PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 6 स्वतन्त्रता

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता क्या है ? स्वतन्त्रता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं ? विवेचना कीजिए। (What is Liberty ? What are the different kinds of liberty ? Discuss.) (Textual Question)
अथवा
स्वतन्त्रता क्या होती है। इसके अलग-अलग प्रकारों का वर्णन करें। (What is Liberty ? Discuss its different kinds.)
उत्तर-
स्वतन्त्रता व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है। माण्टेस्क्यू (Montesquieu) के मतानुसार स्वतन्त्रता को छोड़कर किसी अन्य शब्द ने व्यक्ति के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव नहीं डाला है। प्रत्येक मनुष्य में स्वतन्त्रता प्राप्ति की इच्छा होती है। फ्रांसीसी क्रान्ति ने स्वतन्त्रता की भावना को बहुत बल दिया। भारत, दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका के कई देशों ने 20वीं शताब्दी में स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए जो बलिदान किए उससे स्पष्ट है कि पराधीन राष्ट्र का स्तर गुलामों जैसा होता है। प्रत्येक राष्ट्र स्वतन्त्रता की प्राप्ति उसी प्रकार चाहता है कि जिस प्रकार एक व्यक्ति अपनी स्वतन्त्रता को बनाए रखना चाहता है।

स्वतन्त्रता का अर्थ (Meaning of Liberty)-‘स्वतन्त्रता’ को अंग्रेज़ी भाषा में ‘लिबर्टी’ (Liberty) कहते हैं। लिबर्टी शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘लिबर’ (Liber) से निकलता है जिसका अर्थ यह है पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा किसी प्रकार के बन्धनों का न होना। इस प्रकार स्वन्त्रता का अर्थ लिया जाता है कि व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए और उस पर कोई बन्धन अथवा प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिएं। परन्तु स्वतन्त्रता का यह अर्थ गलत है क्योंकि बिना बन्धनों के मनुष्य का जीवन आज के सभ्य संसार में सम्भव नहीं है। स्वतन्त्रता का अर्थ दो भिन्नभिन्न रूपों में लिया जाता है

  1. स्वतन्त्रता का नकारात्मक स्वरूप (Negative Aspect of Liberty)
  2. स्वतन्त्रता का सकारात्मक स्वरूप (Positive Aspect of Liberty)

1. स्वतन्त्रता का नकारात्मक स्वरूप (Negative Aspect of Liberty)-नकारात्मक स्वतन्त्रता से अभिप्राय है कि व्यक्ति को पूर्ण स्वतन्त्रता हो अर्थात् व्यक्ति को अपनी मनमानी करने का अधिकार हो। उसे प्रत्येक कार्य करने की स्वतन्त्रता हो और उसके कार्यों पर कोई भी प्रतिबन्ध न हो। ‘सभी प्रतिबन्धों का अभाव’ (Absence of all Restraints) नकारात्मक स्वतन्त्रता का अर्थ है। जॉन स्टुअर्ट मिल (J.S. Mill) ने स्वतन्त्रता का अर्थ ‘सभी प्रतिबन्धों का अभाव’ लिया था। मिल के अनुसार, व्यक्ति के कार्यों पर किसी प्रकार का बन्धन नहीं होना चाहिए चाहे वह बन्धन अच्छा क्यों न हो। उदाहरणस्वरूप मिल के अनुसार व्यक्ति को शराब पीने की स्वतन्त्रता है, यदि वह पब्लिक ड्यूटी पर नहीं। व्यक्ति को जुआ खेलने की स्वतन्त्रता है।

परन्तु स्वतन्त्रता का यह अर्थ गलत है। सभ्य समाज में मनुष्य को प्रत्येक कार्य करने की स्वतन्त्रता नहीं दी जा सकती। बार्कर (Barker) ने ठीक ही कहा है कि, “जिस प्रकार बदसूरती का न होना खूबसूरती नहीं है, उसी प्रकार बन्धनों का न होना स्वतन्त्रता नहीं है।” यदि व्यक्ति को सभी प्रकार के कार्य करने की स्वतन्त्रता दे दी जाए तो समाज में अराजकता उत्पन्न हो जाएगी। पूर्ण स्वतन्त्रता देने का अर्थ है कि इस स्वतन्त्रता का प्रयोग केवल शक्तिशाली व्यक्ति ही कर सकेंगे। समाज में फिर एक ही कानून होगा ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ जिससे निर्बल व्यक्तियों का जीवन भी सुरक्षित नहीं रहेगा। लॉस्की (Laski) ने कहा है, “समाज में रह कर व्यक्ति जो चाहे नहीं कर सकता। स्वतन्त्रता कभी लाइसैंस नहीं बन सकती। किसी को भी चोरी करने या मारने की छूट नहीं दी जा सकती।” अतः स्वतन्त्रता का अर्थ प्रतिबन्धों का अभाव नहीं है।

2. स्वतन्त्रता का सकारात्मक स्वरूप (Positive aspect of Liberty)-सकारात्मक स्वतन्त्रता का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने के लिए कुछ अधिकार तथा अवसर प्राप्त हों। स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ है कि, “प्रत्येक व्यक्ति को उन कार्यों को करने का अधिकार हो जिससे दूसरे व्यक्तियों को हानि न पहुंचे।” लॉस्की (Laski) के शब्दों में, “स्वतन्त्रता ने एक ऐसा वातावरण बनाए रखना है जिसमें व्यक्ति को विकास के सबसे अच्छे अवसर मिल सकें।” गांधी जी के अनुसार, “नागरिक स्वतन्त्रता नियन्त्रण का अभाव नहीं बल्कि आत्मविकास के लिए अवसर हैं।” सकारात्मक स्वतन्त्रता का यह भी अर्थ लिया जाता है कि व्यक्ति की स्वतन्त्रता पर अन्यायपूर्ण तथा अनुचित प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिएं परन्तु साथ में उसे उन अवसरों की भी याद होनी चाहिए जिससे उसे अपना विकास करने में सहायता मिलती हो। फ्रांसीसी क्रान्ति के नेताओं ने मानव अधिकारों की घोषणा में ठीक ही कहा था कि, “यह किसी भी कार्य को करने की शक्ति है। जिससे दूसरों को कोई हानि न पहुंचे।” (“It is the power to do anything that does not injure another.”)

स्वतन्त्रता की परिभाषाएं (Definitions of Liberty)-इस प्रकार स्वतन्त्रता का वास्तविक स्वरूप सकारात्मक है। निम्नलिखित परिभाषाएं स्वतन्त्रता के अर्थ को स्पष्ट कर देती हैं-

  • सीले (Seeley) के अनुसार, “स्वतन्त्रता अति-शासन का उलटा रूप है।” (“Liberty is the opposite of over-government.”) सीले की इस परिभाषा का अर्थ है कि स्वतन्त्रता की प्राप्ति तानाशाही राज्य में नहीं हो सकती।
  • गैटेल (Gettell) के अनुसार, “स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस सकारात्मक शक्ति से है जिससे उन बातों को करके आनन्द प्राप्त होता है जो कि करने योग्य हैं।” (“Liberty is the positive power of doing and enjoying those things which are worthy of enjoyment and work.”’)
  • जी० डी० एच० कोल (G.D.H. Cole) के अनुसार, “बिना किसी बाधा के व्यक्ति को अपना व्यक्तित्व प्रकट करने का नाम स्वतन्त्रता है।”
  • हरबर्ट स्पैन्सर (Herbert Spencer) के अनुसार, “प्रत्येक व्यक्ति वह कुछ करने को स्वतन्त्र है, जिसकी वह इच्छा करता है, परन्तु उससे किसी दूसरे व्यक्ति की वैसी ही स्वतन्त्रता नष्ट न होती हो।” (“Every man is free to do that which he wills, provided he infrings not the equal freedom of any other man.”)
  • टी० एच० ग्रीन (T.H. Green) के अनुसार, “स्वतन्त्रता करने योग्य कार्य को करने और उपयोग करने की साकारात्मक शक्ति है।”
  • प्रो० लॉस्की (Laski) ने स्वतन्त्रता की परिभाषा करते हए लिखा है, “स्वतन्त्रता से मेरा अभिप्राय वर्तमान सभ्यता में मनुष्य की प्रसन्नता की गारण्टी के लिए जिन सामाजिक परिस्थितियों की आवश्यकता है, उन पर पाबन्दियों का न होना है।” दूसरे स्थान पर लॉस्की ने स्वतन्त्रता की परिभाषा करते हुए लिखा है, “स्वतन्त्रता का अर्थ उस वातावरण की उत्साहपूर्ण रक्षा करने से है जिससे मनुष्य को अपने श्रेष्ठतम रूप की प्राप्ति का अवसर प्राप्त हो।”

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता

साधारण शब्दों में, स्वतन्त्रता का अर्थ नियन्त्रण का अभाव नहीं है बल्कि व्यक्तित्व के विकास की अवस्थाओं की प्राप्ति है। स्वतन्त्रता की विभिन्न परिभाषाओं का अभाव स्वतन्त्रता नहीं है :

  1. सभी तरह की पाबन्दियों का अभाव स्वतन्त्रता नहीं है।
  2. निरंकुश, अनैतिक, अन्यायपूर्ण पाबन्दियों का अभाव ही स्वतन्त्रता है।
  3. न्यायपूर्ण नैतिक तथा उच्च पाबन्दियों का होना स्वतन्त्रता है।
  4. स्वतन्त्रता व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक अवस्था है।
  5. स्वतन्त्रता सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होती है।
  6. व्यक्ति को वे सब कार्य करने की स्वतन्त्रता है जो करने योग्य हैं।
  7. व्यक्ति को वे कार्य करने का अधिकार है जिनसे दूसरों को हानि न पहुंचे।

स्वतन्त्रता के विभिन्न रूप (Kinds of Liberty)-

राजनीति शास्त्र में स्वतन्त्रता का प्रयोग कई रूपों में किया गया है। स्वतन्त्रता के विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं :-

1. प्राकृतिक स्वतन्त्रता (Natural Liberty)—जिस प्रकार कई लेखकों के मतानुसार मनुष्य को प्राकृतिक अधिकार प्राप्त हैं उसी प्रकार कई लेखकों ने प्राकृतिक स्वतन्त्रता का विचार प्रस्तुत किया है। प्राकृतिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय है कि मनुष्य को राज्य की उत्पत्ति से प्राकृतिक अवस्था (State of Nature) में पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी। सामाजिक समझौते के सिद्धान्त के लेखकों के अनुसार मनुष्य को प्रकृति ने स्वतन्त्र पैदा किया है। रूसो ने प्राकृतिक स्वतन्त्रता पर जोर दिया है। उसके अनुसार, “मनुष्य स्वतन्त्र उत्पन्न होता है, परन्तु प्रत्येक स्थान पर वह बन्धनों (जंजीरों) में बन्धा हुआ है।”

परन्तु प्राकृतिक स्वतन्त्रता का विचार आज मान्य नहीं है। स्वतन्त्रता की प्राप्ति समाज में ही हो सकती है, समाज के बाहर नहीं। जब उस समय कोई समाज नहीं था तो स्वतन्त्रता का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता था। स्वतन्त्रता का अर्थ प्रतिबन्धों का अ नहीं है।

2. नागरिक त्रता (Civil Liberty).-नागरिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है जो संगठित समाज का सदस्य होन के नाते प्राप्त होती है। प्रो० आशीर्वादम के अनुसार नागरिक स्वतन्त्रता को सीधे शब्दों में ‘समाज में प्राप्त स्वतन्त्रता’ कह सकते हैं। समाज अपने नागरिकों क विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियां उत्पन्न करता है जिसके बिना नागरिक अपना विकास नहीं कर सकता। इन परिस्थितियों तथा सुविधाओं को ही नागरिक स्वतन्त्रता कहा जाता है। नागरिक स्वतन्त्रता राज्य के अन्दर रहने वाले सभी व्यक्तियों को प्राप्त होती है। नागरिक स्वतन्त्रता में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता जीवन की स्वतन्त्रता, सम्पत्ति रखने की स्वतन्त्रता, भाषण देने की स्वतन्त्रता, घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता, इत्यादि सम्मिलित हैं।

प्रत्येक देश में नागरिक स्वतन्त्रता एक-जैसी नहीं होती। क्यूबा तथा चीन आदि साम्यवादी देशों में नागरिकों को ऐसी नागरिक स्वतन्त्रता प्राप्त है जो भारत, अमेरिका, इंग्लैण्ड आदि देशों में नहीं है। तानाशाही देशों में लोकतन्त्रीय देशों के समान नागरिक स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं होती।

3. राजनीतिक स्वतन्त्रता (Political Liberty) राजनीतिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके द्वारा नागरिक देश के शासन में भाग ले सकता है। लॉस्की (Laski) के अनुसार, “राजनीतिक स्वतन्त्रता का अर्थ राज्यों के कार्यों में क्रियाशील होना है।” ( The power to be active in the affairs of the State.”) राजनीतिक स्वतन्त्रता निम्नलिखित अधिकारों से सम्बन्ध रखती है

  • नागरिकों को कानून बनाने वाली सभाओं के प्रतिनिधि चुनने का अधिकार प्राप्त होता है अर्थात् नागरिकों को वोट डालने का अधिकार दिया जाता है।
  • चुने जाने का अधिकार।
  • प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार।
  • सार्वजनिक पद प्राप्ति का अधिकार।
  • सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार।
  • राजनीतिक दल बनाने का अधिकार। नागरिकों को उपर्युक्त राजनीतिक अधिकार लोकतन्त्रीय राज्यों में ही प्राप्त होते हैं।

4. आर्थिक स्वतन्त्रता (Economic Liberty)-नागरिक तथा राजनीतिक स्वतन्त्रता का लाभ नगरिक को तभी होता है, यदि उसे आर्थिक स्वतन्त्रता भी प्राप्त हो। आर्थिक स्वतन्त्रता का अर्थ ‘स्वतन्त्र प्रतियोगिता’ नहीं है। आर्थिक स्वतन्त्रता का अर्थ है कि नागरिक को बेरोज़गारी तथा भूख से मुक्ति प्राप्त हो। प्रत्येक नागरिक को काम करने के समान अवसर प्राप्त होने चाहिएं। आर्थिक स्वतन्त्रता में काम करने के निश्चित घण्टे, न्यूनतम वेतन, काम करने का अधिकार, बेकारी की दशा में निर्वाह भत्ते के अधिकार शामिल होते हैं। आर्थिक स्वतन्त्रता के बिना राजनीतिक स्वतन्त्रता का कोई मूल्य नहीं होता। एक भूखे और बेकार व्यक्ति के लिए मतदान का अधिकार कोई महत्त्व नहीं रखता।

5. नैतिक स्वतन्त्रता (Moral Liberty)-नैतिक स्वतन्त्रता का अर्थ है कि व्यक्ति को अपना नतिक विकास करने की सभी सुविधाएं प्राप्त हों। व्यक्ति को सत्य-असत्य, नैतिक-अनैतिक, धर्म-अपाय, उचित-अनाना में निर्णय करने की स्वतन्त्रता प्राप्त हो। नैतिक स्वतन्त्रता से व्यक्ति अपनी आत्मा का विकास कर सकता है। ग्री:: कमांके आदि लेखकों ने व्यक्ति की नैतिक स्वतन्त्रता पर बहुत जोर दिया है। देश की उन्नति. विकास और मृद्धि :- नैतिक म्वतन्त्रताएं अति आवश्यक हैं।

6. व्यक्तिगत स्वतन्त्रता (Personal Liberty)-व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अर्थ है कि व्यक्ति को उन कार्यों को करने की स्वतन्त्रता हो जो उस तक ही सीमित हों तथा उसके कायों से किसी दुसरे व्यक्ति को हानि न पहुंचे। प्रो० लॉस्की ने व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को निजी स्वतन्त्रता का नाम दिया है। निजी स्वतन्त्रता का अथ है उन कार्यों को करने की स्वतन्त्रता जिनके परिणाम केवल उसी व्यक्ति को प्रभावित करें। मिल ने मनुष्य के कार्यों का दो भागों में बांटा थाव्यक्तिगत कार्य तथा दूसरे से सम्बन्धित। मिल के अनुसार, मनुष्य को व्यक्तिगत कार्यों में एक स्वतन्त्रता प्राप्त होनी चाहिए-व्यक्तिगत कार्य वे कार्य हैं जिनका सम्बन्ध व्यक्ति तक ही सीमित रहता है !

7. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता (National Liberty)-जिस प्रकार नागरिकों के विकास के लिा. वतन्त्रता आवश्यक है उसी प्रकार राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वतन्त्रत का अह कि राज्य किसी देश के नियन्त्रण में न हो अर्थात् राज्य बाहरी रूप से स्वतन्त्र हा और प्रभुसत्ता राज्य के पास हो। गलक्राइस्ट (Gilchrist) के अनुसार, “प्रभुत्व-सम्पन्न राज्य का होना ही राष्ट्रीय स्वतन्त्रता र इसलिए मा स्वतन्त्रता तथा प्रभुसत्ता के एक ही अर्थ हैं।” राष्ट्र की स्वतन्त्रता के लिए नागरिक प्रत्यक बलिदान करने के लिए तयार रहते हैं : भारत को 1947 ई० में अंग्रेजों से स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।

प्रश्न 2. स्वतन्त्रता के रक्षा कवच बताएं। (Explain the safeguards of Liberty.)
उत्तर–स्वतन्त्रता का व्यक्ति के लिए बहुत महत्त्व है। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह अमीर हो, चाह नगंब ; कुछ कार्यों को करने के लिए स्वतन्त्रता चाहता है। स्वतन्त्रता व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है। आधुनिक राज्यों में व्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं। स्वतन्त्रता की सुरक्षा निम्नलिखित विभिन्न उपायों द्वारा की जा सकती है-

1. प्रजातन्त्र की स्थापना (Establishment of Democracy)-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए प्रजातन्त्र की स्थापना आवश्यक है। स्वतन्त्रता और प्रजातन्त्र सहचारी हैं। प्रजातन्त्र में शक्ति का स्रोत जनता होती है और शासन का आधार जनमत होता है। जनता के हितों के विरुद्ध सरकार कानून पास करने की हिम्मत नहीं करती और न ही सरकार व्यक्तियों की स्वतन्त्रता को छीनने की कोशिश करती है। यदि सरकार स्वतन्त्रता को छीनने का प्रयत्न करती है तो चुनाव में ऐसी सरकार को हटा दिया जाता है।

2. मौलिक अधिकारों की घोषणा (Declaration of Fundamental Rights)-स्वतन्त्रता की सुरक्षा का सबसे अच्छा उपाय यह है कि व्यक्तियों के अधिकारों तथा स्वतन्त्रता की घोषणा संविधान के मौलिक अधिकारों में कर देनी चाहिए। यदि अधिकारों को संविधान में लिख दिया जाए तो सरकार इन अधिकारों का उल्लंघन आसानी से नहीं कर सकेगी और न ही इन अधिकारों को छीनने का प्रयत्न करेगी। यदि सरकार इन अधिकारों में हस्तक्षेप करती है तो नागरिक न्यायालय में जाकर इन अधिकारों की रक्षा की मांग कर सकते हैं। आज संसार के अधिकांश देशों के संविधानों में मौलिक अधिकारों का वर्णन मिलता

3. शक्तियों का पृथक्करण (Separation of Powers)-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए शक्तियों का पृथक्करण आवश्यक है। शक्तियों के केन्द्रीयकरण से निरंकुशता को बढ़ावा मिलता है जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता है।

4. न्यायपालिका की स्वतन्त्रता (Independence of Judiciary)-स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए न्यायपालिका का स्वतन्त्र होना आवश्यक है। न्यायपालिका ही निष्पक्ष तथा निडरता से न्याय कर सकती है। स्वतन्त्र न्यायपालिका आवश्यक है क्योंकि न्यायपालिका ही मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है। न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधानपालिका के अधीन नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीश का वेतन अच्छा होना चाहिए और योग्य व्यक्तियों को न्यायाधीश नियुक्त किया जाना चाहिए।

5. सरल व शीघ्र न्याय-व्यवस्था (Simple and Speedy Justice)-न्यायपालिका की स्वतन्त्रता के साथ ही न्याय का सरल व शीघ्र किया जाना स्वतन्त्रता को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। न्याय-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे न्याय शीघ्र मिल सके। न्याय की देरी का अर्थ है-अन्याय। गांधी जी के अनुसार अच्छी न्याय व्यवस्था की मूल विशेषता होती है कि न्याय सस्ता और शीघ्र होता है।

6. समान अधिकार (Equal Rights)-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए यह भी आवश्यक है कि नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों। किसी एक वर्ग को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होने चाहिएं।

7. आर्थिक सुरक्षा (Economic Security)-स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए आर्थिक सुरक्षा होनी चाहिए। जिस देश में अमीर तथा ग़रीब में अधिक भेद होता है वहां ग़रीब व्यक्ति अपनी स्वतन्त्रता का प्रयोग नहीं कर पाते। एक भूखे व्यक्ति के लिए वोट के अधिकार का कोई महत्त्व नहीं है, वह अपने वोट का अधिकार बेच देता है। व्यक्ति अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा तभी कर सकता है जब उसे आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो।

8. कानून का शासन (Rule of Law)-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए कानून का शासन आवश्यक है। ‘कानून के शासन’ का अर्थ है कि कानून के सामने सभी समान हैं । इंग्लैण्ड, भारत तथा अमेरिका में कानून का शासन है। इंग्लैण्ड में नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा कानून के शासन के द्वारा की गई है।

9. शक्तियों का विकेन्द्रीयकरण (Decentralisation of Powers)-स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए सत्ता का विकेन्द्रीयकरण होना चाहिए न कि केन्द्रीयकरण। इसलिए सभी विद्वान, विचारक और राजनेता शक्तियों के विकेन्द्रीयकरण पर बल देकर राजनीतिक सत्ता को राष्ट्रीय, प्रान्तीय तथा स्थानीय इकाइयों में बांटने का समर्थन करते हैं। लॉस्की (Laski) ने ठीक ही कहा है कि, “राज्य में शक्तियों का जितना अधिक वितरण होगा, उसकी प्रकृति उतनी अधिक विकेन्द्रित होगी और व्यक्तियों में अपनी स्वतन्त्रता के लिए उतना ही अधिक उत्साह होगा।” ब्राइस (Bryce) का विचार है कि लोगों में स्वतन्त्रता की भावना पैदा करने के लिए राज्य में स्वशासन की संस्थाओं (Local Self-Government Institution) को स्थापित करना आवश्यक है।

10. स्वतन्त्र प्रैस (Free Press)-किसी भी राज्य में नागरिकों की स्वतन्त्रताएं केवल तभी सुरक्षित रह सकती हैं जब वहां प्रेस स्वतन्त्र हो और व्यक्ति अपने विचारों की स्वतन्त्रतापूर्वक अभिव्यक्ति कर सकता हो। विचारों की अभिव्यक्ति का सबसे प्रभावशाली ढंग प्रकाशन है। अतः स्वतन्त्र और ईमानदार प्रैस का होना अति आवश्यक है। यदि प्रेस स्वतन्त्र नहीं होगा तो लोगों को सरकार की कार्यवाहियों का सही ज्ञान नहीं होगा।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता

11. संविधान (Constitution)-सरकार की शक्तियों को संविधान में लिख कर सरकार पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है। इसलिए आधुनिक राज्यों के संविधान लिखित होते हैं ताकि सरकार की शक्तियों का स्पष्ट वर्णन किया जा सके। सरकार को अपना कार्य संविधान के अनुसार करना चाहिए।

12. राजनीतिक शिक्षा (Political Education)-स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए जनता के पास राजनीतिक शिक्षा का होना आवश्यक है। राजनीतिक शिक्षा से ही मनुष्य को अपने अधिकारों तथा स्वतन्त्रता का ज्ञान होता है और इससे मनुष्य शासन में अधिक-से-अधिक रुचि लेता है। बिना राजनीतिक शिक्षा के स्वतन्त्रता की रक्षा करना असम्भव है।

13. पक्षपात रहित शासन (Impartial Administration)-स्वतन्त्रता की रक्षा तभी हो सकती है जब राज्य की नीति पक्षपातपूर्ण न हो। इसका अभिप्रायः यह है कि राज्य को कुछ लोगों की भलाई के लिए ही कार्य नहीं करना चाहिए और न ही भेदभाव की नीति का अनुसरण करना चाहिए।

14. सतत् जागरूकता (Eternal Vigilance)-प्रो० लॉस्की (Laski) ने ठीक ही कहा है, “सतत् जागरूकता स्वतन्त्रता का मूल है।” स्वतन्त्रता की सुरक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय जनता को स्वतन्त्रता के प्रति जागरूक रहना है। नागरिकों में सरकार के इन कार्यों के विरुद्ध आन्दोलन करने की हिम्मत तथा हौंसला होना चाहिए जो उनकी स्वतन्त्रता को नष्ट करते हों। सरकार को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि यदि उसने नागरिकों की स्वतन्त्रता को कुचला तो नागरिक उसके विरुद्ध पहाड़ की तरह खड़े हो जाएंगे। लॉस्की (Laski) के शब्दों में, “नागरिकों की महान् भावना न कि कानूनी शब्दावली स्वतन्त्रता की वास्तविक संरक्षरक है।”

15. सुदृढ़ व संगठित दलीय प्रणाली Strong and well-knit Party System)-स्वतन्त्रता के संरक्षण के लिए सुदृढ़ व सुसंगठित राजनीतिक दलों की व्यवस्था का होना अनिवार्य है। क्योंकि यदि बहुमत प्राप्त सरकार नीति-निर्माण के कार्यों में लोगों के हितों व स्वतन्त्रताओं को मान्यता नहीं देती है, तो विपक्षी दल न केवल इनका विरोध करते हैं, बल्कि ऐसी सरकार को अपदस्थ या हटाने के लिए लोगों में जनमत (Public Opinion) भी तैयार करते हैं, ताकि चुनावों में ऐसे राजनीतिक दन को सत्ता से दूर रखा जा सके।

16. सहिता की भावना एवं सरकार व लोगों में सहयोग (Spirit of tolerance and Co-operation between the Govt. and People)–स्वतन्त्रता के संरण के लिए लोगों में सहनशीलता व सहिष्णुता की भावना का होना अति आवश्यक है। मा सरकार व लोगों में परस्पर सहयोग के द्वारा ही हो सकता है। लोकतन्त्रीय व्यवस्था में शासन बहुसंख्यकों के हाग चलाया जाता है और अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की भावना में विश्वास रखते हुए सरकार के साथ पूर्ण सहयोग करना चाहिए। परस्पर मझौते व सहयोगों के द्वारा परस्पर विवादों का निपटारा करना चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता का अर्थ एवं परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता शब्द को अंग्रेजी भाषा में लिबर्टी (Liberty) कहते हैं। लिबर्टी शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘लिबर’ (Liber) से निकला है जिसका अर्थ है पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा किसी प्रकार के बन्धनों का न होना। इस प्रकार स्वतन्त्रता का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए और उस पर कोई बन्धन नहीं होना चाहिए। परन्तु स्वतन्त्रता का यह अर्थ ग़लत है। स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ यह है कि व्यक्ति पर अन्यायपूर्ण तथा अनुचित प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिएं परन्तु उसे उन अवसरों की भी प्राप्ति होनी चाहिए जो उसके विकास में सहायक हैं। स्वतन्त्रता की मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं

  1. सीले के अनुसार, “स्वतन्त्रता अति शासन का उलटा रूप है।”
  2. गैटेल के अनुसार, “स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस सकारात्मक शक्ति से है जिससे उन बातों को करके आनन्द प्राप्त होता है जो करने योग्य हैं।”
  3. प्रो० लॉस्की ने स्वतन्त्रता की परिभाषा करते हुए लिखा है, “स्वतन्त्रता से मेरा अभिप्रायः वर्तमान सभ्यता में मनुष्य की प्रसन्नता की गारण्टी के लिए जिन सामाजिक परिस्थितियों की आवश्यकता है उन पर पाबन्दियों का न होना

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता के नकारात्मक तथा सकारात्मक रूपों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता का अर्थ दो भिन्न-भिन्न रूपों में लिया जाता है। ये रूप निम्नलिखित हैं-

  • नकारात्मक स्वतन्त्रता-नकारात्मक स्वतन्त्रता से अभिप्राय है कि व्यक्ति को पूर्ण स्वतन्त्रता हो अर्थात् व्यक्ति पर किसी प्रकार के प्रतिबन्ध न हों। उसे अपनी मनमानी करने का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक कार्य को करने की स्वतन्त्रता प्राप्त हो। ‘सभी प्रकार के प्रतिबन्धों का अभाव’ ही नकारात्मक स्वतन्त्रता है।
  • सकारात्मक स्वतन्त्रता-सकारात्मक स्वतन्त्रता का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ अधिकार तथा अवसर प्राप्त हों। स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ है कि, “प्रत्येक व्यक्ति को उन कार्यों को करने का अधिकार हो जिससे दूसरे व्यक्तियों को हानि न पहुंचे।” सकारात्मक स्वतन्त्रता का यह भी अर्थ लिया जाता है कि व्यक्ति की स्वतन्त्रता पर अनुचित तथा अन्यायपूर्ण प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिएं परन्तु साथ में उसे उन अवसरों की भी प्राप्ति होनी चाहिए जो उसके विकास में सहायक हैं।

प्रश्न 3.
स्वतन्त्रता के चार रूपों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता के चार मुख्य रूप निम्नलिखित हैं-

  1. प्राकृतिक स्वतन्त्रता-प्राकृतिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय है कि मनुष्य को राज्य की उत्पत्ति से पूर्व प्राकृतिक अवस्था में पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी। ‘सामाजिक समझौते के सिद्धान्त’ के लेखकों के अनुसार भी प्रकृति ने मनुष्य को स्वतन्त्र पैदा किया है।
  2. नागरिक स्वतन्त्रता-नागरिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है जो व्यक्ति को संगठित समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त होती है। समाज अपने सदस्यों के विकास के लिए वे आवश्यक परिस्थितियां उत्पन्न करता है जिनके बिना व्यक्ति अपना विकास नहीं कर सकता, इन परिस्थितियों तथा सुविधाओं को ही नागरिक स्वतन्त्रता कहा जाता है।
  3. राजनीतिक स्वतन्त्रता-राजनीतिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके अन्तर्गत नागरिक को देश के शासन में भाग लेने का अधिकार प्राप्त होता है। राजनीतिक स्वतन्त्रता में नागरिक को मतदान का, चुने जाने का, प्रार्थना-पत्र देने का, सरकारी पद प्राप्त करने का इत्यादि राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  4. नैतिक स्वतन्त्रता का अर्थ है, कि व्यक्ति को अपना नैतिक विकास करने की सभी सुविधाएं प्राप्त हों।

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता की रक्षा के चार उपाय लिखें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता का व्यक्ति के लिए बहुत महत्त्व है। आधुनिक राज्यों में व्यक्ति की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं-

  • लोकतन्त्र की स्थापना-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए लोकतन्त्र की स्थापना आवश्यक है। स्वतन्त्रता और लोकतन्त्र सहचारी हैं। लोकतन्त्र में शासन की शक्ति जनता के पास होती है। अत: यदि सरकार जनता की स्वतन्त्रता को ख़त्म करने या छीनने का प्रयत्न करती है तो जनता चुनाव द्वारा सरकार को हटा देती है।
  • मौलिक अधिकारों की घोषणा-स्वतन्त्रता की सुरक्षा का सबसे अच्छा उपाय यह है कि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों की घोषणा संविधान में कर दी जाए और संविधान लिखित तथा कठोर होना चाहिए जिससे इन्हें बदला न जा सके।
  • न्यायपालिका की स्वतन्त्रता-स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए न्यायपालिका का स्वतन्त्र होना आवश्यक है। स्वतन्त्र न्यायपालिका ही निडरता तथा निष्पक्षता से न्याय कर सकती है। न्यायपालिका ही मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है।
  • शक्तियों का पृथक्करण होना चाहिए।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता

प्रश्न 5.
“सतत् जागरूकता ही स्वतन्त्रता की कीमत है।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
प्रो० लॉस्की ने ठीक ही कहा है कि ‘सतत् जागरूकता ही स्वतन्त्रता की कीमत है।’ स्वतन्त्रता की सुरक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय स्वतन्त्रता के प्रति जागरूक रहना है। नागरिकों में सरकार के उन कार्यों के विरुद्ध आन्दोलन करने की हिम्मत व हौंसला होना चाहिए जो उनकी स्वतन्त्रता को नष्ट करते हैं। सरकार को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि यदि उसने नागरिकों की स्वतन्त्रता को कुचला तो नागरिक उसके विरुद्ध पहाड़ की तरह खड़े हो जाएंगे। लॉस्की के शब्दों में नागरिक की महान् भावना न कि कानूनी शब्दावली स्वतन्त्रता का वास्तविक संरक्षक है।

प्रश्न 6.
सकारात्मक स्वतन्त्रता की विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
सकारात्मक स्वतन्त्रता नकारात्मक स्वतन्त्रता से कहीं विस्तृत तथा व्यापक है। सकारात्मक स्वतन्त्रता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. स्वतन्त्रता का अर्थ बन्धनों का न होना नहीं है-स्वतन्त्रता का अर्थ प्रतिबन्धों का अभाव नहीं है। सकारात्मक स्वतन्त्रता के समर्थक उचित प्रतिबन्धों को स्वीकार करते हैं परन्तु वे अनुचित प्रतिबन्धों के विरुद्ध हैं। सामाजिक हित के लिए व्यक्ति की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं। अतः स्वतन्त्रता असीमित नहीं होती है।
  2. स्वतन्त्रता और कानून परस्पर विरोधी नहीं-स्वतन्त्रता और राज्य के कानून परस्पर विरोधी नहीं है। कानून स्वतन्त्रता को नष्ट नहीं करते बल्कि स्वतन्त्रता की रक्षा करते हैं।
  3. स्वतन्त्रता का अर्थ बाधाओं को दूर करना है-व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में जो बाधाएं आती हैं उनको दूर करना राज्य का कार्य है। स्वतन्त्रता का अर्थ उन सामाजिक परिस्थितियों का विद्यमान् होना है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक हों।
  4. स्वतन्त्रता अधिकारों के साथ जुड़ी हुई है।

प्रश्न 7.
राजनीतिक स्वतन्त्रता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
राजनीतिक स्वतन्त्रता-राजनीतिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके द्वारा नागरिक देश के शासन में भाग ले सकता है। राजनीतिक स्वतन्त्रता निम्नलिखित अधिकारों से सम्बन्ध रखती है

  • नागरिकों को कानून बनाने वाली सभाओं के प्रतिनिधि चुनने का अधिकार प्राप्त होता है अर्थात् नागरिकों को वोट डालने का अधिकार दिया जाता है।
  • चुने जाने का अधिकार ।
  • प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार ।
  • सार्वजनिक पद प्राप्ति का अधिकार।
  • सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार ।
  • राजनीतिक दल बनाने का अधिकार। नागरिकों को उपर्युक्त राजनीतिक अधिकार लोकतन्त्रीय राज्यों में प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक स्वतन्त्रता से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आर्थिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय यह है कि व्यक्ति प्रत्येक प्रकार की आर्थिक चिन्ताओं से मुक्त हो और वह आर्थिक दृष्टि से किसी के अधीन न हो। प्रो० लॉस्की के अनुसार, “आर्थिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय मनुष्य को अपनी जीविका कमाने के लिए उचित सुरक्षा और सुविधाओं का प्राप्त होना है।” इसका अभिप्राय यह है कि सरकार को ऐसा सम्पन्न वातावरण उत्पन्न करना चाहिए जिसमें व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने और उचित ढंग से अपना जीवननिर्वाह करने के लिए प्रत्येक प्रकार की आर्थिक सुविधाएं प्राप्त हों। इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेद-भाव के कार्य करने का अधिकार, उचित वेतन प्राप्त करने का अधिकार, विश्राम का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार और शोषण के विरुद्ध अधिकार इत्यादि प्राप्त होने चाहिएं।

प्रश्न 9.
आर्थिक और राजनीतिक स्वतन्त्रता के परस्पर सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर-
राजनीतिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके द्वारा नागरिक देश के शासन में भाग ले सकते हैं। राजनीतिक स्वतन्त्रता की प्राप्ति से नागरिक शासन में भाग लेकर अपनी नागरिक स्वतन्त्रता की भी रक्षा करता है। परन्तु राजनीतिक स्वतन्त्रता का लाभ व्यक्ति को तभी प्राप्त होता है, यदि उसे आर्थिक स्वतन्त्रता भी प्राप्त हो। राजनीतिक स्वतन्त्रता का कोई अर्थ नहीं है, यदि वह आर्थिक स्वतन्त्रता के ढांचे पर आधारित न हो। आर्थिक स्वतन्त्रता का अर्थ है कि नागरिक को बेरोज़गारी तथा भूख से मुक्ति हो। जो व्यक्ति काम करना चाहता है, उसे काम मिलना चाहिए। लेनिन ने कहा था, “नागरिक स्वतन्त्रता आर्थिक स्वतन्त्रता के बिना निरर्थक है।”

आर्थिक स्वतन्त्रता के अभाव में नागरिक अपने मत के अधिकार का उचित प्रयोग नहीं करता। निर्धन व्यक्ति अपनी वोट को बेच डालता है जिससे शासन की बागडोर पूंजीपतियों के हाथों में चली जाती है। पूंजीपति शासन का प्रयोग मज़दूरों के शोषण के लिए किया जाता है। व्यक्ति को नौकरी ही प्राप्त नहीं होनी चाहिए, बल्कि नौकरी की सुरक्षा भी प्राप्त होनी चाहिए। जिस मज़दूर को नौकरी से निकाले जाने का भय बना रहे वह अपनी स्वतन्त्रता का आनन्द नहीं ले सकता और न ही स्वतन्त्रता से अपनी राजनीतिक स्वतन्त्रता का उपभोग कर सकता है। जिस समाज में अमीरों तथा ग़रीबों में भेद बहुत बड़ा होता है वहां स्वतन्त्रता का होना सम्भव नहीं है। अत: ठीक ही कहा जाता है कि राजनीतिक स्वतन्त्रता के लिए आर्थिक स्वतन्त्रता का होना आवश्यक है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 6 स्वतन्त्रता

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता का अर्थ लिखें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता शब्द को अंग्रेज़ी भाषा में लिबर्टी (Liberty) कहते हैं। लिबर्टी शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘लिबर’ (Liber) से निकला है जिसका अर्थ है पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा किसी प्रकार के बन्धनों का न होना। इस प्रकार स्वतन्त्रता का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए और उस पर कोई बन्धन नहीं होना चाहिए। परन्तु स्वतन्त्रता का यह अर्थ ग़लत है। स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ यह है कि व्यक्ति पर अन्यायपूर्ण तथा अनुचित प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिएं परन्तु उसे उन अवसरों की भी प्राप्ति होनी चाहिए जो उसके विकास में सहायक हैं।

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता को परिभाषित करो।
उत्तर-

  • सीले के अनुसार, “स्वतन्त्रता अति शासन का उलटा रूप है।”
  • गैटेल के अनुसार, “स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस सकारात्मक शक्ति से है जिससे उन बातों को करके आनन्द प्राप्त होता है जो करने योग्य हैं।”

प्रश्न 3.
स्वतन्त्रता के दो रूपों का वर्णन करें।
उत्तर-

  • नागरिक स्वतन्त्रता-नागरिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है जो व्यक्ति को संगठित समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त होती है।।
  • राजनीतिक स्वतन्त्रता-राजनीतिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके अन्तर्गत नागरिक को देश के शासन में भाग लेने का अधिकार प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता की रक्षा के दो उपाय लिखें।
उत्तर-

  1. लोकतन्त्र की स्थापना-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए लोकतन्त्र की स्थापना आवश्यक है।
  2. मौलिक अधिकारों की घोषणा–स्वतन्त्रता की सुरक्षा का सबसे अच्छा उपाय यह है कि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों तथा कर्त्तव्यों की घोषणा संविधान में कर दी जाए और संविधान लिखित तथा कठोर होना चाहिए जिससे इन्हें बदला न जा सके।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. स्वतन्त्रता (Liberty) शब्द की उत्पत्ति किस भाषा और शब्द से हुई है ?
उत्तर–स्वतन्त्रता (Liberty) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘लिबर’ (Liber) से हुई है।

प्रश्न 2. स्वतन्त्रता के नकारात्मक स्वरूप का क्या अर्थ है ?
उत्तर-पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा किसी प्रकार के बंधनों का न होना।

प्रश्न 3. स्वतन्त्रता के सकारात्मक स्वरूप का क्या अर्थ है ?
उत्तर-प्रत्येक व्यक्ति को उन कार्यों को करने का अधिकार है जिससे दूसरे व्यक्तियों को हानि न पहुंचे।

प्रश्न 4. स्वतन्त्रता की एक परिभाषा लिखो।
उत्तर-बर्नस के शब्दों में, “स्वतन्त्रता का अर्थ अपने व्यक्तित्व तथा योग्यताओं का पूर्ण विकास करना है।”

प्रश्न 5. स्वतन्त्रता के नकारात्मक पहलू के समर्थकों के नाम लिखें।
उत्तर-लॉक, एडम स्मिथ, हरबर्ट स्पैंसर, जे० एस० मिल आदि।

प्रश्न 6. स्वतन्त्रता के सकारात्मक पहलू के समर्थकों के नाम लिखें।
उत्तर-कांट, फिक्टे, ग्रीन, लॉस्की आदि।

प्रश्न 7. स्वतन्त्रता कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-(1) प्राकृतिक स्वतन्त्रता, (2) नागरिक स्वतन्त्रता, (3) राजनीतिक स्वतन्त्रता, (4) आर्थिक स्वतन्त्रता, (5) नैतिक स्वतन्त्रता, (6) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, (7) राष्ट्रीय स्वतन्त्रता।

प्रश्न 8. प्राकृतिक स्वतन्त्रता किसे कहते हैं ?
उत्तर-प्राकृतिक स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है जो मनुष्य को राज्य की उत्पत्ति से पूर्व प्राकृतिक अवस्था में प्राप्त थी।

प्रश्न 9. नागरिक स्वतन्त्रता किसे कहते हैं ?
उत्तर- नागरिक स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है जो संगठित समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त होती है।

प्रश्न 10. राजनीतिक स्वतन्त्रता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-राजनीतिक स्वतन्त्रता का तात्पर्य उस स्वतन्त्रता से होता है जिसके द्वारा नागरिक देश के शासन में भाग ले सकता है।

प्रश्न 11. आर्थिक स्वतन्त्रता का अर्थ बताओ।
उत्तर-लोगों को अपनी जीविका कमाने की स्वतन्त्रता हो तथा इसके लिए उन्हें उचित साधन तथा सुविधाएं प्राप्त हों।

प्रश्न 12. व्यक्तिगत स्वतन्त्रता किसे कहते हैं ?
उत्तर–जिसके द्वारा व्यक्ति को उन कार्यों को करने की स्वतन्त्रता हो जो उस तक ही सीमित हों तथा उसके कार्यों से किसी दूसरे व्यक्ति को हानि न पहँचे।

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प्रश्न 13. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-राज्य किसी देश के नियन्त्रण में न हो अर्थात् राज्य बाहरी रूप से स्वतन्त्र हो और प्रभुसत्ता उसके पास हो।

प्रश्न 14. स्वतन्त्रता की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-निरंकुश, अनैतिक, अन्यायपूर्ण प्रतिबन्धों का अभाव ही स्वतन्त्रता है।

प्रश्न 15. स्वतन्त्रता की रक्षा का एक उपाए बताएं।
उत्तर-स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए प्रजातन्त्र की स्थापना आवश्यक है क्योंकि प्रजातन्त्र में शक्ति का स्रोत जनता होती है।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. ……………….. स्वतन्त्रता का अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है, जो संगठित समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त होती है।
2. …………… स्वतन्त्रता से अभिप्राय उस स्वतन्त्रता से है, जिसके द्वारा नागरिक देश के शासन में भाग ले सकता है।
3. स्वतन्त्रता और ………….. परस्पर विरोधी न होकर सहयोगी हैं।
4. …………….. के अनुसार, ‘सतत् जागरूकता ही स्वतन्त्रता का मूल्य है।’
5. ‘स्वतन्त्रता पर निबंध’ पुस्तक ………….. ने लिखी।
उत्तर-

  1. नागरिक
  2. राजनीतिक
  3. समानता
  4. लॉस्की
  5. जे० एस० मिल।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. टी० एच० ग्रीन के अनुसार, “स्वतन्त्रता अतिशासन का उल्टा रूप है।”
2. स्वतन्त्रता और राज्य के कानून परस्पर विरोधी नहीं हैं। कानून स्वतन्त्रता को नष्ट नहीं करते बल्कि स्वतन्त्रता की रक्षा करते हैं।
3. नैतिक स्वतन्त्रता का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को देश के शासन में भाग लेने का अधिकार है।
4. व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अर्थ है कि राज्य किसी देश के नियंत्रण में न हो अर्थात् राज्य बाहरी रूप से स्वतन्त्र हो और प्रभुसत्ता राज्य के पास हो।
5. जहां कानून नहीं होता, वहां स्वतन्त्रता नहीं होती है।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. सही।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
नकारात्मक स्वतन्त्रता का अर्थ है
(क) पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा प्रतिबन्धों का अभाव होना।
(ख) सीमित स्वतन्त्रता।
(ग) स्वतन्त्रता प्रतिबन्धों के साथ।
(घ) स्वतन्त्रता पर थोड़े प्रतिबन्धों का होना।
उत्तर-
(क) पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा प्रतिबन्धों का अभाव होना।

प्रश्न 2.
यह किसने कहा, “स्वतन्त्रता का अर्थ उस वातावरण की उत्साहपूर्ण रक्षा करने से है जिससे मनुष्य कोअपने श्रेष्ठतम रूप की प्राप्ति का अवसर प्राप्त हो ?”
(क) लॉस्की
(ख) सीले
(ग) कोल
(घ) बर्नस।
उत्तर-
(क) लॉस्की

प्रश्न 3.
जो स्वतन्त्रता राज्य बनने से पहले विद्यमान थी, उसे-
(क) नागरिक स्वतन्त्रता कहते हैं
(ख) प्राकृतिक स्वतन्त्रता कहते हैं
(ग) आर्थिक स्वतन्त्रता कहते हैं
(घ) राजनीतिक स्वतन्त्रता कहते हैं।
उत्तर-
(ख) प्राकृतिक स्वतन्त्रता कहते हैं

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प्रश्न 4.
यह किसने कहा है, “मनुष्य स्वतन्त्र उत्पन्न होता है, परन्तु प्रत्येक स्थान पर वह बन्धन में बंधा हुआ है” ?
(क) रूसो
(ख) सीले
(ग) ग्रीन
(घ) बर्गेस।
उत्तर-
(क) रूसो

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