PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 20 भारत और सार्क

Punjab State Board PSEB 12th Class Political Science Book Solutions Chapter 20 भारत और सार्क Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Political Science Chapter 20 भारत और सार्क

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) की पृष्ठभूमि एवं इसकी स्थापना के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
(Describe the background and efforts made for the establishment of South Asian Association for Regional Co-operation-SAARC.)
अथवा
सार्क की स्थापना पर नोट लिखें तथा सार्क के उद्देश्यों का वर्णन करें। (Write a note on Establishment (formation) of SAARC and discuss its objectives.)
उत्तर-
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफ़गानिस्तान और श्रीलंका का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन की स्थापना आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग द्वारा दक्षिणी एशिया के लोगों के कल्याण के लिए की गई थी।

सार्क की स्थापना (Establishment of SAARC)-द्वितीय महायुद्ध के बाद विश्व दो गुटों-पूंजीवादी गुट और साम्यवादी गुट में बंट गया था। पूंजीवादी गुट का नेतृत्व अमेरिका जबकि साम्यवादी गुट का नेतृत्व सोवियत संघ करने लगा। विश्व में आर्थिक सहयोग और सुरक्षात्मक उद्देश्यों को लेकर क्षेत्रीय संगठन बनने लगे। आपसी संगठन बनाने की यह प्रक्रिया पूरे यूरोप और धीरे-धीरे विश्व भर में फैलने लगी।
1975 में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए बंगला देश, भारत, फिलीपीन्स, लाओस, श्रीलंका, थाइलैंड आदि देशों ने समझौता किया।

दक्षिण एशियाई देशों में सामाजिक, जातीय, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों की सामान्य सांझ है और तीव्र विकास की इच्छा भी है लेकिन इनमें कई बातों पर आपसी अविश्वास की भावना भी देखी जा सकती है। विशेष रूप से इन देशों के सुरक्षात्मक हित, विभिन्न राजनीतिक संस्कृति भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद और इस क्षेत्र में भारत की विशेष स्थिति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 70 के दशक के अंत में बंगला देश के दिवंगत राष्ट्रपति जिआउर्रहमान ने एक विचार दिया था कि दक्षिण एशिया के सात देशों को मिलकर इस क्षेत्र की समस्याओं पर विचार करना चाहिए और आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना चाहिए। आपसी सहयोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के लिए बंगला देश कार्यकारी पत्र (Bangladesh Working paper on South Asian Regional Cooperation) जारी किया गया जिसमें सहयोग के 11 प्रमुख बिंदुओं पर बल दिया गया। ये 11 प्रमुख बिंदु थे-दूर संचार, यातायात, जहाजरानी, शैक्षणिक व सांस्कृतिक सहयोग, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग, कृषि अनुसन्धान, पर्यटन, संयुक्त उपक्रम, बाज़ार प्रोत्साहन, मौसम विज्ञान। दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।’ दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क कोई राजनीतिक संघ

या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे की सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

अनेक अध्ययनों के पश्चात् 1-2 अगस्त, 1983 को दिल्ली में सात देशों-भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और बंगला देश के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हुई। इस बैठक में सातों देशों के विदेश मंत्रियों ने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते की उद्घोषणा में कहा गया कि दक्षिणी एशिया में आपसी सहयोग लाभदायक, वांछनीय और आवश्यक है और इससे क्षेत्र के लोगों के जीवन को सुधारने में मदद और प्रोत्साहन मिलेगा। अंतत: दक्षिणी एशियाई देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन बंगला देश की राजधानी ढाका में हुआ जिसमें 8 दिसम्बर, 1985 को सार्क घोषणा-पत्र (Charter) को स्वीकार किया गया। इस प्रकार औपचारिक रूप से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) अस्तित्व में आया। इस संगठन की स्थापना में भारत की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही। इसके प्रथम शिखर सम्मेलन से लेकर अन्त तक भारत का योगदान इसमें विशेष स्थान रखता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत दक्षिणी एशिया का एक प्रमुख देश है और सार्क की सफलता या असफलता बहुत सीमा तक भारत के सक्रिय सहयोग पर ही निर्भर करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)-इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क दक्षिणी एशिया के आठ देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यह एक राजनीतिक संगठन नहीं है। यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी व वैज्ञानिक हितों की पूर्ति के लिए आपसी सहयोग पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन का उदय भी अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित है। सार्क की स्थापना में भारत की सक्रिय भागीदारी रही है।
सार्क के उद्देश्य-

सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों-भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बंगला देश, नेपाल, मालदीव, अफ़गानिस्तान और भूटान का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन की स्थापना भी बदलते हुए अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण के सन्दर्भ में हुई। इस संगठन की स्थापना बंगला देश के दिवंगत शासनाध्यक्ष जिआउर्रहमान की पहल पर हुई। इसके लिए 1-2 अगस्त, 1983 को नई दिल्ली में इन सात देशों के विदेश मन्त्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में सदस्य देशों ने आपसी सहयोग के कुछ मुद्दों पर एक सहमति पत्र तैयार किया। इस सहमति पत्र के आधार पर दिसम्बर, 1985 में ढाका में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 8 दिसंबर को सार्क का घोषणा-पत्र स्वीकार किया गया।

सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे। दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्वि-पक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता व राजनीतिक स्वतन्त्रता का सम्मान करता है और किसी दूसरे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सार्क एक राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा विकास करना है। इसके लिए सदस्य देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

सार्क के उद्देश्य (Objectives of the SAARC)-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के चार्टर में इसके निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन किया गया है

  • दक्षिण एशियाई देशों के लोगों का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
  • आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास।
  • सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मज़बूत बनाना।
  • एक दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझ-बूझ व सहृदयता विकसित करना।

निष्कर्ष (Conclusion)-इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क एक ऐसा संगठन है जो सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, स्वतन्त्रता, समानता व अखण्डता में विश्वास रखते हुए क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग की अपेक्षा रखता है। सार्क क्षेत्रीय विकास एवं कल्याण के लिए बनाया गया संगठन है। यह कोई सैनिक या राजनीतिक गठबन्धन नहीं है। सार्क के घोषणा पत्र में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसमें द्वि-पक्षीय मामलों पर बहस नहीं की जाएगी। किन्तु इसकी बैठकों में कई बार द्वि-पक्षीय मामले उठाने का भी प्रयास किया गया है। आमतौर पर पाकिस्तान की ओर से यह प्रयास अधिक होता है। भारत ने सदैव इसका विरोध किया है। सार्क क्षेत्रीय सहयोग के लिए बनाया गया है और यदि यह निर्धारित सिद्धान्तों का पालन करें तो घोषित उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है।

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प्रश्न 2.
सार्क के लक्ष्य और सिद्धान्त क्या हैं ? । (What are objectives and principles of SAARC ?)
उत्तर-
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों-भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बंगला देश, नेपाल, मालदीव, अफ़गानिस्तान और भूटान का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन की स्थापना भी बदलते हुए अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण के सन्दर्भ में हुई। इस संगठन की स्थापना बंगला देश के दिवंगत शासनाध्यक्ष जिआउर्रहमान की पहल पर हुई। इसके लिए 1-2 अगस्त, 1983 को नई दिल्ली में इन सात देशों के विदेश मन्त्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में सदस्य देशों ने आपसी सहयोग के कुछ मुद्दों पर एक सहमति पत्र तैयार किया। इस सहमति पत्र के आधार पर दिसम्बर, 1985 में ढाका में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 8 दिसंबर को सार्क का घोषणा-पत्र स्वीकार किया गया।

सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे। दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्वि-पक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता व राजनीतिक स्वतन्त्रता का सम्मान करता है और किसी दूसरे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सार्क एक राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा विकास करना है। इसके लिए सदस्य देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

सार्क के उद्देश्य (Objectives of the SAARC)-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के चार्टर में इसके निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन किया गया है

  • दक्षिण एशियाई देशों के लोगों का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
  • आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास।
  • सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मज़बूत बनाना।
  • एक दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझ-बूझ व सहृदयता विकसित करना।

निष्कर्ष (Conclusion)-इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क एक ऐसा संगठन है जो सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, स्वतन्त्रता, समानता व अखण्डता में विश्वास रखते हुए क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग की अपेक्षा रखता है। सार्क क्षेत्रीय विकास एवं कल्याण के लिए बनाया गया संगठन है। यह कोई सैनिक या राजनीतिक गठबन्धन नहीं है। सार्क के घोषणा पत्र में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसमें द्वि-पक्षीय मामलों पर बहस नहीं की जाएगी। किन्तु इसकी बैठकों में कई बार द्वि-पक्षीय मामले उठाने का भी प्रयास किया गया है। आमतौर पर पाकिस्तान की ओर से यह प्रयास अधिक होता है। भारत ने सदैव इसका विरोध किया है। सार्क क्षेत्रीय सहयोग के लिए बनाया गया है और यदि यह निर्धारित सिद्धान्तों का पालन करें तो घोषित उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है।

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प्रश्न 3.
सार्क की महत्त्वपूर्ण गतिविधियां क्या रही हैं ? उनमें भारत की भूमिका क्या है ?
(What important actiyities of SAARC has taken up during its existence ? What has been India’s role in them ?)
अथवा
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) द्वारा अपने अस्तित्व में किए गए मुख्य कार्य कौन-से हैं ? इनमें भारत की भूमिका क्या रही है ?
(What important activities has SAARC taken up during its existense ? What has been India’s role in them.)
उत्तर-
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन का उद्देश्य इन देशों के बीच अधिकाधिक क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करना है ताकि समस्याएं एक-दूसरे की सहायता से हल हो सकें। दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि, ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।’ दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा।’ सार्क कोई राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे को सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे की आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

प्रथम शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ का प्रथम शिखर सम्मेलन 1985 में ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में सभी सदस्यों ने पारस्परिक सहयोग के लिए अपनी वचनबद्धता पर सहमति प्रकट की।

द्वितीय शिखर सम्मेलन-द्वितीय शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1986 में भारत में बंगलौर में हुआ। इन देशों ने 1990 तक सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, मातृ-शिशु पोषाहार, साफ़ सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था और 2000 से पूर्व समुचित आवास के लक्ष्य निर्धारित किए। – तृतीय शिखर सम्मेलन-सार्क का तीसरा शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1987 में काठमांडू में हुआ। इस सम्मेलन में तीन ऐतिहासिक निर्णय लिए गए

(1) आतंकवाद को समाप्त करने का समझौता हुआ।
(2) दक्षिण एशियाई खाद्य सुरक्षा भंडार की स्थापना का निर्णय किया गया।
(3) तीसरा महत्त्वपूर्ण निर्णय सार्क क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा के उपाय करने के लिए पर्यावरण सम्बन्धी अध्ययन करना है।

चौथा शिखर सम्मेलन-सार्क का चौथा सम्मेलन श्रीलंका की अशांत स्थिति के कारण वहां न होकर 29 सितम्बर, 1988 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ। इस सम्मेलन का विशेष महत्त्व है क्योंकि यह सम्मेलन पाकिस्तान में लोकतन्त्र की बहाली के बाद हुआ। इस सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए

  • इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राष्ट्रीय संसदों के सदस्य एक विशेष सार्क पत्र दस्तावेज़ पर किसी भी देश की यात्रा कर सकेंगे तथा उन्हें वीज़ा लेने की ज़रूरत नहीं होगी।
  • नशीले पदार्थों के ग़लत प्रयोग को रोकने हेतु ज़ोरदार अभियान जारी रखने का संकल्प किया।
  • इस सम्मेलन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि ‘सार्क 2000’ का निर्माण है। ‘सार्क 2000’ एक क्षेत्रीय योजना की अवधारणा है। इस योजना द्वारा शताब्दी के अंत तक इस क्षेत्र के एक अरब से ज्यादा लोगों की आवास, शिक्षा और साक्षरता की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें।
  • संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार वर्ष 1989 को ‘बालिका वर्ष’ के रूप में मनाने का आह्वान किया गया। (5) परमाणु निःशस्त्रीकरण का भी निर्णय लिया गया।
  • शिखर सम्मेलन के निर्णय के अनुसार इस क्षेत्र का कोई भी देश सार्क का सदस्य बन सकता है, यदि वह इसके घोषणा-पत्र के सिद्धान्तों एवं उद्देश्यों में विश्वास रखता है।

कोलंबो सम्मेलन-21 दिसम्बर, 1991 को सार्क का सम्मेलन कोलंबो में हुआ। सार्क के सातों देश क्षेत्र में व्यापार को उदार बनाने पर सहमत हो गए। सातों सदस्य देशों ने नि:शस्त्रीकरण की सामान्य प्रवृत्तियों का स्वागत किया। घोषणा-पत्र में मानव अधिकारों की रक्षा की बात कही गई है।

ढाका शिखर सम्मेलन-12 दिसम्बर, 1992 को सार्क का शिखर सम्मेलन ढाका (बंगला देश) में होना था, परन्तु भारत के आग्रह पर स्थगित कर दिया गया और 13 जनवरी, 1993 को शिखर सम्मेलन होना निश्चित किया गया। 13 जनवरी को भी यह सम्मेलन न हो सका। यह सम्मेलन 10 और 11 अप्रैल को ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं ने सातों राष्ट्रों के बीच एक ‘महाबाज़ार’ का निर्माण करने तथा दक्षिण एशिया के स्वतन्त्र व्यक्तित्व पर विशेष बल दिया।

नई दिल्ली सम्मेलन-2 मई, 1995 को सार्क का आठवां शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी नई दिल्ली में आरम्भ हुआ। इस सम्मेलन की मुख्य उपलब्धि आपसी सहयोग के क्षेत्र में दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार व्यवस्था (साप्टा) पर सदस्य राष्ट्रों की सहमति है। सभी सदस्य राज्यों ने वर्ष 1995 को ‘दक्षेस ग़रीबी उन्मूलन वर्ष’ मनाने का फैसला
किया।

नौवां शिखर सम्मेलन-मई, 1997 में मालद्वीप की राजधानी माले में सार्क का नौवां शिखर सम्मेलन हुआ। माले शिखर सम्मेलन में सन् 2001 तक दक्षेस में मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

दक्षेस का दसवां शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का दसवां शिखर सम्मेलन तीन दिन के लिए कोलंबो में 28 जुलाई, 1998 को प्रारम्भ हुआ और 31 जुलाई को समाप्त हुआ। दक्षेस ने सदस्य देशों की सभी क्षेत्रों में समृद्धि के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक कार्यसूची की घोषणा की। सदस्य देशों ने परमाणु हथियारों को पूरी तरह से नष्ट करने और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय नियंत्रण के तहत विश्वभर में परमाणु निःशस्त्रीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता की अपनी वचनबद्धता को दोहराया।

दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन-दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारत एवं पाकिस्तान के तनाव के बीच 5 एवं 6 फरवरी, 2002 को हुआ। इस सम्मेलन में अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जैसे कि आतंकवाद को समाप्त करने एवं दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) को शीघ्र लागू करने के फैसले लिए। इसके अतिरिक्त महिलाओं की खरीद-फरोख्त पर रोक और एड्स के मुकाबले के लिए सामूहिक पहल की बात भी दक्षेस घोषणा में कही गई।

12वां सार्क शिखर सम्मेलन, जनवरी-2004-‘दक्षेस’ देशों का 12वां शिखर-सम्मेलन 4 जनवरी, 2004 को इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुआ। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। सम्मेलन के अन्त में 11 पृष्ठों का एक सांझा घोषणा-पत्र (इस्लामाबाद घोषणा-पत्र) जारी किया गया। इस सम्मेलन की प्रमुख बातें निम्नलिखित रहीं-

  • ‘दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार व्यवस्था’ (साफ्टा) को मंजूरी दी गई। यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से लागू होगा।
  • दक्षिणी एशिया से ग़रीबी, पिछड़ापन आदि दूर करने के लिए सामाजिक घोषणा-पत्र जारी किया गया।
  • 1987 में किए गए आतंकवाद निरोधक सार्क समझौते की समीक्षा की गई तथा आतंकवाद पर प्रभावी रोकथाम . लगाने पर सहमति हुई।
  • दक्षेस पुरस्कार आरम्भ करने का निर्णय लिया गया।

13वां सार्क शिखर सम्मेलन-नवम्बर, 2005-सार्क का 13वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2005 में ढाका में हुआ। सार्क सदस्य देशों ने परस्पर वीजा नियमों को उदार बनाने के लिए सार्क संचार परिषद् का गठन करने के लिए तथा सीमा शुल्क मामलों में परस्पर सहयोग के लिए आपस में समझौता किया।

14वां सार्क शिखर सम्मेलन-सार्क का 14वां शिखर सम्मेलन 3-4 अप्रैल, 2007 को भारत की राजधानी नई दिल्ली में हुआ। इस सम्मेलन में अफ़गानिस्तान को सार्क का 8वां सदस्य बनाया गया। इस सम्मेलन में सदस्य देशों ने निम्नलिखित मुद्दों पर अपनी सहमति प्रकट की

  • आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए उनको मिलने वाली वित्तीय सहायता को रोकने का प्रयास किया जाए।
  • दक्षिण एशिया विकास फंड की शुरुआत की जाए।
  • साफ्टा को और मज़बूत किया जाए।
  • सार्क देशों से ग़रीबी दूर करने तथा बच्चों एवं महिलाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।

15वां सार्क शिखर सम्मेलन-सार्क का 15वां शिखर सम्मेलन 2-3 अगस्त, 2008 को श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो में हुआ। इस सम्मेलन में एक 41 सूत्रीय घोषणा पत्र जारी किया गया जिसके महत्त्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार

  • आतंकवाद को रोकने के लिए प्रभावशाली प्रयास किए जाएंगे।
  • साफ्टा पूर्ण तौर पर लागू किया जाए।
  • एक सांझा खाद्यान्न भण्डार स्थापित किया जाएगा।
  • सार्क देशों में मादक पदार्थों, मानवीय और हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए एक सांझा कानूनी तन्त्र विकसित किया जाएगा। ___

16वां सार्क शिखर सम्मेलन-सार्क का 16वां शिखर सम्मेलन 28-29 अप्रैल, 2010 को भूटान की राजधानी थिम्पू में हुआ। सार्क घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद की आलोचना करते हुए उसके विरुद्ध लड़ने के लिए पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने की बात की गई। सार्क नेताओं ने 2011-20 के दशक को डिकेट ऑफ़ इंट्रारीजनल कनेक्टिविटी इन सार्क के रूप में मनाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया।

17वां सार्क शिखर सम्मेलन-सार्क का 17वां शिखर सम्मेलन 10-11 नवम्बर, 2011 को मालदीव में हुआ। इस सम्मेलन में राष्ट्रों ने आपसी व्यापार, आपदा प्रबन्धन, समुद्री दस्युओं से निपटने की समस्या व वैश्विक आर्थिक संकट के मुद्दों पर चर्चा हुई।

18वां सार्क शिखर सम्मेलन-सार्क का 18वां शिखर सम्मेलन 26-27 नवम्बर 2014 को नेपाल में हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सार्क सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आतंकवाद तथा अर्न्तदेशीय अपराधों से निपटने का

आहवान किया। उन्होंने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सार्क देशों को तीन से पांच साल का व्यापार वीजा देने की घोषणा की।

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प्रश्न 4.
सार्क का महत्त्व लिखो और इसके सामने आने वाली समस्याओं का वर्णन करो। (Write down the Importance of SAARC and explain its Problems.).
अथवा
सार्क की समस्याओं का वर्णन करो। (Explain the Problems of SAARC)
अथवा
सार्क की स्थापना कब हई ? सार्क की असफलताओं के कारणो का वर्णन करें। (When was ‘SAARC’ formed ? Explain the reasons for the failure of SAARC.)
उत्तर-
आज के तकनीकी युग में कोई देश आपसी सहयोग के बिना उन्नति नहीं कर सकता। विश्व के लगभग सभी राष्ट्र आर्थिक उन्नति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। इसी आपसी सहयोग को बनाने एवं बढ़ाने के विचार से दक्षिण एशिया के सात देशों ने देश की स्थापना की। सार्क के दक्षिण एशिया के सदस्य राष्ट्रों की आर्थिक उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत की है। आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए 1995 में सार्क देशों ने साफ्टा को लागू किया। इस सहयोग को और अधिक बढ़ाने के लिए सार्क के 12वें शिखर सम्मेलन में साफ्टा को वर्ष 2006 से लागू करने की अनुमति दे दी है।

सार्क का महत्त्व/सफलताएं-सार्क देशों द्वारा अपनाए गए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम का महत्त्व निम्नलिखित

  • दक्षिण एशियाई देशों द्वारा आर्थिक रूप से एक-दूसरे से सहयोग के कारण इस क्षेत्र में लोगों के जीवन स्तर में भारी सुधार आया है।
  • इसने आर्थिक विकास को गति प्रदान की है।
  • आर्थिक सहयोग के चलते सदस्य राष्ट्रों द्वारा एक-दूसरे पर से विभिन्न प्रकार के कर हटाने से व्यापार को बढ़ावा मिला है।
  • दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है।
  • आर्थिक क्षेत्र में सहयोग से सार्क देशों के सम्बन्धों में अधिक मज़बूती आई है।

सार्क की समस्याएं-

  • सार्क की सफलता में सदैव भारत-पाक के कटु सम्बन्ध रुकावट पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर पूर्ण विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
  • सार्क के अधिकांश देशों में आन्तरिक अशान्ति एवं अस्थिरता इसके मार्ग में रुकावट है।
  • सार्क देशों में अधिक मात्रा में अनपढ़ता, बेरोज़गारी तथा भुखमरी पाई जाती है, जोकि इसकी सफलता में बाधा पैदा करती है।
  • सार्क के देश एक ही वस्तु के लिए परस्पर प्रतियोगिता करते हैं।
  • सार्क क्षेत्र में महाशक्तियों की राजनीति के कारण विकास की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
  • सार्क की एक महत्त्वपूर्ण समस्या आतंकवाद है।
  • सार्क देशों के बीच अर्तक्षेत्रीय व्यापार बहुत कम है।
  • सार्क देशों में प्रशासनिक बाधाएं बहुत अधिक पाई जाती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
सार्क से आपका क्या अभिप्राय है? इसके मुख्य उद्देश्यों के बारे में संक्षेप में लिखिए। (P.B. 2010)
अथवा
सार्क के मुख्य उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1-2 अगस्त, 1983 को सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली की बैठक में की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 7-8 दिसम्बर, 1985 को ढाका में हुआ। इस प्रकार औपचारिक रूप से सार्क की स्थापना हुई। दक्षेस के सदस्य हैं-भारत, मालदीव, पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान और नेपाल । दक्षेस के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं
(1) दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें। (2) दक्षेस के राज्य अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें। (3) क्षेत्र की अधिक-से-अधिक सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति करना। (4) दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्म-विश्वास पैदा करना।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 20 भारत और सार्क

प्रश्न 2.
दक्षेस (SAARC) का क्या अर्थ है ? इसके महत्त्व का वर्णन करें।
अथवा
सार्क (SAARC) की महत्ता लिखें।
उत्तर-
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना अगस्त, 1983 में सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली में बैठक की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन दिसम्बर, 1985 में ढाका (बंगला देश) में हुआ। इस प्रकार 1985 में सार्क की औपचारिक स्थापना हो गई। सार्क का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया के राष्ट्रों की समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाना है और इन राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में विकास करना है।
महत्त्व-(1) सार्क के कारण दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे के समीप आए हैं और कुछ सामान्य समस्याओं को हल करने में सार्क सफल रहा है।
(2) क्षेत्र के बाहर के देशों का हस्तक्षेप काफ़ी कम हो गया है।

प्रश्न 3.
सार्क (SAARC) के मुख्य सिद्धान्त क्या हैं ?
उत्तर-
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे। दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्वि-पक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता व राजनीतिक स्वतन्त्रता का सम्मान करता है और किसी दूसरे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सार्क एक राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा विकास करना है। इसके लिए सदस्य देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

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प्रश्न 4.
‘साप्टा’ पर संक्षेप टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
‘साप्टा’ का उद्देश्य सार्क देशों के मध्य व्यापारिक सहयोग को बढ़ाकर एक ‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’ (साप्टा) की स्थापना करना है। मुक्त व्यापार क्षेत्र से अभिप्राय सदस्य देशों के बीच ऐसे व्यापार से है जो कस्टम और प्रशुल्क के प्रतिबन्धों से मुक्त हो अर्थात् ऐसा क्षेत्र जिसमें वस्तुओं का स्वतन्त्र आवागमन हो। ‘साफ्टा’ की स्थापना इसी उद्देश्य के लिए की गई थी। यह भी आशा की गई थी कि 21वीं शताब्दी के शुरू होने से पहले ‘साप्टा’ का स्थान साफ्टा ले लेगा। सार्क के 10वें शिखर सम्मेलन (ढाका) में यह निर्णय लिया गया कि साफ्टा’ के सम्बन्ध में एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की जाए जो 2001 की एक सन्धि तक पहुंचने के लिए अपना निष्कर्ष दे। जनवरी, 2004 में इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुए 12वें सार्क शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साप्टा) समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ‘दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था’ (साप्टा) का स्थान लेगा। इस समझौते के लागू होने से यह आशा की जा सकती है कि इससे दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

प्रश्न 5.
‘सार्क’ से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके मुख्य उद्देश्यों के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
‘सार्क’ का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं० 1 देखें। सार्क के उद्देश्य(1) सार्क के सामने सबसे बड़ी समस्या इस क्षेत्र में पायी जाने वाली राजनीतिक असिथरता है। (2) वर्तमान समय में सार्क के सामने दूसरी सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद है। (3) सार्क के सामने एक अन्य समस्या इस क्षेत्र में पाए जाने वाली निर्धरता एवं बेरोज़गारी है।

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प्रश्न 6.
‘सार्क’ की कोई चार उपलब्धियां लिखिए।
उत्तर-

  • सार्क ने इस क्षेत्र में शान्ति की सम्भावनाएं पैदा की हैं।
  • सार्क के माध्यम से कई क्षेत्रों में सहयोग के विकास का प्रयास किया गया है।
  • सार्क देशों ने खाद्यान्नों की सुरक्षा के लिए भण्डार बनाया है।
  • सार्क के कारण दक्षिण एशिया के देश परस्पर समीप आए हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
सार्क से आपका क्या भाव है ?
उत्तर-
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1-2 अगस्त, 1983 को सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली की बैठक में की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 78 दिसम्बर, 1985 को ढाका में हुआ। इस प्रकार औपचारिक रूप से सार्क की स्थापना हुई। दक्षेस के सदस्य हैंभारत, मालदीव, पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान और नेपाल।

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प्रश्न 2.
सार्क के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर-

  • दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें।
  • दक्षेस के राज्य अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें।

प्रश्न 3.
सार्क (SAARC) का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
सार्क (SAARC)-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Co-operation)।

प्रश्न 4.
सार्क (SAARC) के कोई चार देशों के नाम बताएं।
उत्तर-
सार्क (SAARC) के चार देश हैं-(1) भारत (2) बांग्लादेश (3) श्रीलंका (4) भूटान।

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प्रश्न 5.
‘सार्क’ की कोई दो उपलब्धियां लिखिए।
उत्तर-

  • सार्क ने इस क्षेत्र में शान्ति की सम्भावनाएं पैदा की हैं।
  • सार्क के माध्यम से कई क्षेत्रों में सहयोग के विकास का प्रयास किया गया है। .

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
दक्षेस (सार्क) का अर्थ लिखें।
उत्तर-
दक्षेस (सार्क) अर्थात् ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक संगठन है, जिसकी स्थापना इन देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की है।

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प्रश्न 2.
सार्क की स्थापना कब की गई थी ?
उत्तर-
सन् 1985 में।

प्रश्न 3.
सार्क के किसी एक सदस्य देश का नाम लिखें।
उत्तर-
भारत सार्क का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य देश है।

प्रश्न 4.
दक्षेस (SAARC) का कार्यालय कहाँ स्थापित किया गया है ?
उत्तर-
दक्षेस (SAARC) का कार्यालय नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में स्थापित किया गया है।

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प्रश्न 5.
सार्क का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
सार्क (SAARC)–दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Co-operation)।

प्रश्न 6.
साफ्टा (SAFTA) का पूर्ण रूप लिखिए।
उत्तर-
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (South Asian Free Trade Area)।

प्रश्न 7.
सार्क देशों में कौन-सा देश है, जिसकी सीमाएं सभी सार्क देशों के साथ लगती हैं ?
उत्तर-
भारत की सीमाएं सभी स्पर्क देशों के साथ लगती हैं।

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प्रश्न 8.
सार्क के अब तक कितने सम्मेलन हो चुके हैं ?
उत्तर-
सार्क के अब तक 18-शिखर सम्मेलन हो चुके हैं।

प्रश्न 9.
‘सार्क’ में शामिल देशों के नाम लिखो।
उत्तर-
सार्क में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालद्वीप तथा अफ़गानिस्तान शामिल हैं।

प्रश्न 10.
अफ़गानिस्तान सार्क का सदस्य कब बना था?
उत्तर-
अफ़गानिस्तान को अप्रैल 2007 में भारत में हुए 14वें सार्क शिखर सम्मेलन में सार्क का सदस्य बनाया गया।

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प्रश्न 11.
वर्तमान समय में सार्क के कितने देश सदस्य हैं ?
उत्तर-
वर्तमान समय में सार्क के 8 सदस्य हैं।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. दक्षिण एशिया के सहयोग संगठन को …….. कहते हैं।
2. 70 के दशक में बांग्ला देश के दिवंगत राष्ट्रपति ……….. ने सार्क का विचार दिया।
3. 1-2 अगस्त ……. को दक्षिण एशिया के सात देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक दिल्ली में हुई।
4. सार्क की औपचारिक रूप से स्थापना सन् …….. में हुई।
उत्तर-

  1. सार्क
  2. जिआउर्रहमान
  3. 1983
  4. 1985.

प्रश्न III. निम्नलिखित वाक्यों में से सही या ग़लत का चुनाव करें

1. सार्क एक राष्ट्रीय संगठन है।
2. सार्क दक्षिण एशियाई देशों का संगठन है।
3. सार्क की स्थापना 1990 में की गई ।
4. सार्क का पहला सम्मेलन ढाका में हुआ।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही।

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प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्क का उद्देश्य है
(क) दक्षिण एशियाई देशों में सहयोग बढ़े
(ख) दक्षेस के राज्य समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से करें
(ग) दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्मविश्वास पैदा करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
सार्क है एक
(क) सर्वव्यापक (संस्था) संगठन
(ख) क्षेत्रीय संगठन
(ग) विश्व संगठन
(घ) अन्तर्राष्ट्रीय संगठन।
उत्तर-
(ख) क्षेत्रीय संगठन

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प्रश्न 3.
सार्क ने ग़रीबी उन्मूलन वर्ष किस वर्ष मनाने का निर्णय किया ?
(क) 1990
(ख) 1995
(ग) 2000
(घ) 2005.
उत्तर-
(ख) 1995

प्रश्न 4.
साप्टा (SAPTA) का अर्थ है
(क) दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था
(ख) दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र
(ग) दक्षिण एशियाई हिंसा क्षेत्र
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्य

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