5. यूटा सागा माँ सहित तीसरी मंजिल पर पहुँच जाता है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 14 यूटा सागा

II. वाक्यों में प्रयोग करें

तटवर्ती – ………………
सतर्क – ………………
चेतावनी – ………………
विस्फोट – ………………
संकल्प – ………………
तबाही – ………………
ऊर्जा – ………………
उत्तर:
तटवर्ती – समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी।
सतर्क – सतर्क रहना क्योंकि आगे नदी गहरी है।
चेतावनी – आप को चेतावनी दी जाती है कि इसके बाद स्कूटर तेज़ मत चलाना।
विस्फोट – भयंकर विस्फोट ने कार के परखच्चे उड़ा दिए थे।
संकल्प – आप संकल्प कीजिए कि आप कभी कोई देश विरोधी बात नहीं करेंगे।
तबाही – बाढ़ ने सारे गाँव में भयंकर तबाही मचाई थी।
ऊर्जा – सौर ऊर्जा आज के युग में बहुत उपयोगी है।

II. एकवचन बनायें

बहुवचन – एकवचन
सीढ़ियाँ = ………………
बुजुर्गों = ………………
बच्चे = ………………
बीमारियाँ = ………………
स्थलों = ………………
जापानियों = ………………
इलाकों = ………………
मंज़िलों = ………………
इमारतों = ………………
आपदाएँ = ………………
लहरों = ………………
तटों = ………………
उत्तर:
बहुवचन – एकवचन
सीढ़ियाँ = सीढ़ी
बुजुर्गों = बुजुर्ग
बच्चे = बच्चा
बीमारियाँ = बीमारी
स्थलों = स्थल
जापानियों = जापानी
इलाकों = इलाका
मंज़िलों = मंज़िल
इमारतों = इमारत
आपदाएँ = आपदा
लहरों = लहर
तटों = तट।

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IV. भाववाचक संज्ञा बनायें

विनम्र = ………………
गहरा = ………………
चढ़ना = ………………
थकना = ………………
कर्मठ = ………………
उत्तर:
विनम्र = विनम्रता
गहरा = गहराई
चढ़ना = चढ़ाई
थकना = थकावट
कर्मठ = कर्मठता।

V. विशेषण बनायें

धर्म = ………………
परिवार = ………………
राष्ट्र = ………………
प्रकृति = ………………
अर्थ = ………………
चरित्र = ………………
शहर = ………………
उत्तर:
धर्म = धार्मिक
परिवार = पारिवारिक
राष्ट्र = राष्ट्रीय
प्रकृति = प्राकृतिक
घर = घरेलू
अर्थ = आर्थिक
चरित्र = चारित्रिक
शहर = शहरी।

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VI. पर्यायवाची शब्द लिखें

आँख = ………………
लहर = ………………
दुनिया = ………………
पानी = ………………
सम्पत्ति = ………………
हाथ = ………………
बिजली = ………………
तट = ………………
पिता = ………………
शक्ति = ………………
उत्तर:
आँख = नेत्र, चक्षु
लहर = उर्मि, तरंग
दुनिया = संसार, विश्व
पानी = नीर, जल
सम्पत्ति = धन, दौलत
हाथ = हस्त, कर
बिजली = तड़ित, विद्युत्
तट = किनारा, पुलिन
पिता = जनक, तात
शक्ति = ताकत, पराक्रम।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 14 यूटा सागा

VII. विपरीत शब्द लिखें

सुरक्षित = ………………
अस्थाई = ………………
सम्पन्नता = ………………
सामान्य = ………………
ज़िन्दगी = ………………
कमज़ोर = ………………
उत्तर:
सुरक्षित = असुरक्षित
अस्थाई = स्थाई
सम्पन्नता = विपन्नता
सामान्य = असामान्य
ज़िन्दगी = मौत
कमजोर = शक्तिशाली।

VIII. . अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें

ऐसा स्थान जहाँ लोग शरण लेते हैं = ………………
चारों ओर समुद्र से घिरा भू-भाग = ………………
बिना घर का = ………………
देशानुरागी व्यक्ति = ………………
उत्तर:
ऐसा स्थान जहाँ लोग शरण लेते हैं = आश्रयस्थल
चारों ओर समुद्र से घिरा भू-भाग = टापू
बिना घर का = बेघर
देशानुरागी व्यक्ति = देशभक्त।

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IX. शुद्ध करें

परिक्षा – ………………
धनयवाद – ………………
परमाणू – ………………
शिवीर – ………………
वसतु – ………………
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
परिक्षा – परीक्षा
धनयवाद – धन्यवाद
परमाणू – परमाणु
शिवीर – शिविर
वसतु – वस्तु।

X. पढ़ो और समझो (हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले अंग्रेजी शब्द)

यूनिवर्सिटी
प्रोफेसर
टेलीविज़न
टीम मिशन
कूलिंग
सिस्टम
वार्निंग
सेंटर
न्यूक्लियर
पावर
प्लांट
रिक्टर
रेडिएशन
शिफ्ट
बोन
कैंसर
एयरपोर्ट।

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(ग) आत्मबोध

(i) आप भी अपने परिवार में यूटा के परिवार की तरह देश-प्रेम की भावना को प्रमुख रखें।
(ii) आप अपने देश में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए क्या करेंगे ?
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।

(घ) रचना बोध

(i) प्राकृतिक आपदाओं की सूची बनायें।
(ii) जापान और जापानी संस्कृति की जानकारी एकत्रित करें।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से कीजिए।

PSEB 8th Class Hindi Guide यूटा सागा Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘यूटा सागा’ किस आपदा से जुड़ी कहानी है ?
(क) प्राकृतिक
(ख) मानवी
(ग) राक्षसी
(घ) आध्यात्मिक।
उत्तर:
प्राकृतिक।

प्रश्न 2.
कौन-से देश में भूकंप अधिक आते हैं ?
(क) जर्मनी
(ख) जापान
(ग) अफ्रीका
(घ) कनाडा।
उत्तर:
जापान।

प्रश्न 3.
यूटा सागा कितने वर्ष का है ?
(क) 12
(ख) 13
(ग) 14
(घ) 15.
उत्तर:
14.

प्रश्न 4.
टेलीविज़न पर किसकी चेतावनी जारी होती है ?
(क) सुनामी की
(ख) वर्षा की
(ग) सूखे की
(घ) अकाल की।
उत्तर:
सुनामी की।

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प्रश्न 5.
भूकंप की तीव्रता कितनी बताई गई ?
(क) 8.4
(ख) 8.6
(ग) 8.7
(घ) 8.9.
उत्तर:
8.9.

प्रश्न 6.
सुनामी की लहरें कितने फुट ऊँची थी ?
(क) 20
(ख) 25
(ग) 30
(घ) 35.
उत्तर:
30.

प्रश्न 7.
फुकुशिमा के कितने लाख लोग शहर छोड़ चुके थे
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
पाँच।

प्रश्न 8.
न्यूक्लियर पावर प्लांट से किसका रिसाव हो रहा था ?
(क) रेडिएशन
(ख) कार्बन
(ग) हाइड्रोजन
(घ) नाइट्रोजन।
उत्तर:
रेडिएशन।

प्रश्न 9.
यूटा सागा किसे ऊपर लेकर गया ?
(क) बालक को
(ख) रेडियो को
(ग) वस्त्रों को
(घ) भोजन को।
उत्तर:
बालक को।

प्रश्न 10.
सबने कहाँ शरण ली ?
(क) अस्पताल में
(ख) स्कूल में
(ग) धर्मशाला में
(घ) होटल में।
उत्तर:
स्कूल में।

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यूटा सागा Summary

यूटा सागा पाठ का सार

‘यूटा सागा’ प्राकृतिक आपदा से जुड़ी हुई एक कहानी है। जापान में भूकम्प अधिक मात्रा में आते हैं और समुद्र तल में तीव्र भूकम्प आने से सुनामी उठती है। सुनामी के कारण समुद्री जल स्थल पर तबाही लेकर आता है।

जापान के मियागी प्रान्त के तटवर्ती क्षेत्र के संदुई शहर में चौदह वर्ष का एक लड़का यूटा सागा रहता है। उसकी माँ अयूमी आँसूगा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है और पिता ओसामु दाज़ाई फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में काम करते हैं। उनके घर में सम्पन्नता है। एक दिन अचानक भूकम्प आया। भूकम्प जोर से आया था। आसपास का सब कुछ हिलने लगा था। टेलीविज़न पर ‘सुनामी वार्निंग सेंटर’ से सुनामी से सम्बन्धित चेतावनी जारी करने की सूचना आ रही थी कि बिजली चली गई। यूटा ने रेडियो पर सुना। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.9 थी जिसके कारण जान लेवा समुद्री लहरें तटीय क्षेत्रों की ओर तेजी से बढ़ रही थीं। तरंगों को तट तक पहुँचने में केवल बारह मिनट बचे थे। यूटा ने अपनी मां का हाथ पकड़ा। वह बोला कि उनका घर सुनामी से बचने के लिए सुरक्षित नहीं था। वे दोनों तेज़ी से सड़क पर जूनियर हाई स्कूल की इमारत की ओर भागने लगे। वह इमारत आसपास की इमारतों में सबसे ऊँची थी। स्कूल की सीढ़ियाँ उन वृद्ध लोगों से अटी पड़ी थीं जो ऊपर चढ़ नहीं पा रहे थे। सीढ़ियों पर गिरी एक औरत ने यूटा का हाथ थाम कर कहा कि वह कम-से-कम उसके छोटे बच्चे को तो ऊपर ले जाए। यूटा ने बच्चे को गोद में लिया और अपनी माँ के साथ तीसरी मंजिल पर सुरक्षित जा पहुँचा। फिर वह भाग कर नीचे गया और बच्चे की माँ को भी खींचता हुआ ऊपर की ओर लपका। उसी समय सुनामी की भयंकर लहरें वहां पहुंच गईं पर यूटा उस औरत को ऊपर ले आया था। बच्चा अब अपनी माँ की गोद में था। सुनामी की तीस फुट ऊँची लहरें सब कुछ लील गई थीं।

एयरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाज, लोगों से भरी रेलगाड़ी, कारें और लोग सब एक साथ बहे जा रहे थे। सारा शहर डूबता-सा दिखाई दे रहा था। अगले दिन बचाव कर्मियों ने स्कूल की इमारत में सुरक्षित लोगों को अस्थाई शरण-स्थल में पहुँचा दिया था। लाखों लोग बेघर हो गए थे। वे रोटी-पानी के लिए परेशान थे। यूटा के पिता उन्हें ढूंढ़ते हुए उन तक पहुँच गए थे। यह उनके धैर्य और संकल्प की घड़ी थी। पिता को कुछ ही देर बाद वापस न्यूक्लियर पावर प्लांट में वापस जाना था। सुनामी के कारण प्लांट के रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम की बिजली आपूर्ति रुक गई थी जिससे परमाणु ईंधन ठंडा नहीं रह पाया। रिएक्टरों का तापमान तेजी से बढ़ने के कारण उनमें विस्फोट हो गया जिससे रेडिएशन सामान्य से कई गुणा निकलने लगा था। इससे जापान को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी खतरा था। फुकुशिमा के पाँच लाख लोग शहर छोड़ चुके थे। एक लाख अस्सी हज़ार लोगों को शहर से दूर राहत शिविर में पहुँचाया गया था। परमाणु विकिरण से त्वचा पर जलन, ठंड लगना, आँखों में जलन, बुखार, अस्थमा, खाँसी, बोन तथा फेफड़ों के कैंसर का भय था। प्लांट में दो सौ कर्मचारी अपनी जान खतरे में डाल कर चार शिफ्ट में काम कर रहे थे। पिता ने यह भी कहा कि उन्हें पता नहीं था कि वे प्लांट से जीवित वापस आएंगे या नहीं। अयूमी ने अपने पति का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उन्हें पता ही था कि जापानी भाषा ‘फु कुशिमा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भाग्यशाली द्वीप’। इसलिए वहाँ आई मुसीबत से रक्षा करने वाले भाग्यशाली ही हुए। ऐसी आपदाएँ उनके राष्ट्रीय चरित्र को नहीं तोड़ सकती थीं। देश प्रेम ही उनकी सबसे बड़ी सम्पत्ति थी। यूटा ने भी अपने पिता को परमाणु योद्धा (न्यूक्लियर निंजा) कहते हुए उन्हें विदा किया।