PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

SST Guide for Class 9 PSEB फ्रांसीसी क्रांति Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पुराने राज्य के दौरान आर्थिक गतिविधियों का भार किस द्वारा चुकाया जाता था ?
(क) चर्च
(ख) केवल अमीर
(ग) तीसरा वर्ग
(घ) केवल राजा।
उत्तर-
(ग) तीसरा वर्ग

प्रश्न 2.
आस्ट्रियन राजकुमारी मैरी एंटोनिटी फ्रांस के किस राजा की रानी थी ?
(क) लुइस तीसरा
(ख) लुइस 14वां
(ग) लुइस 15वां
(घ) लुइस 16वां।
उत्तर-
(घ) लुइस 16वां।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 3.
नेपोलियन ने स्वयं को फ्रांस का राजा कब बनाया ?
(क) 1805 ई०
(ख) 1804 ई०
(ग) 1803 ई०
(घ) 1806 ई०
उत्तर-
(ख) 1804 ई०

प्रश्न 4.
फ्रांस में टेनिस कोर्ट शपथ कब ली गई ?
(क) 4 जुलाई, 1789 ई०
(ख) 20 जून, 1789 ई०
(ग) 4 अगस्त, 1789 ई०
(घ) 5 मई, 1789 ई०।
उत्तर-
(ख) 20 जून, 1789 ई०

प्रश्न 5.
फ्रांस संदर्भ में कन्वेंशन से क्या अभिप्राय है ?
(क) एक फ्रांसीसी स्कूल
(ख) नई चुनी परिषद्
(ग) क्लब
(घ) एक महिला संगठन।
उत्तर-
(ख) नई चुनी परिषद्

प्रश्न 6.
मांटेस्क्यू ने कौन-से विचार का प्रचार किया ?
(क) दैवी अधिकार
(ख) सामाजिक समझौता
(ग) शक्तियों की विकेंद्रीकरण
(घ) शक्ति का संतुलन।
उत्तर-
(ग) शक्तियों की विकेंद्रीकरण

प्रश्न 7.
फ्रांसीसी इतिहास में किस समय को आतंक का दौर के नाम से जाना जाता है ?
(क) 1792 ई०-93 ई०
(ख) 1774 ई०-76 ई०
(ग) 1793 ई०-94 ई०
(घ) 1804 ई०-1815 ई०
उत्तर-
(ग) 1793 ई०-94 ई०

(ख) रिक्त स्थान भरो :

  1. एक सिर काटने वाला यंत्र था जिसका प्रयोग फ्रांसीसियों ने किया था ……………
  2. बेस्टाइल का हमला ………….. में हुआ था।
  3. 815 ई० में वाटरलू के युद्ध में …………. पराजित हुआ।
  4. जैकोबिन क्लब का प्रतिनिधि …………….. था।
  5. …………. ने सोशल कांट्रेक्ट नाम पुस्तक की रचना की।
  6. मारसेइस (Marseillaise) की रचना ………….. ने की ।

उत्तर-

  1. गुलुटाइन,
  2. 14 जुलाई, 1789 ई०
  3. नेपोलियन बोनापार्ट
  4. मेक्सीमिलान रोबसपायरी (Maximilian Robespierie),
  5. रूसो
  6. रोजर डी लाइसले (Roger de LTsle)THEMAHI

(ग) मिलान करो :

(क) – (ख)
1. किलेनुमा जेल – (अ) गुलूटाइन
2. चर्च द्वारा प्राप्त कर – (आ) जैकोबिन
3. आदमी का सिर काटना – (इ) रूसो
4. फ्रांस की मध्य श्रेणी का क्लब – (ई) बेस्टाइल
5. द सोशल कांट्रैक्ट – (उ) टित्थे।

उत्तर-

  1. बेस्टाइल
  2. टित्थे,
  3. गुलटाइन
  4. जैकोबिन
  5. रूसो।

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(घ) अंतर बताओ :

प्रश्न 1.
1. पहला वर्ग और तीसरा वर्ग
2. टित्थे और टाइले।
उत्तर-
1. पहला वर्ग-समाज के पहले वर्ग में पादरी शामिल थे। पादरी वर्ग दो हिस्सों में विभाजित था-उच्च पादरी, साधारण पादरी। उच्च पादरियों में प्रधान पादरी , धर्माध्यक्ष और महंत शामिल थे। वे गिरिजाघरों का प्रबन्ध चलाते थे। उनको लोगों से कर (Tithe) इकट्ठा करने का अधिकार प्राप्त था।
तीसरा वर्ग-समाज के तीसरे वर्ग में कुल जनसंख्या के 97 प्रतिशत लोग आते थे। यह वर्ग असमानता और सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार था। इस श्रेणी में धनी व्यापारी, अदालती व कानूनी अधिकारी, साहूकार, किसान, कारीगर, छोटे काश्तकार, आदि आते थे। तीसरे वर्ग के लोग ही सबसे अधिक कर देते थे।

2. टित्थे (Tithe)—यह गिरिजाघर को दिया जाने वाला कर था। किसानों को अपनी वार्षिक आय का दसवां भाग भूमि कर के रूप में देना पड़ता था। यह भूमि पर लगाया जाने वाला कर था जो पहले किसान अपनी इच्छा से देते थे, परंतु बाद में इसे अनिवार्य कर दिया गया।
टाइले (Taille) यह राज्य को दिया जाने वाला कर था जो कि साधारण लोगों पर लगाया जाता था। प्रायः राजा अपनी प्रजा की भूमि और सम्पत्ति पर यह कर लगाता था। यह कर रोज़ की आवश्यकताओं जैसे कि नमक व तम्बाकू पर लगाया जाता था। इसका प्रतिशत हर वर्ष राजा की मर्जी से निश्चित किया जाता था।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रांति कब हुई ?
उत्तर-
1789 ई०।

प्रश्न 2.
जैकोबिन क्लब का नेता कौन था ?
उत्तर-
मेक्सीमिलान रोबसपायरी।

प्रश्न 3.
डायरैक्टरी क्या थी ?
उत्तर-
पांच सदस्यों की कौंसिल।

प्रश्न 4.
फ्रांस के समाज में कौन कर देता था ?
उत्तर-
तीसरा वर्ग।

प्रश्न 5.
राज्य को प्रत्यक्ष दिये जाने वाले कर को क्या कहते थे ?
उत्तर-
टैले (Taille)।

प्रश्न 6.
किन वर्गों को कर से छूट प्राप्त थी ?
उत्तर-
पहला वर्ग अथवा पादरी वर्ग तथा दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग।

प्रश्न 7.
किसानों को कितने प्रकार के करों का भुगतान करना पड़ता था ?
उत्तर-
किसानों को दोनों प्रकार के कर देने पड़ते थे-टित्थे (Tithe) तथा टाइले (Taille)।

प्रश्न 8.
फ्रांस के राष्ट्रीय गान का नाम लिखो।
उत्तर-
‘मारसेइस’ (Marseillaise)

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व समाज किस प्रकार विभाजित था ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व समाज तीन वर्गों (एस्टेट) में बंट था-पहला वर्ग तथा पादरी वर्ग, दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग, तीसरा वर्ग अथवा साधारण वर्ग।

  1. पहला वर्ग अथवा पादरी वर्ग-पहला वर्ग में अधिकार युक्त बड़े-बड़े सामंत, पादरी आदि सम्मिलित थे। इन लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता था। योग्य न होने पर भी वे राज्य के बड़े-बड़े पदों पर आसीन थे।
  2. दूसरा वर्ग अथवा कुलीन वर्ग-दूसरे एस्टेट में कुलीन वर्ग के लोग सम्मिलित थे।
  3. तीसरे वर्ग अथवा साधारण वर्ग-तीसरे एस्टेट में अर्थात् वकील, डॉक्टर तथा शिक्षक वर्ग के लोग सम्मिलित थे। योग्यता होने पर भी ये लोग राज्य के उच्च पदों से वंचित थे। जनसाधारण भी इसी वर्ग में सम्मिलित थे। उन्हें राज्य को भी कर देना पड़ता था और चर्च को भी। इनसे बेगार ली जाती थी और वर्षों से इनका शोषण हो रहा था।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं के योगदान पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के समय किसी भी सरकार ने महिलाओं को सक्रिय नागरिक नहीं माना, परंतु क्रांति के समय उनकी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण थी।
तीसरे एस्टेट की अधिकतर महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं। वे सिलाई-बुनाई तथा कपड़ों की धुलाई करती थीं और बाजारों में फल-फूल तथा सब्जियां बेचती थीं। कुछ महिलाएं संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। बहुतसी महिलाएं वेश्यावृत्ति भी करती थीं। अधिकांश महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर नहीं थे। कामकाजी महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल भी करनी पड़ती थी। महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए निरंतर आंदोलन चलाया। फ्रांसीसी क्रांति के समय ओलंपे दे गाजस एक सक्रिय राजनीतिक महिमा प्रतिनिधि थी। उसने संविधान के मनुष्य व नागरिकों के अधिकारों के घोषणा-पत्र का विरोध किया। इसलिए उसे मृत्यु दंड दे दिया गया। ऐसी अन्य कई महिला प्रतिनिधियों को आतंक के दौर में मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग 150 वर्षों के बाद 1946 ई० में महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए। एक कानून के अनुसार सरकारी विद्यालयों की स्थापना की गई और सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति की प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख लेखकों, दार्शनिकों के विषय में संक्षेप में लिखो।
उत्तर-

  1. जॉन लॉक ने अपनी कृति ‘टू ट्रीटाइज़ेज ऑफ़ गवर्नमैंट’ में राजा के दैवी तथा निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया।
  2. रूसो ने इसी विचार को आगे बढ़ाया। उसने जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच एक सामाजिक अनुबंध पर आधारित सरकार का प्रस्ताव रखा।
  3. मॉटेस्क्यू ने अपनी रचना ‘द स्पिरिट ऑफ़ द लॉज़’ में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात कही।
    दार्शनिकों के इन विचारों से फ्रांस में क्रांति के विचारों को और अधिक बल मिला।

प्रश्न 4.
राजतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
राजतंत्र ऐसी शासनतंत्र प्रणाली होती है जिसमें राजा ही सबसे बड़ा अधिकारी होता है। वह प्रायः तानाशाह होता है और राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखता है। फ्रांस में भी राजतंत्र था और वहां का शासक लुईस 16वां सभी अधिकारों का स्वामी था। उसके अधिकारों को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता था उसे न तो देश के संविधान की चिंता थी और न ही जनता के हितों का ध्यान था। वर्षों तक उसने देश की संसद् भी नहीं बुलाई थी। जब उसने संसद् बुलाई तो उसका उद्देश्य भी कर लगाना था। यही घटना क्रांति के विस्फोट का कारण बनी।

प्रश्न 5.
‘राष्ट्रीय संवैधानिक परिषद्’ का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
फ्रांस का सम्राट् लुई (XVI) अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति को देखकर सहम गया था। अतः उसने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि अब से उसकी सत्ता पर संविधान का अंकुश होगा। 1791 में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप तैयार कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था। अब शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में विभाजित कर दिया गया। इस प्रकार शक्तियां एक हाथ में केंद्रित न रह कर तीन विभिन्न संस्थाओं को हस्तांतरित कर दी गईं। इसी के फलस्वरूप फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उन स्थितियों का वर्णन करें जिनके कारण फ्रांसीसी क्रांति का उदय हुआ ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति आधुनिक यूरोप के इतिहास की महानतम घटना थी। इसका आरंभ भले ही 1789 ई० में हुआ हो, परंतु इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी। फ्रांस में राजा, उसके दरबारी, सेना के अधिकारी तथा चर्च के पादरी जन-साधारण का खून चूस रहे थे। इन्हें कोई कर नहीं देना पड़ता था। करों का सारा बोझ जनता पर था। आम आदमी राज्य की सेवा करता था, परंतु योग्यता होने पर भी वह उच्च पद प्राप्त नहीं कर सकता था। किसान तो दासता में पैदा होता था और दासता में ही मर जाता था। 1789 ई० में स्थिति और भी गंभीर हो गई और क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। संक्षेप में, फ्रांस में क्रांति की शुरुआत निम्नलिखित परिस्थितियों में हुई
1. राजनीतिक परिस्थितियां

  1. फ्रांस के राजा स्वेच्छाचारी थे और वे राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखते थे। सम्राट की इच्छा ही कानून थी। वह अपनी इच्छा से युद्ध अथवा संधि करता था। सम्राट् लुई 14वां तो यहां तक कहता था-“मैं ही राज्य हूं।”
  2. कर बहुत अधिक थे जो मुख्यतः जनसाधारण को ही देने पड़ते थे। दरबारी और सामंत करों से मुक्त थे।
  3. राज्य में सैनिक तथा अन्य पद पैतृक थे और उन्हें बेचा भी जा सकता था।
  4. सेना में असंतोष था।
  5. शासन में व्यापक भ्रष्टाचार फैला हुआ था।

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2. सामाजिक परिस्थितियां

  1. फ्रांस में मुख्य तीन श्रेणियां (एस्टेट्स) थीं-उच्च, मध्यम तथा निम्न। उच्च श्रेणी में अधिकार युक्त बड़े-बड़े सामंत, पादरी आदि सम्मिलित थे। इन लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता था। योग्य न होने पर भी वे राज्य के बड़ेबड़े पदों पर आसीन थे।
  2. दूसरे एस्टेट में कुलीन वर्ग के लोग सम्मिलित थे।

3. आर्थिक परिस्थितियां-

  1. फ्रांस के राजा धन का दुरुपयोग करते थे और उन्होंने व्यक्तिगत ऐश्वर्य के लिए खज़ाना खाली कर दिया।
  2. करों का विभाजन दोषपूर्ण था। धनी लोग कर से मुक्त थे जबकि जनसाधारण को कर चुकाने पड़ते थे। कर एकत्रित करने की विधि भी दोषपूर्ण थी।
  3. फांस में औद्योगिक क्रांति के कारण अनेक कारीगर बेकार हो गए और उनमें असंतोष फैल गया।
  4. फ्रांस ऋण के बोझ से दबा हुआ था।
  5. दोषपूर्ण कर-प्रणाली के कारण व्यापार अवनति की ओर बढ़ रहा था।
  6. फ्रांस ने अमेरिका के लोगों को वित्तीय सहायता दी जिससे राजकोष पर ऋण का बोझ बढ़ गया।

4. दार्शनिकों का योगदान-फ्रांस की स्थिति बहुत ही खराब थी, जिसे दर्शाने में दार्शनिकों ने बड़ा योगदान दिया। उन्होंने जनता को यह समझाने का प्रयास किया कि उनके दुःखों का वास्तविक कारण राजतंत्र है।

  1. रूसो ने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक समझौता’ में राजा के दैवीय अधिकारों पर प्रहार किया।
  2. वाल्तेयर ने चर्च के धार्मिक आडंबरों और पादरियों के भ्रष्टाचार को अपना निशाना बनाया।
  3. मांतेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘The Spirit of the Laws’ में राजा के दैवीय अधिकारों और उसकी निरंकुशता की कड़ी आलोचना की।
    इस प्रकार, दार्शनिकों के प्रयत्नों से नवीन विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ। इसी नवीन विचारधारा के कारण फ्रांस में क्रांति हुई।

5. एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाया जाना तथा क्रांति की शरुआत-फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाया जाना था। अधिवेशन बुलाए जाने के बाद जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने राजा के सामने यह मांग रखी कि एस्टेट्स जेनराल के तीनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जाए। राजा के इन्कार करने
पर जनसाधारण के प्रतिनिधि टैनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और उन्होंने नवीन संविधान बनाने की घोषणा की। इसी बीच राजा ने जनता के प्रतिनिधियों की मांग स्वीकार कर ली जिन्होंने एस्टेट्स जेनराल के प्रथम अधिवेशन में ही क्रांति का बिगुल बजा दिया।
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (1)

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रांति के पड़ावों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति आधुनिक काल की सबसे महान् घटना थी। यह केवल फ्रांस की ही आंतरिक घटना नहीं थी, बल्कि यह विश्व क्रांति थी। इसने केवल फ्रांसीसी समाज को ही नहीं, बल्कि पूरी मानव-जाति को प्रभावित किया। शताब्दियों के पश्चात् मानवीय मूल्यों का आदर किया जाने लगा, मध्यकालीन सामंती ढांचा जड़ से हिल गया और राजतंत्र का स्थान प्रजातंत्र ने लेना आरंभ किया। समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों की गूंज विश्व के अनेक देशों में सुनी गई। फ्रांस की क्रांति के 1789 ई० से आरंभ होकर नेपोलियन के पतन तक चली इसके विभिन्न पड़ावों का वर्णन इस प्रकार है-

1. टैनिस कोट और बेस्टील का पतन-14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध भीड़ से पेरिस नगर में बेस्टील के किले पर धावा बोला। यह किला फ्रांस के सम्राट् की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था। उस दिन सम्राट ने सेना को नगर में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अफ़वाह थी कि वह सेना को नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला है। अतः लगभग 7000 पुरुष तथा स्त्रियां टाऊन हॉल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने एक जन-सेना का गठन किया। हथियारों की खोज में वे अनेक सरकारी भवनों में जबरन प्रवेश कर गए। अंततः सैंकड़ों लोगों के एक समूह ने पेरिस नगर में स्थित बेस्टील (Bastile) के किले की जेल को तोड़ डाला जहां उन्हें भारी मात्रा में गोला-बारूद मिलने की आशा थी। हथियारों पर कब्जे के इस संघर्ष में बेस्टील का कमांडर मारा गया और कैदी छुड़ा लिए गए, यद्यपि उनकी संख्या केवल सात थी। किले को ध्वस्त कर दिया गया और उसके अवशेष बाज़ार में उन लोगों को बेच दिए गए जो इस ध्वंस को स्मृति-चिह्न के रूप में संजो कर रखना चाहते थे।

2. फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र (राष्ट्रीय महासभा)-फ्रांस का सम्राट् लुई (XVI) अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति को देखकर सहम गया था। अत: उसने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि अब से उसकी सत्ता पर संविधान का अंकुश होगा। 1791 में नेशनल असेंबली ने संविधान का प्रारूप तैयार कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था। अब शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में विभाजित कर दिया गया। इस प्रकार शक्तियां एक हाथ में केंद्रित न रह कर तीन विभिन्न संस्थाओं को हस्तांतरित कर दी गईं। इसी के फलस्वरूप फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई।

3. आतंक का राज्य जैकोबिन क्लब-जैकोबिन क्लब के सदस्य मुख्यतः समाज के हम समृद्ध वर्गों से संबंधित थे। इनमें छोटे दुकानदार और कारीगर जैसे जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज़, छपाई करने वाले और नौकर व दैनिक मज़दूर शामिल थे। उनका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था। रोबेस्प्येर ने 1793 से 1794 तक फ्रांस पर शासन किया। उसने बहुत ही कठोर एवं क्रूर नीतियां अपनाईं। वह जिन्हें गणतंत्र का शत्रु मानता था अथवा उसकी पार्टी का जो कोई सदस्य उससे असहमति जताता था, उन्हें जेल में डाल देता था। उन पर एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा मुकद्दमा चलाया जाता था। जो कोई भी दोषी पाया जाता था, उसे गुलोटाइन पर चढ़ा कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था।
रोबेस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता एवं क्रूरता से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि कर उठे। इसी कारण उसके राज्य की ‘आतंक का राज्य’ कहा जाता है।

4. डायरेक्टरी का शासन-जैकोबिन सरकार के पतन के बाद नेशनल कन्वेंशन ने 1795 ई० में फ्रांस के लिए एक संविधान तैयार किया था। इस संविधान के अनुसार देश के शासन की बागडोर डायरेक्टरी के हाथ में सौंप दी गई। 26 अक्तूबर, 1795 ई० को डायरेक्टरी का पहला अधिवेशन बुलाया गया और इसके साथ ही नेशनल कन्वेंशन भंग हो गई। डायरेक्टरी ने चार वर्ष (1795-1799 ई०) तक फ्रांस पर शासन किया। इन चार वर्षों में इसे अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। डायरेक्टरी की राजनीतिक असफलता ने सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

5. नेपोलियन का काल-1799 में डिरेक्ट्री के शासन का तख्तापलट कर नेपोलियन प्रथम काउंसिल (First Council) बन गया। उसने तानाशाही शक्तियां प्राप्त कर ली। उसने जनमत-संग्रह करवाया। 99.9 प्रतिशत मतदाताओं ने उसकी नई शासन व्यवस्था के पक्ष में मत दिया। विजयों की एक श्रृंखला के बाद वह फ्रांस के शत्रुओं के साथ भी शांति संधि स्थापित करने में सफल रहा। संधि तथा शांति स्थापना के इन कार्यों ने सिद्ध कर दिया कि वह एक योग्य प्रशासक है। 1799 से 1804 तक, उसने अनेक सुधार लागू किए।

  • उसने वित्तीय उपायों द्वारा बढ़ती हुई मुद्रास्फीति (मूल्य वृद्धि) पर रोक लगाई।
  • इसके बाद बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की गई।
  • उसने पोप के साथ काफ़ी समय से चले आ रहे उस विवाद को भी सुलझा लिया, जो 1789 में चर्च की भूमि को जब्त किए जाने के कारण शुरू हुआ था। इसके लिए उसने घोषित कर दिया कि कैथोलिकवाद ही बहुसंख्यक फ्रांसीसियों का धर्म है।
  • तत्पश्चात् उसने फ्रांसीसी कानून को संहिताबद्ध करने का काम पूरा किया। इसीलिए उस संहिता को नेपोलियन कोड (संहिता) के नाम से पुकारा जाता है। यही संहिता भविष्य में फ्रांसीसी कानून प्रणाली का आधार बनी रही।
  • नेपोलियन सम्राट् बना-1804 तक आते-आते नेपोलियन प्रथम काउंसिल के पद से संतुष्ट नहीं रहा। उसने एक बार फिर जनमत-संग्रह करवाया और उसे वह सब बनने व करने का अधिकार मिला जो वह चाहता था। दिसंबर
    PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (2)
    1804 में उसने पोप पिअस सप्तम की उपस्थिति में स्वयं अपने हाथों से अपने सिर पर राजमुकुट धारण किया। इस प्रकार उसने स्वयं को सम्राट् घोषित कर दिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 3.
फ्रांस की क्रांति के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति (1789 ई०) से न केवल फ्रांस, बल्कि संसार के समस्त देश स्थायी रूप से प्रभावित हुए। वास्तव में इस क्रांति के कारण एक नये युग का उदय हुआ। इसके तीन प्रमुख सिद्धांत-समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व की भावना पूरे विश्व के लिए अमर वरदान सिद्ध हुए। इन्हीं के आधार पर संसार के अनेक देशों में एक नये समाज की स्थापना का प्रयत्न किया गया। इस क्रांति की विरासत का वर्णन इस प्रकार है-

1. स्वतंत्रता-स्वतंत्रता फ्रांसीसी क्रांति का एक मूल सिद्धांत था। इस सिद्धांत से यूरोप के लगभग सभी देश प्रभावित हुए। फ्रांस में मानव-अधिकारों के घोषणा-पत्र (Declaration of the Rights of Man) द्वारा सभी लोगों को उनके अधिकारों से परिचित कराया गया। देश में अर्द्धदास प्रथा (Serfdom) का अंत कर दिया गया और निर्धन किसानों को सामंतों के चंगुल से छुटकारा दिलाया गया। फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप अनेक देशों में निरंकुश शासन के विरुद्ध आंदोलन आरंभ हो गए। लोगों ने धार्मिक, सामाजिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना आरंभ कर दिया।

2. समानता-क्रांति के कारण निरंकुश शासन का अंत हुआ और इसके साथ ही समाज में फैली असमानता का भी अंत हो गया। समानता क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत था। इसका प्रचार लगभग सभी देशों में हुआ। इसके फलस्वरूप सभी लोग कानून की दृष्टि में एक समान समझे जाने लगे। सभी लोगों को उन्नति के समान अवसर प्राप्त होने लगे। सरकार अब सभी लोगों से एक समान व्यवहार करने लगी। वर्ग भेद सदा के लिए समाप्त हो गया।

3. लोकतंत्र-फ्रांस के क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी शासन का अंत कर दिया और इसके स्थान पर लोकतंत्र की स्थापना की। लोगों को बताया गया कि राज्य की सारी शक्ति जनता में निहित है और राजा के दैवी अधिकारों का सिद्धांत बिल्कुल गलत है। लोगों को यह अधिकार है कि वे अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा सरकार चलायें। फ्रांस को क्रांति ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सरकार केवल जनता के लिए ही नहीं बल्कि जनता के द्वारा बनाई जाए। आरंभ में लोकतंत्र के सिद्धांत के विरुद्ध यूरोप में प्रतिक्रिया हुआ, परंतु कुछ समय पश्चात् यूरोप तथा संसार के अन्य देशों ने इस सिद्धांत के महत्त्व को समझा और उन देशों में लोकतंत्र का जन्म हुआ।

4. राष्ट्रीयता की भावना-फ्रांसीसी क्रांति के कारण फ्रांस तथा यूरोप के अन्य देशों में राष्ट्रीयता की भावना का जन्म हुआ। क्रांति के समय जब आस्ट्रिया तथा प्रशा ने फ्रांस पर आक्रमण किया था तो फ्रांस के सभी लोग, कंधे से कंधा मिलाकर उनके विरुद्ध लड़े थे। यह उनकी राष्ट्रीय भावना का ही परिणाम था। फ्रांसीसी होने के नाते वे एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और देश के शत्रु को अपना साझा शत्रु मानते थे। राष्ट्रीयता की इसी भावना से प्रेरित हो कर नेपोलियन के सैनिकों ने अनेक देशों पर विजय प्राप्त की। यह भावना केवल फ्रांस तक ही सीमित न रहकर जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल आदि देशों में भी पहुंची।

5. सामंतवाद से प्रजातंत्र की ओर-फ्रांसीसी क्रांति ने सामंतवाद का अंत कर दिया। सामंतों को उनके विशेषाधिकारों से वंचित कर दिया गया। अब उन्हें भी अन्य लोगों की भांति कर देने पड़ते थे। अर्द्धदास प्रथा (Serfdom) का अंत कर दिया गया और वर्ग-भेद मिटा दिये गये। समाज का गठन समानता के आधार पर किया गया। धीरे-धीरे ये परिवर्तन यूरोप तथा संसार के अन्य देशों में भी किये गए। इस प्रकार सामंतवाद का स्थान प्रजातंत्र ने लेना आरंभ कर दिया।

6. सार्वजनिक कल्याण-फ्रांस की राज्य-क्रांति ने सार्वजनिक कल्याण की भावना को विकसित किया। इस भावना से प्रेरित होकर दयालु लोगों तथा उन्नत सरकारों ने धन तथा कानूनों द्वारा लोगों के सामाजिक जीवन को सुधारने के प्रयास किए। जेलों की व्यवस्था को सुधारा गया तथा दासता का अंत कर दिया गया। कारखानों, खानों तथा खेतों में काम करने वाले मजदूरों की अवस्था में भी काफी सुधार किए गए। अशिक्षितों की शिक्षा के लिए स्कूलों की स्थापना की गई तथा रोगियों के लिए अस्पताल खोले गए। पिछड़े हुए लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इस प्रकार क्रांति के कारण सार्वजनिक भलाई की भावना का काफ़ी विकास हुआ। तो यह है कि क्रांति ने प्रचलित कानूनों का रूप बदल दिया, सामाजिक मान्यताएं बदल डालीं और आर्थिक ढांचे में आश्चर्यजनक परिवर्तन किए। राजनीतिक दल नवीन आदर्शों से प्रेरित हुए। सुधार आंदोलन तीव्र गति से चलने लगे। साहित्यकारों ने नवीन वाणी पाई। फ्रांसीसी क्रांति के तीन स्तंभ-समानता, स्वतंत्रता तथा बंधुत्व प्रत्येक देश के लिए पथ-प्रदर्शक बने। मानवता के लिए अंधकार का युग समाप्त हुआ और एक आशा भरी प्रातः का उदय हुआ।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रांति के कारणों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
नोट-इसके लिए दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्नों का प्रश्न नंबर 1 पढ़ें।

प्रश्न 5.
1789 ई० से पूर्व तीसरे वर्ग की महिलाओं की क्या स्थिति थी ?
उत्तर-
फ्रांस में तीसरे एस्टेट (वर्ग) की अधिकतर महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं। वे सिलाईबुनाई तथा कपड़ों की धुलाई करती थीं और बाजारों में फल-फूल तथा सब्जियां बेचती थीं। कुछ महिलाएं संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। बहुत-सी महिलाएं वेश्यावृत्ति भी करती थीं। अधिकांश महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर नहीं थे। केवल कुलीनों की लड़कियां अथवा तीसरे एस्टेट के धनी परिवारों की लड़कियां ही कॉन्वेंट में पढ़ पाती थीं। इसके बाद उनकी शादी कर दी जाती थी। कामकाजी महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल भी करनी पड़ती थी।
प्रारंभिक वर्षों में क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए। एक कानून के अनुसार सरकारी विद्यालयों की स्थापना की गई और सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया।

PSEB 9th Class Social Science Guide फ्रांसीसी क्रांति Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रांति कब हुई ?
(क) 1917 ई० में
(ख) 1905 ई० में
(ग) 1789 ई० में
(घ) 1688 ई० में।
उत्तर-
(ग) 1789 ई० में

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस पर किसका शासन था ?
(क) लुई फिलिप का
(ख) लुई सोलहवें का
(ग) लुई चौदहवें का
(घ) लुई अमरहवें का।
उत्तर-
(ख) लुई सोलहवें का

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति के समय किसानों की गणना किस वर्ग में की जाती थी ?
(क) कुलीन वर्ग में
(ख) मध्य वर्ग में
(ग) निम्न वर्ग में
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) निम्न वर्ग में

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प्रश्न 4.
रोमन कैथोलिक चर्च का सबसे बड़ा अधिकारी था
(क) रोमन सम्राट
(ख) रोमन प्रधानमंत्री।
(ग) पोप
(घ) मैटर्निख।
उत्तर-
(ग) पोप

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के समय यूरोप में भूमि के स्वामी थे
(क) जागीरदार
(ख) किसान
(ग) दास-कृषक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) जागीरदार

प्रश्न 6.
इनमें से किसका संदर्भ राजकीय शक्ति के प्रतीक से है ?
(क) राजदंड
(ख) कानूनी टेबल
(ग) लिवर (लिव्रे)
(घ) राजस्व।
उत्तर-
(क) राजदंड

प्रश्न 7.
इनमें से कौन-सा दासों की आजादी का प्रतीक है ?
(क) राजदंड
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर
(ग) अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप
(घ) टूटी हुई जंजीर/हथकड़ी।
उत्तर-
(घ) टूटी हुई जंजीर/हथकड़ी।

प्रश्न 8.
विधि पट किस बात का प्रतीक है ? .
(क) कानून की नज़र में सब बराबर हैं।
(ख) कानून सबके लिए समान हैं।
(ग) सामंत विशेष सुविधाओं के अधिकारी हैं।
(घ) (क) तथा (ख)।
उत्तर-
(घ) (क) तथा (ख)।

प्रश्न 9.
फ्रांस के राष्ट्रीय रंगों का समूह निम्न में से कौन-सा है?
(क) नीला-पीला-लाल
(ख) पीला-सफ़ेद-नीला
(ग) नीला-सफ़ेद-लाल
(घ) केसरी-सफ़ेद-हरा।
उत्तर-
(ग) नीला-सफ़ेद-लाल

प्रश्न 10.
निम्न में से किसका संदर्भ ‘एकता में ही बल है’ के प्रतीक से है ?
(क) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आँख
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर
(ग) लाल फ्राइजियन टोपी
(घ) टिथे।
उत्तर-
(ख) छड़ों का बींदार गट्ठर

प्रश्न 11.
लाल-फ्राइजियन टोपी का संबंध निम्न में से किससे है ?
(क) स्वतंत्र दासों से
(ख) समानता से
(ग) कानून के मानवीय रूप से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) स्वतंत्र दासों से

प्रश्न 12.
निम्न में से कानून के मानवीय रूप का प्रतीक कौन-सा है ?
(क) विधि पट
(ख) लाल-फ्राइजियन टोपी
(ग) डैनों वाली स्त्री
(घ) अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप।
उत्तर-
(ग) डैनों वाली स्त्री

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से ज्ञात का प्रतीक कौन-सा है ?
(क) राजदंड
(ख) टूटी हुई जंजीर
(ग) डैनों वालो स्त्री
(घ) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख।
उत्तर-
(घ) त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख।

प्रश्न 14.
तीसरे एस्टेट (फ्रांस) द्वारा राज्य को दिए जाने वाले प्रत्यक्ष कर का नाम इनमें से क्या था ?
(क) टाइद
(ख) टेली (टाइल)
(ग) लिवर (लिव्रे)
(घ) राजस्व।
उत्तर-
(ख) टेली (टाइल)

प्रश्न 15.
चर्च द्वारा किसानों (फ्रांस) से वसूला जाने वाला धार्मिक कर निम्न में से कौन-सा था ?
(क) लिने
(ख) टाइद
(ग) टिले
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) टाइद

प्रश्न 16.
फ्रांस के संदर्भ में लिने क्या था ?
(क) फ्रांस की मुद्रा
(ख) कारागार
(ग) एक प्रकार का कर
(घ) उच्च पद्र।
उत्तर-
(क) फ्रांस की मुद्रा

प्रश्न 17.
लुई 16वां फ्रांस का सम्राट् कब बना था ?
(क) 1747 ई० में
(ख) 1789 ई० में
(ग) 1774 ई० में
(घ) 1791 ई० में।
उत्तर-
(ग) 1774 ई० में

प्रश्न 18.
फ्रांस के शासक लुई 16वें ने किस प्रकार की सरकार को अपनाया ?
(क) निरंकुश
(ख) साम्यवादी
(ग) समाजवादी
(घ) उदारवादी।
उत्तर-
(क) निरंकुश

प्रश्न 19.
कौन-सा कारक फ्रांसीसी क्रांति के लिए उत्तरदायी था ?
(क) प्रजातंत्रात्मक शासन प्रणाली
(ख) सामंतों की शोचनीय दशा
(ग) भ्रष्ट शासन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) भ्रष्ट शासन

प्रश्न 20.
लुई 16वें का संबंध किस राजवंश से था ?
(क) हेप्सबर्ग
(ख) हिंडेनबर्ग
(ग) नार्डिक
(घ) बूबों।
उत्तर-
(घ) बूबों।

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प्रश्न 21.
रूसो ने ग्रंथ लिखा
(क) ट्रीटाइड ऑन टालरेंस
(ख) द सोशल कंट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।
(ग) विश्वकोष
(घ) फिलीसिफिकल डिक्शनरी।
उत्तर-
(ख) द सोशल कंट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।

प्रश्न 22.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन हुआ
(क) पेरिस में
(ख) वर्सेय में
(ग) वियाना में
(घ) बर्लिन में।
उत्तर-
(ख) वर्सेय में

प्रश्न 23.
ऐंटोनिटी कौन थी ?
(क) लुई 14वें की पत्नी
(ख) लुई 15वें की पत्नी
(ग) लुई 16वें की पत्नी
(घ) लुई 16वें की पत्नी।
उत्तर-
(ग) लुई 16वें की पत्नी

प्रश्न 24.
मेरी ऐंटोनिटी कहां की राजकुमारी थी ?
(क) जर्मनी
(ख) फ्रांस
(ग) इंग्लैंड
(घ) आस्ट्रिया।
उत्तर-
(घ) आस्ट्रिया।

प्रश्न 25.
क्रांति (1789) के समय फ्रांस पर कितना विदेशी ऋण था ?
(क) 2 अरब लिने
(ख) 12 अरब लिने
(ग) 10 अरब लिवे
(घ) 2.8 अरब लिने।
उत्तर-
(ख) 12 अरब लिने

प्रश्न 26.
फ्रांस में एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन हुआ था
(क) 1788 ई० में
(ख) 1801 ई० में
(ग) 1791 ई० में
(घ) 1789 ई० में।
उत्तर-
(घ) 1789 ई० में।

प्रश्न 27.
किस पुस्तक को ‘क्रांति का बाइबल’ कहा जाता है ?
(क) दि प्रिंसिपल ऑफ पोलिटकल राइट्स
(ख) एडिसकोर्स ऑन एंड साईंसिस ।
(ग) लॉ नैवेल
(घ) द सोशल कांट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।
उत्तर-
(घ) द सोशल कांट्रेक्ट/सामाजिक समझौता।

प्रश्न 28.
कौन-सा सिद्धांत फ्रांसीसी क्रांति का नहीं है ?
(क) समानता
(ख) स्वतंत्रता
(ग) बंधुत्व
(घ) साम्राज्यवाद।
उत्तर-
(घ) साम्राज्यवाद।

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प्रश्न 29.
” मैं फ्रांस हूँ। मेरी इच्छा ही कानून है।” ये शब्द किसके हैं ?
(क) बिस्मार्क
(ख) मांटेस्क्यू
(ग) लुई 16वें
(घ) नेपोलियन।
उत्तर-
(ग) लुई 16वें

प्रश्न 30.
राष्ट्रीय सभा बुलाने का उद्देश्य क्या था ?
(क) राजा को दंड देना
(ख) कर लगाना
(ग) कर हटाना
(घ) दार्शनिकों को पुरस्कृत करना।
उत्तर-
(ख) कर लगाना

प्रश्न 31.
राजा से झगड़े के पश्चात् राष्ट्रीय सभा किस स्थान पर एकत्रित हुई ?
(क) राजा के महल में
(ख) राजमहल के सामने
(ग) टेनिस कोर्ट में
(घ) बर्लिन में।
उत्तर-
(ग) टेनिस कोर्ट में

प्रश्न 32.
टेनिस कोर्ट में जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने क्या शपथ ली ?
(क) संविधान बनाने की
(ख) राजा को हटाने की
(ग) चर्च की संपत्ति लूटने की
(घ) सामंत वर्ग का विनाश करने की।
उत्तर-
(क) संविधान बनाने की

प्रश्न 33.
राष्ट्रीय महासभा का अधिवेशन कब आरंभ हुआ ?
(क) 15 अगस्त, 1789 को
(ख) 9 जुलाई, 1789 को
(ग) 14 अगस्त, 1789 को
(घ) 4 अगस्त, 1789 को।
उत्तर-
(घ) 4 अगस्त, 1789 को।

प्रश्न 34.
राष्ट्रीय सभा ने मानवीय अधिकारों की घोषणा कब की ?
(क) 1790 को
(ख) 1791 को
(ग) 27 अगस्त, 1789
(घ) 1792 को।
उत्तर-
(ग) 27 अगस्त, 1789

प्रश्न 35.
फ्रांस में मानव एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा किसने की ?
(क) विधानसभा ने
(ख) राष्ट्रीय महासभा ने
(ग) राष्ट्रीय सम्मेलन ने
(घ) किसी ने भी नहीं।
उत्तर-
(ख) राष्ट्रीय महासभा ने

प्रश्न 36.
बेस्टील का पतन कब हुआ ?
(क) 12 जुलाई, 1789 को
(ख) 10 जुलाई, 1789 को
(ग) 11 जुलाई, 1789 को
(घ) 14 जुलाई, 1789 को।
उत्तर-
(घ) 14 जुलाई, 1789 को।

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प्रश्न 37.
बेस्टील का किला किस बात का प्रतीक था ?
(क) स्वतंत्रता का
(ख) समानता का
(ग) बंधुत्व का
(घ) निरंकुश शक्तियों का।
उत्तर-
(घ) निरंकुश शक्तियों का।

प्रश्न 38.
फ्रांसीसी क्रांति का आरंभ किस ऐतिहासिक घटना से माना जाता है ?
(क) एस्टेट्स जेनराल का भंग होना
(ख) बेस्टील का पतन
(ग) राजा का फ्रांस से भागना
(घ) रानी का जिद्दी स्वभाव।
उत्तर-
(ख) बेस्टील का पतन

प्रश्न 39.
‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक सेना’ के गठन का क्या उद्देश्य था ?
(क) राजा पर नियंत्रण रखना
(ख) राष्ट्रीय सभा पर नियंत्रण रखना
(ग) फ्रांस का नेतृत्व करना
(घ) अराजकता को रोकना।
उत्तर-
(घ) अराजकता को रोकना।

प्रश्न 40.
राष्ट्रीय सभा ने संविधान तैयार किया
(क) 1789 में
(ख) 1799 में
(ग) 1791 में
(घ) 1792 में।
उत्तर-
(ग) 1791 में

प्रश्न 41.
1791 ई० के फ्रांसीसी संविधान के अनुसार फ्रांस की सरकार का स्वरूप कैसा था ?
(क) गणतंत्रीय
(ख) राजतंत्रीय
(ग) अल्पतंत्रीय
(घ) सामंतशाही।
उत्तर-
(क) गणतंत्रीय

प्रश्न 42.
10 अगस्त, 1792 से लेकर 20 सितंबर, 1792 तक फ्रांस का शासन किसके हाथ में रहा ?
(क) लुई 16वां
(ख) लफायेत
(ग) फ्रांसीसी सेना
(घ) पेरिस कम्यून।
उत्तर-
(घ) पेरिस कम्यून।

प्रश्न 43.
राष्ट्रीय सम्मेलन में लुई 16वें के लिए क्या दंड निश्चित किया गया ?
(क) मृत्यु दंड
(ख) निर्वासन
(ग) आजीवन कारावास
(घ) क्षमादान।
उत्तर-
(क) मृत्यु दंड

प्रश्न 44.
लुई 16वें को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
(क) 1791 ई० में
(ख) 1792 ई० में
(ग) 1789 ई० में
(घ) 1793 ई० में।
उत्तर-
(घ) 1793 ई० में।

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प्रश्न 45.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने किस अमानवीय प्रथा का अंत किया ?
(क) सती प्रथा
(ख) बेगार प्रथा
(ग) दास प्रथा
(घ) सामंत प्रथा।
उत्तर-
(ग) दास प्रथा

प्रश्न 46.
रोबेस्प्येर को गिलोटिन पर कब चढ़ाया गया ?
(क) जुलाई, 1794 ई० में
(ख) जुलाई, 1791 ई० में
(ग) जुलाई, 1789 ई० में
(घ) जुलाई, 1795 ई० में।
उत्तर-
(क) जुलाई, 1794 ई० में

प्रश्न 47.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ निम्नलिखित राजनीतिक दल ने स्थापित किया
(क) जिरोंदिस्त दल
(ख) राजतंत्रवादी दल
(ग) जैकोबिन दल
(घ) उपरोक्त सभी ने सामूहिक रूप से।
उत्तर-
(ग) जैकोबिन दल

प्रश्न 48.
आतंक के शासन में मृत्युदंड प्राप्त व्यक्ति को मारा जाता था
(क) फांसी देकर
(ख) गिलोटिन द्वारा
(ग) बिजली का झटका देकर
(घ) विष देकर।
उत्तर-
(ख) गिलोटिन द्वारा

प्रश्न 49.
जिरोंदिस्त दल ने देश की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कौन-सी नई मुद्रा चलाई ?
(क) चांदी के सिक्के
(ख) सोने के सिक्के
(ग) तांबे के सिक्के
(घ) कागज़ के नोट।
उत्तर-
(घ) कागज़ के नोट।

प्रश्न 50.
‘पैट्रियाट’ नामक पत्र के प्रकाशन का कार्य फ्रांसीसी क्रांति के किस नेता ने आरंभ किया ?
(क) रूसो
(ख) रोबेस्प्येर
(ग) दांते
(घ) ब्रीसो।
उत्तर-
(घ) ब्रीसो।

प्रश्न 51.
डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता जिस सैनिक तानाशाह के उदय का आधार बनी
(क) नेपोलियन बोनापार्ट
(ख) लुई 16वां
(ग) रोबेस्प्येर
(घ) रूसो।
उत्तर-
(क) नेपोलियन बोनापार्ट

प्रश्न 52.
फ्रांस में महिलाओं को मत देने का अधिकार मिला
(क) 1792
(ख) 1794
(ग) 1904
(घ) 1946.
उत्तर-
(घ) 1946

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प्रश्न 53.
क्रांतिकारी फ्रांस से आने वाले विचारों का समर्थन किया
(क) टीपू सुल्तान तथा राजा राममोहन राय
(ख) हैदरअली तथा स्वामी दयानंद
(ग) बहादुरशाह ज़फ़र तथा स्वामी विवेकानंद
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) टीपू सुल्तान तथा राजा राममोहन राय

II. रिक्त स्थान भरो:

  1. फ्रांसीसी क्रांति के समय ………………….. यूरोप में भूमि के स्वामी थे।
  2. फ्रांस के राष्ट्रीय रंगों का समूह ………………………. है।
  3. …………….. तीसरे वर्ग (एस्टेट) द्वारा फ्रांस राज्य को दिया जाने वाला प्रत्यक्ष कर था।
  4. फ्रांस में एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन ……….. ………. ई० में हुआ।
  5. बेस्टील का किला …. ……………….. का प्रतीक था।
  6. फ्रांस के ‘आतंक का राज्य’ …………………….. ने स्थापित किया।

उत्तर-

  1. जमींदार
  2. नीला सफेद लाल
  3. टेली (टाइले)
  4. 1789
  5. निरंकुश शक्तियों
  6. जैकोरि

III. सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. फ्रांसीसी क्रांति – (i) स्वतंत्र दास
2. किसान – (ii) जैकोबिन दल
3. लाल फ्रीजियन टोपी – (iii) लुई सोलहवां
4. क्रांति का बाइबल – (iv) द सोशल कांट्रेक्ट
5. आतंक का राज्य – (v) निम्न वर्ग

उत्तर-

  1. लुई सोलहवां
  2. निम्न वर्ग
  3. स्वतंत्र दास
  4. द सोशल कांट्रेक्ट
  5. जैकोबिन दल। जिला

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रांति कब हुई ?
उत्तर-
1789 ई० में।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस में किस वर्ग को विशेषाधिकार प्राप्त थे ?
उत्तर-
सामंत वर्ग को।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस का शासक कौन था ? उसका संबंध किस राजवंश से था ?
उत्तर-
लुई सोलहवां, बूढे राजवंश।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस के समाज में सबसे अधिक शक्तिशाली थे ?
उत्तर-
सामंत, चर्च।

प्रश्न 5.
रोमन कैथोलिक चर्च का सबसे बड़ा अधिकारी कौन था ?
उत्तर-
पोप।

प्रश्न 6.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस की संसद् किस नाम से प्रसिद्ध थी ?
उत्तर-
एस्टेट्स जेनराल।

प्रश्न 7.
लुई सोलहवें का निवास स्थान कहां था ?
उत्तर-
वर्सेय में।

प्रश्न 8.
फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस में किस प्रकार का शासन तंत्र था ?
उत्तर-
निरंकुश राजतंत्र।

प्रश्न 9.
फ्रांसीसी क्रांति को जन्म देने वाले दो प्रमुख दार्शनिकों के नाम बताओ।
उत्तर-
मांटेस्क्यू, रूसो।

प्रश्न 10.
रूसो ने किस बात पर अधिक बल दिया ?
उत्तर-
मनुष्यों की समानता पर।

प्रश्न 11.
रूसो द्वारा लिखित ग्रंथ का नाम लिखो।
उत्तर-
द सोशल कंट्रेक्ट (सामाजिक समझौता)।

प्रश्न 12.
मांतेस्क्यू ने किस ग्रंथ की रचना की थी ?
उत्तर-
‘The Spirit of The Laws’ (कानून की आत्मा)।

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प्रश्न 13.
मेरी ऐंटोनिटी कौन थी ?
उत्तर-
लुई सोलहवें की पत्नी।

प्रश्न 14.
फ्रांस की भूमि पर कितना भाग चर्च की संपत्ति थी ?
उत्तर-
1/5 भाग।

प्रश्न 15.
फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व फ्रांस में राज्य तथा सेना के महत्त्वपूर्ण पदों पर किसका अधिकार था ?
उत्तर-
सामंतों का।

प्रश्न 16.
फ्रांस के किस दार्शनिक को दार्शनिकों का सम्राट् कहा जाता है ?
उत्तर-
वाल्तेयर को।

प्रश्न 17.
फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस पर कोई एक प्रभाव बताओ।
उत्तर-
निरंकुश राजतंत्र का पतन।

प्रश्न 18.
फ्रांसीसी क्रांति के तीन प्रमुख सिद्धांत कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व।

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय सभा का नाम संविधान सभा कब रखा गया ?
उत्तर-
9 जुलाई, 1789.

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय सभा बुलाने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
कर लगाना।

प्रश्न 21.
तुर्गों द्वारा किया गया एक वित्तीय सुधार लिखो।
उत्तर-
कर्मचारियों की संख्या में कमी।

प्रश्न 22.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन बुलाने से पूर्व लुई 16वें ने कौन-सी सभा बुलाई ?
उत्तर-
पैरिस की पार्लियामेंट।

प्रश्न 23.
पैरिस की पार्लियामेंट क्यों बुलाई गई ?
उत्तर-
कर लगाने के लिए।

प्रश्न 24.
एस्टेट्स जेनराल का अधिवेशन कब हुआ ?
उत्तर-
17 जुलाई, 1789.

प्रश्न 25.
टैनिस कोर्ट (फ्रांस) में जनसाधारण के प्रतिनिधियों ने किस विषय में शपथ ली ?
उत्तर-
संविधान बनाने की।

प्रश्न 26.
फ्रांस में मानव एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा किसने की ?
उत्तर-
राष्ट्रीय महासभा ने।

प्रश्न 27.
बेस्टील का पतन कब हुआ ?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789.

प्रश्न 28.
फ्रांसीसी क्रांति का आरंभ किस घटना से माना जाता है ?
उत्तर-
बेस्टील के पतन से।

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प्रश्न 29.
फ्रांस की ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक सेना’ का मुखिया कौन था ?
उत्तर-
लफायेत।

प्रश्न 30.
राजा को वर्सेय से पेरिस कौन लाया ?
उत्तर-
स्त्रियों का जलस।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय संविधान सभा ने संविधान कब तैयार किया ?
उत्तर-
1791 ई० में।

प्रश्न 32.
जिरोंदिस्त क्लब के सदस्य किस विचारधारा के पक्षपाती थे ?
उत्तर-
गणतंत्रवादी विचारधारा।

प्रश्न 33.
पहली बार फ्रांस की जनता ने किस दिन राजमहल को घेरा ?
उत्तर-
20 जून, 1792 ई०।

प्रश्न 34.
पेरिस की भीड़ ने दूसरी बार राजा के महल को कब घेरा ?
उत्तर-
10 अगस्त, 1792 ई०।

प्रश्न 35.
फ्रांस के राजा को किसके शासन द्वारा बंदी बनाया गया ?
उत्तर-
विधानसभा के शासन द्वारा।

प्रश्न 36.
फ्रांसीसी विधान सभा का सबसे प्रमुख कार्य क्या था ?
उत्तर-
राजतंत्र की समाप्ति।

प्रश्न 37.
विधानसभा द्वारा राजतंत्रवादियों की हत्या की घटना को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
सितंबर हत्याकांड।

प्रश्न 38.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने फ्रांस में कैसी शासन प्रणाली स्थापित की ?
उत्तर-
गणतंत्रात्मक।

प्रश्न 39.
राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा जारी नये कैलेंडर की प्रथम तिथि कब से आरंभ हुई ?
उत्तर-
22 सितंबर, 1979 से।

प्रश्न 40.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने लुई 16वें के लिए क्या दंड निश्चित किया ?
उत्तर-
मृत्यु दंड।

प्रश्न 41.
लुई 16वें को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
उत्तर-
1793 ई० में।

प्रश्न 42.
राष्ट्रीय सम्मेलन के शासन काल में फ्रांस के दो प्रमुख राजनीतिक दल कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
जिरोंदिस्त तथा जैकोबिन।

प्रश्न 43.
फ्रांस के राष्ट्रीय सम्मेलन ने भीतरी शत्रुओं का सामना करने के लिए किस समिति की स्थापना की ?
उत्तर-
सार्वजनिक रक्षा समिति।

प्रश्न 44.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने नाप-तोल की कौन-सी नई विधि अपनाई ?
उत्तर-
दशमलव विधि।

प्रश्न 45.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ लगभग कितने वर्ष चला ?
उत्तर-
एक वर्ष।

प्रश्न 46.
फ्रांस में ‘आतंक का राज्य’ किस राजनीतिक दल ने स्थापित किया ?
उत्तर-
जैकोबिन दल।

प्रश्न 47.
सामान्य सुरक्षा समिति (आतंक का राज्य) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1792 ई० में।

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प्रश्न 48.
क्रांतिकारी न्यायालय (आतंक का राज्य) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1793 ई० में।

प्रश्न 49.
वह चौक किस नाम से प्रसिद्ध था जहां आतंक के राज्य में लोगों को मौत के घाट उतारा जाता था ?
उत्तर-
क्रांति चौक।

प्रश्न 50.
राष्ट्रीय सम्मेलन ने पेरिस में क्रांति के विरोधियों का अंत करने के लिए कौन-सा महत्त्वपूर्ण अधिनियम बनाया ?
उत्तर-
लॉ ऑफ़ सस्पैक्ट।

प्रश्न 51.
दांते को मृत्यु दंड कब दिया गया ?
उत्तर-
अप्रैल, 1774.

प्रश्न 52.
कौन-सा युद्ध जिरोंदिस्त दल के पतन का कारण बना ?
उत्तर-
आस्ट्रिया-फ्रांस युद्ध।

प्रश्न 53.
पेरिस कम्यून पर किस राजनीतिक दल का प्रभाव था ?
उत्तर-
जैकोबिन दल।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी समाज के किन तबकों (वर्गों) को क्रांति का फायदा (लाभ) मिला ? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए ? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर-

  1. फ्रांसीसी क्रांति से श्रमिक वर्ग तथा कृषक वर्ग को लाभ पहुंचा। इसका कारण यह था कि ये समाज के सबसे शोषित वर्ग थे। करों के बोझ से दबी आम जनता को भी राहत मिली। स्वतंत्रता एवं समानता की कामना करने वाले लोग भी प्रसन्न थे।
  2. क्रांति से अभिजात वर्ग को सत्ता त्यागनी पड़ी। राजतंत्र का अंत हो गया। जागीरदारों, सामंतों तथा चर्च को अपने विशेषाधिकारों से हाथ धोना पड़ा।
  3. क्रांति से अभिजात वर्ग को ही निराशा हुई होगी। इसके अतिरिक्त राजतंत्र के समर्थकों को भी क्रांति ने निराश ही किया होगा।

प्रश्न 2.
लुई 16वां (XVI) फ्रांस का सम्राट् कब बना ? उस समय फ्रांस की आर्थिक दशा कैसी थी ?
अथवा
लुई 16वें के राजगद्दी पर बैठते समय फ्रांस आर्थिक संकट में फंसा हुआ था। इसे स्पष्ट करने के लिए कोई तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर-
लुई XVI 1774 ई० में फ्रांस का सम्राट् बना। उस समय उसकी आयु केवल 20 वर्ष की थी। उसके राज्यारोहण के समय फ्रांस का राजकोष खाली था जिसके कारण फ्रांस आर्थिक संकट में फंसा हुआ था। इस आर्थिक संकट के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे

  1. लंबे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे।
  2. वर्साय (Versailles) के विशाल महल और राजदरबार की शानो-शौकत बनाए रखने के लिए धन पानी की तरह बहाया जा रहा था।
  3. फ्रांस ने अमेरिका के 13 उपनिवेशों को अपने सांझा शत्रु ब्रिटेन से स्वतंत्र कराने में सहायता दी थी। इस युद्ध के चलते फ्रांस पर दस अरब लिने से भी अधिक का कर्ज और बढ़ गया, जबकि उस पर पहले से ही दो अरब लिने के ऋण का बोझ था। सरकार से ऋणदाता अब 10 प्रतिशत ब्याज की मांग करने लगे थे। फलस्वरूप फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बहुत बड़ा भाग लगातार बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने पर मजबूर थी।

प्रश्न 3.
1789 से पहले फ्रांसीसी समाज किस प्रकार व्यवस्थित था ? तीसरे एस्टेट की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1789 से पहले फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बंटा हुआ था जिन्हें एस्टेट कहते थे। तीन एस्टेट थे-प्रथम एस्टेट, द्वितीय एस्टेट तथा तृतीय एस्टेट। पहले एस्टेट में कुलीन वर्ग (पादरी आदि) के लोग तथा दूसरे वर्ग में सामंत शामिल थे। तीसरे एस्टेट में बड़े-बड़े व्यवसायी, व्यापारी, सौदागर, वकील, किसान, शिल्पकार, श्रमिक आदि आते थे। पहले दो एस्टेट के लोगों को कई विशेषाधिकार प्राप्त थे जिनमें से करों से मुक्ति का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण था। करों का सारा बोझ तीसरे एस्टेट पर था, जबकि सभी आर्थिक कार्य इन्हीं लोगों द्वारा किये जाते थे। किसान तथा खेतिहर अनाज उगाते थे, श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन करते थे और सौदागर व्यापार का संचालन करते थे। परंतु वे अपनी स्थिति में सुधार नहीं ला सकते थे।

प्रश्न 4.
रोबेस्प्येर कौन था ? उसके राज्य को ‘आतंक का राज्य’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
रोबेस्प्येर ने 1793 से 1794 तक फ्रांस पर शासन किया। उसने बहुत ही कठोर एवं क्रूर नीतियां अपनाईं। वह जिन्हें गणतंत्र का शत्रु मानता था अथवा उसकी पार्टी का जो कोई सदस्य उससे असहमति जताता था, उन्हें जेल में डाल देता था। उन पर एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा मुकद्दमा चलाया जाता था। जो कोई भी दोषी पाया जाता था, उसे गिलोटिन पर चढ़ा कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था।
रोबेस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता एवं क्रूरता से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि कर उठे। इसी कारण उसके राज्य को ‘आतंक का राज्य’ कहा जाता है।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण क्या थे?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे-

  1. फ्रांस के राजा स्वेच्छाचारी थे और वे राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास करते थे। वे जनता के प्रति अपना कोई कर्त्तव्य नहीं समझते थे। सारे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला था।
  2. कर बहुत अधिक थे और. वे मुख्यतः जनसाधारण को ही देने पड़ते थे। दरबारी और सामंत करों से मुक्त थे।
  3. शासन में एकरूपता का अभाव था। सारे देश में एक जैसे कानून नहीं थे। यदि देश के एक भाग में रोमन कानून लागू थे, तो दूसरे भाग में जर्मन कानून प्रचलित थे।
  4. राज्य में सैनिक तथा अन्य पद पैतृक थे और उन्हें बेचा भी जा सकता था। जनसाधारण के लिए उन्नति का कोई मार्ग नहीं था।
  5. राज्य का धन फ्रांस की रानी मेरी एंतोएनेत पर पानी की तरह बहाया जा रहा था। जनता पर बड़े अत्याचार हो रहे थे। किसी भी व्यक्ति को बिना दोष बंदी बना लिया जाता था।
  6. सेना में असंतोष था। सैनिकों के वेतन बहुत कम थे तथा उन्हें पर्याप्त सुख-सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

प्रश्न 6.
14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध लोगों ने पेरिस के किस भवन पर धावा बोला ? यह भवन जनता का निशाना क्यों बना ?
अथवा
बेस्टील का पतन किन कारणों से हुआ तथा इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध भीड़ ने पेरिस नगर में बेस्टील के किले पर धावा बोला। यह किला फ्रांस के सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था। उस दिन सम्राट ने सेना को नगर में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अफ़वाह थी कि वह सेना को नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला है। अतः लगभग 7000 पुरुष तथा स्त्रियां टाऊन हॉल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने एक जन-सेना का गठन किया। हथियारों की खोज में वे अनेक सरकारी भवनों में जबरन प्रवेश कर गए। अंततः सैकड़ों लोगों के एक समूह ने पेरिस नगर में स्थित बेस्टील (Bastille) के किले की जेल को तोड़ डाला जहां उन्हें भारी मात्रा में गोला-बारूद मिलने की आशा थी। हथियारों पर कब्जे के इस संघर्ष में बेस्टील का कमांडर मारा गया और कैदी छुड़ा लिए गए, यद्यपि उनकी संख्या केवल सात थी। किले को ध्वस्त कर दिया गया और उसके अवशेष बाज़ार में उन लोगों को बेच दिए गए जो इस ध्वंस को स्मृति-चिह्न के रूप में संजो कर रखना चाहते थे।

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प्रश्न 7.
नेशनल असेंबली के अस्तित्व में आने के तुरंत पश्चात् क्रांति की ज्वाला किस प्रकार पूरे फ्रांस में फैल गई ?
उत्तर-
जिस समय नेशनल असेंबली संविधान का प्रारूप तैयार करने में व्यस्त थी, पूरा फ्रांस आंदोलित हो रहा था। कड़ाके की ठंड के कारण फ़सल नष्ट हो गई थी और पावरोटी की कीमतें आसमान को छू रही थीं। बेकरी मालिक स्थिति का लाभ उठा कर जमाखोरी में जुटे थे। बेकरी की दुकानों पर घंटों के इंतजार के बाद क्रोधित औरतों की भीड़ ने दुकान पर धावा बोल दिया। दूसरी ओर सम्राट ने सेना को पेरिस में प्रवेश करने का आदेश दे दिया था। अतः क्रुद्ध भीड़ ने 14 जुलाई को बेस्टील पर धावा बोलकर उसे ध्वस्त कर दिया।
शीघ्र ही गांव-गांव यह अफ़वाह फैल गई कि जागीरों के मालिकों ने भाड़े पर लठैतों-लुटेरों के दल बुला लिए हैं जो पकी फ़सलों को नष्ट कर रहे हैं। कई जिलों में भययीत किसानों ने कुदालों तथा बेलचों से ग्रामीण किलों (chateau) पर आक्रमण कर दिए। उन्होंने अन्न भंडार लूट लिये और लगान संबंधी दस्तावेजों को जलाकर राख कर दिया। कुलीन बड़ी संख्या में अपनी जागीरें छोड़कर भाग गए। उनमें से अधिकांश ने पड़ोसी देशों में जाकर शरण ली। इस प्रकार क्रांति की ज्वाला चारों ओर फैल गई।

प्रश्न 8.
4 अगस्त, 1789 की रात को फ्रांस की नेशनल असेंबली द्वारा किये गए किन्हीं तीन प्रशासनिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लुई XVI से मान्यता मिलने के बाद नेशनल असेंबली ने 4 अगस्त, 1789 की रात को निम्नलिखित प्रशासनिक परिवर्तन किए

  1. करों, कर्त्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया गया।
  2. पादरी वर्ग के लोगों को अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देने के लिए विवश किया गया।
  3. धार्मिक कर समाप्त कर दिया गया और चर्च के स्वामित्व वाली भूमि ज़ब्त कर ली गई। इस प्रकार लगभग 20 अरब लिने की संपत्ति सरकार के हाथ में आ गई।

प्रश्न 9.
फ्रांस में दास-व्यापार के आरंभ तथा महत्त्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फ्रांस में दास-व्यापार सत्रहवीं शताब्दी में आरंभ हुआ। फ्रांसीसी सौदागर बोर्दे या नाते बंदरगाह से अफ्रीका तट पर जहाज़ ले जाते थे। वहां वे स्थानीय सरदारों से दास खरीदते थे। दासों को दाग कर तथा हथकड़ियां डाल कर अटलांटिक महासागर के पार कैरिबिआई देशों तक ले जाने के लिए जहाज़ों में ढूंस दिया जाता था। वहां उन्हें बागानमालिकों को बेच दिया जाता था।
महत्त्व-

  1. दास-श्रम के बल पर यूरोपीय बाजारों में चीनी, कॉफी तथा नील की बढ़ती मांग को पूरा करना संभव हो सका।
  2. बोर्दे और नाते जैसे बंदरगाह फलते-फूलते दास-व्यापार के कारण समृद्ध नगर बन गए।

प्रश्न 10.
18वीं और 19वीं शताब्दी में फ्रांस की दासता के विषय में क्या स्थिति थी ? किन्हीं तीन स्थितियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  1. 18वीं शताब्दी में फ्रांस में दास प्रथा की अधिक निंदा नहीं हुई। नेशनल असेंबली में लंबी बहस हई कि व्यक्ति के मूलभूत अधिकार उपनिवेशों में रहने वाली प्रजा सहित समस्त फ्रांसीसी प्रजा को दिए जाएं या नहीं। परंतु दास-व्यापार पर निर्भर व्यापारियों के विरोध के भय के कारण नेशनल असेंबली में कोई कानून पारित नहीं किया गया।
  2. अंततः सन् 1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया। परंतु यह कानून एक छोटी-सी अवधि तक ही लागू रहा। दस वर्ष बाद नेपोलियन ने दास-प्रथा फिर से शुरू कर दी। बागान-मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी नीग्रो लोगों को दास बनाने की स्वतंत्रता दे दी गई।
  3. फ्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रूप से दास-प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया गया।

प्रश्न 11.
नेपोलियन बोनापार्ट कौन था ? उसने किन सुधारों को लागू किया ?
उत्तर-
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का सम्राट् था। उसने 1804 में अपने आपको फ्रांस का सम्राट घोषित किया था। इससे पहले वह डिरेक्ट्री में प्रथम डिरेक्टर था।
सुधार-नेपोलियन स्वयं को यूरोप के आधुनिकीकरण का अग्रदूत मानता था। उसने निम्नलिखित सुधार लागू किए1. उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाए। 2. उसने दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलायी।

प्रश्न 12.
फ्रांस के 1791 के संविधान से महिलाएं क्यों निराश थीं ? महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए क्रांतिकारी सरकार ने कौन-से कानून लागू किए ?
उत्तर-
फ्रांस में महिलाएं 1791 के संविधान से इसलिए निराश थीं क्योंकि इसमें उन्हें निष्क्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। परंतु महिलाओं ने मताधिकार, असेंबली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की मांग रखी। उनका मानना था कि तभी नई सरकार में उनका प्रतिनिधित्व हो पायेगा। क्रांतिकारी सरकार के कानून-महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए क्रांतिकारी सरकार ने निम्नलिखित कानून लागू किए

  1. सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य कर दी गई।
  2. अब पिता उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध शादी के लिए बाध्य नहीं कर सकता था। शादी को स्वैच्छिक अनुबंध माना गया और नागरिक कानूनों के अनुसार उनका पंजीकरण किया जाने लगा।
  3. तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया और स्त्री-पुरुष दोनों को ही इसकी अर्जी देने का अधिकार दिया गया।
  4. अब महिलाएं व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थीं, कलाकार बन सकती थीं और छोटे-मोटे व्यवसाय चला सकती थीं।

प्रश्न 13.
जैकोबिन कौन थे ? उन्हें ‘सौं कुलॉत’ के नाम से क्यों जाना गया ?
उत्तर-
जैकोबिन क्लब के सदस्य मुख्यतः समाज के कम समृद्ध वर्गों से संबंधित थे। इनमें छोटे दुकानदार और कारीगर-जैसे जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज़, छपाई करने वाले और नौकर व दैनिक मजदूर शामिल थे। उनका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था। जैकोबिनों के एक बड़े वर्ग ने गोदी कामगारों की तरह लंबी धारीदार पतलून पहनने का निर्णय किया। ऐसा उन्होंने समाज के फ़ैशनपरस्त वर्ग, विशेषकर स्वयं को घुटने तक पहने जाने वाले ब्रीचेस (घुटन्ना) पहनने वाले कुलीनों से अलग करने के लिए किया। यह उनका ब्रीचेस पहनने वाले कुलीनों की सत्ता समाप्ति को दर्शाने का तरीका था। इसलिए जैकोबिनों को ‘सौं कुलॉत’ के नाम से जाना गया जिसका शाब्दिक अर्थ है-बिना घुटन्ने वाले। सौं कुलॉत पुरुष लाल रंग की टोपी भी पहनते थे जो स्वतंत्रता की प्रतीक थी। महिलाओं को यह टोपी पहनने की अनुमति नहीं थी।

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प्रश्न 14.
फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र के स्थान पर गणतंत्र की स्थापना कैसे हुई ?
उत्तर-
1792 ई० की गर्मियों में जैकोबिनों ने खाद्य पदार्थों की महंगाई एवं अभाव से क्रुद्ध पेरिसवासियों को लेकर एक विशाल हिंसक विद्रोह की योजना बनायी। 10 अगस्त की प्रातः उन्होंने ट्यूलेरिए के महल पर धावा बोल दिया। उन्होंने राजा के रक्षकों को मार डाला और राजा को कई घंटों तक बंधक बनाये रखा। बाद में नेशनल असेंबली ने शाही परिवार को जेल में डाल देने का प्रस्ताव पारित किया। नये चुनाव कराये गए। 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी पुरुषोंचाहे उनके पास संपत्ति थी या नहीं-को मतदान का अधिकार दिया गया।
नवनिर्वाचित असेंबली को कन्वेंशन का नाम दिया गया। 21 सितंबर, 1792 को कन्वेंशन ने राजतंत्र का अंत करके फ्रांस को एक गणतंत्र घोषित कर दिया।

प्रश्न 15.
फ्रांस के इतिहास पर फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  1. 1789 से बाद के वर्षों में फ्रांस के लोगों के पहनावे, बोलचाल तथा पुस्तकों आदि में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए।
  2. क्रांतिकारी सरकारों ने कानून बना कर स्वतंत्रता तथा समानता के आदर्शों को दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास किया।
  3. सेंसरशिप को समाप्त कर दिया। अधिकारों के घोषणा-पत्र ने भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नैसर्गिक अधिकार घोषित कर दिया।

प्रश्न 16.
1791 का फ्रांसीसी संविधान किस महत्त्वपूर्ण प्रावधान से शुरू होता था ? इसमें क्या कहा गया था?
उत्तर-
1791 का फ्रांसीसी संविधान ‘पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा-पत्र’ के साथ शुरू हुआ था। इसके अनुसार जीवन के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और कानूनी समानता के अधिकार को ‘नैसर्गिक एवं अहरणीय’ अधिकार के रूप में स्थापित किया गया। प्रत्येक व्यक्ति को ये अधिकार जन्म से प्राप्त थे। अतः इन अधिकारों को छीना नहीं जा सकता था। राज्य का यह कर्त्तव्य माना गया कि वह प्रत्येक नागरिक के नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा करे।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है ?
अथवा
उन लोकतांत्रिक अधिकारों की सूची बनाओ जिनका आज हम उपभोग करते हैं और जो फ्रांसीसी क्रांति की उपज होंगे।
उत्तर-
आज के मानव को निम्नलिखित लोकतांत्रिक (जनवादी) अधिकार फ्रांसीसी क्रांति की देन हैं। इनकी घोषणा 27 अगस्त, 1789 को राष्ट्रीय महासभा में की गई थी।

  1. मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है और उसके अधिकार अन्य मनुष्यों के समान होंगे।
  2. प्रत्येक राजनीतिक संगठन का उद्देश्य मनुष्य के सभी अधिकारों की रक्षा करना है।
  3. प्रत्येक मनुष्य को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार है, परंतु वह दूसरों की स्वतंत्रता को हानि न पहुंचाए।
  4. राज्य की शक्ति का मुख्य स्रोत राज्य के नागरिक हैं । अतः कोई भी व्यक्ति अथवा कोई भी संगठन ऐसा निर्णय लागू नहीं कर सकता जो देश के लोगों की इच्छा के विरुद्ध हो।
  5. कानून केवल उन्हीं कार्यों को रोकता है जिनसे समाज को हानि पहुंचती हो।
  6. न्याय की दृष्टि में सभी नागरिक समान हैं। कानूनी कार्यवाही के बिना किसी भी व्यक्ति को बंदी नहीं बनाया जा सकता। दोष सिद्ध होने पर ही किसी को दंड दिया जा सकता है।
  7. कानून देश के सभी लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं। अतः सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से अथवा अपने प्रतिनिधियों द्वारा कानून के निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। .
  8. सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
  9. प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता है। परंतु उससे समाज या देश को हानि न पहुंचे।
  10. बिना क्षति-पूर्ति (Compensation) के किसी भी व्यक्ति की संपत्ति नहीं ली जा सकती।
  11. कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का शोषण नहीं कर सकता।

प्रश्न 2.
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे ?
उत्तर-
सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश निश्चित रूप से विरोधाभासों से ग्रस्त थे। इनमें निम्नलिखित कई दोष थे-

  1. इसमें सभा आयोजित करने तथा संघ आदि बनाने की स्वतंत्रता के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
  2. इसमें सार्वजनिक शिक्षा के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
  3. इसमें व्यापार तथा व्यवसाय की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं दिया गया था।
  4. इसमें नागरिकों को संपत्ति रखने का सीमित अधिकार प्रदान किया गया था। अतः राज्य सार्वजनिक हित का बहाना बनाकर किसी की भी संपत्ति छीन सकता था।
  5. फ्रांस के उपनिवेशों (Colonies) में काम करने वाले हब्शी दासों के विषय में इसमें कोई उल्लेख न था।
  6. इन अधिकारों की सबसे बड़ी त्रुटि यह थी कि इनके साथ मानव के कर्त्तव्य निश्चित नहीं किए गए थे। कर्त्तव्यों के बिना अधिकार प्रायः महत्त्वहीन ही समझे जाते हैं। इस विषय में मिराब्यो ने भी लिखा है कि नागरिकों को अधिकार देने की उतनी आवश्यकता न थी जितनी कि उन्हें अपने कर्तव्यों से अवगत कराने की थी।

प्रश्न 3.
फ्रांस में नेशनल असेंबली किस प्रकार अस्तित्व में आई ?
उत्तर-
फ्रांस में नेशनल असेंबली टेनिस कोर्ट की शपथ के फलस्वरूप अस्तित्व में आई। तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि स्वयं को संपूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे। 20 जून को ये प्रतिनिधि वर्साय के इंडोर टेनिस कोर्ट में एकत्र हुए। उन्होंने अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया और शपथ ली कि जब तक सम्राट की शक्तियों को कम करने वाला संविधान तैयार नहीं हो जाता तब तक असेंबली भंग नहीं होगी। उनका नेतृत्व मिराब्यो और आबे सिए ने किया। मिराब्यो का जन्म कुलीन परिवार में हुआ था, परंतु वह सामंती विशेषाधिकारों वाले समाज को समाप्त करने के पक्ष में था। उसने एक पत्रिका निकाली और वर्साय में जमा भीड़ के सामने जोरदार भाषण भी दिए। आबे सिए मूलतः पादरी था और उसने ‘तीसरा एस्टेट क्या है ?’ शीर्षक से एक अत्यंत प्रभावशाली प्रचार-पुस्तिका (पैंफ़्लेट) लिखी।
अपनी विद्रोही प्रजा के तेवर देखकर लुई XVI ने अंततः नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि उसकी सत्ता पर अब से संविधान का अंकुश होगा।

प्रश्न 4.
रोबेस्प्येर ने किस प्रकार फ्रांसीसी समाज में समानता लाने के प्रयास किए ?
उत्तर-
रोबेस्प्येर ने निम्नलिखित सुधारों द्वारा फ्रांसीसी समाज में समानता लाने का प्रयास किया-

  1. रोबेस्प्येर ने कानून द्वारा मज़दूरी तथा कीमतों की अधिकतम सीमा निश्चित कर दी।
  2. गोश्त तथा पावरोटी की राशनिंग कर दी गई।
  3. किसानों को अपना अनाज शहरों में जाकर सरकार द्वारा निश्चित मूल्यों पर बेचने के लिए विवश कर दिया गया।
  4. अपेक्षाकृत महंगे सफ़ेद आटे के प्रयोग पर रोक लगा दी गई। अब सभी नागरिकों के लिए साबुत गेहूँ से बनी और समानता का प्रतीक मानी जाने वाली ‘समता रोटी’ खाना अनिवार्य कर दिया गया।
  5. बोलचाल और संबोधन में भी समानता का आचार-व्यवहार लागू करने का प्रयास किया गया। परंपरागत मॉन्स्यूर (महाशय) एवं मदाम (महोदया) के स्थान पर अब सभी फ्रांसीसी पुरुषों एवं महिलाओं को सितोयेन (नागरिक) एवं सितोयीन (नागरिका) के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
  6. चर्चों को बंद कर दिया गया और उनके भवनों को बैरक या दफ़्तर बना दिया गया।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रांति के इतिहास में 1791 के संविधान का क्या महत्त्व हैं ?
उत्तर-
1791 के संविधान में सम्राट की शक्तियों को सीमित करके फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की गई। इस संविधान के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित थे

  1. शासन की शक्तियों को विभिन्न संस्थाओं अर्थात् विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में विभाजित एवं हस्तांतरित कर दिया गया।
  2. कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया गया।
  3. नेशनल असेंबली का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता था। पहले नागरिक एवं निर्वाचक समूह का चुनाव करते थे जो असेंबली के सदस्यों को चुनते थे।
  4. मत देने का अधिकार केवल 25 वर्ष या उससे अधिक आयु के ऐसे पुरुषों को प्राप्त था जो कम-से-कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। इन्हें सक्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। शेष पुरुषों और महिलाओं को निष्क्रिय नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया था। निर्वाचक की योग्यता प्राप्त करने तथा असेंबली का सदस्य बनने के लिए लोगों का करदाताओं की उच्चतम श्रेणी में होना आवश्यक था।

प्रश्न 6.
नेपोलियन का सम्राट के रूप में उदय किस प्रकार हुआ था ? उसके शासनकाल की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस की सत्ता मध्य वर्ग के संपन्न लोगों के हाथ में आ गई। नए संविधान के अनुसार संपत्तिहीन वर्ग को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। इस संविधान में चुनी गई दो विधान परिषदों की व्यवस्था थी। इन परिषदों ने पांच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका-डायरेक्टरी को नियुक्त किया। नई व्यवस्था में
जैकोबिनों के शासनकाल वाली एक व्यक्ति-केंद्रित कार्यपालिका से बचने का प्रयास किया गया, परंतु विधान परिषदों में डायरेक्टरों का झगड़ा होता रहता था। तब परिषद् उन्हें हटाने की चेष्टा करती थी। डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह-नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 1804 ई० में नेपोलियन ने अपने आप को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।
शासनकाल-

  1. नेपोलियन ने यूरोपीय देशों की विजय यात्रा आरंभ की। पुराने राजवंशों को हटा कर उसने नए साम्राज्य बनाए और उनकी बागडोर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दी ।
  2. नेपोलियन अपने आप को आधुनिकीकरण का दूत मानता था। उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कानून बनाए और दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली आरंभ की।
  3. आरंभ में बहुत-से लोगों को नेपोलियन मुक्तिदाता लगता था और उससे जनता को स्वतंत्रता दिलाने की आशा थी। परंतु जल्दी ही उसकी सेनाओं को लोग आक्रमणकारी मानने लगे। आखिरकार 1815 में वॉटरलू में उसकी पराजय हुई
    यूरोप के अन्य भागों में उसके मुक्ति और आधुनिक कानूनों को फैलाने वाले क्रांतिकारी उपायों का प्रभाव उसकी मृत्यु के काफ़ी समय बाद सामने आया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 7.
बेस्टील के पतन के बाद फ्रांस में पारित सबसे महत्त्वपूर्ण कानून कौन-सा था ? इसका क्या महत्त्व था ?
अथवा
फ्रांस में भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ को नैसर्गिक अधिकार घोषित किए जाने का फ्रांसीसी जनता के लिए क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
बेस्टील के पतन के बाद 1789 की गर्मियों में जो सबसे महत्त्वपूर्ण कानून अस्तित्व में आया, वह था सेंसरशिप की समाप्ति। प्राचीन राजतंत्र के अंतर्गत समस्त लिखित सामग्री तथा सांस्कृतिक गतिविधियों-पुस्तकों, अखबारों, नाटक आदि को राजा के सेंसर अधिकारियों द्वारा पास किए जाने के बाद ही प्रकाशित या मंचित किया जा सकता था। परंतु अब अधिकारों के घोषणापत्र के अनुसार भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नैसर्गिक अधिकार घोषित कर दिया। परिणामस्वरूप फ्रांस के नगरों में अखबारों, पर्यों, पुस्तकों तथा चित्रों की बाढ़-सी आ गई, जो तेज़ी से गांव-देहात तक जा पहुंची। उनमें फ्रांस में हो रही घटनाओं एवं परिवर्तनों का ब्यौरा और उन पर टिप्पणी होती थी। प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ यह था कि किसी भी घटना पर परस्पर विरोधी विचार भी व्यक्त किए जा सकते थे। प्रिंट माध्यम का उपयोग करके एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को अपने दृष्टिकोण से सहमत कराने के प्रयास किए। अब नाटक, संगीत और उत्सवी जुलूसों में असंख्य लोग जाने लगे। स्वतंत्रता और न्याय के बारे में राजनीतिज्ञों एवं दार्शनिकों के पांडित्यपूर्ण लेखन को समझने और उससे जुड़ने का यह एक लोकप्रिय तरीका था क्योंकि किताबों को केवल मुट्ठी भर शिक्षित लोग ही पढ़ सकते थे।

प्रश्न 8.
फ्रांसीसी सम्राट् लुई XVI ने एस्टेट्स जनरल (जेनराल) की बैठक क्यों बुलाई ? इसमें विभिन्न एस्टेट्स की क्या स्थिति थी ?
उत्तर-
फ्रांस पर ऋण के बढ़ते बोझ के कारण फ्रांस के सम्राट को धन की आवश्यकता थी। इसके लिए उसने नए कर लगाने का निर्णय किया। प्राचीन राजतंत्र के अंतर्गत फ्रांसीसी सम्राट अपनी मर्जी से कर नहीं लगा सकता था। इसके लिए उसे एस्टेट्स जेनराल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुला कर नए करों के अपने प्रस्तावों पर मंजूरी लेनी पड़ती थी। एस्टेट्स जेनराल एक राजनीतिक संस्था थी जिसमें तीनों एस्टेट्स अपने-अपने प्रतिनिधि भेजते थे। परंतु सम्राट् ही यह निर्णय करता था कि इस संस्था की बैठक कब बुलाई जाए। इसकी अंतिम बैठक 1614 में बुलाई गई थी।
इसके बाद लुई XVI ने 5 मई, 1789 को नये करों के प्रस्ताव पर मंजूरी के लिए एस्टेट्स जेनराल की बैठक बुलाई। प्रतिनिधियों की मेजबानी के लिए वर्साय के एक भव्य भवन को सजाया गया। पहले और दूसरे एस्टेट ने इस बैठक में अपने 300-300 प्रतिनिधि भेजे जिन्हें आमने-सामने की पंक्तियों में बिठाया गया। तीसरे एस्टेट के 600 प्रतिनिधियों को उनके पीछे खड़ा किया गया। तीसरे एस्टेट का प्रतिनिधित्व इसके अपेक्षाकृत समृद्ध एवं शिक्षित वर्ग के लोग कर रहे थे। किसानों, औरतों एवं कारीगरों को सभा में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। फिर भी लगभग 40,000 पत्रों के माध्यम से उनकी शिकायतों तथा मांगों की सूची बनाई गई थी जिसे प्रतिनिधि अपने साथ लेकर आए थे।

प्रश्न 9.
फ्रांस में जेनराल नेशनल असेंबली किस प्रकार अस्तित्व में आई? इसमें मिराब्यो और आबे सिए की क्या भूमिका रही ?
उत्तर-
एस्टेट्स जेनराल के नियमों के अनुसार प्रत्येक एस्टेट (सामाजिक वर्ग) को एक मत देने का अधिकार था। इस बार भी लुई XVI का इसी प्रथा का पालन करने के लिए दृढ़ संकल्प था। परंतु तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधियों ने मांग रखी कि अबकी बार पूरी सभा द्वारा मतदान कराया जाना चाहिए, जिसमें प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार हो। यह नि:संदेह एक लोकतांत्रिक सिद्धांत था, जिसे अपनी पुस्तक ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ में रूसो ने भी प्रस्तुत किया था। परंतु सम्राट ने इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया। इस विरोध में तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि सभा से बाहर चले गए। वे स्वयं को संपूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे। 20 जून को वे वर्साय के इनडोर टेनिस कोर्ट में जमा हुए। उन्होंने स्वयं को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया और शपथ ली कि जब तक सम्राट की शक्तियों को कम करने वाला संविधान तैयार नहीं हो जाता तब तक असेंबली भंग नहीं होगी। उनका नेतृत्व मिराब्यो और आबे सिए ने किया। मिराब्यो का जन्म कुलीन परिवार में हुआ था, लेकिन वह सामंती विशेषाधिकारों वाले समाज को समाप्त करने की ज़रूरत से सहमत था। उसने एक पत्रिका निकाली और वर्साय में जुटी भीड़ के सामने ज़ोरदार भाषण भी दिए। आबे सिए मूलतः पादरी था और उसने ‘तीसरा एस्टेट क्या है ?’ शीर्षक से एक अत्यंत प्रभावशाली प्रचार-पुस्तिका (पैंफ्लेट) लिखी।

प्रश्न 10.
फ्रांसीसी नेशनल असेंबली के अधीन क्रांतिकारी युद्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। इनके क्या परिणाम निकले ?
उत्तर-
लुई XVI ने 1791 के संविधान पर हस्ताक्षर कर दिए थे, परंतु प्रजा के राजा से उसकी गुप्त वार्ता भी चल रही थी। फ्रांस की घटनाओं से अन्य पड़ोसी देशों के शासक भी चिंतित थे। इन शासकों ने फ्रांस की नेशनल असेंबली की सरकार के विरुद्ध सेना भेजने की योजना बना ली थी। परंतु, आक्रमण होने से पहले ही, अप्रैल, 1792 में नेशनल असेंबली ने प्रशा तथा ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा का प्रस्ताव पारित कर दिया। प्रांतों से हज़ारों स्वयं सेवी सेना में भर्ती होने के लिए आने लगे। उन्होंने इस युद्ध को यूरोपीय राजाओं एवं कुलीनों के विरुद्ध जनता के युद्ध के रूप में लिया। उनके होठों पर देशभक्ति के जो गीत थे उनमें कवि रॉजेट दि लाइल द्वारा रचित मार्सिले भी था। यह गीत पहली बार मार्सिलेस के स्वयंसेवियों ने पेरिस की ओर कूच करते हुए गाया था। इसलिए इस गीत का नाम मार्सिले हो गया जो अब फ्रांस का राष्ट्रगान है।
क्रांतिकारी युद्धों के परिणाम-

  1. क्रांतिकारी युद्धों ने जनता को भारी क्षति पहुंचाई। लोगों को अनेक आर्थिक कठिनाइयां झेलनी पड़ी। पुरुषों के मोर्चे पर चले जाने के बाद घर-परिवार और रोजी-रोटी की ज़िम्मेवारी औरतों पर आ पड़ी।
  2. देश की आबादी के एक बड़े भाग को ऐसा लगता था कि क्रांति के घटनाक्रम को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है क्योंकि 1791 के संविधान से केवल धनी लोगों को ही राजनीतिक अधिकार प्राप्त हुए थे। लोग राजनीतिक क्लबों में अड्डे जमा कर सरकारी नीतियों और अपनी कार्ययोजना पर बहस करते थे। इनमें से जैकोबिन क्लब सबसे आगे था, जिसका नाम पेरिस के भूतपूर्व कॉन्वेंट ऑफ़ सेंट जेकब के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 11.
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस में हुए किन्हीं चार परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
डायरेक्टरी शासित फ्रांस की कोई चार विशेषताएं बताइए।
उत्तर-

  1. जैकोबिन सरकार के पतन के बाद वहां की सत्ता मध्य वर्ग के संपन्न लोगों के हाथों में आ गईं।
  2. नए संविधान के अनुसार संपत्तिहीन वर्ग को मताधिकार से वंचित कर दिया गया।
  3. इस संविधान में दो निवर्चित विधान परिषदों की व्यवस्था की गई थी । इन परिषदों ने पांच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका को नियुक्त किया। इसे डायरेक्टरी कहा जाता था। इस प्रावधान के माध्यम से जैकोबिनों के शासनकाल वाली एक व्यक्ति-केंद्रित कार्यपालिका से बचने का प्रयास किया गया, परंतु डायरेक्टरी का प्रायः विधान परिषदों से झगड़ा होता रहता था। ऐसे अवसरों पर परिषद् उन्हें पद से हटाने की चेष्टा करती थी।
  4. डायरेक्टरी की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह-नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

मानचित्र संबंधी प्रश्न (Map Work Questions)
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (3)
नोट- दिये गए मानचित्र में दिखाए गये तथ्यों का अध्ययन करें तथा उन्हें रिक्त मानचित्र में भरने का अभ्यास करें।

महत्त्वपूर्ण राजनीतिक प्रतीक

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (4)
त्रिकोण में आँख ज्ञान का प्रतीक है और सूर्य की किरणें अज्ञानता दूर करने के लिए हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (5)
एक सांप अपनी पूंछ को खा रहा है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक प्रक्रिया का अंत होता है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (6)
टूटी हुई जंजीर का अर्थ है दासता से आज़ादी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (7)
एक फ्रीजियन टोपी (Phrygian Cap) दासों की आज़ादी का प्रतीक है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (8)
कुल्हाड़ी सहित दंड की गांठ एकता में बल को दर्शाती है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (9)
राजदंड राज्य की शाही ताकत का प्रतीक है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (10)
कानून की पट्टी का अर्थ है कि कानून की नज़रों में सभी नागरिक समान हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (11)
पंखों वाली औरत कानून की सर्वोच्चता को दर्शाती है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति (12)
नीला, सफेद तथा लाल रंग फ्रांस के राष्ट्रीय रंग हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 5 फ्रांसीसी क्रांति

फ्रांसीसी क्रांति PSEB 9th Class History Notes

  • फ्रांसीसी क्रांति – फ्रांसीसी क्रांति 1789 ई० में हुई। साधारण जनता दुःखी थी, परंतु कुलीन वर्ग ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करता था। अतः जनता ने सम्राट् लुई 16वें के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजा दिया।
  • टैनिस कोर्ट की शपथ – लुई सोलहवें ने जनता के प्रतिनिधियों की बात नहीं मानी। वे टैनिस कोर्ट में एकत्र हो गए और उन्होंने नवीन संविधान बनाने की घोषणा कर दी।
  • बास्तील का पतन – 14 जुलाई, 1789 ई० को बेस्टील कारागृह का पतन हुआ। यहीं से क्रांति का नाद बजा था। आज भी 14 जुलाई का दिन फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • मानव तथा नागरिक अधिकारों की घोषणा – इस घोषणा का संबंध फ्रांस की क्रांति से है। इसमें यह स्वीकार किया गया था कि कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान हैं और बिना कारण किसी को भी बंदी नहीं बनाया जा सकता। इस घोषणा में भाषण तथा प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांत को भी स्वीकार किया गया। सबसे बड़ी बात यह थी कि इसमें स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व के सिद्धांत पर बड़ा बल दिया गया था।
  • लुई सोलहवां – लुई सोहलवां 1774 ई० में फ्रांस का सम्राट् बना। उस समय उसकी आयु केवल 20 वर्ष थी। वह अयोग्य, अदूरदर्शी तथा पत्नी का गुलाम था। शासन कार्यों में उसकी कोई रुचि नहीं थी। उसने राज्य का सारा काम ऐसे भ्रष्ट एवं स्वार्थी कर्मचारियों पर छोड़ रखा था जिन्होंने जनता की भलाई की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप जनता में दिन-प्रतिदिन असंतोष बढ़ता गया और उसने शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
  • वाल्तेयर – वाल्तेयर अपने समय का सुप्रसिद्ध व्यंग्य लेखक था। उसने सामाजिक अंधविश्वासों और चर्च की बुराइयों पर कड़ा प्रहार किया। उसने चर्च को बदनाम वस्तु’ (infamous thing) के नाम से पुकारा। उसने लोगों को सुधारों की मांग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • रूसो – रूसो अठारहवीं शताब्दी का एक महान् दार्शनिक था। उसने अपने विचारों का संग्रह अपनी पुस्तक ‘The Social Contract’ (सामाजिक समझौता) में किया है। उसके मतानुसार समाज की रचना उसमें रहने वाले व्यक्तियों के पारस्परिक समझौते के आधार पर होनी चाहिए।
  • मांतेस्क्यू – मांतेस्क्यू अपने समय का प्रसिद्ध विद्वान और उच्चकोटि का लेखक था। वह राजा के दैवी अधिकारों के सिद्धांत का कट्टर विरोधी था। उसे इंग्लैंड की शासन पद्धति बड़ी प्रिय थी। वह फ्रांस में भी वैसी ही शासन प्रणाली स्थापित करना चाहता था। उसकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Spirit of the Laws’ है। उसके क्रांतिकारी विचारों से क्रांति की भावना को बड़ा बल मिला।
  • नेपोलियन – नेपोलियन उन महान् व्यक्तियों में से था जिन्होंने साधारण कुल में जन्म लेकर उच्चतम पद प्राप्त किया। वह सेना के साधारण पद से उन्नति करता हुआ फ्रांस का सम्राट बन गया। कोर्सिका द्वीप में पैदा होने वाले इस व्यक्ति ने 1812 ई० तक पूरे यूरोप पर अपनी सत्ता जमा ली। अंत में यूरोपीय शक्तियों ने मिलकर उसे पराजित किया। बंदी के रूप में पेट के रोग के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
  • पादरी वर्ग – चर्च में विशेष कार्य करने वाले लोगों का समूह।
  • टाइद तथा टाइल – टाइद चर्च द्वारा वसूला जाने वाला एक धार्मिक कर था, जबकि टाइल एक प्रत्यक्ष कर था।
  • मेनर – एक एस्टेट जिसमें सामंत की भूमि और उसका महल होता था।
  • 1774 – लुई 16वां फ्रांस का राजा बना। उसे खाली खज़ाना मिला और पुरातन व्यवस्था के समाज में असंतोष।
  • 1789 – एस्टेट्स जेनराल बुलाई गई, तृतीय एस्टेट ने राष्ट्रीय सभा बनाई, बेस्टील का पतन हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के विद्रोह हुए।
  • 1791 – नया संविधान बना जिसने राजा की शक्तियों को सीमित किया, मूल मानव अधिकारों को गारंटी मिली।
  • 1792 – फ्रांस को गणराज्य मिला, राजा का सिर काट दिया गया।
    -93 जैकोबिन के गणराज्य का पतन हुआ और फ्रांस में डायरेक्टरी का शासन स्थापित हुआ।
  • 1804 – नेपोलियन फ्रांस का सम्राट् बना।
  • 1815 – वाटरलू के स्थान पर नेपोलियन की पराजय।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

PSEB 9th Class Home Science Guide गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गृह विज्ञान को पहले कौन-कौन से नाम दिये जाते थे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान विषय को घरेलू विज्ञान, घरेलू कला, घरेलू अर्थशास्त्र आदि के नाम दिये गए हैं।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान का अर्थ लिखो।
उत्तर-
डॉ० ए० एच० रिचर्डज़ अनुसार, गृह विज्ञान वह विशेष विषय है जो परिवार की आय तथा खर्च, कपड़ों सम्बन्धी ज़रूरतें, भोजन की स्वच्छता, घर का सही चुनाव आदि से सम्बन्धित है।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान को कितने और कौन-कौन से क्षेत्रों में बांटा गया है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान को मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में बांटा गया है –
भोजन तथा पोषण, वस्त्र विज्ञान, गृह व्यवस्था, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार।

प्रश्न 4.
गृह विज्ञान की शिक्षा का मुख्य लाभ बताओ।
उत्तर-

  1. गृह विज्ञान की शिक्षा से भोजन तथा पोषण के बारे में जानकारी प्राप्त होती
  2. इसकी शिक्षा से कपड़ों की बनावट, कटाई, सिलाई, बुनाई आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
  3. इसकी शिक्षा से मानवीय तथा भौतिक साधनों को अच्छी तरह व्यवस्थित किया जा सकता है।
  4. इसकी शिक्षा से बाल विकास तथा वृद्धि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
    इस तरह गृह विज्ञान की शिक्षा से ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष के बारे में जानकारी मिलती है।

प्रश्न 5.
गृह व्यवस्था से क्या भाव है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान वास्तविक विज्ञान है जो विद्यार्थी को पारिवारिक जीवन सफलतापूर्वक बिताने तथा सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को आसानी से तथा सही ढंग से सुलझाने के योग्य बनाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

प्रश्न 6.
भोजन और पोषण विज्ञान से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिए खुराकी तत्त्वों की जरूरत, कमी-वृद्धि, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

प्रश्न 7.
वस्त्र विज्ञान के अन्तर्गत क्या पढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
वस्त्र विज्ञान में कपड़ों की बनावट, कटाई, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिए साबुन आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।

प्रश्न 8.
गृह विज्ञान के विषय के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-
गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य इस तरह हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. परिवार को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 9.
गृह विज्ञान विषय से आप क्या समझते हो और इसका क्या महत्व है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान विषय का आधार विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, जीव विज्ञान तथा सामाजिक शाखाओं जैसे-अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान आदि हैं।

यह विषय ज़िन्दगी, समाज के उन सभी पहलुओं से सम्बन्ध रखता है जो विभिन्न विज्ञानों से ली जानकारी का संयोजन करके मनुष्य का आस-पास, परिवार का पोषण, साधनों की व्यवस्था, बाल विकास तथा उपभोगी सामर्थ्य पैदा करता है।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की शिक्षा बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतों, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियों को समझकर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।

आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

प्रश्न 10.
किस उद्देश्य को मुख्य रखकर गृह विज्ञान विषय की पढ़ाई की जाती है ?
उत्तर-
पहले तो गृह विज्ञान को खाना पकाने अथवा कपड़े सिलने के विज्ञान के रूप में ही जाना जाता था परन्तु अब इसमें पोषण, स्वास्थ्य तथा घर से जुड़ी सुविधाओं के बारे में भी पढ़ाया जाता है। इन सभी विषयों की जानकारी हो तो जीवन सुखमय हो जाता है। गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. मनुष्यों को अच्छा जीवन जीने के लिये तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

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प्रश्न 11.
गृह विज्ञान विषय का क्षेत्र बहुत विशाल है । कैसे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इसको निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –
वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की पढ़ाई का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का हर पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
गृह विज्ञान विषय को कौन-से भागों में बांटा गया है ? किन्हीं दो के बारे बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 13.
पारिवारिक जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में गृह विज्ञान ने क्या भूमिका निभाई है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का विषय पारिवारिक जीवन को ऊँचा उठाने में अपनी भूमिका निभाता है। यह विषय पढ़कर गृहिणियों को अपने घर, बच्चों, कपड़ों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस तरह प्राप्त हुए ज्ञान का प्रयोग करके वह अपने परिवार के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होती है।

गृह विज्ञान का विषय समाज तथा देश के प्रत्येक पहलू से जुड़ा हुआ है। घर इसका एक हिस्सा है। इस विषय का दायरा जितना फैला हुआ है उतना शायद ही कोई अन्य विषय हो। यह विषय पढ़कर सदस्यों को चरित्रवान् बनाना, घर के बाहर की मुश्किलों को सुलझाना आदि कार्य आसानी से हो जाते हैं।

प्रश्न 14.
गृह विज्ञान की शिक्षा को ज्यादा महत्त्व क्यों दिया जाना चाहिए ?
उत्तर-
गृह विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसका क्षेत्र बहुत फैला हुआ है। इस विषय की जानकारी से अच्छे इन्सान बनाये जा सकते हैं। साईंस तथा तकनालॉजी की आधुनिक जानकारी तथा गृह विज्ञान विषय की शिक्षा से पारिवारिक जीवन में सुधार करके सुखमय परिवार बनाया जा सकता है।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की पढ़ाई बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतें, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियां समझकर सुन्दर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।

आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में तो इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
गृह विज्ञान का क्षेत्र बहुत विशाल है, कैसे ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इस को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –

वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध, उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, बुनाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का प्रत्येक पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिये खाद्य तत्त्वों की ज़रूरत, वृद्धि-कमी, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

वस्त्र विज्ञान में कपड़े की बनावट, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिये साबुन आदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिये बाल विकास की जानकारी बहुत आवश्यक है। बच्चे की सफलता अथवा असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय के ज्ञान से ही पता चलता है।

गृह व्यवस्था-मानवीय तथा भौतिक साधनों की सही ढंग से प्रयोग करके शक्ति, समय, पैसा, मेहनत आदि को बचाया जा सकता है। गृहिणी अपनी आय के अनुसार घर का बजट बनाती है, मौजूदा साधनों का प्रयोग करके परिवार के सभी सदस्यों के लिये अच्छे कपड़े, स्वास्थ्य, रहने का स्थान, पढ़ाई तथा मनोरंजन आदि का प्रबन्ध योजनाबद्ध ढंग से करती है।

प्रश्न 16.
गृह विज्ञान कौन-कौन से विषयों का समूह है और इनके अन्तर्गत क्या क्या पढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की बुनियादी शाखाएं जैसे कि रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि हैं। इस तरह गृह विज्ञान एक बहुत फैला हुआ विषय है तथा इसका क्षेत्र भी बहुत विशाल है। इस को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –

वस्त्र विज्ञान, भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, गृह विज्ञान की शिक्षा का विस्तार तथा बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध।

इन विभिन्न क्षेत्रों में भोजन का स्वास्थ्य से सम्बन्ध, उत्पादन तथा व्यवस्था, कपड़ों के रेशों की बनावट, धुलाई, बुनाई, घर का प्रबन्ध, बच्चों का प्रत्येक पक्ष से विकास आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

भोजन तथा पोषण विज्ञान में भोजन के तत्त्व, शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिये खाद्य तत्त्वों की ज़रूरत, वृद्धि-कमी, भोजन पकाना, भोजन से शरीर में होने वाले परिवर्तन, भोजन को सुरक्षित रखना, भोजन की सफाई का स्वास्थ्य से सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

वस्त्र विज्ञान में कपड़े की बनावट, सिलाई, धुलाई आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। आयु, आय, मौसम, पेशे तथा रंग अनुसार पोशाकों का सही चुनाव, सम्भाल, धुलाई के लिये साबुन आदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिये बाल विकास की जानकारी बहुत आवश्यक है। बच्चे की सफलता अथवा असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय के ज्ञान से ही पता चलता है।

प्रश्न 17.
गृह विज्ञान का उद्देश्य क्या है ? आजकल इस विषय को अधिक महत्त्व क्यों दिया जाने लगा है ?
उत्तर-
गृह विज्ञान के मुख्य उद्देश्य इस तरह हैं –

  1. मनुष्य का सर्वपक्षीय विकास करना तथा परिवार के सदस्यों के व्यक्तित्व में सुधार लाना।
  2. परिवार में उपलब्ध साधनों को सुधारना।
  3. परिवार को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना।
  4. परिवार में अच्छे ढंग से रहने की शिक्षा प्रदान करना।

महत्त्व-अच्छी गृहिणी तथा अच्छी मां बनने के लिये इस विषय की शिक्षा बहुत ज़रूरी है। इस विषय की जानकार छात्राएं आगे चलकर जब पारिवारिक जीवन में कदम रखेंगी तो वह परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रतिदिन की ज़रूरतों, अच्छे तथा सन्तुलित भोजन का ध्यान रख सकेंगी। कपड़ों सम्बन्धी बच्चों तथा परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें, बच्चों की वृद्धि, विकास, पालन-पोषण तथा उनकी रुचियों को समझकर तथा सुखमय घर बना सकती हैं।
आज के उन्नति तथा तकनालॉजी वाले युग में इस विषय का और भी महत्त्व बढ़ गया है। कई स्थानों पर तो यह विषय लड़कों को भी पढ़ाया जाने लगा है।

प्रश्न 18.
गृह व्यवस्था ही गृह विज्ञान का आधार है ? स्पष्ट करो और इसके अन्तर्गत कौन-कौन से उप-विषय पढ़ाए जाते हैं ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे-अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का सही प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया जाता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरो

  1. गृह विज्ञान घर में रहने की …………………. शिक्षा है।
  2. गृह विज्ञान का आधार विज्ञान की मूल तथा ………………. शाखाएं ही हैं।
  3. बच्चों का पालन-पोषण ………………… वातावरण में होना चाहिए।

उत्तर-

  1. क्रमबद्ध,
  2. सामाजिक,
  3. प्रेरणादायक।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बच्चे की सफलता तथा असफलता की ज़िम्मेदारी किसकी होती है ?
उत्तर-
मां की।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान का उद्देश्य मनुष्य का कैसा विकास करना है ?
उत्तर-
सर्वपक्षीय।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. गृह विज्ञान को घरेलू विज्ञान का नाम भी दिया गया है।
  2. गृह विज्ञान का उद्देश्य मनुष्य को अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करना भी है।
  3. गृह विज्ञान का आधार सामाजिक तथा विज्ञान की प्राथमिक शाखाएं हैं।
  4. मानवीय तथा भौतिक साधनों का उचित प्रयोग करके शक्ति, समय, पैसा, मेहनत आदि को बचाया जा सकता है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में ठीक हैं
(A) गृह व्यवस्था पारिवारिक ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित हैं।
(B) घर की आमदन बढ़ाने के लिए कुछ लघु उद्योग शुरू किए जा सकते हैं।
(C) संयुक्त परिवार में माता-पिता तथा अन्य सम्बन्धी मिल कर रहते हैं।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
मानवीय साधन है
(A) शक्ति
(B) रुचि
(C) कुशलता
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान की पढ़ाई सहायक है –
(A) चरित्र का एकीकरण।
(B) घर के अन्दर तथा बाहर अकस्मात् स्थितियों में समस्याओं को सुलझाना।
(C) घर में प्यार तथा मेल-मिलाप का वातावरण पैदा करना।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेडी इरविन की गृह विज्ञान संस्था के अनुसार गृह विज्ञान की परिभाषा दें।
उत्तर-
गृह विज्ञान एक वास्तविक विज्ञान है जो विद्यार्थी को सफलतापूर्वक पारिवारिक जीवन व्यतीत करने तथा सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को सरलता से तथा अच्छे ढंग से सुलझाने के योग्य बनता है।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान के क्षेत्र से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह विज्ञान का क्षेत्र काफ़ी विशाल है। इसका आधार विज्ञान की बुनियादी शाखाएं तथा सामाजिक शाखाएं हैं। गृह विज्ञान को निम्नलिखित शाखाओं में बांटा जा सकता है –
भोजन तथा पोषण विज्ञान, वस्त्र विज्ञान, गृह व्यवस्था, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध आदि। इस तरह गृह विज्ञान के क्षेत्र से अभिप्राय उपरोक्त विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है।

प्रश्न 3.
बाल विकास और पारिवारिक सम्बन्धों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर-
बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्धों के बारे में जानकारी होने का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में लोगों के साथ खुश रहता है तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करता है।

बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिए बाल विकास की जानकारी बहुत ज़रूरी है। बच्चे की सफलता-असफलता की ज़िम्मेदारी मां की होती है। इसलिए गृहिणी को बच्चों की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक आवश्यकताओं का पता होना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक, बच्चों के लिए मनोरंजन, भोजन आदि के बारे में बाल विकास के विषय से ही ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
‘गृह व्यवस्था का महत्त्व’ के अन्तर्गत पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना के बारे में लिखें।
उत्तर-
गृह व्यवस्था का एक कार्य परिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना भी है। प्रत्येक मनुष्य जीवन में उन्नति करना चाहता है तथा अपने रहन-सहन को बढ़िया रखना चाहता है। घर में अच्छी व्यवस्था जहां विकास की सीढ़ी का पहला पड़ाव पार करने के लिए सहायक है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी

गृह विज्ञान-सामान्य जानकारी PSEB 9th Class Home Science Notes

  • घर एक ऐसा स्थान है जहां परिवार के सदस्य आपस में प्यार से रहते हैं। एक दूसरे का दुःख-सुख बांटते हैं तथा भावनात्मक रूप में जुड़े होते हैं।
  • डॉ० ए०एच० रिचर्डज़ ने कहा है कि गृह विज्ञान एक ऐसा विशेष विषय है जो परिवार की आय तथा खर्च, भोजन की स्वच्छता, कपड़ों सम्बन्धी आवश्यकताएं घर का सही चुनाव आदि से सम्बन्ध रखता है।
  • गृह विज्ञान की शिक्षा के बिना गृहिणी की शिक्षा को अधूरा माना जाता है।
  • गृह विज्ञान का सम्बन्ध स्वास्थ्य, पोषण तथा घर से जुड़ी सुविधाओं से है।
  • गृह विज्ञान का क्षेत्र बहुत विशाल है। इस में भोजन तथा पोषण विज्ञान, गृह व्यवस्था, वस्त्र विज्ञान, बाल विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।
  • गृह विज्ञान का विषय मानवीय जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

SST Guide for Class 9 PSEB एक गांव की कहानी Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें:

  1. मानव की आवश्यकताएं
  2. …………. जोखिम उठाता है।
  3. ………… उत्पादन का प्राकृतिक साधन है।
  4. एक वर्ष में एक भूखण्ड पर एक से अधिक फसलें पैदा करने को ………. कहते हैं।
  5. जो श्रमिक एक राज्य से दूसरे राज्य में श्रम करने के लिए जाते हैं उन्हें ………….. श्रमिक कहते हैं।
  6.  पंजाब को देश के ……………. के रूप में जाना जाता है।

उत्तर-

  1. असीमित
  2. उद्यमी
  3. भूमि
  4. बहुविविध फसल प्रणाली
  5. प्रवासी श्रमिक
  6. अन्न के कटोरे।

बहुविकल्पी प्रश्न :

प्रश्न 1.
उत्पादन का कौन-सा कारक अचल है ?
(क) भूमि
(ख) श्रम
(ग) पूंजी
(घ) उद्यमी।
उत्तर-
(क) भूमि

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
वह आर्थिक क्रिया जो वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य अथवा उपयोगिता की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है, कहलाती है
(क) उत्पादन
(ख) उपभोक्ता
(ग) वितरण
(घ) उपयोगिता।
उत्तर-
(क) उत्पादन

प्रश्न 3.
कृषि में विशेषकर गेहूँ व धान के उत्पादन में असाधारण वृद्धि को क्या कहते हैं ?
(क) हरित क्रांति
(ख) गेहूं क्रांति
(ग) धान क्रांति
(घ) श्वेत क्रांति।
उत्तर-
(क) हरित क्रांति

प्रश्न 4.
इग्लैंड की मुद्रा कौन-सी है ?
(क) रुपए
(ख) डॉलर
(ग) यान
(घ) पौंड।
उत्तर-
(घ) पौंड।

सही/गलत :

  1. भूमि की पूर्ति सीमित है।
  2. मनुष्य की सीमित आवश्यकताएं असीमित साधनों के साथ पूरी होती हैं।
  3. श्रम की पूर्ति को बढ़ाया एवं घटाया नहीं जा सकता।
  4. उद्यमी जोखिम उठाता है।
  5. मशीन व पशुओं द्वारा करवाया कार्य श्रम है।
  6. बाज़ार में वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाने से उनकी मांग बढ़ जाती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत
  6. ग़लत।

(क) अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मनुष्यों के व्यवहार का अध्ययन है जो यह बताता है कि किस प्रकार एक मनुष्य अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित साधनों से पूरा कर सकता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
भारत के गांवों की मुख्य उत्पादन क्रिया कौन-सी है ?
उत्तर-
खेती, भारत के गांवों की मुख्य उत्पादन है।

प्रश्न 3.
गांवों में सिंचाई के दो प्रमुख साधन कौन-से हैं।
उत्तर-

  1. टयूबवैल
  2. नहरें।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र में श्रम से क्या अभिप्राय है ? .
उत्तर-
अर्थशास्त्र में श्रम का कार्य उन सभी मानवीय प्रयासों से हैं, जो धन कमाने के उद्देश्य से किए जाते हैं। ये प्रयास शारीरिक या बौद्धिक दोनों हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
माँ द्वारा अपने बच्चे को पढ़ाने की क्रिया श्रम है अथवा नहीं ?
उत्तर-
इस कार्य को श्रम नहीं माना जाएगा क्योंकि यह कार्य धन प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं किया गया है।

प्रश्न 6.
श्रमिकों को परिश्रमिक किस रूप में मिलता हैं ?
उत्तर-
श्रमिक अपनी मजदूरी नकद या किस्म के रूप में प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 7.
गांव के लोगों द्वारा की जाने वाली कोई दो गैर कृषि क्रियाएं बताएं।
उत्तर-
गैर कृषि क्रियाएं निम्न हैं1. डेयरी 2. मुर्गीपालन।

प्रश्न 8.
बड़े व लघु किसान कृषि के लिए वांछित पूंजी कहां से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
बड़े किसान कृषि क्रियाओं के लिए पूंजी अपनी कृषि क्रियाओं से होने वाली बचतों से प्राप्त करते हैं जबकि छोटे किसान बड़े किसानों से ऊंची ब्याज दर पर रकम लेते हैं।

प्रश्न 9.
भूमि की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है।

प्रश्न 10.
मज़दूर एक राज्य से दूसरे राज्यों में प्रवास क्यों करते हैं ?
उत्तर-
श्रमिक अपनी आजीविका कमाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य को प्रवास करते हैं।

प्रश्न 11.
किसान पराली को क्यों जलाते हैं ?
उत्तर-
धान के अवशिष्ट भाव पराली का कोई निवेष प्रबंध न होने के कारण किसान उस पराली को आग लगाते हैं।

(स्व) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हम अर्थशास्त्र का अध्यायन क्यों करते हैं ?
उत्तर-
हम अर्थशास्त्र का अध्ययन इसलिए करते हैं क्योंकि यह एक विज्ञान है जो हमें यह बताता है कि किस प्रकार हम अपने सीमित साधनों का प्रयोग करके अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। अर्थशास्त्र का अध्ययन करके ही हम अपनी आय को इस प्रकार व्यय कर सकते हैं जिससे हमें अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो।

प्रश्न 2.
आर्थिक क्रिया क्या है ? एक उदाहरण दें।
उत्तर-
आर्थिक क्रिया वह क्रिया है जो एक व्यक्ति द्वारा अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित साधनों को कम करके की जाती है। इस क्रियाओं को किए जाने का मुख्य उद्देश्य धन प्रकट करना होता है।
उदाहरण-एक शिक्षक द्वारा विद्यालय में पढ़ाना।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 3.
सिंचाई के लिए टयूबवैल का निरन्तर प्रयोग भूमि के नीचे के जलस्तर को कैसे प्रभावित करता है ?
उत्तर-
सिंचाई के लिए टयूबवैल द्वारा पानी के निरंतर प्रयोग किए जाने से भूमिगत जल का स्तर कम होता जा रहा है। पंजाब में भूमिगत जल स्तर का कम होना एक गंभीर समस्या है। पंजाब में हर वर्ष अधिक से अधिक जल का प्रयोग करने हेतु भूमि के नीचे से नीचे स्तर से भी जल निकाला जा रहा है। इस तरह 20 वर्ष के बाद भूमिगत के पूरी तरह कम हो जाने का माप उत्पन्न होने लगा है।

प्रश्न 4.
भूमि के एक ही भाग पर उत्पादन वृद्धि के कोई दो भिन्न ढंग बताएं।
उत्तर-
एक ही भूमि के टुकड़ें पर एक वर्ष में एक से अधिक फसलें एक साथ उगाने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसे बहुविविध फसल प्रणाली कहते हैं। भूमि के एक ही टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने की यह एक सामान्य प्रक्रिया है। यह विद्युत टयूवबैल तथा किसानों को विद्युत की लगातार पूर्ति से संभव हो सका है।
दूसरी ओर, एक ही भूमि के टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने का अन्य तरीका आधुनिक विधियों का प्रयोग करना है जैसे उच्च पैदावार वाले बीज, रासायनिक खाद की पर्याप्त मात्रा कीटनाशक आदि।

प्रश्न 5.
बहुफसली विधि से क्या अभिप्राय है ? वर्णन करें।
उत्तर-
एक वर्ष में भूमि के एक टुकड़े पर एक साथ एक से अधिक फसलें उगाने की क्रिया को बहुविविध फसल प्रणाली कहते हैं। यह भूमि के एक ही टुकड़े पर उत्पादन बढ़ाने का साधारण तरीका है। यह विद्युत टयूवबैल तथा किसानों को निरंतर विद्युत की पूर्ति से संभव हो सका है। छोटी-छोटी नहरों से भी किसानों को कृषि के लिए जल उपलब्ध होता रहता है। जिसने वर्ष भर किसानों को कृषि करने के लिए प्रेरित किया है।

प्रश्न 6.
हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है ? यह कैसे संभव हुई है ?
उत्तर-
भारत में योजनाओं की अवधि में अपनाए गए कृषि सुधारों के फलस्वरूप 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी अधिक वृद्धि किसी क्रांति से कम नहीं थी। इसलिए इसे हरित क्रांति का नाम दिया गया। हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादन में होने वाली भारी वृद्धि से है जो कृषि की नई नीति को अपनाने के कारण हुई।

प्रश्न 7.
भूमि पर आधुनिक कृषि पद्धति व ट्यूबवैल सिंचाई के कौन-से हानिकारक प्रभाव पड़े हैं ?
उत्तर-
भूमि एक प्राकृतिक संसाधन हैं, आधुनिक कृषि विधियां इसकी उपजाऊ शक्ति को कम कर रही हैं। आधुनिक कृषि विधियों के प्रयोग द्वारा प्रारंभिक स्तर में तो कृषि उत्पादन बढ़ता रहता है परंतु बाद में यह धीरे-धीरे घटता जाता है।
भूमिगत जल का स्तर भी टयूवबैल का अधिक प्रयोग करने से घटता जा रहा है। प्रत्येक वर्ष पंजाब के किसान भूमि को और अधिक नीचे तक खोदते रहते हैं। इन स्थितियों के द्वारा 20 वर्ष के बाद भूमिगत जल के पूरी तरह कम हो जाने का संकट उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 8.
गांव के किसानों में भूमि किस प्रकार वितरित हुई है ?
उत्तर-
इस गांव में दुर्भाग्यवश सभी लोग कृषि योग्य भूमि की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण कृषि कार्यों में संलग्न नहीं हैं। लगभग 20 परिवार ऐसे हैं जो अपनी भूमि के स्वामी हैं और 100 परिवार ऐसे हैं जिनके पास कृषि योग्य थोड़ी सी भूमि उपलब्ध है। जबकि 50 परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास अपनी कृषि योग्य भूमि नहीं है। यह लोग अन्य लोगों की भूमि पर काम करके अपनी आजीविका कमाते हैं।

प्रश्न 9.
गांव में कृषि के लिए श्रम के कोई दो स्त्रोत बताएं।
उत्तर-
किसानों कृषि कार्यों के लिए श्रम का स्वयं प्रबंध करते हैं। इसके अलावा, कुछ निर्धन परिवार अपनी आजीविका कमाने के लिए बड़े कृषकों की भूमि पर श्रम का कार्य करते हैं। ज़मींदारों की भूमि पर नाम करने के लिए कुछ प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश से भी गांव में आए हैं। इन्हें प्रवासी श्रमिक कहते हैं।

प्रश्न 10.
बड़े व मध्यम वर्गीय किसान कृषि के लिए आवश्यक पूंजी का प्रबंध कैसे करते हैं ?
उत्तर-
मझौले और बड़े किसानों के पास अधिक भूमि होती है अर्थात् उनकी जोतों का आकार काफ़ी बड़ा होता है जिससे वे उत्पादन अधिक करते हैं।
उत्पादन अधिक होने से वे इसे बाज़ार में बेच कर काफी पूंजी प्राप्त कर लेते हैं जिसका प्रयोग वे उत्पादन को आधुनिक विधियों को अपनाने में करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 11.
आर्थिक तथा अनार्थिक क्रिया में अंतर लिखें।
उत्तर-

आर्थिक  क्रियाएं अनार्थिक क्रियाएं
1. आर्थिक क्रियाएं अर्थव्यवस्था में वस्तुओं  व सेवाओं का प्रवाह करती हैं। 1. अनार्थिक क्रियाओं से वस्तुओं व सेवाओं का कोई प्रवाह अर्थव्यवस्था में नहीं होता।
2. जब आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि होती है तो इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था प्रगति 2. अनार्थिक क्रियाओं में होने वाली कोई भी वृद्धि अर्थव्यवस्था की प्रगति का निर्धारक नहीं है। में है।
3. आर्थिक क्रियाओं से वास्तविक व राष्ट्रीय आय व आय में वृद्धि होती है। 3. अनार्थिक क्रियाओं में से कोई राष्ट्रीय व्यक्तिगत आय में वृद्धि नहीं होती है।

प्रश्न 12.
श्रम की मुख विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
श्रम की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं-

  1. श्रम उत्पादन का एकमात्र सक्रिय साधन है।
  2. श्रम को पूर्ति घटाई व बढ़ाई जा सकती है।
  3. भारत में श्रम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
  4. धन कमाने के उद्देश्य से किए गए सभी मानवीय प्रयास श्रम है।
  5. श्रम को खरीदा व बेचा जा सकता है।
  6. श्रम गतिशील है।

प्रश्न 13.
लघु किसान कृषि के लिए वांछित पूंजी का प्रबंध कैसे करते हैं ?
उत्तर-
छोटे किसानों की पूंजी की आवश्यकता बड़े किसानों से भिन्न होती है क्योंकि छोटे किसानों के पास भूमि कम होने के कारण उत्पादन उनके भरण-पोषण के लिए भी कम बैठता है। उन्हें अधिकतम प्राप्त न होने के कारण बचतें नहीं होती। इसलिए खेती के लिए उन्हें पूंजी बड़े किसानों या साहूकारों से उधार लेकर पूरी करनी पड़ती है, जिस पर उन्हें काफी ब्याज चुकाना पड़ता है।

प्रश्न 14.
बड़े किसान अतिरिक्त कृषि उत्पादों को क्या करते हैं ?
उत्तर-
बड़े किसान अपने कृषि उत्पाद को नज़दीक के बाजार में बेचते हैं और बहुत अधिक धन कमा लेते हैं। इस कमाई हुई अतिरिक्त पूंजी का प्रयोग वे छोटे किसानों को ऊंची ब्याज दर पर ऋण देने के लिए करते हैं। इसके अलावा वो इस आधिक्य का प्रयोग अगले कृषि मौसम में उपज उगाने के लिए भी करते हैं और अपनी जमाओं को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 15.
भारत के गांवों में कौन-सी गैर-कृषि क्रियाएं की जाती हैं ?
उत्तर-
ग्रामीण क्षेत्र में जो गैर-कृषि कार्य हो रहे हैं वे निम्नलिखित हैं-

  1. पशुपालन द्वारा दुग्ध क्रियाएं।
  2. छोटे-छोटे उद्योग हैं जिसमें आटा चक्कियां, बुनकर उद्योग टोकरियां बनाना, फर्नीचर बनाना, लोहे के औज़ार बनाना आदि शामिल हैं।
  3. दुकानदारी।
  4. यातायात के साधनों का संचालन आदि।

प्रश्न 16.
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कौन-कौन सी गैर-कृषि क्रियाएं (गतिविधियां) चलाई जा रही है ?
उत्तर-
गैर-कृषि क्रियाओं को कम मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है । वर्तमान में, गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र अधिक विस्तृत नहीं हैं। गांवों में प्रत्येक 100 श्रमिकों में से केवल 24 श्रमिक ही गैर-कृषि क्रियाओं में संलग्न हैं। लोग गैर-कृषि क्रियाएं या तो अपनी बचतों से या ऋण लेकर शुरू कर सकते हैं। गांवों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करवा कर जैसे सड़क, बिजली, संचार, यातायात आदि से शहर के साथ जोड़ा जा सकता है तथा गैर-कृषि क्रियाओं को शुरू किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
फसलों के अवशिष्ट को खेतों में जलाने से भूमि की गुणवत्ता में पतन क्यों आता है ?
उत्तर-
फसलों के अवशिष्ट को खेतों में जलाने से ज़मीन की उपरी सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिस कारण ज़मीन में मिलने वाले सूक्ष्म जीव, बैक्टीरिया, मित्रकीट, फफूंद, पक्षी मौत का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ-साथ ज़मीन के लाभदायक तत्त्व और यौगिक भी तापमान में बढ़ौतरी के कारण नष्ट हो जाते हैं, परिणामस्वरूप भूमि की गुणवत्ता में पतन हो जाता है।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

गतिविधि-1

अपने निकटतम खेत में जाकर कुछ किसानों से चर्चा कीजिए तथा मालूम करने की कोशिश कीजिए।
प्रश्न 1.
किसान कृषि में परम्परावादी अथवा आधुनिक में किस विधि का प्रयोग कर रहे हैं : व क्यों।
उत्तर-
मेरे पड़ोस के खेतों में जिन किसानों की छोटी जोतें थीं वे खेती की पुरानी विधि का प्रयोग कर रहे हैं तथा जिन किसानों की जोतें बड़ी थीं वे नयी विधि का प्रयोग कर रहे थे। इन विधियों को प्रयोग करने का मुख्य कारण यही था कि जिन किसानों की जोतें छोटे आकार की हैं वे आधुनिक विधियों को प्रयोग करने में कम आय होने के कारण असमर्थ हैं। दूसरी ओर बड़े किसानों की आय अधिक होने के कारण वे आधुनिक विधि का प्रयोग करने में समर्थ हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
उसके द्वारा सिंचाई के कौन-से स्त्रोत का प्रयोग हो रहा हैं ?
उत्तर-
मेरे गांव में अधिकतर किसान सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर हैं परंतु कुछ बड़े किसान ट्यूवबैल, पंपसैट से भी सिंचाई करते हैं।

प्रश्न 3.
किसानों द्वारा बोई जाने वाली फसलों के प्रकार तथा इन फसलों को बीजने तथा काटने का समय क्या है ?
उत्तर-
मेरे गांव के किसान खरीफ़ तथा रवी दोनों प्रकार की फसलें उगाते हैं। खरीफ मौसम में मक्की, सूरजमुखी तथा चावल उगाते हैं तथा सर्दी से पहले इनकी कटाई हो जाती है। सर्दी में रवी फसल जैसे गेहूं, जौ, चना, सरसों उगाते हैं तथा अप्रैल मास में इनकी कटाई करते हैं।

प्रश्न 4.
किसानों द्वारा प्रयुक्त खादों व कीटनाशक दवाइयों के नाम लिखिए।
उत्तर-
खादों के नाम-

  1. यूरिया (Urea)
  2. वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost)
  3. जिप्सम (Gypsum)

कीटनाशक-

  1. Emanection Benzoate
  2. RDX BIO Pesticide
  3. Bitentrin 2.5% Ec
  4. Star one.

गतिविधि-2

प्रश्न 1.
अपने गांव या निकटवर्ती गांव के खेतों में जाकर पता करें कि किसान खेतों में पराली जला रहे हैं या नहीं ? यदि वे ऐसा कर रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में समझाइए।
उत्तर-
गांव के खेतों में जाने से मालूम हुआ कि किसान अगली फसल की बुआई करने की जल्दी के कारण विशेष रूप से धान की कटाई के बाद व गेहूं की बुआई से पहले अवशेषों को ठिकाने लगाने की व्यवस्था के अभाव में जल्दी हल के लिए वे खेतों में ही खूटी (Stubble) को जला रहे थे। मैंने उन्हें ऐसा करने से होने वाले बुरे परिणामों से अवगत करवाया उन्हें बताया कि इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है जो कि वातावरण असंतुलन फैलाता है। इससे भूमि की ऊपरी सतह का तापमान बढ़ जाता है जिसने विभिन्न प्रकार के जीवाणु, कवक, मित्र कीट आदि मर जाते हैं तथा भूमि के आवश्यक तत्वों का नाश होता है।

आइए चर्चा करें:

प्रश्न 1.
लघु स्तर के किसानों को बड़े स्तर के किसानों के खेतों में श्रमिकों की तरह कार्य क्यों करना पड़ता है ?
उत्तर-
उन्हें अपनी आजीविका कमाने के लिए श्रमिक के रूप में काम करना पड़ता है क्योंकि उन्होंने बड़े किसानों से निर्धनता के कारण ऋण लिए होते हैं जिसकी अदायगी के लिए उन्हें अपने खेतों को भी देना पड़ जाता है।

प्रश्न 2.
क्या कृषि श्रमिकों को पूरे वर्ष के लिए रोजगार उपलब्ध हो जाता है ?
उत्तर-
नहीं, खेतिहर मजदूरों को पूरे वर्ष भर रोज़गार नहीं मिलता। उन्हें दैनिक मज़दूरी आधार पर अथवा किसी विशेष खेती पर होने वाले क्रियाकलाप के दौरान जैसे कटाई या बुआई के समय ही काम मिलता है। वे मौसमी रोज़गार प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
कृषि श्रमिक को अपना पारिश्रमिक किस रूप में मिलता है।
उत्तर-
वे नकदी अथवा प्रकार में भी जैसे अनाज (चावल या गेहूँ) के रूप में भी मज़दूरी प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 4.
प्रवासी श्रमिक किन्हें कहा जाता हैं ?
उत्तर-
जब बड़े किसानों के खेतों में अन्य राज्यों से लोग आकर मजदूरी पर काम करते हैं तो उन्हें प्रवासी मजदूर कहते हैं।

प्रश्न 5.
श्रमिक प्रवास क्यों करते हैं ? अपने अध्यापक महोदय के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
श्रमिक इसलिए प्रवास करते हैं क्योंकि उनके स्थान पर आजीविका कमाने के लिए काम उपलब्ध नहीं होता है। हमने अपने गांव में देखा है कि अन्य राज्यों से लोग अपने वहां काम के अभाव से यहां गांव में आते हैं। इन्हें प्रवासी मज़दूर के नाम से जाना जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

PSEB 9th Class Social Science Guide एक गांव की कहानी Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें:

  1. वे सभी वस्तुएं जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, ……. कहलाती हैं।
  2. किसी वस्तु की प्रति इकाई को ………… लागत कहते हैं।
  3. पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमांत आय ……… होती है।
  4. उत्पादन के मुख्य …………. साधन हैं।
  5. ……….. में समरूप वस्तु के बहुत सारे क्रेता और विक्रेता होते हैं।
  6. आर्थिक लगान केवल …………. की सेवाओं के लिए प्राप्त होता है।
  7. दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु अथवा सेवा की पूर्ति का उसकी मांग से ……. होता है।
  8. …………. वह इकाई है जो लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से बिक्री के लिए उत्पादन करती है।
  9. …………. वह स्थिति है जिसमें एक बाज़ार में केवल एक ही उत्पादक होता है।
  10. किसी वस्तु की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति है।

उत्तर-

  1. पदार्थ
  2. औसत
  3. समान
  4. चार
  5. पूर्ण प्रतियोगिता
  6. भूमि
  7. कम
  8. फर्म :
  9. एकाधिकार
  10. उपयोगिता।।

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
इनमें से कौन मुद्रा का एक कार्य है ?
(क) विनिमय का माध्यम
(ख) मूल्य का मापदंड
(ग) धन का संग्रह
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
इनमें से कौन पदार्थ का प्रकार नहीं हैं ?
(क) भौतिक
(ख) संतुलित
(ग) नाशवान
(घ) टिकाऊ।
उत्तर-
(ख) संतुलित

प्रश्न 3.
इनमें से कौन उद्यमी का पारितोषिक है ?
(क) लाभ
(ख) लगान
(ग) मजदूरी
(घ) ब्याज।
उत्तर-
(क) लाभ

प्रश्न 4.
ब्याज किसकी सेवाओं के बदले में दिया जाता है?
(क) भूमि
(ख) श्रम
(ग) पूंजी
(घ) उद्यमी।
उत्तर-
(ग) पूंजी

प्रश्न 5.
किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो राशि प्राप्त होती है उसे कहते हैं ?
(क) आगम
(ख) उपयोगिता
(ग) मांग
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) आगम

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 6.
दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु की पूर्ति का उसकी मांग से होना है-
(क) कम
(ख) अधिक
(ग) समान
(घ) इनमें कोई नहीं।
(ख) उत्पादन की मात्रा
उत्तर-
(क) कम

प्रश्न 7.
औसत आय निकालने का सूत्र क्या है ?
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (1)
(ग) कुल आय × उत्पादन की मात्रा
(घ) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (2)

प्रश्न 8.
इनमें से कौन पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषता है ?
(क) समरूप वस्तु
(ख) समान कीमत
(ग) पूर्ण ज्ञान
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
एक विक्रेता व अधिक क्रेता किस बाज़ार का लक्ष्य है ?
(क) एकाधिकार
(ख) पूर्ण प्रतियोगिता
(ग) अल्पाधिकार
(घ) एकाधिकार प्रतियोगिता।
उत्तर-
(क) एकाधिकार

प्रश्न 10.
इनमें से कौन बाज़ार का एक प्रकार है ?
(क) अल्पाधिकार
(ख) पूर्ण प्रतियोगिता
(ग) एकाधिकार
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

सही/गलत :

  1. U.S.A. की करंसी डॉलर है।
  2. अध्यापक द्वारा घर में अपने बच्चे को पढ़ाना एक आर्थिक क्रिया है।
  3. भूमि की पूर्ति असीमित है।
  4. एक एकड़ 8 कनाल के बराबर होता है।
  5. हमारे देश में कुल खेती योग्य क्षेत्र का केवल 40 प्रतिक्षत क्षेत्र ही सिंचाई योग्य है।
  6. पंजाब पांच नदियों की भमि है।
  7. भूमिगत जल का स्तर पंजाब में बढ़ रहा है।
  8. भारत में लगभग 70% स्त्रोतों का आकार 2 हैक्टेयर से भी कम है।
  9. श्रम को हम बेच अथवा खरीद नहीं सकते हैं।
  10. पूंजी में घिसावट होती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. गलत
  3. ग़लत
  4. सही
  5. सही
  6. सही
  7. ग़लत
  8. सही
  9. ग़लत
  10. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न।।

प्रश्न 1.
उपयोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति अथवा गुण है जिसके द्वारा हमारी आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है।

प्रश्न 2.
सीमांत उपयोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपयोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उस सीमांत उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 3.
पदार्थ की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल के शब्दों में, “वे सभी वस्तुएं जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, अर्थशास्त्र में पदार्थ कहलाती हैं।”

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती और अंतिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है, जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। अंतिम वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोग या निवेश के उद्देश्य से बाज़ार में बिक्री के लिए उपलब्ध

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प्रश्न 5.
पूंजीगत वस्तुओं की परिभाषा दें।
उत्तर-
वे पदार्थ जिनके द्वारा किसी दूसरी वस्तु का उत्पादन होता है, जैसे कच्चा माल, मशीन इत्यादि, पूंजीगत वस्तुएं कहलाती हैं।

प्रश्न 6.
वस्तुओं और सेवाओं में क्या अंतर है ?
उत्तर-
वस्तुओं को देखा, छुआ तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। सेवाओं को देखा, छुआ और हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
धन की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र में वे सभी वस्तुएं जो विनिमय साध्य हैं, जिनमें उपयोगिता है तथा जो सीमित मात्रा में हैं. धन कहलाती हैं।

प्रश्न 8.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता का अर्थ किसी वस्तु अथवा सेवा की पूर्ति का उसकी मांग से कम होता है।

प्रश्न 9.
क्या बी०ए० की डिग्री और व्यवसाय की साख धन है ?
उत्तर-

  1. बी०ए० की डिग्री धन नहीं है क्योंकि यह उपयोगी और दुर्लभ तो है पर हस्तांतरणीय नहीं होती।
  2. व्यवसाय की साख धन है क्योंकि इसमें धन के तीन गुण-उपयोगिता, दुर्लभता तथा विनिमय साध्यता हैं।

प्रश्न 10.
मुद्रा की परिभाषा दें।
उत्तर-
मुद्रा कोई भी वस्तुं हो सकती है जिसको सामान्य रूप से, वस्तुओं के हस्तांतरण में विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।

प्रश्न 11.
मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता समय की एक निश्चित अवधि में, एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए इच्छुक तथा योग्य है।

प्रश्न 12.
पूर्ति की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है जिसको एक विक्रेता एक निश्चित कीमत पर निश्चित समय-अवधि में बेचने के लिए तैयार होता है।

प्रश्न 13.
मौद्रिक लागत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु का उत्पादन और बिक्री करने के लिए मुद्रा के रूप में जो धन खर्च किया जाता है, उसे उस वस्तु की मौद्रिक लागत कहते हैं।

प्रश्न 14.
सीमांत लागत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने पर कुल लागत में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत लागत कहते हैं।

प्रश्न 15.
औसत लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की प्रति इकाई को औसत लागत कहते हैं। कुल लागत को उत्पादन की मात्रा में भाग देने पर औसत लागत निकल आती है।

प्रश्न 16.
आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो राशि प्राप्त होती है, उसे फर्म की आय या आगम कहा जाता है।

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प्रश्न 17.
सीमांत आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत आगम कहते हैं।

प्रश्न 18.
कीमत की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी वस्तु अथवा सेवा की एक निश्चित गुणवत्ता की एक इकाई प्राप्त करने के लिए दी जाने वाली मुद्रा की राशि को कीमत कहते हैं।

प्रश्न 19.
पूर्ण प्रतियोगिता में सीमांत आय और औसत आय में क्या संबंध होता है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में चूंकि कीमत (औसत आय) एक समान रहती है, इसलिए औसत आय तथा सीमांत आय दोनों बराबर होती हैं।

प्रश्न 20.
एकाधिकार की स्थिति में सीमांत आगम और औसत आगम में क्या संबंध होता है ?
उत्तर-
एकाधिकार की स्थिति में अधिक उत्पादन बेचने के लिए कीमत (औसत आगम) कम करनी पड़ती है। इसलिए अगर औसत आगम और सीमांत आगम दोनों नीचे की ओर गिर रही होती हैं।

प्रश्न 21.
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा दें।
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता वह स्थिति है जिसमें किसी समरूप वस्तु के बहुत सारे क्रेता और विक्रेता होते हैं और वस्तु की कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित होती है।

प्रश्न 22.
एकाधिकार की परिभाषा दें।
उत्तर-
एकाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु या सेवा का केवल एक ही उत्पादक होता है, पर वस्तु का कोई निकटतम प्रतिस्थानापन्न नहीं होता।

प्रश्न 23.
बाज़ार की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र में बाज़ार का अर्थ किसी विशेष स्थान से नहीं है बल्कि ऐसे क्षेत्र से है जहां क्रेता और विक्रेता में एक-दूसरे से इस प्रकार स्वतंत्र संपर्क हो कि एक ही प्रकार की वस्तु की कीमत की प्रवृत्ति आसानी से एक होने की पाई जाए।

प्रश्न 24.
उत्पादन के साधनों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन की प्रक्रिया में शामिल होने वाली सेवाओं के स्रोतों को उत्पादन साधन कहा जाता है।

प्रश्न 25.
भूमि की परिभाषा दें।
उत्तर-
भूमि से अभिप्राय केवल ज़मीन की ऊपरी सतह से नहीं है, बल्कि उन सभी पदार्थों और शक्तियों से है जिन्हें प्रकृति, भूमि, पानी, हवा, प्रकाश और गर्मी के रूप में मनुष्य, की सहायता के लिए मुफ़्त प्रदान करती है।

प्रश्न 26.
पूंजी की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल के शब्दों में, “प्रकृति के मुफ़्त उपहारों को छोड़कर सब प्रकार की संपत्ति जिससे आय प्राप्त होती है, पूंजी कहलाती है।”

प्रश्न 27.
श्रम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मनुष्य के वे सभी शारीरिक तथा मानसिक कार्य जो धन प्राप्ति के लिए किए जाते हैं, श्रम कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उद्यमी उत्पादन का वह साधन है जो भूमि, श्रम, पूंजी तथा संगठन को इकट्ठा करता है, आर्थिक निर्णय करता है और जोखिम उठाता है।

प्रश्न 29.
लगान की परंपरागत परिभाषा दें।
उत्तर-
परंपरावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार, “आर्थिक लगान वह लगान है जो सिर्फ़ भूमि की सेवाओं के लिए प्राप्त होता है।”

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प्रश्न 30.
लगान की आधुनिक परिभाषा दें।
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार, “उत्पादन के प्रत्येक साधन से आर्थिक लगान उत्पन्न होता है जबकि उसकी पूर्ति सीमित हो। किसी साधन की वास्तविक आय और हस्तांतरण आय के अंतर को लगान कहा जाता है।”

प्रश्न 31.
मज़दूरी की परिभाषा दें।
उत्तर-
मजदूरी से अभिप्राय उस भुगतान से है जो सभी प्रकार के मानसिक तथा शारीरिक परिश्रम के लिए दिया जाता है।

प्रश्न 32.
वास्तविक मजदूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वास्तविक मज़दूरी से अभिप्राय वस्तुओं तथा सेवाओं की उस मात्रा से है जो एक श्रमिक अपनी मजदूरी के बदले में प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 33.
नकद मज़दूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नकद मजदूरी मुद्रा की वह मात्रा है जो प्रति घंटा, प्रतिदिन, प्रति सप्ताह, प्रति मास के हिसाब से प्राप्त होती

प्रश्न 34.
ब्याज की परिभाषा दें।
उत्तर-
ब्याज वह कीमत है जो मुद्रा को एक निश्चित समय के लिए प्रयोग करने के लिए ऋणी द्वारा ऋणदाता को दी जाती है।

प्रश्न 35.
कुल ब्याज तथा शुद्ध ब्याज में क्या अंतर है ?
उत्तर-
कुल ब्याज से अभिप्राय उस सारे धन से है जो ऋणी ऋणदाता को देता है जबकि शुद्ध ब्याज कुल ब्याज का वह अंग है जो केवल पूंजी के उपयोग के लिए दिया जाता है।

प्रश्न 36.
लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक उद्यमी अपने व्यवसाय की कुल आय में से कुल लागत को घटाकर जो धनात्मक (-) शेष प्राप्त करता है, उसे लाभ कहते हैं।

प्रश्न 37.
कुल लाभ तथा शुद्ध लाभ में क्या अंतर है ?
उत्तर-
शुद्ध लाभ का अभिप्राय है कुल लाभ तथा आंतरिक लागतों का अंतर जबकि कुल लाभ का अभिप्राय है कुल आय तथा कुल बाहरी लागतों का अंतर।

प्रश्न 38.
कुल लाभ की परिभाषा दें।
उत्तर-
कुल लाभ वह अधिशेष है जो उत्पादन कार्य में उत्पादन के सभी साधनों को उनके परिश्रम का पुरस्कार चुकाने के बाद उद्यमी को प्राप्त होता है।

प्रश्न 39.
शुद्ध लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
शुद्ध लाभ का अनुमान लगाने के लिए कुल लाभ में से आंतरिक.लागतों, घिसावट और बीमा आदि का खर्च . घटा दिया जाता है।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उपयोगिता की परिभाषा दें। उसकी विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
उपयोगिता की परिभाषा-उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति है जिसके द्वारा मनुष्य की आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है। उपयोगिता की विशेषताएं

  1. उपयोगिता एक भावगत तथ्य है-उपयोगिता को हम केवल अनुभव कर सकते हैं, उसे स्पर्श अथवा देखा नहीं जा सकता।
  2. उपयोगिता सापेक्षिक है-यह समय, स्थान तथा व्यक्ति के साथ बदल जाती है।
  3. उपयोगिता का लाभदायक होना आवश्यक नहीं है-यह ज़रूरी नहीं कि जिस वस्तु की उपयोगिता है, वह लाभदायक भी हो।
  4. उपयोगिता का नैतिकता के साथ संबंध नहीं है-यह ज़रूरी नहीं कि जो वस्तु उपयोगी है, वह नैतिक दृष्टि से भी ठीक हो।

प्रश्न 2.
कुल उपयोगिता, सीमांत उपयोगिता और औसत उपयोगिता की धारणाओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-

  1. कुल उपयोगिता-किसी वस्तु की विभिन्न मात्राओं के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता की इकाइयों के जोड़ को कुल उपयोगिता कहा जाता है।
  2. सीमांत उपयोगिता-किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो परिवर्तन आता है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं। माना पहला रसगुल्ला खाने से एक व्यक्ति को 15 इंकाई उपयोगिता प्राप्त होती है। दूसरा रसगुल्ला खाने के फलस्वरूप दोनों रसगुल्लों से मिलने वाली कुल उपयोगिता 25 इकाई हो जाती है। अत: 25 – 15 = 10 इकाई सीमांत उपयोगिता है। इस प्रकार प्रारंभिक उपयोगिता 15 इकाई होगी।
  3. औसत उपयोगिता-किसी वस्तु की कुल इकाइयों की कुल उपयोगिता को इकाइयों की मात्रा से विभाजित करने से हमारे पास औसत उपयोगिता आ जाती है। 3 वस्तुओं से 15 उपयोगिता मिलती है तो एक वस्तु की औसत उपयोगिता \(\frac{15}{3}\) = 5 है।

प्रश्न 3.
पदार्थ की परिभाषा दें और उसका वर्गीकरण करें।
उत्तर-
पदार्थ की परिभाषा-मार्शल के शब्दों में, “वे सब पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं, अर्थशास्त्र में पदार्थ कहलाते हैं।”
पदार्थ का वर्गीकरण-

  1. भौतिक पदार्थ-जिन्हें देखा जा सकता है।
  2. अभौतिक पदार्थ या सेवाएं-जिन्हें देखा नहीं जा सकता।
  3. आर्थिक पदार्थ-ये वे पदार्थ हैं जो मूल्य द्वारा प्राप्त किए जाते हैं।
  4. निःशुल्क पदार्थ-वे पदार्थ हैं जो बिना किसी मूल्य के मिल जाते हैं।
  5. उपभोक्ता पदार्थ उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करते हैं।
  6. उत्पादक पदार्थ-अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं।
  7. नाशवान् पदार्थ-जिनका केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है।
  8. टिकाऊ पदार्थ-वे पदार्थ जो काफ़ी समय तक काम में लाए जा सकते हैं।
  9. मध्यवर्ती पदार्थ-मध्यवर्ती पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।
  10. अंतिम पदार्थ-अंतिम पदार्थ वे पदार्थ हैं जो उपभोग या निवेश के उद्देश्य से बाज़ार में बिक्री के लिए उपलब्ध
  11. सार्वजनिक पदार्थ-जिन पदार्थों पर सरकार का स्वामित्व होता है।
  12. निजी पदार्थ-वे पदार्थ जिन पर किसी व्यक्ति का निजी अधिकार होता है।
  13. प्राकृतिक पदार्थ-जो प्रकृति ने लोगों को उपहार के रूप में प्रदान किए हैं।
  14. मानव द्वारा निर्मित पदार्थ-जिनका उत्पादन मानव द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
मुद्रा की परिभाषा दें। मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-से हैं ?
उत्तर-
मुद्रा का अर्थ-मुद्रा कोई भी वस्तु हो सकती है जिसको सामान्य रूप से, वस्तुओं के हस्तांतरण में विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।
मुद्रा के कार्य-

  1. विनिमय का माध्यम-सभी वस्तुएं मुद्रा के द्वारा खरीदी और बेची जाती हैं।
  2. मूल्य का मापदंड-सभी वस्तुओं का मूल्य मुद्रा में ही व्यक्त किया जाता है।
  3. भावी भुगतान का मान-सभी प्रकार के ऋण मुद्रा के रूप में ही लिए और दिए जाते हैं।
  4. धन का संग्रह- मुद्रा के रूप में धन का संग्रह करना सरल हो जाता है।
  5. विनिमय शक्ति का हस्तांतरण-मुद्रा के रूप में धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से भेजा जा सकता है।

प्रश्न 5.
मांग से क्या अभिप्राय है ? एक तालिका और रेखाचित्र की सहायता से मांग की धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
मांग का अर्थ-“मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसको एक उपभोक्ता समय की एक निश्चित अवधि में, एक निश्चित कीमत पर खरीदने के लिए इच्छुक और योग्य है।”
मांग तालिका–मांग की धारणा को निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

कीमत (₹) मांग की मात्रा (कि० ग्रा०)
1 40
2 30
3 20
4 10

तालिका से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ती जाती है, उसकी मांग कम होती जाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (3)
मांग वक्र-मांग वक्र वह वक्र है जो मांग और कीमत का संबंध प्रकट करता है। मांग वक्र की सहायता से भी मांग को स्पष्ट किया जा सकता है। जब कीमत ₹ 1 है तो मांग 40 इकाइयां है, जब कीमत ₹4 है तो मांग 10 इकाइयां है। इस प्रकार मांग वक्र का ढलान ऊपर से बाईं ओर तथा नीचे दाईं
ओर होता है जो यह दर्शाता है कि कीमत अधिक होने पर मांग कम होती है और कीमत कम होने पर मांग अधिक होती है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 6.
पूर्ति की परिभाषा दें। एक तालिका और रेखाचित्र द्वारा पूर्ति की धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
पूर्ति की परिभाषा-किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है जिसको एक विक्रेता एक निश्चित समय में किसी कीमत पर बेचने के लिए तैयार होता है।
पूर्ति तालिका-पूर्ति तालिका एक ऐसी तालिका है जिसके द्वारा वस्तु की पूर्ति की मात्रा का उसकी कीमत से संबंध दिखाया जा सकता है।
पूर्ति तालिका-पूर्ति की धारणा को निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

कीमत (₹) मांग की मात्रा (कि० ग्रा०)
1 0
2 10
3 20
4 30

तालिका से स्पष्ट होता है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ रही है, उसकी पूर्ति की मात्रा भी बढ़ रही है। इस प्रकार पूर्ति तालिका कीमत और बेची जाने वाली मात्रा के संबंध को दिखाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (4)
पूर्ति वक्र-पूर्ति वक्र वह वक्र है जो किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति का संबंध प्रकट करता है। रेखाचित्र में पूर्ति वक्र है जो बाएं से दाएं ऊपर को जा रहा है। SS पूर्ति वक्र के धनात्मक ढलान से ज्ञात होता है कि कीमत के बढ़ने पर पूर्ति बढ़ती है और कीमत के कम होने पर पूर्ति कम होती है।

प्रश्न 7.
लागत की परिभाषा दें। कुल लागत, सीमांत लागत और औसत लागत की धारणाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
लागत की परिभाषा-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के लिए उत्पादन के साधनों को जो कुल मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है, उसे मौद्रिक उत्पादन लागत कहते हैं।
कुल लागत-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन पाने के लिए जो धन खर्च करना पड़ता है, उसे कुल लागत कहते हैं।
औसत लागत-किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते हैं। कुल लागत को उत्पादन की मात्रा से भाग देने पर औसत लागत का पता लगता है।
कुल लागत
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (5)
सीमांत लागत-सीमांत लागत कुल लागत में वह परिवर्तन है जो एक वस्तु की एक और इकाई पैदा करने पर खर्च आती है।

प्रश्न 8.
आय की परिभाषा दें। कुल आय, सीमांत आय और औसत आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय की परिभाषा-किसी वस्तु की बिक्री करने पर एक फ़र्म को जो कुल राशि प्राप्त होती है, उसे फ़र्म की आगम (आय) कहा जाता है।
कुल आय-एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक निश्चित मात्रा बेच कर जो धन प्राप्त होता है, उसे कुल आय कहते हैं।
सीमांत आय–एक फ़र्म द्वारा अपने उत्पादन की एक इकाई अधिक बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है, उसको सीमांत आय कहा जाता है।
औसत आय-किसी वस्तु की बिक्री से प्राप्त होने वाली प्रति इकाई आगम औसत आय कहलाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी (6)

प्रश्न 9.
फ़र्म की परिभाषा दें। एक उत्पादक के रूप में फ़र्म के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
फ़र्म की परिभाषा-फ़र्म उत्पादन की वह इकाई है जो लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से बिक्री के लिए उत्पादन करती है।
एक उत्पादक के रूप में फ़र्म के कार्य-उत्पादक के रूप में फ़र्म वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है और उनकी बिक्री करती है। एक फ़र्म अपना उत्पादन न्यूनतम लागत पर करने का प्रयत्न करती है और वह उसको बेचकर अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहती है। एक उत्पादक के रूप में फ़र्म वास्तव में उद्यमी का ही एक रूप होती है।

प्रश्न 10.
बाजार की परिभाषा दें। बाजार की मख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
बाज़ार की परिभाषा-कूरनो के शब्दों में, “अर्थशास्त्री बाज़ार का अर्थ किसी विशेष स्थान से नहीं लेते जहां वस्तुएं खरीदी या बेची जाती हैं बल्कि उस सारे क्षेत्र से लेते हैं जहां क्रेता और विक्रेता में एक-दूसरे से इस प्रकार स्वतंत्र संपर्क हो कि एक ही प्रकार की वस्तु की कीमत की प्रवृत्ति आसानी और शीघ्रता से एक होने की पाई जाए।”
बाज़ार की मुख्य विशेषताएं-

  1. क्षेत्र-अर्थशास्त्र में ‘बाज़ार’ शब्द से आशय किसी स्थान विशेष से नहीं है बल्कि बाज़ार का बोध उस संपूर्ण क्षेत्र से होता है, जिसमें बेचने वाले और खरीदने वाले फैले होते हैं।
  2. एक वस्तु-अर्थशास्त्र में ‘बाजार’ एक ही वस्तु का माना जाता है; जैसे घी का बाज़ार, फल का बाज़ार इत्यादि।
  3. क्रेता-विक्रेता-क्रेता एवं विक्रेता दोनों ही बाजार के महत्त्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग हैं।
  4. स्वतंत्र प्रतियोगिता-बाज़ार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं में स्वतंत्र रूप से प्रतियोगिता होनी चाहिए।
  5. एक कीमत-जब बाज़ार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं में स्वतंत्र प्रतियोगिता होगी तो इसका परिणाम यह होगा कि वस्तु की कीमत एक समय में एक ही होगी।

प्रश्न 11.
संतुलन की धारणा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संतुलन का अर्थ-“संतुलन वह अवस्था है, जिसमें विरोधी दिशा में परिवर्तन लाने वाली शक्तियां पूर्ण रूप से एक-दूसरे के बराबर होती हैं अर्थात् परिवर्तन की कोई प्रवृत्ति नहीं पाई जाती।”
उदाहरण के लिए, जब एक फ़र्म को अधिकतम लाभ प्राप्त होते हैं, उसमें परिवर्तन की प्रवृत्ति नहीं पाई जाती। फ़र्म की इस स्थिति को संतुलन की स्थिति कहा जाएगा।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 12.
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा दें। इसकी विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा-पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार की वह स्थिति है जिसमें बहुत सारी फ़र्मे होती हैं और वे सभी एक समरूप वस्तु की बिक्री करती हैं। इस अवस्था में फ़र्म कीमत स्वीकार करने वाली होती है न कि निर्धारित करने वाली।
पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएं-पूर्ण प्रतियोगिता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. क्रेताओं और विक्रेताओं की अधिक संख्या
  2. समरूप वस्तुएं
  3. पूर्ण ज्ञान
  4. फ़र्मों का स्वतंत्र प्रवेश व निकास
  5. समान कीमत
  6. साधनों में पूर्ण गतिशीलता।

प्रश्न 13.
एकाधिकार की परिभाषा दें। इसकी विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एकाधिकार की परिभाषा-एकाधिकार वह स्थिति है जिसमें बाजार में एक वस्तु का केवल एक ही उत्पादक होता है।
एकाधिकार की विशेषताएं-एकाधिकार बाजार की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं

  1. एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता-एकाधिकार बाज़ार में वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है। वस्तु के क्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं।
  2. नई फ़र्मे बाज़ार में नहीं आ सकतीं-एकाधिकारी बाज़ार में कोई नई फ़र्म प्रवेश नहीं कर सकती।
  3. निकटतम स्थानापन्न नहीं होता-एकाधिकार बाज़ार में उत्पादित वस्तुओं का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता।
  4. कीमत पर नियंत्रण-एकाधिकारी का वस्तु की कीमत पर नियंत्रण होता है।

प्रश्न 14.
आर्थिक क्रियाएं क्या हैं ? उनके मुख्य प्रकार कौन-से हैं ?
उत्तर-
आर्थिक क्रियाओं का अर्थ-आर्थिक क्रियाएं वे क्रियाएं हैं जिनका संबंध धन के उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा वितरण से होता है। इन क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य धन की प्राप्ति होता है।
आर्थिक क्रियाओं के प्रकार-

  1. उपभोग-उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसका संबंध आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता के उपभोग से होता है।
  2. उत्पादन-उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसका संबंध वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता या कीमत में वृद्धि करने से है।
  3. विनिमय-विनिमय वह क्रिया है जिसका संबंध किसी वस्तु के क्रय-विक्रय से है।
  4. वितरण-वितरण का संबंध उत्पादन के साधनों की कीमत अर्थात् भूमि की कीमत (लगान), श्रम की कीमत (मज़दूरी), पूंजी की कीमत (ब्याज) और उद्यमी को प्राप्त होने वाली कीमत (लाभ) के निर्धारण से है।

प्रश्न 15.
आर्थिक और अनार्थिक क्रियाओं में अंतर बताओ।
उत्तर-
यदि कोई क्रिया धन प्राप्त करने के लिए की जाती है तो इस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहा जाता है। इसके विपरीत यदि वह ही क्रिया मनोरंजन, धर्म, प्यार, दया, देश-प्रेम, समाज-सेवा, कर्त्तव्य आदि उद्देश्यों के लिए की जाती है तो उसको अनार्थिक क्रिया कहा जायेगा। इस अंतर को एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। माना अर्थशास्त्र के अध्यापक 500 रुपए प्रति माह फीस लेकर आपको एक घंटा घर पर ही अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं तो उनकी यह क्रिया आर्थिक क्रिया कहलाती है। इसके विपरीत यदि वह आपको एक निर्धन विद्यार्थी होने के नाते बिना कोई फीस लिए मुफ्त में अर्थशास्त्र पढाते हैं, तो उनकी यह क्रिया अनार्थिक क्रिया कहलाती है।

प्रश्न 16.
भूमि की परिभाषा दें। इसकी मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
भूमि की परिभाषा-अर्थशास्त्र में भूमि के अंतर्गत भूमि की ऊपरी सतह ही नहीं बल्कि पृथ्वी के तल पर, उसके नीचे और उसके ऊपर, प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाने वाली सब वस्तुएं सम्मिलित हो जाती हैं, जो धनोत्पादन में मनुष्य की सहायता करती हैं।
भूमि की मुख्य विशेषताएं-

  1. भूमि परिमाण में सीमित है।
  2. भूमि उत्पादन का प्राथमिक साधन है।
  3. भूमि स्थिर है।
  4. भूमि उपजाऊपन की दृष्टि से भिन्नता रखती है।
  5. भूमि अक्षय है।
  6. भूमि का मूल्य स्थिति पर निर्भर करता है।
  7. भूमि प्रकृति की नि:शुल्क देन है।
  8. भूमि उत्पादन का निष्क्रिय साधन है।

प्रश्न 17.
श्रम से क्या अभिप्राय है ? इसकी मुख्य विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
श्रम का अर्थ-साधारण भाषा में श्रम का आशय उस प्रयत्न या चेष्टा से है जो किसी कार्य के संपादन हेतु किया जाता है लेकिन श्रम का यह व्यापक अर्थ अर्थशास्त्र में नहीं लिया जाता। अर्थशास्त्र में किसी प्रतिफल के लिए किया गया मानवीय प्रयत्न, मानसिक या शारीरिक श्रम कहलाता है।
श्रम की मुख्य विशेषताएं-

  1. श्रम एक मानवीय साधन है।
  2. श्रम एक सक्रिय साधन है।
  3. श्रम को श्रमिक से अलग नहीं किया जा सकता है।
  4. श्रम नाशवान होता है।
  5. श्रमिक अपने श्रम को बेचता है अपने आपको नहीं बेचता है।
  6. श्रमिक उत्पादन का साधन और साध्य दोनों है।
  7. श्रमिक की कार्यकुशलता में विभिन्नता पाई जाती है।
  8. श्रम में गतिशीलता होती है।

प्रश्न 18.
पूंजी की परिभाषा दें। इसकी मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
पूंजी की परिभाषा–मार्शल के शब्दों में, “प्रकृति प्रदत्त उपहारों के अतिरिक्त पूंजी में सभी प्रकार की संपत्ति शामिल होती है जिससे आय प्राप्त होती है।”
पूंजी की विशेषताएं-

  1. पूंजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है।
  2. पूंजी में उत्पादकता होती है।
  3. पूंजी अत्यधिक गतिशील होती है।
  4. पूंजी श्रम द्वारा उत्पादित होती है।
  5. पूंजी में ह्रास होता है।
  6. पूंजी बचत किए गए धन का एक रूप है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 19.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ? उद्यमी के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
प्रत्येक व्यवसाय में चाहे वह छोटा हो अथवा बड़ा, कुछ-न-कुछ जोखिम अथवा लाभ-हानि की अनिश्चितता अवश्य बनी रहती है। इस जोखिम को सहन करने वाले व्यक्ति को ‘साहसी’ या ‘उद्यमी’ कहा जाता है।
उद्यमी के कार्य-

  1. व्यवसाय का चुनाव करता है।
  2. उत्पादन का पैमाना निर्धारित करता है।
  3. साधनों का अनुकूलतम संयोग प्राप्त करता है।
  4. उत्पादन के स्थान का निर्धारण करता है।
  5. वस्तु का चयन करता है।
  6. वितरण संबंधी कार्य करता है।
  7. जोखिम उठाने का दायित्व उद्यमी पर होता है।

प्रश्न 20.
लगान की धारणा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
साधारण बोलचाल की भाषा में लगान या किराया शब्द का प्रयोग उस भुगतान के लिए किया जाता है जो किसी वस्तु जैसे मकान, दुकान, फर्नीचर, क्राकरी आदि की सेवाओं का उपयोग करने के लिए अथवा उत्पादन के साधनों के रूप में प्रयोग करने के लिए नियमित रूप से एक निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है। परंतु अर्थशास्त्र में लगान शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। प्रो० कारवर के अनुसार, “भूमि के प्रयोग के लिए दी गई कीमत लगान है।” परंतु आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार अर्थशास्त्र में लगान शब्द का प्रयोग उत्पादन के उन साधनों को दिए जाने वाले भुगतान के लिए ही किया जाता है जिनकी पूर्ति बेलोचदार होती है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार किसी साधन की वास्तविक आय तथा हस्तान्तरण आय के अंतर को लगान कहते हैं।

प्रश्न 21.
मज़दूरी की परिभाषा दें। नकद और वास्तविक मजदूरी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मजदूरी की परिभाषा-मजदूरी से अभिप्राय उस भुगतान से है जो सभी प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक क्रियाओं के लिए दिया जाता है।
नकद मजदूरी-जो मजदूरी रुपयों के रूप में दी जाती है, उसे नकद मज़दूरी कहते हैं। यह दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक हो सकती है।
वास्तविक मजदूरी-श्रमिक को मुद्रा के अतिरिक्त जो वस्तुएं या सुविधायें प्राप्त होती हैं, उसे असल या वास्तविक मज़दूरी कहते हैं; जैसे—मुफ़्त मकान, पानी, बिजली, चिकित्सा सुविधा, शिक्षा आदि।

प्रश्न 22.
ब्याज की परिभाषा दें। शुद्ध और कुल ब्याज से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ब्याज की परिभाषा-ब्याज वह कीमत है जो मुद्रा को एक निश्चित समय के लिए प्रयोग करने के लिए ऋणी द्वारा ऋणदाता को दी जाती है।
कुल ब्याज-एक ऋणी द्वारा वास्तव में ऋणदाता को ब्याज के रूप में जो कुल भुगतान किया जाता है, उसको कुल ब्याज कहते हैं।
शुद्ध ब्याज-शुद्ध ब्याज वह धनराशि है जो केवल मुद्रा के प्रयोग के बदले में चुकाई जाती है। चैपमैन के शब्दों में, “शुद्ध ब्याज पूंजी के ऋण के लिए भुगतान है, जबकि कोई जोखिम न हो, कोई असुविधा न हो, (बचत की असुविधा को छोड़कर) और उधार देने वाले के लिए कोई कार्य न हो।”

प्रश्न 23.
लाभ की धारणा से क्या अभिप्राय है ? कुल और शुद्ध लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लाभ का अर्थ-साहसी को जोखिम के बदले में जो कुछ मिलता है, वह लाभ कहलाता है अर्थात् राष्ट्रीय आय का वह भाग जो किसी साहसी को अपने साहस के कारण प्राप्त होता है, उसे लाभ कहते हैं। कुल आय में से यदि कुल खर्च निकाल दिया जाए तो जो शेष बचे, उसे लाभ कहते हैं।
कुल लाभ-कुल आगम में से यदि हम उत्पादन की स्पष्ट लागतें घटा दें तो जो अतिरेक बचता है, उसे कुल लाभ कहा जाता है।
कुल लाभ = कुल आगम – स्पष्ट लागत
शुद्ध लाभ-यदि कुल आगम में से स्पष्ट और अस्पष्ट दोनों लागतें घटा दें तो जो अतिरेक बचता है, उसे शुद्ध लाभ कहा जाता है।
शुद्ध लाभ = कुल आगम – (स्पष्ट लागत + अस्पष्ट लागत)

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बाज़ार किसे कहते हैं ? बाज़ार के वर्गीकरण के मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बाज़ार का अर्थ-बाज़ार वह सम्पूर्ण क्षेत्र होता है जहां क्रेता और विक्रेता सम्पर्क में आते हैं।
बाज़ार के वर्गीकरण का आधार-बाज़ार का विस्तृत रूप से निम्नलिखित भागों में वर्गीकरण किया जाता है। जैसे-

  1. पूर्ण प्रतियोगी
  2. एकाधिकार
  3. एकाधिकारी प्रतियोगिता।

इस वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्नलिखित हैं-

  1. क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या-यदि बाज़ार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत है तो वह पूर्ण प्रतियोगी अथवा एकाधिकारी प्रतियोगिता का बाज़ार होता है। यदि बाज़ार में वस्तु का केवल एक विक्रेता हो और क्रेताओं की संख्या अधिक हो तो वह एकाधिकारी बाज़ार होगा। यदि बाज़ार में वस्तु के थोड़े विक्रेता हों तो वह अल्पाधिकारी बाज़ार होगा।
  2. वस्तु की प्रकृति-यदि बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तु एकसमान है तो वह पूर्ण प्रतियोगी बाज़ार की स्थिति होगी और इसके विपरीत वस्तु की विभिन्नता एकाधिकारी प्रतियोगिता का आधार माना जाता है।
  3. कीमत नियन्त्रण की डिग्री-बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तु की कीमत पर यदि फ़र्म का पूर्ण नियन्त्रण हो तो वह एकाधिकारी होगा। आंशिक नियन्त्रण हो तो एकाधिकारी प्रतियोगिता होगी। शून्य नियन्त्रण पर पूर्ण प्रतियोगिता होती है।
  4. बाज़ार का ज्ञान-यदि क्रेताओं तथा विक्रेताओं को बाज़ार की स्थितियों का पूर्ण ज्ञान हो तो पूर्ण प्रतियोगिता होगी। इसके विपरीत अपूर्ण ज्ञान एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता की विशेषता है।
  5. साधनों की गतिशीलता- पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में उत्पादन साधनों की गतिशीलता पूर्ण होती है परन्तु बाज़ार के अन्य प्रकारों में साधनों की गतिशीलता सामान्य नहीं होती।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 1 एक गांव की कहानी

प्रश्न 2.
मुद्रा के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं ?
उत्तर-
मुद्रा के निम्नलिखित कार्य हैं

  1. विनिमय का माध्यम-मुद्रा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य विनिमय का माध्यम है। इसका अभिप्राय यह है कि मुद्रा के रूप में एक व्यक्ति अपनी वस्तुओं को बेचता है तथा दूसरी वस्तुओं को खरीदता है। मुद्रा क्रय तथा विक्रय दोनों में ही एक मध्यस्थ का कार्य करती है। मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में लोग सामान्य रूप से स्वीकार करते हैं। इसलिए मुद्रा के द्वारा लोग अपनी इच्छा से विभिन्न वस्तुएं खरीद सकते हैं।
  2. मूल्य की इकाई-मुद्रा का दूसरा कार्य वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मापना है। मुद्रा लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का माप करती है। लेखे की इकाई से अभिप्राय यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है।
  3. स्थगित भुगतानों का मान-जिन लेन-देनों का भुगतान तत्काल न करके भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है, उन्हें स्थगित भुगतान कहा जाता है। मुद्रा के फलस्वरूप स्थगित भुगतान सरल हो जाता है।
  4. मूल्य का संचय-मुद्रा मूल्य के संचय के रूप में कार्य करती है। मुद्रा के मूल्य संचय का अर्थ है धन का संचय। इससे अभिप्राय यह है कि मुद्रा को वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए खर्च करने का तुरन्त कोई विचार नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए बचाता है। इसे ही मूल्य का संचय कहा जाता है।
  5. मूल्य का हस्तान्तरण-मुद्रा के कारण मूल्य का हस्तांतरण सुविधाजनक बन गया है। आज इस युग में लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूर-दूर से वस्तुएं खरीदी जाती हैं। मुद्रा में तरलता तथा सामान्य स्वीकृति का गुण होने के कारण इसका एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तान्तरण आसान हो जाता है।
  6. साख निर्माण का आधार-आज लगभग सभी देशों में चेक, ड्राफ्ट, विनिमय-पत्र इत्यादि साख-पत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन साख-पत्रों का आधार मुद्रा ही है। लोग अपनी आय में से कुछ राशि बैंकों में जमा करवाते हैं। इस जमा राशि के आधार पर ही बैंक साख का निर्माण करते हैं।

एक गांव की कहानी PSEB 9th Class Economics Notes

  • अर्थशास्त्र – अर्थशास्त्र मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन है जो हमें यह बताता है कि किस प्रकार दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके अधिकतम संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है।।
  • वस्तुएं – वस्तुएं वे दृश्य मदें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताएं पूरी करती हैं जैसे किताब, कुर्सी, मोबाइल आदि।
  • सेवाएं – सेवाएं अदृश्य मदें हैं परंतु मनुष्य की आवश्यकताएं संतुष्ट करती हैं जैसे अध्यापन।
  • उपयोगिता – आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति उपयोगिता है।
  • कीमत – वस्तुओं और सेवाओं का वह मूल्य जो मुद्रा में व्यक्त किया जाता है।
  • धन – वे सभी वस्तुएं तथा सेवाएं जो हम उपभोग करने के लिए कीमत देकर खरीदते हैं।
  • मुद्रा – मुद्रा वह पदार्थ है जो सरकार द्वारा जारी किया जाता है तथा जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • मांग – अन्य बातें समान रहने पर, मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर खरीदने के लिए तैयार होता है।
  • पूर्ति – पूर्ति किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसे एक उत्पादक निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर बेचने के लिए तैयार होता है।
  • बाज़ार – बाज़ार एक स्थान है जहां क्रेता व विक्रेता एक साथ पाए जाते हैं।
  • लागत – लागत मुद्रा के रूप में व्यय की गई वह मात्रा है जो वस्तु को बनाने से लेकर विक्री तक के बीच लगाई जाती है।
  • आगम – आगम मुद्रा की वह मात्रा है जो किसी वस्तु की विक्री से प्राप्त होता है।
  • आर्थिक क्रियाएं – आर्थिक क्रियाएं वे क्रियाएं हैं जो धन कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं।
  • गैर आर्थिक क्रियाएं – वे क्रियाएं जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं की जाती हैं।।
  • उत्पादन – उपयोगिता का सृजन उत्पादन है।
  • उत्पादन के साधन – भूमि, पूंजी, श्रम, उद्यमी उत्पादन के साधन हैं।
  • भूमि – भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है जिसकी पूर्ति स्थिर है।
  • श्रम – धन कमाने के उद्देश्य से किए गए सभी मानवीय प्रयास श्रम है।
  • बहुविविध कृषि – भूमि के एक टुकड़े पर एक वर्ष में एक साथ एक से अधिक फसलें एक साथ उगाना बहु विविध कृषि कहलाती हैं।
  • पूंजी – पूंजी का अर्थ उन सभी मानव निर्मित पदार्थों से है जो आगे उत्पादन करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं।
  • उद्यमी – वह मानवीय तत्व जो उत्पादन संबंधी निर्णय तथा जोखिम उठाता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

PSEB 9th Class Physical Education Guide नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो नशीली वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शराब
  2. हशीश।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुएं किन दो क्रियाओं पर अधिक प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर-

  1. पाचन क्रिया पर
  2. खेलने की शक्ति पर।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

प्रश्न 3.
नशीली वस्तुओं के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर-

  1. चेहरा पीला पड़ जाता है।
  2. मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों पर कोई दो बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर-

  1. लापरवाई तथा बेफिक्री।
  2. खेल भावना का अन्त।

प्रश्न 5.
खेल में हार नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 6.
शराब का असर पहले दिमाग पर होता है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 7.
तम्बाकू खाने से या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 8.
तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ता है अथवा कम होता है ?
उत्तर-
डर बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
तम्बाकू के प्रयोग से खांसी नहीं लगती और टी० बी० भी नहीं हो सकती। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 10.
नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है। सही अथवा ग़लत ।
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुओं की सूची बनाएं और यह भी बताएं कि नशीली वस्तुएं पाचन क्रिया और सोचने की शक्ति पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
(Prepare a list of intoxicants and describe how these intoxicants affect on digestion and memory or thinking of a person ?)
उत्तर-
मादक पदार्थ ऐसे नशीले पदार्थ हैं जिनके सेवन से किसी-न-किसी प्रकार की उत्तेजना या शिथिलता आ जाती है। मनुष्य के स्नायु संस्थान पर सभी किस्म के मादक पदार्थों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे कई प्रकार के विचार, कल्पनाएं तथा भावनाएं पैदा होती हैं। इससे व्यक्ति में घबराहट, गुस्सा और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने से व्यक्ति का अपने व्यवहार और शरीर पर नियन्त्रण नहीं रहता। नशीली वस्तुएं निम्नलिखित हैं –

  1. शराब
  2. अफीम
  3. तम्बाकू
  4. भांग
  5. हशीश
  6. चरस
  7. कोकीन
  8. एलडरविन।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

पाचन क्रिया पर प्रभाव (Effects on Digestion)- नशीली वस्तुओं का पाचन क्रिया पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इनमें अम्लीय अंश बहुत अधिक होते हैं। इन अंशों के कारण आमाशय की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है और कई प्रकार के पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

सोचने की शक्ति पर प्रभाव (Effects on Thinking) नशीली वस्तुओं के प्रयोग से व्यक्ति अच्छी तरह बोल नहीं सकता और वह बोलने के स्थान पर तुतलाने लगता है। वह अपने पर नियन्त्रण नहीं रख सकता। वह खेल में आई अच्छी स्थितियों के विषय में सोच नहीं सकता और न ही ऐसी स्थितियों से लाभ उठा सकता है।

प्रश्न 2.
खेल में हार नशीली वस्तुएं के प्रयोग के कारण हो सकती है, कैसे ?
(Intoxicants cause defeat in sports. How ?)
उत्तर-

  1. नशे में खेलते समय खिलाड़ी बहुत-से ऐसे काम कर जाता है जिससे टीम हार जाती है।
  2. नशे में खिलाड़ी विरोधी टीम की चालें नहीं समझ सकता और अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बनता है।
  3. यदि किसी खिलाड़ी को नशे में खेलते हुए पकड़ लिया जाए तो उसे खेल में से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि उसे इनाम मिलना है तो नहीं दिया जाता। इस प्रकार उसकी विजय पराजय में बदल जाती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुएं क्या हैं ? इनके दोषों का वर्णन करो। (What are intoxicants ? Discuss their harms.)
उत्तर-
मनुष्य प्राचीन काल से ही नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता आ रहा है। उसका विश्वास था कि इनके प्रयोग से रोग दूर होते हैं तथा मन ताजा होता है। परन्तु बाद में इनके कुप्रभाव भी देखने में आये हैं। आज के वैज्ञानिक युग में अनेक नई-नई नशीली वस्तुओं का आविष्कार हुआ है जिसके कारण क्रीड़ा जगत् दुविधा में पड़ गया है। इन नशीली वस्तुओं के सेवन से भले ही कुछ समय के लिए अधिक काम लिया जा सकता है, परन्तु नशे और अधिक काम से मानव रोग का शिकार हो कर मृत्यु को प्राप्त करता है। इन घातक नशों में से कुछ नशे तो कोढ़ के रोग से भी बुरे हैं। शराब, तम्बाकू, अफीम, भांग, हशीश, एडरनलिन तथा निकोटीन ऐसी नशीली वस्तुएं हैं जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने मनोरंजन के लिए किसी-न-किसी खेल में भाग लेता है। वह अपने साथियों तथा पड़ोसियों के साथ मेल-मिलाप तथा सद्भावना की भावना रखता है। इसके विपरीत एक नशे का गुलाम व्यक्ति दूसरों की सहायता करना तो दूर रहा, अपना बुरा-भला भी नहीं सोच सकता। ऐसा व्यक्ति समाज के लिए बोझ होता है। वह दूसरों के लिए सिरदर्दी बन जाता है। वह न केवल अपने जीवन को दुःखद बनाता है, बल्कि अपने परिवार और सम्बन्धियों के जीवन को भी नरक बना देता है। सच तो यह कि नशीली वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इससे ज्ञान शक्ति, पाचन शक्ति, दिल, रक्त, फेफड़े आदि से सम्बन्धित अनेक रोग लग जाते हैं।
नशीली वस्तुओं का प्रयोग करना खिलाड़ियों के लिए ठीक नहीं होता।

नशीली वस्तुओं के दोष-जो खिलाड़ी नशीली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं उनके दोष निम्नलिखित हैं –

  • चेहरा पीला पड़ जाता है।
  • कदम लड़खड़ाते हैं।
  • मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।
  • खेल का मैदान लड़ाई का मैदान बना जाता है।
  • पाचन शक्ति खराब हो जाती है।
  • तेजाबी अंश आमाशय की शक्ति को कम करते हैं।
  • पेट में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं।
  • पेशियों के काम करने की शक्ति कम हो जाती है।
  • खेल के मैदान में खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता।
  • कैंसर और दमे की बीमारियां लग जाती हैं।
  • खिलाड़ियों की स्मरण-शक्ति कम हो जाती है।
  • नशे में डूबे खिलाड़ी खेल की परिवर्तित अवस्थाओं को नहीं समझ सकते और अपनी टीम की पराजय का कारण बन जाते हैं।
  • नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है।
  • उसके शरीर में समन्वय नहीं होता।
  • नशे वाले खिलाड़ी के पैरों का तापमान सामान्य व्यक्ति के तापमान से 1.8°C सैंटीग्रेड कम होता है।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दो।
(Mention the adverse effects of intoxicants on the players and their performance.)
उत्तर-
नशीली वस्तुओं के सेवन का खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है –

1. शारीरिक समन्वय एवं स्फूर्ति का अभाव (Loss of Co-ordination and Alertness)-नशे करने वाले खिलाड़ी में शारीरिक तालमेल तथा स्फूर्ति नहीं रहती। अच्छे खेल के लिये इनका होना बहुत ज़रूरी है। हॉकी, फुटबाल, वालीबाल आदि ऐसी खेलें हैं।

2. मन के सन्तुलन और एकाग्रचित्त का अभाव (Loss of Balance and Concentration) किसी खिलाड़ी की मामूली सी सुस्ती खेल का पासा पलट देती है। इतना ही नहीं, नशे में धुत खिलाड़ी एकाग्रचित्त नहीं हो सकता। इसलिए वह खेल के दौरान ऐसी गलतियां कर देता है जिसके फलस्वरूप उसकी टीम को पराजय का मुंह देखना पड़ता है।

3. लापरवाही तथा बेफिक्री (Carelessness) नशे में ग्रस्त खिलाड़ी बहुत लापरवाह और बेफिक्र होता है। वह अपनी शक्ति तथा दक्षता का उचित अनुमान नहीं लगा सकता। कई बार जोश में आकर वह ऐसी चोट खा जाता है जिससे उसे आयु पर्यन्त पछताना पड़ता है।

4. खेल भावना का अन्त (Lack of Sportsmanship) नशे में रहने से खिलाड़ी की खेल भावना का अन्त हो जाता है। नशा करने वाले खिलाड़ी की स्थिति अर्द्ध बेहोशी की होती है। उसके मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है। वह खेल में अपनी ही हांकता है और साथी खिलाड़ी की कोई बात नहीं सुनता।

5. सोचने का अभाव (Lack of Thinking)-वह रैफरी या अम्पायर के उचित निर्णयों के प्रति असन्तोष व्यक्त करता है। सहनशीलता की शक्ति की कमी हो जाती है। अतः वह इस तरह करता है।

6. नियमों की अवहेलना (Breaking of Rules)—वह खेल के नियमों की अवहेलना करता है।

7.मैदान का लड़ाई का अखाड़ा बन जाना (Playfield Becomes Battlefield)नशे में रहने वाला खिलाड़ी खेल के मैदान को लड़ाई का अखाड़ा बना देता है।

अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने खेल के दौरान नशीली वस्तुओं के प्रयोग पर पाबन्दी लगा दी है। यदि खेल के दौरान कोई खिलाड़ी नशे की दशा में पकड़ा जाता है तो उसका जीता हुआ इनाम वापस ले लिया जाता है। इसलिए खिलाड़ियों को चाहिए कि वे स्वयं को हर प्रकार की नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रखें और सर्वोत्तम खेल का प्रदर्शन करके अपने और अपने देश के नाम को चार चांद लगायें।

प्रश्न 3.
शराब का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? शराब की हानियां लिखें।
(What are the effects of Alcohol on our body? Discuss harms of alcohol.)
उत्तर-
शराब का सेहत पर प्रभाव (Effect of Alcohol on Health) शराब एक नशीला तरल पदार्थ है। शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बाज़ार में बेचने से पहले प्रत्येक शराब की बोतल पर यह लिखना ज़रूरी है। फिर भी बहुत-से लोगों को इस की लत (आदत) लगी हुई है जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर को कई तरह के रोग लग जाते हैं। फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं और व्यक्ति की आयु घट जाती है। ये शरीर के सभी अंगों पर बुरा प्रभाव डालती है। पहले तो व्यक्ति शराब को पीता है। कुछ समय पीने के बाद शराब आदमी को पीने लग जाती है। भाव शराब शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगा जाती है।

शराब पीने के नुकसान निम्नलिखित हैं –

  1. शराब का असर पहले दिमाग़ पर होता है। नाड़ी प्रबन्ध बिगड़ जाता है और दिमाग कमज़ोर हो जाता है। मनुष्य के सोचने की शक्ति घट जाती है।
  2. शरीर में गुर्दे कमजोर हो जाते हैं।
  3. शराब पीने से पाचन रस कम पैदा होना शुरू हो जाता है जिससे पेट खराब रहने लग जाता है।
  4. श्वास की गति तेज़ और सांस की अन्य बीमारियां लग जाती हैं।
  5. शराब पीने से रक्त की नाड़ियां फूल जाती हैं। दिल को अधिक काम करना पड़ता है और दिल के दौरे का डर बना रहता।
  6. लगातार शराब पीने से मांसपेशियों की शक्ति घट जाती है। शरीर बीमारियों का मुकाबला करने के योग्य नहीं रहता।
  7. आविष्कारों से पता लगा है कि शराब पीने वाला मनुष्य शराब न पीने वाले व्यक्ति से काम कम करता है। शराब पीने वाले व्यक्ति को बीमारियां भी जल्दी लगती हैं।
  8. शराब से घर, स्वास्थ्य, पैसा आदि बर्बाद होता है और यह एक सामाजिक बुराई है।

प्रश्न 4.
सिगरेट या तम्बाकू का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? तम्बाकू की हानियां लिखें।
(What is the effect of cigarettes and tobacco on our body ? What are the harms of smoking ?)
उत्तर-
तम्बाकू से स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effect of Smoking on Health)हमारे देश में तम्बाकू पीना-खाना एक बहुत बुरी आदत बन चुका है। तम्बाकू पीने के अलग-अलग ढंग हैं, जैसे बीड़ी, सिगरेट पीना, सिगार पीना, हुक्का पीना, चिल्म पीना आदि। इस तरह खाने के ढंग भी अलग हैं जैसे तम्बाकू चूने में मिला कर सीधे मुंह में रख कर खाना, या रगने में रख कर खाना, या गले में रख कर खाना आदि। तम्बाकू में खतरनाक ज़हर निकोटीन (Nicotine) होता है। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड आदि भी होता है। निकोटीन का बुरा प्रभाव सिर पर पड़ता है जिससे सिर चकराने लग जाता है और फिर दिल पर प्रभाव करता है।

तम्बाकू के नुकसान इस तरह हैं –

  1. तम्बाकू खाने या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है।
  2. इससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। दिल का रोग लग जाता है जो कि मृत्यु का कारण बना सकता है।
  3. आविष्कारों से पता लगा है कि तम्बाकू पीने या खाने से रक्त की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं।
  4. तम्बाकू शरीर के तन्तुओं को उत्तेजित रखता है, जिससे नींद नहीं आती और नींद न आने की बीमारी लग सकती है।
  5. तम्बाकू के प्रयोग से पेट खराब रहने लग जाता है।
  6. तम्बाकू के प्रयोग से खांसी लग जाती है जिससे फेफड़ों को टी० बी० होने का खतरा बढ़ जाता है।
  7. तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ जाता है। विशेषकर छाती का कैंसरऔर गले का कैंसर।
  8. तम्बाकू के प्रयोग से खुराक नली, मुंह के कैंसर का डर भी रहता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • अध्याय की संक्षेप रूपरेखा (Brief Outline of the Chapter)
  • नशीली वस्तुएं-शराब, तम्बाकू, अफीम, भंग, चरस, हशीश, कोकीन, आदि नशीली वस्तुएं होती हैं।
  • नशीली वस्तुओं से हानियां-मानसिक सन्तुलन और पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कार्यक्षमता कम हो जाती है और बहुत तरह के रोग लग जाते हैं।
  • खिलाड़ियों के खेल पर नशीली वस्तुओं का प्रभाव-शारीरिक तालमेल और फुर्ती कम हो जाती है। मन में बेचैनी और मन की एकाग्रता कम हो जाती है। बेफिक्री और खेल भावना का अन्त नशीली वस्तुओं के कारण हो जाता है।
  • नशीली वस्तुओं द्वारा खेल में हार-नशे से खिलाड़ी खेल में बहुत गलतियां करता है और विरोधी खिलाड़ी की चालों को नहीं समझ पाता जिससे उसकी हार हो जाती है।
  • शराब के शरीर पर प्रभाव-शराब द्वारा नाड़ी प्रणाली और गुर्दो को रोग लग जाता है। इससे सांस के और दूसरे रोग लग जाते हैं।
  • तम्बाकू के शरीर पर प्रभाव-तम्बाकू खाने से हृदय, सांस और कैंसर के रोग हो जाते हैं। पेट खराब हो जाता है और दमा आदि रोग हो जाते हैं।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

PSEB 9th Class Physical Education Guide खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के कोई दो लाभ लिखो।
उत्तर-

  1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं
  2. सुडौल शरीर।

प्रश्न 2.
एक स्पोर्ट्समैन कैसा व्यवहार करता है ? दो पंक्तियां लिखो।
उत्तर-

  1. पराजय को बड़ी शान से स्वीकार करे।
  2. प्रत्येक टीम को बराबर समझता हो।

प्रश्न 3.
खिलाड़ी के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. सहयोग की भावना
  2. सहनशीलता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

प्रश्न 4.
विजय-पराजय को समान समझने की भावना को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
खिलाड़ी का गुण।

प्रश्न 5.
आज्ञा देने और मानने की योग्यता किस प्रकार आती है ?
उत्तर-
खेलों में भाग लेने से।

प्रश्न 6.
आत्मविश्वास की भावना और उत्तरदायित्व की भावना खिलाड़ी को क्या बनाती है ?
उत्तर-
अच्छा सामाजिक प्राणी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक स्पोर्ट्समैन के लिए कौन-सी व्यवहार प्रणाली स्वीकृत है ? (What system of behaviour is accepted by a sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैन के लिए व्यवहार प्रणाली (System of behaviour for a sportsman) विश्व के सारे खिलाड़ी (स्पोर्ट्समैन) निम्नलिखित प्रणाली को मानते हैं और इसी के अनुसार व्यवहार करना अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं। इसके अनुसार व्यवहार प्रणाली की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –

  1. अधिकारियों के निर्णय ठीक और अन्तिम होते हैं।
  2. खेलों के नियम वास्तव में अच्छे पुरुषों की सन्धि होते हैं।
  3. टीमों के लिए जान तोड़ कर साफ़-सुथरा खेलना ही सब से बड़ा आश्वासन है।
  4. पराजय को बड़ी शान से लो।
  5. जीत को बड़े सहज ढंग से स्वीकार करो।
  6. दूसरों के अच्छे गुणों का सम्मान करने से मान मिलता है।
  7. पराजय या बुरे खेल के लिए बहाने ढूंढ़ना ठीक नहीं।
  8. किसी राष्ट्र या टीम को उसके व्यवहार के अनुसार सम्मान दिया जाता है।
  9. बाहर से आई हुई टीमों का सम्मान होना चाहिए।
  10. प्रत्येक टीम को बराबर समझा जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
दर्शक किस प्रकार अच्छे स्पोर्ट्समैन बन सकते हैं ? (How can the spectators become good sportsmen ?)
उत्तर-
दर्शकों में अच्छे स्पोर्ट्समैन बनने के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –

  1. वे अच्छे खेल की प्रशंसा और उसको उत्साहित करने में बाधा न बनें।
  2. यदि निर्णायक उनकी इच्छा के विरुद्ध निर्णय दे दे तो उसके विरुद्ध बुरे शब्दों का प्रयोग न करें।
  3. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हों यदि वह कमजोर है या अयोग्य है तो उसकी जीत देखना न चाहें क्योंकि खेल में अच्छी टीम ही विजय की पात्र है।
  4. वे अपने साथी दर्शकों से केवल इसलिए न झगड़ें क्योंकि वे विरोधी टीम का समर्थन करते हैं।
  5. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हैं यदि वह हार रही है तो अभद्र व्यवहार का प्रदर्शन न करें जैसे खेल के मैदान में कूड़ा-कर्कट, पत्थर आदि फेंक कर खेल रुकवाना ताकि खेल में हार-जीत का फैसला ही न हो।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के लाभों या गुणों का वर्णन करें। (Describe the Values of Sports.)
उत्तर-
खेलों के गुण (Values of Sports)-खेलों में व्यक्ति का आकर्षण उनके गुणों के कारण है। आजकल खेलों पर अधिक बल दिए जाने के निम्नलिखित कारण हैं-

1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं (Sound Health)-स्वास्थ्य एक अमूल्य देन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है । स्वस्थ व्यक्ति से दारिद्रय, आलस्य तथा थकावट कोसों दूर रहती है। खेलें स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। खिलाड़ी के भागने दौड़ने तथा उछलने-कूदने से शरीर के सभी अंग हरकत करते हैं। दिल, फेफड़े, पाचक अंग आदि सारे अंग सुचारु रूप से कार्य करने लगते हैं। मांसपेशियों में ताकत और लचक बढ़ जाती है। जोड़ भी लचकदार हो जाते हैं और शरीर स्फूर्तिवान हो जाता है। इस प्रकार खेलों से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

2. सुडौल शरीर (Sound Body)-खेलों में भाग लेते हुए खिलाड़ी को भागना पड़ता है, उछलना पड़ता है, कूदना पड़ता है, जिससे उसका शरीर सुडौल हो जाता है। कद ऊंचा हो जाता है। शरीर पर कपड़े खूब सजते हैं, जिससे उसके व्यक्तित्व को चार चांद लग जाते हैं। मांसपेशियों और सूक्ष्म नाड़ियों का तालमेल भी खेलों द्वारा ही पैदा होता है। इससे खिलाड़ी की चाल-ढाल आकर्षक हो जाती है । इस प्रकार खेलें व्यक्ति का रूप निखारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करती हैं।

3. संवेगों का सन्तुलन (Full Control on Emotions)—संवेगों का सन्तुलन सफल जीवन के लिए अत्यावश्यक है। यदि इन पर नियन्त्रण न रखा जाए तो क्रोध, उदासी तथा घमण्ड मनुष्य को चक्कर में डाल कर उसके व्यक्तित्व को नष्ट कर देते हैं। खेलें मनुष्य का मन जीवन की उलझनों से परे हटाती हैं, उसका मन प्रसन्न करती हैं तथा उसे संवेगों पर काबू पाने में सफल बनाती हैं। इस दिशा में खेलों द्वारा उत्पन्न स्पोर्ट्समैनशिप की भावना काफ़ी सहायक सिद्ध होती है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

4. सतर्क बुद्धि का विकास (Development of Sound Reason)—मनुष्य को जीवन में कदम-कदम पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए सतर्क बुद्धि का विकास खेलों के द्वारा ही हो सकता है। खेल के समय खिलाड़ी को प्रत्येक पल किसी-न-किसी समस्या का सामना करना पड़ता है । अड़चन या समस्या को उसी समय शीघ्रातिशीघ्र हल करना पड़ता है। हल ढूंढने में तनिक देरी हो जाने पर सारे खेल का पासा उल्ट सकता है। इस प्रकार के वातावरण में प्रत्येक खिलाड़ी हर समय किसी-न-किसी समस्या के समाधान में लगा रहता है। उसे अपनी समस्याओं को स्वयं हल करने का अवसर मिलता रहता है। इस तरह उस में सतर्क बुद्धि का विकास होता है।

5. चरित्र का विकास (Development of Character)-चरित्रवान् व्यक्ति का सब जगह सम्मान होता है। वह लोभ-लालच में नहीं फंसता। खेल के समय विजयपराजय के लिए खिलाड़ियों को कई बार प्रलोभन दिए जाते हैं। अच्छा खिलाड़ी भूलकर भी इस जाल में नहीं फंसता तथा अपने विरोधी पक्ष के हाथों नहीं बिकता। यदि कोई खिलाड़ी भूल कर लालच में आकर अपने पक्ष से विश्वासघात करता है तो खिलाड़ियों तथा दर्शकों की नज़र में गिर जाता है। ऐसा खिलाड़ी बाद में पछताता है। एक अच्छा खिलाड़ी कभी भी छल-कपट का सहारा नहीं लेता। खेल के दर्शकों के सम्मुख होने तथा रैफरी के निरीक्षण में होने के कारण प्रत्येक खिलाड़ी कम-से-कम फाऊल खेलने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार खेलें मनुष्य में कई चारित्रिक गुणों का विकास करती हैं।

6. इच्छा शक्ति प्रबल करती हैं (Development of Strong Wil-power) – खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं। परिणामस्वरूप खिलाड़ी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दत्तचित्त होकर प्रयत्न करते हैं और भावी जीवन में सफलता उनके कदम चूमती है। खेलों में खिलाड़ी एक-चित्त होकर खेलता है। उसके सम्मुख उसका उद्देश्य जीत प्राप्त करना होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह अपनी सारी शक्ति लगा देता है और प्रायः सफल भी हो जाता है। जीवन के श्रेयों की प्राप्ति ही उसके लिए यही आदत बन जाती है। इस प्रकार खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं।

7. भ्रातृत्व की भावना का विकास (Development of Brotherhood) खेलों द्वारा भ्रातृत्व की भावना का विकास होता है। इसका कारण यह है कि खिलाड़ी सदैव ग्रुपों में खेलता है तथा ग्रुप के नियम के अनुसार व्यवहार करता है। यदि उसकी कोई आदत ग्रुप आदत के अनुकूल नहीं होती तो उसे उसका त्याग करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त ग्रुप में खेलने वालों का एक-दूसरे पर प्रभाव पड़ता है। उनका एक-दूसरे से प्रेम-पूर्ण तथा भाइयों जैसा व्यवहार हो जाता है। इस प्रकार उनका जीवन भ्रातृत्व के आदर्शों के अनुसार ढल जाता है तथा समाज में वे सम्मान प्राप्त करते हैं।

8. आत्म-अभिव्यक्ति (Self-expression)-खेलें व्यक्तियों को आत्म-अभिव्यक्ति अर्थात् स्वयं को खुल कर प्रकट करने के अवसर प्रदान करती हैं। खेल के मैदान में खिलाड़ी खुल कर अपने गुणों तथा कौशल को दर्शकों के समक्ष प्रकट करता है। इस गुण का विकास केवल क्रीड़ा-क्षेत्र में ही सम्भव है, अन्यत्र नहीं।

9. नेतृत्व (Leadership) खेलों का अच्छा नेतृत्व करने वाले में नेतृत्व के गुणों का विकास हो जाता है। एक अच्छा नेता अपने देश के नाम को चार चांद लगा देता है। इसके विपरीत एक बुरा अथवा अयोग्य नेता देश की नाव को मंझदार में फंसा देता है। खेल के मैदान से ही हमें अनुशासनबद्ध, आत्म-संयमी, आत्म-त्यागी तथा मिलजुलकर देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले सैनिक व अफसर प्राप्त होते हैं। इसीलिए तो ड्यूक ऑफ़ विलिंगटन ने नेपोलियन को वाटरलू (Waterloo) की लड़ाई में परास्त करने के बाद कहा, “वाटरलू की लड़ाई ऐटन तथा हैरो के क्रीड़ा-क्षेत्र में जीती गई।” (“The Battle of Waterloo was won at the playing-fields of Eton and Harrow.”)

10. फालतू समय का प्रयोग (Proper Use of Leisure Time) दिन भर काम करने के पश्चात् भी काफ़ी समय बच जाता है। इसलिए आज की मुख्य समस्या है कि इस फालतू समय का किस प्रकार प्रयोग किया जाए ? यदि हम इस फालतू समय का सदुपयोग न करेंगे तो इस समय में शरारतें ही सूझेंगी क्योंकि एक बेकार आदमी का दिमाग़ शैतान का घर होता है। इस फालतू समय को ठीक ढंग से गुज़ारने के लिए खेलें हमारी सहायता करती हैं। खेलों में भाग लेकर न केवल फालतू समय का ही उचित प्रयोग होता है वरन् इसके साथ शारीरिक विकास भी होता है।

11. जातीय भेदभाव मिटता है और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ता है (Free from Casteism and Development of International Understanding) खेलें जातीय भेदभाव को मिटाती हैं जो कि देश की प्रगति में बहुत बड़ी बाधा होता है। प्रत्येक टीम में विभिन्न जातियों के खिलाड़ी होते हैं। उनके एक साथ मिलने-जुलने तथा टीम के लिए एक जान होकर संघर्ष करने की भावना के कारण जात-पात की दीवारें गिर जाती हैं और उनका जीवन विशाल दृष्टिकोण वाला हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों से खेलते हैं तथा उनसे मिलते-जुलते हैं। इससे उनमें मैत्री की भावना बढ़ जाती है। अतः खेलें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भी सहायक होती हैं।

12. प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावना (Spririt of Competition and Cooperation)-प्रतियोगिता ही प्रगति का आधार है और सहयोग महान् उपलब्धियों का साधन है। प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाएं प्रत्येक मनुष्य में होती हैं। इनके विकास द्वारा ही समुदाय, समाज तथा देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। इन भावनाओं का विकास खेलों द्वारा ही होता है। हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट आदि खेलों की टीमों में खूब मुकाबला होता है। मैच जीतने के लिए टीमें ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देती हैं, परन्तु मैच जीतने के लिए सभी खिलाड़ियों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है क्योंकि किसी भी एक खिलाड़ी के प्रयत्नों से मैच नहीं जीता जा सकता। अत: प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाओं का विकास करने के लिए खेलें बहुत उपयोगी हैं।

13. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-खेल का मैदान एक ऐसा स्थान है जहां खिलाड़ी अनुशासन में रहते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। हम कह सकते हैं कि खेलों द्वारा व्यक्ति या खिलाड़ी खेल के नियमों के अनुशासन में रह कर अनुशासन में रहने का आदी हो जाता है। इस प्रकार हमें अनुशासन खेलों द्वारा प्राप्त होता है।

14. सहनशीलता (Tolerance) खेलों द्वारा खिलाड़ियों के मन में सहनशीलता पैदा होती है, क्योंकि खेलों द्वारा हम एक-दूसरे के विचार सुनते हैं और अपने विचार उन्हें बताते हैं। हम में मेल-मिलाप बढ़ता है और सहनशीलता की भावना पैदा होती है।

15. अच्छी नागरिकता (Good Citizenship) खेलों द्वारा खिलाड़ियों में एक अच्छे नागरिक के गुण पैदा होते हैं क्योंकि खिलाड़ी आपस में मिल कर खेलते हैं। नियमों, कर्त्तव्यों, अनुशासन में रहना आदि गुणों के कारण खिलाड़ी अच्छे नागरिक बन जाते हैं।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि खेलें व्यक्ति में सहयोग, भ्रातृत्व, नेतृत्व, समन्वय आदि सद्गुणों का विकास करती हैं और उसे अच्छे नागरिक बनने में सहायता प्रदान करती हैं।

प्रश्न 2.
स्पोर्ट्समैनशिप से क्या अभिप्राय है ? एक स्पोर्ट्समैन में कौन-कौन से गुण होने चाहिएं ?
(What do you understand by Sportsmanship ? What should be the qualities of a good Sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैनशिप का अर्थ (Meaning of Sportsmanship)—जहां भारतीय भाषाओं में अंग्रेजी के अनेक शब्द अच्छी तरह से अपना लिए गए हैं, वहीं स्पोर्ट्समैनशिप और स्पोर्ट्समैन भी खेलों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण शब्द हैं। स्पोर्ट्समैनशिप (Sportsmanship) एक अच्छे खिलाड़ी की वह भावना या वह विशेषता है, या ऐसे कहें कि वह स्पिरिट है जिसके आधार पर कोई भी खिलाड़ी खेल के मैदान में आरम्भ से लेकर अन्त तक बड़ी योग्यता से भाग लेता है। स्पोर्ट्समैनिशप अच्छे गुणों का वह समूह है, जिनका होना एक खिलाड़ी के लिए जरूरी समझा जाता है। जैसे कि एक खिलाड़ी के लिए जरूरी है कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से भरपूर, अनुशासनबद्ध, अच्छा सहयोगी, चुस्त और अपनी टीम के कैप्टन की आज्ञा का पालन करने वाला हो। वास्तव में इस तरह के गुणों का समूह ही स्पोर्ट्समैनशिप कहलाता है।

स्पोट्र्समैनशिपया खिलाड़ी के गुण (Qualities of Sportsman) -एक स्पोर्ट्समैन या खिलाड़ी में निम्नलिखित गुणों का होना ज़रूरी है-

1. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-स्पोर्ट्समैन का सबसे बड़ा और मुख्य गुण है नियम से अनुशासन में बन्धकर कार्य करना। वास्तविक स्पोर्ट्समैन वही कहा जा सकता है जो खेल आदि के सारे नियमों का पालन बड़े अच्छे ढंग से करे और अनुशासनबद्ध हो ।

2. सहनशीलता (Tolerance)-सहनशीलता स्पोर्ट्समैनशिप के गुणों में एक बहत ही महत्त्वपूर्ण गुण है। खेल में कई प्रकार के अवसर आते हैं। अपनी विजय प्राप्त होने से बहुत प्रसन्नता होती है और पराजित हो जाने से उदासी के बादल घेर लेते हैं। परन्तु स्पोर्ट्समैन वही है, जो विजयी होने पर भी पराजित टीम या खिलाड़ी को प्रसन्नता से उत्साहित करे और स्वयं पराजित हो जाने पर भी विजयी को पूर्ण सम्मान के साथ बधाई दे।

3. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation)-स्पोर्ट्समैन में तीसरा गुण सहयोग की भावना का होना है। खेल के मैदान में यह सहयोग की भावना ही है जो टीम के विभिन्न खिलाड़ियों को इकट्ठे रखती है और वे एक होकर अपनी विजय के लिए संघर्ष करते हैं। दूसरे शब्दों में, स्पोर्ट्समैन अपने कोच, कैप्टन, खिलाड़ियों और विरोधी टीम के साथ सहयोग की भावना रखता है। ___4. विजय-पराजय को समान समझने की भावना (No Difference between Defeat or Victory) खेल में हर एक अच्छा खिलाड़ी विजय प्राप्त करने की अनथक चेष्टा करता है और उसके लिए प्रत्येक सम्भव ढंग प्रयुक्त करता है। परन्तु उसे स्पोर्ट्समैन तभी कहा जा सकता है जब वह केवल विजय के उद्देश्य के साथ न खेले बल्कि उसका उद्देश्य अच्छे खेल का प्रदर्शन करना हो। यदि इसी मध्य सफलता उसके पग चूमती है तो उसे पागल होकर विरोधी टीम या खिलाड़ी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए और यदि उसे पराजय का सामना करना पड़ता है तो उसे उत्साहहीन नहीं होना चाहिए। वह खेल में विजयी होने पर भी पराजित खिलाड़ियों को हीन समझने की बजाये अपने समान समझता है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes 1
चित्र-स्पोर्ट्समैन विजयी होते हुए पराजित खिलाड़ियों को समान समझते हुए

5. आज्ञा देने और मानने की योग्यता (Ability of Obedience and Order)स्पोर्ट्समैन के लिए इस ज़रूरी है कि आज्ञा देने और आज्ञा मानने की योग्यता रखता हो। कई बार यह देखा गया है कि खिलाड़ी कुछ कारणों से आपे से बाहर होकर स्वयं को ठीक समझ कर खेल में अपने कैप्टन की आज्ञा का पालन नहीं करते और मनमानी करने लगते हैं। वे सच्चे अर्थों में स्पोर्ट्समैन नहीं होते हैं।

6. त्याग की भावना (Spirit of Sacrifice)-स्पोर्ट्समैन में त्याग की भावना बहुत ज़रूरी है। एक टीम में खिलाड़ी केवल अपने लिए नहीं खेलता बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य समस्त टीम को विजय दिलाने का होता है। इससे प्रकट होता है कि खिलाड़ी निजी हित को त्याग देता है। बस यही स्पोर्ट्समैन का एक साथ महत्त्वपूर्ण गुण है। एक दूसरे पक्ष से भी एक स्पोर्ट्समैन अपने लिए तो खेलता ही है, साथ-साथ अपने स्कूल, प्रान्त, क्षेत्र और समस्त राष्ट्र के लिए भी वह अपनी विजय का श्रेय अपने राष्ट्र और अपने देश को देता है।

7. भ्रातृत्व की भावना (Spirit of Brotherhood) स्पोर्ट्समैन का यह गुण भी कोई कम महत्त्व नहीं रखता। एक स्पोर्ट्समैन खेल में जाति-पाति, धर्म, रंग, सभ्यता और संस्कृति आदि को एक ओर रखकर प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा ही व्यवहार करता

8. प्रतियोगिता की भावना (Spirit of Competition) एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में प्रतियोगिता की भावना का होना भी आवश्यक है । इसी भावना से प्रेरित होकर वह खेल के मैदान में अन्य खिलाड़ियों से बाज़ी ले जाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा देता है। वास्तव में सारी प्रगति का रहस्य प्रतियोगिता की भावना में ही छुपा हुआ है, परन्तु यह हर प्रकार के द्वेष से मुक्त होनी चाहिए।

9. समय पर कार्य करने की भावना (Spirit of Punctuality) स्पोर्ट्समैन किसी भी खेल में समय का पूर्ण सम्मान करते हुए प्रत्येक अवसर का पूर्ण लाभ उठाता है।
खेल में एक-एक सैकिण्ड महत्त्वपूर्ण होता है। ज़रा-सी असावधानी विजय को पराजय में और सावधानी पराजय को विजय में परिवर्तित कर देती है।

10. चुस्त और फुर्तीले रहने की भावना (Spirit of Active and Alertness)स्पोर्ट्समैन प्रत्येक खेल में हर समय चुस्ती और फुर्तीलेपन से ही कार्य करता है। वह किसी भी अवसर को अपने हाथ से जाने नहीं देता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

11. आत्म-विश्वास की भावना (Spirit of Self-Confidence)-वास्तव में आत्म-विश्वास स्पोर्ट्समैन का महत्त्वपूर्ण गुण है। बिना आत्म-विश्वास के खेलना सम्भव नहीं है। खेल में प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी योग्यता पर विश्वास होता है और वह प्रत्येक कार्य बहुत धैर्य और विश्वास से करता है। 1974 में तेहरान में हुई सातवीं एशियाई खेलों में जापान का सबसे अधिक स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त करने का एकमात्र कारण जापानी खिलाड़ियों का आत्म-विश्वास था। 1978 में बैंकाक में एशियाई खेलों में जापानियों ने पहला स्थान ही प्राप्त किया। इसी प्रकार ही जापान ने 1982 की नौवीं एशियाई खेलों में, जो दिल्ली में हुई थीं, प्रथम स्थान प्राप्त

किया और अपने आत्म-विश्वास को स्थिर रखा है। स्पोर्ट्समैन सदैव प्रसन्न, सन्तुष्ट, शान्त और स्वस्थ दिखाई देता है जिससे उसका आत्म-विश्वास प्रकट होता है।

12. उत्तरदायित्व की भावना (Spirit of Responsibility)-स्पोर्ट्समैन के लिए यह ज़रूरी है कि उसमें उत्तरदायित्व की भावना हो। खिलाड़ी को कभी गैर-उत्तरदायित्व से या लापरवाही से काम नहीं करना चाहिए। उसकी ज़रा-सी एक गलती से टीम हार सकती है। इसलिए खिलाड़ी को उत्तरदायित्व को सम्मुख रखकर खेलना चाहिए।

13. नये नियमों की जानकारी (Knowledge of New Rules)-स्पोर्ट्समैन को नये-नये नियमों की जानकारी होनी चाहिए। हर वर्ष खेलों के लिए नए कानून और नियम बनाए जाते हैं। स्पोर्ट्समैन को इनकी जानकारी होनी आवश्यक है।
संक्षेप में, हम यह कह सकते हैं कि स्पोर्ट्समैन एक इकाई नहीं, अपितु कई अच्छे तत्त्वों से मिलकर बना एक गुलदस्ता है तथा एक स्पोर्ट्समैन में अनुशासन, सहनशीलता, आत्म-विश्वास, त्याग, सहयोग आदि के गुणों का होना अत्यावश्यक है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • खेलों के गुण-शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विकास, सहयोग की भावना और सहनशीलता खेलों द्वारा हमें मिलती है।
  • स्पोर्ट्समैनशिप–यह उन सभी अच्छे गुणों का सुमेल है जिसका खिलाड़ी में होना आवश्यक माना जाता है।
  • खिलाड़ी में अनुशासन की भावना, स्वस्थ और मानसिक रूप में प्रफुल्लित, अच्छा सहयोगी और चुस्ती आदि गुण उसमें विराजमान होने चाहिए।
  • स्पोर्ट्समैन एक दूत-स्पोर्ट्समैन अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है और विदेश में ऐसा कोई काम नहीं करता जिससे अपने देश का नुकसान हो।
  • स्पोर्ट्समैन का व्यवहार–प्रत्येक टीम को एक जैसा समझता है और अपनी पराजय को शान से स्वीकार करता है।
  • खेलों से लाभ-शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से छुटकारा मिलता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

PSEB 9th Class Home Science Guide भोजन के कार्य और पोषण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भोजन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौष्टिक तत्त्वों से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर की वृद्धि के लिए, ऊर्जा प्रदान करने के लिए तथा शरीर में चलती रासायनिक क्रियाओं को नियन्त्रण में रखने के लिए तथा शरीर के हर सैल की बनावट, रचना के लिए जिन तत्त्वों की ज़रूरत होती है, को पौष्टिक तत्त्व कहते हैं।

प्रश्न 3.
भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
भोजन में पानी, प्रोटीन, चर्बी, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज आदि पौष्टिक तत्त्व होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 4.
हड्डियों में कौन-से खनिज पदार्थ अधिक होते हैं ?
उत्तर-
हड्डियों में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस खनिज पदार्थ होते हैं। दूध, राजमांह, मेथी, मछली आदि में इनकी काफ़ी मात्रा होती है।

प्रश्न 5.
विटामिन को रक्षक तत्त्व क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
एन्जाइम शारीरिक तापमान पर ही जोड़-तोड़ क्रियाएं करवाते हैं। इन एन्जाइमों के संश्लेषण तथा क्रियाशीलता के लिए विटामिन तथा खनिज पदार्थ आवश्यक होते हैं। यह बीमारियों से भी शरीर को बचाते हैं। इसलिए विटामिन को रक्षक तत्त्व कहा जाता है।

प्रश्न 6.
शरीर में कितने प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं। यह हैं-कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटाशियम, सोडियम, क्लोरीन, आयोडीन, सल्फर, तांबा, जिंक, कोबाल्ट, मैंग्नीज़, लोहा तथा मोलिब्डेनम आदि।

प्रश्न 7.
भोजन की ऊर्जा कैसे मापी जाती है ?
उत्तर-
शरीर को कई काम करने पड़ते हैं जैसे-खाने का पाचन, दिल का धड़कना, सांस लेना, दिमाग का हर समय काम करना, भागना-दौड़ना आदि। इन सभी कामों के लिए शरीर को ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है।
ऊर्जा को किलो कैलोरी में मापा जाता है परन्तु पोषण विज्ञान में इसे कैलोरी ही कहा जाता है।

प्रश्न 8.
1 ग्राम प्रोटीन तथा 1 ग्राम वसा में कितनी कैलोरी होती है ?
उत्तर-
एक किलोग्राम पानी के तापमान में एक डिग्री सैल्सियस की वृद्धि करने के लिए जितने ताप की ज़रूरत होती है, उसे कैलोरी कहा जाता है।
एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी तथा एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा होती है।

प्रश्न 9.
भोजन का शरीर में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि। __ शरीर को ऊर्जा प्रदान करना भोजन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। वास्तव में अन्य सभी कार्य ऊर्जा के कारण ही होते हैं।

प्रश्न 10.
भोजन का मनोवैज्ञानिक कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
अच्छे भोजन से मानसिक सन्तुष्टि मिलती है। जब मन खुश हो तो भोजन अच्छा लगता है तथा खाने को भी मन करता है तथा जब कोई चिन्ता हो तो वही भोजन बुरा लगता है। कई बार बच्चे को अच्छा काम करने जैसे अच्छे नम्बर आदि प्राप्त किये हों तो इनाम के रूप में आइसक्रीम अथवा पेस्ट्री आदि दी जाती है। इससे बच्चे को मानसिक सन्तुष्टि तथा खुशी प्राप्त होती है तथा इसी तरह दण्ड के रूप में इन चीजों की मनाही की जाती है। इस तरह भोजन मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने का कार्य भी करता है।

प्रश्न 11.
भोजन का सामाजिक महत्त्व क्या है ?
उत्तर-
भोजन का सामाजिक महत्त्व-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के मौकों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाइचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 12.
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति की क्या पहचान है ?
उत्तर-
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जिसका –

  1. सुडौल शरीर होता है।
  2. भार आयु तथा कद के अनुसार होता है।
  3. वृद्धि पूर्ण होती है।
  4. चमड़ी साफ़ तथा आंखें चमकदार होती हैं।
  5. सांस में से बदबू नहीं आती।
  6. बाल चमकदार तथा बढ़िया बनावट वाले होते हैं।
  7. शरीर के सभी अंग ठीक काम करते हैं।
  8. भूख तथा नींद भी ठीक होती है।

प्रश्न 13.
रेशे (फोक) का हमारे शरीर में क्या कार्य है ?
उत्तर-
रेशे के कार्य –
रेशे शरीर से मल को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

प्रश्न 14.
भोजन के कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण कैसे करोगे ?
उत्तर-
कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण-शरीर में कार्य के अनुसार भोजन को तीन मुख्य समूहों में बांटा गया है –

  1. ऊर्जा देने वाला भोजन-इसमें कार्बोहाइड्रेट्स तथा चर्बी पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  2. शरीर की बनावट के लिए भोजन-इसमें प्रोटीन होते हैं।
  3. रक्षक भोजन-इसमें खनिज पदार्थ तथा विटामिन होते हैं।

प्रश्न 15.
ऐसे दो भोजन पदार्थों के नाम बताओ जिनमें प्रोटीन अधिक होती है ?
उत्तर-
सोयाबीन, मांह साबुत, बकरे का मांस, पनीर, बादाम, मूंग, मसर, खोया, मछली आदि में अधिक मात्रा में प्रोटीन होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
भोजन, पौष्टिक तत्त्व और पोषण विज्ञान के बारे बताओ।
उत्तर-
भोजन-भोजन मनुष्य की प्राथमिक ज़रूरतों में सबसे महत्त्वपूर्ण ज़रूरत है। वह पदार्थ जिन्हें खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उन्हें भोजन कहा जाता है। यह पदार्थ ठोस, अर्द्ध-ठोस तथा तरल रूप में भी हो सकते हैं। भोजन जीवित प्राणियों के शरीर के लिए ईंधन (Fuel) का कार्य करता है। भोजन ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ शरीर की वृद्धि में भी सहायक होता है। इससे ही खून का निर्माण होता है। इसलिए मनुष्य का भोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें शरीर की तंदरुस्ती के लिए सभी अनिवार्य तत्त्व मौजूद हों।

पौष्टिक तत्त्व-पौष्टिक तत्त्व भोजन का एक अंग हैं। यह विभिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में ज़रूरत होती है। यह रासायनिक तत्त्व हमारे शरीर में पाचन क्रिया में पाचन रसों द्वारा साधारण रूप में तबदील हो जाते हैं। यह तत्त्व पचने के पश्चात् आवश्यकतानुसार सभी अंगों में पहुंचकर उन्हें पोषण देते हैं।
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)।

पोषण विज्ञान-पोषण विज्ञान से हमें पता चलता है कि पौष्टिक तत्त्व कौन-से भोजन पदार्थों से मिल सकते हैं तथा सामान्य मिलने वाले तथा सस्ते भोजन पदार्थों से इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है ताकि पौष्टिक तत्त्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से बच जा सके।

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प्रश्न 17.
पोषण सम्बन्धी विज्ञान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
पोषण विज्ञान हमें बताता है कि ठीक स्वास्थ्य के लिए कौन-से पौष्टिक तत्त्वों की शरीर को कितनी मात्रा में ज़रूरत है तथा कहां से प्राप्त होते हैं।

  1. कौन-से खाद्य पदार्थों से पौष्टिक तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
  2. इनकी कमी से शरीर पर क्या बुरा प्रभाव होगा।
  3. इन तत्त्वों की लगभग तथा कितने अनुपात में शरीर को ज़रूरत है।
  4. इस ज्ञान के आधार पर भोजन सम्बन्धी अच्छी आदतें कैसे बनानी हैं।

प्रश्न 18.
शरीर की वृद्धि और विकास के लिए भोजन के किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध तथा दूध से बनी चीजें, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियां, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 19.
ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेट्रोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बड़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 20.
भोजन के शारीरिक कार्य कौन-से हैं ? किसी दो के बारे लिखें।
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

(i) शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

(ii) शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छी सेहत के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

प्रश्न 21.
भोजन शारीरिक कार्य के अतिरिक्त हमारे शरीर में अन्य कौन-कौन से कार्य करता है ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नवविवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुला कर इकट्ठे बैठते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 22.
हमारे शरीर के लिए कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं ? जल और रेशे हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं ? ।
उत्तर-
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)|

पानी-पानी में कोई कैलोरी नहीं होती पर शरीर की लगभग सभी प्रक्रियाओं में पानी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पानी के बिना हम थोड़े दिन भी जीवित नहीं रह सकते। यह शरीर के सभी तरल पदार्थों में होता है। रक्त में 90% पानी होता है। पाचक रसों में भी काफ़ी मात्रा पानी की ही होती है। इस तरह पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक है जैसे कि हार्मोन्ज़ भोजन के पाचन के पश्चात् पदार्थ तथा बाहर निकलने वाले पदार्थों को एक से दूसरे स्थान पर ले जाना आदि। पानी शरीर की बनावट तथा शरीर का तापमान नियमित रखने में भी आवश्यक है।

पानी को हम पानी के रूप अथवा पेय पदार्थ अथवा अन्य भोजन पदार्थों द्वारा प्राप्त करते हैं।

रुक्षांश-रुक्षांश भोजन का ऐसा हिस्सा है जो हमारी पाचन प्रणाली में पचाया नहीं जा सकता। यह पौधों से मिलने वाले भोजन पदार्थ जैसे फल, सब्जियां तथा अनाजों में होता है। यह शरीर में से मल को बाहर निकालने में सहायता करता है।

प्रश्न 23.
भोजन हमारे शरीर में क्या-क्या कार्य करता है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

1. शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

2. शारीरिक क्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

3. शारीरिक कोशिकाओं का निर्माण करना तथा तन्तुओं की मरम्मत-करना विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटीफूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध से बनी चीज़ों, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियों, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

4. शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेटोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बढ़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा, तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा के ताप को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी।

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

5. शरीर का तापमान संतुलित करना-प्रत्येक मौसम में हमारे शरीर का तापमान नियमित रहता है। गर्मियों में हमें पसीना आता है। पसीना सूखने पर वाष्पीकरण से ठण्ड पैदा होती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है। विभिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न ढंगों से क्रिया करने का संकेत दिमाग से आता है जिसके लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा यह ऊर्जा हमें भोजन से ही प्राप्त होती है। पानी शरीर का तापमान नियमित रखने के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

6. मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके आन्तरिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

7. सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं।

प्रश्न 24.
भोजन के शारीरिक कार्य क्या हैं ? और इनके लिए किन-किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
भोजन के शारीरिक कार्य-

भोजन समूह पौष्टिक तत्त्व कार्य
1. ऊर्जा देने वाले भोजन

(i) अनाज तथा जड़ वाली सब्जियां।

(ii) शक्कर तथा गुड़, तेल, घी तथा मक्खन।

कार्बोहाइड्रेट तथा चर्बी ऊर्जा प्रदान करना
2. शरीर की बनावट तथा वृद्धि के लिए भोजन

(i) दूध तथा दूध से बने पदार्थ

(ii) मांस, मछली तथा अण्डे

(iii) दालें तथा

(iv) सूखे मेवे।

प्रोटीन शरीर की वृद्धि तथा टूटे फूटे तन्तुओं की मरम्मत करने के लिए
3. रक्षक भोजन

(i) पीले तथा संतरी रंग के फल

(ii) हरी सब्जियां

(iii) अन्य फल तथा सब्ज़ियां।

विटामिन तथा खनिज पदार्थ बीमारियों से शरीर की रक्षा करना तथा शारीरिक क्रियाओं को कण्ट्रोल करना।

Home Science Guide for Class 9 PSEB भोजन के कार्य और पोषण Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. शरीर में ………………… प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं।
  2. पानी शरीर के ……………. को नियमित करता है।
  3. ऊर्जा को ……………….. में मापा जाता है।
  4. रक्त में …………………. पानी होता है।
  5. राइबोफ्लेबिन ……………… में घुलनशील है।

उत्तर-

  1. 4%
  2. तापमान
  3. किलो कैलोरी
  4. 90%
  5. पानी।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
एक 65 किलोग्राम भार वाले पुरुष के शरीर में कितना प्रोटीन होता है ?
उत्तर-
11 किलोग्राम।

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कितने प्रतिशत जल है ?
उत्तर-
70%

प्रश्न 3.
कार्बोज़ तथा वसा का क्या कार्य है ?
उत्तर-
ऊर्जा प्रदान करना।

प्रश्न 4.
वसा में घुलनशील एक विटामिन बताएं।
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 5.
विटामिन तथा खनिज पदार्थों को कैसे तत्त्व कहा जाता है ?
उत्तर-
रक्षक तत्त्व।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. हमारे शरीर में 70% पानी होता है।
  2. विटामिन बी (B) पानी में अघुलनशील है।
  3. दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है।
  4. पानी से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
  5. प्रोटीन शरीर की मुरम्मत करने के काम आता है।
  6. खनिज पदार्थ तथा विटामिन रक्षक भोजन है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ग़लत,
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ व्यक्ति के लिए ठीक तथ्य नहीं हैं –
(A) शरीर सुडौल होता है
(B) भूख तथा नींद कम होती है
(C) भार, आयु तथा लम्बाई अनुसार होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(B) भूख तथा नींद कम होती है

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प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं
(B) एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी ऊर्जा होती है
(C) सोयाबीन में अधिक प्रोटीन होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
शरीर में ………………….. तथा रक्त में ………………….. पानी होता है –
(A) 70%, 90%
(B) 90%, 70%
(C) 100%, 100%
(D) 70%, 20%.
उत्तर-
(D) 70%, 20%

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एस्कीमो आदि की मुख्य खुराक क्या है ?
उत्तर-
इनकी मुख्य खुराक मांस, मछली तथा अण्डा है।

प्रश्न 2.
यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो इसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर-
भोजन तथा स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध है। यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो हमारे शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की शक्ति में कमी आ जाती है जिस कारण हमें कोई भी बीमारी आसानी से हो सकती है। शरीर की कार्य करने की क्षमता भी कम हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूध के पौष्टिक गुणों के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है जिस कारण इसमें पौष्टिक गुण होते हैं।

प्रश्न 4.
भोजन किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
जिस खाद्य पदार्थ को खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उसे भोज कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पौष्टिक तत्त्व क्या हैं ?
उत्तर-
भोजन के रासायनिक तत्त्वों के मिश्रण को पौष्टिक तत्त्व कहा जाता है।

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प्रश्न 6.
कौन-से भोजन पदार्थों से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है ?
उत्तर-
घी, तेल, मेवे, दालों तथा चर्बी युक्त पदार्थों से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 7.
शरीर के निर्माण के लिए कौन-से भोजन पदार्थ आवश्यक हैं ?
उत्तर-
दूध तथा दूध से बने पदार्थ, साबुत दालें, मांस, अण्डे आदि।

प्रश्न 8.
कौन-से भोजन पदार्थ शरीर को सुरक्षित रखते हैं ?
उत्तर-
फल, सब्जियां तथा पानी शरीर को सुरक्षित रखते हैं।

प्रश्न 9.
शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर-
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, चर्बी, विटामिन, खनिज पदार्थ, रुक्षांश तथा पानी आवश्य पौष्टिक तत्त्व हैं।

प्रश्न 10.
पोषण क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक ऐसी परिस्थिति है जो शरीर को विकसित करती है तथा बनाये रखती है।

प्रश्न 11.
भोजन शरीर के लिए क्या कार्य करता है ?
उत्तर-

  1. शारीरिक क्रियाओं को चालू तथा नीरोग रखता है।
  2. मनोवैज्ञानिक कार्य।
  3. सामाजिक कार्य।

प्रश्न 12.
शरीर में ऊर्जा कैसे पैदा होती है ?
उत्तर-
शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों के ऑक्सीकरण से पैदा होती है।

प्रश्न 13.
कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से ऊर्जा पैदा होती है ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी तथा प्रोटीन से ऊर्जा पैदा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 14.
शरीर में कौन-से तत्त्व कम मात्रा में आवश्यक हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन आदि शरीर को कम मात्रा में आवश्यक हैं।

प्रश्न 15.
एक 65 किलो के पुरुष के शरीर में पानी, प्रोटीन, कैल्शियम, तांबा तथ थाइयोमिन की कितनी मात्रा होती है ?
उत्तर-
पानी – 40 किलोग्राम
प्रोटीन – 11 किलोग्राम
कैल्शियम – 1200 ग्राम
तांबा – 100-150 मिलिग्राम
थाइयोमिन – 25 मिलिग्राम।

प्रश्न 16.
65 किलो के पुरुष के शरीर में चर्बी, लोहा, आयोडीन तथा विटामिन सी कितनी मात्रा में होते हैं ?
उत्तर-
चर्बी – 9 किलोग्राम
लोहा — 3-4 ग्राम
आयोडीन – 25-50 मिलिग्राम
विटामिन सी – 5 ग्राम।

प्रश्न 17.
हमारे शरीर में पानी की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर-
हमारे शरीर में पानी 70% होता है।

प्रश्न 18.
रक्त बनाने के लिए कौन-से तत्त्वों की ज़रूरत होती है ?
उत्तर-
रक्त बनाने के लिए लोहा तथा प्रोटीन की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 19.
गर्मियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
गर्मियों में पसीना आता है तथा पसीने के वाष्पीकरण से ठण्डक पैदा होती है। इससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 20.
सर्दियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
सर्दियों में शरीर द्वारा काफ़ी ऊर्जा पैदा की जाती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 21.
मानसिक पक्ष से कौन-सा व्यक्ति ठीक होता है ?
उत्तर-
मानसिक पक्ष से वह व्यक्ति ठीक होता है जिसे –

  1. अपने गुणों तथा अवगुणों के बारे में पता हो।
  2. जो चिंता अथवा किसी प्रकार के तनाव से मुक्त हो।
  3. जो चौकस तथा फुर्तीला हो।
  4. जो समझदार तथा सीखने वाला हो।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 22.
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति कौन होता है ?
उत्तर–
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति वह होता है –

  1. जो अपने इर्द-गिर्द के लोगों को साथ लेकर चलता है।
  2. जो अच्छे तौर तरीके तथा शिष्टाचार अपनाता है।
  3. जो दूसरों की मदद करने में खुशी महसूस करता है।
  4. जो समाज तथा परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेवारी समझता है।

प्रश्न 23.
विटामिन कितनी प्रकार के होते हैं, विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
विटामिन दो तरह के होते हैं –
(i) पानी में घलनशील विटामिन ‘सी’ तथा ‘बी’ ग्रप के विटामिन जैसे कि थायामिन. राइबोफ्लेबिन, निकोटिनिक अम्ल, पिरडॉक्सिन, फौलिक अम्ल तथा विटामिन बी,, पानी में घुलनशील हैं।
(ii) चर्बी में घुलनशील विटामिन-विटामिन ‘ए’, ‘डी’ तथा ‘के’ चर्बी में घुलनशील हैं।

प्रश्न 24.
सबसे अधिक प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, कार्बोज़, कैल्शियम तथा लोहा, ऊर्जा कौन-से भोजन पदार्थों में होते हैं ?
उत्तर-
प्रोटीन – सोयाबीन (43.2 ग्राम)
चर्बी – मक्खन (81 ग्राम)
खनिज पदार्थ – सोयाबीन (4.6 ग्राम)
कार्बोज़ – गुड़ (95 ग्राम)
कैल्शियम – खोया (956 मिलिग्राम)
लोहा – सरसों (16.3 मिलिग्राम)
ऊर्जा – मक्खन (किलो कैलोरी)
यह मात्रा 100 ग्राम भोजन पदार्थ के लिए है।

प्रश्न 25.
पानी का शरीर में कार्य बतायें।
उत्तर–
पानी के कार्य –
(i) पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।
(ii) पानी शरीर के तापमान को नियमित करता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

भोजन के कार्य और पोषण PSEB 9th Class Home Science Notes

  • सभी जीवित प्राणियों को भोजन की ज़रूरत होती है।
  • पोषण विज्ञान से हमें यह पता चलता है कि कौन-से भोजन पदार्थों में कौन-से पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  • शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों से पैदा होती है।
  • डण्डी को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस खाद्य पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।
  • भोजन के शारीरिक काम हैं-शरीर को ऊर्जा देना, शरीर की वृद्धि, टूटे-फूटे तन्तुओं की मुरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, शरीर का तापमान नियमित करना आदि।
  • भोजन मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा धार्मिक कार्य भी करता है।
  • पौष्टिक तत्त्व वह रासायनिक पदार्थ हैं जो हमें भोजन से मिलते हैं तथा शरीर की विभिन्न जोड़-तोड़ क्रियाओं के लिए ऊर्जा का साधन हैं तथा शरीर के सैलों की रचना तथा बनावट के लिए ज़रूरी हैं।
  • पौष्टिक तत्त्व हैं-प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा पानी।
  • पोषण विज्ञान में ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है।
  • 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा चर्बी में बारी-बारी 4,4 तथा 9 कैलोरी ऊर्जा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

PSEB 9th Class Home Science Guide पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार में उपलब्ध साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
(i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 2.
पारिवारिक साधनों का वर्गीकरण कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
साधनों का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता है –(i) मानवीय साधन (ii) गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन।
(i) मानवीय साधन हैं-कुशलता, ज्ञान, शक्ति, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि।
(ii) भौतिक साधन हैं-समय, धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 5.
समय और शक्ति की व्यवस्था से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
समय ऐसा साधन है जो कि सभी के लिए समान होता है। जब किसी कार्य को करने की शक्ति तथा समय का प्रयोग किया जाता है तो थकावट महसूस होती है। इसलिए समय तथा शक्ति दोनों साधनों को सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए ताकि कार्य भी हो जाये तथा थकावट भी ज़रूरत से ज्यादा न हो तथा दोनों की बचत भी हो जाये।

प्रश्न 6.
पारिवारिक साधनों की क्या विशेषताएं होती हैं ?
उत्तर-

  1. यह साधन सीमित होते हैं।
  2. साधन उपयोगी होते हैं तथा इनका प्रयोग कई रूपों में किया जा सकता है।
  3. साधनों का प्रभावशाली प्रयोग किसी भी व्यक्ति के जीवन स्तर को प्रभावित करता
  4. सभी साधनों का उचित प्रयोग परस्पर सम्बन्धित होता है तथा इस तरह उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  5. इन साधनों के उचित प्रयोग से हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

प्रश्न 7.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर–
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं –
परिवार का आकार तथा रचना, जीवन-स्तर, घर की स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यता, ऋतु, आर्थिक स्थिति आदि।

प्रश्न 8.
योजना बनाकर समय और शक्ति के व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
योजना बनाकर कार्य किया जाये तो समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है। योजना बनाने से पहले सारे कार्यों की सूची बनाई जाती है। इस तरह यह पता लगाया जाता है कि कौन-सा कार्य किस समय तथा कौन-से सदस्य द्वारा किया जाना है। योजना में अपने व्यक्तिगत कार्यों तथा मनोरंजन के लिए भी समय रखा जाता है। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने से रोज़ एक जैसी शक्ति का प्रयोग होता है। इस तरह अधिक थकावट भी नहीं होती। योजनाएं दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों के लिए भी तैयार की जाती हैं। इस तरह समय तथा शक्ति के खर्च को घटाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
निर्णय लेने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
निर्णय अथवा फैसला लेने की प्रक्रिया को गृह-प्रबन्ध का अभिन्न अंग माना गया है। निर्णय लेने की क्रिया से अभिप्राय है किसी समस्या के हलें के लिए विभिन्न विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करना। किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित चरणों में से गुजरना पड़ता है –

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था 1

प्रश्न 10.
निर्णय लेने से पूर्व सोच-विचार करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
जब परिवार में कोई समस्या आ जाये तो उसके हल के लिए सोच-विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। प्रत्येक समस्या के हल के लिए कई विकल्प होते हैं। विभिन्न विकल्पों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा प्रत्येक विकल्प कई तत्त्वों का समूह होता है। इनमें से कई तत्त्व समस्या के हल के लिए सहायक होते हैं तथा कई नहीं, कई कम सहायक होते हैं तथा कई अधिक सहायक होते हैं। इसलिए इन तत्त्वों की जानकारी प्राप्त करनी तथा कई स्थितियों में आपको किसी अन्य अनुभवी व्यक्ति की सलाह भी लेनी पड़ती है ताकि ठीक विकल्प का चुनाव हो सके। जैसे मनोरंजन की समस्या के लिए कई विकल्प हैं जैसे सिनेमा जाना, कोई खेल खरीदना अथवा टेलीविज़न खरीदना। इन सभी विकल्पों के बारे में जानकारी लेना तथा फिर एक उपयुक्त विकल्प जैसे कि टेलीविज़न का चुनाव किया जाता है। क्योंकि यह एक लम्बे समय तक चलने वाला मनोरंजन का साधन है। इसके साथ परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम मिल सकते हैं। इसलिए इन सभी तत्त्वों को ध्यान में रखकर सभी विकल्पों के बारे में सोच-समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 11.
सही निर्णय गृह व्यवस्था में कैसे उपयोगी होता है ?
उत्तर-
सही निर्णय लिए जाएं तो समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है। यदि घर की व्यवस्था सोच-समझकर तथा सही निर्णय न लेकर की जाए तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। घर के सदस्यों में मेल-मिलाप नहीं रहता। कोई भी कार्य समय पर नहीं होता तथा मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह सही निर्णय घर की व्यवस्था में बड़ा लाभदायक होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 12.
पारिवारिक साधन मानवीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में कैसे सहायक होते हैं ? इन्हें प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर-
परिवार के लिए उपलब्ध साधन, पारिवारिक लक्ष्यों अथवा उद्देश्यों की पूर्ति करने में सहायक होते हैं। दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है। साधनों के सफल प्रयोग को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं –

  1. परिवार का आकार तथा रचना-जिन परिवारों में छोटे बच्चे अथवा बुजुर्ग होते हैं वहां गृहिणी को अधिक कार्य करना पड़ता है। परन्तु बच्चे बड़े होकर गृहिणी की मदद करने लग जाते हैं, तथा कई बुजुर्ग भी घर के काम-काज में मदद कर देते हैं।
  2. जीवन-स्तर-सादा जीवन व्यतीत करने वालों के लक्ष्य आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं।
  3. घर की स्थिति-यदि घर, स्कूल अथवा कॉलेज, मार्कीट आदि के निकट हो तो आने-जाने का काफ़ी समय तथा शक्ति बच जाती है। यदि घर बड़ी सड़क के नज़दीक हो तो धूल-मिट्टी काफ़ी आती है तथा सफ़ाई पर काफ़ी समय नष्ट हो जाता है।
  4. आर्थिक स्थिति-यदि अधिक आय हो तो घर में नौकर रखे जा सकते हैं तथा कई कार्य बाहर से भी करवाये जा सकते हैं। यदि आय कम हो तो गृहिणी को सभी कार्य स्वयं ही करने पड़ते हैं।
  5. परिवार के सदस्यों की शिक्षा-पढ़े-लिखे लोग आधुनिक साधनों का प्रयोग करके अपनी शक्ति तथा समय की काफ़ी बचत कर लेते हैं। जैसे एक पढ़ी-लिखी गृहिणी वाशिंग मशीन तथा मिक्सी आदि का अधिक प्रयोग करेगी जबकि अनपढ़ लोग पुराने परम्परागत साधनों तथा रिवाजों पर ही निर्भर रहते हैं।
  6. ऋतु बदलना-गांवों में बिजाई-कटाई के समय कार्य अधिक करना पड़ता है और समय कम। शहरों में ऋतु बदलने पर गर्म-ठण्डे कपड़ों आदि को निकालना तथा रखना आदि कार्य बढ़ जाते हैं।
  7. गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यताएं-एक कुशल गृहिणी अपनी योग्यता से समय तथा शक्ति की बचत कर सकती है।

प्रश्न 13.
समय और शक्ति पारिवारिक साधन कैसे हैं ? योजना बनाकर इनके व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
समय सभी के लिए ही बराबर होता है। एक दिन में 24 घण्टे होते हैं। परन्तु शक्ति सभी के पास एक जैसी नहीं होती तथा आयु के साथ-साथ इसमें अन्तर पड़ता रहता है। जब कोई कार्य किया जाता है तो समय तथा शक्ति दोनों खर्च होते हैं। योजना बनाकर कार्य किया जाये तो इन दोनों की बचत की जा सकती है। एक समझदार गृहिणी को समय तथा शक्ति के खर्च को घटाने के लिए योजना बनाने में कोई मुश्किल नहीं आती। योजना को लिखकर बनाना चाहिए तथा योजना में लचीलापन होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको बदला जा सके। सभी कार्यों की सूची बनाने के पश्चात् योजना बनानी चाहिए। यह भी तय कर लेना चाहिए कि इनमें से कौन-से कार्य किस सदस्य ने तथा कब करने हैं। दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बना लेनी चाहिए। अधिक भारी कार्य के पश्चात् हल्के कार्य को स्थान देना चाहिए ताकि अधिक थकावट न हो। योजना में अपने व्यक्तिगत तथा मनोरंजन के कार्यों के लिए भी समय रखना चाहिए। योजना इस तरह बनाएं कि प्रतिदिन ज़रूरी कार्यों तथा मनोरंजन के कार्यों में लगभग एक जैसी शक्त्रि व्यय हो। इस तरह योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB पारिवारिक साधनों की व्यवस्था क्षेत्र Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. पारिवारिक साधनों को …………………….. भागों में बांटा जाता है।
  2. मानवीय साधन, मानव के …………………….. होते हैं।
  3. पारिवारिक साधन …………………………. होते हैं।
  4. ………………………… में ही मनुष्य को मानसिक सन्तुष्टि मिलती है।
  5. साधन हमारी …………………………… की पूर्ति करते हैं।

उत्तर-

  1. दो,
  2. अन्दर,
  3. सीमित,
  4. घर,
  5. इच्छाओं।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
गृह निर्माता का कर्त्तव्य आमतौर पर कौन निभाता है ?
उत्तर-
गृहिणी।

प्रश्न 2.
सीमित साधनों के द्वारा कार्य बढ़िया कैसे हो सकता है ?
उत्तर-
अच्छी व्यवस्था द्वारा।

प्रश्न 3.
समय को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
तीन।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. साधन दो प्रकार के होते हैं-मानवीय, भौतिक।
  2. साधन असीमित होते हैं।
  3. साधनों का उचित प्रयोग करके हम अपनी इच्छायों की पूर्ति करते हैं।
  4. समय ऐसा साधन है जो कि सभी के पास बराबर होता है।
  5. परिवार का आकार तथा रचना पारिवारिक साधनों को प्रभावित नहीं करती।
  6. सही निर्णय घर की व्यवस्था के लिए लाभदायक है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ग़लत
  6. ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले कारक हैं –
(A) परिवार का आकार
(B) घर की स्थिति
(C) ऋतु
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 2.
निम्न में ठीक हैं –
(A) जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग होता है तो थकावट महसूस होती है
(B) साधन सीमित हैं
(C) सही निर्णय लेने से समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य है
(A) साधन असीमित होते हैं
(B) साधनों की उपयोगिता नहीं होती
(C) धन भौतिक साधन है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(C) धन भौतिक साधन है

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
योजना बनाने के अतिरिक्त गृहिणी को कौन-सी अन्य बातों का ज्ञान होना चाहिए जिससे समय तथा शक्ति बच सकती हो ?
उत्तर-

  1. सभी चीज़ों को अपने स्थान पर रखो ताकि ज़रूरत पड़ने पर वस्तु को ढूंढने में समय नष्ट न हो।
  2. काम करने के लिए सामान अच्छा तथा ठीक हालत में होना चाहिए।
  3. काम करने वाली जगह पर रोशनी का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए।
  4. काम करने के सुधरे तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  5. घर के सभी सदस्यों की मदद लेनी चाहिए। यदि फिर भी कार्य तथा आय के साधन ठीक हों तो कार्य बाहर से भी करवाया जा सकता है।
  6. काम करने वाली जगह की ऊंचाई अथवा वस्तुओं के हैण्डल ऐसे हों कि कन्धों पर अधिक भार न पडे।

प्रश्न 2.
मूल्यांकन करने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुछ देर किसी योजना के अनुसार कार्य करते रहने के पश्चात् देखा जाता है कि नियत लक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं, अथवा नहीं। यदि लक्ष्य प्राप्त न हो रहे हों तो योजना में फेरबदल किया जाता है तथा इस तरह अपनी योजना का मूल्यांकन किया जाता है ताकि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।
इन साधनों का उचित प्रयोग करके गृह प्रबन्ध बढ़िया ढंग से किया जा सकता है। किसी कार्य को करने की योग्यता तथा कुशलता हो तो कार्य में रुचि तथा दिलचस्पी स्वयं पैदा हो जाती है। नए उपकरणों तथा मशीन आदि के बारे में ज्ञान हो तो समय तता शक्ति की बचत हो जाती है। घर के सदस्यों की शक्ति भी एक मानवीय साधन है।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं और गृह व्यवस्था के लिए कैसे लाभदायक है ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि। इन सभी के उचित प्रयोग से गृह-व्यवस्था ठीक ढंग से की जा सकती है तथा परिवार के उद्देश्यों तथा ज़रूरतों की पूर्ति की जा सकती है।

पारिवारिक साधनों की व्यवस्था PSEB 9th Class Home Science Notes

  • परिवार के उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध साधनों की सहायता ली जाती है।
  • पारिवारिक साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
    (i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
  • कार्य करने की कुशलता, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि मानवीय साधन हैं।
  • धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि ग़ैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं।
  • समय ऐसा साधन है जो सभी के लिए बराबर होता है।
  • समय को तीन भागों में बांटा जा सकता है-कार्य, विश्राम, नींद आदि।
  • विभिन्न व्यक्तियों में शक्ति भी अलग-अलग होती है तथा एक ही व्यक्ति में सारी उम्र एक जैसी शक्ति नहीं रहती।
  • जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो थकावट अनुभव होती है।
  • परिवार का आकार तथा रचना, जीवन स्तर, घर की स्थिति, आर्थिक स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तौँ योग्यताएं, ऋतु बदलने से कार्य आदि पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं।
  • योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है।
  • रोज़ाना कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बनानी चाहिए।
  • यदि घर की आय के साधन ठीक हों तो घर के कार्य बाहर से करवाकर भी समय तथा शक्ति का बचाव किया जा सकता है।
  • जब किसी योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाता है तो कुछ देर पश्चात् पता लग जाता है कि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो रही है अथवा नहीं।
  • यदि उद्देश्यों की पूर्ति न हो रही हो तो अपनी योजना में परिवर्तन कर लेना चाहिए ताकि आगे के लिए उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
  • ठीक निर्णय लिए जाएं तो कार्य अच्छी तरह तथा आसानी से हो जाते हैं।
  • घर का प्रबन्धक अथवा गृहिणी सोच-समझकर निर्णय न करे तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

PSEB 9th Class Home Science Guide मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के विकास के कितने पड़ाव होते हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
मानवीय विकास के निम्नलिखित पड़ाव हैं —

  1. बचपन
  2. किशोरावस्था
  3. बालिग
  4. बुढ़ापा।

प्रश्न 2.
बचपन को कितनी अवस्थाओं में बांटा जा सकता है?
उत्तर-बचपन को निम्नलिखित अवस्थाओं में बांटा जाता है–

  1. जन्म से दो वर्ष तक
  2. दो से तीन वर्ष तक
  3. तीन से छः वर्ष का बच्चा
  4. छ: से किशोरावस्था तक।

प्रश्न 3.
कितने महीने का बच्चा बिना सहारे खड़ा होने लगता है?
उत्तर-
9 माह का बच्चा बिना सहारे के खड़ा होने लगता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 4.
किस उमर में बच्चे का शारीरिक विकास बहुत तेज़ गति से होता है?
उत्तर-
2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है।

प्रश्न 5.
कितनी आयु का बच्चा कानूनी रूप से वयस्क समझा जाता है?
उत्तर-
पहले 21 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता था परन्तु अब 18 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता है जबकि 20 वर्ष की आयु तक उसका शारीरिक विकास होता रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6.
किशोरावस्था के दौरान लड़कों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-

  1. किशोरावस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ फूटनी आरम्भ हो जाती है।
  2. उनकी टांगें-बांहें अधिक लम्बी हो जाती हैं तथा आवाज़ फटती है। उनके लिए यह अनोखी बात होती है।
  3. उनके गले की हड्डी बाहर को उभर आती है।
  4. लड़के स्वयं को बड़ा समझने लगते हैं तथा उनसे माता-पिता की ओर से लगाई गई पाबन्दियां बर्दाश्त नहीं होती।
  5. वह कभी बड़ों की तरह तथा कभी बच्चों की तरह बर्ताव करने लगते हैं।
  6. किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
  7. अपने शरीर में आए जिस्मानी परिवर्तनों के बारे उनमें जानने की इच्छा पैदा होती है।

प्रश्न 7.
किशोरावस्था के दौरान माता-पिता के उनके बच्चों के प्रति क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तर-

  1. बच्चों को लिंग शिक्षा सम्बन्धी पूरी जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को एड्स जैसी जानलेवा बीमारी तथा नशों के बुरे परिणामों के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए।
  2. किशोर बच्चों से माता-पिता के मित्रों वाले सम्बन्ध होने बहुत आवश्यक हैं ताकि बच्चा बिना परेशानी अपनी शारीरिक तथा मानसिक परेशानी उनके साथ साझी कर सके तथा मां-बाप द्वारा दिये सुझावों का पालन कर सके।
  3. मां-बाप तथा अध्यापकों को किशोरों से अपना व्यवहार एक जैसा रखना चाहिए। किसी हालत में उन्हें छोटा तथा कभी बड़ा कहकर उनके मन में उलझन पैदा नहीं करनी चाहिए। इस तरह उसे यह समझ नहीं आता कि वह वास्तव में बड़ा हो गया है या अभी छोटा ही है।
  4. माता-पिता को भी इस अवस्था में अपने बच्चे के प्रति पूर्ण विश्वास वाला तथा हिम्मत वाला व्यवहार करना चाहिए ताकि उनका सर्वपक्षीय विकास ठीक ढंग से हो सके।
    अपनी ऊर्जा (शक्ति) खर्च करने के लिए कई प्रकार की रुचियों में रुझाने के लिए समय मिलना चाहिए जैसे खेल-कूद, कहानी पढ़ना, गाना-बजाना आदि।

प्रश्न 8.
प्रौढ़ावस्था में मनुष्य के सामाजिक कर्त्तव्य क्या होते हैं?
उत्तर-

  1. मनुष्य इस आयु में सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करता है।
  2. मनुष्य उचित व्यवसाय का चुनाव करता है तथा अपने जीवन साथी का चुनाव करके घर बसा लेता है।
  3. बच्चे पालता है, दुनियादारी निभाता है, माता-पिता, छोटे बहन-भाइयों तथा अन्य रिश्तेदारों की जिम्मेवारी सम्भालता है।

प्रश्न 9.
बच्चा और बूढ़ा एक समान क्यों कहा जाता है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
वृद्धावस्था में मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है। उसके लिए चलना, फिरना, उठना, बैठना कठिन हो जाता है। आँखों से दिखाई देना तथा कानों से सुनना कम हो जाता है। ज्ञानेन्द्रियां अपना कार्य करना बन्द कर देती हैं। कई रंगों की पहचान नहीं कर सकते तथा कइयों को अंधराता हो जाता है।
इस तरह वृद्धों को विशेष देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। जैसे छोटे बच्चों को होती है। इसीलिए बच्चे तथा वृद्ध को एक जैसा कहा जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

प्रश्न 10.
स्कूल बच्चे के सामाजिक और मानसिक विकास में सहायक होता है। कैसे?
उत्तर-
स्कूल में बच्चे अपने साथियों से पढ़ना तथा खेलना तथा कई बार बोलना भी सीखते हैं। इस तरह उनमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा जब अपने स्कूल का कार्य करता है तो उसमें ज़िम्मेदारी का बीज बो दिया जाता है। जब वह अध्यापक का कहना मानता है तो उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना पैदा होती है।
बच्चा स्कूल में अपने साथियों से कई नियम सीखता है तथा कई अच्छी आदतें सीखता है जो आगे चलकर उसके व्यक्तित्व को उभारने में सहायक हो सकती हैं।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तनों का तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर-

किशोर लड़के किशोर लड़कियां
(1) इस आयु में लड़कों की दाढ़ी तथा आने लगती हैं। (1) लड़कियों को माहवारी आने लगती मूंछे है।
(2) उनका शरीर बेढंगा (टांगें, बाजू लम्बी होने होना) हो जाता है तथा आवाज़ फटने लगती है। (2) इनके विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा लगती है तथा कई आन्तरिक बदलाव जैसे दिल तथा फेफड़ों के आकार में वृद्धि होती है।
(3) इस आयु में लड़कों को खेल, पढ़ाई, कम्प्यूटर, समाज सेवा आदि सीखने पर जोर देना चाहिए। (3) लड़कियों को पढ़ाई, कढ़ाई, कम्प्यूटर, स्वैटर बुनना, संगीत, पेंटिंग आदि ज़ोर सीखने पर देना चाहिए।

प्रश्न 12.
प्रारम्भिक वर्षों में माता-पिता बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में किस प्रकार योगदान डालते हैं?
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व को बनाने में माता-पिता का बड़ा योगदान होता है क्योंकि बच्चा जब अभी छोटा ही होता है तभी माता-पिता की भूमिका उसकी ज़िन्दगी में आरम्भ हो जाती है। बच्चे के प्रारम्भिक वर्षों में बच्चे को भरपूर प्यार देना, उस द्वारा किये प्रश्नों के उत्तर देना, बच्चे को कहानियां सुनाना आदि से बच्चे का व्यक्तित्व उभरता है तथा माता-पिता इसमें काफ़ी सहायक होते हैं।

प्रश्न 13.
बच्चों को टीके लगवाने क्यों ज़रूरी हैं ? बच्चों को कौन-से टीके किस आयु में लगवाने चाहिएं? और क्यों?
उत्तर-
बच्चों को कई खतरनाक जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें टीके लगाये जाते हैं। इन टीकों का सिलसिला जन्म के पश्चात् आरम्भ हो जाता है। बच्चों को 2 वर्ष की आयु तक चेचक, डिप्थीरिया, खांसी, टिटनस, पोलियो, हेपेटाइटस, बी०सी०जी० तथा टी०बी० आदि के टीके लगवाये जाते हैं। छ: वर्ष में बच्चों को कई टीकों की बूस्टर डोज़ भी दी जाती है।

प्रश्न 14.
बच्चे में 3 से 6 वर्ष की आयु तक होने वाले विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
इस आयु में बच्चे की शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है तथा उसकी भूख कम हो जाती है। वह अपना कार्य स्वयं करना चाहता है।
बच्चे को रंगों तथा आकारों का ज्ञान हो जाता है तथा उसकी रुचि ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलने तथा कहानियां सुनने की ओर अधिक हो जाती है।
बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करने लग जाता है।

प्रश्न 15.
दो से तीन वर्ष के बच्चे में होने वाले भावनात्मक विकास सम्बन्धी जानकारी दो।
उत्तर-
इस आयु के दौरान बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊंची आवाज़ में रोता है, ज़मीन पर लोटता है, तथा हाथ-पैर मारने लगता है। कई बार वह खाना-पीना भी छोड़ देता है। माता-पिता को ऐसी हालत में चाहिए कि उसको न डांटें परन्तु जब वह शांत हो जाए तो उसे प्यार से समझाना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
किशोरावस्था के दौरान लिंग शिक्षा देना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
किशोरावस्था आने पर बच्चों के शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। उनके प्रजनन अंगों का विकास होता है। लड़कियों को माहवारी आने लगती है। शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। किशोरावस्था में बच्चे में विरोधी लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। बच्चों को इन सभी परिवर्तनों की जानकारी नहीं होती तथा वह यह जानकारी अपने दोस्तों-मित्रों से हासिल करने की कोशिश करते हैं अथवा ग़लत किताबें पढ़ते हैं तथा अपने मन में ग़लत धारणाएं बना लेते हैं। वैसे तो हमारे समाज में लड़केलड़कियों के मिलने के अवसर कम ही होते हैं परन्तु कई बार यदि उन्हें इकट्ठे रहने का मौका मिल जाये तो इसके ग़लत परिणाम भी निकल सकते हैं।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि किशोरों को माता-पिता तथा अध्यापक अच्छी तरह लिंग शिक्षा प्रदान करें। उनके साथ स्वयं मित्रों वाला व्यवहार करें तथा उनकी समस्याओं को समझें तथा सुलझाएं ताकि उन्हें ग़लत संगति में जाने से रोका जा सके। उन्हें एड्स जैसी भयानक बीमारी की भी जानकारी देनी चाहिए।

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प्रश्न 17.
बच्चों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखने से उनमें कौन-से सद्गुण विकसित होते हैं? विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व तथा भावनात्मक विकास में माता-पिता के प्यार तथा मित्रतापूर्वक व्यवहार की बड़ी महत्ता है। माता-पिता के प्यार से बच्चे को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी प्राथमिक ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। माता-पिता की ओर से बच्चे द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने पर बच्चे का दिमागी विकास होता है। उसे स्वयं पर विश्वास होने लगता है। माता-पिता द्वारा बच्चे को कहानियां सुनाने पर उसका मानसिक विकास होता है। कई बार बच्चा मां का कहना नहीं मानना चाहता तथा ज़बरदस्ती करने पर गुस्सा होता है। ऊँची आवाज़ में रोता है, हाथ-पैर मारता है तथा ज़मीन पर लोटने लग जाता है। ऐसी हालत में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा शांत होने पर उसे प्यार से माता-पिता द्वारा समझाया जाना चाहिए कि वह ऐसे ग़लत करता है। इस तरह बच्चे को पता चल जाता है कि माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं।

बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखने पर बच्चों को अपनी समस्याओं का हल ढूँढने के लिए ग़लत रास्तों पर नहीं चलना पड़ता अपितु उनमें यह विश्वास पैदा होता है कि माता-पिता उसे सही मार्ग बताएंगे।

वह ग़लत संगति से बच जाता है। उसमें अच्छी रुचियां जैसे ड्राईंग, पेंटिंग, संगीत. अच्छी किताबें पढ़ना आदि पैदा होती हैं। वह अपनी शक्ति का प्रयोग अच्छे कार्यों में करता है। इस तरह वह एक अच्छा व्यक्तित्व बन कर उभरता है।

प्रश्न 18.
वृद्धावस्था में पैसे के साथ प्यार क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर-
वृद्धावस्था मनुष्य की ज़िन्दगी का अन्तिम पड़ाव होता है। इस पड़ाव पर पहुंच कर अलग-अलग मानवों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। कई तो अभी भी ऐसे हँसमुख तथा स्वस्थ रहते हैं तथा कई हर समय यही सोचते हैं कि वह बूढ़े हो गये हैं, अब उन्हें और भी कई बीमारियां लग जाएंगी तथा वह और भी बूढ़े हो जाते हैं। इस उम्र में कमजोरी तो आती है जोकि मानसिक तथा शारीरिक दोनों तरह की होती है। कइयों की नेत्र ज्योति घट जाती है। कई बार ज्ञानेन्द्रियां कमजोर हो जाती हैं। दाँत टूट जाते हैं। शरीर काम नहीं कर सकता : कइयों की रंगों को पहचानने की शक्ति कम हो जाती है तथा कइयों को अंधराता हो जाता है। परन्तु ऐसी हालत में भी मनुष्य यह चाहता है कि वह आर्थिक पक्ष से रिश्तेदारों का मोहताज न हो, उसके पास अपने पैसे हों तथा उसकी स्वतन्त्रता को कोई फर्क न पड़े। धन तो अब वह कमा नहीं सकता इसलिए वह प्रत्येक पैसे को खर्च करते समय कई बार सोचता है। इस तरह वृद्धावस्था में धन के प्रति उसका मोह बढ़ जाता है। वृद्धावस्था में नींद भी कम आती है, कानों से कम सुनाई देता है। सांसारिक वस्तुओं से प्यार कम हो जाता है तथा परमात्मा की ओर ध्यान बढ़ जाता है।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. प्रौढ़ावस्था के . ……………… पड़ाव हैं।
  2. महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है।
  3. ……………… वर्ष के बच्चे बालिग हो जाते हैं।
  4. छः वर्ष में बच्चों को …………………. डोज़ भी दी जाती है।
  5. ………………… वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।

उत्तर-

  1. दो,
  2. 10,
  3. 18,
  4. टीकों की बूस्टर,
  5. दो।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कितने माह का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है?
उत्तर-
9 माह का।

प्रश्न 2.
प्रौढ़ावस्था की पहली अवस्था कब तक होती है?
उत्तर-
40 वर्ष तक।

प्रश्न 3.
कितनी आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है?
उत्तर-
17 वर्ष।

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प्रश्न 4.
औरतों में माहवारी किस आयु में बंद हो जाती है?
उत्तर-
45 से 50 वर्ष।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  2. वृद्ध अवस्था का प्रभाव सभी पर एक जैसा होता है।
  3. स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  4. 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  5. 6 वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं।
  6. किशोर अवस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ निकलनी शुरू हो जाती है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कितनी देर का बच्चा स्वयं उठ कर खड़ा हो सकता है –
(A) 6 माह का
(B) 1 वर्ष का
(C) 3 महीने का
(D) 8 महीने का।
उत्तर-
(B) 1 वर्ष का

प्रश्न 2.
कानूनी रूप में बच्चा कितनी आयु में वयस्क हो जाता है –
(A) 15 वर्ष
(B) 20 वर्ष
(C) 18 वर्ष
(D) 25 वर्ष।
उत्तर-
(C) 18 वर्ष

प्रश्न 3.
कौन-सा तथ्य ठीक है –
(A) किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
(B) बच्चे तथा वृद्ध को एक समान कहा जाता है।
(C) किशोर अवस्था को तूफानी तथा दबाव वाली अवस्था माना गया है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्म से दो वर्ष तक के बच्चे में सामाजिक तथा भावनात्मक विकास के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
इस आयु का बच्चा जिन आवाज़ों को सुनता है, उनका मतलब समझने की कोशिश करता है। वह प्यार तथा क्रोध की आवाज़ को समझता है। वह अपने आस-पास के लोगों को पहचानना आरम्भ कर देता है। जब बच्चे को अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पूरा लाड़-प्यार मिलता है तथा उसकी प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं तो उसे विश्वास हो जाता है कि उसकी ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। उसका इस तरह भावनात्मक तथा सामाजिक विकास आरम्भ हो जाता है।

प्रश्न 2.
दो से तीन वर्ष के बच्चे के विकास बारे तम क्या जानते हो?
उत्तर-
शारीरिक विकास-2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है। __मानसिक विकास-इस आयु का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है। वह पहले से अधिक बातें समझना आरम्भ कर देता है। वह अपने आस-पास के बारे में कई प्रकार के प्रश्न पूछता है। इस समय माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चे के प्रश्नों के उत्तर ज़रूर दें। बच्चे को प्यार से पास बिठा कर कहानियां सुनाने से उसका मानसिक विकास होता है।

सामाजिक विकास-इस आय में बच्चे को दूसरे बच्चों की मौजूदगी का अहसास होने लग जाता है। अपनी मां के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से भी प्यार करने लगता है। अब वह अपने कार्य जैसे भोजन करना, कपड़े पहनना, नहाना, बुट पालिश करना आदि स्वयं ही करना चाहता है।
भावनात्मक विकास-इस आयु में बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊँची आवाज़ में रोता, हाथ-पैर मारता तथा ज़मीन पर लेटने लगता है। कई-कई बार खाना-पीना भी छोड़ देता है। गुस्से की अवस्था में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा जब वह शांत हो जाये तो प्यार से उसे समझाना चाहिए। इस तरह बच्चे में मातापिता के प्रति प्यार तथा विश्वास की भावना पैदा होती है तथा उसे यह अहसास होने लगता है कि उसके माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 3.
तीन से छः वर्ष के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
शारीरिक विकास- इस आयु में बच्चे की वृद्धि तेज़ी से होती है परन्तु उसको भूख कम लगती है। वह परिवार के बड़े सदस्यों के साथ बैठकर वही भोजन खाना चाहता है जो वे खाते हैं। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए बच्चे की खुराक में दूध, अण्डा, पनीर तथा अन्य प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ अधिक मात्रा में शामिल करने चाहिएं। बच्चा धीरे-धीरे अपना कार्य करने लगता है तथा उसे जहां तक हो सके अपने काम स्वयं करने देने चाहिएं। इस तरह वह आत्म-निर्भर बनता है।
मानसिक विकास- इस आयु के बच्चे में ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलना तथा कहानियां सुनने आदि में रुचि पैदा होती है। उसे रंगों तथा आकारों का भी ज्ञान हो जाता है।
सामाजिक तथा भावनात्मक विकास-बच्चा जब दूसरे बच्चों से मिलता-जुलता है उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करता है इसलिए जहां तक हो सके उसके सामने कोई ऐसी बात न करो जिसका उसके मन पर बुरा प्रभाव पड़े जैसे सिग्रेट पीना।

प्रश्न 4.
किशोरावस्था में लड़कियों में आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. इस आयु में लड़कियों को माहवारी आने लगती है। क्योंकि उन्हें इसके कारण का पता नहीं होता, कई बार वे घबरा जाती हैं।
  2. इस आयु में लड़कियां अधिक समझदार हो जाती हैं तथा कई बार पढ़ाई में भी तेज़ हो जाती हैं।
  3. इस आयु में लड़कियां जल्दी भावुक हो जाती हैं। कई बार छोटी-सी बात पर रोने लगती हैं। उदास तथा नाराज़ भी रहने लगती हैं।
  4. वह अपनी आलोचना नहीं सहन कर सकतीं तथा शीघ्र रुष्ट हो जाती हैं।
  5. इस आयु में जागते ही सपने देखना आरम्भ कर देती हैं।

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प्रश्न 5.
किशोरावस्था क्या है तथा इसमें होने वाले विकास के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लगती है, इसको किशोरावस्था कहते हैं। यह एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चा न तो बच्चों में गिना जाता है न ही बालिगों में। उसमें शारीरिक परिवर्तन आने के साथ-साथ बच्चे की ज़िम्मेदारियां, फर्ज़ तथा दूसरों से रिश्तों में भी परिवर्तन आता है।
इसके दो भाग होते हैं-प्राथमिक तथा बाद की किशोरावस्था।

शारीरिक विकास-इस आयु में शारीरिक परिवर्तनों की गति कम हो जाती है तथा प्रजनन अंगों का विकास होता है। इस पड़ाव पर लड़कियां अपना कद पूरा कर लेती हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। बाह्य परिवर्तनों के साथ-साथ शरीर में कुछ आन्तरिक परिवर्तन भी होते हैं जैसे पाचन प्रणाली में पेट का आकार लम्बा हो जाता है तथा आंतों की लम्बाई तथा चौड़ाई भी बढ़ती है। पेट तथा आंतों की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं। जिगर का भार भी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किशोरावस्था में दिल की वृद्धि भी तेजी से होती है। 17,18 वर्ष की आयु तक इसका भार जन्म के भार से 12 गुणा बढ़ जाता है। श्वास प्रणाली में 17 वर्ष की आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है। इस आयु में प्रजनन अंगों तथा उनसे सम्बन्धित गलैंड्स का भी तेजी से विकास होता है तथा अपना कार्य करना आरम्भ कर देता हैं।

भावनात्मक तथा मानसिक विकास-कई मनोवैज्ञानिक किशोरावस्था को तूफानी तथा दबाव (Storm and Stress) वाली अवस्था मानते हैं। इसमें भावनाएं बड़ी तीव्र तथा बेकाबू हो जाती हैं परन्तु जैसे-जैसे आयु बढ़ती है भावनात्मक व्यवहार में परिवर्तन आता है। इस आयु में बच्चे को बच्चे की तरह समझने से भी वह गुस्सा मनाते हैं। वह अपना गुस्सा चुप रह कर अथवा ऊँची आवाज़ में नाराज़ करने वाली की आलोचना करते हैं। इसके अतिरिक्त जो बच्चे उससे पढ़ाई में अथवा व्यवहार के तौर पर बढ़िया हों उनके प्रति ईर्ष्यालु हो जाते हैं। परन्तु धीरे-धीरे इन सभी भावनाओं पर बच्चा काबू पाना सीखता है। वह सभी के सामने अपना क्रोध ज़ाहिर नहीं कर सकता। पूरे भावनात्मक विकास वाला बच्चा अपने व्यवहार को स्थिर रखता है। इस अवस्था के दौरान बच्चे की सामाजिक दिलचस्पी तथा व्यवहार पर हम उमर मित्रों का अधिक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में बच्चे की मनोरंजक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा फैशन प्रति नई रुचियां विकसित होती हैं । किशोरावस्था में बच्चे में विपरीत लिंग प्रति आकर्षण भी पैदा हो जाता है तथा वह इस कम्पनी में आनन्द महसूस करता है। इस अवस्था का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चों का व पारिवारिक रिश्तों प्रति लगाव कम होना आरम्भ हो जाता है। बच्चा अपने व्यक्तित्व तथा अस्तित्व प्रति अधिक चेतन हो जाता है। सामाजिक वातावरण के अनुसार बच्चा अपने व्यक्तित्व के विकास तथा अस्तित्व जताने की कोशिश करता है परन्तु कई बार घर के हालात तथा आर्थिक कारण उसके उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट बन जाते हैं। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चा हार जाने तथा घटियापन के अहसास का शिकार हो जाता है तथा बच्चे का व्यवहार साधारण नहीं रहता तथा व्यक्तित्व के विकास प्रक्रिया में बिगाड़ पैदा हो जाता है।

प्रश्न 6.
बुढ़ापे की क्या खास विशेषताएं हैं?
उत्तर-
बुढ़ापे की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे मानवीय ज़िन्दगी की एक विलक्षण अवस्था बनाती हैं। इस आयु में शारीरिक तथा मानसिक कमज़ोरी आने लगती है इस आयु में बुजुर्गों की पाचन शक्ति, चलना-फिरना, बीमारियां सहने की शक्ति, सुनने तथा देखने की शक्ति घट जाती है। इसके साथ बालों का सफ़ेद होना, चमड़ी पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। बुर्जुगों की शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन उनके सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन (Adjustment) को प्रभावित करती हैं। इन परिवर्तनों का बुजुर्गों की बाह्य दिखावट, कपड़े पहनने, मनोरंजन, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है।
इस आयु में मनुष्य सामाजिक ज़िम्मेदारी से धीरे-धीरे पीछे हटता जाता है तथा उसकी धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। इस आयु में व्यक्ति को बहुत सारी बीमारियां भी आ घेरती हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए उसकी निर्भरता परिवार पर बढ़ जाती है । इस अवस्था में परिवार के सदस्यों का बुजुर्गों प्रति व्यवहार बुजुर्गों के लिए खुशी अथवा उदासी का कारण बनता है। बुजुर्गों में एकांकीपन, परिवार पर बोझ, सामाजिक सम्मान घटने का अहसास मानसिक परेशानी का कारण बन जाता है।
जीवन के अन्तिम पड़ाव पर पहुंचते हुए बुजुर्ग सभी प्राथमिक ज़रूरतों की पूर्ति के लिए एक छोटे बच्चे की तरह पूर्णतः परिवार पर निर्भर हो जाता है। इस अवस्था दौरान कई बार बुजुर्गों में बच्चों वाली आदतें उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
जन्म से दो वर्ष तक होने वाले शारीरिक विकास के पड़ावों का वर्णन करो।
उत्तर-
जन्म से दो वर्ष के दौरान होने वाले शारीरिक विकास निम्नलिखित अनुसार हैं

  1. 6 हफ्ते की आयु तक बच्चा मुस्कुराता है तथा किसी रंगीन वस्तु की ओर टिकटिकी लगाकर देखता है।
  2. 3 महीने की आयु तक बच्चा चलती-फिरती वस्तु से अपनी आँखों को घुमाने लगता है।
  3. 6 महीने का बच्चा सहारे से तथा 8 महीने का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है। (4) 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  4. 10 महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है तथा सरल, सीधे शब्द जैसे-काका, पापा, मामा, टाटा आदि बोल सकता है।
  5. 1 वर्ष का बच्चा स्वयं उठकर खड़ा हो सकता है तथा उंगली पकड़कर अथवा स्वयं चलने लगता है।
  6. 11 वर्ष का बच्चा बिना किसी सहारे के चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।

प्रश्न 8.
बच्चों को टीकों की बूस्टर दवा कब दिलाई जाती है?
उत्तर-
छ: वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं ताकि उन्हें कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।

मनुष्य के विकास के पड़ाव PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मानवीय जीवन का आरम्भ बच्चे के मां के गर्भ में आने से होता है।
  • मानवीय विकास के विभिन्न पड़ाव होते हैं जैसे ; बचपन, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था।
  • बच्चा जन्म से लेकर दो वर्ष तक बेचारा-सा तथा दूसरों पर निर्भर होता है।
  • 12 वर्ष का बच्चा स्वयं चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  • दो वर्ष के बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं।
  • दो से तीन वर्ष का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है।
  • छ: वर्ष तक बच्चे की,खाने, पीने, सोने, टट्टी-पेशाब तथा शारीरिक सफ़ाई की आदतें पक्की हो जाती हैं।
  • स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  • जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लग जाती है तो इस आयु को किशोसवस्था कहते हैं।
  • किशोरों के माता-पिता का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों को लिंग शिक्षा सही ढंग से दें।
  • इस आयु में बच्चे स्वयं को बालिग समझने लगते हैं।
  • पहले बच्चे कानूनी तौर पर 21 वर्ष की आयु पर बालिग हो जाते थे तथा अब 18 वर्ष की आयु के बच्चे को कानूनी तौर पर बालिग करार दे दिया जाता है।
  • प्रौढ़ावस्था के दो पड़ाव हैं। 40 वर्ष तक पहली तथा 40 से 60 वर्ष की पिछली प्रौढ़ावस्था।
  • 45 से 50 वर्ष की आयु में औरतों को माहवारी बन्द हो जाती है।
  • वृद्धावस्था के प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव होता है।
  • वृद्धावस्था में नींद कम आती है तथा दाँत खराब होने के कारण भोजन ठीक तरह नहीं खाया जा सकता।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

PSEB 9th Class Home Science Guide वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र धोने में प्रयोग होने वाले सामान को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र इस्तरी करने के लिए सामान।

प्रश्न 2.
वस्त्र संग्रह करने के लिए हमें क्या-क्या सामान चाहिए?
उत्तर-
इसके लिए हमें अलमारी, लांडरी बैग अथवा गंदे वस्त्र रखने के लिए टोकरी की ज़रूरत होती है। मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे भी आवश्यक होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 3.
वस्त्र धोने के लिए हम पानी कहां से प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी तथा कुएं आदि स्रोतों से पानी प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
हल्के और भारी पानी में क्या अन्तर है?
उत्तर

भारी पानी हल्का पानी
(1) इसमें अशुद्धियां होती हैं। (1) इसमें अशुद्धियां नहीं होती।
(2) इसमें साबुन की झाग नहीं बनती। (2) इसमें आसानी से साबुन की झाग बन जाती है।

प्रश्न 5.
भारी पानी को हल्का कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर-
भारी पानी को उबाल कर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जा सकता है अथवा फिर कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइकार्बोनेट से प्रक्रिया करके इसको हल्का बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
स्थाई और अस्थाई भारी पानी में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर-

अस्थाई भारी पानी स्थाई भारी पानी
(1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम क्लोराइड तथा सल्फेट घुले होते हैं। (1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण होते हैं।
(2) इसको उबालकर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जाता है। (2) कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइ-कार्बोनेट से प्रक्रिया करके छानकर इसको हल्का बनाया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7.
वस्त्रों की धुलाई में पानी का क्या महत्त्व है?
उत्तर-

  1. पानी को विश्वव्यापी घोलक कहा जाता है। इसलिए वस्त्रों पर लगे दाग तथा मिट्टी आदि पानी में घुल जाते हैं तथा वस्त्र साफ़ हो जाते हैं।
  2. पानी वस्त्र को गीला करके अन्दर तक चला जाता है तथा उसको साफ़ कर देता है।

प्रश्न 8.
पानी के स्त्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण कैसे करोगे?
उत्तर-
पानी के स्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है

  1. वर्षा का पानी-यह पानी का सबसे शुद्ध रूप होता है। यह हल्का पानी होता है, परन्तु हवा की अशुद्धियां इसमें घुली होती हैं। इसको वस्त्र धोने के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  2. दरिया का पानी-पहाड़ों की बर्फ पिघल कर दरिया बनते हैं। जैसे-जैसे यह पानी मैदानी इलाकों में आता रहता है इसमें अशुद्धियों की मात्रा बढ़ती रहती है तथा पानी गंदा सा हो जाता है। यह पानी पीने के लिए ठीक नहीं होता, परन्तु इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  3. चश्मे का पानी-धरती के नीचे इकट्ठा हुआ पानी किसी कमज़ोर स्थान से बाहर निकल आता है, इसको चश्मा कहते हैं। इस पानी में कई खनिज लवण घुले होते हैं इसको कई बार दवाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। वस्त्र धोने के लिए यह पानी ठीक है।
  4. कुएँ का पानी-धरती को खोदकर जो पानी बाहर निकलता है वह पानी पीने के लिए ठीक होता है। इसको कुएँ का पानी कहते हैं। इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  5. समुद्र का पानी-इस पानी में काफ़ी अधिक अशुद्धियां होती हैं। यह पीने के लिए तथा वस्त्र धोने के लिए भी ठीक नहीं होता।

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प्रश्न 9.
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त अन्य कौन-कौन सा सामान चाहिए?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त साबुन, टब, बाल्टियां, चिल्मचियां, मग, रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा, पानी गर्म करने वाली देग, वस्त्र धोने वाली मशीन, सक्शन वाशर आदि सामान ज़रूरत होती है।

प्रश्न 10.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? महानगरों और फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र कैसे सखाते हैं?
उत्तर-
वस्त्रों को सुखाने के लिए प्राकृतिक धूप तथा हवा की ज़रूरत होती है। परन्तु अन्य सामान जिसकी ज़रूरत होती है, वह है

  1. रस्सी अथवा तार,
  2. क्लिप तथा हैंगर
  3. वस्त्र सुखाने वाला रैक,
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट।

बड़े शहरों में फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़ों को सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं। ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन की सहायता भी ली जा सकती है।

प्रश्न 11.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? हमारे देश में वस्त्र सुखाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाया जाता है?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए सामान-देखें प्रश्न 10 का उत्तर।
हमारे देश में साधारणतः घर खुले से होते हैं। छतों अथवा चौबारों पर जहां धूप आती हो रस्सियां अथवा तारों को ठीक ऊंचाई पर बांधकर इन पर वस्त्र सुखाने के लिए लटकाये जाते हैं।
बड़े शहरों में जहां घर खुले नहीं होते तथा लोग फ्लैटों में रहते हैं, वस्त्रों को रैकों पर सुखाया जाता है।
आजकल वाशिंग मशीनों का प्रयोग तो हर कहीं होने लगा है। इनके साथ भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
वस्त्रों को इस्तरी करना क्यों ज़रूरी है और कौन-कौन से सामान की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर-
वस्त्र धोकर जब सुखाये जाते हैं, इनमें कई सिलवटें पड़ जाती हैं तथा वस्त्र की दिखावट बुरी-सी हो जाती है। कपड़ों को प्रैस करके इनकी सिलवटें आदि तो निकल ही जाती हैं साथ ही वस्त्र में चमक भी आ जाती है तथा वस्त्र साफ़-सुथरा लगता है।
वस्त्र प्रैस करने के लिए निम्नलिखित सामान की ज़रूरत पड़ती है
बिजली अथवा कोयले से चलने वाली प्रैस, प्रेस करने के लिए फट्टा आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 13.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाले सही सामान के चयन से समय और श्रम की बचत कैसे होती है?
उत्तर-
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान इस तरह है

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र प्रैस करने के लिए सामान।

जब धोने वाले वस्त्र पहले ही इकट्ठे करके एक अल्मारी अथवा टोकरी आदि में रखे जाएं जो कि धोने वाले स्थान के नज़दीक रखी हो तो वस्त्र धोते समय सारे घर से विभिन्न कमरों से पहले वस्त्र इकट्ठे करने का समय बच जाता है। यह आदत गृहिणी को सारे घर के सदस्यों को डालनी चाहिए कि जो भी धोने वाला कपड़ा हो उसे इस काम के लिए बनाई अलमारी अथवा टोकरी में रखें।

घर में साबुन, डिटर्जेंट, नील, ब्रुश आदि आवश्यक सामान पहले ही मौजूद होना चाहिए। इस तरह नहीं होना चाहिए कि उधर से वस्त्र धोने आरम्भ कर लिये जाएं तथा बाद में पता चले घर में तो साबुन अथवा कोई अन्य आवश्यक सामान नहीं है। इस तरह समय तथा मेहनत दोनों नष्ट होते हैं।

धोने के लिए पानी भी हल्का ही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि भारी पानी में साबुन की झाग नहीं बनती तथा वस्त्र अच्छी तरह नहीं निखरते। इसलिए पानी को गर्म करके अथवा अन्य तरीके से पानी को हल्का बना लेना चाहिए। वस्त्र सुखाने का भी ठीक प्रबन्ध होना चाहिए। रस्सियों आदि को अच्छी तरह बांधना चाहिए तथा कपड़ों पर क्लिप आदि लगा लेने चाहिए ताकि हवा चले तो वस्त्र उड़ न जाएं। यदि रैक हैं तो इन्हें पहले ही खोल लेना चाहिए। इस तरह विभिन्न आवश्यक सामान पहले ही इकट्ठा किया हो तो समय तथा मेहनत की त्चत हो जाती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 14.
वस्त्र धुलाई के समान को किन-किन भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
स्टोर करने के लिए सामान-

  1. अलमारी-धोने वाले कमरे के नज़दीक अलमारी होनी चाहिए जिसमें साबुन, नील, मावा, रीठे, दाग उतारने वाला सामान आदि होना चाहिए।
  2. लाऊण्डरी बैग अथवा वस्त्र रखने के लिए टोकरी-इसमें घर के गंदे वस्त्र रखे जाते हैं।
  3. मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे-रीठे, दाग उतारने का सामान, नील, डिटर्जेंट आदि इनमें रखा जाता है।

वस्त्र धोने के लिए सामान-

  1. पानी-पानी एक विश्वव्यापी घोलक है। इसमें सभी तरह की मैल घुल जाती है तथा इस तरह इसका कपड़ों की धुलाई में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पानी को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी, कुएँ के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए किया जा सकता है।
  2. साबुन-वस्त्र धोने के लिए कई सफ़ाईकारी पदार्थ, साबुन तथा डिटर्जेंट मिलते हैं। वस्त्र साफ़ करने में इनका बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  3. टब तथा बाल्टियां- इनमें वस्त्र भिगोकर रखे, धोये तथा खंगाले जाते हैं। यह लोहे, प्लास्टिक अथवा पीतल के होते हैं। इनमें नील देने, रंग देने तथा मावा देने का भी कार्य किया जाता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (1)
  4. चिल्मचियां तथा मग-इनमें नील, मावा आदि देने का कार्य किया जाता है। यह प्लास्टिक, तामचीनी तथा पीतल आदि के होते हैं।
  5. लकड़ी का चम्मच तथा डण्डा-इससे नील अथवा मावा घोलने का कार्य किया जाता है। चद्दरें, खेस आदि को डण्डे अथवा थापी से पीट कर साफ़ किया जाता है।
  6. हौदी-धुलाई वाले कमरे में पानी की टूटी के नीचे सीमेंट की हौदी बनी हई होनी चाहिए। इससे काम आसान हो जाता है। हौदी के दोनों ओर सीमेंट अथवा लकड़ी के फट्टे लगे होने चाहिएं ताकि धोकर वस्त्र इन पर रखे जा सकें। इनकी ढलान हौदी की ओर होनी चाहिए।
  7. रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा-प्लास्टिक के ब्रुशों का प्रयोग वस्त्र के अधिक मैले हिस्से को रगड़कर मैल उतारने के लिए किया जाता है। फट्टा लकड़ी, स्टील अथवा जस्त का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्र को रगड़कर मैल निकाली जाती है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (2)
  8. गर्म पानी-वस्त्र धोने के लिए या तो बिजली के बायलर में पानी गर्म किया जाता है या फिर आग के सेक से बर्तन में डालकर पानी गर्म किया जाता है।
  9. वस्त्र धोने वाली मशीन-इससे समय तथा. शक्ति दोनों की बचत होती, अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इसको खरीदा जा सकता है।
  10. सक्शन वाशर-भारी, ऊनी, कम्बल, साड़ियां तथा अन्य वस्त्र इसके प्रयोग से आसानी से धोए जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (3)

वस्त्र सुखाने के लिए सामान — वस्त्रों को धोने के पश्चात् साधारणतः प्राकृतिक धूप तथा हवा में सुखाया जाता है। अन्य आवश्यक सामान इस तरह हैं —

  1. रस्सी अथवा तार-रस्सी को अथवा तार को खींचकर खूटियों तथा खम्बों में बांधा जाता है। रस्सी नायलॉन, सन अथवा सूत की हो सकती है। जंग रहित लोहे की तार भी हो सकती है।
  2. क्लिप तथा हैंगर-वस्त्र तार पर लटका कर क्लिप लगा दी जाती है ताकि हवा चलने पर वस्त्र नीचे गिरकर खराब न हो जाएं। बढ़िया किस्म के वस्त्र हैंगर में डालकर सुखाए जा सकते हैं।
  3. वस्त्र सुखाने वाले रैक-बरसातों में अथवा बड़े शहरों में जहां लोग फ्लैटों में रहते हैं वहां रैकों पर वस्त्र सुखाये जाते हैं । यह एल्यूमीनियम अथवा लकड़ी के हो सकते हैं। इन्हें फोल्ड करके सम्भाला भी जा सकता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (4)
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट-विकसित देशों में प्रायः इसका प्रयोग होता है। खासकर जहां अधिक ठण्ड अथवा वर्षा होती है उन देशों में इनका प्रयोग साधारण है।
    इनके अतिरिक्त ऑटोमैटिक वाशिंग मशीनों से भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (5)

वस्त्र प्रैस करने वाला सामान —

  1. प्रेस-वस्त्र प्रैस करने के लिए बिजली अथवा कोयले वाली प्रेस का प्रयोग किया जाता है। प्रैस लोहे, पीतल तथा स्टील की मिलती है।
  2. प्रैस करने वाला फट्टा — यह लकड़ी का होता है, फट्टे के स्थान पर बैंच अथवा मेज आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है । इस पर एक कम्बल बिछा कर ऊपर पुरानी चादर बिछा लेनी चाहिए।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (6)

प्रश्न 15.
वस्त्र धोने के लिए पानी कहां से प्राप्त किया जा सकता है और क्यों? कैसा पानी वस्त्र धोने के लिए उपयुक्त नहीं और क्यों?
उत्तर-
देखो प्रश्न 8 का उत्तर।
समुद्र के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें बहुत सारी अशुद्धियां मिली होती हैं।

Home Science Guide for Class 9 PSEB वस्त्र धोने के लिए सामान Important Questions and Answers

वस्तुनिक प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. पानी घोलक है।
  2. हल्के पानी में …………….. की झाग शीघ्र बनती है।
  3. …………….. पानी में बहुत-सी अशुद्धियां होती हैं।
  4. स्रोत के आधार पर पानी को …………………. किस्मों में बांटा गया है।
  5. ……………… भारी पानी में कैल्शियम क्लोराइड होता है।

उत्तर-

  1. यूनिवर्सल,
  2. साबुन,
  3. समुद्र के,
  4. पांच,
  5. स्थायी।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारे पानी में कौन-से लवण होते हैं?
उत्तर-
कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लत्रण।

प्रश्न 2.
स्वाद के अनुसार पानी कितने प्रकार का है?
उत्तर-
दो प्रकार का।

प्रश्न 3.
फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़े कहां सुखाते हैं?
उत्तर-
रैकों में।

प्रश्न 4.
साबुन को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
सफाईकारी।

प्रश्न 5.
बिजली की कैबिनेट का प्रयोग कपड़े सुखाने के लिए किन देशों में हो रहा
उत्तर-
विकसित देशों में।

ठीक ग़लत बताएं

  1. लांडरी बैग में धोने वाले कपड़े एकत्र किए जाते हैं।
  2. पानी एक विश्वव्यापी घोलक है।
  3. पानी दो प्रकार का होता है हल्का तथा भारी।
  4. हल्के पानी में साबुन की झाग नहीं बनती।
  5. समुद्र का पानी पीने के लिए तथा कपड़े धोने के लिए ठीक नहीं होता।
  6. कपड़ों को धूप में सुखाना ठीक है।

उत्तर-

  1. ठोक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान है
(A) स्टोर करने वाला
(B) कपड़े धोने वाला
(C) कपड़े सुखाने वाला
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
कपड़े धोने के लिए सामान है
(A) पानी
(B) साबुन
(C) टब, बाल्टियां
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य हैं
(A) फ्लैटों में रहने वाले रैकों पर कपड़े सुखाते हैं
(B) धूप में कपड़े सुखाना अच्छा है
(C) समुद्र के पानी से कपड़े नहीं धो सकते
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धोबी को वस्त्र देने के क्या नुकसान हैं?
उत्तर-

  1. धोबी कई बार वस्त्र साफ़ करने के लिए ऐसी विधियों का प्रयोग करता है जिससे वस्त्र जल्दी फट जाते हैं अथवा फिर कमजोर हो जाते हैं।
  2. कई बार वस्त्रों के रंग खराब हो जाते हैं।
  3. छूत की बीमारियां होने का भी डर रहता है।
  4. धोबी से वस्त्र धुलाना महंगा पड़ता है।

प्रश्न 2.
जल चक्र क्या है?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप में पानी कुओं, चश्मों, दरियाओं तथा समुद्रों में से मिलता है। धरती पर सूर्य की धूप से यह पानी भाप बनकर उड़ जाता है तथा वायुमण्डल में जलवाष्प के रूप में इकट्ठा होता रहता है तथा बादलों का रूप धारण कर लेता है। जब यह भारी हो जाते हैं तो वर्षा, ओलों तथा बर्फ के रूप में पानी दुबारा धरती पर आ जाता है। यह पानी शुरू से दरियाओं द्वारा होता हुआ समुद्र में मिल जाता है। तथा यह चक्र इसी तरह चलता रहता है।

प्रश्न 3.
स्वादानुसार पानी का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर-
स्वादानुसार पानी दो तरह का होता है-

  1. मीठा अथवा हल्का पानी-इस पानी का स्वाद मीठा होता है।
  2. खारा पानी-यह पानी स्वाद में नमकीन-सा होता है।

प्रश्न 4.
पानी का वर्गीकरण अशुद्धियों के अनुसार किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
अशुद्धियों के अनुसार पानी दो प्रकार का है

  1. हल्का पानी-इसमें अशुद्धियां नहीं होतीं तथा यह पीने में स्वादिष्ट होता है। इसमें साबुन की झाग भी शीघ्र बनती है।
  2. भारी पानी-इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। यह साबुन से मिलकर झाग नहीं बनाता। यह भी दो तरह का होता है अस्थाई भारी पानी तथा स्थाई भारी पानी।

प्रश्न 5.
वस्त्र धोने के लिए थापी अथवा डण्डे का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए? वस्त्र धोने वाला फट्टा क्या होता है?
उत्तर-
थापी का अधिक प्रयोग किया जाये तो कई बार वस्त्र फट जाते हैं, वस्त्र धोने वाला फट्टा स्टील अथवा लकड़ी का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्रों को साबुन लगाकर रगड़ा जाता है। इस तरह वस्त्र से मैल उतर जाती है।

प्रश्न 6.
आप वस्त्र सुखाने के लिए लोहे के तार का प्रयोग करोगे अथवा नाइलॉन की रस्सी का?
उत्तर-
वैसे तो दोनों का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु लोहे की तार को जंग लग जाता है जिससे वस्त्र पर दाग पड़ जाते हैं। इसलिए नाइलॉन की रस्सी अधिक उपयुक्त रहेगी।

वस्त्र धोने के लिए सामान PSEB 9th Class Home Science Notes

  • घर में वस्त्र कपड़े धोने के लिए कई तरह का सामान चाहिए।
  • वस्त्र धोने का सामान अपनी आर्थिक हालत अनुसार तथा आवश्यकतानुसार ही लो।
  • लाऊण्डरी बैग में धोने वाले वस्त्र इकट्ठे किये जाते हैं।
  • पानी एक विश्वव्यापी घोलक है, इसमें साधारणतः प्रत्येक प्रकार की मैल घुल जाती है।
  • पानी प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोत हैं। वर्षा, दरिया, कुएं, चश्मे तथा समुद्र का पानी।
  • समुद्र का पानी वस्त्र धोने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  • पानी दो तरह का होता है-हल्का तथा भारी।
  • हल्के पानी में साबुन की झाग शीघ्र बनती है।
  • भारी पानी स्थाई तथा अस्थाई दो तरह का होता है। अस्थाई भारे पानी को उबाल कर हल्का किया जा सकता है।
  • साबुनों को सफ़ाईकारी कहा जाता है। यह चर्बी तथा खारों के मिश्रण से बनता
  • टब, बाल्टियां, चिल्मचियां आदि का प्रयोग नील देने, मावा देने, वस्त्र भिगोने, खंगालने आदि के लिए किया जाता है।
  • फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं।
  • विकसित देशों में वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट का प्रयोग किया जाता है।
  • वस्त्र को साफ़-सुथरी, चमकदार, सिलवट रहित दिखावट प्रदान करने के लिए इस्तरी किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

PSEB 9th Class Home Science Guide घरेलू सफ़ाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
घर की सफाई में किस प्रकार का सामान प्रयोग में आता है ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए पांच प्रकार के सामान का प्रयोग होता हैपोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक, सफाई करने वाले यन्त्र।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 2.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जाती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोना, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।

प्रश्न 3.
दैनिक सफाई और मासिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-प्रतिदिन की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहते हैं। रोजाना सफाई में प्रत्येक कमरे में झाड़-पोचा लगाया जाता है।
मासिक सफाई- यह सफाई महीने बाद तथा महीने में एक बार की जाती है। जैसेरसोई तथा अल्मारियों की सफाई आदि।

प्रश्न 4.
वैक्यूम क्लीनर कैसा उपकरण है ?
उत्तर-
यह एक बिजली से चलने वाली मशीन है। जब इसको बिजली से जोड़कर सफाई करने वाले स्थान पर चलाया जाता है तो सारी मिट्टी आदि इसके अन्दर खींची जाती है तथा एक थैली में इकट्ठी हो जाती है। यह मशीन प्रयोग करने से धूल नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी तरह से हो जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
घर की सफाई क्यों ज़रूरी होती है ?
उत्तर-

  1. सफाई करने से घर साफ तथा सुन्दर लगता है जो कि गृहिणी की सुघड़ता का सूचक होता है।
  2. गन्दे घर की हवा दूषित होती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सफाई करने से घर की हवा भी साफ हो जाती है।
  3. अधिक समय गन्दा रखने से घर का सामान जल्दी खराब हो जाता है। गन्दी जगह पर बैठने को किसी का मन नहीं करता।
  4. गन्दे घर में कई प्रकार के कीटाणु, मक्खी, मच्छर आदि पैदा होते हैं जो कई तरह की बीमारियां फैलाते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 6.
घर की सफाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के समय ध्यान में रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें

  1. घर के सभी सदस्यों को घर की सफाई के प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। क्योंकि सदस्यों को घर की सफाई के दौरान सभी सदस्यों का सहयोग अनिवार्य होता है।
  2. सफाई करने से पहले योजना बना लेनी चाहिए क्योंकि बिना योजना से की जाने वाली सफाई में अधिक समय खराब होता है।
  3. सफाई करते समय ज़रूरत का सारा सामान एक जगह पर इकट्ठा कर लेना चाहिए।
  4. सफाई के साधनों का प्रयोग करने के पश्चात् उन्हें फिर से साफ करके रख लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग में लाए जा सके जैसे पॉलिश करने के पश्चात् ब्रुश मिट्टी के तेल से साफ करके सम्भाल लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग किया जा सके।
  5. सफाई करते समय ठीक प्रकार की सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। इससे सफाई भी ठीक ढंग से होती है तथा समय तथा शक्ति की भी बचत होती है।
  6. सफाई सही ढंग तथा ध्यान से करनी चाहिए। लापरवाही से की गई सफाई घर को साफ बनाने के स्थान पर और भी बदसूरत बना देती है।

प्रश्न 7.
घर की सफाई करने के लिए कौन-कौन सा सामान चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेडा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े को पोचे के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फ्लालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। शीशे की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा ब्रश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि । इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी साफ की जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

प्रश्न 8.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश -से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़ कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स, पत्थर आदि वाले फर्श की सफाई झाड से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ का प्रयोग किया जाता है।
बाथरूम तथा रसोई को रोज़ धोकर साफ किया जाता है।
घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता
है।

प्रश्न 9.
सफाई करने के लिए क्या बिजली की कोई मशीन है ? यदि हां, तो कौन-सी और कैसे प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
बिजली से चलने वाली सफाई मशीन वैक्यूम क्लीनर है। इससे फर्श, पर्दे, दीवारें, सोफा, दरियां, फर्नीचर, कालीन आदि साफ किये जा सकते हैं।
यह एक ऊंचे हैण्डल वाली मोटर है। इसमें एक थैली लगी होती है। जब इसको चलाया जाता है तो सारी मिट्टी इसमें चली जाती है। यह मिट्टी थैली में इकट्ठी हो जाती है। सफाई कर लेने के पश्चात् थैली को उतार कर झाड़ लिया जाता है। इस मशीन के प्रयोग से मिट्टी नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी होती है।

प्रश्न 10.
सफाई करने के लिए कौन-कौन से झाड़ और ब्रुश की ज़रूरत पड़ती
उत्तर-

1. ब्रुश-सफाई के लिए कई तरह के ब्रुशों का प्रयोग किया जाता है। ब्रुश खरीदने के लिए एक विशेष बात का ध्यान रखें कि उसे किस चीज़ की सफाई के लिए प्रयोग करना है। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा परन्तु सख्त ब्रुश, दीवारें साफ करने के लिए नर्म ब्रुश, फर्श को साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, छोटी वस्तुएं साफ करने के लिए दांतों वाले ब्रुश, फर्श से काई उतारने के लिए तारों वाले सख्त ब्रुश की ज़रूरत होती है। फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए नर्म ब्रुश का प्रयोग किया जाता है। दीवारों पर सफेदी करने के लिए मूंजी की कूची तथा दरवाजे, खिड़कियां तथा अल्मारियों को पेंट अथवा पॉलिश करने के लिए 1½ इंच वाले तथा दीवारों पर पेंट अथवा डिस्टैंपर करने के लिए तीन-चार इंच वाले ब्रुशों की ज़रूरत पड़ती है। बाथरूम में फ्लशों को साफ करने के लिए विशेष प्रकार के गोल, नर्म ब्रुश प्रयोग किये जाते हैं। दीवारों से जाले उतारने के लिए भी लम्बी डण्डी वाले ब्रुश होते हैं।

2. झाड़-घर को तथा घर के और सामान को साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार के झाड़ प्रयोग में लाये जाते हैं। सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म जैसे झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए अथवा घास पर फेरने के लिए तीलियों वाले मोटे बांस के झाड़ की ज़रूरत होती है। सफाई करने के लिए कई बार खजूर तथा नारियल के पत्तों के झाड़ भी प्रयोग किये जाते हैं। आजकल बाज़ार में लम्बे डंडे वाले झाड़ नुमा ब्रुश भी मिल जाते हैं जिनसे खड़ेखड़े फर्शों की सफाई की जाती है।

प्रश्न 11.
घर में सफाई की व्यवस्था कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
घर में सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है :

  1. दैनिक सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसर पर सफाई।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 12.
दैनिक सफाई से आप क्या समझते हो ? इसके क्या लाभ हैं? .
उत्तर-
दैनिक सफाई दैनिक सफाई में वे कार्य शामिल किये जाते हैं जो प्रतिदिन किये जाते हैं। इसके कई लाभ हैं। दैनिक सफाई करने से कोई भी सामान अधिक गन्दा नहीं होता। यदि बहुत गन्दे सामान को साफ करना हो तो समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। परन्तु प्रतिदिन करने से बिल्कुल अनुभव नहीं होता। दैनिक सफाई सुबह ही करनी चाहिए। क्योंकि रात को सारा गरदा, मिट्टी चीजों पर जम जाती है। इसलिए साफ करना कठिन होता है। दैनिक सफाई के लिए बहुत योजनाबन्दी की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह सभी कार्य करने की आदत ही बन चुकी होती है। यह सारे कार्य या तो गृहिणी स्वयं करती है अथवा फिर परिवार के सदस्यों की सहायता ली जाती है तथा कई बार नौकरों से करवाए जाते हैं।

दैनिक सफाई के लिए सबसे पहले परदे पीछे करके कांच की खिड़कियां खोल देनी चाहिएं जिससे ताजा हवा तथा रोशनी घर में आ सके। फिर कमरों की चादरें झाड कर बिछा दें। बिखरे हुए सामान को अपनी-अपनी जगह पर रखें। फिर कमरों में रखे कूडेदानों को खाली करके सभी कमरों, बरामदे तथा आंगन में झाड़ लगाओ। फिर कपड़ा लेकर मेज़, कुर्सियां, टेबल तथा अन्य कमरों में पड़े सामान की झाड़-पोंछ करनी चाहिए। झाड़-पोचा करते समय कपड़ा ज़ोर से पटक कर न मारें, इस तरह करने से धूल एक स्थान से उड़कर दूसरी जगह पड़ जाती है तथा चीजें टूटने का भी डर रहता है। इसके पश्चात् कोई मोटा कपड़ा जैसे पुराना तौलिया आदि लेकर, बाल्टी में पानी लेकर, कपड़ा गीला करके सभी कमरों में पोचा लगाना चाहिए। भिन्न-भिन्न सामान को ठीक करके टिकाने पर रखा जाता है। इस तरह पूरा घर साफ-सुथरा हो जाता है। यदि घर में कहीं कच्ची जगह है तो पहले वहां हल्का सा पानी का छिड़काव कर लेना चाहिए ताकि झाड़ लगाने पर अधिक मिट्टी न उड़े।

प्रश्न 13.
दैनिक तथा साप्ताहिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-दैनिक सफाई में वह कार्य शामिल हैं जो रोज़ किये जाते हैं।
साप्ताहिक सफाई-यह सफाई सप्ताह के बाद तथा सप्ताह में एक बार की जाती है।
साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य समय सीमित होने के कारण गृहिणी के लिए यह सम्भव नहीं कि वह घर की प्रत्येक चीज़ को रोज़ साफ करे। वैसे ही कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनकी रोज़ाना सफाई की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे सारे कार्य जैसे चादरों, गिलाफों अथवा सोफे के कपड़ों को रोजाना बदलने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे कार्य जैसे कालीन की सफाई, गिलाफ, फ्रिज की सफाई, रसोई की शैल्फ तथा गैस स्टोव की सफाई, रसोई घर के डिब्बों की सफाई, बाथरूम की बाल्टियां, मग तथा साबुनदानी आदि की सफाई साप्ताहिक सफाई में ही आते हैं।

इसके अतिरिक्त यदि गृहिणी के पास समय हो तो कपड़ों वाली अल्मारियों को साफ किया जा सकता है जिससे ज़रूरत पड़ने पर सामान आसानी से ढूंढा जा सकता है। साप्ताहिक सफाई में घर के सभी कमरों, बरामदों आदि से जाले उतारने बहुत ज़रूरी हैं। गृहिणी को यह योजना बनाकर (जबानी अथवा लिखित) रखनी चाहिए कि इस सप्ताह के कार्य कौन-से हैं।

प्रश्न 14.
वार्षिक सफाई और विशेष अवसर पर सफाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-

  1. वार्षिक सफाई वार्षिक सफाई, रोज़ाना, साप्ताहिक तथा मासिक सफाई से अधिक विस्तृत होती है। यह कम-से-कम छ:-सात दिन का कार्य होता है। इस कार्य में समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। इसलिए इस कार्य के लिए गृहिणी को पूरी योजनाबन्दी करनी चाहिए। परिवार के अलग-अलग नौकरों तथा सदस्यों को भी कार्य बांटे जाते हैं। घर का सारा सामान एक तरफ करके विस्तृत रूप में सफाई की जाती है ताकि घर से धूल-मिट्टी तथा कीड़े-मकौड़े समाप्त हो सकें। इस सफाई के दौरान घर के टूटे-फूटे सामान की मुरम्मत, पॉलिश तथा अनावश्यक सामान को भी निकाला जाता है। कीड़े-मकौड़े समाप्त करने के लिए घर में सफेदी भी कराई जानी चाहिए। पेटियों तथा अल्मारियों आदि के सामान को धूप लगवानी चाहिए
  2.  विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई-हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे का विवाह हो तो वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ हिस्सा ही साफ करके सजाया जाता है। जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के मौके पर केवल ड्राईंग रूम की ही खास सफाई की जाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
घर की सफाई गृहिणी की सुघड़ता का सूचक है। कैसे ?
उत्तर-
एक साफ-सुथरा तथा सजा हुआ घर गृहिणी की सूझ-बूझ तथा कुशलता का प्रत्यक्ष रूप है। इसलिए सफाई निम्नलिखित बातों के कारण भी महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. सफाई न करने से घर की हवा दूषित हो जाती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  2. गन्दे स्थान पर मक्खियां-मच्छर तथा अन्य कई रोग पैदा करने वाले कीटाणु भी अधिक बढ़ते हैं जो बीमारियों की,जड़ हैं।
  3. गन्दे घर में बैठकर काम करने को दिल नहीं करता। यहां तक कि आस-पड़ोस के लोग भी गन्दगी देखकर घर आना पसन्द नहीं करते।
  4. सफाई करने से घर सजा हुआ दिखाई देता है। यदि सफाई न की जाये तो घर की प्रत्येक वस्तु पर मिट्टी, धूल तथा कूड़ा-कर्कट इकट्ठा हो जाता है जिससे घर गन्दा होने के साथ-साथ घर का सामान भी खराब होना आरम्भ हो जाता है।
  5. साफ-सुथरे सजे हुए घर से गृहिणी की समझदारी का पता चलता है। घर के अन्य कार्यों में से घर की सफाई एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।

प्रश्न 16.
घर की सफाई कैसे की जाती है और इसके लिए क्या सामान आवश्यक है ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स तथा पत्थर आदि वाली फर्श की सफाई फूल झाड़ से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ प्रयोग किया जाता है।
गुसलखाना तथा रसोई आदि को रोज़ धोकर साफ किया जाता है। घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता है।
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेड़ा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े पोचे के तौर पर प्रयोग किए जाते हैं। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फलालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। कांच की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा बुश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रुश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि। इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी झाड़ी जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 17.
घर की सफाई की व्यवस्था कैसे और किस आधार पर की जाती है ?
उत्तर-
गृहिणी हर रोज़ सारे घर की सफाई नहीं कर सकती क्योंकि यह थका देने वाला कार्य है। इसलिए इस कार्य को करने के लिए सूझ-बूझ से योजना बनाई जाती है। गृहिणी अपनी सुविधा के अनुसार सफाई कर सकती है। घर की सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –

  1. रोज़ाना सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसरों पर सफाई।

1. रोज़ाना अथवा दैनिक सफाई-रोज़ाना सफाई से हमारा अभिप्राय उस सफाई से है जो घर में रोज़ की जाती है। इसलिए गृहिणी का यह मुख्य कर्त्तव्य है कि वह घर के उठने-‘ बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई घर, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा लैटरिन की हर रोज़ सफाई करें। रोजाना सफाई में साधारणतः इधर-उधर बिखरी चीज़ों को ठीक तरह लगाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फर्श पर झाड़ लगाना, गीला पोचा लगाना आदि आते हैं।

2. साप्ताहिक सफाई-एक अच्छी गृहिणी को घर के रोज़ाना जीवन में अनेक कार्य करने पड़ते हैं। इसलिए यह सम्भव नहीं कि वह एक ही दिन में घर की पूरी सफाई कर सके। समय की कमी के कारण घर में जो चीजें हर रोज़ साफ नहीं की जातीं उन्हें सप्ताह में अथवा पन्द्रह दिनों में एक बार अवश्य साफ कर लेना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया तो दरवाजों तथा दीवारों की छतों पर जाले इकट्ठे हो जायेंगे। दरवाज़ों तथा खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर की सफाई, बिस्तर झाड़ना तथा धूप लगवाना, अल्मारियों की सफाई तथा दरी, कालीन को झाड़ना तथा धूप लगवाना आदि कार्य सप्ताह में एक बार अवश्य किये जाने चाहिएं।

3. मासिक सफाई-जिन कमरों अथवा वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार न हो सके, उन्हें महीने में एक बार जरूर साफ करना चाहिए। साधारणत: सारे महीने की खाद्यसामग्री एक बार ही खरीदी जाती है। इसलिए भण्डार गृह में रखने से पहले भण्डार घर को अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर ही उसमें खाद्य सामग्री रखी जानी चाहिए। मासिक सफाई के अन्तर्गत अनाज, दालों, अचार, मुरब्बे तथा मसाले आदि को धूप लगवानी चाहिए। अल्मारी के जाले, बल्बों के शेड आदि भी साफ करने चाहिएं।

4. वार्षिक सफाई-वार्षिक सफाई का अभिप्राय वर्ष में एक बार सारे घर की पूरी तरह सफाई करना है। वार्षिक सफाई के अन्तर्गत घर में सफेदी करना, टूटे स्थानों की मरम्मत, दरवाजों, खिड़कियों तथा दहलीज़ों की मरम्मत तथा सफाई तथा रंग-रोगन करवाना, फर्नीचर तथा अन्य सामान की मरम्मत, वार्निश, पॉलिश आदि आती है। कमरों में से सारे सामान को हटाकर चूना, पेंट अथवा डिस्टैंपर करवाना सफाई के पश्चात् फर्श को रगड़ कर धोना तथा दागधब्बे हटाना, सफाई के पश्चात् सारे सामान को दोबारा व्यवस्थित करना वार्षिक कार्य है। इस प्रकार की सफाई से कमरों को नवीन रूप प्रदान होता है। रज़ाई, गद्दों को खोलकर रुई साफ करवाना, धुनाई आदि भी वर्ष में एक बार किया जाता है।

हमारे देश में जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है, दशहरे अथवा दीवाली के समय वार्षिक सफाई की जाती है, लीपने-पोचने तथा पॉलिश करवाने से सुन्दरता तो बढ़ती ही है, रोग फैलाने वाले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं । इसलिए स्वास्थ्य के पक्ष में भी एक बार घर की पूरी सफाई आवश्यक है।

5. विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई -हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे को विवाह हो तो भी वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ भाग ही साफ करके सजाया जाता है जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के अवसर पर केवल ड्राईंग-रूम की ही खास सफाई की जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB घरेलू सफ़ाई Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. रसोई तथा अल्मारियों की सफ़ाई ………… ….. सफ़ाई है।
  2. घर के सभी सदस्यों की …………………. के प्रति रुचि होनी चाहिए।
  3. सूखा कूड़ा एकत्र करने के लिए …………………. झाड़ का प्रयोग करें।
  4. पॉलिश करने के लिए तथा चीज़ों को चमकाने के लिए …………………. कपड़े का प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. मासिक
  2. सफ़ाई
  3. नर्म
  4. फलालेन या लिनन।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
शीशे को चमकाने के लिए कैसे कपड़े का प्रयोग ठीक रहता है ?
उत्तर-
सिल्क।

प्रश्न 2.
चांदी की सफाई के लिए पॉलिश का नाम बताएं।
उत्तर-
सिल्वो।

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प्रश्न 3.
सबसे पहले किस कमरे की सफाई करनी चाहिए ?
उत्तर-
खाना बनाने वाले कमरे की।

प्रश्न 4.
फ्रिज़ को कब साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
सप्ताह में एक बार।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. घर की सफ़ाई के प्रति घर के सभी सदस्यों की रुचि होनी चाहिए।
  2. मासिक सफ़ाई महीने बाद की जाती है।
  3. स्नानागृह को महीने बाद धोना चाहिए न कि प्रतिदिन।
  4. बिजली से चलने वाली सफ़ाई वाली मशीन है माइक्रोवेव।
  5. धूल के कण, गंदगी का प्राकृतिक कारण है।
  6. पेंट वाली लकड़ी को प्रतिदिन झाड़न वाले कपड़े से पोंछे।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकार है –
(A) कफ़
(B) थूक
(C) पसीना
(D) सभी।
उत्तर-(D) सभी।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) गंदे घर में बैठ कर कार्य करने का मन नहीं करता
(B) साफ़ सुन्दर सजे हुए घर से गृहिणी की सूझबूझ का पता चलता है
(C) सप्ताह वाली सफ़ाई सप्ताह में एक बार की जाती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

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प्रश्न 3.
सफ़ाई के लिए प्रयोग वाला सामान है –
(A) झाड़
(B) बिजली की मशीन
(C) ब्रश
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दैनिक सफ़ाई में क्या-क्या कार्य करने आवश्यक होते हैं ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई में निम्नलिखित कार्य आवश्यक रूप से करने होते हैं –

  1. घर के सारे कमरों के फ़र्श, खिड़कियां, दरवाजे, मेज़ तथा कुर्सी की झाड़-पोंछ करना।
  2. घर में रखे कडेदान आदि की सफाई करना।
  3. शौचालय तथा स्नानघर आदि की सफाई करना।
  4. रसोई में काम आने वाले बर्तनों की सफ़ाई तथा रख-रखाव।

प्रश्न 2.
घर में गन्दगी होने के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक कारण-धूल के कण, वर्षा और बाढ़ के पानी के बहाव के कारण आने वाली गन्दगी, मकड़ी के जाले, पक्षियों और अन्य जीवों द्वारा फैलाई गन्दगी।
  2. मानव विकार-मल-मूत्र, कफ, थूक, खांसी, पसीना तथा बालों का झड़ना।
  3. घरेलू कार्य-खाद्य पदार्थों की सफ़ाई से निकलने वाली गन्दगी, साग-सब्जी, फ़ल आदि के छिलके, खाने वाली वस्तुएं, बर्तन आदि का धोना, कपड़ों की धुलाई, साबुन की झाग, मैल, नील, स्टार्च, रद्दी कागज़ के टुकड़े, सिलाई से निकलने वाले कपड़ों के टुकड़े, कताई की रूई तथा उसका झाड़न आदि।

प्रश्न 3.
दैनिक सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? तथा घर की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई से हमारा अभिप्राय उस सफ़ाई से है जो घर में रोजाना की जाती है। इसलिए गृहिणी का कर्तव्य है कि वह घर के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा शौचालय की प्रतिदिन सफ़ाई करे। दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत साधारणतः इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुओं को ठीक तरह टिकाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फ़र्श पर झाड़ करना, गीला पोछा करना आदि आते हैं।

प्रश्न 4.
शौचालय, बाथरूम में फिनाइल क्यों छिड़कायी जाती है.?
उत्तर-
शौचालय, बाथरूम को रोजाना फिनाइल से धोना चाहिए तथा इन्हें खुली हवा लगनी चाहिए। नहीं तो यह मक्खी, मच्छर के घर बन जाएंगे। जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।

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प्रश्न 5.
घर में फर्नीचर की पॉलिश कैसे तैयार की जाती है ?
उत्तर-
फर्नीचर की पॉलिश तैयार करने के लिए अलसी का तेल दो हिस्से, तारपीन का तेल-एक हिस्सा, सिरका एक हिस्सा, मैथिलेटिड स्पिरिट-एक हिस्सा लेकर मिला लो। इस तरह पॉलिश तैयार हो जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर की देखभाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर को नर्म साफ़ कपड़े से साफ़ किया जाता है क्योंकि कठोर ब्रुश का प्रयोग करने से लकड़ी पर खरोंचें पड़ सकती हैं। लकड़ी को गीला नहीं करना चाहिए। फर्नीचर की लकड़ी को पेंट अथवा पॉलिश की जाती है। पेंट तथा पॉलिश को विभिन्न विधियों से अलग किया जाता है।

पॉलिश की लकड़ी की सम्भाल-इसको प्रतिदिन नर्म कपड़े से साफ़ करना चाहिए। अधिक गन्दी होने की सूरत में साबुन वाले पानी से धोकर फ्लालेन के कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। कम गन्दी लकड़ी को साफ़ करने के लिए आधे लीटर गुनगुने पानी में दो बड़े चम्मच सिरके के मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। इस घोल में गीला करके फ्लालेन के कपड़े से फर्नीचर को साफ़ करो। यदि फर्नीचर की लकड़ी की पॉलिश काफ़ी खराब हो गई हो अथवा चमक घट जाए तो मैन्शन पॉलिश अथवा क्रीम का प्रयोग करके सफ़ाई की जाती है। सनमाइका लगे फर्नीचर को साफ़ करना आसान होता है। इसको गीले कपड़े से पोंछा जा सकता है तथा दाग उतारने के लिए साबुन का प्रयोग किया जा सकता है।

पेंट की हई लकडी-पेंट वाली लकडी प्रतिदिन झाडने वाले कपड़े से पोंछो। यदि ज़रूरत हो तो कुछ दिनों के पश्चात् साबुन वाले गुनगुने पानी तथा फ्लालेन के कपड़े से इसे साफ़ करो। कोनों को अच्छी तरह साफ़ किया जाता है। अधिक गन्दे हिस्सों को साफ़ करने के लिए साफ़ ब्रुश प्रयोग करो। पेंट से चिकनाहट के दाग उतारने के लिए पानी में थोड़ी पैराफिन मिला ली जाती है परन्तु पैराफिन का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाए तो पेंट खराब हो जाता है।

कपड़ा चढ़ा हुआ फर्नीचर-इसको रोज़ सूखे कपड़े से झाड़ना चाहिए। कभी-कभी गर्म कपड़े साफ़ करने वाले ब्रुश से साफ़ करो। रैक्सिन अथवा चमड़े वाले फर्नीचर को रोज़ गीले कपड़े से साफ़ करो। चिकनाहट के दाग उतारने के लिए कपड़े को साबुन वाले गुनगुने पानी से भिगो कर रगड़ो। कभी-कभी थोड़ा सा अलसी का तेल कपड़े पर लगाकर चमड़े के फर्नीचर पर रगड़ने से चमड़ा मुलायम रहता है तथा दरारें नहीं पड़तीं।

घरेलू सफ़ाई PSEB 9th Class Home Science Notes

  • गन्दे घर का घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा कई प्रकार की बीमारियां फैल सकती हैं।
  • गन्दे घर में कई तरह के कीटाणु, मक्खी-मच्छर आदि पैदा होते हैं तथा बीमारियां फैलाते हैं।
  • सफाई सही ढंग से करनी चाहिए। लापरवाही तथा बिना ढंग से सफाई की जाये तो साफ होने के स्थान पर घर और भी बदसूरत हो जायेगा।
  • सफाई के लिए प्रयोग में आने वाला सामान पांच प्रकार का होता है –
    पोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई करने वाले यन्त्र, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक।
  • सफाई करने के कई ढंग हैं –
    झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।
  • लकड़ी के फर्नीचर को नर्म, साफ कपड़े से साफ करना चाहिए।
  • घर की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
    रोज़ाना सफाई, साप्ताहिक सफाई, मासिक सफाई, वार्षिक सफाई, विशेष अवसर पर सफाई।