PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

Hindi Guide for Class 12 PSEB 12 डॉ० चन्द्र त्रिखा Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘जुगनू की दस्तक’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि घृणा के वातावरण में जुगनू की रोशनी भी पर्याप्त होती है। नदी कितनी ही काली हो किनारे कभी नज़रों से ओझल नहीं हो सकते। क्योंकि काली नदी की सीमाओं के आस-पास ही हरे-भरे, प्रदूषणरहित जंगल मौजूद हैं। अतः हमें यह कामना करनी चाहिए कि साहित्य की गर्मी से एक नई पौध अंकुरित होगी।

प्रश्न 2.
‘जुगनू की दस्तक’ एक आशावादी प्रतीकात्मक कविता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में घृणा और निराशा को अँधी गुफाओं एवं जुगनू को आशावाद का प्रतीक माना गया है। इसी तरह काली नदी आतंकवाद का प्रतीक है और सुख-समृद्धि हरे भरे जंगल और प्रदूषण को घुटन और संत्रास का प्रतीक माना गया है। कवि ने सम्भावना की पतवारें चलाते रहने से, जुगनू की रोशनी से, किनारा मिलने की अर्थात् घृणा, निराशा एवं आतंकवाद के समाप्त होने की आशा व्यक्त की है अतः कहा जा सकता है कि प्रस्तुत कविता एक आशावादी प्रतीकात्मक कविता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

प्रश्न 3.
‘जीने को कुछ मानी दे’ कविता में कवि क्या माँग रहा है ? अपने शब्दों में लिखो।
अथवा
जीने को कुछ मानी दे’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर:
कवि जीने को नया अर्थ प्रदान करने के लिए एक नई कहानी माँग रहा है। कुछ ऐसे तूफानी क्षण माँग रहा है जिससे जीवन में एक नया परिवर्तन आ सके। कवि संसार के दुःखों को समाप्त करने के लिए सातों समुद्रों का पानी माँग रहा है तथा अपने मन की व्यथा को मिटाने के लिए कोई पुरानी गज़ल माँग रहा है ताकि उसे गाकर वह अपने मन की व्यथा को अभिव्यक्त कर सके।

प्रश्न 4.
‘जीने को कुछ मानी दे’ कविता के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में जीवन को नया अर्थ देने की कामना की गई है। कवि ने अपने साथी, अपने गुरु से जीवन को नए अर्थ देने की माँग की है। कवि उससे सारी धरती की प्यास बुझाने के लिए पानी की माँग कर रहा है ताकि धरती पर समृद्धि छा सके। शीर्षक भले ही प्रतीकात्मक है किन्तु सार्थक बन पड़ा है। .

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
यह काली नदी …….. नयी पौध।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि आतंकवाद की काली नदी कितनी ही बड़ी अर्थात् सीमा रहित हो किन्तु इसकी सीमा का कोई न कोई छोर तो होगा ही अर्थात् आतंकवाद को एक न एक दिन तो समाप्त होना ही है। कवि कामना करता है कि इस आतंकवाद के समाप्त होने के बाद निश्चय ही आपसी सौहार्द्र और भ्रातृभाव का हरा-भरा जंगल आएगा। जिसमें घुटन और संत्रास के प्रदूषण का नाम तक न होगा। कवि कहता है कि आओ मिलकर यह कामना करें कि अच्छे साहित्य रूपी अलाव की गर्मी से आपसी भाईचारे की पौध अंकुरित होगी और मानवता की भावना सब के दिलों में फिर से भर जाएगी। अतः हमें छोटी-से-छोटी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

प्रश्न 6.
जीने को कुछ ……. तूफानी दे।
उत्तर:
कवि कामना करता है कि उसे जीने के लिए एक नई कहानी मिल जाए। वह इतना प्यासा अर्थात् दुःखी है कि उस प्यास को बुझाने के लिए एक नहीं सात समुद्रों के पानी की ज़रूरत है। धूप अभी तक नंगी है. अतः इसे ढकने के लिए कोई धान के रंग की (हरी) चुनरी दो अर्थात् संघर्ष के साथ-साथ समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी हो सके। कवि कहता है कि मेरा मन बहुत दुःखी है यह अपने दुःख को भुलाने को कोई गीत गाना चाहता है। इसलिए इसे कोई पुरानी गज़ल दो। हे ईश्वर ! तू मुझे कुछ ऐसा दे जैसा तू है मुझे जीने के लिए कुछ तूफानी क्षण प्रदान करो जिससे मेरे जीवन में एक नया परिवर्तन आ सके।

PSEB 12th Class Hindi Guide डॉ० चन्द्र त्रिखा Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० चन्द्र त्रिखा का जन्म कब हुआ था?
उत्तर:
7 जुलाई, सन् 1945 में।

प्रश्न 2.
डॉ० त्रिखा की विशेष रुचि किसमें है?
उत्तर:
पत्रकारिता के क्षेत्र में।

प्रश्न 3.
डॉ० त्रिखा के द्वारा प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
पाषाण युग, शब्दों का जंगल, दोस्त ! अब पर्दा गिराओ।

प्रश्न 4.
कवि ने किस के लिए प्रयत्नशील बने रहने की प्रेरणा दी है?
उत्तर:
समाज से घृणा दूर करने की।

प्रश्न 5.
कवि ने ‘काली नदी’ किसे कहा है?
उत्तर:
आतंकवाद को।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

प्रश्न 6.
कवि ने समाज में जागरण को किसके माध्यम से लाना चाहता है?
उत्तर:
साहित्यकारों के माध्यम से।

प्रश्न 7.
कवि ने किसे नंगी कहकर चूनरधानी देने की बात कही है?
उत्तर:
धूप को नंगी कहकर।

प्रश्न 8.
कवि ने अलाव किसे कहा है?
उत्तर:
साहित्य को-जो समाज में भाईचारा और सौहार्द को बढ़ा दे।

प्रश्न 9.
‘जीने को कुछ मानी दे’-इसमें ‘मानी’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
मानी = अर्थ।

प्रश्न 10.
कवि का भीगा मन क्या करना चाहता है?
उत्तर:
गाना चाहता है।

प्रश्न 11.
कवि कैसी गज़ल को पाने की कामना करता है?
उत्तर:
पुरानी गजल की।

प्रश्न 12.
कैसे क्षणों की प्राप्ति कवि चाहता है?
उत्तर:
तूफ़ानी। वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
किनारे आखिर नज़रों से…….
उत्तर:
बच नहीं पाएंगे।

प्रश्न 14.
साहित्य के अलाव की गर्मी से………………
उत्तर:
अंकुरित हो गई नयी पौध।

प्रश्न 15.
सात समन्दर लेकर आ………………………..।
उत्तर:
प्यासा हूँ कुछ पानी दे।

प्रश्न 16. …………………कोई गज़ल पुरानी दे।
उत्तर:
भीगा है मन गाएगा।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
कवि के अनुसार आतंकवाद को प्रेम से दूर किया जा सकता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
हमें उम्मीद का आंचल छोड़ देना चाहिए।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 19.
कवि किसी पुरानी गज़ल को मांगता है।
उत्तर:
हाँ।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

प्रश्न 20.
कवि अपने जीवन में परिवर्तन चाहता है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘पाषाण युग’ रचना के रचनाकार कौन हैं ?
(क) डॉ० चन्द्र त्रिखा
(ख) डॉ० धर्मवीर भारती
(ग) निराला
(घ) पंत
उत्तर:
(क) डॉ० चन्द्र त्रिखा

2. ‘जुगनू की दस्तक’ किस विद्या की रचना है ?
(क) कविता
(ख) गद्य
(ग) खंड काव्य
(घ) महाकाव्य।
उत्तर:
(क) कविता

3. ‘जुगनू की दस्तक’ में कवि ने कैसे भविष्य की कल्पना की है ?
(क) सुंदर
(ख) धनी
(ग) सुनहले
(घ) शक्तिशाली।
उत्तर:
(ग) सुनहले

4. कवि ने आतंकवाद को किसकी संज्ञा दी है ?
(क) काली नदी
(ख) सामेर नदी
(ग) बड़ी नदी
(घ) छोटी नदी
उत्तर:
(क) काली नदी

डॉ० चन्द्र त्रिखा सप्रसंग व्याख्या

जुगनू की दस्तक

1. नफरत की अन्धी गुफाओं में
कई बार काफ़ी होती है
एक जुगनू की भी दस्तक
सम्भावनाओं की पतवारें
चलाते रहो साथियो!
किनारे आखिर नज़रों से
बच नहीं पाएंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
नफरत = घृणा। अन्धी गुफ़ाओं = अँधेरी गुफ़ाओं। दस्तक = दरवाजा खटखटाने की क्रिया। पतवारें = चप्पू।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश प्रसिद्ध पत्रकार डॉ० चन्द्र त्रिखा द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘दोस्त ! अब पर्दा गिराओ’ में संकलित कविता ‘जुगनू की दस्तक’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने घृणा, आतंक को समाप्त कर देश के सुनहले भविष्य की कल्पना की है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि घृणा की अँधेरी गुफ़ाओं में कई बार एक जुगनू का द्वार खटखटाना अर्थात् आना काफ़ी होता है। अतः हे साथियो ! तुम सम्भावनाओं के चप्पू चलाते रहो। क्योंकि किनारे कभी भी नज़रों से बच न पाएँगे। कवि का कहना है कि घृणा की अंधेरी रात में आशा और प्रकाश का प्रतीक छोटे से जुगनू का टिमटिमाना भी काफ़ी होता है। अत: तुम उम्मीद का दामन मत छोड़ो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज से घृणा दूर करने के लिए प्रयत्नशील रहो। लक्ष्य तुम्हें अवश्य प्राप्त होगा।

विशेष:

  1. कवि ने सदा आशावादी बने रहने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है। प्रतीकात्मकता विद्यमान है।

2. कितनी ही असीम हो
यह काली नदी
पर सीमाओं की मौजूदगी को
नकार तो नहीं पाएगी।
बस इन्हीं सीमाओं के आस पास
मौजूद है हरे भरे जंगल
जहाँ प्रदूषण का, कहीं दूर तक नाम नहीं है।
आइए करें कामना
साहित्य के अलाव की गर्मी से
अंकुरित हो नयी पौध।

कठिन शब्दों के अर्थअसीम = सीमा रहित । काली नदी = आतंक की प्रतीक। नकारना = इन्कार करना। अंकुरित होना = फूटना, उगना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० चन्द्र त्रिखा द्वारा रचित कविता ‘जुगनू की दस्तक’ में से ली गई, जिसमें कवि ने घृणा को प्रेम में बदलने के लिए प्रयत्नशील रहने के लिए कहा है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि आतंकवाद की काली नदी कितनी ही बड़ी अर्थात् सीमा रहित हो किन्तु इसकी सीमा का कोई न कोई छोर तो होगा ही अर्थात् आतंकवाद को एक न एक दिन तो समाप्त होना ही है। कवि कामना करता है कि इस आतंकवाद के समाप्त होने के बाद निश्चय ही आपसी सौहार्द्र और भ्रातृभाव का हरा-भरा जंगल आएगा। जिसमें घुटन और संत्रास के प्रदूषण का नाम तक न होगा। कवि कहता है कि आओ मिलकर यह कामना करें कि अच्छे साहित्य रूपी अलाव की गर्मी से आपसी भाईचारे की पौध अंकुरित होगी और मानवता की भावना सब के दिलों में फिर से भर जाएगी। अतः हमें छोटी-से-छोटी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि सदा आशावादी बनने का संदेश देता है क्योंकि आशा के माध्यम से ही हमें अपना लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 13 डॉ० चन्द्र त्रिखा

जीने को कुछ मानी दे…….

जीने को कुछ मानी दे
ऐसी एक कहानी दे।
सात समन्दर लेकर आ
प्यासा हूँ कुछ पानी दे।
धूप अभी तक नंगी है
इसको चूनर धानी दे।
भीगा है मन गाएगा
कोई गज़ल पुरानी दे।
दे कुछ तू रब्ब जैसा है
लम्हें कुछ तूफानी दे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मानी = अर्थ। चूनर = चूनरी, दुपट्टा । धानी = धान के रंग का अर्थात् हरा। भीगा = दुःखी। लम्हें = क्षण।

प्रसंग:
प्रस्तुत कविता ‘जीने को कुछ मानी दे’ कवि डॉ० चन्द्र त्रिखा के काव्य संग्रह ‘दोस्त ! अब पर्दा गिराओ’ में से ली गई है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जीवन को नए अर्थ प्रदान करने की कामना की है जिससे वह संसार के सब दुःखों को दूर कर सके।

व्याख्या:
कवि कामना करता है कि उसे जीने के लिए एक नई कहानी मिल जाए। वह इतना प्यासा अर्थात् दुःखी है कि उस प्यास को बुझाने के लिए एक नहीं सात समुद्रों के पानी की ज़रूरत है। धूप अभी तक नंगी है. अतः इसे ढकने के लिए कोई धान के रंग की (हरी) चुनरी दो अर्थात् संघर्ष के साथ-साथ समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी हो सके। कवि कहता है कि मेरा मन बहुत दुःखी है यह अपने दुःख को भुलाने को कोई गीत गाना चाहता है। इसलिए इसे कोई पुरानी गज़ल दो। हे ईश्वर ! तू मुझे कुछ ऐसा दे जैसा तू है मुझे जीने के लिए कुछ तूफानी क्षण प्रदान करो जिससे मेरे जीवन में एक नया परिवर्तन आ सके।

विशेष:

  1. कवि ने जीवन को सार्थक बनाने की कामना की है।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण एवं प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।

डॉ० चन्द्र त्रिखा Summary

डॉ० चन्द्र त्रिखा जीवन परिचय

डॉ० चन्द्र त्रिखा जी का जीवन परिचय लिखिए।

चन्द्र त्रिखा का जन्म 7 जुलाई, सन् 1945 ई० को पाकिस्तान के जिला साहिलवाल के पाकपट्टन नामक स्थान पर हुआ। विभाजन के बाद आपका परिवार फिरोजपुर आ गया। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा अबोहर-फाजिल्का में हुई। आपने अम्बाला के एस०डी० कॉलेज से हिन्दी विषय में एम०ए० एवं पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की। पत्रकारिता में आपकी विशेष रुचि थी। आपने क्षेत्र के सभी दैनिक पत्रों में लगभग 30 वर्ष तक कार्य किया। आजकल आप स्वतन्त्र रूप से साहित्य सृजन कर रहे हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ पाषाणयुग, शब्दों का जंगल, दोस्त, अब पर्दा गिराओ हैं। इन्हें हरियाणा सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया जा चुका है।

डॉ० चन्द्र त्रिखा कविताओं का सार

‘जुगन की दस्तक’ कविता में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि नफ़रत, घृणा और निराशा की अंधेरी रात में आशा का जुगनू भी उजाला सकता है। आतंकवाद प्रेम और सौहार्द्र द्वारा दूर किया जा सकता है तथा मानवता की भावना को जगाया जा सकता है। ‘जीने को कुछ मानी दें’ में कविता में कवि जिंदगी के नए अर्थ मांगता है। जिससे उसके जीवन में एक नया परिवर्तन आ सके तथा सर्वत्र समृद्धि छा जाए।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Samas समास Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar समास

प्रश्न 1.
समास किसे कहते हैं ? इसके भेदों का वर्णन करें।
उत्तर:
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों के मेल को समास कहते हैं; जैसे-माता-पिता = माता और पिता।

विग्रह : समस्त पदों में विभिन्न चिहनों को जोड़कर अलग-अलग पद करने की क्रिया को विग्रह कहते हैं; जैसे-‘माता-पिता’ समस्त पद का विग्रह होगा-माता और पिता।
समास के भेद : समास में दो पद होते हैं, एक पूर्व पद दूसरा उत्तर पद। इन पदों की प्रधानता के आधार पर समास के चार भेद होते हैं –
1. अव्ययीभाव समास
2. द्वन्द्व समास
3. बहुब्रीहि समास
4. तत्पुरुष समास।

1. अव्ययीभाव समास : जिस समास में पूर्व (पहला) पद प्रधान होता है उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं। जैसे-
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
भरपेट – पेट भरकर
यथाविधि – विधि के अनुसार
आजीवन – जीवन भर
प्रतिदिन – दिन-दिन
आमरण – मरने तक।

2. द्वन्द्व समास : जिस समास में पूर्व और उत्तर दोनों पद प्रधान होते हैं, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। जैसे
माता-पिता – माता और पिता
सुख-दुख – सुख और दुख
नर-नारी – नर और नारी
देवासुर – देव और असुर
राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण
दिन-रात – दिन और रात।

3. बहुव्रीहि समास : जिस समास में पूर्व और उत्तर पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे
दशानन – दश हैं आनन(मुख) जिसके (रावण), लंबोदर – लंबा है उदर (पेट) जिसका (गनेश)।
त्रिनेत्र – तीन नेत्र (आंख) हैं जिसके (शिव), पीतांबर – पीले हैं वस्त्र जिसके (श्रीराम, कृष्ण)।

4. तत्पुरुष समास : जिस समास में उत्तर (दूसरा) पद प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-विद्यालय-विद्या के लिए आलय, देवालय-देव के लिए आलय।
तत्पुरुष समास के भेद-
तत्पुरुष समास के भेद इस प्रकार हैं
(i) कर्म तत्पुरुष – यशप्राप्त-यश को प्राप्त, ग्रामगत-ग्राम को जाना
(ii) करण तत्पुरुष – तुलसीकृत-तुलसी द्वारा कृत, हस्तलिखित-हाथ के द्वारा लिखित।
(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष – रसोईघर-रसोई के लिए घर, विद्यार्थी-विद्या के लिए अर्थी।
(iv) अपादान तत्पुरुष – विद्याहीन-विद्या से हीन, धनहीन-धन से हीन।
(v) सम्बन्ध तत्पुरुष – राजपुरुष-राजा का पुरुष, गंगाजल-गंगा का जल
(vi) अधिकरण तत्पुरुष – घुड़सवार-घोड़े पर सवार, ग्रहप्रवेश-गृह (घर) में प्रवेश।

तत्पुरुष समास के अन्य भेद-
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य भेद भी होते हैं
(i) कर्मधारय : जिस समास में उत्तर पद प्रधान होता है। जिस समास में पहले और दूसरे पद में विशेष्य-विशेषण का सम्बन्ध हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे
महात्मा – महान है जो आत्मा
लाल मिर्च – लाल है जो मिर्च।
कमल नयन – कमल के समान नयन (आँख)
चंद्रमुख – चन्द्रमा के समान मुख।।

(ii) द्विगु समास : जिस समास में पूर्व पद संख्या का बोध कराए उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे
पंचवटी – पांच वृक्षों का समूह
सप्ताह – सात दिनों का समूह
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
शताब्दी – सौ वर्षों का समूह ।

(iii) नञ् समास : जिस समास में पहला पद निषेधवाचक हो, उसे नञ् समास कहते हैं। जैसे
अजर – न जर
अमर – न मर
अन्याय – न न्याय
अनीति – न नीति
असत्य – न सत्य
अस्थिर – न स्थिर।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

प्रश्न 2.
कर्मधारय और बहुब्रीहि समास में क्या अन्तर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
(1) कर्मधारय तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है, परन्तु बहुब्रीहि समास में दोनों पदों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। वरन् एक तीसरा अन्य पद प्रधान होता है।

(2) कर्मधारय में एक पद दूसरे पद का विशेषण या उपमान होता है, किन्तु बहुब्रीहि का ‘समस्त पद’ अनावश्यक रूप से किसी अन्य तीसरे पद का सूचक (विशेषण) होता है। जैसे-नीलकण्ठ और पीताम्बर शब्दों का यदि विग्रह किया जाए–नीला जो कण्ठ’ तथा ‘पीत जो अम्बर’ तो ये दोनों कर्मधारय समास के उदाहरण होंगे। परन्तु जब इनका विग्रह हो–नीला है कण्ठ जिसका’ तथा ‘पीत है अम्बर जिसका’, तो ये दोनों शब्द क्रमशः ‘शिवजी’ तथा ‘श्रीकृष्ण’ के विशेषण होने के कारण बहुब्रीहि समाज के उदाहरण कहे जाएंगे।

प्रश्न 3.
सन्धि और समास में क्या अन्तर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:

सन्धि समास
1. अति समीप आए हुए दो वर्गों में होती है। 1. समास आपस में सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों में होता है।
2. दो वर्गों में सन्धि होती है। अतः ये आपस में इस तरह घुल-मिल जाते हैं कि इनको अलग करना कठिन होता है। 2. दो शब्दों के मेल होने के कारण ही पद इकट्ठे रखे जाते हैं। प्रायः घुल-मिल नहीं जाते।
3. सन्धि में कारक का लोप होना ज़रूरी नहीं है। 3. समास में कारक का लोप होना प्रायः ज़रूरी है।

उदाहरण –
सन्धि :
इति + आदि = इत्यादि।
सत् + जन = सज्जन।

समास :
राजा का पुरुष = राजपुरुष।
घन की तरह श्याम = घनश्याम।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

समास :
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो अथवा दो से अधिक पदों के मेल का नाम समास है ; जैसे-राजा का पुत्र = राजपुत्र। समास के भेद-
(i) अव्ययी भाव
(ii) तत्पुरुष
(iii) द्वन्द्व
(iv) बहुब्रीहि।

1. अव्ययी भाव :
जिस समास का पहला पद प्रधान हो, वह अव्ययी भाव समास होता है। पहला खण्ड अव्यय होता है।
जैसे- क्षण-क्षण = प्रति क्षण
यथाक्रम = क्रम के अनुसार
अनपढ़ = बिना पढ़ा-लिखा
आजन्म = जन्म भर
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
भरपेट = पेटभर कर
हाथों हाथ = हाथ-हाथ में
आमरण = मरण तक
आजीवन = जीवन-पर्यन्त
हर समय = हर समय में
प्रतिक्षण = क्षण-क्षण
बीचों बीच = बीच-बीच में
प्रतिदिन = दिन-दिन के प्रति
साफ़-साफ़ = बिल्कुल साफ़

2. तत्पुरुष जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। जैसे राजा का महल = राजमहल। तत्पुरुष के भेद इस प्रकार हैं
(i) कर्म तत्पुरुष :
स्वर्गगत = स्वर्ग को गत (गया हुआ)
शरणापन्न = शरण में आपन्न
ग्रामगत = ग्राम (गाँव) को गत
सुख प्राप्त = सुख को प्राप्त
(गया हुआ) फल प्राप्त = फल को प्राप्त
शरणागत = शरण को आगत (गया हुआ)

(ii) करण तत्पुरुष :
रेखांकित = रेखा से अंकित
दई मारा = दैव से मारा
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत
मुँहमाँगा = मुँह से माँगा
हस्तलिखित = हाथ से लिखित
हृदयहीन = हृदय से हीन
रेलयात्रा = रेल द्वारा यात्रा
मनमानी = मन से मानी
भाग्यहीन = भाग्य से हीन
विचारहीन = विचार से हीन

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष :
हवन सामग्री = हवन के लिए सामग्री
देश भक्ति = देश के लिए भक्ति
रसोईघर = रसोई के लिए घर
हथकड़ी = हाथों के लिए कड़ी
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
राहखर्च = राह के लिए खर्च

(iv) अपादान तत्पुरुष :
जन्मरोगी = जन्म से रोगी
धर्मभ्रष्ट = धर्म से भ्रष्ट
नरकभय = नरक से भय
पदच्युत = पद से च्युत
चोरभय = चोर से भय
धनहीन = धन से हीन

(v) सम्बन्ध तत्पुरुष :
विश्वासपात्र = विश्वास का पात्र
राष्ट्रपति = राष्ट्र का पति
घुड़दौड़ = घोड़ों की दौड़
जन्मभूमि = जन्म की भूमि
माखनचोर = माखन का चोर
राजपुत्र = राजा का पुत्र
रामकहानी = राम की कहानी
राजसभा = राजा की सभा
राजकन्या = राजा की कन्या
रामदरबार = राम का दरबार
बैलगाड़ी = बैलों की गाड़ी
विद्याप्रेमी = विद्या का प्रेमी
मंत्रिमंडल = मंत्रियों का मण्डल
राजमहल = राजा का महल
देशभक्त = देश का भक्त
नगरवधू = नगर की वधू
राजभवन = राजा का भवन
प्रजापति = प्रजा का पति

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

(vi) अधिकरण तत्पुरुष :
आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
आप-बीती = आप पर बीती
नराधम = नरों में अधम
धर्मवीर = धर्म में वीर
नीतिनिपुण = नीति में निपुण
ग्रामवास = ग्राम में वास

(vii) नञ् तत्पुरुष :
अछूत = जो छूत न हो
अपठित = जो पठित न हो
अनपढ़ = जो पढ़ा न हो
अनहोनी = जो न होनी हो

(viii) कर्मधारय :
वचनामृत = वचन रूपी अमृत
भलामानुस = भला जो मनुष्य
चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
चरण कमल = कमल जैसे चरण
घनश्याम = घन जैसा श्याम
आशा किरण = आशा रूपी किरण
नीलकण्ठ = नील जैसा कण्ठ
भवसागर = भव रूपी किरण
कमलनयन = कमल जैसे नयन
परमानन्द = परम आनन्द
महादेव = महान् देव
परमात्मा = परम आत्मा

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

द्विगु :
पहला पद संख्यावाचक-
द्विग = दो गौओं का समूह
नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
सप्तसिन्धु = सात सिन्धुओं का समूह
त्रिलोकी = तीन लोकों का समूह
त्रिफला = तीनों फलों का समूह
दोपहर = दो पहरों का समूह
नवरत्न = नौ रत्नों का समूह
चौराहा = चार रास्तों का समूह
चौमासा = चार मासों का समूह
सतसई = सात सौ पदों का समूह

3. द्वन्द्व
जिसमें दोनों खण्ड प्रधान हों। विग्रह करने पर जिसमें ‘और’ ‘अथवा’ का प्रयोग होता है ; जैसे-
माता-पिता = माता और पिता
हाथी-घोड़े = हाथी और घोडे
सुख-दुःख = सुख और दुःख
दिन-रात = दिन और रात
अन्न-जल = अन्न और जल
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
जल-वायु = जल और वायु
खट्टा-मीठा = खट्टा और मीठा
गरीब-अमीर = गरीब और अमीर
दाल-रोटी = दाल और रोटी
हाथ-पाँव = हाथ और पाँव
धेला-पैसा = धेला और पैसा
खान-पान = खान और पान
राम-लक्ष्मण = राम और लक्ष्मण
ऋषि-मुनि = ऋषि और मुनि
देवी-देवता = देवी और देवता
भाई-बहन = भाई और बहन
तन-मन = तन और मन
दाल-भात = दाल और भात
राग-रंग = राग और रंग
माँ-बाप = माँ और बाप
चाय-पानी = चाय और पानी

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran समास

4. बहुब्रीहि जिस समास का कोई भी पद प्रधान न हो बल्कि समस्त पद अपने पदों से भिन्न किसी अन्य पद का विशेषण हो ; जैसे-
दशानन = दश आननों वाला
पीताम्बर = पीले वस्त्रों वाला
विशाल हृदय = विशाल है हृदय जिसका
बारहसिंगा = बारह सींगों वाला
जितेन्द्रिय = इन्द्रियों को जीतने वाला
महात्मा = महान् आत्मा वाला।
कनफटा = फटे कानों वाला
पतझड़ = जिसमें पत्ते झड़ जाते हैं।
लालकुर्ती = लाल कुर्ती वाला
चन्द्रानन = चन्द्र जैसा आनन
चन्द्रामुखी = चन्द्र जैसे मुख वाली
बड़बोला = बड़े बोलों वाला
हँसमुख = हँसी है मुख पर जिसके
दशमुख = दश हैं मुख जिसके
अमूल्य = मूल्य नहीं है जिसका
विषयवासना = विषयों की वासना
आश्चर्यचकित = आश्चर्य से चकित
भाग्यहीन = हीन भाग्य वाला।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sandhi सन्धि Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar सन्धि

प्रश्न 1.
सन्धि किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
दो वर्गों के परिवर्तन सहित मेल को संधि कहते हैं;
जैसे-पर + उपकार = परोपकार, जगत् + ईश = जगदीश।

सन्धि के तीन भेद :
1. स्वर सन्धि : स्वरों का स्वरों के साथ मेल होने पर स्वरों में जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं;
जैसे-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)।

2. व्यंजन सन्धि : व्यंजनों का व्यंजनों के साथ या स्वरों के साथ मेल होने पर व्यंजनों में जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं;
जैसे-तत् + लीन = तल्लीन (त् + ल = ल्ल), जगत् + अम्बा = जगदम्बा (त + अ = द)।

3. विसर्ग सन्धि : विसर्गों का स्वरों अथवा व्यंजनों के साथ मेल होने पर विसर्गों में जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं;
जैसे-निः+ आकार = निराकार। नि: + छल = निश्छल।

नोट : सन्धि के नियम और उसके विस्तृत उदाहरण स्मरण तालिका में देखिए।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

सन्धि :
समीपता के कारण दो अक्षरों या वर्गों में मेल हो जाने से उसमें जो विकार होता है, उसे सन्धि कहते हैं; जैसे-विद्या + आलय = विद्यालय। राका + ईश = राकेश।
सन्धि तीन प्रकार की होती है-
(क) स्वर सन्धि
(ख) व्यंजन सन्धि
(ग) विसर्ग सन्धि।

(क) स्वर सन्धि :
दो स्वरों में जो मेल होता है, उसे स्वर सन्धि कहा जाता है। जैसे-धर्म + अर्थ = धर्मार्थ। स्वर सन्धि के भेद इस प्रकार हैं

1. दीर्घ सन्धि
अ + अ = आ, अ + आ = आ
आ + अ = आ, आ + आ = आ
अधिक + अधिक = अधिकाधिक
खाद्य + अन्न = खाद्यान्न
स्थान + अन्तरण = स्थानान्तरण
दया + आनन्द = दयानन्द
देव + आलय = देवालय
राम + अवतार = रामावतार
दीर्घ + आयु = दीर्घायु
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ
परम + आत्मा = परमात्मा
परम + अर्थ = परमार्थ
परा + अधीन = पराधीन
क्षुधा + आर्त = क्षुधात
पुरुष + अर्थ = पुरुषार्थ
श्रद्धा + अंजलि = श्रद्धांजलि
महा + आत्मा = महात्मा
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
अल्प + आहार = अल्पाहार
दीप + आवली = दीपावली
विद्या + आलय = विद्यालय
शिव + आलय = शिवालय
हिम + आलय = हिमालय
शरण + अर्थी = शरणार्थी
नर + इन्द्र = नरेन्द्र

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

इ+ इ = ई, इ + ई = ई
ई + इ = ई, ई + ई = ई
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
कवि + ईश्वर = कवीश्वर
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
गिरि + ईश = गिरीश
परि + ईक्षा = परीक्षा
प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
प्रति + एक = प्रत्येक
मही + ईश = महीश
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
रजनी + ईश = रजनीश
हरि + इच्छा = हरीच्छा
हरि + ईश = हरीश
सती + ईश = सतीश

उ+ उ = ऊ, उ + ऊ = ऊ
ऊ + उ = ऊ, ऊ + ऊ = ऊ
गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
भानु + उदय = भानूदय
मनु + उपदेश = मनूपदेश
वधू + उत्सव = वधूत्सव
सिन्धु + उर्मि = सिन्धर्मि

ऋ+ ऋ = ऋ
पितृ + ऋद्धि = पितृद्धि
पितृ + ऋण = पितृण
मातृ + ऋण = मातृण

2. यण् सन्धि
इ, ई, उ,ऊ, ऋ से परे कोई अन्य स्वर हो तो इ, ई,को य, उ, ऊ को व् और ऋ को र हो जाता है; जैसे,
इ, ई + विजातीय स्वर-र्
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + अन्त = अत्यन्त
अति + आचार = अत्याचार
प्रति + एक = प्रत्येक
यदि + अपि = यद्यपि
इति + आदि = इत्यादि
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार

उ, ऊ + विजातीय स्वर-व्
अनु + एषण = अन्वेषण
वधू + आगमन = वध्वागमन
मधु + अरि = मध्वरि
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
सु + अल्प = स्वल्प
सु + आगत = स्वागत

ऋ + विजातीय स्वर-र्
पितृ + अर्पण = पित्रर्पण
पितृ + आदेश = पित्रादेश

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

3. गुण सन्धि
यदि अ, आ से आगे इ, ई हों तो दोनों का ‘ए’ उ,ऊ हो तो दोनों का ‘ओ’ और ऋ हो तो दोनों का अर हो जाता है ; जैसे,

अ, आ + इ, ई = ए
उमा + ईश = उमेश
उप + इन्द्र = उपेन्द्र
गण + ईश = गणेश
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
वीर + इन्द्र = वीरेन्द्र
धर्म + इन्द्र = धर्मेन्द्र
परम + ईश्वर = परमेश्वर
महा + इन्द्र = महेन्द्र
महा + ईश्वर = महेश्वर
देव + इन्द्र = देवेन्द्र
रमा + ईश = रमेश
महा + ईश = महेश
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
राजा + इन्द्र – राजेन्द्र
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
सुर + ईश = सुरेश

अ, आ + उ, ऊ = ओ
ईश्वर + उपासना = ईश्वरोपासना
गंगा + उदक = गंगोदक
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
पर + उपकार = परोपकार
पुत्र + उत्सव = पुत्रोत्सव
भाग्य + उदय = भाग्योदय
महा + उदय = महोदय
महा + उत्सव = महोत्सव
हित + उपदेश = हितोपदेश
वीर + उचित = वीरोचित
सूर्य + उदय = सूर्योदय

अ, आ + ऋ = अर्
ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
देव + ऋषि = देवर्षि
ब्रह्म + ऋषि ब्रह्मर्षि
महा + ऋषि = महर्षि

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

4. वृद्धि सन्धि
अ, आ से आगे ए, ऐ हों तो दोनों को ऐ, और ओ, औ हों तो दोनों को औ हो जाता है ; जैसे,

आ + ए, ऐ = ऐ
तथा + एव = तथैव
एक + एक = एकैक
तद + एव = तदैव
सदा + एव = सदैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्यवन + औषधि = वनौषधि
मत + एक्य = मतैक्य

अ, आ + ओ, औ = औ
जल + ओघ = जलौघ
दन्त + ओष्ठ = दन्तौष्ठ
महा + औषधि = महौषधि
परम + औदार्य = परमौदार्य

5. अयादि सन्धि ए, ऐ, ओ, औ, इनके आगे यदि इनसे भिन्न स्वर हो तो एक को अय, ऐ को आय, ओ को अव् और औ को आव हो जाता है ; जैसे-

ए + कोई स्वर = अय्
च + अन = चयन
ने + अन = नयन

ऐ + कोई स्वर = अय्
गै + अक = गायक
गै + अन = गायन
नै + अक = नायक

ओ + कोई स्वर = अव्
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन

औ + कोई स्वर = आव्
पौ + अक = पावक
नौ + इक = नाविक
भौ + अक = भावुक

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

(ख) व्यंजन सन्धि :
व्यंजन के आगे स्वर या व्यंजन आने से जो सन्धि होती है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं; जैसे जगत् + नाथ = जगन्नाथ। अन्य उदाहरण

1. च, छ, ज् परे होने पर त् को च ज हो जाता है
उत् + चारण = उच्चारण
सत् + जन = सज्जन
विपत् + जाल = विपज्जा
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
सत् + चरित्र = सच्चरित्र
उत् + ज्वल = उज्ज्वल

2. ड् परे होने पर त् को ड् और ट् परे होने पर त् को ट् हो जाता है।
उत् + डयन = उड्डयन
बृहत् + टीका = बृहट्टीका

3. म.परे होने पर पहले वर्ण को उसका पाँचवाँ वर्ण हो जाता है।
उत् + नति = उन्नति
तत् + मय = तन्मय
उत् + नत = उन्नत
वाक् + मय = वाड्मय
उत् + मत्त = उन्मत्त
षट् + मास = षण्मास
जगत् + नायक = जगन्नायक
षट् + मुख = षण्मुख
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
चित् + मय = चिन्मय

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

4. पूर्व वर्ण को तीसरा वर्ण
अप् + ज = अब्ज
तद् + भव = तद्भव
अच् + अन्त = अजन्त
तद् + रूप = तद्प
उत् + गार : उद्गार
दिक् + गज = दिग्गज
उत् + घाटन = उद्घाटन
दिक् + विजय = दिग्विजय
उत् + ज्वल = उज्वल
वाक् + ईश = वागीश
उत् + यान = उद्यान
भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति
उत् + योग = उद्योग
विदत् + जन = विद्वज्जन
जगत् + ईश = जगदीश
सत् + गति = सद्गति
जगत् + बन्धु = जगबन्धु
सत् + भाव = सद्भाव
सत् + आनन्द = सदानन्द
सत् + जन = सज्जन
सत् + धर्म = सद्धर्म
षट् + आनन = षडानन

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

5. पूर्व त् को द् और आगे ह को पूर्व वर्ण का चौथा वर्ण हो जाता है।
उत् + हार = उद्धार
तत् + हित = तद्धित
उत् + हरण = उद्धरण
वाक् + हरि = वाग्घरि

6. पूर्व त् को च् और आगे के श् को छ हो जाता है।
उत् + शृंखल = उच्छृखल
तत् + शिव = तच्छिव
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
विद्युत् + शक्ति = विधुच्छक्ति

7. स्वर के आगे छ जाने पर छ के साथ च भी आ जाता है।
आ + छादन = आच्छादन
वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया
परि + छेद = परिच्छेद
सन्धि + छेद = सन्धिच्छेद

8. पूर्व म् को अगले वर्ण का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है।
अहम् + कार = अहंकार
सम् + चय = संचय
सम् + गति = संगति
सम् + तति = सन्तति
सम् + पूर्ण = सम्पूर्ण
सम् + जय = संजय
सम् + तोष = सन्तोष
सन् + कल्प = संकल्प

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

9. स, ल, र, व, श परे होने पर म् को अनुस्वार हो जाता है
सम् + सार = संसार
सम् + वाद = संवाद
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + हार = संहार
सम् + योग = संयोग
सम् + सद् = संसद्
सम् + रक्षण = संरक्षण
सन् + शय = संशय
सम् + यम = संयम

10. ऋ, ष, र से परे न को ण हो जाता है।
ऋ+ न = ऋण
पोष् + अन = पोषण
तृष् + ना = तृष्णा
भर + अन = भरण
निर् + नय = निर्णय
भूष् + अन = भूषण
परि + नाम = परिणाम
निर् + मान = निर्माण

11. इ, उ से परे स को ष और ल परे होने पर त् को ल हो जाता है।
अभि + सेक = अभिषेक
वि + सम = विषम
नि + सेध = निषेध
सु + समा = सुषमा
नि + सिद्ध = निषिद्ध
सु + सुप्ति = सुषुप्ति
उत् + लंघन = उल्लंघन
तत् + लीन = तल्लीन
उत् + लास = उल्लास
उत् + लेख = उल्लेख

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

(ग) विसर्ग सन्धि :

पूर्व विसर्ग को ओ हो जाता है
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
यशः + अभिलाशी = यशोभिलाषी
मनः + अनुसार = मनोऽनुसार
यशः + अर्जन = यशोर्जन
तेजः + मय = तेजोमय
यशः + गान = यशोगान
तपः + वन = तपोवन
मनः + योग = मनोयोग
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर = मनोहर
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + रम = मनोरम

र परे होने पर पूर्व र का लोप और इ को ई हो जाता है
निर् + रव = नीरव
निर् + रज = नीरज
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस

पूर्व विसर्ग को र हो जाता है।
दुः + ग = दुर्ग
निः + गुण = निर्गुण
दुः + गुण = दुर्गुण
नि: + आकार = निराकार
दुः + गति = दुर्गति
निः + विघ्न = निर्विघ्न
दुः + गन्ध = दुर्गन्ध
नि: + जन = निर्जन
दुः + बल = दुर्बल
निः + धन = निर्धन
दुः + आशा = दुराशा
‘निः + बल = निर्बल
दुः + गम = दुर्गम

श परे होने पर विसर्ग को श हो जाता है
दुः + शासन = दुश्शासन
निः + छल = निश्छल
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
निः + चय = निश्चय

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सन्धि

प, क, ख फ परे होने पर विसर्ग को ष् हो जाता है
चतुः + पाद = चतुष्पाद
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
दुः + परिणाम = दुष्परिणाम
धनुः + पाणि = धनुष्पाणि

त, स, क के परे होने पर पूर्व विसर्ग को स् हो जाता है
अन्तः + तल = अन्तस्तल
नमः + ते = नमस्ते
दुः + तर = दुस्तर
नमः + कार = नमस्कार
निः + तार = निस्तार
पुरः + कार = पुरस्कार
निः + सन्देह = निस्सन्देह
श्रेयः + कर = श्रेयस्कर
उत्तर + अधिकारी = उत्तराधिकारी
निर् + दोष = निर्दोष

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग तथा प्रत्यय

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Upasarg Tatha Pratyay उपसर्ग तथा प्रत्यय Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar उपसर्ग तथा प्रत्यय

1. उपसर्ग

प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं? इसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
जो शब्दांश या क्रिया के आरम्भ में जुड़ कर उसके अर्थ को बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।
जैसे-प्र + हार = प्रहार (हार + माला या हार जाना) प्रहार का अर्थ है-हमला या चोट करना। उपसर्ग के भेद- (i) संस्कृत उपसर्ग (ii) हिन्दी उपसर्ग (iii) उर्दू उपसर्ग।

(i) संस्कृत के उपसर्ग :

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
प्र आगे, अधिक प्रारम्भिक, प्रबल, प्रसन्न, प्रगति, प्रवाहित
परा पीछे, उल्टा पराभव, पराजय, पराकाष्ठा
अप बुरा, हीन अपकार, अपमान, अपयश
सम पूर्ण, अच्छा संस्था, सम्मान, संगति, संस्कार, सम्पूर्ण
अनु समान, पीछे अनुरूप, अनुज, अनुकरण, अनुसन्धान
अव बुरा, नीचे अवगुण, अवनति, अवतरण
निस् बिना निश्चल, निश्चिन्त, निष्कपट
निर् बिना निर्बल, निर्जन, निर्धन, निर्माण
दुस् बुरा दुष्कर्म, दुश्चरित्र, दुस्साहस
दुर् बुरा, कठिन दुर्दशा, दुर्जन, दुर्गम
वि भिन्न, विशेष वितरित, वियोग, विदेश, विज्ञान, विशेष
तक, से लेकर, उल्टा आजन्म, आचरण, आश्रम, आकुल
नि अभाव, विशेष निवारण, नियुक्त, निधन
अधि ऊपर अधिकार, अधिपति, अध्यक्ष
अति अच्छा, ऊपर अत्युत्तम, अत्यन्त, अतिकाल
सु अच्छा , सरल सुडौल, सुअवसर, सुगम
उत् ऊपर उत्पन्न, उद्धार, उत्कर्ष, उन्मुक्त
अभि सामने अभिमुख, अभ्यागत, अभिमान
प्रति सामने, उल्टा प्रत्यक्ष, प्रतिकूल, प्रत्येक
परि सब ओर परिजन, परिक्रमा, परिपूर्ण
उप निकट, गौण उपकार, उपमान, उपमन्त्री

(ii) हिन्दी के उपसर्ग :

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
अन रहित अनमोल, अनजान, अनबन
नि रहित निडर, निहत्था
अध आधा अधमरा, अधखिला
रहित औगन, औतार, औघट
भर पूर भरपूर, भरपेट
उल्टा, विरुद्ध असत्य, अगम, अचर
सह साथ, सरल सहचर, सहयोग, सहकारी
कु बुरा कुपुत्र, कुयोग, कुकर्म
सत अच्छा सत्कर्म, सज्जन, सदाचार
स्व अपना स्वदेश, स्वतन्त्र

(iii) उर्दू के उपसर्ग :

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
कम हीन, थोड़ा कम उम्र, कमज़ोर, कम्बख्त, कमसिन
खुश श्रेष्ठता खुशबू, खुशकिस्मत, खुशहाल, खुशखबरी, खुशनसीबी, खुशमिजाज
गैर निषेध गैर-हाज़िर, गैर-कानूनी, गैर-मुमकिन
ना अभाव नामुमकिन, नापसन्द, नाराज़, नालायक,नाचीज़, नादान, नासमझ
बद बुरा बदमाश, बदनाम, बदकिस्मत, बदबू, बदहज़मी, बदनीयत।
बे बिना बेकाम, बेइमान, बेवकूफ, बेनाम, बेकसूर, बेचारा, बेइज्जत, बेकार, बेअक्ल
ला बिना लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता, लावारिस
सर मुख्य सरकार, सरपंच, सरदार, सरताज, सरगना
हम बराबर, समान हमउम्र, हमदर्दी, हमराह, हमवतन, हमपेशा

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग तथा प्रत्यय

2. प्रत्यय

प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं और इसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जो शब्दांश धातु या शब्द के अन्त में जुड़ कर उसके रूप को बदल देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है।
प्रत्यय के भेद-
(1) तिडन्त प्रत्यय
(2) कृदन्त
(3) तद्धित
(4) स्त्री प्रत्यय।

1. तिडन्त : जो धातु के साथ लगकर क्रिया बनाते हैं, उसे तिडन्त प्रत्यय कहते हैं ; जैसे-जान से गया, जाएगा, जाता हुआ।
2. कृदन्त : जो धातु के साथ लगकर शब्द लगाए , उसे कृदन्त प्रत्यय कहते हैं; जैसे-गायक (गौ + अक), लड़ाई (लड़ + आई) आदि। .
3. तद्धित : जो शब्द के साथ लगकर नवीन शब्दों का निर्माण करें उसे तद्धित प्रत्यय कहते हैं ; जैसे-कोमल, कोमलता, मृदु-मृदुता, सुनार (सुन + आर), लठैत, सपेरा आदि।
4. स्त्री प्रत्यय : जो शब्द के अन्त में जुड़ कर स्त्रीलिंग बना देते हैं ; जैसे ई, आ, इन, नी, आनी आदि। पुत्री, बाला, धोबिन, मोरनी, पण्डितानी।

प्रश्न 2.
उपसर्ग और प्रत्यय का भेद दो-दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपसर्ग शब्द के आदि में लगकर उसके अर्थ को बदल देता है, जबकि प्रत्यय शब्द के अन्त में लगकर उसके अर्थ को बदल देता है ; जैसे-उपसर्ग :
(i) भाव (विचार) से प्रभाव (प्र + भाव) = असर।
(ii) हार (माला) से प्रहार (प्र + हार) = चोट, हमला।
प्रत्यय :
(i) ईर्ष्या (डाह) से ईर्ष्यालु (डाह) करने वाला।
(ii) पाठ, (सबक) से पाठक (पढ़ने वाला)।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग कर के लिखिए-
निराधार, परीक्षा, थानेदार, पराधीन, चालक, व्यावहारिक, प्रचार, नीरस, अत्यन्त, हार्दिक, प्रगति, थकावट।
उत्तर:

शब्द उपसर्ग प्रत्यय
निराधार निर
परीक्षा परी
थानेदार दार
पराधीन परा
चालक
व्यावहारिक इक
प्रचार प्र
नीरस निर्
अत्यन्त अति
हार्दिक
प्रगति प्र
थकावट आवट

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग तथा प्रत्यय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रत्यय लगाकर एक-एक शब्द की रचना करो
(क) ई, (ख) नी, (ग) वाला, (घ) मान, (ङ) इक, (च) ता, (छ) त्व, (ज) इत, (झ) पा, (ञ) वट।
उत्तर:
प्रत्यय – शब्द
(क) ई – बेटी
(ख) नी – मोरनी
(ग) वाला – दूध वाला
(घ) मान – शाक्तिमान
(ङ) इक – वैदिक
(च) ता – जीता
(छ) त्व – पशुत्व
(ज) इत – क्रोधित
(झ) पा – मोटापा
(ञ) वट – बनावट

प्रश्न 3.
उपसर्ग ‘अध’ लगाकर शब्द बनाएँमरा, खिला।
उत्तर:
अधमरा, अधखिला

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द बनाइएइया, मान, वान, आइट।
उत्तर:
इया – खटिया, लुटिया।
मान – बुद्धिमान् शाक्तिमान।
वान – बलवान, दयावान।
आहट – खड़खड़ाहट, चिकनाहट।

प्रश्न 5.
वाला-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँमिठाई, दूध, सब्जी।
उत्तर:
मिठाई वाला, दूध वाला, सब्जी वाला।

प्रश्न 6.
इक-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँसंसार, बुद्धि, शरीर।
उत्तर:
सांसारिक, बौद्धिक, शारीरिक।

प्रश्न 7.
ई-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँघमण्ड, सच्चा, लोभ।
उत्तर:
घमण्डी, सच्चाई, लोभी।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग तथा प्रत्यय

प्रश्न 8.
ईय-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँदर्शन, भारत, स्वर्ग, पुस्तक, राष्ट्र।
उत्तर:
दर्शनीय, भारतीय, स्वर्गीय, पुस्तकीय, राष्ट्रीय।

प्रश्न 9.
हार-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँपालन, होन, तारण।
उत्तर:
पालनहार, होनहार, तारणहार।

प्रश्न 10.
इत-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँक्रोध, सम्बन्ध।
उत्तर:
क्रोधित, सम्बन्धित।

प्रश्न 11.
मय-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँमंगल, करुणा, दुःख।
उत्तर:
मंगलमय, करुणामय, दुःखमय।

प्रश्न 12.
ता-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँप्रौढ़, क्रूर, प्रसन्न।
उत्तर:
प्रौढ़ता, क्रूरता, प्रसन्नता।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग तथा प्रत्यय

प्रश्न 13.
इक-प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँधर्म, इतिहास, वेद, अंश।
उत्तर:
धार्मिक, ऐतिहासिक, वैदिक, आंशिक।

प्रश्न 14.
‘अनु’ उपसर्ग लगाकर निम्नलिखित शब्द बनाइए (कोई एक)शासन, मान, ज।
उत्तर:
(i) अनुशासन
(ii) अनुमान
(iii) अनुज।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 12 धर्मवीर भारती

Hindi Guide for Class 12 PSEB 12 धर्मवीर भारती Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘बाँध बाँधना’ निर्माण योजना का प्रथम चरण है। कवि किस प्रकार का बाँध बाँधकर कौन-सी शक्ति पैदा करना चाहता है ?
उत्तर:
नदियों के जल पर बाँध बाँधने से बिजली पैदा होती है। सिंचाई आदि के लिए काम में आती है। किन्तु कवि तो घृणा की नदी पर बाँध बाँधने अर्थात् रोकने की बात कहता है क्योंकि इससे जो शक्ति बनती है वह आग की तरह भस्म कर देने वाली है। यदि इस शक्ति को नियन्त्रित कर लिया जाए तो यह लाभकारी भी हो सकती है। घृणा को यदि आपसी सहयोग और सहानुभूति की भावना में बदल दिया जाए तो वह एक शक्ति बन सकती है जो जनकल्याण में सहायक सिद्ध हो सकती है।

प्रश्न 2.
‘यातायात’ में स्वच्छन्द विचारधारा को फलने-फूलने का मौका देने की बात की गई है-इसे स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि का मानना है यातायात की सुविधाएँ तभी साकार हो सकती हैं जब जीवन की राह में चलते हुए निराश हुए व्यक्ति को उसे उसकी इच्छानुसार नए गीतों को रचने और अपने विचारों को बिना किसी रोक-टोक के अभिव्यक्त करने की सुविधा प्राप्त हो जाए। तभी यातायात की उन्नति के लिए चलाई जा रही योजनाएँ सफल हो सकेंगी।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

प्रश्न 3.
‘कृषि’ में कवि ने विषमता रूढ़िवादिता की फसलें काटने की बात की है ? कवि किस प्रकार की खेती करना चाहता है और कैसे ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि का मानना है कि हमारे बुजुर्गों ने जाने अनजाने जो विषमता और असमानता की फसलें बोई थीं। इन्हें काटना चाहिए क्योंकि इन्होंने समाज के दामन को तार-तार कर डाला है। उसकी जगह हमें आपसी प्रेम-प्यार, हमदर्दी, सुख-दुःख बाँटने की फसलें बोनी चाहिएँ क्योंकि भूमि सबकी है और दर्द सबका साँझा है।

प्रश्न 4.
‘स्वास्थ्य’ में भारती जी ने निर्माण योजना के अन्तिम चरण के रूप में अहम् के शिकार रोगियों के लिए अस्पतालों की व्यवस्था करने की बात की है। कवि का विचार स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि के मतानुसार निर्माण योजना तभी सफल हो सकती है जब हमारा नेता वर्ग स्वस्थ हो और वह स्वस्थ समाज का निर्माण कर सके और अतः समाज को चाहिए कि नेता वर्ग की इस बीमारी-अहम् की बीमारी का इलाज करने के लिए नए अस्पताल खोलने चाहिए अर्थात् ऐसे उपयुक्त वातावरण का निर्माण करना चाहिए जिससे हमारा नेता वर्ग स्वस्थ होकर देश की सेवा कर सके और देश को उन्नति और विकास के मार्ग पर आगे ले जा सके।

प्रश्न 5.
‘निर्माण योजना’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
‘सात गीत वर्ष’ काव्य संग्रह में संकलित ‘निर्माण योजना’ कविता में कवि ने निर्माण योजना को बाँध, यातायात, कृषि तथा स्वास्थ्य चार भागों में विभक्त किया है। बाँध शीर्षक कविता में कवि घृणा की नदी पर बाँध बनाने की बात कही है ताकि उससे पैदा होने वाली शक्ति हानिकारक न होकर लाभकारी सिद्ध हो सके। घृणा को आपसी प्रेम प्यार, हमदर्दी में बदला जाना चाहिए।

‘यातायात’ कविता में कवि ने मानव को, किसान को, कवि को मन मुताबिक चलने की सुविधा प्राप्त करने की बात कही है ताकि वे सब देश की उन्नति और विकास में योगदान दे सकें।

कृषि शीर्षक कविता में कवि ने समाज में उत्पन्न भेदभाव की फसलों को काटकर ऐसी खेती करने की सलाह देता है जिसमें आपसी प्रेम प्यार हो, आपसी सुख-दुःख बाँटने की बात हो, जिससे यह संसार, यह धरती फिर से हरी भरी हो जाए। क्योंकि धरती सबकी साँझी है और दर्द भी सबका साँझा होना चाहिए।
‘स्वास्थ्य’ शीर्षक कविता में कवि नेता वर्ग के अहम्भाव पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि जिस तरह से नेता लोग मंच पर जाकर भाषण देते हैं और व्यर्थ की बातें करते हैं उनसे लगता है कि वे अहम् रोग से पीड़ित हैं। समाज को ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिससे नेता वर्ग का यह रोग दूर हो सके और वे भी देश के लिए समाज के लिए हितकारी काम कर सकें।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
बाँधो …. घृणा की है।
उत्तर:
कवि कहता है कि यह घृणा की नदी है काली चट्टानों की छाती चीर कर फूट निकली है और इसका गवाह अन्धकारमय विषैली गुफाओं में से उबल-कर बाहर आया है। नदी के इस भयानक प्रवाह को बाँधने की आवश्यकता है। ऐसी नदी पर ही हमें बाँध बाँधना चाहिए।

यह घृणा की नदी है अतः आग की तरह भस्म कर देने की शक्ति इसमें है। यदि इसे बढ़ने दिया गया तो इसकी लपेट में आकर बड़े-बड़े और हरे-भरे पेड़ भी जलकर राख का ढेर हो जाएंगे। केवल इतना जान लेने से कि यह घृणा की नदी है, यह बेमतलब नहीं है यदि इस को बाँध लिया जाए अर्थात् इस पर काबू पा लिया जाए तो यही नदी लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है।

प्रश्न 7.
ये फसलें ………. दर्द सबका है।
उत्तर:
कवि धरती को, समाज को सुधारने के लिए भेदभाव पैदा करने वाले विचारों को दूर कर, आपसी भाईचारा, प्रेम, प्यार एवं एक-दूसरे से सहानुभूति पैदा करने का सन्देश देता हुआ कहता है कि जाने अनजाने हमारे पूर्वजों ने समाज के विभिन्न वर्गों में भेदभाव उत्पन्न करने की जो भावना भरी थी, समाज की भलाई के लिए हमें उस विषैली खेती को काट देना चाहिए भाव यह है समाज का, व्यक्ति का कल्याण इन भावनाओं को नष्ट करने में ही है बल्कि हमें तो आज मेहनत के, समान दुःख की भावना के, आपसी प्रेम प्यार के, एक दूसरे से सहानुभूति रखने वाले भावों को बढ़ावा देना चाहिए। हमें ऐसी सीमाएँ नहीं बाँधनी हैं जिससे समाज विभिन्न वर्गों में बँट जाए बल्कि इसके विपरीत कार्य करना चाहिए क्योंकि यह धरती सबकी है, दर्द सबके साँझे हैं।

PSEB 12th Class Hindi Guide धर्मवीर भारती Additional Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० धर्मवीर भारती का जन्म कब और कहाँ पर हुआ था?
उत्तर:
डॉ० भारती का जन्म 25 दिसम्बर, सन् 1926 में इलाहाबाद में हुआ था।

प्रश्न 2.
डॉ० भारती ने किस हिंदी पत्रिका का संपादन कार्य किया था?
उत्तर:
साप्ताहिक धर्मयुग।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

प्रश्न 3.
डॉ० भारती के द्वारा रचित दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
अंधायुग, कनुप्रिया।

प्रश्न 4.
‘निर्माण योजना’ कविता के कितने अंश हैं?
उत्तर:
चार।

प्रश्न 5.
‘निर्माण योजना’ के अंशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बाँध, यातायात, कृषि, स्वास्थ्य।

प्रश्न 6.
कवि ने काली चट्टानों से निकली नदी को क्या नाम दिया है ?
उत्तर:
घृणा की नदी।

प्रश्न 7.
घृणा की नदी के छते ही कौन सड़ जाएंगे?
उत्तर:
हरे-भरे वृक्ष सड़ जायेंगे।

प्रश्न 8.
घृणा की नदी में कौन सोये हुए हैं ?
उत्तर:
बिजली के शक्तिवान घोड़े सोये हुए हैं।

प्रश्न 9.
कवि ने पसीने से सींची हुई फसलों को कहाँ से लेकर कहाँ तक पहुंचाने की सुविधा मांगी है?
उत्तर:
खेतों से आंतों तक।

प्रश्न 10.
अतीत में कैसे बीज समाज में बोये गए थे?
उत्तर:
विषमता/भेदभाव के बीज समाज में बोये गए थे।

प्रश्न 11.
लेखक ने आज के सभी नेताओं को क्या माना है?
उत्तर:
लेखक ने उन्हें रोगी माना है जो अहम् से पीड़ित हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

प्रश्न 12.
‘निर्माण योजना’ किस संकलन से ली गई है?
उत्तर:
‘सात गीत वर्ष’ से।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
इनके छूते ही……..
उत्तर:
हरे वृक्ष सड़ जायेंगे।

प्रश्न 14.
इनकी लहरों में…………..
उत्तर:
बिजली के शक्तिवान घोड़े हैं सोये हुए।

प्रश्न 15.
सिंची हुई फसलों को………………।
उत्तर:
खेतों से आंतों तक जाने की सुविधा दो।

प्रश्न 16.
बस्ती-बस्ती में………..।
उत्तर:
नये अहम् के अस्पताल खुलवाओ।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
कवि ने बीमार राजनीति पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. धर्मवीर भारती किस पत्रिका के संपादक रहे ?
(क) धर्मात्मा
(ख) धर्मयग
(ग) धर्म
(घ) धर्माधिकारी।
उत्तर:
(ख) धर्मयग

2. धर्मवीर भारती को भारत सरकार ने किस सम्मान से अलंकृत किया ?
(क) पद्मश्री
(ख) पद्मभूषण
(ग) पद्मविभूषण
(घ) पद्मालंकार।
उत्तर:
(क) पद्मश्री

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

3. ‘निर्माण योजना’ कविता के कितने अंश हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(घ) चार

4. कवि के अनुसार अतीत में समाज में कैसे बीज बोये गये थे ?
(क) विषमता
(ख) अविषमता
(ग) घृणा
(घ) अंतर।
उत्तर:
(क) विषमता

धर्मवीर भारती सप्रसंग व्याख्या

बांध

1. बाँधो।
नदी यह घृणा की है
काली चट्टानों के
सीने से निकली है
अन्धी जहरीली गुफाओं से
उबली है।
इसको छते ही
हरे वृक्ष सड़ जायेंगे
नदी यह घृणा की है।
लेकिन नहीं है निरर्थक यह
बँधने से इसको भी अर्थ मिल जाता है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
घृणा = नफरत। सीना = छाती। जहरीली = विषैली। निरर्थक = व्यर्थ, बेमतलब।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश श्री धर्मवीर भारती जी द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘सात गीत वर्ष’ में संकलित ‘निर्माण योजना’ शीर्षक के अन्तर्गत लिखी कविता ‘बाँध’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश की आर्थिक अवस्था को सुधारने के लिए कई निर्माण योजनाओं पर कार्य चल रहा है। नदियों पर बाँध बाँधे जा रहे हैं जिससे जल को, सिंचाई के लिए और बिजली पैदा करने के लिए. प्रयोग में लाया जा सके।

कवि ने यहाँ किसी प्राकृतिक नदी पर बाँध बाँधने की आवश्यकता पर बल नहीं दिया बल्कि मानव मात्र में एक दूसरे के प्रति जो घृणा भाव पैदा हो गया है उसके भयानक प्रवाह पर मानव को बाँध लगाने की अर्थात् उस पर नियन्त्रण पाने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि यह घृणा की नदी है काली चट्टानों की छाती चीर कर फूट निकली है और इसका गवाह अन्धकारमय विषैली गुफाओं में से उबल-कर बाहर आया है। नदी के इस भयानक प्रवाह को बाँधने की आवश्यकता है। ऐसी नदी पर ही हमें बाँध बाँधना चाहिए।

यह घृणा की नदी है अतः आग की तरह भस्म कर देने की शक्ति इसमें है। यदि इसे बढ़ने दिया गया तो इसकी लपेट में आकर बड़े-बड़े और हरे-भरे पेड़ भी जलकर राख का ढेर हो जाएंगे। केवल इतना जान लेने से कि यह घृणा की नदी है, यह बेमतलब नहीं है यदि इस को बाँध लिया जाए अर्थात् इस पर काबू पा लिया जाए तो यही नदी लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है संसार में कुछ अच्छा या बुरा नहीं होता उसके अच्छा या बुरा होने की कसौटी उसके सद्पयोग अथवा मानवीय हित सापेक्ष होने में है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।

2. इसकी ही लहरों में ।
बिजली के शक्तिवान घोड़े हैं सोये हुए।
जोतो उन्हें खेतों में, हलों में
भेजो उन्हें नगरों में, कलों में
बदलो घृणा को उजियाले में
ताकत में,
नये-नये रूपों में साधो
बाँधो
नदी यह घृणा की है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
शक्तिवान घोड़े = यहाँ भाव हार्स पावर से है। साधो = सिद्ध करो, बदलो।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ धर्मवीर भारती द्वारा रचित कविता निर्माण योजना के प्रथम खंड बांध से ली गई हैं, जिसमें कवि ने घृणारूपी नदी पर बाँध बनाकर (प्रेम की सरिता)बहाने का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि घृणा का सद्पयोग कर उसे मानवीय हित सापेक्ष बनाने की सलाह देता हुआ कहता है कि-कौन नहीं जानता कि नदी के प्रवाह में बिजली के शक्तिशाली घोड़ों की ताकत छिपी हुई है उस ताकत का प्रयोग हम खेतों में, हल जोतने में, नगरों में, कल कारखानों में प्रयोग कर सकते हैं कवि का संकेत जल से प्राप्त ऊर्जा की ओर है। कवि संदेश देते हुए कहता है कि उस ऊर्जा रूपी घृणा को हम उजाला पैदा करने वाली बना सकते है। उसकी शक्ति को हम विभिन्न रूपों में विकसित कर सकते हैं जिससे मानवता का कल्याण हो सके। अतः इस घृणा की नदी को स्वतन्त्र मत छोड़ो। इस पर नियन्त्रण करो। इस पर ऐसा बाँध बनाओ जो कल्याणकारी हो न कि विनाशकारी।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है कि यदि हम घृणा के वश में हो जाएँगे तो यह मनोवृत्ति विनाशकारी हो जाएगी और यदि हम इसे अपने वश में कर लेंगे तो यह हमारे लिए कल्याणकारी बन जाएगी।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है। पुनरुक्ति प्रकाश तथा रूपक अलंकार हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

यातायात

1. बिना किसी बाधा के
नित नयी दिशाओं में
जाने की
सुविधा दो
बिना किसी बाधा के
श्रम के पसीने से
सिंची हुई फसलों को
खेतों से आंतों तक जाने की सुविधा दो।

कठिन शब्दों के अर्थ:
बाधा = रुकावट। सविधा = सहूलियत। श्रम = मेहनत।

प्रसंग;
प्रस्तुत पद्यांश श्री धर्मवीर भारती जी की काव्यकृति ‘सात गीत वर्ष’ में संकलित ‘निर्माण योजना’ शीर्षक के अन्तर्गत लिखी कविता ‘यातायात’ में से लिया गया है। देश में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् आर्थिक विकास के लिए अनेक निर्माण योजनाओं को शुरू किया गया जिनमें यातायात के क्षेत्र में भी विकास के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गयी हैं किन्तु कवि का मानना है कि ‘यातायात’ केवल ट्रैफिक अथवा वाहनों की सुकर और सुविधापूर्वक गमन-आगमन की सुविधा नहीं, अपितु प्राप्त अवसरों के अधिकतम और आरोपित बँधनों से रहित, बन्धनहीन प्रयोग से है।

व्याख्या:
कवि सब के लिए आवागमन की सुविधाओं के लिए कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को यह पूरी सुविधा प्राप्त होनी चाहिए कि वह जिस भी नयी दिशा की ओर आगे बढ़ना चाहे उसे उस पर चलने के लिए बढ़ने के लिए कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। समाज में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जो किसान अपनी मेहनत के पसीने से अपनी फसलों को सींचता है। उन फसलों की पैदावार बिना किसी रोक-टोक के उसके पेट की आँतों तक पहुँच कर उसकी भूख मिटा सके। यह न हो कि सारे समाज की भूख मिटाने वाला, अन्न उपजाने वाला किसान स्वयं भूखा रहे।

विशेष:

  1. कवि सब के लिए समान तथा स्वच्छन्द विचरण की सुविधाएँ चाहता है।
  2. भाषा भावपूर्ण एवं प्रतीकात्मक है। अनुप्रास अलंकार है।

2. बिना किसी बँधन के
हर चलते राही को
यात्रा में
अक्सर थक जाने पर
मनचाहे नये गीत गाने की
सुविधा दो
कभी कभी अजब सी रहस्यमयी पुकारों पर
मन को अपरिचित नक्षत्रों की राहों में
जाकर खो जाने की सुविधा दो।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अक्सर = प्रायः । अजब सी = विचित्र सी।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश श्री धर्मवीर भारती द्वारा रचित कविता ‘निर्माण योजना’ के यातायात खंड से ली गई हैं, जिसमें कवि सब के लिए स्वच्छन्द विचरण की कामाना की हैं।

व्याख्या:
कवि कहता है कि कोई भी व्यक्ति जीवन की राह पर चलते हुए जब कभी थक जाए अर्थात् निराश हो जाए तो उसे बिना किसी बन्धन के मनचाहे नये गीत गाने की सहूलियत होनी चाहिए और जब कभी रहस्यमयी विचित्र-सी पुकारों को सुनकर व्यक्ति का मन अनजाने नक्षत्रों की राहों पर बढ़ने के लिए लालायित हो उठे, तो उसे ऐसा करने की सुविधा मिलनी चाहिए।

विशेष:

  1. कवि ने अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों को पर्याप्त सुविधा प्रदान करने की बात कही है जिससे वे अपने देश की ही नहीं समूची मानवता की सेवा कर सकें।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

कृषि

ये फसलें काटो ……………
पिछले जमाने में
बीज जो बोये विषमता के
आज वहाँ साँपों की खेती उग आई है।
धरती को फिर से सँवारो
क्यारी में बीज नये डालो
पसीने के, आँसू के,
प्यार के, हमदर्दी के,
मेंड़ें मत बाँधो,
भूमि सबकी
दर्द सबका है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
जमाने में = युग में, समय में। विषमता = भेद-भाव। हमदर्दी = सहानुभूति। मेंहें = खेत की हदबन्दी, सिंचाई के लिए खेत में बनाया गया मिट्टी का घेरा, यहाँ भाव अवरोध या रुकावट खड़ी करने से है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश श्री धर्मवीर भारती द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘सात गीत वर्ष’ में संकलित ‘निर्माण योजना’ शीर्षक के अन्तर्गत लिखी ‘कृषि’ कविता से लिया गया है, जिसमें कवि उन भेदभावों और असमानताओं की फसलों को काटने का आह्वान करता है जिन्हें जाने अनजाने हमारे पूर्वजों ने बो दिया था और जिसने समाज के दामन को तार-तार कर दिया है। अतः अब हमारे सामने एकमात्र यही एक रास्ता है कि उन फसलों को काट कर परिश्रम, प्यार और हमदर्दी की फसल के बीज बोये जायें क्योंकि भूमि सबकी है और दर्द भी सबका साँझा है।

व्याख्या:
कवि धरती को, समाज को सुधारने के लिए भेदभाव पैदा करने वाले विचारों को दूर कर, आपसी भाईचारा, प्रेम, प्यार एवं एक-दूसरे से सहानुभूति पैदा करने का सन्देश देता हुआ कहता है कि जाने अनजाने हमारे पूर्वजों ने समाज के विभिन्न वर्गों में भेदभाव उत्पन्न करने की जो भावना भरी थी, समाज की भलाई के लिए हमें उस विषैली खेती को काट देना चाहिए भाव यह है समाज का, व्यक्ति का कल्याण इन भावनाओं को नष्ट करने में ही है बल्कि हमें तो आज मेहनत के, समान दुःख की भावना के, आपसी प्रेम प्यार के, एक दूसरे से सहानुभूति रखने वाले भावों को बढ़ावा देना चाहिए। हमें ऐसी सीमाएँ नहीं बाँधनी हैं जिससे समाज विभिन्न वर्गों में बँट जाए बल्कि इसके विपरीत कार्य करना चाहिए क्योंकि यह धरती सबकी है, दर्द सबके साँझे हैं।

विशेष:

  1. कवि ने समस्त प्रकार के भेदभावों को मिटाकर कर समतावादी समाज की स्थापना की कामना की है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 12 धर्मवीर भारती

स्वास्थ्य

वे सब बीमार हैं,
वे जो उन्मादग्रस्त रोगी से
मंचों पर जाकर चिल्लाते हैं
बकते हैं
भीड़ में भटकते हैं
वात पित्त कफ़ के बाद
चौथे दोष अहम् से पीड़ित हैं।
बस्ती-बस्ती में
नये अहम् के अस्पताल खुलवाओ।
वे सब बीमार हैं।
डरो मत-तरस खाओ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उन्मादग्रस्त = पागलपन।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश श्री धर्मवीर भारती के काव्य संग्रह ‘सात गीत वर्ष’ में ‘निर्माण योजना’ शीर्षक के अन्तर्गत रचित ‘स्वास्थ्य’ कविता से लिया गया है। स्वास्थ्य निर्माण योजना का अन्तिम पड़ाव है। कवि ने वर्तमान युग के नेता वर्ग पर व्यंग्य करते हुए बताया है कि आज के नेता अहम् रोग के शिकार हैं अतः उनके इलाज के लिए भी नए अस्पताल खुलवाने चाहिए।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि आज के नेता सभी बीमार हैं जो एक पागल रोगी के समान मंचों पर जाकर चिल्लाते हैं और बकवास करते हैं अर्थात् व्यर्थ की बातें करते हैं और जनता की भीड़ में मारे-मारे फिरते हैं। वे रोग ग्रस्त हैं। वे वात, पित्त और कफ रोगों के अतिरिक्त चौथे रोग अहम् से भी पीड़ित हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि इन नेताओं के इलाज के लिए बस्ती-बस्ती में अहम् का इलाज करने वाले नए अस्पताल खोले जाएँ जिससे ये समाज का स्वस्थ निर्माण कर सकें। इसके लिए हमें उपयुक्त वातावरण का निर्माण करना चाहिए। इन नेताओं से हमें डरना नहीं चाहिए क्योंकि ये सब तो बीमार हैं। हमें तो इन पर तरस खाना चाहिए। अर्थात् इनके प्रति सहानुभूति दर्शानी चाहिए क्योंकि ये अस्वस्थ हैं, बीमार हैं।

विशेष:

  1. कवि ने बीमार राजनीति पर चिंता व्यक्त करते हुए उसे सही दिशा देने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

धर्मवीर भारती Summary

धर्मवीर भारती जीवन परिचय

धर्मवीर भारती जी का जीवन परिचय लिखिए।

धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसम्बर, सन् 1926 में इलाहाबाद में हुआ। यहीं से आपने हिन्दी विषय में एम० ए० तथा ‘सिद्ध साहित्य’ पर डी० फिल० की उपाधि प्राप्त की तथा इलाहाबाद में ही प्राध्यापक की नौकरी की। इनकी विशेष रुचि पत्रकारिता में थी। सन् 1960 में आप साप्ताहिक धर्मयुग के सम्पादक बन कर मुम्बई आ गए और सेवानिवृत्त होकर यहीं बस गए। यहीं 4 सितंबर, सन् 1997 को इनकी मृत्यु हो गई। भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया था। ठंडा लोहा, अंधा युग, सात मीत वर्ष और कनुप्रिया आपके प्रसिद्ध काव्यसंग्रह हैं।

निर्माण योजना कविताओं का सार

‘निर्माण योजना’ कविता के चार अंश हैं। प्रथम अंश ‘बाँध’ में कवि ने समाज में व्याप्त घृणा रूपी नदी को बाँध कर उसे प्रेम में परेशत कर मानव कल्याण का संदेश दिया है। ‘यातायात’ में कवि ने समाज को बन्धन मुक्त होकर स्वच्छंदतापूर्वक जीवनयापन करने की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा है। ‘कृषि’ में समस्त भेदभाव समाप्त कर समाज को सुख की खेती करने का संदेश दिया है तथा अंतिम अंश ‘स्वास्थ्य’ में अहंकार को त्याग कर वास्तविकता को पहचानने पर बल दिया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

Hindi Guide for Class 12 PSEB गिरिजा कुमार माथुर Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘आदमी का अनुपात’ कविता में कवि ने मानव की संकीर्ण सोच और उसकी अहम् की भावना का चित्रण किया है-अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
कवि ने प्रस्तुत कविता में दो व्यक्तियों के एक ही कमरे में रहते हुए अलग-अलग रास्ते पर चलने, मिलजुल कर न रह सकने को उसकी संकीर्ण सोच का कारण बताया है। उसमें आपसी सहयोग की कमी भी इसी भाव के अन्तर्गत . आती है। मानव कल्याण के लिए यह मानसिक संकीर्णता उपयुक्त नहीं है।

प्रश्न 2.
विशाल संसार में मनुष्य का अस्तित्व क्या है ? प्रस्तुत कविता के आधार पर लिखो।
उत्तर:
इस विशाल संसार के अनेक ब्रह्माण्डों में से एक में मनुष्य रहता है। इस विशाल संसार में अनेक पृथ्वियाँ, भूमियाँ और सृष्टियाँ हैं। अतः आदमी का इस संसार में स्थान बहुत छोटा है। इतना छोटा कि वह किसी सूरत में विशाल संसार की बराबरी नहीं कर सकता। उसका अस्तित्व अत्यन्त तुच्छ है।

प्रश्न 3.
‘आदमी का अनुपात’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
कवि का मानना है कि आदमी का अस्तित्व उस विराटःसत्ता के सामने तुच्छ है। आदमी इस बात को समझता हुआ भी ईर्ष्या, अभिमान, स्वार्थ, घृणा और अविश्वास में पड़कर मानव कल्याण के रास्ते में रुकावटें खड़ी कर रहा है। वह अपने को दूसरों का स्वामी समझता है। ऐसे में भला वह दूसरों से कैसे मिलजुल कर रह सकता है। देश तो एक है किन्तु आज का आदमी इतने संकुचित दृष्टिकोण वाला, इतना व्यक्तिवादी हो गया है कि एक कमरे में रहने वाले दो व्यक्ति भी आपस में मिलजुल कर नहीं रह सकते। उन दोनों के रास्ते अलग और विचार अलग हैं। मानवता के कल्याण के लिए यह भावना सर्वथा अनुपयुक्त है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

प्रश्न 4.
‘पन्द्रह अगस्त’ माथुर जी की राष्ट्रीयवादी कविता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
श्री माथुर जी के द्वारा रचित कविता पन्द्रह अगस्त एक राष्ट्रवादी कविता है। इसमें कवि ने राष्ट्रवादियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्र की स्वतन्त्रता को बनाए रखने एवं उसकी सुरक्षा करने का आह्वान किया है। भले ही हम अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गए हैं किन्तु उनका प्रभाव बराबर बना हुआ है। इस पर हमें बाहरी और भीतरी शत्रुओं का भय भी बना हुआ है। बाहरी शत्रु कभी भी हम पर आक्रमण कर सकता है। उससे हमें लड़ना होगा और भीतरी शत्रु जैसे अभाव, ग़रीबी, बेरोज़गारी, साम्प्रदायिकता से भी हमें लड़ना होगा। किन्तु कवि को विश्वास है कि जन आन्दोलन राष्ट्र को सदा गतिशील बनाए रखेगा।

प्रश्न 5.
‘पन्द्रह अगस्त’ कविता का सार लिख कर इस का प्रतिपाद्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
माथुर जी के काव्य संग्रह ‘धूप के धान’ में संकलित ‘पन्द्रह अगस्त’ शीर्षक कविता में शताब्दियों की दासता से मुक्ति के दिन पन्द्रह अगस्त, सन् 1947 के दिन के संदर्भ में नव-निर्माण की चिन्ता और सावधानी का स्वर मुखरित हुआ है। – कवि कहते हैं कि पन्द्रह अगस्त जीत की रात है। इस दिन कड़े संघर्ष के बाद अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति पाई थी। स्वतन्त्र होने पर देश में निर्माण के अनेक मार्ग खुल गए हैं किन्तु हे भारतवासियो ! तुम्हें सावधान रहना होगा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश का यह पहला चरण ही है।

इस स्वतन्त्रता को जन आन्दोलन से प्राप्त किया गया है और इसकी पहली रत्नमयी हिलोर उठी है। जीवन रूपी मोतियों के इस सूत्र में अभी सुख-समृद्धि के अनेक मोती पिरोये जाने शेष हैं। किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए किए जाने वाले संघर्ष के दौरान झेले जाने वाले कष्टों, दुःखों की याद किसी काले किनारे के समान अभी तक बनी हुई है अर्थात् पुराने दुःखों का इतिहास अभी समाप्त नहीं हुआ है। अतः हे भारतवासियो ! तुम्हें गम्भीर सागर से महान् बन कर समय की पतवार को अपने हाथों में थामना होगा।

भले ही आज पराधीनता की जंजीरें टूट गई हैं। पुराने साम्राज्य के सारे चिह्न मिट गए हैं। किन्तु अभी तक शत्रु, बाहरी और भीतरी, का खतरा बना हुआ है। अंग्रेज भले ही चले गए परन्तु अभी उनका प्रभाव नष्ट नहीं हुआ। भारतीय स्वतन्त्रता अभी तक भयमुक्त नहीं हुई है। किन्तु हमें विश्वास है कि स्वाधीनता के साथ जन जीवन में नई चेतना, नई ज़िन्दगी का संचार होगा। प्रस्तुत कविता में स्वाधीनता दिवस के हर्षोल्लास को प्रकट करते हुए नव-निर्माण की चिन्ता और सावधानी के स्वर प्रवलतर हैं। हर्ष और भय, उल्लास और चिन्ता के द्वन्द्व से निर्मित जटिल राग बोध के निरूपण की दृष्टि से प्रस्तुत कविता उल्लेखनीय है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
ऊँची हुई मशाल …… सावधान रहना।
उत्तर:
कवि कहता है कि स्वतन्त्रता प्राप्त करके हमारी मशाल ऊँची हो गई है किन्तु आगे रास्ता बड़ा कठिन है। अंग्रेज़ रूपी शत्रु तो चले गए हैं परन्तु अभी उनका प्रभाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ तात्पर्य यह है कि भारतीय स्वतन्त्रता अभी तक पूरी तरह भयमुक्त नहीं हुई है, अभी तक बाहरी और भीतरी शत्रु का भय बना हुआ है। हमारा समाज अंग्रेज़ी दमन के कारण मुर्दे के समान हो चुका है.। इस पर हमारा अपना घर भी कमज़ोर है किन्तु हम में एक नई ज़िन्दगी आ रही है यह अमर-विश्वास है। आज जनता रूपी गंगा में तूफान उठ रहा है अतः अरी लहर तुम गतिशील रहना। हे भारतवासियो ! अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए तुम सदा सावधान रहना, जागरूक रहना।

प्रश्न 7.
इस पर भी आदमी………दो दुनिया रचाता है।
उत्तर:
कवि कहता है कि यह जान लेने पर भी कि आदमी उस विराट के आगे बहुत छोटा है, वह ईर्ष्या, अहंकार स्वार्थ, घृणा और अविश्वास में डूबा रहता है और अनगिनत शंख के समान कठोर दीवारें खड़ी करता है अर्थात् मानवता के विकास में अनेक बाधाएँ खड़ी करता है। वह अपने को दूसरों का स्वामी बताता है। ऐसी हालत में देशों की बात कौन कहे आदमी एक कमरे में भी दो दुनिया बनाता है अर्थात् एक कमरे में रहने वाले दो व्यक्ति भी मिल कर नहीं रह सकते। दोनों ही अपने-अपने रास्ते पर चलते हैं, एक-दूसरे से परे रहते हैं। मानव कल्याण के लिए यह स्थिति उपयुक्त नहीं है।

PSEB 12th Class Hindi Guide गिरिजा कुमार माथुर Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गिरिजा कुमार माथुर का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
मध्य प्रदेश के अशोक नगर में, 22 अगस्त, सन् 1919 ई० में।

प्रश्न 2.
श्री माथुर की प्रमुख चार रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
नाश और निर्माण, धूप के धाम, शिलापंख चमकीले, जन्म कैद।

प्रश्न 3.
श्री माथुर का देहांत कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
इनका देहांत 10 जनवरी, सन् 1994 ई० में दिल्ली में हुआ था।

प्रश्न 4.
‘आदमी का अनुपात’ कविता में इन्सान को कैसा बताया है ?
उत्तर:
अहंकारी, स्वार्थी, अविश्वासी, ईर्ष्या से भरा हुआ।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

प्रश्न 5.
इन्सान अपनी ईर्ष्या-अहंकार के कारण क्या करता है?
उत्तर:
इन्सान ईर्ष्या के कारण मानवता के विकास में बाधाएँ खड़ी करता है।

प्रश्न 6.
‘पंद्रह अगस्त’ कविता में कवि ने किस चिंता को व्यक्त किया है?
उत्तर:
कवि ने अपनी इस कविता में नवनिर्माण की चिंता और सावधानी बनाने के भावों को व्यक्त किया है।

प्रश्न 7.
कवि ने देश की स्वतंत्रता के बाद किन से डरने की चेतावनी दी है ?
उत्तर:
कवि ने देश के बाहरी और भीतरी शत्रुओं से डरने की चेतावनी दी है। हमारा देश अंग्रेजी साम्राज्य के कारण कमज़ोर हो चुका है।

प्रश्न 8.
मानव कल्याण के लिए कवि ने किसे उचित नहीं माना?
उत्तर:
कवि ने मानसिक संकीर्णता को मानव कल्याण के लिए उचित नहीं माना।

प्रश्न 9.
इस विशाल संसार में मनुष्य का अस्तित्व कैसा है?
उत्तर:
इस विशाल संसार में मनुष्य का अस्तित्व अति तुच्छ है।

प्रश्न 10.
कवि की दृष्टि में आधुनिक इन्सान कैसा हो गया है?
उत्तर:
आधुनिक इन्सान ईर्ष्या से भरा हुआ, घमंडी, अविश्वासी और घृणा के भावों से युक्त है। वह स्वयं दूसरों का स्वामी बनना चाहता है। वह व्यक्तिवादी और संकुचित सोच वाला है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 11.
लाखों ब्रह्माण्डों में……
उत्तर:
अपना एक ब्रह्मांड।

प्रश्न 12.
इस पर भी आदमी..
उत्तर:
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थी, घृणा, अविश्वास लीन।

प्रश्न 13.
………………खुली समस्त दिशाएँ।
उत्तर:
विषम श्रृंखलाएँ टूटी हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

प्रश्न 14.
लहर, तुम प्रवहमान रहना…………….
उत्तर:
पहरुए, सावधान रहना।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 15.
जीत की रात में पहरुए आराम से रहना।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 16.
इन्सान एक कमरे में भी दो दुनिया बनाता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 17.
लाखों ब्रह्माण्डों में अपना एक बह्माण्ड।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘नाश और निर्माण’ किस विधा की रचना है ?
(क) काव्य
(ख) गद्य
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास
उत्तर:
(क) काव्य

2. कवि को कहां का सूचना अधिकारी नियुक्त किया गया ?
(क) भारत में
(ख) नेपाल में
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ में
(घ) संसद में।
उत्तर:
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ में

3. कवि को किसका उपनिदेशक नियुक्त किया गया ?
(क) आकाशवाणी लखनऊ का
(ख) आकाशवाणी दिल्ली का
(ग) सदन का
(घ) लोकसभा का।
उत्तर:
(क) आकाशवाणी लखनऊ का

4. कवि के अनुसार ब्राह्मांड कितने हैं ?
(क) लाखों
(ख) हज़ारों
(ग) सैंकड़ों
(घ) असंख्य।
उत्तर:
(क) लाखों

5. कवि के अनुरूप लाखों ब्रह्मांडों में आदमी का अनुपात कितना है ?
(क) तुच्छ
(ख) बड़ा
(ग) छोटा
(घ) भारी।
उत्तर:
(ग) छोटा

6. ‘पंद्रह अगस्त’ कविता में कवि ने देशवासियों को किसकी रक्षा के लिए सचेत किया है ?
(क) धन
(ख) स्वतंत्रता
(ग) परतंत्रता
(घ) देश
उत्तर:
(ख) स्वतंत्रता

गिरिजा कुमार माथुर सप्रसंग व्याख्या

आदमी का अनुपात

1. दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे
कमरा है घर में
घर है मुहल्ले में
मुहल्ला नगर में
नगर है प्रदेश में
प्रदेश कई देश में
देश कई पृथ्वी पर
अनगिन नक्षत्रों में
पृथ्वी एक छोटी
करोड़ों में एक ही
सबको समेटे है
परिधि नभ-गंगा की

कठिन शब्दों के अर्थ:
आदमी का अनुपात = आदमी का अस्तित्व । अनगिन = असंख्य। परिधि = सीमा, घेरा। नभ गंगा = आकाश गंगा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश प्रगतिवादी कवि गिरिजा कुमार माथुर द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘शिलापंख चमकीले,’ में संकलित कविता ‘आदमी का अनुपात’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने मानव की मानव के प्रति संकीर्ण सोच और व्यक्तिवादिता पर प्रकाश डालते इसे मानवता के कल्याण के लिए घातक बताया है।

व्याख्या:
कवि आदमी के अस्तित्व की विराट ब्रह्मांड से तुलना करते हुए कहता है कि दो व्यक्ति कमरे में रहते हैं। आकार की दृष्टि से वे कमरे से भी छोटे हैं। कमरा घर में है, घर मुहल्ले में, मुहल्ला नगर में, नगर प्रदेश (राज्य) में, प्रदेश देश में, देश पृथ्वी पर और पृथ्वी असंख्य नक्षत्रों की तुलना में बहुत छोटी प्रतीत होती है और आकाश गंगा अपनी सीमा में करोड़ों नक्षत्रों को समेटे हुए है।

विशेष:

  1. कवि ने इस विराट ब्रह्मांड में आदमी की स्थिति का मूल्यांकन किया है।
  2. भाषा तत्सम एवं भावपूर्ण प्रधान है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

2. लाखों ब्रह्माण्डों में
अपना एक ब्रह्माण्ड
हर ब्रह्माण्ड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ
कितनी ही सृष्टियाँ
यह है अनुपात
आदमी का विराट में।

कठिन शब्दों के अर्थ:
ब्रह्माण्ड = सम्पूर्ण विश्व।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गिरिजा कुमार माथुर द्वारा रचित कविता ‘आदमी का अनुपात’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने आदमी की वास्तविकता चित्रित की है।

व्याख्या:
विराट स्वरूप ब्रह्माण्ड के सामने आदमी को बहुत छोटा बतलाते हुए कवि कहता है कि संसार में लाखों ब्रह्माण्ड हैं जिनमें आदमी का भी एक ब्रह्माण्ड है, जिसमें वह रहता है। हर ब्रह्माण्ड में कितनी ही पृथ्वियाँ हैं, कितनी ही भूमियाँ हैं और कितनी ही सृष्टियाँ हैं, अतः आदमी का ब्रह्माण्ड इन ब्रह्माण्डों के सामने बहुत छोटा है। वह उसकी बराबरी कभी नहीं कर सकता।

विशेष:

  1. मनुष्य की अकिंचन स्थिति का वर्णन किया गया है।
  2. भाषा सहज तथा भावपूर्ण है।

3. इस पर भी आदमी
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा, अविश्वास लीन
संख्यातीत शंख-सी दीवारें उठाता है
अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनियां रचाता है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
लीन = लगा हुआ, मस्त। संख्यातीत = अनगिनत।

प्रसंग:
प्रस्तुत पक्तियाँ गिरिजा कुमार माथुर द्वारा रचित कविता ‘आदमी का अनुपात’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने आदमी की वास्तविकता चित्रित की है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि यह जान लेने पर भी कि आदमी उस विराट के आगे बहुत छोटा है, वह ईर्ष्या, अहंकार स्वार्थ, घृणा और अविश्वास में डूबा रहता है और अनगिनत शंख के समान कठोर दीवारें खड़ी करता है अर्थात् मानवता के विकास में अनेक बाधाएँ खड़ी करता है। वह अपने को दूसरों का स्वामी बताता है। ऐसी हालत में देशों की बात कौन कहे आदमी एक कमरे में भी दो दुनिया बनाता है अर्थात् एक कमरे में रहने वाले दो व्यक्ति भी मिल कर नहीं रह सकते। दोनों ही अपने-अपने रास्ते पर चलते हैं, एक-दूसरे से परे रहते हैं। मानव कल्याण के लिए यह स्थिति उपयुक्त नहीं है।

विशेष:

  1. मनुष्य अपने अहंकार के कारण ही परस्पर झगड़ता रहता है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।

पन्द्रह अगस्त

1. आज जीत की रात
पहरुए सावधान रहना
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना
प्रथम चरण है नये स्वर्ग का
है मंजिल का छोर
इस जन-मंथन में उठ आई
पहली रत्न हिलोर
अभी शेष है पूरी होना
जीवन-मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट याई दुख की
विगत साँवली कोर
ले युग की पतवार
बने अंबुधि महान रहना
पहरुए, सावधान रहना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
जीत की रात = स्वतन्त्रता प्राप्ति की रात। पहरुए = देश वासी, देश के रक्षक। सावधान रहना = सचेत रहना। अचल = स्थिर। छोर = किनारा। हिलोर = तरंग। जीवन-मुक्ता = जीवन रूपी मोतियों की। विगत = बीती हुई। साँवली-अँधेरी = प्राचीन दुःखों और कष्टों भरा गुलामी का इतिहास । जल-मंथन = जन आन्दोलन। कोर = किनारा। अंबुधि = समुद्र।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश कवि गिरिजा कुमार माथुर जी की काव्यकृति ‘धूप के धान’ में संकलित कविता ‘पन्द्रह अगस्त’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद बाहरी ओर भीतर शत्रुओं से सावधान रह कर स्वतन्त्रता की रक्षा करने की बात कही है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि आज जीत की रात है अर्थात् वर्षों की गुलामी के बाद संघर्ष करके हम ने स्वतन्त्रता प्राप्त की है अतः हे देशवासियो ! इस स्वतन्त्रता की रक्षा करने के लिए तुम सावधान अर्थात् सचेत रहना। देश के द्वार खुल गए हैं अर्थात् देश पराधीनता से मुक्त हो गया है इसलिए तुम स्थिर दीपक बन कर रहना। इन नए स्वर्ग का अर्थात् स्वतन्त्र भारत का यह पहला चरण है और लक्ष्य का प्रारम्भ है। इस जन आन्दोलन से अर्थात् जनता के निरन्तर संघर्ष से स्वतन्त्रता की यह रत्नों से युक्त लहर उठी है। अभी जीवन रूपी मोतियों के इस सूत्र में अनेक मोती पिरोये जाने शेष हैं। क्योंकि अभी तक बीते हुए काले किनारे अर्थात् परतन्त्रता के दिनों के दुःख भरे चिह्न बाकी हैं। अतः हे भारतवासियो ! समय की पतवार लेकर महान् समुद्र के समान बन कर रहना है। हे भारतवासियो ! तुम्हें अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए जागरूक रहना है।

विशेष:

  1. कवि देशवासियों को अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए सावधान रहने के लिए कह रहा है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान भावपूर्ण है। रूपक अलंकार है।

2. विषम श्रृंखलाएँ टूटी हैं
खुली समस्त दिशाएँ
आज प्रभजन बनकर चलती
युग-बंदिनी हवाएँ
प्रश्न चिह्न बन खड़ी हो गई
यह सिमटी सीमाएँ
आज पुराने सिंहासन की
टूट रही प्रतिमाएँ
उठत है तूफान, इन्दु तुम
दीप्तिमान रहना
पहरुए, सावधान रहना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
विषम श्रृंखलाएँ = पराधीनता की भयानक जंजीरें। प्रभंजन = आँधी, तूफान । पुराने सिंहासन = पुरानी मान्यताएँ या पुराने साम्राज्य-अंग्रेज़ी शासक। टूट रही प्रतिमाएँ = मूर्तियाँ टूट रही हैं अर्थात् अंग्रेजी शासन के चिह्न नष्ट हो रहे हैं। इंदु = चन्द्रमा। दीप्तिमान रहना = जग मगाते रहना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गिरिजा-कुमार माथुर द्वारा रचित कविता ‘पन्द्रह अगस्त’ से ली गई हैं, जिसमें कवि देशवासियों को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि पराधीनता की भयानक जंजीरें टूट गई हैं-भारत अब स्वतन्त्र हो गया है और निर्माण और प्रगति के सारे मार्ग खुल गए हैं किन्तु अभी तक बाहरी शत्रु जो हमारी सीमाओं पर खड़ा है कि जब भी हम असावधान हुए वह आक्रमण कर सकता है। जो तूफ़ानी हवा बन कर बह रहा है। आज हमारी सीमाएँ प्रश्न चिह्न बन कर खड़ी हो गई हैं। ये सीमाएँ हमारे निकट आ गई हैं। आज भले ही अंग्रेजी शासन की सभी मूर्तियाँ टूट रही हैं अर्थात् उसके सभी चिह्न नष्ट हो गए हैं किन्तु भीतरी शत्रु-अभावग्रस्तता, ग़रीबी, बेरोज़गारी, साम्प्रदायिक वैमनस्य की भावना रूपी तूफान अभी उठ रहा है। अतः हे चन्द्रमा ! तुम जगमगाते रहना। हे भारतवासियो ! तुम इन बाहरी और भीतरी शत्रुओं से सावधान रहना, जागरूक रहना।

विशेष:

  1. कवि ने देशवासियों को बाहरी तथा आंतरिक शत्रुओं से सावधान रहने के लिए कहा है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 11 गिरिजा कुमार माथुर

3. ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है
शत्रु हट गया लेकिन उसकी
छायाओं का डर है
शोषण से मृत है समाज
कमज़ोर हमारा घर है
किन्तु आ रही नई जिन्दगी
यह विश्वास अमर है
जनगंगा में ज्वार,
लहर, तुम प्रवहमान रहना
पहरुए, सावधान रहना।

कठिन शब्दों के अर्थ:
डगर = रास्ता। शत्रु = अंग्रेज़। शोषण = दमन। मृत = मुर्दा । ज्वार = तूफान। प्रवाहमान = गतिशील।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गिरिजा कुमार माथुर द्वारा रचित कविता ‘पन्द्रह अगस्त’ से ली गई हैं, जिसमें कवि देशवासियों को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि स्वतन्त्रता प्राप्त करके हमारी मशाल ऊँची हो गई है किन्तु आगे रास्ता बड़ा कठिन है। अंग्रेज़ रूपी शत्रु तो चले गए हैं परन्तु अभी उनका प्रभाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ तात्पर्य यह है कि भारतीय स्वतन्त्रता अभी तक पूरी तरह भयमुक्त नहीं हुई है, अभी तक बाहरी और भीतरी शत्रु का भय बना हुआ है। हमारा समाज अंग्रेज़ी दमन के कारण मुर्दे के समान हो चुका है.। इस पर हमारा अपना घर भी कमज़ोर है किन्तु हम में एक नई ज़िन्दगी आ रही है यह अमर-विश्वास है। आज जनता रूपी गंगा में तूफान उठ रहा है अतः अरी लहर तुम गतिशील रहना। हे भारतवासियो ! अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए तुम सदा सावधान रहना, जागरूक रहना।

विशेष:

  1. कवि देशवासियों को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रेरित किया है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। उद्बोधनात्मक स्वर है।

गिरिजा कुमार माथुर Summary

गिरिजा कुमार माथुर जीवन परिचय

गिरिजा कुमार माथुर जी का जीवन परिचय लिखिए।

गिरिजा कुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त, सन् 1919 ई० को मध्यप्रदेश के अशोक नगर में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० तथा एल० एल० बी० पास करके आपने झाँसी में कुछ समय तक वकालत की और बाद में आकाशवाणी में नौकरी कर ली। सन् 1950 में आपको संयुक्त राष्ट्र संघ में सूचना अधिकारी नियुक्त किया गया। सन् 1953 में वापस आकर इन्हें आकाशवाणी लखनऊ के उपनिदेशक पद पर नियुक्त किया गया। इन्होंने आकाशवाणी जालन्धर में भी कार्य किया और दिल्ली केन्द्र से उप महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। इनका निधन 10 जनवरी, सन् 1994 को नई दिल्ली में हो गया था।

इनकी नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले, जो बंध नहीं सका, भीतरी नदी की यात्रा, जन्म कैद आदि प्रमुख रचनाएँ हैं।

गिरिजा कुमार माथुर कविताओं का सार

आदमी का अनुपात कविता में कवि ने अहंकारी मनुष्य को बताया है कि लाखों ब्रह्मांडों के मध्य उसका अनुपात कितना तुच्छ है, फिर भी वह स्वार्थवश अपनी अलग दुनिया रचना चाहता है, यहाँ तक कि एक कमरे में दो आदमी भी मिलकर नहीं रह पाते। ‘पन्द्रह अगस्त’ कविता ने देशवासियों को अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए सचेत रहने के लिए कहा है क्योंकि हमारी स्वतंत्रता पर बाहरी सीमा से शत्रु तथा आंतरिक रूप से देश की समस्याएं आक्रमण कर सकती हैं। इसलिए हमें सदा सजग प्रहरी बनकर इनसे जूझना होगा।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वाच्य विचार

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Vachya Vichar वाच्य विचार Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar वाच्य विचार

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं ? वाच्य के भेद भी लिखो।
अथवा
वाच्य किसे कहते हैं ? वह कितने प्रकार का होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूपान्तर से यह जाना जाए कि वाच्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है या कर्म अथवा भाव, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य तीन प्रकार के हैं-
1. कर्तृवाच्य : जब क्रिया के विधान का विषय कर्ता हो ; उसे कर्तृवाच्य कहते हैं; जैसे-राधा गीत गाती है। राम पढ़ता है।
2. कर्मवाच्य : जब क्रिया के विधान का विषय कर्म हो ; उसे कर्मवाच्य कहते हैं; जैसे-राधा से गीत गाया जाता है। राम से पढ़ा जाता है।
3. भाववाच्य : जब क्रिया के विधान का विषय न कर्ता हो न कर्म वरन् भाव ही क्रिया के विधान का विषय हो तो उसे भाववाच्य कहा जाता है; जैसे-सुरेश से उठा जाता

विशेष :
1. कर्तवाच्य : सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं का होता है।
2. कर्मवाच्य : यह केवल अकर्मक क्रियाओं का होता है।
3. भाववाच्य : यह केवल सकर्मक क्रियाओं का होता है।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य तथा भाववाच्य बनाने की विधि-
(क) कर्ता के साथ करण कारक लगाओ।।
(ख) कर्म के साथ कर्ता लगाओ और विभक्ति रहित कर दो।
(ग) कर्मवाच्य और भाववाच्य को कर्तृवाच्य में बदलते समय उल्टी प्रक्रिया करते हैं।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य :

कर्तृवाच्य – कर्मवाच्य
(1) मैं रोटी खाता हूँ। – (1) मुझसे रोटी खाई जाती है।
(2) मैं पत्र लिखता हूँ। – (2) मुझ से पत्र लिखा जाता है।
(3) मैं पिता जी को पत्र भेजता हूँ। – (3) मुझ से पिता जी को पत्र भेजा जाता है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य :

कर्तृवाच्य – भाववाच्य
(1) राम तेज़ दौड़ता है। – (1) राम से तेज़ दौड़ा जाता है।
(2) मैं सर्दियों में नहीं नहाता। – (2) मुझ से सर्दियों में नहीं नहाया जाता।

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य :

कर्मवाच्य – कर्तृवाच्य
(1) तुम से दूध नहीं पीया जाता। – (1) तुम दूध नहीं पी सकते।
(2) मुझ से ऐसी बातें नहीं सुनी जातीं। – (2) मैं ऐसी बात नहीं सुन सकता।

भाववाच्य से कर्तृवाच्य :

भाववाच्य – कर्तृवाच्य
(1) तुम से सवेरे नहीं उठा जाता। – (1) तुम सवेरे नहीं उठ सकते।
(2) हम से देर तक नहीं जागा जाता। – (2) हम देर तक नहीं जाग सकते।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वाच्य विचार

वाच्य परिवर्तन सम्बन्धी कुछ उदाहरण :

कर्तवाच्य – कर्मवाच्य
(1) भिखारी भोजन खाता है। – भिखारी द्वारा भोजन खाया जाता है।
(2) पुलिस ने चोरों को पकड़ लिया है। – पुलिस द्वारा चोर पकड़े गए।
(3) चुनाव अधिकारी ने मतों की गिनती की। – चुनाव अधिकारी द्वारा मत गिने गए।
(4) राम ने खाना खाया। – राम द्वारा खाना खाया गया।
(5) शेर ने हिरण को मार डाला। – शेर द्वारा हिरण मारा गया।
(6) सीता लेख लिखेगी। – सीता द्वारा लेख लिखा जाएगा।
(7) मोहन ने दूध पीया। – मोहन द्वारा दूध पीया जाएगा।
(8) पशु चारा खाते हैं। – पशुओं द्वारा चारा खाया जाता है।
(9) क्या सुरेन्द्र ने सिनेमा देखा? – क्या सुरेन्द्र द्वारा सिनेमा देखा गया?
(10) अब मैं स्कूल नहीं जाऊँगा? – अब मुझसे स्कूल नहीं जाया जाएगा।
(11) अब मैं नहीं पढुंगा। – अब मुझसे पढ़ा नहीं जाएगा।
(12) मोहन समाचार-पत्र पढ़ता है। – मोहन द्वारा समाचार-पत्र पढ़ा जाता है।
(13) माता जी ने मुझे वहाँ देखा। – माता जी द्वारा मैं वहाँ देखा गया।
(14) कुत्ते ने उसे काट खाया। – कुत्ते द्वारा वह काट खाया गया।
(15) कमला ने दौड़ लगाई। – कमला द्वारा दौड़ लगाई गई।
(16) हमारी टीम ने मैच जीता। – हमारी टीम द्वारा मैच जीता गया।
(17) हम सो नहीं सकते। – हमसे सोया नहीं जाता।
(18) पिता जी पत्र लिखेंगे। – पिता जी द्वारा पत्र लिखा जाएगा।
(19) स्त्रियाँ गीत गा रही हैं। – स्त्रियों द्वारा गीत गाए जा रहे हैं।
(20) मनुष्य अन्न खाते हैं। – मनुष्य द्वारा अन्न खाया जाता है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वाच्य विचार

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. नीचे लिखे वाक्यों में वाच्य बदलो-

(1) हम चाय नहीं पीते।
उत्तर:
हमसे चाय नहीं पी जाती।

(2) मैं कह नहीं सकता।
उत्तर:
मुझसे कहा नहीं जा सकता।

(3) विद्यार्थी ग्राम को जाता है।
उत्तर:
विद्यार्थी द्वारा ग्राम को जाया जाता है।

(4) सोहन द्वारा सिनेमा देखा जाता है।
उत्तर:
सोहन सिनेमा देखता है।

(5) विद्यार्थी हँसते हैं।
उत्तर:
विद्यार्थियों द्वारा हँसा जाता है।

(6) बुद्ध हँसे।
उत्तर:
बुद्ध द्वारा हँसा गया।

(7) गुरु जी ने उत्तर दिया।
उत्तर:
गुरु जी द्वारा उत्तर दिया गया।

(8) बुद्ध ने उसे शिष्य बनाया।
उत्तर:
बुद्ध द्वारा वह शिष्य बनाया गया।

(9) लड़कियाँ स्कूल को जाती हैं।
उत्तर:
लड़कियों द्वारा स्कूल जाया जाता है।

(10) माता पुत्र को दूध पिलाती है।
उत्तर:
माता द्वारा पुत्र को दूध पिलाया जाता है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वाच्य विचार

(11) चाँद चमकता है।
उत्तर:
चाँद द्वारा चमका जाता है।

(12) माली पौधों को सींचता है।
उत्तर:
माली द्वारा पौधे सींचे जाते हैं।

(13) किसान बीजों को बोता है।
उत्तर:
किसान द्वारा बीज बोये जाते हैं।

(14) छात्रों ने मेजें थपथपाईं।
उत्तर:
छात्रों द्वारा मेजें थपथपाई गईं।

(15) अध्यापकों ने प्रदर्शन किया।
उत्तर:
अध्यापकों द्वारा प्रदर्शन किया गया।

(16) भगत सिंह ने साण्डर्स को गोली से उड़ा दिया।
उत्तर:
भगत सिंह द्वारा साण्डर्स को गोली से उड़ा दिया गया।

(17) मैं आपकी बात नहीं समझा।
उत्तर:
मुझसे आपकी बात नहीं समझी गई।

(18) देखो, ऐसा मत करो।
उत्तर:
देखो, ऐसा न किया जाए।

(19) चपड़ासी ने घंटी बजाई।
उत्तर:
चपड़ासी द्वारा घंटी बजाई गई।

(20) वे तितलियाँ पकड़ते हैं।
उत्तर:
उनके द्वारा तितलियाँ पकड़ी जाती हैं।

(21) मैं यह पुस्तक पढ़ सकता हूँ।
उत्तर:
मुझसे यह पुस्तक पढ़ी जा सकती है।

(22) मैं तो ठहर गया, भला तुम कब ठहरा जाएगा।
उत्तर:
मुझसे तो ठहरा गया, भला तुमसे कब ठहरोगे।

(23) बुद्ध शान्तिपूर्वक मुस्कुरा रहे हैं।
उत्तर:
बुद्ध द्वारा शान्तिपूर्वक मुस्कुराया जा रहा है।

(24) योगी ने उसे योग विद्या सिखलाई।
उत्तर:
योग द्वारा उसे विद्या सिखलाई गई।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran काल प्रकरण

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kal Prakaran काल प्रकरण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar काल प्रकरण

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं ? काल के भेद बताओ।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूप से उसके होने या करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं। काल के मुख्य तीन भेद हैं-(1) भूतकाल, (2) वर्तमान काल, (3) भविष्यत् काल।

1. वर्तमान काल :
जिस क्रिया के रूप से पता चले कि काम अभी हो रहा है, उसे वर्तमान-काल कहते हैं।
इसके तीन भेद हैं-
(i) सामान्य वर्तमान।
(ii) अपूर्ण या तात्कालिक वर्तमान।
(iii) संदिग्ध वर्तमान।

(i) सामान्य वर्तमान : क्रिया का वह रूप जिससे काम के वर्तमान समय में सामान्यतः होने का बोध हो; जैसे–मोहन जाता है।
(ii) अपूर्ण वर्तमान : क्रिया का वह रूप जिससे ज्ञान होता है कि काम शुरू हो गया है और अभी जारी है, उसे अपूर्ण या तात्कालिक वर्तमान कहते हैं; जैसे–मोहन जा रहा
(ii) संदिग्ध वर्तमान : क्रिया का वह रूप जिससे मालूम होता है कि क्रिया वर्तमान में हो रही है, किन्तु उसके होने में सन्देह हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं; जैसे-मोहन जाता होगा।

2. भूतकाल :
जिस क्रिया के रूप से पता चले कि काम बीते हुए समय में पूरा हो गया, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
इसके छ: भेद हैं-
(i) सामान्य भूत : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम हो कि बीते हुए समय में सामान्यतः पूरा हो गया, उसे सामान्यत भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा।
(ii) आसन्न भूत : क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि काम अभी-अभी पूरा हुआ है, उसे आसन्न भूत कहते हैं; जैसे-मोहन ने साँप देखा है।
(ii) पूर्ण भूत : क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि काम बहुत पहले पूरा हो चुका था, उसे पूर्ण भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा था।
(iv) अपूर्ण भूत-क्रिया के जिस रूप से क्रिया का भूतकाल में होना पाया जाए , लेकिन पूर्ण हुआ या नहीं ज्ञात न हो, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं; जैसे-मोहन साँप देख रहा था।
(v) संदिग्ध भूत-जिस क्रिया के करने या होने में सन्देह हो, उसे संदिग्ध भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा होगा।
(vi) हेतु-हेतुमद् भूत-क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में होने या किए जाने में शर्त पाई जाए, उसे हेतु-हेतुमद् भूत कहते हैं; जैसे-यदि साँप देखता तो चला जाता।

3. भविष्यत् काल :
क्रिया के जिस रूप से किसी काम का आने वाले समय में किया जाना या होना ज्ञात हो, उसे भविष्यत् काल कहते हैं।
इसके दो भेद हैं-
(i) सामान्य भविष्यत्।
(ii) सम्भाव्य भविष्यत्।

(i) सामान्य भविष्यत् : क्रिया के जिस रूप में काम का सामान्य रूप से भविष्य में किया जाना या होना पाया जाए, उसे सामान्य भविष्यत् कहते हैं; जैसे–मोहन जाएगा।
(ii) सम्भाव्य भविष्यत् : क्रिया का वह रूप जिससे काम के भविष्य मे होने या किए जाने की सम्भावना है, पर निश्चय नहीं, उसे सम्भाव्य भविष्यत् कहते हैं; जैसे-मोहन दिल्ली जाए।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran काल प्रकरण

प्रश्न 2.
भूतकाल किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूतकाल :
जिस क्रिया के रूप से पता चले कि काम बीते हुए समय में पूरा हो गया, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
इसके छ: भेद हैं-
(i) सामान्य भूत : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम हो कि बीते हुए समय में सामान्यतः पूरा हो गया, उसे सामान्यत भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा।
(ii) आसन्न भूत : क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि काम अभी-अभी पूरा हुआ है, उसे आसन्न भूत कहते हैं; जैसे-मोहन ने साँप देखा है।
(ii) पूर्ण भूत : क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि काम बहुत पहले पूरा हो चुका था, उसे पूर्ण भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा था।
(iv) अपूर्ण भूत-क्रिया के जिस रूप से क्रिया का भूतकाल में होना पाया जाए , लेकिन पूर्ण हुआ या नहीं ज्ञात न हो, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं; जैसे-मोहन साँप देख रहा था।
(v) संदिग्ध भूत-जिस क्रिया के करने या होने में सन्देह हो, उसे संदिग्ध भूत कहते हैं; जैसे–मोहन ने साँप देखा होगा।
(vi) हेतु-हेतुमद् भूत-क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में होने या किए जाने में शर्त पाई जाए, उसे हेतु-हेतुमद् भूत कहते हैं; जैसे-यदि साँप देखता तो चला जाता।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran काल प्रकरण

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों को वर्तमान काल में बदलो

(1) गतवर्ष मोहन ने रामायण की कहानी पढ़ी थी।
उत्तर:
इस वर्ष मोहन रामायण की कहानी पढ़ता

(2) एक नहीं अनेक उदाहरण मिल जाएँगे।
उत्तर:
एक नहीं अनेक ऐसे उदाहरण मिल जाते

(3) सभा में उपस्थित हर एक सदस्य मत है।
उत्तर:
सभा में उपस्थित हर एक सदस्य का यही का यही मत था।

(4) मैं आपके दर्शन करने आया था।
उत्तर:
मैं आपके दर्शन करने आया हूँ।

(5) गाँव के ज्यादातर लोग अनपढ़ थे।
उत्तर:
गाँव के ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं।

(6) वह दूसरे कमरे में गया।
उत्तर:
वह दूसरे कमरे में जाता है।

(7) धनी ने ब्राह्मण को दान दिया।
उत्तर:
धनी ब्राह्मण को दान देता है।

(8) इसी नदी ने रुख बदल लिया।
उत्तर:
यह नदी रुख बदलती है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran काल प्रकरण

2. निम्नलिखित वाक्यों को भूतकाल में बदलो

(1) फसल कहीं-कहीं से कटी हुई है।
उत्तर:
फसल कहीं-कहीं से कटी हुई थी।

(2) अर्जुन की आंखें भर आती हैं।
उत्तर:
अर्जुन की आँखें भर आईं।

(3) वह गुरु की ओर देखता है।
उत्तर:
उसने गुरु की ओर देखा।

(4) एकलव्य के अंगूठे से रक्त बहता है।
उत्तर:
एकलव्य के अंगूठे से रक्त बहने लगा।

(5) देव आठवीं श्रेणी का विद्यार्थी है।
उत्तर:
देव आठवीं श्रेणी का विद्यार्थी था।

(6) मैं स्कूल में काम करता हूँ।
उत्तर:
मैंने स्कूल में काम किया।

(7) माता जी सुबह जल्दी उठती हैं।
उत्तर:
माता जी सुबह जल्दी उठतीं थीं।

(8) महेश बुराई से घृणा करता है।
उत्तर:
महेश बुराई से घृणा करता था।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran काल प्रकरण

3. निम्नलिखित वाक्यों को भूतकाल से भविष्यत् काल में बदलो

(1) राम आया, श्याम गया।
उत्तर:
राम आएगा, श्याम जाएगा।

(2) मोहन ने तलवार चलाई।
उत्तर:
मोहन तलवार चलाएगा।

(3) मैंने बाजा बजाया।
उत्तर:
मैं बाजा बजाऊँगा।

(4) सोहन ने गीता पढ़ी।
उत्तर:
सोहन गीता पढ़ेगा।

(5) देव ने दरबार साहब देखा।
उत्तर:
देव दरबार साहब देखेगा।

(6) गार्ड ने हरी झंडी दिखाई।
उत्तर:
गार्ड हरी झंडी दिखाएगा।

(7) मैं आज घर नहीं गई।
उत्तर:
मैं आज घर नहीं आऊँगी।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Avikari Shabd (Avyay) अविकारी शब्द (अव्यय) Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 1.
अव्यय किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
जिन शब्दों का लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई रूप नहीं बदलता उन्हें अव्यय कहते हैं। अव्यय का दूसरा नाम अविकारी शब्द है।
अव्यय चार प्रकार के होते हैं-
(1) क्रिया विशेषण
(2) सम्बन्ध बोधक
(3) समुच्चय बोधक
(4) विस्मयादि बोधक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

1. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण का लक्षण (परिभाषा) लिखकर उसके भेदों का वर्णन करो।
अथवा
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
वे शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करें, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, यहाँ से, कल, आज, ऊँचे से ऊँचाई आदि। क्रिया विशेषण के चार भेद हैं
1. कालवाचक :
जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने का समय सूचित करते हैं उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-आज, कल, परसों, जब, तब, कब, साय, प्रात: आदि।
उदाहरण :
(i) मैं प्रातः व्यायाम करता हूँ।
(ii) आजकल वर्षा हो रही है।
(iii) परसों मेला देखने चलेंगे।

2. स्थानवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान या दिशा के विषय में बोध कराएँ उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे–यहाँ, वहाँ, आगे, पीछे, मध्य, ऊपर, नीचे, इधर, किधर, दाहिने, बाएँ, सामने आदि।
उदाहरण :
(i) इधर-उधर मत देखो।
(ii) भीतर जा कर पढ़ो।
(ii) यहाँ बैठो।

3. परिमाणवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के परिमाण को प्रकट करें उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-अधिक, जितना, थोड़ा, बहुत, कम आदि।
उदाहरण :
(i) कम बोलो, अधिक सोचो।
(ii) तनिक हँसो भी।
(iii) चाय में दूध काफी है, चीनी थोड़ी है।

4. रीतिवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया की रीति या विधि का बोध कराएँ उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, जल्दी, शीघ्र, तेज़ आदि।
उदाहरण :
(i) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
(ii) मैं तो ठीक पढ़ रहा था।
(iii) क्या तुम पैदल चलोगे ?

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

2. संबंध बोधक

प्रश्न 1.
संबंध बोधक अव्यय किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जो संज्ञा और सर्वनाम के आगे-पीछे आ कर वाक्यों के दूसरे शब्दों से उसका सम्बन्ध बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक अव्यय कहा जाता है; जैसे-ऊपर, भीतर, आगे, पीछे, ऊँचे, नीचे, समीप, दूर, बाहर, सहित आदि।
उदाहरण:
(i) डर के मारे उसका चेहरा पीला पड़ गया।
(ii) मेरा घर विद्यालय के पीछे है।

3. समुच्चय बोधक

प्रश्न 1.
समुच्चय बोधक अथवा योजक अव्यय किसे कहते हैं ?
अथवा
योजक की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक या योजक अव्यय कहते हैं; जैसे-और, भी, तथा, कि, अथवा, अतः, किन्तु, परन्तु, इसलिए, मानो आदि।
उदाहरण :
(i) मोहन ने कहा कि मैं आपकी प्रतीक्षा करूँगा।
(ii) मैंने तो बहुत कहा किन्तु वह नहीं माना।

4. विस्मयादि बोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादि बोधक किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो शब्द विस्मय हर्ष, शोक, घृणा आदि भावों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादि बोधक कहते हैं; जैसे-ओहो, आह, हाय, बाप रे, खूब, वाह-वाह, धन्य, अरे, अजी इत्यादि।
उदाहरण :
(i) हाय ! मैं मारा गया।
(ii) वाह ! क्या फिल्म थी।
(iii) धन्य ! गुरुदेव जो आप यहाँ पधारे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

आति लघत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया विशेषण शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) रवि आज भोजन नहीं करेगा।
(ख) धीरे-धीरे चलो।
(ग) इतना मत पढ़ो।
(घ) वहाँ घोर अंधेरा है।।
(ङ) उस दिन वर्षा सुबह से हो रही थी।
(च) गुफा में रुक-रुक कर पानी टपक रहा था।
(छ) धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
(ज) शेषनाग नामक स्थान पर रात भर टिकना अनिवार्य होता है।
(झ) वीर पुरुष किसी से नहीं डरता।
(ज) मोहन आज भोजन नहीं करेगा।
उत्तर:
(क) आज
(ख) धीरे-धीरे
(ग) इतना
(घ) वहाँ
(ङ) सुबह
(च) रुक-रुक
(छ) धीरे-धीरे
(ज) रात भर
(झ) किसी से
(ज) आज।

2. निम्नलिखित वाक्यों में से सम्बन्ध बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) तुम्हारे अतिरिक्त यहाँ कोई नहीं है।
(ख) गाँव से परे मठ में एक पुजारी रहता था।
(ग) मैं अध्यापक के विरुद्ध गवाही नहीं दूंगा।
(घ) पेड़ के नीचे छाया का आनंद लो।
उत्तर:
(क) तुम्हारे अतिरिक्त,
(ख) परे,
(ग) के विरुद्ध
(घ) नीचे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

3. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चय बोधक (योजक) शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) नित्य भजन कीजिए, ताकि मन शांत रहे।
(ख) योगेश और अवधेश दोनों साथी हैं।
(ग) रवि गाता ही नहीं, अपितु नाचता भी है।
(घ) यदि इस समय ओले पड़े, तो फसल नष्ट हो जाएगी।
(ङ) जो करेगा सो भरेगा।
(च) मेरे लिए जैसा रमेश वैसे ही तुम।
उत्तर:
(क) ताकि,
(ख) और,
(ग) अपितु,
(घ) यदि, तो,
(ङ) जो, सो,
(च) जैसा, वैसे।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से विस्मयादि बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) छिः छिः मोहिनी ! तुम कितनी गन्दी हो।
(ख) ओह, कितना बड़ा साँप है।
(ग) हाय ! हाय ! दुष्ट पुत्र ने मुझे बर्बाद कर दिया।
(घ) शाबाशं ! कैप्टन तुम्हारी टीम जीत गई।
(ङ) वाह! कितना सुन्दर दृश्य है।
उत्तर:
(क) छिः छिः
(ख) ओह !
(ग) हाय ! हाय !
(घ) शाबाश
(ङ) वाह!

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 2.
‘ओह’ शब्द को विस्मयादिबोधक वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
ओह ! यह क्या हुआ।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Hindi Guide for Class 12 PSEB शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘चलना हमारा काम है’ कविता आशा और उत्साह की कविता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने गतिशीलता को ही जीवन माना है। स्थिरता को उसने मृत्यु समान माना है। गतिशील जीवन ही जीवन पथ में आने वाली बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत रखता है। जब व्यक्ति के पैरों में चलने की शक्ति है तो वह किनारे पर खड़ा क्यों देखता रहे । जीवन में सुख-दुःख, आशा-निराशा तो आते ही रहते हैं किन्तु जीवन रुकना नहीं चाहिए। स्पष्ट है कि कविता में आशा और उत्साह बनाए रखने की बात कही गई है।

प्रश्न 2.
‘चलना हमारा काम है’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में गतिशीलता को जीवन और स्थिरता को मृत्यु बताया गया है। गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत होती है। कवि कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की शक्ति है तो मैं दूर खड़ा क्यों देखता रहूँ। जब तक मैं अपनी मंज़िल न पा लूँ मैं रुकूँगा नहीं। जीवन में सुख-दुःख तो आते ही रहते हैं किन्तु भाग्य को दोष देकर मुझे रुकना नहीं है चलते ही जाना है। भले ही जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग रास्ते से ही लौट गए किंतु जीवन तो निरंतर चलता ही रहता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 3.
‘मानव बनो, मानव ज़रा’ कविता का शीर्षक क्या सन्देश देता है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता का शीर्षक यह सन्देश देता है कि मानव कल्याण के लिए जियो अथवा अपना जीवन लगाओ ताकि मानवता तुम पर गर्व कर सके।

प्रश्न 4.
‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता का सार लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में मनुष्य को आत्मनिर्भर होने की बात कही गई है। कवि का कहना है प्यार करना और उसमें खुशामद करना तथा किसी दूसरे का आश्रय ग्रहण करना तुम्हारी भूल है, इससे कोई लाभ न होगा। न ही आँसू बहाने और न ही किसी के आगे हाथ फैलाने से कोई लाभ होगा। कष्टों में हाय तौबा करना या कराहना तुम्हें शोभा नहीं देता। अपने इन आँसुओं का सदुपयोग करते हुए विश्व के कण-कण को सींच कर हरा-भरा कर देना है। अब पछताओ मत बल्कि यदि तुम्हें जलना ही है तो अपनी भस्म से इस धरती को उपजाऊ बनाओ।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया।
जो बंद कर पलकें सहज
दो घूट हँस कर पी गया।
जिसमें सुधा मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है
चलना हमारा काम है।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

प्रश्न 6.
उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

PSEB 12th Class Hindi Guide शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ ने उच्च शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
उत्तर:
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से।

प्रश्न 2.
सुमन जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
मिट्टी की बारात पर।

प्रश्न 3.
कवि के विचार से जीवन और मृत्यु क्या है?
उत्तर:
कवि के विचार से गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु है।

प्रश्न 4.
इन्सान को अपने जीवन में शक्ति की प्राप्ति किससे होती है?
उत्तर:
इन्सान को गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने से शक्ति प्राप्त होती है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 5.
कवि के सामने तय करने के लिए कैसा रास्ता पड़ा है ?
उत्तर:
लंबा रास्ता।

प्रश्न 6.
जीवन की राह को किस तरह आसानी से काटा जा सकता है?
उत्तर:
एक-दूसरे से सुख-दुख को बांटते हुए जीवन की राह को आसानी से काटा जा सकता है।

प्रश्न 7.
जीवन की राह पर बढ़ते हुए इन्सान सदा किस से घिरा रहता है?
उत्तर:
वह निराशा से घिरा रहता है।

प्रश्न 8.
इन्सान का मूल कार्य क्या है?
उत्तर:
जीवन की राह में आगे बढ़ते जाना।

प्रश्न 9.
कवि ने दुनिया को क्या कहा है?
उत्तर:
सुंदर संसार रूपी सागर।

प्रश्न 10.
संसार में सभी को क्या सहने ही पड़ते हैं ?
उत्तर:
संसार में सभी को दु:ख सहने ही पड़ते हैं।

प्रश्न 11.
कवि पूर्णता की खोज में कहाँ-कहाँ भटकता रहा?
उत्तर:
कवि पूर्णता की खोज में दर-दर भटकता रहा।

प्रश्न 12.
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति किसे होती है?
उत्तर:
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति निरंतर आगे बढ़ने वालों को ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 13.
कवि ने इन्सान को क्या न करने की सलाह दी है?
उत्तर:
कवि ने इन्सान को कष्टों से डरने, व्यर्थ पछताने, रोने-पीटने और निराशावादी न बनने की सलाह दी है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
जब तक न मंजिल पा सकूँ…………
उत्तर:
तब तक न मुझे विराम है।

प्रश्न 15.
इस विशद विश्व प्रवाह में,
उत्तर:
किसको नहीं बहना पड़ा।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 16.
कर दो धरा को उर्वरा,
उत्तर:
मानव बनो, मानव बनो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
अपने हृदय की राख से धरती को उपजाऊ बना दो।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
कवि जीवन की पूर्णता के लिए दर-दर भटकता फिरा।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
कवि अपूर्ण जीवन लेकर कवि सब कुछ प्राप्त करता रहा।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 20.
आपस में कहने-सुनने से बोझ कम नहीं होता।
उत्तर:
नहीं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सुमन को ‘मिट्टी की बारात’ कृति पर कौन सा पुरस्कार मिला ?
(क) साहित्य अकादमी
(ख) पद्मश्री
(ग) पद्मभूषण
(घ) पद्मविभूषण
उत्तर:
(क) साहित्य अकादमी

2. कवि को देव पुरस्कार किस काव्य संग्रह पर मिला ?
(क) आपका विश्वास
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया
(ग) विश्वास
(घ) धूप
उत्तर:
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया

3. कवि के अनुसार गतिशीलता क्या है ?
(क) जीवन
(ख) भाव
(ग) भावना
(घ) चलना
उत्तर:
(क) जीवन

4. कवि के अनुसार स्थिरता क्या है ?
(क) ठहरना
(ख) मृत्यु
(ग) जीवन
(घ) जीवन-मृत्यु
उत्तर:
(ख) मृत्यु

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

5. कवि के अनुसार संसार में वह किसकी खोज में दर-दर भटकता है ?
(क) पूर्णता
(ख) अपूर्णता
(ग) ईश्वर
(घ) शांति
उत्तर:
(क) पूर्णता

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ सप्रसंग व्याख्या

चलना हमारा काम है !

1. गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर-दर खड़ा,
है रास्ता इतना पड़ा।
जब तक न मंज़िल पा सकूँ, तब तक न मुझे विराम है,
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
गति = चाल। प्रबल = बलशाली, ज़ोर की। मंज़िल = ठिकाना, लक्ष्य। विराम = रुकना, आराम।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु । गतिशील जीवन में बाधाओं को लाँघते हुए आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जीवन चलते रहने का नाम है रुकने का नहीं। इसी तथ्य की व्याख्या करते हुए वे कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की बलशाली शक्ति है तो फिर मैं क्यों जीवन-पथ पर जगह-जगह रुकता रहूँ। जब मैं यह जानता हूँ कि मेरे सामने बड़ा लम्बा रास्ता पड़ा है तो फिर मैं क्यों रुकूँ। मुझे तो तब तक चलना होगा जब तक मैं अपनी मंज़िल, अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लूँ। मुझे रुकना नहीं है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. कवि का मानना है जब तक मनुष्य को अपना लक्ष्य न प्राप्त हो जाए, उसे निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण है।
  3. उद्बोधनात्मक शैली है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया,
कुछ बोझ अपना बँट गया।
अच्छा हुआ तुम मिल गई,
कुछ रास्ता ही कट गया।
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है।
चलना हमारा काम है!

कठिन शब्दों के अर्थ:
राही = रास्ते पर चलने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि जीवन की डगर पर चलते समय अपनी जीवन संगिनी का साथ होने की बात कह रहे हैं। कवि कहते हैं कि जीवन का रास्ता तब कटता है जब साथी मुसाफिरों से व्यक्ति कुछ अपने दिल की बात या दु:ख दर्द की बात कहे और कुछ उनके दुःख दर्द की बात सुने। इस तरह रास्ता आसानी से कट जाता है। जीवन यात्रा में मनुष्य यदि दूसरों से सुख-दुःख बाँटता हुआ चले तो रास्ता आसानी से कट जाता है। कवि अपनी प्रियतमा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गईं, तुम्हारे साथ के कारण मेरा रास्ता तो सुखपूर्वक कट गया। क्या रास्ते में ही मैं अपना परिचय तुम्हें दूँ ? मेरा परिचय तो बस इतना ही समझ लो कि मैं भी तुम्हारी तरह रास्ता चलने वाला एक राही हूँ। हमें तो बस चलते ही जाना है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवन-संघर्ष में साथी के मिल जाने से डगर सहज हो जाती है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

3. जीवन अपूर्ण लिए हुए,
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी,
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अपूर्ण जीवन = अधूरा जीवन । पाना = प्राप्त करना। खोना = गँवाना। गति-मति = चाल और बुद्धि। अवरुद्ध = रुका हुआ, बन्द। आठो याम = आठों पहर-दिन के चौबीस घंटों में आठ पहर होते हैं, हर समय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अधूरा जीवन लेकर मनुष्य कभी कुछ प्राप्त कर लेता है और कभी कुछ खो देता है। वह सदा आशा-निराशा से घिरा रहता है। कभी वह हँसता है तो कभी रोता है अर्थात् कभी उसके जीवन में खुशियाँ आती हैं तो कभी दुःख आते हैं। इन सब के होते हुए यदि आठों पहर इस बात का ध्यान रहे कि कहीं हमारी चाल या हमारी बुद्धि में कोई रुकावट न आए तभी हम जीवन रूपी मार्ग पर अच्छी तरह चल सकेंगे। क्योंकि चलते रहना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण है। ओज गुण प्रेरक स्वर है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. इस विशद विश्व प्रवाह में,
किस को नहीं बहना पड़ा।
सुख-दुःख हमारी ही तरह
किस को नहीं सहना पड़ा।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ;‘मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
विशद = स्वच्छ, सुन्दर। विश्व-प्रवाह = संसार रूपी सागर का बहाव। व्यर्थ = बेकार में। विधाता = भाग्य। वाम = उलटा, विपरीत। – प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि इस सुन्दर संसार रूपी सागर के स्वच्छ प्रवाह में किस को नहीं बहना पड़ा अर्थात् जिसने संसार में जन्म लिया है उसे संसार के दुःख-सुख तो भोगने ही पड़े हैं। हमारी तरह हर किसी को दुःख सहने पड़े हैं। फिर मैं ही बेकार में यह कहता फिरूँ कि भाग्य मेरे विपरीत है अर्थात् मेरा मन्द भाग्य है। हमारा काम तो चलते ही रहना है।

विशेष:

  1. संसार में सबको सुख-दुःख सहना पड़ता है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। रूपक तथा अनुप्रास अलंकार है।

5. मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा,
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा,
पर हो निराशा क्यों मुझे ? जीवन इसी का नाम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
दर-दर भटकना = जगह-जगह मारे-मारे फिरना। पग = कदम। रोड़ा अटकना = बाधा पड़ना, रुकावट पड़ना। निराश = आशा छोड़ना, ना उम्मीद होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो जीवन की पूर्णता की खोज में जगह-जगह मारा-मारा फिरता रहा। तब मैंने पाया कि मुझे हर कदम पर कुछ न कुछ रुकावटें आती रहीं, परन्तु इन रुकावटों से विघ्न बाधाओं से क्या मुझे निराश हो जाना चाहिए ? अर्थात् कभी नहीं क्योंकि जीवन तो इसी का नाम है। अतः हमें विघ्न बाधाओं से निराश नहीं होकर जीवन में सदा चलते रहना चाहिए क्योंकि जीवन तो चलते रहने का नाम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार हैं।

6. कुछ साथ में चलते रहे,
कुछ बीच ही से फिर गये,
पर गति न जीवन की रुकी,
पर जो गिर गये सो गिर गये
चलता रह शाश्वत, उसी की सफलता अभिराम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
फिर गये = लौट गये। शाश्वत = निरन्तर। अभिराम = सुन्दर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग साथ-साथ चलते रहे, कुछ बीच से ही निराश-हताश होकर लौट गये परन्तु जीवन की गति कभी रुकी नहीं। जीवन-यात्रा तो निरन्तर चलती रही जो लोग मार्ग में गिर गये वह समझो गिर गये, नष्ट हो गये। किन्तु जो निरन्तर चलता रहा है उसी की सफलता सुन्दर कहलाती है। अत: चलते जाओ क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवनपथ पर साथी से मिलते-बिछड़ते रहते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है।

7. मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
जो बन्दकर पलकें सहज
दो घूट हँसकर पी गया
जिसमें सुधा-मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
फ़कत = केवल। सहज = स्वाभाविक रूप से। सुधा = अमृत। गरल = विष। साकिया = शराब परोसने वाली लड़की। जाम = प्याला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

विशेष:

  1. कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जीवन में सुख-दुःख को सहज भाव से लेता है। उसी का जीवन है।
  2. भाषा उर्दू शब्दों युक्त भावपूर्ण है।

मानव बनो, मानव ज़रा

1. है भूल करना प्यार भी
है भूल यह मनुहार भी
पर भूल है सबसे बड़ी
करना किसी का आसरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मनुहार = खुशामद, चापलूसी। आसरा = सहारा, आश्रय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘मानव बनो, मानव जरा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को आत्म-निर्भर होने की बात कही है। कवि का मानना है कि आँसू बहाने, किसी का आश्रय ग्रहण करने या किसी के सामने हाथ फैलाने का कोई लाभ नहीं है। अगर जलना ही है तो धरती के कल्याण के लिए जलो।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का संदेश देते हुए कहते हैं कि प्यार करना भी भूल है और किसी की खुशामद करना भी भूल है। परन्तु इन सबसे बड़ी भूल है किसी दूसरे का आश्रय लेना अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. कवि ने आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

2. अब अश्रु दिखलाओ नहीं
अब हाथ फैलाओ नहीं
हुंकार कर दो एक जिससे
थरथरा जाए धरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
हुँकार = गर्जन। धरा = पृथ्वी।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो जरा’ से ली गई हैं, जिसमे कवि ने. मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का सन्देश देते हुए कहता है कि अब तुम आँसू बहा कर मत दिखाओ और न ही किसी के सामने हाथ फैलाओ बल्कि ऐसी गर्जना करो कि जिस से पृथ्वी काँप उठे। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बनकर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
  2. भाषा सरल भावपूर्ण हैं।

3. उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उफ़ हाय करना = कष्ट में कराह उठना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को दुःख में धैर्य धारण करना चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. अब हाथ मत अपने मलो
जलना अगर ऐसे जलो
अपने हृदय की भस्म से
कर दो धरा को उर्वरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उर्वरा = उपजाऊ। हाथ मलना = पछताना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद को संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अब पछताने से कोई लाभ न होगा। तुम्हें यदि जलना ही है तो अपने हृदय की भस्म से धरती को उपजाऊ बना दो अर्थात् धरती के कल्याण के लिए जलो जिस से मानवता तुम पर गर्व कर सके। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बनकर तो देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को लोककल्याण करने की प्रेरणा दे रहा है।
  2. भाषा सरल मुहावरेदार है। उद्बोधनात्मक स्वर है।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Summary

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जीवन परिचय

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर गाँव में 16 अगस्त, सन् 1916 ई० को हुआ था। आप की आरम्भिक शिक्षा रीवां और ग्वालियर में हुई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी विषय में एम० ए० और डी० लिट० की उपाधियां प्राप्त की। इन्होंने हाई स्कूल के अध्यापक पद से लेकर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति पद पर कार्य किया। सन् 1956-61 तक आपने नेपाल में भारत सरकार के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया। आपको ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ काव्य संग्रह पर देव पुरस्कार, ‘पर आँखें नहीं भरीं’ पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीन पुरस्कार, ‘मिट्टी की बारात’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, तथा सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इनकी अन्य रचनाएँ हिल्लोक, प्रणय सृजन, जीवन के गान हैं।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कविताओं का सार

चलना हमारा काम है कविता ने मनुष्य को सांसारिक जीवन में आने वाले सुख-दुःखों को समभाव से ग्रहण करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है क्योंकि कठिनाइयों का सामना करना ही जीवन है। कुछ साथी मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे-परन्तु उत्साह और हिम्मत से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता में कवि ने मनुष्य को आंसू बहाने, पराश्रित होने घबरा जाने के स्थान पर आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है तथा संसार को संवेदनापूर्ण बनाकर लोककल्याण का मार्ग अपनाने पर बल दिया है।