PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 एक बूँद

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 एक बूँद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 एक बूँद

Hindi Guide for Class 6 एक बूँद Textbook Questions and Answers

भाषा-बोध

1. शब्दार्थ
उत्तर:
शब्दों के अर्थ पद्यांशों के साथ-साथ दिए गए हैं।

धूल = मिट्टी
कढ़ी = निकलना
अनमनी = बिना मन के
अंगारे = आग के शोले

इन मुहावरों का अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करो

1. भाग्य में बदा =…………… ……………………………….
2. धूल में मिलना = …………… ………………………………..
3. हवा बहना = ……………… ………………………………………
उत्तर:
1. भाग्य में बदा = भाग्य में लिखा – जो मेरे भाग्य में बदा है वह तो मुझे मिल कर ही रहेगा।
2. धूल में मिलना = नष्ट होना – तुमने मेरी सारी इज्जत धूल में मिला दी।
3. हवा बहना = परिस्थितियाँ परिश्रमी व्यक्ति अपनी क्षमता अनुकूल होना से हवा को भी अपनी ओर बहा लेते हैं।

इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखो

1. बादल = ……………….., …………………..
2. घर = ………………… , ……………………
3. कमल = ……………… , …………………
4. फूल = ……………… , ………………..
5. हवा = ………………….. , ……………………
6. समुद्र = ……………………. , ………………………
उत्तर:
1. बादल = मेघ , जलधर
2. घर = गेह , सदन
3. कमल = जलज , पंकज
4. फूल = सुमन , कुसुम
5. हवा = समीर , वायु
6. समुद्र = उदधि , रत्नाकर

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 एक बूँद

अन्तर समझो

1. कढ़ी = बेसन और लस्सी से बनी खाने की वस्तु = ……………..
कड़ी = पैर में पहनी जाने वाली लोहे से बनी गोल वस्तु = ……………..
2. बढ़ी = बढ़ना = ………………………
बड़ी = लम्बी = …………………..
3. काल = समय = ………………………
काल = मृत्यु = ……………………..
4. कर = करना = …………………
कर = हाथ = …………………………..
उत्तर:
1. कढ़ी = बेसन और लस्सी से बनी खाने की वस्तु – मेरी माता जी कढ़ी बहुत स्वादिष्ट बनाती है।
कड़ी = पैर में पहनी जाने वाली लोहे से बनी गोल वस्तु – कैदी को कड़ियों से जकड़ा गया था।
2. बढ़ी = बढ़ना – हमारी फौज सीमा पर आगे बढ़ी।
बड़ी = लम्बी – मेरी पैंसिल तुम्हारी पैंसिल से बड़ी है।
3. काल =समय = – वर्तमान काल मशीनी युग है।
काल = मृत्यु – कई लोग काल का ग्रास बन गए।
4. कर = करना – मैंने अपना काम कर लिया है।
कर = हाथ – मेरे कर से कलम गिर गई।

इन शब्दों के मूल क्रिया-शब्द लिखो

बढ़ी, निकल, सोच, लगी, बदा, बह, आई, खुला, , मिलूँगी, जलूँगी, गिरूँगी, पड़ेंगी, बनी, छोड़, देता।
उत्तर:
बढ़ी = बढ़ना बनूंगी
निकल = निकलना
सोच = सोचना
लगी = लगना
बह = बहना
आई = आना
खुला = खुलना
बचूँगी = बचना
मिलूँगी = मिलना
जलँगी = जलना
गिरूँगी गिरना बदना
पड़ेंगी = पड़ना
बनी = बनना
छोड़ = छोड़ना
देता = देना

कविता की उन पंक्तियों को लिखो जिनमें विस्मयादि बोधक चिह्न लगा है।
उत्तर:
(i) आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी।
(ii) देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा।

विचार-बोधाय

प्रश्न 1.
बादलों से निकलने पर बूंद क्या सोचने लगी ?
उत्तर:
बादलों से निकल कर बूंद अपने भविष्य के बारे में सोचने लगी।

प्रश्न 2.
बूंद मोती कैसे बनी ?
उत्तर:
बूँद बादलों से निकल कर एक सीप के मुँह में जा पड़ी और मोती बन गई।

प्रश्न 3.
मनुष्य घर छोड़ते समय क्या सोचता है ?
उत्तर:
मनुष्य घर छोड़ते समय प्रायः शंका में रहता है। उसके मन में यह भाव होता है कि पता नहीं दूसरे स्थान पर परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होंगी या नहीं।

प्रश्न 4.
‘एक बूंद’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि घर छोड़ते समय घबराना नहीं चाहिए। निर्भयता एवं साहस के साथ नये स्थान पर कार्यरत हो जाना चाहिए।

5. घर से बाहर निकलने पर व्यक्ति को लाभ और हानि दोनों होते हैं। लाभ नीचे दिए गए हैं आप हानियाँ लिखें।

लाभ हानियाँ
1. व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है। ……………………………..
2. कठिनाइयों से लड़ना सीखता है। …………………………..
3. घर से प्रेम-भाव बढ़ता है। ……………………………
4. व्यक्तित्व में निखार आता है। ………………………..
5. आगे बढ़ने के नए-नए रास्ते ढूँढ़ता है। ……………………………

उत्तर:

लाभ हानियाँ
1. व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है। व्यक्ति बुरे रास्तों की ओर जा सकता है।
2. कठिनाइयों से लड़ना सीखता है। कठिनाइयों से डर कर घबरा जाता है।
3. घर से प्रेम-भाव बढ़ता है। बाहर रह कर घर के प्रति प्रेम-भाव कम हो जाता है।
4. व्यक्तित्व में निखार आता है। व्यक्ति अक्खड़ बन जाता है।
5. आगे बढ़ने के नए-नए रास्ते ढूँढ़ता है। व्यक्ति स्वार्थी बन जाता है।

इन काव्य पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें

6. देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में।
या जलँगी गिर अंगारे पर किसी
चू पडूंगी या कमल के फूल में
उत्तर:
इसके लिए कविता का व्याख्या भाग देखें।

आत्म-बोधल्या

(1) घर छोड़ने पर ‘लाभ था हानि’ विषय पर कक्षा में चर्चा करें।
(2) घर त्यागकर जिन्होंने संसार में उन्नति की है, ऐसे व्यक्तियों का जीवन पढ़ें और इनके गुणों को जीवन में उतारने का प्रयास करें।
(3) स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, शंकराचार्य, महात्मा गाँधी, भगत सिंह, लक्ष्मीबाई की जीवनी पढ़ें। (विद्यार्थी स्वयं करें)

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
बादलों से निकलने वाली बूंद किसके विषय में सोच रही थी ?
(क) भविष्य के
(ख) धर्म के
(ग) कर्म के
(घ) मरण के
उत्तर:
(क) भविष्य के

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प्रश्न 2.
बूंद किसके मुंह में गिरकर मोती बनी ?
(क) समुद्र के
(ख) सीप के
(ग) नदी के
(घ) कछुए के
उत्तर:
(ख) सीप के

प्रश्न 3.
इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है ?
(क) साहस एवं निडरता से आगे बढ़ने की
(ख) पीछे हटने की
(ग) रोने की
(घ) सोने की
उत्तर:
(क) साहस एवं निडरता से आगे बढ़ने की

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ‘बादल’ का पर्याय है :
(क) मेघ
(ख) मीन
(ग) जलचर
(घ) जलधि
उत्तर:
(क) मेघ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से ‘कमल’ का पर्याय है :
(क) सदन
(ख) पंकज
(ग) धीरज
(घ) धैर्य
उत्तर:
(ख) पंकज

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से क्रिया चुनें :
(क) देना
(ख) धान
(ग) दाद
(घ) सुन्दर
उत्तर:
(क) देना

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) बहना
(ख) गिरना
(ग) बहन
(घ) आना
उत्तर:
(ग) बहन

पद्यांशों के सरलार्थ

1. ज्यों निकल कर बादलों की गोद से,
थी अभी इक बूंद कुछ आगे बढ़ी।
सोचने फिर फिर यही जी में लगी,
आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी॥

शब्दार्थ:
इक = एक। जी = हृदय। कढ़ी = निकल चली।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित ‘एक बूंद’ कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने एक बूंद के माध्यम से मनुष्य को सन्देश दिया है कि जब तक मनुष्य घर से बाहर नहीं निकलता तब तक वह उन्नति नहीं कर सकता।।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जैसे ही एक बूंद बरसने के लिए बादलों की गोद से बाहर निकलकर अभी कुछ आगे ही बढ़ी थी, तभी वह अपने मन में सोचने लगी कि वह इस प्रकार अपना घर छोड़कर क्यों निकल पड़ी थी। भावार्थ-एक बूंद अपना घर (बादल) छोड़ते हुए मन में अनेक आशंकाएँ करती हैं।

2. देव! मेरे भाग्य में है क्या बदा,
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में,
या जागी गिर अंगारे पर किसी,
चू पडेंगी य कमल के फूल में।

शब्दार्थ:
भाग्य में बदा है = किस्मत में लिखा है।

प्रसंग:
यह पद्यांश श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय द्वारा रचित ‘एक बूंद’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बूंद के रूप में मानव के मन में उत्पन्न भय को प्रकट किया है।

व्याख्या:
बादल की गोद से निकली हुई एक बूंद सोचती है कि हे देव! मेरे भाग्य में क्या बदा है अर्थात् क्या लिखा है ? मैं बनूंगी या धूल में मिल कर नष्ट हो जाऊँगी या किसी अंगारे पर गिर कर भस्म हो जाऊँगी या किसी कमल के फूल में टपक पड़ेंगी।

भावार्थ:
भाव यह है कि एक बूंद के मन में अपना घर (बादल) छोड़ते हुए बहुतसी आशंकाएँ होती हैं, वैसे ही प्रत्येक मनुष्य के मन में आशंकाएँ उठती हैं।

3. बह गई उस काल एक ऐसी हवा,
वह समुन्दर ओर आई अनमनी,
एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला,
वह उसी में जा पड़ी, मोती बनी।

शब्दार्थ:
काल = समय। अनमनी = बे-मन से। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘एक बूंद’ नामक कविता से ली गई हैं जिसके रचयिता श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। बादलों की गोद से निकली एक बूंद अपने भविष्य के बारे चिंता करती हुई धरती पर गिरती है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि बूंद अभी अपने भाग्य पर विचार कर रही थी कि उसी समय एक ऐसी हवा चली जिसके कारण वह बे-मन-सी समुद्र की ओर आ गई। उस समय एक सुन्दर सीपी का मुँह खुला हुआ था। वह बूंद उसी में जा गिरी और कीमती मोती बन गई। भावार्थ-घर छोड़ कर मनुष्य भी कुछ का कुछ बन जाता है।

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4. लोग यों ही हैं झिझकते, सोचते,
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर,
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें
बूंद लौं कुछ और ही देता है कर।

शब्दार्थ:
लौं = की भाँति। अक्सर = प्रायः।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा रचित ‘एक बूंद’ नामक कविता से ली गई हैं। इसमें कवि ने बताया है कि हिम्मत कर के घर से बाहर निकलने वाले प्रायः जीवन में सफलता प्राप्त कर ही जाते हैं।

व्याख्या:
कवि कहता है कि लोग अपना घर छोड़ते समय व्यर्थ में ही परेशान होते हैं।. वे अपने मन में अनेक प्रकार की चिन्ताएँ करते हैं, परन्तु अक्सर उन्हें घर छोड़ना बूँद के समान ही बड़ा लाभकारी सिद्ध होता है। उनके जीवन को बूँद की भाँति मूल्यवान् बना देता है। भावार्थ-घर छोड़ना मनुष्य के लिए वरदान भी बन जाता है।

एक बूंद Summary

एक बूँद कविता का सार

बादलों की गोद से निकलकर एक बूंद धरती की ओर चली तो वह मन ही मन घबरा रही थी कि पता नहीं उसके साथ अब अच्छा होगा या बुरा। वह धूल में गिर कर नष्ट हो जाएगी या किसी दहकते अंगारे पर गिर कर समाप्त हो जाएगी। क्या पता कि वह किसी कमल के फूल पर ही गिर पड़े। उसी समय हवा का एक झोंका आया और उसे समुद्र की ओर से ले उड़ा। समुद्र में एक सीपी का मुंह खुला था। बूंद उसमें गिरी और मोती बन गई। लोग घर से निकलते हुए भयभीत होते हैं पर घर छोड़ना उनके लिए प्राय: लाभकारी सिद्ध होता है।

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