PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) सन्धि और सन्धि-विच्छेद (प्रकार, नियम और उदाहरण)

प्रश्न 1.
सन्धि किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार की हैं?
उत्तर:
दो वर्गों के विकार या परिवर्तन सहित मेल को सन्धि कहते हैं। सन्धि तीन प्रकार की होती है
1. स्वर-सन्धि
2. व्यंजन-सन्धि
3. विसर्ग-सन्धि

1. स्वर-सन्धि-स्वर से परे स्वर आने पर जो विकार होता है, उसे स्वर-सन्धि कहते हैं।
जैसे-विद्या + आलय = विद्यालय।। (अ + ई = ए)
परम + ईश्वर = परमेश्वर (आ + आ = आ)

2. व्यंजन-सन्धि-व्यंजन से परे स्वर या व्यंजन आने से जो व्यंजन में विकार होता है, उसे व्यंजन-सन्धि कहते
जैसे-जगत् + ईश = जगदीश। सम् + कल्प = संकल्प।

3. विसर्ग-सन्धि-विसर्ग से परे स्वर या व्यंजन आने से विसर्ग में जो विकार होता है, उसे विसर्ग-सन्धि कहते
जैसे-निः + पाप = निष्पाप। दुः + गति = दुर्गति।

(क) स्वस्सन्धि

स्वर-सन्धि के पांच भेद हैं।
(क) दीर्घ-सन्धि (ख) गुण-सन्धि (ग) वृद्धि-सन्धि (घ) यण-सन्धि (ङ) अयादि-सन्धि।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) दीर्घ-सन्धि:
हस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ से परे क्रम से यदि वही ह्रस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ हो तो दोनों के स्थान में वही दीर्घ स्वर हो जाता है, इसे दीर्घ-सन्धि कहते हैं।

अ-आ

अ + अ = आ-वेद + अंत = वेदांत, धर्मार्थ, ग्रामांतर, परमार्थ।
अ + आ = आ-हिम + आलय = हिमालय, गृहागत, धर्माधार।
आ + अ = आ-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, महानुभाव, दयार्णव।
आ + आ = आ-विद्या + आलय = विद्यालय, लताश्रय, महाकार।

इ-ई

इ + इ = ई-कवि + इन्द्र = कवीन्द्र, हरीच्छा, मुनीन्द्र।
इ + ई = ई-कवि + ईश = कवीश, मुनीश्वर, मुनीश।
ई + इ = ई-मही + इन्द्र = महीन्द्र, नदीन्द्र।
ई + ई = ई-मही + ईश = महीश, नदीश, रजनीश।

उ-ऊ

उ + ऊ = ऊ-भानु + उदय = भानूदय, विधूदय, प्रभूक्ति, गुरूपदेश।
ऊ + उ = ऊ-वधू + उत्सव = वधूत्सव, श्वश्रूपदेश।
(‘उ’ तथा ‘ऊ’ या ‘ऊ’-‘ऊ’ की सन्धि वाले शब्द हिन्दी में इने-गिने ही आते हैं और ऋ तथा ऋ की सन्धि के शब्द तो हिन्दी में प्रयुक्त ही नहीं होते।

(ख) गुण-सन्धि-अ या आ से परे यदि ह्रस्व और दीर्घ इ, उ और ऋ हो तो दोनों के स्थान पर क्रम से ए, ओ तथा अर् हो जाता है। इसे गुण सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे इ और ई।

अ + इ = ए-देव + इन्द्र = देवेन्द्र, नरेन्द्र, राजेन्द्र।
अ + ई = ए-नर + ईश = नरेश, गणेश, राजेश ।
आ + इ = ए-महा + इन्द्र = महेन्द्र, रमेश, यथेष्ट।
आ + ई = ए-रमा + ईश = रमेश, महेश
अ + इ = ए-स्व + इच्छा = स्वेच्छा।

अ और आ से परे उ और ऊ

अ + उ = ओ-वीर + उचित = वीरोचित, उत्तरोत्तर, सूर्योदय, अरुणोदय।
आ + उ = ओ-महा + उत्सव = महोत्सव, महोदय।
अ + ऋ = अर्-देव + ऋषि = देवर्षि, सप्तर्षि ।
आ + ऋ = अर्-महा + ऋषि = महर्षि, ब्रह्मर्षि।

3. वृद्धि-सन्धि-अ और आ से परे यदि ए और ऐ, ओ और औ हो तो दोनों के स्थान में क्रम से ऐ, औ हो जाते हैं। इसे वृद्धि-सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे ए और ऐ

अ + ए = ऐ-एक + एक = एकैक।
आ + ए = ऐ-सदा + एव = सदैव।
अ + ऐ = ऐ-परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य, मतैक्य।
आ + ऐ = ए-महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य।

अ और आ से परे ओ और औ

अ + ओ = औ-वन + औषिधि = बनौषधि, जलौदधि।
आ + ओ = औ-महा + ओज = महौज।
अ + औ = औ-परम + औषध = परमौषध।
अ + औ = औ-महा + औषध = महौषध।

4. यण-सन्धि-ह्रस्व और दीर्घ इ, उ, ऋ से परे यदि कोई असमान स्वर हो तो इ और ई को य, उ और ऊ को व् और ऋ को र् हो जाता है। इसे यण्-सन्धि कहते हैं।

इ को य-यदि + अपि = यद्यपि, अत्याचाले, भूम्याधार।
ई को य्-देवी + अर्पण = देव्यर्पण, देव्याज्ञा, नद्यवतरण।
उ को व्-सु + आगत = स्वागत, अन्वेषण।
ऊ को व्-स्वयंभू + आज्ञा = स्वयंभ्वाज्ञा।
ऋ को र्-मातृ + आनन्द = मात्रानन्द, पित्राज्ञा।

5. अयादि-सन्धि-ए, ओ, ऐ, औ से परे यदि स्वर हो तो ए को अय, ओ को अव, ऐ को आय और औ को आव् हो जाता है। इसे अयादि-सन्धि कहते हैं।

ए को अय्-ने + अन = नयन।
ओ को अव्-भो + अन = भवन, लवण।
ऐ को आय्-गै + अक = गायक।
औ को आव्-भौ + उक = भावुक।

(क) स्वस्सन्धि

(i) दीर्घ-सन्धि

सन्धि:
स्व + अधीन = स्वाधीन
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
विद्या + आलय = विद्यालय
रत्न + आकर = रत्नाकर
देव + आलय = देवालय
हिम + आलय = हिमालय
परम + अर्थ = परमार्थ
राम + अयन = रामायण
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
सचिव + आलय = सचिवालय
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
अवनि + इन्द्र = अवनीन्द्र
मही + इन्द्र = महीन्द्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा
परि + ईक्षा = परीक्षा
लक्ष्मी + ईश = लक्ष्मीश
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
मधु + उर्मि = मधूर्मि
अनु + उदित = अनूदित
मातृ + ऋण = मातृण

सन्धि-विच्छेद:
कृपालु = कृपा + आलु
दयानन्द = दया + आनन्द
कार्यालय = कार्य + आलय
पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
परमानन्द = परम + आनन्द
कुसुमाकर = कुसुम + आकर
चरणामृत = चरण + अमृत
सुधीन्द्र = सुधि + इन्द्र
सतीश = सती + ईश
मुनीश = मुनी + ईश
गिरीश = गिरी + ईश
भानुदय = भानु + उदय
वधूरु = वधू + ऊरु
वधूत्सव = वधू + उत्सव
पितृण = पितृ + ऋण

(ii) गुण सन्धि

सन्धि:
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
रमा + ईश = रमेश
राज + ईश = राजेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदधि = महोदधि
गंगा + उदक = गंगोदक
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
भाग्य + उदय = भाग्योदय
महा + उदय = महोदय
जल + ऊर्मि = जलौर्मि
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
महा + ऋषि = महर्षि
देव + ऋषि = देवर्षि

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
सुरेश = सुर + ईश
उपेन्द्र = उप + इन्द्र
नरेन्द्र = नर + इन्द्र
यथेष्ट = यथा + इष्ट
हितोपदेश = हित + उपदेश
नरोत्तम = नर + उत्तम
नरोत्तम = नर + उत्तम
पुरुषोत्तम = पुरुष + उत्तम
परोपकार = पर + उपकार
प्रश्नोत्तर = प्रश्न + उत्तर
पत्रोत्तर = पत्र + उत्तर
अछूतोद्धार = अछूत + उद्धार
ब्रह्मर्षि = ब्रह्म + ऋषि
राजर्षि = राज + ऋषि
वसन्तर्तु = वसन्त + ऋतु

(iii) वृद्धि सन्धि

सन्धि:
तथा + एव = तथैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
धृत + औदन = धृतोदन
सदा + एव = सदैव
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
महा + औषध = महौषध
परम + औदार्य = परमौदार्य

सन्धि-विच्छेद:
मतैक्य = मत + ऐक्य
जनश्वर्य = जन + ऐश्वर्य
अमृतौषध = अमृत + औषध
लोकैषणा = लोक + एषणा
वनौषधि = वन + औषधि
महौज = महा + ओज

(iv) यण सन्धि

सन्धि
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
सु + आगत = स्वागत
पितृ + उपदेश = पितृोपदेश
अति + अल्प = अत्यल्प
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
नि + ऊन = न्यून
अभि + आगत = अभ्यागत
अति + उपकार = अत्युपकार
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
देवी + आगम = देव्यागम
सखि + आगम = सख्यागम
सखि + उचित = सख्युचित
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
सु + अल्प = स्वल्प

सन्धि-विच्छेद:
अन्वेषण = अनु + एषण
मात्रानुमति = मातृ + अनुमति
पिताज्ञा = पितृ + आज्ञा
अभ्यागत = अभि + आगत
अत्यावश्यक = अति + आवश्यक
अत्याचार = अति + आचार
इत्यादि = इति + आदि
वध्वागम = वधू + आगम
मध्वालय = मधु + आलय
प्रत्याशा = प्रति + आशा
प्रत्येक = प्रति + एक
अन्वय = अनु + अय
अन्वर्थ = अनु + अर्थ
अन्विति = अनु + इति

(v) अयादि सन्धि

सन्धि
चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
दै + अक = दायक
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
पो + अन = पवन
गै + अन = गायन
नौ + इक = नाविक
भो + अन = भवन
हो + अन = हवन

सन्धि-विच्छेद:
शयन = शे + अन
सायक = सै + अक
गवेषणा = गौ + एषणा
पावन = पौ + अन
पावक = पो + अक
भावुक = भौ + उक
भाव = भो + अ

(ख) व्यंजन-सन्धि

(i) किसी वर्ण के पहले वर्ण से परे यदि कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, ह में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को उसी वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है। जैसे

दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन (क् को ग्) ।
अच् + अंत = अजंत (च् को ज्)।
षट् + दर्शन = षड्दर्शन (ट् को ड्)।
जगत् + ईश = जगदीश (त् को द्)।
अप् + ज = अब्ज (प् को ब्)।

(ii) किसी वर्ग के पहले या तीसरे वर्ण से परे यदि किसी वर्ग का पाँचवां वर्ण हो तो पहले और तीसरे वर्ण को अपने वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे

वाक् + मय = वाड्मय (क् को ङ्)।
पट् + मास = पण्मास (ट् को ण्)।
जगत् + नाथ = जगन्नाथ (त् को न्)।
अप् + मय = अम्मय (प् को म्)।

(iii) त् और द् को च और छ परे होने पर च, ज और झ परे होने पर ज, ट और ठ परे होने पर ट्, ड और ढ परे होने पर इ और ल परे होने पर ल हो जाता है। जैसे

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(iv) त् और द् से परे श् हो तो त् और द् को च् और श् को छ् हो जाता है। जैसे

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उद् + शिष्ट = उच्छिष्ट (द् को च्, श् को छ)।

त् और द् से परे यदि ह् हो तो त् को द् और ह् को ध् हो जाता है।
जैसे-उत् + हार = उद्धार (ह् को ध्)
उत् + हरण = उद्धरण।

(v) म् के बाद यदि क् से म् तक में से कोई वर्ण हो तो म् को अनुस्वार अथवा बाद के वर्ण के वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे
सम् + कल्प = संकल्प, संकल्प (म् को अनुस्वार और ङ)।
सम् + चार = संचार, सञ्चार, किंचित-किञ्चित् (म् को अनुस्वार और ज्)।
सम् + तोप = संतोष, सन्तोष (म् को अनुस्वार और न्)।
सम् + पूर्ण = संपूर्ण, सम्पूर्ण (म् को अनुस्वार और म्)।
सम् + बन्ध = संबंध, सम्बन्ध (म् को अनुस्वार और म्)।

(vi) क् से म् तक वर्णों को छोड़कर यदि और कोई व्यंजन म् से परे हो तो म् को अनुस्वार हो जाता है। जैसे-
सम् + हार = संहार, सम् + यत = संयत, सम् + रक्षण = संरक्षण, सम् + लग्न = संलग्न, सम् + वत् = संवत् (म् को अनुस्वार), सम् + वेदना = संवेदना, सम् + शय = संशय, सम् + सार = संसार ।

(vii) स्वर से परे यदि छ आये तो छ के पूर्व च लग जाता है। (इसे आगम कहते हैं)।
आ + छादन = आच्छादन। वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया (च् का आगम)।
स्व + छंद = स्वच्छंद। प्र + छन्न = प्रच्छन्न।

(viii) ऋ, र, ष से परे न् को ण हो जाता है।
स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार और य, व, ह में से किन्हीं वर्गों के बीच आ जाने पर भी ऋ, ऋ, र् और प् से परे न् को ण् हो जाता है। जैसे
भर् + अन = भरण, भूष + अन = भूषण।

(ix) स् से पूर्व अ या आ से भिन्न कोई स्वर हो तो स् को ष् हो जाता है।
जैसे-अभि + सेक = अभिषेक (स् को ष्), सु + समा = सुषमा।

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(ग) विसर्ग संधि

(i) विसर्ग से पहले और बाद में दोनों ओर ‘अ’ होने पर विसर्ग ‘ओ’ में बदल जाते हैं। जैसे-मनः + अनुकूल = मनोऽनुकूल, यश: + अभिलाषा = यशोऽभिलाषा।
(ii) विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग को ‘ओ’ हो जाता है। जैसे
(iii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर विसर्ग को ओ
सरः + ज = सरोज
मनः + ज = मनोज।
पयः + द = पयोद
पयः + धर = पयोधर।
तपः + बल = तपोबल।

(iv) विसर्ग के बाद य, र, ल, व, ह होने पर विसर्ग को ओ

मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर + मनोहर।
मनः + योग = मनोयोग
मनः + रथ = मनोरथ।
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
मनः + बल = मनोबल।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(v) विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई स्वर तथा बाद में कोई स्वर किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई भी वर्ण हो तो विसर्ग को ‘र’ हो जाता है। जैसे

(vi) विसर्ग के बाद कोई स्वर होने पर विसर्ग को र

दुः + उपयोग = दुरुपयोग
दुः = आशा = दुराशा।
निः + आकार = निराकार
निः + आश्रित = निराश्रित।

(vii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर

निः + झर = निर्झर
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म।
पुनः + निर्माण = पुनर्निर्माण
निः + जन = निर्जन।
दुः + गुण = दुर्गुण
निः + नय = निर्णय।
बहिः + मुख = बहिर्मुख
दु: + बल = दुर्बल।

(viii) विसर्ग के बाद य, र, व, ह होने पर विसर्ग को

र्निः + विकार = निर्विकार
दुः + व्यवहार = दुर्व्यवहार
अन्तः + यामी = अंतर्यामी
दु: + लभ = दुर्लभ

(ix) विसर्ग के बाद च, छ हो तो विसर्ग को ‘श्’, ट्, ठ हो तो ‘ष’ तथा त, थ. हो तो ‘स्’ में परिवर्तित हो जाता है। जैसे

दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
हरिः + चंद्र = हरिश्चंद्र।
निः + चय = निश्चय
निः + छल = निश्छल।
‘धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
इतः + ततः = इतस्ततः
नमः + ते = नमस्ते
दुः + तर = दुस्तर
मनः = ताप = मनस्ताप।

(x) निः तथा दुः के बाद क-ख या प-फ हो तो इनके विसर्ग को ‘ष’ हो जाता है। जैसे-

निः + कपट = निष्कपट
निः + काम = निष्काम।
दुः + कर = दुष्कर
दुः + काल = दुष्काल।
निः + पाप = निष्पाप
निः + फल = निष्फल।
दु: + प्राप्य = दुष्प्राप्य
दुः + प्रभाव = दुष्प्रभाव।

(xi) विसर्ग के बाद यदि श, स हो तो विकल्प के विसर्ग को भी क्रमशः श् तथा स् ही हो जाता है। जैसे-

दु: + शासन = दुश्शासन या दुःशासन दुः + शील = दुश्शील या दुःशील।
निः + सन्देह = निस्सन्देह या निःसन्देह नि: + सार = निस्सार या नि:सार।
दुः + साहस = दुस्साहस।

(xii) यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में ‘अ-आ’ के अतिरिक्त कोई स्वर हो तो विसर्ग लोप हो जाता है .और फिर उन अक्षरों में संधि नहीं होती। जैसे-

अतः + एव = अतएव
ततः + एव = तथैव।

हिंदी में अलग से विसर्ग संधि तो नहीं है, किंतु उसने संस्कृत के दो विसर्ग संधि शब्दों को संस्कृत से भिन्न रूप से ही अपनाया है
संस्कृत रूप हिंदी रूप अंतः + राष्ट्रीय अंताराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुनः + रचना पुनारचना
पुनर्रचना

प्रश्न 1.
व्यंजन संधि और विसर्ग संधि में क्या अंतर है ? उसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
व्यंजन संधि वहाँ होती है जब पहले शब्द के अंत में व्यंजन हो और दूसरे शब्द के आदि में व्यंजन या स्वर हो तब दोनों के मिलने से जो परिवर्तन होता है। जैसे-सत् + जन = सज्जन, जगत् + ईश = जगदीश। विसर्ग संधि वहाँ होती है जब विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर परिवर्तन होता है। जैसे-नम: + ते = नमस्ते, दु: + उपयोग = दुरुपयोग।

प्रश्न 2.
संधि-विच्छेद से आप क्या समझते हैं ? दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है तब उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसेमहोत्सव = महा + उत्सव, उज्ज्वल = उत् + ज्वल, निर्धन = निः + धन।

अभ्याम

सन्धि:
दिक् + गज = दिग्गज
दिवग् + गत = दिवंगत
पट् + मास = पण्मास
उत् + मूलन = उन्मूलन
उत् + चारण = उच्चारण
तत् + चित्र = तच्चित्र
उत् + श्वास = उच्छ्वास
भगवत् + शास्त्र = भगवच्छास्त्र
तत् + हित = तद्धित
उत् + हरण = उद्धरण
सत् + गति = सद्गति
सत् + आनन्द = सदानन्द
उद् + वेग = उद्वेग
सत् + धर्म = सद्धर्म
अहम् + कार = अहंकार
सम् + चय = संचय
दम् + डित = दण्डित
सम् + जय = संजय
सम् + गति = संगति
सम् + योग = संयोग
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + शय = संशय
किम् + चित् = किंचित
सम + कल्प = संकल्प
स्व + छन्द = स्वच्छन्द
सन्धि + छेद = सन्धिच्छेद/सन्धिछेद
निर + नय = निर्णय
विष् + नु = विष्णु
भाश + अन = भाषण
पोष + अन = पोषण
अर्प + न = अर्पण
दर्प + न = दर्पण
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
उत् + डयन = उड्डयन
उत् + लंघन = उल्लंघन
उत् + लास = उल्लास
सम् + राट् = सम्राट
वि + सम = विषम
अभि + सेक = अभिषेक
निस् + गुण = निर्गुण
दुस् + बोध = दुर्बोध
पुरुस् + कार = पुरस्कार
भास + कर = भास्कर
राम + अयन = रामायण
जब + ही = जभी
अब + ही = अभी

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
षडानन = षट् + आनन
बागीश = वाक् + ईश
अम्मय = अप् + मय
तन्मय = तत् + मय
बृहच्छवि = बृहत् + छवि
सच्चित् = सत् + चित
भगवच्छोभा = भगवत् + शोभा
उद्धत = उत् + हत
उद्योग = उत् + योग
उद्गार = उत् + गार
उद्भव = उत् + भव
तद्रूप = तत् + रूप
उद्धृत = उत् + धृत
संतप्त = सम् + तप्त
संतान = सम् + तान
संधान = सम् + धान
संभव = सम् + भव
संपूर्ण = सम् + पूर्ण
संवरण = सम् + वरण
संसार = सम् + सार
संहार = सम् + हार
शंकर = शम् + कर
परिच्छेद = परि + छेद
विच्छेद = वि + छेद
तृष्णा = तृप + ना
जिष्णु = जिष् + नु
परिणाम = परि + नाम
प्रमाण = प्रमा + न
ऋण = ऋ+ न
भूषण = भूष् + अन्
नीरव = निर् + रव
नीरज = निर् + रज
उल्लेख = उत् + लेख
तल्लीन = तत् + लीन
विद्युल्लता = विद्युत् + लता
सामराज्य = साम् + राज्य
निषेध = नि + सेध
निषिद्ध = नि + सिद्ध
निर्वाध = निर + वाध
दुर्गुण = दुर + गुण
नमस्कार = नमस + कार
तिरस्कार = तिरस् + कार
मरण = मर् + अन
तभी = तब + ही
कभी = कब + ही

विसर्ग सन्धि:

सन्धि:
अधः + गति = अधोगति
मनः + ज = मनोज
मनः + बल = मनोबल
पयः + द = पयोद
यशः + दा = यशोदा
पयः + धर = पयोधर
तपः + बल = तपोबल
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर = मनोहर
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
मनः + योग = मनोयोग
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
दुः + उपयोग = दुरुपयोग
निः + चल = निश्चिल
निः + चय = निश्चय
हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
निः + ठुर = निष्ठुर
निः + छल = निश्चल
मनः + ताप = मनस्ताप
निः + तेज = निस्तेज
दुः + शासन = दुशासन
निः + सन्देह = निस्सन्देह
निः + संतान = निस्संतान
निः + कपट = निष्कपट
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
दुस्तर = दुः + तर
दुष्प्राप्य = दुः + प्राप्य
निष्फल = निः + फल
निष्काम = निः + काम
दुष्प्रभाव = दुः + प्रभाव
दुस्साहस = दु: + साहस

सन्धि-विच्छेद:
निः + आशा = निराशा
निः + गुण = निर्गुण
दुः + नीति = दुर्नीति
निः + आकार = निराकार
निः + आहार = निराहार
निः + आधार = निराधार
दु: + गति = दुर्गति
दु: + भावना = दुर्भावना
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
मनः + अभीष्ट = मनोऽभीष्ट
अतः + एव = अतएव
निः + झर = निर्झर
दुः + आशा = दुराशा
निः + आशा = निराशा
निः + मल = निर्मल
निराश्रित = निः + आश्रित
पुनर्निर्माण = पुनः + निर्माण
निर्जन = निः + जन
दुर्गुण = दुः + गुण
बहिर्मुख = बहिः + मुख
दुर्बल = दु: + बल
निर्णय = निः + नय
निर्विकार = निः + विकार
दुर्लभ = दुः + लभ
दुश्चरित्र = दु: + चरित्र
हरिश्चंद्र = हरिः + चंद्र
नमस्ते = नमः + ते
मनस्ताप = मनः + ताप
तथैव = ततः + एव
निस्सार = निः + सार
दुश्शील = दु: + शील
दुः + कर = दुष्कर
दुः + फल = दुष्फल

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. स्वर संधि के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

2. संधि के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन

3. ‘ने + अन’ में कौन-सी संधि है ?
(क) यण
(ख) वृद्धि
(ग) गुण
(घ) अयादि
उत्तर:
(घ) अयादि

4. ‘विद्या + अर्थी’ में सधि है ?
(क) दीर्घ
(ख) गुण
(ग) यण
(घ) अयादि।
उत्तर:
(क) दीर्घ

5. ‘उत् + ज्वल की संधि है ?
(क) उज्ज्वल
(ख) उत्जवल
(ग) उज्जवल
(घ) उज्जला।
उत्तर:
(क) उज्ज्वल

6. ‘भो + अन किसका विच्छेद है ?
(क) भोउन
(ख) भवन
(ग) भोवन
(घ) भुवन
उत्तर:
(ख) भवन

7. मनोरंजन का संधिविच्छेद है
(क) मनः + रंजन
(ख) मनो + रंजन
(ग) मनः + रंजन
(घ) मनोः + रंजन
उत्तर:
(क) मनः + रंजन

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