PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 13 संविधान और इसके प्रकार

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 13 संविधान और इसके प्रकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 13 संविधान और इसके प्रकार

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
संविधान शब्द की परिभाषा कीजिए। संविधान के विभिन्न प्रकार क्या हैं ?
(Define the term Constitution. What are the different kinds of Constitution ?)
उत्तर–
प्रत्येक राज्य का अपना एक संविधान होता है। संविधान उन नियमों तथा सिद्धान्तों का समूह होता है जिनके अनुसार शासन चलाया जाता हो। प्रत्येक राज्य का शासन कुछ निश्चित नियमों तथा सिद्धान्तों के अनुसार चलाया जाता है। अर्थात् प्रत्येक राज्य में कुछ ऐसे सिद्धान्त तथा नियम निश्चित कर लिए जाते हैं जिनके अनुसार शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है, उनको शक्तियां प्रदान की जाती हैं, उनके आपसी सम्बन्धों को नियमित किया जाता है तथा नागरिकों और राज्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं। इन नियमों के समूह को ही संविधान कहा जाता है। इसकी परिभाषा कई विद्वानों द्वारा की गई है-

प्रो० जैलिनेक (Jellinek) का कहना है कि, “संविधान उन नियमों का समूह है जो राज्य के सर्वोच्च अंगों को निर्धारित करते हैं, उनकी रचना, उनके आपसी सम्बन्धों, उनके कार्यक्षेत्र तथा राज्य में उनके वास्तविक स्थान को निश्चित करते हैं।”
(“The constitution is a body of juridicial rules which determine the supreme organs of the state, prescribe their modes of creation, their mutual relations, their sphere of action and finally the fundamental place of each of them in relation of the state.”)

वुल्ज़े (Woolsey) के अनुसार, “संविधान उन नियमों का समूह है जिनके अनुसार सरकार की शक्तियां, शासितों के अधिकार तथा इन दोनों के आपसी सम्बन्धों को व्यवस्थित किया जाता है।” (“A constitution is the collection of the principles according to which the powers of government, the rights of the governed and the relation between the two are adjusted.”)

डायसी (Dicey) का कहना है कि, “राज्य के संविधान में वे सब नियम सम्मिलित होते हैं जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में प्रभुसत्ता के वितरण या प्रयोग पर प्रभाव पड़ता है।” (“The constitution of the state consists of all rules which directly or indirectly affect the distribution or exercise of sovereign power in the state.”)

ब्राइस (Bryce) का कहना है कि, “किसी राज्य के संविधान में वे कानून या नियम सम्मिलित होते हैं जिनके अनुसार सरकार के स्वरूप तथा इसके नागरिकों के प्रति अधिकारों तथा कर्तव्यों और नागरिकों के इसके प्रति अधिकारों तथा कर्तव्यों को निश्चित किया जाता है।” (“The constitution of a state consists of those rules or laws which determines the form of its government and the respective rights and duties of it towards its citizens and of the citizens towards government.”)

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प्रो० गिलक्राइस्ट (Gilchrist) के शब्दों में, “राज्य का संविधान लिखित या अलिखित कानूनों या नियमों का वह समूह है जो सरकार के संगठन, सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों के वितरण और शक्ति-प्रयोग के सामान्य नियमों को निश्चित करता है।” (“The constitution of a state is that body of rules of laws, written or unwritten, which determine the organisation of government, the distribution of powers of the various organs of government and the general principles on which these powers are to be exercised.”)

गैटल (Gettell) का कहना है कि, “संविधान उन नियमों का संग्रह है जिनके द्वारा सरकार और उसके नागरिकों के कानूनी सम्बन्धों को निश्चित किया जाता है और जिनके अनुसार राज्य की शक्ति का प्रयोग होता है।” (“The constitution is a collection of norms by which the legal relations between the government and its subjects are determined and in accordance with which the power of the state is exercised.”)

ऑस्टिन (Austin) ने कहा है कि, “संविधान वह है जो सर्वोच्च शासन के ढांचे को निश्चित करता है।” (“The constitution is that which fixes the structure of the supreme government.”)
ऊपर दी गई इन विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर संविधान की सरल परिभाषा इस प्रकार कर सकते हैं कि राज्य का संविधान राज्य का वह सर्वोच्च कानून है, जिसके अनुसार वहां की सरकार का स्वरूप, सरकार के विभिन्न अंगों और उनकी रचना, उनकी शक्तियां, उनके आपसी सम्बन्ध, राज्य और व्यक्तियों के आपसी सम्बन्धों तथा नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निश्चित किया जाता है। संविधान में मुख्यतः पांच बातों का वर्णन होता है-

  1. सरकार का स्वरूप।
  2. सरकार के अंगों की रचना और उनके आपसी सम्बन्ध ।
  3. सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियां।
  4. नागरिकों और राज्य के आपसी सम्बन्ध अथवा नागरिकों के अधिकार तथा कर्त्तव्य।
  5. राज्य की नागरिकता व भू-क्षेत्र सम्बन्धी कानून।

संविधानों का वर्गीकरण (Classification of Constitutions)-
सभी राज्यों के संविधान एक से नहीं होते। प्रत्येक राज्य में वहां की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक परिस्थितियों तथा लोगों की राजनैतिक विचारधारा के अनुसार वहां का संविधान निश्चित होता है। प्रत्येक राज्य के mising

(1) विकसित संविधान तथा निर्मित संविधान (Evolved Constitution and Enacted Constitution) संविधान की रचना किस प्रकार हुई है, इसके आधार पर संविधान दो तरह के होते हैं-

(क) विकसित संविधान (Evolved Constitution)—जो संविधान ऐतिहासिक उपज या विकास का परिणाम हो, उसे विकसित संविधान कहा जाता है। यह संविधान किसी एक समय में किसी एक व्यक्ति या सभा द्वारा जानबूझ कर नहीं बनाया जाता बल्कि उसके नियम इतिहास के साथ-साथ ही सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार, रीतिरिवाज़ों और परम्पराओं के आधार पर बनते तथा विकसित होते हैं। इसके बनाने के लिए कोई संविधान सभा नहीं बुलाई जाती बल्कि संविधान की विभिन्न बातें समय-समय पर निश्चित होती चली जाती हैं। इंग्लैण्ड का संविधान ऐसे संविधान का सर्वोत्तम उदाहरण है। इंग्लैण्ड में आज तक कोई संविधान सभा संविधान बनाने के लिए नहीं बनाई गई है।

(ख) निर्मित संविधान (Enacted Constitution) निर्मित संविधान वह संविधान है जो किसी एक ही समय में किसी एक व्यक्ति, समिति या संविधान सभा के द्वारा निर्मित किया जाए। ऐसे संविधान का निर्माण इसी उद्देश्य के लिए बुलाई गई संविधान सभा के द्वारा किया जाता है। इसका यह अर्थ नहीं कि एक बार बनने के बाद इसमें कोई संशोधन नहीं हो सकता। बाद में इसकी धाराओं में समय-समय पर संशोधन होता रहता है। इसकी समस्त बातें सोचसमझ कर निश्चित की जाती हैं। भारत का संविधान निर्मित संविधान है। अधिकतर राज्यों के संविधान निर्मित हैं।

(2) लिखित संविधान तथा अलिखित संविधान (Written Constitution and Unwritten Constitution)
(क) लिखित संविधान (Written Constitution)-लिखित संविधान उसे कहा जाता है जिसके लगभग सभी नियम लिखित रूप में उपलब्ध हों। लिखित संविधान प्रायः निर्मित होता है जिसका निर्माण किसी संविधान सभा के द्वारा एक ही समय में काफ़ी सोच-विचार के बाद किया जाता है। लिखित संविधान को बनाते हुए शब्दों का प्रयोग इस प्रकार किया जाता है कि वे इस उद्देश्य को पूरी तरह से स्पष्ट कर दें जिस उद्देश्य के लिए वे लिखे जा रहे हैं। लिखित संविधान देश का सर्वोच्च कानून और एक पवित्र वस्तु माना जाता है। संविधान में इस बात का भी स्पष्ट वर्णन किया जाता है कि उसमें किस प्रकार संशोधन किया जा सकता है। इसके संशोधन का तरीका प्रायः साधारण कानून बनाने के तरीकों से भिन्न और कठोर होता है। भारत, अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान आदि अधिकतर राज्यों के संविधान लिखित हैं।

(ख) अलिखित संविधान (Unwritten Constitution)—अलिखित संविधान उसे कहते हैं जिसकी धाराएं लिखित रूप में न हों बल्कि शासन संगठन अधिकतर रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं पर आधारित हो। अलिखित संविधान पूर्णतः अलिखित नहीं होता, उसका कुछ अंश लिखित रूप में भी मिलता है। संसद् द्वारा समय-समय पर बनाए गए कानून और न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय, जो शासन संगठन से सम्बन्धित हों, अलिखित संविधान का एक भाग होते हैं। अलिखित संविधान विकसित होता है, निर्मित नहीं होता। इंग्लैण्ड का संविधान अलिखित संविधान का एक उदाहरण है। वहां सरकार का संगठन और व्यक्ति तथा राज्य के आपसी सम्बन्ध रीति-रिवाजों तथा परम्पराओं पर आधारित हैं।

(3) लचीला संविधान तथा कठोर संविधान (Flexible Constitution and Rigid Constitution)संविधान में संशोधन कैसे किया जा सकता है, इस बात के आधार पर भी संविधान दो प्रकार के होते हैं-लचीला या परिवर्तनशील संविधान तथा कठोर या अपरिवर्तनशील संविधान।

(क) लचीला या परिवर्तनशील संविधान उसे कहा जाता है कि जिसमें आसानी से संशोधन या परिवर्तन किया जा सके। जिस साधारण तरीके से संसद् साधारण कानून बनाती है, उसी साधारण तरीके से संविधान में बड़े से बड़ा परिवर्तन भी किया जा सकता है अर्थात् संवैधानिक कानून (Constitution Law) को बनाते समय संसद् को किसी विशेष तरीके को अपनाने की आवश्यकता नहीं होती। प्रो० बार्कर का कहना है कि जब किसी सरकार का रूप जनता या उसके प्रतिनिधियों की इच्छानुसार आसानी से बदला जा सकता है तो उसे लचीला संविधान कहा जाता है। ऐसे संविधान में संसद् को कानून बनाने की असीमित शक्ति प्राप्त होती है। इंग्लैण्ड का संविधान लचीला है। वहां की संसद् संविधान के बारे में कोई भी कानून बिल्कुल साधारण तरीके से पास कर सकती है।

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(ख) कठोर या अपरिवर्तनशील संविधान उसे कहा जाता है कि जिसे आसानी से बदला न जा सके। जब साधारण कानून के बनाने के तरीके और संविधान में संशोधन करने के तरीके में अन्तर हो अर्थात् संशोधन करने का तरीका कठिन हो तो उसे कठोर संविधान कहा जाता है। साधारण कानून बनाने वाली सत्ता संविधान का संशोधन नहीं कर सकती बल्कि कोई दूसरी ही सत्ता इसमें संशोधन करती है। कठोर संविधान को राज्य का सर्वोच्च कानून माना जाता है। संघात्मक राज्यों के संविधान प्रायः निर्मित, लिखित तथा कठोर होते हैं। अमेरिका का संविधान कठोर है जिसमें संशोधन करने के लिए संसद् के दोनों सदनों का 2/3 बहुमत और कम-से-कम 3/4 राज्यों का समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है। भारत का संविधान भी कठोर है।

प्रश्न 2.
‘लचीले’ तथा ‘कठोर’ संविधान में भेद बताओ।
(Distinguish between “Flexible” and “Rigid” Constitutions.)
उत्तर–
प्रत्येक राज्य का अपना संविधान होता है। संविधान उन नियमों और सिद्धान्तों का संग्रह होता है जिनके अनुसार सरकार का स्वरूप, सरकार का संगठन, सरकार की शक्तियों, नागरिकों के अधिकार निश्चित होते है। संविधान कई प्रकार के होते हैं जैसे कि विकसित व निर्मित संविधान, लिखित व अलिखित संविधान तथा लचीले व कठोर संविधान । लचीले और कठोर संविधान का भेद संविधान में संशोधन के तरीके के आधार पर है।

लचीला या परिवर्तनशील संविधान (Flexible Constitution)-
लचीला संविधान उसे कहा जाता है जिसे आसानी से बदला जा सकता हो। लचीलने संविधान को देश की संसद् या व्यवस्थापिका साधारण तरीके से बदल सकती है तथा उसके लिए किसी विशेष तरीके को अपनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। संवैधानिक कानून और साधारण कानून में कोई विशेष अन्तर नहीं रहता तथा साधारण कानून जितनी आसानी से पास हो जाता है उसी प्रकार से संवैधानिक कानून भी पास हो जाता है। प्रो० बार्कर (Barker) का कहना है कि जब संविधान में परिवर्तन जनता या उसके प्रतिनिधियों की इच्छानुसार आसानी से किया जा सके तो उसे लचीला संविधान कहा जाता है।

लचीले संविधान वाले राज्य में कानून बनाने वाली सत्ता और संविधान में संशोधन करने वाली सत्ता में कोई अन्तर नहीं होता और इस प्रकार व्यवस्थापिका को कानून बनाने की अपार शक्ति प्राप्त होती है। प्रो० डायसी (Dicey) का कहना है कि “लचीले संविधान में हर प्रकार का कानून एक ही सत्ता द्वारा एक ही तरीके से आसानी से बदला जा सकता है।” इंग्लैंड का संविधान एक लचीला संविधान है। ब्रिटिश संसद् किसी भी प्रकार कानून बना सकती है और किसी भी कानून को अपनी इच्छानुसार आसानी से बदल सकती है। ब्रिटिश संसद् संवैधानिक कानून उसी साधारण तरीके से पास कर सकती है जिस तरह से दूसरे साधारण कानून । ऐसा कोई कानून नहीं जिसे ब्रिटिश संसद् बना न सकती हो या जिसमें परिवर्तन न कर सकती हो।

कठोर संविधान (Rigid Constitution)-
जिस संविधान को आसानी से न बदला जा सकता हो तथा उसे बदलने के लिए किसी विशेष तरीके को अपनाना पड़ता हो, उसे कठोर संविधान या परिवर्तनशील संविधान कहा जाता है। कठोर संविधान में संविधान को बदलने वाली सत्ता और साधारण कानून बनाने वाली सत्ता में अन्तर होता है तथा साधारण कानून के बनाने के तरीके और संविधान में संशोधन के तरीके में भी अन्तर होता है। कठोर संविधान में संसद् को असीमित शक्ति प्राप्त नहीं होती बल्कि उसकी वैधानिक शक्तियां संविधान द्वारा सीमित होती हैं। इसके अतिरिक्त संसद् के बनाए कानूनों पर न्यायपालिका को पुनर्निरीक्षण (Judicial Review) का अधिकार होता है। कठोर संविधान की व्यवस्था संघात्मक शासन प्रणाली में अवश्य की जाती है ताकि संविधान को केन्द्र या इकाइयां कोई भी अपनी इच्छा से संशोधन न कर सकें बल्कि दोनों की सहमति से ही उसमें परिवर्तन हो सके।

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान एक कठोर संविधान है। वहां संविधान में संशोधन करने का तरीका साधारण कानून बनाने के तरीके से भिन्न है। संविधान में संशोधन का प्रस्ताव जब संसद् के दोनों सदनों में 2/3 बहुमत से पास हो जाए तो उसे राज्यों के पास भेजा जाता है। उस प्रस्ताव को उसी समय पास समझा जा सकता है जबकि कम-से-कम 3/4 राज्यों के विधानमण्डल उस पर अपनी स्वीकृति दे दें। संशोधन का प्रस्ताव 2/3 राज्यों के द्वारा भी पेश किया जा सकता है, जिसके आधार पर अमेरिकन संसद् एक सभा (Convention) बुलाती है । यदि वह सभा 2/3 बहुमत से उसे पास कर दे तो फिर 3/4 राज्यों का समर्थन मिलने पर ही वह संशोधन पास समझा जाता है तथा उसके बाद ही लागू हो सकता है। भारत का संविधान भी आंशिक रूप से कठोर है। इसकी महत्त्वपूर्ण धाराओं को बदलने के लिए संशोधन का प्रस्ताव पहले संसद् के दोनों सदनों 2/3 बहुमत से पास हो जाना चाहिए और इसके बाद कम-से-कम आधे राज्यों का समर्थन उसे मिलना चाहिए। साधारण कानून तो संसद् के दोनों सदनों के द्वारा साधारण बहुमत से पास होता है। इस प्रकार कठोर संविधान को आसानी से और साधारण तरीके से बदला नहीं जा सकता।

लचीले और कठोर संविधान में भेद को बताते हुए ब्राइस (Bryce) ने कहा है कि “लचीला संविधान वह संविधान है जिसमें परिवर्तन आसानी से तथा साधारण कानून निर्माण क्रिया के अनुसार ही हो सकते हैं। इसके विपरीत कठोर संविधान वह संविधान है जिसके संविधान का एक विशेष तरीका होता है।” अर्थात् संशोधन के तरीके के आधार पर ही लचीले और कठोर संविधान में भेद है, किसी दूसरे आधार पर नहीं।

प्रश्न 3.
लचीले संविधान के गुण तथा दोष लिखो।
(Describe merits and demerits of Flexible Constitution.)
उत्तर-
लचीले संविधान के गुण (Merits of Flexible Constitution)-
लचीले संविधान के निम्नलिखित गुण हैं-

1. यह समय के अनुसार बदलता जाता है (It changes according to time) लचीले संविधान का एक गुण तो यह है कि यह समयानुसार बदलता रहता है। इसमें संशोधन करने में कठिनाई नहीं होती और इसलिए समाज की बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार, समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इसमें आवश्यक परिवर्तन किए जा सकते हैं। इस प्रकार राज्य का संविधान समाज के इतिहास का प्रतिबिम्ब बन जाता है जिसके द्वारा हम समाज की किसी भी समय की सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक दशा को बड़ी आसानी से जान सकते हैं। इस प्रकार ‘लचीला संविधान’ समय की आवश्यकताओं का उचित ढंग से पूरा कर सकता है।

2. क्रान्ति की कम सम्भावनाएं (Less possibilities of revolution)-जिस देश में लचीला संविधान हो, वहां क्रान्ति और विद्रोह की सम्भावना नहीं रहती। संविधान लोगों की इच्छा के अनुसार आसानी से बदल जाता है, जिसके बदलने के लिए लोगों को न तो कोई विशेष तरीका अपनाने की आवश्यकता होती है और न ही उसके बदलने में किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। शासन के स्वरूप को बदलने के लिए लोगों को क्रान्ति का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती। जनता जब चाहे संविधान को बदल सकती है।

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3. यह राष्ट्र की प्रगति के साथ-साथ विकास करता है (It develops with the development of the Nation) लचीले संविधान का एक गुण यह भी है कि ऐसा संविधान राष्ट्र की प्रगति के साथ-साथ आगे बढ़ता है और सभ्यता के विकास में सहायता देता है, उसकी प्रगति में बाधा उत्पन्न नहीं करता। जब राष्ट्र आगे बढ़ता है तो संविधान उसके अनुकूल अपने आपको ढाल लेता है और इस प्रकार राष्ट्र को आगे बढ़ने में और अधिक सहायता देता है।

4. लचीला संविधान संकटकाल में सहायक रहता है (Flexible Constitution is helpful in the times of emergency) लचीले संविधान का एक लाभ यह है कि संकटकाल में सहायता देता है। संकटकालीन स्थिति का सामना करने के लिए संविधान में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है। संकट की स्थिति साधारण शासन-व्यवस्था से दूर नहीं की जा सकती। संविधान को संशोधित करके सरकार को असाधारण शक्तियां देकर उस संकट का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है। ऐसा करना कठोर संविधान को खींचकर और मोड़कर, शासन व्यवस्था को भंग किए बिना परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है और जब आपत्ति टल जाए तो संविधान अपनी पहेली परिस्थिति में आ जाता है जैसे किसी पेड़ की टहनियां किसी गाड़ी के गुजरने के बाद अपने स्थान पर वापस आ जाती हैं।

लचीले संविधान के दोष
(Demerits of Flexible Constitution)-

लचीले संविधान में दोष भी बहुत से हैं जिनका वर्णन नीचे किया गया है-

1. यह स्थिर नहीं होता (It is not Stable) लचीले संविधान का एक दोष यह है कि इसमें स्थिरता नहीं होती। लचीला संविधान जल्दी-जल्दी बदलता रहता है। संविधान में जल्दी-जल्दी परिवर्तन होने के कारण शासन ठीक प्रकार से नहीं चल सकता। शासन में दृढ़ता का आना ऐसी स्थिति में सम्भव नहीं।

2. यह राजनैतिक दलों के हाथ में खिलौना बन जाता है (It becomes a plaything in the hands of political parties)–लचीले संविधान में यह भी दोष है कि वह राजनैतिक दलों के हाथों में एक खिलौना बनकर रह जाता है। जो भी राजनैतिक दल संसद् में बहुमत प्राप्त कर लेता है, वह उसको अपनी इच्छानुसार बदलने का प्रयत्न करता है। कई बार तो बहुमत दल इस प्रकार बदलने का प्रयत्न करता है जिससे उस दल को भविष्य में लाभ पहुंचता रहे, चाहे राष्ट्र को उससे हानि ही क्यों न हो। दलबन्दी की भावना के प्रभाव में आकर जब संविधान में कोई परिवर्तन किया जाता है तो उससे शासन व्यवस्था में अस्त-व्यस्तता का आना स्वाभाविक है।

3. संघात्मक राज्य के लिए यह उपयुक्त नहीं है (It is not suitable for a federation)-संघात्मक राज्य के लिए लचीला संविधान उपयुक्त नहीं है क्योंकि संघात्मक राज्य में संघ तथा प्रान्तों में शक्तियों का बंटवारा होता है और किसी को भी दूसरे की शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं दिया जा सकता। संघात्मक राज्य के लिए कठोर संविधान ही ठीक रहता है।

4. यह संविधान पिछड़े हुए देशों के लिए उपयुक्त नहीं (It is not suitable for undeveloped countries)लचीला संविधान उसी देश के लिए उपयुक्त हो सकता है जो विकसित हो, जहां नागरिकों में राजनैतिक शिक्षा का अभाव न हो तथा नागरिकों में राष्ट्र हित की भावनाएं विकसित हों। जिस देश के नागरिक स्वार्थी हों और साम्प्रदायिकता आदि के
चक्कर में पड़े हुए हों वहां कठोर संविधान ही ठीक रहता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति संविधान को अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए बदलने का प्रयत्न करता है।

प्रश्न 4.
कठोर संविधान के गुण और दोषों की व्याख्या करें।
(Discuss merits and demerits of Rigid Constitution.)
उत्तर
कठोर संविधान के गुण (Merits of Rigid Constitution)-
कठोर संविधान के निम्नलिखित गुण हैं-

1. यह स्थिर होता है (It is stable)-कठोर संविधान की यह एक विशेषता है कि यह स्थिर होता है। इसमें सोचसमझ कर ही शासन के स्वरूप, सरकार के संगठन और शक्तियों तथा नागरिकों के अधिकारों का वर्णन किया जाता है, जो सभी परिस्थितियों में उचित रूप से लागू हो सकें, इसलिए यह काफ़ी समय तक चलता है और इससे राजनैतिक निरन्तरता प्राप्त होती है।

2. यह राजनैतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता (It does not become a plaything in the hands of political parties) कठोर संविधान की यह एक विशेषता है कि यह राजनैतिक दलों के हाथों में खिलौना नहीं बनता क्योंकि कोई भी दल आसानी से इसमें संशोधन नहीं करवा सकता। छोटी-छोटी बात पर बहुमत दल इसमें परिवर्तन करके इसे अपने हितों की पूर्ति के लिए तरोड़-मरोड़ नहीं सकते।

3. यह संघात्मक राज्य के लिए लाभदायक है (It is useful for a federation)—संघात्मक राज्य के लिए कठोर संविधान बड़ा आवश्यक है। यदि संविधान कठोर न हो तो इस बात की सम्भावना रहती है संघ सरकार इकाइयों (units) की शक्तियों पर हस्तक्षेप न करने लगे।

4. यह लोगों के अधिकारों और स्वतन्त्रता की रक्षा करता है (It protects the rights and liberties of the individuals)-कठोर संविधान का यह भी एक लाभ है कि इसके द्वारा लोगों के अधिकारों और स्वतन्त्रता की रक्षा अच्छी प्रकार से हो सकती है। आजकल नागरिकों के अधिकार संविधान में लिख दिये जाते हैं और ऐसी व्यवस्था भी की जाती है कि कोई उनमें हस्तक्षेप न कर सके । संविधान मे लिखे अधिकारों से नागरिकों को आसानी से वंचित नहीं किया जा सकता।

5. यह शासन की निरंकुशता को रोकता है (It prevents the absolutism of the government) कठोर संविधान का एक यह भी लाभ है कि वह शासन को निरंकुश नहीं होने देता। कठोर संविधान द्वारा सरकार के सभी अंगों पर सीमाएं लगाई जाती हैं और उनकी शक्तियों को स्पष्ट रूप से निश्चित किया जाता है। कठोर संविधान में इस बात की सम्भावना नहीं रहती कि सरकार अपनी शक्ति का अपनी इच्छानुसार मनमाने तरीके से प्रयोग करे।

कठोर संविधान के दोष (Demerits of Rigid Constitution)-
कठोर संविधान के दोष भी कई हैं, जिनकी व्याख्या नीचे दी गई है-

1. यह समयानुसार बदलता नहीं (It does not change according to time) कठोर संविधान का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह समयानुसार नहीं बदलता। इससे शासन अच्छी तरह से नहीं चल सकता। कई बार संविधान में आवश्यक संशोधन भी समय पर नहीं हो पाता जिसका परिणाम यह होता है कि परिस्थितियां सुधरने की बजाय और भी बिगड़ती चली जाती हैं।

2. यह क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है (It encourages revolution)-कठोर संविधान का एक दोष यह भी है कि यह क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है। यह बदलती हुई परिस्थितियों के साथ नहीं चल सकता और इस कारण लोगों की आवश्यकताओं को भी अच्छी तरह से पूरा नहीं कर सकता। जब लोग इसे आसानी से नहीं बदल सकते, तो वे इसके लिए क्रान्ति का सहारा लेते हैं। लोग यह समझने पर मजबूर हो जाते हैं कि अब क्रान्ति के अतिरिक्त कोई ओर चारा ही नहीं।

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3. यह राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालता है (It puts an obstacle in the development of the Nation)कठोर संविधान को इस कारण भी अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि यह राष्ट्र की प्रगति में वक उत्पन्न करता है। राष्ट्र आगे बढ़ना चाहता है, तो संविधान उसे ऐसा करने से रोकने का प्रयत्न करता है। कठोर संविधान राष्ट्र को उन्हीं परिस्थितियों तथा दशाओं में हमेशा के लिए रखने का प्रयत्न करता, जिनमें कि उसका निर्माण हुआ था। कठोर संविधान प्रगतिशील राजनैतिक विचारधारा को प्रोत्साहित नहीं करता।

4. कठोर संविधान जजों के हाथ में एक खिलौना होता है (It is a plaything in the hands of judges)लचीला संविधान राजनीतिक दलों के हाथ का खिलौना बनता है तो कठोर संविधान जजों और वकीलों के हाथ में एक खिलौना बन जाता है। कठोर संविधान के होने का अर्थ है-न्यायपालिका की सर्वोच्चता। कठोर संविधान की व्याख्या करने, उसकी रक्षा करने, संघ तथा राज्यों के झगड़ों को निपटाने, संविधान के विरुद्ध कानूनों को रद्द करने आदि के सब अधिकार न्यायपालिका के पास होते हैं। इस कारण संविधान वह नहीं होता जोकि उसके निर्माताओं ने बनाया है बल्कि संविधान वह होता है जोकि न्यायाधीश बनाते हैं अर्थात् न्यायपालिका कई बार संविधान का एक नया ही रूप जनता के सामने रखती है।

5. यह संकटकाल में ठीक नहीं रहता (It is not suitable for emergency)-आपत्ति के समय में कठोर संविधान ठीक नहीं रहता क्योंकि आपत्ति का सामना करने के लिए उसमें आवश्यक परिवर्तन आसानी से नहीं किया जा सकता। इससे शासक परिस्थितियों का ठीक प्रकार से सामना नहीं कर पाते । संकटकाल में सरकार के पास विशेष शक्तियों का होना आवश्यक है। शान्ति के समय में सरकार के पास साधारण शक्तियां होती हैं। इसलिए संविधान में संकटकाल में संशोधन एकदम हो जाना चाहिए जोकि एक कठोर संविधान में सम्भव नहीं होता।

6. कठोर संविधान कुछ समय बाद महत्त्वहीन हो जाता है (Rigid Constitution after sometime becomes a thing of the past)-कठोर संविधान का एक दोष यह भी है कि यह कुछ समय बाद महत्त्वहीन बन जाता है। संविधान की बातें उस समय के अनुसार होती हैं जबकि वह बनाया गया हो। समय परिवर्तन के कारण यदि उसमें परिवर्तन नहीं होता तो उसका कोई महत्त्व नहीं रहता और लोग उसे आदर की दृष्टि से नहीं देखते।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान का क्या अर्थ है ? इसकी दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
संविधान ऐसे नियमों तथा सिद्धान्तों का समूह है, जिसके अनुसार शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है, उनको शक्तियां प्रदान की जाती हैं, उनके आपसी सम्बन्धों को नियमित किया जाता है तथा नागरिकों और राज्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं। इन नियमों के समूह को ही संविधान कहा जाता है।

परिभाषाएं-

  • ब्राइस के अनुसार, “किसी राज्य के संविधान में वे कानून या नियम सम्मिलित होते हैं, जिनके अनुसार सरकार के स्वरूप तथा इसके नागरिकों के प्रति अधिकारों तथा कर्तव्यों और नागरिकों के इसके प्रति अधिकारों तथा कर्तव्यों को निश्चित किया जाता है।”
  • गिलक्राइस्ट के अनुसार, “राज्य का संविधान लिखित कानूनों या नियमों का वह समूह है, जो सरकार के संगठन, सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों का वितरण और शक्ति प्रयोग के सामान्य नियमों को निश्चित करता है।”

प्रश्न 2.
अलिखित संविधान के चार गुण लिखिए।
उत्तर-

  1. यह समयानुसार बदलता रहता है-अलिखित संविधान का अर्थ यह है कि संविधान समय की परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
  2. इतिहास का स्पष्ट चित्रण-अलिखित संविधान देश के इतिहास का स्पष्ट चित्रण करता है।
  3. क्रान्ति का भय नहीं होता-अलिखित संविधान के होने से क्रान्ति का भय नहीं होता। संविधान में आसानी से परिवर्तन हो जाता है। जनता को इसमें परिवर्तन करवाने के लिए क्रान्ति का सहारा नहीं लेना पड़ता।
  4. राष्ट्र की प्रगति में सहायक-अलिखित संविधान का एक लाभ यह है कि वह राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न नहीं करता बल्कि उसकी प्रगति में सहायक सिद्ध होता है।

प्रश्न 3.
अलिखित संविधान के चार दोष बताइए।
उत्तर-
अलिखित संविधान को निम्नलिखित बातों के आधार पर दोषपूर्ण बताया जाता है-

  1. यह निश्चित और अस्पष्ट होता है-अलिखित संविधान का एक दोष यह है कि यह स्पष्ट तथा निश्चित नहीं होता। इसकी धाराएं लिखी हुई न होने के कारण उनके बारे में लोगों में प्रायः मतभेद तथा लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
  2. शक्तियों का दुरुपयोग–अलिखित संविधान सरकार के विभिन्न अंगों को अपनी शक्तियों के दुरुपयोग करने या एक दूसरे की शक्तियों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहन देता है।
  3. संघ सरकार में इसका कोई लाभ नहीं-संघात्मक राज्यों के लिए लिखित संविधान का होना आवश्यक है क्योंकि अलिखित संविधान के कारण संघ और प्रान्तों में शक्तियों के बारे में मतभेद और झगड़े बहुत होते हैं।
  4. यह स्थिर नहीं होता-अलिखित संविधान में स्थिरता नहीं रहती बल्कि वह जल्दी-जल्दी बदलता रहता है। जहां संविधान में जल्दी-जल्दी परिवर्तन होता हो, वहां राजनीतिक जीवन में स्थिरता और एकता स्थापित नहीं हो पाती।

प्रश्न 4.
लिखित संविधान क्यों आवश्यक है ? दो कारण बताइए।
उत्तर-
लिखित संविधान उसे कहा जाता है जिसके लगभग सभी नियम लिखित रूप में उपलब्ध हों। लिखित संविधान प्रायः निर्मित होता है, जिसका निर्माण एक संविधान सभा द्वारा एक ही समय में काफ़ी सोच-विचार के बाद किया जाता है। आज अधिकतर राज्यों में लिखित संविधान पाया जाता है। लिखित संविधान के अनेक गुण होते हैं। लिखित संविधान निम्नलिखित कारणों से आवश्यक माना जाता है-

  • यह सोच-समझकर बनाया जाता है-लिखित संविधान एक संविधान सभा द्वारा बनाया जाता है और उसकी सब बातें अच्छी प्रकार से सोच-समझकर निश्चित की जाती हैं। भावना के आवेश में आकर इसका निर्माण नहीं होता।
  • यह निश्चित तथा स्पष्ट होता है-लिखित संविधान का एक गुण यह है कि यह लिखित तथा स्पष्ट होता है।
  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा लिखित संविधान द्वारा अधिक अच्छी तरह हो सकती है।
  • संघात्मक सरकार में आवश्यक-संघात्मक शासन प्रणाली के लिए संविधान का लिखित होना बड़ा आवश्यक है। संविधान द्वारा ही संघ तथा इकाइयों में शक्तियों का बंटवारा किया जाता है और इस बंटवारे को लिखित रूप देने से संघ और राज्यों में शक्तियों के बारे में मतभेद पैदा नहीं होते।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 13 संविधान और इसके प्रकार

प्रश्न 5.
लिखित संविधान की चार कमियां बताओ।
उत्तर-
लिखित संविधान की मुख्य कमियां इस प्रकार हैं-

  • यह कुछ समय बाद लाभदायक नहीं रहता-लिखित संविधान का एक दोष यह है कि यह समय के बाद बदलता नहीं और कुछ समय बाद यह लाभदायक नहीं रहता। परिवर्तित वातावरण में लिखा हुआ संविधान एक अतीत की वस्तु बनकर रह जाता है।
  • यह समयानुसार नहीं बदलता-लिखित संविधान और सामाजिक आवश्यकता में तालमेल नहीं हो पाता, इसीलिए इसे कई लोग अच्छा नहीं समझते।
  • क्रान्ति का भय-लिखित संविधान में क्रान्ति का भय अधिक होता है। लिखित संविधान समय की आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकता और न ही उसमें आसानी से संशोधन किया जा सकता है क्योंकि लिखित संविधान प्रायः कठोर ही होता है। समय के अनुसार परिवर्तन लाने के लिए जनता को कई बार विद्रोह तथा क्रान्ति का सहारा लेना पड़ता है।
  • राष्ट्र की प्रगति में बाधा-लिखित संविधान का एक दोष यह भी है कि वह राष्ट्र की प्रगति में रुकावट डालता है।

प्रश्न 6.
लचीला संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
लचीला संविधान उसे कहा जाता है जिसमें आसानी से संशोधन या परिवर्तन किया जा सके। जिस साधारण तरीके से संसद् साधारण कानून बनाती है, उसी साधारण तरीके से संविधान में बड़े-से-बड़ा परिवर्तन भी किया जा सकता है अर्थात् संवैधानिक कानून (Constitutional Law) को बनाते समय संसद् को किसी विशेष तरीके को अपनाने की आवश्यकता नहीं है। प्रो० बार्कर का कहना है कि जब किसी सरकार का रूप जनता या उसके प्रतिनिधियों की इच्छानुसार आसानी से बदला जा सकता है तो उसे लचीला संविधान कहा जाता है। ऐसे संविधान में संसद् को कानून बनाने की असीमित शक्तियां प्रदान होती हैं। इंग्लैंड का संविधान लचीला है। ब्रिटिश संसद् संविधान के सम्बन्ध में कोई भी कानून साधारण बहुमत से पास कर सकती है।

प्रश्न 7.
लचीले संविधान के चार गुण लिखो।
उत्तर-
लचीले संविधान में निम्नलिखित गुण होते हैं-

  1. यह समयानुसार बदलता रहता है-लचीले संविधान का लाभ यह है कि यह संविधान समय की परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
  2. इतिहास का स्पष्ट चित्रण-लचीला संविधान देश के इतिहास का स्पष्ट चित्रण करता है।
  3. क्रान्ति का भय नहीं होता-लचीले संविधान के होने से क्रान्ति का भय नहीं होता। संविधान में आसानी से परिवर्तन हो जाता है। जनता को इसमें परिवर्तन करवाने के लिए क्रान्ति का सहारा नहीं लेना पड़ता है।
  4. राष्ट्र की प्रगति में सहायक-लचीले संविधान का एक लाभ यह भी है कि वह राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न नहीं करता बल्कि उसकी प्रगति में सहायक सिद्ध होता है।

प्रश्न 8.
लचीले संविधान के चार दोष लिखो।
उत्तर-
लचीले संविधान को निम्नलिखित बातों के आधार पर दोषपूर्ण बताया जाता है-

  • यह अनिश्चित और अस्पष्ट होता है-लचीले संविधान का एक दोष यह है कि यह स्पष्ट तथा निश्चित नहीं होता। इसकी धाराएं लिखी हुई न होने के कारण उनके बारे में लोगों में प्रायः मतभेद तथा लडाई-झगडे होते रहते हैं।
  • शक्तियों का दुरुपयोग-लचीला संविधान सरकार के विभिन्न अंगों को अपनी शक्तियों के दुरुपयोग करने या एक दूसरे की शक्तियों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहन देता है।
  • संघ सरकार में इसका कोई लाभ नहीं-संघात्मक राज्यों के लिए संविधान का होना आवश्यक है क्योंकि लचीले संविधान के कारण संघ और प्रान्तों में शक्तियों के बारे में मतभेद और झगड़े बहुत होते हैं।
  • यह स्थिर नहीं होता-लचीले संविधान में स्थिरता नहीं रहती बल्कि यह जल्दी-जल्दी बदलता रहता है। जहां संविधान में जल्दी-जल्दी परिवर्तन होता हो, राजनीतिक जीवन में स्थिरता और एकता स्थापित नहीं हो पाती।

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प्रश्न 9.
कठोर संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कठोर संविधान उसे कहा जाता है जिसे आसानी से बदला न जा सके। जब साधारण कानून को बनाने के तरीके और संविधान में संशोधन करने के तरीके में अन्तर हो अर्थात् संशोधन का तरीका कठिन हो तो उसे कठोर संविधान कहा जाता है। साधारण कानून वाली सत्ता संविधान का संशोधन नहीं कर सकती बल्कि कोई दूसरी ही सत्ता इसमें संशोधन करती है। कठोर संविधान को राज्य का सर्वोच्च कानून माना जाता है। संघात्मक राज्यों के संविधान प्रायः निर्मित, लिखित तथा कठोर होते हैं। अमेरिका का संविधान कठोर है जिसमें संशोधन करने के लिए संसद् के दोनों सदनों का 2/3 बहुमत और कम-से-कम 3/4 राज्यों का समर्थन होना आवश्यक है। भारत के संविधान के कुछ भाग कठोर हैं।

प्रश्न 10.
कठोर संविधान के चार गुण लिखिए।
उत्तर-
कठोर संविधान के निम्नलिखित गुण हैं-

  • यह स्थिर होता है-कठोर संविधान की एक विशेषता यह है कि यह स्थिर होता है। इसलिए यह काफ़ी समय तक चलता है और इससे राजनीतिक निरन्तरता प्राप्त होती है।
  • यह राजनीतिक दलों के हाथों में खिलौना नहीं बनता-कठोर संविधान की यह भी एक विशेषता है कि यह राजनीतिक दलों के हाथों में खिलौना नहीं बनता क्योंकि कोई भी दल आसानी से इसमें संशोधन नहीं करवा सकता। छोटी-छोटी बातों पर बहुमत दल इसमें परिवर्तन करके इसे अपने हितों की पूर्ति के लिए तोड़-मोड़ नहीं सकते।
  • यह संघात्मक राज्य के लिए बड़ा लाभदायक है-संघात्मक राज्य के लिए कठोर संविधान बड़ा आवश्यक है। यह संविधान कठोर न हो तो इस बात की सम्भावना रहती है कि संघ सरकार राज्यों (प्रान्तों) की शक्तियों में हस्तक्षेप न करने लगे।
  • यह लोगों के अधिकारों और स्वतन्त्रता की रक्षा करता है-कठोर संविधान का यह भी एक लाभ है कि इसके द्वारा लोगों के अधिकारों और स्वतन्त्रता की रक्षा अच्छी प्रकार से हो सकती है। संविधान में लिखे अधिकारों से नागरिकों को आसानी से वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 11.
कठोर संविधान की चार हानियां लिखिए।
उत्तर-
कठोर संविधान के कई दोष भी हैं जिनकी व्याख्या नीचे दी गई है-

  1. यह समयानुसार बदलता नहीं-कठोर संविधान का सबसे बड़ा दोष है कि यह समयानुसार नहीं बदलता। इससे शासन अच्छी तरह से नहीं चल सकता।
  2. यह क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है-कठोर संविधान का एक दोष यह भी है कि यह क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है। जब लोग इसे आसानी से नहीं बदल सकते तो वे इसके लिए क्रान्ति का सहारा लेते हैं।
  3. यह राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालता है-कठोर संविधान को इस कारण भी अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि यह राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है।
  4. कठोर संविधान जजों के हाथों में एक खिलौना होता है-कठोर संविधान के होने का अर्थ है-न्यायपालिका की सर्वोच्चता। कठोर संविधान की व्याख्या करने, उनकी रक्षा करने, संघ तथा राज्यों के झगड़ों को निपटाने, संविधान के विरुद्ध कानूनों को रद्द करने आदि के सब अधिकार न्यायपालिका के पास होते हैं। इस कारण संविधान वह नहीं होता जोकि उसके निर्माताओं ने बनाया है बल्कि संविधान वह होता है जोकि न्यायाधीश बनाते हैं अर्थात् न्यायपालिका कई बार संविधान का एक नया रूप जनता के सामने रखती है।

प्रश्न 12.
लचीले और कठोर संविधान में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
लचीले और कठोर संविधान में मुख्य अन्तर निम्नलिखित पाए जाते हैं-

  • लचीले संविधान का संशोधन किसी विशेष प्रक्रिया द्वारा नहीं होता। जिस पद्धति से कानूनों का निर्माण होता है उसी पद्धति से संविधान में भी संशोधन होता है, परन्तु कठोर संविधान के संशोधन के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • कठोर संविधान की अपेक्षा लचीले संविधान में संशोधन करना अत्यन्त सरल है। (3) कठोर संविधान में संवैधानिक तथा साधारण कानूनों में भेद होता है, परन्तु लचीले संविधान में ऐसा नहीं होता।
  • कठोर संविधान में विधानमण्डल की सत्ता सीमित होती है, परन्तु लचीले संविधान में उसकी सत्ता असीमित होती है।
  • कठोर संविधान में प्रायः नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख होता है, परन्तु लचीले संविधान में ऐसा नहीं देखा जाता।

प्रश्न 13.
किस प्रकार का संविधान अधिक उपयोगी है-लचीला अथवा कठोर ? कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-
संविधान ऐसे नियमों और सिद्धान्तों का समूह होता है, जिसके अनुसार शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है, उनको शक्तियां प्रदान की जाती हैं, उनके आपसी सम्बन्धों को नियमित किया जाता है तथा नागरिकों और राज्यों के बीच सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं। प्रत्येक राज्य अपनी आवश्यकता एवं परिस्थितियों के अनुसार लिखित या अलिखित तथा कठोर या लोचशील संविधान अपनाता है। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि लचीले और कठोर संविधान में से कौन-सा संविधान अधिक उपयोगी है। दोनों ही प्रकार के संविधानों के अपने गुण भी हैं और दोष भी हैं। लचीले या कठोर संविधान को तब उपयोगी माना जा सकता है यदि उसमें निम्नलिखित गुण पाए जाते हों

  • विश्व में अधिकांश नव-स्वतन्त्र राज्य अस्थिरता के दौर से गुज़र रहे हैं। तीसरी दुनिया के देशों में क्रान्ति व तख्ता पलट की सम्भावनाएं अधिक होती हैं। अतः इन दोनों में राजनीतिक स्थायित्व के लिए कठोर संविधान आवश्यक है।
  • संविधान में बदलती हुई ज़रूरतों के अनुसार परिवर्तित होने का गुण भी होना चाहिए। परन्तु यह इतना भी लोचशील न हो कि सत्ताधारी दल के हाथों का खिलौना बन जाए।
    अतः संविधान न तो अत्यधिक कठोर हो और न ही अत्यधिक लोचशील हो।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संविधान ऐसे नियमों तथा सिद्धान्तों का समूह है, जिसके अनुसार शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है, उनको शक्तियां प्रदान की जाती हैं, उनके आपसी सम्बन्धों को नियमित किया जाता है तथा नागरिकों और राज्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं। इन नियमों के समूह को ही संविधान कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
संविधान को परिभाषित करें।
उत्तर-

  • ब्राइस के अनुसार, “किसी राज्य के संविधान में वे कानून या नियम सम्मिलित होते हैं, जिनके अनुसार सरकार के स्वरूप तथा इसके नागरिकों के प्रति अधिकारों तथा कर्त्तव्यों और नागरिकों के इसके प्रति अधिकारों तथा कर्तव्यों को निश्चित किया जाता है।”
  • गिलक्राइस्ट के अनुसार, “राज्य का संविधान लिखित कानूनों या नियमों का वह समूह है, जो सरकार के संगठन, सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों का वितरण और शक्ति प्रयोग के सामान्य नियमों को निश्चित करता है।”

प्रश्न 3.
अलिखित संविधान के दो गुण लिखिए।
उत्तर-

  1. यह समयानुसार बदलता रहता है-अलिखित संविधान का अर्थ यह है कि संविधान समय की परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
  2. इतिहास का स्पष्ट चित्रण-अलिखित संविधान देश के इतिहास का स्पष्ट चित्रण करता है।

प्रश्न 4.
अलिखित संविधान के दो दोष बताइए।
उत्तर-

  1. यह निश्चित और अस्पष्ट होता है-अलिखित संविधान का एक दोष यह है कि यह स्पष्ट तथा निश्चित नहीं होता। इसकी धाराएं लिखी हुई न होने के कारण उनके बारे में लोगों में प्रायः मतभेद तथा लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
  2. शक्तियों का दुरुपयोग- अलिखित संविधान सरकार के विभिन्न अंगों को अपनी शक्तियों के दुरुपयोग करने या एक दूसरे की शक्तियों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहन देता है।

प्रश्न 5.
लिखित संविधान के दो गुण लिखो।
उत्तर-

  1. यह सोच-समझकर बनाया जाता है-लिखित संविधान एक संविधान सभा द्वारा बनाया जाता है और उसकी सब बातें अच्छी प्रकार से सोच-समझकर निश्चित की जाती हैं। भावना के आवेश में आकर इसका निर्माण नहीं होता।
  2. यह निश्चित तथा स्पष्ट होता है-लिखित संविधान का एक गुण यह है कि यह लिखित तथा स्पष्ट होता है।

प्रश्न 6.
लिखित संविधान की दो कमियां बताओ।
उत्तर-

  1. यह कुछ समय बाद लाभदायक नहीं रहता-लिखित संविधान का एक दोष यह है कि यह समय के बाद बदलता नहीं और कुछ समय बाद यह लाभदायक नहीं रहता। परिवर्तित वातावरण में लिखा हुआ संविधान एक अतीत की वस्तु बनकर रह जाता है।
  2. यह समयानुसार नहीं बदलता-लिखित संविधान और सामाजिक आवश्यकता में तालमेल नहीं हो पाता, इसीलिए इसे कई लोग अच्छा नहीं समझते।।

प्रश्न 7.
लचीला संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
लचीला संविधान उसे कहा जाता है जिसमें आसानी से संशोधन या परिवर्तन किया जा सके। जिस साधारण तरीके से संसद् साधारण कानून बनाती है, उसी साधारण तरीके से संविधान में बड़े-से-बड़ा परिवर्तन भी किया जा सकता है अर्थात् संवैधानिक कानून (Constitutional Law) को बनाते समय संसद् को किसी विशेष तरीके को अपनाने की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 8.
लचीले संविधान के दो गुण लिखो।
उत्तर-

  1. यह समयानुसार बदलता रहता है-लचीले संविधान का लाभ यह है कि यह संविधान समय की परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
  2. इतिहास का स्पष्ट चित्रण-लचीला संविधान देश के इतिहास का स्पष्ट चित्रण करता है।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. संविधान की कोई एक परिभाषा दें।
उत्तर-बुल्जे के अनुसार, “संविधान उन नियमों का समूह है, जिनके अनुसार सरकार की शक्तियां, शासितों के अधिकार तथा इन दोनों के आपसी सम्बन्धों को व्यवस्थित किया जाता है।”

प्रश्न 2. संविधान के कोई दो रूप/प्रकार लिखें।
उत्तर-

  1. विकसित संविधान
  2. निर्मित संविधान।

प्रश्न 3. विकसित संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-जो संविधान ऐतिहासिक उपज या विकास का परिणाम हो, उसे विकसित संविधान कहा जाता है।

प्रश्न 4. लिखित संविधान किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-लिखित संविधान उसे कहा जाता है, जिसके लगभग सभी नियम लिखित रूप में उपलब्ध हों।

प्रश्न 5. अलिखित संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-अलिखित संविधान उसे कहते हैं, जिसकी धाराएं लिखित रूप में न हों, बल्कि शासन संगठन अधिकतर रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं पर आधारित हो।

प्रश्न 6. कठोर एवं लचीले संविधान में एक अन्तर लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान की अपेक्षा लचीले संविधान में संशोधन करना अत्यन्त सरल है।

प्रश्न 7. लचीले संविधान का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर- लचीला संविधान समयानुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 8. किसी एक विद्वान् का नाम लिखें, जो लिखित संविधान का समर्थन करता है?
उत्तर-डॉ० टॉक्विल ने लिखित संविधान का समर्थन किया है।

प्रश्न 9. कठोर संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता।

प्रश्न 10. एक अच्छे संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-संविधान स्पष्ट एवं सरल होता है।

प्रश्न 11. अलिखित संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-यह समयानुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 12. अलिखित संविधान का कोई एक दोष लिखें।
उत्तर-अलिखित संविधान में शक्तियों के दुरुपयोग की सम्भावना बनी रहती है।

प्रश्न 13. लिखित संविधान का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर-लिखित संविधान निश्चित तथा स्पष्ट होता है।

प्रश्न 14. लिखित संविधान का एक दोष लिखें।
उत्तर-लिखित संविधान समयानुसार नहीं बदलता।

प्रश्न 15. जिस संविधान को आसानी से बदला जा सके, उसे कैसा संविधान कहा जाता है ?
उत्तर-उसे लचीला संविधान कहा जाता है।

प्रश्न 16. जिस संविधान को आसानी से न बदला जा सकता हो, तथा जिसे बदलने के लिए किसी विशेष तरीके को अपनाया जाता हो, उसे कैसा संविधान कहते हैं ?
उत्तर-उसे कठोर संविधान कहते हैं। प्रश्न 17. लचीले संविधान का एक दोष लिखें। उत्तर-यह संविधान पिछड़े हुए देशों के लिए ठीक नहीं।

प्रश्न 18. कठोर संविधान का एक गुण लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान निश्चित एवं स्पष्ट होता है।

प्रश्न 19. कठोर संविधान का एक दोष लिखें।
उत्तर-कठोर संविधान क्रान्ति को प्रोत्साहन देता है।

प्रश्न 20. शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Power) का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर-शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त मान्टेस्क्यू ने प्रस्तुत किया।

प्रश्न 21. संविधानवाद की साम्यवादी विचारधारा के मुख्य समर्थक कौन हैं ?
उत्तर-संविधानवाद की साम्यवादी विचारधारा के मुख्य समर्थक कार्ल-मार्क्स हैं।

प्रश्न 22. संविधानवाद के मार्ग की एक बड़ी बाधा लिखें।
उत्तर-संविधानवाद के मार्ग की एक बाधा युद्ध है।

प्रश्न 23. अरस्तु ने कितने संविधानों का अध्ययन किया?
उत्तर-अरस्तु ने 158 संविधानों का अध्ययन किया।

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प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. ……………. संविधान उसे कहा जाता है, जिसमें आसानी से संशोधन किया जा सके।
2. जिस संविधान को सरलता से न बदला जा सके, उसे …………… संविधान कहते हैं।
3. लिखित संविधान एक ……………. द्वारा बनाया जाता है।
4. ……………. संविधान समयानुसार बदलता रहता है।
5. ……………. में क्रांति का डर बना रहता है।
उत्तर-

  1. लचीला
  2. कठोर
  3. संविधान सभा
  4. अलिखित
  5. लिखित संविधान।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. अलिखित संविधान अस्पष्ट एवं अनिश्चित होता है।
2. लचीले संविधान में क्रांति की कम संभावनाएं रहती हैं।
3. कठोर संविधान अस्थिर होता है।
4. एक अच्छा संविधान स्पष्ट एवं निश्चित होता है।
5. कठोर संविधान समयानुसार बदलता रहता है।
उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत ।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
कठोर संविधान का गुण है
(क) यह राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता
(ख) संघात्मक राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है
(ग) समयानुसार नहीं बदलता
(घ) संकटकाल में ठीक नहीं रहता।
उत्तर-
(क) यह राजनीतिक दलों के हाथ में खिलौना नहीं बनता

प्रश्न 2.
एक अच्छे संविधान का गुण है-
(क) संविधान का स्पष्ट न होना
(ख) संविधान का बहुत विस्तृत होना
(ग) व्यापकता तथा संक्षिप्तता में समन्वय
(घ) बहुत कठोर होना।
उत्तर-
(ग) व्यापकता तथा संक्षिप्तता में समन्वय

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प्रश्न 3.
“संविधान उन नियमों का समूह है, जो राज्य के सर्वोच्च अंगों को निर्धारित करते हैं, उनकी रचना, उनके आपसी सम्बन्धों, उनके कार्यक्षेत्र तथा राज्य में उनके वास्तविक स्थान को निश्चित करते हैं।” किसका कथन है ?
(क) सेबाइन
(ख) जैलिनेक
(ग) राबर्ट डाहल
(घ) आल्मण्ड पावेल।
उत्तर-
(ख) जैलिनेक

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से एक अच्छे संविधान की विशेषता है-
(क) स्पष्ट एवं निश्चित
(ख) अस्पष्टता
(ग) कठोरता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) स्पष्ट एवं निश्चित

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