PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

SST Guide for Class 9 PSEB संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को ……….. मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
  2. नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद …………. द्वारा ……………. संशोधन के अंतर्गत दिया गया है।

उत्तर-

  1. छ:
  2. 21 A, 86वें।।

(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बालश्रम’ किस अधिकार द्वारा प्रतिबंधित है ?
(अ) स्वतंत्रता का अधिकार
(आ) समानता का अधिकार
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार
(ई) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
उत्तर-
(इ) शोषण विरुद्ध अधिकार

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ है
(अ) वह राज्य जहां केवल एक ही धर्म हो
(आ) वह राज्य जिसमें कोई धर्म न हो
(इ) वह राज्य जहां बहुत से धर्म हों
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं। ”
उत्तर-
(ई) वह राज्य जिसका कोई राजकीय धर्म नहीं।।

(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना मानव का पूर्ण विकास नहीं हो सकता।
  2. धर्म-निरपेक्ष का अर्थ है लोग किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मौलिक अधिकार संविधान के किस भाग में अंकित हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार संविधान के तीसरे भाग में अंकित हैं।

प्रश्न 2.
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को कौन-सी शक्ति प्राप्त है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका को संवैधानिक उपचारों के अधिकार की शक्ति प्राप्त है।

प्रश्न 3.
उस विधेयक का नाम बताएं जिसमें बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों के लिए अंग्रेजों से कुछ अधिकारों की माांग की थी ?
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज विधेयक की मांग की थी।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों से पुरुषों व स्त्रियों के लिए समान अधिकारों की मांग किस रिपोर्ट में की गई थी ?
उत्तर-
नेहरू रिपोर्ट।

प्रश्न 5.
व्यक्ति द्वारा किया गया उचित दावा जिसे समाज स्वीकार करता है एवं राज्य कानून द्वारा लागू करता है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
मौलिक अधिकार।

प्रश्न 6.
संपत्ति का अधिकार, मौलिक अधिकारों की सूची से कब और किस संशोधन द्वारा विकसित किया गया ?
उत्तर-
1978 में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया था।

प्रश्न 7.
कोई दो मौलिक अधिकार बताएं जो विदेशियों को भी प्राप्त हैं।
उत्तर-
स्वतंत्रता का अधिकार, कानून के सामने समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।

प्रश्न 8.
बच्चों के शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों से संबंधित किस अनुच्छेद के अधीन दर्ज किया गया है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 21 A.

प्रश्न 9.
मौलिक अधिकार किस अनुच्छेद से किस अनुच्छेद तक दर्ज हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 14-32 तक।

प्रश्न 10.
‘अस्पृश्यता के उन्मूलन’ के लिए भारत के संविधान में किस अनुच्छेद अधीन व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 से अस्पृश्यता के उन्मूलन की व्यवस्था की गई है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘समानता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें। .
उत्तर-
समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है।

  1. संविधान के अनुच्छेद 14 में ‘कानून के समक्ष समता’ और ‘कानूनों के समान संरक्षण’ शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है।
  2. अनुच्छेद 15 के अनुसार राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग अथवा इनमें से किसी के भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
  3. अनुच्छेद 16 राज्य में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में, सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है।
  4. अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।
  5. अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।

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प्रश्न 2.
‘न्यायपालिका की न्याय पुनर्निरीक्षण’ की शक्ति पर नोट लिखें।
उत्तर-
न्यायिक पुनर्निरीक्षण न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके द्वारा वह विधानसभा के कानूनों तथा कार्यपालिका के आदेशों की जांच कर सकता है और यदि ये कानून और आदेश संविधान के विरुद्ध हों तो उनको असंवैधानिक एवं अवैध घोषित कर सकते हैं। न्यायालय कानून की उन्हीं धाराओं को अवैध घोषित करते हैं जो संविधान के विरुद्ध होते हैं, न कि समस्त कानून को। न्यायालय उन्हीं कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है जो उसके सामने मुकद्दमें के रूप में आते हैं।

प्रश्न 3.
न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए भारत के संविधान में क्या व्यवस्थाएं की गई हैं ?
उत्तर-

  1. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा होनी चाहिए।
  2. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों को अच्छा वेतन तथा रिटायर होने के पश्चात् पेंशन मिलनी चाहिए।
  3. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों के पद की सुरक्षा होनी चाहिए और पद की अवधि लंबी होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने का, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति इत्यादि रखने के अधिकार दिए गए हैं। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।

प्रश्न 5.
भारत के नागरिकों को अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कौन-कौन सी स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं ?
उत्तर-
भारतीय नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार के तहत अनुच्छेद 19 से 22तक कुछ स्वतंत्रताएं दी गई हैं। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु, इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी हैं। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं।

प्रश्न 6.
‘शोषण-विरुद्ध अधिकार’ की व्याख्या करें।
उत्तर-
अनुच्छेद 23 तथा 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं।

  1. अनुच्छेद 23 के अनुसार व्यक्तियों को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है।
  2. अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।

प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार-मौलिक कैसे हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि तर्क सहित करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को निम्नलिखित कारणों से मौलिक कहा जाता है.

  1. मौलिक अधिकार मूल रूप से मानवीय अधिकार हैं। मनुष्य होने के नाते इन अधिकारों का उपयोग करना ही चाहिए।
  2. मौलिक अधिकार हमें संविधान ने दिए हैं और संविधान देश का मौलिक कानून है। यदि नागरिक को सुखी तथा लोकतांत्रिक जीवन व्यतीत करना है, तो ये अधिकार प्राप्त होने ही चाहिए।
  3. संविधान ने इन अधिकारों को लागू करने के लिए प्रभावशाली विधि अपनाई है। अधिकारों का हनन होने पर कोई भी नागरिक न्यायालय की सहायता से अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मौलिक अधिकारों का स्वरूप कैसा है ? संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों का स्वरूप निम्नलिखित है

  1. व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े विस्तृत तथा व्यापक हैं। इनका वर्णन संविधान के तीसरे भाग की 24 धाराओं में किया गया है। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तृत व्याख्या की गई है।
  2. मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता यह है कि ये भारत के सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त हैं। ये अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
  3. मौलिक अधिकार असीमित नहीं हैं-कोई भी अधिकार पूर्ण और असीमित नहीं हो सकता। भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार भी असीमित नहीं हैं। संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
  4. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं-यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो वह नागरिक न्यायालय के पास जा सकता है। इसके पीछे कानूनी शक्ति है।
  5. सकारात्मक व नकारात्मक-मौलिक अधिकार सकारात्मक भी हैं तथा नकारात्मक भी। जहां एक तरफ यह सरकार के कुछेक कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वहीं दूसरी तरफ यह सरकार को कुछ सकारात्मक आदेश भी देते हैं।
  6. नागरिक व राजनीतिक स्वरूप-हमारे अधिकारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-नागरिक व राजनीतिक, संघ बनाने, विचार प्रकट करने, बिना हथियार इकट्ठे होने जैसे अधिकार राजनीतिक होते हैं। इसके साथ समानता का अधिकार, सांस्कृतिक व शिक्षा संबंधी अधिकार नागरिक अधिकार हैं।
  7. इनकी उल्लंघना नहीं हो सकती–संसद् में कानून पास करवा कर अथवा कार्यपालिका द्वारा आदेश पास करके अधिकारों को न तो खत्म किया जा सकता है न ही उनमें परिवर्तन किया जा सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो न्यायपालिका उस आदेश को रद्द भी कर सकती है।

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 20 से 22 तक मौलिक अधिकारों सम्बन्धी की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Right to life and Personal Liberty) Art. 2022) अनुच्छेद 20 व्यक्ति और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जैसे-

  1. किसी व्यक्ति को किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करने पर दंड नहीं दिया जा सकता जो कानून उसके अपराध करते समय लागू नहीं था।
  2. किसी व्यक्ति को उससे अधिक सज़ा नहीं दी जा सकती जितनी अपराध करते समय प्रचलित कानून के अधीन दी जा सकती है।
  3. किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध उसी अपराध के लिए एक बार से अधिक मुकद्दमा नहीं चलाया जाएगा और दंडित नहीं किया जाएगा।
  4. किसी अभियुक्त को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 21 में लिखा है कि कानून द्वारा स्थापित पद्धति के बिना किसी व्यक्ति को उसको व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।

दिसंबर, 2007 में राष्ट्रपति ने 86वें संवैधानिक संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की। इस स्वीकृति के बाद शिक्षा का अधिकार (Right in Education) संविधान के तीसरे भाग में शामिल होने के कारण एक मौलिक अधिकार बन गया है। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पश्चात् 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।
गिरफ्तारी एवं नज़रबंदी के विरुद्ध रक्षा-अनुच्छेद 22 गिरफ्तार तथा नज़रबंद नागरिकों के अधिकारों की घोषणा करता है। अनुच्छेद 22 के अनुसार

  1. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के तुरंत पश्चात् उसको गिरफ्तारी के कारणों से परिचित कराया जाना चाहिए।
  2. उसे अपनी पसंद के वकील से परामर्श लेने और उनके द्वारा सफाई पेश करने का अधिकार होगा।
  3. बंदी-गृह में बंद किए गए किसी व्यक्ति को बंदी गृह से मैजिस्ट्रेट के न्यायालय तक की यात्रा के लिए आवश्यक समय निकाल कर 24 घंटों के अंदर निकट से निकट मैजिस्ट्रेट के न्यायालय में उपस्थिति किया जाए।
  4. बिना मैजिस्ट्रेट की आज्ञा के 24 घंटों से अधिक समय के लिए किसी व्यक्ति को कारावास में नहीं रखा जाएगा।

अपवाद-अनुच्छेद 22 में लिखे अधिकार उस व्यक्ति को नहीं मिलते जो शत्रु विदेशी है या जो निवारक नज़रबंद कानून के अनुसार गिरफ्तार किये गये हो।
भारतीय संसद् देश की प्रतिरक्षा, विदेशी संबंधों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और भारत संघ की रक्षा के लिए निवारक निषेध अधिनियम का आश्रय ले सकती ।
स्वतंत्रता के अधिकार का निलंबन (Suspension of Right to Freedom)-राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा करके संविधान में दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार को निलंवित कर सकता है तथा साथ ही उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों में इन स्वतंत्रताओं के विरुद्ध अपील करने के अधिकार का भी निषेध कर सकता है। 44वें संशोधन के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत दिए गए निजी स्वतंत्रता के अधिकार को आपातकालीन स्थिति के दौरान भी स्थगित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 25 से 28 तक की गई व्यवस्थाओं की व्याख्या करें।
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का समान अधिकार प्राप्त है और बिना रोक-टोक के धर्म में विश्वास रखने धार्मिक कार्य करने तथा प्रचार करने का अधिकार है। सभी व्यक्तियों को धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता दी गई है। किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कर देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता जिसको इकट्ठा करके किसी विशेष धर्म या धार्मिक समुदाय के विकास को बनाए रखने के लिए खर्च किया जाना हो। किसी भी सरकारी संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। गैर सरकारी शिक्षा संस्थाओं में जिन्हें राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जिन्हें सरकारी सहायता प्राप्त होती है किसी विद्यार्थी को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने या धार्मिक पूजा पाने में सम्मिलित होने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 4.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान के निर्माताओं को डर था कि कहीं सरकारें निरंकुश हो कर जनता के अधिकारों का हनन ही न कर दें। इसलिए उन्होंने भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संविधान में डालने के साथ साथ इन अधिकारों को लागू करने की व्यवस्था भी की। अगर भारत के किसी भी नागरिक के अधिकारों का किसी व्यक्ति, समूह या सरकार की तरफ से उल्लंघन होता है तो ऐसी स्थिति में नागरिक राज्य के उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय उन्हें उनके अधिकार वापिस दिलाएगा। उन्हें लागू करने के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय पांच प्रकार की लेख (Writs) जारी कर सकता है। यह है

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश या फरमान लेख (Mandamus)
  3. प्रतिषेध लेख (Certiorari)
  4. अधिकार पृच्छा लेख (Prohibition)
  5. उत्प्रेषण लेख (Quo-warranto)

PSEB 9th Class Social Science Guide संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
मानव के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) हिंसा
(ख) अज्ञानता
(ग) अधिकार
(घ) बेरोज़गारी।
उत्तर-
(ग) अधिकार

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन किस भाग में किया गया है ?
(क) तीसरे भाग में
(ख) चौथे भाग में
(ग) पांचवें भाग में
(घ) छठे भाग में।
उत्तर-
(क) तीसरे भाग में

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं ?
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर-
(ख) 6

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ख) अनुच्छेद 19-22

प्रश्न 5.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में समानता के अधिकार का वर्णन किया गया ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 14-18

प्रश्न 6.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 23-24

प्रश्न 7.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है ?
(क) अनुच्छेद 14-18
(ख) अनुच्छेद 19-22
(ग) अनुच्छेद 23-24
(घ) अनुच्छेद 25-28.
उत्तर-
(घ) अनुच्छेद 25-28.

प्रश्न 8.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है ?
(क) अनुच्छेद 25-28
(ख) अनुच्छेद 29-30
(ग) अनुच्छेद 32
(घ) अनुच्छेद 35-40
उत्तर-
(ग) अनुच्छेद 32

प्रश्न 9.
संविधान के कौन-से.अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है ?
(क) अनुच्छेद 17
(ख) अनुच्छेद 18
(ग) अनुच्छेद 19
(घ) अनुच्छेद 20
उत्तर-
(क) अनुच्छेद 17

प्रश्न 10.
भारत किस प्रकार का राज्य है ?
(क) धर्म-निरपेक्ष
(ख) हिंदू राज्य
(ग) मुस्लिम राज्य
(घ) सिख राज्य।
उत्तर-
(क) धर्म-निरपेक्ष

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 6 संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार

रिक्त स्थान भरें :

  1. सन् ……………. में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेज़ों को स्वराज बिल पास करने को कहा।
  2. 1946 ई० में ………. ने भारतीय लोगों के लिए मौलिक अधिकारों का समर्थन किया।
  3. संपत्ति के अधिकार को ……… संशोधन से कानूनी अधिकार बना दिया गया था।
  4. शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद ……….. में डाला गया था।
  5. …………… को अनुच्छेद 17 से समाप्त कर दिया गया था।
  6. अनुच्छेद ………….. हमें कानून के सामने समानता देता है।
  7. संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद ……….. में दिया गया है।

उत्तर-

  1. 1895
  2. कबिनेट मिशन
  3. 44 वें
  4. 21- A
  5. अस्पृश्यत
  6. 15
  7. 32

सही/गलत :

  1. अधिकारों से हमारे जीवन में रुकावटें आती हैं।
  2. मौलिक अधिकार अनुच्छेद 14 से 32 तक दर्ज हैं।
  3. अनुच्छेद 15 किसी भी प्रकार के भेदभाव की मनाही करता है।
  4. अनुच्छेद 19 में दस प्रकार की स्वतंत्रताएं दी गई हैं।
  5. हमें अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता नहीं है।
  6. अनुच्छेद 24 बच्चों की सुरक्षा के लिए है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकार किसे कहते हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है, उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 2.
अधिकार की एक परिभाषा लिखें।
उत्तर-
बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”

प्रश्न 3.
अधिकार के कोई एक महत्त्वपूर्ण तथ्य का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकार समाज द्वारा प्रदान और राज्य द्वारा लागू किया जाना ज़रूरी है।

प्रश्न 4.
अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति का किसी कार्य को करने की स्वतंत्रता का दावा है जो यह समाज से प्राप्त करता है या सुविधाओं की मांग को अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 5.
कानूनी अधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कानूनी अधिकार वे अधिकार होते हैं जिन्हें राज्य की मान्यता प्राप्त होती है और उस व्यक्ति को दंड मिलता है जो इन अधिकारों का उल्लंघन करता है।

प्रश्न 6.
नागरिक के दो महत्त्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार लिखें।
उत्तर-

  1. मत देने का अधिकार
  2. चुनाव लड़ने का अधिकार।

प्रश्न 7.
मौलिक अधिकार का अर्थ बताओ।
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है, उन्हें मौलिक अधिकारों का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 8.
अधिकार व्यक्ति के लिए क्यों आवश्यक हैं ? कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-
अधिकार व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि अधिकारों द्वारा ही व्यक्ति अपना संपूर्ण विकास कर सकता है।

प्रश्न 9.
मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के किस भाग में कितनी धाराओं में किया गया है?
उत्तर-
इनका वर्णन संविधान में तीसरे भाग की 24 धाराओं में धारा 12 से 35 तक में किया गया है।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने हैं?
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय संविधान में 6 प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 11.
अनुच्छेद 14 से 18 कौन-से मौलिक अधिकार से संबंधित हैं?
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 समानता के अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 12.
स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था कौन-से अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 19 से 22 में स्वतंत्रता के अधिकार की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 13.
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था किन अनुच्छेदों में की गई है?
उत्तर-
धार्मिक अधिकारों की व्यवस्था अनुच्छेद 25 से 28 में की गई है।

प्रश्न 14.
शोषण के विरुद्ध अधिकार संविधान में कौन-से अनुच्छेद में मिलते हैं ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार से आपका क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 में अंकित है। इस अधिकार के आधार पर कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकार को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में प्रार्थना-पत्र दे सकता है।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।

प्रश्न 17.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति की गई है?
उत्तर-
अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है।

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प्रश्न 18.
कानून के समक्ष समानता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता का साधारण अर्थ यह है कि कानून सभी व्यक्तियों को समान समझता है तथा किसी भी आधार पर किसी व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में कानून के द्वारा कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

प्रश्न 19.
भारतीय नागरिकों को किस प्रकार की उपाधियां दी जा सकती हैं ?
उत्तर-
शैक्षणिक तथा सैनिक उपाधियां।

प्रश्न 20.
अनुच्छेद 19 में दी गई किन्हीं दो स्वतंत्रताओं का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. समुदाय या संघ बनाने की स्वतंत्रता।

प्रश्न 21.
शोषण के विरुद्ध अधिकार की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
कोई भी व्यक्ति दूसरे से ज़बरदस्ती श्रम नहीं करवा सकता और न ही व्यक्तियों को बेचा या खरीदा जा सकता है।

प्रश्न 22.
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का क्या अर्थ है?
उत्तर-
लोगों को कोई भी धर्म मानने, आचरण करने, प्रचार करने तथा धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने की स्वतंत्रता धार्मिक अधिकार कहलाती है।

प्रश्न 23.
कोई ऐसे दो मौलिक अधिकार बताओ जो भारत को धर्म-निरपेक्ष राज्य सिद्ध करते हैं।
उत्तर-
अनुच्छेद 14 से 18 के अधीन दिया गया समानता का अधिकार तथा 25 से 28 के अधीन दिया गया धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय राज्य के धर्म-निरपेक्ष स्वरूप को स्पष्ट करते हैं।

प्रश्न 24.
सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार का क्या अर्थ है? .
उत्तर-
अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने के लिए शिक्षा संस्थान स्थापित करने का अधिकार है।

प्रश्न 25.
ऐसे दो लेखों के नाम लिखो जो मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
उत्तर-

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण।
  2. परमादेश लेख।

प्रश्न 26.
संपत्ति का मौलिक अधिकार किस संशोधन द्वारा कानूनी अधिकार बनाया गया है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा।

प्रश्न 27.
संविधान के कौन-से अनुच्छेद में संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है?
उत्तर-
44वें संशोधन द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 300 A अंकित किया गया है जिसमें संपत्ति के अधिकार की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 28.
क्या मौलिक अधिकार सीमित किए जा सकते हैं?
उत्तर-
संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों पर कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। संसद् संवैधानिक संशोधन द्वारा इन अधिकारों को और अधिक सीमित कर सकती है।

प्रश्न 29.
संविधान का कौन-सा अनुच्छेद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 20 से 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है।

प्रश्न 30.
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
‘हेबियस कापर्स’ (Habeas Corpus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, ‘हमारे सम्मुख शरीर को प्रस्तुत करो।’ (Let us have the body.)

प्रश्न 31.
‘मैंडामस’ (Mandamus) का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
‘मैंडामस’ (Mandamus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं।'(We command.)

प्रश्न 32.
संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है।

प्रश्न 33.
संविधान के लिए किस अनुच्छेद द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुच्छेद 13 द्वारा संसद् को मौलिक अधिकारों को सीमित करने की मनाही की गई है।

प्रश्न 34.
किस मौलिक अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को संकटकाल के समय भी स्थगित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 35.
शिक्षा के अधिकार को कौन-से संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया ?
उत्तर-
शिक्षा के अधिकार को 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया।

प्रश्न 36.
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन और किसकी सलाह से करता है ?
उत्तर-
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से करता है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज से मिली होती हैं उन्हीं सुविधाओं को हम अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्रायः उन सुविधाओं और अवसरों से होता है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होती हैं और उन्हें समाज ने मान्यता दी होती है।

प्रश्न 2.
अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  1. अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं। समाज के बाहर अधिकारों का न कोई अस्तित्व है और न कोई आवश्यकता।
  2. अधिकार सीमित होते हैं। अधिकार कभी असीमित नहीं होते बल्कि ये सीमित शक्तियां होती हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक होती हैं।

प्रश्न 3.
अधिकारों की कोई दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-

  1. डॉ० वेणी प्रसाद के अनुसार, “अधिकार वे सामाजिक अवस्थाएं हैं जो व्यक्ति की उन्नति के लिए आवश्यक हैं। अधिकार सामाजिक जीवन का आवश्यक पक्ष हैं।”
  2. ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के भौतिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”

प्रश्न 4.
अधिकारों के प्रकार बताइए।
उत्तर-
अधिकारों को प्रायः तीन भागों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं-प्राकृतिक अधिकार, नैतिक अधिकार तथा कानूनी अधिकार।

  1. प्राकृतिक अधिकार-प्राकृतिक अधिकारों का अर्थ है वे अधिकार जो व्यक्ति को प्रकृति ने दिए हैं।
  2. नैतिक अधिकार-नैतिक अधिकार व्यक्ति की नैतिक भावनाओं पर आधारित होते हैं। इन अधिकारों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती।
  3. कानूनी अधिकार-कानूनी अधिकारों को राज्य की मान्यता प्राप्त होती है। राज्य के कानून इन्हें लागू करते हैं। कानूनी अधिकार चार प्रकार के होते हैं-मौलिक अधिकार, सामाजिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार तथा आर्थिक अधिकार।

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प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
संविधान में जो भी मौलिक अधिकार घोषित किए गए हैं, उनकी कुछ अपनी ही विशेषताएं हैं, जो इस प्रकार

  1. व्यापक और विस्तृत-भारतीय संविधान में लिखित मौलिक अधिकार बड़े व्यापक तथा विस्तृत हैं। नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं और प्रत्येक अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है।
  2. मौलिक अधिकार सब नागरिकों के लिए हैं-संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार सभी को जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।

प्रश्न 6.
मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है ?
अथवा
मौलिक अधिकारों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख संविधान में होता है उन्हें मौलिक अधिकार का नाम दिया जाता है। ये वे अधिकार होते हैं जो व्यक्ति के विकास के लिए अनिवार्य समझे जाते हैं। भारत, अमेरिका, जापान, फ्रांस तथा अन्य लोकतंत्रात्मक देशों के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 7.
हमारे संविधान द्वारा निर्मित किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-
44वें संशोधन के बाद भारतीय नागरिकों को छः प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं।

  1. समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानन के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग गे नागरिक कर सकते हैं। अस्पृस्यता को समाप्त कर दिया गया है।
  2. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का या गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्टदेव की पूजा करने का अधिकार को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रयोग करने और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार हए गए हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
संविधान में 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार दिए गए हैं-

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  5. सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
  6. संवैधानिक उपायों का अधिकार।

प्रश्न 9.
कन्हीं दो परिस्थितियों का वर्णन करें जिनमें मौलिक अधिकारों को सीमित किया जा सकता है। – प्रश्न 9. दि
उत्तर-

  1. युद्ध तथा विदेशी आक्रमण के समय घोषित राष्ट्रीय संकटकाल के दौरान राष्ट्रपति अधिकारों को सीमित कर सकता है।
  2. सशस्त्र विद्र रोह तथा आंतरिक गड़बड़ी के कारण घोषित आपात्काल में मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को क्यों निकाल दिया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में मूल रूप से संपत्ति के अधिकार का मौलिक अधिकारों के अध्याय में वर्णन किया गया था, परंतु 44वें संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों में से निकाल दिया गया है। मौलिक अधिकारों की श्रेणी में से संपत्ति के अधिकार को निम्नलिखित कारणों से निकाला गया है-

  1. भारत में निजी संपत्ति के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों में से निकाल दिया गया है।
  2. 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद शब्द रखा गया है। समाजवाद और संपत्ति का अधिकार एक साथ नहीं चलते। अत: संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों से निकाल दिया गया है।

प्रश्न 11.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की निम्नलिखित आधारों पर कड़ी आलोचना की गई है-

  1. बहुत अधिक बंधन-मौलिक अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं कि अधिकारों का महत्त्व बहत कम हो गया है। इन अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध हैं कि नागरिकों को यह समझने के लिए कठिनाई आती है कि इन अधिकारों द्वारा उन्हें कौन-कौन-सी सुविधाएं दी गई हैं।
  2. आर्थिक अधिकारों का अभाव-मौलिक अधिकारों की इसलिए भी कड़ी आलोचना की गई है कि इस अध्याय में आर्थिक अधिकारों का वर्णन नहीं किया गया है जबकि समाजवादी राज्यों में आर्थिक अधिकार भी दिए जाते हैं।

प्रश्न 12.
संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों के अध्ययन का महत्त्व निम्नलिखित शीर्षकों के अधीन किया जाता है-

  1. मौलिक अधिकार कानून का शासन स्थापित करते हैं- मौलिक अधिकारों का महत्त्व इसमें है कि ये कानून के शासन की स्थापना करते हैं। सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान हैं और सभी को कानून द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
  2. मौलिक अधिकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं-अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार दिया गया है। अल्पसंख्यक अपनी पसंद की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं और उनका संचालन भी कर सकते हैं। सरकार अल्पसंख्यकों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगी।

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प्रश्न 13.
मौलिक अधिकारों तथा नीति-निर्देशक सिद्धांतों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर-

  1. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत न्याय योग्य नहीं हैं। मौलिक अधिकारों को न्यायालयों द्वारा लागू करवाया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को न्यायालयों द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता है।
  2. मौलिक अधिकारों का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र है जबकि निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य आर्थिक लोकतंत्र है।
  3. मौलिक अधिकार लोगों के अधिकार हैं जबकि निर्देशक सिद्धांत राज्य के कर्त्तव्य हैं।
  4. मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है जबकि निर्देशक सिद्धांतों को निलंबित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 तथा 24 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।

प्रश्न 15.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत न्यायपालिका किस प्रकार के आदेशों को जारी कर सकती है ?
उत्तर-
मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायपालिका निम्नलिखित आदेश जारी कर सकती है

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण लेख
  2. परमादेश का आज्ञा-पत्र
  3. मनाही आज्ञा-पत्र
  4. उत्प्रेषण लेख तथा
  5. अधिकार पृच्छा लेख।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 तथा 30 में क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर-
अनुच्छेद 29 तथा 30 के अंतर्गत नागरिकों को विशेषतया अल्पसंख्यकों को सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार प्रदान किए गए हैं जो अग्रलिखित हैं-

  1. भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार-
    • अनुच्छेद 29 के अनुसार भारत के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग या उसके किसी भाग को जिसकी अपनी भाषा, लिपि अथवा संस्कृति हो उसे यह अधिकार है कि यह उनकी रक्षा करे।
    • किसी भी नागरिक को राज्य द्वारा या उसकी सहायता से चलाए जाने वाली शिक्षा संस्था में प्रवेश देने से धर्म, जाति, वंश, भाषा या इसमें किसी के आधार पर इंकार नहीं किया जा सकता।
  2. अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा-
    • अनुच्छेद 30 के अनुसार सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म पर आधारित हों या भाषा पर, यह अधिकार प्राप्त है कि वे अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करें तथा उनका प्रबंध करें।
    • अनुच्छेद 30 के अनुसार राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को सहायता देते समय शिक्षा संस्था के प्रति इस आधार पर भेदभाव नहीं होगा कि वह अल्पसंख्यकों के प्रबंध के अधीन हैं, चाहे वह अल्पसंख्यक भाषा के आधार पर हो या धर्म के आधार पर।

प्रश्न 17.
परमादेश लेख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
‘परमादेश’ शब्द का अर्थ है “हम आज्ञा देते हैं।” इस निर्देश के द्वारा न्यायालय सरकार को कानूनाधीन अपने कर्त्तव्य को पूरा करने का आदेश दे सकता है। इस आदेश द्वारा अधिकार के विषय में सरकार की उन लापरवाहियों को संशोधित किया जा सकता है जो नागरिकों के अधिकारों के लिए घातक सिद्ध होती हैं।

प्रश्न 18.
मौलिक अधिकारों का उल्लेख संविधान में क्यों किया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख इसलिए किया गया है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मूल अधिकार प्राप्त होने की गारंटी मिल सके। मौलिक अधिकारों का वर्णन उस सिद्धांत की पुष्टि के लिए किया गया है, जिसके अनुसार सरकार कानून के अनुसार कार्य करे न कि गैर-कानूनी तरीके से।

प्रश्न 19.
‘कानून के समक्ष समता’ के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कानून के समक्ष समानता (समता) का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। कोई भी व्यक्ति देश के कानून के ऊपर नहीं है। सभी व्यक्ति भले ही उनकी कुछ भी स्थिति हो, साधारण कानून के अधीन हैं और उन पर साधारण न्यायालय में मुकद्दमा चलाया जा सकता है। कानून छोटा-बड़ा, अमीर गरीब, ऊंच-नीच और छुआछूत आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगा। कानून के समक्ष समता का दूसरा अर्थ यह है कि समान परिस्थितियों में सबसे समान व्यवहार किया जाए।

प्रश्न 20.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को समझाइए।
उत्तर-
प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। कोई भी नागरिक बोलकर या लि लखकर अपने विचार प्रकट कर सकता है। प्रेस की स्वतंत्रता भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता का एक साधन है। परंतु भाषण देने और विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। संसद् भारत की प्रभुसत्ता भार जडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टता अथवा नैतिकता, न्यायालय का अपमान, मान-हानि लिए उत्तेजित करना आदि के आधारों पर भाषण तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।

प्रश्न 21.
अधिकार-पच्छा लेख (Writ of Ouo-warranto) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
इसका अर्थ है ‘किसके आदेश से’ अथवा किस अधिकार से। यह आदेश उस समय जारी किया जाता है काव्यात किसी ऐसे कार्य को करने का दावा करता हो जिसको करने का उसका अधिकार न हो। इस आदेश अनुसार अप्प : न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय किसी व्यक्ति को एक पद ग्रहण करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी
सकता है और उक्त पद के रिक्त होने की तब तक के लिए घोषणा कर सकता है जब तक न्यायालय द्वारा कोई निर्णय न हो।

प्रश्न 22.
शिक्षा के अधिकार की व्याख्या करें। उत्त
उत्तर-
दसबर, – 2002 में पास किए गए 86वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 2 में 21A नाम का नया अनु छेद शामिल किया गया। इस अनुच्छेद में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) की व्यवस्था की गई है। इस संवैधानिक संशोधन अधिनियम के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि 6 साल से 14 साल तक की आयु के सभी भारतीय बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई है कि बच्चों के माता-पिता तथा अभिभावकों का यह कर्त्तव्य होगा कि वे अपने बच्चों के लिए ऐसी सुविधाएं तथा अवसर उपलब्ध करवाएं, जिससे बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। सरकार भी 6 साल के बच्चों के बचपन तथा शिक्षा की देख-रेख के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगी। 1 अप्रैल, 2010 से बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 लागू होने के पश्चात् 6वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है।

प्रश्न 23.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है न्यायाधीश स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा निडर हों। न्यायाधीश निष्पक्षता से न्याय तभी कर सकते हैं, जब उन पर किसी प्रकार का दबाव न हो। न्यायपालिका विधानमंडल तथा कार्यपालिका के अधीन नहीं होनी चाहिए और विधानमंडल तथा कार्यपालिका को न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 24.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की कैसे रक्षा करता है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति यह समझे कि सरकार ने उसके मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया है या कोई कानून मौलिक अधिकार के विरुद्ध बनाया गया है तो यह सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकता है और सर्वोच्च न्यायालय कई प्रकार के अभिलेख जारी कर सकता है और किसी कानून को अवैध भी घोषित कर सकता है।

प्रश्न 25.
भारतीय संविधान स्वतंत्र न्यायपालिका की रक्षा कैसे करता है ?
उत्तर-

  1. नीति-निर्देशक सिद्धांत न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतंत्र करने का आदेश देता है।
  2. मुख्य तथा अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्धारित न्यायिक अथवा कानूनी योग्यताओं के आधार पर की जाती है।
  3. न्यायाधीशों को अच्छा वेतन दिया जाता है। 4. उनका कार्यकाल निश्चित है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकारों से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।।
उत्तर-
मनुष्यों को अपना विकास करने के लिए कुछ सुविधाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य को जो सुविधाएं समाज में मिली होती हैं, उन्हीं सुविधाओं को अधिकार कहते हैं। साधारण शब्दों में अधिकार से अभिप्राय उन स विधाओं और अवसरों से है जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं और उन्हें समाज में मान्यता प्राप्त है। अन्य शब्दों में, अधिकार वे सुविधाएं हैं जिनके कारण हमें किसी कार्य को करने या न करने की शक्ति मिलती है। विभिन्न लेखकों ने अधिकार की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं। कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :

  1. ग्रीन के अनुसार, “अधिकार व्यक्ति के मौलिक विकास के लिए आवश्यक बाहरी अवस्थाएं हैं।”
  2. बोसांके के अनुसार, “अधिकार वह मांग है जिसे समाज मान्यता देता है और राज्य लागू करता है।”
  3. लॉस्की के शब्दों में, “अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएं हैं जिनके बिना कोई व्यक्ति अपने जीवन का विकास नहीं कर सकता।” विशेषताएं-
  4. अधिकार समाज में ही संभव हो सकते हैं।
  5. अधिकार व्यक्ति का दावा है।
  6. अधिकार समाज द्वारा मान्य होते हैं।
  7. अधिकार तर्कसंगत एवं नैतिक होते हैं।
  8. अधिकार असीमित नहीं होते।
  9. अधिकार लोकहित में प्रयोग किये जाते हैं।
  10. अधिकारों के साथ कर्त्तव्य जुड़े होते हैं।

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प्रश्न 2.
हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकार पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में धारा 12 से 35 तक की 24 धाराओं में किया गया है। 44वें संशोधन के बाद नागरिकों को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो इस प्रकार

  1. समानता का अधिकार-समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। कानून के सामने सभी बराबर हैं और कोई कानून से ऊपर नहीं है। भेदभाव की मनाही की गई है और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग सभी कर सकते हैं। छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है और सेना तथा शिक्षा संबंधी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी उपाधियों को समाप्त कर दिया है।
  2. स्वतंत्रता का अधिकार-नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 19 से 22 तक में किया गया है। अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने, शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के इकट्ठे होने, संघ या समुदाय बनाने, घूमने-फिरने, किसी भी स्थान पर बसने या कोई भी व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। परंतु इन स्वतंत्रताओं पर एक प्रतिबंध भी है। अनुच्छेद 20 से 22 तक नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार-अनुच्छेद 23 और 24 के अनुसार नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार दिए गए हैं। व्यक्तियों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही किसी व्यक्ति से बेगार ली जा सकती है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी ऐसे कारखाने या खान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, जहां उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो।
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25 से 28 तक में नागरिकों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार धर्म को मानने तथा अपने इष्ट देव की पूजा करने का अधिकार है। लोगों को धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, उनका प्रबंध करने का और धार्मिक संस्थाओं को संपत्ति आदि रखने के अधिकार दिए गए हैं। सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। किसी भी व्यक्ति को ऐसा टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे किसी विशेष धर्म के लिए प्रयोग किया जाना हो।
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार-अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत नागरिकों को संस्कृति तथा शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं। प्रत्येक जाति या समुदाय को अपनी भाषा, लिपि, संस्कृति और साहित्य को बनाए रखने, उनका प्रसार तथा विकास करने का अधिकार है। सभी अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करने तथा उनका प्रबंध करने का अधिकार प्राप्त है। राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को अनुदान देते समय भेद-भाव नहीं किया जाएगा।
  6. संवैधानिक उपायों का अधिकार-अनुच्छेद 32 के अनुसार प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की प्राप्ति और रक्षा के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते हैं। उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय को इस संबंध में कई प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार की व्याख्या करें।
उत्तर-
समानता का अधिकार एक महत्त्वपूर्ण मौलिक अधिकार है जिसका वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक में किया गया है। समानता का अधिकार लोकतंत्र की आधारशिला है। भारतीय संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित प्रकार की समानता प्रदान की गई है-

  1. काना के समक्ष समानता-संविधान के अनुच्छेद 14 में “विधि के समक्ष समानता” और “कानूनों के समान । संरक्षण” शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है और संविधान में लिखा है कि भारत के राज्य क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को कानन के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा।
    कानून के समक्ष समानता का अर्थ यह है कि कानून के सामने सभी बराबर हैं और किसी को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। – कानून के समान संरक्षण का यह अभिप्राय है कि समान परिस्थितियों में सबके साथ समान व्यवहार किया जाए।
  2. भेद-भाव की मनाही-अनुच्छेद 15 के अनुसार निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-
    • राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान अथवा इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
    • दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और मनोरंजन के सार्वजनिक स्थानों पर धर्म, लिंग, जाति इत्यादि किसी आधार पर किसी नागरिक को अयोग्य व प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा।
  3.  सरकारी नौकरियों के लिए अवसर की समानता-अनुच्छेद 16 राज्यों में सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में सब नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है। सरकारी नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान, निवास या इसमें से किसी एक के आधार पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  4. अस्पृश्यता की समाप्ति-अनुच्छेद 17 द्वारा छुआछूत को समाप्त किया गया है। किसी भी व्यक्ति के साथ अस्पर्श जैसा व्यवहार करना या उसको अछूत समझ कर सार्वजनिक स्थानों, होटलों, घाटों, तालाबों, कुओं, सिनेमाघरों, पार्कों तथा मनोरंजन के स्थानों के उपयोग से रोकना कानूनी अपराध है।
  5. उपाधियों की समाप्ति-अनुच्छेद 18 के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि
    • सेना या शिक्षा संबंधी उपाधि के अतिरिक्त राज्य कोई और उपाधि नहीं देगा।
    • भारत का कोई भी नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।

भारत सरकार नागरिकों को भारत रत्न (Bharat Ratna), पद्म विभूषण (Padma Vibhushan), पद्म भूषण (Padma Bhushan), पद्म श्री (Padma Shri) आदि उपाधियां देती है। जिस कारण आलोचकों का कहना था कि ये उपाधियां अनुच्छेद 18 के साथ मेल नहीं खातीं।

संविधान के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार PSEB 9th Class Civics Notes

  • समाज में रहते हुए लोग कई प्रकार की सुविधाओं का प्रयोग करते हैं जैसे कि समानता, अभिव्यक्ति, कहीं भी आना जाना, कोई भी पेशा अपनाना, किसी भी धर्म को मानना इत्यादि। इन सभी सुविधाओं को अधिकार कहा जाता है।
  • अधिकार को हम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह की उस उचित मांग का नाम दे सकते हैं जिन्हें समाज तथा राज्य मान्यता देता है व जिसके बिना अच्छा जीवन जीना मुमकिन ही नहीं है।
  • हमारे देश के संविधान ने नागरिकों को अच्छा जीवन देने व उनका गौरव बरकरार रखने के लिए कुछ अधिकार दिए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह संविधान के तीसरे भाग तथा अनुच्छेद 12 35 तक दर्ज हैं।
  • हमारे मौलिक अधिकार अत्यंत विस्तृत हैं, उनका नकारात्मक व सकारात्मक स्वरूप होता है, यह असीमित नहीं है परंतु न्यायसंगत है तथा इनकी उल्लंघना नहीं की जा सकती।
  • शुरुआत में नागरिकों को सात प्रकार के अधिकार दिए गए थे जिनमें से संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44 वें संवैधानिक संशोधन से हटा कर इसे कानूनी अधिकार बना दिया गया था। इस कारण हमारे मौलिक अधिकारों की संख्या छः रह गई थी।
  • सन् 2002 में 86 वें संशोधन द्वारा बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया था परंतु इसे कोई नया नंबर न देकर अनुच्छेद 21A में डाल दिया गया था।
  • हमारे छ: मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं
    • समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
    • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
    • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
    • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
    • सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
    • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
  • हमारे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा व स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कई प्रावधान किए गए हैं। यह सब इसलिए किया गया है ताकि न्यायपालिका निडर होकर अपना निर्णय दे सके।
  • हमारे न्यायालय (उच्चतम तथा उच्च) को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार दिया गया है जिसका अर्थ है कि न्यायपालिका विधानपालिका द्वारा बनाए कानून का निरीक्षण भी कर सकती है। अगर उसे लगता है कि यह कानून संविधान में मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है तो इसे निरस्त (Null and Void) भी किया जा सकता है।
  • उच्चतम न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि सरकार के सभी अंग अपने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर कार्य करें तथा संविधान की आत्मा के अनुरूप कार्य करें।
  • मौलिक अधिकार इसलिए मौलिक हैं क्योंकि यह व्यक्ति के सर्वपक्षीय विकास के लिए आवश्यक हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

SST Guide for Class 9 PSEB लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. भारत में केंद्रीय संसद् के चुने हुए प्रतिनिधि को ……….. कहा जाता है।
  2. प्रथम लोकसभा चुनाव ……. ई० में हुआ।
  3. मुख्य चुनाव आयुक्त तथा उप-चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति ……. द्वारा की जाती है।

उत्तर-

  1. एम० पी०
  2. 1952
  3. राष्ट्रपति

(ख) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
लोगों के प्रतिनिधि
(अ) नियुक्त किए जाते हैं
(आ) लोगों द्वारा निश्चित समय के लिए चुने जाते हैं
(इ) लोगों द्वारा पक्के तौर पर चुने जाते हैं
(ई) राष्ट्रपति द्वारा चुने जाते हैं
उत्तर-
(आ) लोगों द्वारा निश्चित समय के लिए चुने जाते हैं

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा लोकतंत्र का स्तंभ नहीं है ?
(अ) राजनैतिक दल
(आ) निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव
(इ) गरीबी
(ई) वयस्क मताधिकार।
उत्तर-
(इ) गरीबी

(ग) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. भारत में बहुदलीय प्रणाली है।
  2. चुनाव आयुक्त का मुख्य कार्य चुनाव का निर्देशन, प्रबंधन व निरीक्षण करना है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्राम पंचायत के लिए चुने गए प्रतिनिधि को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
ग्राम पंचायत के लिए चुने गए प्रतिनिधि को पंच कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विधानसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
विधानसभा के लिए चुने गए प्रतिनिधि को एम० एल० ए० (MLA) कहते हैं।

प्रश्न 3.
चुनाव विधियों के नाम लिखें।
उत्तर-
प्रत्यक्ष चुनाव तथा अप्रत्यक्ष चुनाव।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव किस विधि द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष विधि द्वारा किया जाता है। उन्हें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है।

प्रश्न 5.
भारत में चुनाव कराने वाली संस्था का क्या नाम है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव कराने वाली संस्था का नाम चुनाव आयोग है।

प्रश्न 6.
भारत में चुनाव प्रणाली की कोई दो विशेषताएं बतलाएं।
उत्तर-

  1. भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर करवाए जाते हैं।
  2. एक चुनाव क्षेत्र से ही एक ही उम्मीदवार का चयन किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
चुनाव विवाद के संबंध में याचिका कहां दायर की जा सकती है ?
उत्तर-
चुनाव संबंधी विवाद के लिए याचिका उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।

प्रश्न 8.
चुनाव आयोग के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर-

  1. चुनाव आयोग वोटर सूची तैयार तथा संशोधित करवाता है।
  2. चुनाव आयोग अलग-अलग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है।

प्रश्न 9.
पंजाब विधानसभा के चुनाव क्षेत्र कितने हैं ?
अथवा
पंजाब विधानसभा की कितनी सीटें हैं ?
उत्तर-
पंजाब विधानसभा के 117 चुनाव क्षेत्र या सीटें हैं।

प्रश्न 10.
भारत में चुनाव-प्रक्रिया का संचालन कौन करता है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव-प्रक्रिया का संचालन चुनाव आयोग करता है।

प्रश्न 11.
मुख्य चुनाव आयुक्त व उप-चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 12.
मुख्य चुनाव आयुक्त व उप चुनाव आयुक्तों के पद का कार्यकाल कितना है ?
उत्तर-
6 वर्ष अथवा 65 वर्ष तक की आयु तक वह अपने पद पर बने रह सकते हैं।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
चुनाव का लोकतांत्रिक देशों में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
लोकतंत्र में चुनाव का बड़ा भारी महत्त्व है। चुनाव के द्वारा ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उनके माध्यम से शासन में भाग लेती है तथा शासन पर अपना नियंत्रण रखती है। चुनाव के कारण ही जनता अर्थात् मतदाताओं का महत्त्व क्या रहता है और यदि कोई मंत्री या प्रतिनिधि अपना कार्य ठीक प्रकार से न करें तो मतदाता उसे अगले चुनाव में वोट न देकर असफल कर सकते हैं। चुनाव के समय जनता को सरकार की आलोचना का भी अवसर मिलता है और वह अपनी इच्छानुसार सरकार को बदल सकती है। चुनाव ही एक ऐसा साधन है जिसके कारण जनता अपने को देश का शासक समझ और कह सकती है। चुनावों से जनता को राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है, क्योंकि चुनावों के दिनों में सभी और सरकार अपने-अपने कार्यों का प्रचार करती तथा एक-दूसरे की आलोचना करती है। इससे नागरिकों को पता चल जाता है कि देश की समस्याएं क्या हैं और उन्हें कैसे हल किया जाए।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 2.
चुनाव प्रक्रिया के पड़ावों की तालिका बताएँ।
उत्तर-

  1. चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन
  2. चुनाव तिथियों की घोषणा
  3. नामांकण पत्र भरना
  4. नामांकन पत्र वापिस लेना
  5. चुनाव अभियान चलाना
  6. चुनाव प्रचार बंद करना
  7. मतदान करना
  8. मतगणना
  9. परिणाम घोषित करना।

प्रश्न 3.
चुनाव अभियान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब नामांकन पत्र वापिस लेने की तारीख समाप्त हो जाती है तो इसके पश्चात् सभी उम्मीदवारों को कम से कम 20 दिन चुनाव प्रचार के लिए दिए जाते हैं। इस चुनाव प्रचार को ही चुनाव अभियान का नाम दिया जाता है।

इस समय के दौरान चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार अपने पक्ष में प्रचार करते हैं ताकि अधिक-से-अधिक वोट उन्हें डाल सकें। राजनीतिक दल व उम्मीदवार जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए घोषणा-पत्र सामने लाते हैं तथा जनता के साथ बहुत से वायदे भी किए जाते हैं। चुनाव से 48 घंटे पहले चुनाव अभियान बंद कर दिया जाता है।

प्रश्न 4.
मतदान केंद्र पर बलात् अधिकार करने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मतगणना वाले स्थान या केंद्र को एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा घेरना, वोट की गणना करने वाले कर्मचारियों से मतपेटी या मशीनें छीन लेना या कोई ऐसी गतिविधि जिससे चुनाव में विघ्न उत्पन्न हो बूथ केपचरिंग या मतदान केंद्र पर बलात् अधिकार कहलाता है। काबूले के अनुसार यदि कोई ऐसा करेगा तो उसे कम से कम 6 महीने की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है तथा इस कारावास की अवधि को दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। परंतु अगर कोई सरकारी कर्मचारी ऐसा करता है तो उसे 1 वर्ष की सज़ा व जुर्माना होगा तथा सजा को तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 5.
राजनीतिक दलों की चुनाव में क्या भूमिका है ?
उत्तर-
लोकतंत्र रूपी गाड़ी में राजनीतिक दल पहिए के समान होते हैं जिनके बिना चुनाव करवाना मुमकिन ही नहीं है। हम राजनीतिक दलों के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते। संपूर्ण विश्व में सरकार चाहे कोई हो, राजनीतिक दल तो होते ही हैं। चाहे उत्तरी कोरिया जैसी तानाशाही हो या भारत जैसा लोकतंत्र, राजनीतिक दल तो होते ही हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। भारत में 8 राष्ट्रीय दल हैं 59 क्षेत्रीय दल हैं तथा अगर उन सभी दलों को मिला दिया जाए जो चुनाव आयोग के पास पंजीकृत हैं तो यह संख्या 1700 के करीब है।

प्रश्न 6.
भारत के कोई चार राष्ट्रीय दलों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  2. भारतीय जनता पार्टी
  3. बहुजन समाज पार्टी
  4. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया।

प्रश्न 7.
भारत के कोई चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शिरोमणि अकाली दल (पंजाब)
  2. शिवसेना (महाराष्ट्र)
  3. आम आदमी पार्टी (दिल्ली व पंजाब)
  4. तेलगुदेशम् पार्टी (आंध्र प्रदेश)

प्रश्न 8.
मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से कैसे निष्कासित किया जा सकता है.?
उत्तर-
वैसे तो मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो पहले हो जाए, होता है परंतु उसे उसका कार्यकाल पूर्ण होने से पहले भी उसे हटाया जा सकता है। यदि संसद् के दोनों सदन उसके विरुद्ध दो तिहाई बहुमत से दोष प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति के पास भेज दें तो उसे राष्ट्रपति उसके पद से हटा सकते हैं।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय चुनाव प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन संक्षेप में करें।
उत्तर-
भारतीय चुनाव प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  1. वयस्क मताधिकार-भारतीय चुनाव प्रणाली की प्रथम विशेषता वयस्क मताधिकार है। भारत के प्रत्येक नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो मताधिकार प्राप्त है।
  2. संयुक्त चुनाव पद्धति-भारतीय चुनाव प्रणाली की मुख्य विशेषता संयुक्त चुनाव पद्धति है। इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक ही निर्वाचक सूची होती है जिसमें उस क्षेत्र के सभी मतदाताओं के नाम होते हैं और वे सभी मिलकर एक प्रतिनिधि को चुनते हैं।
  3. अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्गों के लिए सुरक्षित स्थान-संयुक्त चुनाव प्रणाली के बावजूद भी हमारे संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित तथा पिछड़े वर्गों के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए हैं। संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के स्थान सुरक्षित कर दिए हैं।
  4. गुप्त मतदान-भारत में मतदान गुप्त रूप से होता है।
  5. प्रत्यक्ष चुनाव-भारत में लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं, नगरपालिकाओं, पंचायतों आदि के चुनाव जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होते हैं और ये संस्थाएं ही शक्ति का वास्तविक प्रयोग करती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 2.
चुनाव आयुक्त के कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव आयुक्त के कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. चुनाव आयुक्त का सबसे प्रथम कार्य सभी प्रकार के चुनावों के लिए मतदाता सूचियां तैयार करवाना तथा उनमें संशोधन करवाना है।
  2. चुनाव का निर्देशन, नियंत्रण व निरीक्षण करवाना भी चुनाव आयुक्त का कार्य है।
  3. चुनाव के लिए समय सूची तैयार करना तथा चुनाव करवाने के लिए चुनाव की तिथियों का चुनाव आयुक्त ही करता है।
  4. चुनाव से संबंधित साधारण नियम बनाना तथा मनोनीत पत्रों की सुरक्षा भी उसका ही कार्य है।
  5. राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता भी वह ही लागू करवाते हैं।
  6. चुनाव चिह्न देना तथा राजनीतिक दलों को मान्यता देना भी उनका ही कार्य है।
  7. चुनाव रद्द करना, किसी स्थान पर दोबारा चुनाव करवाना तथा बूथ गड़बड़ी जैसी घटनाओं को रोकना भी उनका कार्य है।
  8. न्यायपालिका द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित व्यक्तियों के लिए कुछ छूट देना भी चुनाव आयुक्त का ही कार्य है।

प्रश्न 3.
चुनाव प्रक्रिया के मुख्य पड़ावों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं

  1. चुनाव क्षेत्र निश्चित करना-चुनाव प्रबंध में सर्वप्रथम कार्य चुनाव क्षेत्र को निश्चित करना है। लोकसभा में जितने सदस्य चुने जाते हैं, लंगभग समान जनसंख्या वाले उतने ही क्षेत्रों में सारे भारत को बांट दिया जाता है। इसी प्रकार विधानसभाओं के चुनाव में राज्य को समान जनसंख्या वाले चुनाव क्षेत्र में बांट दिया जाता है और प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है।
  2. मतदाताओं की सूची-मतदाता सूचियां तैयार करना चुनाव प्रक्रिया की दूसरी अवस्था है। सबसे पहले मतदाताओं की अस्थायी सूची तैयार की जाती है। इन सूचियों को कुछ एक विशेष स्थानों पर जनता को देखने के लिए रख दिया जाता है। यदि उस सूची में किसी का नाम लिखने से रह गया हो या किसी का नाम गलत लिख दिया गया हो तो उसको एक निश्चित तिथि तक संशोधन करवाने के लिए प्रार्थना-पत्र देना होता है। फिर संशोधित सूचियां तैयार की जाती हैं।
  3. चुनाव तिथि की घोषणा–चुनाव आयोग चुनाव की तिथि की घोषणा करता है। चुनाव आयोग नामांकन-पत्र भरने की तिथि, नाम वापस लेने की तिथि, नामांकन-पत्रों की जांच-पड़ताल की तिथि निश्चित करता है।
  4. उम्मीदवारों का नामांकन-चुनाव कमिशन द्वारा की गई चुनाव घोषणा के पश्चात् विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने नामांकन-पत्र दाखिल करते हैं। राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के अतिरिक्त स्वतंत्र उम्मीदवार भी अपने नामांकन-पत्र प्रस्तुत करते हैं।
  5. मतदान-निश्चित तिथि पर मतदान होता है। मतदान के लिए प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में मतदान केंद्र बनाए जाते हैं। प्रत्येक चुनाव केंद्र का एक मुख्य अधिकारी तथा कई सहायक अधिकारी होते हैं। प्रत्येक मतदाता को एक मत-पत्र दिया जाता है जिस पर मतदाता मर्जी से किसी उम्मीदवार पर क्रास का निशान लगा देता है।
  6. परिणामों की घोषणा-चुनावों के पश्चात् मतों की गिनती होती है। गिनती के समय उम्मीदवार तथा उनके प्रतिनिधि अंदर बैठे रहते हैं। जो उम्मीदवार सबसे अधिक वोटें प्राप्त करता है, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 4.
चुनाव के महत्त्व पर संक्षेप में नोट लिखें।
उत्तर-
लोकतंत्र में चुनाव का बड़ा भारी महत्त्व है। चुनाव के द्वारा ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उनके माध्यम से शासन में भाग लेती है तथा शासन पर अपना नियंत्रण रखती है। चुनाव के कारण ही जनता अर्थात् मतदाताओं का महत्त्व क्या रहता है और यदि कोई मंत्री या प्रतिनिधि अपना कार्य ठीक प्रकार से न करें तो मतदाता उसे अगले चुनाव में वोट न देकर असफल कर सकते हैं। चुनाव के समय जनता को सरकार की आलोचना का भी अवसर मिलता है और वह अपनी इच्छानुसार सरकार को बदल सकती है। चुनाव ही एक ऐसा साधन है जिसके कारण जनता अपने को देश लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति का शासक समझ और कह सकती है। चुनावों से जनता को राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है, क्योंकि चुनावों के दिनों में सभी और सरकार अपने-अपने कार्यों का प्रचार करती तथा एक-दूसरे की आलोचना करती है। इससे नागरिकों को पता चल जाता है कि देश की समस्याएं क्या हैं और उन्हें कैसे हल किया जाए।

PSEB 9th Class Social Science Guide लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
भारत में किस प्रकार का लोकतंत्र पाया जाता है ?
(क) प्रतिनिधि लोकतंत्र
(ख) प्रत्यक्ष लोकतंत्र
(ग) राजतांत्रिक लोकतंत्र
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) प्रतिनिधि लोकतंत्र

प्रश्न 2.
भारत में लोकसभा एवं राज्य विधानसभा के चुनाव कितने वर्षों बाद होते हैं ?
(क) 2 वर्ष
(ख) 4 वर्ष
(ग) 5 वर्ष
(घ) 7 वर्ष।
उत्तर-
(ग) 5 वर्ष

प्रश्न 3.
भारत में मतदान के लिए न्यूनतम कितनी आयु होनी चाहिए ?
(क) 15 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 20 वर्ष
(घ) 25 वर्ष।
उत्तर-
(ख) 18 वर्ष

प्रश्न 4.
निर्वाचन आयोग के कितने सदस्य हैं ?
(क) 1 सदस्य
(ख) 2 सदस्य
(ग) 3 सदस्य
(घ) 4 सदस्य।
उत्तर-
(ग) 3 सदस्य

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 5.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री
(ग) स्पीकर
(घ) गृहमंत्री।
उत्तर-
(क) राष्ट्रपति

प्रश्न 6.
भारत में लोकसभा के अब तक कितने चुनाव हो चुके हैं ?
(क) 12
(ख) 13
(ग) 14
(घ) 16
उत्तर-
(घ) 16

प्रश्न 7.
भारत में लोकसभा का पहला आम चुनाव कब हुआ ?
(क) 1950
(ख) 1951
(ग) 1952
(घ) 1955
उत्तर-
(ग) 1952

प्रश्न 8.
भारत में लोकसभा का 16वां चुनाव कब हुआ ?
(क) 2006
(ख) 2008
(ग) 2007
(घ) 2014
उत्तर-
(घ) 2014

प्रश्न 9.
किस पहले राज्य में मतदाता पहचान पत्र का प्रयोग किया गया था ?
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर-
(क) हरियाणा

रिक्त स्थान भरें :

  1. लोकतांत्रिक देश में ……… का बहुत महत्त्व होता है।
  2. मुख्य चुनाव आयुक्त ……….. वर्षों के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
  3. लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव ………… वर्षों के पश्चात् होते हैं।
  4. देश में …………. राष्ट्रीय दल हैं।
  5. नगरपालिका के चुने हुए प्रत्याशी को ……. कहते हैं।
  6. चुनाव आयुक्त को ………… नियुक्त करता है।

उत्तर-

  1. चुनाव
  2. छ:
  3. पांच
  4. सात
  5. पार्षद
  6. राष्ट्रपति

सही/गलत :

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रधानमंत्री हटा सकते हैं।
  2. चुनाव करवाने का कार्य सरकार करती है।
  3. लोकसभा के चुने हुए सदस्य को एम० एल० ए० कहते हैं।
  4. मतदाता सूची में संशोधन का कार्य चुनाव आयोग का होता है।
  5. चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सी शासन प्रणाली 1950 में अपनाई गई ?
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली।

प्रश्न 2.
भारत में कौन-सी प्रतिनिधित्व प्रणाली पाई जाती है ?
उत्तर-
प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।

प्रश्न 3.
भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कितने वर्षों के बाद होते हैं ?
उत्तर-
पांच वर्ष।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 4.
लोकसभा की निर्वाचित सीटें (सदस्य संख्या) कितनी हैं ?
उत्तर-
543.

प्रश्न 5.
लोकतांत्रिक चुनाव की शर्ते लिखें।
उत्तर–
प्रत्येक नागरिक को एक वोट का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक वोट का मूल्य समान हो।

प्रश्न 6.
चुनावी प्रतियोगिता का एक महत्त्वपूर्ण दोष लिखें।
उत्तर-
निर्वाचन क्षेत्र में लोगों में गुटबंदी की भावना पैदा हो जाती है।

प्रश्न 7.
आम चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा के निर्धारित समय के पश्चात् (5 वर्ष के पश्चात्) होने वाले चुनावों को आम चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 8.
मध्यावधि चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मध्यावधि चुनाव उस चुनाव को कहते हैं जो चुनाव विधानमंडल के निश्चित कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व कराए जाते हैं।

प्रश्न 9.
भारतीय चुनाव प्रणाली की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
भारत में संयुक्त चुनाव प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 10.
भारत में मतदाता कौन है?
उत्तर-
जिस नागरिक की आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो, उसे मताधिकार प्राप्त है। चुनाव में उसी नागरिक को मत डालने दिया जाता है जिसका नाम मतदाता सूची में हो।

प्रश्न 11.
मतदाता सूची से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस सूची में मतदाताओं के नाम लिखे होते हैं, उसे मतदाता सूची कहते हैं।

प्रश्न 12.
क्या चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त कर सकता है ?
उत्तर-
चुनाव आयोग को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि कोई राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर का दल निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता तो चुनाव आयोग उसकी मान्यता समाप्त कर सकता है।

प्रश्न 13.
भारतीय संविधान के किस अध्याय व किन अनुच्छेदों में चुनाव व्यवस्था का वर्णन किया गया है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान के 15वें अध्याय के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव व्यवस्था का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 14.
निर्वाचन आयोग के कितने सदस्य हैं ?
उत्तर-
आजकल चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त व दो अन्य चुनाव आयुक्त हैं।

प्रश्न 15.
चुनाव आयोग की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
चुनाव आयोग की नियुक्ति संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

प्रश्न 16.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 17.
चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल बताइए।
उत्तर-
चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल राष्ट्रपति नियम बनाकर निश्चित करता है। प्रायः यह अवधि 6 वर्ष होती है।

प्रश्न 18.
भारतीय चुनाव आयोग का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-
चुनाव आयोग का मुख्य कार्य संसद् तथा राज्य विधान सभाओं के चुनाव करवाना तथा उनकी मतदाता सूची तैयार करवाना है।

प्रश्न 19.
चुनाव चिह्न का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
भारत के अधिकांश मतदाता अनपढ़ हैं जिस कारण मतदाता चुनाव चिह्न को पहचान कर ही अपनी पसंद के राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार को मत देते हैं।

प्रश्न 20.
चुनाव याचिका का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
चुनाव में यदि कोई उम्मीदवार चुनाव के नियमों का उल्लंघन करता है या भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करता है तब संबंधित व्यक्ति द्वारा उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में दी गई याचिका को चुनाव याचिका कहते हैं।

प्रश्न 21.
भारत में चुनाव याचिका की सुनवाई कौन करता है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव याचिका की सुनवाई सीधे उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है।

प्रश्न 22.
भारतीय चुनाव प्रणाली का कोई एक दोष बताएं।
उत्तर-
भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है।

प्रश्न. 23.
चुनाव प्रणाली में सुधार करने का एक उपाय बताएं।
उत्तर-
बूथों पर कब्जा करने वालों को कड़ी सज़ा देनी चाहिए।

प्रश्न 24.
भारत में अब तक लोकसभा के कितने चुनाव हो चुके हैं ?
उत्तर-
अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं।

प्रश्न 25.
भारत में पहली लोकसभा का चुनाव किस वर्ष में हुआ था ?
उत्तर-
भारत में पहली लोकसभा का चुनाव 1952 में हुआ था।

प्रश्न 26.
भारत सरकार द्वारा किया गया एक चुनाव सुधार बताइए।
उत्तर-
61वें संशोधन द्वारा मताधिकारी की आयु 21 वर्ष से हटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

प्रश्न 27.
सन् 1989 में पारित संविधान द्वारा मताधिकार की आयु सीमा में क्या परिवर्तन किया गया है ?
उत्तर-
मताधिकार की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

प्रश्न 28.
चुनाव प्रचार के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए जाते हैं ?
उत्तर-
चुनाव घोषणा-पत्र, चुनाव सभा एवं जुलूस, घर-घर जाकर मत याचना इत्यादि।

प्रश्न 29.
निर्धारित मतदान के समय से कितने घंटे पहले चुनाव प्रचार कानूनतः बंद कर दिया जाता है ?
उत्तर-
निर्धारित मतदान के समय से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार कानूनतः बंद कर दिया जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 30.
भारत में मताधिकार का आधार क्या है ?
उत्तर-
भारत में मताधिकार का आधार आयु है।

प्रश्न 31.
भारत में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व किसका है ?
उत्तर-
भारत में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग का है।

प्रश्न 32.
राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह कौन निश्चित करता है ?
उत्तर-
राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग निश्चित करता है।

प्रश्न 33.
‘एक नागरिक एक मत’ का सिद्धांत किसका प्रतीक है ?
उत्तर-
‘एक नागरिक एक मत’ का सिद्धांत राजनीतिक एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 34.
उप चुनाव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो चुनाव रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए करवाया जाता है, उसे उप चुनाव कहते हैं।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मतदाता की कौन-सी तीन योग्यताएं होनी चाहिए?
उत्तर-

  1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. आयु कम-से-कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  3. मतदाता सूची में नाम होना चाहिए।

प्रश्न 2.
भारत में निर्वाचकीय प्रवृत्तियों पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में निर्वाचकीय प्रवृत्तियों को संक्षेप में निम्नलिखित रूप में बताया जा सकता है-

  1. भारत में सोलह आम चुनावों के फलस्वरूप नागरिकों में निर्वाचक चेतना का विकास हुआ।
  2. चुनाव में मतदाताओं की अभिरुचि बढ़ी है।
  3. मतदाताओं को राजनीतिक दलों की नीतियों तथा कार्यक्रम का ज्ञान हुआ है।

प्रश्न 3.
चुनाव चिह्न पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
ज़ो राजनीतिक दल चुनाव में हिस्सा लेते हैं उन्हें चुनाव आयोग चुनाव चिह्न प्रदान करता है। चुनाव चिह्न राजनीतिक दल की पहचान होता है। भारत में अधिकांश मतदाता अनपढ़ हैं। अनपढ़ मतदाता चुनाव चिह्न को पहचान कर ही अपनी पसंद के राजनीतिक दल अथवा उम्मीदवार को मत देते हैं।

प्रश्न 4.
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भारतीय प्रजातंत्र की कार्यशीलता को किस तरह प्रभावित करती है?
उत्तर-
भारतीय संविधान के अंतर्गत चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की व्यवस्था की गई है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता ने भारतीय प्रजातंत्र की कार्यशीलता को काफ़ी प्रभावित किया है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता ने भारतीय प्रजातंत्र को सुदृढ़ तथा सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। बिना स्वतंत्रता के चुनाव आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में सफल नहीं हो सकता था। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के कारण ही लोकसभा के पंद्रह आम चुनाव स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता से हो चुके हैं। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के कारण ही जनता की प्रजातंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है।

प्रश्न 5.
भारत में चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए किन्हीं दो सुधारों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत की चुनाव प्रक्रिया में निम्नलिखित दो सुधार किए जाने अति आवश्यक हैं

  1. निष्पक्षता-चुनाव निष्पक्ष ढंग से होने चाहिए। सत्तारूढ़ दल को चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही अपने दल के हित में सरकारी मशीनरी का प्रयोग करना चाहिए।
  2. चुनाव व्यय-एक चुनाव क्षेत्र में एक उम्मीदवार द्वारा धन व्यय करने के लिए निश्चित की गई धन की सीमा में वह धन भी सम्मिलित किया जाना चाहिए जो धन उम्मीदवार के मित्रों और उसके राजनीतिक दल द्वारा खर्च किया जाता है।

प्रश्न 6.
चुनाव के रद्दीकरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
चुनाव के रद्दीकरण से अभिप्राय है कि यदि चुनाव प्रचार के दौरान किसी प्रत्याशी की मृत्यु हो जाए तो उस चुनाव क्षेत्र का चुनाव कुछ समय के लिए चुनाव आयोग द्वारा निरस्त किया जाता था। फरवरी, 1992 में जनप्रतिनिधि कानून में एक संशोधन करके यह व्यवस्था की गई है कि यदि किसी निर्दलीय प्रत्याशी की मृत्यु हो गई हो तो उस चुनाव क्षेत्र के चुनाव रद्द नहीं किए जाएंगे।

प्रश्न 7.
भारत में निर्वाचन प्रक्रिया की किन्हीं दो अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रक्रिया की निम्नलिखित अवस्थाएं हैं

  1. चुनाव क्षेत्र निश्चित करना-चुनाव प्रबंध में सर्वप्रथम कार्य चुनाव क्षेत्र को निश्चित करना है। लोकसभा में जितने सदस्य चुने जाने हों, लगभग समान जनसंख्या वाले उतने ही क्षेत्रों में सारे भारत को बांट दिया जाता है। इसी प्रकार विधानसभाओं के चुनाव में राज्य को समान जनसंख्या वाले चुनाव क्षेत्र में बांट दिया जाता है और प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है।
  2. चुनाव तिथि की घोषणा-चुनाव आयोग चुनाव की तिथि की घोषणा करता है। चुनाव आयोग नामांकन-पत्र भरने की तिथि, नाम वापस लेने की तिथि, नामांकन-पत्रों की जांच-पड़ताल की तिथि निश्चित करता है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाने के पक्ष में कोई पांच तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. लोकतंत्र में प्रभुसत्ता जनता के पास होती है, इसीलिए समानता के आधार पर सभी को मत का अधिकार मिलना चाहिए।
  2. कानूनों का प्रभाव सभी पर पड़ता है, इसलिए मताधिकार सभी को.मिलना चाहिए।
  3. व्यक्ति के विकास के लिए मताधिकार आवश्यक है।
  4. वयस्क मताधिकार द्वारा चुनी गई सरकार अधिक शक्तिशाली रहती है।
  5. वयस्क मताधिकार से लोगों में राजनीतिक जागृति उत्पन्न होती है और उन्हें राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है।

प्रश्न 2.
चुनाव अभियान (Election Campaign) के तरीकों की संक्षिप्त व्याख्या करो।
उत्तर-
चुनाव से पूर्व राजनीतिक दल, उम्मीदवार, सदस्य चुनाव अभियान के अंतर्गत अनेक तरीके अपनाते हैं जिनमें महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित हैं-

  1. चुनाव घोषणा-पत्र-प्रत्येक प्रमुख दल और कभी-कभी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में अपना-अपना घोषणा-पत्र जारी करते हैं।
  2. चुनाव सभाएं व जुलूस-पार्टी के सदस्य व उम्मीदवार चुनाव अभियान के अंतर्गत सभाओं व जुलूस का आयोजन करके जनसाधारण से संपर्क स्थापित करके अपने उद्देश्यों व नीतियों को स्पष्ट करते
  3. भित्ति चित्र, पोस्टर व पर्चे-चुनाव अभियान के अंतर्गत अपनाए जाने वाले अन्य तरीके भित्ति चित्र, पोस्टर व पर्चे हैं, जिनके द्वारा उम्मीदवार व पार्टी के चिह्न का प्रचार मतदाताओं में किया जाता है।
  4. झंडे एवं ध्वजाएं-भिन्न-भिन्न पार्टियों के झंडों एवं ध्वजाओं को घरों, गैर-सरकारी कार्यालयों, दुकानों, रिक्शा, स्कूटरों, ट्रकों व कारों पर लटका कर चुनाव प्रचार किया जाता है।
  5. लाउड स्पीकर व ग्रामोफोन-अनेक तरह के वाहनों के ऊपर लाउड स्पीकर एवं ग्रामोफोन को लगाकर सड़कों व मुहल्लों में चुनाव अभियान के प्रचार का महत्त्वपूर्ण साधन अपनाया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में चुनाव में निम्न स्तर की जन-सहभागिता के लिए उत्तरदायी पांच तत्त्वों की व्याख्या करें।
उत्तर-
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। 2019 की 17वीं लोकसभा के चुनाव के अवसर पर
मतदाताओं की संख्या 89 करोड़ से अधिक थी। भारत में चुनाव में अधिकांश मतदाता वोट डालने नहीं जाते हैं। भारत में निम्न स्तर की जन-सहभागिता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. अनपढ़ता-भारत की अधिकांश जनता अनपढ़ है। अशिक्षित व्यक्ति मताधिकार का महत्त्व नहीं समझता न ही अधिकांश अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार का प्रयोग करना आता है।
  2. गरीबी-गरीब व्यक्ति चुनाव लड़ना तो दूर की बात वह चुनाव लड़ने की बात सोच भी नहीं सकता। गरीब व्यक्ति मताधिकार का महत्त्व नहीं समझता और अपनी वोट को बेचने के लिए तैयार हो जाता है।
  3. बेकारी-भारत में जन-सहभागिता के निम्न स्तर के होने का एक कारण बेकारी है। भारत में करोड़ों लोग बेकार हैं। बेकार व्यक्ति मताधिकार को कोई महत्त्व नहीं देता और अपना वोट बेचने के लिए तैयार हो जाता है।
  4. शिक्षित लोगों में राजनीतिक उदासीनता-चुनाव में अधिकांश शिक्षित लोग वोट डालने नहीं जाते।
  5. मतदान केंद्रों का दूर होना-मतदान केंद्र दूर होने के कारण कई मतदाता वोट डालने नहीं जाते।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 5 लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति

प्रश्न 4.
भारतीय चुनाव आयोग की रचना का वर्णन करें।
उत्तर-
चुनाव आयोग में मुख्य आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य हो सकते हैं। इनकी संख्या राष्ट्रपति द्वारा निश्चित की जाती है। 1989 से पूर्व चुनाव आयोग एक सदस्यीय था। 1989 में कांग्रेस सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त नियुक्त किए , परंतु राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने इस फैसले को बदल दिया था। 1 अक्तूबर, 1993 को केंद्र सरकार ने दो नए चुनाव आयुक्तों कृषि सचिव एस० एस० गिल और विधि आयोग के सदस्य जी० वी० जी० कृष्णामूर्ति की नियुक्ति कर चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाने का महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। दिसंबर, 1993 को संसद् ने चुनाव आयोग को बहु-सदस्यीय बनाने संबंधी विधेयक पारित कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

प्रश्न 5.
भारत की निर्वाचन प्रणाली की कोई पांच कमजोरियां लिखिए।
उत्तर-
भारत में चुनाव प्रणाली तथा चुनावों में कई दोष हैं जो मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं-

  1. एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र-भारत में एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र है और एक स्थान के लिए बहुत-से उम्मीदवार खड़े हो जाते हैं। कई बार थोड़े-से मत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार भी चुनाव जीत सकता है।
  2. जाति और धर्म के नाम पर वोट-जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत मांगे और डाले जाते हैं।
  3. धन का अधिक खर्च- भारत में चुनाव में धन का बहुत अधिक खर्च होता है, जिसे देखकर साधारण व्यक्ति तो चुनाव लड़ने की कल्पना भी नहीं कर सकता है।
  4. सरकारी मशीनों का दुरुपयोग-सत्तारूढ़ दल चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करता है। इससे चुनाव निष्पक्ष रूप में नहीं होते हैं।
  5. जाली वोटें भुगताना-चुनाव जीतने के लिए जाली वोटें बड़े पैमाने पर भुगताई जाती हैं।

प्रश्न 6.
भारतीय चुनाव प्रणाली में कोई पांच महत्त्वपूर्ण सुधार समझाइए।
उत्तर-
चुनाव प्रणाली के दोषों को निम्नलिखित ढंगों से दूर किया जा सकता है-

  1. निष्पक्षता-चुनाव निष्पक्ष ढंग से होने चाहिए। सत्तारूढ़ दल को चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए न ही अपने दल के हित में सरकारी मशीनरी का प्रयोग करना चाहिए।
  2. धन के प्रभाव को कम करना-इसके लिए पब्लिक फंड बनाना चाहिए और उम्मीदवारों की धन से सहायता करनी चाहिए। चुनाव का खर्च शासन को ही देना चाहिए।
  3. आनुपातिक चुनाव प्रणाली-प्रायः सभी विपक्षी दल वर्तमान में एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र की प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस को अल्पसंख्यक मत मिलते हैं पर संसद् में सीटें बहुत अधिक मिलती हैं। आम तौर पर सभी विरोधी दल आनुपातिक चुनाव प्रणाली के पक्षधर हैं।
  4. परिचय-पत्र-जाली मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को परिचय-पत्र दिए जाने चाहिए।
  5. कड़ी सज़ा-बूथों पर कब्जा करने वालों को कड़ी सज़ा देनी चाहिए।

लोकतंत्र एवं चुनाव राजनीति PSEB 9th Class Civics Notes

  • हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है तथा लोकतंत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण पहचान उसकी चुनावी राजनीति होती है। लोकतंत्र में एक निश्चित समय के पश्चात् चुनाव करवाए जाते हैं तथा सरकार का चुनाव किया जाता है।
  • देश का प्रशासन चलाने के लिए कुछ निर्णय लिए जाते हैं तथा निर्णय लेने का अधिकार उन लोगों के पास होता है जिन्हें जनता वोट देकर चुनती है।
  • जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव इसलिए करती है ताकि उनकी समस्याओं को उनके ही स्तर पर हल किया जा सके।
  • आज के समय में चुनाव का बहुत महत्त्व है क्योंकि इससे सरकार में परिवर्तन करना आसान है तथा इससे सरकारों को निरंकुश होने से रोका जा सकता है।
  • हमारे देश में एक वयस्क-एक वोट-एक मूल्य का सिद्धांत लागू किया गया है ताकि चुनावी राजनीति में समानता लाई जा सके।
  • हमारे देश में लोकसभा, राज्य विधान सभाओं तथा स्थानीय स्वै-संस्थाओं के लिए प्रत्यक्ष चुनाव करवाए जाते हैं तथा इन सब चुनावों के लिए इकहरी वोटर सूची तैयार की जाती है।
  • भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर करवाए जाते हैं तथा जिस व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक है वह वोट देने के योग्य हो जाता है।
  • देश में मतदाताओं को मत गुप्त रूप से प्रयोग करने का अधिकार दिया गया है ताकि किसी अन्य व्यक्ति को पता न चल सके कि हमने किसे वोट दिया है।
  • हमारे देश में चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव आयोग को दिया गया है। इसके तीन सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • चुनाव आयोग कई महत्त्वपूर्ण कार्य करता है जैसे कि वोटर सूची तैयार करवाना, चुनाव का निर्देशन करना, चुनावों से संबंधित नियम बनाने, आचार संहिता लागू करना, चुनाव चिन्ह देना, राजनीतिक दलों को मान्यता देना, चुनाव करवाना इत्यादि।
  • लोकतंत्र में आशा की जाती है कि चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हो। इसके लिए सरकार तथा चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में बहुत से परिवर्तन किए हैं।
  • चुनावी प्रक्रिया काफी लंबी प्रक्रिया है जिसमें चुनावी क्षेत्रों का परिसीमन, चुनाव तिथियों की घोषणा, नामांकन पत्र भरना व वापिस लेना, चुनाव अभियान चलाना, मतदान करना, मतगणना करना तथा परिणाम घोषित करना शामिल है।
  • राजनीतिक दल लोकतंत्र में काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि इसके बिना चुनाव नहीं हो सकते। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है।
  • देश में दो प्रकार के दल-राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल पाए जाते हैं। देश में 8 राष्ट्रीय राजनीतिक दल व 59 क्षेत्रीय – राजनीतिक दल हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

SST Guide for Class 9 PSEB श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
ऋग्वेद के अनुसार पंजाब का नाम क्या था ?
(क) हड़प्पा
(ख) सप्त सिंधु
(ग) पंचनद
(घ) पेंटापोटामिया।
उत्तर-
(ख) सप्त सिंधु

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में चीनी यात्री कौन था ?
(क) चाणक्य
(ख) लॉर्ड कर्जन
(ग) हयनसांग
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) हयनसांग

प्रश्न 3.
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में कब मिलाया गया ?
(क) 1849 ई०
(ख) 1887 ई०
(ग) 1889 ई०
(घ) 1901 ई०
उत्तर-
(क) 1849 ई०

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 4.
यह दोआब कम उपजाऊ है-
(क) चज्ज दोआब
(ख) सिंधु सागर दोआब
(ग) रचना दोआब
(घ) बारी दोआब।
उत्तर-
(ख) सिंधु सागर दोआब

प्रश्न 5.
घग्गर और यमुना के बीच का क्षेत्र
(क) मालवा
(ख) बांगर
(ग) माझा
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) बांगर

प्रश्न 6.
मालवा क्षेत्र किन नदियों के मध्य स्थित है ?
(क) सतलुज और यमुना
(ख) सतलुज और घग्गर
(ग) घग्गर और यमुना
(घ) सतलुज और ब्यास।
उत्तर-
(ख) सतलुज और घग्गर

(ख) रिक्त स्थान भरें:

  1. ……. सभ्यता का जन्म पंजाब में हुआ था।
  2. ‘पेंटा’ का अर्थ ……………. है और ‘पोटामिया’ का अर्थ …….. है।
  3. भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को …………. भागों में बांटा गया है।
  4. …………… चिनाब और जेहलम नदियों के बीच का इलाका है।
  5. सिक्ख धर्म के संस्थापक ………. थे।
  6. भाषा के आधार पर ……………. को पंजाब का पुनर्गठन किया गया।
  7. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ………….. मीटर है।

उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. पांच, नदी
  3. तीन
  4. चज दोआब
  5. श्री गुरु नानक देव जी
  6. 1 नवंबर, 1966
  7. 8848

(ग) सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. ऋग्वेद – (i) उत्तर-पश्चिमी पर्वत
2. सुलेमान – (i-) सेकिया
3. बांगर – (iii) उप-पर्वतीय क्षेत्र
4. शिवालिक – (iv) सप्त सिंधु
5. यूनसांग – (v) घग्गर और यमुना।
उत्तर-

  1. सप्त सिंधु
  2. पश्चिमी पर्वत
  3. घग्गर और यमुना
  4. पर्वतीय क्षेत्र
  5. सेकिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

(घ) निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करें :

1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’
2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’
3. ‘दर्रे’ तथा ‘दोआब’
4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र
5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त जालंधर दोआब’
उत्तर-

  1. ‘मालवा’ तथा ‘बांगर’ :
    • मालवा-सतलुज तथा घग्गर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं । लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
    • बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्गर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहाँ अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।
  2. ‘पश्चिमी पंजाब’ तथा ‘पूर्वी पंजाब’-1947 ई० में स्वतंत्रता के समय पंजाब को दो भागों में बांटा गया : पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब। पंजाब का पश्चिमी भाग मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र था। वह अलग होकर पाकिस्तान के रूप में नया देश बना। पूर्वी पंजाब भारत का हिस्सा बना। उस समय पंजाब के 13 ज़िले पाकिस्तान में चले गए तथा शेष 16 ज़िले भारतीय पंजाब में रह गए।
  3. ‘रे’ तथा ‘दोआब’ :
    • दर्रे-ये ऊंचे पहाड़ों के बीच में से गुजरने के लिए प्रकृति द्वारा बनाए गए मार्ग होते हैं। इन दुर्गम मार्गों में से होकर पर्वतों को पार किया जा सकता है।
    • दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदान पांच दोआबों से बना हैं।
  4. हिमालय तथा उप पर्वतीय क्षेत्र : हिमालय-हिमालय अर्थात् हिम + आलय का अर्थ है बर्फ का घर। हिमालय की पहाड़ियां पंजाब में श्रृंखलाबद्ध हैं। इन पहाड़ियों को ऊंचाई के अनुसार तीन भागों में बांटा जाता है-महान् हिमालय, मध्य हिमालय तथा बाहरी हिमालय।
    उप-पर्वतीय क्षेत्र (तराई क्षेत्र)-यह क्षेत्र हिमालय की पीर-पंजाल पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित है। इसमें शिवालिक और कसौली की पहाड़ियों के ढलान वाले प्रदेश शामिल हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियों की औसत ऊंचाई 10003000 फुट है।
  5. ‘चज’ दोआब तथा ‘बिस्त-जालंधर’ दोआब :
    • चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
    •  बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
पंजाब से भाव पांच नदियों के प्रदेश से है। पंजाब’ फारसी के दो शब्दों-पंज तथा आब के मेल से बना है। पंच का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी अर्थात् नदी।

प्रश्न 2.
यूनानियों ने पंजाब का क्या नाम रखा ?
उत्तर-
यूनानियों ने पंजाब का नाम पेंटापोटामिया अर्थात् पांच नदियों की धरती रखा था। पेंटा का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी।

प्रश्न 3.
‘सप्त सिंधु’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु कहा जाता था क्योंकि उस समय यह सात नदियों का प्रदेश था।

प्रश्न 4.
1947 ई० में पंजाब को किन दो भागों में बांटा गया था ?
उत्तर-
1947 ई० में पंजाब को पश्चिमी पंजाब तथा पूर्वी पंजाब दो भागों में बांटा गया था। पश्चिमी हिस्सा पाकिस्तान बना तथा पूर्वी हिस्सा भारत को मिला।

प्रश्न 5.
पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम लिखो।
उत्तर-पंजाब की उत्तर-पश्चिमी सीमा में स्थित रे हैं-खैबर, कुर्रम, टोची आदि।

प्रश्न 6.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब और कितने राज्यों में बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1 नवंबर, 1966 को दो राज्यों-पंजाब तथा हरियाणा में बांटा गया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के भिन्न-भिन्न ऐतिहासिक नामों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
पंजाब के नाम समय-समय पर बदलते रहे हैं-

  1. वैदिक काल में पंजाब को सप्त सिंधु (सात नदियों की धरती) कहा जाता था।
  2. प्राचीन महाकाव्य रामायण, महाभारत तथा पुराणों में पंजाब को पंचनद बताया गया है।
  3. यूनानियों ने पंजाब को पेंटापोटामिया (Pentapotamia) नाम रखा था-पेय का अर्थ है पांच और पोटामिया का अर्थ है नदी अर्थात् पांच (दरियाओं) नदियों की धरती।
  4. टक कबीले ने पंजाब को टक प्रदेश अथवा टकी का नाम दिया।
  5. चीनी यात्री हयूनसांग ने पंजाब को सेकिया कहकर पुकारा।
  6. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब लाहौर सूबा के नाम से जाना जाने लगा।
  7. मुग़ल सम्राट अकबर ने पंजाब को पंजाब का नाम दिया। पंजाब फारसी भाषा में पंज और आब से मिलकर बना है। पंज का अर्थ है पांच और आब का अर्थ है पानी।
  8. 1849 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपने राज्य में मिला लिया और उसे पंजाब प्रांत नाम दिया।
  9. 1947 ई० में भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पंजाब को पूर्वी पंजाब तथा पश्चिमी पंजाब नामक दो भागों में बांटा गया। परंतु दोनों ही देशों में आज भी इसे पंजाब के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब के इतिहास का अध्ययन करने के लिए पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
किसी भी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की देन होता है। इसलिए किसी प्रदेश के इतिहास के अध्ययन के लिए उस प्रदेश की भौगोलिक अवस्थाओं का अध्ययन ज़रूरी है। पंजाब के रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, लोगों के स्वभाव तथा विचार शक्ति काफी सीमा तक भौगोलिक तथ्यों द्वारा प्रभावित हुई है। यहां की प्रत्येक घटना यहां के किसी-न-किसी भौगोलिक तथ्य से जुड़ी हुई है। यहां का उपजाऊ मैदान सभ्यता का पलना बना। समय पड़ने पर यही मैदान रणभूमि बना और यहां के लाखों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यहां की नदियों ने अनेक बार आक्रमणकारियों का मार्ग दर्शन किया। यहां के वनों का महत्त्व भी कुछ कम नहीं है। मुग़ल अत्याचारी से पीड़ित पंजाब के लोगों को इन्हीं वनों ने अनेक बार आश्रय दिया। यहां के समृद्ध मैदानों ने आक्रमणकारियों को आक्रमण करने की प्रेरणा दी। इस प्रकार पंजाब के भूगोल ने पंजाब को रंगभूमि और रणभूमि दोनों का स्तर प्रदान किया।

प्रश्न 3.
पंजाब को भारत का प्रवेश द्वार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब वर्षों तक भारत के प्रवेश द्वार का काम करता रहा है। इन पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों से गुज़रना कठिन नहीं है। अतः आर्यों से लेकर मंगोलों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे क्योंकि ये दरें उन्हें सीधा, पंजाब की धरती पर पहुंचा देते थे। सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। उन्हें पराजित करने पर ही वे पूर्व की ओर आगे बढ़ सके। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता रहा है।

प्रश्न 4.
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेजी से क्यों हुआ ?
उत्तर-
पंजाब में इस्लाम धर्म का प्रसार तेज़ी से हुआ क्योंकि सभी मुस्लिम आक्रमणकारी पहले पंजाब में आकर बसे। उन्होंने यहां के लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश किया। मुस्लिम धर्म प्रचारक, सूफी संतों तथा व्यापारियों ने भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिन्दू धर्म के कठोर रीति-रिवाज़ों से तंग आ चुके लोगों ने आसानी से इस्लाम धर्म को अपना लिया। परिणामस्वरूप पंजाब में इस्लाम धर्म काफ़ी तेजी से फैला।

प्रश्न 5.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति का लोगों के आर्थिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के लोगों के जीवन को आर्थिक रूप से दृढ़ता प्रदान की। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते गए। इन नदियों से पंजाब की भूमि सींची भी जाती थी। बर्फ से ढके रहने के कारण हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती रहती हैं और कृषि के लिए वरदान सिद्ध हुई हैं। हिमालय से प्राप्त लकड़ी के कारण पंजाब में फर्नीचर तथा खेल का सामान बनने लगा। इन्हीं पर्वतों से पंजाब के लोगों को गंदा बिरोजा, जड़ी-बूटियां तथा अन्य अनेक उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती रहीं जिससे पंजाब में उद्योगों का विकास हुआ।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
पंजाब के उप-पर्वतीय (तराई) प्रदेश के बारे में लिखो।
अथवा
पंजाब के मैदानी क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं पर एक नोट लिखो।
उत्तर- भौगोलिक रूप से पंजाब का अध्ययन बहुत ही रोचक है। इस दृष्टि से पंजाब को तीन भागों में बांटा जा सकता है

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश
  3. मैदानी क्षेत्र।

1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां-हिमालय अर्थात् हिम+आलय का अर्थ है-बर्फ का घर। भारत के उत्तर में स्थित यह ऊंचा पर्वत वर्ष में अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है। पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० तथा उत्तर से दक्षिण की ओर औसत चौड़ाई लगभग 250 कि०मी० है। संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट (8848 मी०) हिमालय में ही स्थित है परन्तु हिमालय की सभी पहाड़ियों की ऊंचाई एक समान नहीं है।

पंजाब के उत्तर-पश्चिम में हिमालय की पश्चिमी शाखाएं स्थित हैं। इन शाखाओं में किरथार तथा सुलेमान की पर्वतश्रेणियां सम्मिलित हैं। इन पर्वतों की ऊंचाई अधिक नहीं है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें अनेक दर्रे हैं इन दरों में खैबर का दर्रा महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। अधिकतर आक्रमणकारियों के लिए यही दर्रा प्रवेश-द्वार बना रहा। .

2. उप-पर्वतीय क्षेत्र अथवा तराई प्रदेश-हिमालय प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य तराई का प्रदेश स्थित है। इसे उप-पर्वतीय प्रदेश भी कहा जाता है। यह 160 कि० मीटर से 320 कि० मीटर तक चौड़ा है और इसकी ऊंचाई 300 से 900 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलगसा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर, अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। जहां कहीं भूमि को कृषि योग्य बनाया गया है वहां आलू, चावल-गेहूँ तथा मक्का की कृषि की जाने लगी है। यहां आने-जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। प्रकृति की सुंदर छटा के कारण यह प्रदेश बहुत की आकर्षक है और वनों से आच्छादित इसकी घाटियां मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

3. मैदानी क्षेत्र-पंजाब के मैदानी क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है-पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान। यमुना तथा रावी के मध्य स्थित भाग को ‘पूर्वी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ है। यहां की जनसंख्या भी घनी है। रावी तथा सिंध के मध्य वाले भाग को ‘पश्चिमी मैदान’ कहते हैं। यह प्रदेश पूर्वी मैदान की तुलना में कम समृद्ध है।
(क) पाँच दोआब-दो नदियों के बीच की भूमि को दोआब कहते हैं। पंजाब का मैदानी भाग निम्नलिखित पाँच दोआबों से घिरा हुआ है।

  1. सिंध सागर दोआब-जेहलम तथा सिंध नदियों के बीच के प्रदेश को सिंध सागर दोआब कहा जाता है। यह प्रदेश अधिक उपजाऊ नहीं है। जेहलम तथा रावलपिंडी यहां के प्रसिद्ध नगर हैं।
  2. रचना दोआब-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफ़ी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  3. बिस्त-जालंधर दोआब-इस दोआब में सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है। यह प्रदेश बड़ा उपजाऊ है। जालंधर और होशियारपुर इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।
  4. बारी दोआब-ब्यास तथा रावी नदियों के बीच के प्रदेश को बारी दोआब कहा जाता है। यह अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र है। पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण इसे ‘माझा’ भी कहा जाता है। पंजाब के दो सुविख्यात नगर लाहौर तथा अमृतसर इसी दोआब में स्थित हैं।
  5. चज दोआब-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआब के नाम से पुकारा जाता है। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।

(ख) मालवा तथा बांगर-पांच दोआबों के अतिरिक्त पंजाब के मैदानी भाग में सतलुज तथा यमुना के मध्य का विस्तृत मैदानी क्षेत्र भी सम्मिलित है। इसको दो भागों में बांटा जा सकता है-मालवा तथा बांगर।

  1. मालवा-सतलुज तथा घग्घर नदियों के मध्य में फैले प्रदेश को ‘मालवा’ कहते हैं। लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर, फरीदकोट, भटिंडा आदि प्रसिद्ध नगर इस भाग में स्थित हैं।
  2. बांगर अथवा हरियाणा-यह प्रदेश घग्घर तथा यमुना नदियों के मध्य में स्थित है। इसके मुख्य नगर अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, जींद, रोहतक, करनाल, गुड़गांव तथा हिसार हैं। यह भाग एक ऐतिहासिक मैदान भी है जहां अनेक निर्णायक युद्ध लड़े गए।

प्रश्न 2.
पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने पंजाब के राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र के इतिहास पर क्या प्रभाव डाला ? विस्तार सहित बताओ।
उत्तर-
पंजाब भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक अति उपजाऊ प्रदेश है। इसकी आदर्श स्थिति ने यहां के इतिहास को एक-एक विशिष्ट रूप प्रदान किया है। वैसे भी किसी प्रदेश का इतिहास वहां के भूगोल की कोख से ही जन्म लेता है। पंजाब का इतिहास भी कोई अपवाद नहीं है। यहां के लोगों ने राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं। संक्षेप में पंजाब की स्थिति ने पंजाब के इतिहास को निम्नलिखित रंगों में रंगा है-

1. राजनीतिक क्षेत्र पर प्रभाव-

  • पंजाब के उत्तर-पश्चिम में स्थित दरों ने आक्रमणकारियों के लिए प्रवेश द्वार का काम किया। सभी आरंभिक आक्रमणकारी उत्तर-पश्चिम की दिशा से भारत में प्रवेश करते रहे। उनका सामना करने के लिए पंजाब के वीर सपूत आगे बढ़े।
  • सभी महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक युद्ध इसी धरती पर ही लड़े गए। चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत में प्रथम विशाल साम्राज्य स्थापित किया था, परंतु उसके साम्राज्य की नींव पंजाब से ही पड़ी। हर्ष के साम्राज्य की पहली राजधानी थानेश्वर (कुरुक्षेत्र के समीप) भी पंजाब में ही थी।
  • पंजाब के वनों तथा पर्वतों ने सिक्खों को संकट के समय शरण दी। यहीं रह कर सिक्खों ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली द्वारा मुग़लों तथा अहमदशाह अब्दाली के दांत खट्टे किए।
  • अंग्रेज़ पंजाब पर सबसे अन्त में अधिकार कर सके। इसका कारण यह था कि उन्होंने देश के पूर्वी तट से भारत में प्रवेश किया था। यह प्रदेश पंजाब से बहुत दूर था।

2. धार्मिक क्षेत्र पर प्रभाव-धार्मिक क्षेत्र में पंजाब की भौगोलिक स्थिति ने यहां के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले :

वैदिक धर्म का जन्म तथा विकास-वैदिक धर्म का आरम्भ वेदों से माना जाता है। वेद चार हैं ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद। इनमें से ऋग्वेद सबसे प्राचीन और सर्वोच्च है। इसकी रचना पंजाब की धरती पर ही हुई है। इस प्रकार यह पंजाब वैदिक धर्म के प्रचार का केन्द्र रहा है।

इस्लाम धर्म का प्रसार-इस्लाम धर्म का जन्म मक्का-मदीना में हुआ और तेज़ी से मध्य एशिया के देशों में फैल गया। इन देशों से मुस्लिम आक्रमणकारी धर्म-प्रचारक, व्यापारी, सूफी संत आदि उत्तर-पश्चिमी दरों के रास्ते भारत आए। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पंजाब पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर विवश किया। इसके अतिरिक्त हिन्दू समाज में प्रचलित कठोर रीति-रिवाजों और जाति भेदभाव के कारण निम्न जाति के बहुत से लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। इस तरह पंजाब में इस्लाम धर्म का काफ़ी तेजी से प्रसार हुआ।

सिक्ख धर्म का उदय तथा विकास-विदेशी हमलावरों के कारण पंजाब के लोगों पर कई प्रकार के अत्याचार हुए। उस समय हिन्दू समाज जाति भेद, कर्मकाण्डों और पाखण्डों में फंस चुका था। इस प्रकार लोगों का जीवन अत्यन्त दयनीय हो गया था। ऐसे वातावरण में पंजाब की धरती पर एक महान् क्रांतिकारी महापुरुष श्री गुरु नानक देव जी ने जन्म लिया। उन्होंने प्रचलित जाति भेद, कर्मकाण्डों, पाखण्डों और राजनैतिक अत्याचारों का विरोध किया। उन्होंने संसार को सबके कल्याण (सरबत दा भला) का संदेश दिया जिसने सिक्ख धर्म की नींव डाली। श्री गुरु नानक देव जी के बाद नौ . गुरुओं ने सिक्ख धर्म के प्रचार व प्रसार में अपना योगदान दिया। अत्याचारों के विरुद्ध और धर्म की रक्षा के लिए दो सिक्ख गुरुओं ने अपने बलिदान भी दिए। परिणामस्वरूप पंजाब में सिक्ख धर्म तेज़ी से विकसित हुआ।

प्रश्न 3.
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
विदेशी हमलों का पंजाब के लोगों के जीवन पर बुरे तथा अच्छे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। इनका अलगअलग वर्णन इस प्रकार है-
बुरे प्रभाव

  1. अत्याचार-विदेशी आक्रमणकारियों ने पंजाब के लोगों पर अनेक अत्याचार किए। मुस्लिम हमलावरों ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए विवश किया। उन्होंने यह कार्य तलवार के बल पर करने का प्रयास किया।
  2. जन-धन की हानि-विदेशी हमलों से पंजाब के लोगों को जन-धन की भारी हानि उठानी पड़ी। इन हमलों में कई लोग मारे गए और कृषि उजड़ गई।
  3. कला और साहित्य के विकास में बाधा-पंजाब प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का पलना था। यहां की कला और साहित्य काफ़ी विकसित थे। विदेशी हमलों से इनके विकास में बाधा पड़ी। कई ग्रंथ तथा कलाकृत्तियां नष्ट हो गईं।

अच्छे प्रभाव

  1. पंजाबियों के विशेष गुण-लगातार युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता, साहस, परिश्रम जैसे अच्छे गुण उत्पन्न हुए। आज भी पंजाब के लोगों में ये गुण विद्यमान हैं।
  2. समृद्ध मिश्रित संस्कृति का विकास-विदेशियों के सम्पर्क में रहने से पंजाब में एक मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ। पंजाबियों के खान-पान, पहनावे तथा रहन-सहन में कई नए मूल्य जुड़ गए। इस प्रकार पंजाब की विशेष संस्कृति काफ़ी समृद्ध हो गई।
    सत्य तो यह है कि विदेशी हमलों ने पंजाब तथा पंजाबियों के चरित्र को एक नया रूप प्रदान किया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

PSEB 9th Class Social Science Guide श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
पंजाब में पहले सिख राज्य की स्थापना की___
(क) श्री गुरु नानक देव जी
(ख) महाराजा रणजीत सिंह
(ग) बंदा सिंह बहादुर
(घ) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(ग) बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 2.
पंजाब को भाषा के आधार पर दो भागों में बांटा गया
(क) 1947 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1971 ई० में
उत्तर-
(ख) 1966 ई० में

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच सीमा का काम करता था
(क) सतलुज दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) रावी दरिया
(घ) ब्यास दरिया।
उत्तर-
(क) सतलुज दरिया

प्रश्न 4.
आज हिंद-पाक सीमा का काम कौन-सा दरिया करता है ?
(क) रावी दरिया
(ख) चिनाब दरिया
(ग) ब्यास दरिया
(घ) सतलुज दरिया।
उत्तर-
(क) रावी दरिया

प्रश्न 5.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण किया
(क) 1811 ई० में
(ख) 1798 ई० में
(ग) 1757 ई० में
(घ) 1794 ई० में।
उत्तर-
(ख) 1798 ई० में

प्रश्न 6.
दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया
(क) लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने
(ख) लॉर्ड माऊंटबेटन ने
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने
(घ) लॉर्ड कर्जन ने।
उत्तर-
(ग) लॉर्ड हार्डिंग ने

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

रिक्त स्थान भरें:

  1. पंजाब को ………… काल में सप्त सिंधु कहा जाता था।
  2. दो दरियाओं के बीच के भाग को ………… कहते हैं।
  3. मुग़ल शासक अकबर ने पंजाब को ………. प्रांतों में बांटा।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ……….. राज्य के नाम से पुकारा जाने लगा।
  5. रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को …….. कहा जाता था।
  6. सिकंदर ने भारत पर …………. ई० पू० में आक्रमण किया।

उत्तर-

  1. वैदिक
  2. दोआबा
  3. दो
  4. लाहौर
  5. सेकिया
  6. 326

सही मिलान करो:

(क) – (ख)
1. महाराजा रणजीत सिंह – (i) सतलुज तथा ब्यास
2. पंजाब का अंग्रेजी राज्य में विलय – (ii) लार्ड हार्डिंग
3. रामायण तथा महाभारत – (iii) लाहौर राज्य
4. दिल्ली भारत की राजधानी – (iv) 1849 ई०
5. बिस्त-जालन्धर दोआब – (v) सेकिया
उत्तर-

  1. लाहौर राज्य
  2. 1849 ई०
  3. सेकिया
  4. लार्ड हार्डिंग
  5. सतलुज तथा ब्यास

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
भारत के बंटवारे के बाद ‘पंजाब’ शब्द उचित क्यों नहीं रह गया ?
उत्तर-
बंटवारे से पहले पंजाब पांच दरियाओं की धरती था, परंतु बंटवारे के कारण इसके तीन दरिया पाकिस्तान में चले और वर्तमान पंजाब में केवल दो दरिया (ब्यास तथा सतलुज) ही शेष रह गए।

प्रश्न 2.
भारत के बंटवारे का पंजाब पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
भारत के बंटवारे से पंजाब भी दो भागों में बंट गया।

प्रश्न 3.
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को कितने भागों में बांटा जाता है ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
भौगोलिक दृष्टिकोण से पंजाब को तीन भागों में बांटा जाता है-

  1. हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पहाड़ियां
  2. उप पहाड़ी क्षेत्र (पहाड़ की तलहटी के क्षेत्र)
  3. मैदानी क्षेत्र।

प्रश्न 4.
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह कैसा इलाका होता ?
उत्तर-
अगर पंजाब के उत्तर में हिमालय न होता तो यह इलाका शुष्क तथा ठंडा बन कर रह जाता।

प्रश्न 5.
‘दोआबा’ शब्द से क्या भाव है ?
उत्तर-
दो दरियाओं के बीच के भाग को दोआंबा कहते हैं।

प्रश्न 6.
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को क्या कहा जाता है तथा यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
दरिया सतलुज तथा दरिया घग्गर के बीच के इलाके को ‘मालेवा’ कहा जाता है। यहां के निवासियों को मलवई कहते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 7.
1. दोआबा बिस्त का यह नाम क्यों पड़ा ?
2. इसके किन्हीं दो प्रसिद्ध शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. दोआबा बिस्त ब्यास तथा सतलुज नदियों के बीच का प्रदेश है जिनके नाम के पहले अक्षरों के जोड़ से ही इस दोआब का नाम बिस्त पड़ा है।
  2. जालंधर तथा होशियारपुर इस दोआबे के दो प्रसिद्ध शहर हैं।

प्रश्न 8.
1. दोआबा बारी को ‘माझा’ क्यों कहा जाता है तथा
2. यहां के निवासियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-

  1. दोआबा बारी पंजाब के मध्य में स्थित होने के कारण माझा कहलाता है।
  2. इसके निवासियों को ‘मझेल’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
मुग़ल बादशाह अकबर ने पंजाब को कौन-कौन से दो प्रांतों में विभाजित किया ?
उत्तर-
लाहौर तथा मुलतान।

प्रश्न 10.
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को किस नाम से पुकारा जाने लगा था ?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के अधीन पंजाब को ‘लाहौर राज्य’ के नाम से पुकारा जाने लगा था।

प्रश्न 11.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब मिलाया गया ?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेज़ी राज्य में 1849 ई० में मिलाया गया।

प्रश्न 12.
पंजाब को भाषा के आधार पर कब बांटा गया ?
उत्तर-
पंजाब को भाषा के आधार पर 1966 ई० में बांटा गया।

प्रश्न 13.
हिमालय के पश्चिमी दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली किन्हीं चार जातियों के नाम बताओ।
उत्तर-
इन दरों के मार्ग से पंजाब पर आक्रमण करने वाली चार जातियां थीं-आर्य, शक, यूनानी तथा कुषाण।

प्रश्न 14.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को कौन-कौन से दो भागों में विभक्त किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को पूर्वी मैदान तथा पश्चिमी मैदान में विभक्त किया जाता है।

प्रश्न 15.
भारतीय पंजाब में अब कौन-से दो दरिया रह गये हैं ?
उत्तर-
सतलुज तथा ब्यास।

प्रश्न 16.
रामायण तथा महाभारत काल में पंजाब को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
सेकिया।

प्रश्न 17.
दिल्ली को भारत की राजधानी किस गवर्नर-जनरल ने बनाया ?
उत्तर-
लार्ड हार्डिंग ने।

प्रश्न 18.
हिमालय की पश्चिमी श्रृंखलाओं में स्थित किन्हीं दो दरों के नाम बताओ।
उत्तर-
खैबर तथा टोची।

प्रश्न 19.
दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी ?
उत्तर-
1911 में।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 20.
सिकंदर ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
326 ई० पू० में।

प्रश्न 21.
शाह ज़मान ने भारत (पंजाब) पर आक्रमण कब किया ?
उत्तर-
1798 ई० में।

प्रश्न 22.
अंग्रेज़ों तथा महाराजा रणजीत सिंह के बीच कौन-सा दरिया सीमा का काम करता था ?
उत्तर-
सतलुज।

प्रश्न 23.
आज किस दरिया का कुछ भाग हिंद-पाक सीमा का काम करता है ?
उत्तर-
रावी।

प्रश्न 24.
महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
लाहौर।

प्रश्न 25.
पंजाब के मैदानी क्षेत्र को वास्तविक पंजाब’ क्यों कहा गया है ? कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है और समस्त पंजाब की समृद्धि का आधार है।

प्रश्न 26.
पंजाब के किस मैदानी क्षेत्र में महाभारत का युद्ध, पानीपत के तीन युद्ध तथा तराइन के दो युद्ध लड़े गए ?
उत्तर-
बांगर।

प्रश्न 27.
मालवा प्रदेश किन नदियों के बीच स्थित है ?
उत्तर-
मालवा प्रदेश सतलुज और घग्घर नदियों के बीच में स्थित है।

प्रश्न 28.
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम किसके नाम पर पड़ा ?
उत्तर-
पंजाब के मालवा प्रदेश का नाम यहां बसने वाले मालव कबीले के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 29.
पंजाब के किन्हीं चार नगरों के नाम बताओ जहां निर्णायक ऐतिहासिक युद्ध हुए।
उत्तर-
तराइन, पानीपत, पेशावर तथा थानेसर में निर्णायक युद्ध हुए।

प्रश्न 30.
पाकिस्तानी पंजाब को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
पश्चिमी पंजाब।

प्रश्न 31.
हिंदी-बाखत्री तथा हिंदी-पारथी राजाओं के अधीन पंजाब की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
साकला (सियालकोट)।

प्रश्न 32.
दो दरियाओं के मध्य भाग के लिए ‘दोआबा’ शब्द का प्रचलन किस मुगल शासक के समय में हुआ ?
उत्तर-
अकबर।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय की पहाड़ियों के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर-
हिमालय की पहाड़ियों के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. हिमालय से निकलने वाली नदियां सारा साल बहती हैं। ये नदियां पंजाब की भूमि को उपजाऊ बनाती हैं।
  2. हिमालय की पहाड़ियों पर घने वन पाये जाते हैं। इन वनों से जड़ी-बूटियां तथा लकड़ी प्राप्त होती है।
  3. इस पर्वत की ऊंची बर्फीली चोटियां शत्रु को भारत पर आक्रमण करने से रोकती हैं।
  4. हिमालय पर्वत मानसून पवनों को रोक कर वर्षा लाने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 2.
किन्हीं तीन दोआबों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-

  1. दोआबा सिंध सागर-इस दोआबे में दरिया सिंध तथा दरिया जेहलम के मध्य का प्रदेश आता है। यह भाग अधिक उपजाऊ नहीं है।
  2. दोआब चज-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआबा के नाम से पुकारते हैं। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
  3. दोआबा रचना-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखूपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

प्रश्न 3.
पंजाब के दरियाओं ने इसके इतिहास पर क्या प्रभाव डाला है ?
उत्तर-
पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने सदा शत्रु के बढ़ते कदमों को रोका। बाढ़ के दिनों में तो यहां के दरिया (नदियां) समुद्र का रूप धारण कर लेते हैं और उन्हें पार करना असंभव हो जाता है। यहां के दरिया (नदियां) जहां आक्रमणकारियों के मार्ग में बाधा बने, वहां ये उनके लिए मार्ग-दर्शक भी बने। लगभग सभी आक्रमणकारी अपने विस्तार क्षेत्र का अनुमान इन्हीं नदियों की दूरी के आधार पर ही लगाते थे। पंजाब के दरियाओं (नदियों) ने प्राकृतिक सीमाओं का काम भी किया। मुग़ल शासकों ने अपनी सरकारों, परगनों तथा सूबों की सीमाओं का काम इन्हीं दरियाओं (नदियों) से ही लिया। यहां के दरियाओं (नदियों) ने पंजाब के मैदानों को उपजाऊ बनाया और लोगों को समृद्धि प्रदान की।

प्रश्न 4.
विभिन्न कालों में पंजाब की सीमाओं की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पंजाब की सीमाएं समय-समय पर बदलती रही हैं-

  1. ऋग्वेद में बताए गए पंजाब में सिंध, जेहलम, रावी, चिनाब, ब्यास, सतलुज तथा सरस्वती नदियों का प्रदेश सम्मिलित था।
  2. मौर्य तथा कुषाण काल में पंजाब की पश्चिमी सीमा हिंदुकुश के पर्वतों तक चली गई थी तथा तक्षशिला इसका एक भाग बन गया था।
  3. सल्तनत काल में पंजाब की सीमाएं लाहौर तथा पेशावर तक थीं जबिक मुग़ल काल में पंजाब दो प्रांतों में बंट गया था-लाहौर तथा मुल्तान।
  4. महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब (लाहौर) राज्य का विस्तार सतलुज नदी से पेशावर तक था।
  5. लाहौर राज्य के अंग्रेजी साम्राज्य में विलय के पश्चात् इसका नाम पंजाब रखा गया।
  6. भारत विभाजन के समय पंजाब के मध्यवर्ती प्रदेश पाकिस्तान में चले गए।
  7. पंजाब भाषा के आधार पर तीन राज्यों में बंट गया-पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 5.
पंजाब के इतिहास को हिमालय पर्वत ने किस तरह से प्रभावित किया ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर निम्नलिखित प्रभाव डाले हैं-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों से भारत का द्वार पथ रहा। इन पर्वतीय श्रेणियों में स्थित दरों को पार करके अनेक आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करते रहे।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। जो शासक इस भाग में स्थित दरौं की उचित रक्षा नहीं कर सके, उन्हें पतन का मुंह देखना पड़ा।
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत ऊंचा है तथा हमेशा बर्फ से ढका रहता है। इस लिये इसे पार करना बड़ा कठिन था। परिणामस्वरूप पंजाब उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सदा सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। हिमालय की नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी ला-लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा।

प्रश्न 6.
पंजाब ने भारतीय इतिहास में क्या भूमिका निभाई है ?
उत्तर-
पंजाब ने अपनी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के कारण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रदेश भारत में सभ्यता का पालना बना। भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता (सिंधु घाटी की सभ्यता) इसी क्षेत्र में फलीफूली। आर्यों ने भी अपनी सत्ता का केंद्र इसी प्रदेश को बनाया। उन्होंने वेद, पुराण, महाभारत, रामायण आदि महत्त्वपूर्ण कृतियों की रचना की। पंजाब ने भारत के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य किया। मध्यकाल तक भारत में आने वाले सभी आक्रमणकारी पंजाब के मार्ग से ही भारत आये। अतः पंजाब वासियों ने बार-बार आक्रमणकारियों के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए बार-बार उनसे युद्ध किए। इसके अतिरिक्त पंजाब हिंदू तथा सिक्ख धर्म की जन्म-भूमि भी रहा है। गुरु नानक देव जी ने अपना पावन संदेश इसी धरती पर दिया। यहीं रहकर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और मुग़लों के धार्मिक अत्याचारों का विरोध किया। बंदा बहादुर तथा महाराजा रणजीत सिंह के कार्य भी भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। नि:संदेह पंजाब ने भारत के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

प्रश्न 7.
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब के भौतिक भागों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के इतिहास को दृष्टि में रखते हुए पंजाब को मुख्य रूप से तीन भौतिक भागों में बांटा जा सकता है-

  1. हिमालय तथा उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय श्रेणियां
  2. तराई प्रदेश तथा
  3. मैदानी क्षेत्र।

पंजाब के उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत फैला है। इसकी ऊंची-ऊंची चोटियां सदैव बर्फ से ढकी रहती हैं। हिमालय की तीन श्रेणियां हैं जो एक-दूसरे के समानांतर फैली हैं। हिमालय की उत्तर-पश्चिमी शाखाओं में अनेक महत्त्वपूर्ण दर्रे हैं जो प्राचीन काल में आक्रमणकारियों, व्यापारियों तथा धर्म प्रचारकों को मार्ग जुटाते रहे। पंजाब का दूसरा भौतिक भाग तराई (तलहटी) प्रदेश है। यह पंजाब के पर्वतीय तथा उपजाऊ मैदानी भाग के मध्य में विस्तृत है। इस भाग में जनसंख्या बहुत कम है। पंजाब का सबसे महत्त्वपूर्ण भौतिक भाग इसका उपजाऊ मैदानी प्रदेश है। यह उत्तर-पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर दक्षिण-पूर्व में यमुना नदी तक फैला हुआ है। यह हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी से बना है और आरंभ से ही पंजाब की समृद्धि का आधार रहा है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 8.
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब की भौतिक विशेषताओं ने पंजाब के इतिहास को अपने-अपने ढंग से प्रभावित किया है।

  1. हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों ने अनेक आक्रमणकारियों को मार्ग दिया। अत: पंजाब के शासकों के लिए उत्तरी-पश्चिमी सीमा की सुरक्षा सदा एक समस्या बनी रही। इसके साथ-साथ हिमालय की बर्फ से ढकी ऊंचीऊंची चोटियां पंजाब की आक्रमणकारियों (उत्तर की ओर से) से रक्षा भी करती रहीं।
  2. हिमालय के कारण पंजाब में अपनी एक विशेष संस्कृति का भी विकास हुआ।
  3. पंजाब का उपजाऊ एवं धनी प्रदेश आक्रमणकारियों के लिए सदा आकर्षण का कारण बना रहा। फलस्वरूप इस धरती पर बार-बार युद्ध हुए।
  4. तराई प्रदेश ने संकट के समय सिक्खों को शरण दी। यहां रहकर सिक्खों ने अत्याचारी शासकों का विरोध किया और अपने अस्तित्व को बनाए रखा। अतः स्पष्ट है कि पंजाब का इतिहास वास्तव में इस प्रदेश के भौतिक तत्त्वों की ही देन है।

प्रश्न 9.
पंजाब को अंग्रेजी राज्य में कब और किसने मिलाया ? स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब को 1849 में लॉर्ड डल्हौज़ी ने अंग्रेज़ी राज्य में मिलाया। स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब का योगदान अद्वितीय था। पंजाब में ही भाई राम सिंह ने कूका आंदोलन की नींव रखी। 20वीं शताब्दी में सिंह सभा लहर, गदर पार्टी, गुरुद्वारा सुधार आंदोलन, बब्बर अकाली आंदोलन, नौजवान सभा तथा अकाली दल के माध्यम से यहां के वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन को सक्रिय बनाया। भगत सिंह ने मातृभूमि की जंजीरें तोड़ने के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया।
पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव करतार सिंह सराभा तथा सरदार ऊधम सिंह जैसे पंजाबी वीरों ने भी हंसते-हंसते भारत माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। अंतत: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ पंजाब भी अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया।

प्रश्न 10.
पंजाब की पर्वतीय तलहटी अथवा तराई प्रदेश की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
तराई प्रदेश हिमाचल प्रदेश के उच्च प्रदेशों और पंजाब के मैदानी प्रदेशों के मध्य स्थित हैं। इसकी ऊंचाई 308 में 923 मीटर तक है। यह भाग अनेक घाटियों के कारण हिमालय पर्वत श्रेणियों से अलग-सा दिखाई देता है। इस भाग में सियालकोट, कांगड़ा, होशियारपुर, गुरदासपुर तथा अंबाला का कुछ क्षेत्र सम्मिलित है। सामान्य रूप से यह एक पर्वतीय प्रदेश है। अतः यहां उपज बहुत कम होती है। वर्षा के कारण यहां अनेक रोग फैलते हैं। यहां आने जाने के साधनों का भी पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया है। इसलिए यहां की जनसंख्या कम है। यहां के लोगों को अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। इस परिश्रम ने उन्हें बलवान् तथा हृष्ट-पुष्ट बना दिया है।

प्रश्न 11.
पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास को कहां तक प्रभावित किया है ?
उत्तर-
पंजाब के इतिहास पर पंजाब के मैदानी प्रदेश की स्पष्ट छाप दिखाई देती है।-

  1. इस प्रदेश की भूमि अत्यंत उपजाऊ है जिसके कारण यह प्रदेश सदा समृद्ध रहा। पंजाब के मैदानों की यह संपन्नता बाह्य शत्रुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई।
  2. पंजाब निर्णायक युद्धों का केंद्र बना रहा। पेशावर, कुरुक्षेत्र, करी, थानेश्वर, तराइन, पानीपत आदि नगरों में घमासान युद्ध हुए। केवल पार्नीपत के मैदान में तीन बार निर्णायक युद्ध हुए।
  3. अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जहां पंजाबियों ने अनेक युद्धों का सामना किया, वहां निर्मम अत्याचारों का सामना भी किया। उदाहरण के लिए तैमूर ने पंजाब के लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए थे।
  4. निरंतर युद्धों में उलझे रहने के कारण पंजाब के लोगों में वीरता एवं निर्भीकता के विशेष गुण उत्पन्न हुए। 5. पंजाब के मैदानी प्रदेश में आर्यों ने हिंदू धर्म का विकास किया। इसी प्रदेश ने मध्यकाल में गुरु नानक साहिब जैसे महान् संत को जन्म दिया जिनकी सरल शिक्षाएं सिक्ख धर्म के रूप में प्रचलित हुईं। इन सब तथ्यों से स्पष्ट है कि पंजाब के मैदानी प्रदेश ने पंजाब के इतिहास में अनेक अध्यायों का समावेश किया।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ऋग्वैदिक काल से 1966 तक पंजाब के बदलते राजनीतिक स्वरूप (सीमा संबंधी परिवर्तनों) की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
ऋग्वैदिक काल से लेकर भारत की स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद तक पंजाब की सीमाओं में लगातार बदलाव होते रहे हैं। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :
ऋग्वैदिक काल से मुगल काल तक

  1. ऋग्वेद के समय सिंधु नदी से सरस्वती नदी के बीच का क्षेत्र (सप्तसिंधु) पंजाब में शामिल था।
  2. चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने राज्य का विस्तार पश्चिम की ओर अफगानिस्तान और बलोचिस्तान के क्षेत्रों तक कर लिया। इस प्रकार उसने पंजाब की सीमाओं को हिंदुकुश पर्वतों तक पहुँचा दिया और तक्षशिला भी पंजाब का हिस्सा बन गया।
  3. हिंद-बाखतरी और हिंद-पारथी राजाओं के समय में पंजाब की सीमा अफगानिस्तान को छूती थी और इसकी राजधानी साकला (सियालकोट पाकिस्तान) थी।
  4. दिल्ली सल्तनत के समय में पंजाब (लाहौर प्रांत) की सीमा सतलुज नदी से पेशावर तक थी।
  5. मुगल बादशाह अकबर ने पंजाब को दो प्रांतों में बांट दिया-लाहौर प्रांत व मुल्तान प्रांत
  6. अंग्रेज़ी काल में महाराजा रणजीत सिंह के समय पंजाब पूर्व में सतलुज नदी से लेकर पश्चिम में खैबर दर्रे तक फैल
  7. 1849 ई० में पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया। 1857 ई० के विद्रोह के बाद दिल्ली (सतलुज नदी से यमुना नदी तक के क्षेत्र) को भी पंजाब का हिस्सा बना दिया गया।
  8. 1901 ई० में लार्ड कर्जन ने एक और परिवर्तन किया। उसने पश्चिम में सिंधु नदी के पार के क्षेत्र को पंजाब से अलग करके उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रदेश बना दिया।
  9. 1911 ई० में लार्ड हार्डिंग ने पूर्व में सतलुज नदी से यमुना नदी तक के प्रदेश को एक बार फिर पंजाब से अलग कर दिया और दिल्ली को भारत की राजधानी बना दिया। इस प्रकार इतिहास में पंजाब पहली बार सही अर्थों में पाँच नदियों की धरती के रूप में सामने आया।
  10. स्वतन्त्रा प्राप्ति के बाद 1947 ई० में भारत विभाजन के समय पंजाब का भी विभाजन कर दिया गया। पंजाब का पश्चिमी भाग नए बने देश पाकिस्तान में चला गया और पूर्वी भाग भारत में ही रह गया। पाकिस्तान में पंजाब के 29 जिलों में से 13 ज़िले और भारतीय पंजाब में 16 शामिल किए गए।
  11. 1956 में देश के राज्यों का पुनगर्छन किया गया। इसमें मालवा की रियासतों को समाप्त करके पंजाब में मिला दिया गया।
  12. 1 नवंबर 1966 को भाषा के आधार पर पंजाब का फिर से विभाजन किया गया। इसमें से हरियाणा नामक नया राज्य अस्तित्व में आया। पंजाब के कुछ पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश में मिला दिए गए।

प्रश्न 2.
“हिमालय पर्वत ने पंजाब के इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
हिमालय पर्वत पंजाब के उत्तर में एक विशाल दीवार की भांति स्थित है। इस पर्वत ने पंजाब के इतिहास को पूरी तरह प्रभावित किया है-

  1. पंजाब भारत का द्वार पथ-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के कारण पंजाब अनेक युगों में भारत का द्वार पथ रहा। आर्यों से लेकर ईरानियों तक सभी आक्रमणकारी इन्हीं मार्गों द्वारा भारत पर आक्रमण करते रहे। परंतु सर्वप्रथम उन्हें पंजाब के लोगों से संघर्ष करना पड़ा। इस प्रकार पंजाब भारत के लिए द्वार की भूमिका निभाता रहा है।
  2. उत्तर-पश्चिमी सीमा की समस्या-पंजाब का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय शासकों के लिए सदा एक समस्या बना रहा। भारतीय शासकों को इनकी रक्षा के लिए काफ़ी धन व्यय करना पड़ा। डॉ० बुध प्रकाश ने ठीक ही कहा है, “जब कभी शासकों का इस प्रदेश (उत्तर-पश्चिमी सीमा) पर नियंत्रण ढीला पड़ गया, तभी उनका साम्राज्य छिन्न-भिन्न होकर अदृश्य हो गया।”
  3. विदेशी आक्रमणों से रक्षा-हिमालय पर्वत बहुत ऊंचा है और सदा बर्फ से ढका रहता है। परिणामस्वरूप यह प्रदेश उत्तर की ओर से एक लंबे समय तक आक्रमणकारियों से सुरक्षित रहा।
  4. आर्थिक समृद्धि-हिमालय के कारण पंजाब एक समृद्ध प्रदेश बना। इसकी नदियां प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी लाकर पंजाब के मैदानों में बिछाती रहीं। परिणामस्वरूप पंजाब का मैदान संसार के उपजाऊ मैदानों में गिना जाने लगा। उपजाऊ भूमि के कारण यहां अच्छी फसल होती रही और यहां के लोग समृद्ध होते चले गए।
  5. विदेशों से व्यापारिक संबंध-उत्तर-पश्चिमी पर्वत श्रेणियों में स्थित दरों के कारण पंजाब के विदेशों से व्यापारिक संबंध स्थापित हुए। एशिया के देशों के व्यापारी इन्हीं दरों के मार्ग से यहां आया करते थे और पंजाब के व्यापारी उन देशों में जाया करते थे।
  6. पंजाब की विशेष संस्कृति-हिमालय की पश्चिमी शाखाओं के दरों द्वारा यहां ईरानी, अरब, तुर्क, मुग़ल, अफ़गान आदि जातियां आईं और यहां अनेक भाषाओं जैसे संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि का संगम हुआ। इस मेल-मिलाप से पंजाब में एक विशिष्ट संस्कृति का जन्म हुआ जिसमें देशी तथा विदेशी तत्त्वों का संगम था।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 2 श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज

प्रश्न 3.
पंजाब के भूगोल अथवा भौगोलिक स्थिति के पंजाब के इतिहास पर जो सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक प्रभाव पड़े, उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पंजाब के भूगोल ने पंजाब के समाज, संस्कृति तथा आर्थिक जीवन के लगभग हर पक्ष पर गहरा प्रभाव डाला। इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है :
I. सांस्कृतिक व सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों की विशेष संस्कृति-मध्य एशिया की ओर से आने वाले सभी विदेशी आक्रमणकारी सबसे पहले पंजाब में ही आए। इनमें से कुछ पंजाब में ही बस गए और उन्होंने यहाँ की स्त्रियों से विवाह भी कर लिए। हिन्दुओं ने इनके वंशजों को अपनी जाति में शामिल करने से इन्कार कर दिया। जिससे कई नई जातियों का जन्म हुआ। इस प्रकार पंजाब में एक मिली-जुली नई सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ। इसके अतिरिक्त जब ये हमलावर यहाँ से वापिस गए वे यहाँ की संस्कृति भी अपने साथ ले गए। फलस्वरूप विदेशों में पंजाबी संस्कृति का प्रसार और प्रचार हुआ।
  2. पंजाबियों के विशेष गुण तथा जीवन-शैली में परिवर्तन-पंजाब के लोगों को बार-बार विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अतः वे प्रायः युद्ध में ही व्यस्त रहते थे। युद्धों ने पंजाबियों में साहस, हिम्मत और मेहनत के गुण उत्पन्न किये। लगातार विदेशी लोगों के सम्पर्क में आने के कारण पंजाबियों के खान-पान, रीति-रिवाज़ों, भाषा, रहन-सहन और पहनावे में भी परिवर्तन आए।
  3. कला और साहित्य पर प्रभाव-पंजाब ने प्राचीनकाल से ही कला और साहित्य में बहुत उन्नति की थी। परन्तु सदियों तक विदेशी आक्रमणों के कारण पंजाब की कला और साहित्य को बहुत अधिक क्षति उठानी पड़ी। इस समय के दौरान विदेशी संस्कृति के प्रभाव से पंजाब की भवन निर्माण कला में गुम्बद और मेहराब आदि का प्रयोग होने लगा।

II. आर्थिक क्षेत्र में प्रभाव

  1. पंजाबियों का मुख्य व्यवसाय कृषि-पंजाब का अधिकांश प्रदेश मैदानी है। यहाँ सारा वर्ष बहती नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बने मैदान बहुत ही उपजाऊ हैं। अतः यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहाँ गेहूँ, चावल, कपास, दालें, मक्की, ज्वार, चने, गन्ना, तिल्हन व सरसों आदि अनेक फसलें हैं। यहाँ के पहाड़ी लोग भेड़-बकरियाँ पालते हैं।
  2. विदेशी व्यापार-पंजाब की समृद्धि ने विदेशी लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित किया है। उत्तरपश्चिमी पर्वतों में स्थित दर्रे पंजाब को मध्य एशिया से जोड़ते थे। इन दरों ने व्यापारिक मार्ग का काम किया। भारतीय और विदेशी व्यापारी इन दरों के मार्ग से आते जाते रहे। इसी लिए प्राचीन काल से ही पंजाब के मध्य एशिया से अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं।
  3. व्यापारिक नगरों का उदय-अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण पंजाब व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र बन गया। पंजाब के इस घरेलू और विदेशी व्यापार के कारण यहाँ कई बड़े व्यापारिक नगरों का उदय हुआ। इनमें लाहौर, मुल्तान, पेशावर, गुजरांवाला अमृतसर, जालन्धर, हिसार और फिरोज़पुर जैसे व्यापारिक नगर प्रमुख हैं।
    सच तो यह है कि पंजाब की समृद्ध भूमि ने विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित किया। जिसने इसके पूरे इतिहास को नये रूप में रंग दिया।

श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज PSEB 9th Class History Notes

  • पंजाब (अर्थ) – पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों ‘पंज’ तथा ‘आब’ के मेल से बना है। पंज का अर्थ है-पांच तथा आब का अर्थ है-पानी, जो नदी का प्रतीक है। अतः पंजाब से अभिप्राय है-पांच नदियों का प्रदेश।
  • पंजाब के बदलते नाम – पंजाब को भिन्न-भिन्न कालों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। ये नाम हैं-सप्त सिंधु, पंचनद, पेंटापोटामिया, सेकिया, लाहौर सूबा, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत आदि।
  • भौतिक भाग – भौगोलिक दृष्टि से पंजाब को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
    • हिमालय तथा उसकी उत्तर-पश्चिमी पर्वत श्रृंखलाएं
    • उप-पर्वतीय क्षेत्र (पहाड़ की तलहटी के क्षेत्र)
    • मैदानी क्षेत्र।
  • मालवा प्रदेश – मालवा प्रदेश सतलुज और घग्घर नदियों के बीच में स्थित है। प्राचीन काल में इस प्रदेश में ‘मालव’ नाम का एक कबीला निवास करता था। इसी कबीले के नाम पर इस प्रदेश का नाम ‘मालवा’ रखा गया।
  • हिमालय का पंजाब के इतिहास पर प्रभाव – हिमालय की पश्चिमी शाखाओं में स्थित दरों के कारण पंजाब भारत का द्वार बना। मध्यकाल तक भारत पर आक्रमण करने वाले लगभग सभी आक्रमणकारी इन्हीं दरों द्वारा भारत आये।
  • पंजाब के मैदानी भाग – पंजाब का मैदानी भाग बहुत समृद्ध था। इसी समृद्धि ने विदेशी आक्रमणकारियों को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
  • पंजाब की नदियों का पंजाब के इतिहास पर प्रभाव – पंजाब की नदियों ने आक्रमणकारियों के लिए बाधा का काम किया। इन्होंने पंजाब की प्राकृतिक सीमाओं का काम भी किया। मुग़ल शासकों ने अपनी सरकारों, परगनों तथा सूबों की सीमाओं का काम इन्हीं नदियों से ही लिया।
  • तराई प्रदेश – पंजाब का तराई प्रदेश घने जंगलों से घिरा हुआ है। संकट के समय में इन्हीं वनों ने सिक्खों को आश्रय दिया। यहां रहकर उन्होंने अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाई और अत्याचारियों से टक्कर ली।
  • पंजाब में रहने वाली विभिन्न जातियां – पंजाब में विभिन्न जातियों के लोग निवास करते हैं। इनमें से जाट, सिक्ख, राजपूत, पठान, खत्री, अरोड़े, गुज्जर, अराइन आदि प्रमुख हैं।
  • 1849 ई० -पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया।
  • 1857 ई० -दिल्ली और हिसार के क्षेत्र पंजाब में शामिल।
  • 1901 ई० -पंजाब प्रदेश में से उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रदेश बनाया गया।
  • 1911 ई०.-दिल्ली को पंजाब से अलग किया गया।
  • 1947 ई० -भारत के विभाजन के समय पंजाब दो भागों पश्चिमी पंजाब और पूर्वी पंजाब में विभाजित हो गया।
  • 1 नवंबर, 1966 ई०-पंजाब को भाषा के आधार पर पंजाब और हरियाणा दो प्रांतों में बांटा गया और कुछ इलाका हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 6 जनसंख्या

SST Guide for Class 9 PSEB जनसंख्या Textbook Questions and Answers

(क) मानचित्र कार्य :

प्रश्न 1.
1. सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश।
2. सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश।
3. प्रति वर्ग किलोमीटर 1000 से अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
4. प्रति वर्ग किलोमीटर 1000 से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी MBD Map Master की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों से एक वाक्य में दें:

प्रश्न 1.
पंजाब की जनसंख्या की कारोबारी बनावट का चार्ट अध्यापक की सहायता से तैयार करें और कक्षा के कमरे में लगाओ।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी अपने अध्यापकों की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पंजाब की जनसंख्या का ज़िले अनुसार लिंग अनुपात की सूची तैयार करें और इस संबंधी अध्यापक जी से चर्चा करें।
उत्तर-
यह प्रश्न विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
इनमें से कौन-से राज्य की जनसंख्या घनत्व 2011 की जनगणना अनुसार सबसे अधिक है ?
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) बिहार
(iii) बंगाल
(iv) केरल।
उत्तर-
(ii) बिहार।

प्रश्न 4.
एक स्थान से नई जगह जाकर निवास की क्रिया को क्या कहते है ?
(i) आवास
(ii) स्वतंत्रता
(iii) नगरीकरण
(iv) प्रवास।
उत्तर-
(iv) प्रवास।

प्रश्न 5.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब के कितने फीसदी लोग कृषि संबंधी कार्यों में हैं ?
(i) 35.5
(ii) 40.5
(iii) 30.5
(iv) 27.5.
उत्तर-
(i) 35.5.

प्रश्न 6.
मादा भ्रूण हत्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माँ की कोख में ही मादा भ्रूण खत्म करने को मादा भ्रूण हत्या कहते हैं। इससे लिंग अनुपात कम हो जाता है।

प्रश्न 7.
देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास का पता लगाने के लिए जरूरी तत्त्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
साक्षरता, स्वास्थ्य, आय इत्यादि किसी देश के सामाजिक व आर्थिक विकास का पता करने के लिए आवश्यक तत्त्व हैं।

प्रश्न 8.
किसी स्थान की जनसंख्या बढ़ौतरी (फीसदी) कैसे पता की जाती है ?
उत्तर-
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (1) के फार्मूले से जनसंख्या बढ़ौतरी (फीसदी) का पता किया जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 9.
विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर-
विश्व जनसंख्या दिवस प्रति वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है।

(ग) इन प्रश्नों के संक्षेप उत्तर दें :

प्रश्न 1.
जनसंख्या के पक्ष से भारत की विश्व में स्थिति पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
2011 की जनसंख्या गणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,21,05,69,573 अर्थात् 121 करोड़ से कुछ अधिक थी। अगर हम 2016 के अनुमानित आँकड़ों की तरफ देखें तो यह 132 करोड़ तक पहुँच गई है। इस समय संपूर्ण संसार की जनसंख्या 742 करोड़ से अधिक है। भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हज़ार वर्ग किलोमीटर है जो क्षेत्रफल के पक्ष से संसार में सातवें स्थान पर आता है तथा यह 2.4% ही बनता है। परंतु अगर हम जनसंख्या के पक्ष से तुलना करें तो
हमारा संसार में दूसरा स्थान है तथा हमारे देश में संसार की कुल जनसंख्या का 16.7% बसता है। इस समय संसार के लगभग छः लोगों में से एक भारतीय है।

प्रश्न 2.
पंजाब का एक व्यस्क, जनसंख्या घनत्व, लिंग अनुपात और साक्षरता के पक्ष से कौन-से स्थान पर होगा ?
उत्तर-

  • जनसंख्या के पक्ष से पंजाब का भारत में 15वां स्थान है तथा इसकी जनसंख्या 2,77,43,338 है।
  • जनसंख्या घनत्व के पक्ष से पंजाब का जनसंख्या घनत्व 2011 में 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था जो 2001 में 484 व्यक्ति था।
  • लिंग अनुपात के पक्ष से पंजाब का लिंग अनुपात 2011 में 1000 : 895 था जो काफी कम है। पंजाब में 2011 में बच्चा लिंग अनुपात 1000 : 846 था।
  • पंजाब की साक्षरता दर 75.8% है जो सम्पूर्ण देश में चौदहवें स्थान पर है।

प्रश्न 3.
प्रवास के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं ?
उत्तर-

  1. रोजगार की तलाश में प्रवास करना।
  2. कृषि करने के लिए भूमि ढूँढने के लिए प्रवास करना।
  3. धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रवास करना।
  4. अधिक आय की आशा में प्रवास करना।
  5. मजबूरी में प्रवास करना।
  6. राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए प्रवास करना।
  7. विवाह करवाने के लिए अपना क्षेत्र छोड़ देना।
  8. बढ़िया सुविधाओं के लिए गाँव से नगरों को प्रवास करना।

प्रश्न 4.
साक्षरता दर कैसे पता चलती है ? साक्षरता पक्ष से पंजाब कौन-से मुख्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है ?
उत्तर-
भारत में जनगणना के उद्देश्य से जो व्यक्ति किसी भी भारतीय भाषा में पढ़-लिख सकता है, वह साक्षर अथवा पढ़ा लिखा है। 1991 में यह निर्णय किया गया कि 7 वर्ष से कम आयु वाले सभी बच्चों को अनपढ़ माना जाएगा। यह निर्णय 2001 तथा 2011 की जनगणना में भी लागू किया गया। साक्षरता दर पता करने का एक सूत्र है :
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (2)
अगर हम भारत में पंजाब की साक्षरता दर की स्थिति देखें तो यह चौदहवें स्थान पर आता है। पंजाब की साक्षरता दर 75.8%, है। यह केरल (94%), मिज़ोरम (91.3%), गोवा (88.7%), त्रिपुरा (87.2%) इत्यादि राज्यों से काफी पीछे है।।

प्रश्न 5.
पंजाब के गांव-शहरी जनसंख्या विभाजन पर नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है तथा इसमें से 1,03,99,146 व्यक्ति नगरों में तथा 1,73,44,192 व्यक्ति गांवों में रहते हैं। इस प्रकार 37.5% लोग नगरों में तथा 62.5% लोग गाँवों में रहते हैं। नगरों की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 33.9% थी जो 2011 में 37.5% हो गई है। वास्तव में नगरों में अधिक सुविधाओं, पढ़ाई-लिखाई तथा रोजगार के अधिक अवसर होते हैं जिस कारण नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 2001 से 2011 के बीच साहिबजादा अजीत सिंह नगर जिले में सबसे अधिक नगरीकरण हुआ है जहां 54.8% लोग नगरों में रहते हैं । तरनतारन में केवल 12.7% लोग ही नगरों में रहते हैं, बाकी 87.3% लोग गाँवों के वासी हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि धीरे-धीरे नगरों की जनसंख्या बढ़ रही है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 से अवगत कराएं।
उत्तर-
वर्ष 2000 में भारत सरकार ने कई उद्देश्यों को सामने रख कर राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का निर्माण किया जिसके । उद्देश्य निम्नलिखित हैं :

  1. 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को आवश्यक तथा निःशुल्क शिक्षा देना।
  2. प्राथमिक तथा सैकेंडरी स्तर पर पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम करना।
  3. बाल मृत्यु दर को 30 प्रति 1000 तक लेकर आना।
  4. मातृ मृत्यु दर को एक लाख के पीछे 100 से कम करना।
  5. छोटे परिवार को प्राथमिक देना।
  6. लड़कियों को 18 वर्ष से पहले विवाह न करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  7. बच्चों के जन्म को संस्थाओं तथा ट्रेंड व्यक्तियों से करवाने पर बल देना।
  8. 2045 तक स्थिर जनसंख्या का लक्ष्य प्राप्त करना।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दें :

प्रश्न 1.
किशोर आयु वर्ग को क्या-क्या मुख्य कठिनाइयां हो सकती हैं ?
उत्तर-
जब एक बच्चा 10 वर्ष की आयु पार कर जाता है तो वह किशोरावस्था में शामिल हो जाता है। यह अवस्था 10 वर्ष से 19 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में बच्चे में काफी शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन आते हैं जिस कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जिनका वर्णन इस प्रकार है-

  1. बाल विवाह-देश के कई भागों में आज भी बाल विवाह प्रचलित है जिस कारण इस आयु में आते ही उनका विवाह कर दिया जाता है। इस कारण उनका शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है तथा उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिल पाता।
  2. बाल मजदूरी-देश की बहुत बड़ी जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। इस कारण घर के बच्चों को घर का खर्चा चलाने के लिए मज़दूरी या कोई अन्य कार्य करना पड़ता है। इस प्रकार पढ़ने की आयु में उन पर घर चलाने का दबाव पड़ जाता है।
  3. नशीली दवाओं का प्रयोग-इस आयु में बच्चे काफी जल्दी गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं तथा कई बच्चे और लोगों को देखकर नशा करने लग जाते हैं। इससे उनका भविष्य खराब हो जाता है।
  4. अच्छी खुराक न मिलना-इस आयु में शारीरिक व मानसिक विकास के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है जो निर्धनता के कारण उन्हें मिल नहीं पाती। उन्हें कम आहार पर गुजारा करना पड़ता है तथा इस कारण शारीरिक विकास नहीं हो पाता।
  5. स्कूल से हटाना-इस आयु में बच्चे पढ़ते-लिखते हैं तथा अपना भविष्य बनाते हैं। परंतु यह देखा गया है कि बहुत से लोग बच्चों को स्कूल से ही निकाल लेते हैं तथा कोई कार्य करने के लिए लगा देते हैं ताकि घर में पैसे आ सकें।
  6. रक्त की कमी-पौष्टिक आहार न मिलने के कारण उनके रक्त की कमी हो जाती है जिस कारण वह अपनी प्रतिभा का ठीक ढंग से उपयोग नहीं कर पाते।

प्रश्न 2.
जनसंख्या प्रवास संबंधी भारत और पंजाब की स्थितियों पर चर्चा करें।
उत्तर-
किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या एक समान नहीं रहती। उसके घटने बढ़ने में जन्म दर तथा मृत्यु दर का काफी बड़ा हाथ होता है। परंतु इसके साथ-साथ प्रवास की भी इसमें काफी बड़ी भूमिका होती है। परंतु प्रश्न यह उठता है कि प्रवास होता क्या है ? वास्तव में प्रवास का अर्थ है जनसंख्या अथवा लोगों का एक भौगोलिक क्षेत्र को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में जाकर रहने लग जाना। यह गतिशीलता अथवा प्रवास स्थायी भी हो सकता है तथा अस्थायी भी।

1. भारत की स्थिति- इसमें कोई शंका नहीं है कि भारत के बहुत से लोग प्रत्येक वर्ष विदेशों की तरफ प्रवास कर जाते हैं। उत्तर भारत के लोगों के मुख्य देश जहां वह प्रवास करना पसंद करते हैं, वह हैं अमेरिका, कैनेडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी इत्यादि इसके साथ ही दक्षिण भारत विशेषतया केरल के लोग खाड़ी देशों में जाना पसंद करते हैं। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति अधिक से अधिक पैसे कमाना चाहता है जिस कारण वह पश्चिमी देशों की तरफ प्रवास कर जाते हैं। उन देशों की करंसी की कीमत हमारे देश की करंसी की कीमत से काफी अधिक है जिस कारण वह पश्चिमी देशों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर, आई.टी. से संबंधित व्यक्ति हमेशा इस प्रयास में रहते हैं कि कब बाहर के देश में जाकर पैसे कमा सकें। इससे भारतीय लोग अन्य देशों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

2. पंजाब की स्थिति-अन्य भारतीयों की तरह बहुत से पंजाबी भी बाहर के देशों की तरफ प्रवास करना पसंद करते हैं। जालंधर दोआब के क्षेत्र के बहुत से गांवों के अधिकतर पुरुष पश्चिमी देशों की तरफ प्रवास कर गए हैं तथा धीरे-धीरे अपने परिवारों को भी वहां पर लेकर जा रहे हैं। उनके पसंदीदा देश हैं कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा इंग्लैंड। पंजाबी वहां के डॉलरों के प्रति खींचे चले जाते हैं।

अगर पंजाबी बाहर के देशों की तरफ जा रहे हों तो बहुत से लोग पंजाब आ भी रहे हैं । यह वे प्रवासी मज़दूर हैं जो उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों से पंजाब आकर पैसे कमाते हैं। वे यहां के कारखानों में कार्य करते हैं, खेतों में कार्य करते हैं ताकि अधिक पैसे कमाए जा सकें। 2011 में 21,30,262 व्यक्ति पंजाब आए थे जो कि राज्य की जनसंख्या का 8.7% बनता है।

प्रश्न 3.
भारतीय जनसंख्या का घनत्व के आधार पर विभाजन करें।
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। परंतु प्रादेशिक स्तर पर जनसंख्या घनत्व में भारी अंतर है। जनसंख्या घनत्व बिहार में सबसे अधिक है तो सबसे कम अरुणाचल प्रदेश में है। केंद्र शासित प्रदेशों में यह अन्तर और भी अधिक है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक (9340 व्यक्ति) है, जबकि अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में यह मात्र 46 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

1. अधिक जनसंख्या घनत्व-प्रादेशिक स्तर पर, अधिक जनसंख्या घनत्व (400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से अधिक) वाले क्षेत्र सतलुज, गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के डेल्टे हैं। यहां पर उपजाऊ मिट्टी तथा अच्छी वर्षा के कारण कृषि का विकास अच्छा है। इसके अतिरिक्त बड़े औद्योगिक एवं प्रशासनिक नगरों जैसे लुधियाना, गुड़गांव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, कानपुर, पटना, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, अहमदाबाद, बंगलौर (बंगलुरू) एवं हैदराबाद के आसपास भी अधिक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (3)
2. कम जनसंख्या घनत्व-कम जनसंख्या घनत्व (200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से कम) वाले क्षेत्र ऐसे हैं जो भौतिक विकलांगता से ग्रस्त हैं। ऐसे क्षेत्र हैं-

  • उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणियों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल के पहाड़ी भाग,
  • पूर्व में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय तथा त्रिपुरा राज्यों में,
  • पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय भाग, गुजरात के दलदलीय क्षेत्रों तथा
  • दक्षिण आंतरिक प्रायद्वीपीय पठार में मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, पूर्वी कर्नाटक, तेलंगाना एवं तमिलनाडु का कुछ भाग शामिल हैं।

3. औसत जनसंख्या घनत्व-अधिक जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों के बाह्य भाग औसत जनसंख्या घनत्व (200 से 300 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी०) के क्षेत्र कहलाते हैं। सामान्यतः ये क्षेत्र कम और अधिक जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों के बीच पड़ते हैं। ऐसे क्षेत्र संख्या में कम ही हैं।
इससे इस बात का आभास हो जाता है कि भारत में जनसंख्या वितरण एवं घनत्व में भारी प्रादेशिक असमानताएं हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय जनसंख्या के स्वास्थ्य और कार्य पक्ष की चर्चा करें।
उत्तर-
1. स्वास्थ्य-स्वास्थ्य को जनसंख्या की संरचना का एक महत्त्वपूर्ण भाग माना जाता है जो विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। सरकारों के लगातार प्रयासों के कारण भारत की जनसंख्या के स्वास्थ्य स्तर में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है। मृत्यु दर जो 1951 में 25 प्रति हज़ार थी वह 2011 में कम होकर 7.9 प्रति हज़ार रह गई है। इस प्रकार औसत आयु जो 1951 में 36.7 वर्ष थी, वह 2011 में बढ़ कर 65.2 वर्ष हो गई है। यह महत्त्वपूर्ण सुधार बहुत से कारणों की वजह से ही मुमकिन हो पाया है जैसे कि जनता का स्वास्थ्य, संक्रामक बिमारियों से बचाव तथा बिमारियों के इलाज में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग। सरकार ने हज़ारों अस्पताल, डिस्पेंसरियां तथा स्वास्थ्य केन्द्र खोले हैं ताकि जनता को बढ़िया स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो सके परंतु फिर भी स्वास्थ्य का स्तर मुख्य चिंता का विषय है। प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत अभी भी कम है। हमारी जनसंख्या के एक बड़े भाग को अभी भी सही भोजन नहीं मिल पाता है। साफ पीने का पानी तथा मूल स्वास्थ्य सुविधाएं केवल एक तिहाई ग्रामीण जनता के लिए ही मौजूद हैं। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए एक सही जनसंख्या नीति की आवश्यकता है।

2. पेशे-आर्थिक रूप से कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत विकास का एक महत्त्वपूर्ण सूचक होता है। अलग-अलग प्रकार के पेशों के अनुसार की गई जनसंख्या के विभाजन को पेशों की संरचना कहा जाता है। किसी भी देश में अलग-अलग पेशों को करने वाले लोग भी अलग-अलग होते हैं, पेशों को तीन भागों-प्राथमिक, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में बाँटा जाता है।

    • प्राथमिक श्रेणी-इसमें कृषि, पशुपालन, वृक्ष लगाना, मछली पालना तथा खनन इत्यादि शामिल हैं।
    • द्वितीय श्रेणी-इसमें उद्योग, घर बनाना तथा निर्माण कार्य में लगे लोग शामिल होते हैं।
    • तृतीय श्रेणी-इसमें अपनी सेवा देने वाले लोग शामिल हैं जैसे कि प्रशासन, बैंकिंग, बीमा क्षेत्र इत्यादि।

विकसित तथा विकासशील देशों में अलग-अलग कार्यों में लगे लोगों का अनुपात भी अलग होता है। विकसित देशों में द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में अधिक लोग लगे होते हैं। विकासशील देशों में प्राथमिक क्षेत्र में अधिक लोग लगे होते हैं। भारत में 53% जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र में लगी हुई है। इस प्रकार द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में 13% तथा 20% लोग लगे हुए हैं। वर्तमान समय में औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के बढ़ने के कारण द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी में काफी परिवर्तन आया है।

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PSEB 9th Class Social Science Guide जनसंख्या Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
जनसंख्या की दृष्टि भारत का विश्व में स्थान है-
(क) दूसरा
(ख) चौथा
(ग) पाँचवां
(घ) नौवां।
उत्तर-
(क) दूसरा

प्रश्न 2.
पंजाब में पूरे देश की लगभग जनसंख्या निवास करती है-
(क) 1.3%
(ख) 2.3%
(ग) 3.2%
(घ) 1.2%.
उत्तर-
(ख) 2.3%

प्रश्न 3.
देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है ?
(क) 70%
(ख) 75%
(ग) 78%
(घ) 71%.
उत्तर-
(घ) 71%

प्रश्न 4.
2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में जनसंख्या घनत्व है-
(क) 888
(ख) 944
(ग) 551
(घ) 933.
उत्तर-
(ग) 551

प्रश्न 5.
2011 की जनगणना के अनुसार देश में प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या थी-
(क) 943
(ख) 933
(ग) 939
(घ) 894.
उत्तर-
(क) 943

प्रश्न 6.
देश के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) बिहार
(ग) राजस्थान
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर-
(ख) बिहार

प्रश्न 7.
देश के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है ?
(क) मिज़ोरम
(ख) सिक्किम
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) नागालैंड।
उत्तर-
(ग) अरुणाचल प्रदेश

प्रश्न 8.
पंजाब में 2011 में लिंग अनुपात कितना था ?
(क) 943
(ख) 866
(ग) 872
(घ) 895.
उत्तर-
(घ) 895.

प्रश्न 9.
देश के किस जिले की जनसंख्या सबसे अधिक है ?
(क) थाने
(ख) उत्तर चौबीस
(ग) दिबांग घाटी
(घ) अनजाह।
उत्तर-
(क) थाने

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प्रश्न 10.
इनमें से कौन-सा प्रवास का कारण है ?
(क) रोज़गार की तलाश
(ख) कमाई की आशा
(ग) धार्मिक स्वतंत्रता
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी।

रिक्त स्थान की पूर्ति करें (Fill in the Blanks)

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल शहरी जनसंख्या लगभग ……… है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का प्रतिशत …………… है।
  3. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व ………… प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  4. देश में मुख्य श्रमिकों का प्रतिशत ……………. है।
  5. देश में मुख्य श्रमिकों का सबसे अधिक प्रतिशत …………. में है।
  6. देश में 15-65 आयु वर्ग में …………. प्रतिशत जनसंख्या है।

उत्तर-

  1. 1.35 करोड़,
  2. 40%
  3. 382,
  4. 37.50,
  5. आंध्रप्रदेश,
  6. 58.4

सही/गलत (True/False)

  1. जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का पहला स्थान है। ( )
  2. देश के पर्वतीय तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत सघन है। ( )
  3. निर्धन देशों में बाल्य आयु वर्ग (0-14 वर्ष) की जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है। ( )
  4. भारत में लिंग-अनुपात कम अर्थात् प्रतिकूल है। ( )
  5. जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि दर जन्म-दर तथा मृत्यु दर के अंतर पर निर्भर करती है। ( )

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✓)
  5. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी क्षेत्र के एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की औसत संख्या को उस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत के जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक कौन-सा है और क्यों ?
उत्तर-
कृषि उत्पादकता।

प्रश्न 3.
भारत के अति सघन आबाद दो भागों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत में ऊपरी गंगा घाटी तथा मालाबार में अति सघन जनसंख्या है।

प्रश्न 4.
भारत के किन प्रदेशों की जनसंख्या का घनत्व कम है ?
उत्तर-
भारत के उत्तरी पर्वतीय प्रदेश, घने वर्षा वनों वाले उत्तर-पूर्वी प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान के अत्यंत शुष्क क्षेत्र और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जन-घनत्व कम है।

प्रश्न 5.
नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने से क्या दुष्परिणाम हुए हैं ?
उत्तर-
नगरों में जनसंख्या के बहुत तेजी से बढ़ने के कारण उपलब्ध संसाधनों और जन-सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ा है।

प्रश्न 6.
स्त्री-पुरुष अथवा लिंग अनुपात से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
प्रति हज़ार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं।

प्रश्न 7.
अर्जक जनसंख्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्जक जनसंख्या से अभिप्राय उन लोगों से है जो विभिन्न व्यवसायों में काम करके धन कमाते हैं।

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प्रश्न 8.
आश्रित जनसंख्या क्या होती है ?
उत्तर-
आश्रित जनसंख्या में वे बच्चे तथा बूढ़े आते हैं जो काम नहीं कर सकते अपितु अर्जक जनसंख्या पर आश्रित रहते हैं।

प्रश्न 9.
मृत्यु-दर के तेज़ी से घटने का मुख्य कारण बताएं।
उत्तर-
मृत्यु-दर के तेज़ी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार है।

प्रश्न 10.
भारत में सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है ?
उत्तर-
सिक्किम।

प्रश्न 11.
भारत में जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर-
382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 12.
पश्चिमी बंगाल में जनसंख्या घनत्व कितना है ?
उत्तर-
1082 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 13.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य का नाम बताइए।
उत्तर-
बिहार।

प्रश्न 14.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 15.
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग-अनुपात है ?
उत्तर-
943 स्त्रियां प्रति एक हज़ार पुरुष।

प्रश्न 16.
भारत में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर-
केरल।

प्रश्न 17.
भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है ?
उत्तर-
अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 18.
दिल्ली का जनसंख्या घनत्व क्या है ?
उत्तर-
11297 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 19.
मानव संसाधन विकास का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
मानव संसाधन विकास से तात्पर्य लोगों में इन चार बातों का विकास करने से है-

  1. शिक्षा
  2. तकनीकी कुशलता
  3. स्वास्थ्य
  4. पोषण।

प्रश्न 20.
आजादी से पहले देश की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ने के क्या कारण थे ?
उत्तर-
महामारियों, लड़ाइयों तथा अकाल के कारण मृत्यु दर में वृद्धि।

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प्रश्न 21.
वर्ष 1901 में भारत की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर-
वर्ष 1901 में भारत की जनसंख्या 23,83,96,327 (23.8 करोड़) थी।

प्रश्न 22.
वर्ष 2001 में भारत की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर-
वर्ष 2001 में भारत की जनसंख्या 102.7 करोड़ थी।

प्रश्न 23.
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में (चीन के पश्चात्) दूसरा स्थान है।.

प्रश्न 24.
भारत के कितने राज्यों की जनसंख्या पांच करोड़ से अधिक है ?
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 10 राज्यों की जनसंख्या 5 करोड़ से अधिक है।

प्रश्न 25.
देश के सबसे अधिक और सबसे कम जनसंख्या वाले राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है।

प्रश्न 26.
पंजाब की जनसंख्या 2011 में कितनी थी और जनसंख्या की दृष्टि से पंजाब का राज्यों में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-

  1. वर्ष 2011 में पंजाब की जनसंख्या लगभग 2.77 करोड़ थी।
  2. जनसंख्या की दृष्टि से पंजाब का भारत के राज्यों में 15वां स्थान है।

प्रश्न 27.
पंजाब में पूरे देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ?
उत्तर-
पंजाब में पूरे देश की लगभग 2.3 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 28.
एक लाख की आबादी से अधिक के भारत में कितने शहर हैं ?
उत्तर-
भारत में एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की संख्या 300 से अधिक है।

प्रश्न 29.
मैदानी भागों में देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ?
उत्तर-
मैदानी भागों में देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 30.
देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है ?
उत्तर-
देश की लगभग 68% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।

प्रश्न 31.
देश में जनसंख्या का औसत घनत्व कितना है ?
उत्तर-
देश में जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (2011 में) है।

प्रश्न 32.
देश के सबसे अधिक व सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार देश का सबसे अधिक घनत्व वाला राज्य बिहार तथा सबसे कम घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश है।

प्रश्न 33.
पंजाब में जनसंख्या का घनत्व कितना है ?
उत्तर-
पंजाब में जनसंख्या का घनत्व 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (2011 में) है।

प्रश्न 34.
किस केंद्र शासित प्रदेश का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।

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प्रश्न 35.
आयु संरचना को निर्धारित करने वाले तत्त्वों के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. जन्मता (fertility)
  2. मर्त्यता (mortality)
  3. प्रवास (migration)।

प्रश्न 36.
देश में 0-14 आयु वर्ग में कितने प्रतिशत जनसंख्या है ?
उत्तर-
देश में 0-14 आयु वर्ग में 37.2 प्रतिशत जनसंख्या है।

प्रश्न 37.
देश में 15-65 आयु वर्ग में कितने प्रतिशत जनसंख्या है ?
उत्तर-
देश में 15-65 आयु वर्ग में 58.4 प्रतिशत जनसंख्या है।

प्रश्न 38.
लिंग-अनुपात से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लिंग-अनुपात से अभिप्राय प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या से है।

प्रश्न 39.
वर्ष 2011 में देश की जनसंख्या का लिंग अनुपात क्या था ?
उत्तर-
वर्ष 2011 में देश की जनसंख्या का लिंग-अनुपात 1000 : 943 था।

प्रश्न 40.
वर्ष 2001 में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों का अलग-अलग लिंग अनुपात क्या था ?
उत्तर-
वर्ष 2001 में ग्रामीण क्षेत्रों का लिंग अनुपात 939 तथा शहरों में 894 प्रति हजार पुरुष था।

प्रश्न 41.
देश के ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में लिंग अनुपात तेजी से क्यों घट रहा है ?
उत्तर-
लिंग अनुपात के तेज़ी से घटने के कारण हैं

  1. स्त्रियों का दर्जा निम्न होना।
  2. जनगणना के समय स्त्रियों की अपेक्षाकृत कम गणना करना या पुरुषों की गणना बढ़ाकर करना।
  3. लड़कियों की जन्म दर कम होना।
  4. स्त्री भ्रूण-हत्या (Female foeticide)।

प्रश्न 42.
आर्थिक आधार पर भारत की जनसंख्या को किन दो भागों में बांट सकते हैं ?
उत्तर-
आर्थिक आधार पर जनसंख्या को दो भागों में बांट सकते हैं-

  1. श्रमिक जनसंख्या
  2. अश्रमिक जनसंख्या।

प्रश्न 43.
जन्म दर क्या होती है ?
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 व्यक्तियों के पीछे एक वर्ष में पैदा हुए बच्चों की संख्या को जन्म दर कहते हैं।

प्रश्न 44.
मृत्यु दर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 व्यक्तियों के पीछे एक वर्ष में मरे व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं।

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प्रश्न 45.
प्रवास क्या होता है?
उत्तर-
व्यक्तियों के एक भौगोलिक क्षेत्र को छोड़ कर दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में जाकर रहने की प्रक्रिया को प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 46.
किशोरावस्था क्या होती है ?
उत्तर-
10 वर्ष से 19 वर्ष तक की अवस्था को किशोरावस्था कहते हैं।

प्रश्न 47.
किशोरावस्था की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
इस आयु में कई शारीरिक परिवर्तन आते हैं जो किशोरों को काफी अजीब लगता है।

प्रश्न 48.
पंजाब में प्रवासी मजदूरों के आने का एक कारण बताएं।
उत्तर-
पंजाब के उद्योगों तथा खेतों में कार्य करके पैसा कमाने के लिए प्रवासी मज़दूर पंजाब आते हैं।

प्रश्न 49.
पंजाब में कौन-से राज्यों से प्रवासी मजदूर आते हैं ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल इत्यादि।

प्रश्न 50.
देश के कौन-से जिलों में सबसे अधिक व सबसे कम जनसंख्या है ?
उत्तर-
अधिक जनसंख्या-थाने (महाराष्ट्र)- 1,10,60,148 व्यक्ति कम जनसंख्या-दिबांग घाटी (अरुणाचल प्रदेश)-8004 व्यक्ति।

प्रश्न 51.
देश की साक्षरता दर कितनी है ?
उत्तर-
2011 में देश की साक्षरता दर 74.04% थी।

प्रश्न 52.
पंजाब के किस जिले में लिंग अनुपात सबसे अधिक है ?
उत्तर-
होशियारपुर 1000 : 961.

प्रश्न 53.
पंजाब के किस जिले में सबसे अधिक साक्षरता दर है ?
उत्तर-
होशियारपुर-84.16%.

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जनगणना से आप क्या समझते हैं ? इस पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
भारत सरकार प्रत्येक दस वर्ष के पश्चात् जनसंख्या की गिनती करवाती है जिसे जनगणना (Census Survey) कहते हैं। इस गिनती के साथ-साथ लोगों की आयु, लिंग, घर, साक्षरता इत्यादि के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाती है। देश में प्रथम बार जनगणना सन् 1872 में हुई थी तथा उसके पश्चात् प्रत्येक दशक के प्रथम वर्ष में जनगणना करवाई जाती है। 2011 की जनगणना देश की 15वीं जनगणना थी जिसमें 22 अरब रुपये खर्च हुए थे तथा 27 लाख अधिकारियों ने इसमें भाग लिया था।

प्रश्न 2.
जनसंख्या वितरण एवं जनसंख्या घनत्व के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जनसंख्या वितरण का संबंध स्थान से तथा घनत्व का संबंध अनुपात से है। जनसंख्या वितरण का अर्थ यह है कि देश के किसी एक भाग में जनसंख्या का क्षेत्रीय प्रारूप (pattern) कैसा है। हम यह भी कह सकते हैं कि जनसंख्या वितरण में इस बात की जानकारी प्राप्त की जाती है कि जनसंख्या प्रारूप फैलाव लिए है या इसका एक ही । स्थान पर अधिक जमाव है। इसके विपरीत जनसंख्या घनत्व में, जिसका संबंध जनसंख्या आकार एवं क्षेत्र से होता है, मनुष्य तथा क्षेत्र के अनुपात पर ध्यान दिया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या वितरण पर किन-किन तत्त्वों का सबसे अधिक प्रभाव है ?
उत्तर-
भारत में जनसंख्या का वितरण एक समान नहीं है। इसके लिए निम्नलिखित अनेक तत्त्व उत्तरदायी हैं

  1. भूमि का उपजाऊपन-भारत के जिन राज्यों में उपजाऊ भूमि का अधिक विस्तार है, वहां जनसंख्या का घनत्व अधिक है। उत्तर प्रदेश तथा बिहार ऐसे ही राज्य हैं।
  2. वर्षा की मात्रा अधिक वर्षा वाले भागों में प्राय: जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। उत्तरी भारत में पूर्व से पश्चिम को जाते हुए वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। इसलिए जनसंख्या का घनत्व भी घटता जाता है।
  3. जलवायु-जहां जलवायु स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है, वहां भी जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। इसके विपरीत ऐसे प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है जहां की जलवायु स्वास्थ्य के लिए अच्छी न हो। असम में वर्षा अधिक होते हुए भी जनसंख्या का घनत्व कम है क्योंकि यहां अधिक नमी के कारण मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है।
  4. परिवहन के उन्नत साधन-परिवहन के साधनों के अधिक विकास के कारण व्यापार की प्रगति तीव्र हो जाती है जिससे जनसंख्या का घनत्व भी अधिक हो जाता है। उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखंड इत्यादि राज्यों में अधिक जनसंख्या होने का एक कारण परिवहन के साधनों का विकास है।
  5. औद्योगिक विकास-जिन स्थानों पर उद्योग स्थापित हो जाते हैं, वहां जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों में आजीविका कमाना सरल होता है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि नगरों में औद्योगिक विकास के कारण ही जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 4.
भारत को गांवों का देश क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत गांवों का देश है। निम्नलिखित तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाएगी-

  1. देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बसी है।
  2. देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है।
  3. देश में 5 लाख 50 हजार से अधिक ग्रामीण अधिवासी (Rural Settlements) हैं जबकि कुल शहरी जनसंख्या का दो तिहाई भाग देश के बड़े नगरों में बसा हुआ है।
  4. देश में कुल मुख्य श्रमिकों का 40.1 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 30.2 प्रतिशत नगरों में निवास करता है।

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर-
भारत में जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। नदियों की घाटियों और समुद्र तटीय मैदानों में जनसंख्या वितरण बहुत सघन है, परंतु पर्वतीय, मरुस्थलीय एवं अभाव-ग्रस्त क्षेत्रों में जनसंख्या वितरण बहुत ही विरल है।
  2. देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में और 29% भाग शहरों में निवास करता है। शहरी जनसंख्या का भारी जमाव बड़े शहरों में है। कुल शहरी जनसंख्या का दो-तिहाई भाग एक लाख या इससे अधिक आबादी वाले प्रथम श्रेणी के शहरों में रहता है।
  3. देश के अल्पसंख्यक समुदायों का अति संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण बाह्य सीमा क्षेत्रों में जमाव है। उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिमी भारत में भारत-पाक सीमा के पास पंजाब में सिक्खों तथा जम्मू-कश्मीर जो कि अब एक केन्द्र शासित प्रदेश है, में मुसलमानों का बाहुल्य है।

प्रश्न 6.
जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है ? भारत में जनसंख्या घनत्व के बारे में बताएं।
उत्तर-
एक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में जितने व्यक्ति रहते हैं, उसे जनसंख्या घनत्व कहते हैं। किसी क्षेत्र में कितने व्यक्ति रहते हैं यह केवल जनसंख्या घनत्व देख कर ही पता किया जा सकता है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। देश के कई राज्य हैं जहां जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है जैसे कि बिहार (1106), पश्चिम बंगाल (1028), केरल (860), उत्तर प्रदेश (829), पंजाब (551) इत्यादि। परंतु कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां का जनसंख्या घनत्व काफी कम है जैसे कि नागालैंड (119), सिक्किम (86), मिज़ोरम (52), अरुणाचल प्रदेश (17) इत्यादि। केंन्द्र शासित प्रदेशों में दिल्ली (11297) का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है।

प्रश्न 7.
जनसंख्या बढ़ौतरी पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
किसी भी देश या स्थान की जनसंख्या एक समान नही रहती बल्कि इसमें समय के साथ-साथ परिवर्तन आते रहते हैं। इस कारण एक विशेष समय के दौरान किसी विशेष क्षेत्र में जनसंख्या में आए सकारात्मक परिवर्तन को जनसंख्या बढ़ौतरी कहा जाता है। जनसंख्या बढ़ौतरी कई कारणों की वजह से हो सकती है जैसे कि जन्म दर का बढ़ना, मृत्यु दर का कम होना, देश में विदेशों से लोगों का आकर रहना। 2001 से लेकर 2011 में भारत की जनसंख्या में 17.68% तथा पंजाब में यह 13.9% थी। जनसंख्या बढ़ौतरी को एक सूत्र से पता किया जा सकता है-
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (4)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 8.
जनसंख्या बढ़ौतरी के लिए उत्तरदायी कुछ कारकों के नाम लिखें।
उत्तर-
जनसंख्या बढ़ौतरी के लिए कई कारक उत्तरदायी हैं जैसे कि-

  1. अगर जन्म दर अधिक हो तथा मृत्यु दर कम हो तो जनसंख्या बढ़ जाती है।
  2. अगर लड़कियों का विवाह कम आयु में हो जाए तो भी जनसंख्या बढ़ने का खतरा हो जाता है।
  3. अगर देश की जलवायु जीवन जीने के अनुकूल है तो भी जनसंख्या बढ़ जाती है।
  4. विवाह की सर्वव्यापकता भी जनसंख्या बढ़ने के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 9.
आयु संरचना (Age Composition) पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
किसी क्षेत्र, राज्य अथवा देश की जनसंख्या को अलग-अलग आयु वर्गों में बाँटने की प्रक्रिया को आयु संरचना कहते हैं। सम्पूर्ण जनता को साधारणतया तीन समूहों में बाँटा जाता है। प्रथम समूह में 0-14 वर्ष की आयु के व्यक्ति आते हैं जिन्हें बच्चा समूह कहा जाता है। द्वितीय समूह में 15-64 वर्ष के व्यक्ति आते हैं जिसे बालिग या कार्यशील समूह कहा जाता है। तृतीय तथा अंतिम समूह में 65 वर्ष या इससे अधिक आयु के व्यक्ति आते हैं जिसे वृद्ध समूह कहा जाता है। प्रथम तथा तृतीय समूह अपनी आवश्यकताओं के लिए द्वितीय समूह पर निर्भर करता है। इस कारण इन्हें निर्भर समूह भी कहा जाता है। निर्भरता अनुपात को एक सूत्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (5)

प्रश्न 10.
लिंग अनुपात क्या है ? भारत में लिंग अनुपात का वर्णन करें।
उत्तर-
किसी विशेष क्षेत्र में 1000 पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को ही लिंग अनुपात कहा जाता है। भारत में 2011 में लिंग अनुपात 1000 : 943 था अर्थात् 1000 पुरुषों के पीछे 943 स्त्रियां थीं। भारत में लिंग अनुपात कम है। केवल केरल (1084) तथा पुडुचेरी (1037) में स्त्रियां अधिक हैं। बाकी सभी राज्यों में यह काफी कम है। किसी भी देश में स्त्रियों की स्थिति का पता करने के लिए लिंग अनुपात देखना बहुत ज़रूरी है। पिछले कुछ समय से सरकार की कठोरता के कारण लिंग अनुपात में काफी सुधार हो रहा है।

प्रश्न 11.
भारत में लिंग अनुपात कम होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
भारत में लिंग-अनुपात कम होने के कारणों के बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना संभव नहीं है। परंतु भारतीय समाज में स्त्री का दर्जा निम्न होना इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है। परिवार व्यवस्था में उसे निम्न दर्जा दिया गया है और पुरुष को ऊँचा। इसी कारण कम आयु में लड़कियों के स्वास्थ्य, खान-पान तथा देख-भाल की ओर कम ध्यान दिया जाता है। परिणामस्वरूप निम्न आयु वर्ग (0-6 वर्ष) में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की मृत्यु-दर अधिक है।
लिंग अनुपात कम होने के अन्य प्रमुख कारण हैं-जनगणना के समय स्त्रियों की अपेक्षाकृत कम गणना करना या पुरुषों की गणना बढ़ाकर करना, लड़कियों की जन्म दर कम होना तथा स्त्री भ्रूण-हत्या।

प्रश्न 12.
उत्तर भारत के राज्यों में लिंग अनुपात कितना है ?
उत्तर-
उत्तर भारत के राज्यों में लिंग अनुपात प्रतिकूल है। इसका अर्थ यह है कि इन राज्यों में प्रति हज़ार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम है। यह बात 2011 में भारत के 5 उत्तरी राज्यों में लिंग अनुपात से स्पष्ट हो जाती है, जो इस प्रकार है

  1. बिहार 912,
  2. राजस्थान 935,
  3. पंजाब 899,
  4. उत्तर प्रदेश 910 तथा
  5. हरियाणा 885.

प्रश्न 13.
जनसंख्या की आर्थिक संरचना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
जनसंख्या की आर्थिक संरचना का विशेष महत्त्व है-

  1. इससे हमें पता चलता है कि देश की जनसंख्या का कितना भाग कार्यशील है और वह किस-किस व्यवसाय में जुटा हुआ है।
  2. यह संरचना किसी क्षेत्र की जनसांख्यिकीय तथा सांस्कृतिक लक्षणों को प्रकट करती है। इसी पर उस क्षेत्र के भविष्य का सामाजिक तथा आर्थिक विकास का प्रारूप आधारित होता है।
  3. आर्थिक संरचना से हमें पता चलता है कि देश किस आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। अतः हम उस क्षेत्र के विकास के लिए उचित योजना बना सकते हैं।

प्रश्न 14.
देश की जनसंख्या की संरचना का अध्ययन करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
किसी देश की जनसंख्या की संरचना को जानना क्यों आवश्यक है, इसके कई कारण हैं-

  1. सामाजिक एवं आर्थिक नियोजन के लिए किसी भी देश की जनसंख्या के विभिन्न लक्षणों जैसे जनसंख्या की आयु-संरचना, लिंगसंरचना, व्यवसाय संरचना आदि के आंकड़ों की आवश्यकता पड़ती है।
  2. जनसंख्या की संरचना के विभिन्न घटकों का देश के आर्थिक विकास से गहरा संबंध है। जहां एक ओर ये जनसंख्या संरचना घटक आर्थिक विकास से प्रभावित होते हैं, वहीं ये आर्थिक विकास की प्रगति एवं स्तर के प्रभाव से भी अछूते नहीं रह पाते। उदाहरण के लिए यदि किसी देश की जनसंख्या की आयु संरचना में बच्चों तथा बूढ़े लोगों का प्रतिशत बहत अधिक है तो देश को शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अधिक-से-अधिक वित्तीय साधनों को खर्च करना पड़ेगा। दूसरी ओर, आयु संरचना में कामगार आयु-वर्गों (Working age-groups) का भाग अधिक होने से देश के आर्थिक विकास की दर तीव्र हो जाती है।

प्रश्न 15.
आयु संरचना के अध्ययन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
आयु संरचना के अध्ययन के अनेक लाभ हैं

  1. बाल आयु वर्ग (0-14) की कुल जनसंख्या ज्ञात होने से सरकार को इन बातों का स्पष्ट पता लग सकता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में कितनी सुविधाओं की आवश्यकता है। इसी के अनुसार नये स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक केंद्रों आदि का निर्माण कराया जाता है।
  2. साथ ही देश में कितने लोग मताधिकार वर्ग में हैं, इस बात की जानकारी भी हो सकती है। मताधिकार वर्ग के लोगों की जानकारी होना प्रजातंत्र में अत्यंत आवश्यक है। आयु संरचना के आंकड़ों के हिसाब से लगभग 58 प्रतिशत मतदाता होने चाहिएं, परंतु देश में 60 प्रतिशत मतदाता हैं।

प्रश्न 16.
किशोरावस्था में किशोरों की आवश्यकताओं के बारे में बताएं।
उत्तर-

  1. किशोरों को बढ़िया तथा संतुलित खुराक मिलनी चाहिए।
  2. उन्हें सही वातावरण में सही शिक्षा मिलनी चाहिए।
  3. उन्हें शारीरिक परिवर्तनों की सही जानकारी होनी चाहिए।
  4. माता-पिता तथा समाज की तरफ से उन्हें प्यार से सभी बातें समझानी चाहिए।
  5. उन्हें नशों से बचाने के प्रयास करने चाहिए। 6. उन्हें अच्छा भविष्य बनाने के लिए लगातार परामर्श दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 17.
किशोरों का भविष्य बनाने में समाज, अध्यापकों व माता-पिता की क्या भूमिका है ?
उत्तर-

  1. माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा तथा अच्छा वातावरण प्रदान कर सकते हैं।
  2. माता-पिता तथा बच्चों को ठीक रास्ते पर चलाने के लिए, नशों से दूर रहने तथा समाज के उत्तरदायी नागरिक बनने की तरफ रास्ता दिखा सकते हैं।
  3. अध्यापक किशोरों को सही शिक्षा देकर उन्हें समाज के अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  4. समाज के अलग-अलग सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक नेता उन्हें सही रास्ता दिखा कर समाज के उत्तरदायी नागरिक बनने के रास्ते पर डाल सकते हैं।

प्रश्न 18.
पंजाब की लिंग आधारित संरचना पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है जिसमें 1,46,39,465 पुरुष तथा 1,31,03873 स्त्रियां हैं। इनका लिंग अनुपात 1000 : 895 बनता है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 1000 पुरुषों के पीछे 895 स्त्रियां हैं जो काफी कम हैं। नगरों में यह 875 है तथा गांवों में 907 है जो 2001 की तुलना में थोड़ा-सा अधिक है। होशियारपुर जिले (861) का लिंग अनुपात सबसे अधिक है जबकि शहीद भगत सिंह नगर (954), जालंधर (915) तथा रूपनगर (915) इसके पश्चात् आते हैं। सबसे कम लिंग अनुपात बठिंडा (868) हैं। फिर फतेहगढ़ साहिब (871) का जिला आता है। पिछले दशकों में इसमें सुधार हो रहा है जो सरकारी प्रयासों का परिणाम है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (6)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 19.
पंजाब की कारोबारी संरचना पर रोशनी डालें।
उत्तर-
पंजाब के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है जिस कारण यहां की अधिकतर जनता कृषि या संबंधित कार्यों में लगी हुई है। पंजाब के कुल कार्यरत लोगों का 35.5% हिस्सा कृषि या संबंधित कार्यों में लगा हुआ है। 3.9% लोग घरेलू, उद्योगों में कार्य कर रहे हैं। बाकी 60.5% लोग अन्य कई प्रकार के कार्यों में लगे हुए हैं। मुक्तसर तथा मानसा जिलों में सबसे अधिक लोग कृषि में लगे हुए हैं परंतु लुधियाना तथा साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर में काफी कम लोग कृषि में तथा बाकी लोग औद्योगिक क्षेत्र, सेवाओं इत्यादि में लगे हुए हैं। पंजाब में बहुत से लोग नौकरी की तलाश में देश-विदेश में भी गए हुए हैं।

प्रश्न 20.
मादा भ्रूण हत्या का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
लोगों में कई कारणों के कारण लड़की के स्थान पर लड़के को प्राप्त करने की इच्छा होती है। वह कई ढंगों का प्रयोग करते हैं ताकि लड़की के स्थान पर लड़के को प्राप्त किया जा सके। जब कोई स्त्री गर्भवती होती है तो पहले तीन-चार माह तक माँ के गर्भ में बच्चा पूर्णतया विकसित नहीं हुआ होता है। इसे अभी भी भ्रूण ही कहा जाता है। आजकल ऐसी मशीनें आ गई हैं जिनसे माता के पेट में ही टैस्ट करके पता कर लिया जाता है कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की। अगर गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है तो ठीक है परंतु लड़की है तो उसका गर्भपात करवा दिया जाता है अर्थात् माता की कोख में ही लड़की को मार दिया जाता है। इसे ही मादा भ्रूण हत्या कहते हैं।

प्रश्न 21.
मादा भ्रूण हत्या के कारण बताएं।
उत्तर-

  1. लड़का प्राप्त करने की इच्छा मादा भ्रूण हत्या को जन्म देती है।
  2. तकनीकी सुविधाओं के बढ़ने के कारण अब गर्भ में ही बच्चे के लिंग का पता कर लिया जाता है जिस कारण लोग मादा भ्रूण हत्या की तरफ बढ़े हैं।
  3. लड़की के बड़े होने पर उसे दहेज देना पड़ता है तथा लड़का होने पर दहेज आता है। यह कारण भी लोगों को मादा भ्रूण हत्या करने के लिए प्रेरित करता है।
  4. यह कहा जाता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति का दाह संस्कार तथा और संस्कार बेटा ही पूर्ण करता है। इस कारण भी लोग लड़का प्राप्त करना चाहते हैं।
  5. लड़कों से यह आशा की जाती है कि वह बुढ़ापे में अपने माता-पिता की देखभाल करेंगे तथा लड़कियां विवाह के बाद अपने ससुराल चली जाएंगी। इस सामाजिक सुरक्षा की इच्छा के कारण भी लोग लड़का चाहते हैं।

प्रश्न 22.
मादा भ्रूण हत्या के परिणाम बताएं।
उत्तर-

  1. मादा भ्रूण हत्या के कारण समाज में लिंग अनुपात कम होना शुरू हो जाता है। भारत में यह 1000 : 940 है।
  2. कम होते लिंग अनुपात के कारण समाज में असंतुलन बढ़ जाता है क्योंकि पुरुषों की संख्या बढ़ जाती है तथा स्त्रियों की संख्या कम हो जाती है।
  3. इस कारण स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा भी बढ़ जाती है। अपहरण, बलात्कार, छेड़छाड़ इत्यादि जैसी घटनाएं भी बढ़ जाती हैं।
  4. मादा भ्रूण हत्या के कारण स्त्रियों की सामाजिक स्थिति और निम्न हो जाती है क्योंकि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन हो जाती है।

प्रश्न 23.
देश के मैदानी भागों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
देश के मैदानी भागों में का घनत्व बहुत अधिक है। इसके मुख्य कारण अग्रलिखित हैं-

  1. भारत का उत्तरी मैदान विशाल और उपजाऊ है।
  2. यहां वर्षा भी पर्याप्त होती है। इसलिए कृषि के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  3. यहां उद्योग के भी बड़े-बड़े केंद्र हैं।
  4. यहां यातायात के साधन उन्नत हैं।
  5. तटीय मैदानी प्रदेशों में मछली पकड़ने तथा विदेशी व्यापार की सुविधाएं हैं। परिणामस्वरूप लोगों के लिए रोजी कमाना सरल है।

प्रश्न 24.
देश में कम जनसंख्या वाले क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
भारत के थार मरुस्थल, पूर्वी हिमालय प्रदेश तथा छोटा नागपुर के पठार में जनसंख्या कम आबाद है। कारण-

  1. इन प्रदेशों की भूमि उपजाऊ नहीं है। यह या तो रेतीली है या पथरीली।
  2. यहां यातायात के साधनों का विकास नहीं हो सका है।
  3. यहां की जलवायु स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। यह या तो अत्यधिक गर्म है या अत्यधिक ठंडी। हिमालय क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक वर्षा होती है।
  4. छोटा नागपुर क्षेत्र को, छोड़कर अन्य भागों में निर्माण उद्योग विकसित नहीं है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में लिंग अनुपात के राज्य स्तरीय प्रारूप का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लिंग अनुपात से अभिप्राय है-प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की औसत संख्या। लिंग अनुपात को आजकल समाज में स्त्री के सम्मान को आंकने का पैमाना भी माना जाता है। अधिकतर धनी देशों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों के बराबर है या उससे अधिक। विकसित देशों में 1050 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष हैं, जबकि विकासशील देशों में यह औसत 964 स्त्रियां प्रति 1000 पुरुष हैं। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग अनुपात 943 स्त्रियां प्रति हज़ार पुरुष हैं यह औसत विश्व की सबसे कम औसतों में से एक है।

राज्य स्तरीय प्रारूप-देश के सभी राज्यों में लिंग अनुपात एक समान नहीं है। भारत के केवल दो ही राज्य ऐसे हैं। जहां लिंग अनुपात स्त्रियों के पक्ष में है। ये राज्य हैं-केरल तथा तमिलनाडु। केरल में प्रति हज़ार पुरुषों पर 1084 स्त्रियां (2011 में) हैं। देश के अन्य राज्यों में अनुपात पुरुषों के पक्ष में है अर्थात् इन राज्यों में प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या कम है जो निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है-

1. पंजाब 895
2. हरियाणा 879
3. राजस्थान 928
4. बिहार 918
5. उत्तर प्रदेश 912
6. तमिलनाडु 996

 

लिंग अनुपात से राज्य प्रारूप में से एक बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि देश के उत्तर राज्यों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में लिंग अनुपात कम है। यह बात समाज में स्त्री के निम्न स्थान को दर्शाती है। यह निःसन्देह एक चिंता का विषय है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (7)

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या

प्रश्न 2.
देश में जनसंख्या वितरण के प्रादेशिक प्रारूप की प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए प्रारूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत में जनसंख्या वितरण का प्रादेशिक प्रारूप तथा उसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। नदियों की घाटियों और समुद्र तटीय मैदानों में जनसंख्या बहुत सघन है, परंतु पर्वतीय, मरुस्थलीय एवं अभाव-ग्रस्त क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत ही विरल है। उत्तर के पहाड़ी प्रदेशों में देश के 16 प्रतिशत भू-भाग पर मात्र 3 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि उत्तरी मैदानों में देश के 18 प्रतिशत भूमि पर 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। राजस्थान में देश के मात्र 6 प्रतिशत भू-भाग पर 6 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
  2. अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बसी है। देश की कुल जनसंख्या का लगभग 71% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में और लगभग 29% भाग शहरों में निवास करता है। शहरी जनसंख्या का भारी जमाव बड़े शहरों में है। कुल शहरी जनसंख्या का दो-तिहाई भाग एक लाख या इससे अधिक आबादी वाले प्रथम श्रेणी के शहरों में रहता है।
  3. देश के अल्पसंख्यक समुदायों का जमाव अति संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण बाह्य क्षेत्रों में है। उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिमी भारत में भारत-पाक सीमा के पास पंजाब में सिक्खों तथा जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों का बाहुल्य है। इसी तरह उत्तर-पूर्व में चीन व बर्मा (म्यनमार) की सीमाओं के साथ ईसाई धर्म के लोगों का जमाव है। इस तरह के वितरण से अनेक सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक कठिनाइयां सामने आती हैं।
  4. एक ओर तटीय मैदानों एवं नदियों की घाटियों में जनसंख्या घनी है तो दूसरी ओर पहाड़ी, पठारी एवं रेगिस्तानी भागों में जनसंख्या विरल है। यह वितरण एक जनसांख्यिकी विभाजन (Demographic divide) जैसा लगता है।

प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर लेख लिखिए जिसमें समस्या के समाधान के उपायों को भी बताएँ।
उत्तर-
जब किसी देश की जनसंख्या इसके प्राकृतिक साधनों की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ती है तो उसका देश के साधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भारत में प्रत्येक 10 वर्ष के बाद जनगणना होती है। सन् 1921 तक भारत की जनसंख्या कुछ घटती-बढ़ती रही अथवा स्थिर रही, परंतु 1921 के पश्चात् जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  1. निम्न जीवन स्तर-अन्य देशों के जीवन स्तर के मुकाबले में भारतीय लोगों का जीवन स्तर बहुत निम्न है। यह समस्या वास्तव में जनसंख्या की वृद्धि के कारण ही उत्पन्न हुई है।
  2. वनों की कटाई-बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट भरने के लिए वनों को अंधाधुध तरीके से काटा जा रहा है ताकि अतिरिक्त भूमि प्राप्त की जा सके। परंतु वनों की कटाई के कारण और कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे-भूमि का कटाव, नदियों में बाढ़ों का अधिक आना, पर्यावरण का प्रदूषित होना तथा वन्य संपदा की हानि।
  3. पशुओं के लिए चारे का अभाव-भारत में केवल चार प्रतिशत क्षेत्र पर चरागाह हैं। जनसंख्या की समस्या के कारण यदि इन्हें भी कृषि अथवा आवासों के निर्माण के लिए प्रयोग किया गया तो पशुओं के लिए चारे की समस्याएं
    और भी जटिल हो जाएंगी।
  4. भूमि पर दबाव-जनसंख्या की वृद्धि का सीधा प्रभाव भूमि पर पड़ता है। भूमि एक ऐसा साधन है जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता। यदि भारत की जनसंख्या इस प्रकार बढ़ती रही तो भूमि पर भी दबाव पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादों का और भी अधिक अभाव हो जाएगा।
  5. खनिजों का अभाव-हम बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं को उद्योगों का विकास करके पूरा कर रहे हैं परंतु उद्योगों के विकास के लिए खनिजों की और भी अधिक आवश्यकता होगी। परिणामस्वरूप हमारे खनिजों के भंडार शीघ्र समाप्त हो जाएंगे।
  6. पर्यावरण की समस्या-जनसंख्या में वृद्धि के कारण पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु की आपूर्ति एक समस्या बन गई है। वनस्पति की कमी के कारण ऑक्सीजन की भी कमी हो रही है।
    समस्या का समाधान-जनसंख्या की वृद्धि की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाए किए जाने चाहिए-

    • सीमित परिवार योजनाओं को अधिक महत्त्व देना चाहिए।
    • लोगों को फिल्मों, नाटकों तथा अन्य साधनों द्वारा सीमित परिवार का महत्त्व समझाया जाए।
    • देश में अनपढ़ता को दूर करने का प्रयास किया जाए ताकि लोग स्वयं भी बढ़ती हुई जनसंख्या की हानियों को समझ सके। स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया जाए।
    • विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि की जाए ताकि विवाह छोटी आयु में न हो सके।

प्रश्न 4.
पंजाब के जनसंख्या विभाजन पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
पंजाब की कुल जनसंख्या 2,77,43,338 है तथा यह जनसंख्या 12,581 गाँव तथा 217 छोटे बड़े नगरों में रहती है। पंजाब के कुछ भागों में जनसंख्या काफी अधिक है तथा कई भागों में काफी कम है। लुधियाना, अमृतसर जैसे नगरों की जनसंख्या काफी अधिक है जो कि क्रमशः 16 लाख तथा 11 लाख है। परंतु कई नगरों की जनसंख्या हजारों में ही है। जनसंख्या घनत्व के आधार पर पंजाब को चार भागों में बाँटा जाता है। जिसका वर्णन इस प्रकार है-
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 6 जनसंख्या (8)

  1. कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-प्रथम श्रेणी में वह जिले आते हैं जिनका जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम है। मानसा, फिरोज़पुर तथा श्री मुक्तसर साहिब इस श्रेणी में शामिल हैं। श्री मुक्तसर साहिब का जनसंख्या घनत्व 348 है जो अन्य जिलों से काफी कम है।
  2. साधारण जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-दूसरी श्रेणी में पंजाब के वह जिले शामिल हैं जिनका जनसंख्या घनत्व 401 से 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। तरनतारन, होशियारपुर, फरीदकोट, शहीद भगत सिंह नगर, मोगा, बरनाला, बठिंडा, संगरूर इत्यादि जिले इस श्रेणी में शामिल हैं।
  3. अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-तीसरी श्रेणी में पटियाला, फतेहगढ़ साहिब तथा रूपनगर जिले शामिल हैं। इन ज़िलों का जनसंख्या घनत्व 501 से 600 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  4. बहुत अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र-जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 600 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है वह इस श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी में अमृतसर, गुरदासपुर, लुधियाना, जालंधर, साहिबजादा अजीत सिंह नगर आते हैं। लुधियाना का जनसंख्या घनत्व 978 है जो पंजाब में सबसे अधिक है। इसके पश्चात् अमृतसर (928), साहिबजादा अजीत सिंह नगर (909) तथा जालंधर (836) के जिले आते हैं।

जनसंख्या PSEB 9th Class Geography Notes

  • मानव संसाधन – मनुष्य अपने परितंत्र का मात्र एक अंग ही नहीं रह गया, अब वह अपने लाभ के लिए पर्यावरण में परिवर्तन भी कर सकता है। अब उसकी शक्ति उसकी गुणवत्ता में समझी जाती है। राष्ट्र को ऊंचा उठाने के लिए हमें अपने मानवीय | संसाधनों को विकसित, शिक्षित एवं प्रशिक्षित करना अनिवार्य है। तभी प्राकृतिक संसाधनों का विकास संभव हो सकेगा।
  • 2011 की जनगणना – 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। यह संसार की कुल जनसंख्या का 17.2% भाग है।
  • जनसंख्या घनत्व – देश की अधिकतर जनसंख्या मैदानी भागों में निवास करती | है। देश में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
  • जनसंख्या बढ़ौतरी – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या एक समान नहीं रहती बल्कि उसमें परिवर्तन आते रहते हैं। जब यह परिवर्तन सकारात्मक होता है तो इसे जनसंख्या बढ़ौतरी कहते हैं। किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ने या कम होने में जन्म दर व मृत्यु दर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • स्त्री-पुरुष अनुपात – स्त्री-पुरुष के सांख्यिकी अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात | कहते हैं। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • आयु संरचना – जनसंख्या को सामान्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-1. 15 वर्ष से कम आयु-वर्ग 2. 15 से 65 वर्ष का आयु वर्ग तथा 3. 65 वर्ष से अधिक का आयु वर्ग। इस विभाजन को जनसंख्या का पिरामिड कहा जाता है।
  • आवास तथा प्रवास – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या में परिवर्तन में आवास तथा | प्रवास की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आवास का अर्थ |होता है बाहर से आकर बस जाना तथा प्रवास का अर्थ है बाहर जाकर बस जाना। प्रवास के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि, रोजगार की तलाश, आय की आशा, बढ़िया सुविधाओं की आवश्यकता इत्यादि।
  • पंजाब में प्रवासी मजदूर – पंजाब के कई नगरों में बहुत से उद्योग स्थापित हैं जिनमें कार्य करने के लिए अस्थायी मजदूरों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार कृषि का कार्य करने के लिए मज़दूरों की आवश्यकता होती है। इस कारण पंजाब में उत्तर प्रदेश, बिहार इत्यादि प्रदेशों से प्रवासी मज़दूर आकर कार्य करते है।
  • अर्जक तथा आश्रित जनसंख्या – भारत में जनसंख्या का 41.6% भाग आश्रित है। शेष 58.4% अर्जक जनसंख्या को आश्रित जनसंख्या का निर्वाह करना पड़ता है।
  • बढ़ती जनसंख्या – जनसंख्या की वृद्धि दर, जन्म-दर तथा मृत्यु-दर के अन्तर पर निर्भर करती है। भारत की मृत्यु दर तो काफ़ी नीचे आ गई है परंतु जन्म-दर बहुत धीमे से घटी है। मृत्यु-दर के घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार रहा है।
  • साक्षरता – स्वतंत्रता के समय हमारे देश में केवल 14% लोग ही साक्षर थे। 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 74.01% हो गया।
  • स्वास्थ्य – जनसंख्या का स्तर पता करने के लिए लोगों का स्वास्थ्य देखने की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सुविधाएं विशेषतया अस्पताल, डिस्पैंसरी तथा डॉक्टरों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई है।
  • पेशे के अनुसार जनसंख्या संरचना – हमारे देश की 53% जनसंख्या आज भी प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत है। द्वितीय क्षेत्र 13% लोग तथा तृतीय क्षेत्र में लगभग 20% लोग कार्यरत हैं।
  • पंजाब का जनसंख्या विभाजन – पंजाब में 12,581 गांव हैं तथा 217 छोटे बड़े नगर हैं। इन सभी की जनसंख्या में काफी अंतर है। कई क्षेत्रों का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी कम है तथा कई क्षेत्रों में यह 900 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है।
  • मादा भ्रूण हत्या – मादा भ्रूण हत्या से जनसंख्या में असंतुलन आ जाता है। इस कारण भारत का लिंग अनुपात 1000 : 943 है तथा पंजाब में यह 1000 : 895 है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

SST Guide for Class 9 PSEB पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक मुस्लिम समाज के कौन-से वर्ग में आते थे ?
(क) उच्च वर्ग
(ख) मध्य वर्ग
(ग) निम्न वर्ग
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) मध्य वर्ग

प्रश्न 2.
देवी दुर्गा की पूजा करने वालों को क्या कहा जाता था ?
(क) वैष्णव
(ख) शैव
(ग) शाक्त
(घ) सुन्नी।
उत्तर-
(ग) शाक्त

प्रश्न 3.
जज़िया क्या है ?
(क) धर्म
(ख) धार्मिक कर
(ग) प्रथा
(घ) गहना।
उत्तर-
(ख) धार्मिक कर

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

प्रश्न 4.
उलमा कौन थे ?
(क) मजदूर
(ख) हिंदू धार्मिक नेतां
(ग) मुस्लिम धार्मिक नेता
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) मुस्लिम धार्मिक नेता

प्रश्न 5.
सच्चा सौदा की घटना कहाँ घटी ?
(क) चूहड़काने
(ख) राय भोय
(ग) हरिद्वार
(घ) सैय्यदपुर।
उत्तर-
(क) चूहड़काने

(ख) रिक्त स्थान भरें:

  1. मुसलमानों के सुन्नी और ………….. दो मुख्य संप्रदाय थे।
  2. …………… को मानने वाले लोग विष्णु की पूजा करते थे।
  3. श्री गुरु नानक देव जी के जीवन का उद्देश्य …………….. का कल्याण था।
  4. श्री गुरु नानक देव जी ने करतारपुर में ….. ……………… का संदेश दिया।
  5. सुल्तानपुर में रहते हुए गुरु जी रोज़ ……………. नदी में स्नान करने जाते थे।

उत्तर-

  1. शिया
  2. वैष्णव मत
  3. सारी मनुष्य जाति/सरबत
  4. नाम जपो, किरत करो और बौटकर छको
  5. वेई

(ग) सही मिलान करें :

1. पानीपत का पहला युद्ध – (क) चूहड़काना
2. सच्चा सौदा – (ख) 1526 ई०
3. गुरु अंगद देव जी – (ग) तलवंडी रायभोय
4. गुरु नानक देव जी का जन्म – (घ) भाई लहणा।

उत्तर-

  1. 1526 ई०
  2. चहडकाना
  3. भाई लहणा
  4. तलवडा रायभा

(घ) अंतर बताओ :

प्रश्न 1.
1. मुस्लिम उच्च वर्ग और मुस्लिम मध्यम वर्ग
2. वैष्णव मत और शैव मत।
उत्तर-

  1. मुस्लिम उच्च वर्ग और मुस्लिम मध्यम वर्ग
    • मुस्लिम उच्च वर्ग-इस वर्ग में बड़े-बड़े सरदार, इक्तादार, उलेमा, सैय्यद आदि की गणना होती थी। सरदार राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त थे। उन्हें ‘खान’, ‘मलिक’, ‘अमीर’ आदि कहा जाता था। इक्तादार एक प्रकार के जागीरदार थे। सभी सरदारों का जीवन प्रायः भोग-विलास में डूबा हुआ था। वे महलों अथवा बड़े-बड़े भवनों में निवास करते थे। वे सुरा, सुंदरी और संगीत में खोये रहते थे। उलेमा लोगों का समाज में बड़ा आदर था।
    • मुस्लिम मध्यम वर्ग-मध्यम वर्ग में कृषक, व्यापारी, सैनिक तथा छोटे-छोटे सरकारी कर्मचारी सम्मिलित थे। मुसलमान विद्वानों तथा लेखकों की गणना भी इसी श्रेणी में की जाती थी। इस श्रेणी के मुसलमानों का जीवन-स्तर निम्न था।
  2. वैष्णव मत और शैव मत।
    • वैष्णव मत-वैष्णव मत को मानने वाले लोग विष्णु और उसके अवतारों राम, कृष्ण आदि की पूजा करते थे। ये लोग शुद्ध शाकाहारी थे।
    • शैव मत-शैव मत को मानने वाले लोग शिवजी की आराधना करते थे। इनमें गोरख पंथी, नाथ नंथी और कनफटे जोगी शामिल थे। ये अधिकतर संन्यासी थे।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लोधी वंश का अंतिम शासक कौन था ?
उत्तर-
इब्राहिम लोधी।

प्रश्न 2.
बाबर को पंजाब पर हमला करने के लिए किसने निमंत्रण भेजा ?
उत्तर-
बाबर को दौलत खां लोधी ने पंजाब पर हमला करने का निमंत्रण भेजा।

प्रश्न 3.
लोधीकाल में किन धार्मिक नेताओं को राजनीतिक संरक्षण मिलता था ?
उत्तर-
लोधीकाल में मुस्लिम कुलीन वर्ग के उलमा और सूफी शेखों को राजनीतिक संरक्षण मिलता था।

प्रश्न 4.
जजिया कर क्या था ?
उत्तर-
जज़िया एक प्रकार का धार्मिक कर था जो मुग़ल शासक गैर-मुस्लिम लोगों से एकत्रित करते थे। इसके बदले वे उनकी रक्षा की जिम्मेवारी लेते थे।

प्रश्न 5.
तीर्थ यात्रा कर के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
तीर्थ यात्रा कर ग़ैर-मुसलमानों से लिया जाता था। यह कर लोग अपने धार्मिक स्थानों की यात्रा करने के लिए देते थे।

प्रश्न 6.
पानीपत की पहली लड़ाई कब और किसके बीच हुई ?
उत्तर–
पानीपत की पहली लड़ाई 1526 ई० में बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच हुई।

प्रश्न 7.
मुस्लिम धर्म के दो प्रमुख संप्रदाय कौन-से थे ?
उत्तर-
सुन्नी और शिया।

प्रश्न 8.
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई० में राय भोय की तलवंडी (ज़िला शेखूपुरा, पाकिस्तान) में हुआ। अब इस स्थान को श्री ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 9.
श्री गुरु नानक देव जी के माता-पिता का नाम बताओ।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता जी और पिता का नाम मेहता कालू जी था।

प्रश्न 10.
श्री गुरु नानक देव जी द्वारा रचित किन्हीं दो प्रमुख बाणियों के नाम बताओ।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी ने जपुजी साहिब, वार माझ, वार मल्हार आदि बाणियों की रचना की।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

प्रश्न 11.
श्री गुरु नानक देव जी द्वारा की यात्राओं को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी द्वारा की गई यात्राओं को उदासियां कहा जाता है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ से स्त्रियों की स्थिति पर नोट लिखो।
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। उसे हीन और पुरुषों से नीचा समझा जाता था। घर में उनकी दशा एक दासी के समान थी। उन्हें घर की चार दीवारी में रखा जाता था और सदा पुरुषों के अधीन रहना पड़ता था। कुछ राजपूत कबीले ऐसे भी थे जो कन्या को दुःख का कारण मानते थे और पैदा होते ही उसका वध कर देते थे। मुस्लिम समाज में भी स्त्री की दशा शोचनीय थी। वह मन बहलाव का साधन मात्र ही समझी जाती थी। उन्हें पढ़ने-लिखने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 2.
श्री गुरु नानक देव जी ने शिक्षा कहां से प्राप्त की ? नोट लिखो।
उत्तर-
बचपन से ही श्री गुरु नानक देव जी दयावान् थे। दीन-दुःखियों, को देखकर उनका मन पिघल जाता था। 7 वर्ष की आयु में उन्हें गोपाल पंडित की पाठशाला में पढ़ने के लिए भेजा गया। परन्तु पंडित जी उन्हें संतुष्ट न कर सके। तत्पश्चात् उन्हें पंडित बृज लाल के पास पढ़ने के लिए भेजा गया। वहां गुरु जी ने ‘ओ३म्’ शब्द का वास्तविक अर्थ बताकर पंडित जी को अचम्भे में डाल दिया। सिक्ख परंपरा के अनुसार उन्हें अरबी और फारसी पढ़ने के लिए मौलवी कुतुबुद्दीन के पास भी भेजा गया।

प्रश्न 3.
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से संबंधित सच्चा सौदा घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी के पिता जी ने गुरु जी का ध्यान सांसारिक कार्यों में लगाने के लिए 20 रुपये देकर ‘चूहड़काने’ नगर में व्यापार करने के लिए भेजा था। परंतु मार्ग में गुरु जी को कुछ साधु मिल गए जो भूखे थे। अतः गुरु जी ने ये रुपए संतों को भोजन कराने में व्यय कर दिये। यह घटना सिक्ख इतिहास में ‘सच्चा सौदा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 4.
श्री गुरु नानक देव जी ने किन रीति-रिवाजों का खंडन किया ?
उत्तर-
गुरु नानक साहिब का विचार था कि बाहरी कर्मकांडों में सच्ची धार्मिक श्रद्धा-भक्ति के लिए कोई स्थान नहीं। इसलिए गुरु साहिब ने कर्मकांडों का खंडन किया। ये बातें थीं-वेद, शास्त्र, मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा और मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण अवसरों से जुड़े व्यर्थ के संस्कार, विधियां और रीति-रिवाज । गुरु नानक देव जी ने जोगियों की पद्धति को भी अस्वीकार कर दिया। इसके दो मुख्य कारण थे-जोगियों द्वारा परमात्मा के प्रति व्यवहार में श्रद्धा-भक्ति का अभाव और अपने मठवासी जीवन में सामाजिक दायित्व से विमुखता। गुरु नानक देव जी ने वैष्णव भक्ति को भी अस्वीकार नहीं किया और अपनी विचारधारा में अवतारवाद को भी कोई स्थान नहीं दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने मुल्ला लोगों के विश्वासों, प्रथाओं तथा व्यवहारों का खंडन किया।

प्रश्न 5.
लोधी काल में मुस्लिम मध्य वर्ग पर नोट लिखो।
उत्तर-
लोधी काल में मुस्लिम मध्य वर्ग में कृषक, व्यापारी, सैनिक तथा छोटे-सरकारी कर्मचारी सम्मिलित थे।
मुसलमान विद्वानों तथा लेखकों की गणना भी इसी श्रेणी में की जाती थी। यद्यपि इस श्रेणी के मुसलमानों की संख्या उच्च श्रेणी के लोगों की अपेक्षा अधिक थी, फिर भी इनका जीवन स्तर उच्च श्रेणी जैसा ऊंचा नहीं था। मध्य श्रेणी के मुसलमानों की आर्थिक दशा तथा स्थिति हिंदुओं की तुलना में अवश्य अच्छी थी। उन्हें राज्य की ओर से काफी स्वतंत्रता प्राप्त थी तथा समाज में उनका अच्छा सम्मान था। इस श्रेणी का जीवन-स्तर हिंदुओं की अपेक्षा काफी ऊंचा था।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लोधीकाल में पंजाब में मुसलमानों की सामाजिक स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर-
11वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक पंजाब मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। इन शासकों के समय में बहुतसे मुसलमान स्थायी रूप से पंजाब में बस गए थे। उन्होंने यहां की स्त्रियों से विवाह कर लिए थे जिनमें वेश्याएं तथा दासियां भी सम्मिलित थीं। पंजाब की बहुत-सी निम्न जातियों के हिंदुओं ने शासकों के भय से तथा सूफियों के प्रभाव में आकर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। इस समय बहुत-से मुग़ल तथा ईरानी जाति के लोग भी पंजाब में आ बसे थे। इस प्रकार सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में मुसलमानों की काफी संख्या थी। उनकी स्थिति हिंदुओं से बहुत अच्छी थी। इसका कारण यह था कि उस समय पंजाब पर मुसलमान शासकों का शासन था। मुसलमानों को उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता था।
(क) मुसलमानों के वर्ग-मुस्लिम समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था-

1. उच्च वर्ग-इस वर्ग में बड़े-बड़े सरदार, इक्तादार, उलेमा, सैय्यद आदि की गणना होती थी। सरदार राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त थे। उन्हें ‘खान’, ‘मलिक’, ‘अमीर’ आदि कहा जाता था। इक्तादार एक प्रकार के जागीरदार थे। सभी सरकारों के पास अपने सैनिक होते थे और आवश्यकता पड़ने पर वे सुल्तान को सैनिक सेवाएं प्रदान करते थे। उनका दैनिक जीवन प्रायः भोग-विलास का जीवन था। वे महलों अथवा भवनों में निवास करते थे। वे सुरा, सुंदरी और संगीत में खोये रहते थे और ऐश्वर्य के लिए अनेक स्त्रियां रखते थे। उलमा लोगों का समाज में बड़ा आदर था। उन्हें अरबी भाषा तथा कुरान की पूर्ण जानकारी होती थी। यही कारण है कि मुस्लिम शासकों के दरबार में उनका बड़ा महत्त्व था। वे सुल्तान की सुविधा के लिए इस्लामी कानून की व्याख्या करते थे और शरीयत के अनुसार शासन चलाने में सहायता करते थे। अनेक उलेमा राज्य के न्याय कार्यों में लगे हुए थे। वे काजियों के पदों पर आसीन थे और धार्मिक तथा न्यायिक पदों पर काम कर रहे थे।

2. मध्य वर्ग-मध्य वर्ग में कृषक, व्यापारी, सैनिक तथा छोटे-छोटे सरकारी कर्मचारी सम्मिलित थे। मुसलमान विद्वानों तथा लेखकों की गणना भी इसी श्रेणी में की जाती थी। यद्यपि इस श्रेणी के मुसलमानों की संख्या उच्च श्रेणी के लोगों की अपेक्षा अधिक थी। फिर भी इनका जीवन स्तर उच्च श्रेणी जैसा ऊंचा नहीं था। मध्य श्रेणी के मुसलमानों की आर्थिक दशा तथा स्थिति हिंदुओं की तुलना में अवश्य अच्छी थी। इस श्रेणी का जीवन-स्तर हिंदुओं की अपेक्षा काफी ऊंचा था।

3. निम्न वर्ग-निम्न वर्ग में लुहार, बढ़ई, सुनार आदि शिल्पकारों, निजी सेवकों, दास-दासियों आदि की गणना की जाती थी। इस श्रेणी के मुसलमानों का जीवन-स्तर अधिक ऊंचा नहीं था। उन्हें आजीविका कमाने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता था।

(ख) स्त्रियों की दशा-मुस्लिम समाज में उच्च घरानों की स्त्रियों की दशा कुछ अच्छी थी, परन्तु अन्य वर्गों की स्त्रियों की दशा दयनीय थी। उन्हें बुर्का पहनना पड़ता था और घर की चार दीवारी में ही रहना पड़ता था। उन्हें पढ़नेलिखने और स्वतन्त्रतापूर्वक घूमने का अधिकार नहीं था। अमीर लोग कई-कई पत्नियां रखते थे। तलाक की प्रथा भी प्रचलित थी। घर के मामलों में स्त्री की राय लेना ज़रूरी नहीं समझा जाता था।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

प्रश्न 2.
श्री गुरु नानक देव जी के समय सामाजिक एवं धार्मिक अवस्था का वर्णन करें।
उत्तर-
I. सामाजिक अवस्था-सोलहवीं शताब्दी में पंजाब की सामाजिक दशा बड़ी शोचनीय थी। समाज में भेदभाव था। हिंदुओं की अपेक्षा मुसलमानों से अच्छा व्यवहार होता था। शिक्षा का उचित प्रबंध नहीं था। लोगों को फारसी पढ़ने के लिए विवश किया जाता था। स्त्रियों की दशा बड़ी शोचनीय थी। लड़की का जन्म दुर्भाग्य का प्रतीक समझा जाता था। अंधविश्वास और आडंबरों के कारण इस युग के अंधकार में और भी वृद्धि हुई। संक्षेप में सोलहवीं शताब्दी के पंजाब की सामाजिक दशा का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है।

1. मुसलमानों की स्थिति–11वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक पंजाब मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। इन शासकों के समय में बहुत-से मुसलमान स्थायी रूप से पंजाब में बस गए थे। उन्होंने यहां की स्त्रियों से विवाह कर लिए थे जिनमें वेश्याएं तथा दासियां भी सम्मिलित थीं। पंजाब के बहुत-से निम्न जातियों के हिंदुओं ने शासकों के भय से तथा सूफियों के प्रभाव में आकर धर्म स्वीकार कर लिया था। इसी समय बहुत-से मुग़ल तथा ईरानी जाति के लोग भी पंजाब में आ बसे थे। इस प्रकार सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में मुसलमानों की काफी संख्या थी। इनमें से अधिकतर मुसलमान गांवों की अपेक्षा नगरों में रहते थे। सोलहवीं शताब्दी के समाज में मुसलमानों की स्थिति हिंदुओं से बहुत अच्छी थी। इसका कारण यह था कि उस समय पंजाब पर मुसलमान शासकों का शासन था। मुसलमानों को उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता था। लगभग सभी बातों में मुसलमानों का पक्ष लिया जाता था। उच्च श्रेणी के मुसलमानों को विशेषाधिकार भी प्राप्त थे। .

2. मुसलमानों की श्रेणियां-16वीं शताब्दी में मुस्लिम समाज निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बंटा हुआ था-

  • उच्च श्रेणी-इस श्रेणी में अफगान अमीर, शेख, काज़ी, उलेमा (धार्मिक नेता), बड़े-बड़े जागीरदार इत्यादि शामिल थे। सुल्तान के मंत्री, उच्च सरकारी कर्मचारी तथा सेना के बड़े-बड़े अधिकारी भी इसी श्रेणी में आते थे। ये लोग अपना समय आराम तथा भोग-विलास में व्यतीत करते थे।
  • मध्य श्रेणी-इस श्रेणी में छोटे काज़ी, सैनिक, छोटे स्तर के सरकारी कर्मचारी, व्यापारी आदि शामिल थे। उन्हें राज्य की ओर से काफी स्वतंत्रता प्राप्त थी तथा समाज में उनका अच्छा सम्मान था।
  • निम्न श्रेणी-इस श्रेणी में दास, घरेलू नौकर तथा हिजड़े शामिल थे। दासों में स्त्रियां भी सम्मिलित थीं। इस श्रेणी के लोगों का जीवन अच्छा नहीं था।

3. हिंदुओं की स्थिति-सोलहवीं शताब्दी के हिंदू समाज की दशा बड़ी ही शोचनीय थी। प्रत्येक हिंदू को शंका की दृष्टि से देखा जाता था। उन्हें उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता था। उनसे जज़िया तथा तीर्थ यात्रा आदि कर बड़ी कठोरता से वसूल किए जाते थे। उनके रीति-रिवाजों, उत्सवों तथा उनके पहरावे पर भी सरकार ने कई प्रकार की रोक लगा दी थी। हिंदुओं पर भिन्न-भिन्न प्रकार के अत्याचार किए जाते थे ताकि वे तंग आकर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें। सिकंदर लोधी ने बोधन (Bodhan) नाम के एक ब्राह्मण को इस्लाम धर्म न स्वीकार करने पर मौत के घाट उतार दिया था। यह भी कहा जाता है-कि सिकंदर लोधी एक बार कुरुक्षेत्र के एक मेले में एकत्रित होने वाले सभी हिंदुओं को मरवा देना चाहता था। परंतु वह हिंदुओं के विद्रोह के डर से ऐसा कर नहीं पाया।

4. स्त्रियों की स्थिति-16वीं शताब्दी को स्त्री का जीवन इस प्रकार था-

  • स्त्रियों की दशा-16वीं शताब्दी के आरंभ में समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। उसे अबला, हीन और . पुरुषों से नीचा समझा जाता था। घर में उनकी दशा एक दासी के समान थी। उन्हें सदा पुरुषों के अधीन रहना पड़ता था। कुछ राजपूत कबीले ऐसे भी थे जो कन्या को दुःख का कारण मानते थे और पैदा होते ही उसका वध कर देते थे।
  • कुप्रथाएं-समाज में अनेक कुप्रथाएं भी प्रचलित थीं जो स्त्री जाति के विकास के मार्ग में बाधा बनी हुई थीं। इनमें से मुख्य प्रथाएं सती-प्रथा, कन्या-वध, बाल-विवाह, जौहर प्रथा, पर्दा-प्रथा, बहु-पत्नी प्रथा आदि प्रमुख थीं।
  • पर्दा प्रथा-पर्दा प्रथा हिंदू तथा मुसलमान दोनों में ही प्रचलित थी। हिंदू स्त्रियों को बूंघट निकालना पड़ता था और मुसलमान स्त्रियां बुर्के में रहती थीं। मुसलमानों में बहु-पत्नी प्रथा ज़ोरों से प्रचलित थी। सुल्तान तथा बड़े सरदार अपने मनोरंजन के लिए सैंकड़ों स्त्रियां रखते थे। स्त्री शिक्षा की ओर बहुत कम ध्यान दिया.जाता था। केवल कुछ उच्च घराने की स्त्रियां ही अपने घर पर शिक्षा प्राप्त कर सकती थीं। शेष स्त्रियां प्रायः अनपढ़ ही थीं। पंजाब में प्रायः स्त्री के विषय में यह कहावत प्रसिद्ध थी-“घर विच बैठी लक्ख दी, बाहर गई कख दी।”

II. धार्मिक अवस्था-16वीं शताब्दी में हिंदू धर्म पंजाब का प्रमुख धर्म था। वेद, रामायण, महाभारत, उपनिषद, गीता आदि पर आधारित अनेक हिंदू शिक्षाएं प्रचलित थीं। हिंदू धर्म कई संप्रदायों में बंटा हुआ था।

  1. वैष्णव मत-वैष्णव मत को मानने वाले लोग विष्णु और उसके अवतारों राम, कृष्ण आदि की आराधना करते थे। ये लोग शुद्ध शाकाहारी थे।
  2. शैव मत-शैव मत को मानने वाले शिवजी के उपासक थे। ये अधिकतर संन्यासी थे। जिनमें गोरखपंथी, नाथपंथी और कनफटे जोगी शामिल थी।
  3. शाक्त मत-शाक्त मत को मानने वाले लोग काली और दुर्गा की शक्ति के रूप में पूजा करते थे। ये लोग पूजा के लिए जानवरों की बलि भी देते थे।

बहुत सारे लोग जादू-टोनों में विश्वास करते थे। कुछ लोग पितरों व स्थानीय देवताओं जैसे-गूगा पीर और शीतला माता आदि की पूजा करते थे। सभी गैर-मुसलमान हिंदू नहीं थे। इसके इलावा उस समय पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों में बुद्ध और मैदानी भागों में जैन धर्म को मानने वाले लोग भी थे, जोकि अहिंसा में विश्वास रखते थे।

प्रश्न 3.
श्री गुरु नानक देव जी द्वारा की पहली उदासी (यात्रा) की व्याख्या करें।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी अपनी उदासी में भारत की पूर्वी तथा दक्षिणी दिशाओं में गए। यह यात्रा 1499 ई० में आरंभ हुई। उन्होंने अपने प्रसिद्ध शिष्य भाई मरदाना को अपने साथ लिया। मरदाना रबाब बजाने में कुशल था। इस यात्रा के दौरान गुरुजी ने निम्नलिखित स्थानों का भ्रमण किया-

  1. सैय्यदपुर-एमनाबाद-गुरु साहिब सुल्तानपुर लोधी से चल कर सबसे पहले सैय्यदपुर गए। वहां उन्होंने भाई लालो नामक बढ़ई को अपना श्रद्धालु बनाया। यहाँ उन्होंने मलिक भागों नामक एक अमीर को ईमानदारी का पाठ भी पढ़ाया। उन्होंने उसकी हवेली में ठहरने और वहां भोजन करने से इन्कार कर दिया क्योंकि उसने गरीबों का खून चूस कर धन इकट्ठा किया था। इस प्रकार गुरु जी ने लोगों को भी किरत (मेहनत) करके कमाई करने का संदेश दिया।
  2. तालुंबा-सैय्यदपुर से गुरु नानक देव जी सुल्तान ज़िला में स्थित तालुंबा नामक स्थान पर पहुंचे। यहां सज्जन नामक एक व्यक्ति रहता था जो बड़ा धर्मात्मा कहलाता था। परंतु वास्तव में वह ठगों का नेता था। गुरु नानक देव जी के प्रभाव में आकर उसने ठगी का धंधा छोड़ धर्म प्रचार की राह अपना ली। तेजा सिंह ने ठीक ही कहा है कि गुरु जी की अपार कृपा से “अपराध की गुफ़ा ईश्वर की उपासना का मंदिर बन गई।” (“The criminal’s den became a temple for God worship.”)
  3. कुरुक्षेत्र-तुलुंबा से गुरु साहिब हिंदुओं के प्रसिद्ध तीर्थ-स्थान कुरुक्षेत्र पहुंचे। उस वर्ष वहां सूर्य ग्रहण के अवसर पर हज़ारों ब्राह्मण, साधु-फ़कीर तथा हिंदू यात्री एकत्रित थे। गुरु जी ने एकत्र लोगों को यह उपदेश दिया कि मनुष्य को बाहरी अथवा शारीरिक पवित्रता की बजाय मन तथा आत्मा की पवित्रता पर बल देना चाहिए।
  4. पानीपत, दिल्ली तथा हरिद्वार-कुरुक्षेत्र से गुरु जी पानीपत पहुंचे। यहां से वह दिल्ली होते हुए हरिद्वार चले गए। यहां गुरु जी ने लोगों को सूर्य की ओर मुंह करके अपने पूर्वजों को पानी देते देखा। इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए गुरु साहिब ने उल्टी ओर पानी देना आरंभ कर दिया। लोगों के पूछने पर गुरु जी ने बताया कि वह पंजाब में अपने खेतों को पानी दे रहे हैं। लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। इस पर गुरु जी ने उनसे यह प्रश्न पूछा कि यदि मेरा पानी कुछ मील दूर नहीं जा सकता तो आप का पानी करोड़ों मील दूर पूर्वजों तक कैसे जा सकता है? इस उत्तर से अनेक लोग प्रभावित हुए।
  5. गोरखमता (वर्तमान नानकमत्ता)-हरिद्वार के बाद गुरु जी केदारनाथ, बद्रीनाथ, जोशीमठ आदि स्थानों का भ्रमण करते हुए गोरखमता पहुंचे। वहां उन्होंने गोरखनाथ के अनुयायियों को मोक्ष प्राप्ति का सही मार्ग दिखाया।
  6. बनारस-गोरखमता से गुरु जी बनारस पहुंचे। यहां उनकी भेंट पंडित चतुरदास से हुई। वह गुरु जी के उपदेशों से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि वह अपने शिष्यों सहित गुरुजी का अनुयायी बन गया।
  7. गया-बनारस से चल कर गुरु जी बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान ‘गया’ पहुंचे। यहां उन्होंने बहुत-से लोगों को अपने विचारों से प्रभावित किया और उन्हें अपना श्रद्धालु बनाया। यहां से वह पटना तथा हाजीपुर भी गए तथा लोगों को अपने विचारों से प्रभावित किया।
  8. आसाम (कामरूप)-गुरु नानक देव जी बिहार तथा बंगाल होते हुए आसाम पहुंचे। वहां उन्होंने कामरूप की एक जादूगरनी को उपदेश दिया कि सच्ची सुंदरता सच्चरित्र में है।
  9. ढाका, कटक तथा जगन्नाथपुरी-तत्पश्चात् गुरु जी ढाका पहुंचे। वहां पर उन्होंने विभिन्न धर्मों के नेताओं से मुलाकात की। ढाका से कटक होते हुए गुरु जी उड़ीसा में जगन्नाथपुरी गए। पुरी के मंदिर बहुत-से लोगों को विष्णु जी की मूर्ति पूजा तथा आरती करते देखा। वहां पर गुरु जी ने उपदेश दिया कि मूर्ति पूजा व्यर्थ है क्योंकि प्रकृति की हर चीज़ उसी की आलौकिक आरती करती रहती है। ईश्वर निराकार तथा सर्वव्यापक है।।
  10. वापसी-वापसी पर गुरु जी कुछ समय के लिए पाकपट्टन पहुंचे। वहां पर उनकी भेंट शेख फरीद के दसवें उत्तराधिकारी शेख ब्रह्म अथवा शेख इब्राहिम के साथ हुई। वह गुरु जी के विचार सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ। 1510 ई० में गुरु साहिब वापिस अपने गांव तलवंडी पहुंचे। उन्होंने भाई मरदाना को भी अपने घर जाने की अनुमति दे दी।

प्रश्न 4.
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं उतनी ही आदर्श थीं जितना कि उनका जीवन। वह कर्म-कांड, जाति-पाति, ऊंच-नीच आदि संकीर्ण विचारों से कोसों दूर थे। उन्हें तो सतनाम से प्रेम था और इसी का संदेश उन्होंने अपने संपर्क में आने वाले प्रत्येक प्राणी को दिया। उनकी मुख्य शिक्षाओं का वर्णन इस प्रकार है-

  1. ईश्वर की महिमा अथवा परमात्मा संबंधी विचार-गुरु साहिब ने ईश्वर अथवा परमात्मा सबसे महान् है। उसकी महानता का वर्णन कर पाना असंभव है। उन्होंने परमात्मा की महिमा का बखान अपने निम्नलिखित विचारों द्वारा किया है-
    • एक ईश्वर में विश्वास-श्री गुरु नानक देव जी ने इस बात का प्रचार किया कि ईश्वर एक है। वह अवतारवाद को स्वीकार नहीं करते थे। उनके अनुसार संसार का कोई भी देवी-देवता परमात्मा का स्थान नहीं ले सकता।
    • ईश्वर निराकार तथा स्वयं-भू है-श्री गुरु नानक देव जी ने ईश्वर को निराकार बताया। उनके अनुसार परमात्मा स्वयं-भू है। अतः उसकी मूर्ति बनाकर पूजा नहीं की जानी चाहिए।
    • ईश्वर सर्वव्यापी तथा सर्वशक्तिमान् है-श्री गुरु नानक देव जी ने ईश्वर को सर्वव्यापी तथा सर्वशक्तिमान् बताया। उनके अनुसार ईश्वर संसार के कण-कण में विद्यमान है। सारा संसार उसी की शक्ति पर चल रहा है।
    • ईश्वर दयालु है-श्री गुरु नानक देव जी का कहना था कि ईश्वर दयालु है। वह आवश्यकता पड़ने पर अपने भक्तों की सहायता करता है। जो लोग अपने सभी काम ईश्वर पर छोड़ देते हैं, ईश्वर उनके कार्यों को स्वयं करता है।
    • ईश्वर चिर-स्थायी है-गुरु जी ने बताया कि ईश्वर चिरस्थायी अर्थात् सदा रहने वाला है। बाकी सब कुछ नश्वर है।
    • परमात्मा की दया, मेहर तथा सहायता-गुरु नानक देव जी ने उपदेश दिया कि मनुष्य को परमात्मा की मेहर. दया तथा सहायता पाने के लिए उसका सिमरन करना चाहिए।
    • परमात्मा का हुक्म-गुरु नानक देव जी ने उपदेश दिया कि मनुष्य को परमात्मा के हुक्म अथवा मर्जी के अनुसार रहना चाहिए। परमात्मा नहीं है, वह सब झूठ है।
  2. सतनाम के जाप पर बल-श्री गुरु नानक देव जी ने सतनाम के जाप पर बल दिया। वह कहते थे कि जिस प्रकार शरीर में मैल उतारने के लिए पानी की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन का मैल हटाने के लिए सतनाम का जाप आवश्यक है।
  3. गुरु का महत्त्व-गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर प्राप्ति के लिए गुरु की बहुत आवश्यकता है। गुरु रूपी जहाज़ में सवार होकर संसार रूपी सागर को पार किया जा सकता है। उनका कथन है कि “सच्चे गुरु की सहायता के बिना किसी ने भी ईश्वर को प्राप्त नहीं किया।” गुरु ही मुक्ति तक ले जाने वाली वास्तविक सीढ़ी है।
  4. कर्म सिद्धांत में विश्वास-गुरु नानक देव जी का विश्वास था कि मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार बार-बार जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त होता है। उनके अनुसार बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भुगतने के लिए बार-बार जन्म लेना पड़ता है। इसके विपरीत, शुभ कर्म करने वाला व्यक्ति जन्म-मरण के चक्कर के छूट जाता है और निर्वाण प्राप्त करता है।
  5. आदर्श गृहस्थ जीवन पर बल-गुरु नानक देव जी ने आदर्श गृहस्थ जीवन पर बल दिया है। उन्होंने इस धारणा को सर्वथा ग़लत सिद्ध कर दिखाया कि संसार माया जाल है और उसका त्याग किए बिना व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता। उनके शब्दों में, “अंजन माहि निरंजन रहिए” अर्थात् संसार में रहकर भी मनुष्य को पृथक् और पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए।
  6. मनुष्य-मात्र के प्रेम में विश्वास-गुरु नानक देव जी रंग-रूप के भेद-भावों में विश्वास नहीं रखते थे। उनके अनुसार एक ईश्वर की संतान होने के नाते सभी मनुष्य भाई-भाई हैं।
  7. जाति-पाति का खंडन-गुरु नानक देव जी ने जाति-पाति का घोर विरोध किया। उनकी दृष्टि में न कोई हिंद था और न कोई मुसलमान। उनके अनुसार सभी जातियों तथा धर्मों में मौलिक एकता और समानता विद्यमान है।
  8. समाज सेवा-गुरु नानक देव जी के अनुसार जो व्यक्ति ईश्वर के प्राणियों से प्रेम नहीं करता, उसे ईश्वर की प्राप्ति कदापि नहीं हो सकती। उन्होंने अपने अनुयायियों को नि:स्वार्थ भावना से मानव प्रेम और समाज सेवा करने का उपदेश दिया। ईश्वर के प्रति प्रेम का ही प्रतीक है।
  9. मूर्ति-पूजा का खंडन-गुरु नानक देव जी ने मूर्ति-पूजा का कड़े शब्दों में खंडन किया। उनके अनुसार ईश्वर की मूर्तियां बनाकर पूजा करना व्यर्थ है, क्योंकि ईश्वर अमूर्त तथा निराकार है। गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर की वास्तविक पूजा उसके नाम का जाप करने और सर्वत्र उसकी उपस्थिति का अनुभव करने में है।
  10. यज्ञ, बलि तथा व्यर्थ के कर्म-कांडों में अविश्वास-गुरु नानक देव जी ने व्यर्थ के कर्मकांडों का घोर खंडन किया और ईश्वर की प्राप्ति के लिए यज्ञों तथा बलि आदि को व्यर्थ बताया। उनके अनुसार बाहरी दिखावे का प्रभु भक्ति में कोई स्थान नहीं है।
  11. सर्वोच्च आनंद (सचखंड) की प्राप्ति)-गुरु नानक देव जी के अनुसार जीवन का उद्देश्य सर्वोच्च आनंद की (सचखंड) प्राप्ति है। सर्वोच्च आनंद वह मानसिक स्थिति है जहां मनुष्य सभी चिंताओं तथा कष्टों से मुक्त हो जाता है। उसके मन में किसी प्रकार का कोई भय नहीं रहता और उसका दुखी हृदय शांत हो जाता है। ऐसी अवस्था में मनुष्य की आत्मा पूरी तरह से परमात्मा में लीन हो जाती है।
  12. नैतिक जीवन पर बल-गुरु नानक देव जी ने लोगों को नैतिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आदर्श जीवन के लिए ये सिद्धांत प्रस्तुत किए
    • सदा सत्य बोलना,
    • चोरी न करना,
    • ईमानदारी से अपना जीवन निर्वाह करना,
    • दूसरों की भावनाओं को कभी ठेस न पहुंचना।

सच तो यह है कि गुरु नानक देव जी एक महान् संत और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी मधुर बाणी से लोगों के मन में नम्र भाव उत्पन्न किये। उन्होंने लोगों को सतनाम का जाप करने और एक ही ईश्वर में विश्वास रखने का उपदेश दिया। इस प्रकार उन्होंने भटके हुए लोगों को जीवन का उचित मार्ग दिखाया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

PSEB 9th Class Social Science Guide पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी की पत्नी बीबी सुलखनी कहां की रहने वाली थी ?
(क) बटाला की
(ख) अमृतसर की
(ग) भटिंडा की
(घ) कीरतपुर साहिब की।
उत्तर-
(क) बटाला की

प्रश्न 2.
करतारपुर की स्थापना की
(क) गुरु अंगद देव जी ने
(ख) श्री गुरु नानक देव जी ने
(ग) गुरु रामदास जी ने
(घ) गुरु अर्जन देव जी ने।
उत्तर-
(ख) श्री गुरु नानक देव जी ने

प्रश्न 3.
सज्जन ठग से श्री गुरु नानक देव जी की भेंट कहां हुई ?
(क) पटना में
(ख) सियालकोट में
(ग) तालुंबा में
(घ) करतारपुर में।
उत्तर-
(ग) तालुंबा में

प्रश्न 4.
श्री गुरु नानक देव जी की माता जी थीं
(क) सुलखनी जी
(ख) तृप्ता जी
(ग) नानकी जी
(घ) बीबी अमरो जी।
उत्तर-
(ख) तृप्ता जी

प्रश्न 5.
बाबर द्वारा गुरु नानक देव जी को बंदी बनाया गया
(क) सियालकोट में
(ख) कीरतपुर साहिब में
(ग) सैय्यदपुर में
(घ) पाकपट्टन में।
उत्तर-
(ग) सैय्यदपुर में

प्रश्न 6.
बाबर ने 1526 की लड़ाई में हराया
(क) दौलत खां लोधी को
(ख) बहलोल लोधी को
(ग) इब्राहिम लोधी को
(घ) सिकंदर लोधी को।
उत्तर-
(ग) इब्राहिम लोधी को

प्रश्न 7.
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ
(क) 1269 ई० में
(ख) 1469 ई० में
(ग) 1526 ई० में
(घ) 1360 ई० में।
उत्तर-
(ख) 1469 ई० में

प्रश्न 8.
तातार खां को पंजाब का निज़ाम किसने बनाया ?
(क) बहलोल लोधी ने ।
(ख) इब्राहिम लोधी ने
(ग) दौलत खां लोधी ने
(घ) सिकंदर लोधी ने।
उत्तर-
(क) बहलोल लोधी ने ।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

प्रश्न 9.
निम्न में से कौन-सा लोधी सुल्तान नहीं था ?
(क) बहलोल लोधी
(ख) इब्राहिम लोधी
(ग) दौलत खां लोधी
(घ) सिकंदर लोधी।
उत्तर-
(ग) दौलत खां लोधी

प्रश्न 10.
मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ कौन-सा है ?
(क) शरीयत
(ख) उलेमा
(ग) कुरान
(घ) बशेखायत।
उत्तर-
(ग) कुरान

रिक्त स्थान भरें :

(क)

  1. बाबर ने पंजाब को ……………… ई० में जीता।
  2. मुसलमानों की कुरान के अनुसार जीवन-यापन की पद्धति ……………… कहलाती है।
  3. इब्राहिम लोधी ने …………… लोधी को दंड देने के लिए दिल्ली बुलवाया।
  4. तातार खां लोधी के बाद ……………… को पंजाब का सूबेदार बनाया गया।
  5. मुस्लिम अमीरों द्वारा पहनी जाने वाली तुर्रदार पगड़ी को ……………… कहा जाता था। .
  6. ……………… दौलत खां लोधी का पुत्र था।

उत्तर-

  1. 1526
  2. शरीयत
  3. दौलत खां
  4. दौलत खां लोधी
  5. चीरा
  6. दिलावर खां लोधी।

(ख)

  1. गुरु नानक देव जी द्वारा व्यापार के लिए दिए गए 20 रुपयों से साधु-संतों को भोजन कराने को …………….. नामक घटना के नाम से जाना जाता है।
  2. …………………. गुरु नानक देव जी की पत्नी थीं।
  3. गुरु नानक देव जी के पुत्रों के नाम ……………… तथा ……………… थे।
  4. गुरु नानक देव जी की ‘वार मल्हार’, ‘वार आसा’ …………… और ……………. नामक चार ___ बाणियां हैं।
  5. गुरु नानक जी का जन्म लाहौर के समीप ………….. नामक गांव में हुआ।
  6. गुरुद्वारा पंजा साहिब ……………… में स्थित है।

उत्तर-

  1. सच्चा सौदा
  2. बीबी सुलखनी
  3. श्रीचंद तथा लक्ष्मी दास (चंद)
  4. जपुजी साहिब बारह माह
  5. तलवंडी
  6. सियालकोट।

सही मिलान करो :

(क) -(ख)
1. तीसरी उदासी – (i) तलवंडी
2. तातार खां – (ii) ज्वालाजी
3. श्री गुरु नानक देव जी की पत्नी सुलखनी – (iii) बहलोल लोधी
4. लोधी वंश का प्रसिद्ध शासक – (iv) बटाला
5. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म – (v) सिकंदर लोधी

उत्तर-

  1. ज्वालाजी
  2. बहलोल लोधी
  3. बटाला
  4. सिकंदर लोधी
  5. तलवंडी।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

(I)

प्रश्न 1.
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 ई० को हुआ परन्तु उनका जन्म दिवस कार्तिक की पूर्णिमा (अक्तूबर-नवंबर) को मनाया जाता है।

प्रश्न 2.
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कहां हुआ था ?
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक गांव (आधुनिक पाकिस्तान में) में हुआ था जिसे ननकाना साहिब कहते हैं।

प्रश्न 3.
सुल्तानपुर में गुरु नानक देव जी ने कहाँ और कितने समय तक काम किया ?
उत्तर-
सुल्तानपुर में गुरु नानक देव जी ने दौलत खां लोधी के मोदीखाने (अनाज के भण्डार) में दस वर्ष तक कार्य किया।

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प्रश्न 4.
किस घटना को ‘सच्चा सौदा’ का नाम दिया गया है ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी द्वारा व्यापार करने के लिए दिए गए 20 रुपयों से साधु-संतों को भोजन-कराना।

प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी की पत्नी कहां की रहने वाली थीं ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी की पत्नी बीबी सुलखनी बटाला (जिला गुरदासपुर) की रहने वाली थीं।।

प्रश्न 6.
(i) गुरु नानक देव जी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद क्या शब्द कहे तथा
(ii) उनका क्या भाव था ?
उत्तर-

  1. गुरु नानक देव जी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद ये शब्द कहे-‘न कोई हिंदू न कोई मुसलमान।’
  2. इसका भाव था कि हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही अपने धर्म के मार्ग से भटक चुके हैं।

प्रश्न 7.
सुल्तानपुर में गुरु नानक देव जी ने किसके पास क्या काम किया ?
उत्तर-
सुल्तानपुर में गुरु नानक देव जी ने वहां के फ़ौजदार दौलत खां लोधी के अधीन मोदी खाने में भंडारी का काम किया।

प्रश्न 8.
गुरु नानक देव जी की चार बाणियों के नाम लिखें।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी की चार बाणियां हैं-वार मल्हार’, ‘वार आसा’, ‘जपुजी साहिब’ तथा ‘बारह माहा’।

प्रश्न 9.
गुरु नानक देव जी ने कुरुक्षेत्र में क्या उपदेश दिए ?
उत्तर-
कुरुक्षेत्र में गुरु जी ने यह उपदेश दिया कि मनुष्य को अपनी शारीरिक पवित्रता की बजाय अपने मन तथा आत्मा की पवित्रता पर बल देना चाहिए।

प्रश्न 10.
गुरु नानक साहिब की बनारस यात्रा के बारे में लिखिए।
उत्तर-
बनारस में गुरु जी की भेंट पंडित चतुरदास से हुई जो गुरु जी के उपदेशों से बहुत प्रभावित हुआ और गुरु जी का शिष्य बन गया।

प्रश्न 11.
गोरखमता में गुरु नानक देव जी ने सिद्धों तथा योगियों को क्या उपदेश दिया ?
उत्तर-
गुरु नानक साहिब ने उन्हें उपदेश दिया कि शरीर पर राख मलने, हाथ में डंडा पकड़ने, सिर मुंडाने, संसार त्यागने जैसे व्यर्थ के आडंबरों से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त नहीं होता।

प्रश्न 12.
गुरु नानक देव जी के मतानुसार परमात्मा कैसा है ? कोई चार विचार लिखें।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी के मतानुसार परमात्मा निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक तथा सर्वोच्च है।

प्रश्न 13.
गुरु नानक देव जी कैसा जनेऊ पहनना चाहते थे ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी सद्गुणों के धागे से बना जनेऊ पहनना चाहते थे।

प्रश्न 14.
‘सच्चा सौदा’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
सच्चा सौदा से भाव है-पवित्र व्यापार जो गुरु नानक साहिब ने अपने 20 रुपए से साधु-संतों को रोटी खिला कर किया था।

प्रश्न 15.
गुरु नानक देव जी को सुल्तानपुर क्यों भेजा गया ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी को उनकी बहन नानकी तथा जीजा जैराम जी के पास इसलिए भेजा गया ताकि वह कोई कारोबार कर सकें।

प्रश्न 16.
गुरु नानक देव जी ने एक नए भाई-चारे का आरंभ कहां किया ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी ने एक नए भाई-चारे का आरंभ करतारपुर में किया।

प्रश्न 17.
गुरु नानक देव जी ने एक नए भाई-चारे का आरंभ किन दो संस्थाओं द्वारा किया ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी ने इसका श्री गणेश संगत तथा पंगत नामक दो संस्थाओं द्वारा किया।

प्रश्न 18.
गुरु नानक देव जी की उदासियों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी की उदासियों से अभिप्राय उन यात्राओं से है जो उन्होंने एक उदासी के वेश में की।

प्रश्न 19.
गुरु नानक देव जी की उदासियों का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी की उदासियों का उद्देश्य अंध-विश्वासों को दूर करना तथा लोगों को धर्म का उचित मार्ग दिखाना था।

प्रश्न 20.
गुरु नानक देव जी द्वारा मक्का में काबे की ओर पांव करके सोने का विरोध किसने किया ?
उत्तर-
काज़ी रुकनुद्दीन ने।

(II)

प्रश्न 1.
सिक्ख धर्म के संस्थापक अथवा सिक्खों के पहले गुरु कौन थे ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी की माता जी का नाम क्या था ?
उत्तर-
तृप्ता जी।

प्रश्न 3.
गुरुद्वारा पंजा साहिब कहां स्थित है ?
उत्तर-
सियालकोट में।

प्रश्न 4.
तीसरी उदासी में गुरु नानक देव जी के एक साथी का नाम बताओ।
उत्तर-
मरदाना/हस्सू लुहार।

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प्रश्न 5.
बाबर ने किस स्थान पर गुरु नानक देव जी को बंदी बनाया ?
उत्तर-
सैय्यदपुर।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी ने अपनी किस रचना में बाबर के सैय्यदपुर पर आक्रमण की निंदा की है ?
उत्तर-
बाबरबाणी में।

प्रश्न 7.
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल कहां व्यतीत किए ?
उत्तर-
करतारपुर (पाकिस्तान) में।

प्रश्न 8.
परमात्मा के बारे में गुरु नानक देव जी के विचारों का सार उनकी किस रचना में मिलता है ?
उत्तर-
जपुजी साहिब में।

प्रश्न 9.
लंगर प्रथा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सभी लोगों द्वारा बिना किसी भेदभाव के एक स्थान पर बैठ कर भोजन करना।

प्रश्न 10.
गुरु नानक देव जी ज्योति-जोत कब समाए ?
उत्तर-
22 सितंबर, 15391

प्रश्न 11.
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पंजाब की जनता पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
उनकी शिक्षाओं के प्रभाव से मूर्ति पूजा तथा अनेक देवी-देवताओं की पूजा कम हुई और लोग एक ईश्वर की उपासना करने लगे।
अथवा
उनकी शिक्षाओं से हिंदू तथा मुसलमान अपने धार्मिक भेद-भाव भूल कर एक-दूसरे के समीप आए।

प्रश्न 12.
गुरु नानक देव जी ने बाबर के किस हमले की तुलना ‘पापों की बारात’ से की है ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी ने बाबर के भारत पर तीसरे हमले की तुलना ‘पापों की बारात’ से की है।

प्रश्न 13.
करतारपुर की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
करतारपुर की स्थापना 1521 ई० के लगभग श्री गुरु नानक देव जी ने की।

प्रश्न 14.
करतारपुर की स्थापना के लिए भूमि कहां से प्राप्त हुई ?
उत्तर-
इसके लिए दीवान करोड़ीमल खत्री नामक एक व्यक्ति ने भूमि भेंट में दी थी।

प्रश्न 15.
गुरु नानक देव जी की सज्जन ठग से भेंट कहां हुई ?
उत्तर-
सज्जन ठग से मुरु नानक देव जी की भेंट तुलुंबा में हुई।

प्रश्न 16.
गुरु नानक देव जी और सज्जन ठग की भेंट का सज्जन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
गुरु जी के संपर्क में आकर सज्जन ने बुरे कर्म छोड़ दिए और वह गुरु जी की शिक्षाओं का प्रचार करने लगा।

प्रश्न 17.
गोरखमता का नाम नानकमता कैसे पड़ा ?
उत्तर-
गोरखमता में गुरु नानक देव जी द्वारा नाथ योगियों को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझाने के कारण।

प्रश्न 18.
गुरु नानक देव जी के अंतिम वर्ष कहां व्यतीत हुए ?
उत्तर-
गुरु जी के अंतिम वर्ष करतारपुर में धर्म प्रचार करते हुए व्यतीत हुए।

प्रश्न 19.
गुरु नानक देव जी की कोई एक शिक्षा लिखो।
उत्तर-
ईश्वर एक है और हमें केवल उसी की पूजा करनी चाहिए।
अथवा
ईश्वर प्राप्ति के लिए गुरु का होना आवश्यक है।

प्रश्न 20.
गुरु नानक देव जी के ईश्वर संबंधी विचार क्या थे ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर एक है और वह निराकार, स्वयं-भू, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान्, दयालु तथा महान् है।

(III)

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी को पढ़ने के लिए किसके पास भेजा गया ?
उत्तर-
पंडित गोपाल के पास।

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प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी द्वारा 20 रुपये से साधु-संतों को भोजन खिलाने की घटना को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर-
सच्चा सौदा।

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी के पुत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
श्रीचंद और लखमी दास (चंद)।

प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी को सच्चे ज्ञान की प्राप्ति कब हुई ?
उत्तर-
1499 ई० में।

प्रश्न 5.
पहली उदासी में गुरु नानक देव जी के साथी (रबाबी) कौन थे ?
उत्तर-
भाई मरदाना।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी के प्रताप से किस स्थान का नाम ‘नानकमता’ पड़ा ?
उत्तर-
गोरखमता।

प्रश्न 7.
अपनी दूसरी उदासी में गुरु नानक देव जी कहां गए ?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में।

प्रश्न 8.
‘धुबरी’ नामक स्थान पर गुरु नानक देव जी की मुलाकात किस से हुई ?
उत्तर-
संत शंकर देव से।

प्रश्न 9.
गुरु नानक देव जी ने अपनी तीसरी उदासी कब आरंभ की ?
उत्तर-
1515 ई० में।

प्रश्न 10.
गुरु नानक देव जी ने किस स्थान पर एक जादूगरनी को उपदेश दिया ?
उत्तर-
कामरूप।

प्रश्न 11.
बहलोल खां लोधी कौन था ?
उत्तर-
बहलोल खां लोधी दिल्ली का सुल्तान (1450-1489) था।

प्रश्न 12.
इब्राहिम लोधी का कोई एक गुण बताइए।
उत्तर-
इब्राहिम लोधी एक वीर सिपाही तथा काफ़ी सीमा तक सफल जरनैल था।

प्रश्न 13.
इब्राहिम लोधी के कोई दो अवगुण बताइए।
उत्तर-
इब्राहिम लोधी अयोग्य, हठी तथा घमंडी था।

प्रश्न 14.
बाबर ने पंजाब पर अपना अधिकार कब किया ?
उत्तर-
बाबर ने पंजाब पर 21 अप्रैल, 1526 को अधिकार किया।

प्रश्न 15.
मुस्लिम समाज कौन-कौन सी श्रेणियों में बंटा हुआ था ?
उत्तर-
15वीं शताब्दी के अंत में मुस्लिम समाज तीन श्रेणियों में बंटा हुआ था-

  1. उलेमा तथा सैय्यद,
  2. मध्य श्रेणी तथा
  3. गुलाम अथवा दास।

प्रश्न 16.
आलम खां ने बाबर से जो संधि की, उसके विषय में लिखिए।
उत्तर-
संधि के अनुसार यह तय हुआ किबाबर आलम खां को दिल्ली का राज्य प्राप्त करने के लिए सैन्य सहायता देगा।
अथवा
आलम खां पंजाब के सभी इलाकों पर कानूनी तौर पर बाबर का अधिकार स्वीकार होगा।

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प्रश्न 17.
उलेमा कौन थे ?
उत्तर-
उलेमा मुस्लिम धार्मिक वर्ग के नेता थे जो अरबी तथा धार्मिक साहित्य के विद्वान् थे।

प्रश्न 18.
मुस्लिम तथा हिंदू समाज के भोजन में क्या फ़र्क था ?
उत्तर-
मुस्लिम समाज में अमीरों, सरदारों, सैय्यदों, शेखों, मुल्लाओं तथा काजी लोगों का भोजन बहुत तैलीय (घी वाला) होता था, जबकि हिंदुओं का भोजन सादा तथा वैष्णो (शाकाहारी) होता था।

प्रश्न 19.
सैय्यद कौन थे ?
उत्तर-
सैय्यद अपने आप को हज़रत मुहम्मद की पुत्री बीबी फातिमा की संतान मानते थे।

प्रश्न 20.
मुस्लिम-मध्य श्रेणी में कौन-कौन शामिल था ?
उत्तर-
मुस्लिम मध्य श्रेणी में सरकारी कर्मचारी, सिपाही, व्यापारी तथा किसान शामिल थे।

(IV)

प्रश्न 1.
मुसलमान स्त्रियों के पहरावे का वर्णन करो।
उत्तर-
मुसलमा स्त्रियां जंपर, घाघरा तथा पायजामा पहनती थीं और बुर्के का प्रयोग करती थीं।

प्रश्न 2.
मुसलमानों के मनोरंजन के साधनों का वर्णन करो।
उत्तर-
मुस्लिम सरदारों तथा अमीरों के मनोरंजन के मुख्य साधन चौगान, घुड़सवारी, घुड़दौड़ आदि थे, जबकि ‘चौपड़’ का खेल अमीर तथा ग़रीब दोनों में प्रचलित था।

प्रश्न 3.
हिंदुओं के अंधविश्वास व अज्ञानता का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी से पहले के पंजाब में हिंदू देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि देते थे और जादू टोने, तावीज़ तथा करामातों में विश्वास रखते थे।

प्रश्न 4.
इब्राहिम लोधी के अधीन पंजाब की राजनीतिक दशा कैसी थी ?
उत्तर-
इब्राहिम लोधी के समय में पंजाब का गवर्नर दौलत खां लोधी काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित करके षड्यंत्र रच रहा था।

प्रश्न 5.
इब्राहिम लोधी ने दौलत खां लोधी को दिल्ली क्यों बुलवाया ?
उत्तर-
इब्राहिम लोधी ने दौलत खां लोधी को दंड देने के लिए दिल्ली बुलवाया।

प्रश्न 6.
तातार खां को पंजाब का निज़ाम किसने बनाया ?
उत्तर-
बहलोल लोधी को।

प्रश्न 7.
लोधी-वंश का सबसे प्रसिद्ध बादशाह किसे माना जाता है ?
उत्तर-
सिकंदर लोधी को।

प्रश्न 8.
तातार खां के बाद पंजाब का सूबेदार कौन बना ?
उत्तर-
दौलत खां लोधी।

प्रश्न 9.
दौलत खां लोधी के छोटे पुत्र का नाम बताओ।
उत्तर-
दिलावर खां लोधी।

प्रश्न 10.
बाबर ने 1519 के अपने पंजाब आक्रमण में किन स्थानों पर अपना अधिकार किया. ?
उत्तर-
बजौर तथा भेरा पर। प्रश्न 11. बाबर का लाहौर पर कब्जा कब हुआ ?
अथवा
बाबर ने पंजाब को कब जीता ? उत्तर-1524 ई०।

प्रश्न 12.
पानीपत की पहली लड़ाई (21 अप्रैल, 1526) किसके बीच हुई ?
उत्तर-
बाबर तथा इब्राहिम लोधी के बीच।

प्रश्न 13.
स्वयं को हज़रत मुहम्मद की सुपुत्री बीबी फातिमा की संतान कौन मानता था ?
उत्तर-
सैय्यद।

प्रश्न 14.
मुस्लिम समाज में न्याय संबंधी कार्य कौन करते थे ?
उत्तर-
काजी।

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प्रश्न 15.
मुस्लिम समाज में सबसे निचले दर्जे पर कौन था ?
उत्तर-
गुलाम।

प्रश्न 16.
गुरु नानक देव जी से पहले हिंदुओं को क्या समझा जाता था ?
उत्तर-
जिम्मी।

प्रश्न 16.
गुरु नानक देव जी से पहले हिंदुओं पर लगा एक धार्मिक कर बताइए।
उत्तर-जज़िया।

प्रश्न 18.
‘सती’ की कुप्रथा किस जाति में प्रचलित थी ?
उत्तर-
हिंदुओं में।

प्रश्न 19.
मुस्लिम अमीरों द्वारा पहनी जाने वाली तुर्रेदार पगड़ी को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
चीरा

प्रश्न 20.
दौलत खां लोधी ने दिल्ली के सुल्तान के पास अपने पुत्र दिलावर खां को क्यों भेजा ?
उत्तर-
दौलत खां लोधी भांप गया कि सुल्तान उसे दंड देना चाहता है।

प्रश्न 21.
दौलत खां लोधी ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए क्यों बुलाया ?
उत्तर-
दौलत खां लोधी दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की शक्ति का अंत करके स्वयं पंजाब का स्वतंत्र शासक बनना चाहता था।

प्रश्न 22.
दौलत खां लोधी बाबर के विरुद्ध क्यों हुआ ?
उत्तर-
दौलत खां लोधी को विश्वास था कि विजय के पश्चात् बाबर उसे सारे पंजाब का गवर्नर बना देगा जबकि बाबर ने उसे केवल जालंधर का ही शासन सौंपा तो वह बाबर के विरुद्ध हो गया।

प्रश्न 23.
दौलत खां लोधी ने बाबर का सामना कब किया ?
उत्तर-
बाबर द्वारा भारत पर, पांचवें आक्रमण के समय दौलत खां लोधी ने उसका सामना किया।

प्रश्न 24.
बाबर के पंजाब पर पांचवें आक्रमण का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
इस लड़ाई में दौलत खां लोधी पराजित हुआ और सारे पंजाब पर बाबर का अधिकार हो गया।

प्रश्न 25.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा के विषय में गुरु नानक देव जी के विचारों पर एक वाक्य लिखो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी लिखते हैं-
“राजा शेर है तथा मुकद्दम कुत्ते हैं जो दिन-रात प्रजा का शोषण करने में लगे रहते हैं।” अर्थात् शासक वर्ग अत्याचारी है।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु नानक साहिब की जनेऊ की रस्म का वर्णन करो।
उत्तर-
अभी गुरु नानक देव जी की शिक्षा चल रही थी कि उन्हें जनेऊ पहनाने का निश्चय किया गया। इसके लिए रविवार का दिन निश्चित हुआ। सभी सगे संबंधी इकट्ठे हुए और ब्राह्मणों को बुलाया गया। प्रारंभिक मंत्र पढ़ने के पश्चात् पंडित हरदयाल ने गुरु नानक देव जी को अपने सामने बिठाया और उन्हें जनेऊ पहनने के लिए कहा। परंतु उन्होंने इसे पहनने से साफ़ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने शरीर के लिए नहीं बल्कि आत्मा के लिए एक स्थायी जनेऊ चाहिए। मुझे ऐसा जनेऊ चाहिए जो सूत के धागे से नहीं बल्कि सद्गुणों के धागे से बना हो।

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी ने अपने प्रारंभिक जीवन में क्या-क्या व्यवसाय अपनाए ?
उत्तर-
गुरु नानक साहिब जी पढ़ाई तथा अन्य सांसारिक विषयों की उपेक्षा करने लगे थे। उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए उनके पिता जी ने उन्हें पशु चराने के लिए भेजा। वहां भी गुरु नानक देव जी प्रभु चिंतन में मग्न रहते और पशु दूसरे किसानों के खेतों में चरते रहते थे। किसानों की शिकायतों से तंग आकर मेहता कालू जी ने गुरु नानक देव जी को व्यापार में लगाने का प्रयास किया। उन्होंने गुरु नानक देव जी को 20 रुपए देकर व्यापार करने भेजा, परंतु गुरु जी ने ये रुपये साधु-संतों को भोजन कराने में व्यय कर दिये। यह घटना सिक्ख इतिहास में ‘सच्चा सौदा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी के परमात्मा संबंधी विचारों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी के परमात्मा संबंधी विचारों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. परमात्मा एक है-गुरु नानक देव जी ने लोगों को बताया है कि परमात्मा एक है। उसे बांटा नहीं जा सकता। उन्होंने एक ओंकार का संदेश दिया।
  2. परमात्मा निराकार तथा स्वयंभू है-गुरु नानक देव जी ने परमात्मा को निराकार बताया और कहा कि परमात्मा का कोई आकार व रंग-रूप नहीं है। फिर भी उसके अनेक गुण हैं जिनका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार परमात्मा स्वयंभू तथा अकालमूर्त है। अतः उसकी मूर्ति बना कर पूजा नहीं की जा सकती।
  3. परमात्मा सर्वव्यापी तथा सर्वशक्तिमान् है-गुरु नानक देव जी ने परमात्मा को सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी बताया। उनके अनुसार वह सृष्टि के प्रत्येक कण में विद्यमान है। उसे मंदिर अथवा मस्जिद की चारदीवारी में बंद नहीं रखा जा सकता।
  4. परमात्मा सर्वश्रेष्ठ है-गुरु नानक देव जी के अनुसार परमात्मा सर्वश्रेष्ठ है। वह अद्वितीय है। उसकी महिमा तथा महानता का पार नहीं पाया जा सकता।
  5. परमात्मा दयालु है-गुरु नानक देव जी के अनुसार परमात्मा दयालु है। वह आवश्यकता पड़ने पर अपने भक्तों पर दया तथा मेहर करता है और उनकी सहायता करता है।

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प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी पहली उदासी (यात्रा) के समय कौन-कौन से स्थानों पर गए ?
उत्तर-
अपनी पहली उदासी के समय गुरु नानक साहिब निम्नलिखित स्थानों पर गए-

  1. सुल्तानपुर से चलकर वह सैय्यदपुर गए जहां उन्होंने भाई लालो को अपना शिष्य बनाया।
  2. तत्पश्चात् गुरु साहिब तालुंबा (सज्जन ठग के यहां), कुरुक्षेत्र तथा पानीपत गए। इन स्थानों पर उन्होंने लोगों को शुभ कर्म करने की प्रेरणा दी।
  3. पानीपत से वह दिल्ली होते हुए हरिद्वार गए। इन स्थानों पर उन्होंने अंध-विश्वासों का खंडन किया।
  4. इसके पश्चात् गुरु साहिब ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, गोरखमता, बनारस, पटना, हाजीपुर, धुबरी, कामरूप, शिलांग, ढाका, जगन्नाथपुरी आदि कई स्थानों का भ्रमण किया।

प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी दूसरी उदासी (यात्रा) के समय कहां-कहां गए ?
उत्तर-

  1. श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी दूसरी उदासी 1510 ई० में आरम्भ की। इस दौरान उन्होंने मालवा के संतों तथा माऊंट आबू के जैन मुनियों से मुलाकात की। वे पुष्कर भी गए।
  2. इसके बाद गुरु साहिब ने हैदराबाद, नन्देड़, कटक, गंटूर, गोलकुंडा, मद्रास, कांचीपुरम तथा रामेश्वरम् के तीर्थ स्थान की यात्रा की।
  3. गुरु जी समुद्री मार्ग से श्रीलंका गए, जहां लंका का राजा शिवनाथ तथा कई अन्य लोग उनकी बाणी से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए।
  4. अपनी वापिसी यात्रा में गुरु जी त्रिवेन्द्रम, श्री रंगापटनम, सोमनाथ, द्वारका, बहावलपुर, मुल्तान आदि स्थानों से होते हुए 1515 ई० को अपने गांव तलवंडी पहुंचे। यहां से वे सुल्तानपुर गए।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी की तीसरी उदासी (यात्रा) के महत्त्वपूर्ण स्थानों के बारे में बताओ।
उत्तर-
सुल्तानपुर लोधी में कुछ समय रहने के बाद गुरु जी ने 1515 ई० से लेकर 1517 ई० तक अपनी तीसरी उदासी की। इस उदासी में भाई मरदाना भी उनके साथ थे। आरम्भ में हस्सू लुहार तथा सीहां छींबे ने भी उनका साथ दिया। इस उदासी के दौरान गुरु जी निम्नलिखित स्थानों पर गए

  1. मुकाम पीर बुढ्नशाह, तिब्बत, नेपाल, गोरखमत्ता अथवा नानकमत्ता।
  2. बिलासपुर, मंडी, सुकेत, ज्वालाजी, कांगड़ा, कुल्लू आदि पहाड़ी इलाके।
  3. कश्मीर घाटी में कैलाश पर्वत, लद्दाख, कारगिल, अमरनाथ, आनंतनाग, बारामूला आदि।

प्रश्न 7.
श्री गुरु नानक देव जी की चौथी उदासी का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। .
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी चौथी उदासी 1517 ई० से 1521 ई० तक भाई मरदाना जी को साथ लेकर की। इस उदासी के दौरान उन्होंने पश्चिम एशिया के देशों की यात्रा की। वह मुल्तान, उच्च, मक्का, मदीना, बगदाद, कंधार, काबुल, जलालाबाद, पेशावर, सैय्यदपुर आदि स्थानों पर गए। इस यात्रा में उन्होंने मुसलमान हाज़ियों वाली नीली वेशभूषा धारण की हुई थी।

प्रश्न 8.
गुरु नानक देव जी द्वारा करतारपुर में बिताए गए जीवन का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-
1521 ई० के लगभग गुरु नानक देव जी ने रावी नदी के किनारे एक नया नगर बसाया। इस नगर का नाम ‘करतारपुर’ अर्थात् ईश्वर का नगर था। गुरु जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष परिवार के अन्य सदस्यों के साथ यहीं पर व्यतीत किये। कार्य-

  1. इस काल में गुरु नानक देव जी ने अपने सभी उपदेशों को निश्चित रूप दिया और ‘वार मल्हार’ और ‘वार माझ’, ‘वार आसा’, ‘जपुजी साहिब’, ‘पट्टी’, ‘ओंकार’, ‘बारहमाहा’ आदि बाणियों की रचना की
  2. करतारपुर में उन्होंने ‘संगत’ तथा ‘पंगत’ (लंगर) की संस्था का विकास किया।
  3. कुछ समय पश्चात् अपने जीवन का अंत निकट आते देख उन्होंने भाई लहना जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया। भाई लहना जी सिक्खों के दूसरे गुरु थे जो गुरु अंगद देव जी के नाम से प्रसिद्ध हुए।

प्रश्न 9.
गुरु नानक साहिब की यात्राओं अथवा उदासियों के बारे में बताएं।
उत्तर-
गुरु नानक साहिब ने अपने संदेश के प्रसार के लिए कुछ यात्राएं कीं। उनकी यात्राओं को उदासियां भी कहा जाता है। इन यात्राओं को चार हिस्सों अथवा उदासियों में बांटा जाता है। यह समझा जाता है कि इस दौरान गुरु नानक देव साहिब ने उत्तर में कैलाश पर्वत से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम् तक तथा पश्चिम में पाकपट्टन से लेकर पूर्व में असम तक की यात्रा की थी। वे संभवत्: भारत से बाहर श्रीलंका, मक्का, मदीना तथा बग़दाद भी गये थे। उनके जीवन के लगभग 20-21 वर्ष ‘उदासियों’ में गुजरे। अपनी सुदूर ‘उदासियों’ में गुरु साहिब विभिन्न धार्मिक विश्वासों वाले अनेक लोगों के संपर्क में आए। ये लोग भांति-भांति की संस्कार विधियों और रस्मों का पालन करते थे। गुरु नानक साहिब ने इन सभी को धर्म का सच्चा मार्ग दिखाया।

प्रश्न 10.
गुरु नानक साहिब के संदेश के सामाजिक अर्थ क्या थे ?
उत्तर-
गुरु नानक साहिब के संदेश के सामाजिक अर्थ बड़े महत्त्वपूर्ण थे। उनका संदेश सभी के लिए था। प्रत्येक स्त्री-पुरुष उनके बताये मार्ग को अपना सकता था। इसमें जाति-पाति या धर्म का कोई भेद-भाव नहीं था। इस प्रकार वर्ण व्यवस्था के जटिल बंधन टूटने लगे और लोगों में समानता की भावना का संचार हुआ। गुरु साहिब ने अपने आपको जनसाधारण के साथ संबंधित किया। इसी कारण उन्होंने अपने समय के शासन में प्रचलित अन्याय, दमन और भ्रष्टाचार का बड़ा ज़ोरदार खंडन किया। फलस्वरूप समाज अनेक कुरीतियों से मुक्त हो गया।

प्रश्न 11.
श्री गुरु नानक देव जी की किन्हीं पांच शिक्षाओं का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी ने लोगों को ये शिक्षाएं दीं-

  1. ईश्वर एक है। वह सर्वशक्तिमान् और सर्वव्यापी है।
  2. जाति-पाति का भेदभाव मात्र दिखावा है। अमीर-गरीब, ब्राह्मण, शूद्र सभी सामान हैं।
  3. शुद्ध आचरण मनुष्य को महान् बनाता है।
  4. परमात्मा का सिमरन सच्चे मन से करना चाहिए।
  5. गुरु नानक देव जी ने सच्चे गुरु को महान् बताया। उनका विश्वास था कि प्रभु को प्राप्त करने के लिए सच्चे गुरु का होना आवश्यक है।
  6. मनुष्य को सदा नेक कमाई खानी चाहिए।

प्रश्न 12.
सिकंदर लोधी की धार्मिक नीति का वर्णन करो।
उत्तर-
मुसलमान इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर लोधी एक न्यायप्रिय, बुद्धिमान् तथा प्रजा हितैषी शासक था। परंतु डॉ० इंदु भूषण बैनर्जी इस मत के विरुद्ध हैं। उनका कथन है कि सिकंदर लोधी की न्यायप्रियता अपने वर्ग (मुसलमान वर्ग) तक ही सीमित थी। उसने अपनी हिंदू प्रजा के प्रति अत्याचार और असहनशीलता की नीति का परिचय दिया। उसने हिंदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाया और उनके मंदिरों को गिरवाया। हजारों की संख्या में हिंदू सिकंदर लोधी के अत्याचारों का शिकार हुए।

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प्रश्न 13.
इब्राहिम लोधी के समय हुए विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर-
इब्राहिम लोधी के समय में निम्नलिखित दो मुख्य विद्रोह हुए

  1. पठानों का विद्रोह-इब्राहिम लोधी ने स्वतंत्र स्वभाव के पठानों को अनुशासित करने का प्रयास किया। पठान इसे सहन न कर सके। इसलिए उन्होंने विद्रोह कर दिया। इब्राहिम लोधी इस बग़ावत को दबाने में असफल रहा।
  2. पंजाब में दौलत खां लोधी का विद्रोह-पंजाब का सूबेदार दौलत खां लोधी था। वह इब्राहिम लोधी के कठोर, घमंडी तथा शक्की स्वभाव से दुखी था। इसलिए उसने स्वयं को स्वतंत्र करने का निर्णय कर लिया और वह दिल्ली के सुल्तान के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगा। उसने अफ़गान शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए भी आमंत्रित किया।

प्रश्न 14.
दिलावर खां लोधी दिल्ली क्यों गया ? इब्राहिम लोधी ने उसके साथ क्या बर्ताव किया ?
उत्तर-
दिलावर खां लोधी अपने पिता की ओर से आरोपों की सफ़ाई देने के लिए दिल्ली गया। इब्राहिम लोधी ने दिलावर खां को खूब डराया धमकाया। उसने उसे यह भी बताने का प्रयास किया कि विद्रोही को क्या दंड दिया जा सकता है। उसने उसे उन यातनाओं के दृश्य दिखाए जो विद्रोही लोगों को दी जाती थीं और फिर उसे बंदी बना लिया। परंतु वह किसी-न-किसी तरह जेल से भाग निकला। लाहौर पहुंचने पर उसने अपने पिता को दिल्ली में हुई सारी बातें सुनाईं। दौलत खां समझ गया कि इब्राहिम लोधी उससे दो-दो हाथ अवश्य करेगा।

प्रश्न 15.
बाबर के सैय्यदपुर के आक्रमण का वर्णन करो।
उत्तर-
सियालकोट को जीतने के बाद बाबर सैय्यदपुर (ऐमनाबाद) की ओर बढ़ा। वहां की रक्षक सेना ने बाबर की घुड़सेना का डटकर सामना किया। फिर भी अंत में बाबर की जीत हुई। शेष बची हुई रक्षक सेना को कत्ल कर दिया गया। सैय्यदपुर की जनता के साथ भी निर्दयतापूर्ण व्यवहार किया गया। कई लोगों को दास बना लिया गया। गुरु नानक देव जी ने इन अत्याचारों का वर्णन ‘बाबर वाणी’ में किया है।

प्रश्न 16.
बाबर के 1524 ई० के हमले का हाल लिखो।
उत्तर-
1524 ई० में बाबर ने भारत पर चौथी बार आक्रमण किया। इब्राहिम लोधी के चाचा आलम खां ने बाबर से प्रार्थना की थी कि वह दिल्ली का सिंहासन पाने में उसकी सहायता करे। पंजाब के सूबेदार दौलत खां ने भी बाबर से सहायता के लिए प्रार्थना की थी। अतः बाबर भेरा होते हुए लाहौर के निकट पहुंच गया। यहां उसे पता चला कि दिल्ली की सेना ने दौलत खाँ को मार भगाया है। बाबर ने दिल्ली की सेना से दौलत खां लोधी की पराजय का बदला तो ले लिया, परंतु दीपालपुर में दौलत खां तथा बाबर के बीच मतभेद पैदा हो गया। दौलत खां को आशा थी कि विजयी होकर बाबर उसे पंजाब का सूबेदार नियुक्त करेगा, परंतु बाबर ने उसे केवल जालंधर और सुल्तानपुर के ही प्रदेश सौंपे। दौलत खां ईर्ष्या की आग में जलने लगा। वह पहाड़ियों में भाग गया ताकि तैयारी करके बाबर से बदला ले सके। स्थिति को देखते हुए बाबर ने दीपालपुर का प्रदेश आलम खां को सौंप दिया और स्वयं और अधिक तैयारी के लिए काबुल लौट गया।

प्रश्न 17.
आलम खां ने पंजाब को हथियाने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए ?
उत्तर-
अपने चौथे अभियान में बाबर ने आलम खां को दीपालपुर का प्रदेश सौंपा था। अब वह पूरे पंजाब को हथियाना चाहता था। परंतु दौलत खां लोधी ने उसे पराजित करके उसकी आशाओं पर पानी फेर दिया। अब वह पुनः बाबर की शरण में जा पहुंचा। उसने बाबर के साथ एक संधि की। इसके अनुसार उसने बाबर को दिल्ली का राज्य प्राप्त करने में सहायता देने का वचन दिया। उसने यह भी विश्वास दिलाया कि पंजाब का प्रदेश प्राप्त होने पर वह वहां पर बाबर के कानूनी अधिकार को स्वीकार करेगा। परंतु उसका यह प्रयास भी असफल रहा। अंत में उसने इब्राहिम लोधी (दिल्ली का सुल्तान) के विरुद्ध दौलत खां लोधी की सहायता की। परंतु यहां भी उसे पराजय का सामना करना पड़ा और उसकी पंजाब को हथियाने की योजनाएं मिट्टी में मिल गईं।

प्रश्न 18.
पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोधी तथा बाबर की फ़ौज की योजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोधी की सेना संख्या में एक लाख थी। इसे चार भागों में बांटा गया था-

  1. आगे रहने वाली सैनिक टुकड़ी,
  2. केंद्रीय सेना,
  3. दाईं ओर की सेना तथा
  4. बाईं ओर की सेना। सेना के आमे लगभग 5000 हाथी थे।

बाबर ने अपनी सेना के आगे 700 बैलगाड़ियां खड़ी की हुई थीं। इन बैलगाड़ियों को चमड़े की रस्सियों से बांध दिया गया था। बैलगाड़ियों के पीछे तोपखाना था। तोपों के पीछे अगुआ सैनिक टुकड़ी तथा केंद्रीय सेना थी। दाएं था बाएं तुलुगमा पार्टियां थीं। सबसे पीछे बहुत-सी घुड़सवार सेना तैनात थी जो छिपी हुई थी।

प्रश्न 19.
अमीरों तथा सरदारों के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
अमीर तथा सरदार ऊंची श्रेणी के लोग थे। इनको ऊंची पदवी और खिताब प्राप्त थे। सरदारों को ‘इक्ता’ अर्थात् इलाका दिया जाता था जहां से वे भूमिकर वसूल करते थे। इस धन को वह अपनी इच्छा से व्यय करते थे।
सरदार सदा लड़ाइयों में ही व्यस्त रहते थे। वे सदा स्वयं को दिल्ली सरकार से स्वतंत्र करने की सोच में रहते थे। स्थानीय प्रबंध की ओर वे कोई ध्यान नहीं देते थे। धनी होने के कारण ये लोग ऐश्वर्य प्रिय तथा दुराचारी थे। ये बड़ीबड़ी हवेलियों में रहते थे और कई-कई विवाह करवाते थे। उनके पास कई पुरुष तथा स्त्रियां दासों के रूप में रहती थीं।

प्रश्न 20.
मुसलमानों के धार्मिक नेताओं के बारे में लिखें।
उत्तर-
मुसलमानों के धार्मिक नेता दो उप-श्रेणियों में बंटे हुए थे। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  1. उलेमा-उलेमा धार्मिक वर्ग के नेता थे। इनको अरबी तथा धार्मिक साहित्य का ज्ञान प्राप्त था।
  2. सैय्यद-उलेमाओं के अतिरिक्त एक श्रेणी सैय्यदों की थी। वे अपने आप को हज़रत मुहम्मद की पुत्री बीबी फातिमा की संतान मानते थे। समाज में इन का बहुत आदर मान था।

इन दोनों को मुस्लिम समाज में प्रचलित कानूनों का भी पूरा ज्ञान था।

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प्रश्न 21.
गुलाम श्रेणी का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  1. गुलामों का मुस्लिम समाज में सबसे नीचा स्थान था। इनमें हाथ से काम करने वाले लोग (बुनकर, कुम्हार, मज़दूर) तथा हिजड़े सम्मिलित थे। युद्ध बंदियों को भी गुलाम बनाया जाता था। कुछ गुलाम अन्य देशों से भी लाये जाते थे।
  2. गुलाम हिजड़ों को बेग़मों की सेवा के लिए रनिवासों (हरम) में रखा जाता था।
  3. गुलाम स्त्रियां अमीरों तथा सरदारों के मन-बहलाव का साधन होती थीं। इनको भर-पेट खाना मिल जाता था। उनकी सामाजिक अवस्था उनके मालिकों के स्वभाव पर निर्भर करती थी।
  4. गुलाम अपनी चतुराई से तथा बहादुरी दिखाकर ऊंचे पद प्राप्त कर सकते थे अथवा गुलामी से छुटकारा पा सकते
  5. गुलामों को खरीदा बेचा जा सकता था।

प्रश्न 22.
मुसलमान लोग क्या खाते-पीते थे ?
उत्तर-
उच्च वर्ग के लोगों का भोजन-मुस्लिम समाज में अमीरों, सरदारों, सैय्यदों, शेखों, मुल्लाओं तथा काज़ियों का भोजन बहुत घी वाला होता था। उनके भोजन में मिर्च मसालों की अधिक मात्रा होती थी। ‘पुलाव तथा कोरमा’ उनका मन-पसंद भोजन था। मीठे में हलवा तथा शरबत का प्रचलन था। उच्च वर्ग के मुसलमानों में नशीली वस्तुओं का प्रयोग करना साधारण बात थी।
साधारण लोगों का भोजन-साधारण मुसलमान मांसाहारी थे। गेहूं की रोटी तथा भुना हुआ मांस उनका रोज़ का भोजन था। यह भोजन बाजारों में पका पकाया भी मिल जाता था। हाथ से काम करने वाले मुसलमान खाने के साथ लस्सी (छाछ) पीना पसंद करते थे।

प्रश्न 23.
मुसलमानों के पहरावे के बारे में लिखिए।
उत्तर-

  1. उच्च वर्गीय मुसलमानों का पहनावा भड़कीला तथा बहुमूल्य होता था। उनके वस्त्र रेशमी तथा बढ़िया सूत के बने होते थे। अमीर लोग तुर्रेदार पगड़ी पहनते थे। पगड़ी को ‘चीरा’ भी कहा जाता था।
  2. शाही गुलाम (दास) कमरबंद पहनते थे। वे अपनी जेब में रूमाल रखते थे और पैरों में लाल जूता पहनते थे। उनके सिर पर साधारण सी पगड़ी होती थी।
  3. धार्मिक श्रेणी के लोग मुलायम सूती वस्त्र पहनते थे। उनकी पगड़ी सात गज़ लंबी होती थी। पगड़ी का पल्ला उनकी पीठ पर लटकता रहता था। सूफ़ी लोग खुला चोगा पहनते थे।
  4. साधारण लोगों का मुख्य पहनावा कमीज़ तथा पायजामा था। वे जूते और जुराबें भी पहनते थे।
  5. मुसलमान औरतें जंपर, घाघरा तथा उनके नीचे तंग पायजामा पहनती थीं।

प्रश्न 24.
मुस्लिम समाज में महिलाओं की दशा का वर्णन करो।
उत्तर-
मुस्लिम समाज में महिलाओं की दशा का वर्णन इस प्रकार है-

  1. महिलाओं को समाज में कोई सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं था।
  2. अमीरों तथा सरदारों की हवेलियों में स्त्रियों को हरम में रखा जाता था। इनकी सेवा के लिए दासियां तथा रखैलें रखी जाती थीं।
  3. समाज में पर्दे की प्रथा प्रचलित थी। परंतु ग्रामीण मुसलमानों में पर्दे की प्रथा सख्त नहीं थी।
  4. साधारण परिवारों में स्त्रियों के रहने के लिए अलग स्थान बना होता था। उसे ‘ज़नान खाना’ कहा जाता था। यहां से स्त्रियां बुर्का पहन कर ही बाहर निकल सकती थीं।

प्रश्न 25.
गुरु नानक साहिब के काल से पहले की जाति-पाति अवस्था के बारे में लिखें।
उत्तर-
गुरु नानक साहिब के काल से पहले का हिंदू समाज विभिन्न श्रेणियों अथवा जातियों में बंटा हुआ था। ये जातियां थीं-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र। इन जातियों के अतिरिक्त अन्य भी कई उपजातियां उत्पन्न हो चुकी थीं।

  1. ब्राह्मण-ब्राह्मण समाज के प्रति अपना कर्त्तव्य भूल कर स्वार्थी बन गए थे। वे उस समय के शासकों की चापलूसी करके अपनी श्रेणी को बचाने के प्रयास में रहते थे। साधारण लोगों पर ब्राह्मणों का प्रभाव बहुत अधिक था। वे ब्राह्मणों के कारण अनेक अंधविश्वासों में फंसे हुए थे।
  2. वैश्य तथा क्षत्रिय-वैश्यों तथा क्षत्रियों की दशा ठीक थी।
  3. शूद्र-शूद्रों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें अछूत समझ कर उनसे घृणा की जाती थी। हिंदुओं की जातियों तथा उप-जातियों में आपसी संबंध कम ही थे। उनके रीति-रिवाज भी भिन्न-भिन्न थे।

प्रश्न 26.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का राजनीतिक वातावरण बड़ा शोचनीय चित्र प्रस्तुत करता है। उन दिनों यह प्रदेश लाहौर प्रांत के नाम से जाना जाता था और यह दिल्ली सल्तनत का अंग था। इस काल में दिल्ली के सभी सुल्तान (सिकंदर लोधी, इब्राहिम लोधी) निरंकुश थे। उनके अधीन पंजाब में राजनीतिक अराजकता फैली हुई थी। सारा प्रवेश षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। पूरे पंजाब में अन्याय का नंगा नाच हो रहा था। शासक वर्ग भोग विलास में मग्न था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी हो चुके थे और वे अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं करते थे। इन परिस्थितियों में उनसे न्याय की आशा करना व्यर्थ था। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि न्याय दुनिया से उड़ गया है। भाई गुरुदास ने भी इस समय में पंजाब में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का वर्णन किया है।

प्रश्न 27.
16वीं शताब्दी के आरंभ में इब्राहिम लोधी तथा दौलत खां लोधी के बीच होने वाले संघर्ष का क्या कारण था ? इब्राहिम लोधी से निपटने के लिए दौलत खां ने क्या किया ?
उत्तर-
दौलत खां लोधी इब्राहिम लोधी के समय में पंजाब का गवर्नर था। कहने को तो वह दिल्ली के सुल्तान के अधीन था, परंतु वास्तव में वह एक स्वतंत्र शासक के रूप में कार्य कर रहा था। उसने इब्राहिम लोधी के चाचा आलम खां लोधी को दिल्ली की राजगद्दी दिलाने में सहायता देने का वचन देकर उसे अपनी ओर गांठ लिया। इब्राहिम लोधी को जब दौलत खां के षड्यंत्रों की सूचना मिली तो उसने दौलत खाँ को दिल्ली बुलाया। परंतु दौलत खां ने स्वयं जाने की बजाए अपने पुत्र दिलावर खां को भेज दिया। दिल्ली पहुंचने पर सुल्तान ने दिलावर खां को बंदी बना लिया। कुछ ही समय के पश्चात् दिलावर खां जेल से भाग निकला और अपने पिता के पास लाहौर जा पहुंचा। दौलत खां ने इब्राहिम लोधी के इस व्यवहार का बदला लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया।

प्रश्न 28.
बाबर तथा दौलत खां में होने वाले संघर्ष पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए दौलत खां लोधी ने ही आमंत्रित किया था। उसे आशा थी कि विजयी होकर बाबर उसे पंजाब का सूबेदार नियुक्त करेगा। परंतु बाबर ने उसे केवल जालंधर और सुल्तानपुर के ही प्रदेश सौंपे। अतः उसने बाबर के विरुद्ध विद्रोह का झंडा फहरा दिया। शीघ्र ही दोनों पक्षों में युद्ध छिड़ गया जिसमें दौलत खां और उसका पुत्र गाजी खां पराजित हुए। इसके बाद बाबर वापस काबुल लौट गया। उसके वापस लौटते ही दौलत खाँ ने बाबर के प्रतिनिधि आलम खां को मार भगाया और स्वयं पुन: सारे पंजाब का शासक बन बैठा। आलम खां की प्रार्थना पर बाबर ने 1525 ई० में पंजाब में पुन: आक्रमण किया। दौलत खां लोधी पराजित हुआ और पहाड़ों में जा छिपा।

प्रश्न 29.
बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच संघर्ष का वर्णन कीजिए।
अथवा
पानीपत की पहली लड़ाई का वर्णन कीजिए। पंजाब के इतिहास में इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
बाबर दौलत खां को हरा कर दिल्ली की ओर बढ़ा। दूसरी ओर इब्राहिम लोधी भी एक विशाल सेना के साथ शत्रु का सामना करने के लिए दिल्ली से चल पड़ा। 21 अप्रैल, 1526 ई० के दिन पानीपत के ऐतिहासिक मैदान में दोनों सेनाओं में मुठभेड़ हो गई। इब्राहिम लोधी पराजित हुआ और रणक्षेत्र में ही मारा गया। बाबर अपनी विजयी सेना सहित दिल्ली पहुंच गया और उसने वहां अपनी विजय पताका फहराई। यह भारत में दिल्ली सल्तनत का अंत और मुग़ल सत्ता का श्रीगणेश था। इस प्रकार पानीपत की लड़ाई ने न केवल पंजाब का बल्कि सारे भारत के भाग्य का निर्णय कर दिया।

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प्रश्न 30.
सोलहवीं शताब्दी के पंजाब में हिंदुओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के हिंदू समाज की दशा बड़ी ही शोचनीय थी । प्रत्येक हिंदू को शंका की दृष्टि से देखा जाता था। उन्हें उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता था। उनसे जज़िया तथा तीर्थ यात्रा आदि कर बड़ी कठोरता से वसूल किए जाते थे। उनके रीति-रिवाजों, उत्सवों तथा उनके पहरावे पर भी सरकार ने कई प्रकार की रोक लगा दी थी। हिंदुओं पर भिन्न-भिन्न प्रकार के अत्याचार किए जाते थे ताकि वे तंग आकर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें। सिकंदर लोधी ने बोधन (Bodhan) नाम के एक ब्राह्मण को इस्लाम धर्म न स्वीकार करने पर मौत के घाट उतार दिया था।

प्रश्न 31. 16वीं शताब्दी में पंजाब में मुस्लिम समाज के विभिन्न वर्गों का वर्णन करें।
उत्तर-16वीं शताब्दी में मुस्लिम समाज निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बंटा हुआ था

  1. उच्च श्रेणी-इस श्रेणी में अफगान अमीर, शेख, काजी, उलेमा (धार्मिक नेता), बड़े-बड़े जागीरदार इत्यादि शामिल थे। सुल्तान के मंत्री, उच्च सरकारी कर्मचारी तथा सेना के बड़े-बड़े अधिकारी भी इसी श्रेणी में आते थे। ये लोग अपना समय आराम तथा भोग-विलास में व्यतीत करते थे।
  2. मध्य श्रेणी-इस श्रेणी में छोटे काजी, सैनिक, छोटे स्तर के सरकारी कर्मचारी, व्यापारी आदि शामिल थे। उन्हें राज्य की ओर से काफ़ी स्वतंत्रता प्राप्त थी तथा समाज में उनका अच्छा सम्मान था।
  3. निम्न श्रेणी-इस श्रेणी में दास, घरेलू नौकर तथा हिजड़े शामिल थे। दासों में स्त्रियां भी सम्मिलित थीं। इस श्रेणी के लोगों का जीवन अच्छा नहीं था।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी के बचपन (जीवन) के बारे में प्रकाश डालिए।
उत्तर-
जन्म तथा माता-पिता-श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई० को हुआ। उनके पिता का नाम मेहता कालू जी तथा माता का नाम तृप्ता जी था। । बाल्यकाल तथा शिक्षा-बालक नानक को 7 वर्ष की आयु में गोपाल पंडित की पाठशाला में पढ़ने के लिए भेजा गया। वहां दो वर्षों तक उन्होंने देवनागरी तथा गणित की शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात् उन्हें पंडित बृज लाल के पास संस्कृत पढ़ने के लिए भेजा गया। वहां गुरु जी ने ‘ओ३म्’ शब्द का वास्तविक अर्थ बताकर पंडित जी को चकित कर दिया। सिक्ख परंपरा के अनुसार उन्हें अरबी तथा फ़ारसी पढ़ने के लिए मौलवी कुतुबुद्दीन के पास भी भेजा गया।

जनेऊ की रस्म-अभी गुरु नानक देव जी की शिक्षा चल ही रही थी कि उनके माता-पिता ने सनातनी रीतिरिवाजों के अनुसार उन्हें जनेऊ पहनाना चाहा। परंतु गुरु साहिब ने जनेऊ पहनने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें सूत के बने धागे के जनेऊ की नहीं, बल्कि सद्गुणों के धागे से बने जनेऊ की आवश्यकता है।

विभिन्न व्यवसाय-पढ़ाई में गुरु नानक देव जी की रुचि न देख कर उनके पिता जी ने उन्हें पशु चराने के लिए भेजा। वहां भी गुरु नानक देव जी प्रभु चिंतन में मग्न रहते और पशु दूसरे किसानों के खेतों में चरते रहते थे। किसानों की शिकायतों से तंग आकर मेहता कालू जी ने गुरु नानक देव जी को व्यापार में लगाने का प्रयास किया। उन्होंने गुरु नानक देव जी को 20 रुपये देकर व्यापार करने भेजा, परंतु गुरु जी ने ये रुपये संतों को भोजन कराने में व्यय कर दिये। यह घटना सिक्ख इतिहास में ‘सच्चा सौदा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

विवाह-अपने पुत्र की सांसारिक विषयों में रुचि पैदा करने के लिये मेहता कालू जी ने उनका विवाह बटाला के खत्री मूलराज की सुपुत्री सुलखनी से कर दिया। इस समय गुरु जी की आयु केवल 15 वर्ष की थी। उनके यहां श्री चंद श्री गुरु नानक देव जी तथा समकालीन समाज और लखमी दास (चंद) नामक दो पुत्र भी पैदा हुए। मेहता कालू जी ने गुरु जी को नौकरी के लिए सुल्तानपुर लोधी भेज दिया। वहां उन्हें नवाब दौलत खां के अनाज घर में नौकरी मिल गई। वहां उन्होंने ईमानदारी से काम किया। फिर भी उनके विरुद्ध नवाब से शिकायत की गई। परंतु जब जांच-पड़ताल की गई तो हिसाब-किताब बिल्कुल ठीक था।

ज्ञान-प्राप्ति-गुरु जी प्रतिदिन प्रात:काल ‘काली वेई’ नदी पर स्नान करने जाया करते थे। वहां वह कुछ समय प्रभु चिंतन भी करते थे। एक प्रात: जब वह स्नान करने गए तो निरंतर तीन दिन तक अदृश्य रहे। इसी चिंतन की मस्ती में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। अब वह जीवन के रहस्य को भली-भांति समझ गए। उस समय उनकी आयु 30 वर्ष की थी। शीघ्र ही उन्होंने अपना प्रचार कार्य आरंभ कर दिया। उनकी सरल शिक्षाओं से प्रभावित होकर अनेक लोग उनके अनुयायी बन गये।

प्रश्न 2.
गुरु नानक साहिब के सुल्तानपुर लोधी में बिताए गए समय का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1486-87 ई० में गुरु साहिब को उनके पिता मेहता कालू जी ने स्थान बदलने के लिए सुल्तानपुर लोधी में भेज दिया। वहां वह अपने बहनोई (बीबी नानकी के पति) जैराम के पास रहने लगे।
मोदीखाने में नौकरी-गुरु जी को फ़ारसी तथा गणित का ज्ञान तो था। इसलिए उन्हें जैराम की सिफ़ारिश पर सुल्तानपुर लोधी के फ़ौजदार दौलत खां के सरकारी मोदीखाने (अनाज का भंडार) में भंडारी की नौकरी मिल गई। वहां वह अपना काम बड़ी ईमानदारी से करते रहे। फिर भी उनके विरुद्ध शिकायत की गई। शिकायत में कहा गया कि वह अनाज को साधु-संतों में लुटा रहे हैं। परंतु जब मोदीखाने की जांच की गई तो हिसाब-किताब बिल्कुल ठीक निकला।

गृहस्थ जीवन तथा प्रभु सिमरण-कुछ समय पश्चात् गुरु नानक साहिब ने अपनी पत्नी को भी सुल्तानपुर में ही बुला लिया। वह वहां सादा तथा पवित्र गृहस्थ जीवन बिताने लगे। प्रतिदिन सुबह वह नगर के साथ बहती हुए वेई नदी में स्नान करते, परमात्मा के नाम का स्मरण करते तथा आय का कुछ भाग ज़रूरतमंदों को सहायता के लिए देते थे।

ज्ञान-प्राप्ति-जन्म साखी के अनुसार एक दिन गुरु नानक साहिब प्रतिदिन की तरह वेई नदी पर स्नान करने गए। परंतु वह तीन दिन तक घर वापस न पहुंचे। गुरु नानक देव जी ने वे तीन दिन गंभीर चिंतन में बिताए। इसी बीच उन्होंने अपने आत्मिक ज्ञान को अंतिम रूप देकर उसके प्रचार के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया। ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात् जब गुरु जी घर वापस पहुंचे तो वे चुप थे। जब उन्हें बोलने के लिए विवश किया गया तो उन्होंने केवल ये शब्द कहे’न कोई हिंदू न कोई मुसलमान।’ लोगों ने गुरु साहिब से इस वाक्य का अर्थ पूछा। गुरु साहिब ने इसका अर्थ बताते हुए कहा कि हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही अपने-अपने धर्म के सिद्धांतों को भूल चुके हैं। इन शब्दों का अर्थ यह भी था कि हिंदुओं और मुसलमानों में कोई भेद नहीं है। वे एक समान हैं। उन्होंने इन्हीं महत्त्वपूर्ण शब्दों से अपने संदेश का प्रचार आरंभ किया। इस उद्देश्य से उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर लंबी यात्राएं आरंभ कर दी।

प्रश्न 3.
गुरु नानक साहिब की उदासियों (यात्राओं) का वर्णन कीजिए।’
उत्तर-
ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात् गुरु नानक देव जी ने अपने दिव्य ज्ञान से संसार को आलौकिक करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक फ़कीर के रूप में भ्रमण के लिए निकल पड़े। इन लंबी यात्राओं में गुरु नानक देव जी को लगभग 21-22 वर्ष लगे। उनकी इन्हीं यात्राओं को सिक्ख इतिहासकारों ने उदासियों का नाम दिया है।
उदासियों का उद्देश्य-गुरु नानक देव जी की उदासियों का मुख्य उद्देश्य पथ-विचलित मानवता को जीवन का वास्तविक मार्ग दिखाना था। इसके अतिरिक्त व्यर्थ के रीति-रिवाजों तथा कर्मकांडों का खंडन करना और सतनाम के जाप का प्रचार करना भी उनकी यात्राओं का उद्देश्य था।
गुरु नानक देव जी की उदासियां-गुरु नानक देव जी की उदासियों को चार भागों में बांटा जा सकता है जिनका वर्णन इस प्रकार है
पहली उदासी-अपनी पहली उदासी के समय गुरु नानक साहिब निम्नलिखित स्थानों पर गए-

  1. सुल्तानपुर से चलकर वह सैय्यदपुर गए जहां उन्होंने भाई लालो को अपना श्रद्धालु बनाया।
  2. तत्पश्चात् गुरु साहिब तुलुंबा (सज्जन ठग के यहां), कुरुक्षेत्र तथा पानीपत गए। इन स्थानों पर उन्होंने लोगों को शुभ कर्म करने की प्रेरणा दी।
  3. पानीपत से वह दिल्ली होते हुए हरिद्वार गए। इन स्थानों पर उन्होंने अंधविश्वासों का खंडन किया।
  4. इसके पश्चात् गुरु साहिब ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, गोरखमता, बनारस, पटना, हाजीपुर, धुबरी, कामरूप, शिलांग, ढाका, जगन्नाथपुरी आदि कई स्थानों का भ्रमण किया।

दूसरी उदासी-

  1. श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी दूसरी उदासी 1510 ई० में आरम्भ की। इस दौरान उन्होंने मालवा के संतों तथा माऊंट आबू के जैन मुनियों से मुलाकात की। वे पुष्कर भी गए।
  2. इसके बाद गुरु साहिब ने उज्जैन, हैदराबाद, नन्देड़, कटक, गोलकुंडा, गंटूर, मद्रास, कांचीपुरम तथा रामेश्वरम् के तीर्थ स्थान की यात्रा की।
  3. गुरु जी समुद्री मार्ग से श्रीलंका गए जहां लंका का राजा शिवनाभ तथा कई अन्य लोग उनकी बाणी से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए।
  4. अपनी वापसी यात्रा में गुरु जी त्रिवेन्द्रम, श्री रंगापटनम, सोमनाथ, द्वारका, बहावलपुर, मुल्तान आदि स्थानों से होते हुए 1515 ई. को अपने गांव तलवड़ी पहुंचे। यहां से वे सुल्तानपुर गए।

तीसरी उदासी-सुल्तानपुर लोधी में कुछ समय रहने के बाद गुरु जी ने 1515 ई० से लेकर 1517 ई० तक अपनी तीसरी उदासी की। इस उदासी में भाई मरदाना भी उनके साथ थे। इस उदासी में हस्सू लुहार तथा सीहा छींबे ने भी उनका साथ दिया। इस उदासी के दौरान गुरु जी निम्नलिखित स्थानों पर गए-

  1. मुकाम पीर बुढ्नशाह, तिब्बत, नेपाल, गोरखमत्ता अथवा नानकमत्ता।
  2. बिलासपुर, मंडी, सुकेत, ज्वालाजी, कांगड़ा, कुल्लू आदि पहाड़ी इलाके।
  3. कश्मीर घाटी में कैलाश पर्वत, लद्दाख, कारगिल, अमरनाथ, आनंतनाग, बारामूला आदि।

चौथी उदासी-श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी चौथी उदासी 1517 ई० से 1521 ई० तक भाई मरदाना जी को साथ लेकर की। इस उदासी के दौरान उन्होंने पश्चिम एशिया के देशों की यात्रा की। वह मुल्तान, उच्च, मक्का, मदीना, बगदाद, कंधार, काबुल, जलालाबाद, पेशावर, सैय्यदपुर आदि स्थानों पर गए। इस यात्रा में उन्होंने मुसलमान हाज़ियों वाली नीली वेशभूषा धारण र्की हुई थी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

प्रश्न 4.
गुरु नानक साहिब के ईश्वर के बारे में विचारों का वर्णन करो।
उत्तर-
ईश्वर का गुणगान गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का मूल मंत्र है। ईश्वर के विषय में उन्होंने निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किए हैं-

  1. ईश्वर एक है-गुरु नानक देव जी ने लोगों को ‘एक ओंकार’ का संदेश दिया। यही उनकी शिक्षाओं का मूल मंत्र था। उन्होंने लोगों को बताया कि ईश्वर एक है और उसे बांटा नहीं जा सकता। इसलिए गुरु नानक देव जी ने अवतारवाद को स्वीकार नहीं किया। गोकुलचंद नारंग का कथन है कि गुरु नानक साहिब के विचार में, “ईश्वर विष्णु , शिव, कृष्ण और राम से बहुत बड़ा है और वह इन सबको पैदा करने वाला है।”
  2. ईश्वर निराकार तथा स्वयंभू है-गुरु नानक देव जी ने ईश्वर को निराकार बताया। उनका कहना था कि ईश्वर का कोई आकार अथवा रंग-रूप नहीं है। फिर भी उसके अनेक गुण हैं जिनका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। वह स्वयंभू, अकाल अगम्य तथा अकाल मूर्त है। अतः उसकी मूर्ति बनाकर पूजा नहीं की जा सकती।
  3. ईश्वर सर्वव्यापी तथा सर्वशक्तिमान् है-गुरु नानक देव जी ने ईश्वर को सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी बताया है। उनके अनुसार ईश्वर सृष्टि के प्रत्येक कण में विद्यमान है। उसे मंदिर अथवा मस्जिद की चारदीवारी में बंद नहीं रखा जा सकता। तभी तो वह कहते हैं
    “दूजा काहे सिमरिए, जन्मे ते मर जाए।
    एको सिमरो नानका जो जल थल रिहा समाय।”
  4. ईश्वर दयालु है-गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर दयालु है। वह आवश्यकता पड़ने पर अपने भक्तों की अवश्य सहायता करता है। वह उनके हृदय में निवास करता है। जो लोग अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर देते हैं, उनके सुख-दुःख का ध्यान ईश्वर स्वयं रखता है। वह अपनी असीमित दया से उन्हें आनंदित करता रहता है।
  5. ईश्वर महान् तथा सर्वोच्च है-गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर सबसे महान् और सर्वोच्च है। मनुष्य के लिए उसकी महानता का वर्णन करना कठिन ही नहीं, अपितु असंभव है। अपनी महानता का रहस्य स्वयं ईश्वर ही जानता है। इस विषय में नानक जी लिखते हैं, “नानक वडा आखीए आपै जाणै आप।” अनेक लोगों ने ईश्वर की महानता का बखान करने का प्रयास किया है, परंतु कोई भी उसकी सर्वोच्चता को नहीं छू सका।
  6. ईश्वर की आज्ञा का महत्त्व-गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं में ईश्वर की आज्ञा अथवा हुक्म का बहुत महत्त्व है। उनके अनुसार सृष्टि का प्रत्येक कार्य उसी (ईश्वर) के हुक्म से होता है। अतः हमें उसके हुक्म को ‘मिट्ठा भाणा’ समझकर स्वीकार कर लेना चाहिए।

प्रश्न 5.
एक शिक्षक तथा सिक्ख धर्म के संस्थापक के रूप में गुरु नानक देव जी का वर्णन करो।
उत्तर-
I. महान् शिक्षक के रूप में
1. सत्य के प्रचारक-गुरु नानक देव जी एक महान् शिक्षक थे। कहते हैं कि लगभग 30 वर्ष की आयु में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके पश्चात् उन्होंने देश-विदेश में सच्चे ज्ञान का प्रचार किया। उन्होंने ईश्वर के संदेश को पंजाब के कोने-कोने में फैलाने का प्रयत्न किया। प्रत्येक स्थान पर उनके व्यक्तित्व तथा बाणी का लोगों पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। गुरु नानक देव जी ने लोगों को मोह-माया, स्वार्थ तथा लोभ को छोड़ने की शिक्षा दी और उन्हें आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरणा दी।
गुरु नानक देव जी के उपदेश देने का ढंग बहुत ही अच्छा था। वह लोगों को बड़ी सरल भाषा में उपदेश देते थे। वह न तो गूढ दर्शन का प्रचार करते थे और न ही किसी प्रकार के वाद-विवाद में पड़ते थे। वह जिन सिद्धांतों पर स्वयं चलते थे उन्हीं का लोगों में प्रचार भी करते थे।

2. सब के गुरु-गुरु नानक देव जी के उपदेश किसी विशेष संप्रदाय, स्थान अथवा लोगों तक सीमित नहीं थे, अपितु उनकी शिक्षाएं तो सारे संसार के लिए थीं। इस विषय में प्रोफैसर करतार सिंह के शब्द भी उल्लेखनीय हैं। वह लिखते हैं-“उनकी (गुरु नानक देव जी) शिक्षा किसी विशेष काल के लिए नहीं थी। उनका दैवी उपदेश सदा अमर रहेगा। उनके उपदेश इतने विशाल तथा बौद्धिकतापूर्ण थे कि आधुनिक वैज्ञानिक विचारधारा भी उन पर टीका टिप्पणी नहीं कर सकती।” उनकी शिक्षाओं का उद्देश्य मानव-कल्याण था। वास्तव में, मानवता की भलाई के लिए ही उन्होंने चीन, तिब्बत, अरब आदि देशों की कठिन यात्राएं कीं।

II. सिक्ख धर्म के संस्थापक के रूप में
गुरु नानक देव जी ने सिक्ख धर्म की नींव रखी। टाइनबी (Toynbee) जैसा इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं है। वह लिखता है कि सिक्ख धर्म हिंदू तथा इस्लाम धर्म के सिद्धांतों का मिश्रण मात्र था, परंतु टाइनबी का यह विचार ठीक नहीं है। गुरु जी के उपदेशों में बहुत-से मौलिक सिद्धांत ऐसे भी थे जो न तो हिंदू धर्म से लिए गए थे और न ही इस्लाम धर्म से। उदाहरणतया, गुरु नानक देव जी ने ‘संगत’ तथा ‘पंगत’ की संस्थाओं को स्थापित किया। इसके अतिरिक्त गुरु नानक देव जी ने अपने किसी भी पुत्र को अपना उत्तराधिकारी न बना कर भाई लहना जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। ऐसा करके गुरु जी ने गुरु संस्था को एक विशेष रूप दिया और अपने इन कार्यों से उन्होंने सिक्ख धर्म की नींव रखी।

प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी से पहले के पंजाब की राजनीतिक अवस्था का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी से पहले (16वीं शताब्दी के आरंभ में ) पंजाब की राजनीतिक दशा बड़ी शोचनीय थी। यह प्रदेश उन दिनों लाहौर प्रांत के नाम से प्रसिद्ध था और दिल्ली सल्तनत का अंग था। परंतु दिल्ली सल्तनत की शान अब जाती रही थी। इसलिये केंद्रीय सत्ता की कमी के कारण पंजाब के शासन में शिथिलता आ गई थी। संक्षेप में, 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के राजनीतिक जीवन की झांकी इस प्रकार प्रस्तुत की जा सकती है

  1. निरंकुश शासन-उस समय पंजाब में निरंकुश शासन था। इस काल में दिल्ली के सभी सुल्तान (सिकंदर लोधी, इब्राहिम लोधी) निरंकुश थे। राज्य की सभी शक्तियां उन्हीं के हाथों में केंद्रित थीं। उनकी इच्छा ही कानून था। ऐसे निरंकुश शासक के अधीन प्रजा के अधिकारों की कल्पना करना भी व्यर्थ था।
  2. राजनीतिक अराजकता-लोधी शासकों के अधीन सारा देश षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। सिकंदर लोधी के शासन काल के अंतिम वर्षों में सारे देश में विद्रोह होने लगे। इब्राहिम लोधी के काल में तो इन विद्रोहों ने और भी भयंकर रूप धारण कर लिया। उसके सरदार तथा दरबारी उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे थे। प्रांतीय शासक या तो अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने के प्रयास में थे या फिर सल्तनत के अन्य दावेदारों का पक्ष ले रहे थे। परंतु वे जानते थे कि पंजाब पर अधिकार किए बिना कोई भी व्यक्ति दिल्ली का सिंहासन नहीं पा सकता था। अतः सभी सूबेदारों की दृष्टि पंजाब पर ही टिकी हुई थी। फलस्वरूप सारा पंजाब अराजकता की लपेट में आ गया।
  3. अन्याय का नंगा नाच-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में अन्याय का नंगा नाच हो रहा था। शासक वर्ग भोग-विलास में मग्न था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी हो चुके थे तथा अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते थे। इन परिस्थितियों में उनसे न्याय की आशा करना व्यर्थ था। गुरु नानक देव जी ने कहा था, “न्याय दुनिया से उड़ गया है।” वह आगे कहते हैं, “कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो रिश्वत लेता या देता न हो। शासक भी तभी न्याय देता है जब उसकी मुट्ठी गर्म कर दी जाए।”
  4. युद्ध-इस काल में पंजाब युद्धों का अखाड़ा बना हुआ था। सभी पंजाब पर अपना अधिकार जमा कर दिल्ली की सत्ता हथियाने के प्रयास में थे। सरदारों, सूबेदारों तथा दरबारियों के षड्यंत्रों तथा महत्त्वाकांक्षाओं ने अनेक युद्धों को जन्म दिया। इस समय इब्राहिम लोधी और दौलत खां में संघर्ष चला। यहां बाबर ने आक्रमण आरंभ किए।

प्रश्न 7.
बाबर की पंजाब पर विजय का वर्णन करो।
उतार-
बाबर की पंजाब विजय पानीपत की पहली लड़ाई का परिणाम थी। यह लड़ाई 1526 ई० में बाबर तथा दिल्ल के सुल्तान इब्राहिम लोधी के बीच हुई। इसमें बाबर विजयी रहा और पंजाब पर उसका अधिकार हो गया।
बाबर का आक्रमण-नवंबर, 1525 ई० में बाबर 12000 सैनिकों सहित काबुल से पंजाब की ओर बढ़ा। मार्ग में दौलत खां लोधी को पराजित करता हुआ वह दिल्ली की ओर बढ़ा। दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोधी एक लाख सेना लेकर उसके विरुद्ध उत्तर पश्चिम की ओर निकल पड़ा। उसकी सेना चार भागों में बंटी हुई थी-आगे रहने वाली सैनिक टुकड़ी, केंद्रीय सेना, दाईं ओर की सैनिक टुकड़ी तथा बाईं ओर की सैनिक टुकड़ी। सेना के आगे लगभग 5000 हाथी थे। दोनों पक्षों की सेनाओं का पानीपत के मैदान में सामना हुआ।

युद्ध का आरंभ-पहले आठ दिन तक किसी ओर से भी कोई आक्रमण नहीं हुआ। परंतु 21 अप्रैल, 1526 ई० की प्रातः इब्राहिम लोधी की सेना ने बाबर पर आक्रमण कर दिया। बाबर के तोपचियों ने भी लोधी सेना पर गोले बरसाने आरंभ कर दिए। बाबर की तुलुगमा सेना ने आगे बढ़कर शत्रु को घेर लिया । बाबर की सेना के दाएं तथा बाएं पक्ष आगे बढ़े और उन्होंने ज़बरदस्त आक्रमण किया। इब्राहिम लोधी की सेनाएं चारों ओर से घिर गईं। वे न तो आगे बढ़ सकती थीं और न पीछे हट सकती थीं। इसी बीच इब्राहिम लोधी के हाथी घायल होकर पीछे की ओर दौड़े और उन्होंने अपने ही सैनिकों को कुचल डाला। देखते ही देखते पानीपत के मैदान में लाशों के ढेर लग गए। दोपहर तक युद्ध समाप्त हो गया। इब्राहिम लोधी हज़ारों लाशों के मध्य मृतक पाया गया। बाबर को पंजाब पर पूर्ण विजय प्राप्त हुई।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 1 पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव

पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव PSEB 9th Class History Notes

  • जन्म – गुरु नानक देव जी सिक्ख धर्म के प्रवर्तक थे। भाई मेहरबान तथा भाई मनी सिंह की पुरातन साखी के अनुसार उनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई० को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ। आजकल इस स्थान को श्री ननकाना साहिब कहते हैं।
  • माता-पिता – गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता जी तथा पिता का नाम मेहता कालू जी था। मेहता कालू जी एक पटवारी थे।
  • जनेऊ की रसम – गुरु नानक देव जी व्यर्थ के कर्मकांडों तथा आडंबरों के विरोधी थे। इसलिए उन्होंने सूत के धागे से बना जनेऊ पहनने से इंकार कर दिया।
  • सच्चा सौदा – गुरु नानक देव जी को उनके पिता जी ने व्यापार करने के लिए 20 रुपए दिए थे। गुरु नानक देव जी ने इन रुपयों से संतों को भोजन कराकर ‘सच्चा सौदा’ किया।
  • ज्ञान-प्राप्ति ( 1499 ई.) – सुलतानपुर में गुरु नानक देव जी प्रतिदिन प्रातःकाल ‘काली वेईं’ नदी पर स्नान करने जाया करते थे। वहां वह कुछ समय प्रभु चिंतन भी करते थे। 1499 ई० में एक प्रातः जब वह स्नान करने गए तो निरंतर तीन दिन तक अदृश्य रहे। इसी चिंतन की मस्ती में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। आजकल इस स्थान पर गुरुद्वारा तप-स्थान बना हुआ है।
  • उदासियां (1499-1521 ई०) – गुरु नानक देव जी की उदासियों से अभिप्राय उन यात्राओं से है जो उन्होंने एक उदासी के वेश में कीं। इन उदासियों का उद्देश्य अंध-विश्वासों को दूर करना तथा लोगों को धर्म का उचित मार्ग दिखाना था। उन्होंने विभिन्न दिशाओं में चार महत्त्वपूर्ण उदासियां कीं।।
  • करतारपुर में निवास – 1522 ई० में गुरु नानक साहिब परिवार सहित करतारपुर में बस गए। यहां रह कर उन्होंने ‘वार मल्हार’, ‘मार माझ’, ‘वार आसा’, ‘जपुजी साहिब’, ‘पट्टी’, ‘बारह माहा’ आदि वाणियों की रचना की। उन्होंने संगत तथा पंगत (लंगर) की प्रथाओं का विकास भी किया
  • गुरु साहिब का ज्योति-जोत समाना – गुरु जी के अंतिम वर्ष करतारपुर (पाकिस्तान)में धर्म प्रचार करते हुए व्यतीत हुए। 22 सितंबर, 1539 ई० को वह ज्योति-जोत समा गए। इससे पूर्व उन्होंने भाई लहना जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
  • ईश्वर संबंधी विचार – गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर एक है और वह निराकार, स्वयंभू, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान्, दयालू तथा महान् है। उसे आत्म-त्याग तथा सच्चे गुरु की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
  • संगत तथा पंगत – ‘संगत’ से अभिप्राय गुरु के शिष्यों के उस समूह से है जो एक साथ बैठ कर गुरु जी के उपदेशों पर विचार करते थे। ‘पंगत’ के अनुसार शिष्य इकट्ठे मिलकर एक पंगत में बैठकर भोजन खाते थे।
  • लोधी शासक – पंजाब लोधी वंश के अधीन तथा। इस राजवंश के महत्त्वपूर्ण शासक बहलोल लोधी, सिकंदर लोधी तथा इब्राहिम लोधी थे।
  • लोधी शासकों के अधीन पंजाब – लोधी वंश के समय में पंजाब षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। समाज में जाति प्रथा तथा अन्य कई कुरीतियां फैली हुई थीं। लोग अंधविश्वास, अज्ञानता तथा भ्रमों में फंसे हुए थे।
  • दौलत खां लोधी तथा बाबर – बाबर द्वारा भारत पर पांचवें आक्रमण के समय पंजाब के सूबेदार दौलत खां लोधी ने उसका सामना किया। इस लड़ाई में दौलत खां लोधी पराजित हुआ।
  • राजनीतिक अवस्था – गुरु नानक देव जी के जीवन-काल से पहले पंजाब की राजनीतिक अवस्था बहुत अच्छी नहीं थी। यहां के शासक कमज़ोर तथा परस्पर फूट के शिकार थे। पंजाब पर विदेशी आक्रमण हो रहे थे।
  • सामाजिक अवस्था – इस काल में पंजाब की सामाजिक अवस्था प्रशंसा योग्य नहीं थी। हिंदू समाज कई जातियों व उप-जातियों में बंटा हुआ था। महिलाओं की दशा बहुत दयनीय थी। लोग सदाचार को भूल चुके थे तथा व्यर्थ के भ्रमों में फंसे हुए थे।
  • बाबर की पंजाब विजय – 1526 ई० में पानीपत की पहली लड़ाई हुई। इस लड़ाई में इब्राहिम लोधी पराजित हुआ और पंजाब पर बाबर का अधिकार हो गया।
  • मुस्लिम समाज – मुस्लिम समाज तीन वर्गों-उच्च वर्ग, मध्य वर्ग तथा निम्न वर्ग में बंटा हुआ था। उच्च वर्ग में बड़े-बड़े सरदार, इक्तादार, उलेमा तथा सैय्यद; मध्य वर्ग में व्यापारी, कृषक, सैनिक तथा छोटे सरकारी कर्मचारी सम्मिलित थे। निम्न वर्ग में शिल्पकार, निजी सेवक तथा दास-दासियां शामिल थीं।
  • हिंदू समाज – 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का हिंदू समाज चार मुख्य जातियों में बंटा हुआ था-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र । सुनार, बुनकर, लुहार, कुम्हार, दर्जी, बढ़ई आदि उस समय की कुछ अन्य जातियां तथा उप-जातियां थीं।
  • 15 अप्रैल, 1469 ई० – श्री गुरु नानक देव जी का जन्म।
  • 1499 ई० – सुलतानपुर में ज्ञान की प्राप्ति।
  • 1499 ई०-1510 ई० – पहली उदासी
  • 1510 ई०-1515 ई० – दूसरी उदासी .
  • 1515 ई०-1517 ई० – तीसरी उदासी
  • 1517 ई०-1521 ई० – चौथी उदासी
  • 1522 ई० – श्री गुरु नानक देव जी ने रावी नदी के किनारे करतारपुर बसाया।
  • 1526 ई० – पानीपत की पहली लड़ाई।
  • 22 सितंबर, 1539 ई० – श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर (पाकिस्तान) में ज्योति-जोत समाए।
  • 1451-1489 ई० – बहलोल लोधी का शासन
  • 1489-1517 ई० – सिकंदर लोधी का शासन
  • 1517-1526 ई० – इब्राहिम लोधी का शासन
  • 1500 -1525 ई० – दौलत खां लोधी का लाहौर पर शासन।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 भोजन पकाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 8 भोजन पकाना

PSEB 9th Class Home Science Guide भोजन पकाना Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
खाना पकाना क्यों ज़रूरी है? कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
भोजन को पचने लायक बनाने के लिए पकाया जाता है। भोजन में निशास्ते के कणों के इर्द-गिर्द सैलूलोज़ की कोर परत होती है जिसे हमारा शरीर किसी भी तरह हज्म रहीं कर सकता है। भोजन पकाने से यह परत टूट जाती है तथा भोजन पचने योग्य हो जाता है।

प्रश्न 2.
एक ही भोजन में पकाने से भिन्नता लायी जा सकती है। उदाहरण दो।
उत्तर-
एक भोजन पदार्थ को एक ढंग से पका कर खाया जाये तो मन भर जाता है। इसलिए एक ही भोजन पदार्थ को विभिन्न ढंगों से पका कर विभिन्नता लाई जा सकती है।
जैसे-आलुओं के परौंठे, आलू चिप्स, आलू के पकौड़े, आलू चाट आदि। घीये की सब्जी, घीये के कोफ्ते, घीये का रायता।

प्रश्न 3.
पकाने से कीटाण कैसे नष्ट हो जाते हैं?
उत्तर-
बैक्टीरिया की 40°C पर वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए बीमारी की हालत में पानी को भी उबाल कर पीने की सलाह दी जाती हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

प्रश्न 4.
क्या पकाने से भोजन अधिक समय के लिये सुरक्षित रखा जा सकता है? यदि हां तो कैसे?
उत्तर-
भोजन पदार्थों के खराब होने का साधारण कारण बैक्टीरिया अथवा कीटाणु होते हैं। जब भोजन को पकाया जाता है तो तापमान काफ़ी बढ़ जाता है तथा इतने तापमान पर कीटाणु आदि समाप्त हो जाते हैं तथा भोजन को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए उबला हुआ दूध अधिक समय तक सुरक्षित रहता है।

प्रश्न 5.
पकाने से भोजन की पौष्टिकता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
दो अथवा अधिक भोजन पदार्थ मिलाकर पकाए जाने से पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा में वृद्धि होती है। क्योंकि एक भोजन पदार्थ की कमी को दूसरा भोजन पदार्थ पूरा करता है।

प्रश्न 6.
भोजन पकाने के ढंगों की बांट किस आधार पर की जाती है?
उत्तर-
भोजन को सीधे आग पर अथवा तेल में अथवा पानी में पकाया जा सकता है। भोजन पकाने के ढंगों की बांट माध्यम के अनुसार की जाती है।

प्रश्न 7.
भोजन पकाने के कौन-कौन से ढंग हैं? नाम लिखो।
उत्तर-
भोजन पकाने के तीन ढंग हैं-
(i) सूखे सेंक से पकाना।
(ii) घी अथवा तेल में पकाना।
(iii) पानी अथवा गीले सेंक से पकाना।

  1. सूखे सेंक से पकाना-भोजन को सीधे आग पर रख कर पकाया जाता है।
  2. घी अथवा तेल में पकाना-घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के . ढंग को तलना कहते हैं।
  3. पानी अथवा गीले सेंक से पकाना-जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना चाहिए।

प्रश्न 8.
बेक करने और सेंकने में क्या अन्तर है?
उत्तर –

प्रश्न 9.
गीले सेंक से पकाने से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना कहते हैं। यह काम तीन ढंगों से किया जा सकता है
उबालना, धीमी आग पर थोड़े पानी में पकाना तथा भाप से पकाना।

प्रश्न 10.
गीले सेंक से पकाने का सबसे उत्तम तरीका कौन-सा है?
उत्तर-
भाप से पकाने का ढंग सबसे बढ़िया है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

प्रश्न 11.
उबालने और धीमी-धीमी आग पर पकाने में क्या अन्तर है?
उत्तर-

उबालना धीमी आग पर पकाना
1. इसमें भोजन पदार्थों को उबलते पानी में अच्छी तरह डुबो कर तेज़ आग पर पकाया जाता है। 1. इसमें भोजन पदार्थ को थोड़े पानी में धीमी-धीमी आंच पर पकाया जाता है।
2. इस ढंग से पकाया भोजन बहुत स्वादिष्ट होता है। 2. इस ढंग से पकाया भोजन बहुत स्वादिष्ट नहीं होता है।

प्रश्न 12.
दाल पकाने का उत्तम तरीका कौन-सा है?
उत्तर-
दालों को उबालकर बनाना बढ़िया तरीका है। इस तरीके से चावल तथा सब्जियों को भी पकाया जाता है।
पहले घरों में अंगीठी होती थी धीमी आंच पर दालों को पकाना बढ़िया समझा जाता था।

प्रश्न 13.
भाप से खाना पकाने से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
यह भोजन पकाने का सबसे बढ़िया ढंग है। इसमें भोजन को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है। इसके तीन तरीके हैं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तथा दबाव में भाप से पकाना।

प्रश्न 14.
दबाव द्वारा भाप से खाना कैसे बनाया जाता है?
उत्तर-
दबाव में भाप से खाना पकाना भाप से खाना पकाने का सबसे उत्तम तरीका है। इस तरीके से खाना पकाने के लिए प्रैशर कुक्कर का प्रयोग किया जाता है। प्रैशर कुक्कर में थोड़े पानी में भोजन डालकर कुक्कर को बन्द करके आग पर रख दिया जाता है। इस तरह प्रैशर में भाप की गर्मी से खाना पकाया जाता है।

प्रश्न 15.
तलने से आप क्या समझते हो ? तलने के कौन-कौन से तरीके हैं , नाम बताओ।
उत्तर-
घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के तरीका को तलना कहते हैं। तलने के तीन तरीके हैं

  1. सूखा भूनना तलना।
  2. कम घी में तलना।
  3. खुले घी में तलना।

प्रश्न 16.
तलते समय बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-
तेल का उबाल दर्जा पानी से बहुत ही अधिक होता है। यदि शरीर के किसी अंग पर गर्म तेल गिर जाए तो वह अंग बुरी तरह जल जाता है। इसलिए तलने के समय बहुत सावधानी की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 17.
तले भोजन के लाभ तथा हानि बताओ।
उत्तर-
हानि-

  1. यह शीघ्र हज़म नहीं होता।
  2. इसमें पौष्टिक तत्त्व भी काफ़ी कम होते हैं।
  3. यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते।

लाभ-

  1. खाना जल्दी पक जाता है।
  2. खाना स्वादिष्ट बनता है।

प्रश्न 18.
मरीज़ को खाना देने के लिए खाना पकाने के कौन-कौन से तरीकों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर-

  1. बीमारों के लिए उबला हुआ खाना ठीक रहता है।
  2. अप्रत्यक्ष भाप से पकाने वाले तरीके से खाना पकाकर भी रोगियों को दिया जा सकता है।

प्रश्न 19.
पकाते समय फल और सब्जियों का रंग कैसे कायम रखा जा सकता है?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को ढककर पकाना चाहिए। भोजन इतने समय के लिए पकाओ कि गलकर खाने योग्य हो जाएं। इन्हें तेज़ाबी मादे में न पकाओ। सोडा अथवा खारा माध्यम हरी सब्जियों का रंग बरकरार रखने में मदद करता है।

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लय उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 20.
भोजन पकाने के क्या कारण हैं?
उत्तर-
भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए।
  2. स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए।
  3. भोजन में विभिन्नता लाने के लिए।
  4. अधिक समय के लिए सुरक्षित रखने के लिए।
  5. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए।
  6. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए।

1. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए-पकाने से भोजन को खराब करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया तथा सूक्ष्मदर्शी जीवाणु मर जाते हैं क्योंकि 40°C से अधिक तापमान पर बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए जब कोई महामारी फैलती है तो पीने वाला पानी भी उबाला जाता है। इस तरह भोजन पदार्थों को पकाने से इनके अन्दर वाले जर्म मर जाते हैं तथा इस तरह भोजन स्वास्थ्य के पक्ष से भी लाभदायक हो जाता है।

2. अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए पका हुआ भोजन प्रायः कच्चे भोजन से अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है जैसे उबाला हुआ दूध अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी सिद्धान्त के आधार पर ही दूध को पॉस्चुराइज़ भी किया जाता है। इसीलिए मक्खन से घी तथा कच्चे पनीर से तला हुआ पनीर काफ़ी समय तक सुरक्षित रहते हैं।

3. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए-पकाते समय दो अथवा अधिक भोजन पदार्थों को मिलाकर पकाया जा सकता है। इस तरह भोजन की पौष्टिकता में सुधार लाया जा सकता है। जैसे दो अथवा तीन दालें इकट्ठी मिलाकर बनाई जाएं अथवा कई सब्जियां आलू-गाजर-मटर, बंद गोभी, मटर-आलू, पालक गाजर, आलू आदि की सब्जी को बनाने से भोजन के पौष्टिक तत्त्वों में वृद्धि होती है। आटे में यदि बेसन अथवा सोयाबीन का आटा मिला लिया जाये अथवा आटा गूंथते समय मूली, मेथी आदि मिला लिए जायें तो ऐसे आटे के परौंठे अधिक पौष्टिक हो जाते हैं। इसी तरह एक भोजन के पौष्टिक तत्त्वों की कमी दूसरा भोजन पूरी कर देता है। इसी तरह अनाज तथा दालें इकट्ठी खाने से बढ़िया प्रोटीन प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 21.
खाना पकाने की विधियों को पकाने वाले माध्यम के अनुसार कौन-कौन से भागों में बांट सकते हो?
उत्तर-
माध्यम के अनुसार खाना पकाने की विधियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है

  1. सूखे सेंक से पकाना- भोजन को सीधे आग पर रखकर पकाने के ढंग को सूखे सेंक से पकाना कहा जाता है। इसके भी आगे तीन ढंग हैं
    (i) सेंकना (ii) भूनना (iii) बेक करना।
  2. गीले सेंक अथवा पानी से पकाना-जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना कहते हैं। यह काम तीन ढंगों से किया जा सकता है
    उबालना, धीमी आंच पर थोड़े पानी में पकाना तथा भाप से पकाना। इनमें से भाप से पकाने का ढंग सबसे बढ़िया है।
  3. घी अथवा तेल में पकाना-घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के ढंग को तलना कहते हैं। तलने के तीन तरीके हैं
    (i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।

प्रश्न 22.
सूखे सेंक से पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर-
सूखे सेंक से पकाने के निम्नलिखित तरीके हैं
(i) सेंकना (ii) भूनना तथा (iii) बेक करना।

  1. सेंकना-भोजन पदार्थ को सीधे ही आग पर रखकर पकाने को सेंकना कहते हैं। जैसे- मांस, मुर्गा आदि को लोहे की सलाखों पर लगाकर सीधी आग पर रखकर सेंके जाते हैं।
  2. भूनना-भोजन पदार्थों को किसी धातु के बर्तन में डालकर आग पर रखकर अप्रत्यक्ष सेंका जाता है। इसे भूनना कहते हैं। जैसे कड़ाही में रेत को गर्म करके इसमें दाने भूने जाते हैं।
  3. बेक करना- भोजन पदार्थ को किसी भट्ठी अथवा भोजन ओवन में बन्द करके गर्म हवा से पकाने को बेक करना कहते हैं। जैसे-बिस्कुट, ब्रेड, केक, खताइयां आदि को इसी तरह पकाया जाता है।

प्रश्न 23.
गीले सेंक से खाना पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर-
गीले सेंक से खाना पकाने के तीन तरीके हैं
(i) उबालना
(ii) धीमी आग पर थोड़े पानी में पकाना
(iii) भाप से पकाना।

  1. उबालना-भोजन पदार्थों को उबलते पानी में पूरी तरह डुबो कर तेज़ आग पर पकाने को उबालना कहते हैं। चावल, कई दालें तथा सब्जियों को इसी तरीके से पकाया जाता है।
  2. धीमी आंच पर पकाना-किसी बर्तन में थोड़े पानी में भोजन पदार्थ को डालकर धीमी-धीमी आंच पर रखकर पकाया जाता है। पहले दालों आदि को इसी तरीके से पकाया जाता था।
  3. भाप से पकाना-इस तरीके से में भोजन पदार्थ को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है। इसके आगे तीन तरीके हैं
    (क) प्रत्यक्ष (ख) अप्रत्यक्ष (ग) दबाव में भाप से पकाना।

प्रश्न 24.
कौन-कौन से तरीकों द्वारा भोजन तला जा सकता है?
उत्तर-
भोजन को तीन तरीकों द्वारा तला जा सकता है
(i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।

  1. सूखा भूनना तलना-थोड़ा-सा घी बर्तन को लगाकर भोजन पदार्थ को इसमें पकाकर आग पर रखकर पकाया जाता है तथा भोजन पदार्थ को जल्दी-जल्दी हिलाया जाता है। घी को भोजन पदार्थ सोख लेता है।
  2. कम घी में तलना-इसमें फ्राइंग पैन अथवा तवे पर थोड़ा सा घी डालकर भोजन पदार्थ को तला जाता है। परौंठे, आमलेट आदि इसी तरह तले जाते हैं।
  3. खुले घी में तलना-इस ढंग में खुले मुंह वाले बर्तन अथवा कड़ाही में काफ़ी सारा घी अथवा तेल लेकर इसे गर्म करके भोजन पदार्थ को इसमें तला जाता है। घी इतना होता है कि सारा भोजन पदार्थ इसमें डूब जाये।
    पकौड़े, जलेबियां आदि इसी ढंग से बनाये जाते हैं।

प्रश्न 25.
मरीज़ को भोजन तलकर देना चाहिए या उबालकर?
उत्तर-
बीमारों को भोजन पदार्थ उबालकर देने चाहिएं न कि तल कर। उबला हुआ भोजन शीघ्र पचने लायक होता है जबकि तला हुआ भोजन जल्दी हज्म नहीं होता तथा इसमें पौष्टिक तत्त्वों की भी कमी होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

प्रश्न 26.
धीमी आंच पर पकाने और भाप से पकाने में क्या अन्तर है?
उत्तर

धीमी आंच पर पकाना भाप से पकाना
1. इसमें भोजन पदार्थ को थोड़े पानी में धीमी-धीमी आंच पर पकाया जाता है। 1. इसमें भोजन को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है।
2. इसमें समय अधिक लगता है। 2. इसमें समय कम लगता है।
3. फलों की स्टियू बनाने के लिए इस ढंग से पकाया जाता है। 3. इडली, पुडिंग, दालों आदि को इस ढंग का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 27.
तलते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
तलते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. भोजन को उस समय तलना चाहिए जब घी अथवा तेल अच्छी तरह गर्म हो जाये तथा इसमें से हल्का नीला धुआँ निकलने लगे।
  2. तला हुआ भोजन कड़ाही से निकालने से पहले इसमें से घी अथवा तेल निचोड़ लेना चाहिए।
  3. तले जाने वाले भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े कड़ाही में इकट्ठे हो जाते हैं, इन्हें निकाल देना चाहिए।
  4. भोजन को अधिक सेंक पर न पकाएं क्योंकि इस तरह बाहर से भोजन जल जायेगा पर अन्दर से कच्चा ही रह जाता है।
  5. भोजन को बाहर निकालकर सोखने वाले कागज़ पर रख लेना चाहिए ताकि अतिरिक्त तेल निचुड़ जाये।
  6. खाना पकाने के पश्चात् बचे हुए तेल को मलमल के टुकड़े अथवा बारीक छाननी से छान लेना चाहिए।

प्रश्न 28.
क्या पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों को बचाया जा सकता है?
उत्तर-
भोजन पकाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. सब्जियों के छिलके उतारे बिना अथवा बहुत पतला छिलका उतारकर सब्जी बनानी चाहिए।
  2. अनाज, दालों तथा सब्जियों को अधिक नहीं धोना चाहिए।
  3. बिना छाना हुआ आटा प्रयोग करना चाहिए।
  4. भोजन को ज़रूरत से ज्यादा सेंकना अथवा तलना नहीं चाहिए।
  5. जिस पानी में भोजन को उबाला जाए उसे फेंकना नहीं चाहिए।
  6. सब्जियों को काटने अथवा फलियों से दाने, खाना पकाते समय ही निकालने चाहिएं।
  7. प्रेशर कुक्कर में भोजन पकाने से तत्त्वों का कम-से-कम नुकसान होता है।
  8. भोजन को उतने समय के लिए ही पकाओं ताकि यह गलकर खाने योग्य हो जाये।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 29.
भोजन क्यों पकाया जाता है?
उत्तर-
भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए।
  2. स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए।
  3. भोजन में विभिन्नता लाने के लिए।
  4. अधिक समय के लिए सुरक्षित रखने के लिए।
  5. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए।
  6. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए।

1. भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए भोजन पदार्थों में निशास्ते के कणों के इर्दगिर्द साधारणतया सख्त परत होती है। इस परत को मानवीय पाचन तन्त्र नहीं तोड़ सकता। जब भोजन को पकाया जाता है तो निशास्ते के कण पानी सोख लेते हैं और फूल जाते हैं। इस तरह यह सख्त परत फट जाती है। अब इस पर पाचक रस आसानी से असर कर सकते हैं। जैसे चावल, दालें, अनाज और मीट पकाने से नर्म हो जाते हैं और इनको चबाना भी आसान हो जाता है।

2. स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप सुधारने के लिए-पकाने से भोजन पदार्थों का स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप सुधारा जा सकता है जैसे भूना हुआ मीट, अण्डे का आमलेट, बैंगन का भुरथा आदि बनाने से इन भोजनों का स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप ही बदल जाता है और इन को खाने से मज़ा भी आता है। भोजन पकाते समय मसालों का प्रयोग भी भोजन के स्वरूप, स्वाद और सुगन्ध पर अच्छा प्रभाव डालता है। कई भोजन जैसे करेले, जिमींकद आदि में प्राकृतिक रूप में कड़वाहट या लेसलापन होता है। पकाने से यह भोजन पदार्थ खुशबूदार हो जाते हैं और इन में से लेस या कड़वाहट भी दूर हो जाती है। __कुछ पदार्थों जैसे बासमती चावल में अंदरूनी खुशबू होती है जो पकाने से बाहर आ जाती है।

3. भोजन में भिन्नता लाने के लिए-पकाने से भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है। एक ही तरह का भोजन खाने से मन भर जाता है, परन्तु पकाने के भिन्न-भिन्न ढंगों से एक भोजन को भिन्न-भिन्न रूप दिए जा सकते हैं। आलू के परौंठे, आलू चिप्स, आलू के पकौड़े, आलू चाट आदि आलू को भिन्न-भिन्न ढंगों से पका कर लाई भिन्नता की निशानी है। पकाते समय एक भोजन को भिन्न-भिन्न भोजनों से मिलाकर भी भिन्नता लाई जा सकती है।

4. अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए-पका हुआ भोजन प्रायः कच्चे भोजन से अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है। जैसे उबाला हुआ दूध अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी सिद्धान्त के आधार पर ही दूध को पास्चराइज़ भी किया जाता है। इसीलिए मक्खन से घी तथा कच्चे पनीर से तला हुआ पनीर काफ़ी समय तक सुरक्षित रहते हैं।

5. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए-पकाने से भोजन को खराब करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया तथा सूक्ष्मदर्शी जीवाणु मर जाते हैं क्योंकि 40°C से अधिक तापमान पर बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए जब कोई महामारी फैलती है तो पीने वाला पानी भी उबाला जाता है। इस तरह भोजन पदार्थों को पकाने से इनके अन्दर वाले कीटाणु मर जाते हैं तथा इस तरह भोजन स्वास्थ्य के पक्ष से भी लाभदायक हो जाता है।

6. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए-पकाते समय दो अथवा अधिक भोजन पदार्थों को मिलाकर पकाया जा सकता है। इस तरह भोजन की पौष्टिकता में सुधार लाया जा सकता है। जैसे दो अथवा तीन दालें इकट्ठी मिलाकर बनाई जाएं अथवा कई सब्जियां आलूगाजर-मटर, बंद गोभी, मटर-आलू, पालक गाजर, आलू आदि की सब्जी को बनाने से भोजन के पौष्टिक तत्त्वों में वृद्धि होती है। आटे में बेसन अथवा सोयाबीन का आटा मिला लिया जाये अथवा आटा गूंथते समय मूली, मेथी आदि मिला लिए जाए तो ऐसे आटे के परौंठे अधिक पौष्टिक हो जाते हैं। इसी तरह एक भोजन के पौष्टिक तत्त्वों की कमी दूसरा भोजन पूरी कर देता है। इसी तरह अनाज तथा दालें इकट्ठी खाने से बढ़िया प्रोटीन प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 30.
खाना पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं? किन्हीं दो के बारे में बताओ।
उत्तर-
भोजन पकाने के तीन तरीके हैं

  1. सूखे सेंक से पकाना
  2. गीले सेंक अथवा पानी से पकाना
  3. घी तथा तेल में पकाना।

1. सूखे सेंक से पकानासूखे सेंक से पकाने के निम्नलिखित तरीके हैं(i) सेंकना (i) भूनना तथा (iii) बेक करना।

  1. सेंकना- भोजन पदार्थ को सीधे ही आग पर रखकर पकाने को सेंकना कहते हैं। जैसे- मांस, मुर्गा आदि को लोहे की सलाखों पर लगाकर सीधी आग पर रखकर सेंके जाते हैं।
  2. भूनना-भोजन पदार्थों को किसी धातु के बर्तन में डालकर आग पर रखकर अप्रत्यक्ष सेंका जाता है। इसे भूनना कहते हैं। जैसे कड़ी में रेत को गर्म करके इसमें दाने भूने जाते हैं।
  3. बेक करना-भोजन पदार्थ को किसी भट्ठी अथवा ओवन में बन्द करके गर्म हवा से पकाने को बेक करना कहते हैं। जैसे-बिस्कुट, ब्रेड, केक, खताइयां आदि को इसी तरह पकाया जाता है।

2. घी तथा तेल में पकानाभोजन को तीन तरीकों द्वारा तला जा सकता है
(i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।

  1. सूखा भूनना तलना-थोड़ा-सा घी बर्तन को लगाकर भोजन पदार्थ को इसमें पकाकर आग पर रखकर पकाया जाता है तथा भोजन पदार्थ को जल्दी-जल्दी हिलाया जाता है। घी को भोजन पदार्थ सोख लेता है।
  2. कम घी में तलना-इसमें फ्राइंग पैन अथवा तवे पर थोड़ा सा घी डालकर भोजन पदार्थ को तला जाता है। परौंठे, आमलेट आदि इसी तरह तले जाते हैं।
  3. खुले घी में तलना-इस तरीके से में खुले मुंह वाले बर्तन अथवा कड़ाही में काफ़ी सारा घी अथवा तेल लेकर इसे गर्म करके भोजन पदार्थ को इसमें तला जाता है। घी इतना होता है कि सारा भोजन पदार्थ इसमें डूब जाये।
    पकौड़े, जलेबियां आदि इसी ढंग से बनाये जाते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

प्रश्न 31.
किस तरीके से पकाया भोजन सबसे स्वादिष्ट होता है?
उत्तर-
भाप से भोजन पकाना एक उत्तम तरीका है। इसमें भोजन को उबलते पानी को भाप से पकाया जाता है। भाप से पकाने के तीन तरीके हैं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तथा दबाव में भाप से पकाना।

  1. प्रत्यक्ष-किसी खुले पतीले में पानी डालकर इसको उबालकर भाप बनाई जाती है तथा भोजन पदार्थ को किसी छननीदार बर्तन में डालकर इस पतीले पर रख दिया जाता है। इस तरह भोजन पदार्थ सीधे भाप के सम्पर्क में आता है तथा पककर तैयार हो जाता है। परन्तु इस ढंग से भोजन पकाते समय भोजन के कई आवश्यक खाद्य तत्त्व पानी में गिरते रहते हैं तथा विटामिन ऑक्सीकरण द्वारा नष्ट हो जाते हैं। इस ढंग से ईंधन का खर्च भी अधिक होता है। परन्तु इस तरह पका हुआ भोजन आसानी से पचने योग्य होता है। इडली इसी तरह बनाई जाती है।
    हानियां-इस तरीके से भोजन पकाते समय भोजन के कई आवश्यक खुराकी तत्त्व पानी में गिरते रहते हैं और विटामिन ऑक्सीकरण द्वारा नष्ट हो जाते हैं, इस ढंग से ईंधन का खर्च अधिक होता है।
  2. अप्रत्यक्ष- इस तरीके से भोजन पदार्थ को किसी डिब्बे में बंद करके भाप के सम्पर्क में लाया जाता है तथा भाप का सीधा सम्पर्क भोजन पदार्थ से नहीं होता। इसलिए इसे भाप द्वारा भोजन पकाने का अप्रत्यक्ष ढंग कहा जाता है। इस ढंग में भोजन के खाद्य तत्त्व नाम मात्र नष्ट होते हैं तथा सुगन्ध भी कायम रहती है। कई तरह के कस्टर्ड तथा पुडिंग इस ढंग से तैयार किये जाते हैं। इस तरीके से, पकाए खाने को गर्म भी किया जा सकता है।
    भाप से पकाये भोजन हल्के होते हैं इसलिए रोगियों को देने की सिफ़ारिश की जाती है।
  3. दबाव में भाप से पकाना-भाप से भोजन पकाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है। इस ढंग में प्रैशर कुक्कर का प्रयोग करके खाना पकाया जाता है। प्रैशर कुक्कर में थोड़ा-सा पानी डालकर प्रैशर में भाप की गर्मी से इसमें खाना पकाया जाता है।
    प्रेशर कुक्कर पर एक भार लगा होता है जो प्रैशर (दबाव) को नियन्त्रित करता है। जब भाप अधिक बन जाती है तो भार ऊपर उठ जाता है तथा भाप बाहर निकल जाती है। प्रैशर कुक्कर के प्रयोग से समय तथा ईंधन की काफ़ी बचत होती है। प्रेशर कुक्कर को कभी भी दो तिहाई (2/3) से अधिक न भरें। इस ढंग में भोजन पदार्थों के पौष्टिक तत्त्व नष्ट नहीं होते तथा भोजन आसानी से पचने योग्य होता है।

प्रश्न 32.
पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों को बचाने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-

  1. फलों तथा हरी सब्जियों के छिलके के नीचे वाली परत में विटामिन तथा खनिज पदार्थ होते हैं। इसलिए जहां तक हो सके इन्हें छिलके समेत पकाया जाना चाहिए अथवा फिर छिलका बहुत बारीक उतारना चाहिए।
  2. सब्जियों को काटने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। पकाने के लिए सब्जियों के टुकड़े बहुत बारीक न करो क्योंकि जितने टुकड़े अधिक होंगे उतना ही विटामिनों तथा खनिज पदार्थों का नुकसान भी अधिक होगा।
  3. सब्जियों को काटने अथवा फलियों से दाने निकालने का काम खाना पकाते समय ही करें।
  4. भोजन पकाने के लिए कम-से-कम पानी का प्रयोग करना चाहिए अथवा फिर जिस पानी में भोजन पकाया जाये उसे फेंकने की जगह किसी दूसरे पकवान में प्रयोग कर लेना चाहिए।
  5. खाने वाले भोजन पदार्थों को कम-से-कम समय के लिए इतना पकाओ कि वह गलकर खाने योग्य हो जाएं। अधिक समय तक पकाने से पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  6. विटामिन तथा खनिज पदार्थ अनाजों की ऊपरि परत में ही होते हैं इसलिए बिना छाने आटे तथा बिना पॉलिश किये चावल अथवा दालों आदि का ही प्रयोग करो।
  7. भोजन को सदा ढककर ही पकाएं क्योंकि खुले बर्तन में पकाने से भी उड़ने वाले खाद्य तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  8. प्रैशर कुक्कर के प्रयोग से तत्त्वों का कम-से-कम नुकसान होता है तथा समय तथा ईंधन की बचत भी होती है।
  9. भोजन को जल्दी पकाने के लिए सोडा तथा बेकिंग पाऊडर का प्रयोग न करें क्योंकि इनके प्रयोग से भी पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  10. तलने के लिए घी बहुत ज्यादा गर्म न करें।

प्रश्न 33.
धीमी आंच पर खाना पकाने और सूखे सेंक से खाना पकाने में क्या अन्तर है? इन तरीकों में से सबसे उत्तम तरीका कौन-सा है और क्यों?
उत्तर-

सूखे सेंक से पकाना धीमी आंच पर पकाना
(i) इसमें भोजन पदार्थ को सीधे ही आंच मौजूदगी पर रख कर पकाया जाता है। (i) इसमें भोजन पदार्थ को पानी की में पकाया जाता है।
(ii) इस तरीके से भोजन पकाने के तीन धीमी ढंग हैं-सेंकना, भूनना तथा बेक पकाया करना। (ii) इस तरीके से भोजन पकाने के लिए आंच पर थोड़े पानी में पकाना भोजन जाता है।
(iii) इसमें भोजन पदार्थों के खुराकी से-कम नष्ट होते हैं। (iii) इसमें भोजन के खुराकी तत्त्व कमतत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
(iv) इस तरीके से पकाया भोजन रोगियों के के लिए बढ़िया नहीं होता। (iv) इस तरके से पकाया भोजन रोगियों लिए बढ़िया होता है।

धीमी आंच पर गीले सेंक से खाना पकाने का ढंग बढ़िया है क्योंकि इस तरह पकाये भोजन में से खुराकी तत्त्व नष्ट नहीं होते तथा भोजन पचने योग्य भी होता है।

प्रश्न 34.
खाना पकाने का भोजन के तत्त्वों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी, विटामिन तथा खनिज लवण आदि खाद्य तत्त्वों पर ताप का अलग-अलग तरीके से प्रभाव पड़ता है।

  1. कार्बोहाइड्रेट्स
    1. निशास्ते के कण पानी में पकाने पर पानी सोख कर फूल जाते हैं तथा फट जाते हैं तथा पानी में घुल जाते हैं तथा फिर पचने योग्य हो जाता है।
    2. सेंकने से निशास्ता डैक्सिट्रन तथा फिर शर्करा में बदल जाता है जिसको पचाना आसान होता है।
    3. चीनी गर्म करने पर पिघलती है। बिना पानी के पकाई चीनी भूरे रंग की हो जाती है। इसको कैरामलाइज्ज़ चीनी कहा जाता है तथा इससे कस्टर्ड, पुडिंग आदि का रंग तथा स्वाद अच्छा हो जाता है।
  2. प्रोटीन-गर्म करने पर प्रोटीन जम तथा सिकुड़ जाता है तथा कुछ हानिकारक एन्ज़ाइम जोकि विटामिनों को नष्ट करते हैं, पकाने से नष्ट हो जाते हैं। पशु प्रोटीन अधिक पकाने पर सख्त हो जाते हैं। इसलिए इन्हें कम ताप पर धीरे-धीरे पकाना चाहिए ताकि वे जल्दी पच सकें परन्तु पौधों से मिलने वाली प्रोटीन (चने, मटर, सोयाबीन आदि) को पानी में अधिक ताप पर पकाना चाहिए। इससे यह जल्दी पच जाते हैं तथा स्वादिष्ट भी बनते हैं।
  3. चर्बी-अधिक देर तक चर्बी को गर्म करने पर इसका विघटन हो जाता है तथा यह अम्लों में बदल जाती है तथा इसका स्वाद तथा सुगन्ध भी खराब हो जाते हैं तथा चर्बी जल्दी नहीं पचती। इसीलिए बार-बार एक ही तेल में नहीं तलना चाहिए। इसी तरह कम ताप पर चर्बी को गर्म करने पर खाद्य पदार्थ अधिक चर्बी सोख लेते हैं तथा इन्हें पचाना कठिन है।
  4. विटामिन-अधिक देर तक तेज़ आग पर पकाने से विटामिन ‘बी’ की काफ़ी मात्रा तथा विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं। उबलते पानी में सब्जियां पकाई जाएं तो कम विटामिन नष्ट होते हैं। तलने तथा भूनने से भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं। विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ पर गर्मी का अधिक प्रभाव नहीं होता। सोडा डालकर भोजन पकाने से भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  5. खनिज लवण-खनिज लवण पकाते समय पानी में घुल जाते हैं। इसीलिए इस पानी को तरी की तरह प्रयोग कर लेना चाहिए, फेंकना नहीं चाहिए। उबालने से सोडियम भी नष्ट हो जाता है। इसकी कमी नमक डालकर पूरी की जा सकती है। दूध उबालने पर थोड़ी कैल्शियम भी नष्ट होती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB भोजन पकाना Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें

  1. भाप से पकाने के ……………. ढंग हैं।
  2. अधिक समय तक भोजन पकाया जाए तो …………. तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  3. बैक्टीरिया की …………….. °C पर वृद्धि रुक जाती है।
  4. बीमारों के लिए …………………. खाना ठीक रहता है।
  5. इडली को …………………. ढंग से पकाया जाता है।

उत्तर-

  1. तीन,
  2. पौष्टिक,
  3. 40,
  4. उबला,
  5. भाप।

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एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बेक करके पकाई जाने वाली एक वस्तु बताएं।
उत्तर-
केक।

प्रश्न 2.
तले भोजन की एक हानि बताएं।
उत्तर-
शीघ्र पचता नहीं।

प्रश्न 3.
जीवाणुओं के स्पोरज़ कितने तापमान पर मर जाते हैं?
उत्तर-
60°C.

प्रश्न 4.
कौन-से विटामिन पर गर्मी का प्रभाव नहीं पड़ता?
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’।

प्रश्न 5.
बिना पानी के पकाई चीनी को क्या कहते हैं?
उत्तर-
कैरेमालाइज़ड।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. बैक्टीरिया की 40°C पर वृद्धि रुक जाती है।
  2. सूखे सेंक से पकाने के तीन ढंग होते हैं।
  3. ज्यादा समय तक पकाना अच्छा है।
  4. दो या अधिक भोजन मिला कर पकाना अच्छा है।
  5. तले भोजन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे हैं।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ग़लत,
  4. ग़लत,
  5. ग़लत।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तलने के ढंग हैं
(A) सूखा भूनना तलना
(B) कम घी में तलना ।
(C) खुले घी में तलना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं
(A) रोगी के लिए उबला हुआ भोजन ठीक रहता है
(B) तले भोजन जल्दी पचते नहीं
(C) भाप से बना खाना पकाना सबसे अच्छा ढंग है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
सूखे सेंक से पकाने के ढंग हैं
(A) सेंकना
(B) भूनना
(C) वेक करना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 4.
भोजन पकाने के कारण हैं
(A) भोजन को पचने योग्य बनाना
(B) भोजन में भिन्नता लाना
(C) कीटाणुओं को नष्ट करना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(A) भोजन को पचने योग्य बनाना

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सम्पूर्ण भोजन क्या होता है? किन्हीं दो सम्पूर्ण भोजन पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
सम्पूर्ण भोजन वह होता है जिसमें शरीर के लिए आवश्यक सभी पौष्टिक तत्त्व होते हैं। दूध तथा अण्डे को सम्पूर्ण भोजन माना जाता है।

प्रश्न 2.
दाने कौन-सी विधि द्वारा पकाये जाते हैं ? इस विधि द्वारा और क्या बनाया जाता है?
उत्तर-
दानों को कढ़ाही में रेत गर्म करके भूना जाता है। बैंगन को गर्म राख में भूना जाता है तथा शकरकंदी को भी इसी तरह भूना जाता है।

प्रश्न 3.
सीधी तेज़ आंच पर रखकर पकाने का क्या नुकसान है?
उत्तर-
सीधी तेज़ आंच पर रखकर पकाने से बाहरी परत जल जाती है तथा कई पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
जिस पानी में भोजन पकाया जाये, उसे फेंकना क्यों नहीं चाहिए?
उत्तर-
जिस पानी में भोजन पकाया जाये उसे इसलिए नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि उसमें खनिज लवण घुल जाते हैं तथा पानी फेंकने से यह पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
कौन-से भोजन पदार्थों को बिना पकाये खाया नहीं जा सकता? सूची बनाओ।
उत्तर-
निम्नलिखित भोजन पदार्थों को बिना पकाये नहीं खाया जा सकता, जैसेअनाज, दालें, मांस, मछली, अण्डा आदि।

प्रश्न 6.
भोजन को प्रैशर कुक्कर में पकाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
प्रैशर कुक्कर में पका हुआ भोजन पौष्टिक होता है तथा इससे ईंधन की भी बचत होती है।

प्रश्न 7.
फल तथा सब्जियों के छिलके क्यों नहीं उतारने चाहिएं?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों के छिलके की निचली परत में पौष्टिक तत्त्व अधिक होते हैं। इसलिए फल तथा सब्जियों को बिना छीले ही प्रयोग में लाना चाहिए।

प्रश्न 8.
बिना छना आटा क्यों प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
भोजन की पौष्टिकता बनाये रखने के लिए बिना छना आटा प्रयोग करना चाहिए क्योंकि छान बूरे को निकालने से विटामिन तथा खनिज नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
तले हुए भोजन से क्या नुकसान होते हैं?
उत्तर-
तले हुए भोजन से मोटापा होता है तथा अधिक तलने से विटामिन भी नष्ट हो जाते हैं तथा तला हुआ भोजन पचाना कठिन हो जाता है।

प्रश्न 10.
भट्ठी में भोजन पकाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिएं?
उत्तर-
भट्ठी में भोजन पकाने के लिए भट्ठी पहले से तपी होनी चाहिए तथा एक बार भोजन रखकर उसे बार-बार नहीं खोलना चाहिए।

प्रश्न 11.
भाप द्वारा भोजन पकाने का अप्रत्यक्ष ढंग से अभिप्राय है?
उत्तर-
इस ढंग से भोजन पदार्थ को किसी डिब्बे में बन्द कर दिया जाता है तथा डिब्बे को भाप से गर्म करके बीच के पदार्थ को पकाया जाता है।

प्रश्न 12.
सब्जियों के छोटे टुकड़े क्यों नहीं काटने चाहिएं?
उत्तर-
क्योंकि छोटे-छोटे टुकड़ों से खनिज पदार्थों तथा विटामिनों की अधिक हानि होगी।

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प्रश्न 13.
कैरामालाइज्ड चीनी क्या होती है?
उत्तर-
चीनी को जब बिना पानी के पकाया जाता है तो यह भूरे रंग की हो जाती है, इसको कैरामालाइज्ड चीनी कहते हैं।

प्रश्न 14.
कौन-कौन से भोजन पदार्थों को भूना जा सकता है?
उत्तर-
निम्नलिखित भोजन पदार्थों को भूना जा सकता है

  1. आलू
  2. बैंगन
  3. माँस के टुकड़े
  4. मुर्गा
  5. मक्की की छल्ली
  6. रोटी
  7. मछली
  8. दाने।

प्रश्न 15.
फलों का स्टियू बनाने के लिए कौन-सी विधि का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
फलों का स्टियू बनाने के लिए सेब अथवा नाशपाती को थोड़े पानी में चीनी डालकर धीमी आंच पर रखकर पकाया जाता है।

प्रश्न 16.
भोजन पदार्थों को कैसे भूना जा सकता है? कोई दो उदाहरणे दो।
उत्तर-
किसी धातु के बर्तन को आग पर रखकर अथवा अप्रत्यक्ष सेंक से भोजन पदार्थों को भूना जाता है। जैसे कड़ाही में रेत डालकर दाने भूने जाते हैं तथा बैंगन को गर्म राख में रखकर भूना जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पके हुए भोजन तथा कच्चे भोजन में क्या अन्तर है?
उत्तर-

पका हुआ भोजन कच्चा भोजन
(i) पका हुआ भोजन नर्म हो जाता है, तथा चबाने तथा पचाने में आसान होता है। (i) कच्चा भोजन कठोर होता है। इसलिए इसे चबाना, पचाना कठिन होता है।
(ii) पके हुए भोजन का रंग-रूप, स्वाद तथा खुशबू अच्छे हो जाते हैं। (ii) बिना पकाये भोजन देखने अथवा खाने तथा खुशबू में अच्छे नहीं होते।
(iii) पकाने से अधिक तापमान के कारण कई हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं। (iii) कच्चे भोजन में कई हानिकारक कीटाणु होते हैं जो स्वास्थ्य को हानि पहँचाते हैं।
(iv) पकाने से एक ही वस्तु को विभिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है। (iv) यदि भोजन को न पकाया जाए तथा इसे एक ही रूप में खाया जाये तो उससे जल्दी मन भर जाता है।
(v) पकाने से भोजन को अधिक देर तक सुरक्षित रखा जा सकता है। (v) कच्चा भोजन जल्दी खराब हो जाता है। उसमें जीवाणु पैदा हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
उबालने तथा तलने के लाभ तथा हानियां लिखो।
उत्तर-
उबालने तथा तलने के निम्नलिखित लाभ तथा हानियां हैंउबालने के लाभ —

  1. उबला हुआ भोजन आसानी से पचने योग्य होता है।
  2. इस विधि में भोजन के पौष्टिक तत्त्व कम नष्ट होते हैं।
  3. यह विधि सरल तथा कम खर्चीली है।
  4. प्रैशर कुक्कर में खाद्य पदार्थ उबालने से समय तथा ईंधन की भी बचत होती है।

उबालने की हानियां —

  1. अधिक तेजी से पानी शीघ्र सूख जाता है तथा अधिक ईंधन खर्च होता है।
  2. इस विधि में वस्तु जल्दी नहीं पकती।

तलने के लाभ —

  1. तला हुआ भोजन अधिक स्वादिष्ट हो जाता है।
  2. भोजन पदार्थों का चिकनाहट से संयोग होने के कारण कैलोरी भार अधिक बढ़ जाता है।
  3. तले हुए पदार्थ शीघ्र खराब नहीं होते।

तलने के दोष —

  1. अधिक तलने-भूनने से कुछ पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  2. भोजन भारी हो जाता है।
  3. भोजन पचने योग्य न होने के कारण कभी-कभी पाचन बिगड़ जाता है।

प्रश्न 3.
बेक करने तथा भूनने में क्या अन्तर है?
उत्तर-
बेक करने तथा भूनने में निम्नलिखित अन्तर हैं —

बेक करना भूनना
(i) इसमें पदार्थ को बन्द गर्म भट्ठी में रखकर गर्मी से पकाया जाता है। (i) इसमें पदार्थ को थोड़ी-सी चिकनाहट लगाकर सेंका जाता है।
(ii) भोजन वाले बर्तन को पहले अधिक तथा फिर कम सेंक पर रखा जाता है। (ii) इसमें भोजन पदार्थ को सीधा ही आंच पर पकाया जाता है।
(iii) इसमें भट्ठी का तापमान बराबर चाहिए। (iii) इसमें भट्ठी का तापमान सदा मद्धम रहना रहना चाहिए।
(iv) इसमें पानी के बिना भोजन के सभी जाते हैं0964 (iv) इसमें भोजन के तत्त्व भी आग में गिर तत्त्व सुरक्षित रहते हैं।
(v) इसमें कच्चे केले तथा अन्य फलों को भी मसाला लगाकर पकाया जाता है। (v) इसमें दाने भट्ठी तथा कढ़ाही में रेत डाल कर भूने जाते हैं।

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प्रश्न 4.
उबालते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-

  1. भोजन पदार्थों को उबालने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
  2. बर्तन अथवा पतीला ऐसा हो जिसका ढक्कन अच्छी तरह फिट हो जाये ताकि भाप कम-से-कम बाहर निकले तथा भोजन सूख कर न जले।
  3. ज़रूरत से अधिक न उबालें क्योंकि अधिक पका भोजन रंग, स्वाद तथा आकार के पक्ष से बिगड़ जाता है।
  4. आल या जड़ों वाली सब्जियों को छिलका उतारे बिना ही उबालना चाहिए।

प्रश्न 5.
टेबल सैट करने के लिए ध्यान रखने योग्य कौन-सी बातें हैं?
उत्तर-

  1. जिस कमरे में तथा मेज़ पर भोजन खाना होता है उनकी सफ़ाई सबसे ज़रूरी है। थालियां, कटोरियां, गिलास, चम्मच तथा अन्य सभी तरह के बर्तन अच्छी तरह से साफ़ किये होने चाहिएं। इन्हें सुखा कर रख लेना चाहिए। मेज़पोश तथा सभी टेबल नैप्किन भी अच्छी तरह साफ़ तथा प्रेस किये होने चाहिएं।
  2. मेज़ पर पड़ी चीजें इतनी दूर हों कि खाने वालों की पहुंच में हों। टेबल के एक ही तरफ सभी चीजें इकट्ठी नहीं कर लेनी चाहिएं।
  3. सभी प्लेटें तथा बर्तन इस ढंग से रखो कि खाने वालों को कोई कठिनाई न आये।
  4. मेज पर एक व्यक्ति के खाने के लिए इतनी जगह ज़रूर हो कि दूसरे व्यक्ति को कोई रुकावट न हो।
  5. टेबल सैट करने के लिए सरल तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 6.
फैमिली स्टाइल मेज़ सैट करने के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
फैमिली स्टाइल में सभी व्यक्ति एक मेज़ पर बैठकर खाना खाते हैं। प्रत्येक की के आगे एक व्यक्ति के लिए आवश्यक बर्तन रख दिये जाते हैं। भोजन की योजनाबन्दी अनुसार मेज़ सैट किया जाता है। फैमिली स्टाइल में मेज़ सैट करने के लिए साधारण नियम निम्नलिखित अनुसार हैं

  1. टेबल पर जितने व्यक्तियों ने भोजन ग्रहण करना हो, उस अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्लेटें, गिलास, कटोरियां, चम्मच आदि इकट्ठे करके पोंछ कर रख दो तथा मेज़ पर उतने ही टेबल मैट्स भी बिछा दो।
  2. टेबल मैट मेज़ के किनारे के साथ बिछाकर किनारे से 2.5 सेंटीमीटर स्थान छोड़कर टेबल मैट के बीच एक बड़ी प्लेट रखी जाती है।
  3. प्लेट के दाईं ओर चम्मच तथा छुरी रखो तथा बाईं और हाथ का कांटा रखो। छुरी का तीखा सिरा प्लेट की ओर रखना चाहिए। सभी चीजों का डण्डी वाला हिस्सा टेबल के किनारे की ओर अर्थात् व्यक्ति की ओर रखना चाहिए। इन्हें प्लेट से 2.5 सेंटीमीटर स्थान छोड़कर बिल्कुल सीधा रखना चाहिए।
  4. नैप्किन प्लेट के दाईं ओर सादा सी परत लगा के रखा जाता है।
  5. पानी का गिलास चम्मच के सिरे पर रखा जाता है।
  6. सभी पकवान मेज़ के बीच एक लाइन में रखे जाते हैं। कड़छियां प्रत्येक सब्जी के साथ दाईं ओर रखी जाती हैं तथा इनकी डण्डी वाला हिस्सा जिस तरफ मेहमान बैठे हों उस तरफ होना चाहिए।
  7. मेज़ सजाने के लिए मेज़ के बीच में अथवा एक कोने पर एक छोटा-सा फूलों का गुलदस्ता रखना चाहिए। परन्तु फूल खुशबूदार नहीं होने चाहिएं क्योंकि फूलों की गहरी सुगन्ध में भोजन की सुगन्ध दब जाएगी।
  8. पकवान मेज़ पर रखते समय यह ध्यान रखो कि मेहमान की तरफ सबसे पहले स्लाद, फिर चपातियां अथवा चावल, फिर सब्जियां, दही, अचार आदि रखा जाये।

प्रश्न 7.
बुफे स्टाइल में मेज़ सैट करने के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
इस प्रकार की सैटिंग तब की जाती है जब बड़ी चाय पार्टी अथवा बहुत सारे लोगों को खाने की दावत देनी हो। इसमें मेहमान मेज़ से खाने वाली चीजें प्लेटों में डालकर, खड़े होकर अथवा किसी अन्य स्थान पर बैठ कर खाते हैं। इसका तरीका निम्नलिखित है

  1. मेहमानों की संख्या के अनुमान अनुसार उतनी ही संख्या में प्लेटें, चम्मच, कप, गिलास तथा नैप्किन ले लें।
  2. एक बड़े टेबल पर खाने-पीने वाली चीजें रखने का इन्तज़ाम कर लेना चाहिए।
  3. एक तरफ नैप्किन, फिर प्लेटें तथा चम्मच रखने चाहिएं। यदि चाय पार्टी हो तो छोटी प्लेटें रखनी चाहिएं। यदि भोजन खिलाना हो तो बड़ी प्लेटें रखनी चाहिएं।
  4. फिर मेज़ के बीच एक लाइन में सभी खाने वाली चीजें रख देनी चाहिएं। मेहमानों को नैप्किनों वाली तरफ आरम्भ करने के लिए कहना चाहिए। कमरे के बाकी हिस्से में दीवारों के साथ-साथ मेहमानों के बैठने का प्रबन्ध किया जा सकता है। यदि कमरा छोटा हो तो बुफे स्टाइल की सैटिंग बाहर बरामदे में अथवा किसी खुली जगह पर की जा सकती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

प्रश्न 8.
भोजन परोसने के तरीके के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-

  1. गृहिणी को अपनी कुर्सी, मेज़ के एक तरफ लेनी चाहिए तथा उसकी कुर्सी रसोई की तरफ होनी चाहिए।
  2. एक तरफ से एक चीज़ का प्रयोग आरम्भ करने का संकेत गृहिणी को करना चाहिए। आरम्भ होने के बाद एक व्यक्ति इसको लेकर अगले व्यक्ति को देता है। इसी तरह करतेकरते एक खाने वाली चीज़ सभी व्यक्तियों में घूम जानी चाहिए।
  3. सभी चीजें सभी के पास पहुंच जाने के पश्चात् ही सभी को खाना आरम्भ करना चाहिए। इससे पहले किसी व्यक्ति को खाना आरम्भ नहीं करना चाहिए।
  4. कभी भी दूसरे व्यक्ति के आगे बाजू लम्बी करके वस्तु नहीं उठानी चाहिए।
  5. प्लेट एक बार ही वस्तुओं से नहीं भरनी चाहिए।
  6. जिस बर्तन में पकवान डालकर रखा जाता है वह साफ़-सुथरा होना चाहिए। बर्तन के किनारों पर सब्जी बिल्कुल नहीं लगी होनी चाहिए।
  7. फलों को काटकर बांटना चाहिए।
  8. टेबल पर सूप वितरण के पश्चात् खाना बांटना चाहिए।
  9. सजी हुई प्लेट को अन्य खाने वाली चीज़ों से पहले परोसना चाहिए।
  10. गृहिणी को प्रत्येक सदस्य का ध्यान रखना चाहिए कि किस व्यक्ति को किस चीज़ की जरूरत है।
  11. टेबल पर बैठकर उदासी भरी बातें नहीं अपितु खुशी भरी बातें करनी चाहिएं।
  12. सभी व्यक्ति खाना समाप्त कर लें, तभी मेज़ से उठना चाहिए।
  13. गृहिणी को खाने वाली चीजें बाईं तरफ से तथा पानी दाईं तरफ से बांटना चाहिए।

प्रयोगी

कुछ भोजन नुस्खे

रोटी (चपाती) बनाना

प्राय: गेहूँ के आटे की रोटी बनाई जाती है। पर सर्दियों में मक्की की तथा बेसन की रोटी भी बनाई जाती है।

गेहूं के आटे की रोटी बनाना

सामान —

  1. आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — 175 मिली लिटर
  3. घी अथवा मक्खन — लगाने के लिए

विधि —

  1. थाली अथवा परात में आटे को विरल छननी से छानो ताकि छान कम-से-कम निकले। बारीक तथा साफ़-सुथरे आटे को छानने की कोई ज़रूरत नहीं होती।
  2. थोड़ा-सा आटा रखकर बाकी को थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर ग्रंथो।
  3. परात अथवा थाली में गीला हाथ फेरकर दबावों से आटा गूंथो ताकि यह एक सा हो जाये।
  4. फिर इसे मलमल के गीले कपड़े से 15-20 मिनट के लिए ढक कर रख दो।
  5. एक बार फिर परात में गीला हाथ फेरकर दबावों से आटा गूंथों तथा ढककर रख लो।
  6. तवे को साफ़ करके गर्म होने के लिए आग पर रख दो।
  7. आटे के छोटे-छोटे पेड़े करें।
  8. पेड़े को सूखा आटा लगाकर दोनों हाथों की उंगलियों से दबा कर चपटा करें।
  9. फिर से पलाथी लगाकर चपटे किये पेड़े को चकले पर रख कर बेलन से पतली रोटी बेल लो।
  10. बेली हुई रोटी को गर्म तवे पर डाल दो।
  11. ऊपर से शुष्क हो जाये तो रोटी को उल्टा दो।
  12. दूसरी तरफ से थोड़ा-सा अधिक सेंक देना चाहिए। जब बादामी रंग के दाग पड़ जायें तो रोटी को उल्टा कर पहली तरफ फिर सेंके।।
  13. रोटी को कपड़े से थोड़ा-थोड़ा दबाते रहो तकि रोटी फल जाये।
  14. तवे से उतार कर इच्छानुसार घी अथवा मक्खन से इसको चुपड़ लो।

सादा परांठा

सामान —

  1. आटा — 200 ग्राम
  2. पानी — 175 मिली लीटर
  3. नमक — स्वादानुसार
  4. घी — 50 ग्राम

विधि —

  1. आटे में नमक डालकर गूंथो।
  2. पेड़े बनाकर रोटी बेल लो।
  3. बेली हुई रोटी के ऊपर की तरफ थोड़ा घी लगाओ।
  4. अब रोटी का एक तिहाई हिस्सा मोड़ लो तथा अब दूसरी तरफ से भी एक हिस्सा इस मुड़े हुए हिस्से ऊपर मोड़ो।
  5. इस रोटी को लम्बाई वाले दोनों सिरों को अन्दर की ओर इस तरह मोड़ो कि यह वर्गाकार बन जाये।
  6. इस को सूखा आटा लगाकर फिर से बेलें।
  7. इसको गर्म तवे पर डालकर चुपड़ दें।
  8. हल्का सेंकने के पश्चात् उल्टा दें तथा दूसरी तरफ से भी चुपड़ दो।
  9. परांठे को उल्टा-उल्टा कर सेंको तथा दोनों तरफ से करारा कर लो।
  10. सब्जी रायते आदि से गर्म-गर्म परोसो।

मेथी का परांठा

सामान —

  1. गेहूं का आटा — 225 ग्राम (तीन हिस्से)
  2. मक्की का आटा — 75 (1 हिस्सा)
  3. प्याज़ — 10 ग्राम
  4. हरी मेथी — 20 ग्राम
  5. हरी मिर्चे — 2
  6. नमक — स्वादानुसार

विधि —

  1. मेथी चुनकर तथा धोकर बारीक काटो।
  2. प्याज तथा हरी मिर्च को भी बारीक-बारीक काटो।
  3. आटे में नमक, मिर्च, मेथी तथा प्याज़ मिलाकर गूंथ लो।
  4. पेड़ा बनाकर रोटी बेलो तथा गर्म तवे पर डालकर चुपड़ दो।
  5. हल्का सेंकने के पश्चात् दूसरी तरफ पलटें तथा इसे भी चुपड़े दो।
  6. इसको दही अथवा मक्खन से गर्म-गर्म परोसो।

आलुओं का परांठा

सामान—

  1. गेहूं — 200 ग्राम
  2. आलू — 100 ग्राम
  3. छोटा प्याज़ — 1
  4. हरी मिर्चे — 2
  5. धनिया — कुछ पत्ते
  6. अदरक — एक टुकड़ी
  7. घी — तलने के लिए
  8. नमक — स्वादानुसार

विधि—

  1. आटा गूंथ कर तैयार कर लो।
  2. आलू उबाल कर छील लो तथा ठण्डे होने के पश्चात् इन्हें मसल लो।
  3. प्याज़, हरी मिर्च, अदरक तथा धनिया को धोकर छोटा-छोटा काट लो। यह सभी कुछ तथा स्वादानुसार नमक मसाले आलुओं में डालकर अच्छी तरह मिला लो।
  4. आटे का पेड़ा लो तथा थोड़ी-सी मोटी रोटी बेलो तथा घी लगाओ।
  5. आलुओं का पेड़ा बनाकर बेली हुई रोटी में आलुओं का पेड़ा रखकर रोटी में आलू छिपा दो तथा फिर से पेड़ा बना लो।
  6. गोल परांठा बेल कर गर्म तवे पर डाल दो।
  7. परांठा दोनों तरफ से घी तलकर करारा कर लो।
  8. इसको दही, मक्खन, लस्सी अथवा चाय के साथ गर्म-गर्म परोसें।

नोट-गोभी, मूली के परांठे अथवा किसी अन्य तरह के परांठे बनाने के लिए उपरोक्त विधि का प्रयोग किया जा सकता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

चावल उबालना

सामान —

  1. चावल — 1 गिलास
  2. पानी — 2 गिलास

विधि —

  1. चावलों को चुनो तथा धो लो तथा पानी को उबलने के लिए रख दो।
  2. जब पानी उबल रहा हो तो इनमें चावल डालो तथा इन्हें कड़छी से हिलाकर अच्छी तरह ढक दो।
  3. एक उबाला आने पर दोबारा हिलाओ तथा फिर अच्छी तरह ढक दो।
  4. सेंक हल्का करो, कुछ मिनटों के पश्चात् चावल खाने योग्य हो जायेंगे।
  5. चावलों को तरी वाली सब्जी के साथ परोसो।
  6. चावलों में इच्छानुसार नमक तथा घी भी डाला जा सकता है।

नोट-पुराने चावल नये चावलों से अच्छे रहते हैं पर इनमें नए चावलों से थोड़ा अधिक पानी पड़ता है। नमकीन चावलों को जीरे का तड़का लगाया जा सकता है।

मटर का पुलाव

सामान —

  1. पानी — 2 गिलास
  2. चावल — 1 गिलास
  3. मटर निकाले हुए — 100 ग्राम
  4. प्याज़ — 1 छोटा
  5. लौंग — 4
  6. दाल चीनी — 2 छोटे टुकड़े
  7. घी — 50 ग्राम
  8. नमक — स्वादानुसार
  9. काली मिर्च — 10-12

विधि—

  1. चावलों को चुनो तथा धो लो।
  2. घी गर्म करो तथा इसमें लम्बे काटे हुए प्याज भूनो तथा इन्हें किसी कटोरी आदि में निकाल लो।
  3. फिर उसी घी में दालचीनी, लौंग, काली मिर्च तथा मटर डालकर दो-तीन मिनट तक भूनो।
  4. धोए हुए चावलों को भी एक मिनट के लिए भूनो तथा नमक तथा पानी डालकर हिलाओ।
  5. एक उबाल आने के पश्चात् एक बार फिर हिलाओ तथा अच्छी तरह से ढक दो, हल्के सेंक पर बनने दो।
  6. भुने हुए प्याज़ों से सजाकर परोसो।

नोट-इसी तरह गोभी, आलू, गाजर, फ्रैंच बींस, आलू, धनिया आदि सब्जियां डालकर पुलाव बनाया जा सकता है तथा सब्जियां भी प्रयोग की जा सकती हैं।

राज मांह

सामान —

  1. राज मांह — 250 ग्राम
  2. टमाटर — 100 ग्राम
  3. प्याज़ — 100 ग्राम
  4. अदरक — एक टुकड़ा
  5. लहसुन — 6 तुरियां
  6. गर्म मसाला — 1 चम्मच
  7. लाल मिर्च तथा नमक — स्वादानुसार
  8. घी — 100 ग्राम
  9. पानी — 500 मिली लिटर

विधि —

  1. राजमांह चुनो तथा रातभर इन्हें पानी में भिगोकर रख दो।
  2. प्याज़ों को चाकू से बारीक-बारीक काट लो अथवा कद्दू-कस कर लो।
  3. अदरक तथा लहसुन बारीक-बारीक काट लें तथा टमाटर और हरी मिर्चों को भी काट लो।
  4. कुक्कर में घी डालकर प्याज़ को भून कर बादामी रंग का कर लो।
  5. अब इसमें टमाटर, हरी मिर्चे, लहसुन तथा अदरक डालकर तब तक भूनो जब तक कि टमाटर न गल जाएं।
  6. भीगे हुए राजमांह, मिर्च, नमक तथा पानी कुक्कर में डालकर इन्हें 35 मिनट तक पकने दो।
  7. अब गर्म मसाले से सजा कर परोसो।

साबुत मूंगी की दाल

सामान —

  1. मूंगी की दाल — 200 ग्राम
  2. टमाटर — 100 ग्राम
  3. पानी — 600 मिलीलिटर
  4. घी — 100 ग्राम
  5. अदरक — एक टुकड़ा
  6. लहसुन — 6 तुरियां
  7. प्याज़ — 1
  8. हरी मिर्च — 2
  9. गर्म मसाला — 1 चम्मच
  10. हल्दी — 1 चम्मच

विधि —

  1. दाल को चुनो तथा धो लो।
  2. अदरक तथा लहसुन बारीक काट लो तथा टमाटर, हरी मिर्च तथा प्याज़ को भी काटो।
  3. कुक्कर में दाल, लहसुन, अदरक, नमक तथा पानी को डालकर सेंक कर रखो तथा पूरा दबाव बनने के पश्चात् 8 मिनट के लिए पकायो।
  4. घी गर्म करें प्याज़ भूनो तथा इसके पश्चात् टमाटर तथा हरी मिर्च डालकर पकाओ जब तक कि टमाटर गल न जाएं।
  5. इस मसाले को दाल में मिलाओ तथा गर्म मसाला डालकर परोसो।

नोट-अन्य दालें जैसे साबुत मसूर तथा धुली मुंगी की दाल आदि भी कुक्कर में इसी विधि से बनाई जा सकती है। पर पूरा दबाव बनने के पश्चात् केवल तीन मिनट के लिए पकाओ। दालों को कुक्कर के बिना धीमी आंच पर भी पकाया जाता है परन्तु इस तरह पानी और ईंधन अधिक लगता है। साबुत माह के लिए 55 मिनट तक पकाओ।

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दम आलू

सामान —

  1. आलू — 500 ग्राम (बहुत छोटे-छोटे)
  2. घी — 100 ग्राम
  3. टमाटर — 250 ग्राम
  4. जीरा — 1/2 चम्मच
  5. इलायची — 2
  6. दालचीनी — 1 छोटा टुकड़ा
  7. अदरक — 1 छोटा टुकड़ा
  8. हरी मिर्च — 1
  9. लाल मिर्च — 1 चम्मच अथवा स्वादानुसार
  10. हल्दी — 1/2 चम्मच
  11. नमक — स्वादानुसार

विधि —

  1. उबाल कर आलुओं को छील लो तथा साबुत ही रखो।
  2. हरी मिर्च तथा टमाटर काट लो।
  3. अब जीरा, दाल चीनी, इलायची तथा पीसा हुआ अदरक घी में भून लो।
  4. इस मसाले में हरी मिर्च, टमाटर तथा नमक डालकर भूनो जब तक कि टमाटर गल न जाए।
  5. इसमें आलू डालकर अच्छी तरह हिलाओ।
  6. रोटी के साथ इन्हें गर्म-गर्म परोसो।

मटर पनीर

सामान —

  1. मटर — 500 ग्राम
  2. पनीर — 200 ग्राम
  3. घी— 60 ग्राम
  4. अदरक — 1 टुकड़ा
  5. प्याज़ — 2
  6. हल्दी — 1/2 चम्मच
  7. जीरा — 1/2 चम्मच
  8. मसाला — 1/2 चम्मच
  9. हरा धनिया — कुछ पत्ते
  10. टमाटर — 2
  11. नमक — स्वादानुसार

विधि—

  1. पनीर को चौकोर टुकड़ों में काटो तथा तल लें।
  2. प्याज़ कद्दूकस करो तथा अदरक और हरा धनिया बारीक काट लो।
  3. घी में प्याज़ भूनो तथा टमाटर, अदरक तथा अन्य मिर्च-मसालों को भी इसमें डाल दो।
  4. अब इसमें मटर डालो तथा थोड़ी देर पश्चात् इसमें कच्चा अथवा तला हुआ पनीर डालो।
  5. दो मिनट के लिए पकाओ तथा आग से उतार कर धनिये के हरे पत्तों से सजाकर परोसो।

नोट-आलू मटर, रसमिसे आलू अथवा तरी वाली सब्जियां इसी विधि से ही बनाई जाती हैं।

भिण्डी की सब्जी

सामान —

  1. भिण्डी — 300 ग्राम
  2. घी अथवा तेल — 60 ग्राम
  3. आमचूर — 1/2 चम्मच
  4. पिसा हुआ धनिया — 1/2चम्मच
  5. गर्म मसाला — 1/2 चम्मच
  6. नींबू — 1/2
  7. प्याज़ — 2
  8. हरी मिर्च — 2
  9. नमक मिर्च — स्वादानुसार

विधि —

  1. भिण्डियों को धोकर तथा सुखाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटो तथा प्याज़ तथा हरी मिर्च को भी काट लो।
  2. घी अथवा तेल को कड़ाही में डालकर अच्छी तरह गर्म करो तथा बीच में भिण्डियां डाल दो।
  3. भिण्डियों को थोड़ा सेंक लगाने के पश्चात् प्याज़ भी डाल दो।
  4. कुछ समय के लिए तलो तथा भिण्डी में लेस होने पर इसमें नींबू निचोड़ दो।
  5. नमक, मिर्च, आमचूर, हल्दी, धनिया डालकर हल्के सेंक पर तब तक पकाओ जब तक भिण्डी गल न जाये।
  6. उतारने से पहले इसमें गर्म मसाला डाल दो तथा गर्म-गर्म परोसो।

नोट-साबुत भिण्डी बनानी हो तो भिण्डी को लम्बे रुख चीरा देकर मसाला भर कर तला जाता है।

आलू गोभी

सामान —

  1. गोभी — 1 किलोग्राम
  2. आलू — 400 ग्राम
  3. टमाटर — 150 ग्राम
  4. घी — 60 ग्राम
  5. अदरक — 1 टुकड़ा
  6. प्याज़ — 2
  7. गर्म मसाला — 1 चम्मच
  8. हरा धनिया — कुछ पत्ते
  9. नमक मिर्च — स्वादानुसार

विधि —

  1. गोभी धोकर सुखा लो और इसके डण्ठल काट दो और धोकर फूल के टुकड़े काट लो और आलुओं को छीलकर काट लो।
  2. टमाटर, अदरक, हरी मिर्च, प्याज, हरा धनिया काट लो।
  3. घी में प्याज को भूनो और भूनने के पश्चात् टमाटर, हरी मिर्च और अदरक इस में डाल दो।
  4. अब इसमें आलू और गोभी डाल कर कड़छी से हिलाओ और पकने के लिए ढक दो।
  5. जब आलू गल जाएं तो गर्म मसाला और हरा धनिया डाल कर उतार लो। गर्म-गर्म परोसो।

नोट-आलू-गाजर, आलू-मेथी, बेंगन-आलू, बन्दगोभी-मटर आदि सब्जियां बनाने की भी यही विधि है। यदि सब्जी में पानी रह जाए तो पानी सुखा लेना चाहिए।

भरी हुई शिमला मिर्च

सामान —

  1. शिमला मिर्च — 250 ग्राम
  2. मटर निकाले हुए — 60 ग्राम
  3. आलू — 100 ग्राम
  4. गाजर — 50 ग्राम
  5. टमाटर — 100 ग्राम
  6. घी — 50 ग्राम
  7. जीरा — 1/2 चम्मच
  8. अदरक — 1 टुकड़ा
  9. प्याज — 1 टुकड़ा
  10. हरी मिर्च — 2
  11. नमक, मिर्च — स्वादानुसार

विधि —

  1. शिमला मिर्चों को धो लो और ऊपर से काट लो तथा मटर भी छील लो।
  2. आलुओं की छील उतार लो तथा बारीक काट लो।
  3. प्याज़ को कद्दूकस करो, टमाटर, अदरक, हरी मिर्च काट लो तथा थोड़े से घी में इन सभी सब्जियों को भून कर पका लो तथा नमक, मिर्च, मसाले भी इस में मिला लो तथा पानी सूख जाने दो।
  4. यह सब कुछ शिमला मिर्च में भर दो।
  5. घी को कड़ाही में डालकर गर्म करो तथा शिमला मिर्चों को इसमें तलो।
  6. पक जाने पर आग से उतारकर रोटी के साथ परोसो। नोट-करेले तथा भरे हुए बैंगन बनाने की यही विधि है।

कोफ्ते

सामान —

  1. घीआ (नर्म) — 250 ग्राम
  2. बेसन — 50 ग्राम
  3. टमाटर — 150 ग्राम
  4. हल्दी — 1/2 चम्मच
  5. काली मिर्च — 1/2 चम्मच
  6. सूखा धनिया — 1/2 चम्मच
  7. प्याज़ — 3
  8. अदरक — एक टुकड़ा
  9. हरी मिर्च — 2
  10. हरा धनिया — कुछ पत्ते
  11. गर्म मसाला — 1 चम्मच
  12. नमक मिर्च — स्वादानुसार
  13. घी — तलने के लिए

विधि —

  1. घीआ छील कर धो लो तथा कद्दूकस कर लो।
  2. कद्दूकस किये घीये में बेसन, सूखा धनिया, काली मिर्च, थोड़ा-सा नमक पानी डालकर गाढ़ा घोल बना लो।
  3. कड़ाही में घी डालकर गर्म करो तथा जब घी में से धुआँ निकलने लगे तो उपरोक्त घोल के गोल-गोल कोफ्ते बना कर गर्म घी में डालो तथा कोफ्तों को थोड़ा-सा तल कर बाहर निकाल लो।
  4. प्याज़ तथा अदरक कद्दूकस कर लो तथा हरी मिर्च, हरा धनिया तथा टमाटर बारीक-बारीक काट कर घी में भून कर तरी बना लो।
  5. नमक, मिर्च, मसाला, पानी डालकर उबाल लो तथा कोफ्ते डालकर कुछ समय तक पकने दो तथा हरे धनिये से सजा कर परोसो।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

मीठे पकवान

खीर

सामान —

  1. दूध — 1 लिटर
  2. चीनी — 2 बड़े चम्मच
  3. चावल — 2 बड़े चम्मच
  4. छोटी इलायची — 1/4 चम्मच
  5. सूखे मेवे — आवश्यकतानुसार

विधि —

  1. चावलों को चुन लो तथा धोकर 15 मिनट तक भिगो कर रखो।
  2. दूध उबालो तथा उबले हुए दूध में चावल डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाते जाओ।
  3. अच्छी तरह चावल घुल जाएं तो चीनी तथा इलायची डालकर कुछ देर के लिए पकने
  4. बादाम, किशमिश तथा पिस्ता आदि खीर पर डालकर परोसो।

कस्टरड

सामान —

  1. दूध — 1/2 लिटर
  2. कस्टरड पाऊडर — 2 बड़े चम्मच
  3. चीनी — 4 बड़े चम्मच

विधि —

  1. कस्टरड को आधा कप दूध में घोलो तथा बाकी दूध को उबाल लो।
  2. उबले दूध में चीनी तथा कस्टरड वाला दूध धीरे-धीरे डालो तथा दूसरे हाथ से चम्मच से अच्छी तरह दूध को हिलाते जाओ ताकि गिल्टियां न बन जायें। उबाला आ जाये तो आंच से उतार लो। इसको गर्म अथवा ठण्डा करके परोसा जा सकता है। ऋतु अनुसार कस्टरड में फल जैसे केला, आम, अंगूर, सेब तथा सूखे मेवे डाले जा सकते हैं। यदि फल पकाने हों तो कस्टरड को फ्रिज में रखकर अच्छी तरह ठण्डा कर लो। ठण्डे कस्टरड को जैली के साथ परोसा जा सकता है।

सूजी का हलवा

सामान —

  1. सूजी — 100 ग्राम
  2. घी — 100 ग्राम
  3. चीनी — 100 ग्राम
  4. पानी — 35 मिलीलिटर
  5. बादाम तथा पिस्ता बारीक कटे हुए — 25 ग्राम
  6. इलायची — 2
  7. केसर — 1/4 चाय का चम्मच

विधि —

  1. चीनी तथा इलायची के छिलकों को पानी में डालकर उबाल लो ताकि चाश्नी बन जाये।
  2. चाश्नी को पतले कपड़े अथवा बारीक छाननी से छान लो।
  3. थोड़ा-सा गर्म पानी लेकर केसर घोलो।
  4. घी को गर्म करो तथा सूजी को धीमी आग पर भूनो।
  5. जब सूजी हल्की लाल हो जाए तो घी छोड़ दे तो इसमें चाश्नी डाल दो। धीरे-धीरे पकाओ ताकि पानी खुश्क हो जाये।
  6. इलायची, बादाम, पिस्ता तथा किशमिश मिला दो तथा गर्म-गर्म परोसो।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन पकाना

भोजन पकाना PSEB 9th Class Home Science Notes

  • प्रायः शरीर के लिए आवश्यक तत्त्व किसी एक भोजन पदार्थ में नहीं पाये जाते परन्तु अण्डे तथा दूध को सम्पूर्ण भोजन समझा जाता है।
  • भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं —
    भोजन को पकाने योग्य बनाने के लिए स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए, भोजन में विभिन्नता लाने के लिए, कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए, अधिक समय के लिए भोजन सुरक्षित रखने के लिए, पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए।
  • भोजन पकाने के लिए निम्नलिखित मुख्य ढंग हैं —
    सूखे सेंक के साथ पकाना, गीले सेंक अथवा पानी से पकाना, घी अथवा तेल में पकाना।
  • सूखे सेंक से पकाने के तीन ढंग हैं —
    सेंकना, भूनना तथा बेक करना।
  • गीले सेंक अथवा पानी से पकाने के लिए तीन ढंग हैं — उबालना, धीमी च पर थोड़े पानी में पकाना, भाप से पकाना। भाप से पकाने के आगे फिर तीन ढंग हैं — प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, दबाव में भाप से पकाना।
  • घी अथवा तेल में पकाने के तीन ढंग हैं — सूखा भूनना ,तलना, कम घी में तलना, खुले घी में तलना।
  • अधिक समय तक भोजन पकाया जाए तो खुराकी तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 भारतीय ओलंपिक संघ

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 6 भारतीय ओलंपिक संघ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 6 भारतीय ओलंपिक संघ

PSEB 9th Class Physical Education Guide भारतीय ओलंपिक संघ Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
सन् 1925 में।

प्रश्न 2.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के पहले प्रधान कौन बने ?
उत्तर-
श्री दोराव जी टाटा।

प्रश्न 3.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के प्रथम सहायक सचिव कौन थे ?
उत्तर-
श्री जी० डी० सोंधी।

प्रश्न 4.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के पदाधिकारी पाँच वर्ष के बाद चुने जाते हैं। सही अथवा ग़लत ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 5.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन का कोई मुख्य कार्य लिखो।
उत्तर-
भारत में भिन्न-भिन्न खेलों के मुकाबले करवाना और इसके बारे अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी को जानकारी देना है।

प्रश्न 6.
I.O.A. का क्या भाव है ?
उत्तर-
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन।

प्रश्न 7.
I.O.C. का भाव लिखो।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी।

प्रश्न 8.
अपनी मनपसन्द खेल एसोसिएशन का नाम लिखें।
उत्तर-
बास्केटबाल फैडरेशन ऑफ़ इण्डिया।

प्रश्न 9.
किसी दो भारतीय खेल फैडरेशनों के नाम लिखें जो भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन से सम्बन्धित हों।
उत्तर-

  • इण्डियन हॉकी फैडरेशन
  • सर्व भारतीय फुटबाल एसोसिएशन।

प्रश्न 10.
भारतीय ओलम्पिक कमेटी का कोई एक उद्देश्य लिखें।
उत्तर-
ओलम्पिक अन्दोलन व एमेच्योर (Amateur) खेलों की प्रगति करना।

प्रश्न 11.
पहली मॉडल ओलम्पिक खेलें कहां हुई ?
उत्तर-
यह खेलें 1891 में एथेन्स (Greek) में हुईं।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के विषय में विस्तारपूर्वक लिखो।
(Write in detail about Indian Olympic Association.)
उत्तर-
आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आरम्भ 1896 ई० में एथन्ज़ (यूनान) में हुआ। इस काम में बैरन दि कुबर्रिटन ने विशेष भूमिका निभाई। भारत ने सबसे पहले इन खेलों में 1900 ई० में भाग लिया। भारत में ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना 1927 ई० में हुई। इसके संगठन का श्रेय वाई० एम० सी० ए० नामक संस्था को ही जाता है। डॉ० ए० सी० नोहरान तथा एच० सी० बक ने इसकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। श्री दोराव जी० टाटा को भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन का प्रथम अध्यक्षं होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसका सचिव पद डॉ० ए० सी० नोहरान ने सम्भाला जबकि श्री जी० डी० सोंधी इसके प्रथम सहायक सचिव बने। 1927 में यह अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक एसोसिएशन की सदस्य बनी।

भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन, सर्विसिज़, कण्ड्रोल बोर्ड तथा रेलवे स्पोर्टस कण्ट्रोल बोर्ड का संघ है। प्रान्त स्तर पर प्रान्त की सभी खेल एसोसिएशने मिलकर इसे स्थापित करती हैं। इस प्रकार जिला स्तर की सभी एसोसिएशनें इसकी सदस्य हैं। भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन का चुनाव चार वर्षों में एक बार होता है। इस संस्था के निम्नलिखित पदाधिकारी होते हैं

1. अध्यक्ष (एक) 2. उपाध्यक्ष (सात) 3. सचिव (एक) 4. सहायक सचिव (दो) 5. कोषाध्यक्ष (एक) 6. प्रान्तीय ओलम्पिक एसोसिएशनों के 5 सदस्य 7. नौ सदस्य राष्ट्रीय खेल एसोसिएशन, रेलवे स्पोर्टस कण्ट्रोल बोर्ड तथा सर्विसिज़ कण्ट्रोल बोर्ड।
इन सभी सदस्यों का चुनाव 4 वर्ष के लिए किया जाता है। ये 8 वर्ष से अधिक सदस्य नहीं रह सकते।

प्रश्न 2.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के मुख्य उद्देश्य लिखें। (Deseribe the main objectives of Indian Olympic Association.)
उत्तर-
उद्देश्य (Objectives) यह संघ निम्नलिखित उद्देश्यों को सामने रख कर गठित किया गया –

  • ओलम्पिक आन्दोलन व एमेच्योर (Amateur) खेलों की प्राप्ति के लिए।
  • नवयुवकों की शारीरिक, नैतिक व सभ्याचार की शिक्षा को उत्साहित करने व बढ़ाने के लिए ताकि नवयुवक अच्छे व्यक्तित्व वाले स्वस्थ व अच्छे नागरिक बन सकें।
  • अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ के सभी नियम लागू करने के लिए।
  • इस अधिकार को बचाने व लागू करने के लिए संघ ही ओलम्पिक झण्डे के निशान का प्रयोग कर सकता है। यह देखता है कि ये दोनों ओलम्पिक खेलों से ही सम्बन्धित हैं।
  • पूरी तरह एक सरकारी संगठन के तौर पर काम करना व देश के सारे ओलम्पिक खेलों सम्बन्धी विषयों का सारा काम-काज अपने हाथ में लेना।
  • सभी देशवासियों को खेलों के एमेच्योर (Amateur) की कीमत (Value) बारे – अवगत कराना।
  • राष्ट्रीय स्पोर्ट्स संघ व महासंघ में तालमेल के साथ उन सभी भारतीय टीमों व उनके संगठन को नियन्त्रित करना जो टीमें ओलम्पिक खेलों व अन्य खेलों जो कि अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी के तहत होती हैं, में भाग लेती हैं, को नियन्त्रित करना।
  • राष्ट्रीय खेल संघ व महासंघ के तालमेल के साथ नियमों को लागू करना।
  • कला प्रतियोगिता में ऊंचे आदर्शों को बनाए रखना और लोगों में ओलम्पिक खेलों और दूसरी खेलें जो कि अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी की सर्वसम्मति द्वारा की जाती हैं, के लिए रुचि बढ़ाना।
  • ओलम्पिक खेलों और दूसरी खेलें जो कि अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ही सर्वसम्मति द्वारा की जाती हैं, में भारत के भाग लेने सम्बन्धी सारे विषयों पर पूरा नियन्त्रण रखना।
  • जो भारतीय टीमें अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी की सर्वसम्मति के अधीन ही ओलम्पिक खेलों और अन्य खेलों में भाग लेती हैं, उन टीमों का राष्ट्रीय स्पोर्टस फैडरेशन और एसोसिएशनों की सहायता से वित्त प्रबन्ध, आवागमन देख-रेख और कल्याण बारे प्रबन्ध करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबले के लिए यह भारतीय खिलाड़ियों को प्रमाणित करती है कि वे एमेच्योर (Amateur) स्तर के हों। अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबले में ये प्रमाण स्तर ज़रूरी होते हैं।
  • यह भारतीय लोगों में ओलम्पिक खेलों के लिए अधिक शौक बढ़ाती है और इस मन्तव्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में राज्य ओलम्पिक एसोसिएशन और राष्ट्रीय एमेच्योर खेल फैडरेशन बनाती है।
  • यह राष्ट्रीय स्पोर्टस फैडरेशन और भारत सरकार में फैडरेशन की वित्तीय सहायता के लिए काम करती है।
  • यह राज्य की ओलम्पिक एसोसिएशन और राष्ट्रीय एमेच्योर स्पोर्टस फैडरेशन को दाखिल करती है। राज्य की ओलम्पिक एसोसिएशन और राष्ट्रीय एमेच्योर स्पोर्ट्स फैडरेशन अपनी सालाना रिपोर्टों के कार्य की जांच-पड़ताल की सूचना अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक एसोसिएशन को देगी।
  • यदि कोई फैडरेशन कोई गलत काम करके बदनामी लेता है तो उस के विरुद्ध अनुशासन सम्बन्धी कार्यवाही करती है।
  • एमेच्योर स्पोर्ट्स (Amateur Sports) और खेलों की उन्नति सम्बन्धी कोई भी काम करेगी।

प्रश्न 3.
ओलम्पिक चार्ट के बारे में आप क्या जानते हैं ? लिखें। (What do you know about Olympic Chart ?).
उत्तर-
ओलम्पिक चार्ट (Olympic Chart) सभी खेल मुकाबले राष्ट्रीय स्तर पर व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय खेल संघ व भारतीय ओलम्पिक संघ के नियन्त्रण अधीन करवाए जाते हैं। इस में किसी तरह का राजनीतिक, धार्मिक, जाति या रंगभेद का भेदभाव नहीं किया जाता है, लेकिन ओलम्पिक चार्ट में यह वर्णन नहीं किया गया कि अगर राष्ट्रीय खेल संघ व भारतीय ओलम्पिक संघ इस तरह काम करे जिस से खेलों को क्षति पहुंचे या देश के सम्मान को चोट लगे तो क्या सरकार हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं। लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी के सदस्यों ने कई बार अपना यह विचार पेश किया है कि जहां सरकार इन संस्थाओं को ऋण देती है वहां सरकार को यह भी चाहिए कि वह इस बात की जानकारी रखे कि कोष ठीक तरह खर्च किया जा रहा है या नहीं। इन संस्थाओं के कार्यों के बारे में भी सरकार पूछताछ प्राप्त कर सकती है।

जब राष्ट्रीय खेल संघ (N.S.F.) व भारतीय ओलम्पिक संघ (I.0.A.) काम करने में असफल रहे या विरोधी संघ पैदा हो जाए तो अन्तर्राष्ट्रीय संघ देश की सरकार से राय पूछती है।

जब किसी देश में अन्तर्राष्ट्रीय खेल (International Games) हो रही हों जैसे कि एशियाई खेलें, तो उस देश की सरकार की भी बहुत ज़िम्मेदारी होती है।
सरकार संघों को भरपूर सुविधाएं दे ताकि खेलें सफलतापूर्वक करवाई जा सकें। इस तरह अगर राष्ट्रीय खेल संघ (N.S.F.) व भारतीय ओलम्पिक संघ (I.O.A.) अपनी जिम्मेवारी (जैसे कि कार्यों का चयन व उनका प्रशिक्षण इत्यादि) में असफल हो जाए तो सरकार मूक दर्शक (Silent Spectator) नहीं बन सकती। इस को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन संस्थाओं के लिए कुछ लाभदायक संकेत (Guidelines) भी बनाए हैं ताकि ये इनके अनुसार काम करें। लेकिन कितने दुःख की बात है कि इन मार्गदर्शन संकेतों (Guidelines) का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत के मुख्य खेल मुकाबलों पर नोट लिखो। (Write a note on sports competitions in India.)
उत्तर–
प्रत्येक व्यक्ति में मुकाबले की भावना होती है। यही भावना उसे उन्नति के मार्ग पर आगे कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। यही भावना उसे सम्मान पाने में सहायता प्रदान करती है। पुरातन काल में खेल मुकाबले बहुत ही घातक होते थे। खेल में विरोधी खिलाड़ी की जान ले ली जाती थी। परन्तु समय की गति के साथ खेल मुकाबलों में मैत्री भाव ने स्थान ग्रहण कर लिया। आज के युग की मुकाबले की भावना से व्यक्ति के मनोभावों की तृप्ति होती है। इससे व्यक्ति को न केवल अपने कौशल (Skills) की प्राप्ति होती है बल्कि वह इसमें दक्षता भी प्राप्त करता है।

इस प्रकार वह सर्वोत्तम खेल का प्रदर्शन करने में सफल होता है। खेल मुकाबले न केवल मनोरंजन ही प्रदान करते हैं बल्कि ये व्यक्ति को स्वस्थ एवं नीरोग भी बनाते हैं। प्राचीन काल में घुड़सवारी, तीरअन्दाजी, नेज़ा फेंकना तथा मल्ल युद्ध आदि खेलें ही लोकप्रिय थीं और इन्हीं खेलों के मुकाबलों का आयोजन किया जाता था। परन्तु समय की करवटों के साथ भारतीयों के अंग्रेज़ों के सम्पर्क में आने से हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट आदि खेलें इतनी लोकप्रिय हो गई हैं कि इन्हीं खेलों के मुकाबलों का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जाता है।

प्रश्न 5.
सन 1927 में चुनी गई भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और सहायक सचिव कौन थे ?
(Who were the President, Secretary and Assistant Secretary of the Indian Olympic Association selected in 1927 ?)
उत्तर-
भारत में ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना 1927 में ई० में हुई। इस के संगठन का सेहरा बाई० एम ०सी० ए० नामी संस्था के सिर है। डॉ. ए० सी० नोहरान
और एच० सी० बैंक ने इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री दोराव जी टाटा ने भारतीय ओलम्पिक संघ का पहला अध्यक्ष होने का सौभाग्य प्राप्त किया। इस का सचिव पद डॉ० ए० सी० नोहरान ने संभाला जबकि श्री जी० डी० सोंधी इस के पहले सहायक सचिव बने।
(नोट-भारत में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न खेल मुकाबलों के विवरण के लिए अगले प्रश्न देखें।)

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय खेल संघ व प्रदेश खेल संघ के कार्य लिखें।
(Describe the functions of National Sports Federation or State Sports Association.)
उत्तर-
राष्ट्रीय खेल संघ व प्रदेश खेल संघ (National Sports Federation and State Sports Association)-राष्ट्रीय खेल संघ व प्रदेश खेल संघ अपनीअपनी खेलों के साथ अन्तर्राष्ट्रीय महासंघ से जुड़ी (Affiliated) हैं। राष्ट्रीय संघ के अपनी-अपनी खेलों के राज्य स्तर पर भी अंग हैं, जैसे प्रदेश ओलम्पिक संघ इत्यादि। ये प्रदेश में टूर्नामैंट (Tournament) इत्यादि करवाना तय करते हैं।

कार्य (Functions) –

  • मुकाबले करवाना (To conduct competitions)—ज़िला, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर जूनियर व सीनियर स्तर के मुकाबले प्रत्येक वर्ष करवाना।
  • योजनाएं बनाना (Planning)-राष्ट्रीय टीम तैयार करने के लिए एक वर्ष या चार वर्ष की योजनाएं बनाना।
  • सामान का प्रबन्ध करना (To make arrangement for equipment)खेलों का स्तर ऊंचा उठाने के लिए खेलों के सामान व अन्य ज़रूरी समान का प्रबन्ध करना। अगर कोई सामान विदेशों से मंगवाना है तो केन्द्रीय शिक्षा मन्त्रालय (Union Education Ministry) की मदद से भारतीय ओलम्पिक संघ या नेता जी सुभाष चन्द्र खेल राष्ट्रीय संस्थान पटियाला की सहायता से प्राप्त करना।
  • चुनाव करने वालों की उपस्थिति (Attendance of selectors)—यह देखता है कि इनके चुनाव कार्यकर्ता राज्य स्तर व राष्ट्रीय स्तर पर जूनियर व सीनियर के मुकाबलों में हाज़िर रहें। Probabilities की सूची बनाई जाए और उसको प्रदर्शित किया जाए। सम्भावना की सूची बनाना व छपवाना, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सम्भावनाओं का पता लगाना।
  • राष्ट्रीय प्रशिक्षक नियुक्त करना (To appoint national coach) प्रत्येक राष्ट्रीय खेल संघ/महासंघ एक राष्ट्रीय प्रशिक्षक (Natioanl Coach) नियुक्त करेगा।
  • राष्ट्रीय टीम के चयन में मदद (Help in selection of national team)अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए राष्ट्रीय टीम व मुकाबलों के चयन के लिए यह भारतीय ओलम्पिक संघ (I.O.A.) व अखिल भारतीय खेल समिति (A.I.S.C.) की मदद करेगी।
  • खेलों के नियम तय करना (To frame rules of Games)-नेता जी सुभाष चन्द्र राष्ट्रीय खेल संस्थान के सहयोग (Co-operation) से खेलों के नियम बनाती है।
  • अम्पायर व प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (Tranning of Impires and coaches)-यह नेता जी सुभाष खेल संस्थान व भारतीय ओलम्पिक संघ की अम्पायर व प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए मदद करती है।
  • चयनकर्ताओं की सूची तैयार करना (To prepare a list of sciectors)यह शुद्ध योग्यता (Purely merit) के आधार पर चयनकर्ताओं की सूची (Panel of selectors) तैयार करती है।
  • पदाधिकारियों का चुनाव (Selection of officers)-इसके पदाधिकारियों का चुनाव संघ के संविधान के अनुसार होना चाहिए। चुनाव के समय इसे भारतीय ओलम्पिक संघ (I.O.A.) व अखिल भारतीय खेल समिति (A.I.S.C.) के एक-एक निरीक्षक (Observer) भी बुलाने चाहिएं।
  • विवाद का निर्णय करना (To settle dispute) अगर किसी संघ में विवाद पैदा हो जाए तो आई० ए० ओ० या ए० ओ० या ए० आई० एस० एफ० को भेजा जाता है। इनका फैसला मानना ज़रूरी होता है। अगर भारतीय ओलम्पिक संघ (I.O.A.) व राष्ट्रीय खेल संघ (N.S.F.) में कोई विवाद (Dispute) पैदा हो जाए तो उसका निर्णय अखिल भारतीय खेल समिति (A.I.S.C.) करती है।
  • खातों की जांच (Audit of accounts)—यह संघ की ज़िम्मेवारी होती है कि अपने हिसाब-किताब की जांच रिपोर्ट समय पर पेश करे।

प्रश्न 2.
भारतीय ओलम्पिक संघ से जो भिन्न-भिन्न खेल संघ सम्बन्धित हैं, उनके नाम लिखें।
(Write the names of different Associations of India which are affiliated with Indian Olympic Association.)
उत्तर-
अलग-अलग खेलों के सम्बन्ध, संघ (Federations regarding different games or sports)–अलग-अलग खेलों की एसोसिएशनें व संघ इस तरह हैं

  1. भारतीय हॉकी संघ (The Indian Hockey Federation 1925)
  2. अखिल भारतीय फुटबाल संघ (The All Indian Football Federation 1937)
  3. भारतीय तैराकी संघ (The Swimming Federation of India 1940)
  4. एमेच्योर एथलैटिक्स फैडरेशन ऑफ़ इण्डिया (The Amateur Athlelic Federation of India 1944)
  5. भारतीय कुश्ती संघ (The Wrestling Federation of India 1948)
  6. भारतीय वालीबाल संघ (The Volley Ball Federation of India 1951)
  7. भारतीय बास्केट बाल संघ (Basket Ball Federation India 1950)
  8. राष्ट्रीय राइफल संघ (The National Rifle Association 1953)
  9. भारतीय जिम्नास्टिक संघ (The Gymnastic Federation of India 1951)
  10. इण्डियन एमेच्योर बॉक्सिग फैडरेशन (The Indian Amateur Boxing Federation 1951)
  11. राष्ट्रीय साइकिल फैडरेशन (The National Cycle Federation 1938)
  12. भारतीय क्रिकेट नियन्त्रण बोर्ड (Cricket Control Board of India 1926)
  13. भारतीय लॉन टेनिस संघ (The Indian Lawn Tennis Federation 1920)
  14. भारतीय टेबल टेनिस संघ (The Table Tennis Federation of India 1938)
  15. अखिल भारतीय बैडमिंटन संघ (The All India Badminton Association 1934)
  16. हैंडबाल संघ (The Indian Hand ball Association 1969-70)
  17. तीरंदाजी संघ (The Archery Association 1969)
  18. भारतीय कबड्डी संघ (The Kabaddi Federation of India 1951-52)
  19. भारतीय पोलो संघ (The Indian Polo Federation 1935)
  20. भारतीय भारत्तोलक संघ (Indian Weightlifting Federation 1935)
  21. भारतीय बिलियर्डस संघ (The Indian Billiards Association 1910)
  22. भारतीय स्कवैश रैकेट संघ (The Indian Squash Racket Association 1953)

ऊपरलिखित संघ व एसोसिएशनों के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर कुछ अन्य भी खेल संस्थाएं (Game bodies) हैं, जिनका अपना अलग अस्तित्व है।

  1. सर्विस खेल नियन्त्रण बोर्ड (The Service Sports Control Board 1919) इस का 1945 में पुनर्गठन किया गया।
  2. भारतीय स्कूल खेल संघ (School Games Federation of India 1954)
  3. अन्तर्विश्वविद्यालय खेल नियन्त्रण बोर्ड (Inter-Unviersities Sports Control Board)
  4. रेलवे खेल नियन्त्रण बोर्ड (Railway Sports Control Board)
  5. अखिल भारतीय पुलिस खेल परिषद् बोर्ड (All India Police Sports Board 1950)

इसी तरह अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग खेलों के अपने संघ हैं जो कि राष्ट्रीय खेल संघ के साथ जुड़े हैं व प्रदेश ओलम्पिक संघ से भी सम्बन्धित हैं। इनका काम अपने प्रदेश में अन्तर-जिला मुकाबले करवाना, प्रशिक्षण शिविर लगाना व प्रदेशों की टीमों को राष्ट्रीय स्तर पर शामिल करवाना है।

  • भारत में अव्यावसायिक खेल मुकाबलों का आयोजन करना तथा अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी को इसकी पुष्टि करना।
  • भारत में अव्यावसायिक खिलाड़ियों के लिए विशेष खेल प्रबन्ध करना।
  • भारत की ओर से ओलम्पिक झण्डे तथा मोहर का प्रयोग करना, देश में ओलम्पिक मामलों को निपटाना तथा ओलम्पिक चार्टर का पालन करना।
  • भारत के विभिन्न प्रान्तों में प्रान्तीय ओलम्पिक एसोसिएशनों की स्थापना करना तथा इनके खर्चों की निगरानी करना।
  • विभिन्न भारतीय खेल एसोसिएशनों को अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लेने की आज्ञा देना तथा इन मुकाबलों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • प्रति वर्ष अगस्त मास में ओलम्पिक सप्ताह मनाना तथा देशवासियों को इस बारे में जानकारी देना।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर नोट लिखो –
(क) रंगास्वामी कप ( 1980 M)
(ख) आगाखान कप (1984 E)
(ग) मुम्बई स्वर्ण कप (1984 M)
(घ) अखिल भारतीय नेहरू सीनियर हॉकी प्रतियोगिता।
(ङ) अखिल भारतीय नेहरू जूनियर हॉकी प्रतियोगिता।
[Write notes on the following (a) Ranga Swami Cup (National Hockey Championship) (b) Agha Khan Cup (c) Mumbai Gold Cup (d) All India Nehru Senior Hockey Competition (e) All India Nehru Junior Hockey Competition.]
उत्तर-
(क) रंगास्वामी कप राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता (Rangaswami Cup National Hockey Championship) – भारतीय हॉकी एसोसिएशन ने प्रथम राष्ट्रीय मुकाबले 1927 ई० में करवाये। ये मुकाबले राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के नाम से विख्यात हैं। 1935 ई० में मोरिस (Morris) नामक एक न्यूजीलैंड के निवासी ने प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए एक शील्ड भेंट की। 1928-1944 तक यह प्रतियोगिता 2 वर्ष में एक बार करवाई जाती थी। 1946 में पंजाब ने यह प्रतियोगिता जीती थी और असली शील्ड पंजाब हॉकी एसोसिएशन के सचिव बख्शीश अली के पास थी। इसलिए 1947 में देश का विभाजन होने से यह शील्ड पाकिस्तान में ही रह गई क्योंकि शेख साहिब पाकिस्तान में ही रहे।

भारत के विभाजन के पश्चात् चेन्नई के समाचार-पत्र ‘हिन्दू’ तथा ‘स्पोर्टस एण्ड पासटाईम’ के स्वामियों ने अपने सम्पादक श्री रंगास्वामी के नाम पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए एक नया कप दिया। इस कारण अब यह प्रतियोगिता ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से प्रसिद्ध है। 1947 ई० के बाद यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष होने लगी। सबसे पहले इस प्रतियोगिता को उत्तर प्रदेश ने जीता और पंजाब ने इसे जीतने का पहली बार श्रेय 1949 में प्राप्त किया। पहले यह प्रतियोगिता नाक-आऊट स्तर पर करवाई जाती थी परन्तु आजकल यह प्रतियोगिता लीग-कम-नाक-आऊट स्तर पर होती है।

(ख) आगा खान कप (Agha Khan Cup) –
सर आगा खान ने 1896 ई० में पहली बार इस प्रतियोगिता के लिए कप दिया। उन्हीं के नाम से यह प्रतियोगिता आगा खां कप के नाम से प्रसिद्ध हुई। 1912 में चैशायर रेजीमैंट ने इसे पक्की तरह जीत लिया। इस पर सर आगा खान ने एक अन्य कप इस प्रतियोगिता के लिए दिया। आज तक विजेता टीम को यही कप दिया जाता है। इस कप को सर्वप्रथम जीतने का श्रेय मुम्बई ‘जिमखाना’ को प्राप्त हुआ। 1949 में इसे पंजाब पुलिस ने पहली बार जीता। इस प्रतियोगिता का आयोजन आगा खाँ टूर्नामैंट कमेटी करती है। इसमें भारत की प्रसिद्ध टीमें भाग लेती हैं। आजकल यह प्रतियोगिता नाक-आऊट स्तर पर करवाई जाती है।

(ग) मुम्बई स्वर्ण कप (Mumbai Gold Cup) –
मुम्बई प्रान्त ने अपने प्रान्तीय फण्ड में से 10,000 रु० का स्वर्ण कप तैयार करवा कर इस प्रतियोगिता के लिए दिया जो मुम्बई स्वर्ण कप प्रतियोगिता के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस प्रतियोगिता का आयोजन प्रति वर्ष मुम्बई हॉकी एसोसिऐशन द्वारा किया जाता है। सर्वप्रथम इस प्रतियोगिता को मुम्बई की ‘लूसीटेनियन’ नामक क्लब ने जीता। 1958 में इस प्रतियोगिता को पंजाब टीम ‘पंजाब हॉक्स’ ने जीता। यह प्रतियोगिता नाक-कमलीग के आधार पर होती है।

(घ) अखिल भारतीय नेहरू सीनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Senior Hockey Competition)-
1964 में स्व० प्रधान मन्त्री जवाहर लाल नेहरू की पुण्य स्मृति में नई दिल्ली में यह टूर्नामेंट आरम्भ हुआ। उन्हीं के नाम पर इसका नाम नेहरू हॉकी प्रतियोगिता रखा गया। यह प्रतियोगिता नाक-आऊट-कम-लीग के आधार पर होती है। इस प्रतियोगिता में श्रेष्ठ टीमें भाग लेती हैं। सर्व-प्रथम उत्तर प्रदेश ने इसे जीतने का श्रेय प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता के पुरस्कारों का वितरण भारत के राष्ट्रपति करते हैं।

(ङ) अखिल भारतीय नेहरू जूनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Junior Hockey Competition) –
इस प्रतियोगिता का आयोजन प्रतिवर्ष नई दिल्ली में नेहरू हॉकी टूर्नामेंट कमेटी द्वारा किया जाता है। इस प्रतियोगिता में 16 वर्ष की आयु तक के खिलाड़ी भाग लेते हैं। देश के विभिन्न प्रान्तों से टीमें इसमें भाग लेने के लिए आती हैं। भारत सरकार का शिक्षा विभाग श्रेष्ठ खिलाड़ियों को वजीफ़े देता है। यह प्रतियोगिता लीग-कम-नाक-आऊट के आधार पर खेली जाती है। इसका फाइनल मुकाबला स्व० प्रधानमन्त्री नेहरू के जन्म दिन 14 नवम्बर को होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर नोट लिखो
(क) डूरांड कप (ख) रोवर्ज़ कप (1984 E) (ग) सुबरोटो मुकर्जी कप (घ) सन्तोष ट्राफी (ङ) रणजी ट्राफी (च) सी० के० नायडू ट्राफी (1984 E)। [Write notes on the following(a) Durand Cup (b) Rovers cup (c) Subroto Mukerjee Cup (d) Santosh Trophy (e) Ranji Trophy () C.K. Naidu Trophy.]
उत्तर-
(क) डरांड कप (Durand Cup) –
यह कप ब्रिटिश इण्डिया के विदेश सचिव (Foreign Secretary) सर मोर्टीमोर डूरांड ने 1895 में ब्रिटिश सैनिकों के मुकाबलों के लिए दिया। पहले यह टूर्नामैंट शिमला में ‘शिमला टूर्नामैंट’ के नाम से खेला जाता है। 1950 से प्रतियोगिता का आयोजन नई दिल्ली में होने लगा। 1899 ई० में इस कप को ‘ब्लैक वाच रैजिमैंट’ ने स्थायी रूप से जीत लिया। इसके पश्चात् सर मोर्टीमोर ने एक और कप दिया। यह कप आज तक इस प्रतियोगिता की विजेता टीम को दिया जाता है। 1931 में इस प्रतियोगिता में सेना के अतिरिक्त असैनिक (Civil) टीमें भी भाग लेने लगीं। सबसे पहले इस प्रतियोगिता में भाग लेने का सौभाग्य ‘पटियाला टाईगर’ को प्राप्त हुआ। यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष नाकआऊट-कम-लीग स्तर पर करवाई जाती है। इसमें देश-विदेश की उच्चकोटि की टीमें भी लेती हैं।

(ख) रोवर्ज़ कप (Rovers Cup) –
यह फुटबाल मुकाबला रोवर्ज कप टूर्नामैंट कमेटी की ओर से प्रति वर्ष करवाया जाता है। इसमें भारत के विभिन्न भागों से टीमें भाग लेने के लिए आती हैं।

(ग) सुबरोटो मुकर्जी कप (Subroto Mukerjee Cup) –
इसे जूनियर डूरांड मुकाबला कहा जाता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन एयर मार्शल सुबरोटो मुकर्जी की स्मृति में किया गया। इस को डूरांड कमेटी प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित करती है। इसमें 16 वर्ष की आयु तक के खिलाड़ी भाग लेते हैं। इस प्रतियोगिता,में सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को भारत सरकार द्वारा वजीफ़े दिए जाते हैं।

(घ) सन्तोष ट्राफी (Santosh Trophy) –
महाराजा सन्तोष जो कूच बिहार के राजा थे, उनके नाम पर राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिता के लिए एक ट्राफी दी गई , जो सन्तोष ट्राफी के नाम से प्रसिद्ध हो गई है। यह प्रतियोगिता भारतीय फुटबाल एसोसिऐशन द्वारा प्रति वर्ष अपने किसी मैम्बर एसोसिएशन की तरफ से करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता में भारत के भिन्न-भिन्न प्रान्तों की टीमें, रेलवे और सैनिकों की टीमें भाग लेती हैं।
ये मुकाबले नाक-आऊट कम लीग स्तर पर करवाए जाते हैं। बंगाल ने सबसे अधिक बार इस प्रतियोगिता को जीता है और पंजाब ने पहली बार 1970 में जालन्धर में यह ट्राफी जीती।

(ङ) रणजी ट्रा की (Ranji Trophy) –
1934 में सर सिकन्दर हयात खां की अध्यक्षता में क्रिकेट प्रेमियों की शिमला में एक सभा हुई। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट मुकाबले करवाने का प्रस्ताव रखा गया। फलस्वरूप पटियाला के महाराजा सर भूपेन्द्र सिंह ने क्रिकेट के महान् खिलाड़ी रणजीत सिंह के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिता के लिए एक ट्राफी भेंट की। यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है। यह अन्तरप्रान्तीय स्तर पर करवाई जाती है। ये मुकाबले लीग-स्तर पर होते हैं। क्षेत्रीय मुकाबलों में विजेता प्रान्त आगे-नाक-आऊट स्तर पर खेलता है। मुम्बई की टीम ने इस प्रतियोगिता को सबसे अधिक बार अर्थात् 15 बार जीता। इस प्रतियोगिता में प्रान्तों की टीमों के अतिरिक्त रेलवे स्पोर्टस कण्ट्रोल बोर्ड तथा सर्विसिज़ कण्ट्रोल बोर्ड भी भाग लेते हैं।

(च) सी० के० नायडू ट्राफी (C.K. Naidu Trophy) –
इस प्रतियोगिता का आयोजन स्कूल गेम्ज़ फैडरेशन की ओर से प्रति वर्ष किया जाता है। इस ट्राफी का नाम भारत के सुप्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सी० के० नायडू के नाम पर रखा गया है। यह प्रतियोगिता स्कूल के बच्चों के लिए है और नाक-आऊट स्तर पर होती है। जो टीम एक बार हार जाती है उसे टूर्नामेंट से बाहर जाना पड़ता है।

भारतीय ओलंपिक संघ PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन-भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना 1927 ई० में हुई, जिसके प्रथम प्रधान दोराव जी टाटा थे। इसका कार्य अव्यावसायिक खेल प्रतियोगिता का प्रबन्ध करना और भारतीय खेल एसोसिएशनों को आर्थिक सहायता देना है।
  • भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के उद्देश्य-खेलों की प्रगति के लिए कार्य करना, अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक एसोसिएशन के नियमों को लागू करना और अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी के अधीन होने वाली खेलों में भाग लेने वाली टीमों का वित्तीय प्रबन्ध और दूसरी देखभाल करना होता है।
  • भारत में मुख्य खेल प्रतियोगिता-खेल प्रतियोगिता केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं, यह मनुष्य को स्वस्थ और निरोग बनाती है। प्राचीन समय में घुड़सवारी, तीर अंदाजी, नेजा फेंकना और मल्ल युद्ध ही प्रिय खेलें थीं। अब हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट, वॉलीबाल, बॉस्कटवाल खेलें लोकप्रिय हैं।
  • रंगा स्वामी कप-यह प्रतियोगिता राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के नाम से प्रसिद्ध है।
  • ड्ररांग कप-1950 से यह फुटबाल प्रतियोगिता नई दिल्ली में करवाई जाने लगी और प्रतिवर्ष नाक आऊट कम लीग स्तर पर करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता में देश की उच्च स्तरीय टीमें भाग लेती हैं।
  • संतोष ट्राफी-यह प्रतियोगिता भारतीय फुटबाल एसोसिएशन द्वारा प्रतिवर्ष अपने किसी मैंबर एसोसिएशन की तरफ से करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता में भारत की भिन्न प्रान्तों की टीमें, रेलवे और सैनिक टीमें भाग लेती हैं।
  • रणजीत ट्राफी-यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है। यह अन्तर प्रांतीय लीग स्तर पर करवाई जाती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

PSEB 9th Class Home Science Guide गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
घर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
घर वह स्थान है जहां हम अपनी ज़िन्दगी का काफ़ी समय तनाव रहित होकर बिताते हैं।

प्रश्न 2.
गृह-व्यवस्था की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
पी० निक्कल तथा जे० एम० डोरसी के अनुसार, “गृह प्रबन्ध परिवार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के इरादे से परिवार में मिलते साधनों को योजनाबद्ध तथा संगठित करके उसे व्यवहार में लाने का नाम है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 3.
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का उचित प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृहव्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया गया है।

प्रश्न 4.
गृह और व्यवस्था शब्दों से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह से अभिप्राय वह स्थान है जहां परिवार के सभी सदस्य मिलकर रहते हैं। विद्वानों ने गृह की परिभाषा इस प्रकार दी है, “घर एक ऐसी इकाई है जहां कुछ व्यक्ति रहते हैं तथा उनमें कोई आपसी रिश्ता होता है।”

व्यवस्था शब्द से अभिप्राय है कि अपने अनिवार्य उद्देश्यों के लिए इस ढंग से कार्य करना कि हमारे भौतिक साधन अच्छी तरह संगठित तथा आयोजित हो सकें, अच्छी तरह सम्पर्क पैदा करके किसी विचारधारा को क्रियान्वित करके उसका उचित मूल्यांकन कर सकें।

प्रश्न 5.
गृह-व्यवस्था कैसी प्रक्रिया है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था एक मानसिक प्रक्रिया है। यह मानसिक उपज है, दिल की नहीं। इसलिए बड़ी सूझ-बूझ तथा समझदारी की आवश्यकता है। गृह-व्यवस्था जीवन व्यतीत करने की कला है तथा इसका मुख्य उद्देश्य पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति करना है।

आज के युग में साधन काफ़ी बढ़ गये हैं तथा मानवीय आवश्यकताओं के साथ उद्देश्य भी बढ़ गये हैं। इन उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानवीय साधनों जैसे-ज्ञान, शक्ति आदि तथा भौतिक साधनों जैसे-समय, धन, वस्तु, जायदाद आदि का प्रयोग बड़ी सावधानी से किया जाता है।

प्रश्न 6.
गृह-व्यवस्था के क्षेत्र से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था का क्षेत्र काफ़ी विशाल है। इसमें घर बनाने से लेकर परिवार के सदस्यों की अन्तिम समय की सभी क्रियाएं शामिल हैं। इसके क्षेत्र में अच्छा जीवन व्यतीत करने के सिद्धान्त, जीवन स्तर ऊंचा उठाने, परिवार की ज़रूरतों की पूर्ति करने, परिवार के सदस्यों की शिक्षा का प्रबन्ध, घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल करना आदि सभी कुछ गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में आते हैं।

प्रश्न 7.
समय के सदुपयोग से घर को खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर-
जब घर का सारा कार्य समय का सही प्रयोग करके योजनाबद्ध तरीके से किया जाये तो घर में खुशी की वृद्धि होती है। घर का काम-काज निश्चित समय सारणी अनुसार करके तथा घर के सभी सदस्य अपनी क्षमता अनुसार सौंपा कार्य ठीक समय पर करें तो घर में खुशी का वातावरण पैदा होता है तथा घर समृद्ध बनता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 8.
गृह-व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? गृह-व्यवस्था ही गृह विज्ञान का आधार है, कैसे ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था पारिवारिक ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित है। समय के प्रयोग, पैसे के प्रयोग, खाने, शक्ति, श्रम तथा ज़िन्दगी की ज़रूरतों तथा उद्देश्यों से गृहव्यवस्था का सम्बन्ध है। , .
पी० निक्कल तथा जे० डोरसी के अनुसार, “गृह-व्यवस्था परिवार के साधनों का प्रयोग करके किया गया आयोजन, संगठन तथा मूल्यांकन है जिस द्वारा परिवार के उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है।”
ग्रास तथा करंडल के अनुसार, “गृह-व्यवस्था निर्णय करने सम्बन्धी क्रियाओं की वह शाखा है जिसमें परिवार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार के साधनों को प्रयोग किया जाता है।”

गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे-अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का सही प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

प्रश्न 9.
आधुनिक जीवन में गृह-व्यवस्था का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था घर में रहने वाले सदस्यों के जीवन को सुखी, समृद्ध तथा उन्नत बनाने में सहायक होती है।

  • परिवारकी जरूरतों की पूर्ति-सभी सदस्यों की कुछ ज़रूरतें होती हैं जिनकी पूर्ति का आधार घर की आय होती है। घर की आय को बढ़ाने के लिए कुछ लघु उद्योग आरम्भ किये जा सकते हैं।
  • पारिवारिक स्तर को ऊंचा उठाना-सुचारु ढंग से घर का प्रबन्ध करके अपने सीमित साधनों द्वारा कुशल गृहिणी पारिवारिक स्तर को ऊंचा उठा सकती है।
  • बच्चों की सम्भाल तथा शिक्षा-बच्चों की सम्भाल तथा शिक्षा में भी गृह प्रबन्ध का विशेष महत्त्व है। बच्चे को अच्छी विद्या, पौष्टिक भोजन तथा अच्छे-से-अच्छे ढंग से बच्चे का पालन-पोषण गृह-व्यवस्था से ही हो सकता है।
  • व्यक्तित्व का विकास-बढ़िया गृह प्रबन्ध से ही बच्चे के व्यक्तित्व का सही विकास हो सकता है। जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं उन सभी को अपने घर से ही यह नियामत प्राप्त हुई है।
  • घरेलू कार्य को वैज्ञानिक ढंग से करना-आज का युग मशीनी युग है तथा पारिवारिक आवश्यकताओं तथा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति तथा समय दोनों की ज़रूरत है। घर के कार्य में मशीनों तथा अन्य नई खोजों का प्रयोग करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।
  • समय का ठीक उपयोग- यदि घर के कार्य एक नियत की हुई समय सारणी के अनुसार किये जाएं तो समय की काफ़ी बचत हो जाती है तथा कार्य भी जल्दी पूरे हो जाते है।
  • मानसिक सन्तुष्टि-अच्छी गह-व्यवस्था से घर के उद्देश्यों की पूर्ति आसानी से हो जाती है तथा घर के सदस्यों की शारीरिक तथा मानसिक सेहत ठीक रहती है। इस तरह एक मानसिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
  • सेहत सम्भाल-घर का प्रबन्ध ठीक तथा सुचारु ढंग से चलाकर पौष्टिक भोजन तथा ठीक पालन-पोषण से घर के सदस्यों की सेहत ठीक रहती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. ज्ञान ……………… साधन है।
  2. गृह व्यवस्था एक …………………. प्रक्रिया है।
  3. सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति का आधार घर की ………………. होती है।
  4. …………………. परिवार में पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं।

उत्तर-

  1. मानवीय,
  2. मानसिक,
  3. आय,
  4. इकाई।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ऐसा परिवार जिसमें माता-पिता तथा अन्य रिश्तेदार मिलकर रहते हैं, को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त परिवार।

प्रश्न 2.
पैसा कैसा साधन है ?
उत्तर-
भौतिक।

प्रश्न 3.
शक्ति, रुचियां कैसा साधन है ?
उत्तर-
मानवीय।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. गृह व्यवस्था से भाव है घर के सभी कार्यों को अच्छी प्रकार से पूरा करके परिवार को खुशहाल बनाना।
  2. पैसा मानवीय साधन है।
  3. सुविधाएं, जायदाद भौतिक साधन हैं।
  4. इकाई परिवार में पति-पत्नी तथा बच्चे होते हैं।
  5. गृह निर्माता का कर्तव्य प्रायः गृहिणी को ही निभाना पड़ता है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानवीय साधन नहीं है –
(A) पैसा
(B) ज्ञान
(C) शक्ति
(D) रुचि।
उत्तर-
(A) पैसा

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प्रश्न 2.
भौतिक साधन हैं –
(A) पैसा
(B) जायदाद
(C) सामान
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
निम्न में ठीक है –
(A) गृह व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है
(B) मानवीय तथा भौतिक साधनों का प्रयोग करके पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है
(C) कुशलता मानवीय साधन हैं।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानवीय तथा भौतिक साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
मानवीय साधन हैं-ज्ञान, शक्ति, रुचियां, योग्यताएं आदि। भौतिक साधन हैं-समय, पैसा, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 2.
संयुक्त तथा इकाई परिवार क्या होते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त परिवार-इनमें मां-बाप तथा अन्य रिश्तेदार रहते हैं। घर की आय साझी होती है तथा खर्च भी साझा होता है तथा साझे खाते में से ही किया जाता है।
इकाई परिवार- इसमें केवल पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं। इस तरह सारे परिवार की ज़िम्मेवारी पति-पत्नी पर होती है।

प्रश्न 3.
गृह-व्यवस्था में गृहिणी का क्या योगदान होता है ?
उत्तर-
आज के युग में इकाई परिवारों का चलन बढ़ रहा है तथा गृहिणी के सिर पर घर सम्भालने की ज़िम्मेवारी होती है। वही गृह निर्माता है। बच्चों की सही देख-रेख, स्वास्थ्य का ध्यान, परिवार की आय तथा खर्च, समय की बचत, शक्ति की बचत आदि इन सभी बातों की ओर ध्यान देकर गृह-व्यवस्था करके एक समझदार गृहिणी घर को समृद्ध बना सकती है।

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प्रश्न 4.
घर तथा मकान में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
मकान एक इमारत होती है जो ईंटों, गारे, सीमेंट आदि से बनी होती है। जब एक परिवार इस इमारत में बसेरा कर लेता है तो यह मकान घर बन जाता है। घर आशाओं, उमंगों, भावनाओं तथा प्यार से भरा होता है।

गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मकान ईंटों, पत्थरों तथा सीमेंट से बनी इमारत है। जब इसमें परिवार के सभी सदस्य मिलकर रहते हैं तथा साझे उद्देश्यों के लिए एकजुट होकर कार्य करते हैं तो यह मकान घर बन जाता है।
  • व्यवस्था से अभिप्राय है घर के सब कार्यों को सही तथा उचित ढंग से पूरा करके परिवार को समृद्ध बनाना।
  • गृह – व्यवस्था एक मानसिक प्रक्रिया है । इसके लिये बड़ी सूझ-बूझ तथा समझदारी की आवश्यकता है।
  • गृह – व्यवस्था द्वारा परिवार के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आयोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन किया जाता है।
  • मानवीय साधन हैं – ज्ञान, शक्ति, योग्यताएं, रुचियां आदि।
  • भौतिक साधन हैं – पैसा, सामान, सुविधाएं, जायदाद, समय आदि।
  • मानवीय और भौतिक साधनों का प्रयोग करके पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है।
  • अच्छे घर का गृह-निर्माता अपने कार्यशील व्यक्तित्व से पारिवारिक उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होता है।
  • संयुक्त परिवार में माता-पिता, बच्चे तथा अन्य रिश्तेदार मिलकर रहते हैं।
  • आज के युग में संयुक्त परिवार का स्थान इकाई परिवारों ने ले लिया है जिसमें पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं।
  • गृह-निर्माता का कर्त्तव्य साधारणत: घर की गृहिणी को ही निभाना पड़ता है।
  • परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने का आधार घर की आय है। आय बढ़ाने के लिए कोई लघु उद्योग आरम्भ किया जा सकता है अथवा गृहिणी घर से बाहर जाकर नौकरी भी कर सकती है।
  • पारिवारिक स्तर ऊंचा उठाना, परिवार का जीवन रसदायक तथा आनन्दमय बनाना, व्यक्तित्व का विकास, बच्चों की देख-रेख तथा शिक्षा, घरेलू कार्य को अधिक वैज्ञानिक ढंग से करने की आदत, मानसिक संतोष, समय का सदुपयोग, घर को समृद्ध बनाना, सेहत सम्भाल आदि में गृह-व्यवस्था का विशेष महत्त्व है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 5 1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 5 1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति

PSEB 9th Class Physical Education Guide 1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या देश के विभाजन ने पंजाब में खेलों के विकास को प्रभावित किया था ?
उत्तर-
हां, किया था।

प्रश्न 2.
पंजाब में ओलिम्पिक एसोसिएशन की पुनः स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1948 में।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो संस्थाओं के नाम लिखो जिन का खेलों की प्रगति में योगदान हो।
उत्तर-

  1. पंजाब पुलिस
  2. सीमा सुरक्षा बल।

प्रश्न 4.
क्या पंचायती राज खेल परिषद् लड़कियों के फुटबाल मुकाबले करवाती है अथवा नहीं ?
उत्तर-
नहीं करवाती।

प्रश्न 5.
रस्सा-कशी (Tug of War) के मुकाबले दोनों लड़के और लड़कियों के लिए करवाए जाते हैं। सही अथवा ग़लत ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 6.
क्या लीडर इंजीनियरिंग वर्क्स, जालन्धर खेलों की प्रगति में योगदान दे रहा है अथवा नहीं ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 7.
पंजाब शिक्षा विभाग स्कूलों में खेलों की प्रगति की कौन देखभाल करता है ?
उत्तर-
डी० पी० आई० स्कूल्ज़।

प्रश्न 8.
पंजाब शिक्षा विभाग कॉलिजों में खेलों की देखभाल कौन करता है ?
उत्तर-
डी० पी० आई० कॉलिजिज़।

प्रश्न 9.
क्या पंजाब स्पोर्ट्स विभाग का खेलों में योगदान है ?
उत्तर-
हां, पंजाब स्पोर्ट्स विभाग का योगदान है।

प्रश्न 10.
लड़कियों के लिए पंचायती राजखेल परिषद् कौन-कौन सी प्रतियोगिताएं करवाती है ?
उत्तर-

  • कबड्डी
  • हॉकी
  • खो-खो
  • रस्सा-कशी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
देश के विभाजन ने पंजाब में किस प्रकार खेलों के विकास को प्रभावित किया ?
(Describe the effects of Partition of India on the sports development of Punjab.)
उत्तर-
15 अगस्त, 1947 को भारत अंग्रेजों से मुक्त हुआ। परन्तु इसके साथ ही देश का भारत तथा पाकिस्तान नामक दो देशों में विभाजन हो गया। इस विभाजन ने पंजाब की खेलों के विकास पर गहरी चोट मारी। खेलों के अच्छे-अच्छे मैदान तथा खेलों का सामान बनाने वाला नगर स्यालकोट पाकिस्तान में चला गया। खेल एसोसिएशनें टूट गईं। इस प्रकार पंजाब खेलों के क्षेत्र में शरणार्थी बन गया।

प्रश्न 2.
पंजाब में ओलम्पिक एसोसिएशन की पुनः स्थापना किस प्रकार हुई ? (How did the Punjab Olympic Association come into existence ?)
उत्तर-
भारत के विभाजन रूपी तूफान ने पंजाब के खेलों के विकास को अपनी लपेट में ले लिया। इस तूफान के गुजर जाने के पश्चात् पंजाब के खेल प्रेमियों ने अपना होश सम्भाला। उन्होंने 1948 ई० में शिमला में एक सभा बुलाई। इसके साथ ही पंजाब ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना हुई। इस संस्था के प्रधान श्री जी० डी० सोंधी नियुक्त हुए।

प्रश्न 3.
कौन-सी संस्थाओं ने खेलों की प्रगति में योगदान दिया है ?
(Name the various organisations which promotes sports in our state.)
उत्तर-
निम्नलिखित संस्थाओं ने खेलों की प्रगति में योगदान दिया है—

  • पंजाब पुलिस।
  • सीमा सुरक्षा बल।
  • लीडर इंजीनियरिंग वर्क्स, जालन्धर।
  • जगतजीत कॉटन एवं टैक्सटाइल्ज़ मिल्ज़ फगवाड़ा।
  • पंजाब राज्य बिजली बोर्ड।
  • पैप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन।

प्रश्न 4.
पंचायती राज खेल परिषद कौन-से खेल मकाबले करवाती है ?
(Mention the various sports competitions which are organized by the Panchayati Raj Khel Parishad.)
उत्तर-
पंचायती राज खेल परिषद निम्नलिखित खेल मुकाबले करवाती हैलड़कों के लिए –

  1. फुटबाल
  2. हॉकी
  3. कबड्डी
  4. वालीबाल
  5. रस्साकशी
  6. एथलेटिक्स
  7. भार उठाना
  8. कुश्ती
  9. जिम्नास्टिक।

लड़कियों के लिए –

  • कबड्डी
  • खो-खो
  • हॉकी आदि।

प्रश्न 5.
पंजाब के खेल विकास में पंजाब स्पोर्ट्स विभाग का क्या स्थान है ? पंजाब स्पोर्ट्स विभाग के योगदान पर प्रकाश डालो।
(The Punjab Sports Department has a special place in the promotion of Games and Sports. Do you agree with the statement ?)
अथवा
पंजाब स्पोर्ट्स विभाग के योगदान का वर्णन करें। (Discuss the contribution of Punjab Sports Department.)
उत्तर-
पंजाब खेल विभाग (Punjab Sports Department) पंजाब सरकार ने . प्रान्त में खेलों की प्रगति के लिए 1961 में पंजाब खेल विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने प्रान्त के प्रत्येक जिले में जिला स्पोर्ट्स विभाग खोला है। इसके प्रबन्ध का उत्तरदायित्व जिला स्पोर्ट्स अधिकारी को सौंपा गया है। प्रत्येक जिले को तहसील तथा तहसील को आगे उप-केन्द्रों (Sub-centres) में बांटा गया है। इन उप-केन्द्रों में विभिन्न खेलों के विकास के लिए तथा प्रशिक्षण के लिए कुशल कोचों की व्यवस्था की गई है।

खिलाड़ियों की सुविधा के लिए विभिन्न स्थानों पर स्पोर्ट्स होस्टल खोले गए हैं। इन होस्टलों में रहने वाले विद्याथियों के लिए सामान, फ़ीस तथा खान-पान का प्रबन्ध स्पोटर्स विभाग द्वारा किया जाता है। अच्छे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए और उनको उत्तम खेल के लिए प्रेरित करने के लिए वार्षिक वज़ीफे दिए जाते हैं। इतना ही नहीं पंजाब स्पोटर्स विभाग प्रति वर्ष राज्य स्तर पर सभी खेलों के मुकाबले का आयोजन करता है। ये मुकाबले ‘मैन स्पोर्टस फैस्टीक्ल’ तथा ‘विमैन स्पोर्ट्स फैस्टीवल’ के नाम से जाने जाते हैं। विभाग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को सम्मान-पत्र तथा वजीफे देता है। यह विभाग प्रति वर्ष अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह हॉकी टूर्नामैंट का आयोजन करता है। पंजाब स्पोर्ट्स विभाग पेशावर कॉलेजों (Professional Colleges) में विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित सीटों के लिए ग्रेडेशन करता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति के विषय में विवरण दो। (Describe the development of sports in Punjab since 1947.)
उत्तर-
15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ। अंग्रेज़ लगभग 200 साल तक शासन करने के पश्चात् भारत छोड़ कर तो चले गए परन्तु जाते-जाते इसका विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण भी कर गए। इस विभाजन ने पंजाब की खेलों को बुरी तरह आघात पहुंचाया। खेलों के अच्छे-अच्छे मैदान पाकिस्तान में चले गए। पंजाब सरकार तथा लोगों की तरह पंजाब खेलों के क्षेत्र में बहुत ही पिछड़ गया। पंजाब अच्छे क्रीड़ा-क्षेत्रों से वंचित हो गया। खेलों के सामान का उत्पादन करने वाला शहर स्यालकोट (Sialkot) भी पाकिस्तान में चला गया। खेल एसोसिएशनें टूट गईं। संक्षेप में विभाजन रूपी तूफान से सम्पूर्ण वातावरण ही इस प्रकार का बन गया कि पंजाब में खेलों की स्थिति, अत्यन्त शोचनीय हो गई।

विभाजन रूपी तूफान के गुज़र जाने के बाद पंजाब के क्रीडा-प्रेमियों ने होश सम्भाला और उन्होंने पंजाब में खेलों का जीवन दान देने का निश्चय किया। परिणामतः 1948 में उन्होंने शिमला (Shimla) में एक सभा का आयोजन किया और इसी वर्ष पंजाब ओलम्पिक एसोसिएशन (Punjab Olympic Association) की पुनर्स्थापना हुई। इस संस्था के प्रथम प्रधान श्री जी० डी० सोंधी (G. D. Sondhi) तथा सचिव श्री एफ० सी० अरोड़ा (E.C. Arora) चुने गए। जल्द ही इस संस्था ने अपना कार्य शुरू कर दिया। 1948 और 1951 में हॉकी तथा वालीबाल एसोशिएशनें अस्तित्व में आईं। तत्पश्चात् धीरे-धीरे बास्केटबाल, कबड्डी, बॉक्सिग, साइकलिंग एसोसिएशनें स्थापित हुईं। विभिन्न प्रान्तों की एसोसिएशनों की स्थापना के बाद खेलों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए पहले जिला स्तर और फिर प्रान्तीय स्तर पर मुकाबलों का आयोजन किया गया।

1948 ई० के पश्चात् पंजाब हॉकी और वालीबाल एसोसिएशन ने पाकिस्तान और अन्य देशों से टीमों को मुकाबलों के लिए आमन्त्रित किया। इसके अतिरिक्त खेलों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अखिल भारतीय स्तर (All India Level) पर टूर्नामैंटों का आयोजन किया गया। इनमें से महाराजा रणजीत सिंह टूर्नामैंट, अमृतसर, मेजर भूपेन्दर सिंह टूर्नामेंट लुधियाना, शहीद करनैल सिंह मैमोरियल टूर्नामैंट, के नाम उल्लेखनीय हैं। 1957 में पंजाब में प्रथम बार राज्य स्तर पर ओलम्पिक एसोसिएशन ने खेल मुकाबलों का आयोजन किया।

पंजाब सरकार ने भी राज्यों में खेलों के स्तर को उन्नत करने के लिए विशेष रुचि ली है। यह राज्य की यूनिवर्सिटियों को खेल का मैदान, जिमनेज़ियम, स्विमिंग-पूल आदि के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता देती है। पंजाब में खेलों के विकास के लिए पंजाब पुलिस, बी० एस० एफ०, लीडर इंजीनीयरिंग वर्क्स जालन्धर, जगतजीत कॉटन एण्ड टैक्सटाइल्ज़ मिल्ज़, फगवाड़ा आदि ने विशेष योगदान दिया है। इनकी टीमों ने भारतीय ड्यूरांड कप दिल्ली, मुम्बई स्वर्ण कप, मुम्बई नेहरू हॉकी प्रतियोगिता, दिल्ली जैसे महत्त्वपूर्ण टूर्नामैंटों में शानदार सफलता प्राप्त की।

पंजाब सरकार ने खेलों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए तथा अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए गवर्नमैंट कॉलेज ऑफ़ फ़िजीकल एजूकेशन की स्थापना पटियाला में की है। इतनी ही नहीं पंजाब सरकार ने शारीरिक शिक्षा के विषय को अन्य विषयों की भान्ति अनिवार्य घोषित कर दिया है। इस प्रकार पंजाब सरकार की खेलों में विशेष रुचि लेने के कारण पंजाब खेलों के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति कर रहा है। पंजाब ने देश को ऐसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी एवं महान् प्रबन्धक प्रदान किये हैं जिन्होंने अपने सर्वोत्तम खेल से पंजाब के ही नहीं बल्कि भारत के नाम को चार चांद लगा दिए हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब शिक्षा विभाग ने खेलों की प्रगति में क्या योगदान दिया है ?
(Describe the contribution of the Punjab Education Department in the promotion of sports.)
उत्तर-
पंजाब शिक्षा विभाग ने खेलों की प्रगति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

  • पंजाब सरकार ने खेलों को उन्नत करने के लिए डी० पी० आई० (स्कूल्ज़) तथा डी० पी० आई० (कॉलेजों) की निगरानी में एक विशेष विभाग की स्थापना की है। यह विभाग स्कूलों तथा कॉलेजों में खेलों का स्तर उन्नत करने के लिए पूरा प्रयत्न कर रहा है।
  • खेलों के विकास के लिए पंजाब शिक्षा विभाग ने 1961 में जालन्धर में स्टेट स्कूल ऑफ़ स्पोर्ट्स तथा स्टेट कॉलेज ऑफ़ स्पोर्ट्स स्थापित किए हैं। इन संस्थाओं में प्रसिद्ध खिलाड़ी प्रवेश पा कर पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। इन संस्थाओं में विद्या प्राप्त करने वाले लड़कों तथा लड़कियों के लिए भोजन, निवास तथा फ़ीस आदि का प्रबन्ध पंजाब शिक्षा विभाग करता है।
  • पंजाब शिक्षा विभाग ने प्रत्येक जिले में खेलों की देखभाल का उत्तरदायित्व जिला शिक्षा अधिकारियों को सौंप रखा है। प्रत्येक जिले में जोन (Zone) तथा ज़िले (District) स्तर पर मुकाबलों का प्रबन्ध किया जाता है। शिक्षा विभाग कुछ मुकाबले ग्रीष्म ऋतु में और कुछ मुकाबले सर्दी की ऋतु में करवाता है।
  • पंजाब शिक्षा विभाग ने खेलों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए विभिन्न आयु के बच्चों के लिए खेल मुकाबलों का आयोजन किया है। अब प्राइमरी, मिनी तथा जूनियर स्तर पर मुकाबले करवाए जाते हैं।
  • शिक्षा विभाग ने पटियाला, जालन्धर तथा फिरोज़पुर में सर्विस ट्रेनिंग सैंटर खोले हैं। यहां शारीरिक शिक्षा तथा खेलों में आई नवीन प्रवृत्तियों की जानकारी प्रदान की जाती है।
  • पंजाब शिक्षा विभाग ने अन्य विषयों की भान्ति शारीरिक शिक्षा को स्कूलों तथा कॉलेजों में लागू किया है।
  • शिक्षा विभाग प्रति वर्ष गर्मी की छुट्टियों में उभरते हुए नवयुवक खिलाड़ियों को उच्च स्तर के प्रशिक्षण के लिए प्रबन्ध करता है।
  • शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों तथा कालेजों को खेलों में उच्च-स्तर से प्रशिक्षण के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इससे खेल के मैदान बनाए जाते हैं और खेल का सामान खरीदा जाता है।
  • पंजाब शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शारीरिक योग्यता लहर के लिए मुकाबलों का आयोजन करता है।
  • इस विभाग ने राज्य के विभिन्न कॉलेजों, इंजीनियरिंग तथा मैडकिल कॉलेजों के श्रेष्ठ खिलाड़ियों के लिए स्थान सुरक्षित रखे हैं। इससे उच्च-स्तर के खिलाड़ियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
    इस प्रकार पंजाब शिक्षा विभाग खेलों की प्रगति के लिए विशेष भूमिका निभा रहा है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का खेल प्रगति में योगदान पर नोट लिखो
(क) पंजाब राज्य के विश्वविद्यालय
(ख) पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल
(ग) पंचायती राज्य खेल परिषद्
(घ) पंजाब ओलिम्पक एसोसिएशन
(ङ) पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड।
[Write the contribution of the following in the field of sports (A) The Universities of Punjab State (B) The Punjab State Council of Sports (C) The Panchayati Raj Khel Parishad (D) The Punjab Olympic Association (E) The Punjab School Education Board.]
उत्तर-
(क)पंजाब राज्य के विश्वविद्यालय
(Punjab State Universities) जब भारत का विभाजन हुआ तब पंजाब में एक ही विश्वविद्यालय पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर में था। 1947 के विभाजन के पश्चात् विश्वविद्यालय पहले सोलन (हिमाचल प्रदेश) और बाद में यह विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में स्थापित हो गया। इस समय पंजाब में चार विश्वविद्यालय हैं- पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़; पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला; पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना तथा गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर। इनमें से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के साथ केवल कृषि के ही कॉलेज हैं, जबकि पंजाब के अन्य कॉलेज बाकी के तीन विश्वविद्यालयों के साथ संलग्न हैं।

सभी विश्वविद्यालयों में खेलों के लिए एक डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। डायरेक्टर विश्वविद्यालय के साथ संलग्न कॉलेजों में खेल मुकाबलों का आयोजन करता है। इसके पश्चात् वह अन्तर-विश्वविद्यालय मुकाबलों के लिए अच्छी प्रकार से प्रशिक्षित लड़कों और लडकियों की टीमें भेजता है। प्रत्येक विश्वविद्यालय में खेलों के प्रबन्धकीय विभाग बनाए गए हैं। इनका काम विश्वविद्यालय में खेल के मैदान खेल के सामान तथा खेल के मुकाबलों की व्यवस्था करना है। कृषि विश्वविद्यालय को छोड़कर अन्य विश्वविद्यालयों में बाकी विषयों की भान्ति शारीरिक शिक्षा का विषय पढ़ाया जाता है और इस विषय में परीक्षाएं भी ली जाती हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय के हर विभाग में अच्छे खिलाड़ियों के लिए सीटें सुरिक्षत रखी जाती हैं। इससे खिलाड़ियों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके इंजीनियर, डॉक्टर तथा वैज्ञानिक बनने का अवसर मिलता है।

सभी विश्वविद्यालयों में खेलों की प्रगति के लिए खेल के मैदानों, स्विमिंग पूलों, स्टेडियमों, जिमनेज़ियमों की व्यवस्था की गई है। पंजाब विश्वविद्यालय तथा गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में विशेष विभाग खोले गए हैं जहां शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि विश्वविद्यालय विभिन्न क्षेत्रो में श्रेष्ठ खिलाड़ी पैदा करने में प्रशंसनीय भूमिका निभा रहे हैं।

(ख) पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल (Punjab State Sports Council)-
पंजाब सरकार ने 1961 में खेलों की प्रगति के लिए संस्था की स्थापना की जिसे पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल का नाम दिया गया। इस कौंसिल का प्रमुख काम प्रान्त के युवकों और युवितयों में खेल भावना का संचार करना है। राज्य में बढ़िया खेल का सामान, जिमनेज़ियम, स्टेडियम, स्विमिंग पूल आदि बनाने का उत्तरदायित्व इस संस्था के ज़िम्मे है। इस काम के लिए पंजाब सरकार तथा भारत सरकार हर साल वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल ने प्रत्येक जिले में जिला स्पोर्ट्स कौंसिल (District Sports Council) स्थापित की है। यह कौंसिल ज़िले के डिप्टी कमिश्नर के अधीन काम करती है। इसके सचिव के रूप में जिला स्पोर्ट्स अधिकारी काम करता है। पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल का अध्यक्ष राज्य का मुख्यमन्त्री होता है तथा राज्य का डायरेक्टर स्पोर्ट्स इसका सचिव होता है। यह कौंसिल खेलों की प्रगति के लिए विशेष प्रयत्न करती है।

यह कौंसिल प्रसिद्ध खिलाड़ियों को, जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की हो, ‘महाराजा रणजीत सिंह एवार्ड’ से सम्मानित करती है। यह पुराने और रिटायर्ड वृद्ध खिलाड़ियों को जिन्होंने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लिया है, पेन्शनें देती है। यह कौंसिल राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लेने वाली टीमों का सारा खर्च सहन करती है। इसके अतिरिक्त यह कौंसिल अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लेने वाले पंजाबी खिलाडियों को विदेशों में जाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की है।

(ग) पंचायती राज खेल परिषद् (Panchayati Raj Sports Council) –
पंजाब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों की प्रगति के लिए 1967 में पंचायती राज खेल परिषद् की स्थापना की। इस परिषद् ने ग्रामीण नवयुवकों में खेल भावना तथा खेल मुकाबलों में रुचि तथा भ्रातृत्व के गुणों का संचार करने के विशेष प्रयत्न किए। इस परिषद् ने सभी जिलों में पंचायत समितियों की स्थापना की है जो अपने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबलों का आयोजन करती है। प्रत्येक पंचायत समिति इन मुकाबलों के लिए 250 रु० ज़िला समितियों को देती है। पंचायती राज खेल परिषद् लड़कों के लिए फुटबाल, हॉकी, कबड्डी, वालीबाल, रस्साकशी, एथ्लैटिक्स, भार उठाने, जिमनास्टिक तथा लड़कियों के लिए कबड्डी, खो-खो, हॉकी आदि खेलों के मुकाबलों का आयोजन करती है।

(घ) पंजाब ओलम्पिक एसोसिएशन (Punjab Olympic Association) –
पंजाब ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना देश के विभाजन से पूर्व 1942 में श्री जी० डी० सोंधी के प्रयत्नों के फलस्लरूप हुई थी। परन्तु 1947 में देश के विभाजन के साथ ही इस संस्था का अस्तित्व मिट गया। 1948 में श्री जी० डी० सोंधी के यत्नों से पंजाब के खेल प्रेमियों की शिमला में एक सभा हुई जिसके फलस्वरूप पंजाब ओलम्पिक एसोसिएशन का पुनर्गठन हुआ। पंजाब की सभी खेल एसोसिएशनें भी इस संस्था की सदस्य बनीं।

इस संस्था का मुख्य काम न केवल विभिन्न खेल एसोसिएशनों के कार्य की देखरेख करना है, बल्कि इसके वित्तीय व्यय पर भी नज़र रखना है। यह समय-समय पर प्रान्तीय एसोसिएशनों को खेल की प्रगति के लिए सुझाव देती है और उनके परस्पर विवादों का निपटारा करती है। यह वर्ष में एक बार ओलम्पिक दिवस मनाती है और ओलिम्पिक लहर के विषय में जानकारी प्रदान करती है।

ओलम्पिक नियमों का पालन करवाना तथा खेल मुकाबलों में पेशेवर खिलाडियों (Professional Players) को भाग लेने से रोकना इस संस्था की ज़िम्मेवारी है। इसके अतिरिक्त यह संस्था साल में एक बार प्रान्तीय स्तर पर खेल मुकाबलों का आयोजन करती है।

(ङ) पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड – (Punjab School Education Board) –
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की स्थापना पंजाब विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के अधिक बोझ को कम करने के लिए, परीक्षाओं को अच्छी तरह से आयोजित करने तथा शीघ्र परिणाम निकालने के लिए की गई। इस बोर्ड का काम स्कूलों की विभिन्न श्रेणियों के लिए पाठ्यक्रम तथा पुस्तकें तैयार करना है।

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने एक प्रशंसनीय काम किया है। वह यह कि अन्य विषयों की भान्ति शारीरिक शिक्षा को भी विद्यार्थियों को पढ़ाने का विषय बनाया और इस विषय पर परीक्षाएं भी ली जाती हैं। पंजाब शिक्षा बोर्ड हॉकी की खेल को विशेष रूप से उन्नत करने के लिए मुकाबलों का आयोजन करता है। यह प्राइमरी स्तर पर खेलों की प्रगति के लिए ब्लॉक स्तर पर स्कूल के बच्चों के लिए खेल मुकाबले आयोजित करता है।

1947 के पश्चात् पंजाब में खेलों की प्रगति PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • देश के विभाजन का खेलों पर प्रभाव-पंजाब का 1947 में विभाजन हुआ। जिसका खेलों पर बहुत प्रभाव पड़ा क्योंकि इससे खेलों के बहुत-से मैदान पाकिस्तान में चले गए।
  • पंजाब में ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना-इस एसोसिएशन की स्थापना 1948 में हुई जिसके प्रथम प्रधान जी० डी० सौन्धी और सैक्रेटरी प्रो० एफ० सी० अरोड़ा बने।
  • संस्थाओं का खेलों की प्रगति में योगदान-पंजाब पुलिस विभाग, सीमा सुरक्षा बल, पंजाब राज्य बिजली बोर्ड आदि संस्थानों ने खेलों की प्रगति में योगदान दिया।
  • पंजाब खेल विभाग-1961 में पंजाब ने खेल विभाग की स्थापना की जिस द्वारा प्रत्येक जिले में जिला स्पोर्ट्स विभाग की स्थापना की गई और खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स होस्टल बनाए गए।
  • पंजाब राज्य की यूनिवर्सिटियां-पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर हैं। जिनमें डायरेक्टर स्पोर्ट्स नियुक्त किए गए हैं, जो खेलों का संचालन करते हैं।
  • पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स कौंसिल-यह कौंसिल 1971 में खेलों की प्रगति के लिए आरम्भ हुई, जिसका मुख्य कार्य पंजाब के युवकों और युवतियों में खेल भावना का संचार करना है।
  • पंचायती राज्य खेल परिषद्-पंजाब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों की प्रगति के लिए 1967 में पंचायती राज खेल परिषद् की स्थापना की। जिसे अब पंजाब राज्य खेल विभाग में मिलाया गया है।
  • पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड-पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने दूसरे विषयों की तरह शारीरिक शिक्षा को विषय के रूप में अपनाया और ये खेलों का संगठन सभी पंजाब के स्कूलों में करता है।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

Punjab State Board PSEB 9th Class Computer Book Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 7 ई-गवर्नेस

Computer Guide for Class 9 PSEB ई-गवर्नेस Textbook Questions and Answers

1. बहुविकल्पीय प्रश्न-उत्तर

1. G2C का मतलब है-
(क) Government to Co-operation
(ख) Grievances to Co-operation
(ग) Government to Citizen
(घ) None of these.
उत्तर-
(ग) Government to Citizen.

2. G2G का मतलब है-
(क) Government to Government
(ख) Set to Go
(ग) Gather to Go
(घ) None of these.
उत्तर-
(क) Government to Government.

3. G2E का मतलब है-
(क) Grievance to employee
(ख) Government to employee
(ग) Government to environment
(घ) None of these.
उत्तर-
(ख) Government to employee

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

4. G2B का मतलब है-
(क) Government to Banks
(a) Government to Businessmen
(ग) Government to Business
(घ) None of these.
उत्तर-
(ख) Government to Businessmen.

5. IRCTC का मतलब है-
(क) Indian Railway Catering and Tourism Co-operation Ltd.
(ख) Indian Runway Catering and Tourism Co-operation Ltd.
(ग) Indian Railway Catering and Travelling Co-operation Ltd.
(घ) Indian Railway Cargo and Tourism Co-operation Ltd.
उत्तर-
(क) Indian Railway Catering and Tourism Co-operation Ltd.

2. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ई-गवनेस क्या हैं ?
उत्तर-
ई-गवर्नेस का मतलब है कि सरकारी सेवाओं को आनलाइन करना। सरकार के कामकाज का आनलाइन होना।

प्रश्न 2.
ई-गवर्नेस के दो उद्देश्य कौन-से हैं ?
उत्तर

  1. भिन्न-भिन्न आनलाइन सेवाओं का प्रयोग करके जनता की ज़रूरतों को आसानी से पूरा करना।
  2. सरकारी प्रशासनिक काम-काज की पारदर्शी, उत्तरदेय और प्रभावशाली तरीके के साथ सेवाओं को उपलब्ध करवाना।

प्रश्न 3.
शहरी क्षेत्र में ई-गवर्नेस के कौन-कौन से काम होते हैं ?
उत्तर

  1. सड़क सेवाओं के काम-काज जैसे-कच्चा आईसस बनना, गाड़ियों के टाइम-टेबल बनना।
  2. बिल और टैक्स को आनलाइन जमा करवाना।
  3. सड़क और सुरक्षा का प्रबंध करना।

प्रश्न 4.
गाँव क्षेत्र में ई-गवर्नेस कौन-कौन से काम करती है ?
उत्तर-
गाँव क्षेत्र में ई-गवर्नेस का बहुत अच्छा प्रभाव है। यहाँ पर खेती से संबंधित काम-काज से लेकर आम-सूचना के सारे काम ई-गवर्नेस ही करती है।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

3. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक अच्छी गवर्नेस की मुख्य विशेषताएं क्या हैं ?
उत्तर-
एक अच्छी गवर्नेस की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. अच्छी गवर्नेस में सभी सम्मिलित होते हैं। कोई भी आदमी जोकि किसी निर्णय द्वारा प्रभावित होता है या फैसला लेने की प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है, में शामिल हो सकता है। यह कई ढंगों से जैसे कि किसी वर्ग के लोगों को जानकारी देनी और उनकी राय का पता लगाना, उनको सिफारिशों का मौका देना या कई बार उनको वास्तव में निर्णय करने के कार्य में शामिल कर लिया जा सकता है।
  2. अच्छी गवर्नेस कानून का पालन करती है।
  3. अच्छी गवर्नेस निर्णय करने और फैसले लागू करने में प्रभावशाली और कुशल होती है और कई प्रक्रियाओं द्वारा उपलब्ध लोगों, स्रोतों के अच्छे प्रयोग करके समाज की आवश्यकता अनुसार नतीजे प्राप्त करती है।
  4. अच्छी गवर्नेस लिए गए फैसले के नतीजे के लिए जनता को उत्तरदायी होती है।
  5. अच्छी गवर्नेस जनता की आवश्यकताओं को समय पर और ठीक ढंग से पूरा करने के लिए उत्तरदायी होती है।
  6. अच्छी गवर्नैस पारदर्शी होती है, इससे अभिप्राय यह है कि जनता साफ-साफ यह देख सकती है कि कोई फैसला कैसे और क्यों लिया गया है।

प्रश्न 2.
ई-गवर्नेस के चार स्तंभ कौन-से हैं ?
उत्तर

  1. संपर्क-लोगों को सरकार की सेवाओं से जोड़ने के लिए संपर्क की आवश्यकता होती है।
  2. ज्ञान-ज्ञान का भाव है IT (Information Technology) का ज्ञान। सरकार अच्छे इंजीनियर को इस काम के लिए रखती है जो ई-गवर्नेस के काम को अच्छे से पूरा करते हैं।
  3. डाटा-इंटरनैट पर सूचना को शेयर करने के लिए सरकार अपनी सेवाओं से संबंधित डाटाबेस का रख-रखाब करती है।
  4. पैसा-सरकार की तरफ से अपनी सेवाओं को लागू करने के लिए लगाई गई राशि।

प्रश्न 3.
ई-गवर्नेस के चार मॉडल का विवरण करें।
उत्तर
1. सरकार से नागरिक-यह सरकार की उन सेवाओं के बारे में बताती है जो एक नागरिक प्रयोग करता है। इस मॉडल में नागरिक जिन सेवाओं का प्रयोग करना चाहते हैं, उस लिंक का प्रयोग करते हैं। इसका प्रयोग करके नागरिक आन लाइन पानी का बिल, बिजली और टैलीफोन आदि को जमा करवा सकता है।

2. सरकार से सरकार इस मॉडल में सरकार के बीच शेयर किये जाने वाली सेवाएं आती हैं। इसमें सरकार भिन्न-भिन्न प्रकार के राज्य के पुलिस विभाग शेयर किये जाने वाली सूचना और बजट से संबंधित काम शामिल है।

3. सरकार से व्यापारी-इसमें निजी क्षेत्र और सरकार के बीच रिश्ता और भी अच्छा होता है। यह व्यापारियों से सरकार और सरकार से व्यापारियों की बातचीत करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें टैक्स को इकट्ठा करना, पैकिंग वस्तुओं को मंजूर या न मंजूर करना आदि शामिल है।

4. सरकार से कर्मचारी-इस मॉडल में सरकार और इसके कर्मचारियों के बीच और अच्छे संबंधों के लिए काम करता है। इसके कर्मचारी सरकार के काम और कार्य प्रणाली की देखभाल करते हैं।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

प्रश्न 4.
सेहत और शिक्षा के क्षेत्र में ई-गवर्नेस का क्या काम है ? विवरण करें।
उत्तर-
सेहत और शिक्षा के क्षेत्र में ई-गवस का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसमें सरकार शिक्षा के क्षेत्र और सेहत विभाग में क्या काम चल रहा है उसकी पूरी देखभाल करती है। इसमें सरकार इस बात को देखती है कि सेहत और शिक्षा के क्षेत्र में कितना सुधार हुआ है। यदि कोई सुधार हुआ है तो कितनी मात्रा में हुआ है।

प्रश्न 5.
ई-गवर्नेस का इतिहास और विकास का विवरण करें।
उत्तर-
भारत में ई-गवर्नेस 1970 में स्थापित की गई। उस समय सरकार ने इसको सुरक्षा के क्षेत्र, पैसे के लेन-देन की योजना के क्षेत्र में प्रयोग किया? सूचना और संचार टैकनोलॉजी का प्रयोग वोट, टैक्स, प्रशासन से संबंधित डाटे का प्रबंध करने के लिए किया जाता है। इसके बाद NIC-National Information Center की कोशिशों से सारे जिलों को आपस में जोड़ा गया।

साल 1990 की शुरुआत में ई-गवर्नेस ने सूचना टैकनोलॉजी का प्रयोग करके बहुत बड़े क्षेत्र में पहुंच गए और गांव क्षेत्र में पहुंचने की कोशिश की। पहले सरकार और नागरिक के बीच बात करने के लिए कार्यालय की ज़रूरत पड़ती थी। परन्तु सूचना और संचार के क्षेत्र में प्रगति आने से सरकारी काम और अच्छे तरीके से होने लगा। सूचना और संचार में ग्राहकों के लिए, सेवा केन्द्र को ढूंढना और भी संभव हो गया। यह केन्द्र सरकारी एजेंसी में ‘काऊंटर के रूप में या ग्राहकों के नजदीक सरकारी एजेंसी के बाहर भी हो सकते हैं।

PSEB 8th Class Computer Guide ई-गवर्नेस Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

1………….. से मतलब है कि सरकारी सेवाओं की ………….. .
उत्तर-
ई-गवर्नस, ऑनलाइन,

2. RSPCB का मतलब है
उत्तर-
Rajasthan State Pollution Control Board,

3. IRCTC का मतलब है ………….
उत्तर-
Indian Railway Catering and Tourism Co-operation Ltd.,

4. UIDAI से मतलब ……………..
उत्तर-
Unique Identification Authority of India,

5. HRTC का मतलब …………
उत्तर-
Himachal Road Transport Corporation Project,

6. E-Seva का भाव
उत्तर-
Electronic Seva, 6 ईगवनस,

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

7. सामाजिक कार्यों को करने के लिए प्रक्रियाओं के समूह को ………… कहा जाता है।
उत्तर-
सुविधा सेंटर,

8. सरकारी कार्यों को करने के लिए सरकार . ………… की प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है।
उत्तर-
Single user Friendly Window Disposal Help line for Application,

9. सुविधा का अर्थ है ……………. ।
उत्तर-
सुविधा सेंटर,

10. एफीडेविट की तुरंत तसदीक …………….सेंटर में हो सकती है।
उत्तर-
रजिस्टरी,

11. वाहनों की ………. सुविधा सेंटर में हो सकती है।
उत्तर-
6.

12. आप …………….. में से किसी भी वक्त पैसे निकलवा सकते हैं।
उत्तर-
ATM.

सही या गलत बताइये-

1. i-tickets के प्रयोग से केवल ऑन लाइन रेलवे टिकट बुकिंग होती है।
उत्तर-
सही,

2. i-ticketing में टिकट बुकिंग 2 दिन पहले होनी जरूरी है।
उत्तर-
सही,

3. e-ticketing का प्रयोग तत्काल बुकिंग के लिए होता है।
उत्तर-
सही,

4. e-governance सुविधायें हासिल करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जाता।
उत्तर-
गलत,

5. ऑन लाइन बैंकिंग की मदद से एक खाते से दूसरे खाते में धन भेजना संभव है।
उत्तर-
सही,

6. i-tickets के प्रयोग से केवल ऑन लाइन रेलवे टिकट बुकिंग होती है।
उत्तर-
सही,

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

7. i-ticketing में टिकट बुकिंग 2 दिन पहले होनी जरूरी है।
उत्तर-
सही,

8. e-ticketing का प्रयोग तत्काल बुकिंग के लिए होता है।
उत्तर-
सही,

9. e-governance सुविधाएं हासिल करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जाता।
उत्तर-
गलत,

10. ऑन लाइन बैंकिंग की मदद से एक खाते से दूसरे खाते में धन भेजना संभव है।
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
E-Aadhar क्या है ?
उत्तर-
ई-आधार 12 अंकों का हर एक व्यक्ति के लिए पहचान नंबर है जोकि UIDAI का भारत सरकार लागू करती है। यह नंबर पूरे भारत में पहचान और पते का प्रमाण होता है।

प्रश्न 2.
आपदा प्रबंधन क्या है ?
उत्तर-
किसी भी सरकार के लिए आपदा/मुसीबत का सामना करना बहुत बड़ी बात होती है क्योंकि यह प्राकृतिक और किसी भी समय होने वाली घटना है। इस तरह की मुसीबत का सामना करने के लिए सरकार ने तथा कई राज्य सरकारों ने ई-गवर्नेस के बहुत-से क्षेत्र शुरू किये हैं।

प्रश्न 3.
ई-गवर्नेस से क्या अर्थ है?
उत्तर –
ई-गवर्नेस का अर्थ है सूचना तकनीक की मदद से नागरिकों और व्यापारियों को नई-से-नई व्यापारिक जानकारी देना और कार्यों को बढ़िया तरीके से उन को प्रदान करवाना।

प्रश्न 4.
ई-गवर्नस का प्रयोग (लाभ) बताइये।
उत्तर-

  1. काम खर्च
  2. तेज़ रफ्तार
  3. कभी भी किसी भी समय।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

प्रश्न 5.
ई-गवनैस की सेवा कौन-कौन से क्षेत्र प्रदान करता है?
उत्तर-

  • बैंकों में
  • हवाई जहाज और रेलवे की टिकट बुक करवाने में
  • जन्म और मौत के सर्टीफिकेट जारी करने के लिए।

प्रश्न 6.
इंटरनेट बैंकिंग से भाव है?
उत्तर-
इस बैंकिंग के द्वारा हम इंटरनैट के द्वारा आम बैंकिंग सुविधाएं जैसे कि भुगतान (Payment), मनी ट्रांसफर (Money Transfer) और अकाऊंट बकाया (Account Balance) आदि काम 24 घंटे कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
आन लाइन रेलवे और हाई टिकटिंग से क्या भाव है?
उत्तर-
इस तकनीक के द्वारा हम रेल गाड़ियों और हवाई उड़ानों की जानकारी पहले से ही प्राप्त कर सकते हैं और रेलवे और हवाई जहाज़ की टिकटें इंटरनेट के द्वारा घर बैठे बुक करवा सकते हैं।

प्रश्न 8.
भारती रेलवे की टिकटिंग प्रणालियों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. आई-टिकटिंग (i-ticketing)
  2. ई-टिकटिंग (e-ticketing)।

प्रश्न 9.
सुविधा सैंटर से क्या भाव है?
उत्तर-
इन सैंटरों में जनता की आम ज़रूरत में आने वाली सेवायें, सहूलतें प्रदान की जाती हैं, जैसे कि पासपोर्ट बनाने, राशन कार्ड बनाने, विवाह की रजिस्ट्रेशन।

प्रश्न 10.
JIT से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
JIT से अर्थ है Just In Time, भाव जनता को उसी समय सुविधा प्रदान करवाना जिस समय वो यह सुविधा प्राप्त करना चाहता है जैसे कि ATM मशीनों के आ जाने से व्यक्ति किसी भी समय पैसे निकाल सकता है और यह 24 घंटे खुले रहते हैं और इनको ऑपरेट करने के लिए किसी भी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं होती।

प्रश्न 11.
i-tickting क्या होती है ?
उत्तर-
आई-टिकटिंग (i-tickting) यह मुफ्त , web baised टिकटिंग सिस्टम है। इस प्रणाली में कस्टमर (Customer) को कम-से-कम 2 दिन पहले टिकट बुक करवानी पड़ती है और 2 या 3 दिन से अंदर टिकट घर पहुँचा दी जाती है।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 7 ई-गवर्नेस

प्रश्न 12.
E-tickting क्या होती है ?
उत्तर-
ई-टिकटिंग (E-tickting) यह एक आन लाइन (Online) टिकट है। इस टिकट को e-mail के द्वारा भेजा जा सकता है या (Printable Online) पर प्रिंट किया जा सकता है। ई-टिकटिंग गाड़ी के समय के चार्ट से हिसाब से बुक की जाती है। ई-टिकटिंग के लिए शिनास्ति सबूत जैसे कि Voter ID कार्ड, राशनकार्ड पासपोर्ट, PAN कार्ड या ड्राईविंग लाईसेंस आदि का विवरण देना पड़ता है। इस के बाद उसका एक प्रिंट लेकर और यात्रा करते समय यह प्रिंट और अपना ID सबूत साथ रखना चाहिये।

प्रश्न 13.
E-governance का क्या महत्त्व है?
उत्तर –

  1. ई-गवर्नेस से कोई भी काम बड़ी तेज़ी, आसानी से कर सकते हैं। जिन कामों को बहुत ज्यादा समय लगता था, वही काम आज बड़ी आसानी और परंपरागत तरीकों से किया जा सकता है।
  2. इस में लिखित, मौखिक, वीडियो और ऐनीमेशन तकनीकें शामिल हैं।
  3. इसका खर्च परंपरागत साधनों के खर्च से बहुत कम होता है। पूरा सैट-आप स्थापित हो जाने से इसका रोज़ाना खर्चा बहुत कम होता है । सिर्फ शुरुआत के खर्चे ज्यादा हैं।
  4. ई-गवर्नेस की मदद से हम भी कहीं भी किसी भी टाईम अपना काम कर सकते हैं जैसे हम किसी भी बैंक की वैब साईट से अपने अकाऊंट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और बैंकों की नई स्कीमों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 14.
सुविधा सैंटरों के कोई पाँच मुख्य उपयोगों का वर्णन करें ।
उत्तर-

  1. इन सैंटरों में जनता की आम ज़रूरत में आने वाली सेवायें, सहूलतें प्रदान की जाती हैं।
  2. हर सुविधा सैंटर में हैल्प-लाईन नंबर मौजूद हैं। कोई भी व्यक्ति टेलीफोन करके ज़रूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
  3. सेवाओं के लिए एक स्थान पर सारी ऐपलीकेशनज़ को जमा करवाना ।
  4. जो भी नई स्कीम या तरीका हो उसकी जानकारी मौके पर उसी समय ही उपलब्ध हो जाती है।
  5. सुविधा केंद्रों की कोरीयर (Courier) सर्विस भी बहुत तेज़ है जिस के द्वारा ज़रूरी कागजात अब 48 घंटों में व्यक्तियों के घर पहुंचा दिये जाते हैं।