PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण

(ग) संक्षेपिका लेखन/संक्षेपीकरण
(ABRIDGEMENT)

आज के यान्त्रिक युग में लोगों के पास समय की बड़ी कमी है और काम उसे बहुत-से करने होते हैं, इसलिए संक्षेपीकरण का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। आज लम्बी-लम्बी, हातिमताई जैसी कहानियां सुनने का समय किसके पास है। आज रात-रात भर पण्डाल में बैठकर नाटक कोई नहीं देख सकता। हर कोई चाहता है कि बस काम फटाफट हो जाए। संक्षेपीकरण हमारी इसी प्रवृत्ति का समाधान करता है।
संक्षेपीकरण का अर्थ विषय को संक्षिप्त करने से है। उसकी जटिलताओं को दूर कर सरल बनाना ही संक्षेपीकरण का मूल उद्देश्य है। संक्षेपीकरण के द्वारा विषय के मूलभूत तत्त्वों का विश्लेषण करके उसका भावार्थ सरलतापूर्वक समझा जा सकता है।

संक्षेपीकरण की परिभाषा-संक्षेपीकरण की परिभाषा हम इन शब्दों में कर सकते हैं

“विभिन्न लेखों, कहानियों, संवादों, व्यावसायिक एवं कार्यालयों पत्रों आदि में वर्णित विषयों का भावार्थ संक्षेप में, सरल शब्दों में स्पष्ट करना ही संक्षेपीकरण है।”

संक्षेपीकरण द्वारा विषय का जो रूप प्रस्तुत किया जाता है, उसे ही संक्षेपिका कहते हैं। वर्तमान युग में हमें संक्षेपीकरण की कदम-कदम पर आवश्यकता पड़ती है। व्यापार एवं वाणिज्य के अन्तर्गत व्यावसायिक एवं कार्यालयीन पत्र-व्यवहार में तो इसका विशेष महत्त्व है। सरकारी व गैर-सरकारी कार्यालयों में, व्यापारिक संस्थानो में प्रतिदिन सैकड़ों पत्र आते हैं। उन पत्रों को निपटाने और उन पर अन्तिम निर्णय अधिकारियों को ही लेना होता है और उनके पास इतना समय नहीं होता कि वे प्राप्त होने वाले सभी पत्रों को पढ़ सकें। अतः उनके सामने इन पत्रों की संक्षेपिका तैयार करके प्रस्तुत की जाती है। इसके लिए कार्यालयों में, व्यापारिक संस्थानों में अनेक कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है जो आने वाले पत्रों को पढ़कर उनका संक्षेपीकरण करके उच्चाधिकारी के सामने प्रस्तुत करते हैं।

संक्षेपीकरण केवल पत्रों का ही नहीं होता, समाचारों का भी होता है अथवा किया जाता है। सरकारी और गैरसरकारी कार्यालयों में इस उद्देश्य से लोक सम्पर्क विभाग का गठन किया गया है। प्रायः बड़े-बड़े व्यापारिक संस्थान भी अपने यहां लोक सम्पर्क अधिकारी (P.R. O.) नियुक्त करते हैं। इन अधिकारियों का काम समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों की संक्षेपिका तैयार करके सम्बन्धित अधिकारी को भेजना होता है क्योंकि उच्चाधिकारी के पास सारे समाचार पढ़ने का समय नहीं होता। वह उस संक्षेपिका के ही आधार पर अपने अधीनस्थ अधिकारियों अथवा कार्यालयों को आवश्यक कारवाई हेतु निर्देश जारी कर देता है।
संक्षेपीकरण भी एक कला है जो निरन्तर अभ्यास से आती है। इसका मूलभूत उद्देश्य विषय की जटिलता को समाप्त कर उसे अधिक सरल, स्पष्ट एवं ग्राह्य बनाकर समय एवं श्रम की बचत करना तथा एक शिल्पी की भान्ति उसे आकर्षक बनाना है। संक्षेपीकरण से विषय की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है।

संक्षेपीकरण का महत्त्व एवं व्यवहारक्षेत्र

यदि यह कहा जाये कि आज का युग संक्षेपीकरण का युग है तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। आप ने प्रायः बड़ेबड़े अफसरों की मेज़ पर यह तख्ती अवश्य रखी देखी होगी- ‘Be Brief’ । इसका कारण समय की कमी और काम की ज़्यादती के अतिरिक्त यह भी है कि हम आज हर काम Short cut से करना चाहते हैं। संक्षेपीकरण का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है, व्यापारियों, अफसरों, वकीलों, न्यायाधीशों, डॉक्टरों, प्राध्यापकों, संवाददाताओं, नेताओं और छात्रों इत्यादि सभी के लिए संक्षेपीकरण का ज्ञान आवश्यक है। इससे श्रम और समय की बचत तो होती ही है, व्यक्ति को जीवन की निरन्तर बढ़ती हुई व्यस्तता के कारण विषय की पूरी जानकारी भी हो जाती है।

विद्यार्थी वर्ग के लिए इसका विशेष महत्त्व है। पुस्तकालय में किसी पुस्तक को पढ़ते समय जो विद्यार्थी पठित पुस्तक अथवा अध्याय की संक्षेपिका तैयार कर लेता है, उसके ज्ञान में काफी वृद्धि होती है, जो परीक्षा में उसकी सहायक होती है। इसी प्रकार जो विद्यार्थी कक्षा में प्राध्यापक के भाषण की नित्य संक्षेपिका तैयार कर लेता है, उसे बहुत-सी पुस्तकों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि प्राध्यापक का भाषण भी तो एक तरह से बहुत-सी पुस्तकों को पढ़कर एक संक्षेपिका का ही रूप होता है। कुछ विद्यार्थी तो परीक्षा से पहले मूल पाठ के स्थान पर अपनी तैयार की गयी संक्षेपिका को ही पढ़ते हैं। किन्तु याद रहे कि वह संक्षेपिका विद्यार्थी की अपनी तैयार की हुई होनी चाहिए, किसी गाइड से नकल की हुई नहीं।

संक्षेपीकरण से मस्तिष्क में विचार-शक्ति का विकास होता है। व्यक्ति को थोड़े में बहुत कह जाने का अभ्यास हो जाता है। इससे तर्क-शक्ति तथा भावों को प्रकट करने की शक्ति का भी विकास होता है। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी, प्रत्येक कर्मचारी, अधिकारी, व्यापारी, डॉक्टर या प्राध्यापक को इसमें दक्षता प्राप्त करना ज़रूरी है। यह आधुनिक युग का श्रमसंचक यन्त्र है।

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संक्षेपिका लेखन के प्रकार

अध्ययन की दृष्टि से संक्षेपिका लेखन तीन प्रकार का हो सकता है

1. संवादों का संक्षेपीकरण-संक्षेपिका लेखन का अभ्यास करने के लिए उसका पहला चरण संवादों का संक्षेपीकरण करना है। संवादों की संक्षेपिका प्रायः हर विद्यार्थी तैयार कर सकता है। संवादों की संक्षेपिका तैयार करने में दक्ष होने पर हर व्यक्ति अन्य विषयों का संक्षेपीकरण सरलता से कर सकता है।

2. समाचारों, विशेष लेख, भाषण या अवतरण की संक्षेपिका लिखना-समाचारों की संक्षेपिका दो तरह के व्यक्ति तैयार करते हैं एक पत्रकार या संवाददाता, दूसरे लोक सम्पर्क अधिकारी (Public Relation Officer)। पत्रकार अथवा संवाददाता किसी समाचार के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि पाठक सरलतापूर्वक उसके विचारों को समझ जाएं। समाचार पत्रों के संवाददाता के लिए तो संक्षेपीकरण विशेष महत्त्व रखता है। वह किसी घटना को देखता है, किसी नेता का भाषण सुनता है और उसे जब तार द्वारा, टेलिफोन पर या पत्र द्वारा समाचार पत्र को उसका प्रतिवेदन (Report) भेजता है, तो वह एक प्रकार की संक्षेपिका ही होती है। आजकल इसी कारण समचारपत्रों में संवाददाता का नाम भी प्रकाशित किया जाने लगा है ताकि लोगों को पता चल जाये कि इस समाचार की संक्षेपिका किस ने तैयार की है। अपनी संक्षेपिका लेखन के कौशल के कारण ही बहुत-से संवाददाता पाठकों में अपनी एक अलग पहचान बना लेने में सफल होते हैं। कुछ ऐसा ही कार्य समाचार-पत्रों के सह-सम्पादक या उप-सम्पादक करते हैं। वे प्राप्त समाचारों को, अपने पत्र की पॉलिसी अथवा स्थान को देखते हुए संक्षेपिका करके ही प्रकाशित करते हैं।

ठीक ऐसा ही कार्य समाचारों की संक्षेपिका तैयार करने में लोक सम्पर्क अधिकारी अथवा उस कार्यालय के अन्य सम्बन्धित अधिकारी करते हैं। जो अधिकारी कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक सरल और स्पष्ट भाषा में समाचार-पत्रों की संक्षेपिका तैयार कर अपने अधिकारियों अथवा मन्त्रियों को भेजता है वही विभाग में नाम कमाता है और ऐसे लोक सम्पर्क अधिकारी को हर अफसर, हर मन्त्री अपने साथ रखना चाहता है।
एक प्रकार की संक्षेपिका विद्यार्थी भी लिखते हैं। परीक्षा में उन्हें किसी विशेष लेख, किसी विद्वान् के भाषण या किसी अवतरण, कविता अथवा निबन्ध की संक्षेपिका लिखने को कहा जाता है। यह अध्ययन किये हुए विषय की संक्षेपिका लिखना है। इस प्रकार की संक्षेपिका में विद्यार्थी को चाहिए कि वह लेख, भाषण, अवतरण, कविता या निबन्ध में प्रस्तुत किये गये विचारों को सही ढंग से प्रस्तुत करें। भाषा उसकी अपनी हो किन्तु मूल प्रतिपाद्य वही हों।।

3. पत्रों अथवा टिप्पणियों की संक्षेपिका-सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में तथा व्यापारिक संस्थानों में नित्य प्रति हज़ारों पत्रों का आदान-प्रदान होता रहता है। सभी मामलों को शीघ्रता से निपटाने के लिए कार्यालय में आने वाले पत्रों अथवा इन पर लिखी गयी टिप्पणियों की संक्षेपिका तैयार करनी पड़ती है। कार्यालयों में प्रायः अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानान्तरण होता रहता है। ऐसी दशा में कार्य को निपटाने में संक्षेपिका ही सहायक होती है। हर मामले में सम्बन्धित फाइल में उसकी संक्षेपिका रहने से नये व्यक्ति को कोई मामला समझने में देर नहीं लगती।

सार लेखन और संक्षेपिका लेखन में अन्तर

सार लेखन और संक्षेपिका लेखन में महत्त्वपूर्ण अन्तर है। सारांश लिखते समय मूल अवतरण अथवा पत्र में लेखक के द्वारा प्रस्तुत किये गये विचारों को, जो कि बिखरे हुए होते हैं, एक सूत्र में बांध कर अधिक स्पष्ट एवं सरल बनाकर प्रस्तुत किया जाता है जबकि संक्षेपिका तैयार करते समय लेखक के भावों को महत्त्व दिया जाता है और उसे अपने शब्दों में प्रस्तुत कर दिया जाता है। सारांश लिखते समय मूल अवतरण या पत्र में लेखक द्वारा प्रस्तुत सभी तर्कों को प्रस्तुत किया जाता है, जबकि संक्षेपिका लिखते समय केवल आवश्यक तथ्यों एवं तर्कों को ही प्रस्तुत किया जाता है। अनावश्यक बातों को संक्षेपिका में कोई स्थान नहीं दिया जाता। संक्षेपिका सारांश की अपेक्षा अधिक सरल और स्पष्ट होती है।

संक्षेपिका में कौन-से गुण होने चाहिएँ

संक्षेपिका लेखन एक कला है। इसलिए संक्षेपिका लिखते समय एक कलाकार की भान्ति अत्यन्त कुशलता से उसे लिखना चाहिए। वर्तमान युग की मांग और परिस्थितियों को देखते हुए हमें संक्षेपिका के महत्त्व एवं आदर्श स्वरूप को समझकर उसे लिखने का अभ्यास करना चाहिए। जैसा कि हम ऊपर कह आए हैं कि एक आदर्श संक्षेपिका वही होती है जिसमें विचारों को संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाए कि आम आदमी भी उसे आसानी से समझ जाए। समाचार पत्रों के संवाददाताओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि समाचार-पत्र हर वर्ग का व्यक्ति पढ़ता है।
आदर्श संक्षेपिका के गुण-एक आदर्श संक्षेपिका में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है

1. संक्षिप्तता-संक्षेपिका का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण उसकी संक्षिप्तता है। किन्तु संक्षेपीकरण इतना भी संक्षिप्त नहीं होना चाहिए कि उसका अर्थ ही स्पष्ट न हो सके तथा उसमें सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों का समावेश न हो। संक्षेपिका कितनी संक्षिप्त होनी चाहिए, इस सम्बन्ध में कोई निश्चित नियम नहीं है (जैसे कि सार लेखन में अवतरण के तृतीयांश का नियम है)। बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि उसमें सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों का समावेश हो जाए।

2. स्पष्टता-संक्षेपिका तैयार ही इसलिए की जाती है कि समय और श्रम की बचत हो अत: उसमें स्पष्टता का गुण अनिवार्य माना गया है। यदि संक्षेपिका पढ़ने वाले को अर्थ समझने में कठिनाई हो अथवा देरी लगे तो उसका मूल उद्देश्य ही नष्ट हो जाएगा। संक्षेपिका इस प्रकार तैयार की जानी चाहिए कि उसे पढ़ते ही सारी बातें पाठक के सामने स्पष्ट हो जाएं।

3. क्रमबद्धता-संक्षेपिका में सभी तथ्यों का वर्णन श्रृंखलाबद्ध रूप में किया जाना चाहिए। मूल अवतरण में यदि वैचारिक क्रम न भी हो तो भी संक्षेपिका में उन विचारों को क्रम से लिखना चाहिए इस तरह संक्षेपिका पढ़ने वाले को सारी बात आसानी से समझ में आ जाएगी।

4. भाषा की सरलता और प्रवाहमयता-संक्षेपिका की भाषा शैली इतनी सरल एवं सुबोध होनी चाहिए कि आम आदमी भी उसे आसानी से समझ सके। संक्षेपिका तैयार करते समय लेखक को चाहिए कि वह क्लिष्ट और समासबहुल भाषा का प्रयोग न करे और न ही अलंकृत भाषा का प्रयोग करें।

5. भाषा की शुद्धता-भाषा की शुद्धता से दो अभिप्राय हैं

  • संक्षेपिका में वे ही तथ्य या तर्क लिखे जाएं जो मूल सन्दर्भ में हों, जिनसे उनके सही-सही वे ही अर्थ लगाये जाएं जो मूल अवतरण या पत्र में दिये गए हों। अपनी तरफ से उसमें कुछ मिलाने की आवश्यकता नहीं।
  • संक्षेपिका की भाषा व्याकरण सम्मत और विषयानुकूल हो। मूल अवतरण के शब्दों के समानार्थी शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार संक्षेपिका में पूर्ण शुद्धता बनी रहेगी। ध्यान रहे कि संक्षेपिका, जहां तक सम्भव हो सके, भूतकाल और अन्य पुरुष में ही लिखी जानी चाहिए।

6. अपनी भाषा शैली-संक्षेपिका लिखते समय लेखक को स्वयं अपनी भाषा शैली का प्रयोग करना चाहिए। अपनी भाषा और शैली में भावों को संक्षिप्त रूप में सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है।

7. स्वतः पूर्णतः-संक्षेपिका का लेखन एक कला है और कोई भी कलाकृति अपने में पूर्ण होती है। अत: संक्षेपिका लेखक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संक्षेपिका संक्षिप्त भी हो, स्पष्ट भी हो और साथ ही साथ पूर्ण भी हो, तभी उसे आदर्श संक्षेपिका कहा जाएगा। अत: संक्षेपिका में मूल अवतरण के सभी आवश्यक तथ्यों का समावेश करना ज़रूरी है जिससे पढ़ने वाले को इस संदर्भ में अपूर्णता की अनुभूति न हो। यदि संक्षेपिका लेखक उपर्युक्त सभी गुणों को अपनी संक्षेपिका में ले आए तो उसमें पूर्णतः अपने आप आ जाएगी।

संक्षेपिका लेखन की विधि

जिस प्रकार एक कुशल चित्रकार अपने चित्र का पहले अच्छा प्रारूप तैयार करता है जो उसकी कल्पना और भावनाओं के अनुरूप होता है, उसी प्रकार एक कुशल संक्षेपिका लेखक को भी पहले संक्षेपिका अथवा संक्षेपीकरण का अच्छा प्रारूप तैयार करना चाहिए। इसके लिए उसे पहले दो-तीन बार संक्षेपिका तैयार करने लिए कहे जाने वाले मसौदे को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए और कच्चा प्रारूप तैयार हो जाने पर यह चैक कर लेना चाहिए कि मूल अवतरण या पत्र का कोई महत्त्वपूर्ण तथ्य छूट तो नहीं गया है, जिसके बिना संक्षेपिका पूर्ण नहीं होगी। साथ ही वह अपनी भाषा अथवा व्याकरण की रह गई अशुद्धियों को भी ठीक कर सकेगा।

संक्षेपिका तैयार करने से पूर्व अवतरण का भली-प्रकार अध्ययन करके उस में निहित भावों, विचारों, तथ्यों को रेखांकित कर लेना चाहिए और हो सके तो उस रेखा के नीचे 1, 2, 3 इत्यादि भी लिख देना चाहिए ताकि संक्षेपिका का प्रारूप तैयार करते समय आप अवतरण के विचारों, तथ्यों आदि को क्रमपूर्वक लिख सकें।

जब मूल अवतरण का अध्ययन एवं विश्लेषण करने के उपरान्त उसका भावार्थ मस्तिष्क में स्पष्ट हो जाए तब उसका कच्चा प्रारूप लिख देना चाहिए।
जब आपको सन्तोष हो जाए कि कच्चा प्रारूप मूल अवतरण के भावों, विचारों और तथ्यों को भली-भान्ति स्पष्ट करने में सक्षम है तो उसे सरल और स्पष्ट भाषा में लिख देना चाहिए।

संक्षेपिका लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

(1) मूल अवतरण को सावधानीपूर्वक दो तीन बार पढ़ना चाहिए।
(2) महत्त्वपूर्ण विचारों, भावों अथवा तथ्यों को रेखांकित कर लेना चाहिए।
(3) संक्षेपिका का पहले एक कच्चा प्रारूप तैयार करना चाहिए।
(4) संक्षेपिका यदि किसी समाचार की तैयार की जानी है तो उसका उचित शीर्षक भी दे दिया जाना चाहिए (वैसे समाचारों का शीर्षक समाचार-पत्र का सम्पादक ही दिया करता है।)
(5) संक्षेपिका की भाषा-शैली सरल, सुबोध और ग्राह्य होनी चाहिए।
(6) संक्षेपिका अपने शब्दों या भाषा में लिखनी चाहिए।
(7) संक्षेपिका जहां तक सम्भव हो सके, भूतकाल और अन्य पुरुष में लिखनी चाहिए।
(8) संक्षेपिका में मूल अवतरण के विचारों, तथ्यों आदि को श्रृंखलाबद्ध रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
(9) संक्षेपिका ऐसी होनी चाहिए कि पाठक उसे तुरन्त समझ जाए। उसकी भाषा-शैली ऐसी होनी चाहिए कि सामान्य ज्ञान रखने वाला आम आदमी भी उसे समझ जाए।
(10) संक्षेपिका अपने आप में पूर्ण होनी चाहिए।

संक्षेपिका लेखक को इन बातों से बचना चाहिए

(1) मूल अवतरण में प्रस्तुत किसी कथन को ज्यों-का-त्यों नहीं लिखना चाहिए।
(2) अपनी ओर से कोई विवरण या आलोचना नहीं करनी चाहिए।
(3) संक्षेपिका में द्वि-अर्थी या अलंकारिक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(4) संक्षेपिका का रूप किसी भी हालत में मूल अवतरण से बड़ा नहीं होना चाहिए वह जितना संक्षिप्त और सारगर्भित होगा, उतना ही अच्छा है।
(5) संक्षेपिका में शब्दों या विचारों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

(क) संवादों का संक्षेपीकरण

‘संवाद’ कथोपकथन या वार्तालाप को कहते हैं। वार्तालाप दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होता है। ऐसे संवादों या कथोपकथन का संक्षेपीकरण प्रस्तुत करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है जैसे
(1) संवादों में ऐसी बहुत-सी बातें होती हैं जिन्हें संक्षेपीकरण करते समय त्याग देना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक वाक्य का भाव या सार संक्षेपीकरण में अवश्य शामिल किया जाए।
(2) संवादों में कभी-कभी किसी पात्र का संवाद बहुत लम्बा हो जाता है ऐसी दशा में उस संवाद का सारपूर्ण मुख्य भाव ही ग्रहण करना चाहिए।
(3) महत्त्वपूर्ण भावों वाले संवादों को रेखांकित कर लेना चाहिए।
(4) प्रत्यक्ष कथन को अप्रत्यक्ष कथन में बदल देना चाहिए। इसका भाव यह है कि किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्त किये गए विचारों को ज्यों का त्यों उद्धृत नहीं करना चाहिए। संक्षेपीकरण में सभी उद्धरण चिह्नों को हटा देना चाहिए तथा प्रथम पुरुष तथा मध्यम पुरुष सर्वनाम मैं और तुम को अन्य पुरुष वह आदि में बदल देना चाहिए। क्रियापद भी अन्य पुरुष सर्वनाम वह के अनुसार रखे जाने चाहिएं।
(5) संवादों की संक्षेपिका प्रस्तुत करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए कि वक्ता या पात्रों की मनोदशा और भाव-भंगिमा स्पष्ट हो जाए।

संवादों का संक्षेपीकरण करने का सरल उपाय : एक उदाहरण

टेलिफोन की घण्टी बजती है। रमन कुमार के भाई को उसके मित्र सुभाष का टेलिफोन आया है जो उस समय घर पर नहीं है। रमन कुमार उस टेलिफोन को सुनता है। रमन कुमार और सुभाष में टेलिफोन पर इस प्रकार बातचीत होती है।
रमन-हैलो?
सुभाष-हैलो, क्या मैं कमल से बात कर सकता हूं?
रमन-जी, वे तो बाहर गये हैं, क्या आप उनके लिए कोई सन्देश छोड़ना चाहेंगे?
सुभाष-ओह, हां क्यों नहीं। मैं सुभाष बोल रहा हूं। क्या कमल आज संध्या के समय खाली होगा? मैं संध्या को ज्योति सिनेमा में फिल्म देखने जा रहा हूं। मैं चाहता हूं कि वह भी मेरे साथ फिल्म देखने चले। वह कब तक लौट आयेगा?
रमन-वे बड़ी देर तक बाहर नहीं रहेंगे। बस डाकघर तक कुछ पत्र पोस्ट करने गये हैं। मुझे विश्वास है कि आज संध्या के समय वे बिलकुल खाली हैं।
सुभाष-बहुत अच्छे। तो फिर आप उससे कह दें कि मैं उसकी पांच रुपए के टिकट वाली खिड़की के पास 600 बजे तक प्रतीक्षा करूंगा। यदि वह 6-30 तक नहीं पहुंचा तो मैं टिकट लेकर सिनेमा हाल के भीतर चला जाऊंगा। रमन-हां हां, निश्चय रखिए, मैं उनसे बोल दूंगा।
सुभाष-धन्यवाद।
जब कमल बाहर से लौटकर घर आया तो रमन ने उसे सुभाष के टेलिफोन के बारे में इन शब्दों में बात की भैया जब तुम बाहर गए थे तो सुभाष का फोन आया था। वह यह जानना चाहता था कि इस संध्या को तुम खाली हो। वह ज्योति सिनेमा में फिल्म देखने जा रहा है और चाहता है कि तुम भी उसके साथ फिल्म देखो। मैंने उसे कह दिया है कि तुम शीघ्र लौट आओगे और संध्या को भी तुम्हें कोई काम नहीं है। वह तुम्हारी 6-00 और 6-30 के बीच पांच रुपये की टिकट-खिड़की के पास प्रतीक्षा करेगा।

इस उदाहरण में रमन ने जो कमल को कहा वह उसके और कमल के मित्र सुभाष के बीच हुई वार्तालाप का संक्षेपीकरण था।

उदाहरण-1 मूल संवाद

द्रोणाचार्य-युधिष्ठिर तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है?
युधिष्ठिर-गुरु जी मुझे पेड़ पर चिड़िया, पत्ते आदि सभी कुछ दिखाई दे रहा है।
द्रोणाचार्य-अच्छा भीम तुम बताओ, तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है?
भीम-गुरुदेव मुझे तो चिड़िया दिखाई दे रही है।
द्रोणाचार्य-अच्छा अर्जुन तुम्हें क्या-क्या दिखाई दे रहा है?
अर्जुन-गुरुदेव मुझे तो चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है।
द्रोणाचार्य-बहुत अच्छे, तीर चलाओ।

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संक्षेपीकरण (कच्चा प्रारूप)

जब द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन से बारी-बारी पूछा कि उन्हें पेड़ पर क्या-क्या दिखाई दे रहा है तो युधिष्ठिर ने कहा उसे चिड़िया, पत्ते आदि सभी कुछ दिखाई दे रहा है। भीम न कहा उसे केवल चिड़िया दिखाई दे रही है और अर्जुन ने कहा उसे केवल चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है। गुरु जी ने प्रसन्न होकर अर्जुन को तीर चलाने की आज्ञा दी।

आदर्श संक्षेपीकरण

जब द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन से पूछा कि उन्हें पेड़ पर क्या-क्या नज़र आ रहा है तो युधिष्ठिर ने चिड़िया और पत्ते, भीम ने चिड़िया और अर्जुन ने केवल चिड़िया की आंख दिखाई देने की बात कही। गुरु द्रोण ने प्रसन्न होकर अर्जुन को तीर चलाने का आदेश दिया।

उदाहरण-2 मूल संवाद

चन्द्रगुप्त-कुमारी आज मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई।
कार्नेलिया-किस बात की?
चन्द्रगुप्त-कि मैं विस्मृत नहीं हुआ।
कार्नेलिया-स्मृति कोई अच्छी वस्तु है क्या?
चन्द्रगुप्त-स्मृति जीवन का पुरस्कार है सुन्दरी।
कार्नेलिया-परन्तु मैं कितने दूर देश की हूं। स्मृति ऐसे अवसर पर दण्ड हो जाती है। अतीत के कारागृह में बंदिनी। स्मृतियां अपने करुण विश्वास की श्रृंखलाओं को झनझना कर सूची भेद्य अंधकार में खो जाती हैं। __ चन्द्रगुप्त-ऐसा हो तो भूल जाओ मुझे। इस केन्द्रच्युत जलते हुए उल्कापिण्ड की कोई कक्षा नहीं। निर्वासित, अपमानित प्राणों की चिन्ता क्या?
कार्नेलिया-नहीं चन्द्रगुप्त, मुझे इस देश से, जन्म भूमि के समान स्नेह होता जा रहा है। यहां के श्याम कुञ्ज, घने जंगल, सरिताओं की माला पहने हुए शैली-श्रेणी, हरी-भरी वर्षा, गर्मी की चांदनी, शीतकाल की धूप और भोले कृषक तथा सरल कृषक बालिकाएं बाल्यकाल की सुनी हुई कहानियों की जीवित प्रतिमायें हैं। यह स्वप्नों का देश, वह त्याग और ज्ञान का पालन, यह प्रेम की रंग भूमि-भारतभूमि क्या भुलाई जा सकती है? कदापि नहीं। अन्य देश मनुष्य की जन्म भूमि हैं, भारत मानवता की जन्म भूमि है।
-‘चन्द्रगुप्त’ नाटक, जयशंकर प्रसाद से ‘उपर्युक्त संवादों में दो मुख्य बातें देखने को मिलती है। सिल्योकस की पुत्री कार्नेलिया के चन्द्रगुप्त के प्रति प्रेम और भारत देश के प्रति अनुराग और श्रद्धा।

संक्षेपिका का कच्चा प्रारूप

चन्द्रगुप्त ने स्मृति को जीवन का पुरस्कार बताया और कार्नेलिया ने उसे प्रवास में हृदय को झकझोर देने वाला दण्ड। चन्द्रगुप्त ने कहा कि वह स्मृति को दण्ड मानती है तो वह उसे भी भूल जाए। इस जलते हुए उल्कापिण्ड की कोई कक्षा नहीं। कार्नेलिया ने उत्तर दिया कि ऐसी बात नहीं है। उसे इस देश के वन, पर्वत, नदियां, गर्मी-सर्दी, वर्षा चांदनी और धूप, बचपन में सुनी कहानियों को साकार करने वाले और प्रिय लगते हैं। यह भारत भूमि, जो प्रेम की रंग भूमि है, कभी भुलाई नहीं जा सकती। यह तो मनुष्य की नहीं, मानवता की जन्म-भूमि है।

आदर्श संक्षेपीकरण

जब चन्द्रगुप्त ने स्मृति को जीवन का पुरस्कार बताया तो कार्नेलिया ने उसे प्रवास का दण्ड कहा। इस पर चन्द्रगुप्त . ने कहा कि यदि ऐसा है तो वह उसे भूल जाए। कार्नेलिया ने अस्वीकृति के स्वर में कहा वह इस देश को कैसे भूल सकती है ? भारत के वन, पर्वत, नदियां, ऋतुएं बचपन में सुनी कहानियों को साकार कर देते हैं। यह देश प्रेम की रंगभूमि है। मनुष्य की नहीं, मानवता की जन्म भूमि है।

उदाहरण-3 मूल संवाद

सिपाही-महाराज का आदेश है कि जो हट्टा-कट्टा हो, उसे पकड़ कर फांसी पर चढ़ा दो।
गुरु ने शिष्य से धीरे से कहा-‘खा लिए लड्डू’ परन्तु गुरु घबराया नहीं। वह बड़ा समझदार था, उसने शिष्य के कान में कोई बात कह दी।
जब वे राजा के सामने फांसी के तख्ते के पास लाये गये तो गुरु ने कहा-“पहले मैं फांसी पर चढंगा।” शिष्य ने धक्का देकर कहा-“मेरा अधिकार पहले है।” वह आगे बढ़ा।
फांसी पर चढ़ने के लिए इस होड़ को देखकर राजा अचम्भे में था। उसने पूछा-‘भाई बात क्या है कि तुम दोनों फांसी पर चढ़ना चाहते हो?”
गुरु बोला-‘अरे महाराज मुझे चढ़ने भी दो, मेरा समय क्यों बरबाद करते हो?’ राजा ने कहा-आखिर कोई बात तो होगी ही।
गुरु ने कहा-अच्छा तुम बहुत हठ करते हो तो सुनो। इस समय स्वर्ग लोक में इन्द्र का आसन खाली पड़ा है। जो फांसी पर पहले चढ़ेगा, वही स्वर्ग का राजा होगा। राजा-अच्छा, यह बात है! तब तो मैं ही सबसे पहले फांसी पर चढुंगा।

संक्षेपीकरण

गुरु-शिष्य के पूछने पर कि उन्हें क्यों पकड़ा है, सिपाही ने राजा की आज्ञा बताई कि किसी हट्टे-कट्टे आदमी को फांसी पर चढ़ाना है। गुरु समझदार था, घबराया नहीं। उसने शिष्य के कान में कुछ कहा। फांसी के तख्ते के निकट लाये जाने पर दोनों गुरु-शिष्य पहले फांसी चढ़ने के लिए जिद्द करने लगे। राजा ने हैरान होकर इसका कारण पूछा तो गुरु ने कहा, इस समय स्वर्ग में इन्द्रासन खाली पड़ा है जो पहले फांसी चढ़ेगा वही उस आसन को पायेगा। राजा ने कहा तब तो वह ही सबसे पहले फांसी पर चढ़ेगा।

उदाहरण-4 मूल संवाद

यश-आप अंग्रेज़ी भी जानते हैं ?
कामरेड जगत हँसे–हाँ हाँ, क्यों? तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है?
यश-इसलिए कि इधर के जितने नेता हैं, वे दर्जा चार से आगे नहीं पढ़ सके। आप भी तो नेता ही हैं न।
कामरेड जगत बहुत ज़ोर से हँसे–’बहुत मज़ेदार हो दोस्त। हां कहो, तुम कौन हो, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं।’
यश-मैं इसी कस्बे का रहने वाला हूँ। विद्यार्थी हूँ। दर्जा सात का इम्तिहान दिया है। आप के बारे में बहुत सुना था। आप से मिलने की इच्छा बहुत दिनों से थी।
कामरेड जगत-क्यों, मुझ में ऐसी क्या खास बात है कि तुम मुझसे मिलना चाहते रहे? वे मुस्कराये। यश-मुझे हमेशा से लगता रहा है कि सेठ चोकर दास को आप मार सकते हैं। ‘क्या कहा?’ कामरेड चौंक गये थे। “क्या मेरे हाथ में बन्दूक है, क्या मैं हत्यारा हूँ?” यश थोड़ा डर गया और सोचने लगा कि क्या कह बैठा। फिर सम्भल कर बोला
“कामरेड, मेरे कहने का अर्थ दूसरा था। वह यह कि सेठ ग़रीबों का खून चूसता है और आप ग़रीबों की भलाई के लिए इतना सारा काम करते हैं। आप ही हैं जो ग़रीबों को सेठ या उन जैसे लोगों से छुड़ा सकते हैं। सेठ को मारने का मतलब उसके छल-कपट की ताकत को मारने का है।”

संक्षेपीकरण

यश ने जब कामरेड जगत को अंग्रेजी बोलते सुना तो हैरान हुआ। कामरेड के पूछने पर उसने बताया कि और नेता तो दर्जा चार तक पढ़े होते हैं। यश ने कामरेड को अपना परिचय दिया कि वह इसी गांव का है, दर्जा सात का इम्तिहान दिया है। उसने यह भी बताया कि वह उसको बहुत दिनों से मिलना चाहता था। कामरेड ने कारण पूछा तो यश ने कहा कि वह सेठ चोकर दास को मार सकता है। कामरेड ने कहा क्या उसके हाथ में कोई बन्दूक है? क्या वह हत्यारा है? इस पर यश डर गया कि क्या कह बैठा। उसने सम्भल कर कहा कि उसका अर्थ यह नहीं था। सेठ ग़रीबों का खून चूसता है और वह उनकी भलाई करता है। वह ही ग़रीबों को सेठ या उस जैसे लोगों से छुड़ा सकता है। सेठ को मारने से उसका भाव उसके छल-कपट को समाप्त करने से था।

संक्षेपीकरण के अभ्यासार्थ कुछ संवाद

-बाल सुलझाते-सुलझाते रूपमति ने उसकी नज़रों को पकड़ लिया और मुस्कराने लगी।
-“अब तुम जवान हो गये जस बाबू! ओह कितने दिन बीत गये तुम्हें यहां से गये हुए।” वह मुस्कराती रही लेकिन यश संकुचित हो गया।
– “मुझे प्यास लगी है रूपमति। पानी नहीं पिलाओगी।” -“पानी मैं कैसे पिलाऊं, बामण के लड़के को?” -“क्यों बामन का लड़का होना कोई गुनाह है, रूपमति? क्या उसे प्यास लगी हो तो पानी नहीं मांग सकता?”
-गुनाह तुम्हारा बामन होना नहीं, गुनाह है एक अछूत जाति की औरत से पानी मांगना। वह पानी तो पिला देगी लेकिन सोचो, तुम्हारी जाति वाले तुम्हें कहां रखेंगे और फिर तुम्हें तो दोष कम देंगे, मुझे ज्यादा गाली देंगे। खैर मुझे अपनी चिन्ता नहीं, तुम्हारी है।” वह मुस्कराती रही।
__-रूपमति, मुझे तुम पानी पिलाओ, अपनी जाति वालों से क्या, अपने घर वालों से भी कब का निष्कासित हो चुका हूं। अब मेरा कोई घर-द्वार, जाति-पाति नहीं है। जहां चाहूं जाऊंगा, जहां चाहूं रहूंगा, जहां चाहूं जिऊंगा, जहां चाहूं मरूंगा।

2.

मेरी आँख लगने को थी कि वह बोल उठा-“छुट्टी कब दोगी?”
– “पांच बजे” कह मैंने फिर आंख मूंद ली। वह बोला
– “स्कूल में भी चार बजे छुट्टी हो जाती है और नौकरी में पांच बजे ! मैंने स्कूल ही इसलिए छोड़ दिया था।” कुछ क्षण वह चुप रहा फिर बोला।
-“मां कहती थी स्कूल जाने से बाबू बनते हैं–पर नौकरी करने से क्या बनते हैं।”
मैं उसका प्रश्न सुन चौंक उठी और चुप रह गयी। कहती भी क्या-यही न कि नौकरी करने से पंखा कुली कहलाते
धीरे से बोली
– “तुम स्कूल जाया करो!”
-“स्कूल? स्कूल कैसे जाया करूं? मास्टर जी का गोल-गोल काला-काला मोटा रूल नहीं देखा तुम ने, तभी कहती हो! एक दिन मास्टर जी के मकान के पास से क्या निकले कि वो कहने लगे, तुम ने मेरे खेत की ककड़ियां तोड़ ली हैं। दूसरे दिन स्कूल में उन्होंने खूब पीटा। मैं नहीं गया स्कूल उसके बाद-और फिर स्कूल में चार बजे तक बैठना जो पड़ता है।”

3.

युवती-“मगर हमारा विवाह हो कैसे सकेगा?” युवती ने पूछा, “सुना है शीघ्र ही फिर उन भयानक विदेशी और विजातियों की चढ़ाई मेवाड़ पर होने वाली है। ऐसे अवसर पर तुम युद्ध करोगे या व्याह?”
युवक-“तुम्हारी क्या इच्छा है?”
युवती-(गर्व से) मैं यदि पुरुष होता तो ऐसे अवसर पर विदेशियों से युद्ध करती और जन्मभूमि मेवाड़ की उद्धार चिन्ता में प्राण दे देती।”
युवक-मगर पद्मा बुरा न मानना, मैं तो पहले तुम्हें चाहता हूं, फिर किसी और को। यदि युद्ध हुआ भी तो मैं पहले तुमसे व्याह करूंगा और फिर रण प्रस्थान।
युवती-(भंवों पर अनेक बल देकर) क्यों?
युवक-इसलिए कि तुम सी युवती सुन्दरियों का पता विदेशी सूंघते फिरते हैं। उन्हें यदि मालूम हो गया कि इस देवपुर रूपी गुदड़ी में पद्मा रूपी कोई मणि रहती है तो मुश्किल ही समझो।
युवती-(बगल से कटार निकाल कर दिखाती हुई) हि:! तुम भी कैसी बातें करते हो! जब तक यह मां दुर्गा हमारे साथ है तब तक विदेशी हमारी ओर क्या आंखें उठाएंगे। पिछले दो युद्धों में मेरी दो बड़ी विवाहिता बहनें जौहर कर चुकी है।
युवक-और मेरे तीन भाई वीरगति पा चुके हैं।
युवती—फिर क्या जब तक हम राजपूत स्त्री-पुरुषों को स्वतन्त्रता, स्वधर्म और स्वदेश के लिए प्राण देना आता है, तब तक एक विदेशी तो क्या, लाख विदेशी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

4.
बाज ने मनुष्य की आवाज़ में कहा:
“आप न्याय को जानने वाले राजा हैं। आप को किसी का भोजन नहीं छीनना चाहिए। यह कबूतर मेरा भोजन है। आप इसे मुझे दे दीजिए।”
महाराज शिवि ने कहा:”
“तुम मनुष्य की भाषा में बोलते हो। तुम साधारण पक्षी नहीं हो सकते। तुम चाहे कोई भी हो, यह कबूतर मेरी शरण में आया है; मैं शरणागत को त्याग नहीं सकता।”
बाज बोला:
“मैं बहुत भूखा हूं। आप मेरा भोजन छीन कर मेरे प्राण क्यों लेते हैं ?”
राजा शिवि बोले:
“तुम्हारा काम तो किसी भी मांस से चल सकता है। तुम्हारे लिए यह कबूतर ही मारा जाये, इसकी क्या आवश्यकता है? तुम्हें कितना मांस चाहिए?”
बाज कहने लगा:

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण

“महाराज! कबूतर मरे या कोई दूसरा प्राणी मरे, मांस तो किसी को मारने से ही मिलेगा। सभी प्राणी आप की प्रजा हैं, सब आपकी शरण में हैं। उनमें से जब किसी को मरना ही है, तो इस कबूतर को ही मारने में क्या दोष है। मैं तो ताज़ा मांस खाने वाला प्राणी हूं और अपवित्र मांस नहीं खाता। मुझे कोई लोभ भी नहीं है। इस कबूतर के बराबर तोल कर किसी पवित्र प्राणी का ताज़ा मांस मुझे दे दीजिए। उतने से ही मेरा पेट भर जाएगा।”
राजा ने विचार किया और बोले-“मैं दूसरे किसी प्राणी को नहीं मारूंगा, अपना मांस ही मैं तुम को दूंगा।”

बाज बोला:
“एक कबूतर के लिए आप चक्रवर्ती सम्राट होकर अपना शरीर क्यों काटते हैं ? आप फिर से सोच लीजिए।”

राजा ने कहा:
“बाज तुम्हें तो अपना पेट भरने से काम है। तुम मांस लो और अपना पेट भरो। मैंने सोच-समझ लिया है। मेरा शरीर कुछ अजर–अमर नहीं है। शरण में आए हुए एक प्राणी की रक्षा में शरीर लग जाए, इससे अच्छा इसका दूसरा कोई उपाय नहीं हो सकता।”

5.
-“तेरे घर कहां हैं?”
-“मगरे में; और तेरे?”
-“माझे में, यहां कहां रहती है?”
-‘अतर सिंह की बैठक में; वह मेरे मामा होते हैं।’
-‘मैं भी मामा के यहां आया हूं, उनका घर गुरु बाज़ार में है।’
इतने में दुकानदार निबटा और इनका सौदा देने लगा। सौदा लेकर दोनों साथ-साथ चले। कुछ दूर जा कर लड़के ने मुस्करा कर पूछा
‘तेरी कुड़माई हो गई।’
इस पर लड़की कुछ आंख चढ़ाकर ‘धत्त’ कहकर दौड़ गई और लड़का मुंह देखता रह गया।

(ख) समाचारों का संक्षेपीकरण

समाचार-पत्रों के कार्यालयों में संक्षेपीकरण अथवा संक्षेपिका लेखन का अत्यन्त महत्त्व है। यह कार्य प्रायः समाचारपत्र के सहायक या उपसंपादकों द्वारा किया जाता है। इसलिए इस कला में उन्हें पूर्ण दक्ष होना चाहिए। यह उनका दैनिक कार्य है। वैसे तो संक्षेपीकरण का कार्य पत्रों को समाचार भेजने वाले संवाददाता भी करते हैं किन्तु किसी घटना का, किसी नेता के भाषण का अथवा किसी महत्त्वपूर्ण सम्मेलन का ब्योरा समाचार-पत्र को भेजते समय वे तनिक विस्तार से उसका प्रतिवेदन भेजते हैं।

अब यह काम समाचार-पत्र के सह-सम्पादक, उप-संपादक का होता है कि संवाददाता द्वारा भेजे गए समाचार का इस तरह संक्षेपीकरण करे कि समाचार के महत्त्व के अनुसार उसका समाचार-पत्र में प्रकाशन हो सके और पाठक उस समाचार अथवा घटना इत्यादि के विवरण से अवगत भी हो सके। समाचार-पत्रों में स्थान की कमी के कारण कभी-कभी कुछ समाचार अत्यन्त संक्षिप्त रूप में प्रकाशित किये जाते हैं। ये संक्षिप्त समाचार समाचारपत्र के कार्यालय में संक्षेपीकरण के पश्चात् प्रकाशित किये जाते हैं। अतः समाचार-पत्र के सह-सम्पादक, उपसंपादक तथा संवाददाता के लिए संक्षेपीकरण की कला में प्रवीण होना अनिवार्य है।
समाचारों का संक्षेपीकरण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है

(1) नेताओं के भाषणों का संक्षेपीकरण करते समय नेता के नाम का उल्लेख अवश्य करना चाहिए।

(2) घटनाओं के विवरण का संक्षेपीकरण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उस घटना के मुख्यमुख्य तथ्यों का उल्लेख अवश्य हो जाए। जैसे घटनास्थल, उससे प्रभावित लोगों के नाम अथवा संख्या तथा उस पर सरकार अथवा जनता की प्रतिक्रिया आदि।

(3) किसी समिति की बैठक अथवा किसी महत्त्वपूर्ण सम्मेलन के समाचार का संक्षेपीकरण करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि संक्षेपिका में उस बैठक अथवा सम्मेलन के सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों का समावेश हो जाए। जैसे बैठक कहां, कब और किस की अध्यक्षता में हुई, उसका उद्देश्य क्या था तथा उसमें पारित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव कौन-से थे।

ऐसे समाचारों का शीर्षक सभा या बैठक के अध्यक्ष या मुख्य मेहमान के भाषण के किसी महत्त्वपूर्ण तथ्य को आधार बनाकर दिया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप किसी कॉलेज के दीक्षान्त समारोह के समाचार का शीर्षक लिखा जा सकता
“विद्यार्थी देश का भविष्य हैं-उपकुलपति……………
अथवा
“विद्यार्थी समाज सेवा के कामों में रुचि लें” इत्यादि।
(4) प्रत्यक्ष कथन को अप्रत्यक्ष कथन में बदल लेना चाहिए।
(5) आवश्यकतानुसार अनेक शब्दों या वाक्यांशों के लिए ‘एक शब्द’ का प्रयोग करना चाहिए। समस्त पदों के प्रयोग की विधि अपनानी चाहिए।
(6) समाचार किसी भी प्रकार का हो उसमें तिथि, स्थान और सम्बद्ध व्यक्तियों के नाम अवश्य रहने चाहिएं।
(7) स्थानीय समाचारों में अधिक-से-अधिक स्थानीय व्यक्तियों के नामों का उल्लेख करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से समाचार-पत्र की बिक्री बढ़ती है और उससे अधिक-से-अधिक लोग जुड़ते हैं।
(8) स्थानीय सभा-सोसाइटियों, गोष्ठियों, बैठकों आदि के समाचारों का संक्षेपीकरण करते समय यह न समझना चाहिए कि यह समाचार तो एक कोने में छपेगा, इसलिए जैसा चाहो छाप दो, ध्यान रहे जो लोग उस सभा सोसाइटी के सदस्य हैं वे तो उस समाचार को ढूंढ़ ही लेंगे। ऐसे समाचारों की भाषा प्रभावशाली होनी चाहिए।
(9) जब कोई समाचार अनेक स्रोतों से प्राप्त हो तो सभी स्रोतों का नामोल्लेख समाचार से पूर्व अवश्य देना चाहिए जैसे प्रैस ट्रस्ट आफ इण्डिया, यू० एन० आई० और हिन्दुस्तान समाचार से प्राप्त होने वाले समाचारों को मिलाकर उनका संक्षेपीकरण करना चाहिए। हो सकता है कि किसी महत्त्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख करना कोई समाचार एजेंसी भूल गयी हो।
(10) संक्षेपीकरण का यदि कच्चा प्रारूप पहले तैयार कर लिया जाए तो अच्छा रहता है।

समाचारों का संक्षेपीकरण : कुछ उदाहरण

उदाहरण 1
मूल समाचार
नई दिल्ली 5 जुलाई, …….., आज यहां शब्दावली आयोग की एक बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से सरकार को सुझाव दिया गया कि प्राध्यापकों की सीमित भाषागत सामर्थ्य को देखते हुए तथा उनको अध्यापन कार्य में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए, आठवीं पंचवर्षीय योजना में प्राध्यापकों के लिए ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जाएं, जिनसे उन्हें व्यावहारिक हिन्दी और परिभाषिक और तकनीकी शब्दावली के उचित प्रयोग के विषय में उनकी दक्षता में वृद्धि हो और अपने विषय को पढ़ाने की भाषा-सामर्थ्य भी बढ़े। ये कार्यशालाएं विश्वविद्यालयों और प्रमुख महाविद्यालयों में आयोजित की जाएंगी, जिनमें विशिष्ट भाषण देने के लिए ऐसे वरिष्ठ अध्यापक आमन्त्रित किये जाएंगे जो सफलतापूर्वक व्यावहारिक हिन्दी की कक्षाएं ले रहे हैं।

संक्षेपीकरण (कच्चा प्रारूप)

नई दिल्ली 5 जुलाई, ………..-शब्दावली आयोग ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह प्राध्यापकों को व्यावहारिक हिन्दी और पारिभाषिक एवं तकनीकी शब्दावली के प्रयोग और अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए आठवीं पंचवर्षीय योजना में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करे जो प्राध्यापकों की इस विषय सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर कर उनकी भाषा सामर्थ्य और दक्षता में वृद्धि कर सकें। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जाएं जिनमें कुछ वरिष्ठ प्राध्यापकों को भाषण देने के लिए आमन्त्रित किया जाए।

आदर्श संक्षेपीकरण

नई दिल्ली-5 जुलाई। शब्दावली आयोग ने व्यावहारिक हिन्दी एवं पारिभाषिक शब्दावली के पठन-पाठन की कठिनाइयों को दूर करने हेतु सरकार से अनुरोध किया है कि आठवीं पंचवर्षीय योजना में इस उद्देश्य की कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालयों को आवश्यक निर्देश दें।

उदाहरण-2
मूल समाचार
नई दिल्ली 26 मार्च, ……. – भारतीय लेखक संगठन के तत्वाधान में आज यहां के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें जीवन के पैंसठ वर्ष पूरा करने पर हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार रामदरश मिश्र को सम्मानित किया गया। इस गोष्ठी में डॉ० नित्यानन्द तिवारी और डॉ० ज्ञानचन्द्र गुप्त के संपादन में प्रकाशित पुस्तक ‘रचनाकार रामदरश मिश्र’ पर भी चर्चा की गई जिसमें दिल्ली और बाहर के अनेक गण्यमान्य और नये रचनाकारों ने भाग लिया। चर्चा में भाग लेते हुए कन्हैयालाल नन्दन में मिश्रजी से शिकायत की कि वे अब गीत क्यों नहीं लिखते। महीप सिंह ने कहा कि मिश्र जी ने अंतरंग मानवीय सम्बन्ध की गरिमा हमेशा बनाये रखी। लेखन के प्रति समर्पित व प्रतिबद्ध मिश्र जी ने एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।

नरेन्द्र मोहन ने कहा कि मिश्रजी के साहित्य में अपनी जमीन से जुड़े रहने का संवेदन और उसकी अनुभूति के दर्शन होते हैं। डॉ० रमाकान्त शुक्ल ने कहा कि मिश्र जी ने बड़ी-बड़ी बातें नहीं की बल्कि छोटी-छोटी बातों को संवेदनशील ढंग से सामने रखा और विशिष्ट शैली अर्जित की।

मुख्य अतिथि कमलेश्वर ने कहा कि मिश्र जी में आक्रोश है किन्तु उत्तेजना नहीं। मिश्र जी को आक्रोश की शक्ति का प्रयोग और अधिक करना चाहिए। मिश्र जी में अहम् नहीं है, ठोस स्वाभिमान है। स्वयं मिश्र जी ने अपने सम्बन्ध में कहा कि मैं बहुत मामूली इन्सान हूं मुझे इस बात का बोध हमेशा रहा, नहीं तो मैं आज महत्त्वाकांक्षा के जंगल में खो गया होता। संगठन सचिव डॉ० रत्न लाल शर्मा ने गोष्ठी का संचालन किया तथा महासचिव डॉ० विनय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

संक्षेपीकरण

नई दिल्ली 26 मार्च,………..- भारतीय लेखक संगठन ने प्रसिद्ध उपन्यासकार रामदरश मिश्र के जीवन के पैंसठ वर्ष पूरा करने पर उन्हें सम्मानित करने हेतु एक गोष्ठी आयोजन किया गोष्ठी में डॉ० नित्यानन्द तिवारी और डॉ० ज्ञान चन्द गुप्त द्वारा संपादित पुस्तक ‘रचनाकार रामदरथ मिश्र’ पर भी चर्चा की गयी। चर्चा में भाग लेने वालों में मुख्य विद्वान् थे-कन्हैया लाल नन्दन, महीपसिंह, नरेन्द्र मोहन तथा गोष्ठी के मुख्य मेहमान कमलेश्वर। मिश्र जी ने अपने सम्बन्ध में कही गयी बातों का उत्तर देते हुए कहा कि वे बहुत मामूली इंसान हैं और उन्हें सदा इस बात का बोध रहा है, नहीं तो वे आज महत्त्वाकांक्षा के जंगल में खो गये होते। गोष्ठी का संचालन संगठन के साहित्य सचिव डॉ० रत्नलाल शर्मा ने किया तथा महासचिव डॉ० विनय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

उदाहरण-3
मूल समाचार
पेरिस, 25 नवम्बर (ए० पी०) विश्व प्रसिद्ध धावक बेन जानसन ने कल फ्रांसीसी टैलीविजन के एक कार्यक्रम में भी स्वीकार किया कि उसने 1988 के सियोल ओलम्पिक में नशीले पदार्थ का सेवन किया था। इस कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मेडिकल कमीशन के प्रमुख प्रिंस एलेक्जेंडर डी-मेरोड भो शामिल थे। उन्होंने कहा कि–“बेन जानसन की धोखा–धड़ी से उन्हें काफ़ी गहरा दुःख हुआ था लेकिन इस घटना से नशीले पदार्थों के सेवन के खिलाफ हमारी लड़ाई और तेज़ हो गई।”

बेन जानसन की मेडिकल जांच के दौरान नशीले पदार्थों के सेवन की पुष्टि होने के समय श्री मेरोड भी उस समय मंच पर थे। इस घटना के बाद पहली बार दोनों का इस कार्यक्रम में आमना-सामना हुआ। इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ फ्रांसीसी एथलीट, प्रशिक्षक और खेल संगठनों के अधिकारी भी शामिल थे।
जानसन ने न केवल 1992 ओलम्पिक में भाग लेने की बल्कि 1991 में टोक्यो में विश्व इंडोर चैम्पियनशिप में भाग लेने की इच्छा जाहिर की। उसने कहा कि वह कड़ी मेहनत कर रहा है और अगले ओलम्पिक में तेज़ दौड़ेगा तथा टोक्यो में वह सबको पीछे छोड़ देगा।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण

संक्षेपीकरण

टोक्यो में सबको पीछे छोड़ दूँगा : जॉनसन

पेरिस, 25 नवम्बर (ए० पी०) विश्व प्रसिद्ध धावक बेन जॉनसन ने कल यहां फ्रांसीसी टेलीविज़न से प्रसारित एक कार्यक्रम में 1988 के सियोल ओलम्पिक में नशीले पदार्थों के सेवन को स्वीकार किया। इसी कार्यक्रम के अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मैडिकल कमीशन के प्रमुख श्री मेरोड ने कहा कि जॉनसन की धोखाधड़ी से उन्हें गहरा दुःख हुआ था। वे नशीले पदार्थों के सेवन के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

जॉनसन की डॉक्टरी जांच के दौरान श्री मेरोड भी वहीं मौजूद थे। इस घटना के पश्चात् पहली बार दोनों इस कार्यक्रम में आमने-सामने हुए थे। इस कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ एथलीट, प्रशिक्षक और खेल संगठनों के अधिकारी भी मौजूद थे। बेन जॉनसन ने कहा कि उसकी इच्छा है कि वह 1991 के टोक्यो में होने वाली इन्डोर चैम्पियनशिप तथा 1992 के ओलम्पिक में भाग ले। उसके लिए वह अभी से कड़ी मेहनत कर रहा है और उसे पूरी आशा है कि इन दोनों प्रतियोगिताओं में सबको पीछे छोड़ देगा।

उदाहरण-4
मूल समाचार
चण्डीगढ़ 20 जनवरी (संघी); मध्यम आय वर्ग के ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया ने दो नई योजनाएं ‘स्कूम’ तथा ‘ट्रैवल कैश’ शुरू की हैं। इस पहली योजना के तहत नए दोपहिया वाहन जैसे स्कूटर, मोटर साइकिल तथा मोपेड खरीदने के लिए ऋण देने की व्यवस्था है। बैंक के चीफ जनरल मैनेजर श्री जी० एच० देवलालकर ने यहां पत्रकारों को बताया है कि जो कर्मचारी न्यूनतम 1000 रु० मासिक शुद्ध वेतन लेते हैं, वे इस वेतन का 12 गुणा या खरीदे जाने वाले वाहन की कीमत का 90% जो भी कम होगा, ऋण रूप में ले सकते हैं। इस ऋण पर 16.5% वार्षिक दर से ब्याज लगेगा और इस ऋण की वसूली 36 बराबर मासिक किस्तों में की जाएगी।

उन्होंने बताया कि ‘ट्रैवल कैश’ के तहत विभिन्न संस्थानों (सरकारी, सार्वजनिक और निजी) के कर्मचारी देश भर में किसी भी स्थान की यात्रा के लिए ऋण ले सकते हैं बशर्ते कि पिछले छः मास के दौरान बैंक के चालू खाते में उनकी पर्याप्त बचत हो। यह ऋण मासिक आय की चार गुना राशि या परिवार के बस/रेल/हवाई टिकट का खर्च या 30000 रु० जो भी कम हो, लिया जा सकता है। 17.5% वार्षिक ब्याज दर वाले इस ऋण की वसूली 12 मासिक बराबर किस्तों में की जाएगी।

संक्षेपीकरण

स्टेट बैंक की मध्यम वर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएँ
चण्डीगढ़ 20 जनवरी-भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महा प्रबन्धक श्री जी० एच देवलालकर ने यहां पत्रकारों को बताया कि उनके बैंक ने मध्यम आय वर्ग के ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए दो नई योजनाएं स्कूम’ तथा ‘ट्रैवल कैश’ शुरू की है। पहली योजना के अन्तर्गत दोपहिया नये वाहन खरीदने के लिए ऋण दिया जाएगा। यह ऋण, 1000 रु० मासिक शुद्ध वेतन पाने वालों को उनके वेतन के बारह गुणा अथवा वाहन का 90% जो भी कम होगा, के बराबर होगा। इस ऋण की ब्याज-दर 16.5% होगी और इसकी वसूली 36 बराबर मासिक किस्तों में की जाएगी।

उन्होंने दूसरी योजना का ब्यौरा देते हुए बताया कि कोई भी कर्मचारी, चाहे वह किसी भी संस्थान, सरकारी या गैरसरकारी में कार्यरत हो, देशभर में किसी भी स्थान की यात्रा के लिए ऋण ले सकता है किन्तु उतनी राशि उसके बचत स्रोत में पिछले छः मास से होनी ज़रूरी है। यह ऋण, मासिक आय का चार गुना अथवा वास्तविक यात्रा टिकट का खर्चा अथवा वह राशि जो 30000 रु० से कम हो, लिया जा सकता है। इस ऋण की ब्याज दर 17.5% होगी और वसूली 12 बराबर मासिक किस्तों में की जाएगी।

उदाहरण-5
मूल समाचार
वेलिंगटन, 24 मार्च (ए०पी०) इस महीने के शुरू में क्रिकेट जीवन से संन्यास लेने की घोषणा करने वाले न्यूज़ीलैण्ड के हरफनमौला रिचर्ड हैडली ने आज कहा कि इंग्लैण्ड जाने वाली अपने देश की भ्रमणकारी क्रिकेट टीम में वह भी शामिल होंगे। न्यूज़ीलैण्ड की टीम के चयनकर्ताओं ने 16 खिलाड़ियों की जिस टीम की घोषणा की है, उसमें हैडली तथा कप्तान जान राइट भी शामिल हैं। इससे पूर्व उन्होंने इंग्लैण्ड के दौरे पर जाने अथवा न जाने के बारे में कुछ नहीं बताया था। इससे पहले टेस्ट क्रिकेट मैचों में रिकार्ड विकेट लेने वाले हैडली ने इस महीने के शुरू में वेलिंगटन में ऑस्ट्रेलियाई टीम के विरुद्ध नौ विकेट की जीत के बाद कहा था कि यह उसके जीवन का अन्तिम टेस्ट मैच होगा, लेकिन बाद में उसने अपना विचार बदल कर कहा कि वह भ्रमणकारी टीम में शामिल होगा।

संक्षेपीकरण

हैडली द्वारा संन्यास का इरादा फिलहाल स्थगित!

वेलिंगटन, 25 मार्च (ए०पी०)-टैस्ट मैचों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले न्यूज़ीलैण्ड के गेंदबाज़ रिचर्ड हैडली ने इस महीने के शुरू में वेलिंगटन में ऑस्ट्रेलियाई टीम के विरुद्ध नौ विकेट लेने के पश्चात् क्रिकेट जगत् से संन्यास लेने की जो बात कही थी, लगता है उन्होंने अपना यह निर्णय अभी स्थगित कर दिया है। इंग्लैण्ड के दौरे पर जाने वाली न्यूज़ीलैण्ड की टीम में उनका नाम भी शामिल है।

गद्यांशों का सार

उदाहरण-1
अनुशासनहीनता एक प्रचंडतम संक्रामक बीमारी है। आग की तरह यह फैलती है और आग की ही तरह जो कुछ इसके अधीन आता जाता है, उसे ध्वस्त करती जाती है। अत: हर स्तर पर जो भी संचालक अथवा प्रभारी है, उसका यह प्रमुख कर्तव्य हो जाता है कि अनुशासनहीनता के पहले लक्षणों को देखते ही उसका प्रभावी उपचार कर दें अन्यथा यह बीमारी सम्पूर्ण राष्ट्र का ही पतन कर सकती है। वस्तुतः अनुशासन शिथिल होने का अर्थ है, मूल्यों और मान्यताओं का अवमूल्यन होना और जब ऐसा होता है तो कोई भी राष्ट्र अथवा सभ्यता कितनी ही दिव्य क्यों न हो, नष्ट हो जाएगी। अनुशासित हुए बिना कोई समाज, कोई विभाग या कोई राष्ट्र शक्तिशाली नहीं बन सकता। इतना ही नहीं अनुशासन के बिना किसी देश से दरिद्रता, अन्याय आपसी फूट और वैमनस्थ कभी दूर नहीं हो सकते।

संक्षेपीकरण शीर्षक : अनुशासनहीनता

अनुशासनहीनता का अर्थ है-मूल्यों और मान्यताओं का अवमूल्यन होना और ऐसी स्थिति में कोई भी शक्तिशाली राष्ट्र भी नष्ट हो सकता है। अनुशासनहीनता के कारण कोई समाज, विभाग या राष्ट्र शक्तिशाली नहीं बन सकता न ही इससे अन्याय और पारस्परिक भेदभाव मिट सकते हैं।

उदाहरण-2
गुरु गोबिन्द सिंह जी का व्यक्तित्व भारतीय संस्कृति के जीवन-दर्शन के ताने बाने से बुना गया था। यही व्यक्तित्व उनकी रचनाओं में अभिव्यक्त हुआ है। उनका ‘दशमग्रंथ’ अन्याय के प्रतिकार के लिए सत्य के लिए, आत्म बलिदान हेतु और अन्तरम को परिकृत और सरस बनाने के लिए नियोजित काव्य और देश और काल की सीमाओं के माध्यम से सीमातीत को हृदयंगम कराने का आध्यात्मिक प्रतीक है। वह महान भारतीय संस्कृति का कवच है और शुष्क वैयक्तिक साधना के स्थान पर सरस धार्मिक जीवन का संदेशवाहक है। वह कायरता, भीरूता और निष्कर्म पर कस के कुशाघात है। वह छुपी हुई जाति का प्राणप्रद संजीवन-रस है और मोहनग्रस्त समाज का मूर्छा-मोचन रसायन है।

संक्षेपीकरण शीर्षक : दशमग्रंथ

गरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित ‘दशमग्रंथ’ गुरु जी के व्यक्तित्व यथा अन्याय के विरुद्ध लड़ना, सत्य के लिए आत्मबलिदान तक को तत्पर रहने जैसे गुणों का द्योतक है। यह भारतीय संस्कृति का कवच है जो वैयक्तिक साधन के स्थान पर धार्मिक जीवन का सन्देश देता है।

उदाहरण-3
‘मध्यकालीन ब्रज संस्कृति के दो पक्ष हो सकते हैं। पहला, नगर-सभ्यता, दूसरा कृषक-समाज। पहले का प्रतिनिधित्व मथुरा करती है और गोपियां उसे अपनी पीड़ा का कारण मानते हुए कोसती हैं। उनके लिए तो मथुरा काजल की कोठरी है इसीलिए वे मथुरा की नागरिकाओं को कोसती हैं, कुब्जा पर व्यंग्य करती हैं। सूरदास की रचनाओं में जो ब्रज मंडल उपस्थित है, वह ग्राम-जन, कृषक-समाज और चरवाहों की ज़िन्दगी का समाज है-सीधा-सादा, सरल, निश्छल। सूरदास की सृजनशीलता यह है कि ब्रजमंडल का लगभग समूचा सांस्कृतिक जगत् अपने संस्कारों, त्योहारों, जीवन-चर्चा की कुछ झांकियों और शब्दावली के साथ यहां प्रवेश कर जाता है।

संक्षेपीकरण शीर्षक : मध्यकालीन ब्रज संस्कृति

सर के काव्य में ब्रजमण्डल की कृषक संस्कृति अपनी सम्पूर्ण उत्सवशीलता के साथ झूम रही है। वहां मथुरा के रूप में नागर संस्कृति भी है तो सही, परन्तु गोपियों के माध्यम से उसे निन्दा और उपहास का पात्र ही बनाया गया है। वस्तुतः सूरदास ग्राम्य-संस्कृति के चितेरे कवि हैं।

उदाहरण-4

किसी नेता द्वारा रामपुर में 14 अक्तूबर को दिए गए भाषण का अंश-
हमने अपने पाँच वर्ष के कार्यकाल में इस इलाके के विकास के लिए जो कुछ किया है, उसे यदि अपने मुँह से कहूँ तो कोई कह सकता है, अपने मुँह मियाँ मिठू। लेकिन भाइयो, यदि मैं वह सब आपको नहीं बताऊँगा तो आप ही कहिए, किस हक से मैं आपसे फिर से वोट मांगूंगा। मैंने पाँच सालों से इस इलाके के लिए अपना खून-पसीना बहाया है। कोई भी अपनी समस्या लेकर आया, मैंने उसका समाधान करने की भरसक कोशिश की। आज जब मेरी जीप इस रैली-स्थल की ओर आ रही थी तो सड़क की बढ़िया हालत देख मुझे विश्वास हो गया जो पैसा मैंने इस इलाके के विकास के लिए आबंटित किया था, उसका सही उपयोग हुआ है। भाइयो, मैं गलत तो नहीं कह रहा न ? आपने भी तो आज उस सड़क को देखा ही होगा !

याद करो पाँच साल पहले उस सड़क की हालत कैसी थी ? जगह-जगह गड्ढे, उनमें भरा हुआ पानी और वो गड्ढे तो होने ही थे। किया क्या था हमारे प्रतिपक्षियों ने ? भाइयो, अब मैं उनके बारे में क्या बोलूँ ? और अपने बारे में ही क्या बोलूँ ? हमारा तो काम बोलता है। हमारा तो धर्म ही आपकी सेवा करना है। यदि मेरी जान भी चली जाए तो भी परवाह नहीं। भाइयो, देश-सेवा का, आप सबकी सेवा का व्रत मैंने तो तब ही ले लिया था जब मैं राजनीति में आया था।………….’ (संवाददाता द्वारा उपर्युक्त भाषण के आधार पर बनाया गया संक्षिप्त समाचार)

संक्षेपीकरण शीर्षक : ‘देश के लिए कुर्बान मेरी जान’……. (नाम)

रामपुर, 14 अक्तूबर
एक स्थानीय चुनाव-सभा को सम्बोधित करते हुए………… पार्टी के नेता श्री …………. ने अपनी पार्टी के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सड़क-निर्माण के क्षेत्र में उनकी पार्टी द्वारा किए गए कार्य का बार-बार उल्लेख किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने विरोधी दलों पर कई बार चुटीला व्यंग्य भी कसा।

उदाहरण-5
सोमा बुआ बोली, “अरे मैं कहीं चली जाऊं तो इन्हें नहीं सुहाता। कल चौक वाले किशोली लाल के बेटे का मुंडन था, सारी बिरादरी का न्यौता था। मैं तो जानती थी कि ये पैसे का गरूर है कि मुण्डन पर भी सारी बिरादरी का न्यौता है, पर काम उन नई नवेली बहुओं से सम्भलेगा नहीं, सो जल्दी ही चली गई। हुआ भी वही,” और सरककर बुआ ने राधा के हाथ से पापड़ लेकर सुखाने शुरू कर दिए। “एक काम गत से नहीं हो रहा था। भट्टी पर देखो तो अजब तमाशासमोसे कच्चे ही उतार दिए और इतने बना दिए कि दो बार खिला दो, और गुलाब जामुन इतने कम किए कि एक पंगत में भी पूरे न पड़ें। उसी समय मैदा बनाकर नए गुलाब जामुन बनाए। दोनों बहुएं और किशोरी लाल तो बेचारे इतना जस मान रहे थे कि क्या बताऊँ।”

सार:
सोमा बुआ को काम का बहुत अनुभव है। उनके बिना कहीं भी कोई काम अच्छी प्रकार से नहीं होता है। इसीलिए वे सभी जगह काम को अपने काम तरह करती है। इसलिए सभी जगह उनका मान होता है।

शीर्षक:
सोमा बुआ।

उदाहरण-6
सुख की तरह सफलता भी ऐसी चीज़ है जिसकी चाह प्रत्येक मनुष्य के दिल में बसी मिलती है। इन्सान की तो बात ही क्या है, हर जीव अपने अस्तित्व के उद्देश्य को निरन्तर पूरा करने में लगा ही रहता है और अपने जीवन को सफल बना जाता है। यही हाल पदार्थों तक का है, उनकी भी कीमत तभी है जब तक वे अपने उद्देश्य को पूरा करते हैं। एक छोटी-सी माचिस भी जब कभी बहुत सील जाती है और जलने में असफल हो जाती है, तो उसे कूड़े की टोकरी में फेंक दिया जाता है। टॉर्च से सेल बल्ब जलाने में असमर्थ हो जाते हैं तो बिना किसी मोह के उन्हें निकाल कर फेंक दिया जाता है। जाहिर है, किसी वस्तु की कीमत तभी तक है, जब तक वह सफल है। इसी तरह हर इन्सान की कीमत भी तभी तक है, जब तक वह सफल है। शायद इसीलिए इन्सान सफलता का उतना ही प्यासा रहता है, जितना सुख का, या जितना जिन्दा रहने का। सफलता ही किसी के जीवन को मूल्यवान बनाती है। मगर सफलता है क्या ?

सार:
सफलता मनुष्य जीवन को मूल्यवान् बना देती है। सफल मनुष्य जीवन में सुख का अनुभव करता है इसीलिए वह सफलता के लिए प्रयत्नशील रहता है। परन्तु सफलता क्या है इसका आज तक पता नहीं चला है। सफल मनुष्य भी सफलता के पीछे दौड़ रहा है।

शीर्षक:
सफलता की चाह।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल संक्षेपिका लेखन / संक्षेपीकरण

उदाहरण-7

सम्पूर्ण सृष्टि में, सूक्ष्मतम जीवाणु से लेकर समस्त जीव-जन्तु ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण वनस्पति तथा सृष्टि के समस्त तत्व, बिना किसी आलस्य के, प्रकृति द्वारा निर्धारित, अपने-अपने उद्देश्यों की पूर्ति में निरन्तर लगे हुए देखे जाते हैं। कहीं भी, किसी भी स्तर पर इस नियम का अपवाद देखने को नहीं मिलता। यदि लघुतम एन्जाइम भी अपने कर्त्तव्य में किंचित् भी शिथिलता ले आए, तो मानव खाए हुए भोजन को पचा भी न सकेगा। कैसी विडम्बना है कि अपने को प्रकृति की सर्वोत्कृष्ट रचना कहने वाला मनुष्य ही इस सम्पूर्ण विधान में अपवाद बनते देखा जाता है। कितने ही मनुष्य नितान्त निरुद्देश्य जीवन-जीते रहते हैं। जो प्रकृति उनका पोषण करती है, जिन असंख्य मानव-रत्नों के श्रम से प्राप्त सुख-सामग्री की असंख्य वस्तुओं का वे नित्य उपभोग करते हैं, जिस समाज में रहते हैं, जिन माता-पिता से उन्होंने जन्म पाया, उन सभी के प्रति मानो उनका कोई दायित्व ही न हो।

सार:
ईश्वर की बनाई सृष्टि में सभी जीव-जन्तु, वनस्पति तथा अन्य तत्त्व अपने कर्त्तव्य और उद्देश्य की पूर्ति निरन्तर करते हैं परन्तु ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना अर्थात् मनुष्य अपने दायित्व के प्रति उदासीन है। वह सबसे लेना जानता है परन्तु अपने कर्तव्यों को पूरा करना नहीं जानता।

शीर्षक:
मनुष्य : अपने कर्त्तव्य के प्रति उदासीन।

उदाहरण-8
‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर उसे अन्य लोगों से मेल या सम्पर्क करना होता है। घर से बाहर निकलते ही उसे किसी मित्र या साथी की आवश्यकता पड़ती है। मित्र ही व्यक्ति के सुख-दुख में सहायक होता है पर किसी को मित्र बनाने से पहले मित्रता की परख कर लेनी चाहिए। जिस प्रकार व्यक्ति घोड़े को खरीदते समय उसकी अच्छी प्रकार जाँच-पड़ताल करता है, उसी प्रकार मित्र को भी जांच-परख लेना चाहिए। सच्चा मित्र वही होता है, जो किसी भी प्रकार की विपत्ति में हमारे काम आता है या हमारी सहायता करता है। सच्चा मित्र हमें बुराई के रास्ते पर जाने से रोकता है तथा सन्मार्ग की ओर ले जाता है। वह हमारी अमीरी-गरीबी को नहीं देखता, जात-पात को महत्ता नहीं देता। वह निःस्वार्थ भाव से मित्र की सहायता करता है। सच्चे मित्र को औषधि, वैद्य और खजाना कहा गया है क्योंकि वह औषधि की तरह हमारे विचारों खो शुद्ध बनाता है, वैद्य की तरह हमारा इलाज करता है, खज़ाने की तरह मुसीबत में हमारी सहायता करता है। आज के जीवन में सच्चा मित्र प्राप्त करना बहुत कठिन है। स्वार्थी मित्रों की आज भरमार है। ऐसे स्वार्थी मित्रों से मनुष्य को सावधान रहना चाहिए। सच्चा मित्र जीवनभर मित्रता के पवित्र सम्बन्ध को निभाता है-कृष्ण और सुदामा की तरह।’

सार:
सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य को मित्र की आवश्यकता पड़ती ही है। यदि भली-भांति जांच-परख कर मित्र बनाया जाए तो ऐसा मित्र सुख-दुख में हमारा सहायक तो होता है, वह हमारा मार्गदर्शक तथा हितैषी भी होता है। आज के स्वार्थ-लोलुप युग में सच्चा मित्र मिलना दुर्लभ है। जिसे वह मिल जाएगा, उसे उस मित्री की मैत्री जीवनभर सम्भालने और निभाने का प्रयास करना चाहिए।

शीषर्क:
सच्ची मित्रता।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पारिभाषिक शब्दावली (A से I तक)

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi संप्रेषण कौशल पारिभाषिक शब्दावली (A से I तक) Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पारिभाषिक शब्दावली (A से I तक)

(ख) पारिभाषिक शब्दावली

बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम अनुसार [A से I तक] पारिभाषिक शब्द
अंग्रेज़ी शब्द हिन्दी रूप

A:
Accept = स्वीकार करना
Acceptance = स्वीकृति
Accord = समझौता
Account = लेखा, खाता
Accountant = लेखाकार
Acknowledgement = पावती, रसीद
Act = अधिनियम
Additional Judge = अपर न्यायाधीश
Adhoc Committee = तदर्थ समिति
Adjustment = समायोजन
Administrator = प्रशासक
Advance Copy = अग्रिम प्रति
Advocate = अधिवक्ता, वकील
Advocate General = महाधिवक्ता
Affidavit = शपथ-पत्र
Aid = सहायता
Aided = सहायता प्राप्त
Answersheet = उत्तर पुस्तिका
Amendment = संशोधन
Attested Copy = साक्ष्यांकित प्रति
Air-Conditioned = वातानुकूलित
Applicant = प्रार्थी, आवेदक
Agenda = कार्य सूची
Appendix = परिशिष्ट
Auditor = लेखा परीक्षक
Airport = हवाई अड्डा

B:
Back ground = पृष्ठभूमि
Bail = जमानत
Block Education-officer = खण्ड शिक्षा अधिकारी
Broadcast = प्रसारण
Bias = झुकाव
Bill of Exchange = विनिमय पत्र
Body Guard = अंगरक्षक
Ballot Paper = मतदान पर्ची
Ballot Box = मतपेटी
Bonafide = वास्तविक
Bond = बंध, बंध-पत्र
Booklet = पुस्तिका
Boycott = बहिष्कार
Bribe = रिश्वत
Bibliography = सन्दर्भ ग्रंथसूची
By force = बलपूर्वक
By law = उपविधि
By hand = दस्ती
By post = डाक द्वारा

C:
Cabinet = मन्त्रिमण्डल
Candidate = उम्मीदवार, अभ्यार्थी
Career = जीविका
Cash book = रोकड़ बही
Cashier = खजानची
Caution = सावधान
Census = जनगणना
Character Certificate = चरित्र सम्बन्धी प्रमाण-पत्र
Chairman = सभापति
Casual leave = आकस्मिक अवकाश
Chief Minister = मुख्यमन्त्री
Chief Secretary = मुख्य सचिव
Chief Election Commissioner = मुख्य निर्वाचन आयुक्त
Chief Justice = मुख्य न्यायाधीश
Civil Court = व्यवहार न्यायालय
Constituency = चुनाव क्षेत्र
Contingency Fund = आकस्मिक-निधि
Circular = परिपत्र
Compensation = क्षतिपूर्ति
Competent = सक्षम
Competition = प्रतियोगिता
Conference = सम्मेलन
Confidential = गोपनीय
Contract = ठेका, संविदा
Convenor = संयोजक
Copy = प्रति, नकल
Corrigendum = शुद्धि पत्र
Courtesy = सौजन्य
Creche = बालवाड़ी
Custody = हिरासत
Custom duty = सीमा शुल्क
Correspondence = पत्राचार
Computer = गणक
Chief Medical Officer = मुख्य चिकित्सा अधिकारी
College = महाविद्यालय
Clerk = लिपिक

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पारिभाषिक शब्दावली (A से I तक)

D:
Date of Birth = जन्म तिथि
Debar = रोकना
Declaration = घोषणा
Default = चूक, गलती
Defaulter = चूक करने वाला
Delay = विलम्ब, देरी
Delegation = प्रतिनिधि मंडल
Demonstration = प्रदर्शन
Demotion = पदावनति
Disobedience = अवज्ञा
Dissolve = भंग करना
Domicile = अधिवास
Despatch Clerk = प्रेषण लिपिक
Driver = परिचालक
Director = निदेशक
District Education Officer = जिला शिक्षा अधिकारी
Ditto = यथोपरि

E:
Earned leave = अर्जित अवकाश
Employee = कर्मचारी
Employer = नियोक्ता
Embassy = दूतावास
Emergency = आपात्काल
Endorcement = पृष्ठांकन
Enquiry = पूछताछ
Enrolment = भर्ती, नामांकन
Editor = सम्पादक
Edition = संस्करण
Estimate = अनुमान
Estate officer = सम्पदा अधिकारी
Examiner = परीक्षक
Excise Inspector = आबकारी निरीक्षक
Excise & Taxation officer = आबकारी तथा कर अधिकारी
Expel = निष्कासित करना
Exemption = छूट, माफी
Extension = विस्तार
Eye-witness = चश्मदीद गवाह, प्रत्यक्ष साक्षी

F:
Fact = तथ्य
Faculty = संकाय
Farewell = विदाई
First-Aid = प्रथमोपचार, प्राथमिक सहायता
File = मिसल
Financial Year = वित्त वर्ष
Fire Brigade = दमकल विभाग
Fitness Certificate = स्वस्थता प्रमाण-पत्र
Forenoon = पूर्वाह्न, दोपहर से पहले
Forwarding Letter = अग्रेषण पत्र
Frame Work = ढाँचा

G:
Gazetted Holiday = राजपत्रित छुट्टी
General Provident Fund = सामान्य भविष्य निधि
Gist = सार
Gratuity = उपदान
Guarantee = प्रतिभूति
Grant = अनुदान
Grievence = शिकायत
Gross = कुल, सकल
Gross Income = कुल आय

H:
Hearing = सुनवाई
High Court = उच्च न्यायालय
Honorarium = मानदेय
Homage = श्रद्धांजलि
House of People = लोकसभा
House Rent = मकान किराया
House Rent Allowance = मकान किराया भत्ता

I:
Immigrant = अप्रवासी
Implement = कार्यान्वित करना
Imprisonment = कारावास
Inland letter = अन्तर्देशीय पत्र
Income Tax Officer = आयकर अधिकारी
Information Officer = सूचना अधिकारी
Inspection = निरीक्षण
Instruction = अनुदेश
Interference = हस्तक्षेप
Interim Relief = अन्तरिम राहत/सहायता
Interpreter = दुभाषिया

पाठ्यक्रम में निर्धारित पुस्तक ‘हिन्दी भाषा बोध और व्याकरण’ के अनुसार

(i) साहित्यिक शब्द

1. Act (अंक)-प्रसाद जी के नाटक ध्रुवस्वामिनी में तीन अंक हैं।
2. Adaptation (रूपान्तर)-विष्णु प्रभाकर जी ने गोदान उपन्यास का ‘होरी’ शीर्षक से सफल नाटकीय रूपान्तर किया है।
3. Advertisement (विज्ञापन)-टी०वी० सीरियलों में विज्ञापनों की भरमार होती है।
4. Autobiography (आत्मकथा)-महात्मा गाँधी की आत्मकथा एक पठनीय पुस्तक है।
5. Character (पात्र, चरित्र)-प्रसाद जी के नाटक चन्द्रगुप्त में पात्रों की भरमार है।
6. Characterisation (चरित्र-चित्रण)-‘झांसी की रानी’ उपन्यास के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
7. Chorus (कोरस, समवेतगान, वृन्दगान)-समवेतगान प्रतियोगिता में हमारे स्कूल की टीम प्रथम आई।
8. Climax (चरम सीमा)-अश्क जी के एकांकी देवताओं की छाया में’ का चरम सीमा अत्यन्त रोचक बन पड़ा
9. Commentator (टीकाकार)-सूरदास जी ने सूरसागर की रचना श्रीमद्भगवत के टीकाकार के रूप में नहीं की है।
10. Dialogue (संवाद)-नाटक के संवाद संक्षिप्त और सरल होने चाहिएं।
11. Diary (दैनिकी, डायरी)—हिन्दी गद्य विधा में दैनिकी विधा एक नयी विधा है।
12. Edition (संस्करण)-प्रेम चन्द जी के उपन्यास ‘गोदान’ के अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।
13. Editorial (सम्पादकीय)-महाशय कृष्ण अपने समाचार-पत्र ‘प्रताप’ की सम्पादकीय के लिए विख्यात थे।
14. Epiloque (उपसंहार)-इस निबन्ध का उपसंहार अत्यन्त प्रभावी बन पड़ा है।
15. Idiomatic (मुहावरेदार)-प्रेम चन्द जी की कहानियों की भाषा मुहावरेदार है।

(ii) मानविकी शब्द

1. Adolescence (किशोरावस्था)-लड़कों और लडकियों के लिए किशोरावस्था बडी खतरनाक होती है।
2. Adolescent Education (किशोर शिक्षा)-स्कूलों में किशोर शिक्षा को अनिवार्य बना देना चाहिए।
3. Adult Education (प्रौढ़ शिक्षा)-हमारी सरकार प्रौढ़ शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
4. Aptitude Test (रूझान परीक्षाएँ)-आजकल प्रवेश परीक्षा में रूझान परीक्षा सम्बन्धी प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
5. Biographical (जीवन वृत्त)-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का जीवन वृत्त एक अत्यन्त उच्चकोटि की रचना है।
6. Co-education (सह-शिक्षा)-स्कूलों एवं कॉलेजों में सह-शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।
7. Consumer (उपभोक्ता)-सरकार ने आम जनता की सुविधा के लिए उपभोक्ता न्यायालयों का गठन किया
8. Debt (ऋण)-भवन-निर्माण के लिए सरकार ने ऋण की दरों में काफ़ी कटौती कर दी है।
9. Depriciation (मूल्य-हास)-पुराने मकान का मूल्यांकन करते समय मूल्यह्रास को ध्यान में रखा जाता है।
10. Economics (अर्थशास्त्र)-अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है, जिसमें हर वर्ष परिवर्तन हो जाता है।
11. Educational Phychology (शिक्षा मनोविज्ञान)-बी०एड० की परीक्षा में शिक्षा मनोविज्ञान भी एक विषय होता है।
12. Emotions (संवेग)-किसी भी दुर्घटना को देखकर हमारे संवेग उभर आते हैं।
13. Fine Art (ललित कला)-चित्रकला और मूर्तिकला ललित कला मानी जाती है।
14. Physical Education (शारीरिक शिक्षा)-स्कूलों में शारीरिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता
15. Subsidies (वित्तीय सहायता)-भारत सरकार किसानों को खाद पर काफ़ी वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पारिभाषिक शब्दावली (A से I तक)

(ii) साहित्यिक शब्द

1. अलंकार (सं०) अलंकारिक (विशेषण)
सूरदास जी ने श्री कृष्ण की बाल लीला का अलंकारिक वर्णन किया है।

2. अभिव्यक्त (वि०) अभिव्यक्ति (सं०)
प्रत्येक कवि अपनी अनुभूति को ही अभिव्यक्ति प्रदान करता है।

3. आलोचना (भाव सं०) आलोचनात्मक (वि०)
डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अनेक आलोचनात्मक ग्रन्थ लिखे हैं।
आलोचक (जाति० सं०)
निष्पक्षता आलोचक का गुण होना चाहिए।

4. अभिनय (व्य० सं०) अभिनेता (जाति० सं०)
कुन्दन लाल सहगल एक उच्चकोटि के गायक के साथ-साथ एक कुशल अभिनेता भी थे।
अभिनेयता (भाव० सं०)
रंगमंच एवं अभिनेयता की दृष्टि से चन्द्रगुप्त नाटक की समीक्षा कीजिए। अभिनेय (वि०)
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ के सभी एकांकी अभिनेय हैं।

5. कल्पना (सं०) काल्पनिक (वि०)
ऐतिहासिक उपन्यासों में अनेक काल्पनिक कथाओं का भी समावेश होता है।

6. प्रकृति (सं०) प्राकृतिक (वि०)
सुमित्रानन्दन पन्त जी की कविता में प्राकृतिक सौन्दर्य की अद्भुत छटा देखने को मिलती है।

7. प्रतीक (व्य० सं०) प्रतीकात्मक (वि०)
नई कविता में अधिकतर प्रतीकात्मक शब्दों का प्रयोग हुआ है। प्रतीकात्मकता (भाव० सं०)
मोहन राकेश के नाटक ‘लहरों के राजहंस’ में प्रतीकात्मकता स्पष्ट देखी जा सकती है।

8. प्रसंग (सं०) प्रासंगिक (वि०) ।
संतों की वाणी आज के युग में भी प्रासंगिक है।

9. प्रयोगवाद (सं०) प्रयोगवादी (वि०)
अज्ञेय जी एक प्रयोगवादी कवि हैं।

10. प्रगतिवाद (सं०) प्रगतिवादी (वि०)
निराला जी की ‘वह तोड़ती पत्थर’ एक प्रगतिवादी कविता है।

11. नाटक (व्य० सं०) नाटकीय (वि०)
विष्णु प्रभाकर जी ने गोदान की नाटकीय प्रस्तुति होरी शीर्षक नाटक से की है।
नाटककार (जाति० सं०)
मोहन राकेश आधुनिक युग के प्रसिद्ध नाटककार हैं।
नाटकीयता (भाव० सं०)
संवादों में नाटकीयता किसी भी नाटक को सफल बनाने में सहायक नहीं होती।

12. यथार्थवाद (सं०) यथार्थवादी (वि०)
नई कविता अधिकतर यथार्थवादी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है।

13. रहस्यवाद (सं०) रहस्यवादी (वि०)
कबीर जी की वाणी में रहस्यवादी पुट भी देखने को मिलता है।

14. रंगमंच (सं०) रंगमंचीय (वि०)
अश्क जी ने रंगमंचीय एकांकियों का सृजन किया।

15. व्यंग्य (सं०) व्यंग्यात्मक (वि०)
हरिशंकर परसाई जी अपने व्यंग्यात्मक लेखों के लिए जाने जाते हैं।

(iv) मानविकी शब्द

1. अभिप्रेरणा (सं०) अभिप्रेरित (वि०).
दिनकर जी की अनेक कविताएँ हमें देशभक्ति के लिए अभिप्रेरित करती हैं।

2. अनुसन्धान (सं०) अनुसन्धानात्मक (वि०)
आयुर्वेद में भी अनुसन्धानात्मक कार्य करने की आवश्यकता है।

3. इतिहास (सं०) ऐतिहासिक (वि०)
‘झांसी की रानी’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है।

4. उद्यम (सं०) उद्यमी (वि०)
उद्यमी व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता।

5. कानून (सं०) कानूनी (क्रि० वि०)
भ्रूण हत्या कानूनी अपराध मानी जाती है।

6. प्रशिक्षण (सं०) प्रशिक्षित (वि०)
भारत में तेज़ गेंदबाजों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

7. बीमा (सं०) बीमाकृत (वि०)
बीमा क्षेत्र में निजी कम्पनियों के आ जाने से देश में बीमाकृत व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि हुई है।

8. भाषा (सं०) भाषायी (वि०)
देश में होने वाले भाषायी झगड़े देश की अखण्डता और एकता के लिए हानिकारक हैं।

9. मानकीकरण (सं०) मानकीकृत (वि०) ।
भारत में अनेक वस्तुओं को मानकीकृत किया गया है।

10. मनोविज्ञान (सं०) मनोवैज्ञानिक (वि०)
जैनेन्द्र जी मनोवैज्ञानिक कहानियाँ लिखने वालों में प्रमुख हैं।

11. योजना (सं०) योजनात्मक (वि०)
देश का विकास योजनात्मक ढंग से ही होना चाहिए।

12. लोकतन्त्र (सं०) लोकतान्त्रिक (वि०)
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है।

13. व्यवसाय (सं०) व्यावसायिक (वि०)
सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार कर लिया है।

14. शिक्षा (सं०) शैक्षिक (वि०)
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों की शैक्षिक योग्यता को बढ़ाने का प्रयत्न किया जा रहा है।

15. संसद् (सं०) संसदीय (वि०)
पंजाब सरकार ने राज्य के संसदीय क्षेत्रों को सुधारने का निर्णय लिया है।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

(क) पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

1. विधा वठवे प्टिम हुँ तथउ मशिना नाहे ।
कृपया इसे गोपनीय समझिए।

2. उवमा लप्टी येत चै ।
आदेश के लिए प्रस्तुत है।

3. ‘उठ मिलर टी मरठा उन ठिी ताप्टी चै।
पत्र मिलने की सूचना भेज दी गई है।

4. ਵਿਚਾਰਾਧੀਨ ਪੱਤਰ ਮਿਲਣ ਦੀ ਸੂਚਨਾ ਨਹੀਂ ਭੇਜੀ ਗਈ ਹੈ ।
विचाराधीन पत्र की प्राप्ति की सूचना नहीं भेजी गई है।

5. उठ रा भमरा भठत्नुठी लप्टी येन चै ।
उत्तर का मसौदा अनुमोदन के लिए प्रस्तुत है।

6. सतुती वाढहाप्टी वत रिंडी ताप्टी चै ।
ज़रूरी कार्यवाही कर दी गई है।

7. लेडीरे वातास पॅउठ ठेठां उँधे उठ ।
अपेक्षित कागज़-पत्र नीचे रखे हैं।

8. साली मृतठा टी हिडीव वठे ।
अगली सूचना की प्रतीक्षा करें।

9. ਮਸੌਦਾ ਸੋਧੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
मसौदा संशोधित रूप में अनुमोदित किया जाता है।

10. विठया वठवे पवे उपाधत वीडे ताठ |
कृपया पूरे हस्ताक्षर किए जाएँ।

11. मत्ती ठामठत व ठिी नाहे ।
आवेदन अस्वीकार कर दिया जाए।

12. सती पट व लिभा साहे ।
ज़रूरी संशोधन कर लिया जाए।

13. यमाह मापले-भाध रिस मसट चै ।
प्रस्ताव अपने-आप में स्पष्ट है।

14. Yध भिमप्ल रे हायम माहट सी हडीव वीठी साहे ।
मुख्य मिसल के वापस आने की प्रतीक्षा की जाए।

15. रेव वे पंठहार मउिउ हाधित वीउ सांरा चै ।
देखकर सधन्यवाद वापस किया जाता है।

16. माठ वेष्टी टिपटी ठगीं वठठी ।
हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

17. हेठी MAHIGव उतिभा साहे ।
तुरन्त अनुस्मारक भेजिए।

18. भाप्ली वैठव हित हिसाठ वठ लिभा साठा |
आगामी बैठक में विचार कर लिया जाएगा।

19. पित रे मुशाहां रे भायात उ भर्मेरा उिभात वीउ साहे ।
ऊपर के सुझावों के आधार पर उत्तर का मसौदा तैयार कीजिए।

20. माते मयिउ प्लेव टिम लु विभाठ ठाल ठेट व लैट ।
सभी सम्बन्धित लोग इसे ध्यान से नोट कर लें।

21. वितधा वठवे पिहला मढ़ा रेवे ।
कृपया पिछला पृष्ठ देखें।

22. भलीभां भंगीनां नाल ।
प्रार्थना पत्र माँगे जाएँ।

23. यमामठिव भठसठी उपमिल वीठी नाहे ।
प्रशासनिक मान्यता प्राप्त की जाए।

24. ਵਿਭਾਗ ਵਲੋਂ ਕਾਰਵਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।
विभागीय कार्यवाही की जा रही है।

25. सहाव भगिना माहे |
जवाब तलब किया जाए।

26. भाभले डे ठहें मिते 3 हिसाठ वठठा चै ।
मामले पर नए सिरे से विचार करना है।

27. सांस वीडी डे मी पाटिमा |
जाँच की और सही पाया।

28. पिहले वातास ठाप्ल प्लाठि ।
पिछले कागज़ साथ लगाएं।

29. हिलाता हूँ टिम रे ममात मुनिउ वत ठिा साहेठाा |
विभाग को तदनुसार सूचित कर दिया जाएगा।

30. उनाडा पॅउठ टिम सहउठ हिर पुग्धउ ठगीं सायरा |
आपका पत्र इस कार्यालय में प्राप्त हुआ नहीं जान पड़ता।

31. ਦੱਸੋ ਕਿ ਤੁਹਾਡੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨਾਤਮਿਕ ਕਾਰਵਾਈ ਕਿਉਂ ਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ ?
बताएं कि आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाए?

32. डोटी ठियेतट टी हडीव ।
आगे की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।

33. ਜੇਕਰ ਤੁਸੀ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ਤਾਂ ਕਾਗਜ਼ ਫਾਇਲ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ।
यदि आप सहमत हों तो कागज़ फाईल कर दिए जाएँ।

34. भैलु टिम भाभले हि वेप्टी ग्रािष्टिउ ठगीं मिली चै ।
मुझे इस मामले में कोई हिदायत नहीं मिली है।

35. मठापठाउभिव गहाप्टी वीठी सा पवटी चै ।
अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।

36. मधेप टिपटी चेठां येस वै ।।
संक्षिप्त टिप्पणी नीचे प्रस्तुत है।

37. सि वि धूमउगह वीउ निभा चै, प्टिहें वाराहाटी वीठी माहे ।
यथा प्रस्तावित कार्यवाही की जाए।

38. वैठव रा टेनडा घेत चै ।
बैठक की कार्य सूची प्रस्तुत है।

39. मेपिसा ऐष्टिमा उठाइट रेवट हामडे येत चै ।
संशोधित प्रारूप अवलोकनार्थ प्रस्तुत है।

40. भांसी पालठा वीडी माहे ।
आदेशों का पालन किया जाए।

41. वाधी लॅपी चै ।
प्रतिलिपि संलग्न है।

42. भाभले हरा भने डैमप्ला ठा वीउ साहे ।
मामले को अभी निर्णय न किया जाए।

43. ਮੈਂ ਇਸ ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਸਹਿਮਤੀ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ।
मैं इस प्रस्ताव से अपनी सहमति प्रकट करता हूँ।

44. माटवाठी रे लप्टी घेत वै ।
सूचना के लिए प्रस्तुत है।

45. विठया वठवे मामले टी मधेधिवा उिभात वीठी नाहे ।
कृपया मामले की संक्षेपिका तैयार कीजिए।

46. Yध मिसल डे मला वेट उँव व सॅधी ताहे ।
मुख्य मिसल पर निर्णय होने तक इसे रोके रखिए।

47. भाभले 3 घेत वठठे हि चेप्टी रेत लप्टी धेर नै ।
मामले को प्रस्तुत करने में हुई देरी के लिए खेद है।

48. भंगी ताप्टी मसठउ हुँटी रे रिडी साहे ।
माँगी गई आकस्मिक छुट्टी दे दी जाए।

49. नांच पुठी वीठी साहे बडे ठिठट हेठी घेत वीठी माहे ।
जाँच पूरी की जाए और रिपोर्ट जल्दी प्रस्तुत की जाए।

50. उठाइट Tठ साठी वठ ठिा साहे ।
प्रारूप अब जारी कर दिया जाए।

51. सवल से महिला टी ठा रेमठी ठगी चै ठा सुप्मभटी ।
अक्ल के अंधों की न दोस्ती अच्छी न ही दुश्मनी।

52. उठ उठ ठ विडे ही ठीं टिंव मवरे ।
आलसी नौकर कहीं भी नहीं टिक सकते।

PSEB 11th Class Hindi संप्रेषण कौशल पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद

53. ਸ਼ਾਇਦ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਚਿੜਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗੁੱਤ ਪਿੱਛੇ ਮੱਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
शायद औरतों को चिढ़ाने के लिए कहा जाता है कि उनकी चोटी के पीछे अक्ल होती है।

54. ਜੁਬਾਨੀ ਜਮਾ ਖਰਚ ਕਰਨ ਦੀ ਥਾਂ ਅਮਲੀ ਕੰਮ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
जबानी जमा खर्च करने के स्थान पर अमली कार्य करना चाहिए।

55. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਵੰਡ ਛਕਣ ਅਤੇ ਦਸਾਂ ਨੌਹਾਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ।
गुरु नानक देव जी ने बाँट कर खाने और दसों नाखूनों द्वारा कर्म करने की शिक्षा दी।

56. मॉन-वल्ल रे लीडठ ढमली घटेठे उठ ।
आज कल के लीडर फसली बटेरे हैं।

57. विमे Hठीढ भाटभी उल वे ही हुँताप्ल ठगीं वठठी नागीटी ।
किसी सज्जन पुरुष पर भूलकर भी उँगली नहीं उठानी चाहिए।

58. ਇਕ ਮੁੱਠ ਹੋ ਕੇ ਹੀ ਵੈਰੀ ਨੂੰ ਹਰਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
एक होकर ही शत्रु को पराजित किया जा सकता है।

59. पी रे हिभाउ रे घन हमें हमरा उँप उता ने निभा |
बेटी की शादी के खर्च के कारण उसका हाथ तंग हो गया।

60. ਉਸਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਕਰਤੂਤਾਂ ਕਾਰਨ ਆਪਣੇ ਖਾਨਦਾਨ ਦੇ ਸਿਰ ਖੇਹ ਪੁਆਈ ਹੈ ।
उसने अपनी काली करतूतों के द्वारा अपने खानदान की बदनामी करवाई है।

61. मैं प्टिंधे माहिट लप्टी विप्लवल आप्त ठगी गं ।
मैं यहाँ आने के लिए कदापि खुश नहीं हूँ।

62. हमरा पॅउठ पडाप्टी हॅप्ल पिभाठ ठगी रिंग चै ।
उसका बेटा पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देता।

63. ਜਦੋਂ ਉਸਨੇ ਸੋਹਣ ਕੋਲੋਂ ਕਿਤਾਬ ਉਧਾਰੀ ਮੰਗੀ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਟਕੇ ਵਰਗਾ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ।
जब उसने सोहन से पुस्तक उधार माँगी तो उसने टका सा जवाब दे दिया।

64. ਬੰਦਾ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਵਜ਼ੀਰ ਖਾਂ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ।
बन्दा बहादुर ने वज़ीर खाँ को मौत के घाट उतार दिया।

65. ਮੈਂ ਹੱਥਲਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾ ਕੇ ਹੀ ਦਸ ਸਕਾਗਾ ।
मैं हाथ का काम समाप्त करके ही बता पाऊँगा।

66. विमे सी तातीधी सी प्ल3 3 मार्ट सॅव ठगी उहिला नग्गी
किसी की ग़रीबी की हालत पर हमें नाक नहीं चिढ़ाना चाहिए।

67. ऑन मैं पजु-पड वे ऑव ठिाना |
आज मैं पढ़-पढ़ कर उकता गया।

68. वी धेडरे हमरे पैठ डे मॅट लॅगी ।
हॉकी खेलते समय उसके पैर पर चोट लगी।

69. भेठी ठॉल मठ वे म उन पप्टे ।
मेरी बात सुनकर सब हंस पड़े।

70. वॅचा भाटभी टिउवात जैता ठगी गुटा ।
कच्चा व्यक्ति विश्वास के योग्य नहीं होता।

71. भेठी पड़ी ठीव हवउ रिटी नै ।
मेरी घड़ी ठीक समय देती है।

72. पसउव रा हाधा हपीना उठा साठीरा चै ।
प्रत्येक पुस्तक की छपाई बढ़िया होनी चाहिए।

73. ३ वाठठ पॅच ठगी ठिवप्ली ।।
बदली छाई होने के कारण धूप नहीं निकली।

74. रत-रत टॅवठां भाठ रा वी प्ला ?
जगह-जगह ठोकरें खाने का क्या लाभ?

75. विधा वठवे पिढप्लीमा टिपटीमा रेध लहि ।
कृपया पिछली टिप्पणियाँ देख लें।

76. प्टिम भाभप्ले हुँडे भने वैप्टी डैमप्ला ठगी गेप्टिमा ।
इस मामले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

77. विधा वतवे माविमा हुँ रिवा वे हटिल वत रिँडा माहे ।
कृपया सभी को दिखा कर फाइल कर दीजिए।

78. प्टिस बिड हित माडा प म उ स वै ।
इस गांव में हमारा घर सबसे ऊंचा है।

79. वेठे उ €उत वे ठॉल वते ।
छत से उतर कर बात करो।

80. मॉन मैं पड-पज वे व ठिामा ।
आज मैं पढ़-लिख कर ऊब गया।

81. ਪਿਸ਼ਨ ਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਹਾਰ ਪਾਏ ।
पैंशन पर जा रहे अध्यापक को विद्यार्थियों ने हार पहनाए।

82. भेठा रिष्ठ वॅचा चे ठिा चै ।
मेरा दिल कच्चा हो रहा है।

83. ममी भविभाठां टी वध धाउठ वीडी ।
हमने मेहमानों की खूब आवभगत की।

84. रख-रत टॅवतां माठ रा वी ला ?
दर-दर ठोकरें खाने का क्या लाभ? ।

85. ਇਸ ਸੂਟ ਨਾਲ ਦਾ ਸਵੈਟਰ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ?
इस सूट के साथ का स्वैटर कहां है?

86. Jउठ टा &उठ रेह टी विधा वठठी ।
पत्र का उत्तर देने की कृपा करें।

87. हा मुल्य चै ।
वह ऊँचा सुनता है।

88. उप रा प्टिव तोप्ला ही घडी उपाठी वत रिट चै ।
तोप का एक गोला भी बड़ी तबाही कर देता है।

89. उनी पड़ी-पझी भै? उठा ठा वते ।
आप घड़ी-घड़ी मुझे तंग न करें।

90. भेठी ठॉल मुह वे म उन पप्टे ।
मेरी बात सुनकर सब हँस पड़े।

91. प्टिम डेल हिस से भट माटा पै सवरा चै ।
इस डोल में दो मन आटा पड़ सकता है।

92. ताल भेता पॅवा मिउठ चै ।।
राज मेरा पक्का मित्र है।

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93. ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਮੇਰੀ ਬਣਦੀ ਨਹੀਂ ।
उससे मेरी बनती नहीं।

94. THठ रमही पेटी हिरिभातवी चै ।
रमन दसवीं श्रेणी का विद्यार्थी है।

95. मैं वल्ल प्लिी ताहांठा ।
मैं कल दिल्ली जाऊंगा।

96. मप्लीम भापटी पाउर पइसा चै ।
सलीम अपनी पुस्तक पढ़ता है।

97. तातपीउ उभेमा पग्लेि ठप्पत उ माठिटी चै ।
गुरप्रीत हमेशा पहले नम्बर पर आती है।

98. मग्राम सभा उठाहां हि मतमाताठ म उ पनिय वै ।
सूरदास की रचनाओं में सूरसागर सबसे प्रसिद्ध है।

99. उनी विपशीलां-विग्मीमा धेडां वेडरे ने ।
आप कौन-कौन से खेल खेलते हो।

100. संडीला हित हॅडीमा-हॅडीमा टिभाठ ठ ।
चण्डीगढ़ में बड़ी-बड़ी इमारतें हैं।

101. भेठा हॅहा उठा हवील चै ।
मेरा बड़ा भाई वकील है।

102. तेरिउ मेघ वांरा चै ।
रोहित सेब खाता है।

103. वल्लु माडे मप्ठ हिउ धेडां उष्टीला मठ ।
कल हमारे स्कूल में खेलें हुई थीं।

104. ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦਾ ਸਾਲਾਨਾ ਇਨਾਮ ਵੰਡ ਸਮਾਰੋਹ ਹੋਵੇਗਾ ।
रविवार को हमारे स्कूल का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह होगा।

105. मायले रेस टी धिभा लप्टी वष्टी मैतिव मीर प्टेि ।
अपने देश की रक्षा के लिए अनेक सैनिक शहीद हुए।

106. ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਨੂੰ ਚੇਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅਸਤਰ-ਸ਼ਸਤਰ ਚਲਾਉਣ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ।
गुरु जी ने अपने शिष्यों को अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी।

107. साथटे मारा-पिता सी मागिभा रा पालठ वठे ।
अपने माता-पिता की आज्ञा का पालना करो।

108. प्टीतहत है उभेला जार उँधे ।
ईश्वर को सदा याद रखो।

109. प्टेवा हि वल चै ।
एकता में बल है।

110. मन BOHP रा पध मठेउ चै ।
सूर्य ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।

111. माडे पत मउिभाठ भाप्टे चेप्टे उठ ।
हमारे घर मेहमान आए हुए हैं।

112. धूिपही मुतन रे भाप्ले-सभाले नटी चै ।
पृथ्वी सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती है।

113. मी ताठ ठोधिर मिप नी ते 1699 प्टीः हि धालमा धंघ ती मिठसठा वीठी मी ।
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 ई० में खालसा पंथ का सृजन किया था।

114. तान रेह ती निधा रे नहें ताठ मत |
गुरु अर्जन देव जी सिक्खों के पाँचवें गुरु थे।

115. ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਗ਼ਰੀਬ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਮੁਫ਼ਤ ਪੜਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
हमारे मुख्य अध्यापक ग़रीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं।

116. सेठ ठगल रा ।
शेर जंगल का राजा है।

117, ਅੱਜ ਦੇ ਵਿਗਿਆਨਕ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖੀ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦਾ ਲੋਪ ਹੁੰਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
आज की वैज्ञानिक सभ्यता में मानवीय मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है।

118. पठभाउभा डे हिप्सहात , हर मउ रा महाभी चै ।
ईश्वर पर विश्वास रखो वह सबका स्वामी है।

119. विठी रे टेचे ताठात हिल माठात लप्टी पमिय उठ ।
बिहारी के दोहे गागर में सागर के लिए प्रसिद्ध हैं।

120. भिउठठी हिवठी उमेमां महल ने सांरा चै ।
परिश्रमी व्यक्ति हमेशा सफ़ल हो जाता है।

121. ठो ठाल भेठे भठ ? मांडी ठगीं टी, मों पिढें मानांठी उगंध हांना भेटी चै ।
नशे से मेरे मन को शान्ति नहीं होती, बल्कि बाद में अशांति की तरह मचती है।

122. ਕੁਝ ਚਿਰ ਲਈ ਸੋਚ ਸ਼ਕਤੀ ਜਾਂਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਸਮਝਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮਨ ਟਿਕ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
कुछ समय पश्चात् सोच शक्ति जाती रहती है और मनुष्य समझता है कि मन टिक रहा है।

123. निम्मत रा भी मीठा टी वहिउा रा मध हिमा चै ।
कृष्ण का प्रेम ही मीरा की कविता का मुख्य विषय है।

124. मुतराम सीमा तसताहां हिन मुमाठाठ म उ पनिय चै ।
सूरदास की रचनाओं में सूरसागर सबसे प्रसिद्ध है।

125. भेता उता रिंली ना विग चै ।
मेरा भाई दिल्ली जा रहा है।

126. भाठा-पिठा हुँ माघटे पॅसिमां सा पिसाठ वटा सागीरा चै ।
माता-पिता को अपने बच्चों का ध्यान रखना चाहिए।

127. भिउठउ वठे, विडे टिम उता ठा हे उमी हेल ने ताहे ।
परिश्रम करो, कहीं ऐसा न हो कि आप फेल हो जाओ।

128. मॅसे घटतां टी ठीर सप्लटी ठगी धप्लटी ।
सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती।

129. ठ ठोविट मिध्य ती ठे ‘वालमा यंच’ सी मिलनठा वीठी मी ।
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ का निर्माण किया था।

130. माडे मभान हिट उर पडे अउर रेटें उठ ।
हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों हैं।

131. ‘] गूप माउिघ’ दिस रप्टी तुलां टी घाटी मुविभाउ चै ।
‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ में कई गुरुओं की वाणी सुरक्षित है।

132. ਉਹੀ ਵਿਅਕਤੀ ਸਭ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਵਾਰਥ ਤੋਂ ਰਹਿਤ ਹੋਵੇ ।
वही व्यक्ति सबकी सेवा कर सकता है जो पूर्णतः निःस्वार्थी हो।

133. ५ दिन हिमाम उँधे ।
प्रभु में विश्वास रखो।

134. बैंमत प्टिव उिभाठव ठेठा चै ।
कैंसर एक भयानक रोग है।

135. डीठाइ उिठ तासां सी तालयाठी वै ।
चण्डीगढ़ तीन राज्यों की राजधानी है।

136. Hधरेट वत्सयत 3 ठी दि३ मा रे मठ |
सुखदेव बचपन से ही दृढ़ स्वभाव के थे।

137. दितिाभाधत वाला उनी ठाल हुँठठी व ती चै ।
विज्ञापन कला तेज़ी से उन्नति कर रही है।

138. पिठां वर वीडे मनवाट विमे रे पिढे ठगी पैटी ।
बिना कुछ किए सरकार किसी के पीछे नहीं पड़ती।

139. वडी भां €जी महाल हित लेठी ठाा ती पी ।
बूढ़ी मां ऊंचे स्वर में लोरी गा रही थी।

140, ਪੰਜਾਬੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਦੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੈ ।
पंजाबी सभ्यता पंजाब के भौगोलिक क्षेत्र की उत्पत्ति है।

141. ताव ी गोलिव उरटी लगाउात वरप्लटी सांटी नै ।
पंजाब की भौगोलिक सीमा निरन्तर बदलती जा रही है।

142. ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਲਾਕੇ ਅਜੋਕੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਹੀ ਬਾਹਰ ਹਨ ।
पंजाबी भाषा के बहुत से क्षेत्र आज के पंजाब से ही बाहर हैं।

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143. ताव ममल हित हिडिंठ ठसप्लां, साठां पठन सी ममेल भी चै ।
पंजाब वास्तव में विभिन्न नस्लों, जातियों, धर्मों की मिली-जुली भूमि है।

144. ਉਪਜਾਊ ਭੂਮੀ ਕਾਰਨ ਭੁੱਖੇ ਮਰਨਾ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ।
उपजाऊ भूमि के कारण भूखे मरना पंजाबियों के हिस्से नहीं आया।

145. ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਬੜੇ ਖੋਫਨਾਕ ਸਬਕ ਸਿਖਾਏ ਹਨ ।
जिन्दगी ने पंजाबियों को बड़े खौफनाक सबक सिखाए हैं।

146. ताप्पीभां रे ठाप्टिव उठ-लेगी, जेया रे मातर |
पंजाबियों के नायक हैं-जोगी, योद्धा और आशिक।

147. ਪੰਜਾਬੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਵਿੱਚ ਪਿਛਲੀ ਇੱਕ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵਾਪਰੇ ਹਨ ।
पंजाबी सभ्यता में पिछली एक सदी से बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं।

148, ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ ਸ਼ਾਂਤ ਪਾਣੀ ਵਾਂਗ ਠਹਿਰਿਆਂ ਹੋਇਆ ਸੰਕਲਪ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਇਕ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਨਿਰੰਤਰ ਬਦਲਦਾ मवलप चै ।
रहन-सहन शान्त पानी की तरह ठहरा हुआ संकल्प नहीं अपितु एक गतिशील निरन्तर बदलता संकल्प है।

149. विठ-मग्टि रे पाठी मामउठ हांठा ममें टी Hउठत ‘डे चाप्लां सॅलरा चै ।
रहन-सहन दो धारी हथियार की तरह समय की शतरंज पर चाल चलता है।

150. मडिभासाठ लेव मभुत शुभाता मिनी हिमेत तीठ सांस रा ठां चै ।
सभ्यता लोगों के समूह द्वारा बनाई विशेष जीवन जांच का नाम है।

151. ਤੀਜੇ ਉਹ ਅਣਖੀ ਲੋਕ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹਨਾਂ ਹਮਲਿਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਸੀਨਾ ਤਾਣ ਕੇ ਜੀਣਾ ਸਿੱਖਿਆ ।
तीसरे वे आने वाले लोग थे जिन्होंने इन आक्रमणों के सामने सदा सीना तानकर जीना सीखा।

152. तग्लि-मचिट ठितउत गाठीतील वै. प्टिव ठिउठ घरप्ल विना नै ।
रहन-सहन निरन्तर गतिशील है, यह निरन्तर बदल रहा है।

153. घातीठात घातीनां पा वे लवां रा भनठ वठरे उठ ।
बाज़ीगर बाजियां डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।

154. विडे भान उठ ‘डे धीही रख पीड़ी उलटे चिरे उठ ।
काम साधारणतः पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं।

155. ਇਹ ਗੱਲ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਦੁਨੀਆਂ ਦੀ ਹਰ ਵਸਤੁ ਧਰਤੀ ਦੀ ਹੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੈ ।
यह बात ठीक है कि दुनिया की प्रत्येक वस्तु धरती की ही उत्पत्ति है।

156. लॅवड़ी रे वभ ठाल घउ माते विडे तुझे चेप्टे उठ ।
लकड़ी के काम के साथ बहुत सारे काम जुड़े हुए हैं।

157. ਕਲਾ, ਆਦਿਕਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮਾਨਸਿਕ ਤ੍ਰਿਪਤੀ ਦਾ ਇੱਕ ਅਹਿਮ ਸਾਧਨ ਰਹੀ ਹੈ ।
कला, आदिकाल से ही मनुष्य की मानसिक सन्तुष्टि का एक अहम् साधन रही है।

158. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਲੋਕ-ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਮਾਨਵੀ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਮੂਲ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਹੈ ।
पंजाब की लोक-चित्रकला मानवीय जीवन की मूल प्रवृत्तियों के साथ जुड़ी हुई है।

159. ਮੂਰਤੀ ਵਿੱਚ ਦੇਵੀ ਦਾ ਰੰਗ ਸੁਨਹਿਰੀ ਅਤੇ ਵਸਤਰਾਂ ਦਾ ਰੰਗ ਲਾਲ ਕੀਤਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
मूर्ति में देवी का रंग सुनहरी तथा वस्त्रों का रंग लाल किया जाता है।

160. नाव हित ‘ठां वट’ हामडे वेष्टी धाम ठाम ममराठ ठगी मठाप्टिमा नसा ।
पंजाब में ‘नामकरण’ के लिए कोई विशेष नाम संस्कार नहीं मनाया जाता।

161. मुंडे ही रे महाठ गेट ‘डे हिमान टीनां तमना सी प्लझी मनु सांटी चै ।
लड़के-लड़की के जवान होने पर विवाह की रस्मों की परम्परा शुरू हो जाती है।

162. ਵਿਆਹ ਵਿੱਚ ਫੇਰਿਆਂ ਦੀ ਰਸਮ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਵਿਆਹ ਸੰਪੂਰਨ ਨਹੀਂ मशिभा सांग।
विवाह में फेरों की रस्म बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना विवाह सम्पूर्ण नहीं समझा जाता।

163. ਜੀਵਨ ਨਾਟਕ ਦੇ ਆਰੰਭ ਤੋਂ ਅੰਤ ਤੱਕ ਵਿਭਿੰਨ ਰਸਮ ਰਿਵਾਜ਼ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
जीवन नाटक के आरम्भ से अन्त तक विभिन्न रस्म-रिवाज़ किए जाते हैं।

164. ਕਿਸੇ ਜਾਤੀ ਦੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਕ ਨੁਹਾਰ ਮੇਲਿਆਂ ਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪੂਰੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
किसी जाति की सांस्कृतिक झलक मेलों और त्योहारों में पूरे रंग में प्रतिबिम्बित होती है।

165. घेडा सा भठंधी सीहत ठाल हुँया मधय चै ।
खेलों का मानवीय जीवन के साथ गहरा सम्बन्ध है।

166. निघे ही नात धनाची टिवठे रे उठ, हर परिप्लां ]तर भाता मघाघउ वत लैरे उठ ।
जहां भी चार पंजाबी इकट्ठे होते हैं, वहां पहले गुरुद्वारा स्थापित कर लेते हैं।

167. Vताव रे घउ भेप्ले भेममा, लॅां अडे उिहितां ठाल मपिउ उठ ।
पंजाब के बहुत से मेले मौसम, ऋतुओं तथा त्योहारों से सम्बन्धित हैं।

168. पंताव रे भेले, यासीठवाल 3 सप्लीमा ठगी मय-पता टी रेठ उठ ।
पंजाब के कुछ मेले प्राचीन काल से चली आ रही सर्प-पूजा की देन हैं।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत

(ग) रस

प्रश्न 1.
रस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
आचार्य विश्वनाथ ने रस को काव्य की आत्मा माना है। ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यं’ अर्थात् रसात्मक वाक्य ही काव्य है।

प्रश्न 2.
रस के विभिन्न अंग कौन-से हैं ?
उत्तर:
रस स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से बनता है या अभिव्यक्त होता है। इन चारों को ही रस के अंग माना जाता है।

प्रश्न 3.
स्थायी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो भाव सहृदयजन के चित्त में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं उन्हें स्थायी भाव कहा जाता है। ये भाव अनुकूल परिस्थिति आने पर प्रकट होते हैं।

प्रश्न 4.
स्थायी भावों के नाम उनके रसों के नाम सहित लिखें।
उत्तर:

  1. शृंगार-रति
  2. वीर-उत्साह
  3. शांत-निर्वेद
  4. करुण-शोक
  5. रौद्र-क्रोध
  6. भयानक-भय
  7. वीभत्स-घृणा
  8. अद्भुत-विस्मय
  9. हास्य-हास।

प्रश्न 5.
विभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभाव से अभिप्राय उन वस्तुओं और विषयों के वर्णन से है जिनके प्रति किसी प्रकार की संवेदना होती है अर्थात् भाव के जो कारण होते हैं उन्हें विभाव कहते हैं।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस

प्रश्न 6.
विभाव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
विभाव के दो प्रकार होते हैं-आलम्बन और उद्दीपन।

प्रश्न 7.
अनुभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अनुभाव सदा आश्रय से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् जहाँ विषय की बाहरी चेष्टाओं को उद्दीपन कहा जाता है वहाँ आश्रय के शरीर विकारों को अनुभाव कहते हैं।

प्रश्न 8.
संचारी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मन के चंचल विकारों को संचारी भाव कहते हैं। ये सदा आश्रय के मन में उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 9.
रस के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
साहित्य में रस नौ प्रकार के माने गए हैं
श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, शांत और अद्भुत। कुछ लोग वात्सल्य और भक्ति को भी रस की संज्ञा देते हैं।

प्रश्न 10.
विभिन्न रसों के स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर:

  1. श्रृंगार-रति
  2. हास्य-हास
  3. वीर-उत्साह
  4. करुण-शोक
  5. रौद्र-क्रोध
  6. भयानक-भय।
  7. वीभत्स-घृणा (जुगुप्सा)
  8. अद्भुत-विस्मय
  9. शांत-शान्त हो जाना, निर्वेद
  10. वात्सल्य–सन्तान स्नेह।

प्रश्न 11.
रस की निष्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर:
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव का संयोग स्थायी भाव से होता है तब रस की निष्पत्ति होती है।

प्रश्न 12.
श्रृंगार रस और वात्सल्य रस में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
शृंगार रस में रति स्थायी भाव अपने प्रिय (पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका) के प्रति होता है। जबकि वात्सल्य रस में अपनी सन्तान या छोटे बच्चों या भाई बहन के प्रति स्नेह के कारण होता है।

1. शृंगार रस

प्रश्न 13.
श्रृंगार रस किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
सहृदय जनों में रति स्थायी भाव अनुकूल वातावरण पाकर परिपक्व अवस्था में पहुँचता है तो उसे शृंगार रस कहा जाता है।

प्रश्न 14.
श्रृंगार रस के कितने भेद हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
शृंगार रस के दो भेद हैं

  1. संयोग शृंगार
  2. वियोग शृंगार।

संयोग में नायक नायिका के मिलन, वार्तालाप, दर्शन, स्पर्श आदि का वर्णन होता है।
उदाहरण-

एक पल मेरे प्रिया के दृग पलक,
थे उठे ऊपर, सहज नीचे गिरे।
चपलता के इस विकंपित पुलक से,
दृढ़ किया मानो प्रणय सम्बन्ध था।
वियोग की अवस्था में जब नायक नायिका के प्रेम का वर्णन हो तो उसे वियोग श्रृंगार कहा जाता है।
उदाहरण-
निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पै जब तै स्याम सिधारे ।। दृग अंजन लागत नहिं कबहू उर कपोल भये कारे ।।

2. हास्य रस

प्रश्न 15.
हास्य रस का लक्षण उदाहरण सहित दें।
उत्तर:
लक्षण-हास्य रस का विषय हास (हँसी) होता है। किसी विचित्र आकार, वेश या चेष्टा वाले लोगों को देखकर एवं उनकी विचित्र चेष्टाएं, कथन आदि को देख-सुनकर जब हँसी आए तो हास्य रस उत्पन्न होता है। उदाहरण-वेणी कवि को किसी ने श्राद्ध के दिन बासी पेड़े दे दिए, तब वेणी कवि ने कहा

माटिह में कुछ स्वाद मिले, इन्हें खाय तो ढूँढत हर्रे बहेड़ो,
चौंकि परयो पितुलोक में बाप, धरे जब पूत सराध के पेड़े।

अथवा

एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है ?
उसने कहा अपर कैसा ? वह उड़ गया समर है।
उत्तेजित हो पूछा उसने, उड़ा अरे वह कैसे ?
‘फड़’ से उड़ा दूसरा बोली, उड़ा देखिए ऐसे।

3. करुण रस

प्रश्न 16.
करुण रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-करुण रस का विषय शोक होता है। किसी प्रिय व्यक्ति के मर जाने पर या किसी प्रिय वस्तु के नष्ट होने पर जो शोक जागृत होता है उसे करुण रस कहते हैं।

उदाहरण-

हा पुत्र ! कहकर शीघ्र ही वे मही पर गिर पड़े,
क्या वज्र गिरने पर बड़े भी वृक्ष रह सकते खड़े।
अथवा
देखि सुदामा की दीन दसा करुना करि कै करुना निधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैननि के जल सों पग धोये॥

4. शांत रस

प्रश्न 17.
शांत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
संसार की असारता, नश्वरता को देखकर ईश्वर का रूप जानकर हृदय को जो शान्ति मिलती है उसे ही शान्त रस कहते हैं।
उदाहरण-
समता लहि सीतल भया, मिटी मोह की ताप।
निसि-वासर सुख निधि लह्या, अंतर प्रगट्या आप॥
अथवा
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि तुझ में यह सारा संसार।
इसी भावना से अंतर भर मिलूँ सभी से तुझे निहार ।।
अथवा
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।।

5. वीर रूस

प्रश्न 18.
वीर रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-वीर रस का विषय उत्साह या जोश होता है। जैसे किसी व्यक्ति को देखकर लड़ने का उत्साह, किसी दीन-हीन को देखकर उसकी सहायता करने का उत्साह आदि।
उदाहरण-
जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे दीप्तिमान जिनके मुख-मंडल।
पर्वत को भी खण्ड-खण्ड कर रजकण कर देने को चंचल॥
अथवा
हे सारथे ! द्रोण क्या ? आवें स्वयं देवेन्द्र भी।
वे भी न जीतेंगे समर में आज क्या मुझ से कभी॥

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस

6. रौद्र रस

प्रश्न 19.
रौद्र रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-रौद्र रस का विषय क्रोध है। अपने अपकार करने वाले या शत्रु को सामने देखकर जो भाव मन में पैदा होते हैं उन्हें रौद्र रस कहा जाता है।

उदाहरण-
मातु पितहि जानि सोच बस, करसि महीप किशोर।
गर्भन के अर्भक दलन, परशु मोर अति घोर ॥

अथवा
श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल-युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा वे हो गये उठकर खड़े॥
अथवा
उस काल मारे क्रोध के तनु उनका कांपने लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।

7. भयानक रूस

प्रश्न 20.
भयानक रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
किसी भयानक वस्तु को देखने से या किसी बलवान् शत्रु आदि को देखकर या उसकी डरावनी बातें सुनने से जो भाव जागृत होते हैं उसे भयानक रस कहा जाता है।
उदाहरण-
समस्त सॉं संग श्याम ज्यों कढ़े
कालिंद की नंदिनी के सु-अंक से।
खड़े किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे॥
अथवा
नभ ते झपटत बाज़ लखि, भूल्यो सकल प्रपंच।
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यों न रंप ॥

8. वीभत्स रस

प्रश्न 21.
वीभत्स रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
रक्त, मांस-मज्जा, दुर्गन्ध आदि वस्तुओं को देखकर हृदय में जो ग्लानि या जुगुप्सा के भाव जागृत होते हैं उन्हें वीभत्स कहा जाता है।
उदाहरण-
बहुँस्थान इक अस्थिखंड लै चरि चिचोरत,
कहु कारो महि काक चोंच सो ठोरि टटोरत।
अथवा
रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
महाघो दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।

9. अद्भुत रस

प्रश्न 22.
अद्भुत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-किसी अलौकिक या अदृष्टपूर्व वस्तु को देखकर जब हृदय में विस्मय का भाव जागृत होता है तो उसे अद्भुत रस कहा जाता है।

उदाहरण-
अखिल भुवन चर-अचर जग हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई, गद्गद् वचन, विकसित दृग, पुलकातु॥
अथवा
जहँ चितवइ तहँ प्रभु आसीना। सेवहि सिद्ध मुनीस प्रवीना॥
सोई रघुबर, सोई लक्ष्मण सीता। देखि सती अति भयी सभीता॥

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. रस को काव्य की आत्मा माना है ?
(क) आचार्य विश्वनाथ ने
(ख) आचार्य शुक्ल ने
(ग) अज्ञेय ने
(घ) भवभूति ने
उत्तर:
(क) आचार्य विश्वनाथ

2. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है ?
(क) रति
(ख) उत्साह
(ग) निर्वेद
(घ) शोक
उत्तर:
(क) रति

3. करुण रस का स्थायी भाव है
(क) रति
(ख) शोक
(ग) निर्वेद
(घ) उत्साह
उत्तर:
(ख) शोक

4. निर्वेद स्थायी भाव का रस है
(क) शांत
(ख) करुण
(ग) वीर
(घ) शृंगार
उत्तर:
(क) शांत

5. वीर रस का स्थायी भाव है।
(क) करुण
(ख) उत्साह
(ग) शांत
(घ) वीभत्स
उत्तर:
(ख) उत्साह

6. “कहत-नटत, रीझत, खिझत, मिलत खिलत लजियात भरे मौन में करत है नैनहूं ही सब बात” में निहित रस है।
(क) करुण
(ख) शृंगार
(ग) वीर
(घ) भयानक
उत्तर:
(ख) शृंगार

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण वाक्य विचार विश्लेषण/संश्लेषण Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार विश्लेषण/संश्लेषण

वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

वाक्य व्यवस्था

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सार्थक शब्दों के समूह को वाक्य कहते हैं, जैसे-मैं जम्मू जाऊँगा।

प्रश्न 2.
वाक्य के कितने खंड होते हैं ?
उत्तर:
वाक्य के दो खंड होते हैं
1. उद्देश्य-जिसके विषय में कुछ विधान किया जाता है, उस शब्द को उद्देश्य कहते हैं। जैसे-रमा अपने पिता के साथ गई।
2. विधेय-उद्देश्य के सम्बन्ध में कुछ बताने या विधान करने वाले शब्द को विधेय कहते हैं। जैसे-ऊपर के वाक्य में ‘पिता के साथ गई’ विधेय है।

  • राम (उद्देश्य) वन को गये (विधेय)।
  • गंगा (उद्देश्य) हिमालय से निकलती है (विधेय)।

प्रश्न 3.
अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद हैं ? सोदाहरण बताइए।
उत्तर:
अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं
1. विधानवाचक:
जिस वाक्य में किसी कार्य के होने का बोध हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं; जैसेदिनेश पढ़ता है। सूर्य प्रातः काल निकलता है।
2. प्रश्नवाचक:
जिस वाक्य में प्रश्न पूछे जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं: जैसेआप क्या कर रहे हैं ? उस मकान में कौन रहता है ?
3. निषेधवाचक:
जिस वाक्य से किसी कार्य के न होने का बोध हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-वह बाज़ार नहीं गया है? वह आज स्कूल नहीं जाएगा।
4. आज्ञावाचक:
जिस वाक्य से किसी प्रकार की आज्ञा का बोध हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसेमोहन, बैंच पर खड़े हो जाओ। तुम उसके साथ जाओ।
5. संदेहवाचक:
जिस वाक्य से कार्य के होने में संदेह प्रकट हो, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं; जैसेउसका पास होना मुश्किल है। वह शायद ही स्कूल आए।
6. इच्छावाचक:
जिस वाक्य से इच्छा, आशीर्वाद, शुभकामना का भाव व्यक्त हो, उसे इच्छावाचक कहते हैं; जैसेईश्वर करे, आप परीक्षा में सफल हों। भगवान् तुम्हें दीर्घायु बनाए।
7. संकेतवाचक:
जिस वाक्य में एक बात के होने को दूसरी बात के होने पर निर्भर किया गया है। उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे
यदि गाड़ी समय पर आई, तो मैं उसे घर ले जाऊँगा।
यदि तुम कल दुकान पर जाते, तो पुस्तक मिल जाती।
8. विस्मयादिवाचक:
जिस वाक्य से घृणा, शोक, हर्ष, विस्मय आदि का बोध हो, उसे विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे
वाह ! बहुत अच्छे अंकों से पास हुए। छिः ! छिः ! कितनी गंदगी है।

प्रश्न 4.
रचना के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण बताओ।
उत्तर:
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं

1. सरल वाक्य-जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य तथा एक ही विधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं; जैसे-अशोक पुस्तक पढ़ता है।
2. संयुक्त वाक्य-जिस वाक्य में दो या दो अधिक उपवाक्य स्वतन्त्र रूप से समुच्चय बोधक अथवा योजक द्वारा मिले हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं-
जैसे-

  • अशोक स्कूल जाता है और मन लगाकर पढ़ता है।
  • वह चला तो था, परन्तु रास्ते से लौट गया। ऊपर के दोनों वाक्य संयुक्त वाक्य हैं। पहला वाक्य ‘और’ तथा दूसरा ‘परन्तु’ समुच्चय बोधक अव्यय द्वारा संयुक्त किया गया है।

3. मिश्र वाक्य-जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहा जाता है;
जैसे-(i) खाने-पीने का मतलब है कि मनुष्य स्वस्थ बने। खाने-पीने का मतलब है = स्वतन्त्र या प्रधान उपवाक्य। कि = समुच्चय बोधक या योजक। मनुष्य स्वस्थ बने = आश्रित उपवाक्य।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार

प्रश्न 5.
‘वाक्य विश्लेषण या ‘वाक्य विग्रह’ से क्या अभिप्राय है। इसमें मुख्यतया किन बातों का विश्लेषण किया जाता है।
उत्तर:
किसी वाक्य के अंगों को अलग-अलग करके उनके पारस्परिक सम्बन्ध का विश्लेषण ‘वाक्य विश्लेषण’ या ‘वाक्य विग्रह’ कहलाता है। ‘वाक्य विग्रह’ में निम्नलिखित बातों का विश्लेषण किया जाता है–

(क) वाक्य-भेद-अर्थात् सरल, मिश्रित तथा संयुक्त कौन-सा वाक्य है? यदि ‘मिश्रित’ और ‘संयुक्त’ वाक्य हैं तो उसमें ‘प्रधान वाक्य’ अथवा ‘आश्रित वाक्य’ कौन-कौन से हैं? ‘आश्रित वाक्य’ में भी ‘संज्ञा उपवाक्य’, ‘विश्लेषण उपवाक्य’ तथा ‘क्रिया-विश्लेषण’ में कौन-सा वाक्य है?
(ख) उद्देश्य-संज्ञा या संज्ञा के समान प्रयुक्त सर्वनाम का पृथक् निर्देश करना चाहिए।
(ग) उद्देश्य का विस्तार-वे शब्द या वाक्यांश, जिनका सम्बन्ध ‘उद्देश्य’ अथवा कर्ता के साथ होता है और जो ‘उद्देश्य’ की विशेषता बताते हैं। उद्देश्य का विस्तार-निम्नलिखित चार प्रकार के शब्दों से होता है

(1) विशेषण से
(2) सम्बन्ध कारक से
(3) समानाधिकरण से
(4) वाक्यांश से।

(घ) विधेय (क्रिया) का उल्लेख।
(ङ) विधेय का विस्तार-वे शब्द जिनका सम्बन्ध ‘विधेय’ अथवा ‘क्रिया’ के साथ होता है और जो क्रिया की विशेषता बताते हैं।
विधेय का विस्तार कर्म, पूरक, क्रियाविशेषण, पूर्वकालिक क्रिया, कारक और क्रियाद्योतक कृदंत से होता है। ‘विधेय-विस्तार’ के अन्तर्गत ‘कर्म’ का भी उल्लेख है। कर्ता (उद्देश्य) के समान ‘कर्म’ में भी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, वाक्यांश आदि कुछ विशेषता सूचक शब्द होते हैं। इसे ‘कर्म का विस्तार’ कहते हैं। जैसे- उदाहरण”मैंने अपने मित्र राम को प्यार से समझाया।” इस वाक्य में ‘मैंने’ उद्देश्य है और ‘समझाया’ विधेय है। ‘राम को’ कर्म तथा ‘अपने मित्र’ कर्म का विस्तार (विशेषण) है। ‘बड़े प्यार से’ क्रिया का विस्तार है।

प्रश्न 6.
सरल संयुक्त और मिश्र वाक्यों का विग्रह सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरल वाक्य का विग्रह
कर्ता और उससे सम्बन्धित शब्दों (अर्थात् कर्ता के विस्तार) के अतिरिक्त सरल वाक्य के शेष सभी शब्द ‘विधेय’ कहलाते हैं। कर्त्त और विस्तार के सभी शब्द उद्देश्य कहलाते हैं; जैसे

कर्ता
राम
दशरथ का पुत्र राम
दशरथ का पुत्र सीतापति राम

विधेय
आया
आया
वन से लौट आया

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वाक्य संश्लेषण

संश्लेषण शब्द विश्लेषण का एकदम उलट है। वाक्य विश्लेषण में वाक्यों को एक-दूसरे से अलग-अलग किया जाता है जबकि वाक्य संश्लेषण में अलग-अलग वाक्यों को एक किया जाता है। किसी घटना के दृश्य को देखते समय मन में विचार या भाव छोटे-छोटे वाक्यों में आते हैं। अभिव्यक्ति के समय ये सब वाक्य/विचार एक हो जाते हैं।

प्रश्न 1.
वाक्य संश्लेषण से क्या तात्पर्य है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक से अधिक वाक्यों का एक वाक्य बनाना ‘वाक्य संश्लेषण’ कहलाता है। साधारण (सरल) वाक्यों का संश्लेषण करने का तरीका
1. सभी वाक्यों में महत्त्वपूर्ण क्रिया चुनकर उसे मुख्य क्रिया बना लिया जाता है।
2. अन्य वाक्यों की क्रियाओं को पूर्वकालिक क्रिया, विशेषण या संज्ञा पदबन्ध में बदल लिया जाता है।
3. आवश्यकतानुसार उपसर्ग अथवा प्रत्यय लगाकर शब्दों की रचना की जाती है और उन्हें मुख्य क्रिया के साथ सम्बद्ध कर वाक्य बनाया जाता है।

1. अनेक सरल वाक्यों का एक सरल वाक्य में संश्लेषण
उदाहरण-1.

  • विद्यार्थी ने पुस्तकें बैग में डालीं।
  • विद्यार्थी ने बैग उठाया।
  • विद्यार्थी पढ़ने चला गया।

इन तीनों वाक्यों का एक वाक्य में संश्लेषण इस प्रकार होगा- पुस्तकें बैग में डालकर और उसे उठाकर विद्यार्थी पढ़ने चला गया।
2. वहां एक गाँव था। वह गाँव छोटा-सा था। उसके चारों ओर जंगल था। उस गाँव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।
इन चारों का एक सरल वाक्य में संश्लेषण इस प्रकार होगावहां चारों ओर जंगल से घिरे एक छोटे से गांव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।

2. अनेक सरल वाक्यों का मिश्र अथवा संयुक्त वाक्य में संश्लेषण
जिस प्रकार अनेक सरल वाक्यों को एक सरल वाक्य में संश्लिष्ट किया जाता है उसी प्रकार उन्हें मिश्र वाक्य में ही प्रस्तुत किया जाता है।
जैसे:
(1) पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था।
(2) कक्षा में उस प्रश्न को कोई भी हल नहीं कर सका।
(3) मैंने उस प्रश्न को हल कर लिया।
मिश्र वाक्य में संश्लेषण-पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका, मैंने उसे हल कर लिया है।
संयुक्त वाक्य में संश्लेषण-पुस्तक में आए उस कठिन प्रश्न को सारी कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका, पर मैंने उसे हल कर दिया।

प्रश्न 2.
वाक्य परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ? यह कितने प्रकार से होता है ? सभी को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदलने की प्रक्रिया को ‘वाक्य-परिवर्तन’ कहते हैं। वाक्य परिवर्तन तीन प्रकार से होता है
1. वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-हिंदी में ‘वाच्य’ तीन हैं-

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य।

2. रचना की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के सरल वाक्य, मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य हैं। इनका एक-दूसरे में परिवर्तन होना ही रचना की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन कहलाता है। जैसे
सरल वाक्य से मिश्र और संयुक्त वाक्य

1. सरल- वह फल खरीदने के लिए बाजार गया।
मिश्र-उसे फल खरीदने थे इसलिए वह बाजार गया।
संयुक्त-वह बाज़ार गया और वहाँ उसने फल खरीदे।

2. सरल-मैंने उसे पढ़ाकर नौकरी दिलवाई।
संयुक्त-मैंने उसे पढ़ाया और नौकरी दिलवाई।
मिश्र-मैंने पहले उसे पढ़ाया तब नौकरी दिलवाई।

संयुक्त एवं मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

1. संयुक्त-बिल्ली झाड़ियों में छिप कर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
सरल-झाड़ियों में छिप कर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।

2. संयुक्त-मज़दूर मेहनत करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता।
सरल-मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।

3. मिश्र-अध्यापक ने छात्रों से कहा कि तुम लोग परिश्रमपूर्वक पढ़ो और परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाओ।
सरल-अध्यापक ने छात्रों को परिश्रमपूर्वक पढ़कर परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाने के लिए कहा।

3. अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन-अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। उनका परस्पर रूपांतर ही वाक्य परिवर्तन कहलाता है।

विधानवाचक-राम स्कूल जाएगा।
निषेधवाचक-राम स्कूल नहीं जाएगा।
प्रश्नवाचक-क्या राम स्कूल जाएगा ?
आज्ञावाचक-राम, स्कूल जाओ।
विस्मयवाचक-अरे ! राम स्कूल जाएगा।
इच्छावाचक-राम स्कूल जाए।
संदेहवाचक-राम स्कूल गया होगा।
संकेतवाचक-राम स्कूल जाए तो।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण वाक्य विचार

प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्य का विश्लेषण कीजिएपवन पुत्र हनुमान ने देखते-ही-देखते सोने की लंका जला दी।
उत्तर:
उद्देश्य-पवन पुत्र (कर्ता विस्तार) हनुमान ने (कर्ता)। विधेय-देखते-ही-देखते (क्रिया विशेषण), सोने की (कर्म विस्तार), लंका (कर्म) जला दी (क्रिया पद)।

प्रश्न 4.
साधारण तथा मिश्र वाक्य का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
साधारण वाक्य-बच्चे आँगन में खेल रहे हैं। मिश्र वाक्य-देव ने कहा कि वह बनारस जा रहा है। प्रश्न-नीचे लिखे सरल वाक्यों को मिश्र वाक्यों में बदलो
(1) अच्छे छात्र बड़ों की आज्ञा का पालन करते हैं।
(2) ग़रीब होने पर भी वह ईमानदार है।
उत्तर:
(1) जो छात्र अच्छे हैं, वे बड़ों की आज्ञा का पालन करते हैं।
(2) यद्यपि वह ग़रीब है, तथापि ईमानदार है।

प्रश्न 5.
‘वह फल खरीदने के लिए बाज़ार गया’- इस सरल वाक्य को संयुक्त वाक्य में लिखिए।
उत्तर:
वह बाज़ार गया और वहां उसने फल खरीदे।

प्रश्न:
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए-
(1) झाड़ियों में छिप कर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी। (संयुक्त वाक्य में)
(2) सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ। (साधारण वाक्य में)
(3) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (साधारण वाक्य में)
(4) उसने नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा। (मिश्र वाक्य में)
(5) दिन-रात मेहनत करने वालों को सोच-समझ कर खर्च करना चाहिए। (मिश्र वाक्य में)
(6) लता ने मधुर गीत गा कर सब को मुग्ध कर दिया। (संयुक्त वाक्य में)
(7) कल फूलपुर में मेला है और हम वहां जाएँगे। (साधारण वाक्य में)
(8) मेहनत करने पर भी ग़रीबों को भर पेट रोटी नहीं मिलती। (संयुक्त वाक्य में)
(9) जो लोग परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (साधारण वाक्य में)
(10) जो समय पर काम करते हैं, उन्हें पछताना नहीं पड़ता। (साधारण वाक्य में)
उत्तर:
(1) बिल्ली झाड़ियों में छिप कर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
(2) सुबह पहली बस पकड़ कर शाम तक लौट आओ।
(3) मैंने पीड़ा से कराहते हुए व्यक्ति को देखा।
(4) उसने जो प्रार्थना-पत्र लिखा था, वह नौकरी के लिए था।
(5) जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें सोच-समझ कर खर्च करना चाहिए।
(6) लता ने एक मधुर गीत गाया और उससे उसने सबको मुग्ध कर दिया।
(7) कल हम फूलपुर के मेले में जाएँगे।
(8) ग़रीब मेहनत करते हैं, फिर भी उन्हें भर पेट रोटी नहीं मिलती।
(9) परिश्रम करने वालों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
(10) समय पर काम करने वालों को पछताना नहीं पड़ता।

प्रश्न:
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(1) सोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया। (प्रश्नवाचक में)
(2) अच्छी वर्षा से अच्छी फसल होती है। (संकेतवाचक में)
(3) उसके पिता जी चल बसे। (विस्मयादिवाचक में)
(4) ग़रीब मेहनत करते हैं तब उन्हें भर पेट रोटी मिलती है। (निषेधवाचक में)
(5) मेरा पत्र आया है। (प्रश्नवाचक में)
(6) आप यहाँ से नहीं जाएँगे। (प्रश्नवाचक में)
(7) वर्षा होगी। (संदेहवाचक में)

उत्तर:
(1) क्या सोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया ?
(2) यदि वर्षा अच्छी होती है तो फसल भी अच्छी होती है।
(3) ओह ! उसके पिता जी चल बसे।
(4) ग़रीब मेहनत करते हैं पर उन्हें भर पेट रोटी के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलता।
(5) क्या मेरा पत्र आया ?
(6) क्या आप यहाँ से नहीं जाएँगे ?
(7) शायद वर्षा हो।

बहुविकल्पी प्रश्नोतरा

1. शब्दों का सार्थक समूह कहलाता है ?
(क) शब्द
(ख) वाक्य
(ग) सार्थक
(घ) पद।
उत्तर:
(ख) वाक्य

2. वाक्यों के कितने खंड होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ख) दो

3. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद होते हैं
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ
उत्तर:
(घ) आठ

4. रचना के आधार पर वाक्य के भेद हैं,
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन

5. ‘मीरा गा कर नाच रही है’ रचना की दृष्टि से वाक्य भेद हैं
(क) सरल
(ख) संयुक्त
(ग) मिश्र
(घ) कोई नही
उत्तर:
(क) सरल

6. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि चरित्र-निर्माण मानव का आधार है। रचना की दृष्टि से वाक्य भेद है।
(क) सरल
(ख) संयुक्त
(ग) मिश्र
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) मिश्र

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Punjab State Board PSEB 7th Class English Book Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 English Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Activity 1.

Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words and put them in your WORDS note work.
1. Meaning of the word as used in the story (adjective/noun/verb, etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or the mobile phone for correct pronunciation.)
3. Spellings:

Princess amuse tricks clown mime
Journey scarce nervous appeared magician

Activity 2.

Rearrange the jumbled words given in capitals on the right side to mean the following.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 1
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 2

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Activity 3.

Answer the following questions :

Question 1.
Why was the king worried about Tanya, the princess ?
राजकुमारी तान्या के बारे में राजा चिंतित क्यों था ?
Answer:
The King was worried because Tanya never smiled.

Question 2.
What did he do to amuse his daughter ?
पुत्री को खुश करने के लिए उसने क्या किया ?
Answer:
He called a magician and a clown to amuse her.

Question 3.
What did the magician do ?
जादूगर ने क्या किया ?
Answer:
The magician showed the princess some tricks.

Question 4.
What did the clown do ?
मस्खरे (जोकर) ने क्या किया ?
Answer:
The clown tried to make the princess laugh with a mime.

Question 5.
What did the king do when the princess did not smile ?
राजकुमारी के न मुस्कराने पर राजा ने क्या किया ?
Answer:
At this, the king declared that anyone who made the princess laugh would get to marry her.

Question 6.
Who was Ivan ?
इवान कौन था ?
Answer:
Ivan was a poor boy who worked for a farmer.

Question 7.
What did Ivan want to do?
इवान क्या करना चाहता था ?
Answer:
Ivan wanted to take a chance to make the princess laugh.

Question 8.
Who all did he meet on his way to the palace ?
महल की ओर जाते हुए वह रास्ते में किस-किस से मिला ?
Answer:
He met a fish, a mouse and a grass-hopper.

Question 9.
What did they want ?
वे क्या चाहते थे ?
Answer:
They wanted to have a new home.

Question 10.
What did Ivan give each of them ?
इवान ने प्रत्येक को क्या दिया ?
Answer:
Ivan gave a gold coin to each of them.

Question 11.
Where was the princess ?
राजकुमारी कहां थी ?
Answer:
The Princess was standing by her window.

Question 12.
What was she doing ?
वह क्या कर रही थी ?
Answer:
She was looking at Ivan.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Question 13.
What happened when Ivan fell into a hole ?
जब इवान सुराख/बिल में गिरा तो क्या हुआ ?
Answer:
The princess started laughing at this.

Question 14.
Why did she start laughing ?
वह हँसने क्यों लगी ?
Answer:
She started laughing because it was the funniest thing she had ever seen.

Question 15.
What did the king do ?
राजा ने क्या किया ?
Answer:
The king became very happy and started laughing.

Activity 4

Select the correct option and fill it in the given blank :

Question 1.
Princess Tanya was a pretty girl but she did not
(a) smile
(b) walk
(c) speak
Answer:
(a) smile

Question 2.
The king called …….. to amuse her.
(a) a magician
(b) a clown
(c) a magician and a clown
Answer:
(c) a magician and a clown

Question 3.
The farmer gave Ivan three ………. coins.
(a) silver
(b) copper
(c) gold
Answer:
(c) gold

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 3

Question 4.
Ivan met a ……….. first of all.
(a) mouse
(b) fish
(c) grass-hopper
Answer:
(b) fish

Question 5.
Ivan gave .. …………. to the mouse.
(a) one coin
(b) two coins
(c) three coins
Answer:
(a) one coin

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Question 6.
The princess was standing by her ………..
(a) window
(b) garden
(c) tower
Answer:
(a) window

Question 7.
Ivan fell into a ………
(a) river
(b) lake
(c) hole
Answer:
(c) hole

Question 8.
The princess laughed on seeing the small animals the fish, the mouse and the grass hopper trying to ………………….. Ivan to save him.
(a) pull up
(b) push down
(c) push away
Answer:
(a) pull up.

Learning Language

Tenses (verb)
हमें क्रिया का समय बताते हैं। यहां Present continuous Tense के बारे में बात की गई है। इस Tense के बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए Format का चयन करें

Affirmative

I am laughing (first form of the verb + -ing).
He/She/It/Singular Nouns is
We/You/They/Plural Nouns are

Negative.

I am not
He/She/Singular Nouns is not watching (verb in its first a film
We/You/They/Plural Nouns are not form + ing).

Interrogative
Is/am/are + subject + first form of the verb + -ing ?

Activity 5

Complete the following sentences using Present Continuous Tense of the verb given in the brackets (Capitalize when needed).

1. My teacher………. talk on the phone right now.
2. …….. you ……………. (dance) ?
3. Cheeku ………………………… (do) his homework at the moment.
4. Shanti …………………………… (work) on a project nowdays.
5. My kids ………………………… (play) in the garden now.
6. Some people ………………. ……… (wait) to talk to you.
7. I ……………… (not go) for a walk today.
8 Leena ……………… (study) for his exam right now ?
9 Uma ……………… (play) the piano now ?
10. Mohan and I ……………… (paint) the fence today.
11. Amita ……………… (help) me at present.
12. My children ……………… (not listen) to the radio now.
13. Saira ……………… (not drink) tea now.
14. I ……………… (vacuum) the carpet right now.
15. My father ……………… (watch) TV now.
16. What she ……………… (eat) right now ?
17. ……. your dog ……… (hide) from me ?
18. Which book ………………………… you ……………….. (read) nowadays?
19. Thomas ………………………. (drive) me home now.
20. I …………………………. (wash) my hands at the moment.
Answer:
1. is talking
2. Are, dancing
3. is doing
4. is working
5. are playing
6. are waiting
7. am not going
8. Is, studying
9. Is, playing
10. are painting.
11. is helping
12. are not listening
13. is not drinking
14. am vacuuming
15. is watching
16. is eating
17. Is, hiding
18. are, reading
19. is driving
20. am washing.

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Now Read the following :

Princess Tanya was watching everything from her window. She started laughing. It was the funniest thing she had ever seen. She laughed and laughed. She kept laughing. The King was passing by her room. He saw that the princess was laughing. The King became very happy. He also started laughing. Within no time, the queen was laughing, the ministers were laughing, the servants were laughing, the guards were laughing and all the people were laughing. Ivan was also laughing.

ऊपर के passage में past (बीते हुए समय की क्रिया, जो उस समय जारी थी) का प्रयोग किया गया है। यह Past Continuous Tense में है। इस Tense के Patterm का अध्ययन नीचे दिए गए वाक्यों में करें।
नोट : Interrogative Sentences में was/were + Subject + first form of the verb + ing ? का Pattern अपनाएं।

Affirmative.

I/He/She/Singular Nouns was watching (verb in its first Torm + -ing). a film.
We/You/They/ Plural Nouns were

Negative.

I/He/She/Singular Nouns was not watching (verb in its first form +-ing). a film.
We/You/They/ Plural Nouns were not

Activity 6

Supply the suitable forms of verbs given in the brackets. The first one is done for you.
1. I was shopping (shop) when you called.
2. Students …………………………… (play) happily when I reached the class.
3. I told him but he didn’t hear me as he ………………. (watch) the news.
4. Sheela and Khyati ………………………… (work) in the office when the boss walked in.
5. The Knight Riders ……………………… (warm-up) when the Mumbai Indians arrived at the stadium.
6. While Minesh was praying, Kiran ………………………. (bake) a cake.
7. I ……………………. (drive) when you called, so I couldn’t answer.
8. I saw Meena yesterday when she …………….. (walk) by the river.
9. My mother ……………. (cook) and my father …………………………. (dust) the house yesterday.
10. Shanti ……………………….. (boil) milk when Rita came.
Answer:
2. were playing
3. was watching
4. were working
5. were warming up
6. was baking
7. was driving
8. was walking
9. was cooking, was dusting
10. was boiling.

Learning to Listen

Activity 7.

Let us play a game today. Get up from your seats. The name of the game is, “The Princess Says…. You will follow the commands of your teacher. She/he will give you commands to follow. Commands will begin with the phrase “The Princess Says …. If the teacher does not say “The Princess Says…….. before a command (i.e. hold your left ear); you will not follow the command. If you still follow the command, you will be out of the game. The last person left wins.

नोट: अपने teacher के साथ मिलकर स्वयं करें।

Learning to Speak (Pair work)

Activity 8

Imagine that you are talking to your friend on the phone. Tell each other about four things that you and your family members are doing. You can pick words from the following table.

wash dance cook pray dust jump
watch laugh clean make draw help

A: Hello, I am ………. X ……… (name) speaking ! Who is on the line ?
B: Hello, I am …….. Y …….. (name) speaking !
A: Oh! What are you doing?
B: I am watching T.V.
A: What is your mother doing ?
B: She is washing clothes. And, what is your mother doing ?
A: She is cooking food.
B: What is your younger brother doing?
A: He is drawing. He is making a dog.
B: What is your elder sister doing? And what about your father?
A: My younger sister is helping mother in the kitchen. My father is praying to God.
B: What is the noise about that is coming ?
A: My younger sister is jumping, dancing and laughing.
B: Good afternoon. Now I am putting the phone down.

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Learning to Write

Activity 9

A mind map of a story is given below. The name of the story is “The Three Pigs’. Using the mind map, write your story about the three pigs and the wolf . All the hints and useful words are given in the mind map.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 4
Answer:
The Three Pigs : Once there were three pigs. One lived in a straw house and one in a wooden. Their houses were not strong as they were quickly built. But the third one lived in a brick house that was very strong. One day a big bad wolf came there. It was hungry for pigs. It blew down the straw and the wooden houses easily and ate the pigs. But she could not break down the brick house. Therefore, it climbed down the chimney of the house. Soon she got buried by hot water and ran away crying.

Learning to use language

Activity 10

Read the dialogue between a dinosaur and a sparrow. Dinosaur is an extinct animal and sparrow is about to become extinct. Radiation from mobile phone towers has harmed sparrows and other birds.

Complete the dialogue by taking information from the given table.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 5

1. First appeared 235 million years ago
2. Class Reptile
3. Size Different sizes, 20 inches to 39.7 meters
4. Height 59 feet (largest dinosaurs)
5. Life on Earth 150 million years
6. Extinction 66 million years ago
7. Cause of Extinction Asteroid hit on Earth
8. Result of the asteroid hit Mass extinction of most species on Earth

Dialogues

Sparrow : Hello, stranger! You are so huge. How can I help you ?
Dinosaur : Oh, hello! Actually I am not a stranger. I used to live here 66 million years ago.
Humans call us Dinosaurs. So I’m just exploring how much the planet has changed.
Sparrow : Oh, really! How much has it changed ?
Dinosaur : Oh, it has changed so much. I don’t like the change. There were no humans and buildings when I used to live no pollution, no global warming.
Sparrow : Oh, tell me more, Sir !
Dinosaur : There were trees all around. We were everywhere – on land, in the air and in water.
Sparrow : Oh, wow! What were they called ?
Dinosaur : Humans have named the flying Dinosaurs as PTERODACTYL.
Sparrow And what about the ones that lived in the water ?
Dinosaur : They have been named as SPINOSAURUS.
Sparrow : Mr Dinosaur, I have so many questions to ask you.
Dinosaur : Don’t worry, I know what is in your mind.
Here I am going to tell you all about me and our family.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 6

We were reptiles. We appeared on earth 235 million years ago. We were of different sizes — from 20 inches to 39.7 meters. The largest member of our family was 59 feet tall. We lived about 150 million years on earth. But about 66 million years ago an asteroid hit the earth that caused our extinction. This incident also led to the extinction of most species of this planet.

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Comprehension Of Passages

Read the following passage carefully and answer the questions that follow each.

(1) This is a very old story from Russia. There was a princess in Russia. Her name was Tanya. Tanya was very beautiful but she never smiled or laughed. Her father, the king, loved her very much but he kept worrying because she never smiled. Even the queen was worried.

King (said to himself): I must find a way to make my daughter happy. I want to see her smiling! And he had an idea. He called a magician to amuse his daughter. The magician showed the princess some tricks.

1. What kind of girl was Tanya ?
तान्या कैसी लड़की थी ?

2. What did Tanya’s father wish ?
तान्या के पिता की क्या इच्छा थी ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) Tanya’s father was a king.
(b) Queen never got worried.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) Tanya was a …………..
(b) The magician showed the princess …………..

5. Match the words with their meanings.

(a) worried entertain
(b) amuse anxious
show

Answer:
1. Tanya was very beautiful but she never smiled or laughed.
2. Tanya’s father wished to see his daughter (Tanya) smiling.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) Tanya was a princess in Russia.
(b) The magician showed the princess some tricks.
5.
(a) worried — anxious
(b) amuse — entertain

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(2) Very far from the palace, there lived a poor boy. His name was Ivan. He worked for a farmer. When he heard about the king’s promise, he wanted to take a chance at making the princess laugh. He thought that he could make her laugh. The farmer gave the boy three gold coins for the journey.
On his way, he found a lake. In the lake, there was a fish. The fish called him.
Fish (to Ivan) : Oh ! Can you help me, please ?
Ivan (to the fish) : How can I help you, fish ?
Fish (to Ivan) : I have lived in this lake for a long time.
Now the water is getting dirty. I don’t want to live here anymore, but I am too poor to find a new house.
Ivan (to the fish): I am so sorry, Fish. I have three gold coins. I can give you one. I’ll still have two for my journey. I am going to meet the princess.

1. Who was Ivan ? Where did he live ?
इवान कौन था ? वह कहां रहता था ?

2. What did Ivan saw on his way?
रास्ते में उसे क्या दिखाई दिया ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) The fish had lived in the lake for a long time.
(b) The fish wanted the princess to help it.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) The farmer gave the boy ………….. for the journey.
(b) I am too poor to

5. Match the words with their meanings.

promise saw
found made
 word

Answers
1. Ivan was a poor boy who worked for a farmer. He lived very far from the king’s palace.
2. On his way, Ivan saw a lake with a fish in it.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) The farmer gave the boy three gold coins for the journey.
(b) I am too poor to find a new house.
5.
(a) promise — word
(b) found — saw.

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(3) Ivan continued travelling. He was hungry and very tired. He had no money to buy food. He reached the palace. He saw the princess. She was standing by her window. She was looking at him. He became nervous because the princess was looking at him. He fell into a hole.
Ivan (shouting) : Help! Someone, help me!
Suddenly, the fish, the mouse and the grass-hopper appeared.
All three (fish, mouse and grasshopper) : Don’t worry! We will save you !
The three of them pulled the boy from the hole.

1. In what condition was Ivan when he reached the palace ?
महल तक पहुँचने पर इवान की क्या दशा थी ?

2. Why did he become nervous ?
वह घबरा क्यों गया ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) The princess was standing.
(b) The three of them pulled the boy.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) The princess was standing …………………..
(b) The three of them pulled the boy …………..

5. Match the words with their meanings.

(a) nervous confused
(b) appeared became invisible
became visible

Answer:
1. Ivan was very hungry and thirsty when he reached the palace.
2. He became nervous because the princess was looking at him.
3.
(a) False
(b) True
4.
(a) The princess was standing by her window.
(b) The three of them pulled the boy out from the hole.
5.
(a) nervous — confused
(b) appeared — became visible

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(4) Princess Tanya was watching everything from her window. She started laughing. It was the funniest thing she had ever seen. She laughed and laughed. She kept laughing. The king was passing by her room. He saw that the princess was laughing. The king became very happy. He also started laughing. Within no time, the queen was laughing, the ministers were laughing, the servants were laughing, the guards were laughing and all the people were laughing. Ivan was also laughing. The king kept his promise. The kingdom came to know that Ivan and the princess were getting married. They got married. Ivan became a prince. He went to the king.

1. How did the King feel ?
राजा ने कैसा महससू किया ?

2. Who were getting married ?
किसकी शादी हो रही थी ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) The king did not keep his promise.
(b) Ivan became a prince.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) Within …………….. the queen was laughing.
(b) The king saw that ………….

5. Match the words with their meanings.

(a) funniest smile
(b) watch most amusing
see

Answer:
1. The king became very happy.
2. The princess and Ivan were getting married.
3.
(a) False
(b) True
4.
(a) Within no time the queen was laughing.
(b) The king saw that the princess was laughing.
5.
(a) funniest — most amusing
(b) watch — see

Use Of Words/Phrases In Sentences

1. Amuse (entertain) –
Mother amused her child with toys.
माँ ने खिलौनों से अपने बच्चे का मनोरंजन किया।

2. Tricks. (feats) –
The tricks of the magician were funny.
जादूगर के करतब मज़ाकिया थे।

3. Nervous (confused) –
Why are you so nervous ?
आप इतने घबराए हुए क्यों हैं ?

4. Scarce (not enough, scanty) –
Water is getting scarce here.
यहां पानी की कमी होती जा रही है।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

5. Worried (anxious) –
You look worried. What is the problem ?
तुम चिंतित दिखाई देते हो। क्या समस्या है ?

6. Journey (trip) –
We went on a long journey last year.
पिछले साल हम एक लंबी यात्रा पर गए।

7. Princess (royal maiden) –
The princess was married to a handsome prince.
राजकुमारी की शादी एक सुंदर राजकुमार से कर दी गई।

8. Appeared (came in front of) –
The thief appeared before the judge.
चोर जज के सामने आया।

9. Pulled (dragged) –
We pulled the heavy fish with a rope.
हमने भारी मछली को एक रस्सी से खींचा।

Word Meanings

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled 7

The Princess Who Never Smiled Summary in Hindi

This is very old …………………….. them could do it.

यह रूस की एक बहुत पुरानी कहानी है। रूस में एक राजकुमारी थी। उसका नाम तान्या था। तान्या बहुत सुंदर थी लेकिन वह कभी भी हंसती या मुस्कराती नहीं थी। उसके पिता राजा थे और उसे बहुत प्यार करते थे परन्तु वह चिंतित रहते थे क्योंकि वह कभी मुस्कराती नहीं थी। यहां तक कि रानी भी चिंतित थी। राजा (अपने आप से कहा) : मुझे कोई रास्ता ढूंढना चाहिए ताकि मैं अपनी बेटी को खुश कर सकू। मैं उसे मुस्कराते हुए देखना चाहता हूँ। और उसे एक विचार सूझा। उसने अपनी बेटी को बहलाने के लिए एक जादूगर को बुलाया। जादूगर ने राजकुमारी को कुछ कतरब दिखाए। राजा

(राजकुमारी से) : हा, हा, हा …… क्या यह मनोरंजक नहीं ?
राजकुमारी (राजा से) : हाँ, पिता जी। करतब अच्छे हैं परन्तु वे मेरे चेहरे पर मुस्कान नहीं ला सकते।
उन्होंने एक जोकर को भी बुलाया ताकि वह मुस्करा सके।
राजा (राजकुमारी से) : हा, हा, हा …… क्या यह मज़ेदार नहीं ?
राजकुमारी (राजा से) : हाँ पिता जी। जोकर मजाकिया है, परन्तु वह मुझे मुस्कराहट नहीं दे सकता।जोकर उसे हंसाने के लिए नकलें भी उतारता है।

राजा (राजकुमारी से) : हा, हा, हा ………. क्या यह मज़ाकिया नहीं है ?
राजकुमारी (राजा से) : वह अच्छा है परन्तु वह मेरी मुस्कराहट नहीं ला सकता।
अन्ततः उसने अपने देश के सभी लोगों को यह बताने का निर्णय लिया कि जो कोई भी राजकुमारी को हँसा देगा, उसका विवाह राजकुमारी से कर दिया जाएगा। रूस भर से लोग राजा के महल गए और उन्होंने राजकुमारी को हँसाने का प्रयत्न किया, परन्तु कोई भी ऐसा न कर सका।

Very far from ………………. meet the princess.

महल से बहुत दूर एक गरीब लड़का रहता था। उसका नाम इवान था। वह एक किसान के पास काम करता था। जब उसने राजा के वचन के बारे में सुना, तो उसने राजकुमारी को हँसाने का एक अवसर पाने की सोची। वह सोचता था वह उसे हँसा सकता है। किसान ने यात्रा के लिए लड़के को तीन स्वर्ण मुद्राएं दीं। रास्ते में उसे एक झील मिली। झील में एक मछली थी। मछली ने उसे पुकारा। मछली (इवान से) : ओह! कृपया आप मेरी मदद कर सकते हैं ?
इवान (मछली से) : मछली, मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ ?

मछली (इवान से) : मैं एक लम्बे समय से इस झील में रह रही हूँ। अब पानी गंदा हो रहा है। मैं यहाँ और
अधिक नहीं रहना चाहती, परंतु मैं इतनी गरीब हूँ कि अपने लिए नया घर नहीं ले
सकती। इवान (मछली से) : मछली, मैं माफी चाहता हूँ। मेरे पास तीन स्वर्ण मुद्राएं हैं। मैं एक तुम्हें दे सकता हूँ।
मेरे पास यात्रा के लिए फिर भी दो बच जाएंगी। मैं राजकुमारी से मिलने जा रहा हूँ।
मछली (इवान से) : मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे कर सकती हूँ ?

इवान (मछली से) : चिंता मत करो। मुझे तुम्हारी मदद करके खुशी हुई। मुझे आशा है कि तुम्हें एक नया और अच्छा घर मिल जाएगा। इवान ने अपनी यात्रा जारी रखी। उसने एक बड़ा सा खेत
देखा। खेत में एक चूहा था। चूहे ने उसे पुकारा। चूहा (इवान से) हैलो नवयुवक! क्या तुम मेरी सहायता कर सकते हो ?
इवान (चूहे से) : चूहे, मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकता हूँ?
चूहा (इवान से) : मैं लम्बे समय से इस खेत में रह रहा हूँ। अब यहां भोजन कम होता जा रहा है। मैं अब यहां और अधिक नहीं रहना चाहता, परन्तु मैं गरीब हूँ।

इवान (चूहे से) : चूहे, मैं माफी चाहता हूँ। मेरे पास दो स्वर्ण मुद्राएं हैं। मैं एक तुम्हें दे सकता हूँ। मेरे
पास यात्रा के लिए फिर भी एक रह जाएगी। मैं राजकुमारी से मिलने जा रहा हूँ।
चूहा (इवान से) : तुम बहुत दयालु हो। मैं किस प्रकार तुम्हारा आभार व्यक्त करूं?
इवान : चिंता मत करो। मैं तुम्हारी मदद करके खुश हूँ। मुझे आशा है कि तुम्हें एक अच्छा और नया घर मिल जाएगा।

Ivan continued ………………….. from the hole.

इवान ने यात्रा जारी रखी। वह एक जंगल में पहुंचा। जंगल में एक टिड्डा रहता था। टिड्डे ने उसे पुकारा।
टिड्डा (इवान से) : सुनिये! क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो ?
इवान (टिड्डे से) : टिड्डे, मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ ?

टिड्डा (इवान से) : मैं लम्बे समय से इस जंगल में रह रहा हूँ। अब बहुत अधिक गर्मी होती जा रही है। मैं अब यहां नहीं रहना चाहता, परन्तु मैं गरीब हूँ।
इवान (टिड्डे से) : टिड्डे, मैं माफी चाहता हूँ। मेरे पास एक स्वर्ण मुद्रा है। मैं वह तुम्हें दे सकता हूँ। मैं अपना काम चला लूंगा। मैं राजकुमारी से मिलने जा रहा हूँ।

टिड्डा (इवान से) : तुम बहुत दयालु हो। मैं तुम्हारा आभार किस प्रकार व्यक्त करूं।
इवान (टिड्डे से) : चिंता मत करो। मैं तुम्हारी मदद करके खुश हूँ। मैं आशा करता हूँ कि तुम्हें एक अच्छा
और नया घर मिल जायेगा। इवान ने यात्रा जारी रखी। वह भूखा और बहुत थक चुका था। उसके पास भोजन के लिए पैसे नहीं थे। वह महल पहुंच गया। उसने राजकुमारी को देखा। वह अपनी खिड़की में खड़ी थी। वह उसे देख रही थी। वह घबरा गया क्योंकि राजकुमारी उसकी ओर ही देख रही थी। वह एक सुराख में जा गिरा।

इवान (चिल्लाया) : सहायता! कोई मेरी सहायता करो। अचानक ही मछली, चूहा तथा टिड्डा प्रकट हो गए।
तीनों मिलकर (मछली, : चिन्ता मत करो। हम तुम्हारी रक्षा करेंगे। चूहा तथा टिड्डा), तीनों ने मिलकर उसे सुराख से बाहर खींच लिया।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 5 The Princess Who Never Smiled

Princess Tanya ………….. People were smiling.

राजकुमारी तान्या यह सब कुछ अपनी खिड़की से देख रही थी। वह हँसने लगी। यह उसके लिए सबसे मनोरंजक बात थी, जो कुछ भी उसने अब तक देखा था। वह जोर से हँसने लगी और वह लगातार हँसती रही। राजा उसके कमरे के पास से गुजर रहा था। उसने देखा कि राजकुमारी हँस रही है। राजा बहुत खुश हुआ। वह भी हँसने लगा। तुरंत ही रानी हँसने लगी, मंत्री हँसने लगे, नौकर हँसने लगे, सुरक्षाकर्मी हँसने लगे और सभी लोग हँसने लगे। इवान भी हँसने लगा।
राजा ने अपना वचन निभाया। राज्य को पता चल गया कि इवान और राजकुमारी की शादी हो रही है। उनकी शादी हो गई। इवान राजकुमार बन गया। वह राजा के पास गया।

इवान (राजा से) : मुझे मेरे मित्र बहुत प्रिय हैं। मैं उन्हें महल में रख रहा हूँ।
राजा (इवान से) : मुझे कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने भी राजकुमारी को हँसाया है।
उस दिन से महल एक खुशी भरा स्थान बन गया। चारों ओर हँसी और मुस्कराहटें बिखरी हुई थीं। इवान, राजकुमारी तान्या और उसके मित्र मुस्करा रहे थे, राजा मुस्करा रहा था, रानी मुस्करा रही थी, मंत्री मुस्करा रहे थे, नौकर मुस्करा रहे थे, सुरक्षाकर्मी मुस्करा रहे थे और सभी लोग मुस्करा रहे थे।

Retranslation Of Isolated Sentences

1. There was a princess in Russia. — रूस में एक राजकुमारी थी।
2. Her father, the king loved her very much. — उसके पिता, राजा उसे बहुत प्यार करते थे।
3. Even the queen was worried. — यहां तक कि रानी भी चिंतित थी।
4. I want to see her smiling. — मैं उसे मुस्कराते हुए देखना चाहता हूं।
5. The magician showed the princess some tricks. — जादूगर ने राजकुमारी को कुछ करतब दिखाए।
6. He called a clown to make her smile.– उसने उसकी मुस्कराहट लाने के लिए एक जोकर (मस्खरे) को बुलाया।
7. He is good, but he does not make me smile.– यह अच्छा है, परन्तु यह मुझे मुस्कराहट प्रदान नहीं कर सकता।
8. People from all over the Russia went to the king’s palace. — रूस भर से लोग राजा के महल में गए।
9. He worked for a farmer. — वह किसान के पास काम करता था।
10. The farmer gave the boy three gold coins for the journey. — किसान ने यात्रा के लिए लड़के को तीन मुद्राएं दीं।
11. The king kept his promise. — राजा ने अपना वचन निभाया।
12. She kept laughing. — वह लगातार हँसती रही।
13. I am happy to help you. — मुझे तुम्हारी मदद करके खुशी हुई।
14. He was hungry and very tired. — वह भूखा था और बहुत थका हुआ था।
15. He fell into a hole. — वह एक सुराख में गिर गया।
16. Three of them pulled the boy from the hole. — तीनों ने मिलकर उसे सुराख से खींच लिया।
17. Princess Tanya was watching everything from her window. — राजकुमारी तान्या यह सब कुछ अपनी खिड़की से देख रही थी।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) सन्धि और सन्धि-विच्छेद (प्रकार, नियम और उदाहरण)

प्रश्न 1.
सन्धि किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार की हैं?
उत्तर:
दो वर्गों के विकार या परिवर्तन सहित मेल को सन्धि कहते हैं। सन्धि तीन प्रकार की होती है
1. स्वर-सन्धि
2. व्यंजन-सन्धि
3. विसर्ग-सन्धि

1. स्वर-सन्धि-स्वर से परे स्वर आने पर जो विकार होता है, उसे स्वर-सन्धि कहते हैं।
जैसे-विद्या + आलय = विद्यालय।। (अ + ई = ए)
परम + ईश्वर = परमेश्वर (आ + आ = आ)

2. व्यंजन-सन्धि-व्यंजन से परे स्वर या व्यंजन आने से जो व्यंजन में विकार होता है, उसे व्यंजन-सन्धि कहते
जैसे-जगत् + ईश = जगदीश। सम् + कल्प = संकल्प।

3. विसर्ग-सन्धि-विसर्ग से परे स्वर या व्यंजन आने से विसर्ग में जो विकार होता है, उसे विसर्ग-सन्धि कहते
जैसे-निः + पाप = निष्पाप। दुः + गति = दुर्गति।

(क) स्वस्सन्धि

स्वर-सन्धि के पांच भेद हैं।
(क) दीर्घ-सन्धि (ख) गुण-सन्धि (ग) वृद्धि-सन्धि (घ) यण-सन्धि (ङ) अयादि-सन्धि।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(क) दीर्घ-सन्धि:
हस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ से परे क्रम से यदि वही ह्रस्व और दीर्घ अ, इ, उ, ऋ हो तो दोनों के स्थान में वही दीर्घ स्वर हो जाता है, इसे दीर्घ-सन्धि कहते हैं।

अ-आ

अ + अ = आ-वेद + अंत = वेदांत, धर्मार्थ, ग्रामांतर, परमार्थ।
अ + आ = आ-हिम + आलय = हिमालय, गृहागत, धर्माधार।
आ + अ = आ-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, महानुभाव, दयार्णव।
आ + आ = आ-विद्या + आलय = विद्यालय, लताश्रय, महाकार।

इ-ई

इ + इ = ई-कवि + इन्द्र = कवीन्द्र, हरीच्छा, मुनीन्द्र।
इ + ई = ई-कवि + ईश = कवीश, मुनीश्वर, मुनीश।
ई + इ = ई-मही + इन्द्र = महीन्द्र, नदीन्द्र।
ई + ई = ई-मही + ईश = महीश, नदीश, रजनीश।

उ-ऊ

उ + ऊ = ऊ-भानु + उदय = भानूदय, विधूदय, प्रभूक्ति, गुरूपदेश।
ऊ + उ = ऊ-वधू + उत्सव = वधूत्सव, श्वश्रूपदेश।
(‘उ’ तथा ‘ऊ’ या ‘ऊ’-‘ऊ’ की सन्धि वाले शब्द हिन्दी में इने-गिने ही आते हैं और ऋ तथा ऋ की सन्धि के शब्द तो हिन्दी में प्रयुक्त ही नहीं होते।

(ख) गुण-सन्धि-अ या आ से परे यदि ह्रस्व और दीर्घ इ, उ और ऋ हो तो दोनों के स्थान पर क्रम से ए, ओ तथा अर् हो जाता है। इसे गुण सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे इ और ई।

अ + इ = ए-देव + इन्द्र = देवेन्द्र, नरेन्द्र, राजेन्द्र।
अ + ई = ए-नर + ईश = नरेश, गणेश, राजेश ।
आ + इ = ए-महा + इन्द्र = महेन्द्र, रमेश, यथेष्ट।
आ + ई = ए-रमा + ईश = रमेश, महेश
अ + इ = ए-स्व + इच्छा = स्वेच्छा।

अ और आ से परे उ और ऊ

अ + उ = ओ-वीर + उचित = वीरोचित, उत्तरोत्तर, सूर्योदय, अरुणोदय।
आ + उ = ओ-महा + उत्सव = महोत्सव, महोदय।
अ + ऋ = अर्-देव + ऋषि = देवर्षि, सप्तर्षि ।
आ + ऋ = अर्-महा + ऋषि = महर्षि, ब्रह्मर्षि।

3. वृद्धि-सन्धि-अ और आ से परे यदि ए और ऐ, ओ और औ हो तो दोनों के स्थान में क्रम से ऐ, औ हो जाते हैं। इसे वृद्धि-सन्धि कहते हैं।

अ और आ से परे ए और ऐ

अ + ए = ऐ-एक + एक = एकैक।
आ + ए = ऐ-सदा + एव = सदैव।
अ + ऐ = ऐ-परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य, मतैक्य।
आ + ऐ = ए-महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य।

अ और आ से परे ओ और औ

अ + ओ = औ-वन + औषिधि = बनौषधि, जलौदधि।
आ + ओ = औ-महा + ओज = महौज।
अ + औ = औ-परम + औषध = परमौषध।
अ + औ = औ-महा + औषध = महौषध।

4. यण-सन्धि-ह्रस्व और दीर्घ इ, उ, ऋ से परे यदि कोई असमान स्वर हो तो इ और ई को य, उ और ऊ को व् और ऋ को र् हो जाता है। इसे यण्-सन्धि कहते हैं।

इ को य-यदि + अपि = यद्यपि, अत्याचाले, भूम्याधार।
ई को य्-देवी + अर्पण = देव्यर्पण, देव्याज्ञा, नद्यवतरण।
उ को व्-सु + आगत = स्वागत, अन्वेषण।
ऊ को व्-स्वयंभू + आज्ञा = स्वयंभ्वाज्ञा।
ऋ को र्-मातृ + आनन्द = मात्रानन्द, पित्राज्ञा।

5. अयादि-सन्धि-ए, ओ, ऐ, औ से परे यदि स्वर हो तो ए को अय, ओ को अव, ऐ को आय और औ को आव् हो जाता है। इसे अयादि-सन्धि कहते हैं।

ए को अय्-ने + अन = नयन।
ओ को अव्-भो + अन = भवन, लवण।
ऐ को आय्-गै + अक = गायक।
औ को आव्-भौ + उक = भावुक।

(क) स्वस्सन्धि

(i) दीर्घ-सन्धि

सन्धि:
स्व + अधीन = स्वाधीन
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
विद्या + आलय = विद्यालय
रत्न + आकर = रत्नाकर
देव + आलय = देवालय
हिम + आलय = हिमालय
परम + अर्थ = परमार्थ
राम + अयन = रामायण
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
सचिव + आलय = सचिवालय
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
अवनि + इन्द्र = अवनीन्द्र
मही + इन्द्र = महीन्द्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा
परि + ईक्षा = परीक्षा
लक्ष्मी + ईश = लक्ष्मीश
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
मधु + उर्मि = मधूर्मि
अनु + उदित = अनूदित
मातृ + ऋण = मातृण

सन्धि-विच्छेद:
कृपालु = कृपा + आलु
दयानन्द = दया + आनन्द
कार्यालय = कार्य + आलय
पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
परमानन्द = परम + आनन्द
कुसुमाकर = कुसुम + आकर
चरणामृत = चरण + अमृत
सुधीन्द्र = सुधि + इन्द्र
सतीश = सती + ईश
मुनीश = मुनी + ईश
गिरीश = गिरी + ईश
भानुदय = भानु + उदय
वधूरु = वधू + ऊरु
वधूत्सव = वधू + उत्सव
पितृण = पितृ + ऋण

(ii) गुण सन्धि

सन्धि:
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
रमा + ईश = रमेश
राज + ईश = राजेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदधि = महोदधि
गंगा + उदक = गंगोदक
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
भाग्य + उदय = भाग्योदय
महा + उदय = महोदय
जल + ऊर्मि = जलौर्मि
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
महा + ऋषि = महर्षि
देव + ऋषि = देवर्षि

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
सुरेश = सुर + ईश
उपेन्द्र = उप + इन्द्र
नरेन्द्र = नर + इन्द्र
यथेष्ट = यथा + इष्ट
हितोपदेश = हित + उपदेश
नरोत्तम = नर + उत्तम
नरोत्तम = नर + उत्तम
पुरुषोत्तम = पुरुष + उत्तम
परोपकार = पर + उपकार
प्रश्नोत्तर = प्रश्न + उत्तर
पत्रोत्तर = पत्र + उत्तर
अछूतोद्धार = अछूत + उद्धार
ब्रह्मर्षि = ब्रह्म + ऋषि
राजर्षि = राज + ऋषि
वसन्तर्तु = वसन्त + ऋतु

(iii) वृद्धि सन्धि

सन्धि:
तथा + एव = तथैव
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
धृत + औदन = धृतोदन
सदा + एव = सदैव
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
महा + औषध = महौषध
परम + औदार्य = परमौदार्य

सन्धि-विच्छेद:
मतैक्य = मत + ऐक्य
जनश्वर्य = जन + ऐश्वर्य
अमृतौषध = अमृत + औषध
लोकैषणा = लोक + एषणा
वनौषधि = वन + औषधि
महौज = महा + ओज

(iv) यण सन्धि

सन्धि
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
सु + आगत = स्वागत
पितृ + उपदेश = पितृोपदेश
अति + अल्प = अत्यल्प
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
नि + ऊन = न्यून
अभि + आगत = अभ्यागत
अति + उपकार = अत्युपकार
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
देवी + आगम = देव्यागम
सखि + आगम = सख्यागम
सखि + उचित = सख्युचित
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
सु + अल्प = स्वल्प

सन्धि-विच्छेद:
अन्वेषण = अनु + एषण
मात्रानुमति = मातृ + अनुमति
पिताज्ञा = पितृ + आज्ञा
अभ्यागत = अभि + आगत
अत्यावश्यक = अति + आवश्यक
अत्याचार = अति + आचार
इत्यादि = इति + आदि
वध्वागम = वधू + आगम
मध्वालय = मधु + आलय
प्रत्याशा = प्रति + आशा
प्रत्येक = प्रति + एक
अन्वय = अनु + अय
अन्वर्थ = अनु + अर्थ
अन्विति = अनु + इति

(v) अयादि सन्धि

सन्धि
चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
दै + अक = दायक
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
पो + अन = पवन
गै + अन = गायन
नौ + इक = नाविक
भो + अन = भवन
हो + अन = हवन

सन्धि-विच्छेद:
शयन = शे + अन
सायक = सै + अक
गवेषणा = गौ + एषणा
पावन = पौ + अन
पावक = पो + अक
भावुक = भौ + उक
भाव = भो + अ

(ख) व्यंजन-सन्धि

(i) किसी वर्ण के पहले वर्ण से परे यदि कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, ह में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को उसी वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है। जैसे

दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन (क् को ग्) ।
अच् + अंत = अजंत (च् को ज्)।
षट् + दर्शन = षड्दर्शन (ट् को ड्)।
जगत् + ईश = जगदीश (त् को द्)।
अप् + ज = अब्ज (प् को ब्)।

(ii) किसी वर्ग के पहले या तीसरे वर्ण से परे यदि किसी वर्ग का पाँचवां वर्ण हो तो पहले और तीसरे वर्ण को अपने वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे

वाक् + मय = वाड्मय (क् को ङ्)।
पट् + मास = पण्मास (ट् को ण्)।
जगत् + नाथ = जगन्नाथ (त् को न्)।
अप् + मय = अम्मय (प् को म्)।

(iii) त् और द् को च और छ परे होने पर च, ज और झ परे होने पर ज, ट और ठ परे होने पर ट्, ड और ढ परे होने पर इ और ल परे होने पर ल हो जाता है। जैसे

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 1

(iv) त् और द् से परे श् हो तो त् और द् को च् और श् को छ् हो जाता है। जैसे

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 2

उद् + शिष्ट = उच्छिष्ट (द् को च्, श् को छ)।

त् और द् से परे यदि ह् हो तो त् को द् और ह् को ध् हो जाता है।
जैसे-उत् + हार = उद्धार (ह् को ध्)
उत् + हरण = उद्धरण।

(v) म् के बाद यदि क् से म् तक में से कोई वर्ण हो तो म् को अनुस्वार अथवा बाद के वर्ण के वर्ग का पाँचवां वर्ण हो जाता है। जैसे
सम् + कल्प = संकल्प, संकल्प (म् को अनुस्वार और ङ)।
सम् + चार = संचार, सञ्चार, किंचित-किञ्चित् (म् को अनुस्वार और ज्)।
सम् + तोप = संतोष, सन्तोष (म् को अनुस्वार और न्)।
सम् + पूर्ण = संपूर्ण, सम्पूर्ण (म् को अनुस्वार और म्)।
सम् + बन्ध = संबंध, सम्बन्ध (म् को अनुस्वार और म्)।

(vi) क् से म् तक वर्णों को छोड़कर यदि और कोई व्यंजन म् से परे हो तो म् को अनुस्वार हो जाता है। जैसे-
सम् + हार = संहार, सम् + यत = संयत, सम् + रक्षण = संरक्षण, सम् + लग्न = संलग्न, सम् + वत् = संवत् (म् को अनुस्वार), सम् + वेदना = संवेदना, सम् + शय = संशय, सम् + सार = संसार ।

(vii) स्वर से परे यदि छ आये तो छ के पूर्व च लग जाता है। (इसे आगम कहते हैं)।
आ + छादन = आच्छादन। वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया (च् का आगम)।
स्व + छंद = स्वच्छंद। प्र + छन्न = प्रच्छन्न।

(viii) ऋ, र, ष से परे न् को ण हो जाता है।
स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार और य, व, ह में से किन्हीं वर्गों के बीच आ जाने पर भी ऋ, ऋ, र् और प् से परे न् को ण् हो जाता है। जैसे
भर् + अन = भरण, भूष + अन = भूषण।

(ix) स् से पूर्व अ या आ से भिन्न कोई स्वर हो तो स् को ष् हो जाता है।
जैसे-अभि + सेक = अभिषेक (स् को ष्), सु + समा = सुषमा।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद Img 3

(ग) विसर्ग संधि

(i) विसर्ग से पहले और बाद में दोनों ओर ‘अ’ होने पर विसर्ग ‘ओ’ में बदल जाते हैं। जैसे-मनः + अनुकूल = मनोऽनुकूल, यश: + अभिलाषा = यशोऽभिलाषा।
(ii) विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग को ‘ओ’ हो जाता है। जैसे
(iii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर विसर्ग को ओ
सरः + ज = सरोज
मनः + ज = मनोज।
पयः + द = पयोद
पयः + धर = पयोधर।
तपः + बल = तपोबल।

(iv) विसर्ग के बाद य, र, ल, व, ह होने पर विसर्ग को ओ

मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर + मनोहर।
मनः + योग = मनोयोग
मनः + रथ = मनोरथ।
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
मनः + बल = मनोबल।

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

(v) विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई स्वर तथा बाद में कोई स्वर किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई भी वर्ण हो तो विसर्ग को ‘र’ हो जाता है। जैसे

(vi) विसर्ग के बाद कोई स्वर होने पर विसर्ग को र

दुः + उपयोग = दुरुपयोग
दुः = आशा = दुराशा।
निः + आकार = निराकार
निः + आश्रित = निराश्रित।

(vii) विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण होने पर

निः + झर = निर्झर
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म।
पुनः + निर्माण = पुनर्निर्माण
निः + जन = निर्जन।
दुः + गुण = दुर्गुण
निः + नय = निर्णय।
बहिः + मुख = बहिर्मुख
दु: + बल = दुर्बल।

(viii) विसर्ग के बाद य, र, व, ह होने पर विसर्ग को

र्निः + विकार = निर्विकार
दुः + व्यवहार = दुर्व्यवहार
अन्तः + यामी = अंतर्यामी
दु: + लभ = दुर्लभ

(ix) विसर्ग के बाद च, छ हो तो विसर्ग को ‘श्’, ट्, ठ हो तो ‘ष’ तथा त, थ. हो तो ‘स्’ में परिवर्तित हो जाता है। जैसे

दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
हरिः + चंद्र = हरिश्चंद्र।
निः + चय = निश्चय
निः + छल = निश्छल।
‘धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
इतः + ततः = इतस्ततः
नमः + ते = नमस्ते
दुः + तर = दुस्तर
मनः = ताप = मनस्ताप।

(x) निः तथा दुः के बाद क-ख या प-फ हो तो इनके विसर्ग को ‘ष’ हो जाता है। जैसे-

निः + कपट = निष्कपट
निः + काम = निष्काम।
दुः + कर = दुष्कर
दुः + काल = दुष्काल।
निः + पाप = निष्पाप
निः + फल = निष्फल।
दु: + प्राप्य = दुष्प्राप्य
दुः + प्रभाव = दुष्प्रभाव।

(xi) विसर्ग के बाद यदि श, स हो तो विकल्प के विसर्ग को भी क्रमशः श् तथा स् ही हो जाता है। जैसे-

दु: + शासन = दुश्शासन या दुःशासन दुः + शील = दुश्शील या दुःशील।
निः + सन्देह = निस्सन्देह या निःसन्देह नि: + सार = निस्सार या नि:सार।
दुः + साहस = दुस्साहस।

(xii) यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ तथा बाद में ‘अ-आ’ के अतिरिक्त कोई स्वर हो तो विसर्ग लोप हो जाता है .और फिर उन अक्षरों में संधि नहीं होती। जैसे-

अतः + एव = अतएव
ततः + एव = तथैव।

हिंदी में अलग से विसर्ग संधि तो नहीं है, किंतु उसने संस्कृत के दो विसर्ग संधि शब्दों को संस्कृत से भिन्न रूप से ही अपनाया है
संस्कृत रूप हिंदी रूप अंतः + राष्ट्रीय अंताराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुनः + रचना पुनारचना
पुनर्रचना

प्रश्न 1.
व्यंजन संधि और विसर्ग संधि में क्या अंतर है ? उसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
व्यंजन संधि वहाँ होती है जब पहले शब्द के अंत में व्यंजन हो और दूसरे शब्द के आदि में व्यंजन या स्वर हो तब दोनों के मिलने से जो परिवर्तन होता है। जैसे-सत् + जन = सज्जन, जगत् + ईश = जगदीश। विसर्ग संधि वहाँ होती है जब विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर परिवर्तन होता है। जैसे-नम: + ते = नमस्ते, दु: + उपयोग = दुरुपयोग।

प्रश्न 2.
संधि-विच्छेद से आप क्या समझते हैं ? दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब संधि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है तब उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसेमहोत्सव = महा + उत्सव, उज्ज्वल = उत् + ज्वल, निर्धन = निः + धन।

अभ्याम

सन्धि:
दिक् + गज = दिग्गज
दिवग् + गत = दिवंगत
पट् + मास = पण्मास
उत् + मूलन = उन्मूलन
उत् + चारण = उच्चारण
तत् + चित्र = तच्चित्र
उत् + श्वास = उच्छ्वास
भगवत् + शास्त्र = भगवच्छास्त्र
तत् + हित = तद्धित
उत् + हरण = उद्धरण
सत् + गति = सद्गति
सत् + आनन्द = सदानन्द
उद् + वेग = उद्वेग
सत् + धर्म = सद्धर्म
अहम् + कार = अहंकार
सम् + चय = संचय
दम् + डित = दण्डित
सम् + जय = संजय
सम् + गति = संगति
सम् + योग = संयोग
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + शय = संशय
किम् + चित् = किंचित
सम + कल्प = संकल्प
स्व + छन्द = स्वच्छन्द
सन्धि + छेद = सन्धिच्छेद/सन्धिछेद
निर + नय = निर्णय
विष् + नु = विष्णु
भाश + अन = भाषण
पोष + अन = पोषण
अर्प + न = अर्पण
दर्प + न = दर्पण
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
उत् + डयन = उड्डयन
उत् + लंघन = उल्लंघन
उत् + लास = उल्लास
सम् + राट् = सम्राट
वि + सम = विषम
अभि + सेक = अभिषेक
निस् + गुण = निर्गुण
दुस् + बोध = दुर्बोध
पुरुस् + कार = पुरस्कार
भास + कर = भास्कर
राम + अयन = रामायण
जब + ही = जभी
अब + ही = अभी

PSEB 11th Class Hindi व्याकरण सन्धि और सन्धिच्छेद

सन्धि-विच्छेद:
षडानन = षट् + आनन
बागीश = वाक् + ईश
अम्मय = अप् + मय
तन्मय = तत् + मय
बृहच्छवि = बृहत् + छवि
सच्चित् = सत् + चित
भगवच्छोभा = भगवत् + शोभा
उद्धत = उत् + हत
उद्योग = उत् + योग
उद्गार = उत् + गार
उद्भव = उत् + भव
तद्रूप = तत् + रूप
उद्धृत = उत् + धृत
संतप्त = सम् + तप्त
संतान = सम् + तान
संधान = सम् + धान
संभव = सम् + भव
संपूर्ण = सम् + पूर्ण
संवरण = सम् + वरण
संसार = सम् + सार
संहार = सम् + हार
शंकर = शम् + कर
परिच्छेद = परि + छेद
विच्छेद = वि + छेद
तृष्णा = तृप + ना
जिष्णु = जिष् + नु
परिणाम = परि + नाम
प्रमाण = प्रमा + न
ऋण = ऋ+ न
भूषण = भूष् + अन्
नीरव = निर् + रव
नीरज = निर् + रज
उल्लेख = उत् + लेख
तल्लीन = तत् + लीन
विद्युल्लता = विद्युत् + लता
सामराज्य = साम् + राज्य
निषेध = नि + सेध
निषिद्ध = नि + सिद्ध
निर्वाध = निर + वाध
दुर्गुण = दुर + गुण
नमस्कार = नमस + कार
तिरस्कार = तिरस् + कार
मरण = मर् + अन
तभी = तब + ही
कभी = कब + ही

विसर्ग सन्धि:

सन्धि:
अधः + गति = अधोगति
मनः + ज = मनोज
मनः + बल = मनोबल
पयः + द = पयोद
यशः + दा = यशोदा
पयः + धर = पयोधर
तपः + बल = तपोबल
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनः + हर = मनोहर
मनः + रथ = मनोरथ
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
मनः + योग = मनोयोग
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
दुः + उपयोग = दुरुपयोग
निः + चल = निश्चिल
निः + चय = निश्चय
हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
निः + ठुर = निष्ठुर
निः + छल = निश्चल
मनः + ताप = मनस्ताप
निः + तेज = निस्तेज
दुः + शासन = दुशासन
निः + सन्देह = निस्सन्देह
निः + संतान = निस्संतान
निः + कपट = निष्कपट
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
दुस्तर = दुः + तर
दुष्प्राप्य = दुः + प्राप्य
निष्फल = निः + फल
निष्काम = निः + काम
दुष्प्रभाव = दुः + प्रभाव
दुस्साहस = दु: + साहस

सन्धि-विच्छेद:
निः + आशा = निराशा
निः + गुण = निर्गुण
दुः + नीति = दुर्नीति
निः + आकार = निराकार
निः + आहार = निराहार
निः + आधार = निराधार
दु: + गति = दुर्गति
दु: + भावना = दुर्भावना
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
मनः + अभीष्ट = मनोऽभीष्ट
अतः + एव = अतएव
निः + झर = निर्झर
दुः + आशा = दुराशा
निः + आशा = निराशा
निः + मल = निर्मल
निराश्रित = निः + आश्रित
पुनर्निर्माण = पुनः + निर्माण
निर्जन = निः + जन
दुर्गुण = दुः + गुण
बहिर्मुख = बहिः + मुख
दुर्बल = दु: + बल
निर्णय = निः + नय
निर्विकार = निः + विकार
दुर्लभ = दुः + लभ
दुश्चरित्र = दु: + चरित्र
हरिश्चंद्र = हरिः + चंद्र
नमस्ते = नमः + ते
मनस्ताप = मनः + ताप
तथैव = ततः + एव
निस्सार = निः + सार
दुश्शील = दु: + शील
दुः + कर = दुष्कर
दुः + फल = दुष्फल

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. स्वर संधि के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच

2. संधि के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(ग) तीन

3. ‘ने + अन’ में कौन-सी संधि है ?
(क) यण
(ख) वृद्धि
(ग) गुण
(घ) अयादि
उत्तर:
(घ) अयादि

4. ‘विद्या + अर्थी’ में सधि है ?
(क) दीर्घ
(ख) गुण
(ग) यण
(घ) अयादि।
उत्तर:
(क) दीर्घ

5. ‘उत् + ज्वल की संधि है ?
(क) उज्ज्वल
(ख) उत्जवल
(ग) उज्जवल
(घ) उज्जला।
उत्तर:
(क) उज्ज्वल

6. ‘भो + अन किसका विच्छेद है ?
(क) भोउन
(ख) भवन
(ग) भोवन
(घ) भुवन
उत्तर:
(ख) भवन

7. मनोरंजन का संधिविच्छेद है
(क) मनः + रंजन
(ख) मनो + रंजन
(ग) मनः + रंजन
(घ) मनोः + रंजन
उत्तर:
(क) मनः + रंजन

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Punjab State Board PSEB 7th Class English Book Solutions Chapter 4 Mountaineers Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 English Chapter 4 Mountaineers

Activity 1

Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words and put them in your WORDS notebook.
1. Meaning of the word as used in the lesson (adjective/noun/verb, etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or the mobile phone for correct pronunciation.)
3. Spellings

sea-level achievement feat climber mountaineer
summit scale expedition felicitated dedicated
trek acclimatization starved deter adventurous

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Vocabulary Expansion

Activity 2

Make meaningful sentences of the words given below :

1. sea-level – A hill is a part of land above sea-level.
2. achievement – Ashoka won great achievements.
3. mountaineer – I want to become a mountaineer.
4. summit – There is a summit within us too.
5. expedition – The went on a hunting expedition.
6. felicitated – The brave children were felicitated with a big reward.
7. dedicated – I am fully dedicated to my parents.
8. acclimatization – None can survive without acclimatization to the atmoshpere.
9. starved – The poor man starved without food.
10. adventurous – Mountaineering is something adventurous.

Learning to Read and Comprehend

Activity 3

Read and answer the following questions.

Question 1.
Who was the first Indian to climb Everest ?
ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाला पहला भारतीय कौन था ?
Answer:
Captain Avtar Singh Cheema was the first Indian to climb Mount Everest.

Question 2.
Who led the 1965 Indian Expedition to Mount Everest ?
1965 में माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले भारतीय अभियान का नेतृत्व किसने किया?
Answer:
Commander M.S. Kohli led that expedition.

Question 3.
When did the first Indian reach the peak ?
चोटी पर पहला भारतीय कब पहुंचा ?
Answer:
The first Indian reached the peak on May 20, 1965.

Question 4.
Which awards did Captain Cheema receive ?
कैप्टन चीमा को कौन-से पुरस्कार दिये गये ?
Answer:
Captain Cheema received Arjuna Award and Padma Shri.

Question 5.
What is the oxygen-starved area of the mountains called ?
‘पर्वतों का ऑक्सीजन की कमी वाला क्षेत्र क्या कहलाता है ?
Answer:
It is called ‘Death Zone’.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Activity 4

Choose the most appropriate option from the given four :

Question 1.
The highest point on the planet is ………
(a) Kanchenjunga
(b) Mount Everest
(c) Kilimanjaro
(d) K2.
Answer:
(b) Mount Everest

Question 2.
The height of Mount Everest above sea-level is …………….
(a) 30,102 feet
(b) 29,000 feet
(c) 29,028 feet
(d) 20,196 feet
Answer:
(c) 29,028 feet.

Question 3.
The first people to stand on top of Mount Everest were …..
(a) Kohli
(b) Sir Edmund Hillary
(c) Tenzing Norgay
(d) Both (b) & (c)
Answer:
(d) Both (b) & (c)

Question 4.
The first Indian to summit Mount Everest was …………..
(a) Kohli
(b) Tenzing Norgay
(c) Sir E. Hillary
(d) Colonel Avtar Singh Cheema
Answer:
(d) Colonel Avtar Singh Cheema

Question 5.
Colonel Avtar Singh Cheema was the ………….. person in the world to scale the peak.
(a) 20th
(b) 16th
(c) 1st
(d) 3rd
Answer:
(b) 16th

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Question 6.
Both Cheema and Kohli were felicitated by the Indian Government with ……………
(a) Nishan-e-Khalsa
(b) Dronacharya Award
(c) Vir Award
(d) Arjuna Award
Answer:
(d) Arjuna Award

Question 7.
A postage stamp was dedicated to the success of the …………… Everest Expedition.
(a) 1933
(b) 1965
(c) 1989
(d) 1970.
Answer:
(b) 1965

Question 8.
The route between 26,000-29,020 feet is called the ………
(a) last zone
(b) upper zone
(c) death zone
(d) middle zone.
Answer:
(c) death zone.

Learning Language

Pronouns

Let us revisit the pronouns :
Noun या Noun Phrase के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द pronouns कहलाते हैं।
We use a pronoun to avoid repetition of a noun or a noun phrase. The words such as ‘they’, ‘she’, ‘her’, ‘he’ and ‘it’ are pronouns.

Subject and Object Pronouns :
Subject pronouns which are: ‘I’, ‘you’, ‘he’, ‘she’, ‘it’, ‘we’ and ‘they’. Of course, we use ‘you’ when we are talking to one person and also when we are talking to more than one person. Observe the use of subject pronouns. They are the subject of a verb.

Note: S = Subject, V = Verb, O = Object 1.
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 1
Object Pronouns :
These are: ‘me’, ‘you’, ‘him’, “her”, “it’, ‘us’ and ‘them’. ‘It’ and ‘you are the same when they are subject pronouns or object pronouns.
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 2

We use them after prepositions.

1. It’s important to him.
2. How money students will come with you ?
3. Look at me!
4. The tiffin is for her.
5. I am looking forward to it.
6. Would you like to come with us ?
7. Rita makes dinner for them.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

3. We use them after ‘be’ verb (is , am , are , was, were).
1. Who’s there ? It’s me!
2. It’s you.
3. This is him.
4. It was her !
5. It was them.

4. We use them for short answers .
1. A: Who is at the door ? B: Me!
2. A: Who ate the mango ? B: Her ! .
3. A: Call her. I’m hungry. B: Me too.

5. With short answers, we can also use a subject pronoun + a verb
1. A: Who’s there? B: I am !
2. A: Who ate the mango ? B: She did !
3. A: I’m hungry. B: I am too.

6. We use them after “as’ and ‘than’ for comparison.
1. He’s as tall as me.
2. She’s prettier than her

7. We can also use the subject pronoun +a verb in the same situation.
1. He’s taller than I am.
2. She’s prettier than she is.

8. We use them after ‘but’ and ‘except’.
1. Everybody went home early but me. (me = I didn’t)
2. Everybody reached their except you.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Activity 5

Study the box below. Fill in the blanks that follow to complete the sentences.
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 3

1. Do you know that girl ? Do you know ____ ?
2. My sister and I have enough food____ can all share.
3. Raj and Reema are late ____ should hurry.
4. He gave a beautiful gift ____ I really like it.
5. Buffalos are very big so ____ eat a lot of food.
6. My sister is studying hard because ____ has a test tomorrow.
7. Are you okay? Can I help —
8. My new neighbours are very helpful. I really like
9. I want to read my book. Where did you keep
10. I’m busy right now. Could you please call —after an hour ?
11. He gave me a pen but lost it.
12. We gave money to the shopkeeper and he gave — milk.
13. I don’t eat junk food because __ isn’t healthy.
14. Who is she? Do you know ___ name?
Answer:
1. her
2. we
3. They
4. me
5. they
6. she
7. you
8. them
9. it
10. me
11. I,
12. us
13. it
14. her.

Activity 6

Your teacher will speak some words from the passage. Listen carefully and find the words in the grid below and encircle them. The first one has been done for you.

Achievement
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 4
Learning to Speak

Activity 7

Let us practise some tongue twisters. Your teacher will say a word or a phrase or a sentence. You will repeat after your teacher.
Example :
Teacher : seashore
Students : seashore
Teacher : by the seashore
Students : by the seashore
Teacher : seashells by the seashore
Students : seashells by the seashore
Teacher : She sells seashells by the seashore
Students : She sells seashells by the seashore
Now, practise the following tongue twisters with your teacher.
1. Red leather, yellow leather.
2. Kitty caught the kitten in the kitchen.
3. Not these things here, but those things there.
4. I can think of six thin things, but I can think of six thick things too.
5. The big bug bit the little beetle, but the little beetle bit the big bug back.
नोट : अध्यापक के साथ मिलकर अभ्यास करें।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Learning to Write

Writing Notices

A notice should contain all the necessary details such as:
1. Name of the issuing authority (school, etc.)
2. Date of issue/release of the notice
3. Title/Subject of the Event (what?)
4. BODY-purpose/event/date/time/duration/place or venue (why, what, when, where and whom)
5. Authorized signatory : Name and signature (contact details)

Format of a Notice

Name of the issuing agency/authority
NOTICE

Date of issue/Release of the notice

Title/Subject of the Event
BODY
(purpose/event/date/time/duration/place or venue)

Signatures
(Name)
Designation

नोट :-ध्यान से अध्ययन करें कि Notice कैसे लिखना है। नीचे दी गई बातों का भी ध्यान रखें :

1. लिखने का उद्देश्य स्पष्ट हो।
2. 50 शब्दों से अधिक न लिखें। अपने उद्देश्य पर ही केंद्रित रहें।
3. कुछ भी बार-बार लिखने से बचें।
4. Notice को Box में लिखें। Box का नमूना Pencil से बनाएं।
5. “Notice” तथा “Title” Capitals (बड़े अक्षरों) में लिखें।
6. Notice का शीर्षक अर्थपरक हो।
7. Notice में 5 w’s – ‘what’ , ‘why’, ‘when’ , ‘where’ and ‘who’ होने चाहिएं।

Activity 8.

You are the Principal of your school. Write a notice mentioning that your school is going to hold a science exhibition on the 15th of next month. It is mandatory for all the students to participate and make a science project. Final selection of science projects will take place a week before the exhibition. The class teachers will select the best three projects in each class.

A.B.C. High School
Notice

March 12, 2020

SCIENCE EXHIBITION

Our school is going to held a science exhibition on 15th of next month in the school hall. All the students must participate in it. Each student should bring a science project of his/her own. The best three projects in each class will be selected a week before the exhibition.
Sd/-
…………
Principal

Learning to use Language

Look at the following information as in (January 2020) about Virat Kohli.
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 5

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Activity 9

Study the chart above and answer the following questions.

Question 1.
What is the highest score of Virat Kohli in First Class Cricket ?
Answer:
It is 254 not out against South Africa.

Question 2.
What is his batting average in One Day Internationals ?
Answer:
It is 59.85.

Question 3.
How many sixes has Virat Kohli hit in Test Cricket till now ?
Answer:
22

Question 4.
How many runs has he made in One Day Internationals ?
Answer:
11,702

Question 5.
How many centuries has he hit in Twenty 20 Internationals ?
Answer:
He has hit no century in Twenty 20 internationals.

Activity 10

Write 6-8 sentences on Virat Kohli’s performance in Test Cricket. Use the information in the chart given above to write the paragraph. Begin your paragraph with :

Virat Kohli is one of the greatest batsmen today. He is the captain of Team India. He has played 84 Tests so far and has scored 7202 runs in 141 Innings. His highest score is 254 not out against South Africa. His average run rate is 54.97. In Test Cricket he has scored 12,457 balls and hit 27 centuries and 22 50’s hitting 805 fours and 22 sixes. In 10 Tests Kohli remained not out.

Comprehension Of Passages

Read the followings passages carefully and answer the questions that follow each :

(1) Mount Everest is the highest point on the planet at 29,028 feet above sea level. For many people, reaching Mount Everest peak is a once-in-a-lifetime achievement. This kind of feat requires huge funds, very tough training and very good luck. The first people to stand on the top of Everest were a local climber Tenzing Norgay and Sir Edmund Hillary, a mountaineer from New Zealand in 1953. Since then, a lot of people have achieved this feat. Some of them are from India too.

1. Name the highest point on earth with its height above sea level.
धरती के सबसे ऊंचे बिन्दु का नाम तथा उसकी समुद्र-तल से ऊँचाई बताएं।

2. Who were the first two people (persons) to scale it ?
इस पर पहुंचने वाले पहले दो व्यक्ति कौन थे ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) Mount Everest is a once-in-a-lifetime achievement.
(b) The highest peak on our planet has never been scaled after 1953.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) Since then ……….. have achieved this feat.
(b) This kind of feat requires ………. funds and ………. luck.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

5. Match the words with their meanings.

(a) requires achieves
(b) funds needs
money

Answer:
1. Mount Everest is the highest point on earth. It is 29,028 feet high above the sea level.
2. The first two people to scale it were a local climber Tenzing Norgay and a New Zealander Sir Edmund Hillary.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) Since then a lot of people have achieved this feat.
(b) This kind of feat requires huge funds and very good luck.
5.
(a) requires — needs
(b) funds — money

(2) The first Indian to summit Mount Everest was Captain Avtar Singh Cheema (1933-1989) on May 20, 1965. He was a captain in the 7th Bn Parachute Regiment at that time. Later, he was promoted to the post of a Colonel. He was also the 16th person in the world to scale the peak.

He was a part of the third Indian Expedition led by Commander M.S. Kohli and others. Kohli was an officer in the Indo-Tibetan Border Police. Both Cheema and Kohli were felicitated by the Indian Government with Arjuna Award. They also received Padma Shri and Padma Bhushan respectively. Kohli was also given Nishan-e-Khalsa by the Punjab Government. A postage stamp was dedicated to the success of the 1965 Everest Expedition.

1. Mention any two achievements of Captain Cheema.
कैप्टन चीमा की किन्हीं दो सफलताओं का उल्लेख कीजिए।

2. Who was M.S. Kohli ?
M.S. Kohli कौन था ?

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) Mr. Kohli could not win Arjuna Award.
(b) Mr. Kohli received Padma Bhushan for his achievement.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) A postage stamp was dedicated to the success of
(b) Kohli was also given …………. by the Punjab government.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

5. Match the words with their meanings.

(a) summit devoted/allocated
(b) dedicated top/peak
flop

Answer:
1. Captain Cheema was the first Indian to reach the Mount Everest. He was also the 16th person in the world to scale this peak.
2. M.S. Kohli was an officer in the Indo-Tibetan Border Police.
3.
(a) False
(b) True
4.
(a) A postage stamp was dedicated to the success of the 1965 Everest Expedition.
(b) Kohli was also given Nishan-e-Khalsa by the Punjab Government.
5.
(a) summit — top/peak
(b) dedicated — devoted/allocated.

(3) Climbing Everest Peak is not for untrained mountaineers. It is extremely dangerous. The trek to the summit (peak of Everest) takes months of physical training and weeks of acclimatization and adjusting to the physical condition. Climbers need to get used to the oxygen-starved heights of the mountain. The route between 26,000 and 29,020 feet is called the “death zone”. At this height, the body cannot get enough oxygen and begins to die minute by minute. This distance must be covered in less than a day to avoid damage to the body.

1. Climbing Everest Peak is not for untrained people. Why ?
ऐवरेस्ट शिखर पर चढ़ना अप्रशिक्षित लोगों का काम नहीं है। क्यों ?

2. What happens to the body in the death zone’ ?
‘ मौत के क्षेत्र ‘ में शरीर के साथ क्या होता है।

3. Choose true and false statements and write them in your note-book.
(a) Climbers need to get used to oxygen-starved heights of the mountain.
(b) The trek to the Everest needs no physical training.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) The route between …………. and …………. feet is called the “death zone”.
(b) The distance of the …………… must be covered in less than a day.

5. Match the words with their meanings.

(a) extremely highly
(b) damage usually
harm

Answer:
1. It is not for untrained people because it is very dangerous.
2. In the death zone, body begins to die minute by minute for lack of oxygen.
3.
(a) True
(b) False
4.
(a) The route between 26,000 and 29,020 feet is called the “death zone”.
(b) The distance of the death zone must be covered in less than a day.
5.
(a) extremely – highly
(b) damage – harm.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

Use Of Words/Phrases In Sentences

1. Feat (Something adventurous)-
The cyclist showed many feats with his bicycle.
साइकिल चलाने वाले ने अपने साइकिल के साथ कई कमाल दिखाए।

2. Climber (mountaineer) –
Many climbers have reached the highest peak of the world.
कई पर्वतारोही (चढ़ाई करने वाले लोग) संसार की सबसे ऊंची चोटी तक जा पहुंचे हैं।

3. Scale (climb) –
It is not easy to scale the Himalayas.
हिमालय पर चढ़ना कोई आसान काम नहीं है।

4. Deter (put off/stop/detain)
The rain did not deter the students from coming to school.
वर्षा ने छात्रों को स्कूल आने से नहीं रोका।

5. Peak (mountain top/summit)-
A mountain is a high-land with a peak.
पर्वत ऊँचा भू-भाग होता है जिसकी एक चोटी होती है।

6. Wait for (held back for)-
I am waiting for my friend.
मैं अपने मित्र का इंतजार कर रहा हूं।

7. Dangerous (full of risk)-
This pond is deep and dangerous.
यह तालाब गहरा और खतरनाक है।

Word Meanings:
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers 6

Mountaineers Summary in Hindi

Mount Everest …………………….. Scale the peak.

माऊंट एवरेस्ट इस ग्रह की सबसे ऊँची चोटी है जो समुद्र तल से 29,028 फुट ऊँची है। बहुत से लोगों के लिए माऊंट ऐवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना जीवन भर की एक उपलब्धि है। इस तरह के साहसिक कार्य के लिए बड़ी धनराशि, कठिन प्रशिक्षण और बहुत अच्छे भाग्य की आवश्यकता होती है। 1933 में ऐवरेस्ट के शिखर (चोटी) पर सबसे पहले पहुँचने वालों में एक स्थानीय पर्वतारोही तेंजिंग नोरगे और न्यूजीलैंड के पर्वतारोही सर एडमण्ड हिलेरी थे।

तब से बहुत से लोगों ने यह कमाल कर दिखाया है। उनमें से कुछ भारतीय भी हैं। 20 मई 1965 को माऊंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने वाले कप्तान अवतार सिंह चीमा (1933-1989) पहले भारतीय थे। वह उस समय सातवीं बटालियन पेराशूट रेजीमेंट में कप्तान थे। बाद में उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया। वह शिखर पर पहुँचने वाले विश्व के 16वें व्यक्ति भी थे।

He was a part …………………… adventurous spirit.

वे कमांडर एम०एस० कोहली और कुछ अन्य के नेतृत्व में चलाए गए तीसरे भारतीय अभियान का हिस्सा थे। कोहली इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस में आफिसर थे। भारत सरकार ने चीमा और कोहली दोनों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें क्रमशः पद्दमश्री और पद्म भूषण भी दिया गया। पंजाब सरकार ने कोहली को निशानए-खालसा से भी सम्मानित किया। 1965 के ऐवरेस्ट अभियान की सफलता के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट भी जारी किया गया।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

ऐवरेस्ट शिखर पर चढ़ना अप्रशिक्षित पर्वतारोहियों का काम नहीं है। यह अत्यन्त खतरनाक है। अभियान (ऐवरेस्ट शिखर) पर जाने के लिए महीनों का शारीरिक प्रशिक्षण, तथा (अनुकूलन) होना और भौतिक परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए कई तरह का अभ्यास चाहिए। पर्वतारोहियों को कम आक्सीजन वाली पहाड़ी-चोटियों के लिए अभ्यस्त होना चाहिए। 26,000 और 29,020 फुट के बीच के रास्ते को “मौत का क्षेत्र” कहा जाता है। इस ऊँचाई पर शरीर को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलती और यह क्षण प्रति क्षण कमजोर होता जाता है। यह दूरी एक दिन से कम समय में तय कर ली जानी चाहिए ताकि शरीर को कोई नुकसान न पहुँचे।

इन खतरों के बावजूद भी माऊंट एवरेस्ट पर जाने वाले पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ रही है। यह संख्या इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि पर्वातारोहियों को शिखर पर खड़े होने के लिए अपनी बारी की घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है। ‘मौत के क्षेत्र’ में उनका यह अतिरिक्त समय उनके खतरे को बढ़ाता है परन्तु साहसिक कार्य के प्रति उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आती।

Retranslation Of Isolated Sentences

1. Mount Everest is the highest point on the planet.
माऊंट एवरेस्ट इस ग्रह का सबसे ऊंचा बिन्दु है।

2. This kind of feat requires huge foods
मा नाता के साहसिक कार्य के लिए बड़ी धनराशि की जरूरत होती है।

3. Some of them are from India too.
उनमें से कुछ भारतीय भी हैं।

4. The first Indian to summit Mount Everest was Captain Avtar Singh Cheema.
उनमें से कुछ भारतीय भी हैं। माऊंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने वाले पहले भारतीय । थे कप्तान अवतार सिंह चीमा।

5. He was also the 16th person in the world to scale the peak.
वह शिखर पर पहुंचने वाले विश्व के 16वें व्यक्ति भी थे।

6. A postage stamp was dedicated to the success of 1965 Everest Expedition.
1965 के ऐवरेस्ट अभियान की सफलता के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट भी जारी किया गया।

7. It is extremely dangerous.
यह अत्यन्त खतरनाक है।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 4 Mountaineers

8. The route between 26,000 and 29,020 · feet is called the death Zone”.
26,000 और 29,020 फुट ऊँचाई के बीच के रास्ते को “मौत का क्षेत्र” कहा जाता है।

9. The distance must be covered in less than a day.
इस दूरी को एक दिन से कम समय में पूरा कर लिया जाना चाहिए।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Punjab State Board PSEB 7th Class English Book Solutions Chapter 3 A Glass of Milk Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 English Chapter 3 A Glass of Milk

Activity 1.

Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words.
1. Meaning of the word as used in the play (adjective/noun/verb, etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or the mobile phone for correct pronunciation.)
3. Words that normally go with the given word. For example, ‘owe’ goes with ‘money’, ‘bank’, ‘debt’, ‘apology’, etc.
4. Spellings

complicated diagnose surgery
attention struggle discuss

Vocabulary Expansion

Activity 2

Find suffixes in the following words.
1. complicated
2. hesitatingly
3. warmly
4. stronger
5. goodness
Answer:
1. -ated,
2. -ly,
3. ly,
4. -er,
5. ness.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Let us revise the prepositions besides’,’beside’, ‘between’ and ‘among’. ‘Besides’ means ‘in addition to’. “Beside’ means by the side of.,

1. What other sport do you play besides (के अतिरिक्त) hockey ?
2. She sat beside (के पास) her sick son all night.
‘Between (दो व्यक्तियों अथवा चीजों के बीच) is used for two people or things.
‘Among (दो से अधिक व्यक्तियों अथवा चीजों के बीच) is used for more than two people or things.

1. There is no love between the two brothers.
2. Distribute sweets among all the children.

Activity 3

Fill in the blanks choosing from the words given in the box.

beside besides between among

1. The two brothers distributed the sweets …………………. themselves.
2. Radha came and sat ……………….. her mother.
3. The four thieves quarrelled ………………. themselves.
4. I have three other pens …………..
5. this. ……….. advising them, he gave them money also.
6. A beggar was sitting ………………. the temple gate.
Answer:
1. between
2. beside
3. among
4. besides
5. Besides
6. beside.

Learning to Read and Comprehend

Activity 4

Read the play carefully and write the answers.

Scene-1

Question 1.
Count and write the number of characters in Scene 1 of the play.
नाटक के दृश्य 1 में पात्रों की संख्या गिनो और लिखो।
Answer:
Two.

Question 2.
What are their names ?
उनके क्या नाम है?
Answer:
Howard Kelly and Anita.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Question 3.
What is the time ?
समय क्या है ?
Answer:
It is afternoon.

Question 4.
What does the boy say to himself ?
लड़का स्वयं से क्या कहता है ?
Answer:
He says that he must sell two more books to pay his school fee and ask for some water too.

Question 5.
Why does he sell books ?
वह पुस्तकें क्यों बेचता है ?
Answer:
He sells books to earn money for his school fee.

Question 6.
Why does he ring the bell ?
वह घंटी क्यों बजाता है ?
Answer:
He rings the bell to get the door opened.

Question 7.
Who opens the door ?
दरवाज़ा कौन खोलता है ?
Answer:
A lady opens the door.

Question 8.
What does he request the Lady for ?
वह औरत से किस चीज़ के लिए प्रार्थना करता है ?
Answer:
He requests the lady for some water.

Question 9.
What does the Lady give him ?
औरत उसे क्या देती है ?
Answer:
The lady gives him a glass of milk.

Question 10.
How much money does the Lady give the boy for the book ?
औरत लड़के को पुस्तक के कितने पैसे देती है ?
Answer:
She gives him 5 pounds.

Scene-2

Question 1.
Count and write the number of characters in Scene 2 of the play.
नाटक के दृश्य 2 में पात्रों की संख्या गिनो और लिखो।
Answer:
Two.

Question 2.
What is the profession of the characters of this scene ?”
इस दृश्य के पात्रों का क्या व्यवसाय है ?
Answer:
They are doctors.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Question 3.
Why had the Lady come to this hospital ?
औरत इस अस्पताल में क्यों आई है ?
Answer:
The lady had some complicated disease and had been referred to this hospital for treatment.

Question 4.
How did the Lady get ill ?.
औरत बीमार कैसे हुई ?
Answer:
The lady got ill because of food poisoning

Question 5.
What kind of treatment did she need ?
उसे किस प्रकार के इलाज की ज़रूरत थी ?
Answer:
She needed immediate surgery.

Scene-3

Question 1.
How much time did the patients get to pay the bill, as per the rules ?
नियमों के अनुसार मरीजों को बिल चुकाने के लिए कितना समय मिलता था ?
Answer:
They got two days to pay the bill.

Question 2.
Why did the Lady get worried ?
औरत चिन्ता में क्यों पड़ गई ?
Answer:
She got worried to see the heavy bill to pay within two days.

Question 3.
Why did the Lady have tears in her eyes ?
औरत की आँखों में आंसू क्यों आ गये थे ?
Answer:
These were the tears of happiness as the bill had already been paid.

Question 4.
Why did she not have to pay the bill ?
उसे बिल क्यों नहीं चुकाना था ?
Answer:
She did not have to pay the bill because Dr. Howard had already paid it.

Question 5.
Who had paid the bill ? Why ?
बिल किसने चुकाया था ? क्यों ?
Answer:
Dr. Howard had paid the bill. He had paid it to repay the goodness of the lady in the form of a glass of milk.

Question 6.
Why was the Lady happy in the end ?
अन्त में औरत प्रसन्न क्यों थी ?
Answer:
In the end, the lady was happy because her faith in God and goodness of people had become stronger.

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Learning Language:
Degrees of Adjectives

Adjectives have three forms of comparison: Positive, Comparative and Superlative. Simple adjectives that make no comparisons are positive forms.
Most adjectives form the comparative by adding ‘-r’, ‘-er’, -ier’ and the superlative by adding ‘-st’, ‘-est’, ‘-iest to the positive.
Adjectives के तीन रूप (degrees) होते हैं। Positive degree आम विशेषता बताती है; जबकि Comparative तथा Superlative degrees का प्रयोग तुलना के लिए किया जाता है।
(i) अधिकतर adjectives के पीछे ‘-er’/’-ier’ तथा ‘-est’/’-iest’ जोड़ने से तथा आवश्यक परिवर्तन (विशेषकर अंतिम) करने से क्रमश: Comparative तथा Superlative degrees बनती हैं ; जैसे

Positive Comparative Superlative
quick quicker quickest
fine finer finest
nice nicer nicest
bold bolder boldest
clever cleverer cleverest
deep deeper deepest
dirty dirtier dirtiest
heavy heavier heaviest
happy happier happiest

(ii)Adverb “more” तथा “most” के प्रयोग से ; जैसे —

Positive Comparative Superlative
beautiful
courageous
difficult
satisfactory
useful
more beautiful
more courageous
more difficult
more satisfactory
more useful
most beautiful
most courageous
most difficult
most satisfactory
most useful

(iii) भिन्न – भिन्न शब्दों के प्रयोग से ; जैसे —

Positive Comparative Superlative
good\well better best
bad worse worst
little less least
far farther/further farthest/furthest
many more most

Activity 5

Complete the following sentences by choosing the correct comparative form of the words given in the brackets :
1. Australia is the ………………. island in the world. (large, larger, largest)
2. The class test was ……………… than we had expected. (easy, easier, easiest)
3. The elephant has the …………….. trunk. (long, longer, longest)
4. Kilimanjaro in Africa is ………………. than Mont Blanc in Europe. (tall, taller, tallest)
5. The white dog was the ……………… of all. (greedy, greedier, greediest)
Answer:
1. largest
2. easier
3. longest
4. talle
5. greediest.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Activity 6.

Fill in the blanks with the correct degree of comparison of the adjective. Use the adjective given in the brackets.

1. Shyam is …………… than Karan. Neil is the ……………….. of them all.
2. My room is …………….. than yours. (neat)
3. Pole star is the ………….. ….. star. (bright)
4. The sweets I ate at this sweetshop are ………………. than any other sweets I have ever eaten. (delicious)
5. Is the Prime Minister …………….. than the President ? (powerful)
Answer:
1. healthier, healthiest
2. neater
3. brightest
4. more delicious
5. more powerful.

Comparative and Superlative Adjectives

Activity 7

Rewrite each sentence below using the comparative or superlative form of the adjectives given in the brackets.
Example A : You are (tall) than me.
Answer A : You are taller than me.

Question 1.
The fish I caught is (big) than the one you caught.
Answer:
The fish I caught is bigger than the one you caught.

Question 2.
That is the (small) umbrella I have ever seen!
Answer:
That is the smallest umbrella I have ever seen.

Question 3.
She is the (pretty) girl I have ever seen.
Answer:
She is the prettiest girl I have ever seen.

Question 4.
My friend is (fabulous) than yours.
Answer:
My friend is more fabulous than yours.

Question 5.
That building is (large) than the one next to it.
Answer:
That building is larger than the one next to it.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

Question 6.
Who has the (easy) job in our family ?
Answer:
Who has the easiest job in your family ?

Question 7.
Do you think a screwdriver is (useful) than a hammer ?
Answer:
Do you think a screwdriver is more useful than a hammer?

Learning to Speak

Activity 8 (Think-Pair-Share)

Think about what do you want to do to help someone ? Think of a good human value such as :

1. sharing food
2. caring for an injured animal
3. giving new clothes to the needy, etc.
Sit facing your partner. Tell your partner about it. Each pair will take 5 minutes to speak and listen to each other.
After five minutes, say what have you learnt about your partner in front of the class)?
नोट-छात्र स्वयं करें।

Learning to Write

Activity 9

Do some people, who want to sell something, ring your door-bell in the afternoons ? Do they disturb you ? How do you react ? Are you polite to them ? Most people are rude to them. Write about the time when a salesman rang a bell when you were sleeping. You can use some of the following words/phrases.

afternoon, bell, fast asleep, woke up, salesman, selling books, pestered, offered water, angry, close the door

Answer:
It was afternoon yesterday when a bell rang at our door. I was fast asleep. Suddenly I woke up and opened the door. A salesman with some books in his hand greeted me. He requested me to buy one. He asked for some water too. I gave him a glass of water and requested him to go away. But he stood there like a statue and went on speaking. I got irritated and angry and closed the door.

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Learning to Use Language

Read the following paragraph on Blackpool :
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk 1
Blackpool is a beautiful town in England. Tourists love going to Blackpool. Blackpool is situated at the seaside. The seawater of Blackpool is very salty and visibly black. That is why the town is called Blackpool. It is a place that children love going to. There is a lot that children may find amusing. There is a tall tower in the middle of the town which is also black.

Activity 10.

Write a paragraph on your village/town/city or Amritsar/Jalandhar/Patiala/Ludhiana etc.
You may talk about :

  • where the place is located
  • what the place is famous for
  • what most people do when they visit the place.

Note : The teacher must help learners to get information about the city/ place they want to write about.
I live in Amritsar. It is one of the biggest cities of Punjab. It is holy place and a historical city as well. It is mainly known for the Sri Harmandir Sahib, the holiest shrine of the Sikhs. People from all over the world visit this place. They have a dip in the holy tank here. The Jallianwalla Bagh near this holy shrine reminds us of the martyrs of 1919. The Durgiana Mandir of Amritsar is also worth visiting.

Comprehension Of Passages

Read the following passages carefully and aswers the questions that follow each :

(1) A small and a narrow street, afternoon time, a small boy selling things from door to door.
Boy (to himself): I must sell two more books ! How will I give my school fee if I don’t sell these books ? But it is a hot afternoon ! I am so hungry and thirstly ! I think I must ask for some water from the next house!
The boy sees a small house. He rings the bell. A lady opens the door.
Boy (tired and hungry): Good afternoon, Ma’am!
Lady (politely) : Good afternoon ! Do you want something ?
Boy : My name is Howard, Howard Kelly. I am selling these books. Will you buy one of my books?

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

1. What was the small boy doing ?
छोटा सा लड़का क्या कर रहा था ?

2. How was he feeling ?
वह कैसा महसूस कर रहा या?

3. Choose true and false statements and write them in your note book.
(a) The street was big and narrow.
(b) The boy’s name was Howard Kelly.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) I must ask for some water ……………….
(b) The boy was to pay his ………………

5. Match the words with their meanings :

(a) ask for softly
(b) politely demand
quickly

Answer:
1. The small boy was selling books from door to door.
2. He was feeling very hungry, thirsty and tired.
3.
(a) False
(b) True.
4.
(a) I must ask for some water from the next house .
(b) The boy was to pay his school fee.
5.
(a) ask for — demand
(b) politely — softly.

(2) Lady : You are very small. You should be in school and not selling things !
Boy : Yes, Ma’am. I need to pay for my fee. For this reason, I go door to door selling books. And, ah (hesitatingly) Can I get some water, please ? I am very thirsty.
The lady looks at him and says :
Lady : Sure! Just a few minutes, child. (goes inside and comes back with a glass) Here you are ! Here’s some milk. You are so weak. It appears you haven’t eaten for days !
Boy (taking the glass from the lady and drinking it) : Thank you so much, Ma’am. You are very kind ! How much, ehm… How much do I, ah… owe you for the milk ?

1. Why had the boy to sell books ?
लड़के को किताबें क्यों बेचनी पड़ती थीं ?

2. What did the Lady give the boy to drink ?
औरत ने लड़के को पीने के लिए क्या दिया ?

3. Choose true and false statements and write them in your note book.
(a) The boy appeared to be hungry.
(b) The boy asked the lady for some milk.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) The Lady went inside and came back
(b) You should be in school and ……………….

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

5. Match the words with their meanings :

(a) sure reluctantly
(b) hesitatingly smilingly
certainly

Answers
1. The boy had to sell books to earn money for his school fee.
2. The lady gave the boy a glass of milk to drink.
3.
(a) True
(b) False.
4.
(a) The Lady went inside and came back with a glass.
(b) You should be in school and not selling things.
5.
(a) sure — certainly
(b) hesitatingly – reluctantly.

(3) Dr. Brown (facing Dr Kelly) : She is from Blackpool. The doctors there advised her to come to this hospital as they could not understand her disease.
It started with food poisoning but got complicated. Perhaps, her liver has got affected.
Dr. Kelly : What ? From Blackpool ? That’s where I come from. Where is the lady ? (Dr Brown taking Dr Kelly to the hospital room)
Dr. Brown : There she is! She needs immediate surgery. I don’t think we can do much in this case even after surgery.
Dr. Kelly (peeps into the room and sees the sleeping woman, smiles) : We must do our best ! And, I’ll do my best to save her.
Dr. Brown : Sure doctor ! We’ll make all possible efforts to save her. Do you know her ? Dr Kelly smiles again.

1. What was the problem with the lady according to Dr. Brown ?
डॉ० ब्राउन के अनुसार औरत की क्या समस्या थी ?

2. What were the two doctors ready to do for the lady ?
दोनों डॉक्टर औरत के लिए क्या करने को तैयार थे ?

3. Choose true and false statements and write them in your note book.
(a) The lady needed immediate surgery.
(b) The Lady’s problem had started with over eating.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) The Lady was from …………………
(b) The doctors in Blackpool hospital …………. the Lady’s disease.

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

5. Match the words with their meanings :

(a) efforts damaged
(b) affected attempts
instruments

Answer.
1. According to Dr. Brown Lady’s liver was affected due to food poisoning.
2. The two doctors were ready to make all possible efforts to save the lady.
3.
(a) True
(b) False.
4.
(a) The Lady was from Blackpool.
(b) The doctors in Blackpool hospital could not understand the Lady’s disease.
5.
(a) efforts — attempts
(b) affected — damaged.

(4) Nurse (handing over the bill to the Lady) : Here is your medicine ! And, er… this is your bill. As per the hospital rules, you need to pay the bill in two days.
Lady (looking worried) : This hospital seems to be very expensive. Nurse : Yes, Madam. It is the most expensive hospital in London.
Lady (looks at the bill) : …It will take me a lifetime to pay the bill! It is signed by Dr Howard Kelly.
Nurse : Yes ! He’s very kind. He took special care of you. He’s from your city. Lady (looking interested) : Really ? Is he from Blackpool ?
Nurse : Yes, He is ! let me see your bill, Madam ! (takes the bill and looks at it, smiles) Yes, something is written on it. Did you see it?
Lady : No, let me see it again. (reads aloud with tears in her eyes). ‘Paid in full years ago with a glass of milk’. Dr Howard Kelly.

1. What were the hospital rules about payment of the bill ?
बिल चुकाने के बारे में अस्पताल के क्या नियम थे ?

2. What was written on the bill ?
बिल पर क्या लिखा था ?

3. Choose true and false statements and write them in your note book.
(a) The bill was signed by the Nurse.
(b) Dr. Howard Kelly was from Blackpool.

4. Complete the sentences according to the meaning of the passage.
(a) It is the ………………… in London.
(b) It will take me a lifetime …………..

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

5. Match the words with their meanings :

(a) expensive anxious
(b) worried interested
costly

Answers
1. As per the hospital rules the bill was to be paid in two days.
2. ‘Paid in full years ago with a glass of milk.’
3.
(a) False
(b) True.
4.
(a) It is the most expensive hospital in London.
(b) It will take me a lifetime to pay the bill.
5.
(a) expensive – costly
(b) worried – anxious.

Use Of Words/Phrases In Sentences

1. Understand (to know) —
I can’t understand what you want.
मुझे समझ नहीं आता कि तुम क्या चाहते हो।

2. Disease (ailment) —
Corona has spread a fatal disease.
कोरोना ने घातक बीमारी फैला दी है।

3. Complicated (complex) —
Your problem is very complicated.
तुम्हारी समस्या बहुत ही जटिल है।

4. Faith (trust) —
I have deep faith in God.
मेरा परमात्मा में गहरा विश्वास है।

5. Accept (take) —
I don’t accept money for any social service.
मैं किसी सामाजिक कार्य के लिए धन स्वीकार नहीं करता।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

6. Deed (act) —
Do a good deed daily.
प्रतिदिन एक अच्छा काम (कर्म) करो।

7. Hand over (to give) —
Do a good deed daily.
प्रतिदिन एक अच्छा काम (कर्म) करो

8. Discuss (exchange views) —
Let us discuss this problem.
आओ हम इस समस्या पर चर्चा/विचार-विमर्श करें।

9. Ask for (demand) —
He asked me for some money.
उसने मुझसे कुछ पैसे मांगे।

10. Expensive (costly) —
Your shirt is very expensive.
तुम्हारी कमीज़ बहुत कीमती है।

Word Meanings:
PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk 2

A Glass of Milk Summary in Hindi

Scene 1…………………… and feels stronger.

दृश्य-1.
समय : बाद दोपहर
स्थान : इंग्लैंड का एक छोटा सा शहर-ब्लैक पूल
पात्र : एक लड़का : हॉवर्ड केली
एक महिला : अनीता
दृश्य : एक छोटी और तंग गली, बाद दोपहर का समय, एक छोटा-सा लड़का एक दरवाज़े से दूसरे दरवाजे तक (घर-घर जाकर) सामान बेच रहा है।
लड़का (स्वयं से) : मुझे दो और किताबें अवश्य बेचनी पड़ेंगी। यदि मैं इन किताबों को नहीं बेचूंगा, तो मैं अपने
स्कूल की फीस कैसे भरूंगा। परन्तु दोपहर गर्म है। मैं बहुत प्यासा हूँ और मुझे तेज़ भूख भी लगी है। मैं सोचता हूँ कि मैं अगले घर से पानी माँग लूं।

लड़के को एक छोटा घर दिखाई देता है। वह घंटी (बैल) बजाता है। एक औरत दरवाजा खोलती है।
लड़का (थका हारा : गुड ऑफ्टरनून मैम !और भूखा)
औरत (विनम्रता से) : Good afternoon. तुम्हें कुछ चाहिए क्या ?
लड़का : मेरा नाम हॉवर्ड केली है। मैं ये पुस्तकें बेच रहा हूँ। क्या तुम मेरी कोई एक पुस्तक खरीदोगी।
औरत : तुम बहुत छोटे हो। तुम्हें स्कूल में होना चाहिए न कि कुछ बेचना चाहिए।
लड़का : हां ! मैम। मुझे अपनी फ़ीस भरनी है। इसी कारण मैं घर-घर जाकर किताबें बेचता हूँ। और, आह
(झिझकते हुए)। कृपया क्या मुझे कुछ पानी मिल सकता है ? मुझे बहुत प्यास लगी है। औरत उसकी ओर देखकर बोलती है।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

औरत : अवश्य ! बच्चे ! कुछ क्षण (पल) रुको। (अंदर जाती है और एक गिलास लेकर वापिस आती है।) यह लो !
यह दूध है। तुम बहुत कमज़ोर हो। ऐसा लगता है तुमने कई दिनों से कुछ खाया नहीं है।
लड़का (औरत से : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मैम ! आप बहुत दयालु हैं। मुझे कितना ehm ………….. मुझे गिलास लेकर पीते हुए) कितना ah (आह) ………….. दूध के लिए मुझे कितना मूल्य चुकाना है? औरत (स्नेह से भरकर : कुछ भी नहीं ! तुम्हें मुझे कुछ भी नहीं देना। मेरी माँ ने मुझे सिखाया है कि किसी दयापूर्ण बोलते हुए) कार्य की कीमत नहीं लेनी चाहिए। मुझे तुमसे एक किताब खरीदनी है। इस पुस्तक का मूल्य
क्या है?

लड़का(मुस्कराते हुए) : धन्यवाद, मैम ! मैं इसे सदा याद रखूगा। इस पुस्तक का मूल्य 4 पौंड और 70 पैंस है। औरत पुस्तक ले लेती है और उस लड़के को 5 पौंड देकर शेष पैसे अपने पास रखने को कहती है। लड़का मुस्कराता है और उस घर से चल देता है। वह खुश है और उसे लगता है कि जैसे उसे और अधिक शक्ति मिल गई हो।

Scene 2 ………………………………….. smiles again.

दृश्य-2. (कई वर्षों के बाद)

समय : सुबह
स्थान : शहर का बड़ा अस्पताल
पात्र : डा० पीटर ब्राउन
डा० हॉवर्ड केली
(डा० ब्राउन और डा० केली एक केस पर विचार-विमर्श करते हुए)
डा० केली : डा० ब्राउन, क्या यह कठिन केस है?
डा० ब्राउन : हाँ, यह एक जटिल केस है। हम अभी तक इस समस्या को समझ नहीं पाये।
डा० केली (डा० ब्राउन : औरत कौन है? वह कहाँ से है? और वह इतनी बीमार कैसे हो गई?
के निकट आते हुए) डा० ब्राउन (डा० केली : वह ब्लैक पूल से है। वहाँ के डाक्टरों ने उसे इस अस्पताल में आने की सलाह दी है क्योंकि
की ओर वे उसकी बीमारी का पता नहीं लगा पाए। यह फूड पाइजनिंग (भोजन से जहर बन जाने) देखते हुए) से शुरू हुई लेकिन जटिल हो गयी। शायद उसका लीवर प्रभावित हो गया है।
डा० केली : क्या ? ब्लैक पूल से ? मैं भी तो वहीं से हूँ। कहाँ है औरत ?
(डा० ब्राउन डा० केली को अस्पताल के उस कमरे में ले जाते हुए)
डा० ब्राउन : यह रही, वह। इसे शीघ्र ही शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की आवश्यकता है। मुझे नहीं लगता कि हम शल्य चिकित्सा के बाद भी इस केस में ज्यादा कुछ कर पाएं। डा० केली (कमरे में : हमें अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए। और मैं इसे बचाने के लिए अपना हर संभव सर्वश्रेष्ठ झांकता है और सोई हुई प्रयत्न करूंगा। महिला को देखकर मुस्कराता है) डा० ब्राउन : अवश्य, डॉक्टर ! हम इसे बचाने के लिए पूरा प्रयत्न करेंगे। क्या आप इसे जानते हो?
डा० केली फिर से मुस्कराते हैं।

Scene 3 ………………. become stronger today.

दृश्य-3.

स्थान : अस्पताल का एक कमरा
पात्र : औरत
: एक नर्स
: एक व्यक्ति (बिल विभाग से)
(नर्स औरत को दवाई देने लगती है।)
व्यक्ति (नर्स को कुछ : क्या यह अच्छा महसूस कर रही है? यह भाग्यशाली है कि इसका केस डा० हॉवर्ड केली कागज़ देते हुए) ने अपने हाथ में लिया था। यह इनका बिल है। इन्हें दो दिन में बिल का भुगतान करना है।
इन्हें बिल दिखा दो। नर्स (व्यक्ति से : तुम ठीक कह रहे हो। यह भाग्यशाली है।
और हाँ, यह पहले से बहुत अच्छा महसूस कर बिल लेते हुए) रही है और स्वस्थ है।
(नर्स औरत को दवाई देती है।) नर्स (औरत को : यह आपकी दवाई है।
और हां, यह आपका बिल है। अस्पताल के नियमानुसार आपको बिल बिल देते हुए) का भुगतान दो दिन में करना है।
औरत (चिन्तित : यह अस्पताल बहुत महंगा लगता है। दिखाई देती है)
नर्स : हां मैडम! यह लंदन का सबसे महँगा अस्पताल है।
औरत (बिल देखते : इस बिल को भरने में मेरा पूरा जीवन लग जाएगा। इस पर डा० हॉवर्ड के हस्ताक्षर हैं। हुए)
नर्स : हां। वह बहुत दयालु हैं। उन्होंने आपका विशेष ध्यान रखा है। वह आपके शहर से ही हैं। औरत (रुचि : वास्तव में ? क्या वह ब्लैक पूल से हैं? दिखाते हुए)
नर्स : हां, वह वहीं से हैं। मुझे अपना बिल दिखाओ, मैडम ! (बिल लेती है और देखकर मुस्कराती – है) हां, इस पर कुछ लिखा है। क्या आपने देखा है?
औरत : नहीं, मुझे फिर से देखने दो। (आंखों में आंसू लिए ऊंची आवाज़ में पढ़ती है।) ‘वर्षों पहले एक गिलास दूध द्वारा पूरा बिल चुका दिया गया था।’ डॉ० हॉवर्ड केली।
औरत : भगवान हॉवर्ड का भला करे। मैं बहुत खुश हूँ। आज मेरा भगवान और आदमी की अच्छाई पर भरोसा और भी मज़बूत हो गया है।

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Retranslation Of Isolated Sentences

1. I must sell two more books.
मुझे दो और किताबें अवश्य बेचनी पड़ेंगी।

2. I think I must ask for some water.
मैं सोचता हूँ कि मैं पानी माँग लूं।

3. I am selling these books.
मैं ये पुस्तकें बेच रहा हूँ।

4. You should be in school and not selling things.
तुम्हें स्कूल में होना चाहिए न कि कुछ बेचना चाहिए।

5. It appears you haven’t eaten for days.
ऐसा लगता है कि तुमने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है।

6. My mother has taught me not to accept payment for a deed of kindness.
मेरी माता ने मुझे सिखाया है कि दयापूर्ण कार्य की कीमत नहीं लेनी चाहिए।

7. The boy smiles and leaves the house.
लड़का मुस्कराता है और उस घर से चल देता है।

8. We have not yet been able to diagnose the problem.
हम अभी तक इस बीमारी को समझ नहीं पाए।

9. The doctors there advised her to come to this hospital.
वहाँ के डाक्टरों ने उसे इस अस्पताल में आने की सलाह दी है।

10. She needs immediate surgery.
इसे शीघ्र ही शल्य चिकत्सा (सर्जरी) की आवश्यकता है।

11. We will make all possible efforts to save her.
हम इसे बचाने के लिए पूरा प्रयत्न करेंगे।

12. This is her bill.
यह इनका बिल है।

13. It is the most expensive hospital in London.
यह लंदन का सबसे महंगा अस्पताल है।

14. It will take me a lifetime to pay the bill.
इस बिल को भरने में मेरा पूरा जीवन लग जाएगा।

PSEB 7th Class English Solutions Chapter 3 A Glass of Milk

15. Paid in full years ago with a glass milk.
वर्षों पहले एक गिलास दूध द्वारा पूरा बिल चुका दिया गया था।

16. My faith in God and goodness of people has become stronger today.
मेरा भगवान और आदमी की अच्छाई पर भरोसा और .भी मज़बूत हो गया है।

PSEB 11th Class Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन Questions and Answers, Notes.

PSEB 11th Class Hindi रचना अनुच्छेद-लेखन

(ख) अनच्छद लखन

यदि आप किसी भी छपी गद्य रचना को ध्यान से देखें तो आप पाएँगे कि प्रत्येक लेख, अध्याय, कहानी, उपन्यास आदि अनुच्छेदों में बंटा है । प्रत्येक अनुच्छेद पंक्ति से थोड़ा दाएँ हट कर शुरू किया जाता है । ऐसा उस गद्य रचना को पढ़ने और समझने में सहायक होता है।

परिभाषा:
अनुच्छेद लेखन का अर्थ है कि किसी कथन, निजी अनुभव अथवा संस्मरण को संक्षेप में किन्तु सार गर्भित ढंग से लिखना । मान लीजिए आपने कोई विशेष घटना देखी हो, किसी नेता का भाषण सुना हो अथवा कोई निजी अनुभव या कथन पर कुछ लिखना हो तो उसे एक ही अनुच्छेद में लिखना अनुच्छेद लेखन कहलाता है ।

अनुच्छेद लेखन और सार में अन्त:
अनुच्छेद लेखन सार लेखन से बिल्कुल विपरीत है । सार लेखन में एक अनुच्छेद दिया गया होता है उसका लगभग एक तिहाई शब्दों में संक्षेपीकरण या सार लिखना होता है, जबकि अनुच्छेद लेखन के लिए कोई एक विषय दिया गया होता है । जिस पर आपको केवल एक अनुच्छेद लिखना होता है । अनुच्छेद विषयानुसार छोटा बड़ा हो सकता है ।

अनुच्छेद लेखन का उद्देश्य:
परीक्षा में अनुच्छेद लेखन का प्रश्न विद्यार्थी की मौलिक सूझ-बूझ, स्मरण शक्ति और कल्पना शक्ति के विकास में सहायता करने के लिए रखा जाता है । भावी जीवन में इसका बहुत बड़ा महत्त्व होता है ।

अनुच्छेद लेखन के भेद:
अनुच्छेद लेखन दो प्रकार का होता है
(1)निजी अनुभव पर(किसी घटना आदि से सम्बन्धित) संस्मरणात्मक अनुच्छेद:
ऐसे अनुच्छेद में लेखक आपबीती उत्तम पुरुष एकवचन में लिखता है । जैसे भीड़ भरी बस की यात्रा, मतदान केन्द्र का दृश्य आदि विषयों पर लिखे अनुच्छेद।

(2) विचारात्मक अनुच्छेद:
ऐसे अनुच्छेद किसी महापुरुष के कथन, किसी मुहावरे या विचारात्मक विषय पर लिखे जाते हैं । जैसे परहित सरिस धर्म नहिं भाई, सवै दिन जात न एक समान, नेता नहीं नागरिक चाहिए, बढ़ते फैशन और युवावर्ग आदि।

अनुच्छेद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें

  1. अनुच्छेद लेखन में सारी बात एक ही अनुच्छेद में लिखनी चाहिए
  2. अनुच्छेद लेखन में भाव या विचार की एकता होनी चाहिए ।
  3. अनुच्छेद लेखन में ऐसा कोई वाक्य नहीं होना चाहिए जो मूल विषय या कथन से सम्बन्ध न रखता हो । सारे वाक्य एक ही भाव से परस्पर जुड़े हुए होने चाहिएं । इसमे इधर-उधर की बातों के लिए कोई गुंजाइश नहीं है ।
  4. निजी अनुभव पर आधारित अनुच्छेद उत्तम पुरुष एकवचन में लिखना चाहिए जैसे कोई आत्मकथा लिख रहा हो ।
  5. शब्दों में चित्रात्मकता का गुण होना चाहिए । जैसे मैं पढ़ने बैठा ही था कि अचानक बादल घिर आए, बिजली कड़कने लगी, तेज़ हवा भी चलने लगी और घर की बिजली अचानक बन्द हो गई—आदि ।
  6. वाक्य रचना ऐसी होनी चाहिए कि अनुच्छेद रोचक बन जाए ।
  7. अनुच्छेद की भाषा सरल, स्पष्ट और व्याकरण की अशुद्धियों से रहित होनी चाहिए । भाषा ऐसी हो जो विषय को स्पष्ट कर दे।
  8. अनुच्छेद जहाँ तक हो सके संक्षिप्त होना चाहिए । यदि परीक्षा में अनुच्छेद लेखन की कोई शब्द-सीमा निर्धारित की गई हो तो उसका ध्यान भी रखना चाहिए ।

विशेष:
यहाँ आपकी जानकारी एवं मार्ग दर्शन के लिए निजी अनुभव पर आधारित तथा कुछ विचारात्मक विषयों पर प्रसिद्ध साहित्याकरों, महापुरुषों द्वारा लिखे गए निबन्धों या आत्मकथाओं से अलग-अलग उदाहरण दे दिए गये हैं ।

प्रस्तुत पुस्तक में अनुच्छेद लेखन को दो भागों में प्रस्तुत किया गया है–(क) निजी अनुभव पर आधारित संस्मरणात्मक अनुच्छेद (ख) विचारात्मक विषयों, कथनों पर आधारित अनुच्छेद। परीक्षा की दृष्टि से सभी सम्भावित विषयों पर अनुच्छेद लेखन के उदाहरण दिये गये हैं । अभ्यास से आप किसी भी विषय पर आसानी से अनुच्छेद लिख सकते हैं ।

(क) निजी अनुभव पर आधारित संस्मरणात्मक अनुच्छेद

1. हीरो बनने के चक्कर में

अपने मित्र के कहने पर एक दिन मैंने भान्जे साहब से, क्योंकि वे मुझ से काफ़ी खुल गये थे, अपनी इच्छा प्रकट की । मित्र ने भी रद्दा जमाया । मेरी एक्टिंग, मेरे गले और मेरी बॉडी की प्रशंसा की और कहा कि इस बार यदि कैमरा टैस्ट हो जाए तो मेरे हीरो बनने के रास्ते में कोई बाधा नहीं हो सकती । मेरा ख्याल था कि मेरी इच्छा सुनते ही मामा का वह भान्जा झट मेरे साथ पूना की गाड़ी पर जा बैठेगा । इतने दिन मेरे पैसे पर उसने गुलछर्रे उड़ाए थे । लेकिन नहीं, ऐसी कोई बात नहीं हुई । बड़े इत्मीनान से उसने कहा कि यदि उसे पचास रुपए दिये जाएं तो वह मामा से मिलायेगा और पचास और दिये जाएं तो कैमरा टैस्ट का प्रबन्ध करेगा । मेरे लगभग सात-आठ सौ रुपए उन पन्द्रह बीस दिनों में खर्च हो चुके थे, पाँच-छ: सौ रुपए बचे थे । सौ-डेढ़ सौ का नुस्खा उसने बता दिया, लेकिन मैं चुप रहा । बोला कुछ नहीं । हां, मेरे होटल वाले मित्र को बड़ा क्रोध आया। उसने उसे डॉटा । बड़ी खिट-खिट हुई । आखिर वह पच्चीस रुपए उस समय, पच्चीस मामा से मिलाने पर ओर पचास टैस्ट करा देने और काम बनवा देने के बाद लेने को तैयार हो गया । खैर साहब, हम तीनों पूना के लिए दक्खन क्वीन में सवार हुए ।

PSEB 11th Class Hindi Vyakaran व्यावहारिक व्याकरण वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

ट्रेन फर्राटे भरती उड़ चली और साथ ही मेरी कल्पना दक्खन क्वीन से भी तेज़ फर्राटे भरती उड़ चली। मुझे लगा कि मंज़िल अब बहुत दूर नहीं । माइक और साऊँड टैस्ट हुआ कि मैं हीरो बना । पूना पहुँच कर स्टेशन के पास ही एक होटल में टिका। नाश्ता-वाश्ता करके हम स्टूडियो को चले। गेट पर चौकीदार ने रोक दिया। तब मामा के उस भान्जे ने एक चिट्ठी लिखी । कुछ देर बाद उत्तर आ गया हमें बाहर ही रोक कर वह अन्दर गया । कोई पन्द्रह मिनट बाद वापस आया तो बोला मामा जी स्टूडियो में व्यस्त हैं, फिल्म की शूटिंग हो रही है। कल सुबह मिलने का टाइम उन्होंने दिया है। मैंने कहा, हमें शूटिंग ही दिखा दो । उसने कहा तुमने पहले कहा होता तो मैं तय कर आता, लेकिन अब कल ही दिखा दूंगा, बात पक्की हुई समझो। खुश-खुश हम लौटे। रात को मित्र ने सुझाया कि भान्जे को खुश रखना चाहिए ताकि यह टैस्ट ही न कराये, बल्कि तुम्हें हीरो का कांट्रेक्ट ले दे । बात उसकी ठीक थी । पूरी बोतल मेज़ पर आ गई । वह खत्म हुई तो दूसरी आयी । बस इतना ही याद है और कुछ याद नहीं । सुबह उठा तो देखा कमरा खाली है । बस जो कपड़े तन पर हैं, वही हैं, बाकी सब कुछ गायब हैं।
(-उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा लिखित एक रिपोर्ताज से)

2. सहानुभूति दिखाना भी मुसीबत मोल लेना है

एक और जाति को सहानुभूति दिखाकर मुझे भारी नुकसान उठाना पड़ा है । यह जाति परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट्स की है जो अपने नम्बर बढ़वाने के लिए पहुँच जाते हैं । इस बारे में एक पुरानी घटना याद आ रही है । एक बार एक लड़की ने मुझे यहाँ तक धमकी दे दी कि अगर मैं उसे पास नहीं करता तो वह नदी में छलांग लगा देगी । मैं इतना डर गया कि मैंने सहानुभूति दिखाने का उसे वचन भी दे डाला । वह बिना सहायता के पास थी, लेकिन एक महीने के बाद मेरे बारे में जांच पड़ताल शुरू हो गई क्योंकि उस लड़की ने अपनी सहेलियों से शोखी मैं आकर यह कह दिया कि वह मेरी सहानभूति से पास हुई है । उसकी एक सहेली ने मेरे बारे में गुमनाम शिकायत लिख कर भेज दी । तब से कानों को हाथ लगाया और तय किया कि इनसे सहानुभूति करना कितना खतरनाक हो सकता है। अब भी कभी कभार स्टूडेंट्स आ टपकते हैं और यही दलील देते हैं कि सब परीक्षक सहानुभूति दिखाते हैं, मैं इतना कठोर क्यों हो गया हूँ ? मेरा एक ही जबाव होता है कि इस तरह की सहानुभूति दिखाने से मेरी नौकरी छूटने का भय है और मैं एक डरपोक आदमी हूँ। वह मेरी बात मानते तो नहीं लेकिन निराश होकर चले अवश्य जाते हैं ।।
(—श्री इन्द्रनाथ मदान द्वारा लिखित निबन्ध ‘सहानुभूति दिखाने पर’ में से)

3. आँखों देखा गोली काण्ड

दोपहर होते-होते नौजवानों की भीड़ ‘नहीं रखनी सरकार भाइयों नहीं रखनी, यह अंग्रेज़ी सरकार भाइयो नहीं रखनी’ के नारे लगाते हुए तिरंगा झण्डा लिए सचिवालय की ओर बढ़ने लगे। गोरखा फौज उनके सामने दीवार की तरह आकर खड़ी हो गई । जिलाधीश ने नौजवानों से पूछा, ‘तुम क्या चाहते हो ? ‘उन्होंने उत्तर दिया हम सचिवालय पर तिरंगा झण्डा फहरायेंगे । ज़िलाधीश ने कहा, वहाँ तो यूनियन-जैक लहरा रहा है । नौजवानों ने कहा-अब वहाँ तिरंगा लहरायेगा । अंग्रेज़ तमतमा उठा, बोला ऐसा कभी भी नहीं हो सकता । भाग जाओ । नौजवानों ने कहा हम तो आज तिरंगा झण्डा फहराकर ही लौटेंगे । अंग्रेज़ का अहंकार गुर्रा उठा, बोला, तुम में से जो झण्डा फहराना चाहता है वह आगे आए । ग्यारह विद्यार्थी भीड़ में से एक साथ आगे बढ़ कर आए। इन ग्यारह में सब से आगे जो विद्यार्थी था, उसकी देह ने अभी चौदहवीं वर्षगांठ भी न मनाई थी, पर उसके कंधों का तनाव ऐसा प्रचण्ड था कि पहाड़ के शिखिर भी देखकर शरमा जाएँ ? अंग्रेज़ ज़िलाधीश ने राक्षसी क्रूरता से उस किशोर से पूछा ‘तुम भी फहराओगे झण्डा ?’ ‘हाँ क्यों नहीं ?’ भारत की आत्मा उस बालक के कण्ठ से कूक उठी।

तभी अंग्रेज़ ने अपने गोरखा सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया ग्यारह राइफलें उभर कर गरी—’धड़ाम’ । जीते जागते ग्यारह राम-लक्ष्मण पलक मारते धरती पर गिर पड़े, खून से लथपथ, पर शान्त। ‘फायर’ अंग्रेज़ अफ़सर फिर चिल्लाया और सिपाहियों ने गोलियाँ दागीं। बहुत से लोग घायल हो कर गिर पड़े पर भागा कोई नहीं । पीछे कोई नहीं हटा । ‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद’, ‘अंग्रेज़ो भारत छोड़ो’ के नारों से आकाश गूंज उठा । तभी न जाने किधर से एक विद्यार्थी सचिवालय के गुम्बद पर जा चढ़ा और उसने तिरंगा झण्डा फहरा कर वहीं से नारे लगाये । अंग्रेज़ अफसर का मुँह एक बार तो काला पड़ गया था तब उसने दांत किटकिटा कर कहा—फायर तब वह किशोर टूटते तारे-सा धरती पर आ गिरा । अस्पताल की मेज़ पर उसने पूछा मेरे गोली कहाँ लगी है ? छाती में डॉक्टर ने कहा । तब ठीक है मैंने पीठ पर गोली नहीं खाई उसने कहा और हमेशा के लिए आँख मूंद ली ।
(— कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर के एक लेख से)

4. जब मैं घर से बाहर पढने गया

इस कमरे में भी मैं तो बहुत परेशान हाल में रहा । देश बहुत याद आता था । माता का प्रेम आँखों के सामने नाचा करता । रात हुई कि रोना शुरू हुआ । घर की अनेक प्रकार की स्मृतियों की चढ़ाई के कारण नींद कहां से आ पाती ? यह दुःख गाथा किसी से कह भी न सकता था । कहने से फायदा भी क्या था ? मैं स्वयं नहीं जानता था कि क्या करने से मेरा चित्तन्त होगा। मनुष्य विचित्र, रहन-सहन विचित्र, घर भी विचित्र । घरों में रहने की रीति-नीति भी वैसी ही विचित्र । क्या बोलने और क्या करने में यहाँ का शिष्टाचार भंग होता है, इस का भी बहुत कम पता था । तिस पर से खाने-पीने का बराव-बचाव । जो चीजें खा सकता वे रूखी और नीरस लगती थीं । इस से मेरी दशा सौते में सुपारी की सो हो गई । विलायत रुच नहीं रहा था और देश को लौटा नहीं जा सकता । विलायत आया था तो तीन साल पूर करने ही थे ।
(-महात्मा गान्धी की आत्म कथा से)

5. जब दाखिला लेने गया

एक महीने के बाद मैं फिर मि० रिचर्डसन से मिला और सिफारिशी चिट्ठी दिखाई । प्रिंसिपल ने मेरो ओर तीव्र नेत्रों से देख कर पूछा ‘इतने दिन कहाँ थे’ ? ‘बीमार हो गया था’ मैंने कहा। क्या बीमारी थी ? मैं इस प्रश्न के लिए तैयार न था। अगर ज्वर बताता हूँ तो शायद साहब मुझे झुठा समझें । ज्वर मेरी समझ में हल्की चीज़ थी, जिसके लिए इतनी लम्बी गैर हाजिरी अनावश्यक थी। कोई ऐसी बीमारी बतानी चाहिए जो अपनी कष्ट साध्यता के कारण दया भी उभारे । उस वक्त मुझे नाम याद न आया । ठाकुर इन्द्रनारायण सिंह से जब मैं सिफारिश के लिए मिला था तब उन्होंने अपने दिल की धड़कन की बीमारी की चर्चा की थी। वह शब्द याद आ गया मैंने कहा, पेलपिटेशन आफ हार्ट (दिल की धड़कन) सर ।

साहब ने विस्मित होकर मेरी ओर देखा और कहा, अब तुम बिल्कुल अच्छे हो ? जी हाँ, मैंने कहा । उन्होंने कहा, अच्छा प्रवेश पत्र लाओ । मैंने समझा बेड़ा पार हुआ । फार्म लिया, खाना पुरी की और पेश कर दिया । साहब उस समय कोई क्लास ले रहे थे । तीन बजे मुझे फार्म वापस मिला । उस पर लिखा था-इसकी योग्यता की जाँच की जाए । यह नई समस्या उपस्थित हुई। मेरा दिल बैठ गया । अंग्रेज़ी के सिवा और किसी विषय में पास होने की आशा न थी और बीजगणित से मेरी रूह काँपती थी । जो कुछ याद था वह भी भूल गया था, परन्तु दूसरा उपाय ही क्या था ।(-प्रेमचंद की आत्मकथा से)

(ख) विचारात्मक अनुच्छेद

1. मजदूरी का महत्व

खेद का विषय है कि हमारे और अन्य पूर्वी देशों में लोगों को मज़दूरी से लेश मात्र भी प्रेम नहीं है, पर वे तैयारी कर रहे हैं काली मशीनों का आलिगंन करने की । पश्चिम वालों के तो यह गले पड़ी हुई बहती नदी की काली कमली हो रही है । वे छोड़ना चाहते हैं, परन्तु काली कमली उन्हें नहीं छोड़ती । देखेंगे पूर्व वाले इस कमली को छाती से लगाकर कितना आनन्द अनुभव करते हैं। यदि हम में से हर आदमी अपनी दस उंगलियों की सहायता से साहसपूर्वक अच्छी तरह काम करे तो हम मशीनों की कृपा से बढ़े हुए पश्चिम वालों को, वाणिज्य के जातीय संग्राम में सहज ही पछाड़ सकते हैं । इंजनों की वह मज़दूरी किस काम की जो बच्चों, स्त्रियों और कारीगरों को ही भूखा और नंगा रखती है और केवल सोने, चाँदी, लोहे आदि धातुओं का ही पालन करती है। पश्चिम को विदित हो चुका है इससे मनुष्य का दुःख दिन पर दिन बढ़ता है ।

भारतवर्ष जैसे दरिद्र देश में मनुष्यों के हाथों की मज़दूरी के बदले कलों के काम लेना काल का डंका बजाना होगा । दरिद्र प्रजा और भी दरिद्र होकर मर जाएगी । चेतन से चेतन की वृद्धि होती है । मनुष्य को तो मनुष्य सुख दे सकता है। परस्पर की निष्कपट सेवा से मनुष्य जाति का कल्याण हो सकता है । धन एकत्र करना तो मनुष्य के आनन्द मण्डल का एक साधारण सा और महातुच्छ उपाय है । धन की पूजा करना नास्तिकता है, ईश्वर को भूल जाना है। अपने भाई-बहनों तथा मानसिक सुख और कल्याण के देने वालों को मार कर अपने सुख के लिए शारीरिक राज्य की इच्छा करना हैं। जिस डाल पर बैठे हैं, उसी डाल को स्वयं ही कुल्हाड़े से काटना है । अपने प्रियजनों से रहित राज्य किस काम का ? आओ, यदि हो सके तो, टोकरी उठा कर कुदाली हाथ में लें । मिट्टी खोंदे और अपने हाथ से उस के प्याले बनावें । फिर एक-एक प्याला घर-घर में, कुटियाकुटिया में रख आयें और सब लोग उसी में मजदूरी का प्रेमामृत पान करें ।
(सरदार पूर्ण सिंह के लेख ‘मज़दूरी और प्रेम से’ )

2. अंग्रेज़ी हटाओ, राष्ट्रभाषा और प्रान्तीय भाषा लाओ

संविधान के निर्णयानुसार 15 वर्षों के भीतर, अर्थात् सन् 1965 तक हिन्दी का राज भाषा विषयक रूप विकसित हो जाना चाहिए था अर्थात् उस समय तक कानून की सभी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद हो जाना चाहिए, साहित्य एवं विज्ञान की इतनी पुस्तकें प्रकाशित हो जानी चाहिएं कि हिन्दी के माध्यम से विश्वविद्यालयों में ऊंची-से-ऊंची शिक्षा दी जा सके तथा न्यायालयों एवं महान्यायालयों में हिन्दी के माध्यम से विचार और विमर्श किया जा सके । साथ ही हिन्दी प्रान्तों में तब तक हिन्दी का इतना प्रचार भी कर देना है कि उन प्रान्तों के साथ केन्द्रीय एवं अन्य प्रान्तीय शासनों का पत्राचार हिन्दी में चल सके तथा जो व्यक्ति सार्वदेशीय धरातल से देश के साथ हिन्दी में बोलना चाहें, उन्हें शिक्षा साधनों के सीमित होने के कारण कोई कठिनाई नहीं हो । प्रायः लोग इस भ्रम में पड़ जाते हैं कि अंग्रेज़ी के हटने पर जो स्थान रिक्त होगा वह सब का सब हिन्दी को मिल जाएगा। यह हिन्दी के पक्ष में अनुचित उत्साह है। अंग्रेजी केवल हिन्दी का अधिकार दबा कर नहीं बैठी है। वह अधिक स्थान तो क्षेत्रीय भाषाओं के ही दबाए हुए हैं । अंग्रेज़ी के हटने पर भी प्रान्तीय शासन और जनता चाहे तो, शिक्षा के भी काम वहाँ की प्रान्तीय भाषाओं में ही चलेंगे ।

PSEB 11th Class Hindi Vyakaran व्यावहारिक व्याकरण वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

अतएव आवश्यकता है कि प्रत्येक क्षेत्र की जनता में अपनी मातृभाषा के लिए अनुराग उत्पन्न किया जाए । इसी अनुराग को जगाकर हम अंग्रेज़ी को वर्तमान पद से हटा सकते हैं । जब तक जनता में मातृभाषा के लिए प्रेम नहीं जागता, तब तक प्रान्तीय भाषाओं के क्षेत्रों में राष्ट्रभाषा का मार्ग भी वंचित रहेगा। प्रसन्नता की बात है कि हिन्दी प्रान्तों में शासन के कार्यों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ने लगा है। इसका अनुकरण अन्य भाषा अनुच्छेद लेखन भाषी क्षेत्रों में भी होना चाहिए जिससे वहाँ के भी शासन सम्बन्धी कार्य क्षेत्रीय भाषाओं में किये जा सकें। प्रान्तों में जब क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग होना आरम्भ हो जाएगा, तभी वहाँ की जनता अंग्रेज़ी के स्थान पर अपनी राष्ट्रभाषा सीखने के महत्त्व को सरलता से समझेगी और तभी यह आशंका भी दूर हो जाएगी जिस से ग्रसित होने के कारण कहीं-कहीं लोग यह समझ रहें हैं कि राष्ट्रभाषा के प्रचार से क्षेत्रीय भाषाओं का दलन होने वाला है ।
(श्री रामधारी सिंह दिनकर के राष्ट्रभाषा शीर्षक लेख से-)

3. अबला जीवन हाय तेरी यही कहानी

हिन्दू नारी का घर और समाज इन्हीं दो से विशेष सम्पर्क रहता है । परन्तु इन दोनों ही स्थानों में उसकी स्थिति कितनी करुण है उसके विचार मात्र से ही किसी भी सहृदय का हृदय काँपे बिना नहीं रहता । अपने पितृ गृह में उसे वैसे ही स्थान मिलता है जैसा किसी दुकान में उस वस्तु को प्राप्त होता है जिसके रखने और बेचने दोनों में ही दुकानदार को हानि की सम्भावना रहती है । जिस घर में उसके जीवन को ढलकर बनना पड़ता है, उसके चरित्र को एक विशेष रूप रेखा धारण करनी पड़ती है जिस पर वह शैशव का सारा स्नेह ढुलकाकर भी तृप्त नहीं होती उसी घर में वह भिक्षुक के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं । दुःख के समय अपने आहत हृदय और शिथिल शरीर को लेकर वह उसमें विश्राम नहीं पाती, भूल के समय वह अपना लज्जित मुख उसके स्नेहांचल में नहीं छिपा सकती और आपत्ति के समय एक मुट्ठी अन्न की भी उस घर से आशा नहीं रख सकती।

ऐसी ही है उसकी वह अभागी जन्म भूमि, जो जीवित रहने के अतिरिक्त और कोई अधिकार नहीं देती । पति गृह, जहाँ उस उपेक्षित प्राणी को जीवन का शेष भाग व्यतीत करना पड़ता है, अधिकार में उससे कुछ अधिक परन्तु सहानुभूति में उससे बहुत कम है इसमें सन्देह नहीं । यहाँ उसकी स्थिति पल-भर भी आशंका से रहित नहीं । यदि वह विद्वान पति की इच्छानुकूल विदुषी नहीं तो उसका स्थान दूसरी को दिया जा सकता है । यदि वह सौंदर्योपासक पति की कल्पना के अनुरूप अप्सरा नहीं है तो उसे अपना स्थान रिक्त कर देने का आदेश दिया जा सकता है । यदि वह पति कामना का विचार करके संतान या पुत्रों की सेना नहीं दे सकती, यदि वह रुग्ण है या दोषों का नितांत अभाव होने पर भी पति की अप्रसन्नता की दोषी है तो भी उसे घर में दासत्व स्वीकार करना पड़ेगा ।
(महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘नारीत्व का अभिशाप’ शीर्षक निबन्ध से )

4. जीवन युद्ध है आराम नहीं

जीवन को जो आराम मानते हैं, वे जीवन को नहीं जानते । वे जीवन का स्वाद नहीं पाएँगे। जीवन युद्ध है आराम नहीं और अगर आराम है तो वह उसी को प्राप्य है जो उस युद्ध में पीछे कुछ न छोड़ अपने पूरे अस्तित्व से उस में जूझ पड़ता है । जो सपने लेते हैं वे सपने लेते रहेंगे । वे आराम नहीं, आराम के ख्याल में ही भरमाये रहते हैं । पर जो सदानन्द है, वह क्या सपने से मिलता है ? आदमी सोकर सपने लेता है । पर जो जागेगा वही पाएगा । सोने का पाना झूठा पाना है । सपना सपने से बाहर खो जाता है । असल उपलब्धि वहाँ नहीं । इससे मिलेगा वही जो कीमत देकर लिया जाएगा । जो आनन्दरूप है, वह जानने से जान लिया नहीं जाएगा । उसे तो दुःख पर दुःख उठाकर उपलब्ध करना होगा । इसलिए लिखने-पढ़ने और मनन करने से उसकी स्तुति अर्चना ही की जा सकती है, उपलब्धि नहीं की जा सकती । उपलब्धि तो उसे होगी जो जीवन के प्रत्येक क्षण योद्धा है, जो अपने को बचाता नहीं है, और बस अपने इष्ट को ही जानता है, कहो कि उसके लिए अपने को भी नहीं रखता है ।
(-जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखित निबन्ध ‘युद्ध’ से)

5. सांस्कृतिक कार्यक्रम कितने असांस्कृतिक

आज हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सर्वत्र धूम है । पंजाब में सभ्याचारक मेलों के नाम पर ऐसे कार्यक्रम सरकार द्वारा भी जगह-जगह करवाये जा रहे हैं । इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लचरपने को देखकर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है और हम यह सोचने पर विवश हो जाते हैं कि क्या यही हमारी संस्कृति है जिसके बूते पर हम संसार का गुरु होने का दावा सदियों तक करते रहे हैं । आज किसी शिक्षण संस्था को देखिए, किसी राष्ट्रीय पर्व में शामिल होइए या किसी विदेशी अतिथि के स्वागत समारोह में जाइए-आपको सर्वत्र पायलों की झंकार और नुपुरों की मधुर रुनझुन सुनाई देगी। आज प्राइमरी स्कूलों के नन्हें-मुन्ने बालक-बालिकाओं से लेकर विश्वविद्यालयों के विकसित मस्तष्कि वाले युवक-युवतियां भी इन तथाकथित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मग्न दिखाई दे रही हैं। प्रश्न उठता है कि हमारे देश की संस्कृति केवल नृत्य, गीत, राग-रस तक ही सीमित रह गयी है । संस्कृति के उदात्त तत्व को केवल संगीत और अभिनय तक ही सीमित कर देना कहां तक न्याय है ? हमारे देश के विद्यालयों के अधिकांश छात्रों का पर्याप्त समय इन कार्यक्रमों की तैयारी में ही नष्ट हो जाता है । आज 15 अगस्त है तो कल 26 जनवरी !

आज युवक समारोह (Youth Festival) है तो कल कुछ और । छात्रों को शिक्षा और उनके चरित्र के विषय में कुछ भी अवगत न कराया जाए परन्तु एक रसिक आयोजन अवश्य होगा। इन आयोजनों की तैयारी में छात्रों का अमूल्य समय और उससे भी मूल्यवान चरित्र कितना नष्ट होता है, इसकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं है । आज विदेशी अतिथि आते हैं, हमारी सभ्यता, विचारधारा और जीवन निर्वाह के साधन देखने के लिए, परन्तु हम भारत की वास्तविकता दिखाने की अपेक्षा ‘कल्चरल प्रोग्राराम’ के नाम पर उन्हें दिखाते हैं अपनी जवान बहिन-बेटियों का नाच ? क्या हमारे पास कोई अच्छी वस्तु दिखाने को नहीं है । क्या हम उन्हें अरविन्द आश्रम, शान्ति-निकेतन और गुरुकुलों की सैर नहीं करा सकते? जो लोग इन नाचों को कराते हैं, चाहे वे माता-पिता हों या शिक्षक हों या सरकारी अधिकारी हों अथवा मन्त्री हों वे अवश्य ही पापों को प्रोत्साहन देने वाले हैं । हम शिक्षकों और शिक्षिकाओं से निवेदन करते हैं कि कृपया वे बालिकाओं को नाचना न सिखायें और उनका जीवन विलासिताप्रिय न बनाएं । प्रसिद्ध आचार्य श्री क्षति मोहन सेन ने ठीक ही कहा था कि मुझे तो ऐसा लगता है कि हम लोग संस्कृति शब्द का अर्थ ही भूल गये हैं ।
(कल्याण मासिक’ के वर्ष 62 के वार्षिकांक में प्रकाशित श्री भवानी लाल जी भारतीय के एक लेख से)

2. (क) निजी अनुभव पर आधारित संस्मरणात्मक अनुच्छेद

1. मेले में दो घंटे

भारत एक त्योहारों का देश है । इन त्योहारों को मनाने के लिए जगह- जगह मेले लगते हैं । इन मेलों का महत्त्व कुछ कम नहीं है किन्तु पिछले दिनों मुझे जिस मेले को देखने का सुअवसर मिला वह अपने आप में अलग ही था । इस मेले में बिताए दो घंटों का विवरण यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ । भारतीय मेला प्राधिकरण तथा भारतीय कृषि और अनुसंधान परिषद् के सहयोग से हमारे नगर में एक कृषि मेले का आयोजन किया गया था । भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों का इस मेले में सहयोग प्राप्त किया गया था । इस मेले में विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने मंडप लगाए थे । उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और महाराष्ट्र के मंडपों में गन्ने और गेहूँ की पैदावार से सम्बन्धित विभिन्न चित्रों का प्रदर्शन किया गया था। केरल, गोवा के काजू और मसालों, असम में चाय, बंगाल में चावल, गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब में रुई की पैदावार से संबंधित सामग्री प्रदर्शित की थी ।

अनेक व्यावसायिक एवं औद्योगिक कम्पनियों ने भी अपने अलग-अलग मंडप सजाए थे । इसमें रासायनिक खाद , ट्रैक्टर, डीज़ल पम्प, मिट्टी खोदने के उपकरण, हल, अनाज की कटाई और छटाई के अनेक उपकरण प्रदर्शित किए गए थे । इसी मेले में मुझे यह जानकारी प्राप्त कर खुशी हुई कि पंजाब में बने ट्रैक्टरों की बिक्री और मांग देश में सबसे अधिक है । यह मेला एशिया में अपनी तरह का पहला मेला था । इसमें अनेक एशियाई देशों ने भी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मण्डप लगाए थे । इनमें जापान का मंडप सबसे विशाल था । इस मंडप को देख कर हमें पता चला कि जापान जैसा छोटासा देश कृषि के क्षेत्र में कितनी उन्नति कर चुका है । हमारे प्रदेश के बहुत-से कृषक यह मेला देखने आए थे । मेले में उन्हें अपनी खेती के विकास संबंधी काफी जानकारी प्राप्त हुई । इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण था मेले में आयोजित विभिन्न प्रान्तों के लोकनृत्यों का आयोजन । सभी नृत्य एक से बढ़ कर एक थे । मुझे पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोकनृत्य सबसे अच्छे लगे । इन नृत्यों को आमने-सामने देखने का मेरा यह पहला ही अवसर था । लगभग दो घंटे मेले में बिताने के बाद मैं घर लौट आया और अपने साथ ढेर सारी सूचना एकत्र करके लाया ।

2. प्रदर्शनी अवलोकन

पिछले महीने मुझे दिल्ली में अपने किसी मित्र के पास जाने का अवसर प्राप्त हुआ । संयोग से उन दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी चल रही थी । मैंने अपने मित्र के साथ इस प्रदर्शनी को देखने का निश्चय किया । शाम अनुच्छेद लेखन को लगभग पांच बजे हम प्रगति मैदान पर पहुंचे । प्रदर्शनी के मुख्य द्वार पर हमें यह सूचना मिल गई कि इस प्रदर्शनी में लगभग तीस देश भाग ले रहे हैं । हमने देखा की सभी देशों ने अपने-अपने पंडाल बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं। उन पंडालों में उन देशों की निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था। अनेक भारतीय कम्पनियों ने भी अपने-अपने पंडाल सजाए हुए थे । प्रगति मैदान किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था । प्रदर्शनी में सजावट और रोशनी का प्रबन्ध इतना शानदार था कि अनायास ही मन से वाह निकल पड़ती थी ।

प्रदर्शनी देखने आने वालों की काफी भीड़ थी। हमने प्रदर्शनी के मुख्य द्वार से टिकट खरीद कर भीतर प्रवेश किया। सबसे पहले हम जापान के पंडाल में गए । जापान ने अपने पंडाल में कृषि, दूर संचार, कम्प्यूटर आदि से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया था । हमने वहां इक्कीसवीं सदी में टेलीफोन एवं दूर संचार सेवा कैसी होगी इस का एक छोटा-सा नमूना देखा । जापान ने ऐसे टेलिफोन का निर्माण किया था जिसमें बातें करने वाले दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की फोटो भी देख सकेंगे । वहीं हमने एक पॉकेट टेलीविज़न भी देखा जो माचिस की डिबिया जितना था। सारे पंडाल का चक्कर लगाकर हम बाहर आए ।

PSEB 11th Class Hindi Vyakaran व्यावहारिक व्याकरण वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

उसके बाद हमने दक्षिण कोरिया,ऑस्ट्रेलिय और जर्मनी के पंडाल देखे । उस प्रदर्शनी को देख कर हमें लगा कि अभी भारत को उन देशों का मुकाबला करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी । हमने वहां भारत में बनने वाले टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि का पंडाल भी देखा । वहां यह जानकारी प्राप्त करके मन बहुत खुश हुआ कि भारत दूसरे बहुत-से देशों को ऐसा सामान निर्यात करता है । भारतीय उपकरण किसी भी हालत विदेशों में बने सामान से कम नहीं थे । कोई घण्टा भर प्रदर्शनी में घूमने के बाद हमने प्रदर्शनी में ही बने रस्टोरेंट में चाय-पान किया और इक्कीसवीं सदी में दुनिया में होने वाली प्रगति का नक्शा आँखों में बसाए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक जानकारी प्राप्त करके घर वापस आ गए ।

3. नदी किनारे एक शाम

गर्मियों की छुट्टियों के दिन थे । कॉलेज जाने की चिंता नहीं थी और न ही होमवर्क की । एक दिन चार मित्र एकत्र हुए और सभी ने यह तय किया कि आज की शाम नदी किनारे सैर करके बिताई जाए । कुछ तो गर्मी से राहत मिलेगी कुछ प्रकृति के सौन्दर्य के दर्शन करके जी खुश होगा। एक ने कही दूजे ने मानी के अनुसार हम सब लगभग छ: बजे के करीब एक स्थान पर एकत्र हुए और पैदल ही नदी की ओर चल पड़े । दिन अभी ढला नहीं था बस ढलने ही वाला था । ढलते सूर्य की लाललाल किरणें पश्चिम क्षितिज पर ऐसे लग रही थीं मानो प्रकृति रूपी युवती लाल-लाल वस्त्र पहने मचल रही हो । पक्षी अपने-अपने घौंसलों की ओर लौटने लगे थे । खेतों में हरियाली छायी हुई थी । ज्यों ही हम नदी किनारे पहुंचे सूर्य की सुनहरी किरणें नदी के पानी पर पड़ती हुई बहुत भली प्रतीत हो रही थीं । ऐसे लगता था मानों नदी के जल में हजारों लाल कमल एक साथ खिल उठे हों। नदी तट पर लगे वृक्षों की पंक्ति देख कर ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए’ कविता की पंक्ति याद हो आई । नदी तट के पास वाले जंगल से ग्वाले पशु चरा कर लौट रहे थे । पशुओं के पैरों से उठने वाली धूलि एक मनोरम दृश्य उपस्थित कर रही थी ।

हम सभी मित्र बातें कम कर रहे थे, प्रकृति के रूप रस का पान अधिक कर रहे थे । हमने देखा कुछ शहरी लोग नदी किनारे सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए आ रहे हैं । हमने उन लोगों से दूर रहना ही उचित समझा क्योंकि वे लोग बातें अधिक कर रहे थे, प्रकृति का रूप कम निहार रहे थे। थोड़ी ही देर में सूर्य अस्तांचल की ओर जाता हुआ प्रतीत हुआ । नदी का जो जल पहले लाल-लाल लगता था अब धीरे-धीरे नीला पड़ना शुरू हो गया था । उड़ते हुए बगुलों की सफेद-सफेद पंक्तियाँ उस धूमिल वातावरण में और भी अधिक सफेद लग रही थीं । नदी तट पर सैर करते-करते हम गांव से काफी दूर निकल आए थे। प्रकृति की सुन्दरता निहारते-निहारते ऐसे खोये थे कि समय का ध्यान ही न रहा । हम सब गांव की ओर लौट पड़े और हम सब ने एक-दूसरे को यह बताया कि हमने क्या देखा, क्या अनुभव किया । सभी एक मत थे कि नदी तट पर नृत्य करती हुई प्रकृति रूपी नदी की यह शोभा विचित्र थी, अनोखी थी जिसे कोई दिल वाला ही अनुभव कर सकता है। नदी किनारे सैर करते हुए बितायी वह शाम ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी।

4. छुट्टी का दिन

छुट्टी के दिन की हर किसी को प्रतीक्षा होती है । विशेषकर विद्यार्थियों को तो इस दिन की प्रतीक्षा बड़ी बेसबरी से होती है। उस दिन न तो जल्दी उठने की चिन्ता होती है; न कॉलेज जाने की। स्कूल में भी छुट्टी की घण्टी बजते ही विद्यार्थी कितनी प्रसन्नता से ‘छुट्टी ओए’ का नारा लगाते हुए कक्षाओं से बाहर आ जाते हैं । प्राध्यापक महोदय के भाषण का आधा वाक्य ही उनके मुँह में रह जाता है और विद्यार्थी कक्षा छोड़ कर बाहर की ओर भाग जाते हैं और जब यह पता चलता है कि आज दिन भर की छुट्टी है तो विद्यार्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता । छुट्टी के दिन का पूरा मज़ा तो लड़के ही उठाते हैं। वे उस दिन खूब जी भर कर खेलते हैं, घूमते हैं । कोई सारा दिन क्रिकेट के मैदान में बिताता है तो कोई पतंग बाज़ी में सारा दिन बिता देते हैं । सुबह के घर से निकले शाम को ही घर लौटते हैं । कोई कुछ कहे तो उत्तर मिलता है कि आज तो छुट्टी है।

परन्तु हम लड़कियों के लिए छुट्टी का दिन घरेलू काम-काज का दिन होता है । हाँ यह ज़रूर है कि उस दिन पढ़ाई से छुट्टी होती है । छुट्टी के दिन मुझे सुबह सवेरे उठ कर अपनी माता जी के साथ कपड़े धोने में सहायता करनी पड़ती है । मेरी माता जी एक स्कूल में पढ़ाती हैं अत: उनके पास कपड़े धोने के लिए केवल छुट्टी का दिन ही उपयुक्त होता है। कपड़े धोने के बाद मुझे अपने बाल धोने होते हैं बाल धोकर स्नान करके फिर रसोई में माता जी का हाथ बटाना पड़ता है । छुट्टी के दिन ही हमारे घर में विशेष व्यंजन पकते हैं ।

दूसरे दिनों में तो सुबह सवेरे सब को भागम भाग लगी होती है। किसी को स्कूल जाना होता है तो किसी को दफ्तर । दोपहर के भोजन के पश्चात् थोड़ा आराम करते हैं । फिर माता जी मुझे लेकर बैठ जाती हैं । कुछ सिलाई, बुनाई या कढ़ाई की शिक्षा देने । उनका मानना है कि लड़कियों को ये सब काम आने चाहिएं । शाम होते ही शाम की चाय का समय हो जाता है । छुट्टी के दिन शाम की चाय में कभी समोसे, कभी पकौड़े बनाये जाते हैं । चाय पीने के बाद फिर रात के खाने की चिन्ता होने लगती है और इस तरह छुट्टी का दिन एक लड़की के लिए छुट्टी का नहीं अधिक काम का दिन होता है । सोचती हूं काश मैं लड़का होती तो मैं भी छुट्टी के दिन का पूरा आनन्द उठाती ।

5. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

जून का महीना था । सूर्य अंगारे बरसा रहा था । धरती तप रही थी । पशु-पक्षी तक गर्मी के मारे परेशान थे । हमारे यहां तो कहावत प्रचलित है कि ‘जेठ हाड़ दियाँ धुपां पोह माघ दे पाले’ । जेठ अर्थात् ज्येष्ठ महीना हमारे प्रदेश में सबसे अधिक तपने वाला महीना होता है । इसका अनुमान तो हम जैसे लोग ही लगा सकते हैं । मजदूर और किसान ही इस तपती गर्मी को झेलते हैं । पंखों, कूलरों या एयर कंडीशनरों में बैठे लोगों को इस गर्मी की तपश का अनुमान नहीं हो सकता । ज्येष्ठ महीना बीता, आषाढ़ महीना शुरू हुआ इस महीने में ही वर्षा ऋतु की पहली वर्षा होती है । सब की दृष्टि आकाश की ओर उठती है । किसान लोग तो ईश्वर से प्रार्थना के लिए अपने हाथ ऊपर उठा देते हैं । सहसा एक दिन आकाश में बादल छा गये । बादलों की गड़गड़ाहट सुन कर मोर अपनी मधुर आवाज़ में बोलने लगे । हवा में भी थोड़ी शीतलता आ गई । मैं अपने कुछ साथियों के साथ वर्षा ऋतु की पहली वर्षा का स्वागत करने की तैयारी करने लगा । धीरे-धीरे हल्की-हल्की बूंदा-बंदी शुरू हो गयी । हमारी मण्डली की खुशी का ठिकाना न रहा । मैं अपने साथियों के साथ गांव की गलियों में निकल पड़ा । साथ ही हम नारे लगाते जा रहे थे, ‘कालियाँ इट्टां काले रोड़ मीह बरसा दे जोरो जोर’। कुछ साथी गा रहे थे ‘बरसो राम धड़ाके से, बुढ़िया मर गई फाके से’ ।

किसान लोग भी खुश थे । उनका कहना था – ‘बरसे सावन तो पाँच के हों बावन’ नववधुएं भी कह उठी ‘बरसात वर के साथ’ और विरहिणी स्त्रियां भी कह उठीं कि ‘छुट्टी लेके आजा बालमा, मेरा लाखों का सावन जाए ।’ वर्षा तेज़ हो गयी थी । हमारी मित्र मंडली वर्षा में भीगती गलियों से निकल खेतों की ओर चल पड़ी । खुले में वर्षा में भीगने, नहाने का मजा ही कुछ और है । हमारी मित्र मंडली में गांव के और बहुत से लड़के शामिल हो गये थे । वर्षा भी उस दिन कड़ाके से बरसी । मैं उन क्षणों को कभी भूल नहीं सकता । सौन्दर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी न किया था। जैसे वह सौंदर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो । मैं उसे छू सकता था, देख सकता था और पी सकता था । मुझे अनुभव हुआ कि कवि लोग क्योंकर ऐसे दृश्यों से प्रेरणा पाकर अमर काव्य का सृजन करते हैं । वर्षा में भीगना, नहाना, नाचना, खेलना उन लोगों के भाग्य में कहां जो बड़ी-बड़ी कोठियों में एयरकंडीशनर कमरों में रहते हैं।

6. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य

एक दिन संयोग से मुझे अपने बड़े भाई को लेने रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ा । मैं प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन के अन्दर गया। पूछताछ खिड़की से पता लगा कि दिल्ली से आने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नं० 4 पर आएगी । मैं रेलवे पुल पार करके प्लेटफार्म नं० 4 पर पहुंच गया। वहां यात्रियों की काफ़ी बड़ी संख्या मौजूद थी । कुछ लोग मेरी तरह अपने प्रियजनों को लेने के लिए आये थे तो कुछ लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराने के लिए आये हुए थे । जाने वाले यात्री अपने-अपने सामान के पास खड़े थे । कुछ यात्रियों के पास कुली भी खड़े थे । मैं भी उन लोगों की तरह गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगा । इसी दौरान मैंने अपनी नज़र रेलवे प्लेटफार्म पर दौड़ाई ।

मैंने देखा कि अनेक युवक और युवितयाँ अनुच्छेद लेखन अत्याधुनिक पोशाक पहने इधर-उधर घूम रहे थे । कुछ युवक तो लगता था यहाँ केवल मनोरंजन के लिए ही आए थे । वे आने-जाने वाली लड़कियों, औरतों को अजीब-अजीब नज़रों से घूर रहे थे । ऐसे युवक दो-दो, चार-चार के ग्रुप में थे । कुछ यात्री टी-स्टाल पर खड़े चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, परन्तु उनकी नज़रे बार-बार उस तरफ उठ जाती थीं, जिधर से गाड़ी आने वाली थी। कुछ यात्री बड़े आराम से अपने सामान के पास खड़े थे, लगता था कि उन्हें गाड़ी आने पर जगह प्राप्त करने की कोई चिन्ता नहीं । उन्होंने पहले से ही अपनी सीट आरक्षित करवा ली थी ।

PSEB 11th Class Hindi Vyakaran व्यावहारिक व्याकरण वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

कुछ फेरी वाले भी अपना माल बेचते हुए प्लेटफार्म पर घूम रहे थे । सभी लोगों की नज़रें उस तरफ थीं जिधर से गाड़ी ने आना था । तभी लगा जैसे गाड़ी आने वाली हो । प्लेटफार्म पर भगदड़-सी मच गई । सभी यात्री अपना-अपना सामान उठा कर तैयार हो गये । कुलियों ने सामान अपने सिरों पर रख लिया । सारा वातावरण उत्तेजना से भर गया । देखते ही देखते गाड़ी प्लेटफार्म पर आ पहुंची । कुछ युवकों ने तो गाड़ी के रुकने की भी प्रतीक्षा न की । वे गाड़ी के साथ दौड़ते-दौड़ते गाड़ी में सवार हो गये । गाड़ी रुकी तो गाड़ी में सवार होने के लिए धक्कम-पेल शुरू हो गयी । हर कोई पहले गाड़ी में सवार हो जाना चाहता था। उन्हें दूसरों की नहीं केवल अपनी चिन्ता थी। मेरे भाई मेरे सामने वाले डिब्बे में थे । उनके गाड़ी से नीचे उतरते ही मैंने उनके चरण स्पर्श किये और उनका सामान उठाकर स्टेशन से बाहर की ओर चल पड़ा । चलते-चलते मैंने देखा जो लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराकर लौट रहे थे उनके चेहरे उदास थे और मेरी तरह जिनके प्रियजन गाड़ी से उतरे थे उनके चेहरों पर रौनक थी, खुशी थी।

7. बस अड्डे का दृश्य

आजकल पंजाब में लोग अधिकतर बसों से ही यात्रा करते हैं । पंजाब का प्रत्येक गांव मुख्य सड़क से जुड़ा होने के कारण बसों का आना-जाना अब लगभग हर गांव में होने लगा है । बस अड्डों का जब से प्रबन्ध पंजाब रोडवेज़ के अधिकार क्षेत्र में आया है बस अड्डों का हाल दिनों-दिन बरा हो रहा है । हमारे शहर का बस अड्डा भी उन बस अड्डों में से एक है जिसका प्रबन्ध हर दृष्टि से बेकार है । इस बस अड्डे के निर्माण से पूर्व बसें अलग-अलग स्थानों से अलगअलग अड्डों से चला करती थीं । सरकार ने यात्रियों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी बस अड्डे एक स्थान पर कर दिये । शुरू-शुरू में तो लोगों को लगा कि सरकार का यह कदम बड़ा सराहनीय है किन्तु ज्यों-ज्यों समय बीतता गया जनता की कठिनाइयां, परेशानियां बढ़ने लगीं। हमारे शहर के बस अड्डे पर भी अन्य शहरों की तरह अनेक दुकानें बनाई गई हैं । जिनमें खान-पान, फल-सब्जियों आदि की दुकानों के अतिरिक्त पुस्तकों की, मनियारी आदि की भी अनेक दुकानें हैं । हलवाई की दुकान से उठने वाला धुआँ सारे यात्रियों की परेशानी का कारण बनता है । चाय पान आदि की दुकानों की साफ सफाई की तरफ कोई ध्यान नहीं देता । वहाँ माल भी महँगा मिलता है और गंदा भी।

बस अड्डे में अनेक फलों की रेहड़ी वालों को भी माल बेचने की आज्ञा दी गई है । ये लोग काले लिफाफे रखते हैं जिनमें वे सड़े गले फल पहले से ही तोल कर रखते हैं और लिफाफा इस चतुराई से बदलते हैं कि यात्री को पता नहीं चलता । घर पहुंच कर ही पता चलता है कि उन्होंने जो फल चुने थे वे सब बदल दिये गये हैं । अड्डा इन्चार्ज इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं करते। बस अड्डे की शौचालय की साफ-सफ़ाई न होने के बराबर है । यात्रियों को टिकट देने के लिए लाइन नहीं लगवाई जाती । बस आने पर लोग भाग दौड़ कर बस में सवार होते हैं । औरतों, बच्चों और वृद्ध लोगों का बस में चढ़ना ही कठिन होता है । बहुत बार देखा गया है कि जितने लोग बस के अन्दर होते हैं उतने ही बस के ऊपर चढ़े होते हैं । पंजाब में एक कहावत प्रसिद्ध है कि रोडवेज़ की लारी न कोई शीशा न कोई बारी । पर बस अड्डों का हाल तो उनसे भी बुरा है । जगह-जगह खड्डे, कीचड़, मक्खियां, मच्छर और न जाने क्या-क्या । आज यह बस अड्डे जेब कतरों और नौसर बाजों के अड्डे बने हुए हैं । हर यात्री को अपने-अपने घर पहुंचने की जल्दी होती है इसलिए कोई भी बस अड्डे की इस दुर्दशा की ओर ध्यान नहीं देता ।

8. मतदान केन्द्र का दृश्य

प्रजातन्त्र में चुनाव अपना विशेष महत्त्व रखते हैं । गत 13 फरवरी को हमारे कस्बे में नवांशहर विधानसभा क्षेत्र के लिए भी चुनाव हुआ । चुनाव से कोई महीना भर पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा बड़े जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया गया । धन और शराब का खुलकर वितरण किया गया । पंजाब में एक कहावत प्रसिद्ध है कि चुनाव के दिनों में यहाँ नोटों की वर्षा की जाती है और शराब की नदियां बहती हैं । चुनाव आयोग ने लाख सिर पटका पर ढाक के तीन पात ही रहे । आज मतदान का दिन है । मतदान से एक दिन पूर्व ही मतदान केन्द्रों की स्थापना की गई है । मतदान वाले दिन जनता में भारी उत्साह देखा गया ।

इस बार पंजाब में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का प्रयोग किया जा रहा था । अब मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर मत-पत्र नहीं दिये जाने थे और न ही उन्हें अपने मत मतपेटियों में डालने थे । अब तो मतदाताओं को अपनी पसन्द के उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के आगे लगे बटन को दबाना भर था । इस नए प्रयोग के कारण भी मतदाताओं में काफी उत्साह देखने में आया। मतदान प्रात: आठ बजे शुरू होना था किन्तु मतदान केन्द्रों के बाहर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पंडाल समय से काफ़ी पहले सजा लिये । उन पंडालों में उन्होंने अपनी-अपनी पार्टी के झण्डे एवं उम्मीदवार के चित्र भी लगा रखे थे । दो तीन मेजें भी पंडाल में लगाई गई थीं जिन पर उम्मीदवार के कार्यकर्ता मतदान सूचियाँ लेकर बैठे थे और मतदाताओं को मतदाता सूची में से उनकी क्रम संख्या तथा मतदान केन्द्र की संख्या तथा मतदान केन्द्र का नाम लिखकर एक पर्ची दे रहे थे ।

आठ बजने से पूर्व ही मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं की लम्बी-लम्बी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं । मतदाता विशेषकर स्त्री मतदाता खूब सज-धज कर आए थे । ऐसा लगता था कि वे किसी मेले में आए हों । दोपहर होते-होते मतदाताओं की भीड़ में कमी आने लगी । राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता मतदाताओं को घेर-घेर कर ला रहे थे । हालांकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं को किसी प्रकार के वाहन में लाने की मनाही की है किन्तु सभी उम्मीदवार अपने-अपने मतदाताओं को रिक्शा, जीप या कार में बिठा कर ला रहे थे । सायं पांच बजते-बजते यह मेला उजड़ने लगा। भीड़ मतदान केन्द्र से हट कर उम्मीदवारों के पंडालों में जमा हो गयी थी और सभी अपने-अपने उम्मीदवार की जीत के अनुमान लगाने में मस्त थे ।

9. रेल यात्रा का अनुभव

हमारे देश में रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जो यात्रियों को टिकट देकर सीट की गारण्टी नहीं देता । रेल का टिकट खरीद कर सीट मिलने की बात तो बाद में आती है पहले तो गाड़ी में घुस पाने की भी समस्या सामने आती है । और यदि कहीं आप बाल-बच्चों अथवा सामान के साथ यात्रा कर रहे हों तो यह समस्या और भी विकट हो उठती है । कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि टिकट पास होते हुए भी आप गाड़ी में सवार नहीं हो पाते और ‘दिल की तमन्ना दिल में रह गयी’ गाते हुए या रोते हुए घर लौट आते हैं । रेलगाड़ी में सवार होने से पूर्व गाड़ी की प्रतीक्षा करने का समय बड़ा कष्टदायक होता है । मैं भी एक बार रेलगाड़ी में मुम्बई जाने के लिए स्टेशन पर गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहा था । गाड़ी कोई दो घंटे लेट थी । यात्रियों की बेचैनी देखते ही बनती थी । गाड़ी आई तो गाड़ी में सवार होने के लिए जोर आज़माई शुरू हो गयी । किस्मत अच्छी थी कि मैं गाड़ी में सवार होने में सफल हो सका । गाड़ी चले अभी घंटा भर ही हुआ था कि कुछ यात्रियों के मुख से मैंने सुना कि यह डिब्बा जिसमें मैं बैठा था अमुक स्थान पर कट जाएगा ।

यह सुनकर मैं तो दुविधा में पड़ गया । गाड़ी रात के एक बजे उस स्टेशन पर पहुंची जहाँ हमारा वह डिब्बा मुख्य गाड़ी से कटना था और हमें दूसरे डिब्बे में सवार होना था । उस समय अचानक तेज़ वर्षा होने लगी । स्टेशन पर कोई भी कुली नज़र नहीं आ रहा था। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाये वर्षा में भीगते हुए दूसरे डिब्बे की ओर भागने लगे । मैं भी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का स्मरण करते हुए अपना सामान स्वयं ही उठाने का निर्णय करते हुए अपना सामान गाड़ी से उतारने लगा । मैं अपना अटैची लेकर उतरने लगा कि एक दम से वह डिब्बा चलने लगा । मैं गिरते-गिरते बचा और अटैची मेरे हाथ से छूट कर प्लेटफार्म पर गिर पड़ा और पता नहीं कैसे झटके के साथ खुल गया । मेरे कपड़े वर्षा में भीग गये। मैंने जल्दी-जल्दी अपना सामान समेटा और दूसरे डिब्बे की ओर बढ़ गया । गर्मी का मौसम और उस डिब्बे के पंखे बन्द । खैर गाड़ी चली तो थोड़ी हवा लगी और कुछ राहत मिली । बड़ी मुश्किल से मैं मुम्बई पहुँचा ।।

10. बस यात्रा का अनुभव

पंजाब में बस-यात्रा करना कोई आसान काम नहीं है । एक तो पंजाब की बसों के विषय में पहले ही कहावत प्रसिद्ध है कि रोडवेज़ दी लारी न कोई शीशा न कोई बारी’ दूसरे 52 सीटों वाली बस में ऊपर-नीचे कोई सौ सवा सौ आदमी सवार होते हैं । ऐसे अवसरों पर कंडक्टर महाश्य की तो चांदी होती है । वे न किसी को टिकट देते हैं और न किसी को बाकी पैसे । मुझे भी एक बार ऐसी ही बस यात्रा करने का अनुभव हुआ । मैं बस अड्डे पर उस समय पहुँचा जब बस चलने वाली ही थी अतः मैं टिकट खिड़की की ओर न जाकर सीधा बस की ओर बढ़ गया। बस ठसा ठस भरी हुई थी । मुझे जाने की जल्दी थी इसलिए मैं भी उस बस में घुस गया । बड़ी मुश्किल से खड़े होने की जगह मिली । मेरे बस में सवार होने के बाद भी बहुत से यात्री बस में चढ़ना चाहते थे । कंडक्टर ने उन्हें बस की छत्त के ऊपर चढ़ने के लिए कहा । पुरुष यात्री तो सभी अनुच्छेद लेखन छत पर चढ़ गये परन्तु स्त्रियां और बच्चे न चढ़े। बस चली तो लोगों ने सुख की सांस ली। थोड़ी देर में बस कंडक्टर टिकटें काटता हुआ मेरे पास आया । मुझे लगा उसने शराब पी रखी है । मुझ से पैसे लेकर उसने बकाया मेरी टिकट के पीछे लिख दिया और आगे बढ़ गया ।

मैंने अपने पास खड़े एक सज्जन से कंडक्टर के शराब पीने की बात कही तो उन्होंने कहा कि शाम के समय ये लोग ऐसे ही चलते हैं । हराम की कमाई है शराब में नहीं उड़ाएंगे तो और कहाँ उड़ाएंगे । थोड़ी ही देर में एक बूढ़ी स्त्री का उस कंडक्टर से झगड़ा हो गया । कंडक्टर उसे फटे हुए नोट बकाया के रूप में वापस कर रहा था और बुढ़िया उन नोटों को लेने से इन्कार कर रही थी । कंडक्टर कह रहा था ये सरकारी नोट हैं हमने कोई अपने घर तो बनाये नहीं । इसी बीच उसने उस बुढ़िया को कुछ अपशब्द कहे । बुढ़िया ने उठ कर उसको गले से पकड़ लिया । सारे यात्री कंडक्टर के विरुद्ध हो गये। कंडक्टर बजाए क्षमा मांगने के और भी गर्म हो रहा था । अभी उन में यह झगड़ा चल ही रहा था कि मेरे गांव का स्टाप आ गया । बस रुकी और मैं जल्दी से उतर गया । बस क्षण भर रुकने के बाद आगे बढ़ गयी। मेरी सांस में सांस आई । जैसे मुझे किसी ने शिकंजे में दबा रखा हो। इसी घबराहट में मैं कंडक्टर से अपने बकाया पैसे लेना भी भूल गया।

11. परीक्षा भवन का दृश्य

अप्रैल महीने की पहली तारीख थी । उस दिन हमारी वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही थीं । परीक्षा शब्द से वैसे सभी मनुष्य घबराते हैं परन्तु विद्यार्थी वर्ग इस शब्द से विशेष रूप से घबराता है । मैं जब घर से चला तो मेरा दिल भी धक-धक कर रहा था । रात भर पढ़ता रहा। चिन्ता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न पत्र में न आया तो क्या होगा । परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिन्तित से नज़र आ रहे थे । कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर अब भी उनके पन्ने उलट पुलट रहे थे। कुछ बड़े खुश-खुश नज़र आ रहे थे। लड़कों से ज्यादा लड़कियां अधिक गम्भीर नज़र आ रही थीं । कुछ लड़कियाँ तो इसी आत्मविश्वास के कारण ही शायद हर परीक्षा में लड़कों से बाजी मार जाती हैं। मैं अपने सहपाठियों से उस दिन के प्रश्न पत्र के बारे में बात कर ही रहा था कि परीक्षा भवन में घंटी बजनी शुरू हो गई । यह संकेत था कि हमें परीक्षा भवन में प्रवेश कर जाना चाहिए। सभी विद्यार्थियों ने परीक्षा भवन में प्रवेश करना शुरू कर दिया । भीतर पहुँच कर हम सब अपने अपने रोल नं० के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गये ।

थोड़ी ही देर में अध्यापकों द्वारा उत्तर पुस्तिकाएं बांट दी गईं और हम ने उस पर अपना-अपना रोल नं० आदि लिखना शुरू कर दिया । ठीक नौ बजते ही एक घंटी बजी और अध्यापकों ने प्रश्न पत्र बाँट दिये । कुछ विद्यार्थी प्रश्न पत्र प्राप्त करके उसे माथा टेकते देखे गये। मैंने भी ऐसा ही किया। माथा टेकने के बाद मैंने प्रश्न पत्र पढ़ना शुरू किया । मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि प्रश्न पत्र के सभी प्रश्न मेरे पढ़े हुए या तैयार किये हुए प्रश्नों में से थे । मैंने किये जाने वाले प्रश्नों पर निशान लगाये और कुछ क्षण तक यह सोचा कि कौन-सा प्रश्न पहले करना चाहिए और फिर उत्तर लिखना शुरू कर दिया । मैंने देखा कुछ विद्यार्थी अभी बैठे सोच ही रहे थे शायद उनके पढ़े में से कोई प्रश्न न आया हो । तीन घण्टे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा । परीक्षा भवन से बाहर आकर ही मुझे पता चला कि कुछ विद्यार्थियों ने बड़ी नकल की परन्तु मुझे इसका कुछ पता नहीं चला । मेज़ से सिर उठाता तो पता चलता । मैं प्रसन्न था कि उस दिन मेरा पर्चा बहुत अच्छा हुआ था।

12. मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना

आज मैं बी० ए० प्रथम वर्ष में हो गया हूँ । माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गये हो । मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ । हां, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ । मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं । एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनन्द विभोर हो उठता हूँ । घटना कुछ इस तरह से है । कोई दो तीन साल पहले की घटना है । मैंने एक दिन देखा कि हमारे आंगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है । मैं उस बच्चे को उठा कर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किन्तु मेरा मन कहता था कि इस चिड़िया के बच्चे को बचाया जा सकता है । मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया । पानी मुँह में जाते ही उस बच्चे ने जो बेहोश-सा लगता था पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये । यह देख कर मैं प्रसन्न हुआ । मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टांग में चोट आई है । मैंने अपने छोटे भाई से माँ से मरहम की डिबिया लाने को कहा । वह तुरन्त मरहम की डिबिया ले आया। उस में से थोड़ी सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई ।

मरहम लगते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई । वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था । मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेर कर खुश हो रहा था । कोई घण्टा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा । मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था । मैंने छोटे भाई से एक रोटी मंगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी । वह उसे खाने लगा । हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे । मैंने उसे अब अपनी पढ़ाई की मेज़ पर रख दिया । रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई । दूसरे दिन मैंने देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है । वह मुझे देख चींची करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था । एक दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया । वह उड़ गया । मुझे उस चिड़िया के बच्चे के प्राणों की रक्षा करके जो आनन्द प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा ।

13. आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य

पिछले रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह-सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आये हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी । तभी मैंने वहाँ एक युवा दम्पति को अपने छोटे बच्चे को बच्चा गाड़ी में बिठा कर सैर करते देखा । अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक तांगा आता हुआ दिखाई पड़ा। उस में चार पाँच सवारियाँ भी बैठी थीं । बच्चा गाड़ी वाले दम्पत्ति ने तांगे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस तांगे से टकरा गई। तांगा चलाने वाला और दो सवारियां बुरी तरह से घायल हो गये थे। बच्चा गाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चा गाड़ी छूट गयी किन्तु इस से पूर्व कि वह बच्चे समेत तांगे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँच कर उन से टकरा जाती मेरे साथी ने भागकर उस बच्चा गाड़ी को सम्भाल लिया। कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उस की कार को कोई खास क्षति नहीं पहुंची थी।

माल रोड पर गश्त करने वाली पुलिस के तीन चार सिपाही तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच गये । उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और हस्पताल को फोन किया। कुछ ही मिनटों में वहाँ एम्बुलैंस गाड़ी आ गई । हम सब ने घायलों को उठा कर एम्बुलैंस में लिटाया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरन्त वहाँ पहुँच गये। उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था। इस सैर सपाटे वाली सड़क पर वह 100 कि० मी० की स्पीड से कार चला रहा था और तांगा सामने आने पर ब्रेक न लगा सका। दूसरी तरफ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुर्ती और चुस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दम्पति ने उस का विशेष धन्यवाद किया । बाद में हमें पता चला कि तांगा चालक ने हस्पताल में जाकर दम तोड़ दिया । जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह दु:खी हुए बिना न रह सका ।

14. कैसे मनायी हम ने पिकनिक

पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एक दम स्फूर्ति ला देता है । मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी । परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था अतः उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवर्क्स पर जाकर पिकनिक मनायी जाए । अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गये। माधोपुर हैडवर्क्स हमारे शहर से लगभग 10 कि० मि० दूरी पर था अतः हम सब ने अपने-अपने साइकलों पर जाने का निश्चय किया । पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया क्योंकि उस दिन वहाँ बड़ी रौनक रहती है ।

रविवार वाले दिन हम सब ने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बाक्स तैयार किये तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकलों पर रख लिया । मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी उसने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मन पसन्द गानों की टेपस् भी रख ली । हम सब अपनी-अपनी साइकल पर सवार हो, हँसते गाते एक-दूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले । लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गये। वहां हम ने प्रकृति को अपनी सम्पूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा । चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे, शीतल, और मन्द-मन्द हवा बह रही थी । हम ने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी । हमने वहाँ एक दरी, जो हम साथ

अनुच्छेद लेखन लाये थे, बिछा दी । साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गये थे अत: हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया । हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फोटो उतारी । थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकार्डर चला दिया और गीतों की धुन पर मस्ती में भर कर नाचने लगे । कुछ देर तक हम ने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा किया । दोपहर को हम सब ने अपनेअपने टिफन खोले और सबने मिल बैठ कर एक दूसरे का भोजन बांट कर खाया । उस के बाद हम ने वहां स्थित कैनाल रेस्ट हाऊस रेस्टोरों में जाकर चाय पी । चाय पान के बाद हम ने अपने स्थान पर बैठ कर ताश खेलनी शुरू की । साथ में हम संगीत भी सुन रहे थे । ताश खेलना बन्द करके हमने एक दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आप बीती हंसी मज़ाक की बातें बताईं । हमें समय कितनी जल्दी बीत गया इसका पता ही न चला । जब सूर्य छिपने को आया तो हम ने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े । सच ही वह दिन हम सबके लिए एक रोमांचकारी दिन रहा।

15. पर्वतीय स्थान की यात्रा

आश्विन महीने के नवरात्रों में पंजाब के अधिकतर लोग देवी दुर्गा माता के दरबार में हाजिरी लगवाने और माथा टेकने जाते हैं। पहले हम हिमाचल प्रदेश में स्थित माता चिन्तापूर्णी और माता ज्वाला जी के मंदिरों में माथा टेकने आया करते थे। इस बार हमारे मुहल्ले वासियों ने मिल कर जम्मू क्षेत्र में स्थित माता वैष्णों देवी के दर्शनों को जाने का निर्णय किया । हमने एक बस का प्रबन्ध किया था, जिसमें लगभग पचास के करीब बच्चे-बूढ़े और स्त्री-पुरुष सवार होकर जम्मू के लिए रवाना हुए । सभी परिवारों ने अपने साथ भोजन आदि सामग्री भी ले ली थी । पहले हमारी बस पठानकोट पहुँची, वहां कुछ रुकने के बाद हम ने जम्मू क्षेत्र में प्रवेश किया । हमारी बस टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्ते को पार करती हुई जम्मू तवी पहुँच गयी । सारे रास्ते में दोनों तरफ अद्भुत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिले जिन्हें देख कर हमारा मन प्रसन्न हो उठा । बस में सवार सभी यात्री माता की भेंटें गा रहे थे और बीच में माँ शेरा वाली का जयकारा भी बुला रहे थे । लगभग 6 बजे हम लोग कटरा पहुँच गये । वहाँ एक धर्मशाला में हम ने अपना सामान रखा और विश्राम किया और वैष्णो देवी जाने के लिए टिकटें प्राप्त की। दूसरे दिन सुबह सवेरे हम सभी माता की जय पुकारते हुए माता के दरबार की ओर चल पड़े। कटरा से भक्तों को पैदल ही चलना पड़ता है । कटरे से माता के दरबार तक जाने के दो मार्ग हैं । एक सीढ़ियों वाला मार्ग तथा दूसरा साधारण ।

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हमने साधारण मार्ग को चुना । इस मार्ग पर कुछ लोग खच्चरों पर सवार होकर भी यात्रा कर रहे थे । यहाँ से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर माता का मन्दिर है । मार्ग में हमने बाण गंगा में स्नान किया । पानी बर्फ-सा ठंडा था फिर भी सभी यात्री बड़ी श्रद्धा से स्नान कर रहे थे। कहते हैं यहाँ माता वैष्णो देवी ने हनुमान जी की प्यास बुझाने के लिए बाण चलाकर गंगा उत्पन्न की थी । यात्रियों को बाण गंगा में नहाना ज़रूरी माना जाता है अन्यथा कहते हैं कि माता के दरबार की यात्रा सफल नहीं होती । चढ़ाई बिल्कुल सीधी थी । चढ़ाई चढ़ते हुए हमारी सांस फूल रही थी परन्तु सभी यात्री माता की भेंटें गाते हुए और माता की जय जयकार करते हुए बड़े उत्साह से आगे बढ़ रहे थे । सारे रास्ते में बिजली के बल्ब लगे हुए थे और जगह-जगह पर चाय की दुकानें और पीने के पानी का प्रबंध किया गया था । कुछ ही देर में हम आदक्वारी नामक स्थान पर पहुँच गये । मन्दिर के निकट पहुँच कर हम दर्शन करने वाले भक्तों की लाइन में खड़े हो गये । अपनी बारी आने पर हम ने माँ के दर्शन किये । श्रद्धा पूर्वक माथा टेका और मन्दिर से बाहर आ गए । आजकल मन्दिर का सारा प्रबन्ध जम्मू-कश्मीर की सरकार एवं एक ट्रस्ट की देख-रेख में होता है । सभी प्रबन्ध बहुत अच्छे एवं सराहना के योग्य थे । घर लौटने तक हम सभी माता के दर्शनों के प्रभाव को अनुभव करते रहे ।

16. ऐतिहासिक स्थान की यात्रा

यह बात पिछली गर्मियों की है । मुझे मेरे एक पत्र मित्रं का पत्र प्राप्त हुआ जिसमें मुझे कुछ दिन उसके साथ आगरा में बिताने का निमंत्रण दिया गया था । यह निमन्त्रण पाकर मैं बहुत प्रसन्न हुआ । किसी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान को देखने का मुझे अवसर मिल रहा था । मैंने अपने पिता से बात की तो उन्होंने खुशी-खुशी मुझे आगरा जाने की अनुमति दे दी। मैं रेल द्वारा आगरा पहुँचा। मेरा मित्र मुझे स्टेशन पर लेने आया हुआ था । वह मुझे अपने घर लिवा ले गया । यह मात्र संयोग की बात थी या फिर मेरा सौभाग्य कि उस दिन पूर्णिमा थी और कहते हैं पूर्णिमा की चाँदनी में ताजमहल को देखने का आनन्द ही कुछ और होता है । रात के लगभग नौ बजे हम घर से निकले ।

दूर से ही ताजमहल के मीनारों और गुम्बदों का दृश्य दिखाई दे रहा था । हमने प्रवेश द्वार से टिकट खरीदे और अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे। भारत सरकार ने ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए कई उपाय किये हैं जिन में यात्रियों की संख्या को नियन्त्रित करना भी एक है। ताजमहल के चारों ओर लाल पत्थर की दीवारें हैं जिसमें एक बहुत बड़ा और सुन्दर उद्यान है जिस की सजावट और हरियाली देख कर मन मोहित हो उठता है । हमने ताजमहल परिसर में जब प्रवेश किया तो देखा कि अन्दर देशी कम विदेशी पर्यटक अधिक थे । ताजमहल तक जाने के लिए सब से पहले एक बहुत ऊँचे और सुन्दर द्वार से होकर जाना पड़ता है ।

ताजमहल उद्यान के एक ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया है जो सफेद संगमरमर का बना है । इसका गुम्बद बहुत ऊँचा है उस के चारों ओर बड़ीबड़ी मीनारें हैं । ताजमहल के पश्चिम की ओर यमुना नदी बहती है । यमुना जल में ताज की परछाई बहुत सुंदर व मोहक लग रही थी । हम ने ताजमहल के भीतर प्रवेश किया। सबसे नीचे के भवन में मुग़ल सम्राट शाहजहां और उस की पत्नी और प्रेमिका मुमताज महल की कब्रे हैं । उन पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है और बहुत से रंग बिरंगे बेलबूटे बने हुए हैं। इस कमरे के ठीक ऊपर एक ऐसा ही भाग है । सौन्दर्य की दृष्टि से भी उसका विशेष महत्त्व है। कहते हैं इस में बनी संगमरमर की जाली की जगह पहले सोने की बनी जाली थी जिसे औरंगजेब ने हटवा दिया था । कहते हैं कि ताजमहल के निर्माण में बीस वर्ष लगे थे और उस युग में तीस लाख रुपए खर्च हुए थे । इसे बनाने में तीस हज़ार मजदूरों ने योगदान किया था । यह स्मारक बादशाह ने अपनी पत्नी की याद में बनवाया था ।

आज इसे संसार का आठवां अजूबा भी कहा जाता है । दुनिया भर से हर वर्ष लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं । आज ताजमहल भी प्रदूषण का शिकार हो रहा है इसे बचाने के हर सम्भव उपाय किये जाने चाहिए । इसे देखकर हमारे मन में यह भाव जाग्रत होते हैं कि सच्चा प्रेम सदा अमर रहता है । जी न करते हुए भी हमें वहाँ से लौटकर वापस घर आना पड़ा।

17. तेते पाँव पसारिये जेती लाम्बी सौर

बड़े बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है कि लेते पाँव पसारिये जेती लाम्बी सौर। अर्थात् व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही कार्य करना चाहिए अथवा खर्च करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य से बाहर खर्च करने पर व्यक्ति को कष्ट तो उठाना ही पड़ता है बाद में दुःख भी झेलना पड़ता है। आज महंगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि मध्यम वर्ग ने अपनी चादर से बाहर पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। अमीर बनने या अमीरी का दिखावा करने के कारण वह सामर्थ्य से बाहर खर्च करने का आदी बन गया है। घर में दिखावे की प्रत्येक वस्तु फ्रिज, टी० वी०, कूलर, ए० सी० आदि पर खर्च कर वह चादर से बाहर पैर पसारने का यत्न करता है। आजकल कार रखना भी एक स्टेटस सिम्बल बन गया है।

मध्यवर्गीय व्यक्ति ब्याह-शादी में भी अमीरों की नकल करते हुए खर्च करता है चाहे उसका बाल-बाल कर्जे में बिंध जाए पर अपनी नाक रखने के लिए समाज में अपने रुतबे को ध्यान में रखते हुए वह आखा, ढाका, सगाई और विवाह जैसी दिखावे की रस्मों पर अपनी सामर्थ्य से बढ़कर खर्च करता है। पुराने समय में एक कमाता था तो दस खाते थे क्योंकि वे अपनी चादर के भीतर ही पैर पसारते थे और सुखी रहते थे। आज के ज़माने में दस के दस कमाते हैं फिर भी घर का खर्च नहीं चलता। कारण लोगों को चादर से बाहर पैर पसारने की आदत पड़ गई है। इसी कारण आज गृहस्वामिनी को भी नौकरी करनी पड़ रही है। चादर से बाहर पैर पसारने की आदत ने लोगों को पैसे की दौड़ में शामिल होने पर विवश कर दिया है और पैसा कमाने के लिए लोगों को कई प्रकार के अनैतिक कार्य भी करने पड़ रहे हैं। बड़ों की मानें तो चादर के भीतर ही पैर पसारने में सुख है।

18. जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत
अथवा
सत्संगति

अंग्रेज़ी में एक कहावत है कि “A man is known by the company he keeps”. अर्थात् मनुष्य अपनी संगति से जाना जाता है। कबीर जी ने बुरी संगति को काजल की कोठरी से उपमा देते हुए कहा है कि इसमें कितना ही सयाना जाए उसे एक न एक काली लकीर अवश्य लग जाएगी। इसलिए उन्होंने साधु संगति पर बल दिया है। साधु संगति अर्थात् सत्संगति मनुष्य के स्वभाव को निर्मल ही नहीं बनाती बल्कि उसके कई दोष अथवा विकार भी दूर करती है। इसके अनुच्छेद लेखन विपरीत कोयले की दलाली में हमेशा मुँह काला ही होता है। मनुष्य को सबसे पहले संगति अपने माता-पिता की मिलती है। माता-पिता यदि सज्जन होंगे तो बच्चे का स्वभाव भी अच्छा होगा।

माता-पिता से ही बच्चे गालियाँ निकालना, सिगरेट-शराब आदि पीना, झूठ बोलना, चोरी करना जैसी बुरी आदतें सीखते हैं। व्यक्ति के सम्पर्क में दूसरा व्यक्ति मित्र आता है। मित्र यदि सच्चरित्र, लायक, प्रतिभावान होगा तो व्यक्ति विशेष भी चरित्रवान और प्रतिभावान होगा। इसके विपरीत यदि मित्रगण अच्छे नहीं हैं तो व्यक्ति बुरी आदतें जैसे नशा करना आदि सीखते हैं। कुसंगति वैसी ही है, जैसे एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है और सत्संगति वैसी ही है जैसे चन्दन का वृक्ष जो अपने आस-पास के वृक्षों को भी सुगन्धित बना देता है। सत्संगति के कारण ही ढाक का पत्ता राजा तक पहुँचने का गौरव प्राप्त करता है क्योंकि पान का बीड़ा उसी में बाँधा जाता है। अतः यह ठीक ही कहा गया है कि”जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत”।

19. बोए पेड़ बबूल के आम कहाँ ते होय

यदि कोई व्यक्ति काँटेदार वृक्ष बबूल को बो कर उस पर मीठे आम लगने की आशा करता है तो निश्चय ही वह मूर्ख है। जो बोया जाता है अन्त में उसे ही काटना पड़ता है। इस नियम में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। हिन्दू विश्वास के अनुसार व्यक्ति के कर्म फल को टाला नहीं जा सकता। जो व्यक्ति दूसरों को दुःखी करता है, कष्ट पहुँचाता है वह कैसे दूसरों से सुख की कामना कर सकता है। उसे तो जीवन में दुःख ही मिलेगा। हिरण्यकश्यप, रावण, कंस आदि ने सुख और महत्त्व पाने की आशा से बुरे कर्म किए, लोगों को सताया, वे लोग दूसरों से सुख की आशा रखते थे जो दुराशा ही सिद्ध हुई और उन्हें अपने बुरे कर्मों का फल भोगना भी पड़ा। दुर्योधन ने भी सुखों की आशा में अपने भाई पाण्डवों पर अत्याचार किए, उनके अधिकार छीने किन्तु अन्त में जैसी करनी वैसी भरनी वाली बात ही हुई, दुर्योधन युद्ध में पराजित ही नहीं हुआ अपने प्राणों से भी हाथ धो बैठा।

अंग्रेजों ने भी भारत पर अधिकार बनाए रखने के लिए लाठी, गोली का प्रयोग किया। निरपराध और निहत्थे लोगों की हत्याएँ की, परन्तु अंग्रेजों के इन अत्याचारों ने क्रांति की भावना को न केवल जन्म दिया बल्कि उसे भड़काया भी। परिणामस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। इससे यह स्पष्ट है कि व्यक्ति के अच्छे कर्म का फल सदा अच्छा ही होता है। आम बो कर ही आम खाए जा सकते हैं। बबूल बोकर आमों की आशा करना असम्भव तो है ही प्रकृति के नियमों के विरुद्ध भी है।

20. परिवर्तन प्रकृति का नियम है
अथवा
सब दिन न होत एक समान

संसार परिवर्तनशील है। कुछ परिवर्तन हमें नज़र आते हैं, कुछ सूक्ष्म रूप से होते रहते हैं। जैसे फूलदान में रखे फूल, आज ताज़े हैं पर कल वे मुरझा जाएँगे। यह हुआ सामने नज़र आने वाला परिवर्तन। वह फूलदान जिस मेज़ पर रखा है उस मेज़ में होने वाले परिवर्तन सूक्ष्म होते हैं। कल जहाँ सुन्दर भवन था आज वहाँ खण्डहर नज़र आता है। कल का शिशु आज का युवक बन जाता है। आज का युवक कल बूढ़ा हो जाएगा। अत: यह कहा जा सकता है कि परिवर्तन का नाम ही संसार है। हमारा जीवन भी परिवर्तनशील है। उसमें सुख-दुःख आते-जाते रहते हैं। यदि सदा ही सुख या सदा ही दुःख रहें तो मनुष्य जीवन की इस एकरसता से ऊब जाएगा। पंत जी ने ठीक ही कहा है

जग पीड़ित है अति दुःख से,
जग पीड़ित रे अति सुख से।

सब दिन सदा एक समान नहीं रहते। रहीम जी ने ठीक ही कहा है “जब नीके दिन आइ हैं, बनत न लगि है देर।” अगर सभी के दिन एक जैसे रहते तो मनुष्य का जीवन आकर्षणहीन हो जाता। संसार में जहाँ सृजन है वहाँ संहार भी है। वही भारत जो एक दिन सोने की चिड़िया कहलाया करता था आज एक निर्धन देश कहलाता है। यह परिवर्तन की ही तो माया है। राजा हरिशचन्द्र को चाण्डाल का दास बनना पड़ा। भगवान् राम को चौदह बरस का बनवास हुआ। सीता जी का गर्भावस्था में परित्याग हुआ। यह सभी घटनाएँ परिवर्तन की सूचक हैं। यही परिवर्तन प्रकृति में सदा गतिशीलता बनाए रखता है।

21. अनुशासन

अपने ऊपर शासन करना अनुशासन है। अपने को वश में करना अनुशासन है। सत्ता, संस्था, समाज, वर्ग के नियमानुसार आचरण करना अनुशासन है। कुछ लोग माता-पिता और गुरुओं की आज्ञा का पालन करने को भी अनुशासन मानते हैं। नियमपूर्वक जीवन बिताना अर्थात् समय पर सोना, समय पर जागना, समय पर भोजन करना आदि नित्य कर्म करना भी अनुशासन में ही गिने जाते हैं। अनुशासन व्यक्ति के मन को निडर और निर्मल बनाता है। अनुशासन व्यक्ति के वचनों में मधुरता लाता है। अनुशासन में रहता हुआ व्यक्ति ही सत् कर्म करने की ओर प्रवृत्त होता है। उसके अन्तःकरण में दिव्य चेतना का प्रकाश होता है। आज देखने में आ रहा है कि समाज के प्रत्येक वर्ग में अनुशासनहीनता घर किए हुए है।

हमारी राय में इसके लिए सर्वप्रमुख उत्तरदायी माता-पिता हैं। क्योंकि वे आरम्भ में ही बच्चों को अनुशासन का प्रशिक्षण नहीं देते। अनुशासनहीनता का दूसरा बड़ा कारण हमारी शिक्षा प्रणाली है। आज की शिक्षा विद्यार्थी को निश्चित भविष्य का आश्वासन नहीं देती। अनिश्चित भविष्य होने के कारण युवा पीढ़ी में असन्तोष के साथसाथ अनुशासनहीनता भी बढ़ती जा रही है। अतः देश में अनुशासन की स्थापना के लिए शिक्षा व्यवस्था में नैतिक और चारित्रिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए। अनुशासित राष्ट्र विकास के पथ पर अग्रसर होगा। अनुशासित समाज सभ्यता और संस्कृति का उत्तम प्रतीक बनेगा।

22. कथनी से करनी भली

कहने का सम्बन्ध केवल जिह्वा से है। इसलिए यह कह देना बहुत आसान है, किन्तु जुबानी जमा खर्च से कुछ नहीं भरता जब तक उस कथन को क्रियात्मक रूप न दिया जाए। इसीलिए यह कहा जाता है कि कथनी से करनी भली। जो व्यक्ति केवल कहता है किन्तु आप उस बात का पालन नहीं करता उसका प्रभाव दूसरों पर कदापि नहीं पड़ सकता। दूसरों को गुड़ न खाने का उपदेश देने वाले के कथन का तभी प्रभाव होगा जब वह स्वयं गुड़ खाना छोड़ देगा। गाँधी जी प्रायः जिस बात का उपदेश दिया करते थे उसे वह अपनी जीवनचर्या के अंग के रूप में अपनाये होते थे। उन्होंने कताई का कोरा उपदेश ही नहीं दिया अपितु संध्या वंदना आदि की तरह ही उसे अपनी दैनिकचर्या का अंग बनाया।

PSEB 11th Class Hindi Vyakaran व्यावहारिक व्याकरण वाक्य विचार : वाक्य विश्लेषण/संश्लेषण

आजकल के साधु उपदेश देते समय प्राय: माया के मिथ्या होने की और उसके जाल में न फंसने की बात कहते हैं, किन्तु स्वयं बड़े-बड़े मठ और भवन बनाते हैं। गुरु गद्दी के लिए नित्य लड़ाई-झगड़े होने की बात आम है। क्या यह अच्छा होता यदि प्रत्येक साधु झोंपड़ी में रहकर जीवन बिताए और सेवा भाव को अपनाकर समाज कल्याण में जुट जाए। देश के दूसरे प्रधानमन्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का उदाहरण हमारे सामने है जिन्होंने देश के लिए जो कहा वह कर भी दिखाया। कथनी और करनी में एकता के लिए मन, वचन, कर्म की एकाग्रता होनी जरूरी है। कहने से कर दिखाना कहीं श्रेष्ठ है।

23. निर्धनता एक अभिशाप है

धन सम्पत्ति का न होना ही निर्धनता है। यह मनुष्य जीवन के लिए एक भयानक अभिशाप है। भले ही यह कहा जाता है कि निर्धन व्यक्ति चैन से सोते हैं। किन्तु यह सत्य है कि निर्धनता भरा जीवन नरक के समान दुःखदायी होता है। निर्धन व्यक्ति का सारा जीवन रोटी, कपड़ा और मकान की दौड़-धूप में ही बीत जाता है। कड़ी मेहनत करने पर भी उसे भर-पेट रोटी नसीब नहीं होती। न तन ढाँपने को पूरे वस्त्र मिलते हैं और न ही सिर छुपाने के लिए कोई जगह। बीमारी की दशा में उनके पास दवाई तक खरीदने के पैसे नहीं होते। निर्धनता के कारण वे बच्चों का ठीक ढंग से पालन पोषण भी नहीं कर सकते। उनका भविष्य बनाने की बात तो दूर रही। अन्ततः निर्धनता ही बच्चों में चोरी की आदत डालती है अथवा अन्य अपराधों को जन्म देती है। निर्धनता एक ऐसा दुःख है, जिसको बटाने के लिए कोई आगे नहीं आता।

यहाँ तक कि उसके सगे-सम्बन्धी भी उससे मुँह फेर लेते हैं। निर्धन व्यक्ति न तो इस लोक को संवार सकता है न ही परलोक को। वह बेचारा तो अपनी मन की इच्छाओं को अपने मन में ही दबाए रखता है। कई बार निर्धनता अनुच्छेद लेखन व्यक्ति को आत्महत्या तक करने को विवश कर देती है। आंध्र प्रदेश का उदाहरण हमारे सामने है। वहाँ कितने ही किसानों ने निर्धनता से तंग आकर आत्महत्या कर ली है। कभी-कभी ऐसे समाचार भी सुनने में आते हैं कि निर्धनता से तंग आकर व्यक्ति ने अपने पूरे परिवार को समाप्त कर दिया। जो जीवन की सारी इच्छाओं का गला घोंट दे वह निर्धनता अभिशाप नहीं तो क्या है।

24. परिश्रम सफलता की कुंजी है

मनुष्य अपनी बुद्धि और परिश्रम द्वारा जो खजाना चाहे खोज ले और जहाँ तक चाहे उन्नति के शिखर पर पहुँच जाए। परिश्रम करना उसके अपने हाथ में है और सफलता रूपी देवी भी उसी के सामने प्रकट होती है जो परिश्रम करता है। एक साधारण किसान से लेकर बड़े-बड़े विज्ञान वेत्ताओं तक की सफलता का मूल कारण परिश्रम ही है। जो काम देखने में बड़े कठोर और भयंकर दिखाई देते हैं परिश्रम रूपी मंत्र उन्हें सरल बना देता है। यह एक ऐसी चमत्कारपूर्ण शक्ति है जिसके आगे असफलता का भूत टिक ही नहीं सकता। पूरे मनोयोग से किया हुआ परिश्रम मनुष्य को अपने ध्येय तक पहुँचा देता है। किसान के कठोर परिश्रम से ही धरती अनाज से भर जाती है। वैज्ञानिकों के कठोर परिश्रम के परिणामस्वरूप ही अनेक उपग्रह छोड़े जा चुके हैं। अन्तरिक्ष में मनुष्य की विजय वैज्ञानिकों के परिश्रम का ही परिणाम है। अपने परिश्रम द्वारा ही महान् वैज्ञानिक डॉक्टर ए० पी० जे० अब्दुल कलाम हमारे देश के राष्ट्रपति के पद पर आसीन हए थे। परिश्रम रूपी कुँजी को लेकर ही मनुष्य उन रहस्यों का ताला खोल सकता है जिनमें न जाने कितनी अमूल्य निधियाँ भरी पड़ी हैं। मनुष्य अपने जीवन का लक्ष्य पूरा करने में सफल तभी हो सकता है जब वह परिश्रम को अपने जीवन का मूल मन्त्र बना ले।

25. समय का सदुपयोग

समय सबसे मूल्यवान् वस्तु है। संसार की अन्य समस्त वस्तुएँ एक बार खो जाने पर पुनः प्रयास करके प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन एक बार जो समय गुजर गया उसे किसी भी स्थिति में दोबारा नहीं पाया जा सकता। ‘समय’ के बारे में विदेशी लेखकों व समीक्षकों ने अपने विचारों में कहा है-Time is precious’ ; “Time is gold.’ भारतीय मनीषियों ने समय की महत्ता को जानते हुए कहा है कि आज का काम कल पर मत छोड़ो।

“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में प्रलय होयगी बहुरि करेगा कब।”

कल किसने जाना है, किसने देखा है। जो है बस यही एक पल है। इतिहास साक्षी है कि संसार में जिन लोगों ने समय के महत्त्व को समझा वे जीवन में सफल रहे और जिन्होंने समय के पालन में जरा सी भी चूक की, समय ने उसे भी कहीं का नहीं रखा। पृथ्वीराज चौहान समय के मूल्य को न समझने के कारण ही गौरी से पराजित हुआ। नेपोलियन भी वाटरलू के युद्ध में पाँच मिनटों के महत्त्व को न समझ पाने के कारण पराजित हुआ। इसके विपरीत जर्मन के महान् दार्शनिक कांट, जो अपना जीवन समय के बंधन में बाँधकर कुछ इस तरह बिताते थे कि लोग उन्हें दफ्तर आते देखकर अपनी घड़ियाँ मिलाया करते थे।

आधुनिक जीवन में तो समय का महत्त्व
और भी बढ़ गया है। आज जीवन में दौड़-भाग और व्यस्तता इतनी अधिक हो गई है कि यदि हम समय के साथ-साथ कदम मिलाकर न चलें तो जीवन की दौड़ में अवश्य पीछे रह जाएंगे। समय की दौड़ के साथ हमारे कदम न मिले तो यही सुनने को मिलेगा

‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।’ ।
अत: आज के युग में सच्चे कर्मयोगी की यही पहचान है ‘वर्तमान पर नज़र रखो और हर पल का भरपूर प्रयोग करो।’ अतः जब तक सांस है तब तक समय का सदुपयोग करो।

26. मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना

इस संसार में अनेकों धर्म, सम्प्रदाय और पंथ प्रचलित हैं, किन्तु कोई भी धर्म एक-दूसरे से ईर्ष्या, द्वेष या वैर-भाव रखने का उपदेश नहीं देता। प्रत्येक धर्म आपसी भाईचारे और प्रेम सौहार्द का संदेश देता है। धर्म का आधार केवल मनुष्य को ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताना भर है। आज मनुष्य ने अपनी बौद्धिक क्षमता से प्रकृति के समस्त रहस्यों को जान लिया है, आकाश की ऊँचाइयों को छू लिया है, लेकिन खेदजनक है कि इक्कीसवीं सदी में पदार्पण करके भी हम आज भी मजहब के नाम पर रक्त बहाने को तत्पर हैं। हमारी अभी भी यह मानसिकता नहीं बदली। आज भी हमने धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर कई दीवारें खड़ी कर रखी हैं।

यह जानते हुए भी कि ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’, हम छोटी-छोटी बातों में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। इसी साम्प्रदायिकता के विष के परिणामस्वरूप देश में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए जिनमें हज़ारों बेकसूर लोग आहत हुए। इससे भी खेदजनक है जब पढ़े-लिखे लोग ही यह घोषणा करते फिरें कि यह प्रान्त मेरा है, यह धर्म मेरा है, इस पर दूसरों का कोई हक नहीं। अरे चाहिए तो यह कि हम सब यह कहें, यह सोचें कि यह देश हमारा है, इसकी प्रगति कैसे करें। हम सब मानव ही बने रहें यही सबसे बड़ी बात होगी। सभी धर्म एक हैं। सभी मनुष्य समान हैं। सभी में उसी अव्वल अल्लाह का नूर बसता है। सभी धर्म ‘सरबत का भला’ चाहते हैं। भारतीय सभ्यता तो आरम्भ से ही ‘जीयो और जीने दो’ के सिद्धान्त को मानने वाली रही है। अतः हमें भारत देश के विकास के लिए धर्म, मजहब के बन्धनों से मुक्त होकर एक राष्ट्र का नागरिक बनना होगा।

27. व्यायाम के लाभ

महर्षि चरक के अनुसार शरीर की जो चेष्टा देह को स्थिर करने एवं उसका बल बढ़ाने वाली हो, उसे व्यायाम कहते हैं। महाकवि कालिदास ने भी कहा है ‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ अर्थात् धर्म का सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन भी स्वस्थ नहीं रह सकता। मन स्वस्थ नहीं तो विचार भी स्वस्थ नहीं हो सकते। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना व्यक्ति का परम कर्त्तव्य है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम नितान्त आवश्यक है। पुराने समय में हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमारी दिनचर्या कुछ ऐसी निश्चित की थी कि जिससे हमारा व्यायाम भी नियमित होता रहे और हमें पता भी न चले। सूर्योदय से पहले उठना, सैर को जाना, कसरत करना, बग़ीचे की सैर करना, खुली हवा में विचरना ये सब क्रियाएँ हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का ही उपाय था।

लेकिन आज भौतिक सुख लिप्सा में ग्रस्त मानव इन सब नियमों की तिलांजलि देकर दिन-रात केवल धन के चक्कर में अपना स्वास्थ्य बिगाड़ने पर उतारू है। उसे अपने स्वस्थ और निरोग शरीर की परवाह उतनी नहीं जितनी धन को बचाने और कमाने की है। आराम पसन्द व्यक्ति हर काम पैसे के बल पर बैठे-बैठे ही कर लेना चाहता है। सारा दिन कुर्सी पर बैठकर काम करने वाला व्यक्ति यदि कोई व्यायाम नहीं करेगा तो स्वयं ही बीमारियों को आमन्त्रण देने का काम करेगा। आज अधिकतर लोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आदि अनेक बीमारियों से ग्रस्त हैं उनके पीछे मूल कारण ही अव्यवस्थित दिनचर्या और अपौष्टिक खान-पान है। मनीषियों के साथ-साथ अब तो डॉक्टर भी सबको स्वस्थ रहने के लिए प्रातः भ्रमण और व्यायाम करने की सलाह देने लगे हैं। नीरोग रहने के लिए वे भी व्यायाम को ही आवश्यक और अचूक औषधि मानने लगे हैं। अतः नीरोगी काया के लिए व्यायाम अपरिहार्य है।

28. संगठन में शक्ति है

कहते हैं अकेला चना भाड़ भी नहीं झोंक सकता। पानी की एक बूंद का भी कुछ महत्त्व नहीं होता। जब तक पानी की अनेक बँदें मिलकर धारा का रूप धारण नहीं करती तो वे बड़े-बड़े पर्वतों को काटकर भी अपने लिए रास्ता बना लेती हैं। पानी की एक बूंद असमर्थ और तुच्छ होती है और यही बूंद मिलकर जब सागर बन जाती है तो वह शक्तिशाली बन जाती है। उसकी एक लहर बड़े-बड़े जहाजों को डूबोने की शक्ति रखती है। सागर की लहरें तटवर्ती नगरों को पल भर में वीरान बना सकती हैं। व्यक्ति अकेला एक कण की तरह है और उसका संगठित रूप सागर की शक्ति का रूप धारण कर लेता है। एक अकेला होता है दो ग्यारह होते हैं। भारतवासियों की संगठन शक्ति का ही यह परिणाम था कि उन्होंने शक्तिशाली अंग्रेज़ को देश छोड़ने पर विवश कर दिया। रूस में भी मज़दूर और किसान संगठन द्वारा ही ज़ार के राज्य को पलटने में समर्थ हो गए।

आज भी हम देखते हैं कि जिन मजदूरों या कर्मचारियों का मज़बूत संगठन होता है वे अपनी माँगें तुरन्त मनवा लेते हैं। जाल में बँधे हुए कबूतरों ने अपनी संगठित शक्ति द्वारा ही अपनी जान बचाई थी। अकेली लकड़ी को हर कोई तोड़ सकता है, किन्तु लकड़ियों के गढे को तोड़ना मुश्किल ही नहीं असम्भव भी है। अत: यह निश्चित ही है कि अकेला व्यक्ति चाहे कितना भी बुद्धिमान, धनवान्, शक्तिमान क्यों न हो वह संगठन के बिना सफल नहीं हो सकता क्योंकि संगठन में ही शक्ति है।

29. जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है

ज़िन्दादिली से जिया गया जीवन अल्पकालीन भले ही हो किन्तु आदर्श जीवन होता है। बंदा वैरागी से जब बादशाह ने पूछा कि बोल तुझे कैसी मौत चाहिए तो उसने निर्भीकता से बादशाह को गीता का ज्ञान सुनाते हुए कहा, तू कौन होता है मुझे पूछने वाला ? मेरा शरीर भले ही नाशवान है पर आत्मा अमर है। मैं मरकर भी नहीं मरूँगा। महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवा जी महाराज जितनी देर तक जीवित रहे ज़िन्दादिली से जिए। उन्होंने मुग़लों की अधीनता स्वीकार नहीं की। गुरु गोबिन्द सिंह जी के दोनों साहबजादों ने भी जिन्दादिली दिखाई। दीवारों में चुना जाना तो स्वीकार किया पर झुकना नहीं। ऐसी ही ज़िन्दादिली बाल हकीकत राय ने भी दिखाई। वे लोग अमर हो गए।

मरकर भी वे मरे नहीं। वे मृत्यु से भयभीत नहीं हुए। मृत्यु पर जैसे उन्होंने विजय पा ली हो। इसके विपरीत जो लोग मुर्दादिल होते हैं उनका जीवन पशुओं के समान व्यतीत होता है। जीवित रहकर भी वे मरे हुओं के समान होते हैं। उनका जीवन लोहार की धौंकनी की तरह होता है जो साँस लेती हुई भी मुर्दा होती है। आज की महानगरीय सभ्यता ने मनुष्य को मुर्दादिल बना दिया है। उसका हृदय संवेदना शून्य हो गया है। उसे हरदम अपने स्वार्थ साधन की चिन्ता होती है। वे समाज के लिए कोई आदर्श स्थापित नहीं कर पाते। जबकि जिन्दादिल मनुष्य जो कुछ भी कर जाता है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बन जाता है। मृत्यु तो एक दिन सबको आनी है लेकिन जब तक जिओ ज़िन्दादिली से जिओ जीवन का वास्तविक आनन्द इसी में है।

30. आँखों देखा हॉकी मैच

भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं। परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सब से आगे रहा, किन्तु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यन्त रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला। यह मैच नामधारी एकादश और रोपड़ हॉक्स की टीमों के बीच रोपड़ के खेल परिसर में खेला गया। दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए पंजाब भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी भाग ले रहे थे। रोपड़ हॉक्स की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी इसलिए उसने नामधारी एकादश को मैच के आरम्भिक दस मिनटों में दबाए रखा उसके फारवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किये। परन्तु नामधारी एकादश का गोलकीपर बहुत चुस्त और होशियार था। उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। तब नामधारी एकादश ने तेजी पकड़ी और देखते ही देखते रोपड़ हॉक्स के विरुद्ध एक गोल दाग दिया।

गोल होने पर रोपड़ हॉक्स की टीम ने भी एक जुट होकर दो-तीन बार नामधारी एकादश पर कड़े आक्रमण किये, परन्तु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा। इसी बीच रोपड़ हॉक्स को दो पनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। नामधारी एकादश ने कई अच्छे मूव बनाये उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलंपियन की याद दिला रहा था। इसी बीच नामधारी एकादश को भी एक पनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी हताश हो गये। रोपड़ के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यान्तर के समय नामधारी एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यान्तर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ। रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दायें कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर नामधारी एकल पर एक गोल कर दिया। इस गोल से रोपड़ हॉक्स के जोश में ज़बरदस्त वृद्धि हो गयी। उन्होंने अगले पांच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देख कर आनन्द आ गया।

31. परीक्षा शुरू होने से पहले

वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है, किन्त विद्यार्थी इससे विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना ज़रूरी है नहीं तो जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएंगे। ऐसी चिन्ताएं हर विद्यार्थी को रहती हैं। परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक-धक् कर रहा था। परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहां पहुंच गया था। मैं सोच रहा था कि सारी रात जाग कर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्नपत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता में अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था। परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था। परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिल्कुल बेफिक्र लग रहे थे। वे आपस में ठहाके मारमार कर बातें कर रहे थे। कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों या नोट्स से चिपके हुए थे। कुछ विद्यार्थी आपस में नकल करने के तरीकों पर विचार कर रहे थे।

मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था। क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए। सारे साल का पढ़ा हुआ भूल नहीं जाता, यदि आप ने कक्षा में अध्यापक को ध्यान से सुना हो। वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात को जल्दी सोने की भी सलाह देते हैं ताकि सवेरे उठकर विद्यार्थी ताज़ा दम होकर परीक्षा देने जाए न कि थका-थका महसूस करे। परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं। उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानो परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं। उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था।

इसी आत्मविश्वास के कारण तो लड़कियां हर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। दूसरे, लड़कियाँ कक्षा में दत्तचित्त होकर अध्यापक का भाषण सुनती हैं जबकि लड़के शरारतें करते रहते हैं। थोड़ी देर में घंटी बजी। यह घंटी परीक्षा भवन में प्रवेश की घंटी थी । इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया। हंसते हुए चेहरों पर भी अब गम्भीरता आ गई थी। परीक्षा भवन के बाहर अपना रोल नं० और सीट नं० देखकर मैं परीक्षा भवन में दाखिल हुआ और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे। मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न-पत्र बंटने की प्रतीक्षा करने लगा।

32. नशाबन्दी

भारत में नशीली वस्तुओं का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी इस लत की अधिक शिकार हो रही है। यह चिन्ता का कारण है। उपन्यास सम्राट् प्रेमचन्द जी ने कहा था कि जिस देश में करोड़ों लोग भूखों मरते हों वहां शराब पीना, गरीबों का रक्त पीने के बराबर है। किन्तु शराब ही नहीं अन्य नशीले पदार्थों के सेवन का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। कोई भी खुशी का मौका हो शराब पीने पिलाने के बिना वह अवसर सफल नहीं माना जाता। होटलों, क्लबों में खुले आम शराब पी-पिलाई जाती है। पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। शराब को दारू अर्थात् दवाई भी कहा जाता है किन्तु कौन ऐसा है जो इसे दवाई की तरह पीता है। यहाँ तो बोतलों की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। शराब महंगी होने के कारण नकली शराब का धन्धा भी फल-फूल रहा है। इस नकली शराब के कारण कितने लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह हर कोई जानता है कितने ही राज्यों की सरकारों ने सम्पूर्ण नशाबन्दी लागू करने का प्रयास किया।

किन्तु वे असफल रहीं। ऐसा उदाहरण हरियाणा का लिया जा सकता है। कितने ही होटल बन्द हो गए और नकली शराब बनाने वालों की चांदी हो गई। विवश होकर सरकार को नशाबन्दी समाप्त करनी पड़ी। पंजाब में भी टेकचन्द कमेटी ने नशाबन्दी लागू करने का बारह सूत्री कार्यक्रम दिया था। किन्तु जो सरकार शराब की बिक्री से करोड़ों रुपए कमाती हो, वह इसे कैसे लागू कर सकती है। आप शायद हैरान होंगे कि पंजाब में शराब की खपत देश भर में सब से अधिक है, किसी ने ठीक ही कहा है बुरी कोई भी आदत हो वह आसानी से नहीं जाती। किन्तु सरकार यदि दृढ़ निश्चय कर ले तो क्या नहीं हो सकता। सरकार को ही नहीं जनता को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि नशा अनेक झगड़ों को ही जन्म नहीं देता बल्कि वह नशा करने वाले के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। ज़रूरत है जनता में जागरूकता पैदा करने की। नशाबन्दी राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है। शराब की बोतलों पर चेतावनी लिखने से काम न चलेगा, कुछ ठोस कदम उठाने होंगे।