PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

Hindi Guide for Class 8 PSEB कोई नहीं बेगाना Textbook Questions and Answers

(क) भाषा ज्ञान

I. शब्दार्थ

उत्तर:
गर्जना = तीव्र आवाज़, गरजने की क्रिया।
वीर बाँकुरे = बहादुर जवान।
मशक = भेड़ या बकरी की खाल की सिलाई कर के बनाया हुआ थैला जिस में भिश्ती पानी ढोते हैं।
समदृष्टि = सब को बराबर समझना।
बेगाना = पराया, अनजान।
माहेर = क्रुपा
सेवारात = सेवा में लीन।

II. अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

घमसान, उपहार, समदृष्टि, उपकार, उपचार, दुःख हरना, जीवनदान देना, जान बचाना।
उत्तर:
(i) घमसान = आज के युग में किसी भी तरीके से धन इकट्ठा करने का घमसान मचा हुआ है, जो उचित नहीं है।
(ii) उपहार = मेरे जन्मदिन पर मम्मी-पापा ने मुझे उपहार में एक सुन्दर घड़ी दी है।
(ii) समदृष्टि = सभी की समदृष्टि ही समाज को ऊँचा उठा सकती है।
(iv) उपकार = आप के उपकार का मूल्य मैं कभी नहीं चुका सकता।
(v) उपचार = हमारे नगर में घायल पक्षियों के उपचार का सुन्दर प्रबन्ध किया गया
(vi) दुःख हरना = सभी प्राणियों के दुःख हरना तो ईश्वर के हाथ में ही है।
(vii) जीवनदान देना = डॉक्टरों के परिश्रम ने रोगी को जीवन दान देना लगभग निश्चित कर दिया था।
(viii) जान बचाना = अब रोगी की जान बचाना डॉक्टरों के लिए सम्भव है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

(ख) विचार बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न (क)
भाई कन्हैया कौन था ?
उत्तर-भाई कन्हैया गुरु गोबिन्द सिंह जी के शिष्य थे और वे गुरु घर के एक सेवादार थे।

प्रश्न (ख)
वह घायलों की सेवा किस प्रकार करता था ?
उत्तर:
भाई कन्हैया प्यास से परेशान घायल लोगों को पानी पिला कर सेवा करता था।

प्रश्न (ग)
वह अपने और बेगाने का भेदभाव क्यों नहीं करता था ?
उत्तर:
उन्हें सभी इन्सानों में ईश्वर दिखाई देता था, इसलिए वह अपने और बेगाने में भेदभाव नहीं करता था।

प्रश्न (घ)
विरोधियों ने दशमेश पिता से उसकी क्या शिकायत की ?
उत्तर:
विरोधियों ने गुरु जी से शिकायत की थी कि वह युद्धभूमि में घायल पड़े मुसलमान सैनिकों को भी पानी पिलाता था जिससे वे जीवन दान पा जाते थे जिससे सिख वीरों की मेहनत बेकार हो जाती थी। वह बेगानों की सहायता करता है।

प्रश्न (ङ)
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का उत्तर देते हुए कहा था कि उसे सभी में गुरु जी का रूप दिखता था। उसके लिए कोई पराया नहीं था।

प्रश्न (च)
गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम क्यों दी ?
उत्तर:
गुरु जी भाई कन्हैया के इन्सानियत से भरे स्वभाव से खुश हो गए थे और उन्होंने उसे मरहम दी थी जिससे वह युद्धभूमि में घायल पड़े सैनिकों की पीड़ा और कष्टों को भी कम कर सके। वे किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं करते थे।

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II. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

“अव्वल अल्ला नूर वही है, कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का, कौन भले कौन मन्दे।”
उत्तर:
भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के समक्ष कहा था कि मैंने तो गुरुवाणी का केवल इतना ही अर्थ समझा है कि मुझे हर प्राणी में परम पिता परमात्मा ही दिखाई देते हैं। मुझे सभी अपने लगते हैं और कोई भी पराया नहीं लगता। वह परमात्मा ही तो सबसे श्रेष्ठ हैं, प्रमुख हैं, सर्वोपरि है। इस सृष्टि की ज्योति वही है और सारे इन्सान, सारे प्राणी उसी परमात्मा की कुदरत से उत्पन्न हुए हैं। सारे संसार में उसी का तेज फैला हुआ है। केवल वही है जिससे सारी सृष्टि बनी है। जब सभी उस परमात्मा की सन्तान हैं तो फिर कौन अच्छा है और कौन बुरा ? अर्थात् न कोई बुरा है और न अच्छा, न कोई छोटा है और न कोई बड़ा। सारे मानव एक-दूसरे के समान हैं। भाव है कि हमें धर्म और जाति के आधार पर मानव को नहीं बांटना चाहिए।

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. ‘उप’ और ‘बे’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें :

उप + हार = उपहार
उप + वास = ………………..
उप + नयन = ………………..
उप + हास = ………………..
उप + कार = ………………..
बे + रहम = ………………..
बे + कायदा = ………………..
बे + कसूर = ………………..
बे + मेल = ………………..
बे + रोक = ………………..
बे + मिसाल = ………………..
उत्तर:
उप + हार = उपहार
उप + वास = उपवास
उप + नयन = उपनयन
उप + हास = उपहास
उप + कार = उपकार
बे + रहम = बेरहम
बे + कायदा = बेकायदा
बे + कसूर = बेकसूर
बे + मेल = बेमेल
बे + रोक = बेरोक
बे + मिसाल = बेमिसाल।

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II. ‘गुरु’ लगाकर नये शब्द बनायें जैसे-गुरुवाणी

उत्तर:
गुरुकृपा, गुरुशिक्षा, गुरुप्रदत्त, गुरुदक्षिणा, गुरुदास, गुरुप्रशंसा, गुरुनिष्ठा, गुरुपद, गुरुपाद, गुरुगौरव, गुरुकुल, गुरुदीक्षा, गुरुप्रेम।

III. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

शत्रु = …………..
युद्ध = …………..
धरती = …………..
पानी = …………..
गर्मी = …………..
उपहार = …………..
गुरु दुःख = …………..
बेगाना = …………..
मेहर = …………..
कृपा = …………..
नूर = …………..
हाथ = …………..
घाव = …………..
उत्तर:
शत्रु = दुश्मन , अरि।
युद्ध = लड़ाई , रण।
धरती = अवनि , पृथ्वी।
पानी = जल , नीरज।
गर्मी = ग्रीष्म , निदाघ।
उपहार = भेंट , सौगात।
गुरु = शिक्षक , बड़ा।
दुःख = पीड़ा , कष्ट।
बेगाना = पराया , अन्य।
मेहर = कृपा , दया।
कृपा = दया , करुणा।
नूर = प्रकाश , चमक।
हाथ = हस्त , कर।
घाव = चोट , जख्म।

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IV. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें:

युद्ध = ……………
दुःख = …………..
गुरु = …………..
मुश्किल = …………..
धरती = …………..
शत्रु = …………..
प्यास = …………..
शिकायत = …………..
उत्तर:
युद्ध = शान्ति
दुःख = सुख
गुरु = चेला (शिष्य)
मुश्किल = आसान
धरती = आकाश
शत्रु = मित्र
प्यास = तृप्ति/तृप्त
शिकायत = रजा/सुलह।

PSEB 8th Class Hindi Guide कोई नहीं बेगाना Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित. प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘कोई नहीं बेगाना’ कविता के कवि कौन हैं ?
(क) डॉ० योगेन्द्र बख्शी
(ख) डॉ० बच्चन
(ग) डॉ० रघुवंश ।
(घ) डॉ० संसार चन्द्र।
उत्तर:
डॉ. योगेन्द्र बख्शी।

प्रश्न 2.
कहाँ घमासान युद्ध हुआ था ?
(क) अमृतसर
(ख) पटना साहिब
(ग) आनन्दपुर साहिब
(घ) बंगला साहिब।
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब।

प्रश्न 3.
दशमेश गुरु कौन हैं ?
(क) गुरु नानक देव जी
(ख) गुरु तेग बहादुर जी
(ग) गुरु गोबिन्द सिंह जी
(घ) गुरु रामदास जी।
उत्तर:
गुरु गोबिन्द सिंह जी।

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प्रश्न 4.
कन्धे पर मशक उठाए पानी कौन पिला रहा था ?
(क) भाई बंदा
(ख) भाई कन्हैया
(ग) भाई रमैया
(घ) भाई सतनाम।
उत्तर:
भाई कन्हैया।

प्रश्न 5.
‘देखू हर प्राणी में प्रभुवर’ किसका मतलब है ?
(क) गुरुवाणी का
(ख) कन्हैया का
(ग) योगेन्द्र बख्शी का
(घ) रमैया का।
उत्तर:
गुरुवाणी का।

कोई नहीं बेगाना सप्रसंग व्याख्या

1. आनन्दपुर साहब के बाहर
जब हुआ युद्ध घमसान,
दशमेश गुरु का हर सिख
लड़ो हथेली पर रख जान।
तोपों की गर्जना भयंकर
‘सत श्री अकाल’ का गान,
अल्ला हू अकबर के नारे
बहरे कर देते थे कान।

शब्दार्थ:
घमसान = भयंकर, बहुत ज़ोर से। दशमेश = दशम् गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी। हर = प्रत्येक। गर्जना = तीव्र आवाज़, गरजने की क्रिया।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० योगोन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘कोई नहीं बेगाना’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने आनन्दपुर साहब के बाहर सिखों और मुसलमानों के बीच हुए भयंकर युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जब आनन्दपुर साहब के बाहर सिख-सैनिकों के साथ मुसलमानों की लड़ाई हुई थी तब दशम गुरु गोबिन्द सिंह की सेना का प्रत्येक सिख सिपाही मरने का डर छोड़ कर जी-जान से लड़ा था। तोपों की भयंकर आवाज़, सिख वीरों के द्वारा किया गया ‘सत श्री अकाल’ का गान और मुसलमान सैनिकों के ‘अल्ला हु अकबर’ के नारे कानों को बहरा कर रहे थे। भाव है कि दोनों पक्षों के सैनिक अति वीरता और साहस से एक-दूसरे के सामने अपनी-अपनी जीत के लिए डटे हुए थे।

विशेष:

  1. कवि ने सिख सैनिकों और मुसलमानों के बीच हुई लड़ाई की भयंकरता को प्रकट किया है।
  2. कवि की भाषा सरल और सरस है।

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2. वीर बाँकुरे डटकर लड़ते
धरती पर बिछ-बिछ जाते,
गिरते-गिरते फिर उठते
पानी-पानी चिल्लाते।
गर्मी का यह कठिन महीना
उन वीरों पर भारी था,
जलते तपते मैदानों में
युद्ध अभी तक जारी था।

शब्दार्थ: वीर बाँकुरे = बहादुर जवान। कठिन = कठोर, मुश्किल। जारी = चलना, होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने सिखों और मुसलमान वीरों के बीच गर्मियों के मौसम में हुए भयंकर युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि सिख और मुसलमान सेनाओं के बहादुर जवान एकदूसरे के विरुद्ध डट कर लड़ रहे थे। वे एक-दूसरे के आघात से घायल होकर धरती पर गिरते जाते थे। वे गिर कर फिर लड़ने के लिए उठ जाते थे और अपनी प्यास बुझाने के लिए ‘पानी-पानी’ चिल्लाते थे। गर्मी का बहुत कष्टकारी महीना था। युद्ध लड़ने वाले दोनों तरफ के बहादुरों के लिए गर्मी का महीना बहुत भारी पड़ रहा था। सूर्य की गर्मी से मैदान तप रहे थे, दहक रहे थे लेकिन उनके कारण लड़ाई बन्द नहीं हो रही थी। दोनों पक्षों के बीच लड़ाई अभी तक बिना रुके हुए चल रही थी। भाव है कि सूर्य की तेज गर्मी और तपे हुए मैदान भी दोनों पक्षों की लड़ाई को रोकने में असफल रहे थे।

विशेष:

  1. कवि ने सिख और मुस्लिम सैनिकों के बीच हुई भयंकर लड़ाई का वर्णन किया है जिसे विपरीत परिस्थितियां भी रोक नहीं पा रही थीं।
  2. भाषा, सरल-सरस और जोश से भरी हुई है। |

3. जलती-तपती दोपहरी में
गुरुघर का इक सेवादार,
कन्धे पर इक मशक उठाए
देता पानी का उपहार।
संगत की सेवा करता
भाई कन्हैया उस का नाम
गुरुवाणी का भक्त अनोखा
करता जनसेवा का काम।

शब्दार्थ:
जलती-तपती = गर्मी से जली और तपी हुई। दोपहरी = दोपहर का समय। इक = एक। मशक = भेड़ या बकरी की खाल की सिलाई कर के बनाया हुआ थैला जिस में भिश्ती पानी ढोते हैं। उपहार = भेंट। अनोखा = अद्भुत ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसमें कवि ने सब मानव एक समान है का संदेश दिया है।

व्याख्या:
तेज गर्मी के कारण दोपहर का समय जल-सा रहा था; दहक रहा था। उस गर्मी में गुरुघर का एक सेवादार अपने कन्धे पर भेड़-बकरी की खाल से बनी एक मशक उठा कर सभी सैनिकों को पानी की भेंट दे रहा था। वह घायल और प्यासे सैनिकों को पानी पिला रहा था। सभी लोगों की समान रूप से सेवा करने वाले उस व्यक्ति का नाम भाई कन्हैया था। वह गुरुवाणी का अनूठा और अद्भुत भक्त था। वह लोगों की सेवा करने का काम करता था। भावार्थ है कि दोपहर की तेज गर्मी में अपनी तपन को भुला कर भाई कन्हैया सभी भेद- भावों से दूर रह लोगों की सेवा करता था। वह सच्चा सेवादार था।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानी गुण को प्रकट किया है।
  2. भाषा सरल और सरस है।

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4. सब में गुरु का रूप देखता
सबकी सेवा करता था,
हर प्यासे की प्यास बुझाता
दुःख सभी के हरता था।
समदृष्टि थी शत्रु मित्र में
दोनों उसको एक समान,
हर घायल को पानी देना
होता उसका पहला काम।

शब्दार्थ: दुःख = कष्ट, पीड़ा। हरता = दूर करता, मिटाता। समदृष्टि = सब को बराबर समझना। शत्रु = दुश्मन। समान = बराबर ।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानियत के भावों और सेवा-भाव को व्यक्त किया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि भाई कन्हैया सभी लोगों में अपने गुरु का रूप देखता था और उन सब की एक समान सेवा करता था। वह हर प्यासे की प्यास बुझाता था और गर्मी से उत्पन्न सभी के दुखों को मिटाता था। उसकी नज़र में न कोई शत्रु था और न कोई मित्र था। शत्रु और मित्र दोनों ही उसके लिए एक बराबर थे। युद्धभूमि में हर घायल व्यक्ति को पानी देना उसका पहला काम था। भाव है कि सच्चे इन्सान के मन में किसी के लिए अपनेपराये का भेदभाव नहीं होता।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया के इन्सानियत और बड़प्पन के भावों को प्रकट किया है जिसके लिए सारे इन्सान एक बराबर थे।
  2. कवि की भाषा सरल और सरस है।

5. हुई साँझ तो सिख वीरों ने
छेड़ी एक विरोधी तान,
जिनको मुश्किल से हम मारे
उनको देता जीवन दान।
लगता गुरुवर ! भाई कन्हैया
का दुश्मन से नाता है।
घायल शत्रु को जल देता,
उसकी जान बचाता है।

शब्दार्थ: साँझ = शाम, संध्या। वीरों = बहादुरों। तान = स्वर, आवाज़। मुश्किल = कठिनाई। नाता = सम्बन्ध।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में दी गई कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। भाई कन्हैया बिना किसी भेदभाव के घायल सिख और मुसलमान सैनिकों को पानी पिलाकर जीवन दान दिया करता था। सिख सैनिकों को यह अच्छा नहीं लगता था।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जैसे ही शाम हुई और लड़ाई बन्द हुई वैसे ही सिख बहादुरों ने एक ही आवाज़ में भाई कन्हैया के विरोध में ऊँची आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि जिन मुसलमान सैनिकों को वे मुश्किल से घायल करते थे उन्हें भी पानी पिला कर वह उन्हें नया जीवन-दान दे देता था। हे गुरु जी! हमें लगता है कि इसका दुश्मनों से कोई सम्बन्ध है। यह दुश्मन के घायल सिपाहियों को युद्ध भूमि में पानी पिलाता है और उनकी जान बचाता है। भाव है कि सिख वीरों को भाई कन्हैया का इन्सानियत का भाव भी दुश्मनी से भरा हुआ प्रतीत होता है क्योंकि वहाँ वह सिख वीरों को ही नहीं बल्कि मुसलमान सैनिकों को भी युद्धभूमि में पानी पिलाता था।

विशेष:

  1. सिख वीरों के मन में उत्पन्न स्वार्थी भावों के कारण भाई कन्हैया पर दोषारोपण किया गया है।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

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6. हँस कर बोले दशम पिता फिर
क्यों भाई क्या कहते हो,
ठीक शिकायत क्या सिखों की
सबकी सेवा करते हो ?
हाथ जोड़ कर चरण छुए
नतमस्तक हो वचन कहे,
गुरुवर ! सब को जल देता हूँ
मानो सब में आप रहे।

शब्दार्थ: दशम पिता = दशम गुरु गोबिन्द सिंह जी। चरण = पैर। नतमस्तक = सिर झुका कर प्रणाम करना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। सिख वीरों ने भाई कन्हैया पर आरोप लगाया था कि वे युद्धभूमि में मुस्लिम सैनिकों की पानी पिला कर सहायता करते थे। वे उनसे मिले हुए थे।

व्याख्या:
सिख वीरों के द्वारा लगाए गए आरोप को सुन कर दशम् गुरु गोबिन्द सिंह जी ने हँसते हुए भाई कन्हैया से पूछा कि क्यों भाई ! क्या सिखों की यह शिकायत ठीक थी कि वह सब की सेवा करते था। यह सुन कर भाई कन्हैया ने हाथ जोड़कर गुरु जी के पाँव छुए और सिर झुका कर ये शब्द कहे कि गुरुवर! मैं तो सभी को ऐसे पानी देता हूँ जैसे सब में आप ही विद्यमान हों। मुझे तो सब में आप ही दिखाई देते हैं। भाव है कि भाई कन्हैया को गुरु जी के प्रति अपार भक्ति के कारण सभी में वही दिखाई देते थे। उन्हें कोई भी पराया नहीं लगता था।

विशेष:

  1. कवि ने भाई कन्हैया की अपार गुरु-भक्ति को सरल शब्दों में प्रकट कर दिया है।
  2. भाषा सरल, सरस और भावपूर्ण है।

7. गुरुवाणी का मतलब मैंने
केवल बस इतना जाना,
देखें हर प्राणी में प्रभुवर
कोई नहीं है बेगाना।
अव्वल अल्ला नूर वही है
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।

शब्दार्थ:
मतलब = अर्थ। बेगाना = पराया, अनजान। अव्वल = प्रथम, पहला। अल्ला = ईश्वर। नर = ज्योति, प्रकाश, तेज, परमात्मा का नाम। कुदरत = प्रकृति । बन्दे = इन्सान । भले = अच्छे। मन्दे = बुरे।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता डॉ० योगेन्द्र बख्शी हैं। भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रश्न का उत्तर देते हुए माना था कि उनके लिए कोई भी प्राणी न तो छोटा है और न ही बड़ा। वे सभी बराबर हैं जिनमें परमात्मा बसता है।

व्याख्या:
भाई कन्हैया ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के समक्ष कहा था कि मैंने तो गुरुवाणी का केवल इतना ही अर्थ समझा है कि मुझे हर प्राणी में परम पिता परमात्मा ही दिखाई देते हैं। मुझे सभी अपने लगते हैं और कोई भी पराया नहीं लगता। वह परमात्मा ही तो सबसे श्रेष्ठ हैं, प्रमुख हैं, सर्वोपरि है। इस सृष्टि की ज्योति वही है और सारे इन्सान, सारे प्राणी उसी परमात्मा की कुदरत से उत्पन्न हुए हैं। सारे संसार में उसी का तेज फैला हुआ है। केवल वही है जिससे सारी सृष्टि बनी है। जब सभी उस परमात्मा की सन्तान हैं तो फिर कौन अच्छा है और कौन बुरा ? अर्थात् न कोई बुरा है और न अच्छा, न कोई छोटा है और न कोई बड़ा। सारे मानव एक-दूसरे के समान हैं। भाव है कि हमें धर्म और जाति के आधार पर मानव को नहीं बांटना चाहिए।

विशेष:

  1. भाई कन्हैया के माध्यम से सृष्टि का रहस्य प्रकट किया गया है और उसी के आधार पर सब को एक समान माना गया है।
  2. भाषा सरस और भावपूर्ण है। उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है। |

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 1 कोई नहीं बेगाना

8. दशम पिता गदगद हो बोले,
सच्चे सिख ! गुरु मेहर करे,
भेदभाव बिन सेवारत जो
उसके सिर प्रभु हाथ धरे।
यह मरहम भी ले लो मुझ से
तुम सबका उपकार करो,
हर घायल में प्रभु को देखो
घावों का उपचार करो।

शब्दार्थ:
गद्गद् = प्रसन्न। मेहर = कृपा। भेदभाव = अंतर; ऊँच-नीच का भाव। सेवारत = सेवा में लीन। हाथ धरे = कृपा करे। उपकार = भला, कल्याण। घावों = घाव, चोट, जख्म। उपचार = इलाज।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से ली गई हैं जिसकी रचना डॉ० योगेन्द्र बख्शी ने की है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने भाई कन्हैया के उत्तर को सुनकर उसे आशीर्वाद दिया था और उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहने की प्रार्थना की थी।

व्याख्या:
भाई कन्हैया के उत्तर को सुन कर दशम पिता गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो गए, खुशी से भर उठे। उन्होंने उसे सम्बोधित करते हुए कहा कि हे सच्चे सिख ! ईश्वर तुम पर कृपा बनाये रखे। जो व्यक्ति बिना भेदभाव किए हुए समाज में रहते हुए सबकी सेवा करता रहता है, ईश्वर उसके सिर पर अपनी कृपा का हाथ सदा बनाए रखें। तुम मुझ से यह मरहम भी ले लो और बिना जात-पात और धर्म का ध्यान रखे हुए सब का भला करो, सब की सेवा करो। तुम हर घायल व्यक्ति में ईश्वर को देखो, सबको एक समान समझो और सब के घावों का ईलाज करो, उन्हें कष्टों से मुक्त करो। भाव है कि गुरु जी ने अपने मानवतावादी भावों से सबका कल्याण करने की बात सदा ही सबसे कही थी।

विशेष:

  1. गुरु गोबिन्द सिंह जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव का विरोध करते हुए सबको एक समान ईश्वर की सन्तान माना था।
  2. भाषा सरल और सरस है।

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कोई नहीं बेगाना Summary

कोई नहीं बेगाना कविता का सार

डॉ० योगेन्द्र बख्शी के द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ मानवतावादी कविता है। इन्सान वही अच्छा होता है जो किसी में भी भेदभाव न करे। आनन्दपुर साहब के बाहर गुरु गोबिन्द सिंह जी की सेना की मुसलमानों से भयंकर लड़ाई हो रही थी। गर्मियों के दिन थे। सूर्य की गर्मी से सारे मैदान दहक-से रहे थे। युद्ध में हर वीर अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ रहा था। तोपें गरज रहीं थीं। दोनों सेनाओं के सैनिक पूरे जोश में भरे हुए थे। सिख सैनिक ‘सत श्री अकाल’ का जयघोष कर रहे थे तो मुसलमान सैनिक ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे लगा रहे थे। दोनों तरफ के सैनिक घायल हो-होकर धरती पर गिर रहे थे। वे तड़प रहे थे और प्यास के कारण पानी-पानी चिल्ला रहे थे। गुरुघर का एक सेवादार भाई कन्हैया कन्धे पर एक मशक लिए हुए सिखों और मुसलमानों को पानी पिला रहा था। उसे उन सभी घायल सैनिकों में गुरु का ही रूप दिखाई दे रहा था। वह अपने और पराये का कोई भेद नहीं कर रहा था। जब शाम हुई तो सिख सैनिकों ने गुरु जी से शिकायत की कि जिन मुसलमान सैनिकों को हम काट कर नीचे गिराते हैं उन्हें ही भाई कन्हैया पानी पिलाता है। उनकी जान बचा कर वह दुश्मन का काम कर रहा था। गुरु जी ने हँस कर भाई कन्हैया से इस शिकायत के बारे में पूछा। उसने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छू कर अपना सिर झुकाते हुए कहा कि वह सभी को एक समान पानी पिलाता था क्योंकि उसे उन सभी में आप ही दिखाई दे रहे थे। गुरुबाणी के अनुसार तो उसे हर प्राणी में भगवान् ही दिखता था। कोई भी तो पराया नहीं। इस संसार के हर प्राणी में परमात्मा का ही तो नूर हैचाहे वह अच्छा है या बुरा। दशम गुरु ने प्रसन्न होकर कहा कि अरे सच्चे सिख, ईश्वर तुम पर कृपा करे। तुम मुझ से मरहम भी लो और इसे सभी घायलों के घावों पर लगाओ। तुम सभी से एक-सा व्यवहार करो।

PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Main Course Book Chapter 1 Grooming of a Boy Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 English Main Course Book Chapter 1 Grooming of a Boy

Answer the following questions in your own words:

Question 1.
All men are not just and true. Why is the author still hopeful ?
(सभी मनुष्य न्यायवान और सच्चे नहीं होते। लेखक फिर भी आशावान क्यों है ?)
Answer:
The author is hopeful because for every bad person, there is a good one also.
लेखक आशावान इसलिए है क्योंकि प्रत्येक बुरे मनुष्य के साथ-साथ वहां एक अच्छा आदमी भी है।

PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy

Question 2.
What should Lincoln’s son be steered away from ?
(लिंकन के पुत्र को किस बात से दूर ले जाया जाना चाहिए ?)
Answer:
He should be steered away from envy.
उसे ईर्ष्या से दूर ले जाया जाना चाहिए।

Question 3.
What should one never sell ?
(व्यक्ति को क्या कभी नहीं बेचना चाहिए ?)
Answer:
One should never sell one’s heart and soul.
व्यक्ति को अपने हृदय और अपनी आत्मा को कभी नहीं बेचना चाहिए।

Question 4.
Why does Lincoln not want his son to be cuddled ?
(लिंकन क्यों नहीं चाहता कि उसके बेटे को ज्यादा छाती से लगाया जाए.?)
Answer:
According to Lincoln, one becomes tough only by passing through the difficulties of life. So that is why he doesn’t want his son to be cuddled.
लिंकन के अनुसार, कोई व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों में से गुज़र कर ही कठोर बनता है। इसी कारण से वह नहीं चाहता कि उसके पुत्र को ज़्यादा छाती से लगा कर रखा जाए।

Question 5.
How can one gain sublime faith in mankind ?
(व्यक्ति मनुष्य-जाति में उत्कृष्ट विश्वास कैसे रख सकता है ?)
Answer:
It can be done by having sublime faith in oneself also.
ऐसा स्वयं में उत्कृष्ट विश्वास रखने से भी किया जा सकता है।

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Question 6.
What should one ponder about ?
(व्यक्ति को किस विषय में सोच-विचार करना चाहिए ?)
Answer:
One should ponder about the mystery of all the objects of nature.
व्यक्ति को प्रकृति के सभी पदार्थों के रहस्य के बारे में सोच-विचार करना चाहिए।

Question 7.
After listening to all the men, what should one do ?
(सभी लोगों को सुनने के पश्चात् व्यक्ति को क्या करना चाहिए ?)
Answer:
One should accept only that which is good and true.
व्यक्ति को केवल उन बातों को स्वीकार करना चाहिए जो अच्छी और सच्ची हों।

Question 8.
What should one beware of ?
(व्यक्ति को किससे बचना चाहिए ?)
Answer:
One should beware of the flatterers.
व्यक्ति को चापलूसों से बचना चाहिए।

Answer the following questions in your own words:

Question 1.
List the qualities which make a good human being.
(ऐसे गुणों की सूची बनाइए जो किसी व्यक्ति को अच्छा मानव बनाती हैं।)
Answer:
The following qualities make one a good human being : honesty, courage, patience, truthfulness, faith in oneself and faith in the goodness of mankind.
निम्नलिखित गुण व्यक्ति को एक अच्छा मानव बनाते हैं – ईमानदारी, साहस, धैर्य, सच्चाई, अपने ऊपर विश्वास तथा मानव-जाति की अच्छाई में विश्वास।

Question 2.
Make a list of the qualities you have in yourself.
(ऐसे गुणों की सूची बनाइए जो आप अपने में रखते हैं।)
Answer:
My motto of life is – ‘Do good, find good’. So I never think ill of others. I hate cruelty and dishonesty in any form.
मेरे जीवन का आदर्श उसूल है-‘कर भला, हो भला’। इसलिए मैं कभी दूसरों का बुरा नहीं सोचता हूं। मैं किसी भी रूप में निर्दयता और बेईमानी से घृणा करता हूं।

Tick (✓) the correct statements as found in the lesson text :

Question 1.
Lincoln’s son will learn that
a. all men are not just.
b. all men are not true.
Answer:
(a) ✓
(b) ✓

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Question 2.
He should be taught that
a. for every scoundrel there is a hero.
b. for every selfish politician there is a dedicated leader.
c. for every success there is a failure.
d. for every enemy there is a friend.
Answer:
(a) ✓
(b) ✓
(c) ✗
(d) ✓

Question 3.
He should have faith in–
a. everyone.
b. himself.
c. his own ideas.
d. mankind.
Answer:
(a) ✗
(b) ✓
(c) ✓
(d) ✓

Textual Vocabulary & Grammar

Match the words in column A with their meanings in column B :
Answer:
1. selfish — One who is interested in self only.
2. dedicated — One who performs his duty with devotion.
3. scoundrel — One who shows no moral conscience.
4. honourable — One who is respected by all.
5. impatient – One who has no patience.
6. cynic – One who believes that everyone is bad.
7. just — One who is reasonable and fair.

Fill in the blanks with adjective forms of the following words :

honour; courage; enjoy; wonder; faith; envy

1. Mr. Satish is an ………………. man; everyone in the town respects him.
2. Do not be jealous; be ………………
3. The dog is a ………………… animal.
4. Swimming through Palk Straits was a challenge for Mihir Sen, but he was ……………… enough to attempt it.
5. The sunset in the sea presented a ………. sight.
6. Our trip was really …………….. ; we had a lot of fun.
Answer:
1. honourable
2. envious
3. faithful
4. courageous
5. wonderful
6. enjoyable.

Fill in the blanks with the words given in the box :

education; educating; little; called; demanded; requested; amount; buy; cost.

There lived a man who was very rich. He was always worried about the ………. of his son. He ……………….. a philosopher and ……………… him to take upon himself the task of educating his son. The philosopher ………………. one hundred pieces of gold for this. The rich man was surprised at the ………….. demanded and said he could …… a slave for a far smaller amount. The philosopher replied he could get a slave free of ………………. by not …………. his son, for a man without ……………. is ………………. better than a slave.
Answer:
education
called
requested
demanded
amount
buy
cost
educating
education
little.

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Fill in the blanks with the passive form of the verbs to complete the following sentences :

1. There is a thief in the house; the police ……… (inform)
2. It is getting dark; the light …….. (switch on)
3. The patient is getting worse; let the doctor ……. (call)
4. We are already getting late; this letter …….. today.
5. He is in trouble; he …….. to the doctor. (take)
Answer:
1. have been informed
2. must be switched on
3. be called
4. must be posted
5. must be taken.

Fill in the blanks with the articles

a, an, the :

1. ……. small tear becomes ….. big hole in ……. same way as ……. small illness grows into ……. big disease. …… good mother does not allow ………. tear that appears on her child’s shirt to grow big. She stitches it in time. Unnecessary labour is spared if it is done before it is too late.
Answer:
A, a, the, a; a; A, the.

2. Most of us have read ……. story of ……… hare and ……. tortoise. ……. steady worker makes his mark sooner than …….. one who works by fits and starts.
Answer:
the, a, a; A, the.

3. ……. apple ……. day keeps …… doctor away. But if ……. doctor is smart, he keeps ……. apple away from you.
Answer:
An, a, the; the, the.

Put proper punctuation marks in the following passage and use capital letters wherever necessary :

After the midday meal, it was suggested that we went for a picnic to another Maori village nearby called Whatarewarewa. “What a tongue- twister !” I could not help saying. “Oh ! we call it Whaka for short,” said my host.

Fill in the blanks with suitable prepositions :

1. Here is the book that you had asked ……
2. The emperor ruled ……… a vast empire.
3. The clock is lying ……. the table.
4. Act according ……. my instructions.
5. Don’t loiter ……. the street.
Answer:
1. for 2. over 3. on 4. to 5. in.

Pronunciation Practice

Note the different spellings for the same sound / i: / in the following words:
PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy 1

Thus one can notice that there is no one-to-one correspondence between sounds and spellings in English.
Spellings (orthographic representation), therefore, are not a proper guide to correct pronunciation of words.

Now, say these words aloud:

conceive – knee – feel – each – keep
police – ski – piece – siege – beat

Creative Writing and Extended Reading

(i) Have you read any of the letters written by Pandit Jawahar Lai Nehru to his daughter indira Gandhi? Do read at least one such letter, What does Nehru want to convey in this letter?

(ii) What type of a boy or girl would you like to become? Write ten sentences in the light of your study of this lesson.

(iii) As a citizen of the world, make a list of five things you would never do.

Use Of Textual Words / Phrases

1. Scoundrel – Some students are real scoundrels.
2. Dedicated – Mrs. Raman is a dedicated teacher.
3. Bully – He was a bully; he was asked to mend his ways or leave the school.
4. Lick – He was quite tough, but we did lick him without much effort.
5. Ponder – My father pondered over the problem, but could not find a solution.
6. Eternal – True love is eternal; it never dies.
7. Scoff at – He scoffed at our foolish answers.
8. Howl – Wolves were howling in the forest.
9. Cuddle – The child cuddled her doll to her chest.
10. Courage – The soldiers showed great courage in the battlefield.
11. Sublime – The food was absolutely sublime.

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Objective Type Questions

Answer the following in one word / phrase / sentence :

Question 1.
Who is the writer of the letter on which the chapter, Grooming of a Boy’, is based ?
Answer.
Abraham Lincoln.

Question 2.
Who was the letter written to ?
Answer.
To the teacher of Abraham Lincoln’s son.

Question 3.
What does Lincoln want from his son ?
Answer.
He wants him to learn good things of life.

Question 4.
What does Lincoln tell his son about victory and defeat ?
Answer.
He tells him to take both in an honourable fashion.

Question 5.
What does Lincoln think about bullies ?
Answer.
He says that the bullies are the easiest to defeat.

Question 6.
What does he say about envy ?
Answer.
He advises his son to keep away from envy.

Question 7.
Does Lincoln think that the good qualities can be learned quickly ?
Answer.
No, he says that it will take its own reasonable time.

Question 8.
What does Lincoln say about the crowd ?
Answer.
He tells his son not to follow the crowd blindly.

Question 9.
What should the son do when he is sad ?
Answer.
He should laugh away his sadness.

Question 10.
How should the boy deal with cynics ?
Answer.
The son will do well to scoff at them.

Complete the following :

1. All men are not ……………….. and ……………
2. For every enemy, there is a …………
3. For every ………………., there is a hero.
4. A dollar …………………. is better than five found.
5. The bullies are the …………………. to defeat.
6. The son should have faith in ……………….. ideas.
Answer.
1. just, true
2. friend
3. scoundrel
4. earned
5. easiest
6. his own.

Write True or False against each statement :

1. The bullies are the most difficult to defeat.
2. Envy is to be kept away from.
3. For every selfish politician, there is a dedicated leader.
4. It is much more honourable to cheat than to fail.
5. The boy should learn that there is no shame in honest tears.
6. The boy should be friends to those who speak very sweetly.
Answer.
1. False
2. True
3. True
4. False
5. True
6. False.

Choose the correct option for each of the following:

Question 1.
Abraham Lincoln wrote the letter to ……
(a) his son
(b) his daughter
(c) his son’s teacher
(d) his friend.
Answer.
(c) his son’s teacher

Question 2.
Lincoln wants the teacher to teach his son to …….
(a) learn the ways of the world
(b) to cheat when necessary
(c) to speak sweetly
(d) to become a politician.
Answer.
(a) learn the ways of the world

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Question 3.
A dollar earned is better than five ….
(a) as pocket money
(b) as a prize
(c) found somewhere
(d) pounds.
Answer.
(c) found somewhere

Question 4.
There is no …………….. in honest tears.
(a) pride
(b) ego
(c) happiness
(d) shame.
Answer.
(d) shame.

Grooming of a Boy Summary in English

Grooming of a Boy Introduction:

This chapter is an extract from a letter. It was written by Abraham Lincoln to his son’s teacher. In this letter, Lincoln wants the teacher to instill some special qualities in his son. He lists those qualities in this letter. He wants the teacher to teach his son how to behave in different situations. He wants his son to be respectful to others. Lincoln wants that his son should grow into a wise, intelligent, brave and patient person. He wants that his son should be able to decide his own path instead of following the crowd.

Grooming of a Boy Summary in English:

This chapter is an extract from a letter. The letter was written by Abraham Lincoln to his son’s teacher. In this letter, Lincoln lists some of the things he wants the teacher to teach his son :

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The boy should be taught that all men are not just, and all men are not true. But it is also true that for every scoundrel, there is a hero. For every selfish politician, there is a dedicated leader. For every enemy, there is a friend. He should learn that a dollar earned is of far more value than five found. He should learn to take his defeat as well as victory in an honourable fashion. He should keep away from envy.  He should learn the secret of soft laughter. He should learn that the bullies’ are the easiest to defeat.

He should learn about the wonderful world of books, but he should also find time to think about the beauties and mysteries of nature. He should learn that it is far more honourable to fail than to cheat. He should have faith in his own ideas, even if everyone tells him they are wrong. He should learn to be gentle with the gentle, and tough with the tough. He should not follow the crowd or the beaten path of success. He should have the strength to decide his own path. He should listen to all men, but should be able to sift the good from the bad. He should accept only what is good.

He should learn to laugh even when he is sad. He should learn that there is no shame in honest tears. He should learn to scoff at cynics and to beware of those who speak too sweetly. He should learn that he could charge the highest price for his body and mind, but he should never sell his heart and soul. He should not listen to the howling mob. If he thinks he is right, he should stand firmly and fight bravely.

He should always have sublime faith in himself because only then he can have sublime faith in mankind. He should have the courage to be impatient and the patience to be brave. At the end, Lincoln tells the teacher that he should treat his son gently, but he shouldn’t cuddle him. He says that only the test of fire makes fine steel. Lincoln calls his son a fine little fellow’. Lincoln knows that it is a big task for the teacher to make his son what he wants him to be. But he requests the teacher to do what he can in this respect.

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Grooming of a Boy Summary in Hindi

Grooming of a Boy Introduction:

यह पत्र अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के अध्यापक को लिखा था। इस पत्र में लिंकन कुछ विशेष गुणों का उल्लेख करता है जो वह चाहता है कि उसके पुत्र का अध्यापक लड़के में भर दे। वह चाहता है कि अध्यापक उसके पुत्र को विभिन्न परिस्थितियों में और विभिन्न व्यक्तियों के प्रति उपयुक्त व्यवहार करना सिखाए। लिंकन चाहता है कि उसका पुत्र बड़ा होकर बुद्धिमान, योग्य, वीर, धीर और पारखी व्यक्ति बने। वह चाहता है कि उसका पुत्र भीड़ के पीछे चलने की बजाय अपना रास्ता स्वयम् ही बनाए।

Grooming of a Boy Summary in Hindi:

पाठ का विस्तृत सार इस लेख में वह पत्र दिया गया है जो अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के अध्यापक को लिखा था। इस पत्र में लिंकन उन कुछ बातों का उल्लेख करता है जो वह चाहता है कि अध्यापक ‘उसके पुत्र को सिखलाए

लड़के को यह सिखाया जाए कि सभी लोग न्यायवान् नहीं होते तथा सभी लोग सच्चे नहीं होते। किन्तु यह भी सत्य है कि प्रत्येक दुष्ट व्यक्ति के बदले एक सज्जन भी होता है, एक स्वार्थी राजनीतिज्ञ के बदले एक समर्पित नेता भी होता है, तथा एक शत्रु के बदले एक मित्र भी होता है। उसे यह सीखना चाहिए कि मेहनत से कमाए गए एक डॉलर की कीमत उन पाँच डॉलरों से कहीं अधिक होती है जो वैसे ही मिल गए हों। उसे अपनी हार तथा विजय दोनों को ही एक सम्मानपूर्ण ढंग से लेना सीखना चाहिए। उसे ईर्ष्या से दूर रहना चाहिए।

उसे कोमलतापूर्वक हँसने का रहस्य सीखना चाहिए। उसे सीखना चाहिए कि धौंसिया लोगों को हराना सबसे आसान होता है। उसे पुस्तकों के अद्भुत संसार के बारे में जानना चाहिए किन्तु उसे प्रकृति की सुन्दरताओं अथवा रहस्यों के बारे में सोचने का समय भी निकालना चाहिए।

उसे यह सीखना चाहिए कि धोखा देने की अपेक्षा हारना कहीं अधिक सम्मानपूर्ण होता है। उसे अपने विचारों में विश्वास रखना सीखना चाहिए यद्यपि हर कोई यह कह रहा हो कि उसके विचार गलत हैं।

Grooming of a Boy Translation in Hindi

(Page 1) Abraham Lincoln’s ……. he is right.

कठिन शब्दार्थ-1. scoundrel – दुष्ट व्यक्ति ; 2. dedicated – वफ़ादार ; 3. steer – मार्गदर्शन करना ; 4. envy – ईर्ष्या ; 5. bullies – धौंसिया लोग ; 6. lick – हराना ; 7. ponder – ध्यानपूर्वक सोचना ; 8. eternal – अनन्त, शाश्वत ; 9. getting on the bandwagon – सफल होने की आशा में दूसरों के पीछेपीछे चल पड़ना ; 10. scoff – उपहास करना ; 11. cynics – मानव-द्वेषी ; 12. brawn – शक्तिशाली शरीर ; 13. howling – शोर मचाती हुई, चीखती-चिल्लाती हुई।

Text

[Abraham Lincoln’s son is at school. Lincoln writes a letter to his son’s teacher requesting him to mould the boy in such a way that he grows up to be a good human being. What are the qualities which make one a good human being ?]

The Letter

He will have to learn, I know, that all men are not just, all men are not true. But teach him also that for every scoundrel,’ there is a hero; that for every selfish politician, there is a dedicated leader. Teach him that for every enemy there is a friend. It will take time, I know; but teach him, if you can, that a dollar earned is of far more value than five found. Teach him to learn to lose and also to enjoy winning. Steer him away from envy; if you can, teach him the secret of quiet laughter.

Let him learn early that the bullies are the easiest to lick. Teach him, if you can, the wonder of books. But also give him quiet time to ponder the eternal mystery of birds in the sky, bees in the sun, and flowers on a green hillside.

In school, teach him it is far more honourable to fail than to cheat. Teach him to have faith in his own ideas, even if everyone tells him they are wrong. Teach him to be gende with the gende, and tough with the tough. ’

Try to give my son the strength not to follow the crowd when everyone is getting on the bandwagon. Teach him to listen to all men; but teach him also to filter all that he hears on a screen of truth, and take only the good that comes through. Teach him, if you can, how to laugh when he is sad. Teach him there is no shame in tears.

Teach him to scoff at cynics and to beware of too much sweetness. Teach him to sell his brawn and brain to the highest bidders, but never to put a price tag on his heart and soul. Teach him to close his ears to a howling mob and to stand and fight, if he thinks he is right

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अनुवाद

[अब्राहम लिंकन का बेटा एक स्कूल में पढ़ता है। लिंकन अपने बेटे के अध्यापक को यह प्रार्थना करते हुए एक पत्र लिखता है कि वह उसके लड़के को ऐसे रूप में ढाल दे कि वह बड़ा होकर एक अच्छा इन्सान बने। वे कौन से गुण हैं जो मनुष्य को एक अच्छा इन्सान बनाते हैं|

पत्र

मैं जानता हूँ उसे यह जानना सीखना होगा, कि सभी लोग न्यायप्रिय नहीं होते, सभी लोग सच्चे नहीं होते। किन्तु उसे यह भी सिखाइए कि प्रत्येक दुष्ट के मुकाबले में एक सज्जन व्यक्ति भी होता है; कि प्रत्येक स्वार्थी राजनीतिज्ञ के बदले वहाँ एक समर्पित नेता भी होता है। उसे यह सिखाइए कि प्रत्येक शत्रु के मुकाबले में वहाँ एक मित्र भी होता है। मैं जानता हूँ कि ऐसा करने में समय लगेगा किन्तु यदि आप ऐसा कर सकें तो उसे यह सिखाइए कि अर्जित किए गए एक डॉलर की कीमत कहीं मिले हुए पाँच डॉलरों से कहीं अधिक होती है। उसे हारना सिखाइए और जीत में से आनन्द प्राप्त कर लेना भी। उसे ईर्ष्या से दूर ले जाइए; यदि आप ऐसा कर सकें तो उसे शान्तिपूर्ण हँसी का रहस्य सिखाइए।

उसे यह शुरू में ही सिखा दीजिए कि धौसिया लोगों को हराना सबसे आसान होता है। यदि आप ऐसा कर सकें, तो उसे सिखाइए कि पुस्तकों का संसार कितना अद्भुत होता है। किन्तु उसे आकाश में उड़ने वाले पक्षियों, सूर्य की रोशनी में चमकने वाली मधुमक्खियों तथा हरी-हरी पहाड़ियों की ढलानों पर उगे हुए फूलों के शाश्वत् रहस्य के बारे में सोचने के लिए भी शान्तिपूर्ण समय दीजिए।

स्कूल में उसे यह सिखाइए कि धोखा देने की बजाए फेल होना कहीं अधिक सम्मान की बात होती है। उसे अपने विचारों में भरोसा रखना सिखाइए, यद्यपि उसे हर कोई यह कह रहा हो कि वे (विचार) गलत हैं। उसे विनम्र लोगों के प्रति विनम्र और कठोर लोगों के प्रति कठोर बनना सिखाइए। मेरे पुत्र को यह शक्ति देने का यत्न कीजिए कि वह भीड़ के पीछे न चले जब हर कोई सफलता की गाड़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहा हो। उसे सभी लोगों की बात सुनना सिखाइए; किन्तु उसे यह भी सिखाएं कि वह अपने द्वारा सुनी गई सब बातों को सत्य-रूपी छलनी में से छानकर देखे तथा उसमें से जो अच्छाई निकल कर आए, केवल उसे ही ग्रहण करे।

यदि आप ऐसा कर सकें, तो उसे यह सिखाइए कि कैसे हँसा जाता है जब वह उदास हो। उसे सिखाइए कि आँसुओं में कोई लज्जा वाली बात नहीं होती है। उसे मानव-द्वेषियों की खिल्ली उड़ाना तथा अत्यन्त मीठे लोगों से बचकर रहना सिखाइए। उसे कहिए कि अपना दिमाग और बाहुबल सबसे ऊंची बोली लगाने वालों को बेचे, किन्तु अपने दिल और आत्मा की कभी कोई कीमत न रखे। उसे चीखने-चिल्लाने वाली भीड़ के प्रति अपने कान बन्द रखना सिखाइए तथा खड़े रहकर मुकाबला करना सिखाइए, यदि वह यह समझे कि वह न्याय के रास्ते पर है।

(Page 2) Treat him gently… ………. my son !

कठिन शब्दार्थ-1. cuddle – गले लगाना ; 2. courage – साहस ; 3. impatient – अधीर, व्यग्र ; 4. sublime – उत्तम ; 5. order – मांग।

Treat him gently, but do not cuddle him, because only the test of fire makes fine steel. Let him have the courage to be impatient; let him have the patience to be brave. Teach him always to have sublime faith in himself, because then he will always have sublime faith in mankind. This is a big order, but see what you can do. He is such a fine little fellow, my son !

PSEB 9th Class English Main Course Book Solutions Chapter 1 Grooming of a Boy

अनुवाद
उसके साथ कोमलतापूर्वक व्यवहार कीजिए परन्तु उसे ज्यादा छाती से लगाकर मत रखिए क्योंकि केवल | आग में से गुजरने से ही बढ़िया फौलाद बनता है। उसे अधीर बने रहने का साहस दीजिए; उसे वीर बने रहने का धैर्य दीजिए। उसे यह सिखाइए कि स्वयं | में सदा उत्कृष्ट विश्वास रखे क्योंकि तब वह मानव जाति में सदा उत्कृष्ट विश्वास रखेगा।, यह एक बहुत ऊँची माँग है किन्तु आप देख लें कि आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते हैं। वह एक कितना बढ़िया छोटा-सा बालक है, मेरा पुत्र !

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

Hindi Guide for Class 9 PSEB प्रकृति का अभिशाप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव को किस ग्रह की चिंता थी ?
उत्तर:
सूर्यदेव को पृथ्वी ग्रह की चिंता थी।

प्रश्न 2.
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कौन विषाक्त बना रहा है ?
उत्तर:
जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषण विषाक्त बना रहा है।

प्रश्न 3.
पवनदेव ने ऑक्सीजन कम होने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
कारखानों, इंजनों में आग का प्रयोग होने से ऑक्सीजन कम हो रही है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

प्रश्न 4.
वनदेवी ने अपने घटने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
वनदेवी ने अपने घटने का कारण कार्बन-डाइऑक्साइड को बताया।

प्रश्न 5.
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर:
गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य में आँतों की बीमारियाँ उत्पन्न करती हैं। तपेदिक जैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 6.
ओज़ोन परत क्या है ?
उत्तर:
जो परत सूर्य द्वारा विसर्जित पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है उसे ओज़ोन परत कहते हैं।

प्रश्न 7.
ओज़ोन की परत को कौन नष्ट कर रहा है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल में पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े-बड़े हवाई जहाज ओज़ोन की परत को नष्ट कर रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात किसने सूर्यदेव से की ?
उत्तर:
प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात बुद्धिदेवी ने सूर्यदेव से की।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का क्या हाल होता ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता। पृथ्वी पर प्राणी जीवित नहीं रह पाते। पृथ्वी पर अनेक संकट आ जाते। अतंरिक्ष की उलकाएँ पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी में धरातल भी चंद्रमा के समान बड़ेबड़े गड्ढों में बदल जाता।

प्रश्न 2.
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ‘ऑक्सीजन का कारखाना’ क्यों कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना इसलिए कहा है क्योंकि हरी पत्तियां भोजन और ऑक्सीजन बनाती हैं। इस कारखाने में कभी कोई हड़ताल नहीं होती। ये प्रकाश-संश्लेषण क्रिया से कार्बन-डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में विश्लेषित करती हैं और कार्बन स्वयं शोषित कर ऑक्सीजन को वायु में छोड़ देती

प्रश्न 3.
वनदेवी ने गुस्से में आकर रश्मिदेवी को क्या कहा ?
उत्तर:
वनदेवी ने रश्मिदेवी को गुस्से में आकर कहा कि मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगलों को अंधाधुध काट रहा है। इससे वायु को शुद्ध करने की मेरी क्षमता नष्ट हो रही है। प्रदूषण बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
वन किस प्रकार हमारे लिए लाभकारी हैं ?
उत्तर:
वन हमारे लिए बहुत लाभकारी हैं। वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। वन वर्षा लाने में सहायक हैं। इससे अनेक उपयोगी वनस्पतियाँ और औषधियां मिलती हैं।

प्रश्न 5.
रेडियोधर्मिता क्या है ? मनुष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
परमाणु-परीक्षण के लिए जिन यूरेनियम जैसे तत्वों को प्रयोग करने से हानिकारक प्रभाव वायुमंडल में फैलते हैं उसे रेडियोधर्मिता कहते हैं। मनुष्य पर उसका अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे मानव भयंकर बीमारियों से पीड़ित हो जाता है। उसके कुप्रभाव से अगली पीढ़ी को तो पहचानना भी संभव नहीं रह सकेगा।

प्रश्न 6.
बुद्धिदेवी ने मानव-रक्षा के लिए सूर्यदेव को क्या भरोसा दिलाया ?
उत्तर:
बुद्धिदेवी ने मानव रक्षा के लिए सूर्यदेव को यह भरोसा दिलाया कि वह मानव-कल्याण का कार्य करेगी। वह प्रदूषण दैत्य को जड़ से समाप्त कर देगी जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था। किंतु उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया। आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है। आप लेखक की बात से कहाँ तक सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं लेखक की बात से पूरी तरह से सहमत हूँ क्योंकि प्रदूषण ने वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज प्राणियों का सांस लेना भी कठिन हो रहा है। आज पृथ्वी ग्रह पर जीवन संकटों से भरा है। वायु भी दूषित हो गई है जिससे प्राणी सांस भी नहीं ले रहा। आज प्रदूषण ने सारी पृथ्वी पर कब्जा कर लिया है।

प्रश्न 2.
जल, वायु और ध्वनि-प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं। इनसे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। जल प्रदूषण से हैजा, पेचिश जैसी बीमारियाँ होती हैं। वायु प्रदूषण से दमा, खांसी तथा सांस के अन्य रोग होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग, फेफड़ों के अनेक रोग फैल रहे हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

  • यह दैत्य ऐसा ही है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को विषाक्त बना रहा है।

उत्तर:
इस कथन का आशय है कि वर्तमान समय में चारों तरफ प्रदूषण फैलता जा रहा है। यह एक राक्षस की तरह फैला है। यह एक ऐसा राक्षस है जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे इसके प्रभाव से वातावरण ज़हरीला बना रहा है। प्रदूषण के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है जो अनेक बीमारियों का कारण है।

  • मैं हूँ मानव का महाकाल, प्रगति का अभिशाप, औद्योगिक प्रगति का विष-वृक्ष, मैं हूँ मानव का अदृश्य शत्रु-प्रदूषण दैत्य। समझे…प्रदूषण दैत्य।

उत्तर:
आज प्रदूषण एक राक्षस के समान चारों तरफ फैला है। वह अत्यंत भयानक एवं खतरनाक है। वह वनदेवी को अपने खतरे को बताते हुए कहता है कि मैं मानव का महाकाल हूँ। अर्थात् मैं मनुष्य को मारने वाला हूँ। मैं प्रगति के रास्ते में बाधक हूँ। मैं औद्योगिक प्रगति को नष्ट करने वाला हूँ। मैं मानव का अदृश्य शत्रु हूँ अर्थात् मैं मानव-जाति के लिए विनाशकारी प्रगति के लिए अभिशाप हूँ। मैं औद्योगिक विकास का विष वृक्ष हूँ। सबको निरंतर नष्ट कर रहा हूँ।

  • आप लोग चिंता न करें, मुझ पर भरोसा रखें। आदि मानव विनाशकारी अग्नि से भयभीत हो गया था। फिर उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया और आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है। मैं इस प्रदूषण दैत्य को ही जड़ से समाप्त कर दूँगी। संसार में इसका उन्मूलन करना परमावश्यक है।

उत्तर:
बुद्धिदेवी मानव कल्याण के लिए सूर्यदेव को आश्वासन देती है वह कहती है कि मानव कल्याण के लिए आप चिंता न करें। इसके लिए आप मुझ पर भरोसा रखें। जैसे आदि मानव विनाशकारी अग्नि से डर गया था किंतु बाद में उसने अग्नि को अपने अधीन कर लिया इसलिए आज अग्नि मानव के लिए कल्याणकारी है। इसी तरह मैं इस प्रदूषण रूपी राक्षस को जड़ से खत्म कर दूंगी। आज संसार में इसको मिटाना बहुत ज़रूरी है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एक-वचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए :

एकवचन – बहुवचन
पत्ता – ……………….
पुत्री – ……………….
आँत – ……………….
बहरा – ……………….
नज़र – ……………….
गड्ढा – ……………….
पृथ्वी – ……………….
किरण – ……………….
साड़ी – ……………….
परत – ……………….
नीला – ……………….
पत्ती – ……………….
पीला – ……………….
लकड़ी – ……………….
गैस – ……………….
देवी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
पत्ता – पत्ते
पुत्री – पुत्रियाँ
आँत – आँतें
बहरा – बहरे
नज़र – नज़रें
गड्ढा – गड्ढे
पृथ्वी – पृथ्वियाँ
किरण – किरणें
साड़ी – साड़ियाँ
परत – परतें
नीला – नीले
पत्ती – पत्तियाँ
पीला – पीले
लकड़ी – लकड़ियाँ
गैस – गैसें
देवी – देवियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति – ……………. – …………….
असत्य – ……………. – …………….
प्रगति – ……………. – …………….
प्रत्येक – ……………. – …………….
आगमन – ……………. – …………….
प्रदूषण – ……………. – …………….
अत्यधिक – ……………. – …………….
दुष्प्रभाव – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उन्नति -उत् – नति
असत्य – अ – सत्य
प्रगति -प्र – गति
प्रत्येक – प्रतिएक – दुष्प्रभाव
आगमन – आ – गमन
प्रदूषण – प्र – दूषण
अत्यधिक – अति – अधिक
दुः – प्रभाव

3. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिएशब्द … मूल शब्द प्रत्यय

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – ……………. – …………….
उपयोगी – ……………. – …………….
उपहार – ……………. – …………….
तीव्रता – ……………. – …………….
विषैला – ……………. – …………….
ज़हरीला – ……………. – …………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
प्रसन्नता – प्रसन्न – ता
तीव्रता – तीव्र – ता
उपयोग – उपयोग – ई
विषैला – विष – ऐला
उपहार – उप – हार

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4. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – ……………….
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – ……………….
• नाक में दम करना – तंग करना – ……………….
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – ……………….
• लोहा लेना – युद्ध करना – ……………….
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – ……………….
उत्तर:
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
• चारा न रहना – उपाय न होना – समय बीत जाने पर हमारे पास कार्य सिद्धि का कोई चारा नहीं रहता।
• गज़ब ढाना – जुल्म करना – अंग्रेजों ने शहीदों पर बहुत गज़ब ढाए।
• नाक में दम करना – तंग करना – शरारती बच्चों ने सबकी नाक में दम कर दिया
• घुला घुला कर मारना – धीरे-धीरे कष्ट पहुँचाकर मारना – डाकुओं ने यात्री को घुला-घुला कर मार डाला।
• लोहा लेना – युद्ध करना – शिवाजी ने विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया।
• तिनके के समान – बहुत कमज़ोर – डरपोक लोग विपत्ति काल में तिनके के समान होते हैं।

5. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव – तत्सम
सफेद – ……………….
पीला – ……………….
चाँद – ……………….
सूरज – ……………….
करोड़ – ……………….
समुन्दर – ……………….
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
सफेद – शुभ्र
पीला – पीत
चाँद – चंद्र
सूरज – सूर्य
करोड़ – कोटि
समुन्दर – समुद्र

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6. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए

(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री पृथ्वी
(ii) कौन रश्मि तुम मेरी बातें सुन रही थीं
(iii) हाँ तुमने ठीक पहचाना
(iv) सिंहासन से उठकर आखिर बात क्या है
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए शक्ति दीजिए कि मैं लोग कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ
उत्तर:
(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री-पृथ्वी।
(ii) कौन रश्मि! तुम मेरी बातें सुन रही थीं।
(iii) हाँ! तुमने ठीक पहचाना।
(iv) सिंहासन से उठकर- आखिर बात क्या है?
(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए, शक्ति दीजिए कि मैं लोग-कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
(1) प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) वनों के कटाव पर रोक लगानी चाहिए।
(3) जंगलों को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
(4) अपने आस-पास गंदा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
(5) व्यर्थ में पानी नहीं बहाना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट कूड़ादान में ही डालना चाहिए।

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प्रश्न 2.
क्या सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है ? स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
हाँ, सचमुच बुद्धिदेवी प्रदूषण जैसे महादैत्य से छुटकारा दिला सकती है। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि से विचार करें तो वह प्रदूषण को पूर्ण रूप से नष्ट कर सकता है और इस प्रकृति को और अधिक सुंदर बना सकता है। वातावरण को साफ, स्वच्छ एवं सुंदर और मनमोहक बना सकता है।

प्रश्न 3.
आपकी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर-हमारी दृष्टि में प्रदूषण को कम करने में सरकारों की निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए
(1) सरकारों को कारखाने, फेक्ट्रियां शहरों से दूर लगवाने चाहिए।
(2) कारखानों का गंदा पानी नदियों में नहीं डालना चाहिए।
(3) पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगवाने चाहिए।
(4) जंगलों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर-अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ प्रदूषण-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से प्रदूषण-उन्मूलन-रैली का आयोजन हो तो इन नारों से समाज को प्रदूषण से मुक्ति के लिए जाग्रत करें।
उत्तर-
(1) प्रदूषण मिटाओ, देश बचाओ।
(2) प्रदूषण भगाओ स्वास्थ्य बचाओ।
(3) पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण मिटाओ।

प्रश्न 3.
इस एकांकी को स्कूल में उचित अवसर पर मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
अपने जन्मदिन के अवसर पर एक गमले में बढ़िया-सा पौधा लगाकर उसे स्कूल को भेंट करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से प्रदूषण के भयंकर परिणामों से सम्बन्धित चित्र इकट्ठे करके उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।

प्रश्न 6.
वैज्ञानिक प्रगति ही प्रदूषण का मुख्य कारण हैइस विषय पर स्कूल में वाद-विवाद आयोजित कीजिए। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 7.
अपने विज्ञान-अध्यापक की मदद से विज्ञान-प्रयोगशाला में जाकर प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया को समझें।
उत्तरं:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने हेतु पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें, कागज़ का प्रयोग कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी अधिक खराब सामग्री रिसाइकिल होगी, उतना ही पृथ्वी का कूड़ा कचरा भी कम होगा।
उत्तर:
स्वयं समझें एवं करें।

प्रश्न 9.
स्कूल में आयोजित होने वाले विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) तथा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) में सक्रिय रूप से भाग लें और पर्यावरण स्वच्छता व सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करें।
उत्तर:
स्वयं करें।

प्रश्न 10.
यदि आप देखें कि किसी फैक्टरी/कारखाने द्वारा किसी भी तरह का प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो अपने बड़ों/अध्यापकों आदि की मदद से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सम्बन्धित विभाग में शिकायत करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 11.
विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओज़ोन दिवस आदि अवसरों पर लेख, नाटक, कविता, निबन्ध नारे लेखन, भाषण आदि प्रतियोगिताओं में भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं कीजिए।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. खर : रावण का सौतेला भाई जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

2. दूषण : रावण की सेना का नायक जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था।

3. त्रेता : हिन्दू मान्यतानुसार चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग) में से दूसरा युग।

4. प्रकाश-संश्लेषण : सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश-संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्तियों द्वारा सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा पृथ्वी से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं।

5. कार्बनडाइऑक्साइड : यह एक रासायनिक यौगिक है जिसका निर्माण ऑक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। पृथ्वी के सभी जीव अपनी श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं।

6. ऑक्सीजन : यह रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। जीवित प्राणियों के लिए यह गैस अति आवश्यक है। इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं।

7. सीसा : सीसा एक धातु एवं तत्व है। आयुर्वेद में इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग इमारतें बनाने, बंदूक की गोलियाँ तथा वज़न आदि बनाने में भी होता है। यह भी जानें कि पेट्रोल और पेंट (रंग) को सक्षम बनाने के लिए जब सीसा का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग होता है तो इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

8. रेडियोधर्मिता : किसी पदार्थ के परमाणु में से अपने आप विकिरणों के कणों का निकलना रेडियोधर्मिता कहलाता है। रेडियम, यूरेनियम तथा थोरियम रेडियोधर्मी पदार्थ हैं। विकिरणों से त्वचा का कैंसर और अन्य रोगाणुजनक रोग हो सकते हैं।

9. ओज़ोन परत : पृथ्वी की सतह से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओज़ोन की परत है। यह ऊँचाई के साथ-साथ मोटी होती जाती है। यह समतल मंडल में 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर सबसे अधिक मोटी है। यह परत पराबैंगनी किरणों को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकने के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करती है। इसके न होने अथवा नष्ट होने से हानिकारक पराबैंगनी किरणों दवारा लोगों में त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जायेगा।

10. महत्वपूर्ण दिवस विश्व जल दिवस : 22 मार्च विश्व स्वास्थ्य दिवस : 07 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस : 22 अप्रैल विश्व पर्यावरण दिवस : 05 जून . विश्व ओज़ोन दिवस : 16 सितम्बर विश्व प्रकृति दिवस : 03 अक्टूबर

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PSEB 9th Class Hindi Guide प्रकृति का अभिशाप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सूर्यदेव की वेषभूषा कैसी है ?
उत्तर:
सूर्यदेव चमकदार पीले वस्त्र तथा चमचमाता सुनहरा मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 2.
रश्मिदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
रश्मिदेवी चमकदार पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी ओढ़े हैं।

प्रश्न 3.
वनदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
वनदेवी फूल और पत्तों से चित्रित हरी साड़ी पहने हैं। सिर पर पत्तों का मुकुट है।

प्रश्न 4.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलदेवी मछलियों आदि जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग के मुकुट पहने है।

प्रश्न 5.
बुद्धि देवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
बुद्धि देवी रूपहली किनारी लगी हुई सफेद साड़ी तथा रूपहला झिलमिलाता मुकुट पहने हुए हैं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी किसकी पुत्री है ?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य की पुत्री है।

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प्रश्न 7.
सौरजगत विशाल कुटुंब में कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के विशाल कुटुंब में नौ ग्रह हैं। पृथ्वी इनमें से एक है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर अनोखा कौन हैं ? कैसे ?
उत्तर:
पृथ्वी पर अनोखा मानव है। वह अपने मस्तिष्क के बल पर अनोखा है।

प्रश्न 9.
सौरजगत के अधिपति कौन हैं ?
उत्तर:
सौरजगत के अधिपति सूर्य हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक कौन है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पृथ्वी के वातावरण का मुख्य घटक पवन है। इसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है।

प्रश्न 2.
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
वायुमंडल के पृथ्वी के लिए अनेक लाभ हैं
(1) वायुमंडल के कारण पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं।
(2) वायुमंडल अनेक प्रकार के संकटों से पृथ्वी की रक्षा करता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल पृथ्वी की सुरक्षा कैसे करता है ?
उत्तर:
अंतरिक्ष में अनेक उल्काएँ प्रत्येक क्षण पृथ्वी की ओर आकृष्ट होती हैं, किंतु वे वायुमंडल के घर्षण के कारण मार्ग में ही नष्ट हो जाती हैं। यदि वायुमंडल न होता तो उल्काएं पृथ्वी पर विनाश कर देतीं। पृथ्वी का धरातल भी चंद्रमा के समान बड़े-बड़े गड्ढों से युक्त होता है।

प्रश्न 2.
आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का क्या योगदान है ?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की सहायता से हरी पत्तियाँ कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से कार्बन और आक्सीजन में विश्लेषित करती हैं। हरी पत्तियां कार्बन का पोषण कर लेती हैं और ऑक्सीजन को पुन: वायु में छोड़ देती हैं। इस प्रकार आक्सीजन प्रदान करने में हरी पत्तियों का महान् योगदान है।

प्रश्न 3.
एक नागरिक होने के नाते हम प्रदूषण को किस प्रकार दूर कर सकते हैं ?
उत्तर:
(1) हमें नागरिक होने के नाते अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(2) कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
(3) वनों, पेड़-पौधों को काटने नहीं देना चाहिए।
(4) व्यर्थ में ही पानी नहीं बहाना चाहिए।
(5) लाऊड स्पीकरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(6) कूड़ा-कर्कट एवं गंदा पानी नदी-नालों एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 4.
पर्यावरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द परि+आवरण के योग से बना है। परि का अर्थ है-चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ढकने वाला अर्थात् जो हमें चारों ओर फैलकर ढके हुए हैं। जो हमारी चारों तरफ से सुरक्षा कर रहा है। उसे पर्यावरण कहते हैं। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश इन पाँचों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
श्रीपाद विष्णु कानाडे।

प्रश्न 2.
‘प्रकृति का अभिशाप’ एकांकी किसका संदेश देता है ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण का।

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प्रश्न 3.
जलदेवी की वेशभूषा कैसी है ?
उत्तर:
जलीय जंतुओं से चित्रित नीली साड़ी तथा नीले रंग का मुकुट।

प्रश्न 4.
सूर्यदेव को किस ग्रह की अधिक चिंता है ?
उत्तर:
पृथ्वी की।

प्रश्न 5.
मानव सबसे अनोखा जीव अपनी किस वस्तु के कारण है ?
उत्तर:
मस्तिष्क के।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
‘मानव ने अपने मस्तिष्क के सहारे उन्नति की है’-यह कथन रश्मि देवी का है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
‘अब कार्बनडाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है’-पवन देव ने कहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 8.
‘मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक वृद्धि के हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं’-वनदेवी ने कहा।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
प्राणदायिनी ऑक्सीजन को कार्बन स्वयं रखकर पवन देव भेजता है।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दैत्य ……. तो मुझे ………. कर ही रहा है।
उत्तर:
दैत्य प्रदूषण तो मुझे परेशान कर ही रहा है।

प्रश्न 11.
ये कण …. से मिलकर जल और …….. को भी …….. करते हैं।
उत्तर:
ये कण कीटाणुओं से मिलकर जल और वनस्पतियों को भी दूषित करते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
चमचमाता सुनहरा मुकुट कौन पहने हुए हैं ?
(क) सूर्यदेव
(ख) रश्मिदेवी
(ग) वनदेवी
(घ) पवन देव।
उत्तर:
(क) सूर्य देव।

प्रश्न 13.
पीला लहँगा और वैसी ही चुन्नी कौन ओढ़े हैं ?
(क) बुद्धि देवी
(ख) जल देवी
(ग) वनदेवी
(घ) रश्मि देवी।
उत्तर:
(घ) रश्मि देवी।

प्रश्न 14.
एकांकी में प्रदूषण दैत्य कहाँ है ?
(क) जल में
(ख) वन में
(ग) नेपथ्य में
(घ) नभ में।
उत्तर:
(ग) नेपथ्य में।

प्रश्न 15.
गंधकयुक्त औषधियां कैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं ?
(क) तपेदिक
(ख) कैंसर
(ग) हृदय
(घ) नेत्र।
उत्तर:
(क) तपेदिक।

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कठिन शब्दों के अर्थ

पार्श्वभूमि = आस-पास की ज़मीन। क्षुब्ध = क्रोध मिश्रित दु:ख। अनायास = अचानक। महादैत्य = महाराक्षस। औद्योगिक = उद्योग सम्बन्धी। कुटुंब = परिवार। अंतरिक्ष = आकाश। धरातल = पृथ्वी की सतह। विसर्जित = छोड़ना। यथोचित = जैसा चाहिए वैसा, समुचित। अथाह = गहरा। आत्मघात = अपनी हत्या। विश्लेषित = अलगअलग किया हुआ। अपार = अत्यधिक, जिसका पार न पाया जा सके। तीव्र = तेज। चंगुल = पकड़, अधिकार। निःसंदेह = बेशक, बिना शक के। बला = मुसीबत। विकृति = विकार, खराबी (विकार के बाद प्राप्त रूप)। भ्रमण = घूमना। नेपथ्य = परदे के पीछे। सौरमंडल = सूर्य और उसके ग्रहों का समूह । खर-दूषण = त्रेतायुग के दो राक्षस। अट्टालिका = महल, इमारत। रश्मि = किरण। मस्तिष्क = दिमाग। समक्ष = सामने। विषाक्त = ज़हरीला। अधिपति = स्वामी, मालिक। कोटि-कोटि = करोड़ों। खिन्न = दु:खी, उदास। प्रादुर्भाव = प्रकट होना, उत्पत्ति। आच्छादित = ढका हुआ। गर्त = गड्ढा। उल्काएँ = लौह मिश्रित पत्थर के टुकड़े जो अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। अस्तित्व = हस्ती, सत्ता, विद्यमान होना। ह्रास = कमी, गिरावट। जलीय = जल संबंधी। अनोखा = अनूठा। प्रत्यक्षतः = प्रत्यक्ष रूप से। वायुमंडल = वातावरण। खिन्न = उदास। अनादिकाल = आरम्भ से ही। बलबूते = ताक़त, ज़ोर। उन्मूलन = उखाड़ फेंकना, जड़ से ख़त्म कर देना।

प्रकृति का अभिशाप Summary

प्रकृति का अभिशाप जीवन-परिचय

श्रीपाद विष्णु कानाडे एकांकी-साहित्य के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका साहित्य का विकास करने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये एक आधुनिक साहित्यकार हैं। एकांकी साहित्य के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।
‘प्रकृति का अभिशाप’ इनकी अत्यंत प्रभावशाली एवं लोकप्रिय एकांकी है। इसके साथ-साथ इन्होंने अनूठा साहित्य रचा है। कानाडे का एकांकी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी एकांकियों में एकांकी के प्रमुख तत्वों कथानक, पात्र तथा चरित्र-चित्रण, संकलनत्रय वातावरण, संवाद, उद्देश्य एवं अभिनेयशीलता का सफल निर्वाह हुआ है।
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने सूर्यदेव, वनदेवी, जलदेवी, रश्मिदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी एवं प्रदूषण पात्रों के द्वारा मानव को वातावरण के प्रति जागृत रहने की प्रेरणा दी है। मानव को प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी रखने का संदेश दिया है अन्यथा इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश निश्चित है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

प्रकृति का अभिशाप एकांकी का सार

‘प्रकृति का अभिशाप’ नामक एकांकी श्रीपाद विष्णु कानाडे द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने प्रकृति के अभिशाप का वर्णन किया है। इसमें लेखक ने सूर्यदेव, रश्मिदेवी, वनदेवी, जलदेवी, पवनदेवी, बुद्धिदेवी तथा प्रदूषण (दैत्य) पात्रों के माध्यम से मानव को सावधान किया है कि यदि मनुष्य प्राकृतिक साधनों के प्रयोग में सावधानी नहीं रखेगा तो इसके घातक परिणामों से मनुष्य का विनाश भी निश्चित है। मंच पर एक विशाल सुनहरे सिंहासन पर सूर्यदेव विराजमान हैं। रश्मिदेवी सिंहासन के पीछे खड़ी है। सूर्यदेव चिंतित मुद्रा सौर जगत् के विशाल कुटुंब में पृथ्वी ग्रह के प्रति चिंता करता है। वह कहता है कि उसने अपनी पुत्री पृथ्वी को अधिक योग्य बनाना है। इसकी गोद में अनेक जीव-जंतु पेड़-पौधे पनप सकते हैं। इतना ही नहीं मानव भी पृथ्वी पर ही रहता है। यह अपने मस्तिष्क के बल पर पृथ्वी का स्वामी और अनोखा है। रश्मिदेवी सूर्य को कोई चिंता न करने का आग्रह करती है। उसे सौर-जगत् में पृथ्वी एक नंदनवन जैसी लगती है। वह सूर्य को बताती है वह पृथ्वी का भ्रमण करके आई है। उसका हाल अच्छा है। मानव ने बहुत प्रगति कर ली है। उसने बड़े-बड़े नगर बसा लिए हैं। वह उन्नति के शिखर पर पहुँच गया है। तभी पवनदेव का प्रवेश हुआ। उसने बताया कि पृथ्वी पर मानव ने उन्नति नहीं की है, बल्कि वह तो पतन के गड्ढे में गिरने वाला है। जलदेवी आकर कहती है कि ऐसी उन्नति का कोई लाभ नहीं है जिससे उसे अशुद्ध जल पीकर बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। वनदेवी प्रवेश करती है। वह बताती है कि असाधारण प्रगति के कारण मानव के समक्ष विषैला भोजन खाकर आत्मघात करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। सूर्यदेव सबके चेहरे को देखता है।

पवनदेव उनसे हाथ जोड़ कर क्षमा मांगते हैं। पवनदेव उनको नमन करता है। उसके बाद जलदेवी, वनदेवी सभी उनको प्रणाम करते हैं। सूर्य उनसे अचानक आने का कारण पूछते हैं। पवनदेव, जलदेवी, आदि सभी सूर्यदेव को बताते हैं कि पृथ्वी संकट में हैं। वनदेवी ने बताया कि प्रदूषण रूपी महादैत्य हम लोगों के पीछे लगा हुआ है। सूर्यदेव सभी से इस दैत्य के बारे में पूछता है। पवनदेव उन्हें बताते हैं कि यह ऐसा दैत्य है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को ज़हरीला बना रहा है। वनदेवी ने बताया कि इस राक्षस का जन्म औद्योगिक क्रांति से हुआ है। पवनदेव ने बताया कि उसने वायुमंडल के रूप में पृथ्वी को ढका हुआ है। सूर्यदेव कहता है वायुमंडल के कारण ही पृथ्वी के प्राणी जीवित रह पाते हैं। वायुमंडल ही पृथ्वी को अंतरिक्ष की उल्काओं से बचाता है। अन्यथा पृथ्वी भी नष्ट हो जाती। सूर्यदेव कहता है कि शुद्ध वायु देने के लिए ही उसने पृथ्वी को वायु के अथाह समुद्र में डुबो दिया है। इस सागर का – भाग ऑक्सीजन है। मानव इसका प्रत्यक्ष उपयोग करता है। पवनदेव कहता है पृथ्वी पर प्रत्येक जीव ऑक्सीजन का उपयोग करता है और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ता है। किंतु कारखानों, इंजनों से कार्बन-डाइऑक्साइड अधिक उत्पन्न हो रही है। सूर्यदेव बताता है कि उसने कार्बन-डाइऑक्साइड से पुनः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए ही वनस्पति पृथ्वी को प्रदान की है। वनदेवी कहती है कि सूर्य में तेज़ प्रकाश से ही उसकी हरी पत्तियां कार्बन-डाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से कार्बन तथा ऑक्सीजन में विश्लेषित करती है। मैं स्वयं के पोषण के लिए कार्बन रखकर ऑक्सीजन को पुनः वायु में छोड़ देती हूँ। किंतु आज कार्बन-डाइऑक्साइड बढ़ती जा रही है। मानव की तरक्की तथा उद्योगों के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। विवेकहीन मनुष्य जंगल काट रहा है। शहरीकरण के लिए जंगल काटे जा रहे हैं। इसका मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सूर्यदेव वनदेवी से उन नुकसानों के बारे में पूछते हैं। वनदेवी उन्हें बताती है कि वनों की कमी से वर्षा नहीं होती। जिससे वनस्पतियाँ नहीं उगती। वनस्पतियों के अभाव में वायु शद्ध नहीं रहती। पवनदेव अपने अशुद्ध होने का नमूना औद्योगिक प्रगति बताते हैं। रश्मिदेवी प्रगति को प्रदूषण का कारण सुनकर चकित होती है। पवनदेव उन्हें बताता है कि उद्योगों के कारण अनेक गैसें आती हैं, जिनका जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

गंधकयुक्त औषधियों से आंतों की बीमारियां बढ़ती हैं। तपेदिक जैसे रोग बढ़ते हैं। वनों का भी विकास रुक जाता है। पवनदेव अपने दूषित होने के कारण बताते हैं कि कारखानों से असंख्य सूक्ष्मकण उसे दूषित करते हैं। पेट्रोल को सक्षम बनाने के लिए प्रयुक्त सीसा वायु को विषैला बना देता है। किंतु प्रदूषण रूपी राक्षस के हाथ अभी गाँवों तक नहीं पहुँचे हैं, इसलिए लोगों को गांवों में रहना अच्छा लगता है। सीसा मिश्रित पेट्रोल के कारण ओजोन परत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से पृथ्वी के जीवों की रक्षा करती है। पेट्रोल से चलने वाले जैट जैसे बड़े हवाई जहाज़ इस परत को नष्ट कर रहे हैं।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 19 प्रकृति का अभिशाप

वनदेवी आँसू पोंछते हुए सूर्यदेव को बताती है कि प्रदूषण उसे भी परेशान कर रहा है। साथ ही कीटनाशक रसायन भी उसे हानि पहुँचा रहे हैं। जलदेवी कहती है कि ये कीटनाशक रसायन वर्षा के जल में घुलकर नदी तालाबों को दूषित करते हैं। इससे जलीय वनस्पतियों तथा जीवों को बहुत नुकसान होता है। कारखानों का दूषित तेल और विषैले पदार्थ भी नदियों में बहाने पर उसे हानि पहुँचा रहे हैं।
सबकी बातें सुनकर सूर्यदेव चिंतित होकर कहते हैं कि यह सब बहुत घातक है। इससे सभी को अपने अस्तित्व का खतरा होने लगता है। इसलिए रश्मिदेवी सूर्य को पृथ्वी पर न जाने को कहती है किंतु सूर्य उसे ऐसा न करने को कहते हैं। तभी दैत्य प्रदूषण डरावनी हंसी से कहता है कि वह बहुत खुश है कि उसने वायु, जल तथा वनस्पति की नाक में दम कर दिया है। सूर्य उसके बारे में पूछता है तो प्रदूषण बताता है कि वह अदृश्य होकर ही सबको सताता है। वह मनुष्य के विनाश का कारण बनने वाला है। वही मानव का महाकाल है। औद्योगिक प्रगति का विष वृक्ष है। रश्मिदेवी को अपनी चिंता होने लगती है। किंतु प्रदूषण उसे कहता है कि वह उसे हानि नहीं पहुंचाएगा। वह तो केवल पृथ्वी पर रहने वाले जीवों का ही विनाश करना चाहता है। इसके बाद सभी सूर्यदेव से प्रदूषण से अपनी-अपनी रक्षा करने के लिए कहने लगे।

तभी पर्दे पर मधुर संगीत के साथ बुद्धिदेवी का प्रवेश होता है। वह सूर्यदेव को कहती है कि इस दैत्य से पृथ्वी को बचाने के लिए उन्हें कष्ट करने की ज़रूरत नहीं है। वह पृथ्वीवासियों के जीवन को सुखी बनाने वाली जल, वायु और वनस्पति देवियों की रक्षा करेगी। वह सभी की रक्षा का आश्वासन देती है। बुद्धिदेवी प्रदूषण को मानव द्वारा विनाश होने की बात कहती है। तभी दैत्य प्रदूषण बताता है कि उसके अनेक सहायक हैं। रेडियोधर्मिता उसका नया सहायक है। रश्मिदेवी के पूछने पर वनदेवी बताती है कि रेडियोधर्मिता यूरेनियम जैसे तत्वों के परमाणु परीक्षण द्वारा पैदा होती है। दैत्य प्रदूषण इसकी हानियाँ बताता है कि रेडियोधर्मिता से मानव स्वयं घुट-घुटकर मरेगा। उसकी अगली पीढ़ी को वह पहचान भी नहीं पाएगा। उसका दूसरा साथी ध्वनि प्रदूषण है। जो बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े जहाज़ों, वाहनों, लाऊडस्पीकरों आदि से उत्पन्न होती है। जो थोड़े ही दिन में लाखों को बहरा बना देगी। वह बुद्धि को चुनौती देते हैं। बुद्धि उसकी चुनौती स्वीकार करती है और सूर्य देव, पवन देव आदि सभी को मानव कल्याण एवं पृथ्वी की सुरक्षा करने का आश्वासन देती है कि वह इस प्रदूषण को जड़ से ही समाप्त कर देगी। संसार से इसका उन्मूलन करना परम आवश्यक है। सूर्य देव भी लोक-कल्याण के कार्य में सफल होने का आशीर्वाद देते हैं। सभी खुश हो जाते हैं और पर्दा गिर जाता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

Hindi Guide for Class 9 PSEB शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी कौन थे ?
उत्तर:
शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे।

प्रश्न 2.
मोरोपंत कौन था ?
उत्तर:
मोरोपंत एक पेशवा थे।

प्रश्न 3.
आवाजी सोनदेव कौन था ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव शिवाजी का एक सेनापति था।

प्रश्न 4.
शिवाजी के सच्चा स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना किस समय की है ?
उत्तर:
इस पाठ की घटना सन् 1648 ई० की संध्या की है।

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प्रश्न 5.
मोरोपंत शिवाजी को आकर क्या शुभ समाचार देता है ?
उत्तर:
मोरोपंत शिवाजी को आकर यह शुभ समाचार देता है कि सेनापति आवाजी सोनदेव ने कल्याण प्रांत को जीत कर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आ गए हैं।

प्रश्न 6.
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को सबसे बड़े तोहफे के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को बताया कि सबसे बड़े तोहफे के रूप में वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंद करके लाया है।

प्रश्न 7.
शिवाजी की प्रसन्नता एकाएक लुप्त क्यों हो गयी थी ?
उत्तर:
अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति लेकर आया है, यह सुनकर शिवाजी की प्रसन्नता लुप्त हो गई। उन्हें अपने सेनापति के कार्य पर लज्जा आई थी।

प्रश्न 8.
शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू की सुरक्षा करते हुए उसे क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर:
शिवाजी ने उसे आश्वासन दिया कि उसे आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और खबरदारी के साथ उसके शौहर के पास बिना देरी के पहुँचा दिया जाएगा।

प्रश्न 9.
शिवाजी पर-स्त्री को किसके समान मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी पर-स्त्री को माता के समान मानते थे।

प्रश्न 10.
शिवाजी ने अंत में क्या घोषणा की ?
उत्तर:
शिवाजी ने अंत में घोषणा की कि यदि कोई भविष्य में ऐसा काम करेगा तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शिवाजी ने अपने सेनापति की ग़लती पर सूबेदार की पुत्र-वधू से किस प्रकार माफी मांगी ?
उत्तर:
शिवाजी ने कहा कि माँ, शिवा अपने सेनापति की इस हरकत पर आपसे माफी मांगता है। आप एक माँ के समान पूजनीय हैं। यदि मेरी माँ आप जैसी सुंदर होती तो मैं भी सुंदर होता। मैं आपकी सुंदरता का हिंदू विधि से पूजन करना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
शिवाजी ने अपने सेनापति को किस प्रकार डाँट फटकार लगायी ?
उत्तर:
शिवाजी ने सेनापति को फटकारते हुए कहा कि उसने ऐसा घृणित काम किया है जो शायद क्षमा नहीं किया जा सकता। तुम शिवा को नजदीक से जानते थे फिर भी ऐसा दुस्साहस किया। शिवा ने आज तक किसी मस्जिद की दीवार में बाल के बराबर दरार नहीं आने दी। सदा कुरान का सम्मान किया।

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प्रश्न 3.
शिवाजी किस तरह सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे ?
उत्तर:
शिवाजी ऐसे सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे जहां सुख-शांति एवं भाईचारा हो। जहाँ पर-स्त्री का भी माँ के जैसा सम्मान हो। हिंदू-मुस्लिम सभी धर्म समान हों। मंदिर-मस्जिद दोनों का सम्मान हो। कोई भी आततायी न हो।

प्रश्न 4.
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग क्यों मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग इसलिए मानते थे, क्योंकि शील जीवन का मूल आधार है। इसी से जीवन महान् बनता है। यदि शिवा में शील नहीं तो सरदार और सेनापति में शील नहीं हो सकता है। बिना शील के हम लुटेरों, डाकुओं के समान हैं। इसके बिना जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ के आधार पर शिवाजी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
(1) वीर-शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे। उनकी वीरता चारों तरफ बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने अपनी वीरता के बल पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और उन्हें खदेड़ दिया।
(2) चरित्रवान्-शिवाजी एक महान् चरित्रवान् राजा थे। उनकी शीलता बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने कभी भी किसी स्त्री को नहीं सताया था। यहां तक कि वह मुस्लिम स्त्रियों को भी पूजनीय मानता था।
(3) नारी का सम्मान करने वाला-शिवाजी नारी का पूरा सम्मान करते थे। वे पर-स्त्री को अपनी माँ के समान पूजनीय मानते थे। इसीलिए उन्होंने कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा जीतने के बाद भी सम्मान सहित क्षमा मांग कर वापिस भिजवा दिया था।
(4) साहसी-शिवाजी एक साहसी वीर थे। उनमें साहस कूट-कूट भरा था। इसी साहस के बल पर उन्होंने अनेक आंतकियों को मार भगाया था।
(5) सभी धर्मों का सम्मान करने वाले-शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। उन का मानना था कि सभी धर्म श्रेष्ठ और पूजनीय होते हैं। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण रूप से सम्मान करते थे और किसी भी स्थिति में उस का निरादर करने की बात सोचते तक नहीं थे।

प्रश्न 2.
इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पर-स्त्री को सदा माँ के समान पूजनीय समझना चाहिए। उसका सदा आदर करना चाहिए। कभी भी वीरता का घमंड नहीं करना चाहिए। धैर्यवान् एवं चरित्रवान् बनना चाहिए। दूसरों का सदा सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों एवं लोगों को समान भाव से देखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी की अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रम का चित्रण किया है। वे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने धर्मान्ध विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदू स्वराज्य की स्थापना की, जो धर्मनिरपेक्ष था। उनका स्वराज्य मानव-मूल्यों की आधारशिला पर टिका हुआ था। जिसमें प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवनयापन के अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी शीलवान और चरित्रवान् पुरुष थे। उनमें राजगद्दी का कोई अभिमान नहीं था। वे नारी जाति का पूर्ण सम्मान करते थे। शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक वंदनीय थी। यही कारण है कि सेनापति द्वारा शत्रु पत्नी को बंदी बनाकर लाने पर वे उनसे क्षमायाचना की थी तथा उन्हें सकुशल पति के पास भेजने का आश्वासन दिया था। उनका मानना था कि शिवा में शील होना आवश्यक था क्योंकि उनमें शील होने पर ही सेनापति तथा सरदारों में शील हो सकता था। बिना सच्चरित्र के लुटेरों, डाकुओं और हममें कोई अंतर नहीं। ऐसी अवस्था में जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एकांकी का यह नाम बिल्कुल सार्थक है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
आवाजी, क्या तुम मेरी परीक्षा लेना चाहते थे ? इसलिए तो तुमने यह कार्य किया ?
उत्तर:
जब आवाजी कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर शिवाजी के सामने लाया तो शिवाजी ने उसको फटकार लगाई कि क्या वह उसकी परीक्षा लेना चाहता था। शायद इसलिए तुमने यह कार्य किया है।।

प्रश्न 2.
पेशवा, यह…… यह मेरे …. मेरे एक सेनापति ने ….. मेरे एक सेनापति ने क्या…. क्या कर डाला। लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा ….. कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा ?
उत्तर:
शिवाजी अपने सेनापति द्वारा किए गए घृणित कार्य से बहुत लज्जित हुए। उनकी अंर्तात्मा उन्हें दुत्कारने लगी तो वे अंदर ही अंदर क्षमा याचना करते हैं कि पर-स्त्री को बंदी बनाने का घृणित कार्य उनके सेनापति ने किया है। उसके सेनापति ने कैसा लज्जापूर्ण कार्य कर डाला। आज लज्जा से मेरा सिर पृथ्वी में नहीं बल्कि पाताल में धंसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

अशुद्ध – शुद्ध
दलान – ………………
सुसजित – ………………
वेषभूशा – ………………
गबराहट – ………………
हिंदू – ………………
मसजिद – ………………
श्रेसकर – ………………
सेनापती – ………………
उपसथित – ………………
मुसकुराना – ………………
खुबसूरती – ………………
सुराजय – ………………
घृणीत – ………………
प्राशचित – ………………
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
दलान – दालान
सुसजित – सुसज्जित
वेषभूशा – वेषभूषा
गबराहट – घबराहट
हिंदू – हिंदु
मसजिद – मस्जिद
श्रेसकर – श्रेयस्कर
सेनापती – सेनापति
उपसथित – उपस्थित
मुसकुराना – मुस्कुराना
खुबसूरती – खूबसूरती
सुराजय – स्वराज्य
घृणीत – घृणित
प्राशचित – प्रायश्चित

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए

  • मुहावर – अर्थ – वाक्य
  • भृकुटि चढ़ना – क्रोध आना – ………………
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) –
    दाँतों के नीचे आना – क्रोध आना – ………………
  • सिर पर चढ़ाना – सम्मान करना, आदर-भाव से ग्रहण करना – ……………
  • बाल बराबर दरार न आने देना – ज़रा भी नुकसान न होने देना, एक समान भाव रखना, समानता रखना – …………….

उत्तर:

  • भृकुटि चढ़ना (क्रोध आना) – दुर्योधन को देखकर अर्जुन की भृकुटि चढ़ गई।
  • (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दाँतों के नीचे आना (क्रोध आना) – दुश्मन को देखकर सिपाही का (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दांतों के नीचे आ गया।
  • सिर पर चढ़ाना (सम्मान करना) – प्रताप से सभी प्रेम करते हैं इसलिए वह सबके सिर चढ़ा रहता है।
  • बाल बराबर दरार न आने देना (ज़रा भी नुकसान न होने देना एक समान भाव रखना अथवा समानता रखना)-शिवाजी ने कभी भी मस्जिदों में बाल बराबर दरार नहीं आने दी।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ में लेखक क्या कहना चाहता है ? क्या लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल हुआ है ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखक शिवाजी की मानवतावादी एवं मानव कल्याण की भावना को उजागर करना चाहता है। शिवाजी शक्ति, शौर्य और पराक्रम की साक्षात मूर्ति थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। ऐसा स्वराज्य स्थापित किया जो धर्म-निरपेक्ष था। जो मानव मूल्यों की आधारशिला पर टिका था। उसमें प्रत्येक नागरिक को आदरपूर्वक जीवनयापन करने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु-पत्नी माँ से भी अधिक वंदनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले उन्हें बहुत प्रिय थे। उनके स्वराज्य में सभी धर्मों का सम्मान होता है, कहीं भी मस्जिद, कुरान का अपमान नहीं होता। इसीलिए वह कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उनसे क्षमायाचना करता है और उन्हें आदर सहित उनके पति के पास भेजता है। इस घृणा योग्य कार्य से वह बहुत लज्जित होता है। इस तरह लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह से सफल हुआ है।

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प्रश्न 2.
यदि आप शिवाजी की जगह होते तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उसकी नामाकूल हरकत के लिए क्या सज़ा देते ?
उत्तर:
यदि मैं शिवाजी की जगह होता तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उनकी दुष्टतापूर्ण हरकत के लिए कड़ी से कड़ी सजा देता। उसे इस कार्य के लिए बिल्कुल माफ़ न करता। उसे आजीवन कारावास में डाल देता।

प्रश्न 3.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात् जहाँ नारी का पूजा (सम्मान) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं-क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी प्रकृति और उस परमात्मा का दूसरा रूप है। परमात्मा हर जगह विराजमान नहीं हो सकता था। इसलिए उसने संसार में अपने अनेक रूपों में नारी को बनाया। प्रकृति और प्रभु पूजनीय एवं श्रद्धा-योग्य हैं इसलिए नारी भी पूजनीय एवं श्रद्धेय है। अतः हमें नारी का सदा सम्मान करना चाहिए। उसकी सदा पूजा करनी चाहिए। जहां नारी की पूजा होती है वहां सदा सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है। वहां कभी अशुभ नहीं हो सकता। इसलिए सदा नारी का आदर सम्मान करना चाहिए। उसकी पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
स्त्री को छेड़ने/अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती। असली बहादुरी तो स्त्री रक्षा/ सुरक्षा में है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि स्त्री को छेड़ने या अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती बल्कि असली बहादुरी तो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करने में होती है। स्त्री को छेड़ना या अपहरण करना एक लज्जापूर्ण शिवाजी का सच्चा स्वरूप एवं घृणा योग्य कार्य है। इस कार्य को करने से समाज में बदनामी मिलती है। मान-सम्मान नष्ट हो जाता है। समाज ऐसे लोगों से घृणा करने लगता है। उनसे लोग अपना सामाजिक रिश्ता तोड़ लेते हैं। किंतु जो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करता है लोग उसे बहादुर कहकर उसका आदर सम्मान करते हैं। समाज में उसकी इज्जत बढ़ने लगती है। उसकी एक श्रेष्ठ होने की पहचान बन जाती है। इसलिए हमें सदा स्त्रियों की रक्षा या सुरक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
नारी के उत्थान के लिए अनेक समाज सुधारकों/कवियों/लेखकों/महापुरुषों ने कार्य किये हैं। आप किससे प्रभावित हुए हैं ? नारी-उत्थान में उनके योगदान को उजागर करते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
मैं हिंदी-साहित्य के प्रसिद्ध लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से प्रभावित हुआ हूँ। उन्होंने नारी-उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने अपने साहित्य में भारतीय नारी को विशेष स्थान दिया। उन्होंने नारी को सबसे श्रेष्ठ माना है। उन्होंने विधवा नारी को इष्टदेव के मंदिर की पूजा के समान बताया है। उन्होंने नारी पूजनीय एवं श्रद्धेय माना है।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से एकांकी खेलें।

प्रश्न 2.
अपने स्कूल/शहर/गाँव के पुस्तकालय से शिवाजी से सम्बन्धित पुस्तक लेकर उनके अन्य जीवन प्रसंग पढ़िए। प्रेरक प्रसंगों की जानकारी इंटरनेट से भी प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
नारी अबला नहीं, सबला है-इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद आयोजित करें। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
पक्ष : यह कथन सत्य है कि नारी अबला नहीं, सबला है। नारी शक्ति का दूसरा नाम है। नारी को दुर्गा शक्ति का अवतार माना जाता है। नारी किसी भी रूप में पुरुषों से पीछे नहीं है। 21वीं सदी को तो नारी सदी के नाम से ही पुकारा गया है। आज नारी ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे नारी नहीं कर सकती। वह जीवन की हर कठिनाई एवं मुसीबत का बढ़-चढ़कर मुकाबला कर सकती है।

विपक्ष : नारी अबला है, सबला नहीं। नारी जीवन में केवल सहज कार्य ही कर सकती है वह केवल घर को संभालने में ही लगी रहती है। इतना ही नहीं वह किसी भी मुसीबत का मुकाबला नहीं कर सकती। वह हर जगह पुरुषों पर निर्भर रहती है।

(ङ ) ज्ञान-विस्तार

शिवाजी के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानिए

  • पूरा नाम : शिवाजी राजे भोसले
  • जन्म तिथि : 19 फरवरी, 1630
  • जन्म भूमि : शिवनेरी (महाराष्ट्र)
  • पिता : शाह जी भोंसले
  • माता : जीजाबाई
  • पत्नी : साइबाई निम्बालकर
  • सन्तान : शम्भा जी
  • उपाधि : छत्रपति
  • युद्ध : मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध
  • निर्माण : अनेक क़िलों का निर्माण व पुनरुद्धार
  • सुधार परिवर्तन : हिन्दू राज्य की स्थापना
  • राजघराना : मराठा साम्राज्य
  • वंश : भोंसले
  • मृत्यु : 3 अप्रैल, सन् 1680

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

PSEB 9th Class Hindi Guide शिवाजी का सच्चा स्वरूप Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति आवाजी सोनदेव ने किस पर विजय प्राप्त की ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 2.
किनका काम कल्याण पर विजय में प्रशंसनीय रहा ?
उत्तर:
कल्याण विजय में पैदल सेना के अधिपति नायब, हवलदार, जुमलादार, एकहजारी, घुड़सवारों में अधिपति हवलदार, जुमलदार तथा सूबेदार का काम प्रशंसनीय रहा।

प्रश्न 3.
सेनापति ने किसका खजाना लूटा ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण का खजाना लूटा।

प्रश्न 4.
कल्याण का सूबेदार कौन था ?
उत्तर:
कल्याण का सूबेदार अहमद था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
सेनापति द्वारा अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर लाने की बात सुनकर शिवाजी पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
शिवाजी की सारी प्रसन्नता अचानक लुप्त हो गई। उनकी भौहें चढ़ गईं थी। नीचे का होंठ ऊपर के दांतों के नीचे आ गया। उन्हें क्रोध आ गया।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एकांकी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक सेठ गोबिन्द दास ने शिवाजी के शील, शौर्य, पराक्रम एवं मानव मूल्यों का वर्णन किया है। इसमें शिवाजी का सच्चा स्वरूप उभरकर सामन आया है। वे हमारे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। यह एक धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था जो मानव मूल्यों का आधारशिला पर खड़ा था। यहां प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक पूजनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले बहुत प्रिय थे। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण सम्मान करते थे। इसलिए उन्होंने कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उससे क्षमा याचना की थी तथा उसे वापिस भेजने का आश्वासन दिया था।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप

प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए सभी धर्म पूज्य थे ? कैसें ?
उत्तर:
शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। यही कारण है कि उनकी सेना में हिंदु-मुसलमान दोनों थे। उन्होंने किसी मस्जिद की दीवार को कभी आंच नहीं आने दी। उन्हें कभी कुरान शरीफ़ मिली तो उसे आदर सहित मौलवी साहब की सेवा में भेजा था। उनके लिए हिंदू-मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं था। इसीलिए उन्होंने धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य की स्थापना की थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवाजी के लिए सभी धर्म पूजनीय थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी किसकी रचना है ?
उत्तर:
सेठ गोबिन्द दास की।

प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए शत्रु की पत्नी कैसी है ?
उत्तर:
माँ से भी अधिक वंदनीय है।

प्रश्न 3.
सेनापति आवाजी सोनदेव कहाँ का खज़ाना लूट कर लाए हैं ?
उत्तर:
कल्याण प्रांत का।

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प्रश्न 4.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी में किस स्थान और समय की घटना का वर्णन है ?
उत्तर:
रायगढ़ दुर्ग के एक प्लान में सन् 1648 ई० की संध्या का।

प्रश्न 5.
पेशवा का क्या नाम है ?
उत्तर:
मोरोपंत।

प्रश्न 6.
श्रीमंत सरकार शिवाजी को कौन संबोधित करता है ?
उत्तर:
पेशवा मोरोपंत और आवाजी सोनदेव सेनापति।

हां-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
अहमद की पुत्र-वधू को मोरोपंत ने बंदी बनाया था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 8.
अहमद की पुत्रवधू की आँखों में आँसू छलछला आए।
उत्तर:
हाँ।

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सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 9.
मोरोपंत शिवाजी की परिवर्तित मुद्रा देखकर घबरा सा जाता है।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 10.
माँ, आपको आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और ख़बरदारी के साथ आपके शौहर के पास पहुँचा दिया जायेगा।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 11.
आवाजी, तुमने ऐसा …… किया है, जो ……. क्षमा नहीं किया जा सकता।
उत्तर:
आवाजी, तुमने ऐसा काम किया है, जो कदाचित् क्षमा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 12.
तब तो ये ………… ये ……. घृणित …….. है।
उत्तर:
तब तो ये रक्तपात, ये लूटमार घृणित कृतियाँ हैं।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 13.
मसनत के सहारे शिवाजी किस आसन में बैठे हैं ?
(क) वज्रासन
(ख) सुखासन
(ग) वीरासन
(घ) पद्मासन।
उत्तर:
(ग) वीरासन।

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प्रश्न 14.
आवाजी सोनदेव शिवाजी का क्या है ?
(क) सैनिक
(ख) मंत्रि
(ग) पेशवा
(घ) सेनापति।
उत्तर:
(घ) सेनापति।

प्रश्न 15.
द्वार पर शस्त्रों से सुसज्जित कितने मावली रक्षक खड़े हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 16.
“लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है”-कथन किसका है ?
(क) मोरोपंत
(ख) सोनदेव
(ग) शिवाजी
(घ) अहमद की पुत्रवधू।
उत्तर:
(ग) शिवाजी।

कठिन शब्दों के अर्थ

मावली = शिवाजी के खास सैनिक। दुर्ग = किला। निस्तब्धता = चुप्पी। हम्माल = मज़दूर, कुली। मेणा = बंद पालकी। पेशवा = सरदार। वृत्त = इतिहास, वृत्तांत। भृकुटि = भौंह। तोहफा = भेंट, उपहार। सिपहसालार = सेनापति। श्रीमंत = श्रीमान्। नामाकूल हरकत = अनुचित व्यवहार, मूर्खतापूर्ण व्यवहार, बेहूदा शरारत। इबादत = पूजा। कमखाब = रंगीन बूटीदार। = रेशमी कपड़ा। अभिवादन = सत्कार। सदृश = समान। हिफाज़त = सुरक्षा। ख़बरदारी = सावधानीपूर्ण, होशियारी से। पर-स्त्री = पराई स्त्री। शौहर = पति। दालान = बरामदा। कदाचित् = शायद, कभी। घृणित = घृणा के योग्य। आततायी = सताने वाले। स्तंभ = खंभा। क्षति = नुकसान।। रक्तपात = खून बहाना। मसनद् = गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया। उदारचेता = खुले विचारों वाला। शील = चरित्र। श्रेयस्कर = कल्याणकारी। वीरासन में बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों आदि द्वारा अपनाया जाता है। इन्द्रियलोलुप = भोगविलास की इच्छा रखने वाला। प्रायश्चित्त = पछतावा। कनखी = तिरछी नज़र। अजीबो गरीब = विचित्र। संवाद = परस्पर बातचीत। सत्ता का अपहरण = राज्य छीनना।

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शिवाजी का सच्चा स्वरुप Summary

शिवाजी का सच्चा स्वरुप जीवन-परिचय

जीवन परिचय-सेठ गोबिन्ददास हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1896 ई० में हुआ। वे लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
रचनाएँ-सेठ जी ने साहित्य के सभी क्षेत्रों में लेखन कार्य किया है। परंतु नाटक-एकांकी के क्षेत्र में इन्होंने महान् ख्याति प्राप्त की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैंनाटक एकांकी-अलबेला, कर्ण, कर्त्तव्य, प्रकाश, विकास, शाप और वर, सच्चा जीवन, सेवापथ अशोक, हर्ष।
साहित्यिक विशेषताएँ-सेठ गोबिन्ददास साहित्य और राजनीति का संगम थे। इन्हें देश-प्रेम संस्कारों में मिला था। यही उनके जीवन तथा साहित्य का प्रमुख स्वर रहा है। इनके साहित्य में देश-प्रेम की भावना का वर्णन हुआ है। इन्होंने अपने नाटक एकांकियों में सामाजिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जीवन की अनेक समस्याओं को उठाया है। इनमें भारतीय संस्कृति, देश-प्रेम तथा गांधी-दर्शन का प्रकाश उजागर किया गया है।

शिवाजी का सच्चा स्वरुप एकांकी का सार

‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ सेठ गोबिन्ददास की प्रमुख एकांकी है। इसमें लेखक ने शिवाजी महाराज के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया है। शिवाजी हमारे राष्ट्रीय गौरव का महान् ध्वज हैं। वे अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रमी थे। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर ‘हिन्दी स्वराज्य’ की स्थापना की। यह धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था। इन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से निरंतर लोहा लिया। इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी के इसी पवित्र चरित्र का वर्णन किया गया है। शिवाजी, मोरोपंत तथा आवाजी सोनदेव इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर, मोरोपंत पेशवा तथा सोनदेव शिवाजी एक सेनापति थे। यह एकांकी सन् 1648 ई० की संध्या को राजगढ़ दुर्ग के दालान पर घटित होती है। दालान में मसनद् के सहारे शिवाजी आसन पर बैठे थे। राजगढ़ दुर्ग के दालान पर शस्त्रों के साथ सुदृढ़ शरीर वाले मावली रक्षक खड़े हुए हैं और बायीं तरफ से मोरोपंत पिगंले का प्रवेश हुआ। उसने शिवाजी सरकार को नमस्कार किया। उसने बताया कि सेनापति सोनदेव कल्याण प्रांत को जीतकर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आए हैं। यह शुभ समाचार सुनकर शिवाजी बड़े खुश हुए। कुछ समय पश्चात् सेनापति आवाजी सोनदेव ने शिवाजी के सामने आकर अभिवादन किया। शिवाजी ने उसे इस जीत की बधाई दी तथा सेनापति ने शिवाजी को बधाई दी। दोनों में इस युद्ध के विषय में खूब चर्चा हुई। सेनापति ने जीत के साथ-साथ कल्याण के लूटे हुए खजाने के बारे में बताया तथा उसने बताया कि वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को भी बंद कर आपकी सेवा में लाया है। यह सुनकर अचानक शिवाजी की मुद्रा बदल जाती है। सेनापति भी घबरा उठता है। क्रोधित स्वर में शिवाजी तुरंत मेणा को अपने सामने लाने के लिए कहा। आवाजी उसी समय एक बंद पालकी महाराज के सामने ले आए। उसमें से बहुत सुंदर युवती (अहमद की पुत्रवधु) बाहर निकल चुपचाप एक तरफ खड़ी हो जाती है।

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शिवाजी उसे माँ कहकर अपने सेनापति के लिए माफी मांगते हैं, उन्होंने कहा कि वे तो उसके सौंदर्य का हिंदू विधि से पूजन करना चाहते हैं । इसके बाद शिवाजी क्रोधावेश में आकर सेनापति पर बरस पड़े कि तूने ऐसा घृणित कार्य किया। शिवा ने आजतक किसी मस्जिद में बाल बराबर भी दरार नहीं आने दी। उसने तो कुरान को भी सर माथे लगाया। उसका सम्मान किया। इस्लाम उसके लिए पूज्य है। इस्लाम के पवित्र स्थान तथा पवित्र ग्रंथ उनके लिए सम्माननीय हैं। शिवाजी की सेना में हिंदु ही नहीं मुस्लिम भी सैनिक थे। वह देश में हिंदू राज्य नहीं सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वह आक्रमणकारियों से सत्ता लेकर उदार लोगों को देना चाहते थे। वह तो स्त्री को माता के समान पूजनीय मानता था। शिवाजी सेनापति के बुरे कार्य के लिए फटकारते रहे। वे बार-बार अपने सेनापति के इस बुरे कर्म की वजह से पश्चाताप करने लगे। उन्होंने उसी समय घोषणा की कि यदि आगे कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा। यह कहकर शिवाजी का सिर नीचे झुक गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

Hindi Guide for Class 9 PSEB कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उत्पादक किस तरह ग्राहकों को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक लुभावने विज्ञापनों द्वारा ग्राहकों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में कौन-सा कानून लागू किया ?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया।

प्रश्न 3.
ग्राहकों को किस तरह अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है ?
उत्तर:
रेडियो तथा टेलीविज़न पर विज्ञापनों के द्वारा ग्राहकों को जागरूक किया जाता है।

प्रश्न 4.
कितने रुपये तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है ?
उत्तर:
बीस लाख रुपए तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है।

प्रश्न 5.
20 लाख रुपए से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए ?
उत्तर:
राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में दर्ज करवानी चाहिए।

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प्रश्न 6.
एक करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम के लिए उपभोक्ता को अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करवानी चाहिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत कितने वर्षों के भीतर करनी चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपने अधिकारों के हनन की शिकायत दो वर्षों के भीतर करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
क्या ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए फ़ीस अदा करनी पड़ती है ?
उत्तर:
ग़रीबी रेखा से नीचे के कार्डधारक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई फीस अदा नहीं करनी पड़ती।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता अधिकांश तौर पर सामान खरीदते समय बिल क्यों नहीं लेते ?
उत्तर:
उपभोक्ता वैट बचाने के लिए सामान खरीदते समय बिल नहीं लेते।

प्रश्न 10.
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
उत्तर:
1800-11-4000.

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी वस्तु अथवा सेवा को पाने के बदले धन का भुगतान करता है उसे उपभोक्ता कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 के अनुसार उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
उपभोक्ता के निम्नलिखित अधिकार हैं
(1) सुरक्षा का अधिकार,
(2) जानकारी होने का अधिकार,
(3) उत्पाद चुनने का अधिकार
(4) शिकायत निवारण का अधिकार,
(5) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है तो उसे क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता से यदि नियत की गई कीमत से ज्यादा कीमत वसूली जाती है, तो उसे इसकी शिकायत उपभोक्ता संरक्षण आयोग में करनी चाहिए। उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता अपनी शिकायत ऑनलाइन किस तरह दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवाने के लिए www.core.nic.in पर लॉग इन करना चाहिए। उपभोक्ता रजिस्ट्रेशन पर एक क्लिक द्वारा अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसके बाद उपभोक्ता को ऑनलाइन ही शिकायत क्रमांक प्राप्त हो जाता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के किस-किस तरह के मामले आते हैं ?
उत्तर:
आयोग के पास उपभोक्ता के अधिकारों के उल्लंघन के निम्न तरह के मामले सामने आते हैं
(1) कंपनियां आकर्षक ब्याज दर या कुछ समय में धन दोगुना करने की स्कीम का भ्रामक विज्ञापन देती है तथा उपभोक्ता उनके जाल में फंस जाता है।
(2) एक ही फ्लैट दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया जाता है।
(3) बैंक बिना कारण ग्राहक का खाता फ्रीज कर देते हैं। इससे ग्राहक को वित्तीय लेन-देन में दिक्कत होती है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्ता को सामान खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) उपभोक्ता को एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए।
(2) उत्पाद का बैच नंबर अवश्य जाँचना चाहिए।
(3) पैंकिंग और एक्सपायरी की तारीख अवश्य देखनी चाहिए।
(4) उत्पाद का वज़न देखना चाहिए।
(5) प्रयोग की विधि अवश्य देखनी चाहिए।
(6) उत्पादक का नाम और पता ज़रूर देखना चाहिए।
(7) सामान का बिल अवश्य लेना चाहिए।
(8) पैकेट बंद होने चाहिएँ।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिएअशुद्ध

शुद्ध – अशुद्ध
दूकान – ………………..
व्यकती – ………………..
नाममातर – ………………..
अरोप – ………………..
गराहक – ………………..
विगयापन – ………………..
पीड़त – ………………..
उलंघन – ………………..
उत्तर:
दूकान – दुकान
व्यकती – व्यक्ति
नाममातर – नाममात्र
अरोप – आरोप
गराहक – ग्राहक
विगयापन – विज्ञापन
पीड़त – पीड़ित
उलंघन – उल्लंघन

2. निम्नलिखित शब्दों का वर्णविच्छेद कीजिए

शुद्ध – वर्ण विच्छेद

उपभोक्ता – ………………..
चिकित्सक. – ………………
विज्ञापन – ……………….
शिकायत – ……………
ग्राहक – ………………
उत्पादक – ……………
आकर्षक – ………………..

उत्तर:
उपभोक्ता = उ + प् + अ + भ् + ओ + क् + त् + आ
चिकित्सक. = च् + इ + क् + इ + त् + स + अ + क् + अ
विज्ञापन = व् + इ + ज + ञ् + आ + प् + अ + न् + अ
शिकायत = श् + इ + क् + आ + य् + अ + त् + अ
ग्राहक = ग् + र् + आ + ह + अ + क् + अ
उत्पादक = उ + त् + प् + आ + द् + अ + क् + अ
आकर्षक = आ + क् + अ + र् + ष + अ + क् + अ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप यह पाठ पढ़ने से पूर्व उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण के बारे में क्या जानते थे ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
क्या कभी आपके अधिकारों का हनन/उल्लंघन हुआ है ? यदि हाँ, तो आपने उस स्थिति में क्या किया ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
स्कूल में खोले गए लीगल लिटरेसी क्लब के सदस्य बनें एवं कानून से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से इस क्लब के बारे में जानें।

प्रश्न 2.
मैगज़ीनों/अखबारों में आए उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी लेख/विज्ञापन पढ़ें। जब भी आप कोई ऐसा लेख पढ़ें जिसमें उपभोक्ता को शिकायत के बाद उचित न्याय व मुआवज़ा मिला हो तथा उत्पादक/ दुकानदार आदि को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया गया हो तो ऐसी खबर को कॉपी में चिपकायें और यदि संभव हो तो संक्षेप में स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाएँ।
उत्तर:
छात्र अध्यापक के सहयोग से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया।

2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गई। नैडर के आन्दोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, सन् 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन० एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।

3. एम०आर०पी० (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)-हिन्दी में इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर०पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर०पी० का निर्धारण सरकार करती है। जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ–उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं
(i) जिला उपभोक्ता फोरम-उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है या किराये पर लेता है और वह सामान खराब निकलता है या सेवा में कमी रहती है तो उसकी शिकायत सबसे पहले जिला उपभोक्ता फोरम में की जाती है। हर राज्य में जिला उपभोक्ताओं का गठन किया गया है।
(ii) राज्य उपभोक्ता आयोग-ज़िला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के खिलाफ संबंधित राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की जा सकती है।
(iii) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग-राष्ट्रीय स्तर पर गठित की गई सर्वोच्च संस्था दिल्ली में है। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत की जा सकती है।
(iv) टोल फ्री नम्बर-1800-11-4000-(समय सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक (सभी कार्य दिवसोंसोमवार से शनिवार)।

5. उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी मैगज़ीनें-कंज्यूमर वॉयस, कंज्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

PSEB 9th Class Hindi Guide कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
एम०आर०पी० क्या होता है ?
उत्तर:
एम०आर०पी० का अर्थ है-अधिकतम खुदरा मूल्य।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद कब तक आगे कार्यवाही शुरू हो जाती है ?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा ऑनलाइन शिकायत के बाद 72 घंटे के भीतर ही आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूसरे पक्ष को कितने दिन के भीतर उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं।
उत्तर:
चौदह दिन के भीतर।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन या चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है।

प्रश्न 2.
एक ताजा अध्ययन के अनुसार कितने उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं ?
उत्तर:
एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ग्राहकों ने इसे सुना है कि ऐसा कोई कानून भी होता है।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
रोजमर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को कौन-सी ठगी व धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है?
उत्तर:
रोजमर्रा की जिंदगी के उपभोक्ताओं को निम्नलिखित धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है
(1) दवाइयों की दुकान पर एक्सपायर दवा दे दी जाती है।
(2) खरीदे गए उत्पाद पर गारंटी के बावजूद भी सर्विस नहीं दी जाती है।
(3) कभी उत्पाद पर लिखे वज़न से कम वज़न का सामान मिलता है।
(4) डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता।
(5) उत्पादक लुभावने विज्ञापनों से ग्राहकों को प्रभावित करते हैं तथा उत्पाद के बारे में ग़लत जानकारी देते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में शिकायत कैसे दर्ज करवा सकता है ?
उत्तर:
उपभोक्ता उपभोक्ता फोरम में सादे कागज़ पर निम्न जानकारी देकर शिकायत कर सकता है
(1) शिकायतकर्ता और विपक्ष का नाम तथा पता लिखना चाहिए।
(2) शिकायत से संबंधित तथ्य देने चाहिएं।
(3) शिकायत में लगाए गए आरोपों के समर्थन में ज़रूरी दस्तावेज़ देने चाहिए।
(4) शिकायतकर्ता को राहत अथवा हरजाने का उल्लेख देना चाहिएं। (5) कागज़ पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर ज़रूर होने चाहिएं।
को (it) उपभोक्ता के अधिकारों का हनन कब होता है। उत्तर-उपभोक्ता के अधिकारों का हनन निम्न प्रकार से होता है(1) जब दुकानदार अपने उत्पाद पर लेबल या स्टिकर लगाकर उसे बाज़ार भाव से अधिक कीमत पर बेचता है।
(2) जब रेलवे स्टेशन, ट्रेन, हवाई अड्डे या बस स्टैंड पर किसी सामान को एम०आर०पी० से अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
ललिता गोयल की।

प्रश्न 2.
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपभोक्ताओं को किसका शिकार होना पड़ता है ?
उत्तर:
ठगी और धोखाधड़ी का।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से

प्रश्न 3.
दवा की दुकान पर कैसी दवा दे दी जाती है ?
उत्तर:
ऐक्सपायरी डेट की।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण कानून कब से लागू किया गया ?
उत्तर:
सन् 1986 ई० से।

प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण कानून से अवगत हैं ?
उत्तर:
मात्र 20%

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
उत्पाद खरीदते समय पैकेट खुले या फटे होने की चिंता नहीं करें।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 7.
बीस लाख रुपए तक के क्लेम जिला स्तर के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता शिकायत अधिकारों के हनन के पाँच वर्षों के भीतर करें।
उत्तर:
गलत।

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प्रश्न 9.
कोई भी सामान खरीदते समय बिल लेना आवश्यक नहीं है।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

10. उपभोक्ता ……… वही ……… खरीदें जिस पर ……… का लोगो हो।
उत्तर:
उपभोक्ता केवल वही उत्पाद खरीदें जिस पर एगमार्क का लोगो हो।

प्रश्न 11.
उपभोक्ता को …….. के ज़रिए …… कार्यवाही से भी …….. कराया जाता है।
उत्तर:
उपभोक्ता को ईमेल के ज़रिए संपादित कार्यवाही से भी अवगत कराया जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
उपभोक्ता कंज्यूमर टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर क्या है ?
(क) 1800112000
(ख) 1800113000
(ग) 1800114000
(घ) 1800115000.
उत्तर:
(ग) 1800114000.

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प्रश्न 13.
बीस लाख रुपए से अधिक के क्लेम कहाँ करने होते हैं ?
(क) जिला आयोग में
(ख) राज्य आयोग में
(ग) राष्ट्रीय आयोग में
(घ) उच्चतम-न्यायालय में।
उत्तर:
(ख) राज्य आयोग में।

प्रश्न 14.
शिकायत कितने वर्षों के अन्दर करनी होती है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।

प्रश्न 15.
बी० पी० एल० कार्डधारक को शिकायत दर्ज कराने के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है ?
(क) दस रुपए
(ख) पचास रुपए
(ग) सौ रुपए
(घ) कुछ नहीं।
उत्तर:
(घ) कुछ नहीं।

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कठिन शब्दों के अर्थ

रोजमर्रा = प्रतिदिन की, हर रोज़ की। उपभोक्ता = किसी वस्तु को खरीदने वाला। डेट = तिथि। सही = उचित। चिकित्सक = डॉक्टर। खामियाजा = हानि। संरक्षण = सुरक्षा। मसलन = उदाहरण के तौर पर। अंततः = अंत में। शिकायतकर्ता = शिकायत करने वाला। हनन = नष्ट होना, दबाना। एयरपोर्ट = हवाई अड्डा। एम० आर० पी० = अधिकतम मूल्य । फ्लैट = घर। अकाऊंट = खाता। फ्रीज = बंद करना। आकर्षक = लुभावना। तथ्य = यथार्थ, सच। भ्रामक = भ्रम में डालने वाला। शुल्क = फीस। राहत = आराम। दस्तावेज़ = विविध लेख।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Summary

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से जीवन-परिचय

श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, सन् 1973 ई० को हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) तथा एम०ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख रही हैं। इनके लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं। वर्तमान में ये दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रही हैं।
लेखिका की समाज को जागरूक करने में विशेष भूमिका रही है। इस पाठ में इन्होंने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जगाने का प्रयास किया है। इसके साथ उन अधिकारों को पाने के प्रति जागरूक बनाया है। लेखिका ने बड़े सहज भाव से आज के उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए सचेत रहने की प्रेरणा दी है। लेखिका की भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। उसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिकता से हुआ है।

कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से पाठ का सार

‘कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ लेखिका ललिता गोयल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए.जागरूक एवं एकजुट भी किया है। उपभोक्ताओं को हर रोज़ ठगी तथा धोखाधड़ी का शिकार बनना पड़ता है। कभी कोई उन्हें पुरानी दवा दे देता है तो कभी उत्पादों पर उन्हें गारंटी होने पर भी सर्विस नहीं दी जाती। कभी कोई सामान लिखे हुए वज़न से कम निकलता है। कभी डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता। कोई उन्हें ग़लत जानकारी देता है जिसकी हानि उपभोक्ताओं को होती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने सन् 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। यह कानून प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, जानकारी, उत्पाद चुनना, शिकायत करना आदि अनेक अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों को पाने के लिए ग्राहकों को जागना चाहिए। एक सर्वे के अनुसार आज तक देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ने ही इसे सुना है। जबकि इसके लिए कोई भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है। कोई भी शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत भेज सकता है। बीस लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर के आयोग में तथा इससे अधिक राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है। एक करोड़ से अधिक क्लेम पाने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत की जाती है। शिकायत केवल अधिकारों के हनन के दो वर्ष के अंदर ही हो सकती है। अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता को वकील करने की ज़रूरत भी नहीं होती।

दुकानदार द्वारा उत्पाद पर लेबल अथवा स्टिकर लगाकर बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। किसी भी सामान को अधिकतम मूल्य से ज्यादा में बेचना ग़लत होता है। इसकी शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन के अनेक प्रकार के मामले सामने आते हैं। कई बार एक ही घर दो-दो को आबंटित कर दिया जाता हैं। बैंक द्वारा बिना कारण के खाता बंद कर देना। इनसे उपभोक्ता केवल जागरूक बनकर ही बच सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को केवल एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए। बैच नंबर को देखना चाहिए। पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न आदि को देखना चाहिए। खरीदी गई वस्तु का बिल अवश्य लेना चाहिए। गारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवाएँ। उपभोक्ता इंटरनेट के द्वारा भी अपनी शिकायत कर सकता है। इस पर 72 घंटे के भीतर ही कार्यवाही शुरू हो जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर ही उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। यही नहीं उपभोक्ता 1800-11-4000 राष्ट्रीय उपभोक्ता सहायता नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

 

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 16 बचेंद्री पाल

Hindi Guide for Class 9 PSEB बचेंद्री पाल Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बद्री पाल ने बचपन में क्या दृढ़ निश्चय कर लिया था ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने बचपन में यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह परिवार में किसी से पीछे नहीं रहेगी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के माता-पिता किस बात से दुःखी थे ?
उत्तर:
बद्री पाल के माता-पिता अपने बच्चों की सपनों की दुनिया से दुःखी थे।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने किन मैदानी खेलों में कप जीते ?
उत्तर:
बद्री पाल ने गोला फेंक, डिस्क फेंक तथा लंबी दौड़ में कप जीते।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने कब अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्पित किया?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने आपको पर्वतारोहण के लिए पूरी तरह समर्मित किया।

प्रश्न 5.
‘रैपलिंग’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
रैपलिंग का अर्थ है-ऊँची चट्टान अथवा हिमखंड से एक नाइलोन की रस्सी के सहारे कुछ ही क्षणों में नीचे आना।

प्रश्न 6.
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी ने बर्फ काटने के लिए किस चीज़ का इस्तेमाल किया ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल और अंग दोरजी के बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया।

प्रश्न 7.
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला कौन है ?
उत्तर:
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला बचेंद्री पाल है।

प्रश्न 8.
एवरेस्ट पर आनन्द के क्षणों में बचेंद्री पाल को किन का ध्यान आया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर आनंद में क्षणों में बचेंद्री पाल को अपने माता-पिता का ध्यान आया।

प्रश्न 9.
बचेंद्री पाल को कौन-कौन से पुरस्कार दिए गए ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक पुरस्कार दिए गए।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल निडर और स्वतंत्र कैसे बन गई थी ?
उत्तर:
दस साल की आयु में ही बचेंद्री पाल जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर प्रायः अकेली घूमती थी। वह प्रकृति के साथ स्वंतत्र होकर खेलती थी। प्रकृति के साथ इस खुलाव से निडर तथा स्वतंत्र बन गई।

प्रश्न 2.
बद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही कौन-कौन सी दौड़ का अभ्यास करना शुरू कर देती थी ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल प्रतियोगिताओं के शुरू होने से पहले ही तीन टॅगडी, सूई धागे वाली दौड, बोरा दौड तथा सिर पर पानी भरा मटका रखकर होने वाली दौड़ आदि का अभ्यास करना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल ने अपनी शिक्षा कैसे प्राप्त की ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल दिन के समय केवल अपने हिस्से का ही नहीं बल्कि कहीं अधिक काम करती थी। वह अपने मित्रों से किताबें उधार लेकर देर रात तक पढ़ती थी। उसने सिलाई-कढ़ाई का काम करके अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया।

प्रश्न 4.
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में क्या-क्या सीखा ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने नेहरू संस्थान के पर्वतारोही कोर्स में बर्फ और चट्टानों पर चढ़ने के तरीके सीखे। रैपलिंग करना सीखा। अभियान को आयोजित करने का प्रशिक्षण भी लिया।

प्रश्न 5.
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तर:
तेनजिंग ने बचेंद्री पाल की तारीफ में कहा कि तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हे तो शिखर पर पहले की प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठ कर क्या किया ?
उत्तर:
एवरेस्ट पर पहुँच कर बचेंद्री पाल ने घुटनों के बल बैठकर बर्फ पर अपना माथा लगाया और सागर माथे के ताज का चुंबन लिया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला। उन्हें लाल कपड़े में लपेटकर छोटीसी पूजा की तथा बर्फ में दबा दिया।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल के चमौली जिले में बंपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हंसादेई नेगी ततथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। वह बचपन से ही निडर तथा साहसी थी। वह बहुत बड़ी स्वप्न दुष्टा थी। वह दृढ़ निश्चयी थी। उसने बचपन में ही अपने परिवार में किसी से पीछे न रहने का निश्चय कर लिया था। उसने एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना देखा और कठिन परिश्रम से उसे पूरा किया। वह प्रतियोगिता में पूरे परिश्रम से भाग लेती थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बचेंद्री पाल ने 1 मई, सन् 1984 तक एवरेस्ट पर जाने की योजना की सही तैयारी कर ली थी। 8 मई को साउथ कोल पहुँच कर 9 मई को चोटी पर पहुँचने का प्रयास करना था। उसने 9 मई को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया। 16 मई प्रातः 8 बजे तक दूसरे कैंप में पहुँच गई। अगली सुबह: 6:20 पर उसने अंग दोरजी के साथ बिना रस्सी के चढ़ाई शुरू की। उन्होंने चट्टानों पर चढ़ते हुए बर्फ को काटने के लिए फावड़े का प्रयोग किया। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप पर पहुँच गए। इस प्रकार निरंतर बढ़ते हुए वह 23 मई, सन् 1984 को एवरेस्ट चोटी पर पहुँच गई।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन

एकवचन – बहुवचन
किताब – ………….
क़मीज़ – ………….
चट्टान – ………….
तकनीक – ………….
चादर – ………….
साँस – ………….
लड़की – ………….
मटका – ………….
धागा – ………….
परीक्षा – ………….
इच्छा – ………….
श्रेणी – ………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
किताब – किताबें
क़मीज़ – कमीजें
चट्टान – चट्टानें
तकनीक – तकनीकियाँ
चादर – चादरें
साँस – साँसें
लड़की – लड़कियाँ
मटका – मटके
धागा – धागे
परीक्षा – परीक्षाएँ
इच्छा – इच्छाएँ
श्रेणी – श्रेणियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – …………. – ………….
पाशिक्षण – …………. – ………….
प्रशिक्षक – …………. – ………….
परिवार – …………. – ………….
परिश्रम – …………. – ………….
अभियान – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द
प्रवासी – प्र – वासी
प्रशिक्षण – प्र – शिक्षण
प्रशिक्षक – प्र – शिक्षक
परिवार – परि – वार
परिश्रम – परि – श्रम
अभियान – अभि – यान

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – …………. – ………….
चढ़ाई – …………. – ………….
न्यूनतम – …………. – ………….
बचपन – …………. – ………….
सफलता – …………. – ………….
कठिनाई – …………. – ………….
सुरक्षित – …………. – ………….
उत्तर:
शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय
पढ़ाई – पढ़ – आई
ऊँचाई – ऊँच – आई
चढ़ाई – चढ़ – आई
न्यूनतम – न्यून – तम
बचपन – बच्चा – पन
सफलता – सफल – ता
कठिनाई – कठिन – आई
सुरक्षित – सुरक्षा – इत

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिये कि आप पर्वतारोहण के लिए गये हैं। अपने मित्र को पत्र लिखकर पर्वतारोहण का अनुभव बताइए।
उत्तर:
108, विकास नगर,
नई दिल्ली ।
4 मई, 20…
प्रिय मित्र,
नमस्कार।

मैं पिछले सप्ताह अपने मित्र के साथ हिमालय पर्वतारोहण के लिए गया हुआ था। हमने कठिन संघर्ष करके अनेक चट्टानों को पार किया। हमने अपनी मंजिल पर जाने से पहले चार पड़ाव डाले। इसके लिए हमें चार दिन का समय लगा। हम अपने साथ ज़रूरत का सारा सामान लिए हुए थे। अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए अतंतः हम पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर मैंने प्रभु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। वहाँ से अगले दिन हमने उतरना शुरू किया और इस तरह तीन-दिन में हम नीचे कुशल से आ गए। इस यात्रा में मैंने खूब आनंद उठाया।

आपका प्रिय,
विक्रम

प्रश्न 2.
आपने अपने भविष्य के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है ? ।
उत्तर:
मैं एक आदर्श अध्यापक बनना चाहता हूँ। मैं इसलिए अध्यापक बनना चाहता हूँ ताकि अपने देश की सच्ची सेवा कर सकूँ। मैं एक आदर्श अध्यापक बनकर बच्चों को आदर्श नागरिक बनाना चाहता हूँ। मैं उन्हें समाज, संस्कृति, धर्म की शिक्षा देना चाहता हूँ। मैं बच्चों का सर्वांगीण विकास करना चाहता हूँ। मैं जीवन भर स्वयं शिक्षा से जुड़कर देश के कर्णधारों को शिक्षा प्रदान करना चाहता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में होने वाले खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.
‘मन के हारे हार, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्थान प्राप्त करने वाली भारतीय महिलाओं के चित्र चार्ट पर लगाकर कक्षा में टाँगे।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

1. एवरेस्ट पर्वत : एवरेस्ट पर्वत (नेपाली में सागरमाथा अर्थात् स्वर्ग का शीर्ष, संस्कृत में देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 8848 मीटर है।
2. तेनजिंग नॉरगे : तेनजिंग नॉरगे एक नेपाली पर्वतारोही थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मांऊट एवरेस्ट की चोटी पर पहला मानव कदम रखा। इस मिशन में न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी उनके साथ थे। 29 मई, सन् 1953 को सातवें प्रयास में उन्हें इस मिशन में सफलता मिली।
3. भारत की प्रथम महिला :
(i) भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी
(ii) भारत की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजिनी नायडू
(iii) भारत की प्रथम विश्व सुंदरी – कु० रीता फारिया
(iv) भारत की प्रथम मिस यूनिवर्स – सुष्मिता सेन ।
(v) यूनाइटेड नेशन जनरल एसेम्बली की प्रथम भारतीय महिला और अध्यक्ष – विजय लक्ष्मी पंडित
(vi) किसी उच्च न्यायालय (केरल उच्च न्यायालय) की प्रथम भारतीय महिला जज – अन्ना चान्डी
(vii) भारतीय पुलिस सेवा (आई० पी० एस०) में भर्ती होने वाली प्रथम महिला – किरण बेदी
(viii) माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला – बचेंद्री पाल
(ix) भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रथम महिला जज – न्यायमूर्ति एम० फातिमा बीबी
(x) अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला – कल्पना चावला
(xi) भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति – प्रतिभा पाटिल
(xii) लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष – मीरा कुमार

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PSEB 9th Class Hindi Guide बचेंद्री पाल Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की कौन-सी संतान है ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल अपने माता-पिता की तीसरी संतान है।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र किसने बनाया ?
उत्तर:
प्रकृति के साथ उसके खुलाव ने बचेंद्री पाल को निडर और स्वतंत्र बना दिया।

प्रश्न 3.
बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में कौन आनंद लेता था ?
उत्तर:
परिवार के छोटे सदस्य बचेंद्री पाल की कल्पनाओं में आनंद लेते थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचेंद्री पाल किसमें विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी?
उत्तर:
बचेंद्री पाल हर तरह की बाहरी क्रीड़ा में विशिष्टता प्राप्त करना चाहती थी। वह विशेष रूप से लडकों के साथ होने वाली प्रतियोगिताओं में विशिष्टता चाहती थीं।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के जीवन का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के जीवन का पहला उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना था। उसका दूसरा उद्देश्य पवर्तरोहण था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
अपने आप को मजबूत बनाने के लिए बचेंद्री पाल ने क्या किया ?
उत्तर:
अपने आप को मज़बूत बनाने के लिए बद्री पाल घास चारे तथा सूखी लकड़ी के भारी गट्ठर घर लाने लगी। वह रोज़ आने-जाने का रास्ता बदलने लगी। वह अधिक दुर्गम रास्तों और घाटियों से होकर निकलने लगी। यह जानबूझकर पत्थरों के ऊपर से चलती थी। वह सीधी खड़ी ढलान चट्टानों से नीचे उतरने लगी थी।

प्रश्न 2.
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर कौन प्रभावित हुए और कैसे ?
उत्तर:
बचेंद्री पाल के उत्साह और दृढ़ संकल्प को देखकर परिवार का प्रत्येक आदमी बहुत प्रभावित हुआ। उसकी माता तथा बहन कमला ने उसे पढ़ाने के लिए पिता से वकालत की। इससे उसे नौवीं कक्षा में दाखिले की अनुमति मिल गई।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘बचेंद्रीपाल’ पाठ किसकी रचना है ?
उत्तर:
बचेंद्रीपाल।

प्रश्न 2.
बद्रीपाल कैसी लड़की थी ?
उत्तर:
वह एक स्वप्न दृष्टा लड़की थी।

प्रश्न 3.
पर्वतारोही कोर्स के लिए बचेंद्रीपाल ने कहाँ आवेदन किया ?
उत्तर:
नेहरू संस्थान में।

प्रश्न 4.
बचेंद्रीपाल एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँची ?
उत्तर:
23 मई, सन् 1984 को दोपहर 1 बजे।

प्रश्न 5.
शिखर पर बचेंद्रीपाल ने कितना समय व्यतीत किया ?
उत्तर:
43 मिनट।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
बचेंद्रीपाल दस वर्ष की आयु में ही पहाड़ी ढलानों पर घूमती थी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7. बचेंद्रीपाल सिलाई करके दस-बीस रुपए रोज़ कमाने लगी।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
इंडियन माउन्टेनियरिंग फाउंडेशन ने सन् 1984 ई० के एवरेस्ट अभियान के लिए बचेंद्रीपाल को चुना।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
बचेंद्रीपाल शिखर कैंप पर दो घंटे से अधिक समय में पहुँची।
उत्तर:
गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
तुम्हें तो ……. पर पहले ही …….. में ……. जाना चाहिए।
उत्तर:
तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
एवरेस्ट ……. में मेरी …….. इच्छाओं की ……. हुई है।
उत्तर:
एवरेस्ट चढ़ाई से मेरी हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
बद्रीपाल का जन्म कब हुआ था ?
(क) 24 मई, 1954
(ख) 24 मई, 1955
(ग) 24 मई, 1956
(घ) 24 मई, 1958.
उत्तर:
(क) 24 मई, 1954.

प्रश्न 13.
बचेंद्रीपाल ने आठवीं की परीक्षा लगभग कितने वर्षों की आयु में उत्तीर्ण की थी ?
(क) 11
(ख) 12
(ग) 13
(घ) 14.
उत्तर:
(ग) 13.

प्रश्न 14.
आरोहण योजना की पूरी तैयारी कब तक हो गई थी ?
(क) मई 1980 तक
(ख) मई 1982 तक
(ग) मई 1984 तक
(घ) मई, 1986 तक।
उत्तर:
(ग) मई, 1984 तक।

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प्रश्न 15.
कैम्प दो तक बचेंद्रीपाल कब पहुँची ?
(क) 8 मई
(ख) 9 मई
(ग) 15 मई
(घ) 16 मई।
उत्तर:
(घ) 16 मई।

प्रश्न 16.
‘मैं बहुत खुश हूँ’-कथन किसका है ?
(क) बचेंद्री का
(ख) दोरजी का
(ग) तेनजिंग का
(घ) कमला का।
उत्तर:
(ख) दोरजी का।

कठिन शब्दों के अर्थ

स्वप्नदृष्टा = स्वप्न देखने वाला। प्रवासी = दूसरे स्थान का निवासी। बेहतर = अच्छा। न्यूनतम = सब से कम, कम से कम। साकार = आकार युक्त। शिखर = चोटी। क्रीड़ा = खेल। इस्तेमाल = प्रयोग। विशिष्टता = विशेषता। प्रतियोगिता = मुकाबला। बर्दाश्त = सहन करने की शक्ति। साऊथ = दक्षिण। पर्वतारोहण = पर्वतों पर चढ़ना। प्रारंभिक = शुरू का। पर्वतारोही = पहाड़ पर चढ़ने वाला। रोमांच = रोंगटे खड़े होना। आश्चर्यचकित = हैरान। हिमखंड = बर्फ का टुकड़ा। प्रशिक्षण = नियमित रूप से दी जाने वाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग। संस्तुति = प्रशंसा। इंतजार = प्रतीक्षा। प्रशिक्षक = प्रशिक्षण देने वाला। प्रोत्साहन = किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाना। दुर्गम = जहाँ पहुँचना कठिन हो। स्वर्ण = सोना। क्रिया-कलाप = किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम। रैपलिंग = ऊँची चट्टान से रस्सी द्वारा नीचे उतरना। दक्ष = निपुण, कुशल। शिखर = पहाड़ की चोटी। आरोहण = ऊपर की ओर चढ़ना। प्रस्थान = जाना, रवानगी। बरफ = बर्फ़। आरोही = चढ़ने या ऊपर जाने वाला। एवरेस्ट = हिमालय की सबसे ऊँची चोटी। उपस्कर = सामान। फावड़ा = कुदाल। प्रतिष्ठित = सम्मानित।

बचेंद्री पाल Summary

बचेंद्री पाल जीवन-परिचय

बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के चमौली जिले में बपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हँसादेई नेगी तथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनका बचपन ग़रीबी में व्यतीत हुआ। इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। इसलिए बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठाना पड़ा। इसके लिए उसने सिलाई-कढ़ाई शुरू की। इन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए एम०ए० (संस्कृत), बी०एड० की शिक्षा प्राप्त की।
इनको पहाड़ों पर चढ़ने का बचपन से ही शौक था। सन् 1984 ई० में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। तब तक दुनिया में केवल चार महिलाएँ ही चढ़ाई में सफल हो पाई थीं। सन् 1984 ई० में बचेंद्री पाल का एवरेस्ट चढ़ाई अभियान में चयन हुआ। इन्होंने 7 महिलाओं और 11 पुरुषों के साथ एवरेस्ट चढ़ाई शुरू की। 23 मई, सन् 1984 ई० को 1 बजकर, 7 मिनट पर इन्होंने एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक कदम रखा। ऐसा करने वाली वे भारत की पहली तथा संसार की पांचवीं महिला पर्वतारोही बन गई।
बचेंद्री पाल एक श्रेष्ठ पर्वतारोही महिला हैं। उन्होंने एवरेस्ट विजय अभियान का रोचक वर्णन किया है। उन्होंने पर्वतारोहण यात्रा के अनेक सजीव चित्र खींचे हैं। उनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल

बचेंद्री पाल पाठ का सार

‘बद्री पाल’ यात्रा वृत्तांत पर्वतारोही बचेंद्री पाल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय अभिमान की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इसमें इन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा तथा पर्वतारोहण यात्रा का वर्णन किया है। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने लड़की होकर भी कुछ अलग करने का निश्चय कर लिया था। वह बहुत बड़े-बड़े सपने देखा करती थी। वह दस वर्ष की उम्र में ही जंगलों तथा पहाड़ी ढलानों पर अकेली निडर होकर घूमा करती थी। उसका बचपन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हुआ। किंतु उसने बचपन में ही माता-पिता को कुछ अलग करने को कहा, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। खेलकूद में भी बहुत श्रेष्ठ- उसने गोला फेंक, डिस्क फेंक और लंबी कूद में अनेक कप जीते। आठवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। आगे की पढ़ाई सिलाईकढ़ाई का काम करके जारी रखी क्योंकि उसके पिता ने आगे पढ़ने से मना कर दिया था। लगातार कठोर मेहनत करके उसने एम०ए०, बी० एड० की पढ़ाई की। घर में खाली बैठने की बजाय उसने नेहरू संस्थान के आरंभिक पर्वतरोही कोर्स में प्रवेश ले लिया। यहाँ बर्फ तथा चट्टानों पर चढ़ने के तरीकों का अध्ययन किया।

रैपलिंग के रोमांच का अनुभव किया। यहाँ अभियान को आयोजित करने का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद काला नाग 6387 मीटर की चढ़ाई की। इस चढ़ाई में उसे ‘ए’ ग्रेड मिला। यहाँ से अन्य अभियानों में भाग लेने की अनुमति मिल गई। सन् 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया। इसके लिए 9 मई, सन् 1984 ई० को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया गया। 16 मई को प्रात: आठ बजे तक अभियान के दूसरे कैंप तक साथियों के साथ पहुँच गई। यहाँ से अगले दिन सुबह चढ़ाई शुरू की। यहाँ से बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के साथ बिना रस्सी के ही चढ़ाई शुरू की। वह अंग दोर जी के साथ निश्चित गति से ऊपर चढ़ती गई। जमी बर्फ से सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त एवं भुरभुरी थीं। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप में पहुंच गए। अंतत: 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई। उसने घुटनों के बल बैठकर सागरमाथे के ताज का चुंबन किया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला तथा लाल कपड़े में लपेटकर छोटी-सी पूजा अर्चना की। आनंद के उस क्षण में माता-पिता का ध्यान आया। उसने हाथ जोड़ कर दोरजी के प्रति आदर प्रकट किया। वह बहुत खुश थी। उस शिखर पर उसने 43 मिनट बिताए। चोटी के समीप के खुले स्थान से पत्थरों के कुछ नमूने लेकर वापस यात्रा शुरू की। इस यात्रा के पर्वतारोहण में श्रेष्ठता के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ ने उसे प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक दिया तथा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार दिए। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

Hindi Guide for Class 9 PSEB एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी क्या कुछ लुटा देता है ?
उत्तर:
नशे के चक्रव्यूह में फँसा आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।

प्रश्न 2.
व्यसन या ड्रग एडिक्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब आदमी का मन और शरीर दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं और वह नशे बिना नहीं रहता तो इसे व्यसन

प्रश्न 3.
नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में कौन फँस जाता है ?
उत्तर:
मन का सन्तुलन खोजता आदमी नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

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प्रश्न 4.
कोकेन के सेवन से क्या नुकसान होता है ?
उत्तर:
कोकेन के सेवन से त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगने का आभास होता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से पारिवारिक व सामाजिक जीवन नष्ट हो जाता है। अपनों का प्यार और साथ खो जाता है। वह दुनिया में अकेला रह जाता है।

प्रश्न 6.
नशा करने से आर्थिक जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर:
नशा करने से आर्थिक समस्याएँ दिनों-दिन बढ़ती जाती हैं।

प्रश्न 7.
कौन-कौन सी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं ?
उत्तर:
सरकारी, गैर-सरकारी, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशामुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशे की भूल-भुलैया में लोग क्यों फँस जाते हैं ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में लोग इसलिए फंस जाते हैं ताकि वे अपने जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ सके।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार किस तरह के लोग नशे के शिकार होते हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार कोई गम दूर करने, तो कोई शून्य, स्नेहरिक्त, जीवन में रस लाने के लिए, कोई उत्सुकतावश तो कोई फैशनेबल दिखाने के लिए नशे के शिकार होते हैं।

प्रश्न 3.
लोगों में नशे के बारे में किस तरह की ग़लतफहमी है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लोगों में नशे के बारे में ग़लतफहमी है कि नशा कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता बढ़ाता है।

प्रश्न 4.
नशा करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ जाता है ?
उत्तर:
नशा करने वाले व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है। उस पर आलस्य छा जाता है। वह शंकालु बन जाता है।

प्रश्न 5.
नशा करने से कौन-कौन-सी भयंकर बीमारियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशा करने से एड्स, हेपेटाइटिस, वातस्फीति, दमा, खांसी आदि भंयकर बीमारियाँ होती हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नशा करने का एक बार का अनुभव आगे चलकर व्यसन में बदल जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशे की शुरुआत आदमी अपने किसी दोस्त या साथी के कहे में आकर करता है। धीरे-धीरे उसका यह अनुभव व्यसन में बदल जाता है। वह इसका आदी बन जाता है। उसे नशे के बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता। नशा न मिलने पर वह छटपटाने लगता है। उसका शरीर और मन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।

प्रश्न 2.
नशेड़ी व्यक्ति का जीवन अंतत: नीरस हो जाता है-कैसे ?
उत्तर:
नशेडी व्यक्ति के जीवन में कुछ भी शेष नहीं रहता। उसका शरीर ही नहीं बल्कि मन भी रोगों का शिकार बन जाता है। उसका सामाजिक स्तर टूट जाता है। कोई उससे बात करना भी पसंद नहीं करता। न उसके पास धन रहता है और न यौवन। अनेक बीमारियाँ उसे घेर लेती हैं। इस प्रकार नशेड़ी व्यक्ति का जीवन नीरस बन जाता है।

प्रश्न 3.
नशामुक्ति के क्या-क्या उपाय किए जाते हैं ?
उत्तर:
नशामुक्ति के लिए निम्न उपाय किए जाते हैं
(1) नशामुक्ति के लिए मनोरोग विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं।
(2) डॉक्टर नशे की खुराक को घटते हुए देकर धीरे-धीरे बंद कर देते हैं।
(3) ऐसी दवाएँ दी जाती हैं जिससे तन-मन की छटपटाहट काबू हो जाती है।
(4) रोगी को अस्पताल भी भर्ती कर सकते हैं।
(5) रोगी के मानसिक एवं सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।
(6) अनेक संस्थाओं द्वारा मदद ली जाती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि मन को कमज़ोर बनाने वाली स्थितियाँ भी नशे की ओर धकेल सकती हैं। मन का संतुलन खोजना आदमी एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि आदमी के जीवन में किसी प्रकार का दुःख, तनाव, असफलता आदि हो तो वे भी उसके मन को कमजोर बना देती हैं जिसके कारण आदमी नशे की ओर चला जाता है। वह नशा करने लगता है। वह इसमें अपने मन का संतुलन बनाना चाहता है लेकिन धीरे-धीरे एक अंतहीन चक्रव्यूह में फँस जाता है।

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प्रश्न 5.
किंतु अच्छाई इसी में है कि इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल आज़ाद ही रखें। कोई कुछ भी कहें, न तो नशों के साथ एक्सपेरिमेंट करना अच्छा है, न ऐसी संगत में रहना ठीक है जहाँ लोग उसके चंगुल में कैद हों।
उत्तर:
लेखक नशे से बचने का सुझाव देता है कि अस्थाई इसी बात में है कि नशे के चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल स्वतन्त्र रखना चाहिए। हमें कभी भी नशे का शिकार नहीं होना चाहिए। चाहे कोई कुछ भी कहे न तो नशों के साथ परीक्षण करना अच्छा होता है और न ही ऐसी संगित में रहना जहाँ लोग उसके शिकार होते हैं।

(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – …………… – …………….
दुष्प्रभाव – …………… – …………….
बेचैन – …………… – …………….
बेरोज़गार – …………… – …………….
उत्खनन – …………… – …………….
विवश – …………… – …………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
निर्बुद्धि – निर – बुद्धि
दुष्प्रभाव – दुः – प्रभाव
बेचैन – बे – चैन
बेरोज़गार – बे – रोज़गार
उत्खनन – उत् – खनन
विवश – वि – वश

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2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
निर्भरता – …………… – …………….
पुरातात्विक – …………… – …………….
मानसिक – …………… – …………….
विफलता – …………… – …………….
शारीरिक – …………… – …………….
मनोवैज्ञानिक – …………… – …………….
कल्पनाशीलता – …………… – …………….
चिकित्सीय – …………… – …………….
सृजनात्मकता – …………… – …………….
सरकारी – …………… – …………….
उत्तर:
निर्भरता – निर्भर – ता
पुरातात्विक – पुरातत्व – इक
मानसिक – मानस – इक
विफलता – विफल – ता
शारीरिक – शरीर – इक
मनोवैज्ञानिक – मनोविज्ञान – इक
कल्पनाशीलता – कल्पनाशील – ता
चिकित्सीय – चिकित्सा – ईय
सृजनात्मकता – सृजनात्मक – ता
सरकारी – सरकार – ई

3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना – ……………….
  • रग-रग में फैलना – सब जगह फैलना – ……………….
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना – ……………….
  • सुध न रहना – याद न रहना – ………………..
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना – …………….
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना – ……………..

उत्तर:

  • मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना, ध्यान न देना
    वाक्य – विद्यार्थियों को आलस्य से सदा मुँह मोड़ना चाहिए।
  • रग – रग में फैलना-सब जगह फैलना
    वाक्य – साँप का ज़हर किसान की रग-रग में अब तक फैल चुका होगा।
  • घर करना – मन में कोई बात बैठ जाना
    वाक्य – कवि को उस के पिता ने ऐसा समझाया कि यह बात उस में घर कर गई है।
  • सुध न रहना – याद न रहना
    वाक्य – परीक्षा निकट आते ही विद्यार्थियों को खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती।
  • ग़म ग़लत करना – दुःख भूलने के लिए नशा करना
    वाक्य-अरे ! मेहनत करो गम ग़लत करने से कुछ नहीं होगा।
  • नाता टूटना – सम्बन्ध ख़त्म हो जाना
    वाक्य – संते और बंते का नाता टूट चुका है।

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4. निम्नलिखित पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
ਗੀਲੀ ਗੀਲੀ ਤਵ ਤੀ ਭਉਤਾ ਦੀ ਹੈਪੀ ਸਾਂਤੀ
उत्तर:
धीरे-धीरे खुराक की मात्रा भी बढ़ती जाती है।

प्रश्न 2.
ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਦੋਸਤ ਜਾਂ ਸਾਥੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे की शुरुआत आमतौर पर किसी दोस्त या साथी के कहने में आ कर होती है।

प्रश्न 3.
ਨਸ਼ੇੜੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਮਨ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ।
उत्तर:
नशेड़ी व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता।

प्रश्न 4.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਲਤ ਤੋਂ ਮੁਕਤੀ ਪਾਉਣਾ ਅਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
उत्तर:
नशीले पदार्थों की आदत से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 5.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਅਜ਼ਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
उत्तर:
नशे से हमें स्वयं को सदा आज़ाद रखना चाहिए।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘घर में बड़ों को नशा करते देखकर भी कुछ किशोर और युवा गुमराह हो जाते हैं। क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? यदि हाँ, तो चार-पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं लेखक की इस उक्ति से सहमत हूँ। जब किशोर और युवा अपने घर में बड़ों को नशा करते हुए देखते हैं तो वे भी गुमराह हो जाते हैं क्योंकि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं। बड़े ही बच्चों का आइना होते हैं। घर में बड़े जैसा व्यवहार और काम करते हैं बच्चे वैसा ही करते चले जाते हैं। इसलिए घर में बड़ों को संयम में रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
यदि आपको कोई नशा करने के लिए उकसाए तो आप किस तरह उसे मना करेंगे ?
उत्तर:
यदि कोई मुझे नशा करने के लिए उकसाएगा तो मैं उसे साफ शब्दों में मना कर दूंगा। उसके लाख प्रयास करने पर भी मैं उसे न ही कहूँगा। मैं उसे समझाऊंगा कि नशा हमारे जीवन के लिए बहुत हानिकारक है। इससे धीरेधीरे हमारा शरीर कमज़ोर बनता है और एक दिन नष्ट हो जाता है इसलिए तुझे भी नशा छोड़ देना चाहिए। यदि वह मेरा मित्र हुआ तो मैं उस से अपनी मित्रता भी सदा के लिए छोड़ दूंगा।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे एक चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
कक्षा अध्यापक की सहायता से स्वयं बनाएं।

प्रश्न 2.
तख्तियाँ बनाकर उन पर सुंदर लिखावट के साथ नशा-उन्मूलन सम्बन्धी प्रभावशाली नारे लिखें और जब भी स्कूल की ओर से नशा-उन्मूलन रैली का आयोजन किया जाए तो इन नारों से समाज को नशों से दूर रहने के लिए जागृत करें।
उत्तर:
1. नशा उन्मूलन सम्बन्धी नारें1. नशा जीवन की बर्बादी है।
2. नशा छोड़ो-जीवन जोड़ो।
3. नशा भगाओ जीवन खुशहाल बनाओ।
4. नशा है एक कुल्हाड़ी, काटे जीवन की गाड़ी।
5. नशा भगाओ, खुशियाँ लाओ।
6. नशा भगाओ, सबका प्रेम पाओ।

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प्रश्न 3.
नशों के घातक परिणामों से सम्बन्धित चित्र अखबारों, मैगज़ीनों, इंटरनेट आदि से इकट्ठे कीजिए और उनका कोलाज़ बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
नशा-उन्मूलन सम्बन्धी कोई एकांकी ढूँ अथवा अपने मित्रों/अध्यापकों की मदद से छोटी-सी नाटिका लिखें और उसे बाल-सभा में मंचित करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
जब भी कभी आपके स्कूल में नशों के विरोध में कोई आयोजन हो तो उस अवसर पर ‘नशामुक्ति’/ ‘नशाबंदी’ विषय पर छात्रों का एक समूह मिलकर एक प्रदर्शनी का आयोजन करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 6.
स्कूल में नशा-उन्मूलन विषय पर आयोजित होने वाली विभिन्न क्रियाओं जैसे ‘निबन्ध’, ‘भाषण’, ‘वादविवाद’ तथा ‘पोस्टर बनाना’ आदि प्रतियोगिताओं में सक्रिय भाग लें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

प्रश्न 7.
1 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ‘विश्व एड्स दिवस’ के अवसर पर स्कूल में आयोजित होने वाली कार्यशाला में भाग लें। इस अवसर पर अध्यापकों, रिसोर्स पर्सन्स, चिकित्सकों आदि के “एड्स’ विषय पर बहुमूल्य विचार सुनें एवं इस अवसर पर आयोजित ‘प्रश्नोत्तरी काल’ में ‘एड्स’ से सम्बन्धित प्रश्न पूछ कर अपनी सभी जिज्ञासाओं को शान्त करें।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से कक्षा में करें।

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(ङ ) ज्ञान-विस्तार

1. कोकेन-यह भी एक खतरनाक ड्रग है। इसकी लत में दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक और नैतिक पतन हो जाता है। भारत सहित अनेक देशों में इसके उपयोग और बिक्री पर रोक है।

2. एल० एस० डी० (लाइसर्जिक एसिड डाई-ऐथाइलामाइड)-तेज़ मादक पदार्थ जिसे लेने से मानसिक व्यवहार और शारीरिक क्रिया-कलापों पर गहरा असर पड़ता है। मन व्यग्रता से घिर उठता है, मतिभ्रम और दृष्टिभ्रम होने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और तरह-तरह की मानसिक विकृतियाँ दिलोदिमाग पर हावी हो जाती हैं।

3. पीसीपी (फेनसाइक्लीडिन)-कई नामों जैसे एंजल डस्ट, पीस पिल (शाँति की गोली) और सेरनिल के नाम से बिकने वाली नशे की गोली जिसे लेने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और मन-मस्तिष्क में कई तरह के भ्रम-विभ्रम उठ खड़े होते हैं।

4. कैनाविस-देश के कई हिस्सों में उगने वाली बूटी, जिसके विभिन्न हिस्सों से मादक पदार्थ भांग, गांजा और चरस प्राप्त किए जाते हैं। इनका नशे करने से मतिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके चलते छोटी-सी चीजें बहुत बड़ी दिखने लग सकती हैं, कानों में आवाजें सुनाई देने लग सकती हैं, और नशे की इस हालात में आदमी कई प्रकार से अपना बुरा कर सकता है। लंबे समय तक इनके सेवन से तन-मन दोनों पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं।

5. एम्फेटामिन दवाएँ-मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाली शक्तिशाली दवाओं का एक खास वर्ग। अक्सर इन दवाओं का दुरुपयोग एकाग्रता और मानसिक सतर्कता में वृद्धि लाने के लिए होता है। युवा पीढ़ी में ‘स्पीड’ के नाम से लोकप्रिय ये दवाएँ नींद भगाने, थकान मिटाने और सुखबोध उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं, किंतु उनके सेवन से तनमन पर अनेक दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। ये दवाएँ अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कनों की गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर में वृद्धि पैदा करती हैं, आदमी को नशाखोर बनाती हैं और दिल पर बुरा असर डाल मौत की नींद सुला सकती हैं।

6. एच० आई० वी० (ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएन्सी वायरस)-यह एक विषाणु है जिसके साथ एड्स फैलता है।

7. एड्स-यह अंग्रेजी के अक्षर ए० आई० डी० एस० से बना है अर्थात् एक्वायर्ड इम्यून डैफिशिएन्सी सिन्ड्रोम। वास्तव में यह कोई रोग नहीं है अपितु एक शारीरिक अवस्था है जिसमें मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते-होते लगभग खत्म ही हो जाती है तथा मनुष्य फिर साधारण रोग-कीटाणुओं द्वारा फैलने वाली सामान्य बीमारियों से भी अपने आप को बचा नहीं पाता। इस तरह फिर वह प्राणघातक संक्रामक रोगों कई तरह के कैंसर आदि से ग्रस्त हो सकता है।

8. तपेदिक (क्षयरोग) T.B. (Tubercle bacillus)-यह एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। यह हवा के माध्यम से तब फैलती है जब वे लोग जो टी.बी. संक्रमण से ग्रसित हैं और छींक, खांसी या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपनी लार संचारित कर देते हैं।

9. हेपेटाइटस बी/यकृतशोथ-यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है।

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PSEB 9th Class Hindi Guide एक अंतहीन चक्रव्यूह Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
नशा किसको अपना गुलाम बना लेता है ?
उत्तर:
नशा मन के बाद शरीर को अपना गुलाम बना लेता है।

प्रश्न (ii)
कौन-सी स्थितियाँ आदमी को नशों की ओर धकेल सकती हैं ?
उत्तर:
अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि स्थितियाँ आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है।

प्रश्न (iii)
नशे की वास्तविकता क्या है ?
उत्तर:
नशे की वास्तविकता यह है कि नशा करने से मनन क्षमता क्षीण हो जाती है तथा व्यक्ति अपना स्वास्थ्य भी गंवा सकता है।

प्रश्न (iv)
मादक पदार्थों से छुटकारा पाने के बाद दूसरा चरण क्या है ?
उत्तर:
दूसरे चरण में रोगी के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न (i)
आदमी की नशे की निर्भरता कितने प्रकार की होती हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
आदमी की नशे की निर्भरता दो प्रकार की होती है
(1) पहली निर्भरता में आदमी को नशा न मिलने पर मन बेचैन होने लगता है, परन्तु शारीरिक लक्षण नहीं उभरते।
(2) दूसरा नशे में मन के बाद शरीर भी धीरे-धीरे उसका गुलाम बन जाता है।

प्रश्न (ii)
व्यक्तित्व की कौन-सी कमियाँ व्यक्ति को नशे में डुबो सकती हैं ?
उत्तर:
थोड़ी-सी बात पर चिन्ता, तनाव, अवसाद तथा मन में हीन भावना घर करना सभी व्यक्तित्व की कमियाँ आदमी को नशे में डुबो सकती हैं।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न (i)
नशे से आदमी के जीवन में क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर:
नशे से आदमी के जीवन में निम्नलिखित हानियाँ होती हैं
(1) आदमी अपना तन-मन-धन सब कुछ लुटा देता है।
(2) आदमी का मन और तन दोनों नशे के गुलाम बन जाते हैं।
(3) मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
(4) सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
(5) आदमी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
(6) एड्स, हेपेटाइटिस बी, वातस्फीति, दमा, टी० बी० आदि भंयकर रोग हो जाते हैं।

प्रश्न (ii)
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
नशे के लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है
(1) यह आदमी का मनन-क्षमता तथा स्मरण शक्ति को कमजोर बना देता है।
(2) रोगी पर आलस्य छाया रहता है।
(3) वह पोस्ती हो जाता है।
(4) आदमी का किसी कमा-काज में मन नहीं लगता।
(5) आदमी का स्वास्थ्य चिड़चिड़ा हो जाता है।
(6) वह झूठ बोलने लगता है।
(7) वह शंकालु बन जाता है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० यतीश अग्रवाल।

प्रश्न 2.
पाषाण-युग में किस नशीली वस्तु का सेवन होता था ?
उत्तर:
अफ़ीम।

प्रश्न 3.
जीवन की सच्चाइयों से मुँह मोड़ने वाले लोग किसमें खो जाते थे ?
उत्तर:
नशे की भूल-भुलैया में खो जाते थे।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

प्रश्न 4.
व्यसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब नशे की खुराक नहीं मिलने पर व्यक्ति छटपटाने लगता है तो इसे व्यसन कहते हैं।

प्रश्न 5.
नशे की शुरूआत कैसे होती है ?
उत्तर:
किसी दोस्त या साथी के कहने से होती है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
नशा करने से मननक्षमता क्षीण हो जाती है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
नशीले पदार्थों के सेवन से भूख नहीं मरती।
उत्तर:
नहीं।

सही-ग़लत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
हर नशा मन की दुनिया पर कोई असर नहीं डालता।
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 9.
कैनाबिस लेने के बाद मन प्रमत्त हो उठता है।
उत्तर:
सही।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
मादक पदार्थों के ……… से मुक्ति पाना …… नहीं होता।
उत्तर:
मादक पदार्थों के व्यसन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता।

प्रश्न 11.
यह …… परिवारजनों और …… के सच्चे … … से ही पूरा हो सकता है।
उत्तर:
यह पुनर्वास परिवारजनों और प्रियजनों के सच्चे सहयोग से ही पूरा हो सकता है।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
किसके सेवन से कभी यह आभास होता है कि मानो त्वचा के नीचे असंख्य कीड़े रेंगने लगे हैं ?
(क) कैनाबिस
(ख) कोकेन
(ग) एल. एस. डी.
(घ) पी.सी.पी.
उत्तर:
(ख) कोकेन।

प्रश्न 13.
कैसी दवाएँ विभ्रम पैदा करती हैं
(क) एंटीबायोटिक
(ख) एंटीफलेमिटरी
(ग) एंफेटामिन
(घ) एस्थेटिक।
उत्तर:
(ग) एंफेटामिन।

प्रश्न 14.
फेफड़े का कैंसर किसके सेवन से होता है ?
(क) कॉफी
(ख) चाय
(ग) तंबाकू
(घ) दूध।
उत्तर:
(ग) तंबाकू।

प्रश्न 15.
नशे के चंगुल से मुक्त कराने में कौन-से विशेषज्ञ विशेष रूप से मदद करते हैं-
(क) हृदय रोग
(ख) नेत्र रोग
(ग) मनोरोग
(घ) बाल रोग।
उत्तर:
(ग) मनोरोग।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

कठिन शब्दों के अर्थ

दुष्प्रभाव = बुरा प्रभाव। आलस्य = सुस्ती। अंकुर = बीज। कौतूहलवश = उत्सुकता के कारण। अंतहीन = जिसका अन्त न हो। पुरातात्विक = पुरातत्व (प्राचीन वस्तुओं की खोज एवं अध्ययन) से सम्बन्धित। रसास्वादन = स्वाद लेना। चक्रव्यूह = चक्र के रूप में सेना की स्थापना। उत्खनन = ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई। पाषाण = पत्थर। मायावी = माया से युक्त; जादूई। नागफनी = साँप के फन के आकार का गूदेदार पौधा। कोकेन = कोका की पत्तियों से तैयार किया गया द्रव्य, जिसे लगने से अंग सुन्न हो जाता है। उत्तरार्द्ध = पिछला आधा भाग। साइकलोजिकल = मनोवैज्ञानिक। भ्रामक = भ्रम उत्पन्न करने वाला, बहलाने वाला। दुर्बल = कमजोर। चिलम = मिट्टी की बनी हुई नली जिस में तंबाकू जलाकर पीते हैं। ग़म ग़लत करना = दु:ख भूलने के लिए नशा करना। स्नेहरिक्त = स्नेह से रहित। ज़रा-सी बात = थोड़ी-सी बात। व्यसन = लत। सेवन करना = लेना (खाना या पीना)। बेवजह % बिना कारण। ड्रग एडिक्शन = नशीले पदार्थ पर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भरता। अवसाद = सुस्ती, थकावट, उदासी। विफलता = असफलता। हताशा = निराशा, दुःख। एकाग्रता = ध्यान। कल्पनाशीलता = मन की कल्पना शक्ति। सृजनात्मकता = मौलिकता, रचनात्मक शक्ति। भ्राँति = भ्रम, संदेह। बेहतर = उचित। हीनभावना = अपने को तुच्छ समझने की भावना। तपेदिक = क्षय रोग, टी० बी० (Tubercle bacillus)। मतली = मिचली, जी मचलने की अवस्था। नशा मुक्ति = नशों से आज़ादी। विवश = मजबूर। ऊ = वमन, उल्टी करना। रुग्ण = बीमार, दूषित। शंकालु = शंका करने वाला। यकृतशोध = जिगर की सूजन। एड्स = (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक विशेष तरह के वापरत से उत्पन्न एक रोग जिसमें शरीर की रोग-बचाव प्रणाली बेअसर हो जाती है। निरपट = बिल्कुल। दिनोंदिन = दिन-प्रतिदिन। आसक्तता = लिप्तता। अंधियारा = अंधेरा। पुनर्वास = बीमारी आदि के कारण उजड़े/बर्बाद हुए लोगों का उपचार करके उन्हें फिर से बसाना। एक्सपेरिमैंट = प्रयोग। स्वयंसेवी = अपने आप सेवा करने वाली।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

एक अंतहीन चक्रव्यूह Summary

एक अंतहीन चक्रव्यूह जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-डॉ० यतीश अग्रवाल का जन्म 20 जून, सन् 1959 ई० में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक श्रेष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर, लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल ये सफदरजंग हॉस्पिटल तथा बी० एम० मैडिकल कॉलेज नई दिल्ली में प्रोफेसर एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं।
रचनाएँ-डॉ० यतीश अग्रवाल बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें प्रमुख रचनाएं हैं-मन के रंग, नेत्र रोग, नारी स्वास्थ्य और सौन्दर्य, हृदय रोग, तुरन्त उपचार, स्वस्थ खाए तन मन जगाएं, सबके लिए स्वास्थ्य, दांपत्य जीवन, दवाइयां और हम, ब्लड प्रेश, जितना संयत उतना स्वस्थ आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-अग्रवाल स्वास्थ्य तथा चिकित्सा विज्ञान के प्रति तीन दशकों से लोगों में जागृति फैला रहे हैं। देश के अनेक प्रमुख समाचार-पत्रों में इनके लेख छपते रहते हैं। इनके लेख सरल, सरस एवं प्रभावशाली होते हैं। लेखक की भाषा-शैली बहुत सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इसमें अंग्रेजी शब्दावली की अधिकता है।

एक अंतहीन चक्रव्यूह निबन्ध का सार

‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ निबन्ध डॉ० यतीश अग्रवाल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने वर्तमान युग में युवाओं में फैल रही नशे की भयंकर समस्या तथा घातक परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि आज युवा किस तरह नशे के जाल में पड़कर अपना जीवन अंधकार बना रहे हैं। वैसे तो नशा मानव-जीवन के साथ ही शुरू हो गया था। इन्सान ने पेड़ पौधों से प्राप्त नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। नशे का इतिहास बहुत पुराना है। 3000 वर्ष ईसा पूर्व इसके प्रयोग के उल्लेख मिलते हैं किन्तु 19वीं सदी में नशा युवाओं तक फैलने लगा। युवा जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ने के लिए नशे में खो जाते थे। किन्तु वर्तमान समय में तो मज़दूर, किसान, रिक्शा-चालक बेरोज़गार आदि सभी वर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। ये लोग अपने गम को भुलाने, आनंद उठाने तो कोई फैशन दिखाने के चक्कर में नशे के नरक में धंसता जा रहा है। शुरू में तो युवा अपने किसी दोस्त या साथी के कहने पर नशे की शुरुआत करते हैं किंतु धीरे-धीरे वे इसके आदी बन जाते हैं। वे इसमें इतने डूब जाते हैं कि अपने जीवन को ही र्बाद कर लेते हैं।
इस समय कुछ गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। अवसाद, तनाव, असफलता, निराशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियाँ आदमी को नशे की तरफ धकेल देती हैं। धीरे-धीरे मन का संतुलन खोजता आदमी नशे के एक अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है। नशा करने से आदमी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे से उसकी सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। _ नशे के लगातार सेवन से आदमी की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। वह आलसी बन जाता है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। कोई काम करने को मन नहीं करता। वह झूठ बोलने लगता है। वह शंका करने लगता है। इससे भूख मर जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण शरीर में तपेदिक, एड्स, दमा, खांसी, टी० बी०, हैपेटाइटिस बी०, वातस्फीति आदि भयंकर बीमारियाँ हो जाती हैं। ये बीमारियाँ जानलेवा होती हैं। नशेड़ी आदमी इनसे छुटकारा नहीं पा सकता।

PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह

नशा करने वाले आदमी का शरीर रोगी ही नहीं बनता बल्कि उसका परिवार और समाज भी उसे दुत्कार देता है। उसे कोई प्यार नहीं करता। वह दुनिया में बिल्कुल अकेला रह जाता है। मित्र, सगे-सम्बन्धी छूट जाते हैं। आर्थिक : समस्याएँ बढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे आदमी दल-दल में फंसता जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता। नशे से मुक्ति दिलाने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष मदद कर सकते हैं। नशा मुक्ति के लिए वे अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रयोग में लाते हैं। दूसरे चरण में रोगी के मानसिक तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

आज हमारे देश में अनेक सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशा मुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। सबसे अच्छा यही है कि आदमी इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल दूर रहें। हमें ऐसी संगत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। युवाओं को नशे तथा नशा करने वालों से सदा दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें पड़ कर आदमी का जीवन नष्ट हो जाता है।

PSEB 10th Class English Reading Skills Note-Making

Punjab State Board PSEB 10th Class English Book Solutions English Reading Skills Note-Making Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 10th Class English Reading Skills Note-Making

Note-making का अर्थ है किसी पैरे की मुख्य बातों को संक्षिप्त और साफ-सुथरे ढंग से प्रस्तुत करना। अच्छे Notes में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं

1. वे संक्षिप्त होते हैं।

2. केवल प्रासंगिक बातें ही उनमें दी जाती हैं।

3. केवल शब्दों या वाक्यांशों का प्रयोग ही किया जाता है। पूरे वाक्यों की आम तौर पर आवश्यकता नहीं होती।
अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि Notes बनाते समय प्रयुक्त भाषा व्याकरण की दृष्टि से पूरी तरह सही नहीं भी हो सकती।

4. सूचना को सूचीबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इसे विभाजित व उपविभाजित किया जाता है। विभाजन निम्न प्रकार से हो सकता है
मुख्य खण्ड : 1, 2, 3, इत्यादि।
उपखण्ड : a, b, c, इत्यादि।

PSEB 10th Class English Reading Skills Note-Making

5. पूरे शब्दों के स्थान पर संक्षिप्त शब्दों या चिन्हों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
आम प्रयोग में आने वाले संक्षिप्तीकरण शब्दकोशों में दिए होते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के संक्षिप्त शब्द या चिन्हों का प्रयोग कर सकता है।
उदाहरणार्थ_ ‘Parliament’ के स्थान पर ‘Parlt’ या ‘Par’ या ‘P’ का प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक संक्षिप्त-रूप शब्द एक से अधिक शब्दों के लिए न प्रयोग किया जाए।

Question : On the basis of your reading of the given passage, make notes on it in points only.

Passage 1

Good Manners

Good manners occupy a unique place in our life. They are to be acquired? and cultivated. The sooner it is done, the better it is. Childhood is the best period for learning and imbibing good manners. It is obvious that it is in the formative years that good conduct, behaviour and manners are to be developed and cultivated. As Milton said, “The childhood shows the man as morning shows the day.” Good manners help us to make friends and to gain appreciation. Manners make men and morals.

Word-meanings : 1. acquire-अर्जित करना; 2. cultivate-पैदा करना; 3. imbibe ग्रहण करना; 4. formative-रचनात्मक।

Notes
1. Good manners in life
(A) have unique place in life
(B) are to be acquired and cultivated
(C) sooner the better.

2. Best period for learning good manners

  • childhood
  • childhood shows the man as morning shows the day – Milton.

3. Good manners helpful

  • make friends
  • win over people
  • gain appreciation.

Passage 2

The Importance Of The Freedom Of Thought

The most important thing is that we should have freedom of thought. This is not as easy as it sounds, for everyone likes to have this freedom for himself, but is not ready to give it to others when they express different opinions. This is particularly the case when differences of opinion arise on such important matters as religion and politics. But if we refuse to let other people hold their opinion on these matters and especially, if we try to force them to accept our own, progress is impossible. If everyone went on thinking the same things as his ancestors thought, progress would come to an end because as the Buddha said, “What a man thinks, he becomes.” So if we think exactly what our forefathers thought, we shall remain in the condition in which they were.

Word-meanings : 1. sounds-प्रतीत होता है; 2. opinions-विचार, मत; 3. particularly – विशेष रूप से; 4. progress-प्रगति; 5. ancestors-पूर्वज; 6. exactly-बिल्कुल वैसा; 7. forefathersपूर्वज।

Notes
A Freedom of thought

  • each one loves to have
  • not willing to give to others
  • especially in matters of religion and politics.

B. Progress impossible

  • without the freedom of thought
  • no progress if we think as our forefathers did.

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Passage 3

The Tissue Culture Of Plants

Man has depended on plants ever since life began. The reasons are various for food, shelter and clothing. The destruction of plants has been a cause of tremendous concern to him. Hence he tries to preserve plants from both man-made and natural calamities3. He adopts4 various methods to overcome these calamities. To do so, the scientists have evolved the process of tissue culture whereby complete plant can be developed from just a part of the plant. This has proved to be a boon. This technique involves a process in which small pieces of different parts of a plant body are grown on a nutritional media under completely sterile conditions. This concept dates back to 1878 when German botanist6 Vochting said that from a small plant piece, a whole plant could be regenerated. Later, Haberlandt in 1902 postulated that the cultivation of artificial embryos is possible depending on the nutritional media.

Word-meanings : 1. destruction—तबाही; 2. tremendous—अत्यधिक; 3. calamities – विपदाएं; 4. adopts – अपनाता है; 5. sterile – कीटाणुओं से मुक्त; 6. botanist-वनस्पति-विज्ञानी; 7. postulated — प्रमाणित किया

Notes

1. Man’s dependence on plants for the……….
(a) food
(b) shelter
(c) clothing.

2. Causes of destruction
(a) man-made calamities
(b) natural calamities

3. Way to overcome the loss – tissue culture
(a) involves taking pieces of plant body and growing under sterile conditions
(b) suggested by German botanist Vochting (1878)
(c) Haberlandt (1902) postulated the cultivation.

Passage 4

The Functioning Of Newspapers 

A newspaper is usually owned by one or by a group of proprietors. They provide the capital and usually decide the policy of the paper, though they do not normally take part in the day-to-day running of it. This is the responsibility of the editor, whose job is to make sure that the paper comes out every day and that it contains the information that readers expect to find in it. He has a large staff to help him do this, of course. The actual news comes from two main sources the paper’s own reporters, and the news agencies. Most papers subscribe to one or more agencies, i.e. they pay a certain sum of money each year and in return, they are allowed to make use of the news which the agency sends them every day. Naturally, they do not use all this news they select from it what they need.

Word-meanings : 1. proprietor – किसी व्यापारिक संस्थान का मलिक ; 2. provide – प्रदान करना; 3. capital – पंजी; 4. subscribe – ग्राहक बनना

Notes
1. Ownership of newspapers = one or a group of proprietors.

2. Day-to-day working – an editor helped by a large staff.

3. Collection of news –

  • own reporters
  • news agencies.

Passage 5

Gandhiji’s Childhood

Gandhiji’s childhood was a solemn one and lacking strangely in the frivolities with which we surround our children today. Children of those days had a curiously grown-up status, maybe because of the early marriage to which they had to submit, but they soon learned to take up and acquaint themselves with responsibilities and Gandhiji was no exception’ to this. Though the youngest in the family, he acquired grown-up wisdom by consorting with his elders, particularly his. mother, imbibing her wisdom and sound common sense. From the earliest days, his love for truth at any cost dominated his mind and he was free from the tiring little lies that fill the life of any child.

Word-meanings :1. solemn – पवित्र; 2. frivolities – ओछी बातें; 3. acquaint – परि करवाना; 4. exception-अपवाद;
5. consorting – साथी बनना; 6.imbibing-धारण करना, सीखना।

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Notes
Gandhiji’s childhood
(a) solemn
(b) no frivolities

2. No different from the children of his age
(a) early marriage
(b) conscious of responsibilities

3. Gandhiji imbibed
(a) his mother’s wisdom
(b) love for truth.

Passage 6

Advantages Of Early Rising

Early rising leads to health and happiness. The man who rises late, can have little rest in the course of the day. Anyone who lies in bed late is compelled to work till a late hour in the evening. He has to go without the morning exercise which is so necessary for his health. In spite of all efforts, his work will not produce as good results as that of the early riser. The reason for this is that he cannot take advantage of the refreshing hours in the morning. Some people say that the quiet hour of midnight is the best time for working. Several great thinkers say that they can write best only when they burn the midnight oil. Yet it is true to say that few men have a clear brain at midnight when the body needs rest and sleep. Those who work at that time soon ruin their health. Bad health must, in the long run, have a bad effect on the quality of their work.

Word-meanings :1. efforts-प्रयत्न; 2. advantage-लाभ; 3. refreshing-ताज़गी प्रदान करने वाले; 4. ruin-नष्ट करना।

Notes
1. Advantages of early rising
(1) health
(ii) happiness.

2. Disadvantages of late rising
(i) work till late in the evening
(ü) go without morning exercise
(iii) work not done properly.

3. (i) Burning midnight oil bad for health.
(ii) Bad health, poor quality of our work.

Passage 7

Sportsmanship

Sportsmanship is a noble attitude of mind. It is a noble principle which great men observe and everyone should keep in mind. Sportsmanship does not mean art in games according to the set rules. Rather, it means observing all those rules in life which the players have been taught to observe while playing games. Games and sports are to mould the character of the players by the training they are given in the field. Sportsmanship implies fair dealing. In games if a player plays foul, the side to which he belongs is penalised Exactly in the same manner, in the bigger game of life, one must be fair in one’s dealings with others. Fairness, honesty, integrity, openness of heart and frankness are the qualities of a sportsman.

Word-meanings: 1. sportsmanship-खिलाडीपन; 2. observe – पालन करना; 3. to mould – ढालना ; 4. implies-का अर्थ है; 5. fair dealing-न्याय-संगत व्यवहार; 6. play foul-नियम विरुद्ध खेलना ; 7. penalise – दण्डित करना; 8. integrity-ईमानदारी; 9. frankness-निष्कपट ढंग।

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Notes

1. Sportsmanship
(a) noble attitude of mind
(b) moulds character
(c) implies fair dealing
Qualities of sportsman :
(a) fairness
(b) honesty
(c) integrity
(d) openness of heart
(e) frankness.

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans

Punjab State Board PSEB 12th Class Religion Book Solutions Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Religion Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans

Long Answer Type Questions:

Question 1.
Discuss in brief but a meaningful way the religious life of the people of the Harappan Age.
Or
Discuss in brief the religious life of the people of the Harappan Age.
Or
What do you know about the religious life of the Indus Valley people?
Or
Explain in brief the religious faiths and customs of the Harappan Age?
Or
What do you know about the life and religious faiths of the people of the Indus Valley Civilization?
Or
What were the religious beliefs of the people in the Indus Valley? Civilization? Discuss. Write brief notes on Mother Goddess and Swastik.
Or
Write about the religious beliefs of the people of the Indus Valley Civilization. Write brief notes on ‘Saptrishi’ and ‘Pipal’.
Or
Give brief information about religious beliefs of the Indus Valley Civilization.
Or
What were the religious beliefs of the people of the Indus Valley Civilization? Discuss.
Or
Answer:
The seals, paintings etc. found in the excavations of the Indus Valley give us valuable information about the religious life of the people of the Indus Valley. On the basis of this information, it can be said without doubt that the religious life of the people of the Indus Valley was of a very high order. This can be estimated from the fact that several of their religious beliefs are still prevalent in the modern day Hirduism.

1. Worship of Mother Goddess : The Indus Valley people mostly worshipped Mother goddess. This can be deciphered from the several pictures of the Mother goddess on the idols, seals and amulets excavated from the Indus Valley. Several idols show signs of smoke which indicate the use of incense sticks and oil during the worship of the Mour goddess. Mother goddess was considered to be a symbol of power.

2. Worship of Lord Shiva: The worship of one deity was quite prevalent amongst the people of the Indus Valley Civilization. The seals of that age depict the pictures of one deity. This god can be seen in the form of an ascetic in a state of samadhi. It depicts its three heads and an attractive crown on the head. Around the ascetic are inscribed the pictures of lion, elephant, rhinoceros, bull and deer etc. Since Shiva is also known by the names Trimukhi, Pashupati and Yogeshwar etc., hence the historians are of the view that this ascetic was none other but Shiva only.

3. Worship of Animals : The seals and amulets, etc. found in the excavations of the Indus Valley indicate that they worshipped many kinds of animals. Primary among them were the bull, elephant, rhinoceros, lion and crocodile etc. Besides these, the people of the Indus Valley Civilization also worshipped some ancient animals. For instance, we have found an idol in Harappa which looks partly like an elephant and partly like a bull. These animals were considered to be the vehicles (carriers) of Mother goddess or Shiva.

4. Worship of Trees : The people of the Indus Valley Civilization also worshipped trees. These trees were considered to be the dwelling place of the gods and goddesses. They considered trees as the source of life and knowledge. Most of the seals excavated from the Indus Valley show5the pipal tree inscribed on them. It can be thus inferred that they considered the Pipal tree as sacred. Besides this they also worshipped neem, date-palm, babool and sheesham trees etc.

5. Worship of Swastik: Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They wore considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

6. Worship of Saptrishis : One of the seals excavated from the Indus Valley depicts seven humans standing in front of a tree. It can thus be estimated from this that perhaps the people of the Indus Valley worshipped the Saptrishi. There is description of Saptrishis in Puranas, other Hindu scriptures and Buddhist scriptures also. The names of these Saptrishis were Kashayap, Atari, Vishishtha, Vishwamittara, Gautama, Jamdagani and Bhardwaj. They were worshipped as the symbol of heaven.

7. Worship of Linga and Yoni : The excavations of the Indus Valley Civilization , have given us several pointed and ring stones. On observation, one can surely say that the people of the Indus Valley worshipped the Linga and Yoni. These were worshipped to enhance the creative potential of the world.

8. Worship of Water : The several bathrooms found in the excavations of the Indus Valley indicate that the people of that time had deep faith in the worship of water. Water was cosidered to be a symbol of purity and cleanliness.

9. Worship of Snakes : The people of the Indus Valley also worshipped the snakes. This can be deciphered from the pictures of snakes inscribed on the seals obtained at that time. One of the seals depicts a hooded snake on the head of a deity. Another seal shows a man feeding milk to the snake.

10. Faith in Magic and Charms : The occurrence of several amulets during the excavations of the Indus Valley establish the fact that the people of the Indus Valley believed in magic and charms as well as ghosts and spirits.

11. The Death Ceremonies : The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead, was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

12. Some other Religious Beliefs : The several fire places obtained from the Indus Valley excavations reveal that the people of the Indus Valley worshipped fire. Despite this they also worshipped dove and the sun.

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans

Question 2.
(a) What do you know about Mother Goddess and Swastik?
(b) Discuss the death ceremonies of people of Harappan Age.
Answer:

(a) Mother Goddess: The Indus Valley people mostly worshipped Mother goddess. This can be deciphered from the several pictures of the Mother goddess on the idols, seals and amulets excavated from the Indus Valley. Several idols show signs of smoke which indicate the use of incense sticks and oil during the worship of Mou r goddess. Mother goddess was considered to be a symbol of power.

Swastik: Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They wore considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

(b) The Death Ceremonies: The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead, was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

Question 3.
(a) What were the death ceremonies among the people of Harappa?
(b) Write a note on Pipal and Swastik.
Answer:
(a) The Death Ceremonies among the People of Harappa.

1.The Death Ceremonies : The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead, was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

(b) Pipal : Worship of Trees : The people of the Indus Valley Civilization also worshipped trees. These trees were considered to be the dwelling place of the gods and goddesses. They considered trees as the source of life and knowledge. Most of the seals excavated from the Indus Valley show5the pipal tree inscribed on them. It can be thus inferred that they considered the Pipal tree as sacred. Besides this they also worshipped neem, date-palm, babool and sheesham trees etc.

Swastik : Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They wore considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

Question 4.
Was the dead buried or burnt in Harappa and Mohenjo-daro. Discuss.
Answer:
The Death Ceremonies: The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans

Question 5.
What do you know about the religious beliefs of the early Aryai Also state the method of disposal of the dead Aryans?
Or
What do you know about the life and religion of early Aryans?
Or
Describe the religious life of Early Aryans:
Answer:
A detailed description of the religious life of the early Aryans has been gi in the Rigveda. Undoubtedly, they led a very simple and pious life. The main featr of their religious life are as follows :

1. Worshippers of Nature and Natural Phenomena: The religious life of early Aryans was quite simple. They worshipped nature and natural phenome They worshipped all those things that were beautiful, strange, and frightening. The named all these natural phenomena after some deity and started worshipping the They worshipped the glowing sun because it kept the earth alive. They worship] the wind because it gave life to all the human beings of this world. They worship] dawn that woke them up from their sweet sleep and sent them to work. T1 worshipped the blue sky which surrounded the whole world.

2. Vedic Gods : The total count of gods of the early Aryans was 33. They w divided into 3 parts. They lived in heaven, on earth and in between the heaven E earth. A brief description of the major gods-goddesses is as follows :

  • Varuna: Vanina was the greatest god of the early AryAnswer: He sat on a thro He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Crea of the heaven, earth and the sun. He punished the evil doers. He could give people ] and could annul one’s death. Hence, the evil doers asked for forgiveness from him their evil deeds.
  • Indra: He was the second most important and powerful god of the ea AryAnswer: The maximum number of hymns (250) have been written in adoration of to god in the Rigveda. He was considered to be the god of rain and battle. The Arya prayed to him for rain showers on time and victory in battle. He could at the blink an eye destroy the forts of the enemy.
  • Agni: The Agni was another major god of the early AryAnswer: He was associat with the marriage and cremation ceremonies. Without him, no religious ceremo was complete. 200 hymns have been written in the adoration of the god-Agni.
  • Sun: Surya (Sun) was also an important god of the early AryAnswer: He eradicat darkness from the world. He rode on a chariot driven by seven horses to go around the sky.
  • Rudra: Rudra was considered to be the god of storm. He was very cruel and destructive. People were afraid of him and tried to keep him pleased.
  • Soma: The Soma god was very important in the religious life of the early AryAnswer: The somras was considered to be sacred nectar which when consumed could make one immortal.
  • Usha: Besides gods, the early Aryans also worshipped some goddesses. But their importance was less in comparison to the gods. The most important goddesses worshipped by them were Usha, the goddess of dawn, Ratri, the goddess of night, Prithvi, the goddess of earth, Aranayayi, the goddess of the jungle and Saraswati, the river goddess.

3. Faith in One God: Although the early Aryans worshipped many gods and goddesses yet they had a strong belief in one God. They considered all the gods as great. The sages gave prime importance to different gods and goddesses on different occasions. The Rigveda in one of its hymns says, “All of them are one, only the observers have described them differently.” In another hymn, it says, “He, who has given us life, He who has created nature, popular by different names, is yet one.” It is clear that they believed in the concept of one God.

4. Absence of Temples and Idol Worship : The early Aryans did not construct any temple in memory of any god-goddess and neither were their idols made. There is no reference in the Rigveda in the context of temples and idols. The Aryans used to crouch in the open atmosphere of their homes and recited their hymns and meditated with full devotion.

5. Yajnas and Sacrifices : The early Aryans performed several yajnas to please the gods and goddesses. These yajnas were performed very carefully because they feared that a small mistake could anger their gods. First, an altar was built for performing the yajna. Then the sacred fire was lit up. Then to it ghee, milk, rice and somras were added. Several animals like sheep, goats and horses etc. were also sacrificed during these yajnas. The custom of human sacrifice was not prevalent at that time. There were several kinds of yajnas. The simplest among them were the family yajnas. The bigger yajnas were planned well in advance. These yajnas were organized by the kings and rich people of society. Purohits (priests) in large numbers participated in these yajnas.

The Purohits who read Mantras during yajnas were called Udgatris and those who offered sacrifices were called Hotris. They were given gold, animals and crops as donation. The prime,objective of these yajnas and sacrifices was to please gods. They felt that this would help them to obtain victory in the battle, acquisition of wealth, increase in the number of their children, and they would have a long life. The early Aryans thought that each yajna led to the rebirth of the world and if the yajnas would not be performed, there would be darkness in the whole world. These yajnas also enhanced the knowledge of Mathematics, Geography and animal anatomy.

6. Worship of Forefathers: The early Aryans worshipped their forefathers (pitras) besides their gods and goddesses. Pitras were the ancestors of the early Aryans: They lived in the heaven. There are several incantations in the praise of their forefathers in the Rigveda. They too were worshipped like other gods and goddesses. The forefathers were worshipped with the hope that they would protect their lineage, they would direct them they would help remove all their difficulties, provide them wealth and power and would bless them with the boon of children and their long life.

7. Belief in Life after Death : The early Aryans believed in life after death. The principle of transmigration and re-incarnation were still not prevalent. The people in the Vedic period believed that at the time of death the soul gets separated from the body. The soul was considered immortal. life in heaven,^as full of happiness. It was the place of residence of the gods. The people who were well deserving of going to heaven were those who either sacrificed their lives in the battlefield or observed austerity or generously made donations at the time of performance of the yajnas. The Rigveda does not make any mention of hell.

8. Disposal of Deadi : During the period of the early Aryans the dead were cremated. The dead was taken to the cremation ground by his wife and other relatives. After this, the dead was placed on the funeral pyre. If the dead were a Brahman, a stick was placed in his right hand and if he were a Kshatriya, a bow would be placed in his hand and if he were a Vaishya, a plough stick would be placed in his hand. His wife would keep sitting by his pyre till she was told ‘Oh ! lady get up and come back among the live people.’ After this, the fire was lit in the pyre from the havan-kund and the incantation is*as read, “Tread on the path of the elders.” The remains were collected when the dead body was completely burnt and they were buried in the earth in a vessel.

9. Rita and Dharman : There is a description the words Rita and Dharman in the Rigveda and other Vedic texts. The Rita implies a system according to which this world runs. According to the Rita, the day breaks in the morning and the sun, moon and stars appear bright. The earth revolves around the sun. The tides rise and fall in the seas. Hence, the Rita is a truth and Anrita is falsehood. The word ‘Dharman’ means rule. The Dharman were set by the gods. These apply on the materialistic world, human beings and to the sacrifice made. Actually, Dharman includes the rules for life and customs. The good human beings lead their lives according to the Dharman.

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Question 6.
Write a brief note on Varuna and Agni. Write about the ritual of Vedic sacrifice.
Answer:
(a) Varuna and Agni:

(1) Varuna : Varuna was the greatest god of the early AryAnswer: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the sky, earth and the sun. The moon shined and stars twinkled according to his instructions. He was omnipotent and omnipresent. He knew about all the incidents that took place in the world. He had several eyes. No evil doer could escape his eagle eyes. He punished the sinners. He could grant the gift of life and could even annul death. Hence the evil doers prayed to him for forgiveness.

(2) Agni : Agni was another major god of the early AryAnswer: He was considered important for two reasons. First, he was considered the master of all homes. He was associated with marriage and customs associated with the last rites. Secondly, no yajna could be accomplished without him. He was responsible for making the offerings made by the devotees reach the gods. Agni supposedly had 7 tongues and 1000 eyes. If he ever got angry he could destroy everything in a moment. Dry wood, ghee and butter were his favourite food. There are 200 incantations in the Rigveda in the praise of Agni.

(b) Ritual of Vedic Sacrifice : Yajnas and Sacrifices : The early Aryans performed several yajnas to please the gods and goddesses. These yajnas were performed very carefully because they feared that a small mistake could anger their gods. First, an altar was built for performing the yajna. Then the sacred fire was lit up. Then to it ghee, milk, rice and somras were added. Several animals like sheep, goats and horses etc. were also sacrificed during these yajnas. The custom of human sacrifice was not prevalent at that time. There were several kinds of yajnas. The simplest among them were the family yajnas. The bigger yajnas were planned well in advance. These yajnas were organized by the kings and rich people of society. Purohits (priests) in large numbers participated in these yajnas.

The Purohits who read Mantras during yajnas were called Udgatris and those who offered sacrifices were called Hotris. They were given gold, animals and crops as donation. The prime,objective of these yajnas and sacrifices was to please gods. They felt that this would help them to obtain victory in the battle, acquisition of wealth, increase in the number of their children, and they would have a long life. The early Aryans thought that each yajna led to the rebirth of the world and if the yajnas would not be performed, there would be darkness in the whole world. These yajnas also enhanced the knowledge of Mathematics, Geography and animal anatomy.

Question 7.
What is meant by Vedic gods? What is expected from them?
Or
Who were Vedic gods? Write down the names of some gods and goddesses. Whether these gods were historical persons or mythological? State clearly.
Or
What do you know about the Vedic gods and goddesses? Explain.
Or
Explain about monotheism in Vedic period.
Or
Write a detailed note on Vedic gods and goddesses.
Or
Write a brief note on any two Vedic gods.
Answer:
The early Aryans led very simple and pious life. They respected nature and its powers and hence worshipped them as gods. The total number of gods worshipped by them were 33. The number of goddesses was less and they were also less significant. Though the early Aryans worshipped these gods and goddesses yet they considered them to be a part of one supreme God. To please their gods and goddesses and to obtain the important boons from them, they indulged in prayers and yajnas and also offered sacrifices. At that time, idol worship and the practice of building temples was not prevalent.

1. Vedic Gods: Where did the foundation of Vedic gods lie, what was their nature, what was their relationship with human beings and what was their count? The answers to all these questions are found in the Rigveda. The incantation (Richas) of the Rigveda state that the gods were born after the creation of the world and were usually considered to be the children of the sky and the earth. They were very powerful and great. They led a long life. They had acquired immortality by observing penance and consuming somras (divine nectar). They could acquire different forms. They came on their magical divine vehicles and sat on a grassy seat. They contributed in their own way towards the worldly incidents. They listened to the prayers of their devotees and blessed them with their boons.

They were 33 in number and were divided into 3 parts. This division was on the basis of the place they resided. Each category had 11 gods included in it. Varuna, Surya, Vishnu and Usha were gods of the sky. Indra, Vayu, Rudra and Maruta etc. were gods who lived in between the earth and the sky. Agni, Prithvi, Brahaspati, Seas and Rivers were the gods of the earth. The gods were greater in number as compared to the goddesses and they were even more significant than them. A brief description of the main gods and goddesses is as follows :

(1) Varuna: Varuna was the greatest god of the early AryAnswer: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the sky, earth and the sun. The moon shined and stars twinkled according to his instructions. He was omnipotent and omnipresent. He knew about all the incidents that took place in the world. He had several eyes. No evil doer could escape his eagle eyes. He punished the sinners. He could grant the gift of life and could even annul death. Hence the evil doers prayed to him for forgiveness.

(2) Indra: Indra was the second most important and powerful god. The maximum number of hymns (250) in the Rigveda have been written in the praise of this god. Such was his spark that the illumination caused by several suns would faint in its comparison. He was considered to be the god of rain and battle. The Aryans prayed to him for showers of rain and for obtaining victory in battles. He was so brave that he even defeated the demons. He could destroy the forts of the enemies at the wink of an eye. He could eradicate all darkness. He could change several forms. He was so powerful that all the gods were terrified of him.

(3) Agni: Agni was another major god of the early Aryans: He was considered important for two reasons. First, he was considered the master of all homes. He was associated with marriage and customs associated with the last rites. Secondly, no yajna could be accomplished without him. He was responsible for making the offerings made by the devotees reach the gods. Agni supposedly had 7 tongues and 1000 eyes. If he ever got angry he could destroy everything in a moment. Dry wood, ghee and butter were his favourite food. There are 200 incantations in the Rigveda in the praise of Agni.

(4) Sun: Sun was also an important god of the early Aryans: He eradicated darkness from this earth. He was considered to be the son of Aaditi and Deuce. He rode around in the sky everyday on a chariot driven by seven horses.

(5) Rudra: Rudra was considered to be the god of storm or duststorm. He was very cruel and destructive. The people were scared of him and made all efforts to please him. He looked like the demons and dwelled in the mountains. His stomach was black and his back was red.

(6) Soma: Soma had great significance in the religious life of the early Aryans: The entire Navam Mandal of the Rigveda has been devoted to the praise of Soma. Somras was considered to be a divine nectar which when drunk immortalized the gods. It was used during the ‘hawan’. It was gifted to the gods. The somras was obtained from a herb found in the mountains.

(7) Usha: Besides the gods, the early Aryans also worshipped some goddesses. But these goddesses were less significant in comparison to the gods. The goddesses worshipped by them included Ratri the goddess of night, Aranayayi the goddess of forest, Saraswati the goddess of rivers. Usha was the most significant. She was considered to be the goddess of dawn. She was beautiful and mesmerising. She was considered to be the wife of the sun.

2. Vedic Gods were historical persons or mythological : The early Aryans considered their gods and goddesses to be historical persons. The reason for this was that they were just like human beings. They used to come on their magical vehicles and sat on a grassy throne. They listened to the prayers of their devotees and blessed them with boons. They were generous towards their devotees. These gods and goddesses were considered to be the sons and daughters of Aaditi and Deuce. Initially they were considered to be mortal. They were later rendered immortal.

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Question 8.
(a) Throw light on the Vedic ritual sacrifice.
(b) Write brief notes on Varuna and Agni gods.
Answer:
(a) Sacrifice Ritual : Yajnas and Sacrifices : The early Aryans performed several yajnas to please the gods and goddesses. These yajnas were performed very carefully because they feared that a small mistake could anger their gods. First, an altar was built for performing the yajna. Then the sacred fire was lit up. Then to it ghee, milk, rice and somras were added. Several animals like sheep, goats and horses etc. were also sacrificed during these yajnas. The custom of human sacrifice was not prevalent at that time. There were several kinds of yajnas. The simplest among them were the family yajnas. The bigger yajnas were planned well in advance. These yajnas were organized by the kings and rich people of society. Purohits (priests) in large numbers participated in these yajnas.

(b) Varuna and Agni Gods :

(1) Varuna: Varuna was the greatest god of the early AryAnswer: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the sky, earth and the sun. The moon shined and stars twinkled according to his instructions. He was omnipotent and omnipresent. He knew about all the incidents that took place in the world. He had several eyes. No evil doer could escape his eagle eyes. He punished the sinners. He could grant the gift of life and could even annul death. Hence the evil doers prayed to him for forgiveness.

(2) Agni: Agni was another major god of the early AryAnswer: He was considered important for two reasons. First, he was considered the master of all homes. He was associated with marriage and customs associated with the last rites. Secondly, no yajna could be accomplished without him. He was responsible for making the offerings made by the devotees reach the gods. Agni supposedly had 7 tongues and 1000 eyes. If he ever got angry he could destroy everything in a moment. Dry wood, ghee and butter were his favourite food. There are 200 incantations in the Rigveda in the praise of Agni.

Question 9.
Explain the differences of religious life of Indus Valley and Aryan peoples.
Or
Describe the religious life of the people of Indus Valley and AryAnswer: Explain.
Answer:
The seals, paintings etc. found in the excavations of the Indus Valley give us valuable information about the religious life of the people of the Indus Valley. On the basis of this information, it can be said without doubt that the religious life of the people of the Indus Valley was of a very high order. This can be estimated from the fact that several of their religious beliefs are still prevalent in the modern day Hirduism.

1. Worship of Mother Goddess: The Indus Valley people mostly worshipped Mother goddess. This can be deciphered from the several pictures of the Mother goddess on the idols, seals and amulets excavated from the Indus Valley. Several idols show signs of smoke which indicate the use of incense sticks and oil during the worship of goddesses. The mother goddess was considered to be a symbol of power.

2. Worship of Lord Shiva: The worship of one deity was quite prevalent amongst the people of the Indus Valley Civilization. The seals of that age depict the pictures of one deity. This god can be seen in the form of an ascetic in a state of samadhi. It depicts its three heads and an attractive crown on the head. Around the ascetic are inscribed the pictures of lion, elephant, rhinoceros, bull and deer etc. Since Shiva is also known by the names Trimukhi, Pashupati and Yogeshwar etc., hence the historians are of the view that this ascetic was none other but Shiva only.

3. Worship of Animals: The seals and amulets, etc. found in the excavations of the Indus Valley indicate that they worshipped many kinds of animals. Primary among them were the bull, elephant, rhinoceros, lion and crocodile etc. Besides these, the people of the Indus Valley Civilization also worshipped some ancient animals. For instance, we have found an idol in Harappa which looks partly like an elephant and partly like a bull. These animals were considered to be^the vehicles (carriers) of Mother goddess or Shiva.

4. Worship of Trees: The people of the Indus Valley Civilization also worshipped trees. These trees were considered to be the dwelling place of the gods and goddesses. They considered trees as the source of life and knowledge. Most of the seals excavated from the Indus Valley show5the pipal tree inscribed on them. It can be thus inferred that they considered the Pipal tree as sacred. Besides this they also worshipped neem, date-palm, babool and sheesham trees etc.

5. Worship of Swastik: Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They wore considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

6. Worship of Saptrishis: One of the seals excavated from the Indus Valley depicts seven humans standing in front of a tree. It can thus be estimated from this that perhaps the people of the Indus Valley worshipped the Saptrishi. There is description of Saptrishis in Puranas, other Hindu scriptures and Buddhist scriptures also. The names of these Saptrishis were Kashayap, Atari, Vishishtha, Vishwamittara, Gautama, Jamdagani and Bhardwaj. They were worshipped as the symbol of heaven.

7. Worship of Linga and Yoni: The excavations of the Indus Valley Civilization , have given us several pointed and ring stones. On observation, one can surely say that the people of the Indus Valley worshipped the Linga and Yoni. These were worshipped to enhance the creative potential of the world.

8. Worship of Water: The several bathrooms found in the excavations of the Indus Valley indicate that the people of that time had deep faith in the worship of water. Water was cosidered to be a symbol of purity and cleanliness.

9. Worship of Snakes: The people of the Indus Valley also worshipped the snakes. This can be deciphered from the pictures of snakes inscribed on the seals obtained at that time. One of the seals depicts a hooded snake on the head of a deity. Another seal shows a man feeding milk to the snake.

10. Faith in Magic and Charms: The occurrence of several amulets during the excavations of the Indus Valley establish the fact that the people of the Indus Valley believed in magic and charms as well as ghosts and spirits.

11. The Death Ceremonies: The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead, was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

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12. Some other Religious Beliefs: The several fire places obtained from the Indus Valley excavations reveal that the people of the Indus Valley worshipped fire. Despite this they also worshipped dove and the sun.

(a) The Death Ceremonies among the People of Harappa.

1.The Death Ceremonies: The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead, was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead or their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

(b) Pipal: Worship of Trees: The people of the Indus Valley Civilization also worshipped trees. These trees were considered to be the dwelling place of the gods and goddesses. They considered trees as the source of life and knowledge. Most of the seals excavated from the Indus Valley show5the pipal tree inscribed on them. It can be thus inferred that they considered the Pipal tree as sacred. Besides this they also worshipped neem, date-palm, babool and sheesham trees etc.

Swastik: Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They wore considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

Short Answer Type Questions (Type 1):

Question 1.
Write any two features of religious life of the Indus Valley people.
Answer:
1. Worship of Mother Goddess: The Indus Valley people mostly worshipped Mother goddess. This can be deciphered from the several pictures of Mother goddess on the idols, seals and amulets excavated from the Indus Valley. Several idols show signs of smoke which indicate the use of incense sticks and oil during the worship of Mother goddess. Mother goddess was considered to be a symbol of power.

2. Worship of Lord Shiva: The worship of one deity was quite prevalent amongst the people of the Indus Valley Civilization. The seals of that age depict the pictures of one deity. This god can be seen in the form of an ascetic in a state of samadhi. It depicts its three heads apd an attractive crown on the head. Hence the historians are of the view that this ascetic was none other but Shiva only.

Question 2.
What were the characteristics of the religion of the Indus Valley Civilization?
Answer:
The discovery of large number of female figurines and amulets during the course of excavation suggest that the people mainly used to worship Mother Goddess. They also used to worship Lord Shiva. Besides these, they also worshipped Linga, Yoni, Sun, Ox, Tiger and Elephant etc. They believed in life after death. They believed in magic and charms.

Question 3.
How the people of Indus Valley Civilization disposed off their dead?
Or
Which two methods were adopted by the people of Indus Valley to dispose off their dead?
Or
Describe the death ceremonies of Harappa age people.
Answer:
The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, the head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead were left in the open space for birds and animals to feed on them. At that time the custom of cremating the dead was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried.

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Question 4.
Describe the religious beliefs of early AryAnswer:
Or
Discuss the religious ideas and rituals of Vedic AryAnswer:
Or
What were the main features of the religious life of the Rigvedic Aryans?
Answer:
The religion of the Rigvedic Aryans was simple. They used to worship the natural powers as gods and goddesses. Varuna was their chief deity who knew all the secrets of the universe. Indra was their next most important deity. He was known as the god of war and rain. The Agni was also considered important. He was related to marriage and cremation. Goddesses like Usha, Ratri, Prithvi and Aranayi were also worshipped. However, they occupied subordinate position.

Question 5.
What do you know about Varuna?
Or
Describe the Lord Varuna of Aryans:
Answer:
Varuna was the greatest god of the early Aryans: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the sky, earth and the sun. The moon shone and stars twinkled according to his instructions. He was omnipotent and omnipresent. He knew about all the incidents that took place in the world. He had several eyes. No evil doer could escape his eagle eyes. He punished the sinners. He could grant the gift of life and could even annul death. Hence the evil doers prayed to him for forgiveness.

Question 6.
Describe God Indra of early AryAnswer:
Or
What do you know about God Indra?
Answer:
Indra was the second most important and powerful god. The maximum number of hymns (250) in the Rigveda have been written in the praise of this god. Such was his spark that the illumination caused by several suns would faint in its comparison. He was considered to be the god of rain and battles. The Aryans prayed to him for showers of rain and for obtaining victory in battles. He was so brave that he even defeated the demons. He could destroy the forts of the enemies at the wink of an eye. He could eradicate all darkness. He could change several forms. He was so powerful that all the gods were terrified of him.

Question 7.
Explain in your words the Aryan god ‘Agni’?
Answer:
Agni. Agni was another major god of the early AryAnswer: He was considered important for two reasons. First, he was considered the master of all homes. He was associated with marriage and customs associated with the last rites. Secondly, no yajna could be accomplished without him. He was responsible for making the offerings made by the devotees reach the gods. Agni supposedly had 7 tongues and 1000 eyes. If he ever got angry he could destroy everything in a moment. Dry wood, ghee and butter were his favourite food. There are 200 incantations in the Rigveda in the raise of Agni.

Question 8.
What was the importance of Yajnas in the social and religious life of 3 Aryans?
Or
What do you know about the mode of worship of the Rigvedic Aryans?
Answer:
The religion of the Rigvedic Aryans was simple. The early Aryans performed several yajnas to please the gods and goddesses. These yajnas were performed very carefully because they feared that a small mistake could anger their gods. First, an altar was built for performing the yajna. Then the sacred fire was lit up. Then to it were added ghee, milk, rice and somras. Several animals were also sacrificed during these yajnas. There were several kinds of yajnas. The simplest among them were the family yajnas. The bigger yajnas were planned well in advance. These yajnas were organized by the kings and rich people of society. The prime objective of these yajnas and sacrifices was to please gods.

Question 9.
How did the early Aryans dispose off their dead?
Answer:
During the period of the early Aryans the dead were cremated. The dead was taken to the cremation ground by his wife or other relatives. After this, the dead was placed on the funeral pyre. His wife would keep sitting by his pyre till she was told, ‘Oh ! lady get up and come back among the live people. After this, the fire was lit in the pyre from the havan-kund. The remains were collected when the dead body was completely burnt and they were buried in the earth in a vessel.

Question 10.
What do you mean by Rita and Dharman?
Answer:
There is a description of the words Rita and Dharman in the Rigveda and other Vedic texts. The Rita implies a system according to which this world runs. According to the Rita, the day breaks in the morning and the sun, moon and stars appear bright. The wcffd ‘Dharman’ means rule. The Dharman were set by the gods. These apply to the materialistic world, human beings and to the sacrifice made. The good human beings lead their lives according to the Dharman.

Short Answer Type Questions (Type 2):

Question 1.
Write any six features of religious life of the Indus Valley people.
Or
What was worshipped by the Indus Valley people?
Answer:
1. Worship of Mother Goddess: The Indus Valley people mostly worshipped Mother goddess. This can be deciphered from the several pictures of Mother goddess on the idols, seals and amulets excavated from the Indus Valley. Several idols show signs of smoke which indicate the use of incense sticks and oil during the worship of Mother goddess. Mother goddess was considered to be a symbol of power.

2. Worship of Lord Shiva: The worship of one deity was quite prevalent amongst the people of the Indus Valley Civilization. The seals of that age depict the pictures of one deity. This god can be seen in the form of an ascetic in a state of samadhi. It depicts its three heads and an attractive crown on the head. Hence the historians are of the view that this ascetic was none other but Shiva only.

3. Worship of Trees: The people of the Indus Valley Civilization also worshipped trees. These trees were considered to be the dwelling place of the gods and goddesses. They considered trees as the source of life and knowledge. Most of the seals excavated from the Indus Valley show the Pipal tree inscribed on them. It can be thus inferred that they considered the Pipal tree as sacred. Besides this they also worshipped neem, date-palm, habool and sheesham trees etc.

4. Worship of Swastik: Several seals excavated from the Indus Valley Civilization show signs of swastik. They were considered signs of good omen. It is still dear to all the Jainas and traders. The traders make the sign of swastik before any trade.

5. Worship of Saptrishis: One of the seals excavated from the Indus Valley depicts seven humans standing in front of a tree. It can thus be estimated from this that perhaps the people of the Indus Valley worshipped the Saptrishis.

6. Worship of Water: The several bathrooms found in the excavations of the Indus Valley indicate that the people of that time had deep faith in the worship of water. Water was cosidered to be a symbol of purity and cleanliness.

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 1 Religious Life of the Indus Valley People and Early Aryans

Question 2.
How the people of Indus Valley Civilization disposed off their dead?
Or
Which two methods were adopted by the people of Indus Valley to dispose off their dead?
Answer:
The people of the Indus Valley usually buried the dead. In the grave, to head of the dead body was placed in the north direction while the feet faced the south direction. Sometimes the dead left in the open space for birds and animals feed on them. At that time the custom of cremating the dead was also prevalent. His ashes were put in a large vessel and then buried. Whatever be the technique of the last rites performed, the dead er their skeleton or their ashes were buried with some utensils containing food items and some other important things. From this, we can- decipher that the people of the Indus Valley believed in life after death.

Question 3.
Describe the religious beliefs of early Aryans:
Or
Discuss the religious ideas and rituals of Vedic AryAnswer:
Or
What were the main features of the religious life of the Rigvedic Aryans?
Answer:
The religion of the Rigvedic Aryans was simple. They used to worship the natural powers as gods and goddesses. The goddesses were few in number and had lesser importance. Varuna was their chief deity who knew all the secrets of the; universe. He was known as the heavenly god. It was believed that he punished the criminals. The Aryans prayed to Varuna for the forgiveness of their sins. Indra was their next most important deity. He was known as the god of war and rain. The-, Aryans worshipped Indra’to be victorious in war or for getting rain. In the Rigveda, 250 hymns are devoted to Indra.

The Agni was also considered important. He was, related to marriage and cremation. The Aryans also used to worship the Surya,Vayu, Rudra and Soma. Goddesses like Usha, Ratri, Prithvi and Aranayi were also worshipped. However, they occupied subordinate position. The Aryans believed-; in one God and all the gods and goddesses were believed to be His incarnations. Many – yajnas were performed in order to please the gods and goddesses. These yajnas were,- performed very carefully as any small mistake could displease the gods. The Aryans also believed in the theories of transmigration, karma and salvation. Though these principles were not yet much developed.

Question 4.
Give a brief account of the main gods of the Early Aryans:
Answer:

(1) Varuna: Varuna was the greatest god of the early Aryans: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the heaven, earth and the sun. He punished the evil doers. He could give-, people life and could annul one’s death. Hence, the evil doers asked for forgiveness from him for their evil deeds.

(2) Indra: He was the second most important and powerful god of the early Aryans: The maximum number of hymns (250) have been written in adoration of this, god in the Rigveda. He was considered to be the god of rain and battle. The Aryans prayed to him for rain showers on time and victory in battle. He could at the blink of an eye destroy the forts of the enemy.

(3) Agni: The Agni was another major god of the early Aryans: He was associated, with the marriage and cremation ceremonies. Without him, no religious ceremony was complete. 200 hymns have been written in the adoration of the god Agni.

(4) Sun: Surya (Sun) was also an important god of the early Aryans: He eradicated darkness from the world. He rode on a chariot driven by seven horses to go around in the sky.

(5) Rudra: Rudra was considered to be the god of storm. He was very cruel and destructive. People were afraid of him and tried to keep him pleased.

(6) Soma: The Soma god was very important in the religious life of the early Aryans: The somras was considered to be a sacred nectar which when consumed could make one immortal.

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Question 5.
What do you know about Varuna and Indra?
Or
Describe the Lord Varuna of Aryans:
Answer:
(1) Varuna: Varuna was the greatest god of the early Aryans: He sat on a throne. He was considered to be the master of truth and dharma. He was called the Creator of the sky, earth and the sun. The moon shone and stars twinkled according to his instructions. He was omnipotent and omnipresent. He knew about all the incidents that took place in the world. He had several eyes. No evil doer could escape his eagle eyes. He punished the sinners. He could grant the gift of life and could even annul death. Hence the evildoers prayed to him for forgiveness.

(2) Indra: Indra was the second most important and powerful god. The maximum number of hymns (250) in the Rigveda have been written in the praise of this god. Such was his spark that the illumination caused by several suns would faint in its comparison. He was considered to be the god of rain and battles. The Aryans prayed to him for showers of rain and for obtaining victory in battles. He was so brave that he even defeated the demons. He could destroy the forts of the enemies at the wink of an eye. He could eradicate all darkness. He could change several forms. He was so powerful that all the gods were terrified of him.

Question 6.
Explain in your words the Aryan god ‘Agni’?
Answer:
Agni. Agni was another major god of the early Aryans: He was considered importand for two reasons. First, he was considered the master of all homes. He was associated with marriage and customs associated with the last rites. Secondly, no yajna could be accomplished without him. He was responsible for making the offerings made by the devotees reach the gods. Agni supposedly had 7 tongues and 1000 eyes. If he ever got angry he could destroy everything in a moment. Dry wood, ghee and butter were his favourite food. There are 200 incantations in the Rigveda in the praise of Agni.

Question 7.
What was the importance of Yajnas in the social and religious life of the Aryans?
Or
What do you know about the mode of worship of the Rigvedic Aryans?
Answer:
The early Aryans performed several yajnas to please the gods and goddesses. These yajnas were performed very carefully because they feared that a small mistake could anger their gods. First, an altar was built for performing the yajna. Then the sacred fire was lit up. Then to it were added ghee, milk, rice and somras. Several animals like sheep, goats and horses etc. were also sacrificed during these yajnas. The custom of human sacrifice was not prevalent at that time. There were several kinds of yajnas. The simplest among them were the family yajnas. The bigger yajnas were planned well in advance. These yajnas were organized by the kings and rich people of society. Purohits (priests) in large numbers participated in these yajnas.

The purohits who read Mantras during Yajnas were called Udgatris and those who offeced sacrifices were called Hotris. They were given gold, animals and crops as donation. The prime objective of these yajnas and sacrifices was to please gods. They felt that this would help them to obtain victory in the battle, acquisition of wealth, increase in the number of their children, and they would have a long life. The early Aryans thought that each yajna led to the rebirth of the world and if the yajnas would not be performed, there would be darkness in the whole world. These yajnas also enhanced the knowledge of Mathematics, Geography and animal anatomy.

Question 8.
How did the early Aryans dispose off their dead?
Answer:
During the period of the early Aryans the dead were cremated. The dead was taken to the cremation ground by his wife and other relatives. After this, the dead was placed on the funeral pyre. If the dead were a Brahman, a stick was placed in his right hand and if he were a Kshatriya, a bow would be placed in his hand and if he were a Vaishya, a plough stick would be placed in his hand. His wife would keep sitting by his pyre till she was told, ‘Oh ! lady get up and come back among the live people.’ After this, the fire was lit in the pyre from the havan-kund and the incantation was read, “Tread on the path of the elders.” The remains were collected when the dead body was completely burnt and they were buried in the earth in a vessel.

Question 9.
What do you mean by Rita and Dharjnan?
Answer:
There is a description of the words Rita and Dharman in the Rigveda and other Vedic texts. The Rita implies a system according to which this world runs. According to the Rita, the day breaks in the morning and the sun, moon and stars appear bright. The earth revolves around the sun. The tides rise and fall in the seas. Hence, the Rita is a truth and Anrita is falsehood. The word ‘Dharman’ means rule. The Dharman were set by the gods. These apply to the materialistic world, human beings and to the sacrifice made. Actually, Dharman includes the rules for life and customs. The good human beings lead their fives according to the Dharman.

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Answer in One Word to One Sentence:

Question 1.
How old is Indus Valley Civilization?
Answer:
5,000 years.

Question 2.
When was Indus Valley Civilization discovered?
Answer:
Indus Valley Civilization was discovered in 1921.

Question 3.
Which goddess was mostly worshipped by people of Indus Valley?
Answer:
Mother goddess.

Question 4.
What was Mother goddess considered as?
Answer:
Mother goddess was considered to be, a symbol of power.

Question 5.
Which god was mostly worshipped by people of Indus Valley?
Answer:
Lord Shiva.

Question 6.
Which god and goddess were worshipped more by Indus Valley people?
Answer:
Mother goddess and Lord Shiva were mostly worshipped by Indus Valley people.

Question 7.
Name the animals worshipped by people of Indus Valley.
Answer:

  • Lion,
  • Elephant.

Question 8.
Which animal was mostly worshipped by people of Indus Valley?
Answer:
Bull.

Question 9.
Why did people of Indus Valley worship the trees?
Answer:
Because they believed the trees to be the dwelling place of gods and goddesses.

Question 10.
Which tree was considered the most sacred by people of Indus Valley?
Answer:
Pipal.

Question 11. Name two trees worshipped by people of Indus Valley.
Answer:

  • Pipal,
  • Neem.

Question 12.
Which bird was considered the most sacred by people of Indus Valley?
Answer:
Dove.

Question 13.
Which mark was considered the most sacred by people of Indus Valley?
Answer:
Svastik.

Question 14.
How many Rishis were worshipped by people of Indus Valley?
Answer:
Saptrishis (Seven Rishis).

Question 15.
Name any two Rishis among Saptrishis.
Answer:

  • Vishishtha,
  • Vishwamittara.

Question 16.
Why did people of Indus Valley worship water?
Answer:
People of Indus Valley considered water the symbol of purity and cleanliness.

Question 17.
Where is ‘Great Bath’ discovered?
Answer:
Mohenjodaro.

Question 18.
How were dead of people of Indus Valley cremated?
Answer:
They usually buried their deads.

Question 19.
How many graves are found at Harappa?
Answer:
57.

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Question 20.
From which centre, signs of Sati system are found of Indus Valley?
Answer:
Signs of Sati system are found in Lothal centre of Indus Valley.

Question 21.
Which fact is related that people of Indus Valley believed in life after death?
Answer:
Utensils containing food items and some other things were found buried along with dead.

Question 22.
Whom did early Aryans worship?
Answer:
Nature and Natural forces.

Question 23.
What is meant by the Vedic gods?
Answer:
The Vedic gods are those that came into existence after the creation of the world.

Question 24.
State the total number of gods worshipped by the early Aryans:
Answer:
33.

Question 25.
Into how many categories were the Vedic gods divided?
Answer:
Three.

Question 26.
Who were the Vedic gods?
Answer:
The Vedic Gods were Varuna, Indra, Agni, Rudra, Surya and Soma.

Question 27.
Who were the major gods of early Aryans?
Answer:
Varuna, Indra, Agni, Sun and Rudra.

Question 28.
Who was Varuna?
Answer:
Varuna was the chief god of the early Aryans:

Question 29.
Give the main function of the Varuna.
Answer:
He punished the sinners.

Question 30.
Who were rain and agni gods of early Aryans?
Answer:
Indra and Agni were gods of Rain and Agni of early Aryans:

Question 31.
Who was the god of rain and war of early Aryans?
Answer:
Indra.

Question 32.
Who was Indra?
Answer:
Indra was god of rain and war of early Aryans:

Question 33.
How many hymns have been written in adoration of Indra god in Rigveda?
Answer:
250.

Question 34.
What is meant by Agni god?
Answer:
He was related to marriage and cremation ceremonies.

Question 35.
Which god was considered as the lord of the houses of early Aryans?
Answer:
Agni.

Question 36.
How many hymns have been given in praise of Agni god in Rigveda?
Answer:
200.

Question 37.
Whose son was the sun believed to be by the early Aryans?
Answer:
Early Aryans believed the sun to be son of Aditi and Deuce.

Question 38.
Who was Rudra?
Answer:
Rudra was god of storms of the early Aryans:

Question 39.
Name the two major goddesses of the early Aryans:
Answer:
Usha and Prithvi.

Question 40.
Usha was considered the goddess of which thing by the early Aryans?
Answer:
The goddess of Morning.

Question 41.
What type of boon was expected from the Vedic gods?
Answer:
Boons of victory in battles, acquisition of wealth, increase in number of progeny and long life.

Question 42.
Was human sacrifice prevalent in the early Aryans’ Age?
Answer:
No.

Question 43.
What early Aryans do to please the gods?
Answer:
Yajnas.

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Question 44.
Name two animals of the age of the early Aryans who were sacrificed while performing the Yajnas.
Answer:

  • Horses,
  • Goats.

Question 45.
What were those Purohits called who read Manters during Yajnas?
Answer:
Udgatris.

Question 46.
What were those Purohits called who offered sacrifices during Yajnas?
Answer:
Hotris.

Question 47.
Why did early men worshipped their forefathers?
Answer:
They would direct them, they would help to remove the difficulties and provide them wealth and power.

Question 48.
How did the early Aryans dispose of their deads?
Answer:
The early Aryans cremated their deads.

Question 49.
What is meant by Rita?
Answer:
Rita is a system by which the world runs.

Question 50.
What is meant by Dharman?
Answer:
Dharman were rules set by the gods.

Fill in the blanks:

1. The people of Indus Valley mostly worshipped ………………..
Answer:
Mother goddess.

2. The people of Indus Valley mostly worshipped a lord named …………….
Answer:
Shiva.

3. The people of Indus Valley worshipped …………. tree very much.
Answer:
Pipal.

4. The people of Indus Valley considered Saptrishi as the symbol of ……………
Answer:
Heaven.

5. Water was considerd to be a symbol of …………… by the people of Indus Valley.
Answer:
purity.

6. The people of Indus Valley believed in ………….. after death.
Answer:
life.

7. The total count of gods of the early Aryans were …………..
Answer:
33.

8. ……………. was the greatest god of the early Aryans:
Answer:
Varuna.

9. The number of hymns …………….. have been written in adoration of god Indra in the Rigveda.
Answer:
250.

10. The ………….. was associated with the marriage and cremation ceremonies.
Answer:
Agni.

11. Rudra was considered to be the god of ……………
Answer:
storm.

12. The early Aryans called the river goddess as …………..
Answer:
Saraswati.

13. The …………….. implies a system according to which the world ran.
Answer:
Rita.

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14. The word ‘Dharman’ means ………….
Answer:
rule.

15. The early Aryans performed several ………….. to please gods and goddesses.
Answer:
Yajnas.

True or False:

1. The people of Indus Valley did not give any importance to Mother goddess.
Answer:
False

2. The people of Indus Valley worshipped Shiva.
Answer:
True

3. The people of Indus Valley worshipped crocodile.
Answer:
True

4. The people of Indus Valley did not consider the Pipal tree sacred.
Answer:
False

5. Sapt-Rishis were worshipped by the people of Indus Valley.
Answer:
True

6. The people of Indus Valley had strong belief in Yajnas.
Answer:
True

7. The people of Indus Valley had no belief in magic and charms as well as ghosts and spirits.
Answer:
False

8. Dead were often buried by the people of Indus Valley.
Answer:
True

9. The early Aryans Worshipped a total number of 33 crore gods.
Answer:
False

10. Indra was the greatest god of the early AryAnswer:
Answer:
False

11. There are 200 Mantras in the Rigveda in the praise of Agni.
Answer:
True

12. The early Aryans believed in Usha goddess erf dawn.
Answer:
True

13. The early Aryans had full faith in oneness of God.
Answer:
True

14. The early Aryans built temples to worship their gods.
Answer:
False

15. The early Aryans performed many Yajnas to please their gods.
Answer:
True

16. The early Aryans worshipped their forefathers.
Answer:
True

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Multiple Choice Questions:

1. Which one was the mostly worshipped by the people of Indus Valley?
(a) Shiv Ji
(b) Mother Goddess
(c) Trees
(d) Snakes.
Answer:
(b) Mother Goddess

2. Which god was worshipped by the people of Indus Valley?
(a) Varuna
(b) Indra
(c) Shiva
(d) Agni
Answer:
(c) Shiva

3. Which animal was not worshipped by the people of Indus Valley?
(a) Elephant
(b) Lion
(c) Bull
(d) Horse
Answer:
(d) Horse

4. Which tree was considered the most sacred by the people of Indus Valley?
(a) Pipal
(b) Babool
(c) Neem
(d) Date palm
Answer:
(a) Pipal

5. Which one of the following Rishis was not among Saptrishis?
(a) Vishwamitra
(b) Vashishtha
(c) Jamdagani
(d) Indra
Answer:
(d) Indra

6. Which one of the following is a false fact?
(a) People of Indus Valley worshipped Swastik
(b) People of Indus Valley worshipped Linga and Yoni
(c) People of Indus Valley believed in magic and charms
(d) People of Indus Valley worshipped their forefathers.
Answer:
(d) People of Indus Valley worshipped their forefathers.

7. Which one of the following was worshipped by the people of Indus Valley?
(a) Dove
(b) Hawk
(c) Pigeon
(d) Parrot
Answer:
(a) Dove

8. How many gods were worshipped by the Early Aryans?
(a) 11
(b) 22
(c) 33
(d) 44.
Answer:
(c) 33

9. Who was the chief god of the Early Aryans?
(a) Indra
(b) Varuna
(c) Agni
(d) Surya
Answer:
(b) Varuna

10. For which god maximum hymns have been given in the Rigveda?
(a) Varuna
(b) Indra
(c) Agni
(d) Rudra
Answer:
(b) Indra

11. Which one of the following was considered the god of rain and war?
(a) Soma
(b) Rudra
(c) Surya
(d) Indra
Answer:
(d) Indra

12. Which one of the following god was, associated with marriage and cremation ceremonies?
(a) Agni
(b) Soma
(c) Varuna
(d) Vishnu
Answer:
(a) Agni

13. Which one of the following was not the sky god of the Early Aryans?
(a) Vanina
(b) Surya
(c) Indra
(d) Mitra
Answer:
(c) Indra

14. Which one of following was called the morning goddess?
(a) Uma
(b) Usha
(c) Ratri
(d) Saraswati
Answer:
(b) Usha

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 2 Buddhist Movement upto Ashoka Period

Punjab State Board PSEB 12th Class Religion Book Solutions Chapter 2 Buddhist Movement upto Ashoka Period Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Religion Chapter 2 Buddhist Movement upto Ashoka Period

Long Answer Type Questions:

Question 1.
Discuss the contemporary religious conditions of Buddhism at the time of its origin.
Or
Give a brief account of those factors which led to the birth of Buddhism.
Answer:
There were many political, social and religious causes responsible for the origin of Buddhism in India in the 6th century B.C. A brief account of these is as follows :

1. Complexity in the Hindu Religion : During the Rigvedic period the Hindu religion was simple but it became more and more complex down the ages. It had lost its splendour and was plagued with multifarious rituals and superstitions. The philosophy of the Upanishads and of the Vedic texts was beyond the comprehension of the common man. As a consequence they were fed up with such a complex religion. The people yearned for a simple religion which could be easily understood by them and inspire them to lead a simple and pious life. According to eminent historian Dr. Satish K. Kapoor, “The Hindu society had lost its splendour and was plagued with multifarious rituals and superstitions.”

2. Expensive Religion : Initially the Hindu religion was popular among the people for its simplicity. But after the later Vedic period there were numerous changes. It started becoming more and more complex. Its main reason was the stress that was laid upon several yajnas and sacrifices. These yajnas continued for many years and heavy expenditure was incurred. The Brahmans were also given large donations. Besides these yajnas there were several other rites and rituals which had to be performed in the presence of these BrahmAnswer: People had to spend heavily on such ceremonies and these expenses were beyond the ordinary people. Thus they became against this religion.

3. Moral Degeneration of the Brahmans : During the Vedic period the Brahmans led a very simple and pure life. But with the passage of time moral degradation crept into their lifestyle. They became corrupt, greedy and cheats. They were always on the lookout to fool gullible people for their own gains and amass large amount of wealth. Besides this they now led a pampered and extravagant life. Hence people now were keen to be free of their influence on society.

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4. Caste System : The Indian caste system by the 6th century had become rigid. The people of the higher castes who were also known as Dvij treated the Shudras worse than animals. These people felt defiled even if a Shudra’s shadow fell on them. The Shudras were not allowed to visit the temples, read Vedic literature, participate in yajnas and they were forbidden from even taking water from their wells.

5. Difficult Language : People were also confused due to the Sanskrit language. This language was considered very pure but due to its being very difficult the ordinary man could not understand it. All the religious texts like the Vedas, Upanishads, Brahmans, Ramayana, Mahabharata, etc. were written in Sanskrit. Ordinary people were incapable of reading these religious texts. Taking advantage of this situation the Brahmans started interpreting the religious books according to their will. People started looking for such a religion which would be simple and understandable and its texts would be written in an easy language.

6. Belief in Charms and Spells : People by the 6th century B.C. had started believing blindly in certain things. Their belief in spirits, spells and magic, etc. had greatly increased. It was their belief that with the help of magic and spells they could defeat their enemies, find curse for their maladies and also get the desired progeny. Enlightened people now wanted a religion which would free society from these ills.

7. Birth of Great Personalities : In the 6th century B.C. were born several great personalities who freed mankind from the web of blind beliefs and showed it a new path. The names of Mahavira and Gautama Buddha are the most prominent. Their simple teachings were easily understood by the people and greatly influenced them. Large number of people became their disciple’s and later adopted Jainism or Buddhism. Giving an account of this B. P. Saha and K. S. Behera write, “Infact, birth of Jainism and Buddhism gave a new impetus to the people and significantly moulded social and religious life.”

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 2 Buddhist Movement upto Ashoka Period

Question 2.
What do you know about the life of founder of Buddhism?
Or
Describe the life of Lord Buddha.
Or
Throw light on the life of Mahatma Buddha and the origin of Buddhism.
Answer:
Birth and Parents : The birth of Mahatama Buddha was a significant event not only for India but for the entire world. There are several diverse opinions regarding the exact date of his birth. But modern historians agree that he was born in 566 B.C. He was born at Lumbini, near Kapilvastu on the day of Vaishakha Purnima. His mother’s name was Mahamaya and his father, Suddhodana was a Kshatriya of Sakya clan and was the ruler of Kapilvastu. The early name of Mahatama Buddha was Siddhartha.

The astrologer Asit had predicted that the child would become either a great emperor or a great saint. Siddhartha’s mother died seven days after his birth. So he was brought up by Mahamaya’s sister and second queen of Suddhodana, Prajapati Gautami.

2. Childhood and Marriage: Siddhartha was reared with all the comforts of life and for his education all appropriate measures were taken. From the beginning he had a spiritual bent of mind. He showed little interest in worldly affairs. His father wanted him to become a great emperor and so as to divert his mind from spiritual matters he married Siddhartha early at the age of 16 to a beautiful princess Yashodhara. A son was born to them who was named Rahul. Siddhartha however remained sad and contemplative. Even a family life could not divert his attention from spiritual pursuits.

3. Four Major Sights and Renunciation: Siddhartha lived in splendid palaces but he was keen to see the outside world. One day along with his coachman Channa, he left to see the world outside. On the way he saw an old man, a sick man, a dead man and an ascetic. These sights left a deep impression on his mind and proved a turning point in his life. He realised that the world is full of sorrows. He decided to leave home and so one night while his wife and son were sleeping he left his palace in the search of truth. This event is known as the Great Renunciation. At that time Siddhartha was 29 years old.

4. Enlightenment : After leaving home Siddhartha first went to Rajgriha, the capital of Magadha. Here he became the disciple of two religious preachers Arada Kalama and Udraka Ramaputra. However he was disillusioned and soon left. He along with five others then went to the forests of Uruvella. Here he did severe penance for 6 years but did not realise his cherished goal. He then went to Bodh Gaya. There he sat in meditation under a pipal tree.

After 48 days of meditation on the day of full moon night he got enlightenment. From that day he was known as Buddha or the Enlightened One. The tree under which he attained enlightenment is known as the ‘Mahabodhi Tree/ He was 35 years old when he got enlightenment.

5. Religious Preaching : After his enlightenment Lord Buddha decided to dispel the ignorance of the people and to preach the gospel of peace and universal brotherhood of mankind. He first reached Samath, in Banaras. There he preached his first sermon to his five friends who had left him. They became his followers. This event is known as the ‘Dharma Chakra Pravartna’ or Turning the Wheel of Law. For the next 45 years, he travelled extensively from place to place to preach his sermon.

Wherever he went he received unprecedented welcome from all sections of the people. His chief disciples included the rulers of Magdha, Bimbisara and Ajatasatru, king of Kosala, Prasenjit, Udaiyan the king of Kosambi, the famous prostitute of Vaisali named Amrapali, Suddhodana the king of Kapilvastu (Buddha’s father), Queen Prajapati Gautami, Buddha’s wife Yashodhara and son Rahul.

6. Mahapamirvana : Mahatama Buddha showed the right path to mankind through his teachings. When he was 80 in 486 B.C., Gautama Buddha left this mortal world at Kushinagar in Gorakhpur district of U.P. This event is known as Mahapamirvana.

Question 3.
Discuss in brief the basic teachings of Lord Buddha.
Or
Discuss the Ethical teachings of Buddhism.
Or
Explain the basic teachings of Buddhism.
Or
What are the main teachings of Buddhism?
Or
Describe the teachings of Lord Buddha.
Answer:
The teachings of Mahatma Buddha were simple and clear. He inspired the people to lead a simple and pious life. He told the people that the world is an abode of sorrows and man can attain salvation only by following the Eightfold Path. He vehemently opposed the superstitions prevalent in society. He propagated mutual brotherhood. Mahatma Buddha propagated his teachings in Pali the common language of people. He did not preach complex philosophy. It was for this reason that his teachings cast a magical spell on the people and they were converted to Buddhism – in large numbers.

1. Four Noble Truths : The Four Noble Truths formed the crux of Lord Buddha’s teachings. They are referred to as the Arya Satya because they are based on truth. These four truths are as follows:

(1) World is full of Sufferings : According to Lord Buddha the first truth is that this world is full of sufferings. There are sufferings in a man’s life from birth till death. Birth, disease, old age, richness, poverty, more children, childlessness and death etc. are all reasons for sufferings.

(2) There is a cause of Sufferings : The second truth of Lord Buddha is that there is a cause for these sufferings. The cause is human desire. It is these desires which trap man in the cycle of transmigration.

(3) Sufferings can be Stopped : The third truth of Lord Buddha is that these sufferings can be put to an end. This can be done by giving up one’s desire.

(4) There is a way to stop Sufferings : The fourth truth of Lord Buddha is that there is only one way to put an end to one’s sufferings.

This path is called the Eightfold Path or the Middle Path. Man can attain salvation by treading on this path. In the words of the famous scholar J.P. Suda, “The Four Noble Truths expounded by the Master constitute the core of his teachings. They contain his deepest and most considered convictions about human life and its problem.”

2. Eightfold Path: Lord Buddha preached that men should tread on the Eightfold Path. The Eightfold Path is also called the Middle Path because it was the path in between strict penance and a luxurious life. Following were the principles of the Eightfold Path :

  • Right Action : Man should perform pious deeds. He should keep away from stealing, luxury and killing of creatures. He should love all mankind.
  • Right Thought : All men should have the right thoughts. They should keep away from all worldly evils and futile customs and traditions.
  • Right Belief : Man should have a strong belief that by sacrificing all his desires he can put an end to all his sufferings. They should not deviate from the Eightfold Path.
  • Right Living : All men should have the right living. They should not indulge in unscrupulous activities.
  • Right Speech : Man’s speech should be pious and sweet. He should not criticize anyone nor should talk evil and should always speak the truth.
  • Right Efforts : Man should make the right efforts to condemn evil deeds and work for the welfare of others.
  • Right Recollection : Man should spend his life in right recollection and lead a simple life.
  • Right Meditation : Man should not think about the vices and should adopt right meditation. According to Dr. S.B. Shastri “This noble eightfold path forms the keynote of Buddha’s teachings for emancipating oneself from the ills of life.”

3. Belief in Karma Theory : Lord Buddha believed in the Karma Theory. He believed that every man is the maker of his own destiny. He gets the fruit of the deeds he performs. We receive the fruit of our deeds of the previous birth in this life and the fruit of our deeds in the present birth in the next life. Just as a man’s shadow is always by his side similarly a man’s Karma does not leave him. Lord Buddha said, “A man cannot escape the fruit of his evil doings by hiding in the sky, or in the ocean or in the caves in the mountains.”

4. Rebirth : Lord Buddha had devout faith in rebirth. He believed that a man was bound to the cycle of transmigration due to his Karma. This cycle continued till a man’s desire and lust did not come to an end. Just as a lamp extinguishes on the burning out of oil and wick, similarly a man is freed from the bondage of Karma when he ends his desire and attains supreme peace.

5. Ahimsa : Lord Buddha believed in ahimsa. He was of the belief that man should show love and sympathy towards all creatures i.e. man, flora-fauna and all living organisms. He considered it a sin not only to kill creatures but also to ill-treat them. Hence he preached against those who killed animals.

6. Three Marks : The teachings of Lord Buddha also included the principle of three marks. These three marks area

  • All prohibited things are not permanent.
  • All prohibited things cause suffering.
  • All these prohibited things are not self (Atman) but are non-self (Anatman).

These are our daily experiences. According to Lord Buddha, everything that is born has a pre-determined end. These are Anit (unstable). What is unstable is also depressed. Man’s birth, disease and death etc. are all reasons for distress. There are some moments of happiness in a man’s life but they are for a very short duration. Anatma implies denial of self. Whatever is unstable is not mine.

7. Panchsheel : Lord Buddha has prescribed five rules to be followed by the householders. These rules are also called shikshapada. These five rules are as follows :

  • Do not kill even the smallest of creatures.
  • Donate and receive generously, but do not acquire the other person’s possession by greed or fraud.
  • Do not give a false testimony, do not criticise anyone and do not tell a lie.
  • Save your soul from intoxicants because they hamper one’s thinking.
  • Do not think evil of anyone. Save the body from unnecessary evils. To adopt Buddhism, the monks and nuns had to follow five more rules.

These rules are:

  • Eat food on time.
  • Stay away from song-dance.
  • Do not sleep on soft mattresses.
  • Do not use body adornments and fragrance.
  • Do not get trapped in the vicious cycle of gold and silver.

8. Four Unlimited Virtues : Lord Buddha emphasized on the four social virtues. These virtues are—friendliness, kindness, sympathy and neutrality. These help us to coordinate better with other human beings. It puts an end to mutual jealousy. Man should love his enemy too. Kindness inspires us to help the others in sorrow. Sympathetic happiness is a virtue that trains a man to be capable of being a part of other’s happiness. A person who has this virtue does not envy the other person’s happiness. The spirit of neutrality keeps greed and other vices at bay. Such a man treats all humans equally. In fact these four unlimited virtues are the foundation of the moral values of Buddhism.

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9. Universal Brotherhood : Lord Buddha gave the message of universal brotherhood to people. He wanted that people should forget all mutual differences and live peacefully. He was of the view that the hatred in the world can be brought to an end. Lord Buddha eradicated the prevalent system of discrimination in society by admitting the people of all varnas and castes of the various religions into Buddhism. Lord Buddha himself served the desolate and the diseased to present an ideal example.

10. Disbelief in Yajnas and Sacrifices : There were several superstitions prevalent in Hinduism at that time. They emphasised on yajnas and sacrifices for the attainment of salvation. Lord Buddha said that these superstitions were a mere eye-wash. He was of the view that the yajnas could not change one’s Karma and through sacrifice, he only adds to his piles of evil deeds. Hence they cannot please any god or goddess.

11. Disbelief in Vedas and Sanskrit : Lord Buddha did not believe in the sanctity of the Vedas. He also condemned the fact that one could gain the fruit of reading the scriptures only by doing so in Sanskrit. He himself preached in the common language—Pali.

12. Disbelief in Caste System : Lord Buddha stringently opposed the prevalent caste system in the Hindu society. According to him a man is big or small in accordance to one’s Karma and not according to one’s birth. Hence Lord Buddha admitted people of all religions to Buddhism. He said to his disciples, “Go to all the countries and give the message of dharma to all persons and tell them that there is no question of big or small or rich and poor in this religion. Buddhism is open to all castes. All people can join it in the same manner as the rivers join the sea.”

13. Disbelief in Penance : Lord Buddha did not believe in hard penance. According to him, it was futile to observe fast and give trouble to one’s body. He himself had observed penance for six years but all in vain. He believed that one could in one’s married life tread on the Eightfold Path and attain salvation.

14. Disbelief in God : Lord Buddha remained silent about the entity of God. He did not want to get into any controversy regarding God. But he definitely believed that this world is being run by some power. He called that power the dharma.

15. Nirvana : According to Lord Buddha, the highest aim of human life should be the attainment of Nirvana. It is with the attainment of Nirvana that man achieves happiness, pleasure and peace in life. He gets emancipation from the cycle of transmigration. It puts an end to all sorrows. In fact, Nirvana is a state which cannot be described in words. Those who experience this truth do not talk about it and those who talk in this context do not have any knowledge about it. According to Lord Buddha, any person can attain Nirvana by treading on the Eightfold Path. Whereas according to other religions, one can attain salvation after death, in Buddhism its achievement is possible within a lifetime.

In this manner, we see that the teachings of Lord Buddha acted as a pillar of light for mankind wandering in darkness. In the end, we agree with the words of Dr. B. Jinananda, “In fact, the Buddha’s teachings were based on love on the one hand and on logic on the other.”

Question 4.
Describe the life and teachings of Mahatma Buddha.
Answer:
Birth and Parents : The birth of Mahatama Buddha was a significant event not only for India but for the entire world. There are several diverse opinions regarding the exact date of his birth. But modern historians agree that he was born in 566 B.C. He was born at Lumbini, near Kapilvastu on the day of Vaishakha Purnima. His mother’s name was Mahamaya and his father, Suddhodana was a Kshatriya of Sakya clan and was the ruler of Kapilvastu.

The early name of Mahatama Buddha was Siddhartha. The astrologer Asit had predicted that the child would become either a great emperor or a great saint. Siddhartha’s mother died seven days after his birth. So he was brought up by Mahamaya’s sister and second queen of Suddhodana, Prajapati Gautami.

2. Childhood and Marriage : Siddhartha was reared with all the comforts of life and for his education all appropriate measures were taken. From the beginning he had a spiritual bent of mind. He showed little interest in worldly affairs. His father wanted him to become a great emperor and so as to divert his mind from spiritual matters he married Siddhartha early at the age of 16 to a beautiful princess Yashodhara. A son was born to them who was named Rahul. Siddhartha however remained sad and contemplative. Even a family life could not divert his attention from spiritual pursuits.

3. Four Major Sights and Renunciation : Siddhartha lived in splendid palaces but he was keen to see the outside world. One day along with his coachman Channa, he left to see the world outside. On the way he saw an old man, a sick man, a dead man and an ascetic. These sights left a deep impression on his mind and proved a turning point in his life. He realised that the world is full of sorrows. He decided to leave home and so one night while his wife and son were sleeping he left his palace in the search of truth. This event is known as the Great Renunciation. At that time Siddhartha was 29 years old.

4. Enlightenment : After leaving home Siddhartha first went to Rajgriha, the capital of Magadha. Here he became the disciple of two religious preachers Arada Kalama and Udraka Ramaputra. However he was disillusioned and soon left. He along with five others then went to the forests of Uruvella. Here he did severe penance for 6 years but did not realise his cherished goal. He then went to Bodh Gaya. There he sat in meditation under a pipal tree.

After 48 days of meditation on the day of full moon night he got enlightenment. From that day he was known as Buddha or the Enlightened One. The tree under which he attained enlightenment is known as the ‘Mahabodhi Tree/ He was 35 years old when he got enlightenment.

5. Religious Preaching : After his enlightenment Lord Buddha decided to dispel the ignorance of the people and to preach the gospel of peace and universal brotherhood of mankind. He first reached Samath, in Banaras. There he preached his first sermon to his five friends who had left him. They became his followers. This event is known as the ‘Dharma Chakra Pravartna’ or Turning the Wheel of Law. For the next 45 years, he travelled extensively from place to place to preach his sermon. Wherever he went he received unprecedented welcome from all sections of the people.

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His chief disciples included the rulers of Magdha, Bimbisara and Ajatasatru, king of Kosala, Prasenjit, Udaiyan the king of Kosambi, the famous prostitute of Vaisali named Amrapali, Suddhodana the king of Kapilvastu (Buddha’s father), Queen Prajapati Gautami, Buddha’s wife Yashodhara and son Rahul.

6. Mahapamirvana : Mahatama Buddha showed the right path to mankind through his teachings. When he was 80 in 486 B.C., Gautama Buddha left this mortal world at Kushinagar in Gorakhpur district of U.P. This event is known as Mahapamirvana.

The teachings of Mahatma Buddha were simple and clear. He inspired the people to lead a simple and pious life. He told the people that the world is an abode of sorrows and man can attain salvation only by following the Eightfold Path. He vehemently opposed the superstitions prevalent in society. He propagated mutual brotherhood. Mahatma Buddha propagated his teachings in Pali the common language of people. He did not preach complex philosophy. It was for this reason that his teachings cast a magical spell on the people and they were converted to Buddhism – in large numbers.

1. Four Noble Truths : The Four Noble Truths formed the crux of Lord Buddha’s teachings. They are referred to as the Arya Satya because they are based on truth. These four truths are as follows:

  • World is full of Sufferings : According to Lord Buddha the first truth is that this world is full of sufferings. There are sufferings in a man’s life from birth till death. Birth, disease, old age, richness, poverty, more children, childlessness and death etc. are all reasons for sufferings.
  • There is a cause of Sufferings : The second truth of Lord Buddha is that there is a cause for these sufferings. The cause is human desire. It is these desires which trap man in the cycle of transmigration.
  • Sufferings can be Stopped : The third truth of Lord Buddha is that these sufferings can be put to an end. This can be done by giving up one’s desire.
  • There is a way to stop Sufferings : The fourth truth of Lord Buddha is that there is only one way to put an end to one’s sufferings. This path is called the Eightfold Path or the Middle Path. Man can attain salvation by treading on this path.

In the words of the famous scholar J.P. Suda, “The Four Noble Truths expounded by the Master constitute the core of his teachings. They contain his deepest and most considered convictions about human life and its problem.”

2. Eightfold Path: Lord Buddha preached that men should tread on the Eightfold Path. The Eightfold Path is also called the Middle Path because it was the path between strict penance and a luxurious life. Following were the principles of the Eightfold Path :

  • Right Action: Man should perform pious deeds. He should keep away from stealing, luxury and killing of creatures. He should love all mankind.
  • Right Thought: All men should have the right thoughts. They should keep away from all worldly evils and futile customs and traditions.
  • Right Belief: Man should have a strong belief that by sacrificing all his desires he can put an end to all his sufferings. They should not deviate from the Eightfold Path.
  • Right Living: All men should have the right to live. They should not indulge in unscrupulous activities.
  • Right Speech: Man’s speech should be pious and sweet. He should not criticize anyone nor should talk evil and should always speak the truth.
  • Right Efforts: Man should make the right efforts to condemn evil deeds and work for the welfare of others.
  • Right Recollection: Man should spend his life in right recollection and lead a simple life.
  • Right Meditation: Man should not think about the vices and should adopt right meditation. According to Dr. S.B. Shastri
    “This noble eightfold path forms the keynote of Buddha’s teachings for emancipating oneself from the ills of life.”

3. Belief in Karma Theory: Lord Buddha believed in the Karma Theory. He believed that every man is the maker of his own destiny. He gets the fruit of the deeds he performs. We receive the fruit of our deeds of the previous birth in this life and the fruit of our deeds in the present birth in the next life. Just as a man’s shadow is always by his side similarly a man’s Karma does not leave him. Lord Buddha said, “A man cannot escape the fruit of his evil doings by hiding in the sky, or in the ocean or in the caves in the mountains.”

4. Rebirth: Lord Buddha had devout faith in rebirth. He believed that a man was bound to the cycle of transmigration due to his Karma. This cycle continued till a man’s desire and lust did not come to an end. Just as a lamp extinguishes on the burning out of oil and wick, similarly a man is freed from the bondage of Karma when he ends his desire and attains supreme peace.

5. Ahimsa: Lord Buddha believed in ahimsa. He was of the belief that man should show love and sympathy towards all creatures i.e. man, flora-fauna and all living organisms. He considered it a sin not only to kill creatures but also to ill-treat them. Hence he preached against those who killed animals.

6. Three Marks: The teachings of Lord Buddha also included the principle of three marks. These three marks area

  • All prohibited things are not permanent.
  • All prohibited things cause suffering.
  • All these prohibited things are not-self (Atman) but are non-self (Anatman).

These are our daily experiences. According to Lord Buddha, everything that is born has a pre-determined end. These are Anit (unstable). What is unstable is also depression. Man’s birth, disease and death etc. are all reasons for distress. There are some moments of happiness in a man’s life but they are for a very short duration. Anatma implies denial of self. Whatever is unstable is not mine.

7. Panchsheel: Lord Buddha has prescribed five rules to be followed by the householders. These rules are also called shikshapada. These five rules are as follows :

  • Do not kill even the smallest of creatures.
  • Donate and receive generously, but do not acquire the other person’s possession by greed or fraud.
  • Do not give false testimony, do not criticise anyone and do not tell a lie.
  • Save your soul from intoxicants because they hamper one’s thinking.
  • Do not think evil of anyone. Save the body from unnecessary evils. To adopt Buddhism, the monks and nuns had to follow five more rules.

These rules are:

  • Eat food on time.
  • Stay away from song-dance.
  • Do not sleep on soft mattresses.
  • Do not use body adornments and fragrances.
  • Do not get trapped in the vicious cycle of gold and silver.

8. Four Unlimited Virtues: Lord Buddha emphasized on the four social virtues. These virtues are friendliness, kindness, sympathy and neutrality. These help us to coordinate better with other human beings. It puts an end to mutual jealousy. Man should love his enemy too. Kindness inspires us to help others in sorrow. Sympathetic happiness is a virtue that trains a man to be capable of being a part of other’s happiness.

A person who has this virtue does not envy the other person’s happiness. The spirit of neutrality keeps greed and other vices at bay. Such a man treats all humans equally. In fact, these four unlimited virtues are the foundation of the moral values of Buddhism.

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9. Universal Brotherhood: Lord Buddha gave the message of universal brotherhood to people. He wanted that people should forget all mutual differences and live peacefully. He was of the view that the hatred in the world can be brought to an end. Lord Buddha eradicated the prevalent system of discrimination in society by admitting the people of all varnas and castes of the various religions into Buddhism. Lord Buddha himself served the desolate and the diseased to present an ideal example.

10. Disbelief in Yajnas and Sacrifices: There were several superstitions prevalent in Hinduism at that time. They emphasised on yajnas and sacrifices for the attainment of salvation. Lord Buddha said that these superstitions were a mere eye-wash. He was of the view that the yajnas could not change one’s Karma and through sacrifice, he only adds to his piles of evil deeds. Hence they cannot please any god or goddess.

11. Disbelief in Vedas and Sanskrit: Lord Buddha did not believe in the sanctity of the Vedas. He also condemned the fact that one could gain the fruit of reading the scriptures only by doing so in Sanskrit. He himself preached in the common language—Pali.

12. Disbelief in Caste System: Lord Buddha stringently opposed the prevalent caste system in the Hindu society. According to him a man is big or small in accordance to one’s Karma and not according to one’s birth. Hence Lord Buddha admitted people of all religions to Buddhism. He said to his disciples, “Go to all the countries and give the message of dharma to all persons and tell them that there is no question of big or small or rich and poor in this religion. Buddhism is open to all castes. All people can join it in the same manner as the rivers join the sea.”

13. Disbelief in Penance: Lord Buddha did not believe in a hard penance. According to him, it was futile to observe fast and give trouble to one’s body. He himself had observed penance for six years but all in vain. He believed that one could in one’s married life tread on the Eightfold Path and attain salvation.

14. Disbelief in God: Lord Buddha remained silent about the entity of God. He did not want to get into any controversy regarding God. But he definitely believed that this world is being run by some power. He called that power the dharma.

15. Nirvana: According to Lord Buddha, the highest aim of human life should be the attainment of Nirvana. It is with the attainment of Nirvana that man achieves happiness, pleasure and peace in life. He gets emancipation from the cycle of transmigration. It puts an end to all sorrows. In fact, Nirvana is a state which cannot be described in words.

Those who experience this truth do not talk about it and those who talk in this context do not have any knowledge about it. According to Lord Buddha, any person can attain Nirvana by treading on the Eightfold Path. Whereas according to other religions, one can attain salvation after death, in Buddhism its achievement is possible within a lifetime.

In this manner, we see that the teachings of Lord Buddha acted as a pillar of light for mankind wandering in darkness. In the end, we agree with the words of Dr. B. Jinananda, “In fact, the Buddha’s teachings were based on love on the one hand and on logic on the other.”

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Question 5.
Explain the main features of the Buddhist Sangha.
Or
Write a short note on the Buddhist Sangha.
Answer:
Lord Buddha established Buddhist Sangha (organisation) for teaching Buddhism in an organised way. Sangha meants the organisation of monks. The Buddhist Sanghas were established in different parts of the country. Slowly and slowly these Sanghas became powerful institutions and became main centres for spreading Buddhism. In the words of the famous historian Dr. R.C. Majumdar, “The idea of a Church, or a corporate body of men following a particular faith, was not certainly a new one and there were many organisations of this type at and before the times of Gautama Buddha. His credit, however, lies in the thorough and systematic character which he gave to these organisations.”6

1. Membership of the Sangha : The followers of Lord Buddha were of two types. They were called bhikshus (monks) and bhikshunis (nuns) and both male and female worshippers. These wprshippers led family life. Bhikshus and bhikshunis embraced Sangha after renunciation of the world. In the beginning entry into the Sangha was very easy, but afterwards the members of the Sangha began to increase rapidly.

Conse quently, indisciplined people began to seek entry into it, who wanted to lead a life of luxury on the charity of the people. These people included dacoits, murderers and debt¬ors who wanted to escape from punishment by the king. At that time, there was a royal order that no official would harm any Buddhist monk or nun.

Therefore, Lord Buddha prescribed some qualifications for the members to join the Buddhist Sangha. Accord¬ingly the minimum age of 15 years was fixed for any man or woman to join Sangha. It was necessary for them to seek the permission of parents or guardians for becoming the member of Sangha. The criminals, slaves and patients could not become the mem¬ber of Sangha. A person of any caste could get entry into the Sangha. First of all, the head of monk or nun joining the Sangha had to shaved off his head and he or she had to wear yellow clothes. After that the new member had to pledge that “I take refuge of Buddha, I take refuge of dharma, I take refuge of Sangha.”

Thereafter he had to adopt his guru or teacher from one of the members of Sangha and received education from him for 10 years. Such members were called ‘Shramans’. If after 10 years, he was recognized competent, he would become member of Sangha and got the title of bhikshu or bhikshuni.

2. Ten Commandments : The members of the Sangha had to lead a disciplined life. Each member had to obey these rules —

  • to abide by brahmcharya
  • not to harm creatures
  • not to have desires for the property of others
  • to speak the truth
  • not to use intoxicants
  • not to participate in music and dancing
  • not to use scented goods
  • not to sleep on cushions
  • not to keep money
  • not to take meals at time others than the fixed one.

3. Special Rules for Nuns: The Buddhist Sanghas of nuns were separate from those of monks. Hence, some more rules were also made for nuns. These rules were as such :

  • The nuns should well understand their duties,
  • They should bring alms once a fortnight,
  • They should not live in those places in the rainy season where there are no monks,
  • They should live separate from monks so that they may not see them or their activities,
  • They should not tempt monks to corrupt ways,
  • They should be free from sins and anger etc.
  • They should accept their sins before a monk fortnightly,
  • Each nun howsoever old she may be must show respect even to the new monk.

4. Residence: The Buddhist monks and nuns roamed about in different parts of the country except for three months of rainy season and gave teachings to the people. During three months of the rainy season, they lived at one place and did studies. Their residences were called avas. Each avas had many Viharas where there were separate rooms for monks and nuns. They led community life in the Viharas. Whatever alms a monk or nun received, that was distributed among all the members of the Sangha. These Viharas became famous centres for the teachings of Buddhism.

5. Constitution of the Sangha: Each Buddhist Sangha was based on democratic lines. All the members had equal rights. No one was considered high or low. The monks occupied their seats in the Sangha according to their status. For holding session of Sangha, minimum 20 monks were necessary. Without this number, each session was considered invalid. Resolutions were moved in the Sangha on the basis of information given already on each subject.

Thereafter, there used to be debate on each resolution. Voting was held in respect of those resolutions where there was controversy among the members. There were two types of voting, secret and open. If any member had been absent, he could give his opinion beforehand. Some times a resolution was handed over to a sub-committee for its special opinion. All the decisions of the Sanghas, were taken on the basis of majority. It was necessary for each Sangha to hold a meeting twice in a month.

In these meetings, monks and nuns were punished who violated the rules of the Sangha and decisions were also taken with respect to the efforts to be made for the spread of the religion. There were some special authorities in each Sangha who were selected unanimously by the members of the Sangha. These authorities arranged Viharas and food etc. for monks and nuns. In the words of Dr. Aurn Bhattacharjee, “The well disciplined Sangha was the pillar of the success of Buddhism.”

6. Schism in Sangha : The Buddhist Sanghas did a commendable work in popularising Buddhism. But when hundred years after the death of Lord Buddha, the Second Great Council of Buddhism was held at Vaisali, then the Buddhism suffered from schism. Buddhism lost its unity. In the first century B.C., the Buddhism got divided into two main sects, Hinayana and Mahayana. This schism in the Buddhist Sangha became a potent factor for the downfall of Buddhism in India.

Question 6.
Write about Sangha, Nirvana and Panchsheel in Buddhism.
Or
Write about Sangha and Panchsheel in Buddhism.
Or
Write about the concept of Nirvana in Buddhism.
Answer:
The concepts of Sangha, Nirvana and Panchsheel are very important in Buddhism. They appreciably contributed towards the development of Buddhism. A brief description of these is given below :
(A) Sangha
Lord Buddha had established the Buddhist Sangha to consolidate his followers. Sangha implied an association of Buddhist monks. Slowly, the Sangha converted into a powerful institute. Every male or female who was above 15 years of age was admitted to the Buddhist Sangha as a member. The criminals, diseased and slaves were not allowed to become members of the Sangha. It was essential to take the consent of family members before joining the Sangha.

A new monk had to have his head shaved off, dress up in yellow clothes and pledge, “I take refuge of Lord Buddha, I take refuge of dharma, I take refuge of the Sangha”. The members of the Sangha had to lead a very disciplined life. Every member had to follow some rules.

These rules were:

  • Observe brahmacharya.
  • Do not trouble other living creatures,
  • Not to desire other’s wealth,
  • To always speak the truth,
  • Not to use intoxicants,
  • Not to sleep on cushioned mattresses,
  • Not to keep any wealth with self,
  • Not to have food at a time other than the one prescribed.

The monks and nuns who joined the Sangha had to first undertake training for ten years from any monk in the Sangha. If successful, they became the members of the Sangha. All the members of the Sangha led a simple and pious life. They earned their livelihood by collecting bhiksha. Except for the three months of the monsoon, the members of the Sangha used to travel to various parts of the country to propagate Buddhism. Special meetings of the Sangha were held to take important decisions of the Sangha. All the members of the Sangha were allowed to take part in the important decisions.

All decisions were based on majority consent. In case of conflict over any issue, the decision was left to a sub-committee. Infact, the Buddhist Sangha had an important role to play in the growth of Buddhism. According to Dr. S.N. Sen, The phenomenal success of Buddhism was due to the organisation of the Sangha.”

(B) Nirvana

According to Lord Buddha, the supreme objective of human life is to attain Nirvana. Buddhism in context of Nirvana says that it is neither life nor death. It is no heaven where the gods gain happiness. It has always been called the source of happiness and peace. It is the end to all sorrows, desires and greed. Its reality is totally imaginary. It cannot be described. To know about its truth and its meaning, it is essential to attain it. Those who are aware of its truth do not talk about it and those who talk about it do not actually have any knowledge about it.

According to Lord Buddha, any person can attain Nirvana by treading on the Eightfold Path. Where the other religions talk of Nirvana after death, Buddhism says it is possible to attain salvation even in one’s life-time.

PSEB 12th Class Religion Solutions Chapter 2 Buddhist Movement upto Ashoka Period

(C) Panchsheel : Lord Buddha has prescribed five rules to be followed by the householders. These rules are also called shikshapada. These five rules are as follows :

  • Do not kill even the smallest of creatures.
  • Donate and receive generously, but do not acquire the other person’s possession by greed or fraud.
  • Do not give a false testimony, do not criticise anyone and do not tell a lie.
  • Save your soul from intoxicants because they hamper one’s thinking.
  • Do not think evil of anyone. Save the body from unnecessary evils. To adopt Buddhism, the monks and nuns had to follow five more rules.

These rules are:

  • Eat food on time.
  • Stay away from song-dance.
  • Do not sleep on soft mattresses.
  • Do not use body adornments and fragrance.
  • Do not get trapped in the vicious cycle of gold and silver.

Question 7.
Write a detailed note on early Buddhist sects and society.
Answer:
(A) Early Buddhist Sects

After the Nirvana of Lord Buddha, Buddhism was divided into more than 18 sects. Most of these sects were small and they had no great importance. A brief description of some important sects of Buddhism is as follows :

1. Sthaviravadins and Mahasanghikas : In 387 B.C., at Vaishali, 100 years after the attainment of Nirvana by Lord Buddha, when the Second Great Council was convened, there was a schism in the Buddhist Sangha due to the adoption of the 10 Commandments. Consequently Sthaviravadins or Theravadins and the Mahasanghika came into existence. Sthaviravadin monks were supporters of the traditional rules of Buddhism. They were not in favour of changes of any form in any of the Commandments.

The Mahasanghikas were in favour of adoption of new Commandments. In this Great Council, the Sthavirvadins emerged victorious and the Mahasanghikas were compelled to leave the Great Council. Soon the Sthaviravadins were divided into 11 sects and the Mahasanghikas were divided into 7 sects.

2. Hinayana and Mahayana: During Kanishka’s reign in the 1st century A.D. at Jalandhar, the Fourth Great Council of the Buddhist monks was held. It was in this Great Council that the Hinayana and Mahayana sects were formed. Yana literally means the way to attainment of salvation. Hinayana meant a small vehicle. Mahayana meant a big vehicle. The Hinayanas continued to support the traditional commandments of Buddhism whereas the Mahayanas adopted new principles.

The Hinayanas propagated their religion in the southern countries of Asia such as India, Sri Lanka and Burma (Myanmar) etc. Mahayanas propagated their religion in the northern countries of Asia such as China, Japan, Nepal and Tibet etc. The following were the differences between the Hinayanas and the Mahayanas :

  • The Hinayana sect considered Lord Buddha to be a pious soul whereas the Mahayana sect considered him as a form of God.
  • The Hinayana sect was against idol worship whereas the Mahayana sect was not against idol worship.
  • The Hinayana sect did not believe in the Bodhisattvas. According to them a person could attain salvation only through one’s effort. No god can help anyone to attain Nirvana. The Mahayanas had complete faith in the Bodhisattvas. Bodhisattvas were those great people who took birth again and again with the objective to help people attain salvation.
  • The Hinayana sect preached Buddhism in Pah language which was the language of the common people. The Mahayana sect preached Buddhism in Sanskrit language.
  • According to the Hinayana sect the supreme objective of human life is to attain Nirvana whereas according to the Mahayana sect, the ultimate goal of human life is to acquire the heaven.
  • The Hinayana sect had no relation with Hinduism whereas the Mahayana sect adopted several principles of Hinduism with a view to make their religion popular.
  • The Hinayana sect was against any changes in the teachings of Lord Buddha whereas the Mahayana sect made changes in the Commandments of Buddhism according to time. Hence the Mahayana sect becajne more popular than the Hinayana sect.
  • The main texts of Hinayana sect were Tripitakas, Milindpanho and Mahamangalsutra etc. The main texts of Mahayana .sect were Lalitvistara, Budhacharita and Saunderananda etc.

3. Vajrayana : A new sect of Buddhism came into existence in Bengal and Bihar in the eighth century B.G. This sect was associated with magic spells and incantations. This sect believed that magical powers could help to attain salvation. The magical powers were called Vajra. Hence the sect was called Vajrayana. Males and females of any caste could join this group. This sect emphasised on the importance of goddesses. It was believed that these goddesses could help to reach the Bodhisattvas.

These goddesses were called Tara. ‘Mahanirvana Tantra’ was the most famous religious book of the Vajrayanas. This religious title of Vajrayanas was also called the Tantrik. The most important Vihara of Vajrayana is situated at Vikramashila in Bihar. The Vajrayana sect allowed its followers to consume intoxicants, meat etc. and sexual pleasures, thus sounding the death knell of Buddhism. According to N.N. Ghosh, “The chief cause of disappearance of Buddhism was the prevalence of Vajrayana which sapped its foundation by destroying all mental strength.”

(B) Society

Buddhist ideology imagined the establishment of an ideal society. The main rules of this society were :

  • Social equality and religious autonomy were established in society. Buddhism has vehemently opposed casteism. Buddhism had its doors open to all religions, castes and creeds.
  • It propagated the equality of women to men.
  • It is essential for a Buddhist to have a pure heart and good character in his life.

It inspired people not to give a false testimony, not to lie, not to speak evil, not to use intoxicants, not to steal, not to commit other sins and not to kill even the smallest of living creatures. Lord Buddha said, “A life time of even a hundred years is futile if one does not find supreme truth but one who finds the supreme truth has a useful life even if it is a single day.”

In brief, if we follow these principles of Lord Buddha, then undoubtedly this earth of ours shall become a glowing example of heaven.

Question 8.
What do you know about the main sects of Buddhism?
Or
What thoughts and, ideas are represented by Hinayana and Mahayana? Discuss.
Or
What is meant by Hinayana and Mahayana? Distinguish between the two.
Or
What do you understand by Mahayana and Hinayana sects of Buddhism?
Or
Explain the basic teachings of Mahayana and Hinayana sects of Buddhism.
Or
Write a detailed note on the Buddhist sects named Mahayana and Hinayana.
Or
Throw light on the origin and growth of the Mahayana sect of Buddhism.
Or
What do you know about the development of Mahayana? Discuss.
Answer:
Hinayana and Mahayana: During Kanishka’s reign in the 1st century A.D. at Jalandhar, the Fourth Great Council of the Buddhist monks was held. It was in this Great Council that the Hinayana and Mahayana sects were formed. Yana literally means the way to attainment of salvation. Hinayana meant a small vehicle. Mahayana meant a big vehicle. The Hinayanas continued to support the traditional commandments of Buddhism whereas the Mahayanas adopted new principles.

The Hinayanas propagated their religion in the southern countries of Asia such as India, Sri Lanka and Burma (Myanmar) etc. Mahayanas propagated their religion in the northern countries of Asia such as China, Japan, Nepal and Tibet etc. The following were the differences between the Hinayanas and the Mahayanas :

  • The Hinayana sect considered Lord Buddha to be a pious soul whereas the Mahayana sect considered him as a form of God.
  • The Hinayana sect was against idol worship whereas the Mahayana sect was not against idol worship.
  • The Hinayana sect did not believe in the Bodhisattvas. According to them a person could attain salvation only through one’s effort. No god can help anyone to attain Nirvana. The Mahayanas had complete faith in the Bodhisattvas. Bodhisattvas were those great people who took birth again and again with the objective to help people attain salvation.
  • The Hinayana sect preached Buddhism in Pah language which was the language of the common people. The Mahayana sect preached Buddhism in Sanskrit language.
  • According to the Hinayana sect the supreme objective of human life is to attain Nirvana whereas according to the Mahayana sect, the ultimate goal of human life is to acquire the heaven.
  • The Hinayana sect had no relation with Hinduism whereas the Mahayana sect adopted several principles of Hinduism with a view to make their religion popular.
  • The Hinayana sect was against any changes in the teachings of Lord Buddha whereas the Mahayana sect made changes in the Commandments of Buddhism according to time. Hence the Mahayana sect becajne more popular than the Hinayana sect.
  • The main texts of Hinayana sect were Tripitakas, Milindpanho and Mahamangalsutra etc. The main texts of Mahayana .sect were Lalitvistara, Budhacharita and Saunderananda etc.

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Question 9.
Give a brief account of the Early Buddhist scriptures.
Or
What do you know about the Buddhist literature? Explain.
Answer:
The Buddhist literature is an important source of information about Buddhism. Although Buddhist literature has been written in several languages but most of it has been written in Pali and Prakrit. The literature associated with the Hinayana sect of Buddhism has been written in Pali and the literature associated with the Mahayana sect has been written in Sanskrit.

(A) Literature written in Pali

The early Buddhist texts associated with Buddhism were written in Pali. A brief description of the Buddhist texts is as follows :—
1. The Tripitakas : The Tripitakas are the most ancient texts of Buddhism. Their names are Vinayapitaka, Suttapitaka and Abhidhammapitaka. The Tripitakas have an important position in Buddhist literature. Pitaka literally means ‘basket’ in which one can carefully place these texts.
(а) The Vinayapitaka : The Vinayapitaka throws a ample light on the rules associated with the behaviour of the Buddhist monks and nuns. It has three parts

  • The Suttavibhanga: It gives the list of crimes committed by the Buddhist monks and nuns and their expiation. These rules are called Patimokkha.
  • The Khandhaka: The Khandhaka is divided into two parts Mahavaga and Chullavaga. It gives a detailed description of the Commandments of the Sangha. Besides this, they also discuss the stories related to Lord Buddha.
  • The Parivara: This is the last part of the Vinaya Pitaka. It is a summary of the first two parts and it has been written in the form of a question-answer.

(b) The Suttapitaka : It is the most important part of the Tripitakas. It is divided into five sections or parts:

  • The Digha Nikaya : It has 34 long sutras which are complete in themselves. It gives a description of the different teachings of Lord Buddha.
  • The Majjhima Nikaya : It has 152 sutras which are medium sized. It gives a description of the conversations of Lord Buddha. In the end, it gives the teachings.
  • The Sanyutta Nikaya: It has 7762 sutras. There is a description of spiritual issues in this. There are stories of Lord Buddha and other gods-goddesses in it. Besides these, it condemns the opposing religions.
  • The Anguttara Nikaya : It has 2308 sutras. Most of it is in prose though a part of it is in poetry form. It gives a description of Buddhism and its philosophy.
  • The Khuddaka Nikaya : It discusses about the various subjects pertaining to Buddhism. It has a compilation of 15 different books. These books were written at different times. Popular among them were Khuddak Path, Dhammapada, Jataka and Sutranipat. Khuddhak Path is the smallest composition.

It has 9 sutras in it which were read at the time of diksha. Dhammapada is considered to be the most sacred book related to Buddhism. The Boddhi Dhammapada is- read everyday just as the Japji Sahib is read by the Sikhs and Gita by the Hindus: Dhammapada is popularly known as the Boddhi Gita. It has been translated into several languages of the world. The Jataka describes 549 stories pertaining to the time before the birth of Lord Buddha. Suttanipata was written in the form of a poem. It gives information about the early history of Buddhism.

(c) The Abhidhammapitaka: Abhidhamma implies, ‘Great Teachings’. Most of this text has been written in question-answer form. There is a discussion of spiritual subjects in it. There is a description of 7 books in it. Most popular among them are Dhammasangini and Kathavathu. Dhammasangini is a great creation related to Buddhist psychology. Kathavathu was written by Moggliputta Tissa. It describes the Commandments related to the Sthaviravadin sect of Buddhism.

2. Milind Panho : It is an important work associated with Buddhism. It was written in 100 B.C. in Punjab. It gives an account of the religious conversation between the Greek emperor Minander and the Buddhist monk Nagasena. Ample light has been thrown on the Buddhist philosophy in this work.

3. Dipavansa and Mahavansa : Both these Buddhist texts were created in Sri Lanka. These were written in the 5th century. These Buddhist texts give a description of the Buddhist tales of the area.

4. Mahamangalsutra: In this creation, there is an account of good and evil deeds as given by Lord Buddha. A Buddhist recites this everyday.

(B) Literature written in Sanskrit

Most of the literature related to the Mahayana sect .of Buddhism has been written in Sanskrit. A brief description of the famous Buddhist texts is as follows :

  • The Lalitvistara: This is one of the early Buddhist texts related to the Mahayana sect of Buddhism. It gives a description of the life of Lord Buddha in an extremely interesting style.
  • The Lankavatara: It is a sacred text of the Mahayanas. The Chinese and Japanese Buddhists recite it everyday.
  • The Saddharmapundarika: This text gives a detailed description of the Commendments of the Mahayana sect. It reflects Lord Buddha as the supreme soul who has created this world.
  • The Prajnaparamita: It is most popular text of the Mahayana sect. It gives a detailed description of Buddhist philosophy.
  • The Avadana Books: These are those books that give an explicit description of the Buddhist saints related to the Mahayana sect, the moral and brave deeds of the pious males and females. Divyavadana and Avadana are the most popular works of this category.
  • The Buddha Charita: This text was created by the great poet Ashvaghosha. In this the life of Lord Buddha has been depicted in the form of an epic.
  • The Saundrananda: This text was also created by Ashvaghosha. It is a text par excellence. In this, there is a description of those events of Lord Buddha’s life which have been briefly described or not described at all in the Buddha Chrita.
  • The Madhyamaksutra: This is the most popular text of the famous Buddhist Nagaijuna. It has emphasised on the fact that this world is a myth.
  • The Sikshasamuchchaya: This famous text was created by Shanti Deva. It is a compilation of the teachings of Lord Buddha. These have been extracted from several Mahay ana texts.
  • The Bodhicharyavatara: This was also a creation of Shanti Deva. It has been written in the form of a poem. This describes the high ideals of Boddhisattva.

Question 10.
Discuss the origin and development of Buddhism.
Or
Discuss in brief but meaningful the progress made by Buddhism before Ashoka.
Or
Describe in detail the progress made by Buddhism till the time of king Ashoka.
Or
Give introductory information about origin and expansion of Buddhism before Ashoka.
Or
What do you know about the origin and development of Buddhism?
Or
Write a detailed note on the origin and development of Buddhism.
Or
Explain the development of Buddhism before Ashoka.
Answer:
I. Origin of Buddhism

There were many political, social and religious causes responsible for the origin of Buddhism in India in the 6th century B.C. A brief account of these is as follows :

1. Complexity in the Hindu Religion : During the Rigvedic period the Hindu religion was simple but it became more and more complex down the ages. It had lost its splendour and was plagued with multifarious rituals and superstitions. The philosophy of the Upanishads and of the Vedic texts was beyond the comprehension of the common man. As a consequence they were fed up with such a complex religion. The people yearned for a simple religion which could be easily understood by them and inspire them to lead a simple and pious life. According to eminent historian Dr. Satish K. Kapoor, “The Hindu society had lost its splendour and was plagued with multifarious rituals and superstitions.”

2. Expensive Religion : Initially the Hindu religion was popular among the people for its simplicity. But after the later Vedic period there were numerous changes. It started becoming more and more complex. Its main reason was the stress that was laid upon several yajnas and sacrifices. These yajnas continued for many years and heavy expenditure was incurred. The Brahmans were also given large donations. Besides these yajnas there were several other rites and rituals which had to be performed in the presence of these BrahmAnswer: People had to spend heavily on such ceremonies and these expenses were beyond the ordinary people. Thus they became against this religion.

3. Moral Degeneration of the Brahmans : During the Vedic period the Brahmans led a very simple and pure life. But with the passage of time moral degradation crept into their lifestyle. They became corrupt, greedy and cheats. They were always on the lookout to fool gullible people for their own gains and amass large amount of wealth. Besides this they now led a pampered and extravagant life. Hence people now were keen to be free of their influence on society.

4. Caste System : The Indian caste system by the 6th century had become rigid. The people of the higher castes who were also known as Dvij treated the Shudras worse than animals. These people felt defiled even if a Shudra’s shadow fell on them. The Shudras were not allowed to visit the temples, read Vedic literature, participate in yajnas and they were forbidden from even taking water from their wells.

5. Difficult Language : People were also confused due to the Sanskrit language. This language was considered very pure but due to its being very difficult the ordinary man could not understand it. All the religious texts like the Vedas, Upanishads, Brahmans, Ramayana, Mahabharata, etc. were written in Sanskrit. Ordinary people were incapable of reading these religious texts. Taking advantage of this situation the Brahmans started interpreting the religious books according to their will. People started looking for such a religion which would be simple and understandable and its texts would be written in an easy language.

6. Belief in Charms and Spells : People by the 6th century B.C. had started believing blindly in certain things. Their belief in spirits, spells and magic, etc. had greatly increased. It was their belief that with the help of magic and spells they could defeat their enemies, find curse for their maladies and also get the desired progeny. Enlightened people now wanted a religion which would free society from these ills.

7. Birth of Great Personalities : In the 6th century B.C. were born several great personalities who freed mankind from the web of blind beliefs and showed it a new path. The names of Mahavira and Gautama Buddha are the most prominent. Their simple teachings were easily understood by the people and greatly influenced them. Large number of people became their disciple’s and later adopted Jainism or Buddhism. Giving an account of this B. P. Saha and K. S. Behera write, “Infact, birth of Jainism and Buddhism gave a new impetus to the people and significantly moulded social and religious life.”

II. Development of Buddhism

Due to untiring efforts of Lord Buddha, the foundation of Buddhism had become strong in the East India. After his death, Buddhist Sangha held Four Great Councils from time to time for compiling the .doctrines of Lord Buddha, for making new laws concerning Sangha and with objects of spreading Buddhism. The different rulers played important role in organising these Councils. Consequently, Buddhism spread not only in India but even in foreign countries.

1. First Great Council 487 B.C.: Immediately after tlie death of Lord Buddha the First Great Council was held at Rajgriha in 487 B.C. Rajgriha was the capital of Ajatshatru, the ruler of Magadha. This Great Council was organised under the patron-age of Ajatshatru. The object of this Council was to compile main teachings of Lord Buddha. 500 Buddhist monks participated in this Great Council. Mahakashyap was its chairman. Tripitakas, Vinaypitaka, Suttapitaka and Abhidhampitaka were written in it.

In Vinaypitaka, there are rules regarding Buddhist monks, teachings of Lord Buddha are contained in Suttapitaka and Buddhist philosophy had been described in Abhidhamapitaka. In this council Ananda, the most devoted disciple of Lord Buddha was exonerated of the charges levelled against him after thorough investigation whereas Channa, his charioteer was punished for his rude behaviour.

2. Second Great Council 387 B.C.: Exactly 100 years after the First Great Coun¬cil the Second Great Council of the Buddhism was held at Vaisali in 387 B.C. This Council was organised by Kalasoka, the ruler of Magadha. 700 Buddhist monks par¬ticipated in this Great Council. Sabhakami was the chairman of this Great Council.4 The reason for the organising this council was that ten rules of the Buddhist Sangha had created controversy among the monks. A debate continued for many days regard¬ing these rules. But the controversy among the monks could not be cleared.

Consequently, the Buddhist monks were split into two sects. Their names were Sthviravadins or Theravadins and Mahasanghikas. Sthviravadins were against the new rules. They did not want any change in the doctrines of Buddha. Mahasanghikas wanted to introduce some changes in the traditional doctrines so that the rigidity of discipline in the Buddhist Sangha may be relaxed to some extent. The Sthviravadins got victorious in this Great Council and Mahasanghika monks were turned out of it.

3. Third Great Council 251 B.C.: After the Second Great Council, Buddhism got divided into 18 branches. Their differences caused a great .set back to the progress of Buddhism. The emperor Ashoka organised the Third Great Council of Buddhism in 251 B.C. in his capital, at Pataliputra in order to re-invigorate Buddhism and to remove the shortcomings which had crept into this religion. One thousand Bud¬dhist monks participated in this Great Council. Moggliputta Tissa was the chair¬man of the Great Council. This Great Council remained in function for nine months. It succeeded to a great extent in removing many of the ills of Buddhism. Those monks were turned out of this Council who did not agree to the principles of Theravadin monks. A scripture named Kathavathu was compiled in this Great Council. The most important decision taken in it was to send the Buddhist preachers to foreign countries.

4. Fourth Great Council 100 A.D. : After the death of the emperor Ashoka, controversies among the Buddhist monks had again increased. Kanishka, the Kushana ruler organised the Fourth Great Council in 100 A.D. at Jalandhar, in order to remove these controversies. Some historians are of the opinion that this Council was organised at Jalandhar. 500 Buddhist monks participated in it. Vasumitra was its chairman.

Vasumitra composed Mahavibhasa which is called an encyclopaedia of Buddhism. Ashvaghosha, an other scholar of this Great Council composed the scripture Buddha Charita. The life of Lord Buddha has been described in it. Buddhism got divided into two main sects, Hinayana and Mahayana because of the controversies in this Great Council. Kanishka patronised the Mahayana sect.

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Question 11.
What contribution Maharaja Ashoka made for the development of Buddhism? Discuss.
Or
Discuss the development made by Buddhism during the time of Emperor Ashoka.
Or
Throw light on the contribution of Ashoka to the spread of Buddhism.
Or
Discuss the role of Emperor Ashoka in the development of Buddhism.
Or
Discuss the contribution of Emperor Ashoka in the spread of Buddhism.
Or
Describe the services rendered by Ashoka to the development of Buddhism.
Or
What methods were adopted by Ashoka to spread Buddhism?
Or
How did Emperor Ashoka spread Buddhism?
Or
Describe the spread of Buddhism.
Or
“Buddhism was more developed during the period of Maharaja Ashoka.” Elucidate.
Answer:
Ashoka’s name is very well known for the propagation of Buddhism not only in the Indian history but also in the history of the world. It was as a result of his untiring efforts that the Buddhism soon became the most popular religion of the world. In the words of Dr. D.C. Sircar, “Ashoka was a patron of the Buddha’s doctrine and was responsible for raising Buddhism fftr the status of a local sectarian creed of Eastern India to that of one of the principal religions of the world.”

1. Personal Example : Blood-shed of Kalinga War made a deep impact on the mind of Ashoka. As a result Ashoka adopted the Buddhism after leaving the Hinduism. For the propagation of this religion Ashoka presented his own example before the people. He left all the luxuries of the palace. He stopped eating meat and hunting. He bade farewell to wars for ever and adopted a policy of peace and love. On account of adoption of the principles of Buddhism by Ashoka, there was deep impact on his subjects and they started making efforts to follow his footsteps.

2. Buddhism was declared as the State Religion: With the objective of making Buddhism more popular Ashoka declared it a state religion. As a result people started joining the Buddhism in a large number. Its reason was that at that time people very much respected their king and felt it their pride to obey his orders.

3. Administrative Steps : Ashoka also took some administrative steps for the propagation of the Buddhism. He banned the slaughter of animals during the religious festivals. He also banned the slaughter of animals for the royal kitchen and fixed 56 days in a year when animals could not be slaughtered. He issued edicts regarding the teachings of Buddha from time to time. He also directed his employees to render maxi-mum service to the people.

4. Wide Publicity : Ashoka arranged wide publicity for the propagation of the Buddhism. He got inscribed the principles of Buddhism on edicts, rocks and stones. These were placed along the highways and at conspicuous places so that the passers-by could read them thoroughly. By this way the government publicity proved helpful in popularizing the Buddhism.

5. Dharm Yatras : Ashoka made pilgrimages of all the places connected with the life of Buddha. He made pilgrimage to Lumbini—where-Buddha was bom, Bodh Gaya— where Buddha was enlightened, Samath where Buddha delivered first discourse, Kushinagar where Buddha attained Nirvana. The Buddhism attained further glory on account of these pilgrimages of Ashoka.

6. Appointment of Dhamma Mahamatras : With a view to propagating the Buddhism, Ashoka appointed employees named as Dhamma Mahamatras. They left no stone unturned for the propagation of Buddhism. On this account Buddhism got further fillip.

7. Building of Viharas and Stupas: Ashoka got built Viharas (Buddhist Mathas) throughout the state. The Buddhist scholars and students coming over there were openly patronized by the state. Besides this thousands of Stupas were got built throughout the state. Relics of Buddha were kept in these Stupas. On account of these reasons the Buddhism became more popular.

8. Works of Public Welfare : After adoption of the Buddhism Ashoka spent his whole life to win over the hearts of the people. Ashoka got built roads and got planted shady trees along the roads for providing amenities to subjects. Wells were got dug for drinking water. Inns w§re got built for the facility of passengers throughout the state. Ashoka got opened hospitals not only for human beings but also for animals as well. The Buddhism got an opportunity, directly and indirectly, to expand on account of these deeds of Ashoka.

9. Third Buddhist Council: Ashoka convened Third Buddhist Council of Buddhism in 251 B.C. in Pataliputra to resolve current differences in the Buddhism. 1,000 Buddhist monks had participated in this Council. Moggliputta Tissa was the president of this Council. This Council remained in session for about 9 months. A new treatise Kathavathu connected with Buddhism was written in this Council. This Council remained successful in instilling a new enthusiasm in the Buddhist monks and they started propagating the Buddhism more rigorously.

10. Foreign Missions : Ashoka sent his preachers to foreign countries to propagate the Buddhism. These preachers went to countries like Sri Lanka, Burma, Nepal, Egypt and Syria etc. Ashoka had, sent his daughter Sanghmitra and his son Mahendra to Sri Lanka for preaching. These preachers made a deep impact on the minds of the people and they joined Buddhism in a large number. Dr. R.C. Msyumdar is hilly right in saying, “ He appeared as the torch bearer, who led the gospel from village to village, from city to city, from province to province, from country to country and from continent to continent.”

Question 12.
What is the legacy of Buddhism to Indian Civilization?
Or
Discuss the legacy of Buddhism.
Answer:
Even though Buddhism has disappeared from India yet it left its abiding mark on Indian Civilization and culture. It made important contributions in several spheres.

1. Political Legacy : Buddhism played an important role in preserving political harmony, stability and unity in India. The powerful rulers of that time were deeply influenced by the Buddhist principles of peace and universal brotherhood and they renounced war and devoted that time for the welfare of the people. This established peace in the region and people prospered. Kings like Ashoka and Kanishka also sent missionaries to spread and preach Buddhism in other countries.

They established friendly relations amongst them. However the principles of peace and brotherhood had certain destructive effects also on Indian politics. Due to prolonged peace the Indian soldiers became lethargic and rusted. As a result they could not face foreign invaders and lost their independence and remained under foreign domination for long time.

2. Religious Legacy : Buddhism greatly influenced the Indian religion. Prior to it people had forgotten the original purity of religion. Its place was taken by empty rituals, yajnas, superstitions and sacrifices. Brahmans had gained supremacy in society and without them no ceremony was considered complete. But these Brahmans had become corrupt and greedy. Their main aim was to lead a life of luxury and cheat the people. Thus the Hindu religion had become one of mere show. Buddha vehemently criticised the malpractices prevalent in Hinduism, the unnecessary dominance of the Brahmans and the belief that only Sanskrit was a holy language.

He said that one could conduct religious practices without a Brahman and read the holy books in any common language. Thus Hinduism received a jolt and Buddhism became popular. As a result Hinduism was given a fresh look by Brahmans to regain its lost glory. After the death of Buddha some Buddhist monks started the worship of his idols. Thus was bom the idol worship prevalent to this day.

3. Social Legacy : Buddhism left a deep impact on society. Before the origin of Buddhism, casteism had become very rigid in the society. People of one caste hated those of the other. Shudras were treated in an inhuman manner. Buddha denounced casteism and preached his followers to have feelings of universal brotherhood and love. By admitting people from all castes and religions into Buddhism he gave a new form to Indian society. It infused a new confidence among down-trodden people of society. Influenced by Buddhism people forsook use of wine, meat and became fond of leading a simple and pure life. Later when Hinduism was reformed many Buddhists joined Hinduism. It now included people from various stratas of society. Buddhism thus inaugurated a new era in the society.

4. Cultural Legacy : Buddhism left a deep impression on the cultural life of India. The Buddhist Sanghas were not only for the spread of Buddhism but also became important educational institutions. Universities of Taxila, Nalanda and Vikramshila became internationally famous. Many foreign students came here to study. The Buddhist texts like Tripitakas, Jatakas, Buddhacharita, Mahavibhasa, Milind Panaho etc. gave an invaluable gift to Indian literature. Even in the fields of architecture and sculpture an indelible impact was left. During the time of Ashoka and Kanishka several Stupas and pillars were made. The Stupas at Sanchi and Bharhut are splendid. During the time of Kanishka the Gandhara and Mathura style of art were born.

Beautiful idols in the various forms of the Buddha produced during this time leave one spell bound and display the artistic growth at that time. One can also gauge the growth of art seeing the sculptures in the Ajanta Caves. The Buddhist monks of those times visited countries like China, Japan, Sri Lanka, Burma, Indonesia, Java, Sumatra and Tibet which not only was responsible for the spread of Buddhism but also Indian Civilization to these countries. Even today several Indian customs are prevalent there which is a matter of pride for India. In the end we agree with Dr. S. Radhakrishnan, “Buddhism has left a permanent mark on the culture of India. Its influence is visible on all sides.”

Short Answer Type Questions (Type 1):

Question 1.
Emergence of Buddhism.
Answer:
During the 6th century B.C., many evils were prevalent in the Hindu society and religion. Caste system had acquired a bad form. Shudras were treated worse than animals. The birth of a girl child was now considered a reason of sorrow. Many superstitions prevailed. The expenses of Yajnas and sacrifices had greatly increased. The priests became corrupt and selfish. Hinduism just remained as a commodity with outer show. Due to these reasons, Buddhism emerged.

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Question 2.
Give a short account of the life of Lord Buddha.
Answer:
Mahatma Buddha was the founder of Buddhism. He was born T’ 566 B.C. at Lumbini. His mother’s name was Mahamaya and father’s name was Suddhodana. He was married to Yashodhara. He renounced the world at the age 29, At the age of 35, he got enlightenment at Bodh Gaya. For 45 years, he kept preaching his sermon. Its famous centres were Magdha, Kosala, Kosambi, Vaishali i Kapilvastu. At last, in 486 B.C., he left his mortal world at Kushi Nagar.

Question 3.
Lumbini.
Answer:
Lumbini is one of the most sacred places of the Buddhists. Lumbini is situated at Terai in Nepal wihch is 10 kms away from the Punjab Nepal border. It is also called Vartman or Rumindayial. In 566 B.C., Mahatma Buddha was bom on the full moon of Vaisakha. Gods from heaven showered flowers on his birth. King Ashoka got a pillar constructed here in the memory of Lord Buddha. The Chinese writers Fa Hein and Huien Tsang have praised this place in their writings.

Question 4.
Bodh Gaya.
Answer:
Bodh Gaya holds the same place for Buddhists as Harmandir Sahib, Amritsar for the Sikhs, Benaras for Hindus and Mecca for the Muslims. This is situated forwards south of Gaya in Bihar. It is that place where under one peepal tree, Siddhartha ‘ Mahatma Buddha) attained enlightenment. At that time, Siddhartha was 35 years old. This event happened on the full moon of Vaisakha. A 170 ft. high MahaBodhi temple is constructed here.

Question 5.
Samath.
Answer:
Sarnath is another holy pilgrimage of the Buddhists. It is situated 7 km east of Benaras city. It is this place where Mahatma Buddha preached his first sermon to his five old friends. This event is remembered in history as ‘Dharma Chakra Pravartna’. King Ashoka built a very famous pillar here. Many idols of Buddha belonging to Gupta and Kushan dynasties have been found here.

Question 6.
Major Sights.
Answer:
One day along with his coachman Channa, ‘Siddhartha left to see the world outside. On the way he saw an old man, a sick man, a dead man and an ascetic. These sights left a deep impression on his mind and proved a turning point in his life. He realised that the world is full of sorrows. He decided to leave home. This event is known as the Great Renunciation. At that time Siddhartha was 29 years old.

Question 7.
Dharma Chakra Pravartna.
Answer:
After attaining enlightenment, Mahatma Buddha first reached Samath near Benaras. He preached his first sermon to his five old friends here and they became his followers. Here Mahatma Buddha taught them about Four Noble Truths and the Eightfold Path. This event is known as the Dharma Chakra Pravartna.

Question 8.
Teachings of Lord Buddha.
Answer:
The basis of teachings of Lord Budha are Four Noble Truths and Eightfold path. They believed in Transmigration, Karma, Ahimsa and Mutual brotherhood. He inspired his followers to lead a simple and pure life. He did not believe in caste system, yajna, sacrifice, vedas, Sanskrit language and rigorous meditation. He remained silent on existence of God.

Question 9.
What were Lord Buddha’s views about Karma Theory?
Answer:
Buddha believed in the theory of actions or Karma. He believed that one is \e architect of one’s own destiny. A man gets rewards according to his deeds. We get e reward of our past actions in the present life and for the actions in our present we lall get rewards in the future. Karma follows a man like his shadow.

Question 10.
What were Lord Buddha’s views about Morality?
Answer:
Buddha laid great emphasis on morality. He felt that religion without Morality was merely a show. He laid down a code of conduct for his followers:

  • Always speak the truth.
  • Never steal.
  • Do not use intoxicants,
  • Stay away from women.
  • Stay away from a life of luxury,
  • Show no interest in music and dance,
  • Stay away from wealth,
  • Do not use perfumes,
  • Do not covet another’s property,
  • Do not hurt anyone.

Question 11.
Lord Buddha’s view about God.
Answer:
Lord Buddha did not believe in the existence and power of God. He said that world has not been created by God. But he believed that a power governs the workings of the world. He named this power ‘Dharma’. He did not want to put his religion in any controversy.

Question 12.
What is meant by Nirvana in Buddhism?
Answer:
According to Buddha the greatest aim of man’s life is to attain Nirvana. Man attains happiness, peace and tranquility through Nirvana. He attains salvation from the cycle of birth and death. It brings an end to sorrows. This condition cannot be described in words. In other religions, Nirvana can only be attained after death but in Buddhism, it can also be achieved during one’s lifetime.

Question 13.
Hinayana.
Answer:
Hinayana was an important sect of Buddhism. Hinayana means a small circle or small chariot. The people of the sect strongly opposed any changes to be brought in the teachings of Lord Buddha. They opposed idol worship. They did not believe in Bodhisattvas. They preached in Pali language. They had separate religious scriptures.

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Question 14.
Mahayana.
Answer:
Mahayana was a major sect of Buddhism. Mahayana means big circle or big chariot. This sect did changes in the teachings of Buddha as time advanced. They did believe in Bodhisattvas and idol worship. They emphasized an devotion. They considered worship as an important part of religion. They preached in Sanskrit language. They had separate religious scriptures.

Question 15.
First Buddhist Council.
Answer:
The First Buddhist Council was held at Rajgriha in 487 B.C. by ruler of Magadha. The objective of this council was to collect the teachings of Mahatma Buddha, 500 Bhikshus participated in it. This council was headed by Mahakashyap. The scriptures named Tripitakas were written. In this council, the charges levelled against Mahatma Buddha’s disciple Ananda were enquired into and he was declared innocent.

Question 16.
Second Buddhist Council.
Answer:
The Second Buddhist Council was held in 387 B.C. at Vaisali organised by the ruler Kalasoka. Its aim was to remove the conflict of ideas regarding rules of the 700 monks took part in it. It was led by Sabhakami. The 10 rules adopted by Buddhist monks became a reason for conflict among them. They were divided into two groups Eastern and Western. The eastern monks were called Mahasanghikas and wester monks were called Theravadins.

Question 17.
Third Buddhist Council.
Answer:
The Third Buddhist Council was organised by Emperor Ashoka in 251 B.C. at Pataliputra. Its aim was to eradicate the evils which crept in Buddhism. 1000 monks took part in it. It was headed by Moggliputta Tissa. He prepared a holy text named Kathavathu. It was decided to sent Buddhist preachers to foreign countries. This helped a lot in removing the evils from Buddhism.

Question 18.
Fourth Buddhist Council.
Or
Why was the Fourth Buddhist Council convened?
Answer:
The Fourth Buddhist Council was covened by Emperor Kanishka in the first century at Kashmir. The objective of this council was to remove the conflicts among the Buddhist monks. 600 monks participated in this council. This council was presided by Vasumitra. He prepared the text named Mahavibhasa. The Vice-President of this council was Ashvaghosha. He composed the famous text called Buddha Charita. As a result of efforts of this council, not only the discrepancy ended but also it spread Buddhism in Middle Asia.

Question 19.
What do you understand by Buddhist Sangha?
Answer:
Mahatma Buddha laid the foundation of Buddhist Sanghas in order to consolidate his followers form of a powerful organisation. All men and women above the age of 15 years could become a member of the Buddhist Sangha. Criminal people, people suffering from chronic diseases and slaves could not become members. Prior to membership one had to attain parental permisson. At the time of initiation a new monk had to shave off his hair to wear saffron robes and take the following vow—“I seek refuge in the Buddha, I seek refuge in the Dharma, I seek refuge in the Sangha.” The decisions of the Sangha were taken by majority.

Question 20.
The Tripitakas.
Answer:
The Tripitakas were given a supreme place in Buddhism. They were written in Pali. Their names are Vinayapitaka, Suttapitaka and Abhidhammapitaka. The daily rules of Buddhist monks are mentioned inVinayapitaka, principles of Buddhism in Suttapitaka and spiritual subjects in Abhidhammapitaka. Tripitaka refers to three baskets in which these texts are kept.

Question 21.
Spread of Buddhism.
Answer:
The teachings of Buddhism were very simple. Superstitions had no place in Buddhism. It had a magical effect on people due to its simple and common language. The personality of Mahatma Buddha was very attractive. Whosoever came in contact with him could never break their bond with Buddha. Buddhism became popular because of equality for all religions, untiring efforts of Buddhist Sanghas, royal patronage, changing with time and a lack of opposing religions.

Question 22.
What were the causes of the downfall of Buddhism?
Or
Describe any five causes of the downfall of Buddhism.
Answer:
Many factors were responsible for the downfall of Buddhism. In the beginning, buddhism was a very simple religion. But later it became very complex. The Buddhist anghas became centres of corruption. The Buddhist monks spent their time in merry- aaking and ravishment. The Buddhist sect was divided into several smaller sects. Due to the internal conflict, a lot of problems empted in the propagation of religion. In the beginning they attracted royal patronage which declined with time.

Question 23.
Legacy of Buddhism.
Answer:
Buddhism lent valuable contributions in many fields. It spread the message of peace and non-violence. This led to the beginning of a new era. It opposed the superstitions prevalent in the religion and gave a new light to people. It inspired people to lead a simple and pure life. It condemned caste system and spread the message of universal brotherhood. Buddhism contributed in the field of Buddhist stupas and viharas. Buddhist literature made the Indian literature very rich.

Short Answer Type Questions (Type 2):

Question 1.
What were the reasons of origin of Buddhism?
Answer:
The main cause of origin of Buddhism in 6th century B.C. was the prevalent evils in Hinduism. In later Vedic period, much stress was given on yajnas and superfluous rituals in Hinduism. A large number of Purohits or priests joined these yajnas. They had to be given much charity. In fact, Hinduism had become so expensive that it had gone out of the reach of common people. The Brahmans had become very corrupt and greedy. They engaged themselves in befooling and exploiting the common people on one excuse or the other.

All the scriptures of the Hindus were in Sanskrit language, and as such, they were beyond the comprehension of common people. The caste system had become very complicated. The people of one.caste hated the people of other caste. A grave injustice was done to Shudras. Consequently, they became mentally prepared to convert to other religion. Several rulers of those times gave patronage to Buddhism. Hence Buddhism began to progress rapidly.

Question 2.
Write a short note on Lord Buddha.
Answer:
Lord Buddha was the founder of Buddhism. He was born at Lumbini near Kapilvastu in 566 B.C. The name of his mother was Mahamaya and the name of his father was Shudhodhana. His childhood name was Siddhartha. He was very thoughtful since his childhood. He preferred loneliness. He was married with a beautiful princess at the age of sixteen. A son was bom to them and he was named Rahul. At the age of 29, Siddhartha renounced the world and set out in search of truth. He got enlightenment at Bodh Gaya at the age of 35. He delivered his first sermon at Samath.

This event is known as Dharmachakra Privartana. Lord Buddha continued preaching his sermons for 45 years. Magadha, Kosala, Kosambhi, Vaisali and Kapilvastu were his famous preaching centres. Lord Buddha preached the Four Noble Truths, Eightfold Path, non-violence and universal brotherhood of mankind- He did not believe in the sanctity of yajnas, sacrifices, caste-system and Sanskrit language. Lord Buddha attained his Mahapamirvana (great salvation) at the age of 80 in Kushinagar.

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Question 3.
How and where the Buddha realised Great Enlightenment?
Answer:
After leaving home Siddhartha first went to Rajgriha, the capital of Magadha. Here he became the disciple of two religious preachers Arada Kalama and Udraka ‘ Ramaputra. However he was disillusioned and soon left. He along with five others then went to the forests of Uruvella. Here he did severe penance for 6 years but did not realise his cherished goal. He then went to Bodh Gaya. There he sat in meditation under a peepal tree. After 48 days of meditation on the day of full moon night he got enlightenment. From that day he was known as Buddha or the Enlightened One. The tree under which he attained enlightenment is known as the ‘Mahabodhi Tree.’ He was 35 years old when he got enlightenment.

Question 4.
Discuss briefly the teachings of Lord Buddha.
Or
Explain any six teachings of Buddhism.
Answer:
The teachings of Lord Buddha were very simple and self-explanatory. The Four Great Noble Truths are the basis of his teachings :

  • The world is full of sufferings,
  • The desires are the cause of these sufferings,
  • There can be end to the sufferings of man by giving up his desires,
  • These desires can be ended by following Eightfold Path (Ashtamarga). Lord Buddha believed in non-violence.

He believed in doctrine of karma and the cycle of the birth and re-birth. He asserted that a man gets reward according to his deeds. The deeds of a man follow him like his own shadow. Lord Buddha inspired his followers to lead a simple and pure life. He condemned caste-system in strong words. He preached the feelings of universal brotherhood of mankind. He criticized exploitation by the BrahmAnswer: According to him, man cannot attain salvation through yajnas and sacrifices. He did not believe in the sanctity of Vedas and Sanskrit language. He was not in favour of hard penance. He remained silent with regard to the existence of God. According to him, the ultimate aim of a man’s life is to attain Nirvana (salvation).

Question 5.
What is meant by Three Marks in Buddhism?
Answer:
The teachings of Lord Buddha also included the principle of three marks. These three marks area

  • All prohibited things are not permanent.
  • All prohibited things cause suffering.
  • All these prohibited things are not self (Atman) but are non-self (Anatman).

These are our daily experiences. According to Lord Buddha, everything that is bom has a pre-determined end. These are Anit (unstable). What is unstable is also depressed. Man’s birth, disease and death etc. are all reasons for distress. There are some moments of happiness in a man’s life but they are for a very short duration. Anatma implies denial of self. Whatever is unstable is not mine.

Question 6.
Write a short note on Panchsheel.
Answer:
Lord Buddha has prescribed five rules to be followed by the householders. These rules are also called shikshapada. These five rules are as follows:

  • Do not kill even the smallest of creatures.
  • Donate and receive generously, but do not acquire the other person’s possession by greed or fraud.
  • Do not give a false testimony, do not criticise anyone and do not tell a lie.
  • Save your soul from intoxicants because they hamper one’s thinking.
  • Do not think evil of anyone. Save the body from unnecessary evils. To adopt Buddhism, the monks and nuns had to follow five more rules.

These rules are:

  • Eat food on time.
  • Stay away from song-dance.
  • Do not sleep on soft mattresses.
  • Do not use body adornments and fragrance.
  • Do not get trapped in the vicious circle of gold and silver.

Question 7.
What is meant by Four Unlimited Virtues in Buddhism?
Answer:
Lord Buddha emphasized on the four social virtues. These virtues are friendliness, kindness, sympathy and neutrality. These help us to coordinate better with other human beings. It puts an end to mutual jealousy. Man should love his enemy too. Kindness inspires us to help the others in sorrow. Sympathetic happiness is a virtue that trains a man to be capable of being a part of other’s happiness. A person who has this virtue does not envy the other person’s happiness. The spirit of neutrality keeps greed and other vices at bay. Such a man treats all humans equally. In fact these four unlimited virtues are the foundation of the moral values of Buddhism.

Question 8.
Write a note on Buddhist Sangha.
Answer:
Any man or woman above the age of fifteen could be the member of Buddhist Sangha. They had to take permission from their family members for becoming a member of the Sangha. Anybody from any caste could become the member of the Sangha, but the criminals, sick people and slaves were not allowed to become members. Before entering the Sangha, every person had to wear three yellow clothes and after ‘mundan’ ceremony he had to pronounce three Ratnas :

  • I pledge that I come under the shelter of Buddha,
  • I come under the shelter of Dharma.
  • I come under the shelter of Sangha. After this, the monks had to follow the ten commandments.

The monk had to take instructions from another monk for teh years and if he succeeded in obeying the rules, he was made a member of the Sangha. Those who did not obey the rules were expelled from the Sangha. The Sanghas were organised on democratic principles.

Question 9.
Write a brief note on the Nirvana in Buddhism.
Answer:
According to Lord Buddha, the highest aim of human life should be the attainment of Nirvana. It is with the attainment of Nirvana that man achieves happiness, pleasure and peace in life. He gets emancipation from the cycle of transmigration. It puts an end to all sorrows. In fact, Nirvana is a state which cannot be described in words. Those who experience this truth do not talk about it and those who talk in this context do not have any knowledge about it. According to Lord Buddha, any person can attain Nirvana by treading on the Eightfold Path. Whereas according to other religions, one can attain salvation after death, in Buddhism its achievement is possible within a lifetime.

Question 10.
Write a note on Hinayana and Mahayana.
Or
Describe the sects Hinayana and Mahayana of Buddhism.
Or
Describe the distinctiveness of Hinayana and Mahayana.
Answer:
During Kanishka’s reign in the 1st century A.D. at Jalandhar, the Fourth Great Council of the Buddhist monks was held. It was in this Great Council that the Hinayana and Mahayana sects were formed. Yana literally means the way to attainment of salvation. Hinayana meant a small vehicle. Mahayana meant a big vehicle. The Hinayanas continued to support the traditional commandments of Buddhism whereas the Mahayanas adopted new principles.

The following were the differences between the Hinayanas and the Mahayanas :

  • The Hinayana sect considered Lord Buddha to be a pious soul whereas the Mahayana sect considered him as a form of God.
  • The Hinayana sect was against idol worship whereas the Mahayana sect was not against idol worship.
  • The Hinayana sect did not believe in the Bodhisattvas. According to them, a person could attain salvation only through one’s effort. No god can help anyone to attain Nirvana. The Mahayanas had complete faith in the Bodhisattvas. Bodhisattvas were those great people who took birth again and again with the objective to help people attain salvation.
  • The Hinayana sect preached Buddhism in Pali language which was the language of the common people. The Mahayana sect preached Buddhism in Sanskrit language.
  • According to the Hinayana sect, the supreme objective of human life is to attain Nirvana whereas according to the Mahayana sect, the ultimate goal of human life is to acquire the heaven.
  • The Hinayana sect had no relation with Hinduism whereas the Mahayana sect adopted several principles of Hinduism with a view to make their religion popular.

Question 11.
What do you know about the Vajrayana sect of Buddhism?
Answer:
A new sect of Buddhism came into existence in Bengal and Bihar in the eighth century B.C. This sect was associated with magic spells and incantations. This sect believed that magical powers could help to attain salvation. The magical powers were called Vajra. Hence the sect was called Vajrayana. Males and females of any caste could join this group. This sect emphasised on the importance of goddesses. It was believed that these goddesses could help to reach the Bodhisattvas. These goddesses were called Tara. ‘Mahanirvana Tantra’ was the most famous religious book of the Vajrayanas.

This religious title of Vajrayanas was also called the Tantrik. The most important Vihara of Vajrayana is situated at Vikramashila in Bihar. The Vajrayana sect allowed its followers to consume intoxicants, meat etc. and sexual pleasures, thus sounding the death knell of Buddhism.

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Question 12.
Buddhist Sources.
Answer:
Just like Vedic literature, the Buddhist literature is also quite detailed. The Buddhist literature has been composed in Pali and Sanskrit languages. Tripitakas have the most important position in Buddhist literature. They are the most important and ancient texts of Buddhism. The names of the Tripittakas are Sutpittaka, Vinaypitaka and Abhidhampitaka. The Sutpitaka consists of the sermons of Mahatma Buddha, Vinaypitaka consists of the rules for the Buddhist monks and the Abhidammpitaka gives information about Buddhist philosophy.

The Jataka tales which are 549 in number describe the previous births of Buddha. It gives a description of the religious, social, political and economic condition of Indian-society from third century B.C. to second century B.C. The text Milindpanho gives us important information about the Greek ruler Menander. Kathavathu which was composed by Moggliputta Tissa gives us information about Ashoka. Buddhacharita, Saundaranand and Mahavibhash give us information about the Kushana dynasty. Deepvansha and Mahavansha render light on the relations between India and Sri Lanka.

Question 13.
What are Tripitakas,? What is their historical importance?
Answer:
Tripitakas are the oldest scriptures of Buddhism. Pitaka means “basket’ in which these scriptures were kept safe. Suttapitaka, Vinayapitaka and Abhidhammapitaka are the names of Tripitakas. These were written in Pali language. Suttapitaka has been accepted as the most significant of all Pitakas. The teachings of Lord Buddha have been described in it. It has been divided into five parts—Digha Nikaya, Majjhima Nikaya, Sanyutta Nikaya, Anguttara Nikaya and Khuddaka Nikaya. Description of Dhammapada has been given in Khuddaka Nikaya. Dhammapada is recited daily by Buddhists in the same way as Japji Sahib and Gita are recited by the Sikhs and the Hindus respectively.

The rules of behaviour of the Buddhist monks and nuns have been given in Vinayapitaka. It has also been mentioned therein as to which things are sinful for the Buddhist monks and their mode of penance. Information regarding Buddhist philosophy has been given in Abhidhammapitaka. The study of Tripitakas not only gives us information regarding Buddhism, but it also gives very valuable information of contemporary political, social and economic life.

Question 14.
What do you know about the First Great Council of Buddhism?
Answer:
Immediately after the death of Lord Buddha the First Great Council was held at Rajgriha in 487 B.C. Rajgriha was the capital of Ajatshatru, the ruler of Magadha. This Great Council was organised under the patronage of Ajatshatru. The object of this Council was to compile main teachings of Lord Buddha. 500 Buddhist monks participated in this Great Council. Mahakashyap was its chairman.

Tripitakas, Vinaypitaka, Suttapitaka and Abhidhampitaka were written in it. In Vinaypitaka, there are rules regarding Buddhist monks, teachings of Lord Buddha are contained in Suttapitaka and Buddhist philosophy had been described in Abhidhamapitaka. In this council Ananda, the most devoted disciple of Lord Buddha was exonerated of the charges levelled against him after thorough investigation whereas Channa, his charioteer was punished for his rude behaviour.

Question 15.
Write a short note on the Second Great Council of Buddhism.
Answer:
Exactly 100 years after the First Great Council, the Second Great Council of the Buddhism was held at Vaisali in 387 B.C. This Council was organised by Kalasoka, the ruler of Magadha. 700 Buddhist monks participated in this Great Council. Sabhakami was the chairman of this Great Council. The reason for organising this council was that ten rules of the Buddhist Sangha had created controversy among the monks. A debate continued for many days regarding these . rules. But the controversy among the monks could not be cleared. Consequently, the Buddhist monks were split into two sects.

Their names were Sthviravadins or Theravadins and Mahasanghikas. Sthviravadins were against the new rules. They did not want any change in the doctrines of Buddha. Mahasanghikas wanted to introduce some changes in the traditional doctrines so that the rigidity of discipline in the Buddhist Sangha may be relaxed to some extent. The Sthviravadins got victorious in this Great Council and Mahasanghika monks were turned out of it.

Question 16.
Write a short note on the Third Buddhist Council.
Answer:
After the Second Great Council, Buddhism got divided into 18 branches. Their differences caused a great set back to the progress of Buddhism. The emperor Ashoka organised the Third Great Council of Buddhism in 251 B.C. in his capital, at Pataliputra in order to re-invigorate Buddhism and to remove the shortcomings which had crept into this religion. One thousand Buddhist monks participated in this Great Council. Moggliputta Tissa was the chairman of the Great Council.

This Great Council remained in function for nine months. It succeeded to a great extent in removing many of the ills of Buddhism. Those monks were turned out of this Council who did not agree to the principles of Theravadin monks. A scripture named Kathavathu was. compiled in this Great Council. The most important decision taken in it was to send the Buddhist preachers to foreign countries.

Question 17.
What do you know about the Fourth Great Council?
Answer:
After the death of the emperor Ashoka, controversies among the Buddhist monks had again increased. Kanishka, the Kushana ruler organised the Fourth Great Council in 100 A.D. at Jalandhar, in order to remove these controversies. Some historians are of the opinion that this Council was organised at Kashmir. 500 Buddhist monks participated in it. Vasumitra was its chairman. Vasumitra composed Mahavibhasa which is called an encyclopaedia of Buddhism. Ashvaghosha, an other scholar of this Great Council composed the scripture Buddhacharita. The life of Lord Buddha has been described in it. Buddhism got divided into two main sects, Hinayana and Mahayana because of the controversies in this Great Council. Kanishka patronised the Mahayana sect.

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Question 18.
What efforts were made by Ashoka for the spread of Buddhism?
Answer:
Ashoka played a significant role in order to spread Buddhism. Before him, Buddhism was limited to a small number. After embracing this religion, Ashoka infused a new life into it. In order to popularize Buddhism, he declared it state religion. It was preached broadly throughout the kingdom. Mahamatras were appointed to preach Buddhism. Ashoka visited places of pilgrimage related to Buddhism. Stupas and monasteries were got built by him throughout his eihpire. The Third Great Council of Buddhism was convened by him at Pataliputra.

The religious preachers were sent to foreign countries to spread Buddhism. Ashoka’-s son, Mahindra and his daughter, Sanghmitra had gone to Ceylon. Buddhism became a great religion of the world because of great efforts made by Ashoka.

Question 19.
What is the legacy of Buddhism to Indian Civilization?
Answer:
Buddhism has very significant legacy to Indian Civilization. Lord Buddha gave permission to people of all castes to join Buddhism. The position of women improved by allowing them to join Buddhism. He gave the message to people to give up false rituals and to lead a simple life. Lord Buddha laid the foundation of democratic system by establishing the Buddhist Sanghas. The members of these Sanghas were elected through secret ballot by people.

The decisions therein were taken by majority vote. Buddhism gave a rich legacy in the fields of architecture and painting. Gandhara, Mathura and Amravati are famous even today for fine statues of Lord Buddha. We get important information regarding political and social conditions of those times through the Buddhist scriptures. Influenced by Buddhism, many kings like Ashoka, Kanishka and Harsha did their utmost for public welfare works. India established friendly relations with foreign countries by virtue of Buddhism.

Question 20.
Write a short note on Stupas.
Answer:
The Stupas were the symbols of Buddha’s Parinirvana (salvation). They were semi-round domes in which the remains of Lord Buddha were kept in a small room. These stupas had a great artistic importance. The stupa of Amravati in Tamil Nadu and the Bharhut and Sanchi stupas in Madhya Pradesh are excellent work of art. One is surprised to see their art and beauty. The art of carving done on these stupas is equally impressive.

The art work done on the wood could not be preserved for a long time, but the Buddhist sculpture can be seen on the stones of the gateway of Amravati and Sanchi stupas. The events of Buddha’s life have been carved on these. These are concerned with birth, renunciation, attainment of knowledge, Dharamchakra Parivartan and Parinirvana of Lord Buddha.

Answer in One Word to One Sentence:

Question 1.
Who was the founder of Buddhism?
Answer:
Mahatma Buddha.

Question 2.
How old is Buddhism?
Answer:
2500 years.

Question 3.
When was Buddhist religion born?
Answer:
6th century B.C.

Question 4.
Name a cause for the propagation of Buddhism.
Answer:
Complexity in the Hindu religion.

Question 5.
When was Mahatma Buddha bom?
Answer:
566 B.C.

Question 6.
Where was Mahatma Buddha bom?
Answer:
Mahatma Buddha was bom at Lumbini near Kapilvastu.

Question 7.
When and where Lord Budda was bom?
Answer:
Lord Budha was bom in 566 B.C. at Lumbini.

Question 8.
What was the name of the father of Lord Buddha?
Answer:
Suddhodana.

Question 9.
Of which Republic was the Chief, the father of Lord Buddha?
Answer:
Shakya Republic.

Question 10.
What was the name of mother of Lord Buddha?
Answer:
Mahamaya.

Question 11.
How many days after Lord Buddha’s birth his mother died?
Answer:
After seven days.

Question 12.
Who did look after the Lord Buddha?
Answer:
Prajapati Gautmi.

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Question 13.
What was the early name of Mahatma Buddha?
Answer:
Siddhartha.

Question 14.
With whom Lord Buddha was married?
Answer:
Yashodhara.

Question 15.
What was the name of son of Lord Buddha?
Answer:
Rahul.

Question 16.
What was the name of the wife and son of Mahatma Buddha?
Answer:
Mahatma Buddha’s wife’s name was Yashodhara and son’s name was Rahul.

Question 17.
Who was Lord Buddha’s coachman (charioteer)?
Answer:
Channa.

Question 18.
How many sights left a deep impression on Lord Buddha’s life?
Answer:
Four.

Question 19.
How old was Lord Buddha at the time of Great Renunciation?
Answer:
29 years.

Question 20.
Who was the first Guru of Lord Buddha after leaving the home?
Answer:
Arada Kalama.

Question 21.
Where was Lord Buddha attained enlightenment?
Answer:
Bodh Gaya.

Question 22.
What was the age of Lord Buddha at the time of enlightenment?
Answer:
35 years.

Question 23.
What is meant by Tathagat?
Answer:
Tathagat implies a person who has attained enlightenment.

Question 24.
Where did Lord Buddha delivered his first sermon?
Answer:
Samath.

Question 25.
Where did the incident of Dharam Chakra Parivartana take place?
Answer:
Samath.

Question 26.
What is meant by Dharam Chakra Parivartana?
Answer:
The enrolement of his five friends to the Buddhist religion by Lord Buddha is called Dharam Chakra Parivartana.

Question 27.
Name any two propagation centres of Lord Buddha.
Answer:

  • Magadha,
  • Vaishali.

Question 28.
Which were two rulers of Magadha who adopted Buddhism?
Answer:

  • Bimbisara,
  • Ajatashatru.

Question 29.
Where did Lord Buddha obtain Nirvana?
Answer:
Kushinagra.

Question 30.
What was the age of Lord Buddha at the time of Nirvana?
Answer:
80 years.

Question 31.
In which language Lord Buddha preached?
Answer:
Pali language.

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Question 32.
In how many Noble Truths, the Buddha religion believed?
Answer:
Four.

Question 33.
State one Noble Truth of Buddhism.
Answer:
World is full of sufferings.

Question 34.
How many marks are explained in Buddhism?
Answer:
Three.

Question 35.
Which principle is meant for householders in Buddhism?
Answer:
Panchsheel.

Question 36.
How is Panchsheel otherwise known as?
Answer:
Panchsheel is also known as shikshapada.

Question 37.
Give any one principle of Panchsheel.
Answer:
Do not kill even the smallest of creatures.

Question 38.
How many Unlimited Virtues are to be followed in Buddhism?
Answer:
Four.

Question 39.
State any one Unlimited Virtue of Buddhism.
Answer:
Man should love his enemy too.

Question 40.
What is the iheaning of Nirvana in Buddhism?
Answer:
Nirvana is that state in which all sufferings come to an end.

Question 41.
What pledge did a monk have to take when he is admitted in Buddhist Sangha?
Answer:
“I take refuge in Buddha, I take refuge in Dharma, I take refuge in Sangha.”

Question 42.
What is minimum age prescribed to join Buddha Sangha?
Answer:
15 years.

Question 43.
How many rules are to followed by members of Buddha Sangha?
Answer:
Ten rules.

Question 44.
Who is forbidden in Buddhist Sangha?
Answer:
Criminals, diseased and slaves.

Question 45.
Name two major sects of Buddhism.
Or
Which are two sects of Buddhism?
Or
In which two sects Buddhism was divided?
Answer:
Hinayana and Mahayana.

Question 46.
What is meant by Hinayana?
Answer:
Hinayana means a small vehicle.

Question 47.
What is meant by Mahayana?
Answer:
Mahayana implies a big vehicle.

Question 48.
Under the reign of which emperor did the Mahayana sect of Buddhism came into existence?
Answer:
Kanishka.

Question 49.
Name the Tripitakas of Buddhist religion.
Answer:
Vinayapitaka, Suttapitaka and Abhidhammapitaka.

Question 50.
In which language are Tripitakas written?
Answer:
Pali language.

Question 51.
In which Pitaka teachings of Buddha are described?
Answer:
Suttapitaka.

Question 52.
Which Pitaka throws light on the rides associated with Buddhist Sangha?
Answer:
Vinayapitaka.

Question 53.
Which issues were touched by Abhidhammapitaka?
Answer:
Buddhist philosophy.

Question 54.
What are the Jatakas?
Answer:
The Jatakas consists tales of the times before the , birth of Lord Buddha.

Question 55.
What is the total number of Jatakas?
Answer:
549.

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Question 56.
What is Patimokha?
Answer:
It gives a brief description of rules described in the Vinayapitaka.

Question 57.
Which text in Buddhism is called the Boddhi Gita?
Answer:
Dhammapada.

Question 58.
Which Buddhist text describe the conversation between Nagasena and Greek ruler Minander?
Answer:
Milind Panho.

Question 59.
Which one famous text related to Buddhism was composed in Sri Lanka?
Answer:
Deepvansha.

Question 60.
Name one famous Buddhist text written in Pali language.
Answer:
Tripitakas.

Question 61.
Name one important Buddhist text written in Sanskrit language.
Answer:
Buddha Charita.

Question 62.
Who was the writer of Buddha Charita?
Answer:
Ashvaghosha.

Question 63.
Which famous text was created by Nagarjuna?
Answer:
Madhyamaksutra.

Question 64.
Name the one Avadana Books.
Answer:
Divyanadana.

Question 65.
Which one popular text was written by Shanti Deva?
Answer:
Sikshasamuchchrya.

Question 66.
When was First Council of Buddhism organised?
Answer:
487 B.C.

Question 67.
Where was the First Great Council of Buddhism organised?
Answer:
Rajgriha.

Question 68.
Who presided over the First Great Council of Buddhism?
Answer:
Mahakashyap.

Question 69.
Which ruler organised the First Great Council of Buddhism?
Answer:
Ajatashatru.

Question 70.
Which texts were prepared in the First Great Council of Buddhism?
Answer:
Tripitakas.

Question 71.
When was the Second Great Council of Buddhism organised?
Answer:
387 B.C.

Question 72.
Where was the Second Great Council of Buddhism organised?
Answer:
Vaishali.

Question 73.
Which two sects of Buddhism came into existence in the Second Great Council of Buddhism?
Answer:
Mahasanghik and Theravadins.

Question 74.
Where was the Third Great Council of Buddhism organised?
Answer:
Pataliputra.

Question 75.
When was the Third Great Council of Buddhism organised?
Answer:
251 B.C.

Question 76.
Who presided over the Third Great Council of Buddhism?
Answer:
Mogaliputta Tissa.

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Question 77.
Which text was created by Mogaliputta Tissa?
Answer:
Kathavathu.

Question 78.
Which ruler organised the Fourth Great Council of Buddhism?
Answer:
Kanishka.

Question 79.
Where was the Fourth Great Council of Buddhism organised?
Answer:
Jalandhar.

Question 80.
Who was the President of the Fourth Great Council of Buddhism?
Answer:
Vasumitra.

Question 81. Which popular text was composed by Vasumitra?
Answer:
Mahavibhasa.

Question 82.
What is the meaning of Bodhisattva in Buddhism?
Or
What is Bodhisattva?
Answer:
Bodhisattva is the person who takes rebirth’for public welfare.

Question 83.
Which king preached Buddhism?
Answer:
King Ashoka preached Buddhism.

Question 84.
How did Ashoka propagate the Buddhism? Give one example.
Answer:
Emperor Ashoka declared Buddhism as the state religion.

Question 85.
Whom did King Ashoka send to Sri Lanka for the propagation of Buddhism?
Answer:
His daughter Sanghamitra and his son Mahendra:

Question 86.
Who was the organiser of the Third Great Council of Buddhism?
Answer:
King Ashoka.

Fill in the Blanks:

1. Mahatma Buddha was born in …………….
Answer:
506 B.C.

2. Mahatma Buddha was born at …………….
Answer:
Lumbini.

3. The name of the father of Mahatma Buddha was …………….
Answer:
Suddhodana.

4. The name of the mother of Mahatma Buddha was ……………….
Answer:
Mahamaya.

5. The childhood name of Mahatma Buddha was ………………
Answer:
Siddhartha.

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6. The name of the wife of Mahatma Buddha was ……………..
Answer:
Yashodhara.

7. At the time of leaving home, Mahatma Buddha was only …………….. old.
Answer:
29 years.

8. Mahatma Buddha got enlightenment at …………..
Answer:
Bodh Gaya.

9. After enlightenment, Mahatma Buddha preached his first sermon at ……………….
Answer:
Samath.

10. Mahatma Buddha got Mahapamirvana at ……………..
Answer:
Kushinagra.

11. Mahatma Buddha got Mahapamirvana in ………………
Answer:
486 B.C.

12. Mahatma Buddha believed in …………….. noble truths.
Answer:
four.

13. The Eight fold path is also called …………… path.
Answer:
Middle.

14. Buddhism believes in ………………… marks.
Answer:
three.

15. Buddhism believes in …………… rules.
Answer:
five.

16. Buddhism emphasize on …………….. social virtues.
Answer:
four.

17. The minimum age of ……………… years was being fixed for becoming the member of Buddhist Sangha.
Answer:
15.

18. The members of the Buddhist Sangha had to obey ………………. commandments.
Answer:
10.

19. During Kanishka’s reign, the ……………. sect was formed.
Answer:
Mahayana.

20. The daily routine of Buddhist Monks and Nuns is fully described in the ……………….
Answer:
Vinayapitaka.

21. The Jataka stories are ……………. in number.
Answer:
549.

22. ……………. the Buddhist text was created in Sri Lanka.
Answer:
Dipavansa.

23. ……………. was the writer of the Buddha Charita.
Answer:
Ashvaghosha.

24. The first Great Council of Buddhism was held in ……………..
Answer:
487 B.C.

25. The First Great Council of Buddhism was organised by ……………
Answer:
Ajatashatru.

26. The Second Great Council of Buddhism was held at ……………..
Answer:
Vaisali.

27. The Third Great Council of Buddhism was held at ………….
Answer:
Pataliputra.

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28. ……………… organised the Fourth Great Council of Buddhism.
Answer:
Kanishka.

29. Emperor Ashoka sent his daughter …………….. to Sri Lanka to propagate Buddhism.
Answer:
Sanghamitra.

True Or False:

1. Mahatma Buddha was the founder of Buddhism.
Answer:
True

2. Mahatma Buddha was bom in 546 B.C.
Answer:
False

3. Mahatma Buddha was bom at Lumbipi.
Answer:
True

4. Mahamaya was the wife of Mahatma Buddha.
Answer:
False

5. Four sights left a deep impression on the life of Mahatma Buddha.
Answer:
True

6. Mahatma Buddha was 35 years old at the time of Great Renunciation.
Answer:
False

7. Lord Buddha attained enlightenment at Bodh Gaya.
Answer:
True

8. Lord Buddha attained enlightenment on the day of full moon light of Vaishakha.
Answer:
True

9. Mahatma Buddha gave his first sermon at Vaishali.
Answer:
False

10. Lord Buddha obtained Mahaprinirvana at the age of 72.
Answer:
False

11. Mahatma Buddha obtained Nirvana at a place called Kushinagra.
Answer:
True

12. Lord Buddha preached in Pali language.
Answer:
True

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13. Buddha religion believed in Five Noble Truths.
Answer:
False

14. Buddhism believed in the Eight Fold Path.
Answer:
True

15. Eight Fold Path is also known as the Middle Path.
Answer:
True

16. Buddha religion believes in ahimsa.
Answer:
True

17. The minimum age of 20 years is fixed to join Buddhist Sangha.
Answer:
False

18. Buddhism has a belief in Panchsheel.
Answer:
True

19. The Mahayana sect of the Buddhism was founded during the reign of Ashoka.
Answer:
False

20. Vajrayana sect of Buddhism was associated with magic spells and mantras.
Answer:
True

21. The Tripitakas texts of Buddhism are written in Sanskrit.
Answer:
False

22. Patimokha consists the rules described for Buddhists.
Answer:
True

23. Dhammapada is known as Boddhi Gita in Buddhism.
Answer:
True

24. Kathavathu was written by Moggliputta Tissa.
Answer:
True

25. Mahavansa, the Buddist text created in China is a sacred book.
Answer:
False

26. Ashvaghosha composed the scripture Buddha Charita.
Answer:
True

27. The Lankavatara is a sacred text of the Mahayanas.
Answer:
True

28. Sabhakami presided over the First Great Council of the Buddhism.
Answer:
False

29. The First Great Council of the Buddhism was organised in 487 B.C.
Answer:
True

30. The Second Great Council of the Buddhism was held at Vaisali.
Answer:
True

31. The Third Great Council of Buddhism was held in 251 B.C.
Answer:
True

32. Mogliputta Tissa was the Chairman of the Fourth Great Council of the Buddhism.
Answer:
False

33. Emperor Ashoka sent his daughter Sanghmitra to China for the propagation of Buddhism.
Answer:
False

Multiple Choice Questions:

1. Which one of the following cause was not responsible for the origin of Buddhism?
(a) Simplicity in the Hindu Religion
(b) Moral degradation of the BrahmAnswer:
(c) Complex caste system
(d) Birth of Great personalities.
Answer:
(a) Simplicity in the Hindu Religion

2. When was Mahatma Buddha born?
(a) 466 B.C.
(b) 566 B.C.
(c) 577 B.C.
(d) 599 B.C.
Answer:
(b) 566 B.C.

3. Where was Lord Buddha born?
(a) Vaisali
(b) Kaushal
(c) Kushinagra
(d) Lumbini
Answer:
(d) Lumbini

4. Who was the father of Lord Buddha?
(a) Suddhodana
(b) Siddhartha
(c) Gautam
(d) None of these
Answer:
(a) Suddhodana

5. What was the name of the mother of Lord Buddha?
(a) Mahamaya
(b) Prajapati Gautami
(c) Yashodhra
(d) Devki.
Answer:
(a) Mahamaya

6. What was the original name of Lord Buddha?
(a) Suddhodana
(b) Vardhman
(c) Siddhartha
(d) Rahul.
Answer:
(c) Siddhartha

7. How many sights impressed Lord Buddha when he decided to leave his home?
(a) 3
(b) 4
(c) 6
(d) 8
Answer:
(b) 4

8. What was the age of Lord Buddha at the time of Great ‘Renunciation?
(a) 25 years
(b) 27 years
(c) 29 years
(d) 35 years.
Answer:
(c) 29 years

9. At which place, Lord Buddha attained enlightenment?
(a) Anga
(b) Rajgriha
(c) Vaisali
(d) Bodh Gaya
Answer:
(d) Bodh Gaya

10. Lord Buddha gave his first sermon at ———
(a) Kapilavastu
(b) Lumbini
(c) Kushinagra
(d) Samath
Answer:
(d) Samath

11. At which place, Lord Buddha obtained Nirvana?
(a) Kushinagra
(b) Kaushal
(c) Videh
(d) Kapilavastu
Answer:
(a) Kushinagra

12. What was the age of Mahatma Buddha at the time of Mahparinirvana?
(a) 45 years
(b) 55 years
(c) 80 years
(d) 85 years
Answer:
(c) 80 years

13. Buddhism believed in how many Noble truths?
(a) 4
(b) 5
(c) 6
(d) 7
Answer:
(a) 4

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14. The Eight fold Path is related to which religion?
(a) Jainism
(b) Buddhism
(c) Islam
(d) Zorastrianism.
Answer:
(b) Buddhism

15. Buddhism believed in how many marks?
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
Answer:
(a) 3

16. Which one of the following is a false statement?
(a) Mahatma Buddha believed in Karma principle.
(b) He believed in universal brotherhood of mankind.
(c) He believed in yajnas and sacrifices.
(d) He had faith in ahimsa.
Answer:
(c) He believed in yajnas and sacrifices.

17. What was the minimum age fixed to join the Buddha Sangha?
(a) 15
(b) 20
(c) 30
(d) 40
Answer:
(a) 15

18. Which one of the following sect is not associated with Buddhism?
(a) Hinayana
(b) Mahayana
(c) Digambara
(d) Vajrayana
Answer:
(c) Digambara

19. Which one of the following text is not related to Buddhism?
(a) Tripitakas
(b) Acharang Sutra
(c) Deepvansha
(d) Saundrananda
Answer:
(b) Acharang Sutra

20. In which language Lord Buddha preached?
(a) Pali
(b) Sanskrit
(c) Hindi
(d) Ardhamagdi.
Answer:
(a)

21. Who was the writer of Buddha Charita?
(a) Lord Buddha
(b) Ashvaghosha
(c) Nagaijuna
(d) Shanti Dev
Answer:
(b) Ashvaghosha

22. Which one of the following book was written in Sri Lanka?
(a) Tripitakas
(b) Deepvansha
(c) Buddha Charita
(d) Lalit Vistara
Answer:
(b) Deepvansha

23. Which one of the following is known as Boddhi Gita?
(a) Jataka
(b) Patimokh
(c) Dhammapada
(d) Mahavansha.
Answer:
(c) Dhammapada

24. What is the total number of tales given in Jatakas of the previous births of Lord Buddha?
(a) 549
(b) 649
(c) 749
(d) 849
Answer:
(a) 549

25. When was the first Great Council of Buddhism organised?
(a) 485 B.C.
(b) 486 B.C.
(c) 487 B.C.
(d) 488 B.C.
Answer:
(c) 487 B.C.

26. Where was the first Great Council organised?
(a) Rajgriha
(b) Lumbini
(c) Kapilavastu
(d) Kushinagra
Answer:
(a) Rajgriha

27. In which council Tripitakas were written?
(a) First Great Council
(b) Second Great Council
(c) Third Great Council
(d) Fourth Great Council
Answer:
(a) First Great Council

28. When was the second Great Council organised?
(a) 384 B.C.
(b) 385 B.C.
(c) 386 B.C.
(d) 387 B.C.
Answer:
(d) 387 B.C.

29. Who organised the Second Great Council of Buddism?
(a) Ajatashatru
(b) Kalasoka
(c) Mahakashyap
(d) Ashoka
Answer:
(b) Kalasoka

30. When was the Third Great Council of Buddhism organised?
(a) 251 B.C.
(b) 254 B.C.
(c) 255 B.C.
(d) 257 B.C.
Answer:
(a) 251 B.C.

31. Where was the Third Great Council of Buddhism organised?
(a) Pataliputra
(b) Vaisali
(c) Rajgriha
(d) Lumbini
Answer:
(a) Pataliputra

32. Who organised the Third Great Council?
(a) Ajatshatru
(b) Ashoka
(c) Harshavardhana
(d) Kanishka
Answer:
(b) Ashoka

33. Who presided over the Fourth Great Council?
(a) Maha Kashyap
(b) Sabakami
(c) Mogalipulta Tissa
(d) Vasumitra
Answer:
(d) Vasumitra

34. Who of the following was sent to Sri Lanka for preaching Buddhism by Emperor Ashoka?
(a) Rahul
(b) Aananda
(c) Aamarpali
(d) Mohindra
Answer:
(d) Mohindra