PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 33 सर्वोच्च न्यायालय

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 33 सर्वोच्च न्यायालय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 33 सर्वोच्च न्यायालय

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारत के उच्चतम न्यायालय का गठन किस प्रकार होता है ? भारत के उच्चतम न्यायालय के अधिकारों का वर्णन करो।
(How is the Supreme Court of India constituted ? Describe the powers of the Supreme Court.)
अथवा
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रचना, शक्तियों और कार्यों का वर्णन करो। (Discuss the composition, powers and functions of the Supreme Court of India.)
उत्तर-
केन्द्र तथा राज्यों के आपसी झगड़ों को निपटाने के लिए एक निष्पक्ष और स्वतन्त्र न्यायपालिका होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त हमारे देश में संविधान को सर्वोच्च कानून माना गया है और नागरिकों को भी मौलिक अधिकार दिए गए हैं। संविधान की रक्षा और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए स्वतन्त्र न्यायपालिका का और भी अधिक महत्त्व है। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने निष्पक्ष और स्वतन्त्र न्यायपालिका के महत्त्व को समझते हुए भारतीय सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था की। सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 124 में मिलती है।

रचना (Composition)-सर्वोच्च न्यायालय में पहले एक मुख्य न्यायाधीश और 7 अन्य न्यायाधीश होते थे। परन्तु दिसम्बर, 1977 में सर्वोच्च न्यायालय एक्ट में संशोधन करके सर्वोच्च न्यायालय की अधिकतम संख्या 17 निर्धारित की गई। अप्रैल, 1986 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या 17 से 25 कर दी गई। जनवरी, 2009 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 कर दी गई। अतः अब सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश हैं। वर्तमान समय में अल्तमस कबीर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। ।

न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment) संविधान के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों की सलाह लेता है जिन्हें वह उचित समझता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति के लिए मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेना अनिवार्य है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला (Decision of the Supreme Court with regard to the appointment of the Judges)—सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अक्तूबर, 1993 को एक महत्त्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय कार्यपालिका के मुकाबले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह को महत्त्व दिया जाएगा। 28 अक्तूबर, 1998 के सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने एक महत्त्वपूर्ण स्पष्टीकरण के तहत यह निर्धारित किया कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति में अपनी सिफ़ारिश देने से पूर्व मुख्य न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करना चाहिए। संविधान पीठ ने स्पष्ट किया है कि सलाहकार मण्डल की राय तथा मुख्य न्यायाधीश की राय जब तक एक न हो, तब तक सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए। परामर्श किए गए चार न्यायाधीशों में से यदि दो न्यायाधीश भी विपरीत राय देते हैं तो मुख्य न्यायाधीश को सरकार को सिफ़ारिश नहीं भेजनी चाहिए। विचार-विमर्श प्रक्रिया का पालन किए बिना मुख्य न्यायाधीश द्वारा दी गई सिफ़ारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं है।

योग्यताएं (Qualifications)-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निश्चित की गई हैं-

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह कम-से-कम 5 वर्ष तक किसी एक, दो या अधिक उच्च न्यायालयों का न्यायाधीश रह चुका हो, या
  • वह किसी एक, दो या उससे अधिक उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 10 वर्ष तक वकालत कर चुका हो, या
  • वह राष्ट्रपति की दृष्टि में कुशल विधिवेत्ता (Distinguished Jurist) हो।

कार्यकाल (Term of Office)–सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रहते हैं। उससे पहले वे स्वयं तो त्याग-पत्र दे सकते हैं, परन्तु राष्ट्रपति जब चाहे उन्हें उनके पद से नहीं हटा सकता। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि 65 वर्ष से पहले किसी न्यायाधीश को अपदस्थ किया ही नहीं जा सकता। उन्हें अयोग्यता तथा कदाचार के आधार पर पदच्युत किया जा सकता है। इसके लिए यह व्यवस्था की गई है कि संसद् के दोनों सदन अलगअलग बैठकर अपने समस्त सदस्यों के स्पष्ट बहुमत तथा उपस्थित एवं मत डालने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से किसी न्यायाधीश को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव पास कर दें तो ऐसा प्रस्ताव पास होने पर राष्ट्रपति सम्बन्धित न्यायाधीश को उसके पद से हटा देगा। 11 मई, 1993 को लोकसभा में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी० रामास्वामी के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास न हो सका क्योंकि कांग्रेस (इ) के सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया। प्रस्ताव के पक्ष में 196 मत पड़े जबकि प्रस्ताव पास होने के लिए 273 मतों की आवश्यकता थी।

वेतन तथा भत्ते (Salary and Allowances)—सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का मासिक वेतन 2,80,000 रुपए से और अन्य न्यायाधीशों का वेतन 2,50,000 रुपए है। इसके अतिरिक्त उन्हें एक नि:शुल्क निवासस्थान तथा यात्रा-भत्ता (जब कोई न्यायाधीश अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए यात्रा करता है) मिलता है। उनके वेतन तथा भत्ते भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं जिस पर संसद् को मतदान का अधिकार नहीं। उनके वेतन और भत्ते वैसे तो समय-समय पर संसद् द्वारा निश्चित किए जाते हैं, परन्तु उनके कार्यकाल में घटाए नहीं जा सकते। सेवानिवृत्त होने पर न्यायाधीशों को पैन्शन मिलती है।

रिटायर होने पर वकालत पर पाबन्दी (Prohibition of Practice after Retirement)-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रिटायर होने के पश्चात् किसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते, परन्तु आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सर्वोच्च न्यायालय के किसी रिटायर न्यायाधीश को कोई विशेष कार्य सौंप सकता है और न्यायाधीश को इस कार्य का वेतन दिया जाता है।

शपथ (Oath) सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को अपना पद सम्भालने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी अन्य अधिकारी के सामने अपने पद की शपथ लेनी पड़ती है।

स्थान (Seat of the Supreme Court)-संविधान के अनुसार इसका स्थान दिल्ली रखा गया है, परन्तु आवश्यकता पड़ने पर मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की स्वीकृति से अन्य स्थानों पर उसकी बैठक कर सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार तथा कार्य (Jurisdiction and Function of the Supreme Court)-

सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा और अन्तिम न्यायालय है और इसीलिए इसके अधिकार तथा शक्तियां बड़ी व्यापक हैं। इसकी शक्तियों और कार्यों को कई श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जोकि निम्नलिखित हैं :

1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction)-भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को कुछ मुकद्दमों में प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं अर्थात् कुछ मुकद्दमे ऐसे हैं जो सर्वोच्च न्यायालय में सीधे ले जाए जा सकते हैं। उन्हें इससे पहले किसी अन्य न्यायालय में ले जाने की आवश्यकता नहीं। अग्रलिखित मुकद्दमे सीधे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाए जा सकते हैं :-

  • भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच उत्पन्न झगड़े।
  • ऐसे झगड़े जिनमें भारत सरकार और राज्य एक तरफ हों तथा एक राज्य और कुछ राज्य दूसरी ओर।
  • ऐसे झगड़े जो दो या दो से अधिक राज्यों के बीच हों और जिनका सम्बन्ध संविधान या किसी कानून की व्यवस्था आदि से हो।
  • मौलिक अधिकारों के बारे में कोई भी मुकद्दमा सीधा सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी विवादों का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ही करता है।

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार (Appellate Jurisdiction)—जो मुकद्दमे सर्वोच्च न्यायालय में सीधे नहीं लाये जा सकते, वे अपील के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के सामने लाए जा सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय को राज्य न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलें सुनने का अधिकार है। ये अपीलें संवैधानिक, दीवानी और फ़ौजदारी तीनों प्रकार के मुकद्दमे में सुनी जा सकती हैं, परन्तु उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए सभी मामलों के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए कुछ शर्ते निश्चित हैं, जोकि निम्नलिखित हैं

(क) संवैधानिक मामलों में अपील (Appeal in Constitutional Cases)—संविधान के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि मुकद्दमे में संविधान को किसी धारा की व्यवस्था या कानून का कोई महत्त्वपूर्ण प्रश्न निहित है तो किसी भी मुकद्दमे में, चाहे वह दीवानी हो या फ़ौजदारी, छोटा हो या बड़ा उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकती है। यदि उच्च न्यायालय किसी मुकद्दमे में ऐसा प्रमाणपत्र देने से इन्कार कर दे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ही इस प्रकार की अनुमति (Certificate of Leave) देकर अपील करने की विशेष आज्ञा प्रदान कर सकता है।

(ख) दीवानी मुकद्दमे में अपील (Appeal in Civil Cases)—संविधान के द्वारा दीवानी मामलों में सर्वोच्च न्यायालयों द्वारा अपील सुने जाने की व्यवस्था है। किसी भी राशि का मुकद्दमा सर्वोच्च न्यायालय के पास आ सकता है, जब उच्च न्यायालय यह प्रमाण-पत्र दे दे कि मुकद्दमा सर्वोच्च नयायालय के सुनने के योग्य है। यह ऐसे मुकद्दमे की अपीलें सुन सकता है जबकि उच्च न्यायालय यह प्रमाण-पत्र दे कि मुकद्दमे में कोई कानूनी प्रश्न विवादग्रस्त है। यदि उच्च न्यायालय किसी दीवानी मामले में इस प्रकार का प्रमाण-पत्र न दे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं भी किसी व्यक्ति को अपील करने की विशेष आज्ञा दे सकता है। किसी दीवानी मुकद्दमे में संविधान की व्याख्या किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्न के निहित होने की दशा में भी सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

(ग) फ़ौजदारी मुकद्दमे में अपील (Appeal in Criminal Cases) निम्नलिखित कई प्रकार के फ़ौजदारी मुकद्दमों में भी उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है

  • यदि किसी फ़ौजदारी मुकद्दमे में निचले न्यायालय ने अभियुक्त को छोड़ दिया हो, परन्तु उच्च न्यायालय ने अपील में विमुक्ति के आदेश को रद्द करके अभियुक्त को मृत्यु-दण्ड दे दिया हो।
  • उच्च न्यायालय ने किसी निचले न्यायालय में चल रहे किसी मुकद्दमे को अपने पास निरीक्षण के लिए मंगवा लिया हो और अभियुक्त को दोषी ठहराकर मृत्यु-दण्ड दे दिया हो।
  • जिस मुकद्दमे में उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि मुकद्दमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील किए जाने के योग्य है।
  • सर्वोच्च न्यायालय किसी भी फ़ौजदारी मुकद्दमे में अपील करने की विशेष आज्ञा प्रदान कर सकता है।

3. संविधान की व्याख्या तथा रक्षा (Interpretation and Protection of the Constitution)-संविधान की व्याख्या तथा रक्षा करना भी सर्वोच्च न्यायालय का कार्य है। जब कभी संविधान की व्याख्या के बारे में कोई मतभेद उत्पन्न हो, तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या की जाती है और सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या को अन्तिम तथा सर्वोच्च माना जाता है। केवल संविधान की व्याख्या करना ही नहीं बल्कि इसकी रक्षा करना भी सर्वोच्च न्यायालय का कार्य है। यदि सर्वोच्च न्यायालय को यह विश्वास हो जाए कि संसद् द्वारा बनाया गया कानून या कार्यपालिका का आदेश संविधान का उल्लंघन करता है तो वह उस कानून या आदेश को असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकता है।

4. मौलिक अधिकारों के विषय में क्षेत्राधिकार (Jurisdiction regarding Fundamental Rights)—यह न्यायालय स्वतन्त्रताओं और मौलिक अधिकारों का रक्षक है। 32वें अनुच्छेद के अनुसार इसे यह शक्ति दी गई है कि यह आदेश या लेख जैसे बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), अधिकार-पृच्छा (Quo-warranto) और उत्प्रेषण लेख (Certiorari) जारी करके मौलिक अधिकारों को लागू करवा सकता है। परन्तु संकटकाल के समय में मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सहायता लेने के अधिकार को राष्ट्रपति स्थगित कर सकता है।

5. सलाहकारी शक्तियां (Advisory Powers)-राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्त्व के विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श कर सकता है, परन्तु राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श के अनुसार चले। यह परामर्श कोई निर्णय नहीं होता।

6. अपने निर्णयों के पुनर्निरीक्षण का अधिकार (Power to Review its own Decisions)-सर्वोच्च न्यायालय अपने निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकता है। सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य के मुकद्दमे में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि संसद् मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है। परन्तु 1967 में गोलकनाथ के मुकद्दमे में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि संसद् मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। 1973 के केशवानन्द भारती के मुकद्दमे में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद् मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।

7. एक अभिलेख न्यायालय (Court of Record)-सुप्रीम कोर्ट को एक अभिलेख न्यायालय माना गया है। इसकी समस्त कार्यवाही तथा निर्णय सदैव के लिए यादगार तथा प्रमाण के रूप में प्रकाशित किए जाते हैं तथा देश के समस्त न्यायालयों के लिए यह निर्णय न्यायिक दृष्टान्त (Judicial Precedents) के रूप में स्वीकार किए जाते हैं।

8. मुकद्दमे को स्थानान्तरित करने की शक्ति (Power Regarding Transference of Cases)-सर्वोच्च न्यायालय शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से भी किसी भी मुकद्दमे को एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में भेज सकता है।

9. विविध कार्य (Miscellaneous Functions) सर्वोच्च न्यायालय के पास कई प्रकार की विविध शक्तियां हैं-

  • यह अपना कार्य चलाने के लिए अपने पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय यह देखता है कि प्रत्येक न्यायालय में न्याय ठीक प्रकार हो रहा है अथवा नहीं।
  • संघीय लोक सेवा आयोग के सदस्यों तथा सभापति को पदच्युत करने का अधिकार तो राष्ट्रपति के पास है परन्तु राष्ट्रपति ऐसा तभी कर सकेगा जब सर्वोच्च न्यायालय उसकी जांच-पड़ताल करके उसको अपराधी घोषित कर दे।

क्षेत्राधिकार में विस्तार (Enlargement of Jurisdiction)–संसद् को अपने अधिनियम द्वारा निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार को विस्तृत करने का अधिकार है :

  • संघ सूची में दिया गया कोई भी मामला।
  • उच्च न्यायालयों के फैसलों के विरुद्ध फ़ौजदारी मामलों में अपीलीय क्षेत्राधिकार।
  • कोई भी मामला जो भारत सरकार और किसी भी राज्य सरकार के समझौते द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को दिया हो।
  • मूल अधिकारों को लागू करने के अतिरिक्त किसी और उद्देश्यों के लिए निर्देश, आदेश तथा लेख जारी करना।
  • सर्वोच्च न्यायालय को संविधान द्वारा सौंपे गए क्षेत्राधिकार को अच्छी प्रकार से प्रयोग करने के लिए ज़रूरी शक्ति।

सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति (Position of the Supreme Court)—इस विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस न्यायालय को संसार की सभी या संघात्मक सर्वोच्च न्यायालयों से अधिक शक्तियां प्राप्त हैं। श्री अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर ने कहा है, “हमारी सुप्रीम कोर्ट को जितनी शक्तियां दी गई हैं, उतनी अधिक संसार में किसी अन्य सुप्रीम कोर्ट को प्राप्त नहीं हैं।”

एम० वी० पायली (M.V. Pylee) ने सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति के बारे में लिखा है, “अपनी विभिन्न तथा व्यापक शक्तियों के कारण सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक क्षेत्र में एक सर्वश्रेष्ठ संस्था ही नहीं, बल्कि वह देश के संविधान तथा कानून का भी रक्षक है।” (“The combination of such wide and varied powers in the Supreme Court of India makes it not only the supreme authority in the judicial field but also the guardian of constitution and law of the land.”)

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 33 सर्वोच्च न्यायालय

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता की व्यवस्था के लिए किए गए तीन कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
लोकतन्त्रात्मक तथा संघीय शासन प्रणाली की सफलता के लिए एक स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका का होना अनिवार्य है। अतः संविधान निर्माताओं ने स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था के लिए संविधान में निम्नलिखित बातों का प्रबन्ध किया-

1. न्यायाधीशों की नियुक्ति-सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। परन्तु राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करने में स्वतन्त्र नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के जिन न्यायाधीशों की सलाह ठीक समझे, परामर्श ले सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति के लिए मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेना अनिवार्य है। अक्तूबर, 1993 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय दिया कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय कार्यपालिका सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह को महत्त्व देगी। 28 अक्तूबर, 1998 को सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया कि मुख्य न्यायाधीश को सलाह देने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से अवश्य विचार-विमर्श करना चाहिए। सलाहकार मण्डल की राय तथा मुख्य न्यायाधीश की राय जब तक एक न हो, तब तक सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए।

2. न्यायाधीशों की योग्यताएं-संविधान में सर्वोच्च न्यायालय तथा अन्य न्यायालयों के न्यायाधीशों की योग्यताओं का वर्णन किया गया है। राष्ट्रपति उन्हीं व्यक्तियों को न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है जिनके पास निश्चित योग्यताएं हों।

3. लम्बी अवधि-न्यायाधीशों को स्वतन्त्रता एवं निष्पक्षता के लिए लम्बी सेवा अवधि का होना अनिवार्य है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है जिसमें निम्नलिखित योग्यताएं हों

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह कम-से-कम पांच वर्ष तक एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के पद पर रह चुका हो।

अथवा

वह कम-से-कम 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का एडवोकेट रह चुका हो।

अथवा

वह राष्ट्रपति की दृष्टि में प्रसिद्ध कानून-विशेषज्ञ हो।

प्रश्न 3.
सर्वोच्च न्यायालय का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार बताएं।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय में कुछ मुकद्दमे सीधे ले जाए जा सकते हैं-

  • यदि केन्द्र या किसी एक राज्य या कई राज्यों के बीच कोई झगड़ा उत्पन्न हो जाए तो उसका निर्णय सर्वोच्च न्यायालय करता है।
  • यदि कुछ राज्यों के बीच किसी संवैधानिक विषय पर कोई झगड़ा उत्पन्न हो जाए तो वह झगड़ा भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही निपटाया जाता है।
  • मौलिक अधिकारों के बारे में कोई भी मुकद्दमा सीधा सर्वोच्च न्यायालय के सामने ले जाया जा सकता है।
  • यदि राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में कोई शंका या झगड़ा उत्पन्न हो जाए तो उसका निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ही करता है।

प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन तथा अन्य सुविधाएं बताएं।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रुपये मासिक तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है। वेतन के अतिरिक्त उन्हें कुछ भत्ते भी मिलते हैं। उन्हें रहने के लिए बिना किराये का निवास-स्थान भी मिलता है। उनके वेतन-भत्ते तथा दूसरी सुविधाओं में उनके कार्यकाल में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जा सकती तथापि आर्थिक संकटकाल की उद्घोषणा के दौरान न्यायाधीशों के वेतन आदि घटाए जा सकते हैं। सेवा निवृत्त (Retire) होने पर उन्हें पेंशन भी मिलती है।

प्रश्न 5.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय कैसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति यह समझे कि सरकार ने उसके मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया है या कोई कानून मौलिक अधिकार के विरुद्ध बनाया गया है तो वह सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है और सर्वोच्च न्यायालय कई प्रकार के अभिलेख जारी कर सकता है और किसी कानून को अवैध भी घोषित कर सकता है।

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प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संविधान का संरक्षक है। टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
संविधान भारत की सर्वोच्च विधि है और किसी भी व्यक्ति, सरकारी कर्मचारी अधिकारी अथवा सरकार का कोई अंग इसके विरुद्ध आचरण नहीं कर सकता। इसकी रक्षा करना सर्वोच्च न्यायालय का कर्त्तव्य है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय को विधानमण्डलों द्वारा बनाए गए कानूनों तथा कार्यपालिका द्वारा जारी किए गए आदेशों पर न्यायिक निरीक्षण (Judicial Review) का अधिकार प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय इस बात की जांच-पड़ताल तथा निर्णय कर सकता है कि कोई कानून या आदेश संविधान की धाराओं के अनुसार है या कि नहीं। यदि सर्वोच्च न्यायालय को यह विश्वास हो जाए कि किसी भी कानून से संविधान का उल्लंघन हुआ है तो वह उसे असंवैधानिक घोषित करके रद्द रक सकता है।

प्रश्न 7.
स्वतन्त्र न्यायपालिका क्या होती है ?
उत्तर-
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता का अर्थ है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधानपालिका के अधीन अपना कार्य न करे। विधानपालिका तथा कार्यपालिका को न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। न्यायाधीश तभी निष्पक्ष होकर न्याय कर सकते हैं जब उन पर किसी प्रकार का दबाव न हो। भारत में स्वतन्त्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है।

प्रश्न 8.
सर्वोच्च न्यायालय के तीन प्रकार के क्षेत्राधिकारों के नाम लिखें। इसके सलाहकारी क्षेत्राधिकार का वर्णन करें।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य तीन क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं-

  1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार।
  2. अपीलीय क्षेत्राधिकार।
  3. सलाहकारी क्षेत्राधिकार।

सलाहकारी क्षेत्राधिकार-राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्त्व के विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी सलाह ले सकता है। परन्तु राष्ट्रपति के लिए अनिवार्य नहीं है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श के अनुसार कार्य करे।

प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय का संगठन क्या है ? न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 अन्य न्यायाधीश हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों की सलाह लेता है जिन्हें वह उचित समझता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की सलाह अवश्य लेता है। 28 अक्तूबर, 1998 को सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया कि मुख्य न्यायाधीश को सलाह देने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करना चाहिए। सलाहकार मण्डल की राय तथा मुख्य न्यायाधीश की राय जब तक एक न हो, तब तक सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए।

प्रश्न 10.
सर्वोच्च न्यायालय के पांच अधिकारों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार
  2. अपीलीय क्षेत्राधिकार
  3. सलाहकारी क्षेत्राधिकार
  4. मौलिक अधिकारों का रक्षक
  5. न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति।

प्रश्न 11.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है ?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को संसद् महाभियोग द्वारा हटा सकती है। न्यायाधीश को अयोग्यता तथा कदाचार आधार पर पदच्युत किया जा सकता है। यदि संसद् के दोनों सदन अलग-अलग बैठ कर अपने समस्त सदस्यों के स्पष्ट बहुमत तथा उपस्थित एवं मत डालने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव पास कर दे तो ऐसा प्रस्ताव पास होने पर राष्ट्रपति सम्बन्धित न्यायाधीश को उसके पद से हटा देगा।

प्रश्न 12.
न्यायिक पुनर्निरीक्षण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
न्यायिक पुनर्निरीक्षण न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधानमण्डल के कानूनों तथा कार्यपालिका के आदेशों की जांच कर सकता है और यदि वे कानून अथवा आदेश संविधान के विरुद्ध हों तो उनको असंवैधानिक एवं अवैध घोषित कर सकते हैं। न्यायालय कानून की उन्हीं धाराओं को अवैध घोषित करते हैं जो संविधान के विरुद्ध होती हैं न कि समस्त कानून को। न्यायालय उन्हीं कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है जो उनके सामने मुकद्दमे के रूप में आते हैं।

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प्रश्न 13.
सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
संविधान का संरक्षक तथा संविधान की अन्तिम व्याख्या करने वाली संस्था होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति प्राप्त है। यदि कोई नागरिक समझता है कि केन्द्र सरकार या राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाया गया कोई कानून संविधान के विरुद्ध है तो वह नागरिक इस सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय को याचना कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय संसद् तथा राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाए गए कानूनों की छानबीन करता है और यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध हो तो वह उसको असंवैधानिक घोषित कर सकता है। 9 मई, 1980 को सर्वोच्च न्यायालय ने 42वें संशोधन एक्ट के उस खण्ड 55 को रद्द किया, जिसमें संसद् को संविधान में संशोधन करने के असीमित अधिकार दिए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकतर उन्हीं कानूनों को रद्द किया है जो अनुच्छेद 14, 19 तथा 31 (अनुच्छेद 31 को 44वें संशोधन द्वारा संविधान से निकाल दिया गया है) का उल्लंघन करते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं लिखें।
उत्तर-

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह कम-से-कम पांच वर्ष तक एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के पद पर रह चुका हो।

अथवा
वह कम-से-कम 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का एडवोकेट रह चुका हो।

अथवा
वह राष्ट्रपति की दृष्टि में प्रसिद्ध कानून-विशेषज्ञ हो।

प्रश्न 3.
सर्वोच्च न्यायालय के किन्हीं दो प्रारम्भिक क्षेत्राधिकारों को बताएं।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय में कुछ मुकद्दमे सीधे ले जाए जा सकते हैं

  • यदि केन्द्र या किसी एक राज्य या कई राज्यों के बीच कोई झगड़ा उत्पन्न हो जाए तो उसका निर्णय सर्वोच्च न्यायालय करता है।
  • यदि कुछ राज्यों के बीच किसी संवैधानिक विषय पर कोई झगड़ा उत्पन्न हो जाए तो वह झगड़ा भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही निपटाया जाता है।

प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन तथा अन्य सुविधाएं बताएं।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रुपये मासिक तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है। वेतन के अतिरिक्त उन्हें कुछ भत्ते भी मिलते हैं। उन्हें रहने के लिए बिना किराये का निवास-स्थान भी मिलता है।

प्रश्न 5.
सर्वोच्च न्यायालय के तीन प्रकार के क्षेत्राधिकारों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार ।
  2. अपीलीय क्षेत्राधिकार।
  3. सलाहकारी क्षेत्राधिकार।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय का संगठन क्या है ?
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 अन्य न्यायाधीश हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 7.
सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
संविधान का संरक्षक तथा संविधान की अन्तिम व्याख्या करने वाली संस्था होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति प्राप्त है। यदि कोई नागरिक समझता है कि केन्द्र सरकार या राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाया गया कोई कानून संविधान के विरुद्ध है तो वह नागरिक इस सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय को याचना कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय संसद् तथा राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाए गए कानूनों की छानबीन करता है और यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध हो तो वह उसको असंवैधानिक घोषित कर सकता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. सर्वोच्च न्यायालय का संगठन क्या है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश होते हैं। आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 अन्य न्यायाधीश हैं।

प्रश्न 2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कितनी आयु में सेवानिवृत्त होते हैं ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं।

प्रश्न 3. सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश होता है।

प्रश्न 4. सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था किस अनुच्छेद के अधीन की गई है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 124 में की गई है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 33 सर्वोच्च न्यायालय

प्रश्न 5. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कहां की गई है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना नई दिल्ली में की गई है।

प्रश्न 6. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या कौन निश्चित करती है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या संसद् निश्चित करती है।

प्रश्न 7. संविधान एवं मौलिक अधिकारों का संरक्षक किसे माना जाता है ?
उत्तर-संविधान एवं मौलिक अधिकारों का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय को माना जाता है।

प्रश्न 8. सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके परामर्श से की जाती है ?
उत्तर-मुख्य न्यायाधीश के।

प्रश्न 9. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों के वेतन बताओ।
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रु० मासिक तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रु० मासिक वेतन मिलता है।

प्रश्न 10. सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कोई एक योग्यता लिखें।
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 11. क्या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वकालत कर सकते हैं ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वकालत नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 12. उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में कौन वृद्धि कर सकता है ?
उत्तर-उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में संसद् वृद्धि कर सकती है।

प्रश्न 13. उच्च न्यायालयों के जजों के रिटायर होने की आयु कितनी है ?
उत्तर-62 वर्ष।

प्रश्न 14. उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कोई एक योग्यता लिखें।
उत्तर-उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक है कि वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 15. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को कौन हटा सकता है ?
उत्तर-उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को संसद् की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति हटा सकता है।

प्रश्न 16. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-राष्ट्रपति।

प्रश्न 17. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को प्रति मास कितना वेतन मिलता है ?
उत्तर-2,25,000 रु०।।

प्रश्न 18. उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को प्रति मास कितना वेतन मिलता है ?
उत्तर-2,50,000 रु०।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आरंभिक क्षेत्राधिकार,अपीलीय क्षेत्राधिकार तथा …………..
2. संविधान की व्याख्या तथा रक्षा करना ………….. का कार्य है।
3. सर्वोच्च न्यायालय संविधान के ……………… के अनुसार पांच प्रकार के लेख जारी कर सकता है।
4. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना …………… में की गई है।
उत्तर-

  1. सलाहकारी क्षेत्राधिकार
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. अनुच्छेद 32
  4. नई दिल्ली।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 51 में की गई है।
2. वर्तमान समय में सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 न्यायाधीश हैं।
3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
4. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रहते हैं।
5. संसद् सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को साधारण बहुमत से हटा सकती है।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत ।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसको संविधान का संरक्षक माना जाता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) सर्वोच्च न्यायालय
(ग) उच्च न्यायालय
(घ) संसद् ।
उत्तर-
(ख) सर्वोच्च न्यायालय ।

प्रश्न 2.
सर्वोच्च न्यायालय को कौन-सा अधिकार क्षेत्र प्राप्त नहीं है-
(क) प्रारम्भिक अधिकार क्षेत्र
(ख) अपीलीय
(ग) सलाहकारी
(घ) राजनीतिक।
उत्तर-
(घ) राजनीतिक।।

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प्रश्न 3.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कौन हटा सकता है-
(क) राष्ट्रपति
(ख) राज्यपाल
(ग) संसद्
(घ) प्रधानमन्त्री।
उत्तर-
(ग) संसद्।

प्रश्न 4.
न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति है-
(क) जिला न्यायालयों के पास
(ख) केवल उच्च न्यायालयों के पास
(ग) केवल सर्वोच्च न्यायालय के पास
(घ) सर्वोच्च व उच्च न्यायालय दोनों के पास।
उत्तर-
(घ) सर्वोच्च व उच्च न्यायालय दोनों के पास।

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