PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 19 शार्टकट सब ओर

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 शार्टकट सब ओर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 19 शार्टकट सब ओर

Hindi Guide for Class 12 PSEB शार्टकट सब ओर Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
शार्टकट को जीवन दर्शन के रूप में अपनाने का श्रीगणेश कब हुआ ?
उत्तर:
एक प्राचीन कथा के आधार पर शार्टकट की इस नवीन प्रणाली को जन्म देने का श्रेय पार्वती जी को है, जिन्होंने अपने प्रिय पुत्र गणेश जी को, युवराज पद के संघर्ष में भगवान् शंकर के प्रिय पुत्र कार्तिकेय जी की अपेक्षा, यह सलाह दी कि तीनों लोकों की परिक्रमा करने की बजाए, अपने वाहन चूहे पर सवार होकर भगवान् शंकर की परिक्रमा कर लें। क्योंकि भगवान् शंकर भी तो त्रिलोकीनाथ हैं। त्रिलोक की परिक्रमा उनके सामने क्या महत्त्व रखती है। इसी शार्टकट को अपना कर गणेश जी ने विजय प्राप्त की।

प्रश्न 2.
शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रहे शार्टकट का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में शार्टकट के कारण पाठ्य-पुस्तकों की जगह कुंजियों, नोट्स की धूम मची है। मॉडल पेपर और टैस्ट पेपर छपते हैं जो एक सप्ताह, एक दिन, एक घंटा परीक्षा से पहले पढ़ लेने पर पास होने के पासपोर्ट समझे जाते हैं। आजकल तो परीक्षा से पाँच मिनट पूर्व शीर्षक की पुस्तकें भी छपनी शुरू हो गई हैं। इसी तरह ग्रेजुएट बनने के लिए भी वाया बठिण्डा नामक शार्टकट का चलन हो गया है। प्रभाकर, ज्ञानी या शास्त्री की परीक्षा पास कर केवल अंग्रेजी में एक पर्चा देकर ग्रेजुएट बना जा सकता है। साहित्य के क्षेत्र में भी बड़ी-बड़ी पुस्तकों की बजाए उनके लघु संस्करण छपने लगे हैं। प्रबन्ध काव्य की जगह मुक्तक काव्य ने ले ली है। एक नाटक की जगह एकांकी और कहानी की जगह छोटी कहानी की जगह शार्टकट के कारण ही ले रही है। यही नहीं साहित्य की प्रत्येक विधा को शार्टकट ने अपने शिकंजे में कस रखा है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 19 डॉ० संसार चन्द्र

प्रश्न 3.
‘शार्टकट सब ओर’ में लेखक ने व्यंग्य के द्वारा शार्टकट के कुप्रभावों की ओर कैसे संकेत किया है ?
उत्तर:
लेखक ने शार्टकट की संस्कृति के प्रभाव स्वरूप आगे बढ़ने की होड़ में बेतहाशा भागना शुरू कर दिया है। स्त्रियों ने टाइट ड्रैस पहननी शुरू कर दी है और बाल कटवाने शुरू कर दिये हैं। पाठ्य-पुस्तकों की बजाए कुंजियों, नोट्स और मॉडल टैस्ट पेपरों ने ले ली है। विवाह के झंझट से बचने के लिए प्रेम विवाह होने लगे हैं। ये सब शार्टकट के कुप्रभाव ही तो हैं।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 4.
‘शार्टकट सब ओर’ निबन्ध आज के युग का यथार्थ चित्रण है। इसमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शार्टकट अपना कर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति का वर्णन किया गया है।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में हास्य के पुट के साथ आधुनिक युग के गम्भीर यथार्थ को सामने रखा है। आज मनुष्य कामकाज के बोझ से इतना दब गया है कि शार्टकट के बिना उसकी गाड़ी चल ही नहीं सकती। उसके हर काम में हर क्षेत्र में शार्टकट का ही बोल बाला है। टाइट ड्रैस और हेयर कट इसी शार्टकट का ही परिणाम हैं। साहित्य के क्षेत्र में भी शार्टकट का सहारा लिया जाने लगा है। आज बड़ी-बड़ी पुस्तकें कोई नहीं पढ़ता। लघु संस्करणों ने उनकी जगह ले ली है। पाठ्य-पुस्तकों के स्थान पर कुंजियाँ, नोट्स, मॉडल पेपर, टैस्ट पेपर लोग पढ़ते हैं और अब तो ऐसी पुस्तकें भी बाज़ार में आ गई हैं जो परीक्षा से एक सप्ताह पहले, एक घण्टा पहले और पाँच मिनट पहले शीर्षक वाली हैं। ये सब शार्टकट का ही तो परिणाम है। उपन्यास की जगह कहानी, छोटी कहानी, नाटक की जगह एकांकी और महाकाव्य की जगह मुक्तक काव्य ने ले ली है। सच्चाई यह है कि आज शार्टकट ने साहित्य की प्रत्येक विधा को अपने शिकंजे में ले लिया है।

शादी के सिलसिले में प्रेम विवाह भी इसी शार्टकट की देन है। शिक्षा के क्षेत्र में वाया बठिण्डा ग्रेजुएट होने के लिए शार्टकट का सहारा लिया जाता है। लेखक ने शार्टकट के कारण गागर में सागर भरने की बात को स्पष्ट करते हुए कहा है कि आजकल लोगों के पास बात । तक करने की भी फुर्सत नहीं है इसलिए वे शार्टकट का सहारा लेकर इशारों ही इशारों में बात करते हैं। – इस तरह लेखक ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए शार्टकट का सहारा लेने की बात कही है। प्रश्न 5. ‘शार्टकट सब ओर’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखो। उत्तर-देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया सार। (ग) सप्रसंग व्याख्या करें

प्रश्न 6.
एक गम्भीर दौड़ छिड़ गई है। हर कोई एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में है। यह दौड़ कछुए और खरगोश की नहीं बल्कि सिर्फ खरगोशों की दौड़ है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० संसार चन्द्र द्वारा लिखित निबन्ध ‘शार्टकट सब ओर’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक शार्टकट के माध्यम से लोगों के एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ की चर्चा कर रहे हैं।

व्याख्या:
लेखक कहते हैं कि शार्टकट आधुनिक संस्कृति का दूसरा नाम बन जाने के कारण लोगों में एक गम्भीर दौड़ छिड़ गई है। हर कोई एक-दूसरे से आगे निकल जाना चाहता है। यह दौड़ कोई कछुए और खरगोश की दौड़ नहीं जिसमें कछुआ तो धीरे-धीरे चलता है और खरगोश कुलाचे भरता हुआ सरपट दौड़ता है परन्तु यह दौड़ तो केवल खरगोशों की दौड़ है जिसमें हर कोई तेज़ी से भाग रहा है और एक-दूसरे से आगे निकल जाना चाहता है।

विशेष:

  1. आधुनिक युग में हर कोई शार्टकट कर रहा है।
  2. भाषा सरल, सहज तथा प्रवाहमयी है।

प्रश्न 7.
मुक्तक रचना ने प्रबन्ध की कमर तोड़ दी है। एकांकी नाटक के प्राण हर रहा है। छोटी कहानी बड़ी का गला दबोच रही है। सच्चाई यह है कि साहित्य की प्रत्येक विधा को शिकंजे में कस कर शार्टकट किया जा रहा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० संसार चन्द्र द्वारा लिखित निबन्ध ‘शार्टकट सब ओर’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक साहित्य पर शार्ट के प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं।

व्याख्या:
लेखक शार्टकट के साहित्य पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहते हैं शार्टकट के कारण मुक्तक काव्य की रचना होने लगी जिसने प्रबन्ध काव्य की कमर तोड़ दी अर्थात् उसकी रचना बन्द हो गई। इसी तरह एकांकी ने नाटक के प्राण हर लिए अर्थात् शार्टकट के कारण नाटक के स्थान पर एकांकी का प्रचलन शुरू हो गया। इसी तरह छोटी कहानी ने कहानी का गला दबोच लिया अर्थात् कहानी के स्थान पर छोटी कहानी लिखी जाने लगी। सच तो यह है कि साहित्य की प्रत्येक विधा को निबन्ध, संस्मरण, रेखाचित्र-आदि को शार्टकट ने अपने शिकंजे में कस लिया है अर्थात् साहित्य की सभी विधाएँ इसके प्रभाव में आ गई हैं।

विशेष:

  1. साहित्य के क्षेत्र में मुक्तकों, कहानी, एकांकी को शार्टकट माना गया है।
  2. भाषा सहज तथा मुहावरों से युक्त है।

प्रश्न 8.
ये महानुभाव अपने समग्र कार्य व्यापार आँखों के इशारों से चलाते हैं। इसके पास बात करने की फुर्सत कहाँ। किसी उर्दू शायर ने सम्भवतः इनकी इस अदा पर कुर्बान होकर ही यह शेयर पढ़ा हैजमाने को फुरसत नहीं गुफ़तगू की
अरुसे सुखन ये इशारों के दिन हैं। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० संसार चन्द्र द्वारा लिखित निबन्ध ‘शार्टकट सब ओर’ में से ली गई हैं।

प्रस्तुत:
पंक्तियाँ में लेखक ने बातचीत पर भी शार्टकट के प्रभाव का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक मौन व्रत को शार्टकट सम्प्रदाय का बहुत बड़ा अनुष्ठान मानते हुए कहते हैं कि ये लोग, जो मौन व्रत के समर्थक हैं, अपना सारा कार्य व्यापार आँखों के इशारों से चलाते हैं। उनके पास बात तक करने की फुर्सत नहीं है। किसी उर्दू कवि ने शायद इनकी इसी अदा पर न्योछावर होते हुए यह शेयर पढ़ा था जिसका अर्थ है कि ज़माने को बातचीत करने की भी फुर्सत नहीं है क्योंकि दुल्हन से बातचीत इशारों से करने के दिन हैं।

विशेष:

  1. लेखक ने मौन को भी वार्तालाप का शार्टकट माना है।
  2. भाषा बोलचाल की उर्दू शब्दों से युक्त है।

PSEB 12th Class Hindi Guide शार्टकट सब ओर Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ० संसार चंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
डॉ० संसार चंद का जन्म जम्मू के मीरपुर गाँव में सन् 1917 में हुआ था।

प्रश्न 2.
डॉ० संसार चंद के अधिकतर निबंध किस तरह के हैं ?
उत्तर:
व्यग्यात्मक।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 19 डॉ० संसार चन्द्र

प्रश्न 3.
डॉ० संसार चंद के द्वारा रचित कुछ निबंध संग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सोने के दाँत, बातें या झूठी, तिनकों के घाट, महामूर्ख मंडल।

प्रश्न 4.
लेखक ने आज की संस्कृति को दूसरा नाम क्या दिया है?
उत्तर:
शार्टकट।

प्रश्न 5.
शार्टकट का इतिहास कैसा है?
उत्तर:
बहुत पुराना।

प्रश्न 6.
गणेश जी ने शार्टकट कैसे मारकर विजय प्राप्त कर ली थी?
उत्तर:
उन्होंने भगवान् शंकर की परिक्रमा करके विजय प्राप्त कर ली थी।

प्रश्न 7.
साहित्य के क्षेत्र में आजकल कौन-से शार्टकट के उदाहरण हैं ?
उत्तर:
मॉडल पेपर, टैस्ट पेपर, कुंजियां, नोट्स, लघु संस्करण।

प्रश्न 8.
लेखक के अनुसार कहानी किसका शार्टकट है?
उत्तर:
उपन्यास का।

प्रश्न 9.
मुक्तक किसके शार्टकट माने जाते हैं ?
उत्तर:
प्रबंध काव्य के।

प्रश्न 10.
‘वाया बठिंडा’ क्या है?
उत्तर:
शिक्षा से संबंधित डिग्री प्राप्त करने के लिए टुकड़ों में प्राप्त की गई शिक्षा।

प्रश्न 11.
लेखक की दृष्टि में आजकल सब तरफ किसका बोलबाला है?
उत्तर:
शार्टकट का।

प्रश्न 12.
लेखक की दृष्टि में कौन-सा मुहावरा शार्टकट की तरफ संकेत करता है?
उत्तर:
गागर में सागर भरना।

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वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
हर कोई एक-दूसरे से..
उत्तर:
आगे बढ़ने की दौड़ में है।

प्रश्न 14.
…………….नाटक के प्राण हर रहा है।
उत्तर:
एकांकी।

प्रश्न 15.
छोटी कहानी बड़ी कहानी……………..।
उत्तर:
का गला दबोच रही है।

प्रश्न 16.
ये महानुभाव अपने समग्र कार्य.. ………….. …….से चलाते हैं।
उत्तर:
आँखों के इशारों।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
शिक्षा के क्षेत्र में शार्टकट बढ़ रहे हैं।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
मुक्तक रचना ने प्रबंध की कमर तोड़ दी है।
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
‘शार्टकट सब ओर’ निबंध के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर:
डॉ० संसार चंद।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘शार्टकट सब ओर’ किस विद्या की रचना है ?
(क) निबंध
(ख). कहानी
(ग) संस्मरण
(घ) रेखाचित्र।
उत्तर:
(क) निबंध

2. ‘शार्टकट सब ओर’ कैसा निबंध है ?
(क) विचारात्मक
(ख) व्यंग्यात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) आत्म कथात्मक।
उत्तर:
(ख) व्यंग्यात्मक

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 19 डॉ० संसार चन्द्र

3. लेखक के अनुसार शार्टकट को जन्म देने का श्रेय किसकों है ?
(क) पार्वती को
(ख) शिव को
(ग) गणेश को
(घ) महादेवी को
उत्तर:
(क) पार्वती को

4. शार्टकट के कारण मुक्तक ने किसकी जगह ली ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) प्रबंध काव्य
(घ) काव्य
उत्तर:
(ग) प्रबंध काव्य

5. शार्टकट का इतिहास कितना पुराना है ?
(क) बहुत पुराना
(ख) सौ साल पुराना
(ग) दो सौ साल पुराना
(घ) पचास साल पुराना
उत्तर:
(क) बहुत पुराना

कठिन शब्दों के अर्थ

शार्टकट = छोटा रास्ता। अबाध गति = बिना रुकावट के चाल। कुलाचें भरना = छलांगें मारना। सरपट भागना = तेज़ भागना । गर्जे कि = यहाँ तक कि। सिक्का मानना = प्रभाव मानना। श्रीगणेश करना = आरम्भ करना। परिक्रमा करना = चारों ओर चक्कर लगाना। द्रुतगामी = तेज़ चलने वाला। वाहन = सवारी। बिसात = हैसियत, सामर्थ्य । शिल्पविधि = रचना का तरीका। जनाज़ा = अर्थी । शार्ट = छोटा। किस्सा = कहानी। काबिले गौर = ध्यान देने योग्य। धूर्तराज = धोखेबाज़ों का राजा। मज़मून = विषय। बिलबिलाना = तड़पना । लबरेज़ होना = पूरा भरना। सब्र = सन्तोष। दामन = आँचल। फ़िलासफी = दर्शन। जेहाद = संघर्ष। बुलन्द करना = ऊँचा उठाना। अबूर करना = पार करना। ईजाद = आविष्कार। दुश्वार = कठिन। हनूज दिल्ली दूर अस्त = अभी दिल्ली दूर है। बेतकल्लुफ़ = निस्संकोच, बेधड़क, अनौपचारिक। तफ़रीह = दिल्लगी, हँसी। कारगर = उपयोगी। खारिज = अलग किया हुआ। जौक = एक प्रसिद्ध उर्दू कवि। हकीकत = वास्तविकता। बयान करना = वर्णन करना। चन्द एक = कुछ एक।वृहद् = बड़ा। भौन = भवन, घर। गुफ़तगू = बातचीत।

शार्टकट सब ओर Summary

शार्टकट सब ओर जीवन परिचय

डॉ० संसार चन्द्र जी का जीवन परिचय लिखिए।

डॉ० संसार चन्द्र का जन्म सन् 1917 में जम्मू के मीरपुर नामक गाँव में हुआ। हिन्दी संस्कृत में एम० ए० करने के बाद आपने पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच०डी० एवं डी०लिट् की उपाधि प्राप्त की। आपने जम्मू में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। फिर सनातन धर्म कॉलेज (लाहौर) अम्बाला छावनी में हिन्दी संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे। बाद में पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रीडर पद पर काम किया। सन् 1970 में जम्मू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। यहीं से 1977 में आप सेवानिवृत्त होकर चण्डीगढ़ में बस गए। आपने अधिकतर व्यंग्यात्मक निबन्ध लिखे हैं। आपके प्रसिद्ध निबन्ध संग्रहों में सोने के दाँत, अपनी डाली के काँटे, बातें ये झूठी हैं, गंगा जब उल्टी बहे, महामूर्ख मण्डल, तिनकों के घाट, लाख रुपए की बात उल्लेखनीय हैं।

शार्टकट सब ओर निबन्ध का सार

‘शार्टकट सब ओर’ निबन्ध का सार 150 शब्दों में लिखिए।

प्रस्तुत व्यंग्यपरक निबन्ध में डॉ० संसार चन्द्र ने आधुनिक युग के एक गम्भीर यथार्थ को प्रस्तुत किया है। लेखक का मानना है कि आज की संस्कृति का दूसरा नाम शार्टकट है। इसके पीछे हम बेतहाशा दौड़ रहे हैं। हर कोई जीवन के हर क्षेत्र में शार्टकट को अपना रहा है। शार्टकट का इतिहास बहुत पुराना है। इसे जन्म देने का श्रेय पार्वती जी को है जिन्होंने गणेश जी को तीनों लोकों की परिक्रमा का शार्टकट यह बताया कि वे भगवान् शंकर की परिक्रमा कर लें। शार्टकट अपना कर गणेश जी विजयी हुए।

साहित्य के क्षेत्र में भी आज लघु संस्करणों, कुंजियों, नोटों, मॉडल पेपर और टैस्ट पेपर का युग है। परीक्षा से एक सप्ताह पहले, एक घण्टा पहले शार्टकट का ही परिणाम है। इस दिशा में परीक्षा से पाँच मिनट पहले के शार्टकट निकल चुके हैं। इसी तरह नाटक की जगह एकांकी और उपन्यास की जगह कहानी, प्रबन्ध काव्य की जगह मुक्तक का प्रचलन शार्टकट का ही परिणाम है।

शादी के क्षेत्र में भी प्रेम विवाह शार्टकट के कारण प्रचलन हुआ है। आज माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आने पर ही फल लगने की कौन प्रतीक्षा करता है। शिक्षा के क्षेत्र में वाया बठिण्डा परीक्षा पास करना शार्टकट के कारण ही सम्भव हो सका है। स्पष्ट है कि आज के युग में शार्टकट का ही बोलबाला है। गागर में सागर भरने मुहावरे का भी यही अर्थ है कि व्यक्ति थोड़े में बहुत कुछ कह जाता है अर्थात् शार्टकट से काम लेता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 समय नहीं मिला

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 समय नहीं मिला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 18 समय नहीं मिला

Hindi Guide for Class 12 PSEB समय नहीं मिला Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार कौन-से लोग बड़े हैं ?
उत्तर:
ऐसे बहुत से लोग हैं जो शीघ्र पत्रोत्तर न देने का बहाना यह कहकर देते हैं कि समय नहीं मिला। इस प्रकार लिखने का कुछ फैशन ही हो गया है। लोग भूल जाते हैं कि बड़े आदमी तो पत्रोत्तर देने में देरी कर सकते हैं, काम की अधिकता के कारण, किन्तु दूसरे लोग भी जो पत्रोत्तर देरी से देते हैं अपने आपको बड़ा समझने लगते हैं।

प्रश्न 2.
भारत और विदेश में समय की पाबंदी के सन्दर्भ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किये हैं ?
उत्तर:
लेखक लिखते हैं कि भारत में कोई सम्मेलन हो, कोई सभा हो, कोई मीटिंग हो, कभी सभा समय पर शुरू नहीं होती। कहीं भी समय की पाबन्दी का ध्यान नहीं रखा जाता। मीटिंग में दिए गए समय से घण्टा दो घण्टा बाद ही सभासद या सदस्य पहुँचते हैं, जबकि इंग्लैंड और यूरोप के दूसरे देशों में सभाएँ समय पर होती हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

प्रश्न 3.
विदेशों में लोग समय को किस प्रकार बर्बाद करते हैं ?
उत्तर:
विदेशों में लोग सिनेमा और थियेटर के टिकट लेने के लिए दो-दो, तीन-तीन घण्टे लगातार कतारों में खड़े रहकर समय बर्बाद करते हैं। यही हाल टेनिस या फुटबाल मैच देखने के टिकट घरों के सामने लम्बी-लम्बी कतारों में खड़े व्यक्तियों का है। इन कतारों में जवान-बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी दिखाई देते हैं।

प्रश्न 4.
इस निबन्ध से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध से हमें पहली शिक्षा तो यह मिलती है कि किसी मित्र या रिश्तेदार का पत्र प्राप्त होने पर उसका तुरन्त उत्तर देना चाहिए, यह बहाना कभी न बनाना चाहिए कि समय नहीं मिला। दूसरी शिक्षा यह मिलती है कि सदा समय को धन समझते हुए उसकी उपयोगिता और महत्त्व को समझना चाहिए।

प्रश्न 5.
लेखक ने समय के सदुपयोग के लिए क्या सुझाव दिया है ?
उत्तर:
लेखक का सुझाव है कि हमें अपने जीवन पर गहरी और तीखी नज़र डालकर यह देखना चाहिए कि हमने कितना समय नष्ट किया है और उसका क्या सदुपयोग हो सकता है। यदि केवल सुबह जल्दी उठना शुरू कर दें तो हम काफ़ी समय बचा सकेंगे और दिन भर स्फूर्ति भी महसूस करेंगे।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 6.
‘समय नहीं मिला’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया निबन्ध का सार।

प्रश्न 7.
समय धन से भी कहीं ज्यादा अहम चीज़ है-लेखक के इस कथन से आप कहां तक सहमत हैं ?
उत्तर:
लेखक के इस कथन से कि समय ही धन है, हम पूरी तरह सहमत हैं। क्योंकि धन को तो हाथों का मैल माना जाता है और हमारे हाथ काफ़ी मैले रहते ही हैं। इसका अर्थ यह है कि धन तो कभी भी कमाया जा सकता है और धन तो घटता-बढ़ता रहता है। इसीलिए शायद लक्ष्मी को चंचला कहा गया है कि यह एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठती। किन्तु समय के महत्त्व से इनकार नहीं किया जा सकता। दिन में समय 24 घण्टों का ही रहेगा इसे न कम किया जा सकता है न बढ़ाया जा सकता है। गया हुआ धन तो लौट कर फिर आ सकता है किन्तु गया हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। जब चिड़ियाँ खेत चुग जाती हैं तो पछताने के सिवा कोई चारा नहीं रहता।

कहते हैं वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन इसीलिए हार गया था क्योंकि उसने पाँच मिनट समय को नहीं समझा। कहा तो यह भी जाता है कि आषाढ़ का चूका किसान और डाल से चूका बन्दर कहीं का नहीं रहता। ऐसा इसलिए है कि समय का निज़ाम सबके लिए एक जैसा है। किसी चित्रकार ने समय का चित्र बनाते समय उसके माथे पर बालों का गुच्छा बनाया था और पीछे से उसका सिर गंजा दिखाया था। इस चित्र का आशय यही है कि समय को सामने से आते हुए पकड़ो नहीं तो उसके गुजर जाने पर हाथ उसके गंजे सिर पर ही पड़ेगा। समय को जिसने धन मान लिया, समझ लिया वही जीवन में सफल है। भौतिक धन तो आज है कल नहीं भी हो सकता। अतः समय को ही धन समझना चाहिए।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

1. मेरा तो यह भी अनुभव है कि जो लोग सचमुच बड़े हैं और बहुत व्यस्त रहते हैं उनका पत्र व्यवहार भी बहुत व्यवस्थित रहता है।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमन्नारायण द्वारा लिखित निबन्ध ‘समय नहीं मिला’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने समय के सदुपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
लेखक बड़े आदमियों की व्यस्तता के कारण उनके पत्रोत्तर में देरी को उचित मानते हुए कहते हैं कि उसका यह अनुभव है जो लोग सचमुच बड़े हैं और व्यस्त रहते हैं उनका पत्र व्यवहार अर्थात् पत्रोत्तर देने का स्वभाव अत्यन्त ठीक हालत में रहता है।

विशेष:

  1. लेखक कहना चाहते हैं कि बड़े लोगों का जीवन क्योंकि नियमित रहता है इसलिए उनका पत्रोत्तर भी निहायत व्यवस्थित रहता है। इसी कारण वे बड़े लोग कहलाते हैं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा शैली आत्मकथात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

2. धन की दुनिया में अमीर-गरीब, बादशाह-कंगाल का फर्क है। पर खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं है। वक्त के निज़ाम में सब बराबर हैं, उसमें आदर्श लोकतंत्र है।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमन्नारायण द्वारा लिखित निबन्ध ‘समय नहीं मिला’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक धन और समय की तुलना करता हुआ समय को आदर्श लोकतन्त्र के समान बता रहा है।

व्याख्या:
लेखक समय ही धन की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि धन तो घटता-बढ़ता रहता है किन्तु समय को घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता। दूसरे धन की दुनिया में किसी के पास अधिक धन है तो वह अमीर है, बादशाह है और किसी के पास धन कम है तो वह ग़रीब या कंगाल है किन्तु खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं है। समय के सम्मुख सभी बराबर हैं। उसमें आदर्श लोकतन्त्र है जिसमें सबको बराबर के अधिकार हैं। समय सबके लिए एक जैसा होता है, कोई उसकी उपयोगिता को समझ लेता है तो कोई नहीं।

विशेष:

  1. समय सब के लिए बराबर अवसर प्रदान करता है। वह भेदभाव नहीं करता।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा शैली उद्बोधनात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Guide समय नहीं मिला Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘समय नहीं मिला’ किस के द्वारा रचित निबंध है?
उत्तर:
श्री मन्नारायण।

प्रश्न 2.
श्री मन्नारायण का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
इटावा में सन् 1912 ई० में।

प्रश्न 3.
श्री मन्नारायण ने किन-किन पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया था?
उत्तर:

  1. सबकी बोली
  2. राष्ट्र भाषा प्रचार।

प्रश्न 4.
श्री मन्नारायण किसकी विचारधारा से प्रभावित थे?
उत्तर:
गांधी जी की विचारधारा से।

प्रश्न 5.
श्री मन्नारायण जी के द्वारा रचित तीन रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
रोटी का राग, मानव, सेवांग।

प्रश्न 6.
‘समय नहीं मिला’ निबंध का मूलभाव क्या है ?
उत्तर:
समय का सदुपयोग।

प्रश्न 7.
लेखक की शैली में किस तत्व की प्रधानता है?
उत्तर:
व्यंग्यात्मकता।

प्रश्न 8.
किस ने कहा था कि यदि भोजन करने का समय हो सकता है तो धार्मिक पुस्तकें पढ़ने का भी समय मिल सकता है?
उत्तर:
अंग्रेजी साहित्यकार डॉ० जॉनसन ने।

प्रश्न 9.
लेखक ने किस कहावत की व्याख्या की थी?
उत्तर:
‘समय ही धन’।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

प्रश्न 10.
लेखक ने अपने निबंध में किसे बधाई दी है ?
उत्तर:
उन लोगों को जो समय को बर्बाद नहीं करते और समय का पूरा लाभ उठाते हैं।

प्रश्न 11.
लेखक ने कभी भी न कहने के लिए क्या कहा था?
उत्तर:
‘समय नहीं मिलता।

प्रश्न 12.
किन देशों में सभाएँ सदा समय पर ही होती हैं ?
उत्तर:
इंग्लैंड और यूरोप के अन्य देशों में।

प्रश्न 13.
विदेशों में लोग समय कैसे बर्बाद करते हैं ?
उत्तर:
सिनेमा, थियेटर और मैच देखकर।

प्रश्न 14.
लेखक ने ‘समय नहीं मिलता’ में क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
सदा समय का महत्त्व समझो और कभी झूठे बहाने न बनाओ।

प्रश्न 15.
‘समय बचाने’ के लिए लेखक ने क्या सुझाव दिया है ?
उत्तर:
सुबह जल्दी उठने से काफी समय बचाया जा सकता है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 16.
……अमीर ग़रीब, बादशाह-कंगाल का फर्क है।
उत्तर:
धन की दुनिया में।

प्रश्न 17.
………………में सब बराबर है।
उत्तर:
वक्त के निज़ाम।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
लेखक का मानना है कि अधिक व्यस्त लोगों का पत्र व्यवहार अधिक व्यवस्थित होता है?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
समय के साम्राज्य में ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 20.
समय ही धन है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 21.
विदेशों में लोगों के द्वारा समय अधिक खराब किया जाता है।
उत्तर:
नहीं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

प्रश्न 22.
लेखक ने निबंध में व्यंग्य का सहारा नहीं लिया है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 23.
समय ही धन है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सब की बोली तथा राष्ट्र भाषा प्रचार पत्रिकाओं के संपादक कौन थे ?
(क) श्री मन्नारायण
(ख) श्रीमान नारंग
(ग) श्री प्रफुल्ल पटेल
(घ) श्री हंस।
उत्तर:
उत्तर:

2. ‘समय नहीं मिला’ रचना की विद्या क्या है ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) निबंध
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(ग) निबंध

3. ‘समय नहीं मिला’ कैसी रचना है ?
(क) व्यंग्यात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) आत्म कथात्मक।
उत्तर:
(क) व्यंग्यात्मक

4. लेखक के अनुसार सबसे बड़ा धन क्या है ?
(क) पैसा
(ख) समय
(ग) धन
(घ) सोना
उत्तर:
(ख) समय

5. समय नहीं मिला निबंध का मूलभाव है
(क) समय का सदुपयोग
(ख) समय की मांग
(ग) धन का उपयोग
(घ) धन की मांग
उत्तर:
(क) समय का सदुपयोग

कठिन शब्दों के अर्थ

मशगूल = व्यस्त। यथा समय = निश्चित समय पर। बेशुमार = अनगिनत। व्यवस्थित = ठीक हालत में। अस्त-व्यस्त = बिखरा हुआ। ख्याल = विचार। अक्सर = प्रायः । दिलासा = तसल्ली। इन्तजाम = प्रबन्ध। अहम = महत्त्वपूर्ण । कुदरत = प्रकृति । ज्वारभाटा = समुद्री तूफान । निज़ाम = बन्दोबस्त, प्रबन्ध। शरीक = शामिल। लालसा = इच्छा। तितर-बितर हो जाना = इधर-उधर बिखर जाना। हताश = निराश। बदकिस्मती = दुर्भाग्य। इक्के-दुक्के = कोई-कोई, कम संख्या में। अपवाद = नियमों के उल्लंघन करने का उदाहरण। मुकर्रर = निश्चित किया हुआ। जाहिर करना = प्रकट करना। संयोजक = सभा या मीटिंग का आयोजन करने वाला। अमुक = फलां, कोई खास । लतीफ़ा = चुटकला, हंसी की बात। हमदर्दी = सहानुभूति। मुमकिन = सम्भव, जो हो सके। प्रतिनिधि = नुमाइंदा। मुबारकबाद = बधाई। स्फूर्ति = ताज़गी। खुश मिजाज = हंसमुख।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

समय नहीं मिला Summary

समय नहीं मिला जीवन परिचय

श्रीमन्नारायण जी का जीवन-परिचय लिखिए।

श्रीमन्नारायण का जन्म सन् 1912 में इटावा में हुआ था। एम०ए० करने के बाद आप ‘सबकी बोली’ तथा ‘राष्ट्र भाषा प्रचार’ पत्रिकाओं के सम्पादक रहे। बाद में आप राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के महामन्त्री भी रहे। आप . गाँधीवादी विचारधारा से विशेष रूप से प्रभावित रहे। कांग्रेस के आन्दोलनों में आप शुरू से ही सक्रिय भाग लेते रहे। इनकी प्रमुख रचनाएँ-रोटी का राग, मानव, सेवांग का सन्त हैं। दैनिक जीवन से जुड़ी अनेक घटनाओं पर आप ने बहुत से छोटे-छोटे शिक्षाप्रद निबन्ध भी लिखे हैं।

समय नहीं मिला निबन्ध का सार

‘समय नहीं मिला’ निबन्ध का सार लगभग 150 शब्दों में लिखो।

प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने समय के सदुपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। लेखक ने बड़े ही व्यंग्यात्मक ढंग से उन लोगों पर प्रहार किया है जो समय नहीं मिला का बहाना बनाते हैं कि ‘मुझे आपका काम तो याद है पर क्या करूँ बिल्कुल समय ही नहीं मिला’ कुछ इसी तरह का बहाना लोग पत्रोत्तर देने में करते हैं। लेखक ने उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति ने प्रसिद्ध अंग्रेजी के साहित्यकार डॉ० जानसन से जाकर कहा कि उसे धार्मिक पुस्तकें पढने का समय नहीं मिलता। साहित्यकार ने समझाया कि यदि भोजन करने का समय हो सकता है तो धार्मिक पुस्तकें पढ़ने का भी समय मिल सकता है।

लेखक ने ‘समय ही धन’ कहावत की व्याख्या करते हुए बताया है कि हम पैसा तो जितनी मेहनत करें कमा सकते हैं किन्तु समय को घटा या बढ़ा नहीं सकते। समय का प्रबंध सबके लिए बराबर है किन्तु फिर भी हम उसके महत्त्व को नहीं समझते। हम काम के घण्टे कम करने का शोर मचाते हैं पर यह नहीं सोचते कि खाली समय में लोग करेंगे क्या। क्या वे अपना समय सिनेमा का टिकट पाने के लिए बर्बाद न करेंगे।

लेखक उन लोगों को बधाई देता है जो समय का पूरा लाभ उठाकर एक मिनट भी बर्बाद नहीं करते। लेखक की सलाह है खुशमिजाज रहकर अपने समय का जितना अच्छा उपयोग कर सकें, उतनी ही आपकी प्रशंसा है। किन्तु आज से यह किसी से न कहें कि समय नहीं मिला।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़

Hindi Guide for Class 12 PSEB अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
जलियांवाले बाग में सभा का आयोजन किस उद्देश्य से किया गया ?
उत्तर:
रविवार का दिन था, वैशाखी का त्योहार था। 13 अप्रैल, सन् 1919 की संध्या के साढ़े चार बजे जलियांवाले बाग में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। उस समय शहर की जो बुरी स्थिति थी उस पर विचार करने के उद्देश्य से सभा का आयोजन हुआ था। लोग चाहते थे कि शांति स्थापना के साधनों की खोज की जाए। सब लोग बहुत गम्भीर थे। वे किसी प्रकार की शरारत करना नहीं चाहते थे।

प्रश्न 2.
ब्रिटिश फौज के बाग में प्रवेश का चित्रात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
जलियांवाले बाग की विशाल जनसभा अभी शुरू भी नहीं होने पाई थी कि कुछ दूरी पर घुड़सवार पुलिस, उसके पीछे फौजी गाड़ी में बैठा जनरल डायर, उसके पीछे मशीनगनें, तोप ले जाने वाली गाड़ियाँ और फिर मार्च करती हुई फौजें-सब चले जा रहे थे। सैनिकों के बूटों की आवाज़ गूंज रही थी। हाल्ट’ का आदेश मिलने पर कानों को फाड़ने वाला शब्द हुआ। सैनिकों ने मोर्चा सम्भाला और घुटने झुकाकर बन्दूकों में कारतूस भरने लगे।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

प्रश्न 3.
जलियांवाले बाग में गोलियों की बौछार से बचने के लिए लोगों ने क्या किया ?
उत्तर:
जलियांवाले बाग के भीषण नरसंहार में सैनिकों की गोलियों से बचने के लिए लगभग बारह व्यक्ति एक वृक्ष के पीछे जा छिपे थे। सैनिकों ने उन्हें मार गिराया। कुछ लोग बाग़ की दीवारों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। लोग लाशों पर पैर रखकर दीवार को फाँद रहे थे। बाग में एक कुआँ था। घबरा कर लोग उसमें कूद पड़े। लोग कूदते गए, उसमें गिरते, कुचले जाते और मर जाते।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 4.
जलियांवाला बाग में हुआ नरसंहार एक अमानवीय घटना थी। स्पष्ट करें।
उत्तर:
रविवार का दिन, वैशाखी का त्योहार, 13 अप्रैल, सन् 1919 समय संध्या के साढ़े चार बजे जलियांवाला बाग में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया था। यह जनसभा ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत की जनता पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध करने के लिए बुलाई गई थी। जनसभा अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि जनरल डायर मशीनगनों और तोपों से लैस फौज को लेकर वहाँ पहुँच गया और अचानक निहत्थे और शान्त लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगा। क्षण भर में वहाँ लाशों के ढेर लग गए। प्राण रक्षा के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे।

कोई वृक्ष की आड़ में छिप गए, कुछ दीवारें फाँदने का प्रयास करने लगे। बहुत-से लोग जलियांवाला बाग में स्थित एक कुएँ में घबरा कर छलाँगें मारने लगे। सारा सभास्थल घायलों की चीखों पुकार से भर उठा था। गोलियाँ चलनी बन्द होते ही और अन्धेरा उतरते ही लोग बाग के आँगन में आकर अपने रिश्तेदारों और मित्रों की तलाश करने लगे। ऐसा दृश्य पहले कभी न देखा गया था। इस नरसंहार की अमानवीय घटना ने आजादी की लड़ाई को और भी तेज़ कर दिया और आखिरकार अंग्रेज़ों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा।

प्रश्न 5.
लेखक ने जलियांवाले बाग में घायल हुए लोगों की तथा मृत लोगों के परिजनों की मनोदशा का मार्मिक चित्रण किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
जलियांवाले बाग में जब जनरल डायर के आदेश से सैनिकों ने अन्धाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी तो क्षण भर में हताहतों की चीख-पुकार, लहूलुहान कपड़े, लाशों से पटती धरती, प्राण रक्षा के लिए भागते भयाक्रांत नागरिक। तभी बारह वर्ष का एक छोटा-सा बालक गोली लगने पर नीचे आ गिरा। फिर दूसरे छज्जे पर बैठा एक बालक और गिरा। एक वृक्ष के पीछे लगभग 12 व्यक्ति जा छिपे थे। सैनिकों ने एक-एक करके उन सबको मार डाला। घायलों की चीख पुकार से कान फट रहे थे। लोग प्राण बचाने के लिए दीवारों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे।

दोनों ओर लाशों के ढेर थे। बहुत-से लोग भीड़ में कुचले गए थे। जलियांवाले बाग में एक कुआँ था। घबरा कर लोग उसमें कूद पड़े। कूदने वालों का तांता लग गया। अन्धेरा उतरते ही लोग डरते-काँपते घटनास्थल पर अपने रिश्तेदारों और मित्रों की तलाश में आने लगे। एक सिक्ख युवक, जिसकी आंतें बाहर बिखरी थीं। वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था ‘गुरु के नाम पर मुझे मार डालो।’ एक हिन्दू युवक रोता हुआ अपने भाई की लाश पीठ पर लादे जा रहा था। एक औरत अपने पति की लाश को सारी रात अपनी गोद में लेकर पत्थर की मूर्ति बनी वहाँ बैठी रही।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

1. ऊपर उड़ता हुआ एक हवाई जहाज़….. पाश्व सत्ता का प्रतीक, नीचे मैं-चारों ओर से मंज़िलों, इमारतों से घिरा हुआ। बाहर निकलने के एकमात्र मार्ग पर फौजी पहरा और ऊपर चबूतरे से गोली बरसाती फौज। काश, मैं गोलियों और जनता के बीच अड़ जाता। पर मैं तो जड़ बन कर रह गया था।
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश श्री विष्णु प्रभाकर द्वारा आत्मकथा शैली में लिखे गए निबन्ध ‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में जलियांवाला बाग़ सन् 1919 में हुए नरसंहार की घटना का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
जलियांवाला बाग़ अपने आँगन में हुए नरसंहार की घटना का उल्लेख करते हुए कहता है कि जब जनरल डायर के आदेश पर सैनिक निहत्थे व शान्त लोगों पर गोलियाँ बरसा रहे थे उस समय अंग्रेज़ी हकूमत की पाशविकता का प्रतीक हवाई जहाज़ ऊपर आसमान में उड़ रहा था और नीचे मैं बहुमंजिली इमारतों से घिरा हुआ। मेरे आँगन से बाहर निकलने का एकमात्र मार्ग था उस पर भी फौजी पहरा लगा हुआ था अर्थात् कोई भी व्यक्ति उस रास्ते से गोलीबारी से बचने के लिए बाहर नहीं निकल सकता था और मेरे ऊपर जो चबूतरे थे वहाँ से फौजी लोग गोलियाँ बरसा रहे थे। जलियांवाला बाग सोचता है कि काश, उस समय वह गोलियों और जनता के बीच आकर जनता को बचा पाते किन्तु मैं तो उस भयानक दृश्य को देखकर पहले ही जड़ हो चुका था।

विशेष:

  1. जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार का यथार्थ चित्रण किया गया है।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण और शैली आत्मकथात्मक है।

2. मरते हुए व्यक्तियों की सिसकियाँ और आहें बता रही थीं किं जैसे चारों ओर मौत का साम्राज्य है। मेरा सारा शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था, लेकिन मैं आसानी से मरने वाला नहीं था। काश, यदि मर जाता तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश श्री विष्णु प्रभाकर द्वारा आत्मकथा शैली में लिखे गए निबन्ध ‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में जलियांवाला बाग सन् 1919 में हुई नरसंहार की घटना का वर्णन करते हुए अपने ऊपर होने वाले प्रभाव का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना के बाद की स्थिति का वर्णन करते हुए कहता है कि इस भीषण नरसंहार में मारे जाने वाले व्यक्तियों की सिसकियाँ और आहों से यह पता चल रहा था कि यहाँ मौत का चारों ओर साम्राज्य रहा है। उस समय मेरे सारे शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया। किन्तु मैं आसानी से मरने वाला नहीं था। काश, यदि मर जाता तो यह भयावह दृश्य तो न देखता।

विशेष:

  1. लेखक की मानसिक पीड़ा और हताशा शब्दों के माध्यम से स्पष्ट दिखाई देती है।
  2. भावात्मक शैली, तत्सम तद्भव शब्दावली और स्वाभाविकता व्यक्त हुई है।

PSEB 12th Class Hindi Guide अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ पाठ के रचयिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
विष्णु प्रभाकर।

प्रश्न 2.
श्री विष्णु प्रभाकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
उनका जन्म सन् 1912 ई० में मुजफ्फर नगर के एक गाँव में हुआ था।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

प्रश्न 3.
श्री विष्णु प्रभाकर ने स्नातक स्तर की शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
उत्तर:
पंजाब विश्वविद्यालय से।

प्रश्न 4.
श्री विष्णु प्रभाकर ने किसका संपादन कार्य किया था ?
उत्तर:
पत्र-पत्रिकाओं का।

प्रश्न 5.
श्री प्रभाकर पर किस व्यक्ति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था?
उत्तर:
महात्मा गांधी का।

प्रश्न 6.
किस धार्मिक संस्था से विष्णु प्रभाकर बहुत प्रभावित हुए थे?
उत्तर:
आर्य समाज से।

प्रश्न 7.
विष्णु प्रभाकर की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
अवारा मसीहा, जाने-अनजाने।

प्रश्न 8.
आप के पाठ्यक्रम में श्री विष्णु प्रभाकर की कौन-सी रचना संकलित है?
उत्तर:
अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’।

प्रश्न 9.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ किस साहित्यिक विधा से संबंधित रचना है?
उत्तर:
निबंध विधा।

प्रश्न 10.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ किस शैली में रचित है?
उत्तर:
आत्म कथात्मक।

प्रश्न 11.
जलियाँवाला बाग की घटना किस त्योहार के दिन घटित हुई थी?
उत्तर:
वैशाखी के दिन (13 अप्रैल, सन् 1919)।

प्रश्न 12.
निबंध के अनुसार किसका चित्र कुर्सी पर रखा हुआ था?
उत्तर:
डॉ० किचलू का।

प्रश्न 13.
देशव्यापी हड़ताल किसके आह्वान पर और क्यों की गई थी?
उत्तर:
महात्मा गांधी के आह्वान पर रोल्ट एक्ट के विरोध में।

प्रश्न 14.
जलियाँवाला बाग में कौन-सा जनरल फौज़ लेकर आया था?
उत्तर:
जनरल डायर।

प्रश्न 15.
लोग गोलियों से बचने के लिए कहाँ कूद गए थे?
उत्तर:
कुएं में।

प्रश्न 16.
जलियाँवाला बाग में से बाहर निकलने के कितने रास्ते थे ?
उत्तर:
केवल एक।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 17.
ऊपर उड़ता हुआ एक हवाई जहाज……….
उत्तर:
पाश्व सत्ता का प्रतीक।

प्रश्न 18.
मेरा सारा शरीर गोलियों से………………..
उत्तर:
छलनी हो चुका था।

प्रश्न 19.
………………………..तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।
उत्तर:
काश, यदि मर जाता तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।

प्रश्न 20.
“गुरु के नाम पर…………………।”
उत्तर:
गुरु के नाम पर मुझे मार डालो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 21.
जनरल डायर के आदेश से सैनिकों ने अंधाधुध गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 22.
चारों ओर मौत का साम्राज्य नहीं था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 23.
दूसरे छज्जे पर बैठा एक बालक और गिरा।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 24.
वृक्ष के पीछे लगभग 12 व्यक्ति जा छिपे थे।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. विष्णु प्रभाकर पर किसके जीवन दर्शन का प्रभाव पड़ा ?
(क) आर्य समाज का
(ख) महात्मा गांधी का
(ग) आर्य समाज एवं महात्मा गांधी का
(घ) देव का।
उत्तर:
(ग) आर्य समाज एवं महात्मा गांधी का

2. ‘अगर ये बोल पाते’ किस विधा की रचना है ?
(क) आत्मकथात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) हास्यात्मक।
उत्तर:
(क) आत्मकथात्मक

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

3. जलियांवाला बाग की घटना कब घटित हुई ?
(क) 13 अप्रैल 1918
(ख) 13 अप्रैल 1919
(ग) 13 अप्रैल 1920
(घ) 13 अप्रैल 19211
उत्तर:
(ख) 13 अप्रैल 1919

4. जलियांवाला बाग के हत्याकांड को करने के लिए किसने गोलियां चलाने का आदेश दिया था ?
(क) जनरल डायर ने
(ख) अंग्रेज़ ने
(ग) डगलस ने
(घ) डबलस ने
उत्तर:
(क) जनरल डायर ने

कठिन शब्दों के अर्थ

स्तब्ध = हैरान। मिसाल = उदाहरण। ऐलान = घोषणा। परिपाटी = सिलसिला, प्रथा, रीति। न भूतो न भविष्यति = जो कभी पहले हुआ न आगे होगा। जुल्म = अत्याचार। हाल्ट = रुको। कर्ण भेदी = कानों को फाड़ने वाले। निनाद = शब्द, ध्वनि। हतप्रभ = जिसकी कांति क्षीण हो गई हो। अप्रत्याशित = अचानक, जिसकी आशा न रही हो। हता हतो = मरने वालों और घायलों। पाशव सत्ता = पशुओं जैसी सत्ता। प्रतीक = चिह्न, नमूना। धराशायी = धरती पर गिरना। छेदना = बींधना। बेतहाशा = बिना सोचे विचारे, बदहवास होकर। क्रंदन = चीख पुकार। मादरे वतन = मातृ भूमि। सरजमी = धरती। वीरांगना = बहादुर स्त्री। लोमहर्षक = रौंगटे खड़े करने वाला, रोमांचकारी। बर्बर = असभ्य। आकांक्षा = इच्छा, कामना।

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Summary

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ जीवन परिचय

विष्णु प्रभाकर जी का जीवन परिचय लिखिए।

विष्णु प्रभाकर का जन्म जून, सन् 1912 में मुजफ्फर नगर के एक गाँव में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से बी०ए० करने के बाद आप हरियाणा में सरकारी सेवा में आ गए। नौकरी के साथ-साथ आप साहित्य सृजन में भी संलग्न रहे। आप कई वर्षों तक आकाशवाणी के नाटक विभाग से भी जुड़े रहे। कुछ पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। आपके जीवन पर आर्य समाज तथा महात्मा गाँधी के जीवन दर्शन का गहरा प्रभाव है।

रचनाएँ:
प्रभाकर जी ने हिन्दी साहित्य को कहानियाँ, उपन्यास, निबन्ध, नाटक और एकांकी दिये। जाने-अनजाने और आवारा मसीहा इनकी गद्य रचनाएँ हैं।

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ निबन्ध का सार

‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग़’ निबन्ध का सार लगभग 150 शब्दों में लिखें।

प्रस्तुत निबन्ध आत्मकथा शैली में लिखा गया है। जलियांवाले बाग अपनी कहानी अपनी जुबानी सुना रहा है।
जलियांवाला बाग कहता है कि रविवार का दिन, वैशाखी का त्योहार 13 अप्रैल, सन् 1919 संध्या के साढ़े चार बजे थे। मेरे आँगन में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। डॉ०, किचलू का चित्र कुर्सी पर रखा था। गाँधी जी ने रोल्ट एक्ट के विरोध में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। अंग्रेजी सरकार ने सभा से एक दिन पहले मार्शल लॉ लागू कर दिया था। सारे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस पर भी सभा हुई। सभा अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि जनरल डायर फौज को लेकर वहाँ आया और बिना चेतावनी दिये अन्धाधुंध गोलियाँ चला दीं। लोगों ने गोलियों की बौछार से बचने के लिए वृक्षों की आड़ ली। दीवारों पर चढ़ने की कोशिश की।

मेरे आँगन में एक कुआँ था लोग घबरा कर उसी में कूदने लगे। इस नरसंहार में हज़ारों लोग हताहत हुए। इनमें हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख सभी थे। गोलियाँ बरसनी थमते ही लोगों ने अपने-अपने परिजनों को तलाशने की कोशिश की। यह भयानक दृश्य देखकर मेरा पत्थर दिल भी चीत्कार कर उठा। इस बर्बर हत्याकांड के कारण ही आज़ादी की लड़ाई तेज़ हुई। मेरे आँगन में होने वाले उस महान् बलिदान की नींव . पर ही स्वाधीनता का महल खड़ा हुआ। मुझे गर्व है कि मेरा देश आज़ाद हुआ। आओ, हम उस बलिदान को याद करते हुए देश की स्वाधीनता की रक्षा करें।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 16 क्या निराश हुआ जाए?

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 क्या निराश हुआ जाए? Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 16 क्या निराश हुआ जाए?

Hindi Guide for Class 12 PSEB क्या निराश हुआ जाए? Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
आजकल चिन्ता का क्या कारण है ?
उत्तर:
आज देश में आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा वातावरण बन गया है कि लगता है कि कोई ईमानदार आदमी रहा ही नहीं। जो व्यक्ति जितने ऊँचे पद पर है, उसमें उतने ही अधिक दोष दिखाए जाते हैं। जो व्यक्ति कुछ करेगा उसके कार्य में कोई न कोई दोष तो होगा ही किन्तु उसके गुणों को भुलाकर दोषों को ही देखना निश्चय ही चिन्ता का विषय है।

प्रश्न 2.
जीवन के महान् मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था क्यों हिलने लगी है ?
उत्तर:
आज देश में कुछ ऐसा वातावरण बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके रोटी रोज़ी कमाने वाले भोले-भाले मज़दर पिस रहे हैं और झठ और फरेब का धन्धा करने वाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी मूर्खता समझी जाने लगी है और सच्चाई केवल कायर और बेबस लोगों के पास रह गयी है। ऐसी हालत में लोगों की जीवन के महान् मूल्यों के बारे में आस्था हिलने लगी है।

प्रश्न 3.
वे कौन-से विकार हैं जो मनुष्य में स्वाभाविक रूप में विद्यमान रहते हैं ?
उत्तर:
लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विकार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते पर इन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा नीच आचरण है। हमारे यहाँ इन विकारों को संयम के बन्धन में बाँधकर रखने का प्रयत्न किया जाता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 16 हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 4.
धर्म और कानून में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता जबकि कानून को दिया जा सकता है। भारत वर्ष में अब भी यह अनुभव किया जाता है कि धर्म कानून से बड़ी चीज़ है। कानून की त्रुटियों से लाभ उठाया जा सकता है जबकि धर्म में आस्था रखने वाला ऐसा नहीं करता। .

प्रश्न 5.
किसी ऐसी घटना का वर्णन करो जिससे लोक चित्त में अच्छाई की भावना जागृत हो।
उत्तर:
कुछ महीने पहले की बात है कि मैं अपने मम्मी पापा के साथ टेक्सी में कही जा रहा था। टैक्सी से उतरते समय मेरी मम्मी टैक्सी में अपना पर्स भूल गईं। उसमें तीन हजार रुपए और मम्मी के कुछ गहने और मोबाइल था। हम सभी हैरान थे कि अब क्या किया जाए हमने तो टैक्सी का नम्बर और टैक्सी ड्राइवर का नाम भी नहीं पूछा था। थोड़ी देर बाद हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब वही टैक्सी ड्राइवर हमारे पास मम्मी का पर्स लौटने आ पहुँचा। मम्मी और पापा ने उसे सौ रुपया पुरस्कार देना चाहा तो उसने इन्कार करते हुए कहा-यह तो मेरा फर्ज़ था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में लिखो।

प्रश्न 1.
‘क्या निराश हुआ जाए ?’ निबन्ध का सार लिखो।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया निबन्ध का सार ।

प्रश्न 2. इस निबन्ध में द्विवेदी जी ने कुछ घटनाएँ दी हैं जो सच्चाई और ईमानदारी को उजागर करती हैं। उनमें से किसी एक घटना का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:
द्विवेदी जी एक बार सपरिवार बस में यात्रा कर रहे थे। उनकी बस गंतव्य से पाँच मील पहले एक सूनी निर्जन जगह पर खराब हो गई। उस समय रात के दस बजे थे सभी यात्री घबरा गए। कंडक्टर बस के ऊपर से साइकल उठाकर चला गया। उसके जाने पर यात्रियों को संदेह हुआ कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है। एक यात्री ने चिन्ता जताते हुए कहा कि यहाँ डकैती होती है, दो दिन पहले ही एक बस को लूटने की घटना हुई है। द्विवेदी जी परिवार सहित अकेले यात्री थे। बच्चे पानी के लिए चिल्ला रहे थे और पानी का कहीं ठिकाना न था।

इसी बीच कुछ नवयुवक यात्रियों ने ड्राइवर को पीटने का मन बनाया। जब लोगों ने उसे पकड़ा तो वह घबराकर । द्विवेदी जी से उसे लोगों से बचाने की प्रार्थना करने लगा। ड्राइवर ने कहा कि हम लोग बस का कोई उपाय कर रहे
हैं।

द्विवेदी जी लोगों को समझा-बुझा कर उसे पिटने से तो बचा लेते हैं किन्तु लोगों ने ड्राइवर को बस से उतार कर घेर लिया और कोई घटना होने पर पहले उसे मारना ही उचित समझा। इतने में यात्रियों ने देखा कि कंडक्टर एक खाली बस लिए चला आ रहा है। आते ही उसने बताया कि अड्डे से नयी बस लाया हूँ। फिर वह कंडक्टर द्विवेदी जी के पास आकर लोटे में पानी और थोडा दुध दिया। उसने कहा कि बच्चे का रोना उससे देखा न गया। सब यात्रियों ने उसे धन्यवाद दिया और ड्राइवर से क्षमा माँगी। रात बारह बजे से पहले ही वे बस अड्डे पहुंच गए।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 16 हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 3.
मानवीय मूल्य से सम्बन्धित यदि कोई ऐसी ही घटना आपके साथ घटित हुई हो, तो उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:
पिछले महीने की बात है कि मैं साइकिल पर जा रहा था कि एक ट्रक पीछे से आया और मुझे टक्कर मारकर चला गया। मैं सड़क पर जख्मी हालत में पड़ा था। मेरे पास से कई स्कूटर, कई कारें गुजरे किन्तु किसी ने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। मैं घायल अवस्था में सड़क के किनारे कोई एक घण्टा तक पड़ा रहा। मेरे शरीर से खून बह रहा था। चोट अधिकतर टांगों और बाहों पर लगी थी। मैंने सहायता के लिए कई लोगों को पुकारा भी किन्तु किसी को भी मेरी हालत पर दया नहीं आई। लगता था कि लोग पुलिस के डर से मेरी सहायता नहीं कर रहे थे। क्योंकि आजकल पुलिस वाले उलटे सहायता करने वाले पर ही केस बना देती है। कहती है एक्सीडेंट तुम्हीं ने किया है। मैं निराश होकर ईश्वर से प्रार्थना करने लगा।

तभी अचानक मेरे पास आकर एक कार रुकी। कार में दो व्यक्ति सवार थे। वे दोनों कार से उतरे। दोनों ने मिलकर मुझे अपनी कार में डाला और तुरन्त निकट के अस्पताल में ले गए। मेरी साइकिल जो बुरी तरह टूट चुकी थी, उन्होंने वही छोड़ दी। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि इस रोमी को कम से कम एक बोतल खून की ज़रूरत है। उन दोनों व्यक्तियों ने बिना हिचक के अपना खून देने की रजामंदी प्रकट की। प्रभु कृपा से उन दोनों का खून मेरे खून के ग्रुप से मिल गया। तुरन्त उनमें से छोटी आयु के व्यक्ति ने अपना खून दिया। मेरे घावों की मरहम पट्टी कर दी गई थी। दो दिन के इलाज के बाद मुझे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। मुझे डॉक्टरों से पता चला कि वे सज्जन मेरे इलाज का सारा खर्चा अदा कर गए हैं। मैं उन दोनों व्यक्तियों को भगवान् समझता हूँ किन्तु खेद है कि मैं उनका नाम तक नहीं जानता।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें

1. “जीवन के महान् मूल्यों के बारे में आस्था ही हिलने लगी है।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबन्ध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में से ली गई

व्याख्या:
लेखक कहते हैं कि आज देश में ऐसा वातावरण बना है कि ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। सच्चाई केवल डरपोक और बेबस लोगों के पास रह गयी ऐसी स्थिति में लोगों की जीवन के महान् मूल्यों के प्रति आस्था डाँवाडोल होने लगी है।

2. “धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानून को दिया जा सकता है।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबन्ध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में से ली गई

व्याख्या:
लेखक कहते हैं भारत वर्ष में सदा कानून को धर्म माना जाता रहा है किन्तु आज कानून और धर्म में अन्तर आ गया है। लोग यह जानते हैं कि धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता जब कानून को दिया जा सकता है। इसी कारण . धर्म से डरने वाले लोग भी कानून की कमियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।

3. ‘अच्छाई को उजागर करना चाहिए, बुराई में रस नहीं लेना चाहिए।’
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबन्ध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में से ली गई

व्याख्या:
लेखक कहते हैं कि दोषों से पर्दा उठाना बुरी बात नहीं है। लेकिन किसी की बुराई करते समय जब उसमें रस लिया जाता और उसे कर्त्तव्य मान लिया जाता है तो यह बुरी बात है और इससे भी बुरी बात वह जब अच्छाई को उतना ही रस लेकर प्रकट न करना।

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4. सामाजिक कायदें-कानून कभी युग-युग से परीक्षत आदर्शों से टकराते हैं, इससे ऊपरी सतह आलोड़ित भी होती है, पहले भी हुआ है, आगे भी होगा। उसे देखकर हताश हो जाना ठीक नहीं है।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबन्ध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में से लिया गया है।

व्याख्या:
लेखक कहते हैं कि सामाजिक नियम और कानून समाज के हित को ध्यान में रखकर मनुष्य द्वारा ही बनाये जाते हैं। उनकी ठीक सिद्ध न होने पर उन्हें बदल दिया जाता है। ये नियम-कानून सबके लिए होते हैं परन्तु कोईकोई नियम सबके लिए सुखकर नहीं होता। जब सामाजिक नियम-कानून युगों से परीक्षित आदर्शों से टकराते हैं तो जो हलचल होती है वह ऊपरी सतह पर ही होती है। वह हलचल भीतरी सतह में नहीं होती अतः इस हलचल को देखकर निराश हो जाना ठीक नहीं है।

PSEB 12th Class Hindi Guide क्या निराश हुआ जाए? Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘क्या निराश हुआ जाए?’ किसके द्वारा रचित है?
उत्तर:
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 2.
आचार्य द्विवेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ था? ।
उत्तर:
सन् 1907 ई० में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में ‘आरत दुबे का छपर गाँव में’।

प्रश्न 3.
आचार्य द्विवेदी को भारत सरकार ने किस अलंकार से सम्मानित किया था ?
उत्तर:
पद्म भूषण से।

प्रश्न 4.
आचार्य द्विवेदी किन-किन विश्वविद्यालयों के हिंदी-विभागाध्यक्ष बने थे?
उत्तर:
हिंदू विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय।

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प्रश्न 5.
द्विवेदी जी के द्वारा रचित उपन्यासों में से किन्हीं दो का नाम लिखिए।
उत्तर:
अनामदास का पोथा, बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचंद्र लेख।

प्रश्न 6.
‘क्या निराश हुआ जाए ?’ किस प्रकार का निबंध है?
उत्तर:
विचारात्मक निबंध।

प्रश्न 7.
इस निबंध में किस प्रकार की बुराइयों पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
सामाजिक बुराइयों पर।

प्रश्न 8.
जो आदमी कुछ नहीं करता वह अधिक सुखी क्यों होता है?
उत्तर:
उसके काम में कोई दोष ही नहीं निकल पाता।

प्रश्न 9.
वर्तमान में कौन पिस रहा है और कौन फल-फूल रहा है ?
उत्तर:
वर्तमान में मज़दूर पिस रहे हैं और धोखेबाज फल-फूल रहे हैं।

प्रश्न 10.
भारतवासियों ने आत्मा को क्या महत्त्व दिया था?
उत्तर:
भारतवासियों ने आत्मा को चरण और परम माना था।

प्रश्न 11
द्विवेदी जी ने लोभ-मोह को क्या कहा है ?
उत्तर-:
उन्हें विकार कहा है।

प्रश्न 12.
कानून को भारत में क्या महत्त्व दिया गया है?
उत्तर:
कानून को धर्म का दर्जा दिया गया है।

प्रश्न 13.
लोग किसी दुर्घटना में वाहन के चालक को ही ज़िम्मेदार क्यों मानते हैं ?
उत्तर:
लोगों को लगता है कि वाहन के कल-पुर्जा, चालन, देख-रेख आदि सभी की ज़िम्मेदारी वाहन के चालकी होती है, जो कि पूरी तरह से ठीक नहीं है।

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प्रश्न 14.
वर्तमान में ईमानदारी को क्या समझा जाता है?
उत्तर:
वर्तमान में ईमानदारी को मूर्खता का पर्यायवाची समझा जाता है। वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 15.
ईमानदारी को…. .पर्याय समझा जाने लगा है।
उत्तर:
मूर्खता।

प्रश्न 16.
भारतवर्ष ने कभी भी………………के संग्रह क. अधिक महत्त्व नहीं दिया।
उत्तर:
भौतिक वस्तुओं।

प्रश्न 17.
बुराई में……………लेना बुरी बात है।
उत्तर:
रस।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
जीवन के महान् मूल्यों के बारे में आस्था ही हिलने लगी है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. द्विवेदी जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस कृति पर मिला ?
(क) आलोक पर्व
(ख) आलोकित
(ग) आलोक
(घ) पर्व।
उत्तर:
(क) आलोक पर्व

2. ‘अशोक के फूल’ किस विधा की रचना है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) रेखाचित्र
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(क) निबंध

3. द्विवेदी जी का साहित्य किसका संगम है ?
(क) मानवतावाद का
(ख) भारतीय संस्कृति का
(ग) मानवतावाद एवं भारतीय संस्कृति का
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) मानवतावाद एवं भारतीय संस्कृति का

4. ‘क्या निराश हुआ जाए’ कैसा निबंध है ?
(क) सकारात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) प्रेरणात्मक
उत्तर:
(ख) विचारात्मक

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क्या निराश हुआ जाए? गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. क्या यही भारतवर्ष है, जिसका सपना तिलक और गाँधी ने देखा था ? रवींद्रनाथ ठाकुर और मदनमोहन मालवीय का महान् संस्कृति-सभ्य भारतवर्ष किस अतीत के गह्वर में डूब गया ? आर्य और द्रविड़, हिन्दू और मुसलमान, यूरोपीय और भारतीय आदर्शों की मिलन-भूमि ‘मानव महासमुद्र’ क्या सूख गया ? मेरा मन कहता है ऐसा हो नहीं सकता। हमारे महान् मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित’ “क्या निराश हुआ जाए ?” शीर्षक निबंध में से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक अपने इस विश्वास को प्रकट करता है कि अनेक विकृतियों के आ जाने के बावजूद भी भारतवर्ष से प्राचीन मानवीय आदर्श विलुप्त नहीं हुए हैं।

व्याख्या:
द्विवेदी जी कहते हैं कि आज चारों ओर भ्रष्टाचार, अनैतिकता, शोषण, बेईमानी आदि का बोलबाला है। वह प्रश्न करते हैं कि क्या यह वही भारतवर्ष है जिसका सपना हमारे महापुरुषों ने देखा था ? क्या इसी भारतवर्ष का स्वप्न कर्मयोगी लोकमान्य तिलक ने देखा था अथवा क्या यह राष्ट्रपति महात्मा गांधी के सपनों का भारत है ? संस्कृति से सभ्य यह रवींद्रनाथ ठाकुर और मदनमोहन मालवीय का देश है। यहां की संस्कृति अत्यंत प्राचीन है और अध्यात्म प्रधान है। इस सुसंस्कृत और सुसभ्य देश को न जाने क्या हुआ है ? लगता है कि यह किसी अतीत की गुफा में लुप्त हो गया। भाव यह है कि वर्तमान भारत में उसका सुसंस्कृत और सभ्य रूप नहीं मिलता।

रवींद्रनाथ ठाकुर इस भारतवर्ष को ‘मानव महासमुद्र’ कहते थे। इसमें अनेकानेक जातियों के मनुष्य रहते हैं और वे नदियों की भांति इस महासमुद्र में लीन हैं। आर्य और द्रविड़, संस्कृति, हिंदू और मुस्लिम संस्कृति, भारतीय और यूरोपीय संस्कृति के आदर्शों और सिद्धान्तों का यह संगम स्थल है। क्या यह ‘महासमुद्र’ सूख गया है ? लेखक की मान्यता है कि ऐसा संभव नहीं है। आज भी यह महान् विचारकों, ऋषियों एवं दार्शनिकों के स्वप्नों और कल्पनाओं का देश है और भविष्य में भी इसी रूप में रहेगा।

विशेष:

  1. लेखक ने भारत के सुसंस्कृत भविष्य के प्रति आशा व्यक्त की है।
  2. भाषा-शैली सरल, सहज और स्वाभाविक है।

2. यह सही है कि इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले निरीह और भोले-भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फरेब का रोज़गार करने वाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। ऐसी स्थिति में जीवन के महान् मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था ही हिलने लगी है।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इन पंक्तियों में लेखक ने आज के भारत के दोषपूर्ण वातावरण का यथार्थ चित्रण किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि आज इस देश के वातावरण में भ्रष्टाचार और अनैतिकता का बोलबाला है। आज ऐसा माहौल बन चुका है कि ईमानदारी और सच्चाई की कद्र नहीं है। ईमानदारी से मेहनत करके अपने जीवन का निर्वाह करने वाले भोले-भाले और सीधे-साधे लोगों का शोषण हो रहा है। उनकी मेहनत-मज़दूरी के बदले में उन्हें इतना कम पैसा मिलता है कि वह पेट भर भोजन भी नहीं पा सकते। इसके विपरीत असत्य तथा छल-कपट का व्यवहार करने वाले लोग समुन्नत और समृद्ध हो रहे हैं। इस प्रकार ईमानदारी पूर्ण श्रम पर झूठ और कपट हावी हो रहे हैं।

आज ईमानदारी और मूर्खता समानार्थक हो गए हैं। भाव यह है कि ईमानदारी को मूर्ख समझा जाने लगा है। इसी प्रकार जो व्यक्ति सच्चाई से काम लेते हैं उन्हें धर्मभीरु तथा लाचार कहा जाता है। इस प्रकार आज ऐसा माहौल हो गया है कि जीवन के उच्च मूल्यों, मानवीय एवं सांस्कृतिक आदर्शों के बारे में लोगों का विश्वास डगमगाने लगा है।

विशेष:

  1. आज के भ्रष्टाचारी वातावरण में साधारण लोगों की जीवन के आदर्शों से आस्था टूट रही है।
  2. भाषा-शैली सरल, सहज और प्रवाहमयी है।।

3. सदा मनुष्य-बुद्धि नयी परिस्थितियों का सामना करने के लिए नये सामाजिक विधि-निषेधों को बनाती है, उनके ठीक साबित न होने पर उन्हें बदलती है। नियम कानून सबके लिए बनाए जाते हैं, पर सबके लिए कभीकभी एक ही नियम सुखकर नहीं होते। सामाजिक कायदे-कानून कभी युग-युग से परीक्षित आदर्शों से टकराते हैं इससे ऊपरी सतह आलोड़ित भी होती है, पहले भी हुआ है, आगे भी होगा। उसे देखकर हताश हो जाना ठीक नहीं है।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में सें अवतरित किया गया है। इसमें लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि युग-परिवर्तन के साथ जब नये नियम बनाए जाते हैं, तब उनका पुराने परखै नियमों के साथ टकराव भी होता है, जिससे समाज में उथल-पुथल होती है, परन्तु इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है।

व्याख्या:
लेखक का कथन है कि मनुष्य हमेशा ही नई परिस्थितियों का सामना करने के लिए अपनी बुद्धि द्वारा कार्यालय सम्बन्धी नियम बनाता है। यह प्रत्येक युग के अनुकूल करने योग्य एवं न करने योग्य’ सामाजिक नियमों की प्रतिष्ठा करता है। इन सामाजिक विधि-निषेधों के उचित होने पर वे समाज द्वारा अपना लिए जाते हैं और ठीक न सिद्ध होने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है। मनुष्य की बुद्धि उन्हें बदलती है ये विधि-निषेध के नियम कायदे सामान्य होते हैं। सबके लिए होते हैं, परन्तु एक ही नियम कई बार सबके लिए उपयोगी और सुखदायक नहीं होता।

ये सामाजिक विधिनिषेध के कायदे-कानून पुराने परखे नियमों से टकराते भी हैं और वर्तमान नये नियमों और पुराने परीक्षित मूल्यों में संघर्ष होता है। इससे समाज की बाहरी सतह पर हलचल भी होती है, परंतु यह नई बात नहीं है। यह पहले भी होता आया है और आगे भी होता रहेगा। अतः वर्तमान माहौल को देखकर निराश होना उचित नहीं है क्योंकि यह स्वाभाविक है फिर यह नयी बात नहीं है।

विशेष:

  1. पुराने सामाजिक कायदे-कानून तथा नये कायदे-कानून में संघर्ष होता ही रहता है। इससे निराश नहीं होना चाहिए।
  2. भाषा-शैली सरल, सहज तथा प्रभावशाली है।

4. भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान् आन्तरिक तत्व स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम क्रोध आदि विकास मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत निकृष्ट आचरण है।

प्रसंग:
यह गद्यावतरण डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ से अवतरित है। इसमें बताया गया है कि भारत में भौतिक चीजें इकट्ठी करने को अधिक महत्त्व नहीं दिया गया।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि भारतवर्ष में किसी भी युग में दुनियावी चीजें एवं इंद्रिय सुख के भौतिक पदार्थों को इकट्ठा करने को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया गया है। यहां सुख-साधन जुटाना बहुत ही सीमित रहा है। भारतीय मनीषियों ने आंतरिक तत्व को अधिक महत्त्व दिया है। उनकी दृष्टि शरीर की अपेक्षा आत्म तत्व पर अधिक रही है जो स्थिर एवं नित्य है। उसे ही यहां श्रेष्ठतम माना गया है। वे हमारे देश की संस्कृति भौतिक मूल्यों के स्थान पर आत्मिक, मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को महत्त्व देती रही है। भौतिक पदार्थ नश्वर हैं तथा आंतरिक मानवीय मूल्य परम सत्य है।

इसमें संदेह नहीं कि मनुष्य में काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों का अस्तित्व स्वाभाविक है, परन्तु इन्हें प्रधान शक्ति मान लेना उचित नहीं है। इन्हें मन और बुद्धि पर हावी होने देना अथवा इन्हें मनमानी करने देना क्षुद्र आचरण कहा जायेगा। यह सदाचरण अथवा उच्चारण नहीं हो सकता।

विशेष:

  1. भारतीय विचारधारा में भौतिक वस्तुओं के संग्रह की अपेक्षा मनुष्य के भीतर के परम तत्व को जानने पर बल दिया गया है।
  2. भाषा-शैली तत्सम प्रधान होते हुए भी सुबोध है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 16 हजारी प्रसाद द्विवेदी

5. दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्धाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ में से उद्धृत किया गया है। इसमें लेखक ने बताया है कि किसी के दोषों को सबके समक्ष लाने में कोई बुराई नहीं, बुराई इस बात में है कि साथ-साथ गुणों को उजागर नहीं किया जाता।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि किसी व्यक्ति के दोषों को उजागर करने में कोई विशेष बुराई नहीं। बुराई तो इस बात में है कि किसी व्यक्ति की बुराइयों को उजागर करने में ही रस लिया जाता है तथा दोषों को उजागर करने वाला यह समझने लगता है कि उसका कर्तव्य तो अमुक व्यक्ति की बुराइयों को उद्घाटित करना मात्र है। मनुष्य किसी के गुणों को उजागर करने में कतई रस नहीं लेता। आज यह उसका स्वभाव ही बन गया है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, मगर किसी की अच्छाई को उतना ही रस लेकर लोगों के सामने प्रकट न करना उससे भी बुरी बात है।

विशेष:

  1. लेखक के अनुसार केवल दोषों को ही नहीं गुणों को भी उजागर किया जाना चाहिए। बुराई में रस लेना बुरी बात है।
  2. भाषा-शैली सरल और प्रवाहपूर्ण है।

6. मैं भी बहुत भयभीत था, पर ड्राइवर को किसी तरह मार-पीट से बचाया। डेढ़-दो घंटे बीत गए। मेरे बच्चे भोजन और पानी के लिए व्याकुल थे। मेरी और पत्नी की हालत बुरी थी। लोगों ने ड्राइवर को मारा तो नहीं, पर उसे बस से उतारकर एक जगह घेरकर रखा। कोई भी दुर्घटना होती है तो पहले ड्राइवर को समाप्त कर देना उन्हें उचित जान पड़ा। मेरे गिड़गिड़ाने का कोई विशेष असर नहीं पड़ा। इसी समय क्या देखता हूँ कि एक खाली बस चली आ रही है और उस पर हमारा बस कंडक्टर भी बैठा हुआ है।।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘क्या निराश हुआ जाए ?’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इन पंक्तियों में लेखक ने आज के भारत में प्रत्येक मानव पर संदेह करने की प्रवृत्ति को दर्शाया है।

व्याख्या:
यहां लेखक का कहना है कि बस के अचानक सुनसान जगह पर रुक जाने के कारण वह बहुत डरा हुआ था, किन्तु बस के ड्राइवर को बड़ी ही कठिनाई से पिटने से बचा लिया। बस को रुके लगभग डेढ़ से दो घंटे बीत चुके थे। बच्चे भूख से बेहाल और पानी के लिए तड़प रहे थे। स्वयं मेरी और मेरी धर्मपत्नी की दशा अत्यन्त विकट हो रही थी। यात्रियों ने ड्राइवर को मारने की बजाय, उसे नीचे उतारकर एक स्थान पर चारों ओर से उसे घेर लिया ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि यदि कोई अप्रिय बात होती तो वे सबसे पहले ड्राइवर को ही मृत्युदंड देते। लेखक पुनः कहता है कि उसकी प्रार्थना और विनय का कोई विशेष प्रभाव यात्रियों पर नहीं पड़ा। सहसा लेखक देखता है कि एक खाली बस हमारी ओर चली आ रही है और उस पर कंडक्टर भी बैठा हुआ है।

विशेष:

  1. लेखक ने मनुष्य को संदेह करने की प्रवृत्ति को दर्शाया है।
  2. शब्द एवं वाक्य योजना सटीक है। भाषा सरल सहज एवं भावों के अनुरूप है।

कठिन शब्दों के अर्थ

मन बैठ जाना = उदास हो जाना, निराश हो जाना। तस्करी = स्मग्लिंग–किसी प्रतिबन्धित वस्तु का दूसरे से देश में अवैध तरीके से चोरी छिपे लाना। भ्रष्टाचार = बुरा आचरण, बेईमानी। आरोप-प्रत्यारोप = एक-दूसरे पर दोष लगाना। अतीत = बीता हुआ समय। निरीह = बेचारा, निर्दोष। गह्वर = गुफा, खोह। मनीषियों = विद्वानों। माहौल = वातावरण। श्रमजीवी = मज़दूर। फरेब = धोखा। पर्याय = बदल। भीरू = डरपोक। आस्था = श्रद्धा, विश्वास। मनुष्य-निर्मित = मनुष्य द्वारा बनाई गई। त्रुटियों = गलतियों, कमियों। विधि-निषेध = कानून द्वारा निषिद्ध, यह करो वह न करो। साबित = प्रमाणित । कायदे = नियम। आलोड़ित = मथा हुआ। हताश = निराश। निकृष्ट = नीच। गुमराह = भटका हुआ। दरिद्रजनों = ग़रीबों। कोटि-कोटि = करोड़ों। सुविधा = आराम। पैमाना = स्तर। विधान = कानून। विकार = दोष। विस्तृत = बढ़ना, फैलना। दकियानूसी = पुराने विचारों का। धर्मभीरू = धार्मिक दृष्टि से डरपोक। संकोच = झिझक। पर्याप्त = काफी। आक्रोश = क्रोध। साबित करना = प्रमाणित करना। प्रतिष्ठा = सम्मान । पर्दाफाश करना == भेद खोलना। उद्घाटित करना = खोलकर सामने रखना। दोषोद्घाटन = दोषों को प्रकट करना। उजागर करना = प्रकट करना। गंतव्य = जहां पहुंचना/जाना हो। हिसाब बनाना = मन बनाना। कातर = व्याकुल, भयभीत।

क्या निराश हुआ जाए? Summary

क्या निराश हुआ जाए? जीवन परिचय

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय लिखें।

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म गाँव आरतदुबे का छपरा, जिला बलिया (उत्तर प्रदेश) में सन् 1907 में हुआ। संस्कृत विश्वविद्यालय काशी से शास्त्री की परीक्षा तथा हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर काशी विश्वविद्यालय तथा पंजाब विश्वविद्यालय में हिन्दी-विभागाध्यक्ष रहे। इन्हें ‘आलोकपर्व’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण अलंकार से सम्मानित किया गया था। इनका साहित्य मानवतावाद एवं भारतीय संस्कृति से युक्त है। सन् 1979 में दिल्ली में उनका निधन हो गया।
अशोक के फूल, विचार और वितर्क, कल्पलता, कुटज, आलोक पर्व इनके निबन्ध संग्रह हैं। चारूचन्द्रलेख, बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामदास का पोथा इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। सूर-साहित्य, हिन्दी-साहित्य की भूमिका इनके आलोचनात्मक ग्रन्थ हैं।

क्या निराश हुआ जाए? निबन्ध का सार

‘क्या निराश हुआ जाए ?’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित विचारात्मक निबन्ध है, जिसमें लेखक ने देश की सामाजिक बुराइयों पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया है कि समाचार पत्रों को बुराइयों के साथ-साथ अच्छाइयों को भी उजागर करना चाहिए। लेखक का मन समाचार-पत्रों में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार पढ़कर कभी-कभी बैठ जाता है। इन्हें पढ़कर लगता है कि देश में ईमानदार आदमी रह ही नहीं गया है। लेखक को एक बड़े आदमी ने एक बार कहा था कि जो आदमी कुछ नहीं करता वह अधिक सुखी है क्योंकि उसके किए काम में कोई दोष नहीं निकालता। लेखक को भारत की ऐसी हालत देखकर दुःख होता है किन्तु लेखक को विश्वास है कि हमारे महान् मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा। यह सच है कि इन दिनों कुछ ऐसा वातावरण बन रहा है कि ईमानदारी करके कमाने वाले मज़दूर पिस रहे हैं और धोखे का धन्धा करने वाले फल फूल रहे हैं।

लेखक का विचार है जो ऊपर से दिखाई देता है वह मनुष्य द्वारा ही बनाया गया है। मनुष्य सामाजिक नियमों को परिस्थिति अनुसार बदलता भी रहता है। इस बदलाव को देखकर निराश होना ठीक नहीं है। भारत वर्ष ने कभी भी सांसारिक वस्तुओं के संग्रह को महत्त्व नहीं दिया बल्कि उसने आत्मा को चरम और परम माना। लोभ-मोह आदि विकारों के वश में होना उसने कभी उचित नहीं माना। इन विचारों को संयम के बँधन से बाँधने का प्रयत्न किया। परन्तु भूख की, बीमार के लिए दवा की और भटके हुए को रास्ते पर लाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।

लेखक कहते हैं कि व्यक्ति का चित्त हर समय आदर्शों पर नहीं चलता। मनुष्य ने जितने भी उन्नति के कानून बनाए उतने ही लोभ-मोह आदि विकार बढ़ते गए। आदर्शों का मजाक उड़ाया गया और संयम को दकियानूसी कहा गया। परन्तु इससे भारतीय आदर्श अधिक स्पष्ट और महान् दिखाई देने लगे।

भारतवर्ष में कानून को धर्म का दर्जा दिया गया किन्तु कानून और धर्म में अन्तर कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता कानून को दिया जा सकता है। इसी कारण से धर्मभीरू कानून की कमियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते। भारतवर्ष में अब भी यह अनुभव किया जाता है कि धर्म कानून से बड़ी चीज़ है। भ्रष्टाचार आदि के प्रति लोगों का क्रोध यह सिद्ध करता है कि लोग इसे गलत समझते हैं। सैंकड़ों घटनाएँ आज भी घटती हैं जो लोक-चित्त में अच्छाई की भावना को जगाती हैं। लेखक ने ऐसी दो घटनाओं का उल्लेख किया जिनमें पहली रेलवे के एक टिकट बाबू की ईमानदारी और दूसरी एक बस कंडक्टर की मानवीयता को उजागर करने वाली घटना शामिल है। इन घटनाओं का उल्लेख करते हुए लेखक कहते हैं कि निराश होने की ज़रूरत नहीं है। भारत में अब भी सच्चाई और ईमानदारी मौजूद है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 15 सच्ची वीरता

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 सच्ची वीरता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 15 सच्ची वीरता

Hindi Guide for Class 12 PSEB सच्ची वीरता Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
सच्चे वीर पुरुष का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर:
सच्चा वीर पुरुष धीर, गम्भीर और आज़ाद होता है। उसके मन की गम्भीरता और शान्ति समुद्र की तरह विशाल और आकाश की तरह स्थिर और अचल होती है। वे कभी चंचल नहीं होते। वे सत्वगुण के क्षीरसागर में ऐसे डूबे रहते हैं जिसकी दुनिया को खबर ही नहीं होती।

प्रश्न 2.
‘वीर पुरुष का दिल सबका दिल हो जाता है’ लेखक पूर्ण सिंह की इस उक्ति का क्या भाव है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ यह है कि वीर पुरुष भले ही सामने न आए, किन्तु अपने प्रेम से लोगों के दिलों पर राज करता है, जिससे वीर पुरुष का दिल सबका दिल हो जाता है। उसका मन सबका मन हो जाता है अर्थात् जैसे वह सोचता है या करता है सब वैसा ही सोचते या करते हैं।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 3.
‘सच्ची वीरता’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया सार।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 15 सच्ची वीरता

प्रश्न 4.
जापान के ओशियो की वीरता का उदाहरण प्रस्तुत निबन्ध के आधार पर लिखो।
उत्तर:
ओशियो जापान के एक छोटे से गाँव की एक झोंपड़ी में रहता था। वह बड़ा अनुभवी और ज्ञानी था। वह कडे स्वभाव का स्थिर, धीर और अपने ही विचारों में डूबा रहने वाला पुरुष था। लोग उसे मामूली आदमी समझते थे। एक बार संयोग से दो तीन साल फसलें न होने के कारण देश में अकाल पड़ गया। लोग लाचार होकर उसके पास मदद माँगने गए। वह उनकी मदद करने को तैयार हो गया। पहले वह अमीर और भद्र पुरुषों के पास गया और उससे मदद माँगी। उन्होंने मदद का वादा किया पर निभाया नहीं। ओशो ने अपने कपड़े और किताबें बेच कर प्राप्त धन को किसानों में बाँट दिया। पर उससे भी कुछ न हुआ। इस पर ओशियो ने लोगों को विद्रोह करने के लिए तैयार किया और बादशाह के महल की ओर कूच किया।

सिपाहियों ने गोली चलानी चाही लेकिन बादशाह ने ऐसा करने से रोक दिया। ओशियो किले में दाखिल हुआ। उसे सरदार पकड़ कर बादशाह के पास ले गया। ओशियो ने बादशाह से कहा कि वह अन्न से भरे राज भण्डार ग़रीबों की मदद के लिए खोल दे। उसकी आवाज़ में दैवी शक्ति थी। बादशाह ने अन्न भण्डार खोलने की आज्ञा दी और सारा अन्न ग़रीबों में बाँटने का आदेश दिया। ओशियो ने जिस काम के लिए कमर बाँधी थी उसे पूरा कर दिया था।

प्रश्न 5.
‘सच्चे वीर पुरुष मुसीबत को मखौल समझते हैं।’ ईसा मसीह, मीराबाई और गुरु नानक देव जी के जीवन से उदाहरण देते हुए प्रस्तुत निबन्ध के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर:
संसार जिस बात को मुसीबत समझता है सच्चे वीर उसे मखौल समझते हैं। अमर ईसा को जब सूली पर चढ़ाया गया, उससे भारी सलीब उठवाई गई जिस कारण वह कभी गिरता, ज़ख्मी भी होता और कभी बेहोश हो जाता है। कोई पत्थर मारता है, कोई ढेला मारता है, कोई थूकता है, मगर उस मर्द का दिल नहीं हिलता, वह उस मुसीबत को मज़ाक समझता है। इसी प्रकार राणा जी ने मीराबाई को ज़हर के प्याले से डराना चाहा। मीरा उस ज़हर को अमृत समझ कर पी गई। उसे शेर और हाथी के सामने डाला गया, लेकिन वह डरी नहीं।

प्रेम में मस्त हाथी और शेर ने उस देवी के चरणों की धूल को माथे से लगाया और अपनी राह ली। वीर पुरुष आगे नहीं पीछे जाते हैं, भीतर ध्यान करते हैं, मारते नहीं मरते हैं। इसी प्रकार बाबर के सिपाहियों ने जब लोगों के साथ गुरु नानक देव जी को बेगार में पकड़ लिया और उनके सिर पर बोझ रखकर कहा कि चलो। आप चल पड़े। डरे नहीं, घबराए नहीं, बल्कि मर्दाना से कहा कि सारंगी बजाओं हम गाते हैं। उस भीड़ में सारंगी बज रही थी और गुरु जी गा रहे थे। वे उस मुसीबत को मुसीबत न समझ कर मज़ाक समझते हैं।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
सच है, सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती। वे सत्व गुण के क्षीर समुद्र में ऐसे डूबे रहते हैं कि उनको दुनिया की खबर ही नहीं होती।
उत्तर:

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कुम्भकरण की गाढ़ी नींद को वीरता का चिह्न बताया है।

व्याख्या:
लेखक कुम्भकरण की गाढ़ी नींद को वीरता का चिह्न बताते हुए कहते हैं कि यह सच है कि वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती क्योंकि वे सात्विक प्रवृत्तियों के दूध के सागर में ऐसे डूबे रहते हैं कि उन्हें दीन-दुनिया की खबर ही नहीं रहती अर्थात् वे अपने में ही सदा मस्त रहते हैं।

प्रश्न 7.
कायर पुरुष कहते हैं-‘आगे बढ़े चलो।’ वीर कहते हैं ‘पीछे हट चलो।’ कायर कहते हैं”उठाओ तलवार।’ वीर कहते हैं-‘सिर आगे करो।’

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक वीर और कायर पुरुष की तुलना करता हुआ कहता है कि कायर पुरुष दिखावे के लिए आगे बढ़ने की बात करता है।

व्याख्या:
लेखक कहते हैं कि कायर पुरुष कहते हैं कि आगे बढ़े चलो। उनका ऐसा कहना दिखावे और नाम के लिए होता है जबकि वीर कहते हैं कि पीछे हट चलो। उनका ऐसा कहना जीवन की तुच्छता या नश्वरता की ओर संकेत करता है। कायर कहते हैं कि ‘उठाओ तलवार’ अर्थात् उसका ऐसा कहना दिखावे और नाम के लिए होता है। वीर कहते हैं-‘सिर आगे करो’ उनका ऐसा कहना उनके आत्म त्याग की भावना के कारण है।

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प्रश्न 8.
मगर वाह रे प्रेम। मस्त हाथी और शेर ने देवी के चरणों की धूल को अपने मस्तक पर मला और अपना रास्ता लिया। इसके वास्ते वीर पुरुष आगे नहीं पीछे जाते हैं, भीतर ध्यान करते हैं, मारते नहीं, मरते हैं।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक श्रीकृष्ण भक्त मीरा बाई की प्रेम भावना का उदाहरण देते हुए सच्चे वीर की विशेषताओं पर प्रकाश डाल रहे हैं।

व्याख्या:
लेखक वीर लोगों द्वारा मुसीबत को मखौल समझने की व्याख्या करते हुए कृष्ण भक्त मीराबाई का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि मीरा को डराने के लिए राणा जी ने विष का प्याला भेजा, जिसे वह अमृत समझकर पी गई। मीरा शेर और हाथी के सामने की गई, मगर वाह रे उनका सच्चा प्रेम। मस्त हाथी और शेर ने मीरा के चरणों की धूल को अपने मस्तक पर मला और अपना रास्ता लिया अर्थात् वहाँ से चल दिए। यही कारण है कि वीर पुरुष आगे नहीं पीछे जाते हैं। अपने हृदय के भीतर ही ध्यान करते हैं। वह किसी को मारते नहीं, स्वयं मरते हैं।

प्रश्न 9.
पेड़ तो ज़मीन से रस ग्रहण करने में लगा रहता है। उसे ख्याल ही नहीं होता कि मुझ में कितने फल या फूल लगेंगे और कब लगेंगे।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक वीरता के कारनामों का वीर लोग अपनी दिनचर्या में शामिल न करने की बात को पेड़ का उदाहरण देकर स्पष्ट कर रहे हैं।

व्याख्या:
लेखक वीर लोगों के अन्दर ही अन्दर बढ़ने और सत्य के भाव पर स्थिर रहने की बात को एक पेड़ के उदाहरण से स्पष्ट करते हुए कहता है कि पेड़ तो धरती से रस ग्रहण करने में लगा रहता है। उसे इस बात की सोच नहीं होती कि उसमें कितने फल या फूल लगेंगे और कब खिलेंगे। उसका काम तो अपने आपको सत्य में रखना है।

PSEB 12th Class Hindi Guide सच्ची वीरता Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘सच्ची वीरता’ शीर्षक निबंध किसके द्वारा रचित है?
उत्तर:
सरदार पूर्ण सिंह।

प्रश्न 2. सरदार पूर्ण सिंह के जन्म और मृत्यु के वर्ष लिखिए।
उत्तर:
जन्म-सन् 1881 ई०, मृत्यु-सन् 1931 ई०।

प्रश्न 3.
सरदार पूर्ण सिंह के द्वारा रचित चार अन्य निबंधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आचरण की सभ्यता, मज़दूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, नयनों की गंगा।

प्रश्न 4.
सच्चे वीरों की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
धीर, वीर, गंभीर और स्वतंत्र।

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प्रश्न 5.
सच्चे वीरों का व्यक्तित्व कैसा होता है?
उत्तर:
दिव्य।

प्रश्न 6.
शासकों/सम्राटों को सच्चा वीर क्यों नहीं मान सकते?
उत्तर:
वे शोषण से महान् बनते हैं और सदा अपने पापों से कांपते रहते हैं।

प्रश्न 7.
सच्चा वीर क्या त्यागने में एक पल भी नहीं व्यतीत करते?
उत्तर:
अपने जीवन का बलिदान।

प्रश्न 8.
सच्चे वीरों का जीवन किस भाव से सदा भरा रहता है?
उत्तर:
परोपकार का भाव।

प्रश्न 9.
महात्मा बुद्ध सच्चे वीर क्यों माने जाते हैं?
उत्तर:
उन्होंने गूढ़ तत्व और सत्य की खोज के लिए ऐश्वर्य त्याग दिया था।

प्रश्न 10.
वीर पुरुष किस का प्रतिनिधि होता है?
उत्तर:
वीर पुरुष समाज का प्रतिनिधि होता है।

प्रश्न 11.
कोई व्यक्ति वास्तव में वीर किस प्रकार बनता है?
उत्तर:
वह अपनी अंतः प्रेरणा से ही अपना निर्माण स्वयं करता है।

प्रश्न 12.
स्वभाव से वीर पुरुष कैसे होते हैं?
उत्तर:
स्वभाव से वीर पुरुष धीर-गंभीर होते हैं वे आडंबर रहित होते हैं।

प्रश्न 13.
सच्चे वीर अपने वीरत्व को कब प्रकट करते हैं?
उत्तर:
सच्चे वीर उचित समय आने पर ही अपने वीरत्व को प्रकट करते हैं।

प्रश्न 14.
सच्चा वीर बनने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
सच्चा वीर बनने के लिए हमें अपने भीतर के गुणों का विकास करना चाहिए।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 15.
सच्चे वीर पुरुष धीर, गंभीर और………..होते हैं।
उत्तर:
आजाद।

प्रश्न 16.
वीरता एक प्रकार का…………….या….. ……..प्रेरणा है।
उत्तर:
इहलाम, दैवी।

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प्रश्न 17.
वे………के वृक्षों की तरह जीवन के अरण्य में खुदबखूद पैदा होते हैं।
उत्तर:
देवदार।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
वीरों का स्वभाव सदा छिपे रहने का नहीं होता।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
आकाश उनके ऊपर बादल के छाते नहीं लगाता।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 20.
सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘सच्ची वीरता’ किस विद्या की रचना है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) कविता
उत्तर:
(क) निबंध

2. अध्यापक पूर्ण सिंह के निबंधों का आधार क्या है ?
(क) मानवीय दृष्टि
(ख) आध्यात्मिक चेतना
(ग) ये दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) ये दोनों

3. अध्यापक पूर्ण सिंह किसकी पवित्रता को अधिक महत्त्व देते थे ?
(क) मानव के आचरण
(ख) मानवता
(ग) बुद्धि कौशल
(घ) मेहनत।
उत्तर:
(क) मानव के आचरण

4. ‘सच्ची वीरता’ कैसा निबंध है ?
(क) संवेदनशील
(ख) विचारात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) संवादात्मक।
उत्तर:
(ख) विचारात्मक

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5. लेखक के अनुसार मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है
(क) वीरता
(ख) न्याय
(ग) कर्म
(घ) सत्य।
उत्तर:
(क) वीरता

सच्ची वीरता गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. सच्चे वीर पुरुष धीर, गम्भीर और आज़ाद होते हैं। उनके मन की गम्भीरता और शान्ति समुद्र की तरह विशाल और गहरी, या आकाश की तरह स्थिर और अचल होती है। वे कभी चंचल नहीं होते।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं। प्रस्तुत निबन्ध में उन्होंने वीरता के व्यापक क्षेत्र का उल्लेख करते हुए वीरों की चरित्रगत विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। यहाँ वे सच्चे वीर के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं।

व्याख्या:
सच्चे वीर पुरुष स्वभाव से धीर, गम्भीर एवं स्वतन्त्र होते हैं। उनके मन की गम्भीरता एवं शान्ति की तुलना समुद्र की विशालता एवं गहराई से तथा आकाश की स्थिरता एवं अचलता से की जाती है। सच्चे वीर कभी चंचल नहीं होते। भाव यह है कि वीर पुरुष स्वभाव से दृढ़ होते हैं।

विशेष:

  1. सच्चे वीरों के गुणों का उल्लेख है।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण तथा शैली व्याख्यात्मक है।

2. सत्वगुण के समुद्र में जिनका अन्तःकरण निमग्न हो गया, वे ही महात्मा, साधु और वीर हैं। वे लोग अपने क्षुद्र जीवन को परित्याग कर ऐसा ईश्वरीय जीवन पाते हैं कि उनके लिए संसार के सब अगम्य मार्ग साफ़ हो जाते

प्रसंग:
प्रस्तुत अवतरण अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से अवतरित है। इसमें लेखक ने वीरता के व्यापक क्षेत्र का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक सच्चे वीरों की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि सात्विक गुणों के सागर में जिनका हृदय डूब जाता है, वे ही महात्मा, साधु और वीर हैं अर्थात् सच्चे वीर स्वाभाव से सात्विक होते हैं। सच्चे वीर अपने सांसारिक तुच्छ जीवन का परित्याग कर ऐसा दिव्य अथवा अलौकिक जीवन प्राप्त करते हैं कि उनके लिए संसार के सभी अगम्य मार्ग सुगम बन जाते हैं। भाव यह है कि सच्चा वीर अपने साधनामय जीवन के द्वारा ईश्वरीय रूप प्राप्त कर लेते हैं। उनके लिए संसार के सभी कार्य सरल बन जाते हैं।

विशेष:

  1. सच्चे वीर दिव्यगणों से सम्पन्न होते हैं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, भावपूर्ण तथा शैली विचार प्रधान है।

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3. आकाश उनके ऊपर बादलों के छाते लगाता है। प्रकृति उनके मनोहर माथे पर राज-तिलक लगाती है। हमारे असली और सच्चे राजा वे ही साधु पुरुष हैं। हीरे और लाल से जड़े हुए, सोने और चांदी के जर्क-बर्क सिंहासन पर बैठने वाले दुनिया के राजाओं की तो, जो गरीब किसानों की कमाई हुई दौलत पर पिंडोपजीवी होते हैं, लोगों ने अपनी मूर्खता से वीर बना रखा है। ये ज़री, मखमल और जेवरों से लदे हुए मांस के पुतले तो हर दम कांपते रहते हैं। क्यों न हो, उनकी हुकूमत लोगों के दिलों पर नहीं होती। दुनिया के राजाओं के बल की दौड़ लोगों के शरीर तक है। .

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं। इस निबन्ध में लेखक ने सच्ची वीरता की विशेषताओं का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक का कथन है कि सात्विक जीवन व्यतीत करने वाले पुरुष ही सच्चे वीर होते हैं। प्रकृति भी सच्चे वीरों की पूजा करती है। आकाश उनके सिर पर बादलों के छाते तानता है। प्रकृति उनके सुन्दर मस्तक पर राज तिलक लगाती है। हमारे लिए असली एवं सच्चे राजा ऐसे ही वीर पुरुष हैं जिनका आचरण पवित्र है। जो लोग हीरे और लाल से जड़े हुए तथा सोने एवं चाँदी के निर्मित सिंहासनों पर बैठते हैं जो गरीब किसानों की मेहनत से कमाई दौलत छीनकर अपने शरीर को पुष्ट करते हैं तथा ऐश्वर्यमय जीवन व्यतीत करते हैं ऐसे शासकों को लोगों ने अपनी मूर्खता से वीर बना रखा है लेखक ने यहां ऐसे लोगों को वीरों की कोटि में नहीं रखा जो दूसरों के बल पर ऐश कर जीवन जीते हैं।

ये ज़री, मखमल एवं गहनों से लदे हुए मांस के पुतले हैं जो अपने कुकर्मों के कारण हमेशा डर से कांपते रहते हैं। ये लोग जनता के हृदयों पर शासन नहीं करते। संसार के राजाओं के बल की पहुँच लोगों के शरीर तक है। सच्चे वीरों के चरित्र में एक अद्भुत आकर्षण होता है जो दूसरों को अपने सद्गुणों के बल पर मोहित कर लेते हैं।

विशेष:

  1. सच्चे वीर अपनी वीरता से सब का सम्मान प्राप्त करते हैं तथा सबके आकर्षण का केन्द्र बने रहते हैं।
  2. भाषा तत्सम, तद्भव शब्दों से युक्त तथा शैली भावपूर्ण है।

4. वीरता का विकास नाना प्रकार से होता है। कभी तो उसका विकास लड़ने मरने में, खून बहाने में, तलवारतोप के सामने जान गंवाने में होता है, कभी प्रेम के मैदान में उसका झण्डा खड़ा होता है। कभी साहित्य और संगीत में वीरता खिलती है। कभी जीवन के गूढ़ तत्व और सत्य की तलाश में बुद्ध जैसे राजा विरक्त होकर वीर हो जाते हैं। कभी किसी आदर्श पर और कभी किसी वीरता पर अपना फरहरा लहराती है। परन्तु वीरता एक प्रकार का इलहाम या दैवी प्रेरणा है।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं। इस निबन्ध में लेखक ने वीरता के व्यापक क्षेत्र का परिचय दिया है।

व्याख्या:
लेखक वीरता के व्यापक क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए कहता है-वीरता का विकास अनेक रूपों में होता है। कभी तो इस वीरता का विकास युद्धभूमि में बलिदान के रूप में, खून बहाने में तथा तलवार-तोप के सामने निडरता से जान की बाज़ी लगा देने में होता है। कभी यह वीरता प्रेम के मैदान में अपना कमाल दिखाती है और इसकी विजय का झण्डा लहराती है।

कभी साहित्य और संगीत के क्षेत्र में इसका चमत्कार देखने को मिलता है। कभी आध्यात्मिक क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए बुद्ध जैसे राजा सब कुछ त्यागकर वैरागी बनकर जीवन के गूढ़ रहस्य को सुलझाने तथा सत्य की खोज में अपना जीवन झण्डा लहराती है। आगे लेखक कहता है कि वीरता का गुण सहज नहीं। वास्तव में यह एक दैवी प्रेरणा है।

विशेष:

  1. इन पंक्तियों में लेखक ने वीरता के विविध क्षेत्रों पर प्रकाश डाला है। वीरता का सम्बन्ध केवल युद्ध से ही नहीं जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है।
  2. भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण तथा शैली विचारात्मक है।

5. वीरता देशकाल के अनुसार संसार में जब कभी प्रकट हुई तभी एक नया स्वरूप लेकर आई, जिसके दर्शन करते ही सब लोग चकित हो गए-कुछ न बन पड़ा और वीरता के आगे सिर झुका दिया।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं। इस निबन्ध में लेखक ने वीरता के व्यापक क्षेत्र का परिचय दिया है।

व्याख्या:
लेखक वीरता के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहता है-वीरता परिस्थितियों की आवश्यकता के अनुसार जब कभी प्रकट हुई है तभी एक नया रूप लेकर आई है, जिसे देखकर सब लोग आश्चर्यचकित हो गए। यदि लोगों से उन वीरों की स्तुति में ओर कुछ न बन पड़ा तो श्रद्धा से भरकर उनके आगे सिर झुका दिया।

विशेष:

  1. इस कथन के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि वीरता का उदय देश की आवश्यकता के अनुसार होता है। सच्चे वीरों के आगे लोग श्रद्धा से नतमस्तक हो जाते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण तथा शैली विचारात्मक है।

6. वीरों के बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते। वे देवदार के वृक्षों की तरह जीवन के अरण्य में खुदबखुद पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के दूध पिलाए, बिना किसी के हाथ लगाए तैयार होते हैं। दुनिया के मैदान में अचानक आकर खड़े हो जाते हैं। उनका सारा जीवन अन्दर ही अन्दर होता है। बाहर तो जवाहरात की खानों की ऊपरी जमीन की तरह कुछ भी दृष्टि में नहीं आता। वीर की ज़िन्दगी मुश्किल से कभी-कभी बाहर नज़र आती है। उसका स्वभाव छिपे रहने का नहीं है।

प्रसंग:
यह गद्यावतरण अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से अवतरित है। इसमें लेखक ने वीरता की विशेषताओं का वर्णन किया है।

व्याख्या:
इन पंक्तियों में अध्यापक पूर्ण सिंह जी ने यह स्पष्ट किया है कि वीरों का उदय बड़े स्वाभाविक रूप से होता है। वीरों के बनाने के कारखाने स्थापित नहीं किए जा सकते। सच्चे वीरों की तुलना देवदार के वृक्षों से की जा सकती है। देवदार के वृक्ष जंगल में स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के हाथ लगाए स्वयं फलते-फूलते हैं। उसी प्रकार वीर पुरुष भी बिना किसी के दूध पिलाए तथा रक्षा किए अपना पथ आप बनाते हैं। वीर का जीवन भीतर ही भीतर पनपता है। वह आडम्बर की भावना से मुक्त होता है।

आवश्यकता पड़ने पर ऐसे वीर अचानक इस दुनिया के मैदान में आकर खड़े हो जाते हैं और अपना चमत्कार दिखाने लगते हैं। उनका सारा जीवन भीतरी गुणों के विकास में तल्लीन रहता है। जैसे खानों की ऊपर की सतह पर कुछ नहीं होता। उनके भीतर ही बहुमूल्य हीरे-जवाहरात छिपे रहते हैं। इसी प्रकार वीर का जीवन भी बाहर कठिनाई से ही दिखाई देता है। उसका स्वभाव तो छिपकर अपने गुणों का विकास करता है।

विशेष:

  1. सच्चे वीर आत्म-निर्भर होते हैं। वे आडम्बर से दूर रहते हैं। वे आन्तरिक गुणों के विकास पर बल देते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल, प्रवाहपूर्ण तथा शैली विश्लेषणात्मक है।

7. इस वास्ते वीर पुरुष आगे नहीं, पीछे जाते हैं। अन्दर ध्यान करते हैं। मारते नहीं मरते हैं। वीर क्या टीन के बर्तन की तरह झट गरम और झट ठण्डा हो जाता है ? सदियों नीचे आग जलती रहे तो भी शायद ही वीर गरम हो और हज़ारों वर्ष बर्फ उस पर जमती रहे तो भी क्या मजाल जो उसकी वाणी तक ठण्डी हो। उसे खुद गरम और सर्द होने से क्या मतलब ?

प्रसंग:
यह गद्यावतरण द्विवेदीयुगीन प्रसिद्ध लेखक श्री पूर्ण सिंह द्वारा रचित ‘सच्ची वीरता’ शीर्षक निबन्ध से अवतरित हैं। इसमें लेखक ने सच्चे वीर के स्वभाव पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
धीरे, गम्भीर और स्वतन्त्र प्रकृति के वीरों का स्वभाव संसार के सामान्य पुरुषों से भिन्न होता है। ईश्वरीय प्रेम में निमग्न सच्चे वीर पुरुष बढ़ने की अपेक्षा पीछे हटते हैं अर्थात् वे त्याग और बलिदान के पथ पर बढ़ते हैं। वे अपनी आत्मा को विशाल बनाते हैं। वे योगी की भान्ति आत्मलीन रहते हैं। त्याग की भावना को अपना आदर्श मानने वाले वीर पुरुष किसी को मारते नहीं, बल्कि स्वयं मरते हैं। वीर का स्वभाव टीन के बर्तन की भान्ति नहीं होता, जो शीघ्र ही गर्म अथवा ठण्डा हो जाता है। वह सदा अडिग और गम्भीर रहता है।

उसके नीचे सदियों तक आग जलती रहे तो भी गरम नहीं होता तथा सदियों उसके ऊपर जमा देने वाली बर्फ पड़ती रहे तो भी वह ठण्डा नहीं होता। उसकी वाणी सदियों तक संसार के कानों में गूंजती रहती है अर्थात् उनकी वाणी का प्रभाव सरलता से समाप्त नहीं होता।

विशेष:

  1. यहां वीर पुरुष के आन्तरिक गुणों का उल्लेख है।
  2. भाषा सहज, सरल, प्रवाहपूर्ण तथा शैली विश्लेषणात्मक है।

8. प्यारे, अन्दर के केन्द्र की ओर अपनी चाल उल्टो और इस दिखावटी और बनावटी जीवन की चंचलता में अपने आपको न खो दो। वीर नहीं तो वीरों के अनुगामी हो और वीरता के काम नहीं तो धीरे-धीरे अपने अन्दर वीरता के परमाणुओं को जमा करो।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियां अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा लिखित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं। इस निबन्ध में लेखक ने सच्चे वीरों का गुणगान किया है। यहां स्पष्ट किया गया है कि सच्चे वीर वही हैं जो आडम्बरपूर्ण जीवन को छोड़ कर मानसिक तथा आत्मिक विकास की ओर ध्यान देते हैं।

व्याख्या:
लेखक वीरता के पथ पर बढ़ने वालों को लक्ष्य कर कहता है कि यदि तुम वीर बनना चाहते हो तो भीतरी गुणों के विकास पर बल दो अर्थात् वीरता का सम्बन्ध मन की दृढ़ता तथा इच्छा शक्ति की प्रबलता से है। आडम्बर पूर्ण एवं बनावटी जीवन की चंचलता में अपना बहुमूल्य जीवन नष्ट न करो। यदि तुम वीर नहीं बन सकते तो वीरों के अनुयायी बन जाओ।

अगर वीरस को प्रकट करने वाले असाधारण काम नहीं कर सकते तो धीरे-धीरे अपने भीतर वीरता के परमाणु इकट्ठे करो। अभिप्राय यह है कि अगर हम वीरता जैसे देवी गुण से वंचित हैं तो दूसरे वीरों के अनुगामी बनकर अपने भीतर वीरता के .गुण जमा कर सकते हैं और इस प्रकार हम भी असाधारण काम करने में असमर्थ हो सकते हैं।

विशेष:

  1. मन की दृढ़ता से वीरता के गुणों का विकास होता है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, सरल तथा शैली उद्बोधनात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 15 सच्ची वीरता

9. टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर अपने जीवन के केन्द्र में निवास करो और सच्चाई की चट्टानों पर दृढ़ता से खड़े हो जाओ। अपनी ज़िन्दगी किसी और के हवाले करो ताकि ज़िन्दगी को बचाने की कोशिशों में कुछ भी समय व्यर्थ न करो। इसलिए बाहर की सत्ता को छोड़कर जीवन के अन्दर की तहों में घुस जाओ, तब नए रंग खुलेंगे।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं जिसमें लेखक ने वीरता के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
लेखक पाठकों को सम्बोधित करते हुए कहता है कि टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर अपने जीवन के केन्द्र में निवास करो अर्थात् टीन के बर्तन के खोखले एवं आडम्बरपूर्ण स्वभाव को छोड़कर सच्चाई की ठोस चट्टानों पर दृढ़ता के साथ खड़े हो जाओ। अपने जीवन को किसी दूसरे के हित के लिए अर्पित कर देना चाहिए ताकि हम इसे बचाने की कोशिश में अपना थोड़ा-सा समय भी नष्ट न करें।

अत: आवश्यकता इस बात की है कि तुम लोग जीवन के बाहरी अस्तित्व को त्याग कर अन्दर की तहों में वास करो तभी नए रंग खुलेंगे। भाव यह है कि जीवन विकास के लिए मनुष्य को चरित्र बल की आवश्यकता है। चरित्र बल को अर्जित करने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य अपने भीतर के गुणों का विकास करे।

विशेष:

  1. यहां वीरों के स्वभावानुसार धीरता, गम्भीरता और दृढ़ता को अपनाने की प्रेरणा दी गई है।
  2. भाषा सहज, सरल तथा शैली उद्बोधनात्मक है।

10. पेड़ तो ज़मीन से इसे ग्रहण करने में लगा रहता है, उसे ख्याल ही नहीं होता कि मुझमें कितने फल या फूल लगेंगे और कब लगेंगे ?

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबंध ‘सच्ची वीरता’ में से ली गई हैं जिसमें सच्ची वीरता की विशेषताएं बताई गई हैं।

व्याख्या:
लेखक का कथन है कि किस प्रकार वीर अपनी वीरता का बखान नहीं करते हैं। लेखक पेड़ का उदाहरण देकर समझाता है कि पेड़ सदा धरती से जल रूपी रस ग्रहण कर हरा-भरा बना रहता है। उसे यह कभी विचार नहीं आता कि उस पर कितने फल या फूल लगेंगे तथा कब लगेंगे। उसी प्रकार से वीर भी अपने वीरतापूर्ण कार्य करता रहता है परन्तु उनके विषय में सोचता नहीं है।

विशेष:
सच्चे वीर प्रचार-प्रसार से दूर रहते हुए नि:स्वार्थ भाव से अपना कार्य करते रहते हैं।

11. सच है, सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती। वे सत्वगुण के क्षीर समुद्र में ऐसे डूबे रहते हैं कि उनको दुनिया की खबर नहीं रहती।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ अध्यापक पूर्ण सिंह द्वारा रचित निबन्ध ‘सच्ची वीरता’ से ली गई हैं जिसमें लेखक ने सच्चे वीरों के गुणों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि सच्चे वीर निश्चित भाव से सोते हैं। यह सत्य है कि सच्चे वीरों की नींद भी आसानी से नहीं खुलती क्योंकि उनका अंत: करण सदा निर्मल होता है। वे सोते समय अपने सत्वगुण रूपी क्षीर-सागर में ऐसे डूब जाते हैं कि उन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं रहती। उनकी नींद भी उन्हीं की तरह मस्ती से भरी होती है, जो आसानी से नहीं टूटती है।

विशेष:
सच्चे वीर गहरी नींद में चिंतामुक्त होकर सोते हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 15 सच्ची वीरता

कठिन शब्दों के अर्थ

स्थिर = एक जगह ठहरा हुआ। अचल = न हिलने वाला। अन्तः करण = हृदय। निमग्न = लीन। अगम्य = जहाँ न पहुँचा जा सके, कठिन। हुकूमत = शासन। तिरस्कार = अपमान। सत्कार = आवभगत, आदर। विरक्त = उदास। फरहरा = झण्डा। दैवी = ईश्वरीय। संकल्प = दृढ़ निश्चय। अरण्य = जंगल, वन। कंदरा = गुफ़ा, गार। स्तुति = प्रशंसा। बुज़दिली = कायरता। फिजूल = व्यर्थ । मरकज = केन्द्र। शांहशाह-ए-हकीकी = वास्तविक राजा, ईश्वर । सल्तनत = राज्य। मिज़ाज = स्वभाव। खयालात = विचार। निखट्ट = जो कोई काम न करे। दुर्भिक्ष = अकाल। एक दफा = एक बार। इत्तिफाक = संयोग। धनाढ्य = अमीर। बग़ावत = विद्रोह। सब्ज = हरे। वर्कों = पृष्ठों। दरिद्र = गरीब। अनुगामी = पीछे चलने वाला। चिरस्थायी = देर तक रहने वाला। जाया = नष्ट।

सच्ची वीरता Summary

सच्ची वीरता जीवन परिचय

अध्यापक पूर्ण सिंह का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखें।

अध्यापक पूर्ण सिंह का जन्म सन् 1881 ई० में तथा मृत्यु सन् 1931 में हुई। अध्यापक होने के नाते इनके नाम के साथ अध्यापक शब्द जुड़ गया है। ‘आचरण की सभ्यता’, ‘मज़दूरी और प्रेम’, ‘सच्ची वीरता’ और ‘नयनों की गंगा’ इनके प्रसिद्ध निबन्ध हैं। इनके निबन्धों का आधार मानवीय दृष्टि एवं आध्यात्मिक चेतना है। पूर्ण सिंह ऐसे संवेदनशील व्यक्ति थे जो औद्योगिक क्रान्ति की अपेक्षा मानव के आचरण की पवित्रता को अधिक महत्त्व देते थे। इन्होंने अपने निबन्धों को दृष्टान्तों के माध्यम से सरल और रोचक बनाने का प्रयास किया। इनकी भाषा प्रवाहमयी तथा लाक्षणिक शब्दावली से युक्त है।

सच्ची वीरता निबन्ध का सार

‘सच्ची वीरता’ निबन्ध के रचयिता अध्यापक पूर्ण सिंह जी हैं। यह उनका एक विचारात्मक निबन्ध है जिसमें लेखक ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि वीरता मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है। इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। रणक्षेत्र में अपना बलिदान देने वाले योद्धा ही वीरों की कोटि में नहीं आते वरन् किसी पवित्र ध्येय, आदर्श और कार्य के लिए अपना जीवन होम कर देने वाले व्यक्ति भी सच्चे वीर हैं, वीरों के कार्यों की गूंज शताब्दियों तक गूंजती रहती है। वीरों का निर्माण किसी बाहरी प्रेरणा से नहीं होता, वे तो अपनी आन्तरिक प्रेरणा से ही सत्कार्यों में लीन होते हैं। मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर देने वाले सब से बड़े वीर हैं।।

सच्चे वीर पुरुष स्वभाव से धीर, वीर, गंभीर एवं स्वतंत्र होते हैं। उनके मन की गम्भीरता सागर के समान विशाल एवं गहरी अथवा आकाश के सामान स्थिर होती है। उनके कार्य दूसरों को प्रेरणा देते हैं। जिनका मन सात्विक वृत्तियों के सागर में डूब जाता है वे ही सच्चे वीर, महात्मा एवं साधु कहलाते हैं। उनका व्यक्तित्व दिव्य होता है। प्रकृति भी सच्चे वीरों की पूजा करती है। सच्चे वीर ही असली राजा हैं, सोने के सिंहासनों पर बैठने वाले लोग असली शासक नहीं क्योंकि वे तो निर्धनों का शोषण कर महान् बने हैं। वे अपने पापों के कारण हमेशा कांपते रहते हैं। लेखक के कहने का भाव यह है कि सरलता तथा साधुता के पथ पर चलने वाले लोग ही सच्चे वीर कहलाने के अधिकारी हैं।

सच्चे वीरों को कोई पराजित नहीं कर सकता। वे बड़े-बड़े बादशाहों को भी ताकत की हद दिखला देते हैं। बादशाह शरीर पर शासन करता है जबकि वीर व्यक्ति अपने कारनामों से लोगों के दिलों पर शासन करते हैं। सच्चा वीर अपने जीवन का उत्सर्ग करने में विलम्ब नहीं करता।

वीर पुरुष हर समय अपने आपको महान् बनाने में लीन रहता है। वह न तो अपने कारनामों का गुणगान करता है और न ही उन्हें याद रखता है। वह तो उस वृक्ष के समान होता है.जो पृथ्वी से रस लेकर अपने आपको पुष्ट करता है। वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि उस पर फल कब लगेंगे और कौन उनको खाएगा। उसका लक्ष्य तो अपने अन्दर सत्य को कूट-कूट-कूट कर भरना है। सच्चे वीरों का जीवन परोपकार के लिए होता है। वीरता का विकास विभिन्न क्षेत्रों में होता है। कभी युद्ध के मैदान में, कभी प्रेम के क्षेत्र में वीरता अपना कमाल दिखाती है और कभी जीवन के किसी गूढ़ तत्व एवं सत्य की खोज में बुद्ध जैसे राजा ऐश्वर्य का परित्याग कर आगे बढ़ते हैं।

वीरता एक प्रकार का दैवी गुण है, वीरता की नकल सम्भव नहीं। जापानी वीरता की मूर्ति की पूजा करते हैं। वीर पुरुष अपने समाज का प्रतिनिधि होता है। उसका मन सब का मम तथा उसके विचार सबके विचार बन जाते हैं। लेखक ने स्पष्ट किया है कि वीर बनाने से नहीं बनते। ये तो अपनी अन्तः प्रेरणा से अपना निर्माण आप करते हैं। “वे तो देवदार के वृक्षों की तरह जीवन के अरण्य में अपने-आप पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के दूध पिलाए, बिना किसी के हाथ लगाए तैयार होते हैं।”

सच्चे वीर आत्मोत्सर्ग में विश्वास करते हैं। वे अपने अन्दर की शक्ति के विकास में लीन रहते हैं। वीर पुरुष स्वभाव से धीरे एवं गम्भीर होते हैं। वे न तो जल्दी चंचल बनते हैं और न ही उनके साहस एवं ओज को शीघ्र दबाया जा सकता है। आगे लेखक कहता है कि वीरों को आडम्बर अथवा दिखावे का आश्रय नहीं लेना चाहिए। अपने भीतर ही भीतर वीरत्व को संजोना चाहिए और समय आने पर उसे प्रकट करना चाहिए।

अन्त में लेखक कहता है कि जब कभी हम वीरों की कहानियां सुनते हैं तो हमारे अन्दर भी वीरता की लहरें उठती हैं लेकिन वे चिरस्थायी नहीं होतीं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जिस धैर्य एवं साहस की आवश्यकता होती है उसका प्रायः हमारे हृदय में अभाव होता है। इसलिए हम वीरता की कल्पना करके रह जाते हैं। टीन जैसे बर्तन का स्वभाव छोड़कर हमें अपने भीतर निवास करना चाहिए। अपने जीवन को दूसरे के लिए अर्पित कर देना चाहिए ताकि इसकी रक्षा की चिन्ता से मुक्त हो जाए। सच्चा वीर बनने के लिए यह आवश्यक है कि अपने भीतर के गुणों का विकास किया जाए।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Ling Parivartan aur Uske Niyam लिंग परिवर्तन और उसके नियम Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar लिंग परिवर्तन और उसके नियम

1. ‘आ’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
छात्र – छात्रा
प्रधान – प्रधाना
बाल – बाला
आचार्य – आचार्य
सुत – सुता
प्रिय – प्रिया
अचल – अचला
योग्य – योग्या
उपाध्याय – उपाध्याया
क्षत्रिय – क्षत्रिया
महाशय – महोदया
वृद्ध – वृद्धा
मूर्ख – मूर्खा
शिष्य – -शिष्या
पूज्य – पूज्या
कोकिल – कोकिला

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

2. ‘ई’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
नर – नारी
नाना – नानी
तरुण – तरुणी
देव – देवी
मामा – मामी
बेटा – बेटी
घोड़ा – घोड़ी
साला – साली
दोहता – दोहती
काका – काकी
ताया (ताऊ) – ताई
चाचा – चाची
पोता – पोती
हिरन – हिरनी
पुत्र – पुत्री
लड़का – लड़की
मुर्गा – मुर्गी
नगर – नगरी
दास – दासी
दादा – दादी
साधु – साध्वी
राजा – रानी
पति – पत्नी
बिलाव – बिल्ली
प्रेयस् – प्रेयसी
गीदड़ – गीदड़ी
बकरा – बकरी
मोटा – मोटी
विद्वान् – विदुषी
भाई – भाभी
युवक – युवती
पतला – पतली

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

3. ‘इया’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
लोटा – लुटिया
मुन्ना – मुनिया
चूहा – चुहिया
बन्दर – बन्दरिया
बेटा – बिटिया
गुड्डा – गुड़िया
बूढ़ा – बुढ़िया
चिड़ा – चिड़िया
बछड़ा – बछिया
कुत्ता – कुतिया
डिब्बा – डिबिया
कट्टा – कटिया
बच्छा – बछिया

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

4. ‘इका’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
गायक – गायिका
बालक – बालिका
अध्यापक – अध्यापिका
सेवक – सेविका
लेखक – लेखिका
निरीक्षक – निरक्षिका
नायक – नायिका
चालक – चालिका
पालक – चालिका
पाठक – पाठिका

5. ‘इन’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
दर्जी – दर्जिन
माली – मालिन
हलवाई – हलवाइन
ग्वाला – ग्वालिन
ठठेरा – ठठेरिन
पुजारी – पुजारिन
पापी – पापिन
बाघ – बाघिन
साँप – साँपिन
नाग – नागिन
सूबेदार – सूबेदारिन
मालि – मालकिन
समधि – समधिन

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

6. ‘आइन’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
बाबू – बबुआइन
चौबे – चौबाइन
दुबे – दुबाइन
लाला – ललाइन
पाण्डे – पण्डाइन
भिखारी – भिखारिन
तेली – तेलिन
पंडित – पंडिताइन
सुनार – सुनारिन
चौधरी – चौधराइन

7. ‘नी’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
ऊँट – ऊँटनी
रीछ – रीछनी
मोर – मोरनी
राजपूत – राजपूतनी
सिंहनी – शेरनी
हंस – हंसनी
हाथी – हथिनी
मज़दूर – मज़दूरनी
सियार – सियारनी

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

8. ‘आनी’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
भव – भवानी
इन्द्र – इन्द्राणी
जेठ – जेठानी
देवर – देवरानी
चौधरी – चौधरानी
मिसर – मिसरानी
खत्री – खत्राणी
सेठ – सेठानी
नौकर – नौकरानी
मुग़ल – मुग़लानी

9. ‘इनी’ लगाने से

पुल्लिग – स्त्रीलिंग
ब्रह्मचारी – ब्रह्मचारिणी
तपस्वी – तपस्विनी
मन्त्री – मन्त्रिणी
हितकारी – हितकारिणी
अपराधी – अपराधिनी
स्वामी – स्वामिनी
वैरी – वैरिणी

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

10. ‘मती’, ‘वती’ लगाने से

श्रीमान् – श्रीमती
बुद्धिमान् – बुद्धिमती
धनवान् – धनवती
गुणवान् – गुणवती
महिमावान् – महिमावती
भगवान् – भगवती
दयावान् – दयावती
बलवान् – बलवती
रूपवान – रूपवती।

11. ‘त्री’ लगाने से

दाता – दात्री
कवि – कवयित्री
निर्माता – निर्मात्री
रचयिता – रचयित्री
व्याख्याता – व्याख्यात्री
धाता – धात्री
कर्त्ता – कर्त्री

12. भिन्न रूप वाले शब्द

विधुर – विधवा
भैंसा – भैंस
ननदोई – ननद
वर – वधू
सम्राट – साम्राज्ञी
बैल – गाय
बहनोई – बहन
पिता – वधू
बाप – माँ
ससुर – सास
महाराजा – महारानी
आदमी – औरत

केवल पुल्लिंग में-चीता, खरगोश, खटमल, बाज, भेड़िया, कछुआ, कौआ।
केवल स्त्रीलिंग में मछली, दीमक, मैना, जूं, जोंक, गिलहरी, चील, कोयल, मक्खी।
कई शब्दों का लिंग बदला ही नहीं जाता ; जैसे-सती, धाय, सुहागिन, नर्स, राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि।
जो शब्द पुल्लिग और स्त्रीलिंग दोनों में प्रयुक्त होते हैं उन्हें उभयलिंग कहते हैं ; जैसे-बर्फ, पवन, आत्मा, समाज, श्वास, बाहु।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में मोटे (काले) संज्ञा शब्दों के लिंग बदलिए तथा अन्य आवश्यक परिवर्तन भी कीजिए।

(1) सरदार के हाथ में छुरा था। – सरदारनी के हाथ में छुरी थी।

(2) धनवान् ने कवि को पुरस्कार दिया। – धनवती ने कवयित्री को पुरस्कार दिया।

(3) सम्राट् ने नौकर से कहा कि आज साधु का जन्म दिवस है। – साम्राज्ञी ने नौकरानी से कहा कि आज साध्वी साधु का जन्म दिवस है।

(4) भगवान् की कृपा से ठाकुर के घर पुत्र का जन्म हुआ। – भगवती की कृपा से ठकुराइन के घर पुत्री का जन्म हुआ।

(5) निरीक्षक ने छात्र को परीक्षा भवन से बाहर निकाल दिया। – निरीक्षका ने छात्रा को परीक्षा भवन से बाहर निकाल दिया।

(6) स्वामी ने सेविका से कहा। – स्वामिनी ने सेवक से कहा।

(7) मैंने चिड़ियाघर में एक सिंह और देखी। – मैंने चिड़ियाघर में एक सिंहनी और एक मोरनी एक मोर देखा।

(8) दर्जी कपड़े सी रहा है। – दर्जिन कपड़े सी रही है।

(9) सेठ ने बेटे से कहा, “अच्छा बालक मूर्ख की संगति नहीं करता। – सेठानी ने बेटी से कहा, “अच्छी बालिका करता।

(10) उसकी पत्नी परीक्षा की निरीक्षका है। – उसका पति परीक्षा का निरीक्षक है।

(11) सेठ अन्दर है और सेवक द्वार पर खड़ा है। – सेठानी अन्दर है और सेविका द्वार पर खड़ी है।

(12) श्रीमान् मेरा पुत्र आप जैसे विद्वान् कवि का शिष्य होना पसन्द करता है। – श्रीमती, मेरी पुत्री आप जैसी विदुषी कवयित्री की शिष्या होना पसन्द करती है।

(13) नगर में बच्चों को मिठाई बाँटी गई। – नगरी में बच्चियों को मिठाई बाँटी गई।

(14) इस बूढ़े के दो बेटे हैं। – इस बुढ़िया की दो बेटियाँ हैं।

(15) अध्यापक ने छात्र को इनाम दिया। – अध्यापिका ने छात्रा को इनाम दिया।

(16) लड़की सवेरे सैर करने गई। लड़का सवेरे सैर करने गया।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लिंग परिवर्तन और उसके नियम

(17) अध्यापक पाठ पढ़ाता है। – अध्यापिका पाठ पढ़ाती है।

(18) मैं पापी को मार डालँगा। – मैं पापिन को मार डालूँगा।

(19) बार-बार मुझे महाराज क्यों कह रहे हो। – बार-बार मुझे महारानी क्यों कह रही है।

(20) क्षत्रिय वचन का पक्का होता है। – क्षत्राणी वचन की पक्की होती है।

(21) ठठेरा बर्तन बना रहा है। – ठठेरिन बर्तन बना रही है।

(22) ठाकुर के पास चार घोड़े हैं। – ठकुराइन के पास चार घोड़ियाँ हैं।

(23) पिंजरों में बन्द तोता, शेर, बन्दर, हिरण सब छोड़ दिए जाएँ। – पिंजरों में बन्द तोती, शेरनी, बन्दरिया, हिरनी सब छोड़ दिए जाएँ।

(24) ग्वाले ने बैल को नहलाया। ग्वालिन ने गाय को नहलाया।

(25) लेखक और रचयिता में क्या भेद लेखिका और रचयित्री में क्या भेद है?

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Vachan Parivartan वचन परिवर्तन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar वचन परिवर्तन

(1) अकारान्त पुल्लिग शब्दों के ‘आ’ को ‘ए’ में बदल कर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
कुत्ता – कुत्ते
बेटा – बेटे
लड़का – लड़के
शीशा – शीशे
बच्चा – बच्चे
कपड़ा – कपड़े
घोड़ा – घोड़े
तोता – तोते
लोटा – लोटे
राजा- राजे
पैसा – पैसे
पिंजरा – पिंजरे

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(2) अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘अ’ को ‘एँ’ में बदल कर एकवचन से बहुवचन बनता है ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
कलम – कलमें
दवात – दवातें
पुस्तक – पुस्तकें
रात – रातें
आँख – आँखें
बात – बातें
मेज़ – मेजें
चाल – चालें
फौज – फौजें
सड़क – सड़कें
मशाल – मशालें
बटेर – बटेरें
कटार – कटारें
आह – आहे
बन्दूक – बन्दूकें
किताब – किताबें

(3) इकारान्त और ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्तिम इ और ई को ह्रस्व करके अन्त में याँ जोड़कर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
रीति – रीतियाँ
नदी – नदियाँ
गोली – गोलियाँ
टोपी – टोपियाँ
तिथि – तिथियाँ
कापि – कापियाँ
शक्ति – शक्तियाँ
लड़की – लड़कियाँ
रानी – रानियाँ
धोती – धोतियाँ
नीति – नीतियाँ
सखी – सखियाँ
नारी – नारियाँ
अशुद्धि – अशुद्धियाँ
दवाई – दवाइयाँ
सलाई – सलाइयाँ
मिठाई – मिठाइयाँ
स्त्री – स्त्रियाँ
आतिशबाजी – आतिशबाजियाँ
बेड़ी – बेड़ियाँ
टोली – टोलियाँ
उंगली – उंगलियाँ

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(4) जिन शब्दों के अन्त में ‘या होता है, उनमें ‘याँ’ पर चन्द्रबिन्दु को लगाकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
गुड़िया – गुड़ियाँ
चिड़िया – चिड़ियाँ
बुढ़िया – बुढ़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
चुहिया – चुहियाँ
कुटिया – कुटियाँ

(5) अकारान्त, उकारान्त और आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘एँ’ जोड़कर एकवचन से बहुवचन बनते हैं ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
कन्या – कन्याएँ
गौ – गौएँ
कथा – कथाएँ
वस्तु – वस्तुएँ
माला – मालाएँ
ऋतु – ऋतुएँ
वधु – वधुएँ
महिला – महिलाएँ
शाखा – शाखाएँ
वार्ता – वार्ताएँ
लता – लताएँ
धातु – धातुएँ
दुआ – दुआएँ
दिशा – दिशाएँ
माता – माताएँ

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(6) अकारान्त पुल्लिग शब्दों को छोड़कर शेष पुल्लिग शब्द एकवचन से बहुवचन में रहते हैं ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
आम वृक्ष से गिर पड़ा। – आम वृक्ष से गिर पड़े।
उल्लू रात को निकलता है। – उल्लू रात को निकलते हैं।
शेर गरजता है। – शेर गरजते हैं।

(7) किसी संज्ञा के एकवचन के साथ गण, लोग, वृन्द, जाति, दल आदि शब्द लगने से एकवचन का बहुवचन बन जाता है ; जैसे-

एकवचन – बहुवचन
पाठक – पाठकगण
विद्यार्थी – विद्यार्थीगण
आप – आप लोग
ग़रीब – ग़रीब लोग
सज्जन – सज्जनवृन्द
गुरु – गुरुजन
आर्य – आर्यजन
मित्र – मित्रवर्ग
मज़दूर – मज़दूर
स्त्री – स्त्रीजाति
वीर – वीर दल
सेना – सेना दल

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(8) दर्शन, प्राण, बाल, समाचार, भाग्य आदि शब्द प्रायः बहुवचन में आते हैं ; जैसे-
आपके दर्शन दुर्लभ हो गए। प्राण बच गए। मेरे बाल सफ़ेद हो गए हैं। विधवा के भाग्य खुल गए।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में वचन बदलो तथा आवश्यक परिवर्तन करोप्रश्न

(1) इसी कारण आज इसका रूप बदल गया।
उत्तर:
इन्हीं कारणों से आज इनके रूप बदल गए।

(2) साधु झोंपड़ी बनाकर जंगल में रहता है।
उत्तर:
साधु झोंपड़ियाँ बनाकर जंगलों में रहते हैं।

(3) ब्राह्मण कभी गौ बेचना पसन्द नहीं करता।
उत्तर:
ब्राह्मण लोग कभी गौएँ बेचना पसन्द नहीं करते।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(4) लड़की गुड़िया बनाकर पुरस्कार प्राप्त करती है।
उत्तर:
लड़कियाँ गुड़ियाँ बनाकर पुरस्कार प्राप्त करती

(5) महात्मा शिष्य को उपदेश देता
उत्तर:
महात्मा लोग शिष्यों को उपदेश देते हैं।

(6) वह कुर्सी बुनता है।
उत्तर:
वे कुर्सियाँ बुनते हैं।

(7) प्रश्न-पत्र में अशुद्धि थी।
उत्तर:
प्रश्न-पत्रों में अशुद्धियाँ थीं।

(8) उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं
उत्तर:
उन्होंने हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया। दिया।

(9) वह प्रत्येक नारी को माता समझ उसका आदर करता है।
उत्तर:
वे नारियों को माताएँ समझ, उनका आदर करते है।

(10) कौआ काय-काय करता है।
उत्तर:
कौए काय-काय करते हैं।

(11) मक्खी भिनभिना रही है।
उत्तर:
मक्खियाँ भिनभिना रही हैं।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(12) अध्यापिका पढ़ा रही है।
उत्तर:
अध्यापिकाएँ पढ़ा रही हैं।

(13) बच्चा रात-भर जागता रहा।
उत्तर:
बच्चे रात भर जागते रहे।

(14) सिपाही ने गोली चलाई।
उत्तर:
सिपाहियों ने गोलियाँ चलाईं।

(15) उसने मेरी बात को ध्यान से सुना।
उत्तर:
उन्होंने हमारी बातों को ध्यान से सुना।

(16) सरदार के हाथ में एक छुरा था।
उत्तर:
सरदारों के हाथों में छुरे थे।

(17) हम सड़क पर घूमने गए।
उत्तर:
मैं सड़क पर घूमने गया।

(18) किसान के घर में गाय है।
उत्तर:
किसानों के घरों में गायें हैं।

(19) यह हमारे स्कूल का विद्यार्थी हैं।
उत्तर:
ये मेरे स्कूल के विद्यार्थी हैं।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(20) पालतू कुत्ता भी सावधान चौकीदार का काम देता है।
उत्तर:
पालतू कुत्ते भी सावधान चौकीदारों का काम देते

(21) ऐसा भी स्कूल है, जहाँ अन्धाभी पढ़ सकता है।
उत्तर:
ऐसे भी स्कूल हैं, जहाँ अन्धे भी पढ़ सकते हैं।

(22) मैं तेरे साथ चलता हूँ।
उत्तर:
हम तुम्हारे साथ चलते हैं।

(23) सर्दी में रात लम्बी होती है।
उत्तर:
सर्दियों में रातें लम्बी होती हैं।

(24) उसने झूठा समाचार फैलाया।
उत्तर:
उन्होंने झूठे समाचार फैलाये।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran वचन परिवर्तन

(25) बुढ़िया बहू को डाँटती है।
उत्तर:
बुढ़ियाँ बहुओं को डाँटती हैं।

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Simple and Complex Sentences Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Specify whether the following sentences are simple or complex :

1. God helps those who help themselves.
2. The teacher said that the earth moves around the sun.
3. The boy standing under the tree works very hard.
4. When it rains, we do not play.
5. The doctor advised the patient to give up drinking.
6. She went to the doctor because she had pain in her stomach.
7. She worked hard so that she should top the list.
8. There are seven days in a week.
9. All the good students in our school talk in English.
10. All the good teachers who teach us talk in Punjabi.
Answers
1. complex 2. complex 3. complex 4. complex 5. simple 6. complex 7. complex 8. simple 9. simple 10. complex.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Pick out the Noun Clause in each of the following sentences :

1. Please tell me where I can find good sweaters.
2. She hopes that she will pass this year.
3. You should understand why you failed last year.
4. He does not know what harm can come to him.
5. We do not know how she completed such a difficult job.
6. When the train will arrive is not certain.
7. I did not reply to what she said.
8. We visited her knowing that she had met with an accident.
9. I was very glad to get what I wanted.
10. The truth is that most people are after money.
Answer:
1. …………. where I can find good sweaters.
2. …….. that she will pass this year.
3. ………….. why you failed last year.
4. ………….. what harm can come to him.
5. ……. how she completed such a difficult job.
6. When the train will arrive …………..
7. …………. what she said.
8. …………….. that she had met with an accident.
9. …………………. what I wanted.
10. ………….. that most people are after money.

Pick out the Adjective Clause in each of the following sentences :

1. The girl whose father is a doctor lives here.
2. God helps those who help themselves.
3. The book I bought yesterday is missing.
4. This is the same story as my sister told me yesterday.
5. I have found the books which you lost yesterday.
6. Papa forgot to tell us the time when he would return.
7. This is the school where Raju got education.
8. Greed for money is a long road that has no end.
9. That was the film that I liked the most.
10. The hand that rocks the cradle rules the world.
Answer:
1. ………… whose father is a doctor…………..
2. ………………. those who help themselves.
3. …………… I bought yesterday ………………..
4. …………… as my sister told me yesterday.
5. …………… which you lost yesterday.
6. ………….. when he would return.
7. ………….. where Raju got education.
8. ……………. that has no end.
9. ………………… that I liked the most.
10. …………. that rocks the cradle ………

A Pick out the Adverb Clause in each of the following sentences :

1. The tighter the belt, the smarter the person.
2. In case it rains, we shall play indoor games.
3. He woke up early so that he could catch the train.
4. I will join a college even if my parents are against it.
5. Look before you leap.
6. There is no need to worry as long as you are working hard.
7. As time went by, he saved a lot of money.
8. He reached the station after the train had left.
9. I’ll put it where no one will see it.
10. I met him as he was coming from college.
Answers
1. The tighter the belt ………….
2. In case it rains …………..
3…………… so that he could catch the train.
4. …………. even if my parents are against it.
5. …………………….. before you leap.
6. …………… as long as you are working hard.
7. As time went by …………..
8. after the train had left.
9. …………. where no one will see it.
10. ………….. as he was coming from college.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Combine the following sentences, using an Adverb Clause in each case :

1. He injured himself. He was alighting from the bus. (use as’ or ‘while)
2. The platform became quiet. The train had left. (use ‘when’ or ‘after)
3. Arrange these books. I have shown you. (use ‘as)
4. I was very upset. I felt like crying. (use ‘so + adj + that)
5. Your brother is tall. My brother is taller. (use ‘than)
6. You finish the work early. We can play tennis. (use (if)
7. It was raining cats and dogs. They were playing football. (use ‘although)
8. Mohan should start very early. It will be better. (use the earlier, the better)
9. My brother could not do homework. There was no power last night.. (use “because)
10. She dances extremely well. You cannot help clapping. (use so…that)
Answer:
1. He injured himself while he was alighting from the bus.
2. The platform became quiet after the train had left.
3. Arrange these books as I have shown you.
4. I was so upset that I felt like crying.
5. My brother is taller than your brother.
6. If you finish the work early, we can play tennis.
7. Although it was raining cats and dogs, they were playing football.
8. The earlier Mohan starts, the better it will be.
9. My brother could not do homework because there was no power last night.
10. She dances so well that you cannot help clapping.

Transform the following sentences into complex ones without changing the meaning :

1. I don’t know his house. (use ‘where’)
2. She said something and I could not hear it. (use ‘what)
3. Some people help themselves and God helps them. (use ‘who)
4. The boy is very intelligent and his father is a doctor. (use ‘whose)
5. This box is too heavy for me to lift. (use ‘so …. that)
6. I wish to be rich. (use ‘were)
7. My father went to my school to meet my headmaster. (use so that)
8. Taking off his coat, Simran jumped into the canal. (use ,after)
9. Mohan is old but strong. (use ‘although)
10. A parentless child is called an orphan. (use ‘who)
Answer:
1. I don’t know where his house is.
2. I could not hear what she said.
3. God helps those who help themselves.
4. The boy whose father is a doctor is very intelligent.
5. This box is so heavy that I cannot lift it.
6. I wish that I were rich.
7. My father went to my school so that he could meet my headmaster.
8. Simran jumped into the canal after he had taken off his coat.
9. Although Mohan is old, he is strong.
10. A child who is parentless is called an orphan.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Transform the following into simple sentences :

1. He promised that he would return the money soon.
2. That Mohan will win the race is certain.
3. She did not tell us who helped her.
4. What is one man’s meat is another man’s poison.
5. She may accept the suggestion given by Surjeet.
6. The sum was so difficult that nobody was able to do it.
7. We selected this plan because it was easy.
8. This is the reason why he refused to help us.
9. He is studying hard because he wants to become a doctor.
10. A professor earns respect as he has a lot of knowledge.
Answer:
1. He promised to return the money soon.
2. Mohan will certainly win the race.
3. She did not tell us her helper’s name.
4. One man’s meat is another’s poison.
5. She may accept Surjeet’s suggestion.
6. The sum was too difficult for anybody to do.
7. We selected this plan for its being easy.
8. He refused to help us for this reason.
9. He is studying hard to become a doctor.
10. A professor earns respect due to his great knowledge.

Pick out the Noun Clauses from the following sentences :

1. That he is dead is true.
2. None knows where he lives.
3. That he will soon be killed is certain.
4. He promised that he would return the book after use.
5. I do not know when he left the place.
6. This is exactly what I expect of you.
7. He little knows what harm can come to him.
8. Nobody knows who did this mischief.
9. I wonder why there is a strike today.
10. The problem is how the refugees can be helped.
Answer:
1. That he is dead …………………
2…………………. where he lives.
3. That he will soon be killed …………….
4. ………………. that he would return the book after use.
5. ………………. when he left the place.
6. ………………… what I expect of you.
7. ………………. what harm can come to him.
8. ………………. who did this mischief.
9. …………… why there is a strike today.
10. ………. how the refugees can be helped.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Pick out the Adjective Clauses from the following sentences:

1. He killed the snake that bit his wife.
2. We may accept the offer he has made.
3. This is the garden in which we used to play.
4. I know the boy whose books were stolen yesterday.
5. I remember the house where I was born.
6. Youth is the time when seeds of character are sown.
7. Please tell me the story that everybody has liked so much.
8. There was not a man but laughed.
9. The place where he was born is still unknown.
10. The boy who stole the watch was caught.
Answer:
1. …………….. that bit his wife.
2. ………………… he has made.
3. ………………… in which. we used to play.
4. ……………… whose books were stolen yesterday.
5. ………………. where I was born.
6. …………… when seeds of character are sown.
7. ………………… that everybody has liked so much.
8. …………………… but laughed.
9. …………………….. where he was born ………
10. ……………….. who stole the watch ……….

Pick out the Adverbial Clauses from the following sentences :

1. He went home as soon as the school closed.
2. The boys work while the teacher is in the room.
3. You may come whenever you please.
4. She talks as if she were mad.
5. As far as I know, he is quite honest.
6. I could not come yesterday because I was ill.
7. I shall go out for a walk even if it rains.
8. After the play ended, we sang the national anthem.
9. Grapes won’t grow where there is heavy rainfall.
10. She is as pretty as a doll.
Answer:
1. ………………. as soon as the school closed.
2. ………………… while the teacher is in the room.
3. ……………….. whenever you please.
4. …………….. as if she were mad.
5. As far as I know ………..
6. …………….. because I was ill.
7. ………………… even if it rains.
8. After the play ended ………………..
9. ………………… where there is heavy rainfall.
10. ……………….. as pretty as ……….

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Sentence :

शब्दों के किसी ऐसे समूह को वाक्य (Sentence) कहा जाता है जो अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता हो; जैसे :

  • Boys are going to school.
  • He went home yesterday.
  • He is my best friend.
  • God helps those who help themselves.

ऊपर दिया गया प्रत्येक शब्द-समूह किसी पूर्ण अर्थ को स्पष्ट करता है। इस प्रकार के शब्द-समूह को ही वाक्य (Sentence) कहा जाता है।

Phrase :

शब्दों के किसी ऐसे समूह को वाक्यांश (Phrase) कहा जाता है जिससे कुछ अर्थ तो निकलता हो किन्तु पूर्ण अर्थ न स्पष्ट होता हो; जैसे :

  • in the morning.
  • after an hour.
  • on the table.
  • with my brother.

Clause : ऐसे शब्द समूह को Clause (उप-वाक्य अथवा पद) कहा जाता है जो किसी पूर्ण वाक्य का अंश हो तथा जिसका अपना अलग Subject और Predicate हो। Clause के विचार से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं :
1. Simple Sentence (सरल वाक्य)
2. Compound Sentence (संयुक्त वाक्य)
3. Complex Sentence (मिश्रित वाक्य)

1. Simple Sentence (सरल वाक्य)-जिस वाक्य की केवल एक ही Clause हो उसे Simple Sentence कहा जाता है; जैसे :

  • The boy broke his leg.
  • She washed her clothes.
  • Mohan stood first in his class.
  • I wrote a letter to my father.

2. Compound Sentence (संयुक्त वाक्य)-जिस वाक्य में दो या दो से अधिक अनाश्रित Clauses हों,
उसे Compound Sentence कहा जाता है, उदाहरण के रूप में

  • Sita saw Rama and she became happy.
  • You must work hard or you will fail.
  • Many were called, but few were chosen.
  • The sun rose and the fog disappeared.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

Compound Sentence की प्रत्येक Clause को Co-ordinate clause कहा जाता है।

Complex Sentence (मिश्रित वाक्य)-जिस वाक्य में एक मुख्य-वाक्य (Principal Clause) हो तथा
एक या एक से अधिक आश्रित वाक्य (Subordinate Clauses) हों, उसे Complex Sentence कहा जाता

  • Principal Clause को Main Clause भी कहा जाता है।
  • Subordinate Clause को Dependent Clause भी कहा जाता है।

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences 1

1. Principal Clause-मिश्रित वाक्य का वह खण्ड जो मुख्य Subject और मुख्य Predicare से बनता है,
उसे Principal Clause कहा जाता है।

2. Subordinate Clause-मिश्रित वाक्य का वह खण्ड है जिसका अर्थ Principal Clause पर आश्रित हो,
उसे Subordinate Clause कहा जाता है।

निम्नलिखित तालिकाओं में दिये गए Complex Sentences का अध्ययन कीजिए :

Principal Clause Subordinate Clause
1. He lost the book that I had given him.
2. I like the boys who work hard.
3. I went to the place where I had lost my purse. ,
4. I want to know he has passed.
Subordinate Clause Principal Clause
1. When the sunset they returned home.
2. Unless you work hard you can’t pass.
3. Where there is a will there is a way.
4. Since you say so I must believe it.

Kinds Of Subordinate Clauses

Subordinate Clauses तीन प्रकार की होती है|

  • Noun Clause
  • Adjective Clause
  • Adverb Clause

1. Noun Clause : किसी Complex Sentence में जो पद एक संज्ञा (Noun) का कार्य कर रहा हो, उसे ।
Noun Clause कहा जाता है। निम्नलिखित वाक्यों में तिरछे छपे हुए शब्द-समूह Noun Clause बनाते हैं :

1. That John was a thief was not known to me.
2. He was told that he must not be late again.
3. Learning that my brother had received serious injuries, I left for Shimla.
4. I was shocked to hear that his only son had died.
5. Listen to what the teacher says.

2. Adjective Clause :
किसी Complex Sentence में जो पद किसी विशेषण (Adjective) का कार्य कर रहा हो, उसे Adjective Clause कहा जाता है।
निम्नलिखित वाक्यों में तिरछे छपे हुए शब्द समूह
Adjective Clause बनाते हैं :

1. The company that supplied goods has failed.
2. The house where my brother lives has been sold.
3. The complaint which he made against me is false.
4. He is not such a man as can be trusted.
5. There was none but wept.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

3. Adverb Clause : किसी Complex Sentence में जो पद किसी क्रिया विशेषण (Adverb) का कार्य कर रहा हो, उसे Adverb Clause कहा जाता है।

निम्नलिखित वाक्यों में तिरछे छपे हुए शब्द-समूह Adverb Clause बनाते हैं :
1. When the cat is away, the mice will play.
2. Where there is a will, there is a way.
3. You should act as the doctor advises you.
4. He talks as if he were mad.
5. As far as I know, Ram Lal is not to blame.

अब हम Complex Sentence के सम्बन्ध में प्रत्येक प्रकार की Clause का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।

Noun Clause

Noun Clause—जिस उपवाक्य का प्रयोग प्रधान-वाक्य के किसी शब्द के साथ सम्बन्ध रखने वाली संज्ञा के रूप में किया जाये, उसे Noun Clause कहा जाता है। यह संज्ञा निम्नलिखित अवस्थाओं में हो सकती हैं :

1. Subject to a Verb.

  • How she reached there is a mystery.
  • That Vinod was a thief was not known to me.
  • Whether he did so is doubtful.

2. Object to a Verb.

  • He was told that he must not be late again.
  • He asked her how old she was.
  • I always do whatever is right.

3. Object to a Participle.

  • He went there thinking that he might be able to help him.
  • Seeing that the child was drowning, I jumped into the canal.
  • Fearing that he should be late, he ran all the way to the station.

4. Object to an Infinitive.

  • I was shocked to hear that his only son had died.
  • I want to know what you are doing here.
  • He came to ask if I was going to school.

5. Object to a Preposition.

  • Listen to what your teacher says.
  • The horse will sell for what it costs.
  • They were arguing about who should do it.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

6. Complement to a Verb.

  • The fact is that he knows nothing.
  • We are what we think.
  • It seems that he will be a great man one day.

नोट : be (is, am, are, was, were, been), seem, look, appear, become आदि Linking
Verbs के बाद प्रयुक्त होने वाले शब्द अथवा पद Complement कहलाते हैं।

7. In apposition to a Noun.

  • They took a vow that they would die for their motherland.
  • He fufilled his promise that he would help me.
  • The rumour that war has broken out is not true.

8. In apposition to the Pronoun it.

  • It is true that he is honest.
  • See to it that the boy is not hurt.
  • It is unfortunate that he has failed.

Adjective Clause

Adjective Clause (विशेषण उपवाक्य) – जो उपवाक्य प्रधान-वाक्य के किसी शब्द के सम्बन्ध में विशेषण का काम कर रहा हो, उसे Adjective Clause कहा जाता है।
Adjective Clause दो अवस्थाओं में हो सकती हैः

1. Qualifying a Noun.

  • The company that supplied the goods has failed.
  • The house where your brother lived has been sold.
  • The complaint he made against me is false.

2. Qualifying a Pronoun.

  • There was none but wept.
  • He that climbs too high is liable to fall.
  • All that glitters is not gold.

Adjective Clause

(1) Adjective clause को Principal clause के साथ जोड़ने के लिए प्रायः निम्नलिखित sentence linkers का प्रयोग किया जाता है :
(a) Relative Pronouns : Who, whom, whose (+noun), that, which, as, but.

  • The boys who are playing there are my students.
  • He is the man whom I gave my book.
  • She is the girl whose book was stolen.
  • You can take the pen which you like.
  • He has cut down the tree that grew in your field.
  • Nothing but hard work pays in the long run.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

(b) Relative Adverbs : When, where, why.

  • We saw the house where he was born.
  • He met me on the day when I was leaving for Mumbai.
  • I told her the reason why she had failed.

(2) Who, whom तथा whose का प्रयोग मनुष्य जाति के लिए किया जाता है; जैसे : –

  • He who works hard will succeed.
  • She is the girl whom I gave my books.
  • There stands the boy whose purse has been stolen.

(3) Whose का प्रयोग कई बार निर्जीव वस्तुओं के लिए भी कर लिया जाता है; जैसे :

  • Draw a triangle whose sides are equal.
  • This is the house whose owner has died.

(4) Which का प्रयोग जानवरों और निर्जीव वस्तुओं के लिए किया जाता है; जैसे :

  • The dog which bit him has been killed.
  • This is the watch which I wanted to buy.

(5) That का प्रयोग मनुष्य-जाति के लिए, जानवरों के लिए और निर्जीव वस्तुओं के लिए भी किया जा सकता है; जैसे :

  • Happy is the man that (=who) is honest.
  • This is the house that (=which) I wanted to buy.
  • The man that (whom) we were looking for has arrived.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

नोट : किन्तु यह बात ध्यान रखने योग्य है कि that का प्रयोग whose, of which, in which, to whom आदि के स्थान पर नहीं किया जा सकता। यदि Relative Pronoun से पूर्व-स्थित संज्ञा बिना बताए ही स्पष्ट (understood) हो और वह नपुंसक लिंग की हो, तो Relative Pronoun के रूप में which की बजाए what का प्रयोग किया जाता है ; जैसे :

  • I cannot tell you what has happened. [what = the thing which]
  • I have brought what he wanted. [what = the thing(s) which]

(6) As का प्रयोग Relative Pronoun के रूप में किया जा सकता है लेकिन इससे पूर्व ‘such’, ‘as’ अथवा the same’ अवश्य लगा होना चाहिए।

  • This is not such a good book as I expected.
  • You may ask as many questions as you like.
  • Yours is not the same book as mine.

नोट :
(i) the same’ के बाद as का प्रयोग उस हालत में किया जाता है जब as के बाद लगने वाली क्रिया बिना बताए ही स्पष्ट (understood) हो।
This is not the same book as mine (is).
(ii) the same’ के बाद that का प्रयोग उस हालत में किया जाता है जब that वाले उपवाक्य में अपनी अलग क्रिया का प्रयोग किया जाना जरूरी हो।
This is the same book that you saw yesterday.

(7) But का प्रयोग ‘who not’ अथवा ‘which not’ के अर्थ में किया जा सकता है यदि यह उपवाक्य में Subject का काम कर रहा हो।
1. There was none but wept.
(There was none who did not weep).

2. There was no one present but saw the deed.
(There was no one present who did not see the deed).

3. There is no ailment so simple but may become serious in time.
(There is no ailment so simple which may not become serious in time).

(8) Objective case के रूप में प्रयुक्त होने वाले किसी Relative Pronoun को वाक्य में छोड़ा जा सकता है ; जैसे –

  • I know all (that) you want to say.
  • This is the same house (that) we lived in.
  • The boy (whom) you teach is very clever.
  • Have you seen the girl (whom) I sent to you?
  • I have given him the book (that/which) he wanted.

किन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि Relative Pronoun के प्रयोग को केवल तभी छोड़ सकते हैं जब यह Objective case में हो।
यदि यह कर्ता की स्थिति (Nominative case) में हो, तो इसका प्रयोग करना ही पड़ता है।
उदाहरण के रूप में हम कह सकते हैं कि
I employed the man who came yesterday.
किन्तु हम यह नहीं कह सकते कि
I employed the man came yesterday.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

(9) यदि किसी Adjective clause के आरम्भ में Relative Pronoun के साथ कोई Preposition लगा हो,
तो उस Preposition का प्रयोग clause के अन्त में किया जा सकता है; जैसे
1. I know the man to whom you were talking.
I know the man (who / that) you were talking to.

कोष्ठकों में दिए गए who / that को छोड़ा जा सकता है क्योंकि ये objective case में हैं।

2. The road by which we passed was very crowded.
The road (that / which) we passed by was very crowded.

Adverb Clause

Adverb Clause (क्रिया-विशेषण उपवाक्य)-जो उपवाक्य प्रधान-वाक्य के किसी शब्द के सम्बन्ध में क्रिया-विशेषण का काम कर रहा हो, उसे Adverb Clause कहा जाता है। यह विशेषता निम्नलिखित सम्बन्धों में हो सकती है

1. Showing Time.

  • When the cat is away, the mice will play.
  • Wait here till I return.
  • As soon as she saw her father, she began to cry.

2. Showing Place.

  • I went where he led me.
  • You can go wherever you like.
  • Where there is a will, there is a way.

3. Showing Purpose.

  • People work so that they may earn a living.
  • He died in order that freedom might live.
  • He ran fast lest he should miss the train.

4. Showing Reason.

  • He is unable to attend school because he is ill.
  • I cannot see you as I am not keeping well.
  • Since you are over fourteen, you will have to pay full fare.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

5. Showing Condition.

  • If you work hard, you will succeed.
  • I will not go there unless you accompany me.
  • In case you come to me, I will help you.

6. Showing Result (or Effect).

  • It was so dark that we could hardly see a foot before us.
  • He is so weak that he cannot move about.
  • He is such a dull boy that he cannot understand it.

7. Showing Comparison.

  • He is as intelligent as his brother.
  • You are stronger than I am.
  • I can run faster than you.

8. Showing Contrast.

  • Although he is poor, he is honest.
  • The teacher gave him pass marks, though he deserved less.
  • Weak as he is, he does his duty.

9. Showing Manner.

  • You should follow me as I follow him.
  • He ran as if he were mad.
  • You should act as the doctor advises.

PSEB 9th Class English Grammar Simple and Complex Sentences

10. Showing Extent.

  • So far as I know, he had left the place.
  • The more you have, the more you want.
  • The higher you go, the cooler it is.

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 14 गीता डोगरा

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 गीता डोगरा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 गीता डोगरा

Hindi Guide for Class 12 PSEB गीता डोगरा Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘कच्चे रंग’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
कवयित्री के अपने अतीत अर्थात् गाँव, पगडंडी, देवदार के वृक्ष, जंगल के गुम हो जाने का दुःख है। शहर में तो उसे संवेदनाशून्य व्यक्ति ही मिलते हैं। अब वह प्रकृति की गोद में निशंक नहीं जा सकती। गाँव में प्यार था, अपनापन था, जो शहर में नहीं है। इसलिए, वह फिर से उन कच्चे रंगों को पाना चाहती है जिसमें अपनापन हो, प्यार हो। वह अपने भविष्य के टूटने से भी चिन्तित है।

प्रश्न 2.
‘कच्चे रंग’ कविता का शीर्षक कहाँ तक सार्थक है ?
उत्तर:
‘कच्चे रंग’ शीर्षक अत्यन्त सार्थक बन पड़ा है क्योंकि यह अपनेपन और प्यार मुहब्बत को दर्शाता है। नगरीय सभ्यता में इसका लोप हो गया है। शहरी लोग तो संवेदन-शून्य हैं, मुर्दादिल हैं। भौतिकवादी संसार के बदलते परिवेश की इसी स्थिति को प्रस्तुत कविता में स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

प्रश्न 3.
‘कच्चे रंग’ कविता का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में भौतिकवादी संसार के बदलते परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। कवयित्री को अफ़सोस है कि अतीत से तो वह पूरी तरह कट चुकी है और फिक्र है कि कहीं उसका भविष्य भी वर्तमान से कट न जाए। कहीं उसकी अपनी बेटी भी इस संवेदनाशून्य वातावरण से हताश होकर लौट न जाए।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 14 गीता डोगरा

प्रश्न 4.
‘कच्चे रंग’ कविता में कौन-कौन से मानवीय रिश्तों का विवरण है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में दादी और बेटी के मानवीय रिश्तों का विवरण है। दादी गाँव में नानकशाही ईंटों से बने मकान की दीवारों पर हर वर्ष कच्चे रंगों से उन सबके नाम लिखती है जिनसे उसे प्रेम था। वह कवयित्री का प्यार से माथा भी चूमती थी और हाथ भी। इसी तरह वह अपनी बेटी के बारे में भी चिन्ता व्यक्त करती है कि वह कहीं उसकी तरह टूट कर निराश होकर उसके द्वार से न लौट जाए।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
अब शहर ………. सिमट जाती थी।
उत्तर:
कवयित्री बदले परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहती हैं कि गाँव खो जाने पर अब शहर, उसकी सड़कें और गलियाँ ही रह गए हैं। गाँव के साथ-साथ वे पर्वत भी कहीं खो गए हैं जो मुझे खामोशी से आवाज़ देते थे। तब मैं थकी हारी धूल भरे पाँव लेकर उसकी गोद में सिमट जाती थी।

प्रश्न 6.
सब कुछ बदल गया ……. कितना डरती हूँ मैं।
उत्तर:
कवयित्री बदलते परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करती हुई कहती हैं कि आज सब कुछ बदल गया है। जंगल, पर्वत, पगडंडी और यहाँ तक कि घर भी बदल गया है। शेष केवल मैं बची हूँ जो आज भी उन कच्चे रंगों को ढूंढ़ रही है, जिससे मैं उन सभी लोगों के नाम घर की कच्ची दीवारों पर लिख सकूँ जो मेरे अपने हो सके थे। कवयित्री का संकेत अपनी दादी द्वारा घर की कच्ची दीवारों पर कच्चे रंग से उन सब का नाम लिखने की ओर है जिनसे वह प्यार करती थी, जिन्हें वह अपना समझती थी।

PSEB 12th Class Hindi Guide गीता डोगरा Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गीता डोगरा का जन्म किस वर्ष व कहाँ हुआ था?
उत्तर:
सन् 1955 में; पंजाब के फिरोज़पुर में।

प्रश्न 2.
गीता डोगरा के द्वारा रचित काव्य संबंधी दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
धूप उदास, दहलीज, अगले पड़ाव तक।

प्रश्न 3.
गीता डोगरा के द्वारा रचित उपन्यास कौन-सा है ?
उत्तर:
बंद दरवाज़े।

प्रश्न 4.
लेखिका वर्तमान में कहां कार्यरत है?
उत्तर:
समाचार दैनिक जागरण-जालंधर।

प्रश्न 5.
कवयित्री के परिवेश में क्या-क्या खो गया है?
उत्तर:
गाँव, पगडंडी, देवदारु के वृक्ष पर्वत और जंगल।

प्रश्न 6.
कवयित्री को खामोशी से कौन आवाज़ दिया करता था?
उत्तर:
पर्वत।

प्रश्न 7.
कवयित्री का पुराना घर किन ईंटों से बना हुआ था?
उत्तर:
नानकशाही ईंटों से।

प्रश्न 8.
कवयित्री की बड़ी माँ किन रंगों से दीवारों पर लिखा करती थी?
उत्तर:
कच्चे रंगों से।

प्रश्न 9.
कवयित्री को अपने अतीत के प्रति कैसा विश्वास है?
उत्तर:
कवयित्री अपने अतीत के प्रति शंका ग्रस्त है।

प्रश्न 10.
कवयित्री किस से डरती है?
उत्तर:
कवयित्री अपने भविष्य में होने वाले परिवर्तनों से डरती है।

प्रश्न 11.
कवयित्री की भाषा कैसी है?
उत्तर:
सीधी-सरल, भावपूर्ण और प्रतीकात्मकता के गुण से संपन्न।

प्रश्न 12.
‘कच्चे रंग’ कविता किस कवि की रचना है ?
उत्तर:
गीता डोगरा।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
जहाँ से गुजरते-गुजरते….
उत्तर:
कविता मुझसे मिली थी।

प्रश्न 14.
खो गए हैं पर्वत भी..
उत्तर:
जो गुप-चुप आवाज़ देते थे मुझे।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 14 गीता डोगरा

प्रश्न 15.
मेरा वह पुराना घर…….
उत्तर:
नानकशाही ईंट वाला।

प्रश्न 16.
……………..मैं वहाँ से भी लौट आई।
उत्तर:
छितरे-छितरे हो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
कवयित्री को कहीं भी अपनत्व का भाव दिखाई नहीं देता।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
कवयित्री की बड़ी माँ पक्के-गहरे रंगों से लिखा करती थी।
उत्तर:
नहीं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘बन्द दरवाजे’ किस विधा की रचना है ?
(क) उपन्यास
(ख) कहानी
(ग) कविता
(घ) रेखाचित्र
उत्तर:
(क) उपन्यास

2. ‘धूप उदास है’ की विधा क्या है ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) काव्य
(घ) गद्य।
उत्तर:
(ग) काव्य

3. ‘कच्चे रंग’ कविता में कवयित्री ने किसके अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की है ?
(क) मानवीय संबंधों के
(ख) प्रेम के
(ग) घृणा के
(घ) विश्वास के।
उत्तर:
(क) मानवीय संबंधों के

4. कवयित्री को खामोशी से कौन आवाज़ दिया करता था ?
(क) पर्वत
(ख) नदी
(ग) नाले
(घ) वन।
उत्तर:
(क) पर्वत

गीता डोगरा सप्रसंग व्याख्या

कच्चे रंग

1. खो गया है मेरा गाँव
वह पगडंडी
देवदार के पेड़
वह जंगल भी
जहाँ से गुजरते गुजरते
कविता मुझ से मिली थी।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पगडंडी = छोटा रास्ता।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती गीता डोगरा द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘सप्तसिन्धु’ में संकलित कविता ‘कच्चे रंग’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने भौतिकवादी संसार के बदलते परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।

व्याख्या:
कवयित्री बदलते परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करती हुई कहती हैं कि इस बदलते परिवेश में मेरा वह गाँव कहीं खो गया है। उस गाँव की वह पगडंडी देवदार के वृक्ष तथा वह जंगल भी आज खो गया है। जहाँ से गुजरते हुए मेरी कविता से भेंट हुई थी अर्थात् कविता लिखनी शुरू की थी।

विशेष:

  1. कवयित्री को अपना अतीत खो गया प्रतीत होता है क्योंकि अब वहाँ वैसा कुछ नहीं है जैसा पहले होता था।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण है पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. अब शहर ………….
सड़कें …… गलियाँ हैं
खो गए हैं पर्वत भी
जो गुपचुप आवाज़ देते थे मुझे
तो मैं थकी हारी
धूल सने पाँव सहित……..
उसकी आगोश में सिमट जाती थी।

कठिन शब्दों के अर्थ:
गुपचुप = खामोशी से। धूल सने = धूल में लिपटे, धूल भरे। आगोश = गोद।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डोगरा द्वारा रचित कविता ‘कच्चे रंग’ में से ली गई हैं, जिसमें कवयित्री ने इस भौतिकतावादी युग में संबंधों के अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री बदले परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहती हैं कि गाँव खो जाने पर अब शहर, उसकी सड़कें और गलियाँ ही रह गए हैं। गाँव के साथ-साथ वे पर्वत भी कहीं खो गए हैं जो मुझे खामोशी से आवाज़ देते थे। तब मैं थकी हारी धूल भरे पाँव लेकर उसकी गोद में सिमट जाती थी।

विशेष:

  1. वर्तमान परिवेश में संबंधों की गरिमा के नष्ट होने पर कवयित्री चिंतित है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा लाक्षणिक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 14 गीता डोगरा

3. मेरा वह पुराना घर
नानकशाही ईंट वाला
जहाँ हर वर्ष बड़ी माँ
कच्चे रंगों से लिखती थी
सबका नाम ………
प्यार से चूमती थी मेरा माथा
मेरे हाथ ………

कठिन शब्दों के अर्थ:
नानकशाही ईंट = पुराने जमाने की छोटी ईंट। बड़ी माँ = दादी या नानी।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गीता डोगरा द्वारा कविता ‘कच्चे रंग’ में से ली गई हैं जिसमें कवयित्री ने इस भौतिकतावादी युग में संबंधों के अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री अपने खो गए गाँव को याद करती हुई कहती है कि गाँव में मेरा पुराने जमाने की छोटी ईंटों से बना घर था। जहाँ हर वर्ष मेरी दादी कच्चे रंगों से दीवारों पर सबके नाम लिखती थी और प्यार से कभी मेरा माथा और कभी मेरा हाथ चूमती थी।

विशेष:

  1. कवयित्री को अपना अत्यंत मोहक लगता है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा सहज है।

4. वे रिश्ते भी खो गए
अब रहता है वहाँ भी
सीमेंट पत्थर का आदमी
जो रिश्तों को तराजू पर
तोलता है
और पटक देता है………
छितरे-छितरे हो
मैं वहाँ से भी लौट आई।

कठिन शब्दों के अर्थ:
सीमेंट पत्थर का आदमी = मुर्दादिल, संवेदनाशून्य आदमी। छितरे-छितरे हो = टुकड़ेटुकड़े होकर, बिखर कर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गीता डोगरा द्वारा कविता ‘कच्चे रंग’ में से ली गई हैं जिसमें कवयित्री ने इस भौतिकतावादी युग में संबंधों के अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री नगरीय सभ्यता की चर्चा करती हुई कहती हैं कि शहर में आने पर गाँवों के से वे रिश्ते भी टूट गए हैं क्योंकि शहरों में तो सीमेंट पत्थर का अर्थात् संवेदनाशून्य आदमी रहता है जो रिश्तों को स्वार्थ के तराजू पर तौलता है और उस पर पूरा न उतरने पर वह रिश्तों को पटक देता है, उन्हें धरती पर फेंक देता है। इसलिए वह वहाँ से टूटकर तथा निराश होकर लौट आई है।

विशेष:

  1. नगरीय सभ्यता की संवेदनशन्यता पर व्यंग्य है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

5. सब कुछ बदल गया
जंगल, पर्वत, पगडंडी
घर भी
शेष बची मैं।
आज भी खोजती हूँ, कच्चे रंग
जिससे लिख पाऊँ
मैं उन सबके नाम
जो मेरे अपने हो सके

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ गीता डोगरा द्वारा कविता ‘कच्चे रंग’ में से ली गई हैं जिसमें कवयित्री ने वर्तमान परिवेश में बदलते जीवन मूल्यों पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री बदलते परिवेश की स्थिति को स्पष्ट करती हुई कहती हैं कि आज सब कुछ बदल गया है। जंगल, पर्वत, पगडंडी और यहाँ तक कि घर भी बदल गया है। शेष केवल मैं बची हूँ जो आज भी उन कच्चे रंगों को ढूंढ़ रही है, जिससे मैं उन सभी लोगों के नाम घर की कच्ची दीवारों पर लिख सकूँ जो मेरे अपने हो सके थे। कवयित्री का संकेत अपनी दादी द्वारा घर की कच्ची दीवारों पर कच्चे रंग से उन सब का नाम लिखने की ओर है जिनसे वह प्यार करती थी, जिन्हें वह अपना समझती थी।

विशेष:

  1. कवयित्री वर्तमान में भी अतीत को चाहती है, जो संबंधों की गरिमा से युक्त था।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 14 गीता डोगरा

6. और सोचती हूँ
गलती से जन न बैठूँ
कोई सीमेंट पत्थर का आदमी
कि कहीं
मेरी बेटी भी छितरे-छितरे हो
लौट जाए
मेरी दहलीज से ……..
सच कितना डरती हूँ मैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:
जन न बैठूँ = जन्म न दे दूँ। दहलीज = द्वार। .

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियां गीता डोगरा द्वारा रचित कविता ‘कच्चे रंग’ में से ली गई हैं जिसमें कवयित्री ने वर्तमान परिवेश में बदलते जीवन मूल्यों पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवयित्री अतीत के टूट जाने पर भविष्य के प्रति अपनी शंका व्यक्त करती हुई कहती हैं कि मैं यह सोचती हूँ कि कहीं भूल से ऐसे व्यक्ति को जन्म न दे दूँ जो सीमेंट पत्थर का बना हो अर्थात् संवेदनाशून्य और मुर्दादिल हो। मुझे इस बात का भी डर है कि कहीं मेरी बेटी भी, मेरी तरह टुकड़े-टुकड़े होकर मेरे द्वार से लौट न जाए। कवयित्री कहती हैं कि सच ही मैं भविष्य में टूटने से बड़ा डरती हूँ।

विशेष:

  1. कवयित्री इस भौतिकतावादी युग में भविष्य कहे और भी अधिक संवेदन शून्य होने की संभावना से चिंतित है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।
  3. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

गीता डोगरा Summary

गीता डोगरा जीवन परिचय

गीता डोगरा जी का जीवन परिचय लिखिए।

गीता डोगरा का जन्म सन् 1955 में फिरोज़पुर (पंजाब) में हुआ। आपने हिन्दी साहित्य की कविता, उपन्यास एवं आलोचना विधा में अपना योगदान दिया। अगले पड़ाव तक, धूप उदास है तथा दहलीज आपके काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। बन्द दरवाजे’ शीर्षक एक उपन्यास भी प्रकाशित हो चुका है। आपको अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। आपकी कुछ रचनाएँ, बांग्ला, गुजराती और तमिल भाषा में अनुदित हुई हैं। आजकल आप जालन्धर से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र दैनिक जागरण में काम कर रही हैं।

गीता डोगरा कविता का सार

‘कच्चे रंग’ कविता में कवयित्री ने मानवीय संबंधों के अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की है। उसे लगता है कि इस भौतिकतावादी परिवेश में वह अपने अतीत को खो बैठी है तथा भविष्य भी उसे उसके वर्तमान से टूटता लगता है। सर्वत्र संवेदनहीनता के दर्शन हो रहे हैं। कहीं भी अपनत्व नहीं दिखाई देता।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Viram Chinh विराम-चिह्न Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar विराम-चिह्न

प्रश्न 1.
विराम चिहन किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विराम चिह्न-बोलते समय हम सब कुछ एक ही गति से नहीं बोलते जाते। एक वाक्य के मध्य में कहीं-कहीं कुछ क्षणों के लिए रुकते हैं और इसी प्रकार वाक्य के समाप्त होने पर भी रुकना पड़ता है। इसी रुकने को ‘विराम’ कहते हैं। इसी विराम को प्रकट करने के लिए हम जिन चिह्नों को लिखते हैं, उन्हें ‘विराम चिह्न’ कहते हैं।
जैसे-पकड़ो मत, जाने दो।
पकड़ो, मत जाने दो।
इन दोनों वाक्यों में विराम चिह्न अल्पविराम के प्रयोग से अर्थ ही उलट गया है। लिखते समय जिन विराम चिहनों का प्रयोग होता है वे निम्नलिखित हैं

1. पूर्ण विराम (।) : वाक्य की पूर्ति की सूचना देने वाले चिह्न को पूर्ण विराम कहते हैं; जैसे-जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है।
2. अर्द्ध विराम (;) : वाक्य की पूर्ण समाप्ति न होने पर भी जहाँ बीच में समाप्ति सी लगे। अगले वाक्य से जोड़ने वाले अव्यय का अभाव हो, तब इसका प्रयोग होता है; जैसे-आजकल शिक्षा का उद्देश्य नौकरी है; इसलिए इसका वास्तविक महत्त्व जाता रहा
3. अल्पविराम (,) : पढ़ते समय जहाँ थोड़ी देर ठहरना हो, वहाँ अल्प विराम (,) लगाते हैं; जैसे-लोकमान्य तिलक, मालवीय, महात्मा गाँधी आदि महान् नेता थे।
4. अपूर्ण विराम (:-) : आगे जाने वाली बात के लिए पहले वाक्य से संकेत करना हो तो इसका निर्देशक वाक्य के साथ प्रयोग होता है; जैसे-निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार का उत्तर दीजिए
5. प्रश्न सूचक (?) : वाक्य को प्रश्न वाचक सूचित करने के लिए इसका प्रयोग होता है; जैसे-क्या मूर्ख को समझाना सरल है ?
6. विस्मयादिबोधक (!) : मानसिक आवेगों को प्रकट करने के लिए इसका प्रयोग होता है। जैसे हाय ! मैं मारा गया। उफ ! इतनी पीड़ा।
7. निर्देशक (-) : किसी शब्द के भाव को साफ-साफ स्पष्ट करने के लिए उसके आगे लगाया जाता है; जैसे-लाला लाजपतराय-पंजाब केसरी–ने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ें हिला दी थीं। यथा, जैसे आदि शब्द के बाद भी इसका प्रयोग होता है।
8. संयोजक (-) : यह ससम्त पदों के बीच लगकर समास की सूचना देता है; जैसे–माता-पिता, सुख-दुःख।
9. कोष्ठक चिहन [ ] : किसी बात के स्पष्टीकरण के लिए इसका अर्थ वाक्य का अंग न बनाते हुए इसमें लिखा जाता है; जैसे-30 जनवरी हमारे राष्ट्रपिता (महात्मा गाँधी) की बलिदान तिथि है।
10. उद्धरण चिह्न (“”) : जब किसी वक्ता या लेखक की उक्ति को ज्यों-कात्यों उद्धृत करना हो; जैसे-लाला लाजपतराय ने कहा था, “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफ़न में कील का काम देगी।”
11. लाघव चिह्न (०) : किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए इसका प्रयोग होता है; जैसे-पं० नेहरू। ला० लाजपतराय। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।
12. सम्बोधन चिह्न (!) : किसी को बुलाने या पुकारने में इसका प्रयोग होता है; जैसे हे ईश्वर ! हम पर दया करो।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित में जहाँ जो विराम चिह्न लग सकता है, लगाएँ

प्रश्न (1)
मित्र कैसा अद्भुत खेल है क्या जीवन भी एक खेल के समान है थोड़ा सोच कर बताना
उत्तर:
“मित्र, कैसा अद्भुत खेल है ? क्या जीवन भी एक खेल के समान है ? थोड़ा सोचकर बताना।”

प्रश्न (2)
उसने पुस्तकें कॉपियाँ तथा कुछ अन्य सामान खरीदा सामान को थैले में डाल कर दुकानदार से पूछा कितने पैसे दूँ।
उत्तर:
उसने पुस्तकें, कापियाँ तथा कुछ अन्य सामान खरीदा ; सामान को थैले में डाल कर दुकानदार से पूछा, “कितने पैसे दूँ ?”

प्रश्न (3)
मेरे मित्र दौड़ कर आओ यह देखो कितना सुन्दर फूल खिला है इसे तोड़ना मत मित्र ने मुझसे कहा
उत्तर:
मेरे मित्र ! दौड़ कर आओ। यह देखो कितना सुन्दर फूल खिला है। “इसे तोड़ना मत।”-मित्र ने मुझसे कहा।

प्रश्न (4)
पिता पुत्र तथा पुत्री तीनों एक साथ बोले क्या गाड़ी अभी तक नहीं आई नहीं आई” मैं उत्तर में बोला।
उत्तर:
पिता, पुत्र तथा पुत्री-तीनों एक साथ बोले, “क्या गाड़ी अभी तक नहीं आई।” नहीं आई, मैं उत्तर में बोला।

प्रश्न (5)
यह देखकर उस किसान ने कहा देखा एकता का प्रभाव यदि तुम सब इसी प्रकार इकट्ठे रहोगे तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता यदि तुम अलग-अलग रहे तो तुम्हारा भी हाल छड़ियों जैसे होगा शत्रु आसानी से तुम्हें नष्ट कर देगा इसलिए मेरे उपदेश को मन में धारण करके उस पर आचरण करना इससे तुम्हें सारा जीवन सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होगा यह उपदेश देकर किसान चल बसा।
उत्तर:
यह देखकर उस किसान ने कहा, “देखा, एकता का प्रभाव, यदि तुम सब इसी प्रकार इकट्ठे रहोगे तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यदि तुम अलग-अलग रहे तो तुम्हारा भी हाल छड़ियों जैसा होगा। शत्रु आसानी से तुम्हें नष्ट कर देगा। इसलिए मेरे उपदेश को मन में धारण करके उस पर आचरण करना। इससे तुम्हें सारा जीवन सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होगा।”-यह उपदेश देकर किसान चल बसा।।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

प्रश्न (6)
पंजाब भारत के बाजू के समान है जिसमें सदा तलवार पकड़ी रहती है अब दुनिया के हर भाग में पंजाबी रहते हैं उनकी बहादुरी तपस्या लगन कुर्बानी की कहानियाँ सुनकर बड़े-बड़े पत्थर दिल भी हिल जाते हैं पंजाबियों के कार्यों से भारत पर ही नहीं वरन् सारे संसार पर प्रभाव पड़ा है संसार का प्रत्येक मनुष्य इस बात को मानता है कि पंजाबी बहादुर निर्भीक और हिम्मती हैं।
उत्तर:
पंजाब भारत के बाजू के समान है, जिसमें सदा तलवार पकड़ी रहती है। अब दुनिया के हर भाग में पंजाबी रहते हैं। उनकी बहादुरी, तपस्या, लगन, कुर्बानी की कहानियाँ सुनकर बड़े-बड़े पत्थर दिल भी हिल जाते हैं। पंजाबियों के कार्यों से भारत पर ही नहीं वरन् सारे संसार पर प्रभाव पड़ा है। संसार का प्रत्येक मनुष्य इस बात को मानता है कि पंजाबी बहादुर, निर्भीक और हिम्मती हैं।

2. उपयुक्त विराम चिह्न लगाएँ

प्रश्न (1)
उसके मस्तिष्क का सिन्दूर पोंछती हुई चाची ने उत्तर दिया अभागिनी तेरा करम फूट गया
उत्तर:
उसके मस्तिष्क का सिन्दूर पोंछती हुई चाची ने उत्तर दिया, “अभागिनी ! तेरा करम फूट गया।”

प्रश्न (2)
संजय ने पापा से पूछा पापा यह फसल कहीं-कहीं से क्यों कटी हुई है
उत्तर-संजय ने पापा से पूछा, “पापा यह फसल कहीं से क्यों कटी हुई है?”

प्रश्न (3)
मुझे आते देख पिता जी बोले बेटी तैयार नहीं हुई देर न कर वे लोग आधपौन घंटे तक आने वाले हैं
उत्तर:
मुझे आते देख, पिता जी बोले, “बेटी तैयार नहीं हुई। देर न कर, वे लोग आध-पौन घंटे तक आने वाले हैं।”

प्रश्न (4)
माँ तुम रो क्यों रही हो क्या तुम्हें अपने किए पर दुःख है राकेश ने प्रश्न किया
उत्तर:
“माँ, तुम रो क्यों रही हो ? क्या तुम्हें अपने किए पर दुःख है ?” राकेश ने प्रश्न किया।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

प्रश्न (5)
स्वामी रामतीर्थ एक कवि दार्शनिक सन्त देशभक्त तथा समाज सुधारक थे।
उत्तर:
स्वामी रामतीर्थ एक कवि, दार्शनिक, सन्त, देशभक्त तथा समाज-सुधारक थे।

प्रश्न (6)
सैनिक सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें अनेक कटु अनुभव हुए चपरासी तक उनके हाथों से फाइलें लेने में कतराते थे उन्हें पानी तक नहीं मिलता था।
उत्तर:
सैनिक-सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें अनेक कटु अनुभव हुए। चपरासी तक उनके हाथों से फाइलें लेने में कतराते थे। उन्हें पानी तक नहीं मिलता था।

प्रश्न (7)
धोबी ने कपड़े गिनकर कहा बाबू साहब लिखिए चौदह पायजामे बीस कमीजें।
उत्तर:
धोबी ने कपड़े गिनकर कहा, “बाबू साहब ! लिखिए-चौदह पायजामे, बीस कमीजें।

प्रश्न (8)
दोनों ने बारी-बारी से उत्तर दिया हम बी० ए० पास हैं नौकरी की तलाश में हैं।
उत्तर:
दोनों ने बारी-बारी से उत्तर दिया, “हम बी० ए० पास हैं। नौकरी की तलाश में हैं।”

प्रश्न (9)
महात्मा बुद्ध ने बड़े प्रेमपूर्वक उससे पूछा मैं तो ठहर गया भला तुम कब ठहरोगे
उत्तर:
महात्मा बुद्ध ने बड़े प्रेमपूर्वक उससे पूछा, “मैं तो ठहर गया, भला तुम कब ठहरोगे ?”

प्रश्न (10)
बच्चो शान्तिपूर्वक बैठो अध्यापक ने कहा
उत्तर:
“बच्चो, शान्तिपूर्वक बैठो”-अध्यापक ने कहा।

प्रश्न (11)
मोहन तुम क्या कर रहे हो ज़रा इधर तो आओ माँ ने कहा
उत्तर:
“मोहन तुम क्या कर रहे हो ? ज़रा इधर तो आओ”-माँ ने कहा।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

प्रश्न (12)
बेटी मुझे माफ कर दो मैं लालच में अन्धा हो गया था तुमने मेरी आँखें खोल दी हैं
उत्तर:
“बेटी, मुझे माफ कर दो। मैं लालच में अन्धा हो गया था। तुमने मेरी आँखें खोल दी हैं।”

प्रश्न (13)
महात्मा बुद्ध ने बड़े प्रेमपूर्वक अंगुलिमाल से कहा मैं तो ठहर गया भला तुम कब ठहरोगे
उत्तर:
महात्मा बुद्ध ने बड़े प्रेमपूर्वक अंगुलिमाल से कहा- “मैं तो ठहर गया, भला तुम कब ठहरोगे ?”

प्रश्न (14)
सच्च है सच्चे पातशाह भाई कन्हैया ने निःसंकोच स्वीकार किया।
उत्तर:
“सच्च है सच्चे पातशाह !” भाई कन्हैया ने निःसंकोच स्वीकार किया।

प्रश्न (15)
सबकी आँखें आकाश की ओर लगी रहती थीं मगर वहाँ दुर्भाग्य की घटाएँ थीं पानी की घटाएँ न थीं
उत्तर:
सबकी आँखें आकाश की ओर लगी रहती थीं, मगर वहाँ दुर्भाग्य की घटाएँ थीं, पानी की घटाएँ न थीं।

प्रश्न (16)
मैंने कहा, बाबा अब नहीं रहा जाता कहीं से रोटी का टुकड़ा ला दें
उत्तर:
मैंने कहा, बाबा अब नहीं रहा जाता; कहीं से रोटी का टुकड़ा ला दें।”

प्रश्न (17)
मेरे हृदय में गुदगुदी सी होने लगी पूछा तो तुमने महाराज के दर्शन किए हैं
उत्तर:
मेरे हृदय में गुदगुदी-सी होने लगी; पूछा-“तो तुमने महाराज के दर्शन किए

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

प्रश्न (18)
धोबी के कपड़े गिनकर कहा बाबू साहब लिखिए चौदह पायजामे बीस कमीजें मैंने कॉपी उठा ली और लिखने लगा।
उत्तर:
धोबी के कपड़े गिनकर कहा, “बाबू साहब ! लिखिए चौदह पायजामे, बीस कमीजें।” मैंने कॉपी उठा ली और लिखने लगा।

प्रश्न (19)
भगवान् अब मौत दे दे ग़रीब थे पर किसी के सामने हाथ तो नहीं फैलाते
उत्तर:
भगवान् अब मौत दे दे। ग़रीब थे, पर किसी के सामने हाथ तो नहीं फैलाते

प्रश्न (20)
एक युवक ने कहा अंकल हौसला रखो बस दो मिनट में अस्पताल पहुंचे।
उत्तर:
एक युवक ने कहा, “अंकल ! हौसला रखो, बस दो मिनट में अस्पताल पहुँचे।”

प्रश्न (21)
क्या करूँ एक ही बच्चा है इतने दिनों बाद मिला भी तो मृत्यु उसको अपने चंगुल में दबा रही है, इसे कैसे बचाऊँ
उत्तर:
‘क्या करूँ, एक ही बच्चा है। इतने दिनों बाद मिला भी तो मृत्यु उसको अपने चंगुल में दबा रही है। इसे कैसे बचाऊँ ?’

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विराम-चिह्न

प्रश्न (22)
मुँह खोलने में कष्ट होने पर भी शिष्टाचार के नाते उन्होंने पूछ ही लिया बेटा तुम क्या काम करते हो।।
उत्तर:
मुंह खोलने में कष्ट होने पर भी शिष्टाचार के नाते उन्होंने पूछ ही लिया, “बेटा तुम क्या काम करते हो ?”

प्रश्न (23)
अच्छा भाई चाय तो वैसे मैं अभी घर से पीकर आया हूँ पर तुम बुरा न मान जाओ इसलिए तुम्हारा साथ देता हूँ
उत्तर:
“अच्छा भाई ! चाय तो वैसे मैं अभी घर से पीकर आया हूँ, पर तुम बुरा न मान जाओ, इसलिए तुम्हारा साथ देता हूँ।”