PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 12 माँ का प्यार

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 माँ का प्यार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 माँ का प्यार

Hindi Guide for Class 8 PSEB माँ का प्यार Textbook Questions and Answers

(क) भाषा – बोध

शब्दार्थ:

शयन कक्ष = सोने का कमरा।
सुसज्जित = सजाया हुआ।
वत्स = पुत्र।
साम्राज्य = अति विशाल राज्य।
चेष्टा = प्रयास, कोशिश।
आन = मर्यादा, इजत।
दूभर = कठिन, मुश्किल।
यवन = विदेशी। पेट की ज्वाला = भूख।
नरेश = राजा।
प्रस्थान = जाना।
घातक = हमला करने वाला।
आभारी = उपकार को मानने वाला।
पटाक्षेप = पर्दे का गिरना।

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II. इन शब्दों और मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

मृत्यु-दंड = ……………….
सत्यवादी = ……………….
कसर न उठा रखना = ……………….
प्राण न्योछावर करना = ……………….
पेट भर अन्न = ……………….
पेट की ज्वाला = ……………….
उज्वल = ……………….
आभारी = ……………….
अगाध = ……………….
हिम्मत न पड़ना = ……………….
जीवन दान = ……………….
आँखें खुलना = ……………….
वीरता कूट-कूटकर भरी होना = ……………….
उत्तर:
मृत्यु दंड = मौत की सज़ा – देश के साथ गद्दारी करने के अपराध में राजा ने अपने ही सैनिक को मृत्यु दंड दे दिया था।
सत्यवादी = सच बोलने वाला – राजा हरिश्चन्द्र को सभी लोग अब भी सत्यवादी कहकर सम्मान देते हैं। ।
कसर न उठा रखना = कोई कमी न रखना – नौकर ने कहा कि वह सबकी सेवा करने में कोई कसर न उठा रखेगा।
प्राण न्योछावर करना = मर जाना – देश के लिए हज़ारों-लाखों युवकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
पेट भर अन्न = भूख मिटाने के लिए अनाज – मज़दूर और किसान दिन-रात कठोर परिश्रम करके भी पेट भर अन्न प्राप्त नहीं कर पाते।
पेट की ज्वाला = पेट की भूख-मनुष्य से पेट की आग कौन – सा अपराध नहीं कराती ?
उज्वल = प्रकाशमय – ईश्वर आपको उज्ज्वल भविष्य प्रदान करे।
आभारी = कृतार्थ – मैं आपकी इस दयालुता के लिए आभारी हूँ।
अगाध = अत्यधिक, बहुत – हे भगवान! आपने मुझ पर अपनी अगाध कृपा की है।
हिम्मत न पड़ना = साहस न होना – मुझ में कभी भी इतनी हिम्मत न पड़ती यदि मुझे तुम्हारा सहारा न मिलता।
जीवन दान = जीवन प्रदान करना – भगवान् ने मुझे इस भयंकर दुर्घटना से बचाकर जीवन दान प्रदान किया है।
आँखें खुलना = होश आना – अपने ही रिश्तेदारों के द्वारा की गई बेईमानी को देखकर अनुजा की तो आँखें खुल चुकी हैं।
वीरता कूट-कूट कर भरी होना = शक्ति सम्पन्न होना – चन्द्रगुप्त मौर्य में वीरता कूट-कूट कर भरी हुई थी।

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(ख) विषय – बोध

I. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) मालव जी कौन था ?
उत्तर:
मालव जी शिवाजी के एक सिपाही का वीर पुत्र था जो दो वर्ष पहले मुगलों से लड़ते हुए मारा जा चुका था।

(ख) वह शिवाजी को क्यों मारना चाहता था ?
उत्तर:
पेट की आग से परेशान और एक यवन के द्वारा दिए गए लालच के कारण वह शिवाजी को मारना चाहता था।

(ग) दिखावटी रोष किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
दिखावटी रोष शिवाजी ने किया था जब मालव जी की वीरता, विवशता और साहस को उन्होंने भली-भांति परख लिया था।

(घ) बालक ने कौन-सी प्रतिज्ञा की और क्यों की ?
उत्तर:
बालक ने माँ से मिलकर एक घंटे में वापस आने की प्रतिज्ञा की ताकि शिवाजी उसे मृत्यु दंड दे सकें।

(ङ) मालव जी के चले जाने पर शिवाजी ने तानाजी से क्या कहा ?
उत्तर:
मालव जी के चले जाने के बाद शिवाजी ने तानाजी से कहा था कि वह बहुत वीर, सत्यवादी और साहसी था।

(च) बालक ने अपनी माँ से मृत्यु दंड की बात क्यों नहीं बतायी ?
उत्तर:
बालक ने अपनी माँ को अपने मृत्यु दंड की बात नहीं बताई थी। ऐसा करने पर वह उसे मरने के लिए वापस न भेजती।

(छ) शिवाजी ने बालक को क्षमा क्यों किया ?
उत्तर:
शिवाजी ने बालक को उसकी सत्यवादिता, ईमानदारी, वीरता और भारत माता की सेवा के लिए क्षमा किया था।

(ज) जीवन दान मिलने पर बालक ने शिवाजी को कौन-सा वचन दिया ?
उत्तर:
जीवन दान मिलने पर बालक ने शिवाजी को वचन दिया था कि जब तक उसके शरीर में जान है तब तक वह मातृभूमि की सेवा से कभी पीछे नहीं हटेगा।

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II. ये वाक्य किसने, किससे कहे :

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उत्तर:
किसने कहा – किससे कहा
(क) मालव जी – शिवाजी
(ख) तानाजी – शिवाजी
(ग) शिवाजी – तानाजी
(घ) शिवाजी – मालव जी
(ङ) तानाजी – शिवाजी
(च) शिवाजी – तानाजी
(छ) मालव जी – शिवाजी
(ज) मालव जी – शिवाजी
(झ) मालव जी – शिवाजी

(ग) व्यावहारिक व्याकरण

I. विपरीतार्थक शब्द लिखें :

अपराध = ………………
दंड = ……………….
मृत्यु = ……………….
झूठ = ……………….
मालिक = ……………….
सौभाग्य = ……………….
कर्तव्य = ……………….
सत्यवादी = ……………….
वीर = ……………….
कृतज्ञ = ……………….
सन्देह = ……………….
आदर = ……………….
उपस्थित = ………………
आशा = ………………
वैरी = ……………….
उत्तर:
अपराध = निरपराध
दंड = पुरस्कार
मृत्यु = जीवन
झूठ = सच
मालिक = सेवक
सौभाग्य = दुर्भाग्य
कर्त्तव्य = अकर्तव्य
सत्यवादी = मिथ्यावादी
वीर = कायर
कृतज्ञ = कृतघ्न
संदेह = निस्सन्देह
आदर = निरादर/अनादर
उपस्थित = अनुपस्थित
आशा = निराशा
वैरी = मित्र

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II. पर्यायवाची शब्द लिखें :-

तलवार = ……………….
वार = ……………….
मालिक = ……………….
वैरी = ……………….
ज्वाला = ……………….
लालच = ……………….
नरेश = ……………….
जेलखाना = ……………….
माँ = ……………….
माता-पिता = ……………….
संदेह = ……………….
भेद = ……………….
अपराध = ……………….
उत्तर:
तलवार = असि , कृपाण।
वार = आघात , चोट।
मालिक = स्वामी , ईश्वर।
वैरी = रिपु , दुश्मन।
ज्वाला = लपट , लौ।
लालच = तृष्णा , लोभ।
नरेश = राजा , राजन।
जेलखाना = बंदीगृह , कारागार।
माँ = माता , जननी।
माता-पिता = मात-पितु , जन्मदाता।
संदेह = शक , शंका।
भेद = रहस्य , अन्तर।
अपराध = जुर्म , गलती।

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III. नीचे एक और कुछ विशेषण शब्द दिये हैं, दूसरी ओर विशेष्य। उपयुक्त विशेषण के साथ विशेष्य जोड़कर लिखें :

विशेषण – विशेष्य
अगाध साम्राज्य
बड़ा – अवस्था
भयानक – प्राण
समस्त – साहस
दिखावटी – प्रेम
स्वप्न – मराठा
छोटी – कठिन
अपने – भार
इतना – रोष
उत्तर:
विशेषण – विशेष्य
अगाध – प्रेम
भयानक – स्वप्न
दिखावटी – रोष
छोटी – अवस्था
इतना – साहस
बड़ा – कठिन
समस्त – भार
मराठा – साम्राज्य
अपने – प्राण।

IV. समासों का विग्रह करें :

मृत्युदंड = ……………….
कुलभूषण = ……………….
वीर पुत्र = ……………….
महाराज = ……………….
सेनानायक = ……………….
शयनकक्ष = ……………….
प्रेमभरी = ……………….
उत्तर:
मृत्यु दंड = मृत्यु का दंड
कुलभूषण = कुल का भूषण
वीर पुत्र = वीर का पुत्र
महाराज = महान् है जो राजा
सेनानायक = सेना का नायक
शयनकक्ष = शयन का कक्ष
प्रेमभरी = प्रेम से भरी।

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V. सन्धि करें :

वि + आकुल = ……………….
वि + अवहार = ……………….
उत् + ज्वल = ……………….
परि + ईक्षा = ……………….
सम् + सार = ……………….
निः + भय = ……………….
उत्तर
संसार
वि + आकुल = व्याकुल
वि + अवहार = व्यवहार
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
परि + ईक्षा = परीक्षा
सम् + सार = संसार
निः + भय = निर्भय।

VI. निम्नलिखित में से प्रत्यय छांटकर अलग लिखें :

वीरता = ……………….
पूजनीय = ……………….
हिन्दुत्व = ……………….
कायरता = ……………….
आभारी = ……………….
उत्तर:
वीरता = ता
पूजनीय = ईय
हिन्दुत्व = त्व
कायरता = ता
आभारी = ई

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PSEB 8th Class Hindi Guide माँ का प्यार Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
‘माँ का प्यार’ में किस वीर बालक की गाथा प्रस्तुत की गई है ?
(क) ताना जी
(ख) नाना जी
(ग) मालव जी
(घ) मालक जी।
उत्तर:
मालव जी।

प्रश्न 2.
मालव जी हाथ में नंगी तलवार लेकर किसकी हत्या करना चाहते हैं ?
(क) नाना जी की
(ख) शिवाजी की
(ग) यवन की .
(घ) पिता की।
उत्तर:
शिवाजी की।

प्रश्न 3.
मालव जी के पिता किन से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ?
(क) अंग्रेज़ों
(ख) मुग़लों
(ग) तुर्कों
(घ) तुगलकों।
उत्तर:
मुग़लों।

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प्रश्न 4.
शिवाजी ने बालक को क्या दण्ड दिया ?
(क) अर्थदंड
(ख) मृत्युदंड
(ग) आजीवन कारावास
(घ) देश निकाला।
उत्तर:
मृत्युदंड।

प्रश्न 5.
शिवाजी ने बालक को किस कारण क्षमादान दिया ?
(क) उसकी माता के
(ख) उसके पिता की मृत्यु के
(ग) उसकी वीरता के
(घ) उसके क्षमा माँगने के।
उत्तर:
उसकी वीरता के।

प्रश्न 6.
बालक किसकी सेवा करने की प्रतिज्ञा करता है ?
(क) अपनी माता की
(ख) अपने समाज की
(ग) शिवाजी की
(घ) मातृभूमि की।
उत्तर:
मातृभूमि की।

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माँ का प्यार Summary

माँ का प्यार एकांकी का सार

शिवाजी अपने कमरे में सो रहे थे। मालव जी नाम का एक बालक अपने हाथ में नंगी तलवार लिए हुए उनका वध करने के लिए आया। जैसे ही उसने शिवाजी पर वार करना चाहा वैसे ही तानाजी ने पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ लिया। शिवाजी की नींद खुल चुकी थी। उन्होंने उस बालक से नाम पूछा तो उसने बताया कि वह मालव जी था। वध का प्रयास करने का कारण पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता उनकी सेना में सिपाही थे। वे उनकी ओर से मुगलों से लड़ते हुए दो वर्ष पहले मारे गए थे। उनकी रोजी-रोटी का कोई भी और साधन नहीं था। उन्हें पेट-भर अन्न मिलना भी अब कठिन हो गया था। इन्सान सब कुछ सहन कर सकता है लेकिन पेट की आग नहीं। शिवाजी ने उससे पूछा कि यदि उन माँ-बेटे को इतना अधिक कष्ट था तो वे उसके पास सहायता के लिए क्यों नहीं आए थे। उसने उत्तर दिया कि जिस सिपाही ने उनकी सेना में भर्ती होकर उनका नाम उज्ज्वल किया था उसके बाल-बच्चों की देखरेख करना उनका कर्त्तव्य था।

उसने यह भी बताया कि उसे एक यवन ने उनकी हत्या के लिए कुछ इनाम देने का लालच दिया था। शिवाजी उसकी वीरता और निडरता पर मुग्ध हो गए थे। उन्होंने बनावटी क्रोध दिखाते हुए तानाजी से कहा कि उस बालक को जेलखाने में बंद कर दो और कल उसे मृत्यु-दंड दिया जाएगा। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वह मरने से पहले एक बार अपनी माँ से मिलना चाहता था। यह शंका प्रकट करने पर कि वह वापस नहीं लौटेगा उसने कहा कि वह वीर पुत्र था और वह माँ के दर्शन करने के पश्चात् एक घंटे बाद अवश्य वहाँ आ जाएगा। शिवाजी ने उसे घर जाकर माँ से मिलकर लौट आने की आज्ञा दे दी। ठीक एक घंटे बाद बालक वापस आ गया। उसने बताया कि उसकी माँ उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। उसने उसे अपनी छाती से लगाया। उसने उसे वापस लौटने और मृत्यु दंड भोगने के बारे में उसे नहीं बताया था। मालव जी ने शिवाजी से प्रार्थना की कि वे उसकी माँ की देखरेख का सारा भार अपने ऊपर ले लें। शिवाजी ने यह सुनकर कहा कि वे वीरों का आदर करते हैं। वे अब तक उसकी परीक्षा ले रहे थे। उन्होंने उसके अपराध को क्षमा कर दिया और उसे बताया कि जैसे वह अपनी माँ के लिए चिन्तित था वैसे ही वे भारत माता के लिए चिन्तित थे और उसका दुःख दूर करना चाहते थे। मालव जी ने कहा कि जब तक उसके शरीर में जान है वह मातृभूमि की सेवा से कभी भी पीछे नहीं हटेगा।

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