PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 19 रसायन और हमारा पर्यावरण

Hindi Guide for Class 11 PSEB रसायन और हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-

प्रश्न 1.
रसायन हमारी आवश्यकता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
हम रसायनों के युग में रह रहे हैं और आज रसायन हमारी आवश्यकता बन गया है। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिकों के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किये हैं। प्रकृति में सैंकड़ों-हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। रसायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता। पानी तो जीवन का आधार है, यह पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना एक रासायनिक यौगिक है। मधुर मीठी चीनी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनी है। कोयला और तेल, बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियाँ-एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलिन, अनाज, सब्ज़ियाँ, फल और मेवे भी तो रसायन हैं। इस प्रकार यह हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान रहे हैं इसीलिए इनकी महत्ता के विषय में जानकारी होनी आवश्यक है, क्योंकि ये हमारे जीवन की आवश्यकता है।

प्रश्न 2.
‘रसायनों का ज़रूरत से अधिक और गलत प्रयोग हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।’ पाठ से उदाहरण देकर इस तथ्य को सिद्ध करें।
उत्तर:
रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि के लिए किया जाता है किन्तु इसका अधिक प्रयोग भूमि प्रदूषण एवं जलाने का कारण तो बनता ही है, स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। फलों और सब्जियों पर किया जाने वाला कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग खाने वालों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अनेक रसायन ऐसे हैं जिनका अधिक एवं गलत प्रयोग गम्भीर एवं भयंकर रोग पैदा करने वाला होता है।

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प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ निबन्ध का सार लिखें।
उत्तर:

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
रसायनों के तात्कालिक खतरे कौन-से हैं ?
उत्तर:
खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक खतरनाक हैं। नमक का अधिक और लम्बे समय तक रक्तचाप बढ़ने का कारण बन सकता है। समुद्र के पानी में अनेक रसायन मिले होने के कारण सेहत के लिए उसे पीना भी खतरनाक है। रसायनों का सबसे बड़ा खतरा कैंसर जैसे रोग के फैलने का है।

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प्रश्न 2.
रसायनों के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं ? उदाहरण देकर उत्तर दें।
उत्तर:
रसायनों के दीर्घकालिक खतरे अभी हाल ही में उजागर हुए हैं। कुछ रसायन आगामी पीड़ियों को प्रभावित करते हैं। जैसे थैलीडोमाईड तथा ऐस्वेस्टॉस जो कैंसर पैदा करता है। इसी तरह पौलीकलोरीनेटिड बाइफेनिल जो बाद में जीवों, मछलियों और यहां तक कि मनुष्य के लिए भी खतरा उत्पन्न कर देते हैं।

प्रश्न 3.
रसायनों के प्रयोग में नियन्त्रण व निर्णय में सरकार की क्या भूमिका हो सकती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
रसायनों के गलत एवं अधिक प्रयोग से होने वाली हानियों से सरकार जनता को अवगत करवा सकती है। पर्यावरण को रसायन किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकें इसके लिए उचित कानून बना सकती है। सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा सम्बन्धी एक अलग से विभाग भी बनाया है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के अनेक उपाय भी किए हैं। किन्तु हमारा मानना है कि सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें सहयोग देना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से कैसे बचाया जा सकता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पर्यावरण को रसायनों से होने वाली हानि से बचने के लिए हमें उनका नियन्त्रित प्रयोग करना चाहिए। कुछ रसायन अपने आप में सुरक्षित हैं किन्तु वे उस समय हानि पहुँचाते हैं जब उनका मेल अन्य पदार्थों का होता है। हमें इससे बचना चाहिए। इस तरह हम कैंसर जैसे भयानक रोग एवं पेट की बीमारियों से बच सकते हैं। रसायनों के प्रयोग सम्बन्धी सरकारी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए। रसायनों का प्रयोग उनसे जुड़े अनुसंधान या सूचनाओं के आधार पर ही करना चाहिए। रसायनों के प्रयोग से होने वाली हानि एवं लाभ को ध्यान में रखना चाहिए। रसायनों का प्रयोग सुरक्षित ढंग से सुरक्षित मात्रा में करना चाहिए। रासायनिक सुरक्षा को प्रतिदिन का कार्य मान लिया जाना चाहिए। इस तरह हम रासायनों से होने वाली हानि से बच सकते हैं।

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PSEB 11th Class Hindi Guide रसायन और हमारा पर्यावरण Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें किसी भी रसायन का कौन-सा रूप ढूँढ़ना होगा ?
उत्तर:
हानिकारक रूप।

प्रश्न 2.
आज रसायनों का प्रयोग चिंता का कारण क्यों बना है ?
उत्तर:
रसायनों के अंधा-धुंध प्रयोग के कारण।

प्रश्न 3.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
रसायनों के प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण प्रदूषित क्यों हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण।

प्रश्न 5.
जीवन का प्रत्येक क्षेत्र किससे जुड़ा हुआ है ?
उत्तर:
रसायनों से।

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प्रश्न 6.
रसायनों के विनाशकारी प्रभाव से जीवन को ………. रखना होगा।
उत्तर:
सुरक्षित।

प्रश्न 7.
रसायन कौन-सी बीमारियाँ फैलाते हैं ?
उत्तर:
कैंसर जैसी।

प्रश्न 8.
प्रारम्भ से हमारे पर्यावरण का कौन हिस्सा रहे हैं ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 9.
आज का युग किसका युग कहा जा सकता है ?
उत्तर:
रसायनों का।

प्रश्न 10.
पानी कैसे बना है ?
उत्तर:
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के योग से।

प्रश्न 11.
चीनी कैसे बनी है ?
उत्तर:
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।

प्रश्न 12.
प्रकृति में …………. रासायनिक पदार्थ हैं।
उत्तर:
सैकड़ों-हज़ारों।

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प्रश्न 13.
रसायनों का प्रयोग किस लिए किया जाता है ?
उत्तर:
उत्पाद की वृद्धि के लिए।

प्रश्न 14.
कुछ रसायन …………… को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
आगामी पीढ़ियों को।

प्रश्न 15.
हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ किसके योग से बनी हैं ?
उत्तर:
रसायनों के योग से।

प्रश्न 16.
कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषित होता है।

प्रश्न 17.
हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कौन करता है ?
उत्तर:
रसायन।

प्रश्न 18.
कुशल व्यक्ति की देखरेख में किया गया रासायनिक छिड़काव कैसा रहता है ?
उत्तर:
उत्पादन वृद्धि में सहायक।

प्रश्न 19.
हमें किसके बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है ?
उत्तर:
रसायनों के।

प्रश्न 20.
किससे संबंधित आँकड़े विश्वास करने योग्य हैं ?
उत्तर:
कैंसर।

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बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) निबन्ध
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास।
उत्तर:
(ख) निबंध

प्रश्न 2.
इस निबन्ध में लेखक ने मानव को किसके प्रयोग के प्रति सतर्क किया है ?
(क) रसायनों के
(ख) विज्ञान के
(ग) जल के
(घ) प्रदूषण के।
उत्तर:
(क) रसायनों के

प्रश्न 3.
रसायन के बिना धरती पर क्या संभव नहीं था ?
(क) वायु
(ख) जल
(ग) जीवन
(घ) मरण।
उत्तर:
(ग) जीवन

प्रश्न 4.
रसायनों का अधिक प्रयोग कैसा है ?
(क) हानिकारक
(ख) लाभदायक
(ग) शिथिल
(घ) शीत।
उत्तर:
(क) हानिकारक।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

अपरिहार्य = जिसे त्यागा न जा सके। अभिक्रिया = रासायनिक प्रतिक्रिया। मारकशक्ति = मारने की शक्ति । आनुवंशिक = वंश परम्परा के अनुसार, पुश्तैनी। क्षयकारी = विनाशकारी। अप्रत्याशित = जिसकी आशा न हो। तात्कालिक = उस समय का । प्रतिबन्ध = रोक।

प्रमुख अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या

(1) हम रसायनों के युग में रह रहे हैं। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ और हम सब, रासायनिक यौगिक के बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, खाना, वनस्पति और जीव-जन्तु ये सब अजूबे जीवन की रासायनिक सच्चाई ने पैदा किए हैं। प्रकृति में सैंकड़ों, हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं । रासायन न होते तो धरती पर जीवन भी नहीं होता।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने प्रकृति में आदिकाल से ही रसायनों के विद्यमान होने की बात कहते हुए इनके अत्यधिक एवं गलत प्रयोग के लिए मनुष्य को सतर्क किया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि आज का युग रसायनों का युग है अर्थात् हम लोग इनके बिना जीवन जीने की कल्पना नहीं कर सकते। हमारे पर्यावरण की सारी वस्तुएँ तथा हम सब रसायनों के मेल से ही बने हैं। हवा, मिट्टी, पानी, भोजन, पेड़-पौधे और जीव-जन्तु ये सब रसायनों से ही बने हैं। यह सच है कि हमारी उत्पत्ति भी एक रसायन क्रिया है इससे हम इन्कार नहीं कर सकते हैं। प्रकृति में सैंकड़ों हज़ारों रासायनिक पदार्थ हैं। यदि रसायन न होते तो धरती पर जीवन ही न होता। रसायन प्रकृति का अंग हैं और हमारा जीवन भी इन्हीं के मेल से बना है।

विशेष :

  1. भाषा सरल, स्वाभाविक एवं प्रभावशाली है।
  2. तत्सम तथा उर्दू शब्दावली है।
  3. शैली विचारात्मक है।

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(2) मनुष्य और रसायन-उद्योग ने रसायन के तात्कालिक उग्र खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है और जनता तथा उन कर्मचारियों को, जो काम के दौरान रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के कुप्रभाव से बचने के लिए आवश्यक एतिहायाती कदम उठाए गए हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पयांवरण’ में से लिया गया है। इसमें लेखक ने रसायनों के खतरों को पहचान कर किए काम की ओर संकेत किया है।

व्याख्या :
लेखक ने रसायन उद्योग द्वारा अपनाए गए बचाव कदमों का उल्लेख करते हुए कहा है कि मनुष्य और रासायनिक उद्योग ने रसायन के उसी समय होने वाले तेज़ खतरे को पहचानने की दिशा में अच्छा काम किया है। जं लोग इस काम में लगे हैं वे इन कामों से होने वाले खतरों के प्रति सतर्क हैं। उसने जनता तथा उन कर्मचारियों को जो काम के समय रसायनों के सम्पर्क में रहते हैं, रसायनों के बुरे प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक सावधानी वाले य बचाव वाले कदम उठाए हैं। रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न खतरों की जागरूकता ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया है।

विशेष :

  1. मनुष्य का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ही रसायन के ग़लत प्रयोग को रोक सकता है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली विचारात्मक है।

(3) खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए किसी हद तक ज़हरीले हैं, इन्हें पर्यावरण में जानबूझ कर छिड़का जाता है, किन्तु इसके लिए इन्हें भली-भान्ति परखा जाता है और इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। कारण इससे फसल की वृद्धि के रूप में अधिक लाभ प्राप्त होता है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध रसायन और हमारा पर्यावरण से लिया गया है। इसमें लेखक ने कीटनाशक के होने वाले प्रयोग से लाभ और हानि का वर्णन किया है

व्याख्या :
लेखक ने बताया है कि रसायनों के उचित छिड़काव से फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। लेखक कहते हैं कि खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक मनुष्य के लिए कुछ सीमा तक विषैले हैं। फसलों पर छिड़का गया कीटनाशक खाने के साथ मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तथा उसे अस्वस्थ बना देता है। इन्हें पर्यावरण में जान-बूझ कर छिडका जाता है। कीटनाशक के प्रयोग से पर्यावरण दूषित होता है किन्तु यदि इन्हें भली प्रकार से जाँच-परखकर प्रयोग की सलाह दी जाए तो फसल के उत्पाद में वृद्धि हो सकती है। कुशल व्यक्ति की देख-रेख में छिड़का गया कीटनाशक फसलों की पैदावार बढ़ाने में सहायाक है।

विशेष :

  1. कीटनाशक फसलों के उत्पादन को बढ़ाते हैं।
  2. भाषा सरल है।
  3. त्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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(4) रसायन हमारी आवश्यकता हैं। ये हमारे पर्यावरण में हमेशा मौजूद हैं जो सूक्ष्म अथवा लेशमात्र भी अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन लेश रसायनों के बारे में हमें अधिक जानने की ज़रूरत है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा रचित वैज्ञानिक निबन्ध रसायन और पर्यावरण से लिया गया है जिसमें रसायनों के महत्त्व को प्रकट किया गया है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि रसायन हमारी आवश्यकता है। ये हमारे पर्यावरण में सदा से विद्यमान हैं। रसायन का प्रयोग आधुनिक जीवन की देन नहीं है। यह आदिकाल से ही प्रकृति में विद्यमान हैं। ये रसायन सूक्ष्म हों चाहे थोड़ी मात्रा में, अर्थपूर्ण हो सकते हैं। इन थोड़ी मात्रा में विद्यमान रसायनों के बारे में जानने की हमें अधिक ज़रूरत है। रसायनों के लाभ-हानि सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि आज रसायन प्राकृतिक नहीं हैं यह यौगिक क्रियाओं की देन हैं इसलिए इनका उचित ज्ञान होना आवश्यक है।

विशेष :

  1. रसायन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  2. शब्दावली तत्सम एवं उर्दू है।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. भाषा संस्कृत एवं उर्दू है।

(5) कैंसर बहुत भयानक रोग है। कहा जाता है कि कैंसर अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। यह तथ्य है या यूं ही उड़ाई गई बात ? कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े आज विश्वसनीय हैं। ऐसी रिपोर्ट भी मौजूद है जो संकेत देती है कि कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। किन्तु अन्य रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के मामले कम होते जा रहे हैं। पिछले 25 वर्षों से पेट के कैंसर के मामले में कमी आई है किन्तु फेफड़ों का कैंसर बड़ा है।

प्रसंग :
प्रस्तुत अवतरण डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित निबन्ध ‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक कैंसर जैसे भयानक रोग के बारे में बता रहे हैं।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि कैंसर सबसे भयानक रोग है जो अधिकतर पर्यावरणीय रसायनों के प्रति उद्भासन के कारण होता है। कैंसर जैसा भयानक रोग पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण है और यह प्रदूषण खतरनाक रसायनों का कारण है। रसायनों का प्रयोग करने वाले कैंसर का सम्बन्ध उससे मानने से इनकार करते हैं। अब कैंसर के विषय में यह बात तथ्य है या अफवाह इसका कहना मुश्किल है। कैंसर से सम्बन्धित आंकड़े विश्वास करने योग्य हैं। कुछ रिपोर्टों में इसके बढ़ने तथा कुछ में कम होने की बात कही गयी है। पिछले 25 वर्षों में पेट के कैंसर के मामलों में कमी आई है पर फेफड़ों के कैंसर बढ़े हैं अर्थात् रसायनों ने मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। इसीलिए मनुष्य को एक से एक लाईलाज बीमारियों ने घेर रखा है।

विशेष :

  1. रसायनों ने कैंसर की बीमारी से मनुष्य को ही नहीं हमारे समाज में भौतिकवादिता की बीमारी को भी बढ़ावा दिया है।
  2. भाषा सरल है।
  3. तत्सम और उर्दू शब्दावली है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

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रसायन और हमारा पर्यावरण Summary

रसायन और हमारा पर्यावरण निबन्ध का सार

‘रसायन और हमारा पर्यावरण’ डॉ० एम० एल० रामनाथन द्वारा लिखित है। लेखक ने इस निबन्ध में आधुनिक जीवन में रसायनों के दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रयोग के प्रति मानव को सतर्क किया है। नि:संदेह रसायनों का प्रयोग आज अनिवार्य है। परन्तु हमें उनके प्रयोग में सावधानी बरतते हुए विनाशकारी और हानिकारक प्रभाव से जीवन को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखना चाहिए। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक के बढ़ते प्रयोग द्वारा पर्यावरण के प्रदूषित होने की बात कही है। लेखक का कहना है कि रसायनों का प्रयोग आज के युग की आवश्यकता बन गया है। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र रसायनों के प्रभाव से ही जुड़ा हुआ हैं। रसायन न हो तो धरती पर जीवन ही सम्भव न हो पाता। चीनी, कोयला, तेल तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली एंटीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनेसिलन जैसी औषधियाँ, सब्ज़ियाँ, फल, मेवे इत्यादि सभी रसायन होते हैं। आज रसायन विज्ञान काफ़ी उन्नत अवस्था में हैं। किन्तु चिंता का विषय रसायनों के बढ़ते एवं गलत प्रयोग से है। रसायनों का अधिक मात्रा में प्रयोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। आज रसायनों के ऐसे प्रयोग विनाशकारी होने के कारण चिंता का कारण हैं। हालांकि रसायन उद्योग में रसायनों के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के लिए कदम उठाए गए हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग उत्पाद में वृद्धि में उपयोगी तो है किन्तु इसका अंधा-धुंध प्रयोग हानिकारक भी है। ये रसायन कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ भी फैलाते हैं। रसायन तो शुरू से ही हमारे पर्यावरण का हिस्सा रहे हैं। हमें कम रसायनों के बारे में जानने की अधिक ज़रूरत है। हमें किसी भी रसायन का हानिकारक रूप ढूँढना होगा, तब तक उसका प्रयोग जारी रहना चाहिए किन्तु उसके गलत प्रयोग पर हाथ पीछे खींचना चाहिए।

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