PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 23 बाबू जी बारात में

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 23 बाबू जी बारात में Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 23 बाबू जी बारात में

Hindi Guide for Class 6 बाबू जी बारात में Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर आ चुके हैं।

परहेज = किसी चीज़ से दूर रहना
बुजुर्ग = बूढ़ा
चिर-परिचित = पुरानी जाना- पहचान
जनवासा = बारातियों के ठहरने की जगह
उपवास = व्रत
सकुशल = ठीक-ठाक
मंडप = शामियाना
जीमते समय = भोजन करते समय
कोरस = एक साथ मिलकर, वृन्दगान
अट्टहास = जोर की हंसी

2. निम्नलिखित मुहावरों को वाक्यों में प्रयुक्त करें

1. ठहाका लगाना = ……………….. ………………………………
2. सिर मुंडाते ही ओले पड़ना = …………………. ……………………………
3. सन्नाटा छा जाना = …………………….. ……………………………………
4. ढाई मन की लाश होना = …………………. ……………………………………
5. दिन पर दिन सूखता जाना = …………………… ………………………………….
6. कान पकड़ना = ……………………. …………………………………
7. हाथी का बच्चा = …………………….. ………………………………..
8. अक्ल छू भी न जाना = ………………………. …………………………………
9. लानत भेजना = ………………… ……………………………………..
10. धूप खिल उठना = ……………………. ……………………………..
उत्तर:
1. ठहाका लगाना – ज़ोर से हंसना-बाबू जी की तोंद देखकर सभी ठहाका लगाने लगे।
2. सिर मुंडाते ओले पड़ना – कार्य के शुरू में ही बाधा पड़ना-बस अभी चली ही थी कि बस के पहिये में पंक्चर हो गया। इसे कहते हैं-सिर मुंडाते ही ओले पड़े।
3. सन्नाटा छा जाना-चुप्पी रह जाना – कयूं लगने से शहर में सन्नाटा छा गया।
4. ढाई मन की लाश होना-बहुत मोटा होना – राम राम, मूलचन्द तो ढाई मन की लाश है, साइकिल पर कैसे बैठाऊं?
5. दिन पर दिन सूखता जाना – कमज़ोर पड़ते जाना-क्या बात है रामू तुम दिन पर दिन सूखते क्यों जा रहे हो ?
6. कान पकड़ना-किसी बात से तौबा करना – मैं तो अब कान पकड़ता हूँ कि तुम्हारी सलाह पर नहीं चलूँगा।
7. हाथी का बच्चा-बहुत मोटा – बाबू जी को देखकर सभी कहते, “लो हाथी का बच्चा आ गया।”
8. अक्ल छू भी न जाना-निरा मूर्ख होना – मोहन लगता है कि तुम्हें तो अक्ल छू भी नहीं गई है कैसी मूर्खता की बातें कर रहे हो।
9. लानत भेजना-धिक्कारना, कोसना – तुम्हारी इस घटिया बात पर तुम्हें लानत भेजता
10. धूप खिल उठना – चेहरे पर रौनक आ जाना-देखो पिता जी को देखते ही सुधा के चेहरे पर धूप कैसे खिल उठी है।

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3. शुद्ध करके लिखें

अनन, सनाटा, फोटोगराफर, अटहास, चिलाना, कंडकटर, मुस्कराए, डराइबर, पनचर, बुजर्ग, शुकरिया।
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. अनन = अन्न
2. सनाटा = सन्नाटा
3. फ़ोटोगराफर = फ़ोटोग्राफर
4. अटहास = अट्टहास
5. चिलाना = चिल्लाना
6. कंडकटर = कंडक्टर
7. मुस्कराए = मुस्कुराएँ
8. डराइबर = ड्राइवर
9. पनचर = पंक्चर
10. बुज़र्ग = बुजुर्ग
11. शुकरिया = शुक्रिया

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4. वचन बदलें

बेटा, मित्र, हाथी, युवक, देहाती, कार्य, गलती, बहू।
उत्तर:
वचन परिवर्तन
1. बेटा – बेटे
2. हाथी – हाथियों
3. देहाती – देहातियों
4. कार्य – कार्यों
5. गलती – गलतियां
6. बहू – बहुएं

5. निम्नलिखित वाक्यों को भूतकाल तथा भविष्यत्काल में लिखिए।

हम उधार पर जी रहे हैं।
आजकल अन्न की कमी है।
मेरी भूख मिटने वाली नहीं है।
उत्तर:
भूतकाल-हम उधार पर जी रहे थे।
उन दिनों अन्न की कमी थी।
मेरी भूख मिटने वाली नहीं थी।

भविष्यत् काल
हम उधार पर जीते रहेंगे।
आने वाले समय में अन्न की कमी होगी।
मेरी भूख मिटने वाली नहीं होगी।

6. (क)

1. बाबू गजानन्दन लाल का वजन दो मन बीस सेर था।
2. उनका वज़न कुछ बहुत भारी नहीं था।
3. दरवाज़े कुछ तंग थे।

उपर्युक्त पहले वाक्य में रेखांकित शब्द, ‘दो मन बीस सेर’ बाबूगजानंद लाल (संज्ञा) की निश्चित माप-तोल का, दूसरे वाक्य में ‘बहुत’ उनका (सर्वनाम) की अनिश्चित मापतोल की विशेषता तथा ‘कुछ’ शब्द से दरवाज़े (संज्ञा) की अनिश्चित माप-तोल विशेषता का पता चलता है, अतः रेखांकित शब्द विशेषण है। अत: जो विशेषण, संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित माप-तोल विशेषता के बारे में बताते हैं, उन्हें निश्चित परिमाण वाचक तथा जो विशेषण, संज्ञा या सर्वनाम की अनिश्चित माप-तोल विशेषता के बारे में बताते हैं, उन्हें अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं।

(ख)
1. यह मिठाई खाने लायक है।
2. वे बाराती आ रहे हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में यह और वे शब्द क्रमशः मिठाई और बाराती (संज्ञा शब्दों) की ओर संकेत करते हैं। अतः ऐसे शब्द संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं। अतएव जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा आदि की विशेषता बताते हैं, वे संकेत वाचक विशेषण कहलाते हैं। क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं अतएव ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।

निम्नलिखित में से विशेषण शब्दों को रेखांकित करें

1. इतना नहीं थोड़ा परोसो।
2. मैं एक सप्ताह से आधे दिन का उपवास कर रहा हूँ।
3. ये गजनन्दन लाल जी हैं।
4. यह हाथी का बच्चा इसमें जो सवार था।
5. ये लोग बहू से प्रार्थना कर रहे हैं।
उत्तर:
1. इतना, थोड़ा
2. आधा
3. ये
4. यह
5. ये

विचार-बोध (प्रश्न)

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक ही शब्द में दें

प्रश्न 1.
बाबू गजनन्दन लाल कहां रहते थे ?
उत्तर:
बाबू गजनन्दन लाल पुरानी दिल्ली में एक पुराने मुहल्ले में रहते थे।

प्रश्न 2.
बाबू गजनन्दन लाल का वजन कितना था ?
उत्तर:
बाबू गजनन्दन लाल का वज़न 2 मन, 20 सेर था।

प्रश्न 3.
बाबू गजनन्दन लाल के कमरे में लगी फोटो पर मोटे अक्षरों में क्या लिखा हुआ है ?
उत्तर:
फोटो पर लिखा था-“बाबू गजनन्दन बारात में।”

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प्रश्न 4.
बहू को किसने हंसाया ?
उत्तर:
बहू को गजनन्दन लाल ने हंसाया।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दें

प्रश्न 1.
बारात में जाते समय बस झटके के साथ क्यों रुक गई ?
उत्तर:
बारात में जाते समय बस झटके के साथ इसलिए रुक गई क्योंकि उसके पहिये में पंक्चर हो गया था।

प्रश्न 2.
बाबू गजनन्दन लाल का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर:
बाबू गजनन्दन लाल का स्वभाव विनोदप्रिय था। उनकी हर बात पर हंसी आ जाती थी।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. हंसी और मनोरंजन का महत्त्व समझो।
2. रोज़ थोड़ी देर अवश्य हंसो। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
बाबू गजनन्दन लाल कहाँ रहते थे ?
(क) नई दिल्ली में
(ख) पुरानी दिल्ली में
(ग) मुंबई में
(घ) पुरानी मुंबई में
उत्तर:
(ख) पुरानी दिल्ली में

प्रश्न 2.
बाबू गजनन्दन लाल का वजन कितना था ?
(क) दो मन
(ख) दो मन बीस सेर
(ग) दो मन तीस सेर
(घ) दो मन दस सेर
उत्तर:
(ख) दो मन बीस सेर

प्रश्न 3.
बहू को किसने हंसाया ?
(क) गजनन्दन लाल ने
(ख) बेटे ने
(ग) दुकानदार ने
(घ) नौकर ने
उत्तर:
(क) गजनन्दन लाल ने

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से परिमाण वाचक विशेषण का उदाहरण है :
(क) दो मन
(ख) पांडव
(ग) कौरव
(घ) अच्छा
उत्तर:
(क) दो मन

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन-सा उदाहरण परिमाणवाचक विशेषण का नहीं है ?
(क) दो मन
(ख) बीस सेर
(ग) एक किलो
(घ) सुंदर
उत्तर:
(घ) सुंदर

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बाबूजी बारात में Summary

बाबू जी बारात में पाठ का सार

बाबू गजनन्दन लाल पुरानी दिल्ली में रहते थे। उनका वज़न दो मन बीस सेर था। एक बार बस के दरवाज़े में फंस गए। खूब हंसाई हुई। एक बार इन्हें अपने मित्र के लड़के की बारात में जाना पड़ा। बड़े दरवाज़े वाली बस थी। गजनन्दन लाल उस में सवार हुए तो खूब . ठहाके लगे। एक मित्र ने पूछा-बाबू जी आप उदास क्यों हैं ? गजनन्दन लाल बोले-मेरी मां का कहना है कि तू दिन पर दिन सूखता जा रहा है। खुराक घट रही है। बारात में संकोच मत करना। खूब खाना-पीना। उन्होंने आगे कहा कि बारात में जाने के लिए एक सप्ताह में आधे दिन का उपवास कर रहा हूं। बाराती यह सुनकर खूब हंसे।। अचानक झटके के साथ बस रुकी। ड्राइवर ने आकर कहा-आप सब लोग नीचे उतर जाएं। पहिए में पंक्चर हो गया है। जब बाबू गजनन्दन लाल को धमक चाल से नीचे उतरते देखा तो वहां इकट्ठे हुए देहाती हंसते हुए कहने लगे-“हम भी कहें कि नई बस क्यों बिगड़ी। यह हाथी का बच्चा इस में सवार जो था।” एक ने बाबूजी से उनका वज़न पूछ लिया तो कहने लगे-बहुत कमजोर हो गया हूं। स्टेशन पर तोला गया तो दो मन पांच सेर निकला। बाबू जी ने कहा-तुम लोग खेत में अनाज उगाते नहीं तो खाऊंगा क्या ? इससे सभी हंस पड़े।

बारात अपने निश्चित स्थान पर पहुंच गई। सभी की निगाहें वर की बजाय बाबू गजनन्दन लाल पर लगी थीं। जब नाश्ते का बुलावा आया तो बाराती परोसने को न-न कर रहे थे, परन्तु बाबू जी खूब लूंस-ठूस कर पेट भर रहे थे। कह रहे थे-सब मेरी तरफ आने दो। बारात धूम-धाम से चढ़ी। सभी बाबू जी को देखकर लोट-पोट हो रहे थे। सभी बहू को मुस्कराने के लिए कह रहे थे, ताकि फ़ोटो खींची जा सके। उसके चेहरे पर मुस्कराहट नहीं आ रही थी। जब गजनन्दन लाल ने कहा-बेटी जरा मेरी ओर देखो। बहू ने जब बाबू जी को देखा तो वह खिलखिला उठी। फिर फ़ोटोग्राफर से कहकर उन्होंने अपनी भी एक फ़ोटो उतरवाई, जिस पर लिखा हुआ है-बाबू गजननन्दन लाल बारात में।

कठिन शब्दों के अर्थ:

संकोच = शर्म। सप्ताह = सात दिन की अवधि । परहेज़ = किसी चीज़ से दूर रहना। अट्टहास = खिलखिला कर हंसना। सकुशल = ठीक-ठाक। जीमते = खाते । बुजुर्ग = बड़े-बूढ़े । चिर परिचित = बहुत दिनों से जाने-पहचाने । मण्डप = शामियाना।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 22 आत्म बलिदान

Hindi Guide for Class 6 आत्म बलिदान Textbook Questions and Answers

भाषा- बोधन

1. शब्दार्थ:
उत्तर:
शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

चर- अचर = जड़ और चेतन
धूर्त = छली, कपटी
मूसलाधार = तेज बारिशा
पर्णकुटी = पत्तों से बनी कुटिया
बिसात = सामर्थ्य
उल्कापात = जलते तारों का टूटकर गिरना
धराशायी = गिर जाना, पूरी तरह से गिरकर नष्ट हो जाना
मेंड = खेत के इर्द-गिर्द मिट्टी का बनाया घेरा, मेड
विपत्ति = मुसीबत
आलाप = बातचीत, चहचहाहट ( पक्षियों के संदर्भ में)
मंद = धीरे
विस्मय = हैरान

2. मुहावरों के वाक्य बनाइए

1. मन में गुदगुदी होना = ……………. …………………………..
2. अंधेरे में डूब जाना = ……………… ……………………………
3. हाथ धो बैठना = …………………. ………………………………
4. सुधबुध खो बैठना = ………………. ……………………………..
5. हाथ को हाथ न सूझना = ……………… ………………………….
उत्तर:
1. मन में गुदगुदी होना = मन ही मन में खुश होना – पिता जी विदेश से आते हुए मेरे लिए उपहार लेकर आएंगे, यह सोच कर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी।
2. अंधेरे में डूब जाना = अंधेरा होना – बिजली चले जाने से सारा शहर अंधेरे में डूब गया।
3. हाथ धो बैठना = गंवा देना-बाबू राम ! अपने बेटे को कुसंगति से बचाकर रखो, ऐसा न हो कि कहीं बेटे से हाथ न धो बैठो।
4. सुधबुध खो बैठना = होश खो जाना – बेटे को घायलावस्था में देखकर मां अपनी सुधबुध खो बैठी।
5. हाथ को हाथ न सूझना = घना अंधकार होना – बाहर इतना अंधेरा था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था।

3. शुद्ध रूप लिखो

1. अतिअंत = …………
2. मुसलाधार = …………
3. गुरूदेव = …………
4. आशीरवाद = ………………
5. पुश्प = ……………….
6. मलीनता = ………………
7. ग्रहण = ………….
8. सुरभी = ……………..
9. गुरूभकती = …………
10. महार्षि = …………………
उत्तर:
1. अतिअंत = अत्यन्त
2. मुसलाधार = मूसलाधार
3. गुरूदेव = गुरुदेव
4. आशीरवाद = आशीर्वाद
5. पुश्प = पुष्प
6. मलीनता = मलिनता
7. गरण = ग्रहण
8. सुरभी = सुरभि
9. गियान = ज्ञान
10. गुरूभकती = गुरुभक्ति
11. महार्षि = महर्षि

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान

4. प्रत्येक शब्द को उसके सही स्थान पर लिखें

तुम्हें, कुटिया, मज़बूत, फूल, विकसित, लेटना, वह, मिट्टी, आप, आना, चलना, काली, खेत, तेज़, डूबना, मुझे।
उत्तर:

संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया
कुटिया तुम्हें मज़बूत लेटना
फूल वह विकसित आना
मिट्टी आप काली चलना
खेत मुझे तेज डूबना।

5. विपरीत शब्द लिखो

कुशल, मधुर, अंधेरा, मज़बूत, सुगंध, ग्रहण, आशीर्वाद, बांधना, प्रिय, शिष्य, नुकसान, संध्यां।
उत्तर:
1. कुशल = अकुशल
2. मधुर = कटु
3. अंधेरा = उजाला
4. मज़बूत = कमज़ोर
5. सुगंध = दुर्गन्ध
6. ग्रहण = त्याग
7. आशीर्वाद = अभिशाप
8. बांधना = खोलना
9. प्रिय = अप्रिय
10. शिष्य = गुरु
11. नुकसान = लाभ
12. संध्या = प्रभात

6. समानार्थी शब्द लिखो

नृत्य, पक्षी, वर्षा, चिंता, बादल, पौधा, अनुमति, ज़रूर, विपत्ति।
उत्तर:
समानार्थी शब्द
नृत्य नाच
पक्षी पंछी
वर्षा मेह
चिंता सोच
बादल मेघ
पौधा पादप
अनुमति आज्ञा
विपत्ति मुसीबत
ज़रूर अवश्य

विचार-बोध

(क)
पश्न 1.
आरुणि ने गुरु धौम्य से किस प्रकार सहावने मौसम का वर्णन किया ?
उत्तर:
आरुणि ने सुहावने मौसम का वर्णन करते हुए कहा कि काली घटाएं सभी चर-अचर के मन में गुदगुदी कर रही हैं। मोर काली घटाओं को देखकर आनन्दित होकर नृत्य कर रहे हैं। पक्षी भी मधुर अलाप कर रहे हैं।

पश्न 2.
आरुणि तेज आंधी और वर्षा में भी में बांधने जाने से क्यों नहीं डरता ?
उत्तर:
आरुणि को विश्वास है कि गुरु जी का आशीर्वाद साथ है तो फिर यह तेज आंधी-पानी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

पश्न 3.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को अधखिला पुष्प क्यों कहा ?
उत्तर:
उपमन्यु अभी बाल्यावस्था में था, इसी कारण गुरु धौम्य ने उसे एक अधखिला पुष्प कहा।

पश्न 4.
गुरु धौम्य और उपमन्यु किसे ढूंढ़ने निकले और क्यों ?
उत्तर:
गुरु धौम्य और उपमन्यु, आरुणि को ढूंढ़ने निकले क्योंकि आरुणि वर्षा से बह रहे मेंड़ को ठीक करने के लिए खेतों में चला गया था लेकिन काफ़ी समय बीत जाने पर भी वह लौटकर नहीं आया था।

पश्न 5.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को आरुणि को ढूंढ़ने के लिए क्या करने को कहा ?
उत्तर:
आरुणि को ढूंढ़ने के लिए गुरु धौम्य, उपमन्यु को कहते हैं कि ज़रा ज़ोर से आवाज़ दो जिससे पता चले कि आरुणि किस दिशा में है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

पश्न 1.
आरुणि ने खेत की मेंड टूटने की गुरु की चिंता को किस प्रकार दूर किया?
उत्तर:
अपने गुरु के मुख से खेत की मेंड़ टूटने की चिंता को सुनकर गुरुभक्त आरुणि ने झट से कहा कि आप इस मामूली से काम के लिए चिंता क्यों करते हैं। मैं अभी जाकर मेंड़ ठीक कर आता हूं।

पश्न 2.
गुरु धौम्य के द्वारा वरदान देने पर आरुणि ने गुरु से क्या कहा ?
उत्तर:
गुरु धौम्य के मुख से वरदान देने की बाद सुनकर आरुणि ने कहा कि गुरुवर, आज जैसे गुरु को पाकर मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आपकी कृपा-दृष्टि सदा मुझ पर रहे, यही मेरी इच्छा है।

पश्न 3.
गुरु धौम्य अपने शिष्यों पर क्यों गर्व महसूस करते थे ?
उत्तर:
गुरु धौम्य अपने शिष्यों की गुरुभक्ति पर मुग्ध थे। उनके शिष्य उनके बहुत आज्ञाकारी थे। इसी कारण वह अपने शिष्यों पर गर्व महसूस करते थे।

आत्म-बोध

1. अपने मां-बाप, गुरु और ईश्वर पर श्रद्धा रखें और उनके बताये रास्ते पर चलें।
2. त्याग और समर्पण की भावना आपसी रिश्ते को और भी सुदृढ़ करती है।
3. आप जिस काम को करने के लिए किसी से वादा करते हैं तो उसे हर हाल में करना ही श्रेयस्कर माना जाएगा। (विद्यार्थी स्वयं करें)

हुवैकल्पिक प्रश्न

पश्न 1.
धौम्य ऋषि का शिष्य कौन था ?
(क) आरुणि
(ख) वरुणी
(ग) तरुण
(घ) देवीशरण
उत्तर:
(क) आरुणि

पश्न 2.
आरुणि कैसा शिष्य था ?
(क) मेहनती
(ख) आज्ञाकारी
(ग) अवज्ञाकारी
(घ) डरपोक
उत्तर:
(ख) आज्ञाकारी

पश्न 3.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को क्या कहा ?
(क) फूल
(ख) धूल
(ग) अधखिला फूल
(घ) पुण्य
उत्तर:
(ग) अधखिला फूल

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान

पश्न 4.
आरुणि किसकी मिट्टी की रक्षा के लिए स्वयं लेट गया ?
(क) खेत की
(ख) रेत की
(ग) घर की
(घ) आश्रम की
उत्तर:
(क) खेत की

आत्म बलिदान Summary

आत्म बलिदान लघु नाटिका का सार

आकाश में घने काले बदल छाए हुए थे। कुछ समय बाद तेज वर्षा होने लगी धौम्य ऋषि ने अपने शिष्य आरुणी को अपनी चिंता से परिचित कराया कि ऐसे ही मूसलाधार वर्षा होती रही तो खेत की मेंड़ टूट जाएगी। आरुणी मेंड़ को टूटने से बचाने के लिए चला गया पर वह संध्या होने तक वापस नहीं लौटा। ऋषि का दूसरा शिष्य उपमन्यु वर्षा रुकने के बाद कुटिया में वापिस आया। उसने फूल लाने के लिए बाहर जाना चाहा तो ऋषि ने बताया कि आरुणी वहीं था और फूल अवश्य ले आया होगा। बाद में ऋषि को याद आया कि उन्होंने उसे मेंड़ देखने के लिए भेजा था। धौम्य ऋषि और उपमन्यु दोनों तेजी से खेत की ओर गए। आवाज़ देने पर पीछे वाले खेत से आरुणी की आवाज़ आई। वहां मेंड की जगह आरुणी ठंड से कांपता हुआ लेटा था। उसने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण मेंड़ बह गई थी और मिट्टी से उसे रोकना कठिन था। खेत का मिट्टी की रक्षा के लिए वह उसे स्वंय लेट गया था। ऋषि धौम्य उसकी कर्तव्यनिष्ठा और गुरु भक्ति से अपार प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।

कठिन शब्दों के अर्थ:

कृपा = दया। सुहावना = अच्छा। मंद = धीमी। समीर = हवा। अत्यन्त आनन्दित = बहुत अधिक प्रसन्न। मनोरम = सुन्दर। नृत्य = नाच । तपोवन = आश्रम। पर्णकुटी = पत्तों की कुटिया, झोंपड़ी। उल्कापात = तारों का टूटना। धराशायी = धरती पर गिरे होना। निखार = सुन्दरता। पुष्प = फूल। मलिनता = मैला, गन्दा, दूषित। सुधबुध = होश अधखिला = आधा खिला हुआ। अविकसित = जिसका विकास न हुआ हो। ज्ञान-सुरभि = ज्ञान की सुगन्ध। अनुमति = आज्ञा। विपत्ति = मुसीबत। प्रयत्न = कोशिश। बेकार = व्यर्थ। परम = सर्वश्रेष्ठ, सबसे बढ़कर।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना

Hindi Guide for Class 6 साथी हाथ बढ़ाना Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ
उत्तर:
पद्यांशों के सरलार्थ के साथ-साथ कठिन शब्दों के अर्थ दिए गए हैं।

पौलादी = बहुत मजबूत
लेख = भाग्य
गैरों = दूसरे, अन्य
दरिया = नदी
मंजिल = लक्ष्य
नेक = अच्छा
खातिर = के लिए
जरी = कण

2. नीचे लिखे मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ

1. हाथों-हाथ लगाना = ……….. …………………….
2. हाथ साफ करना = ……………… ……………………
3. राई का पहाड़ बनाना = …………….. ……………………..
4. एक और एक ग्यारह होना = ………………. ………………………
5. सीस झुकाना = ………………. ……………………………
उत्तर:
1. हाथों-हाथ लगाना = साथ देना-हाथों – हाथ लगाने का ही यह फल है कि इतना बड़ा कार्य आसानी से हो गया।
2. हाथ साफ करना = चोरी करना – हमारे पड़ोसी दिल्ली शादी में गए थे कि पीछे से चोर घर पर हाथ साफ कर गए।
3. राई का पहाड़ बनाना = छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना – तुम भी क्या छोटी-सी बात को राई का पहाड़ बना देती हो।
4. एक और एक ग्यारह होना = मज़बूत होना-मोहन तुम भी मेरे साथ चलो क्योंकि तुम्हें तो पता है कि एक और एक ग्यारह होते हैं।
5. सीस झुकाना = नमन करना-मेहनती व्यक्ति के आगे तो पर्वत भी सीस झुकाते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना

3. पर्यायवाची शब्द लिखो

1. साथी = ……………….
2. सागर  = …………….
3.सीस = ………………
4. बाँट = ………………
5. चट्टान  = …………….
6. कतरा = …………….
7. दरिया = …………….
उत्तर:
1. साथी = मित्र
2. सागर = समुद्र
3. सीस = सिर
4. बांट = भाग
5. चट्टान = शिला
6. कतरा = बूंद
7. दरिया = नदी

4. क्रिया शब्द चुनो

1. एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
2. सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया।
3. एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत।
4. एक से एक मिले तो इंसां बस में कर ले किस्मत।
उत्तर:
(1) जाएगा, बोझ उठाना
(2) छोड़ना, सीस झुकाया
(3) मिलना, बनना
(4) मिलाना, बस में करना

5. वचन बदलकर वाक्य बनाओ

1. बाँह ……………….
2. सीना ………………
3. राह …………………..
4. मंज़िल ……………..
5. चट्टान ………………..
उत्तर:
(1) बाँह = बांहें-भारतीय सैनिकों की बाहें फौलादी हैं।
(2) सीना = सीने-वीर सैनिक सीने पर गोलियां खाते हैं।
(3) राह = राहें-जीवन की राहें आसान नहीं होती।
(4) मंज़िल = मंज़िलें-राम के मकान की चार मंज़िलें हैं।
(5) चट्टान = चट्टानें- भूकंप से अनेक चट्टानें गिर गईं।

6. उपयुक्त शब्द भरकर वाक्य पूरा करो

(1) ……….मिलकर रहना चाहिए। (सर्वनाम)
(2) विविध सुमनों से मिलकर ………………… बनती है। (संज्ञा)
(3) नदी सागर में ……………….. हैं। (क्रिया)
(4) …………………है सीना अपना। (विशेषण)
(5) ……………….मंज़िल सब की मंजिल ………………. रास्ता नेक। (सर्वनाम)
उत्तर:
(1) हमें
(2) माला
(3) गिरती
(4) फौलादी
(5) अपनी, अपना

7. विपरीत शब्द लिखो

1. एक …………
2. मेहनती …………
3. गैर ………….
4. नेक …………
5. फौलादी …………
उत्तर:
(1) एक = अनेक
(2) मेहनती = आलसी
(3) गैर = अपना
(4) नेक = बद
(5) फौलादी = कागजी

विचार-बोध

(क)
प्रश्न 1.
सागर ने रास्ता क्यों छोड़ा ?
उत्तर:
मनुष्य के पक्के इरादे को देखकर सागर ने रास्ता छोड़ा।

प्रश्न 2.
मेहनत से हम क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर:
मेहनत से हम असम्भव को भी सम्भव कर सकते हैं। पहाड़ों से भी मार्ग बना सकते हैं।

प्रश्न 3.
दरिया कैसे बनता है ?
उत्तर:
बूंद-बूंद से दरिया बनता है।

प्रश्न 4.
भाग्य की रेखा कैसे बनती है ?
उत्तर:
भाग्य की रेखा मेहनत से बनती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 5.
‘कल गैरों की खातिर’ में गैरों का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
गैरों से अर्थ अंग्रेजों से है।

(ख)
प्रश्न 1.
मेहनत के महत्त्व पर पांच वाक्य लिखें।
उत्तर:

  • मेहनत के बल पर हम पर्वतों में भी रास्ता बना सकते हैं।
  • मेहनत से हम असम्भव को भी सम्भव बना सकते हैं।
  • मेहनत ही सफलती की कुंजी है।
  • मेहनती व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है।
  • मेहनती व्यक्ति का सर्वत्र सम्मान होता है।

प्रश्न 2.
‘एक से मिले एक तो इंसां बस में कर ले किस्मत’ पंक्ति का भावार्थ लिखो।
उत्तर:
इस पंक्ति का अर्थ है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति मिल जाएं तो वे अपनी किस्मत ही बदल सकते हैं।

प्रश्न 3.
दरिया की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
दरिया की विशेषता है कि वह अपने रास्ते में आने वाली हर बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ता जाता है।

प्रश्न 4.
इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि मिलकर काम करने से हम सारी बाधाओं पर विजय पा सकते हैं। इसलिए हमें मिलजुल कर काम करने चाहिए।

आत्म-बोध

1. अपने स्कूल, घर, मुहल्ले में अपने साथियों से मिलकर क्या-क्या काम करोगे जिससे आपको खुशी मिले?
2. किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करने का प्रण लो।
3. यह कविता समूहगान में गाएं।
4. किसी ऐसी घटना या कहानी को पढ़ो जिसमें मिलकर काम करने का अच्छा परिणाम मिला हो। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
भाग्य की रेखा किससे बनती है ?
(क) मेहनत से
(ख) धन से
(ग) तन से
(घ) बल से
उत्तर:
(क) मेहनत से

प्रश्न 2.
‘कल गैरों की खातिर’ में गैरों का क्या अर्थ है ?
(क) दूसरे
(ख) अन्य
(ग) अंग्रेज़
(घ) यूनानी
उत्तर:
(ग) अंग्रेज़

प्रश्न 3.
इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है ?
(क) मिलजुल कर काम करना
(ख) दूर-दूर रहना
(ग) पास-पास रहना
(घ) आगे बढ़ना
उत्तर:
(क) मिलजुल कर काम करना

प्रश्न 4.
मेहनत वालों के आगे किसने रास्ता छोड़ा ?
(क) सागर ने
(ख) लोगों ने
(ग) राजाओं ने
(घ) दुनिया ने
उत्तर:
(क) सागर ने

प्रश्न 5.
मेहनती लोगों के आगे किसको अपना सिर झुकाना पड़ा?
(क) लोगों को
(ख) दानवों को
(ग) पर्वत को
(घ) नदियों को
उत्तर:
(ग) पर्वत को

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 21 साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से ‘साथी’ का पर्याय है :
(क) मिंत्र
(ख) चित्र
(ग) पित्र
(घ) पिता
उत्तर:
(क) मिंत्र

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में ‘कतरा’ का पर्याय है:
(क) बूंद
(ख) मूंद
(ग) गूंद
(घ) इंद
उत्तर:
(क) बूंद

पद्यांशों के सरलार्थ

1. साथी हाथ बढ़ाना.
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों से पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
बोझ = भार। परबत = पहाड़। सीस झुकाया = सम्मान करना। फौलादी = लोहे से।

प्रसंग:
यह पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक से गीतकार साहिर लुधियानवी द्वारा लिखे गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश की प्रगति और विकास के लिए मिल कर काम करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि साथी, साथ देने के लिए हाथ बढ़ाना। एक अकेला थक जाएगा इसलिए मिल कर यह भार उठाना। कवि आगे प्रेरित करते हुए कहता है कि हम मेहनत करने वालों ने जब भी मिलकर अपने कदम आगे बढ़ाएं हैं तो सागर ने भी हमारे लिए रास्ता छोड़ा है और पर्वत ने भी सिर झुकाया है। हमारे सीने भी फौलाद, लोहे के समान मज़बूत हैं और हमारी बाहें भी फौलाद के समान मज़बूत हैं। हम यदि कोशिश करें तो चट्टानों में भी रास्ता बना सकते हैं।

भावार्थ:
परिश्रम करने वालों की राह में कोई बाधा नहीं आ सकती।

2. मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना
अपना दुःख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंज़िल, अपना रास्ता नेक
साथी हाथ बढ़ाना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
लेख = भाग्य। गैर = बेगानों। खातिर = के लिए। मंजिल = लक्ष्य। नेक = अच्छा, भला।

प्रसंग-यह पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक से गीतकार साहिर लुधियानवी जी के प्रसिद्ध गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश के विकास और प्रगति के लिए सभी को मिलकर काम करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ:
कवि सभी को एक साथ मिल कर काम करने की बात करते हुए कहता है कि मेहनत ही अपने भाग्य की रेखा है। मेहनत करना ही हमारा भाग्य है तो मेहनत करने से क्या डरना। कल तक हमने बेगानों (अंग्रेज़ों) के लिए मेहनत की आज अपने लिए, अपने देश के लिए मेहनत करें। हमारा सुख-दुःख सब एक है हमारी मंज़िल (लक्ष्य) भी सच की मंजिल है और हमारा रास्ता सच्चाई का रास्ता है। साथी आओ अपना हाथ बढ़ाना।

भावार्थ:
परिश्रम करना ही जीवन में आगे बढ़ने का एक मात्र मार्ग है।

3. एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इंसां, बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
कतरा = बूंद। दरिया = नदी। ज़र्रा = कण। इंसां = इन्सान। किस्मत = भाग्य।

प्रसंग:
यह पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक से गीतकर साहिर लुधियानवी जी के प्रसिद्ध गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश की प्रगति और विकास के लिए युवाओं को मिलकर काम करने का आह्वान किया है।

सरलार्थ:
वह कहते हैं कि जिस प्रकार एक-एक बूंद मिल कर दरिया बन जाता है, जिस प्रकार रेत के एक-एक कण मिल कर बड़ा रेगिस्तान बन जाते हैं, जिस प्रकार एकएक राई अगर मिल जाए तो वह पर्वत बन सकती है इसी प्रकार अगर एक-एक व्यक्ति मिलकर काम करें तो वह अपनी किस्मत को भी अपने वश में कर लें अर्थात् भाग्य भी उसकी मेहनत के आगे झुक जाएगी। साथी अपना हाथ बढ़ाना।

भावार्थ:
मिलजुल कर किए जाने वाले परिश्रम से सफलता की प्राप्ति शीघ्र ही हो जाती है।

साथी हाथ बढ़ाना Summary

साथी हाथ बढ़ाना कविता का सार

कवि कहता है कि साथियो, सहायता के लिए अपने हाथ बढ़ाओ। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक जाता है पर मिल कर करने से काम जल्दी हो जाता है। जब भी परिश्रम करने वालों ने मिल कर काम किया तब ही असंभव काम भी संभव हो गए। परिश्रम ही हमारे भाग्य की रेखा है इसलिए उससे कभी नहीं डरना चाहिए। जीवन की राह में परिश्रम करते हुए सुख-दुख दोनों मिलते हैं इसलिए दुःखों से कभी नहीं डरना चाहिए। परिश्रम का रास्ता ही सबसे अच्छा रास्ता है। एक-एक बूंद मिलने से नदियाँ बनती हैं और रेत के कणकण से रेगिस्तान बन जाता है। राई जैसे छोटे-छोटे कण पर्वत का निर्माण कर सकते हैं। हम इन्सान मिलकर काम करें तो हम भाग्य को भी अपने वश में कर सकते हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

Hindi Guide for Class 11 PSEB एक मिलियन डालर दृश्य Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में पर्वतीय सौन्दर्य का अनूठा वर्णन है, लेख के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
प्रस्तुत लेख में लेखक ने पर्वतीय सौन्दर्य का अनूठा वर्णन किया है। चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा करते हुए लेखक सोलन रुकता है। वहाँ नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। लेखक ने कालका से शिमला जाने वाली रेल यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह सारा रास्ता दिलकश नज़ारों से भरा है। छोटी पट्टी की रेल की गुफ़ाओं से गुजरकर जाती। छोटे-बड़े पुलों पर से निकलती है। लेखक की गाड़ी भी इस रेल के साथ-साथ चलती है। पर्वतीय दृश्य बड़ें मनोहर हैं। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं। चीड़ और देवदार के पेड़ दिखाई देने लगते हैं।

तारादेवी के मोड़ से लेखक ज्यों ही आगे बढ़ता है शिमला नगर की बत्तियाँ सामने नज़र आती हैं। ऐसे लगता था कि,आसमान के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों। यही लेखक को एक मिलियन डालर दृश्य जान पड़ा।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

प्रश्न 2.
‘एक मिलियन डॉलर दृश्य’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है। इसके साथ ही लेखक ने सोलन नगर के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए वहाँ के जन जीवन की समस्याओं की ओर संकेत किया है। लेखक अपने मित्र के साथ पहाड़ की यात्रा के लिए जा रहा है। दोनों लोग चण्डीगड़ से हिमाचल में किन्नौर की यात्रा के लिए निकले। किन्तु कालका शिमला सड़क पर स्थित धर्मपुर पहुँच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई। शाम तक गाड़ी ठीक हुई और वे आगे बढ़ गए। मार्ग में सोलन में चाय पीने के लिए रुके। सोलन में कृषि विश्वविद्यालय और जिला बनने से वहाँ की आबादी बढ़ गई है।

परिवार एक-एक कमरे में रहते हैं जिससे गन्दगी दिखाई देती है। लेखक यहाँ कालका से शिमला जाने वाली छोटी लाइन की रेलगाड़ी का वर्णन करता है जिससे यात्रा करना अत्यन्त सुखद लगता है। गाड़ी बिगड़ जाने के कारण रात उन्हें शिमला में ही बिताने का निर्णय लेना पड़ा। पहाड़ी रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होने के कारण वे आपस में बातचीत भी नहीं कर रहे थे। तारादेवी पहुँच कर उन्होंने सुख की साँस ली। वहाँ शिमला की बत्तियाँ ऐसे दिखाई देती थीं जैसे आकाशलोक में कोई समारोह हो रहा हो, ऐसा लग रहा था शिमला तारादेवी से झिलमिलाता हुआ मिलन करने जा रहा हो। लेखक को लगा शिमला में हर रोज़ इसी तरह जगमगाहट होती है जैसे दीपावली हो। लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगता है जिसे देखने के लिए कोई भी विदेशी पर्यटक मुँह माँगे दाम दे सकता है। लेखक ने कुछ पूर्व भी शिमला की ऐसी ही अनोखी छवि देखी थी।

एक मोड़ आने पर वह दृश्य लुप्त हो गया। लेखक अपने मित्रों सहित शिमला पहुँच गया। कुछ दिनों बाद शिमला से चण्डीगढ़ लौटते हुए ढल्ली गाँव के पास पहुँच कर कालका के जगमगाते रूप को देखकर उसे शिमला की याद हो जाती है। कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई देती हैं जैसे मखमली चादर पर सितारे जड़े गए हों।

प्रश्न 3.
चण्डीगढ़ से शिमला तक की यात्रा का वर्णन प्रस्तुत निबन्ध के आधार पर करें।
उत्तर:
लेखक अपने मित्रों सहित चण्डीगढ़ से किन्नौर की यात्रा के लिए निकला। धर्मपुर पहुंच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई जो शाम तक ठीक हुई। वहाँ से चलने के बाद वे सोलन में चाय पीने के लिए रुकते हैं। शिमला जाते समय तारा देवी के मोड़ पर पहुँच कर उन्हें शिमला की रोशनियां दिखाई पड़ती हैं। तारा देवी से दिखाई देने वाला शिमला का दृश्य लेखक को एक मिलियन डालर का दृश्य लगता है। शिमला वे देर रात पहुँचे। माल रोड़ खाली हो चुकी थी। अतः वे सीधे अपने होटल में चले गए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
लेखक ने एक मिलियन डॉलर दृश्य किसे कहा है ?
उत्तर:
लेखक ने तारा देवी के मोड़ से आगे बढ़कर दूर से शिमला नगर की बिजली की बत्तियों को देखा तो लेखक को लगा नीचे खड्ड से लेकर ऊपर पहाड़ तक हज़ारों बत्तियाँ एक साथ जगमगा उठी हों। अब बत्तियों को देखकर ऐसा लगा कि आसमान के सारे तारे धरती पर उतर आए हों चारों ओर जगमगाहट देखकर ऐसा लग रहा था कि आकाश लोक में कोई विशेष समारोह है। इसी कारण धरती से आकाश तक पर्वत की ढलाने जगमगा उठी हैं। इसी दृश्य को लेखक ने ‘एक मिलियन डॉलर दृश्य’ कहा है।

प्रश्न 2.
कालका से शिमला जाने का रेल यात्रा का अनुभव क्या है?
उत्तर:
कालका से शिमला छोटी लाइन की रेल से यात्रा करना एक अलग तरह का अनुभव है। सारा रास्ता अद्भुत दृश्यों से भरा पड़ा है। रेल कई गुफाओं से गुज़र कर जाती है। घुमावदार लम्बे मोड़ काटती हुई सीटी बजाती है जैसे डिज्नीलैंड का कोई खेल हो। पर्वतीय दृश्य अत्यन्त मनोहर हैं। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं। चीड़ के वृक्षों की लम्बी कतारें देखने को मिलती हैं।

प्रश्न 3.
तारा देवी के मोड़ से निकलने पर शिमला नगर की बिजली की बत्तियों के सौन्दर्य का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
तारा देवी के मोड़ से निकलते ही लेखक ने देखा कि नीचे एक खड्ड से लेकर पर्वत की ढलान के साथसाथ ऊपर तक बने हुए घरों में हज़ारों बत्तियां जगमगा उठी हों। इस दृश्य को देखकर लेखक मन्त्र विमुग्ध सा हो उठा। उसे लगा जैसे आकाश के सारे तारे धरती पर उतर आए हों और रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे हों।

प्रश्न 4.
शिमला से वापस आते हुए चण्डीगढ़ की बत्तियों के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर:
शिमला से वापस आते हुए कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई पड़ती हैं। रात में चण्डीगढ़ एक काली मखमली चादर पर जड़ित सितारों-सा दिखाई देता है। पूर्व से पश्चिम की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाती रोशनियों की बीसियों सीधी कतारें नज़र आती हैं। लगता है देवताओं ने रात्रि को सुखना झील के किनारे एक विशाल जगमगाता चौपड़ बिछाया हो या आज की रात आकाश शिवालिक की गोदी में अपना सिर रखकर धरती पर सो रहा हो।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

PSEB 11th Class Hindi Guide एक मिलियन डालर दृश्य Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिमला की बत्तियाँ कैसी दिखाई देती हैं ?
उत्तर:
जैसे आकाश लोक में कोई समारोह हो।

प्रश्न 2.
शिमला का दृश्य लेखक को कैसा लगा ?
उत्तर:
लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगा।

प्रश्न 3.
लेखक इन्द्र नाथ चावला किसके साथ शिमला गया था ?
उत्तर:
अपने मित्रों के साथ।

प्रश्न 4.
एक मिलियन डालर दृश्य’ में लेखक ने किस स्थान का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है।

प्रश्न 5.
लेखक ने किस नगर के सौंदर्य का वर्णन किया है ?
उत्तर:
सोलन।

प्रश्न 6.
लेखक अपने मित्र के साथ कहाँ जा रहा था ?
उत्तर:
पहाड़ की यात्रा पर।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

प्रश्न 7.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर:
यात्रा वर्णन।

प्रश्न 8.
पहाड़ी रास्ता कैसा था ?
उत्तर:
टेढ़ा-मेढ़ा।

प्रश्न 9.
चमकते हुए सितारे कैसे झिलमिला रहे थे ? ।
उत्तर:
मोतियों के समान।

प्रश्न 10.
पहाड़ों की ढलानें किससे ढकी थी ?
उत्तर:
पेडों और हरी घास से।

प्रश्न 11.
लेखक ने सोलन में बढ़ रही ……….. का वर्णन किया है।
उत्तर:
आबादी।

प्रश्न 12.
लेखक ने पाठ में किस रेलमार्ग का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
कालका-शिमला रेल मार्ग।

प्रश्न 13.
लेखक ने किस प्रकार के दृश्यों का वर्णन किया है ?
उत्तर:
पर्वतों के मनोहारी रूप का वर्णन किया है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

प्रश्न 14.
रात में चण्डीगढ़ कैसा दिखाई देता था ?
उत्तर:
काली मखमली चादर पर जड़ित सितारों-सा।

प्रश्न 15.
किस झील के बारे में उल्लेख हुआ है ?
उत्तर:
सुखना झील।

प्रश्न 16.
नीला आकाश किसकी गोदी में सिर रखकर सो रहा था ?
उत्तर:
शिवालिक पर्वत की गोदी में।

प्रश्न 17.
बिजली की बत्तियों ने पर्वत की ढलानों को किससे जोड़ दिया था ?
उत्तर:
आकाश लोक से।

प्रश्न 18.
अंधेरे में कौन-सी चीजें अंधकार को और अधिक बढ़ा देती हैं ?
उत्तर:
चमकदार चीजें।

प्रश्न 19.
रात की देवी ने बालों में क्या गूंथ रखा था ?
उत्तर:
रत्न जड़ित मालाएँ।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

प्रश्न 20.
………….. के मोड़ से निकलने पर लेखक ने शिमला नगर की बत्तियों का सौंदर्य देखा।
उत्तर:
तारा देवी।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में किस माया का वर्णन है ?
(क) चंडीगढ़ से वैष्णो देवी
(ख) चंडीगढ़ से शिमला
(ग) चंडीगढ़ से मनाली
(घ) चंडीगढ़ से जम्मू।
उत्तर:
(ख) चंडीगढ़ से शिमला

प्रश्न 2.
प्रस्तुत निबंध में लेखक ने किसके सौंदर्य का चित्रण किया है ?
(क) पर्वतीय
(ख) समुद्रीय
(ग) जंलीय
(घ) वाष्पीय।
उत्तर:
(क) पर्वतीय

प्रश्न 3.
लेखक को कहां का एक दृश्य एक मिलियन डालर जैसा प्रतीत हुआ ?
(क) शिमला का
(ख) चंडीगढ़ का
(ग) जम्मू का
(घ) सोलन का।
उत्तर:
(क) शिमला का।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

कठिन शब्दों के अर्थ :

विख्यात = प्रसिद्ध। अवसर = मौका। हरीतिमा = हरियाली। कटाव = मोड़। अद्भुत = अनोखा। चिरस्मरणीय = देर तक याद रहने वाला।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) एक जगह तो पर्वत से पत्थर और चट्टानें गिरने से एक नदी का जल मार्ग ही रुक गया था और एक छोटी-सी झील बन गई थी। फिर पानी के तेज़ प्रवाह से यह प्राकृतिक बाँध स्वयं ही टूट गया और जलाशय खाली हो गया।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रावृत्त ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में से लिया गया है। इस यात्रावृत्त में लेखक ने अपनी चण्डीगढ़ से शिमला यात्रा के दौरान तारा देवी के मोड़ से शिमला शहर को देखे अद्भुत दृश्य का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने किन्नौर की सड़कों का भूकम्प के बाद होने वाली हालत का वर्णन किया है। लेखक कहता है कि किन्नौर की सड़क पर एक स्थान पर पर्वत से पत्थर और चट्टानें गिरने से एक नदी का जल मार्ग ही रुक गया था इसलिए वहाँ एक छोटी-सी झील बन गई थी। उस झील के कारण जो वहाँ एक बाँध सा बन गया था वह नदी के तेज बहाव के कारण अपने आप ही टूट गया और इस तरह वह झील खाली हो गई। अब वहाँ पानी इकट्ठा नहीं रहा था।

विशेष :

  1. लेखक ने प्राकृतिक दृश्य का सुन्दर वर्णन किया है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं रोचक है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली का प्रयोग है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(2) सोलन नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। घर, बाजार, कॉलेज, दफ्तर, सिनेमा और होटल सब इसी सड़क के किनारे स्थित हैं। बाजार के बीच में ही बस अड्डा भी है। इसलिए हर समय बाजार में भीड़ रहती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रावृत ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ से लिया गया है। इसमें लेखक ने सोलन में बढ़ रही भीड़ के कारण का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने चण्डीगढ़ शिमला मार्ग पर स्थित सोलन नगर का चित्र अंकित किया है। लेखक कहता है कि सोलन नगर के बीचों बीच शिमला जाने वाली सड़क है। इसलिए इसी सड़क के किनारे घर, बाजार, कॉलेज, दफ्तर, सिनेमा और होटल आदि बने हुए हैं। बाजार के बीच में ही बस अड्डा भी है इसलिए यहाँ हर समय भीड़ रहती है। सोलन में बढ़ती भीड़ का कारण सोलन में से शिमला तक विशेष जाने वाली सड़क है। लेखक सोलन में बढ़ रही आबादी का वर्णन करता है जिसके कारण वहाँ गन्दगी बढ़ रही है।

विशेष :

  1. इसमें लेखक ने सोलन नगर का दृश्य प्रस्तुत किया है।
  2. भाषा सरल एवं सहज है।।
  3. तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है।
  4. वर्णनात्मक शैली है।

(3) पर्वतीय दृश्य बहुत मनोहर है। ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं और धीरे-धीरे ऊँचाई बढ़ने से वनस्पति और ढलानों की हरीतिमा की चादर के रंगों में भी परिवर्तन आता जाता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रा वृतान्त ‘एक मिलियन डालर दृश्य’ में से लिया गया है। इसमें लेखक ने प्रकृति सौंदर्य का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखक ने कालका-शिमला रेल मार्ग के साथ-साथ जाते हुए प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। लेखक कहता है कि कालका-शिमला मार्ग पर पहाड़ के दृश्य मन को लुभाने वाले हैं। पहाड़ों की ढलाने पेड़ों और हरी घास से ढकी हैं और ज्यों-ज्यों ऊँचाई बढ़ती जाती है तो ऐसा लगता है कि पेड़-पौधो और ढलानों की हरियाली की चादर ने ढक रखा है और उनके रंगों में भी बदलाव आता जाता है। पहाड़ों के दृश्य वनस्पति के कारण हर समय एक नए रंग में दिखाई देते हैं।

विशेष :

  1. पर्वतों के मनोहारी दृश्यों का वर्णन है जिसमें प्रकृति अपने विभिन्न रंग रूप दिखाती है।
  2. भाषा सरल एवं सहज है।।
  3. तद्भव एवं तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(4) ऐसा लगता था कि आज की रात आकाश के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों। हमारे इतने समीप। केवल एक खड्ड भर की दूरी थी।अन्धेरे में खड्ड भी तो दिखाई नहीं देती। सारी दूरी मिट जाती थी। वे सब और समीप आ गए थे हमारे। जैसे हम उन्हें हाथों से छू सकते थे। दीप्तमान सहस्रों सितारे रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे थे।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्र नाथ चावला द्वारा लिखित ‘एक मिलियन डालर का दृश्य’ से लिया गया है। लेखक ने रात के समय पर्वतीय क्षेत्र की सुंदरता का सहज वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक तारा देवी के मोड़ से देखे गए शिमला शहर के बिजली की बत्तियों से जगमगाते दृश्य का वर्णन कर रहे हैं। लेखक कहता है कि शिमला शहर में बत्तियों की रोशनी ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे रात में आकाश के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों और वे दूर आकाश में न होकर हमारे बहुत निकट हों। हमारे और सितारों के बीच में एक खड्ड वे दूरी थी और अन्धेरे में वह खड्ड भी दिखाई नहीं देती थी। अत: सारी दूरी मिट गई थी। वे सितारे जैसे हमारे इतने निकट आ गए थे कि हम उन्हें अपने हाथों से छू सकते थे। चमकते हुए हज़ारों सितारे रंग-बिरंगे मोतियों की तरह झिलमिला रहे थे। रात के समय पहाड़ों पर बिजली की बत्तियों का दृश्य बहुत मनोहर था।

विशेष :

  1. लेखक को शिमला शहर में जलती हुई बत्तियाँ आकाश के चमकते हुए सितारों के समान लग रही थीं।
  2. भाषा सरल, सहज एवं रोचक है।
  3. तद्भव और तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

(5) क्या आज आकाशलोक में कोई विशेष समारोह है जो ये सब धरती से आकाश तक पर्वत की ढलाने सहस्रों जगमगाते हीरे-मोतियों, मणियों और मूंगों से जड़ी हैं। अथवा रात्रि देवी के लम्बे काले केशों में यह कोई रत्नजड़ित मालाएँ हैं जिनके हीरे मोती जगमगा कर अन्धकार को और भी गहरा कर देते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित मिलियन डालर का दृश्य से लिया गया है। लेखक ने शिमला की रात्रिकालीन सुंदरता का वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक शिमला शहर में बिजली की बत्तियों को देखकर कल्पना करता हुआ कहता है कि आज आकाश में कोई विशेष समारोह है इसलिए धरती और आकाश के बीच बनी पर्वत की ढलाने हज़ारों जगमगाते होरेमोतियों, मणियों और मूंगों से सजी हुई हैं जिनके हीरे मोती जगमगा कर अन्धेरे को और भी गहरा कर देते हैं। अर्थात् बिजली की बत्तियों ने पर्वत की ढलानों को आकाश लोक तक जोड़ दिया है। उनकी जगमगाहट किसी विशेष समारोह की याद दिलाती थी या फिर ऐसा लग रहा था जैसे रात की देवी ने अपने बालो में रत्न जड़ित मालएं गूंथ रखी हैं जिससे हीरे मोतियों की चमक ने रात के अंधकार को और भी बढ़ा दिया था। अन्धेरे में चमकदार चीजें अन्धकार को ओर बढ़ा देती हैं।

विशेष :

  1. लेखक ने दूर शिमला में जल रही बत्तियों की जगमगाट से धरती और आकाश भुला दिया है।
  2. बत्तियों की जगमगाहट से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आकाशलोक में समारोह हो रहा है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

(6) कहीं ऐसा तो नहीं कि आज देवताओं ने रात्रि को सुखना झील के किनारे एक विशाल जगमगाता चौपड़ बिछाया हो या आज की रात नीला आकाश शिवालिक की गोदी में अपना सिर रख धरती पर सो रहा हो।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण प्रो० इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित यात्रा वृतान्त ‘एक मिलियन डॉलर का दृश्य’ से लिया गया है। लेखक ने चंडीगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता का सहज वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कालका से जगमगाते चण्डीगढ़ को देखकर अपनी कल्पना को अभिव्यक्त किया है। लेखक को लगता है कि आज देवताओं ने रात में सुखना झील के किनारे एक बहुत बड़ा जगमगाता चौपड़ बिछाया हो अथवा आज की रात नीला आकाश शिवालिक पर्वत की गोदी में अपना सिर रख धरती पर सो रहा हो।

विशेष :

  1. रात के समय चण्डीगढ़ के जगमगाते रूप का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तद्भव एवं तत्सम शब्दावली है।
  4. चित्रात्मक शैली है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 20 एक मिलियन डालर दृश्य

एक मिलियन डालर दृश्य Summary

एक मिलियन डालर दृश्य निबन्ध का सार

‘एक मिलियन डालर दृश्य’ इन्द्रनाथ चावला द्वारा लिखित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने चण्डीगढ़ से शिमला की यात्रा का वर्णन किया है। इसके साथ ही लेखक ने सोलन नगर के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए वहाँ के जन जीवन की समस्याओं की ओर संकेत किया है। लेखक अपने मित्र के साथ पहाड़ की यात्रा के लिए जा रहा है। दोनों लोग चण्डीगड़ से हिमाचल में किन्नौर की यात्रा के लिए निकले। किन्तु कालका शिमला सड़क पर स्थित धर्मपुर पहुँच कर उनकी गाड़ी खराब हो गई। शाम तक गाड़ी ठीक हुई और वे आगे बढ़ गए। मार्ग में सोलन में चाय पीने के लिए रुके। सोलन में कृषि विश्वविद्यालय और जिला बनने से वहाँ की आबादी बढ़ गई है।

परिवार एक-एक कमरे में रहते हैं जिससे गन्दगी दिखाई देती है। लेखक यहाँ कालका से शिमला जाने वाली छोटी लाइन की रेलगाड़ी का वर्णन करता है जिससे यात्रा करना अत्यन्त सुखद लगता है। गाड़ी बिगड़ जाने के कारण रात उन्हें शिमला में ही बिताने का निर्णय लेना पड़ा। पहाड़ी रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होने के कारण वे आपस में बातचीत भी नहीं कर रहे थे। तारादेवी पहुँच कर उन्होंने सुख की साँस ली। वहाँ शिमला की बत्तियाँ ऐसे दिखाई देती थीं जैसे आकाशलोक में कोई समारोह हो रहा हो, ऐसा लग रहा था शिमला तारादेवी से झिलमिलाता हुआ मिलन करने जा रहा हो। लेखक को लगा शिमला में हर रोज़ इसी तरह जगमगाहट होती है जैसे दीपावली हो। लेखक को वह दृश्य एक मिलियन डालर दृश्य लगता है जिसे देखने के लिए कोई भी विदेशी पर्यटक मुँह माँगे दाम दे सकता है। लेखक ने कुछ पूर्व भी शिमला की ऐसी ही अनोखी छवि देखी थी।

एक मोड़ आने पर वह दृश्य लुप्त हो गया। लेखक अपने मित्रों सहित शिमला पहुँच गया। कुछ दिनों बाद शिमला से चण्डीगढ़ लौटते हुए ढल्ली गाँव के पास पहुँच कर कालका के जगमगाते रूप को देखकर उसे शिमला की याद हो जाती है। कालका से चण्डीगढ़ की रोशनियाँ भी दिखाई देती हैं जैसे मखमली चादर पर सितारे जड़े गए हों।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Hindi Guide for Class 11 PSEB रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-

प्रश्न 1.
रसायन हमारी आवश्यकता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
हम रसायनों के युग में रह रहे हैं और आज रसायन हमारी आवश्यकता बन गया है। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिकों के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किये हैं। प्रकृति में सैंकड़ों-हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। रसायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता। पानी तो जीवन का आधार है, यह पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना एक रासायनिक यौगिक है। मधुर मीठी चीनी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनी है। कोयला और तेल, बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियाँ-एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलिन, अनाज, सब्ज़ियाँ, फल और मेवे भी तो रसायन हैं। इस प्रकार यह हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान रहे हैं इसीलिए इनकी महत्ता के विषय में जानकारी होनी आवश्यक है, क्योंकि ये हमारे जीवन की आवश्यकता है।

प्रश्न 2.
‘रसायनों का ज़रूरत से अधिक और गलत प्रयोग हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।’ पाठ से उदाहरण देकर इस तथ्य को सिद्ध करें।
उत्तर:
रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि के लिए किया जाता है किन्तु इसका अधिक प्रयोग भूमि प्रदूषण एवं जलाने का कारण तो बनता ही है, स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। फलों और सब्जियों पर किया जाने वाला कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग खाने वालों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अनेक रसायन ऐसे हैं जिनका अधिक एवं गलत प्रयोग गम्भीर एवं भयंकर रोग पैदा करने वाला होता है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रसायनों के तात्कालिक खतरे कौन-से हैं ?
उत्तर:
खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक खतरनाक हैं। नमक का अधिक और लम्बे समय तक रक्तचाप बढ़ने का कारण बन सकता है। समुद्र के पानी में अनेक रसायन मिले होने के कारण सेहत के लिए उसे पीना भी खतरनाक है। रसायनों का सबसे बड़ा खतरा कैंसर जैसे रोग के फैलने का है।

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प्रश्न 2.
रसायनों के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं ? उदाहरण देकर उत्तर दें।
उत्तर:
रसायनों के दीर्घकालिक खतरे अभी हाल ही में उजागर हुए हैं। कुछ रसायन आगामी पीड़ियों को प्रभावित करते हैं। जैसे थैलीडोमाईड तथा ऐस्वेस्टॉस जो कैंसर पैदा करता है। इसी तरह पौलीकलोरीनेटिड बाइफेनिल जो बाद में जीवों, मछलियों और यहां तक कि मनुष्य के लिए भी खतरा उत्पन्न कर देते हैं।

प्रश्न 3.
रसायनों के प्रयोग में नियन्त्रण व निर्णय में सरकार की क्या भूमिका हो सकती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
रसायनों के गलत एवं अधिक प्रयोग से होने वाली हानियों से सरकार जनता को अवगत करवा सकती है। पर्यावरण को रसायन किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकें इसके लिए उचित कानून बना सकती है। सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा सम्बन्धी एक अलग से विभाग भी बनाया है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के अनेक उपाय भी किए हैं। किन्तु हमारा मानना है कि सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें सहयोग देना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से कैसे बचाया जा सकता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से बचने के लिए हमें उनका नियन्त्रित प्रयोग करना चाहिए। कुछ रसायन अपने आप में सुरक्षित हैं किन्तु वे उस समय हानि पहुँचाते हैं जब उनका मेल अन्य पदार्थों का होता है। हमें इससे बचना चाहिए। इस तरह हम कैंसर जैसे भयानक रोग एवं पेट की बीमारियों से बच सकते हैं। रसायनों के प्रयोग सम्बन्धी सरकारी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए। रसायनों का प्रयोग उनसे जुड़े अनुसंधान या सूचनाओं के आधार पर ही करना चाहिए। रसायनों के प्रयोग से होने वाली हानि एवं लाभ को ध्यान में रखना चाहिए। रसायनों का प्रयोग सुरक्षित ढंग से सुरक्षित मात्रा में करना चाहिए। रासायनिक सुरक्षा को प्रतिदिन का कार्य मान लिया जाना चाहिए। इस तरह हम रासायनों से होने वाली हानि से बच सकते हैं।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

PSEB 11th Class Hindi Guide रसायन और हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें किसी भी रसायन का कौन-सा रूप ढूँढ़ना होगा ?
उत्तर:
हानिकारक रूप।

प्रश्न 2.
आज रसायनों का प्रयोग चिंता का कारण क्यों बना है ?
उत्तर:
रसायनों के अंधा-धुंध प्रयोग के कारण।

प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
रसायनों के प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण प्रदूषित क्यों हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण।

प्रश्न 5.
जीवन का प्रत्येक क्षेत्र किससे जुड़ा हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों से।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

प्रश्न 6.
रसायनों के विनाशकारी प्रभाव से जीवन को ………. रखना होगा।
उत्तर:
सुरक्षित।

प्रश्न 7.
रसायन कौन-सी बीमारियाँ फैलाते हैं ?
उत्तर:
कैंसर जैसी।

प्रश्न 8.
प्रारम्भ से हमारे पर्यावरण का कौन हिस्सा रहे हैं ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 9.
आज का युग किसका युग कहा जा सकता है ?
उत्तर:
रसायनों का।

प्रश्न 10.
पानी कैसे बना है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के योग से।

प्रश्न 11.
चीनी कैसे बनी है ?
उत्तर:
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।

प्रश्न 12.
प्रकृति में …………. रासायनिक पदार्थ हैं।
उत्तर:
सैकड़ों-हज़ारों।

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प्रश्न 13.
रसायनों का प्रयोग किस लिए किया जाता है ?
उत्तर:
उत्पाद की वृद्धि के लिए।

प्रश्न 14.
कुछ रसायन …………… को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
आगामी पीढ़ियों को।

प्रश्न 15.
हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ किसके योग से बनी हैं ?
उत्तर:
रसायनों के योग से।

प्रश्न 16.
कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषित होता है।

प्रश्न 17.
हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कौन करता है ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 18.
कुशल व्यक्ति की देखरेख में किया गया रासायनिक छिड़काव कैसा रहता है ?
उत्तर:
उत्पादन वृद्धि में सहायक।

प्रश्न 19.
हमें किसके बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है ?
उत्तर:
रसायनों के।

प्रश्न 20.
किससे संबंधित आँकड़े विश्वास करने योग्य हैं ?
उत्तर:
कैंसर।

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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) निबन्ध
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास।
उत्तर:
(ख) निबंध

प्रश्न 2.
इस निबन्ध में लेखक ने मानव को किसके प्रयोग के प्रति सतर्क किया है ?
(क) रसायनों के
(ख) विज्ञान के
(ग) जल के
(घ) प्रदूषण के।
उत्तर:
(क) रसायनों के

प्रश्न 3.
रसायन के बिना धरती पर क्या संभव नहीं था ?
(क) वायु
(ख) जल
(ग) जीवन
(घ) मरण।
उत्तर:
(ग) जीवन

प्रश्न 4.
रसायनों का अधिक प्रयोग कैसा है ?
(क) हानिकारक
(ख) लाभदायक
(ग) शिथिल
(घ) शीत।
उत्तर:
(क) हानिकारक।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

कठिन शब्दों के अर्थ :

अपरिहार्य = जिसे त्यागा न जा सके। अभिक्रिया = रासायनिक प्रतिक्रिया। मारकशक्ति = मारने की शक्ति । आनुवंशिक = वंश परम्परा के अनुसार, पुश्तैनी। क्षयकारी = विनाशकारी। अप्रत्याशित = जिसकी आशा न हो। तात्कालिक = उस समय का । प्रतिबन्ध = रोक।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) हम रसायनों के युग में रह रहे हैं। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिक के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किए हैं। प्रकृति में सैंकड़ों, हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं । रासायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने प्रकृति में आदिकाल से ही रसायनों के विद्यमान होने की बात कहते हुए इनके अत्यधिक एवं गलत प्रयोग के लिए मनुष्य को सतर्क किया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि आज का युग रसायनों का युग है अर्थात् हम लोग इनके बिना जीवन जीने की कल्पना नहीं कर सकते। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ तथा हम सब रसायनों के मेल से ही बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, भोजन, पेड़-पौधे और जीव-जन्तु ये सब रसायनों से ही बने हैं। यह सच है कि हमारी उत्पत्ति भी एक रसायन क्रिया है इससे हम इन्कार नहीं कर सकते हैं। प्रकृति में सैंकड़ों हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। यदि रसायन न होते तो धरती पर जीवन ही न होता। रसायन प्रकृति का अंग हैं और हमारा जीवन भी इन्हीं के मेल से बना है।

विशेष :

  1. भाषा सरल, स्वाभाविक एवं प्रभावशाली है।
  2. तत्सम तथा उर्दू शब्दावली है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) मनुष्य और रसायन-उद्योग ने रसायन के तात्कालिक उग्र खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है और जनता तथा उन कर्मचारियों को, जो काम के दौरान रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के कुप्रभाव से बचने के लिए आवश्यक एतिहायाती कदम उठाए गए हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पयांवरण’ में से लिया गया है। इसमें लेखक ने रसायनों के खतरों को पहचान कर किए काम की ओर संकेत किया है।

व्याख्या :
लेखक ने रसायन उद्योग द्वारा अपनाए गए बचाव कदमों का उल्लेख करते हुए कहा है कि मनुष्य और रासायनिक उद्योग ने रसायन के उसी समय होने वाले तेज़ खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है। जं लोग इस काम में लगे हैं वे इन कामों से होने वाले खतरों के प्रति सतर्क हैं। उसने जनता तथा उन कर्मचारियों को जो काम के समय रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के बुरे प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक सावधानी वाले य बचाव वाले कदम उठाए हैं। रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न खतरों की जागरूकता ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया है।

विशेष :

  1. मनुष्य का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ही रसायन के ग़लत प्रयोग को रोक सकता है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली विचारात्मक है।

(3) खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक ज़हरीले हैं, इन्हें पर्यावरण में जानबूझ कर छिड़का जाता है, किन्तु इसके लिए इन्हें भली-भान्ति परखा जाता है और इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। कारण इससे फसल की वृद्धि के रूप में अधिक लाभ प्राप्त होता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध रसायन और हमारा पर्यावरण से लिया गया है। इसमें लेखक ने कीटनाशक के होने वाले प्रयोग से लाभ और हानि का वर्णन किया है

व्याख्या :
लेखक ने बताया है कि रसायनों के उचित छिड़काव से फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। लेखक कहते हैं कि खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए कुछ सीमा तक विषैले हैं। फसलों पर छिड़का गया कीटनाशक खाने के साथ मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तथा उसे अस्वस्थ बना देता है। इन्हें पर्यावरण में जान-बूझ कर छिडका जाता है। कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण दूषित होता है किन्तु यदि इन्हें भली प्रकार से जाँच-परखकर प्रयोग की सलाह दी जाए तो फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। कुशल व्यक्ति की देख-रेख में छिड़का गया कीटनाशक फसलों की पैदावार बढ़ाने में सहायाक है।

विशेष :

  1. कीटनाशक फसलों के उत्पादन को बढ़ाते हैं।
  2. भाषा सरल है।
  3. त्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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(4) रसायन हमारी आवश्यकता हैं। ये हमारे पर्यावरण में हमेशा मौजूद हैं जो सूक्ष्म अथवा लेशमात्र भी अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन लेश रसायनों के बारे में हमें अधिक जानने की ज़रूरत है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा रचित वैज्ञानिक निबन्ध रसायन और पर्यावरण से लिया गया है जिसमें रसायनों के महत्त्व को प्रकट किया गया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि रसायन हमारी आवश्यकता है। ये हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान हैं। रसायन का प्रयोग आधुनिक जीवन की देन नहीं है। यह आदिकाल से ही प्रकृति में विद्यमान हैं। ये रसायन सूक्ष्म हों चाहे थोड़ी मात्रा में, अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन थोड़ी मात्रा में विद्यमान रसायनों के बारे में जानने की हमें अधिक ज़रूरत है। रसायनों के लाभ-हानि सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि आज रसायन प्राकृतिक नहीं हैं यह यौगिक क्रियाओं की देन हैं इसलिए इनका उचित ज्ञान होना आवश्यक है।

विशेष :

  1. रसायन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  2. शब्दावली तत्सम एवं उर्दू है।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. भाषा संस्कृत एवं उर्दू है।

(5) कैंसर बहुत भयानक रोग है। कहा जाता है कि कैंसर अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। यह तथ्य है या यूं ही उड़ाई गई बात ? कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े आज विश्वसनीय हैं। ऐसी रिपोर्ट भी मौजूद है जो संकेत देती है कि कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। किन्तु अन्य रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के मामले कम होते जा रहे हैं। पिछले 25 वर्षों से पेट के कैंसर के मामले में कमी आई है किन्तु फेफड़ों का कैंसर बड़ा है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक कैंसर जैसे भयानक रोग के बारे में बता रहे हैं।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि कैंसर सबसे भयानक रोग है जो अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। कैंसर जैसा भयानक रोग पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण है और यह प्रदूषण खतरनाक रसायनों का कारण है। रसायनों का प्रयोग करने वाले कैंसर का सम्बन्ध उससे मानने से इनकार करते हैं। अब कैंसर के विषय में यह बात तथ्य है या अफवाह इसका कहना मुश्किल है। कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े विश्वास करने योग्य हैं। कुछ रिपोर्टों में इसके बढ़ने तथा कुछ में कम होने की बात कही गयी है। पिछले 25 वर्षों में पेट के कैंसर के मामलों में कमी आई है पर फेफड़ों के कैंसर बढ़े हैं अर्थात् रसायनों ने मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। इसीलिए मनुष्य को एक से एक लाईलाज बीमारियों ने घेर रखा है।

विशेष :

  1. रसायनों ने कैंसर की बीमारी से मनुष्य को ही नहीं हमारे समाज में भौतिकवादिता की बीमारी को भी बढ़ावा दिया है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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रसायन और हमारा पर्यावरण Summary

रसायन और हमारा पर्यावरण निबन्ध का सार

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 18 भीड़ में खोया आदमी

Hindi Guide for Class 11 PSEB भीड़ में खोया आदमी Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘भीड़ में खोया आदमी’ निबन्ध में लेखक ने आम आदमी की समस्याओं को उठाया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उठाया है। सबसे पहले लेखक ने रेलयात्रा में बढ़ती भीड़ का उल्लेख किया है। रेलयात्रा आजकल बड़ी कठिन हो गई है। आरक्षण के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है और बिना आरक्षण के यात्रा करना अधिक भीड़ के कारण कठिन हो गया है। लोग अपने प्राणों को संकट में डालकर छत पर सफर करने को विवश हैं।

दूसरी समस्या बेरोज़गारी की है। देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण नौकरियाँ कम हैं और नौकरी पाने वाले अधिक शिक्षा पूरी कर वर्षों तक युवों को नौकरी नहीं मिलती ! तीसरी समस्या है आवास की कमी। जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उतनी तेजी से मकान नहीं बन रहे हैं फिर मकान बनाने के लिए भूमि भी तो चाहिए। जनसंख्या में वृद्धि के कारण हमारी स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्रभावित हो रही हैं। अस्पतालों में रोगियों की भीड़ रही है और डॉक्टरों की संख्या उस अनुपात में बहुत कम है। परिणामस्वरूप लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।

लेखक सुझाव देते हैं कि यदि सीमित परिवार होंगे तो स्वच्छ जलवायु मिलने से लोग स्वस्थ रहेंगे। रेल, बस यात्रा में भीड़ कम होगी, सड़क पर दुर्घटनाएँ कम होंगी। भीड़ में खोया आदमी इतना तो समझ ही जाता है कि यह सब बढ़ती जनसंख्या का परिणाम है। इसलिए लेखक ने प्रस्तुत निबन्ध के माध्यम से आम आदमी की रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार जैसी समस्याओं को उठाया है।

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प्रश्न 2.
इस निबन्ध में लेखक ने सभी समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या की वृद्धि बताया है। क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने विचारों की पुष्टि के लिए उदाहरण दें।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने देश में उत्पन्न सभी समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या की वृद्धि को बताया है लेखक के इस विचार से हम शतप्रतिशत सहमत हैं। जनसंख्या में वृद्धि के परिणामस्वरूप रेल और बस यात्रा दुष्कर हो गई है। लोगों को अपने प्राण संकट में डालकर रेल या बस की छत पर सफर करना पड़ता है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश में बेरोजगारी अधिक फैल रही है पढ़े-लिखे युवक वर्षों तक कोई नौकरी पाने में सफल नहीं होते। जनसंख्या में वृद्धि के कारण मकान और खाद्यान्न की कमी हो रही है। जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, उतनी तेजी से मकान नहीं बन रहे।

भले ही विज्ञान की सहायता से खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि हुई है किन्तु बढ़ती जनसंख्या ने इस वृद्धि को भी निमूर्ल सिद्ध कर दिया है। भूख और गरीबी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण और खाद्यान्न की कमी के कारण लोग कुपोषण का शिकार होकर रोगग्रस्त हो रहे हैं। अस्पतालों में रोगियों की भीड़ बढ़ रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण दुकानदार जो पहले ग्राहक का स्वागत करते थे उन्हें भगवान् मानते थे अब ग्राहकों को अपना काम करवाने के लिए उनकी चिरौरी करनी पड़ती है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश के अनुशासन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ अधिक बढ़ गई है। सड़क दुर्घटनाएँ भी बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़ रही हैं। लोगों को अपना काम करवाने के लिए अपने समय, शक्ति और धन को बर्बाद करने पड़ता है। जनसंख्या यदि काबू में रहे तो ये समस्याएँ उत्पन्न ही न हों।।

प्रश्न 3.
निबन्ध के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट करें।
उत्तर:
निबन्ध का शीर्षक ‘भीड़ में खोया आदमी अत्यन्त सटीक और सार्थक बन पड़ा है। देश की जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण रेल यात्रा में भीड़, अस्पतालों में भीड़, राशन की दुकान पर भीड़, रोजगार कार्यालय में भीड़, सड़कों पर, दफ्तरों में, बाजारों में भीड़ देखकर आम आदमी भीड़ में खाकर रह जाता है। भले ही वह जानता है कि यह सब बढ़ती जनसंख्या का परिणाम है। अतः कहना न होगा कि ‘भीड़ में खोया आदमी’ नामकरण अत्यन्त सार्थक बन पड़ा है।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रेल में यात्रा करते समय लेखक को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
लेखक ने बिना आरक्षण के ही रेल यात्रा की। जब गाड़ी प्लेटफार्म पर आई तो उसमें तिल धरने की भी जगह नहीं थी। लेखक को कुली ने किसी तरह अन्दर धकेला। गाड़ी से उतरने में भी लेखक को असुविधा हुई। बाहर कूद कर आने पर उसने लोगों को रेल की छत पर सफर करते देखा।

प्रश्न 2.
दीनानाथ को नौकरी न मिलने का क्या कारण था ?
उत्तर:
दीनानाथ को पढ़ाई पूरा किये दो वर्ष हो गए थे। किन्तु देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार मिलना मुश्किल हो रहा था। रोज़गार कार्यालय में भी उसकी योग्यता वाले हज़ारों व्यक्ति उससे पहले अपना नाम दर्ज करवा चुके थे जब उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली तो दीनानाथ को कहाँ से मिलती।

प्रश्न 3.
श्यामलाकांत ने शहर में मकान न मिलने का मुख्य कारण क्या बताया ?
उत्तर:
श्यामलाकांत ने शहर में मकान न मिलने का मुख्य कारण देश की बढ़ती जनसंख्या को बताया। जिस कारण शहर के कई गुणा फैल जाने के बावजूद और नई-नई कालोनियाँ बन जाने पर भी मकान कम पड़ रहे हैं और उन में रहने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 4.
श्यामलाकांत का परिवार अस्वस्थ क्यों रहता था ?
उत्तर:
श्यामलाकांत के परिवार के अस्वस्थ रहने का कारण तंग गलियों में रहना है। वहाँ का वातावरण स्वच्छ नहीं है। बड़ा परिवार होने के कारण सभी के स्वास्थ्य की ओर ठीक ढंग से ध्यान नहीं दिया जाता। उनके खाने-पीने की ओर उचित ध्यान नहीं मिलता है। यही कारण है श्यामलाकांत का परिवार बीमार रहता है।

प्रश्न 5.
लेखक ने अपने निबन्ध में बढ़ती हुई भीड़ का समाधान क्या बताया है ?
उत्तर:
लेखक ने सुझाव दिया है कि यदि सीमित परिवार हो, स्वच्छ जलवायु हो और खाने के लिए भरपूर भोजन सामग्री हो तो बीमारी से बचा जा सकता है। यदि बढ़ती जनसंख्या को न रोका गया तो सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ेंगी रेलबस में यात्रा करना कठिन हो जाएगा तथा लोगों को अपना काम करवाने के लिए समय-शक्ति और धन का व्यय करना पड़ेगा।

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PSEB 11th Class Hindi Guide भीड़ में खोया आदमी Important Questions and Answers

अति लघूतरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्टेशन पर लीलाधर शर्मा के मित्र का कौन-सा बेटा उन्हें लेने आया था ?
उत्तर:
बड़ा बेटा।

प्रश्न 2.
लेखक के मित्र का घर कितना बड़ा था ?
उत्तर:
दो कमरों का घर था।

प्रश्न 3.
‘भीड़ में खोया आदमी’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर:
निबंध।

प्रश्न 4.
‘भीड़ में खोया आदमी’ में किस समस्या को उठाया गया है ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं को।

प्रश्न 5.
सबसे पहले लेखक ने किस समस्या का उल्लेख किया ?
उत्तर:
रेलयात्रा में बढ़ती भीड़ का।

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प्रश्न 6.
आरक्षण के लिए घंटों ……………. में खड़ा रहना पड़ता है।
उत्तर:
कतार।

प्रश्न 7.
बढ़ती जनसंख्या से उपजी समस्याएँ कौन-सी हैं ?
उत्तर:
बेरोजगारी, भुखमरी आदि।

प्रश्न 8.
तीसरी सबसे बड़ी समस्या कौन-सी है ?
उत्तर:
आवास की समस्या।

प्रश्न 9.
लेखक ने रेल यात्रा कैसे की थी ?
उत्तर:
बिना आरक्षण के।

प्रश्न 10.
क्या मिलने से लोग स्वस्थ रहेंगे ?
उत्तर:
स्वच्छ जलवायु।

प्रश्न 11.
किसी सहायता से खाद्यान्न में वृद्धि हुई है ?
उत्तर:
विज्ञान।

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प्रश्न 12.
…………… दुर्घटनाएँ बढ़ती जनसंख्या का कारण बन रही हैं।
उत्तर:
सड़क।

प्रश्न 13.
लोगों को अपना काम करवाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उत्तर:
अपना समय, शक्ति तथा धन बर्बाद करना पड़ता है।

प्रश्न 14.
दीनानाथ को पढ़ाई पूरी किए कितने वर्ष हो गए थे ?
उत्तर:
दो वर्ष।

प्रश्न 15.
श्यामलाकांत को शहर में मकान क्यों नहीं मिल पाया था ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या के कारण।

प्रश्न 16.
श्यामलाकांत के घर की गलियों की क्या दशा थी ?
उत्तर:
तंग थी।

प्रश्न 17.
श्यामलाकांत के परिवार का अस्वस्थ रहने का क्या कारण था ?
उत्तर:
तंग गलियों में रहना।

प्रश्न 18.
जब आबादी कम थी तब दुकानदार …………….. का स्वागत करता था।
उत्तर:
ग्राहक का।

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प्रश्न 19.
सड़क दुर्घटनाएँ किस कारण बढी हैं ?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या के कारण।

प्रश्न 20.
आजकल सार्वजनिक स्थलों पर ………….. बढ़ गई हैं।
उत्तर:
भीड़।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘भीड़ में खोया आदमी’ रचना किस विधा में है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) नाटक।
उत्तर:
(क) निबंध

प्रश्न 2.
बढ़ती जनसंख्या से कौन-सी समस्या आती है ?
(क) बेरोज़गारी
(ख) भूखमरी
(ग) आवास की कमी
(घ) सभी।
उत्तर:
(घ) सभी

प्रश्न 3.
लोगों के स्वास्थ्य का मूलाधार क्या है ?
(क) स्वच्छ जलवायु
(ख) जल
(ग) वायु
(घ) स्वच्छ जल।
उत्तर:
(क) स्वच्छ जलवायु।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

दुष्परिणाम = बुरे फल। स्तब्ध = हैरान। चिरौरी = चापलूसी। सुहाती है = अच्छी लगती है। स्वेच्छा = अपनी इच्छा से। संकीर्ण = तंग। चेता = जागा।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) किसी तरह खिड़की से बाहर कूदा तो क्या देखता हूँ, पूरी ट्रेन की छत यात्रियों से भरी पड़ी है। सोचता हूँ, अपने प्राणों को भीषण संकट में डाल कर ट्रेन की छत पर यात्रा करने के लिए लोग क्यों मज़बूर हुए ? इन लोगों को रेल के नियम, व्यवस्था और अनुशासन का ध्यान क्यों नहीं है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। इसमें लेखक ने जनसंख्या वृद्धि के कारण रेल यात्रा में लोगों को रेल की छत पर सफर करने के लिए विवश होने की बात कही है।

व्याख्या :
लेखक हरिद्वार जाने वाली ट्रेन में यात्रा कर रहा था। लक्सर स्टेशन पर उसे गाड़ी बदलनी थी। भीड़ भरे डिब्बे से कूद कर बाहर आकर लेखक ने देखा कि ट्रेन की छत भी यात्रियों से भरी हुई है। लेखक सोचने लगा कि ये लोग रेल-यात्रा के लिए अपने प्राण संकट में डालने के लिए क्यों विवश हुए ? यह सब बढ़ती जनसंख्या के कारण हैं जिससे व्यक्ति को रेलगाड़ी के अंदर बैठने की जगह नहीं मिलती। क्या इन लोगों को रेल के नियम, व्यवस्था और व्यवस्था का बिल्कुल ही ध्यान नहीं है? ऐसा नहीं है परन्तु सबको अपनी मंजिल पर पहुँचने की जल्दी है।

विशेष :

  1. रेल यात्रा में बढ़ रही भीड़ को जनसंख्या में वृद्धि होना बताया गया है, जिस कारण लोगों को रेल की छत पर सफर करने पर विवश होना पड़ता है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) भाई साहब, इतने बड़े परिवार में हर रोज़ कोई न कोई बीमार रहता ही है। डॉक्टर को दिखाने अस्पताल गई थी। मगर अस्पतालों में आजकल रोगी और उनके संबंधी मधु-मक्खी के छत्ते की तरह डॉक्टर को घेरे रहते हैं। वह भी अच्छी तरह किस किस को देखे।

प्रसंग :
यह अवतरण श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित ‘भीड़ में खोया आदमी’ नामक निबंध से अवतरित है। इसमें लेखक के मित्र की पत्नी बच्चों के अस्वस्थ होने पर और डॉक्टर की दुकान पर लगने वाली भीड़ पर प्रकाश डाल रही है।

व्याख्या :
लेखक के यह पूछने पर कि बच्चों को डॉक्टर को दिखाकर इन का इलाज क्यों नहीं करवाती क्या ? तो लेखक के मित्र की पत्नी ने बताया कि इतने बड़े परिवार में हर रोज़ कोई न कोई बीमार रहता हो है। इतने बड़े परिवार में प्रतिदिन किसी न किसी के बीमार रहने पर अच्छे डॉक्टर को दिखाने के लिए धन कहाँ है। मैं इन्हें डॉक्टर को दिखाने अस्पताल गई थी। पर आजकल अस्पतालों में रोगियों की इतनी भीड़ बढ़ गई है कि रोगी और उन के रिश्तेदार डॉक्टर को मधुमक्खी के छत्ते की तरह घेरे रहते हैं कि डॉक्टर किसी भी रोगी को अच्छी तरह देख ही नहीं पाता। अस्पतालों में भी बढ़ती जनसंख्या ने डॉक्टरों के इलाज को प्रभावित किया है।

विशेष :

  1. जनसंख्या में वृद्धि के कारण अस्पतालों में रोगियों की भीड़ के बढ़ने और डाक्टरों द्वारा रोगियों को ठीक तरह से न देख पाने की बात कही गई है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

(3) पहले ग्राहक का स्वागत होता था, उसे भी चिरौरी-सी करनी पड़ती है फिर भी समय पर काम नहीं होता। दुकानें पहले से कहीं अधिक खुल गई हैं लेकिन ग्राहकों की बढ़ती हुई भीड़ के लिए वे अब भी कम पड़ रही है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पक्तियाँ श्री लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड़ में खोया हुआ आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक के मित्र की पत्नी जनसंख्या में वृद्धि के कारण दुकानदारों की मनोवृत्ति पर प्रकाश डाल रही है।

व्याख्या :
लेखक के मित्र की पत्नी कहती है कि जब आबादी कम थी तो दुकानदार ग्राहक का स्वागत करता था किन्तु अब उसकी मिन्नत-समाजत करनी पड़ती है फिर भी काम समय पर नहीं होता। भले ही अब दुकानें पहले से कहीं अधिक खुल गई हैं लेकिन ग्राहकों की बढ़ती हुई भीड़ के लिए वे अब भी कम पड़ रही हैं। बढ़ती जनसंख्या ने उत्पादक और उत्पादन दोनों पर प्रभाव डाला है।

विशेष :

  1. आबादी बढ़ने के परिणामस्वरूप दुकानों पर भीड़ बढ़ने और दुकानदारों द्वारा नखरे किये जाने की ओर संकेत किया गया है।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(4) घर बच्चों की भीड़ है। यह भीड़ भले ही हमें अच्छी लगती हो लेकिन जब तक बच्चों के पालन-पोषण की रहन सहन की, शिक्षा-दीक्षा की पूरी सुव्यवस्था न हो, यह भीड़ दुःखदायी बन जाती है।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री लोलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित निबन्ध ‘भीड़ में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने बच्चे अधिक होने की बात उस समय सोचनी चाहिए जब उनके पालन-पोषण और शिक्षादीक्षा की पूरी व्यवस्था हो जाए।

व्याख्या :
लेखक कहता है घर में बच्चों को भोड़ अर्थात् अधिक बच्चे किसे अच्छे नहीं लगते किन्तु जब तक उन बच्चों के पालन-पोषण की, रहन-सहन को, शिक्षा-दीक्षा आदि को अच्छी व्यवस्था न हो जाए अधिक बच्चों की भीड़ घर में लगाना दुःख का कारण बन जातो है। अधिक बच्चों के कारण गलन-पोषण तथा उनके भविष्य के प्रति मातापिता ध्यान नहीं दे पाते।

विशेष :

  1. अधिक बच्चों का होना माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए दुःख का विषय बन जाता है !
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
  3. शैली विचारात्मक है।

(5) ऐसा लगता है कि यदि समय रहते हमारा देश अब भी नहीं चेता और श्यामला बाबू की तरह परिवार बढ़ता गया तो वह दिन दूर नहीं जब वह स्वर्ग इस भीड़ में और इससे पैदा होने वाली समस्याओं में पूरी तरह खो जाएगा।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ भी लोलाधर गमा पर्वतीय जी द्वारा लिखित निबन्ध भीड़ में खोया आदमी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने चेतावनी दी है यदि देश में बढ़ती जनसंख्या पर काबू न पाया गया तो देश नष्ट हो जाएगा?

व्याख्या :
लेखक ने जनसंख्या में वृद्धि को न रोक पाने पर चेतावनी देते हुए कहा है यदि हमारा देश समय रहते सावधान नहीं हुआ तो हमें बढ़ती जनसंख्या के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। श्यामला बाबू की तरह परिवार बढ़ता ही रहा अर्थात् देश की जनसंख्या बढ़ती हो रही तो वह दिन दूर नहीं जब स्वर्ग के समान सुन्दर यह हमारा देश जनसंख्या में वृद्धि से उत्पन्न होने वाली समस्याओं में पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।

विशेष :

  1. लेखक ने देश को बढ़ रही जनसंख्या को रोकने को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इस वृद्धि को न रोका गया तो देश एक दिन नष्ट हो जाएगा।
  2. भाषा सरल एवं सुबोध है। इसीलिए निबंध सरल एवं हृदयस्पर्शी है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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भीड़ में खोया आदमी Summary

भीड़ में खोया आदमी निबन्ध का सार

भीड़ में खोया आदमी’ लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा लिखित निबंध है। इस निबंध में लेखक ने देश की बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न होने वाली विकट समस्याओं का वर्णन किया है। बढ़ती जनसंख्या से बेरोज़गारी, घटते हुए मकान और खाद्यान्न, अस्पतालों में बढ़ते मरीज, रेलों और बसों की भीड़ आदि सभी समस्याएं होती हैं।

लेखक के एक अभिन्न मित्र हैं-बाबू श्यामलाकान्त। वैसे तो वे परिश्रमी हैं, इमानदार हैं किन्तु निजी ज़िन्दगी के प्रति बड़े लापरवाह हैं। उमर में लेखक से छोटे होने पर भी अपने घर में बच्चों की फ़ौज खड़ी कर ली है। पिछले दिनों लेखक को उनकी लड़की के विवाह में शामिल होने के लिए हरिद्वार जाना था। पन्द्रह दिन पूर्व आरक्षण के लिए रेलवे स्टेशन पर गया। घंटों लाइन में लगने के बाद पता लगा कि किसी भी गाड़ी में स्थान खाली नहीं। विवश होकर लेखक को बिना आरक्षण के ही सफर करना पड़ा। लेखक ने पाया की गाड़ी में बहुत अधिक भीड़ थी और लोग ट्रेन की छत पर बैठ कर सफर कर रहे थे। । स्टेशन पर लेखक के मित्र का बड़ा लड़का उसे लेने आया था। उस लड़के को दो वर्ष हो चुके थे पढ़ाई पूरी किये। किन्तु अभी तक बेकार था। लेखक सोचने लगा कि इस छोटे से शहर का यह हाल है तो बड़े शहरों में बेकारों की कितनी भीड़ रही होगी।

लेखक ने अपने मित्र के घर आकर देखा कि उसका दो कमरों का मकान उसे बहुत छोटा पड़ रहा था लेखक के मित्र ने बताया कि बहुत ढूँढ़ने पर भी उसे यही मकान मिला। जनसंख्या बढ़ने के कारण मकान और खाद्यान्न घट रहे हैं। लेखक के सामने जब उसके मित्र के बच्चे आए तो उसे लगा कि वे सभी अस्वस्थ हैं। मित्र की पत्नी ने बताया कि अस्पतालों में इतनी भीड़ है कि डॉक्टर लोग ठीक से मरीजों को देख नहीं पाते।

मित्र की पत्नी ने यह भी बताया कि दुकानदार आजकल ग्राहक का स्वागत नहीं करते उल्टे ग्राहकों को अपना काम करवाने के लिए उनकी मिन्नत-समाजत या चापलूसी करनी पड़ती है। लेखक को इन सभी समस्याओं का एक ही कारण लगा देश की बढ़ती जनसंख्या। यदि समय रहते इस समस्या पर काबू न पाया गया तो ये समस्याएँ देश को खा जाएँगी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 20 मैराथन की दौड़

Hindi Guide for Class 6 मैराथन की दौड़ Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिए जा चुके हैं।

रुचि = इच्छा, शौक
आक्रमण = हमला
चढ़ाई = आक्रमण
दायित्व = जिम्मेदारी
परपंत्र = गुलाम
आशवसन = तसल्ली, विशवास
सबल = शक्तिशाली
स्वतंत्र = आजाद, स्वाधीन
प्रतियोगिता = होड, मुकाबला
अमर = कभी न मिटने वाला
शीघ्र = जल्दी

2. खाली स्थानों पर रेखांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए

1. दारा यूनानियों से नाराज़ (………….) हो गया।
2. उसने यूनान पर चढ़ाई (………..) की तैयारी की।
3. एथेंस का जीतना ज़रूरी (…………) था।
4. स्पार्टा जैसे योद्धा (………….) संसार (…………) में नहीं थे।
5. यह सन्देश (………….) लेकर इतनी दूर जाएगा कौन ?
6. उसका शरीर (…………..) थककर चूर-चूर हो गया।
उत्तर:
1. रुष्ट,
2. आक्रमण,
3. आवश्यक,
4. वीर, जगत्
5. समाचार (संवाद),
6. तन (देह)

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

3. समानार्थक लिखिए

1. शक्तिशाली = …………………..
2. स्वतन्त्रता = …………………….
3. वीरता = ……………….
4. कठिन = ……………….
5. सबल = …………………..
6. हार = ………………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. शक्तिशाली = बलशाली
2. स्वतन्त्रता = स्वाधीनता
3. वीरता = बहादुरी
4. कठिन = मुश्किल
5. सबल = बलवान
6. हार = पराजय

4. वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटकर लिखिए

1. यूनान पहाड़ी राज्यों में बँटा है।
2. ईरान का शक्तिशाली राजा यूनानियों से नाराज़ हो गया।
3. उनके सामने एक विकट समस्या थी।
4. पहाड़ी ज़मीन थी।
उत्तर:
विशेषण विशेष्य
पहाड़ी – राज्यों
शक्तिशाली – राजा
विकट – समस्या
पहाड़ी – ज़मीन

5. मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो

थक कर चूर होना, मुँह सूखना, पांव लड़खड़ाना।
उत्तर:
थक कर चूर होना-अथक परिश्रम करने से मोहन थक कर चूर हो गया।
मुँह सूखना-भीषण गर्मी में लगातार चलते रहने से रमेश का मुँह सूखने लगा।
पाँव लड़खड़ाना-देखना, युवावस्था में कुसंगति में पड़कर कहीं तुम्हारे पाँव लडखड़ा न जाएँ।

6. अपनी कल्पना से पाँच युग्म शब्द लिखो।

जैसे-पहँचते-पहँचते।
उत्तर:
चलते-चलते,
करते-करते,
पढ़ते-पढ़ते,
सोते-सोते,
जागते-जागते

7. शुद्ध रूप लिखिए

अन्तरराष्ट्रीय = …………………..
परतियोगिता = …………………..
ओल्मपक = ………………………
आशवासन = ………………………..
उत्साहत = ………………………..
आकरमण = ……………………..
प्रतंत्र, योधा = ………………….
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
अन्तरराष्ट्रीय = अन्तर्राष्ट्रीय
परतियोगिता = प्रतियोगिता
ओलम्पक = ओलम्पिक
आशवासन = आश्वासन
उत्साहत = उत्साहित
आकरमण = आक्रमण
प्रतन्त्र = परतन्त्र
योधा = योद्धा

8. सही शब्द बनाओ

1. सथेए = ………………..
2. दालिबन = ………………….
3. टकफा = ………………….
4. रामैथन = ………………….
5. टरमीलोकी = ……………….
6. रगन = ……………………
7. ढ़ाईच = …………………
8. पिजडीफिडी = ……………………
उत्तर:
1. सथेंए = एथेंस
2. दालिबन = बलिदान
टकफा = फाटक
रामैथन = मैराथन
5. टरमीलोकी = किलोमीटर
6. रगन = गनर
7. ढाईच = चढ़ाई
8. पिजडीफिडी = फिडीपिडीज

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

विचार-बोध

प्रश्न 1.
ओलम्पिक क्या है ? खेल-कूदों का ओलम्पिक नाम कैसे पड़ा?
उत्तर:
ओलम्पिक एक विश्व प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है। इस का आरम्भ ओलम्पिस । नामक स्थान से हुआ था। इस कारण इसका यह नाम पड़ा।

प्रश्न 2.
दारा कौन था ? उसने किस पर चढ़ाई की और क्यों ?
उत्तर:
दारा ईरान का राजा था। उसने यूनान पर चढ़ाई कर दी क्योंकि दारा यूनानियों से नाराज था।

प्रश्न 3.
चिंता में कौन पड़ गए और क्यों ?
उत्तर:
दारा के एथेंस पहुँचने पर, वहाँ के निवासी चिन्ता में पड़ गए क्योंकि दारा की सेना बहुत बड़ी थी।

प्रश्न 4.
वे किससे सहायता मांगना चाहते थे और क्यों ?
उत्तर:
एथेंस के लोग स्पार्टा से सहायता मांगना चाहते थे। क्योंकि स्पार्टा के योद्धा दुनिया भर में प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 5.
उनके सामने कौन-सी समस्या थी ?
उत्तर:
स्पार्टा एथेंस से बहुत दूर था। वहाँ सन्देश देकर किसे भेजा जाए, यही एथेंस के लोगों की चिन्ता थी।

प्रश्न 6.
फिडीपिडीज कौन था और उसे कौन-सा काम सौंपा गया था ?
उत्तर:
फिडीपिडीज एक बहादुर युवक था जो ओलम्पिक की दौड़ों में यूनान में प्रथम आया था।

प्रश्न 7.
वह कितने घण्टों में स्पार्टा पहुँचा ?
उत्तर:
फिडीपिडीज 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँचा।

प्रश्न 8.
उसे मार्ग में किन-किन कष्टों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:
ऊँचा-नीचा कठिन मार्ग होने के कारण फिडीपिडीज को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 9.
उसने हाँफते हुए क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने हांफते हुए यह सन्देश दिया-ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है।

प्रश्न 10.
मैराथन के मैदान में किन-किन के बीच युद्ध हुआ ? जीत किसकी हुई ?
उत्तर:
मैराथन के मैदान में दारा और स्पार्टा के सैनिकों के बीच युद्ध हुआ। इसमें एथेंस की जीत हुई।

प्रश्न 11.
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ कहाँ से कहाँ तक लगाई ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने अन्तिम दौड़ मैराथन से एथेंस तक लगाई।

प्रश्न 12.
उसने नगर-निवासियों को क्या सन्देश दिया ?
उत्तर:
फिडीपिडीज ने नगर निवासियों को यह सन्देश दिया-एथेंस की जीत हुई है। खुशियां मनाओ।

प्रश्न 13.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
उत्तर:
मैराथन की दौड़ 41 किलोमीटर से कुछ अधिक की होती है।

आत्म-बोध (प्रश्न)

1. साहस और देश के लिए त्याग की कहानियाँ पढ़ो।
2. देश-सेवा के लिए तैयार रहो।
3. खेलों में भाग लेते हुए प्रसन्न रहो।
4. अपने अध्यापक से ओलम्पिक, राष्ट्रमंडल व एशियाड खेलों की जानकारी हासिल करो।
(विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
दारा कहाँ का राजा था ?
(क) यूनान का
(ख) ईरान का
(ग) सियान का
(घ) चियान का
उत्तर:
(क) यूनान का

प्रश्न 2.
ओलंपिक का आरंभ किस स्थान से हुआ ?
(क) ओलम्पिया
(ख) ओलम्पिस
(ग) इथोपिया
(घ) इसोपिया
उत्तर:
(ख) ओलम्पिस

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 20 मैराथन की दौड़

प्रश्न 3.
ओलम्पिक की दौड़ों में प्रथम आने वाला बहादुर कौन था ?
(क) फिंडिज
(ख) इंडीज
(ग) फिडीपिडीज
(घ) यूनानी
उत्तर:
(ग) फिडीपिडीज

प्रश्न 4.
मैराथन की दौड़ कितने किलोमीटर की होती है ?
(क) 41
(ख) 42
(ग) 43
(घ) 44
उत्तर:
(क) 41

प्रश्न 5.
ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को क्या कहते हैं ?
(क) मैराथन
(ख) वीराथन
(ग) ईराथन
(घ) सियारन
उत्तर:
(क) मैराथन

मैराथन की दौड़ Summary

मैराथन की दौड़ पाठ का सार

ईरान का राजा दारा यूनानियों से नाराज़ हो गया। वह सेना लेकर एथेंस पहुँच गया। यूनानियों ने स्पार्टा से सहायता लेने का विचार किया। इतनी दूर संदेश ले जाने के लिए फिडीपिडीज नामक एक युवक को यह काम सौंपा गया। वह दौड़ता हुआ 48 घण्टों में स्पार्टा पहुँच गया। फिडीपिडीज ने हांफते हुए कहा, “ईरान ने यूनान पर आक्रमण कर दिया है। उनकी सेना समुद्र के किनारे मैराथन के पास उतर रही है। एथेंस वालों ने सहायता मांगी है। यदि सहायता न मिली तो सारा यूनान दास बन जाएगा। शीघ्रता करो ।” स्पार्टा वालों ने बहुत शीघ्र पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़ा-सा विश्राम करके वह वीर साहसी इस सन्देश को लेकर लौट पड़ा। एथेंस निवासी इस सन्देश को सुनकर बहुत उत्साहित हो गए। एथेंस की सेना दारा को रोकने के लिए मैराथन की ओर चल पड़ी। थका-मारा फिडीपिडीज भी अपना भाला और भारी ढाल लेकर युद्ध में शामिल हुआ। घमासान युद्ध के बाद, स्पार्टा की सेना के आने से पूर्व ही, एथेंस की सेना ने दारा को पराजित कर दिया।

फिडीपिडीज को फिर एक महान् दायित्व सौंपा गया कि वह शीघ्रता से जाकर यह खुशी का समाचार एथेंस निवासियों को पहुँचा दे। मैराथन और एथेंस नगर के बीच पैंतीस किलोमीटर की दूरी थी। थका होने पर भी वह दौड़ा। एथेंस तक पहुँचते-पहुँचते उसके पाँव लड़खड़ा गए। नगर के फाटक बंद थे। उसने ऊँची आवाज़ में कहा, “एथेंस की विजय हुई है। फाटक खोलो। खुशियाँ मनाओ।” उसकी आवाज़ पहचानकर नगरनिवासियों ने फाटक खोल दिया। फिडीपिडीज के पाँव कांप रहे थे। उसका मुँह सूख गया था। बहुत धीमी आवाज़ में उसने कहा, “हम जीत गए हैं। ईरानी हार गए हैं। यूनानी स्वतन्त्र रहेंगे।” इतना कहने पर वह वीर गिरा और फिर कभी न उठा। इस महान् बलिदान के कारण फिडीपिडीज का नाम अमर है। आज भी ओलम्पिक की सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:

रुचि = शौक। प्रतियोगिता = मुकाबला। आक्रमण = हमला। परतंत्र = गुलाम। प्रतिवर्ष = प्रत्येक वर्ष । चढ़ाई = आक्रमण। अमर = कभी न मरने वाला। स्वतन्त्र = आजाद, स्वाधीन। आश्वासन = तसल्ली, विश्वास। दायित्व = ज़िम्मेदारी। शीघ्र = जल्दी। सबल = शक्तिशाली। बलिदान = कुर्बानी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

Hindi Guide for Class 6 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध हमा

1. शब्दार्थ
उत्तर:
शब्दार्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

ओझल = दिखाई न देना
आविष्कार = खोज
परीक्षण = प्रयोग

2. निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्तियों के वाक्य बनाओ

1. जान से हाथ धोना ______________ ________________________
2. मन में ठान लेना _______________ __________________________
3. धक्का लगना _________________ ___________________________
4. जहाँ चाह वहाँ राह ______________ _________________________
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी है _____________ ______________________
उत्तर:
1. जान से हाथ धोना = मारे जाना – देश की रक्षा करते हुए कई सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा।
2. मन में ठान लेना = प्रण कर लेना – इस बार कक्षा में प्रथम आने की मैंने मन में ठान ली है।
3. धक्का लगना = दुःख सहना – आपके साथ इतनी बड़ी दुर्घटना घट गई यह सुन कर मुझे बहुत धक्का लगा।
4. जहाँ चाह वहाँ राह = इरादा पक्का हो तो रास्ता मिल ही जाता है – तुम परीक्षा की तैयारी करो सफलता तुम्हें अवश्य ही मिलेगी क्योंकि तुमने सुना ही है जहाँ चाह वहाँ राह।
5. आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है = ज़रूरत हो तो साधन बन ही जाते हैं – जब मनुष्य ने घूमना-फिरना आरम्भ किया तो पहिए का आविष्कार हो गया। सच ही है-आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है।

3. निम्नलिखित के विपरीत शब्द लिखो

नज़दीक ………… नियंत्रित ……….. खुश ………………………
ऊँचा ………… सफलता ………………… मृत्यु ……………………
मशहूर ………………….. शुरू …………… थोड़ा …………………..
उत्तर-
1. नज़दीक = दूर।
2. नियंत्रित = अनियंत्रित
3. खुश = नाराज़
4. ऊँचा = नीचा
5. सफलता = असफलता
6. मृत्यु = जीवन
7. मशहूर = बदनाम
8. शुरू = खत्म
9. थोड़ा = ज्यादा

4. इन वाक्यों में बताएं कि क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक ?

1. सभी जहाज़ में बैठने की कल्पना ज़रूर करते हैं। ……………………….
2. कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ……………………
3. हम इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं। …………………………………..
4. वे बार-बार वैसा खिलौना बनाते। ……………………………………….
5. इनके पिता इनके लिए एक खिलौना लाए। ………………………………….
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

5. निम्नलिखित शब्दों को सही अक्षर लगाकर पूरा करें

देख-र, क-पना, अ-रीका, -लौना,
सा-कि-, -काश, प्र-ग,
गला-ड-,-रीक्षण
उत्तर:
देख-र = देखकर, क-पना = कल्पना,
अ-रीका = अमरीका, -लौना = खिलौना,
सा-कि- = साइकिल, -काश = आकाश,
प्र-ग = प्रयोग, गला-ड-र में गलाइडर,
-रीक्षण = परीक्षण।

विचार-बोध का

(क)
प्रश्न 1.
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग उड़ने के बारे में क्या कल्पनाएँ करते थे ?
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार से पहले लोग पक्षियों के समान आकाश में उड़ने के बारे में कल्पनाएँ करते थे।

प्रश्न 2.
जब राइट ब्रदर्स के पिता उनके लिए उड़ने वाला खिलौना लाए तो उनके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर:
उड़ने वाला खिलौना पाकर उनके मन में विचार आया कि जब यह इतना छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ ज़रूर आकाश में उड़ सकती है।

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
उत्तर:
बचपन में राइट ब्रदर्स को तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था।

प्रश्न 4.
वायुयान को बनाने व उड़ाने के अलावा राइट ब्रदर्स ने और क्या-क्या काम किए ?
उत्तर:
वायुयान बनाने, पतंग उड़ाने के अतिरिक्त राइट ब्रदर्स ने अखबार छापने, साइकिल बनाने का भी काम किया।

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ? इस उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स ने पहली उड़ान 17 दिसम्बर, सन् 1903 में भरी। इस उड़ान को केवल पाँच लोगों ने देखा।

प्रश्न 6.
विल्बर की मृत्यु के बाद ओरविल ने एरोनोटिकल लेबोरटरी क्यों खोली ?
उत्तर:
विल्बर की मृत्यु के पश्चात् उसके भाई ने वायुयान बनाने का कार्य जारी रखा और हवाई जहाज़ के तकनीकी विकास के लिए एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली।

(ख)
प्रश्न 1.
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ केवल सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं, कैसे ?
उत्तर:
राइट ब्रदर्स के लिए असफलताएँ निराशा का कारण नहीं थीं बल्कि सफलता तक पहुँचने की सीढ़ियाँ थीं क्योंकि इसी प्रयास में उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया था।

प्रश्न 2.
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की अनुपम देन है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
वायुयान के आविष्कार में राइट ब्रदर्स की देन अनुपम है। यह उन्हीं के प्रयासों का फल है कि हम आज आकाश में भी उड़ सकते हैं और मीलों की दूरियाँ घण्टों में तय कर सकते हैं।

आत्म- बोध

1. आप सपने देखिए और उन सपनों को पूरा करने में निरन्तर लगे रहो।
2. क्या आप का कोई सपना है ? आप उस सपने को कैसे साकार करेंगे ?
3. असफलताएँ भी आपको ढेर सारी सीख देकर जाती हैं। असफल होने पर निराश मत होइए।
4. राइट ब्रदर्स के जीवन से प्रेरणा लेते हुए आप भी जीवन में कुछ रचनात्मक कार्य करने की कोशिश करें। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुयान का आविष्कार किसने किया ?
(क) राइट ब्रदर्स ने
(ख) डेविड ब्रदर्स ने
(ग) पेन ब्रदर्स ने
(घ) किम ब्रदर्स ने
उत्तर:
(क) राइट ब्रदर्स ने

प्रश्न 2.
राइट ब्रदर्स ने सबसे पहली उड़ान कब भरी ?
(क) 1901 में
(ख) 1902 में
(ग) 1903 में
(घ) 1904 में
उत्तर:
(ग) 1903 में

प्रश्न 3.
बचपन में राइट ब्रदर्स को किस तरह का शौक था ?
(क) कुश्ती का
(ख) मशीनों से जूझने का
(ग) वायुयान बनाने का
(घ) पढ़ने का
उत्तर:
(ख) मशीनों से जूझने का

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट

प्रश्न 4.
सबसे पहली उड़ान को कितने लोगों ने देखा ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

प्रश्न 5.
राइट ब्रदर्स ने अन्य क्या कार्य किए ?
(क) अखबार छापना
(ख) साइकिल बनाना
(ग) साइकिल बेचना
(घ) ये तीनों
उत्तर:
(घ) ये तीनों

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट Summary

वायुयान के जन्मदाता : विल्बर 191 राइट और ओरविल राइट पाठ का सार

आज हवाई जहाज़ के द्वारा देश-विदेश की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। परन्तु जब हवाई जहाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने की कल्पना करते थे। अपनी इस कल्पना को साकार करने की दिशा में मनुष्य ने गुब्बारों से उड़ने की कोशिश की। इसके बाद ग्लाइडर के द्वारा उड़ने का प्रयास किया गया। उड़ने के इन प्रयोगों में कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मनुष्य का आकाश में उड़ने का सपना साकार हो सका अमेरिका के दो भाइयों, विल्बर राइट और ओरविल राइट की लगन और अथक प्रयासों के कारण। इनके पिता का नाम मिल्टन था जो एक पादरी थे। दोनों ही भाई प्रखर बुद्धि के थे उन्हें तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था। एक दिन इनके पिता दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए जो छत की ऊंचाई तक उड़ सकता था। इस खिलौने को देखकर इनके मन में विचार आया कि यदि यह छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ आकाश में ज़रूर उड़ सकती है। इसी से प्रेरणा लेकर दोनों भाइयों ने एक बड़ा खिलौना बनाया परन्तु बड़ा होने के कारण वह बहुत कम उंचाई तक उड़ पाता था।

इसके बाद इन्होंने पतंगें बनानी शुरू की। थोड़ा और बड़ा होने पर दोनों भाइयों ने एक प्रैस खोली और अखबार छापने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद प्रेस का काम छोड़कर साइकिल बनाने और बेचने का काम शुरू किया। इन्हीं दिनों जर्मनी के एक आविष्कारक की ग्लाइडर उड़ाते हुए मृत्यु हो गई। राइट ब्रदर्स के मन में अभी भी आकाश में उड़ने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने अपने सपने को साकार करने की ठान ली और जहाज़ बनाने के फिर से काम करना शुरू कर दिया। उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने हिम्मत न हारी। उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया और 17 दिसम्बर, सन् 1903 को पहली उड़ान भरी। दोनों भाइयों ने इस दिशा में सफल परीक्षण किए। सन् 1912 में टाइफाइड के कारण विल्बर की मृत्यु हो गई। इससे इनके भाई ओरविल को बहुत धक्का लगा लेकिन इन्होंने अपने भाई द्वारा किए गए परीक्षणों को जारी रखा। इन्होंने सन् 1916 में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली जिसमें उसके द्वारा हवाई जहाज़ों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए। इस तरह अनेक प्रयोग करते हुए 30 जनवरी, सन् 1948 को ओरविल की भी मृत्यु हो गई। वायुयान के विकास में इन दोनों भाइयों की अनुपम देन को भुला कौन सकता है। उनके द्वारा पहली उड़ान के समय में प्रयोग में लाया गया यान आज भी वाशिंगटन में नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूज़ियम में रखा हुआ है।

कठिन शब्दों के अर्थ:

सदी = शताब्दी। नज़दीक = पास। ओझल = गायब। आविष्कार = खोज। जननी = माँ। इन्सान = मनुष्य। नियंत्रित = वश में। अथक = न थकने वाला, निरन्तर। जान से हाथ धोना = मारा जाना। प्रयास = कोशिश। प्रखर = तेज़। परीक्षण = प्रयोग। सतत् = लगातार।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 तीन प्रश्न

Hindi Guide for Class 6 तीन प्रश्न Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध (प्रश्न)

1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिये जा चुके हैं।

विख्यात = मशहूर
आशंका = शंका होना
ढिंढोरा पीटना = सभी को जानकारी देना
सम्मति = सहमति
रुधिर = रक्त, खून
अस्फुट शब्द = टूटे- फूटे शब्द
अपहृत = छीन ली, ले ली
कंदरा = गुफा
कुदाली = फावड़ा
स्त्राव = प्रवाह
रक्षक = रक्षा करने वाला

2. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(क) साधु ने राजा को देखकर उसका …………… किया। (स्वागत, अपमान)
(ख) राजा ने घायल आदमी को ………….. पानी पिलाया। (ताज़ा, गंदा)
(ग) जब राजा साधु की कुटी के सामने पहुंचा तब वह ………………… रहा था। (नहा, धरती गोड़)
उत्तर:
(क) स्वागत
(ख) ताज़ा
(ग) धरती गोड़

3. लिंग बदलें

1. साधु = ………………..
2. पंडित = ………………..
3. आदमी = ………………….
4. राजा = …………………….
उत्तर:
1. साधु – साध्वी
2. पंडित – पंडिताइन
3. आदमी – औरत
4. राजा – रानी

4. समानार्थक लिखिए

1. कर्तव्य = ……………….
2. शुश्रूषा = ……………..
3. स्राव = ………………..
4. पंडित = …………………
5. व्यतीत = ………………….
6. निश्चित = ………………….
7. भविष्य = …………………
8. निर्णय = ……………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. कर्तव्य = फर्ज
2. शुश्रुषा = सेवा
3. स्राव = प्रवाह/बहाव
4. पंडित = विद्वान्
5. व्यतीत = बिताना
6. निश्चित = सही समय
7. भविष्य = आने वाला समय
8. निर्णय = फैसला

5. शुद्ध रूप लिखें

1. अपहिरत = ……………….
2. कारयक्रम = ………………
3. नीरधारित = …………………
4. वयतीत = ………………..
5. सूर्यासत = ………………..
6. मूरछित = ………………..
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. अपहिरत = अपहृत
2. कारयक्रम = कार्यक्रम
3. नीरधारित = निर्धारित
4. वयतित = व्यतीत
5. सूर्यासत = सूर्यास्त
6. मूरछित = मूछित

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

6. साधु ने कहा-“देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
-इस वाक्य में निर्देशक चिहन हैं जो वक्ता की उक्ति के आरम्भ में कहा, बोला, पूछा आदि शब्दों के आगे लगता है।
-“” उद्धरण चिह्न हैं जो बोलने वाले की उक्ति को ज्यों का त्यों लिखने पर लगाए जाते हैं।
‘,’ चिह्न अल्प विराम का है। अल्प’ का अर्थ है थोड़ा। वाक्य में जहाँ थोड़े समय के लिए रुकना पड़े वहाँ अल्प विराम चिह्न लगता है। इसके अतिरिक्त एक ही प्रकार के शब्दों, क्रियाओं, वाक्यांशों के मध्य, किसी के परिचय से पहले, दो वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों से पहले, वाक्यों में संबोधन से पहले, तारीख और सन् के मध्य इस चिह्न का प्रयोग होता है।
-(!) चिह्न का परिचय पहले दिया जा चुका है। इसका नाम आप स्वयं बताएं। अब नीचे लिखे वाक्यों में उचित विराम चिहन लगाएँ

1. राजा ने कहा आप थक गए हैं लाइए मुझे कुदाली दीजिए
2. राजा ने कहा मैं तुम्हें जानता भी नहीं फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ
3. साधु ने कहा देखो कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है आओ उसे देखें
4. तुम मुझे नहीं जानते लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ
उत्तर:
1. राजा ने कहा, “आप थक गए हैं, लाइए मुझे कुदाली दीजिए।”
2. राजा ने कहा, “मैं तुम्हें जानता भी नहीं; फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया, जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ।”
3. साधु ने कहा, “देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
4. तुम मुझे नहीं जानते, लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ।

7.
(1) साधु क्यारियों में बीज बो रहा था।
(2) राजा ने शहर में ढिंढोरा पिटवाया।
(3) सूर्य वृक्षों के पीछे डूबने लगा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बो रहा था’ से काम का करना, ‘पिटवाया‘ से करवाना तथा ‘डूबने लगा‘ से होना प्रकट हो रहा है। अतः ये क्रिया पद हैं। अतएव वाक्य में जिस पद से किसी काम का ‘करना‘, ‘करवाना’ अथवा ‘होना‘ प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं।

8. निम्नलिखित में से क्रिया-पद छाँटिए

1. उसके पेट में एक बड़ा घाव था।
2. साधु ने राजा की बातें सुनीं।।
3. वहाँ उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
4. उस मनुष्य ने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
उत्तर:
(1) था
(2) सुनी
(3) लिटा दिया
(4) बन्द कर ली।

9.
1. उसने पीने के लिए कुछ पानी माँगा।
2. साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था।
3. राजा सो गया। 4. वह बैठ गया।
पहले वाक्य में ‘माँगने’ का फल ‘पानी‘ पर दूसरे वाक्य में ‘गोड़ने‘ का फल ‘धरती‘ पर पड़ रहा है। अतः ‘पानी‘ और ‘धरती‘ कर्म हैं। इन पर क्रिया का फल पड़ने से माँगना और गोड़ना-ये सकर्मक क्रियाएँ हैं। तीसरे वाक्य में ‘सोने‘ और चौथे वाक्य मैं ‘बैठने’ का फल सीधा क्रमशः ‘राजा‘ और ‘वह‘ पर पड़ रहा है। इन क्रियाओं में कर्म नहीं है, अतएव ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।

विशेष:
वाक्य में ‘क्या’, ‘किसको’ अथवा ‘किसे’ प्रश्न लगाकर यदि उत्तर हाँ में मिलता है तो क्रिया सकमर्क होगी अन्यथा अकर्मक होगी। उदाहरण : साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था। इस वाक्य में यदि प्रश्न स्वरूप क्या लगा दें तो प्रश्न होगा-साधु अपनी कुटी के सामने क्या गोड़ रहा था? उत्तर होगा-धरती। अतः धरती कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ जिसको गोड़ रहा था क्रिया की अपेक्षा है।

इसके विपरीत तीसरे वाक्य में प्रश्नस्वरूप’ क्या, किसको किसे ‘प्रश्न करें’ जैसे-राजा क्या/किसको सो गया? तो उत्तर नहीं मिलता है। अतः वाक्य में कर्म न होने के कारण यह अकर्मक क्रिया है।

10. निम्नलिखित में से सकर्मक तथा अकर्मक क्रियाएँ छाँटिए

1. राजा और साधु ने मिलकर उसके कपड़े खोले। ( )
2. उसे बिस्तर पर लिटा दिया। ( )
3. वह अपने घोड़े से उतर गया। ( )
4. राजा ने घाव पर पट्टी बाँधी। ( )
5. उसने अपने हाथ से पसीना पोंछा। ( )
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

विचार-बोध म

(क)
1. राजा के मन में क्या विचार उठा ?
2. राजा ने अपने राज्य में क्या ढिंढोरा पिटवाया ?
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए किस के पास गया ?
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है ?
(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को क्या-क्या बताया ?
6. साधु ने राजा के प्रश्नों का क्या उत्तर दिया ?
7. क्या राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हुआ ?
8. किसने राजा को अपना शत्रु बताया और क्यों ?
9. राजा ने शत्रु को क्यों क्षमा किया ?
10. संसार में मनुष्य क्यों जन्म लेता है ? साधु ने क्या बताया है ?
उत्तर:
(क)
1. राजा के मन में विचार उठा कि यदि मैं यह जान जाऊँ कि प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है, तो फिर किसी कार्य में असफल होने की आशंका न रह जाए।
2. राजा ने अपने राज्य में यह ढिंढोरा पिटवाया कि जो मुझे तीन बालों की शिक्षा देगा उसे मैं बहुत बड़ा पुरस्कार दूंगा।
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए एक साधु के पास गया।
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय वर्तमान होता है।

(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को निम्नांकित बातें कहीं

  • दिन, मास और वर्षों का कार्यक्रम निर्धारित कर लेना चाहिए।
  • उचित समय के निर्धारण के लिए पण्डितों की एक समिति बनानी चाहिए।
  • निर्णय तुरन्त कर लेना चाहिए, परन्तु भविष्य का ज्ञान भी हो।

6. साधु ने राजा के प्रश्नों के निम्नलिखित उत्तर दिए

  • किसी कार्य को आरम्भ करने का ठीक समय वह समय है जिसमें आप जी रहे हैं अर्थात् वर्तमान काल सबसे ज़रूरी है।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण लोग वे हैं जो उस बड़ी हमारे साथ हैं।
  • मानवता की सेवा करना सबसे उत्तम कार्य है।

7. राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हो गया।
8. एक दाढ़ी वाला व्यक्ति राजा का पुराना शत्रु था। उसके भाई को राजा ने फाँसी लगवा दी थी।
9. राजा ने शत्रु को इसलिए क्षमा कर दिया क्योंकि उसकी देखभाल करने से राजा के प्राण बच गए थे। राजा को घायल की देखभाल में बहुत समय बीत गया था। इसलिए वह अपनी नगरी को न लौटा।
10. संसार में मनुष्य दूसरों का उपकार करने के लिए ही जन्म लेता है। इसलिए उपकार करना ही परमावश्यक कर्त्तव्य है।

आत्म- बोध

1. अपने कर्त्तव्य को पहचानो और करो।
2. अपना कर्त्तव्य पूरा करके महान् बनने वालों की जीवनियां पढ़िए और उनसे प्रेरणा लें।
3. जैसे राजा ने शत्रु की पट्टी की ऐसे ही गुरु गोबिन्द सिंह जी के युद्ध की घटना का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रत्येक कार्य को करने के लिए सबसे उचित समय कौन-सा होता है ?
(क) वर्तमान
(ख) भविष्य
(ग) भूतकाल
(घ) निर्वतमान
उत्तर:
(क) वर्तमान

प्रश्न 2.
किसकी सेवा सबसे उत्तम कार्य है ?
(क) मानवता
(ख) दानवता
(ग) धर्म
(घ) भ्रम
उत्तर:
(क) मानवता

प्रश्न 3.
राजा अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए किसके पास गया ?
(क) मंत्री के
(ख) दूसरे राजा
(ग) वजीर
(घ) साधु
उत्तर:
(घ) साधु

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से क्रिया शब्द चुनें :
(क) माँगना
(ख) फल
(ग) समाज
(घ) रवि
उत्तर:
(क) माँगना

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) गोड़ना
(ख) बैठना
(ग) सोना
(घ) कहाँ
उत्तर:
(घ) कहाँ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण है ?
(क) राजा
(ख) साधु
(ग) वर्तमान
(घ) उठा
उत्तर:
(घ) उठा

तीन प्रश्न Summary

तीन प्रश्न पाठ का सार

‘तीन प्रश्न’ पाठ में एक राजा के मन में आये तीन प्रश्नों के बारे में कहा गया है। उसके तीन प्रश्न थे

(1) किसी कार्य को आरम्भ करने का सबसे ठीक समय कौन-सा है ?
(2) सबसे महत्त्वपूर्ण लोग कौन हैं ?
(3) सबसे ज़रूरी काम कौन-सा है ?

राजा ने घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत बड़ा पुरस्कार दिया जाएगा। बड़े-बड़े विद्वान् दूर-दूर से राजा के पास आए। सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उत्तर दिए। पहले प्रश्न के उत्तर में बहुत-से लोगों का उत्तर अलग-अलग रहा। ऐसे ही दूसरे प्रश्न के उत्तर भी अलग-अलग थे। तीसरे प्रश्न के भी जितने विद्वानों ने उत्तर दिए उन सब के अपने-अपने विचार थे। राजा को किसी भी उत्तर पर सन्तुष्टि नहीं हुई। अतः वह किसी भी विद्वान् को इनाम देने के पक्ष में नहीं था। राजा उदास रहने लगा। एक दिन राजा को पता चला कि समीप के जंगल में एक महात्मा रहते हैं, जो उच्चकोटि के ज्ञानी हैं। परन्तु वह महात्मा सीधे-सादे लोगों से ही मिलते हैं। अगली सुबह राजा सादी वेश-भूषा में महात्मा से मिलने निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर राजा ने महात्मा को कुटिया के बाहर क्यारियों की खुदाई फावड़े से करते देखा। राजा ने उन्हें नमस्कार किया। महात्मा का शरीर दुर्बल था। धरती में फावड़ा मारते ही उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगती थी। राजा ने महात्मा से अपने तीन प्रश्नों के उत्तर देने का विनम्र निवेदन किया। महात्मा चुप रहे और फावड़ा मारते रहे। राजा ने तीनों प्रश्न कह दिए।

महात्मा ने राजा के प्रश्न सुने किन्तु उनका उत्तर नहीं दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। राजा ने फावड़ा महात्मा से पकड़ कर क्यारियाँ खोदनी शुरू कर दी। दो क्यारियाँ खोदने के बाद राजा महात्मा के पास आया और उनसे प्रश्न पूछे। महात्मा ने उत्तर न देते हुए राजा से फावड़ा पकड़ाने और राजा को आराम करने को कहा। राजा ने फावड़ा नहीं दिया और फिर खोदने लगा। एक घण्टा बीता फिर दूसरा बीता और सूर्य पेड़ों के नीचे छिपने लगा। राजा को घर लौटने की चिन्ता हुई। उसने फिर महात्मा से प्रश्नों के उत्तर देने को कहा और घर जाने की आज्ञा मांगी। तभी सामने की ओर से एक आदमी भागते हुए आया। राजा ने मुड़ कर देखा तो एक दाढ़ी वाला आदमी था। राजा के समीप पहुँचते ही वह चीख कर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। राजा और महात्मा ने उनका पेट खोल कर घाव भर दिया और उसे कुटिया के अन्दर चारपाई पर डाल दिया।

रात बहुत हो चुकी थी। राजा भी थक कर चूर-चूर हो गया था। वह चौखट का सहारा लेकर लेट गया और देखते-ही-देखते उसे गहरी नींद आ गई। अगले दिन जब राजा की आँखें खुली तो राजा ने उस व्यक्ति की ओर टकटकी लगा कर देखा तभी वह व्यक्ति धीरे से बोला मुझे क्षमा कर दो। राजा ने कहा मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं तो माफ़ी किस बात की दूँ। घायल व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको जानता हूँ पर आप मुझे नहीं जानते। मैं आपका वही पुराना शत्रु हूँ जिसके भाई को आपने फाँसी दे दी थी। मैं आपकी हत्या करने आया था। मुझे मालूम था कि आप महात्मा से मिलने आ रहे हैं। मैंने लौटते समय आपकी हत्या की योजना बनाई थी, परन्तु दिन पूरा हो गया तो आप नहीं लौटे। मैं अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला तो आपके सैनिकों ने मुझे पहचान लिया और मुझे घायल कर दिया। मैं अवश्य मर जाता अगर आप मेरी देखभाल न करते। मैं आपका जीवन-भर दास बना रहूँगा। मेरे बच्चे भी आपके दास होंगे। मुझे क्षमा कर दें।

घायल व्यक्ति से विदा लेकर राजा घर जाने से पूर्व महात्मा से अन्तिम बार विदा लेने लगा। उसने तीनों प्रश्नों के उत्तर पूछे तब महात्मा ने कहा तुम्हें उत्तर तो मिल गए हैं। राजा ने कहा मैं समझा नहीं। महात्मा बोले कल जब तुम मेरी दुर्बलता पर दया करके मेरी मदद न करते तो तुम मारे जाते। तुमने मेरी मदद करने के लिए क्यारियाँ खोदी वही तुम्हारा सब से ठीक समय था। उसके बाद वह आदमी भागा-भागा तुम्हारे पास आ कर गिर पड़ा। तुमने उसका इलाज किया। वही आदमी सबसे महत्त्वपूर्ण था जिसकी तुमने जान बचाई। उसकी जान बचाना सबसे आवश्यक कार्य था। अतः तुम्हें अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मिल गए।

कठिन शब्दों के अर्थ:

अनुकूल = पक्ष में रहने वाला। स्थिति = हालत। विख्यात = मशहूर। कुटिया = झोंपड़ी। पुरोहितों = कुल गुरुओं। ज्योतिषियों = ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता। महत्त्वपूर्ण = महत्ता से युक्त, विशेष। चिकित्सा = इलाज। अंगरक्षक = रक्षा करने वाला। सेवादार = सेवा करने वाला। पश्चात्ताप = पछतावा। सन्तुष्टि = तसल्ली। महात्मा = महान् आत्मा वाला। दुर्बल = कमज़ोर।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न

Hindi Guide for Class 11 PSEB स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
‘सामाजिक व्यवस्था में स्त्री और पुरुष के अधिकारों में विषमता क्यों नहीं मिट सकी ?’ पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
लेखिका के अनुसार सामाजिक व्यवस्था में स्त्री और पुरुष के अधिकारों में विषमता इसलिए नहीं मिट सकी क्योंकि अर्थ सदा से ही शक्ति का अन्धानुगामी रहा है। जो अधिक सबल था उसने सुख के साधनों का पहला अधिकारी अपने आप को माना और अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार धन का बंटवारा करना अपना कर्तव्य समझा। यह सच है कि बाद में समाज के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह सबल हो या निर्बल, तीव्र बुद्धि हो या मन्द बुद्धि जीवन निर्वाह का साधन देना आवश्यक-सा हो गया। परन्तु उस आवश्यकता में भी शक्ति का दखल रहा। सबल ने दुर्बलों को उसी मात्रा में निर्वाह की सुविधाएँ देना स्वीकार किया, जितनी वे उनके लिए उपयोगी हों। समाज में स्त्री चूंकि निर्बल मानी गई इसलिए सामाजिक व्यवस्था में स्त्री पुरुष में यह विषमता बनी रही।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 17 स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न

प्रश्न 2.
‘आर्थिक दृष्टि से स्त्री की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हो सका।’ लेखिका के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं ? अपने विचार स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखिका की यह बात पूर्णतः सत्य है। भले ही स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्थिति में कुछ बदलाव आया है परन्तु मूल रूप से स्त्री की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसका एक कारण हमारे समाज का पुरुष प्रधान होता है, जिस कारण स्त्री को आर्थिक दृष्टि से पुरुष पर निर्भर रहना पड़ता है। स्त्री की यह परवशता उसके विकास और आत्मविश्वास में बाधक है।

लेखिका के इस विचार से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं कि क्यों पुरुष प्रधान समाज में कभी भी स्त्री को आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं होने दिया। पुरुष बाहर जाकर कमाता था और स्त्री घर सम्भालती थी इसलिए स्त्री घर की चार दीवारी में बन्द होकर रह गयी उसे आर्थिक दृष्टि से सदा पुरुष का मुँह ही देखना पड़ा। उसे समाज ने कोई ऐसा अवसर प्रदान नहीं किया जिससे वह आर्थिक दृष्टि से स्वाबलम्बी बन सके।

प्रश्न 3.
नारी जाति की स्थिति में निरन्तर होने वाले सुधारों का ऐतिहासिक क्रम में उल्लेख करते हुए वर्तमान स्थिति में लेखिका द्वारा दिये गए सुझावों से आप कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्राचीन वेदकालीन समाज में विवाह को बहुत महत्त्व दिया गया। सन्तान को जन्म देने के कारण स्त्री को बड़ा गौरवमय स्थान प्राप्त हुआ। स्त्री को घर गृहस्थी की मालिक बनाया गया। उसके मातृत्व को विशेष आदर दिया गया। सभ्यता के विकास के साथ-साथ स्त्री की स्थिति में कई परिवर्तन आए। स्त्री की स्थिति ही समाज के विकास के नापने का मापदंड माना जाता है। इस बर्बर समाज में स्त्री पर पुरुष का वैसा ही अधिकार है जैसे वह अपनी अन्य स्थावर सम्पत्ति पर रखने को स्वतंत्र है। इसके विपरीत पूर्ण विकसित समाज में स्त्री पुरुष की सहयोगिनी तथा समाज का आवश्यक अंग मानी जाकर माता तथा पत्नी के महिमामय आसन पर आसीन रहती है। लेखिका द्वारा दिये गए इन सुझावों से हम पूर्णतया सहमत हैं।

प्रश्न 4.
‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखें। उत्तर-देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया निबन्ध का सार। प्रश्न 5. लेखिका निबन्ध के उद्देश्य को स्पष्ट करने में कहाँ तक सफल रही है ?
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में महादेवी जी का उद्देश्य भारतीय नारी की आर्थिक दृष्टि से परवशता पर प्रकाश डालना है। लेखिका के अनुसार यह एक कटु सत्य है कि सारी सामाजिक, राजनैतिक और अन्य सुविधाओं की रूप-रेखा शक्ति के अनुसार ही निर्धारित होती रही है। युग आए-युग चले गए, सभ्यता में अनेक परिवर्तन हुए लेकिन आर्थिक दृष्टि से नारी आज भी बहुत कुछ उसी हीन और दुर्बल स्थिति में पड़ी है-जैसी प्राचीनकाल में भी थी। इस पुरुष प्रधान समाज में नारी निर्बल होने के कारण आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं हो सकी।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
लेखिका ने समाज की व्यवस्था में साम्य न कर सकने का क्या कारण बताया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखिका का मत है कि धन सदा ही शक्ति का अनुगामी रहा है। शक्तिशाली मनुष्य ने अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही धन का विभाजन किया। शक्तिशाली मनुष्य ने दुर्बलों को उतनी ही मात्रा में सुख-सुविधाएँ दीं जो उनके लिए ज़रूरी एवं उपयोगी थीं। उसने समाज सुविधाएँ सबके लिए नहीं उपलब्ध कराईं। यही कारण था कि समाज की व्यवस्था में साम्यता न आ सकी।

प्रश्न 2.
वैदिक समाज में स्त्री की उन्नति का क्या कारण था ?
उत्तर:
वेदकालीन समाज में पुरुष ने सन्तान की आवश्यकता के कारण और अनाचार रोकने के लिए विवाह को अधिक महत्त्व दिया। सन्तान की जन्मदात्री होने के कारण स्त्री की गरिमा बढ़ गई। उसे यज्ञ जैसे धर्म कार्यों में पति का साथ देने के कारण सहधर्मिणी माना गया और घर की व्यवस्था करने के लिए गृहिणी का पद दिया गया।

प्रश्न 3.
स्त्री को पिता की सम्पत्ति से वंचित करने में क्या उद्देश्य रहा होगा ? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
वैसे तो इस उद्देश्य के बारे में कहना कठिन है किन्तु सम्भव है स्त्री के निकट वैवाहिक जीवन को अनिवार्य रखने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई हो। यह भी हो सकता है पुरुष समाज में इस ओर ध्यान ही न दिया हो। कन्या को पिता की सम्पत्ति में स्थान देने से यह कठिनाई भी आ सकती थी कि पिता की सम्पत्ति पर दूसरे परिवारों को उत्तराधिकार हो जाने पर परिवार की व्यवस्था में अस्थिरता आ सकती हो।

प्रश्न 4.
‘प्राचीन समाज में स्त्री के स्वतन्त्र अस्तित्व की कभी चिन्ता ही नहीं की गई।’ इसका क्या कारण था ?
उत्तर:
समाज में स्त्री के मातृत्व को विशेष आदर दिया गया किन्तु सामाजिक व्यक्ति के रूप में उसे विशेष अधिकार न दिए गए। समाज के निकट स्त्री पुरुष की संगिनी होने के कारण ही उपयोगी थी। उससे भिन्न उसका अस्तित्व चिन्ता करने के योग्य नहीं रहता था। दूसरे, समाज भी पुरुष प्रधान था जिसने स्त्री के स्वतन्त्र अस्तित्व की बात कभी सोची ही नहीं।

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प्रश्न 5.
आर्थिक पराधीनता व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव डालती है ?
उत्तर:
आर्थिक पराधीनता व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास रोक देती है। न व्यक्ति अपनी इच्छा से कुछ कर पाता है न ही करने के योग्य रहता है। व्यक्ति एक घेरे में कैद होकर रह जाता है जिस से बाहर आने के लिए उसके सारे संघर्ष बेकार सिद्ध हो जाते हैं। उसे अभिमन्यु की तरह हर ओर से घेरा जाता है। परिणाम वही होता जो महाभारत के अभिमन्यु का हुआ था।

प्रश्न 6.
सापेक्षता ही सामाजिक सम्बन्ध का मूल है। भारतीय समाज में स्त्री पुरुष का सम्बन्ध कहाँ तक सापेक्ष है ? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर:
समाज में पूर्ण रूप से स्वतन्त्र कोई भी नहीं है क्योंकि सापेक्षता ही सामाजिक सम्बन्ध का मूल है। व्यक्ति उतना ही दूसरे पर निर्भर करता है जितना वह उससे अपेक्षा रखता है। भारतीय समाज में स्त्री पुरुष सम्बन्ध सापेक्ष नहीं है। दोनों में यह भाव समान नहीं है। दोनों एक-दूसरे पर समान रूप से निर्भर नहीं करते। इसी कारण भारतीय स्त्री की सापेक्षता सीमातीत हो गई है। पुरुष की अपेक्षा स्त्री पुरुष पर अधिक निर्भर है। पुरुष को स्त्री रूपी साधन के नष्ट होने पर कुछ हानि नहीं होती जबकि स्त्री हर बात में पुरुष की सहायता चाहती है।

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PSEB 11th Class Hindi Guide स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वेदकालीन समाज में नारी को क्या समझा जाता था ?
उत्तर:
केवल संतान पैदा करने वाली और गृहस्थी संभालने वाली।

प्रश्न 2.
भारतीय पुरुष स्त्री को क्या कहता है ?
उत्तर-सहयात्री।

प्रश्न 3.
‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ कहाँ से संकलित है ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा की कृति ‘श्रृंखला की कड़ियों’ से।

प्रश्न 4.
शक्ति का अनुगामी कौन रहा है ?
उत्तर:
धन।

प्रश्न 5.
आदिकाल से स्त्री को क्या समझा जा रहा है ?
उत्तर:
सुख का साधन।

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प्रश्न 6.
आर्थिक रूप से स्त्री को किस पर निर्भर रहना पड़ता था ?
उत्तर:
पुरुष पर।

प्रश्न 7.
वेदकालीन समाज में नारी की …………. पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उत्तर:
आर्थिक स्वतंत्रता।

प्रश्न 8.
वेदकालीन समाज में नारी को पिता की ………. में कोई अधिकार नहीं था।
उत्तर:
सम्पत्ति।

प्रश्न 9.
हमारे समाज में पुरुष को क्या कहा गया है ?
उत्तर:
भर्ता।

प्रश्न 10.
स्त्री सदा किसका मुँह ताकती रहती है ?
उत्तर:
पुरुष का।

प्रश्न 11.
प्राचीन समाज में स्त्री के मातृत्व को …………… दिया गया।
उत्तर:
विशेष आदर।

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प्रश्न 12.
प्रारम्भ से हमारा समाज कैसा रहा है ?
उत्तर:
पुरुष प्रधान।

प्रश्न 13.
किस समाज में विवाह को महत्त्व दिया गया ?
उत्तर:
वेदकालीन समाज में।

प्रश्न 14.
किसकी स्थिति समाज को मापने का मापदण्ड मानी जाती है ?
उत्तर:
स्त्री की।

प्रश्न 15.
पुरुष प्रधान समाज में नारी आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र क्यों नहीं हो सकी ?
उत्तर:
‘निर्बल होने के कारण।

प्रश्न 16.
समाज का निर्माण कौन करता है ?
उत्तर:
शक्तिशाली व्यक्ति।

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प्रश्न 17.
समाज में पूर्ण रूप से कौन स्वतंत्र है ?
उत्तर:
कोई भी नहीं।

प्रश्न 18.
व्यक्ति का शारीरिक, बौद्धिक तथा मानसिक विकास कौन रोक देता है ?
उत्तर:
आर्थिक पराधीनता।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामाजिक प्राणी के लिए किसका अधिक महत्त्व है ?
(क) धन का
(ख) मन का
(ग) तन का
(घ) मधुवन का ।
उत्तर:
(क) धन का

प्रश्न 2.
धन सदा किसका अनुगामी रहा है ?
(क) भक्ति का
(ख) शक्ति का
(ग) अनुशक्ति का
(घ) विरक्ति का।
उत्तर:
(ख) शक्ति का

प्रश्न 3.
पुरुष को हमारे समाज में क्या कहा जाता है ?
(क) भर्ता
(ख) कर्ता
(ग) अनुकर्ता
(घ) सतर्कता।
उत्तर:
(क) भर्ता

प्रश्न 4.
प्रारम्भ से भारतीय समाज कैसा है ?
(क) पुरुष प्रधान
(ख) स्त्री प्रधान
(ग) देव प्रधान
(घ) भोग प्रधान।
उत्तर:
(क) पुरुष प्रधान !

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कठिन शब्दों के अर्थ :

अनुगामी = पीछे चलने वाला। अर्थ = धन। सबल = शक्तिवान, शक्तिशाली। मेधावी = लायक, तीव्र बुद्धि। मंदबुद्धि = कम अक्ल, कमज़ोर बुद्धि वाला। सुगमतापूर्वक = आसानी से। प्रतिद्वंद्विता = बराबर वालों की लड़ाई । आदिम युग = प्राचीन युग, आरम्भिक युग। अनुगमन = साथ चलना। तुला = तराजू । परालंबन = दूसरे का सहारा, दूसरे पर निर्भर। भर्ता = स्वामी, भरण-पोषण करने वाला। परमुखापेक्षणी = दूसरे के मुँह की तरफ देखने वाली। विषमता = अन्तर, भेद, असमता। श्लाघ्य = प्रशंसनीय। द्रव्य-उपार्जन = धन कमाना। स्पृहणीय = वांछनीय। यीतुक = दहेज । अनिवार्य = ज़रूरी। विधान = नियम। स्वयंवरा = अपने आप वर की तलाश करना। बलात् = बलपूर्वक, ज़बरदस्ती। संगिनी = साथिन । नितान्त = बिलकुल। बर्बर = दुष्ट, अत्याचारी। परवशता = पराये वश में होना, दूसरे पर निर्भर। स्वावलम्बन = आत्मनिर्भरता। सापेक्षता = परस्पर सम्बन्ध और आदान-प्रदान की स्थिति। सीमातीत = सीमा से परे । क्षमता = सामर्थ्य । सहयात्री = हमसफर, साथ यात्रा करने वाली। उपहास = मज़ाक।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) अर्थ सदा से शक्ति का अन्ध-अनुगामी रहा है। जो अधिक सबल था उसने सुख के साधनों का प्रथम अधिकारी अपने आप को माना और अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही धन का विभाजन करना कर्त्तव्य।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा के निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देते हुए आर्थिक दृष्टि से स्त्री की परवशता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या :
लेखिका स्त्री की आर्थिक दृष्टि से परवशता की ऐतिहासिक पृष्ठभमि का उल्लेख करती हुई कहती है कि आदिकाल से ही धन शक्ति का अन्धानुकरण करता रहा है। जो अधिक शक्तिशाली था उसने सुख के साधनों का पहला अधिकारी अपने आपको माना और धन का बँटवारा अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार ही किया।

विशेष :

  1. आदिकाल से ही शक्तिशाली व्यक्ति को सभी अधिकार मिले हुए थे।
  2. शक्तिशाली के समक्ष सभी लोग उसकी बात मानने के लिए बाध्य थे।
  3. भाषा संस्कृत-निष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

(2) आदिम युग से सभ्यता के विकास तक स्त्री सुख के साधनों में गिनी जाती रही। उसके लिए परस्पर संघर्ष हुए, प्रतिद्वन्द्वता चली, महाभारत रचे गए और उसे चाहे इच्छा से हो और चाहे अनिच्छा से, उसी पुरुष का अनुगमन करना पड़ता रहा जो विजयी प्रमाणित हो सका।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वांतत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने आदिकाल से ही स्त्री को पुरुष के अधीन बताया है, उसकी अपनी इच्छा नहीं है।

व्याख्या :
स्त्री की परवशता पर प्रकाश डालते हुए लेखिका कहती है कि आदिकाल से सभ्यता के विकास तक स्त्री को सुख का साधन माना गया। स्त्री के लिए ही आपस में संघर्ष हुए, आपसी मुकाबला हुआ, महाभारत जैसे भीषण युद्धों की रचना हुई और स्त्री को चाहे मर्जी से न मर्जी से उसी पुरुष के साथ जाना पड़ा जो विजयी हो सका। लेखिका के कहने का भाव यह है कि स्त्री आदिकाल से ही पुरुष की शक्ति की गुलाम रही है।

विशेष :

  1. पुरुष के समक्ष स्त्री की अपनी कोई इच्छा का अर्थ नहीं था।
  2. जिस स्त्री को लेकर पुरुष आपस में युद्ध करते थे उसकी इच्छा का उनके लिए कोई अर्थ नहीं था।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

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(3) जीवन में विकास के लिए दूसरों से सहायता लेना बुरा नहीं, परन्तु किसी को सहायता दे सकने की क्षमता न रहना अभिशाप है । सहयात्री वे कहे जाते हैं, जो साथ चलते हैं। कोई अपने बोझ को सहयात्री कहकर अपना उपहास नहीं करा सकता।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा के निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने पुरुष द्वारा स्त्री को हम साथी कहने के साथ बोझ भी समझा है का वर्णन किया है।

व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखिका स्त्री की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहती है कि जीवन में विकास के लिए दूसरों से सहायता लेना बुरा नहीं है परन्तु किसी की सहायता न कर सकना या उसकी सामर्थ्य न रखना एक अभिशाप है। पुरुष ने स्त्री को सहयात्री कहा है। सहयात्री वे कहे जाते हैं जो साथ चलते हैं। कोई अपने बोझ को सहयात्री कह कर अपना मज़ाक नहीं उड़ा सकता। पुरुष ने स्त्री को सहयात्री भी कहा और उसे एक बोझ भी समझा, अपने सुख का साधन भी समझा।

विशेष :

  1. पुरुषों ने स्त्री को अपने जीवन की संगिनी बताया है परन्तु साथ ही उसे बोझ भी माना है।
  2. सहयात्री जीवन में एक-दूसरे के विकास में सहायता करते हैं।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

(4) गृह और सन्तान के लिए द्रव्य-उपार्जन पुरुष का कर्त्तव्य था अतः धन स्वभावतः उसी के अधिकार में रहा। गृहिणी गृहपति की आय के अनुसार व्यय कर गृह का प्रबन्ध और सन्तान पालन आदि का कार्य करने की अधिकारिणी मात्र थी।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें समाज के पुरुष प्रधान होने और स्त्री के आर्थिक रूप से परवश होने की बात कही है।

व्याख्या :
लेखिका वेदकालीन समाज से चली आ रही परंपरा का उल्लेख करते हुए कहती है कि घर और सन्तान के लिए धन कमाना पुरुष का कर्तव्य था। अतः स्वाभाविक रूप से धन उसी के पास रहा। घरवाली घरवाले की आय के अनुसार खर्च कर घर का प्रबंध और सन्तान पालन आदि कार्य करने की अधिकारिणी मात्र थी।

विशेष :
लेखिका ने स्त्री के आर्थिक दृष्टि से परवश होने का कारण बताया है।
भाषा तत्सम प्रधान तथा शैली विचारात्मक है।

(5) सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा शक्ति द्वारा ही निर्धारित होती रही और सबल की सुविधानुसार ही परिवर्तित और संशोधित होती गयी, इसी से दुर्बल को वही स्वीकार करना पड़ा जो सुगमतापूर्वक मिल गया। यही स्वाभाविक भी था।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। इसमें लेखिका ने शक्तिशाली मनुष्य के अधिकारों का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका धन सदा शक्ति का अनुगामी रहा है’ अपने विचार की व्याख्या करते हुए कहती है कि धन क्योंकि शक्तिशाली के ही अधिकार में रहा, इसलिए सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा शक्ति द्वारा ही बनायी जाती रही और शक्तिशाली की सुविधा के अनुसार ही बदली गयी थी। उसमें कई संशोधन किए गए। यही कारण था कि कमज़ोर को वही स्वीकार करना पड़ा जो उसे आसानी से मिल गया। कमजोर व्यक्ति का ऐसा सोचना या करना स्वाभाविक ही था।

विशेष :

  1. जो व्यक्ति शक्तिशाली है समाज का निर्माण वही करता है।
  2. शक्तिशाली व्यक्ति के समक्ष कमज़ोर व्यक्ति की नहीं चलती। उसे वही स्वीकार करना पड़ता है जो उसे सुगमता से प्राप्त हो जाता है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है।

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(6) शताब्दियाँ-की-शताब्दियाँ आती जाती रहीं, परन्तु स्त्री की स्थिति की एक रसता में कोई परिवर्तन न हो सका। किसी भी स्मृतिकार ने उसके जीवन की विषमता पर ध्यान देने का अवकाश नहीं पाया ; किसी भी शास्त्रकार ने पुरुष से भिन्न करके उसकी समस्या को नहीं देखा।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ में से लिया गया है। लेखिका ने आदिकाल से चल आ रही स्त्री की स्थिति के लिए सभी को उत्तरदायी बताया है

व्याख्या :
इसमें लेखिका स्त्री की आर्थिक दृष्टि से परवशता पर किसी ने भी ध्यान देने की बात कही है। लेखिका कहती है कि सैंकड़ों साल बीत जाने पर भी स्त्री की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। अर्थात् जैसी स्थिति उसकी पहले थी वही अब है। किसी भी स्मृति ग्रन्थ लेखक को स्त्री के जीवन की इस असमता पर ध्यान देने का समय नहीं मिला। किसी भी शास्त्र लिखने वाले ने पुरुष से अलग करके स्त्री की समस्या को नहीं देखा।

विशेष :

  1. शताब्दियों के बीत जाने पर सब कुछ बदला परन्तु स्त्रियों की स्थिति नहीं बदली। प्राचीनकाल से लेकर अब तक किसी ने भी स्त्रियों की स्थिति बदलने के लिए प्रयास नहीं किए हैं।
  2. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली भावपूर्ण है।

(7) मातृत्व की गरिमा ने गुरु और पत्नीत्व के सौभाग्य से ऐश्वर्यशालिनी होकर भी भारतीय नारी अपने व्यावहारिक जीवन में सबसे अधिक क्षुद्र और रंक कैसे रह सकी, यही आश्चर्य है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने स्त्री को पुरुष समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका भारतीय स्त्री के गौरवमयी स्थान प्राप्त करने पर भी आर्थिक दृष्टि से परवश रहने की बात करती हुई कहती है कि माता का बड़ा दर्जा प्राप्त होने पर तथा पत्नी होने के कारण ऐश्वर्यशाली स्थान प्राप्त होने पर भी भारतीय नारी अपने व्यावहारिक एवं यथार्थ जीवन में सबसे तुच्छ और निर्धन कैसे रह सकी, यही आश्चर्य की बात है अर्थात् माता का एवं पत्नी का इतना ऊँचा और गौरवमय स्थान प्राप्त होने पर भी आर्थिक दृष्टि से वह आत्मनिर्भर न बन सकी, सदा परवश ही रही।

विशेष :

  1. स्त्री को पुरुष की पत्नी तथा माता होने का गौरव प्राप्त है, फिर भी वह पुरुषों के बनाए समाज में नीच मानी जाती है।
  2. पुरुषों ने कभी भी स्त्री के गौरवमय अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली प्रभावपूर्ण है।

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(8) धन की उच्छशृंखल बहुलता में जितने दोष हैं वे अस्वीकार नहीं किए जा सकते परन्तु इसके नितान्त अभाव में जो अभिशाप है वह उपेक्षणीय नहीं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबन्ध ‘स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने धन के गुण-दोष का वर्णन किया है।

व्याख्या :
लेखिका धन के महत्त्व पर प्रकाश डालती हुई कहती है कि धन के अधिक हो जाने पर उसमें अनेक दोष आ जाते हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। किन्तु धन का अभाव अर्थात् निर्धनता भी तो एक अभिशाप है। इस बात की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती। भाव यह है कि धन का सामाजिक प्राणी के जीवन में विशेष महत्त्व है।

विशेष :

  1. धन की अधिकता या कमी जीवन को नरक बना देती है।
  2. मनुष्य को अधिक धन की प्राप्ति बुरी संगति की ओर अग्रसर कर देती है तथा धन की कमी मनुष्य का जीवन उसके लिए अभिशाप बन जाता है।
  3. भाषा संस्कृतनिष्ठ है। शैली भावपूर्ण है।

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न Summary

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न का सार

प्रस्तुत निबन्ध महादेवी वर्मा जी की कृति श्रृंखला की कड़ियाँ’ में संकलित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखिका ने मनुष्य के सामाजिक विकास की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि देते हुए आर्थिक दृष्टि से नारी की परवशता पर प्रकाश डाला है।

लेखिका कहती है कि धन सदा शक्ति का अनुगामी रहा है। शक्तिशाली ने ही अपनी इच्छा और सुविधानुसार धन का बँटवारा किया है। सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा इसी शक्ति पर आधारित रही है। आदिकाल से ही स्त्री को सुख का साधन तो समझा गया किन्तु उसे आर्थिक रूप से पुरुष पर ही निर्भर रहना पड़ा है। पुरुष को हमारे समाज में भर्ता कहा गया और स्त्री सदा उसका मुँह ताकती रही है।

वेदकालीन समाज में नारी को केवल सन्तान पैदा करने वाली एवं घर-गृहस्थी सम्भालने वाली के रूप में ही देखा गया। उसकी आर्थिक स्वतन्त्रता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बस दहेज में जो कुछ दे दिया गया उसे ही काफ़ी समझा गया। पिता की सम्पत्ति में उसे कोई अधिकार नहीं दिया गया। सैंकड़ों साल बीत जाने पर भी स्त्री की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

एक सामाजिक प्राणी के लिए धन कितना महत्त्व रखता है, यह हर कोई जानता है। आर्थिक रूप से परवशता स्त्री के स्वाभाविक विकास और आत्म-विश्वास को प्रभावित करती है। भारतीय पुरुष-स्त्री को सहयात्री तो कहता है सहयोगी नहीं मानता। इसी विषमता को दूर करना होगा।