Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार
SST Guide for Class 9 PSEB संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Questions and Answers
(क) रिक्त स्थान भरें :
- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को ……….. मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
- नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद …………. द्वारा ……………. संशोधन के अंतर्गत दिया गया है।
उत्तर-
- छ:
- 21 A, 86वें।।
(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘बालश्रम’ किस अधिकार द्वारा प्रतिबंधित है ?
(अ) स्वतंत्रता का अधिकार
(आ) समानता का अधिकार
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार
(ई) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
उत्तर-
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार
प्रश्न 2.
धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ है
(अ) वह राज्य जहां केवल एक ही धर्म हो
(आ) वह राज्य जिसमें कोई धर्म न हो
(इ) वह राज्य जहां बहुत से धर्म हों
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं। ”
उत्तर-
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं।।
(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :
- अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना मानव का पूर्ण विकास नहीं हो सकता।
- धर्म-निरपेक्ष का अर्थ है लोग किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
उत्तर-
- (✓)
- (✓)
अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
मौलिक अधिकार संविधान के किस भाग में अंकित हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार संविधान के तीसरे भाग में अंकित हैं।
प्रश्न 2.
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को कौन-सी शक्ति प्राप्त है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को संवैधानिक उपचारों के अधिकार की शक्ति प्राप्त है।
प्रश्न 3.
उस विधेयक का नाम बताएं जिसमें बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों के लिए अंग्रेजों से कुछ अधिकारों की माांग की थी ?
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज विधेयक की मांग की थी।
प्रश्न 4.
अंग्रेजों से पुरुषों व स्त्रियों के लिए समान अधिकारों की मांग किस रिपोर्ट में की गई थी ?
उत्तर-
नेहरू रिपोर्ट।
प्रश्न 5.
व्यक्ति द्वारा किया गया उचित दावा जिसे समाज स्वीकार करता है एवं राज्य कानून द्वारा लागू करता है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार।
प्रश्न 6.
संपत्ति का अधिकार, मौलिक अधिकारों की सूची से कब और किस संशोधन द्वारा विकसित किया गया ?
उत्तर-
1978 में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया था।
प्रश्न 7.
कोई दो मौलिक अधिकार बताएं जो विदेशियों को भी प्राप्त हैं।
उत्तर-
स्वतंत्रता का अधिकार, कानून के सामने समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।
प्रश्न 8.
बच्चों के शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों से संबंधित किस अनुच्छेद के अधीन दर्ज किया गया है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 21 A.
प्रश्न 9.
मौलिक अधिकार किस अनुच्छेद से किस अनुच्छेद तक दर्ज हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 14-32 तक।
प्रश्न 10.
‘अस्पृश्यता के उन्मूलन’ के लिए भारत के संविधान में किस अनुच्छेद अधीन व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 से अस्पृश्यता के उन्मूलन की व्यवस्था की गई है।
लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
‘समानता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें। .
उत्तर-
समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद 14 में ‘कानून के समक्ष समता’ और ‘कानूनों के समान संरक्षण’ शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है।
- अनुच्छेद 15 के अनुसार राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग अथवा इनमें से किसी के भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
- अनुच्छेद 16 राज्य में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में, सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।
- अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।
प्रश्न 2.
‘न्यायपालिका की न्याय पुनर्निरीक्षण’ की शक्ति पर नोट लिखें।
उत्तर-
न्यायिक पुनर्निरीक्षण न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधानसभा के कानूनों तथा कार्यपालिका के आदेशों की जांच कर सकता है और यदि ये कानून और आदेश संविधान के विरुद्ध हों तो उनको असंवैधानिक एवं अवैध घोषित कर सकते हैं। न्यायालय कानून की उन्हीं धाराओं को अवैध घोषित करते हैं जो संविधान के विरुद्ध होते हैं, न कि समस्त कानून को। न्यायालय उन्हीं कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है जो उसके सामने मुकद्दमें के रूप में आते हैं।
प्रश्न 3.
न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए भारत के संविधान में क्या व्यवस्थाएं की गई हैं ?
उत्तर-
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा होनी चाहिए।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों को अच्छा वेतन तथा रिटायर होने के पश्चात् पेंशन मिलनी चाहिए।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों के पद की सुरक्षा होनी चाहिए और पद की अवधि लंबी होनी चाहिए।
प्रश्न 4.
‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने का, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति इत्यादि रखने के अधिकार दिए गए हैं। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।
प्रश्न 5.
भारत के नागरिकों को अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कौन-कौन सी स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं ?
उत्तर-
भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार के तहत अनुच्छेद 19 से 22तक कुछ स्वतंत्रताएं दी गई हैं। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु, इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी हैं। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं।
प्रश्न 6.
‘शोषण-विरुद्ध अधिकार’ की व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 23 तथा 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं।
- अनुच्छेद 23 के अनुसार व्यक्तियों को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है।
- अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार-मौलिक कैसे हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि तर्क सहित करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को निम्नलिखित कारणों से मौलिक कहा जाता है.
- मौलिक अधिकार मूल रूप से मानवीय अधिकार हैं। मनुष्य होने के नाते इन अधिकारों का उपयोग करना ही चाहिए।
- मौलिक अधिकार हमें संविधान ने दिए हैं और संविधान देश का मौलिक कानून है। यदि नागरिक को सुखी तथा लोकतांत्रिक जीवन व्यतीत करना है, तो ये अधिकार प्राप्त होने ही चाहिए।
- संविधान ने इन अधिकारों को लागू करने के लिए प्रभावशाली विधि अपनाई है। अधिकारों का हनन होने पर कोई भी नागरिक न्यायालय की सहायता से अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
मौलिक अधिकारों का स्वरूप कैसा है ? संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों का स्वरूप निम्नलिखित है
- व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े विस्तृत तथा व्यापक हैं। इनका वर्णन संविधान के तीसरे भाग की 24 धाराओं में किया गया है। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तृत व्याख्या की गई है।
- मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता यह है कि ये भारत के सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त हैं। ये अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
- मौलिक अधिकार असीमित नहीं हैं-कोई भी अधिकार पूर्ण और असीमित नहीं हो सकता। भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार भी असीमित नहीं हैं। संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं-यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो वह नागरिक न्यायालय के पास जा सकता है। इसके पीछे कानूनी शक्ति है।
- सकारात्मक व नकारात्मक-मौलिक अधिकार सकारात्मक भी हैं तथा नकारात्मक भी। जहां एक तरफ यह सरकार के कुछेक कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वहीं दूसरी तरफ यह सरकार को कुछ सकारात्मक आदेश भी देते हैं।
- नागरिक व राजनीतिक स्वरूप-हमारे अधिकारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-नागरिक व राजनीतिक, संघ बनाने, विचार प्रकट करने, बिना हथियार इकट्ठे होने जैसे अधिकार राजनीतिक होते हैं। इसके साथ समानता का अधिकार, सांस्कृतिक व शिक्षा संबंधी अधिकार नागरिक अधिकार हैं।
- इनकी उल्लंघना नहीं हो सकती–संसद् में कानून पास करवा कर अथवा कार्यपालिका द्वारा आदेश पास करके अधिकारों को न तो खत्म किया जा सकता है न ही उनमें परिवर्तन किया जा सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो न्यायपालिका उस आदेश को रद्द भी कर सकती है।
प्रश्न 2.
अनुच्छेद 20 से 22 तक मौलिक अधिकारों सम्बन्धी की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Right to life and Personal Liberty) Art. 2022) अनुच्छेद 20 व्यक्ति और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जैसे-
- किसी व्यक्ति को किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करने पर दंड नहीं दिया जा सकता जो कानून उसके अपराध करते समय लागू नहीं था।
- किसी व्यक्ति को उससे अधिक सज़ा नहीं दी जा सकती जितनी अपराध करते समय प्रचलित कानून के अधीन दी जा सकती है।
- किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध उसी अपराध के लिए एक बार से अधिक मुकद्दमा नहीं चलाया जाएगा और दंडित नहीं किया जाएगा।
- किसी अभियुक्त को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 21 में लिखा है कि कानून द्वारा स्थापित पद्धति के बिना किसी व्यक्ति को उसको व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।
दिसंबर, 2007 में राष्ट्रपति ने 86वें संवैधानिक संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की। इस स्वीकृति के बाद शिक्षा का अधिकार (Right in Education) संविधान के तीसरे भाग में शामिल होने के कारण एक मौलिक अधिकार बन गया है। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पश्चात् 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।
गिरफ्तारी एवं नज़रबंदी के विरुद्ध रक्षा-अनुच्छेद 22 गिरफ्तार तथा नज़रबंद नागरिकों के अधिकारों की घोषणा करता है। अनुच्छेद 22 के अनुसार
- गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के तुरंत पश्चात् उसको गिरफ्तारी के कारणों से परिचित कराया जाना चाहिए।
- उसे अपनी पसंद के वकील से परामर्श लेने और उनके द्वारा सफाई पेश करने का अधिकार होगा।
- बंदी-गृह में बंद किए गए किसी व्यक्ति को बंदी गृह से मैजिस्ट्रेट के न्यायालय तक की यात्रा के लिए आवश्यक समय निकाल कर 24 घंटों के अंदर निकट से निकट मैजिस्ट्रेट के न्यायालय में उपस्थिति किया जाए।
- बिना मैजिस्ट्रेट की आज्ञा के 24 घंटों से अधिक समय के लिए किसी व्यक्ति को कारावास में नहीं रखा जाएगा।
अपवाद-अनुच्छेद 22 में लिखे अधिकार उस व्यक्ति को नहीं मिलते जो शत्रु विदेशी है या जो निवारक नज़रबंद कानून के अनुसार गिरफ्तार किये गये हो।
भारतीय संसद् देश की प्रतिरक्षा, विदेशी संबंधों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और भारत संघ की रक्षा के लिए निवारक निषेध अधिनियम का आश्रय ले सकती ।
स्वतंत्रता के अधिकार का निलंबन (Suspension of Right to Freedom)-राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा करके संविधान में दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार को निलंवित कर सकता है तथा साथ ही उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों में इन स्वतंत्रताओं के विरुद्ध अपील करने के अधिकार का भी निषेध कर सकता है। 44वें संशोधन के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत दिए गए निजी स्वतंत्रता के अधिकार को आपातकालीन स्थिति के दौरान भी स्थगित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 3.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 25 से 28 तक की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का समान अधिकार प्राप्त है और बिना रोक-टोक के धर्म में विश्वास रखने धार्मिक कार्य करने तथा प्रचार करने का अधिकार है। सभी व्यक्तियों को धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता दी गई है। किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कर देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता जिसको इकट्ठा करके किसी विशेष धर्म या धार्मिक समुदाय के विकास को बनाए रखने के लिए खर्च किया जाना हो। किसी भी सरकारी संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। गैर सरकारी शिक्षा संस्थाओं में जिन्हें राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जिन्हें सरकारी सहायता प्राप्त होती है किसी विद्यार्थी को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने या धार्मिक पूजा पाने में सम्मिलित होने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान के निर्माताओं को डर था कि कहीं सरकारें निरंकुश हो कर जनता के अधिकारों का हनन ही न कर दें। इसलिए उन्होंने भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संविधान में डालने के साथ साथ इन अधिकारों को लागू करने की व्यवस्था भी की। अगर भारत के किसी भी नागरिक के अधिकारों का किसी व्यक्ति, समूह या सरकार की तरफ से उल्लंघन होता है तो ऐसी स्थिति में नागरिक राज्य के उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय उन्हें उनके अधिकार वापिस दिलाएगा। उन्हें लागू करने के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय पांच प्रकार की लेख (Writs) जारी कर सकता है। यह है
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश या फरमान लेख (Mandamus)
- प्रतिषेध लेख (Certiorari)
- अधिकार पृच्छा लेख (Prohibition)
- उत्प्रेषण लेख (Quo-warranto)
PSEB 9th Class Social Science Guide संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Important Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
मानव के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) हिंसा
(ख) अज्ञानता
(ग) अधिकार
(घ) बेरोज़गारी।
उत्तर-
(ग) अधिकार
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन किस भाग में किया गया है ?
(क) तीसरे भाग में
(ख) चौथे भाग में
(ग) पांचवें भाग में
(घ) छठे भाग में।
उत्तर-
(क) तीसरे भाग में
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं ?
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर-
(ख) 6
प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ख) अनुच्छेद 19-22
प्रश्न 5.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में समानता के अधिकार का वर्णन किया गया ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 14-18
प्रश्न 6.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 23-24
प्रश्न 7.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(घ) अनुच्छेद 25-28.
प्रश्न 8.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है ?
(क) अनुच्छेद 25-28
(ख) अनुच्छेद 29-30
(ग) अनुच्छेद 32
(घ) अनुच्छेद 35-40
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 32
प्रश्न 9.
संविधान के कौन-से.अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है ?
(क) अनुच्छेद 17
(ख) अनुच्छेद 18
(ग) अनुच्छेद 19
(घ) अनुच्छेद 20
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 17
प्रश्न 10.
भारत किस प्रकार का राज्य है ?
(क) धर्म-निरपेक्ष
(ख) हिंदू राज्य
(ग) मुस्लिम राज्य
(घ) सिख राज्य।
उत्तर-
(क) धर्म-निरपेक्ष
रिक्त स्थान भरें :
- सन् ……………. में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेज़ों को स्वराज बिल पास करने को कहा।
- 1946 ई० में ………. ने भारतीय लोगों के लिए मौलिक अधिकारों का समर्थन किया।
- संपत्ति के अधिकार को ……… संशोधन से कानूनी अधिकार बना दिया गया था।
- शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद ……….. में डाला गया था।
- …………… को अनुच्छेद 17 से समाप्त कर दिया गया था।
- अनुच्छेद ………….. हमें कानून के सामने समानता देता है।
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद ……….. में दिया गया है।
उत्तर-
- 1895
- कबिनेट मिशन
- 44 वें
- 21- A
- अस्पृश्यत
- 15
- 32
सही/गलत :
- अधिकारों से हमारे जीवन में रुकावटें आती हैं।
- मौलिक अधिकार अनुच्छेद 14 से 32 तक दर्ज हैं।
- अनुच्छेद 15 किसी भी प्रकार के भेदभाव की मनाही करता है।
- अनुच्छेद 19 में दस प्रकार की स्वतंत्रताएं दी गई हैं।
- हमें अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता नहीं है।
- अनुच्छेद 24 बच्चों की सुरक्षा के लिए है।
उत्तर-
- (✗)
- (✓)
- (✓)
- (✗)
- (✗)
- (✓)
अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिकार किसे कहते हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है, उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं।
प्रश्न 2.
अधिकार की एक परिभाषा लिखें।
उत्तर-
बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”
प्रश्न 3.
अधिकार के कोई एक महत्त्वपूर्ण तथ्य का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकार समाज द्वारा प्रदान और राज्य द्वारा लागू किया जाना ज़रूरी है।
प्रश्न 4.
अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति का किसी कार्य को करने की स्वतंत्रता का दावा है जो यह समाज से प्राप्त करता है या सुविधाओं की मांग को अधिकार कहते हैं।
प्रश्न 5.
कानूनी अधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कानूनी अधिकार वे अधिकार होते हैं जिन्हें राज्य की मान्यता प्राप्त होती है और उस व्यक्ति को दंड मिलता है जो इन अधिकारों का उल्लंघन करता है।
प्रश्न 6.
नागरिक के दो महत्त्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार लिखें।
उत्तर-
- मत देने का अधिकार
- चुनाव लड़ने का अधिकार।
प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार का अर्थ बताओ।
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है, उन्हें मौलिक अधिकारों का नाम दिया जाता है।
प्रश्न 8.
अधिकार व्यक्ति के लिए क्यों आवश्यक हैं ? कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि अधिकारों द्वारा ही व्यक्ति अपना संपूर्ण विकास कर सकता है।
प्रश्न 9.
मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के किस भाग में कितनी धाराओं में किया गया है?
उत्तर-
इनका वर्णन संविधान में तीसरे भाग की 24 धाराओं में धारा 12 से 35 तक में किया गया है।
प्रश्न 10.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं?
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय संविधान में 6 प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
प्रश्न 11.
अनुच्छेद 14 से 18 कौन-से मौलिक अधिकार से संबंधित हैं?
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 समानता के अधिकार से संबंधित हैं।
प्रश्न 12.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था कौन-से अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 19 से 22 में स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 13.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था अनुच्छेद 25 से 28 में की गई है।
प्रश्न 14.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।
प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार से आपका क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 में अंकित है। इस अधिकार के आधार पर कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकार को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में प्रार्थना-पत्र दे सकता है।
प्रश्न 16.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।
प्रश्न 17.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।
प्रश्न 18.
कानून के समक्ष समानता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता का साधारण अर्थ यह है कि कानून सभी व्यक्तियों को समान समझता है तथा किसी भी आधार पर किसी व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में कानून के द्वारा कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
प्रश्न 19.
भारतीय नागरिकों को किस प्रकार की उपाधियां दी जा सकती हैं ?
उत्तर-
शैक्षणिक तथा सैनिक उपाधियां।
प्रश्न 20.
अनुच्छेद 19 में दी गई किन्हीं दो स्वतंत्रताओं का वर्णन करो।
उत्तर-
- भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
- समुदाय या संघ बनाने की स्वतंत्रता।
प्रश्न 21.
शोषण के विरुद्ध अधिकार की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
कोई भी व्यक्ति दूसरे से ज़बरदस्ती श्रम नहीं करवा सकता और न ही व्यक्तियों को बेचा या खरीदा जा सकता है।
प्रश्न 22.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का क्या अर्थ है?
उत्तर-
लोगों को कोई भी धर्म मानने, आचरण करने, प्रचार करने तथा धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने की स्वतंत्रता धार्मिक अधिकार कहलाती है।
प्रश्न 23.
कोई ऐसे दो मौलिक अधिकार बताओ जो भारत को धर्म-निरपेक्ष राज्य सिद्ध करते हैं।
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 के अधीन दिया गया समानता का अधिकार तथा 25 से 28 के अधीन दिया गया धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय राज्य के धर्म-निरपेक्ष स्वरूप को स्पष्ट करते हैं।
प्रश्न 24.
सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार का क्या अर्थ है? .
उत्तर-
अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने के लिए शिक्षा संस्थान स्थापित करने का अधिकार है।
प्रश्न 25.
ऐसे दो लेखों के नाम लिखो जो मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
उत्तर-
- बंदी प्रत्यक्षीकरण।
- परमादेश लेख।
प्रश्न 26.
संपत्ति का मौलिक अधिकार किस संशोधन द्वारा कानूनी अधिकार बनाया गया है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा।
प्रश्न 27.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 300 A अंकित किया गया है जिसमें संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 28.
क्या मौलिक अधिकार सीमित किए जा सकते हैं?
उत्तर-
संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों पर कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। संसद् संवैधानिक संशोधन द्वारा इन अधिकारों को और अधिक सीमित कर सकती है।
प्रश्न 29.
संविधान का कौन-सा अनुच्छेद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 20 से 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है।
प्रश्न 30.
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, ‘हमारे सम्मुख शरीर को प्रस्तुत करो।’ (Let us have the body.)
प्रश्न 31.
‘मैंडामस’ (Mandamus) का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
‘मैंडामस’ (Mandamus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं।'(We command.)
प्रश्न 32.
संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है।
प्रश्न 33.
संविधान के लिए किस अनुच्छेद द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 13 द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है।
प्रश्न 34.
किस मौलिक अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 35.
शिक्षा के अधिकार को कौन-से संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया ?
उत्तर-
शिक्षा के अधिकार को 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया।
प्रश्न 36.
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन और किसकी सलाह से करता है ?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से करता है।
लघु उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज से मिली होती हैं उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्रायः उन सुविधाओं और अवसरों से होता है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होती हैं और उन्हें समाज ने मान्यता दी होती है।
प्रश्न 2.
अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
- अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं। समाज के बाहर अधिकारों का न कोई अस्तित्व है और न कोई आवश्यकता।
- अधिकार सीमित होते हैं। अधिकार कभी असीमित नहीं होते बल्कि ये सीमित शक्तियां होती हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक होती हैं।
प्रश्न 3.
अधिकारों की कोई दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
- डॉ० वेणी प्रसाद के अनुसार, “अधिकार वे सामाजिक अवस्थाएं हैं जो व्यक्ति की उन्नति के लिए आवश्यक हैं। अधिकार सामाजिक जीवन का आवश्यक पक्ष हैं।”
- ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के भौतिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”
प्रश्न 4.
अधिकारों के प्रकार बताइए।
उत्तर-
अधिकारों को प्रायः तीन भागों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं-प्राकृतिक अधिकार, नैतिक अधिकार तथा कानूनी अधिकार।
- प्राकृतिक अधिकार-प्राकृतिक अधिकारों का अर्थ है वे अधिकार जो व्यक्ति को प्रकृति ने दिए हैं।
- नैतिक अधिकार-नैतिक अधिकार व्यक्ति की नैतिक भावनाओं पर आधारित होते हैं। इन अधिकारों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती।
- कानूनी अधिकार-कानूनी अधिकारों को राज्य की मान्यता प्राप्त होती है। राज्य के कानून इन्हें लागू करते हैं। कानूनी अधिकार चार प्रकार के होते हैं-मौलिक अधिकार, सामाजिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार तथा आर्थिक अधिकार।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
संविधान में जो भी मौलिक अधिकार घोषित किए गए हैं, उनकी कुछ अपनी ही विशेषताएं हैं, जो इस प्रकार
- व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।
- मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
प्रश्न 6.
मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है ?
अथवा
मौलिक अधिकारों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है उन्हें मौलिक अधिकार का नाम दिया जाता है। ये वे अधिकार होते हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए अनिवार्य समझे जाते हैं। भारत, अमेरिका, जापान, फ्रांस तथा अन्य लोकतंत्रात्मक देशों के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
प्रश्न 7.
हमारे संविधान द्वारा निर्मित किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय नागरिकों को छः प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं।
- समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानन के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग गे नागरिक कर सकते हैं। अस्पृस्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का या गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रयोग करने और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार हए गए हैं।
प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
संविधान में 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं-
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
- संवैधानिक उपायों का अधिकार।
प्रश्न 9.
कन्हीं दो परिस्थितियों का वर्णन करें जिनमें मौलिक अधिकारों को सीमित किया जा सकता है। – प्रश्न 9. दि
उत्तर-
- युद्ध तथा विदेशी आक्रमण के समय घोषित राष्ट्रीय संकटकाल के दौरान राष्ट्रपति अधिकारों को सीमित कर सकता है।
- सशस्त्र विद्र रोह तथा आंतरिक गड़बड़ी के कारण घोषित आपात्काल में मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।
प्रश्न 10.
मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को क्यों निकाल दिया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में मूल रूप से संपत्ति के अधिकार का मौलिक अधिकारों के अध्याय में वर्णन किया गया था, परंतु 44वें संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों में से निकाल दिया गया है। मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को निम्नलिखित कारणों से निकाला गया है-
- भारत में निजी संपत्ति के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों में से निकाल दिया गया है।
- 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद शब्द रखा गया है। समाजवाद और संपत्ति का अधिकार एक साथ नहीं चलते। अत: संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों से निकाल दिया गया है।
प्रश्न 11.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की निम्नलिखित आधारों पर कड़ी आलोचना की गई है-
- बहुत अधिक बंधन-मौलिक अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं कि अधिकारों का महत्त्व बहत कम हो गया है। इन अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध हैं कि नागरिकों को यह समझने के लिए कठिनाई आती है कि इन अधिकारों द्वारा उन्हें कौन-कौन-सी सुविधाएं दी गई हैं।
- आर्थिक अधिकारों का अभाव-मौलिक अधिकारों की इसलिए भी कड़ी आलोचना की गई है कि इस अध्याय में आर्थिक अधिकारों का वर्णन नहीं किया गया है जबकि समाजवादी राज्यों में आर्थिक अधिकार भी दिए जाते हैं।
प्रश्न 12.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों के अध्ययन का महत्त्व निम्नलिखित शीर्षकों के अधीन किया जाता है-
- मौलिक अधिकार कानून का शासन स्थापित करते हैं- मौलिक अधिकारों का महत्त्व इसमें है कि ये कानून के शासन की स्थापना करते हैं। सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान हैं और सभी को कानून द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
- मौलिक अधिकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं-अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार दिया गया है। अल्पसंख्यक अपनी पसंद की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं और उनका संचालन भी कर सकते हैं। सरकार अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगी।
प्रश्न 13.
मौलिक अधिकारों तथा नीति-निर्देशक सिद्धांतों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर-
- मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत न्याय योग्य नहीं हैं। मौलिक अधिकारों को न्यायालयों द्वारा लागू करवाया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को न्यायालयों द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता है।
- मौलिक अधिकारों का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र है जबकि निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य आर्थिक लोकतंत्र है।
- मौलिक अधिकार लोगों के अधिकार हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत राज्य के कर्त्तव्य हैं।
- मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को निलंबित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 14.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 तथा 24 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत न्यायपालिका किस प्रकार के आदेशों को जारी कर सकती है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायपालिका निम्नलिखित आदेश जारी कर सकती है
- बंदी प्रत्यक्षीकरण लेख
- परमादेश का आज्ञा-पत्र
- मनाही आज्ञा-पत्र
- उत्प्रेषण लेख तथा
- अधिकार पृच्छा लेख।
प्रश्न 16.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 तथा 30 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 29 तथा 30 के अंतर्गत नागरिकों को विशेषतया अल्पसंख्यकों को सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार प्रदान किए गए हैं जो अग्रलिखित हैं-
- भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार-
- अनुच्छेद 29 के अनुसार भारत के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग या उसके किसी भाग को जिसकी अपनी भाषा, लिपि अथवा संस्कृति हो उसे यह अधिकार है कि यह उनकी रक्षा करे।
- किसी भी नागरिक को राज्य द्वारा या उसकी सहायता से चलाए जाने वाली शिक्षा संस्था में प्रवेश देने से धर्म, जाति, वंश, भाषा या इसमें किसी के आधार पर इंकार नहीं किया जा सकता।
- अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा-
- अनुच्छेद 30 के अनुसार सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म पर आधारित हों या भाषा पर, यह अधिकार प्राप्त है कि वे अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करें तथा उनका प्रबंध करें।
- अनुच्छेद 30 के अनुसार राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को सहायता देते समय शिक्षा संस्था के प्रति इस आधार पर भेदभाव नहीं होगा कि वह अल्पसंख्यकों के प्रबंध के अधीन हैं, चाहे वह अल्पसंख्यक भाषा के आधार पर हो या धर्म के आधार पर।
प्रश्न 17.
परमादेश लेख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
‘परमादेश’ शब्द का अर्थ है “हम आज्ञा देते हैं।” इस निर्देश के द्वारा न्यायालय सरकार को कानूनाधीन अपने कर्त्तव्य को पूरा करने का आदेश दे सकता है। इस आदेश द्वारा अधिकार के विषय में सरकार की उन लापरवाहियों को संशोधित किया जा सकता है जो नागरिकों के अधिकारों के लिए घातक सिद्ध होती हैं।
प्रश्न 18.
मौलिक अधिकारों का उल्लेख संविधान में क्यों किया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख इसलिए किया गया है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मूल अधिकार प्राप्त होने की गारंटी मिल सके। मौलिक अधिकारों का वर्णन उस सिद्धांत की पुष्टि के लिए किया गया है, जिसके अनुसार सरकार कानून के अनुसार कार्य करे न कि गैर-कानूनी तरीके से।
प्रश्न 19.
‘कानून के समक्ष समता’ के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता (समता) का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। कोई भी व्यक्ति देश के कानून के ऊपर नहीं है। सभी व्यक्ति भले ही उनकी कुछ भी स्थिति हो, साधारण कानून के अधीन हैं और उन पर साधारण न्यायालय में मुकद्दमा चलाया जा सकता है। कानून छोटा-बड़ा, अमीर गरीब, ऊंच-नीच और छुआछूत आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगा। कानून के समक्ष समता का दूसरा अर्थ यह है कि समान परिस्थितियों में सबसे समान व्यवहार किया जाए।
प्रश्न 20.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को समझाइए।
उत्तर-
प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। कोई भी नागरिक बोलकर या लि लखकर अपने विचार प्रकट कर सकता है। प्रेस की स्वतंत्रता भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता का एक साधन है। परंतु भाषण देने और विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। संसद् भारत की प्रभुसत्ता भार जडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टता अथवा नैतिकता, न्यायालय का अपमान, मान-हानि लिए उत्तेजित करना आदि के आधारों पर भाषण तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।
प्रश्न 21.
अधिकार-पच्छा लेख (Writ of Ouo-warranto) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
इसका अर्थ है ‘किसके आदेश से’ अथवा किस अधिकार से। यह आदेश उस समय जारी किया जाता है काव्यात किसी ऐसे कार्य को करने का दावा करता हो जिसको करने का उसका अधिकार न हो। इस आदेश अनुसार अप्प : न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय किसी व्यक्ति को एक पद ग्रहण करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी
सकता है और उक्त पद के रिक्त होने की तब तक के लिए घोषणा कर सकता है जब तक न्यायालय द्वारा कोई निर्णय न हो।
प्रश्न 22.
शिक्षा के अधिकार की व्याख्या करें। उत्त
उत्तर-
दसबर, – 2002 में पास किए गए 86वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 2 में 21A नाम का नया अनु छेद शामिल किया गया। इस अनुच्छेद में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) की व्यवस्था की गई है। इस संवैधानिक संशोधन अधिनियम के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि 6 साल से 14 साल तक की आयु के सभी भारतीय बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई है कि बच्चों के माता-पिता तथा अभिभावकों का यह कर्त्तव्य होगा कि वे अपने बच्चों के लिए ऐसी सुविधाएं तथा अवसर उपलब्ध करवाएं, जिससे बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। सरकार भी 6 साल के बच्चों के बचपन तथा शिक्षा की देख-रेख के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगी। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 लागू होने के पश्चात् 6वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।
प्रश्न 23.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है न्यायाधीश स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा निडर हों। न्यायाधीश निष्पक्षता से न्याय तभी कर सकते हैं, जब उन पर किसी प्रकार का दबाव न हो। न्यायपालिका विधानमंडल तथा कार्यपालिका के अधीन नहीं होनी चाहिए और विधानमंडल तथा कार्यपालिका को न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 24.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की कैसे रक्षा करता है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति यह समझे कि सरकार ने उसके मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया है या कोई कानून मौलिक अधिकार के विरुद्ध बनाया गया है तो यह सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है और सर्वोच्च न्यायालय कई प्रकार के अभिलेख जारी कर सकता है और किसी कानून को अवैध भी घोषित कर सकता है।
प्रश्न 25.
भारतीय संविधान स्वतंत्र न्यायपालिका की रक्षा कैसे करता है ?
उत्तर-
- नीति-निर्देशक सिद्धांत न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतंत्र करने का आदेश देता है।
- मुख्य तथा अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्धारित न्यायिक अथवा कानूनी योग्यताओं के आधार पर की जाती है।
- न्यायाधीशों को अच्छा वेतन दिया जाता है। 4. उनका कार्यकाल निश्चित है।
दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिकारों से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।।
उत्तर-
मनुष्यों को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज में मिली होती हैं, उन्हीं सुविधाओं को अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्राय उन स विधाओं और अवसरों से है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं और उन्हें समाज में मान्यता प्राप्त है। अन्य शब्दों में, अधिकार वे सुविधाएं हैं जिनके कारण हमें किसी कार्य को करने या न करने की शक्ति मिलती है। विभिन्न लेखकों ने अधिकार की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं। कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :
- ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के मौलिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”
- बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”
- लॉस्की के शब्दों में, “अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना कोई व्यक्ति अपने जीवन का विकास नहीं कर सकता।” विशेषताएं-
- अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं।
- अधिकार व्यक्ति का दावा है।
- अधिकार समाज द्वारा मान्य होते हैं।
- अधिकार तर्कसंगत एवं नैतिक होते हैं।
- अधिकार असीमित नहीं होते।
- अधिकार लोकहित में प्रयोग किये जाते हैं।
- अधिकारों के साथ कर्त्तव्य जुड़े होते हैं।
प्रश्न 2.
हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकार पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में धारा 12 से 35 तक की 24 धाराओं में किया गया है। 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो इस प्रकार
- समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानून के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग सभी कर सकते हैं। छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है और सेना तथा शिक्षा संबंधी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी उपाधियों को समाप्त कर दिया है।
- स्वतंत्रता का अधिकार-नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 19 से 22 तक में किया गया है। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी है। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
- शोषण के विरुद्ध अधिकार-अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्ट देव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार दिए गए हैं। सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार-अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत नागरिकों को संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं। प्रत्येक जाति या समुदाय को अपनी भाषा, लिपि, संस्कृति और साहित्य को बनाए रखने, उनका प्रसार तथा विकास करने का अधिकार है। सभी अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करने तथा उनका प्रबंध करने का अधिकार प्राप्त है। राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को अनुदान देते समय भेद-भाव नहीं किया जाएगा।
- संवैधानिक उपायों का अधिकार-अनुच्छेद 32 के अनुसार प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की प्राप्ति और रक्षा के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते हैं। उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय को इस संबंध में कई प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार है।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार की व्याख्या करें।
उत्तर-
समानता का अधिकार एक महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है। भारतीय संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित प्रकार की समानता प्रदान की गई है-
- काना के समक्ष समानता-संविधान के अनुच्छेद 14 में “विधि के समक्ष समानता” और “कानूनों के समान । संरक्षण” शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है और संविधान में लिखा है कि भारत के राज्य क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को कानन के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा।
कानून के समक्ष समानता का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। – कानून के समान संरक्षण का यह अभिप्राय है कि समान परिस्थितियों में सबके साथ समान व्यवहार किया जाए। - भेद-भाव की मनाही-अनुच्छेद 15 के अनुसार निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-
- राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान अथवा इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
- दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और मनोरंजन के सार्वजनिक स्थानों पर धर्म, लिंग, जाति इत्यादि किसी आधार पर किसी नागरिक को अयोग्य व प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा।
- सरकारी नौकरियों के लिए अवसर की समानता-अनुच्छेद 16 राज्यों में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है। सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान, निवास या इसमें से किसी एक के आधार पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- अस्पृश्यता की समाप्ति-अनुच्छेद 17 द्वारा छुआछूत को समाप्त किया गया है। किसी भी व्यक्ति के साथ अस्पर्श जैसा व्यवहार करना या उसको अछूत समझ कर सार्वजनिक स्थानों, होटलों, घाटों, तालाबों, कुओं, सिनेमाघरों, पार्कों तथा मनोरंजन के स्थानों के उपयोग से रोकना कानूनी अपराध है।
- उपाधियों की समाप्ति-अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि
- सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।
- भारत का कोई भी नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
भारत सरकार नागरिकों को भारत रत्न (Bharat Ratna), पद्म विभूषण (Padma Vibhushan), पद्म भूषण (Padma Bhushan), पद्म श्री (Padma Shri) आदि उपाधियां देती है। जिस कारण आलोचकों का कहना था कि ये उपाधियां अनुच्छेद 18 के साथ मेल नहीं खातीं।
संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार PSEB 9th Class Civics Notes
- समाज में रहते हुए लोग कई प्रकार की सुविधाओं का प्रयोग करते हैं जैसे कि समानता, अभिव्यक्ति, कहीं भी आना जाना, कोई भी पेशा अपनाना, किसी भी धर्म को मानना इत्यादि। इन सभी सुविधाओं को अधिकार कहा जाता है।
- अधिकार को हम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह की उस उचित मांग का नाम दे सकते हैं जिन्हें समाज तथा राज्य मान्यता देता है व जिसके बिना अच्छा जीवन जीना मुमकिन ही नहीं है।
- हमारे देश के संविधान ने नागरिकों को अच्छा जीवन देने व उनका गौरव बरकरार रखने के लिए कुछ अधिकार दिए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह संविधान के तीसरे भाग तथा अनुच्छेद 12 35 तक दर्ज हैं।
- हमारे मौलिक अधिकार अत्यंत विस्तृत हैं, उनका नकारात्मक व सकारात्मक स्वरूप होता है, यह असीमित नहीं है परंतु न्यायसंगत है तथा इनकी उल्लंघना नहीं की जा सकती।
- शुरुआत में नागरिकों को सात प्रकार के अधिकार दिए गए थे जिनमें से संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44 वें संवैधानिक संशोधन से हटा कर इसे कानूनी अधिकार बना दिया गया था। इस कारण हमारे मौलिक अधिकारों की संख्या छः रह गई थी।
- सन् 2002 में 86 वें संशोधन द्वारा बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया था परंतु इसे कोई नया नंबर न देकर अनुच्छेद 21A में डाल दिया गया था।
- हमारे छ: मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
- सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
- हमारे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा व स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कई प्रावधान किए गए हैं। यह सब इसलिए किया गया है ताकि न्यायपालिका निडर होकर अपना निर्णय दे सके।
- हमारे न्यायालय (उच्चतम तथा उच्च) को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार दिया गया है जिसका अर्थ है कि न्यायपालिका विधानपालिका द्वारा बनाए कानून का निरीक्षण भी कर सकती है। अगर उसे लगता है कि यह कानून संविधान में मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है तो इसे निरस्त (Null and Void) भी किया जा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि सरकार के सभी अंग अपने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर कार्य करें तथा संविधान की आत्मा के अनुरूप कार्य करें।
- मौलिक अधिकार इसलिए मौलिक हैं क्योंकि यह व्यक्ति के सर्वपक्षीय विकास के लिए आवश्यक हैं।